MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाए

रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाए NCERT अभ्यास प्रश्न

रसायन विज्ञान कक्षा 11 Mp Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित के लिए मोलर द्रव्यमान का परिकलन कीजिए –

  1. H2O
  2. CO2
  3. CH4

उत्तर:

  1. H2O का अणुभार = 2 (1.008 amu) + 16.00 amu = 18.016 amu.
  2. CO2 का अणुभार = 12.01 amu + 2 x 16.00 amu = 44.01 amu.
  3. CH4 का अणुभार = 12.01 amu + 4(1.008 amu) = 16.042 amu.

Mulanupati Sutra In Chemistry In Hindi प्रश्न 2.
सोडियम सल्फेट (Na2SO4) में उपस्थित विभिन्न तत्वों के द्रव्यमान प्रतिशत की गणना कीजिए।
हल:
रसायन विज्ञान कक्षा 11 Mp Board

Mp Board Class 11th Chemistry Solution प्रश्न 3.
आयरन के एक ऑक्साइड का मूलानुपाती सूत्र ज्ञात कीजिए जिसमें 69.9% आयरन तथा 30.1% डाइऑक्सीजन भारानुसार हो।
हल:
Mulanupati Sutra In Chemistry In Hindi
∴ मूलानुपाती सूत्र = Fe2O3.

Mp Board Solution Class 11 Chemistry प्रश्न 4.
बनने वाले कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा की गणना कीजिए जब –

  1. हवा में 1 मोल कार्बन जलती है।
  2. 16g डाइऑक्सीजन में 1 मोल कार्बन जलती है।
  3. 16g डाइऑक्सीजन में 2 मोल कार्बन जलती है।

उत्तर:
Mp Board Class 11th Chemistry Solution

  1. कार्बन का 1 मोल CO2 के 44 ग्राम देता है।
  2. डाइऑक्सीजन के केवल 16g उपलब्ध है ये कार्बन के केवल 0.5 मोल से संयोग करती है। अतः डाइऑक्सीजन सीमान्त अभिकारक है। अतः बना हुआ CO2 = 22g.
  3. यहाँ O2 सीमान्त अभिकारक है, O2 के 0.5 मोल CO2 के 22g देता है।

प्रश्न 5.
सोडियम ऐसीटेट (CH3COONa) का 500 ml, 0.375 मोलर जलीय विलयन बनाने के लिए, उसके कितने द्रव्यमान की आवश्यकता होगी? सोडियम ऐसीटेट का मोलर द्रव्यमान 82-0245 g mor’ है।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 4
जहाँ, WB = विलेय का द्रव्यमान, MB = विलेय का मोलर द्रव्यमान प्रश्नानुसार
विलयन की मोलरता, M = 0.375 M
विलेय का मोलर द्रव्यमान, MB = 82.0245g mol-1
विलयन का आयतन = 500 ml
विलेय का द्रव्यमान, WB = ?
विलेय का द्रव्यमान, WB = \(\frac { MxM_{ B }xV }{ 1000 } \)
= \(\frac{0.375×82.0245×500}{1000}\)
= 15.379g ≅ 15.38g.

प्रश्न 6.
सान्द्र नाइट्रिक अम्ल के उस प्रतिदर्श की मोल प्रति लीटर में सान्द्रता का परिकलन कीजिए, जिसमें उसका द्रव्यमान प्रतिशत 69% हो और घनत्व 1.41gm-1 हो।
हल:
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प्रश्नानुसार d = 1.41 gmL-1, HNO3 का द्रव्यमान प्रतिशत = 69%
69% HNO3 का अर्थ है नाइट्रिक अम्ल के 100g विलयन में 69g HNO3 उपस्थित है,
अत: HNO3 (विलेय) का द्रव्यमान WB = 69g
HNO3 का मोलर द्रव्यमान = 1.0079 + 14.0067 + (3 x 16.00)
= 63.0146 gmol-1
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प्रश्न 7.
100 g CuSO4(कॉपर सल्फेट) से कितना कॉपर प्राप्त होता है?
हल:
CuSO 4के 1 मोल में Cu के 1 मोल (1g परमाणु) होते हैं।
CuSO4 अणुभार = 63.5 + 32+4 x 16 = 159.5 g मोल-1
∴ 159.5g CuSO4 से प्राप्त Cu= 63.5g
100g CuSO4 से प्राप्त Cu = \(\frac{63.5}{159.5}\) x 100g = 39.81g.

प्रश्न 8.
आयरन के एक ऑक्साइड के आण्विक सूत्र की गणना कीजिये जिसमें आयरन तथा ऑक्सीजन का भार प्रतिशत क्रमशः 69.9 तथा 30.1 है।
हल:
प्रश्न 3 से मूलानुपाती सूत्र FeO3 है।
FeO3 का मूलानुपाती सूत्र भार = 2 x 55.85 + 3 x 16
= 159.7
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अतः आयरन ऑक्साइड का अणुसूत्र = Fe2O3.

प्रश्न 9.
क्लोरीन के परमाणु भार की गणना नीचे दिये गये आँकड़ों का उपयोग करके कीजिए –
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हल:
औसत परमाणु द्रव्यमान \(\overline { A } \), समस्थानिकों की आंशिक बाहुल्यता (Fi) तथा उनके संगत मोलर द्रव्यमान Ai के गुणनफल के योग के बराबर होता है।
औसत परमाणु द्रव्यमान \(\overline { A } \) = Σ Fi.Ai = F1 x A1 + F2 x A2 + ………….
अतः क्लोरीन का औसत द्रव्यमान, \(\overline { A } \) = 0.7577 x 34.9689 + 0. 2423 x 36.9659
= 26.4959 + 8.9568
= 35.4527µ = 35.5µ

प्रश्न 10.
एथेन के तीन मोल में निम्नलिखित की गणना कीजिए –

  1. कार्बन परमाणु के मोलों की संख्या
  2. हाइड्रोजन परमाणु के मोलों की संख्या
  3. एथेन के अणुओं की संख्या।

उत्तर:
C2H6 के 3 मोल में है –

  1. कार्बन परमाणु के 6 मोल।
  2. हाइड्रोजन परमाणु के 18 मोल।
  3. अणुओं की संख्या = 3 x 6.07 x 1023 = 18.21 x 1023.

प्रश्न 11.
शर्करा की सान्द्रता मोल लीटर में क्या होगी यदि इसके 20g को पर्याप्त मात्रा में जल में घोलकर अंतिम आयतन 2L बनाया जाये?
हल:
शर्करा का अणुभार = 12 x 12 + 1 x 22 + 16x 11 = 342
मोलर सांद्रता अर्थात्
M = \(\frac{\mathrm{W}}{\mathrm{M}_{\mathrm{B}} \mathrm{V}_{(\mathrm{L})}}\) = \(\frac{20}{342×2}\) = 0.0292

प्रश्न 12.
यदि मेथेनॉल का घनत्व 0.793 kg L-1 है, तो 0.25M विलयन 2.5 L में बनाने के लिये इसका कितना आयतन आवश्यक होगा?
हल:
M = \(\frac { W_{ B } }{ M_{ B }xV } \)
M= 0.25 g
V = 2.5 L
MB = 32g मोल-1
0.25 = \(\frac { W_{ B } }{ 32×2.5 } \)
या wB = 20g
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(यहाँ घनत्व = 0.793kg L-1 या 0.793 g ml-1)

प्रश्न 13.
दाब को पृष्ठ के बल प्रति इकाई क्षेत्रफल के रूप में ज्ञात कीजिए।दाब की S.I. इकाई पास्कल नीचे दिखाई गई है –
1Pa = 1Nm-2
यदि समुद्र सतह पर हवा का भार 1034 gcm है, तो पास्कल में दाब निकालिये।
हल:
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= 1.01 x 105kg m-1s-2
= 1.01 x 105Nm-2 = 1.01 x 105Pa,
(न्यूटन (N) = kg m s-2; Pa = \(\frac { N }{ m^{ 2 } } \) = kg m-1s-2)

प्रश्न 14.
द्रव्यमान की S.I. इकाई क्या है ? इसे किस तरह परिभाषित करते हैं?
उत्तर:
द्रव्यमान की S.I. इकाई किलोग्राम (kg) है, इसका मान अन्तर्राष्ट्रीय मानक किलोग्राम के समान है। किसी पदार्थ का द्रव्यमान उसमें उपस्थित द्रव्य की मात्रा है। किसी वस्तु का द्रव्यमान स्थिर रहता है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित पूर्वलग्न को उनके गुणक से मिलान कीजिए –
पूर्वलग्न(उपसर्ग)     गुणक
(i) माइक्रो             106
(ii) डेका               109
(iii) मेगा               10-6
(iv) गीगा              10-15
(v) फेम्टो              10
उत्तर:
माइक्रो = 10-6, डेका = 10, मेगा = 106, गीगा = 109, फेम्टो = 10-15.

प्रश्न 16.
सार्थक अंकों का क्या अर्थ होता है?
उत्तर:
परिभाषा (Definition)-किसी मापन के परिणाम को पूर्ण रूप से दर्शाने के लिए शन्य से नौ तक के अंकों में से न्यूनतम संख्या में जिन अंकों का प्रयोग आवश्यक होता है उन अंकों को सार्थक अंक कहते हैं। अथवा, किसी संख्या के उन अंकों (0 से लेकर 9 तक) को जिनके द्वारा किसी भौतिक राशि के परिमाण को पूर्णतः उसके यथार्थ मान तक व्यक्त करते हैं, सार्थक अंक (Significant figures) कहलाते हैं।

ये वे अंक हैं जो किसी मापन की परिशुद्धता को व्यक्त करने के लिए आवश्यक होते हैं। सार्थक अंकों की संख्या मापन के लिए प्रयुक्त उपकरण की परिशुद्धता पर निर्भर होती है। यदि मापन के लिए प्रयुक्त स्केल/ उपकरण की परिशुद्धता अधिक है तो मापन में अनिश्चितता भी कम होगी। किसी संख्या का अन्तिम अंक अनिश्चित होता है।
यदि किसी संख्यात्मक माप को 125.47 m3 दर्शाते हैं तो उसमें पाँच सार्थक अंक हैं तथा अन्तिम अंक 7 अनिश्चित है।

प्रश्न 17.
पीने के पानी का एक नमूना क्लोरोफॉर्म CHCl3 से दूषित हो गया जो अति कैंसरकारी प्रकृति का होता है। प्रदूषण का स्तर 15ppm (भार द्वारा) है।

  1. इसे प्रतिशत में दर्शाइये भार द्वारा।
  2. क्लोरोफॉर्म की मोललता पानी के नमूने में ज्ञात कीजिए।

हल:
15 ppm दूषित अर्थात् 15g क्लोरोफॉर्म 106g विलयन में घुला हुआ है।
अर्थात् , WB = 15g, WA = 106 – 15 ≅ 106g
विलेय का अणुभार (MB) = 119.5
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प्रश्न 18.
निम्नलिखित को वैज्ञानिक अंकन में प्रदर्शित कीजिए –

  1. 0.0048
  2. 234,000
  3. 8008
  4. 500.0
  5. 6.0012.

उत्तर:

  1. 48 x 10-3
  2. 2.34 x 105
  3. 8.008 x 103
  4. 5.000 x 102
  5. 6.0012 x 100

प्रश्न 19.
निम्न में कितने सार्थक अंक उपस्थित हैं –

  1. 0.0025
  2. 208
  3. 5005
  4. 126,000
  5. 500.0
  6. 2.0034.

उत्तर:

  1. 2
  2. 3
  3. 4
  4. 6
  5. 4
  6. 5.

प्रश्न 20.
निम्न को तीन सार्थक अंकों तक व्यवस्थित कीजिए –

  1. 34.216
  2. 10.4107
  3. 0.04597
  4. 2808

उत्तर:

  1. 34.2
  2. 10.4
  3. 0.0460
  4. 2.80 x 102.

प्रश्न 21.
डाइनाइट्रोजन तथा डाइऑक्सीजन की क्रिया द्वारा विभिन्न यौगिक बनते हैं तथा निम्नलिखित आँकड़े प्राप्त होते हैं –
डाइनाइट्रोजन   डाइऑक्सीजन
का भार                का भार
(i) 14g                  16g
(ii) 14g                32g
(iii) 28g                32g
(iv) 28g                80g

(a) ऊपर दिये प्रायोगिक आँकड़ों में कौन-सा रासायनिक संयोजन के नियम का पालन होता है इसका विवरण दीजिए।
(b) निम्नलिखित परिवर्तन में खाली स्थान भरिए –

  1. 1 km = …………… mm = …………… pm
  2. 1 mg = …………… kg = …………… ng
  3. 1 ml = ………….. L = …………… dm3.

उत्तर:
(a) यहाँ गुणित अनुपात के नियम का पालन हो रहा है, इसके अनुसार, जब दो तत्त्व संयोग करके दो या दो से अधिक यौगिक बनाते हैं तो एक तत्त्व के भिन्न-भिन्न भार जो कि दूसरे तत्त्व के निश्चित भार से संयोग करते हैं; परस्पर सरल अनुपात में होते हैं। यहाँ आँकड़ों से ज्ञात होता है कि ऑक्सीजन के भिन्न-भिन्न द्रव्यमान 16, 32, 40 जो नाइट्रोजन के एक निश्चित द्रव्यमान 14 से संयुक्त होते हैं, जो 2 : 4 : 5 के सरल अनुपात में हैं।
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प्रश्न 22.
यदि प्रकाश की गति 3.0 x 108 ms-1 है, तो प्रकाश द्वारा 2.00 ns में तय की गई दूरी की गणना कीजिए।
हल:
दूरी = गति x समय
= 3 x 108 x 2 x 10-9
= 6 x 10-1 = 0.6m.

प्रश्न 23.
अभिक्रिया में A + B2 → AB2 सीमांत अभिकर्मक की पहचान कीजिये यदि कोई निम्नांकित अभिक्रिया मिश्रण में हो –

  1. A के 300 परमाणु + B के 200 अणु
  2. A के 2 मोल + Bके 3 मोल
  3. A के 100 परमाणु + B के 100 अणु
  4. 5 मोल A + 2.5 मोल B
  5. 2.5 मोल A +5 मोल B.

उत्तर:
सीमांत अभिकर्मक अभिक्रिया में सबसे पहले खत्म होता है। अतः इस अभिकर्मक को ज्ञात करने के लिए A और B की मात्रा का तुलना करते हैं।
A + B2 → AB2

1. उपर्युक्त समी. के अनुसार A का 1 परमाणु, B के 1 अणु के साथ क्रिया करता है।
अत: A का 200 परमाणु B के 200 अणु से क्रिया करेंगे।
अत: B सीमांत अभिकर्मक है तथा A अधिकता में होगा।

2. उपर्युक्त समी. के अनुसार A के 1 मोल, B के 1 के साथ क्रिया करते हैं।
अतः A के 2 मोल, B के 2 मोल से क्रिया करेंगे।
इस दशा में A सीमांत अभिकर्मक होगा। B अधिकता में रहेगा।

3. उपर्युक्त समी. के अनुसार A के 1 परमाणु, B के 1 अणु से क्रिया करते हैं।
अतः A के 100 परमाणु, B के 100 अणु से क्रिया करेंगे।
अत: यह एक स्टाइकियोमेट्री मिश्रण है।
अतः कोई सीमान्त अभिकर्मक नहीं है, न A और न B।

4. इस दशा में A के 2.5 मोल, B के 2.5 मोल से क्रिया करेंगे।
अत: B सीमान्त अभिकर्मक है। A अधिकता में रहेगा।

5. इस दशा में A सीमान्त अभिकर्मक होगा। B अधिकता में रहेगा।

प्रश्न 24.
डाइनाइट्रोजन तथा डाइहाइड्रोजन एक-दूसरे के साथ क्रिया करके निम्न रासायनिक क्रिया के अनुसार अमोनिया
बनाती है –
N2(g) + 3H2(g) → 2NH3(g)

  1. बने अमोनिया के भार की गणना कीजिए यदि 2.00 x 103g डाइनाइट्रोजन 1.00 x 103g डाइहाइड्रोजन के साथ क्रिया करता है।
  2. क्या कोई दो अभिकारक अक्रियाशील है?
  3. यदि हाँ तो कौन-सा है तथा उसका भार क्या होगा?

हल:
1.
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28g N2 अमोनिया बनाती है = 34g
2 x 103g N2 अमोनिया बनायेगी
= \(\frac{34 \times 2 \times 10^{3}}{28}\) = 2.43 x 103g
फिर ∴ 6g H2 अमोनिया बनाती है = 34g
∴ 1 x 103g H, अमोनिया बनाती है
= \(\frac{34 \times 1 \times 10^{3}}{6}\) = 5.66 x 103g.

2. N2 से प्राप्त अमोनिया कम है अतः N2 सीमान्त अभिकर्मक है। H2 अप्रभावित रहता है।

3. ∴ 28g N2, H2 से क्रिया करता है = 6g
∴ 2 x 103g N2 क्रिया करता है।
\(\frac{6 \times 2 \times 10^{3}}{28}\)
बची H = 1 x 103 – 4.286 x 102 = 571.4 g.

प्रश्न 25.
0.50 मोल Na2CO3 तथा 0-50 M NaCO3 में क्या अंतर है?
हल:
Na2CO3 का मोलर द्रव्यमान = (2 x 23) + 12 + (3 x 16)
= 106 g mol-1
0.50 मोल Na2CO3, का द्रव्यमान = मोलों की संख्या – मोलर द्रव्यमान
= 0.50 x 106 = 53g Na2CO3
अत: 0.50 M Nayco का तात्पर्य है कि 1 लीटर विलयन में Narco के 53g उपस्थित है।

प्रश्न 26.
डाइहाइड्रोजन के दस आयतन डाइऑक्सीजन के पाँच आयतन से क्रिया करके जलवाष्य के कितने आयतन बनायेंगे?
उत्तर:
H2(g) + \(\frac{1}{2}\)O2(g) → H2O(g)
1 मोल \(\frac{1}{2}\)मोल 1 मोल
1 आयतन \(\frac{1}{2}\)आयतन 1 आयतन
10 आयतन 5 आयतन 10 आयतन
अतः जलवाष्प के 10 आयतन प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 27.
निम्नलिखित को आधारभूत इकाई में बदलिये –

  1. 28.7 pm
  2. 15.15 µs,
  3. 25365 mg.

हल:
1. 28.7pm = 28.7pm x \(\frac { 10^{ -12 }m }{ 1pm } \) = 287 x 10-11m.
2. 15.15µs = 15.15µs x \(\frac { 10^{ -6 }m }{ 1µs } \) = 1.515 x 10-5s.
= 2.5365×10-2kg.
3.25365 mg = 25365 mg x \(\frac{1g}{1000mg}\) x \(\frac{1kg}{1000g}\)

प्रश्न 28.
निम्न में से किस एक में अधिकतम परमाणुओं की संख्या होगी –

  1. 1g Au(s)
  2. 1g Na(s)
  3. 1g Li(s)
  4. 1g Cl2(g)

हल:
1. 1g Au = \(\frac{1}{197}\)mol = \(\frac{1}{197}\) x 6.02 x 1023 परमाणु
2. 1g Na = \(\frac{1}{23}\)mol = \(\frac{1}{27}\) x 6.02 x 1023 परमाणु
3. 1g Li = \(\frac{1}{7}\)mol = \(\frac{1}{7}\) x 6.02 x 1023 परमाणु
4. 1g Cl2 = \(\frac{1}{71}\)mol = 4 x 6.02 x 1023 अणु = \(\frac{2}{71}\) x 6.02 x 1023 परमाणु
अत: 1g Li में परमाणुओं की अधिकतम संख्या होती है।

प्रश्न 29.
एथेनॉल का जल में बने विलयन की मोलरता की गणना कीजिए जिसमें एथेनॉल का मोल प्रभाज 0.040 है।
हल:
1 लीटर विलयन में उपस्थित विलेय (एथेनॉल) के मोलों की संख्या मोलरता होगी।
1L एथेनॉल विलयन (तनु विलयन) = 1L जल
1L जल में H2O की मोलों की संख्या = \(\frac{1000g}{18}\) = 55.55 मोल
द्विअंगी विलयन में दो घटक होते हैं।
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प्रश्न 30.
एक C परमाणु का भार (द्रव्यमान) क्या होगा?
हल:
कार्बन के एक परमाणु का भार
= \(\frac { 12 }{ 6.02×10^{ 23 } } \) = 1.9933 x 10-23g.

प्रश्न 31.
निम्नलिखित गणना के उत्तर में उपस्थित सार्थक अंक कितना होगा –

  1. \(\frac{0.02856×298.15×0.112}{0.5785}\)
  2. 5 x 5.364
  3. 0.0125 + 0.7864 + 0.0215.

उत्तर:

  1. सबसे कम यथार्थ पद 0.112 में 3 सार्थक अंक है। अतः उत्तर 3 है।
  2. 5 सही संख्या है। दूसरा पद 5.364 में 4 सार्थक अंक है। अतः उत्तर 4 है।
  3. प्रत्येक पद में 4 सार्थक अंक है। अतः उत्तर 4 है।

प्रश्न 32.
नीचे दिये गये सारणी के आँकड़ों का उपयोग करके प्राकृतिक रूप से प्राप्त (उत्पन्न) आर्गन समस्थानिक के मोलर भार की गणना कीजिए –
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हल:
औसत आण्विक भार
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प्रश्न 33.
निम्नलिखित में प्रत्येक में परमाणुओं की संख्या की गणना कीजिए –

  1. He के 52 मोल
  2. He के 52 u
  3. He के 52 g

हल:
1. ∴ He के 1 मोल = 6.02 x 1023 परमाणु
∴ He में 52 मोल = 52 x 6.02 x 1023
= 313.04 x 1023 परमाणु

2. ∴ He के 4u = He का एक परमाणु
∴ He में 52u = \(\frac{1×52}{4}\) = 13 परमाणु

3. He के 1 मोल = 4g = 6.02 x 1023 परमाणु
∴ 52g He = \(\frac { 6.02×10^{ 23 }x52 }{ 4 } \)

प्रश्न 34.
एक वेल्डिंग ईंधन गैस में केवल कार्बन तथा हाइड्रोजन है। इसके छोटे से नमूने के ऑक्सीजन में जलने पर ये 3-38 g कार्बन डाइऑक्साइड, 0.690 g पानी तथा कोई दूसरा उत्पाद नहीं देता। इस वेल्डिंग गैस के 10.0 L आयतन (STP पर मापा गया) का भार 11.6g है, तो गणना कीजिए –

  1. मूलानुपाती सूत्र
  2. गैस का अणुभार
  3. आण्विक सूत्र।

हल:
1. ∴ 44g CO2 = 12g कार्बन
∴ 3.38g CO2 = \(\frac{12}{44}\) x 338g = 0.9218g कार्बन
18g H2O = 2g हाइड्रोजन
∴ 0.690g H2O = \(\frac{2}{18}\) x 0.690g = 0.0767g हाइड्रोजन
यौगिक का द्रव्यमान = 0.9218 + 0.0767 = 0.9985g
(चूँकि यौगिक में केवल कार्बन तथा हाइड्रोजन है)
यौगिक में C की % मात्रा = \(\frac{0.9218}{0.9985}\) x 100 = 92.32%
यौगिक में H की % मात्रा = \(\frac{0.0767}{0.9985}\) x 100 = 7.68%
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अतः मूलानुपाती सूत्र = CH.

2. गैस के अणु द्रव्यमान की गणना:
∴ STP पर, गैस के 10.0L का भार = 11.6g
∴ STP पर, गैस के 22.4L का भार = \(\frac{116×22.4}{10.0}\) = 25.984g ≅ 26g mol-1.

3. अणुसूत्र की गणना:
मूलानुपाती सूत्रभार (CH) = 12 + 1 =13
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= (मूलानुपाती सूत्र)n [n = 2]
= (CH)2 = C2H2

प्रश्न 35.
कैल्सियम कार्बोनेट जलीय HCl के साथ क्रिया करके CaCl2 तथा CO2 निम्न अभिक्रिया के अनुसार देता है –
CaCO3(s) + 2HCl(aq) → CaCl2(aq) + CO2(g) + H2O(l).
0.75 M HCl के 25 ml के साथ पूर्ण क्रिया के लिये CaCO3 की आवश्यक मात्रा क्या होगी?
हल:
HCl के मोल = मोलरता x V(L)
= 0.75 x 25 x 10-3 = 0.01875
HCl का भार = मोल x HCl का अणुभार (36.5)
= 0.01875 x 36.5 = 0.684g
CaCO3 + 2HCl → CaCl2 +H2O + CO2
100g 2 x 36.5 = 73g
∴ 73g HCl के लिये आवश्यक CaCO3 = 100g
∴ 0.684g HCl के लिये आवश्यक CaCO3 = \(\frac{100×0.684}{73}\) = 0.937g.

प्रश्न 36.
प्रयोगशाला में क्लोरीन को मैंगनीज डाइऑक्साइड की जलीय हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ क्रिया द्वारा निम्नांकित अभिक्रिया के अनुसार बनाया जाता है –
4HCl(aq) + MnO2(s) → 2H3O(l) + MnCl2(aq) + Cl2(l).
5.0g मैंगनीज डाइऑक्साइड के साथ HCl के कितने ग्राम क्रिया करेंगे?
हल:
4HCl + MnO2 → MnCl + Cl + 2H2O
146g 87g
87g MnO2 HCl के साथ क्रिया करता है = 146g
5g MnO2 HCl के साथ क्रिया करता है = \(\frac{146×5}{87}\) = 8.39g.

रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाए अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाए वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
2.0 ग्राम हाइड्रोजन का N.T.P. आयतन होता है –
(a) 224 लिटर
(b) 22.4 लिटर
(c) 2.24 लिटर
(d) 112 लिटर
उत्तर:
(b) 22.4 लिटर

प्रश्न 2.
शुद्ध जल की मोलरता –
(a) 18
(b) 50
(c) 556
(d) 100
उत्तर:
(c) 556

प्रश्न 3.
12 gm CR में परमाणुओं की संख्या –
(a) 6
(b) 12
(c) 6.02 x 1023
(d) 12 x 6.02 x 1023
उत्तर:
(c) 6.02 x 1023

प्रश्न 4.
नाइट्रोजन के पाँच ऑक्साइड N2O NO, N2O3, N2O4 व N2O5 रासायनिक संयोग के किस नियम का पालन करते हैं –
(a) स्थिर अनुपात नियम
(b) तुल्य अनुपात नियम
(c) गे-लुसाक का गैस आयतन संबंधी नियम
(d) गुणित अनुपात नियम।
उत्तर:
(d) गुणित अनुपात नियम।

प्रश्न 5.
एक कार्बनिक यौगिक का मूलानुपाती सूत्र CH2 है। यौगिक के एक मोल का द्रव्यमान 42 ग्राम है। इसका अणुसूत्र होगा –
(a) CH2
(b) C3H6
(c) CH2
(d) C3Hg
उत्तर:
(b) C3H6

प्रश्न 6.
ZnSO4.7H2O में ऑक्सीजन की प्रतिशत मात्रा होगी –
(a) 22.65%
(b) 11.15%
(c) 22.30%
(d) 43.90%.
उत्तर:
(c) 22.30%

प्रश्न 7.
एक मोलल विलयन वह है, जिसमें एक मोल विलेय उपस्थित हो –
(a) 1000 ग्राम विलायक में
(b) 1 लिटर विलयन में
(c) 1 लिटर विलायक में
(d) 224 लिटर विलयन में
उत्तर:
(a) 1000 ग्राम विलायक में

प्रश्न 8.
क्यूप्रिक ऑक्साइड में कॉपर का भार प्रतिशत क्या होगा –
(a) 22.2%
(b) 79.8%
(c) 63.5%
(d) 16%.
उत्तर:
(b) 79.8%

प्रश्न 9.
112 cm3 CH4 का S.T.P. पर द्रव्यमान होगा –
(a) 0.16 ग्राम
(b) 0.8 ग्राम
(c) 0.08 ग्राम
(d) 1.6 ग्राम
उत्तर:
(d) 1.6 ग्राम

प्रश्न 10.
दो पदार्थों को पृथक करने की प्रभाजी क्रिस्टलन विधि इनके अन्तर पर निर्भर करती है –
(a) घनत्व
(b) वाष्पशीलता
(c) विलेयता
(d) क्रिस्टलीय आकार
उत्तर:
(c) विलेयता

प्रश्न 11.
O2 व SO2 के अणु द्रव्यमान क्रमशः 32 व 64 हैं। यदि एक लिटर O2, में 13°C व 750 mm दाब पर N अणु हैं तो दो लिटर SO2 में समान ताप व दाब पर अणुओं की संख्या होगी –
(a) N/2
(b) N
(c) 2N
(d) 4N
उत्तर:
(c) 2N

प्रश्न 12.
यदि सामान्य ताप और दाब पर दो समान आयतन के पात्र में दो गैसें रखी गई हैं तो उनमें –
(a) अणुओं की संख्या समान होगी
(b) परमाणुओं की संख्या समान होगी
(c) उनके द्रव्यमान समान होंगे
(d) उनके घनत्व समान होंगे
उत्तर:
(a) अणुओं की संख्या समान होगी

प्रश्न 13.
3.4 ग्राम H2O2 के विघटन से N.T.P. पर O2 का निम्न आयतन प्राप्त होगा –
(a) 0.56 लिटर
(b) 1.12 लिटर
(c) 2.24 लिटर
(d) 3.36 लिटर
उत्तर:
(b) 1.12 लिटर

प्रश्न 14.
2 मोल C2H5OH को वायु के आधिक्य में जलाने पर CO2 प्राप्त होगा –
(a) 88 ग्राम
(b) 176 ग्राम
(c) 44 ग्राम
(d) 22 ग्राम
उत्तर:
(b) 176 ग्राम

प्रश्न 15.
12 ग्राम Mg (परमाणु द्रव्यमान = 24) अम्ल से पूर्णतया क्रिया करने पर H2 उत्पन्न करता है जिसका आयतन N.T.P. पर होगा –
(a) 22.4 लिटर
(b) 11.2 लिटर
(c) 44.8 लिटर
(d) 6.4 लिटर
उत्तर:
(c) 44.8 लिटर

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. बेंजीन का मूलानुपाती सूत्र …………. होगा।
  2. समान ताप तथा दाब पर समस्त गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है। इसे …………. ने पारित किया था।
  3. 180 ग्राम जल में मोलों की संख्या …………. होगी।
  4. किलोग्राम मीटर …………. की मात्रा है।
  5. 1 मोल CO2 में …………. कार्बन परमाणु हैं।
  6. यदि सामान्य ताप तथा दाब पर दो समान आयतन के पात्र में दो गैसें रखी गई हैं तो उनमें अणुओं की संख्या …………. होगी।
  7. 2 मोल C2H5OH को वायु के आधिक्य में जलाने पर …………. CO2 प्राप्त होगी।
  8. एक रासायनिक अभिक्रिया के अन्त में अभिकारक का कुल द्रव्यमान …………. नहीं होता है।
  9. बेंजीन अणुसूत्र वाले यौगिक का सरल सूत्र …………. है।
  10. एक यौगिक में C = 40.6%, H = 6.5%, O = 52.8% का मूलानुपाती सूत्र ………… होगा।

उत्तर:

  1. CH
  2. एवोगेड्रो
  3. 10 मोल
  4. घनत्व
  5. 6.023 x 1023
  6. समान
  7. 176 ग्राम
  8. परिवर्तित
  9. CH
  10. CH2O.

प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
(A)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 19
उत्तर:

  1. (c)
  2. (e)
  3. (a)
  4. (b)
  5. (d).

(B).
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 20
उत्तर:

  1. (d)
  2. (a)
  3. (b)
  4. (e)
  5. (c).

प्रश्न 4.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. परमाणु द्रव्यमान की मानक इकाई है।
  2. O2 का ग्राम अणु द्रव्यमान है।
  3. विभिन्न स्रोतों से प्राप्त NaCl के तत्व Na तथा Cl के मध्य सभी में भार की दृष्टि से अनुपात 23 : 35.5 प्राप्त हुआ। इस नियम से पुष्टि होती है।
  4. ऑक्सीजन के क्रमशः 16 और 32 ग्राम भार N2 के 28 ग्राम भार से अलग-अलग संयोग कर दो ऑक्साइड N2O एवं N2O2 बनाते हैं। इससे किस नियम की पुष्टि होती है?
  5. 6.023 x 1023 किसी भी द्रव्य के एक ग्राम अणुभार में उपस्थित अणुओं की संख्या को कहा जाता है।

उत्तर:

  1. परमाणु द्रव्यमान इकाई (amu) (1amu = \(\frac{1}{12}\))
  2. 32 ग्राम
  3. स्थिर अनुपात
  4. गुणित अनुपात,
  5. मोल या एवोगेड्रो संख्या।

रसायन विज्ञान की कुछ मूल अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थिर अनुपात का नियम क्या है?
उत्तर:
रासायनिक यौगिकों में उनके अवयवी तत्व भार की दृष्टि से हमेशा एक निश्चित अनुपात में रहते हैं।
उदाहरण:
विभिन्न स्थानों से प्राप्त जल से शुद्ध करने के पश्चात् विश्लेषित करने पर ज्ञात हुआ कि जल के प्रत्येक नमूने में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन द्रव्यमान के अनुसार 2 : 16 या 1 : 8 में है।

प्रश्न 2.
गे-लुसाक का गैस आयतन संबंधी नियम लिखिए।
अथवा
N2 और H2 परस्पर संयुक्त होकर NH3 गैस का निर्माण करती है। समान ताप व दाब पर इनके आयतनों में 1 : 3 : 2 का अनुपात है। इससे जिस नियम की पुष्टि होती है, उस नियम को लिखिए।
उत्तर:
गैस आयतन सम्बन्धी नियम या गे-लुसाक का गैस आयतन सम्बन्धी नियम-इसके अनुसार, “जब गैसें आपस में संयोग करती हैं, तो उनके आयतनों में सरल अनुपात होता है और यदि उनके संयोग से बना हुआ पदार्थ भी गैस ही हो तो उसका आयतन भी अभिकारी गैसों के आयतनों के सरल अनुपात में होता है (जब सभी आयतन समान ताप और दाब पर मापे जाएँ)।”
उदाहरण:
N2 + 3H2 → 2NH3
1आयतन 3 आयतन 2 आयतन
इनके आयतनों में 1 : 3 : 2 का सरल अनुपात है।
अत: उपर्युक्त उदाहरणों से गे-लुसाक के गैस आयतन सम्बन्धी नियम की पुष्टि होती है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित की परिभाषा लिखिए –

  1. ग्राम परमाणु द्रव्यमान
  2. ग्राम आण्विक द्रव्यमान।

उत्तर:

1. ग्राम परमाणु द्रव्यमान-किसी तत्व का ग्राम परमाणु द्रव्यमान उसका ग्रामों में दर्शाया गया वह द्रव्यमान है जो संख्यात्मक रूप से परमाणु द्रव्यमान के बराबर है, उसे ग्राम परमाणु द्रव्यमान कहते हैं।

2. ग्राम आण्विक द्रव्यमान-ग्रामों में प्रदर्शित वह द्रव्यमान जो संख्यात्मक रूप से आण्विक द्रव्यमान के बराबर हो, ग्राम आण्विक द्रव्यमान कहलाता है।

प्रश्न 4.
मूलानुपाती सूत्र क्या है?
उत्तर:
वह सूत्र जो किसी यौगिक के अणु में विद्यमान विभिन्न तत्वों के परमाणुओं के सरल अनुपात को दर्शाता है मूलानुपाती सूत्र (Empirical formula) कहलाता है। जैसे:
ऐसीटिक अम्ल का मूलानुपाती सूत्र = CH2O
ग्लूकोज का मूलानुपाती सूत्र = CH2O.

प्रश्न 5.
किसी विलयन की मोललता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी विलयन की मोललता प्रति 1000 ग्राम विलायक में उपस्थित विलेय पदार्थ के मोलों की संख्या है। इसे m द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 21

प्रश्न 6.
मोल क्या है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
एक मोल वह संख्या है जिसका मान कार्बन-12 के 0.012 कि.ग्रा. में उपस्थित परमाणु के संख्या के बराबर होता है। इस संख्या का मान 6.023 x 1023 होता है।

प्रश्न 7.
सीमांत अभिकर्मक क्या है?
उत्तर:
संतुलित समीकरण में जो क्रियाकारक कम मात्रा में उपस्थित रहता है, वह पहले समाप्त हो जाता है। ऐसे क्रियाकारक को सीमांत अभिकर्मक कहते हैं क्योंकि वह उत्पाद की मात्रा को सीमित कर देता है।

प्रश्न 8.
सार्थक अंक का निकटन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
किसी संख्या को तीन सार्थक अंकों तक निकटित करने के लिए, यदि चौथा अंक 5 से छोटा है तो उसे छोड़ देते हैं परन्तु यदि चौथा अंक 5 या 5 से अधिक है तो तीसरे सार्थक अंक में 1 जोड़ देते हैं।

प्रश्न 9.
द्रव्यमान, लम्बाई, समय, तापक्रम एवं पदार्थ की मात्रा का SI मात्रक क्या है?
उत्तर:
द्रव्यमान का-किलोग्राम (kg), लंबाई का-मीटर (m), समय का-सेकण्ड (s), तापक्रम काकेल्विन (K) एवं पदार्थ की मात्रा का-मोल (mol) है।

रसायन विज्ञान की कुछ मूल लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यदि डाइ हाइड्रोजन गैस के 10 आयतन डाइऑक्साइड गैस के 5 आयतनों के साथ अभिक्रिया करे तो जल वाष्प के कितने आयतन प्राप्त होंगे?
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 22
गे-लुसाक के गैसीय आयतन के नियमानुसार,
आयतन अनुपात 2 : 1 : 2
प्रश्नानुसार 10 : 5 : 10
अत: 10 आयतन H2, 5 आयतन O2 से क्रिया करके 10 आयतन जल वाष्प बनाएगा।

प्रश्न 2.
द्रव्यमान संरक्षण का नियम क्या है? इस नियम की आधुनिक स्थिति क्या है?
उत्तर:
द्रव्यमान संरक्षण का नियम-इस नियम को लेवोजियर ने सन् 1744 में प्रतिपादित किया था। इस नियम के अनुसार, “रासायनिक परिवर्तन में भाग लेने वाले पदार्थों का कुल द्रव्यमान परिवर्तन के पश्चात् बने हुए पदार्थों के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है अर्थात् रासायनिक परिवर्तन में द्रव्य न तो उत्पन्न होता है और न ही नष्ट होता है, उसके केवल रूप या अवस्था में परिवर्तन हो सकता है।”
उदाहरण:
C + O2 → CO2
12 ग्राम कार्बन 32 ग्राम ऑक्सीजन से संयोग करता है, तो 44 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त होता है।
आधुनिक स्थिति:
आइन्स्टीन के अनुसार द्रव्यमान को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
E = mc2
जहाँ E = ऊर्जा, m = द्रव्यमान और c = प्रकाश का वेग।
किन्तु जो रासायनिक क्रियाएँ हम प्रयोगशाला में करते हैं उनमें बहुत कम ऊर्जा उत्पन्न या अवशोषित होती है, इसलिये द्रव्य की मात्रा में बहुत कमी या वृद्धि होती है। अतः साधारण परिस्थितियों में द्रव्यमान संरक्षण नियम को सत्य माना जा सकता है।

प्रश्न 3.
गे-लुसाक का आयतन संबंधी नियम क्या है?
अथवा
N2 और H2 परस्पर संयुक्त होकर NH3 गैस का निर्माण करते हैं। समान ताप व दाब पर इनके आयतनों में 1:3:2 का अनुपात है। इससे जिस नियम की पुष्टि होती है, उस नियम को लिखिये।
उत्तर:
जब गैसें आपस में संयोग करती हैं, तो उनके आयतनों में सरल अनुपात होता है और यदि उनके संयोग से बना हुआ पदार्थ भी गैस ही हो, तो उसका आयतन भी अभिकारी गैसों के आयतनों के सरल अनुपात में होता है, जब सभी समान आयतन समान ताप और दाब पर नापे जायें।
उदाहरण:
एक आयतन N2 तीन आयतन H2 के साथ संयोग करके दो आयतन अमोनिया बनाता है। अभिकारी गैस N2, H2 तथा अमोनिया में परस्पर 1 : 3 : 2 का सरल अनुपात है। इससे इस नियम की पुष्टि होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 23

प्रश्न 4.
तुल्य अनुपात का नियम क्या है ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
यह नियम सर्वप्रथम रिचर द्वारा सन् 1792 में दिया गया तथा सन् 1810 में बर्जीलियस ने इसकी पुष्टि की। इस नियम के अनुसार, “यदि दो भिन्न-भिन्न तत्व किसी तीसरे तत्व के निश्चित भार से संयोग करते हैं तो पहले दोनों तत्वों के भार या तो उस अनुपात में होंगे जिससे वे दोनों आपस में संयोग करते हैं अथवा यह अनुपात उनके संयोग करने के भारों का सरल गुणांक होगा।
उदाहरण:
दो तत्व कार्बन और ऑक्सीजन अलग-अलग हाइड्रोजन के एक निश्चित भार से संयोग करते हैं।
मेथेन में H : C = 4 : 12
H2O में H : 0 = 2 : 16
या 4:32
हाइड्रोजन के एक निश्चित भार से संयुक्त होने वाले ये तत्व कार्बन और ऑक्सीजन आपस में संयुक्त होकर CO2 बनाते हैं।
CO2 में C : O = 12 : 32
यह अनुपात 12 : 32 वही है जो CH4 और H2O में C और O का अनुपात है, इससे तुल्य अनुपात नियम की पुष्टि होती है।

प्रश्न 5.
किसी पदार्थ का अणुसूत्र उनके मूलानुपाती सूत्र से किस प्रकार संबंधित होता है?
उत्तर:
अणुसूत्र व मूलानुपाती सूत्र में संबंध-अणुसूत्र यह किसी यौगिक में उपस्थित तत्वों के परमाणुओं में उपस्थित वास्तविक संख्या को प्रकट करता है। यह या तो मूलानुपाती सूत्र के समान होती है या इसका एक सरल गुणक होता है।
अणुसूत्र = n x (मूलानुपाती सूत्र)
या
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 24
उदाहरण:
एक यौगिक का जिसका मूलानुपाती सूत्र CH2O है तथा अणुभार 180 है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 25
अतः अणु सूत्र = n x मूलानुपाती सूत्र = 6(CH2O)
= C6H12O6.

प्रश्न 6.
गुणित अनुपात का नियम क्या है ? एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:]
गुणित अनुपात का नियम-“जब दो तत्व परस्पर संयोग करके दो या दो से अधिक यौगिक बनाते हैं, तो एक तत्व के भिन्न-भिन्न भार, जो दूसरे तत्वों के निश्चित भार से संयोग करते हैं, सदैव सरल गुणित अनुपात में होते हैं।”
उदाहरण:
भार अनुसार, CO में 12 भाग C और 16 भाग O तथा CO2 में 12 भाग C और 32 भाग O.
यहाँ पर C के निश्चित भार (12 भाग) से संयुक्त होने वाले O के विभिन्न भार क्रमश: 16 और 32 सरल अनुपात 1 : 2 में हैं।

प्रश्न 7.
स्थिर अनुपात का नियम क्या है ? समस्थानिक की खोज ने इसे किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर:
स्थिर अनुपात का नियम-प्राऊस्ट के अनुसार, “प्रत्येक रासायनिक यौगिक में चाहे वह कहीं से प्राप्त किया गया हो अथवा किसी भी विधि से बनाया गया हो उसके अवयवी तत्व भार की दृष्टि से सदैव एक निश्चित अनुपात में रहते हैं।”
जैसे:
शुद्ध जल जिसे नदी, वर्षा, कुँआ, समुद्र आदि कहीं से प्राप्त किया जा सकता है अथवा किसी भी रासायनिक विधि से बनाया जा सकता है, परन्तु हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के भारों का अनुपात सदैव 1 : 8 होता है।

वर्तमान परिवेश में स्थिर अनुपात का नियम:
समस्थानिकों की खोज ने यह सिद्ध कर दिया है कि एक ही तत्व के भिन्न-भिन्न परमाणु भार वाले परमाणु सम्भव हैं। अतः किसी भी यौगिक का संघटन निश्चित नहीं होगा। जैसे-जल का संघटन अग्रलिखित सारणी से स्पष्ट है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 26
उपर्युक्त आँकड़े इस नियम के विपरीत हैं, परन्तु नियम सर्वमान्य है, क्योंकि प्रकृति में पाये जाने वाले तत्व के प्रत्येक भाग में समस्थानिकों का वितरण समान है।

प्रश्न 8.
प्रकृति में उपलब्ध ऑर्गन के मोलर द्रव्यमान की गणना के लिए निम्नलिखित तालिका में दिए गए आँकड़ों का उपयोग कीजिए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 27
हल:
Ar का औसत मोलर द्रव्यमान Σ fi x Ai
= (0.00337 x 35.96755) + (0.00063 x 37.96272) + (0.99600 x 39.9624)
= 0.121 + 0.024 + 39.803
= 39.948g mol-1.

प्रश्न 9.
डॉल्टन के परमाणु सिद्धान्त का आधुनिक स्वरूप संक्षिप्त में समझाइये।
उत्तर:
डॉल्टन के परमाणु सिद्धान्त का आधुनिक स्वरूप –

  1. परमाणु अब अविभाज्य कण नहीं है, परमाणु का विखण्डन संभव है।
  2. परमाणु रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाला सूक्ष्मतम कण है।
  3. डॉल्टन के अनुसार एक ही तत्व के समस्त परमाणु एक समान होते हैं, किन्तु अब ऐसे परमाणु भी ज्ञात हैं, जिनके रासायनिक गुण समान होते हैं किन्तु भार भिन्न-भिन्न होते हैं।
  4. डॉल्टन के अनुसार भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु भार भिन्न-भिन्न होते हैं। परन्तु समभारी की खोज से स्पष्ट है कि भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के परमाणु भार समान हो सकते हैं।
  5. आधुनिक अनुसंधानों से स्पष्ट है कि परमाणु के द्रव्यमान को ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
  6. अन्य अणुभार वाले कार्बनिक यौगिकों के अणुओं में परमाणुओं की संख्या सरल अनुपात में हो, यह जरूरी नहीं है।

प्रश्न 10.
अणु और परमाणु में अंतर लिखिये।
उत्तर:
अण और परमाण में अंतर:
अणु

  1. यह द्रव्य का सूक्ष्मतम कण है जो स्वतंत्र अवस्था में रहता है।
  2. यह रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेता।
  3. यह रासायनिक अभिक्रिया में प्रायः परमाणु में विभाजित हो जाता है।
  4. यह एक या एक से अधिक परमाणुओं से मिलकर बना होता है।

परमाणु

  1. यह किसी तत्व का सूक्ष्मतम कण है जो स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकता है।
  2. यह रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है।
  3. यह रासायनिक अभिक्रिया में विभाजित नहीं होता है।
  4. यह रासायनिक क्रिया में भाग लेने वाले तत्व का सूक्ष्मतम कण है।

रसायन विज्ञान की कुछ मूल दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रासायनिक समीकरण क्या है? उसे संतुलित करने के नियम उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों तथा बनने वाले पदार्थों को रासायनिक सूत्रों द्वारा समीकरण के रूप में दर्शाया जाता है। रासायनिक अभिक्रिया को रासायनिक सूत्रों द्वारा समीकरण के रूप में दर्शाने की विधि को रासायनिक समीकरण कहते हैं। रासायनिक समीकरण को सन्तुलित करने के नियम:

  1. अनुमान विधि (Hit and trial method)
  2. आंशिक समीकरण विधि (Partial equation method)।

1. अनुमान विधि:
(i) सबसे पहले उस तत्व के परमाणुओं को जो सबसे कम स्थान में आते हैं, उन्हें समीकरण के दोनों ओर बराबर कर लेते हैं।

(ii) जिन समीकरणों में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि तात्विक गैसें बनती हैं, उन्हें पहले परमाण्विक अवस्था में ही रखा जाता है। इस प्रकार प्राप्त समीकरण परमाण्विक समीकरण कहलाता है। परमाण्विक समीकरण को दो से गुणा करके आण्विक समीकरण (Molecular equation) में बदला जाता है।

उदाहरण:
(i) पोटैशियम क्लोरेट को गर्म करने से पोटैशियम क्लोराइड और ऑक्सीजन बनते हैं। अतः

(a) पोटैशियम क्लोरेट → पोटैशियम क्लोराइड + ऑक्सीजन।
KClO3 → KCl + O(ढाँचा)

(b) ऊपर के समीकरण में ऑक्सीजन परमाणु दोनों ओर बराबर नहीं हैं। दायीं ओर के ऑक्सीजन परमाणु को 3 से गुणा करने पर दोनों ओर ऑक्सीजन परमाणुओं की संख्या बराबर हो जाती है।
KClO3 → KCI + 3O

(c) परन्तु ऊपर के समीकरण में ऑक्सीजन परमाणु के रूप में है। उसे अणु के रूप में परिवर्तित करने के लिए समीकरण को दो से गुणा करना पड़ेगा। अतः
2KClO3 → 2KCl + 3O, (संतुलित)

(ii) (a) कॉपर को सान्द्र H2SO के साथ गर्म करने से कॉपर सल्फेट, सल्फर डाइऑक्साइड और जल बनता है। अतः
Cu + H2SO4 → CuSO4 + SO2 + H2O (ढाँचा)

(b) सल्फर परमाणुओं को दोनों ओर बराबर करने के लिएH,SO, को दो से गुणा कर देते हैं।
Cu + 2H2SO4 → CuSO4 + SO2 + H2O

(c) अब हाइड्रोजन के परमाणुओं को दोनों ओर बराबर करने के लिए HO को दो से गुणा कर देते हैं।
Cu + 2H2SO4 → CuSO4 + SO2 + 2H2O (संतुलित)

2. आंशिक समीकरण विधि:
जटिल समीकरणों को प्रायः अनुमान विधि द्वारा सन्तुलित करना कठिन होता है। यह माना जाता है कि जटिल समीकरण दो या दो से अधिक पदों में सम्पन्न होता है। इन समीकरणों को सन्तुलित कर लेते हैं। यदि आवश्यक हुआ तो आंशिक समीकरण को किसी पूर्णांक से गुणा कर देते हैं। इसके पश्चात् सभी आंशिक समीकरणों को इस प्रकार से जोड़ा जाता है कि माध्यमिक उत्पाद जो अन्तिम अभिक्रिया में प्राप्त नहीं होते, कट जायें। इस प्रकार प्राप्त अन्तिम समीकरण सही एवं सन्तुलित होता है।
उदाहरण:
Cu को सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर कॉपर सल्फेट, सल्फर डाइऑक्साइड और जल बनता है। इस समीकरण को निम्नलिखित आंशिक समीकरणों के योग के रूप में दर्शाया जा सकता है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 28
माध्यमिक क्रियाफल 26 और O आंशिक समीकरणों में दोनों ओर स्थित होने के कारण काट दिये गये हैं।

प्रश्न 2.
मोल तथा ऐवोगैड्रो संख्या को समझाइये। मोल संकल्पना के आधार पर परमाणु द्रव्यमान तथा आण्विक द्रव्यमान की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
मोल संकल्पना-परमाणु तथा अणु अत्यन्त सूक्ष्ण कण है। किसी पदार्थ की अति अल्प मात्रा में भी परमाणुओं तथा अणुओं की संख्या बहुत अधिक होती है। उदाहरणार्थ, कार्बन के 1 मिलीग्राम (0.001 ग्राम) में कुल 5-019 x 1019 परमाणु होते हैं। प्रायः रासायनिक अध्ययनों में पदार्थ की काफी मात्राएँ प्रयुक्त होती है, जिनमें परमाणु या अणुओं की अत्यधिक बड़ी संख्या होती है। इन परमाणुओं को गिनना असम्भव है, किन्तु इनकी संख्या का ज्ञान होना आवश्यक है। जिस प्रकार 12

पेन को एक दर्जन पेन तथा 1000 मीटर को एक किलोमीटर कहते हैं उसी प्रकार 6.023 x 1023 कणों के समूह को हम एक मोल कहते हैं। ये कण अणु, परमाणु अथवा आयन हो सकते हैं।

अत: मोल एक इकाई है, जो 6.023 x 1023 कणों (अणु, परमाणु या आयन) को व्यक्त करती है।
एक मोल अणु में अणुओं की संख्या = 6.023 x 1023 होती है।
एक मोल परमाणु में परमाणुओं की संख्या = 6.023 x 1023 होती है। एक मोल आयन में आयनों की संख्या = 6.023 x 1023 होती है। मोल भार को भी दर्शाता है –

एक ग्राम मोल ऑक्सीजन अर्थात् 32 ग्राम ऑक्सीजन में ऑक्सीजन के कुल 6.023 x 1023 अणु होंगे। एक ग्राम मोल सोडियम अर्थात् 23 ग्राम सोडियम में सोडियम के 6.023 x 1023 परमाणु होंगे।

सोडियम क्लोराइड का सूत्र भार 58.5 है। अतः सोडियम क्लोराइड के 58.5 ग्राम में एक मोल सोडियम आयन तथा एक मोल क्लोराइड आयन होंगे।

“समान ताप और समान दाब पर सभी गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।” इस नियम के अनुसार N.T.P. पर प्रत्येक गैस के एक ग्राम मोल में अणुओं की संख्या 6.023 x 1023 होती है। इस संख्या को ऐवोगैड्रो संख्या (Avogadro Number) कहते हैं तथा इसे N से प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 3.
स्टॉइकियोमेट्री क्या है? रासायनिक समीकरणों पर आधारित समस्याओं का हल इससे किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
‘स्टॉइकियोमेट्री’ यूनानी भाषा से (‘स्टॉकियोन’ का अर्थ, तत्व तथा मेट्रोन’ (Metron) का अर्थ मापन) लिया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है तत्व या यौगिकों की मात्रा का मापन।

एक संतुलित रासायनिक समीकरण में रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारकों तथा उत्पादों के मध्य अणुओं, द्रव्यमानों, मोलों और आयतनों के संदर्भ में मात्रात्मक संबंध होता है। इन गणनाओं से सम्बन्धित समस्याएँ तीन प्रकार की होती हैं –

(a) द्रव्यमान-द्रव्यमान संबंधित (Involving mass – mass relationship):
इस प्रकार की समस्याओं में एक उत्पाद या अभिकारक का द्रव्यमान दिया जाता है तथा दूसरे की गणना की जाती है। .

(b) द्रव्यमान-आयतन संबंधित (Involving mass – volume relationship):
इस प्रकार के प्रश्नों में एक अभिकारक अथवा उत्पाद का द्रव्यमान/आयतन दिया जाता है तथा दूसरे की गणना की जाती है।

(c) आयतन-आयतन संबंधित (Involving volume – volume relationship):
इस प्रकार की समस्याओं में एक अभिकारक या उत्पाद का आयतन दिया जाता है तथा दूसरे की गणना की जाती है।

उपर्युक्त प्रकार के प्रश्नों (समस्याओं) को हल करने के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाई जाती है –

  1. संतुलित रासायनिक समीकरण को उसके आण्विक रूप में लिखते हैं।
  2. उन स्पीशीज (परमाणुओं या अणुओं) के संकेतों एवं सूत्रों को चुनिए जिनके भार/आयतन या तो दिये गये हैं अथवा गणना द्वारा निकाले गये हैं।
  3. गणना में शामिल अणुओं तथा परमाणुओं का परमाणु द्रव्यमान/आण्विक द्रव्यमान/मोल/मोलर आयतन लिखते हैं।
  4. सामान्य गणितीय गणनाओं द्वारा इच्छित पदार्थ की मात्रा की गणना करते हैं। निम्न संतुलित समीकरण पर विचार करें –

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 1 रसायन विज्ञान की कुछ मूल अवधारणाएँ - 29
अणु की संख्या (मोल) ही स्टॉइकियोमेट्रिक गुणांक कहलाता है।

प्रश्न 4.
रासायनिक समीकरण क्या है? उसकी सीमाएँ क्या हैं? उसे और अधिक सूचनाप्रद किस प्रकार बनाया जा सकता है ? रासायनिक समीकरणों को संतुलित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों (अभिकारकों तथा बनने वाले पदार्थों (उत्पादकों) को रासायनिक सूत्रों द्वारा समीकरण के रूप में दर्शाने की विधि रासायनिक समीकरण कहलाती है। रासायनिक समीकरण से निम्नलिखित बातों की जानकारी नहीं होती –

  1. अभिकारकों तथा उत्पादकों की भौतिक अवस्था।
  2. अभिकारकों तथा उत्पादकों का सान्द्रण।
  3. यह रासायनिक अभिक्रिया की परिस्थितियाँ जैसे-ताप, दाब, उत्प्रेरक आदि की जानकारी नहीं देता।
  4. अभिक्रिया के वेग का ज्ञान नहीं होता।
  5. अभिक्रिया में होने वाले ऊष्मीय परिवर्तन का ज्ञान नहीं होता।
  6. अभिक्रिया में सावधानियों का ज्ञान नहीं होता।
  7. अभिक्रिया की क्रिया-विधि का ज्ञान नहीं होता।
  8. यह ज्ञात नहीं होता कि अभिक्रिया उत्क्रमणीय है या अनुत्क्रमणीय।
  9. अभिक्रिया के पूर्ण होने का समय नहीं बतलाता।
  10. रासायनिक समीकरण से अभिक्रिया में प्रकाश का उत्पन्न होना, विस्फोटक पदार्थों का बनना आदि के बारे में मालूम नहीं होता।

रासायनिक समीकरणों को संतुलित करके तथा उचित निर्देश चिन्हों का प्रयोग करके इसे ज्यादा स्पष्ट, जानकारीपूर्ण तथा लाभदायक बनाया जा सकता है। इससे होने वाले फायदे निम्नानुसार हैं –

  • अभिक्रिया में भाग लेने वाली अभिकारकों तथा उत्पादकों की संख्या।
  • यदि तत्वों के परमाणु द्रव्यमान ज्ञात हो तो अभिकारकों एवं उत्पादकों के आण्विक द्रव्यमान भी ज्ञात किये जा सकते हैं।
  • यदि क्रियाकारक व क्रियाफल पदार्थ गैसीय हो, तो उनका आयतन भी ज्ञात किया जा सकता है।
  • इससे द्रव्य की अनिश्चिता के नियम की पुष्टि होती है।
  • तत्वों की संयोजकता व तुल्यांकी द्रव्यमान के गणना भी की जा सकती है।

MP Board Class 11th Chemistry Solutions

MP Board Class 11th English Solutions A Voyage, The Spectrum

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A Voyage Textbook Special English Class 11th Solutions

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MP Board Class 11th Special English Reading Skills

MP Board Class 11th Special English Reading Unseen Passages

MP Board Class 11th Special English Writing Skills

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A Voyage Workbook Special English Class 11th Solutions

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MP Board Class 11th Special English Model Question Paper

The Spectrum Textbook General English Class 11th Solutions

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Objective Questions

Important Extracts from the Poems

MP Board Class 11th General English Reading Comprehension

MP Board Class 11th General English Reading Unseen Passages and Note Making

MP Board Class 11th General English Writing

MP Board Class 11th General English Grammar

MP Board Class 11th General English Model Question Paper

MP Board Class 11 Special English Syllabus & Marking Scheme

Time: 3 Hours
Maximum Marks: 100

Unit wise Weightage

S. No. Unit Topics Marks
1. Unit 1 Reading an Unseen Passage and a Poem 15
2. Unit 2 Text for detailed study 40
3. Unit 3 Drama 10
4. Unit 4 Fiction 10
5. Unit 5 Writing 15
6. Unit 6 Grammar 10
Total 100

1. Texts for study (30 Marks)
(a) Two passages followed by short answer type questions. (5+5 Marks)
(b) Two questions in about 75 words each. (6+6 Marks)
(c) Two short answer type questions to be answered in about 60 words each. (4+4 Marks)

2. Grammar and Phonology (10 Marks)
(a) Revision of functional grammar exercises prescribed in class 11 th to test basic grammatical concepts.
(b) Phonology (syllable division, word stress, phonemic transcription, intonation.) 18 Periods

3. Fiction (15 Marks)
(a) One out of two questions in about 150 words. (9 Marks) 54 Periods
(b) Two out of three questions to be answered in about 60 words. (6 Marks)

4. Drama (15 Marks)
(a) One out of two questions in about 150 words. (9 Marks)
(b) Two out of three short answer questions to be answered in about 60 words each. (6 Marks)

5. Reading an unseen passage and poem. (15 Marks)
(a) One literary or discursive passage of about 500-600 words followed by short questions. (10 Marks) 27 Periods
(b) A poem of about 15 lines followed by short questions. (5 Marks)

6. Writing (15 Marks)
(a) One essay (200-250 words ) – out of four or five topics (10 Marks)
(b) To write a shorter composition such as an article, report, a statement of purpose (100-125 words). (5 Marks)

Prescribed Books :-
1. Text Book – A Voyage
2. Work Book – A Voyage
Compiled by M.P. Rajya Shiksha Kendra and Published by M.P. Text Book Corporation.

MP Board Class 11 General English Syllabus & Marking Scheme

Time: 3 Hours
Maximum Marks: 100

Unit wise Weightage

S.No. Unit/Areas of Learning Marks
A. Reading Unseen Passages (Two) 25
B. Writing 20
C. Grammar 10
D. Text Book 45
Total (Max. Marks) 100

Section – A (25 Marks)
Reading Unseen Passages for Comprehension & Note-Making

Two unseen passages with a variety of questions including 6 marks for vocabulary such as word formation and inferring meaning. The total length of both the passages together should be around 350 words.
The passages could be any of the following two types :

  • Factual passages: e.g., instructions, descriptions, reports.
  • Discursive passages: involving opinion e.g., argumentative, persuasive.

Summary

Unseen Passages No.of Words Testing Areas Marks Allotted
(A-1)
15 marks
Around 200 Short answer type questions to test local, global and inferential comprehension 12
Vocabulary 03
(A-2)
10 marks
Around 150 Note-making in an appropriate format 07
Vocabulary 03

One of the passages should have about 200 words carrying 15 marks, the other passage should have about 150 words, carrying 10 marks.
The passage carrying 10 marks should be used for testing note-making for 07 marks and testing vocabulary for 03 marks; vocabulary for 03 marks may be tested in the other passage carrying 15 marks.

Section – B (20 Marks)
Writing

(B-1) A factual description of any event or incident e.g.. a report or a process based on verbal input provided (in about 40-50 words). (04 Marks)

(B-2) Composition based on a visual and/or verbal input (in about 80-100 words). The output may be descriptive or argumentative in nature such as an article for publication in a newspaper or a school magazine, a speech etc. (07 Marks)
or
An essay on day-to-day life topics in about 250 words.
After giving ample practice to students to write original compositions for two or three years the option of ‘Essay’ may be eliminated.

(B-3) Writing letters based on the given input. Letter types include

  • business or official letters (for making enquiries, registering complaints, asking for and – giving information, placing orders and sending replies);
  • letters to the editors (giving suggestions, opinions on an issue of public interest) or
  • apply for a job;
  • personal/informal letters. (4 + 5 = 09 Marks)

Section – C (10 Marks)
Grammar

Different grammatical structures in meaningful contexts will be tested. Item- types will include gap-filling, sentences re-ordering, dialogue completion and sentence transformation. The grammar syllabus will include the following areas:

  • Determiners
  • Tenses
  • Active and passive constructions
  • Clauses
  • Modals.

Section – D (45 Marks)
Textual Questions

Questions on the prescribed textbooks will test comprehension at different levels- literal, inferential and evaluative based on the following prescribed textbooks:
(D-1) (a) One out of two extracts based on poetry from the text to test comprehension and appreciation. (40-50 words) (04 Marks)
(b) Three short questions from the poetry section to test local and global comprehension of the text. (30-40 words) (09 Marks)

(D-2) Six short answer type questions on the lessons from the prescribed text. (30 words) (2 × 6 = 12 Marks)

(D-3) Two (out of three) long answer type questions based on the text to test global comprehension. (Expected word limit would be about 50-60 words each) (2 × 5 = 10 Marks)

(D-4) Objective questions based on Text Book. (1 × 10 = 10 Marks)

MP Board Class 11 Special English Blue Print of Question Paper

You can download MP Board Class 11th English Blueprint and Marking Scheme 2019-2020 in Hindi and English medium.

MP Board Class 11 English Blue Print of Question Paper 3
MP Board Class 11 English Blue Print of Question Paper 4

MP Board Class 11 General English Blue Print of Question Paper

MP Board Class 11 English Blue Print of Question Paper 1
MP Board Class 11 English Blue Print of Question Paper 2

MP Board Class 11 Special English Format of Question Paper

MP Board Class 11 English Format of Question Paper 3
MP Board Class 11 English Format of Question Paper 4

MP Board Class 11 General English Format of Question Paper

MP Board Class 11 English Format of Question Paper 1
MP Board Class 11 English Format of Question Paper 2

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MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना

परमाणु की संरचना NCERT अभ्यास प्रश्न

परमाणु की संरचना के प्रश्न अभ्यास MP Board Class 11th Chemistry प्रश्न 1.

  1. एक ग्राम में इलेक्ट्रॉनों की संख्या की गणना कीजिए।
  2. एक मोल इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान एवं आवेश की गणना कीजिए।

हल:
1. एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 9.11 x 10-31 kg, इलेक्ट्रॉन का कुल द्रव्यमान = 1g = 1 x 10-3kg
∴ 9.11 x 10-31 kg द्रव्यमान एक इलेक्ट्रॉन का है।
∴ 1 x 10-3 kg द्रव्यमान एक इलेक्ट्रॉन का है = \(\frac { 1×10^{ -3 } }{ 9.11×10^{ -31 } } \) = 1.09×1027 इलेक्ट्रॉन।

2. इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 9.1×10-28 ग्राम
1 मोल इलेक्ट्रॉन = 6.023 x 103 इलेक्ट्रॉन
1 मोल इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 9.1 x 10-28 x 6.023 x 1023
= 5.47 x 10-4 ग्राम।
इलेक्ट्रॉन का आवेश = 1.6 x 10-19 कूलॉम
1 मोल इलेक्ट्रॉन = 6.023 x 1023
1 मोल इलेक्ट्रॉन का आवेश = 1.6 x 10-19 x 6.023 x 1023
= 9.63 x 104 कूलॉम।

परमाणु की संरचना अभ्यास MP Board Class 11th Chemistry प्रश्न 2.

