MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 17 तीर्थ-यात्रा

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 17 तीर्थ-यात्रा

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 17 प्रश्न-अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. (क) सही जोड़ी बनाइए
1. समाचार – (क) चहकना
2. मुख – (ख) तीर्थ स्थल
3. बुलबुल – (ग) मंडल
4. हरिद्वार – (घ) पत्र
उत्तर
1. (घ), 2. (ग), 3. (क), 4. (ख)

तीर्थ यात्रा कहानी का सारांश MP Board Class 6th Hindi प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. लाजवंती का……हृदय कांप गया। (नारी/कोमल)
2. वैवजी बैठे एक पुराना……सामाचार पत्र पढ़ रहे थे। (मासिक/सप्ताहिक)
3. मंदिरों को देखकर हृदय……..की तरह खिल जाएगा। (कमल/कली)
4. जो सुख त्याग में है वह……..में कहाँ ? (ग्रहण/वरण)
उत्तर
1. नारी
2. साप्ताहिक
3. कमल
4. ग्रहण।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 17 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए

(क) मियादी बुखार किसे कहते हैं?
उत्तर
जो बुखार अपनी मियाद पूरी करके उतरता है, उसे मियादी बुखार कहते हैं।

(ख) ‘लुकमान’ शब्द का प्रयोग लेखक ने किसके लिए किया है?
उत्तर
‘लुकमान’ शब्द का प्रयोग लेखक ने वैद्य दुर्गादास के लिए किया है।

(ग) लाजवंती तीर्थयात्रा के लिए कहाँ-कहाँ जा रही थी?
उत्तर
लाजवंती तीर्थयात्रा के लिए हरिद्वार, मथुरा और वृंदावन जा रही थी।

(घ) लाजवंती क्यों अधीर हो रही थी?
उत्तर
लाजवंती तीर्थयात्रा के लिए अधीर हो रही थी।

(ङ) रामलाल ने अपनी दौलत किसे कहा है?
उत्तर
रामलाम ने अपने पुत्र हेमराज को अपनी दौलत कहा है।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 17 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्यों में दें

(क) लाजवंती के पैरों के नीचे से धरती खिसकती सी क्यों लगी?
उत्तर
लाजवंती हेमराज के सिर के दर्द की बात सुनकर पवरा गयी थी। उसे याद आया कि इसी मौसम । में उसका पहला पत्र मदन भी ऐसे ही बीमार होकर चल | बसा था। यही कारण था कि उसे पैरों के नीचे से धरती खिसकती सी लगी।

(ख) लाजवंती मंदिर क्यों गई?
उत्तर
लाजवंती का बेटा हेमराज बहुत बीमार था। उसके ठीक होने की आशा न थी। लाजवंती उसके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करने देवी माँ के मंदिर गई।

(ग) ‘त्याग करने में ही सुख है’। इस पंक्ति का क्या आशय है?
उत्तर
इसका आशय यह है कि त्याग में किसी की सहायता करने या किसी को कुछ देने का आनंद छिपा होता है। यह खुशी किसी से कुछ लेने पर नहीं मिलती। वास्तव में त्याग मनुष्य को आत्मिक संतुष्टि प्रदान करता है।

(घ) लेखक ने रुपये को हाथ का मैल क्यों कहा है?
उत्तर
रुपया कभी एक जगह नहीं टिकता । वह इधर से आता है उधर चला जाता है। इसलिए लेखक ने रुपए को हाथ का मैल कहा है।

(ङ) लाजवंती तीर्थ यात्रा पर क्यों नहीं जा सकी?
उत्तर
तीर्थयात्रा पर जाने से पूर्व लाजवंती को पता चला कि उसकी पड़ोसन हरो के पास बेटी के ब्याह के लिए पैसे नहीं हैं। उसने तीर्थयात्रा के लिए जमा पैसे हरो को दे दिए। यही कारण था कि वह तीर्थयात्रा पर नहीं जा सकी।

भाषा की बात

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
परीक्षा, सहानुभूति, दिव्य-शक्ति, परिश्रम
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए
सप्हीक, परिकमा, समुद, प्रसननता
उत्तर
साप्ताहिक, परिक्रमा, समुद्र, प्रसन्नता

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक-एक शब्द लिखिए
सप्ताह में एक दिन प्रकाशित विद्या अध्ययन करने वाला आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा करने वाला पड़ोस में रहने वाली
उत्तर
साप्ताहिक, विद्यार्थी, वैद्य, पड़ोसन

प्रश्न 7.
निम्नलिखित गयांश को पढ़कर रेखांकित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
वह दौड़ती हुई अपने घर के अंदर गई और संदूक में से दो सौ रुपए लाकर हरो के सामने ढेर कर दिए। यह रुपए जमा करते समय वह प्रसन्न हुई थी, पर उसे देते समय उससे भी अधिक प्रसन्नता हुई। जो सुख त्याग में है वह ग्रहण में कहाँ?
उत्तर
शब्द – विलोम
अपने – पराए
अन्दर – बाहर
प्रसन्न – उदास
अधिक – कम
सुख – दुख
त्याग – ग्रहण

प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों को पढ़कर रेखांकित शब्दों से मूल शब्द और प्रत्यय अलग कर लिखिए
उस गाड़ीवान का बचपन बहुत ही अभाव से बीता। वह बहुत अच्छा कलाकार था। उसकी यह अच्छाई थी कि वह स्वभाव से बहुत नर्म था। उसने पढ़ाई, लिखाई नहीं की थी; किंतु वह बहुत अच्छे फूलदान बनाता था।
उत्तर
MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 17 तीर्थ-यात्रा 1

प्रश्न 9.
निम्नलिखित गद्यांश में विराम चिन्ह लगे हैं, उन चिहनों को पहचान उनका नाम लिखिए
रामलाल ने तीर्थ यात्रा के खर्च का अनुमान किया, तो हदय बैठ गया। परंतु पुत्र-स्नेह ने इस चिंता को देर तक ठहरने न दिया-“अच्छा किया! रुपए का क्या है, हाथ का मैल है, आता है, चला जाता है। परमेश्वर ने एक लाल दिया है, वह जीता रहे। यही हमारी दौलत है।” लाजवंती ने स्वामी को सुला दिया और आप रात भर जागती रही। लाजवंती ने पुत्र हेम के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा-“क्या से क्या हो गया है?”
उत्तर
MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 17 तीर्थ-यात्रा 2

प्रश्न 10.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए
आँसू, पैर, हाथ, धीरज, आग, मुँह, नाव, जेठ।
उत्तर
सत्सम-अश्रु, पाद, हस्त, धैर्य, अग्नि, मुख, नौका, ज्येष्ठ

प्रश्न 11.
निम्नलिखित शब्ज़े में प्रयुक्त उपसर्ग और मूलशब्द लिखिए
परिश्रम, अनुभव, अनुमान, अभिमान, सफल, प्रभाव, सुगंध, अपमान।
उत्तर
MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 17 तीर्थ-यात्रा 3

तीर्थ-यात्रा प्रसंग सहित व्याख्या

1. लाजवंती मंदिर पहुँची और देवी के सामने गिर कर देर तक रोती रही। जब थककर उसने सिर उटाया तो उसका मुख-मंडल शांत था, जैसे तुफान शांत हो आता है। उसको ऐसा मालूम हुआ, जैसे कोई दिव्य-शक्ति उसके कान में कह रही है तूने आँसू बहा कर देवी के पाषाण हृदय को मोम कर दिया है। लाजवंती ने देवी की आरती उतारी, फूल चढ़ाए, मंदिर की परिक्रमा की और प्रेम के बोझ से काँपते हुए स्वर से मानता मानी-“देवी माता! मेरा हम बच जाए तो मैं तीर्थ यात्रा करूंगी।”

शब्दार्थ-पाषाण = पत्थर।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित कथा ‘यात्रा’ से ली गई हैं। इसके लेखक ‘सुदर्शन’ हैं। इन पंक्तियों में पत्र की चिंता में व्याकुल एक माँ की मनोदशा का वर्णन है।

व्याख्या-लाजवंती अपने पुत्र का बुखार उतरता न देख कर घबरा जाती है और देवी माँ के मंदिर में सिर झुकाकर देर तक रोती है। हृदय का सारा बुखार निकल जाने पर उसका मन शांत होता है और उसे ऐसा लगता है जैसे देवी माँ उसके आँसुओं से पिघल गई हैं। वह देवी माँ की अर्चना करती है और हृदय से यह प्रार्थना करती है कि अगर उसका पुत्र ठीक हो गया, तो वह तीर्थयात्रा करेगी।

विशेष

  • ईश्वर में आस्था को दर्शाया गया है।
  • माँ का पुत्र के प्रति प्रेम भी प्रदर्शित हुआ है।

2. मैं तुम्हें दूसरी सावित्री समझता हूँ उसने मरे हुए पति को जिलाया था तुमने पुत्र को मृत्यु के मुंह से निकाला है। तुम यदि दिन-रात एक न करती तो हेम का बचना असंभव था। यह सब तुम्हारी मेहनत का फल है। बच्चा बचा नहीं है, दूसरी वार पैदा हुआ है।

शब्दार्य-असंभव = जो संभव न हो। दिन रात एक करना = बहुत मेहनत करना। फल=परिणाम।

प्रसंग-पूर्ववत्

व्याख्या-वैद्य जी कहते हैं कि हेमराज लाजवंती की मेहनत के कारण ही बच गया है। वह उसकी तुलना सावित्री से करते हैं, जिसने अपने मृत पति को जिला लिया था। वे रहते हैं कि लाजवंती ने ही अपने पुत्र को नया जीवन दिया है।

विशेष

  • माँ की महिमा का पता चलता है।
  • स्त्री के दो महत्त्वपूर्ण रूपों की शक्ति पर प्रकाश डाला गया है।

MP Board Class 6th Hindi Solutions

MP Board Class 6th Special English Solutions Chapter 5 Sultan Saladin and The Jewish Merchant

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MP Board Class 6th Special English Solutions Chapter 5 Sultan Saladin and The Jewish Merchant

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Sultan Saladin and The Jewish Merchant Text Book Exercise

Word Power

(a) Correct the spelling of the following words if required.
Chapter Ki Spelling MP Board Class 6th
Answer:
Class 6 English Chapter 5 Question Answer MP Board

(b) Look at these words:

see – sight
thing – thought
The words on the left are verbs and those on the right are their noun forms. Give the noun forms of the verbs given in the box.
(follow, grow, act, die, settle, accuse, repay)
Answer:
Jews Meaning In Hindi MP Board Class 6th

Comprehension

(a) Sequence the statements given below in the order they appear in the story:

1. Saladin did not wish to use force without some excuse.
2. The Jew was so miserly that he would never lend money willingly.
3. He thought to trap the Jew through a trick.
4. Sultan Saladin was in need of a large sum of money.
5. He asked the Jew a tricky question.
6. Melchisedech was a Jew who had plenty of money.
7. The Jew gladly lent Saladin all the money he needed.
8. The Jew avoided the trap through wisdom and intelligence.
9. Saladin asked the Jew for his help.
Answer:
4. Sultan Saladin was in need of a large sum of money.
6. Melchisedech was a Jew who had plenty of money.
2. The Jew was so miserly that he would never lend money willingly.
1. Saladin did not wish to use force without some excuse.
3. He thought to trap the Jew through a trick.
5. He asked the Jew a tricky question.
8. The Jew avoided the trap through wisdom and intelligence.
9. Saladin asked the Jew for his help.
7. The Jew gladly lent Saladin all the money he needed.

(b) Answer these questions:

Mp Board Class 6 English Chapter 5 Question 1.
Why did Saladin think of a trick to get some money from the Jew?
Answer:
The Jew was a miser. He would never lend a big amount of money willingly. The Sultan needed the money badly. But he had no reason to use force. Therefore, Saladin had to think of tricks to get the money from the Jew.

Sultan Saladin And The Jewish Merchant MP Board Class 6th Question 2.
What did Saladin want the Jew to tell him?
Answer:
Saladin wanted the Jew to tell him which of the three religions: Judaism, Islam and Christianity, was the true and the best one.

Class 6 English Chapter 5 Mp Board Question 3.
How did the rich man decide to honour the ring?
Answer:
The rich man decided to honour his ring. He told his sons that when he would be dying, he would give the ring to the worthiest of his sons. This son would inherit the family property and become the head of the family after the death of his father.

Class 6 English Chapter 5 Sultan Saladin And The Jewish Merchant MP Board Question 4.
Into whose hands did the ring come in the end?
Answer:
In the end, the ring came into the hands of a man who had three equally worthy sons.

Class 6 English Chapter 5 MP Board Question 5.
What did the man do to please all three of his sons?
Answer:
The man got two other exactly similar rings prepared and secretly gave a ring to each of his sons. In this way he pleased all three of his sons.

Chapter Ki Spelling MP Board Class 6th Question 6.
Why was it not possible to settle the question of inheritence?
Answer:
The three rings given to the three young men by their father, were exactly similar. None of them could tell which was the true one. So it was not possible to settle the question of inheritence to the property of the dead man.

Class 6 English Chapter 5 Question Answer MP Board Question 7.
“This question is as difficult to settle as the question of the true ring,” the Jew said at the end of his story. What was the question?
Answer:
“The question was: which of the three religions- Judaism, Islam and Christianity, was the true and the best one.

Jews Meaning In Hindi MP Board Class 6th Question 8.
How did Saladin at last get the money he wanted?
Answer:
Saladin found that the Jew was too clever for him Being a great-hearted man, he left aside all tricks and frankly told the Jew-of his trouble and necessity. The Jew gladly gave him the money and Saladin got all he required.

Grammar in Use

(a) Look at these sentences.

1. Melchisedech was so miserly that he would never lend money willingly.
2. The rings were so similar that the goldsmith himself could not tell which was which.
3. Is he so ill that he could not even write an application for leave?
Each of these sentences can be made by combining a pair of sentences.

Sentence (1)
can be made from:
Melchisedech was very miserly.
He would never lend money willingly.

Sentence (2)
Can be made from:
The rings were very similar.
The goldsmith himself could not tell which was which.

Sentence (3)
can be made from:
Is he very ill?
Can he not even write an application for leave?

