MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन

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हाइड्रोजन NCERT अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
हाइड्रोजन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में इसकी स्थिति को युक्तिसंगत ठहराइए।
उत्तर:
हाइड्रोजन आवर्त सारणी में स्थित प्रथम तत्व है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s1  है। यह क्षार धातुओं की भाँति, एक इलेक्ट्रॉन का त्याग करके H+ आयन बना सकता है। यह हैलोजनों की भाँति, एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके H आयन भी बना सकता है। क्षारीय धातुओं की भाँति यह ऑक्साइड, हैलाइड तथा सल्फाइड बनाता हैं। यद्यपि क्षारीय धातुओं के विपरीत इसकी आयनन एन्थैल्पी उच्च होती है तथा सामान्य स्थितियों में यह धात्विक व्यवहार प्रदर्शित नहीं करता है। वास्तव में आयनन एन्थैल्पी के पदों में यह हैलोजनों से अधिक समानता प्रदर्शित करता है।

हैलोजनों के समान, यह द्विपरमाणुक अणु बनाता है, तत्वों से क्रिया करके हाइड्राइड तथा अनेक सहसंयोजी यौगिक बनाता है। यद्यपि हैलोजनों के विपरीत इसकी क्रियाशीलता बहुत कम होती हैं। अतः उपरोक्त गुणों के आधार पर, आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को क्षार धातुओं के साथ वर्ग-1 तथा प्रथम आवर्त अथवा हैलोजन के साथ वर्ग-17 तथा प्रथम आवर्त में रखना चाहिए। यद्यपि क्षार धातुओं तथा हैलोजनों के साथ गुणों में समानता के साथ-साथ, यह क्षार धातुओं तथा हैलोजनों के साथ गुणों में विभिन्नता भी दर्शाता है। अत: इसे आवर्त सारणी में पृथक स्थान दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
हाइड्रोजन के समस्थानिकों के नाम लिखिए तथा बताइए कि इन समस्थानिकों का दव्यमान अनुपात क्या है ? ।
उत्तर:
हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक है-प्रोटियम \(\left(_{1}^{1} \mathrm{H}\right)\), ड्यूटीरियम (\(\left(_{1}^{2} \mathrm{H}\right)\) या D) और ट्रीटियम (\(\left(_{1}^{3} \mathrm{H}\right)\)या T)। तीनों समस्थानिकों का द्रव्यमान अनुपात है –
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प्रश्न 3.
सामान्य परिस्थितियों में हाइड्रोजन एक परमाण्विक की अपेक्षा द्विपरमाण्विक रूप में क्यों पाया जाता है ?
उत्तर:
एक परमाणुक रूप में हाइड्रोजन के प्रथम कोश में एक इलेक्ट्रॉन (1s1) होता है जबकि द्विपरमाणुक अवस्था का प्रथम कोश पूर्ण (1s2)होता है। इसका तात्पर्य है कि द्विपरमाणुक रूप में हाइड्रोजन (H2) उत्कृष्ट गैस हीलियम का विन्यास प्राप्त कर लेता है। अतः यह काफी स्थायी होती है।

प्रश्न 4.
कोल गैसीकरण से प्राप्त डाइ-हाइड्रोजन का उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर:
कोल गैसीकरण अभिक्रिया में, जल की वाष्प को प्रवाहित करके CO और H2 का मिश्रण बनाया जाता है जिसे सिन गैस भी कहा जाता है
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कोल भाप सिन गैस डाइहाइड्रोजन का उत्पादन सिन गैस में उपस्थित CO(g) की आयरन क्रोमेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप के साथ क्रिया द्वारा बढ़ाया जा सकता है।
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CO(g) या CO2(g) के निकलने के साथ ही अभिक्रिया अग्र दिशा में विस्थापित हो जाती है।

प्रश्न 5.
विद्युत् – अपघटन विधि द्वारा डाइहाइड्रोजन वृहत् स्तर पर किस प्रकार बनाई जा सकती है? इस प्रक्रम में वैद्युत-अपघट्य की क्या भूमिका है ?
उत्तर:
अम्लीकृत जल का प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों द्वारा वैद्युत – अपघटन करने पर हाइड्रोजन प्राप्त होती है।
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वैद्युत अपघट्य की भूमिका जल का चालन करना है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा कीजिए –
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उत्तर:
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प्रश्न 7.
डाइहाइड्रोजन की अभिक्रियाशीलता के पदों में H – H बन्ध की उच्च एन्थैल्पी के परिणामों की विवेचना कीजिए?
उत्तर:
H – H आबन्ध की उच्च आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी के कारण, हाइड्रोजन कमरे के तापमान पर अपेक्षाकृत अक्रियाशील रहती है । यद्यपि उच्च तापों पर अथवा उत्प्रेरक की उपस्थिति में, यह अनेक धातुओं तथा अधातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्राइड बनाती है।

प्रश्न 8.
हाइड्रोजन के –

  1. इलेक्ट्रॉन न्यून
  2. इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध तथा
  3. इलेक्ट्रॉन समृद्ध यौगिकों से आप क्या समझते हैं? उदाहरणों द्वारा समझाइए।

उत्तर:
1. इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड:
इन हाइड्राइड्स की लुईस संरचना लिखने पर, इनमें इलेक्ट्रॉन की संख्या अपर्याप्त है, इसका उदाहरण डाइबोरेन [B2H6] है। अतः आवर्त सारणी के 13वें वर्ग के सभी तत्वों के हाइड्राइड इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक बनाते हैं, BH3, AIH3, GaH3, InH3, TIH3 से लुईस अम्ल की भाँति कार्य करते हैं।

2. इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध हाइड्राइड:
इन हाइड्राइड की लुईस संरचना में इनमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर्याप्त होती है। [8es] आवर्त सारणी के वर्ग 14 के तत्वों के हाइड्राइड इसके अन्तर्गत आते हैं। इनकी आकृति चतुष्फलकीय होती है।
उदाहरण – CH4, SiH4, GeH4, SnH4, PbH4

3. इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड:

  • इन हाइड्राइड्स में उपस्थित केन्द्रीय परमाणु पर इलेक्ट्रॉन आधिक्य एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होते हैं।
  • आवर्त सारणी के वर्ग 15, वर्ग 16 व वर्ग 17 के तत्वों के हाइड्राइड इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड्स कहलाते हैं।
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प्रश्न 9.
संरचना एवं रासायनिक अभिक्रिया के आधार पर बताइए कि इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड के कौन-कौन से अभिलक्षण होते हैं ?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइडों में सामान्य सहसंयोजी आबंधों के निर्माण हेतु इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर्याप्त नहीं होती है। उदाहरण के लिए, BF3, में B (F : \(\overset { F }{ \underset { B }{ ¨ } } \) : F) के संयोजी कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इन हाइड्राइडों का आकार त्रिकोणीय समतलीय होता है।
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ये हाइड्राइड लुईस अम्ल अर्थात् इलेक्ट्रॉन ग्राही के भाँति कार्य करते हैं। जैसे –
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इलेक्ट्रॉनों की कमी पूरा करने के लिए, ये हाइड्राइड बहुलक के रुप में पाये जाते हैं। जैसे – B2H4 B4H10, (AlH3)n आदि। ये हाइड्राइड अत्यधिक क्रियाशील होते हैं। ये धातुओं, अधातुओं तथा उनके यौगिकों के साथ सुगमतापूर्वक क्रिया करते हैं। उदाहरण के लिए –
B2H6(g) + 3O6(g) → B2O6(s) + 3H2O(g)

प्रश्न 10.
क्या आप आशा करते हैं कि (CnH2n+2) कार्बनिक हाइड्राइड्स लुईस अम्ल या क्षार की भाँति कार्य करेंगे ? अपने उत्तर को युक्तिसंगत ठइराइए।
उत्तर:
(CnH2n+2) प्रकार के कार्बन हाइड्राइड, इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड है। इनके पास सहसंयोजी आबंध बनाने हेतु पर्याप्त इलेक्ट्रॉन हैं। अतः ये न तो लुईस अम्ल और न ही लुईस क्षार की भाँति व्यवहार करेंगे।

प्रश्न 11.
अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड (Non stoichiometric hydride) से आप क्या समझते हैं ? क्या आप क्षारीय धातुओं से ऐसे यौगिकों की आशा करते हैं ? अपने उत्तर को न्यायसंगत ठहराइए।
उत्तर:
ये हाइड्राइड अनेक d – ब्लॉक के तत्वों (वर्ग – 7, 8 तथा 9 की धातुओं को छोड़कर) तथा fब्लॉक के तत्वों द्वारा बनते हैं। हाइड्राइड सदैव अरससमीकरणमितीय अर्थात् हाइड्रोजन की कमी वाले होते हैं। इन हाइड्राइडों में हाइड्रोजन परमाणु अंतरकाशी स्थानों को घेरता है।
उदाहरण – LaH2.87, YbH2.55, TiH15-1.8, PdH0.6-0.8आदि।

इस प्रकार के हाइड्राइड क्षारीय धातुओं द्वारा नहीं प्राप्त किए जा सकतें हैं। क्षारीय धातुओं द्वारा आयनिक अथवा लवणीय हाइड्राइड प्राप्त होते हैं। जो रससमीकरणमितीय होते है। क्षारीय धातुएँ अत्यधिक धनविद्युती होती है अतः ये इलेक्ट्रॉन H-परमाणु को स्थानांतरित करके H आयन बनाती है। ये H आयन जालक की रिक्तियों में समा जाते हैं।

प्रश्न 12.
हाइड्रोजन भण्डारण के लिए धात्विक हाइड्राइड किस प्रकार उपयोगी है ? समझाइए।
उत्तर:
कुछ धातुएँ जैसे पैलेडियम (Pd), प्लेटिनम (Pt) आदि अपनी हाइड्राइड बनाने वाली सतह पर हाइड्रोजन के विशाल आयतन को अवशोषित करने की क्षमता रखती हैं। वास्तव में हाइड्रोजन (H) परमाणुओं के रूप में धातु के पृष्ठ पर वियोजित हो जाता है। इन परमाणुओं को समायोजित करने के लिए धातु जालक फैल जाता है और गर्म करने पर अधिक अस्थायी हो जाता है।

हाइड्राइड हाइड्रोजन मुक्त करके पुनः धात्विक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। इसी तरीके से उत्पन्न हाइड्रोजन ईंधन की तरह प्रयुक्त हाइड्रोजन के संग्रहण एवं परिवहन में प्रयुक्त की जा सकती है। अतः धातु हाइड्राइड हाइड्रोजन अर्थ-व्यवस्था में बहुत उपयोगी भूमिका निभाता है।

प्रश्न 13.
बर्तन और वेल्डिंग में परमाण्विय हाइड्रोजन अथवा ऑक्सी हाइड्रोजन टॉर्च किस प्रकार कार्य करती है ? समझाइए।
उत्तर:
धात्विक हाइड्राइडों में हाइड्रोजन, H-परमाणु के रुप में अधिशोषित हो जाती है। संक्रमण धातुओं में हाइड्रोजन परमाणु के इस अधिशोषण का प्रयोग हाइड्रोजन भंडारण के रुप में होता हैं । Pd, Pt जैसी धातुएँ हाइड्रोजन के वृहत् आयतन को समायोजित कर सकती हैं । इस गुण की हाइड्रोजन भंडारण तथा ऊर्जा स्रोत के रुप में प्रयोग की प्रबल संभावना है। धात्विक हाइड्राइड गर्म करने पर अपघटित होकर हाइड्रोजन तथा अंतिम धातु देते हैं।

प्रश्न 14.
NH3, H2O तथा HF में से किसका हाइड्रोजन बन्ध का परिमाण उच्चतम अपेक्षित है और क्यों ?
उत्तर:
चूँकि F की वैद्युतऋणात्मकता का मान अधिकतम है। अत: HF में हाइड्रोजन पर धनावेश तथा फ्लुओरीन पर ऋणावेश का परिमाण सर्वाधिक होगा जिसके कारण H आबंधन का स्थिर वैद्युत आकर्षण बल H-F में अधिकतम होगा।

प्रश्न 15.
लवणीय हाइड्राइड, जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके झाग उत्पन्न करती है। क्या इसमें CO2 (जो एक सुपरिचित अग्निशामक है) का उपयोग हम कर सकते हैं ? समझाइए।
उत्तर:
लवणीय हाइड्राइड (NaH या CaH2) जल के साथ क्रिया करता है तो अभिक्रिया इतनी ज्यादा ऊष्माक्षेपी होती है कि उत्पन्न हाइड्रोजन आग पकड़ लेती है।
उदाहरण के लिए –

  • NaH(s) + H2O(aq) → NaOH(aq) + H2(g) + ऊष्मा
  • CaH2(s) + 2H2O(aq) → Ca(OH)2(aq) + 2H2(g)

प्रायः अग्निशामक के रूप में प्रयोग की जाने वाली CO2 को इस स्थिति में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह अभिक्रिया में निर्मित हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया करके कार्बोनेट बनाएगी। इससे अग्र अभिक्रिया की दर बढ़ जाएगी।
2NaOH(aq) + CO2(g) → Na2CO3(aq) + H2O(aq)

प्रश्न 16.
निम्नलिखित को व्यवस्थित कीजिए –

  1. CaH2, BeH2, तथा TiH2, को उनकी बढ़ती हुई विद्युत् चालकता के क्रम में
  2. LiH, NaH तथा CSH आयनिक गुण के बढ़ते हुए क्रम में
  3. H-H, D-D तथा F_F को उनके बन्ध – वियोजन एन्थैल्पी के बढ़ते हुए क्रम में
  4. NaH, MgH2, तथा H2O को बढ़ते हुए अपचायंक गुण के क्रम में।

उत्तर:
1. BeH2 < CaH2 < TiH2
2. बढ़ता हुआ आयनिक गुण LiH < NaH < CsH
बढ़ता हुआ आयनिक गुण LiH < NaH < CsH क्रम में घटता है। यह आयनिक गुण पर विपरीत प्रभाव डालता है अर्थात् उपर्युक्त के अनुसार बढ़ जाता है।

3. बढ़ती हुई बन्ध वियोजन एन्थैल्पी – F – F < H – H < D – D
कारण:
फ्लुओरीन की बन्ध-वियोजन एन्थैल्पी दो F परमाणुओं पर उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के एकाकी युग्मों में प्रतिकर्षण के कारण बहुत कम (242.6 kJ mol-1) होता है। H2 और D2 में से H-H की बन्धवियोजन एन्थैल्पी (435.88 kJ mol-1) D-D (443:35 kJ mol-1) की अपेक्षा कम होती है।

4. बढ़ता हुआ अपचायक गुण H2O < MgH2 < NaH
कारण – NaH आयनिक प्रकृति का होता है। अतः यह प्रबल अपचायक होता है। H2O और MgH2 सहसंयोजी प्रकृति के होते हैं। परन्तु H2O की आबन्ध वियोजन ऊर्जा अत्यधिक होती है। अत: यह MgH2 से अधिक दुर्बल अपचायक है।

प्रश्न 17.
H2O तथा H2O2 की संरचनाओं की तुलना कीजिए।
उत्तर:
जल में ऑक्सीजन sp3 – संकरित है।
आबंध युग्म:
आबंध युग्म प्रतिकर्षण की अपेक्षा एकाकी युग्म प्रतिकर्षण की प्रबलता के कारण, HOH आबंध कोण 109.5° से 104.5° तक घट जाता है। जिसके कारण जल की संरचना बंधित होती है।
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यह एक प्रबल ध्रुवीय अणु है। हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना अध्रुवीय होती है। H2O2 के द्विध्रुव आघूर्ण का मान दर्शाता है कि H2O2के चारों परमाणु एक ही तल में स्थित नहीं होते हैं। H2O2 की संरचना की तुलना 94° कोण पर खुली हुई किताब से कर सकते हैं। इसमें H – O – H आबंध कोण 97° का होता है।
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प्रश्न 18.
जल के स्वतः प्रोटोनीकरण से आप क्या समझते हैं ? इसका क्या महत्व है ?
उत्तर:
जल के स्वतः प्रोटोनीकरण का तात्पर्य जल का स्वतः आयनीकरण होता है –
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स्वतः प्रोटोनीकरण के कारण, जल की प्रकृति उभयधर्मी होती है। अतः यह अम्लों तथा क्षारों दोनों से क्रिया करता है। उदाहरण के लिए –
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प्रश्न 19.
F2 के साथ जल की अभिक्रिया से ऑक्सीकरण तथा अपचयन के पदों पर विचार कीजिए एवं बताइए कि कौन-सी स्पीशीज ऑक्सीकृत/अपचयित होती है ?
उत्तर:
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इन अभिक्रियाओं में, जल अपचायक का कार्य करता है। अतः यह स्वयं ऑक्सीजन अथवा ओजोन में ऑक्सीकृत हो जाता है। क्लोरीन ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करती है तथा स्वयं F आयन में अपचयित हो जाती है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए –

  1. Pb(s) + H202(aq)
  2. MnO4(aq) + H202(aq)) →
  3. Ca0(s) + H2O(g)
  4. AlCl3(g) + H2O(l)
  5. Ca3N2(s) + H2O(l)

उपर्युक्त को –

  • जल – अपघटन
  • अपचयोपचय (Redox) तथा
  • जलयोजन अभिक्रियाओं में वर्गीकृत कीजिए।

उत्तर:

  1. PbS(s) + 4H2O2(aq) → PbSO4(s)+ 4H2O(l)(अपचयोपचय अभिक्रिया)
  2. 2MnO4(aq) + 6H+(aq) + 5H2O2(aq) → 2Mn 2+(aq) + 8H2O(l) + 5O2(g) (अपचयोपचय अभिक्रिया)
  3. CaO(s) + H2O(g) → Ca(OH)2(aq) (जलयोजन अभिक्रिया)
  4. AlCl3(g) + 3H2O(l) → Al(OH)3(s) + 3HCl(l) (जल-अपघटन अभिक्रिया)
  5. Ca3N2(s) + 6H2O(l) → 3Ca(OH)2(aq) + 2NH3(aq) (जल-अपघटन अभिक्रिया)

प्रश्न 21.
बर्फ के साधारण रूप की संरचना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डलीय दाब पर बर्फ एक त्रिविम हाइड्रोजन आबंधित संरचना है। बर्फ में प्रत्येक ऑक्सीजन परमाणु चतुष्फलकीय रुप में चार ऑक्सीजन परमाणुओं से जुड़ा है अर्थात् प्रत्येक ऑक्सीजन युग्म में एक हाइड्रोजन परमाणु होता है। इस कारण बर्फ एक खुले पिंजरे की आकृति बनाती है। प्रत्येक ऑक्सीजन परमाणु चार हाइड्रोजन परमाणु से घिरा रहता है। इनमें से दो हाइड्रोजन परमाणु सहसंयोजी आबंध से व दो हाइड्रोजन परमाणु हाइड्रोजन आबंध से जुड़े होते हैं। क्रिस्टल जालक में खाली जगह होती है अत: बर्फ का घनत्व जल से कम होता है।
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प्रश्न 22.
जल की अस्थायी एवं स्थायी कठोरता के क्या कारण है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल में कैल्सियम बाइकार्बोनेट तथा मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट की उपस्थिति के कारण अस्थायी कठोरता उत्पन्न होती है। जल में विलेय लवणों कैल्सियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड, कैल्सियम सल्फेट तथा मैग्नीशियम सल्फेट आदि के कारण स्थायी कठोरता उत्पन्न होती है।

प्रश्न 23.
संश्लेषित आयन विनिमयक विधि द्वारा कठोर जल के मृदुकरण के सिद्धान्त एवं विधि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
संश्लेषित आयन विनिमयक रेजिन विधि निम्नलिखित दो प्रकार की होती है –
(1) धनायन:
विनिमयक रेजिन ये रेजिन – SO3H समूह युक्त वृह्द कार्बनिक अणु होते हैं तथा जल में अविलेय होते हैं। इनकी NaCl से क्रिया कराकर R-Na में परिवर्तित किया जाता है। रेजिन R-Na, कठोर जल में उपस्थित Mg2+(aq) तथा Ca2+ आयनों से विनिमय करके इसे मृदुजल बना देता है।
2RNa(s) + Ma2+(aq) → R2M(s) + 2Na+(aq) (M = Ca2+ या Mg2+)

रेजिन में NaCl का जलीय विलयन मिलाने पर इसका पुनर्जनन कर लिया जाता है। शुद्ध विरवणिजित तथा विआयनित जल को प्राप्त करने के लिए उपयुक्त प्राप्त जल को क्रमशः धनायन विनिमयक तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन में प्रवाहित करते हैं।

धनायन:
विनिमयक प्रक्रम में, H का विनिमय जल में उपस्थित Na+, Ca2+, Mg2+ आदि आयनों से हो जाता है।
2RH(s) + M2+(aq) ⥨ MR2(s) + 2H+(aq) (H+ के रूप में धनायन विनिमय रेजिन) इस प्रक्रम में प्रोटानों का निर्माण होता है तथा जल अम्लीय हो जाता है।

(2) ऋणायन:
विनिमयक प्रक्रम में OH का विनिमय जल में उपस्थित Cr, HCO3, SO2-4 आयनों द्वारा होता है।
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R\(\stackrel{+}{\mathrm{N}}\)H2(s) OH विस्थापित अमोनियम हाइड्रॉक्साइड ऋणायन रेजिन है।
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इस प्रकार मुक्त OH आयन, H+ आयनों को उदासीन कर देते हैं। अंत में उत्पन्न धनायन तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन को क्रमशः तनु अम्ल तथा तनु क्षारीय विलयनों से क्रिया कराके पुर्नजनित कर लिया जाता है।

प्रश्न 24.
जल के उभयधर्मी स्वभाव को दर्शाने वाले रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
जल का स्वभाव उभयधर्मी होता है। यह अम्ल तथा क्षार दोनों की भाँति कार्य करता है। स्वयं से प्रबल अम्लों के साथ यह क्षार की भाँति व्यवहार करता हैं। जबकि स्वयं से प्रबल क्षारों के प्रति यह अम्ल की भाँति व्यवहार करता है।
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प्रश्न 25.
हाइड्रोजन परॉक्साइड के ऑक्सीकारक एवं अपचायक रूप को अभिक्रियाओं द्वारा समझाइए।
उत्तर:
H2O2 अम्लीय तथा क्षारीय माध्यमों में ऑक्सीकारक तथा अपचायक, दोनों की भाँति कार्य कर सकता है। उदाहरण –

(1) अम्लीय माध्यम में ऑक्सीकारक –
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(2) क्षारीय माध्यम में ऑक्सीकारक –
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(3) अम्लीय माध्यम में अपचायक –
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(4) क्षारीय माध्यम में अपचायक –
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प्रश्न 26.
विखनिजित जल से क्या तात्पर्य है? यह कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर:
जो जल सभी विलेय खनिज लवणों से मुक्त होता है, विखनिजित जल कहलाता है। विखनिजित जल को प्राप्त करने के लिए जल को क्रमशः धनायन-विनिमयक रेजिन तथा ऋणायन-विनिमयक रेजिन से प्रवाहित करते हैं। धनायन – विनिमयक में जल में उपस्थित Ca2+, Mg2+, Na+ तथा अन्य धनायन, H+ आयनों द्वारा विनियमित होकर दूर जाते है जबकि ऋणायन-विनिमयक में जल में उपस्थित Cl, SO42-
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प्रश्न 27.
क्या विखनिजित या आसुत जल पेय-प्रयोजनों में उपयोगी है ? यदि नहीं, तो इसे उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है ?
उत्तर:
विखनिजित या आसुत जल पेय-प्रयोजनों में उपयोगी नहीं है। इनमें कुछ उपयोगी लवणों को उचित मात्रा में मिलाकर पेय योग्य बनाया जा सकता है।

प्रश्न 28.
जीवमण्डल एवं जैव प्रणालियों में जल की उपादेयता को समझाइए ?
उत्तर:
सभी सजीवों के शरीर का मुख्य भाग जल द्वारा निर्मित होता है। मानव शरीर में लगभग 65% तथा कुछ पौधों में लगभग 95% भाग जल होता है। सभी सजीवों को जीवित रखने के लिए जल एक महत्वपूर्ण यौगिक है। अन्य द्रवों की तुलना में, जल को विशिष्ट ऊष्मा, तापीय चालकता, पृष्ठ तनाव, द्विध्रुव आघूर्ण तथा परावैद्युतांक के मान उच्च होते हैं।

इन्हीं गुणों के कारण जीवमंडल में जल की भूमिका अति महत्वपूर्ण होती है। जीवों के शरीर तथा जलवायु के सामान्य ताप को बनाए रखने के लिए, जल की वाष्पन ऊष्मा तथा उच्च ऊष्मा धारिता ही उत्तरदायी होती है। यह वनस्पत्तियों तथा प्राणियों के उपापचय में अणुओं के अभिगमन के लिए उत्तम विलायक का कार्य करता है। जल पौधों में प्रकाश संश्लेषण क्रिया के लिए भी आवश्यक है। जो कि वातावरण में O2 मुक्त करती है।
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प्रश्न 29.
जल का कौन-सा गुण इसे विलायक के रूप में उपयोगी बनाता है ? यह किस प्रकार के यौगिक –

  1. घोल सकता है और
  2. जल- अपघटन कर सकता है ?

उत्तर:
उच्च द्विध्रुव आघूर्ण तथा उच्च परावैद्युतांक के कारण जल विलायक के रुप में उपयोगी होता है।

  1. यह आयनिक यौगिकों तथा उन सहसंयोजी यौगिकों जिनमें जल के साथ H-आबंध पाया जाता है। (जैसे-एथेनॉल, चीनी, ग्लूकोस आदि)को घोल सकता है।
  2. जल अनेक धात्वीय तथा अधात्वीय ऑक्साइडों, हाइड्राइड, कार्बाइड, फॉस्फाइड तथा अन्य लवणों का जल-अपघटन कर सकता है।

उदाहरणार्थ –
P4O10(s) + 6H2O(l) →4H3PO4(aq)
CaH2(s) + 2H2O(l) → Ca(OH)2(aq) + 2H2(g)
Al4C3(s) + 12H2O(l) → 4AI(OH)3 + 3CH4

प्रश्न 30.
H2O एवं D2O के गुणों को जानते हुए क्या आप मानते हैं कि D2O का उपयोग पेयप्रयोजनों के रूप में लाया जा सकता है ?
उत्तर:
भारी जल (D2O) जीवित प्राणी, पादप तथा जन्तुओं के लिए काफी हानिकारक होता है, क्योंकि यह उनमें होने वाली अभिक्रियाओं की दरों को मन्द कर देता है। यह जीवन का समर्थन करने में असफल होता है तथा इसकी जैवमण्डल में कोई उपयोगिता नहीं होती है।

प्रश्न 31.
जल-अपघटन (Hydrolysis) तथा जलयोजन (Hydration) पदों में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
जल के H+ आयन तथा OH आयनों का किसी लवण के क्रमशः ऋणायन तथा धनायन के साथ स्वतः क्रिया करके मूल अम्ल तथा क्षार बनाने की क्रिया जल – अपघटन कहलाती है।
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दूसरी ओर, जलयोजन का अर्थ आयनों तथा अणुओं में H2O के योग द्वारा जलयोजित आयन अथवा जलयोजित लवणों का निर्माण होता है।
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प्रश्न 32.
लवणीय हाइड्राइड किस प्रकार कार्बनिक यौगिकों से अति सूक्ष्म जल की मात्रा को हटा सकते हैं?
उत्तर:
लवणीय हाइड्राइड जैसे NaH, CaH2 आदि कार्बनिक यौगिकों में उपस्थित अति सूक्ष्म जल से क्रिया करते हैं तथा संगत धातु हाइड्रॉक्साइड बनाते हैं तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
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वास्तव में लवणीय हाइड्राइड M+H में, H प्रबल ब्रॉन्स्टेड क्षार होते हैं अतः ये जल से सुगमतापूर्वक क्रिया करते हैं।

प्रश्न 33.
परमाणु क्रमांक 15, 19, 23 तथा 44 वाले तत्व यदि हाइड्रोजन से अभिक्रिया कर हाइड्राइड बनाते हैं, तो उनकी प्रकृति से आप क्या आशा करेंगे? जल के प्रति इनके व्यवहार की तुलना कीजिए।
उत्तर:

  • परमाणु क्रमांक (Z) = 15 वाला तत्व, फॉस्फोरस, p – ब्लॉक का सदस्य है अतः यह सहसंयोजक हाइड्राइड, बनाता है।
  • परमाणु क्रमांक (Z) = 19 वाला तत्व, पोटैशियम, s – ब्लॉक सदस्य है अत: यह आयनिक हाइड्राइड बनाता है।
  • परमाणु क्रमांक (Z) = 23 वाला तत्व वैनेडियम, d – ब्लॉक तथा वर्ग-5 का सदस्य है। यह अन्तराकाशी हाइड्राइड (VHI6) बनाता है। यह अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड है।
  • परमाणु क्रमांक (Z) = 44 वाला तत्व रुथेनियम, d – ब्लॉक तथा वर्ग-8 का सदस्य है। यह कोई हाइड्राइड नहीं बनाता है क्योंकि वर्ग-7, 8 तथा 9 के तत्व हाइड्राइड नहीं बनाते हैं (हाइड्राइड रिक्ति)। जल के साथ,केवल आयनिक हाइड्राइड, KH क्रिया करके डाइहाइड्रोजन गैस मुक्त करता है।

प्रश्न 34.
जब ऐल्युमिनियम (III) क्लोराइड एवं पोटैशियम क्लोराइड को अलग-अलग –

  1. सामान्य जल
  2. अम्लीय जल एवं
  3. क्षारीय जल से अभिकृत कराया जाएगा, तो आप किन-किन विभिन्न उत्पादों की आशा करेंगे? जहाँ आवश्यक हो, वहाँ रासायनिक समीकरण दीजिए।

उत्तर:
AlCl3, दुर्बल क्षार, Al(OH)3, तथा प्रबल अम्ल, HCl का लवण है। अतः सामान्य जल से क्रिया कराने पर इसका जल-अपघटन हो जाता है।
AlCl3(s) + 3H2O(l) → Al(OH3(s) + 3H+(aq)+ 3Cl(aq)
इसका जलीय विलयन अम्लीय प्रकृति का होता है। अम्लीय जल में उपस्थित H+ आयन AI(OH)3 से क्रिया करके Alt+(aq) आयन तथा HO उत्पन्न करते हैं। अतः अम्लीय जल में, AlCl3(s), Al3+ तथा CITaa) आयनों के रूप में रहता है। क्षारीय जल में AlCl3 अग्र उत्पाद उत्पन्न करता है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 36
KCl प्रबल अम्ल, HCl तथा प्रबल क्षार, KOH का लवण है। यह सामान्य जल में जल-अपघटित नहीं होता है। यह जल में केवल अपघटित होकर K+(aq) तथा Cr(aq) आयन देता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 32
का जलीय विलयन उदासीन होता है। अतः अम्लीय जल में अथवा क्षारीय जल में, इसके आयन और कोई क्रिया नहीं करते हैं।

प्रश्न 35.
H2O2 विरंजन कारक के रूप में कैसे व्यवहार करता है ? लिखिए।
उत्तर:
H2O2 नवजात ऑक्सीजन उत्पन्न करने के कारण विरंजक की भाँति कार्य करता है।
H2O2 → H2O + O
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ
यह रेशम, बाल, वस्त्र, कागज की लुग्दी, ऊन, तेल, वसा आदि का विरंजन करता है।

प्रश्न 36.
निम्नलिखित पदों से आप क्या समझते हैं –

  1. हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था
  2. हाइड्रोजनीकरण
  3. सिन-गैस
  4. भाप अंगारगैस सृति अभिक्रिया तथा
  5. ईंधन सेल।

उत्तर:
1. हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था:
हाइड्रोजन का मुख्य उपयोग एवं संभावनाएँ निकट भविष्य में इसका प्रदूषण रहित (स्वच्छ) ईंधन के रूप में उपयोग है। हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था का मूल सिद्धांत ऊर्जा का द्रव हाइड्रोजन अथवा गैसीय हाइड्रोजन के रूप में अभिगमन तथा भंडारण है।

2. हाइड्रोजनीकरण:
किसी द्विबंध या त्रिबंध युक्त कार्बनिक यौगिकों में उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन का संयोग हाइड्रोजनीकरण कहलाता है। वनस्पति तेलों को निकिल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजनीकरण कराने पर खाद्य वसा (मार्गेरीन तथा वनस्पति घी) प्राप्त होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 33

3. सिन-गैस:
CO तथा H2 का मिश्रण सिन-गैस अथवा संश्लेषित गैस अथवा जल गैस कहलाता है। हाइड्रोकार्बन अथवा कोक की उच्च ताप पर एवं उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से अभिक्रिया कराने पर सिन-गैस प्राप्त होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 34
आजकल सिन-गैस को वाहितमल, अखबार, लकड़ी का बुरादा एवं छीलन आदि से भी प्राप्त किया जाता है। कोल से सिन-गैस के उत्पादन को, कोल-गैसीकरण प्रक्रम कहते है।

4. भाप अंगार गैस सृति अभिक्रिया:
जल गैस में डाइहाइड्रोजन की मात्रा को बढ़ाने के लिए CO को 500°C पर आयरन क्रोमेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से क्रिया कराते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 35
सिन-गैस / जल गैस उपरोक्त क्रिया को भाप अंगार गैस सृति अभिक्रिया कहते हैं।

5. ईंधन सेल:
ईंधन सेल में ईंधन के दहन से उत्पन्न ऊर्जा को सीधे वैद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रकार के ईंधन सेल का उदाहरण हाइड्रोजन ऑक्सीजन ईंधन सेल है। यह किसी प्रकार का प्रदूषण उत्पन्न नहीं करता है। ईंधन सेल, 70-85% रूपान्तरण क्षमता के साथ वैद्युत उत्पन्न करता है।

हाइड्रोजन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

हाइड्रोजन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
1. निम्न में से कौन – सी धातु H2 का अधिशोषण करती है –
(a) Zn
(b) Pb
(c) AI
(d) K.
उत्तर:
(b) Pb

प्रश्न 2.
हाइड्रोजन का रेडियोऐक्टिव समस्थानिक कहलाता है –
(a) प्रोटियम
(b) ड्यूटीरियम
(c) भारी हाइड्रोजन
(d) ट्राइटियम।
उत्तर:
(d) ट्राइटियम।

प्रश्न 3.
H2O2 का 1 ml N.T.P. पर 10 mlo, देता है, यह है
(a) 10 आयतन HO2
(b) 20 आयतन H2O2
(c) 30 आयतन H2O2
(d) 40 आयतन H202
उत्तर:
(a) 10 आयतन HO2

प्रश्न 4.
भारी जल प्राप्त किया जाता है –
(a) जल को उबालकर
(b) जल के प्रभावी आयतन द्वारा
(c) जल के निरंतर विद्युत् विच्छेद द्वारा
(d) H2O2 को गर्म करके।
उत्तर:
(c) जल के निरंतर विद्युत् विच्छेद द्वारा

प्रश्न 5.
ऑर्थो तथा पैरा हाइड्रोजन में किस बात का अंतर है –
(a) परमाणु क्रमांक
(b) द्रव्यमान संख्या
(c) इलेक्ट्रॉन चक्रण
(d) नाभिकीय चक्रण।
उत्तर:
(d) नाभिकीय चक्रण।

प्रश्न 6.
कौन-से हाइड्राइड सामान्यतः सरल अनुपात में नहीं होते हैं –
(a) आयनिक
(b) आण्विक
(c) अंतराकाशीय
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(c) अंतराकाशीय

प्रश्न 7.
आयनिक हाइड्राइड का उदाहरण नहीं है –
(a) LiH
(b) CaH2
(c) CsH
(d) GeH2.
उत्तर:
(d) GeH2.

प्रश्न 8.
H2O2के अणु में H-0 0 बंध कोण होता है –
(a) 99.5°
(b) 95.9°
(c) 97°
(d) 100.5°
उत्तर:
(c) 97°

प्रश्न 9.
रॉकेट के लिये नोदक का कार्य करता है –
(a) N2 + O2
(b) H2 + O2
(c) O2 + Ar
(d) H2 + N2.
उत्तर:
(b) H2 + O2

प्रश्न 10.
कैलगॉन प्रक्रम में, निम्न में कौन सा उपयोग होता है –
(a) सोडियम बहु मेटाफॉस्फेट
(b) जलयुक्त सोडियम ऐल्युमिनियम सिलिकेट
(c) धनायन विनिमय रेजिन
(d) ऋणायन विनिमय रेजिन।
उत्तर:
(a) सोडियम बहु मेटाफॉस्फेट

प्रश्न 11.
अभिकारक जो जल की कठोरता ज्ञात करने में प्रयोग किया जाता है –
(a) ऑक्जेलिक अम्ल
(b) डाइसोडियम लवण EDTA
(c) सोडियम सिट्रेट
(d) सोडियम थायोसल्फेट।
उत्तर:
(b) डाइसोडियम लवण EDTA

प्रश्न 12.
‘CO2, H20 तथा H,0, को उनके अम्लीयता के बढ़ते क्रम में लिखिए –
(a) CO2 <H2O2 < H2O
(b) H2O< H2O2<CO2.
(c) H2O< H2O2> CO2
(d) H2O2> CO2 > H2O
उत्तर:
(b) H2O< H2O2 <CO2.

प्रश्न 2.

  1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये –
  2. गलित NaH के विद्युत् – विच्छेदन से ऐनोड पर ………….. गैस मुक्त होती है।
  3. कैलगॉन …………….. का व्यापारिक नाम है।
  4. कैल्सियम फॉस्फाइड पर जल की क्रिया से …………….. बनती है।
  5. ……………… जल साबुन के साथ कम झाग देता है।
  6. जल की कठोरता ……………… और ……………… के लवणों के कारण होती है।
  7. ……………… जीवधारियों में होने वाली क्रियाओं के अध्ययन में ट्रेसर का कार्य करता है।
  8. Al या …………. के सान्द्र विलयन की क्रिया से हाइड्रोजन मुक्त होती है।
  9. CO + H2 का मिश्रण ……………….. कहलाती है।
  10. 2N H2O2 का आयतन क्षमता ……………….. होगी।
  11. पैलेडियम द्वारा हाइड्रोजन का अवशोषण ……………….. कहलाता है।

उत्तर:

  1. H2
  2. सोडियम हेक्सा मेटाफॉस्फेट
  3. फॉस्फीन
  4. कठोर
  5. Ca, Mg
  6. भारी जल
  7. NaOH
  8. जल गैस
  9. 11.2 आयतन
  10. अधिशोषण

प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 1
उत्तर:

  1. (d) अम्लीय
  2. (f) क्षारीय
  3. (a) ड्यूटिरो फॉस्फीन
  4. (b) तेल गैस
  5. (c) H2O2
  6. (e) अम्लीय
  7. (i) जीवाणुनाशक
  8. (g) मंदक
  9. (h) रॉकेट ईंधन

प्रश्न 4.
एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. किस यौगिक में हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण अवस्था ऋणात्मक होती है ?
  2. H2O2 का विरंजक गुण ऑक्सीकरण के कारण है अथवा अपचयन के कारण।
  3. हाइड्रोजन की खोज किसने की ?
  4. परमाणु भट्टियों में मंदक के रूप में किसका उपयोग किया जाता है ?
  5. H2O2 Cl2 को किसमें अपचयित कर देता है ?
  6. H2O2 का विरंजक गुण निर्भर करता है।
  7. कौन-सा ऑक्साइड तनु अम्ल से क्रिया करके H2O2 देता है ?
  8. जल की तुलना में एथेनॉल का वाष्पन तेजी से होता है। क्यों ?
  9. किस प्रकार के तत्व जालक हाइड्राइड बनाते हैं ?
  10. जालक हाइड्राइड का क्या उपयोग है ?

