MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र

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पारितंत्र NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये

1. पादपों को …………… कहते हैं, क्योंकि ये कार्बन डाइऑक्साइड का स्थिरीकरण करते हैं।
2. पादप द्वारा प्रमुख पारितंत्र का पिरामिड (संख्या का)…………… प्रकार का होता है।
3. एक जलीय पारितंत्र में, उत्पादकता का सीमाकारक …………… है।
4. हमारे पारितंत्र में सामान्य अपरदन …………… है।
5. पृथ्वी पर कार्बन का प्रमुख भण्डार …………… हैं।
उत्तर

  1. उत्पादक
  2. उल्टा
  3. प्रकाश
  4. केंचुआ
  5. समुद्र एवं वायुमण्डल।

प्रश्न 2.
एक खाद्य श्रृंखला में निम्नलिखित में सर्वाधिक संख्या किसकी होती है
(a) उत्पादक
(b) प्राथमिक उपभोक्ता
(c) द्वितीयक उपभोक्ता
(d) अपघटक।
उत्तर
(d) अपघटक।

प्रश्न 3.
एक झील में द्वितीयक (दूसरी) पोषण स्तर होता है
(a) पादप प्लवक
(b) प्राणी प्लवक
(c) नितलक (बेन्थॉस)
(d) मछलियाँ।
उत्तर
(b) प्राणी प्लवक

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प्रश्न 4.
द्वितीयक उत्पादक है
(a) शाकाहारी (शाकभक्षी)
(b) उत्पादक
(c) मांसाहारी (मांसभक्षी)
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(a) शाकाहारी (शाकभक्षी)

प्रश्न 5.
प्रासंगिक सौर विकिरण में प्रकाश-संश्लेषणात्मक सक्रिय विकिरण का क्या प्रतिशत होता है
(a) 100%
(b) 50%
(c) 1-5%
(d) 2-10%
उत्तर
(b) 50%

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए
(क) चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरदन खाद्य श्रृंखला,
(ख) उत्पादन एवं अपघटन
(ग) ऊर्ध्ववर्ती (शिखरांश) व अधोवर्ती पिरामिड।
उत्तर
(क) चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरदन खाद्य श्रृंखला

1. चारण खाद्य श्रृंखला (Grazing food chain)–चारण खाद्य श्रृंखला पादपों से प्रारंभ होकर छोटे जंतुओं से बड़े जंतुओं की ओर चलती है। जैसे
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यह ऊर्जा के स्रोत हेतु प्रत्यक्ष रूप से और विकिरण पर निर्भर होती है।

2. अपरदन खाद्य श्रृंखला (Detritus food chain)-यह खाद्य श्रृंखला मृत जीवों से प्रारंभ होकर सूक्ष्मजीवों की ओर चलती है। जैसे
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यह ऊर्जा के स्रोत हेतु सौर विकिरण पर निर्भर नहीं होती।

(ख) उत्पादन तथा अपघटन में अंतर
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(ग) उर्ध्ववर्ती पिरामिड व अधोवर्ती पिरामिड में अंतर
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प्रश्न 7.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए
(क) खाद्य श्रृंखला तथा खाद्य जाल (वेष)
(ख) लिटर (कर्टक) एवं अपरद
(ग) प्राथमिक एवं द्वितीयक उत्पादकता।
उत्तर
(क) खाद्य श्रृंखला व खाद्य जाल में अन्तर
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(ख) लिटर (कर्टक) एवं अपरद
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(ग) प्राथमिक एवं द्वितीयक उत्पादकता।
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प्रश्न 8.
पारिस्थितिक तंत्र के घटकों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
पारिस्थितिक तन्त्र किसे कहते हैं ? किसी तालाब पारितन्त्र के मुख्य घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
पारिस्थितिक तन्त्र-टेंसले के अनुसार, “वातावरण के जीवीय तथा अजीवीय घटकों की समन्वित प्रणाली को पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं।” तालाब परितन्त्र के घटक-तालाब के घटक भी एक प्रारूपिक घटकों के ही समान निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

(A) अजैविक घटक-तालाब का मुख्य अजीवीय घटक जल होता है, जिसमें सभी कार्बनिक तथा अकार्बनिक रसायन घुले रहते हैं।

(B) जीवीय घटक-तालाब पारितन्त्र में सभी जीवीय घटक पाये जाते हैं

(1) उत्पादक-प्लवक जैसे-वॉलवॉक्स, पेण्डोराइना, ऊडोगोनियम, स्पाइरोगायरा इत्यादि के अलावा हाइड्रिला, सेजिटेरिया, युट्रिकुलेरिया, ऐजोला, ट्रापा, लेना, टाइफा, निम्फिया आदि पादप तालाब पारितन्त्र उत्पादक वर्ग का निर्माण करते हैं।

(2) प्राथमिक उपभोक्ता-इस श्रेणी में जन्तु प्लवक डेफ्निया, साइक्लोप्स, पैरामीशियम, अमीबा आदि आते हैं।

(3) द्वितीयक एवं तृतीयक उपभोक्ता-छोटी शाकाहारी मछलियों को खाने वाली बड़ी मछलियाँ द्वितीयक उपभोक्ता एवं सारस तथा मांसाहारी मछली खाने वाले आदमी जल तन्त्र के तृतीयक उपभोक्ता की तरह कार्य करते हैं।

(4) अपघटक-विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव इसके अन्तर्गत रखे जाते हैं, जो जन्तुओं एवं पादपों के मृत शरीर को विघटित करके फिर से उनके अवयवों को भूमि में मिला देते हैं, जिससे उत्पादक उनका उपयोग कर सकें। कवक सिफैलोस्पोरियम, क्लैडोस्पोरियम, पायथियम, कवुलेरिया, सैप्रोलिग्निया तथा जीवाणु इस श्रेणी के उदाहरण हैं।

नोट- वातावरण के मुख्य घटक निम्नानुसार हैं
(A) अजैविक घटक-ये दो प्रकार के होते हैं

  • ऊर्जा-प्रकाश, ताप तथा रासायनिक पदार्थों की ऊर्जा।
  • पदार्थ-पानी, मिट्टी, लवण इत्यादि।

(B) अजैविक घटक-ये तीन प्रकार के होते हैं

  • उत्पादक-हरे पौधे।
  • उपभोक्ता-प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक।
  • अपघटक-जीवाणु एवं कवक।

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प्रश्न 9.
पारिस्थितिक पिरामिड को पारिभाषित कीजिए तथा जैव मात्रा या जैव भार तथा संख्या के पिरामिडों की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर
पोषी स्तर-आहार श्रृंखला या पारिस्थितिक-तन्त्र के उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के विभिन्न स्तरों को पोषक स्तर कहते हैं। दूसरे शब्दों में आहार श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी पोषी या पोषक स्तर कहलाती आहार शंकु या पारिस्थितिक शंकु- यदि पारितन्त्र के विभिन्न पोषक स्तरों के जीवों को उनकी शेर संख्या, जीवभार तथा उनमें संचित ऊर्जा की मात्राओं बाघ के अनुपात को चित्र द्वारा व्यक्त करें तो एक शंकु जैसी आकृति प्राप्त होती है जिसे आहार शंकु कहते हैं। ये

1. जीव संख्या का शंकु- जब आहार श्रृंखला को पोषक स्तरों का शंकु पोषक स्तरों में उपस्थित जीवों की संख्या के आधार पर बनाते हैं तो इसे जीव संख्या का शंकु कहते हैं। यदि हम संख्या को आधारानें तो उत्पादकों की संख्या सबसे अधिक तथा इसके बाद के पोषक स्तरों के जीवों की संख्या क्रम से कम होती जाती है इस कारण इसका शंकु सीधा बनता है, लेकिन एक वृक्ष को आधार मानने पर यह उल्टा बनता है।

2. जीव भार का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र में संख्या के स्थान पर जीवों के कुल भार के आधार पर पोषी स्तरों को देखें तो उल्टे तथा सीधे, अर्थात् दोनों प्रकार के शंकु बनते हैं।

3. ऊर्जा का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र के विभिन्न जैविक घटकों में संचित ऊर्जा को आधार मानकर शंकु का निर्माण करें तो इसे ऊर्जा का शंकु कहते हैं यह शंकु हमेशा सीधा बनता है, क्योंकि प्रत्येक पोषी स्तरों में ऊर्जा में कमी आती जाती है। (लघु उत्तरीय प्रश्न क्र. 6 का चित्र देखें।) ऊर्जा के शंकु को सीधा बनने का कारण-चूँकि प्रत्येक पोषी स्तर में ऊर्जा की मात्रा कम होती जाती है इस कारण ऊर्जा का शंकु हमेशा सीधा ही बनता है।

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तालाब के जैव भार काशंकु-किसी पारिस्थितिक तन्त्र में जीवित जीवों का इकाई क्षेत्र में शुष्कभार जीव भार कहलाता है। सामान्यत: उत्पादकों का भार सबसे ज्यादा होता है ।
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इसके बाद भार क्रमशः कम होता जाता है इस कारण जीवभार का शंकु सीधा बनता है, लेकिन तालाब पारिस्थितिक तन्त्र इसका अपवाद है अर्थात् उपभोक्ता यह उल्टा बनता है क्योंकि तालाब में शैवालों अर्थात् उत्पादों का भार सबसे कम होता है। कीटों और दूसरे सूक्ष्म जीवों का भार उत्पादक उत्पादों से ज्यादा होता है। इसी प्रकार छोटी मछलियों का भार कीटों से ज्यादा और उन पर आश्रित बड़ी मछलियों का भार सबसे ज्यादा होता है|

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प्रश्न 10.
प्राथमिक उत्पादकता क्या है ? उन कारकों की संक्षेप में चर्चा कीजिए जो प्राथमिक उत्पादकता को प्रभावित करते हैं
उत्तर
हरे पादपों द्वारा उत्पादित द्रव्यों की कुल मात्रा को प्राथमिक उत्पादन (Primary production) कहा जाता है। इसे प्रति इकाई समय में प्रति इकाई क्षेत्रफल में उत्पादित जैव भार या संचित ऊर्जा के रूप में व्यक्त करते हैं । सामान्यतया इसे ग्राम/मीटर वर्ष के रूप में व्यक्त किया जाता है। प्राथमिक उत्पादकता दो प्रकार की होती है-

  • सकल (Gross) तथा
  • नेट (Net) या वास्तविक या शुद्ध।

प्राथमिक उत्पादकों द्वारा ऊर्जा के पूर्ण अवशोषण की दर को या कार्बनिक पदार्थों यथा जैव भार के कुल उत्पादन की दर को सकल प्राथमिक उत्पादकता (Gross primary productivity) कहते हैं तथा उत्पादकों को श्वसन क्रिया के पश्चात् बचे हुए जैव भार या ऊर्जा की दर को वास्तविक या नेट प्राथमिक उत्पादकता कहते हैं अर्थात् वास्तविक या नेट प्राथमिक उत्पादकता (NPP) = सकल प्राथमिक उत्पादकता (GPP)-श्वसन दर (R)।

