MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 4 पितृसेवा परं ज्ञानम्

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 4 पितृसेवा परं ज्ञानम् (कथा)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 4 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

संस्कृत कक्षा 9 पाठ 4 Question Answer MP Board प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिख-(एक शब्द में उत्तर दीजिए)
(क) मदन विनोदः कस्य पुत्रः आसीत्? (मदन, विनोद किसके पुत्र थे?)
उत्तर:
हरिदत्तस्य। (हरिदत्त के)

(ख) मदनं विनोदेन स्वर्णपञ्जरस्थः शुकः कुत्र स्थापितः? (मदन विनोद ने सोने के पिंजरे में स्थित शुक को कहाँ रखा?)
उत्तर:
शयनेन कक्षे। (सोने वाले कमरे)

(ग) त्रिविक्रमनामा द्विजः कस्य सखा आसीत्? (विक्रम नाम का ब्राह्मण किसका मित्र था?)
उत्तर:
हरिदत्तस्य (हरिदत्त का)।

(घ) देवशर्मा कुत्र तपः अकरोत्? (देवशर्मा ने कहाँ तपस्या किया?)
उत्तर:
गंगातीरे (गंगा के किनारे)।

(ङ) देवशर्मोपरि केन पुरीषोत्सर्ग कृतः? (देवशर्मा के ऊपर किसने टट्टी किया?)
उत्तर:
बलाकि (बगुली)।

कक्षा 9 संस्कृत पाठ 4 के प्रश्न उत्तर MP Board प्रश्न 2.
अधोलिखित प्रश्नां एकवाक्येन उत्तरं लिखत (नीचे लिखे प्रश्नों का एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) मदनविनोद पितुः शिक्षा केन कारणेन न शृणोति? (मदनविनोद पिता की शिक्षा किस कारण से नहीं सुनता था?)
उत्तर:
मदन विनोद पितुः शिक्षा दुखश्यनेनो कारणेन न शृणोति। (मदन विनोद पिता की शिक्षा दुख के कारण नहीं सुनता था।)

(ख) मदन विनोदस्य आसक्तिः केषु आसीत्? (मदन विनोद का लगाव किसमें था?)
उत्तर:
मदनविनोदस्य आसक्तिः द्यूतमृगयवेश्यामद्यादिषु आसीत्। (मदन विनोद का लगाव जुआ खेलने, वेश्यावृत्ति और मदिरापान आदि में था।)

(ग) द्विजपत्नी देवशर्माणं किम उक्तवती? (ब्राह्मण की पत्नी ने देवशर्मा से क्या बोली?)
उत्तर:
द्विजपत्नी देवशर्माणं नाहं बलाकेव त्वत्कोपस्थानम् उक्तवती। (ब्राह्मण की पत्नी देव शर्मा से बोली, मैं तुम्हारे बालक को स्थापित नहीं की हूँ।)

(घ) देवशर्मा विस्मितः कथं सजातः? (देवशर्मा किस तरह से विस्मित हो गए?)
उत्तर:
देवशर्मा विस्मितः प्रच्छन्नपातकज्ञानादीत सञ्जातः। (देव शर्मा छुपे हुए पापी ज्ञान के कारण विस्मित हो गए।)

(ङ) देवशर्मा व्याधं कीदृशम् अपश्यत्? (देवशर्मा ने बहेलिया को किस तरह से देखा?)
उत्तर:
देवशर्मा व्याधं रक्ताक्तहस्तं यम प्रतिमं मांसविक्रयं विद्धानं अपश्यत्। (देवशर्मा ने बहेलिए को रक्तरंजित हाथ तथा मांस बेचते हुए देखा।)

संस्कृत कक्षा 9 पाठ 4 Solution MP Board प्रश्न 3.
अधोलिखित प्रश्नां उत्तराणि लिखत (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो)
(क) शुको देवशर्मणः पतनाय किं कारणमवोचत्? (तोते ने देवशर्मा के पतन के लिए क्या कारण बताया?)
उत्तर:
शुको देवशर्मणः पतनाय पित्रोस्ते दुःखिनोर्दुः खात्पतत्यश्रुचयो भूवि कारणमवोचत्। (तोते ने देव शर्मा के पतन का कारण बताया कि तुम्हारे पिता दुख से दुखी थे और उनके अश्रु भूमि पर गिर रहे थे।)

(ख) बलाका कथं भस्मीभूता जाता? (बगुला किस तरह से भस्म हुआ?)
उत्तर:
बलाका तपस्वी क्रोधाग्निना भष्मीभूता जाता। (बगुला तपस्वी के क्रोध के कारण भस्म हुआ।)

(ग) के जनाः निन्द्यमानाः जीवन्ति? (कौन लोग निन्दनीय जीवन जीते हैं?)
उत्तर:
स गृही मुनिः साधु स योगी स च धार्मिकः पितृशुश्रूषको नित्यं जन्तुः साधारणश्च य। (वही व्यक्ति गृहस्थ है, वही मुनि साधु योगी है, जो पिता की सेवा में नित्य लगा हुआ है, ऐसे व्यक्ति साधारण होते हुए भी श्रेष्ठ हैं।)

(घ) व्याधः स्वज्ञानस्य कारणम् किम् उत्कवान? बहेलिया ने अपने ज्ञान का क्या कारण बताया?
उत्तर:
न पूजयन्ति ये पूज्यान्मान्यान्न मानयन्ति ये। जीवन्ति निन्द्यमानास्ते मताः स्वर्ग न यान्ति च। (जो पूजा योग्य की पूजा नहीं करते, मानने योग्य को नहीं मानते, निन्द्य होकर वह इस जीवन में जीते तथा मरने पर उन्हें स्वर्ग नहीं मिलता ऐसे लोग निन्दनीय जीवन जीते हैं।)

(ङ) अस्य पाठस्य आशयः कः? (इस पाठ का क्या आशय है?)
उत्तर:
अस्य पाठस्य आशयः-पितरौ सेवा। (इस पाठ का आशय है-माता-पिता की सेवा करना)

संस्कृत कक्षा 9 पाठ 4 प्रश्न उत्तर MP Board प्रश्न 4.
अधोलिखत वाक्येषु पदपूर्ति कुरुत
(क) हरिदत्तः कुपुत्रं दृष्ट्वा दुखितः सञ्जातः।
(ख) शुकं सपत्नीकं पुत्रवत्वं परिपालय।
(ग) तपस्वी गङ्गातीरे जपार्थमुपविष्टः।
(घ) ब्राह्मण ज्ञानकारणं व्याध प्रप्रच्छ।
(ङ) नाहं बलाकेय त्वत्कोपस्थानम्
(च) क्रोधाग्निना भस्भीभूतां बलाकां भूमौ पतिताम्।

Class 9 Sanskrit Chapter 4 Question Answer MP Board प्रश्न 5.
‘अ’ ‘ब’ स्तम्भयों यथायोग्यं मेलनम् कुरुत-
संस्कृत कक्षा 9 पाठ 4 प्रश्न उत्तर MP Board
उत्तर:
क. 5
ख. 3
ग. 1
घ. 2
ड. 4

Class 9th Sanskrit Chapter 4 Question Answer MP Board प्रश्न 6.
अधोलिखित संधीनां विच्छेदं कुरुत
संस्कृत कक्षा 9 पाठ 4 Solution MP Board

संस्कृत कक्षा 9 पाठ 4 के प्रश्न उत्तर MP Board प्रश्न 7.
अधोलिखित समासानां विग्रहं कुरुत
कक्षा 9 संस्कृत पाठ 4 के प्रश्न उत्तर MP Board

Class 9th Sanskrit Chapter 4 MP Board प्रश्न 8.
अधोलिखिताव्ययाना वाक्येषु प्रयोगं कुरुत
(उपरि, च, तत्र, एवम, न, ऊर्ध्वम, इव, कथम्)
उपरि – वायुयानमः उपरि-उपरि उड्डयति।
च – राम-लक्ष्मणसीताश्च वनं आगच्छत्।
तत्र – तत्र वायु प्रवहति।
एवम् – सः एवम् कथाम् अकथयत्।
न – वृष्टिः न भविष्यति।
ऊर्ध्वम् – खगाः ऊर्ध्वम् उड्डयन्ति।
इव – गीता वाक्देवि इव पठति।
कथम – कथम् सः शीघ्रम संस्कृतं पठति।

Sanskrit Class 9 Solutions Chapter 4 MP Board प्रश्न 9.
अधोलिखित वाक्यानि कः कम् कथयति
(क) एनं शुकं सपत्नीक पुत्रत्व परिपालय।
उत्तर:
त्रिविक्रमाः हरिदत्तं कथयति।

(ख) अस्ति पञ्चपुरं नाम नगरम्।
उतर:
शुकः मदनविनोदम् कथयति।

(ग) नाहं बलाकेव त्वत्कोपस्थानम्।
उत्तर:
नारायणस्य पनि देवशर्माणम् कथयति।

(घ) कथं सती ज्ञानवती, कथं च त्वं ज्ञानवान।
उत्तर:
देवशर्मा व्याधम् कथयति।।

(ङ) ये मान्यान न मानयन्ति ते मृताः स्वर्गं न यान्ति।
उत्तर:
व्याधाः ब्राह्मणं कथयति।

Class 9 Sanskrit Chapter 4 MP Board प्रश्न 10.
अधोलिखित शब्दानां प्रकृति प्रत्ययम् च पृथक कुरुत
(क) गृहीत्वा
उत्तर:
गृह्+क्त्वा

(ख) दत्तम्
उत्तर:
दा+क्त

(ग) ज्ञानवान
उत्तर:
ज्ञान+मतुप

(घ) परित्यज्य
उत्तर:
परि+त्यज क्त्वा (ल्यप)

(ङ) निन्द्यमानाः
उत्तर:
निन्द्य+शानच्।

Class 9 Sanskrit Chapter 4 Solutions MP Board प्रश्न 11.
अधोलिखित शब्दानां मूलशब्दं विभक्ति वचनञ्च लिखत
संस्कृत कक्षा 9 पाठ 4 Question Answer MP Board

पितृसेवा परं ज्ञानम् पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

संस्कृत साहित्य में कथा (आख्यान) साहित्य की दो विधाएँ उपलब्ध हैं। पहली विधा में उपदेशात्मक नीति-कथात्मक साहित्य है जिसमें ‘पंचतंत्र’ पशु-पक्षियों के माध्यम से (प्रेरक एवं ज्ञानवर्द्धक कथाएँ) रोचक ढंग से कही गई हैं। दूसरी विधा में लोककथात्मक मनोरंजक साहित्य आता है। उपदेशात्मक नीति कथा साहित्य में ‘शुक सप्ततिः’ प्रसिद्ध ग्रंथ है। नीति-कथा में उपदेश की प्रवृत्ति तथा लोक-कथा साहित्य में मनोरंजन की वृत्ति प्रमुख रूप से होती है। शुक सप्ततिः उपदेशात्मक कथा का एक उत्तम ग्रंथ है। इस (ग्रंथ के) लेखक के विषय में अथवा इसके रचना काल में निश्चय नहीं है किंतु इस समय शुक नाम से उपलब्ध है। सन् 1400 ई. का मध्य इस कथा-ग्रंथ का रचना काल अनुमानित है। अतः उसी में से एक मातृ-पितृ भक्ति परक कथा शिक्षण के दृष्टिकोण से उपलब्ध है।

पितृसेवा परं ज्ञानम् पाठ का हिन्दी अर्थ

1. चन्द्रपुरनाम्नि नगरे श्रेष्ठिनः हरदत्तस्य पुत्रः मदनविनोदस्तु अतीवविषयासक्तः कुपुत्रः पितुः शिक्षा न शृणोति स्म। तस्य द्यूतमृगयावेश्यामद्यादिषु अतीव आसक्तिः। कुमार्गचारिणं तं कुपुत्रं दृष्ट्वा तत्पिता हरिदत्तः सपत्नीकः अतीव दुःखितः सञ्जातः। तं हरिदत्तं कुपुत्रदुःखेन पीडितं दृष्ट्वा। तस्य सखा त्रिविक्रमनामा द्विजः स्वगृहतो नीतिनिपुणं शुकं सारिकां च गृहीत्वा तद्गृहे गत्वा प्राह-‘सखे हरिदत्त! एनं शुकं पुत्रवत्त्वं सपत्नीकं परिपालय। एतत्संरक्षणेन तव दुःखं दूरीभविष्यति।’ हरिदत्तस्तु शुकंगृहीत्वा पुत्राया समर्पयामास। मदनविनीदेन शयनमन्दिरे स्वर्णपञ्जरस्थः स्थापितः परिपोषितश्च। अथैकदा रहसि शुको मदनं प्राह-हे सखे!