Now combine the following pairs of sentences, using so ………….. that.
1. The question was very difficult.
No boy was able to answer it.

2. Their village was far away.
The thieves could not hope to reach it before night.

3. The old woman was very busy.
She did not go out and ask the chief if she could give the pot.

4. Ramanna was very intelligent.
The king made him a judge.

5. The bus was very crowded.
We were unable to get in.

6. The Jew was very clever.
He did not get caught in Saladin’s trap.

7. Is the box very heavy?
Can you not carry it?

8. Were the questions very difficult?
Couldn’t the boys answer them?
Answer:
1. The question was so difficult that no boy answered it.
2. Their village was so far away that the thieves could not reach it before night.
3. The old woman was so busy that she did not go out and ask the chief if she could give the pot.
4. Ramanna was so intelligent that the king made him a judge.
5. The bus was so crowded that we were unable to get in.
6. The Jew was so clever that he did not get caught in Saladin’s trap.
7. The box is so heavy that you cannot carry it.
8. The questions were so difficult that the boys could not answer them.

(b) Look at these sentences:

This box isn’t very heavy.
I can carry it.
Now combine the following pairs of sentences, as shown above.
1. This river is not very deep.
We can cross it on foot.

2. This pen is not very expensive.
I can buy it.

3. That train is not very crowded.
We can travel in it comfortably.

4. These questions are not very difficult.
You can answer them all.

5. He is not very ill.
He can go to school.
Answer:
1. This river is not so deep that we cannot cross it on foot.
2. This pen is not so expensive that I cannot buy it.
3. That train is not so crowded that we cannot travel in it comfortably.
4. These questions are not so difficult that you cannot answer them all.
5. He is not so ill that he cannot go to school.

(c) Study this sentence:

A trap is being laid for me.
The verb in the sentence is in the passive voice.
In the active voice, the sentence will be:
He is laying a trap for me.
Is being laid is the passive of the present continuous form, is laying.
The general form of the present continuous tense in the passive voice is
am/is/are + being + past participle of the verb
Here are some more examples-
6th Class 5th Lesson MP Board

Now fill in the blanks in each of the following sentences with the verbs given putting the verbs in their present continuous tense (passive voice).

  1. Our gate …………. red (paint)
  2. English …………. from Class 3 in some States. (teach)
  3. The textbooks for next year …………. in the Government Press. (print)
  4. A bridge …………… across the river near our town. (build)
  5. Stand up when the National Anthem …………. (sing)
  6. I can’t understand why I ………… by the police. (watch)
  7. Sanskrit …………. in all schools in India. (teach)

Answer:

  1. is being painted
  2. is being taught
  3. are being printed
  4. is being built
  5. is being sung
  6. am being watched
  7. is being taught.

(d) Match each of the sentences in A with a sentence in B.

A
1. The patient has been cured.
2. The thieves have been caught.
3. Your exercises have been corrected.
4. The work in the house has been completed.
5. Our cricket team has been beaten in the first round.

B
1. We are moving in tomorrow.
2. We won’t be playing in the next round.
3. They will be sent to jail.
4. Now, look at your mistakes
5. He can leave the hospital now.
Answer:
1. The patient has been cured. He can leave the hospital now. (1,5)
2. The thieves have been caught. They will be sent to jail. (2,3)
3. Your exercise have been corrected. Now, find your mistakes. (3,4)
4. The work in the house has been completed we are moving in tomorrow. (4,1)
5. Our cricket team has been beaten in the first round. We won’t be playing in the next round. (5,2)

(e) Study these sentences.

The questions have often been asked.
It has never been answered satisfactorily.
The verbs (in italics) are in the passive form of the present perfect tense.
Has been asked is the passive of has asked.
Have been answered is the passive of has answered.
The general form of present perfect tense in the passive voice is :
has/have + been + past participle form of the verb. Here are some more examples.
MP Board Class 6th Special English Solutions Chapter 5 Sultan Saladin and The Jewish Merchant img-5

(f) Now fill in the blanks in each of the following sentences with the verbs given, putting the verbs in their present perfect form (passive).

  1. All the books to the library. (return)
  2. The School Day ………….. for the 30th of this month. (fix)
  3. This poem …………… by our Hindi teacher. (write)
  4. the fees ………….. by everyone? (pay)
  5. It ……….. by some. (pay)
  6. It …………. by others. (not pay)

Answer:

  1. have been returned
  2. has been fixed
  3. has been written
  4. has been paid
  5. has been paid
  6. has not been paid

Let’s Talk

Imagine you are Saladin and you are in need of money. Ask your partner to lend you some money.
Answer:
Do yourself.

Let’s Write

Write the story of the True Ring. What lesson does it teach?
Answer:
A rich man had a very beautiful ring. It was declared that before he died, he would pass the ring on to the worthiest of his sons. The son who received the ring, would inherit his property and be the head of the family after his death.

In this way, the ring passed from father to son through several hundred years. At last it came into the hands of a man who had three sons. The man loved his sons equally as all the three were equally wise and worthy. He promised the ring to each of them. So he got two other rings made. The three rings were alike. When the man was dying, he secretly gave each of the sons a ring. So after his death each claimed the inheritance. In order to prove their claim, each showed a ring. Everyone found the rings so similar that no one could tell which was the true ring. So the question of inheritance could not be solved. It is clear from this story that all the religions are true and equal.

Sultan Saladin and The Jewish Merchant Word Meanings 

MP Board Class 6th Special English Solutions Chapter 5 Sultan Saladin and The Jewish Merchant img-6

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MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 16 भोजस्य शिक्षाप्रियता

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 16 भोजस्य शिक्षाप्रियता

MP Board Class 6th Sanskrit Chapter 16 अभ्यासः

Class 6 Sanskrit Chapter 16 MP Board प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)-
(क) धारानगर्याः नृपति कः आसीत्? (धारा नगरी का राजा कौन था?)
उत्तर:
राजा भोजः

(ख) धारानगरी कुत्र अस्ति? (धारा नगरी कहाँ है?)
उत्तर:
मध्यप्रदेशस्य मालव क्षेत्रे

(ग) विप्रस्य हस्ते किम् आसीत्? (ब्राह्मण के हाथ में क्या था?)
उत्तर:
चर्मपात्रं।

Sanskrit Class 6 Chapter 16 MP Board प्रश्न 2.
एक वाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) भोजस्य नाम केन कारणेन प्रसिद्धम्? (भोज का नाम किस कारण से प्रसिद्ध है?)
उत्तर:
भोजस्य नाम शिक्षाप्रियता कारणेन प्रसिद्धम्। (भोज का नाम शिक्षाप्रियता के कारण प्रसिद्ध है।)

(ख) विप्रम् अति दरिद्रं ज्ञात्वा राजा किम् अपृच्छत्? (ब्राह्मण को अति दरिद्र जानकर राजा ने क्या पूछा?)
उत्तर:
विप्रम् अति दरिद्रं ज्ञात्वा राजा अपृच्छत् “विप्र! चर्मपात्रं किमर्थं हस्ते वहसि?” (ब्राह्मण को अति दरिद्र जानकर राजा ने पूछा, हे ब्राह्मण! चर्मपात्र को हाथ में किसलिए ढो रहे हो (लिए हुए हो)?

Class 6th Sanskrit Chapter 16 MP Board प्रश्न 3.
उच्चरयत (उच्चारण करो)
भू + क्त्वा = भूत्वा = होकर।
ज्ञा + क्त्वा = ज्ञात्वा = जानकर।
कृ+ क्त्वा = कृत्वा = करके।
श्रु + क्तवा = श्रुत्वा = सुनकर।
सम् + भू + ल्यप् = सम्भूय = होकर।
वि + ज्ञा + ल्यप् = विज्ञाय = जानकर।
आ + गम् + ल्यप् = आगत्य = आकर।

Sanskrit Chapter 16 Class 6 MP Board प्रश्न 4.
कोष्ठकात् उचितानि पदानि चित्वा रिक्त स्थानानि पूरयत (कोष्ठक से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों – को पूरा करो)
(क) शिक्षितानां सम्मानं ………….. भोजः प्रसिद्धः अभवत्। (दृष्ट्वा /कृत्वा)
(ख) राजा प्रसन्नो ………… तस्मै पुरस्कारं अयच्छत्। (भूत्वा/ज्ञात्वा)
(ग) लौहशृङ्खलायाः आवश्यकता ……….. कृते अस्ति। (शत्रूणां मूर्खाणां)
उत्तर:
(क) कृत्वा
(ख) भूत्वा
(ग) शत्रूणाम्।।

Mp Board Solution Class 6 Sanskrit प्रश्न 5.
पर्यायमेलनं कुरुत (पर्यायवाची शब्दों को मिलाइये)
Chapter 16 Sanskrit Class 6 MP Board
उत्तर:
(क) → 3
(ख) → 4
(ग) → 5
(घ) → 2
(ङ) → 1

योग्यताविस्तारः

1. पदानां विभक्तिं वचनं च लिखत (शब्दों की विभक्ति और वचन लिखो)
(क) शिक्षिताः
(ख) जनाः
(ग) मार्गे
(घ) भोज
(ङ) प्रदेशस्य
(च) कवये।
उत्तर:
Class 6 Chapter 16 Sanskrit MP Board

2. ‘कवि’ शब्दस्य रूपाणि लिखत। (कवि शब्द के रूप लिखो)
उत्तर:
‘कवि’ शब्द के रूप
Mp Board Solution Class 6th Sanskrit

भोजस्य शिक्षाप्रियता हिन्दी अनुवाद

अस्ति मध्यप्रदेशस्य मालवक्षेत्रे धारा नाम नगरी। पुरा अस्याः नगर्याः शासकः नृपतिः भोजः आसीत्। नृपतेः आदेश: आसीत् यत्-

“विप्रोऽपि यो भवेन्मूर्खः, सः पुराद् बहिरस्तु मे।
कुम्भकारोऽपि यो विद्वान् स तिष्ठतु पुरे मम॥”

भोजस्य शिक्षाप्रियताकारणेन शिक्षिताः जनां एव धारानगर्यां वसन्ति स्म। एकदा उद्यानमार्गे विहरन् भोजः कमपि विप्रम् अपश्यत्। तस्य हस्ते चर्ममयं कमण्डलुं दृष्ट्वा तं च अतिदरिद्रं ज्ञात्वा राजा अपृच्छत्-“विप्र ! चर्मपात्रं किमर्थं हस्ते वहसि?” सः च विप्रः मुखशोभया विनम्रप्रश्नेन च तं भोजं मत्वा प्रणम्य अकथयत्-“देव! सम्प्रति लौहस्य ताम्रस्य च अभावः जातः। अत: चर्ममयं पात्रं वहामि।”

Class 6 Sanskrit Chapter 16 Solution MP Board अनुवाद :
मध्यप्रदेश के मालव क्षेत्र में धारा नामक नगर है। प्राचीनकाल में इस नगरी का शासक राजा भोज था। राजा का आदेश था कि-“जो ब्राह्मण यदि मूर्ख है, तो वह मेरे इस नगर से बाहर निकल जाये। यदि कुम्हार जो विद्वान है, वह मेरे नगर में ठहरे।”

भोज के शिक्षा-प्रेम के कारण शिक्षित लोग ही धारानगरी में रहा करते थे। एक दिन उद्यान मार्ग पर विहार करते हुए (राजा) भोज ने किसी ब्राह्मण को देख लिया। उसके हाथ में चमड़े के कमण्डल को देखकर और उसे बहुत ही दरिद्र समझकर (जानकर) राजा ने पूछा-हे ब्राह्मण! चमड़े के इस पात्र को व्यर्थ ही क्यों ढो रहे हो। और वह ब्राह्मण मुख शोभा और विनम्र प्रश्न से उसे राजा भोज मानकर प्रणाम करते हुए कहा- “हे देव! अब लोहे और ताँबे का अभाव हो गया है, इसलिए चमड़े का बर्तन ढो रहा हूँ।”

भोजः पुनः अपृच्छत्-“विप्र। कथं लौह-ताम्रयोः अभावः?” तदा विप्रः पद्यं पठति-

“अस्य श्रीभोजराजस्य, द्वयमेव सुदुर्लभम्।
शत्रूणां श्रङ्खलैः लौहं, तानं शासनपत्रकैः॥”

राजा प्रसन्नो भूत्वा तस्मै कवये ताम्रप्रशस्तिपत्रं धनराशि च पुरस्काररूपेण अयच्छत्। शिक्षितानां सम्मानकारणेन भोजस्य नाम अद्यापि भारते प्रसिद्धम्।

Sanskrit Chapter 16 MP Board अनुवाद :
भोज ने फिर पूछा- “हे ब्राह्मण! लोहे और ताँबे का अभाव क्यों है?” तब ब्राह्मण ने इस पद्य को पढ़ा

“इस राजा भोज के राज्य में दो ही वस्तु बहुत दुर्लभ हैं। शत्रुओं के लिए जंजीरों के कारण लोहा तथा शासन पत्रकों के कारण ताम्र (ताँबा)।”

राजा ने प्रसन्न होकर उस कवि को ताँबे का प्रशस्ति पत्र और धनराशि पुरस्कार के रूप में प्रदान की। शिक्षितों का सम्मान करने के कारण भोज का नाम आज भी भारत में प्रसिद्ध है।

भोजस्य शिक्षाप्रियता शब्दार्थाः.

पुरा = प्राचीन समय में। बहिः = बाहर। ईदृशः = इस प्रकार। चर्ममयं = चमड़े से बना हुआ। कमण्डलुम् = पानी रखने के पात्र को। शृङ्खलैः = जंजीरों से। अस्तु = हो। अयच्छत् = प्रदान किया। वहसि = ले जाते हो। मत्वा = मानकर। विप्रः = ब्राह्मण। सम्प्रति = आजकल। विहरन = घूमते हुए। ताम्रप्रशस्तिपत्रं = ताँबे का प्रशंसापत्र।

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 4 अपना हिन्दुस्तान कहाँ है?

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 4 अपना हिन्दुस्तान कहाँ है?