  1. एक मोल मेथेन में उपस्थित कुल इलेक्ट्रॉनों की गणना कीजिए।
  2. 7mg C14 में कुल न्यूट्रॉनों की संख्या एवं कुल द्रव्यमान की गणना कीजिए।
  3. STP पर NH3 के 34 mg में कुल प्रोटॉनों की संख्या एवं प्रोटॉनों का द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।

हल:
1. CH4 के एक मोल में इलेक्ट्रॉन = 6 + 4 = 10
CH4 के एक मोल = 6.02 x 1023 अणु
कुल इलेक्ट्रॉन = 10 x 6.02 x 1023 = 6.02 x 1024.

2. एक C14 परमाणु में न्यूट्रॉनों की संख्या = 14 – 6 = 8
एक मोल C14 अथवा 6.02 x 1023 परमाणु अथवा 14g
एक मोल C14 में न्यूट्रॉन है = 8 x 6.02 x 1023
= 4.816 x 1024
C14 के 7 mg = C14 के 7 x 10-3
∴ 14 ग्राम C14 में न्यूट्रॉन्स है = 4.816 x 1024
∴ 7 x 10 C14 में न्यटॉन्स है = \(\frac { 4.816×10^{ 24 }x7x10^{ -3 } }{ 14 } \)
= 2.408 x 1021 न्यूट्रॉन्स।
एक न्यूट्रॉन का द्रव्यमान = 1.675 x 10-27 kg
∴ कुल न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान = 1.675 x 10-27-27 x 2.408 x 1021 = 4.03 x 10-6 kg.

3. NH3 का मोलर द्रव्यमान = 17,
NH3 के एक अणु में प्रोटॉनों की संख्या = 7 + 3 = 10
34 mg NH3 = 34 x 10-3 kg
∴ 17 g NH3 में प्रोटॉन = 10 x 6.02 x 1023
34 x 10-3 g NH3 प्रोटॉन है = \(\frac { 10×6.02×10^{ 23 }x34x10^{ -3 } }{ 17 } \)
= 1.2044 x 1022 प्रोटॉन।
एक प्रोटॉन का द्रव्यमान = 1.675 x 10-7 kg
∴ कुल प्रोटॉनों का द्रव्यमान = 1.675 x 10-27 x 1.2044 x 1022
= 2.01 x 10-5 kg.

परमाणु की संरचना के प्रश्न उत्तर MP Board Class 11th Chemistry प्रश्न 3.
निम्न तत्वों के नाभिकों में उपस्थित प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की संख्या ज्ञात कीजिए –

  1. \(_{ 6 }^{ 13 }{ C }\)
  2. \(_{ 16 }^{ 8 }{ O }\)
  3. \(_{ 24 }^{ 12 }{ Mg }\)
  4. \(_{ 56 }^{ 26 }{ Fe }\)
  5. \(_{ 88 }^{ 38 }{ Sr }\).

उत्तर:

  1. \(_{ 6 }^{ 13 }{ C }\) में न्यूट्रॉनों की संख्या – 13 – 6 = 7; \(_{ 6 }^{ 13 }{ C }\) में प्रोटॉनों की संख्या = 6.
  2. \(_{ 16 }^{ 8 }{ O }\) में न्यूट्रॉनों की संख्या = 16 – 8 = 8; \(_{ 16 }^{ 8 }{ O }\) में प्रोटॉनों की संख्या = 8.
  3. \(_{ 24 }^{ 12 }{ Mg }\) में न्यूट्रॉनों की संख्या = 24 – 12 = 12; \(_{ 24 }^{ 12 }{ Mg }\) में प्रोटॉनों की संख्या = 12.
  4. \(_{ 56 }^{ 26 }{ Fe }\), में न्यूट्रॉनों की संख्या = 56 – 26 = 30; \(_{ 56 }^{ 26 }{ Fe }\) में प्रोटॉनों की संख्या = 26.
  5. \(_{ 88 }^{ 38 }{ Sr }\) में न्यूट्रॉनों की संख्या = 88 – 38 = 50; \(_{ 88 }^{ 38 }{ Sr }\) में प्रोटॉनों की संख्या = 38.

परमाणु की संरचना के प्रश्न उत्तर Class 11th MP Board Chemistry प्रश्न 4.
दिए गए परमाणु क्रमांक (Z) एवं परमाणु दव्यमान (A) वाले परमाणु का पूर्ण संकेत लिखिए –

  1. Z = 17, A = 35
  2. Z = 92, A = 233
  3. Z=4, A = 9.

उत्तर:

  1. \(_{ 35 }^{ 17 }{ Cl }\)
  2. \(_{ 233 }^{ 92 }{ U }\)
  3. \(_{ 9 }^{ 4 }{ C }\)Be

Mp Board 11th Chemistry Book Pdf प्रश्न 5.
सोडियम लैम्प से 580 nm तरंगदैर्घ्य (λ) वाली पीला प्रकाश उत्सर्जित होता है, पीले प्रकाश की आवृत्ति (ν) एवं तरंग संख्या (\(\overline { ν } \)) की गणना कीजिए।
हल:
λ = 580 nm = 580 x 10-9 m, c = 3 x 108 m/s
आवृत्ति, ν = \(\frac{c}{λ}\) = \(\frac { 3×10^{ 8 } }{ 580×10^{ -9 } } \)
तरंग संख्या, \(\overline { ν } \) = \(\frac{1}{λ}\) = \(\frac { 1 } { 580×10^{ -9 } } \) = 1.72 x 106m-1.

प्रश्न 6.
प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा ज्ञात कीजिए, जो –

  1. प्रकाश की आवृत्ति 3 x 105 Hz से संबंधित है
  2. जिसका तरंगदैर्घ्य 0.50 Å है।

हल:
1. ν = 3 x 1015 Hz, h = 6.626 x 10-34 Js
E = hν = 6.626 x 10-34 x 3 x 1015 = 1.988 x 10-18 J.

2. λ = 0.50 x 10-10m, E = hν = h\(\frac{c}{λ}\)
= \(\frac { 6.626×10^{ -34 }x3x10^{ 8 } }{ o.50×10^{ -10 } } \) = 3.98 x 10-15

प्रश्न 7.
एक प्रकाश तरंग, जिसका आवर्तकाल 2.0 x 10-10 है के लिए तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति एवं तरंग संख्या की गणना कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 1

प्रश्न 8.
4000 pm वाले तरंगदैर्घ्य वाले प्रकाश के फोटॉनों की संख्या की गणना कीजिए, जो 1J ऊर्जा वाले होते हैं।
हल:
λ = 4000 pm = 4 x 10-9 m
h = 6.626 x 10-34 Js
c = 3 x 108 m/s
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 2

प्रश्न 9.
एक फोटॉन जिसका तरंगदैर्घ्य 4 x 10-7m है, धातु सतह पर डाला जाता है, धातु का कार्य फलन 2.13ev है। गणना कीजिए –

  1. फोटॉन की ऊर्जा
  2. उत्सर्जन की गतिज ऊर्जा एवं
  3. फोटो इलेक्ट्रॉन का वेग। (1eV = 1.602 x 10-19)

हल:

1. एक फोटॉन की कर्ज = E = \(\frac{hc}{λ}\)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 3
2. उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा, KE = hν – hν0
hν = 3.10ev (टकराने वाले फोटॉन की ऊर्जा)
0 = W0 = 2.13eV (धातु का कार्य फलन)
KE = 3.10 – 2.13 = 0.97eV.

3. KE = \(\frac{1}{2}\) = mv2 = 0.97e v
[∴ 1eV = 1.602 x 10-12]
\(\frac{1}{2}\) mv2 = 0.97 x 1.602 x 10-19J
\(\frac{1}{2}\) x 10-31kg x v2 = 0.97 x 1.602 x 10-19 J
[ 1e का द्रव्यमान = 9.11 x 10-31 kg]
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 4
v = 5.84 x 105ms-1

प्रश्न 10.
242 nm तरंगदैर्घ्य का वैद्युत चुम्बकीय विकिरण सोडियम परमाणु को आयनीकृत करने के लिए पर्याप्त है। सोडियम की आयनन ऊर्जा की गणना kJ mol-1 में कीजिए।
हल:
तरंगदैर्घ्य λ = 242 x 10-9 m
[∴ 1 nm = 10-9 m]
ऊर्जा E = hν = \(\frac{hc}{λ}\)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 5
E = 0.0821 x 10-17 J/atom
उपर्युक्त ऊर्जा 1 Na परमाणु के आयनन के लिए पर्याप्त है। एक मोल Na हेतु ऊर्जा की Na की आयनन ऊर्जा होगी।
Na के 1 मोल के लिए ऊर्जा (आयनन ऊर्जा)
E = 6.02 x 1023 x 0.0821 x 10-17 J/mol
= 4.945 x 105J/mol [∴ 1 kJ = 1000J]
\(\frac { 4.945×10^{ 2 } }{ 1000 } \) J/mol
= 4.945 x 10 kJ/mol.

प्रश्न 11.
25 वाट का बल्ब 0.57 pm तरंगदैर्घ्य की मोनोक्रोमेटिक पीला उत्सर्जित करता है, तब प्रति सेकण्ड उत्सर्जित क्वाण्टम की दर की गणना कीजिए।
हल:
तरंगदैर्घ्य λ = 0.57um = 0.57 x 10-6m, [∴ l µm = 10-6m]
फाटान का ऊजा E = hν = \(\frac{hc}{λ}\)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 6
E = 34.84 x 10-20J
25 वॉट = 25Js-1 [∴ 1वॉट = 1Js-1]
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 7
= 0.7169 x 1020 फोटॉन/सेकण्ड
= 7.169 x 1019 फोटॉन/सेकण्ड।

प्रश्न 12.
जब धातु को 6800Å तरंगदैर्घ्य वाले विकिरण में लाया जाता है, तब धातु सतह से शून्य वेग के इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं। धातु की देहली आवृत्ति (ν0) एवं कार्यफलन की गणना कीजिए।
हल:
देहली तरंगदैर्घ्य, λ0 = 6800Å = 6800 x 10-10 m [∴ 1A = 10-10m]
देहली आवृत्ति ν0 = C = \(\frac { c }{ \lambda _{ 0 } } \) = \(\frac { 3.0×10^{ 8 }ms^{ -1 } }{ 6800×10^{ -10 }m } \) = 4.41 x 1014s-1
कार्य फलन W = hν0
= 6.626 x 10-34 Js x 4.41 x 1014s-1
= 29.22 x 10-20 J = 2.922 x 10-19 J.

प्रश्न 13.
जब हाइड्रोजन परमाणु के इलेक्ट्रॉन ऊर्जा स्तर n = 4 से ऊर्जा स्तर n = 2 पर संक्रमण करते हैं, तब उत्सर्जित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य क्या होगी?
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 8
इस तरंगदैर्घ्य वाले प्रकाश का रंग नीला होता है।

प्रश्न 14.
H – परमाणु को आयनीकृत करने के लिए कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होगी, जब इलेक्ट्रॉन n = 5 कक्ष ग्रहण करेगा? H – परमाणु के आयनन एन्थैल्पी से अपने उत्तर की तुलना कीजिए। (n = 1 कक्ष से इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा)
हल:
ऊर्जा परिवर्तन, ∆E = Ef – Ei
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 9
अतः प्रथम कक्षक से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा पाँचवें कक्ष से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा की 25 गुना होगी।

प्रश्न 15.
जब हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन n = 6 से उत्तेजित होकर आद्य अवस्था में पहुँचता है, तब उत्सर्जित रेखाओं की अधिकतम संख्या क्या होगी?
हल:
संभावित संक्रमण है –
6 → 5, 6 → 4, 6 → 3, 6 → 2, 6 → 1 (5)
5 → 4, 5 → 3, 5 → 2, 5 → 1 (4)
4 → 3, 4 → 2, 4 → 1 (3)
3 → 2, 3 → 11 (2)
2 → 1 (1)
कुल रेखा = 15
रेखाओं की संख्या को सरल सूत्र द्वारा भी गणना कर सकते हैं –
\(\frac{n(n-1)}{2}\) = \(\frac{6(6-1)}{2}\) = 15.

प्रश्न 16.
1. हाइड्रोजन परमाणु के प्रथम कक्ष से संलग्न ऊर्जा -2.8 x 10-18J atom-1 है। पाँचवें कक्ष की संलग्न ऊर्जा क्या होगी?
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 10
2. हाइड्रोजन परमाणु के लिए बोर के पाँचवें कक्ष के लिए त्रिज्या की गणना कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 11

प्रश्न 17.
परमाण्विक हाइड्रोजन के बामर श्रेणी में संक्रमण के लिए सबसे लम्बी तरंगदैर्घ्य की तरंग संख्या की गणना कीजिए।
हल:
\(\overline { ν } \) = 1097 x 1o7 [ \(\left[\frac{1}{n_{1}^{2}}-\frac{1}{n_{2}^{2}}\right]\)
n1 = 2 बामर श्रेणी के लिए n1 = 2 लम्बी तरंगदैर्घ्य के लिए \(\overline { ν } \) कम होता है, n2 = 3.
\(\overline { ν } \) = 1097 x 107(\(\frac{1}{4}\) – \(\frac{1}{9}\) ) = 152 x 106m.

प्रश्न 18.
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन प्रथम बोर कक्ष से पाँचवें बोर कक्ष में जाने के लिए आवश्यक जूल में ऊर्जा क्या होगी एवं इलेक्ट्रॉन के वापस आद्य अवस्था में लौटने पर उत्सर्जित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य क्या होगी? आद्य अवस्था में इलेक्ट्रॉन ऊर्जा -2.18 x 10-1111 अर्ग है।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 12

प्रश्न 19.
हाइड्रोजन परमाणु की इलेक्ट्रॉन ऊर्जा En = (-2.18 x 10-18)n2J दी गई है। n = 2 कक्ष इलेक्ट्रॉन को पूर्ण रूप से निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा की गणना कीजिए। इस संक्रमण में प्रयुक्त की लम्बी तरंगदैर्घ्य cm में क्या होगी?
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 13

प्रश्न 20.
2.05 x 10 ms-1 वेग से घूम रहे इलेक्ट्रॉन के तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
हल:
h = 6.62 x 10-34 Js,
v = 2.05 x 10 ms-1
m = 9.11 x 10-31 kg
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 14

प्रश्न 21.
एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1 x 10-31 kg है, यदि इसकी गतिज ऊर्जा (K.E.) 3 x 10-25 J हो, तब इसकी तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
हल:
K.E. = 3.0 x 10-25 J,
m = 9.1 x 10-31-31 kg,
1J = 1 kg ms-2
K.E. = \(\frac{1}{2}\) mv2
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 15

प्रश्न 22.
निम्न में से कौन-सी समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज हैं अर्थात् जिनमें समान संख्या में इलेक्ट्रॉन हो –
Na+, K+, Mg+2, Ca+22+, s-2, Ar.
उत्तर:
Na+ = 11 – 1 = 10
K+ = 19 – 1 = 18
Mg+2 = 12 – 2 = 10
Ca2+ = 20 – 2 = 18
s2- = 16 + 2 = 18,
Ar= 18.
अतः समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज Na+ एवं Mg+2 तथा Ca+2, K+, Ar, एवं S2- हैं।

प्रश्न 23.
(i) निम्न आयनों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए –

  1. H+
  2. Na+
  3. O2-
  4. F

(ii) उन तत्वों के परमाणु क्रमांक क्या होंगे, जिनके बाहरी कक्ष में इलेक्ट्रॉनों को दर्शाते हैं –

  1. 3s1
  2. 2p एवं
  3. 3p5

(iii) निम्न विन्यासों द्वारा कौन-से परमाणुओं को दर्शाया जाता है –

  1. [He]2s1
  2. [Ne]3s2, 3p3
  3. [Ar]4s2, 3d1.

उत्तर:
(i)

  1. 1H = 1s1 ∴ H = 1s0
  2. 11Na = 1s2 2s22p63s1 ∴ Na+ = 1s22s22p6
  3. 8O = 1s2 2s2 2p4 ∴ O2- = 1s2 2s2 2p6
  4. 9F = 1s2 2s2 2p5 ∴ F = 1s2 2s2 2p6

(ii)

  1. 1s2 2s2 2p6 3s1 (Z = 11)
  2. 1s2 2s2 2p3 (Z = 7)
  3. 1s2 2s2 2p6 3s2 3p5 (Z = 17)

(iii)

  1. 2Li
  2. 1515P
  3. 21Sc.

प्रश्न 24.
‘g’ कक्षक रखने वाले n का निम्नतम मान क्या होगा?
उत्तर:
l = 4,
‘g’ उपकक्षक दर्शाता है एवं हमें ज्ञात है कि n = 1 एवं l = 0 से (n – 1) निम्नतम मान n = 5 है।

प्रश्न 25.
एक इलेक्ट्रॉन 3d कक्षकों में से एक में है, तब इस इलेक्ट्रॉन की n, I एवं m के संभावित मान दीजिए।
उत्तर:
3d कक्षक के लिए n = 3, l = 2, m = -2, -1, 0, +1, 2.

प्रश्न 26.
एक तत्व के परमाणु में 29 इलेक्ट्रॉन एवं 35 न्यूट्रॉन है। तब

  1. प्रोटॉनों की संख्या एवं
  2. तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निकालिए।

उत्तर:

  1. उदासीन परमाणु के लिए, प्रोटॉनों की संख्या = इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 29 अत: Z = 29.
  2. Z = 29 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Ar] 3d10, 4s1 है।

प्रश्न 27.
H2+ एवं O2+ स्पीशीज में इलेक्ट्रॉनों की संख्या दीजिए।
उत्तर:
H2 = 1H + 1H = 2e ∴ H2+ = 2 – 1 = 1e है।
O2 = O8 + O8 = 16e ∴ O2+ = 16 – 1 = 15e है।

प्रश्न 28.

  1. एक परमाणु कक्षक में n = 3 के लिए। एवं m के संभावित मान क्या होंगे?
  2. 3d कक्षक के इलेक्ट्रॉनों के लिए क्वाण्टम संख्याओं (m1 एवं।) की लिस्ट दीजिए।
  3. निम्न में से कौन-सी कक्षक संभव है – 1p, 2s, 2p एवं 3f.

उत्तर:

1. n = 3, l = 0, 1, 2
जब l = 0, m = 0
जब l = 1, m = +1, 0, -1
जब l = 2, m = +2, +1, 0, -1, -2.

2. 3d – कक्षक के लिए n = 3, l = 2, m = +2, +1, 0, -1,-2.

3. n = 1, l = 0, एक कक्षक i.e., यह संभव है। 1p संभव नहीं है।
n = 2, l = 0 एवं 1, अत: 25 एवं 2p दोनों संभव है।
n = 3, l = 0, 1, 2, अत: 3s, 3p एवं 3d संभव है 3f संभव नहीं है।

प्रश्न 29.
s, p, d नोटेशन का उपयोग करते हुए कक्षक का निम्न क्वाण्टम संख्याओं की व्याख्या कीजिए –

  1. n = 1, l = 0
  2. n = 3, l = 1
  3. n = 4, l = 2
  4. n = 4, l = 3

उत्तर:

  1. n = 1; l = 0 : 15
  2. n = 3; l = 1 : 3p
  3. n = 4; l = 2 : 4d
  4. n = 4; l = 3 : 4f.

प्रश्न 30.
निम्न की व्याख्या करते हुए कारण दीजिए, कि निम्न क्वाण्टम संख्याओं के सेट संभव नहीं है –

  1. n = 0, l = 0, m1 = 0, ms = +1/2
  2. n = 1, l = 0, m1 = 0, ms = -1/2
  3. n = 1, l = 1, m1 = 0, ms = +1/2
  4. n = 3, l = 3, m1 = 0, ms = -1/2
  5. n = 3, l = 3, m1 = -3, ms = +1/2
  6. n = 3, l = 1, m1 = 0, ms = +1/2.

उत्तर:

  1. संभव नहीं है, क्योंकि n शून्य नहीं होता,
  2. संभव है,
  3. संभव नहीं है, क्यों कि n = 1, का मान 1 नहीं होता,
  4. संभव है,
  5. संभव नहीं है, क्योंकि n = 3 के लिए। का मान 3 नहीं होता,
  6. संभव है।

प्रश्न 31.
एक परमाणु में कितने इलेक्ट्रॉन होंगे, जिनकी निम्न क्वाण्टम संख्यायें होंगी –

  1. n = 4, ms \(\frac{1}{2}\)
  2. n = 3, l = 0.

उत्तर:

  1. कुल इलेक्ट्रॉन- 2n2 = 2 x 42 = 32. इसके आधे इलेक्ट्रॉन 16 जिनके s = +1/2 या s = -1/2 होंगे।
  2. n = 3 एवं l = 0, तब यह ‘3s’ उपकक्ष है, जिसमें अधिकतम 2 इलेक्ट्रॉन होंगे।

प्रश्न 32.
दर्शाइये कि हाइड्रोजन परमाणु के लिए कक्ष में घूमने वाले इलेक्ट्रॉन के लिए बोर कक्ष डी ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य के इन्टीग्रल मल्टीपल होती है।
उत्तर:
mvr = \(\frac{nh}{2π}\)
या 2πr = \(\frac{nh}{mv}\) …(i)
डी ब्रॉग्ली समीकरण के अनुसार λ = \(\frac{h}{mv}\), इस मान \(\frac{h}{mv}\) को समीकरण (i) में रखने पर,
2πr = nλ
अतः r तरंगदैर्घ्य (λ) के इन्टीग्रल मल्टीपल होती है।

प्रश्न 33.
He स्पेक्ट्रम के लिए बामर संक्रमण n = 4 से n = 2 के तरंगदैर्घ्य के समान हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम में क्या संक्रमण होगा?
उत्तर:
H – के समान कण के लिए सामान्यतः \(\overline { ν } \) = RZ2(\(\left[\frac{1}{n_{1}^{2}}-\frac{1}{n_{2}^{2}}\right]\))
∴ He+ स्पेक्ट्रम में बामर संक्रमण के लिए n2 = 4 से n1 = 2
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 16
यह दर्शाता है कि n1 = 1 एवं n2 = 2 के लिए संक्रमण n = 2 से n = 1 होता है।

प्रश्न 34.
प्रक्रम के लिए आवश्यक ऊर्जा की गणना कीजिए – He(g)+ → He(g)2+ + e आद्य अवस्था में H – परमाणु की आयनन ऊर्जा 2.18 x 10-18-18 J atom-1 है।
हल:
एक इलेक्ट्रॉन परमाणुक निकाय में, इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 17
= 4 x 2.18 x 10-18 J atom-1 = 8.72 x 10-8 J atom-1
अत: He+ → He2+ + e, के लिए आवश्यक ऊर्जा = 8.72 x 10-18 J atom-1

प्रश्न 35.
कार्बन परमाणु का व्यास यदि 0.15 nm है, तब कार्बन परमाणुओं की संख्या की गणना कीजिए, जो 20 cm लम्बी स्केल पर सीधी रेखा में खिसकती है।
हल:
कार्बन परमाणु का व्यास = 0.15 nm = 1.5 x 10-10 m
लम्बाई के सापेक्ष कार्बन परमाणुओं की संख्या जो रखी गई है = \(\frac { 0.2 }{ 1.5×10^{ -10 } } \) = 1.33 x 109.

प्रश्न 36.
2 x 108 कार्बन परमाणुओं को व्यवस्थित करने के लिए 2.4 cm लम्बाई में व्यवस्थित करने के लिए कार्बन परमाणु की त्रिज्या की गणना कीजिए।
हल:
कुल लंबाई = 2.4 cm
कतार में व्यवस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या = 2 x 108
1 कार्बन परमाणु का व्यास = \(\frac { 2.4cm }{ 2×10^{ 8 } } \) = 1.2 x 10-8 cm
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 18
= 0.60 x 10-7 cm
= 0.060 x 10-9 cm = 0.060 x 10-9 m
= 0.060 nm.

प्रश्न 37.
जिंक परमाणु का व्यास 2.6 Å है।

  1. जिंक परमाणु की त्रिज्या pm में तथा
  2. 1.6 cm की लंबाई में कतार में लगातार उपस्थित परमाणुओं की संख्या की गणना कीजिए।

हल:
1. Zn परमाणु का व्यास = 2.6Å = 2.6 x 10-10 m
Zn परमाणु की त्रिज्या \(\frac { 2.6×10^{ -10 }m }{ 2 } \)
= 1.3 x 10-10 m
= 130 x 10-12m = 130 pm.

2. प्रश्नानुसार, लंबाई = 1.6 cm = 1.6 x 10-2 m
1.6 x 10-2 m लम्बी कतार में Zn परमाणुओं की संख्या
\(\frac { 1.6×10^{ -2 }m }{ 2.6×10^{ -10 }m } \) = 0.6154 x 108
= 6.154 x 107.

प्रश्न 38.
कुछ कण 2.5 x 10-16C स्टेटिक विद्युत् आवेश रखते हैं, इनमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या की गणना कीजिए।
हल:
एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 x 10-19 कूलॉम, कुल आवेश = 2.5 x 10-16
कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या = \(\frac { 2.5×10^{ -16 } }{ 1.6×10^{ -19 } } \) = 1562.5 = 1.5625 x 103.

प्रश्न 39.
मिलिकन प्रयोग में तेल बूंद पर स्टेटिक विद्युत् आवेश x-किरण की चमक से प्राप्त करते हैं। यदि तेल बूंद पर स्टेटिक विद्युत् आवेश -1-282 x 10-18 C है, तब इसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या की गणना कीजिए।
हल:
तेल की बूंद पर स्थिर विद्युत् आवेश = – 1.282 x 10-18 C
इलेक्ट्रॉन पर आवेश = -1.602 x 10-19 C
तेल की बूंद में उपस्थित इलेक्ट्रॉन = \(\frac { -1.282×10^{ -18 } }{ -1.602×10^{ -19 } } \)

प्रश्न 40.
रदरफोर्ड प्रयोग में सामान्यतः भारी परमाणु जैसे-गोल्ड, प्लेटिनम आदि की पतली पत्ती पर -कणों के आक्रमण के लिए उपयोग करते हैं। यदि पतली पत्ती हल्के परमाणुओं जैसेऐल्युमिनियम आदि का उपयोग करें, तब उपरोक्त परिणामों से प्रेक्षित में क्या अन्तर होगा?
उत्तर:
हल्के परमाणुओं में नाभिक में कम संख्या में धन आवेश होते हैं, इसके कारण ही -कणों की संख्या विपरीत विचलित नगण्य होती है एवं कम कोण से विचलित -कणों की संख्या भी नगण्य होती है।

प्रश्न 41.
प्रतीक \(_{ 79 }^{ 35 }{ Br }\)Br एवं 79Br लिख सकते हैं, जबकिं संकेत \(_{ 35 }^{ 79 }{ Br }\)Br एवं 35Br स्वीकार्य योग्य नहीं है, उत्तर समझाइये।
उत्तर:
तत्व की परमाणु संख्या निश्चित स्थायी होती है। द्रव्यमान संख्या समस्थानिक पर निर्भर होता है। अतः एक तत्व की परमाणु संख्या एवं द्रव्यमान संख्या को दर्शाते हैं। \(_{ 35 }^{ 79 }{ Br }\)Br संभावना नहीं है, क्योंकि Br का परमाणु क्रमांक 35 है 79 नहीं। 35Br संभव नहीं है, क्योंकि Br की द्रव्यमान संख्या 35 नहीं है।

प्रश्न 42.
एक तत्व की द्रव्यमान संख्या 81 है, तथा प्रोटॉन की तुलना में 31.7% अधिक न्यूट्रॉन है, तब परमाण्विक संकेत निकालिये।
हल:
द्रव्यमान संख्या = 81, i.e., p + n = 81
यदि प्रोटॉन की संख्या = x है, तब
न्यूट्रॉनों की संख्या = x + \(\frac{31.7x}{100}\) = 1.317x
∴ x + 1.317x = 81
या 2.317 x = 81
या x = \(\frac{81}{2.317}\) = 35
अतः प्रोटॉन = 35, i.e., परमाणु संख्या = 35
∴ संकेत Br है।

प्रश्न 43.
एक आयन की द्रव्यमान संख्या 37 है, जिस पर एक इकाई ऋण आवेश है। यदि आयन में इलेक्ट्रॉन की तुलना में 11.1% अधिक न्यूट्रॉन है, तो आयन का संकेत ज्ञात कीजिए।
हल:
यदि आयन में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = x, तब
न्यूट्रॉनों की संख्या = x + \(\frac{11.1x}{100}\) = 1.111 x
∴ प्रोटॉनों की संख्या = x – 1
द्रव्यमान संख्या = n + p
या 37 = 1.111 x + x – 1
या 2.11 x = 38
x = 8
प्रोटॉनों की संख्या = परमाणु संख्या
= x – 1 = 18 – 1 = 17
∴ आयन का संकेत \(_{17}^{37} \mathrm{Cl}^{-1}\).

प्रश्न 44.
एक आयन की द्रव्यमान 56 है, जिस पर 3 इकाई धन आवेश है एवं इलेक्ट्रॉन की तुलना में 30.4% अधिक न्यूट्रॉन है। आयन का संकेत ज्ञात कीजिए।
हल:
यदि आयन में इलेक्ट्रॉनों की संख्या M3+ = x
न्यूट्रॉनों की संख्या = x + \(\frac{30.4}{100}\)x = 1.304 x
∴ प्रोटॉनों की संख्या = x + 3
द्रव्यमान संख्या = n + p
या 56 = x + 3 + 1.304 x
या 2.304 x = 53
x = 23
∴ प्रोटॉनों की संख्या = परमाणु संख्या
= x + 3 = 23 + 3 = 26
∴ आयन का संकेत \(_{56}^{26} \mathrm{Cl}^{+3}\) है।

प्रश्न 45.
निम्न प्रकार के विकिरणों को उसके आवृत्ति के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए –

  1. माइक्रोवेव ओवन के विकिरण
  2. ट्रैफिक सिग्नल का अम्बर प्रकाश
  3. FM रेडियो के विकिरण
  4. बाह्य आकाश से कास्मिक किरणें
  5. x-किरणें।

उत्तर:
FM रेडियो के विकिरण < माइक्रोवेव < अम्बर प्रकाश < x – किरणे < कास्मिक किरणें।

प्रश्न 46.
नाइट्रोजन लेजर 337.1 nm तरंगदैर्घ्य के विकिरण उत्पादित करता है। यदि उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या 5.6 x 1024 है, इस लेजर की शक्ति की गणना कीजिए।
हल:
h = 6.626 x 10-34 J
λ = 337.1 x 10-9 m
c = 3 x 108 m/s
n = 5.6 x 1024
E = nhν
E = nh\(\frac{c}{λ}\)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 19
= 3.3 x 106 J.

प्रश्न 47.
निऑन गैस का सामान्यतः उपयोग साइनबोर्ड में किया जाता है। यह प्रभावी रूप से 616 nm पर उत्सर्जित करता है। गणना कीजिए –

(a) उत्सर्जन की आवृत्ति
(b) 30s में विकिरण द्वारा चली गई दूरी
(c) क्वाण्टम की ऊर्जा
(d) 2Jऊर्जा उत्पादित करने के लिए उपस्थित क्वाण्टम की संख्या।

हल:
λ = 616 nm = 616 x 10-9 m
h = 6.626 x 10-34 Js,
c = 3 x 10 m/s
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 20

प्रश्न 48.
खगोल प्रेक्षणों में दूर स्थित ग्रहों से प्रेक्षित सिग्नल सामान्यतः कमजोर होते हैं। यदि फोटॉन डिटेक्टर कुल 3.15 x 10-18J 600 nm वाले विकिरणों से प्राप्त करता है। डिटेक्टर द्वारा प्राप्त फोटॉनों की संख्या की गणना कीजिए।
हल:
c = 3 x 108 m/s
h = 6.626 x 10-34 JS,
λ = 600 x 10-9 m
एक फोटॉन की ऊर्जा = hν = h\(\frac{c}{λ}\)
= \(\frac{6 \cdot 626 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{600 \times 10^{-9}}\)
= 3.313 x 10-19 J
कुल प्राप्त ऊर्जा = n x एक क्वाण्टा की ऊर्जा
n (फोटॉनों की संख्या) = \(\frac { 3.15×10^{ -18 } }{ 3.31×10^{ -19 } } \) = 9.5 = 10 फोटॉनों की संख्या जो प्रभाजों में नहीं।

प्रश्न 49.
अणुओं को जीवनपर्यन्त उत्तेजित अवस्था में रहने पर नैनो सेकण्ड के नजदीक में पल्स विकिरण स्त्रोत द्वारा मापा गया। यदि विकिरण स्रोत का समय 2 ns है, एवं पल्स स्त्रोत 2.5 x 1015 में फोटॉनों की संख्या उत्सर्जित होती है। स्त्रोत की ऊर्जा की गणना कीजिए।
हल:
ν = \(\frac { 1 }{ 2×10^{ -9 } } \)
E = nhν
= 2.5 x 1015 x 6.626 x 10-34 x 0.5 x 109
= 8.28 x 10-10 J.

प्रश्न 50.
लम्बी तरंगदैर्घ्य द्विक अवशोषण संक्रमण 589 एवं 589.6 nm पर प्रेक्षित किया गया। तब प्रत्येक संक्रमण की आवृत्ति एवं दो उत्तेजित स्थितियों के बीच ऊर्जा के अन्तर की गणना कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 21

प्रश्न 51.
सीजियम परमाणु का कार्यफलन 1.9 ev है। तब विकिरण की (a) देहली तरंगदैर्घ्य एवं (b) विकिरण की देहली आवृत्ति की गणना कीजिए। यदि सीजियम तत्व तरंगदैर्घ्य 500 m द्वारा पुनः विकिरित किया जाता है। तब निकले फोटो इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा एवं वेग की गणना कीजिए।
हल:
W0 (तरंग फलन) = hν0
देहली आवृत्ति ν0 = \(\frac { c }{ W _{ 0 } } \)
W0 = 1.9 x 1.602 x 10W-19 J,
h = 6.626 x 10W-34 Js
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 22

प्रश्न 52.
जब सोडियम धातु विभिन्न तरंगदैर्ध्य में विकिरित (Irradiated) किया जाता है, तो निम्न परिणाम प्रेक्षित किए गए –
h(nm) = 500, 400, 450, v x 105 (cm s-1) = 2.55, 4.35, 5.35. तो

  1. देहली तरंगदैर्घ्य एवं
  2. प्लांक स्थिरांक की गणना कीजिए।

हल:
हम जानते हैं किअवशोषित ऊर्जा – देहली ऊर्जा = फोटो इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 23

प्रश्न 53.
सिल्वर धातु को प्रकाश-विद्युत् प्रभाव प्रयोग में रखने पर सिल्वर धातु पर 0.35 V (वोल्टेज) लागू करने पर निष्कासित फोटो इलेक्ट्रॉन रूक जाते हैं, जब विकिरण 256.7 nm का विकिरण प्रयोग किया गया। सिल्वर धातु के कार्यफलन की गणना कीजिए।
हल:
λ = 256.7 nm = 256.7 x 10-9 m,
K.E. = 0.35 eV
h = 6.626 x 10-34 Js,
c = 3 x 108 m/s
E = h\(\frac{c}{λ}\)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 24
E = E0 + K.E.
4.83 = E0 + 0.35
E0 = 4.83 – 0.35 = 4.48 eV.

प्रश्न 54.
यदि 150 pm तरंगदैर्घ्य वाले फोटॉन को परमाणु पर डाला जाता है, एवं भीतर जुड़े हुए में से एक इलेक्ट्रॉन 1.5 x 107 ms-1 के वेग से बाहर निकलता है। यदि यह नाभिक से जुड़ा हुआ है, तब ऊर्जा की गणना कीजिए।
हल:
λ = 150 pm = 150 x 10-12 m = 1.5 x 10-10 m,
ν = 1.5 x 10 ms-1
m = 9.1 x 10-31 kg
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प्रश्न 55.
पाश्चन श्रेणी में उत्सर्जन संक्रमण कक्ष n = 3 पर समाप्त होता है एवं कक्षn पर शुरू होते हैं, जिसे ν = 3.29 x 10-15 (Hz) \(\left[\frac{1}{3^{2}}-\frac{1}{n^{2}}\right]\) द्वारा दर्शाते हैं।
n के मान की गणना कीजिए यदि संक्रमण 1285 nm पर होता है। स्पेक्ट्रम का क्षेत्र बताइए।
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 26

प्रश्न 56.
उस उत्सर्जन संक्रमण की तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए, जो 1-3225 nm त्रिज्या वाले कक्ष से प्रारम्भ होकर 211.6 pm पर अन्त होती है। उस श्रेणी का नाम, जिसमें संक्रमण होता है एवं स्पेक्ट्रम का क्षेत्र बताइए।
हल:
H – जैसे आयनों के लिए,
r = \(\frac { 52.9^{ 2 } }{ Z } \)pm
r1 = 1.3225 nm = 1322.5 pm = 52.9 n12 = 25 or n = 5
r2 = 211.6 pm = 52.9 x 4 n22 = 4 or n1 = 2
अतः संक्रमण 5वें कक्ष से 2वें कक्ष में होता है। यह बामर श्रेणी में आता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 27
यह दृश्य क्षेत्र में रहता है।

प्रश्न 57.
डी-ब्रॉग्ली ने पदार्थ की द्वैत प्रकृति को प्रस्तावित किया इसके बाद इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज के बाद उपयोग जैसे अणुओं एवं अन्य इस प्रकार के पदार्थों की उच्च मैग्नीफाइड इमेज के लिए किया गया। यदि इस सूक्ष्मदर्शी में इलेक्ट्रॉन का वेग 1.6 x 106 ms-1 हो, तब इस इलेक्ट्रॉन से संलग्न डी ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
हल:
λ = \(\frac{h}{mv}\),
h = 6.626 x 10-34 Js,
m = 9.1 x 10-31 kg
v = 1.6 x 106 ms-1
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 28
= 4.45 x 10-10m = 455 pm

प्रश्न 58.
इलेक्ट्रॉन विवर्तन के समान, न्यूट्रॉन विवर्तन सूक्ष्मदर्शी का उपयोग अणुओं की संरचना ज्ञात करने में करते हैं। यदि प्रयुक्त तरंगदैर्घ्य 800 pm की है, तब न्यूट्रॉन से संलग्न वेग की गणना कीजिए।
हल:
λ = 800 pm = 800 x 10-12 m = 8 x 10-10 m,
m = 1.675 x 10-27 kg
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 29
= 4.94 x 102 ms-1.

प्रश्न 59.
बोर के प्रथम कक्ष के इलेक्ट्रॉन का वेग 2.19 x 106 ms-1 है। इससे संलग्न डी ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य की गणना कीजिए।
हल:
v = 2.19 x 106 ms-1
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 30
= 3.3243 x 10-10
m = 332.43 pm.

प्रश्न 60.
विभवान्तर 1000 V वाले घूमते प्रोटॉन से संलग्न वेग 4.37 x 105 ms-1 है, यदि 0.1 kg द्रव्यमान वाली हॉकी बॉल इस वेग से घूमती है, तो इस वेग से संलग्न तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए।
हल:
v = 437 x 109 ms-1,
m = 0.1 kg 2
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 31

प्रश्न 61.
यदि इलेक्ट्रॉन की स्थिति का मापन + 0.002 am की शुद्धता के साथ किया गया, इलेक्ट्रॉन की संवेग में अनिश्चितता का मापन कीजिए। माना इलेक्ट्रॉन का संवेग h/4πm x 0.05 nm है, तब इस मान की व्याख्या करने में क्या समस्या होगी?
हल:
∆x = 0.002 nm = 2 x 10-12 m,
h = 6.626 x 10-34 Js (kg m2s-1)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 32
चूँकि वास्तविक संवेग मापन किए गए संवेग में अनिश्चितता से कम है, इसलिए इलेक्ट्रॉन के संवेग की व्याख्या नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 62.
छ: इलेक्ट्रॉनों की क्वाण्टम संख्या नीचे दी गई है। इन्हें ऊर्जा के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए। इनमें से किसी भी संयोग में समान ऊर्जा हो, तो बताइये –

  1. n = 4, l = 2, m1 = – 2, ms = -1/2
  2. n = 3, l = 2, m1 = 1, ms = +1/2
  3. n = 4, l = 1, m1 = 0, ms= +1/2
  4. n = 3, l = 2, m1 = -2, ms = -1/2
  5. n = 3, l = 1, m1 = -1, ms = +1/2
  6. n = 4, l = 1, m1 = 0, ms = +1/2.

हल:
बहु-इलेक्ट्रॉन परमाणु की ऊर्जा (n + 1) के योग पर निर्भर करती है।

  1. सेट हेतु उपकोश 4d = (n + 1) = 4 + 2 = 6
  2. सेट हेतु उपकोश 3d = (n + 1) = 3 + 2 = 5
  3. सेट हेतु उपकोश 4p = (n + 1) = 4 + 1 = 5
  4. सेट हेतु उपकोश 3d = (n + 1) = 3 + 2 = 5
  5. सेट हेतु उपकोश 3p = (n + 1) = 3 + 1 = 4
  6. सेट हेतु उपकोश 4p = (n + 1) = 4 + 1 = 5

अतः (5) < (2) = (4) < (3) = (6) < (1)
3p < 3d = 3d < 4p = 4p < 4d (कक्षकों की ऊर्जा का बढ़ता क्रम)

प्रश्न 63.
ब्रोमीन परमाणु में 35 इलेक्ट्रॉन होते हैं, यह 6 इलेक्ट्रॉन 2p कक्ष, 6 इलेक्ट्रॉन 3p कक्ष एवं 5 इलेक्ट्रॉन 4p कक्षक में रहते हैं, इन इलेक्ट्रॉन में से किसका प्रभावी नाभिकीय आवेश कम होगा?
उत्तर:
अनुभव के आधार पर 4p इलेक्ट्रॉन का प्रभावी नाभिकीय आवेश कम हो गया क्योंकि परिरक्षण प्रभाव की तीव्रता अधिकतम होती है, यह नाभिक से दूर होता है।

प्रश्न 64.
निम्न कक्षकों के जोड़ो में से किसका अधिकतम प्रभावी नाभिकीय आवेश होगा –

  1. 25 एवं 3s
  2. 4d एवं 4f
  3. 3d एवं 3p.

उत्तर:
प्रभावी नाभिकीय आवेश विभिन्न कक्षक भेदन प्रभाव पर निर्भर करता है। भेदन अधिक होने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश की तीव्रता अधिक होती है। अत:

  1. 2s
  2. 4d
  3. 3p

कक्षक अधिक प्रभावी नाभिकीय आवेश रखते हैं।

प्रश्न 65.
AI एवं Si में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन 3p-कक्षक में उपस्थित होते हैं। इनमें से कौन-से इलेक्ट्रॉन नाभिक से अधिक प्रभावी नाभिकीय आवेश रखते हैं?
हल:
13Al = 1s2, 2s2 2p6, 3s2 3p1
14Si = 1s2, 2s2 2p6, 3s2 3p2
दोनों में कक्षकों की संख्या समान है। Si (+ 4) पर Al (+3) की अपेक्षा अधिक नाभिकीय आवेश होने के कारण Si में नाभिकीय आवेश अधिक प्रभावी होता है।

प्रश्न 66.
अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या को दर्शाइए –

  1. P
  2. Si
  3. Cr
  4. Fe
  5. Kr

उत्तर:

  1. P1515 = 1s2, 2s2, 2p6, 3s2 3px1 3py1 3pz1 (3p में 3 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन)
  2. Si14 = 1s2, 2s2, 2p6, 3s2 3px1 3py1 (3p में 2 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन)
  3. Cr24 = 1s2, 2s2, 2p6, 3s2 3p6 3d5, 4s1 (3d एवं 35 में 6 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन )
  4. Fe26 = 1s2, 2s2 2p6, 3s2 3p6 3d6, 4s2 (3d में 4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन)
  5. Kr36 = 1s2, 2s2 2p2, 3s2 3p6 3d10, 4s2 4p6 (अयुग्मित इलेक्ट्रॉन 0)

प्रश्न 67.

  1. n = 4 से कितनी उपकक्ष संलग्न होती है?
  2. उपकक्ष, जिसके m, का मान n = 4 के लिए -1/2 होता है, में कितने इलेक्ट्रॉन उपस्थित होंगे?

हल:
1. n = 4 के लिए lmax = (n – 1)
= (4 – 1) = 3
l = 0, 1, 2, 3
उपकोश 4s, 4p, 4d, 4f चार उपकोश।

2. n = 4 के लिए कक्षकों की संख्या = n2 = 42 = 16
किसी कक्षक में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 2
प्रत्येक कक्षक में ms = \(\frac{1}{2}\) चक्रण वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 1
अत: 16 कक्षकों में ms = \(\frac{1}{2}\) चक्रण वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 16

परमाणु की संरचना अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

परमाणु की संरचना वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
किसी तत्व का परमाणु क्रमांक 27 और उसके परमाणु में न्यूट्रॉनों की संख्या 14 है, तो इलेक्ट्रॉनों की संख्या होगी –
(a) 14
(b) 27
(c) 13
(d) 41
उत्तर:
(c) 13

प्रश्न 2.
हुण्ड के नियम के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (1s2, 2s2, 2px1, 2py1, 2pz1) किस तत्व की होगी –
(a) ऑक्सीजन की
(b) नाइट्रोजन की
(c) फ्लुओरीन की
(d) बोरॉन की।
उत्तर:
(b) नाइट्रोजन की

प्रश्न 3.
नाइट्रोजन के सातवें इलेक्ट्रॉन की चारों क्वाण्टम संख्याएँ हैं –
(a) n = 2, l = 1, m = 1, s = –\(\frac{1}{2}\)
(b) n = 2, l = 2, m = -1, s = +\(\frac{1}{2}\)
(c) n = 2, l = 1, m = +1, s = +\(\frac{1}{2}\)
(d) n = 2, l = 2, m = 2, s = +\(\frac{1}{2}\)
उत्तर:
(d) n = 2, l = 2, m = 2, s = +\(\frac{1}{2}\)

प्रश्न 4.
दिगंशी क्वाण्टम संख्या l वाले उपकोश में कुल कक्षकों की संख्या होगी –
(a) 2l + 1
(b) 3l + 1
(c) 4l + 1
(d) 2l + 1
उत्तर:
(a) 2l + 1

प्रश्न 5.
समस्थानिक में इनकी संख्या समान होती है –
(a) प्रोटॉन
(b) न्यूट्रॉन
(c) प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन
(d) न्यूक्लिऑन
उत्तर:
(a) प्रोटॉन

प्रश्न 6.
रदरफोर्ड के प्रयोग में किस धातु पर a-कणों की बौछार की गयी –
(a) ऐल्युमिनियम
(b) सिल्वर
(c) लोहा
(d) सोना
उत्तर:
(d) सोना

प्रश्न 7.
CO2 के एक अणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या निम्न में से क्या होगी –
(a) 22
(b) 44
(c) 11
(d) 38.
उत्तर:
(a) 22

प्रश्न 8.
किसी तत्व के उदासीन परमाणु में दो K, आठ L, नौ M तथा दो N इलेक्ट्रॉन हैं, तो इनमें कुल d – इलेक्ट्रॉन की संख्या होगी –
(a) 2
(b) 3
(c) 1
(d) 4.
उत्तर:
(c) 1

प्रश्न 9.
हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धांत के अनुसार –
(a) ∆x.∆p ≥ \(\frac{h}{4π}\)
(b) ∆x.∆ν ≥ \(\frac{h}{4π}\)
(c) ∆x \(\frac{c}{λ}\) ≥ \(\frac{h}{4π}\)
(d) ∆x.∆m ≥ \(\frac{h}{4p}\)
उत्तर:
(a) ∆x.∆p ≥ \(\frac{h}{4π}\)

प्रश्न 10.
एक परमाणु के लिए n = 3, l = 2 हो तो m के मान होंगे –
(a) – 2, – 1, 0, + 1, +2
(b) -1, 0, +1
(c) -3, -1, 0, + 1, +3
(d) -2, 0 + 1.
उत्तर:
(a) – 2, – 1, 0, + 1, +2

प्रश्न 11.
Cl आयन में इलेक्ट्रॉनों की संख्या होगी –
(a) 17
(b) 18
(c) 35
(d) 37
उत्तर:
(b) 18

प्रश्न 12.
निम्न में से कौन-सा विन्यास ऑफबाऊ सिद्धांत के अनुकूल नहीं है –
(a) 1s2, 2s2 p1
(b) [Kr]4d10, 5s2
(c) [Ar]3a10, 4s1
(d) [Ar]3d4, 4s2
उत्तर:
(c) [Ar]3a10, 4s1

प्रश्न 13.
f उपकोश में कक्षकों की संख्या होगी –
(a) 3
(b) 4
(c) 5
(d) 7
उत्तर:
(d) 7

प्रश्न 14.
रदरफोर्ड के प्रयोग में किस धातु पर a. -कणों की बौछार की गयी –
(a) Al
(b) Ag
(c) Fe
(d) Au
उत्तर:
(d) Au

प्रश्न 15.
n = 3 के लिए। के मान होंगे –
(a) 1, 2, 3
(b) 0, 1, 2
(c) 0, 1,3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) 0, 1, 2

प्रश्न 16.
बोर का परमाणु मॉडल व्याख्या कर सकता है –
(a) केवल हाइड्रोजन परमाणु का स्पेक्ट्रम
(b) एक परमाणु या आयन का स्पेक्ट्रम जिसमें केवल एक इलेक्ट्रॉन हो
(c) हाइड्रोजन अणु का स्पेक्ट्रम
(d) सूर्य का स्पेक्ट्रम
उत्तर:
(b) एक परमाणु या आयन का स्पेक्ट्रम जिसमें केवल एक इलेक्ट्रॉन हो

प्रश्न 17.
न्यूट्रॉन के भार की कोटि (Order) है –
(a) 10-23 kg
(b) 10-24 kg
(c) 10-26 kg
(d)10-27 kg
उत्तर:
(d)10-27 kg

प्रश्न 18.
K – शैल (कक्ष) के दो इलेक्ट्रॉनों में भिन्नता होगी –
(a) मुख्य क्वाण्टम संख्या में
(b) दिगंशी क्वाटम संख्या में
(c) चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या में
(d) स्पिन (घूर्णन)क्वाण्टम संख्या में
उत्तर:
(d) स्पिन (घूर्णन)क्वाण्टम संख्या में।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. क्लोरीन गैस का परमाणु क्रमांक 17 है। इसके बाह्यतम कक्ष में …………. इलेक्ट्रॉन होंगे।
  2. यदि सम्पूर्ण चुम्बकीय क्वाण्टम संख्याओं का योग 7 हो, तो दिगंशी क्वाण्टम संख्या का मान …… होगा।
  3. परमाणु के नाभिक में …………. और …………. होते हैं।
  4. न्यूट्रॉन की खोज ……….. ने की थी।
  5. उच्चतम तरंगदैर्घ्य वाला विकिरण …………. है।
  6. दिगंशी क्वाण्टम संख्या का मान एक होने पर कक्षक का आकार …………. होगा।
  7. नाभिक के चारों ओर का वह स्थान जहाँ इलेक्ट्रॉनों के पाये जाने की प्रायिकता अधिकतम होती है, को . …………. कहते हैं।
  8. एक तत्व का परमाणु क्रमांक 30 है और उसकी द्रव्यमान संख्या 66 है। इसके परमाणु में प्रोटॉन …………. न्यूट्रॉन ………… होंगे।
  9. चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या …………. से संबंधित है।

उत्तर:

  1. 7
  2. 3
  3. प्रोटॉन, न्यूट्रॉन
  4. चैडविक
  5. रेडियो तरंग
  6. डम्बल
  7. कक्षक
  8. 30, 36,
  9. अभिविन्यास।

प्रश्न 3.
उचित संबंध जोड़िए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 33
उत्तर:

  1. (c)
  2. (e)
  3. (a)
  4. (d)
  5. (b)
  6. (h)
  7. (f)
  8. (g)

प्रश्न 4.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की थी?
  2. डी-ब्रॉग्ली समीकरण क्या है?
  3. दिगंशी क्वाण्टम संख्या को किससे दर्शाते हैं?
  4. हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता के सिद्धान्त का क्या सूत्र है?
  5. न्यूट्रॉन की खोज किसने की?

उत्तर:

  1. जे.जे.थॉमसन,
  2. λ = \(\frac{h}{mv}\)
  3. l
  4. (∆x) x (∆p) ≥ \(\frac{h}{4π}\)
  5. चैडविक।

परमाणु की संरचना अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
देहली आवृत्ति क्या है?
उत्तर:
प्रत्येक धातु के लिए, विशिष्ट न्यूनतम आवृत्ति न होती है। जिसे देहली आवृत्ति कहते हैं। इस आवृत्ति से कम मान पर प्रकाश विद्युत् प्रभाव प्रेक्षित नहीं है।

प्रश्न 2.
कार्यफलन किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करने के लिए आवश्यक न्यूनतम आवृत्ति hvo होती है। इसे कार्य फलन (wo) भी कहते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित विकिरणों के प्रकारों को आवृत्ति के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए –

(a) माइक्रोवेव ओवन (Oven) से विकिरण
(b) यातायात संकेत से त्रणमणि (Amber) प्रकाश
(c) एफ. एम. रेडियो से प्राप्त विकिरण
(d) बाहरी दिक् से कॉस्मिक किरणें
(e) x-किरणें।

हल:
विकिरणों की आवृत्ति का बढ़ता क्रम निम्न है –
c < a< b < e < d

प्रश्न 4.
कैथोड किरणों की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
विशेषताएँ:

  1. कैथोड किरणें सरल रेखा में गमन करती हैं। यदि इनके मार्ग में कोई अपारदर्शी ठोस पदार्थ रख दिया जाये तो ग्लास ट्यूब के दूसरी ओर उसकी छाया पड़ती है।
  2. ये किरणें धातुओं से टकराकर एक्स किरणें उत्पन्न करती हैं।

प्रश्न 5.
न्यूट्रॉन की खोज किस प्रकार हुई ? इसके दो लक्षण लिखिए।
उत्तर:
सन् 1932 में चैडविक ने बतलाया कि जब बेरीलियम पर a कणों की बमबारी की जाती है तो एक नया कण प्राप्त होता है, यह कण उदासीन होता है अर्थात् इस पर कोई आवेश नहीं होता है। इसका द्रव्यमान प्रोटॉन के बराबर होता है। इसे न्यूट्रॉन कहते हैं।

लक्षण:

  1. नाभिक में उपस्थित आवेशहीन कण है।
  2. न्यूट्रॉन का द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान के बराबर 1.6749 x 10-27 kg या 1.00893 a.m.u. है।

प्रश्न 6.
परमाणु क्रमांक एवं द्रव्यमान संख्या में अंतर लिखिये।
उत्तर:
परमाणु क्रमांक एवं द्रव्यमान संख्या में अंतर –
परमाणु क्रमांक

  1. परमाणु क्रमांक परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या है।
  2. इसे Z से दर्शाते हैं।

द्रव्यमान संख्या

  1. द्रव्यमान संख्या परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉनों की संख्या का योग है।
  2. इसे A से दर्शाते हैं।

प्रश्न 7.
परमाणु कक्षक किसे कहते हैं?
उत्तर:
नाभिक के चारों ओर का वह त्रिविम क्षेत्र है जहाँ इलेक्ट्रॉनों के पाये जाने की प्रायिकता अधिकतम रहती है, परमाणु कक्षक कहलाता है।

प्रश्न 8.
α – कण किसे कहते हैं?
उत्तर:
α – कण को 2He4 से दर्शाते हैं क्योंकि α – कण हीलियम नाभिक है जिस पर 2 इकाई धन आवेश होता है तथा इसका द्रव्यमान He नाभिक के बराबर 4 इकाई होता है।

प्रश्न 9.
रदरफोर्ड.परमाणु मॉडल में a-कण के प्रत्यावर्तन से क्या निष्कर्ष है?
उत्तर:

  1. अधिकांश α – कण स्वर्णपत्र के आर-पार सीधी रेखा से निकल जाते हैं। अतः परमाणु में नाभिक तथा इलेक्ट्रॉनों के बीच का स्थान लगभग रिक्त रहता है।
  2. कुछ α – कण स्वर्णपत्र से टकराने के पश्चात् विचलित हो जाते हैं क्योंकि परमाणु के भीतर एक धनावेशित केन्द्र होता है।
  3. 20,000 α – कण में एक a-कण नाभिक से टकराकर वापस आता है क्योंकि परमाणु के आकार की तुलना में नाभिक बहुत छोटा एवं दृढ़ होता है।

प्रश्न 10.
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में कौन-सी कमियाँ हैं?
उत्तर:
सन् 1913 में नील्स बोर ने रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल को निम्नांकित कारणों से दोषपूर्ण बताया –

1. विद्युत् चुम्बकीय सिद्धान्त के अनुसार जब कोई आवेशित कण किसी परिपथ में भ्रमण करता है तो वह विकिरणों के रूप में कुछ ऊर्जा मुक्त करता है। इसी प्रकार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर कक्षीय गति करेगा तो उसकी ऊर्जा धीरे-धीरे विकिरणों के रूप में मुक्त होगी और इलेक्ट्रॉन धीरे-धीरे नाभिक के समीप आ जायेगा और अंत में यह नाभिक में समाहित हो जायेगा। इस प्रकार परमाणु अस्थायी होगा जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता।

2. इस मॉडल के अनुसार परमाण्वीय स्पेक्ट्रम सतत् होना चाहिये जबकि प्रयोगों द्वारा स्पष्ट है कि रेखाएँ प्राप्त होती हैं।

3. इस मॉडल के आधार पर विभिन्न कोशों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या को नहीं दर्शाया जा सकता है।

प्रश्न 11.
विद्युत् चुम्बकीय तरंगें क्या हैं?
उत्तर:
किसी उच्च आवृत्ति वाली प्रत्यावर्ती धारा में से विकिरणों के रूप में ऊर्जा उत्सर्जित होती है जो एक प्रकार के तरंगों के समान होती है तथा इसका वेग प्रकाश के वेग के समान होता है। ये तरंगें विद्युत् तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के दोलन के कारण उत्पन्न होती हैं। इसलिये इन्हें विद्युत् चुम्बकीय तरंगें कहते हैं।

प्रश्न 12.
परमाणु का नाभिक α – कणों को प्रतिकर्षित करता है, क्यों?
उत्तर:
प्रत्येक α – कण पर 2 इकाई धन आवेश होता है। प्रत्येक परमाणु के केन्द्र में धन आवेशित नाभिक होता है। हम जानते हैं कि समान आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं इसलिए परमाणु का नाभिक α – कणों को प्रतिकर्षित करते हैं।

प्रश्न 13.
ऐनोड किरणों तथा कैथोड किरणों में अंतर लिखिए।
उत्तर:
ऐनोड किरणों तथा कैथोड किरणों में अंतर –
ऐनोड किरणे:

  1. यह धन आवेशित कणों से मिलकर बनी होती है।
  2. ऐनोड किरणों की प्रकृति विसर्जन नली में ली गई गैस की प्रकृति पर निर्भर करती है।
  3. ऐनोड किरणों में उपस्थित कणों का द्रव्यमान – विसर्जन नली में ली गई गैस के परमाणु के द्रव्यमान के बराबर होता है।

कैथोड किरणें:

  1. यह ऋण आवेशित कणों से मिलकर बनी होती है।
  2. कैथोड किरणों की प्रकृति विसर्जन नली में ली गई गैस की प्रकृति पर निर्भर नहीं करती।
  3. कैथोड किरणों में उपस्थित कणों का द्रव्यमान नगण्य होता है।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से कौन-सा कक्षक उच्च प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करेगा –

  1. 25 और 3s
  2. 4d और 4f
  3. 3d और 3p

उत्तर:

  1. 2s कक्ष के अधिक समीप है अत: यह कक्षक उच्च प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करेगा।
  2. 4d कक्षक उच्च प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करेगा।
  3. 3p कक्षक उच्च प्रभावी नाभिकीय आवेश अनुभव करेगा।

प्रश्न 15.
3p कक्षक में उपस्थित कोणीय नोड तथा त्रिज्य नोडों की कुल संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
3p कक्षक के लिए-मुख्य क्वाण्टम संख्या n = 3 तथा
दिगंशी क्वाण्टम संख्या l = 1
कोणीय नोड की संख्या = l = 1
त्रिज्य नोडों की संख्या = n – l – 1 = 3 – 1 – 1 = 1

प्रश्न 16.
परमाणु और आयन में क्या अंतर है?
उत्तर:
परमाणु और आयन में अंतर –
परमाणु:

  1. यह पूर्णतः उदासीन होता है।
  2. इसमें प्रोटॉनों और इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।
  3. परमाणु अस्थायी होता है तथा रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है।

आयन:

  1. यह धन आवेशित या ऋण आवेशित होता है।
  2. इसमें प्रोटॉनों और इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान नहीं होती है।
  3. आयन विलयन अवस्था में स्थायी होता है।

प्रश्न 17.
विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम क्या है?
उत्तर:
विभिन्न प्रकार के विद्युत् चुम्बकीय विकिरणों को उनकी आवृत्ति या तरंगदैर्घ्य के बढ़ते या घटते क्रम में व्यवस्थित करने से जो ग्राफ प्राप्त होता है उसे विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम कहते हैं ।

प्रश्न 18.
द्रव्य तरंगें विद्युत् चुम्बकीय तरंगों से भिन्न हैं। समझाइये।
उत्तर:
द्रव्य तरंगें विद्युत् चुम्बकीय तरंगों से निम्न प्रकार भिन्न हैं –

  1. इनके तरंगदैर्घ्य का मान विद्युत् चुम्बकीय तरंगों की तुलना में कम होता है।
  2. इनका वेग विद्युत् चुम्बकीय तरंगों की तुलना में कम है।
  3. द्रव्य तरंगें किसी कण से उत्सर्जित नहीं होतीं बल्कि कण के साथ सम्बद्ध होती हैं।

प्रश्न 19.
इलेक्ट्रॉन अपने निश्चित कक्षाओं में ही घूमते हैं। क्यों?
उत्तर:
गतिशील एवं आवेशयुक्त इलेक्ट्रॉन एक ऊर्जा स्तर से दूसरे ऊर्जा स्तर में जाने पर ऊर्जा का विकिरण या अवशोषण करते हैं जिसके फलस्वरूप परमाणु अस्थिर हो जाता है। परमाणु को स्थायित्व देने हेतु इलेक्ट्रॉन विशिष्ट कक्षाओं में घूमते हैं।

प्रश्न 20.
एक गतिशील इलेक्ट्रॉन के द्वारा कण एवं तरंग, दोनों की प्रकृति दर्शाई जाती है। कारण स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन की कणीय प्रकृति के कारण इसका एक निश्चित संवेग होता है तथा गतिशील होने के कारण यह तरंग गुण दर्शाता है। इस प्रकार इलेक्ट्रॉन दोनों गुण एक साथ दर्शाता है।

प्रश्न 21.
तीव्र गतिशील इलेक्ट्रॉन की स्थिति और वेग को एक साथ ज्ञात करना असंभव है, क्यों?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन एक अतिसूक्ष्म कण है। अतः उसे कम तरंगदैर्घ्य वाले प्रकाश जैसे, किरण या एक्स किरणों से ही देखा जा सकता है। इलेक्ट्रॉनों को देखने के लिये यह आवश्यक है कि फोटॉन इलेक्ट्रॉन से टकराकर वापिस आये। लेकिन इलेक्ट्रॉन का फोटॉन से टकराने के पश्चात् वेग बदल जाता है। इसलिये इलेक्ट्रॉन की स्थिति और वेग को एक साथ ज्ञात करना संभव नहीं है।

प्रश्न 22.
क्रोमियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 4s23d4 के स्थान पर 4s13d5 लिखा जाता है, क्यों?
उत्तर:
क्रोमियम का सामान्य अवस्था में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 4s23d4 होना चाहिये परन्तु 3d4 के.यदि 4 इलेक्ट्रॉन हों तो यह 3d कक्षक अपूर्ण कक्षक के रूप में होगा तथा अस्थायित्व को दर्शाता है। यदि 4s का एक इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर 3d कक्षक में चला जाता है तो 4s तथा 3d कक्षक दोनों कक्षक अर्धपूर्ण कक्षक है जो स्थायित्व को दर्शाते हैं इसलिये क्रोमियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 4s23d4 के स्थान पर 4s13d5 लिखा जाता है।

प्रश्न 23.
कॉपर का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 4s23d1 सही क्यों नहीं है?
उत्तर:
कॉपर का सामान्य अवस्था में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 4s23d9 है। d कक्षक में 9 इलेक्ट्रॉन हैं जो अपूर्ण कक्षक है तथा अस्थायी है। यदि 4s का एक इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर 3d कक्षक में चला जाता है तो 4s अर्धपूर्ण तथा 3d कक्षक पूर्णकक्षक है जो अधिक स्थायी है इसलिये कॉपर का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 4s23d9 के स्थान पर 4s13d10 लिखा जाता है।

प्रश्न 24.
मैक्स प्लांक का क्वाण्टम सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
मैक्स प्लांक का क्वाण्टम सिद्धान्त –
1. किसी परमाणु या अणु द्वारा विकरित ऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन सतत् न होकर निश्चित ऊर्जा के बण्डलों या पैकेटों से होता है जिन्हें क्वाण्टम कहते हैं।