पित्रोस्ते दुःखिनोर्दुःखात्पतत्यश्रुचयो भुवि।
तेन पापेन ते वत्स पतनं देवशर्मवत्॥2॥

Sanskrit Class 9 Chapter 4 Question Answer MP Board शब्दार्थ :
श्रेष्ठिनः-सम्पन्न व्यापारी का-Talented Businessman or Rich Businessman; मदनविनोदस्तु-मदन और विनोद–Madan and Vinod ; विषयासक्तः-विषयों में आसक्त-Strongly attached in bad habit; न शृणोत स्म-नहीं सुनते थे-did not listen; दृष्ट्वा -देखकर-to see , to look; तत्पिता-उसके पिता-his father; हरिदत्तं-हरिदत्त को-to Hari datt; स्वगृहतो-अपने घर में-in his oun house. नीतिनिपुणं-नीति में निपुणं-talented in policy; मद्गृहे-उस घर में-In its house. एतत्संरक्षणेन-इसके संरक्षण से –By his patronage; समर्पयामास-समर्पित किया-dedicated; शयनमन्दिर-शयन मन्दिर में-in sleeping room. स्वर्णपञ्जरथः-सोने के पिंजरे-cage of gold;अथैकदा-इस प्रकार एक दिन-inthis type one day;रहसि-अकेले में-inalone; पित्तोश्ते-तुम्हारे पिता-your father; भुवि-संसार में-inworld; देवशर्मवत्-देव शर्मा के सामन-like Dev Sharma.

संस्कृत कक्षा 9 पाठ 4 कल्पतरु MP Board हिन्दी अर्थ :
चन्द्रपुर नामक नगर में हरिदत्त का पुत्र मदन विनोद अत्यधिक विषयासक्त होने के कारण कुपुत्रों (की भांति) पिता की शिक्षा को नहीं सुनता था। उसमें जुआ, मृगया, वेश्यागमन आदि में विशेष आसक्ति थी। कुपुत्र के कुमार्ग गामी होने को देखकर उसका पिता हरिदत्त पत्नी सहित बहुत दुखी रहता था। उस हरिदत्त को कुपुत्र की कुआदतों से दुखी देखकर उसका मित्र त्रिविक्रम नामक ब्राह्मण अपने घर से नीति निपुण तोता-मैना लेकर हरिदत्त के घर जाकर बोला-‘हे मित्र हरिदत्त! इस तोते का सपत्नीक पुत्रवत पालन करो। इसका संरक्षण करने से तुम्हारा दुःख दूर होगा। हरिदत्त ने तोते को लेकर अपने पुत्र को दे दिया। तोता मदन विनोद के शयनकक्ष में स्वर्ण निर्मित पिंजरे में रहता एवं पोषित होता हुआ तोता एक दिन अकेले में उससे बोला-हे मित्र!

तुम्हारे पिता के कष्ट में होने के कारण उनका आँसू भूमि पर गिर गया। हे वत्स! उस पाप से तुम्हारा भी पतन देवशर्मा के समान होगा।

2. स प्राह-‘कथमेतत?’
शुक आह-अस्ति पञ्चपुरं नाम नगरम्। तत्र सत्यशर्मा ब्राह्मणः। तद्भार्या धर्मशीलानाम्नी। पुत्रस्तु देवशर्मा। स च अधीतविद्यः पितृप्रच्छन्नवृत्या देशान्तरं गत्वा भागीरथीतीरे तपः कृतवान्।

एकदा स तपस्वी गङ्गातीरे जपार्थमुपविष्टः। तस्मिन्काले कयाचित् बलाकया उड्डीयमानया तदङ्गोपरि पुरीषोत्सर्गः कृतः। स च तपस्वी क्रोधाकुलितनेत्रः यावदूर्ध्वं पश्यति तावत्तत्क्रोधग्निना भस्मीभूतां बालकं भूमौ पतितां दृष्ट्वा (बलाकां दग्ध्वा) नारायणद्विजगृहे भिक्षार्थ ययौ। स्वभर्तृशुश्रूषापरया तत्पत्न्या कोपाभिविष्टो निर्भर्त्सतः सत्पक्षिहायमुक्तश्च –

‘नाहं बलाकेव त्वत्कोपस्थानम्।’-
स च प्रच्छन्नपातकज्ञानादीतो विस्मितश्च, प्रेषितश्च तया धर्मव्याधपार्वे वाराणसी नगरी ययौ। तत्र रक्ताक्तहस्तं यमप्रतिभं मांसविक्रयं विद्धानं तं दृष्टवा दृशामन्तः स्थितः। व्याधेन स्वागतप्रश्नपूर्वकं स्वगृहं नीत्वा निजपितरी सभक्तिकं भोजयित्वा पश्चातस्य भोजनं दत्तम्। तदनन्तरं स च व्याधं ज्ञानकारणं पप्रच्छ-‘कथं सती ज्ञानवती, कथं च त्वं ज्ञानवान्।’

शब्दार्थ :
कथमेतत्-यह कैसे-How titis; धर्मशीलानाम्नी-धर्म शीला नाम की-Name of Dharmsheela; पितृपृच्छत्तवृत्या-पिता के द्वारा बताये गए, मार्ग पर-obey by father’s way; देशान्तरं-दूसरे देश को-to other country. भागीरथीतीरे-गंगा के किनारे-Bank ofGanga;जापार्शमुपविष्टः-जप करने के लिए बैठा-reading meettering of prayers; तस्मिन्काले-उसी समय-that time; उड्डीयमानथा-उठते हुए-flies; तदङ्गोपरि-उसके ऊपर-on thepartofhis body;पुरीषोत्सर्गः-उसके ऊपर मल (टट्टी)-onhis body;क्रोधाकुलित-क्रोध पूर,-forcefull; यावदूर्ध्वं-जब ऊपर-when on; पश्यति-देखता है-looks, sees; क्रोधाग्निना-क्रोध की अग्नि में-in the fire of angry.

भस्मीभूतां-जल गया-burnt; सत्पक्षिहायमुक्तश्च-निर्दोष पक्षी को मारने वाला-innocent birdkiller; ज्ञानावदीतो-ज्ञान से डरा हुआ-afraid of knowledge; विस्मित्-आश्चर्य चकित-wonderfull; प्रेषितश्च-भेजा-send; रक्ताक्तहस्तं-जिसके हाथ रक्त से रंगे हुए हों वह-red handed; यमप्रतिभं-यमराज के समान भयंकर-Horrible like Yamraj;ब्याधेन-बेहलिया ने-Hunter; दृशामन्तः स्थितः-गांव के कुछ दूर में स्थिति-few far of village in situated; स्वागतप्रश्नपूर्वक-स्वागत प्रश्न पूर्वक-wellcomed with question/ happyness: स्वगृह-अपने घर को-his own house; सभक्तिक-भक्ति पूर्वक-full of worship; तदनन्तरं-उसके बाद-often that; ज्ञानकारणं-ज्ञान का कारण-reasonof knowledge; पप्रच्छ-पूछा-asked.

हिन्दी अर्थ :
तब वह बोला-वह कैसे?
तोता बोला-पञ्चपुर नामक एक नगर था। वहाँ सत्य शर्मा नामक ब्राह्मण था। धर्मशीला नाम की उसकी पत्नी थी। उसका पुत्र देवशर्मा था। वह सभी विद्याओं में पारंगत होकर पिता के द्वारा निर्दिष्ट मार्ग पर चलते हुए देशान्तर जाकर गंगा के तट पर तप करने लगा।

एक बार वह तपस्वी गंगा के तट पर तप के उद्देश्य से बैठा था। उसी समय कोई बगुली ऊपर से उड़ती हुई उसके ऊपर विष्ठा कर दी। तब वह तपस्वी क्रोध में ज्यों ही ऊपर की ओर देखा, उसकी क्रोधाग्नि से वह बगुली भस्म होकर भूमि पर आ गिरी। बगुली को जला देखकर वह नारायण नामक ब्राह्मण के घर भिक्षा के उद्देश्य से गया। अपने पति की सेवा में परायण नारायण की पत्नी ने निरीह पक्षी के हत्यारे उस ब्राह्मण की भर्त्सना करते हुए कहा-बगुली के समान मैं तुम्हारे कोप का स्थान नहीं हूँ।

और इस पाप कृत्य के परिणाम से भयभीत वह ब्राह्मण उस द्वारा भेजा गया वाराणसी में धर्म व्याध नामक बहेलिए के पास गया। वहाँ उसने रक्त से सने हुए दोनों हाथों से मांस बेचते हुए यम के सदृश भयंकर रूप वाले उस व्याध को देखा और कुछ दूर खड़ा हो गया। व्याध ने स्वागत करते हुए आने का कारण पूछते हुए उसे अपने घर ले जाकर आदरपूर्वक अपने माता-पिता को भोजन कराने के पश्चात् भोजन कराया इसके बाद उसने ब्याध के ज्ञानी होने का कारण पूछा साथ ही उस सती स्त्री ज्ञानवती के विषय में पूछा, और तुम केसे ज्ञानवान हुए? यह भी बताने को कहा।

3. तेन व्याधेनोक्तम्
निजान्वयप्रणीतं यः सम्यग्धर्म निषेवते।
उत्तमाधममध्येषु विकारेषु पराङ्मुखः॥3॥
स गृही स मुनिः साधुः स योगी स च धार्मिकः।।
पितृशुश्रूषको नित्यं जन्तुः साधरणश्च यः॥4॥

अहं सापि च एवं ज्ञानिनौ त्वं च निजपतिरौ परित्यज्य भ्रमन्मादृशां न सम्भाषणार्हः। परमतिथिं मत्वा जल्पितः। एवमुक्तः स ब्राह्मणो विनयपरं व्याधं पप्रच्छ। तेनोक्तम् –

न पूजयन्ति ये पूज्यान्मान्यान्न मानयन्ति ये।
जीवन्ति निन्द्यमानास्ते मृताः स्वर्गं न यान्ति च ॥5॥
व्याधेन बोधितस्तेन स ययौ गृहमात्मनः।
अभवत्कीर्तिमाल्लोके परतः कीर्तिभाजनम ॥6॥

तस्माद्वणिग्धर्मं स्वकुलोद्भवं स्मर पित्रोश्च विनयपरो भव।

एवमुक्ताः स मदनः विनयपरः सदाचारी च, अभवत् पितरौ नमस्कृत्य तदनुज्ञातो भार्याञ्चापृच्छय प्रवहणधिरूढवान् गाते देशान्तरम्।

शब्दार्थ :
निजान्वयप्रणीतम्-कुल द्वारा किया हुआ-it was done by family; पराङ्मुख-विमुख-separate; पितृशुश्रूषक-पिता की सेवा में लीन-serve in father; सम्भाषणहिः- संवादयोग्य-able of conversation; निजपतिरो-अपने माता पिता-his own parents; परित्यज्य-छोड़कर-leave; तेनोक्तम्-उसने कहा-he said; न पूजयन्ति-जो नहीं पूजते-who not worshipped; ये पूज्यान्मान्यान्न-जो पूजे जाने योग्य है-who is able to worshiped; ग्रहमात्मनः-अपने घर में-his won house.