उत्तर:

  1. CaH2
  2. H2O2 सरलता से ऑक्सीजन देने के कारण यह विरंजक पदार्थ है। अत: H2O2 का विरंजक गुण ऑक्सीकरण के कारण है। H2O2
  3. H2O + [O]
  4. हेनरी केवेण्डिस
  5. भारी जल (D2O)
  6. HCl में
  7. नवजात ऑक्सीजन के कारण
  8. Na2CO2, BaC2
  9. दुर्बल हाइड्रोजन बंध के कारण
  10. d – तथा f – ब्लॉक के तत्व
  11. H2के भण्डारण एवं हाइड्रोजनीकरण क्रियाओं को उत्प्रेरित करने में।

हाइड्रोजन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जल की अस्थायी एवं स्थायी कठोरता के क्या कारण हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल में कैल्सियम बाइकार्बोनेट तथा मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट की उपस्थिति के कारण अस्थायी कठोरता उत्पन्न होती है। जल में विलेय लवणों कैल्सियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड, कैल्सियम सल्फेट तथा मैग्नीशियम सल्फेट आदि के कारण स्थायी कठोरता उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
बेरीलियम सहसंयोजी हाइड्राइड बनाता है जबकि कैल्सियम आयनिक हाइड्राइड क्यों?
उत्तर:
उच्च विद्युत् ऋणात्मकता के कारण Be (1.5) सहसंयोजी हाइड्राइड बनाता है। जबकि Ca की विद्युत् ऋणात्मकता कम होती है।

प्रश्न 3.
हाइड्रोजन बनाने की यूनो विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऐल्युमिनियम की अभिक्रिया गर्म कास्टिक सोडा के साथ गर्म करने पर ऐल्युमिनियम कास्टिक सोडा में विलेय हो जाती है और हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 37

प्रश्न 4.
अशुद्ध हाइड्रोजन का शुद्धिकरण किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
प्लेटिनम ब्लैक या पैलेडियम धातु पर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करने पर धातु द्वारा हाइड्रोजन का अधिशोषण हो जाता है। इसे अधिधारण कहते हैं। अशुद्ध हाइड्रोजन का इस प्रकार शुद्धिकरण किया जा सकता है क्योंकि पैलेडियम द्वारा केवल शुद्ध हाइड्रोजन का अधिशोषण होता है।

प्रश्न 5.
कठोर जल से होने वाली हानियाँ लिखिए।
उत्तर:
कठोर जल से होने वाली हानियाँ –

  • कपड़े धोने से झाग उत्पन्न करने के लिये अधिक साबुन खर्च होता है।
  • कठोर जल का उपयोग प्रयोगशाला में तथा दवाइयों में इंजेक्शन के लिये नहीं किया जा सकता है।
  • इसका सेवन संधिवात, गठिया आदि से पीड़ित व्यक्तियों के लिये हानिकारक होता है।

प्रश्न 6.
हाइड्रोजन बनाने की तीन विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पानी की भाप को 600 – 900°C पर तप्त लोहे पर प्रवाहित करने पर हाइड्रोजन गैस बनती है। यह अभिक्रिया उत्क्रमणीय है। अतः हाइड्रोजन को क्रिया क्षेत्र से हटाते रहना आवश्यक है।
3Fe + 4H2O ⥨ Fe3O4 + 4H2

प्रश्न 7.
उस विधि का वर्णन कीजिए जो जल की अस्थायी तथा स्थायी दोनों प्रकार की कठोरता दूर कर देता है।
उत्तर:
रासायनिक विधि-इस विधि से जल की अस्थायी तथा स्थायी दोनों प्रकार की कठोरता समाप्त हो जाती है। इस विधि में NaOH या Na2CO3 में से कोई पदार्थ मिलाने पर Ca या Mg अविलेय लवण बनाकर पृथक् हो जाता है।

  • CaCl2 + Na2Co3 → CaCO3 + 2NaCl
  • MgCl2 + Na2CO3 → MgCO3 + 2NaCl
  • MgSO4 + Nal2CO3 → sMgCO3 + Na2SO4

प्रश्न 8.
H2O2 की सान्द्रता किस प्रकार व्यक्त करते हैं ?
उत्तर:
H2O2विलयन की सान्द्रता ऑक्सीजन के N. T. P. पर उस आयतन के बराबर होती है जो उस विलयन के एकांक आयतन को गर्म करने पर उत्पन्न होती है। जैसे 10 आयतन H2O2का तात्पर्य है कि 1 ml H2O2 को गर्म करने से N.T.P. पर 10 ml O2 प्राप्त होती है।

प्रश्न 9.
हाइड्रोजन के उपयोग लिखिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन के उपयोग –

  • अपचायक के रूप में
  • तेल के हाइड्रोजनीकरण से वसा बनाने के लिये
  • कोल चूर्ण के साथ-साथ अभिकृत करके कृत्रिम पेट्रोल बनाने के लिये
  • काँच उद्योग में काँच को धीरे-धीरे ठण्डा करने में।

प्रश्न 10.
तेल गैस क्या है तथा इसे कैसे प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर:
यह गैस मिट्टी के तेल के भंजन से बनायी जाती है। मिट्टी के तेल की पतली धार लोहे के रक्त तप्त रिटार्ट में डाली जाती है जिससे बड़े अणु टूटकर मेथेन, एथिलीन, एसीटिलीन में टूट जाती है। इसका उपयोग बर्नरों को जलाने में किया जाता है।

प्रश्न 11.
कोल गैस क्या है ? इसका रासायनिक संघटन लिखिए।
उत्तर:
कोल गैस कई गैसों का मिश्रण है जिनमें हाइड्रोजन भी एक अवयवी गैस है। कोल गैस का प्रतिशत संगठन निम्न प्रकार से है

  • H2 = 43.55%,
  • CH4 = 25.35%
  • CO2 = 0.3%
  • CO = 4.11%
  • N2= 2 – 12%
  • O2 = 0 – 1.5% कोल गैस का उपयोग ईंधन के अतिरिक्त प्रकाश उत्पन्न करने के लिये प्रयुक्त होता है।

प्रश्न 12.
सोडियम पर जल की अभिक्रिया कराने पर गैस उत्पन्न होती है। उसका नाम व सूत्र लिखिए।
उत्तर:
अत्यधिक क्रियाशील धातु जैसे-सोडियम, पोटैशियम, कैल्सियम पर साधारण ताप पर जल की अभिक्रिया कराने पर हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है।

  • 2Na +2H2O → 2NaOH + H2
  • Ca + 2H2 O → Ca(OH)2 + H2

प्रश्न 13.
मृदु जल और कठोर जल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मृदु जल:
साबुन के साथ रगड़ने पर शीघ्रता से और अधिक झाग देने वाला जल मृदु जल कहलाता है।
उदाहरण-आसुत जल, वर्षा का जल आदि।

कठोर जल:
साबुन के साथ रगड़ने पर देर से तथा कम झाग देने वाला जल कठोर जल कहलाता है। और साबुन फटकर थक्के बनाता है।
उदाहरण – समुद्र का जल।

प्रश्न 14.
आसुत जल क्या है ? इसका एक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
आसवन विधि से प्राप्त शुद्ध जल आसुत जल कहलाता है। इसका उपयोग औषधि बनाने में एवं प्रयोगशाला में विलयन बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 15.
भारी जल की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर:

  • भारी जल मुख्य रूप से नाभिकीय रिएक्टरों में मंदक के रूप में प्रयुक्त होता है।
  • यह अभिक्रियाओं की क्रियाविधि के अध्ययन में ट्रेसर यौगिक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • अन्य ड्यूटीरियम यौगिकों जैसे – CD4 , D2SO4 आदि के निर्माण में इसका प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 16.
हाइड्रोजन परॉक्साइड का तनु विलयन गर्म करके सान्द्र क्यों नहीं किया जा सकता इसका सान्द्र विलयन किस प्रकार कर सकते हैं ?
उत्तर:
H2O2 का तनु विलयन गर्म करके सान्द्रित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह अपने गलनांक से काफी नीचे ही अपघटित हो जाता है।
2H2O2 → 2H2O + O2
जल से निष्कर्षित 1% H2O2का कम दाब पर आसवन करके 30%(द्रव्यमानानुसार) तक सान्द्रित करते हैं। पुनः इसका सावधानीपूर्वक कम दाब पर आसवन करके 85% तक सान्द्रण किया जाता है। अवशेष जल को हिमशीतित करके शुद्ध हाइड्रोजन परॉक्साइड प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 17.
परॉक्साइडों से हाइड्रोजन परॉक्साइड के निर्माण हेतु सल्फ्यूरिक अम्ल की अपेक्षा, फॉस्फोरिक अम्ल अधिक उपयुक्त होता है। क्यों ?
उत्तर:
H2SO4, H2O2 के अपघटन में उत्प्रेरक की भाँति व्यवहार करता है। अत: परॉक्साइडों से H2O2 के निर्माण में H2SO4 की अपेक्षा दुर्बल अम्ल जैसे – H3PO4, H2CO3 आदि उपयुक्त रहते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 38

प्रश्न 18.
किसी क्षारीय धातु का आयनिक हाइड्राइड प्रभावी सहसंयोजक व्यवहार प्रदर्शित करता है तथा यह ऑक्सीजन तथा क्लोरीन के प्रति लगभग अक्रियाशील होता है। इसका प्रयोग अन्य उपयोगी हाइड्राइडों के संश्लेषण में करते हैं। इस हाइड्राइड का सूत्र लिखिये।इसकी AlCl के साथ अभिक्रिया भी लिखिए।
उत्तर:
यह आयनिक हाइड्राइड LiH है। सबसे छोटी Li धातु के कारण इसका व्यवहार सहसंयोजी भी होता है। LiH अत्यधिक स्थायी है। यह ऑक्सीजन तथा क्लोरीन के प्रति अत्यधिक अक्रियाशील है। यह Al2Cl6 के साथ अभिक्रिया करके लीथियम ऐल्युमिनियम हाइड्राइड बनाता है।
8LiH + Al2Cl6 → 2LiAlH4 + 6LiCl

प्रश्न 19.
कठोर जल साबुन के साथ शीघ्रता से झाग क्यों नहीं देता?
उत्तर:
कठोर जल में Ca तथा Mg के बाइ कार्बोनेट, सल्फेट तथा क्लोराइड में से कोई भी लवण विलेय रहता है। साबुन उच्च कार्बनिक वसा अम्ल के सोडियम लवण होते हैं जो Ca एवं Mg के लवणों से क्रिया करके अवक्षेप देते हैं।
2C17H35COONa + MgSO4 → (C17H35COO)2 Mg + Na2SO4
जल में से जब तक ये लवण पूरी तरह से अवक्षेपित नहीं हो जाते तब तक साबुन से झाग नहीं बनता और साबुन व्यर्थ हो जाता है।

प्रश्न 20.
H2O2 के कोई चार उपयोग लिखिए।
उत्तर:
H2O2 के उपयोग –

  • यह जीवाणुनाशी के रूप में कान, दाँत आदि धोने के काम आता है।
  • प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
  • रॉकेटों में ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • पुराने तैल चित्रों को ठीक करने में इसका उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 21.
भाप अंगार गैस से हाइड्रोजन के औद्योगिक निर्माण की विधि लिखिए।
उत्तर:
गर्म भाप को रक्त तप्त कोक पर प्रवाहित करके वाटर गैस बनाते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 39
इस प्रकार प्राप्त H2 व CO2 के मिश्रण को वायुमण्डलीय दाब पर पानी में प्रवाहित करने पर CO2 शोषित हो जाती है तथा H2 शेष रहती है।

प्रश्न 22.
चालकता जल किसे कहते हैं ? इसके उपयोग लिखिए।
उत्तर:
कोलरॉश ने जल का निम्न दाब पर क्वार्ट्स के बने उपकरण में 42 बार आसवन करके अत्यन्त शुद्ध जल प्राप्त किया। यह चालकता जल कहलाता है। आसुत जल में कुछ पोटैशियम परमैंगनेट मिलाकर मजबूत काँच के बने रिटार्ट में उसका एक बार पुनः आसवन कर लेते हैं। इसका उपयोग चालकता निर्धारण में होता है।

प्रश्न 23.
ड्यूटीरियम क्या है ? इसके दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ड्यूटीरियम हाइड्रोजन का समस्थानिक है। इसे भारी हाइड्रोजन भी कहते हैं। इसके नाभिक में एक प्रोटॉन एवं एक न्यूट्रॉन होता है तथा नाभिक के चारों ओर एक इलेक्ट्रॉन घूमता रहता है। अर्थात् इसकी द्रव्यमान संख्या दो तथा परमाणु क्रमांक 1 है। इसे \(_{1}^{2} \mathrm{H}\) या D से दर्शाते हैं। भारी जल के वैद्युत् अपघटन से कैथोड पर ड्यूटीरियम प्राप्त होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 40
उपयोग:

  • इसका उपयोग कृत्रिम तत्वान्तरण में प्रक्षेपक कण ड्यूट्रॉन के रूप में।
  • रासायनिक एवं जैव रासायनिक अभिक्रियाओं की क्रियाविधि ज्ञात करने पर।

प्रश्न 24.
सोडियम डाइहाइड्रोजन के साथ क्रिया करके क्रिस्टलीय आयनिक ठोस बनाता है। यह यौगिक अवाष्पशील तथा अचालक प्रकृति का होता है। यह जल के साथ शीघ्रता से क्रिया करके डाइहाड्रोजन गैस बनाता है। इस यौगिक का सूत्र लिखिए तथा इसकी जल के साथ क्रिया लिखिए। इस ठोस के गलित का वैद्युत-अपघटन कराने पर क्या होगा?
उत्तर:
सोडियम डाइहाइड्रोजन के साथ क्रिया करके सोडियम हाइड्राइड बनाता है जो कि एक क्रिस्टलीय आयनिक ठोस है।
2Na + H2 → 2Na+ H
यह जल के साथ शीघ्रता से क्रिया करके H, गैस बनाता है।
2NaH + 2H2O → 2NaOH + 2H2
ठोस अवस्था में NaH में वैद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है। परन्तु गलित अवस्था में यह एनोड पर H, तथा कैथोड पर Na मुक्त करता है।

प्रश्न 25.
फ्लुओरीन तथा जल के मध्य रेडॉक्स अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
फ्लुओरीन प्रबल ऑक्सीकारक है। यह HO को O2 तथा O2 में ऑक्सीकृत करता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 61

प्रश्न 26.
समझाइये कि HCl गैस तथा HF द्रव क्यों है ?
उत्तर:
Cl की अपेक्षा F का आकार छोटा तथा वैद्युत ऋणात्मकता अधिक है। अतः यह Cl की अपेक्षा अधिक प्रबल H – आबंध बनायेगा। यही कारण है कि HF द्रव है तथा HCl गैस है।

प्रश्न 27.
D2O2 के निर्माण की एक रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
जल में विलेय D2SO4 की क्रिया BaO2 से कराने पर D2O2 प्राप्त होता है।
BaO2 +D2SO4 → BaSO4 +D2O2

प्रश्न 28.
H,O, को अधिक समय तक संचित क्यों नहीं किया जा सकता है ?
उत्तर:
H2O2 में परॉक्साइड बंध होता है। इस बंध की उपस्थिति के कारण यह अस्थायी होता है और अपघटित होने लगता है।
2H2O2 → 2H2O + O2 फलस्वरूप H2O2 को अधिक समय तक संचित नहीं किया जा सकता है । यह अपघटन की क्रिया काँच से उत्प्रेरित हो जाती है। इसलिये काँच की बोतल में अपघटन क्रिया और तीव्र हो जाती है। इसे रोकने या मंद करने के लिये मोम व अस्तर लगी रंगीन बोतल में संचित किया जाता है।

प्रश्न 29.
H2O2 प्रति क्लोर कहलाती है, क्यों?
उत्तर:
उन रंगीन पदार्थों में जिनमें विरंजन क्लोरीन द्वारा किया जाता है क्लोरीन की कुछ मात्रा शेष रह जाती है। इस प्रकार शेष क्लोरीन को दूर करने के लिये H2O2का उपयोग किया जाता है इस गुण के कारण इसे प्रति क्लोर कहते हैं।
Cl2 + H2O2 →2HCl + O2

प्रश्न 30.
अस्थायी कठोर जल को बुझे हुये चूने के साथ उबालने पर वह मृदु हो जाता है, क्यों?
उत्तर:
जब अस्थायी कठोर जल को बुझे हुये चूने के साथ उबाला जाता है तब अस्थायी कठोर जल में उपस्थित Ca व Mg के बाइ कार्बोनेट अघुलनशील कार्बोनेट में बदल जाता है जिन्हें छानकर दूर कर देते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 41

प्रश्न 31.
लवणीय हाइड्राइड जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके आग उत्पन्न करती है। क्या इसमें CO2(जो एक सुपरिचित अग्निशामक है) का उपयोग हम कर सकते हैं? समझाइए।
उत्तर:
लवणीय हाइड्राइड (NaH, CaH2 आदि) जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके धातु ऑक्साइड तथा डाइहाइड्रोजन उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 32.
कारण दीजिए –

  1. झीलों के पानी का तली की अपेक्षा सतह की ओर गमन।
  2. बर्फ जल पर तैरती है।

उत्तर:
1. द्रव (Liquid water) जल की अपेक्षा बर्फ का घनत्व अधिक होता है। शीतकाल में, झील के पानी का तापमान घटने लगता है। चूँकि ठंडा पानी भारी होता है। अत: यह पानी की तली की ओर गति करता है तथा तली का गर्म पानी सतह की ओर गति करता है। यह प्रक्रिया चलती रहती है। 277 K पर जल का घनत्व अधिकतम होता है।

अतः सतह जल के तापमान में कमी से घनत्व में कमी होगी। सतह से जल का तापमान घटता रहता है और अन्त में जल जम जाता है। अतः निम्न तापमान पर बर्फ की सतह जल के ऊपर तैरती है। इसी कारण सतह से तली की ओर जल लगातार बर्फ के रूप में जमता रहता है।

2. द्रव जल (Liquid water) की अपेक्षा, बर्फ का घनत्व कम होता है अत: बर्फ जल पर तैरती है।

प्रश्न 33.
यदि द्रव जल तथा बर्फ के टुकड़े के समान द्रव्यमान लिये जायें तो द्रव जल की अपेक्षा बर्फ का घनत्व कम होता है ?
उत्तर:
बर्फ में H2O अणु द्रव जल की भाँति सघन नहीं होते हैं। बर्फ की जालक संरचना में रिक्त अवकाश होते हैं। जिसके कारण इसका आयतन अधिक तथा घनत्व कम होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 42

हाइड्रोजन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
H2O2 पुराने तैलचित्रों को ठीक करने में प्रयुक्त होता है, उचित तर्क द्वारा समझाइये।
उत्तर:
पुरानी तैलचित्र जो बेसिक लेड कार्बोनेट से बनी हुई होती है। समय के साथ धीरे-धीरे काली पड़ जाती है क्योंकि वायुमण्डल में उपस्थित HS गैस तैलचित्र के सफेद लेड ऑक्साइड को काले लेड सल्फाइड में बदल देती है।
PbO+ H2S → PbS + H2O
ऐसे तैलचित्रों को H2O2 से धोने पर काला लेड सल्फाइड ऑक्सीकृत होकर PbSO4 में बदल जाता है और तस्वीर में पुनः चमक आ जाती है।
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प्रश्न 2.
हाइड्रोजन के सभी समस्थानिकों के आरेख बनाकर उनके नाम लिखिये।
उत्तर:
हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक हैं –

  • साधारण हाइड्रोजन या प्रोटियम – \(_{1}^{1} \mathrm{H}\)
  • भारी हाइड्रोजन या ड्यूटीरियम – \(_{1}^{2} \mathrm{H}\) या D
  • ट्राइटियम – \(_{1}^{3} \mathrm{H}\)

संरचना आरेख:
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तुलना:
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प्रश्न 3.
ऑर्थो तथा पैराहाइड्रोजन को समझाइये।
उत्तर:
सन् 1927 में हाइजेनबर्ग ने बताया कि हाइड्रोजन अणु दो प्रकार के होते हैं। प्रत्येक हाइड्रोजन अणु में दो हाइड्रोजन परमाणु होते हैं। इसके इलेक्ट्रॉन के चक्रण सदैव विपरीत दिशा में होता है। लेकिन इलेक्ट्रॉन की भाँति नाभिक भी अपनी दूरी पर चक्रण करते हैं। हाइड्रोजन अणु में जब दोनों हाइड्रोजन परमाणु के नाभिकों का चक्रण एक ही दिशा में होता है तो उसे ऑर्थो हाइड्रोजन कहते हैं और जब नाभिकों का चक्रण विपरीत दिशा में होता है तो उसे पैरा हाइड्रोजन कहते हैं। आर्थो तथा पैरा हाइड्रोजन के रासायनिक गुणों में कोई अंतर नहीं होता है। लेकिन उनके भौतिक गुणों में अंतर होता है। यह अंतर उनके अणुओं की आंतरिक ऊर्जा में अंतर के कारण होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 46

प्रश्न 4.
बॉयलर में कठोर जल का प्रयोग क्यों नहीं किया जाता है ?
उत्तर:
उद्योगों में बॉयलर का उपयोग भाप बनाने में किया जाता है। बॉयलरों में कठोर जल का उपयोग नहीं किया जाता। यदि कठोर जल को बॉयलर में प्रयोग किया जाता है तो Ca और Mg के लवण बॉयलर के अंदर की सतह पर पपड़ी के रूप में जम जाते हैं। यह पपड़ी ऊष्मा की कुचालक होती है जिससे ईंधन का अपव्यय होता है। इस कुचालक पपड़ी के कारण बॉयलर को बहुत अधिक गर्म करना पड़ता है जिससे पानी गर्म हो सके। उच्च ताप पर बाहरी सतह का Fe वायु की O2 से अभिक्रिया करके Fe3O4 बना लेता है।

कभी-कभी अंदर की पपड़ी में दरार हो जाती है जिससे गर्म जल की Fe की सतह से सीधी अभिक्रिया हो सकती है तथा Fe3O4 व H2 बनते हैं। हाइड्रोजन एक ज्वलनशील गैस है जिससे विस्फोट का भय रहता है। कठोर जल में यदि MgCl2 हो, तो वह पानी से अभिक्रिया करके HCl बनाता है। यह अम्ल बॉयलर का संक्षारण करता रहता है।
MgCl2 +H2O → Mg(OH)Cl+ HCl

प्रश्न 5.
क्या होता है जबकि –

  1. कैल्सियम हाइड्राइड की पानी से क्रिया कराते हैं।
  2. H2O2 को अम्लीय KMnO2 विलयन में मिलाते हैं।
  3. पोटैशियम फेरीसायनाइड के क्षारीय विलयन को H2O2 से क्रिया कराते हैं।
  4. उच्च ताप तथा उच्च दाब पर Fe की उपस्थिति में H2की अभिक्रिया N2 के साथ कराते हैं।

उत्तर:
1. कैल्सियम हाइड्राइड की पानी से क्रिया कराने पर H2 बनता है।
CaH2 + 2H2O →Ca(OH)2 + 2H2

2. H2O2 को अम्लीय KMnO4 में मिलाने पर KMnO4का गुलाबी रंग उड़ जाता है।
2KMnO4 + 3H2SO4 + 5H2O2 → K2SO4 + 2MnSO4 + 8H2O + 5O2

3. पोटैशियम फेरीसायनाइड के क्षारीय विलयन में H,O, मिलाने पर पोटैशियम फेरोसायनाइड में अपचयित हो जाता है।
2K3[Fe(CN)6] + 2KOH + H2O2 → 2K4[Fe(CN)6] +2H2O + O2

4. उच्च ताप तथा उच्च दाब पर Fe उत्प्रेरक तथा Mo उत्प्रेरक वर्धक की उपस्थिति में हाइड्रोजन की अभिक्रिया N, से कराने पर अमोनिया प्राप्त होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 47MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 47

प्रश्न 6.
हाइड्रोजन परॉक्साइड की निम्नलिखित से अभिक्रिया लिखिये –

  1.  O2
  2. PbS
  3. KI
  4. Cl2
  5. H2S.

उत्तर:

  1. हाइड्रोजन परॉक्साइड ओजोन से क्रिया कर ऑक्सीजन देता है।
    H2O2 + O3 →H2O + 2O2
  2. हाइड्रोजन परॉक्साइड PbS को PbSO4 में ऑक्सीकृत कर देता है।
    PbS + 4H2O2 → PbSO4 + 4H2O
  3. हाइड्रोजन परॉक्साइड KI को आयोडीन में ऑक्सीकृत कर देता है।
    2KI + H2O2 2KOH + I2
  4. हाइड्रोजन परॉक्साइड Cl, को HCl में अपचयित कर देती है।
    Cl + H2O2 → 2HCl + O2
  5. हाइड्रोजन परॉक्साइड HS को सल्फर में ऑक्सीकृत कर देती है।
    H2S + H2O2 → 2H2O + S

प्रश्न 7.
क्या आप आशा करते हैं कि (C,Han+2) कार्बनिक हाइड्राइड्स लुईस अम्ल या क्षार की भाँति कार्य करेंगे? अपने उत्तर को युक्ति संगत ठहराइए।
उत्तर:
(CnH2n+2) प्रकार के कार्बन हाइड्राइड्स, इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड है। इनके पास सहसंयोजी आबंध बनाने हेतु पर्याप्त इलेक्ट्रॉन हैं । अतः ये न तो लुईस अम्ल और न ही लुईस क्षार की भाँति व्यवहार करेंगे।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा कीजिए –
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उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 49

प्रश्न 9.
भाप अंगार गैस क्या है ? इसका संघटन लिखते हुये इसके उपयोग लिखिये।
उत्तर:
भाप अंगार गैस:
यह गैस कार्बन मोनोऑक्साइड तथा हाइड्रोजन का मिश्रण है। रक्त तप्त कोक पर जलवाष्प प्रवाहित करने पर कार्बन मोनोऑक्साइड तथा हाइड्रोजन का मिश्रण (भाप अंगार गैस) प्राप्त होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 50
संगठन –

  • H2 = 49%
  • N2 = 4%,
  • CO = 44%
  • CO2 = 2.7%
  • CH4 = 0.3%

उपयोग –

  • भट्टियों में ईंधन के रूप में
  • कार्बोरेटेड भाप अंगार गैस बनाने में
  • अमोनिया के निर्माण में
  • असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों के साथ प्रकाश देने में।

प्रश्न 10.
जल की अस्थायी कठोरता कैसे दूर करते हैं ?
उत्तर:
अस्थायी कठोरता दूर करने की दो विधियाँ हैं –
(1) उबालकर:
उबालने पर Ca और Mg के विलेय बाइ कार्बोनेट अविलेय कार्बोनेट में बदल जाते हैं और अवक्षेपित हो जाते हैं।

  • Ca(HCO3)2 + CaCO3 + H2O+CO2
  • Mg(HCO3)2 + MgCO3 + H2O+CO2

(2) क्लार्क विधि-अस्थायी कठोर जल में चूने के पानी की निश्चित मात्रा मिलाने पर विलेय बाइ कार्बोनेट अविलेय कार्बोनेट बना लेते हैं जो अवक्षेपित हो जाते हैं।

  • Ca(HCO3)2 + Ca(OH)2 →2CaCO3 +2H2O
  • Mg(HCO3)2 + Ca(OH)2 →MgCO3 +CaCO3 + 2H2O.

प्रश्न 11.
हाइड्रोजन परॉक्साइड की लुईस संरचना बताइए।
उत्तर:
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प्रश्न 12.
हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना को समझाइये।
उत्तर:
H2O2 का द्विध्रुव आघूर्ण 2.1 D है। इससे स्पष्ट होता है कि संरचना असमतलीय है। X – किरणे एवं अन्य भौतिक विधियों से विदित होता है कि H,O, की संरचना खुली पुस्तक के समान होती है। H2O2 अणु को दो OH के रूप में लिखते हैं। H – O – O – H परन्तु दोनों OH समूह एक ही तल में नहीं हैं । गैसीय स्थिति में तल 111.5° का कोण बनाते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 11
0-0 परमाणु दोनों तलों के संधि स्थल पर और परमाणु दोनों तलों पर 94.8° का O – O – H कोण बनाते हैं। बंध दूरी H – O = 0.95A और 0 – 0 = 1-47 A होती है। क्रिस्टलीय स्थिति में H बंध के कारण थोड़ा अंतर होता है। तलों के बीच का कोण 90.2°, कोण O – O – H = 101.9° बंध दूरी O – H = 0.994 होती है। और O-O= 1.46वें होता है।
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प्रश्न 13.
समझाइये H2O2 ऑक्सीकारक और अपचायक दोनों प्रकार का कार्य करता है।
उत्तर:
H2O2 सरलता से अपघटित होकर ऑक्सीजन परमाणु मुक्त करता है इसलिये यह प्रबल ऑक्सीकारक है। परन्तु जब यह अन्य ऑक्सीकारक के साथ क्रिया करता है तो ऑक्सीकारकों से सक्रिय ऑक्सीजन का एक परमाणु आसानी से पृथक् कर देता है।

ऑक्सीकारक प्रकृति –

  • 2Kl + H2O2 → 2KOH + I2
  • Na2SO3 + H2O2 → Na2SO4 + H2O
  • H2S + H2O2 → 2H2O + S

अपचायक प्रकृति –

  • H2O2+ O2 → H2O2 + 2O2
  • PbO2 + H2O2 → PbO+ H2O + O2
  • Cl2 + H2O2 → 2HCl + O2

प्रश्न 14.
कैलगॉन क्या है ? इसकी सहायता से जल की कठोरता कैसे दूर की जा सकती है ?
उत्तर:
पॉली हेक्सा मेटाफॉस्फेट को कैलगॉन कहते हैं । इसका रासायनिक संगठन Na2 [Na4 (PO4)6] होता है । कठोर जल में कैलगॉन की थोड़ी मात्रा डालने पर कैलगॉन कठोर जल में उपस्थित Ca और Mg लवणों से क्रिया कर उनके विलेय संकुल यौगिक बना लेता है। यह संकर यौगिक आयनन पर Ca2+और Mg2+ आयन नहीं देता है जिससे जल इन आयनों से मुक्त रहता है।
Na2[Na4 (PO3)6] + CaSO4 → Na2[CaNa2 (PO3)6] + Na2SO4

Na2 [CaNa2 (PO3)6] + CaSO4 → Na2[Ca(PO3)6] + Na2SO2

प्रश्न 15.
हाइड्रेट कितने प्रकार के होते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
जल अनेक धातु लवणों के साथ संयुक्त होकर हाइड्रेट बनाता है। ये तीन प्रकार के होते हैं –
1. जटिल आयन कैटायन जल – जटिल आयन में केन्द्रीय धातु के साथ लिगैण्ड बनाकर कैटायन में उपस्थित रहता है।

उदाहरण-हेक्सा एक्वा क्रोमियम (III) क्लोराइड [Cr(H2O6)]Cl3

2. जटिल आयन ऑक्सीऐनायन जल-जटिल आयन में ऑक्सी ऐनायन के साथ जल अणु उपस्थित रहता है।
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3. क्रिस्टलीय जल – क्रिस्टल जालक में अणु के भीतर खाली जगह में अणु उपस्थित रहते हैं जिसे क्रिस्टलन जल कहते हैं। कुछ धातु लवण रखा रहने पर संयुक्त जल को खो देते हैं। इसको उत्फुलन कहते हैं तथा अनेक पदार्थ वायु में रखे रहने पर वायु से जल सोख लेते हैं। इस क्रिया को प्रस्वेदन कहते हैं।
उदाहरण – Na2SO4 , 10H2O,MgSO4, 7H2O

प्रश्न 16.
जल की कठोरता दूर करने की परम्यूटिट विधि को समझाइये।
उत्तर:
इस विधि में कठोर जल को मृदु करने के लिये परम्यूटिट नामक पदार्थ का उपयोग करते हैं। ये पदार्थ जियोलाइट भी कहलाते हैं। जियोलाइट, सोडियम तथा ऐल्युमिनियम के मिश्रित जलयोजित सिलिकेट हैं। इनका सूत्र Na2 Al2 Si2O8 xH2O है। इसे संक्षिप्त में Na2Z द्वारा दर्शाते हैं। कठोर जल को जब जियोलाइट के ऊपर प्रवाहित करते हैं तो Ca और Mg जियोलाइट प्राप्त होते हैं जो अवक्षेपित होकर नीचे बैठ जाते हैं। इस प्रकार जल मृदु हो जाता है।

  • Na2Z + CaCl2 → Ca2 + 2 NaCl
  • Na2Z + MgSO4 → Na2SO4 + MgZ

अधिक समय तक जियोलाइट का उपयोग करने पर जियोलाइट की क्षमता कम हो जाती है। इसे पुनः सक्रिय करने के लिये 10% NaCl विलयन मिलाते हैं।
CaZ + 2NaCl → Na2Z + CaCl2
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प्रश्न 17.
जल अणु की संरचना दर्शाइये तथा उसके अच्छे विलायक होने का कारण दीजिये।
उत्तर:
जल के अणु में दो H परमाणु तथा एक 0 परमाणु आपस में सहसंयोजक बंध द्वारा जुड़े होते हैं। जल की संरचना उल्टे V के आकार की होती है। जिसमें H – 0 – H बंध 104°28′ होता है। जिसमें केन्द्रीय परमाणु ऑक्सीजन 3 संकरित अवस्था में होता है। इस प्रकार H2O अणुओं में दो sp3σ बंध होते हैं। तथा ऑक्सीजन पर 2 एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं। तथा एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म – एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म प्रतिकर्षण के कारण बंध कोण 109°28′ से गिरकर 104°28′ होता है।

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जल का विलायक गुण:
जल एक उत्तम विलायक है। क्योंकि जल का अणु ध्रुवीय है तथा इसके अणुओं के मध्य H बंध होता है। ध्रुवीय तथा उच्च परावैद्युतांक स्थिरांक होने के कारण जल में आयनिक यौगिक तथा ध्रुवीय सह-संयोजी यौगिक विलेय हो जाते हैं। H बंध के कारण वे यौगिक भी जल में विलेय हैं जो जल के साथ हाइड्रोजन बंध बना सकते हैं।
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प्रश्न 18.
भारी जल का निर्माण किस प्रकार करते हैं ? इसके गुण लिखिए।
उत्तर:
साधारण जल के प्रभाजी आसवन से-साधारण जल के 6000 भाग में लगभग 1 भाग भारी जल होता है साधारण जल में से भारी जल को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् किया जाता है। भारी जल का क्वथनांक साधारण जल के क्वथनांक से अधिक होता है। इसलिये साधारण जल का प्रभाजी आसवन करने पर साधारण जल पहले आसवित होता है तथा भारी जल अवशेष के रूप में रह जाता है।

भौतिक गुण:
भारी जल रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन द्रव है। इसका हिमांक 3.8°C तथा क्वथनांक 101-4°C होता है। रासायनिक गुण –

(1) वैद्युत अपघटन:
किसी वैद्युत अपघट्य की उपस्थिति में भारी जल का वैद्युत अपघटन कराने पर कैथोड पर ड्यूटीरियम तथा एनोड पर O2 गैस प्राप्त होती है।
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(2) नाइट्राइडों के साथ अभिक्रिया – भारी जल की अभिक्रिया नाइट्राइडों के साथ कराने पर भारी अमोनिया बनता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 53

प्रश्न 19.
जल का घनत्व 4°C पर अधिकतम होता है, क्यों ?
उत्तर:
जब बर्फ पिघलकर द्रव अवस्था में आती है तो बर्फ में उपस्थित पिंजरानुमा संरचना टूट जाती है। हाइड्रोजन बंध की संख्या में कमी आती है तथा H बंध टूटने के कारण बर्फ की संरचना के खाली स्थान में जल के अणुओं के व्यवस्थित होने के कारण जल के अणु अत्यधिक निकट आने लगते हैं जिससे जल का घनत्व बढ़ने लगता है तथा 4°C पर यह घनत्व अधिकतम हो जाता है लेकिन 4°C के पश्चात् ताप में वृद्धि करने पर जल के अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि के कारण जल के अणु दूर-दूर जाने लगते हैं। जिसके फलस्वरूप इसके आयतन में वृद्धि हो जाती है और घनत्व में कमी आने लगती है।

प्रश्न 20.
उन हाइड्राइड वर्गों का नाम बताइए जिनसे H2O2, B2H6तथा NaH संबंधित है।
उत्तर:
H2O – सहसंयोजक या आण्विक हाइड्राइड(इलेक्ट्रॉन समृद्ध हाइड्राइड)
B2H6 – सहसंयोजक या आण्विक हाइड्राइड(इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड)
NaH – आयनिक या लवणीय हाइड्राइड।

हाइड्रोजन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संश्लेषित आयन विनिमयक विधि द्वारा कठोर जल के मृदुकरण के सिद्धान्त एवं विधि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
संश्लेषित आयन विनिमय रेजिन विधि निम्नलिखित दो प्रकार की होती है –
1. धनायन – विनिमयक रेजिन- ये रेजिन, – SO3H समूह युक्त वृहद् कार्बनिक अणु होते हैं तथा जल में अविलेय होते हैं। इनकी NaCI से क्रिया कराकर R-Na में परिवर्तित किया जाता है। रेजिन R – Na, कठोर जल में उपस्थित Mg2+ तथा Ca2+ आयनों से विनिमय करके इसे मृदु जल बना देता है।
2RNa(s)+ M2+(aq) → R2M(s) + 2Na2+(aq)  (M = Ca2+ या Mg2+)

रेजिन में NaCl का जलीय विलयन मिलाने पर इसका पुनर्जनन कर लिया जाता है। शुद्ध विखनिजित तथा विआयनित जल को प्राप्त करने के लिए उपरोक्त प्राप्त जल को क्रमश: धनायन-विनिमयक तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन में प्रवाहित करते हैं। धनायन-विनिमयक प्रक्रम में, H’ का विनिमय जल में उपस्थित Nat, Cat, Mg2+ आदि आयनों से हो जाता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 55
(H’ के रूप में धनायन विनिमय रेजिन) इस प्रक्रम में प्रोटॉनों का निर्माण होता है तथा जल अम्लीय हो जाता है।

2. ऋणायन-विनिमयक प्रक्रम में, OH का विनिमय जल में उपस्थित Cl, HCO3, SO2-4 आयनों द्वारा होता है।MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 63
R\(\stackrel{+}{\mathrm{N}}\)H3 OH विस्थापित अमोनियम हाइड्रॉक्साइड ऋणायन रेजिन है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 62
इस प्रकार मुक्त OH आयन, H+ आयनों को उदासीन कर देते हैं। अंत में उत्पन्न धनायन तथा ऋणायन विनिमयक रेजिन को क्रमशः तनु अम्ल तथा तनु क्षारीय विलयनों से क्रिया कराके पुनर्जनित कर लिया जाता है।

प्रश्न 2.
प्रयोगशाला में हाइड्रोजन बनाने की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रयोगशाला विधि-दानेदार जस्ते पर तनु H2SO4 की अभिक्रिया कराने पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है। वुल्फ बोतल में जस्ता लेकर थिसिल फनल द्वारा उसमें तनु H2SO4मिलाते हैं। साधारण ताप पर हाइड्रोजन गैस प्राप्त होती है जिसे गैस जार में जल के ऊपर एकत्रित कर लेते हैं।
शोधन – इस प्रकार प्राप्त हाइड्रोजन में आर्सीन, फॉस्फीन, H2S, SO2,CO2,NO2, जलवाष्प की अशुद्धि होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 56
इन अशुद्धियों को दूर करने के लिये हाइड्रोजन को विभिन्न पदार्थों से भरी U नली में क्रम से प्रवाहित करते हैं।

