MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.1
प्रश्न 1.
एक चतुर्भुज के कोण 3 : 5 : 9 : 13 के अनुपात में हैं। इस चतुर्भुज के सभी कोण ज्ञात कीजिए। (2018, 19)
हल:
चूँकि चतुर्भुज के चारों कोणों का अनुपात = 3 : 5 : 9 : 13 (दिया है)
मान लीजिए उसके कोण क्रमश: 3x, 5x, 9x एवं 13x हैं तो 3x + 5x + 9x + 13x = 360° (चतुर्भुज के कोणों का योग 360° होगा।)
⇒ 30x = 360°
⇒ x = 360°/30 = 12
इसलिए प्रथम कोण = 3 x x = 3 x 12 = 36°
द्वितीय कोण = 5 x x = 5 x 12 = 60°
तृतीय कोण = 9 x x = 9 x 12 = 108°
चतुर्थ कोण = 13 x x = 13 x 12 = 156°
अतः कोणों का अभीष्ट मान क्रमशः 36°, 60°, 108° एवं 156° हैं।
प्रश्न 2.
यदि एक समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों तो दर्शाइए कि वह एक आयत है। (2019)
चित्र 8.1
हल:
समान्तर चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC = DB (दिया है)
∆ABC एवं ∆DCB में,
चूँकि AB = DC (समान्तर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ हैं)
AC = DB (दिया है)
एवं BC = BC (उभयनिष्ठ है)
∆ABC ≅ ∆DCB (SSS सर्वांगसमता प्रमेय)
∠ABC = ∠DCB (CPCT)
लेकिन ∠ABC + ∠DCB = 180° (AB || DC, BC तिर्यक के एक ओर के अन्तः कोण हैं)
⇒ ∠ABC = ∠DCB = 90°
लेकिन ∠A = ∠C तथा ∠B = ∠D (समान्तर – के सम्मुख कोण)
⇒ ∠A =∠B = ∠C = ∠D = 90° (समकोण)
अत: ABCD एक आयत है। इति सिद्धम्
प्रश्न 3.
दर्शाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करें तो वह एक समचतुर्भुज होता है।
हल:
दिया है: एक चतुर्भुज जिसके विकर्ण AC और BD परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं, अर्थात्
AO = CO एवं BO = DO …..(1)
और ∠AOB = ∠ BOC = ∠COD = ∠DOA = 90° …(2)
∆AOB और ∆AOD में,
चूँकि BO = DO [समीकरण (1) से]
∠AOB = ∠DOA [समीकरण (2) से]
एवं AO = AO (उभयनिष्ठ है)
⇒ ∆AOB ≅ ∆AOD (SAS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ AB = AD (CPCT)
अब ∆AOD और ∆COB में,
चूँकि AO = CO [समीकरण (1) से]
⇒ ∆AOD ≅ ∆COB [समीकरण (2) से]
एवं DO = BO [समीकरण (1) से]
⇒ ∆AOD ≅ ∆COB (SAS प्रमेय से)
⇒ AD = BC (CPCT)
एवं ∠ADO = ∠CBO (CPCT)
AD || BC (एकान्तर कोण ∠ADO = ∠CBO)
इसलिए ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। (क्योंकि रेखा युग्म AD, BC बराबर और समान्तर हैं)
AB = BC = CD = DA (∵ AB = CD, DA = BC एवं AB = DA)
अतः ABCD एक सम चतुर्भुज है। इति सिद्धम्
प्रश्न 4.