हिन्दी अर्थ :
तब व्याध ने कहा-अपने कुलोचार का श्रद्धापूर्वक पालन करते हुए उत्तम, अधम, मध्यम आदि विकार से रहित होकर कार्य करना चाहिए। (जो ऐसा करता है) वही गृही है, वही मुनि है, वही सच्चा साधु है, वही सच्चा योगी व धार्मिक है जो माता-पिता की सेवा में नित्यप्रति लगा रहता है। वह व्यक्ति साधारण होने पर भी श्रेष्ट
है।

इस प्रकार मैं और वह स्त्री ज्ञानवती ज्ञानी हैं। तुम अपने माता-पिता को त्यागकर भ्रमित होकर कुछ भी कहने के योग्य नहीं हो-इस प्रकार वह परम अतिथि जानकर उस ब्राह्मण से विनयपूर्वक कहा ऐसा कहा.

जो पूजनीय व्यक्ति की पूजा नहीं करते, जो मानने योगय को नहीं मानते, ऐसे लोग निन्द्य होकर जीवन जीते हैं और मरने पर स्वर्गगामी नहीं होते। व्याध द्वारा बोधि पूर्ण शिक्षा पाकर वह देवशर्मा अपने घर गया और इस लोक में कीर्तिमान होकर अपना जीवन-यापन करने लगा। इसलिए तुम बनिए का धर्म अपने कुल के अनुसार स्मरण करके माता-पिता के प्रति विनम्र हो। यह सुनकर मदन विनोद विनय युक्त हो सदाचार का अनुसरण करने लगा। वह माता-पिता को नमस्कर करके उनकी आज्ञा ले, अपनी धर्मपत्नी से पूछ वाहन पर सवार होकर दूसरे देश को गमन किया।

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions

MP Board Class 9th Sanskrit अनुवाद पकरण

MP Board Class 9th Sanskrit अनुवाद पकरण

अनुवाद करने के लिए सर्वप्रथम कारक का उचित प्रयोग जानना महत्त्वपूर्ण है।

कारक प्रकरण

कारक वे शब्द हैं, जिनका क्रिया से प्रत्यक्ष सम्बन्ध रहता है। संस्कृत में कारक अपनी विभक्ति के साथ जुड़े हैं, जबकि हिन्दी में विभक्ति चिह्न को कारक शब्द से अलग लिखते हैं। इनके प्रयोग के कुछ विशेष नियम हैं, जो यहाँ दिए जा रहे हैं।

प्रथमा विभक्ति का प्रयोग

1. कर्तवाच्य (Active Voice) में कर्ता प्रथमा विभक्ति में होता है।
जैसे-
(क) बालाः क्रीडन्ति। (बच्चे खेलते हैं।) .
(ख) अहं धावामि। (मैं दौड़ता हूँ।)

2. किसी वस्तु के नाम या लिंग का ज्ञान कराने हेतु प्रथमा का प्रयोग करते हैं। जैसे
(क) एषा माला अस्ति।
(ख) एतानि फलानि सन्ति।

द्वितीय विभक्ति का प्रयोग
1. कर्म हमेशा कर्मकारक (द्वितीया विभक्ति) में रहता है। जैसे
(क) मैं फल खाता हूँ। (अहं फलं खादामि।)
(ख) मैं जल पीता हूँ। (अहं जलं पिबामि।)

2. जिस स्थान को जाते हैं, वह कर्मकारक (द्वितीया) में रहता है। जैसे
(क) रामः वनम् अगच्छत्। (राम वन गये।)
(ख) वयं विद्यालयं गच्छामः। (हम विद्यालय जाते हैं।)

3. किसी अव्यय के योग में जब कोई विशेष विभक्ति हो, तो उसे उपपद विभक्ति कहते हैं। द्वितीया का उपपद विभक्ति के रूप में निम्न अव्ययों के साथ प्रयोग होता है

धिक् (धिक्कार है), अन्तरेण (के बिना), अन्तरा (बीच में), प्रति (की ओर), उभयतः (दोनों ओर), विना (के बिना), निकषा (निकट), अनु (पीछे), सर्वतः (सब ओर), परितः (चारों ओर), अभितः (सामने), अधोऽथः (नीचे-नीचे), उपर्युपरि (ऊपर-ही-ऊपर), हा (अफसोस)।

(क) धिक् अत्याचारिणम्। (अत्याचारी को धिक्कार है।)
(ख) ग्रामं परितः वनानि सन्ति। (गाँव के चारों ओर वन हैं।)
(ग) राधा नगरं प्रति गच्छति। (राधा नगर की ओर जाती है।)
(घ) जलं विना मत्स्यः न जीवति। (जल के बिना मछली जीवित नहीं रहती है।)
(ङ) गृहं निकषा उद्यानम् अस्ति। (घर के निकट उद्यान है।)

4. दुह्, याच्, भिक्ष्, प्रच्छ्, शास्, चि (चुनना), ब्रू (बोलना) आदि धातुओं के योग में द्वितीय विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे
(क) भिक्षुकः धनं भिक्षते। (भिखारी धन की भिक्षा माँगता है।)
(ख) गोपालः धेनोः दुग्धं दुह्यति। (ग्वाला गाय का दूध दुहता है।)

5. शी (सोना), स्था (बैठना, तथा आस् (बैठना) धातुओं में ‘अधि’ उपसर्ग लगा होने पर द्वितीय विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे
(क) राज्यपालः राजभवनम् अध्यासते। (राज्यपाल राजभवन में बैठते हैं।)
(ख) सीता पर्यकम् अधिशेते। (सीता पलंग पर सोती है।)
(ग) रामः आसनम् अधितिष्ठति। (राम आसन पर बैठता है।)

6. वस् (रहना) धातु में ‘अधि, उप, आ, अनु’ उपसर्ग लगा होने पर द्वितीय विभक्ति का प्रयोग होता है।

तृतीया विभक्ति का प्रयोग

1. जिसके द्वारा कार्य हो, वह कारणकारक (तृतीया) में रहता है।
जैसे-
(क) बालकाः कंदुकेन क्रीडन्ति। (लड़के गेंद से खेलते हैं।)
(ख) बालिका कलमेन लिखति। (लड़की कलम से लिखती है।)
(ग) वयं नेत्राभ्यां पश्यामः। (हम आँखों से देखते हैं।)

2. जिसका साथ बतलाना हो, वह कारणकारक में रहता है। सह, साकम् सार्धम् आदि सहार्थक अव्यय हैं। इसके साथ सदैव तृतीया विभक्ति रहती है।
जैसे-
(क) अहं मित्रेण सह गच्छामि। (मैं मित्र के साथ जाता हूँ।
(ख) छात्राः शिक्षकैः सह गायन्ति। (छात्र शिक्षकों के साथ गाते हैं।)

3. कारण के अर्थ में तथा विकृतांग वाची शब्दों के साथ तृतीया लगती है। जैसे
(क) जनः सभायां विद्यया शोभते। (सभा में व्यक्ति विद्या के कारण शोभित होता है।)
(ख) सः नेत्रेण काणः। (वह आँख से काना है।)
(ग) हरिः पादेन पंगुः अस्ति। (हरि पैर से लँगड़ा है।)

4. तृतीया विभक्ति का निम्न शब्दों के साथ पयोग होता है-
अलम् (बस करो), सह (साथ), साकम् (साथ), सार्धम् (साथ), समान (बराबर), सम (समान), सदृश्य (समान), तुल्य (समान), बिना/विना (के बिना)।
(क) अलम् हसितेन। (हँसो मत।).
(ख) रामेण सह लक्ष्मणः अपि वनम् अगच्छत्। (राम के साथ लक्ष्मण भी वन को गए।)
(ग) सः पित्रा साकम् आपणं गच्छति। (वह पिता के साथ बाजार जाता है।)
(घ) धर्मेण विना जीवनं शून्यम् अस्ति। (धर्म के बिना जीवन मूल्य है।)

5. हेतु या स्वाभाव के अर्थ में तृतीया विभक्ति होती है।
6. पृथक् और हीन के अर्थ में तृतीय विभक्ति होती है।
7. तुलनात्मक शब्दों में तृतीया विभक्ति होती है।

चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग
1. सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति होती है। जिसे कुछ दिया जावे या जिस उद्देश्य से क्रिया की जावे, या जिसके लिए कार्य हो, वह सम्प्रदान होता है।
जैसे-
(क) एतत् फलं रामाय अस्ति। (यह फल राम के लिए है।)
(ख) नद्यः परोपकाराय वहन्ति। (नदियाँ परोपकार के लिए बहती हैं।)

2. नमः, स्वस्ति, स्वाहा और अलम् अव्ययों के साथ चतुर्थी का प्रयोग होता है। अलम् के योग में बढ़कर बताया जावे, या ‘पर्याप्त है’ का अर्थ हो, तब उसमें चतुर्थी का प्रयोग होता है। जैसे
(क) शिवाय नमः ! (शिवजी को नमस्कार है।)
(ख) श्री गणेशाय नमः। (श्री गणेशजी को नमस्कार है।)
(ग) अनुजाय स्वस्ति। (छोटे भाई का कल्याण हो।)
(घ) अग्नये स्वाहा। (यह आहुति अग्नि के लिए है।)
(ङ) रामः रावणाय अलम्। (राम रावण से बढ़कर हैं।)
(च) एतनि फलानि पंच जनेभ्यः अलम् सन्ति। (ये फल पाँच लोगों के लिए पर्याप्त हैं।)