  • AgNO3विलयन से भरी नली में जिसमें ASH3 और PH3 अवशोषित हो जाते हैं।
  • PbNO3 विलयन से भरी U नली में H2S अवशोषित हो जाता है।
  • KOH विलयन से भरी U नली में SO2,CO2 और NO2 अवशोषित हो जाती है।
  • निर्जल CaCl2 या P2O5 से भरी U नली जो जलवाष्प को अवशोषित कर लेती है।

प्रश्न 3.
डिमिनरलाइज्ड पानी क्या है ? इसे कैसे प्राप्त किया जाता है ? अथवा, कठोर जल के मृदुकरण की आयन विनिमय विधि का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पानी में उपस्थित धनायन और ऋणायन को दूर करने के बाद प्राप्त जल को डिमिनरलाइज़्ड पानी कहते हैं, यह आसुत जल की तरह अच्छा होता है। इसके लिये दो प्रकार के आयन विनिमय रेजिन प्रयोग में लाए जाते हैं।
1. धनायन विनिमय रेजिन-यह अम्लीय रेजिन है इसे RSO3H से दर्शाते हैं। कठोर जल को इनके ऊपर प्रवाहित करने से कठोर जल में उपस्थित Ca+ और Mg+2 सभी धनायन रेजिन की हाइड्रोजन को विस्थापित करके उनका स्थान लेते हैं।

  • 2RSO3H + CaCl2 → (RSO3)2Ca + 2H + 2Cl
  • 2RSO3H + MgSO4 → (RSO3)2Mg + 2H+ + SO42-

यह H+ आयन जल को अम्लीय कर देता है।

2. ऋणायन विनिमय रेजिन:
यह क्षारकीय रेजिन होता है इन्हें RNH2 सूत्र से दर्शाते हैं। यह जल से क्रिया करके RNH+3OH बनाता है।
R – NH2 + H2O → RNH+3OH

थनायन विनिमय रेजिन के बाद जब इस रेजिन के ऊपर जल प्रवाहित करते हैं तो जल में उपस्थित क्लोराइड, सल्फेट आदि ऋण आयन रेजिन के OH आयन को मुक्त कर देते हैं।
RNH3OH + Cl → RNH3Cl + OH
2RNH3OH + SO42- → (RNH3)2SO4 + 2OH
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 57
यह OH जल में मिलाकर उसमें अधिकता में उपस्थित H+ को उदासीन कर देता है।
H+ + OH → H2O
इस प्रकार दूसरे कक्ष से निकलने वाला जल सभी प्रकार धनायन, ऋणायन, अम्लीयता एवं क्षारीयता से युक्त होता है।

प्रश्न 4.
हाइड्राइड किसे कहते हैं ? विभिन्न प्रकार के हाइड्राइड को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
जब हाइड्रोजन अक्रिय गैसों को छोड़कर किसी धातु या अधातुओं से संयोग करती है तो बनने वाले यौगिक हाइड्राइड कहलाते हैं। ये हाइड्राइड बनने वाले रासायनिक बंध की प्रकृति के अनुसार तीन प्रकार के होते हैं –
1.  आयनिक हाइड्राइड:
जब हाइड्रोजन प्रबल धन विद्युती तत्वों के साथ संयोग करता है तो इस प्रकार के हाइड्राइड आयनिक प्रकृति के होते हैं।
2Li + H2 → 2LiH
2 Na + H2 → 2NaH
इन्हें सेलाइन हाइड्राइड भी कहते हैं।
गुण –

  • ये प्रायः अवाष्पशील ठोस पदार्थ हैं।
  • ये सफेद क्रिस्टलीय ठोस हैं। इनके क्रिस्टल की संरचनात्मक इकाई आयन है।
  • इनके गलनांक तथा क्वथनांक उच्च होते हैं।
  • इन हाइड्राइड के घनत्व बनने वाली धातुओं की तुलना में कम होते हैं।
  • ये विद्युत् के सुचालक हैं।
  • आयनिक हाइड्राइडों के जलीय विलयन क्षारीय होते हैं।
    NaH + H2O → NaOH + H2
  • वायुमण्डलीय ऑक्सीजन ऑक्सीकृत होकर ये ऑक्साइड में बदल जाते हैं।
    CaH2 + O2 → Cao + H2O

उपयोग:

  1. अपचायक के रूप में
  2. ठोस ईंधन के रूप में।

2. सहसंयोजी हाइड्राइड:
जब हाइड्रोजन p – ब्लॉक तत्वों तथा s – ब्लॉक तत्वों में Be व Mg के साथ संयोग करता है तो सहसंयोजी हाइड्राइड बनाता है क्योंकि इनकी ऋणविद्युता में कम अंतर होता है। इन्हें आण्विक हाइड्राइड भी कहते हैं।

गुण –

  • कम गलनांक व क्वथनांक वाले वाष्पशील यौगिक हैं।
  • विद्युत् के दुर्बल चालक या कुचालक होते हैं।
  • इनके अणुओं के मध्य दुर्बल वाण्डर वाल्स होता है।
  • विद्युत् ऋणता के अंतर के अनुसार इनके जलीय विलयन अम्लीय या क्षारीय होते हैं।
  • ये इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक होते हैं।
  • एक समूह में ऊपर से नीचे आने पर हाइड्राइडों का स्थायित्व कम होता है।

3. धात्विक हाइड्राइड;
d – ब्लॉक के तत्व तथा s – ब्लॉक के Be, Mg हाइड्रोजन से संयोग करके धात्विक हाइड्राइड बनाते हैं। इन्हें अंतराकाशीय हाइड्राइड भी कहते हैं। क्योंकि हाइड्रोजन धात्विक परमाणुओं के बीच अंतराकाश में व्यवस्थित हो जाते हैं।
गुण:

  • ये कठोर, धात्विक चमक वाले होते हैं।
  • ये विद्युत् व ऊष्मा के सुचालक होते हैं।
  • इनका घनत्व उन धातुओं से कम होता है जिससे ये बनते हैं।
  • ये असममित होते हैं।
  • ये अपनी सतह पर हाइड्रोजन की पर्याप्त मात्रा को अधिशोषित करते हैं। इसे हाइड्रोजन का अधिधारण कहते हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित समीकरणों को पूरा कीजिए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 58
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 59

प्रश्न 6.
D2O को जल से किस प्रकार प्राप्त करते हैं ? D2O तथा H2O के भिन्न-भिन्न भौतिक गुणों का वर्णन कीजिए।D,O की न्यूनतम तीन अभिक्रियाएँ दीजिए जिनमें हाइड्रोजन का ड्यूटीरियम से विनिमय होता है।
उत्तर:
(a) भारी जल, D2O का उत्पादन जल के वैद्युत – अपघटन द्वारा करते हैं।

(b) भौतिक गुण –

  • D2O रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन द्रव है। 11.6°C पर इसका घनत्व अधिकतम -1.1071 gml है (जल का 4°C पर)।
  • सामान्य जल की अपेक्षा भारी जल में लवणों की विलेयता कम होती है क्योंकि यह सामान्य जल की अपेक्षा अधिक श्यान होता है।
  • (i) D2O के लगभग सभी भौतिक स्थिरांकों के मान H2O की अपेक्षा अधिक होते हैं। यह H – परमाणु की अपेक्षा D – परमाणु के उच्च नाभिकीय द्रव्यमान H2O की अपेक्षा D2O में प्रबल H – आबंध के कारण होता है।

(c) हाइड्रोजन की ड्यूटीरियम से विनिमय अभिक्रियाएँ

  • NaOH + D2O → NaOD + HOD
  • HCl + D2O → DCl+ HOD
  • NH4Cl + D2O → NH2DCl + HOD

प्रश्न 7.
पाँच आयतन H2O2 विलयन की सांद्रता की गणना कीजिए।
उत्तर:
5 आयतन H2O2विलयन का अर्थ है कि NTP पर, 5 आयतन H2O2विलयन के IL के अपघटन पर 5 L2O2 प्राप्त होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 9 हाइड्रोजन - 60
NTP पर 22.4 O2 प्राप्त होती है = 68g H2O2 से
∴ NTP पर 5L, O2 प्राप्त होगी = \(\frac { 68 × 5. }{ 22.4 }\)15.17g = 15gH2O2 से
परन्तु NTP पर, 5L, O2 उत्पन्न होती है = 5 आयतन H2O2 विलयन के 1L से।
∴ H2O2 विलयन की सांद्रता = 15 g L-1
अथवा H2O2 विलयन की प्रतिशत सांद्रता = \(\frac { 15 }{ 100 }\) × 100 = 15%

MP Board Class 11th Chemistry Solutions

MP Board Class 8th General English Solutions Chapter 4 Trees: Our Saviours

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MP Board Class 8th General English Solutions Chapter 4 Trees: Our Saviours

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Trees: Our Saviours Textual Exercise

Read and Learn
(पढ़ो और याद करो):
Do Yourself.

Word Power
(शब्द सामर्थ्य):

(A) The letters ‘dis’ and ‘un’ before a word often mean ‘not’. Make new words by. adding the correct prefixes.
(किसी भी शब्द के आगे अक्षर “dis” और “un” अक्सर नहीं (नकारात्मक) अर्थ देते हैं। सही प्रत्यय लगाकर नये शब्द बनाएँ।)

  1. happy
  2. continue
  3. agree
  4. fair
  5. kind
  6. approve.

Answer:

  1. unhappy
  2. discontinue
  3. disagree
  4. unfair
  5. unkind
  6. disapprove.

(B) Fill the right word in the right place:
(उचित स्थान से रिक्त शब्द भरो:)
Answer:

  1. Clothes are made of cloth.
  2. My elder brother obviously is older than me.
  3. My grandfather is old and is child-like, but my uncle often behaves in a childish manner which I don’t like.
  4. We can adapt to western ways of living but not adopt them.

(C) Match the words given in the two-boxes to make compound words:
(दो खानों में दिये शब्दों का संयुक्त शब्द बनाने के लिए मिलान करें:)
Answer:
blackboard; toothbrush; newspaper; teapot; notebook; raincoat; farmhouse forehead, suitcase; bargraph.

Comprehension
(बोध प्रश्न):

(A) Answer the following questions:
(नीचे दिये प्रश्नों का उत्तर दें:)

Trees Were Being Saved By The Contractors Question 1.
Why did the workers from a factory come to the village of Gopeshwar ?
(व्हाय डिड द वर्कर्स फ्रॉम अ फैक्ट्री कम टु द विलेज ऑफ गोपेश्वर ?)
फैक्ट्री के कर्मचारी गोपेश्वर गाँव क्यों आए ?
Answer:
The workers from a factory had come to the village of Gopeshwar to cut the ash trees to make sleepers for the railways.
(द वर्कर्स फ्रॉम अ फैक्ट्री हैड कम टु द विलेज ऑफ गोपेश्वर टु कट द ऐश ट्रीज टु मेक स्लीपर्स फॉर द रेलवेज।)
फैक्ट्री के कर्मचारी रेलगाड़ी के स्लीपर बनाने के लिए पेड़ काटने गोपेश्वर आए थे।

Mp Board Class 8 English Chapter 4 Question 2.
What did the villagers decide when the axe men refused to return ?
(व्हॉट डिड द विलेजर्स डिसाइड व्हेन द ऐक्समेन रिफ्यूज्ड टु रिटर्न ?)
गाँववासियों ने क्या निर्णय लिया जब कुल्हाड़ी धारियों ने लौटने से इन्कार कर दिया ?
Answer:
The villagers decided that they would not let the axes touch the trees at any cost.
(द विलेजर्स डिसाइडिड दैट दे वुड नॉट लैट द ऐक्सिज टच द ट्रीज ऐट ऐनी कॉस्ट।)
गाँववासियों ने यह तय किया कि वे किसी भी कीमत पर पेड़ों पर कुल्हाड़ी नहीं लगने देंगे।

Class 8 English Chapter 4 Mp Board Question 3.
What did the axe men do when the villagers hugged the trees and shouted “chipko, chipko”?
(व्हॉट डिड द ऐक्समेन डु व्हेन द विलेजर्स हग्ड द ट्रीज एण्ड शाउटिड “चिपको चिपको” ?)
कुल्हाड़ीधारियों ने क्या किया जब गाँववासियों ने पेड़ों को गले लगा लिया और “चिपको, चिपको” चिल्लाए ?
Answer:
The axe men were frightened and they ran away.
(द ऐक्समेन वर फ्राइटन्ड एण्ड दे रैन अवे।)
कुल्हाड़ीधारी डर गये और वे भाग गए।

Trees Were Being Saved By The Contractors True Or False Question 4.
What did the villagers do when the contractors chose another forest ?
(व्हॉट डिड द विलेजर्स डू व्हेन द कॉन्ट्रेक्टर्स चोज ऐनदर फॉरेस्ट ?)
गाँववासियों ने क्या किया जब ठेकेदारों ने दूसरा जंगल चुन लिया ?
Answer:
When the contractors chose another forest, the villagers began to march in a procession to save the forests.
(व्हेन द कॉण्ट्रैक्टर्स चोज एनदर फॉरेस्ट, द विलेजर्स बिगेन टू मार्च इन अ प्रोसैशन टु सेव द फॉरेस्ट्स।)
जब ठेकेदारों ने दूसरा जंगल चुना तो गाँववासी जुलूस के साथ उसे बचाने निकल पड़े।

Mp Board Class 8th English Solution Question 5.
What is the work of “Dasohli Gram Swarajya Mandal ?”
(व्हॉट इट द वर्क ऑफ “दसोहली ग्राम स्वराज्य मण्डल’)
“दसोहली ग्राम स्वराज्य मण्डल” का क्या कार्य है ?
Answer:
This organisation works to regenerate the degraded forests.
(दिस ऑर्गेनाइजेशन वर्क्स टु रीजनरेट द डिग्रेडिड फॉरेस्ट्स।)
ये संस्था उन जंगलों को नवजीवन प्रदान करने का कार्य करती है जिनका पतन हो गया है।

(B) Say whether the following statements are true or false:
(निम्नलिखित कथन सत्य हैं या गलत, बतायें:)

  1. Trees were being saved by the contractors.
  2. In 1953, a group of people from a factory arrived at the Village of Gopeshwar.
  3. ‘Chipko’ or ‘Hug the trees’ was a non-violent movement of the mountain people to save their trees.
  4. Dasohli Gram Swarjya Mandal is an organisation to regenerate the degraded forests.
  5. Chipko movement proved very valuable in the conservation of forests.

Answer:

  1. False
  2. False
  3. True
  4. True
  5. True.

Let’s Learn
(आओ याद करें):

(A) Fill in the blanks with suitable pronouns.
(उचित सर्वनाम से रिक्त स्थान भरिए:)
Answer:
Leena was on her annual visit to her uncle’s house. She always enjoyed it because she was allowed to spend most of the day down at the mango grove. Reena’s uncle was a friend of the man who owned the grove and he always gave mangoes at a special rate. This year her aunt joined her, and together they set off across the fields to the grove. The branches of the trees were covered with fruits, and so bowed down with the weight that they almost touched the ground. They spent hours picking the fruit, eating most of them and sleeping in the shade.

(B) Use the words given in the box in the blanks below to make the Past Perfect Tense.
(बॉक्स में दिये शब्दो से Past Perfect Tense बनाने के लिए रिक्त स्थान भरें:)
Answer:

  • Harry had died before the doctor came.
  • The rain had stopped before you arrived.
  • I had reached the school before the bell rang.
  • There was a storm after the plane had landed.
  • The thief had run away before the police came.

Let’s Talk
(आओ बात करों):

Look at the picture given in the book carefully.
(दिये चित्र को ध्यान से देखें।)
Frame the questions related to the answers.
(दिए गए उत्तरों से सम्बन्धित प्रश्न बनाएँ।)

Mp Board Class 8 English Book Solution Question 1.
Where did you go in the morning ?
Answer:
I went for a morning walk.

Class 8 English Mp Board Question 2.
Who went with you ?
Answer:
My mother and sister went with me.

Mp Board Class 8 English Question 3.
What did you see there?
Answer:
We saw a large number of people and children there.

Mp Board Solution Class 8 English Question 4.
What were they doing there?
Answer:
Some were walking about, some were reading newspapers. Some were doing exercise, children were playing and some of them were roaming around.

English Reader Class 8 Question 5.
When did you come back?
Answer:
We came back at 9 O’clock.

Mp Board Class 8 English Solutions Question  6.
Did you enjoy ?
Answer:
Yes, we enjoyed and returned home full of energy.

Let’s Read
(आओ पढ़ें):

Read the given notice which the Cultural Secretary of Vallabh Bhai School put up on his school notice board and answer the questions given below:
(दिये गये नोटिस को पढ़ें जो वल्लभ भाई स्कूल के सांस्कृतिक सचिव ने स्कूल के सूचना-पट्ट पर लगाया है और नीचे दिये प्रश्नों के उत्तर दें:)

(A) Fill in the blanks:
(रिक्त स्थान भरिए:)

(1) Anurag has put up a ………on his school noticeboard.
(2) Anurag is the ……….. secretary of Vallabh Bhai School.
Answer:
(1) notice
(2) cultural.

(B) Answer the following questions:
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:)

Class 8 Mp Board English Solution Question 1.
Which ceremony was being held at Vallabh Bhai School ?
Answer:
Tree Plantation ceremony was being held at Vallabh Bhai School.

English Class 8 Mp Board Question 2.
How many plants are to be contributed by each class ?
Answer:
A minimum of five plants should be contributed by each class.

English Mp Board Class 8 Question 3.
Write the name and designation of the student who has written the notice.
Answer:
Anurag has written the notice. He is the Cultural Secretary of the school.

English Reader Book Class 8 Question 4.
Which word in the notice has the meaning complete and enthusiastic ?
Answer:
The word ‘wholehearted’ means complete and enthusiastic.

Let’s Write
(आओ लिखो):

Write a letter to the editor of a newspaper complaining against the cutting of trees, with the help of guidelines, given in the box.
(बॉक्स में दिये गये निर्देशों की सहायता से पेड़ों को काटने के विरुद्ध शिकायत करते हुए किसी समाचार-पत्र के सम्पादक को एक पत्र लिखें)
Answer:

403, D. K. Rainbow
Chunna Bhatti,
Bhopal
15th Oct., 20 …….

The Editor,
The Hindustan Times,
Bhopal:
15th Oct., 20.

Sir,
I would like to draw your attention to the cutting of trees prevailing in our area. As we all know that trees are valuable to us. Trees help to bring rain, keep the air clean, we get fruits from them. Trees help to beautify our surroundings. Hence, cutting of trees shall be a thrust to the environment. If the trees are cut then ecology will be disturbed. The floods shall occur and destroy the crops after rains. So the concerned authorities should take immediate steps to stop the cutting. Strick action should be taken against them.

Thanking you,
Yours Truly
Anurag

Let’s do it
(आओ इसे करें):

Draw pictures of at least five trees and write two uses of each in your note book / drawing sheet.
कम से कम पाँच पेड़ों के चित्र बनायें और अपनी नोटबुक/ चित्रकला शीट पर प्रत्येक के दो प्रयोग लिखें।
Answer:
Here are the names of five trees with their uses. Students can draw their pictures themselves in their drawing sheet.

MP Board Class 8th geranal English Chapter 4 Trees Our Saviours

Trees: Our Saviours Word Meanings

Arrive (अराइव) – पहुँचना; Achieve (ऐचीव) – प्राप्त करना; Conservation (कन्सरवेशन) – सुरक्षित रखना; Comforts (कम्फर्ट्स) – सुख साधन; Deforestation (डीफॉरेस्टेशन) – वन कटाई; Destroy (डेस्ट्रॉय) – नष्ट करना; Degrade (डिग्रेड) – दरजा घटाना; Frighten (फ्राइटन) – भयभीत करना; Flood (फ्लड) – बाढ़; Hug (हग) – लिपटना; Huge (ह्यूज) – विशाल; Incident (इन्सिडेन्ट) – घटना, Landslide (लैन्डस्लाइड) – भू-स्खलन; Livelihood (लाइवलिहुड) – आजीविका, रोजी; Neglect ( गलैक्ट)-ध्यान नहीं रखना; Non – violent (नॉन-वाइलेंट) — अहिंसात्मक; Organisation (ऑर्गनाइजेशन) – संगठन; Prevent (प्रिवेन्ट) – नहीं होने देना; Procession (प्रोसेशन) – जलूस; Precious (प्रैशस) – कीमती; Regenerate (रिजेनरेट) – नवजीवन प्रदान करना; Unforgettable (अनफॉरगैटेबल) – अविस्मरणीय; fodder (फॉडर) – चारा; Erosion (ईरोजन) – (भू) क्षरण, नाश।

Trees: Our Saviours Summary, Pronunciation & Translation

1. The forests of the Himalayan region have played an important role in the life of the people of Uttarakhand. They have been supplying fodder for their cattle, wood for fuel, fruits for food and herbs for medical treatment. The forests have also prevented floods and soil erosion in the area during the monsoon season.

द फॉरेस्ट्स ऑफ द हिमालयान रीजन हैव प्लेड ऐन इम्पोर्टेट रोल इन द लाइफ ऑफ द पीपुल ऑफ उत्तराखण्ड. दे हैव बीन सप्लाइंग फोडर फॉर देअर कैटल, वुड फॉर फ्युअल, फ्रूट्स फॉर फूड एण्ड हर्ब्स फॉर मेडिकल ट्रीटमेंट. द फॉरेस्ट्स हैव ऑल्सो प्रीवेन्टिड फ्लड्स एण्ड सॉइल इरोजन इन द एरिया ड्यूरिंग द मानसून सीजन.

अनुवाद:
हिमालय क्षेत्र के जंगलों की उत्तराखण्ड के लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वे उनके जानवरों के लिए चारा, ईंधन के लिए लकड़ी, भोजन के लिए फल और चिकित्सा के लिए जड़ी-बूटियाँ प्रदान करते हैं। वन बरसात के मौसम में बाढ़ और भूमि क्षरण से इस क्षेत्र का बचाव भी करते हैं।

2. During the 1970’s, however deforestation began. Trees were cut down. As a result, there was nothing to hold the soil. The rushing rain water carried away not only the soil, but also huge rocks, causing landslides, filling up the rivers, leading to floods. Further owing to the forest trees being taken away, the people who depended on them for food and fuel, faced great difficulty. They had to walk longer distances to collect firewood for cooking, plants for food and medicines, and to graze their cattle.

ड्यूरिंग द 1970′ (नाइन्टीन सेवन्टीज) हाउएवर डिफॉरेस्टेशन बिगेन. ट्रीज़ वर कट डाउन. ऐज़ अ रिजल्ट, देअर वाज़ नथिंग टु होल्ड द सॉइल. द रशिंग रेन वाटर कैरिड अवे नॉट ऑनली द सॉइल, बट आल्सो ह्यूज रॉक्स, कॉजिंग लैण्डस्लाइड्स, फिलिंग अप द रिवर्स, लीडिंग टु फ्लड्स. फर्दर ओइंग टु द फॉरेस्ट ट्रीज बीइंग टेकन अवे, द पीपुल हूँ डिपेन्डिड ऑन दैम फॉर फूड एण्ड फ्यूअल, फेस्ड ग्रेट डिफीकल्टी. दे हैड टु वॉक लांगर डिस्टेन्सिस टु कलैक्ट फायरवुड फॉर कुकिंग, प्लांट्स फॉर फूड एण्ड मेडीसिन्स, एण्ड टु ग्रेज देअर केटल.

अनुवाद:
उन्नीस सौ सत्तर के दशक में जंगलों की कटाई आरम्भ हुई। वृक्षों को काटा गया था। परिणामस्वरूप मृदा को क्षरण से रोकने को कुछ नहीं था। तेज बहते हुए वर्षा का जल अपने साथ केवल मिट्टी ही नहीं बल्कि विशाल चट्टानें ले जाता था जिससे भूस्खलन होता था और इनसे नदियाँ भर जाने पर बाढ़ आ जाती थी। इसके अतिरिक्त जंगल से पेड़ों को हटाने से, लोग जो भोजन और ईंधन के लिए उन पर निर्भर थे, उन्होंने बड़ी परेशानी का सामना किया। उन्हें खाना पकाने के लिए लकड़ी, भोजन एवं दवाइयों के लिए पौधे इकट्ठा करने और अपने पशुओं को चराने दूर-दूर तक जाना पड़ता था।

3. The people were angry but helpless. They did not know what they, the simple villagers, could do to stop the destruction of their forests. For a long time rich forests had been destroyed by the contractors. One morning in March 1973, a group of people from a factory that made railway goods arrived at the village of Gopeshwar, in Chamoli district of Uttarakhand. They had come to cut the ash trees. The wood was to be used to make sleepers for the railways in the plains. The villagers requested the axe men to go back, but they refused to return. The people decided that they would not let the axes touch the trees, no matter what happened. They said,

द पीपुल वर ऐंग्री बट हैल्पलैस. दे डिड नॉट नो व्हाट दे, द सिम्पल विलेजर्स, कुड डू टु स्टॉप द डिस्ट्रक्शन ऑफ देअर – फॉरेस्ट्स. फॉर अ लांग टाइम रिच फॉरेस्ट्स हैड बीन डेस्ट्रायड बाइ द कॉन्ट्रेक्टर्स. वन मार्निंग इन मार्च 1973, अ ग्रुप ऑफ पीपुल फ्रॉम अ फैक्ट्री दैट मेड रेलवे गुड्स एराइव्ड ऐट द विलेज ऑफ गोपेश्वर, इन चमोली डिस्ट्रिक्ट ऑफ उत्तराखण्ड. दे हैड कम टु कट द एश ट्रीज. द वुड वाज टु बी यूज्ड टु मेक स्लीपर्स फॉर द रेल्वेज इन द प्लेन्स. द विलेजर्स रिक्वेस्टिड द एक्समैन टु गो बैक, बट दे रिफ्यूज्ड टु रिटर्न. द पीपुल डिसाइडिड दैट दे वुड नॉट लैट द एक्सेज टच द ट्रीज, नो मैटर व्हॉट हैपन्ड. दे सैड,.

अनुवाद:
लोग क्रुद्ध थे परन्तु असहाय थे। वे नहीं जानते थे कि वे, साधारण ग्रामीण, अपने वनों का विनाश रोकने के लिए क्या करें। एक लम्बे अर्से से समृद्ध वनों को ठेकेदारों द्वारा नष्ट किया जा रहा था। मार्च, 1973 की एक सुबह, उत्तराखण्ड के चमोली जिले के गोपेश्वर गाँव में रेलवे कोच बनाने वाले एक कारखाने के लोगों का एक समूह आया। वे मोहिन वृक्षों को काटने आये थे। लकड़ी का प्रयोग मैदानी क्षेत्रों में रेल्वे के लिए स्लीपर बनाने में किया जाना था। ग्रामीणों ने पेड़ काटने वालों से वापस जाने की प्रार्थना की परन्तु उन्होंने वापस जाने से मना कर दिया। लोगों ने तब यह तय किया कि चाहे जो हो जाए वह कुल्हाड़ियों को उन वृक्षों को छूने नहीं देंगे। उन्होंने कहा,

4. “Let us save our precious trees. Let us hug them so that no one can reach them.” And they all rushed forward shouting, “Chipko Chipko.” The axe men were frightened by the turn the situation had taken and they ran away. The people had succeeded in saving their trees Thus began the movement called “Chipko” or. “Hug the Trees”. It was a non-violent movement of the mountain people to save their trees by hugging them.

“लैट अस सेव अवर प्रैशस ट्रीज. लैट अस हग दैम सो दैट नो वन कैन रीच दैम.” एण्ड दे ऑल रश्ड फॉरवर्ड शाउटिंग, “चिपको चिपको”. द एक्समैन वर फ्राइटन्ड बाइ द टर्न द सिचुएशन हैड टेकन एण्ड दे रैन अवे. द पीपुल हैड सक्सीडिड इन सेविंग देअर ट्रीज ! दस बिगेन द मूवमेंट कॉल्ड “चिपको” और “हग द ट्रीज”. इट वाज़ अ नॉन-वायलेण्ट मूवमेंट ऑफ द माउन्टेन पीपुल टु सेव देअर ट्रीज बाइ हगिंग दैम.

अनुवाद:
आओ, अपने मूल्यवान पेड़ों को बचाएँ। आओ उनसे लिपट जाएँ जिससे कोई उन तक नहीं पहुँच सके। . . .. और वे सभी ‘चिपको-चिपको’ चिल्लाते हुए आगे की ओर दौड़े। स्थिति को बदलता देख वृक्षों को काटने आये लोग भयभीत हो गए और वे भाग गए। लोग अपने वृक्षों को बचाने में सफल हो गए। इस प्रकार ‘चिपको’ या वृक्षों को गले लगाओ’ आन्दोलन आरम्भ हो गया। यह पहाड़ी लोगों का अपने वृक्षों को गले लगाकर उन्हें बचाने के लिए एक अहिंसावादी आन्दोलन था।

5. The villagers of Gopeshwar had saved its trees but the contractors were not going to give up easily. They chose another forest which was about 60 kilometers away from Gopeshwar. News of this reached Gopeshwar. So the entire village men and women, old and young, began to march in a procession. They carried drums and trumpets and banners with messages like –

“Chop me – not the tree.”
and
“Kill us first, before you cut a single tree.”

द विलेजर्स ऑफ गोपेश्वर हैड सेव्ड इट्स ट्रीज बट द कॉन्ट्रेक्टर्स वर नॉट गोइंग टु गिव अप ईजिली. दे चोज अनअदर फॉरेस्ट विच वाज अबाउट 60 किलोमीटर्स अवे फ्रॉम गोपेश्वर. न्यूज ऑफ दिस रीच्ड गोपेश्वर. सो द एन्टायर विलेज मैन एण्ड वुमैन, ओल्ड एण्ड यंग, बिगेन टु मार्च इन अ प्रोसेशन. दे कैरिड ड्रम्स, एण्ड ट्रम्पेट्स एण्ड बैनर्स विद मेसेजिज लाइक-

“चॉप मी-नॉट द ट्री.”
एण्ड
“किल अस फर्स्ट, बिफोर यू कट अ सिंगल ट्री.”

अनुवाद:
गोपेश्वर के ग्रामीणों ने अपने वृक्षों को बचा लिया था परन्तु ठेकेदार भी आसानी से छोड़ने वाले नहीं थे। उन्होंने दूसरा जंगल चुन लिया जो गोपेश्वर से लगभग 60 किमी. दूर था। यह समाचार गोपेश्वर पहुँचा। तब सम्पूर्ण गाँववासी-पुरुष एवं स्त्रियाँ, वृद्ध एवं युवा एक जुलूस में आगे बढ़ने लगे। वे ढोल और तुरही बजाते हुए चल रहे थे तथा हाथों से इसमें सन्देश की । तख्ख्यिाँ लिए हुए थे –
“मुझे काटो-पेड़ को नहीं”
और
“हमें पहले मारो, इससे पहले कि तुम एक भी पेड़ काटो।”

6. The axe men could not raise their axes. They fled. The “Chipko” idea had once again won. Trees had been saved. The message began to sweep through the region. The people knew that if they could save their forest, the forest would save for them their soil, their water and their livelihood. Many such incidents took place. Over the years the people’s movement became well known all over India and abroad. Thus, people have come together to work to protect their forests.

द एक्समैन कुड नॉट रेज देअर एक्सिस. दे फ्लैड. द “चिपको” आइडिया हैड वन्स अगेन वन. ट्रीज हैंड बीन सेव्ड. द मेसेज बिगेन टु स्वीप श्रू द रीजन. द पीपुल निऊ दैट इफ.दे कुड सेव देअर फॉरेस्ट, द फॉरेस्ट वुड सेव फॉर दैम देअर सॉइल, देअर वाटर एण्ड देअर लाइवलीहुड. मैनी सच इन्सीडेन्ट्स एक प्लेस. ओवर द ईयर्स द पीपुल्स मूवमेंट बिकेम वैल नोन ऑल ओवर इण्डिया एण्ड एब्रोड. दस, पीपुल हैव कम टुगेदर टु वर्क टु प्रोटेक्ट देअर फारेस्ट्स.

अनुवाद:
कुल्हाड़ी लिए लोग अपनी कुल्हाड़ी को नहीं उठा सके। वे भाग गए। ‘चिपको’ विचार ने एक बार पुनः विजय प्राप्त की। वृक्षों को बचा लिया गया। पूरे क्षेत्र में सन्देश फैल गया। लोगों को समझ आ गया कि यदि वे अपने वनों को बचा सके तो वन उनके लिए उनकी मिट्टी, जल और जीविका को बचाएँगे। ऐसी कई घटनाएँ घटित हुईं। कालान्तर में यह जनान्दोलन पूरे भारत और विश्व में प्रसिद्ध हो गया। इस प्रकार लोग अपने जंगलों की रक्षा करने के लिए काम करने को एक साथ आ गये।

7. They have organised themselves especially the women through organisations such as the Dasohli. Gram Swarajya Mandal to regenerate the degraded forests. This is how the Chipko movement has proved very valuable in the conservation of forests. It has taught an important lesson to the people in the conservation of the forests.

दे हैव ऑर्गनाइज्ड दैमसेल्व्स एस्पेशियली द वुमैन श्रू ऑर्गनाइजेशन्स सच ऐज़ द दसोहली ग्राम स्वराज्य मण्डल टु रिजनरेट द डिग्रेडिड फॉरेस्ट्स.दिस इज हाउ द चिपको मूवमेंट हैज प्रूव्ड वैरी वेल्यूएबल इन द कन्जर्वेशन ऑफ फॉरेस्ट्स. इट हैज टॉट एन इम्पॉर्टेट लैसन टु द पीपुल इन द कन्जर्वेशन ऑफ द फॉरेस्ट्स.

अनुवाद:
उन्होंने मृत वनों को पुनर्जीवित करने के लिए दसोहली ग्राम स्वराज्य मण्डल जैसे, कई संगठनों के माध्यम से – स्वयं को संगठित किया, विशेष रूप से महिलाओं से। इस प्रकार चिपको आन्दोलन वनों के संरक्षण में बहुत मूल्यवान सिद्ध हुआ है। इसने वनों के संरक्षण में लोगों को एक . महत्वपूर्ण सबक सिखाया है।

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MP Board Class 6th Sanskrit Model Question Paper

MP Board Class 6th Sanskrit Model Question Paper (आदर्श प्रश्नपत्रम्)

प्रश्न 1.
(अ) समुचितपदं चित्वा लिखत (उचित शब्द छाँटकर लिखो)
(क) विद्वान् पूज्यते-
(अ) एकत्र
(ब) सर्वत्र
(स) अत्र
(द) अन्यत्र।
उत्तर:
(ब) सर्वत्र

(ख) मध्यप्रदेशस्य राजधानी अस्ति-
(अ) इन्दौरम्
(ब) ग्वालियरम्
(स) भोपालम्
(द) जबलपुरम्।
उत्तर:
(स) भोपालम्

(ग) मकरः निवसति-
(अ) वृक्षे
(ब) पर्वते
(स) नगरे
(द) जले।
उत्तर:
(द) जले।

(घ) कार्याणि सिध्यन्ति-
(अ) उद्यमेन
(ब) ज्ञानेन
(स) शयनेन
(द) मनोरथेन।
उत्तर:
(अ) उद्यमेन

(ङ) निम्नलिखितेषु उपसर्गः अस्ति-
(अ) ज्ञानम्
(ब) धनम्
(स) अनु
(द) पत्रम्।
उत्तर:
(स) अनु

(ब) प्रदत्तैः शब्दैः रिक्तस्थानानि पूरयत (दिये गये शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति करो)
(महाकालस्य, सङ्गणकयन्त्रस्य, पुष्पैः, स्वास्थ्याय, मित्राणि)
(क) मालायाः निर्माणं ………… भवति।
(ख) भोजनं ……………… भवति।
(ग) उज्जयिनी ……………… नगरी।
(घ) जन्वतः अस्माकं ………………. सन्ति।
(ङ) शिक्षाक्षेत्रे ……………. महती भूमिका अस्ति।
उत्तर:
(क) पुष्पैः
(ख) स्वास्थ्याय
(ग) महाकालस्य
(घ) मित्राणि
(ङ) सङ्गणकयन्त्रस्य।

प्रश्न 2.
अधोलिखितगद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृते लिखत- (नीचे लिखे गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखो)

परेषाम् उपकारः परोपकारः। सूर्यः लोकहिताय तपति। नद्यः परोपकाराय वहन्ति। वृक्षाः परोपकाराय फलानि यच्छन्ति। मेधाः परोपकाराय जलं वर्षन्ति। वसुधा परोपकाराय भारं वहति। एवं प्रकृतिः परोपकाराय प्रेरयति।

(क) कः लोकहिताय तपति?
(ख) वृक्षाः किमर्थं फलानि यच्छन्ति?
(ग) के परोपकाराय जलं वर्षन्ति?
(घ) का परोपकाराय प्रेरयति?
उत्तर:
(क) सूर्यः लोकहिताय तपति।
(ख) वृक्षाः परोपकाराय फलानि यच्छन्ति।
(ग) मेघाः परोपकाराय जलं वर्षन्ति।
(घ) प्रकृतिः परोपकाराय प्रेरयति।
अथवा

प्रथमदिवसे त्रयोदश्यां जनाः आभूषणानि गृहपात्राणि स्वर्ण रजतं वा क्रीणन्ति। धन्वन्तरीति वैद्यराजः अद्य एव पूज्यते। द्वितीयदिवस्य चतुर्दश्याः विशेषता अस्ति सूर्योदयात् प्राक् अभ्यङ्गस्नानम्। तृतीयदिवसे अमावस्यायां जनाः धनदेवी लक्ष्मी पूजयन्ति। व्यापारिणः व्यापारपुस्तकानामपि पूजनं कुर्वन्ति।

(क) प्रथमदिवसे त्रयोदश्यां जनां किं किं क्रीणन्ति?
(ख) तृतीयदिवसे जनाः कां पूजयन्ति?
(ग) द्वितीयदिवसस्य चतुर्दश्याः विशेषता का?
(घ) के व्यापारपुस्तकानामपि पूजनं कुर्वन्ति?
उत्तर:
(क) प्रथमदिवसे त्रयोदश्यां जनां आभूषणानि गृहपात्राणि स्वर्ण रजतं वा क्रीणन्ति।
(ख) तृतीयदिवसे अमावस्यायां जनाः धनदेवी लक्ष्मी पूजयन्ति।
(ग) द्वितीयदिवसस्य चतुर्दश्या विशेषता अस्ति सूर्योदयात् प्राक् अभ्यङ्गस्नानम्।
(घ) व्यापारिण: व्यापार पुस्तकानामपि पूजनं कुर्वन्ति।

प्रश्न 3.
अधोलिखितपद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृते लिखत (नीचे लिखे पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में लिखो)

विदेशेषु धनं विद्या, व्यसनेषु धनं मतिः।
परलोके धनं धर्मः, शीलं सर्वत्र वै धनम्॥

(क) कुत्र धनं विद्या?
(ख) केषु धनं मतिः?
(ग) परलोके धनं किम्?
(घ) किं सर्वत्र धनम्?
उत्तर:
(क) विदेशेषु धनं विद्या।
(ख) व्यसनेषु धनं मति।
(ग) परलोके धनं धर्मः।
(घ) शीलं सर्वत्र धनम्।
अथवा

दुखानां तु विनाशाय, वर्धनाय सुखस्य च।
सर्वभूतहितार्थाय, चलिष्यामो निरन्तरम्॥

(क) वयं केषां विनाशाय चलिष्यामः?
(ख) वयं कस्य वर्धनाय चलिष्यामः?
(ग) केषां हितार्थाय वयं चलिष्यामः?
(घ) वयं कीदृशं चलिष्यामः?
उत्तर:
(क) वयं दु:खानां विनाशाय चलिष्यामः।
(ख) वयं सुखस्य वर्धनाय चलिष्यामः।
(ग) सर्वभूतहितार्थाय वयं चलिष्यामः।
(घ) वयं निरन्तरं चलिष्यामः।

प्रश्न 4.
(अ) पाठ्यपुस्तकात् कण्ठस्थीकृतम् एक सुभाषितश्लोकं लिखतः यः अस्मिन् प्रश्नपत्रे नास्ति।
(पाठ्य पुस्तक से याद किया हुआ एक सुभाषित श्लोक लिखिए जो इस प्रश्न-पत्र में न आया हो)-
उत्तर:
देन्यं चैव हरिष्यामः सर्वभारत भूतलात्।
भेदभाव विनाशाय, उद्यताः सर्वदा वयम्॥

(ब) श्लोकपूर्ति कुरुत (श्लोक को पूरा करो)-
यस्य नास्ति ………… शास्त्रं…………… किम्। ………….. विहीनस्य, दर्पण: किं………….
उत्तर:
स्वयं प्रज्ञा, तस्य करोति, लोचनाभ्यां, करिष्यति॥

प्रश्न 5.
(अ) अधोलिखितेषु (5) पञ्चप्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन संस्कृते लिखत- (नीचे लिखे प्रश्नों में से पाँच प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में संस्कृत में लिखो)
(क) मोहनः रात्रौ किं पश्यति? (मोहन रात को क्या देखता है?)
उत्तर:
दूरदर्शनम् (दूरदर्शन) (टी. वी.)

