MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 5 विश्व मन्दिर (सामाजिक निबन्ध, वियोगी हरि)

विश्व मन्दिर अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक अपना विश्व मन्दिर कहाँ निर्मित करना चाहता है?
उत्तर:
लेखक अपना विश्व मन्दिर भारत की तपोभूमि पर ही निर्मित करना चाहता है।

प्रश्न 2.
परमेश्वर का महामन्दिर किसे कहा गया है?
उत्तर:
परमेश्वर का महामन्दिर इस समस्त विश्व को कहा गया है। यह समस्त विश्व उसी घट-घट व्यापी का घर है जब हम उसे अपने दिल के मन्दिर में बैठा लेंगे तो सर्वत्र हमें सुख शान्ति एवं आनन्द मिलेगा। उसके आने से अविद्या की अँधेरी रात समाप्त हो जाएगी और प्रेम का आलोक सर्वत्र बिखर जाएगा। यह महामन्दिर सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय होगा। यह महामन्दिर किसी एक धर्म सम्प्रदाय का न होकर सर्व धर्म सम्प्रदायों का समन्वय मन्दिर होगा।

प्रश्न 3.
विश्व मन्दिर हमें कब दिखाई देगा?
उत्तर:
यह विश्व मन्दिर हमें प्रेम के प्रकाश में दिखाई देगा।

प्रश्न 4.
समन्वय मन्दिर किसके लिए होगा?
उत्तर:
समन्वय मन्दिर सभी धर्म एवं सम्प्रदायों के लिए होगा। यह किसी विशेष धर्म या सम्प्रदाय के लिए नहीं होगा।

प्रश्न 5.
विश्व मन्दिर की दीवारों पर किन-किन धर्म ग्रन्थों के महावाक्य खुदे होंगे? धर्म ग्रन्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विश्व मन्दिर की दीवारों पर वेद के मन्त्र, कुरान की आयतें, अवेस्ता की गाथाएँ, बौधों के सुत्त, इंजील के सरमन, कन्फ्यू शियस के सुवचन, कबीर के सबद और सूर के भजन आप उस मन्दिर की पवित्र दीवारों पर पढ़ सकेंगे।

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प्रश्न 6.
इस काल्पनिक विश्व मन्दिर में “मैं-तू न होगा।” इस वाक्य का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त कथन का भाव यह है कि उस काल्पनिक विश्व मन्दिर में साधकगण लोक सेवा एवं विश्व प्रेम का प्रचार-प्रसार करेंगे। धार्मिक झगड़े से ऊबे हुए या घबराये हुए शान्ति प्रिय साधक वहाँ बैठकर दिव्य प्रेम की साधना किया करेंगे। उस मन्दिर में ‘मैं’ और ‘तू’ का झगड़ा नहीं होगा। वहाँ तो वही एक प्रभु होगा जो सबका होगा।

प्रश्न 7.
काल्पनिक विश्व मन्दिर के भव्य और दिव्य रूप को देखकर विपक्षियों के मन में कौन-से भाव जाग्रत होंगे?
उत्तर:
काल्पनिक विश्व मन्दिर के भव्य और दिव्य रूप को देखकर विपक्षियों के मन में प्रेम एवं सत्य की भावनाएँ जन्म लेंगी। चारों ओर स्नेह ही स्नेह होगा। सभी एक साथ मिलकर स्नेह का प्रसाद वितरित कर रहे होंगे। विपक्षियों का भी प्रवेश मन्दिर में वर्जित नहीं होगा।

प्रश्न 8.
समन्वय मन्दिर में बैठकर लोग क्या करेंगे?
उत्तर:
समन्वय मन्दिर में किसी विशेष धर्म या सम्प्रदाय का प्रवेश न होगा अपितु वहाँ तो सर्वधर्म सम्प्रदायों के लोगों का वास रहेगा। वह सबके लिए होगा, सबका होगा। यहाँ बैठकर लोग सत्य, प्रेम एवं करुणा का सन्देश दुनिया को सुनायेंगे। उसमें आपसी मन-मुटाव तथा तू-तू, मैं-मैं का झगड़ा नहीं होगा।

प्रश्न 9.
विश्व मन्दिर पाठ का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
‘विश्व मन्दिर’ पाठ का प्रमुख उद्देश्य है कि समस्त विश्व में धर्म, जाति देश एवं दिशा के आधार पर भेद-भाव को समाप्त करके सर्वत्र एकता, सहानुभूति एवं सह-अस्तित्व की भावना को जाग्रत करना है। इसी बन्धुत्व भाव से रहते हुए हमें जगत् पिता के दर्शन हो जाएँगे।

प्रश्न 10.
लेखक ने काल्पनिक विश्व मन्दिर के निर्माण की कल्पना किस उद्देश्य से की है? लिखिए।
उत्तर:
लेखक ने काल्पनिक विश्व मन्दिर के निर्माण की कल्पना सब धर्म एवं सम्प्रदायों में आपसी सहमति एवं सहृदयता जगाने की भावना से की है। उसकी दीवारों पर संसार के सभी प्रचलित धर्म ग्रन्थों के समन्वय सूचक महावाक्य दीवारों पर खुदे होंगे। किसी भी धर्मवाक्य में भेद न दिखाई देगा। सबका एक ही लक्ष्य एक ही मतलब होगा। उसकी दीवारों पर खुदे हुए प्रेम मन्त्र मानवों के मन से संशय और भ्रम का पर्दा उठायेंगे तथा उनसे अनेकता में एकता की झलक दिखाई देगी।

प्रश्न 11.
विश्व मन्दिर की स्थापना की आवश्यकता लेखक क्यों अनुभव करता है?
उत्तर:
विश्व मन्दिर की स्थापना की आवश्यकता लेखक इसलिए अनुभव करता है क्योंकि इससे यह समस्या समाप्त हो जाएगी कि यह राम का निवास स्थल है या नहीं। ईश्वर की सार्वभौमिकता प्रश्नों की परिधि से बाहर रहेगी। सर्वसामान्य के हितों की रक्षा हो पाएगी। इसकी स्थापना से संशय, नास्तिकता एवं भेदभाव की भावना समाप्त हो जाएगी। इसमें सभी धर्म, वर्ण एवं जातियों के लोग प्रवेश पाने में समर्थ होंगे। इसमें पापी-पुण्यात्मा तथा ऊँचा-नीच का भेद नहीं होगा।

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