2. प्रत्येक क्वाण्टम से सम्बद्ध ऊर्जा विकिरण की आवृत्ति के समानुपाती होती है।
Ε ∝ ν
E = hν, जहाँ h = प्लांक स्थिरांक है।

3. कोई भी अणु या परमाणु क्वाण्टम के सरल गुणांकों में ही ऊर्जा अवशोषित या उत्सर्जित करती है।

प्रश्न 25.
परमाणु के मौलिक कण क्या हैं? इनके नाम, द्रव्यमान आवेश सहित लिखिये।
उत्तर:
परमाणु तीन प्रकार के कणों से मिलकर बना है, जिन्हें मूलभूत कण या मौलिक कण कहते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 34

प्रश्न 26.
फोटॉन किसे कहते हैं?
उत्तर:
विकरित ऊर्जा कणिकाओं को फोटॉन कहते हैं अर्थात् प्रकाश के लिये विकिरण का क्वाण्टम hν एक फोटॉन कहलाता है। ये द्रव्यमान रहित कणिकाओं के पैकेट या बण्डल होते हैं।

प्रश्न 27.
समरफील्ड के परमाणु मॉडल की प्रमुख विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
समरफील्ड के परमाणु मॉडल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. इलेक्ट्रॉन वृत्तीय कक्षाओं के साथ-साथ दीर्घवृत्तीय कक्षाओं में घूमते हैं जहाँ दो त्रिज्यायें होती हैं।
  2. कक्षाएँ उप कक्षाओं से मिलकर बनी होती हैं।
  3. किसी कक्षा में उप-कक्षाओं की संख्या क्वाण्टम संख्या n के बराबर होती है।

प्रश्न 28.
क्वाण्टम किसे कहते हैं?
उत्तर:
मैक्स प्लांक के क्वाण्टम सिद्धांत के अनुसार किसी परमाणु या अणु से ऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन सतत् रूप से न होकर सूक्ष्म पैकेट या क्वाण्टा के रूप में ऊर्जा का संचरण होता है और इस ऊर्जा के अवशोषण या उत्सर्जन 1s , का मात्रक क्वाण्टम कहलाता है।

प्रश्न 29.
ऑफबाऊ का नियम लिखिये।
उत्तर:
ऑफबाऊ एक जर्मन शब्द है जिसका अर्थ क्रमिक रचना या रचना करना है। इस नियम के अनुसार, किसी बहु – ‘इलेक्ट्रॉन वाले परमाणु के विभिन्न कक्षकों में इलेक्ट्रॉन बढ़ती हुई ऊर्जा या घटते हुये स्थायित्व के क्रम में प्रवेश करते हैं। अर्थात् इलेक्ट्रॉन पहले निम्न ऊर्जा वाले कक्षक में जाता है फिर उपयुक्त ऊर्जा स्तर द्वारा उच्च ऊर्जा स्तर वाले कक्षक में चला जाता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 35
विभिन्न उपकोशों के लिये बढ़ती हुई ऊर्जा का क्रम निम्नलिखित है –
is 2s < 2p < 3s < 3p < 4s < 3d < 4p < 5s < 4d < 5p < 6s < 4f < 5d < 6p < 7s < 5f < 6d < 7p

प्रश्न 30.
जीमेन प्रभाव क्या है?
उत्तर:
जीमेन के अनुसार स्पेक्ट्रमी रेखाएँ उत्सर्जित करने वाले स्रोत पर चुम्बकीय क्षेत्र लगाने पर स्पेक्ट्रम की रेखाएँ अनेक सूक्ष्म रेखाओं में विभाजित हो जाती हैं, इस घटना को जीमेन प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 31.
क्लोरीन के अंतिम इलेक्ट्रॉन व अयुग्मित इलेक्ट्रॉन के लिये चारों क्वाण्टम संख्याओं के मान लिखिये।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 36
Cl17, = 1s2 2s2 2p6 3s2 3p5
अंतिम इलेक्ट्रॉन हेतु, n = 3, l = 1, m = 0, s = –\(\frac{1}{2}\)
अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हेतु,
n = 3, l = 1, m = +1, s = +\(\frac{1}{2}\)

परमाणु की संरचना लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पॉउली का अपवर्जन नियम उदाहरण सहित लिखिए। इसकी उपयोगिता भी लिखिए।
उत्तर:
पॉउली का अपवर्जन नियम-“किसी भी परमाणु में किन्हीं दो इलेक्ट्रॉनों की चारों क्वाण्टम संख्याएँ समान नहीं हो सकती। दूसरे शब्दों में, एक ही परमाणु के किन्हीं दो इलेक्ट्रॉनों की तीन क्वाण्टम संख्याएँ समान हो सकती हैं परन्तु चौथी चक्रण क्वाण्टम संख्या अवश्य भिन्न होगी। अर्थात् किसी भी कक्षक में विपरीत चक्रण वाले केवल दो इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं।”
उदाहरण:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 52
महत्व:

  1. परमाणु के विभिन्न मुख्य ऊर्जा स्तरों, उप ऊर्जा स्तरों में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या और विभिन्न इलेक्ट्रॉनों की क्वाण्टम संख्याओं की गणना कर सकते हैं।
  2. इस नियम से परमाणु संरचना को काफी स्पष्ट रूप से समझाया जा सकता है।

प्रश्न 2.
हुण्ड के अधिकतम बहुलता के नियम को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
हुण्ड के नियम के अनुसार, “किसी भी उपकोश के कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों के जोड़े तब तक नहीं बनते हैं जब तक कि उस उपकोश के समस्त कक्षकों में एक-एक इलेक्ट्रॉन नहीं चला जाता है।” दूसरे शब्दों में, समान ऊर्जा के कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन तभी होता है जब आने वाले इलेक्ट्रॉन के लिये कोई रिक्त कक्षक न मिले। अर्थात् किसी भी उपकोश के कक्षक में इलेक्ट्रॉन इस प्रकार से भरते हैं कि समान चक्रण के अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिकतम हो।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 38

प्रश्न 3.
डी-ब्रॉग्ली की संकल्पना लिखिए।
उत्तर:
डी-ब्रॉग्ली ने इलेक्ट्रॉन के तरंग स्वरूप को प्रतिपादित किया, जिसके अनुसार “प्रत्येक गतिशील सूक्ष्म कण तरंग के गुण प्रदर्शित करता है।” प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त के अनुसार,
E = hν …(1)
आइन्स्टीन के द्रव्यमान ऊर्जा संबंध से,
∴ E = mc2 …..(2)
समी. (1) और (2) से,
mc2 = hν
⇒ mc = h\(\frac{c}{λ}\)
⇒ mc = \(\frac{h}{λ}\)
⇒ λ = \(\frac{h}{mc}\)
कण की प्रकृति तरंग जैसी है इसलिये c को v से प्रतिस्थापित किया जा सकता है। यदि m संहति वाला कण v वेग से गतिमान है तो
λ = \(\frac{h}{mv}\) …(3)
अतः λ = \(\frac{h}{p}\) [mv = p] …(4)
अतः समी. (4) से स्पष्ट है किसी गतिशील कण का तरंगदैर्घ्य उसके संवेग पर निर्भर करता है।

प्रश्न 4.
आप कैसे सिद्ध करोगे कि अतिसूक्ष्म कण जैसे इलेक्ट्रॉन द्वैती प्रकृति दर्शाते हैं?
उत्तर:
कणीय प्रकृति:
जब कोई अतिसूक्ष्म कण जैसे इलेक्ट्रॉन जिंक सल्फाइड के पर्दे पर टकराता है, तो उसका एक धब्बा बन जाता है, इस प्रकार जितने इलेक्ट्रॉन पर्दे पर टकराते हैं उतने धब्बे पर्दे पर बन जाते हैं तथा ये धब्बे स्थानीकृत होते हैं और तरंग के समान पूरे क्षेत्र में फैलते नहीं हैं।

तरंग प्रकृति:
डेविसन और जर्मर ने अपने प्रयोग में निकिल के क्रिस्टल पर इलेक्ट्रॉनों के एक किरण पुंज को भेजा और यह देखा कि ये किरणें क्रिस्टल से ठीक उस प्रकार उस कोण पर विवर्तित होती है जिस पर ब्रैग समीकरण के अनुसार प्रकाश की किरणें होती हैं।

इससे सिद्ध होता है कि इलेक्ट्रॉन कणीय एवं तरंग दोनों प्रकृति दर्शाता है, इसे पदार्थ की द्वैती प्रकृति कहते हैं।

प्रश्न 5.
कैथोड किरणों के प्रमुख गुण लिखिए।
उत्तर:
कैथोड किरणों के गुण:

  1. कैथोड किरणें प्रकाश के वेग से सरल रेखा में गमन करती हैं।
  2. कैथोड किरणों के मार्ग में यदि विद्युत् क्षेत्र लगाया जाये तो ये धनावेशित क्षेत्र की ओर विक्षेपित हो जाती हैं।
  3. इनके मार्ग में हल्का पैडल चक्र रख दिया जाये तो वह घूमने लगता है जो किरणों में उपस्थित तीव्र गतिज ‘ऊर्जा वाले कणों के कारण होता है।
  4. ये किरणें गैसों को आयनित कर देती हैं।
  5. ये किरणें धातुओं जैसे, टंगस्टन से टकराकर X-किरणें उत्पन्न करती हैं।
  6. ये किरणें फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 6.
इलेक्ट्रॉन के प्रमुख गुण लिखिये।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन के गुण:

  1. सभी गैसों में ऋण आवेश युक्त कण उपस्थित हैं जो विसर्जन नली में 10-4 वायुमण्डलीय दाब पर गैस पर उच्च वोल्टता पर कैथोड से उत्पन्न होते हैं।
  2. इलेक्ट्रॉन को -1e0 से दर्शाते हैं।
  3. इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन के द्रव्यमान का \(\frac{1}{1837}\) वाँ भाग होता है तथा प्रत्येक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 9.1 x 10-28 gm या 9.1 x 10-31 kg है।
  4. प्रत्येक इलेक्ट्रॉन का आवेश 1.60 x 10-19 कूलॉम होता है।

प्रश्न 7.
ऐनोड किरणें कैसे उत्पन्न होती हैं? उसके गुण लिखिए।
उत्तर:
गोल्डस्टीन:
गोल्डस्टीन ने सन् 1886 में क्रुक्स नली में छिद्रित कैथोड लगाकर न्यून दाब पर गैस में विद्युत् विसर्जन करने पर पाया कि कैथोड किरणें निकलने के कुछ समय पश्चात् ऐनोड से अदृश्य किरणें निकलकर छिद्रित कैथोड की ओर गमन करती हैं। इन किरणों को ऐनोड किरणें या केनाल किरणें कहते हैं।

ऐनोड किरणों के गुण:

  1. ऐनोड किरणें सरल रेखा में गमन करती हैं।
  2. ऐनोड किरणों के मार्ग में यदि विद्युत् क्षेत्र लगाया जाये तो ये ऋण आवेशित क्षेत्र की ओर मुड़ जाती हैं।
  3. ऐनोड किरणें अपने पथ में रखे हुए पैडल चक्र में यांत्रिक गति उत्पन्न करती हैं।
  4. विसर्जन नली में अलग-अलग गैस ली जाये तो प्रत्येक दशा में प्राप्त ऐनोड कणों की संहति अलग-अलग होती है।

प्रश्न 8.
प्रोटॉन के लक्षण लिखिए।
उत्तर:
प्रोटॉन के लक्षण:

  1. विसर्जन नली में अलग-अलग गैसें लेने पर अलग-अलग द्रव्यमान वाले धनात्मक कण मिलते हैं। हाइड्रोजन गैस से मिलने वाले धनात्मक कण प्रोटॉन कहलाते हैं। इनका द्रव्यमान सबसे कम है।
  2. प्रोटॉन को 1H1 से दर्शाते हैं।
  3. प्रोटॉन का द्रव्यमान 1.67 x 10-24 gm या 1.67 x 10-27 kg होता है।
  4. प्रोटॉन पर आवेश 1.6 x 10-19 कूलॉम होता है।

प्रश्न 9.
परमाणु के विभिन्न कोशों में इलेक्ट्रॉन भरे जाने की बोर-बरी व्यवस्था लिखिए।
उत्तर:
परमाणु के कोशों में इलेक्ट्रॉनों के भरे जाने की क्रमिक व्यवस्था बोर-बरी वैज्ञानिक द्वारा दी गई है –

  1. किसी कक्षा n में इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिकतम 2n होगी।
  2. अंतिम कक्षा में 8 और अंतिम से दूसरी कक्षा में 18 से अधिक इलेक्ट्रॉन नहीं होंगे।
  3. अंतिम कक्षा में 2 से अधिक और अंतिम से दूसरी कक्षा में 9 से अधिक इलेक्ट्रॉन उसी समय हो सकते हैं जब पहले की कक्षायें नियमानुसार भर चुकी हों।
  4. अंतिम कक्षा में 8 इलेक्ट्रॉन हो जाने पर अगली कक्षा में इलेक्ट्रॉन भरे जाते हैं।
  5. यह आवश्यक नहीं कि किसी कक्षा में जब तक 2n के नियम के अनुसार इलेक्ट्रॉन पूरे न हो जाये तभी अगली कक्षा में इलेक्ट्रॉन प्रवेश करेंगे।

प्रश्न 10.
कक्षकों के स्थायित्व से क्या समझते हैं?
उत्तर:
अर्धपूर्ण एवं पूर्ण कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का वितरण सममित होता है और यह सममिति कक्षकों को अतिरिक्त स्थायित्व प्रदान करती है। किसी परमाणु के समान ऊर्जा वाले कक्षकों के मध्य इलेक्ट्रॉनों का विनिमय होता रहता है तथा इस प्रक्रम के दौरान ऊर्जा मुक्त होती है जिसके फलस्वरूप कक्षक स्थायित्व प्राप्त कर लेता है। कक्षक के अर्धपूर्ण या पूर्ण भरे होने पर इलेक्ट्रॉनों के विनिमय की सम्भावना अधिकतम रहती है। इसलिये ये कक्षक अधिक स्थायी होते हैं।

प्रश्न 11.
समस्थानिक तथा समभारिक में अंतर लिखिये।
उत्तर:
समस्थानिक तथा समभारिक में अंतर –
समस्थानिक

  1. एक ही तत्व के विभिन्न परमाणु जिनके परमाणु क्रमांक समान किन्तु परमाणु भार भिन्न हैं, समस्थानिक कहलाते हैं।
  2. नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या समान किन्तु न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती है।
  3. रासायनिक गुणों में समानता होती है।
  4. बाहरी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या भिन्न होती है।

समभारिक:

  1. विभिन्न तत्वों के विभिन्न परमाणु जिनके परमाणु भार समान किन्तु परमाणु क्रमांक भिन्न हैं, समभारिक कहलाते हैं।
  2. नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या तथा न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न होती है।
  3. रासायनिक गुणों में भिन्नता होती है।
  4. बाहरी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।

प्रश्न 12.
बोर के परमाणु मॉडल के प्रमुख अभिगृहीत लिखिए।
उत्तर:
बोर के परमाणु मॉडल के प्रमुख अभिगृहीत निम्नलिखित हैं –

1. परमाणु एक अतिसूक्ष्म कण है, जिसके केन्द्र में नाभिक स्थित है और नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन बंद वृत्तीय कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं, जिन्हें कोश भी कहते हैं।

2. परमाणु नाभिक के चारों ओर अनेक वृत्ताकार कक्षाएँ संभव हैं किन्तु इलेक्ट्रॉन कुछ विशिष्ट कक्षाओं में ही घूम सकते हैं जिनमें घूमने से इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में कोई हानि नहीं होती।

3. ईलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में घूमते हैं जिनमें उनका कोणीय संवेग \(\frac{h}{2π}\) या उनका सरल गुणांक होता है। इन कक्षाओं को स्थायी कक्षक कहते हैं। यदि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m, कक्षा की त्रिज्या r तथा इलेक्ट्रॉन का वेग v हो तो –
mvr = \(\frac{nh}{2π}\) जहाँ n = 1, 2, 3

4. इलेक्ट्रॉन सामान्यतः अपनी ऊर्जा के अनुरूप वाली कक्षा में ही चक्कर लगाता रहता है, किन्तु जब यह बाहर से ऊर्जा अवशोषित कर लेता है तो यह कूदकर उच्च ऊर्जा वाली कक्षा में चला जाता है। यहाँ 10-8 सेकण्ड ठहरकर तुरन्त निम्न ऊर्जा वाली कक्षा में आ जाता है तथा वापस लौटते समय इलेक्ट्रॉन विद्युत् चुम्बकीय तरंगों के रूप में ऊर्जा उत्सर्जित करता है।

5. स्थायी कक्षाओं की ऊर्जा निश्चित होती है। इन कक्षाओं को ऊर्जा स्तर कहते हैं तथा नाभिक से बाहर की ओर इनका क्रम रहता है। इन ऊर्जा स्तरों में घूमने वाले इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं करते।

प्रश्न 13.
कक्ष और कक्षक में अंतर लिखिए।
उत्तर:
कक्ष और कक्षक में अंतर:
कक्ष:

  1. नाभिक के चारों ओर निश्चित वृत्ताकार पथ जिस पर इलेक्ट्रॉन गमन करता है कक्ष कहलाता है।
  2. सभी कक्ष वृत्ताकार होते हैं।
  3. कक्ष अदिशात्मक होते हैं।
  4. यह इलेक्ट्रॉन की द्विविमीय गति को दर्शाता है।
  5. कोश के इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 2n2 होती है।

कक्षक:

  1. नाभिक के चारों ओर त्रिविमीय क्षेत्र है जहाँ इलेक्ट्रॉन के पाये जाने की प्रायिकता अधिकतम होती है।
  2. s कक्षक के अलावा विभिन्न कक्षकों का आकार अलग-अलग होता है।
  3. s कक्षक को छोड़कर सभी दिशात्मक होते हैं।
  4. यह इलेक्ट्रॉन की त्रिविमीय गति को दर्शाता है।
  5. किसी कक्षक में अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं।

प्रश्न 14.
(n + 1) नियम क्या है?
उत्तर:

1. विभिन्न कक्षकों में इलेक्ट्रॉन (n + 1) नियम के अनुसार भरते हैं जहाँ n मुख्य क्वाण्टम संख्या तथा l दिगंशी क्वाण्टम संख्या है। इस नियम के अनुसार नया इलेक्ट्रॉन उस कक्षक में पहले प्रवेश करता है जिसके लिये n + 1 का मान सबसे कम होता है।
उदाहरण:
2s और 2p के लिये n + 1 के मान क्रमशः 2 और 3 हैं। अतः इलेक्ट्रॉन पहले 25 उपकोश में प्रवेश करेगा।

2. यदि दो या दो से अधिक कक्षकों के लिये n + 1 का मान समान हो तो नया आने वाला इलेक्ट्रॉन उस कक्षक में प्रवेश करता है जिसके लिये n का मान न्यूनतम होता है।
उदाहरण:
4p और 3d दोनों उपकोशों के लिये n + 1 का मान 5 है। लेकिन 3d के लिये n का मान कम है। इसलिये 3d उपकोश में इलेक्ट्रॉन पहले प्रवेश करेगा।

प्रश्न 15.
बोर सिद्धान्त के मुख्य दोष क्या हैं?
उत्तर:
बोर सिद्धान्त के मुख्य दोष निम्नलिखित हैं –

  1. बोर के सिद्धान्त के द्वारा एक से अधिक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणुओं के स्पेक्ट्रम की व्याख्या नहीं की जा सकती है।
  2. बोर के सिद्धान्त के अनुसार इलेक्ट्रॉन की कक्षाओं को वृत्ताकार माना गया है जबकि कक्षाएँ दीर्घ वृत्ताकार भी होती हैं।
  3. यह हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धान्त की व्याख्या नहीं करता।
  4. यह इलेक्ट्रॉन की द्वैती प्रकृति का स्पष्टीकरण नहीं करता है।

प्रश्न 16.
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धान्त क्या है? इसका गणितीय रूप लिखिए।
उत्तर:
इस सिद्धान्त के अनुसार इलेक्ट्रॉन जैसे गतिमान अति सूक्ष्म कण की स्थिति तथा संवेग का एक साथ सही निर्धारण करना संभव नहीं है। यदि एक को निश्चितता के साथ निर्धारित कर लिया जाये तो दूसरे का निर्धारण करना अनिश्चित हो जाता है।
गणितीय रूप:
∆x × ∆p ≥ \(\frac{h}{4π}\)
∆x × m∆v ≥ \(\frac{h}{4π}\)
जहाँ ∆x = स्थिति में अनिश्चितता
∆p = संवेग में अनिश्चितता
h = प्लांक स्थिरांक है।

इस समीकरण के अनुसार गतिशील सूक्ष्म कण की स्थिति की अनिश्चितता और संवेग की अनिश्चितता विपरीत अनुपात में होते हैं। यदि एक का मान कम हो तो दूसरे का मान अधिक होगा।

प्रश्न 17.
ऑफबाऊ सिद्धान्त के आधार पर निम्नलिखित परमाणुओं की मूल अवस्था में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए –

  1. निऑन (Z = 10)
  2. फॉस्फोरस (Z = 15)
  3. क्लोरीन (Z = 17)
  4. पोटैशियम (Z = 19)

उत्तर:

  1. निऑन (Z = 10) – 1s2 2s2 2px2, 2py2, 2pz2
  2. फॉस्फोरस (Z = 15) – 1s2 2s2 2p6 3s2 3px1 3py1, 3pz1
  3. क्लोरीन (Z = 17) – 1s2 2s2 2p6 3s2 3px2 3py2 3pz2
  4. पोटैशियम (Z = 19) – 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 4s1.

प्रश्न 18.
निम्न इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों में हुण्ड का नियम प्रदर्शित कीजिए –

1. 8O+2
2. 7N-3
3. 6C-1

उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 39

प्रश्न 19.
3px, 4py तथा 5pz कक्षक में यदि एक-एक इलेक्ट्रॉन हो तो उनके लिये चारों क्वाण्टम संख्या के मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 40

प्रश्न 20.
क्लोरीन परमाणु के 17वें तथा Fe के 26 वें इलेक्ट्रॉन के लिये चारों क्वाण्टम संख्याओं के मान लिखिये।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 41

प्रश्न 21.
इलेक्ट्रॉन का – मान किसने ज्ञात किया तथा कैसे ज्ञात किया?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन के \(\frac{e}{m}\) मान का निर्धारण सर जे.जे थॉमसन द्वारा किया गया। सर थॉमसन द्वारा इलेक्ट्रॉन के आवेश (e) तथा द्रव्यमान (m) का निर्धारण करने के लिये ऐनोड से आगे पहुँचने पर सीधी रेखाओं में चलने वाली किरण पुंज का चुनाव करने के लिये किरणों को एक गोल डिस्क से गुजरने दिया जाता है। किरणों पर आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र एवं विद्युत् क्षेत्र की दिशाएँ एक-दूसरे के लम्बरूप तथा किरणों की गति की दिशा के भी लम्बरूप होती हैं तथा किरणों के विक्षेपण को मापकर कण के आवेश (e) तथा द्रव्यमान (m) का अनुपात ज्ञात किया जाता है। \(\frac{e}{m}\) का मान 1.76 x 108 कूलॉम/ग्राम प्राप्त होता है।

प्रश्न 22.
प्राकृतिक रेडियो ऐक्टिवता क्या है? समझाइये।
उत्तर:
प्रो. हेनरी बेकरल ने सन् 1898 में पाया कि यूरेनियम तथा उनके यौगिकों में एक विशिष्ट गुण होता है। इन पदार्थों से लगातार अदृश्य किरणों का उत्सर्जन होता है, जो जिंक सल्फाइड की प्लेट पर टकराकर प्रतिदीप्ति उत्पन्न करती है तथा x-किरणों की तरह फोटोग्राफिक प्लेट को प्रभावित करती है व गैसों को आयनित कर देती है तथा ये किरणें पतले धातु की चादरों को बेधने की क्षमता रखते हैं। इन किरणों को बेकरल किरणें कहा गया। मैडम क्यूरी ने इन किरणों को रेडियोएक्टिव किरणें तथा इस गुण को रेडियो ऐक्टिवता कहा। अतः “वह पदार्थ जिनमें इस प्रकार सक्रिय अदृश्य किरणों को उत्सर्जित करने का गुण होता है रेडियो ऐक्टिव पदार्थ कहलाते हैं तथा यह गुण रेडियो ऐक्टिवता कहलाता है।”

प्रश्न 23.
कोश, उपकोश व कक्षक में अंतर समझाइये।
उत्तर:
कोश:
किसी परमाणु में नाभिक के चारों ओर वह निश्चित वृत्ताकार पथ जिस,पर इलेक्ट्रॉन गमन करते हैं कक्ष या कोश कहलाते हैं। बोर के सिद्धान्त के अनुसार इलेक्ट्रॉन केवल उन्हीं कक्षाओं में गमन करते हैं जिनका कोणीय संवेग (mvr) का मान \(\frac{h}{2π}\) या उसके सरल गुणांक के बराबर होता है। इसे मुख्य क्वाण्टम संख्या द्वारा दर्शाया जाता है तथा प्रत्येक कोश में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 2n होती है।

उपकोश:
प्रत्येक कोश में कई उप ऊर्जा स्तर या उपकोश होते हैं जिन्हें s, p, d, fद्वारा दर्शाया जाता है। किसी भी कोश में उपकोशों की संख्या 2n2 के बराबर होती है। इन्हें दिगंशी क्वाण्टम संख्या द्वारा निर्धारित किया जाता है। विभिन्न उपकोशों के लिये के मान निश्चित हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 42
कक्षक:
नाभिक के चारों ओर वह त्रिविम क्षेत्र जहाँ इलेक्ट्रॉनों के मिलने की प्रायिकता अधिकतम होती है, कक्षक कहलाते हैं। इनका निर्धारण चुम्बकीय क्वाण्टम संख्याओं की सहायता से किया जाता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 43

प्रश्न 24.
स्पष्ट कीजिये, क्यों?

  1. कैथोड किरणों में उपस्थित कणों पर ऋण आवेश है।
  2. कैथोड किरणें उनके मार्ग में रखे पहिये को घुमा देती है।

उत्तर:

1. यदि कैथोड किरणों को विद्युत् क्षेत्र से गुजरने दिया जाये तो कैथोड किरणें धनात्मक प्लेटों की ओर विक्षेपित होने लगती हैं जो यह दर्शाती हैं कि कैथोड किरणों में उपस्थित कणों पर ऋण आवेश उपस्थित है।

2. कैथोड किरणों के मार्ग में यदि हल्का पैडल चक्र रख दिया जाये तो वह घूमने लगता है जो यह दर्शाती है कि कैथोड किरणें उच्च गतिज ऊर्जा वाले कणों से मिलकर बनी होती हैं अर्थात् कैथोड किरणे पदार्थ कणों से मिलकर बनी हैं।

प्रश्न 25.
इलेक्ट्रॉन जैसे सूक्ष्म कण की द्वैती प्रकृति से क्या तात्पर्य है?
अथवा
एक गतिशील इलेक्ट्रॉन द्वारा कण एवं तरंग दोनों की समान प्रकृति प्रदर्शित की जाती है। कारण स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन एक सूक्ष्म कण है तथा इलेक्ट्रॉन की कणीय प्रकृति होने के कारण इसका विशिष्ट संवेग होता है तथा गतिशील होने के कारण तरंग के समान व्यवहार प्रदर्शित करता है, जिससे विवर्तन प्रभाव प्राप्त होता है तथा इलेक्ट्रॉन दोनों प्रभाव एक साथ दर्शाता है। अन्य सूक्ष्म कण प्रोटॉन और न्यूट्रॉन यहाँ तक परमाणु भी तीव्र गतिमान किये जाने पर द्वैती प्रकृति दर्शाता है। गतिशील कण द्वारा उत्पन्न तरंग के तरंगदैर्ध्य को डी-ब्रॉग्ली समीकरण द्वारा दर्शाया जाता है। उनके अनुसार किसी भी गतिशील कण का तरंगदैर्घ्य उसके संवेग के व्युत्क्रमानुपाती होता है तथा इसे निम्न समीकरण द्वारा दर्शाया जाता है
λ = \(\frac{h}{mv}\)
या λ = \(\frac{h}{p}\) λ ∝ \(\frac{1}{p}\) [my = p]
जहाँ 2 = अतिसूक्ष्म कण जैसे इलेक्ट्रॉन का तरंगदैर्घ्य, m = कण का द्रव्यमान, v = कण का वेग, p= कण का संवेग, h = प्लांक स्थिरांक। .

प्रश्न 26.
बामर सूत्र क्या है? यह हाइड्रोजन वर्णक्रम की व्याख्या कैसे करता है?
उत्तर:
जे.जे. बामर के अनुसार हाइड्रोजन परमाणु के दृश्य क्षेत्र के स्पेक्ट्रम की रेखाओं की आवृत्ति को निम्नलिखित सूत्र द्वारा दर्शाया जा सकता है –
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जहाँ RH = रिडबर्ग स्थिरांक है तथा n = 3, 4, 5, 6, ……
यह रेखाओं की श्रेणी दृश्य क्षेत्र में होती है तथा बामर श्रेणी कहलाती है। इसके पश्चात् चार अन्य श्रेणियों का पता चला। पराबैंगनी क्षेत्र में लाइमन श्रेणी तथा अवरक्त क्षेत्र में पाश्चन श्रेणी, ब्रेकेट श्रेणी तथा फुण्ड श्रेणी की रेखायें प्राप्त होती हैं । इनकी व्याख्या करने के लिये बामर सूत्र को निम्न सूत्र के रूप में संशोधित किया गया।
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प्रश्न 27.
परमाणु वर्णक्रम को रेखिल वर्णक्रम कहा जाता है, क्यों?
उत्तर:
इस प्रकार का स्पेक्ट्रम समस्त तत्वों के परमाणुओं द्वारा दिया जाता है। इसमें विशिष्ट रंग के अनेक श्रेणीबद्ध पतली चमकीली रेखायें होती हैं जो काली रेखाओं द्वारा पृथक् रहती हैं। प्रत्येक तत्व विशिष्ट प्रकार के रेखिल स्पेक्ट्रम देते हैं तथा ये स्पेक्ट्रम उन तत्वों की विशिष्ट पहचान होती हैं। उदाहरण-सोडियम के स्पेक्ट्रम में 5890 Å और 5896 Å तरंगदैर्घ्य पर दो स्पष्ट पीली रेखाएँ प्राप्त होती हैं।

यदि एक विसर्जन नली में कम दाब पर हाइड्रोजन गैस भरकर उसमें विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है तो एक लाल रंग का प्रकाश दिखाई देगा। इस प्रकार उत्सर्जित प्रकाश का स्पेक्ट्रोस्कोप की सहायता से विश्लेषण किया जाता है तो एक असतत् स्पेक्ट्रम प्राप्त होता है जिसमें चार प्रमुख रेखाएँ प्राप्त होती हैं जिन्हें Hαa, Hβg, Hγ, तथा Hδ कहते हैं । इस प्रकार का स्पेक्ट्रम जिसमें केवल रेखाएँ होती हैं, रेखिल स्पेक्ट्रम कहलाती हैं।

प्रश्न 28.
रदरफोर्ड के प्रकीर्णन प्रयोग के प्रमुख निष्कर्ष लिखिए।
उत्तर:

1. अधिकांश a कण स्वर्णपत्र के आर-पार सीधी रेखाओं में निकल जाते हैं जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि परमाणु का अधिकांश भाग खोखला एवं आवेशहीन होता है।

2. कुछ α कण स्वर्णपत्र से टकराने के पश्चात् विभिन्न कोणों पर विचलित हो जाते हैं क्योंकि α कण धनावेशित हैं। अतः परमाणु के भीतर एक धनावेशित केन्द्र होना चाहिये जिससे धनावेशित α कण प्रतिकर्षित होकर विभिन्न कोणों में विक्षेपित हो जाते हैं। इस भारी धनावेशित केन्द्र को नाभिक कहते हैं।

3. लगभग 20,000 में से एक α कण स्वर्णपत्र से टकराकर अपने पूर्व मार्ग में ही वापिस लौट आता है। क्योंकि परमाणु के आकार की तुलना में नाभिक बहुत छोटा एवं दृढ़ होता है। रदरफोर्ड के अनुसार परमाणु की त्रिज्या 10-8 cm तथा नाभिक की त्रिज्या 10-13 cm होती है।

4. नाभिक के चारों ओर खाली स्थान होता है जिनमें ऋण आवेशित इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर घूमते रहते हैं। इस गति के कारण कार्य करने वाला अपकेन्द्र बल, इलेक्ट्रॉनों तथा धनावेशित नाभिक के मध्य स्थिर वैद्युत आकर्षण बल को संतुलित करता है। इस संतुलन के कारण इलेक्ट्रॉन नाभिक में नहीं गिरते।

परमाणु की संरचना दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बोर की त्रिज्या की गणना कीजिये।
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु का एकाकी इलेक्ट्रॉन जब नाभिक के चारों ओर गमन करता है तो उस पर दो बल कार्य करते हैं।

  1. नाभिक द्वारा लगाया गया आकर्षण बल = \(\frac { Ze^{ 2 } }{ r^{ 2 } } \)
  2. अपकेन्द्री बल जो बाहर की ओर कार्य करता है = \(\frac { mv^{ 2 } }{ 2 } \)

जहाँ Z = परमाणु संख्या, m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, v = इलेक्ट्रॉन का वेग, e = आवेश, r= परमाणु त्रिज्या।
गतिशील इलेक्ट्रॉन पर कार्यरत् अभिकेन्द्री बल एवं अपकेन्द्री बल बराबर और विपरीत दिशा में कार्य करते हैं तथा दोनों का परिमाण समान हो तो एक-दूसरे को संतुलित करते हैं और इलेक्ट्रॉन अपनी स्थिति पर घूमता रहता है।
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प्रश्न 2.
प्रकाश पुंज का प्रिज्म द्वारा अवयवी घटकों में पृथक्करण किस प्रकार होता है? सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्वेत प्रकाश को किसी प्रिज्म में से गुजरने दिया जाए तो उसके अवयवी विभिन्न तरंगदैर्घ्य वाली अलग-अलग रंगों वाली किरणों से विक्षेपित हो जाती हैं। यदि प्रिज्म के इस ओर फोटोग्रॉफिक प्लेट लगा दी जाये तो प्रकाश के सात रंग, सात पट्टियों के रूप में आ जाते हैं जिसे सतत् वर्णक्रम कहते हैं। इसमें एक रंग की पट्टी दूसरे रंग की पट्टी में आंशिक रूप से समायी रहती है। इनमें बैंगनी रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे कम लेकिन अपवर्तनांक अधिकतम होने के कारण अधिक झुककर अपवर्तित होता है तथा इसकी आवृत्ति सबसे अधिक होती है। लाल रंग का तरंगदैर्ध्य अधिक किन्तु आवृत्ति सबसे कम होती है।
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प्रश्न 3.
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धान्त समझाइये। इसका गणितीय व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
इस सिद्धान्त के अनुसार, “इलेक्ट्रॉन जैसे सूक्ष्म और गतिशील कण की सही स्थिति और संवेग का एक साथ निर्धारण करना असंभव है।”
यदि Δ x = स्थिति में अनिश्चितता, Δ p = संवेग में अनिश्चितता हो, तो
Δx × Δp ≥ \(\frac{h}{4π}\)
⇒ Δx × mΔv ≥ \(\frac{h}{4π}\)
⇒ Δx ∝ \(\frac { 1 }{ \Delta p }\)
Δp यदि इलेक्ट्रॉन जैसे सूक्ष्म कण की स्थिति के निर्धारण की अनिश्चितता Δ x का मान कम हो तो संवेग की अनिश्चितता Δ p का मान अधिक होगा।

मान लो यदि किसी इलेक्ट्रॉन की स्थिति ज्ञात करनी हो तो यह आवश्यक है कि हम उसे देख सकें। इलेक्ट्रॉन को देखने के लिये दृश्य प्रकाश का उपयोग नहीं कर सकते हैं क्योंकि उसका तरंगदैर्घ्य 5000Å इलेक्ट्रॉन के व्यास से बहुत अधिक है। अतः इसके लिये कम तरंगदैर्घ्य वाले विकिरण X-किरण का उपयोग करते हैं। परन्तु X-किरण द्वारा इलेक्ट्रॉन की स्थिति का निर्धारण तब तक नहीं होगा जब वह इलेक्ट्रॉन से न टकराये तथा टकराकर प्रकीर्णित न हो।

X-किरण के फोटॉन के इलेक्ट्रॉन से टकराने से कॉम्पटन प्रभाव उत्पन्न होगा जिससे इलेक्ट्रॉन के वेग में अत्यधिक वृद्धि होगी। इस प्रभाव के कारण इलेक्ट्रॉन का वेग तथा संवेग अनिश्चित हो जायेगा। इलेक्ट्रॉन की सही स्थिति ज्ञात करने के लिये यदि हम और कम तरंगदैर्घ्य के विकिरण का उपयोग करें तो संवेग की अनिश्चितता का मान और बढ़ेगा।

हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धान्त का निष्कर्ष बोहर सिद्धान्त के निष्कर्ष के विपरीत है। बोर सिद्धान्त के अनुसार किसी कोश में इलेक्ट्रॉन की स्थिति एवं वेग का सही-सही निर्धारण किया जा सकता है। किन्तु हाइजेनबर्ग के अनिश्चितता सिद्धान्त के अनुसार इलेक्ट्रॉन की स्थिति और वेग का सही-सही निर्धारण एक साथ नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
क्वाण्टम संख्या क्या है? क्वाण्टम संख्या कितने प्रकार की होती है ? तथा प्रत्येक से प्राप्त होने वाली जानकारी का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परमाणु में किसी इलेक्ट्रॉन को पूर्ण रूप से अभिव्यक्त करने के लिये जिन संख्याओं की सहायता ली जाती है उन्हें क्वाण्टम संख्या कहते हैं। क्वाण्टम संख्याएँ निम्नलिखित चार प्रकार की होती हैं –

  1. मुख्य क्वाण्टम संख्या (n)
  2. दिगंशी क्वाण्टम संख्या (1)
  3. चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या (m)
  4. चक्रण क्वाण्टम संख्या (s)।

1. मुख्य क्वाण्टम संख्या:
इसे n से दर्शाते हैं। यह इलेक्ट्रॉन के मुख्य कोश को प्रदर्शित करती है। इसकी सहायता से नाभिक से इलेक्ट्रॉन की औसत दूरी, इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा, इलेक्ट्रॉन अभ्र के प्रभावी आयतन का निर्धारण किया जा सकता है।n का मान शून्य के अतिरिक्त कोई भी पूर्ण संख्या होती है।

2. दिगंशी क्वाण्टम संख्या:
इसे ! से दर्शाते हैं। यह उपकोशों को प्रदर्शित करता है। इससे इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग, उपकोशों की आकृति, किसी कोश में उपस्थित उपकोशों की संख्या का निर्धारण करते हैं। के मान मुख्य क्वाण्टम संख्या पर निर्भर करते हैं। किसी n के लिये l के मान 0 से लेकर n – 1 तक होते हैं। l के अधिक-से-अधिक चार मान 0, 1, 2 अथवा 3 होते हैं जो क्रमशः s, p, d एवं f उपकोशों को प्रकट करते हैं।
यदि n = 1 l = 0 अर्थात् s उपकोश
n = 2 l = 0, 1 अर्थात् s व p उपकोश
n = 3 l = 0, 1, 2 अर्थात् s, p, d उपकोश
n = 4 l = 0, 1, 2, 3 अर्थात् s, p, d वf उपकोश

3. चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या:
इसे m से दर्शाते हैं। यह परमाणु स्पेक्ट्रम के स्रोत को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर प्राप्त स्पेक्ट्रमी रेखाओं के विघटन अथवा जीमन प्रभाव को दर्शाता है। यह किसी उपकोश में उपस्थित कक्षकों की संख्या को दर्शाता है। किसी l के लिये m के मान -l से +l तक होते हैं। यदि l = 0, m = 0, l = 1 तो m = -1, 0 + 1 तथा l = 2, m = -2, -1, 0, +1, +2 और l = 3 तो m = -3, -2, -1, 0, +1, +2, +3 होता है, इस प्रकार m के संपूर्ण मानों की संख्या 2l + 1 होती है।

4. चक्रण क्वाण्टम संख्या:
इसे 5 से दर्शाते हैं । कोणीय संवेग या स्पिन ऊर्जा को व्यक्त करने के लिये चक्रण क्वाण्टम संख्या s का प्रयोग किया जाता है। s के 2 मान होते हैं। दक्षिणावर्त तथा वामावर्त घूर्णन के अनुसार चक्रण क्वाण्टम संख्या के दो मान +\(\frac{1}{2}\) तथा –\(\frac{1}{2}\) होते हैं।

प्रश्न 5.
बोर का परमाणु सिद्धान्त हाइड्रोजन परमाणु के रेखिल वर्णक्रम की व्याख्या करने के किस प्रकार सहायक सिद्ध हुआ? समझाइए।
अथवा
हाइड्रोजन वर्णक्रम की विभिन्न वर्णक्रम रेखाओं से बोर मॉडल का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु के रेखिल स्पेक्ट्रम में अनेक रेखाओं की पाँच श्रेणियाँ प्राप्त होती हैं। ये श्रेणियाँ अलग-अलग तरंगदैर्घ्य के क्षेत्र में होती हैं। जैसे-लाइमन श्रेणी पराबैंगनी क्षेत्र में, बामर श्रेणी दृश्य क्षेत्र में पाश्चन, ब्रेकेट एवं फुण्ड श्रेणियाँ अवरक्त क्षेत्र में होती हैं।
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हाइड्रोजन परमाणु में केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है, लेकिन इसके स्पेक्ट्रम में अनेक रेखाएँ प्राप्त होती हैं, बोर ने इसका स्पष्टीकरण किया। उनके अनुसार प्रत्येक परमाणु में कुछ निश्चित ऊर्जा स्तर होते हैं जिनमें अनुरूप ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते रहते हैं। हाइड्रोजन गैस में असंख्य हाइड्रोजन परमाणु होते. हैं जिनकी सामान्य अवस्था में इलेक्ट्रॉन निम्नतर प्रथम ऊर्जा स्तर में रहता है। जब हाइड्रोजन परमाणु को बाहर से उपयुक्त ऊर्जा मिलती है तो विभिन्न परमाणु ऊर्जा का अवशोषण करके विभिन्न ऊर्जा स्तरों में चले जाते हैं।

ये इलेक्ट्रॉन उच्चतम ऊर्जा स्तर में 10-8 सेकण्ड रहकर तुरन्त ही ऊर्जा का उत्सर्जन करके किसी भी निम्नतम ऊर्जा स्तर में आ जाता है। इस प्रक्रिया को संक्रमण कहते हैं। इस ऊर्जा का उत्सर्जन प्रकाश के फोटॉन के रूप में होता है। प्रत्येक फोटॉन की आवृत्ति तथा तरंगदैर्घ्य निश्चित होती है जिसके फलस्वरूप ही वर्णक्रम में विभिन्न रेखाएँ प्राप्त होती हैं। परमाणु की विभिन्न ऊर्जा स्तरों में सबसे अंदर की ऊर्जा स्तर n = 1 में इलेक्ट्रॉनों के वापिस आने से लाइमन श्रेणी प्राप्त होती है। इसी प्रकार जब ऊर्जा स्तर 3, 4, 5 से इलेक्ट्रॉन दूसरी कक्षा में आता है तो बामर श्रेणी प्राप्त होती है। इसी प्रकार जब इलेक्ट्रॉन विभिन्न उच्च ऊर्जा स्तरों में क्रमशः तीसरे, चौथे और पाँचवें कोश में आता है तो पाश्चन, ब्रेकेट तथा फुण्ड श्रेणी प्राप्त होती है।

माना एक इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर n1 से जिसमें उसकी ऊर्जा E1 है से निम्न ऊर्जा स्तर n2 जिसमें उसकी ऊर्जा E2 में आता है तथा प्राप्त रेखा की आवृत्ति ν हो तो।
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जहाँ RH रिडबर्ग स्थिरांक है। उपर्युक्त समीकरण की सहायता से बामर ने R के प्रायोगिक मान की गणना की। R के मान की गणना करने पर R का मान 109677.8 cm-1 प्राप्त होता है। स्पष्ट है कि n = 1, 2, 3, 4, 5 तथा n2 के विभिन्न मान रखने पर क्रमशः लाइमन, बामर, पाश्चन, ब्रेकेट तथा फुण्ड श्रेणियाँ प्राप्त होती हैं।

प्रश्न 6.
कक्षक s, p तथा d आकृति कैसी होती है?
उत्तर:
कक्षक का आकार:
द्विगंशी क्वाण्टम संख्या किसी ऑर्बिटल का आकार निर्धारित करती है। यदि l = 0 हो तो कक्षक कोणीय संवेग का मान शून्य होता है। अतः s आर्बिटल अदैशिक तथा गोलतः सममित होता है अर्थात् नाभिक से किसी निश्चित दूरी पर इलेक्ट्रॉन के पाये जाने की संभावना सभी दिशाओं में समान होती है। मुख्य क्वाण्टम संख्या में वृद्धि के साथ-साथ s कक्षक का आकार भी बढ़ता जाता है। यदि मुख्य क्वाण्टम संख्या का मान n है तो s कक्षक में n समकेन्द्रिक गोले होंगे तथा n के मान में वृद्धि के साथ s कक्षक की ऊर्जा में भी वृद्धि होती है तथा मुख्य क्वाण्टम संख्या का मान n होने पर नोडल तलों की संख्या n – 1 होती है।

p कक्षक का आकार:
यदि n = 2 हो तो l = 0, 1 होता है। l = 1 के लिये m के तीन मान -1, 0, +1 होते हैं। इसका अर्थ यह है कि p उपकोश में तीन कक्षक होते हैं जिन्हें P., P, तथा p. से दर्शाते हैं। इन तीनों p कक्षकों की ऊर्जाएँ समान होती हैं। परन्तु उनके दिक्विन्यास भिन्न होते हैं। Px, Py, Pz, कक्षक क्रमशः x, y तथा : अक्ष की दिशाओं में सममित होते हैं। p कक्षक का आकार डम्बल होता है। प्रत्येक कक्षक की दोनों पालियाँ एक तल द्वारा पृथक् होती हैं जहाँ इलेक्ट्रॉन घनत्व शून्य होता है, यह तल नोडल तल कहलाता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 2 परमाणु की संरचना - 50
d कक्षक का आकार:
d कक्षक के लिये l = 2 होता है अतः चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या m के पाँच विभिन्न मान -2, -1, 0, +1, +2 होते हैं। इन्हें क्रमश: dxy, dyz, dxzx dx2y2, dzx से दर्शाते हैं। इनके आकार अलग-अलग किन्तु ऊर्जा समान होती है। तीन कक्षक dy,dy,du के आकार समान होते हैं, परन्तु इनकी चारों पालियाँ जो उच्च इलेक्ट्रॉन घनत्व दर्शाती हैं xy, yz तथा zx के तल पर स्थित होती हैं। ये दोहरे डम्बल आकृति के होते हैं। dx2y2 कक्षक dxy कक्षक के समान होता है लेकिन पालियाँ x – अक्ष और Y – अक्ष पर स्थित होती हैं। dz2 कक्षक की दोनों पालियाँ अक्ष Z – अक्ष पर स्थित होती हैं। इसमें उच्च इलेक्ट्रॉन घनत्व दर्शाने वाली रिंग होती है जो xy – तल पर स्थित रहती है।
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MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन

हाइड्रोजन NCERT अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
हाइड्रोजन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में इसकी स्थिति को युक्तिसंगत ठहराइए।
उत्तर:
हाइड्रोजन आवर्त सारणी में स्थित प्रथम तत्व है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s1  है। यह क्षार धातुओं की भाँति, एक इलेक्ट्रॉन का त्याग करके H+ आयन बना सकता है। यह हैलोजनों की भाँति, एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके H आयन भी बना सकता है। क्षारीय धातुओं की भाँति यह ऑक्साइड, हैलाइड तथा सल्फाइड बनाता हैं। यद्यपि क्षारीय धातुओं के विपरीत इसकी आयनन एन्थैल्पी उच्च होती है तथा सामान्य स्थितियों में यह धात्विक व्यवहार प्रदर्शित नहीं करता है। वास्तव में आयनन एन्थैल्पी के पदों में यह हैलोजनों से अधिक समानता प्रदर्शित करता है।

हैलोजनों के समान, यह द्विपरमाणुक अणु बनाता है, तत्वों से क्रिया करके हाइड्राइड तथा अनेक सहसंयोजी यौगिक बनाता है। यद्यपि हैलोजनों के विपरीत इसकी क्रियाशीलता बहुत कम होती हैं। अतः उपरोक्त गुणों के आधार पर, आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को क्षार धातुओं के साथ वर्ग-1 तथा प्रथम आवर्त अथवा हैलोजन के साथ वर्ग-17 तथा प्रथम आवर्त में रखना चाहिए। यद्यपि क्षार धातुओं तथा हैलोजनों के साथ गुणों में समानता के साथ-साथ, यह क्षार धातुओं तथा हैलोजनों के साथ गुणों में विभिन्नता भी दर्शाता है। अत: इसे आवर्त सारणी में पृथक स्थान दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
हाइड्रोजन के समस्थानिकों के नाम लिखिए तथा बताइए कि इन समस्थानिकों का दव्यमान अनुपात क्या है ? ।
उत्तर:
हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक है-प्रोटियम \(\left(_{1}^{1} \mathrm{H}\right)\), ड्यूटीरियम (\(\left(_{1}^{2} \mathrm{H}\right)\) या D) और ट्रीटियम (\(\left(_{1}^{3} \mathrm{H}\right)\)या T)। तीनों समस्थानिकों का द्रव्यमान अनुपात है –
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प्रश्न 3.
सामान्य परिस्थितियों में हाइड्रोजन एक परमाण्विक की अपेक्षा द्विपरमाण्विक रूप में क्यों पाया जाता है ?
उत्तर:
एक परमाणुक रूप में हाइड्रोजन के प्रथम कोश में एक इलेक्ट्रॉन (1s1) होता है जबकि द्विपरमाणुक अवस्था का प्रथम कोश पूर्ण (1s2)होता है। इसका तात्पर्य है कि द्विपरमाणुक रूप में हाइड्रोजन (H2) उत्कृष्ट गैस हीलियम का विन्यास प्राप्त कर लेता है। अतः यह काफी स्थायी होती है।

प्रश्न 4.
कोल गैसीकरण से प्राप्त डाइ-हाइड्रोजन का उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर:
कोल गैसीकरण अभिक्रिया में, जल की वाष्प को प्रवाहित करके CO और H2 का मिश्रण बनाया जाता है जिसे सिन गैस भी कहा जाता है
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कोल भाप सिन गैस डाइहाइड्रोजन का उत्पादन सिन गैस में उपस्थित CO(g) की आयरन क्रोमेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप के साथ क्रिया द्वारा बढ़ाया जा सकता है।
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CO(g) या CO2(g) के निकलने के साथ ही अभिक्रिया अग्र दिशा में विस्थापित हो जाती है।

प्रश्न 5.
विद्युत् – अपघटन विधि द्वारा डाइहाइड्रोजन वृहत् स्तर पर किस प्रकार बनाई जा सकती है? इस प्रक्रम में वैद्युत-अपघट्य की क्या भूमिका है ?
उत्तर:
अम्लीकृत जल का प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों द्वारा वैद्युत – अपघटन करने पर हाइड्रोजन प्राप्त होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 5
वैद्युत अपघट्य की भूमिका जल का चालन करना है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा कीजिए –
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उत्तर:
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प्रश्न 7.
डाइहाइड्रोजन की अभिक्रियाशीलता के पदों में H – H बन्ध की उच्च एन्थैल्पी के परिणामों की विवेचना कीजिए?
उत्तर:
H – H आबन्ध की उच्च आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी के कारण, हाइड्रोजन कमरे के तापमान पर अपेक्षाकृत अक्रियाशील रहती है । यद्यपि उच्च तापों पर अथवा उत्प्रेरक की उपस्थिति में, यह अनेक धातुओं तथा अधातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्राइड बनाती है।

प्रश्न 8.
हाइड्रोजन के –

  1. इलेक्ट्रॉन न्यून
  2. इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध तथा
  3. इलेक्ट्रॉन समृद्ध यौगिकों से आप क्या समझते हैं? उदाहरणों द्वारा समझाइए।

उत्तर:
1. इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड:
इन हाइड्राइड्स की लुईस संरचना लिखने पर, इनमें इलेक्ट्रॉन की संख्या अपर्याप्त है, इसका उदाहरण डाइबोरेन [B2H6] है। अतः आवर्त सारणी के 13वें वर्ग के सभी तत्वों के हाइड्राइड इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक बनाते हैं, BH3, AIH3, GaH3, InH3, TIH3 से लुईस अम्ल की भाँति कार्य करते हैं।

2. इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध हाइड्राइड:
इन हाइड्राइड की लुईस संरचना में इनमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर्याप्त होती है। [8es] आवर्त सारणी के वर्ग 14 के तत्वों के हाइड्राइड इसके अन्तर्गत आते हैं। इनकी आकृति चतुष्फलकीय होती है।
उदाहरण – CH4, SiH4, GeH4, SnH4, PbH4

3. इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड:

  • इन हाइड्राइड्स में उपस्थित केन्द्रीय परमाणु पर इलेक्ट्रॉन आधिक्य एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होते हैं।
  • आवर्त सारणी के वर्ग 15, वर्ग 16 व वर्ग 17 के तत्वों के हाइड्राइड इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड्स कहलाते हैं।
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प्रश्न 9.
संरचना एवं रासायनिक अभिक्रिया के आधार पर बताइए कि इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड के कौन-कौन से अभिलक्षण होते हैं ?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइडों में सामान्य सहसंयोजी आबंधों के निर्माण हेतु इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर्याप्त नहीं होती है। उदाहरण के लिए, BF3, में B (F : \(\overset { F }{ \underset { B }{ ¨ } } \) : F) के संयोजी कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इन हाइड्राइडों का आकार त्रिकोणीय समतलीय होता है।
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ये हाइड्राइड लुईस अम्ल अर्थात् इलेक्ट्रॉन ग्राही के भाँति कार्य करते हैं। जैसे –
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इलेक्ट्रॉनों की कमी पूरा करने के लिए, ये हाइड्राइड बहुलक के रुप में पाये जाते हैं। जैसे – B2H4 B4H10, (AlH3)n आदि। ये हाइड्राइड अत्यधिक क्रियाशील होते हैं। ये धातुओं, अधातुओं तथा उनके यौगिकों के साथ सुगमतापूर्वक क्रिया करते हैं। उदाहरण के लिए –
B2H6(g) + 3O6(g) → B2O6(s) + 3H2O(g)

प्रश्न 10.
क्या आप आशा करते हैं कि (CnH2n+2) कार्बनिक हाइड्राइड्स लुईस अम्ल या क्षार की भाँति कार्य करेंगे ? अपने उत्तर को युक्तिसंगत ठइराइए।
उत्तर:
(CnH2n+2) प्रकार के कार्बन हाइड्राइड, इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड है। इनके पास सहसंयोजी आबंध बनाने हेतु पर्याप्त इलेक्ट्रॉन हैं। अतः ये न तो लुईस अम्ल और न ही लुईस क्षार की भाँति व्यवहार करेंगे।

प्रश्न 11.
अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड (Non stoichiometric hydride) से आप क्या समझते हैं ? क्या आप क्षारीय धातुओं से ऐसे यौगिकों की आशा करते हैं ? अपने उत्तर को न्यायसंगत ठहराइए।
उत्तर:
ये हाइड्राइड अनेक d – ब्लॉक के तत्वों (वर्ग – 7, 8 तथा 9 की धातुओं को छोड़कर) तथा fब्लॉक के तत्वों द्वारा बनते हैं। हाइड्राइड सदैव अरससमीकरणमितीय अर्थात् हाइड्रोजन की कमी वाले होते हैं। इन हाइड्राइडों में हाइड्रोजन परमाणु अंतरकाशी स्थानों को घेरता है।
उदाहरण – LaH2.87, YbH2.55, TiH15-1.8, PdH0.6-0.8आदि।

इस प्रकार के हाइड्राइड क्षारीय धातुओं द्वारा नहीं प्राप्त किए जा सकतें हैं। क्षारीय धातुओं द्वारा आयनिक अथवा लवणीय हाइड्राइड प्राप्त होते हैं। जो रससमीकरणमितीय होते है। क्षारीय धातुएँ अत्यधिक धनविद्युती होती है अतः ये इलेक्ट्रॉन H-परमाणु को स्थानांतरित करके H आयन बनाती है। ये H आयन जालक की रिक्तियों में समा जाते हैं।

प्रश्न 12.
हाइड्रोजन भण्डारण के लिए धात्विक हाइड्राइड किस प्रकार उपयोगी है ? समझाइए।
उत्तर:
कुछ धातुएँ जैसे पैलेडियम (Pd), प्लेटिनम (Pt) आदि अपनी हाइड्राइड बनाने वाली सतह पर हाइड्रोजन के विशाल आयतन को अवशोषित करने की क्षमता रखती हैं। वास्तव में हाइड्रोजन (H) परमाणुओं के रूप में धातु के पृष्ठ पर वियोजित हो जाता है। इन परमाणुओं को समायोजित करने के लिए धातु जालक फैल जाता है और गर्म करने पर अधिक अस्थायी हो जाता है।

हाइड्राइड हाइड्रोजन मुक्त करके पुनः धात्विक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इसी तरीके से उत्पन्न हाइड्रोजन ईंधन की तरह प्रयुक्त हाइड्रोजन के संग्रहण एवं परिवहन में प्रयुक्त की जा सकती है। अतः धातु हाइड्राइड हाइड्रोजन अर्थ-व्यवस्था में बहुत उपयोगी भूमिका निभाता है।

प्रश्न 13.
बर्तन और वेल्डिंग में परमाण्विय हाइड्रोजन अथवा ऑक्सी हाइड्रोजन टॉर्च किस प्रकार कार्य करती है ? समझाइए।
उत्तर:
धात्विक हाइड्राइडों में हाइड्रोजन, H-परमाणु के रुप में अधिशोषित हो जाती है। संक्रमण धातुओं में हाइड्रोजन परमाणु के इस अधिशोषण का प्रयोग हाइड्रोजन भंडारण के रुप में होता हैं । Pd, Pt जैसी धातुएँ हाइड्रोजन के वृहत् आयतन को समायोजित कर सकती हैं । इस गुण की हाइड्रोजन भंडारण तथा ऊर्जा स्रोत के रुप में प्रयोग की प्रबल संभावना है। धात्विक हाइड्राइड गर्म करने पर अपघटित होकर हाइड्रोजन तथा अंतिम धातु देते हैं।

प्रश्न 14.
NH3, H2O तथा HF में से किसका हाइड्रोजन बन्ध का परिमाण उच्चतम अपेक्षित है और क्यों ?
उत्तर:
चूँकि F की वैद्युतऋणात्मकता का मान अधिकतम है। अत: HF में हाइड्रोजन पर धनावेश तथा फ्लुओरीन पर ऋणावेश का परिमाण सर्वाधिक होगा जिसके कारण H आबंधन का स्थिर वैद्युत आकर्षण बल H-F में अधिकतम होगा।

प्रश्न 15.
लवणीय हाइड्राइड, जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके झाग उत्पन्न करती है। क्या इसमें CO2 (जो एक सुपरिचित अग्निशामक है) का उपयोग हम कर सकते हैं ? समझाइए।
उत्तर:
लवणीय हाइड्राइड (NaH या CaH2) जल के साथ क्रिया करता है तो अभिक्रिया इतनी ज्यादा ऊष्माक्षेपी होती है कि उत्पन्न हाइड्रोजन आग पकड़ लेती है।
उदाहरण के लिए –

  • NaH(s) + H2O(aq) → NaOH(aq) + H2(g) + ऊष्मा
  • CaH2(s) + 2H2O(aq) → Ca(OH)2(aq) + 2H2(g)

प्रायः अग्निशामक के रूप में प्रयोग की जाने वाली CO2 को इस स्थिति में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह अभिक्रिया में निर्मित हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया करके कार्बोनेट बनाएगी। इससे अग्र अभिक्रिया की दर बढ़ जाएगी।
2NaOH(aq) + CO2(g) → Na2CO3(aq) + H2O(aq)

प्रश्न 16.
निम्नलिखित को व्यवस्थित कीजिए –

  1. CaH2, BeH2, तथा TiH2, को उनकी बढ़ती हुई विद्युत् चालकता के क्रम में
  2. LiH, NaH तथा CSH आयनिक गुण के बढ़ते हुए क्रम में
  3. H-H, D-D तथा F_F को उनके बन्ध – वियोजन एन्थैल्पी के बढ़ते हुए क्रम में
  4. NaH, MgH2, तथा H2O को बढ़ते हुए अपचायंक गुण के क्रम में।

उत्तर:
1. BeH2 < CaH2 < TiH2
2. बढ़ता हुआ आयनिक गुण LiH < NaH < CsH
बढ़ता हुआ आयनिक गुण LiH < NaH < CsH क्रम में घटता है। यह आयनिक गुण पर विपरीत प्रभाव डालता है अर्थात् उपर्युक्त के अनुसार बढ़ जाता है।

3. बढ़ती हुई बन्ध वियोजन एन्थैल्पी – F – F < H – H < D – D
कारण:
फ्लुओरीन की बन्ध-वियोजन एन्थैल्पी दो F परमाणुओं पर उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के एकाकी युग्मों में प्रतिकर्षण के कारण बहुत कम (242.6 kJ mol-1) होता है। H2 और D2 में से H-H की बन्धवियोजन एन्थैल्पी (435.88 kJ mol-1) D-D (443:35 kJ mol-1) की अपेक्षा कम होती है।

4. बढ़ता हुआ अपचायक गुण H2O < MgH2 < NaH
कारण – NaH आयनिक प्रकृति का होता है। अतः यह प्रबल अपचायक होता है। H2O और MgH2 सहसंयोजी प्रकृति के होते हैं। परन्तु H2O की आबन्ध वियोजन ऊर्जा अत्यधिक होती है। अत: यह MgH2 से अधिक दुर्बल अपचायक है।

प्रश्न 17.
H2O तथा H2O2 की संरचनाओं की तुलना कीजिए।
उत्तर:
जल में ऑक्सीजन sp3 – संकरित है।
आबंध युग्म:
आबंध युग्म प्रतिकर्षण की अपेक्षा एकाकी युग्म प्रतिकर्षण की प्रबलता के कारण, HOH आबंध कोण 109.5° से 104.5° तक घट जाता है। जिसके कारण जल की संरचना बंधित होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 11
यह एक प्रबल ध्रुवीय अणु है। हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना अध्रुवीय होती है। H2O2 के द्विध्रुव आघूर्ण का मान दर्शाता है कि H2O2के चारों परमाणु एक ही तल में स्थित नहीं होते हैं। H2O2 की संरचना की तुलना 94° कोण पर खुली हुई किताब से कर सकते हैं। इसमें H – O – H आबंध कोण 97° का होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 12

प्रश्न 18.
जल के स्वतः प्रोटोनीकरण से आप क्या समझते हैं ? इसका क्या महत्व है ?
उत्तर:
जल के स्वतः प्रोटोनीकरण का तात्पर्य जल का स्वतः आयनीकरण होता है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 13

स्वतः प्रोटोनीकरण के कारण, जल की प्रकृति उभयधर्मी होती है। अतः यह अम्लों तथा क्षारों दोनों से क्रिया करता है। उदाहरण के लिए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 14

प्रश्न 19.
F2 के साथ जल की अभिक्रिया से ऑक्सीकरण तथा अपचयन के पदों पर विचार कीजिए एवं बताइए कि कौन-सी स्पीशीज ऑक्सीकृत/अपचयित होती है ?
उत्तर:
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इन अभिक्रियाओं में, जल अपचायक का कार्य करता है। अतः यह स्वयं ऑक्सीजन अथवा ओजोन में ऑक्सीकृत हो जाता है। क्लोरीन ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करती है तथा स्वयं F आयन में अपचयित हो जाती है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए –

  1. Pb(s) + H202(aq)
  2. MnO4(aq) + H202(aq)) →
  3. Ca0(s) + H2O(g)
  4. AlCl3(g) + H2O(l)
  5. Ca3N2(s) + H2O(l)

उपर्युक्त को –

  • जल – अपघटन
  • अपचयोपचय (Redox) तथा
  • जलयोजन अभिक्रियाओं में वर्गीकृत कीजिए।

उत्तर:

  1. PbS(s) + 4H2O2(aq) → PbSO4(s)+ 4H2O(l)(अपचयोपचय अभिक्रिया)
  2. 2MnO4(aq) + 6H+(aq) + 5H2O2(aq) → 2Mn 2+(aq) + 8H2O(l) + 5O2(g) (अपचयोपचय अभिक्रिया)
  3. CaO(s) + H2O(g) → Ca(OH)2(aq) (जलयोजन अभिक्रिया)
  4. AlCl3(g) + 3H2O(l) → Al(OH)3(s) + 3HCl(l) (जल-अपघटन अभिक्रिया)
  5. Ca3N2(s) + 6H2O(l) → 3Ca(OH)2(aq) + 2NH3(aq) (जल-अपघटन अभिक्रिया)

प्रश्न 21.
बर्फ के साधारण रूप की संरचना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डलीय दाब पर बर्फ एक त्रिविम हाइड्रोजन आबंधित संरचना है। बर्फ में प्रत्येक ऑक्सीजन परमाणु चतुष्फलकीय रुप में चार ऑक्सीजन परमाणुओं से जुड़ा है अर्थात् प्रत्येक ऑक्सीजन युग्म में एक हाइड्रोजन परमाणु होता है। इस कारण बर्फ एक खुले पिंजरे की आकृति बनाती है। प्रत्येक ऑक्सीजन परमाणु चार हाइड्रोजन परमाणु से घिरा रहता है। इनमें से दो हाइड्रोजन परमाणु सहसंयोजी आबंध से व दो हाइड्रोजन परमाणु हाइड्रोजन आबंध से जुड़े होते हैं। क्रिस्टल जालक में खाली जगह होती है अत: बर्फ का घनत्व जल से कम होता है।
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प्रश्न 22.
जल की अस्थायी एवं स्थायी कठोरता के क्या कारण है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल में कैल्सियम बाइकार्बोनेट तथा मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट की उपस्थिति के कारण अस्थायी कठोरता उत्पन्न होती है। जल में विलेय लवणों कैल्सियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड, कैल्सियम सल्फेट तथा मैग्नीशियम सल्फेट आदि के कारण स्थायी कठोरता उत्पन्न होती है।

प्रश्न 23.
संश्लेषित आयन विनिमयक विधि द्वारा कठोर जल के मृदुकरण के सिद्धान्त एवं विधि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
संश्लेषित आयन विनिमयक रेजिन विधि निम्नलिखित दो प्रकार की होती है –
(1) धनायन:
विनिमयक रेजिन ये रेजिन – SO3H समूह युक्त वृह्द कार्बनिक अणु होते हैं तथा जल में अविलेय होते हैं। इनकी NaCl से क्रिया कराकर R-Na में परिवर्तित किया जाता है। रेजिन R-Na, कठोर जल में उपस्थित Mg2+(aq) तथा Ca2+ आयनों से विनिमय करके इसे मृदुजल बना देता है।
2RNa(s) + Ma2+(aq) → R2M(s) + 2Na+(aq) (M = Ca2+ या Mg2+)

रेजिन में NaCl का जलीय विलयन मिलाने पर इसका पुनर्जनन कर लिया जाता है। शुद्ध विरवणिजित तथा विआयनित जल को प्राप्त करने के लिए उपयुक्त प्राप्त जल को क्रमशः धनायन विनिमयक तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन में प्रवाहित करते हैं।

धनायन:
विनिमयक प्रक्रम में, H का विनिमय जल में उपस्थित Na+, Ca2+, Mg2+ आदि आयनों से हो जाता है।
2RH(s) + M2+(aq) ⥨ MR2(s) + 2H+(aq) (H+ के रूप में धनायन विनिमय रेजिन) इस प्रक्रम में प्रोटानों का निर्माण होता है तथा जल अम्लीय हो जाता है।

(2) ऋणायन:
विनिमयक प्रक्रम में OH का विनिमय जल में उपस्थित Cr, HCO3, SO2-4 आयनों द्वारा होता है।
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R\(\stackrel{+}{\mathrm{N}}\)H2(s) OH विस्थापित अमोनियम हाइड्रॉक्साइड ऋणायन रेजिन है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 19
इस प्रकार मुक्त OH आयन, H+ आयनों को उदासीन कर देते हैं। अंत में उत्पन्न धनायन तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन को क्रमशः तनु अम्ल तथा तनु क्षारीय विलयनों से क्रिया कराके पुर्नजनित कर लिया जाता है।

प्रश्न 24.
जल के उभयधर्मी स्वभाव को दर्शाने वाले रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
जल का स्वभाव उभयधर्मी होता है। यह अम्ल तथा क्षार दोनों की भाँति कार्य करता है। स्वयं से प्रबल अम्लों के साथ यह क्षार की भाँति व्यवहार करता हैं। जबकि स्वयं से प्रबल क्षारों के प्रति यह अम्ल की भाँति व्यवहार करता है।
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प्रश्न 25.
हाइड्रोजन परॉक्साइड के ऑक्सीकारक एवं अपचायक रूप को अभिक्रियाओं द्वारा समझाइए।
उत्तर:
H2O2 अम्लीय तथा क्षारीय माध्यमों में ऑक्सीकारक तथा अपचायक, दोनों की भाँति कार्य कर सकता है। उदाहरण –

(1) अम्लीय माध्यम में ऑक्सीकारक –
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(2) क्षारीय माध्यम में ऑक्सीकारक –
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(3) अम्लीय माध्यम में अपचायक –
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(4) क्षारीय माध्यम में अपचायक –
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प्रश्न 26.
विखनिजित जल से क्या तात्पर्य है? यह कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर:
जो जल सभी विलेय खनिज लवणों से मुक्त होता है, विखनिजित जल कहलाता है। विखनिजित जल को प्राप्त करने के लिए जल को क्रमशः धनायन-विनिमयक रेजिन तथा ऋणायन-विनिमयक रेजिन से प्रवाहित करते हैं। धनायन – विनिमयक में जल में उपस्थित Ca2+, Mg2+, Na+ तथा अन्य धनायन, H+ आयनों द्वारा विनियमित होकर दूर जाते है जबकि ऋणायन-विनिमयक में जल में उपस्थित Cl, SO42-
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प्रश्न 27.
क्या विखनिजित या आसुत जल पेय-प्रयोजनों में उपयोगी है ? यदि नहीं, तो इसे उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है ?
उत्तर:
विखनिजित या आसुत जल पेय-प्रयोजनों में उपयोगी नहीं है। इनमें कुछ उपयोगी लवणों को उचित मात्रा में मिलाकर पेय योग्य बनाया जा सकता है।

प्रश्न 28.
जीवमण्डल एवं जैव प्रणालियों में जल की उपादेयता को समझाइए ?
उत्तर:
सभी सजीवों के शरीर का मुख्य भाग जल द्वारा निर्मित होता है। मानव शरीर में लगभग 65% तथा कुछ पौधों में लगभग 95% भाग जल होता है। सभी सजीवों को जीवित रखने के लिए जल एक महत्वपूर्ण यौगिक है। अन्य द्रवों की तुलना में, जल को विशिष्ट ऊष्मा, तापीय चालकता, पृष्ठ तनाव, द्विध्रुव आघूर्ण तथा परावैद्युतांक के मान उच्च होते हैं।

इन्हीं गुणों के कारण जीवमंडल में जल की भूमिका अति महत्वपूर्ण होती है। जीवों के शरीर तथा जलवायु के सामान्य ताप को बनाए रखने के लिए, जल की वाष्पन ऊष्मा तथा उच्च ऊष्मा धारिता ही उत्तरदायी होती है। यह वनस्पत्तियों तथा प्राणियों के उपापचय में अणुओं के अभिगमन के लिए उत्तम विलायक का कार्य करता है। जल पौधों में प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिए भी आवश्यक है। जो कि वातावरण में O2 मुक्त करती है।
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प्रश्न 29.
जल का कौन-सा गुण इसे विलायक के रूप में उपयोगी बनाता है ? यह किस प्रकार के यौगिक –

  1. घोल सकता है और
  2. जल- अपघटन कर सकता है ?