प्राथमिक उत्पादकता, प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारकों से सर्वाधिक प्रभावित होती है जैसे-विकिरण, तापमान, प्रकाश, मृदा की आर्द्रता आदि। जलीय पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादकता प्रकाश के कारण सीमित रहती है। महासागरों (गहरे) में पोषक तत्व (जैसे-नाइट्रोजन, फॉस्फोरस आदि) उत्पादकता को सीमित करते हैं।

प्रश्न 11.
अपघटन की परिभाषा दीजिए तथा अपघटन की प्रक्रिया एवं उसके उत्पादों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
आपने शायद सुना होगा कि केंचुए किसान के मित्र होते हैं, क्योंकि ये खेतों और बगीचों में जटिल कार्बनिक पदार्थों का खण्डन करने के साथ-साथ मृदा को भुरभुरा बनाते हैं। इसी प्रकार अपघटक (Decomposer) जटिल कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्वों जैसे CO2, जल व पोषक पदार्थों में खण्डित
करने में सहायता करते हैं तथा इस प्रक्रिया को अपघटन (Decomposition) कहते हैं।

पादपों के मृत अवशेष ‘ जैसे–पत्तियाँ, छाल, टहनियाँ, पुष्प एवं प्राणियों के मृत अवशेष, मल सहित अपरद (Detritus) बनाते हैं जो कि अपघटन हेतु कच्चे माल का काम करते हैं। इस प्रक्रिया में कवक, जीवाणुओं, अन्य सूक्ष्मजीवों के अतिरिक्त छोटे प्राणियों जैसे-निमेटोड, कीट, केंचुए आदि का मुख्य योगदान रहता है। अपघटन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण चरण-खण्डन, निक्षालन अपचयन, ह्यूमीफिकेशन (Humification), खनिजीकरण है।

ह्यूमीफिकेशन तथा खनिजीकरण की प्रक्रियाएँ अपघटन के समय मृदा में सम्पन्न होती हैं। हयूमीफिकेशन के कारण एक गहरे रंग के क्रिस्टल रहित पदार्थ का निर्माण होता है जिसे ह्यूमस (Humus) कहते हैं । ह्यूमस सूक्ष्मजैविकी क्रियाओं के लिये उच्च प्रतिरोधी होता है और इसका अपघटन बहुत धीमी गति से होना है। स्वभाव से कोलॉइडल होने के कारण यह पोषक के भण्डार का कार्य करता है। ह्यूमस पुनः सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित होता है और खनिजीकरण प्रक्रिया के द्वारा अकार्बनिक पोषक उत्पन्न होते हैं।

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प्रश्न 12.
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा के प्रवाह को समझाइए।
अथवा
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह क्या है? खाद्य श्रृंखला में इसका ह्रास होता है, क्यों?
अथवा
पारितन्त्र में ऊर्जा के प्रवाह से क्या तात्पर्य है ? किसी पारितन्त्र में विभिन्न पोषी स्तरों पर ऊर्जा का किस प्रकार से ह्रास होता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह-किसी पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा स्रोत से ग्रहण की गई ऊर्जा को उत्पादकों से विभिन्न उपभोक्ताओं और अपघटकों की ओर भोजन के रूप में स्थानान्तरण होने की क्रिया को ऊर्जा का प्रवाह कहते हैं। पारितन्त्र में ऊर्जा का ह्रास-सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा के एक या दो प्रतिशत भाग को हरे पौधे प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया के द्वारा संगृहीत करते हैं तथा भोज्य पदार्थों में रासायनिक बन्ध के रूप मे इकट्ठा कर लेते हैं।

डॉ. कैलाश चन्द्र (1972) के अनुसार-पौधों द्वारा भोज्य पदार्थों के रूप में संचित ऊर्जा का लगभग 90% स्वयं की जैविक क्रियाओं और उसके शरीर के बाहर ऊष्मा के रूप में निकल जाता है। शेष 10% भाग संचित भोज्य पदार्थ के रूप में प्राथमिक उपभोक्ताओं द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। इसी प्रकार प्राथमिक उपभोक्ता भी प्राप्त

ऊर्जा का 90% भाग खर्च कर देते हैं और 10% भाग अगली पारितन्त्र श्रेणी को स्थानांतरित कर देते हैं। पारितन्त्र में यही क्रम चलता रहता है और अन्त में अपघटक मृत जीवों के शरीर में बची शेष ऊर्जा के कुछ भाग को बाहरी वातावरण में मुक्त कर देते हैं और कुछ का स्वयं उपयोग कर लेते हैं । इस प्रकार पारितन्त्र में ऊर्जा का एक दिशीय प्रव ना रहता है तथा प्रत्येक स्तर में इसमें कमी आती रहती है। अतः पारितन्त्र में आहार-श्रृंखला जितनी छोटी होगी, ऊर्जा का ह्यस उतना ही कम होगा।

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प्रश्न 13.
एक पारिस्थितिक तंत्र में एक अवसादी चक्र की महत्वपूर्ण विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर
एक पारिस्थितिक तंत्र में अवसादी चक्र की महत्वपूर्ण विशिष्टताएँ निम्नलिखित हैं

  • अवसादन चक्र जैव-भू रसायन चक्र (Biogiochemical cycle) का एक प्रकार है।
  • अवसादी चक्र (Sedimentary cycle) में पोषक तत्वों का संचय पृथ्वी की चट्टानों में होता है। उदाहरण के लिए, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम, सल्फर आदि के चक्र।
  • ये चक्र अपेक्षाकृत अधिक धीमें होते हैं। ये अधिक परिपूर्ण (Perfect) भी नहीं होते क्योंकि चक्रित तत्व किसी भी संचय स्थल में फँसकर रह जाते हैं तथा चक्रण से बाहर हो जाते हैं। अतः इनकी प्रकृति में उपलब्धता पर गहरा प्रभाव पड़ता है, हो सकता है यह रूकावट सैकड़ों से सहस्रों वर्षों के लिए बनी रहे।

प्रश्न 14.
एक पारिस्थितिक तंत्र में कार्बन चक्रण की महत्वपूर्ण विशिष्टताओं की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
सजीवों के शुष्क भार का 49% भाग कार्बन से बना होता है। समुद्र में 71% कार्बन विलेय के रूप में विद्यमान है। यह सागरीय कार्बन भण्डार वायुमण्डल में CO2, की मात्रा को नियमित करता है। कुल भूमण्डलीय कार्बन का केवल 1% भाग ही वायुमण्डल में समाहित है। जीवाश्मी ईंधन भी कार्बन के भण्डार का प्रतिनिधित्व करता है। कार्बन चक्र वायुमण्डल, सागर तथा जीवित व मृतजीवों द्वारा सम्पन्न होता है। जैवमण्डल में प्रकाश संश्लेषण के द्वारा प्रतिवर्ष 4×1013 कि.ग्रा. कार्बन का स्थिरीकरण होता है। एक महत्वपूर्ण कार्बन की मात्रा CO2, के रूप में उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के श्वसन क्रिया के माध्यम से वायुमण्डल में वापस आती है। इसके साथ ही भूमि, कचरा सामग्री एवं मृत कार्बनिक पदार्थों के अपघटन प्रक्रिया द्वारा भी CO2, की काफी मात्रा अपघटकों द्वारा छोड़ी जाती है।

यौगिकीकृत कार्बन की कुछ मात्रा अवसादों में नष्ट होती है और संचरण द्वारा निकाली जाती है। लकड़ी के जलाने, जंगली आग एवं जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण, कार्बनिक सामग्री, ज्वालामुखीय क्रियाओं आदि के अतिरिक्त स्रोतों द्वारा वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त करता है।

कार्बन चक्र में मानवीय क्रियाकलापों का महत्वपूर्ण प्रभाव है। तेजी से जंगलों का विनाश तथा परिवहन एवं ऊर्जा के लिए जीवाश्मी ईंधनों को जलाने आदि से, महत्वपूर्ण रूप से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को मुक्त करने की दर बढ़ी है।

पारितंत्र अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

पारितंत्र वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है
(a) सौर ऊर्जा
(b) हरे पौधे
(c) भोज्य पदार्थ
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(a) सौर ऊर्जा

प्रश्न 2.
वृक्ष का पारिस्थितिक तंत्र में संख्या का पिरामिड होगा
(a) उल्टा
(b) सीधा
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(a) उल्टा

प्रश्न 3.
मनुष्य होता है
(a) उत्पादक
(b) मांसाहारी
(c) सर्वाहारी
(d) शाकाहारी।
उत्तर
(c) सर्वाहारी

प्रश्न 4.
मानव निर्मित पारिस्थितिक तंत्र है
(a) वन
(b) तालाब
(c) मछली घर
(d) झील।
उत्तर
(c) मछली घर

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प्रश्न 5.
इनमें से अपघटक है
(a) जीवाणु व कवक
(b) शैवाल
(c) चूहे
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(a) जीवाणु व कवक

प्रश्न 6.
खाद्य श्रृंखला प्रारंभ होती है
(a) प्रकाश-संश्लेषण से
(b) श्वसन से
(c) अपघटन से
(d) N2 के स्थिरीकरण से।
उत्तर
(a) प्रकाश-संश्लेषण से

प्रश्न 7.
खाद्य जाल बनती है
(a) एक खाद्य श्रृंखला से
(b) दो खाद्य श्रृंखला से
(c) परस्पर जुड़ी खाद्य श्रृंखलाओं से
(d) तीन खाद्य श्रृंखला से।
उत्तर
(c) परस्पर जुड़ी खाद्य श्रृंखलाओं से

प्रश्न 8.
इकोसिस्टम शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किया था
(a) टेन्सले ने
(b) ओडम ने
(c) रीटर ने
(d) मिश्रा व पुरी ने।
उत्तर
(a) टेन्सले ने

प्रश्न 9.
प्राथमिक या प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता कहलाते हैं
(a) स्वपोषी
(b) शाकाहारी
(c) मांसाहारी
(d) रक्तभक्षी।
उत्तर
(b) शाकाहारी

प्रश्न 10.
खाद्य श्रृंखला के प्रारंभिक जीव होते हैं
(a) प्रकाश-संश्लेषी
(b) परजीवी
(c) सहजीवी
(d) मृतोपजीवी।
उत्तर
(a) प्रकाश-संश्लेषी

प्रश्न 11.
सही खाद्य श्रृंखला है
(a) घास, टिड्डे, मेढक, साँप, बाज़
(b) घास, मेढक, साँप, मोर
(c) घास, मोर, टिड्डे, बाज़
(d) घास, साँप, शशक
उत्तर
(a) घास, टिड्डे, मेढक, साँप, बाज़