नमः अव्यय और नम् धातु में भ्रमित न होवे। नम् धातु के साथ अन्य विभक्तियाँ भी प्रयुक्त होती हैं।

जैसे-
अहं शिवं नमामि। (मैं शिवजी को नमन करता हूँ।)

3. दा, रुच, क्रुध, कुप, द्रुह (विद्रोह करना), स्पृह् (इच्छा करना) असूय् (द्वेष करना) व स्निह् धातुओं के योग में चतुर्थी प्रयुक्त होती है। जैसे
(क) प्राचार्यः छात्राय पुरस्कारं यच्छति। (प्राचार्य छात्र को पुरस्कार देते हैं।)
(ख) मह्यं दुग्धं रोचते। (मुझे दूध अच्छा लगता है।)
(ग) रामः सुरेशाय कुप्यति। (राम सुरेश पर नाराज होता है)
(घ) बालिकाः पुष्पेभ्यः स्पृहयन्ति। (लड़कियाँ फूलों की इच्छा करती हैं।)
(ङ) सः मोहनाय ईयति। (वह मोहन से ईर्ष्या करता है।)
(च) अध्यापकः शिष्याय क्रुध्यति। (शिक्षक शिष्य पर क्रोधित होते हैं।)

पंचमी विभक्ति का प्रयोग
1. जिससे अलग होना बतलाना हो, वह पंचमी में रहता है।

जैसे-
(क) वृक्षात् पत्रं पतति। (वृक्ष से पत्ता गिरता है।)
(ख) सः ग्रामात् आगच्छति। (वह गाँव से आता है।)

2. भय, रक्षा आदि के योग में पंचमी विभक्ति का प्रयोग किया जाता है।
जैसे-
(क) व्याघ्रात् भयम् अस्ति। (शेर से डर लगता है।)
(ख) रमा बालः दुर्जनात् रक्षति। (रमा बालक की दुष्ट से रक्षा करती है।)

3. जिससे शिक्षा ग्रहण की जाये, या जिससे उत्पत्ति हो, उसके योग में पंचमी का प्रयोग किया जाता है।

जैसे-

(क) छात्राः अध्यापकात् विद्यां पठन्ति। (छात्र अध्यापक से विद्या पढ़ते हैं।)
(ख) हिमालयात गङ्गा प्रभवति। (हिमालय से गंगा निकलती है।)

4. निलीयते (छिपना) के योग में पंचमी का प्रयोग किया जाता है।

जैसे-
(क) सुरेशः अध्यापकात् निलीयते। (सुरेश शिक्षक से छिपता है।)
(ख) चौरः रक्षकात् निलीयते। (चोर सिपाही से छिपता है।)

5. पृथक्, विना और नाना शब्दों के साथ द्वितीया, तृतीया या पंचमी में से कोई भी एक विभक्ति हो सकती है। जैसे
(क) जलं बिना मत्स्यः न जीवति। (जल के बिना मछली नहीं जीती।)
(ख) जलेन विना मत्स्यः न जीवति। (जल के बिना मछली नहीं जीती।)
(ग) जलाद् विना मत्स्यः न जीवति। (जल के बिना मछली नहीं जीती।)

6. पंचर्मी विभक्ति का निम्न शब्दों के साथ प्रयोग होता है ऋते (बिना), प्रभृति (लेकर), आरात् (के पास), अनन्तरम् (के बाद), दूरम् (दूर), बहिः (बाहर), अन्तिकम् (पास), ऊर्ध्वम् (ऊपर)।
(क) ग्रामात् दूरे नद्यः अस्ति। (गाँव से नदी दूर है।)
(ख) उद्यानात् अन्तिकम् देवालयः अस्ति। (उद्यान के पास मंदिर है।)
(ग) ग्रामात् आरात् तडागः अस्ति। (गाँव के पास तालाब है।)
(घ) उद्यानात् बहिः भोजनालयः अस्ति। (उद्यान के बाहर भोजनालय है।)

षष्ठी विभक्ति का प्रयोग

1. वस्तुओं में सम्बन्ध स्थापित करने में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे
(क) दशरथस्य चत्वारः पुत्राःआसन्। (दशरथ के चार पुत्र थे।)
(ख) इयं तव पुस्तकम् अस्ति। (यह तुम्हारी पुस्तक है।)

2. जंघ खेद पूर्वक याद किया जावे, तो ‘स्मृ’ के योग में षष्ठी प्रयुक्त होती है। जैसे
(क) राधा पितुः स्मरति। (राधा पिता के उपकारों को याद करती है।)

3. षष्ठी विभक्ति का निम्न शब्दों के साथ प्रयोग होता है पुरः (सामने), अधः (नीचे), उपरि (ऊपर), पश्चात् (बाद में), पुरस्तात् (सामने), अन्तिके (पास में), अधस्तात् (नीचे)।
(क) वृक्षस्य अधः पथिकः तिष्ठति। (वृक्ष के नीचे राहगीर बैठा है।)
(ख) उद्यानस्य पुरस्तात् कूपः अस्ति। (बाग के सामने कुआँ है।)
(ग) ग्रामस्य अन्तिके देवालयः अस्ति। (गाँव के पास मंदिर है।)
(घ) वृक्षस्य अधस्तात् जनाः सन्ति (वृक्ष के नीचे लोग हैं।)

4. विशेषण की उत्तमावस्था बताने में षष्ठी या सप्तमी का प्रयोग होता है। जैसे
(क) कवीनां कालिदासः श्रेष्ठः अस्ति। (कालीदास कवियों में श्रेष्ठ हैं।)
(ख) कवीष कालिदासः श्रेष्ठः अस्ति। (कालीदास कवियों में श्रेष्ठ हैं।)

5. तुलना, कुशलता के योग में षष्ठी का प्रयोग होता है।

जैसे-
(क) रामस्य तुल्यः कोऽपि न अस्ति। (राम की तुलना में कोई नहीं है।)
(ख) तस्य मुखम् चन्द्रस्य सदृशं अस्ति। (उसका मुख चन्द्रमा के समान सुंदर है।)

सप्तमी विभक्ति का प्रयोग

1. स्थान या समय सूचक शब्द अधिकारकारक (सप्तमी) में रहते हैं।
जैसे-
(क) तडागे जलम् अस्ति। (तालाब में पानी है।)
(ख) बिले मूषकः तिष्ठति। (बिल में चूहा रहता है।)
(ग) ते मम गृहे न्यवसन्। (वे सब मेरे घर में रहते थे।)
(घ) वृक्षेषु फलानि सन्ति। (वृक्षों पर फल हैं।)
(ङ) जले मत्स्याः निवसन्ति। (जल में मछलियाँ रहती हैं।)

2. स्निह्, अभिलष् आदि के योग में सप्तमी विभक्ति होती है।
जैसे-
(क) माता पुत्रे स्निह्यति। (माता पुत्र से स्नेह करती है।)

3. तत्परता, चतुरता, कुशलता आदि के योग में सप्तमी विभक्ति होती है।

जैसे-
(क) शीला गायने निपुणा अस्ति। (शीला गाने में निपुण है।)
(ख) हरिः कार्ये तत्परः अस्ति। (हरि कार्य में तत्पर है।)
(ग) रामः व्यापारे कुशलः अस्ति। (राम व्यापार में कुशल है।)

4. एक कार्य होने के लिए उपरान्त दूसरा प्रारम्भ होने पर सप्तमी का पयोग होता है।

जैसे-
(क) सूर्ये अस्तं गते रात्रिः आगच्छति। (सूर्य अस्त होने के बाद रात्रि आती है।)
(ख) शिक्षके गते छात्राः कोलाहलं कृतवन्तः। (शिक्षक के जाने पर छात्रों ने शोर मचाया) . . .. .. ……. .

सम्बोधनम् का प्रयोग

1. सम्बोधन हेतु सम्बोधनकारक का प्रयोग होता है।

जैसे-
(क) हे राम, उत्तिष्ठ। (राम, खड़े हो जाओ।)
(ख) हे प्रभु! रक्ष माम्। (हे भगवान! मेरी रक्षा करो।)

अनुवाद के अन्य नियम
नियम 1. विशेषण का पयोग उसी लिंग, वचन और कारक में होगा, जिस लिंग, वचन और कारक में उसका विशेष (अर्थात् जिसकी वह विशेषता बतलाता है) रहेगा।
जैसे-
(क) चह चतुर बालक है। = एषः चतुरः बालकः अस्ति!
(ख) यह चतुर लड़की है। = एषा चतुरा बालिका अस्ति।
(ग) यह सफेद घोड़ा है। = एषः श्वेत अश्वः अस्ति।
(घ) यह सफेद बकरी है। = एषा श्वेता अजा अस्ति।
(ङ) यह सफेद गाय है। = एषा श्वेता धेनुः अस्ति।
(च) सफेद घोड़े को लाओ। = श्वेतम् अश्वम् आनय।
(छ) काले घोड़े पर बैठो। = कृष्णे अश्वे उपविश।

नियम 2. भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग विशेषण के समान करेंगे।
जैसे-
(क) यह गिरा हुआ फल है। = एतत् पतितं फलं अस्ति।
नियम 3. पूर्वकालिक कृदन्त, हेतुवाचक कृदन्त तथा अव्ययों के रूप में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
नियम 4. मकारांत शब्द के बाद व्यंजन से प्रारम्भ होने वाला शब्द आवें, तो म् के बदले अनुस्वार (-) लिखते हैं। यदि म के बाद स्वर से प्रारम्भ होने वाला शब्द आये, तब म् की उस स्वर में संधि हो जाती है।

जैसे-
(क) अहम् गच्छामि = अहं गच्छामि। (मैं जाता हूँ।) (ख) अहम् अगच्छम् = अहमगच्छम्। (मैं गया था।)
नियम 5. संस्कृत में वाक्य की क्रिया यदि ‘भू’ (भवति) = होना या ‘अस्’ (होना) या कोई उसके समान अर्थ वाली हो, तो वाक्य में प्रायः उसे नहीं लिखा जाता है और उसका अर्थ ऊपर से कर लिया जाता है।

जैसे-
(क) सुरेशः स्वपितुः एकः पुत्रः भवति। – सुरेशः स्वपितुः एकः पुत्र। (सुरेश अपने पिता का एक पुत्र है।)
(ख) एतत् चक्रम् अस्ति। (यह पहिया है।) = एतत् चक्रम।

नियम 6. कुत्रचित् (कहीं), किंचित् (कुछ), कदाचित् (कभी) आदि का प्रयोग-संस्कृत में कहीं, किसी, कोई, कभी, कुछ आदि शब्दों का अव्यय या अनिश्चय वाचक विशेषण या सर्वनाम के रूप प्रयोग करने हेतु “किम्’ सर्वनाम के रूपों में ‘चित्’ जोड़ देते हैं। यह ध्यान में रखना चाहिए कि किम् के लिंग और वचन वही हों, जो उसके विशेष के हैं। किम् के रूपों की चित् के साथ संधि करते समय उचित नियमों का पालन करें। यथा न को अनुस्वार और श् में बदल देते हैं। जैसे-कस्मिन् चित् कस्मिंश्चित् आदि। इसी तरह किम् के रूपों का विसर्ग भी श् में बदल जाता है। कः+ चित -कश्चित् आदि। इसी तरह अन्य नियमों का प्रयोग करें। इसके उदाहरण निम्नानुसार हैं.