उत्तर:
उच्च द्विध्रुव आघूर्ण तथा उच्च परावैद्युतांक के कारण जल विलायक के रुप में उपयोगी होता है।

  1. यह आयनिक यौगिकों तथा उन सहसंयोजी यौगिकों जिनमें जल के साथ H-आबंध पाया जाता है। (जैसे-एथेनॉल, चीनी, ग्लूकोस आदि)को घोल सकता है।
  2. जल अनेक धात्वीय तथा अधात्वीय ऑक्साइडों, हाइड्राइड, कार्बाइड, फॉस्फाइड तथा अन्य लवणों का जल-अपघटन कर सकता है।

उदाहरणार्थ –
P4O10(s) + 6H2O(l) →4H3PO4(aq)
CaH2(s) + 2H2O(l) → Ca(OH)2(aq) + 2H2(g)
Al4C3(s) + 12H2O(l) → 4AI(OH)3 + 3CH4

प्रश्न 30.
H2O एवं D2O के गुणों को जानते हुए क्या आप मानते हैं कि D2O का उपयोग पेयप्रयोजनों के रूप में लाया जा सकता है ?
उत्तर:
भारी जल (D2O) जीवित प्राणी, पादप तथा जन्तुओं के लिए काफी हानिकारक होता है, क्योंकि यह उनमें होने वाली अभिक्रियाओं की दरों को मन्द कर देता है। यह जीवन का समर्थन करने में असफल होता है तथा इसकी जैवमण्डल में कोई उपयोगिता नहीं होती है।

प्रश्न 31.
जल-अपघटन (Hydrolysis) तथा जलयोजन (Hydration) पदों में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
जल के H+ आयन तथा OH आयनों का किसी लवण के क्रमशः ऋणायन तथा धनायन के साथ स्वतः क्रिया करके मूल अम्ल तथा क्षार बनाने की क्रिया जल – अपघटन कहलाती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 28
दूसरी ओर, जलयोजन का अर्थ आयनों तथा अणुओं में H2O के योग द्वारा जलयोजित आयन अथवा जलयोजित लवणों का निर्माण होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 29

प्रश्न 32.
लवणीय हाइड्राइड किस प्रकार कार्बनिक यौगिकों से अति सूक्ष्म जल की मात्रा को हटा सकते हैं?
उत्तर:
लवणीय हाइड्राइड जैसे NaH, CaH2 आदि कार्बनिक यौगिकों में उपस्थित अति सूक्ष्म जल से क्रिया करते हैं तथा संगत धातु हाइड्रॉक्साइड बनाते हैं तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 30
वास्तव में लवणीय हाइड्राइड M+H में, H प्रबल ब्रॉन्स्टेड क्षार होते हैं अतः ये जल से सुगमतापूर्वक क्रिया करते हैं।

प्रश्न 33.
परमाणु क्रमांक 15, 19, 23 तथा 44 वाले तत्व यदि हाइड्रोजन से अभिक्रिया कर हाइड्राइड बनाते हैं, तो उनकी प्रकृति से आप क्या आशा करेंगे? जल के प्रति इनके व्यवहार की तुलना कीजिए।
उत्तर:

  • परमाणु क्रमांक (Z) = 15 वाला तत्व, फॉस्फोरस, p – ब्लॉक का सदस्य है अतः यह सहसंयोजक हाइड्राइड, बनाता है।
  • परमाणु क्रमांक (Z) = 19 वाला तत्व, पोटैशियम, s – ब्लॉक सदस्य है अत: यह आयनिक हाइड्राइड बनाता है।
  • परमाणु क्रमांक (Z) = 23 वाला तत्व वैनेडियम, d – ब्लॉक तथा वर्ग-5 का सदस्य है। यह अन्तराकाशी हाइड्राइड (VHI6) बनाता है। यह अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड है।
  • परमाणु क्रमांक (Z) = 44 वाला तत्व रुथेनियम, d – ब्लॉक तथा वर्ग-8 का सदस्य है। यह कोई हाइड्राइड नहीं बनाता है क्योंकि वर्ग-7, 8 तथा 9 के तत्व हाइड्राइड नहीं बनाते हैं (हाइड्राइड रिक्ति)। जल के साथ,केवल आयनिक हाइड्राइड, KH क्रिया करके डाइहाइड्रोजन गैस मुक्त करता है।

प्रश्न 34.
जब ऐल्युमिनियम (III) क्लोराइड एवं पोटैशियम क्लोराइड को अलग-अलग –

  1. सामान्य जल
  2. अम्लीय जल एवं
  3. क्षारीय जल से अभिकृत कराया जाएगा, तो आप किन-किन विभिन्न उत्पादों की आशा करेंगे? जहाँ आवश्यक हो, वहाँ रासायनिक समीकरण दीजिए।

उत्तर:
AlCl3, दुर्बल क्षार, Al(OH)3, तथा प्रबल अम्ल, HCl का लवण है। अतः सामान्य जल से क्रिया कराने पर इसका जल-अपघटन हो जाता है।
AlCl3(s) + 3H2O(l) → Al(OH3(s) + 3H+(aq)+ 3Cl(aq)
इसका जलीय विलयन अम्लीय प्रकृति का होता है। अम्लीय जल में उपस्थित H+ आयन AI(OH)3 से क्रिया करके Alt+(aq) आयन तथा HO उत्पन्न करते हैं। अतः अम्लीय जल में, AlCl3(s), Al3+ तथा CITaa) आयनों के रूप में रहता है। क्षारीय जल में AlCl3 अग्र उत्पाद उत्पन्न करता है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 36
KCl प्रबल अम्ल, HCl तथा प्रबल क्षार, KOH का लवण है। यह सामान्य जल में जल-अपघटित नहीं होता है। यह जल में केवल अपघटित होकर K+(aq) तथा Cr(aq) आयन देता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 32
का जलीय विलयन उदासीन होता है। अतः अम्लीय जल में अथवा क्षारीय जल में, इसके आयन और कोई क्रिया नहीं करते हैं।

प्रश्न 35.
H2O2 विरंजन कारक के रूप में कैसे व्यवहार करता है ? लिखिए।
उत्तर:
H2O2 नवजात ऑक्सीजन उत्पन्न करने के कारण विरंजक की भाँति कार्य करता है।
H2O2 → H2O + O
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ
यह रेशम, बाल, वस्त्र, कागज की लुग्दी, ऊन, तेल, वसा आदि का विरंजन करता है।

प्रश्न 36.
निम्नलिखित पदों से आप क्या समझते हैं –

  1. हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था
  2. हाइड्रोजनीकरण
  3. सिन-गैस
  4. भाप अंगारगैस सृति अभिक्रिया तथा
  5. ईंधन सेल।

उत्तर:
1. हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था:
हाइड्रोजन का मुख्य उपयोग एवं संभावनाएँ निकट भविष्य में इसका प्रदूषण रहित (स्वच्छ) ईंधन के रूप में उपयोग है। हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का मूल सिद्धांत ऊर्जा का द्रव हाइड्रोजन अथवा गैसीय हाइड्रोजन के रूप में अभिगमन तथा भंडारण है।

2. हाइड्रोजनीकरण:
किसी द्विबंध या त्रिबंध युक्त कार्बनिक यौगिकों में उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन का संयोग हाइड्रोजनीकरण कहलाता है। वनस्पति तेलों को निकिल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजनीकरण कराने पर खाद्य वसा (मार्गेरीन तथा वनस्पति घी) प्राप्त होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 33

3. सिन-गैस:
CO तथा H2 का मिश्रण सिन-गैस अथवा संश्लेषित गैस अथवा जल गैस कहलाता है। हाइड्रोकार्बन अथवा कोक की उच्च ताप पर एवं उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से अभिक्रिया कराने पर सिन-गैस प्राप्त होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 34
आजकल सिन-गैस को वाहितमल, अखबार, लकड़ी का बुरादा एवं छीलन आदि से भी प्राप्त किया जाता है। कोल से सिन-गैस के उत्पादन को, कोल-गैसीकरण प्रक्रम कहते है।

4. भाप अंगार गैस सृति अभिक्रिया:
जल गैस में डाइहाइड्रोजन की मात्रा को बढ़ाने के लिए CO को 500°C पर आयरन क्रोमेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से क्रिया कराते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 35
सिन-गैस / जल गैस उपरोक्त क्रिया को भाप अंगार गैस सृति अभिक्रिया कहते हैं।

5. ईंधन सेल:
ईंधन सेल में ईंधन के दहन से उत्पन्न ऊर्जा को सीधे वैद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रकार के ईंधन सेल का उदाहरण हाइड्रोजन ऑक्सीजन ईंधन सेल है। यह किसी प्रकार का प्रदूषण उत्पन्न नहीं करता है। ईंधन सेल, 70-85% रूपान्तरण क्षमता के साथ वैद्युत उत्पन्न करता है।

हाइड्रोजन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

हाइड्रोजन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
1. निम्न में से कौन – सी धातु H2 का अधिशोषण करती है –
(a) Zn
(b) Pb
(c) AI
(d) K.
उत्तर:
(b) Pb

प्रश्न 2.
हाइड्रोजन का रेडियोऐक्टिव समस्थानिक कहलाता है –
(a) प्रोटियम
(b) ड्यूटीरियम
(c) भारी हाइड्रोजन
(d) ट्राइटियम।
उत्तर:
(d) ट्राइटियम।

प्रश्न 3.
H2O2 का 1 ml N.T.P. पर 10 mlo, देता है, यह है
(a) 10 आयतन HO2
(b) 20 आयतन H2O2
(c) 30 आयतन H2O2
(d) 40 आयतन H202
उत्तर:
(a) 10 आयतन HO2

प्रश्न 4.
भारी जल प्राप्त किया जाता है –
(a) जल को उबालकर
(b) जल के प्रभावी आयतन द्वारा
(c) जल के निरंतर विद्युत् विच्छेद द्वारा
(d) H2O2 को गर्म करके।
उत्तर:
(c) जल के निरंतर विद्युत् विच्छेद द्वारा

प्रश्न 5.
ऑर्थो तथा पैरा हाइड्रोजन में किस बात का अंतर है –
(a) परमाणु क्रमांक
(b) द्रव्यमान संख्या
(c) इलेक्ट्रॉन चक्रण
(d) नाभिकीय चक्रण।
उत्तर:
(d) नाभिकीय चक्रण।

प्रश्न 6.
कौन-से हाइड्राइड सामान्यतः सरल अनुपात में नहीं होते हैं –
(a) आयनिक
(b) आण्विक
(c) अंतराकाशीय
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(c) अंतराकाशीय

प्रश्न 7.
आयनिक हाइड्राइड का उदाहरण नहीं है –
(a) LiH
(b) CaH2
(c) CsH
(d) GeH2.
उत्तर:
(d) GeH2.

प्रश्न 8.
H2O2के अणु में H-0 0 बंध कोण होता है –
(a) 99.5°
(b) 95.9°
(c) 97°
(d) 100.5°
उत्तर:
(c) 97°

प्रश्न 9.
रॉकेट के लिये नोदक का कार्य करता है –
(a) N2 + O2
(b) H2 + O2
(c) O2 + Ar
(d) H2 + N2.
उत्तर:
(b) H2 + O2

प्रश्न 10.
कैलगॉन प्रक्रम में, निम्न में कौन सा उपयोग होता है –
(a) सोडियम बहु मेटाफॉस्फेट
(b) जलयुक्त सोडियम ऐल्युमिनियम सिलिकेट
(c) धनायन विनिमय रेजिन
(d) ऋणायन विनिमय रेजिन।
उत्तर:
(a) सोडियम बहु मेटाफॉस्फेट

प्रश्न 11.
अभिकारक जो जल की कठोरता ज्ञात करने में प्रयोग किया जाता है –
(a) ऑक्जेलिक अम्ल
(b) डाइसोडियम लवण EDTA
(c) सोडियम सिट्रेट
(d) सोडियम थायोसल्फेट।
उत्तर:
(b) डाइसोडियम लवण EDTA

प्रश्न 12.
‘CO2, H20 तथा H,0, को उनके अम्लीयता के बढ़ते क्रम में लिखिए –
(a) CO2 <H2O2 < H2O
(b) H2O< H2O2<CO2.
(c) H2O< H2O2> CO2
(d) H2O2> CO2 > H2O
उत्तर:
(b) H2O< H2O2 <CO2.

प्रश्न 2.

  1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये –
  2. गलित NaH के विद्युत् – विच्छेदन से ऐनोड पर ………….. गैस मुक्त होती है।
  3. कैलगॉन …………….. का व्यापारिक नाम है।
  4. कैल्सियम फॉस्फाइड पर जल की क्रिया से …………….. बनती है।
  5. ……………… जल साबुन के साथ कम झाग देता है।
  6. जल की कठोरता ……………… और ……………… के लवणों के कारण होती है।
  7. ……………… जीवधारियों में होने वाली क्रियाओं के अध्ययन में ट्रेसर का कार्य करता है।
  8. Al या …………. के सान्द्र विलयन की क्रिया से हाइड्रोजन मुक्त होती है।
  9. CO + H2 का मिश्रण ……………….. कहलाती है।
  10. 2N H2O2 का आयतन क्षमता ……………….. होगी।
  11. पैलेडियम द्वारा हाइड्रोजन का अवशोषण ……………….. कहलाता है।

उत्तर:

  1. H2
  2. सोडियम हेक्सा मेटाफॉस्फेट
  3. फॉस्फीन
  4. कठोर
  5. Ca, Mg
  6. भारी जल
  7. NaOH
  8. जल गैस
  9. 11.2 आयतन
  10. अधिशोषण

प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 1
उत्तर:

  1. (d) अम्लीय
  2. (f) क्षारीय
  3. (a) ड्यूटिरो फॉस्फीन
  4. (b) तेल गैस
  5. (c) H2O2
  6. (e) अम्लीय
  7. (i) जीवाणुनाशक
  8. (g) मंदक
  9. (h) रॉकेट ईंधन

प्रश्न 4.
एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. किस यौगिक में हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण अवस्था ऋणात्मक होती है ?
  2. H2O2 का विरंजक गुण ऑक्सीकरण के कारण है अथवा अपचयन के कारण।
  3. हाइड्रोजन की खोज किसने की ?
  4. परमाणु भट्टियों में मंदक के रूप में किसका उपयोग किया जाता है ?
  5. H2O2 Cl2 को किसमें अपचयित कर देता है ?
  6. H2O2 का विरंजक गुण निर्भर करता है।
  7. कौन-सा ऑक्साइड तनु अम्ल से क्रिया करके H2O2 देता है ?
  8. जल की तुलना में एथेनॉल का वाष्पन तेजी से होता है। क्यों ?
  9. किस प्रकार के तत्व जालक हाइड्राइड बनाते हैं ?
  10. जालक हाइड्राइड का क्या उपयोग है ?

उत्तर:

  1. CaH2
  2. H2O2 सरलता से ऑक्सीजन देने के कारण यह विरंजक पदार्थ है। अत: H2O2 का विरंजक गुण ऑक्सीकरण के कारण है। H2O2
  3. H2O + [O]
  4. हेनरी केवेण्डिस
  5. भारी जल (D2O)
  6. HCl में
  7. नवजात ऑक्सीजन के कारण
  8. Na2CO2, BaC2
  9. दुर्बल हाइड्रोजन बंध के कारण
  10. d – तथा f – ब्लॉक के तत्व
  11. H2के भण्डारण एवं हाइड्रोजनीकरण क्रियाओं को उत्प्रेरित करने में।

हाइड्रोजन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जल की अस्थायी एवं स्थायी कठोरता के क्या कारण हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल में कैल्सियम बाइकार्बोनेट तथा मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट की उपस्थिति के कारण अस्थायी कठोरता उत्पन्न होती है। जल में विलेय लवणों कैल्सियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड, कैल्सियम सल्फेट तथा मैग्नीशियम सल्फेट आदि के कारण स्थायी कठोरता उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
बेरीलियम सहसंयोजी हाइड्राइड बनाता है जबकि कैल्सियम आयनिक हाइड्राइड क्यों?
उत्तर:
उच्च विद्युत् ऋणात्मकता के कारण Be (1.5) सहसंयोजी हाइड्राइड बनाता है। जबकि Ca की विद्युत् ऋणात्मकता कम होती है।

प्रश्न 3.
हाइड्रोजन बनाने की यूनो विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऐल्युमिनियम की अभिक्रिया गर्म कास्टिक सोडा के साथ गर्म करने पर ऐल्युमिनियम कास्टिक सोडा में विलेय हो जाती है और हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 37

प्रश्न 4.
अशुद्ध हाइड्रोजन का शुद्धिकरण किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
प्लेटिनम ब्लैक या पैलेडियम धातु पर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करने पर धातु द्वारा हाइड्रोजन का अधिशोषण हो जाता है। इसे अधिधारण कहते हैं। अशुद्ध हाइड्रोजन का इस प्रकार शुद्धिकरण किया जा सकता है क्योंकि पैलेडियम द्वारा केवल शुद्ध हाइड्रोजन का अधिशोषण होता है।

प्रश्न 5.
कठोर जल से होने वाली हानियाँ लिखिए।
उत्तर:
कठोर जल से होने वाली हानियाँ –

  • कपड़े धोने से झाग उत्पन्न करने के लिये अधिक साबुन खर्च होता है।
  • कठोर जल का उपयोग प्रयोगशाला में तथा दवाइयों में इंजेक्शन के लिये नहीं किया जा सकता है।
  • इसका सेवन संधिवात, गठिया आदि से पीड़ित व्यक्तियों के लिये हानिकारक होता है।

प्रश्न 6.
हाइड्रोजन बनाने की तीन विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पानी की भाप को 600 – 900°C पर तप्त लोहे पर प्रवाहित करने पर हाइड्रोजन गैस बनती है। यह अभिक्रिया उत्क्रमणीय है। अतः हाइड्रोजन को क्रिया क्षेत्र से हटाते रहना आवश्यक है।
3Fe + 4H2O ⥨ Fe3O4 + 4H2

प्रश्न 7.
उस विधि का वर्णन कीजिए जो जल की अस्थायी तथा स्थायी दोनों प्रकार की कठोरता दूर कर देता है।
उत्तर:
रासायनिक विधि-इस विधि से जल की अस्थायी तथा स्थायी दोनों प्रकार की कठोरता समाप्त हो जाती है। इस विधि में NaOH या Na2CO3 में से कोई पदार्थ मिलाने पर Ca या Mg अविलेय लवण बनाकर पृथक् हो जाता है।

  • CaCl2 + Na2Co3 → CaCO3 + 2NaCl
  • MgCl2 + Na2CO3 → MgCO3 + 2NaCl
  • MgSO4 + Nal2CO3 → sMgCO3 + Na2SO4

प्रश्न 8.
H2O2 की सान्द्रता किस प्रकार व्यक्त करते हैं ?
उत्तर:
H2O2विलयन की सान्द्रता ऑक्सीजन के N. T. P. पर उस आयतन के बराबर होती है जो उस विलयन के एकांक आयतन को गर्म करने पर उत्पन्न होती है। जैसे 10 आयतन H2O2का तात्पर्य है कि 1 ml H2O2 को गर्म करने से N.T.P. पर 10 ml O2 प्राप्त होती है।

प्रश्न 9.
हाइड्रोजन के उपयोग लिखिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन के उपयोग –

  • अपचायक के रूप में
  • तेल के हाइड्रोजनीकरण से वसा बनाने के लिये
  • कोल चूर्ण के साथ-साथ अभिकृत करके कृत्रिम पेट्रोल बनाने के लिये
  • काँच उद्योग में काँच को धीरे-धीरे ठण्डा करने में।

प्रश्न 10.
तेल गैस क्या है तथा इसे कैसे प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर:
यह गैस मिट्टी के तेल के भंजन से बनायी जाती है। मिट्टी के तेल की पतली धार लोहे के रक्त तप्त रिटार्ट में डाली जाती है जिससे बड़े अणु टूटकर मेथेन, एथिलीन, एसीटिलीन में टूट जाती है। इसका उपयोग बर्नरों को जलाने में किया जाता है।

प्रश्न 11.
कोल गैस क्या है ? इसका रासायनिक संघटन लिखिए।
उत्तर:
कोल गैस कई गैसों का मिश्रण है जिनमें हाइड्रोजन भी एक अवयवी गैस है। कोल गैस का प्रतिशत संगठन निम्न प्रकार से है

  • H2 = 43.55%,
  • CH4 = 25.35%
  • CO2 = 0.3%
  • CO = 4.11%
  • N2= 2 – 12%
  • O2 = 0 – 1.5% कोल गैस का उपयोग ईंधन के अतिरिक्त प्रकाश उत्पन्न करने के लिये प्रयुक्त होता है।

प्रश्न 12.
सोडियम पर जल की अभिक्रिया कराने पर गैस उत्पन्न होती है। उसका नाम व सूत्र लिखिए।
उत्तर:
अत्यधिक क्रियाशील धातु जैसे-सोडियम, पोटैशियम, कैल्सियम पर साधारण ताप पर जल की अभिक्रिया कराने पर हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है।

  • 2Na +2H2O → 2NaOH + H2
  • Ca + 2H2 O → Ca(OH)2 + H2

प्रश्न 13.
मृदु जल और कठोर जल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मृदु जल:
साबुन के साथ रगड़ने पर शीघ्रता से और अधिक झाग देने वाला जल मृदु जल कहलाता है।
उदाहरण-आसुत जल, वर्षा का जल आदि।

कठोर जल:
साबुन के साथ रगड़ने पर देर से तथा कम झाग देने वाला जल कठोर जल कहलाता है। और साबुन फटकर थक्के बनाता है।
उदाहरण – समुद्र का जल।

प्रश्न 14.
आसुत जल क्या है ? इसका एक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
आसवन विधि से प्राप्त शुद्ध जल आसुत जल कहलाता है। इसका उपयोग औषधि बनाने में एवं प्रयोगशाला में विलयन बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 15.
भारी जल की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर:

  • भारी जल मुख्य रूप से नाभिकीय रिएक्टरों में मंदक के रूप में प्रयुक्त होता है।
  • यह अभिक्रियाओं की क्रियाविधि के अध्ययन में ट्रेसर यौगिक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • अन्य ड्यूटीरियम यौगिकों जैसे – CD4 , D2SO4 आदि के निर्माण में इसका प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 16.
हाइड्रोजन परॉक्साइड का तनु विलयन गर्म करके सान्द्र क्यों नहीं किया जा सकता इसका सान्द्र विलयन किस प्रकार कर सकते हैं ?
उत्तर:
H2O2 का तनु विलयन गर्म करके सान्द्रित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह अपने गलनांक से काफी नीचे ही अपघटित हो जाता है।
2H2O2 → 2H2O + O2
जल से निष्कर्षित 1% H2O2का कम दाब पर आसवन करके 30%(द्रव्यमानानुसार) तक सान्द्रित करते हैं। पुनः इसका सावधानीपूर्वक कम दाब पर आसवन करके 85% तक सान्द्रण किया जाता है। अवशेष जल को हिमशीतित करके शुद्ध हाइड्रोजन परॉक्साइड प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 17.
परॉक्साइडों से हाइड्रोजन परॉक्साइड के निर्माण हेतु सल्फ्यूरिक अम्ल की अपेक्षा, फॉस्फोरिक अम्ल अधिक उपयुक्त होता है। क्यों ?
उत्तर:
H2SO4, H2O2 के अपघटन में उत्प्रेरक की भाँति व्यवहार करता है। अत: परॉक्साइडों से H2O2 के निर्माण में H2SO4 की अपेक्षा दुर्बल अम्ल जैसे – H3PO4, H2CO3 आदि उपयुक्त रहते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 38

प्रश्न 18.
किसी क्षारीय धातु का आयनिक हाइड्राइड प्रभावी सहसंयोजक व्यवहार प्रदर्शित करता है तथा यह ऑक्सीजन तथा क्लोरीन के प्रति लगभग अक्रियाशील होता है। इसका प्रयोग अन्य उपयोगी हाइड्राइडों के संश्लेषण में करते हैं। इस हाइड्राइड का सूत्र लिखिये।इसकी AlCl के साथ अभिक्रिया भी लिखिए।
उत्तर:
यह आयनिक हाइड्राइड LiH है। सबसे छोटी Li धातु के कारण इसका व्यवहार सहसंयोजी भी होता है। LiH अत्यधिक स्थायी है। यह ऑक्सीजन तथा क्लोरीन के प्रति अत्यधिक अक्रियाशील है। यह Al2Cl6 के साथ अभिक्रिया करके लीथियम ऐल्युमिनियम हाइड्राइड बनाता है।
8LiH + Al2Cl6 → 2LiAlH4 + 6LiCl

प्रश्न 19.
कठोर जल साबुन के साथ शीघ्रता से झाग क्यों नहीं देता?
उत्तर:
कठोर जल में Ca तथा Mg के बाइ कार्बोनेट, सल्फेट तथा क्लोराइड में से कोई भी लवण विलेय रहता है। साबुन उच्च कार्बनिक वसा अम्ल के सोडियम लवण होते हैं जो Ca एवं Mg के लवणों से क्रिया करके अवक्षेप देते हैं।
2C17H35COONa + MgSO4 → (C17H35COO)2 Mg + Na2SO4
जल में से जब तक ये लवण पूरी तरह से अवक्षेपित नहीं हो जाते तब तक साबुन से झाग नहीं बनता और साबुन व्यर्थ हो जाता है।

प्रश्न 20.
H2O2 के कोई चार उपयोग लिखिए।
उत्तर:
H2O2 के उपयोग –

  • यह जीवाणुनाशी के रूप में कान, दाँत आदि धोने के काम आता है।
  • प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
  • रॉकेटों में ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • पुराने तैल चित्रों को ठीक करने में इसका उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 21.
भाप अंगार गैस से हाइड्रोजन के औद्योगिक निर्माण की विधि लिखिए।
उत्तर:
गर्म भाप को रक्त तप्त कोक पर प्रवाहित करके वाटर गैस बनाते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 39
इस प्रकार प्राप्त H2 व CO2 के मिश्रण को वायुमण्डलीय दाब पर पानी में प्रवाहित करने पर CO2 शोषित हो जाती है तथा H2 शेष रहती है।

प्रश्न 22.
चालकता जल किसे कहते हैं ? इसके उपयोग लिखिए।
उत्तर:
कोलरॉश ने जल का निम्न दाब पर क्वार्ट्स के बने उपकरण में 42 बार आसवन करके अत्यन्त शुद्ध जल प्राप्त किया। यह चालकता जल कहलाता है। आसुत जल में कुछ पोटैशियम परमैंगनेट मिलाकर मजबूत काँच के बने रिटार्ट में उसका एक बार पुनः आसवन कर लेते हैं। इसका उपयोग चालकता निर्धारण में होता है।

प्रश्न 23.
ड्यूटीरियम क्या है ? इसके दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ड्यूटीरियम हाइड्रोजन का समस्थानिक है। इसे भारी हाइड्रोजन भी कहते हैं। इसके नाभिक में एक प्रोटॉन एवं एक न्यूट्रॉन होता है तथा नाभिक के चारों ओर एक इलेक्ट्रॉन घूमता रहता है। अर्थात् इसकी द्रव्यमान संख्या दो तथा परमाणु क्रमांक 1 है। इसे \(_{1}^{2} \mathrm{H}\) या D से दर्शाते हैं। भारी जल के वैद्युत् अपघटन से कैथोड पर ड्यूटीरियम प्राप्त होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 40
उपयोग:

  • इसका उपयोग कृत्रिम तत्वान्तरण में प्रक्षेपक कण ड्यूट्रॉन के रूप में।
  • रासायनिक एवं जैव रासायनिक अभिक्रियाओं की क्रियाविधि ज्ञात करने पर।

प्रश्न 24.
सोडियम डाइहाइड्रोजन के साथ क्रिया करके क्रिस्टलीय आयनिक ठोस बनाता है। यह यौगिक अवाष्पशील तथा अचालक प्रकृति का होता है। यह जल के साथ शीघ्रता से क्रिया करके डाइहाड्रोजन गैस बनाता है। इस यौगिक का सूत्र लिखिए तथा इसकी जल के साथ क्रिया लिखिए। इस ठोस के गलित का वैद्युत-अपघटन कराने पर क्या होगा?
उत्तर:
सोडियम डाइहाइड्रोजन के साथ क्रिया करके सोडियम हाइड्राइड बनाता है जो कि एक क्रिस्टलीय आयनिक ठोस है।
2Na + H2 → 2Na+ H
यह जल के साथ शीघ्रता से क्रिया करके H, गैस बनाता है।
2NaH + 2H2O → 2NaOH + 2H2
ठोस अवस्था में NaH में वैद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है। परन्तु गलित अवस्था में यह एनोड पर H, तथा कैथोड पर Na मुक्त करता है।

प्रश्न 25.
फ्लुओरीन तथा जल के मध्य रेडॉक्स अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
फ्लुओरीन प्रबल ऑक्सीकारक है। यह HO को O2 तथा O2 में ऑक्सीकृत करता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 61

प्रश्न 26.
समझाइये कि HCl गैस तथा HF द्रव क्यों है ?
उत्तर:
Cl की अपेक्षा F का आकार छोटा तथा वैद्युत ऋणात्मकता अधिक है। अतः यह Cl की अपेक्षा अधिक प्रबल H – आबंध बनायेगा। यही कारण है कि HF द्रव है तथा HCl गैस है।

प्रश्न 27.
D2O2 के निर्माण की एक रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
जल में विलेय D2SO4 की क्रिया BaO2 से कराने पर D2O2 प्राप्त होता है।
BaO2 +D2SO4 → BaSO4 +D2O2

प्रश्न 28.
H,O, को अधिक समय तक संचित क्यों नहीं किया जा सकता है ?
उत्तर:
H2O2 में परॉक्साइड बंध होता है। इस बंध की उपस्थिति के कारण यह अस्थायी होता है और अपघटित होने लगता है।
2H2O2 → 2H2O + O2 फलस्वरूप H2O2 को अधिक समय तक संचित नहीं किया जा सकता है । यह अपघटन की क्रिया काँच से उत्प्रेरित हो जाती है। इसलिये काँच की बोतल में अपघटन क्रिया और तीव्र हो जाती है। इसे रोकने या मंद करने के लिये मोम व अस्तर लगी रंगीन बोतल में संचित किया जाता है।

प्रश्न 29.
H2O2 प्रति क्लोर कहलाती है, क्यों?
उत्तर:
उन रंगीन पदार्थों में जिनमें विरंजन क्लोरीन द्वारा किया जाता है क्लोरीन की कुछ मात्रा शेष रह जाती है। इस प्रकार शेष क्लोरीन को दूर करने के लिये H2O2का उपयोग किया जाता है इस गुण के कारण इसे प्रति क्लोर कहते हैं।
Cl2 + H2O2 →2HCl + O2

प्रश्न 30.
अस्थायी कठोर जल को बुझे हुये चूने के साथ उबालने पर वह मृदु हो जाता है, क्यों?
उत्तर:
जब अस्थायी कठोर जल को बुझे हुये चूने के साथ उबाला जाता है तब अस्थायी कठोर जल में उपस्थित Ca व Mg के बाइ कार्बोनेट अघुलनशील कार्बोनेट में बदल जाता है जिन्हें छानकर दूर कर देते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 41

प्रश्न 31.
लवणीय हाइड्राइड जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके आग उत्पन्न करती है। क्या इसमें CO2(जो एक सुपरिचित अग्निशामक है) का उपयोग हम कर सकते हैं? समझाइए।
उत्तर:
लवणीय हाइड्राइड (NaH, CaH2 आदि) जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके धातु ऑक्साइड तथा डाइहाइड्रोजन उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 32.
कारण दीजिए –

  1. झीलों के पानी का तली की अपेक्षा सतह की ओर गमन।
  2. बर्फ जल पर तैरती है।

उत्तर:
1. द्रव (Liquid water) जल की अपेक्षा बर्फ का घनत्व अधिक होता है। शीतकाल में, झील के पानी का तापमान घटने लगता है। चूँकि ठंडा पानी भारी होता है। अत: यह पानी की तली की ओर गति करता है तथा तली का गर्म पानी सतह की ओर गति करता है। यह प्रक्रिया चलती रहती है। 277 K पर जल का घनत्व अधिकतम होता है।

अतः सतह जल के तापमान में कमी से घनत्व में कमी होगी। सतह से जल का तापमान घटता रहता है और अन्त में जल जम जाता है। अतः निम्न तापमान पर बर्फ की सतह जल के ऊपर तैरती है। इसी कारण सतह से तली की ओर जल लगातार बर्फ के रूप में जमता रहता है।

2. द्रव जल (Liquid water) की अपेक्षा, बर्फ का घनत्व कम होता है अत: बर्फ जल पर तैरती है।

प्रश्न 33.
यदि द्रव जल तथा बर्फ के टुकड़े के समान द्रव्यमान लिये जायें तो द्रव जल की अपेक्षा बर्फ का घनत्व कम होता है ?
उत्तर:
बर्फ में H2O अणु द्रव जल की भाँति सघन नहीं होते हैं। बर्फ की जालक संरचना में रिक्त अवकाश होते हैं। जिसके कारण इसका आयतन अधिक तथा घनत्व कम होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 42

हाइड्रोजन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
H2O2 पुराने तैलचित्रों को ठीक करने में प्रयुक्त होता है, उचित तर्क द्वारा समझाइये।
उत्तर:
पुरानी तैलचित्र जो बेसिक लेड कार्बोनेट से बनी हुई होती है। समय के साथ धीरे-धीरे काली पड़ जाती है क्योंकि वायुमण्डल में उपस्थित HS गैस तैलचित्र के सफेद लेड ऑक्साइड को काले लेड सल्फाइड में बदल देती है।
PbO+ H2S → PbS + H2O
ऐसे तैलचित्रों को H2O2 से धोने पर काला लेड सल्फाइड ऑक्सीकृत होकर PbSO4 में बदल जाता है और तस्वीर में पुनः चमक आ जाती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 43

प्रश्न 2.
हाइड्रोजन के सभी समस्थानिकों के आरेख बनाकर उनके नाम लिखिये।
उत्तर:
हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक हैं –

  • साधारण हाइड्रोजन या प्रोटियम – \(_{1}^{1} \mathrm{H}\)
  • भारी हाइड्रोजन या ड्यूटीरियम – \(_{1}^{2} \mathrm{H}\) या D
  • ट्राइटियम – \(_{1}^{3} \mathrm{H}\)

संरचना आरेख:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 44
तुलना:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 45

प्रश्न 3.
ऑर्थो तथा पैराहाइड्रोजन को समझाइये।
उत्तर:
सन् 1927 में हाइजेनबर्ग ने बताया कि हाइड्रोजन अणु दो प्रकार के होते हैं। प्रत्येक हाइड्रोजन अणु में दो हाइड्रोजन परमाणु होते हैं। इसके इलेक्ट्रॉन के चक्रण सदैव विपरीत दिशा में होता है। लेकिन इलेक्ट्रॉन की भाँति नाभिक भी अपनी दूरी पर चक्रण करते हैं। हाइड्रोजन अणु में जब दोनों हाइड्रोजन परमाणु के नाभिकों का चक्रण एक ही दिशा में होता है तो उसे ऑर्थो हाइड्रोजन कहते हैं और जब नाभिकों का चक्रण विपरीत दिशा में होता है तो उसे पैरा हाइड्रोजन कहते हैं। आर्थो तथा पैरा हाइड्रोजन के रासायनिक गुणों में कोई अंतर नहीं होता है। लेकिन उनके भौतिक गुणों में अंतर होता है। यह अंतर उनके अणुओं की आंतरिक ऊर्जा में अंतर के कारण होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 46

प्रश्न 4.
बॉयलर में कठोर जल का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता है ?
उत्तर:
उद्योगों में बॉयलर का उपयोग भाप बनाने में किया जाता है। बॉयलरों में कठोर जल का उपयोग नहीं किया जाता। यदि कठोर जल को बॉयलर में प्रयोग किया जाता है तो Ca और Mg के लवण बॉयलर के अंदर की सतह पर पपड़ी के रूप में जम जाते हैं। यह पपड़ी ऊष्मा की कुचालक होती है जिससे ईंधन का अपव्यय होता है। इस कुचालक पपड़ी के कारण बॉयलर को बहुत अधिक गर्म करना पड़ता है जिससे पानी गर्म हो सके। उच्च ताप पर बाहरी सतह का Fe वायु की O2 से अभिक्रिया करके Fe3O4 बना लेता है।

कभी-कभी अंदर की पपड़ी में दरार हो जाती है जिससे गर्म जल की Fe की सतह से सीधी अभिक्रिया हो सकती है तथा Fe3O4 व H2 बनते हैं। हाइड्रोजन एक ज्वलनशील गैस है जिससे विस्फोट का भय रहता है। कठोर जल में यदि MgCl2 हो, तो वह पानी से अभिक्रिया करके HCl बनाता है। यह अम्ल बॉयलर का संक्षारण करता रहता है।
MgCl2 +H2O → Mg(OH)Cl+ HCl

प्रश्न 5.
क्या होता है जबकि –

  1. कैल्सियम हाइड्राइड की पानी से क्रिया कराते हैं।
  2. H2O2 को अम्लीय KMnO2 विलयन में मिलाते हैं।
  3. पोटैशियम फेरीसायनाइड के क्षारीय विलयन को H2O2 से क्रिया कराते हैं।
  4. उच्च ताप तथा उच्च दाब पर Fe की उपस्थिति में H2की अभिक्रिया N2 के साथ कराते हैं।

उत्तर:
1. कैल्सियम हाइड्राइड की पानी से क्रिया कराने पर H2 बनता है।
CaH2 + 2H2O →Ca(OH)2 + 2H2

2. H2O2 को अम्लीय KMnO4 में मिलाने पर KMnO4का गुलाबी रंग उड़ जाता है।
2KMnO4 + 3H2SO4 + 5H2O2 → K2SO4 + 2MnSO4 + 8H2O + 5O2

3. पोटैशियम फेरीसायनाइड के क्षारीय विलयन में H,O, मिलाने पर पोटैशियम फेरोसायनाइड में अपचयित हो जाता है।
2K3[Fe(CN)6] + 2KOH + H2O2 → 2K4[Fe(CN)6] +2H2O + O2

4. उच्च ताप तथा उच्च दाब पर Fe उत्प्रेरक तथा Mo उत्प्रेरक वर्धक की उपस्थिति में हाइड्रोजन की अभिक्रिया N, से कराने पर अमोनिया प्राप्त होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 47MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 47

प्रश्न 6.
हाइड्रोजन परॉक्साइड की निम्नलिखित से अभिक्रिया लिखिये –

  1.  O2
  2. PbS
  3. KI
  4. Cl2
  5. H2S.

उत्तर:

  1. हाइड्रोजन परॉक्साइड ओजोन से क्रिया कर ऑक्सीजन देता है।
    H2O2 + O3 →H2O + 2O2
  2. हाइड्रोजन परॉक्साइड PbS को PbSO4 में ऑक्सीकृत कर देता है।
    PbS + 4H2O2 → PbSO4 + 4H2O
  3. हाइड्रोजन परॉक्साइड KI को आयोडीन में ऑक्सीकृत कर देता है।
    2KI + H2O2 2KOH + I2
  4. हाइड्रोजन परॉक्साइड Cl, को HCl में अपचयित कर देती है।
    Cl + H2O2 → 2HCl + O2
  5. हाइड्रोजन परॉक्साइड HS को सल्फर में ऑक्सीकृत कर देती है।
    H2S + H2O2 → 2H2O + S

प्रश्न 7.
क्या आप आशा करते हैं कि (C,Han+2) कार्बनिक हाइड्राइड्स लुईस अम्ल या क्षार की भाँति कार्य करेंगे? अपने उत्तर को युक्ति संगत ठहराइए।
उत्तर:
(CnH2n+2) प्रकार के कार्बन हाइड्राइड्स, इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड है। इनके पास सहसंयोजी आबंध बनाने हेतु पर्याप्त इलेक्ट्रॉन हैं । अतः ये न तो लुईस अम्ल और न ही लुईस क्षार की भाँति व्यवहार करेंगे।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा कीजिए –
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उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 49

प्रश्न 9.
भाप अंगार गैस क्या है ? इसका संघटन लिखते हुये इसके उपयोग लिखिये।
उत्तर:
भाप अंगार गैस:
यह गैस कार्बन मोनोऑक्साइड तथा हाइड्रोजन का मिश्रण है। रक्त तप्त कोक पर जलवाष्प प्रवाहित करने पर कार्बन मोनोऑक्साइड तथा हाइड्रोजन का मिश्रण (भाप अंगार गैस) प्राप्त होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 50
संगठन –

  • H2 = 49%
  • N2 = 4%,
  • CO = 44%
  • CO2 = 2.7%
  • CH4 = 0.3%

उपयोग –

  • भट्टियों में ईंधन के रूप में
  • कार्बोरेटेड भाप अंगार गैस बनाने में
  • अमोनिया के निर्माण में
  • असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों के साथ प्रकाश देने में।

प्रश्न 10.
जल की अस्थायी कठोरता कैसे दूर करते हैं ?
उत्तर:
अस्थायी कठोरता दूर करने की दो विधियाँ हैं –
(1) उबालकर:
उबालने पर Ca और Mg के विलेय बाइ कार्बोनेट अविलेय कार्बोनेट में बदल जाते हैं और अवक्षेपित हो जाते हैं।

  • Ca(HCO3)2 + CaCO3 + H2O+CO2
  • Mg(HCO3)2 + MgCO3 + H2O+CO2

(2) क्लार्क विधि-अस्थायी कठोर जल में चूने के पानी की निश्चित मात्रा मिलाने पर विलेय बाइ कार्बोनेट अविलेय कार्बोनेट बना लेते हैं जो अवक्षेपित हो जाते हैं।

  • Ca(HCO3)2 + Ca(OH)2 →2CaCO3 +2H2O
  • Mg(HCO3)2 + Ca(OH)2 →MgCO3 +CaCO3 + 2H2O.

प्रश्न 11.
हाइड्रोजन परॉक्साइड की लुईस संरचना बताइए।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 51

प्रश्न 12.
हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना को समझाइये।
उत्तर:
H2O2 का द्विध्रुव आघूर्ण 2.1 D है। इससे स्पष्ट होता है कि संरचना असमतलीय है। X – किरणे एवं अन्य भौतिक विधियों से विदित होता है कि H,O, की संरचना खुली पुस्तक के समान होती है। H2O2 अणु को दो OH के रूप में लिखते हैं। H – O – O – H परन्तु दोनों OH समूह एक ही तल में नहीं हैं । गैसीय स्थिति में तल 111.5° का कोण बनाते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 11
0-0 परमाणु दोनों तलों के संधि स्थल पर और परमाणु दोनों तलों पर 94.8° का O – O – H कोण बनाते हैं। बंध दूरी H – O = 0.95A और 0 – 0 = 1-47 A होती है। क्रिस्टलीय स्थिति में H बंध के कारण थोड़ा अंतर होता है। तलों के बीच का कोण 90.2°, कोण O – O – H = 101.9° बंध दूरी O – H = 0.994 होती है। और O-O= 1.46वें होता है।
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प्रश्न 13.
समझाइये H2O2 ऑक्सीकारक और अपचायक दोनों प्रकार का कार्य करता है।
उत्तर:
H2O2 सरलता से अपघटित होकर ऑक्सीजन परमाणु मुक्त करता है इसलिये यह प्रबल ऑक्सीकारक है। परन्तु जब यह अन्य ऑक्सीकारक के साथ क्रिया करता है तो ऑक्सीकारकों से सक्रिय ऑक्सीजन का एक परमाणु आसानी से पृथक् कर देता है।

ऑक्सीकारक प्रकृति –

  • 2Kl + H2O2 → 2KOH + I2
  • Na2SO3 + H2O2 → Na2SO4 + H2O
  • H2S + H2O2 → 2H2O + S

अपचायक प्रकृति –

  • H2O2+ O2 → H2O2 + 2O2
  • PbO2 + H2O2 → PbO+ H2O + O2
  • Cl2 + H2O2 → 2HCl + O2

प्रश्न 14.
कैलगॉन क्या है ? इसकी सहायता से जल की कठोरता कैसे दूर की जा सकती है ?
उत्तर:
पॉली हेक्सा मेटाफॉस्फेट को कैलगॉन कहते हैं । इसका रासायनिक संगठन Na2 [Na4 (PO4)6] होता है । कठोर जल में कैलगॉन की थोड़ी मात्रा डालने पर कैलगॉन कठोर जल में उपस्थित Ca और Mg लवणों से क्रिया कर उनके विलेय संकुल यौगिक बना लेता है। यह संकर यौगिक आयनन पर Ca2+और Mg2+ आयन नहीं देता है जिससे जल इन आयनों से मुक्त रहता है।
Na2[Na4 (PO3)6] + CaSO4 → Na2[CaNa2 (PO3)6] + Na2SO4

Na2 [CaNa2 (PO3)6] + CaSO4 → Na2[Ca(PO3)6] + Na2SO2

प्रश्न 15.
हाइड्रेट कितने प्रकार के होते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
जल अनेक धातु लवणों के साथ संयुक्त होकर हाइड्रेट बनाता है। ये तीन प्रकार के होते हैं –
1. जटिल आयन कैटायन जल – जटिल आयन में केन्द्रीय धातु के साथ लिगैण्ड बनाकर कैटायन में उपस्थित रहता है।

उदाहरण-हेक्सा एक्वा क्रोमियम (III) क्लोराइड [Cr(H2O6)]Cl3

2. जटिल आयन ऑक्सीऐनायन जल-जटिल आयन में ऑक्सी ऐनायन के साथ जल अणु उपस्थित रहता है।
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3. क्रिस्टलीय जल – क्रिस्टल जालक में अणु के भीतर खाली जगह में अणु उपस्थित रहते हैं जिसे क्रिस्टलन जल कहते हैं। कुछ धातु लवण रखा रहने पर संयुक्त जल को खो देते हैं। इसको उत्फुलन कहते हैं तथा अनेक पदार्थ वायु में रखे रहने पर वायु से जल सोख लेते हैं। इस क्रिया को प्रस्वेदन कहते हैं।
उदाहरण – Na2SO4 , 10H2O,MgSO4, 7H2O

प्रश्न 16.
जल की कठोरता दूर करने की परम्यूटिट विधि को समझाइये।
उत्तर:
इस विधि में कठोर जल को मृदु करने के लिये परम्यूटिट नामक पदार्थ का उपयोग करते हैं। ये पदार्थ जियोलाइट भी कहलाते हैं। जियोलाइट, सोडियम तथा ऐल्युमिनियम के मिश्रित जलयोजित सिलिकेट हैं। इनका सूत्र Na2 Al2 Si2O8 xH2O है। इसे संक्षिप्त में Na2Z द्वारा दर्शाते हैं। कठोर जल को जब जियोलाइट के ऊपर प्रवाहित करते हैं तो Ca और Mg जियोलाइट प्राप्त होते हैं जो अवक्षेपित होकर नीचे बैठ जाते हैं। इस प्रकार जल मृदु हो जाता है।

  • Na2Z + CaCl2 → Ca2 + 2 NaCl
  • Na2Z + MgSO4 → Na2SO4 + MgZ

अधिक समय तक जियोलाइट का उपयोग करने पर जियोलाइट की क्षमता कम हो जाती है। इसे पुनः सक्रिय करने के लिये 10% NaCl विलयन मिलाते हैं।
CaZ + 2NaCl → Na2Z + CaCl2
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प्रश्न 17.
जल अणु की संरचना दर्शाइये तथा उसके अच्छे विलायक होने का कारण दीजिये।
उत्तर:
जल के अणु में दो H परमाणु तथा एक 0 परमाणु आपस में सहसंयोजक बंध द्वारा जुड़े होते हैं। जल की संरचना उल्टे V के आकार की होती है। जिसमें H – 0 – H बंध 104°28′ होता है। जिसमें केन्द्रीय परमाणु ऑक्सीजन 3 संकरित अवस्था में होता है। इस प्रकार H2O अणुओं में दो sp3σ बंध होते हैं। तथा ऑक्सीजन पर 2 एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं। तथा एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म – एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म प्रतिकर्षण के कारण बंध कोण 109°28′ से गिरकर 104°28′ होता है।

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जल का विलायक गुण:
जल एक उत्तम विलायक है। क्योंकि जल का अणु ध्रुवीय है तथा इसके अणुओं के मध्य H बंध होता है। ध्रुवीय तथा उच्च परावैद्युतांक स्थिरांक होने के कारण जल में आयनिक यौगिक तथा ध्रुवीय सह-संयोजी यौगिक विलेय हो जाते हैं। H बंध के कारण वे यौगिक भी जल में विलेय हैं जो जल के साथ हाइड्रोजन बंध बना सकते हैं।
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प्रश्न 18.
भारी जल का निर्माण किस प्रकार करते हैं ? इसके गुण लिखिए।
उत्तर:
साधारण जल के प्रभाजी आसवन से-साधारण जल के 6000 भाग में लगभग 1 भाग भारी जल होता है साधारण जल में से भारी जल को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् किया जाता है। भारी जल का क्वथनांक साधारण जल के क्वथनांक से अधिक होता है। इसलिये साधारण जल का प्रभाजी आसवन करने पर साधारण जल पहले आसवित होता है तथा भारी जल अवशेष के रूप में रह जाता है।

भौतिक गुण:
भारी जल रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन द्रव है। इसका हिमांक 3.8°C तथा क्वथनांक 101-4°C होता है। रासायनिक गुण –

(1) वैद्युत अपघटन:
किसी वैद्युत अपघट्य की उपस्थिति में भारी जल का वैद्युत अपघटन कराने पर कैथोड पर ड्यूटीरियम तथा एनोड पर O2 गैस प्राप्त होती है।
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(2) नाइट्राइडों के साथ अभिक्रिया – भारी जल की अभिक्रिया नाइट्राइडों के साथ कराने पर भारी अमोनिया बनता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 53

प्रश्न 19.
जल का घनत्व 4°C पर अधिकतम होता है, क्यों ?
उत्तर:
जब बर्फ पिघलकर द्रव अवस्था में आती है तो बर्फ में उपस्थित पिंजरानुमा संरचना टूट जाती है। हाइड्रोजन बंध की संख्या में कमी आती है तथा H बंध टूटने के कारण बर्फ की संरचना के खाली स्थान में जल के अणुओं के व्यवस्थित होने के कारण जल के अणु अत्यधिक निकट आने लगते हैं जिससे जल का घनत्व बढ़ने लगता है तथा 4°C पर यह घनत्व अधिकतम हो जाता है लेकिन 4°C के पश्चात् ताप में वृद्धि करने पर जल के अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि के कारण जल के अणु दूर-दूर जाने लगते हैं। जिसके फलस्वरूप इसके आयतन में वृद्धि हो जाती है और घनत्व में कमी आने लगती है।

प्रश्न 20.
उन हाइड्राइड वर्गों का नाम बताइए जिनसे H2O2, B2H6तथा NaH संबंधित है।
उत्तर:
H2O – सहसंयोजक या आण्विक हाइड्राइड(इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड)
B2H6 – सहसंयोजक या आण्विक हाइड्राइड(इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड)
NaH – आयनिक या लवणीय हाइड्राइड।

हाइड्रोजन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संश्लेषित आयन विनिमयक विधि द्वारा कठोर जल के मृदुकरण के सिद्धान्त एवं विधि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
संश्लेषित आयन विनिमय रेजिन विधि निम्नलिखित दो प्रकार की होती है –
1. धनायन – विनिमयक रेजिन- ये रेजिन, – SO3H समूह युक्त वृहद् कार्बनिक अणु होते हैं तथा जल में अविलेय होते हैं। इनकी NaCI से क्रिया कराकर R-Na में परिवर्तित किया जाता है। रेजिन R – Na, कठोर जल में उपस्थित Mg2+ तथा Ca2+ आयनों से विनिमय करके इसे मृदु जल बना देता है।
2RNa(s)+ M2+(aq) → R2M(s) + 2Na2+(aq)  (M = Ca2+ या Mg2+)

रेजिन में NaCl का जलीय विलयन मिलाने पर इसका पुनर्जनन कर लिया जाता है। शुद्ध विखनिजित तथा विआयनित जल को प्राप्त करने के लिए उपरोक्त प्राप्त जल को क्रमश: धनायन-विनिमयक तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन में प्रवाहित करते हैं। धनायन-विनिमयक प्रक्रम में, H’ का विनिमय जल में उपस्थित Nat, Cat, Mg2+ आदि आयनों से हो जाता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 55
(H’ के रूप में धनायन विनिमय रेजिन) इस प्रक्रम में प्रोटॉनों का निर्माण होता है तथा जल अम्लीय हो जाता है।

2. ऋणायन-विनिमयक प्रक्रम में, OH का विनिमय जल में उपस्थित Cl, HCO3, SO2-4 आयनों द्वारा होता है।MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 63
R\(\stackrel{+}{\mathrm{N}}\)H3 OH विस्थापित अमोनियम हाइड्रॉक्साइड ऋणायन रेजिन है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 62
इस प्रकार मुक्त OH आयन, H+ आयनों को उदासीन कर देते हैं। अंत में उत्पन्न धनायन तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन को क्रमशः तनु अम्ल तथा तनु क्षारीय विलयनों से क्रिया कराके पुनर्जनित कर लिया जाता है।

प्रश्न 2.
प्रयोगशाला में हाइड्रोजन बनाने की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रयोगशाला विधि-दानेदार जस्ते पर तनु H2SO4 की अभिक्रिया कराने पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है। वुल्फ बोतल में जस्ता लेकर थिसिल फनल द्वारा उसमें तनु H2SO4मिलाते हैं। साधारण ताप पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है जिसे गैस जार में जल के ऊपर एकत्रित कर लेते हैं।
शोधन – इस प्रकार प्राप्त हाइड्रोजन में आर्सीन, फॉस्फीन, H2S, SO2,CO2,NO2, जलवाष्प की अशुद्धि होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 56
इन अशुद्धियों को दूर करने के लिये हाइड्रोजन को विभिन्न पदार्थों से भरी U नली में क्रम से प्रवाहित करते हैं।

  • AgNO3विलयन से भरी नली में जिसमें ASH3 और PH3 अवशोषित हो जाते हैं।
  • PbNO3 विलयन से भरी U नली में H2S अवशोषित हो जाता है।
  • KOH विलयन से भरी U नली में SO2,CO2 और NO2 अवशोषित हो जाती है।
  • निर्जल CaCl2 या P2O5 से भरी U नली जो जलवाष्प को अवशोषित कर लेती है।

प्रश्न 3.
डिमिनरलाइज्ड पानी क्या है ? इसे कैसे प्राप्त किया जाता है ? अथवा, कठोर जल के मृदुकरण की आयन विनिमय विधि का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पानी में उपस्थित धनायन और ऋणायन को दूर करने के बाद प्राप्त जल को डिमिनरलाइज़्ड पानी कहते हैं, यह आसुत जल की तरह अच्छा होता है। इसके लिये दो प्रकार के आयन विनिमय रेजिन प्रयोग में लाए जाते हैं।
1. धनायन विनिमय रेजिन-यह अम्लीय रेजिन है इसे RSO3H से दर्शाते हैं। कठोर जल को इनके ऊपर प्रवाहित करने से कठोर जल में उपस्थित Ca+ और Mg+2 सभी धनायन रेजिन की हाइड्रोजन को विस्थापित करके उनका स्थान लेते हैं।

  • 2RSO3H + CaCl2 → (RSO3)2Ca + 2H + 2Cl
  • 2RSO3H + MgSO4 → (RSO3)2Mg + 2H+ + SO42-

यह H+ आयन जल को अम्लीय कर देता है।

2. ऋणायन विनिमय रेजिन:
यह क्षारकीय रेजिन होता है इन्हें RNH2 सूत्र से दर्शाते हैं। यह जल से क्रिया करके RNH+3OH बनाता है।
R – NH2 + H2O → RNH+3OH

थनायन विनिमय रेजिन के बाद जब इस रेजिन के ऊपर जल प्रवाहित करते हैं तो जल में उपस्थित क्लोराइड, सल्फेट आदि ऋण आयन रेजिन के OH आयन को मुक्त कर देते हैं।
RNH3OH + Cl → RNH3Cl + OH
2RNH3OH + SO42- → (RNH3)2SO4 + 2OH
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 57
यह OH जल में मिलाकर उसमें अधिकता में उपस्थित H+ को उदासीन कर देता है।
H+ + OH → H2O
इस प्रकार दूसरे कक्ष से निकलने वाला जल सभी प्रकार धनायन, ऋणायन, अम्लीयता एवं क्षारीयता से युक्त होता है।

प्रश्न 4.
हाइड्राइड किसे कहते हैं ? विभिन्न प्रकार के हाइड्राइड को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
जब हाइड्रोजन अक्रिय गैसों को छोड़कर किसी धातु या अधातुओं से संयोग करती है तो बनने वाले यौगिक हाइड्राइड कहलाते हैं। ये हाइड्राइड बनने वाले रासायनिक बंध की प्रकृति के अनुसार तीन प्रकार के होते हैं –
1.  आयनिक हाइड्राइड:
जब हाइड्रोजन प्रबल धन विद्युती तत्वों के साथ संयोग करता है तो इस प्रकार के हाइड्राइड आयनिक प्रकृति के होते हैं।
2Li + H2 → 2LiH
2 Na + H2 → 2NaH
इन्हें सेलाइन हाइड्राइड भी कहते हैं।
गुण –

  • ये प्रायः अवाष्पशील ठोस पदार्थ हैं।
  • ये सफेद क्रिस्टलीय ठोस हैं। इनके क्रिस्टल की संरचनात्मक इकाई आयन है।
  • इनके गलनांक तथा क्वथनांक उच्च होते हैं।
  • इन हाइड्राइड के घनत्व बनने वाली धातुओं की तुलना में कम होते हैं।
  • ये विद्युत् के सुचालक हैं।
  • आयनिक हाइड्राइडों के जलीय विलयन क्षारीय होते हैं।
    NaH + H2O → NaOH + H2
  • वायुमण्डलीय ऑक्सीजन ऑक्सीकृत होकर ये ऑक्साइड में बदल जाते हैं।
    CaH2 + O2 → Cao + H2O

उपयोग:

  1. अपचायक के रूप में
  2. ठोस ईंधन के रूप में।

2. सहसंयोजी हाइड्राइड:
जब हाइड्रोजन p – ब्लॉक तत्वों तथा s – ब्लॉक तत्वों में Be व Mg के साथ संयोग करता है तो सहसंयोजी हाइड्राइड बनाता है क्योंकि इनकी ऋणविद्युता में कम अंतर होता है। इन्हें आण्विक हाइड्राइड भी कहते हैं।

गुण –

  • कम गलनांक व क्वथनांक वाले वाष्पशील यौगिक हैं।
  • विद्युत् के दुर्बल चालक या कुचालक होते हैं।
  • इनके अणुओं के मध्य दुर्बल वाण्डर वाल्स होता है।
  • विद्युत् ऋणता के अंतर के अनुसार इनके जलीय विलयन अम्लीय या क्षारीय होते हैं।
  • ये इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक होते हैं।
  • एक समूह में ऊपर से नीचे आने पर हाइड्राइडों का स्थायित्व कम होता है।