प्रश्न 12.
झील के पारिस्थितिक तंत्र में जैवभार का पिरामिड होता है
(a) सीधा
(b) उल्टा
(c) उल्टा व सीधा दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(b) उल्टा

प्रश्न 13.
‘बायोसीनोसिस’ शब्द का उपयोग करने वाले वैज्ञानिक
(a) थाइनमैन
(b) कार्ल मोबियस
(c) एस.ए. फोर्ब्स
(d) फ्रेडरिक
उत्तर
(b) कार्ल मोबियस

प्रश्न 14.
ऊर्जा का पिरामिड होता है
(a) हमेशा सीधा
(b) हमेशा उल्टा
(c) उल्टा व सीधा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(a) हमेशा सीधा

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प्रश्न 15.
समुदाय व पर्यावरण की मिली-जुली इकाई कहलाती है
(a) परितंत्र
(b) खाद्य जाल
(c) खाद्य श्रृंखला
(d) पारिस्थितिक शंकु।
उत्तर
(a) परितंत्र

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये

1. दो समीपस्थ जीवोमों के मध्य उपस्थित संक्रमण क्षेत्र ……………… कहलाता है।
2. …………….. ने सर्वप्रथम इकोसिस्टम शब्द का उपयोग किया था।
3. पारिस्थितिक तंत्रों में ऊर्जा का मूल स्रोत ……………… होता है।
4. नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाला बैक्टीरिया ……………… कहलाता है।
5. प्रत्येक पारिस्थितिक तंत्र ऊर्जा के लिए ……………… पर आश्रित होता है।
6. पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन को ……………… कहते हैं।
7. किसी स्थान विशेष पर उपस्थित समस्त पौधे उस स्थान का ……………… बनाते हैं।
8. बड़े पारिस्थितिक तंत्र को ……………… कहते हैं।
उत्तर

  1. इकोटोन
  2. टेन्सले
  3. सूर्य प्रकाश
  4. राइजोबियम
  5. सौर ऊर्जा
  6. समस्थिरता
  7. पादप जाल
  8. जीवोम।

3. सही जोड़ी बनाइए

I. ‘A’ – ‘B’

1. पारिस्थितिक तंत्र – (a) प्राथमिक उपभोक्ता
2. भेड़िया, मोर – (b) ऊर्जा प्रवाह
3. शेर, साँप, चीता – (c) एक बन्द तंत्र
4. पृथ्वी – (d) पारिस्थितिकी की मूल क्रियात्मक इकाई
5. 10% नियम – (e) द्वितीयक उपभोक्ता
6. भेड़, बकरी – (f) तृतीयक उपभोक्ता।
उत्तर
1. (d), 2. (e), 3. (f), 4. (c), 5. (b), 6. (a).

II. ‘A’ – ‘B’

1. ए. जी. टेन्सले – (a) सरलतम पारिस्थितिक तंत्र
2. सर्वाधिक स्थायी पारिस्थितिक तंत्र – (b) इकोसिस्टम
3. पारिस्थितिकी की मूल इकाई – (c) मेक्रोफाइट्स
4. सबसे कम स्थायी पारिस्थितिक तंत्र – (d) पारिस्थितिक तंत्र
5. जलकाय सतह के जीव – (e) जटिलतम पारिस्थितिक तंत्र।
उत्तर
1. (b), 2. (e), 3. (d), 4. (a), 5. (c)

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. पारिस्थितिक तन्त्र के दो घटकों के नाम लिखिये।
2. इकोसिस्टम शब्द का प्रयोग किसने किया था ?
3. कौन-सा पारिस्थितिक तन्त्र सर्वाधिक स्थायी होता है ?
4. उस पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये जो सबसे कम स्थायी होता है।
5. सर्वाधिक स्तरीकरण प्रदर्शित करने वाले पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये।
6. किन्हीं दो प्रकार की खाद्य श्रृंखलाओं के नाम लिखिये।
7. बहुत-सी खाद्य श्रृंखलाओं के परस्पर जुड़ने के कारण निर्मित संरचना को क्या कहते हैं ?
8. पारिस्थितिक तंत्र की मूल इकाई का नाम लिखिये।
9. सर्वाधिक उत्पादकता प्रदर्शित करने वाले पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये।
10.जलकाय की सतह पर पाये जाने वाले जीवों को क्या कहते हैं ?
11.दो समीपस्थ जीवोमों के मध्य उपस्थित संक्रमण क्षेत्र को क्या कहते हैं ?
12.अनुक्रमण शब्द का सर्वप्रथम उपयोग किसने किया था ?
13.नग्न चट्टान से प्रारंभ होने वाला अनुक्रमण ।
14.मरुक्रमण कहाँ से प्रारंभ होता है ?
उत्तर

  1. जैविक घटक, अजैविक घटक
  2. ए.जी. टेन्सले
  3. महासागरीय
  4. मरुस्थलीय
  5. जलीय
  6. चारण, अपरद
  7. खाद्य जाल
  8. उत्पादक
  9. महासागरीय
  10. बेन्थोज
  11. इकाटोन
  12. हुल्ट (1885)
  13. लिथोसियर
  14. चट्टानों से।

पारितंत्र अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मृदा निर्माण की प्रक्रिया को क्या कहते हैं ?
उत्तर
पीडोजिनेसिस।

प्रश्न 2.
ऊर्जा का पिरामिड कैसा होता है ?
उत्तर
हमेशा सीधा।

प्रश्न 3.
कौन-सा पारिस्थितिक तन्त्र सर्वाधिक स्थायी होता है ?
उत्तर
जटिलतम पारिस्थितिक तंत्र

प्रश्न 4.
बहुत सी खाद्य श्रृंखलाओं के परस्पर जुड़ने के कारण निर्मित संरचना को क्या कहते हैं?
उत्तर
खाद्य जाल।

प्रश्न 5.
सर्वाधिक उत्पादकता प्रदर्शित करने वाले पारिस्थितिक तन्त्र का नाम लिखिये।
उत्तर
उष्ण कटिबंधीय पारिस्थितिक तंत्र।

प्रश्न 6.
पारिस्थितिक तंत्र में कवक एवं जीवाणु क्या कहलाते हैं ?
उत्तर
सूक्ष्म उपभोक्ता या अपघटक।

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प्रश्न 7.
एक पोषण स्तर से दूसरे पोषण स्तर तक कितनी ऊर्जा पहुँचती है ?
उत्तर
10%।

प्रश्न 8.
रसायन संश्लेषी जीवाणु किस प्रकार का घटक है ?
उत्तर
स्वपोषित।

प्रश्न 9.
प्रो. आर. मिश्रा द्वारा पारिस्थितिक तंत्र के अनुसार दिये गये शब्द को लिखिए।
उत्तर
इकोकोज्म (Ecocosm)।

प्रश्न 10.
हरे पादपों का कौन-सा पोषण स्तर है ?
उत्तर
पोषण स्तर प्रथम।

प्रश्न 11.
उत्पादक के लिए परिवर्तक शब्द किसने दिया था ?
उत्तर
इ.जे. कोरोमेन्डी (E.J. Koromandy) ने।

प्रश्न 12.
किन्हीं दो अवसादी चक्रों के नाम लिखिए।
उत्तर

  • फॉस्फोरस चक्र
  • सल्फर चक्र।

प्रश्न 13.
ऊर्जा के स्तूप (पिरामिड) हमेशा होते हैं ?
उत्तर
सीधा।

प्रश्न 14.
अपघटकों के उदाहरण हैं ?
उत्तर
जीवाणु एवं कवक।

प्रश्न 15.
ऊर्जा के 10% का नियम किसने दिया ?
उत्तर
लिण्डेमान ने।

प्रश्न 16.
पौधे नाइट्रोजन को किस रूप में ग्रहण करते हैं ?
उत्तर
नाइट्रोजन के यौगिक (नाइट्रेट आयन NO5 ) के रूप में।

प्रश्न 17.
दो प्रकार के खाद्य श्रृंखलाओं के नाम लिखिए।
उत्तर
चारण खाद्य श्रृंखला, अपरदन खाद्य शृंखला।

पारितंत्र लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तंत्र के जैविक व अजैविक घटकों के नाम लिखिये।
उत्तर
वातावरण के मुख्य घटक निम्नानुसार हैं
(A) अजैविक घटक-ये दो प्रकार के होते हैं

  • ऊर्जा-प्रकाश, ताप तथा रासायनिक पदार्थों की ऊर्जा।
  • पदार्थ-पानी, मिट्टी, लवण इत्यादि।

(B) अजैविक घटक-ये तीन प्रकार के होते हैं

  • उत्पादक-हरे पौधे।
  • उपभोक्ता-प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक।
  • अपघटक-जीवाणु एवं कवक।

प्रश्न 2.
वायुमण्डल के विभिन्न घटकों के नाम तथा उनका अनुपात लिखिए।
उत्तर
वायुमण्डल के घटकों के नाम तथा उनका अनुपातनाम

  • नाम – अनुपात
  • ऑक्सीजन – 20%
  • नाइट्रोजन – 79%
  • कार्बन-डाइऑक्साइड – 0.03%
  • हाइड्रोजन – 0.00005%

इसके अलावा शेष गैसें, जैसे-हीलियम, आर्गन, नियॉन तथा क्रिप्टॉन अत्यल्प मात्रा में पायी जाती हैं।

प्रश्न 3.
अपमार्जक एवं अपघटक में अन्तर बताइए।
उत्तर
अपमार्जक वे जीव हैं, जो दूसरे जीवों के मृत शरीर को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। जैसेगिद्ध। जबकि अपघटक वे जीव हैं, जो मृत जीवों के शरीर को उनके अवयवों में विघटित कर देते हैं, जैसेजीवाणु एवं कवक।

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प्रश्न 4.
जीवोम एवं परितन्त्र में अन्तर बताइए।
उत्तर
किसी निश्चित क्षेत्र में आपस में जुड़े वातावरणीय तथा जीवीय घटकों को एक साथ परितन्त्र कहते हैं। यह जल की एक बूंद से लेकर समुद्र इतना बड़ा हो सकता है, जबकि बहुत बड़े परितन्त्र को जीवोम कहते हैं। जैसे-महासागर।

प्रश्न 5.
पारिस्थितिक तंत्र के जैविक घटकों के नाम लिखिये।
उत्तर
(1) उत्पादक-सभी हरे–पौधे (दूब, जौ, आम आदि)।
(2) उपभोक्ता-

  • प्राथमिक उपभोक्ता-सभी शाकाहारी जन्तु (बकरी, टिड्डे, चूहा, हिरण आदि)।
  • द्वितीयक उपभोक्ता-शाकाहारियों को खाने वाले मांसाहारी (सियार, लोमड़ी, मेंढक आदि)।
  • तृतीयक उपभोक्ता-द्वितीयक उपभोक्ता को खाने वाले जन्तु (शेर, बाघ, सर्प आदि)।