दर्शाइए कि एक वर्ग के विकर्ण बराबर होते हैं और परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
हल:
चित्र 8.3
दिया है : एक वर्ग ABCD जिसके विकर्ण AC एवं BD परस्पर O बिन्दु पर प्रतिच्छेद करते हैं।
अब ∆ABC एवं ∆DCB में,
चूँकि AB = DC (वर्ग की भुजाएँ हैं)।
∠ABC = ∆DCB = 90° (वर्ग के कोण हैं)
एवं BC = BC (उभयनिष्ठ है)
⇒ ∆ABC ≅ ∆DCB (SAS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ AC = BD (CPCT)
अतः वर्ग के विकर्ण बराबर होते हैं।
इति सिद्धम् चूँकि वर्ग एक समान्तर चतुर्भुज है, इसलिए उसके विकर्ण AC एवं BD परस्पर O बिन्दु पर समद्विभाजित करेंगे।
अर्थात् AO = CO एवं BO = DO …(1)
अब, ∆ABO और ∆ADO में, AB = AD (वर्ग की भुजाएँ हैं)
BO = DO [समीकरण (1) से]
एवं AO = AO (उभयनिष्ठ है)
⇒ ∆ABO ≅ ∆ADO (SSS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ ∠AOB = ∠AOD (CPCT)
लेकिन ∠AOB + ∠AOD = 180° (रेखाखण्ड BD बिन्दु 0 पर एक ही ओर बने कोण हैं)
⇒∠AOB = ∠AOD = 90°
अतः वर्ग के विकर्ण परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं। इति सिद्धम्
प्रश्न 5.
दर्शाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों और परस्पर लम्बवत् समद्विभाजित करें तो वह एक वर्ग होगा।
चित्र 8.4
हल:
दिया है : ABCD चतुर्भुज के विकर्ण AC और BD परस्पर बिन्दु O पर लम्ब समद्विभाजित करते हैं तथा परस्पर बराबर हैं अर्थात्
AO = CO, BO = DO,
∠AOB = ∠ BOC = ∠COD = ∠DOA = 90°
एवं विकर्ण AC = BD
अब ∆AOD और ∆COB में,
चूँकि AO = CO (दिया है)
∠DOA = ∠BOC = 90° (दिया है)
एवं DO = BO (दिया है)
⇒ ∆AOD ≅ ∆COB (SAS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ AD = BC (CPCT)
⇒ ∠ADO = ∠OBC (CPCT)
⇒ AD || BC (∠ADO एवं ∠OBC एकान्तर कोण हैं)
⇒ □ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। (चूँकि AD = BC एवं AD || BC)
AB = CD एवं BC = DA (सम्मुख भुजाएँ हैं) …(1)
अब ∆AOB और ∆AOD में,
चूँकि BO = DO (दिया है)
∠AOB = ∠AOD = 90° (दिया है)
एवं AO = AO (उभयनिष्ठ है)
⇒ ∆AOB ≅ ∆AOD (CPCT) (SAS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ AB = DA …(2)
⇒ AB = BC = CD = DA [समीकरण (1) एवं (2) से]
इसलिए ABCD एक समचतुर्भुज है।
अब ∆ABC एवं ∆DCB में,
चूँकि AB = DC (समान्तर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ हैं)
AC = DB (दिया है)
एवं BC = BC (उभयनिष्ठ है)
∆ABC ≅ ∆DCB (SSS सर्वांगसमता प्रमेय)
∠ABC = ∠DCB (CPCT)
∠ABC = ∠CDA
एवं ∠DAB = ∠ BCD (समान्तर □ के सम्मुख कोण हैं)
∠ABC = ∠BCD = ∠CDA = ∠ DAB
लेकिन ∠ABC + ∠BCD + ∠CDA + ∠DAB = 360° (चतुर्भुज के अन्तः कोण)
= ∠ABC = ∠BCD = ∠CDA = ∠DAB = 90°
अत: ABCD एक वर्ग है। (परिभाषा से) इति सिद्धम्
प्रश्न 6.
