MP Board Class 9th General Hindi व्याकरण मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ

(क) मुहावरे

‘मुहाविरा’ अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है ‘अभ्यास’। वह वाक्यांश, जिसका साधारण शब्दार्थ न लेकर कोई विशेष अर्थ ग्रहण किया जाए, मुहावरा कहलाता-

  1. महावरे वाक्यांश होते हैं। इनका प्रयोग वाक्यों के बीच में ही होता है. स्वतंत्र रूप से नहीं होता।
  2. मुहावरों के प्रयोग से भाषा में सजीवता और रोचकता आ जाती है।
  3. मुहावरा अपना असली रूप कभी नहीं बदलता। उसमें प्रयुक्त शब्दों को उनके पर्यायवाची शब्दों से भी नहीं बदला जा सकता। ‘गाल बजाना’ के स्थान पर ‘कपोल बजाना’ हास्यास्पद है।
  4. मुहावरे का शब्दार्थ नहीं लेना चाहिए, बल्कि प्रसंग के अनुसार उसका अर्थ लेना चाहिए। ‘छाती पर पत्थर रखना’ का यदि शब्दार्थ लिया जाए तो उसका अर्थ बिल्कुल भिन्न होगा, जबकि मुहावरे के रूप में प्रयोग करने पर इसका अर्थ होगा ‘चुपचाप सहना’।
  5. मुहावरे समय के साथ बनते – बिगड़ते रहते हैं।

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यहाँ कुछ बहुप्रचलित मुहावरों के अर्थ और उनका वाक्यों में प्रयोग दिया जा रहा है –

1. अक्ल पर पत्थर पड़ना=बुद्धि मारी जाना।
प्रयोग – तुम्हारी अक्ल पर क्या पत्थर पड़ गए थे तो तुम बच्चे को अकेला छोड़ आए?

2. अंकुश लगाना=नियंत्रण करना।
प्रयोग – सुरेश! तुम अपने बेटे पर अंकुश लगाओ, नहीं तो आगे बहुत पछताओगे।

3. अपना उल्लू सीधा करना स्वार्थ पूरा करना।
प्रयोग – आज के राजनीतिज्ञ जनता की सेवा नहीं करते अपना उल्लू सीधा करते हैं।

4. अपनी खिचड़ी अलग पकाना सबसे अलग।
प्रयोग – मिलजुलकर काम करो, अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ नहीं।

5. अपने पैरों पर खड़ा होना स्वावलम्बी होना।
प्रयोग – मैं तुम लोगों का बोझ कब तक उठाऊँगा अपने पैरों पर खड़े होने का प्रयास करो।

6. अपने पैरों कुल्हाड़ी मारना – अपने ही हाथों अपना अहित करना।
प्रयोग – तुमने शर्माजी का कहा न मानकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है।

7. आँखों में धूल झोंकना धोखा देना।
प्रयोग – तुम यह सड़ी – गली सब्जी देकर मेरी आँखों में धूल झोंकना चाहते हो।

8. आँख खुलना – समझ आ जाना।
प्रयोग – उसका व्यवहार देखकर मेरी आँखें खुल गईं।

9. आँख दिखाना – धमकाना।
प्रयोग – माताजी ने ज्यों ही आँखें दिखाईं त्यों ही बालक ने मिठाई लेने से इन्कार कर दिया।

10. आटे – दाल का भाव मालूम होना वास्तविकता का ज्ञान होना।
प्रयोग – आठ सौ – नौ सौ रुपये में घर का सब खर्च चलाओगे तब आटे – दाल का भाव मालूम होगा।

11. आस्तीन का साँप होना विश्वासघाती सिद्ध होना।
प्रयोग – जिसे हमने अपना परम मित्र समझा था, वह आस्तीन का साँप सिद्ध हुआ।

12. ईंट से ईंट बजाना नष्ट कर देना।
प्रयोग – मानसिंह ने राणा प्रताप से कहा, “मैं मेवाड़ की ईंट से ईंट बजा दूंगा।”

13. उँगली उठाना=दोषारोपण करना।
प्रयोग – ऐसा काम करना कि कोई उँगली न उठा सके।

14. कमर कसना कार्य करने को तैयार होना।
प्रयोग – नौजवानों को देश के सम्मान की रक्षा के लिए कमर कस लेनी चाहिए।

15. कमर टूटना – दुःखदायक स्थिति बनना।
प्रयोग – व्यापार में बहुत हानि होने से उसकी तो कमर ही टूट गई।