(3) अपघटक-वे जीव जो मृत जीवों के शरीर को अनेक अवयवों में अपघटित कर देते हैं। (जीवाणु, कवक)

प्रश्न 6.
केवल चित्र की सहायता से घास पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का सीधा पिरामिड बनाकर समझाइए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 11

प्रश्न 7.
प्रकृति में नाइट्रोजन चक्र को समझाइये।
उत्तर
वायु में नाइट्रोजन पर्याप्त मात्रा में पायी जाती है। बादल की बिजली और वर्षा के कारण यह नाइट्रोजन ऑक्साइड के रूप में मृदा में मिल जाती है। इसके अलावा कुछ सूक्ष्म जीव भी वायुमंडल की N2 को नाइट्रोजन के ऑक्साइडों (नाइट्राइट, नाइट्रेट) में बदल देते हैं जिसे पौधे अवशोषित करके अपने लिए आवश्यक प्रोटीन बनाते हैं इनसे यह प्रोटीन जन्तुओं में जाता है और जब जीव मरते हैं तो अपघटक जीवों के प्रोटीन की N2 को गैस के रूप में पुनः वातावरण में मुक्त कर देते हैं।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 12

प्रश्न 8.
प्रकृति में सल्फर चक्र को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 13

प्रश्न 9.
जलवायु के प्रकाश कारक का पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर
प्रकाश पारिस्थितिक-तन्त्र का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो सम्पूर्ण पारितन्त्र को ऊर्जा देता है। हरे पौधे इसे अवशोषित कर प्रकाश-संश्लेषण करते हैं । इसी कारण प्रकाश की तीव्रता, अवधि इत्यादि का पादपों की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है। प्रकाश तीव्रता की आवश्यकता के आधार पर पादप दो प्रकार के होते हैं

  • हेलियोफाइट्स-ये तेज प्रकाश में अच्छी वृद्धि करते हैं, अर्थात् इनमें तेज प्रकाश में संश्लेषण की क्षमता होती है।
  • सायोफाइट्स-ये कम प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण करते हैं, अर्थात् ये छायादार स्थानों में उगते हैं।

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प्रश्न 10.
आहार जाल का अर्थ स्पष्ट करते हुए एक आहार जाल का रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर
खाद्य-जाल-पारितन्त्र का कोई भी जीव एक से अधिक खाद्य श्रृंखलाओं का सदस्य हो सकता है। ऐसा होने पर वह विभिन्न आहार श्रृंखलाओं के बीच एक कड़ी का काम करता है। इस प्रकार एक जैव समुदाय की सभी आहार श्रृंखलाएँ मिलकर एक जाल का रूप ले लेती हैं जिसे खाद्य जाल या आहार जाल कहते हैं।
उदाहरण-घास पारितन्त्र में टिड्डे, चूहे, शशक, हिरण आदि पाये जाते हैं, जिन्हें मेढक, पक्षी, भेड़िया आदि जन्तु खाकर एक खाद्य जाल की संरचना करते हैं इस पारितन्त्र में एक भी श्रृंखला सीधी नहीं रह पाती है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 14

प्रश्न 11.
प्रकृति में कैल्सियम चक्र को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 15

प्रश्न 12.
वृक्ष एवं तालाब पारिस्थितिक तंत्र के घटकों के संख्या का पिरामिड बनाइये।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 16

प्रश्न 13.
तालाब पारिस्थितिकी तन्त्र के उपभोक्ता समुदाय को 66-75 शब्दों में समझाइए।
उत्तर
तालाब एक सरल तथा कृमि पारितन्त्र है जिसके अन्दर उपभोक्ता वर्ग के जीव निम्नानुसार होते

  • प्राथमिक उपभोक्ता-इसमें तालाब के शाकाहारी जन्तु प्लवक आते हैं, जैसे-डैफनिया, साइक्लोस, पैरामीशियम, अमीबा। इसके अलावा कुछ नितलस्थ जन्तु, जैसे-अनेक प्रकार की मछलियाँ, क्रस्टेशिया, मोलस्क, कीट तथा भुंग आदि भी प्राथमिक उपभोक्ता की तरह व्यवहार करते हैं।
  • द्वितीयक उपभोक्ता-छोटी शाकाहारी मछलियों तथा कीटों को खाने वाली बड़ी मछलियाँ, मेढक, इत्यादि जीव इस श्रेणी में आते हैं।
  • तृतीयक उपभोक्ता-द्वितीयक उपभोक्ताओं को ग्रहण करने वाले जीव सारस, बगुला एवं मांसाहारी मछलियाँ इस श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 14.
किसी तालाब पारिस्थितिक-तन्त्र के जैवभार के शंकु को समझाइए।
उत्तर
तालाब के जैव भार काशंकु-किसी पारिस्थितिक तन्त्र में जीवित जीवों का इकाई क्षेत्र में शुष्कभार जीव भार कहलाता है। सामान्यत: उत्पादकों का भार सबसे ज्यादा होता है ।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 17
इसके बाद भार क्रमशः कम होता जाता है इस कारण जीवभार का शंकु सीधा बनता है, लेकिन तालाब पारिस्थितिक तन्त्र इसका अपवाद है अर्थात् उपभोक्ता यह उल्टा बनता है क्योंकि तालाब में शैवालों अर्थात् उत्पादों का भार सबसे कम होता है। कीटों और दूसरे सूक्ष्म जीवों का भार उत्पादक उत्पादों से ज्यादा होता है। इसी प्रकार छोटी मछलियों का भार कीटों से ज्यादा और उन पर आश्रित बड़ी मछलियों का भार सबसे ज्यादा होता है

पारितंत्र दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक-तन्त्र में पोषी स्तरों से आप क्या समझते हैं ? विभिन्न प्रकार के आहार शंकुओं का वर्णन कीजिए। संक्षेप में समझाइए कि ऊर्जा शंकु सदैव सीधे ही क्यों होगी?
उत्तर
पोषी स्तर-आहार श्रृंखला या पारिस्थितिक-तन्त्र के उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के विभिन्न स्तरों को पोषक स्तर कहते हैं। दूसरे शब्दों में आहार श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी पोषी या पोषक स्तर कहलाती
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 18

आहार शंकु या पारिस्थितिक शंकु- यदि पारितन्त्र के विभिन्न पोषक स्तरों के जीवों को उनकी शेर संख्या, जीवभार तथा उनमें संचित ऊर्जा की मात्राओं बाघ के अनुपात को चित्र द्वारा व्यक्त करें तो एक शंकु जैसी आकृति प्राप्त होती है जिसे आहार शंकु कहते हैं। ये

1. जीव संख्या का शंकु- जब आहार श्रृंखला को पोषक स्तरों का शंकु पोषक स्तरों में उपस्थित जीवों की संख्या के आधार पर बनाते हैं तो इसे जीव संख्या का शंकु कहते हैं। यदि हम संख्या को आधारानें तो उत्पादकों की संख्या सबसे अधिक तथा इसके बाद के पोषक स्तरों के जीवों की संख्या क्रम से कम होती जाती है इस कारण इसका शंकु सीधा बनता है, लेकिन एक वृक्ष को आधार मानने पर यह उल्टा बनता है।

2. जीव भार का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र में संख्या के स्थान पर जीवों के कुल भार के आधार पर पोषी स्तरों को देखें तो उल्टे तथा सीधे, अर्थात् दोनों प्रकार के शंकु बनते हैं।

3. ऊर्जा का शंकु-यदि किसी पारितन्त्र के विभिन्न जैविक घटकों में संचित ऊर्जा को आधार मानकर शंकु का निर्माण करें तो इसे ऊर्जा का शंकु कहते हैं यह शंकु हमेशा सीधा बनता है, क्योंकि प्रत्येक पोषी स्तरों में ऊर्जा में कमी आती जाती है। (लघु उत्तरीय प्रश्न क्र. 6 का चित्र देखें।) ऊर्जा के शंकु को सीधा बनने का कारण-चूँकि प्रत्येक पोषी स्तर में ऊर्जा की मात्रा कम होती जाती है इस कारण ऊर्जा का शंकु हमेशा सीधा ही बनता है।

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प्रश्न 2.
स्थलीय बायोम से क्या तात्पर्य है ? ये कितने प्रकार के होते हैं ? किसी एक बायोम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर
स्थलीय बायोम-प्राकृतिक रूप से बड़े-बड़े क्षेत्रों में फैले पारितन्त्रों को बायोम कहते हैं अर्थात् बायोम बड़े पारिस्थितिक तन्त्र हैं। अगर बायोम भूमि पर हो तब उसे स्थलीय बायोम कहते हैं । स्थलीय बायोम निम्न प्रकार के हो सकते हैं
(अ) वनीय बायोम-ये निम्न प्रकार के हो सकते हैं

  • ऊष्ण कटिबन्धीय वन
  • शीतोष्ण कटिबन्धीय वन
  • टैगा वन।

(ब) घास स्थलीय बायोम-ये निम्न प्रकार के हो सकते हैं

  • ऊष्ण कटिबन्धीय एवं
  • शीतोष्ण कटिबन्धीय।

(स) रेगिस्तानी बायोम
(द) टुण्ड्रा बायोम
घास स्थलीय बायोम या पारितन्त्र-वह बायोम (पारितन्त्र) है जिसमें लम्बी-लम्बी घासें पायी जाती हैं इसकी भूमि उपजाऊ होती है। यहाँ पर लगभग 25 से 75 सेमी. औसतन वार्षिक वर्षा होती है। इस पारितन्त्र (बायोम) के घटक निम्नानुसार होते हैं-

(A) अजीवीय घटक-इसमें भूमि के कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदार्थ तथा जलवायुवीय घटक आते हैं

(B) जीवीय घटक-इसके जीवीय घटक निम्नानुसार होते हैं.