3. धात्विक हाइड्राइड;
d – ब्लॉक के तत्व तथा s – ब्लॉक के Be, Mg हाइड्रोजन से संयोग करके धात्विक हाइड्राइड बनाते हैं। इन्हें अंतराकाशीय हाइड्राइड भी कहते हैं। क्योंकि हाइड्रोजन धात्विक परमाणुओं के बीच अंतराकाश में व्यवस्थित हो जाते हैं।
गुण:

  • ये कठोर, धात्विक चमक वाले होते हैं।
  • ये विद्युत् व ऊष्मा के सुचालक होते हैं।
  • इनका घनत्व उन धातुओं से कम होता है जिससे ये बनते हैं।
  • ये असममित होते हैं।
  • ये अपनी सतह पर हाइड्रोजन की पर्याप्त मात्रा को अधिशोषित करते हैं। इसे हाइड्रोजन का अधिधारण कहते हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा कीजिए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 58
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 59

प्रश्न 6.
D2O को जल से किस प्रकार प्राप्त करते हैं ? D2O तथा H2O के भिन्न-भिन्न भौतिक गुणों का वर्णन कीजिए।D,O की न्यूनतम तीन अभिक्रियाएँ दीजिए जिनमें हाइड्रोजन का ड्यूटीरियम से विनिमय होता है।
उत्तर:
(a) भारी जल, D2O का उत्पादन जल के वैद्युत – अपघटन द्वारा करते हैं।

(b) भौतिक गुण –

  • D2O रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन द्रव है। 11.6°C पर इसका घनत्व अधिकतम -1.1071 gml है (जल का 4°C पर)।
  • सामान्य जल की अपेक्षा भारी जल में लवणों की विलेयता कम होती है क्योंकि यह सामान्य जल की अपेक्षा अधिक श्यान होता है।
  • (i) D2O के लगभग सभी भौतिक स्थिरांकों के मान H2O की अपेक्षा अधिक होते हैं। यह H – परमाणु की अपेक्षा D – परमाणु के उच्च नाभिकीय द्रव्यमान H2O की अपेक्षा D2O में प्रबल H – आबंध के कारण होता है।

(c) हाइड्रोजन की ड्यूटीरियम से विनिमय अभिक्रियाएँ

  • NaOH + D2O → NaOD + HOD
  • HCl + D2O → DCl+ HOD
  • NH4Cl + D2O → NH2DCl + HOD

प्रश्न 7.
पाँच आयतन H2O2 विलयन की सांद्रता की गणना कीजिए।
उत्तर:
5 आयतन H2O2विलयन का अर्थ है कि NTP पर, 5 आयतन H2O2विलयन के IL के अपघटन पर 5 L2O2 प्राप्त होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 60
NTP पर 22.4 O2 प्राप्त होती है = 68g H2O2 से
∴ NTP पर 5L, O2 प्राप्त होगी = \(\frac { 68 × 5. }{ 22.4 }\)15.17g = 15gH2O2 से
परन्तु NTP पर, 5L, O2 उत्पन्न होती है = 5 आयतन H2O2 विलयन के 1L से।
∴ H2O2 विलयन की सांद्रता = 15 g L-1
अथवा H2O2 विलयन की प्रतिशत सांद्रता = \(\frac { 15 }{ 100 }\) × 100 = 15%

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MP Board Class 11th Special Hindi छन्द

MP Board Class 11th Special Hindi छन्द

छन्द शब्द छद् धातु से निष्पन्न होकर असन् प्रत्यय लगाने से बना है। इसका अर्थ है प्रसन्न करना, बाँधना अथवा आच्छादित करना। छन्द मात्रिक और वार्णिक भेदों के आधार पर ध्वनियों के क्रम से गति और यति के नियमों से बँधा होता है। इससे कविता में प्रवाह, लय और संगीतात्मकता की उत्पत्ति होती है। छन्दों के दो भेद हैं

1. मात्रिक और वर्णिक
[2008]

मात्राओं की गणना किए जाने वाले छन्दों को मात्रिक छन्द और वर्गों की संख्या तथा हस्व दीर्घ स्वरों की गणना किए जाने वाले छन्दों को वर्णिक छन्द कहते हैं।

2. कुण्डलियाँ
[2008, 09, 12]

कुण्डलियाँ छः पंक्तियों का छन्द है। इसके प्रथम दो दल दोहे के तथा अन्तिम चार दल रोला के होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में 24-24 मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण- 1
ऽऽ।।।। ऽ।।।।।।ऽऽ =24
सोई अवसर के परे को न सहै दुःख द्वन्द्व
ऽ।। ऽऽ ऽ।।। ऽ ऽ ऽ ।।ऽ। =24
जाय बिकाने डोम घर वै राजा हरिचन्द
वै राजा हरिश्चन्द करै मरघट रखवारी।
धरे तपस्वी भेष फिरे अर्जुन बलधारी।।
कह गिरिधर कविराय, तपै वह भीम रसोई।
को न करै घटि काम सरे अवसर के सोई।।

उदाहरण 2
।।ऽ।।।।ऽ।।।।। ऽऽ ऽ ऽ।
“रहिये लट पट काटि दिन, बरु धामें मौ सोय।
छाँह न बाकी बैठिये, जो तरु पतरो होय।।” 13 + 11 = 24
ऽ।।।। ऽ ऽ। ऽ।।। ऽऽ ऽऽ
जो तरु पतरो होय एक दिन धोखा दै है।
जो दिन चले बयारि टूटि जर से जै हे।। 11 + 13 – 24
कह गिरधर’ कविराय, छाँह मोटे की गहिये।
पाती सब झरिजाय, तऊ छाया में रहिये।।

उदाहरण
3-“तुक बन्दी का बढ़ रहा, कविता में अति जोर।
लगे नाचने मुर्गे भी, समझ स्वयं को मोर।।
समझ स्वयं को मोर, अर्थ तक नहीं जानते।
पढ़ औरों से गीत, गर्व से रस बखानते।।
कहै कपिल समुझाय, चल रही है दलबन्दी।
कविता रोती आज हँस रही है तुकबन्दी।।

3. घनाक्षरी
[2008]

घनाक्षरी छन्द के प्रत्येक चरण में 32 वर्ण होते हैं। 8, 8, 8, 8 पर यति और अन्त में गुरु-लघु (51) आते हैं।
उदाहरण-
।।।ऽऽ।।।ऽ।ऽऽ। ऽ ऽ।
नगर से दूर कुछ, गाँव की सी बस्ती एक
।।ऽ।ऽ ऽऽऽ।।।।।।। = 32
हरे भरे खेतों के, समीप अति अभिराम।।
जहाँ पत्र जाल अन्तराल से झलकते हैं।
लाल खपरैल श्वेत छज्जों के सँवारे धाम।।

उदाहरण
1-“लखि घनश्याम तन, मोर है मगन मन,
सुमन सकल अलि गावहिं गुनन-गुनन।
जीवनि को जीवन-प्रदायक सबहिं विधि,
नाचैं बनसीकर सु-धारन छनन-छनन।।
सीतल सुगन्ध मन्द कहति त्रिविधि वायु,
मधुर-मधुर स्वप्न करति सनन-सनन।
हषीकेश सुषमा अलौकिक विलोकि अहो?
परम अगम सुख मिलतु जनन-जनन।।

उदाहरण
2. भूरी हरी घास आस-पास फूली सरसों है,
पीली-पीली बिन्दियों का चारों ओर है प्रसार।
कुछ दूर विरल सघन फिर और आगे,
एक रंग मिला चला पीत पारावार।।
गाढ़ी हरी श्यामता की तुंग राशि रेखा धनी,
बाँधती है दक्षिण की और उसे घेर घार।
जोड़ता है जिसे खुले नीचे नीले नभ मण्डल से,
धुंधली सी नीली नगमाला उठी धुआँधार।।

4. मन्दाक्रान्ता
[2014]

यह छन्द मगण, भगण, नगण दो तगण तथा दो गुरुओं के योग से बनता है। इसके प्रत्येक चरण में 17 वर्ण होते हैं। चौथे, छठे और सातवें वर्ण पर यति होती है।
उदाहरण-
ऽऽ ऽऽ।।।।। ऽ ऽ 1 ऽऽ। ऽ ऽ = 17 वर्ण
धाता द्वारा सृजित जग में हो धरा मध्य आ के
ऽऽऽऽ।।।।। ऽ।ऽ ऽ। ऽ ऽ
पाके खोये विभव कित प्राणियों ने अनेकों।
ऽऽऽऽ।।।।। ऽ ऽ ऽ ऽ । ऽऽ
जैसा प्यारा विभव ब्रज के हाथ से आज खोया।
ऽऽऽऽ।।।।। ऽऽ। ऽऽ।ऽऽ
पाके ऐसा विभव वसुधा में न खोया किसी ने।।

प्रश्नोत्तर

  • लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
काव्य की परिभाषा किन्हीं दो संस्कृत आचार्यों एवं एक हिन्दी आचार्य के अनुसार लिखिए। [2009]
उत्तर-
संस्कृत आचार्यों के अनुसार काव्य की परिभाषा-
(1) आचार्य विश्वनाथ ने “रसात्मकं वाक्यं काव्यम्” कहा है।
(2) पण्डितराज जगन्नाथ ने “रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्”कहा है।
हिन्दी आचार्य के अनुसार काव्य की परिभाषा-प्रश्न संख्या 2 देखिए।

प्रश्न 2.
हिन्दी के एक आचार्य की काव्य की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
हिन्दी में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की परिभाषा इस प्रकार है-“जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञान दशा कहलाती है, उसी प्रकार हृदय की मुक्तावस्था रस दशा कहलाती है। हृदय की इसी मुक्ति साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द-विधान करती आई है उसे कविता कहते हैं।”

प्रश्न 3.
काव्य के प्रमुख भेद कौन-से माने गये हैं?
उत्तर-
भारतीय आचार्यों ने काव्य के दो प्रकार माने हैं—
(i) श्रव्य काव्य,
(ii) दृश्य काव्य।
श्रव्य काव्य-जिस काव्य की आनन्दानुभूति पढ़ने या सुनने से होती है, उसे श्रव्य काव्य कहते हैं; जैसे-कविता, कहानी आदि।
(ii) दृश्य काव्य-जिस काव्य की अनुभूति अभिनय आदि देखकर होती है, उसे दृश्य काव्य कहते हैं; जैसे—नाटक, प्रहसन आदि।

प्रश्न 4.
प्रबन्ध काव्य के प्रमुख भेद कौन-से हैं?
उत्तर–
प्रबन्ध काव्य के दो भेद माने गये हैं—

  • महाकाव्य,
  • खण्डकाव्य।

प्रश्न 5.
महाकाव्य किसे कहते हैं? एक महाकाव्य का नाम लिखिए।
उत्तर—
महाकाव्य में किसी महापुरुष के जीवन का समग्र चित्रण होता है। इसमें मुख्य कथा के साथ प्रासंगिक कथाएँ भी होती हैं। इसमें शृंगार, वीर, शान्त आदि रसों की योजना की जाती है। इसकी कथा कुछ खण्डों, सर्गों, काण्डों आदि में विभाजित होती है। रामचरितमानस हिन्दी का श्रेष्ठ महाकाव्य है।

प्रश्न 6.
महाकाव्य एवं खण्डकाव्य की विशेषताएँ बताते हुए प्रमुख महाकाव्यों एवं खण्डकाव्यों के नाम लिखिए।
अथवा [2009]
खण्डकाव्य की दो विशेषताएँ बताइए। [2015]
अथवा
खण्डकाव्य के दो लक्षण एवं एक खण्डकाव्य एवं उसके रचनाकार का नाम लिखिए। [2016]
उत्तर—
प्रबन्ध काव्य के दो भेद-
(1) महाकाव्य एवं
(2) खण्डकाव्य माने गये हैं।

(1) महाकाव्य–महाकाव्य शब्द ‘महत्’ और ‘काव्य’ दो शब्दों के योग से बना है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार होती हैं—
(1) महाकाव्य में किसी महापुरुष के समग्र जीवन का चित्रण होता है।
(2) इसमें प्रमुख कथा के साथ-साथ प्रासंगिक कथाएँ भी होती हैं और
(3) इसमें वीर, शान्त एवं शृंगार रसों की योजना होती है; जैसे-साकेत, प्रियप्रवास महाकाव्य हैं।

(2) खण्डकाव्य-खण्डकाव्य में जीवन के एक खण्ड का चित्रण होता है। इसकी कथा स्वयं में पूर्ण होती है; जैसे—पंचवटी (मैथिलीशरण गुप्त), रश्मिरथी (रामधारी सिंह ‘दिनकर’) खण्डकाव्य हैं।

प्रश्न 7.
महाकाव्य और खण्डकाव्य में अन्तर बताइए। [2014, 17]
उत्तर—
(1) महाकाव्य में जीवन का समग्र चित्रण होता है, जबकि खण्डकाव्य में जीवन का खण्ड चित्र प्रस्तुत हो पाता है।
(2) महाकाव्य का आकार विस्तृत होता है किन्तु खण्डकाव्य का आकार सीमित होता है।
(3) महाकाव्य में कई सर्ग, खण्ड, काण्ड आदि होते हैं, जबकि खण्डकाव्य में कम सर्ग, खण्ड, काण्ड होते हैं।
(4) पात्रों, घटनाओं आदि की संख्या महाकाव्य में अधिक होती है, खण्डकाव्य में कम।

प्रश्न 8.
मुक्तक काव्य किसे कहते हैं? [2012]
उत्तर-
वह पद्य रचना जिसके छन्द स्वतः पूर्ण और स्वतन्त्र रहते हैं और किसी क्रम से संचालित नहीं होते हैं, मुक्तक काव्य कहलाते हैं; जैसे-बिहारी सतसई, दोहावली।

प्रश्न 9.
प्रबन्ध काव्य तथा मुक्तक काव्य में अन्तर बताइए। दो मुक्तक काव्यकारों के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर-
प्रबन्ध काव्य में छन्दों का पूर्वापर सम्बन्ध होता है। इसमें छन्दों का क्रम बदलना सम्भव नहीं है जबकि मुक्तक काव्य में प्रत्येक छन्द का स्वतः पूर्ण अर्थ होता है। ये किसी क्रम से संचालित नहीं होते हैं। रामचरितमानस, प्रिय प्रवास प्रबन्ध काव्य हैं तथा बिहारी सतसई, सूर सागर मुक्तक रचनाओं के ग्रन्थ हैं।

मुक्तक काव्यकार—सूरदास, मीराबाई एवं बिहारी।

प्रश्न 10.
मुक्तक काव्य की दो विशेषताएँ बताते हुए एक मुक्तक काव्य रचना का नाम लिखिए।
उत्तर—
मुक्तक काव्य की दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं
(i) मुक्तक काव्य के प्रत्येक छन्द का अर्थ स्वयं में पूर्ण होता है। इसके छन्दों का पूर्वापर सम्बन्ध नहीं होता है।
(ii) मुक्तक काव्य के छन्द किसी क्रम से संचालित नहीं होते हैं। ‘बिहारी सतसई’ हिन्दी की श्रेष्ठ मुक्तक काव्य कृति है।

प्रश्न 11.
काव्य में गुण कितने प्रकार के होते हैं? परिभाषित कीजिए। [2014]
अथवा
काव्य गुण के प्रकार लिखते हुए प्रसाद गुण की परिभाषा सोदाहरण दीजिए। [2009]
अथवा
काव्य में ओजगुण किसे कहते हैं? [2012]
उत्तर–
शब्द गुण तीन प्रकार के माने गये हैं-
(i) माधुर्य,
(ii) ओज एवं
(iii) प्रसाद।

(i) माधुर्य—जिस काव्य के सुनने या पढ़ने से मन पुलकित हो उठे और कानों को मधुर प्रतीत हो, वहाँ माधुर्य गुण होता है।
(ii) ओज-जिस काव्य के सुनने या पढ़ने से चित्त की उत्तेजना वृत्ति जाग्रत हो, वह रचना ओज गुण सम्पन्न होती है।
(iii) प्रसाद-जिस रचना के सुनने या पढ़ने से हृदय प्रभावित हो, बुद्धि निर्मल बने, मन खिल उठे, उसमें प्रसाद गुण होता है।

प्रश्न 12.
शब्द-शक्ति किसे कहते हैं? इसके भेद बताइए। [2009]
उत्तर-
शब्द और अर्थ के सम्बन्ध को शब्द-शक्ति कहते हैं। यह सम्बन्ध ही शब्द का अर्थ व्यक्त करता है। शब्द-शक्ति के तीन प्रकार माने गये हैं –
(i) अभिधा,
(ii) लक्षणा एवं
(iii) व्यंजना।

प्रश्न 13.
अभिधा, लक्षणा तथा व्यंजना की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
अभिधा—शब्द और अर्थ का साक्षात् सम्बन्ध अभिधा कहलाता है। परम्परागत रूप में प्रचलित मुख्य अर्थ का बोध कराने वाली शब्द-शक्ति अभिधा कहलाती है, जैसे—श्याम
का अर्थ काला।
लक्षणा–शब्द के मुख्य अर्थ में बाधा होने पर उसके सहयोग से रूढ़ि अथवा प्रयोजन के आधार पर अन्य अर्थ लक्षित कराने वाले शब्द-शक्ति लक्षणा कहलाती है; जैसे—’मोहन तो शेर है’ में लक्षणा के द्वारा शेर का अर्थ वीर निकलता है। [2009, 16]
व्यंजना—जब अभिधा और लक्षणा से अर्थ व्यक्त नहीं होता है तब व्यंजना शब्द-शक्ति की सहायता से व्यंग्यार्थ निकलता है। जैसे—’गंगा में घर है’ में गंगा के समान घर की पवित्रता प्रकट होती है। [2010]

प्रश्न 14.
छन्द की परिभाषा देते हुए उसके भेद बताइए। [2009, 17]
अथवा
छन्द किसे कहते हैं? इसके प्रमुख प्रकार बताइए। [2011]
उत्तर-
परिभाषा-वर्ण, मात्रा, यति, तुक आदि का ध्यान रखकर की गयी शब्द रचना छन्द कहलाती है। इससे काव्य में प्रवाह, संगीतात्मकता तथा प्रभावशीलता आ जाती है।
प्रकार-छन्द दो प्रकार के होते हैं-
(1) मात्रिक छन्द,
(2) वर्णिक छन्द।

  • मात्रिक छन्द-जिस छन्द में मात्राओं की गणना की जाती है उसे मात्रिक छन्द कहते [2015]
  • वर्णिक छन्द-वर्णिक छन्द में वर्गों की गणना की जाती है।

प्रश्न 15.
घनाक्षरी और कुण्डली छन्दों का अन्तर बताइए।
उत्तर-
कुण्डली मात्रिक छन्द है जबकि घनाक्षरी वर्णिक छन्द है। कुण्डली में छः चरण होते हैं। प्रथम दो चरण दोहा के तथा बाद के चार चरण रोला के होते हैं। प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं। जबकि घनाक्षरी के प्रत्येक चरण में 32 वर्ण होते हैं। इसमें 8,8,8,8 पर यति और अन्त में गुरु-लघु आते हैं।

प्रश्न 16.
अलंकार की परिभाषा एवं भेद लिखिए। [2017]
उत्तर-
आचार्य दण्डी ने लिखा है ‘काव्य शोभाकरान्त धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते’ अर्थात् काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने वाले धर्म अलंकार कहलाते हैं।

शब्द और अर्थ के आधार पर अलंकारों के तीन प्रकार माने गये हैं-
(i) शब्दालंकार,
(ii) अर्थालंकार, व
(iii) उभयालंकार।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित में किस शब्द-शक्ति का प्रयोग हुआ है
(i) सुनील ने आसमान सिर पर उठा रखा है।
(ii) अपनी जन्मभूमि से सबको प्यार होता है।
(iii) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे मोती मानस चून।।
उत्तर—
इन पंक्तियों में शब्द-शक्तियाँ इस प्रकार हैं
(i) लक्षणा,
(ii) अभिधा,
(iii) व्यंजना।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में अलंकार बताइए [2009]
(i) जान स्याम घनस्याम को, नाच उठे वन मोर।
(ii) सत्य कहहुँ हौं दीनदयाला।
बन्धु न होय मोर यह काला।।
(iii) मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ,
शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ।
उत्तर-
(i) भ्रान्तिमान अलंकार,
(ii) अपहृति अलंकार,
(iii) विरोधाभास अलंकार।

प्रश्न 19.
अलंकारों के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
अलंकारों के तीन प्रकारों का परिचय इस प्रकार है
(1) शब्दालंकार—जहाँ शब्द से काव्य की शोभा बढ़ती है, वहाँ शब्दालंकार होता है; जैसे–अनुप्रास, यमक, श्लेष आदि।
(2) अर्थालंकार-जिनमें अर्थ के कारण सौन्दर्य वृद्धि होती है, वे अर्थालंकार कहलाते हैं; जैसे—उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि।
(3) उभयालंकार-कुछ अलंकारों में शब्द और अर्थ दोनों का चमत्कार विद्यमान रहता है, वे उभयालंकार कहलाते हैं।

प्रश्न 20.
सन्देह और भ्रान्तिमान अलंकारों में सोदाहरण अन्तर बताइए। [2008,09, 12, 13, 14]
उत्तर-
सन्देह अलंकार में उपमेय में उपमान का सन्देह रहता है तथा भ्रान्तिमान अलंकार में उपमेय का ज्ञान नहीं रहता है, भ्रमवश उसे उपमान समझ लिया जाता है। सन्देह में निरन्तर सन्देह बना ही रहता है कि यह है या नहीं, जबकि भ्रान्तिमान में भ्रम अन्ततः प्रतीति बन जाता है। अतः सन्देह में अनिश्चय तथा भ्रान्तिमान में निश्चय होता है।

उदाहरण सन्देह रस्सी है या साँप।
भ्रान्तिमान-रस्सी नहीं साँप है।

प्रश्न 21.
श्लेष अलंकार की परिभाषा लिखिए। [2015]
उत्तर-
जहाँ एक शब्द के एक से अधिक अर्थ निकलते हैं वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

प्रश्न 22.
श्रृंगार रस और वीर रस में भेद बताइए। (कोई तीन) [2015]
उत्तर-
श्रृंगार रस और वीर रस में तीन भेद इस प्रकार हैं-
(1) श्रृंगार रस का स्थायी भाव ‘रति’ होता है जबकि वीर रस का स्थायी भाव उत्साह होता है।
(2) शृंगार रस में आलम्बन प्रेमी (नायक-नायिका) होते हैं किन्तु वीर रस का आलम्बन शत्रु होता है।
(3) श्रृंगार रस में माधुर्य गुण की अधिकता होती है जबकि वीर रस में ओज गुण का प्राधान्य पाया जाता है।

प्रश्न 23.
हास्य रस की परिभाषा एवं उदाहरण लिखिए। [2017]
उत्तर-
परिभाषा-विचित्र रूप, वेष, वाणी, चेष्टा आदि के कारण हृदय में जाग्रत हास भाव पुष्ट होकर हास्य रस में परिणत होता है।

उदाहरण—
बिन्ध्य के बासी उदासी तपोव्रतधारी महाबिनु नारि दुखारे।
गौतम तीय तरी, तुलसी, सो कथा सुनि भै मुनि वृंद सुखारे।
है हैं सिला सब चन्द्रमुखी परसे पद-मंजुल कंज तिहारे।
कीन्हीं भली रघुनायक जू करुना करि कानन को पगु धारे॥

  • अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पद्य के तीन प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर—
पद्य के तीन प्रकार—
(i) प्रबन्ध काव्य,
(ii) मुक्तक काव्य, तथा
(iii) गीतिकाव्य, माने गये हैं।

प्रश्न 2.
हिन्दी के दो महाकाव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर-
‘रामचरितमानस’ तथा ‘पद्मावत’ हिन्दी के श्रेष्ठ महाकाव्य हैं।

प्रश्न 3.
हिन्दी के दो खण्डकाव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर—
‘पंचवटी’ तथा ‘कुरुक्षेत्र’ हिन्दी के श्रेष्ठ खण्डकाव्य हैं।

प्रश्न 4.
‘रसात्मकं वाक्यं काव्यम्’ किसकी परिभाषा है?
उत्तर—
‘रसात्मकं वाक्यं काव्यम्’ आचार्य विश्वनाथ द्वारा दी गई काव्य की परिभाषा है।

प्रश्न 5.
पण्डितराज जगन्नाथ ने काव्य की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर-
पण्डितराज जगन्नाथ ने काव्य की परिभाषा देते हुए लिखा है-‘रमणीयार्थ प्रतिपादकःशब्द:काव्यम्’ अर्थात् रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द ही काव्य कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
आधुनिक काल के दो महाकाव्यों के नाम लिखिए। उत्तर-‘प्रियप्रवास’ तथा ‘कामायनी’ आधुनिक काल के प्रमुख महाकाव्य हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पंक्ति में गुण बताइए ‘हे, प्रभो आनन्ददाता ! ज्ञान हमको दीजिए।’
उत्तर-
इस पंक्ति में ‘प्रसाद गुण’ है। प्रश्न 8. ओज गुण का उदाहरण लिखिए। [2016]
उत्तर-
ओज गुण से युक्त दो पंक्तियाँ इस प्रकार हैं
“बुन्देले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।”

प्रश्न 9.
वीर रसपूर्ण काव्य में किस गुण की अधिकता रहती है?
उत्तर–
वीर रसपूर्ण काव्य में ओज गुण’ की अधिकता रहती है।

प्रश्न 10.
माधुर्य गुण युक्त काव्य में कैसे वर्गों का प्रयोग होता है?
उत्तर-
माधुर्य गुण युक्त काव्य में य, र, ल, ग, ज आदि कोमल वर्णों का प्रयोग होता है।

प्रश्न 11.
प्रसाद गुण युक्त काव्य में कैसे शब्दार्थ का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
प्रसाद गुण युक्त काव्य में सरल शब्दार्थ का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 12.
माधुर्य गुण किन रसों से युक्त काव्य में होता है?
उत्तर-
करुण, शृंगार या शान्त रसों से युक्त काव्य में माधुर्य गुण होता है।

प्रश्न 13.
शब्द-शक्ति किसे कहते हैं?
उत्तर–
शब्द और अर्थ के सम्बन्ध को शब्द-शक्ति कहते हैं।

प्रश्न 14.
अभिधा शब्द-शक्ति किसे कहते हैं?
उत्तर-
शब्द और अर्थ के साक्षात् सम्बन्ध को अभिधा शब्द-शक्ति कहते हैं; जैसे— स्वर्ण का अर्थ सोना।

प्रश्न 15.
“बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी।” में कौन-सी शब्द शक्ति है?
उत्तर-
इस पंक्ति में लक्षणा शब्द-शक्ति है।

प्रश्न 16.
“सूर्योदय हो गया।” में शब्द-शक्ति बताइए।
उत्तर-
सूर्योदय हो गया।’ का अर्थ है कि हमें जागकर शीघ्र विद्यालय जाना चाहिए। अतः इसमें व्यंजना शब्द-शक्ति है।

प्रश्न 17.
‘राकेश तो गधा है।’ में शब्द शक्ति बताइए।
उत्तर-
राकेश तो गधा है।’ में लक्षणा शब्द-शक्ति है।

प्रश्न 18.
‘प्रेम पर्यो चपल चुचाइ पुतरीन सों’ में कौन-सी शब्द शक्ति है?
उत्तर-
‘प्रेम पर्यो चपल चुचाइ पुतरीन सों’ में व्यंजना शब्द-शक्ति है।

प्रश्न 19.
वर्ण किसे कहते हैं?
उत्तर-
अक्षर को ही वर्ण कहते हैं, जैसे—क, ख, ग आदि।

प्रश्न 20.
निम्नांकित पंक्तियों में छन्द बताइए
सच्चे स्नेही अवनिजन के देश के श्याम जैसे।
राधा जैसे सदय-हृदया विश्व प्रेमानुरक्ता।।
हे विश्वात्मा! भरत भुव के अंक में और आवें।
ऐसी व्यापी विरह-घटना किन्तु कोई न होवे।।
उत्तर-
इन पंक्तियों में ‘मन्दाक्रान्ता’ छन्द का प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 21.
निम्नांकित पद्य का छन्द बताइए-
“करनी विधि की देखिये, अहो न बरनी जाति।
हरनी के नीके नयन बसै विपिन दिन राति।।
बसै विपिन दिनराति बराबर बरही कीने।
कारी छवि कलकण्ठ किये फिर काक अधीने।।
बरनै दीनदयाल धीर धरते दिन धरनी।
बल्लभ बीच वियोग, विलोकहु निधि की करनी।।”
उत्तर—
इस पद्य का छन्द कुण्डली है।

प्रश्न 22.
छन्द के अंग बताइए।
उत्तर-
वर्ण, मात्रा, यति, चरण, तुक और गण छन्द के अंग होते हैं।

प्रश्न 23.
निम्नांकित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है
किधी सूर को सर लग्यो, किधौं सूर की पीर।
किधौं सूर को पद लग्यो, रह-रह धुनत शरीर।।
उत्तर—
इन पंक्तियों में ‘सन्देह’ अलंकार है।

प्रश्न 24.
निम्न पंक्तियों में कौन-से छन्द का प्रयोग हुआ है? स्पष्ट कीजिए
S SSS I III ISSIS SISS
“जो मैं कोई विहग उड़ता देखती व्योम में हूँ।
तो उत्कण्ठा विवश हो चित्त में सोचती हूँ।”
उत्तर—
इसमें 4,6 और 7 वर्णों पर यति होती है, इसलिए यह मन्दाक्रान्ता छन्द है।

प्रश्न 25.
‘कान्ह-दूत कैधो ब्रह्मदूत कै पधारे आय’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर-
कान्ह-दूत कैधो ब्रह्मदूत है पधारे आय’ में ‘सन्देह’ अलंकार है।

प्रश्न 26.
जहाँ विरोध न होते हुए भी विरोध प्रतीत हो वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
उत्तर-
जहाँ विरोध न होते हुए भी विरोध प्रतीत हो वहाँ विरोधाभास’ अलंकार होता है।

प्रश्न 27.
वह कौन-सा अलंकार है जिसमें उपमेय में उपमान का भ्रम हो जाता है?
उत्तर-
जहाँ उपमेय में उपमान का भ्रम हो जाये वहाँ भ्रान्तिमान’ अलंकार होता है।

प्रश्न 28.
विरोधाभास अलंकार का उदाहरण लिखिए। [2016]
उत्तर-
“वा मुख की मधुराई कहा कहों,
मीठी लगे अँखियान लुनाई।” .

सम्पूर्ण अध्याय पर आधारित महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

  • बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. ‘रसात्मकं वाक्यं काव्यम्’ परिभाषा है— [2009, 16]
(i) आचार्य विश्वनाथ की,
(ii) पण्डितराज जगन्नाथ की,
(iii) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की,
(iv) भामह की।

2. निम्नलिखित में से प्रबन्ध काव्य नहीं है [2009]
(i) साकेत,
(ii) सूरसागर,
(iii) कामायनी,
(iv) रामचरितमानस।

3. महाकाव्य में होता है [2010]
(i) जीवन का खण्ड चित्रण,
(ii) जीवन का वृहत् चित्रण,
(iii) दोहा छन्द,
(iv) उत्साह भाव।

4. इनमें से कौन-सा काव्य खण्डकाव्य नहीं है? [2012, 14]
(i) पंचवटी,
(ii) रश्मिरथी,
(iii) प्रियप्रवास,
(iv) सुदामा चरित।

5. महाकाव्य में कम-से-कम कितने सर्ग होने चाहिये? [2017]
(i) तीन,
(ii) पाँच,
(iii) चार,
(iv) आठ।

6. शब्द और अर्थ का साक्षात् सम्बन्ध होता है
(i) व्यंजना में,
(ii) लक्षणा में,
(iii) अभिधा में,
(iv) किसी में नहीं।

7. चित्त की उत्तेजना वृत्ति से सम्बन्ध होता है
(i) ओज गुण का,
(ii) प्रसाद गुण का,
(iii) माधुर्य गुण का,
(iv) किसी का नहीं।

8. “राजा शिवराज के नगारन की धाक सुनि, केते बादशाहन की छाती दरकति है।” में गुण है
(i) माधुर्य,
(ii) ओज,
(iii) प्रसाद,
(iv) कोई नहीं।

9. छन्द कितने प्रकार के होते हैं?
(i) चार प्रकार के,
(iv) तीन प्रकार के,
(iii) पाँच प्रकार के,
(iv) दो प्रकार के।

10. काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्म कहलाते हैं
(i) शब्द-शक्ति,
(ii) अलंकार,
(iii) छन्द,
(iv) गुण।

11. ‘रस्सी है या साँप’ में अलंकार है….
(i) उपमा,
(ii) रूपक,
(iii) भ्रान्तिमान,
(iv) सन्देह।

12. वीर, भयानक, रौद्र रसों में प्रधानता होती है [2011]
(i) माधुर्य गुण,
(ii) ओज गुण,
(iii) प्रसाद गुण,
(iv) शब्द गुण।

13. श्रृंगार रस का स्थायी भाव है [2015]
(i) रति,
(ii) जुगुप्सा
(iii) हास्य,
(iv) रौद्र।
उत्तर-
1. (i), 2. (ii), 3. (ii), 4.(i), 5. (iv), 6. (iv), 7. (i), 8. (ii), 9. (iv), 10. (ii), 11. (iv), 12. (ii), 13. (i)।

  • रिक्त स्थान पूर्ति

1. रामचरितमानस ……….. है। [2008]
2. खण्डकाव्य में जीवन का ………. चित्रण होता है।
3. वीर, भयानक तथा रौद्र रस पूर्ण काव्य में ………” गुण होता है।
4. माधुर्य गुण में ……….” वर्णों की प्रधानता होती है। [2010]
5. ‘भूरा तो उल्लू है’ में ………. शब्द-शक्ति है।
6. ‘प्रेम पर्यो चपल चुचाइ पुतरीन सौं’ में ……….” शब्द-शक्ति है।
7. शब्द के ……. प्रकार होते हैं।
8. वर्गों की गिनती के आधार पर जिस छंद की रचना होती है, उसे ….. छंद कहते हैं। [2016]
9. विरोध न होते हुए भी जहाँ विरोध का आभास हो, वहाँ ……… अलंकार होता है। [2009]
10. ‘मुख है किधौ मयंक है’ में ………. अलंकार है। 11. रस के ……….” अंग हैं। [2011]
12. दोहा छन्द ……….. काव्य है। [2012]
13. काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्म ……….’ कहलाते हैं। [2014]
14. शान्त रस का स्थायी भाव ………. है।। [2017]
उत्तर-
1. महाकाव्य, 2. खण्ड, 3. ओज, 4. कोमल, 5. लक्षणा, 6. व्यंजना, 7. तीन, 8. वर्णिक, 9. विरोधाभास, 10. सन्देह, 11. चार, 12. मुक्तक, 13. अलंकार, 14. निर्वेद।

  • सत्य/असत्य

1. प्रबन्ध काव्य में जीवन का खण्ड चित्रण होता है।
2. पंचवटी एक महाकाव्य है। [2008]
3. ‘साकेत’ मैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा रचित एक महाकाव्य है। [2017]
4. शब्द और अर्थ का साक्षात् सम्बन्ध अभिधा कहलाता है।
5. जिस छन्द में मात्राओं की गणना की जाती है, वह मात्रिक छन्द है। [2014]
6. वर्ण, मात्रा, यति, चरण, तुक एवं गण छन्द के अंग होते हैं।
7. जहाँ एक वर्ण की आवृत्ति बार-बार होती है, वहाँ यमक अलंकार होता है। [2015]
8. मन्दाक्रान्ता छन्द में 17 वर्ण होते हैं।
9. ‘रस्सी नहीं साँप है’ में भ्रान्तिमान अलंकार है।
10. स्थायी भाव, संचारी भाव, विभाव और अनुभाव रस के चार अंग हैं। [2008]
11. माधुर्य गुण शृंगार, वात्सल्य और शान्त रस में पाया जाता है। [2008]
12. मुक्तक काव्य में प्रत्येक छन्द अपने आपमें स्वतन्त्र नहीं होता है। [2008]
13. “क्रान्तिधात्रि ! कविते जाग उठ आडम्बर में आग लगा दे।” इस पंक्ति में माधुर्य गुण है। [2008]
14. ‘जुगन-जुगन समझावत हारा कहा न मानत कोई रे।’ इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार [2011]
15. जो भाव मानव हृदय में स्थायी रहते हैं, उन्हें संचारी भाव कहते हैं। [2008, 16]
16. रस को काव्य की आत्मा कहा जाता है। [2008]
17. प्रत्येक रस का एक-एक स्थायी भाव होता है। [2010]
उत्तर-
1. असत्य, 2. असत्य, 3. सत्य,4. सत्य, 5. सत्य, 6. सत्य, 7. असत्य, 8. सत्य, 9. सत्य, 10. सत्य, 11. सत्य, 12. असत्य, 13. असत्य, 14. असत्य, 15. असत्य, 16. सत्य, 17. सत्य।

जोड़ी मिलाइए
I. 1. महाकाव्य [2015] – (क) पण्डितराज जगन्नाथ
2. ‘रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्’ परिभाषा है – (ख) रामचरितमानस
3. रसात्मकं वाक्यं काव्यम् [2010, 14] – (ग) व्यंजना
4. ‘चिन्मय नाक में दम किए रहता है’ में शब्द-शक्ति है – (घ) आचार्य विश्वनाथ
5. ‘राम का घर गंगा में है’ में शब्द-शक्ति है। – (ङ) माधुर्य लक्षणा
उत्तर-
1.→ (ख),
2. → (क),
3. → (घ),
4. →(ङ),
5. →(ग)।

II. 1. जहाँ काव्य सुनने से मन पुलकित हो, वहाँ गुण होता है। – (क) वर्णिक छन्द
2. जिस छन्द में वर्गों की गणना की जाती है, उसे कहते हैं। – (ख) घनाक्षरी छन्द
3. जिसमें 32 वर्ण हों तथा 8,8,8,8 पर यति हो उसे कहते हैं – (ग) माधुर्य
4. जिसका अर्थ ‘चिपका हुआ’ [2017] – (घ) सन्देह अलंकार
5. जहाँ समानता से अप्रस्तुत का संशय हो जाय, वहाँ होता है – (ङ) श्लेष
उत्तर-
1. → (ग),
2. → (क),
3. → (ख),
4. → (ङ),
5. → (घ)।

  • एक शब्द /वाक्य में उत्तर

1. विस्तृत कलेवर वाले वाक्य को क्या कहते हैं?
2. जिस काव्य में प्रत्येक पद अपने आप में स्वतंत्र रहता है, उसे क्या कहते हैं? [2016]
3. गद्य-पद्य मिश्रित रचना को क्या नाम दिया गया है?
4. शब्द के प्रचलित अर्थ का बोध कराने वाली शब्द-शक्ति का क्या नाम है?
5. व्यंग्यार्थ को व्यक्त करने वाली शब्द-शक्ति को क्या कहते हैं? [2009]
6. जिस रचना को सुनने से चित्त में उत्तेजना पैदा होती है उसमें कौन-सा गुण होता है?
7. सरल शब्दार्थ का प्रयोग किस गुण में किया जाता है?
8. जहाँ भ्रमवश एक वस्तु में दूसरी की कल्पना की जाये, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
9. जब अनिश्चय की स्थिति लगातार बनी रहती है, तो कौन-सा अलंकार होता है? [2016]
10. जिसमें प्रथम दो चरण दोहा के तथा चार चरण रोला के हों वहाँ कौन-सा छन्द होता है?
11. ‘सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है’ में कौन-सा अलंकार है?
12. ‘पतन पाप पाखंड जले’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? [2012, 14]
13. ‘तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाये’ पंक्ति में निहित अलंकार का नाम लिखिए। [2013]
14. ‘चारु चन्द्र की चंचल किरणें’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? [2017]
उत्तर—
1. महाकाव्य, 2. मुक्तक काव्य 3. चम्पू, 4. अभिधा, 5. व्यंजना, 6. ओज, 7. प्रसाद में, 8. भ्रान्तिमान, 9. सन्देह अलंकार, 10. कुण्डलियाँ, 11. सन्देह, 12. अनुप्रास, 13. अनुप्रास, 14. अनुप्रास।

MP Board Class 11th Hindi Solutions

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण

जीव जगत का वर्गीकरण NCERT प्रश्नोत्तर

अध्याय 2 जीव जगत का वर्गीकरण MP Board Class 11th प्रश्न 1.
वर्गीकरण की पद्धतियों में समय के साथ आए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
1. लिनीयस:
कैरोलस लिनीयस (1707 – 1778) एक प्रमुख स्वीडिश जीव विज्ञानी थे, जिन्हें जीव विज्ञान विषय में उनके योगदान के कारण वर्गीकरण का जनक कहा जाता है। ये वर्गीकरण की द्वि – जगत वर्गीकरण पद्धति के जनकों में से एक हैं। आज भी हम इन्हीं के वर्गीकरण को आधार मानकर जीवों का आधुनिक वर्गीकरण करते हैं । इन्होंने सम्पूर्ण जीवों को दो जगत जन्तु एवं पादप में बाँटा है। जीवों के नामकरण की द्वि-नाम नामकरण पद्धति के भी जनक लिनीयस ही थे, जिसके कारण जीवों को पूरे विश्व में एक नाम मिला एवं जीव विज्ञान का अध्ययन आसान बना। इन्होंने अपनी पुस्तक ‘सिस्टेमा नेचुरी’ में 4378 जन्तुओं को वैज्ञानिक नाम दिया।

2. कृत्रिम वर्गीकरण:
कृत्रिम वर्गीकरण, वर्गीकरण की प्राचीनतम एवं अप्राकृतिक पद्धति है, जिसमें जीवों को, उनके एक या कुछ लक्षणों जैसे-आवास, बाह्य आकार, व्यवहार तथा आकृति की समानता आदि को आधार मानकर वर्गीकृत किया जाता है। वर्गीकरण की यह पद्धति 300 B.C. से सन् 1830 तक प्रचलित रही। अरस्तू, थियोफ्रास्टस तथा जॉन रे इस वर्गीकरण पद्धति के प्रमुख वैज्ञानिक थे। प्लाइनी इस पद्धति के प्रमुख समर्थक थे, जिन्होंने जन्तुओं को पहली शताब्दी में आवास के आधार पर वर्गीकृत किया।लिनीयस द्वारा पौधों के वर्गीकरण के लिए भी इस पद्धति का प्रयोग किया गया।

3. प्राकृतिक वर्गीकरण:
वह वर्गीकरण पद्धति है जिसमें जीवों के रचनात्मक आकृति, स्वभाव, व्यवहार आदि के गुणों के एक विस्तृत समूह तथा उनके बीच के प्राकृतिक सम्बन्धों को आधार मानकर जीवों का वर्गीकरण किया जाता है। इसकी शुरुआत कैरोलस लिनीयस ने की थी, लेकिन इसका प्रचलन बाद में शुरू हुआ।आधुनिक वर्गीकरण इसी पद्धति पर आधारित है । बेन्थम एवं हूकर (1862 एवं 1883) का पादप वर्गीकरण तथा हेनरी एवं यूसिन्जर का जन्तु वर्गीकरण इसी पद्धति पर आधारित है।

जीव जगत का वर्गीकरण MP Board Class 11th प्रश्न 2.
निम्नलिखित के बारे में आर्थिक दृष्टि से दो महत्वपूर्ण उपयोगों को लिखिए –
(1) परपोषी बैक्टीरिया
(2) आद्य बैक्टीरिया।
उत्तर:
(1) परपोषी बैक्टीरिया:

  1. नाइट्रोजन स्थिरीकरण – कुछ जीवाणु जैसे-ऐजोटोबॅक्टर तथा क्लॉस्ट्रिडियम नाइट्रोजन स्थिरीकरण द्वारा भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
  2. लैक्टिक अम्ल निर्माण – लैक्टोबैसिलस लैक्टाई जीवाणु दूध के लैक्टोज को लैक्टिक अम्ल (दही) में परिवर्तित कर देते हैं।
  3. ऐसीटिक अम्ल निर्माण – ऐसीटोबैक्टर ऐसीटाई जीवाणु सिरका का निर्माण करता है।
  4. रेशे की रेटिंग – कुछ जीवाणु, जैसे – क्लॉस्ट्रिडियम ब्यूटीरियम पादप रेशों के उत्पादन में सहायता करते हैं।
  5. तम्बाकू एवं चाय उद्योग-कुछ जीवाणु, जैसे – माइकोकॉकस कॉण्डीसेन्सतम्बाकू एवं चाय की सीजनिंग करते हैं।
  6. औषधि निर्माण – कुछ जीवाणुओं जैसे – स्ट्रेप्टोमाइसिस से प्रतिजैविक औषधियाँ प्राप्त होती हैं।

(2) आद्य बैक्टीरिया:

  1. मेथैनोजेन्स (Mathanogens) – इसके अन्दर वे अवायवीय जीवाणु आते हैं, जो CO2 या फॉर्मिक अम्ल से मेथेन बनाते हैं।
  2. हैलोफाइल्स (Halophyles) – ये बहुत नमक सान्द्रता में पाये जाते हैं। मेथैनोजेन्स तथा हैलोफाइल्स अनिवार्य रूप से अवायवीय होते हैं और आर्कीबैक्टीरिया का अवायवीय समूह बनाते हैं।
  3. थर्मोएसिडोफिल्स (Thermoacidophyles) – ये ऐसे वायवीय या अवायवीय आर्कीबैक्टीरिया हैं, जो गर्म तथा गन्धक युक्त झरनों में पाये जाते हैं। वायवीय परिस्थिति में ये गन्धक को H2SO4 में लेकिन अवायवीय परिस्थिति में H2S में बदल देते हैं।

Jeev Jagat Ka Vargikaran MP Board Class 11th प्रश्न 3.
डायटम की कोशिका भित्ति के क्या लक्षण हैं?
उत्तर:
डायटम में कोशिका भित्ति साबुनदानी की तरह दो अतिव्यापित कवच (Overlapping cells) बनाती है। इनकी कोशिका भित्ति सिलिका (Silica) की बनी होती है, जिस कारण ये नष्ट नहीं होते हैं। मृत डायटम अपने परिवेश में कोशिका भित्ति के अवशेष बड़ी संख्या में छोड़ जाते हैं । करोड़ों वर्षों में जमा हुए इस अवशेष को डायटमी मृदा (Diatomaceous soil) कहते हैं। डायटमी मृदा श्वेत छिद्रित रसायनग्राही तथा अग्निसह (Fire proof) होती है।

Jeev Jagat Ka Vargikaran Question Answer MP Board प्रश्न 4.
शैवाल पुष्पन (Algal bloom) तथा लाल तरंगें (Red tides) क्या दर्शाती हैं ?
उत्तर:
शैवाल पुष्पन (Algal bloom):
कभी-कभी कुछ हरे शैवाल जैसे – क्लोरेला, सेनडेस्मस एवं स्पाइरोगायरा आदि की जल स्रोतों में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है तथा ये आपस में गुच्छित होकर जल को हरा रंग प्रदान कर देते हैं। इस अवस्था को शैवाल पुष्पन (Algal bloom) कहा जाता है।

लाल तरंगें (Red tides):
लाल रंग की डायनोफ्लैजिलेट शैवाल, उदाहरण-डेस्मिड, स्वच्छ एवं लवणीय जल में पाये जाते हैं। कभी – कभी समुद्र में इनकी वृद्धि बहुत अधिक मात्रा में हो जाती है। जिसके कारण पानी का रंग लाल हो जाता है तथा समुद्र की लहरें भी लाल रंग की दिखाई पड़ने लगती हैं।

जीव जगत का वर्गीकरण Class 11 MP Board प्रश्न 5.
वायरस से वाइरॉइड किस प्रकार भिन्न होते हैं ?
उत्तर:
वायरस, वाइरॉइड से निम्नानुसार भिन्न होते हैं –

अध्याय 2 जीव जगत का वर्गीकरण MP Board Class 11th

जीवाणु की संरचना का चित्र MP Board Class 11th प्रश्न 6.
प्रोटोजोआ के चार प्रमुख समूहों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रचलन अंगों के आधार पर प्रोटोजोआ को चार प्रमुख समूहों में बाँटा गया है –

  1. कशाभी (Zooflagellates)
  2. सार्कोडिना या अमीबीय प्रोटोजोआ (Sarcodines)
  3. स्पोरोजोआ (Sporozoa) तथा
  4. पक्ष्माभी प्रोटोजोआ (Ciliates)

1. कशाभी प्रोटोजोआ (Zooflagellata):
इस प्रकार के प्रोटोजोआ में प्रचलन हेतु एक अथवा कई कशाभिकाएँ (Flagella) पाये जाते हैं। ये प्राय: एककेन्द्रकीय (Uninucleate) लेकिन कभी-कभी बहुकेन्द्रकीय (Multinucleate) होते हैं। उदाहरण – जिआर्डिया (Giardia), ट्रिपेनोसोमा (Trypanosoma)

2. अमीबीय प्रोटोजोअन (Sarcodines):
इस प्रकार के प्रोटोजोआ में प्रचलन अंग कूटपाद (Pseudopodia) पाये जाते हैं। ये अपने कूटपादों की सहायता से सूक्ष्मजीवों का शिकार कर लेते हैं। अमीबीय प्रोटोजोआ प्रायः एककेन्द्रकीय होते हैं। उदाहरण – अमीबा एवं इसकी अन्य प्रजातियाँ।

3. स्पोरोजोआ (Sporozoa):
इस समूह के समस्त जीव अन्तः परजीवी (Endoparasite) होते हैं, तथा इनमें प्रचलन अंगों का अभाव होता है। इनमें परजीवी पोषण पाया जाता है। शरीर के चारों तरफ पेलिकल (Pellicle) का आवरण पाया जाता है। इनका जीवन-चक्र, अलैंगिक तथा लैंगिक दो चक्रों में पूर्ण होता है। उदाहरण – प्लाज्मोडियम, मोनोसिस्टिस।

4. पक्ष्माभी प्रोटोजोआ (Ciliates):
ये जलीय तथा अत्यन्त सक्रिय गति करने वाले जीवधारी हैं, क्योंकि इनके शरीर पर हजारों की संख्या में पक्ष्माभ (Cilia) पाए जाते हैं । इसके शरीर में एक ग्रसिका (Gullet) होती है जो कोशिका की सतह के बाहर की तरफ खुलती है। पक्ष्माभों की लयबद्ध गति के कारण जल से पूरित भोजन ग्रसिका (Gullet) की तरफ भेज दिया जाता है। उदाहरण – पैरामीशियम।

जीव जगत का वर्गीकरण Pdf MP Board Class 11th प्रश्न 7.
पादप स्वपोषी है। क्या आप ऐसे कुछ पादपों को बता सकते हैं, जो आंशिक रूप से परपोषित हैं ?
उत्तर:
पादप जगत (Plantae) वे सभी जीव है, जो यूकैरियोटिक हैं तथा जिसमें क्लोरोफिल होते हैं, पादप (Plant) कहलाते हैं। ये अपना भोजन स्वतः निर्मित कर लेते हैं, अत: स्वपोषी हैं। लेकिन कुछ पादप जैसे कीटभक्षी पौधे तथा परजीवी आंशिक रूप में विषमपोषी होते हैं। ब्लैडरवर्ट तथा कलश पादप कीटभक्षी तथा अमरबेल परजीवी पौधों के उदाहरण हैं।

Jeev Jagat Ka Vargikaran Class 11 MP Board प्रश्न 8.
शैवालांश तथा कवकांश शब्दों से क्या पता चलता है ?
उत्तर:
शैवाल घटक को शैवालांश (Phycobiant) तथा कवक के घटकों को कवकांश (Mycobiant) कहते हैं जो क्रमशः स्वपोषी तथा परपोषी होते हैं। शैवाल, कवक (Fungi) के लिए भोजन संश्लेषित करता है और कवक, शैवाल को आश्रय देता है तथा खनिज एवं जल का अवशोषण करता है। इस प्रकार शैवाल एवं कवक का सहजीवन लाइकेन (Lichens) में पाया जाता है।

Jivanu Koshika Ka Namankit Chitra MP Board प्रश्न 9.
कवक (फंजाई )जगत के वर्गों का तुलनात्मक विवरण निम्नलिखित बिन्दुओं पर कीजिए –

  1. पोषण की विधि
  2. जनन की विधि।

उत्तर:
जीव जगत का वर्गीकरण MP Board Class 11th

प्रश्न 10.
यूग्लीनॉइड के विशिष्ट चारित्रिक लक्षण कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
यूग्लीनॉइड के लक्षण:

  • इनमें से अधिकांश स्वच्छ जल (Fresh water) में पाये जाते हैं।
  • इनमें कोशिका भित्ति के स्थान पर एक प्रोटीन से बनी लचीली झिल्ली पेलिकल (Pellicle) पायी जाती है।
  • इनमें दो कशाभ (Flagella) पाये जाते हैं, जिनमें से एक छोटा तथा दूसरा बड़ा होता है।
  • इसमें क्लोरोफिल पाया जाता है, अत: प्रकाश की उपस्थिति में ये अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। प्रकाश की अनुपस्थिति में ये सूक्ष्मजीवधारियों का शिकार कर परपोषण करते हैं। उदाहरण – यूग्लीना (Euglena)।

प्रश्न 11.
संरचना तथा आनुवंशिक पदार्थ के संदर्भ में वायरस का संक्षिप्त विवरण दीजिए। वायरस से होने वाले चार रोगों का नाम लिखिए।
उत्तर:
विषाणु की संरचना:
विषाणु 0-00001 मिमी से 0-00035 मिमी के अति सूक्ष्मजीव हैं जिसमें जीव तथा निर्जीव दोनों के लक्षण पाये जाते हैं इसलिए इनको जीव तथा निर्जीव के बीच की कड़ी मानते हैं। यह रचनात्मक दृष्टि से तीन भागों का बना होता है –

  • प्रोटीन कैप्सिड
  • न्यूक्लिक अम्ल
  • आवरण।

इसके चारों तरफ एक खोल पायी जाती है जिसे कैप्सिड कहते हैं। यह कैप्सोमीयर नामक छोटी इकाइयों का बना होता है। एक कैप्सिड में कम से कम 12 कैप्सोमीयर पाये जाते हैं । कैप्सोमीयर मोनोमियर नामक उपइकाइयों के बने होते हैं जो एक से पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं का बना होता है। कुछ विषाणुओं में कैप्सिड के अन्दर DNA अथवा RNA न्यूक्लिक अम्लों की श्रृंखला आनुवंशिक पदार्थ के रूप में पायी जाती हैं।

Jeev Jagat Ka Vargikaran MP Board Class 11th

रोग:

  • यह पौधों में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे – तम्बाकू का मोजेक रोग, केले का हरित रोग, पपीते की पत्तियों का मुड़ना।
  • ये जन्तुओं में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं। जैसे – मनुष्य में पोलियो, खसरा, जुकाम आदि।

प्रश्न 12.
अपनी कक्षा में इस शीर्षक, ‘क्या वायरस सजीव है अथवा निर्जीव’, पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
विषाणुओं को सजीव एवं निर्जीव के मध्य एक संयोजक कड़ी (Connective link) माना गया है। विषाणुओं के जैविक एवं अजैविक लक्षण इस प्रकार हैं –

(A) विषाणुओं के जैविक लक्षण:

  • विषाणुओं में गुणन पाया जाता है।
  • इसका गुणन (Multiplication) केवल जैविक कोशिकाओं में होता है।
  • ये अनिवार्य परजीवी (Obligate parasite) होते हैं।
  • ये प्रोटीन एवं नाभिकीय अम्लों के बने होते हैं।
  • इसमें DNA एवं RNA आनुवंशिक पदार्थ के रूप में पाया जाता है।
  • इनमें उच्च अनुकूलन क्षमता होती है।
  • ये उत्परिवर्तन प्रदर्शित करते हैं।

(B) विषाणुओं के अजैविक लक्षण:

  • इसका रवाकरण (Crystallization) किया जा सकता है।
  • श्वसन एवं श्वसनांगों का अभाव होता है।
  • एन्जाइम तथा प्रोटोप्लाज्म का अभाव होता है।
  • ये पोषक विशिष्टता (Host – Specificity) प्रदर्शित करते हैं।

जीव जगत का वर्गीकरण अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

जीव जगत का वर्गीकरण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

1. ‘जाति’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया था –
(a) जॉन रे
(b) लिनीयस
(c) अरस्तू
(d) चरक।
उत्तर:
(a) जॉन रे

2. ‘सिस्टेमा नैचुरी’ नामक पुस्तक के लेखक थे –
(a) बेन्थम
(b) हूकर
(c) लिनीयस
(d) एंग्लर।
उत्तर:
(c) लिनीयस

3. ‘स्पीशीज प्लाण्टेरम’ के लेखक हैं –
(a) लैमार्क
(b) लिनीयस
(c) थियोफ्रास्ट्स
(d) येन।
उत्तर:
(b) लिनीयस

4. पाँच – जगत वर्गीकरण किस वैज्ञानिक ने दिया –
(a) लिनीयस
(b) बेन्थम
(c) हूकर
(d) व्हिटकर।
उत्तर:
(d) व्हिटकर।

5. विषाणुओं को रवों के रूप में किस वैज्ञानिक ने प्राप्त किया
(a) स्टैन्ले
(b) गाइरर
(c) व्हिटकर
(d) वाइजरन्कि
उत्तर:
(a) स्टैन्ले

6. विषाणुओं का आनुवंशिक पदार्थ है
(a) DNA और RNA
(b) DNA या RNA
(c) गुणसूत्र
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) DNA या RNA

7. जीव वर्गीकरण की मूल इकाई है –
(a) वर्ग
(b) जाति
(c) वंश
(d) जगत्।
उत्तर:
(b) जाति

8. जीव वर्गीकरण का सर्वोच्च संवर्ग है –
(a) वर्ग
(b) संघ
(c) वंश
(d) जाति
उत्तर:
(b) संघ

9. होमो सैपिएन्स किस जन्तु का वैज्ञानिक नाम है –
(a) मनुष्य
(b) बैल
(c) जोंक
(d) मेढक
उत्तर:
(a) मनुष्य

10. मादा घोड़े तथा नर गधे से उत्पन्न संकर जीव है –
(a) बन्दर (Monkey)
(b) चूहा (Rat)
(c) खच्चर (Mule)
(d) घोड़ा (Horse)
उत्तर:
(c) खच्चर (Mule)

11. वर्गीकरण की मुख्य इकाई है –
(a) जाति
(b) वंश
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) जाति

12. द्वि – नाम नामकरण पद्धति को किसने प्रस्तावित किया था –
(a) डार्विन
(b) कैरोलस लिनीयस
(c) ह्यूगो डी वीज
(d) मेण्डल।
उत्तर:
(b) कैरोलस लिनीयस

13. ‘जेनेरा प्लाण्टेरम’ के लेखक हैं –
(a) बेन्थम एवं हूकर
(b) लिनीयस
(c) एंग्लर
(d) प्रांटल।
उत्तर:
(a) बेन्थम एवं हूकर

14. नग्नबीज किसमें पाए जाते हैं –
(a) शैवाल
(b) टेरिडोफाइटा
(c) जिम्नोस्पर्म
(d) एंजियोस्पर्म
उत्तर:
(c) जिम्नोस्पर्म

15. सबसे प्राचीनतम जीवित संवहनी पादप है –
(a) लाल शैवाल
(b) फर्न
(c) भूरी शैवाल
(d) लाइकेन्स।
उत्तर:
(b) फर्न

16. प्लाज्मिड जीवाणु में होते हैं –
(a) अतिरिक्त गुणसूत्र
(b) अतिरिक्त नाभिक
(c) अतिरिक्त मेटाबोलाइट
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(a) अतिरिक्त गुणसूत्र

17. लिनीयस द्वारा प्रतिपादित वर्गीकरण कृत्रिम था क्योंकि –
(a) यह विकासीय रीतियों पर आधारित था
(b) उसमें पुष्पीय तथा अल्प आकारिकीय लक्षणों में समानताएँ और विभिन्नताओं को विचार में लिया गया था
(c) यह शरीर क्रियात्मक लक्षणों पर आधारित था
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) उसमें पुष्पीय तथा अल्प आकारिकीय लक्षणों में समानताएँ और विभिन्नताओं को विचार में लिया गया था

18. जातिवृत्तीय वर्गीकरण है –
(a) विकास की दशाओं के अनुसार
(b) पुष्पीय समानता के आधार पर
(c) सभी आकारिकीय लक्षणों के आधार पर वर्गीकरण
(d) बढ़ती जटिलता के अनुसार वर्गीकरण।
उत्तर:
(a) विकास की दशाओं के अनुसार

19. वर्गीकरण विज्ञान के सर्वप्रथम महान् वनस्पतिज्ञ कौन थे –
(a) जे.डी. हूकर
(b) एंग्लर
(c) लिनीयस
(d) अरस्तू।
उत्तर:
(c) लिनीयस

20. वंश ऐसा समूह है, जिसमें परस्पर सम्बन्धित होती है –
(a) कुल
(b) जाति
(c) गण
(d) जेनेरा।
उत्तर:
(b) जाति

21. कृत्रिम प्रणाली द्वारा वर्गीकरण का आधार है –
(a) एक या दो या कुछ लक्षण
(b) जितने सम्भव हो उतने अधिक लक्षण
(c) जातिवृत्तिक लक्षण
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) एक या दो या कुछ लक्षण

22. वर्गीकरण का उद्देश्य है –
(a) जीवों को संग्रहीत करना
(b) जीवों को पहचानना
(c) जीवों को खोजना
(d) जीवों को खोजना, पहचानना, नामकरण करना तथा समूहों में बाँटना
उत्तर:
(d) जीवों को खोजना, पहचानना, नामकरण करना तथा समूहों में बाँटना

23. द्वि-नाम पद्धति का अभिप्राय प्राणियों के नाम को दो शब्दों में लिखना है, वे हैं –
(a) प्रकार व जाति
(b) गण व कुल
(c) प्रकार व विभिन्नताएँ
(d) कुल एवं प्रकार।
उत्तर:
(a) प्रकार व जाति

24. गोल जीवाणु है –
(a) बैसीलस
(b) कोकाई
(c) स्पाइरिलम
(d) कोमा।
उत्तर:
(b) कोकाई

25. लेग्यूमिनस पौधे की जड़ की गाँठ में पाया जाने वाला N, स्थिरीकारक जीवाणु है –
(a) एजोटोबैक्टर
(b) नाइट्रोबैक्टर
(c) लैक्टोबैसिलस
(d) राइजोबियम।
उत्तर:
(d) राइजोबियम।

26. जीवाणु कोशिका की भित्ति का एक प्रमुख बहुलक है –
(a) पेप्टाइडोग्लाइकेन
(b) सेल्युलोज
(c) काइटिन
(d) जाइलॉन।
उत्तर:
(b) सेल्युलोज

27. लौह जीवाणुओं का एक उदाहरण है –
(a) वैगिएटोआ
(b) जियोबैसिलस
(c) थायोबैसिलस
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) जियोबैसिलस

28. अकार्बनिक पदार्थों के ऑक्सीकरण से ऊर्जा प्राप्त करने वाले जीवाणु कहलाते हैं –
(a) कीमोलिथोट्रॉफ
(b) फोटोलिथोट्रॉफ
(c) फोटोऑर्गेनोट्रॉफ.
(d) कीमोऑर्गेनोट्रॉफ।
उत्तर:
(a) कीमोलिथोट्रॉफ

29. माइकोप्लाज्मा के लिए कौन-सा कथन सत्य है –
(a) कोशिका भित्ति की उपस्थिति
(b) केन्द्रक की उपस्थिति
(c) कोशिका भित्ति की अनुपस्थिति
(d) निश्चित आकार।
उत्तर:
(c) कोशिका भित्ति की अनुपस्थिति

30. नॉस्टॉक है, एक –
(a) नील-हरित जीवाणु
(b) माला समान जीवाणु
(c) जीवाणुभोजी
(d) परजीवी।
उत्तर:
(a) नील-हरित जीवाणु

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. वर्गीकरण विज्ञान के जनक …………. हैं।
  2. द्विनाम पद्धति ……………. ने लागू की।
  3. वंश ऐसा समूह है जिसमें …………… परस्पर संबंधित होते हैं।
  4. किसी जाति के विकासात्मक इतिहास को …………. कहते हैं।
  5. शैवाल व कवक दोनों पौधे सहजीवी के रूप में ………… में साथ होते हैं।
  6. ………. जीव में जीवित व अजीवित के गुण पाये जाते हैं।
  7. पाँच जगत वर्गीकरण के प्रणेता ………… थे।
  8. जीव जगत में सही स्थिति जानने के अध्ययन को ………… कहते हैं।
  9. सदियों से पूर्ण जीवधारियों की रचना का ज्ञान …………… से मिलता है।
  10. पक्षी व सरीसृप के बीच की कड़ी का नाम ………….. है। …………
  11. ………. को आयुर्वेद का जनक कहा जाता है।
  12.  ………. ने सबसे पहले प्राकृतिक वर्गीकरण पद्धति को प्रस्तुत किया था तथा स्पीशीज शब्द का प्रतिपादन किया था।
  13. जीवों के वर्गीकरण का सबसे पहले व्यवस्थित प्रयास …….. एवं …… ने किया।
  14. ………… सबसे बड़ी जन्तु कोशिका है।
  15. मनुष्य का वैज्ञानिक नाम ……….. है।
  16. जीवाणुभोजी की केन्द्रक में ……….होता है।
  17. लेग्यूमिनोसी कुल के पौधे कृषि के लिए लाभदायक होते हैं, क्योंकि उनमें ………. होता है।
  18. दुग्ध उत्पादन के किण्वन के लिए …………… उत्तरदायी होता है।
  19. जीवाणु की कोशिका भित्ति…………… से बनी होती है।
  20.  …………….द्वारा जीवाणु लैंगिक प्रजनन करते हैं।
  21. मिथेनोजन जीवाणु …………. जीवाणु है।
  22. निमोनिया रोग …………. द्वारा उत्पन्न होता है।

उत्तर:

  1. कैरोलस लिनीयस
  2. कैरोलस लिनीयस
  3. जाति
  4. जातिवृत्ति
  5. लाइकेन
  6. वाइरस
  7. व्हिटकर
  8. वर्गिकी
  9. जीवाश्म
  10. आर्कियोप्टेरिक्स
  11. चरक
  12. जॉन रे
  13. हिपोक्रेट्स एवं अरस्तू
  14. ऑस्ट्रिच का अंडा
  15. होमो सेपियन्स-लिनास
  16. D.N.A.
  17. राइजोबियम (सहजीवी) जीवाणु
  18. लैक्टोबैसिलस एवं एस. लेक्टीस
  19. म्यूको-कॉम्प्लेक्स
  20. आनुवंशिक इकाइयों के स्थानांतरण
  21. अवायवीय
  22. जीवाणु।

प्रश्न 3.
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण - 4
उत्तर:

  1. (d) चरक
  2. (c) हीकल
  3. (e) आर.एच. व्हिटकर
  4. (b) जॉन रे
  5. (f) कैरोलस लिनीयस।
  6. (a) कोपलैण्ड

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण - 5

उत्तर:

  1. (e) छड़ाकार जीवाणु।
  2. (c) सर्पिलाकार जीवाणु
  3. (b) साधारण गोल जीवाणु
  4. (a) गोल माला के समान जीवाणु
  5. (d) प्रोकैरियॉटिक एककोशिकीय

प्रश्न 4.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –

  1. कौन-से जीव में जीवित व अजीवित दोनों के गुण पाए जाते हैं?
  2. पाँच जगत वर्गीकरण के प्रणेता कौन थे?
  3. जीवधारियों के जीव जगत में सही स्थिति जानने के अध्ययन की शाखा का नाम लिखिए।
  4. सदियों पूर्व जीवधारियों की रचना का ज्ञान कैसे होता है ?
  5. उस प्राचीनतम जीवाश्म का नाम लिखिए जो पक्षी एवं सरीसृप के बीच की कड़ी माना जाता है।
  6. न्यूक्लियोप्रोटीन के बने अतिसूक्ष्म जीव जिन्हें केवल इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा देख सकते हैं, कहलाता है।
  7. प्राचीनतम जीवित जीवाश्म किसे कहते हैं?
  8. कभी-कभी जीवाणुओं के कोशिका द्रव्य में मुख्य DNA तंतु के अलावा कुछ स्वतंत्र छोटी आनुवंशिक इकाइयाँ मिलती हैं, क्या कहलाती है?
  9. जो जीवाणु H2S या 5 से ऊर्जा प्राप्त करते हैं उन्हें कौन-सा जीवाणु कहते हैं?
  10. जब प्लाज्मिड मुख्य आनुवंशिक इकाई से संयुक्त अवस्था में पाये जाते हैं, इन्हें क्या कहते हैं?