16. काठ का उल्लू – महान् मूर्ख।
प्रयोग – उसे क्या समझते हो, वह तो निरा काठ का उल्लू है।

17. कान भरना – चुगली करना, भड़काना।
प्रयोग – शर्माजी अन्य अध्यापकों के खिलाफ प्रिंसिपल साहब के कान भरते रहते हैं।

18. कान का कच्चा होना दूसरों की बात पर शीघ्र विश्वास कर लेना।
प्रयोग – जो अधिकारी कान का कच्चा होता है, उससे न्याय की आशा कैसे की जा सकती है।

19. खरी – खोटी सुनाना भला – बुरा कहना।
प्रयोग – मेरी कोई गलती नहीं थी, फिर भी प्रिंसिपल साहब ने मुझे खरी – खोटी सुना दी।

20. खून खौलना=बहुत क्रुद्ध होना।
प्रयोग – द्रोपदी को लज्जित होते देख भीम का खून खौलने लगा।

21. खाक में मिलना बर्बाद हो जाना।
प्रयोग – रावण की हठधर्मी से सोने की लंका खाक में मिल गई।

22. गड़े मुर्दे उखाड़ना=पुरानी बातें दोहराना।
प्रयोग – इतिहास में तो गड़े मुर्दे ही उखाड़े जाते हैं।

23. गले का हार – अत्यंत प्रिय।
प्रयोग – रामचरितमानस भक्तों के गले का हार है।

24. गाल बजाना बढ़ – चढ़कर बातें करना।
प्रयोग – धीरेन्द्र की बात पर यकीन न करना, उसे गाल बजाने की आदत है।

25. गुदड़ी का लाल=निर्धनता में उत्पन्न प्रतिभाशाली व्यक्ति।
प्रयोग – लाल बहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे।

26. घाव पर नमक छिड़कना – दुखी को और दुखी करना।
प्रयोग – एक तो उसका नुकसान हुआ, अब ताने देकर उसके घाव पर नमक मत छिड़को।

27. चंगुल में फँसना काबू में कर लेना।
प्रयोग – भोले – भाले लोग धूर्तों के चंगुल में फँस जाते हैं।

28. चकमा देना – धोखा देना।
प्रयोग – चोर पुलिस को चकमा देकर भाग निकला।

29. चार दिन की चाँदनी थोड़े समय की सम्पन्नता।
प्रयोग – लक्ष्मी चंचल है, चार दिन की चाँदनी पर गर्व मत करो।

30. चिकना घड़ा जिस पर किसी बात का असर न हो।
प्रयोग – वह तो चिकना घड़ा है, तुम्हारी बातों का उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

31. छप्पर फाड़कर देना=भाग्य के बल पर लाभ होना।
प्रयोग – भगवान ने उसे छप्पर फाड़कर धन दिया।

32. छोटे मुँह बड़ी बात अपनी मर्यादा से अधिक बोलना।
प्रयोग – छोटे मुँह बड़ी बात करके तुमने समझदारी का काम नहीं किया।

33. जान के लाले पड़ना=संकट में पड़ना।
प्रयोग – सारा गाँव बाढ़ की चपेट में आ गया; लोगों को जान के लाले पड़ गए।

34. जले पर नमक छिड़कना दुखी के दुख को और अधिक बढ़ाना।
प्रयोग – सुरेश तो परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर वैसे ही दुखी था, तुमने उसका उपहास करके जले पर नमक छिड़क दिया।

35. टका – सा जवाब देना – साफ इन्कार कर देना।
प्रयोग – इस बार भी जब चंदा देने की बात उठी तो उसने टका – सा जवाब दे दिया।

36. टाँग अड़ाना रुकावट डालना।
प्रयोग – मेरी उसकी बात हो रही है, तुम क्यों बीच में टाँग अड़ाते हो?

37. टेढ़ी खीर कठिन कार्य।
प्रयोग – कक्षा में प्रथम आना टेढ़ी खीर है।

38. डंके की चोट सबके सामने।
प्रयोग – उसने डंके की चोट पे समाज से बाहर शादी की।

39. तलवे चाटना – चापलूसी करना।
प्रयोग – वे कोई और होंगे जो आपके तलवे चाटते हैं, मुझसे आशा न करना