  • उत्पादक-इस वर्ग में घासें, शाकीय पादप तथा झाड़ियाँ आती हैं।
  • प्राथमिक उपभोक्ता-इस क्षेत्र के शाकाहारी जन्तुओं में गाय, भैंस, बकरियाँ, भेड़, हिरन, खरगोश, चूहे, कीट, पक्षी प्रमुख होते हैं।
  • द्वितीयक उपभोक्ता-कई प्रकार के मांसाहारी जीव जो प्राथमिक उपभोक्ताओं का भक्षण करते हैं, द्वितीयक उपभोक्ता कहलाते हैं। साँप, पक्षी, लोमड़ी, भेड़िया आदि इस समूह के प्राणी हैं।
  • तृतीयक उपभोक्ता-ये जीवधारी द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाने के कारण उच्च मांसाहारी कहलाते हैं, क्योंकि इस पारितन्त्र में इन्हें खाने वाला दूसरा जीव नहीं होता। बाज, मोर इसी श्रेणी में रखे जाते हैं।
  • अपघटक-अनेक प्रकार के सूक्ष्मजीवी कवक जीवाणु एवं एक्टिनोमाइसीट्स घास के मैदान के अपघटक होते हैं। ये उत्पादकों तथा उपभोक्ताओं के मृत शरीर व उत्तार्जी पदार्थों को विघटित करके उन्हें पुनः अजीवित घटकों में बदल देते हैं, जो पुनः पेड़-पौधों को प्राप्त हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
पारिस्थितिक तंत्र में खनिजों के चक्रीकरण को समझाइये।
उत्तर
जैव-भूगर्भीय रासायनिक चक्र—पारितन्त्र या प्रकृति में पोषक पदार्थों और मानव निर्मित वस्तुओं सहित (रासायनिक खादों, दवाओं इत्यादि के रूप में प्रयुक्त पदार्थ) दूसरे कई अन्य पदार्थ अजीवीय से जीवीय और पुन: अजीवीय घटकों में एक चक्र के रूप में प्रवाहित होते रहते हैं, इस चक्र को जैव-भूगर्भीय रासायनिक चक्र या खनिजों का चक्रीकरण कहते हैं। प्रमुख चक्र हैं N2 चक्र, O2 चक्र, कार्बन चक्र आदि।

सल्फर चक्र-प्रकृति में यह तत्व रूप में मिलती है, कुछ जीवाणु इसे सल्फेट में बदल देते हैं, जिसे पौधे ग्रहण कर लेते हैं, पौधों से यह जन्तुओं में आती है और जब ये सब मरते हैं, तब जीवाणु इन्हें H2S और तात्विक रूप में मुक्त कर देते हैं, जो जीवाणुओं द्वारा पुनः SC के रूप में रूपान्तरित कर दी जाती है
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 19

कैल्सियम चक्र-भूमि से पादप Ca को लवण के रूप में ग्रहण करते हैं उनसे इसे जन्तु ग्रहण करते हैं, जहाँ यह अस्थियों के कवचों में उपस्थित रहता है। जब पादप एवं जन्तु मरते हैं, तब इनके शरीर का अपघटन जीवाणुओं द्वारा किया जाता है और इनके शरीर की Ca को फिर से प्रकृति में मुक्त कर दिया जाता है
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 14 पारितंत्र 20

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MP Board Class 12th Business Studies Important Questions with Answers

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MP Board Class 12th Business Studies Important Questions with Answers

MP Board Class 12th Business Studies: Principles and Functions of Management Important Questions with Answers

  • Chapter 1 Nature and Significance of Management
  • Chapter 2 Principles of Management
  • Chapter 3 Business Environment
  • Chapter 4 Planning
  • Chapter 5 Organising
  • Chapter 6 Staffing
  • Chapter 7 Directing
  • Chapter 8 Controlling

MP Board Class 12th Business Studies: Business Finance and Marketing Important Questions with Answers

  • Chapter 9 Financial Management
  • Chapter 10 Financial Market
  • Chapter 11 Marketing
  • Chapter 12 Consumer Protection
  • Chapter 13 Entrepreneurship Development

MP Board Class 12th Business Studies Syllabus and Marking Scheme

Latest Syllabus and Marks Distribution Business Studies Class XII for the academic year 2019 – 2020 Examination.

Business Studies
Class XII

Time : 3 Hours.
Maximum Marks: 100

Unit Wise Division of Marks

 

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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

जीव और समष्टियाँ NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
शीत निष्क्रियता (हाइबर्नेशन) से उपरति (डायपॉज) किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर
दोनों ही क्रियाएँ ताप अनुकूलन से संबंधित हैं । प्राणियों में जब जीव प्रवास (Migrate) नहीं कर पाता है तो वह पलायन करके शीत ताप से बचता है, जैसे शीत ऋतुओं में शीत निष्क्रियता (Hibernation) में जाना तथा उस समय पलायन से बचाव का तरीका है। प्रतिकूल परिस्थितियों में झीलों और तालाबों में प्राणी प्लवक (Zooplankton) की अनेक जातियाँ उपरति (Diapause) में आ जाती हैं जो निलंबित (Suspended) परिवर्धन की एक अवस्था है।

दोनों ही क्रियाओं में प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित बचे रहने में सहायता मिलती है। जैसे ही इन्हें उपयुक्त पर्यावरण उपलब्ध होता है, ये अपना सामान्य जीवन व्यतीत करने लगते हैं। इन अवस्थाओं में भोजन ग्रहण, वृद्धि, गतिशीलता तथा प्रजनन क्रियाएँ सुप्त (Dormant) हो जाती हैं।

प्रश्न 2.
अगर समुद्रीय मछली को अलवण जल (फ्रेश वॉटर) की जलजीवशाला (एक्वेरियम) में रखा जाता है तो क्या यह मछली जीवित रह पायेगी? क्यों और क्यों नहीं ?
उत्तर
समुद्रीय जल की लवणता 3% होती है, जो प्रायः सभी समुद्रों में एक समान होती है। इस गुण के कारण समुद्रीय प्राणियों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवासन में कोई बाधा नहीं होती है। जबकि अलवणीय जल में लवणता परिवर्तनशील होती है। समुद्रीय व अलवण जलीय जल में रहने वाले प्राणियों को शरीर में पानी के नियमन की समस्या से सामना करना पड़ता है। शुद्ध जलीय (अलवणीय) प्राणियों को

अंत:परासरण (Endosmosis) से सामना करना पड़ता है, जबकि समुद्रीय प्राणियों को बहि:परासरण (Exosmosis) से सामना करना पड़ता है। जब अलवण जल प्राणी समुद्र के पानी में और समुद्रीय प्राणी अलवण जल में लंबे समय तक नहीं रह सकते क्योंकि उन्हें परासरणीय (Osmotic) समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अतः समुद्रीय मछली को अलवण जल की जलजीवशाला (एक्वेरियम) में रखने पर कुछ समय बाद मर जायेगी।

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प्रश्न 3.
लक्षण प्ररूपी (फीनोटाइपिक) अनुकूलन की परिभाषा दीजिए। एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
आकारिकी लक्षण बाहर से दिखते हैं अत: ये लक्षण प्ररूपी (फीनोटाइपिक),अनुकूलन होते हैं। अत: ऐसे बाहरी लक्षण जिसके कारण वह जीव वहाँ के पर्यावरण में जीवित रहने में सक्षम होता है, उन्हें लक्षण प्रारूप अनुकूलन (Phenotypic adaptation) कहते हैं। उदा.-मरुस्थलीय पादप जैसे-नागफनी, कैक्टस में पत्तियों का अभाव होता है क्योंकि वे काँटों में रूपान्तरित होकर वाष्पोत्सर्जन को न्यून (कम) कर देती है। मरुस्थल में जल की कमी होती है अत: ये जल की कम-से-कम हानि करते हैं। पत्तियों का कार्य हरे चपटे तनों के द्वारा होता है। अत: काँटें पत्तियों का रूपांतरण है तथा तना चपटा व हरा पत्ती सदृश होता है।

प्रश्न 4.
अधिकतर जीवधारी 45° सेंटी. से अधिक तापमान पर जीवित नहीं रह सकते। कुछ सूक्ष्मजीव (माइक्रोब) ऐसे आवास में जहाँ तापमान 100 सेंटी. से अधिक है, कैसे जीवित रहते हैं ?
उत्तर
सभी सजीवों में समस्त प्रकार की उपापचयी क्रियाएँ एक निश्चित न्यून तापक्रम पर प्रारम्भ हो जाती है । तापक्रम के बढ़ने के साथ-साथ उपापचयी क्रिया की दर भी बढ़ जाती है परंतु और अधिक तापमान के बढ़ने के साथ-साथ उपापचयी क्रियाएँ धीरे-धीरे मंद होना प्रारंभ हो जाती हैं। कुछ प्राणियों में जैविक क्रियाएँ अत्यधिक तापक्रम पर भी होती रहती हैं।

जीवाणुओं, कवकों व निम्न पादपों में विभिन्न प्रकार के मोटी भित्ति वाले बीजाणु बनते हैं, जिससे वे उच्च ताप को सह लेते हैं। बीजाणुओं में जनन के दौरान अन्त:बीजाणु (Endospore) बनता है। अन्त:बीजाणु की भित्ति मोटी होती है। बेसिलस एन्थ्रेसिस व क्लॉस्ट्रीडियम टिटैनी का जीवाणु 100°C तापमान को सहन कर सकता है। ताप के प्रति यह रोधकता भित्ति में उपस्थित कैल्सियम डाइपिकोलिक अम्ल की अधिकता के कारण होती है।

प्रश्न 5.
उन गुणों को बताइए जो व्यष्टियों में तो नहीं पर समष्टियों में होते हैं।
उत्तर
समष्टि में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो व्यष्टि जीव में नहीं होते। व्यष्टि जन्मता और मरता है लेकिन समष्टि में जन्म दरें और मृत्यु दरें होती हैं । समष्टि में इन दरों को क्रमशः प्रति व्यक्ति जन्म दर और मृत्यु दर कहते हैं इसलिए दर को समष्टि के सदस्यों के संबंधों में संख्या परिवर्तन (वृद्धि या ह्रास) के रूप में प्रकट किया गया है। समष्टि का दूसरा विशिष्ट गुण लिंग अनुपात यानि नर एवं मादा का अनुपात है। व्यष्टि या तो नर है या मादा है लेकिन समष्टि का लिंग अनुपात है (जैसे कि समष्टि का 60 प्रतिशत स्त्री है और 40 प्रतिशत नर है)।

प्रश्न 6.
अगर चरघातांकी रूप से (एक्सपोनेन्शियली) बढ़ रही समष्टि 3 वर्ष में दोगुने साइज की हो जाती है, तो समष्टि की वृद्धि की इन्ट्रिन्सिक दर (r) क्या है ?
उत्तर
चरघातांकी वृद्धि (Exponential growth)-किसी समष्टि की अबाधित वृद्धि उपलब्ध संसाधनों (आहार, स्थान आदि) पर निर्भर करती है असीमित संसाधनों की उपलब्धता होने पर समष्टि में संख्या वृद्धि पूर्ण क्षमता से होती है। जैसा कि डार्विन ने प्राकृतिक वरण सिद्धांत को प्रतिपादित करते हुये प्रेक्षित किया था, इसे चरघातांकी अथवा ज्यामितीय वृद्धि कहते हैं। यदि N साइज की समष्टि में जन्मदर ‘b’ और मृत्यु दर ‘d’ के रूप में निरूपित की जाए, तब इकाई समय अवधि ‘t’ में समष्टि की वृद्धि या कमी होगी
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 1
‘r’ प्राकृतिक वृद्धि की इन्ट्रिन्सिक दर (Intrinsic rate) कहलाती है। यह समष्टि वृद्धि पर जैविक या अजैविक कारकों के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण प्राचल (Parameter) है। यदि समष्टि 3 वर्ष में दोगुने साइज की हो जाती है तो समष्टि की वृद्धि की इन्ट्रिन्सिक दर ‘3r’ होगी।