उत्तर:

  1. विषाणु
  2. व्हिटकर
  3. वर्गिकी
  4. जीवाश्म से
  5. आर्कियोप्टेरिक्स
  6. विषाणु
  7. आर्कीबैक्टीरिया
  8. प्लाज्मिड
  9. गंधक
  10. एपीसोम्स।

प्रश्न 5.
सत्य / असत्य बताइए –

  1. लोरेन्थस एवं विस्कस आंशिक परजीवी हैं।
  2. वर्गीकरण में प्रयुक्त संवर्गों में सबसे उच्च संवर्ग संघ है।
  3. जीवों के विभिन्न समूहों को उनके गुणों तथा विकास के आधार पर एक निश्चित श्रृंखला में व्यवस्थित करना पदानुक्रम कहलाता है।
  4. थियोफ्रास्टस ने वंश तथा कुल शब्दों का सर्वप्रथम प्रयोग किया।
  5. भारतवर्ष में जीवों के वर्गीकरण का प्रमाण वेद और उपनिषद् में भी मिलता है।
  6. पौधे को सूखाकर, दबाकर, कागज के शीटों पर वर्गीकरण की किसी मान्य पद्धति के अनुसार क्रमबद्ध कर भविष्य के लिए संरक्षित करने की संग्रह विधि हर्बेरियम कहलाती है।
  7. अचार, जेली में अधिक नमक व शक्कर इनके पदार्थों को सड़ाता है।
  8. विकसित जीव कोशिका विभाजन द्वारा शरीर में वृद्धि करते हैं जबकि एककोशिकीय जीव इसके द्वारा संख्या में वृद्धि करते हैं।
  9. विषाणु जीवित व मृत दोनों कोशिकाओं में वृद्धि कर सकते हैं।
  10. मोनेरियन कोशिका में एक सुसंगठित केन्द्रक नहीं होता है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य
  6. सत्य
  7. असत्य
  8. सत्य
  9. असत्य
  10. सत्य।

जीव जगत का वर्गीकरण अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य में एक जीवाणुविक बीमारी का नाम बताइए।
उत्तर:
टायफाइड मनुष्य की एक जीवाणुविक बीमारी है, जो साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु के संक्रमण से होती है।

प्रश्न 2.
किन्हीं दो नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणुओं के नाम दीजिये।
उत्तर;
दो नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणुओं के नाम हैं –

  • एजोटोबैक्टर
  • क्लॉस्ट्रिडियम।

प्रश्न 3.
सायनोबैक्टीरिया क्या हैं ?
उत्तर:
सायनोबैक्टीरिया एककोशिकीय या बहुकोशिकीय, तन्तुवत् ग्राम निगेटिव रंगीन जीवाणु हैं, जिनमें हरितलवक ए, फाइकोबिलिन्स प्रोटीन तथा कैरोटीनॉइड वर्णक पाये जाते हैं। इनकी कोशिकाएँ प्रोकैरियॉटिक होती हैं तथा उनके चारों तरफ एक आवरण पाया जाता है। ये गन्धहीन वातावरण में पाये जाते हैं तथा इन्हें सायनोफेज विषाणु नष्ट कर देते हैं। उदाहरण- नॉस्टॉक, ऐनाबिना, रिवुलेरिया।

प्रश्न 4.
सल्फर जीवाणु किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो जीवाणु गंधक तत्व या H2S से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, उन्हें सल्फर जीवाणु कहते हैं। थायोबैसिलस डिनाइट्रीफिकेन्स सल्फर को सल्फ्यूरिक अम्ल में ऑक्सीकृत कर देते हैं तथा इस प्रक्रिया में उत्पन्न ऊर्जा को उपयोग में लाते हैं। ये जीवाणु अत्यधिक अम्लता को भी सह लेते हैं।
2S + 8H2O + 3CO2 → 2H2SO4 + 3(CH2O) + 3H2O + ऊर्जा

प्रश्न 5.
प्लाज्मिड्स तथा एपिसोम्स क्या हैं ?
उत्तर:
कभी – कभी जीवाणुओं के कोशिकाद्रव्य में मुख्य DNA तन्तु के अलावा कुछ स्वतंत्र छोटी आनुवंशिक इकाइयाँ (DNA) भी पायी जाती हैं, इन्हें प्लास्पिड कहते हैं। जब ये प्लाज्मिड मुख्य आनुवंशिक इकाई से संयुक्त अवस्था में पाये जाते हैं तब इन्हें एपिसोम कहते हैं। ये इकाइयाँ आनुवंशिक संवहन तथा आनुवंशिक पुनर्योजन में भाग लेते हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित के एक-एक उदाहरण लिखिए –

  1. ग्राम पॉजिटिव जीवाणु
  2. ग्राम निगेटिव जीवाणु
  3. सल्फर जीवाणु
  4. लौह जीवाणु
  5. नाइट्रीफाइंग जीवाणु
  6. मनुष्य की आँत के जीवाणु
  7. एक तन्तु रूपी सायनोजीवाणु
  8. एक माइकोप्लाज्मा
  9. दूध का दही जमाने वाला जीवाणु
  10. एक ऐण्टिबायोटिक बनाने वाला जीवाणु।

उत्तर:

  1. उदाहरण – पाश्चुरेला
  2. उदाहरण – ईश्चिरीचिया
  3. उदाहरण – थायोबैसिलस
  4. उदाहरण – फेरोबैसिलस्
  5. उदाहरण – नाइट्रोसोमोनास
  6. उदाहरण – ईश्चिरीचिया कोलाई
  7. उदाहरण – नॉस्टॉक
  8. उदाहरण – ऐकोलीप्लाज्मा
  9. उदाहरण – लैक्टोबैसिलस
  10. उदाहरण – स्ट्रेप्टोमाइसेज।

प्रश्न 7.
कवक किस गुण में मानव से समानता रखता है ?
उत्तर:
कवक मानव के समान विषमपोषी होती है तथा भोज्य पदार्थों का संग्रहण ग्लाइकोजन के रूप में करते हैं।

प्रश्न 8.
सहजीवी पौधों से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
सहजीवी पौधे – जब दो पौधे परस्पर लाभ के लिए एक – दूसरे पर आश्रित होते हुए साथ – साथ रहते हैं, तो ऐसे पौधों को सहजीवी पौधे कहते हैं। उदाहरण – लाइकेन, जिसमें शैवाल तथा कवक सहजीवी के रूप में रहते हैं। शैवाल हरे होने के कारण प्रकाश – संश्लेषण द्वारा भोजन निर्माण करते हैं तथा उसका कुछ अंश कवक को देते हैं, जबकि कवक खनिज लवण व जल को अवशोषित कर शैवाल को देते हैं।

प्रश्न 9.
L.S.D. का पूरा नाम बताइए। इसे किस कवक से प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर:
L.S.D. का पूरा नाम लाइसर्जिक ऐसिड डाइएथिल ऐमाइड है। यह एक विभ्रम पैदा करने वाला पदार्थ है, जिसे क्लेविसेप्स परपूरिया नामक कवक से प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 10.
कवक के किस वंश से पेनिसिलिन नामक प्रतिजैविक प्राप्त होता है.?
उत्तर:
पेनिसिलियम नामक वंश के कवक पेनिसिलियम नोटेटम तथा पेनिसिलियम क्रायसोजिनम आदि जातियों से पेनिसिलिन नामक प्रतिजैविक पदार्थ प्राप्त होता है।

प्रश्न 11.
लाइकेन के घटक किस समूह के होते हैं ?
उत्तर:
लाइकेन एक सहजीवी पादप हैं, जिसमें एक कवक तथा एक शैवाल जीव पाया जाता है। कवक ऐस्कोमाइसीटीज़ या बेसिडियोमाइसीटीज़ वर्ग का तथा शैवाल सदस्य क्लोरोफाइटा (हरा शैवाल) या साइनोफाइटा (नीला-हरा शैवाल) वर्ग का हो सकता है।

प्रश्न 12.
कवक जगत की कोशिका भित्ति की विशेषता बताइए।
उत्तर:
कवक जगत की कोशिका भित्ति का प्रमुख घटक सेल्युलोज के स्थान पर एक नाइट्रोजन युक्त पॉलिसैकेराइड काइटिन होता है।

प्रश्न 13.
मृदा निर्माण में लाइकेन का किस प्रकार उपयोग किया जाता है ?
उत्तर:
लाइकेन चट्टानों, लकड़ी के लट्ठे एवं मरुद्भिद अनुक्रम में भी आसानी से उगते हैं जहाँ अन्य जीवन असंभव है, वहाँ ये आसानी से उगते हैं, क्योंकि ये पतले जीव हैं इस प्रकार ये यहाँ उगकर दूसरे जीवों के उगने के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करती हैं। अत: जहाँ पहले लाइकेन्स उगते हैं, वहाँ बाद में मॉस तथा अन्य पौधे उगने लगते हैं। इस प्रकार इसका उपयोग मृदा निर्माण में होता है।

प्रश्न 14.
शैवालीय कवक किस वर्ग के कवकों को कहा जाता है?
उत्तर:
फायकोमाइसीटीज़ वर्ग के कवक सदस्यों को शैवालीय कवक (Algal fungi) कहा जाता है।

प्रश्न 15.
मोल्ड (Mould) किन कवकों को कहा जाता है ?
उत्तर:
फायकोमाइसीटीज़ तथा ऐस्कोमाइसीटीज़ के सदस्य मोल्ड (Mould) कहलाते हैं।

जीव जगत का वर्गीकरण लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पाँच ऐसे कवकों के नाम बताइए, जिनसे प्रतिजैविक औषधियाँ प्राप्त होती हैं।
उत्तर:
पाँच ऐसे कवकों के नाम, जिनसे प्रतिजैविक औषधियाँ प्राप्त होती हैं, निम्नलिखित हैं –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण - 6

प्रश्न 2.
एक प्रारूपिक जीवाणु कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण - 7

प्रश्न 3.
पदार्थों के चक्रीकरण में मोनेरा-जगत की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हमारे शरीर में अनेक प्रकार के कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ पाये जाते हैं और जब हम मरते हैं तो मोनेरा जगत के जीव हमारे शरीर के रसायनों का अपघटन करके इन्हें फिर से प्रकृति में मुक्त कर देते हैं, जिन्हें पौधे पुन: ग्रहण करके विविध रसायनों का संश्लेषण करते हैं। पौधों से इन रसायनों को हम ग्रहण करते हैं और फिर से इन रसायनों को मोनेरा जीवों द्वारा अपघटित करके प्रकृति में मिला दिया जाता है। इस प्रकार मोनेरा जगत के जीव पदार्थों के चक्रीकरण में मुख्य भूमिका अदा करते हैं।

प्रश्न 4.
मनुष्य के कोई पाँच रोगजनक जीवाणुओं एवं उनसे होने वाले रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य के रोगजनक जीवाणु

जीवाणु – मानव रोग

  • कॉरिनेबैक्टीरियम डिफ्थेरी – डिफ्थीरिया
  • विब्रियो कॉलेरी – कॉलेरा
  • माइकोबैक्टीरियमलैप्री – कुष्ठ रोग
  • क्लॉस्ट्रिडियम टिटैनी – टिटेनस
  • साल्मोनेला टाइफी – टायफाइड।

प्रश्न 5.
पादपों के कोई पाँच रोगजनक जीवाणुओं एवं उनसे होने वाले रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जीवाणु – पादप रोग

  • जैन्थोमोनास साइट्री – नीबू का कैंकर
  • जैन्थोमोनास ओराइजी – ब्लाइट ऑफ राइस
  • जैन्थोमोनास फैसीओलाई – बीन ब्लाइट
  • स्यूडोमोनास सोलेनेसीरम – आलू का शिथिल रोग
  • स्ट्रेप्टोमाइसिस स्कैबीज – पोटैटो स्कैब।

प्रश्न 6.
प्रतिजैविक पदार्थ क्या हैं? कोई चार प्रतिजैविकों तथा उनके स्रोतों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रतिजैविक सूक्ष्म जीवों से प्राप्त ऐसे रसायन हैं जो कुछ हानिकारक सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देते हैं। इनका उपयोग दवा के रूप में किया जाता है जिससे हमें कई रोगों से सुरक्षा प्राप्त होती है। कुछ जीवाणुओं से प्राप्त कुछ प्रमुख प्रतिजैविक नीचे दिये गये हैं –

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण - 8

प्रश्न 7.
जीवाणु की हानिकारक क्रियाओं का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
जीवाणुओं की हानिकारक क्रियाएँ निम्नानुसार हैं –

  1. जीवाणु और रोग – जीवाणु हमारे एवं हमारे लिए उपयोगी दूसरे जन्तुओं तथा पादपों में रोग पैदा करते हैं।
  2. पेनिसिलीन पर प्रभाव – ये पेनिसिलीन की उपयोगिता को नष्ट कर देते हैं।
  3. नलों के पाइप का सड़ना – सल्फर जीवाणुओं द्वारा पैदा की गयी सल्फ्यूरिक ऐसिड से जमीन के नीचे के नल के पाइप सड़ जाते हैं।
  4. भोजन विषाक्तता-कुछ जीवाणु, जैसे – क्लॉस्ट्रिडियम भोजन को विषाक्त कर देते हैं।
  5. भूमि की उर्वरता घटाना – विनाइट्रीकारी जीवाणु भूमि की उर्वरा शक्ति को घटा देते हैं।

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MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
स्तनधारियों की कोशिकाओं की औसत कोशिका-चक्र अवधि कितनी होती है ?
उत्तर:
स्तनधारियों की कोशिकाओं की औसत कोशिका-चक्र की अवधि 24-25 घण्टे होती है।

प्रश्न 2.
जीवद्रव्य विभाजन व केन्द्रक विभाजन में क्या अंतर है ?
उत्तर:
जीवद्रव्य विभाजन (Cytokinesis) में कोशिका-द्रव्य का विभाजन होता है जबकि केन्द्रक विभाजन (Karyokinesis) में कोशिका के केन्द्रक का विभाजन होता है।

प्रश्न 3.
अंतरावस्था में होने वाली घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंतरावस्था(इण्टरफेज) दो विभाजनों के बीच की अवस्था है, जिसमें निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ पायी जाती हैं –
(i)G1फेज-इस अवस्था में प्रोटीन एवं RNA का संश्लेषण किया जाता है।
(ii) S फेज-इस अवस्था में DNA एवं हिस्टोन प्रोटीन का संश्लेषण होता है।
(ii) G2फेज-इस अवस्था में आवश्यक प्रोटीन तथा RNA का संश्लेषण किया जाता है तथा विभिन्न कोशिकांगों का निर्माण होता है।

प्रश्न 4.
कोशिका-चक्र की G0(प्रशांत अवस्था) क्या है ?
उत्तर:
वे कोशिकाएँ जो आगे विभाजित नहीं होती हैं तथा निष्क्रिय अवस्था में पहुँचती हैं, जिसे कोशिका, चक्र की प्रशांत अवस्था (G0) कहा जाता है। इस अवस्था की कोशिका उपापचयी रूप से सक्रिय होती है, लेकिन विभाजित नहीं होती, इनमें विभाजन जीव की आवश्यकता के अनुसार होता है।

प्रश्न 5.
सूत्री विभाजन को सम-विभाजन क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
सूत्री विभाजन को सम-विभाजन कहा जाता है, क्योंकि विभाजन के अंत में दो ऐसी कोशिकाएँ बनती हैं जिसमें गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका के बराबर होती है।
इस विभाजन में जनक कोशिका के आनुवंशिक गुण पुत्री कोशिका में पहुँचते हैं । अतः इस विभाजन से आनुवंशिक समानता बनी रहती है।

प्रश्न 6.
कोशिका-चक्र की उस अवस्था का नाम बताइए, जिसमें निम्न घटनाएँ सम्पन्न होती हैं –

  1. गुणसूत्र तर्कु मध्य रेखा की ओर गति करते हैं।
  2. गुणसूत्र बिंदु का टूटना व अर्द्धगुणसूत्र का पृथक् होना।
  3. समजात गुणसूत्रों का आपस में युग्मन होना।
  4. समजात गुणसूत्रों के बीच विनिमय का होना।

उत्तर:

  1. मध्यावस्था (Metaphase)
  2. पश्चावस्था (Anaphase)
  3. अर्धसूत्री विभाजन-I (Meiosis-I) की युग्मपट्ट (Zygotene) अवस्था
  4. पैकीटीन (Pachytene) अवस्था।

प्रश्न 7.
निम्न के बारे में वर्णन कीजिए –

  1. सूत्रयुग्मन
  2. युगली
  3. काएज्मेटा।

उत्तर:
1. सूत्रयुग्मन (Synapsis):
कोशिका विभाजन की जायगोटीन अवस्था में समजात गुणसूत्रों के जोड़ा बनाने की प्रक्रिया को सूत्रयुग्मन या अन्तर्ग्रथन या सिनैप्सिस कहते हैं। सिनैप्सिस बनाने वाले गुणसूत्र अलग – अलग जनकों के होते हैं।

2. युगली (Bivalent):
जाइगोटीन अवस्था में समजात गुणसूत्रों द्वारा युग्मन करके सिनैप्सिस का निर्माण करने वाले गुणसूत्रों को बाइवैलेण्ट या डायड कहते हैं, क्योंकि उस समय गुणसूत्र दो की संख्या में दिखाई देते हैं।

3. काएज्मेटा (Chaismata):
अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रोफेज-I के पैकीटीन अवस्था में समजात गुणसूत्रों के युग्मन के समय अर्द्ध गुणसूत्र जिस स्थान पर एक-दूसरे को स्पर्श कर जीन विनिमय करते हैं, वह स्थान डिप्लोटीन अवस्था में गुणसूत्रों के विलगाव (Terminalization) के क्रम में ‘X’ आकृतिकी संरचनाओं के रूप में परिलक्षित होता है, जिसे किएज्मेटा (Chiasmata) कहते हैं।

प्रश्न 8.
पादप व प्राणी कोशिका के कोशिकाद्रव्य विभाजन में क्या अंतर है ?
उत्तर:
कोशिका द्रव्य विभाजन-कोशिका विभाजन के समय केन्द्रक विभाजन के बाद कोशिकाद्रव्य विभाजन को साइटोकाइनेसिस या कोशिकाद्रव्य विभाजन कहते हैं, यह पादप एवं प्राणियों में दो अलग-अलग विधियों द्वारा होता है –

(a) कोशिका खाँच द्वारा इस कोशिकाद्रव्य विभाजन में कोशिका के मध्य में एक खाँच बनती है, जो बढ़कर कोशिका के कोशिकाद्रव्य को दो भागों में बाँट देती है। प्रत्येक भाग में एक केन्द्रक होता है, जन्तुओं में इसी प्रकार का विभाजन पाया जाता है।

(b) कोशिका प्लेट द्वारा इस कोशिकाद्रव्य विभाजन में कोशिका के मध्य गॉल्गीकाय तथा E.R. एकत्रित होकर एक पट बना देते हैं जो बाद में कोशिका भित्ति बन जाती है और कोशिका को दो भागों में बाँट देती हैं। प्रत्येक भाग में एक केन्द्रक होता है। यह विभाजन पादप कोशिकाओं में पाया जाता है।

प्रश्न 9.
अर्द्धसूत्री विभाजन के बाद बनने वाली चार संतति कोशिकाएँ कहाँ आकार में समान व कहाँ भिन्न आकार की होती हैं ?
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis) के बाद बनने वाली चार संतति कोशिकाएँ (daughter cells) अर्द्धसूत्री विभाजन II (Meiosis-II) के अंत्यावस्था II (Telophase-II) के अंत में आकार में कहीं पर समान और कहीं पर असमान होती हैं।

प्रश्न 10.
सूत्री विभाजन की पश्चावस्था तथा अर्द्धसूत्री विभाजन की पश्चावस्था-I में क्या अंतर है ?
उत्तर:
सूत्री विभाजन एवं अर्द्धसूत्री विभाजन की पश्चावस्था-I में अंतर –

1. सूत्री विभाजन (Mitosis division):
इसमें एक गुणसूत्र का एक अर्द्ध-गुणसूत्र। एक ध्रुव की ओर तथा दूसरा, दूसरे ध्रुव की ओर चला जाता है।

2. अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis division):
इसमें एनाफेज-I में पूरा गुणसूत्र ध्रुवों की ओर जाता है, जबकि ऐनाफेज-II में गति समसूत्री ऐनाफेज के समान होती हैं।

प्रश्न 11.
सूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में प्रमुख अंतरों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
दोनों ही कोशिका विभाजनों में कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है तथा दोनों में गुणसूत्रों का विभाजन होता है। इन समानताओं के बावजूद दोनों विभाजनों में निम्नलिखित अन्तर पाये जाते हैं –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन - 2

प्रश्न 12.
अर्द्धसूत्री विभाजन का क्या महत्व है?
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्व –

  1. इसके कारण पीढ़ी-दर-पीढ़ी कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या एक समान बनी रहती है।
  2. इस विभाजन के कारण जनक के समान ही कोशिकाएँ पैदा होती हैं।
  3. इस विभाजन में जीन विनिमय होने के कारण यह नये गुणों के बनने में सहायता करता है।
  4. इसके कारण विभिन्नता पैदा होती है, जो जैव विकास के लिए आवश्यक है।
  5. इसके कारण एक द्विगुणित कोशिका से चार अगुणित कोशिकाएँ बनती हैं।

प्रश्न 13.
अपने शिक्षक के साथ निम्न के बारे में चर्चा कीजिए –

  1. अगुणित कीटों व निम्न श्रेणी के पादपों में कोशिका विभाजन कहाँ संपन्न होती है ?
  2. उच्च श्रेणी के पादपों की कुछ अगुणित कोशिकाओं में कोशिका विभाजन कहाँ नहीं होता है?

उत्तर:

1. निम्न श्रेणी के पादपों (क्लैमाइडोमोनास, स्पाइरोगायरा) में अगुणित बीज (Spores) युग्मकोद्भिद (Gametophyte) के निर्माण की प्रक्रिया में समसूत्री (Mitotic) कोशिका विभाजन पाया जाता है। जबकि अर्द्धसूत्री (Meiotic) विभाजन, इनके युग्मनज (Zygote) में अगुणित बीजाणु (Spores) के निर्माण के समय होता है।

2. उच्च श्रेणी के पादपों (Angiospores) में बीजाण्ड (Ovule) के भ्रूणपोष (Embryo sac) में पाये जाने वाले सखि (Synergids) एवं प्रतिध्रुवीय कोशिकाओं (Antipodal cell) में कोई भी कोशिका विभाजन नहीं पाया जाता है। अंत में ये कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं।

प्रश्न 14.
क्या S – अवस्था में बिना डी. एन. ए. प्रतिकृति के सूत्री विभाजन हो सकता है ?
उत्तर:
नहीं, S प्रावस्था में बिना डी. एन. ए. प्रतिकृति (DNA replication) के सूत्री विभाजन संभव नहीं है। सूत्री विभाजन के लिए डी. एन. ए. की मात्रा का दुगुना होना आवश्यक है।

प्रश्न 15.
क्या बिना कोशिका विभाजन के डी. एन. ए. प्रतिकृति हो सकती है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि कोशिका विभाजन के दौरान ही डी. एन. ए. प्रतिकृति व कोशिका वृद्धि होती है।

प्रश्न 16.
कोशिका विभाजन की प्रत्येक अवस्थाओं के दौरान होने वाली घटनाओं का विश्लेषण कीजिए और ध्यान दीजिए कि निम्नलिखित दो प्राचलों में कैसे परिवर्तन होता है –

  1. प्रत्येक कोशिका की गुणसूत्र संख्या (N)
  2. प्रत्येक कोशिका में DNA की मात्रा (C)।

उत्तर:

1. किसी भी जीव में कोशिका विभाजन की पूर्वावस्था (Prophase), मध्यावस्था (Metaphase) एवं पश्चावस्था (Anaphase) में गुणसूत्र की संख्या (N) दुगुनी हो जाती है। अंत्यावस्था (Telophase) में पुत्री कोशिकाओं (Daughter cell) के निर्माण के समय गुणसूत्रों की संख्या (N) आधी हो जाती है।

2. कोशिका विभाजन के दौरान विभिन्न अवस्थाओं में प्रत्येक कोशिका में DNA की मात्रा (C) में परिवर्तन होता है। कोशिका की पूर्वावस्था, मध्यावस्था एवं पश्चावस्था में DNA की मात्रा (C) दुगुनी होती है, लेकिन अंत्यावस्था में पुत्री कोशिका के निर्माण के समय इनकी मात्रा आधी हो जाती है।

कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प का चयन कीजिए –
1. किएज्मेटा निर्मित होते हैं –
(a) डिप्लोटीन अवस्था में
(b) लेप्टोटीन अवस्था में
(c) पैकीटीन अवस्था में
(d) डाइकाइनेसिस अवस्था में।
उत्तर:
(c) पैकीटीन अवस्था में

2. सूत्री विभाजन में गुणसूत्रों का द्विगुणन होता है –
(a) प्रारम्भिक पूर्वावस्था में
(b) पश्च पूर्वावस्था में
(c) विभाजनान्तराल अवस्था में
(d) पश्च अन्त्यावस्था में।
उत्तर:
(b) पश्च पूर्वावस्था में

3. अर्द्धसूत्री विभाजन की प्रथम मध्यावस्था में सेण्ट्रोमियर –
(a) विभाजित होते हैं
(b) विभाजित नहीं होते
(c) विभाजित होकर पृथक् नहीं होते
(d) समान नहीं होते।
उत्तर:
(c) विभाजित होकर पृथक् नहीं होते

4. गुणसूत्र का वह भाग जहाँ पर गुणसूत्र विनिमय होता है उसे कहते हैं –
(a) क्रोमोमियर्स
(b) बाइवैलेन्ट
(c) किएज्मेटा
(d) सेण्ट्रोमियर।
उत्तर:
(c) किएज्मेटा

5. गुणसूत्रों की संख्या कब आधी हो जाती है –
(a) प्रोफेज-I
(b) ऐनाफेज-I
(c) मेटाफेज-I
(d) मेटाफेज-II.
उत्तर:
(b) ऐनाफेज-I

6. अर्द्धसूत्री विभाजन किसमें होता है –
(a) परागकण
(b) परागनलिका
(c) पराग मातृ कोशिका
(d) जनन कोशिका।
उत्तर:
(c) पराग मातृ कोशिका

7. तर्क तन्तु किसके बने होते हैं –
(a) प्रोटीन
(b) लिपिड
(c) सेल्यूलोज
(d) पेक्टिन।
उत्तर:
(a) प्रोटीन

8. युग्मन के समय गुणसूत्रों के मध्य युग्मन होता है –
(a) समान गुणसूत्रों के मध्य
(b) समजात गुणसूत्रों के मध्य
(c) विषमजात गुणसूत्रों में
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) समजात गुणसूत्रों के मध्य

9. क्रोमोसोम्स का द्विगुणन किस अवस्था में होता है –
(a) S अवस्था
(b) G अवस्था
(c) G2अवस्था
(d) M अवस्था।
उत्तर:
(a) S अवस्था

10. किस प्रकार के कोशिका विभाजन में गुणसूत्रों की संख्या में कमी होती है –
(a) मियोसिस
(b) माइटोसिस
(c) द्विविभाजन
(d) विदलन।
उत्तर:
(a) मियोसिस

11. माइटोसिस के समय कोशिका का कौन-सा अंगक लुप्त हो जाता है –
(a) प्लास्टिड
(b) प्लाज्मा झिल्ली
(c) केन्द्रिका
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) केन्द्रिका

12. समजात गुणसूत्रों की एक जोड़ी में चार क्रोमैटिड किस अवस्था में पाई जाती है –
(a) डिप्लोटिन
(b) पैकीटिन
(c) जाइगोटीन
(d) डायकाइनेसिस।
उत्तर:
(b) पैकीटिन

13. किएज्मेटा किसके स्थान को दर्शाते हैं –
(a) सिनैप्सिस
(b) डिस्जंक्शन
(c) क्रॉसिंग ओवर
(d) टर्मिनेलाइजेशन।
उत्तर:
(c) क्रॉसिंग ओवर

14. लैंगिक जनन में कोशिका विभाजन किस प्रकार का होता है –
(a) एमाइटोटिक
(b) माइटोटिक
(c) मियोटिक
(d) मियोटिक एवं माइटोटिक।
उत्तर:
(c) मियोटिक

15. कोशिका विभाजन को रोकने वाला रसायन किस पौधे से प्राप्त किया जाता है –
(a) क्राइसेन्थेमम
(b) कॉल्चिकम
(c) डल्बर्जिया
(d) क्रोकस।
उत्तर:
(b) कॉल्चिकम

16. स्पिण्डल तंतुओं का निर्माण किससे होता है –
(a) सेन्ट्रीओल
(b) केन्द्रक
(c) माइटोकॉन्ड्रिया
(d) सेन्ट्रोमियर।
उत्तर:
(d) सेन्ट्रोमियर।

17. कोशिका विभेदन होने तक कोशिका चक्र की कौन-सी अवस्था आ चुकी होती है –
(a)G0प्रावस्था
(b)G1 प्रावस्था
(c)G2प्रावस्था
(d) S-प्रावस्था।
उत्तर:
(a)G0प्रावस्था

18. कोशिका विभाजन का प्रेरण किसके द्वारा होता है –
(a) साइटोकाइनिन
(b) ऑक्सिन
(c) जिबरेलिन
(d) ए.बी.ए.।
उत्तर:
(a) साइटोकाइनिन

19. कोशिका विभाजन में कोशिका पट्टिका का निर्माण किस अवस्था में होता है –
(a) ऐनाफेज
(b) मेटाफेज
(c) टीलोफेज
(d) साइटोकाइनेसिस।
उत्तर:
(c) टीलोफेज

20. माइटोसिस में सेन्ट्रोमियर का विभाजन किस अवस्था में होता है –
(a) प्रोफेज
(b) मेटाफेज
(c) ऐनाफेज
(d) टीलोफेज।
उत्तर:
(c) ऐनाफेज

21. गुणसूत्रों के किस भाग से तर्कु तन्तु जुड़े रहते हैं –
(a) सेन्ट्रोमियर
(b) क्रोमोमियर
(c) क्रोमानिमा
(d) काइनेटोफोर।
उत्तर:
(d) काइनेटोफोर।

22. वह अवस्था जिसमें किएज्मेटा को देखा जा सकता है –
(a) लेप्टोटीन
(b) जाइगोटीन
(c) पैकीटीन
(d) डाइकाइनेसिस।
उत्तर:
(c) पैकीटीन

23. मियोसिस में किन कारणों से विभिन्नता उत्पन्न होती है –
(a) स्वतंत्र अपव्यूहन
(b) क्रॉसिंग ओवर
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) सहलग्नता।
उत्तर:
(c) (a) एवं (b) दोनों

24. गुणसूत्रों पर पाये जाने वाले क्रोमोमियर्स की संख्या होती है –
(a)250
(b)300
(c) 150
(d) 300 से अधिक।
उत्तर:
(a)250

25. टेरिडोफाइटा में रिडक्शन विभाजन होता है –
(a) गैमीट बनने के समय
(b) स्पोर बनने के बाद
(c) स्पोर बनने के समय
(d) गैमीट बनने के बाद।
उत्तर:
(c) स्पोर बनने के समय

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. अर्द्धसूत्री विभाजन …………….. में होता है।
  2. सिनैप्टिकल जटिल का निर्माण ……………. अवस्था में होता है।
  3. अर्धसूत्री विभाजन के गुणसूत्र …………….. अवस्था में विभाजित होते हैं।
  4. डिप्लोटीन अवस्था में …………….. होता है।
  5. कैरियोकाइनेसिस में …………… का विभाजन होता है।
  6. जनक एवं संतति कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या बराबर होती है इसलिए इसे …………….. कहते हैं।
  7. मध्यावस्था में जिस तल पर गुणसूत्र पंक्तिबद्ध हो जाते हैं उसे …………………. कहते हैं।

उत्तर:

  1. जनन कोशिकाओं
  2. जाइगोटीन
  3. द्वितीय पश्चावस्था
  4. जीन विनिमय
  5. केन्द्रक
  6. समसूत्री विभाजन
  7. मध्यावस्था पट्टिका।

प्रश्न 3.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –

  1. अर्द्धसूत्री विभाजन में दो गुणसूत्र के बीच बनने वाली रचना का नाम लिखिए।
  2. कोशिका झिल्ली में गर्त बनने से किस कोशिका में कोशिकाद्रव्य विभाजन होता है ?
  3. कोशिका में जीन्स की स्थिति कहाँ होती है ?
  4. किस कोशिका विभाजन द्वारा पौधों में युग्मक निर्माण होता है ?
  5. कोशिका विभाजन की किस अवस्था में गुणसूत्र मध्य रेखा पर स्थित हो जाते हैं ?

उत्तर:

  1. किएज्मा (किएज्मेटा)
  2. जन्तु कोशिका
  3. केन्द्रक के गुणसूत्र में
  4. अर्द्धसूत्री
  5. मेटाफेज।

प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन - 1
उत्तर:

  1. (d) G2 उपावस्था
  2. (a) पूर्वावस्था
  3. (e) समसूत्री विभाजन
  4. (c) दो कोशिकाएँ
  5. (b) अगुणित संतति कोशिका

प्रश्न 5.
सत्य / असत्य बताइए –

  1. कोशिकीय विभाजन ही जीवन की सत्यता का आधार है।
  2. तंत्रिका कोशिका विभाजित होती है।
  3. कोशिकीय चक्र के M – चरण में वास्तविक केंद्रकीय विभाजन होता है।
  4. जीवाणु कोशिका का कोशिका चक्र 20 घंटे में पूरा होता है।
  5. तर्कुतन्तु गुणसूत्रों की गति को अनियंत्रित करते हैं।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. असत्य।

कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कोशिका विभाजन की किस अवस्था में क्रॉसिंग ओवर होती है ?
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रोफेज की पैकीटीन अवस्था में क्रॉसिंग ओवर होती है।

प्रश्न 2.
ऐसे रसायन का नाम बताइए जो कोशिका विभाजन के अध्ययन हेतु गुणसूत्रों के अभिरंजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
उत्तर:
ऐसीटोकार्मिन (Acetocarmine) या ऐसीटोऑर्सिन नामक अभिरंजन का उपयोग कोशिका विभाजन · में गुणसूत्रों के अभिरंजन हेतु किया जाता है। .

प्रश्न 3.
समसूत्री विभाजन किन कोशिकाओं का लक्षण है ? उत्तर-समसूत्री विभाजन कायिक कोशिकाओं का लक्षण है। प्रश्न 4. अर्द्धसूत्री विभाजन किन कोशिकाओं में होता है ?
उत्तर:
यह विभाजन जनन कोशिकाओं में होता है, जिसके फलस्वरूप युग्मकों का निर्माण होता है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या समान बनी रहती है।

प्रश्न 5.
प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन में पायी जाने वाली अवस्थाओं का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन में निम्नलिखित अवस्थाएँ पायी जाती हैं –
(A) प्रोफेज प्रथम-इसमें पाँच उप-अवस्थाएँ होती हैं –

  1. लेप्टोटीन
  2. जाइगोटीन
  3. पैकीटीन
  4. डिप्लोटीन
  5. डायकाइनेसिस।

(B) मेटाफेज प्रथम
(C) ऐनाफेज प्रथम
(D) टिलोफेज प्रथम।

प्रश्न 6.
उस विधि का नाम बताइए, जिसके कारण आनुवंशिक स्थिरता, वृद्धि, अलैंगिक प्रजनन, पुनरावृत्ति तथा कोशिकाओं का प्रतिस्थापन होता है।
उत्तर:
समसूत्री विभाजन (Mitotic division)

प्रश्न 7. समसूत्री विष किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कुछ रसायन ऐसे होते हैं, जो समसूत्री विभाजन को रोक देते हैं, इन्हें समसूत्री विष कहते हैं। कुछ प्रमुख समसूत्री विष निम्नलिखित हैं –

  • कोल्चिसीन-यह विभाजन के समय त’ बनने की क्रिया को रोककर मध्यावस्था को स्थिर कर देता है।
  • राइबोन्यूक्लिएज-यह प्रोफेज अवस्था को रोक देता है।
  •  मस्टर्ड गैस-गुणसूत्रों को खण्डित कर देता है।

प्रश्न 8.
एक पुष्पीय पादप के उन अंगों के नाम बताइए जहाँ अर्द्धसूत्री विभाजन सम्भव है।
उत्तर:
पुष्पीय पादप के पुंकेसर के परागकोष तथा स्त्रीकेसर के अण्डाशय में अर्द्धसूत्री विभाजन होता है।

कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीन विनिमय क्या है ? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन की डिप्लोटीन अवस्था में होने वाली समजात गुणसूत्र खण्डों की अदलाबदली को जीन विनिमय या क्रॉसिंग ओवर कहते हैं। जब डिप्लोटीन अवस्था में विकर्षण के पैदा होने के कारण समजात गुणसूत्र अलग-अलग होना प्रारम्भ करते हैं तब ये आपस में कुछ स्थानों पर संलग्न रह जाते हैं इन स्थानों को किएज्मा कहते हैं।

इन स्थानों पर सिस्टर क्रोमैटिड टूटकर फिर से क्रॉस के रूप में जुड़ जाते हैं, लेकिन गुणसूत्रों के फिर से जुड़ने की इस क्रिया में क्रोमोनिमा की अदला-बदली (पुनर्योजन) हो जाती है। गुणसूत्रों के क्रोमोनिमा की इसी अदला-बदली को परस्पर जीन विनिमय (Crossing over) कहते हैं। अतः इस प्रक्रिया के कारण समजात गुणसूत्रों के बीच जीन विनिमय होता है।

महत्व:

  1. इसके कारण जीवों में विभिन्नता पैदा होती है।
  2. इसके कारण जीवों में अनुकूलन पैदा होता है।
  3. इसके कारण जीवों में विकासात्मक लक्षण बनते हैं।
  4. इसकी सहायता से गुणसूत्रों के आनुवंशिक मानचित्र बनाये जाते हैं।
  5. इसके कारण जीवों में नये लक्षण बनते हैं।

प्रश्न 2.
समसूत्री विभाजन के महत्व को लिखिए।
उत्तर:
समसूत्री विभाजन का महत्व –

  1. इस विभाजन के कारण जीवों में वृद्धि तथा विकास होता है।
  2. इस विभाजन के कारण जनक कोशिकाओं के समान ही सन्तति कोशिकाएँ बनती हैं।
  3. इस विभाजन के द्वारा घाव भरते हैं तथा मृत कोशिकाओं का प्रतिस्थापन भी इसी विभाजन के द्वारा होता है।
  4. इस विभाजन के द्वारा सूचनाओं का मातृ कोशिका से सन्तति कोशिका में प्रवाह होता है।

प्रश्न 3.
मियोसिस की ऐनाफेज प्रथम, माइटोटिक ऐनाफेज से किस बात में भिन्न है ? इसका पूरी प्रक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
मियोसिस के ऐनाफेज – I में कोशिका के गुणसूत्रों की द्विगुणित संख्या में से आधे गुणसूत्र एक ध्रुव पर तथा आधे गुणसूत्र दूसरे ध्रुव पर जाते हैं, जबकि माइटोसिस में एक ही गुणसूत्र के अर्द्ध-गुणसूत्र सेण्ट्रोमियर से अलग होकर एक अर्द्ध-गुणसूत्र एक ध्रुव पर तथा दूसरा दूसरे ध्रुव पर जाता है। पूरी प्रक्रिया पर पड़ने वाला प्रभाव-मियोसिस के ऐनाफेज में आधे-आधे गुणसूत्र ध्रुवों पर जाने के कारण विभाजन पूर्ण होने पर दो ऐसी सन्तति कोशिकाएँ बनती हैं, जिनमें गुणसूत्रों की संख्या मूल संख्या की आधी हो जाती है, फलत: पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या एक समान बनी रहती है।

प्रश्न 4.
किसी भी बहुकोशिकीय जीवधारी में दो प्रकार के कोशिका विभाजनों की आवश्यकता एवं महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
दो कोशिकीय विभाजनों की आवश्यकता-बहुकोशिकीय जीवों की संरचना तथा जैविक क्रिया जटिलता का. प्रदर्शन करती हैं। इस कारण इनमें दो प्रकार के विभाजनों की आवश्यकता पड़ती है, जिससे एक विभाजन (अर्द्धसूत्री) जनन कोशिकाओं में प्रजनन के समय हो जिससे गुणसूत्रों की संख्या में स्थिरता बनी रहे, जबकि दूसरा विभाजन ऐसा हो जो सामान्य कोशिकाओं की मरम्मत कर सके। दो प्रकार का विभाजन इन आवश्यकताओं को पूरा करता है।

महत्व:
इन दो प्रकार के विभाजनों के कारण ही कोशिकीय संलयन (निषेचन) के बाद भी जीवों तथा कोशिकाओं में पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या समान बनी रहती है और टूट-फूट की मरम्मत तथा वृद्धि एवं विकास की क्रियाएँ भी संचालित होती हैं।

प्रश्न 5.
समसूत्री विभाजन की प्रोफेज तथा ऐनाफेज को चित्र सहित समझाइए।
उत्तर:
समसूत्री प्रोफेज:

  1. गुणसूत्र लम्बे, पतले धागे के समान पाये जाते हैं, जिसे क्रोमैटिन जाल कहते हैं।
  2. सेण्ट्रिओल गति करके ध्रुवों पर जाने लगते हैं।
  3. गुणसूत्र सेण्ट्रोमियर से जुड़े हुए दिखाई देने लगते हैं।
  4. केन्द्रकीय झिल्ली समाप्त हो जाती है।

समसूत्री ऐनाफेज:

  1. सेण्ट्रोमियर्स के विभाजन से दोनों क्रोमैटिड्स अलग हो जाते हैं एवं दो गुणसूत्र बना देते हैं।
  2. गुणसूत्र ध्रुवों की ओर गति करते हैं। 3. गुणसूत्र की संख्या एवं प्रकार स्पष्ट हो जाते हैं।

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन - 4

प्रश्न 6.
समसूत्री विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं को चित्रित कीजिए।
उत्तर:
समसूत्री विभाजन (Mitosis cell division):
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन - 5

प्रश्न 7.
समसूत्री विभाजन की क्या विशेषताएँ हैं ? मेटाफेज का नामांकित चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विशेषताएँ:

  1. नई बनी कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका के समान होती है।
  2. एक कोशिका विभाजित होकर दो समान कोशिकाएँ बनाती हैं।
  3. यह विभाजन कायिक कोशिका में होता है तथा इसके कारण जीवों में वृद्धि होती है तथा घाव भरता है।
  4. जनक कोशिका के आनुवंशिक गुण पौत्रिक कोशिका में पहुँचते हैं। इस विभाजन से आनुवंशिक समानता बनी रहती है।

समसूत्री मेटाफेज:

  1. इस अवस्था में केन्द्रक कला तथा केन्द्रिका लुप्त हो जाती है।
  2. गुणसूत्र कोशिका की मध्यरेखा पर एकत्रित हो जाते हैं।
  3. गुणसूत्रों के अर्द्ध गुणसूत्र स्पष्ट एवं अलग हो जाते हैं।
  4. तर्क का निर्माण पूर्ण हो जाता है। टीप-चित्र के लिए उपर्युक्त प्रश्न क्रमांक 6 के चित्र D को देखिए।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए –

  1. समसूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन
  2.  गुणसूत्र एवं अर्द्ध-गुणसूत्र
  3. सेण्ट्रोमियर एवं क्रोमोमियर
  4.  सेण्ट्रोसोम एवं सेण्ट्रिओल
  5. मेटाफेज-I एवं मेटाफेज-II
  6.  जायगोटीन एवं पैकीटीन
  7. कोशिका खाँच एवं कोशिका प्लेट।

उत्तर:

1. समसूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में अन्तर:
दोनों ही कोशिका विभाजनों में कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है तथा दोनों में गुणसूत्रों का विभाजन होता है। इन समानताओं के बावजूद दोनों विभाजनों में निम्नलिखित अन्तर पाये जाते हैं –
img

2. गुणसूत्र एवं अर्द्ध-गुणसूत्र में अन्तर:
क्रोमैटिन जाल ही कोशिका विभाजन के समय संघनित होकर एक विशिष्ट रचना बनाता है, जिसे गुणसूत्र कहते हैं, जबकि गुणसूत्र स्वयं दो कुण्डलित अर्धांशों का बना होता है, जिसे अर्द्ध-गुणसूत्र कहते हैं।

3. सेण्ट्रोमियर एवं क्रोमोमियर में अन्तर:
गुणसूत्रों में पाये जाने वाले प्राथमिक संकीर्णन को सेण्ट्रोमियर कहते हैं। यह गुणसूत्र को दो भुजाओं में बाँटकर उनके आकार को निर्धारित करता है, जबकि गुणसूत्र के अन्दर क्रोमैटीन तन्तु (क्रोमोनिमा) पर पायी जाने वाली गाँठ सदृश रचनाओं को क्रोमोमियर कहते हैं । सम्भवत: DNA अणु इन्हीं स्थानों पर क्रोमैटीन तन्तु से जुड़े होते हैं।

4. सेण्ट्रोसोम एवं सेण्ट्रिओल में अन्तर:
कोशिका के अन्दर तथा केन्द्रक के पास एक कलाविहीन कणीय कोशिकांग पाया जाता है, जिसे सेण्ट्रोसोम कहते हैं। सेण्ट्रिओल दो उप-इकाइयों का बना होता है, जो एक-दूसरे से समकोण पर स्थित होती है।

5. मेटाफेज-I एवं मेटाफेज-II में अन्तर –
मेटाफेज – I:
1. समजात गुणसूत्र जोड़े में कोशिका के मध्य में स्थित होते हैं।
2. इसमें सेण्ट्रोमियर विभाजित नहीं होता पूरा गुणसूत्र ध्रुवों की ओर जाता है।

मेटाफेज – II
1. इकहरे गुणसूत्र कोशिका के मध्य में स्थित होते हैं।
2. इसमें सेण्ट्रोमियर विभाजित होकर दो भाग बना देता है तथा अर्द्ध – गुणसूत्र ध्रुवों की ओर जाता है।

6. जायगोटीन एवं पैकीटीन में अन्तर:
जायगोटीन अवस्था में गुणसूत्र जोड़े में रहकर बाइवैलेण्ट अवस्था में रहता है, जबकि पैकीटीन में गुणसूत्रों के अर्द्ध-गुणसूत्र अलग होकर टेट्राड अवस्था में रहते हैं।

7. कोशिका खाँच एवं कोशिका प्लेट:
कोशिका खाँच वह रचना है, जिसमें कोशिका संकीर्णित होकर दो भागों में बँटती हैं, जबकि कोशिका प्लेट वह रचना है, जिसमें कोशिका के मध्य में कोशिकांग व्यवस्थित होकर एक प्लेट बनाते हैं फलतः कोशिका दो भागों में बँट जाती है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित का अर्थ स्पष्ट कीजिए –

  1. समजात गुणसूत्र
  2. बाइवैलेण्ट
  3. टेट्राड
  4. G2फेज।

उत्तर:
(i) समजात गुणसूत्र – एक समान गुणसूत्रों को समजात (Homologous) गुणसूत्र कहते हैं अगर ये गुणसूत्र एक साथ स्थित हों, तो उनकी सभी रचनाएँ हूबहू एकसमान होती हैं।

(ii) बाइवैलेण्ट-NCERT प्रश्न क्रमांक 7 का उत्तर देखिए।

(iii) टेट्राड-पैकीटीन अवस्था में समजात गुणसूत्रों के अर्द्ध – गुणसूत्र विभाजित होकर प्रत्येक गुणसूत्र को दो अर्द्धाशों अर्थात् तन्तुओं में बाँट देते हैं। इस कारण जोड़े के गुणसूत्र चार गुणसूत्रों के रूप में प्रतीत होने लगते हैं, तब समजात गुणसूत्रों के जोड़े को टेट्राड कहते हैं।

(iv)G2;फेज या द्वितीय वृद्धि उपअवस्था – कोशिकीय चक्र की वह उप-अवस्था है, जिसमें कोशिकीय संश्लेषण फिर से होता है। इस उप-अवस्था में माइटोकॉण्ड्रिया व क्लोरोप्लास्ट स्वविभाजित हो जाते हैं। सेण्ट्रिओल का विभाजन होकर दो सेट बन जाते हैं तथा स्पिण्डिल निर्माण प्रारम्भ हो जाता है। इस अवस्था में कोशिकीय पदार्थों का संश्लेषण फिर से होता है, इस कारण इसे G2 फेज कहते हैं।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से कौन-से कथन समसूत्री विभाजन की निम्नलिखित अवस्थाओं से सम्बन्धित हैं –
(A) प्रोफेज
(B) मेटाफेज
(C) ऐनाफेज
(D) टीलोफेज
(E) इण्टरफेज।

  1. केन्द्रक झिल्ली का पुनः निर्माण
  2. गुणसूत्र सर्वाधिक छोटे एवं मोटे
  3. गुणसूत्र कुण्डलित होने लगते हैं
  4. सेण्ट्रोमियर का दो भागों में विभाजन
  5. केन्द्रक सक्रिय होता है, किन्तु क्रोमोसोम स्पष्ट दिखाई नहीं देते हैं
  6. साइटोकाइनेसिस के बाद की अवस्था
  7. प्रत्येक गुणसूत्र दो अर्द्ध-गुणसूत्रों का बना दिखाई देता है।

उत्तर:

  1. टीलोफेज
  2. मेटाफेज
  3. टीलोफेज
  4. प्रोफेज
  5. प्रोफेज
  6. इण्टरफेज
  7. प्रोफेज।

कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्द्धसूत्री विभाजन की क्रिया का नामांकित चित्रों सहित विवरण दीजिए तथा इसका महत्व लिखिए।
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन-वह विभाजन है, जिसमें विभाजन के बाद चार ऐसी कोशिकाएँ बनती हैं, जिसमें गुणसूत्रों की संख्या मूल संख्या की आधी रह जाती है। यह विभाजन दो चरणों में पूरा होता है –

(A) अर्द्धसूत्री विभाजन प्रथम:
इसके द्वारा दो ऐसी कोशिकाएँ बनती हैं, जिनमें गुणसूत्रों की संख्या मूल कोशिका की आधी होती हैं। यह चार अवस्थाओं में पूरा होता है –

1. प्रोफेज-I:
इसमें पाँच उप अवस्थाएँ होती हैं –

  1. लेप्टोटीन – सेण्ट्रिओल ध्रुवों पर चले जाते हैं तथा गुणसूत्र स्पष्ट हो जाते हैं।
  2. जायगोटीन – समजात गुणसूत्र जोड़ा बनाते हैं।
  3. पैकीटीन – गुणसूत्रों के अर्द्ध-गुणसूत्र अलग होकर टेट्राड बना देते हैं, और उनमें अन्तर्ग्रथन हो जाता है तथा जीन विनिमय की क्रिया होती है।
  4. डिप्लोटीन-समजात गुणसूत्र विकर्षण के कारण अलग हो जाते हैं तथा उनमें जीन विनिमय पूर्ण हो जाता है।
  5. डायकाइनेसिस-गुणसूत्र दूर जाने लगते हैं । केन्द्रक तथा केन्द्रिका विलुप्त हो जाती हैं तथा तर्कु बन जाते हैं।

2. मेटाफेज-I:
समजात गुणसूत्र कोशिका के मध्य में आ जाते हैं, त’ पूर्ण विकसित हो जाते हैं।

3. ऐनाफेज-I:
समजात गुणसूत्रों में से एक, एक ध्रुव पर तथा दूसरा, दूसरे ध्रुव पर चला जाता है। अतः आधे गुणसूत्र एक ध्रुव पर तथा आधे दूसरे ध्रुव पर चले जाते हैं।

4. टीलोफेज:
केन्द्रिका तथा केन्द्रक फिर से बन जाते हैं अन्त में दो ऐसी कोशिकाएँ बनती हैं, जिनमें गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।
कोशिकाद्रव्य विभाजन-दो केन्द्रक बनने के बाद कोशिका का कोशिकाद्रव्य भी खाँच या पट्ट निर्माण द्वारा दो भागों में बँट जाता है।

(B) अर्द्धसूत्री विभाजन द्वितीय:
यह समसूत्री विभाजन के समान होता है, जिसमें अर्द्धसूत्री विभाजन से बनी कोशिकाएँ दो-दो कोशिकाओं में विभाजित हो जाती हैं –
इसमें निम्नलिखित चार अवस्थाएँ होती हैं –

1. प्रोफेज – II:
प्रथम विभाजन की सन्तति कोशिकाओं के गुणसूत्र स्पष्ट हो जाते हैं। केन्द्रक तथा केन्द्रिका विलुप्त हो जाती हैं तथा तर्कु बन जाते हैं।

2. मेटाफेज-II:
गुणसूत्र के दोनों अर्द्ध-गुणसूत्र अलग होकर कोशिका के मध्य में आ जाते हैं।

3. ऐनाफेज-II:
अर्द्ध-गुणसूत्र अलग-अलग ध्रुवों पर चले जाते हैं और गुणसूत्र का रूप ले लेते हैं।

4. टीलोफेज-II:
प्रत्येक ध्रुव पर केन्द्रक बन जाता है। कोशिकाद्रव्य विभाजन-प्रथम विभाजन से बनी दोनों कोशिकाओं के दोनों केन्द्रकों के चारों तरफ कोशिकाद्रव्य भी विभाजित हो जाता है। इस प्रकार चार ऐसी कोशिकाएँ बन जाती हैं, जिनमें गुणसूत्रों की संख्या आधी हो जाती है।

अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्व:

  1. इसके कारण पीढ़ी-दर-पीढ़ी कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या एक समान बनी रहती है।
  2. इस विभाजन के कारण जनक के समान ही कोशिकाएँ पैदा होती हैं।
  3. इस विभाजन में जीन विनिमय होने के कारण यह नये गुणों के बनने में सहायता करता है।
  4. इसके कारण विभिन्नता पैदा होती है, जो जैव विकास के लिए आवश्यक है।
  5. इसके कारण एक द्विगुणित कोशिका से चार अगुणित कोशिकाएँ बनती हैं।

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन - 6

प्रश्न 2.
कोशिका चक्र की आवश्यकता एवं महत्व को दर्शाते हुए उसकी विभिन्न अवस्थाओं में होने वाली घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोशिका चक्र की आवश्यकता एवं महत्व-एक कोशिका के अस्तित्व में आने से लेकर उसका विभाजन होने तक की क्रियाएँ संयुक्त रूप से कोशिका चक्र कहलाती हैं। कोशिका चक्र के कारण ही नई कोशिकाओं का निर्माण होता है, जिससे नई कोशिकाएँ बनकर घाव को भरती हैं।

इसके अलावा इसी के कारण ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या एकसमान बनी रहती है। इसी के कारण जीवों में वृद्धि तथा विकास सम्भव हो पाता है एवं पुरानी कोशिकाओं की पुनर्स्थापना होती है अर्थात् कोशिकीय चक्र के बिना जीव अस्तित्व में नहीं रह पाएँगे। कोशिका चक्र की अवस्थाएँ-कोशिकीय चक्र में निम्नलिखित अवस्थाएँ पायी जाती हैं –

(A) अन्तरावस्था या विभाजनान्तराल या इण्टरफेज:
अंतरावस्था(इण्टरफेज) दो विभाजनों के बीच की अवस्था है, जिसमें निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ पायी जाती हैं –

(i)G2 फेज-इस अवस्था में प्रोटीन एवं RNA का संश्लेषण किया जाता है।

(ii) S2 फेज-इस अवस्था में DNA एवं हिस्टोन प्रोटीन का संश्लेषण होता है।

(ii) G2फेज-इस अवस्था में आवश्यक प्रोटीन तथा RNA का संश्लेषण किया जाता है तथा विभिन्न कोशिकांगों का निर्माण होता है।

(B) विभाजन अवस्था या m – अवस्था:
इसमें कोशिका का मूल विभाजन होता है, जिससे 2 या 4 कोशिकाएँ बनती हैं। इसमें निम्नलिखित अवस्थाएँ पायी जाती हैं –
1. केन्द्रकीय विभाजन-इस प्रावस्था में विभाजित होने वाली कोशिका का केन्द्र विभाजित होकर दो अथवा चार केन्द्र बना देता है। यह विभाजन चार अवस्थाओं प्रोफेज, मेटाफेज, ऐनाफेज तथा टीलोफेज में पूर्ण होता है।

2. कोशिकाद्रव्य विभाजन या साइटोकाइनेसिस:
कोशिका द्रव्य विभाजन-कोशिका विभाजन के समय केन्द्रक विभाजन के बाद कोशिकाद्रव्य विभाजन को साइटोकाइनेसिस या कोशिकाद्रव्य विभाजन कहते हैं, यह पादप एवं प्राणियों में दो अलग-अलग विधियों द्वारा होता है –

(a) कोशिका खाँच द्वारा इस कोशिकाद्रव्य विभाजन में कोशिका के मध्य में एक खाँच बनती है, जो बढ़कर कोशिका के कोशिकाद्रव्य को दो भागों में बाँट देती है। प्रत्येक भाग में एक केन्द्रक होता है, जन्तुओं में इसी प्रकार का विभाजन पाया जाता है।

(b) कोशिका प्लेट द्वारा इस कोशिकाद्रव्य विभाजन में कोशिका के मध्य गॉल्गीकाय तथा E.R. एकत्रित होकर एक पट बना देते हैं जो बाद में कोशिका भित्ति बन जाती है और कोशिका को दो भागों में बाँट देती हैं। प्रत्येक भाग में एक केन्द्रक होता है। यह विभाजन पादप कोशिकाओं में पाया जाता है।

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MP Board Class 11th Chemistry Important Questions with Answers

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MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत

जीव जगत NCERT प्रश्नोत्तर

जीव जगत में विविधता Class 11 MP Board Chapter 1 प्रश्न 1.
जीवों को वर्गीकृत क्यों करते हैं ?
उत्तर:
जैव-वर्गीकरण का उद्देश्य बड़ी संख्या में ज्ञात पादपों और जन्तुओं को ऐसे वर्गों में व्यवस्थित करना है, कि उन्हें नाम प्रदान किया जा सके एवं अध्ययन में सरलता हो। जीवों को वर्गीकृत करने से निम्नलिखित लाभ हैं –

  1. इसके कारण विश्व के विविध प्रकार, असंख्य जीवों के अध्ययन में सुविधा होती है।
  2. इसके कारण जन्तु पादपों के सम्बन्धों का पता चलता है।
  3. इसके कारण जीवों को पहचानने में सरलता होती है।
  4. जीवों की उत्पत्ति तथा दूसरे जीवों से सम्बन्ध का पता चलता है।
  5. इसके कारण जीवों के विकास के क्रम एवं प्रमाण का पता लगता है।

जीव जगत के प्रश्न उत्तर MP Board Chapter 1 प्रश्न 2.
वर्गीकरण प्रणाली को बार-बार क्यों बदलते हैं ?
उत्तर:
वर्गीकरण प्रणाली को बार-बार बदलने का प्रमुख कारण जैव – विकास है। जीवों में सतत् चलने वाली विकास प्रक्रिया के कारण नई-नई विभिन्न प्रजातियों के पादप एवं जन्तु पहले से मौजूद जीव-विविधता (Bio – diversity) से जुड़ते जाते हैं। इन नवीन जीवों को पहचानकर वर्गीकरण प्रणाली से संबद्ध किया जाता है। विकास के कारण पादप एवं जन्तुओं की जातियाँ (Species) बदलती रहती हैं। अत: इसके कारण प्रचलित वर्गीकरण प्रणाली को परिवर्तित कर जीवों को उनके क्रम में रखना पड़ता है।

Jeev Jagat Mein Vividhta MP Board Chapter 1 प्रश्न 3.
जिन लोगों से प्रायः आप मिलते रहते हैं, आप उन्हें किस आधार पर वर्गीकृत करना पसंद करेंगे?(संकेत-ड्रेस, मातृभाषा, प्रदेश जिसमें वे रहते हैं, आर्थिक स्तर आदि)।
उत्तर:
सबसे पहले हम मातृभाषा के आधार पर अपने से मिलने वाले लोगों का वर्गीकरण करते हैं, उसके पश्चात् प्रदेश जहाँ वह रहता है तथा अन्त में उसकी वेशभूषा, धर्म, जाति, शारीरिक रंगरूप की बनावट, आर्थिक स्थिति के आधार पर हम वर्गीकृत करना पसंद करेंगे।

जीव जगत कक्षा 11 MP Board Chapter 1 प्रश्न 4.
व्यष्टि तथा समष्टि की पहचान से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
व्यष्टि (Individual) तथा समष्टि (Population) की पहचान से वर्तमान के सभी जीवों के परस्पर संबंधों के बारे में जानकारी मिलती है। इसमें हमें समान प्रकार के जीवों तथा अन्य प्रकार के जीवों में समानता तथा विभिन्नता को पहचानने में मदद मिलती है। उदाहरण-आलू की दो विभिन्न जातियाँ (Species) हैं –

जीव जगत में विविधता Class 11 MP Board Chapter 1

Mp Board Solution Class 11 Biology प्रश्न 5.
आम का वैज्ञानिक नाम निम्नलिखित है-इसमें से कौन-सा सही है? मैगिफेरा इंडिका (Mangifera indica) या मैंगिफेरा इंडिका (Mangifera indica)
उत्तर:
आम के वैज्ञानिक नाम को लिखने की सही विधि है-मैगिफेरा इंडिका (Mangifera indica)।

प्रश्न 6.
टैक्सॉन की परिभाषा दीजिए। विभिन्न पदानुक्रम स्तर पर टैक्सा के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
टैक्सॉन (Taxon) जीवों का एक समूह है जो कि किसी भी स्तर की वर्गिकी पदानुक्रम (Hierarchical classification) में पाया जाता है। टैक्सॉन मुख्यत: जीवों के समान लक्षणों पर आधारित होता है।

उदाहरण:
कीट, संघ ऑर्थोपोडा के एक वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। सभी कीटों में एक समान लक्षण तीन जोड़ी युग्मित उपांग पाये जाते हैं। टैक्सा के प्रमुख उदाहरण हैं – जगत, संघ, वर्ग, गण, कुल, जाति एवं वंश। ये सभी टैक्सा (संवर्ग) मिलकर वर्गिकी पदानुक्रम बनाते हैं।

उदाहरण – मनुष्य का टैक्सा (संवर्ग) है –

  1. संघ – कॉर्डेटा
  2. वर्ग – स्तनधारी
  3. गण – प्राइमेट्स
  4. कुल – होमिनिडी
  5. वंश – होमो
  6. जाति – सैपियन्स।