संलग्न चित्र में समान्तर चतुर्भुज ABCD का विकर्ण AC कोण A को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि
(i) यह LC को भी समद्विभाजित करता है।
(ii) ABCD एक समचतुर्भुज है।
चित्र 8.4
हल:
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज दिया है जिसका विकर्ण AC ∠A का समद्विभाजक है अर्थात्
∠DAC = ∠ BAC …(1)
एवं DC || AB एवं AD || BC (समान्तर – की सम्मुख भुजाएँ हैं)
(i) चूँकि DC || AB को तिर्यक रेखा AC प्रतिच्छेद करती है।
⇒ ∠DCA = ∠BAC (एकान्तर कोण है।) …(2)
चूँकि AD || BC को AC तिर्यक रेखा प्रतिच्छेद करती है
⇒ ∠DAC = ∠ BCA (एकान्तर कोण है) …(3)
⇒ ∠DCA = ∠BCA [समीकरण (1), (2) एवं (3) से]
अतः विकर्ण AC कोण LC को भी समद्विभाजित करता है। । इति सिद्धम्
(ii) ∆DAC में, ∠DAC = ∠DCA (∠A = ∠C के अर्द्धक हैं)
⇒ DA = CD (बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ हैं)…(4)
चूँकि AB = CD एवं DA = BC (समान्तर □ की सम्मुख भुजाएँ हैं) …(5)
⇒ AB = BC = CD = DA [समीकरण (4) और (5) से]
अतः चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है। इति सिद्धम्
प्रश्न 7.
ABCD एक समचतुर्भुज है। दर्शाइए कि विकर्ण AC कोणों A और C दोनों को समद्विभाजित करता है तथा विकर्ण BD कोणों B और D दोनों को समद्विभाजित करता है।
हल:
चित्र 8.6
दिया है : ABCD एक समचतुर्भुज जिसमें AC एवं BD विकर्ण एक-दूसरे को बिन्दु 0 पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं,
AB = BC = CD = DA …(1)
AO = OC, BO = OD …(2)
∆AOB और ∆AOD में,
चूँकि AB = AD [समीकरण (1) से।]
BO = OD [समीकरण (2) से]
एवं AO = AO (उभयनिष्ठ है)
⇒ ∆AOB ≅ ∆AOD (SSS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ ∠BAO = ∠DAO (CPCT)
∆COB और ∆COD में,
चूँकि CB = CD [समीकरण (1) से]
BO = OD [समीकरण (2) से]
एवं CO = CO (उभयनिष्ठ है)
⇒ ∆COB ≅ ∆COD (SSS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ ∠BCO = ∠ DCO (CPCT)
अत: AC विकर्ण ∠A और LC दोनों को समद्विभाजित करता है। इति सिद्धम्
अब ∆BOA और ∆BOC में,
चूँकि BA = BC [समीकरण (1) से]
AO = OC [समीकरण (2) से]
एवं BO = BO (उभयनिष्ठ है)
⇒ ∆BOA ≅ ∆BOC (SSS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ ∠ABO = ∠CBO. (CPCT)
∆DOA और ∆DOC में,
चूँकि DA = DC [समीकरण (1) से]
AO = OC [समीकरण (2) से ]
एवं DO = DO (उभयनिष्ठ है)
⇒ ∆DOA = ∆DOC (SSS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ ∠ADO = ∠CDO (CPCT)
अतः विकर्ण BD, LB और CD दोनों को समद्विभाजित करता है। इति सिद्धम्
प्रश्न 8.
ABCD एक आयत है जिसके विकर्ण AC दोनों कोणों A और C को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि-
(i) ABCD एक वर्ग है।
(ii) विकर्ण BD दोनों कोणों B और D को समद्विभाजित करता है।
चित्र 8.7
हल:
(i) ABCD एक आयत है जिसका विकर्ण AC दोनों कोणों A और C को समद्विभाजित करता है।
अब ∆ABC एवं ∆ADC में,
चूँकि ∠BAC = ∠DAC (∠A के आधे हैं)
AC = AC (उभयनिष्ठ है)
एवं ∠ACB = ∠ACD (∠C के आधे हैं)
⇒ ∆ABC ≅ ∆ADC (ASA सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ AB = AD (CPCT) …(1)
AB = CD एवं AD = BC ( आयत की सम्मुख भुजाएँ हैं)…(2)
AB = BC = CD = DA [समीकरण (1) और (2) से]
अत: ABCD एक वर्ग है। (आयत जिसकी भुजाएँ बराबर हों वर्ग होता है।) इति सिद्धम्
(ii) मान लीजिए कि विकर्ण AC एवं BD परस्पर O बिन्दु पर प्रतिच्छेद करते हैं।
∆AOB और ∆COB में,
चूँकि AB = BC (वर्ग की भुजाएँ हैं)
चूँकि AO = CO (वर्ग के विकर्ण परस्पर समद्विभाजित करते हैं)
चूँकि BO = BO (उभयनिष्ठ है)
⇒ ∆AOB ≅ ∆COB (SSS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ ∠ABO = ∠CBO (CPCT)
अब ∆AOD और ∆COD में,
चूँकि AD = CD (वर्ग की भुजाएँ हैं)
AO = CO (वर्ग के विकर्ण परस्पर समद्विभाजित करते हैं)
चूँकि DO = DO (उभयनिष्ठ है)
⇒ ∆AOD ≅ ∆COD (SSS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ ∠ADO ≅ ∠CDO (CPCT)
अतः विकर्ण BD दोनों कोणों B और D को समद्विभाजित करता है। इति सिद्धम्
प्रश्न 9.