40. तिनके का सहारा थोड़ा – सा आश्रय।
प्रयोग – डूबते को तिनके का सहारा होता है।

41. तूती बोलना धाक जमना।
प्रयोग – वे दिन गए, जब जमींदारों की तूती बोलती थी।

42. दंग रह जाना आश्चर्यचकित होना।
प्रयोग – बालक के करतब देखकर दर्शक दंग रह गए।

43. दाँत खट्टे करना=पराजित करना।
प्रयोग – भारत ने अनेक बार दुश्मनों के दाँत खट्टे किए हैं।

44. दाल. में काला होना=संदेहजनक बात होना।
प्रयोग – आपकी बातों से लगता है कि दाल में कुछ काला है।

45. दाल न गलना=चाल सफल न होना।
प्रयोग – पिताजी को पता लग गया है, अब तुम्हारी दाल नहीं गलेगी।

46. दुम दबाकर भागना डरकर भाग जाना।
प्रयोग – दुम दबाकर भागना तो कायरों का काम है।

47. दो टूक बात कहना – साफ – साफ बात कहना।
प्रयोग – मुझे कुछ लेना – देना नहीं है, मैंने दो टूक बात कह दी।

48. नमक खाना – पालन – पोषण होना।
प्रयोग – मैंने इस घर का नमक खाया है, इसे बरबाद न होने दूंगा।

49. नाक कटना – बदनामी होना।
प्रयोग – भारतीय टीम तीनों मैच हार गई, उसकी तो नाक कट गई।

50. नाक में दम करना परेशान करना।
प्रयोग – मच्छरों ने तो नाक में दम कर रखी है, रात भर सोने नहीं देते।

51. नाक रगड़नाखुशामद करना।
प्रयोग – पहले तो बहुत ताव दिखा रहे थे, अब क्यों नाक रगड़ते हो?

52. नाक – भौं सिकोड़ना – नफरत प्रकट करना।
प्रयोग – नाक – भौं मत सिकोड़ो, जो कुछ परोसा गया है, वह खा लो।

53. पत्थर की लकीर अमिट।
प्रयोग – मेरी बात पत्थर की लकीर मानो, शहर में दंगा होनेवाला है।

54. परदा डालना कोई बात छिपाना।
प्रयोग – अपने पापों का प्रायश्चित करो, उन पर पर्दा मत डालो। प्रमा

55. पहाड़ टूटना अत्यधिक विपत्ति आ जाना।
प्रयोग – अवधेश के निधन से पूरे परिवार पर पहाड़ टूट पड़ा।

56. पानी – पानी होना अधिक शर्मिन्दा होना।
प्रयोग – बद्रीसिंह को जब प्रिंसिपल साहब ने डाँटा तो वह पानी – पानी हो गया।

57. पाँचों उँगलियाँ घी में होना सभी प्रकार का सुख होना।
प्रयोग – तुम्हारे भाई एम.एल.ए. हो गए हैं, अब तो तुम्हारी पाँचों उँगलियाँ घी में हैं।

58. पीठ दिखाना कायरता दिखाना।
प्रयोग – युद्ध में पीठ दिखाना क्षत्रिय को शोभा नहीं देता।

59. पेट में चूहे कूदना – बहुत भूखा होना।
प्रयोग – पेट में चूहे कूद रहे हैं, अब काम – धाम नहीं हो सकता।

60. पौ बारह होना बहुत लाभ होना।
प्रयोग – मंत्रीजी का हाथ सिर पर है; अब तो तुम्हारे पौ बारह हैं।

61. फूंक – फूंककर कदम रखना सावधानी बरतना।
प्रयोग – वह एक बार धोखा खा चुका है, इसलिए फूंक – फूंककर कदम रखता

62. बाल की खाल निकालना – अनावश्यक रूप से दोष निकालना।
प्रयोग – बाल की खाल निकालना उसका स्वभाव बन गया है।

(ख) लोकोक्ति

लोकोक्ति का अर्थ है – लोक में प्रचलित उक्ति। किसी महापुरुष, किसी कवि या लेखक की उक्ति कहावत बन जाती है। कहावतों में एक अनुभूत सत्य छिपा रहता है। लोकोक्ति एक स्वतंत्र वाक्य की तरह भाषा में प्रयुक्त होती है। इसका प्रयोग किसी कथन की पूर्ति में उदाहरण के रूप में किया जाता है। लोकोक्ति का क्षेत्र मुहावरे की अपेक्षा अधिक व्यापक है। इसमें स्वयं एक स्वतंत्र अर्थ ध्वनित करने की क्षमता होती है। ‘सुनिए सबकी, करिए मन की’ यह एक लोकोक्ति है। इसका अर्थ है, ‘सबकी बात सुनकर जो मन को अच्छा लगे, वही करना चाहिए। इस प्रकार इस लोकोक्ति में एक वाक्य के सभी आवश्यक तत्त्व विद्यमान हैं।