(ख) का कार्यसाधिका भवति? (कार्य में सफलता देने वाली क्या होती है?)
उत्तर:
संहति (एकता)

(ग) वायुयानं केन मार्गेण गच्छति? (वायुयान किस मार्ग से चलता है?)
उत्तर:
आकाशमार्गेण (आकाश मार्ग से)

(घ) मध्यप्रदेशस्य मध्यभागे का नदी प्रवहति? (मध्यदेश के मध्य भाग में कौन-सी नदी बहती है?)
उत्तर:
नर्मदा नदी

(ङ) कः प्रतिदिन जम्बूफलानि खादति स्म? (प्रतिदिन कौन जामुन के फल खाया करता था?)
उत्तर:
वानरः (बन्दर)

(च) सिक्खधर्मस्य प्रवर्तकः कः? (सिक्ख धर्म के प्रवर्तक कौन थे?)
उत्तर:
गुरुनानकः।

(ब) अधोलिखितेषु (5) पञ्चप्रश्नानाम् उत्तराणि एकवाक्येन संस्कृते लिखत- (नीचे लिखे प्रश्नों के से पाँच प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में संस्कृत में लिखो)
(क) कस्मात् विक्रमसंवत्सरस्य गणना भवति? (विक्रम संवत्सर की किससे गणना होती है?)
उत्तर:
उज्जयिन्याः राजा विक्रमादित्यस्य कालात् विक्रम संवत्सरस्य गणना भवति। (उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य के काल से विक्रमसंवत्सर की गणना होती है।)

(ख) आदिकविः कः अस्ति? (आदिकवि कौन हैं?)
उत्तर:
आदिकवि: वाल्मीकिः अस्ति। (आदि कवि वाल्मीकि हैं।)

(ग) भारतीयाः कस्यै निरन्तरं प्रयासम् अकुर्वन्? (भारतीयों ने किसके लिए निरन्तर प्रयास किये थे?)
उत्तर:
भारतीयाः स्वतन्त्रतायै निरन्तरं प्रयासम् अकुर्वन् (भारतीयों ने स्वतन्त्रता के लिए निरन्तर प्रयास किये।)

(घ) भोजस्य नाम केन कारणेन प्रसिद्धम्? (भोज का नाम किस कारण से प्रसिद्ध है?)
उत्तर:
भोजस्य नाम शिक्षाप्रियता कारणेन प्रसिद्धम्। (भोज का नाम शिक्षाप्रियता के कारण प्रसिद्ध है।)

(ङ) भारतभूतलात् वयं किं हरिष्यामः? (भारत धरा से हम किसे दूर करेंगे?)
उत्तर:
भारतभूतलात् वयं दैन्यं हरिष्यामः। (भारत धरा से हम दीनता को दूर करेंगे।)

(च) लक्ष्मी: शुद्धा कथं भवति? (लक्ष्मी शुद्ध किस तरह होती है?)
उत्तर:
श्रमेण अर्जिता लक्ष्मी: शुद्धा भवति। (परिश्रम से कमाई लक्ष्मी शुद्ध होती है।)

प्रश्न 6.
(अ) अधोलिखितेषु (2) द्वयोः शब्दयोः रूपाणि त्रिषु वचनेषु लिखत- (निम्नलिखित में से दो शब्दों के रूप तीनों वचनों में लिखो)
(क) नदी-सप्तमी विभक्तिः
(ख) गुरु-चतुर्थी विभक्तिः
(ग) बालक-तृतीया विभक्तिः
उत्तर:
MP Board Class 6th Sanskrit Model Question Paper 1

(ब) अधोलिखितेषु (2) द्वयोः धातुरूपाणि निर्देशानुसारं त्रिषु वचनेषु लिखत- (निम्नलिखित में से दो के धातुरूप निर्देशानुसार तीनों वचनों में लिखो)
(क) पठ् – लङ्लकारः (भूतकाल:), मध्यमपुरुषः
(ख) क्रीड् – लुट्लकारः (भविष्यकालः), प्रथमपुरुषः
(ग) कृ – लट्लकारः (वर्तमानकालः),
उत्तर:
MP Board Class 6th Sanskrit Model Question Paper 2

(स) अधोलिखितेषु (3) त्रीणि अशुद्धवाक्यानि शुद्धानि कुरुत- (निम्नलिखित में से तीन अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करो)
(क) बालकाः क्रीडति
(ख) सः गच्छन्ति
(ग) छात्रः पठसि
(घ) वयं लिखामि।
उत्तर:
(क) बालकः क्रीडति
(ख) सः गच्छति
(ग) छात्रः पठति
(घ) वयं लिखामः

प्रश्न 7.
(अ) अधोलिखितेषु (3) त्रयाणां धातुं प्रत्ययं च पृथक् कुरुत (निम्नलिखित में से तीन के धातु व प्रत्यय पृथक् करो)
(क) चलितुम्
(ब) हसित्वा
(ग) गन्तुम्
(घ) भूत्वा।
उत्तर:
(क) चलितुम् = चल् + तुमुन्।
(ख) हसित्वा = हस् + क्त्वा।
(ग) गन्तुम् = गम् + तुमुन्।
(घ) भूत्वा = भू + क्त्वा।

(ब) अधोलिखितेषु (3) त्रीन् उपसर्गान् पृथक् कुरुत(निम्नलिखित में से तीन उपसर्गों को पृथक् करो)
(क) प्रतिकरोति
(ख) परिहारः
(ग) विहरति
(घ) अनुवादः।
उत्तर:
(क) प्रति
(ख) परि
(ग) वि
(घ) अनु।

(स) अधोलिखितेषु अव्ययं चित्वा लिखत(निम्नलिखित में से अव्यय छाँटकर लिखो)
(क) फलम्
(ख) सर्वदा
(ग) तत्र
(घ) लेखनी।
उत्तर:
(ख) सर्वदा
(ग) तत्र।

प्रश्न 8.
(अ) अधोलिखितेषु (3) त्रयाणां पदानां सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम लिखत-
(क) भोजनालयः
(ख) भानूष्मा
(ग) कवीन्द्रः
(घ) विद्यार्थी।
उत्तर:
(क) भोजनालय = भोजन + आलयः-दीर्घ सन्धि
(ख) भानूष्मा = भानु + ऊष्मा-दीर्घ सन्धि
(ग) कवीन्द्र = कवि + इन्द्रः-दीर्घ सन्धि
(घ) विद्यार्थी = विद्या + अर्थी-दीर्घ सन्धि

(ब) चित्राणि दृष्ट्वा नामानि लिखत (चित्रों को देखकर नाम लिखो)
MP Board Class 6th Sanskrit Model Question Paper 3
उत्तर:
(क) हलम् (हल)
(ख) मयूरः (मोर)
(ग) पत्रं (पत्ता)
(घ) ऊष्ट्रः (ऊँट)।

(स) अधोलिखितेषु (2) सङ्ख्याद्वयं संस्कृतशब्दे लिखत (निम्नलिखित में से दो संख्याओं को संस्कृत में लिखो)
(क) 6
(ख) 8
(ग) 9
उत्तर:
(क) षट्
(ख) अष्ट
(ग) नव।

प्रश्न 9.
अधोलिखितपदैः पत्रं पूरयत (निम्नलिखित शब्दों में से पत्र को पूरा करो)
(शक्नोमि, कार्यम्, अवकाश, अद्य, अहम)
सेवायाम्,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदयः
शासकीय माध्यमिक विद्यालयः
मनासानगरम्
महोदय!,
निवेदनम् अस्ति यत् मम गृहे………………. आवश्यक ……….. अस्ति। अतः …………..”विद्यालयम् आगन्तुं न ……………। अतः एक दिवसस्य ………….. स्वीकरोतु।
दिनाङ्कः 12.11.20…….

भवतः आज्ञाकारी शिष्यः
अनूपः
कक्षा-षष्ठी

उत्तर:
अद्य, कार्यम्, अहम्,  शक्नोमि, अवकाश।

प्रश्न 10.
अधोलिखितपदसाहाय्येन चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि लिखत (निम्नलिखित शब्दों की सहायता से चित्र देखकर पाँच वाक्य लिखो)
(विद्यालयः, वृक्षः, पठति, क्रीडाङ्गणम्, क्रीडति)
MP Board Class 6th Sanskrit Model Question Paper 4
उत्तर:

  1. अस्मिन् चित्रे एक: आदर्श: विद्यालयः अस्ति।
  2. विद्यालयस्य भवनस्य पृष्ठभागे एकः सुन्दरः वृक्षः अस्ति।
  3. विद्यालये एक विशालं क्रीडाङ्गणम् अस्ति।
  4. अस्मिन् चित्रे एकः छात्रः विद्यालयात् पठित्वा स्वगृहम् गच्छति।
  5. सः सहचरैः सह अस्मिन् विद्यालये पठति क्रीडाङ्गणे च क्रीडति।

अथवा

तालिकां दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत (तालिका देखकर पाँच वाक्य बनाओ)
MP Board Class 6th Sanskrit Model Question Paper 5
उत्तर:

  1. सः शिक्षकः पाठयति।
  2. तत् वाहनम् चलति।
  3. तौ छात्रौ पठतः।
  4. सा महिला भ्रमति।
  5. तानि व्यजनानि खादति।

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 4 नियोजन

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 4 नियोजन

नियोजन Important Questions

नियोजन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
योजना के निम्न में से कौन-से उद्देश्य हैं –
(a) पूर्वानुमान
(b) मितव्ययता
(c) निश्चित लक्ष्यों को स्थापित करना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 2.
“नियोजन भविष्य को पकड़ने के लिये बनाया गया पिंजड़ा है।” यह कथन किसने कहा है-
(a) हार्ट
(b) हेनरी फेयोल
(c) उर्विक
(d) ऐलन।
उत्तर:
(d) ऐलन।

प्रश्न 3.
नियोजन प्रक्रिया का अंतिम चरण है –
(a) लक्ष्य निर्धारण
(b) पूर्वानुमान
(c) सर्वोत्तम विकल्प का चयन
(d) अनुसरण करना।
उत्तर:
(d) अनुसरण करना।

प्रश्न 4.
भावी क्रियाओं का पूर्व निर्धारण, प्रबंध के किस कार्य के अंतर्गत किया जाता है –
(a) नियोजन
(b) संगठन
(c) नियंत्रण
(d) निर्देशन
उत्तर:
(a) नियोजन

प्रश्न 5.
उद्देश्य होने चाहिए –
(a) आदर्श
(b) जटिल
(c) व्यावहारिक
(d) एकपक्षीय।
उत्तर:
(c) व्यावहारिक

प्रश्न 6.
निम्न का योजना से संबंध नहीं है –
(a) बजट
(b) अभिप्रेरणा
(c) कार्यक्रम
(d) कार्यविधि।
उत्तर:
(b) अभिप्रेरणा

प्रश्न 7.
“मेरी संपत्ति, कारखाना, सब कुछ ले जाओ, मेरे लिए मेरा संगठन छोड़ दो, मैं अपने व्यापार को पुनः उसी स्थिति में खड़ा कर दूँगा।” यह कथन है –
(a) हेनरी फेयोल
(b) एफ.डब्ल्यू. टेलर
(c) हेनरी फोर्ड
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) हेनरी फोर्ड

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. ………….. एक ऐसी विधि है जो कार्य को पूरा करती है।
  2. नियोजन एक ……………. प्रक्रिया है।
  3. …………… प्रबन्ध का प्राथमिक कार्य है।
  4. बिना लक्ष्य के ……………………. की प्राप्ति नहीं हो सकती।
  5. बजट भविष्य के लिए ………………… का पूर्वानुमान है।

उत्तर:

  1. प्रक्रिया
  2. उद्देश्य निर्धारित
  3. नियोजन
  4. उद्देश्य
  5. खर्चों

प्रश्न 3.
एक शब्द या वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. नियोजन करते समय प्रबन्ध को भविष्य के बारे में कुछ कल्पनाएँ (मान्यताएँ) करनी होती है। इन्हें क्या कहते हैं ?
  2. प्रबंध के सभी कार्यों में से एक कार्य को आधारभूत कार्य माना जाता है। उस कार्य का नाम बताइए।
  3. प्रतिस्पर्धी की नीति के विश्लेषण में कौन-सी योजना सहायता करती है ?
  4. वह योजना कौन-सी है जो कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले और न किए जाने वाले कार्य को बताती है ?
  5. प्रबंध के किस स्तर पर नियोजन कार्य किया जाता है ?
  6. नियोजन का घनिष्ठ संबंध किस प्रक्रिया से है ?
  7. लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किसकी आवश्यकता होती है ?
  8. नियोजन किस प्रकार की प्रक्रिया है ?
  9. प्रबंधकीय कार्यों का आधार क्या है ?
  10. भावी अनिश्चतता दूर करने में क्या आवश्यक है ?
  11. योजना किस प्रकार की क्रिया है ?
  12. नीतियों के निर्धारण का आधार क्या होता है ?
  13. नियोजन में सर्वप्रथम किसका निर्धारण किया जाता है ?
  14. क्या नियोजन पीछे देखने की क्रिया है ?
  15. क्या नियोजन एक भौतिक कसरत है ?

उत्तर:

  1. परिकल्पनाएँ
  2. नियोजन
  3. व्यूह रचना
  4. नियम
  5. सभी स्तरों पर
  6. नियंत्रण
  7. श्रेष्ठनियोजन
  8. बौद्धिक प्रक्रिया
  9. नियोजन
  10. नियोजन
  11. निरंतर चलने वाली क्रिया
  12. लक्ष्य
  13. लक्ष्य/उद्देश्य
  14. नहीं
  15. नहीं।

प्रश्न 4.
सत्य या असत्य बताइये

  1. नियोजन एक भौतिक कसरत है।
  2. नियोजन एक मानसिक कसरत है।
  3. नियोजन प्रबन्ध का प्राथमिक कार्य है।
  4. नियोजन आगे देखने की प्रक्रिया है।
  5. नियोजन समय की बर्बादी है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. असत्य

प्रश्न 5.
सही जोड़ी बनाइये –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 4 नियोजन image - 1
उत्तर:

  1. (d)
  2. (e)
  3. (b)
  4. (f)
  5. (a)
  6. (c)

नियोजन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“नियोजन एक मानसिक कार्य है।” समझाइए।
उत्तर:
किसी भी योजना को बनाने के लिए उच्च स्तरीय सोच की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें पूर्वानुमान लंगाना पड़ता है, विकल्पों का मूल्यांकन करते हुए उपयुक्त विकल्प का चयन करना पड़ता है। इन सभी कार्यों हेतु उच्च स्तरीय ज्ञान की आवश्यकता होती है। अतः नियोजन एक मानसिक कार्य है।

प्रश्न 2.
व्युत्पन्न योजना किसे कहते हैं ? क्या सहायक योजना व्युत्पन्न योजना होती है ?
उत्तर:
व्युत्पन्न योजना वह योजना कहलाती है जो मुख्य योजना की सहायता के लिए और मुख्य योजना में से ही बनाई जाती है। हाँ, सहायक योजना, व्युत्पन्न योजना होती है क्योंकि सहायक योजना की व्युत्पत्ति मुख्य योजना से ही होती है।.

प्रश्न 3.
नियोजन को भविष्यवाणी क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
नियोजन का संबंध भविष्य से होता है अतः इसे भविष्यवाणी भी कहा जाता है।

प्रश्न 4.
नियोजन की सीमाओं पर विजय पाने के क्या उपाय हो सकते हैं ?
उत्तर:
नियोजन की सीमाओं पर विजय प्राप्त करने के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं

  1. नियोजन करते समय वर्तमान और भविष्य की समस्याओं का ध्यान रखना चाहिए।
  2. नियोजन उच्च स्तरीय प्रबंधकों द्वारा किया जाना चाहिए।
  3. नियोजन की सफलता हेतु सभी कर्मचारियों का सहयोग लेना चाहिए।
  4. नियोजन की पूर्ण जानकारी संबंधित पक्षों को देनी चाहिए।
  5. नियोजन सदैव विश्वसनीय आँकड़ों द्वारा बनाया जाना चाहिए।
  6. नियोजन लोचपूर्ण होना चाहिए।

प्रश्न 5.
नियोजन के अंतर्गत पाँच डब्ल्यू (W) कौन-से हैं ?
उत्तर:
नियोजन के पाँच डब्ल्यू (W) हैं –

  1. क्या (What)
  2. कहाँ (Where)
  3. कब (When)
  4. क्यों (Why)
  5. तथा कौन (Who)

कोई भी योजना हो इन पाँच दृष्टिकोणों के आधार पर ही बनती है।

प्रश्न 6.
मोर्चाबन्दी कितने प्रकार की होती है ? समझाइए।
उत्तर:
मोर्चाबन्दी दो प्रकार की होती है

  1. बाहरी मोर्चाबन्दी-बाहरी मोर्चाबन्दी से तात्पर्य है जो प्रतियोगी को ध्यान में रखकर बनाई जाती है।
  2. आंतरिक मोर्चाबन्दी-ऐसी मोर्चाबन्दी जो किसी परिवर्तन से संस्था के अंदर ही उत्पन्न होने वाली समस्या का सामना करने के लिए बनाई जाती है।

प्रश्न 7.
क्या बजट का संबंध नियोजन और नियंत्रण दोनों से होता है ? समझाइए।
उत्तर:
जब कोई बजट तैयार किया जाता है तो एक योजना बनाकर तैयार होता है अतः यह नियोजन से संबंधित होता है और जब परिणामों से विचलन को मापने के लिए एक उपकरण के रूप में इसका प्रयोग करते हैं तो इसका संबंध नियंत्रण से होता है। अतः कहा जा सकता है कि बजट का संबंध नियोजन तथा नियंत्रण दोनों से होता है।

प्रश्न 8.
यदि योजना न बनाई जाये तो इसका संगठन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
कार्य कैसे करना है, इसके लिए पहले से ही किया गया नियोजन कार्य को निर्देशित करता है। योजना के अभाव में अलग-अलग दशाओं में कार्य होगा तथा संगठन अपने इच्छित उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाएगा।

प्रश्न 9.
वे कौन-सी घटनाएँ तथा शक्तियाँ हैं जो व्यवसाय की योजनाओं को प्रभावित करती हैं ?
उत्तर:
कीमतों तथा लागतों में वृद्धि, सरकारी हस्तक्षेप, अप्रत्याशित घटनाएँ तथा परिवर्तन, कानूनी प्रावधान तथा अधिनियम, व्यवसाय की योजनाओं को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 10.
“नियोजन सफलता की गारंटी नहीं है।” इस कथन को समझाइए।
उत्तर:
व्यवसाय की सफलता तभी संभव है जब योजनाओं को उचित प्रकार से बनाया तथा क्रियान्वित किया जाए। व्यावसायिक वातावरण स्थिर नहीं होता वह गत्यात्मक होता है। नियोजन समस्याओं को रोक नहीं सकता। यह केवल उसका पूर्वानुमान लगा सकता है तथा समस्याओं के उत्पन्न होने पर उनका सामना करने के लिए आकस्मिक योजना बना सकता है। प्रबन्ध के द्वारा अच्छे प्रयास किए जाने के बाद भी नियोजन कई बार सफल नहीं हो पाता। इसलिए माना जाता है कि नियोजन सफलता की गारंटी नहीं है।

प्रश्न 11.
निम्न के बारे में आप क्या जानते हैं

  1. सेविवर्गीय नीति
  2. विक्रय नीति
  3. मूल्य निर्धारण नीति।

उत्तर:

  1. सेविवर्गीय नीति-इसके अंतर्गत यह निश्चित किया जाता है कि कर्मचारियों की पदोन्नति का आधार योग्यता होगी या फिर वरिष्ठता।
  2. विक्रय नीति-इस नीति में यह निश्चित किया जाता है कि माल नकद बेचा जाना है या उधार भी।
  3. मूल्य निर्धारण नीति-इस नीति में विक्रय मूल्य का निर्धारण किया जाता है अर्थात् यह तय किया जाता है कि लागत में कितना लाभ जोड़कर विक्रय मूल्य निर्धारित करना है।

प्रश्न 12.
नियोजन की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
नियोजन की बहुमान्य परिभाषाएँ निम्न हैं –

  1. बिली ई. गौज, “नियोजन मूल रूप से चयन करना है और नियोजन की समस्या उसी समय पैदा होती है जबकि किसी वैकल्पिक कार्य विधि की जानकारी हुई हो।”
  2. जार्ज आर. टैरी, “नियोजन भविष्य में झाँकने की एक विधि या तकनीक है तथा भावी आवश्यकताओं का एक रचनात्मक पुनर्निरीक्षण है, जिससे कि वर्तमान क्रियाओं को निर्धारित लक्ष्यों के सम्बन्ध में समायोजित किया जा सके।”

प्रश्न 13.
नियोजन प्रबंध का प्राथमिक कार्य है ?
उत्तर:
नियोजन प्रबंध का प्राथमिक कार्य है, सर्वप्रथम योजना बनाई जाती है। जिसके द्वारा प्रबंध अपने लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को निर्धारत करता है तथा लक्ष्य प्राप्ति हेतु क्या, किसे कब कैसे करना है ? इसका निर्धारण करता है। तत्पश्चात् इसकी शर्तों के लिए सभी प्रबन्धकीय क्रियाएँ जैसे–संगठन, नियुक्तिकरण, निर्देशन, नियंत्रण सम्पन्न होती है।

प्रश्न 14.
नियोजन और नियंत्रण में क्या संबंध है ?
उत्तर:
नियोजन और नियंत्रण में घनिष्ठ संबंध है। प्रभावी नियंत्रण उसी उपक्रम में रह सकता है, जहाँ पर समस्त क्रियाएँ निर्बाध गति से चलती हैं। बिना रुकावट के समस्त क्रियाएँ उसी उपक्रम में चलती हैं, जहाँ सम्पूर्ण व्यवस्था नियोजित हो, अतः स्पष्ट है कि जहाँ नियोजन नहीं वहाँ नियंत्रण नहीं। इस प्रकार नियंत्रण व्यवस्था हेतु नियोजन का अत्यधिक महत्व है।

प्रश्न 15.
प्रभावपूर्ण नियंत्रण हेतु नियोजन जरूरी है। समझाइए।
उत्तर:
प्रभावपूर्ण नियंत्रण की दृष्टि से नियोजन प्रबंधकीय नियंत्रण की कुंजी है। पूर्वानुमान बजट निर्माण, बजटरी नियंत्रण आदि के लिए पूर्ण नियोजन आवश्यक है। संस्था के लक्ष्य तभी पूरे हो सकते हैं जब प्रत्येक कदम पर प्रबंधकीय नियंत्रण प्रभावपूर्ण ढंग से लागू किया जाये।

प्रश्न 16.
नियोजन का आशय समझाइये।
उत्तर:
नियोजन-“नियोजन एक बौद्धिक क्रिया है, जिसके द्वारा प्रबंध अपने लक्ष्यों व उद्देश्यों को निर्धारित करता है तथा इसकी प्राप्ति हेतु विभिन्न विकल्पों में से सर्वश्रेष्ठ का चयन कर भावी कार्यों की रूपरेखा तैयार करता है तथा लक्ष्य प्राप्ति हेतु क्या, किसे, कब, कैसे करना है ? इसका निर्धारण करता है।”

प्रश्न 17.
यदि योजना न बनायी जाये तो इसका संगठन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
योजना के अभाव में कर्मचारी भिन्न-भिन्न दिशाओं में कार्य करेंगे और संगठन अपने इच्छित उद्देश्य को प्राप्त करने में असफल होगा।

प्रश्न 18.
विभिन्न विकल्पों में से श्रेष्ठ का चयन करना ही नियोजन है। समझाइये।
उत्तर:
नियोजन का निर्माण करते समय उपलब्ध विभिन्न विकल्पों की तुलना की जाती है अर्थात् लक्ष्यों, नीतियों, विधियों एवं कार्यक्रमों में सबसे उपयोगी एवं उत्तम का चयनकर योजनाएँ व नीतियों का निर्माण कर व्यावसायिक संस्थाओं की सफलता प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।

प्रश्न 19.
“नियोजन भविष्य को पकड़ने के लिए रखा गया पिंजड़ा है।” इस कथन को समझाइए।
उत्तर:
भविष्य के कार्यों का वर्तमान में निर्धारण ही नियोजन है। व्यवसाय के विभिन्न कार्य कब, कैसे कहाँ व किस रूप में करना है इसकी योजना बना लेना ही नियोजन है। इसके अन्तर्गत भविष्य के जोखिमों का पता लगाकर उससे बचने का आवश्यक प्रयोग पूर्ण किया जा सके।

प्रश्न 20.
“नियोजन से भावी अनिश्चितता दूर होती है।” समझाइए।
उत्तर:
बिना नियोजन के भविष्य के प्रत्येक कार्य में अनिश्चितता रहती है कि कब, क्या तथा कैसे करना है अतः इस अनिश्चितता से बचने के लिए नियोजन करना अत्यन्त आवश्यक है। इतना ही नहीं विभिन्न प्राकृतिक एवं अन्य कारकों से भविष्य में अनेक परिवर्तन होते रहते हैं, अतः इन परिवर्तनों का सामना करने के लिए भी नियोजन करना आवश्यक है।

प्रश्न 21.
“नियोजन से साधनों का सदुपयोग होता है।” समझाइए।
अथवा
“श्रेष्ठ नियोजन साधनों के दुरूपयोग को रोकता है।” समझाइए।
उत्तर:
प्रत्येक उपक्रम के पास साधन होते हैं, अतः उपलब्ध साधनों का सदुपयोग करना प्रत्येक उपक्रम के लिए आवश्यक है, इस हेतु नियोजन के अन्तर्गत विभिन्न आँकड़ों व प्रवृत्तियों के द्वारा भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है ताकि लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सके। अत: नियोजन से उपक्रम के सभी साधनों का सदुपयोग किया जा सकता है अतः साधनों के दुरुपयोग को नियोजन रोकता है।

प्रश्न 22.
किसी भी राष्ट्र के लिए नियोजन का अत्यधिक महत्व है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी भी राष्ट्र के लिए नियोजन का अत्यधिक महत्व है। इन्हीं योजनाओं से रोजगार, शिक्षा, व्यापार, उद्योग, कृषि आदि का विकास कैसे हो इस संबंध में योजनायें तैयार की जाती हैं ताकि बेरोजगारी, अशिक्षा जैसे देश के शत्रुओं को भगाया जा सके। राष्ट्रीय नियोजन के कारण ही आज रोजगार के साधनों में वृद्धि को रही है, शिक्षा का प्रसार हो रहा है, उद्योग धंधे स्थापित हो रहे हैं, बेरोजगारी को दूर करने का राष्ट्रीय प्रयास जारी है। यह सब नियोजन से भी संभव हो सका है।

प्रश्न 23.
“बिना नियोजन के लक्ष्यों की प्राप्ति संभव नहीं है। स्पष्ट कीजिए।”
उत्तर:
प्रत्येक संस्था का एक निश्चित लक्ष्य या उद्देश्य होता है। इन निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति समय पर तभी हो सकती है, जब संस्था की समस्त क्रियाएँ पूर्व नियोजित ढंग से सम्पन्न की जाये। नियोजन में प्रत्येक काये व्यवस्थित व सही समय पर होने से लक्ष्य पूर्व निर्धारित समय में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 24.
बजट नियोजन का एक प्रारूप (प्रकार) क्यों माना जाता है ?
उत्तर:
क्योंकि बजट विभिन्न विभागों के निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु आवश्यक अनुमानित जन सामग्री, समय एवं अन्य साधनों का ब्यौरा देता है।

प्रश्न 25.
“बजट का संबंध नियोजन व नियंत्रण दोनों से होता है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब हम बजट तैयार करते हैं, तो उसका संबंध नियोजन से होता है और जब हम परिणामों में विचलन को मापने के लिए एक उपकरण के रूप में इसका प्रयोग करते हैं तो इसका संबंध नियंत्रण से होता है।

प्रश्न 26.
नियंत्रण एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यापारिक वातावरण में परिवर्तन आता रहता है और इसमें इतना अधिक परिवर्तन आता है कि एक ही प्रक्रिया को अपनाना व्यवसाय के लिए हितकर नहीं है और इसमें हानि भी हो सकती है अतः प्रत्येक व्यवसायी के लिए आवश्यक है कि वह परिवर्तनों को ध्यान में रखें तथा समयानुसार उसका अनुसरण करें।

नियोजन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नियोजन की सीमाओं के दो उदाहरण दीजिए जो कि नियंत्रण से बाहर होते हैं।
उत्तर:
नियोजन की सीमाएँ निम्न हैं

  1. प्राकृतिक आपदा- प्राकृतिक आपदा कब, कहां और कैसे आ जाए यह पूर्व निश्चित नहीं होता आपदाएँ सदैव मानव के नियंत्रण के बाहर होती हैं।
  2. बाजार में प्रवृत्ति, रुचि या फैशन में परिवर्तन-बाजार में प्रतिदिन नए सामान उपलब्ध हो जाते हैं इस कारण उपभोक्ता की रुचि बदलती रहती है।

प्रश्न 2.
क्या नियोजन के बिना नियंत्रण संभव है ?
उत्तर:
नियोजन को नियंत्रण की पूर्व-आवश्यकता माना जाता है। यह उन लक्ष्यों अथवा मानकों को तय करता है जिसके अनुरूप वास्तविक कार्यानुपालन की माप की जाती है, अन्तरों को जाना जाता है तथा सुधारात्मक कार्यवाही की जाती है क्योंकि लक्ष्य न होने पर न तो अन्तरों का पता लगाया जाता है और न ही सुधारात्मक कार्यवाही हो सकती है अतः नियंत्रण के बिना नियोजन संभव ही नहीं है।

प्रश्न 3.
नियोजन क्या है ? इसकी कोई दो परिभाषाएँ दीजिए।
उत्तर:
नियोजन से आशय-नियोजन से अभिप्राय वर्तमान में यह निश्चय करना कि भविष्य में क्या किया जाना है। यह करने से पूर्व सोचने की क्रिया है। नियोजन प्रक्रिया में प्रबंधक भविष्य का पूर्वानुमान लगाता है। दूसरे शब्दों में नियोजन हम जहाँ हैं, से लेकर हमें जहाँ जाना है कि बीच की दूरी को कम करता है।

परिभाषा-

  1. कूण्ट्ज एवं ओ. डोनेल के अनुसार, “क्या करना है, कैसे करना है, इसे क्यों करना है और इसे किसे करना है, का पूर्व निर्धारण ही नियोजन है।”
  2. एलन के अनुसार, “नियोजन भविष्य को पकड़ने के लिए बनाया गया पिंजरा है।”

प्रश्न 4.
बजट और कार्यक्रम में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बजट और कार्यक्रम में अंतर –

बजट:

  1. बजट का समय प्रायः एक वर्ष होता है।
  2. बजट में अधिक महत्व वित्त को दिया जाता है।
  3. बजट संस्था के सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु एक गुणात्मक सारिणी है।
  4. बजट को प्रायः एक बड़ी योजना का वित्तीय आधार माना जाता है।

कार्यक्रम:

  1. कार्यक्रम का समय उस समय तक होता है जब तक कि उद्देश्य प्राप्त न हो जाए।
  2. कार्यक्रम में वित्त के साथ-साथ कार्यविधि को भी महत्व दिया जाता है।
  3. कार्यक्रम किसी विशिष्ट उद्देश्य की प्राप्ति हेतु क्रमबद्ध व समयबद्ध सारिणी है।
  4. प्रायः प्रत्येक कार्यक्रम का अपना-अपना बजट भी होता है।

प्रश्न 5.
स्थायी और एकल योजनाओं में अन्तर बताइए।
उत्तर:
स्थायी और एकल योजनाओं में अन्तर –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 4 नियोजन image - 2

प्रश्न 6.
नियोजन प्रक्रिया एक चरण के रूप में एक विकल्प का चयन करना’ से क्या आशय होता है ?
उत्तर:
एक विकल्प के चयन का अर्थ-एक विकल्प के चुनाव से अभिप्राय उद्देश्य की प्राप्ति के विभिन्न विकल्पों में से एक ऐसे विकल्प का चयन करना है जो संस्था के लिए उपयुक्त हो। यह विकल्प अधिक लाभप्रद, संभव तथा कम नकारात्मक हस्तक्षेप वाला होना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि कोई एक विकल्प उपयुक्त नहीं होता। ऐसी अवस्था में एक विकल्प का चुनाव करने की बजाय विभिन्न विकल्पों का मिश्रण चुना जा सकता है।

प्रश्न 7.
नियम व कार्यविधि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नियम व कार्यविधि में अन्तर –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 4 नियोजन image - 3

प्रश्न 8.
उद्देश्य व नीतियों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उद्देश्य व नीतियों में अंतर
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 4 नियोजन image - 4

प्रश्न 9.
उद्देश्य की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. उद्देश्य का निर्धारण प्रायः संस्था के उच्च स्तर के प्रबंधकों द्वारा किया जाता है।
  2. वे भविष्य के मामलों का वर्णन करते हैं जिन्हें संगठन प्राप्त करना चाहता है।
  3. वे व्यापार की संपूर्ण योजना को मार्गदर्शन देते हैं।
  4. संगठन में विभिन्न विभागों या इकाइयों के अपने-अपने अलग उद्देश्य होते हैं।
  5. उद्देश्य दीर्घकालीन भी हो सकते हैं और लघुकालीन भी।

प्रश्न 10.
उद्देश्य के महत्व/आवश्यकता के बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
उद्देश्य का महत्व –

  1. उद्देश्य संस्था की विभिन्न गतिविधियों को दिशा प्रदान करते हैं।
  2. वे संगठन में निर्णयन और अन्य समस्त क्रियाओं को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
  3. सुभाषित उद्देश्य प्रबंधकीय कुशलता लाते हैं।
  4. वे समन्वय को सुविधाजनक बनाते हैं।
  5. वे संसाधनों के सर्वोत्तम प्रयोग में सहायता करते हैं।

प्रश्न 11.
कार्यविधियों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
कार्यविधियों की विशेषताएँ

  1. वे एक दिनचर्या में प्रयोग किये जाने वाले चरणों का कालक्रम है कि गतिविधियों का किस प्रकार पालन किया जाये।
  2. ये प्रायः आंतरिक लोगों द्वारा पालन करने के लिए बनी होती हैं।
  3. कार्यविधियों का नीतियों के साथ गहरा संबंध होता है।
  4. क्रियाविधियाँ वे चरण हैं जिनका नीतियों के खाके में पालन किया जाता है।
  5. ये नियमित घटनाओं को संचालित करने का एक व्यवस्थित तरीका है।
  6. ये किसी विशेष कार्यों को करने के लिए चरणों की श्रृंखला तय करती हैं।

प्रश्न 12.
व्यूह रचना (रणनीति) की विशेषताएँ/प्रकृति लिखिए।
उत्तर:
व्यूह रचना (रणनीति) की विशेषताएँ-निम्नलिखित विशेषताएँ व्यूह रचना की प्रकृति दर्शाती हैं

  1. रणनीतियाँ प्रतियोगियों की योजनाओं के प्रकाश में बनाई गई योजनाएँ हैं।
  2. वे एकल प्रयोग योजनाएँ होती हैं, क्योंकि वे बाजार की दशाओं में परिवर्तन के साथ प्रायः बदलती रहती है।
  3. इसके तीन उपाय हैं
    • दीर्घकालीन लक्ष्यों का निर्धारण
    • अमुक/विशिष्ट क्रियाविधि को अपनाना
    • उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संसाधनों का बँटवारा करना।
  4. रणनीतियों का निर्माण संस्था के उच्च स्तर प्रबंधकों के द्वारा होता है।
  5. रणनीति एक गत्यात्मक अवधारणा है।
  6. जब कभी किसी रणनीति का निर्माण किया जाता है तब उस समय, व्यावसायिक पर्यावरण का ध्यान रखना पड़ता है।

प्रश्न 13.
व्यूह रचना के महत्व के बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
व्यूह रचना का महत्व

  1. यह एक व्यापक योजना है जो संगठन के उद्देश्य को पूरा करती है।
  2. यह संगठन के दीर्घकालीन जीवन तथा विकास के लिए आवश्यक है।
  3. व्यूह रचना की सहायता से संगठन पर्यावरण अवसरों से लाभ उठा सकते हैं।
  4. व्यूह रचना की सहायता से संगठन पर्यावरण अवरोधों का मुकाबला कर सकता है।

प्रश्न 14.
नियोजन की सीमाओं को नियंत्रित करने के कोई तीन उपाय लिखिए।
उत्तर:

  1. विश्वसनीय तथ्य एकत्रित करने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
  2. नियोजन में कर्मचारियों की भागीदारी होनी चाहिए।
  3. नियोजन बनाते समय बाहरी पर्यावरण का गहन अध्ययन करना चाहिए।

प्रश्न 15.
आदर्श नियोजन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
एक आदर्श नियोजन की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. निश्चित लक्ष्य-प्रबंध का प्रथम कार्य नियोजन करना है। नियोजन के कुछ निश्चित लक्ष्य होते हैं जिनके आधार पर ही योजनाएँ तैयार की जाती हैं, जिससे लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सके।
  2. श्रेष्ठ विकल्प का चयन-योजना बनाते समय विभिन्न विकल्पों में से सर्वश्रेष्ठ का चयन करके योजनाएँ एवं नीतियाँ बनाई जाती हैं।
  3. लोचता-योजना में लोचता का गुण होना चाहिए क्योंकि कोई भी योजना जितनी लचीली होगी उतनी ही सफल होगी।
  4. निरंतरता-कोई भी योजना एक बार बनाने की वस्तु नहीं है अपितु यह कार्य सदैव चलते रहना . चाहिए, आवश्यकता पड़ने पर पुरानी योजना में संशोधन भी किया जाता है।

प्रश्न 16.
बताइये किस प्रकार नियोजन निर्णय लेने को सुविधाजनक बनाता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नियोजन में लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं। इन लक्ष्यों की सहायता से प्रबंधक विविध गतिविधियों (alternatives) का मूल्यांकन करता है और उपयुक्त गतिविधि का चयन करता है। योजनाएँ पहले से ही बना ली जाती हैं कि क्या करना है और कब । अतः निर्णय पूरे विश्वास से लिए जा सकते हैं।