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 4 पाठ का अभ्यास

Mp Board Class 6 Hindi प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) हम सब मद में झूम रहे हैं
(i) सत्याग्रह के
(ii) आन्दोलन के
(iii) भूमण्डलीकरण के
(iv) व्यवसायीकरण के।
उत्तर
(iii) भूमण्डलीकरण के

(ख) धन के कोष भरे होने पर भी नहीं है
(i) लालच
(ii) सन्तोष
(iii) दया,
(iv) श्रृंगार।
उत्तर
(ii) सन्तोष।

Mp Board Class 6 Hindi Solution प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए(क) जनसेवा का ……. कहाँ है ?
(ख) साक्षरता का ………..” है, चिन्तन का विस्तार नहीं है।
(ग) टी. वी. टेलीफोन बज रहे पर आपस में ……….. बन्द है।
(घ) आओ, खोजें सकल विश्व में अपना ….. कहाँ है ?
उत्तर
(क) भाव
(ख) आन्दोलन
(ग) बात
(घ) हिन्दुस्तान।

Mp Board Class 6th Hindi प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) हम सारी दुनिया किन साधनों से घूम रहे हैं?
उत्तर
हम सारी दुनिया टी. वी. और टेलीफोन से ही घूम

(ख) साक्षरता से आशय क्या है ?
उत्तर
साक्षरता से यह आशय है कि सभी जन सामान्य स्तर तक पढ़ना-लिखना सीख जाएँ।

(ग) भूमण्डलीकरण का परिवारों पर क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर
भूमण्डलीकरण का परिवारों पर यह प्रभाव पड़ा है कि वे बिखर गये हैं। पारिवारिक समरसता समाप्त हो गई है। आपसी सम्बन्ध टूट चुके हैं। परिवार के सदस्य एक-दूसरे से बातचीत तक नहीं करते। उनमें आपसी सम्बन्ध समाप्त हो चुके हैं।

(घ) ‘मन को जो आन्दोलित कर दे’ कवि ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर
मन के भावों को बदल देने वाली काव्य धारा मिट चुकी है। मन में देश प्रेम, समता, एकता, मर्यादा पालन, अन्याय की समाप्ति, न्याय की प्राप्ति के लिए जन-जन में हलचल पैदा करने के लिए काव्य रचना करना क्यों रुक गया है।

(ङ) “धन से कोष भरे हैं लेकिन फिर भी संतोष कहाँ हैं?” का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
लोगों में धन एकत्र करने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। उनके खजाने में धन भरा पड़ा है फिर भी वे उचित-अनुचित साधनों से धन एकत्र करने में जुटे हैं। देश, समाज एवं जन की उन्हें चिन्ता नहीं है। वे धन लोलुप बन चुके हैं।

(च) अपना हिन्दुस्तान कहाँ है ?’ कवि का संकेत किस ओर है ?
उत्तर
हिन्दुस्तानी धन कमाने की चेष्टा से देश छोड़कर विदेशों में बस गये हैं। वे अपनी ऊर्जा और ज्ञान का उपयोग विदेशों में कर रहे हैं जिससे वे देश सम्पन्न हो रहे हैं। उन देशों की संस्कृति और सभ्यता उन लोगों पर प्रभाव डाल रही है। वे अपने देश, अपने समाज, अपनी संस्कृति सभ्यता को भूल चुके हैं। यही इस पंक्ति का आशय है।

(छ) कविता में उन्लेखित कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर
कविकुल गुरु कालिदास, राजा भोज, सूरदास, तुलसीदास, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, रहीम और रसखान आदि कवियों के नाम का उल्लेख किया है।

कक्षा 6 की भाषा भारती MP Board प्रश्न 4.
निम्नलिखित पद्यांशों का भाव स्पष्ट कीजिए।

(क) टी. वी. टेलीफोन बज रहे, पर आपस में बात
अब की कविता लगती जैसे परिवारों का भंग छंद है।

(ख) राजनीति की कूटचाल में, जनसेवा का भाव कहाँ
रामराज में जरा बताओ केवट की वह नाव कहाँ है?
उत्तर
खण्ड ‘क’ : सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या के अन्तर्गत पद्यांश संख्या 02 व 03 की व्याख्या देखिए।

भाषा की बात

Mp Board Class 6 Hindi Chapter 1 प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का उच्चारण कीजिए तथा लिखिए. भूमण्डलीकरण, साक्षरता, यंत्र, अपहरण, प्रतिभा, आन्दोलित, श्रृंगार।
उत्तर
अपनी कक्षा में अपने अध्यापक महोदय की सहायता से उच्चारण करें और लगातार अभ्यास कीजिए तथा सावधानी से लिखिए।

Class 6 Hindi Sugam Bharti MP Board प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की सही वर्तनी लिखिए
हीन्दूस्तान, दुनियाँ, परीवार, मृदु, सन्तोश ।।
उत्तर
हिन्दुस्तान, दुनिया, परिवार, मृदु, सन्तोष।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
संस्कार, आन्दोलन, वैभव, राजनीति, शिक्षा।
उत्तर

  1. संस्कार- भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कार बताए गए हैं।
  2. आन्दोलन-सामाजिक परिवर्तन के लिए जनआन्दोलन अनिवार्य है।
  3. वैभव-भारतीय लोग भौतिक वैभव प्राप्त करने के उद्देश्य से विदेशों को पलायन करते जा रहे हैं।
  4. राजनीति-आज देश की राजनीति सही दिशा से भटक गई है।
  5. शिक्षा-शिक्षा का उद्देश्य विस्तृत होना चाहिए।

प्रश्न 4.
इस कविता से योजक चिह्न वाले शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर
ऊँचे-ऊँचे, जन-जन, बड़ी-बड़ी, बड़े-बड़े,  जन्म-जन्म, दैव-विधान, जन-सेवा, राम-राज।

प्रश्न 5.
‘खोज’ विदेशी शब्द है जो दूसरी भाषा से लिया गया है। ऐसे शब्द आगत शब्द कहलाते हैं। निम्नलिखित शब्दों में से आगत शब्द छाँटकर लिखिए
विश्व, ताकत, जरा, सकल, फूहड़, वैभव, टी.वी., टेलीफोन।
उत्तर
निम्नलिखित ‘आगत’ शब्द हैंताकत, जरा, फूहड़, टी.वी., टेलीफोन।

अपना हिन्दुस्तान कहाँ है? सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

(1) भूमण्डलीकरण के युग में अब अपनी पहचान कहाँ है?
आओ खोजें सकल विश्व में अपना हिन्दुस्तान कहाँ है?
भूमण्डलीकरण के मद में हम सब कैसे झूम रहे|
टी.वी. टेलीफोनों से ही सारी दुनिया घूम रहे हैं।
साक्षरता का आन्दोलन है, चिन्तन का विस्तार कहाँ है।
जन-जन में जो फैल रही, उस शिक्षा में संस्कार कहाँ हैं?
बड़ी-बड़ी खोजें सकल विश्व में अपना हिन्दुस्तान कहाँ है?
आओ खोजें सकल विश्व में, अपना हिन्दुस्तान कहाँ है?

शब्दार्थ-भूमण्डलीकरण = समस्त धरती पर रहने वाले लोगों का एक भाव। सकल = समस्त, सब। विश्व = संसार। मद – घमण्ड, नशा। साक्षरता = सामान्य स्तर तक पढ़ना और लिखना। चिन्तन = सोच, विचारशीलता।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के ‘अपना हिन्दुस्तान कहाँ है’ नामक पाठ से अवतरित है। इसके रचयिता ‘दयाल सिंह पवार’ हैं।

प्रसंग-इस पद्यांश में बताया है कि हम अपनी संस्कृति को इस भूमण्डलीकरण के कारण भुला चुके हैं।

व्याख्या-कवि कहता है कि आज हम भूमण्डलीकरण के इस युग में अपने हिन्दुस्तान की अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूलते जा रहे हैं। हमारी संस्कारों की संस्कृति से होने वाली पहचान समाप्त हो रही है, उसे भुला दिया है। इस युग में अब यह आवश्यक हो गया है कि हम अपने हिन्दुस्तान की खोज करें कि उसका सारे विश्व में अस्तित्व है भी अथवा नहीं।

हम सभी भूमण्डलीकरण के मद (नशे) में मतवाले हो गए हैं। टी. वी. और टेलीफोन पर ही सारी दुनिया की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं, यह जानकारी अपूर्ण है, अवास्तविक है। सामान्य स्तर तक शिक्षा का प्रसार करने का आन्दोलन चलाया हुआ है, परन्तु उस शिक्षा प्रसार में विस्तृत चिन्तन नहीं है। इस शिक्षा में संकीर्णता है। सभी लोगों को दी जाने वाली इस शिक्षा से शिक्षार्थियों को संस्कारवान् नहीं बनाया जा रहा है। संस्कार-विहीन शिक्षा लोगों का कल्याण नहीं कर सकती। सारे विश्व में बड़ी-बड़ी खोजें की जा रही हैं। लेकिन लगता है अपना हिन्दुस्तान तो कहीं खो गया है। उसका ‘विश्वगुरुत्व’ चला गया है। इसलिए अब हम सब अपने हिन्दुस्तान को इस विश्व में खोज निकालें।

(2) महानगर में गगन चूमते ऊँचे-ऊँचे भवन खड़े हैं।
बड़े-बड़े भवनों में झांकें तो टूटे परिवार पड़े हैं।
टी.वी. टेलीफोन बज रहे पर आपस में बात बन्द है।
अबकी कविता लगती जैसे परिवारों का भंग छन्द है।
जन्म-जन्म के बन्धन वाला बोलो दैव-विधान कहाँ
आओ खोजें सकल विश्व में अपना हिन्दुस्तान कहाँ है?

शब्दार्थ-महानगर = बड़े-बड़े शहर। गगन चूमते = आकाश को छूने वाले (बहुत ऊँचे-ऊँचे)। भवन = मकान। झाँके = देखें (ध्यान से देखें तो)। टूटे = अलग-अलग। बात बन्द है = बातचीत नहीं होती। भंग= टूटा हुआ। दैव-विधान = देवताओं द्वारा बनाया नियम।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि ने बताया है कि आज हिन्दुस्तान की पारिवारिक समरसता टूट गई है।

व्याख्या-बड़े-बड़े शहरों में आकाश को छूने वाले बहुत ऊँचे-ऊँचे भवनों (घरों) का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन इन भवनों में ध्यान से झाँक कर देखें तो पता चलता है कि इनमें रहने वाले परिवार बिखर गये हैं, वे अलग-अलग रह रहे हैं। सम्मिलित परिवारों का रूप समाप्त हो गया है। टी. वी. और टेलीफोनों पर ही बातचीत कर ली जाती है, लेकिन परिवार के सदस्य परस्पर बातचीत नहीं करते।

आज के कवियों द्वारा रचित कविताओं में बिखरे परिवारों के टूटे छन्द दीख पड़ते हैं। भारत की संस्कृति देवताओं द्वारा विकसित की गई है परन्तु उस संस्कृति के दैवीविधानों (नियमों) का पालन नहीं हो रहा। जन्म-जन्मान्तर के बन्धनों का विधान, लगता है, समाप्त कर दिया गया। अत: आज आवश्यकता है, इस बात की कि हम इस विश्व में अपने खोए हुए, बिखरे हुए हिन्दुस्तान को खोजें।

(3) यंत्रों की ताकत के भीतर, मंत्रों का मृदु घोष कहाँ
धन के कोष भरे हैं लेकिन फिर भी वह सन्तोष कहाँ है?
राजनीति की कूट चाल में जन सेवा का भाव कहाँ
रामराज में जरा बताओ केवट की वह नाव कहाँ है?
कितने ही अपहरण हो रहे किन्तु कहो हनुमान कहाँ है?
आओ खोजें सकल विश्व में अपना हिन्दुस्तान कहाँ

शब्दार्थ-यंत्र = औजार। ताकत = शक्ति। मृदु = कोमल। घोष = ध्वनि। कोष = खजाने। कूट = कुटिल (टेढ़ी-मेढ़ी)। केवट = नाविक। अपहरण = बलपूर्वक चुराना।

संदर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि कहता है कि हमारे वेद मंत्रों की कोमल ध्वनि लुप्त ह्ये गयी है। विविध यंत्रों का आविष्कार करके मानव जाति को भी भयभीत बनाया जा रहा है।

व्याख्या-कवि अपनी वाणी से लोगों का आह्वान करता है कि आज विनाशकारी अनेक यंत्रों का आविष्कार किया जा रहा है। लेकिन इन यंत्रों में वैदिक मंत्रों की सी कोमल ध्वनि नहीं है। वेद मंत्रों की मृदु ध्वनि (घोष) में जनकल्याण का सन्देश गूंजता था। आज लोगों के पास अकूत सम्पत्ति है। उनके खजाने भरे पड़े हैं लेकिन इन धनपतियों में सन्तोष नहीं है। वे अधिक से अधिक धन प्राप्त करने के नए-नए तरीके अपना रहे हैं।

राजनेताओं ने आज की राजनीति को कूटनीति में बदल दिया है जिसकी कुचाल से स्वार्थ पूरा करने में वे लगे हुए हैं। इन राजनेताओं में जन सेवा का भाव नहीं है। आजादी के बाद रामराज की स्थापना का सपना टूट चुका है। रामराज का केवट नाव चलाकर स्वधर्म का पालन करने वाला, पता नहीं कहाँ छिप गया है। समता और एकता विलुप्त हो चुकी है। समाज में अनेक कुकृत्य हो रहे हैं। अपहरण से मर्यादाओं को कुचला जा रहा है। इन मर्यादाओं की रक्षा आवश्यक है। इसके लिए हनुमान सरीखे बुद्धिमान विवेकी बलवान् की जरूरत है। परन्तु वे कहाँ हैं, प्रत्येक हिन्दुस्तानी में उसी विवेक और बल की आवश्यकता है। अतः कवि आह्वान करता है कि इस सारे संसार में अपने गौरवपूर्ण हिन्दुस्तान की खोज करें।