प्रश्न 7.
पादपों में शाकाहारिता (Herbivory) के विरुद्ध रक्षा करने की महत्वपूर्ण विधियाँ बताइये।
उत्तर
पादपों के लिये शाकाहारी प्राणी परभक्षी है। लगभग 25% कीट पादपभक्षी (Phytophagous) है अर्थात् वे पादप रस एवं पौधों के अन्य भाग खाते हैं। पौधों के लिये यह समस्या विशेष रूप से गंभीर है, क्योंकि वे अपने परभक्षियों से दूर नहीं भाग सकते जैसा कि अन्य प्राणी करते हैं। इसलिये पादपों ने अपने बचाव के लिये आश्चर्यजनक रूप से आकारिकी एवं रासायनिक रक्षाविधियाँ विकसित कर ली हैं।

रक्षा के लिये सबसे सामान्य आकारिकी साधन काँटे ( एकेशिया कैक्टस) है। बेर की झाडी में भी काँटे होते हैं । अनेक पौधे इस प्रकार रसायन उत्पन्न करते हैं जो खाए जाने पर शाकाहारियों को बीमार कर देते हैं। खेतों में उगे हुए ऑक (Calotropis) खरपतवार अधिक विषैले ग्लाइकोसाइड उत्पन्न करते हैं जिसके कारण कोई भी पशु इन पौधों को नहीं खाते हैं। पौधों में अनेक रसायन जैसे-निकोटिन, कैफीन, क्वीनीन, अफीम आदि प्राप्त होते हैं। वस्तुतः ये रसायन चरने वाले प्राणियों से बचने की रक्षा विधियाँ हैं।

प्रश्न 8.
ऑर्किड पौधा, आम के पेड़ की शाखा पर उग रहा है। ऑर्किड और आम के पेड़ के बीच पारस्परिक क्रिया का वर्णन आप कैसे करेंगे?
उत्तर
आम की शाखा पर एक अधिपादप (Epiphyte) के रूप में उगने वाला ऑर्किड पौधा एक सहभोजिता (Commensalism) का उदाहरण है। सहभोजिता में एक जाति को लाभ होता है और दूसरे को न तो लाभ होता है और न ही हानि। यहाँ ऑर्किड को फायदा होता है जबकि आम को इससे कोई लाभ नहीं होता है। ऑर्किड का पौधा आम की शाखा पर उगकर प्रकाश, वायु व वातावरण से नमी का अवशोषण करता है।

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प्रश्न 9.
कीट पीड़कों (पेस्ट/इंसेक्ट) के प्रबंध के लिए जैव-नियंत्रण विधि के पीछे क्या पारिस्थितिक सिद्धांत है ?
उत्तर
कीट पीड़कों (पेस्ट/इंसेक्ट) के प्रबंध के लिए जैव-नियंत्रण विधि के पीछे परभक्षी की शिकारनियंत्रण योग्यता पर आधारित पारिस्थितिक सिद्धांत है (based on the prey- regulating ability of the predator)।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित के बीच अंतर कीजिए
(क)शील निष्क्रियता और ग्रीष्म निष्क्रियता (हाइबर्नेशन एंड एस्टीवेशन)
(ख) बाह्योष्मी तथा आंतरोष्मी (एक्टोथर्मिक एंड एंडोथर्मिक)।
उत्तर
(क) शीत निष्क्रियता और ग्रीष्म निष्क्रियता (हाइबर्नेशन एंड एस्टीवेशन) में अंतर शीत निष्क्रियता-कुछ जीव शीत ऋतु के कुप्रभाव से बचने के लिए कुछ समय के लिए अधिक अनुकूल क्षेत्रों में चले जाते हैं । इसे शीत निष्क्रियता कहते हैं। ग्रीष्म निष्क्रियता-कुछ जीव ग्रीष्म ऋतु में गर्मी के कुप्रभाव से बचने के लिए अधिक अनुकूली क्षेत्रों में चले जाते हैं। जैसे गर्मी की अवधि में व्यक्ति दिल्ली से शिमला चला जाए। इसे ग्रीष्म निष्क्रियता कहते हैं।

(ख) बाह्योष्मी तथा आंतरोष्मी (एक्टोथर्मिक एंड एंडोथर्मिक ) में अंतर बाह्योष्मी-शीत रुधिर वाले जीवों में अपने वातावरण के अनुसार अपने शरीर का तापमान बनाए रखने की क्षमता होती है। बहुत सारे सक्रिय बाह्योष्मी जीव जैसे-मेढक, सर्प आदि अपने शरीर की ऊष्मा को बनाए रखने के लिए गतिशील रहते हैं। आंतरोष्मी-ऊष्म रुधिर धारी जन्तु जैसे, पक्षी तथा मनुष्य अपने शरीर की क्रिया क्रियात्मकता द्वारा एक निश्चित तापमान बनाए रखते हैं। बाह्य तापीय उतार-चढ़ाव का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी (नोट) लिखिए
(क) मरुस्थलीय पादपों और प्राणियों का अनुकूलन
(ख) जल की कमी के प्रति पादपों का अनुकूलन
(ग) प्राणियों में व्यावहारिक (बिहेवियोरल) अनुकूलन
(घ) पादपों के लिये प्रकाश का महत्व
(ङ) तापमान और पानी की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन।।
उत्तर
(क) मरुद्भिद पौधों में शुष्क वातावरण को सहने के लिये निम्न प्रकार के प्रकार्यात्मक अनुकूलन पाये जाते हैं
पत्तियों में अनुकूलन (Adaptations in leaves)

  • मरुद्भिद पौधों की पत्तियाँ छोटी (Small) होती हैं, जिससे वाष्योत्सर्जन (Transpiration) करने वाले क्षेत्रफल में कमी आती है। उदाहरण-केजूराइना (Casurina)।
  • कुछ पौधों जैसे-अकेसिया मेलैनोजाइलॉन (Acacia melanonylon) में पर्णफलक (Leaf lamina) अनुपस्थित होता है तथा पर्णवृन्त (Petiole) चपटा होकर प्रकाश-संश्लेषण का कार्य करता है। इसे फिल्लोड (Phyllode) कहते हैं।
  • कुछ मरुद्भिद पौधों जैसे-ऐलोय (Aloe), ऐगेव (Agave), यूक्का (Yucca) एवं बिगोनिया (Begonia) आदि में पत्तियाँ मोटी, गूदेदार एवं मांसल होती हैं। अत: इनमें जल की अत्यधिक मात्रा संचित रहती है।
  • नागफनी (Opuntia) एवं ऐस्पेरेगस (Asparagus) में पत्तियाँ काँटों (Spines) में रूपान्तरित होती हैं। इसी प्रकार पाइनस (Pinus) की पत्तियाँ लम्बी एवं सूच्याकार (Needle shaped) होकर जल की हानि को कम करते हैं।
  • कुछ मरुद्भिद् पौधों में अनुपत्र (Stipules) काँटों (Spines) में रूपान्तरित होकर वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करते हैं। उदाहरण-यूफोर्बिया स्प्लेन्डेन्स (Euphorbia splendens), बेर (Zizvphus jujuba), अकेसिया (Acacia), कैपेरिस (Capparis) आदि।
  • इन पौधों की पत्तियों की बाह्य सतह चमकदार (Shiny) होती है, अतः ये प्रकाश को परावर्तित करके तापमान को कम करने में सहायता करती हैं। उदाहरण- कनेर (Nerium)।
  • कुछ एकबीजपत्री मरुद्भिद् पौधों की पत्तियाँ मुड़ी हुई (Rolled) अथवा वलयित (Folded) होकर रन्ध्रों को अन्दर की ओर छिपा लेती हैं, जिसके कारण वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है। उदाहरणएमोफिला (Ammophila), पोआ (Poa), सोमा (Psomma), एग्रोपायरॉन (Agropyron) आदि।

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(ख) मरुद्भिद् पौधों की आंतरिक संरचना के अनुकूलन

  • इन पौधों के तनों एवं पत्तियों की बाह्य त्वचा (Epidermis) के ऊपर एक मोटी उपत्वचा (Cuticle) पाई जाती है।
  • इनकी बाह्य त्वचा (Epidermis) बहुस्तरीय (Multilayered) भी हो सकती है। उदाहरणनेरियम (Nerium)।
  • बाह्य त्वचा की भित्तियों का मोटा होना, इससे वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है।
  • इन पौधों के पत्तियों की निचली सतह पर धंसे हुए रन्ध्र (Suncken stomata) पाये जाते हैं। यह रन्ध्र, रन्ध्रीय गुहाओं (Stomatal cavities) में स्थित होते हैं जिनमें रोम (Hairs) या रन्ध्रीय रोम (Stomatal hairs) उपस्थित होते हैं। उदाहरण- कनेर (Nerium), पाइनस (Pinus) |
  • इन पौधों की हाइपोडर्मिस (Hypodermis) मोटी भित्ति वाली स्क्लेरेनकायमी कोशिकाओं (Sclerenchymatous cell) की बनी होती है जो कि जल के वाष्पीकरण को रोकते हैं। उदाहरण–पाइनस (Pinus) की पत्तियाँ।
  • इनकी पत्तियों में मीजोफिल (Mesophyll), पैलिसेड ऊतक (Palisade tissue) एवं स्पंजी पैरेनकाइमा (Spongy parenchyma) में स्पष्ट तथा भिन्नित होते हैं।

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 2

  • अन्तरकोशिकीय अवकाश (Intercellular spaces) आकार में बहुत छोटे होते हैं अथवा अनुपस्थित होते हैं।
  • इनमें शरीर को मजबूती प्रदान करने के लिए यान्त्रिक ऊतक (Mechanical tissue) कोलेनकाइमा (Collenchyma) के रूप में तथा स्क्ले रेनकाइमा (Sclerenchyma) के रूप में उपस्थित रहता है।
  • इनके तनों के वल्कुट (Cortex) में क्लोरेनकाइमा भी पाया जाता है।
  • इन पौधों में संवहनी ऊतक (Conducting tissue), दारु (Xylem) तथा पोषवाह (Phloem) के रूप में पूर्णतया विकसित होता है, जिससे जल व पोषक पदार्थों का संवहन (Conduction) आसानी से होता है।
  • इनकी बाह्यत्वचा (Epidermis) के ऊपर रोम (hairs) अथवा कण्टक (Spines) पाये जाते हैं, जो कि वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करते हैं।
  • रंध्रों की संख्या कम व पत्ती की निचली सतह में होती है।
  • तनों में धंसे हुए रंध्रों का पाया जाना।

मरुद्भिद पौधों में शुष्क वातावरण को सहने के लिये निम्न प्रकार के प्रकार्यात्मक अनुकूलन पाये जाते हैं
पत्तियों में अनुकूलन (Adaptations in leaves)