प्रश्न 17.
योजनाओं के प्रकार के रूप में ‘पद्धति’ और ‘बजट’ में अंतर्भेद कीजिए।
उत्तर:
पद्धति और बजट में अन्तर-पद्धति योजना का वह प्रकार है जो किसी काम को पूरा करने के लिए की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं का क्रम निश्चित करती है। इसका संबंध सभी क्रियाओं से न होकर किसी एक क्रिया से होता है।

एक कार्य को पूरा करने की कई विधियाँ होती हैं। कई पद्धतियों से ऐसी पद्धति को चुना जाता है जिससे काम करने वाले व्यक्ति को थकावट कम हो, उत्पादकता में वृद्धि हो तथा कम लागते आये। पद्धतियाँ कर्मचारियों के लिए दिशा-निर्देश के रूप में कार्य करती हैं। ये कर्मचारियों के कार्यों में एकरूपता लाने में सहायता करती है।

प्रश्न 18.
योजनाओं के प्रकार के रूप में ‘उद्देश्य’ तथा ‘युक्ति/रणनीति’ में अंतर्भेद कीजिए।
उत्तर:
उद्देश्य तथा रणनीति में अंतर-उद्देश्य वे अंतिम परिणाम होते हैं जिन्हें व्यवसाय के किसी विशेष क्षेत्र में एक निश्चित समयावधि के भीतर प्राप्त करना होता है। ये व्यावसायिक क्रियाओं को दिशा प्रदान करते हैं। यह भविष्य की इच्छित स्थिति है जहाँ तक प्रबंध पहुंचना चाहता है। उद्देश्य संगठन के मूल होते हैं। उद्देश्यों का अर्थ है कि व्यापारिक फर्मे क्या चाहती हैं। उदाहरण के लिए एक संगठन का उद्देश्य 10% बिक्री बढ़ाना है। इसके विपरीत युक्ति/रणनीति/मोर्चाबंदी एक व्यापक योजना है जो उद्देश्यों को पूरा करती है। जब कभी रणनीति बनाई जाती है तो व्यापारिक वातावरण को ध्यान में रखा जाता है। व्यूह रचना के तीन आयाम हैं

  1. दीर्घकालीन लक्ष्यों का निर्धारण
  2. विशिष्ट कार्य-विधि को अपनाना तथा
  3. उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संसाधनों का बँटवारा करना।

नियोजन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नियोजन करते समय क्या बाधाएँ या कठिनाइयाँ आती हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नियोजन के मार्ग में आने वाली बाधाएँ. निम्न हैं

1. व्ययपूर्ण कार्य -यह एक न्यायपूर्ण कार्य है क्योंकि इसको बनाने में बहुत समय, धन तथा श्रम लगता है जिसके कारण लागत बढ़ जाती है। कभी-कभी नियोजन से मिलने वाले लाभ उस पर किए गए व्यय की अपेक्षा बहुत कम होते हैं।

2. भावी घटनाओं की अनिश्चितता -चूँकि भविष्य अनिश्चित होता है और योजनाएँ भविष्य के लिए ही बनाई जाती है अत: यह योजनाएँ पूरी तरह से सटीक हो यह कोई जरूरी नहीं होता क्योंकि जो होने वाला है वह तो होता ही है। ऐसी दशा में नियोजन क्यों और कैसे किया जाए उसका कोई औचित्य नहीं है।

3. सर्वोत्तम विकल्प के चयन में कठिनाई -दिये गए विकल्पों में सर्वोत्तम विकल्प कौन-सा है यह तय करना कठिन है। यह भी संभव है कि जो विकल्प आज सर्वोत्तम है, वह कल सर्वोत्तम नहीं रहे। अत: नियोजन के कार्य में बाधा ध्यान देने योग्य है।

4. नीरस कार्य-योजना बनाने का कार्य मुख्यत – सोचने तथा कागजी खानापूर्ति से संबंध रखता है जबकि प्रबंधक सक्रिय कार्य करना पसंद करते हैं। अतः उनके लिए नियोजन कार्य नीरस प्रकृति का बन जाता

5. लोच का अभाव -नियोजन होने के पश्चात् व्यावसायिक उपक्रमों को अपने समस्त संसाधनों को पूर्व निश्चित क्रम से कार्य में लगाना पड़ता है। इससे प्रबंध में कुछ सीमा तक लोच का अभाव हो जाता है।

प्रश्न 2.
नियोजन के तत्व कौन-कौन से हैं ?
अथवा
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए

  1. लक्ष्य या उद्देश्य
  2. नीतियाँ
  3. बजट
  4. मोर्चाबन्दी
  5. कार्यक्रम।

उत्तर:

1. लक्ष्य या उद्देश्य-लक्ष्य नियोजन का आधार होते हैं, लक्ष्य परिणाम होते हैं, इन्हीं परिणामों की प्राप्ति के लिए भविष्य की समस्त क्रियायें सम्पादित की जाती हैं। लक्ष्यों के द्वारा हमें क्या करना है, का ज्ञान होता है।

2. नीतियाँ-लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जिन सिद्धान्तों को ध्यान में रखा जाता है वे सिद्धान्त ही नीतियाँ कहलाती हैं। नीतियाँ प्रबंधकीय क्रियाओं का मार्गदर्शन करती हैं।

3. बजट-बजट भविष्य के लिये खर्चों का पूर्वानुमान होते हैं । बजट बन जाने से खर्चों को नियंत्रित एवं नियमित किया जा सकता है। बजट भविष्य की आवश्यकताओं का अनुमान है जो व्यक्तियों द्वारा लगाया जाता है और एक निश्चित समय में एक निश्चित उद्देश्य को प्राप्त करने का स्पष्टीकरण देता है। यह भविष्य की योजनाएँ होती हैं। इसके बनने के बाद ही विभिन्न विभागों के कार्य-कलापों की सीमा निश्चित हो जाती है।

4. मोर्चाबन्दी-मोर्चाबन्दी या व्यूहरचना एक व्यावहारिक योजना है जिसमें प्रतिस्पर्धियों को ध्यान में रखकर योजना बनाई जाती है। जब एक उत्पादक अपनी योजना को गुप्त रखकर अन्य प्रतिस्पर्धी की योजना को ज्ञात करने का प्रयास करता है, यही मोर्चाबन्दी कहलाती है।

5. कार्यक्रम-किसी कार्य को सम्पन्न करने की संक्षिप्त योजना को कार्यक्रम कहा जाता है। कार्यक्रम एक उद्देश्य की प्राप्ति के लिये आवश्यक प्रयासों की एक श्रेणी है जो प्राथमिकता के क्रम में व्यवस्थित होते हैं।

प्रश्न 3.
आदर्श नियोजन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
आदर्श नियोजन की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

1. निश्चित लक्ष्य (Definite goals) -प्रबन्ध का प्रथम कार्य है नियोजन करना। नियोजन के कुछ निश्चित लक्ष्य होते हैं। इन लक्ष्यों के आधार पर ही योजना तैयार की जाती हैं, जिससे लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सके।

2. पूर्वानुमान (Forecasting) -नियोजन में पूर्वानुमान का विशेष महत्त्व है। जानकारी एवं आँकड़ों के आधार पर पूर्वानुमान किये जाते हैं, जिससे योजना बनाने में काफी सुविधा होती है। हेनरी फेयोल ने इस हेतु ‘PREVOYANCE’ शब्द का प्रयोग किया है, जिसका आशय आगे देखना (Looking Ahead) होता है।

3. श्रेष्ठ विकल्प का चुनाव (Selection of best alternatives) – योजना बनाते समय विभिन्न विकल्पों को तैयार कर उनकी तुलना की जाती है, तत्पश्चात् उनमें से श्रेष्ठ का चुनाव कर कार्य हेतु योजनायें एवं नीतियाँ बनाई जाती हैं।

4. सर्वव्यापकता (Pervasiveness) – सम्पूर्ण प्रबन्ध में नियोजन व्याप्त है, प्रबन्ध के प्रत्येक क्षेत्र में नियोजन का अस्तित्व है, प्रत्येक प्रबन्धक को योजनायें बनानी पड़ती हैं। इसी प्रकार फोरमैन भी अपने स्तर पर योजनायें बनाता है। अत: यह सर्वव्यापी है।

5. लोचता (Flexibility) – योजना में लोच का गुण अवश्य रहता है, अर्थात् आवश्यकतानुसार उसमें परिवर्तन करना पड़ता है, योजनायें जितनी लचीली होंगी, योजना उतनी सफल होगी। अतः योजना में लोचता होनी चाहिये।

6. निरन्तरता (Continuity) – योजना केवल एक बार बनाने की वस्तु नहीं है, अपितु योजना बनाने का कार्य निरन्तर चलता रहता है। आवश्यकतानुसार पुरानी योजनाओं में संशोधन भी किया जाता है। अत: योजनायें निरन्तर चलती रहती हैं।

प्रश्न 4.
नियोजन के उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
नियोजन के उद्देश्य (Goals or Objectives of Planning) नियोजन करना मनुष्य के लिये आवश्यक है। नियोजन के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

1. भावी कार्य-योजना तैयार करना-नियोजन का आशय है भविष्य के गर्त को देखना अर्थात् भविष्य में क्या, कहाँ, कैसे, किससे व कौन कार्य करेगा इसकी रूपरेखा तैयार करना ही नियोजन का उद्देश्य होता है।

2. भावी गतिविधियों में निश्चितता लाना-कार्य-योजना सुनिश्चित न होने से कौन-सा कार्य कब, कहाँ, कैसे व कौन करेगा यह अनिश्चित रहता है, जबकि इसका पूर्व निर्धारण कर लेने से भविष्य के कार्यों में निश्चितता आती है। अतः नियोजन भविष्य के कार्य में निश्चितता व स्थिरता प्रदान करता है।

3. कार्यों में एकरूपता लाना-नियोजन द्वारा कार्यों में एकरूपता लाई जा सकती है क्योंकि कार्यों को करने का सम्पूर्ण ढंग नियोजन द्वारा पूर्व से ही निर्धारित कर दिया जाता है। कार्यों में एकरूपता से व्यवसाय व उत्पाद की ख्याति बढ़ती है।

4. भविष्य की जानकारी देना-नियोजन करने के पश्चात् उसकी जानकारी संबंधित कर्मचारियों व अधिकारियों को दी जाती है, ताकि वे नियोजन के अनुरूप कार्य कर सकें। अतः जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से भी नियोजन किया जाता है।

5. अपव्यय रोककर मितव्ययिता लाना-नियोजन के अंतर्गत एक मानक व सम्भावित बजट तैयार किया जाता है। इसमें उन बिन्दुओं को ध्यान में रखा जाता है जहाँ पर अधिक व अनावश्यक व्यय होने की सम्भावना है। इन व्ययों को कम करने के उपाय खोजे जाते हैं । इस प्रकार नियोजन का उद्देश्य अपव्यय को रोककर उत्पादन में मितव्ययिता लाना है।

6. पूर्वानुमान लगाना-नियोजन में भविष्य के कार्यों व व्ययों का पूर्वानुमान लगाया जाता है ताकि उसमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सके।

प्रश्न 5.
नियम व नीतियों में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
नियम व नीति में अन्तर –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 4 नियोजन image - 5

प्रश्न 6.
नीतियों तथा कार्यविधियों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नीतियाँ तथा कार्यविधि में अंतर
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 4 नियोजन image - 6

प्रश्न 7.
नियोजन के महत्व या लाभ लिखिए। –
उत्तर:
व्यवसाय हो या सामान्य जीवन, धर्म हो या राजनीति किसी भी क्षेत्र में नियोजन के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता। सत्य तो यही है कि बिना नियोजन के आज कोई भी कार्य अधूरा-सा लगने लगता है। बिना मानचित्र (Map) बनाये हम एक अच्छे भवन निर्माण की कल्पना नहीं कर सकते हैं। आज व्यवसाय में प्रतिदिन हमें नियोजन का सहारा लेना पड़ता है। इसीलिये कहा गया है कि नियोजन व्यवसाय का आधार स्तम्भ है। जिस प्रकार मकान का आधार (Base) कमजोर हो तो पूरा मकान कमजोर होगा। वैसे ही किसी व्यवसाय का नियोजन ही कमजोर रहा तो वह व्यवसाय कभी भी सशक्त व विकसित नहीं हो सकता। नियोजन के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए जी.डी. एच. कोल ने कहा है-“बिना नियोजन के कोई भी कार्य तीर और तुक्के पर आधारित होगा जिससे केवल भ्रम, सन्देह एवं अव्यवस्था ही उत्पन्न होगी।” नियोजन के महत्त्व को निम्न शीर्षकों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

1. प्रबन्धकीय कार्यों का आधार – प्रबन्ध के अन्तर्गत अनेक कार्य किये जाते हैं, जैसे-संगठन, निर्णयन, नियंत्रण, समन्वय, अभिप्रेरणा आदि। इन सभी कार्यों को कैसे पूर्ण करना है, इस हेतु एक योजना बनाई जाती है, इसी के साथ विभिन्न नीतियों व कार्य विधियों को कैसे लागू किया जाये, ताकि लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके, इस हेतु एक योजना अवश्य बना ली जाती है। इस प्रकार प्रबन्ध के अन्य कार्यों का नियोजन आधार है।

2. भावी अनिश्चितता को दूर करने के लिये – बिना नियोजन के भविष्य के प्रत्येक कार्य में अनिश्चितता.रहती है कि अब क्या व कैसे करना है, अतः इस अनिश्चितता से बचने के लिये नियोजन करना अत्यन्त आवश्यक है। इतना ही नहीं विभिन्न प्राकृतिक एवं अन्य कारकों से भविष्य में अनेक परिवर्तन होते रहते हैं। अतः इन परिवर्तनों का सामना करने के लिये भी एक योजना बनाना अच्छा होता है।

3. उतावले निर्णयों से बचने के लिये – एक कहावत है कि “जल्दी काम शैतान का’ अर्थात् उतावले या शीघ्र निर्णय उसी समय लेना चाहिये जब कोई अन्य विकल्प न हो, उतावले निर्णयों की सफलता पर सदैव संदेह रहता है, इसीलिये व्यवसाय के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु पूर्व में ही नियोजन कर लिया जाये तो उतावले निर्णयों से बचा जा सकता है। ऐलन ने कहा है- “नियोजन के माध्यम से उतावले निर्णयों और अटकलबाजी कार्यों की प्रकृति को समाप्त किया जा सकता है।”

4. साधनों का सदुपयोग—प्रत्येक उपक्रम के पास साधन होते हैं । अतः उपलब्ध साधनों का सदुपयोग करना प्रत्येक उपक्रम के लिये आवश्यक है। इस हेतु नियोजन के अन्तर्गत विभिन्न आँकड़ों (Datas) व प्रवृत्तियों ( Trends) के द्वारा भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है, ताकि लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सके। नियोजन से उपक्रम के सभी साधनों का सदुपयोग किया जा सकता है।

5. लागत व्यय में कमी-नियोजन में प्रत्येक स्तर पर की जाने वाली क्रियाओं के व्यय का पूर्वानुमान लगाया जाता है, यदि किसी स्तर पर व्यय का अनुमान अधिक हो तो उसे पूर्वानुमान करते समय ही कम करने के उपाय खोजे जा सकते हैं साथ ही नियोजन द्वारा विभिन्न क्रियाओं में आने वाली लागत को भी नियंत्रित किया जा सकता है। नियोजन में वस्तु की लागत के विभिन्न स्तर (Process) पर लागत का अनुमान लगाकर एक मानक (Standard) निर्धारित किया जाता है, तत्पश्चात् इसी मानक को ध्यान में रखकर उत्पादन पर व्यय किये जाते हैं।

प्रश्न 8.
कभी-कभी प्रबंध के सर्वोच्च प्रबंधों के बावजूद भी नियोजन क्यों असफल होते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हमने नियोजन के लाभों एवं महत्त्व की विस्तृत विवेचना की है। इनके लाभों एवं महत्त्व को देखते हुये प्रबन्धकों को नियोजन अत्यन्त सावधानी व सतर्कता से करना चाहिये तथा नियोजन का कार्य अनुभवी व विशिष्ट योग्यता वाले प्रबन्धकों से कराना चाहिये। नियोजन के निर्माण में सामान्यतः जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है वे निम्नलिखित हैं

1. श्रेष्ठ नियोजकों का अभाव-नियोजन सदैव भविष्य के बचाव के लिये किया जाता है। इसके लिये योग्य, अनुभवी एवं कुशल नियोजकों (नियोजन करने वाले) का अभाव रहता है। योग्य योजना बनाने वाले सभी उपक्रम को नहीं मिल पाते हैं साथ ही भविष्य की योजना के लिये मशीन, यन्त्रों तथा सांख्यिकी ज्ञान की आवश्यकता होती है। इसके अभाव में भी अच्छे नियोजक श्रेष्ठ योजना नहीं बना सकते।

2. नियोजन तकनीक का अभाव-नियोजन का आधार भविष्य होता है भविष्य में क्या होगा और क्या नहीं होगा इसको ज्ञात करने के लिये विशिष्ट तकनीक से अनुमान लगाना तथा विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों से जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। इसके लिये विशिष्ट यन्त्रों व उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है। भारत में इनका अभाव रहा है तथापि विगत कुछ वर्षों से सूचना तकनीक (Information Technology) के क्षेत्र में आशातीत प्रगति हुई है। इससे मौसम, वर्षा आदि का अनुमान लगाना अब आसान हो गया है। किन्तु व्यापारिक क्षेत्र में अनुमान लगाना काफी कठिन है।

3. सर्वोत्तम विकल्प के चुनाव में कठिनाई-नियोजन करने में अनेक विकल्प सामने रहते हैं। सभी विकल्पों में गुण व दोष होते हैं उनमें से कौन सा श्रेष्ठ होगा यह चुनना एक कठिन कार्य है। इसे चुनने में भी विशिष्ट अनुभव व ज्ञान की आवश्यकता होती है। साथ ही वर्तमान में जो विकल्प श्रेष्ठ होगा वह भविष्य में भी श्रेष्ठ होगा यह आवश्यक नहीं है। अत: सर्वोत्तम विकल्प के चुनने की समस्या भी नियोजन की एक सीमा होती है।

4. भविष्य की अनिश्चितता-यह सर्वविदित है कि भविष्य अनिश्चित है और कोई भी अनुमान शत्-प्रतिशत सत्य नहीं निकलता है। अतः नियोजन के निर्माण में या योजना बनाने में सबसे बड़ी समस्या भविष्य की अनिश्चितता है। भविष्य की अनिश्चितता के कारण ही अनेक समस्यायें एवं बाधायें उत्पन्न होती हैं।

5. नियोजन के दोष या कमियाँ-नियोजन की कुछ सीमायें स्वयं नियोजन के कुछ दोषों के कारण पाई जाती हैं जो इस प्रकार हैं

  1. कुछ आलोचकों का मानना है कि नियोजन अपव्यय है इसे तैयार करने में समय, धन व श्रम लगता है। वह अनावश्यक है।
  2. कुछ आलोचकों का मानना है कि नियोजन एक निश्चित तरीके से कार्य करने को बाध्य करता है जबकि समय परिवर्तनशील है इसमें अधिक स्थिरता उचित नहीं है।
  3. नियोजन की प्रक्रिया में प्रबन्धकों, विशेषज्ञों का मार्गदर्शन उचित नहीं मिल पाता।
  4. योजनाओं का सामयिक मूल्यांकन करने में असफल रहना।
  5. औपचारिकताओं पर अत्यधिक ध्यान देना।
  6. नियोजन पूर्व निर्धारित कार्य पद्धतियों, विधियों, कार्यक्रमों एवं प्रभावों के आधार पर कार्य करने के लिए व्यक्तियों को बाद्ध करता है। फलत: व्यक्तियों में पहलपन (Initiative) का अभाव रहता है।

नियोजन की सीमाओं के सम्बन्ध में जार्ज ए. स्टेनर (George A. Steener) ने कहा है- “नियोजन न तो एक प्रबन्धक की सभी समस्याओं का समाधान ही करेगा और न ही व्यवसाय की सफलता की गारण्टी देगा।”

प्रश्न 9.
नियोजन के सिद्धांत लिखिए।
उत्तर:
बिना किसी सिद्धान्त के किसी भी शास्त्र का विकसित होना सम्भव नहीं है। प्रबन्धशास्त्री कूण्ट्ज ओ’ डोनेल ने विभिन्न दृष्टिकोणों से नियोजन के सिद्धांतों को स्पष्ट किया है। प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित

1. उद्देश्यों के प्रति योगदान का सिद्धान्त (Principle of contribution to objectives) – यह सिद्धांत इस बात पर बल देता है कि नियोजन संस्था के उद्देश्यों की प्राप्ति में योगदान देने वाला होना चाहिये। यह सिद्धान्त इस बात की ओर भी संकेत करता है कि किसी भी नियोजन को जब तक उद्देश्योन्मुख नहीं किया जाता तब तक वह नियोजन अच्छा परिणाम नहीं दे सकता है।

2. नियोजन की मान्यताओं का सिद्धान्त (Principle of planning premises) – सामान्यतः किसी भी कार्य को करने की कुछ मान्यतायें हैं जिनको ध्यान में रखते हुये ही कार्य किया जाता है। अच्छे नियोजन की मान्यताओं को पहले से ही निश्चित किया जाना चाहिये, इससे समन्वय के कार्यों में अत्यधिक सहायता मिलती है।

3. कार्यकुशलता का सिद्धान्त (Principle of efficiency) – इसी सिद्धान्त के अनुसार नियोजन न्यूनतम प्रयत्नों एवं लागतों द्वारा संगठन या संस्था के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहयोग देने वाला होना चाहिये।

4. लोच का सिद्धान्त (Principle of flexibility) – इस सिद्धान्त के अनुसार योजना या नियोजन सदैव लोचदार व परिवर्तनशील होना चाहिये क्योंकि भविष्य की समस्याओं एवं परिस्थितियों के अनुरूप नियोजन में परिवर्तन आवश्यक है।

5. व्यापकता का सिद्धान्त (Principle of pervasiveness) – इस सिद्धान्त के अनुसार नियोजन एक सर्वव्यापी क्रिया है जिसकी आवश्यकता एक उपक्रम में प्रबन्ध के सभी स्तरों में होती है। अतः नियोजन प्रबन्ध के सभी स्तरों के अनुरूप होना चाहिये।

6. समय का सिद्धान्त (Principle of timing) – नियोजन में समय का विशेष महत्व है क्योंकि समय पर नियोजन बना कर उचित समय पर क्रियान्वयन नहीं हो सका तो लक्ष्य को प्राप्त करना कठिन होगा।

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 12 प्रहेलिकाः

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 12 प्रहेलिकाः

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 12 अभ्यासः

प्रहेलिकाः MP Board Class 7th Sanskrit प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) सुप्तोऽपि नेत्रे क: न निमीलयति? [सोते हुए भी दोनों नेत्रों को कौन बन्द नहीं करती है?]
उत्तर:
मत्स्यः

(ख) फलानाम् दाता कः अस्ति? [फलों को देने वाला कौन होता है?]
उत्तर:
वृक्षः

(ग) पक्षिराजः कः अस्ति? [पक्षियों का राजा कौन है?]
उत्तर:
गरुड़ः।

Pakshiraj Ka Asti MP Board Class 7th Sanskrit प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) मूकः कथं जीवति? [गूंगा कैसे जीवित रहता है?]
उत्तर:
मूकः मौनेन जीवति। [गूंगा मौन रूप (बिना बोले) में जीवित रहता है।]

(ख) एकेन पादेन कः तिष्ठति? [एक पैर पर कौन खड़ा रहता है?]
उत्तर:
एकेन पादेन बको तिष्ठति। [बगुला एक पैर पर खड़ा रहता है।]

(ग) नारिकेलफले कति नेत्राणि भवन्ति। [नारियल के फल में कितनी आँखें होती हैं?]
उत्तर:
नारिकेलफले त्रिनेत्राणि भवन्ति। [नारियल के फल में तीन आँखें होती हैं।]

Prahelika In Sanskrit Class 7 MP Board प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो(पण्डितः, मम, मूकः, शूलपाणिः, तस्यादिः)
(क) न ……….. न तस्यान्तः।
(ख) साक्षरं न च………….।
(ग) त्रिनेत्रधारी न च………….।
(घ) स्वजाति जीवाः…………. भोजननि।
(ङ) मौनेन जीवामि मुनिन …………।
उत्तर:
(क) तस्यादिः
(ख) पण्डितः
(ग) शूलपाणिः
(घ) मम
(ङ) मूकः।

प्रहेलिका कक्षा 7 MP Board प्रश्न 4.
उचित मेल करो
प्रहेलिकाः MP Board Class 7th Sanskrit
उत्तर:
(क) → (3)
(ख) → (5)
(ग) → (1)
(घ) → (2)
(ङ) → (4)

Pakshiraj Ka Hasti MP Board Class 7th Sanskrit प्रश्न 5.
सन्धि विच्छेद करो
(क) तस्यादिः
(ख) तस्यान्तः
(ग) वृक्षाग्रवासी
(घ) ममाप्यस्ति
(ङ) तवाप्यस्ति।
उत्तर:
(क) तस्य + आदिः
(ख) तस्य + अन्तः
(ग) वृक्ष + अग्रवासी
(घ) मम + अपि + अस्ति
(ङ) तव + अपि + अस्ति।

Sanskrit Prahelika Class 7 MP Board प्रश्न 6.
समानार्थक शब्दों का मेल करो
Pakshiraj Ka Asti MP Board Class 7th Sanskrit
उत्तर:
(क) → (4)
(ख) → (3)
(ग) → (1)
(घ) → (2)

Pakshi Raja Ka Asti MP Board Class 7th Sanskrit प्रश्न 7.
विपरीतार्थक शब्दों का मेल करो
Prahelika In Sanskrit Class 7 MP Board
उत्तर:
(क) → (4)
(ख) → (3)
(ग) → (1)
(घ) → (2)

Mp Board Class 7 Sanskrit Chapter 12 प्रश्न 8.
उदाहरण के अनुसार अन्वय की पूर्ति करो
(क) सुप्तः………… नेत्रे न निमीलयामि, जलस्य ……… नित्यं……………मम………… स्वजा. तिजीवाः, मान्या! ………… नामधेयं …………।
(ख) …………. तिष्ठामि बकः न……….. , दाता……….. न कृतिः …………. यत्नः, मौनेन”…………. मुनिः …………. मूकः, सेव्यः ………… कः नृपतिः……….. देवः।
उत्तर:
(क) अपि, मध्ये, निवसामि, भोजनानि मम, वदन्तु।
(ख) अहं पादेन, पङ्गुः, अहं फलानां न, जीवामि न, न, अस्मि, न।

प्रहेलिकाः हिन्दी अनुवाद

अपदं दूरगामी च, साक्षरं न च पण्डितः।
अमुखं स्फुटवक्ता च, मां जानाति सः पण्डितः॥१॥

Class 7th Sanskrit Chapter 12 MP Board अन्वयः :
अहं पादाभ्यां विना दूरं गच्छामि। अक्षरयुक्तः। किन्तु, पण्डितः नास्मि। अहं मुखेन विना स्पष्टं वदामि। यः मां जानाति सः पण्डितः।

Class 7 Sanskrit Chapter 12 MP Board अनुवाद :
मैं पैरों के बिना भी दूर तक जाता हूँ। अक्षरयुक्त हूँ किन्तु पण्डित नहीं हूँ। मैं मुख के बिना स्पष्ट बोलता हूँ। जो मुझे जानता है, वह विद्वान है।

न तस्यादिः न तस्यान्तः, मध्ये यस्तस्य तिष्ठति।
ममाप्यस्ति तवाप्यस्ति, यदि जानासि तद् वद॥२॥

अन्वयः :
‘न’ तस्य आदिः। ‘न’ तस्य अन्तः। मध्ये ‘य’ अस्ति। मम अपि अस्ति। तव अपि अस्ति। यदि जानासि तद् वद।

अनुवाद :
‘न’ उसका प्रारम्भ है। न उसका अन्त है। बीच में ‘जो’ है। मेरे भी पास है। तुम्हारे भी (पास) है। यदि जो जानता है, वह बोले। [नेत्र ]

सुप्तोऽपि नेत्रे न निमीलयामि,
जलस्य मध्ये निवसामि नित्यम्।
स्वजातिजीवा: मम भोजनानि,
वदन्तु मान्याः! मम नामधेयम्॥३॥

अन्वयः :
अहं सुप्ते अपि नेत्रे न निमीलयामि। जलस्य मध्ये एव निवसामि। स्वजातिजीवाः मम भोजनानि सन्ति। मान्याः! मम नाम वदन्तु।

अनुवाद :
मैं सोते हुए भी दोनों नेत्रों को बन्द नहीं करती हूँ। जल के बीच ही रहती हूँ। अपनी जाति के जीव ही मेरे भोजन हैं। हे माननीये! मेरा नाम बतलायें। [मत्स्य (मछली)]

तिष्ठामि पादेन बको न पगुः,
दाता फलानां न कृतिर्न यत्नः।
मौनेन जीवामि मुनिर्न मूकः,
सेव्योऽस्मि कोऽहं नृपतिर्नदेवः॥ ४॥

अन्वयः :
अहं पादेन तिष्ठामि, किन्तु न बकः, न पगुः। अहं फलानां दाताः, किन्तु न कृतिः, न यत्नः। मौनेन जीवामिः, किन्तु न मुनिः, न मूकः। सेव्यः अस्मि अहं:, किन्तु न नृपतिः, न देवः। अहं कः?

अनवाद :
मैं पैर पर (तने पर) खड़ा रहता हूँ। किन्तु बगुला नहीं हूँ, न लँगड़ा हूँ। मैं फलों को देने वाला हूँ किन्तु कोई रचना नहीं हूँ। न कोई प्रयत्न हूँ। मौन रूप में ही जीवित रहता हूँ किन्तु मैं न तो मुनि हूँ और न मूक (गँगा) हूँ। मैं सेवा किये जाने योग्य हूँ, किन्तु राजा नहीं हूँ, न (कोई) देवता हूँ। (बताओ) मैं कौन [वृक्ष]

वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजः,
त्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः।
त्वग्वस्त्रधारी न च सिद्धयोगी,
जलं च विभ्रन्न घटो न मेघः॥५॥

अन्वयः :
अहं वृक्षाग्रवासी, किन्तु न पक्षिराजः। अहं त्रिनेत्रधारी:, किन्तु न शूलपाणिः, अहं त्वग्वस्त्रधारी किन्तु न सिद्धयोगी। जलं विभ्रन् किन्तु न घटः, न मेघः।

अनुवाद :
मैं वृक्ष के अगले भाग पर रहता हूँ। किन्तु मैं पक्षिराज (गरुड़) नहीं हूँ। मैं तीन नेत्र धारण करने वाला हूँ, किन्तु हाथ में त्रिशूल धारण करने वाला ‘शिव’ नहीं हूँ। मैं छाल के वस्त्र धारण करता हूँ, किन्तु कोई सिद्धि प्राप्त करने वाला योगी नहीं हूँ। जल से परिपूर्ण हूँ परन्तु घड़ा नहीं हूँ (और) न बादल है। [नारियल]

प्रहेलिकाः शब्दार्थाः

अपदं = बिना पैर वाले। दूरयानम् = दूर तक जाने वाला वाहन। (दूरगामी = दूर तक जाने वाला।) साक्षरम् = अक्षरयुक्त। अमुखम् = बिना मुख वाले। स्फुटवक्ता = स्पष्ट बोलने वाला। तस्यादिः = उसका प्रारम्भ। तस्यान्तः = उसका अन्त। ममाप्यस्ति = मेरे पास भी है। निमीलयामि = मैं मूंद लेता हूँ। वदन्तु = कहें। नामधेयम् = नाम। कृतिः = रचना। सेव्योस्मि = सेवा योग्य हूँ। वृक्षाग्रवासी = वृक्ष के ऊपर रहने वाला। पक्षिराजः = गरुड़ (पक्षियों का राजा)। विभ्रन् = धारण करता हुआ। शूलपाणिः = हाथ में शूल (त्रिशूल) धारण करने वाले भगवान शंकर। त्वग्वस्त्रधारी = पेड़ की छाल के वस्त्र धारण करने वाले। त्वक् = पेड़ की छाल।

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 5 लघु कथाएँ

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 5 लघु कथाएँ (लघुकथा, संकलित)

लघु कथाएँ पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

लघु कथाएँ लघु उत्तरीय प्रश्न

Laghu Katha Class 12 MP Board प्रश्न 1.
बालक ने दयालु महिला से क्या सवाल किया?
उत्तर:
बालक ने दयालु महिला से सवाल किया कि “इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा।”

Mp Board Hindi Book Class 12 Pdf प्रश्न 2.
रोगग्रस्त महिला को देखकर डॉक्टर की आँख में चमक-सी क्यों आ गई?
उत्तर:
रोगग्रस्त महिला को डॉक्टर ने पहचान लिया था। ‘दूध का मूल्य’ चुकाने का समय आया देखकर डॉक्टर की आँखों में चमक-सी आ गई।

12th Hindi Book MP Board प्रश्न 3.
रवींद्रनाथ टैगोर क्या जानने के लिए उत्सुक थे?
उत्तर:
रवींद्रनाथ टैगोर ‘सौंदर्य क्या है?’ यह जानने के लिए उत्सुक थे।

प्रश्न 4.
मोमबत्ती बुझाने पर चाँदनी कहाँ-कहाँ फैल गई?
उत्तर:
मोमबत्ती बुझाने पर चाँदनी दरवाजे और खिड़की से होती हुई कमरे में फैल गई।

लघु कथाएँ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दयालु महिला ने बालक को क्या उत्तर दिया?
उत्तर:
बालक ने दयालु महिला से सवाल किया था कि वह इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाएगा। इस पर महिला ने बालक को उत्तर दिया कि इस दूध के लिए उसे कुछ भी नहीं चुकाना होगा; क्योंकि सद्भाव से किए गए काम से कीमत की अपेक्षा नहीं की जाती।

प्रश्न 2.
डॉक्टर ने महिला को पत्र में क्या लिखा?
उत्तर:
डॉक्टर ने महिला को पत्र में लिखा-“बिल का भुगतान वर्षों पहले हो चुका, एक गिलास दूध ।” नीचे हस्ताक्षर थे-आपका दूधवाला बच्चा, जो आज डॉक्टर है।

प्रश्न 3.
मोमबत्ती बुझाने के बाद परिवेश में क्या परिवर्तन हुआ?
उत्तर:
मोमबत्ती बुझाने के बाद पूर्णिमा के चाँद की चाँदनी दरवाजे और खिड़की से झाँकती हुई पूरे कमरे में फैल गई। सारा परिवेश प्रकाशमय हो गया। चाँद यह कहता जान पड़ा कि “मैं बहुत देर से तुम्हें याद कर रहा था।” चाँदनी की दूधिया रोशनी में सारा परिवेश जगमगा उठा था।

प्रश्न 4.
रवींद्रनाथ टैगोर को सौंदर्य की अनुभूति कैसे हुई?
उत्तर:
ठंडी हवा का झोंका आया और रवींद्रनाथ टैगोर का पूरा शरीर चंद्रमा की चाँदनी में नहा गया। वे प्राकृतिक सौंदर्य में इतने डूब गए कि उनके मुख से निकल पड़ा कि “यह है सौंदर्य!” इस प्रकार से उन्हें सौंदर्य की अनुभूति हुई।

लघु कथाएँ भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का भाव पल्लवन कीजिए

प्रश्न 1.
सदाशयता किसी कीमत की अपेक्षा नहीं करती।
उत्तर:
भारतीय संस्कृति की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है कि सद्भाव के लिए किए गए किसी कार्य के लिए किसी प्रकार के मूल्य की अपेक्षा नहीं की जाती है। यह जीवन का आदर्श मूल्य है। मानव की प्रवृत्ति है कि वह इस प्रकार के कार्य करता रहता है। दीन-दुखियों की सेवा करना, भूखे को रोटी खिलाना आदि कार्य इसी श्रेणी में आते हैं। परोपकार के लिए किए गए कार्यों के पीछे भी यही भावना सक्रिय रहती है।

प्रश्न 2.
केवल शब्द पर ठहरकर अनुभूति नहीं होती।
उत्तर:
केवल शब्दों में लिखित सौंदर्य को पढ़कर सुंदरता की अनुभूति संभव नहीं है। शब्द तो सौंदर्य को व्यक्त करने के साधन मात्र हैं। शब्द अनुभूति कराने में असमर्थ हैं। सौंदर्य की अनुभूति तो अनुभव करने से होती है। मनःस्थिति बदलकर यह अनुभव प्राप्त किया जा सकता है।

लघु कथाएँ भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों के वाक्य बनाइए –
अंक, मूल्य, कर, वर्ण, रस।
उत्तर:

  • अंक – परीक्षा में तुम्हें कुल कितने अंक प्राप्त हुए?
    इस नाटक में पाँच अंक हैं।
  • मूल्य – इस रेडियो का मूल्य कितना है?
    सत्य बोलना आदर्श जीवन का मूल्य है।
  • कर – हमें समय पर कर चुकाना चाहिए।
    श्रीकृष्ण के कर में मुरली शोभायमान है।
  • वर्ण – पहले भारतीय सामाजिक व्यवस्था चार वर्णों पर आधारित थी।
    हिंदी में वर्ण दो प्रकार के होते हैं-स्वर और व्यंजन।
  • रस – भारतीय काव्य-शास्त्र में नौ रस माने गए हैं।
    मौसमी का रस रोगी के लिए लाभप्रद होता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित भिन्नार्थक समोच्चरित शब्दों का अंतर स्पष्ट कीजिए।
दिन-दीन, उतर-उत्तर, शांत-श्रांत, नींद-निन्द्य।
उत्तर:

  • दिन – दिन में तारे दिखाई नहीं देते।
    दीन – हमें दीन-दुखियों की सेवा करनी चाहिए।
  • उतर – स्टेशन आने पर सवारियाँ गाड़ी से उतर गयीं।
    उत्तर – भारत की उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत है।
  • शांत – कृपया शांत होकर नाटक का आनंद लीजिए।
    श्रांत – श्रमिक श्रांत होकर आराम कर रहा है।
  • नींद – चिंता में नींद नहीं आती।
    निन्द्य – दुराचार निन्य कर्म होता है।

प्रश्न 3.
अहा! यह है सौंदर्य’ यह विस्मयादिबोधक वाक्य है। इस वाक्य को निषेधवाचक और प्रश्नवाचक वाक्यों में परिवर्तित कीजिए।
उत्तर:
निषेधवाचक – यह सौंदर्य नहीं है।
प्रश्नवाचक – क्या यही सौंदर्य है?

लघु कथाएँ योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
ऐसे महापुरुषों की सूची बनाइए जो अभावों में पलकर महान् बने। उनके आदर्शों पर चलने का प्रयत्न कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
लघुकथाओं की प्रायोजना पुस्तिका बनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
किसी घटना को आधार मानकर एक लघुकथा लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

लघु कथाएँ परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
असहाय बालक छोटी-मोटी चीजें बेचता था ताकि वह ………………
(क) घर का खर्च चला सके
(ख) अपनी पढ़ाई जारी रख सके
(ग) अपनी बीमार माँ का इलाज करा सके
(घ) अपने शौक पूरे कर सके
उत्तर:
(ख) अपनी पढ़ाई जारी कर सके।

प्रश्न 2.
घर का दरवाजा खोला था –
(क) नौकर ने
(ख) लड़की ने
(ग) महिला ने
(घ) गृह स्वामी ने
उत्तर:
(ग) महिला ने।

प्रश्न 3.
महिला को सामने देखकर बालक का जाग उठा …………..
(क) आत्मसम्मान
(ख) लालच
(ग) क्रोध
(घ) भय
उत्तर:
(क) आत्मसम्मान।

प्रश्न 4.
महिला ने बालक को दिया –
(क) एक गिलास दुध
(ख) एक गिलास पानी
(ग) एक गिलास पानी और दूध
(घ) एक गिलास लस्सी
उत्तर:
(क) एक गिलास दूध।

प्रश्न 5.
बालक ने महिला से क्या सवाल किया?
(क) इस दया का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?
(ख) इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?
(ग) इस रोटी का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?
(घ) इस ममता का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?
उत्तर:
(ख) इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?