(क) किसी वृक्ष पर एक तोता बैठा था।
कस्माच्चित् वृक्षे एकः शुकः अतिष्ठत्।
(ख) प्राचीन काल में मथुरा में कोई सेठ रहता था।
पुरा मथुरा नगर्यां कश्चित् श्रेष्ठी अवसत्।
(सा) किसी गाँव में एक साधु रहता था।
कास्मिंश्चित् ग्रामे एकः साधुः अनिवसत्।

इसी तरह किसी तालाब में = कस्माच्चित् सरोवरे, किसी सुंदरी का = कस्याश्चित सुंदर्याः, कुछ पक्षी = केचित् विहगाः, किसी आदमी ने = कश्चित् जनः आदि का अनुवाद किया जाता है।

परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण अनुवाद के वाक्य-

  1. 1. वृक्ष से पत्ता गिरता है। – वृक्षात् पत्रं पतति।
  2. 2. गुरु शिष्य को पुस्तक देता है। – गुरुः शिष्याय पुस्तकं यच्छति।
  3. 3. छात्र पुस्तक पढ़ते हैं। – छात्राः पुस्तकानि पठन्ति।
  4. 4. सीता राम के साथ बन गई। – सीताः रामेण सह वनं गता।
  5. 5. सूर्य को नमस्कार। – सूर्याय नमः।
  6. 6. गंगा हिमालय से निकलती है। – गंगा हिमालयात् प्रभवति।
  7. 7. राम शीतल जल पीता है। – रामः शीतलं जलं पिबति।
  8. मोहन शीतल जल पीता है। – मोहनः अद्य गृहं गमिष्यति।
  9. अति सभी जगह वर्जित है। – अति सर्वत्र वर्जयेत्।
  10. विद्या विनय देती है। – विद्या विनयं ददाति।
  11. तुम कहाँ जा रहे हो? – त्वं कुत्र गच्छसि?
  12. उसे संस्कृत पढ़ी। – सः संस्कृतभाषाम् अपठत्।
  13. गणेश जी को नमस्कार है। – श्री गणेशाय नमः।
  14. यह हमारा देश है। – एषः अस्माकं देशः अस्ति।
  15. आत्मा जल से शुद्ध नहीं होती है। – आत्मा जलेन ने शुद्धयति।
  16. उनकी माता पुतली बाई थीं। – तस्य माता पुतलीबाई आसीत्।
  17. मुझे लड्डू अच्छे लगते हैं। – मह्यम् मोदकानि रोचन्ते।
  18. यह मेरी पुस्तक है। – इदं मम पुस्तकं अस्ति।
  19. मैं विद्यालय जाता हूँ! – अहं विद्यालयं गच्छमि।
  20. सीमा गेंद से खेलती है। – सीताः कन्दुकेन क्रीडति।

वाक्यों को शुद्ध करके लिखना
          अशुद्ध           –     शुद्ध वाक्य
1. सः पुस्तकं पठामि। – सः पुस्तकं पठति।
2. सः फलं खादामि। – सः फलं खादति।
3. सः रामस्य सह गतः। – सः रामेण सह गतः।
4. सः क्रीडन्ति। – सः क्रीडति।
5. अहं पाठशालाः गच्छामः। – अहम् पाठशालांग छमि।
6. वयं विद्यालये गच्छमि। – वयं विद्यालयं गच्छामः।
7. ह्यः रविवासरः अस्ति। – ह्यः रविवासरः आसीत्।
8. युवां क्रीडसि। – युवां क्रीडथः।
9. त्वम् कदा पठति? – त्वं कदा पठसि?
10. बालकः कुत्र गच्छसि। – बालकः कुत्र गच्छति?
11. अहं पाठशाले गच्छामि ? – अहं पाठशाला गच्छामि।
12. त्वम पठामि। – त्वं पठसि।
13. बालकाः फलाः खादन्ति। – बालकाः फलानि खादन्ति।
14. ते गच्छामि। – ते गच्छन्ति।
15. सर्वाणि बालकाः पठन्ति। – सर्वे बालकाः पठन्ति।
16. रामस्य नमः। – रामाय नमः।
17. पिता पुत्रे क्रुध्यति। – पिता पुत्राय क्रुध्यति।
18. नोहनः सुरेशम् ईष्यति। – मोहनः सुरेशाय ईष्यति।
19. मां दुग्धं न रोचते। – मह्यं दुग्धं न रोचते।
20. ग्रामस्य परितः वनानि सन्ति। – ग्रामं परितः वनानि सन्ति।

अभ्यास

1. निम्नलिखित वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
किसी किसान के चार पुत्र थे। वे चारों मुर्ख थे। निदेय मनुष्य पशुओं पर दया नहीं करते। ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दे। किसी नगर में कोई वैश्य रहता था। वह बहुत अमीर था। एक बार नदी में किसी नारी का हार गिर गया। एक मछुआरे ने उसे निकला। जब तक मैं न आऊँ, तब तक तुम अपना पाठ पढ़ो। राजा के आदेश से सेनापति ने आक्रमण किया। जहाँ परिश्रम है, वहाँ सुख निवास करता है। छात्रों को रात-दिन मेहनत करना चाहिए, तभी सफलता मिलेगी। झूठ मत बोलो। यह अच्छी बात नहीं है। सदैव सच्चे और हितकारी वचन बोलो। गाँव से शाला दूर है, अतः _ वह बैलगाड़ी से शाला जाता है। (बैलगाड़ी से = शकटेन)

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MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 1 जयतु मे माता

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 1 जयतु मे माता (गीतम्)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 1 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

Class 9 Sanskrit Chapter 1 Mp Board प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक शब्द में उत्तर दीजिए)।
(क) गीतायाः गाता क? (गीता का गाने वाला कौन है?)
उत्तर:
गीतायाः गाता कृष्णः। (गीता का गान करने वाला कृष्ण है।)

(ख) सीमान्तरक्षकः कः अस्ति? (सीमा का रक्षक कौन है?)
उत्तर:
सीमान्तरक्षकः सैनिकः अस्ति। (सीमा का रक्षक सैनिक है।)

(ग) वेदोपनिषज्जनयित्री का? (वेद और उपनिषद् की माता कौन है?)
उत्तर:
वेदोपनिषज्जनयित्री भारतभूमिः। (वेद और उपनिषद् की माता भारतभूमि है)

(घ) निष्कारणविद्वेषकरः कुत्र याति? (बिना कारण के बैर करने वाला कहां जाता है?)
उत्तर:
निष्कारणविद्वेषकर कालमुखिः याति। (बिना कारण के बैर करने वाला काल के मुख अर्थात् मृत्यु के मुख में जाता है)

(ङ) मातुः कष्टकर दुर्दैवं कः शमयतु? (माता के दुखों या कष्टों को कौन दूर करता है)
उत्तर:
मातुः कष्टकरं दुर्दैवं विधाता शमयतु। (माता के दुखों व कष्टों को विधाता दूर करता है।)

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Mp Board Class 9 Sanskrit Chapter 1 प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत्-(एक वाक्य में उत्तर लिखें)।
(क) मातर्यशशांगाता कः? (माता की यश महिमा का गान करने वाला कौन है?)
उत्तर:
चतुर्दिगन्तवहः पवनः। (चारों दिशाओं में बहने वाली हवा।)

(ख) भारतमाता कैः वंदिता?। (भारत माता किसके द्वारा वंदित की गई है।)
उत्तर:
हर्ष-भोज-शिवराज वंदिता। (हर्ष-भोज और शिवराज के द्वारा पूजी गई।)

(ग) भारतमाता कैः नंदिता? (भारत माता किसके द्वारा प्रसन्न की गई है?)
उत्तर:
मौर्य-शुङ्ग गुप्ताभिनन्दिता। (मौर्य-शुङ्ग और गुप्त के द्वारा प्रसन्न की गई है।)

(घ) अहिंसाव्रती किमर्थं वाणसंधान करोति? (अहिंसा का व्रत धारण करने वाले वाणों का संधान किसलिए करते हैं?)
उत्तर:
निजरक्षार्थमहिंसाव्रती। (अपनी रक्षा के लिए अहिंसाव्रत धारी भी वाण संधान करता है।)

(ङ) आदौ ज्ञानभानुः कुत्र उदितः? (पहले ज्ञान का सूर्य कहां उदित होता है?)
उत्तर:
ज्ञान भानुरादौ त्वय्युदितः।। (ज्ञान का सूर्य तुम ही से उदित होता है।)

संस्कृत कक्षा 9 पाठ 1 Question Answer MP Board प्रश्न 3.
रिक्त स्थानानिपूरयत-(रिक्त स्थानों की पूर्ति करो)
(क) येन न दस्यति कोऽपि तक्षकः।
(ख) भारत रामायण कवयित्री।
(ग) मौर्य शुंङ्ग गुप्ताभिनन्दिता।
(घ) कच्छ शम रूपान्त वासिनी।
(ङ) निष्कारणविद्वेषकरस्तव कालमुखं प्रतियाता।

Mp Board Class 9 Sanskrit Solution प्रश्न 4.
संधिविच्छेदं कृत्वा सन्धेः नाम लिखत् (संधि विच्छेद कर संधि नाम लिखो)।
(क) त्वय्युदित
उत्तर:
त्वयि + उदिता = यण स्वर संधि।

(ख) शूरस्ते
उत्तर:
शूरः + ते = विसर्ग संधि।

(ग) गणोऽयम्
उत्तर:
गणः + अयम् = पूर्वरूप स्वर संधि।

(घ) कोऽपि
उत्तर:
कः + अपि = पूर्वरूप स्वर संधि।

(ङ) विद्वेषकरस्तव
उत्तर:
विद्वेषकरः + तव = विसर्ग संधि।

कक्षा 9 संस्कृत अध्याय 1 सवाल जवाब MP Board प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत (सही जोड़ी बनाओ)
Mp Board 9th Class Sanskrit Solution

कक्षा 9वी संस्कृत के प्रश्न उत्तर MP Board प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं “न” इति लिखत् उदाहरणम्
यथा- पवनः चतुदिर्गन्तवहः अस्ति। – आम्
अस्याः तनः हिंसार्थम् बाण संधाता। –  न
(क) गोपालः गीतायाः गाता।
(ख) भारत माता मौर्य शुङ्ग-गुप्ताभिवन्दिता अस्ति।
(ग) सकल लोकगणः सीमां त्राता अस्ति।
(घ) अस्यां आदौ ज्ञानभानु न उदितः।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) आम्
(ग) आम्
(घ) न

संस्कृत कक्षा 9 पाठ 1 सवाल जवाब MP Board प्रश्न 7.
उदाहरणानुसारं पदानां मूल शब्द विभन्ति च लिखत
कक्षा 9 विषय संस्कृत पाठ 1 के प्रश्न उत्तर MP Board

जयतु मे माता पाठ संदर्भ/प्रतिपाद्य

आधुनिक काल में भी संस्कृत में गद्य-पद्य लेखन की बहुलता है। इस भाषा के मूर्धन्य विद्वान, कवि और लेखकों के बीच आचार्य डॉ. प्रभुदयाल अग्निहोत्री का विशेष स्थान है। इनकी संस्कृत साहित्य में दर्शन, इतिहास, मनोविज्ञान, कथा, काव्य, नाटक आदि विधाओं में अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। ‘त्रिपथगा’ कविता संग्रह 2005 में प्रकाशित हुई। प्रस्तुत गीत भी ‘त्रिपथगा’ नामक कृति से ही लिया गया है। इस गीत में स्वतंत्रता सेनानी एवं संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान अग्निहोत्री दारा सुंदर, मधुर एवं भावपूर्ण शब्दों में भारत माता की वंदना की गई है।

जयतु मे माता पाठ का हिन्दी अर्थ

1. जयतु जयतु मे माता,
अस्याः कष्टकरं दुर्दैवं शमयतु सदा विधाता।।

शब्दार्थ :
जयतु-जय हो-Vicrory; अस्याः -इसकी-Her/Him; कष्टकरंदुखी-Sorrow; दुर्दैवं-दुर्भाग्य को या बाधाओं को-Misfortune/Unfortunately; शमयतु-शांत कराये/ दूर करवाये; विधाता-ब्रह्मा-God Almighty; सदा-हमेशा-Always.