(4) कवि कुल गुरु की सूजन शक्ति का वह पावन संस्कार कहाँ है?
फूहड़ गीतों में खोया जो वह मधुरस शृंगार कहाँ
मन को जो आन्दोलित करक दे, कविता की वह धार कहाँ है?
भोजराज की कविता वाला वह वैभव विस्तार कहाँ
तुलसी, सूर, निराला, दिनकर और रहीम, रसखान कहाँ है?
आओ खोजें सकल विश्व में अपना हिन्दुस्तान कहाँ

शब्दार्थ-सृजन शक्ति = रचना कौशल। पावन = पवित्र । संस्कार = ठीक तरह से किसी भी कार्य को करने का तरीका (शैली)। फूहड़ = असभ्यता से भरे, घृणा पैदा करने वाले। मधुरस- मिठास से भरा । आन्दोलित = हलचल मचा देने वाला। भोजराज = राजा भोज जिन्होंने काव्य साहित्य के विकास के लिए, उसकी अभिवृद्धि के लिए कवियों को प्रोत्साहित किया था।

संदर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-भारतीय साहित्यिक धरोहर की रक्षा करने और उसके विकास के लिए कवि ने अपनी ओजस्वी वाणी में सभी जनों का आह्वान किया है।

व्याख्या-आज कविकुल गुरु कालिदास की सी काव्य रचना करने की शक्ति पैदा करने के पवित्र संस्कार कहाँ छिप गए हैं। मिठास भरा शृंगार रस तो आज के फूहड़ गीतों में खो गया है। मन में उत्साह भर देने वाली कविता की धारा ही कहीं विलुप्त हो गयी है। साथ ही, राजा भोज जैसे साहित्य प्रेमी भी नहीं दीखते जिन्होंने कविता के साहित्यिक विकास को विस्तार दिया था।

आज तुलसीदास, सूरदास, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ और रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जैसे महान कवि भी जन्म नहीं ले रहे जिन्होंने जन-जन में परस्पर आदर्श प्रेम, समता, महानता और राष्ट्रीय एकता के भाव लोगों में भरने के लिए काव्य रचना की। रहीम और रसखान जैसे आदर्श एवं जनकवियों का सर्वत्र अभाव (कमी) दीख रहा है। आज वास्तव में, ऐसे अपने हिन्दुस्तान की विश्वभर में खोज करनी है कि वे अब कहाँ है |

MP Board Class 6th Hindi Solutions

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 3 भाई-बहन

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 3 भाई-बहन

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 3 प्रश्न-अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

Kavita Bhai Hindi Part 3 MP Board Class 6th प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए
1. पंखहीन – (क) कपड़ा
2. मंगल – (ख) गला
3. रेशमी – (ग) पक्षी
4. जग से – (घ) मन
उत्तर
1. (ग), 2. (घ), 3. (क), 4. (ख)

Bhai Bahan Kahani Ka Saransh Likhiye MP Board Class 6th प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द घुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए.
1. न जाने कितनी…स्मृतियाँ उसके अंतःस्थल में उठकर बिंधी सी जा रही थीं। (मीठी/कड़ीवी)
2. भाई-बहन सदा……..नहीं रहते। (अलग-अलग/साथ-साथ)
3. करीब आधे घण्टे के बाद किंचित…..सा मुख लिए निर्मला कमल को साथ लेकर स्कूल चली गई। (उदास/पुलकित)
4. रह-रहकर एक…….अनुभूति उसके मन में होने लगी। (नूतन/पुरातन)
5. क्रमशः दर्शकों के झुण्ड भी…….होने लगे। (छिन्न-भिन्न इकट्वे)
उत्तर
1. मीठी
2. साथ-साथ
3. उदास
4. नूतन
5. छिन्न-भिन्न।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

Bhai Bahan Kahani Ka Saransh MP Board Class 6th प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए

(क) सावित्री के अंतःस्थल में किसकी यादें बसी धी?
उत्तर
सावित्री के अंतःस्थल में अपने भाई की यादें बसीं थीं।

(ख) सावित्री को अपनी बक-बक सारहीन सी क्यों लगी?
उत्तर
क्योंकि सावित्री का भाई उसके पास नहीं था।

(ग) रोते-रोते निर्मला के चेहरे का रंग सफेद क्यों पड़ गया?
उत्तर
क्योंकि निर्मला का भाई भीड़ में खो गया था। वह कहीं नहीं दिख रहा था।

(घ) माँ के दिल से भी अधिक कमल की चिंता और किसको थी?
उत्तर
माँ के दिल से भी अधिक कमल की चिंता निर्मला को थी।

(ङ) माँ की झिड़कियों का बालिका पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
बालिका का नन्हा मस्तिष्क उलझन में पड़ गया।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 3 लघु उत्तरीय प्रश्न

Mp Board Class 6th Hindi  प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए

(क) कमल के आँखों से ओझल होते ही निर्मला की मनोदशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर
कमल के आँखों से ओझल होते ही निर्मला बेचैन हो उठी। उसके होश-हवास एकाएक गुम हो गए। वह व्याकुल सी हो एक कमरे से दूसरे में और फिर बरामदे में पंखहीन पक्षी की भांति फड़फड़ाती हुई दौड़ने लगी। उसकी आँखों के आगे अंधेरा-सा छा गया। सब कुछ सुनसान-सा प्रतीत होने लगा।

(ख) ‘जब इन्हीं दुर्लभ सूरतों को देखने के लिए तरसोगी।’ कहकर सावित्री क्या कहना चाहती है?
उत्तर
सावित्री कहना चाहती है कि भाई-बहन सदा साथ नहीं रहते। एक समय आता है जब बहन को भाई का साथ छोड़ना पड़ता है। लेकिन जब तक भाई-बहन साथ-साथ रहते हैं, उनके बीच नोंक-झोंक, होती रहती है। सावित्री निर्मला को बताना चाहती है कि आज वह अपने छोटे भाई से लड़ाई कर रही है किंतु एक समय आएगा जब वह भाई से काफी दूर होगी और उसे देखने को तरसेगी।

(ग) भाई को भेजे जाने वाले उपहार के साथ सावित्री की स्मृतियाँ किस प्रकार जुड़ी हुई हैं?
उत्तर
भाई को भेजे जाने वाले उपहार के साथ सावित्री की मीठी स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं। अनेक वन, पर्वत, नदी, नाले और मैदान के पास दूर से एक मुखाकृति बार-बार नेत्रों के सामने आकर उसके रोम-रोम को पुलकित कर रही है। ऐसा लगता है कि सामने दीवार पर लटकी हुई उसके भाई की तस्वीर हँसकर बोल उठेगी।

(घ) निर्मला के फूट-फूट कर रोने का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
निर्मला अपने भाई कमल को लेकर मुहर्रम का जुलूस देखने गई है। भीड़ काफी है। यों तो वह कमल का हाथ सावधानी से पकड़ें हुई थी लेकिन पता नहीं कब उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और कमल भीड़ में खो गया। जैसे ही निर्मला को एहसास हुआ कि उसका भाई खो गया है, वह फूट-फूटकर रोने लगी।

(ङ) कमल और निर्मला का आपस में लड़ना और फिर एक-दूसरे से मिलने को आतुर होना वस्तुतः आत्मीय स्नेह का ही प्रमाण है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर
भाई-बहन का आपस में लड़ना और फिर एक हो जाना जग जाहिर है। निर्मला कमल से चार साल बड़ी है। वह कमल पर रौब जमाती है। उसे बात-बात पर डांटती है। अपना कोई सामान उसे छूने नहीं देती है। कमल बेचारा परेशान रहता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दोनों के बीच प्रेम नहीं है। दरअसल दोनों एक-दूसरे को हृदय से चाहते हैं। कमल जब खो जाता है तो निर्मला बेचैन हो उठती है। वह फूट-फूटकर रोती है। इधर कमल भी अपनी दीदी से मिलने के लिए आतुर है।

भाषा की बात

Class 6 Hindi Chapter 3 MP Board प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का सही उच्चारण कीजिए
श्वेत, स्मृतियाँ, मुखाकृति, प्रेमाश्रु, झिड़कियाँ, प्रस्फुटित, चित्ताकर्षक
उत्तर
स्वयं करें।

Class 6th Sugam Bharti MP Board प्रश्न 5.
Kavita Bhai Hindi Part 3 MP Board Class 6th
उत्तर
अन्तस्थल, स्कूल, झुंझलाकर, तस्वीर

Bhai Bahan Ki Hindi MP Board Class 6th प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में प्रयोग कीजिए
रोम-रोम पुलकित होना, होश-हवास गुम होना, चेहरे का रंग सफेद पड़ना, फूट-फूट कर रोना।
उत्तर
रोम-रोम पुलकित होना-भाई से मिलते ही रमा के रोम-रोम पुलकित हो उठे। होश-हवास गुम होना-जैसे ही तेंदुआ गांव में घुसा, लोगों के होश-हवास गुम हो गए।
चेहरे का रंग सफेद पड़ना-परीक्षा में फेल होने की खबर सुनते ही रमण के चेहरे का रंग सफेद पड़ गया। फूट-फूटकर रोना-बच्चे को फूट-फूटकर रोते देखकर मैं विचलित हो उठी।

प्रश्न 7.
दिए गए शब्दों में से हिंदी (तत्सम्, तद्भव) और आगत (अंग्रेजी तथा उद्र) शब्द पृथक पृथकू लिखिए
बॉक्स, आश्वासन, चीज़, बाथरूम, बैग, मुस्कुराना, ग्रामोफोन, खूब, मामला, शरारत, स्कूली, हल्की, आफत,
शक्ल-सूरज, जुलूस, दरवाज़ा, गरीब, होश-हवास, सम्मोहन, नेपत्थ्य, सुनसान, जरूर, नूतन
उत्तर
हिन्दी (तत्सम, तद्भव)-आश्वासन, चीज़, मुस्कुराना, मामला, शरारत, हल्की, शक्ल-सूरत, जुलूस, दरवाज़ा, गरीब, होश-हवास, सम्मोहन, नेपथ्य, सुनसान, नूतन।
आगत (अंग्रेजी तथा उर्दू)-बॉक्स, बाथरूम, बैग, ग्रामोफोन, खूब, स्कूल, आफत, जरूर।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों को पढ़कर व्यक्तिवाचक, जातिवाचक व भाववाचक संज्ञा को छांटकर लिखिए
(क) तितली के एक पंख की कढ़ाई की जा चुकी थी।
(ख) उदास-सा मुख लिए निर्मला स्कूल चली गई।
(ग) एकाएक सावित्री के चेहरे पर हँसी आ गई।
(घ) पाँच बजे मोहर्रम का जुलूस निकलने वाला था।
(ङ) सावित्री ने कॉपी रखने के लिए कुर्सी की सफाई की।
उत्तर
व्यक्तिवाचक संज्ञा-निर्मला, सावित्री, स्कूल,
जातिवाचक संज्ञा-तितली, कॉपी, कुर्सी, पंख,
भाववाचक संज्ञा-कढ़ाई, हँसी, सफाई

भाई-बहन प्रसंग सहित व्याख्या

1. न जाने कितनी ……………………. कर दिया।

शब्दार्थ-मंगल-शुभ। कामना=इच्छा। अंतःस्थल= हृदय। नेत्र आँख। सम्मुख=सामने। पुलकित= खुश। विवश=मजबूर।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित पाठ ‘भई-बहन’ से उद्धृत हैं। इसकी लेखिका हैं ‘सत्यवती मलिक’।

व्याख्या- इन पंक्तियों में भाई-बहन के प्यार को उजागर किया गया है। सावित्री अपने भाई की याद में खोयी है। उसका जन्मदिन काफी करीब है। सावित्री उसके जन्मदिन पर उपहार भेजने की तैयारी में लगी है। उसने एक श्वेत कपड़े पर तितली की सुंदर आकृति खींची है। उपहार तैयार करने के दौरान वह कई मीठी यादों में खो जाती है। उसका भाई भले ही उससे दूर है, किंतु वह उसकी मुखाकृति बार-बार नेत्रों के सामने आकर उसे हर्षित कर दे रही है। कभी-कभी तो उसे ऐसा लगता है, उसके भाई नरेन्द्र की तस्वीर तुरंत हंस उठेगी। सावित्री भावविभोर हो जाती है। उसकी आँखें भर आती हैं। वह चाहती है उसका नरेन्द्र उसके सामने आ जाता। अचानक बेटे कमल के रोने की आवाज कानों में पड़ते ही वह वहाँ से उठ जाती है। .

2. नीचे की सड़क …. भी नहीं है!

शब्दार्थ-भांति-भांति-तरह-तरह । बाल=जगत बच्चों का संसार । सम्मोहन मन को =आकर्षित करना । नेपथ्यपीछे से। चित्ताकर्षक= मनमोहक।

प्रसंग-पूर्ववत्

व्याख्या- निर्मला अपने भाई को लेकर मुहर्रम का जुलूस देखने आयी है। जुलूस देखने के लिए अच्छी-खासी भीड़ उमड़ पड़ी है। निर्मला के भाई की उंगली छुट गई और वह भीड़ में खो गया। जैसे ही निर्मला को एहसास हुआ कि उसका भाई उससे बिछड़ गया है, वह एकदम से बेचैन हो गई। वह चीख उठी। जिस जुलूस को देखने यह इतनी उत्साह से आयी थी, अब वह सारा उत्साह खत्म हो गया। दुनिया फीकी नजर आने लगी। रंग-बिरंगे खिलौने, गुब्बारे, तरह-तरह के सुर निकालते हुए बाजे सब कुछ निर्मला के लिए अर्थहीन हो गया। वह भीड़ चीरती हुई तुरंत वहाँ से निकल पड़ी भाई को खोजने के लिए। वह सबसे पहले सीता के घर गई, लेकिन कमल वहाँ नहीं मिला। निर्मला रोती जा रही थी। रोते-रोते उसकी आँखें सूज गईं, चेहरा सफेद पड़ गया। अंत में वह माँ के पास गई और उससे सारा हाल बतायी माँ सन्न रह गई।

विशेष

  • भाषा और शैली बोधगम्य है।
  • शब्दों का प्रयोग सहज जान पड़ता है।

MP Board Class 6th Hindi Solutions

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Word Power

(a) Match the words given under A with clues given under B.