समान्तर चतुर्भुज ABCD के विकर्ण BD पर दो बिन्दु P और Q इस प्रकार स्थित है कि DP = BQ है (देखिए संलग्न चित्र)। दर्शाइए कि-
(i) ∆APD ≅ ∆CQB
(ii) AP= CQ
(iii) ∆AQB ≅ ∆CPD
(iv) AQ = CP
(v) APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
चित्र 8.8
हल:
(i) ∆APD और ∆COB में,
चूँकि AD = CB (समान्तर – की सम्मुख भुजाएँ हैं)
DP = BQ (दिया है)
एवं ∠ADP = ∠CBQ (एकान्तर कोण हैं)
अतः ∆APD ≅ ∆CQB. (SAS सर्वांगसमता प्रमेय) इति सिद्धम्
(ii) चूँकि ∆APD ≅ ∆CQB (सिद्ध कर चुके हैं)
अतः AP = CQ. (CPCT) इति सिद्धम्
(iii) ∆AQB और ∆CPD में,
AB = CD (समान्तर □ की सम्मुख भुजाएँ हैं)
BQ = PD (दिया है)
∠ABQ = ∠ CDP (एकान्तर कोण है)
अतः ∆AQB ≅ ∆CPD. (SAS सर्वांगसमता प्रमेय) इति सिद्धम्
(iv) चूंकि ∆AQB ≅ ∆CPD (सिद्ध कर चुके हैं)
अतः AQ = CP. (CPCT) इति सिद्धम्
(v) चूँकि AP = CQ [भाग (ii) में सिद्ध कर चुके हैं।]
चूँकि AQ = CP [भाग (iv) में सिद्ध कर चुके हैं।]
अतः चतुर्भुज ∆PCQ एक समान्तर चतुर्भुज है। (चूँकि सम्मुख भुजाएँ समान हैं) इति सिद्धम्
प्रश्न 10.
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है तथा AP और CQ शीर्ष A और C से विकर्ण BD पर क्रमशः डाले गए लम्ब हैं देखिए संलग्न चित्र। दर्शाइए कि-
(i) ∆APB ≅ ∆COD
(ii) AP = CP.
चित्र 8.9
हल:
(i) ∆APB और ∆COD में,
चूँकि DC = AB (समान्तर □ की सम्मुख भुजाएँ हैं)
∠CDQ = ∠ABP (एकान्तर कोण है)
∠APB = ∠CQD = 90° (AP ⊥ DB एवं CQ ⊥ DB)
अतः ∆APB ≅ ∆CQD. (SAA सर्वांगसमता प्रमेय) इति सिद्धम्
(ii) चूँकि ∆APB ≅ ∆COD (सिद्ध कर चुके हैं)
अतः AP = CQ. (CPCT) इति सिद्धम्
प्रश्न 11.