हिन्दी-अर्ध :
मेरी माता (मातृभूमि) की जय हो, जय हो। हे विधाता! तुम इसके कष्टों एवं आपदाओं को सदैव के लिए शान्त करें।

2. त्वं वेदोपनिषज्जनयित्री,
भारत-रामायण कवयित्री
अजनिष्ठाः कृष्णं गोपालं यो गीतायाः गाता॥

शब्दार्थ :
त्वं–तुम्हारा-Your; वेदोपनिषद्-वेद और उपनिषद्-Ved and Upnishad; जनयित्री-पैदा करने वाली-Mother, Originatee; गाता-गान करने वाले-Singer.

हिन्दी अर्थ :
हे भारत भूमि-तुम ही वेद और उपनिषदों की जननी हो। हे माँ! तुम ही महाभारत, रामायण की रचयित्री हो। हे माँ! तुम ही गीता का गान करने वाले मुरली-मनोहर कन्हैया की जननी हो।

3. ज्ञान-भानुरादौ त्वरयुदितः,
शूरस्ते तनयः सम्मुदितः,
केवल-निजरक्षार्थमहिंसाव्रती वाण-सन्धाता।

शब्दार्थ :
ज्ञान-ज्ञान-Knowledge; भानु-सूर्य-Sun; तनयः-पुत्र-Son; शूर-वीर-Brave; निज-स्वयं के-Myself; वाण-सन्धाता-वाण से लक्ष्य भेद करने पाला-Arjun or Bowman.

सरलार्थ :
हे भारत माँ! तुममें ही ज्ञान का सूर्य सर्व प्रथम उदित हुआ (अर्थात् भारतभूमि पर सर्व प्रथम ज्ञान रूपी सूर्य उदित हुआ।)। वीर पुत्र की जननी तुम्ही हो (अर्थात् वीरों का जन्म भारतभूमि पर ही हुआ)। केवल अपनी रक्षा के लिए अहिंसा का व्रत धारण करने वाला भी वाण संधान करता है अर्थात् वाणों से लक्ष्य साधता है।

4. मौर्य-शुङ्ग-गुप्ताभिनन्दिता,
हर्ष-भोज-शिवराज-वंदिता,
संप्रति लोकगणोऽयं सकल स्तव सीम्नां त्राता॥

शब्दार्थ :
नंदिता-प्रसन्न की गई-Toglad; वंदिता-पूजित-Worshipper; सम्प्रति-इस समय-This time; अयमं-इस-It; सकल-सभी-All, every; सीमनां-सीमाओं के-Limit; त्राता-रक्षक-Guard.

सरलार्थ :
हे भारत माँ! तुम मौर्य, शुंग, गुप्त वंशों द्वारा पूजित हो और (राजा) हर्ष, (राजा) भोज एवं शिवाजी द्वारा वंदित हुई हो। हे माँ! (इस पावन भूमि पर पैदा हुए) सभी जन तुम्हारी रक्षा करने वाले हैं।

5. कालिदास-कविता-रस-मग्ना,
सांख्ययोग-साधन-संलग्ना,
नालन्दाजन्ता मातस्ते श्रद्धाञ्जलि-प्रदाता॥

शब्दार्थ :
मग्ना-मग्न-Meditate; सांख्ययोग-सांख्ययोग-Sankhyoga; संलग्ना-संलग्न-Enclouse; नालन्दाजन्ता-नालन्दा और अजंता-Nalanda & Ajanta; प्रदाता-प्रदान करने वाले-Giver, Doner.

सरलार्थ :
हे मातृभूमि! कविता (की मधुर रागिनी) रस में मग्न कालिदास (सदृश कवि), सांख्य (दर्शन) योग में निमग्न अजंता एवं नालंदा के विद्वान जन तुम्हारी चरण वंदना करते हैं।

6. कच्छे-कामरूपान्त-वासिनी,
गङ्गा-कावेरी-सुहासिनी,
चतुर्दिगन्तवहः पवनस्ते मातर्यशसां गाता॥

शब्दार्थ :
वासिनी-निवास करने वाली-Inhahitant; चतुर्दिगन्तवहः-चारों दिशाओं में बहने वाला-Omni; पवनः-पवन-Air; ते-तुम्हारे-Your.

सरलार्थ :
हे भारत माते! तुम कच्छ से कामरूप तक निवास करने वाली (के अंक में) को गंगा-कावेरी (आदि नदियाँ) शोभायमान करती हैं तथा चारों दिशाओं में प्रवाहित होने वाला वायु तुम्हारी महिमा गान करता है।

7. सावहितः सीमान्त-रक्षकः
येन न दंशति कोऽपि तक्षकः
निष्कारण-विद्वेषकरस्तव कालमुखं प्रतियाता॥
जयतु जयतु मे माता। जयतु जयतु मे माता॥

शब्दार्थ :
सावहितः-सावधान-Attention; दंशति-दशता है-Sting; येन-जो-Who, what, which; तक्षकः-लुटेरा-Robber; कोपि-कोई भी-Any one; निष्कारण-बिना कारण के-Without reason; विद्वेष-द्वेष के कारण-Reason of jealous; प्रतिभाता-समाहित होता है-To meet.

सरलार्थ :
हे भारत माता की सीमा को रक्षित करने वाले रखवालो (जवानों)! सावधान रहो जिससे कोई बाहरी दस्यु भारत का नुकसान न कर सके। हे माँ! जो तुमसे (अर्थात् इस भूमि से) वैर भाव रखता है. वह काल रूपी गाल में समा जाता है। हे भारत माता! तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो, जय-जय हो माँ।

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions

MP Board Class 9th Science Solutions विज्ञान

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MP Board Class 9th Solutions

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MP Board Class 9th Hindi Solutions वासंती, नवनीत

MP Board Class 9th Hindi Solutions वासंती, नवनीत

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MP Board Class 9th Hindi Book Solutions Vasanti

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Vasanti Hindi Book Class 9 Solutions

MP Board Class 9 General Hindi व्याकरण

MP Board Class 9th Hindi Book Solutions Navneet

Here we have given MP Board Class 9 Special Hindi Navneet Solutions Hindi Vishisht Kaksha 9 (नवनीत हिंदी विशिष्ट कक्षा 9).

Navneet Hindi Book Class 9 Solutions

पद्य साहित्य

गद्य साहित्य

एकांकी

कहानी

MP Board Class 9 Special Hindi सहायक वाचन Solutions

MP Board Class 9 Special Hindi व्याकरण

MP Board Class 9 General Hindi Syllabus & Marking Scheme

क्रमविषय सामग्रीअंककालखंड
1.पद्य खंड
-एक पद्यांश की व्याख्या
-काव्य-सौंदर्य पर आधारित प्रश्न
-विषय वस्तु
2540
2.गद्य खंड
अर्थ ग्रहण संबंधी विषय वस्तु पर आधारित प्रश्न
2540
3.हिन्दी साहित्य का इतिहास
काल विभाजन (सामान्य परिचय)
0510
4.व्याकरण
उपसर्ग, प्रत्यय
वर्तनी संशोधन
तत्सम, तद्भव, देशज शब्द
पर्यायवाची शब्द, अनेकार्थी शब्द,
विलोम शब्द वाक्यांश के लिए एक शब्द
वाक्य शुद्ध करना, मुहावरे/लोकोक्तियाँ
2030
5.अपठित बोध
पद्यांश/गद्यांश-शीर्षक सारांश एवं प्रश्न
1015
6.पत्र-लेखन0510
निबन्ध लेखन1015
पुनरावृत्ति20
योग100180

MP Board Class 9 Special Hindi Syllabus & Marking Scheme

क्रमविषय सामग्रीअंककालखंड
1.पद्य खण्ड –
पद्य साहित्य का विकास
कवि परिचय, व्याख्या, सौन्दर्य बोध तथा
भाव एवं विषय वस्तु पर आधारित प्रश्न
4 + 23 = 2740
2.गद्य खण्ड –
गद्य की विविध विधाएँ
लेखक परिचय, व्याख्या, गद्य पाठों पर आधारित
विचार बोध एवं विषय बोध पर प्रश्न
4 + 19 = 2335
3.सहायक वाचन –
विविध पाठों पर आधारित प्रश्न
आँचलिक भाषा के पाठों पर आधारित प्रश्न
1015
4.भाषा बोध-
उपसर्ग, प्रत्यय, तत्सम, तद्भव, देशज, आगत शब्द, रूढ़, यौगिक, योग रूढ़, वर्तनी परिचय एवं सुधार, पर्यायवाची, विलोम, अनेकार्थी शब्द मुहावरे एवं लोकोक्तियों का अर्थ प्रयोग
1015
5.काव्य बोध-
काव्य की परिभाषा एवं भेद – मुक्तक काव्य, प्रबंध काव्य
रस – परिभाषा, अंग, भेद, उदाहरण
अलंकार – अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा
छंद – परिभाषा, मात्रिक, वर्णिक, दोहा, चौपाई
1015
6.अपठित बोध0510
7.पत्र लेखन0510
8.निबंध लेखन1020
पुनरावृत्ति20
योग100180

निर्धारित पाठ्यपुस्तक – “नवनीत”
(गद्य पद्य संकलन) सहायक वाचन समाहित

पद्य खण्ड- (27 Marks)

  • पद्य साहित्य का विकास : आदिकाल (वीरगाथा काल) एवं भक्ति काल, सामान्य परिचय पर प्रश्न (4 Marks)
  • पद्य पाठों पर आधारित कवि का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय पर प्रश्न (रचनाएँ, काव्यगत विशेषताएँ) (5 Marks)
  • दो में से एक पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या (5 Marks)
  • सौन्दर्य बोध पर आधारित प्रश्न (7 Marks)
  • भाव एवं विषय वस्तु पर आधारित प्रश्न (6 Marks)

