MP Board Class 9th Hindi Navneet Solutions कहानी Chapter 1 बड़े घर की बेटी (कहानी, प्रेमचंद)

बड़े घर की बेटी अभ्यास

बोध प्रश्न

बड़े घर की बेटी अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बेनी माधवसिंह के पिता ने गाँव में क्या-क्या बनवाया था?
उत्तर:
बेनी माधवसिंह के पिता ने गाँव में मन्दिर, पक्का तालाब आदि बनवाये थे।

प्रश्न 2.
श्रीकंठ का चेहरा कान्तिहीन क्यों था?
उत्तर:
बी. ए. तक की पढ़ाई में अधिक मेहनत करने के कारण श्रीकंठ का चेहरा कान्तिहीन हो गया था।

प्रश्न 3.
आनन्दी का विवाह किसके साथ हुआ था?
उत्तर:
आनन्दी का विवाह श्रीकंठ के साथ हुआ था।

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बड़े घर की बेटी लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ठाकुर भूपसिंह के घर का वातावरण कैसा था?
उत्तर:
ठाकुर भूपसिंह एक छोटी-सी रियासत के ताल्लुकेदार थे। वे ऑनरेरी मजिस्ट्रेट थे तथा इसके साथ ही वे एक उदार व्यक्ति थे। उनके घर में सभी रईसी ठाठ-बाट थे। उनके घर में एक हाथी, तीन कुत्ते आदि पालतू जानवर थे। घर में झाड़-फानूस की सजावट हो रही थी। खाने-पीने का भी उच्च स्तर था।

प्रश्न 2.
“हाथी मरा भी नौ लाख का” यह बात किसने कही और क्यों कही?
उत्तर:
दाल में घी न डालने पर लालबिहारी आनन्दी से लड़ने लगा। लड़ाई में उसने आनन्दी के मायके पर व्यंग्य कसा। इस पर आनन्दी ने पलटवार करते हुए कहा कि पहले जैसा वैभव न होने पर भी उसके मायके में रहन-सहन और खान-पान में कोई कमी नहीं आयी है क्योंकि मरा हाथी भी नौ लाख का होता है।

प्रश्न 3.
आनन्दी की संयुक्त परिवार के बारे में क्या राय थी?
उत्तर:
आनन्दी की संयुक्त परिवार के बारे में अच्छी राय नहीं थी। कारण कि वह यह मानती थी कि यदि संयुक्त परिवार में खूब परस्पर सम्मान देने और बहुत कुछ करने के पश्चात् भी यदि परिवार में खुशहाली का वातावरण नहीं बनता है और बात-बात में नुक्ताचीनी और काट-छाँट होती है तो उससे अलग होकर रहना चाहिए। इससे कम-से-कम मन में शान्ति तो रहेगी।

प्रश्न 4.
श्रीकंठ का अपने भाई के साथ कैसा व्यवहार था?
उत्तर:
श्रीकंठ का अपने छोटे भाई लालबिहारी के साथ बड़े ही प्रेम का व्यवहार था। वह जब भी इलाहाबाद से आते उसके लिए कुछ-न-कुछ लेकर आते थे। एक बार जब अखाड़े में लालबिहारी ने दूसरे पहलवान को पछाड़ दिया था तो उन्होंने पाँच रुपये के पैसे लुटाए थे।

किन्तु आनन्दी के साथ हुए अभद्र व्यवहार को सुनकर उनका सारा प्रेम समाप्त हो जाता है और उसके प्रति घृणा पैदा हो जाती है यहाँ तक कि वे उसका मुँह भी देखना पसन्द नहीं करते हैं। लेकिन जब आनन्दी ने अपने बड़प्पन का परिचय देते हुए लालबिहारी को माफ कर दिया तो श्रीकंठ का हृदय पुनः परिवर्तित होकर अपने भाई से प्यार करने लग जाते हैं।

प्रश्न 5.
“अब अन्याय और हठका प्रकोप हो रहा है”-यह कथन श्रीकंठ ने क्यों कहा?
उत्तर:
इलाहाबाद से शनिवार को जब श्रीकंठ अपने घर पर आये तो आनन्दी से लालबिहारी द्वारा की गयी अभद्रता की जानकारी हुई। रातभर वे बेचैन रहे और सुबह होते ही अपने पिता से बोले-“दादा, अब इस घर में मेरा निर्वाह न होगा।” बेनी माधव अपने पुत्र की यह बात सुनकर घबरा उठे और बोले- क्यों’। इस पर श्रीकंठ ने कहा-“इसलिए कि मुझे भी अपनी मान-प्रतिष्ठा का कुछ विचार है। आपके घर में अब अन्याय और हठ का प्रकोप हो रहा है। जिनको बड़ों का आदर करना चाहिए, वे उनके सिर चढ़ते हैं।”