Class 6 English Chapter 13 MP Board
Answer:
1. → (f)
2. → (e)
3. → (g)
4. → (b)
5. → (c)
6. → (d)
7. → (a)

(b) Fill in the blanks with the words given.

(came upon, interior, close, affection, admire, shore, carved. )

  1. Both Gandhiji and Jawaharlal Nehru had great …………. for children and loved to be in their company.
  2. Carrying an electric torch I entered the dark cave and explored its ……………
  3. If you go to Mahabalipuram near Chennai, don’t fail to see the five stone chariots called the chariots or the Pandavas. Each of these has ………….. been out of single stone.
  4. When a ship comes to port, the sailors go on ……………. for some times.
  5. Prof. Das is young, handsome and intelligent. All his students ……………. him greatly.
  6. The headmaster of our school lives in a house …………… to the school.
  7. The children who were digging the ground for fun ……………… a pot full of gold and silver coins!

Answer:

  1. affection
  2. interior
  3. carved
  4. shore
  5. admire
  6. close
  7. came upon.

Comprehension

(a) Fill in the blanks with the words given below.

(Warmth, land, called, admiral, recovered, candle doubt, affection, forgave, explored, came upon, forgiveness, explored, see, carved.)
Columbus was the ……………. of the ships sailing in search of a sea-route of India. They had been sailing for months but they were unable to ………….. any land. On 11th October, the crew …………… from the sea the top of a table and a ………….. stick. At night they could see a light which went up and down like a …………… There was no ………….. that the light was from ………….. Some of the crew had made plans against Columbus. Now when they came to land they asked his ……………. Columbus ………….. them and spoke to them with ……………. and ……………. . For more than two months Columbus …………. the sea around and then he …………… some islands, He …………….. them the ‘Indies’.
Answer:
admiral, see, recovered, carved, candle, doubt, land, forgiveness, forgave, affection, warmth, explored, came upon, called.

(b) Arrange the following events in the sequence they happened in the text to make paragraph.

1. Columbus forgave the crew.
2. Columbus explored the sea around for two months.
3. Rodrigo de Trianna saw the land first.
4. The crew recovered from the sea the top of a table and a carved stick.
5. On 11th October, they saw some clear signs of land.
6. Some members of the crew had made plans against Columbus.
7. Columbus made four voyages across the Atlantic.
8. Columbus discovered the existence of a new continent which he believed to be India.
9. Columbus saw a light towards west in the night.
Answer:
5. On 11th October, they saw some clear signs of land.
4. The crew recovered from the sea the top of a table and a carved stick.
9. Columbus saw a light towards west in the night.
3. Rodrigo de Trianna saw the land first.
6. Some members of the crew had made plans against Columbus.
1. Columbus forgave the crew.
2. Columbus explored the sea around for two months.
7. Columbus made four voyages across the Atlantic.
8. Columbus discovered the existence of a new continent which he believed to be India.

(c) Answer the following questions.

Class 6 English Chapter 13 MP Board Question 1.
What signs of land did Columbus and his men see from their ship?
Answer:
From their ship, Columbus and his sailors caught sight of a table board and a carved stick floating by. The men in one of ships also saw branches of a tree, laden with fruits near the ship. These were the sure signs of land.

Class 6 English Chapter 13 Question Answer MP Board  Question 2.
What did Rodrigo see?
Answer:
Rodrigo saw land.

Class 6th English Chapter 13 MP Board Question 3.
What was the reward the king and the queen had promised?
Answer:
The king and queen had promised a pension of ten thousand copper coins to the man who saw land first.

English Chapter 13 Class 6 MP Board Question 4.
Who got reward in the end?
Answer:
Columbus, being the leader of the part got the reward in the end.

Chapter 13 English Class 6 MP Board Question 5.
Why was Rodrigo disappointed?
Answer:
Rodrigo got disappointed because he was not given the reward which he was expecting.

Class 6 English Lesson 13 MP Board Question 6.
How long did Columbus and his men sail before they reached land?
Answer:
Before reaching land, Columbus and his men sailed for seventy days.

Question 7.
Who did Columbus forgive?
Answer:
Columbus pardoned all the sailors who had been planning against him so far.

Question 8.
Why did Columbus call it island he had discovered “The Indies”?
Answer:
Thinking, that he had discovered the island on the east of India Columbus called those islands ‘The Indies’.

Question 9.
Why was Columbus’s discovery specially important?
Answer:
The discovery of Columbus was more significant in the way that he had discovered a new continent i.e., America. He had in reality discovered the New World.

Grammar in Use

Change the following, passage into past tense:
Two boys are riding very fast on a motorcycle. They want to overtake the car before them. Suddenly a boy on a cycle comes by the side of the car. The boys on the motorcycle do not want to hit the boy on the cycle. So they turn to the other side. But a truck coming from that side dashes against them. People carry the two and take them to the near by hospital.
Answer:
Two boys were riding very fast on a motorcycle. They wanted to overtake the car before them. Suddenly a boy on a cycle came by the side of the car. The boys on the motorcycle did not want to hit the boy on the cycle. So they turned to the other side But a truck coming from that side dashed against them People carried the two boys and took them to the nearby hospital.

Let’s Talk

Work in pairs. Imagine that you are in the crew of Columbus. Talk to your partner about the problems you are facing on the ship. Discuss how will you overcome these problems. Make a list of the problems and how you will solve them. Discuss it in the class.
Answer:
Do yourself.

Let’s Write

Question 1.
Describe in a paragraph the events that happened during the last days before Columbus and his men stepped on land.
Answer:
On 11th Oct. the sailors recovered from the sea a table board, a carved stick and a branch of tree having fruit on it, floating by. It was a clear cut indication of the land. At 10 p.m., Columbus saw a dim light in the west. Two other sailors confirmed him. Rodrigo de Triana was the first person to catch sight of land at about 2 a m. on 12th of October, 1942. Columbus stepped on the level shores of the small island, carrying a flag of Spain in his hand. Other captains and crew members followed him.

Columbus Discovers America-II Word Meanings

Class 6 English Chapter 13 Question Answer MP Board

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 11 झाँसी की रानी

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 11 झाँसी की रानी

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 11 पाठ का अभ्यास

प्रश्न 1.
दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) रानी के बचपन की सहेलियाँ थीं
(i) चाकू, छुरी
(ii) तोप, बन्दूक,
(iii) बरछी, ढाल
(iv) तीर कमान।
उत्तर
(iii) बरछी, ढाल

(ख) रानी लक्ष्मीबाई बचपन में ही सीख गई थी
(i) गायन कला
(ii) नृत्य कला
(iii) शस्त्र कला
(iv) पाक कला।
उत्तर
(ii) नृत्य कला

(ग) रानी की सखियाँ साथ आई थीं
(i) कुन्ती और सुनीता
(ii) मीना और कांति,
(iii) काना और मुंदरा
(iv) मुन्द्रा और कान्हा।
उत्तर
(iii) काना और मुंदरा

(घ) रानी की तलवार से घायल होकर रण क्षेत्र से भागा था
(i) लार्ड डलहौजी
(ii) लेफ्टिनेंट वॉकर
(iii) जनरल स्मिथ
(iv) रोज।
उत्तर
(ii) लेफ्टिनेंट वॉकर

(ङ) बलिदान के समय वीरांगना लक्ष्मीबाई की उम्र थी
(i) तेईस वर्ष
(ii) बीस वर्ष
(iii) चौबीस वर्ष
(iv) पच्चीस वर्ष।
उत्तर
(i) तेईस वर्ष

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) वीर शिवाजी की ……… उनको याद जवानी थी।
(ख) हुई वीरता की ………. के साथ सगाई झाँसी में।
(ग) रानी एक …….. बहुतेरे होने लगे वार पर वार।
(घ) गुमी हुई …………. की कीमत सबने पहचानी थी।
उत्तर
(क) गाथाएँ
(ख) वैभव
(ग) शत्रु
(घ) आजादी।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) लक्ष्मीबाई ने बचपन में कौन-कौन से शस्त्रों को चलाना सीख लिया था ?
उत्तर
लक्ष्मीबाई ने अपने बचपन में ही बरछी, ढाल, कृपाण और कटारी चलाना सीख लिया था।

(ख) झाँसी के राजा की मृत्यु होने पर डलहौजी प्रसन्न क्यों हुआ था ?
उत्तर
झाँसी के राजा की मृत्यु होने पर डलहौजी इसलिए प्रसन्न हुआ था क्योंकि राजा नि:सन्तान ही मर गए थे। लावारिस राज्य का अंग्रेजी शासन वारिस बन जाता था। ऐसा नियम उस समय के डलहौजी ब्रिटिश शासक ने बनाया था। यह नियम ब्रिटिश शासकों की राज्य-हड़प नीति कहलाई। डलहौजी इस कारण प्रसन्न हुआ कि अब झाँसी का राज्य भी ब्रिटिश शासन में शामिल हो जाएगा।

(ग) अंग्रेजों ने भारतीय राज्यों पर किस प्रकार अधिकार किया?
उत्तर
अंग्रेजों ने भारतीय राज्यों को अपने अधिकार में कर लिया क्योंकि भारतीय राज्यों के बहुत से शासक नि:सन्तान थे और उन्हें दत्तक पुत्र लेकर राज्य का वारिस बनाने का कोई अधिकार नहीं है, ऐसा नियम बनाकर राज्य हड़प नीति के अन्तर्गत भारतीय राज्यों को अपने अधीन कर लिया।

(घ) ‘हमको जीवित करने आई, बन स्वतंत्रता नारी थी,’ से कवयित्री का आशय क्या है ?
उत्तर
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी को आजाद बनाए रखने के लिए कुल तेईस वर्ष की उम्र में ही अपना बलिदान कर दिया। वह अत्यन्त तेजस्वी थी। उन्होंने स्वतंत्रता की नारी के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने हम सभी भारतीयों को ‘स्वतंत्रता ही जीवन था इस तरह शिक्षा देने के लिए अवतार लिया था। उन्होंने हमें आजादी का मार्ग दिखाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उन्हें जो भी हम भारतीयों को सिखाना था, वह अपने बलिदान से सिखा दिया। वह स्वतंत्रता की साक्षात् देवी थी।

(ङ)’झाँसी की रानी’ कविता से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर
‘झाँसी की रानी’ कविता से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम अपनी मातृभूमि की आजादी की रक्षा अपने प्राणों की बलि चढ़ा कर भी करें। अन्याय के आगे नझुकें। साथ ही, हमारे अन्दर राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रीयता की भावना पुष्ट होती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में।
(ख) जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई, मर्द बनी मर्दानों में।
(ग) घायल होकर गिरी सिंहनी, उसे वीरगति पानी थी।
(घ) मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी।
उत्तर
‘सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या’ शीर्षक के अन्तर्गत पद्यांश संख्या 3,7, 10 व 11 की व्याख्या देखिए।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिएभृकुटी, कृपाण, वैभव, वज्र, अश्रुपूर्ण।
उत्तर
कक्षा में अध्यापक महोदय के सहयोग से शुद्ध रूप से उच्चारण सीखिए और अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों में सही मात्रा लगाकर उनके शुद्ध रूप लिखिए
(i) किमत,
(ii) फीरंगी
(iii) झांसि
(iv) उदीत
(v) खुब
(vi) बून्देले
(vii) शत्रु
(viii) मनूज।
उत्तर-(i) कीमत, (ii) फिरंगी, (ii) झाँसी, (iv) उदित, (v) खूब, (vi) बुन्देले, (vii) शत्रु, (vii) मनुज।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में तत्सम और तद्भव शब्द छाँटकर लिखिए
कृपाण, बूढ़ा, मुंह, चिन्ता, पिता, सौभाग्य, शोक, सौख, शत्रु, मनुजा
उत्तर
तत्सम – कृपाण, चिन्ता, सौभाग्य, शोक, शत्रु।
तद्भव – बूढ़ा, मुँह, पिता, सीख, मनुज।

प्रश्न 4.
सु, वि, सम् उपसर्ग लगाकर तीन-तीन शब्द बनाइए
उत्तर
(क)
(i) सु + भट = सुभट
(ii) सु + मति = सुमति,
(iii) सु + लेख = सुलेख
(iv) सु + मुखी = सुमुखी।

(खा)
(i) वि + राट – विराट
(ii) वि + रूप – विरूप
(iii) वि + जय – विजय
(iv) वि + ख्यात – विख्यात।

(ग)
(i) सम् + मुख – सम्मुख
(ii) सम् + वृद्धि – सम्वृद्धि
(iii) सम् + मिलित – सम्मिलित्
(iv) सम् + ऋद्धि- समृद्धि।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
(i) सिंहासन, (ii) गाथा, (iii) मैदान, (iv) वीरगति (v) स्वतंत्रता।
उत्तर-
(i) राजसभा में सिंहासन पर राजा विराजमान है।
(ii) लक्ष्मीबाई की वीरता की गाथा बुन्देलखण्ड का बच्चा-बच्चा गाता है।
(iii) लड़ाई के मैदान में वीरों ने युद्ध किया।
(iv) अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध करते हुए अपने वीरों ने वीरगति पाई थी।
(v) स्वतंत्रता के दीवाने फाँसी के फंदों को चूमते हुए शहीद हो गए।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
(i) स्वर्ग सिधारना
(ii) मुँह की खाना।
उत्तर
(i) स्वर्ग सिधारना – मृत्यु प्राप्त करना।
प्रयोग-आजादी की रक्षा के लिए युद्ध करते हुए अनेक वीर स्वर्ग सिधार गए।
(ii) मुंह की खाना- बुरी तरह पराजित होना।
प्रयोग-पाक सेना को भारत की सेना से हर युद्ध में मुँह की खानी पड़ी है।

झाँसी की रानी सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

(1) ‘सिंहासन हिल छ’, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी।
बूढ़े भारत में भी आई, फिर से नई जवानी थी।
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी।
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।1।

शब्दार्थ-राजवंशों ने = राजा-महाराजाओं ने। भृकुटी = भौंहें (क्रोध में भर उठे थे)। गुमी हुई = खोई हुई। फिरंगी = अंग्रेजों ने।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘भाषा-भारती’ के ‘झाँसी की रानी’ नामक पाठ से ली गई हैं। इसकी रचयिता ‘श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान’ हैं।