गद्य खण्ड- (23 Marks)

  • गद्य की विविध विधाओं का सामान्य परिचय पर आधारित प्रश्न (4 Marks)
  • लेखक का संक्षिप्त परिचय पर प्रश्न (रचनाएँ, भाषा, शैली) (5 Marks)
  • दो में से एक गद्यांश की प्रसंग सहित व्याख्या (5 Marks)
  • गद्य पाठों पर आधारित विचार बोध पर प्रश्न (5 Marks)
  • विषय बोध पर प्रश्न (4 Marks)

सहायक वाचन- (पाठ्य पुस्तक में समाहित) (10 Marks)

  • संकलित पाठों की विषय वस्तु पर प्रश्न

भाषा बोध- (10 Marks)

  • उपसर्ग/ प्रत्यय पर आधारित प्रश्न (2 Marks)
  • तत्सम, तद्भव, देशज, आगत, रूढ़, यौगिक, योगरूढ, शब्द पर प्रश्न (2 Marks)
  • वर्तनी परिचय/वर्तनी सुधार पर प्रश्न (2 Marks)
  • पर्यायवाची/विलोम/अनेकार्थी पर प्रश्न (2 Marks)
  • मुहावरे/लोकोक्तियाँ – अर्थ एवं प्रयोग पर प्रश्न (2 Marks)

काव्य बोध- (10 Marks)

  • काव्य की परिभाषा – भेद, मुक्तक काव्य, प्रबन्ध काव्य (खण्ड काव्य, महा काव्य) पर प्रश्न (4 Marks)
  • रस – परिभाषा, अंग, भेद, उदाहरण पर आधारित प्रश्न (2 Marks)
  • अलंकार – अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा पर प्रश्न (2 Marks)
  • छंद – मात्रिक, वर्णिक, दोहा, चौपाई छंद पर प्रश्न (2 Marks)

अपठित बोध- (5 Marks)

  • गद्यांश-शीर्षक, सारांश/प्रश्न पर प्रश्न
  • पद्यांश- शीर्षक, सारांश/प्रश्न पर प्रश्न

पत्र लेखन- (5 Marks)

  • पारिवारिक, विद्यालयीन, आवेदन पत्र, पर प्रश्न

निबन्ध लेखन- (10 Marks)

  • वर्णनात्मक, विवरणात्मक, एवं समसामयिक विषयों पर निबन्ध लेखन पर प्रश्न

प्रायोजना कार्य-

  • क्षेत्रीय बोली-पहेलियाँ, चुटकुले, लोकगीत, लोक कथाओं का परिचय तथा खड़ी बोली में उनका अनुवाद।
  • दूरदर्शन/आकाशवाणी के कार्यक्रम पर प्रतिक्रियाएँ/विश्लेषण।
  • हिन्दी साहित्य का स्वतंत्र पठन/टिप्पणी एवं प्रेरणाएँ।
  • हस्त लिखित पत्रिका तैयार करना।
  • म.प्र. से प्रकाशित होने वाली हिन्दी भाषा की पत्र पत्रिकाओं की जानकारी।

टिप्पणी-
प्रायोजना कार्य से सम्बन्धित विषय वस्तु पर(अंक आवंटित न होने के कारण) परीक्षा में प्रश्न पूछे जाना अपेक्षित नहीं है।
निर्धारित पाठ्यपुस्तक – “नवनीत” (गद्य पद्य संकलन) सहायक वाचन समाहित
मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा संकलित एवं निर्मित तथा मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा प्रकाशित

MP Board Class 9 General Hindi Blue Print of Question Paper

You can download MP Board Class 9th Hindi Blueprint and Marking Scheme 2019-2020 in Hindi and English medium.

MP Board Class 9 Hindi Blue Print of Question Paper 1

MP Board Class 9 Special Hindi Blue Print of Question Paper

MP Board Class 9 Hindi Blue Print of Question Paper 2

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MP Board Class 9th Social Science Solutions सामाजिक विज्ञान

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MP Board Class 9th Social Science Book Solutions in Hindi Medium

Social Science Class 9 MP Board Book Solutions Geography भूगोल

Social Science Class 9 MP Board Guide History इतिहास

MP Board 9th Class Social Science Book Solutions Civics नागरिकशास्त्र

MP Board Social Science Book Class 9 Economics अर्थशास्त्र

MP Board Class 9th Social Science Book Solutions in English Medium

MP Board 9th Social Science Book Pdf In English Geography Solutions

MP Board Class 9th Social Science Solution History Solutions

Class 9 Social Science MP Board Civics Solutions

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MP Board Class 9th Social Science Syllabus

इकाई 1: पर्यावरण (8 Marks)
पर्यावरण की भारतीय अवधारणा, प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण। मानव एवं पर्यावरण का सम्बन्ध तथा प्रभाव। पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार, प्रभाव एवं निराकरण के उपाय। भूमि के बदलते उपयोगों के कारण पारिस्थितिक तन्त्र का क्षरण, इसके लिए जिम्मेदार कारण, जैसे—जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण, यातायात, जलीय स्थलों पर अतिक्रमण, पर्यटन हेतु सुविधाएँ, धार्मिक तीर्थ-स्थल, मनोरंजन एवं साहसिक कार्यों हेतु भूमि उपयोग, बड़े बाँधों का निर्माण, खनन एवं युद्ध। प्राकृतिक पर्यावरण के संसाधन, दोहन एवं संरक्षण।
पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी सफलता की कुछ कहानियाँ, जैसे-
सी.एन.जी., चिपको आन्दोलन, साइलेण्ट वैली, वाटर हार्वेस्टिंग। पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन (EIA) की भूमिका।

इकाई 2: भारत-स्थिति, प्राकृतिक विभाग (4 Marks)
भारत की भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक विभाग

इकाई 3: जलवायु एवं अपवाह तंत्र (4 Marks)
जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक, मानसून और उसकी विशेषताएँ, वर्षा व तापमान का वितरण। मौसम तथा जलवायु का मानव जीवन पर प्रभाव। मुख्य एवं सहायक नदियाँ, झीलें एवं समुद्र, देश की अर्थव्यवस्था में नदियों की भूमिका। नदी प्रदूषण एवं नियन्त्रण के उपाय।

इकाई 4: प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीवन (4 Marks)
वनस्पति के प्रकार, ऊँचाई के अनुसार वानस्पतिक विविधता, प्रमुख वन्य जीव प्रजातियाँ और उनका वितरण, संरक्षण की आवश्यकता और विभिन्न उपाय। मध्य प्रदेश में पाये जाने वाले जीव-जन्तु, राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण्य।

इकाई 5: जनसंख्या (5 Marks)
वितरण, लिंगानुपात, साक्षरता तथा राष्ट्रीय जनसंख्या नीति का परिचय।

इकाई 6: मानचित्र-पठन एवं अंकन (5 Marks)

इकाई 7: प्राचीन भारत (10 Marks)
सरस्वती-सिन्धु सभ्यता, वैदिक सभ्यता, मौर्यकाल, गुप्तकाल, हर्ष एवं पूर्व मध्यकाल का संक्षिप्त राजनीतिक परिचय।

इकाई 8: मध्यकालीन भारत (10 Marks)
अरब, गजनी और गौरी के आक्रमण, दिल्ली सल्तनत एवं मुगलकाल का संक्षिप्त परिचय, विजयनगर एवं बहमनी साम्राज्य, महाराणा प्रताप, रानी दुर्गावती तथा महाराजा शिवाजी का संक्षिप्त इतिहास, मुगलों का पतन।

इकाई 9: प्रमुख सांस्कृतिक प्रवृत्तियाँ (10 Marks)
प्रारम्भिक इतिहास से लेकर मुगलों के पतन तक भारत की प्रमुख सांस्कृतिक प्रवृत्तियाँ-साहित्य, चित्रकला, वास्तुकला, मूर्तिशिल्प, नृत्य, संगीत एवं अन्य ललित कलाएँ।

इकाई 10: प्रजातन्त्र की अवधारणा (6 Marks)
अर्थ एवं परिभाषा, आधारभूत सिद्धान्त, प्रकार एवं महत्व। भारत में प्रजातन्त्र का विकास-प्राचीन भारत में प्रजातन्त्र की अवधारणा, प्रजातन्त्र के लिये संविधान की आवश्यकता एवं महत्व।

इकाई 11: निर्वाचन (7 Marks)
दलीय व्यवस्था- अर्थ एवं महत्व, भारतीय चुनाव प्रक्रिया एवं चुनाव आयोग की भूमिका, मताधिकार- अर्थ एवं परिभाषा, मताधिकार प्राप्त करने की शर्ते।

इकाई 12: नागरिकों के संवैधानिक अधिकार एवं कर्तव्य (7 Marks)
संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार, मौलिक कर्त्तव्य, सूचना का अधिकार।

इकाई 13: ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास (6 Marks)
प्राचीन भारत की ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था का परिचय, आदर्श ग्राम की अवधारणा, मध्य प्रदेश के किसी ग्राम का आर्थिक अध्ययन।

इकाई 14: भारत के समक्ष आर्थिक चुनौतियाँ (8 Marks)
गरीबी-अर्थ, कारण, गरीबी निवारण के कुछ प्रमुख कार्यक्रम, विभिन्न प्रकार के ग्रामीण, लघु, मध्यम, भारी एवं आधारभूत उद्योगों की भारत में स्थिति।

इकाई 15: खाद्य सुरक्षा (6 Marks)
अनाज-भारत में अनाजों के प्रकार, खाद्य सुरक्षा क्यों? शासन एवं सहकारिता की भूमिका, लोक वितरण प्रणाली, राशन की दुकान।

MP Board Class 9th Social Science Marking Scheme

इकाई क्र.इकाई का नामकालखण्डअंक
1.पर्यावरण1208
2.भारत: स्थिति, प्राकृतिक विभाग0604
3.जलवायु एवं अपवाह तन्त्र0604
4.प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीवन0504
5.जनसंख्या0805
6.मानचित्र-पठन एवं अंकन0505
7.प्राचीन भारत1410
8.मध्यकालीन भारत1410
9.प्रमुख सांस्कृतिक प्रवृत्तियाँ1510
10.प्रजातन्त्र की अवधारणा1006
11.निर्वाचन1207
12.नागरिकों के संवैधानिक अधिकार एवं कर्तव्य1407
13.ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास1206
14.भारत के समक्ष आर्थिक चुनौतियाँ1508
15.खाद्य सुरक्षा1206
पुनरावृत्ति20
कुल योग (पूर्णांक)100

MP Board Class 9th Social Science Syllabus in English Medium

1. Man and Environment: (08 Marks)
Meaning of environment, Elements and Importance, Natural and cultural. Man and environment relationship, types and effect of environmental pollution, corrective measures. Ecological degradation and changing patterns of land use, Factors responsible for this. Population growth, Industrialisation and Urbanisation. Transport, Encroachment on water bodies. Facilities for tourism, pilgrimage, Recreation and adventure, Construction of large dams. Mining and war, Resources of Natural environment, utilization and conservation.
Some success stories of environmental conservation e.g., C.N.G., Chipko Movement, Silent Valley, Water Harvesting. Role of Environmental Impact Assesment (EIA).