प्रश्न 6.
रवींद्रनाथ टैगोर किस विषय पर पुस्तक पढ़ रहे थे?
(क) काव्यशास्त्र पर
(ख) नाट्यशास्त्र पर
(ग) तर्कशास्त्र पर
(घ) सौंदर्यशास्त्र पर
उत्तर:
(घ) सौंदर्यशास्त्र पर

प्रश्न 7.
रवींद्रनाथ टैगोर ने मोमबत्ती क्यों बुझा दी?
(क) वे श्रांत हो गए थे
(ख) वे ऊब गए थे
(ग) उन्हें नींद आने लगी थी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 8.
कौन-सा सिद्धांत जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है?
(क) अध्ययन का
(ख) अनुभव का
(ग) शब्द का
(घ) बुद्धिमानी का
उत्तर:
(ख) अनुभव का

प्रश्न 9.
‘दूध का मूल्य’ का उद्देश्य है –
(क) नई पीढ़ी में मानवीय भावनाओं का विकास करना
(ख) नई पीढ़ी में कृतज्ञता का भाव उत्पन्न करना
(ग) नई पीढ़ी में अपने ऊपर उपकार को याद रखने का
(घ) नई पीढ़ी में आदर्श जीवन-मूल्यों को स्थापित करना
उत्तर:
(क) नई पीढ़ी में मानवीय भावनाओं का विकास करना।

प्रश्न 10.
‘शब्द और अनुभूति’ कहानी से लेखक का मानना है कि –
(क) सौंदर्य देखने की वस्तु है
(ख) सौंदर्य अनुभव की वस्तु है
(ग) सौंदर्य नष्ट होने वाली वस्तु है
(घ) सौंदर्य बेकार की वस्तु है
उत्तर:
(ख) सौंदर्य अनुभव की वस्तु है।

प्रश्न 11.
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कब फूंक मारकर मोमबत्ती की रोशनी बुझा दी?
(क) जब चाँदनी झाँकती हुई उनके कमरे में घुस गई।
(ख) जब उन्हें नींद आने लगी थी।
(ग) जब सारा वातावरण ज्योतिर्मय हो उठा।
(घ) जब वे यह जानने को उत्सुक हो उठे कि सौन्दर्य क्या है?
उत्तर:
(ख) जब उन्हें नींद आने लगी थी।

II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर कीजिए –

  1. ………. बालक ने सोचा कि अगर जीना है तो अगले घर से रोटी माँगकर खांनी होगी। (समझदार लाचार)
  2. महिला भीतर गई और बालक को पीने के लिए एक गिलास – ………. दे दिया। (पानी, दूध)
  3. ………. जीवन पाकर महिला बहुत खुश थी। (स्वस्थ, नया)
  4. रवीन्द्रनाथ टैगोर ………. पर एक पुस्तक पढ़ रहे थे। (सौन्दर्यशास्त्र, तर्कशास्त्र)
  5. अंत में ………. काम आता है। (वल, अनुभव)

उत्तर:

  1. लाचार
  2. दूध
  3. नया
  4. सौन्दर्यशास्त्र
  5. अनुभव।

III. निम्नलिखित कथनों में सत्य असत्य छाँटिए –

  1. असहाय बालक अपनी नौकरी जारी रखने के लिए गली-गलियारों 5 में घूमता।
  2. गृहिणी ने दरवाजा खोला और सवाल किया, “तुम कौन हो?”
  3. बालक की बात सुनकर महिला ने कहा, “इस दूध के लिए तुम्हें कुछ भी नहीं चुकाना होगा।”
  4. चिट्ठी में लिखा था-“बिल का भुगतान बरसों पहले हो चुका, एक गिलास दूध।”
  5. यात्रा के आरंभ में अनुभव अवश्य हैं, पर अंत नहीं हो सकते।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. असत्य।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 5 लघु कथाएँ img-1
उत्तर:

(i) (ग)
(ii) (घ)
(iii) (ङ)
(iv) (ख)
(v) (क)।

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
लाचार बालक ने क्या सोचा?
उत्तर:
लाचार बालक ने सोचा कि जीना है तो अगले घर से रोटी माँगकर खानी होगी।

प्रश्न 2.
गृहिणी ने बालक से क्या सवाश किया?
उत्तर:
गृहिणी ने बालक से सवाल किया, “क्या है?”

प्रश्न 3.
बालक ने महिला से क्या सवाल किया?
उत्तर:
बालक ने महिला से सवाल किया, “इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?”

प्रश्न 4.
महिला किसकी शिकार हो गई?
उत्तर:
महिला एक गंभीर बीमारी की शिकार हो गई।

प्रश्न 5.
रवीन्द्रनाथ टैगोर क्या पढ़ रहे थे?
उत्तर:
रवीन्द्रनाथ टैगोर सौन्दर्यशास्त्र पर एक पुस्तक पढ़ रहे थे।

लघु कथाएँ लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बालक छोटी-मोटी चीजें क्यों वेचता था?
उत्तर:
बालक अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए छोटी-मोटी चीजें वेचता था।

प्रश्न 2.
बालक ने रोटी माँगकर खाने का निर्णय क्यों किया?
उत्तर:
बालक भूखा-प्यासा था। भूख मिटाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। इसलिए जीने के लिए उसने रोटी माँगकर खाने का निर्णय किया।

प्रश्न 3.
बालक ने घर का दरवाजा क्यों खटखटाया था?
उत्तर:
वालक ने रोटी माँगने के लिए घर का दरवाजा खटखटाया था।

प्रश्न 4.
सौंदर्य ग्रहण करने की क्षमता का विकास कैसे होता है?
उत्तर:
सौंदर्य ग्रहण करने की क्षमता का विकास स्वयं के अनुभव के द्वारा होता है।

प्रश्न 5.
रवींद्रनाथ टैगोर ‘सौंदर्य क्या है?’ का उत्तर किसमें खोज रहे थे?
उत्तर:
रवींद्रनाथ टैगोर ‘सौंदर्य क्या है’ का उत्तर पुस्तक में खोज रहे थे।

प्रश्न 6.
डॉक्टर ने महिला को कैसे पुनः जीवन प्रदान किया?
उत्तर:
डॉक्टर ने महिला का ऑपरेशन किया और उसकी देखभाल करके उसे पुनः जीवन प्रदान किया।

लघु कथाएँ परिचय प्रश्न

प्रश्न 1.
लघुकथा के स्वरूप और विकास का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
लघुकथा हिंदी साहित्य की सबसे नई विधा है। यह विधा बड़ी तेजी से विकसित हो रही है। आज छोटी और बड़ी अनेक पत्र-पत्रिकाएँ लघुकथाओं को प्रकाशित कर रही हैं। बड़े-बड़े स्थापित कहानीकार भी लघुकथा लेख के प्रति अपनी अभिरुचि व्यक्त कर रहे हैं। आज के व्यस्तताभरे युग में पाठक को लंबी कहानी पढ़ने का न तो समय है और न उनमें वैसी मानसिकता। इसीलिए कम समय में जीवन का संदेश या निष्कर्ष देने वाली लघुकथा अति अनुकूल होने के कारण आज बड़ी तेजी से विकसित हो रही हैं। उनमें भाषा और शिल्प की नवीनता एवं सरसता दिखाई देती है।

लघुकथा का उद्भव और विकास-लघुकथा का उद्भव 1901 में माधवराव सप्रेम द्वारा लिखित ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ से माना जा सकता है। यह हिंदी की पहली लघुकथा के रूप में चर्चित हुई। तब से लेकर आज तक सैकड़ों रचनाकारों ने लघुकथा की रचनात्मक शक्ति को उभारने का प्रयत्न किया है। वरिष्ठ कहानीकार विष्णु नागर के तीन लघुकथा-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी भूमिका में नागरजी ने स्वीकार किया है कि जयशंकर प्रसाद, सुदर्शन, उपेंद्रनाथ अश्क आदि जैसे कथाकार पहले से ही लघुकथा लिख रहे थे। यह अलग बात है कि उस समय लघुकथा का नामकरण नहीं हुआ था। सन् 1972-73 में कई प्रांतों से लघुकथाओं के संकलन प्रकाशित हुए, जिनके माध्यम से लघुकथा के स्वरूप को निर्धारित करने का प्रयास हुआ।

लघुकथा का स्वरूप-विगत तीन-चार दशकों में विभिन्न पत्रिकाओं के लघुकथा विशेषांक प्रकाशित हुए। इन पत्रिकाओं में इस विधा को नए कथ्य और शिल्प से मंडित किया गया। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित चित्रा मुद्गल का लघुकथा-संग्रह ‘बयान’ बहुचर्चित हुआ। आज हिंदी की प्रतिष्ठित लघुकथा के मर्म और धर्म रूपांतरित हो रहे हैं। अभी उसके स्वरूप का निर्धारण होना शेष है।

चूँकि लघुकथा साहित्य की नवीनतम विधा है इसलिए इसके लिए एक नए आलोचना-शास्त्र की आवश्यकता है। अभी तक लघुकथाकार ही अपनी रचनाओं की समीक्षा करते थे, किंतु अब इस विधा के लिए आलोचना दृष्टियाँ निश्चित हो रही हैं। समीक्षकों ने लघुकथाओं को दो भागों में विभाजित कर दिया है-(1) व्यावसायिक, (2) अव्यावसायिक। व्यावसायिक लघुकथाओं में व्यंग्यात्मकता मुख्य होती है। जबकि अव्यावसायिक लघुकथाओं में समसामयिक विषयानुभूति और कलात्मक यथार्थता होती है। लघुकथा में प्रभावात्मकता और अभिव्यंजना होना वांछनीय है।

लघु कथाएँ पाठ का सारांश

प्रश्न 2.
‘दूध का मूल्य’ और ‘शब्द और अनुभूति’ लघुकथाओं का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘दूध का मूल्य’ का सार-एक असहाय बालक अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए घूम-घूमकर छोटी-मोटी चीजें बेचता है। एक दिन वह भूख-प्यास और तेज गर्मी से व्याकुल होकर एक पेड़ के नीचे बैटकर सोचने लगता है कि यदि जीना है, तो रोटी माँगकर खानी होगी। उसने एक दरवाजा खटखटाया। एक स्त्री ने दरवाजा खोला और पूछा-“क्या है?” – स्त्री को सामने देखकर उसका आत्मसम्मान जाग उठा। उसने उससे केवल पानी माँगा। महिला ने उसे एक गिलास दूध दे दिया दूध पीकर बोला, “इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा।”

बहुत वर्षों के बाद वह महिला बीमार होकर राजधानी के बड़े अस्पताल में इलाज के लिए पहुँची। डॉक्टर के सामने उस महिला रोगी के कागजात लाए गए। डॉक्टर को उसके शहर का नाम बताया गया। कुछ दिन के बाद वह महिला ठीक हो गई। ठीक होने के बाद उसने बिल माँगा, तो उसे एक लिफाफा दिया गया। उसमें एक चिट्ठी थी। उसमें लिखा था-“बिल का भुगतान बरसों पहले हो चुका एक गिलास दूध।” नीचे हस्ताक्षर थे-आपका दूधवाला बच्चा, जो आज डॉक्टर है।

शब्द और अनुभूति का सार-रवींद्रनाथ टैगोर यह जानने के लिए पुस्तक पढ़ रहे थे कि सौंदर्य क्या है? आधी रात बीत जाने पर भी वे समझ नहीं पा रहे थे कि सौंदर्य क्या है। ऊबकर मोमबत्ती की रोशनी बुझा दी। मोमबत्ती बुझाते ही चंद्रमा की चाँदनी दरवाजे और खिड़की से कमरे में घुस गई। सारा वातावरण प्रकाशमय हो उठा। खिड़की से बाहर देखा तो उन्हें लगा कि चाँद जैसे कह रहा हो, “मैं बहुत देर से तुम्हें याद कर रहा था।”

ठंडी हवा का झोंका आया और उनका तन-बदन चाँदनी में नहा गया। टैगोर इस प्राकृतिक दृश्य को देखकर इतने अभिभूत हो गए कि उनके मुख से निकल पड़ा कि-‘यह है सौन्दर्य ।’ वे कमरे से बाहर निकलकर चाँदनी की झील में उतर पड़े। उनकी समझ में आया कि सौंदर्य अनुभव की वस्तु है। मनःस्थिति बदलकर ही उसे पाया जा सकता है।

लघु कथाएँ संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
महिला को सामने देखकर भूख से जूझ रहे बालक का आत्मसम्मान जाग उठा। उसने रोटी माँगने की बजाय सिर्फ प्यास बुझाने के लिए पानी माँगा। भूखे-प्यासे बालक की दशा देखकर महिला घर के भीतर गई और बालक को पीने के लिए एक गिलास दूध दे दिया। चकित बालक ने उस दयालु महिला का चेहरा देखा और बिना कुछ कहे धीरे-धीरे दूध पी लिया। उसकी आँखों में आदर और कृतज्ञता का भाव भर आया था। उसने विनम्रता से उस महिला से सवाल किया-“इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?” बालक की बात को सुनकर महिला ने कहा- “इस दूध के लिए तुम्हें कुछ भी नहीं चुकाना होगा।” हमारे बुजुर्गों ने सिखाया है कि सदाशयता के किसी काम के लिए किसी भी तरह की कीमत की अपेक्षा नहीं करना चाहिए। कृतज्ञ बालक उस महिला को सश्रद्ध निहारता चला गया। (Page20)

शब्दार्थ:

  • जूझना – संघर्ष करना।
  • आत्मसम्मान – अपनी प्रतिष्ठा का ध्यान।
  • दशा – स्थिति।
  • चकित – हैरान।
  • कृतज्ञता – उपकार मानने का।
  • विनम्रता – नम्रता के साथ।
  • सदाशयता – सद्भाव।
  • कीमत – मूल्य, दाम।
  • सश्रद्ध – श्रद्धा के साथ।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश ‘दूध का मूल्य’ लघुकथा से लिया गया है। इसमें एक ऐसे बालक का उल्लेख है कि भूख-प्यास और गर्मी से व्याकुल बालक ने जीने के लिए रोटी माँगकर खाने का निर्णय कर, एक घर का दरवाजा खटखटाया। एक महिला ने दरवाजा खोला, तो बालक का आत्मसम्मान जाग उठा। इससे उसका रोटी माँगकर । खाने का विचार बदल जाता है। उसके बदले हुए विचार को इस गद्यांश में व्यक्त किया गया है।

व्याख्या:
महिला को सामने देखकर भूख की व्याकुलता से संघर्षरत बालक का आत्मसम्मान जाग उठा। इससे माँगकर रोटी खाने का उसका इरादा बदल गया। उसने महिला से रोटी माँगने की अपेक्षा केवल अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी माँगा। भूख-प्यास से व्याकुल बालक की दयनीय स्थिति देखकर वह महिला घर के अंदर गई और बालक को देने के लिए एक गिलास दूध ले आई। उसने वह दूध से भरा गिलास बालक को दे दिया। चकित बालक ने दूध से भरा गिलास हाथ में लेकर उस दयालु स्त्री का मुख देखा और बिना कुछ बोले धीरे-धीरे दूध पी लिया।

उसकी आँखों में उस महिला के प्रति सम्मान और कृतज्ञता के भाव भर गए। उस बालक ने उस महिला से अत्यंत विनयपूर्वक प्रश्न किया कि मैं इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा? बालक की बात सुनकर महिला ने उससे कहा कि इस दूध के लिए तुम्हें कुछ भी नहीं देना पड़ेगा। हमारे बड़े-बूढ़ों ने हमें सिखाया है कि सद्भाव से किए गए किसी भी काम के लिए किसी भी प्रकार की मूल्य की आशा नहीं की जाती और न ही करनी चाहिए। क्योंकि सद्भाव के लिए किया गया काम सेवाभाव से किया जाता है। उस महिला के उपकार को मानता हुआ वह बालक उसे श्रद्धा के साथ देखता हुआ वापस चला गया।

विशेष:

  1. बालक के स्वाभिमान के साथ-साथ महिला की दयालुता का भी वर्णन हुआ है।
  2. इससे यह संदेश भी मिलता है कि मनुष्य को कृतज्ञ होना चाहिए।
  3. भाषा सरल, स्पष्ट और सुबोध है।
  4. भाषा पात्रानुकूल और भावानुकूल है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
महिला को सामने देखकर बालक में क्या परिवर्तन आया और क्यों?
उत्तर:
असहाय बालक भूख से जूझ रहा था। उसने रोटी माँगकर खाने का निर्णय करके एक घर के दरवाजे पर दस्तक दी। एक महिला ने दरवाजा खोला। महिला को देखकर बालक का निर्णय बदल गया। उसने रोटी माँगकर खाने का विचार छोड़ लघुकथाएँ दिया; क्योंकि उसका आत्मसम्मान जाग उठा। शायद उसने सोचा कि यदि उसने एक बार माँगकर रोटी खा ली, तो वह जीवन में कुछ नहीं बन पाएगा।

प्रश्न (ii)
हमारे बुजुर्गों ने हमें क्या सिखाया है?
उत्तर:
हमारे बुजुर्गों ने हमें सिखाया है कि सदाशयता के लिए किए गए किसी भी काम की किसी भी तरह की कीमत की आशा नहीं करनी चाहिए।

प्रश्न (iii)
बालक की आँखों में आवर और कृतज्ञता का भाव क्यों उभर आया?
उत्तर:
बालक भूख-प्यास से व्याकुल था। उसने गृहिणी से प्यास बुझाने के लिए एक गिलास पानी माँगा था, लेकिन गृहिणी ने उसकी दशा देखकर उसे पीने के लिए एक गिलास दूध दिया। दूध पीकर बालक ने पूछा- “मैं इसका कर्ज कैसे चुकाऊँगा?” तो महिला ने उत्तर में कहा कि तुम्हें इसका कर्ज चुकाने की आवश्यकता नहीं है। इसी कारण बालक की आँखों में महिला के प्रति आदर और कृतज्ञता का भाव उभर आया।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्त संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
बालक ने महिला से रोटी माँगने की अपेक्षा पानी का गिलास क्यों माँगा?
उत्तर:
यद्यपि बालक भूख-प्यास से व्याकुल था, किंतु महिला को सामने देखकर उसका आत्मसम्मान जाग उठा। इसलिए उसने रोटी माँगने की बजाय, सिर्फ प्यास बुझाने के लिए एक गिलास पानी माँगा।

प्रश्न (ii)
महिला ने बालक को दूध का गिलास क्यों दिया?
उत्तर:
महिला दयालु स्वभाव की थी। उसको भूखे-प्यासे बालक की दशा देखकर दया आ गई। इसलिए उसने बालक को पीने के लिए एक गिलास दूध दे दिया।

प्रश्न (iii)
बालक ने दूध पीकर महिला से क्या पूछा?
उत्तर:
बालक ने दूध पीकर महिला से पूछा कि “इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?”

प्रश्न 2.
नया जीवन पाकर महिला बहुत खुश थी। उसने अस्पताल के स्टाफ से भुगतान के लिए बिल माँगा। तो कुछ देर बाद उसके हाथ में एक लिफाफा आया। भारी बिल की आशंका से महिला का दिल धड़क-सा रहा था। लिफाफा खोलते ही उसमें एक चिट्ठी मिली जिसमें लिखा था-“बिल का भुगतान बरसों पहले हो चुका, एक गिलास दूध।” नीचे हस्ताक्षर थे-आपका दूधवाला बच्चा, जो आज डॉक्टर है। (Page 20)

शब्दार्थ:

  • स्टाफ – कर्मचारी।
  • भारी बिल – भुगतान हेतु बड़ी राशि।
  • दिल धड़कना – हृदय का तेज गति से चलना।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश ‘दूध का मूल्य’ लघुकथा से लिया गया है। वह महिला एक गंभीर रोग से पीड़ित होकर राजधानी के एक अस्पताल में उपचार कराने पहुंची। डॉक्टर ने महिला को स्वस्थ कर दिया। वह महिला नया जीवन पाकर प्रसन्न थी। उसने अस्पताल से बिल माँगा। इसके बाद की घटना का उल्लेख इस गद्यांश में किया गया है।

व्याख्या:
गंभीर रोग से पीड़ित महिला डॉक्टर के समुचित उपचार से. एकदम स्वस्थ हो गई। नया जीवन पाकर वह बहुत खुश थी। अस्पताल से घर लौटते समय उसने अस्पताल के कर्मचारी से हिसाब-किताब का ब्यौरा माँगा ताकि उसका भुगतान किया जा सके। कुछ देर के बाद अस्पताल के कर्मचारी ने उसके हाथ में एक लिफ़ाफा दे दिया। अत्यधिक देयराशि की आशंका से महिला का हृदय तेजी से धड़कने लगा था। उसने लिफ़ाफा खोला, तो उसे बिल के स्थान पर एक पत्र मिला। उस पत्र में लिखा था-“बिल का भुगतान तो बरसों पहले हो चुका, एक गिलास दूध।” “अर्थात् वर्षों पहले आपने एक भूखे-प्यासे बालक को एक गिलास दूध पिलाकर इस बिल का भुगतान कर दिया था। उस पत्र के नीचे हस्ताक्षर था आपका दूधवाला बच्चा, जो आज डॉक्टर है।” इस प्रकार उस बालक ने एक गिलास दूध का मूल्य चुकाया।

विशेष:

  1. मनुष्य को अपने ऊपर किए गए छोटे-से उपकार को नहीं भूलना चाहिए। अवसर प्राप्त होते ही उपकारी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना सच्ची मानवता है।
  2. भाषा सरल, स्पष्ट और सुबोध है। भाषा में कसावट है।
  3. भाषा पात्रानुकूल व भावानुकूल है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
‘दूध का मूल्य’ कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर:
“दूध का मूल्य’ कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य को अपने ऊपर किए गए छोटे-से उपकार को भी नहीं भूलना चाहिए। अवसर प्राप्त होते ही उपकारी के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना ही सच्ची मानवता है।

प्रश्न (ii)
बालक ने ‘दूध का मूल्य’ किस प्रकार चुकाया?
उत्तर:
बालक को दूध का गिलास पिलाने वाली महिला गंभीर रोग से पीड़ित होकर, उस अस्पताल में पहँची, जहाँ वह बालक डॉक्टर था। उसने महिला को पहचान लिया। उसने उस महिला का ऑपरेशन करके नया जीवन दिया। उस डॉक्टर बने बालक ने उस महिला से अस्पताल का बिल नहीं लिया। इस प्रकार उसने ‘दूध का मूल्य’ चुकाया।

प्रश्न (iii)
महिला के खुश होने का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महिला गंभीर रोग से पीड़ित थी। स्थानीय डॉक्टरों ने राजधानी के विशेषज्ञ डॉक्टर से इलाज एवं ऑपरेशन कराने का परामर्श दिया। उसे बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने उस महिला का ऑपरेशन करके उसे स्वस्थ कर दिया। वह नया जीवन पाकर अत्यंत खुश थी।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
महिला का दिल किस आशंका से धड़क-सा रहा था?
उत्तर:
महिला को अस्पताल में नया जीवन मिला था। वह बहुत खुश थी। उसने अस्पताल के स्टाफ से भुगतान करने के लिए बिल माँगा, तो भारी बिल की आशंका से महिला का दिल धड़क रहा था।

प्रश्न (ii)
महिला को हाथ में बिल के स्थान पर क्या मिला था?
उत्तर:
महिला के हाथ में बिल के स्थान पर एक लिफाफा दिया गया था। उस लिफाफे में एक पत्र था, जिसमें लिखा था कि ‘बिल का भुगतान बरसों पहले हो चुका, एक गिलास दूध।’ नीचे हस्ताक्षर थे, आपका दूधवाला बच्चा, जो आज एक डॉक्टर है।

प्रश्न 3.
ठंडी हवा का झोंका आया और उनका तन-बदन चाँदनी में नहा गया। इस प्राकृतिक मनोहारी सौंदर्य को देख वे इतने अभिभूत हो गए कि उनके मुख से अकस्मात् निकल पड़ा कि-‘यह है सौंदर्य!’ वे कक्ष से बाहर निकल छत पर आ गए। उन्हें लगा जैसे वे चाँदनी की झील में उतर गए हों। अब समझ में आया कि शब्द तो माध्यम हैं मुख्य बात तो अनुभव की है, जिससे गुजरना होता है। केवल शब्द पर ठहरकर अनुभूति नहीं होती। इसलिए यात्रा के आरंभ में शब्द अवश्य हैं, पर अंत नहीं हो सकते। अंत में अनुभव काम आएगा और यही सिद्धांत जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है। (Page 20)

शब्दार्थ:

  • मनोहारी सौंदर्य – मन को हरने वाली सुंदरता।
  • अभिभूत – डूबना, संलग्नता।
  • अकस्मात् – अचानक।
  • कक्ष – कमरा।
  • अनुभूति – अनुभव, परिज्ञान।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश ‘शब्द और अनुभूति’ लघुकथा से लिया गया है। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जानना चाहते थे कि सौंदर्य क्या है? इसके लिए वे बहुत देर तक पुस्तक पढ़ते रहे, लेकिन उन्हें यह ज्ञात नहीं हो सका कि सौंदर्य क्या है। उन्होंने मोमबत्ती बुझा दी, तो पूर्णिमा के चंद्रमा की चाँदनी कमरे में घुस गई। उन्हें ज्ञात हुआ कि सौंदर्य क्या है। इस सौंदर्य के ज्ञात होने की प्रक्रिया का वर्णन ही इस गद्यांश में किया गया है।

व्याख्या:
ठंडी हवा का एक झोंका आया और टैगोर का पूरा शरीर पूर्णिमा के चाँद की चाँदनी में सराबोर हो गया। वे मन को हरने वाली प्रकृति की इस सुंदरता को देखकर, उसकी सुंदरता में इतने डूब गए कि अचानक उनके मुँह से निकल गया कि यही सौंदर्य है। उन्हें लगा कि यही वह सौंदर्य है, जिसे वे जानने के लिए व्याकुल थे। वे इस प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के लिए अपने कमरे से निकलकर खुली छत पर आ गए। छत पर आने पर उन्हें अनुभव हुआ जैसे, वे चाँदनी की झील में उतर गए हों। अब उनकी समझ में आया कि सौंदर्य को व्यक्त करने के लिए शब्द तो साधन मात्र हैं।

मुख्य बात तो सौंदर्य को अनुभव करने की होती है। विना अनुभव के सौंदर्य को नहीं जाना जा सकता। केवल शब्दों में पड़कर सौंदर्य का अनुभव नहीं हो सकता। अतः सौंदर्य को जानने की यात्रा के प्रारंभ शब्द अवश्य हैं, किंतु वे इसका अंत नहीं बन सकते। अंत में तो केवल अनुभव ही काम आता है। अनुभव के अभाव में सौंदर्य को नहीं जाना जा सकता और यही सिद्धांत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में लागू होता है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में भी अनुभव ही काम आता है।

विशेष:

  1. सौंदर्य अनुभव की वस्तु है और प्रकृति से तादात्म्य हुए बिना उसे नहीं जाना जा सकता। कथाकार ने यह तथ्य बड़े तार्किक ढंग से समझाया है।
  2. सौंदर्य को मनःस्थिति बदलकर ही पाया जा सकता है।
  3. भाषा परिमार्जित और कसावट लिये हुए है।
  4. भाषा भावानुकूल है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
रवींद्रनाथ टैगोर किस सौंदर्य को देखकर अभिभूत हो गए?
उत्तर:
रवींद्रनाथ टैगोर यह जानना चाहते थे कि सौंदर्य क्या है। चाँदनी रात में जब वे खिड़की से बाहर झाँक रहे थे तभी एक ठंडी हवा का झोंका आया और उनका तन-बदन चंद्रमा की चाँदनी में नहा गया। इस प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर वे बड़े अभिभूत हुए और उनके मुख से अकस्मात् निकल पड़ा कि यह है सौंदर्य।

प्रश्न (ii)
शब्दों के संबंध में रवींद्रनाथ टैगोर के क्या विचार हैं?
उत्तर:
शब्दों के संबंध में रवींद्रनाथ टैगोर के विचार हैं कि शब्द तो केवल माध्यम हैं। शब्दों से सौंदर्य की अनुभूति नहीं हो सकती। यात्रा के आरंभ में शब्द अवश्य होते हैं, परंतु सौंदर्य तो अनुभव की वस्तु है, शब्दों की नहीं।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
कक्ष से बाहर छत पर आने पर रवींद्रनाथ टैगोर को क्या अनुभव हुआ?
उत्तर:
कक्ष से बाहर छत पर आने पर रवींद्रनाथ टैगोर को अनुभव हुआ जैसे वे चाँदनी की झील में उतर आए हैं। उनके चारों ओर प्राकृतिक मनोहारी सौंदर्य फैला हुआ था। उन्हें सौंदर्य का अनुभव हुआ।

प्रश्न (ii)
रवींद्रनाथ को सौंदर्य की अनुभूति कब हुई?
उत्तर:
रवींद्रनाथ को सौंदर्य की अनुभूति उस समय हुई जब वे चाँदनी रात में छत पर आए। छत पर ठंडी हवा के झोंके का स्पर्श तथा चाँदनी में तन-बदन का नहाना उन्हें सौंदर्य की अनुभूति करा गया।

MP Board Class 12th Hindi Solutions

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 13 भारतीय प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 13 भारतीय प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली

MP Board Class 10th Social Science Chapter 13 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 13 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

Mp Board Class 10th Social Science Chapter 13 प्रश्न 1.
मध्य प्रदेश की विधानसभा की सदस्य संख्या कितनी है ? (2009, 12)
(i) 320
(ii) 270
(iii) 250
(iv) 230
उत्तर:
(iv) 230

भारतीय प्रजातंत्र की कार्यप्रणाली MP Board प्रश्न 2.
राज्य सभा के सदस्यों को नामजद करने का अधिकार किसे है ?
(i) राष्ट्रपति को
(ii) प्रधानमन्त्री को
(iii) राज्यपाल को
(iv) सर्वोच्च न्यायालय को।
उत्तर:
(i) राष्ट्रपति को

Bhartiya Prajatantra Ki Karyapranali MP Board प्रश्न 3.
राज्य में अध्यादेश जारी करने का अधिकार इनमें से किसे है ?
(i) राज्यपाल
(ii) गृह मन्त्री
(iii) मुख्यमन्त्री
(iv) राष्ट्रपति
उत्तर:
(i) राज्यपाल

Bhartiya Prajatantra Ki Karyapranali In English MP Board प्रश्न 4.
किसी राज्य का राज्यपाल किसका अनिवार्य अंग रहता है ?
(i) संसद
(ii) विधान सभा
(iii) न्यायपालिका
(iv) राज्य सभा।
उत्तर:
(ii) विधान सभा

MP Board Class 10th Social Science Chapter 13 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 10th Social Science Chapter 13 MP Board प्रश्न 1.
सर्वोच्च न्यायालय (उच्चतम न्यायालय) के न्यायाधीश किस आयु में सेवानिवृत्त होते हैं ? (2009, 11)
उत्तर:
सर्वाच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्य कर सकते हैं।

Class 10 Social Science Chapter 13 Mp Board प्रश्न 2.
लोकसभा की सदस्य संख्या मध्य प्रदेश में कितनी है ?(2011)
उत्तर:
लोकसभा में मध्य प्रदेश से 19 सदस्य निर्वाचित होकर जाते हैं।

Chapter 13 Social Science Class 10 MP Board प्रश्न 3.
लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव कौन करता है ? (2013)
उत्तर:
लोकसभा सदस्य।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 13 लघु उत्तरीय प्रश्न

Social Science Class 10 Chapter 13 MP Board प्रश्न 1.
लोकसभा के सदस्य की योग्यताएँ लिखिए। (2009)
उत्तर:
लोकसभा सदस्य की योग्यताएँ – लोकसभा सदस्य के लिए निर्धारित योग्यताएँ निम्न प्रकार हैं –

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. उसकी आयु 25 वर्ष या उससे अधिक हो।
  3. वह केन्द्र या प्रान्त सरकारों ने अधीन किसी लाभ के पद पर न हो।
  4. उसे किसी सक्षम न्यायालय में पागल या दिवालिया घोषित न किया हो।
  5. उसे संसद के किसी कानून द्वारा चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित न किया गया हो।

Class 10 Social Science Chapter 13 MP Board प्रश्न 2.
जिला पंचायत के कार्य लिखिए। (2009, 13)
उत्तर:
जिला पंचायत के कार्य-जिला पंचायत के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –

  1. जिले की आन्तरिक जनपद पंचायतों तथा ग्राम पंचायतों पर नियन्त्रण रखना तथा उनका मार्गदर्शन करना।
  2. जनपद पंचायत की योजनाओं का उचित ढंग से समन्वय करना।
  3. जिले की उन योजनाओं को जो दो अथवा अनेक जनपद पंचायतों के अन्तर्गत विचाराधीन हैं उन्हें व्यावहारिक रूप देना।
  4. प्रमुख प्रयोजनों के लिए पंचायतों द्वारा की गयी अनुदान की माँग को राज्य सरकार तक पहुँचाना।
  5. राज्य सरकार द्वारा दिए गए कार्यों को व्यावहारिक रूप देना।
  6. परिवार कल्याण, बाल-कल्याण तथा खेलकूद व विकास सम्बन्धी क्रियाकलापों में राज्य सरकारों को सलाह देना।

Mp Board Class 10th Hindi Chapter 13 प्रश्न 3.
प्रधानमन्त्री के कार्य लिखिए। (2009, 13)
उत्तर:
प्रधानमन्त्री के प्रमुख कार्य अग्रलिखित हैं –

  1. प्रधानमन्त्री का सर्वप्रथम कार्य मन्त्रिपरिषद् का गठन करना होता है।
  2. मन्त्रियों के बीच विभागों का वितरण।
  3. मन्त्रिपरिषद् की बैठकों की अध्यक्षता करना।
  4. मन्त्रियों के विभागों तथा कार्यों की देख-भाल करना।
  5. प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति तथा मन्त्रिमण्डल के बीच कड़ी का काम करता है।
  6. विदेशों के साथ सम्बन्धों की स्थापना, सन्धियाँ तथा समझौते करना प्रधानमन्त्री का ही उत्तरदायित्व है।
  7. राष्ट्रपति के संकटकालीन अधिकारों का प्रयोग करना।

Mp Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 4.
राज्यसभा के कार्य लिखिए। (2011)
उत्तर:
राज्यसभा के कार्य –

  1. राज्यसभा को लोकसभा के समान विधि निर्माण की शक्ति प्राप्त है।
  2. राज्यसभा के सदस्य प्रश्न पूछकर, सार्वजनिक महत्त्व के विषयों पर बहस करके मन्त्रिमण्डल पर नियन्त्रण रखते हैं।
  3. राज्यसभा के सदस्य राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
  4. राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति, उच्च न्यायपालिका तथा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के विरुद्ध महाभियोग लगाने तथा उन्हें हटाने का प्रस्ताव पारित करने का अधिकार ।
  5. राष्ट्रपति द्वारा जारी की गयी आपातकालीन उद्घोषणा का राज्यसभा द्वारा भी स्वीकृत किया जाना आवश्यक है।

Mp Board Class 10th Social Science Solution In English प्रश्न 5.
राज्यपाल के चार कार्य लिखिए। (2010,11,15)
उत्तर:
राज्यपाल के कार्य-राज्यपाल के प्रमुख कार्य निमनलिखित हैं –

  1. राज्यपाल विधानसभा के बहुमत दल के नेता को मुख्यमन्त्री बनाता है।
  2. मुख्यमंत्री के परामर्श के आधार पर वह अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।
  3. राज्य के महाधिवक्ता तथा राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष की नियुक्ति भी राज्यपाल करता है।
  4. विधानमण्डल द्वारा पारित कोई भी विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बिना कानून का रूप नहीं ले सकता।
  5. राज्यपाल अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
  6. राज्यपाल राज्य विधानमण्डल के अधिवेशन बुलाता है और उनका सत्रावसान करता है।
  7. मुख्यमन्त्री के परामर्श से वह विधानसभा भंग भी कर सकता है।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 13 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Bhartiya Praja Tantra Ki Karyapranali MP Board प्रश्न 1.
संघात्मक शासन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (2009, 16)
उत्तर:
संघात्मक शासन प्रणाली का आशय

शासन की वह प्रणाली जिसमें शासन की शक्ति संविधान द्वारा केन्द्रीय सरकार अर्थात् संघ की सरकार और प्रान्तीय अर्थात् राज्य सरकारों के मध्य विभाजित कर दी जाती है। दोनों सरकारों की शक्ति का स्रोत संविधान होता है। संविधान सर्वोच्च होता है। संविधान संशोधन की प्रक्रिया प्रायः कठोर होती है और न्यायपालिका की सर्वोच्चता अनिवार्य होती है। संविधान का लिखित एवं कठोर होना आवश्यक है। शासन की यह प्रणाली संघात्मक शासन प्रणाली होती है।

संविधान में भारत को ‘राज्यों का संघ’ कहा गया है। संघात्मक शासन के लक्षण भारतीय संविधान में मौजूद हैं। संघात्मक पद्धति में संघ और राज्य संविधान द्वारा उन्हें सौंपे गये अधिकारों (शक्तियों) का पालन अपनी-अपनी सीमा में करते हैं। भारतीय शासन प्रणाली के संघात्मक लक्षण निम्नलिखित हैं –

(1) लिखित तथा कठोर संविधान – भारत का संविधान लिखित एवं कठोर है। इस दृष्टि से भारत का संविधान संघात्मक है।

(2) शक्तियों का विभाजन – भारत में केन्द्र व राज्यों के बीच संविधान द्वारा शक्तियों का विभाजन स्पष्ट रूप से किया गया है। भारत में केन्द्र तथा राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों के अन्तर्गत किया गया है –

  1. संघ सूची
  2. राज्य सूची
  3. समवर्ती सूची।

(3) न्यायपालिका की स्वतन्त्रता – संघात्मक शासन के लिए न्यायपालिका का स्वतन्त्र होना भी अनिवार्य है। भारत में सर्वोच्च न्यायालय इस आवश्यकता की पूर्ति करता है। संविधान की रक्षा का भार इसी पर है।

(4) दुहरा प्रतिनिधित्व – दोहरा प्रतिनिधित्व संघीय शासन की प्रमुख विशेषता है। भारत में संसद का निम्न सदन (लोकसभा) नागरिकों का प्रतिनिधित्व करता है और उच्च सदन (राज्य सभा) राज्यों का प्रतिनिधित्व करता है। अतः भारत में संघीय सरकार की व्यवस्था की गयी है।

(5) दोहरी सरकारें – भारत में संघ और राज्य दोनों में सरकार होती है। संघ में कार्यपालिका होती है जिसमें राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के नेतृत्व में मन्त्रिपरिषद् है तथा जनप्रतिनिधियों की व्यवस्थापिका (संसद) है। इसी प्रकार राज्यों में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका है जिसमें राज्यपाल और मुख्यमन्त्री के नेतृत्व में मन्त्रिपरिषद् तथा जनप्रतिनिधियों की विधानसभा है। यह व्यवस्था दोहरी शासन प्रणाली कहलाती है।

हिंदी में 10 वीं कक्षा विज्ञान अध्याय 13 MP Board प्रश्न 2.
केन्द्र व राज्य सरकार के मध्य प्रशासनिक शक्तियों का विभाजन किस प्रकार किया गया है ? समझाइए।
उत्तर:
केन्द्र व राज्य सरकार के मध्य प्रशासनिक शक्तियों का विभाजन