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बड़े घर की बेटी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लालबिहारी सिंह के स्वभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लालबिहारी सिंह, बेनी माधव सिंह का छोटा पुत्र है। लाड़-प्यार में वह पढ़-लिख नहीं पाया है। खेतों-खलिहानों में घूमना और कुश्ती-दंगल में भाग लेना उसकी दिनचर्या के अंग थे। वह दोहरे बदन का सजीला जवान था। भरा हुआ मुखड़ा और चौड़ी छाती थी। भैंस का दो सेर ताजा दूध वह उठकर सुबह पी जाता था।

वह अपने बड़े भाई श्रीकंठ का बहुत आदर करता था। श्रीकंठ के सामने न तो वह चारपाई पर बैठता था और न हुक्का पी सकता था और न पान खा सकता था। वह अपने बाप से भी ज्यादा अपने भाई का मान करता था।

पर वह बिना पढ़ा-लिखा एवं उजड्ड था। बिना सोचे-समझे ऐसा निर्णय ले लेता था जिसके लिए उसे प्रायश्चित्त करना पड़ता था। एक दिन दाल में घी न होने की बात पर वह अपनी भाभी से उल्टा-सीधा व्यवहार कर डालता है जिससे परिवार टूटने के कगार पर आ जाता है पर आनन्दी के बड़प्पन से वह परिवार टूटने से बच जाता है।

प्रश्न 2.
आनन्दी के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
आनन्दी ताल्लुकेदार भूपसिंह की बेटी और ‘बड़े घर की बेटी’ कहानी की प्रधान नायिका है। उसके पति का नाम श्रीकंठ है। उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(i) स्वाभिमानी :
आनन्दी एक स्वाभिमानी स्त्री है। अपने देवर लालबिहारी के अभद्रतापूर्ण व्यवहार से वह दु:खी हो जाती है और इस घटना की जानकारी वह अपने पति के आने पर उसको देती है।

(ii) उदार एवं करुण हृदय वाली :
आनन्दी का हृदय करुणा एवं दया से पूर्ण है। जब उसका देवर लालबिहारी अपनी गलती को स्वीकार करके भाई और भाभी से पश्चात्ताप करता हुआ माफी माँगता है तो आनन्दी का हृदय करुणा से पिघल जाता है और वह अपनी सौगंध देकर उसको घर छोड़ने से रोक लेती है। इस प्रकार वह एक संयुक्त परिवार को टूटने से बचा लेती है। वास्तव में वह एक उच्च चरित्र वाली उदार एवं स्वाभिमानी स्त्री है।

प्रश्न 3.
आनन्दी के मायके और ससुराल के वातावरण में क्या अंतर था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आन के मायके के अनौखे ठाठ-बाट थे। उसके पिता एक यासर ताल्लुकेदार थे। उनके पास विशाल भवन, एक हाथा, तोन, कुत्ते, बाज, वहरी-शिकरे, झाड़-फानूस, ऑनरेरी मजिस्ट्रटी और ऋण देने आदि की सुविधाएँ थी। आनन्दी की तीन बहिनों का बड़े ठाठ-बाट से विवाह हुआ था।

आनन्दी के ससुराल का वातावरण कुछ और ही था। यहाँ उसके मायके जैसी न टीम-टाम थी और न अन्य सुविधाएँ। हाथी-घोड़ों की बात तो बहुत दूर यहाँ कोई सजी हुई सुन्दर बहली तक न थी। न यहाँ बाग-बगीचे थे न मकान में खिड़कियाँ, न जमीन पर फर्श, न दीवार पर तस्वीरे। यहाँ तो एक सीधा-सादा देहाती मकान था परन्तु आनन्दी ने थोड़े ही दिनों में अपने आपको इस नयी व्यवस्था में ढाल लिया था।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिएजिस तरह सूखी लकड़ी …………. तिनक जाता है।
उत्तर:
भाव-कहानीकार प्रेमचन्द कहते हैं कि जिस प्रकार सूखी लकड़ी जल्दी से आग पकड़ लेती है उसी तरह भूख से पागल मनुष्य भी जरा-जरा सी बात पर तिनक जाता है, वह लड़ने-मरने को आमादा हो जाता है।