2. India: Situation, Physical Division (04 Marks)
Geographical Situation of India, Physical division.

3. Climate & Drainage Pattern (04 Marks)
Factors affecting climate, Monsoon and its Characteristic, Rainfall and Temperature Distribution, Effect of Weather and Climate on Human Life.
Rivers: Major & Minor, Lakes and Seas, Role of Rivers in Economic Development of the Country, River Pollution and measures for control.

4. Natural Vegetation and Wild Life (04 Marks)
Types of Vegetation, Altitudinal Variation Vegetation, Major wildlife species, and their distribution, need & various measures for conservation Wild Animals, National Parks and Sanctuaries of Madhya Pradesh.

5. Population (05 Marks)
Distribution, Sex Ratio, Literacy & Introduction to National Population Policy.

6. Map: Study and Depiction (05 Marks)

7. Ancient India: (10 Marks)
Indus Valley Civilization, Vedic Civilization, Mauryan Period, Gupta Period, Brief introduction to the political history of Harsha period.

8. Medieval India (10 Marks)
Invasion of the Arabs, Ghazni and Ghori. Delhi Sultanate and a brief introduction to the Mughal period. Vijayanagar and Bahamani Empires, a brief history of Maharana Pratap. Rani Durgawati and Maharaja Shivaji, fall of the Mughals

9. Major Cultural Trends (10 Marks)
From the early history to the fall of the Mughals. Literature, Painting. Architecture, Sculpture, Dance and Music etc.

10. Concept of Democracy (06 Marks)
Meaning and Definition, Basic Principles, Types and Importance. ,
Evolution of Democracy in India: Concept of Democracy in ancient India. Necessity & Importance of Constitution for democracy.

11. Election (07 Marks)
Party System: Meaning and Importance; Indian Electoral Process and the Role of Election Commission;
Voting rights: Meaning & Definition, Conditions for acquiring voting right.

12. Constitutional Rights and Duties of Citizen (07 Marks)
Fundamental Rights granted by the Constitution; Fundamental duties.

13. Development of Rural Economy (06 Marks)
An introduction to Village-based economy in ancient India. Concept of Ideal Village, A study of Village economy in Madhya Pradesh.

14. Economic Challenges Facing India (08 Marks)
Poverty: Meaning, Causes, Poverty alleviation Programme, Various Types of Heavy Medium, Small and Cottage Industries in India.

15. Food Security (06 Marks)
Varieties of food grains in India, Need of Food Security, Role of Government, Public distribution System and Fair Price Shops.

MP Board Class 9th Social Science Marking Scheme in English Medium

UnitSubject content/LessonMarksPeriod
1.Man and Environment0406
2.Conservation of Environment0406
3.India: Location. Physical Division0406
4.Drainage System0202
5.Climate0204
6.Natural Vegetation and Wild Life0405
7.Population0508
8.Map Study and Depiction0505
9.Ancient India1014
10.Medieval India1014
11.Major Cultural Trends1015
12.Democracy0610
13.Election0712
14.Constitutional Rights and Duties of Citizens0714
15.Rural Economy0612
16.Poverty: An Economic challenge for India0407
17.State of Industries in India0408
18.Food Security0612
Revision20
Total100180

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MP Board Class 9th English Solutions The Rainbow, The Spring Blossom

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MP Board Class 9th Special English Reading Skills

MP Board Class 9th Special English Reading Unseen Passages

MP Board Class 9th Special English Writing Skills

MP Board Class 9th Special English Grammar

The Spring Blossom Textbook General English Class 9th Solutions

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Objective Type Questions [Based on Textual Lessons]

MP Board Class 9th General English Reading Skills

MP Board Class 9th General English Reading Unseen Passages

MP Board Class 9th General English Writing Skills

MP Board Class 9th General English Grammar

MP Board Class 9th Special English Syllabus & Marking Scheme

Time: 3.00 Hours
Maximum Marks: 100

Unit Wise Weightage

SectionTopicsMarks
AReading Skills (Reading Unseen Passages)30
BWriting Skills30
CGrammar15
DPrescribed Text Book25
Total100

Examination Specifications
Class – IX

On Paper 3 Hours
100 Marks

Section A: Reading (30 Marks, 54 Periods)

Three unseen passages with a variety of comprehension questions including 05 marks for word attach skill such as word formation and inferring meaning.

  • About 200 words in length (8 Marks)
  • About 200 words in length (8 Marks)
  • About 300 words in length (14 Marks)

The total length of the three passages will be between 600 and 700 words.
The passages will include one of each of the following types.
Factual passage, e.g. instruction, description, report.
Discursive passage involving opinion e.g. argumentative, persuasive or interpretative text.
Literary passage, e.g. extract from fiction, drama, poetry, essay or biography
In the case of Poetry extract, the text may be shorter than 150 words.

Section B: Writing (30 Marks, 54 Periods)

Four Writing Tasks indicated below:

  1. Controlled tasks where a student builds up a short composition with guidance. (5 Marks)
  2. Short composition of not more than 50 words, e.g. a not, notice, message, telegram or short postcard. (5 marks.)
  3. Composition in response to some verbal stimulus such as an advertisement, a notice, a newspaper clipping, a table, a diary extract notes, letter or other forms of correspondence. (10 Marks)
  4. Composition response to some visual stimulus such as a diagram, a picture, a graph, a map, a cartoon or a flow chart. (10 Marks)

One of the longer (10 marks) compositions will draw on the thematic content of the Main Course Book.
At least one task will involve, the productions of a form of correspondence, e.g. a letter, postcard, note or notice.
One task will involve the production of a discursive text in which the student is required to express his/her point of view on the topic given.

Section C: Grammar (15 marks)

A variety of short questions involving the use of particular structures within a context (i.e. not in isolated sentences) Test types used will include, for example, gap-filling, cloze (gap filling exercise with blanks at regular intervals) sentence completion, sentence-reordering, editing, dialogue, Completion and sentence transformation.
Not all elements in the grammar syllabus can be included in the questions paper every year.
However, questions will be distributed over the following three broad areas: verb forms, sentences, structures and others.

Section D: Literature (25 Marks, 45 Periods)

  1. Two extracts from different poems from the prescribed reader, each followed by two or three questions to test local and global comprehension of the set text. Each extract will carry 4 marks. (8 Marks)
  2. One or two questions based on one of the drama texts from the prescribed reader to test local and global comprehension of the set text. An extract may or may not be used. (8 Marks)
  3. One question based on one of the prose texts from the prescribed reader to test global comprehension and extrapolation beyond the set text. (4 Marks)
  4. Extended questions based on one of the prose texts from the prescribed reader to test global comprehension and extrapolation beyond the set text. (8 Marks)
    Questions will test comprehension at different levels: literal inferential and evaluative.

Final Examination

This is a formal three-hour examination held at the end of Class IX and carries 100% marks. It tests all the reading and writing skills specified in the teaching/testing objectives, together with a representative sample of the Literature and Grammer objectives.

Book Prescribed:

  1. Text Book The Rainbow with Supplementary Material.
  2. Work Book The Rainbow

Compiled by M.P. Rajya Shiksha Kendra and Published by M.P. Text Book Corporation. Bhopal.

MP Board Class 9th General English Syllabus & Marking Scheme

Time: 3.00 Hours
Maximum Marks = 100

Unit wise Weightage

SectionTopicsMarksTime
AReading Skills Reading and Comprehension1527 Periods
BWriting Skills2036 Periods
CGrammar2036 Periods
DPrescribed Text Book4581 Periods

Examination Specifications

Section A: Reading (15 Marks)

A1, A2 and A3 three unseen passages of total 250 words with a variety of questions including 6 marks for vocabulary.
The prose passage will be factual (instructions, description, report etc), discursive (argumentative, interpretative, persuasive, etc) and literary (poetry, fiction, interview, biography, etc) in nature.

  • Passage 1. 80 words (5 marks)
  • Passage 2. 80 words (5 marks)
  • Passage 3. 80 words (5 marks)

There will be questions for local comprehension besides questions on vocabulary and comprehension of higher-level skills such as drawing inferences and conclusions.

Section B: Writing (20 Marks)

B1. Letter writing: One letter based on provided verbal stimulus and context. (6 Marks)
Type of Letter: informal: personal such as to family and friends
Formal: letters of complaints, enquiries, requests, applications.

B2. Note making and summarising: (6 Marks)

  • Students will be asked to make notes on the passage given (100 words) (3 Marks)
  • The students will be asked to prepare a summary looking at the given notes. (3 Marks)

B3. Composition: A short writing task based on a verbal and/or visual stimulus (diagram, picture, graph, map, chart, table, flow chart etc) (80 words) (8 Marks)
OR
An essay in about 200 words on topics of day to day life.
After giving an example practice to students to write an original composition for two or three years, the option of ‘Essay’ may be eliminated.

Section C: Grammar and Translation (20 Marks)

A variety of short questions involving the use of particular structures within a context. Test Types used will include clauses, gap-filling, sentence completion, sentence re-ordering, editing, dialogue-completion and sentence transformation. The Grammar syllabus for this class will include the following areas for teaching.

1. Tenses (present with extension);
2. Modals (have to/had to, must, should, need, ought to and their negative forms);
3. Use of passive voice;
4. Subject-verb concord;
5. Reporting; (i) Commands and requests, (ii) Statements, (iii) Questions
6. Clauses: (i) Noun-clauses (ii) Adverb clauses of condition and time (iii) Relative clauses;
7. Determiners, and
8. Prepositions
9. Translation (from Hindi to English)
Note: No separate marks allotted for any of grammatical items listed above.

4. Section D: Text Book (45 Marks)

Prose 30 (Marks)

D.1 and D.2 – Two extracts from different prose lessons included in Text Book (approximately 100 words each) (5 × 2 = 10 Marks)
These extract chosen from different lessons will be literary and discursive in nature. Each extract will be of 5 marks. One mark in each extract will be for vocabulary. 4 marks in each passage will be used for testing local and global comprehension besides a question on interpretation.

D.3. One out of two questions: based on any one of the prose lesson from the textbook to be answered in about 50 to 80 words. (6 Marks)

D.4 (A) One out of two questions on drama text (local and global comprehension questions) (50-80 words) (6 Marks)
(B) One out of two questions on drama text in (25-30 words) (4 Marks)

D.5. Four objective type question based on Text. (4 Marks)

Poetry (15 Marks)

D.6. One out of two extracts from different poems from the prescribed reader, each followed by two or three questions to test the local and global comprehension of the set text. (3 Marks)

D.7. Two out of three short answer type questions on substance and ideas contained in the poems to be answered in about 20-25 words each. (6 Marks)

D.8. One out of two short answer type questions central idea of the poems. (4 Marks)

D.9. Objective text based on poetry. (2 Marks)

Book Prescribed:

  1. Text Book – Spring Blossom
  2. WorkBook – Spring Blossom

Compiled by M.P. Rajya Shiksha Kendra and Published by M.P. Text Book Corporation.

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