  • मरुद्भिद पौधों की पत्तियाँ छोटी (Small) होती हैं, जिससे वाष्योत्सर्जन (Transpiration) करने वाले क्षेत्रफल में कमी आती है। उदाहरण-केजूराइना (Casurina)।
  • कुछ पौधों जैसे-अकेसिया मेलैनोजाइलॉन (Acacia melanonylon) में पर्णफलक (Leaf lamina) अनुपस्थित होता है तथा पर्णवृन्त (Petiole) चपटा होकर प्रकाश-संश्लेषण का कार्य करता है। इसे फिल्लोड (Phyllode) कहते हैं।
  • कुछ मरुद्भिद पौधों जैसे-ऐलोय (Aloe), ऐगेव (Agave), यूक्का (Yucca) एवं बिगोनिया (Begonia) आदि में पत्तियाँ मोटी, गूदेदार एवं मांसल होती हैं। अत: इनमें जल की अत्यधिक मात्रा संचित रहती है।
  • नागफनी (Opuntia) एवं ऐस्पेरेगस (Asparagus) में पत्तियाँ काँटों (Spines) में रूपान्तरित होती हैं। इसी प्रकार पाइनस (Pinus) की पत्तियाँ लम्बी एवं सूच्याकार (Needle shaped) होकर जल की हानि को कम करते हैं।
  • कुछ मरुद्भिद् पौधों में अनुपत्र (Stipules) काँटों (Spines) में रूपान्तरित होकर वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करते हैं। उदाहरण-यूफोर्बिया स्प्लेन्डेन्स (Euphorbia splendens), बेर (Zizvphus jujuba), अकेसिया (Acacia), कैपेरिस (Capparis) आदि।
  • इन पौधों की पत्तियों की बाह्य सतह चमकदार (Shiny) होती है, अतः ये प्रकाश को परावर्तित करके तापमान को कम करने में सहायता करती हैं। उदाहरण- कनेर (Nerium)।
  • कुछ एकबीजपत्री मरुद्भिद् पौधों की पत्तियाँ मुड़ी हुई (Rolled) अथवा वलयित (Folded) होकर रन्ध्रों को अन्दर की ओर छिपा लेती हैं, जिसके कारण वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है। उदाहरणएमोफिला (Ammophila), पोआ (Poa), सोमा (Psomma), एग्रोपायरॉन (Agropyron) आदि।

(ग) प्राणियों में व्यावहारिक (बिहेवियोरल) अनुकूलन-कुछ जीव अपने पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों का सामना करने के लिए व्यावहारिक अनुक्रियाएँ दर्शाते हैं। स्तनधारियों में अपने आवास के उच्च तापमान से निपटने के लिये जो कार्यकीय योग्यता होती है, मरुस्थल की छिपकलियों में इस योग्यता की कमी है, लेकिन वे व्यावहारिक साधनों द्वारा अपने शरीर के तापमान को काफी स्थिर बनाये रख सकती है। जब इनका तापमान सुविधा के स्तर से नीचे चला जाता है तब वे धूप सेंककर ऊष्मा अवशोषित करती है लेकिन जब परिवेश का तापमान बढ़ने लगता है तब वे छाया में चली जाती है। कुछ जातियों में भूमि के ऊपर की ऊष्मा से बचने के लिए मिट्टी में बिल खोदने की क्षमता बढ़ती है।

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(घ) पादपों के लिये प्रकाश का महत्व-प्रकाश पारिस्थितिक तन्त्र का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो सम्पूर्ण परितन्त्र को ऊर्जा देता है। हरे पौधे इसे अवशोषित कर प्रकाश संश्लेषण करते हैं। इसी कारण प्रकाश की तीव्रता, अवधि इत्यादि का पादपों की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है। प्रकाश तीव्रता की आवश्यकता के आधार पर पादप दो प्रकार के होते हैं-

(i) हेलियोफाइट्स-ये तेज प्रकाश में अच्छी वृद्धि करते हैं अर्थात् इनमें तेज प्रकाश में संश्लेषण की क्षमता होती है।

(ii) सायोफाइट्स-ये कम प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण करते हैं अर्थात् ये छायादार स्थानों में उगते हैं। इमरसन प्रभाव (Emmerson Effect)-रॉबर्ट इमरसन ने प्रकाश संश्लेषण की क्रिया पर कार्य करते हुए विभिन्न तरंगदैर्घ्य वाले प्रकाश में क्वाण्टम उत्पादन (एक क्वाण्टम प्रकाश के अवशोषण से मुक्त हुए ऑक्सीजन के अणुओं की संख्या) ज्ञात किया और पाया कि 680 nm तरंगदैर्घ्य वाले लाल प्रकाश में क्वाण्टम उत्पादन सबसे अधिक होता है, लेकिन जब इस लाल प्रकाश का तरंगदैर्घ्य और अधिक बढ़ाया जाता है।

तब क्वाण्टम उत्पादन एकाएक एकदम गिर जाता है। इसे रेड ड्रॉप (Red drop) कहते हैं । इमरसन ने यह भी पाया कि जब पौधे का 680 nm तरंगदैर्ध्य वाले लाल प्रकाश के साथ-साथ कम तरंगदैर्घ्य वाला प्रकाश दिया जाता है तब क्वाण्टम उत्पादन पुनः बढ़ जाता है। इसे ही इमरसन का वृद्धिकारी प्रभाव (Emmerson enhancement effect) कहते

(ङ) तापमान और पानी की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन–तापमान और जलजंतुओं के भौगोलिक वितरण को प्रभावित करता है हमारी पृथ्वी का तापमान मौसम के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। तापमान एन्जाइम्स की क्रियाशीलता को प्रभावित करता है। इसमें प्राणी की कार्यिकीय प्रक्रियाएँ प्रभावित होती हैं। इसमें प्राणी के लिए आकारिकी तथा शारीरिक परिवर्तन होते हैं जैसे कि गर्म भागों में पाये जाने वाले स्तनियों की तुलना में ठंडे भागों में रहने वाले स्तनियों की पूँछ, थूथन, कान व टाँगें अपेक्षाकृत छोटी रहती हैं। ठण्डे क्षेत्रों में पाये जाने वाले पक्षी एवं स्तनधारी गर्म क्षेत्रों के पक्षी व स्तनियों की अपेक्षा बड़े आकार के होते हैं कम ताप वाले पानी में पायी जाने वाली मछलियों में गर्म जलीय मछलियों की तुलना में कशेरुकों की संख्या अधिक होती है।

रेगिस्तानी जंतुओं एवं पादपों को जल की कमी का सामना करना पड़ता है। रेगिस्तान में रहने वाले प्राणियों में जल संरक्षण हेतु विशेष अनुकूलन पाये जाते हैं । रेगिस्तानी जंतुओं में स्वेदग्रंथियाँ बहुत कम या अनुपस्थित होती हैं जिससे वाष्पन कम हो। ये प्राणी उपापचय क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न जल का प्रयोग अपनी जैविक क्रियाओं में करते हैं । रेगिस्तानी प्राणी उत्सर्जी पदार्थों का भी अत्यधिक सांद्र स्थिति में परित्याग करते हैं।

प्रश्न 12.
अजीवीय (एबायोटिक) पर्यावरणीय कारकों की सूची बनाइए।
उत्तर
पर्यावरण में मुख्य रूप से दो घटक जीवीय तथा अजीवीय होते हैं । अजैविक कारक निम्न होते हैं

  • जलवायवीय कारक-जैसे-प्रकाश, तापमान, वर्षा, पवन, वायुमण्डलीय गैसें तथा आर्द्रता आदि।
  • मृदीय कारक-जैसे-मृदा गठन, मृदा जीव, मृदा वायु, मृदा ताप, मृदा जल आदि।
  • स्थलाकृतिक कारक-जैसे-तुंगता, ढलान, अनावरण आदि।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित का उदाहरण दीजिए
(क) आतपोद्भिद् (हेलियोफाइट)
(ख) छायोद्भिद् (स्कियोफाइट)
(ग) सजीवप्रजक (विविपेरस)अंकुरण वाले पादप
(घ)आंतरोष्मी (एंडोथर्मिक) प्राणी
(ङ) बाह्योष्मी (एक्टोथर्मिक) प्राणी
(च) नितलस्थ (बेंथिक) जोन का जीव।
उत्तर
(क) आतपोद्भिद् (Heliophytes)-उदाहरण-सूरजमुखी, एमेरेन्थस।
(ख) छायोद्भिद् (Sciophytes)-उदाहरण-पाइसिया, ऐबीज, टेक्सस।
(ग) सजीवप्रजक (Viviparous)-उदाहरण-राइजोफोरा, सेलकोर्निया, सोनेरेशिया आदि ।
(घ) आंतरोष्मी (Endothermic) प्राणी-उदाहरण-भुंग, सरीसृप।
(ङ) बाह्योष्मी (Ectothermic) प्राणी-उदाहरण-ऊँट, कुत्ता, बिल्ली।
(च) नितलस्थ (Benthos)-उदाहरण-केकड़ा, भृग, ऐम्फिनोड, सीप, कोरल आदि।

प्रश्न 14.
समष्टि (पॉपुलेशन) एवं समुदाय (कम्युनिटी) की परिभाषा दीजिए।
अथवा
समष्टि एवं समुदाय में क्या अन्तर है?
उत्तर
समष्टि एवं समुदाय में अन्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 3

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की परिभाषा दीजिए तथा प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए
(क) सहभोजिता (कमेन्सेलिज्म)
(ख) परजीविता (पैरासिटिज्म)
(ग) छद्मावरण (कैमुफ्लॉज)
(घ) सहोपकारिता (म्युचुअलिज्म)
(ङ) अंतरजातीय स्पर्धा (इंटरस्पेसिफिक कंपीटिशन)।
उत्तर
(क) सहभोजिता (कमेन्सेलिज्म)-लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 13 एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 7 का अवलोकन कीजिए।

(1) परजीविता एवं सहजीविता में अंतर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 4

(2) सहजीविता एवं सहभोजिता (कमेन्सलिज्म) में अन्तर

(1) सहजीविता वह सम्बन्ध है, जिसमें दो जीव एक-दूसरे को लाभ पहुँचाते हुए जीवित रहते हैं, जबकि सहभोजिता या कमेन्सलिज्म वह सम्बन्ध है, जिसमें एक जीव लाभान्वित होता है दूसरा नहीं।

(2) सहजीविता में दोनों जीवों के बीच क्रियात्मक सम्बन्ध होता है, जबकि कमेन्सलिज्म में दोनों जीवों के बीच क्रियात्मक सम्बन्ध नहीं होता है।
उदाहरण-सहजीविता-लाइकेन तथा लेग्यूमिनोसी कुल के पादपों की जड़ों में पाये जाने वाले जीवाणु का सम्बन्ध। सहभोजिता-ऑर्किड तथा वृक्षों का सम्बन्ध, बंजर एवं चरती भूमि में चरती गाय की पीठ पर बैठे पक्षी का सम्बन्ध।