प्रसंग-यहाँ पर कवयित्री ने झाँसी की रानी की वीरता का उल्लेख किया है। जब रानी झाँसी के सिंहासन पर बैठी तो उन्होंने अंग्रेजों से अपने देश को आजाद कराने के लिए उनसे युद्ध किया।

व्याख्या-जब लक्ष्मीबाई झाँसी की रानी बनी तो उन्होंने भारतीय जनता में आजादी का मन्त्र फूंक दिया। अंग्रेजों के द्वारा गुलाम बनाये गये राजाओं ने भी अंग्रेजों से युद्ध करने का संकल्प लिया। क्रोध में उनकी भौहें तन उठी और देश में उथल-पुथल मच गई। भारत जो आजादी की आशा ही छोड़ चुका था उसमें एक नई आशा जागी। अब सबको लग रहा था कि अपनी आजादी जो उन्होंने खो दी थी वह अत्यन्त कीमती थी। अब सबने भारत से अंग्रेजों को खदेड़ने का निश्चय कर लिया। इस प्रकार सन् 1857 में फिर से अतीत के गौरव की वह तलवार युद्ध में चमक उठी। इस कहानी को बुन्देलखण्ड के हरबोले (गवैये) गाते हैं कि झाँसी की रानी ने अंग्रेजों के साथ पुरुषों की भांति जमकर युद्ध किया था।

(2) कानपुर के नाना की मुंह बोली बहिन छबीली थी।
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी।
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी।
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी, उसकी यही सहेली थी।
वीर शिवाजी की गाथाएँ, उसको याद जबानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।2।

शब्दार्थ-सन्तान = पुत्र-पुत्री। गाथाएँ = कहानियाँ । कृपाण = तलवार।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में लक्ष्मीबाई के साहस और वीरता का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-लक्ष्मीबाई कानपुर के नाना साहब की मुंहबोली बहिन थीं। उन्होंने बचपन में उनका नाम छबीली रखा था। लक्ष्मीबाई अपने पिता की इकलौती सन्तान थीं। वह बचपन में नाना के साथ पढ़ती थीं और उन्हें के साथ खेलती थीं। बचपन में उनके प्रिय खेल थे बरछी, बाल, तलवार और कटारों से खेलना। यही उनके खिलौने थे और यही उन्हें अपनी सहेलियों की तरह प्रिय थे। लक्ष्मीबाई बचपन से साहसी थीं। वीर शिवाजी की वीरता की कहानियाँ उन्हें बचपन से ही याद थीं। यह कहानी बुन्देलखण्ड के हरबोले बड़े जोर-शोर से गाते हैं कि लक्ष्मीबाई मदों की तरह अंग्रेजों से खूब लड़ी थीं।

(3) हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में।
ब्याह हुआ, रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में।
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में।
सुभट-बुन्देलों की विरुदावलि-सी वह आईझाँसी में।
चित्रा ने अर्जुन को पाया शिव से मिली भवानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।3।

शब्दार्थ-वैभव = सम्पन्नता। विरुदावलि – प्रशंसा के गीत। भवानी = पार्वती जी।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-इन पंक्तियों में लक्ष्मीबाई के विवाह का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-लक्ष्मीबाई वीरता की साकार मूर्ति थी। उनकी सगाई झाँसी के राजा के साथ हो गई और वे विवाह करके झाँसी की रानी बन गई। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वीरता का विवाह सम्पन्नता के साथ हुआ हो। राजभवन में बधाइयाँ बर्जी, खूब खुशियाँ मनाई गई। भाट लोग उनकी प्रशंसा के गीत गाते थे। उन्होंने झाँसी के राजा को उसी प्रकार प्राप्त किया था जैसे चित्रा ने अर्जुन को और पार्वती ने शंकर जी को प्राप्त किया था। यह कहानी बुन्देलखण्ड के हरबोले गाते हैं। झाँसी की रानी पुरुषों के समान बड़ी वीरता से लड़ी थी।

(4) उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियालीछाई।
किन्तु काल-गति चुपके चुपके, काली घटा घेर लाई।
तीर चलाने वाले कर में, उसे चूड़ियाँ कब भाई।
रानी विधवा हुई हाय ! विधि को भी नहीं दया आई।
निःसंतान मरे राजाजी, रानी शोक समानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।4।

शब्दार्थ-उदित = उदय। मुदित = प्रसन्न। उजियाली = चमक,खुशियाँ । कालगति = मृत्यु की गति । काली घटा = दु:ख के बादल। कर हाथ। विधि=विधाता। शोक= दुःख।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-इन पंक्तियों में लक्ष्मीबाई के जीवन में आये दुःखों का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-रानी जब विवाह करके झाँसी आई तो ऐसा लग रहा था मानो सौभाग्य उदय हो गया है। महल में प्रसन्नता का वातावरण था किन्तु काल की गति को कोई नहीं जान सकता। वहाँ दु:ख के बादल कब छा गए किसी को कुछ भी पता न चला। विधाता को भी रानी के तीर चलाने वाले हाथों में चूड़ियाँ नहीं सुहाई। राजा की असमय मृत्यु से रानी विधवा हो गई। उनके कोई सन्तान भी नहीं थी। अब रानी के शोक का ठिकाना नहीं था। ऐसा बुन्देलखण्ड हरबोले गाते हैं। झाँसी की रानी ने अंग्रेजों से पुरुषों की भाँति वीरता से युद्ध किया।

(5) बुङ्गमा दीप झाँसी का तब डलहौजी मन में हर्षाया।
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया।
फौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया।
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज झाँसी आया।
अश्रुपूर्ण रानी ने देखा, झाँसी हुई विरानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।5।

शब्दार्थ-हर्षाया = प्रसन्न हुआ। दुर्ग = किला। लावारिस = जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो। वारिस = उत्तराधिकारी। वीरानी = परायी।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में अंग्रेजों के खिलाफ रानी के द्वारा युद्ध करने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-जब राजा की मृत्यु हो गई तो अंग्रेज गवर्नर डलहौजी बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने सोचा कि अब झाँसी का राज्य हड़पने का अच्छा मौका है। उसने अपनी फौजें झाँसी की ओर भेज दर्दी और किले पर अपना झण्डा फहरा दिया। वह लावारिस झाँसी का वारिस (मालिक) बन बैठा। रानी को इससे बड़ी भारी पीड़ा हुई। आँखों में आँसू भर कर उसने देखा कि झाँसी परायी हुई जा रही है। बुन्देलखण्ड के हरबोले गाते हैं कि झाँसी वाली रानी ने मर्दो की भाँति अंग्रेजों से वीरतापूर्वक युद्ध किया।

(6) छिनी राजधानी देहली की, लिया लखनऊ बातोंबात।
कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर पर भी घात।
उदैपुर, तंजौर, सतारा, कर्नाटक की कौन बिसात।
जबकि सिंध, पंजाब, ब्रह्म पर,अभी हुआ था बजनिपात।
बंगाल, मद्रास आदि की, भी तो यही कहानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।6।

शब्दार्थ-घात = निशाना लगाना। विसात – ताकत। बज-निपात = बिजली टूटना।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में अंग्रेजों द्वारा भारत में अपने शासन को किस तरह स्थापित किया गया। इसका वर्णन किया गया है।

व्याख्या-अंग्रेजों ने दिल्ली, लखनऊ को बड़ी आसानी से अपने कब्जे में कर लिया, उन्होंने पेशवा को बिठूर में कैद कर लिया। नागपुर, उदयपुर, तंजौर, सतारा, कर्नाटक आदि का तो कहना ही क्या उन्होंने सिंध, पंजाब, ब्रह्मपुत्र, बंगाल, मद्रास आदि नगरों समेत पूरे भारत को अपने अधीन कर लिया। बुन्देलखण्ड के हरबोले इसी कहानी को गाते हैं कि झाँसी वाली रानी ने मर्दो की तरह साहस से अंग्रेजों से खूब डटकर युद्ध किया था।

(7) इनकी गाथा छोड़ चलें हम, झांसी के मैदानों में।
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई, मर्द बनी मर्दानों में।
लेफ्टिनेंट वॉकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में।
रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वन्द्व असमानों में।
जख्मी होकर वॉकर भागा उसे अजब हैरानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।7।

शब्दार्थ-गाथा = कथा, कहानी। द्वन्द्व = दो व्यक्तियों का परस्पर युद्ध। असमान = बराबर नहीं। अजब = अनोखा।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई के युद्ध कौशल का सजीव वर्णन किया गया है।

व्याख्या-रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और उनके अद्भुत युद्ध कौशल की कहानियाँ झाँसी के मैदानों में बिखरी पड़ी हैं। युद्ध के दौरान वे पुरुष रूप धारण कर कहर बरपाती थी। अंग्रेजों से छिड़े भीषण युद्ध में अंग्रेजों की सेना का लेफ्टिनेंट वॉकर रानी से युद्ध करने के लिए आगे आया। रानी ने अपनी चमचमाती तलवार खींच ली और इसके साथ ही दो बिना बराबरी के योद्धाओं (एक पुरुष व एक महिला) में युद्ध प्रारम्भ हो गया किन्तु रानी लक्ष्मीबाई के रण-कौशल के आगे उसकी एक न चली और वह शीघ्र ही घायल होकर मैदान से भाग गया। उसे एक महिला के यूँ वीरता-प्रदर्शन पर काफी आश्चर्य था। बुन्देलखण्ड के हरबोले इसी कहानी को गाते हैं कि झाँसी वाली रानी ने मदों की तरह साहस से अंग्रेजों से खूब डटकर युद्ध किया था।

(8) रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार।
घोड़ा थककर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार।
यमुना तट पर अंग्रेजों ने, फिर खाई रानी से हार।
विजयी रानी आगे चल दी किया ग्वालियर पर अधिकार।
अंग्रेजों के मित्र, सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।8।

शब्दार्थ-निरंतर = लगातार । तत्काल = तुरन्त, जल्दी ही। सिधार = मरकर। रजधानी = राजधानी।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष की अमर गाथा का सुन्दर वर्णन किया है।

व्याख्या-झाँसी पर जब अंग्रेजों ने अपना शासन स्थापित कर लिया तो रानी लक्ष्मीबाई ने उनके विरुद्ध युद्ध का बिगुल बजा दिया। इसी क्रम में वह अपनी एक छोटी-सी टुकड़ी के साथ लगभग सौ मील का लम्बा सफर तय करके कालपी आ पहुँची। इतनी लम्बी दूरी और वह भी लगातार, अत्यधिक थकान के कारण रानी का प्रिय घोड़ा बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा और अगले ही पल उसकी मृत्यु हो चुकी थी। घोड़े की मृत्यु से रानी को झटका लगा किन्तु उसने हिम्मत नहीं हारी। इस बीच अंग्रेजों को रानी के कालपी पहुँचने की सूचना मिल चुकी थी।

यमुना के किनारे अंग्रेजों और रानी के मध्य युद्ध हुआ। फिर से रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए और उन्हें पराजय का मुँह देखने के लिए मजबूर कर दिया। अंग्रेजों को धूल चटाने के पश्चात् बड़े मनोबल व आत्मविश्वास के साथ रानी लक्ष्मीबाई ने कालपी से ग्वालियर की ओर कूच किया और ग्वालियर पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। रानी के हाथों परास्त ग्वालियर के पूर्व राजा सिंधिया, जो अंग्रेजों का मित्र भी था को अपनी राजधानी छोड़कर भाग जाना पड़ा था। बुन्देलखण्ड के हरबोले इसी कहानी को गाते हैं कि झाँसी वाली रानी ने मर्दो की तरह साहस से अंग्रेजों से खूब डटकर युद्ध किया था।

(9) विजय मिली पर अंग्रेजों की फिर सेना घिर आई थी।
अब जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुंह की खाई थी।
काना और मुंदरा सखियाँ रानी के संग आई थीं।
युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।
पर पीछे छूरोज आ गया, हाय ! घिरी अब रानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।91

शब्दार्थ-विजय = जीत। सम्मुख = सामने। मुँह की खाना = पराजित होना।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में रानी और उसकी सहेलियों द्वारा अंग्रेजों के दाँत खट्टे करने व रानी के दुश्मनों के मध्य घिर जाने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-रानी लक्ष्मीबाई से मिली करारी हार से बौखलाकर अंग्रेजों ने अब बहुत बड़ी सेना लड़ने के लिए भेजी। इस बार अंग्रेजी सेना का प्रमुख जनरल स्मिथ था, किन्तु उसकी एक न चली और रानी लक्ष्मीबाई और उनकी दो सहेलियों काना और मुन्दरा ने युद्ध के मैदान में अंग्रेजी सेना पर कहर बरपाते हुए जनरल स्मिथ को पराजित कर दिया। पर देखते ही देखते एक नये दल-बल के साथ पीछे से यूरोज लड़ने के लिए युद्ध-मैदान पर आ पहुँचा। रानी और उसकी छोटी-सी सेना अब बुरी तरह घिर चुकी थी। बुन्देलखण्ड के हरबोले इसी कहानी को गाते हैं कि झाँसी वाली रानी ने मदों की तरह साहस से अंग्रेजों से खूब डटकर युद्ध किया।

(10) तो भी रानी मार काटकर चलती बनी सैन्य के पार।
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार।
घोड़ा अड़ा नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार।
रानी एक शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार पर वार।
घायल होकर गिरी सिंहनी, उसे वीरगति पानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।10।

शब्दार्थ-सैन्य = सेना। विषम = भयानक। सवार = घुड़सवार सैनिक । वीरगति = युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए मृत्यु को प्राप्त हो जाना।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-झाँसी पर जब अंग्रेजों ने आक्रमण किया तो रानी | लक्ष्मीबाई ने उनका बड़ी बहादुरी से मुकाबला किया। रानी का घोड़ा कालपी में आकर मर गया तब उन्होंने नया घोड़ा लिया और अंग्रेजों की सेना में मार-काट मचा दी।