भारतीय संघात्मक प्रणाली में संघात्मक व्यवस्था के अनेक लक्षण हैं फिर भी उसमें कुछ लक्षण संघ को शक्तिशाली बनाते हैं। शक्ति विभाजन से यह स्पष्ट है जहाँ महत्त्वपूर्ण विषयों पर तो उसे शक्तियाँ दी गई हैं, साथ ही समवर्ती सूची के विषयों पर भी उसके द्वारा बनाये गये कानूनों की प्रधानता दी जाती है। इसके अतिरिक्त जिन विषयों का उल्लेख इन सूचियों में नहीं किया गया है वे सब विषय संघ सरकार को सौंपे गये हैं। संघ की ये शक्तियाँ अवशिष्ट शक्तियों के नाम से जानी जाती हैं।

संविधान के कुछ ऐसे प्रावधान हैं जिनके द्वारा संघ सरकार राज्यों पर नियन्त्रण एवं प्रभाव रखती है।

(1) राज्य सरकारों को निर्देश – राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों में केन्द्र सरकार राज्य सरकारों को निर्देश देती है। इन निर्देशों का पालन राज्यों द्वारा किया जाता है। राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशों से राजनयिक सम्पर्क आदि इस श्रेणी में आते हैं।

(2) संघीय कार्यों को राज्य सरकारों को सौंपना – संघीय कार्यपालिका कुछ कार्य राज्य सरकारों को सौंप सकती है। किसी अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि या समझौते के पालन के लिए संघ राज्यों को आदेश दे सकता है। रेलवे मार्गों की सुरक्षा आदि विषयों से सम्बन्धित ऐसे ही आदेश दिए जा सकते हैं।

(3) आर्थिक सहायता – राज्य सरकारों को जो राशि करों से प्राप्त होती है वह अपर्याप्त होती है। आय के महत्वपूर्ण साधन केन्द्र के पास हैं। केन्द्र सरकार राज्यों को समय-समय पर अनुदान देती है।

(4) संसद के अधिकार – संसद को यह अधिकार है कि वह कानून बनाकर एक राज्य को विभाजित कर दे या दो राज्यों या उनके भागों को मिलाकर एक नये राज्य का गठन कर दे। इस प्रकार किसी राज्य का क्षेत्र बढ़ाने, घटाने उसकी सीमाओं में परिवर्तन करने का अधिकार संसद को प्राप्त है।

(5) अखिल भारतीय सेवाएँ – भारत में कुछ सेवाएँ अखिल भारतीय सेवाएँ हैं; जैसे-आई. ए. एस. (भारतीय प्रशासनिक सेवा), आई. पी. एस. (भारतीय पुलिस सेवा) आदि इन सेवाओं में चयन संघीय लोक सेवा आयोग करता है। इन पदों की सेवा शर्तों का निर्धारण केन्द्रीय सरकार करती है।

(6) राज्य सची में वर्णित विषयों पर कानून बनाना – राज्यों को यह अधिकार है कि वह राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सके तथा प्रशासन कर सके, परन्तु राज्यों का यह अधिकार अन्तिम नहीं है। निम्न परिस्थितियों में संसद, राज्य सूची के विषयों पर कानून बना सकती है

  1. राज्यसभा द्वारा किसी प्रान्तीय सूची के विषय को राष्ट्रीय महत्व का विषय घोषित करने पर।
  2. राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा किए जाने पर।
  3. राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राष्ट्रपति के द्वारा राज्य की विधायनी शक्ति संसद को सौंपने पर।
  4. यदि राज्य विधानमण्डल स्वयं इस आशय का प्रस्ताव पारित कर दे कि किसी विषय विशेष पर संसद कानून बनाए।

भारतीय संविधान के उपर्युक्त लक्षण यह स्पष्ट करते हैं कि संघ सरकार अधिक शक्तिशाली है।

प्रश्न 3.
संसद में विधेयक पारित होने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। (2018)
अथवा
साधारण विधेयक और वित्त विधेयक में क्या अन्तर है ? (2012)
[संकेत – ‘साधारण विधेयक’ शीर्षक देखें।]
उत्तर:
कानून बनाने के लिए विधेयक संसद में प्रस्तुत किए जाते हैं। विधेयक दो प्रकार के होते हैं I. साधारण विधेयक, II. धन विधेयक।

I. साधारण विधेयक-साधारण विधेयक संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किए जा सकते हैं किन्तु वित्त विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति से लोकसभा में ही प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

विधेयक पारित होने की प्रक्रिया
संसद में एक साधारण विधेयक को पास होने के लिए निम्नलिखित अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है –

(1) प्रथम वाचन या विधेयक का प्रस्तुतीकरण – संसद का कोई भी सदस्य एक माह की पूर्व सूचना पर लोकसभा/राज्यसभा अध्यक्ष की अनुमति मिलने पर विधेयक को प्रस्तुत करता है। प्रथम वाचन के समय केवल शीर्षक को पढ़कर सुनाया जाता है। साधारणतः प्रथम वाचन पर कोई वाद-विवाद नहीं होता अर्थात् विधेयक का प्रस्तुतीकरण प्रथम वाचन है।

(2) दूसरा वाचन – दूसरा वाचन शुरू होने के पूर्व विधेयक की प्रतियाँ सभी सदस्यों को वितरित की जाती हैं। इस स्तर पर विधेयक के प्रत्येक अनुच्छेद पर विस्तार से विचार नहीं होता केवल मूल अवधारणा पर विचार होता है। इस अवसर पर कोई संशोधन भी प्रस्तुत नहीं किया जाता। यदि आवश्यक समझा जाता है तो विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति को भेजा जाता है।

(3) समिति स्तर – सदन में दूसरे वाचन में पास होने के पश्चात् बिल को विस्तृत विचार-विमर्श के लिए बिल से सम्बन्धित समिति के पास भेज दिया जाता है। बिल पर विचार करने के पश्चात् समिति अपनी रिपोर्ट तैयार करती है, जो सदन के पास भेज दी जाती है।

(4) प्रतिवेदन स्तर – समिति प्रतिवेदन तथा समिति द्वारा विधेयक में जो संशोधन किया जाता है उसकी प्रतियाँ सदन के सदस्यों को दी जाती हैं। सदन में विधेयक पर चर्चा होती है। सदस्य अपनी ओर से संशोधन प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं। संशोधन से सम्बन्धित प्रत्येक धारा पर विचार-विमर्श तथा वाद-विवाद होता है। अन्त में विधेयक पर मतदान होता है। यदि मतदान उपरान्त विधेयक को स्वीकार कर लिया जाता है तो यह चरण पूर्ण हो जाता है।

(5) तृतीय वाचन – प्रतिवेदन स्तर के उपरान्त विधेयक पारित होने की व्यवस्था अन्तिम अवस्था या तृतीय वाचन कहलाता है। उस स्तर पर विधेयक की प्रत्येक धारा पर विचार न होकर मूल भावना पर विचार होता है। इस अवस्था में विधेयक में कोई परिवर्तन नहीं होता। यदि विधेयक को सदन पारित कर देता है तो सदन के अध्यक्ष या सभापति के हस्ताक्षर से विधेयक को प्रमाणित कर उसे दूसरे सदन में भेज दिया जाता है।

(6) विधेयक का दूसरे सदन में जाना – किसी भी एक सदन में जब विधेयक स्वीकृत हो जाता है तो उसे दूसरे सदन में भेजा जाता है। दूसरे सदन में विधेयक उपर्युक्त प्रक्रिया से ही गुजरता है।

(7) राष्ट्रपति की स्वीकृति – संसद के दोनों सदनों में जब विधेयक पारित हो जाता है तब उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु भेजा जाता है। राष्ट्रपति की स्वीकृति के उपरान्त वह विधेयक कानून बन जाता है, तब उसे सरकारी गजट में प्रकाशित कर दिया जाता है।

II.धन विधेयक – आय-व्यय से सम्बन्धित सभी विधेयक धन विधेयक कहे जाते हैं। व्यवहार में केवल मन्त्री ही लोकसभा में धन विधेयक प्रस्तुत करते हैं। धन विधेयक सर्वप्रथम लोकसभा में प्रस्तुत किये जाते हैं। लोकसभा द्वारा पारित होने पर धन विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत किये जाते हैं। राज्यसभा को 14 दिन के अन्दर धन विधेयक पर अपना विचार प्रकट करने का अधिकार होता है। यदि राज्यसभा इस अवधि में अपना विचार प्रस्तुत नहीं करती तो वह धन विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित मान लिया जाता है और उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किये जाने पर कानून बन जाता है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रपति के संकटकालीन अधिकारों का वर्णन कीजिए। (2010, 14)
अथवा
राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियों का वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर:
राष्ट्रपति के संकटकालीन अधिकार
संकट का सामना करने के लिए राष्ट्रपति को संकटकालीन अधिकार दिये गये हैं। संकटकाल की घोषणा निम्नलिखित परिस्थितियों में की जा सकती है –

(1) देश में बाह्य आक्रमण, देश में होने वाले सशस्त्र विद्रोह, राज्यों में संवैधानिक व्यवस्था विफल होने पर या वित्तीय संकट आने पर राष्ट्रपति आपातकाल लागू कर सकते हैं। मन्त्रिमण्डल की सलाह पर ही राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं-ऐसी किसी भी घोषणा पर दो माह के भीतर संसद के दोनों सदनों की पुष्टि आवश्यक है। इस अवस्था में संसद को सम्पूर्ण भारत या उसके किसी भाग के लिए विधि निर्माण का अधिकार प्राप्त हो जाता है। संघ सरकार ऐसी स्थिति में राज्य सरकारों को आवश्यक आदेश दे सकती है।

(2) राज्यपाल के प्रतिवेदन से या अन्य तरीके से राष्ट्रपति को यदि विश्वास हो जाता है कि किसी राज्य का प्रशासन, संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल पा रहा है, तब राष्ट्रपति केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल की स्वीकृति से राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं। ऐसी अधिसूचना पर दो माह के भीतर संसद के दोनों सदनों की पुष्टि आवश्यक है। घोषणा अवधि में सम्बन्धित राज्य का सम्पूर्ण या आंशिक शासन राष्ट्रपति के हाथ में आ जाता है। राज्य के शासन संचालन का अधिकार वह राज्यपाल को सौंप सकता है। इस अवधि में प्रान्तों की विधि निर्माण की शक्ति संसद को प्राप्त हो जाती है। इस अवधि में राज्यपाल उच्च न्यायालयों की शक्ति को छोड़कर राज्य की सम्पूर्ण प्रशासकीय शक्तियों का प्रयोग कर सकता है।

(3) जब राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाता है कि देश में गम्भीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है तो वह आर्थिक आपातकाल लागू कर सकता है।

प्रश्न 5.
मन्त्रिपरिषद के कार्यों का वर्णन कीजिए। (2017)
उत्तर:
मन्त्रिपरिषद् के कार्य

सर जॉन मेरिएट का कहना है, “मन्त्रिपरिषद् वह धुरी है जिस पर प्रशासन का चक्र घूमता है।” मन्त्रिपरिषद् के कार्यों की विवेचना हम निम्न प्रकार कर सकते हैं –

  1. नीति निर्धारित करना – देश की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, वैदेशिक आदि समस्याओं का हल करने के लिए मन्त्रिपरिषद् समस्त पहलुओं पर विचार करके नीति निर्धारित करती है।
  2. नियुक्ति सम्बन्धी कार्य – देश के भीतर एवं बाह्य महत्त्वपूर्ण पदों पर की जाने वाली महत्त्वपूर्ण नियुक्तियाँ; जैसे-राजदूत, राज्यपाल, विभिन्न आयोगों के सदस्य एवं अध्यक्ष, महान्यायवादी आदि की नियुक्ति मन्त्रिमण्डल द्वारा की जाती है।
  3. विधायी कार्य – यद्यपि कानून बनाने का कार्य संसद का है, लेकिन हमारे देश में संसदीय प्रणाली है। इसलिए मन्त्रिपरिषद् तथा संसद का घनिष्ठ सम्बन्ध रहता है। संसद में कानून बनाने के लिए जितने विधेयक प्रस्तुत किये जाते हैं, उनमें लगभग सभी का प्रारूप मन्त्रिपरिषद् तैयार करता है।
  4. विदेशों से सम्बन्धित कार्य – विदेश नीति का निर्धारण मन्त्रिपरिषद करता है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सन्धियाँ तथा समझौते करना, दूसरे राष्ट्रों के साथ राजनयिक सम्बन्धों की स्थापना करना, उनको मान्यता देने आदि का कार्य करता है। युद्ध तथा शान्ति का निर्णय करने का कार्य भी मन्त्रिपरिषद् का ही है।
  5. वित्त सम्बन्धी कार्य – देश के आय-व्यय पर मन्त्रिमण्डल का नियन्त्रण रहता है। वित्तमन्त्री बजट तैयार करता है, मन्त्रिमण्डल में प्रस्तुत करता है। मन्त्रिमण्डल की स्वीकृति के बाद उसे सदन में प्रस्तुत करता है। यदि बजट को लोकसभा स्वीकृति नहीं देती तो सम्पूर्ण मन्त्रिमण्डल को त्यागपत्र देना होता है।
  6. राष्ट्रपति को परामर्श – मन्त्रिपरिषद् समय-समय पर राष्ट्रपति को परामर्श देता है। राष्ट्रपति मन्त्रिमण्डल की सलाह को मानने के लिए बाध्य है।

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि मन्त्रिमण्डल ही देश की वास्तविक कार्यपालिका है।

प्रश्न 6.
सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों का वर्णन कीजिए। (2018)
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ

भारत के सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ निम्नानुसार हैं –

(1) प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार-ऐसे विवाद जो देश के अन्य न्यायालयों में नहीं जाते केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही प्रस्तुत होते हैं।

(i) राज्यों के मध्य विवाद

  1. जब केन्द्रीय सरकार तथा एक राज्य या अधिक राज्यों के मध्य विवाद हो।
  2. जिस विवाद में एक ओर केन्द्रीय सरकार तथा दूसरी ओर एक या कुछ राज्य हों। केन्द्रीय सरकार तथा एक राज्य या अधिक राज्यों के मध्य विवाद हो।
  3. यदि विवाद दो राज्यों के मध्य हो।

(ii) मौलिक अधिकारों से सम्बन्धित विवाद
नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय को समुचित कार्यवाही करने की शक्ति प्राप्त है।

(2) अपीलीय क्षेत्राधिकार – सर्वोच्च न्यायालय भारत का अन्तिम अपीलीय न्यायालय है। सर्वोच्च न्यायालय के अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार को तीन भागों में बाँटा जा सकता है

  1. संवैधानिक अपील – यदि किसी मामले में संविधान की व्याख्या का प्रश्न निहित है, तो उसकी अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।
  2. दीवानी अपीलें – सर्वोच्च न्यायालय में उस दीवानी मुकदमे की अपील की जा सकती है। जब वही उच्च न्यायालय यह प्रमाणित कर दे कि मुकदमा सर्वोच्च न्यायालय में अपील के योग्य है।
  3. फौजदारी की अपीलें – सर्वोच्च न्यायालय में निम्नलिखित फौजदारी की अपीलें की जा सकती हैं

(क) यदि उच्च न्यायालय ने निम्न न्यायालय के निर्णय को बदलकर किसी व्यक्ति को मृत्यु-दण्ड, आजन्म कारावास या 10 वर्ष का कारावास का दण्ड दिया हो।
(ख) यदि उच्च न्यायालय इस प्रकार का प्रमाणपत्र दे दे कि यह मामला उच्चतम न्यायालय में अपील करने योग्य है।
(ग) यदि उच्च न्यायालय ने किसी मुकदमे को अपने पास मँगाकर किसी व्यक्ति को दण्ड दिया हो।

(3) परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार-संविधान की धारा 143 के अनुसार यदि राष्ट्रपति किसी संवैधानिक या कानूनी प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श लेना चाहे तो राष्ट्रपति को परामर्श दे सकता है।

(4) न्यायिक पुनरावलोकन सम्बन्धी क्षेत्राधिकार-सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अधिकार भी प्राप्त है। इस अधिकार के प्रयोग से वह संसद या राज्य विधान-मण्डल द्वारा पारित किये गये किसी भी ऐसे कानून को अवैध घोषित कर सकता है जो संविधान के विरुद्ध हो। संविधान की व्याख्या करने का अन्तिम अधिकार सर्वोच्च न्यायालय के पास है। इस प्रकार संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

(5) अभिलेख न्यायालय-उच्चतम न्यायालय देश का सबसे बड़ा न्यायालय है। यह अभिलेख न्यायालय के रूप में कार्य करता है। इसका अर्थ यह है कि इसके निर्णयों का रिकॉर्ड रखा जाता है तथा अन्य वैसे मुकदमे आने पर उनका हवाला दिया जाता है। अभिलेख न्यायालय के दो अर्थ हैं –

  1. इस न्यायालय के निर्णय सब जगह साक्षी के रूप में स्वीकार किये जाएँगे और इन्हें भी किसी भी न्यायालय में प्रस्तुत किये जाने पर उनकी प्रामाणिकता के विषय में प्रश्न नहीं उठाया जाएगा।
  2. इस न्यायालय के द्वारा ‘न्यायालय अवमानना’ के लिए किसी भी प्रकार का दण्ड दिया जा सकता है।

(6) अन्य कार्य-सर्वोच्च न्यायालय उपरोक्त अधिकारों के अतिरिक्त निम्न कार्य भी करता है –

  1. अपने अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण एवं जाँच।
  2. अपने तथा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों व अधिकारियों की सेवा शर्तों का निर्धारण।
  3. न्यायालय की अवमानना करने वाले किसी भी व्यक्ति को दण्डित करने की शक्ति।

सर्वोच्च न्यायालय के कार्य एवं व्यवहार से हमारे देश में लोकतन्त्र की जड़ें मजबूत हुई हैं तथा नागरिकों के मौलिक अधिकार सुरक्षित हुए हैं।

प्रश्न 7.
पंचायती राज व्यवस्था को समझाते हुए स्थानीय संस्थाओं के कार्यों का वर्णन कीजिए। (2017)
उत्तर:
पंचायती राज्य व्यवस्था

भारत के समस्त ग्रामीण प्रदेशों में सफाई व्यवस्था, प्रकाश व्यवस्था, जल व्यवस्था तथा स्वास्थ्य सेवाओं आदि की व्यवस्था करने के लिए ग्राम पंचायतों की व्यवस्था की गई है। यदि गाँव छोटे हैं तो वहाँ दो या दो से अधिक गाँवों को मिलाकर पंचायत बनती है। ग्राम पंचायतों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी अपने गाँवों का प्रबन्ध स्वयं करते हैं। गाँव के लिए यह व्यवस्था पंचायत राज व्यवस्था के नाम से विख्यात है। गांधी जी पंचायती राज व्यवस्था के बड़े पक्षधर थे। उनका मत था कि जब तक भारत के ग्रामों में जीवन का आधार लोकतान्त्रिक नहीं होगा तब तक भारत में वास्तविक प्रजातन्त्र की स्थापना नहीं होगी। देश के विभिन्न राज्यों में स्थानीय शासन की स्थापना उन राज्यों के विधानमण्डलों द्वारा निर्मित कानूनों के अनुसार की गई है। इस कारण सभी राज्यों के स्थानीय शासन समान न होकर भिन्न-भिन्न प्रकार के हैं। मध्य प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था का ढाँचा निम्न प्रकार का है –

  1. ग्रामों के लिए ग्राम सभा और ग्राम पंचायत।
  2. प्रत्येक विकास खण्ड के लिए जनपद पंचायत।
  3. प्रत्येक जिले के लिए जिला पंचायत।

इस प्रकार पंचायतों के तीन स्तर हैं।

स्थानीय संस्थाओं के कार्य
नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम के कार्य समान ही हैं। तीनों संस्थाएँ अपने-अपने क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य करती हैं –

  1. आवश्यकता के अनुसार सड़कें बनवाना तथा उनकी मरम्मत व सफाई की व्यवस्था करना।
  2. सार्वजनिक सड़कों तथा भवनों के लिए प्रकाश की व्यवस्था करना।
  3. मकानों में आग लगने पर उन्हें बुझाने की व्यवस्था करना।
  4. असुविधाजनक या खतरनाक भवनों को हटाना।
  5. आपत्तिजनक या समाज विरोधी व्यापार का विनिमयन करना।
  6. नगर की स्वच्छता की व्यवस्था करना।
  7. संक्रामक रोगों पर नियन्त्रण रखना।
  8. कांजी हाउस खोलना तथा उनका प्रबन्ध करना।
  9. जन्म-मृत्यु तथा विवाह का पंजीयन करना।

स्थानीय शहरी विकास नागरिकों को अनेक प्रकार की सुविधाएँ देता है। यह नागरिकों की स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 13 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 13 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकसभा में सदस्यों की अधिकतम संख्या है (2009)
(i) 538
(ii) 540
(iii) 545
(iv) 552
उत्तर:
(iv) 552

प्रश्न 2.
राज्यसभा की सदस्य संख्या है (2009)
(i) 300
(ii) 275
(iii) 250
(iv) 350
उत्तर:
(iii) 250

प्रश्न 3.
राज्यसभा की सदस्यता के लिए न्यूनतम आयु है -(2009)
(i) 21 वर्ष
(ii) 25 वर्ष
(iii) 30 वर्ष
(iv) 35 वर्ष
उत्तर:
(iii) 30 वर्ष

प्रश्न 4.
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए न्यूनतम आयु सीमा है (2009)
(i) 45 वर्ष
(ii) 35 वर्ष
(iii) 40 वर्ष
(iv) 21 वर्ष
उत्तर:
(ii) 35 वर्ष

प्रश्न 5.
वित्त विधेयक का निर्णय करता है -(2009)
(i) वित्त मन्त्री
(ii) प्रधानमन्त्री
(iii) लोकसभा अध्यक्ष
(iv) राष्ट्रपति।
उत्तर:
(iv) राष्ट्रपति।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति …………………… का शासक होता है। (2012)
  2. संसद के दो सदन हैं …………………… और ……………………। (2012)
  3. लोक सभा में बहुमत दल के नेता को …………………… कहते हैं। (2018)
  4. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश …………………… की आयु तक अपने पद पर कार्य कर सकते हैं।
  5. स्थानीय प्रशासन की सबसे छोटी इकाई …………………… है।

उत्तर:

  1. नाममात्र
  2. लोकसभा और राज्य सभा
  3. प्रधानमत्री
  4. 65 वर्ष
  5. ग्राम पंचायत।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश एवं 30 अन्य न्यायाधीश होते हैं।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
धन विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत होता है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3.
भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रधानमन्त्री करते हैं।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 4.
पंचायत का कार्यकाल सात वर्ष का होता है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5.
प्रधानमन्त्री की सलाह पर राष्ट्रपति लोकसभा को कभी भी भंग कर सकता है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 6.
राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 7.
लोकसभा को उच्च सदन कहा जाता है।
उत्तर:
असत्य

जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 13 भारतीय प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली 1
उत्तर:

  1. → (ख)
  2. → (घ)
  3. → (ङ)
  4. → (ग)
  5. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
लोकसभा की सदस्यता के लिए न्यूनतम आयु क्या है ? (2009, 17)
उत्तर:
25 वर्ष

प्रश्न 2.
भारत में मौलिक अधिकारों का संरक्षक कौन है ? (2014)
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय

प्रश्न 3.
लोकसभा में सदस्य संख्या कितनी है ? (2011)
उत्तर:
552

प्रश्न 4.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति आयु क्या है ? (2009, 11)
उत्तर:
65 वर्ष

प्रश्न 5.
राज्यपाल को पद की शपथ कौन दिलाता है ? (2012)
उत्तर:
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

प्रश्न 6.
राज्यसभा सदस्य के निर्वाचन के लिए न्यूनतम आयु कितनी है ? (2012)
उत्तर:
30 वर्ष

प्रश्न 7.
मध्य प्रदेश की विधानसभा की सदस्य संख्या क्या है ? (2011)
उत्तर:
230

प्रश्न 8.
राज्य की कार्यपालिका का प्रधान कौन होता है ? (2009)
उत्तर:
मुख्यमंत्री

प्रश्न 9.
नगरपालिका और नगर निगम के विभिन्न क्षेत्रों के निर्वाचित प्रतिनिधि को क्या कहते हैं ? (2014)
उत्तर:
पार्षद।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 13 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद् में किन-किन स्तर के मन्त्री होते हैं ?
उत्तर:
केन्द्रीय मंत्रिपरिषद् में तीन प्रकार के मन्त्री होते हैं –

  1. कैबिनेट मन्त्री
  2. राज्यमन्त्री
  3. उपमन्त्री।

प्रश्न 2.
किस प्रक्रिया के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पदच्युत किया जा सकता है ?
उत्तर:
संसद के प्रत्येक सदन की समस्त संख्या के बहुमत द्वारा तथा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के विरुद्ध उसे दुराचारी होने का प्रस्ताव पारित होने पर राष्ट्रपति द्वारा उसे उसके पद से अपदस्थ किया जा सकता है। अभी तक महाभियोग लगाकर किसी भी न्यायाधीश को नहीं हटाया गया है।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 13 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राज्यपाल की नियुक्ति किस प्रकार होती है ? राज्यपाल पद की योग्यताएँ बताइए।
उत्तर:
राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। व्यवहार में राज्यपाल की नियुक्ति संघीय मन्त्रिपरिषद् की सलाह पर राष्ट्रपति करते हैं। राज्यपाल की अनुपस्थिति में राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राज्यपाल का पद संभालते हैं।

राज्यपाल पद की योग्यताएँ –

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. उसकी आयु 35 वर्ष पूरी हो चुकी है।
  3. वह संघ या राज्य में कहीं लाभ के पद पर न हो।
  4. वह संसद या राज्य विधानमण्डल का सदस्य न हो।

प्रश्न 2.
राज्यपाल की प्रमुख विधायी शक्तियाँ लिखिए। (2009)
उत्तर:
राज्यपाल की प्रमुख विधायी शक्तियाँ –

  1. राज्यपाल विधानसभा का अनिवार्य अंग होता है। वह विधानसभा की बैठकों को बुलाता है, बैठकों को स्थगित करता है तथा उन्हें विसर्जित करता है। मुख्यमन्त्री के परामर्श पर विधासभा को भंग कर सकता है। आवश्यकतानुसार विधानमण्डलों को अपना सन्देश भेज सकता है।
  2. विधान मण्डलों द्वारा स्वीकृति विधेयकों पर राज्यपाल की स्वीकृति अनिवार्य है। वित्त विधेयकों के अतिरिक्त राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को पुनः विचार के लिए वापस भेज सकता है।
  3. जब विधानसभा का अधिवेशन न चल रहा हो तो राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकता है।
  4. जब राज्यपाल को यह अनुभव होता है कि राज्य का प्रशासन संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार चलना सम्भव नहीं हो रहा हो तब वह राज्य में संविधान तंत्र की विफलता की सूचना राष्ट्रपति को देता है। राज्यपाल पोर्ट के आधार पर ही राष्ट्रपति राज्य में संकटकाल लागू करता है। ऐसी स्थिति में वह राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न 3.
व्यवस्थापिका के कोई पाँच कार्य लिखिए। (2016)
उत्तर:
व्यवस्थापिका के प्रमुख कार्य निम्न हैं –

  1. कानून निर्माण-देश के शासन को संचालित करने के लिए कानूनों के निर्माण का कार्य व्यवस्थापिका करती है।
  2. संविधान संशोधन आवश्यकतानुसार संविधान में व्यवस्थापिका आवश्यक संशोधन करने का कार्य करती है।
  3. प्रशासनिक कार्य-व्यवस्थापिका कार्यपालिका पर नियन्त्रण करने का महत्वपूर्ण कार्य करती है।
  4. राज्य व शासन की नीति का निर्धारण-राज्य को दिशा देने एवं नीति-निर्धारण का कार्य व्यवस्थापिका करती है।
  5. वित्त सम्बन्धी कार्य-सरकार द्वारा निर्धारित करों को लगाने और करों को कम या समाप्त करने तथा शासन के व्ययों को स्वीकृति प्रदान करने का कार्य व्यवस्थापिका द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 4.
कार्यपालिका क्या है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कार्यपालिका – कार्यपालिका सरकार का दूसरा महत्वपूर्ण अंग है। सरकार के समस्त अंगों की कार्यकुशलता के लिए अन्तिम रूप से कार्यपालिका ही उत्तरदायी है। हमारे देश में संघीय व्यवस्था होने के कारण कार्यपालिका के दो स्वरूप हैं-सम्पूर्ण देश का शासन चलाने के लिए केन्द्रीय कार्यपालिका होती है जबकि राज्यों का शासन चलाने के लिए प्रान्तीय कार्यपालिका होती है। केन्द्रीय कार्यपालिका में राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री तथा मन्त्रिपरिषद् सम्मिलित हैं। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद तथा प्रथम प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू थे।

प्रश्न 5.
लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव कैसे किया जाता है ? उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
लोकसभा अध्यक्ष के कार्य लिखिए। (2009, 12, 15)
उत्तर:
लोकसभा अपने सदस्यों में से एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का निर्वाचन करती है।

कार्य और शक्तियाँ –

  1. अध्यक्ष के द्वारा लोकसभा की सभी बैठकों की अध्यक्षता की जाती है और अध्यक्ष होने के नाते उसके द्वारा सदन में शान्ति व्यवस्था और अनुशासन बनाये रखने का कार्य किया जाता है।
  2. लोकसभा का समसत कार्यक्रम और कार्यवाही अध्यक्ष के द्वारा ही निश्चित की जाती है। वह सदन के नेता के परामर्श से विभिन्न विषयों के सम्बन्ध में वाद-विवाद का समय निश्चित करता है।
  3. अध्यक्ष ही यह निश्चय करता है कि कोई विधेयक वित्त विधेयक है या नहीं।
  4. संसद और राष्ट्रपति के बीच सारा पत्र व्यवहार उसके द्वारा ही होता है।
  5. कार्यपालिका व शासन की अन्य सत्ताओं से सदन के सदस्यों के अधिकारों की रक्षा का कार्य अध्यक्ष के द्वारा ही किया जाता है।

इस प्रकार लोकसभा के अध्यक्ष की शक्तियाँ काफी विस्तृत हैं। वस्तुतः वह सदन की शक्ति, प्रतिष्ठा तथा गौरव का प्रतीक होता है।

प्रश्न 6.
राष्ट्रपति पद के लिए निर्धारित योग्यताएँ बताइए एवं उसका कार्यकाल क्या है ?
उत्तर:
राष्ट्रपति पद के लिए निर्धारित योग्यताएँ निम्न प्रकार हैं –

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो।
  3. उसमें वे सभी योग्यताएँ हों, जो लोकसभा के सदस्यों के लिए निर्धारित की गई हैं।
  4. वह केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन आर्थिक लाभ वाले पद पर कार्य न करता हो

कार्यकाल – राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष निश्चित किया गया है।

प्रश्न 7.
भारत के राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
भारत के राष्ट्रपति की कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियाँ निम्न प्रकार हैं –

  1. राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की नियुक्ति करता है तथा उसके परामर्श पर अन्य मन्त्रियों को नियुक्त करता है।
  2. राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्त तथा नियन्त्रक व महालेखा परीक्षक की शक्तियों से सम्बन्धित नियमों का निर्माण करता है।
  3. राज्यों के राज्यपाल, सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य, विदेशों के लिए राजदूतों आदि की नियुक्ति वही करता है।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में वह अपने देश का प्रतिनिधित्व करता है।
  5. वह भारत की जल, थल और वायु तीनों प्रकार की सेनाओं का प्रधान सेनापति होता है। उसी के नाम से युद्ध या युद्धबन्दी की घोषणा होती है।
  6. राष्ट्रपति यह देखता है कि राज्यों का शासन प्रबन्ध संविधान के अनुसार चल रहा है या नहीं।

प्रश्न 8.
भारत के राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ क्या हैं ?
उत्तर:
भारत के राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ निम्न प्रकार हैं –

  1. राष्ट्रपति संसद के अधिवेशन को बुलाता है और अधिवेशन समाप्ति की घोषणा करता है।
  2. राष्ट्रपति को राज्यसभा के 12 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है।
  3. संसद द्वारा पास किया गया विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षरों से कानून बनता है।
  4. अध्यादेश जारी करके आवश्यकता पड़ने पर संसद का अधिवेशन बुलाता है।
  5. राष्ट्रपति को लोकसभा भंग करने का अधिकार है लेकिन इस अधिकार का प्रयोग राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की सलाह से करता है।

प्रश्न 9.
मुख्यमन्त्री के कोई पाँच कार्य लिखिए। (2016)
उत्तर:
मुख्यमन्त्री के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –

  1. मुख्यमन्त्री का कार्य मन्त्रिपरिषद् का गठन करना होता है।
  2. मन्त्रियों के बीच विभागों का वितरण करता है।
  3. मुख्यमन्त्री ही मन्त्रिपरिषद् की बैठकों की अध्यक्षता करता है।
  4. आवश्यकता पड़ने पर मन्त्रियों को उनके विभाग से सम्बन्धित कार्य के लिए निर्देश दे सकता है।
  5. मुख्यमन्त्री राज्यपाल एवं मन्त्रिपरिषद् के बीच की कड़ी के रूप में कार्य करता है। वह मन्त्रिपरिषद् के निर्णयों के सम्बन्ध में राज्यपाल को सूचना देता है।

प्रश्न 10.
प्रधानमन्त्री शासन का केन्द्रबिन्दु है। स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्रधानमन्त्री के पद का महत्व लिखिए।
उत्तर:
भारत में प्रधानमन्त्री का पद विशेष महत्त्व का होता है। वह प्रशासनिक व्यवस्था का आधार होता है। वह मन्त्रिमण्डल का अध्यक्ष, राष्ट्रपति का प्रमुख परामर्शदाता तथा लोकसभा का नेता होता है। मन्त्रिमण्डल के सदस्यों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमन्त्री की सिफारिश के अनुसार की जाती है। वह अपने मन्त्रिमण्डल के सहयोग से राष्ट्र की प्रशासनिक तथा आर्थिक नीतियों का निर्माण करता है। वह शासन के विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करता है। अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रधानमन्त्री राष्ट्र का नेतृत्व करता है। इस प्रकार संसद, देश तथा विदेश में प्रधानमन्त्री शासन-सम्बन्धी नीति का प्रमुख अधिकृत प्रवक्ता होता है।

प्रश्न 11.
प्रधानमन्त्री और मन्त्रिपरिषद के आपसी सम्बन्धों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:

  1. प्रधानमन्त्री, मन्त्रिपरिषद् की बैठकों की अध्यक्षता करता है और मन्त्रिमण्डल की समस्त कार्यविधि पर उसका पूर्ण नियन्त्रण होता है।
  2. मन्त्रिपरिषद् के सदस्यों में विभागों का वितरण प्रधानमन्त्री के द्वारा ही किया जाता है।
  3. प्रधानमन्त्री मन्त्रियों के विभागों में परिवर्तन कर सकता है और उनसे त्यागपत्र की माँग कर सकता है।

प्रश्न 12.
‘केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद्’ का गठन किस तरह किया जाता है ?
उत्तर:
लोकसभा के बहुमत दल वाले नेता को राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है और प्रधानमन्त्री की सलाह से अन्य मन्त्रियों को नियुक्त करता है। राष्ट्रपति के लिए यह आवश्यक है कि वह लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल के नेता को ही प्रधानमन्त्री चुने। अन्य मन्त्रियों के चुनाव में भी राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री का परामर्श मानने के लिए बाध्य है। संविधान में यह निश्चित नहीं किया गया है कि मन्त्रिमण्डल में कितने मन्त्री होंगे। इनकी संख्या आवश्यकतानुसार प्रधानमन्त्री निश्चित करता है। प्रत्येक मन्त्री को प्रायः एक या अधिक विभागों का अध्यक्ष बनाया जाता है।

प्रश्न 13.
सामूहिक उत्तरदायित्व से क्या आशय है ?
अथवा
“मन्त्रिपरिषद् एक साथ तैरती है और एक साथ डूबती है।” इस कथन का सत्यापन कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त उत्तरदायित्व से आशय यह है कि मन्त्री अपने कार्यों के लिए संसद के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी हैं। मन्त्रिमण्डल द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय समस्त मन्त्रिमण्डल का निर्णय माना जाता है और संसद यदि किसी एक भी मन्त्री या प्रधानमन्त्री के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास कर दे तो सम्पूर्ण मन्त्रिमण्डल को अपना त्याग-पत्र देना पड़ता है। भारत में मन्त्रिपरिषद् केवल लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है।

प्रश्न 14.
उच्चतम न्यायालय गठन किस तरह होता है ? समझाइए।
उत्तर:
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्त राष्ट्रपति करता है। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में वह उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से परामर्श ले सकता है। अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का परामर्श लेता है। इस समय उच्चतम न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा 30 अन्य न्यायाधीश हैं।

प्रश्न 15.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए क्या योग्यताएँ होनी चाहिए ?
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यताएँ-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए निम्न योग्यताएँ होनी चाहिए

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. वह किसी उच्च न्यायालय या दो या दो से अधिक न्यायालयों में लगातार कम-से -कम 5 वर्ष तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका हो अथवा किसी एक या एक से अधिक उच्च न्यायालय में कम-से-कम 10 वर्ष अधिवक्ता रह चुका हो।
  3. राष्ट्रपति की दृष्टि में वह कोई उत्कृष्ट विधिवेत्ता हो।

प्रश्न 16.
किस प्रक्रिया के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पदच्युत किया जा सकता है ?
उत्तर:
संसद के प्रत्येक सदन की समस्त संख्या के बहुमत द्वारा तथा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के विरुद्ध उसे दुराचारी होने का प्रस्ताव पारित होने पर राष्ट्रपति द्वारा उसे उसके पद से अपदस्थ किया जा सकता है। अभी तक महाभियोग लगाकर किसी भी न्यायाधीश को नहीं हटाया गया है।

प्रश्न 17.
राज्य की विधानसभा की रचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राज्य की विधानसभा विधानमण्डल का निम्न सदन है। इसके सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा सम्पन्न होता है। राज्य के सभी स्त्री-पुरुषों को जिनकी आयु 18 वर्ष या इससे अधिक है, मतदान करने का अधिकार होता है।

कार्यकाल – राज्य विधानसभा का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है परन्तु इस अवधि से पूर्व भी राज्यपाल द्वारा इसे भंग किया जा सकता है।

सदस्य संख्या – भारतीय संविधान के अनुसार किसी भी राज्य की विधानसभा में 500 से अधिक तथा 60 से कम सदस्य नहीं हो सकते हैं।

सदस्यों की योग्यताएँ

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. कम से कम 25 वर्ष की आयु का हो।
  3. वह सरकार के अधीन लाभ के पद पर न हो।
  4. वह संसद द्वारा निर्धारित योग्यताएँ पूरी करता हो।

प्रश्न 18.
ग्राम पंचायत के कोई पाँच कार्य लिखिए।
उत्तर:
ग्राम पंचायत के निम्नलिखित पाँच कार्य हैं –

  1. गाँवों में सफाई की व्यवस्था करना तथा सड़कों, कुओं, तालाबों आदि का निर्माण करना।
  2. ग्रामीण सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था करना।
  3. सड़कों के किनारे नालियों का निर्माण करना।
  4. मृत्यु और जन्म का लेखा रखना।
  5. संक्रामक रोगों की रोकथाम की व्यवस्था करना।

