MP Board Class 9th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 2 पुस्तक (आत्मकथा, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी)

पुस्तक अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य पुस्तकों से कौन-कौन-से गुण अर्जित करता है?
उत्तर:
मनुष्य पुस्तकों से सदाचार, प्रेम, करुणा, परोपकार तथा न्याय आदि मानवीय गुण अर्जित करता है।

प्रश्न 2.
सत् साहित्य की रचना कब होती है?
उत्तर:
जब कवि का विवेक या ज्ञान उल्लास का रूप धारण करता है तभी सत् साहित्य की रचना होती है।

प्रश्न 3.
इस पाठ में वर्णित दो महाकाव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
इस पाठ में लेखक ने तुलसीकृत रामचरितमानस और महाकवि व्यास रचित ‘महाभारत’ महाकाव्यों की चर्चा की है।

प्रश्न 4.
चिरन्तन आनन्द और गौरव किसमें निहित है?
उत्तर:
चिरन्तन आनन्द और गौरव सत् साहित्य में निहित है। जब कवि का विवेक आनन्द का रूप ग्रहण करता है, तब सत् साहित्य का निर्माण होता है।

प्रश्न 5.
मुझमें किसी दूसरे की आत्मा निवास करती है से क्या आशय है? समझाइए।
उत्तर:
‘मुझमें किसी दूसरे की आत्मा निवास करती है’ से यह आशय है कि एक पुस्तक की रचना में रचनाकार की साधना ही प्रमुख तथा अपूर्व प्रकाश सम्पन्न होती है। उसके अन्तर्गत उल्लास, सुख, सुषमा, शौर्य, आतंक एवं विस्मय जब किसी रचनाकार के हृदय स्थल में रसरूप में परिणत होते हैं, तभी पुस्तक की रचना होती है। वास्तव में पुस्तक में लेखक की आत्मा का प्रकाश ही निहित होता है।

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प्रश्न 6.
‘किताब का यथार्थ मूल्य’ किसमें निहित है?
उत्तर:
किताब का यथार्थ मूल्य तो पुस्तक में निहित ज्ञान में होता है। ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। किताब एक अमूल्य कोश है। पुस्तक रचनाकार के आनन्द का स्रोत है। वास्तव में किताब का यथार्थ मूल्य रचनाकार के यश, गौरवपूर्ण चिन्तन और उल्लास में होता है जिसका रसास्वादन पाठक किया करते हैं।

प्रश्न 7.
व्यक्ति द्वारा किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्य किए जाते हैं?
उत्तर:
जीवन निर्वाह के लिए धन की आवश्यकता होती है। अतः व्यक्ति द्वारा किसी-न-किसी रूप में इसी अर्थसिद्धि के लिए अर्थात् उद्देश्य की पूर्ति के लिए काम करना पड़ता है।

प्रश्न 8.
पुस्तक एक निष्प्राण ग्रंथ क्यों नहीं है?
उत्तर:
पुस्तक एक निष्प्राण ग्रंथ नहीं हो सकती क्योंकि उसमें कवि/लेखक की आत्मा का प्रकाश समाया हुआ है। पुस्तक में कवि/लेखक का ज्ञान, अनुभव एवं अध्यवसाय समाया रहता है। इन्हीं गुणों को धारण कर मानव सच्चा मानव बनता है। वह समाज एवं मानवता को सन्मार्ग पर ले जाता है जिससे जीवन में समरसता और आनन्द की वर्षा होती है।

प्रश्न 9.
संसार में सफलता की कसौटी क्या है?
उत्तर:
संसार में जब ज्ञान आनन्द के रूप में प्रतिष्ठित होता है तब सत् साहित्य का निर्माण होता है। इसके विपरीत जब वह व्यवसाय के रूप में परिणत हो जाता है तब वह लाभ-हानि एवं लेन-देन का एक उपकरण मात्र रह जाता है। सामान्यतः अपनी इच्छा की पूर्ति को ही मानव सफलता की कसौटी मानता है लेकिन यह भावना चिरस्थायी नहीं है। यदि हममें आत्मबल है, दृढ़ संकल्प है तो हमारा कोई काम असफल नहीं होगा। अतः संसार में सफलता की कसौटी प्राप्त करने के लिए हमें इन गुणों का संचय अपने में करना चाहिए।

प्रश्न 10.
जिन्हें केवल उदरपूर्ति की चिन्ता रहती है वे किस महत्व को नहीं जानते?
उत्तर:
जिन्हें केवल उदरपूर्ति की चिन्ता रहती है वे ज्ञान के गौरव के महत्त्व को नहीं जानते हैं। जो ज्ञान के महत्त्व को नहीं जानते वे न सत् साहित्य की महिमा को जानते हैं और न विज्ञान की शक्ति को।

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