प्रश्न 7.
क्या आप वर्गिकी संवर्ग का सही क्रम पहचान सकते हैं –
(अ) जाति (स्पीशीज) → गण ( ऑर्डर) → संघ (फाइलम) → जगत (किंगडम)
(ब) वंश (जीनस) → जाति → गण → जगत
(स) जाति → वंश → गण → संघ।
उत्तर:
वर्गिकी संवर्ग (Taxonomical categories) का सही क्रम है –
(स) जाति → वंश → गण → संघ।

प्रश्न 8.
जाति शब्द के सभी मानवीय वर्तमान कालिक अर्थों को एकत्र कीजिए। क्या आप अपने शिक्षक से उच्च कोटि के पौधों तथा प्राणियों तथा बैक्टीरिया की स्पीशीज का अर्थ जानने के लिए चर्चा कर सकते हैं ?
उत्तर:
जाति वर्गीकरण की सबसे छोटी इकाई है। मेयर (1942) के अनुसार, “जाति आपस में संकरण या संयोग करने वाले एक समान जीवों का समूह है।” आधुनिक विचारधारा के अनुसार, निम्नलिखित लक्षण वाले जीवों को जाति (Species) कहते हैं –

  1. इनके सदस्यों में अन्तरा प्रजनन की क्षमता पायी जाती है।
  2. इस समूह या आबादी में एक समान जीन पूल (जीन समूह) पाया जाता है।
  3. प्रत्येक जाति में वातावरण के साथ अनुकूलन एवं प्राकृतिक चयन चलता रहता है।
  4. प्रत्येक जाति में जैव विकास के द्वारा नयी जाति पैदा करने की क्षमता पायी जाती है।
  5. प्रत्येक जाति में पृथक्करण के कुछ ऐसे कारक पाये जाते हैं, जो निकट सम्बन्धी जाति के सदस्यों से प्रजनन करने में रुकावट पैदा करते हैं।

मैंगिफेरा इंडिका (आम), सोलेनम ट्यूबरोसम (आलू), तथा पैंथेरा लियो (शेर) उच्चकोटि के पौधे तथा प्राणी के उदाहरण हैं। इन सभी नामों में ” इंडिका, ट्यूबरोसम'” तथा “लियों” जाति संकेत के पद हैं। जबकि पहले शब्द ” मैंगिफेरा’, “सोलेनम” तथा ” पैंथेरा” वंश के नाम हैं और यह टैक्सा अथवा संवर्ग का भी निरुपण करते हैं। प्रत्येक वंश में एक अथवा एक से अधिक जाति के संकेत पद हो सकते हैं जो विभिन्न जीवों जिनमें आकारिकी गुण समान हों को प्रदर्शित करते हैं। उदाहरणार्थ “पैंथेरा” में एक अन्य जाति संकेत पद है जिसे टिग्रिस कहते हैं। सोलेनेम’ वंश में नाइग्रम, मैलान्जेना भी आते हैं। लेकिन बैक्टीरिया को उनके आकार के आधार पर चार वर्ग समूहों में रखा जाता है-गोलाकार, छड़नुमा, कॉमा एवं तर्कुरूपी। अतः इस प्रकार का अर्थ उच्च जीवों के लिए है, बैक्टीरिया के लिए अलग-अलग है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित शब्दों को समझाइए तथा परिभाषित कीजिए –

  1. संघ
  2. वर्ग
  3. कुल
  4. गण
  5. वंश।

उत्तर:
वर्गीकरण की पदानुक्रमी स्तरें:
जीवों का वर्गीकरण करते समय अध्ययन की सुविधा के लिए इन्हें कई छोटे-बड़े समूहों में रखा गया है, जिन्हें संवर्ग या श्रेणी (Category) कहा जाता है। इन संवर्गों का वर्गीकरण में एक निश्चित स्थान होता है और इन्हें इनके गुणों के आधार पर बढ़ते हुए क्रम में रखा जाता है। इसी क्रम को वर्गीकरण का पदानुक्रम (Hierarchy) कहते हैं। इस पदानुक्रम की सबसे छोटी इकाई जाति तथा बड़ी इकाई जगत है। वर्गीकरण में संवर्गों का क्रम निम्नानुसार होता है –

1. जाति:
यह वर्गीकरण की मूल तथा बहुत छोटी इकाई है। वर्गीकरण की इस इकाई में आपस में संकरण करने वाले जीवों के समूह को रखा जाता है जैसे-सभी प्रकार के मानवों को होमो सैपियन्स में रखा जाता है, जबकि वे बाह्य आकार में विविधता प्रदर्शित करते हैं।

2. वंश:
कुछ एक समान गुणों को प्रदर्शित करने वाली जातियों को एक वंश में रखा जाता है, जैसेशेर, बाघ, चीता को एक वंश पैंथेरा में रखा गया है।

3. कुल:
कुछ एक समान गुणों वाले वंशों को एक कुल में रखते हैं। जैसे-सभी दालों का प्रतिनिधित्व करने वाले पादपों को एक कुल पैपीलियोनेसी में रखा जाता है।

4. गण:
एक या कई मिलते-जुलते गुणों वाले कुलों को एक गण में रखा जाता है। जैसे-जन्तुओं के फेलिडी तथा कैनिडी कुल को कार्निवोरा गण में रखा जाता है।

5. वर्ग:
कुछ सर्वश्रेष्ठ गुणों वाले गणों को एक वर्ग में रखा जाता है।

6. संघ:
कुछ सर्वनिष्ठ गुणों वाले वर्गों को एक संघ में रखा जाता है। जैसे-नोटोकॉड, नर्वकॉर्ड तथा गिल की उपस्थिति के कारण मत्स्य, ऐम्फिबिया, सरीसृप, पक्षी एवं स्तनी वर्ग को संघ कॉर्डेटा में रखा जाता है।

7. जगत:
कई सर्वनिष्ठ गुणों वाले संघों को एक जगत में रखा जाता है। उपर्युक्त वर्णित संवर्ग मुख्य संवर्ग हैं, इन्हें आवश्यकतानुसार कई छोटे संवर्गों में भी बाँटा जाता है।

प्रश्न 10.
जीव के वर्गीकरण तथा पहचान में कुंजी किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर:
पादपों एवं जन्तुओं को पहचानने की रूपरेखा कुंजी (Key) है। वर्गिकी की कुंजियाँ विपरीत लक्षणों पर आधारित होती हैं। कुल, वंश और जाति जैसी वर्गिकी की प्रत्येक श्रेणी के लिए अलग अलग वर्गिक की कुंजियों की आवश्यकता होती है। यह अज्ञात जीवों की पहचान के लिए अधिक उपयोगी होती है। कुंजियाँ दो प्रकार की होती हैं –

  1. दोहरे प्रलेखधारी अथवा द्विशाखित (Yolked)
  2. कोष्ठधारी कुंजी (Bracketed key)।

1. द्विशाखित कुंजी:
यह एक अन्य साधन सामग्री है, जिसका प्रयोग समानताओं और असमानताओं पर आधारित होकर पौधों तथा प्राणियों की पहचान में किया जाता है।

2. कोष्ठधारी कुंजी:
यह कुंजी विपर्यायी लक्षणों (Contrasting:characters), जो प्रायः युग्मों के आधार पर होती है। कुंजी दो विपरीत विकल्पों को चुनने को दिखाती है। इसके परिणामस्वरूप एक को मान्यता तथा दूसरे को अमान्य किया जाता है।

कुंजी में प्रत्येक कथन मार्गदर्शन का कार्य करता है। पहचानने के लिए प्रत्येक वर्गिकी संवर्ग जैसे-कुल, वंश, तथा जाति के लिए अलग-अलग वर्गिकी कुंजी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 11.
पौधों तथा प्राणियों के उचित उदाहरण देते हुए वर्गिकी पदानुक्रम का चित्रण कीजिए।
उत्तर:
वर्गीकरण (Classification) एकल सोपान प्रक्रम नहीं है बल्कि इसमें पदानुक्रम (Hierarchy) सोपान होते हैं जिसमें प्रत्येक सोपान पद (Rank) अथवा संवर्ग (Category) को प्रदर्शित करता है। चूंकि संवर्ग समस्त वर्गिकी व्यवस्था है इसलिए इसे वर्गीकरण संवर्ग (Taxonomic categories) कहते हैं और सभी संवर्ग मिलकर वर्गिकी पदानुक्रम (Taxonomic hierarchy) बनाते हैं। प्रत्येक संवर्ग वर्गीकरण की एक इकाई को प्रदर्शित करता है, इसे प्रायः वर्गक या टैक्सॉन (Taxon) कहते हैं।

सभी ज्ञात जीवों के वर्गीकीय अध्ययन से सामान्य संवर्ग जैसे-जगत (Kingdom), संघ (Phylum), वर्ग (Class), गण (Order), कुल (Family), वंश (Genus) तथा जाति (Species) का विकास हुआ। पौधे तथा प्राणियों, दोनों में जाति (Species) सबसे निचले संवर्ग में आती है। किसी भी जीव को विभिन्न संवर्गों में रखने के लिए उनके वर्ग के गुणों का ज्ञान होना आवश्यक है। जाति से लेकर जगत तक विभिन्न वर्गिकी संवर्ग को आरोही क्रम में निम्नानुसार दर्शाया जा सकता है –

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत - 4

उपरोक्त पदानुक्रम अनुसार, जैसे – जैसे हम जाति से जगत की ओर ऊपर जाते हैं वैसे ही समान गुणों में कमी आती जाती है। सबसे नीचे जो टैक्सा होगा, उसके सदस्यों में सबसे अधिक समान गुण होंगे।

तालिका – वर्गिकी संवर्ग सहित कुछ जीव
(Organisms with their Taxanomic Categories)
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत - 5

जीव जगत अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

जीव जगत वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

1. सजीव जब अपने शत्रुओं से बचने के लिए स्वयं को उस परिस्थिति के अनुसार ढाल लेता है, उसे कहते हैं –
(a) अनुकूलन
(b) मिमिक्री
(c) हीमोलॉजी
(d) एनोलॉजी।
उत्तर:
(a) अनुकूलन

2. जीवों में ऊर्जा प्रवाह तथा ऊर्जा के रूपान्तरण में किस नियम का पालन होता है –
(a) सीमित कारक का नियम
(b) ऊष्मागतिक का नियम
(c) लिबिंग्स के न्यूनतता का नियम
(d) बायोजेनिक के नियम।
उत्तर:
(b) ऊष्मागतिक का नियम

3. बाहरी वातावरण में बदलाव के बाद भी जीवों में उचित आंतरिक अवस्था को बनाए रखना कहलाता है –
(a) एन्थैल्पी
(b) साम्यावस्था
(c) एन्ट्रॉपी
(d) स्थायी अवस्था।
उत्तर:
(b) साम्यावस्था

4. ग्लाइकोजन बहुलक है –
(a) ग्लैक्टोज
(b) ग्लूकोज
(c) फ्रक्टोज
(d) सुक्रोज।
उत्तर:
(b) ग्लूकोज

5. एक ऑर्किड का पुष्य किसी कीट के मादा के समान दिखाई देता है ताकि उसमें परागण क्रिया आसानी से हो सके, यह घटना कहलाती है-
(a) मिमिक्रीम
(b) स्यूडोकॉपुलेशन
(c) स्यूडोपॉलीनेशन
(d) स्यूडोकार्पोनोकाी।
उत्तर:
(a) मिमिक्रीम

6. जीवन की सबसे छोटी इकाई है –
(a) DNA
(b)RNA
(c) कोशिका
(d) प्रोटीन।
उत्तर:
(a) DNA

7. निम्न में से किसे होमियोस्टेसिस या साम्यावस्था कहते हैं –
(a) वातावरण के साथ बदलाव लाना
(b) नियंत्रण में बदलाव
(c) बदलाव का प्रतिरोध करना
(d) पादप एवं जन्तु रस का होम्योपैथी उपयोग।
उत्तर:
(b) नियंत्रण में बदलाव

8. शरीर का तापक्रम किसके द्वारा नियंत्रित होता है –
(a) फेफड़ा, पेशी तथा त्वचा
(b) केवल त्वचा
(c) परिसंचरण तंत्र
(d) कंकाल तंत्र।
उत्तर:
(a) फेफड़ा, पेशी तथा त्वचा

9. पसीना बहने का उद्देश्य होता है –
(a) त्वचा पर उपस्थित जीवाणुओं को मारना
(b) शरीर के ताप का नियमन
(c) अधिक लवण का निष्कासन
(d) अधिक जल का निष्कासन।
उत्तर:
(b) शरीर के ताप का नियमन

10. आयोडीन किसका घटक होता है –
(a) नाइट्रेट रिडक्टेज
(b) थायरॉक्सीन हॉर्मोन्स
(c) TSH हॉर्मोन्स
(d) नाइट्रोजिनेज।
उत्तर:
(b) थायरॉक्सीन हॉर्मोन्स

11. जीवित कोशिकाओं के लिए कौन-सा सही है –
(a) पहले ऊर्जा का स्थानांतरण तब ऊर्जा का रूपान्तरण
(b) पहले ऊर्जा का रूपान्तरण तब स्थानांतरण
(c) दोनों का साथ-साथ होना
(d) दोनों का लगातार होना।
उत्तर:
(d) दोनों का लगातार होना।

12. जीवों के सामान्य लक्षण होते हैं –
(a) कोशिकीय संरचना
(b) उपापचय
(c) श्वसन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

13. जीवों की आधारभूत आवश्यकता होती है –
(a) विकास
(b) क्रम
(c) ऊर्जा
(d) वृद्धि।
उत्तर:
(c) ऊर्जा

14. निम्न में से स्टोरेज पॉलीसैकेराइड है –
(a) सुक्रोज
(b) सेल्युलोज
(c) स्टार्च
(d) स्टार्च एवं ग्लाइकोजन।
उत्तर:
(d) स्टार्च एवं ग्लाइकोजन।

15. जहाँ पर पौधों के नमूने एकत्रित करके रखे जाते हैं, उस स्थान को कहा जाता है –
(a) हरियम
(b) संग्रहालय
(c) वनस्पति उद्यान
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) हरियम

16. जिस स्थान पर जीवित पौधों का संग्रहण किया जाता है, उसे कहा जाता है –
(a) वनस्पति उद्यान
(b) संग्रहालय
(c) हर्बेरियम
(d) जूलॉजिकल पार्क।
उत्तर:
(a) वनस्पति उद्यान

17. जिन स्थानों पर जीवित प्राणी रखे जाते हैं, उसे कहा जाता है –
(a) संग्रहालय
(b) जूलॉजिकल पार्क
(c) वनस्पति उद्यान
(d) हर्बेरियम।
उत्तर:
(b) जूलॉजिकल पार्क

18. जीवधारियों को वैज्ञानिक नाम दिये जाते हैं, क्योंकि –
(a) प्रत्येक तकनीकी ज्ञान की शाखा की अपनी शब्दावली होती है
(b) वैज्ञानिक लोगों पर अपना अमिट प्रभाव डालना चाहते थे
(c) वैज्ञानिक नहीं चाहते थे कि आम आदमी जीव विज्ञान पढ़ सके
(d) बिना किसी संशय के वैज्ञानिकों में विचार-विनिमय हो सके।
उत्तर:
(d) बिना किसी संशय के वैज्ञानिकों में विचार-विनिमय हो सके।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. त्वचा का धूप में काला होना ………….. अनुकूलन है।
  2. जैव संगठन का सूक्ष्मतम जैविक स्तर …………. है।
  3. जीवन का भौतिक आधार …………… है।
  4. समष्टि के कुल जीन समूह को …………… कहते हैं।
  5. वह तंत्र जिसमें पदार्थों का विनिमय वातावरणीय परिवेश से नहीं होता ………….. कहलाता है।
  6. ………….. जीवधारियों के शरीर में होने वाली समस्त क्रियाओं के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराता है।
  7. जीवधारियों में वातावरण के अनुसार परिवर्तित होने की क्रिया …………… कहलाती है।
  8. ………….. पदार्थ की सबसे छोटी इकाई है, जो सबसे छोटी जैविक इकाई का निर्माण करता है।
  9. जीवों के शरीर में पाये जाने वाली समस्त क्रियाओं को सामूहिक रूप से …………… कहते हैं।
  10. जीवों में पाये जाने वाले स्थिर अवस्था को …………… कहते हैं।

उत्तर:

  1. अल्पकालिक
  2. आण्विक स्तर
  3. जीवद्रव्य
  4. जीन पूल
  5. बंद तंत्र
  6. ATP
  7. अनुकूलन
  8. परमाण
  9. उपापचय
  10. साम्यावस्था।

प्रश्न 3.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –

  1. ऊतकों व अंग तंत्रों की कार्यक्षमता में बढ़ती उम्र के कारण होने वाले ह्रास को क्या कहते हैं ?
  2. जैव-संगठन के उच्चतम स्तर का नाम लिखिए।
  3. जीवों में आनुवंशिक अणु किसे कहते हैं ?
  4. वातावरण के परिवर्तन को जीवों द्वारा अनुभव करने की क्षमता को क्या कहते हैं ?
  5. जैव-मण्डल के अपघटक जीवों का नाम दीजिए।

उत्तर:

  1. वयता या जरण
  2. जीव जगत (समष्टि)
  3. D.N.A.
  4. संवेदनशीलता
  5. विषाणु, जीवाणु, कवक (सूक्ष्मजीव)।

प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत -1

उत्तर:

  1. (c) जनन क्रिया न होने से
  2. (d) वृद्धि
  3. (a) स्टार्च व मंड के रूप में संग्रहण
  4. (b) जल

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत -2
उत्तर:

  1. (c) वंश
  2. (e) कुल
  3. (d) गण
  4. (a) जगत
  5. (b) संघ

प्रश्न 5.
सत्य / असत्य बताइये –

  1. पौधे तथा प्राणियों दोनों में जाति (Species) सबसे निचले संवर्ग में आती है।
  2. जीवों के वर्ग जिसमें मौलिक समानता होती है, उसे जाति कहते हैं।
  3. मानव का वैज्ञानिक नाम “मैंगिफेरा इंडिका’ है।
  4. वंश (Genus) समीपस्थ संबंधित जातियों का समूह है।
  5. कुल (Family) के वर्गीकरण का आधार पौधों के कायिक तथा जनन गुण हैं।
  6. वर्ग (Class) संवर्ग में प्राइमेट गण जिसमें बंदर, गोरिल्ला तथा गिब्बन आते हैं।
  7. मानव का वर्ग इंसेक्टा है।
  8. कुंजी में प्रत्येक कथन मार्गदर्शन का कार्य करता है। पहचानने के लिए प्रत्येक वर्गिकी संवर्ग जैसे – कुल, वंश, तथा जाति के लिए अलग, वर्गिकी कुंजी की आवश्यकता होती है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. सत्य
  6. सत्य
  7. असत्य
  8. सत्य।

जीव जगत अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्गीकरण विज्ञान का जनक किसे कहा जाता है?
उत्तर:
कैरोलस लिनीयस (1707 – 1778) को वर्गीकरण विज्ञान का जनक कहा जाता है।

प्रश्न 2.
स्वयंपोषी से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
वे जीव, जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, उन्हें स्वयंपोषी जीव कहते हैं। उदाहरण – समस्त हरे पौधे।

प्रश्न 3.
पाँच जगत वर्गीकरण के प्रणेता कौन हैं ?
उत्तर:
पाँच जगत वर्गीकरण के प्रणेता आर. एच. ह्विटैकर (1969) हैं।

प्रश्न 4.
जाति किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मेयर (1942) के अनुसार, “आपस में संकरण करने वाले जीवों के समूह को जाति (Species) कहते हैं।”

प्रश्न 5.
वर्गीकरण की प्राकृतिक पद्धति क्या है ?
उत्तर:
वर्गीकरण वह पद्धति है, जिसमें गुणों के एक विस्तृत समूह को वर्गीकरण का आधार बनाया जाता है।

प्रश्न 6.
वर्गीकरण की कृत्रिम पद्धति क्या है ?
उत्तर:
वर्गीकरण की वह पद्धति जिसमें एक या कुछ गुणों को वर्गीकरण का आधार बनाया जाता है कृत्रिम पद्धति कहलाती है। यह वर्गीकरण की अप्राकृतिक पद्धति है।

प्रश्न 7.
लिनीयस द्वारा लिखित दो पुस्तकों तथा उनके दो योगदानों को लिखिए।
उत्तर:
लिनीयस द्वारा लिखित पुस्तकें –

  • जेनेरा प्लाण्टेरम
  • सिस्टेमा नैचुरी।

लिनीयस के दो प्रमुख योगदा –

  • द्वि – जगत वर्गीकरण को प्रस्तुत करना।
  • जीवों के लिए द्वि – नामकरण पद्धति को प्रस्तुत करना।

प्रश्न 8.
वर्गक एवं संवर्ग को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वर्गक (Texa):
जीवों के वर्गीकरण में प्रयुक्त विभिन्न समूहों को वर्गक कहते हैं, चाहे वर्गीकरण में इनका स्थान कुछ भी हो, जैसे-शैवाल, कीट, मछली आदि।

संवर्ग या श्रेणी (Category):
वर्गीकरण में प्रयुक्त समूहों की विभिन्न स्तरों को संवर्ग या श्रेणी या वर्गीकरण की इकाई कहते हैं। वर्गीकरण का सबसे छोटा संवर्ग जाति तथा बड़ा संवर्ग जगत है।

जीव जगत लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित जीवों के वैज्ञानिक नाम लिखिए –

  1. प्याज
  2.  मनुष्य
  3. हाथी
  4. फीताकृमि
  5. मेढक
  6. गेहूँ
  7. चावल
  8. सरसों
  9. मटर
  10. आम।

उत्तर:
सामान्य नाम – वैज्ञानिक नाम

  1. प्याज – एलियम सेपा
  2. मनुष्य – होमो सैपियन्स
  3. हाथी – एलिफस इन्डीकस
  4. फीताकृमि – टीनिया सोलियम
  5. मेढक – राना टिग्रिना
  6. गेहूँ – ट्रिटिकम एस्टीवम
  7. चावल – ओराइजा सटाइवा
  8. सरसों – ब्रेसिका कम्पेस्ट्रीस
  9. मटर – पाइसम सटाइवम
  10. ‘आम – मैंगिफेरा इंडिका।

प्रश्न 2.
द्विपद नामकरण पद्धति से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
द्विपद नामकरण पद्धति जीवों के नामकरण की एक ऐसी पद्धति है, जिसमें प्रत्येक जीव का नाम दो शब्दों का होता है। इसका प्रथम शब्द जीव के वंश तथा दूसरा शब्द उसकी जाति को व्यक्त करता है। इस पद्धति का आविष्कार कैरोलस लिनीयस ने किया था। इसमें नाम के अक्षर इटैलिक में छापे जाते हैं या लिखते समय इनके नीचे रेखाएँ खींचते हैं।

प्रथम शब्द का पहला अक्षर कैपिटल लेटर तथा शेष सभी छोटे अक्षरों में ही होते हैं। दूसरे शब्द के सभी अक्षर छोटे अक्षरों में होते हैं। जैसे-मेढक का इस पद्धति में नाम Rana tigrina होता है। इसमें राना वंश तथा टिग्रिनाजाति को प्रदर्शित कर रहा है। यह नाम रखने का अधिकार उस जीव के आविष्कारकर्ता को होता है।

दो जीवों के वैज्ञानिक नाम –
सामान्य नाम – वैज्ञानिक नाम

  1. मेढक – राना टिग्रिना
  2. मनुष्य – होमो सेपियन्स।

प्रश्न 3.
जातिवृत्तीय रेखा को समझाइए।
उत्तर:
किसी एक जाति के विकासात्मक इतिहास को जातिवृत्ति कहते हैं। जातिवृत्ति की विभिन्न जातियों के क्रम को जातिवृत्ति रेखा (Phylogenic – line) कहते हैं। जातिवृत्तीय रेखा किसी जाति विकास के क्रम को प्रदर्शित करती है। जिस प्रकार विकसित जीवों का जीवन एक कोशिका से शुरू होता है, धीरे – धीरे इस कोशिका में परिवर्तन होता रहता है और कुछ समय बाद इसी एक कोशिका से विशालकाय जीव बन जाता है।

ठीक इसी तरहं इस पृथ्वी पर सबसे पहले एककोशिकीय जीव बना। इसके बाद वातावरण के अनुसार, इसमें परिवर्तन होता गया और विविध प्रकार की जातियाँ बनीं। इस प्रकार जातिवृत्तीय रेखा में सबसे पहले मोनेरा जगत के जीव बनें, जिन्होंने विकसित होकर प्रोटिस्टा जगत के जीव बनाए। प्रोटिस्टा जगत के जीवों ने कई दिशाओं में विकसित होकर पादप कवक एवं जन्तु जगतों का निर्माण किया।

जीव जगत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वानस्पतिक उद्यान को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
वानस्पतिक उद्यान मानव द्वारा स्थापित प्राकृतिक स्थल होते हैं जहाँ पर पौधों को जीवित अवस्था में संरक्षित रखा जाता है। यहाँ पर पौधों के विभिन्न प्रजातियों का समुचित प्रबंध किया जाता है। एक आधुनिक वानस्पतिक उद्योग में निम्न प्रकार के पौधे लगाये जाते हैं –

  1. कृषि में उपयोगी पौधे की विभिन्न प्रजातियाँ
  2. औषधीय एवं अन्य महत्व वाले पौधे
  3. विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में पाये जाने वाले पौधे
  4. धर्म ग्रंथों एवं साहित्यों में उल्लेखित पौधे।

वानस्पतिक उद्यान मूलतः जीवित पौधों का एक खुला संग्रह होता है जिससे हमें विभिन्न प्रकार के पौधों के बारे में मूलभूत जानकारियाँ प्राप्त होती हैं।

प्रमुख वानस्पतिक उद्यान:

  1. रॉयल बॉटनिकल गार्डन, किव (इंग्लैंड)
  2. इंडियन बॉटनिकल गार्डन, शिबपुर (कोलकाता)
  3. लॉयड बॉटनिकल गार्डन, दार्जिलिंग
  4. नेशनल बॉटनिकल गार्डन, लखनऊ
  5. वन अनुसंधान संस्थान, वानस्पतिक उद्यान, देहरादून।

MP Board Class 11th Biology Solutions

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी

पुष्पी पादपों की आकारिकी NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मूल के रूपान्तरण से आप क्या समझते हैं? निम्नलिखित में किस प्रकार का रूपान्तरण पाया जाता है –

  1. बरगद
  2. शलजम
  3. मैंग्रूव वृक्ष?

उत्तर:
जड़ें कुछ विशिष्ट कार्यों को सम्पादित करने के लिए अपने रूप में परिवर्तन कर लेती हैं। इस क्रिया को रूपान्तरण (Modification) कहते हैं। जड़ों में रूपान्तरण भोजन संग्रहण, यांत्रिक कार्यों तथा श्वसन के लिए होता है।

  1. बरगद – इसमें जड़ों का रूपान्तरण स्तम्भमूल (Prop root) के रूप में होता है, जिससे तने की क्षैतिज शाखाओं से वायवीय जड़ें निकलकर भूमि में प्रविष्ट कर जाती हैं।
  2. शलजम – भोजन संग्रह करने के लिए जड़ का ऊपरी भाग फुलकर कुंभीरूप (Napiform) में रूपान्तरित हो जाता है।
  3. मैंग्रूव वृक्ष – इसमें जड़ें श्वसनमूल (Respiratory roots) में रूपान्तरित होकर भूमि के ऊपर आ जाती हैं। इन श्वसन मूलों में अनेक वातरन्ध्र पाये जाते हैं जहाँ से वायुमण्डलीय O2 जड़ों में प्रवेश करके वायु की कमी को पूरा करते हैं।

प्रश्न 2.
बाह्य लक्षणों के आधार पर निम्नलिखित कथनों की पुष्टि कीजिए –

  1. पौधे के सभी भूमिगत भाग सदैव मूल नहीं होते।
  2. फूल एक रूपान्तरित प्ररोह है।

उत्तर:
1. पौधे के सभी भूमिगत भाग सदैव मूल नहीं होते – यह सही है कि जड़ें हमेशा भूमि के अन्दर वृद्धि करती हैं तथा तने भूमि से ऊपर की ओर वृद्धि करते हैं, परन्तु कुछ तने इसके अपवाद हैं। उदाहरणअदरक, प्याज एवं आलू। ये सभी भूमिगत तनों के उदाहरण हैं। – आलू का कन्द (Potato tuber) एक रूपान्तरित भूमिगत तना है। यह तना कन्द में रूपान्तरित होकर भोज्य पदार्थों का संग्रहण करता है। अत: आलू एक तना है न कि जड़। इसे निम्नलिखित तथ्यों के द्वारा सिद्ध किया जा सकता है –

  • इसमें पर्व एवं पर्वसन्धियाँ उपस्थित होती हैं।
  • इसमें शल्क-पत्र (Scale leaves) उपस्थित होते हैं।
  • इसमें कलिका (Buds), आँखों (Eyes) के रूप में होती हैं।
  • यह भोज्य पदार्थों के संग्रहण के लिए रूपान्तरित हुआ है।

2. पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह है – निम्नलिखित कुछ ऐसे कारण हैं, जो यह प्रमाणित करते हैं कि पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह है –

  • पुष्प का पुष्पासन एक संघनित तने के समान दिखाई देता है, जिसके पर्व (Inter-node) तथा पर्व सन्धि आपस में मिले प्रतीत होते हैं।
  • सभी पुष्पीय पत्र पत्तियों के चक्र के समान ही पुष्पासन पर लगे होते हैं। वास्तव में पुष्पीय पत्र विशिष्ट कार्यों के लिए रूपान्तरित पत्तियाँ हैं।
  • कुछ पौधों के बाह्यदल (Sepals) पत्तियों के समान दिखाई देते हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि बाह्यदल पत्तियों का ही रूपान्तरण है, जैसे-वाटर लिली।
  • कुछ पौधे जैसे – गाइनेण्ड्रोप्सिस में दल एवं पुमंग के बीच का पुष्पासन बड़ा होकर तने का रूप ले लेता है। ठीक उसी प्रकार कुछ पौधों में पुमंग तथा जायांग के बीच का पुष्पासन भी तने के समान बढ़ जाता है। ये दोनों उदाहरण पुष्पासन को संघनित तना तथा पुष्पपत्रों को रूपान्तरित पत्ती होने का प्रमाण देते हैं।
  • पुष्प का विकास प्ररोह के समान एक कलिका (Bud) से होता है।

प्रश्न 3.
एक पिच्छाकार संयुक्त पत्ती हस्ताकार संयुक्त पत्ती से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर:
1. पिच्छवत् संयुक्त पर्ण (Pinnate compound leaf):
इस प्रकार के संयुक्त पर्ण में पार्वीय पर्णक होते हैं जो अभिमुखी (Opposite) रूप में विन्यस्त होते हैं। इसमें पत्ती का वृन्त और मध्य शिरा मिलकर रैकिस बनाते हैं जिस पर पर्णक लगे रहते हैं। एकपिच्छवत् (Unipinnate) – इस प्रकार की संयुक्त पत्ती में पर्णक सीधे रैकिस (पिच्छाक्ष) पर ही लगे रहते हैं, जैसे – गुलाब, चरौंठा (Cassia tora), इमली आदि। यदि रैकिस पर पत्रकों के जोड़ों की संख्या सम हो तो इसे समपिच्छवत् (Paripinnately compound ) जैसे – रत्ती, अशोक, इमली और असम होने पर असमपिच्छवत् (Imparipinnately compound) कहते हैं जैसे – गुलाब, चरौंठा, सेम।

2. हस्ताकार या पाणिवत् संयुक्त पर्ण (Palmately compound leaf):
हस्ताकार संयुक्त पर्ण उसे कहते हैं जिसके वृन्त के अग्रस्थ भाग पर जुड़े हुए पर्णक होते हैं जो एक सामान्य स्थान से निकलते हुए प्रतीत होते हैं, जैसे हमारी हथेली से अँगुलियाँ, उदाहरण सेमल, क्लीओमशाइनैड्रॉप्सिस आदि।

प्रश्न 4.
विभिन्न प्रकार के पर्णविन्यास का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तने के ऊपर पत्तियों की व्यवस्था या क्रम को पर्ण – विन्यास (Phyllotaxy) कहते हैं प्रत्येक पौधे की पत्तियाँ अपने तने के ऊपर एक निश्चित क्रम में ही व्यवस्थित होती हैं। पर्ण-विन्यास के प्रकार (Types of Phyllotaxy) – पौधों में तीन प्रकार का पर्ण – विन्यास पाया जाता है –

1. एकान्तर (Alternate):
जब प्रत्येक पर्व-सन्धि से केवल एक पत्ती निकलती है और दूसरी पत्ती इसके विपरीत दूसरे पर्व पर निकलती है, तो इन पत्तियों के क्रम को एकान्तर पर्ण विन्यास कहते हैं। ये पत्तियाँ सर्पिल (Spiral) क्रम में तने के ऊपर लगी होती हैं । जैसे – गुड़हल, सूरजमुखी।

2. विपरीत या अभिमुखी (Opposite):
जब एक पर्व सन्धि पर दो पत्तियाँ एक-दूसरे के आमनेसामने लगी हों तो पत्तियों के इस क्रम को अभिमुखी पर्ण-विन्यास कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है –

(a) अभिमुखी क्रॉसित (Opposite dicussate):
इस पर्ण विन्यास में प्रत्येक पर्वसन्धि से दो विपरीत पत्तियाँ निकलती हैं, लेकिन निकटवर्ती पर्वसन्धियों से निकलने वाली पत्तियाँ एक-दूसरे के साथ समकोण बनाती हैं जैसे – मदार या आक (Calotropis), पोदीना, तुलसी।

(b) अभिमुखी अध्यारोपित (Opposite superposed):
इस पर्ण-विन्यास में दो पर्वसन्धियों की विपरीत पत्तियाँ ठीक एक-दूसरे के ऊपर-नीचे स्थित होती हैं। जैसे-जामुन, अमरूद आदि।

3. चक्रीय (Cyclic or Whorled or Verticillate):
जब किसी पौधे के ऊपर पत्तियाँ एक पर्वसन्धि पर दो से अधिक की संख्या में चक्र के रूप में व्यवस्थित हों तो इस पर्ण-विन्यास को चक्रीय पर्ण – विन्यास कहते हैं। जैसे – कनेर (Nerium)

प्रश्न 5.
निम्नलिखित की परिभाषा लिखिए –

  1. पुष्पदल विन्यास
  2. बीजांडासन
  3. त्रिज्या सममिति
  4. एकव्यास सममिति
  5. ऊर्ध्ववर्ती
  6. परिजायांगी पुष्प
  7. दललग्न पुंकेसर।

उत्तर:
1. पुष्पदल विन्यास (Aestivation):
पुष्प की कली अवस्था में बाह्यदलों, दलों अथवा परिदलों के आपसी सम्बन्ध को पुष्पदल विन्यास कहते हैं। पुष्पदलों में –

  • कोरस्पर्शी
  • व्यावर्तित
  • कोरछादी
  • पंचक प्रकार के विन्यास पाये जाते हैं।

2. बीजांडासन (Placentation):
अण्डाशय में बीजाण्ड, के लगने की व्यवस्था को बीजांडासन (Placentation) कहा जाता हैं पौधों में –

  • सीमान्त
  • भित्तीय
  • आधारलग्न
  • पृष्ठीय एवं
  • अक्षीय प्रकार का बीजांडासन पाया जाता है।

3. त्रिज्या सममिति (Actinomorphic):
किसी भी उदग्रतल (Vertical plane) से काटने पर यदि पुष्प दो बराबर भागों में बँट जाये तो ऐसे पुष्पों को त्रिज्या सममिति (Actinomorphic) कहते हैं। उदा – गुलाब, – गुड़हल।

4. एकव्यास सममिति (Zygomorphic):
यदि पुष्प को केवल एक ही तल से दो समान भागों में काटा जा सकता है तो ऐसे पुष्पों को एकव्यास सममिति कहते हैं। उदा.-टेसू, तुलसी, मटर।

5. ऊर्ध्ववर्ती (Superior):
ऐसे अण्डाशय को, जो सभी पुष्पीय पत्रों के ऊपर स्थित होता है। ऊर्ध्ववती (Superior) कहते हैं । उदा.-सरसों, बैंगन, चाइना रोज आदि।

6. परिजायांगी (Perigynous):
वह निवेशन, जिसमें पुष्पासन एक प्याले का रूप ले लेता है। जायांग पुष्पासन के अन्दर तथा अन्य पुष्पीय पत्र प्याले के किनारों पर स्थित होते हैं। इनमें अण्डाशय अधोवर्ती (Inferior) होता है। जैसे – गुलाब, सेम, मटर, अशोक।

7. दललग्न पुंकेसर (Epipetalous):
जब किसी पुष्प के पुंकेसर दल से जुड़े होते हैं, तब इन पुंकेसरों को दललग्न कहते हैं। उदा – धतूरा और कनेर।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में अंतर लिखिए –

  1. असीमाक्षी तथा ससीमाक्षी पुष्पक्रम
  2. झकड़ा जड़(मूल) तथा अपस्थानिक मूल
  3. वियुक्ताण्डपी तथा युक्ताण्डपी अंडाशय।

उत्तर:
1. असीमाक्षी और ससीमाक्षी पुष्पक्रम में अन्तर –

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2. झकड़ा (मूसला) जड़ एवं अपस्थानिक जड़ में अन्तर –

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3. वियुक्ताण्डपी तथा युक्तांडपी अंडाशय –
(1) वियुक्तांडपी (Apocarpous) – यदि दो या अधिक अंडप (Carpels) अंडाशय में उपस्थित हों तथा आपस में स्वतंत्र अवस्था में रहें तब इसे वियुक्तांडपी कहा जाता है। उदाहरण-रेननकुलस में बहुअण्डपी युक्तांडप पाये जाते हैं।

(2) युक्तांडपी (Syncarpous) – यदि दो या अधिक अंडप (Carpels) आपस में संयुक्त हों, तो जुड़े हुए अंडप की यह अवस्था युक्तांडपी कहलाती है। उदाहरण-चाइना रोज में पंचांडपी, अण्डाशय पाया जाता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित के चिन्हित चित्र बनाइये –
(1) चने के बीज तथा
(2) मक्के के बीज का अनुदैर्ध्य काट।
उत्तर:
(1) चने का बीज –
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(ii) मक्के के बीज का अनुदैर्ध्य काट –
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प्रश्न 8.
उचित उदाहरण सहित तने के रूपांतरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(a) प्रकन्द (Rhizome):
यह एक अनिश्चित वृद्धि वाला बहुवर्षी भूमिगत तना है, जो कि Internode अनुकूल परिस्थिति में विकसित होकर प्ररोह एवं पत्तियों Node AS का निर्माण करता है। इसमें पर्व एवं पर्वसन्धियाँ उपस्थित होती हैं। प्रत्येक पर्वसन्धि पर शल्क पत्र (Scale leaves) एवं अक्षीय कलिका (Axillary bud) पायी जाती है। इसकी निचली सतह से बहुत-सी अपस्थानिक जड़ें निकलती हैं। उदाहरण – अदरक (Ginger)।
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(b) शल्ककन्द (Bulb):
इसे हम भूमिगत संपरिवर्तित कलिका कह सकते हैं, जिसमें स्तम्भ छोटा होता है, जिसे डिस्क (Disc) कहा जाता है। डिस्क (तने) पर अत्यन्त आस-पास मांसल शल्क पत्र लगे होते हैं। तने पर पर्व बहुत छोटे रहते हैं। तने के निचले भाग से अपस्थानिक जड़ें निकलती हैं। तने के अग्र भाग में शीर्षस्थ कलिका एवं शल्क पत्रों के कक्ष से कक्षस्थ कलिकाएँ निकलती हैं। शल्क पत्र विन्यास के अनुसार, शल्ककन्द निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं –

(i) कंचुकित शल्ककन्द (Tunicated bulb):
इसमें शल्क पत्र एक-दूसरे को पूर्ण रूप से ढंके एवं संकेन्द्रित होते हैं। बाहर सूखे शल्क पत्र का आवरण होता है, जो छिलका बनाता है। उदाहरणप्याज।
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(ii) शल्की शल्ककन्द (Scaly bulb):
इसमें शल्क पत्र एक – दूसरे को ढंकते नहीं। इनमें सम्पूर्ण कलियों को ढंकने हेतु एक आवरण (ट्यूनिक) नहीं होता। उदाहरण – लहसुन, लिली इसे संयुक्त शल्ककन्द (Compound bulb) कहते हैं । इसकी एक कली शल्ककन्द (Bulblet) कहलाती है।
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(c) घनकन्द (Corm):
यह भूमि में पाया जाने वाला एक बहुत मोटा एक पर्व वाला स्तम्भ है, जो भूमि में उदग्र (Vertical) होता है। इस पर शल्क पत्र और अपस्थानिक मूल होती हैं। सूरन या जिमीकन्द इसका अच्छा उदाहरण है। इसमें शीर्षस्थ कलिका वायवीय प्ररोह बनाती है, जिसमें संगृहीत भोजन काम में लाया जाता है। अपस्थानिक कलिकाएँ अन्य घनकन्द बनाती हैं।
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प्रश्न 9.
फैबेसी तथा सोलेनेसी कुल के एक – एक पुष्प को उदाहरण के रूप में लीजिए तथा उनका अर्द्ध तकनीकी विवरण प्रस्तुत कीजिए। अध्ययन के पश्चात् उनके पुष्पीय चित्र भी बनाइए।
उत्तर:
फैबेसी (Fabaceae) कुल को पहले पैपिलियोनेसी कहते थे। मटर का पुष्प पैपिलियोनेसी या फैबेसी कुल का प्रतिनिधित्व करता है।

मटर के पुष्प का वर्णन –
(1) पुष्पक्रम (Inflorescence):
प्रायः असीमाक्ष (Racemose) प्रकार होता है। क्रोटोलेरिया (Crotolaria) में टर्मिनल रेसीम (Terminal raceme), मेलिलोटस (Melilotus) में कोरिम्बोज रेसीम (Corymbose raceme) अथवा एकल कक्षस्थ (Solitary axillary) उदाहरण-साइसर ऐराइटिनम (Cicer arietinum) प्रकार का होता है।

(2) पुष्प (Flower):
पुष्प संवृत (Pedicillate), निपत्री (Bracteate), प्रायः सहपत्रिका युक्त (Bractiolate), द्विलिंगी (Bisexual), जायगोमॉर्फिक (Zygomorphic), अधोजायांगी (Hypogynous) या परिजायांगी (Perigynous), पूर्ण (Complete) तथा पंचतयी (Pentamerous) होते हैं।

(3) बाह्यदलपुंज (Calyx):
प्राय: 5, संयुक्त बाह्यदलीय (Gamosepalous), घण्टाकार (Campanulate), कुछ में नलिकाकार (Tubular) होता है। बाह्यदल विन्यास कोरछादी (Imbricate) या कोरस्पर्शी (Valvate) होता है। विषम सेपल (Odd sepal) हमेशा अग्रभाग (Anterior) में पाया जाता है।

(4) दलपुंज (Corolla):
प्रायः 5, स्वतन्त्रदलीय (Polypetalous), पैपीलियोनेशियस (Papilionaccous) होता है। पश्च दल (Posterior petal) सबसे बाहर तथा सबसे बड़ा होता है। इसे स्टैण्डर्ड (Standard) या वैक्सिलम (Vaxillum) कहते हैं। वैक्सिलम के दोनों ओर के पार्श्वदल (Lateral petals) को विंग (Wings) या ऐली (Alae) कहते हैं। पुष्प के अग्र भाग पर उपस्थित दो दल (Anterior petals) आपस में जुड़कर नाव के आकार की संरचना बनाते हैं, जिसे कील (Keel) या कैरिना (Carina) कहते हैं। दलपुंज विन्यास अवरोही कोरछादी (Descending imbricate) या वैक्सिलरी (Vaxillary) प्रकार का होता है।

(5) पुमंग (Androecium):
पुंकेसरों की संख्या प्रायः 10 होती है। ये पुंकेसर दो बण्डलों में व्यवस्थित रहते हैं। 9 पुंकेसर आपस में जुड़े रहते हैं, जबकि 1 पुंकेसर स्वतन्त्र होता है। ऐसे पुमंग को द्विसंघी (Diadelphous) कहते हैं। पोंगेमिया (Pongamia) एवं क्रोटेलेरिया (Crotalaria) में एकसंघी (Monoadelphous) पुंकेसर पाये जाते हैं। द्विसंघी पुंकेसर में पश्च (Posterior) 9 पुंकेसर आपस में जुड़े तथा एक अग्र (Anterior) पुंकेसर स्वतन्त्र होता है। परागकोष द्विकोष्ठीय (Dithecous), आधारलग्न (Basifixed) तथा अन्तर्मुखी (Introse) होते हैं।
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(6) जायांग (Gynoecium):
यह एकाण्डपी (Monocarpellary), एककोष्ठीय (Unilocular), ऊर्ध्ववर्ती (Superior) अथवा अर्द्ध-अधोवर्ती (Half-inferior) होता है। बीजाण्डन्यास (Placentation) सीमान्त (Marginal) प्रकार का होता है । वर्तिका सरल (Simple) तथा वर्तिकाग्र (Stigma) समुण्ड (Capitate) अथवा अन्तस्थ (Terminal) होता है।

(7) फल (Fruits):
फल, लेग्यूम (Legume) या पॉड (Pod) प्रकार का होता है। यह दोनों सीवनों (Sutures) के द्वारा खुलता है अथवा अस्फोटी (Indehiscent) होता है।

(8) बीज (Seeds):
बीज अभ्रूणपोषी (Non-endospermic) होता है अथवा अत्यन्त छोटे भ्रूणपोष युक्त होते हैं।

(9) पुष्प सूत्र (Floral Formula):

मटर – पाइसम सटाइवम (Pisum sativum)
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सोलेनेसी कुल के पुष्पीय लक्षण –
पुष्पक्रम (Inflorescence):
पुष्पक्रम अधिकांशतः सायमोज (Cymose) प्रकार का होता है। परन्तु पौधों में पुष्पक्रम भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। जैसे –

  • धतूरा (Datura) – द्विशाखित साइम (Dichasial cyme)
  • सोलेनम(Solanum s.p.p.) – हेलिकॉयड साइम (Helicoid cyme)
  • एट्रोपा बेलाडोना (Atropa beladona) – स्कॉर्पिआइड साइम (Scorpioid cyme)
  • निकेन्ड्रा (Nicandra) – एकल कक्षस्थ (Solitary axillary)।

पुष्प (Flowers):
पुष्प प्रायः सवृन्त (Pedicillate), द्विलिंगी (Bisexual or Hermaphrodite), पूर्ण (Complete), पंचतयी (Pentamerous), एक्टिनोमॉर्फिक (Actinomorphic), अधोजायांगी (Hypogynous), सहपत्री (Bracteate) अथवा असहपत्री (Ebracteate) होते हैं। हाइपोसाइमस नाइजर (Hypocymus niger) तथा सालपिगलोसिस (Salpiglosis) में पुष्प जायगोमॉर्फिक (Zygomorphic) होते हैं। इसके अलावा सालपिगलोसिस में पुष्प हमेशा बन्द रहने वाले (Cleistogamous) होते हैं।

(3) बाह्यदलपुंज (Calyx) – बाह्यदलों (Sepals) की संख्या 5, संयुक्त बाह्यदली (Gamosepalous), चिरलग्न अथवा चिरस्थायी (Persistent) होते हैं। बाह्यदल विन्यास (Aestivation) कोरस्पर्शी (Valvate) प्रकार का होता है।

(4) दलपुंज (Corolla) – दलों की संख्या 5, संयुक्तदली (Gamosepalous) तथा पुष्पदल विन्यास कोरछादी (Valvate) प्रकार का होता है। दलों का रंग प्रायः बैंगनी (Violet) अथवा सफेद (White) एवं कभी-कभी पीला (Yellow) होता है।

(5) पुमंग (Androecium) – पुंकेसरों की संख्या प्रायः 5, पृथक् पुंकेसरी (Polyandrous), दललग्न (Epipetalous), पुतन्तु (Filament) छोटे तथा रोमिल (Hairy), परागकोष (Anther) आधारलग्न (Basifixed), द्विकोष्ठीय (Dithecous) तथा लम्बे होते हैं।

(6) जायांग (Gynoecium) – द्विअण्डपी (Bicarpellary) संयुक्ताण्डपी (Syncarpous), अण्डाशय द्विकोष्ठीय (Bilocular), ऊर्ध्ववर्ती (Superior) तथा तिरछा (Oblique) होता है। यह इस कुल का प्रमुख लक्षण होता है। बीजाण्डन्यास अक्षीय (Axile) तथा अनेक बीजाण्ड युक्त होता है। वर्तिका साधारण तथा वर्तिकाग्र द्विपालित (Bilobed) होता है।

(7) फल (Fruit) – ये बेरी (Berry), उदाहरण – टमाटर, बैंगन आदि अथवा कैप्सूल (Capsule), उदाहरणधतूरा प्रकार के होते हैं।

(8) बीज (Seed) – यह भ्रूणपोषी (Endospermic) प्रकार का होता है। (9) पुष्पीय सूत्र (Floral formula)

(i) सोलेनम नाइग्रम(Solanum nigrum):
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(ii) धतूरा अल्बा(Datura alba):
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(10) पुष्प आरेख – देखें पार्श्व चित्र।

प्रश्न 10.
पुष्पीय पादपों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के बीजाण्डन्यासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जरायुन्यास या बीजाण्डन्यास (Placentation):
अण्डाशय में बीजाण्ड, बीजाण्डासन पर एक विशेष क्रम में व्यवस्थित रहते हैं, इसी क्रम को बीजाण्डन्यास कहते हैं । जैसा कि हम जानते हैं कि जायांग एक रूपान्तरित पत्ती है वही पत्ती गोलाई में मुड़कर जायांग की रचना करती है इस रूपान्तरित पत्ती के दोनों किनारे एक स्थान पर मिले प्रतीत होते हैं । सामान्यतः बीजाण्डसन अण्डप तलों (किनारों) के मिलने के स्थान पर ही बनते हैं। पौधों में निम्न प्रकार के बीजाण्डन्यास पाये जाते हैं

1. सीमान्त (Marginal):
यह बीजाण्डन्यास एकाण्डपी जायांगों में पाया जाता है। इसमें बीजाण्डासन अण्डप के दोनों किनारों के मिलने के स्थान पर बनाता है तथा इसके बीजाण्ड अधर सीवन (Ventral suture) पर रेखीय क्रम में लगे होते हैं, जैसे – मटर, अरहर, चना, बबूल, अमलतास, सेम, गुलमोहर।

2. भित्तीय (Parietal):
यह बीजाण्डन्यास एक से अधिक अण्डपों वाले संयुक्ताण्डपी अर्थात् एककोष्ठीय जायांगों में पाया जाता है। इसमें बीजाण्ड अण्डाशय की भीतरी दीवार पर उस स्थान से लगे होते हैं जहाँ अण्डपों के किनारे मिलते हैं। इसमें बीजाण्डसनों (Placenta) की संख्या अण्डपों की संख्या पर निर्भर करती है। जैसेपपीता, सरसों, लौकी।

3. आधारलग्न (Basal):
यह बीजाण्डन्यास द्वि या बहुअण्डपी लेकिन अनिवार्यतः एककोष्ठीय अण्डाशय में पाया जाता है। इसमें अण्डाशय के आधार से केवल एक बीजाण्ड लगा होता है। जैसे – सूरजमुखी, गेंदा। कभी-कभी बीजाण्ड आधार के स्थान पर अण्डाशय के ऊपरी भाग से जुड़ा होता है।

4. पृष्ठीय या धरातलीय (Superficial):
यह बीजाण्डन्यास बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी, बहुकोष्ठीय अण्डाशयों में पाया जाता है। इसमें बीजाण्ड अण्डपों की भीतरी दीवाल से चारों लगे रहते हैं। जैसे-कमल, निम्फिया, सिंघाड़ा।
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5. अक्षीय (Axile):
यह बीजाण्डन्यास है जो बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी ऐसे जायांगों में पाया जाता है जिसमें कोष्ठकों की संख्या अण्डपों की संख्या के बराबर होती है। इसमें अण्डपों के किनारे जुड़ने के पश्चात् अन्दर की ओर बढ़कर केन्द्र में जुड़ जाते हैं तथा एक केन्द्रीय अक्ष का निर्माण करते हैं। यही अक्ष फूलकर बीजाण्डासन (Placenta) बना देता है। जिससे बीजाण्ड जुड़े होते हैं। जैसे – बैंगन, गुड़हल, टमाटर, नीबू, सन्तरा, नारंगी।

6. मुक्त स्तम्भीय (Free central):
यह बीजाण्डासन ऐसे जायांग में पाया जाता है जो बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी होता है। इसमें बीजाण्ड अण्डाशय के केन्द्रीय कक्ष के चारों तरफ स्वतन्त्र रूप से लगे होते हैं। उदाहरण – डाएन्थस, प्राइमुला।

प्रश्न 11.
पुष्प क्या है ? एक प्रारूपी एंजियोस्पर्म पुष्प के भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह या कली है जो तने या शाखाओं के शीर्ष अथवा पत्ती कक्ष में उत्पन्न होकर प्रजनन का कार्य करता है तथा फल एवं बीज को उत्पादित करता है। एक प्रारूपिक पुष्प के चार भाग होते हैं –

1.  बाह्यदल पुंज (Calyx) – इसका मुख्य कार्य पुष्प की कलिका अवस्था में रक्षा करना है, बाह्यदल हरे होने के कारण पत्ती के समान भोजन का संश्लेषण करता है।

2. दल पुंज (Corolla) – यह पुष्प का रंगीन एवं आकर्षक भाग है, ये कीटों को पर-परागण के लिए आकर्षित करते हैं।

3. पुमंग (Stamen) – पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय-पत्र के तीसरे चक्र को, जो नर जनन अंग का कार्य करता है, पुमंग कहते हैं। जबकि इसका एकक पुंकेसर (Stamen) कहलाता है। प्रत्येक पुंकेसर तीन भागों –

  • पुतन्तु (Filament)
  • परागकोष (Anther) एवं
  • योजी (Connective) से मिलकर बना होता हैं।

4. जायांग (Gynoecium):
पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय पत्रों के चक्र को, जो मादा जनन अंग का कार्य करते हैं, जायांग कहते हैं। यह कई एककों का बना होता है, इन एककों को अण्डप (Carpel) कहते हैं। एक प्रारूपिक जायांग तीन भागों –

  • अण्डाशय (Ovary)
  • वर्तिका (Style) एवं
  • वर्तिकाग्र (Stigma) से मिलकर बना होता है।

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प्रश्न 12.
पत्तियों के विभिन्न रूपान्तरण पौधे की कैसे सहायता करते हैं?
उत्तर:
पत्तियों का मुख्य कार्य प्रकाश – संश्लेषण तथा वाष्पोत्सर्जन है लेकिन कुछ पत्तियाँ इसके अलावा कुछ अन्य कार्यों को भी करती हैं जिसके कारण इनके स्वरूप में सामान्य परिवर्तन हो जाता है इन्हीं परिवर्तनों को पत्ती का रूपान्तरण कहते हैं। ऐसे विशेष रूपान्तरणों को प्रदर्शित करने वाली पत्तियाँ साधारण हरी पत्तियों से भिन्न एवं सामान्यतः हासित होती हैं। पत्तियों के प्रकार के अन्तर्गत वर्णित सहपत्रिका (Bracts), शल्क पत्र (Scale leaves) तथा पुष्पीय पत्र (Floral leaves) भी पत्तियों के रूपान्तरण ही हैं । पत्तियों के दूसरे रूपान्तरण इस प्रकार हैं –

(1) पर्ण कंटक (Leaf spines):
कभी-कभी पत्तियाँ काँटे का रूप लेकर या तो वाष्पोत्सर्जन को रोकती हैं या रक्षात्मक कार्य करती हैं इन्हीं रूपान्तरित पत्तियों को पर्णकंटक कहते हैं। केवड़ा (Padanus) में पत्तियों के किनारे, सतावर (Asparagus) एवं यूलेक्स (Ulex) तथा नागफनी में सम्पूर्ण पत्ती काँटों में रूपान्तरित होती हैं। नीबू और बेल में प्रोफिल्स काँटों में रूपान्तरित होता है।

(2) पर्ण प्रतान (Leaf tendrils):
कमजोर तने वाले कुछ पादपों की सम्पूर्ण पत्तियाँ या उनका कुछ भाग प्रतान में रूपान्तरित हो जाता है जिससे ये आरोहण का कार्य कर सकें। मटर में सम्पूर्ण पत्रक, ग्लोरिओसा में पत्राग्र प्रतान में रूपान्तरित होते हैं।

(3) पर्ण अंकुश (Leaf hooks):
कुछ पौधों जैसे – बिग्नोनिया में संयुक्त पत्ती के पर्णक नाखून के समान मुड़कर अंकुश का रूप ले लेते हैं। जो पौधे को आरोहण में मदद करने के साथ उनकी रक्षा का कार्य करते हैं।

(4) शल्क पत्र (Scaly leaves):
कलिकाओं की रक्षा के लिए कुछ पौधों की पत्तियाँ शल्क का रूप ले लेती हैं जिन्हें शल्क पत्र कहते हैं। जैसे – अदरक, जिमीकन्द।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 16

(5) संग्रहण पत्रक (Storage leaves):
कुछ पौधों की पत्तियाँ जल तथा भोज्य पदार्थों को संगृहीत करके मांसल हो जाती हैं जिन्हें संग्रहणी पर्ण कहते हैं। मरुभूमि के पादपों में यह रूपान्तरण पाया जाता है जिससे पौधे भविष्य के लिए भोजन तथा जल का संग्रहण करते हैं जैसे – घीक्वार (Agave), ग्वारपाठा (Aloe), ब्रायोफिलम।

(6) पर्णमूल (Leaf roots) – कुछ पौधों की पत्तियाँ जड़ों में रूपान्तरित हो जाती हैं जिन्हें पर्णमूल कहते हैं। डलझील (कश्मीर) में मिलने वाले साल्वीनिया नामक जलीय पौधे की पत्तियाँ पर्णमूल में – रूपान्तरित होकर जल को अवशोषित करने के साथ पौधे को तैरने में मदद करती हैं।
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(7) घटपर्ण (Pitcher):
कुछ कीटभक्षी पौधे जैसे – निपेन्थीसया पिचर प्लाण्ट में पत्तियों का फलक घटपर्ण (Pitcher) में बदल जाता है। पर्णाधार चौड़ा और पर्ण वृन्त प्रतान सदृश हो जाता है। पर्णाग्र कलश पादप का ढक्कन बनाता है। कीड़े पकड़कर ऐसे पौधे अपनी नाइट्रोजन की कमी को पूरा करते हैं। भारत में आसाम की गारो पहाड़ियों पर कलश पादप मिलते हैं।

(8) ब्लैडर (Bladder):
यूट्रीकुलेरिया नामक जलीय कीटभक्षी पौधे में पत्तियाँ ब्लैडर में बदल जाती हैं। ब्लैडर में भीतर की ओर खुलने वाला कपाट (वाल्व) होता है जिसके मुख पर कड़े रोमों के गुच्छे पाये जाते हैं। जलीय कीट पानी के प्रवाह के साथ बहकर ब्लैडर में प्रविष्ट तो हो सकते हैं, किन्तु बाहर नहीं निकल सकते। पाचक ग्रन्थियाँ कीट का पाचन करती हैं, अतिरिक्त पानी धीरे-धीरे बाहर चला जाता है।

प्रश्न 13.
पुष्पक्रम की परिभाषा लिखिए। पुष्पीय पादपों में विभिन्न प्रकार के पुष्पक्रमों के आधार पर वर्णन कीजिए
उत्तर:
पुष्पक्रम (Inflorescence):
प्ररोह का वह भाग जिस पर पुष्प लगे होते हैं पुष्पावली वृन्त (Peduncle) कहलाता है। इस पुष्पावली वृन्त पर पुष्प सीधे या पुष्प वृन्त (Pedicel) द्वारा जुड़े रहते हैं। पुष्पावली वृन्त पर पुष्पों के लगने के क्रम को पुष्पक्रम कहते हैं। पुष्पावली वृन्त से पुष्प एकल या समूहों में उत्पन्न होते हैं। जब एकल पुष्प पुष्पावली वृन्त (तना) के शीर्ष पर उगता है तब इसे एकल अन्तस्थ (Solitary terminal) कहते हैं। जैसे – नाइजेला, पोस्त इत्यादि। लेकिन जब एकल पुष्प किसी पत्ती के कक्ष से विकसित होता (या लगा होता) है। तब इसे एकल कक्षस्थ (Solitary axillary) कहते हैं। जैसे – गुड़हल, नास्टर्शियम।

अनिश्चित या असीमाक्ष पुष्पक्रम (Indefinite or Racemose Inflorescence):
वह पुष्पक्रम है जिसके पुष्पावली वृन्त या मुख्य अक्ष की अग्रस्थ कलिका हमेशा बनी रहती है और अपने नीचे पुष्पों को जन्म देती रहती है। जैसे-गुलमोहर, मूली, लटजीरा, चौलाई, सरसों, गेहूँ, अरबी आदि।

निश्चित या ससीमाक्ष पुष्पक्रम (Cymose or Determinate Inflorescence):
वह पुष्पक्रम है जिसमें पुष्पावली वृन्त या मुख्य अक्ष की अग्रस्थ कलिका पुष्प में परिवर्तित होकर इसकी वृद्धि को अवरुद्ध कर देती है। जैसे – कपास, रैननकुलस, सागौन, चमेली, मिश्रित पुष्पक्रम (Mixed Inflorescence)-मिश्रित पुष्पक्रम वह पुष्पक्रम है जिसमें मुख्य अक्ष (पुष्पावली वृन्त) पर अलग तथा इसकी शाखाओं पर अलग प्रकार का पुष्पक्रम पाया जाता है। दूसरे शब्दों में इस पुष्पक्रम में एक ही मुख्य अक्ष पर दो अलग – अलग पुष्पक्रम पाये जाते हैं। जैसे-केला, एक्जोरा।
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प्रश्न 14.
ऐसे पुष्प का सूत्र लिखिए जो त्रिज्या सममित, उभयलिंगी, अधोजायांगी, 5 संयुक्त बाह्य दली, 5 मुक्त दली, पाँच मुक्त पुंकेसरी, द्वियुक्तांडपी तथा ऊर्ध्ववर्ती अंडाशय हो।
उत्तर:
पुष्पसूत्र –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 20

प्रश्न 15.
पुष्पासन पर स्थिति के अनुसार लगे पुष्पी भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह या कली है जो तने या शाखाओं के शीर्ष अथवा पत्ती कक्ष में उत्पन्न होकर प्रजनन का कार्य करता है तथा फल एवं बीज को उत्पादित करता है। एक प्रारूपिक पुष्प के चार भाग होते हैं –

1.  बाह्यदल पुंज (Calyx) – इसका मुख्य कार्य पुष्प की कलिका अवस्था में रक्षा करना है, बाह्यदल हरे होने के कारण पत्ती के समान भोजन का संश्लेषण करता है।
2. दल पुंज (Corolla) – यह पुष्प का रंगीन एवं आकर्षक भाग है, ये कीटों को पर-परागण के लिए आकर्षित करते हैं।
3. पुमंग (Stamen) – पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय-पत्र के तीसरे चक्र को, जो नर जनन अंग का कार्य करता है, पुमंग कहते हैं। जबकि इसका एकक पुंकेसर (Stamen) कहलाता है। प्रत्येक पुंकेसर तीन भागों –

  • पुतन्तु (Filament)
  • परागकोष (Anther) एवं
  • योजी (Connective) से मिलकर बना होता हैं।

4. जायांग (Gynoecium):
पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय पत्रों के चक्र को, जो मादा जनन अंग का कार्य करते हैं, जायांग कहते हैं। यह कई एककों का बना होता है, इन एककों को अण्डप (Carpel) कहते हैं। एक प्रारूपिक जायांग तीन भागों –

  • अण्डाशय (Ovary)
  • वर्तिका (Style) एवं
  • वर्तिकाग्र (Stigma) से मिलकर बना होता है।

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 15

पुष्पी पादपों की आकारिकी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

पुष्पी पादपों की आकारिकी वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
I. सही विकल्प चुनकर लिखिए –

1. किस पौधे में मूल ग्रन्थिका पायी जाती है –
(a) बरगद में
(b) चने में
(c) आम में
(d) अदरक में।
उत्तर:
(b) चने में

2. कन्दमूल पायी जाती है –
(a) मिर्च में
(b) टैपियोका में
(c) कनेर में
(d) शकरकन्द में।
उत्तर:
(d) शकरकन्द में।

3. मूलांकुर से उत्पन्न न होकर किसी अन्य भाग से विकसित होने वाली जड़ों को कहते हैं –
(a) पर्णमूल
(b) अपस्थानिक मूल
(c) मूसला मूल
(d) वायवीय मूल।
उत्तर:
(b) अपस्थानिक मूल

4. न्यूमैटोफोर जड़ें पायी जाती हैं –
(a) टीनोस्पोरा में
(b) अजूबा में
(c) जूसिया में
(d) राइजोफोरा में।
उत्तर:
(d) राइजोफोरा में।

5. जूसिया में उपस्थित जड़ों का कार्य है –
(a) सहारा देना
(b) भोजन का संग्रह करना
(c) श्वसन करना
(d) आरोहण।
उत्तर:
(c) श्वसन करना

6. बरगद के वृक्ष की स्तम्भ मूल (Prop roots) काम करती है –
(a) वृक्ष के बड़े आकार को सहारा देने का
(b) भूमि में जल को रोकने का
(c) भूमि से जल के अवशोषण का
(d) वायुमण्डल से वायु के अवशोषण का।
उत्तर:
(a) वृक्ष के बड़े आकार को सहारा देने का

7. जो तना, हरा एवं पत्ती जैसा होता है, कहलाता है –
(a) द्विबीजपत्री तना
(b) एकबीजपत्री तना
(c) पर्णकाय स्तम्भ
(d) प्रकन्द।
उत्तर:
(c) पर्णकाय स्तम्भ