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मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर है। मुहावरा वाक्यांश है, जबकि कहावत स्वतंत्र वाक्य है। मुहावरे का स्वतंत्र रूप में प्रयोग नहीं हो सकता, उसे किसी वाक्य का अंग बनना पड़ता है, कहावत का एक वाक्य की तरह प्रयोग किया जाता है।

लोकोक्ति किसी कथा या चिर- सत्य से संबद्ध रहती है। यहाँ कुछ लोकोक्तियों के अर्थ और उनका वाक्यों में प्रयोग दिया जा रहा है –

1. अधजल गगरी छलकत जाय=गुणहीन व्यक्ति अपने गुणों का अधिक प्रदर्शन करता है।
प्रयोग – किशोर एक साधारण क्लर्क है। घूसखोरी में उसने कुछ धन कमा लिया है तो उसके दिमाग नहीं मिलते। सच है – अधजल गगरी छलकत जाय।

2. अपनी करनी पार उतरे – अपने सुकर्मों से ही अच्छा फल मिलता है।
प्रयोग – अगर पढ़ाई में मन लगाओगे और मेहनत करोगे तो अच्छे नंबरों से पास हो जाओगे, नहीं पढ़ोगे तो फेल हो जाओगे। अपनी करनी पार उतरे।

3. अक्ल बड़ी कि भैंस – शारीरिक शक्ति से बौद्धिक शक्ति बड़ी होती है।
प्रयोग – भीमसिंह देखने में हाथी जरूर है, लेकिन उसकी बुद्धि मोटी है। वह वाद – विवाद में तुम्हारी बराबरी नहीं कर सकता। अक्ल बड़ी कि भैंस कहावत तुमने सुनी ही होगी।

4. अपना हाथ जगन्नाथ अपना काम स्वयं करना चाहिए।
प्रयोग – सत्यम् ने अलमारी खोलकर लड्डू निकाला और खा लिया। फिर वह बोला, “अपना हाथ, जगन्नाथ”।

5. अंधा पीसे, कुत्ता खाय – ठीक न्याय न होना।
प्रयोग – आज न्याय तो कहीं रहा ही नहीं। भ्रष्टाचारी और चापलूस लोगों का बोलबाला है। स्थिति तो यह है कि अंधा पीसे, कुत्ता खाय।

6. अंधेर नगरी, चौपट राजा – जहाँ कोई व्यवस्था या न्याय न हो।
प्रयोग – बिहार की बात मत पूछो। वहाँ तो अंधेर नगरी चौपट राजा की बात चरितार्थ हो रही है।

7. अपनी – अपनी ढपली, अपना – अपना राग – अपनी – अपनी बात को महत्त्व देना।
प्रयोग – चौदह पार्टियों की सरकार में सब अपनी – अपनी हाँकते हैं। इसीलिए इस सरकार के कार्यकलापों पर लोग कहते हैं – अपनी – अपनी ढपली, अपना – अपना राग।

8. अपनी गली में कुत्ता भी शेर अपने घर पर कमजोर भी अपने आपको बहुत ताकतवर समझता है।।
प्रयोग – जसवीर अपने घर पर खड़ा होकर उदयन को गालियाँ दे रहा था। उदयन ने कहा, “जसवीर अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है, अगर हिम्मत हो तो बाहर निकल आओ।”

9. अंधों में काना राजा मूर्तों के बीच में कोई साधारण समझदार।
प्रयोग – गाँव के अशिक्षितों के बीच वहाँ का पटवारी ही अंधों में काना राजा होता है।’

10. अब पछताये होत का जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत – समय निकल जाने पर पछताने से कोई लाभ नहीं।
प्रयोग – साल भर से तुम्हें समझा रहे थे कि पढ़ाई में ध्यान लगाओ, लेकिन तुमने एक न सुनी। अब फेल हो गए तो रोते हो। यह बेकार है, क्योंकि अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चग गई खेत।।

11. अंधा बाँटे रेवड़ी, फिरि – फिरि अपने को देय अपने सगे – सम्बन्धियों को लाभ पहुँचाना।
प्रयोग – यादवजी मंत्री हो गए हैं, वे सरकारी नौकरी में यादवों को ही भर रहे हैं। सच है – अंधा बाँटे रेवड़ी, फिर – फिर अपने को देय।