प्रश्न 19.
जिला पंचायत का गठन कैसे होता है ?
उत्तर:
जिला पंचायत का गठन राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा करती है। इस अधिसूचना द्वारा सम्पूर्ण जिले को इतनी संख्या में विभाजित किया जाता है कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की जनसंख्या यथासम्भव 50,000 हो। एक निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य निर्वाचित किया जाता है। किसी भी जिला पंचायत के सदस्यों की संख्या कम-से-कम 10 और अधिक-से-अधिक 35 हो सकती है। जिला पंचायतों में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए उनके जिले में स्थान जनसंख्या के अनुपात में आरक्षित रखे जाएँगे।

प्रत्येक जिला पंचायत का निर्माण निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर होता है –

  1. निर्वाचन क्षेत्र से चुने गये सदस्य।
  2. जिला सहकारी बैंक तथा विकास बैंक का अध्यक्ष।
  3. लोकसभा के वे समस्त सदस्य जो संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो पूर्णरूप में या अल्परूप में जिले का भाग है।
  4. मध्य प्रदेश राज्यसभा से निर्वाचित राज्यसभा के वे समस्त सदस्य जिनका नाम उस जिले में किसी भी ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में हो।
  5. राज्य विधानसभा के वे सदस्य जो उस जिले से चुने गये हों।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 13 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकसभा की किन्हीं पाँच शक्तियों का वर्णन कीजिए। (2014)
उत्तर:
लोकसभा की शक्तियाँ निम्न प्रकार हैं –
(1) विधायी शक्ति – लोकसभा का प्रमुख कार्य विधि निर्माण है। संविधान के अनुसार विधि निर्माण में लोकसभा एवं राज्यसभा की शक्तियाँ बराबर हैं परन्तु व्यवहार में लोकसभा ज्यादा शक्तिशाली है। साधारण रूप से समस्त महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा में ही प्रस्तुत किए जाते हैं।

(2) कार्यपालिका पर नियन्त्रण – संविधान के अनुसार मन्त्रिमण्डल लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। मन्त्रिमण्डल तब तक ही क्रियाशील रह सकता है जब तक लोकसभा का उसमें विश्वास है। लोकसभा के सदस्य मंत्रियों से प्रश्न पूछकर, शासकीय नीतियों पर कार्यस्थगन प्रस्ताव तथा अविश्वास प्रस्ताव रखकर सरकार पर नियन्त्रण रखते हैं।

(3) वित्तीय शक्ति – संविधान के द्वारा वित्तीय मामलों में लोकसभा को शक्तिशाली बनाया गया है। वित्त विधेयक लोकसभा में ही पारित किए जाते हैं- यद्यपि वित्त विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में जाते हैं किन्तु राज्यसभा के द्वारा धन विधेयको पर 14 दिनों के अन्दर स्वीकृति देनी होती है।

(4) संविधान में संशोधन – लोकसभा राज्यसभा के साथ मिलकर संविधान में संशोधन कर सकती है।

(5) विविध कार्य – लोकसभा राष्ट्रपति पर महाभियोग भी लगा सकती है, उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए राज्यसभा के पारित प्रस्ताव पर चर्चा करती है, उच्च एवं उच्चतम न्यायालयों के न्यायाधीशों के विरुद्ध महाभियोग प्रस्तावों पर चर्चा करती है। राष्ट्रपति द्वारा लगाए गए संकटकाल की पुष्टि एक माह के भीतर लोकसभा द्वारा होना अनिवार्य है। अन्यथा ऐसी घोषणा अपने आप निरस्त हो जायेगी।

प्रश्न 2.
उच्च न्यायालय की रचना का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
अथवा
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति किस प्रकार होती है ?
उत्तर:
प्रत्येक राज्य में एक उच्च न्यायालय होता है जिसके अधीन अन्य न्यायालय कार्य करते हैं, परन्तु संसद दो से अधिक राज्यों के लिए भी एक ही उच्च न्यायालय की स्थापन कर सकती है। उच्च न्यायालय के मुख्य तथा कुछ अन्य न्यायाधीश होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

नियुक्ति – उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्य के राज्यपाल से सलाह लेता है। अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय वह सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्यपाल के अतिरिक्त राज्य के मुख्य न्यायाधीश से भी सलाह लेता है।

योग्यताएँ – उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए भारत का नागरिक होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त वह कम-से-कम दस वर्ष तक किसी अधीनस्थ न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुका हो अथवा कम-से-कम दस वर्ष तक उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्य कर चुका हो।

कार्यकाल – उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु होने पर अवकाश ग्रहण कर सकते हैं। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल 62 वर्ष की आयु तक ही निश्चित किया गया है।

प्रश्न 3.
उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उच्च न्यायालय प्रत्येक राज्य का उच्चतम न्यायालय होता है। अन्य शब्दों में, प्रत्येक राज्य में वहाँ की न्यायपालिका के शिखर पर एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था है। उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है –

  1. आरम्भिक क्षेत्राधिकार
  2. अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार
  3. प्रशासकीय क्षेत्राधिकार

(1) आरम्भिक क्षेत्राधिकार – आरम्भिक क्षेत्राधिकारों में निम्नलिखित तथ्य आते हैं –

  1. संविधान की व्याख्या करना।
  2. नागरिकों के अधिकारों के सुरक्षा सम्बन्धी मामले। यदि कोई अधिकारी या सरकारी संस्था नागरिकों के मौलिक अधिकारों का अपहरण करता है, तो उच्च न्यायालय उसके विरुद्ध लेख जारी कर सकता है; जैसे-परमादेश, अधिकार पृच्छा आदि
  3. कम्पनी कानून से सम्बन्धित मामले उच्च न्यायालय में आरम्भ किये जा सकते हैं।
  4. वसीयत, विवाह-विच्छेद आदि के मामले भी उच्च न्यायालय सुनता है।

(2) अपील सम्बन्धी क्षेत्राधिकार – उच्च न्यायालय अपने अधीन न्यायालयों के निर्णयों की अपीलें सुनता है। इसमें दीवानी, फौजदारी तथा राजस्व सम्बन्धी सभी प्रकार के मुकदमे हो सकते हैं। फौजदारी मुकदमों में सत्र न्यायालय द्वारा दिये गये मृत्युदण्ड आदेश पर उच्च न्यायालय की पुष्टि आवश्यक है।

(3) प्रशासकीय क्षेत्राधिकार – प्रशासकीय अधिकार के अन्तर्गत राज्यपाल, उच्च न्यायालय के परामर्श से ही जिला न्यायाधीश की नियुक्ति करता है। इसके अतिरिक्त उच्च न्यायालय को अपने अधीन न्यायालयों का निरीक्षण करने तथा उनको नियन्त्रण में रखने का भी अधिकार है। यदि अधीन न्यायालय में कोई ऐसा अभियोग चल रहा है, जिसमें भारतीय संविधान की व्याख्या का मामला निहित हो, तो ऐसे मुकदमे को उच्च न्यायालय अपने पास मँगा सकता है।

MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 17 Stars and The Solar System

MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 17 Stars and The Solar System

MP Board Class 8th Science Stars and The Solar System NCERT Textbook Exercises

Choose the correct answer in question 1 – 3:

Mp Board Class 8 Science Chapter 17 Question 1.
Which of the following is NOT a member of the solar system?
(a) An asteroid
(b) A satellite
(c) A constellation
(d) A comet.
Answer:
(c) A constellation.

Mp Board Class 8 Science Solution Chapter 17 Question 2.
Which of the following is NOT a planet of the sun?
(a) Sirius
(b) Mercury
(c) Saturn
(d) Earth.
Answer:
(a) Sirius.

Class 8 Science Chapter 17 Mp Board Question 3.
Phases of the moon occur because
(a) we can see only that part of the moon which reflects light towards us.
(b) our distance from the moon keeps changing.
(c) the shadow of the earth covers only a part of moon’s surface.
(d) the thickness of the moon’s atmosphere is not constant.
Answer:
(a) We can see only that part of the moon which reflects light towards us.

Mp Board Class 8 Social Science Solution Chapter 17 Question 4.
Fill in the blanks:
(a) The planet which is farthest from the sun is ………… .
(b) The planet which appears reddish in colour is ……………….. .
(c) A group of stars that appear to form a pattern in the sky is known as a …………. .
(d) A celestial body that revolves around a planet is known as ……………… .
(e) Shooting stars are actually not …………….. .
(f) Asteroids are found between the orbits of ………… and…………..
Answer:
(a) neptune
(b) mars
(c) constellation
(d) satellite
(e) meteors
(f) mars, jupiter.

Mp Board Class 8 Science Book Pdf Question 5.
Mark the following statements as true (T) or false (F):

  1. Pole star is a member of the solar system.
  2. Mercury is the smallest planet of the solar system.
  3. Uranus is the farthest planet in the solar system.
  4. INSAT is an artificial satellite.
  5. There are nine planets in the solar system.
  6. Constellation Orion can be seen only with a telescope.

Answer:

  1. False
  2. True
  3. False
  4. True
  5. False
  6. False.

Class 8 Chapter 17 Science Question Answer MP Board Question 6.
Match items in column A with one or more items in column B:
Mp Board Class 8 Science Chapter 17
Answer:
(i) (g), (ii) (e), (iii) (c), (f), (iv) (d).

Class 8 Science Chapter 17 MP Board Question 7.
In which part of the sky can you find Venus if it is visible as an evening star?
Answer:
Venus is seen as an evening star in western

Science Class 8 Mp Board English Medium Question 8.
Name the largest planet of the solar system.
Answer:
Jupiter is the largest planet of the solar system.

Class 8 Science Chapter 17 Question Answer MP Board Question 9.
What is a constellation? Name any two constellations.
Answer:
Constellation is a group of stars that appears to form some recognizable shape. For example, Ursa Major and Orion.

Chapter 17 Class 8th Science MP Board Question 10.
Draw sketches to show the relative positions of prominent stars in:
(a) Ursa Major, (b) Orion
Mp Board Class 8 Science Solution Chapter 17
Fig. 17.1: Relative position of stars in Ursa Major and Ursa Minor stars in Orion.
Class 8 Science Chapter 17 Mp Board
Fig. 17.2: Relative position of stars in Orion.

Star And The Solar System Class 8 MP Board Question 11.
Name two objects other than planets which are members of the solar system.
Answer:
Asteroids and Comets.

Mp Board Class 8 Social Science Chapter 17 Question 12.
Explain how you can locate the Pole Star with the help of Ursa Major?
Answer:
Pole Star can be located with the help of the two stars at the end- of Ursa Major. Imagine a straight line passing through these stars as shown in Fig 17.3. Extend this imaginary line towards the north direction. (About five times the distance between the two stars). This line will lead to a star which is not too bright. This is the Pole Star. Observe the pole star for some time. Note that it does not move at’ all as other stars drift from east to west.
Mp Board Class 8 Social Science Solution Chapter 17

Question 13.
Do all the stars in the sky move? Explain.
Answer:
No, stars actually do not move but they only appear to move from east to west, as the earth from where we see them, rotates from west to east. However pole star, which is situated in the direction of the earth’s axis. It does not appear to move.

Question 14.
Why is the distance between stars expressed in light years? What do you understand by the statement that a star is eight light years away from the Earth.
Answer:
The sun is about 150,000.00 kilometres (150 million km) away from the earth. It is not convenient to express such large distances in kilometres. Therefore, large distances between stars are expressed in another unit known as light near. A light year is the distance ‘r travelled by light in a year.
1 light year = speed of light x number of seconds in a year
= 300,000 x 365 x 24 x 60 x 60km.
= 95,00,00,00,00,000 km = 95 x 1011
= 9.5 x 10 x 1011
= 9.5 x 1012 km (Approximately)
∴ 8 light year
= 8 x 9.5 x 1012 km
= 76 x 1012 km
Thus, by the statement that a star is eight light years away from the earth means that the star is about 76 x 1012 km away from the earth.

Question 15.
The radius of Jupiter is 11 times the radius of the Earth. Calculate the ratio of the volumes of Jupiter and the Earth. How many Earths can Jupiter accommodate?
Answer:
If the radius of the Earth is r.
Then, radius of the Jupiter is Ur.
So, ratio of the volumes of Jupiter and Earth is
MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 17 Stars and The Solar System 5
Thus, 1331 Earths can be accommodated within the Jupiter.

Question 16.
Boojho made the following sketch (Fig. 17.4) of the solar system. Is the sketch connect? If not, correct it.
Mp Board Class 8 Science Book Pdf
Answer:
This sketch is not correct. The correct sketch of solar system is given is Fig. 17.5.
Class 8 Chapter 17 Science Question Answer MP Board

MP Board Class 8th Science Stars and The Solar System Extended Learning – Activities and Projects

Question 1.
The North-South line at your place.
Let us learn to draw the north-south line with the help of the shadow of a stick. Fix a straight stick vertically in the ground where the Sun can be seen for most of the day. Call the foot of the stick as point O. Sometime in the morning, mark the tip of the shadow of the stick. Say this point is A. With OA as radius draw a circle on the ground. Wait till the shadow becomes shorter and then starts increasing in size. When the shadow again touches the circle, mark it as point B. Draw the bisector of the angle AOB. This is your North-South line. To decide which side
of this line shows North, use a magnetic compass.

MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 17 Stars and The Solar System 8
Answer:
Do yourself.

Question 2.
If possible, visit a planetarium. There are planetariums in many cities. In a planetarium you can see the motion of the stars, constellations and planets on a large dome.
Answer:
Do yourself.

Question 3
On a moonless night observe the sky for a few hours. Look out for a meteor, which appears as a streak of light. September-November is a good time for observing meteors.
Answer:
Do yourself.

Question 4
Learn to identify the planets visible to the naked eye and some prominent constellations such as Great Bear (Saptarishi) and Orion. Also try to locate the Pole Star and the star Sirius.
Answer:
Do yourself.

Question 5.
Position of the rising Sun – Uttarayan and Dakshinayan :
This activity may last for several weeks. Choose a place from where eastern horizon is clearly visible. Choose also a marker, such as a tree or an electric pole, to mark the position of the rising Sun. It will be sufficient if you take the observation once every week. On any day, note down the direction of the rising Sun. Repeat this observation every week. What do you find? You would have noted that the point of sunrise changes continuously. From summer solstice (around 21 June), the point of sunrise gradually shifts towards the south. The Sun is then said to be in dakshinayan (moving south). It keeps doing so till winter solstice (around 22 December). Thereafter, the point of sunrise changes direction and starts moving towards north. The Sun is now said to be in uttarayan the equinoxes (around 21 March and 23 September) the Sun rises in the east. On all other days, it rises either north of east or south of east. So, the direction of the rising Sun is not a good guide to determine directions. The Pole Star, which defines North,‘is a much better indicator of directions.
Answer:
Do yourself.

Question 6.
Form a group of students. Prepare a model of the solar system showing the planets, and their relative sizes. For this take a large chart paper. Make spheres representing different planets according to their relative size (Use Table 17.1). Y6u may use newspaper, clay or plasticine to make spheres. You can cover these spheres with paper of different colours. Exhibit your models in the class.
MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 17 Stars and The Solar System 9
Answer:
Do yourself.

Question 7.
Try to make a scale model of the solar system showing distances of the planets from the Sun (Use Table 17.1). Did you face any difficulty? Explain it.
Answer:
Do yourself.

Question 8.
Solve the following riddle and try to make similar riddles yourself.
My first is in VAN but not in PAN
My second is in EARTH and also in HEAVEN
My third is’ in ONE and not in TWO
My fourth is in BUN and also in FUN
My last is in STAR but not in RADAR
I am a planet that moves round the Sun.
Answer:
It is the planet venus.

MP Board Class 8th Science Stars and The Solar System Additional Important Questions

A. Short Answer Type Questions

Question 1.
What is Universe?
Answer:
Universe is the space surrounding the earth. It contains all the heavenly objects like stars, comets, planets, asteroids, etc.

Question 2.
Name two constellations which are visible in summer.
Answer:
Scorpio and Ursa Major.

Question 3.
What are comets?
Answer:
Heavenly bodies, composed of dust and gas, revolving around the sun with long bright tail are called comets. Their period of revolution around the sun is very large. They are particularly seen, after the pretty number of years.

Question 4.
Which is the brightest planet of our solar system?
Answer:
Venus is the brightest planet of our solar system.

Question 5.
What is the most significant feature of remote sensing technology?
Answer:
The most significant feature of remote sensing technology is that it makes possible the repetitive surveys of vast areas in a very short time. It is applicable even to inaccessible areas.

B. Long Answer Type Questions

Question 6.
Define light year. What is the approximate distance of the sun from the earth?
Answer:
One light year is the distance travelled by light in one year at a speed of light which is about 300000 km/sec. Light year is a unit of distance and is equal to 9.46 x 1012 km.
The approximate distance of the sun from the earth is 150,000,000 km, which means that light takes about 8 minutes 20 seconds to reach the earth from the sun.

Question 7.
The stars twinkle and the planets do not twinkle. Account for the observation.
Answer:
Owing to the atmospheric disturbances in the atmosphere the position of the stars appears to vibrate, so they apear to be twinkling. Due to the fact that the planets are very close to each other, their disc position does not vibrate, owing to the atmospheric conditions, hence the planets do not appear to be twinkling.

Question 8.
Give three reasons why life cannot survive on Venus.
Answer:
All the above conditions are present on the earth. Hence, life is possible there.

  1. Being nearer to the sun Venus it is extremely hot.
  2. There is no water on the planet
  3. The planet does not contain sufficient oxygen.

Question 9.
Expand the term INSAT. What three things are expected from INSAT?
Answer:
The term INSAT stands for Indian National Satellite. This satellite series expected to carry out three tasks. These tasks are:

  1. communication
  2. television and radio broadcasting and
  3. meteorological observations.

MP Board Class 8th Science Solutions

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Chapter 14 आचार्योपदेशाः

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 14 आचार्योपदेशाः

MP Board Class 8th Sanskrit Chapter 14 अभ्यासः

Mp Board Class 8 Sanskrit Solution Chapter 14 प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत(एक शब्द में उत्तर लिखो-)
(क) पुष्पसजं कण्ठे कः समर्पयति? (पुष्पाहार गले में कौन समर्पित करता है?)
उत्तर:
शिवराजः। (शिवाजी)

(ख) वृत्तं केन रक्ष्यते? (चरित्र की रक्षा कैसे की जाती है?)
उत्तर:
धर्मभयेन। (धर्म के भय से)

(ग) अद्य मे किं निवृत्तम्? (आज मेरा क्या समाप्त हो गया है?)
उत्तर:
मोहावरणम्। (मोह का आवरण)

(घ) नृपः धर्मान् केन पालयेत्? (राजा धर्म का पालन कैसे कराये?)
उत्तर:
नियमेन। (नियम से)

(ङ) शिवराजम् भारतकवीर! इति शब्देन कः सम्बोधयति? (शिवाजी को ‘भारत का एक वीर!’ इस शब्द से कौन सम्बोधित करता है?)
उत्तर:
श्रीरामदासः। (श्रीरामदास)

Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 14 प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत(एक वाक्य में उत्तर लिखो-)
(क) शिवराजस्य गुरुः कः आसीत्? (शिवाजी के गुरु कौन थे?)
उत्तर:
शिवराजस्य गुरुः श्रीरामदासः आसीत्। (शिवाजी के गुरु श्रीरामदास थे।)

(ख) क्षत्रियस्य परो धर्मः किं अस्ति? (क्षत्रिय का परम धर्म क्या है?)
उत्तर:
क्षत्रियस्य परोधर्मः दुष्कृतां हिंसनं साधूनां च परित्राणम् अस्ति। (क्षत्रिय का परम धर्म दुष्कर्मियों को मारना और सज्जनों की सुरक्षा है।)

(ग) शिवराजस्य साहाय्यार्थं श्रीरामदास किम् करोति स्म? (शिवाजी की सहायता के लिए श्रीरामदास क्या कर रहे थे?)
उत्तर:
शिवराजस्य साहाय्यार्थं श्रीरामदासः प्रतिमठे राष्ट्रभावभावितान् शतशः युवगणान् निर्माति स्म। (शिवाजी की सहायता के लिए श्रीरामदास प्रत्येक मठ में सैकड़ों युवागणों का निर्माण कर रहे थे।)

कीदृशाः युवगणाः भाविरणे सहायाः भविष्यन्ति? (कैसे युवकों के समूह भविष्य में होने वाले युद्ध में सहायक होंगे?)
उत्तर:
राष्ट्रैकभक्ताः युवगणाः भाविरणे सहायाः भविष्यन्ति। (राष्ट्रभक्त युवकों के समूह भविष्य में होने वाले युद्ध में सहायक होंगे।)

(ङ) शिवराजस्य अभीष्टं का सम्पादयतु? (शिवराज की इच्छा को कौन पूरा करे?)
उत्तर:
शिवराजस्य अभीष्ट भगवती परदेवता सम्पादयतु। (शिवराज की इच्छा को भगवान् परमात्मा पूरा करें।)

Class 8 Sanskrit Chapter 14 Mp Board प्रश्न 3.
रिक्तस्थानं पूरयत(रिक्त स्थान भरो-)
(क) वृत्तं यथा ……………. रक्ष्यते।
(ख) प्रजाहितज्ञो नियमेन ……………..।
(ग) मया ……….. राष्ट्रभावभाविताः।
(घ) अपितु त्वमसि मे …………।
(ङ) ……………. सम्पादयतु तवाभीष्टम्।
उत्तर:
(क) धर्मभयेन
(ख) पालयेत
(ग) निर्मीयन्ते
(घ) द्वितीयं हृदयम्
(ङ) भारतैकवीर।

8th Class Sanskrit Chapter 14 प्रश्न 4.
सन्धि-विच्छेदं कुरुत
(सन्धि विच्छेद करो-)
(क) गमितोऽस्मि
(ख) त्वमसि
(ग) नृभिस्तथा
(घ) भगवतैवारब्धे
(ज) भारतैकवीरः
(च) सम्प्रत्यपि
(छ) प्रतिष्ठेऽहम्
(ज) तवाभीष्टम्
(झ) योगोपचिताः
(ण) राष्ट्रकभक्तेः।
उत्तर:
(क) गमितः + अस्मि
(ख) त्वम् + असि
(ग) नृभिः + तथा
(घ) भगवत् + एव+ आरब्धे
(ङ) भारत + एक + वीरः
(च) सम्प्रति + अपि
(छ) प्रतिष्ठे + अहम्
(ज) तव + अभीष्टम्
(झ) योग + उपचित
(ण) राष्ट्र + एक + भक्तेः।

Class 8 Sanskrit Chapter 14 प्रश्न 5.
सन्धिं कुरुत(सन्धि करो-)
उत्तर:
(क) शङ्कर + अंशेन + अवतीर्णस्य = शङ्करांशेनावतीर्णस्य।
(ख) वर्णाश्रमे + अस्मिन् = वर्णाश्रमेऽस्मिन्।
(ग) उत् + मूल्य = उन्मूल्य।
(घ) राष्ट्र + उद्धरण + उद्यमे = राष्ट्रोद्धरणोद्यमे
(ङ) उत् + ईक्ष्यते = उदीक्ष्यते।

Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 13 प्रश्न 6.
श्लोकं पूरयत(श्लोक पूरा करो-)
उत्तर:
वृत्तं यथा धर्मभयेन रक्ष्यते नृभिस्तथा नैव नरेन्द्रशासनात्।
धर्मान् सदाचारपरानतो नृपः प्रजाहितज्ञो नियमेन पालयेत्॥

Class 8 Sanskrit Chapter 14 Question Answer प्रश्न 7.
संस्कृतेन भावार्थं लिखत (संस्कृत में भावार्थ लिखो-)
व्यायामयोगोपचिताङ्गसत्त्वा विद्याकलादण्डनयप्रतिष्ठताः।
राष्ट्रकभक्ता उपधाविशोधिता भवन्तु ते भाविरणे सहायाः॥
उत्तर:
राष्ट्र प्रति एकभक्ताः, व्यायामेन योगेन च अङ्गनां शक्तिसम्पन्नाः, विद्यासु कलासु दण्डनीतेः कुशलाः, धर्मे अर्थे च संस्कारिताः, भविष्ये युद्धे शतशः युवगणाः तव सहायकाः भवन्तु।

Class 8th Sanskrit Chapter 14 प्रश्न 8.
निम्नाङ्कितशब्दान् आधृत्य वाक्यरचनां कुरुत(निम्न शब्दों के आधार पर वाक्य रचना करो-)
(क) दिष्ट्या
(ख) सदाचारः
(ग) परित्राणम्
(घ) धर्मशासनम्
(ङ) राष्ट्रियभावना।
उत्तर:
Chapter 14 Sanskrit Class 8

Class 8 Sanskrit Chapter 13 Mp Board प्रश्न 9.
अर्थानुसारं युग्मनिमाणं कुरुत (अर्थ के अनुसार जोड़े बनाओ-)
Class 8th Sanskrit Chapter 14 Solution
उत्तर:
(क) → (iii)
(ख) → (v)
(ग) → (iv)
(घ) → (i)
(ङ) → (ii)

कक्षा 8 संस्कृत पाठ 14 प्रश्न 10.
निम्नाङ्कितपदानां विलोमपदानि लिखत(नीचे लिखे शब्दों के विलोम शब्द लिखो-)
उत्तर:
पदानि – विलोमपदम्
(क) मया – त्वया
(ख) निवृत्तम् – संवृत्तम्
(ग) तव – मम
(घ) उत्थानम् – पतनम्
(ङ) अस्मिन् – तस्मिन्।

(संस्कृत में नाटकों की परम्परा अति प्राचीन है। यह परम्परा इस समय भी निर्बाध रूप से चल रही है। बीसवीं शताब्दी में गुजरात प्रदेश के श्री मूलशंकर मणिक लाल याज्ञिक ने भी अनेक पुस्तकें रचीं। उनमें संस्कृत भाषा में संयोगितास्वयम्वरम्, प्रतापविजयम् और छत्रपतिसाम्राज्यम् का वर्णन करते हैं।

‘छत्रपतिसाम्राज्यम्’ तो ऐतिहासिक नाटक है। इस नाटक में छत्रपति शिवाजी के शौर्यपूर्ण कार्यों का एवं तात्कालिक यवन सम्राट की दुर्नीति के विरुद्ध संघर्ष का और अन्त में स्वराज्य की स्थापना का चित्रण है।

यह प्रस्तुत नाट्य अंश ‘छत्रपतिसाम्राज्यम्’ इस नाटक से ही उद्धृत है। इसमें शिवाजी के गुरु श्रीरामदास के उपदेश हैं। राष्ट्रीय भक्ति की भावना से भरा यह अंश देखने योग्य है।)

आचार्योपदेशाः हिन्दी अनुवाद

(ततः प्रविशति रामदासेन सह शिवराजः)
शिवराज: :
(सप्रश्रयम्) दिष्ट्याद्य कृतार्थतां गमितोऽस्मि चिरप्रार्थितेन भगवत्-प्रसाद-अधिगमेन। (इति पुष्पस्रजंकण्ठे समर्प्य पादयोः पतति।)

श्रीरामदासः :
भारतैकवीर! उत्तिष्ठ। धर्मराज्यसंस्थापनार्थं शङ्कर-अंशेन-अवतीर्णस्य तव भवतु सर्वत्र अप्रतिहतो विजयः।

अनुवाद :
(उसके बाद रामदास के साथ शिवाजी प्रवेश करते हैं।)

शिवराज :
(विनम्रतापूर्वक) सौभाग्य से आज मैं बहुत समय से प्रार्थित (प्रार्थना करने पर) भगवान की कृपापूर्वक आने से सफलता को प्राप्त हुआ हूँ। (इस प्रकार पुष्पाहार गले में समर्पित करके पैरों में गिरते हैं।)

श्रीरामदास :
भारत के एक वीर! उठो। धर्म के राज्य की अच्छी प्रकार से स्थापना के लिए शंकर के अंश (भाग) के द्वारा अवतरित तुम्हारी सब जगह निर्विघ्न विजय हो।

शिवराजः :
(उत्थाय) प्रतिगृहीताशीः।

श्रीरामदास: :
व्यवस्थितवर्णाश्रमे अस्मिन् भारते वर्षे दुष्कृतां हिंसनं साधूनां च परित्राणम् एव क्षत्रियस्य परो धर्मः। तत् नयमार्गम् अवलम्ब्य उत्पथगामिनो नृपाधमान् च उन्मूल्य प्रवर्तय स्व धर्मशासनम् यतः वृत्तं यथा धर्मभयेन रक्ष्यते नृभिस्तथा नैव नरेन्द्रशासनात्। धर्मान् सदाचारपरानतो नृपः प्रजाहितज्ञो नियमेन पालयेत्॥

अनुवाद :
शिवराज :
(उठकर) आशीर्वाद प्राप्त हो गया।

श्रीरामदास :
व्यवस्थित वर्णाश्रम में इस भारतवर्ष में दुष्कर्मियों को मारना और सज्जनों की सुरक्षा ही क्षत्रिय का परम धर्म है। इसलिए नीति के मार्ग का सहारा लेकर कुमार्ग गामी और अधम राजाओं को जड़ से उखाड़कर अपना धर्मराज्य स्थापित करो। क्योंकि-

‘जैसी मनुष्यों द्वारा धर्म के भय से चरित्र की रक्षा की जाती है वैसी राजा की आज्ञा से नहीं। सदाचारी प्रजा के हित को जानने वाला राजा नियम से धर्म का पालन कराये।’

शिवराजः :
भगवन्। तव अनुग्रहेण अद्य निवृत्तम् मे मोहावरणम्। नवीकृतश्च साम्राज्य-संस्थापनोत्साहः।

श्रीरामदासः :
वत्स! तव साहाय्यार्थं प्रतिमठं मया निर्मीयन्ते राष्ट्रभावभाविताः शतशो युवगणाः। तदिमेव्यायामयोगोपचिताङ्गसत्त्वा विद्याकलादण्डनयप्रतिष्ठताः। राष्ट्रकभक्ता उपधाविशोधिता भवन्तु ते भाविरणे सहायाः॥

अनुवाद :
शिवराज :
भगवन्! आपकी कृपा से आज मेरा मोह का आवरण (पर्दा) समाप्त हो गया है और साम्राज्य की स्थापना का उत्साह नया सा कर दिया गया है।

श्रीरामदास :
वत्स! तुम्हारी सहायता के लिए मेरे द्वारा प्रत्येक मठ (आश्रम) में राष्ट्रीय भावना वाले सैकड़ों युवाओं के समूह तैयार किये जा रहे हैं। इसलिये ये-

‘राष्ट्र के एक भक्त व्यायाम और योग से प्राप्त अंगों की शक्ति वाले, विद्याओं, कलाओं, दण्डनीति में कुशल, धर्म, अर्थ में संस्कारित भविष्य में होने वाले युद्ध में तुम्हारी सहायता करने वाले होवें।’

शिवराजः :
अहो, परमार्थतो भगवतैवारब्धे राष्ट्र-उद्धरण-उद्यमे अहं तु निमित्तमात्रमेव।

श्रीरामदासः :
वत्स! न केवलं शिष्य इति, त्वमसि मम प्रेमास्पदम्। अपितु त्वमसि मे द्वितीयं हृदयं त्वदधीनैवास्ति मे साध्यसिद्धि। तन्मया सततं सावधानेन उदीक्ष्यते त्वद् विजयध्वजप्रसरः। सम्प्रत्यपि त्वां निर्विण्णम् उपश्रुत्य संप्राप्तोऽस्मि अहं तव प्रोत्साहनार्थम् एतद् दुर्गराजम्। अथ त्वां स्वकर्मणि अभिप्रवृत्तं वीक्ष्य प्रतिष्ठेऽहं धर्मप्रवचनाय दुर्गान्तरम्।।

शिवराजः :
भगवतानुग्राह्यः अयं जनो भूयो दर्शनेन।

श्रीरामदासः :
भारतैकवीर! सम्पादयतु तवाभीष्टं भगवती परदेवता। (इति निष्क्रान्तः)

अनुवाद :
शिवराज :
अहो, वस्तुतः भगवान द्वारा ही आरम्भ किये गये राष्ट्र के उद्धार के कार्य में मैं तो निमित्त (कारण) मात्र ही हूँ।

श्रीरामदास :
वत्स! तुम न केवल मेरे शिष्य बल्कि प्रिय हो। अपितु तुम मेरे द्वितीय हृदय हो, तुम्हारे हाथ में ही मेरे लक्ष्य की प्राप्ति है। इसलिए मैं निरन्तर सावधानी से तुम्हारी विजय पताका का लहाराना सादर देखता हूँ। इस समय भी तुमको दुःखी सुनकर मैं तुम्हारे प्रोत्साहन के लिए इस विशाल किले में आया हूँ। अब तुमको अपने कार्य में लगा हुआ देखकर मैं धर्म के उपदेश देने के लिए दूसरे किले की ओर प्रस्थान करता हूँ।

शिवराज :
यह जन (शिवाजी) फिर (आपके द्वारा) दर्शन से कृपा करने योग्य है।

श्रीरामदास :
भारत के एक वीर! तुम्हारे इच्छित को भगवान् परमात्मा पूरा करें। (निकल जाते हैं)

आचार्योपदेशाः शब्दार्थाः

सप्रश्रयम् = विनम्रतापूर्वक। प्रतिगृहीताशीः = आशीर्वाद प्राप्त। दिष्ट्या = सौभाग्य से। दुष्कृताम् = निन्दित कर्म करने वालों का या दुष्कर्मियों का। कृतार्थताम् = सफलता को। अस्मिन् = इसमें। प्रसादाधिगमेन = कृपापूर्वक आने से। हिंसनम् = मारना। पुष्पस्रजम् = पुष्पहार। परित्राणम् = सुरक्षा।। समर्प्य = समर्पित करके। परोधर्मः = श्रेष्ठ धर्म। पादयोः = पैरों पर। नयमार्गम् = नीतिपथ। उत्तिष्ठ = उठो। अवलम्ब्य = सहारा लेकर। संस्थापनार्थम् = अच्छे प्रकार से स्थापना के लिए। उत्पथगामिनः = कुमार्ग गामी। नृपाधमान् = अधम । राजाओं को। अंशेन = अंश (या भाग) के द्वारा। धर्मशासनम् = धर्मराज्य। वृत्तम् = चरित्र को। अवतीर्णस्य = अवतरित का। नृभिः = मनुष्यों के द्वारा। अप्रतिहतः = निर्बाध, निर्विघ्न। सदाचारपरान् = सदाचार परायण या सदाचारी। उत्थाय = उठकर। प्रजाहितज्ञः = प्रजाहित का ज्ञाता या प्रजा के हित को जाने वाला। परमार्थतः = वस्तुतः। आरब्धे = आरम्भ किये गये। प्रेमास्पदम् = प्रिय। अनुग्रहेण = कृपा से।

साध्यसिद्धिः = लक्ष्य की प्राप्ति। निवृत्तम् = समाप्त। सततम् = निरन्तर। मोहावरणम् = मोह का आवरण। उदीक्ष्यते = सादर दिखाई देता है। नवीकृतः = नया कर दिया। विजयध्वजप्रसरः = विजय पताका का लहराना। प्रतिमठम् = प्रत्येक मठ (या आश्रम) में। सम्प्रत्यपि = इस समय भी। निर्मीयन्ते = तैयार किये जाते हैं। निर्विष्णम् = विरल हृदय को। राष्ट्रभावभाविताः = राष्ट्रिय भावना वाले। प्रोत्साहनार्थम् = उत्साह बढ़ाने के लिए। शतशः = सैकड़ों। दुर्गराजम् = विशाल दुर्ग या बड़ा किला। युवगणाः = युवक समूह। व्यायामयोगोपचित = व्यायाम और योग से प्राप्त। स्वकर्मणि = अपने कार्य में। अभिप्रवृत्तम् = लगा हुआ। अङ्गसत्वाः = अंगों की शक्ति वाले। वीक्ष्य = देखकर। विद्याकलादण्डनयप्रतिष्ठिताः = विद्याओं, कलाओं, दण्डनीति में कुशल। प्रतिष्ठेडहम् = मैं प्रस्थान करता हूँ। धर्मप्रवचनाय = धर्म के उपदेश देने के लिए। उपधाविशोधिता = धर्म, अर्थ में परीक्षित या संस्कारित। दुर्गान्तरम् = दूसरे दुर्ग (किला) को। अनुग्राह्यः = कृपा करने योग्य। भाविरणे= भविष्य में होने वाले समर में। भूयः = फिर। सम्पादयतु = पूरा करें। सहायाः = सहायता करने वाले। अभीष्टम् = इच्छित। भवन्तु = होवें। परमार्थतः = वस्तुतः।

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions

MP Board Class 7th Social Science Solutions Chapter 20 Hydrosphere

MP Board Class 7th Social Science Solutions Chapter 20 Hydrosphere

MP Board Class 7th Social Science Chapter 20 Text Book Questions

Choose the correct alternatives from the following

Mp Board Class 7th Social Science Chapter 20 Question 1.
The largest ocean in the world is:
(a) Atlantic Ocean
(b) Pacific Ocean
(c) Indian Ocean
(d) Arctic Ocean
Answer:
(b) Pacific Ocean

Class 7 Social Science Chapter 20 MP Board Question 2.
The area covered by water on the earth is:
(a) 51%
(b) 61%
(c) 71%
(d) 81%
Answer:
(c) 71%

Fill in the blanks:

  1. The …………. Hemisphere of the earth is a water Hemisphere.
  2. The deepest trench in die world is …………..

Answer:

  1. Southern
  2. Challenger

MP Board Class 7th Social Science Chapter 20 Short Answer Type Questions

The Hydrosphere Class 7 MP Board Question 1.
Write down the names of the oceans of the world.
Answer:
The oceans of die world are:

  • Pacific Ocean
  • Adan-tic Ocean
  • Indian Ocean
  • Arctic Ocean

Class 7 Science Chapter 20 MP Board Question 2.
Write any three advantages of Oceans?
Answer:
Three advantages of oceans are –

1. Rain on land:
All the rain on land are due to the evaporation of sea water. Rains are useful for vegetation, animal life and human beings.

2. Balance of temperature:
Ocean shelp to maintain balance of temperature on land.

3. Means of transport:
The international trade is possible because of the oceans and seas, which joins the continents.

Hydrosphere Is A Part Of Class 7 MP Board Question 3.
Why is hydrosphere? Explain.
Answer:
The part of the surface of the earth which is covered with water is known as hydrosphere. Water makes up 71% of die earth surface and remaining part of 29% is land.

MP Board Class 7th Social Science Chapter 20 Long Answer Type Questions

Mp Board Class 8 Social Science Chapter 20 Question 1.
Explain water cycle through illustrations.
Answer:
On die surface of the earth rivers, lakes, underground water, ponds, ice-covered area, seas etc. are the sources of water. Water evaporates from these water bodies. The water vapor rises upwards, and forms clouds. The clouds precipitate indie form of rain.

The rain water gets collected in rivers, lakes, ponds and other water bodies. Through rivers, it reaches back to the oceans. In this way water traverses continuously in all spheres, the lithosphere, die atmosphere and the hydrosphere. This process is known as water cycle. In short we can say that the movement of water in hydrosphere, atmosphere and lithosphere is called water cycle.

Chapter 20 Class 7th MP Board Question 2.
Describe the different parts of the oceanic floor and draw a well labelled diagram.
Answer:
The oceanic floor is full of ridges and pits. The depth of the sea is unequal. On the basis of the physical structure, the floor of the oceans are divided into four parts:

1. Continental Shelf:
That part of the sea which touches die land and is generally less deep is called the continental shelf. Its depth in general less than 100 fathoms or 150 meters and its breadth varies form few kilometers to more than 100 kilometers.

2. The Continental slope:
Where the edge of the steeps slope down wards it is called the continental slope. It is deeper than die continental shelf.

3. The Ocean deep plains:
The part of die ocean bed which is deep and plain is called the oceanic deep plains. These plains occupy die most part of the ocean bed.

4.  The Oceanic trench or pit:
At the bottom of the sea there are many deep pits. These are known as the oceanic trench.

MP Board Class 7th Social Science Solutions