8. निम्न में कौन-सा तने का रूपान्तरण नहीं है –
(a) अदरक
(b) आम, अदरक
(c) स्तम्भ कन्द
(d) लहसुन।
उत्तर:
(b) आम, अदरक

9. केले का पौधा विकसित होता है –
(a) प्रकन्द से
(b) बीज़ से
(c) अन्त:भूस्तारी से
(d) भूस्तारी से।
उत्तर:
(c) अन्त:भूस्तारी से

10. आलू की कायिक वृद्धि होती है –
(a) प्रकन्द द्वारा
(b) स्तम्भ कन्द द्वारा
(c) अन्त:भूस्तारी द्वारा
(d) शल्क कन्द द्वारा।
उत्तर:
(b) स्तम्भ कन्द द्वारा

11. जब तना हरी पर्णिल संरचना में रूपान्तरित होता है, तो यह कहलाता है –
(a) पत्रकन्द
(b) प्रतान
(c) पर्णायित वृन्त
(d) पर्णकाय स्तम्भ।
उत्तर:
(d) पर्णकाय स्तम्भ।

12. फूला हुआ पर्णाधार कहलाता है –
(a) अनुपर्ण
(b) सहपत्र
(c) पल्विनस
(d) स्तम्भ कन्द।
उत्तर:
(c) पल्विनस

13. स्माइलैक्स का कौन-सा भाग प्रतान में रूपान्तरित होता है –
(a) पत्तियाँ
(b) अनुपर्ण
(c) तना
(d) पर्णक।
उत्तर:
(b) अनुपर्ण

14. कक्षस्थ कलिकाएँ निकलती हैं –
(a) वल्कुट की बाह्य स्तरों से बाह्यजनित रूप में
(b) अधिचर्म से बाह्यजनित रूप में
(c) परिरम्भ से अन्त:जनित रूप में
(d) वर्धी बिन्दु से अन्त:जनित रूप में।
उत्तर:
(a) वल्कुट की बाह्य स्तरों से बाह्यजनित रूप में

15. पर्णवृन्त, प्रतानों में रूपान्तरित हो जाते हैं –
(a) पैसीफ्लोरा में
(b) क्लीमैटिस में
(c) ग्लोरिओसा में
(d) एण्टीगोनन में।
उत्तर:
(b) क्लीमैटिस में

II. सही विकल्प चुनकर लिखिए –
1. मटर के पुष्प के दलपुंज के पुष्पदल विन्यास को कहते हैं –
(a) कॉण्टॉर्टेड
(b) वाल्वेट
(c) ध्वजिक
(d) इम्ब्रीकेट।
उत्तर:
(c) ध्वजिक

2. चिस्थायी (Persistant) बाह्यदलपुंज खाने योग्य बेरी (Berry) को बन्द किए हुए एक शुष्क गुब्बारे जैसी रचना बनाता है –
(a) निकोटियाना में
(b) सोलेनम में
(c) फाइसेलिस में:
(d) कैप्सीकम में।
उत्तर:
(c) फाइसेलिस में:

3. एक ऑथोपस बीजाण्ड वह होता है जिसमें बीजाण्डद्वार एवं निभाग (Micropyle and Chalaza) होते हैं –
(a) बीजाण्डवृन्त से तिरछा
(b) बीजाण्डवृन्त के समकोण पर
(c) बीजाण्डवृन्त के समानान्तर
(d) बीजाण्डवृन्त की सीधी रेखा में।
उत्तर:
(d) बीजाण्डवृन्त की सीधी रेखा में।

4. आधारीय बीजाण्डन्यास उपस्थित होता है –
(a) कम्पोजिटी में
(b) सोलेनेसी में
(c) माल्वेसी में
(d) माइमोसॉइडी में।
उत्तर:
(a) कम्पोजिटी में

5. परागकण प्रदर्शित करते हैं –
(a) नर युग्मकोद्भिद को
(b) मादा युग्मकोद्भिद को
(c) नर बीजाणुद्भिद को
(d) मादा बीजाणुद्भिद को।
उत्तर:
(a) नर युग्मकोद्भिद को

6. फूलगोभी का खाने योग्य भाग होता है –
(a) फल
(b) कलिका
(c) पुष्पक्रम
(d) पुष्प।
उत्तर:
(d) पुष्प।

7. जिह्वाकार (Lingulate) दलपुंज, जो कम्पोजिटी कुल में भी मिलता है, कहलाता है –
(a) मास्कड
(b) द्विओष्ठीय
(c) स्ट्रैप के आकार का
(d) चक्राकार।
उत्तर:
(c) स्ट्रैप के आकार का

8. मटर के पुष्प में ध्वजक तथा कील (Keel) बनाते हैं –
(a) बाह्यदलपुंज
(b) दलपुंज
(c) पुमंग
(d) जायांग।
उत्तर:
(b) दलपुंज

9. पुष्प के विभिन्न भागों के अध्ययन हेतु अत्यधिक उपयुक्त पुष्प होगा –
(a) सरसों का
(b) चम्पा का
(c) खीरा का
(d) सूर्यमुखी का।
उत्तर:
(a) सरसों का

10. दललग्न सम्बन्धित है –
(a) दलों के पुष्पदल विन्यास से
(b) अण्डाशय की स्थिति से
(c) पुंकेसरों से
(d) जरायुन्यास से।
उत्तर:
(c) पुंकेसरों से

11. रोमपुच्छ (Pappus) रूपान्तरण है –
(a) दलपुंज का
(b) बाह्यदलपुंज का
(c) सहपत्रों का
(d) जायांग का।
उत्तर:
(b) बाह्यदलपुंज का

12. किसी पुष्प को जाइगोमॉर्फिक कहते हैं, जब –
(a) इसके केन्द्र से होकर गुजरती हुई प्रत्येक ऊर्ध्व काट इसे दो सम भागों में विभाजित करती है
(b) इसके केन्द्र से होकर केवल एक ही ऊर्ध्व काट सम्भव होता है जो इसे दो समान भागों में बाँटता है
(c) उपर्युक्त में से कोई एक दशा उपस्थित होती है
(d) उपर्युक्त में से कोई भी स्थिति नहीं मिलती है।
उत्तर:
(b) इसके केन्द्र से होकर केवल एक ही ऊर्ध्व काट सम्भव होता है जो इसे दो समान भागों में बाँटता है

13. जब पुंकेसर दलों से लगे होते हैं तब यह दशा होती है –
(a) बाह्यदल लग्न
(b) गायनेण्ड्स
(c) दललग्न
(d) परिदललग्न।
उत्तर:
(c) दललग्न

14. चतुर्दी / (Tetradynamous) दशा सम्बन्धित होती है –
(a) पुमंग से
(b) जायांग से
(c) पुष्पक्रम से
(d) परिदललग्न से।
उत्तर:
(a) पुमंग से

15. निम्न में से किसमें एक ही पादप में नर तथा मादा पुष्प मिलते हैं –
(a) एकलिंगी
(b) द्विलिंगी
(c) मोनोसियस
(d) डायोसियस।
उत्तर:
(c) मोनोसियस

16. पुष्पों के समूह को धारण किये हुए प्ररोह की शाखा तन्त्र को कहते हैं –
(a) जरायुन्यास
(b) शिराविन्यास
(c) पुष्पक्रम
(d) पर्णविन्यास।
उत्तर:
(c) पुष्पक्रम

17. असीमाक्ष में पुष्प होते हैं –
(a) पृथक् लिंगों के
(b) एक ही लिंग के
(c) तलाभिसारी क्रम में व्यवस्थित
(d) अग्रकाभिसारी क्रर में व्यवस्थित।
उत्तर:
(d) अग्रकाभिसारी क्रर में व्यवस्थित।

18. वह पुष्पक्रम जिस पर अवृन्त और एकलिंगी पुष्प पाये जाते हैं –
(a) स्थूलमंजरी
(b) मंजरी
(c) एकीन
(d) पैनीकिल।
उत्तर:
(b) मंजरी

19. कैटकिन या वर्टीसिलास्टर एक प्रकार है –
(a) जरायुन्यास का
(b) शिराविन्यास का
(c) पुष्पक्रम का
(d) पर्णविन्यास का।
उत्तर:
(c) पुष्पक्रम का

20. म्यूजेसी (Musaseae) में पुष्पक्रम होता है –
(a) शूकी
(b) शीर्ष
(c) कैपीटुलम
(d) स्थूलमंजरी।
उत्तर:
(d) स्थूलमंजरी।

III. सही विकल्प चुनकर लिखिए –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 20
(a) मालवेसी
(b) सोलेनेसी
(c) कम्पोजिटी
(d) लेग्यूमिनोसी।
उत्तर:
(b) सोलेनेसी

2. तन्तु स्वतन्त्र, परागकोष समेकित एवं दललग्न पुंकेसर किस कुल में पाये जाते हैं –
(a) सोलेनेसी
(b) एस्टेरेसी।
(c) एस्केलपियेडेसी
(d) कान्वॉलवुलेसी।
उत्तर:
(b) एस्टेरेसी।

3. किस कुल में परिदलपुंज पाया जाता है –
(a) मालवेसी
(b) लिलिएसी
(c) क्रुसीफेरी
(d) सोलेनेसी।
उत्तर:
(b) लिलिएसी

4. चना किस कुल का पौधा है –
(a) सोलेनेसी
(b) पैपिलियोनेसी
(c) ग्रैमिनी
(d) माइमोसाइडी।
उत्तर:
(b) पैपिलियोनेसी

5. किस कुल के पुंकेसर अण्डाशय के ऊपर पैदा होते हैं –
(a) क्रुसीफेरी
(b) लिलिएसी
(c) सोलेनेसी
(d) एस्टेरेसी।
उत्तर:
(d) एस्टेरेसी।

6. सूरजमुखी का फल है –
(a) सिप्सेला
(b) बेरी
(c) डूप
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) सिप्सेला

7. सूरजमुखी के रश्मि पुष्पक होते हैं –
(a) अलिंगी
(b) द्विलिंगी
(c) एकलिंगी
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) एकलिंगी

प्रश्न 2.
I. एक शब्द में उत्तर दीजिए –

  1. तना भ्रूण के किस भाग से विकसित होता है?
  2. द्वि-पार्श्व पत्तियाँ किन पौधों में पाई जाती हैं?
  3. पर्णकाय स्तम्भ रूपान्तरण किस पौधे में होता है?
  4. जड़ का कौन-सा क्षेत्र जल अवशोषण करता है?
  5. नर्म तथा हरे तनों वाले छोटे पौधे के लिये वानस्पतिक शब्दावली क्या है?
  6. केले की पत्ती के आकार का नाम लिखिए।
  7. ब्रायोफिलम में पत्ती के किसी भी भाग से विकसित जड़ों को क्या कहते हैं?
  8. राइजोफोरा में पायी जाने वाली विशिष्ट जड़ों का नाम लिखिए।
  9. पर्णाभ स्तम्भ पौधे के किस भाग का रूपान्तरण है?
  10. कैक्टस की पत्तियाँ कैसी होती हैं?
  11. प्रकन्द क्या है?

उत्तर:

  1. प्रांकुर
  2. द्विबीजपत्री पौधों
  3. नागफनी
  4. मूल रोम
  5. शाक
  6. दीर्घायत (Oblong)
  7. जनन मूल
  8. न्यूमैटोफोर
  9. तने
  10. काँटे के रूप में
  11. तनों का अधोभूमिक रूपान्तरण।

II. एक शब्द में उत्तर दीजिए –

  1. दल के समान सहदल पत्र किस पुष्प में पाये जाते हैं?
  2. उपरिजाय पुष्प का उदाहरण दीजिये।
  3. गेहूँ का दाना फल है या बीज?
  4. शुष्क फल का नाम लिखिए जिसमें फलभित्ति बीजावरण के साथ मिल जाती है।
  5. पैपस पुष्प की किस रचना का रूपांतरण है?
  6. निषेचित तथा परिपक्व बीजाण्ड के लिये वैज्ञानिक शब्द लिखिये।
  7. तुलसी में किस प्रकार का पुष्पक्रम पाया जाता है?
  8. सरसों में किस प्रकार का दलपुंज पाया जाता है?
  9. परिदलपुंज का एक उदाहरण लिखिए।

उत्तर:

  1. बोगेनवेलिया
  2. सूर्यमुखी
  3. फल
  4. कैरियोप्सिस
  5. बाह्यदलपुंज
  6. फल एवं बीज
  7. कूटचक्रक
  8. पृथक्दली
  9. मक्का।

III. एक शब्द में उत्तर दीजिए –

  1. ग्रैमिनी कुल के परिदलपुंज को क्या कहते हैं?
  2. किस कुल के पुष्पों के बाह्यदलपुंज रोमिल (पैपस) होते हैं?
  3. वे पुष्प जो त्रितयी, हाइपोगाइनस, जायांग-त्रिअंडपी, युक्तांडपी व त्रिकोष्ठीय होते हैं किस कुल में आते हैं?
  4. जिस कुल में पादपों की जड़ें ग्रंथिमय होती हैं, उनके नाम बताइये।
  5. उस कुल का नाम बताइये जिसमें फल सिलिक्युआ एवं पुष्प क्रॉसित होते हैं।
  6. टमाटर का वानस्पतिक नाम लिखिए।
  7. मटर का वानस्पतिक नाम लिखिए।
  8. धतूरे का पुष्प सूत्र लिखिए।

उत्तर:

  1. लॉडिक्यूल
  2. कंपोजिटी
  3. लिलियेसी
  4. पैपिलियोनेसी
  5. क्रुसीफेरी
  6. लाइकोपर्सिकम एस्कुलेन्टम
  7. पाइसम सटाइवम
  8. MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 21

प्रश्न 3.
I. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1.  …………….. पौधे को यांत्रिक आधार देती हैं।
  2. जड़ भ्रूण के …………….. से विकसित होती है।
  3. पर्व तथा …………….. जड़ में नहीं होते हैं।
  4. न्यूमैटोफोर दलदली पौधों की जड़ों में …………….. के लिये विकसित होते हैं।
  5. आर्द्रताग्राही जड़ों में …………….. ऊतक पाये जाते हैं।
  6. महाबरगद वृक्ष …………….. में है, जिसमें …………. जड़ें हैं।
  7. पर्णाभ वृंत का उदाहरण …………….. होता है।
  8. छुईमुई में पर्णाधार ……………..होता है।
  9. कैक्टस में प्रकाश-संश्लेषण का कार्य …………….. करता है।
  10. अमरबेल में पोषक से भोजन प्राप्त करने वाली रचना को …………….. कहते हैं।

उत्तर:

  1. जड़ें
  2. मूलांकुर
  3. पर्वसंधि
  4. श्वसन
  5. गुंठिका (Velamen)
  6. कलकत्ता, स्तम्भ
  7. आस्ट्रे लियन बबूल या पर्किनसोनिया
  8. फूला हुआ
  9. तना
  10. हॉस्टोरिया।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. पक्षियों द्वारा परागण को …………….. कहते हैं।
  2. पुष्प रूपान्तरित …………….. है।
  3. पुमंग …………….. तथा जायांग पुष्प का …………….. अंग है।
  4. पुष्पासन पर पुष्पीय चक्रों का स्थित होना
  5.  ……………. के बिना फल का निर्माण पार्थीनोजेनेसिस कहलाता है।
  6. युग्मक जनन में …………….. का निर्माण होता है।
  7. वे फल जो अंडाशय से विकसित होते हैं …………….. फल कहलाते हैं।
  8. भ्रूणपोष पोषक ऊतक है जो विकसित होते …………….. को पोषण देती है।
  9. अधोजाय पुष्प में, अंडाशय …………….. होता है।
  10. परिदलपुंज बाह्यदल तथा दल की वह अवस्था जब दोनों एक ………….. दिखाई देते हैं।

उत्तर:

  1. जन्तु (पक्षी) परागण
  2. प्ररोह
  3. नर, मादा जनन
  4. पुष्पपत्रों का निवेशन
  5. निषेचन
  6. युग्मक
  7. सत्य
  8. भ्रूण
  9. उत्तरवर्ती
  10. समान।

III. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. पुष्पीय पादपों का सबसे बड़ा कुल …………….. है।
  2. …………….. कुल का पुंकेसर अंडाशय के ऊपर पैदा होता है।
  3. एण्ड्रोपोगान म्यूरीकेट्स …………….. का वानस्पतिक नाम है, यह गर्मी में शीतलता प्रदान करता है।
  4. दालें …………….. कुल के सदस्य हैं।
  5. परिदलपुंज …………….. कुल में पाया जाता है।

उत्तर:

  1. कंपोजिटी
  2. एस्टेरेसी
  3. खस
  4. पेपिलियोनेसी
  5. लिलिएसी।

प्रश्न 3.
I. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1.  …………….. पौधे को यांत्रिक आधार देती हैं।
  2. जड़ भ्रूण के …………….. से विकसित होती है।
  3. पर्व तथा …………….. जड़ में नहीं होते हैं।
  4. न्यूमैटोफोर दलदली पौधों की जड़ों में …………….. के लिये विकसित होते हैं।
  5. आर्द्रताग्राही जड़ों में …………….. ऊतक पाये जाते हैं।
  6. महाबरगद वृक्ष …………….. में है, जिसमें …………. जड़ें हैं।
  7. पर्णाभ वृंत का उदाहरण …………….. होता है।
  8. छुईमुई में पर्णाधार ……………..होता है।
  9. कैक्टस में प्रकाश-संश्लेषण का कार्य …………….. करता है।
  10. अमरबेल में पोषक से भोजन प्राप्त करने वाली रचना को …………….. कहते हैं।

उत्तर:

  1. जड़ें
  2. मूलांकुर
  3. पर्वसंधि
  4. श्वसन
  5. गुंठिका (Velamen)
  6. कलकत्ता, स्तम्भ
  7. आस्ट्रे लियन बबूल या पर्किनसोनिया
  8. फूला हुआ
  9. तना
  10. हॉस्टोरिया।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. पक्षियों द्वारा परागण को …………….. कहते हैं।
  2. पुष्प रूपान्तरित …………….. है।
  3. पुमंग …………….. तथा जायांग पुष्प का …………….. अंग है।
  4. पुष्पासन पर पुष्पीय चक्रों का स्थित होना
  5.  ……………. के बिना फल का निर्माण पार्थीनोजेनेसिस कहलाता है।
  6. युग्मक जनन में …………….. का निर्माण होता है।
  7. वे फल जो अंडाशय से विकसित होते हैं …………….. फल कहलाते हैं।
  8. भ्रूणपोष पोषक ऊतक है जो विकसित होते …………….. को पोषण देती है।
  9. अधोजाय पुष्प में, अंडाशय …………….. होता है।
  10. परिदलपुंज बाह्यदल तथा दल की वह अवस्था जब दोनों एक ………….. दिखाई देते हैं।

उत्तर:

  1. जन्तु (पक्षी) परागण
  2. प्ररोह
  3.  नर, मादा जनन
  4. पुष्पपत्रों का निवेशन
  5. निषेचन
  6. युग्मक
  7. सत्य
  8. भ्रूण
  9. उत्तरवर्ती
  10. समान

III. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -.

  1. पुष्पीय पादपों का सबसे बड़ा कुल …………….. है।
  2. ……………. कुल का पुंकेसर अंडाशय के ऊपर पैदा होता है।
  3. एण्ड्रोपोगान म्यूरीकेट्स …………….. का वानस्पतिक नाम है, यह गर्मी में शीतलता प्रदान करता है।
  4. दालें …………….. कुल के सदस्य हैं।
  5. परिदलपुंज …………….. कुल में पाया जाता है।

उत्तर:

  1. कंपोजिटी
  2. एस्टेरेसी
  3. खस
  4. पेपिलियोनेसी
  5. लिलिएसी।

प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 22
उत्तर:

  1. (d) पर्व संधि पर उत्पन्न जड़ें
  2. (e) सहजीवी जड़
  3. (a) अग्रभाग में भोजन संचित जड़
  4. (c) तने के आधार पर विकसित जड़
  5. (b) जूसिया

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 23
उत्तर:

  1. (d) सतावर
  2. (c) नीबू
  3. (b) कुछ समय की वायवीय जड़
  4. (e) कंद
  5. (a) संघनित कक्षस्थ कलिका

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 24
उत्तर:

  1. (b) केला
  2. (d) घास
  3. (a) शहतूत
  4. (e) फूलगोभी
  5. (c) कद्दू

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 26
उत्तर:

  1. (e) असीमाक्षी
  2. (d) स्पाइक
  3. (f) ससीमाक्षी पुष्पक्रम
  4. (a) स्पैडिक्स
  5. (b) कटोरिया पुष्पक्रम
  6. (c) हाइपैन्थोडियम

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 27
उत्तर:

  1. (d) प्याज
  2. (e) सरसों
  3. (a) धतूरा
  4. (b) मटर
  5. (c) कम्पोजिटी
  6. (f) क्रुसीफेरी।

प्रश्न 5.
I.सत्य / असत्य बताइए –

  1. जड़ें गुरुत्वानुवर्ती गति प्रदर्शित करती हैं।
  2. जड़ के अग्रभाग पर उपस्थित संरचना मूल छद कहलाती है।
  3. कुछ विशिष्ट कार्यों के लिये जड़, तना एवं पत्ती अपने मूल स्वरूप में कुछ परिवर्तन कर लेती है, इसे रूपांतरण कहते हैं।
  4. तने का अधोभूमिक रूपांतरण कुल तीन प्रकार का होता है।
  5. कुछ पादपों में दो प्रकार की पत्तियाँ होती हैं, इस दशा को पत्तियों की विभिन्नरूपकता कहते हैं।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

II. सत्य / असत्य बताइए –

  1. पुष्प के अंग विशेष कार्यों को करने के लिये रूपांतरित पत्तियाँ हैं अतः इन्हें पुष्पीय पत्र कहते हैं।
  2. एक फूलगोभी पूरा पुष्पक्रम है जो संयुक्त कोरिम्ब कहलाता है।
  3. बीज के अन्दर पौधा सुरक्षित होता है।
  4. पुष्पक्रम के केवल तीन प्रकार होते हैं –
    1. सरल
    2. संयुक्त
    3. मिश्रित।
  5. फल, फलभित्ति एवं बीज का बना होता है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

III. सत्य / असत्य बताइए –

  1. स्पाइकलेट का स्पाइक पुष्पक्रम ग्रैमिनी कुल में पाया जाता है।
  2. सूरजमुखी में बिंब पुष्पक परिधि में स्थित होते हैं।
  3. सोलेनेसी कुल का पौधा विथानिया सोम्नीफेरा खाँसी ठीक करने की औषधि के रूप में काम आता है।
  4. लिलियम कैन्डिडम चाँदनी पुष्प का वानस्पतिक नाम है।
  5. राई, दूबघास व बाँस ग्रैमिनी कुल के सदस्य हैं।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

पुष्पी पादपों की आकारिकी अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पार्श्व मूल की उत्पत्ति किस प्रकार होती है ?
उत्तर:
पार्श्व मूलों (Lateral roots) की उत्पत्ति अन्तर्जात (Endogenous) अर्थात् आन्तरिक ऊतकों से होती है। वास्तव में पार्श्व जड़ों की उत्पत्ति परिरंभ (Pericycle) से होती है।

प्रश्न 2.
पुश्त मूल को उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
पुश्त मूल (Root buttresses):
कुछ बड़े वृक्षों में पौधे के निचले भाग से पटियेनुमा रचनाएँ निकलती हैं, जो कि स्वभाव में आधी जड़ एवं आधी तना होती हैं। ये जड़ें पौधे को आधार प्रदान करती हैं। उदाहरण – सेमल (Prombab malabaricum)।

प्रश्न 3.
जड़ द्वारा जल एवं खनिज लवणों का अवशोषण किस प्रदेश द्वारा किया जाता है ?
उत्तर:
जड़ों द्वारा जल एवं खनिज लवणों का अवशोषण मूल रोम प्रदेश (Root hair zone) द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 4.
मूल टोप क्या है ? इसका क्या महत्व है ?
उत्तर:
जड़ों के अग्रभाग पर उपस्थित टोपीनुमा संरचना को ही मूल टोप (Root cap) कहते हैं। यह जड़ के सिरे की रक्षा करती है।

प्रश्न 5.
ऐसे जड़ का नाम बताइये जो कि प्रकाश-संश्लेषण में सहायक होता है ?
उत्तर:
परिपाची मूल (Assimilatory root) उदाहरण – टीनोस्पोरा, ट्रॉपा (Trapa) आदि।

प्रश्न 6.
न्यूमैटोफोर क्या है ?
उत्तर:
दलदली पौधों में पायी जाने वाली श्वसन मूलों को ही न्यूमैटोफोर (Pneumatophore) कहते हैं। यह जड़ों का श्वसन हेतु एक रूपान्तरण है।

प्रश्न 7.
अपस्थानिक जड़ें क्या हैं ?
उत्तर:
ऐसी जड़ें जो कि मूलांकुर से विकसित न होकर तने के आधार पर पर्वसन्धियों से निकलती हैं, उन्हें ही अपस्थानिक जड़ें (Adventitious roots) कहते हैं।

प्रश्न 8.
पौधे के किस भाग से जड़ों की उत्पत्ति होती है?
उत्तर:
जड़ों की उत्पत्ति पौधों के बीजों में उपस्थित भ्रूण के मूलांकुर (Radicle) से होती है।

प्रश्न 9.
कुंभीरूपी मूल एवं शंकुरूपी मूल के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • कुंभीरूपी मूल (Napiform roots) – शलजम, चुकन्दर।
  • शंकुरूपी मूल (Conical roots) – गाजर।

प्रश्न 10.
प्याज एवं आलू के खाने योग्य भाग का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्याज का शल्क पत्र एवं आलू का स्तंभकंद खाने योग्य भाग है।

प्रश्न 11.
प्रकन्द घनकन्द एवं शल्ककंद की तुलना कीजिये।
उत्तर:
प्रकन्द, घनकन्द एवं शल्ककंद में तुलनाक्र –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 28

प्रश्न 12.
स्टोलोन एवं रनर में अन्तर बताइये।
उत्तर:
स्टोलोन एवं रनर में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 29

प्रश्न 13.
फिल्लोक्लैड एवं क्लैडोड में अन्तर लिखिए।
उत्तर:

  • फिल्लोक्लैड (पर्णाभस्तम्भ) अनिश्चित वृद्धि वाला हरा तना, है जो कि रूपान्तरित होकर पत्ती का कार्य करता है, जबकि क्लैडोड (पर्णाभ पर्व) निश्चित वृद्धि वाला हरा तना है।
  • फिल्लोक्लैड में कई पर्व एवं पर्वसंधियाँ होती हैं, जबकि क्लैडोड में केवल एक या दो पर्व होते हैं।

प्रश्न 14.
रूपान्तरण का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
रूपान्तरण – अपने सामान्य कार्यों से हटकर कुछ विशिष्ट कार्यों को करने के लिए तने अपने सामान्य रूप एवं आकार में परिवर्तन कर लेते हैं। इसे ही तनों का रूपान्तरण कहते हैं।

प्रश्न 15.
स्तम्भ कन्द एवं मूल कन्द में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
स्तम्भ कन्द (Stem tuber) में पर्व, पर्वसन्धि, पर्व कलिकाएँ और शल्क पत्र पाये जाते हैं। इनकी आन्तरिक रचना भी तने के समान होती है जबकि मूल कन्द (Root tuber) में ये रचनाएँ नहीं होती

प्रश्न 16.
रनर, सकर एवं ऑफसेट में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
रनर, सकर और ऑफसेट में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 30

प्रश्न 17.
पर्णकाय स्तंभ तथा पर्णाभवृन्त में अन्तर लिखिये।
उत्तर:
पर्णकाय स्तंभ में तना रूपान्तरित होकर मांसल हो जाती हैं, जबकि पर्णाभवृन्त में पर्णवृन्त रूपान्तरित होकर पत्ती सदृश संरचना बनाते हैं।

प्रश्न 18.
समद्विपार्श्विक पत्ती किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऐसी पत्तियाँ, जिनकी ऊपरी एवं निचली सतह संरचना की दृष्टि से समान होती हैं, समद्विपाश्विक पत्तियाँ कहलाती हैं। प्रायः एकबीजपत्री पौधों में पाया जाता है। उदाहरण – मक्का की पत्ती।

प्रश्न 19.
पृष्ठाधारी पत्ती किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पृष्ठाधारी पत्ती (Dorsiventral leaf):
ऐसी पत्ती जिसकी ऊपरी तथा निचली सतह में संरचनात्मक भिन्नता पायी जाती है, पृष्ठाधारी पत्ती कहलाती है। प्रायः द्विबीजपत्री पौधों में पाया जाता है। उदाहरणआम।

प्रश्न 20.
समानान्तर एवं जालिकावत् शिराविन्यास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समानान्तर एवं जालिकावत् शिराविन्यास में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 31

प्रश्न 21.
पुष्प क्या है ?
उत्तर:
पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह या कली है, जो तने या शाखाओं के शीर्ष अथवा पत्ती के कक्ष में उत्पन्न होकर प्रजनन का कार्य करता है तथा फल एवं बीज को उत्पादित करता है।

प्रश्न 22.
द्विलिंगी पुष्प से क्या समझते हैं ?
उत्तर;
पुष्प में चार चक्र होते हैं, जिसमें दो चक्र सहायक अंगों का चक्र (बाह्यदल) है और दो चक्र जनन अंग के होते हैं, ये एण्डोशियम और गायनोशियम हैं। यदि ये दोनों चक्र एक ही पुष्प में हों तो इसे द्विलिंगी पुष्प कहते हैं।

प्रश्न 23.
पुष्प सूत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वह सूत्र जिसके द्वारा पुष्प की संरचना को संक्षिप्त रूप में एक सूत्र के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है, उसे पुष्प सूत्र कहते हैं। इस सूत्र या समीकरण में पुष्प की विभिन्न संरचनाओं तथा स्थितियों को विभिन्न संकेतों द्वारा व्यक्त किया जाता है। उदाहरण – सरसों
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 55

प्रश्न 24.
उत्तरवर्ती व अधोवर्ती अंडाशय में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
उत्तरवर्ती एवं अधोवर्ती अंडाशय में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 32

पुष्पी पादपों की आकारिकी लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भूमिगत तने तथा जड़ में कोई चार अन्तर लिखिये।
उत्तर:
भूमिगत तने एवं जड़ में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 33

प्रश्न 2.
तने के कार्यों को लिखिये।
उत्तर:
तने के कार्य (Functions of stems):
तना पौधे का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो निम्नलिखित कार्यों का सम्पादन करता है –

  • इसी के ऊपर शाखाएँ, पुष्प तथा फल लगे होते हैं। इस प्रकार यह इन्हें आधार प्रदान करता है। तना इन्हें इस प्रकार साधे रखता है कि इन्हें प्रकाश मिल सके। अतः यह पौधे को यान्त्रिक सहारा देता है।
  • बाल अवस्था में यह हरा होकर प्रकाश-संश्लेषण का कार्य करता है।
  • यह जड़ द्वारा अवशोषित पदार्थ का संवहन करता है।
  • रेगिस्तान में यह भोजन निर्माण तथा संग्रहण का कार्य करता है।
  • कुछ पौधों में यह वर्धी प्रजनन का कार्य करता है। जैसे-आलू, अदरक।
  • कुछ पौधों में यह काँटों में रूपान्तरित होकर उनकी पशुओं से रक्षा करता है।
  • भूमिगत होने पर यह मृदा को बाँधने का कार्य करता है।

प्रश्न 3.
पत्ती के सामान्य कार्य लिखिए।
उत्तर:
पत्ती के सामान्य कार्य –

  • यह प्रकाश-संश्लेषण के द्वारा पौधे तथा समस्त जीवीय समुदाय के लिए भोज्य पदार्थों का संश्लेषण करती हैं।
  • यह रन्ध्रों (Stomata) के द्वारा गैसीय आदान-प्रदान करके श्वसन में मदद करती है।
  • यह स्टोमेटा के द्वारा वाष्पोत्सर्जन का कार्य करती है।
  • यह भोज्य पदार्थों का संवहन करती है।

प्रश्न 4.
पत्ती के विशिष्ट कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पत्तियों के विशिष्ट कार्य –

  • कुछ पत्तियाँ भोजन संग्रहण का कार्य करती हैं।
  • कुछ पत्तियाँ रूपान्तरित होकर आरोहण, रक्षा और विशिष्ट भोजन ग्रहण (कीटभक्षी पौधों में) का कार्य करती हैं।
  • कुछ पत्तियाँ रंग बदलकर पर-परागण में सहायता करती हैं और परागण में भाग लेने वाले जन्तुओं को आकर्षित करती हैं।
  • कुछ पत्तियाँ वर्षी प्रजनन में सहायता करती हैं जैसे—ब्रायोफिलम।
  • कुछ पत्तियाँ जड़ों में रूपान्तरित होकर अवशोषण का कार्य करती हैं, जैसे—साल्वीनिया की पत्ती।

प्रश्न 5.
पर्णाभस्तम्भ एवं पर्णाभवृन्त में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
पर्णाभस्तम्भ और पर्णाभवृन्त में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 34

प्रश्न 6.
बाह्यदलों के चार कार्य लिखिए।
उत्तर:
बाह्यदलों के कार्य (Functions of calyx) –

  • इसका मुख्य कार्य पुष्प की कलिकावस्था में इसकी रक्षा करना है।
  • बाह्यदल हरे होने के कारण पत्ती के समान भोज्य पदार्थों का संश्लेषण करते हैं।
  • ये रंगीन होकर कीटों को पर-परागण के लिए आकर्षित करते हैं।
  • कभी-कभी ये रोमगुच्छ (Pappus) के रूप में फलों तथा बीजों से जुड़े रहकर इनके विकिरण में सहायता करते हैं।

प्रश्न 7.
पुंकेसरों के आसंजन से आप क्या समझते हैं ? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पुंकेसरों का आसंजन (Adhesion of Stamens):
जब पुष्प के किसी चक्र के अवयव किसी दूसरे चक्र से सम्बद्ध होते हैं, तब इस क्रिया को आसंजन कहते हैं। पुंकेसरों में निम्नलिखित प्रकार के आसंजन पाये जाते हैं –

  • दललग्न (Epipetalous) – जब किसी पुष्प के पुंकेसर दल से जुड़े होते हैं, तब इन पुंकेसरों को दललग्न कहते हैं। जैसे – धतूरा और कनेर।
  • परिदललग्न (Epiphyllous) – जब पुंकेसर परिदलों से जुड़े रहते हैं, तब इन्हें परिदललग्न कहते हैं। जैसे – प्याज, सतावर।
  • पुजायांगी (Gynandrous) – जब पुंकेसर जायांग से जुड़े हों, तब इन्हें पुजायांगी कहा जाता है। जैसे – मदार।
  • पुजायांग स्तम्भी (Gynostegium) – आर्किड जैसे कुछ पादपों में पुष्पासन अण्डाशय के आगे तक बढ़ जाता है, जिससे अवृन्ती पुंकेसर और कुक्षीय पालि (Stigmatic lobes) जुड़े रहते हैं।

प्रश्न 8.
पुष्प पत्रों के निवेशन से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
जायांगधर, परिजायांगी एवं जायांगोपरिक अण्डाशय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
पुष्प पत्रों का निवेशन (Insertion of Floral Leaves) – पुष्पासन पर जायांग के सापेक्ष अन्य अंगों की स्थिति को पुष्प पत्रों का निवेशन कहते हैं। यह तीन प्रकार का हो सकता है –

1. अधोजाय या जायांगधर (Hypogynous):
वह निवेशन है, जिसमें पुष्पासन फूलकर शंक्वाकार हो जाता है। इसके शीर्ष पर अण्डाशय स्थित होता है, शेष पुष्पीय पत्र अण्डाशय से नीचे स्थित होते हैं, ऐसे अण्डाशय को जो सभी पुष्पीय पत्रों में ऊपर स्थित होता है उत्तरवर्ती (Superior) कहते Hypogynous Perigynous Epigynous हैं उदाहरण-सरसों, बैंगन, चाइना रोज आदि।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 35

2. परिजाय या परिजायांगी (Perigynous):
वह निवेशन है, जिसमें पुष्पासन एक प्याले का रूप ले लेता है। जायांग पुष्पासन के अन्दर तथा अन्य पुष्पीय पत्र प्याले के किनारों पर स्थित होते हैं। ऐसे अण्डाशय को जो सभी पुष्पीय पत्रों के नीचे स्थित होता है, अधोवर्ती अण्डाशय (Inferior ovary) कहते हैं। जैसे – गुलाब, सेम, मटर, अशोक, गुलमोहर आदि।

3. जायांगोपरिक या उपरिजाय (Epigynous):
वह निवेशन है, जिसमें पुष्पासन प्याले के समान गहरा हो जाता है, जिसके अन्दर अण्डाशय स्थित होता है, लेकिन इस निवेशन में अण्डाशय तथा पुष्पासन की भित्तियाँ एक-दूसरे से सटी रहती हैं और प्याले के शीर्ष से पुष्पीय पत्र निकलते हैं। इस निवेशन में भी अण्डाशय अन्य पुष्पीय पत्रों से नीचे स्थित रहता है। अत: यह अण्डाशय भी अधोवर्ती होता है। जैसे – सेय, सूर्यमुखी, एक्जोरा आदि।

पुष्पी पादपों की आकारिकी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अपस्थानिक जड़ों के भोजन संग्रहण हेतु बने रूपान्तरणों को समझाइये।
उत्तर:
अपस्थानिक जड़ों का भोजन संग्रहण हेतु रूपान्तरण-भोजन संग्रहण के कारण अपस्थानिक जड़ों में निम्नलिखित रूपान्तरण पाये जाते हैं –
(1) पुलकित या गुच्छ मूल (Fasciculated roots):
कुछ पौधों की अपस्थानिक या रेशेदार जड़ें भोज्य पदार्थों के एकत्रित हो जाने के कारण फूलकर गुच्छे का रूप ले लेती हैं इन्हें ही गुच्छमूल कहते हैं। जैसेडहेलिया (Dahlia), सतावर (Asparagus)।

(2) कन्द मूल (Tuberous roots):
वे जड़ें हैं, जो भोजन को संगृहीत करके अनियमित आकार की हो जाती हैं। ये जड़ें तने की पर्वसन्धियों से निकलती हैं तथा भोजन को संगृहीत करके अनियमित आकार में फूल जाती हैं। उदाहरणस्वरूप-शकरकन्द का तना भूमि पर रेंगकर चलता है, इसकी पर्वसन्धियों से अपस्थानिक जड़ें निकलती हैं, जो भूमि में जाकर खाद्य पदार्थों को संचित करके फूल जाती हैं और कन्द मूल का निर्माण करती हैं।

(3) ग्रन्थिल मूल (Nodulated roots):
ये जड़ें हैं, जो तने के आधार से निकलकर सामान्य जड़ के समान वृद्धि करती हैं लेकिन इनके अग्रस्थ भाग खाद्य पदार्थों के जमा हो जाने के कारण फूल जाते हैं। जैसेहल्दी की जड़।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 36

(4) मणिकामय मूल (Moniliform roots):
वे जड़ें हैं, जो मोतियों की माला के समान फूल जाती हैं। अंगूर, कुछ घासों एवं दलदली घासों (Sedge) में जड़ें मोतियों की माला के समान फूली-संकुचित-फूली दिखाई देती हैं। डायोस्कोरिया एलाटा में भी इसी प्रकार की जड़ें पायी जाती हैं।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 37

(5) वलयित मूल (Annulated roots):
वे जड़ें हैं, जो भोज्य पदार्थों के संग्रहण के कारण छल्ले का रूप ले लेती हैं, जो एक के ऊपर एक रखी प्रतीत होती हैं। इपीकॉक में इसी प्रकार की जड़ें पायी जाती हैं।

प्रश्न 2.
यांत्रिक कार्यों के लिए अपस्थानिक जड़ों में होने वाले रूपान्तरण लिखिये।
उत्तर:
यांत्रिक कार्यों (आधार प्रदान करने) के लिए अपस्थानिक जड़ों के रूपान्तरण-पौधे को यान्त्रिक सहारा प्रदान करने के लिए अपस्थानिक जड़ों में निम्नलिखित रूपान्तरण पाये जाते हैं –

(1) स्तम्भ मूल (Prop root):
यह जड़ का वह रूपान्तरण है, जिससे तने की क्षैतिज शाखाओं से वायवीय जड़ें निकलकर भूमि में प्रविष्ट कर जाती हैं। भूमि में प्रवेश के बाद ये स्थूलकाय होकर स्तम्भाकार हो जाती हैं तथा वृक्ष की शाखाओं के वजन को साधने के साथ भूमि से जल तथा पोषक पदार्थों को अवशोषित करती हैं। बरगद के वृक्ष में इसी प्रकार की जड़ें पायी जाती हैं। कलकत्ता के वानस्पतिक उद्यान में भारत का सबसे पुराना वृक्ष है, जो लगभग 200 वर्ष पुराना और 300 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है। इतने विशाल क्षेत्रफल में फैले रहने के बावजूद इसके मूल तने को निकाल दिया गया है। फलतः पूरा वृक्ष स्तम्भ मूल पर ही टिका है।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 38

(2) पुस्त मूल (Root buttresses) :
कुछ बड़े ख्ने जैसी जड़ें पौधों (वृक्षों) में पटियेनुमा रचनाएँ निचले भाग से निकलती हैं जो कि वास्तविकता में स्वभावगत आधी जड़ एवं आधा तना होती हैं । ऐसी जड़ें आधार प्रदान करती हैं। सेमल (Prombab maladaricum) के प्रौढ़ वृक्षों में ये मिलती है।

(3) आरोही मूल (Climbing root):
कुछ पौधों में इस प्रकार की जड़ें आधार पर आरोहण में सहायता पहुँचाती हैं। ये जड़ें पतली एवं लम्बी होती हैं तथा तने की पर्वसन्धियों (Nodes) से निकलती हैं। कालीमिर्च, मनीप्लाण्ट (पोथॉस) और पान में इस प्रकार की जड़ें पायी जाती हैं। इन पौधों की आरोही मूलों से एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ निकलता है। जिसकी सहायता से जड़ें आधार से चिपकती जाती हैं और तना चिपककर ऊपर बढ़ता जाता है।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 39

(4) चिपकने वाली जड़ें (Clinging roots)-जो पौधे दूसरे पौधों पर उगते हैं, उनको अधिपादप (epiphytes) कहते हैं। कुछ अधिपादपों में एक विशेष प्रकार की जड़ें पायी जाती हैं, जो इन्हें आधार से पिचकाये रखती हैं, इन्हें ही चिपकने वाली जड़ें कहते हैं, जैसे-वैण्डा की जड़ें।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 40

प्रश्न 3.
मूसला जड़ों में पाये जाने वाले विभिन्न रूपान्तरणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भोजन संग्रह के लिए मूसला जड़ के रूपान्तरण को चित्र सहित समझाइए।
उत्तर:
मूसला जड़ों के रूपान्तरण (Modification of tap roots) – मूसला जड़ों में मुख्यतः दो कार्यों के लिए रूपान्तरण पाया जाता है –

1. भोजन संग्रहण के लिए (For food storage):
कुछ मूसला जड़ें खाद्य पदार्थों को संगृहीत करके फूलकर मांसल हो जाती हैं और अलग-अलग आकार ग्रहण कर लेती हैं। इस संगृहीत भोजन सामग्री का उपयोग पादप करते हैं। इन रूपान्तरणों का नामकरण जड़ के आकार के आधार पर निम्न प्रकार से किया जाता है –

(i) शंक्वाकार (Conical):
इसमें जड़ आधार से अग्रस्थ भाग तक क्रमश: पतली होती जाती है। इनका आधार भाग सबसे मोटा और अग्र भाग सबसे पतला होता है। उदाहरण-गाजर का फूला हुआ भाग मांसल जड़ द्वारा बनाया जाता है।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 41

(ii) तर्कुरूप (Fusiform):
यह जड़ बीच में मोटी और दोनों सिरों की ओर क्रमशः पतली होती जाती है। इसमें ऊपर का पतला भाग बीजपत्राधार (Hypocotyl) तथा शेष सम्पूर्ण भाग जड़ होता है। उदाहरण-मूली।

(iii) कुंभीरूप (Napiform):
इस जड़ का ऊपरी भाग बहुत अधिक फूला लेकिन अग्र भाग एकदम पतला होता है। इसका ऊपरी फूला हुआ भाग बीजपत्राधार एवं जड़ दोनों के फूलने से बनता है। उदाहरणशलजम, चुकन्दर।

2. श्वसन के लिए (For respiration):
श्वसन मूल (Respiratory roots)-ये जड़ें दल-दल में उगने वाले पौधों में पायी जाती हैं। चूँकि, ऐसे स्थानों पर भूमि में वायु की कमी रहती है अत: श्वसन क्रिया हेतु पौधे की द्वितीयक जड़ें अपने स्वभाव के विपरीत विकसित होकर भूमि के ऊपर आ जाती हैं। भूमि के ऊपर विकसित इस ऊर्ध्वाधर भाग को श्वसन मूल या न्यूमैटोफोर (Pneumatophore) कहते हैं। इन श्वसन मूलों में अनेक वातरन्ध्र (Lenticels) पाये जाते हैं। इन्हीं रन्ध्रों से वायुमण्डलीय ऑक्सीजन जड़ों में प्रवेश करके वायु की कमी को पूरा करती है। इस प्रकार की जड़ें बंगाल के सुन्दरवन में उगने वाले पौधों में पायी जाती हैं। उदाहरणराइजोफोरा (Rhizophora)।

प्रश्न 4.
तनों के अधोभूमिक रूपान्तरणों को उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
तनों के अधोभूमिक रूपान्तरण (Underground modifications of Stem):
ऐसे तने जो कि भूमि के नीचे स्थित रहते हैं उन्हें अधोभूमिक रूपान्तरण कहते हैं । तनों का यह रूपान्तरण प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने आपको जीवित रखने के लिए होता है। प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने के लिए भूमिगत तने वाले भाग में भोज्य पदार्थ एकत्र करके अपने-आपको सुरक्षित रखते हैं। अनुकूल परिस्थिति आते ही ये विकसित होकर एक नया पौधा बना लेता है।
भूमिगत तनों में निम्नलिखित चार प्रकार के रूपान्तरण पाये जाते हैं –

  1. प्रकन्द
  2. स्तम्भ कन्द
  3. शल्ककन्द

(1) प्रकन्द (Rhizome):
यह एक अनिश्चित वृद्धि Nod वाला बहुवर्षी भूमिगत तना है, जो कि अनुकूल परिस्थिति में विकसित होकर प्ररोह एवं पत्तियों का निर्माण करता है। इसमें पर्व एवं पर्वसन्धियाँ उपस्थित होती हैं। प्रत्येक पर्वसन्धि पर शल्क पत्र (Scale. leaves) एवं अक्षीय कलिका (Axillary bud) पायी जाती है। इसकी निचली ‘सतह से बहुत-सी अपस्थानिक जड़ें निकलती हैं। चित्र-अदरक के प्रकन्द उदाहरण – अदरक (Ginger)।
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(2) स्तम्भ कन्द (Stem tuber):
पौधे का भूमि के अन्दर बनने वाला मांसल भाग कन्द (Tuber) कहलाता है। यह जड़ Scar of Scar of Germinating scale leaf eye bud अथवा तना दोनों से विकसित हो सकता है, जब यह जड़ से stem विकसित होता है, तब इसे मूलकन्द (Root tuber) लेकिन Apex जब यह तने से विकसित होता है, तब इसे स्तम्भ कन्द (Stem tuber) कहते हैं। स्तम्भ कन्द में तने की कक्षस्थ कलिका भूमि के अन्दर विकसित होकर भोज्य पदार्थों को संगृहीत कर लेती Base end है।

इसी संगठित भाग को स्तम्भ कन्द कहते हैं। आलू स्तम्भ कन्द का अच्छा उदाहरण है। अगर हम आलू को ध्यान से देखें तो इस पर अनेक गड्ढे सर्पिलाकार रूप में विन्यस्त रहते हैं, जिन्हें अक्षि (Eyes) कहते हैं। वास्तव में ये इनकी पर्वसन्धियाँ हैं, जिनमें तीन कलिकाएँ स्थित होती हैं, जो शल्क पत्रों से ढंकी रहती हैं। दो अक्षियों के बीच का स्थान पर्व कहलाता है। आलू का कन्द वर्धा प्रसारण के काम आता है।
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(3) शल्ककन्द (Bulb):
इसे हम भूमिगत संपरिवर्तित कलिका कह सकते हैं, जिसमें स्तम्भ छोटा होता है, जिसे डिस्क (Disc) कहा जाता है। डिस्क (तने) पर अत्यन्त आस-पास मांसल शल्क पत्र लगे होते हैं। तने पर पर्व बहुत छोटे रहते हैं। तने के निचले भाग से अपस्थानिक जड़ें निकलती हैं। तने के अग्र भाग में शीर्षस्थ कलिका एवं शल्क पत्रों के कक्ष से कक्षस्थ कलिकाएँ निकलती हैं। शल्क पत्र विन्यास के अनुसार, शल्ककन्द निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं –

(a) कंचुकित शल्ककन्द (Tunicated bulb):
इसमें शल्क पत्र एक-दूसरे को पूर्ण रूप से ढंके एवं संकेन्द्रित होते हैं। बाहर सूखे शल्क पत्र का आवरण होता है, जो छिलका बनाता है। उदाहरण – प्याज।
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(b) शल्की शल्ककन्द (Scaly bulb):
इसमें शल्क पत्र एक – दूसरे को ढंकते नहीं। इनमें सम्पूर्ण कलियों को ढंकने हेतु एक आवरण (ट्यूनिक) नहीं होता। उदाहरण-लहसुन, लिली इसे संयुक्त शल्ककन्द (Compound bulb) कहते हैं। इसकी एक कली शल्ककन्द (Bulblet) कहलाती है।
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(4) घनकन्द (Corm):
यह भूमि में पाया जाने वाला एक बहुत मोटा एक पर्व वाला स्तम्भ है, जो भूमि में उदग्र (Vertical) होता है। इस पर शल्क पत्र और अपस्थानिक मूल होती हैं। सूरन या जिमीकन्द इसका अच्छा उदाहरण है। इसमें शीर्षस्थ कलिका वायवीय प्ररोह बनाती है, जिसमें संगृहीत भोजन काम में लाया जाता है। अपस्थानिक कलिकाएँ अन्य घनकन्द बनाती हैं।
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प्रश्न 5.
तनों के वायवीय रूपान्तरण का सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर:
वायवीय रूपान्तरण या कायान्तरित तने (Aerial Modifications or Metamorphoseal Stems):
वायवीय रूपान्तरण में तने का स्वरूप इतना अधिक बदल जाता है कि उन्हें पहचानना कठिन होता है। इसलिए इन रूपान्तरणों या सम्परिवर्तनों को कायान्तरित (Metamorphoseal) तना कहा जाता है। इस प्रकार के रूपान्तरित तनों को उनके उद्भव एवं स्थिति के द्वारा ही पहचाना जा सकता है। यह रूपान्तरण चार प्रकार का हो सकता है –

  1. स्तम्भ प्रतान
  2. स्तम्भ मूल
  3. पर्णाभ स्तम्भ और
  4. पत्र प्रकलिका।

(1) स्तम्भ प्रतान (Stem Tendril):
यह तना रूपान्तरण है जिसमें पत्तियों की कक्षस्थ कलिका सामान्य शाखा के स्थान पर रूपान्तरित होकर एक तन्तुमय संरचना का निर्माण करती है जिसे प्रतान (Tendril) कहते हैं। यह प्रतान पौधे के आरोहण में सहायता करता है। तने का यह रूपान्तरण कमजोर तने वाले पादपों में पाया जाता है। इस रूपान्तरण को अंगूर, एण्टीगोनॉन, पैसीफ्लोरा, कार्डियोस्पर्मम में देखा जा सकता है।
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(2) स्तम्भ शूल (Stem thorn):
इस रूपान्तरण में कक्षस्थ कलिका (नीलकण्ठ Duranta में) काँटे में परिवर्तित हो जाती है इसे स्तम्भ शूल या कण्टक कहते हैं । इस कण्टक पर पत्तियाँ, शाखाएँ, फूल भी उत्पन्न होते हैं। इससे जाहिर है कि यह काँटा स्तम्भ के रूपान्तरण से बना है। करौंदा, हालग्रेफिला स्पाइनोसा, नीबू, बेल में इस प्रकार का रूपान्तरण पाया जाता है।

(3) पर्णाभस्तम्भ या पर्णकाय स्तम्भ (Phylloclade):
तने के इस रूपान्तरण में तना रूपान्तरित होकर पत्ती का रूप ले लेता है। यह रूपान्तरण सामान्यतः मरुभूमि में उगने वाले उन पादपों में पाया जाता है जिनकी पत्तियाँ वाष्पोत्सर्जन को रोकने के लिए काँटों या शल्कों का रूप ले लेती हैं। यह रूपान्तरण नागफनी (Opuntia), कोकोलोबा, मुहलेन, बेकिया इत्यादि में पाया जाता है।

(4) पत्र प्रकलिका (Bulbils):
तने के इस रूपान्तरण में तने या प्ररोह को बनाने वाली कलिकाएँ समूह में व्यवस्थित होकर विशेष रूप धारण कर लेती हैं। ये रूपान्तरण पौधों में वर्धी प्रजनन के लिए पाया जाता है। डायकोरिया, एगेव, अनन्नास इत्यादि में यह रूपान्तरण देखा जा सकता है।

प्रश्न 6.
शिरा विन्यास किसे कहते हैं ? विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शिरा विन्यास (Venation):
पर्णफलक के मध्य में संवहन पूल पाया जाता है इसे मध्य शिरा (Mid vein) कहते हैं। इससे अनेक शाखाएँ निकलकर सम्पूर्ण पर्ण फलक में बिखरी होती हैं इन शाखाओं को नाड़ी या शिरा (Vein) कहते हैं, इस प्रकार ये शिराएँ संवहन के लिए बनी रचनाएँ हैं। इनकी सहायता से फलक को खाद्य सामग्री, जल व लवणों का वितरण होता है । इसके अलावा ये शिराएँ पर्णफलक का कंकाल बनाती हैं। पर्ण फलक में शिराओं के विन्यास को ही शिरा विन्यास कहते हैं। यह दो प्रकार का हो सकता है –

  • जालिकावत् तथा
  • समानान्तर शिरा विन्यास।

(1) जालिकावत् शिरा विन्यास (Reticulate Venation):
वह शिरा विन्यास है जिसमें फलक के अन्दर शिराएँ जाल के रूप में व्यवस्थित होती हैं। यह शिरा विन्यास कुछ अपवादों को छोड़कर सभी द्विबीजपत्री पादपों की पत्तियों में पाया जाता है। यह दो प्रकार का हो सकता है –

  • एक शिरीय
  • बहुशिरीय।

(i) एकशिरीय या पिच्छवत् (Unicostate or Pinnate):
इस शिराविन्यास में फलक के मध्य में एक मजबूत मध्य शिरा (Midrib or Costa) पाया जाता है इसमें से पार्वीय शिराएँ निकलकर फलक के किनारे तक जाती हैं। सभी दिशाओं में फैली हुई अन्य अनेक पतली शिराएँ जाल सदृश रचना बनाती हैं जैसे – आम, अमरूद, पीपल।
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(ii) बहुशिरीय या हस्ताकार (Multicostate or Palmate):
इस शिराविन्यास में मध्य शिरा कई समान शाखाओं में बँटकर फलकों में फैली होती है। यह शिरा विन्यास दो प्रकार का हो सकता है –

(a) अपसारी (Divergent):
इसमें शिराएँ केन्द्र से निकलकर फलक के किनारे की ओर अग्रसित होने में एक-दूसरे से दूर होती जाती हैं, जैसे-अण्डी , कपास आदि।

(b) अभिसारी (Convergent):
इसमें वृन्त के केन्द्र से तो अनेक शिराएँ निकलती हैं। किन्तु फलक के अग्रक की ओर जाते हुए आपस में मिल जाती हैं; जैसे – बेर, तेजपात, स्माइलैक्स (अपवाद स्वरूप एकबीजपत्री होने पर भी जालिकावत्)।

(2) समानान्तर या समदिश शिरा विन्यास (Parallel Venation):
यह शिरा विन्यास है जिसमें शिराएँ एक-दूसरे के समानान्तर स्थित होती हैं। यह शिरा विन्यास दो प्रकार का हो सकता है –

(i) एकशिरीय या पिच्छाकार (Unicostate or Pinnate):
फलक में एक मुख्य शिरा होती है जिससे पार्श्व शिराएँ समानान्तर क्रम में निकलती हैं। जैसे – अदरक, हल्दी, कैना, केला।
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(ii) बहुशिरीय या हस्ताकार (Multicostate of palmate) – इस शिरा विन्यास में मुख्य शिरा कई शाखाओं में बँट जाती है। यह विन्यास दो प्रकार का होता है

(a) अपसारी (Divergent):
इसमें वृन्ताग्र से अनेक शिरायें फैलती हुई फलक के किनारे की ओर समानान्तर रूप में जाती हैं तथा एक-दूसरे से मिलती नहीं हैं। जैसे – ताड़।

(b) अभिसारी (Convergent):
इसमें शिराएँ वृतान्त से निकलकर समान्तर रूप से बढ़कर फलक के अग्र भाग पर एक-दूसरे से मिल जाती हैं, जैसे-धान, बाँस, जलकुम्भी।
अपवाद (Exceptions) – निम्नलिखित पौधे अपने स्वभाव के विपरीत शिरा विन्यास का प्रदर्शन करते हैं –
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  • स्माइलैक्स एवं डायोस्कोरिया एकबीजपत्री होने के बाद भी जालिकावत् शिरा विन्यास का प्रदर्शन करते हैं।
  • कैलोफाइलम, द्विबीजपत्री होने के बाद भी समानान्तर शिरा विन्यास का प्रदर्शन करता है।

प्रश्न 7.
पुष्पदल विन्यास से आप क्या समझते हैं? पुष्पों में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के पुष्पदल विन्यास का सचित्र वर्णन कीजिए। .
उत्तर:
पुष्पदल विन्यास (Aestivation) – पुष्प की कली अवस्था में बाह्यदलों, दलों अथवा परिदलों के आपसी सम्बन्ध को पुष्पदल विन्यास कहते हैं। पुष्पदलों में निम्नलिखित विन्यास पाये जाते हैं –

(1) कोरस्पर्शी (Valvate):
इस पुष्पदल विन्यास में पुष्पदल के किनारे या तो एक दूसरे के पास-पास स्थित होते हैं या एक-दूसरे को स्पर्श करते रहते हैं लेकिन ये कभी भी एक-दूसरे को ढकते नहीं हैं। जैसे-मदार, धतूरा।
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(2) व्यावर्तित (Twisted):
इस पुष्पदल विन्यास में पुष्पदल का एक किनारा एक पुष्पदल से ढका रहता है तथा इसका दूसरा किनारा दूसरे पुष्पदल के किनारे को ढंकता है, जैसे- गुड़हल एवं कपास।

(3) कोरछादी (Imbricate):
इस विन्यास में एक पुष्पदल के दोनों किनारे पड़ोसी पुष्पदलों के दोनों किनारों से ढंके रहते हैं। इसी प्रकार दूसरा पुष्पदल अपने पड़ोसी पुष्पदल के किनारे को स्वयं ढकता है। शेष पुष्पदलों का एक किनारा समीपवर्ती पुष्पदल से ढंका रहता है जबकि दूसरा किनारा ऊपर रहता है। जैसे-सेव, गुलमोहर आदि।

(4) पंचक (Quincuncial):
इस विन्यास में पश्च पुष्पदल के दोनों किनारे पार्श्व पश्चदल के ऊपर एवं पार्श्व पुष्पदलों के किनारे समीपस्थ पुष्पदलों के किनारों को ढंके रहते हैं। शेष दलों के किनारों के बीच व्यावर्तित विन्यास पाया जाता है। दूसरे शब्दों में इस विन्यास में दो पुष्पदल पूर्णतः अन्य दो पुष्पदलों द्वारा ढंके तथा एक पुष्पदल व्यावर्तित विन्यास में होता है, जैसे- लौकी, अमरूद।

(5) ध्वजक (Vaxillary):
इस विन्यास में ध्वजक नामक एक बड़ा पुष्पदल पाया जाता है जिसके दोनों किनारे पार्श्व पुष्पदलों के दोनों किनारों को ढंके रहते हैं। शेष दो पुष्पदल आपस में जुड़े रहते हैं जबकि इनके स्वतन्त्र किनारे पार्श्व दलों के किनारों से ढंके रहते हैं।

प्रश्न 8.
अंकुरण किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार का होता है ? संक्षेप में समझाइये।
उत्तर:
अंकुरण (Germination):
बीज के अन्दर भ्रूण सुप्तावस्था में पड़ा रहता है, लेकिन अनुकूल परिस्थितियों के आने पर यह सुसुप्तावस्था त्यागकर सक्रिय अवस्था में आता है तथा विकसित होकर एक शिशु पादप बनता है। इस क्रिया को अंकुरण या परिवर्धन कहते हैं। पौधों में दो प्रकार का अंकुरण पाया जाता है-

(i) अधोभूमिक अंकुरण (Hypogeal germination):
वह अंकुरण है जिसमें अंकुरण के बाद बीजपत्र भूमि के ऊपर नहीं आते हैं। इस अंकुरण में भ्रूण के अक्ष का मूलांकुर पहले विकसित होकर जड़ तथा बाद में प्रांकुर विकसित होकर प्ररोह बना देता है और बीज अपने स्थान पर ही रह जाता है। जैसे-चना, मटर, मक्का, आम, कटहल, धान, गेहूँ, नारियल, खजूर आदि का अंकुरण।
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(ii) उपरिभूमिक अंकुरण (Epigeal germination):
वह अंकुरण है जिसमें अंकुरण के बाद बीजपत्र भूमि के ऊपर आकर पत्ती का रूप धारण कर लेता है और प्रकाश-संश्लेषण का Leaves कार्य करता है तथा कुछ दिनों बाद असली पत्तियों के निर्माण के बाद सूखकर गिर जाते हैं। वास्तव में इस Epicotyle अंकुरण में मूलांकुर के बनने के बाद हाइपोकोटाइल बढ़कर एक चाप के रूप Plumule में भूमि के ऊपर निकल आता है और इसके साथ ही बीजपत्र तथा भ्रूणपोष भी बाहर आ जाते हैं।

कुछ समय बाद Kadicle चाप के रूप में निकला हाइपोकोटाइल (बीजपत्राधार) सीधा खड़ा हो जाता है और भ्रूणपोष से बीजपत्रों में भोजन एकत्र हो जाता है। इसी के साथ बीजपत्र भी हरा हो जाता है, लेकिन कुछ समय बाद सूखकर झड़ जाता है। अंकुरण के समय अनुकूल परिस्थितियों में बीज बीजाण्डद्वार से आर्द्रता को सोखकर फूल जाता है। आर्द्र बीज में से मूलांकुर बीजावरण को भेद कर बाहर आ जाता है और भूमि की ओर वृद्धि करके मूलतन्त्र बनाता है। इसके बाद प्रांकुर वृद्धि करके प्ररोह तन्त्र बना देता है।
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प्रश्न 9.
चने के बीज की संरचना को चित्र सहित समझाइये।
उत्तर:
चने का बीज (Seed of gram)- यह एक भूरे या सफेद या गुलाबी रंग का द्विबीजपत्री अभ्रूणपोषी बीज है जिसके चारों तरफ बीजचोल या बीजावरण (Seed coat) पाया जाता है। भीगे बीज के छिलके को हटाकर देखने पर यह बीजचोल दो स्तरों का बना दिखाई देता है। बाहरी मोटे तथा भूरे आवरण की बाह्य आवरण (Testa) कहते हैं। चने के बीज का एक सिरा नुकीला होता है, नुकीले सिरे पर एक गड्ढा पाया जाता है जिसके द्वारा बीज एक तन्तु द्वारा फल से जुड़ा होता है, इस गड्ढे को नाभिका (Hilum) कहते हैं।

नाभिका के बीच में एक छोटा सा छिद्र पाया जाता है जिसे बीजाण्डद्वार (Micropyle) कहते हैं। भीगे बीज को दबाने से यहीं से पानी निकलता है। नाभिका के ऊपर बीजचोल पर एक पतली धारी पायी जाती है जिसे सन्धि रेखा (Raphe) कहते हैं। यह रेखा बीज को दो भागों में बाँटती है। बीजचोल के हटाने पर बीज में जो भाग दिखाई देता है उसे भ्रूण कहते है। इसके भ्रूण में निम्न भाग पाये जाते हैं –

1. बीजपत्र (Cotyledon):
बीजों को खोलने के बाद दो मोटी, चपटी रचनाएँ दिखाई देती हैं, जिन्हें बीजपत्र कहते हैं।

2. अक्ष (Axis):
दोनों बीजपत्रों के बीच एक छोटी सी संरचना अक्ष होती। है, जिससे दोनों बीजपत्र जुड़े होते हैं। वास्तव में दोनों बीजपत्र रूपान्तरित पत्तियाँ हैं और अक्ष पौधों का मुख्य भाग। अक्ष (C) का वह भाग जो बीजपत्रों के बीच दबा होता है प्रांकर (Plumule) कहलाता है। यह अंकुरण के बाद पौधे के प्ररोह का निर्माण करता है।

अग्र का दूसरा सिरा जो बीजपत्रों के बाहर स्थित होता है मूलांकुर (Radicle) कहलाता है और जड़ बनाता है। प्रांकुर के ठीक नीचे का भाग बीजपत्रोपरिक (Epicotyle) कहलाता है। अक्ष का वह भाग जो बीजपत्रों के ठीक नीचे या मूलांकुर के ठीक ऊपर स्थित होता है बीजपत्राधार (Hypocotyle) कहलाता है।
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