व्याख्या-रानी शत्रुओं से घिरी हुई थी किन्तु वह बड़ी वीरता से उन्हें मारकर अपने लिये रास्ता निकाल लेती थी किन्तु, एक नाले के पास घोड़े के अड़ जाने से शत्रुओं ने उसे फिर से घेरने का मौका पा लिया। युद्ध में रानी बुरी तरह घायल हो गई। इस प्रकार वह बहादुर सिंहनी लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गई। बुन्देले हरबोले आज भी उसकी गौरव गाथा गाकर बताते हैं कि रानी लक्ष्मीबाई ने बड़ी बहादुरी से युद्ध किया था।

(11) रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी।
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी।
अभी अ कुल तेईस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी।
हमको जीवित करने आई, बन स्वतंत्रता नारी थी।
दिखा गई पथ सिखा गई, हमको जो सीख सिखानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। 11।

शब्दार्थ-सिधार = स्वर्ग सिधार गई। दिव्य = अलौकिक, दैवीय। तेज = प्रकाश (आत्मा का प्रकाश परमात्मा के प्रकाश से मिल गया)। मनुज = मनुष्य। अवतारी = अवतार लेने वाली देवी। स्वतन्त्रता नारी= स्वतन्त्रता की देवी। पथ-रास्ता। सीख = शिक्षा।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-इन पंक्तियों में कवयित्री ने झाँसी की रानी की वीरता का वर्णन बड़ी भावपूर्ण शैली में किया है।

व्याख्या-झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वर्ग सिधार गई। अब उसकी अलौकिक सवारी स्वर्ग का विमान था। उसकी आत्मा का तेज परमात्मा के तेज से मिल गया। रानी ने मोक्ष प्राप्त किया। वह इसकी सच्ची अधिकारिणी भी थीं। तेईस साल की उम्र में उसकी वीरता को देखकर ऐसा लगता था कि वह कोई मनुष्य नहीं थी बल्कि अवतार लेकर कोई देवी आई थी। वह स्वतन्त्रता की देवी हमें एक नया जीवन देने आई थीं। वह हमें स्वतन्त्रता का रास्ता दिखा गई और अपने देश को स्वतन्त्र कराने का पाठ पढ़ा गई। बुन्देलखण्ड के हरबोले इस कहानी को गाते हैं कि वह मर्दो जैसे युद्ध करने वाली रानी जो बड़ी वीरता से लड़ी थी, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ही थी।

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 मैं श्रीमद्भगवद्गीता हूँ

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 22 पाठ का अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) गीता का जन्म हुआ
(i) ऋषि आश्रम में
(ii) राज परिवार में
(iii) युद्धभूमि में
(iv) अस्पताल में।
उत्तर
(iii) युद्धभूमि में

(ख) पाण्डवों-कौरवों के मध्य राज्य प्राप्ति के लिए
युद्ध हुआ, लगभग
(i) पचास हजार वर्ष पूर्व
(ii) पाँच सौ वर्ष पूर्व
(iii) दो हजार वर्ष पूर्व
(iv) पाँच हजार वर्ष पूर्व
उत्तर
(ii) पाँच सौ वर्ष पूर्व

(ग) अपने सगे-सम्बन्धियों को देखकर मोह उत्पन्न हुआ
(i) श्रीकृष्ण के मन में
(ii) अर्जुन के मन में
(iii) गुरुओं के मन में
(iv) पितामह के मन में।
उत्तर
(ii) अर्जुन के मन में

(घ) श्रीमद्भगवद्गीता में अध्यायों की संख्या
(i) आठ
(ii) तेरह
(iii) अठारह
(iv) चौबीस
उत्तर
(iii) अठारह।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) कुरुक्षेत्र वर्तमान में …………. राज्य में है।
(ख) अर्जुन के धनुष का नाम ………. था।
(ग) समर भूमि में धीर-गम्भीर योद्धा को …………. हुए बिना युद्ध करना चाहिए।
(घ) अर्जुन के सारथी …………….. थे।
(ङ) मैं मनुष्य मात्र को ………………. का संदेश देती हूँ।
उत्तर
(क) हरियाणा
(ख) गाण्डीव
(ग) विचलित
(घ) श्रीकृष्ण
(ङ) स्वधर्म पालन।

प्रश्न 3.
एक या दो वाक्यों में उत्तर दीजिए

(क) कौरव-पाण्डवों के बीच युद्ध क्यों हुआ?
उत्तर
आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पूर्व कौरवों और पाण्डवों के बीच राज्य-प्राप्ति के लिए युद्ध हुआ था। पाण्डव अपना अधिकार चाहते थे जबकि कौरवों के पास सत्ता बल था।

(ख) श्रीकृष्ण ने ज्ञान का उपदेश किसे दिया ?
उत्तर
युद्धभूमि में किंकर्तव्यविमूढ़ शोक मान खड़े अर्जुन को स्वधर्म का मार्ग बतलाने और उसे मोह तथा अज्ञान से मुक्त कराने के लिए श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान युक्त उपदेश दिया।

(ग) नाशवान कौन-कौन हैं?
उत्तर
श्रीकृष्ण के अनुसार संसार की प्रत्येक वस्तु नाशवान है। उन्होंने अर्जुन से कहा कि उसके चारों ओर खड़े उसके अपने स्वजन भी नाशवान हैं।

(घ) गीता ने किस स्वभाव के व्यक्ति को नापसन्द किया है?
उत्तर
गीता ने आसुरी स्वभाव के व्यक्ति को नापसन्द किया है।

प्रश्न 4.
तीन से पाँच वाक्यों में उत्तर दीजिए

(क) मोक्ष के योग्य व्यक्ति कौन होता है?
उत्तर
गीता के अनुसार धैर्यवान पुरुष और सुख-दुःख को समान समझने वाले व्यक्ति को इन्द्रियों और विषयों के संयोग व्याकुल नहीं करते। ऐसा व्यक्ति मोक्ष के योग्य होता है।

(ख) श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के माध्यम से क्या उपदेश दिया?
उत्तर
श्रीमद्भगवद्गीता, जिसे गीता के नाम से भी जाना जाता है, में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से पुरुषार्थी बनने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि पलायन कभी भी मनुष्य के यश में वृद्धि नहीं कर सकता। मनुष्य को सत्य, न्याय और अधिकार की रक्षा के लिए आवश्यकता पड़ने पर युद्ध के लिए तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आत्मा अजर एवं अमर है, उसे कोई नष्ट नहीं कर सकता। अतः, परिजन-मोह त्यागकर उसे अपने क्षत्रिय-धर्म के अनुपालनार्थ युद्ध करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से बिना फल की इच्छा किए कर्म करते रहने का आह्वान किया। उन्होंने आत्मा के अतिरिक्त सभी वस्तुओं को नाशवान बताया। उन्होंने बताया कि एक क्षत्रिय के लिए युद्ध से अधिक श्रेष्ठ और कल्याणकारी कर्त्तव्य कोई दूसरा नहीं है। श्रीकृष्ण के अनुसार जीवन की सार्थकता मोह से प्रभावित हुए बिना कर्म करने और कायरता को त्यागने में है।

(ग) गीता को परमात्मा की वाणी क्यों कहा गया है?
उत्तर
श्रीमद्भगवद्गीता जिसे गीता के नाम से भी जाना जाता है, में भगवान श्रीकृष्ण ने मोहग्रसित अर्जुन को कर्म का महान् उपदेश दिया। यह उपदेश उन्होंने अर्जुन को महाभारत युद्ध के दौरान दिया। साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निसृत होने के कारण गीता को परमात्मा की वाणी भी कहा जाता है।

(घ) युद्धभूमि में अर्जुन के भ्रमित होने का क्या कारण था?
उत्तर
कौरवों और पाण्डवों के मध्य सुलह-समझौते की तमाम कोशिशें असफल सिद्ध हुई थीं। अब युद्ध निश्चित था।
कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध का बिगुल बज उठा। ऐसी युद्धभूमि में अर्जुन ने श्रीकृष्ण से, जो उनके रथ के सारथी भी थे, अपना रथ दोनों सेनाओं के बीच ले चलने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने ऐसा ही किया और अर्जुन का रथ दोनों सेनाओं के ठीक मध्य में लाकर खड़ा कर दिया। अर्जुन ने जब दोनों ओर मरने-मारने को तैयार अपने सगे-सम्बन्धियों, परिवारजनों, प्रियजनों को खड़े देखा तो वह मोहपाश में जकड़कर भ्रमित हो गया।

(ङ) आज भी श्रीमद्भगवद्गीता क्यों प्रासंगिक है?
उत्तर
महाभारत काल में युद्ध के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकले श्रीमद्भगवद्गीता के उपदेश वर्तमान समय में भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने कि तब थे। आज भी न्याय-अन्याय, धर्म-अधर्म का युद्ध व्यक्ति के अन्दर चल रहा है। स्वार्थ और आसुरी वृत्तियाँ आज भी समाज में संघर्ष, तनाव तथा भय पैदा करती रहती हैं। मोह-ममता से ग्रसित व्यक्ति आज भी कर्तव्य पालन से कतराता है। वह सत्य व्यवहार नहीं करता। अतः वर्तमान समय में भी श्रीमद्भगवद्गीता की प्रासंगिकता स्पष्ट है।

प्रश्न 5.
सोचिए और बताइए

(क) जब गीता नहीं थी तो लोगों को जीवन जीने की कला की शिक्षा कहाँ से प्राप्त होती होगी?
उत्तर
जब गीता नहीं थी तो लोगों को जीवन जीने की कला की शिक्षा सम्भवतया हमारे वेदों एवं पुराणों से प्राप्त होती रही होगी। ऋषि-मुनि एवं साधु-सन्त तब के लोगों को उत्तम और सार्थक जीवन जीने के लिए प्रेरणा स्रोत का कार्य करते रहे होंगे। साथ ही, मनुष्य अपने पूर्वजों के उच्च आदर्शों का अनुकरण करते हुए अपने जीवन को धन्य बनाता रहा होगा।

(ख) गीता ने कहा है कि सात सौ श्लोक मेरे सन्देशवाहक हैं। कैसे?
उत्तर
गीता युद्ध काल में लिखी गई एक अनुपम कृति है। गीता राग-द्वेष रहित होकर जीवन जीने और आसुरी प्रवृत्तियों का विरोध करने की शिक्षा देती है। वास्तव में गीता की सम्पूर्ण शिक्षाएँ कुल अठारह अध्यायों में संरक्षित हैं। ये शिक्षाएँ इन अठारह अध्यायों में सात सौ श्लोकों में विद्यमान हैं। इन सात सौ श्लोकों में से प्रत्येक श्लोक मानव-जीवन के कल्याण हेतु अमृत-तुल्य है। अत: यह कहना बिल्कुल ठीक है कि गीता के सात सौ श्लोक उसके उपदेशों अथवा शिक्षाओं के सन्देशवाहक हैं।

(ग) कौरवों और पाण्डवों के बीच हुए युद्ध को न्याय-अन्याय के बीच युद्ध क्यों कहा गया है ?
उत्तर
आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पूर्व पाण्डवों और कौरवों के मध्य महाभारत नामक एक भयंकर युद्ध हुआ। पाण्डव जहाँ सत्य और न्याय के पक्षधर थे वहीं कौरवों के राज्य में अन्यायऔर अधर्म का बोलबाला था। पाण्डव अपना नैतिक एवं जायज अधिकार चाहते थे जबकि कौरव उन्हें सुई की नोंक के बराबर भूमि भी देने को तैयार न थे। श्रीकृष्ण ने स्वयं पहल करते हुए समझौते कराने एवं युद्ध टालने के भरसक प्रयास किये किन्तु अधर्मी कौरवों ने उनकी एक बात न मानी। ऐसे में युद्ध आवश्यक हो गया। पाण्डव अपना अधिकार चाहते थे जबकि कौरवों के पास सत्ता-बल था। अतः, इस युद्ध को न्याय-अन्याय के बीच युद्ध अथवा धर्म-अधर्म के बीच युद्ध कहा गया।

(घ) यदि हम आसक्ति भाव से कर्म करेंगे तो क्या होगा?
उत्तर
गीता मनुष्य को अनासक्त भाव से कर्म करने की प्रेरणा देती है। यदि हम आसक्ति भाव से कर्म करेंगे तो हमारा ध्यान कर्म पर न लगकर उससे प्राप्त होने वाले परिणाम पर केन्द्रित रहेगा जिसके परिणामस्वरूप न तो हम अपनी पूरी योग्यता और दक्षता से अपने कर्म को सम्पादित कर पायेंगे और न ही हमें ऐसे कर्म के वांछित परिणाम ही प्राप्त होंगे। साथ ही, वांछित परिणाम प्राप्त न होने पर मनुष्य के मन में हीन भावना एवं अवसाद के भाव उत्पन्न होंगे। इसीलिए गीता हमें सदैव बिना फल की चिन्ता किये लगातार कर्म करते रहने की प्रेरणा देती है।

प्रश्न 6.
अनुमान और कल्पना के आधार पर उत्तर दीजिए

(क) यदि कौरव और पाण्डवों में युद्ध न हुआ होता तो क्या होता?
उत्तर
यदि कौरवों और पाण्डवों के बीच युद्ध न हुआ होता तो एक ओर तो मानव सभ्यता महाभारत जैसे युद्ध की विभीषिका से बच जाती किन्तु दूसरी ओर उसे मानव-कल्याण रूपी गीता जैसे अमृत-ग्रन्थ की प्राप्ति भी न हो पाती। वास्तव में, गीता जैसी महान कृति का जन्म महाभारत युद्ध के दौरान ही हुआ था।

(ख) यदि अर्जुन के मन में मोह उत्पन्न न हुआ होता तो क्या होता?
उत्तर
कुरुक्षेत्र के मैदान में दोनों सेनाओं में अपने नातेरिश्तेदारों और सगे-सम्बन्धियों को देखकर अर्जुन के मन में अचानक ही उनके प्रति मोह उत्पन्न हो गया और वह युद्ध न करने की बात करने लगा। अर्जुन की कायरता को देखकर भगवान श्रीकृष्ण ने उसे गीता के उपदेश सुनाकर उसके अकारण परिजन-मोह को दूर किया।
स्पष्ट है कि यदि युद्ध के दौरान अर्जुन के मन में मोह उत्पन्न न हुआ होता तो गीता जैसे महान ग्रन्थ की रचना भी नहीं हुई होती और मानव सभ्यता गीता के उपदेशों और उसकी उच्च शिक्षाओं से वंचित रह जाती।