∆ABC और ∆DEF में, AB = DE, AB || DE, BC = EF और BC || EF है। शीर्ष A, B और C को क्रमशः शीर्ष D, E और F से जोड़ा जाता है (देखिए संलग्न चित्र)। दर्शाइए कि –
चित्र 8.10
(i) चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
(ii) चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है।
(iii) AD || CF और AD = CE
(iv) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
(v) AC = DF है।
(vi) ∆ABC ≅ ∆DEF है।
हल:
(i) चूंकि AB = DE एवं AB || DE (दिया है)
अत: ABED एक समान्तर चतुर्भुज है। इति सिद्धम्
(ii) चूँकि BC = EF एवं BC || EF (दिया है)
अतः BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है। इति सिद्धम्
(iii) चूँकि AD = BE एवं AD || BE (समान्तर □ABED की सम्मुख भुजाएँ हैं) …(1)
CF = BE एवं CF || BE (समान्तर □ BEFC की सम्मुख भुजाएँ हैं)…(2)
अत: AD = CF एवं AD || CE [समीकरण (1) एवं (2) से] । इति सिद्धम्
(iv) चूँकि AD = CF एवं AD || CF (सिद्ध कर चुके हैं)
अत: ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है। इति सिद्धम्
(v) चूँकि चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है (सिद्ध कर चुके हैं)
अत: AC = DE (समान्तर चतुर्भुज की सम्मुख भुजा हैं) इति सिद्धम्
(vi) ∆ABC और ∆DEF में,
चूँकि AB = DE (समान्तर □ABED की सम्मुख भुजाएँ हैं)
AC = DF (समान्तर □ACFD की सम्मुख भुजाएँ हैं)
BC = EF (समान्तर □CBEF की सम्मुख भुजाएँ हैं)
अत: ∆ABC ≅ ∆DEE (SSS सर्वांगसम प्रमेय) इति सिद्धम्
प्रश्न 12.
संलग्न आकृति में ABCD एक समलम्ब है जिसमें AB || DC और AD = BC है। दर्शाइए कि
(i) ∠A = ∠B.
(ii) ∠C = ∠D.
(iii) ∆ABC ≅ ∆BAD.
(iv) विकर्ण AC = विकर्ण BD है।
चित्र 8.11
हल:
दिया है : ABCD एक समलम्ब चतुर्भुज जिसमें AB || DC और AD = BC है। विकर्ण AC और BD को मिलाया गया है।
रचना : AB को आगे बढ़ाइए और C से होकर CE || DA खींचिए जो AB को E पर प्रतिच्छेद करती है।
(i) AD = BC (दिया है) तथा AD = EC (रचना से)
⇒ BC = EC (एक वस्तु के बराबर वस्तुएँ बराबर होती हैं)
⇒ ∠CBE = ∠CEB (त्रिभुज की बराबर भुजाओं के सम्मुख कोण हैं)
चूँकि ∠ABC + ∠ CBE = 180° (रेखा AE के बिन्दु B पर एक ओर बने कोण है)…(1)
चूँकि AD || EC को AE तिर्यक रेखा मिलती है।
⇒ ∠DAE + ∠CEB = 180° (एक ही ओर के अन्तः कोण हैं)
⇒ ∠DAE + ∠CBE = 180° (∵ ∠CEB = ∠CBE) …(2)
∠DAE = ∠ABC [समीकरण (1) और (2) से]
∠A = ∠B. इति सिद्धम्
(ii) चूँकि ∠A + ∠D = 180° (AB || DC, AD तिर्यक रेखा है) …(3)
∠B + ∠C = 180° (AB || DC, BC तिर्यक रेखा है) …(4)
∠A + ∠D = ∠B + ∠C [समीकरण (3) और (4) से]
अतः ∠C = ∠D. (क्योंकि ∠A = ∠B सिद्ध कर चुके हैं) इति सिद्धम्
(iii) ∆ABC और ∆BAD में,
चूँकि BC = AD (दिया है)
∠B = ∠A (सिद्ध कर चुके हैं)
एवं AB = AB (उभयनिष्ठ है)
अतः ∆ABC ≅ ∆BAD. (SAS सर्वांगसमता नियम) इति सिद्धम्
(iv) चूँकि AABC ≅ A BAD (सिद्ध कर चुके हैं)
अतः विकर्ण AC = विकर्ण BD है। (CPCT) इति सिद्धम्