प्रश्न 5.
“बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती हैं।” इस कथन से लेख्क का क्या आशय है?
उत्तर:
इस कथन से लेखक का आशय यह है कि बड़े घर की बेटियाँ बहुत सभ्य, व्यवहारकुशल और घर को बनाने वाली होती हैं। वे सही समय पर उचित निर्णय लेकर परिवार की विपत्ति को दूर कर देती हैं। पहले तो आनन्दी अपने देवर के अभद्र व्यवहार पर बहुत क्रोधित होती है पर जब उसने देखा कि उसके क्रोध से घर उजड़ जाएगा तो वह माफी माँगने पर अपने देवर को क्षमा कर देती है तथा अपने पति से भी उसे क्षमा दिला देती है।

प्रश्न 6.
इस कहानी से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि यदि हम उदार हैं, दूसरों के प्रति सहृदय हैं तो बड़ी-से-बड़ी विपत्ति भी दूर हो जाती है। आज के संयुक्त परिवारों को टूटने से बचाने वाली यह कहानी शिक्षाप्रद है। इस कहानी की नायिका अपने देवर के अभद्र व्यवहार से बहुत दु:खी होती है पर देवर द्वारा सच्चे हृदय से माफी माँगने पर वह उसे क्षमा कर देती है तथा जब वह घर छोड़ने की बात कहता है तो अपनी सौगन्ध देकर तथा उसका हाथ पकड़कर रोक लेती है। ऐसा करके वह टूटते परिवार को बचा लेती है।

प्रश्न 7.
किस घटना ने आनन्दी के हृदय को परिवर्तित कर दिया? विवरण सहित लिखिए।
उत्तर:
श्रीकंठ के मुख से यह बात सुनकर कि अब मैं लालबिहारी की सूरत नहीं देखना चाहता। लालबिहारी तिलमिला गया तथा कपड़े पहनकर आनन्दी के द्वार पर आकर बोला-“भाभी, भैया ने निश्चय किया है कि वह मेरे साथ इस घर में न रहेंगे। अब वह मेरा मुँह नहीं देखना चाहते, इसलिए अब मैं जाता हूँ। उन्हें फिर मुँह न दिखाऊँगा। मुझसे जो कुछ अपराध हुआ, उसे क्षमा करना।” लालबिहारी की इस बात से आनन्दी का हृदय परिवर्तित हो गया वह अपने कमरे से निकली और लालबिहारी का हाथ पकड़ लिया और कहा “तुम्हें मेरी सौगंध, अब एक पग भी आगे न बढ़ाना” बाद में श्रीकंठ का हृदय भी पिघल गया और दोनों भाई गले लगकर फूट-फूटकर रोए। इस प्रकार आनन्दी ने अपने उदार हृदय से टूटते हुए घर को बचा लिया।

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बड़े घर की बेटी भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द-युग्मों से पुनरुक्त और विलोम शब्द युग्म छाँटकर लिखिए।
गरम-गरम, फूट-फूट, साथ-साथ, अच्छा-बुरा, सुख-दुख, दिन-रात।
उत्तर:
पुनरुक्त शब्द – गरम-गरम, फूट-फूट, साथ-साथ।
विलोम शब्द – अच्छा-बुरा, सुख-दुख, दिन-रात।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के हिन्दी मानक रूप लिखिए-
व्याह, भावज, निबट, लात, जवाब, कर्ज।
उत्तर:
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रत्यय जोड़कर शब्द बनाइए-
आहट, आई, ता, हारा, वान, हीन, ईय, माला, कार।
उत्तर:
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प्रश्न 4.
उपसर्गों के योग से शब्द बनाइए-
उप, अभि, सु, अप, कु, अव, वि, अधि, अनु।
उत्तर:
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बड़े घर की बेटी पाठ का सारांश