12. आँखों का अंधा नाम नयनसुख नाम और गुण में विरोध।
प्रयोग – नाम तो है सुशील, लेकिन काम है चरित्रहीनों का। ऐसे ही लोगों के लिए यह कहावत कही जाती है – आँखों का अंधा नाम नयनसुख।

13. आम के आम गुठलियों के दाम दोहरा लाभ।
प्रयोग – हम तो अखबार खरीदते हैं, हमारी बीवी रद्दी अखबारों के लिफाफे बनाकर बेच देती है। आम के आम गुठलियों के दाम।

14. आप भला तो जग भगाभले के लिए सब भले होते हैं।
प्रयोग – छोटे भैया तो यथाशक्ति सबकी सहायता करते हैं और सबसे अच्छी तरह से मिलते हैं, इसलिए सब लोग आदर करते हैं। सच है – आप भला तो जग भला।

15. आगे नाथ न पीछे पगहा – आगे – पीछे कोई न होना।
प्रयोग – पता नहीं अमरनाथ इतने धन का क्या करेगा, उसके आगे नाथ न पीछे पगहा।

16. उल्टे बाँस बरेली का उल्टा काम करना।
प्रयोग – भोपाल से पेठा लेकर आगरा जा रहे हो। दिमाग तो ठीक है. उल्टे बाँस बरेली को।

17. ऊँची दुकान, फीका पकवान बाहरी दिखावा।
प्रयोग – होटल का नाम तो है ग्राण्ड होटल, लेकिन वहाँ कोई विशेष सुविधाएँ नहीं हैं। ऊँची दुकान फीका पकवान की कहावत चरितार्थ होती है।

18. ऊँट के मुँह में जीरा आवश्यकता से बहुत कम वस्तु।
प्रयोग – शर्मा जी के लिए चार पूड़ियाँ तो ऊँट के मुँह में जीरा साबित होंगी।

19. एक अनार सौ बीमार – वस्तु कम, माँग अधिक।
प्रयोग – पिताजी ने आइसक्रीम मँगाई चार और खानेवाले इकट्ठे हो गए चौदह। यह तो एक अनार सौ बीमार वाली कहावत हो गई।

20. ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर कठिन काम शुरू करके कठिनाइयों से क्या डरना।
प्रयोग – बंजर जमीन खरीदकर उसे जोतना शुरू किया है तो उसमें कठिनाइयाँ तो आएँगी ही। ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर?

21. कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली – दो ऐसे असमान व्यक्ति जिनकी आपस में कोई तुलना न हो।
प्रयोग – कहाँ परमानन्द जैसा संत पुरुष और कहाँ रवीन्द्र जैसा स्वार्थी व्यक्ति। आप भी क्या समानता दिखा रहे हैं? कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली।

22. काला अक्षर भैंस बराबर – निरक्षर व्यक्ति।
प्रयोग – राम से पत्र पढ़वाने जा रहे हो। अरे भाई उसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।

23. का वर्षा जब कृषी सुखानी – अवसर निकल जाने पर प्रयत्न करना व्यर्थ है।
प्रयोग – परीक्षा के पहले पुस्तकें खरीदने को रुपये मँगाए थे, वह पिताजी ने भेजे नहीं। अब परीक्षा समाप्त होने पर मनीआर्डर आया है। अब रुपये किस काम के। ठीक ही कहा है – का वर्षा जब कृषी सुखानी।

24. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है – संगति का प्रभाव पड़ता है।
प्रयोग – उमेश का बड़ा लड़का कामचोर है, छोटे लड़के पर भी उसका प्रभाव पड़ा है। वह भी कामधाम नहीं करता। सच ही तो है – खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।

25. खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे लज्जित होने पर निरपराध पर क्रोधित होना।
प्रयोग – जब ऊषा को उसके पिताजी ने डांट दिया तो वह अपनी छोटी बहिन पर बिगड़ी। तब उसके भाई ने कहा ‘खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे।’

26. खोदा पहाड़ निकली चुहिया=बहुत प्रयास करने का थोड़ा फल मिलना।
प्रयोग – सेन्ट्रल लायब्रेरी में मैथिलीशरण जी की पुस्तकें तलाश करने गया था, लेकिन मिली एक पंचवटी। मन ही मन कहा – खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

27. गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है बड़ों के साथ रहने वालों को भी उनके साथ कष्ट उठाना पड़ता है।
प्रयोग – जसवीर और परमवीर आपस में लड़ रहे थे, विजय दोनों को समझा रहा था। प्रिंसिपल साहब ने तीनों को बुलाकर मार लगाई। गेहूँ के साथ घुन भी पिस गया।

28. घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध – स्वयं के स्थान पर सम्मान नहीं मिलता।
प्रयोग – बनवारीलालजी गाँव के बहुत अच्छे वैद्य हैं, लेकिन गाँववाले डिस्पेन्सरी के कम्पाउण्डर से दवाइयाँ लेते हैं। ठीक ही है – घर का जोगी जोगड़ा आन गाँव का सिद्ध।

29. घर का भेदी लंका ढावै आपसी फूट का फल बुरा होता है।
प्रयोग – जयचन्द ने मुहम्मद गोरी से मिलकर पृथ्वीराज के खिलाफ युद्ध लड़ा। ठीक ही कहा है – घर का भेदी लंका ढावै।

30. चार दिन की चाँदनी, फिर अँधेरी रात – थोड़े समय का सुख।
प्रयोग – धन – संपत्ति का गर्व न करना; यह तो आती – जाती रहती है, चार दिन। की चाँदनी फिर अंधेरी रात कहावत को याद रखो।

31. चोर – चोर मौसेरे भाई एक जैसी मनोवृत्ति वाले लोग।
प्रयोग – विकास और प्रयास दोनों में से किसी पर विश्वास मत करना, दोनों चोर – चोर मौसेरे भाई हैं।

32. चोर की दाढ़ी में तिनका – अपराधी की चेष्टा से उसका अपराध प्रकट हो जाता
प्रयोग – कक्षाध्यापक ने जब चार अपराधी प्रवृत्ति के लड़कों को शीशा तोड़ने के जुर्म में प्रिंसिपल साहब के सामने खड़ा किया तो एक ने चिल्लाकर कहा, “मैं तो कल आया ही नहीं था। इसी को कहते हैं चोर की दाढ़ी में तिनका।”

33. जहाँ चाह वहाँ राह – दृढ़ इच्छाशक्ति से सब काम हो सकते हैं।
प्रयोग – हिम्मत हारकर मत बैठो, प्रयत्न करो – जहाँ चाह वहाँ राह।

34. जिसकी लाठी उसकी भैंस बलवान की ही जीत होती है।
प्रयोग – बद्रीप्रसाद अदालत से तो जीत गए, लेकिन खेत तो अभी भी पहलवान सिंह जोत रहा है। आजकल तो जिसकी लाठी उसकी भैंस है।

35. जैसे नागनाथ, वैसे साँपनाथ दोनों एक समान।
प्रयोग – क्या सुधीर और क्या मधुर’ दोनों में से किसी से सहायता की उम्मीद न करना। जैसे नागनाथ, वैसे साँपनाथ।

36. थोथा चना बाजे घना कम जाननेवाला अधिक बुद्धिमान होने का प्रदर्शन करता
प्रयोग – किशोर एक साधारण ठेकेदार है लेकिन बातें करोड़ों की करता है। सच है – थोथा चना बाजे घना।

37. दूर के ढोल सुहावने होते हैं दूर की चीजें अच्छी लगती हैं।
प्रयोग – सुना था कि कृष्ण जहाँ रासलीला करते थे, वहाँ बड़े सुंदर कुल हैं किंतु जाकर देखा तो सब वीरान दिखा। ठीक ही कहा है – दूर के ढोल सुहावने होते हैं।

38. धोबी का कुत्ता घर का न घाट का=दोनों तरफ की साधने वाले को कहीं सफलता नहीं मिलती।
प्रयोग – हरीश ने कम्प्यूटर की कक्षा में प्रवेश लिया और एम.बी.ए. की भी तैयारी की। दोनों ओर दिमाग रहने से कहीं भी सफलता नहीं मिली। उसके मित्रों ने कहा – धोबी का कुत्ता घर का न घाट का।

39. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरीन कारण होगा, न कार्य होगा।
प्रयोग – सत्यम और संकेत कैरम के लिए लड़ते रहते थे। एक दिन उनकी माँ ने कहा, “मैं कैरम उठाके रखे देती हूँ। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।”

40. नाच न जाने आँगन टेढ़ा – स्वयं की अयोग्यता को छिपाकर साधनों को दोष देना।
प्रयोग – सुरेश को चित्र बनाना आता तो नहीं, लेकिन वह कहता था कि ब्रुश खराब था, इसलिए चित्र अच्छा नहीं बना। इसी को नाच न जाने आँगन टेढ़ा कहते हैं।

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