(ग) यदि अर्जुन की जगह तुम होते तो युद्ध करते या नहीं?
उत्तर
यदि अर्जुन के स्थान पर मैं होता और मुझे भगवान श्रीकृष्ण का साथ मिलता तो मैं अवश्य युद्ध करता। मैं कायरता के भाव को अपने मन में न आने देता और अपने क्षत्रिय-धर्म का बखूबी पालन करता।

(घ) यदि कृष्ण, अर्जुन के सखा एवं हितैषी न होते तो क्या होता?
उत्तर
यदि कृष्ण, अर्जुन के सखा एवं हितैषी न होते तो मोहवश अपने क्षत्रिय धर्म से विमुख अर्जुन को उसके कर्म का भान भला कौन कराता? ऐसे में न सिर्फ उसकी अपितु पाण्डवों की उज्ज्वल छवि धूमिल हो जाती। इतिहास में उसका नाम एक वीर योद्धा के रूप में दर्ज न होकर युद्ध से पलायन करने वाले एवं मोह-माया में जकड़े एक कायर के रूप में लिखा होता।

(ङ) यदि दुर्योधन किसी तरह राज्य का उत्तराधिकारी बन गया होता तो क्या होता?
उत्तर
यदि कौरव-पाण्डवों के युद्ध में कौरवों को विजय मिलती और दुर्योधन राज्य का उत्तराधिकारी बन जाता तो चारों ओर अन्याय और अधर्म का राज्य होता। ऐसे में सत्य और धर्म का आचरण करने वालों का जीवन जीना कठिन हो जाता। चारों ओर लूट-खसोट और अराजकता फैल जाती। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि दुर्योधन के राज्य का उत्तराधिकारी बनने पर राज ‘कुराज’ में बदल जाता और ऐसे में मानव-मात्र का जीवन खतरे में पड़ जाता।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
भ्रमित, वितृष्णा, विरक्ति, हतप्रभ, किंकर्तव्यविमूढ़, अनासक्त, संन्यास, तात्विक, विश्वात्मा, व्याप्त, सम्मत, संघर्ष।
उत्तर
उपरोक्त सभी खण्डों को त्रुटिरहित उच्चरित कीजिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए
भूमति, वित्रष्णा, विरक्ती, किंकतळ, हतपृभ, सन्यास, तातविक, सममत, सनघर्ष, व्यापत।
उत्तर
MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 मैं श्रीमद्भगवद्गीता हूँ 1
MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 मैं श्रीमद्भगवद्गीता हूँ 2

प्रश्न 3.
‘त्व’ प्रत्यय लगाकर निम्नलिखित शब्दों से नए शब्द बनाइए
गुरु, पुरुष, कृति।
उत्तर
MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 मैं श्रीमद्भगवद्गीता हूँ 3

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
राज्य प्राप्ति, युद्धभूमि, कारागार, मोर्चा, शिथिल।
उत्तर
(क) राज्य प्राप्ति – कौरवों को महाभारत के युद्ध में पराजित कर पाण्डवों को राज्य प्राप्ति हुई।
(ख) युद्धभूमि – कुरुक्षेत्र महाभारत काल की प्रसिद्ध युद्धभूमि है।
(ग) कारागार – श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था।
(घ) मोर्चा – रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के विरुद्ध स्वयं युद्ध का मोर्चा संभाला।
(छ) शिथिल – ठण्ड के कारण बुजुर्ग महिला के सभी अंग शिथिल पड़ गये थे।

प्रश्न 5.
अपठित गद्यांश

‘गीता शास्त्रों का दोहन है। मैंने कहीं पढ़ा था कि सारे उपनिषदों का निचोड़ उसके सात सौ श्लोकों में आ जाता है। इसलिए मैंने निश्चय किया कि कुछ न हो सके तो भी गीता का ज्ञान प्राप्त कर लें। आज गीता मेरे लिए केवल बाइबिल नहीं है, केवल कुरान नहीं है, मेरे लिए वह माता हो गई है। मुझे जन्म देने वाली माता तो चली गई, पर संकट के समय गीता माता के पास जाना मैं सीख गया हूँ। मैंने देखा है जो कोई इस माता की शरण में जाता है, उसे ज्ञानामृत से वह तृप्त करती है।-मो. क. गाँधी उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(1) गाँधीजी के अनुसार गीता क्या है ?
(2) गाँधीजी संकट के समय किसके पास जाते थे?
(3) अपनी शरण में आने वालों को गीता क्या लाभ पहुँचाती है?
(4) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर

  1. गाँधीजी के अनुसार गीता उनके लिए मात्र कोई धार्मिक ग्रन्थ नहीं है, अपितु वह उनकी माता के समान है।
  2. गाँधीजी संकट के समय गीता-माता के पास जाते थे।
  3. अपनी शरण में आने वाले को गीता ज्ञानामृत से तृप्त करती है।
  4.  शीर्षक : ‘गाँधी और गीता’।

मैं श्रीमद्भगवद्गीता हूँ परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

(1) जानते हो मेरा जन्म कहाँ हुआ ? मेरा जन्म किसी राजपरिवार अथवा ऋषि आश्रम में नहीं हुआ अपितु युद्ध भूमि में हुआ वैसे ही जैसे श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था। यह युद्ध भूमि कुरुक्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है जो वर्तमान में हरियाणा राज्य में अवस्थित है।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के ‘मैं श्रीमद्भगवद्गीता हूँ’ नामक पाठ से लिया है। इसकी लेखिका डॉ. लता अग्रवाल हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में ‘गीता’ स्वयं अपनी उत्पत्ति के स्थान का वर्णन कर रही है।

व्याख्या-भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकली गीता अपने उत्पत्ति स्थान एवं परिवेश की जानकारी देते हुए कह रही है कि उसका जन्म किसी राजा के कुल अथवा किसी महान ऋषि की तपोभूमि पर नहीं हुआ है, अर्थात् उसको किसी राजा के दरबारी अथवा ऋषि-मुनि ने नहीं लिखा है। उसका जन्म तो युद्ध के मैदान में हुआ है, ठीक वैसे ही जैसे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा स्थित कारावास में हुआ था। गीता बताती है कि मरने-मारने पर उतारू कौरवों और पाण्डवों की सेना के मध्य, वर्तमान हरियाणा राज्य में स्थित कुरुक्षेत्र नामक स्थान पर उसकी उत्पत्ति हुई और वह स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा रची गई है।

(2) अर्जुन ने जब दोनों ओर युद्ध के लिए तैयार सगे सम्बन्धियों, परिवारजनों, प्रियजनों को देखा तो वह मोहपाश में जकड़कर भ्रमित हो गया। अर्जुन के मन में युद्ध के प्रति वितृष्णा होने लगी। युद्धभूमि के दृश्य को देखकर वह हतप्रभ रह गया। उसके अंग शिथिल होने लगे। हाथों से उसका धनुष गाण्डीव गिरने लगा। वह खड़ा होने में भी असमर्थ हो रहा था।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कुरुक्षेत्र के मैदान में परिजन-मोह से ग्रसित अर्जुन की दशा का सजीव वर्णन किया गया है।

व्याख्या-समझौते की तमाम कोशिशों के असफल होने के बाद जब कौरवों और पाण्डवों में युद्ध का बिगुल बजा तो अर्जुन ने श्रीकृष्ण से अपना सारथी बनने का अनुरोध किया। श्रीकृष्ण ने इस पर अपनी सहमति प्रकट की। युद्ध के मैदान में लड़ाई के लिए तत्पर दोनों सेनाओं के बीच जब श्रीकृष्ण ने अर्जुन के रथ को ले जाकर खड़ा कर दिया तो अर्जुन ने अपने चारों ओर एक दृष्टि डाली। दोनों सेनाओं में मरने-मारने को उतारू अपने सगेसम्बन्धियों, नाते-रिश्तेदारों, गुरुजनों, सखाओं और बन्धु-बान्धवों को देखकर उसका गला सूख गया।

उसे परिजन-मोह हो गया। वह अपने क्षत्रिय धर्म को भूलकर दर्शन की बात करने लगा। उसके मन में अचानक युद्ध के प्रति घृणा उत्पन्न हो गई। वह युद्ध को मानवता के लिए विनाशकारी कहने लगा। युद्धभूमि के दृश्य को देखकर वह महायोद्धा अत्यन्त विचलित हो गया। उसके सभी अंगों ने मानो एक साथ काम करना बन्द कर दिया हो, उसे ऐसा अनुभव होने लगा कि उसके हाथों से उसका प्रिय धनुष’गाण्डीव’ गिरने लगा। वह सूखे पत्ते की तरह काँपने लगा। उसके पैरों में शरीर का बोझ उठाने तक की क्षमता नहीं बची।

(3) मैंने अर्जुन से कहा कि वह पुरुषार्थी बने। पलायन कभी भी मनुष्य के यश में वृद्धि नहीं कर सकता। मैंने कहा कि जब न्याय और अधिकार प्राप्त करने के लिए कोई मार्ग नबचे और युद्ध ही करना पड़े तब हृदय और मन की सम्पूर्ण दुर्बलताओं को त्यागकर समर भूमि में धीर, गंभीर योद्धा को विचलित हुए बिना युद्ध करना चाहिए। मैंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-इन पंक्तियों में युद्धभूमि के दृश्य को देखकर विचलित अर्जुन को उसके क्षत्रिय-धर्म की याद दिलाने की कोशिश की गई है।

व्याख्या-कुरुक्षेत्र के मैदान में दोनों सेनाओं में अपने सगे-सम्बन्धियों को खड़ा देख जब अर्जुन अपने क्षत्रिय-धर्म से विमुख हो युद्ध न करने की बात करने लगा, तो भगवान श्रीकृष्ण ने गीता रूपी उपदेश के माध्यम से अर्जुन को समझाया कि वह पुरुषार्थी बने, अर्थात् बिना फल की इच्छा किये अपने धर्म-सम्मत कार्य को अपनी पूर्ण निष्ठा और क्षमता से करे।

कार्य के परिणाम की सोचकर उससे पलायन कर जाना कभी भी मनुष्य की कीर्ति को बढ़ाने वाला नहीं हो सकता। श्रीकृष्ण ने बेहाल अर्जुन को प्रेरित करते हुए आगे कहा कि जब सत्य, न्याय और अपना वैधानिक अधिकार प्राप्त करने के लिए कोई रास्ता न बचे और युद्ध आवश्यक हो जाये तो बिना युद्ध के परिणाम की चिन्ता किये युद्ध अवश्य करना चाहिए। इस क्रम में अपने हृदय और मन की सभी कमजोरियों, मोह इत्यादि को त्यागकर युद्धभूमि में एक वीर योद्धा की तरह अपने धर्म का पालन करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उसके परिजन-मोह से उबारने के लिए कहा कि जन्म लेने वाले प्रत्येक मनुष्य की मृत्यु तो निश्चित है। अत: उसे अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए एक योद्धा की भाँति युद्ध करना चाहिए।

(4) धैर्यवान पुरुष और सुख-दुःख को समान समझने वाले व्यक्ति को इन्द्रियों और विषयों के संयोग व्याकुल नहीं करते। ऐसा व्यक्ति मोक्ष के योग्य होता है। हे अर्जुन ! सुन, तू युद्ध कर या न कर, ये सभी नाशवान हैं, केवल वहनाशरहित है जिसमें यह सम्पूर्ण विश्व समाहित है। यह जो चारों ओर तू अपने स्वजनों को देखकर विचलित हो रहा है ये सब नाशवान हैं। इन सबको नष्ट होना ही है। केवल आत्मा अमर है। वही नित्य है। अत: हे अर्जुन ! तू समर भूमि में शोक रहित होकर अपने धर्म को पहचान। तू क्षत्रिय है, तेरे लिए युद्ध से अधिक श्रेष्ठकोई कल्याणकारी कर्त्तव्य नहीं हैयही तेरा स्वधर्म है अत: तू युद्ध कर।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को आत्मा की अमरता एवं अजरता रूपी तत्वज्ञान प्रदान करने की बात कही गई है।

व्याख्या-कुरुक्षेत्र के मैदान में दोनों सेनाओं के मध्य खड़े रथ में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का महान उपदेश देते हए कहते हैं कि मनुष्य को सदैव सुख और दुःख को समान रूप में लेना चाहिए। ऐसे धैर्यवान मनुष्य कभी भी अपने कर्तव्य-पथ से नहीं डिगते और न ही उन्हें मोह-माया अथवा इन्द्रियों की कमजोरी व्याकुल कर पाती है। भावनाओं, इन्द्रियों और परिस्थितियों के चंगुल-प्रलोभन से परे व्यक्ति मोक्ष के योग्य होता है। श्रीकृष्ण अर्जुन को सम्बोधित करते हुए आगे कहते हैं कि हे अर्जुन ! अपने चारों ओर खड़े जिन परिजनों को देखकर जो तू इतना उदास हो चला है वे सभी नाशवान हैं। तू भले ही इनके मोह से वशीभूत हो युद्ध से पलायन कर इन्हें न मार किन्तु ये सभी तो नाशवान हैं।

इन सबको तो नष्ट होना ही है। यही क्या संसार में सभी प्राणी, जिनका जन्म हुआ है, उन्हें मरना है। मृत्यु ही इनकी नियति है। सिर्फ आत्मा अजर और अमर है। वही सनातन है और सत्य भी। वह नाशरहित है, कोई उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। अत: हे अर्जुन | तू जल्द से जल्द अपनी इस इन्द्रिय-दुर्बलता को त्यागकर अपने क्षत्रिय-धर्म का पालन कर और युद्ध कर क्योंकि एक क्षत्रिय के लिए युद्ध से अधिक महान एवं कल्याणकारी कर्त्तव्य दूसरा नहीं है। अतः, तू अपने निज धर्म के पालनार्थ मोह-माया से परे होकर निडरता एवं निर्भीकता के साथ युद्ध कर।

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