गौरीपुर गाँव के जमींदार ठाकुर बेनी माधवसिंह थे। उनके पिता इलाके के प्रतिष्ठित रईस थे पर बेनी माधव की माली हालत अच्छी नहीं थी। उनकी साल भर की आमदनी मात्र हजार रुपये रह गयी थी। ठाकुर के दो पुत्र थे-श्रीकंठ और लालबिहारी। श्रीकंठ बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण कर किसी ऑफिस में इलाहाबाद में नौकरी करने लगा था। छोटा भाई लालबिहारी पढ़ा-लिखा नहीं था। कुश्ती, लड़ाई -झगड़ा और खेत-खलिहानों में अपना समय बिताया करता था।

श्रीकंठ अंग्रेजी से डिग्री लेने के बाद भी अंग्रेजी रीति-रिवाजों के विरोधी थे। वे सम्मिलित परिवार के पक्षधर थे। उनकी इस विचारधारा के कारण गाँव की नवविवाहिता उनकी आलोचना किया करती थीं।

भूपसिंह एक छोटी रियासत के ताल्लुकेदार थे। उन्होंने अपनी चौथी बेटी आनन्दी का विवाह श्रीकंठ से कर दिया। आनन्दी जब नये घर में आई तो यहाँ का वातावरण उसे अपने परिवार से बिल्कुल भिन्न मिला परन्तु आनन्दी ने एक वर्ष में ही अपने को उस परिवार में खपा लिया था।

एक दिन सब्जी पकाते समय आनन्दी ने जितना घी (एक पाव) डिब्बे में बचा था, वह सब सब्जी में डाल दिया। फलतः दाल में डालने के लिए घी बचा ही नहीं। जब लाल बिहारी खाना खाने बैठा तो दाल में घी न देखकर भाभी से इसका कारण पूछा। भाभी द्वारा पूरी बात बताई जाने पर भी लालबिहारी ने गुस्से में आकर भोजन की थाली फेंक दी और अपने पैर की खड़ाऊ आनन्दी को मारने के लिए फेंकी। आनन्दी ने हाथ से इस वार को बचा लिया लेकिन इस कारण उसकी उँगली में चोट लग गयी। इस घटना ने आनन्दी को झकझोर डाला। उसने गुस्से में खाना-पीना छोड़ दिया। उसका पति श्रीकंठ इलाहाबाद से हर शनिवार को आता था। जब श्रीकंठ दो दिन बाद घर वापस आता है तो उसके पिता बेनीमाघव उल्टे आनन्दी के व्यवहार की शिकायत उससे करते हैं।

इस पर पहले तो श्रीकंठ आनन्दी पर गुस्सा करते हैं लेकिन पूछने पर जब आनन्दी ने पूरी घटना श्रीकंठ को बताई तो श्रीकंठ आग बबूला हो उठे। सुबह होते ही उसने अपने पिता से कहा कि वह अब इस घर में एक पल भी नहीं रह सकता। वह अपने छोटे भाई लालबिहारी को उल्टा-सीधा कहते हैं। जब लालबिहारी अपने बड़े भाई के अपने विषय में इस प्रकार के विचार सुनते हैं तो उन्हें प्रायश्चित्त के साथ बड़ा दुःख होता है और भाई की बात रखने के लिए वह हमेशा के लिए घर छोड़कर जाना चाहता है। लालबिहारी ने आनन्दी के द्वार पर आकर कहा-“भाभी, भैया ने निश्चय किया है कि वह मेरे साथ इस घर में न रहेंगे। वह मेरा मुँह नहीं देखना चाहते, इसलिए अब मैं जाता हूँ उन्हें फिर मुँह न दिखाऊँगा। मुझसे जो अपराध हुआ, उसे क्षमा करना।”

लालबिहारी के इन वचनों को सुनकर आनन्दी का हृदय परिवर्तित हो गया और स्वयं अपने पति से कहा ‘लालाजी’ को अन्दर बुला लो। श्रीकंठ ने इस पर कुछ उत्तर नहीं दिया तो आनन्दी ने स्वयं आगे बढ़कर लालबिहारी को रोक लिया और कहने लगी “तुम्हें मेरी सौगंध, अब एक पग भी आगे न बढ़ाना।”

कुछ ही देर में श्रीकंठ भी पिघल गया और उसने भी लालबिहारी को अपने गले से लगा लिया। दोनों भाई रोने लगते हैं। इसी समय बेनी माधव आ जाते हैं और खुश होकर कहने लगते हैं “बड़े घर की बेटियाँ ऐसी ही होती हैं।”

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