(3) हाइड्रोसियर एवं जिरोसियर में अन्तर

  • जल में होने वाले अनुक्रमण को हाइड्रोसियर कहते हैं, जबकि मरुभूमि में होने वाले अनुक्रमण को जिरोसियर कहते हैं।
  • हाइड्रोसियर में परिवर्तन अपेक्षाकृत तीव्रता से होता है, जबकि जिरोसियर में परिवर्तन अपेक्षाकृत धीमी गति से होता है।
  • हाइड्रोसियर में जलीय पौधे बनते हैं, जबकि जिरोसियर में मरुस्थलीय पौधे बनते हैं। उदाहरण-झील पारितन्त्र का विकास (हाइड्रोसियर), मरुभूमि में झाड़ियों का विकास।

जैविक समुदाय की विभिन्न जातियों के बीच अन्तर्सम्बन्ध-किसी भी जैविक समुदाय की विभिन्न जातियों के सदस्य अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरे पर निर्भर रहते हैं। एक समुदाय की विविध जातियों में निम्नलिखित प्रकार का सम्बन्ध हो सकता है–

(1) परजीविता-जब एक जीव दूसरे जीव से पोषण प्राप्त करता है, तब इस सम्बन्ध को परजीविता कहते हैं।

(2) सहजीविता-दो जातियों का ऐसा सम्बन्ध है, जिसमें दोनों एक-दूसरे को लाभ पहुँचाते हुए साथसाथ जीवित रहती हैं। जैसे-लाइकेन एक ऐसा जीव है, जिसमें एक कवक तथा एक शैवाल समूह के जीव साथ-साथ रहते हैं।

(3) सहभोजिता-जब दो सदस्य साथ-साथ इस प्रकार जीवित रहते हैं कि एक सदस्य को लाभ होता है, जबकि दूसरे सदस्यों को इस सम्बन्ध में न ही लाभ होता है और न ही नुकसान। जैसे-ऑर्किड उच्च पादपों पर उगता है।

(4) शिकार एवं शिकारी-दो जातियों के बीच ऐसा सम्बन्ध है, जिसमें एक जन्तु दूसरे का शिकार कर अपना भोजन प्राप्त करता है। जैसे-जंगल के शेर और हिरन का सम्बन्ध ।

(5) अपमार्जिता- यह दो जातियों के बीच आहार प्राप्ति का अटूट सम्बन्ध है, जिसमें एक जाति के जीव दूसरे जीव जाति के मृत शरीर से भोजन प्राप्त करते हैं। जैसे-गिद्ध एवं चील मरे हुए पशुओं के शरीर से भोजन प्राप्त कर वातावरण की प्राकृतिक रूप से सफाई करते हैं।

(6) प्रतिस्पर्धा-वह सम्बन्ध है, जिसमें किसी समुदाय में एक ही जाति अथवा अलग-अलग जातियों के जीव जल, भोजन, आवास, प्रकाश आदि के लिए संघर्ष करते हैं। प्रतिस्पर्धात्मक सम्बन्ध किसी भी जैविक समुदाय को जीवन्त बनाये रखता है।

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(ख) (1) परजीविता-दो जातियों के बीच ऐसा सम्बन्ध है, जिसमें एक सदस्य को लाभ तथा एक को हानि होती है। लाभ प्राप्त होने वाले सदस्य को परजीवी तथा हानि प्राप्त होने वाले सदस्य को पोषक कहते हैं। परजीवी सदस्य पोषक से भोजन तथा आवास प्राप्त करता है। कुछ परजीवी पोषक के शरीर के बाहर रहकर ही पोषण प्राप्त करते हैं, इन्हें बाह्य परजीवी कहते हैं, जैसे-लीच, , खटमल, मच्छर आदि, जबकि कुछ परजीवी सदस्य पोषक के शरीर के अन्दर रहकर अपना पोषण प्राप्त करते हैं, इन्हें अन्त:परजीवी कहते हैं। जैसे-फीताकृमि, ऐस्केरिस आदि।

(2) जैविक स्थिरता–किसी जीव समुदाय की यथास्थिति बनाये रखने की क्षमता को जैविक स्थिरता कहते हैं। ऐसा देखा गया है कि किसी जैविक समुदाय में जितनी अधिक जातियाँ पायी जाती हैं, वह समुदाय उतना ही अधिक स्थिर होता है। जातियों की संख्या में अधिकता का सामान्य अर्थ जीव समुदाय में विविधता से है। प्रकृति का नियम है कि विविधता में ही स्थिरता होती है। इसे हम उदाहरण के द्वारा समझा सकते हैं। यदि किसी बड़े क्षेत्र में एक ही प्रकार के पौधे लगा लें और उनमें कोई बीमारी लग जाय तो पूरे क्षेत्र की वनस्पतियाँ नष्ट हो जायेंगी, इसके विपरीत प्राकृतिक जंगल में किसी जाति के पादपों में रोग लगता है, तो शेष वृक्ष तथा पौधे जीवित रहेंगे, क्योंकि उसमें हजारों प्रकार की जातियाँ पायी जाती हैं । इसी कारण कृत्रिम रूप से विकसित जंगलों की अपेक्षा प्राकृतिक जंगल अधिक स्थायी होते हैं।

(3) जाति प्रभाविता–प्रत्येक जीवीय समुदाय में एक अथवा कुछ जातियों के जीव अधिक संख्या में पाये जाते हैं, इस जाति अथवा जातियों की प्रभावी जाति तथा समुदाय के इस गुण को जाति प्रभाविता कहते हैं। इन जातियों का समुदाय की अन्य जातियों तथा वहाँ के वातावरण पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। उदाहरणउष्ण कटिबन्धीय (ट्रॉपिकल) प्रदेशों के अधिक वर्षा वाले जंगलों में लगभग 10 जातियाँ ही प्रभावी रूप में पायी जाती हैं।

जैविक समुदाय की विभिन्न जातियों के बीच अन्तर्सम्बन्ध-किसी भी जैविक समुदाय की विभिन्न जातियों के सदस्य अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरे पर निर्भर रहते हैं। एक समुदाय की विविध जातियों में निम्नलिखित प्रकार का सम्बन्ध हो सकता है-

  • परजीविता-जब एक जीव दूसरे जीव से पोषण प्राप्त करता है, तब इस सम्बन्ध को परजीविता कहते हैं।
  • सहजीविता-दो जातियों का ऐसा सम्बन्ध है, जिसमें दोनों एक-दूसरे को लाभ पहुँचाते हुए साथसाथ जीवित रहती हैं। जैसे-लाइकेन एक ऐसा जीव है, जिसमें एक कवक तथा एक शैवाल समूह के जीव साथ-साथ रहते हैं।
  • सहभोजिता-जब दो सदस्य साथ-साथ इस प्रकार जीवित रहते हैं कि एक सदस्य को लाभ होता है, जबकि दूसरे सदस्यों को इस सम्बन्ध में न ही लाभ होता है और न ही नुकसान। जैसे-ऑर्किड उच्च पादपों पर उगता है।
  • शिकार एवं शिकारी-दो जातियों के बीच ऐसा सम्बन्ध है, जिसमें एक जन्तु दूसरे का शिकार कर अपना भोजन प्राप्त करता है। जैसे-जंगल के शेर और हिरन का सम्बन्ध ।
  • अपमार्जिता- यह दो जातियों के बीच आहार प्राप्ति का अटूट सम्बन्ध है, जिसमें एक जाति के जीव दूसरे जीव जाति के मृत शरीर से भोजन प्राप्त करते हैं। जैसे-गिद्ध एवं चील मरे हुए पशुओं के शरीर से भोजन प्राप्त कर वातावरण की प्राकृतिक रूप से सफाई करते हैं।
  • प्रतिस्पर्धा-वह सम्बन्ध है, जिसमें किसी समुदाय में एक ही जाति अथवा अलग-अलग जातियों के जीव जल, भोजन, आवास, प्रकाश आदि के लिए संघर्ष करते हैं। प्रतिस्पर्धात्मक सम्बन्ध किसी भी जैविक समुदाय को जीवन्त बनाये रखता है।

(ग) छद्मावरण (Camonflage)–शिकारी जातियों के परभक्षण के प्रभाव को कम करने के लिए विभिन्न रक्षा विधियाँ विकसित कर ली है। इन्हीं विधियों में से एक छद्मावरण है। कीटों और मेढकों की कुछ जातियाँ परभक्षियों से बचने के लिए गुप्त रूप से रंगीन हो जाती हैं। जिससे ये अपने वातावरण में सुगमता से पहचान में नहीं आतीं।

(घ) सहोपकारिता (Mutalism)-लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 13 एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 7 का अवलोकन कीजिए।

(ङ) अंतरजातीय स्पर्धा (Interspecific competition)-अंतरजातीय संघर्ष में निकटतम रूप से संबंधित जातियाँ विभिन्न संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं। उदाहरण के लिए, दक्षिण अमेरिका की कुछ उथली झीलों में आगंतुक फ्लैमिंगो और प्राणि प्लवक के लिये स्पर्धा करती है।

प्रश्न 16.
उपयुक्त आरेख (डायग्राम) की सहायता से लॉजिस्टिक (संभार तंत्र)समष्टि (पॉपुलेशन) वृद्धि का वर्णन कीजिए।
उत्तर-प्रकृति में किसी भी समष्टि के पास इतने असीमित संसाधन नहीं होते कि चरघातांकी वृद्धि (Exponential growth) होती रहे। इसके कारण सीमित संसाधनों के लिये व्यष्टियों में प्रतिस्पर्धा होती है।
आखिर में ‘योग्यतम्’ व्यष्टि जीवित बनी रहकर जनन करेंगी। अनेक देशों ने इस तथ्य को समझा और मानव समष्टि वृद्धि को सीमित करने के लिए विभिन्न प्रतिबंध लागू किए हैं। प्रकृति में दिए गए आवास के पास अधिकतम संभव संख्या के पालन-पोषण के लिए पर्याप्त संसाधन होते हैं, इससे आगे और वृद्ध संभव नहीं है। उस आवास में इस जाति के लिए इस सीमा की प्रकृति की पोषण क्षमता (Carrying capacity, K) मान लेते है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 5
किसी आवास में सीमित संसाधनों के साथ वृद्धि कर रही समष्टि आरंभ में पश्चतता प्रावस्था (Lag phase) दर्शाती है। 5 उसके बाद त्वरण और मंदन (Acceleration and decleration) [ए
और अंततः अनन्तस्पर्शी (Asymptote) प्रावस्थाएँ आती हैं जब समष्टि घनत्व पोषण क्षमता तक पहुँच जाती है। समय (t) के संदर्भ N का आरेख (Plot) से सिग्माभ वक्र (Sigmoid curve) बन जाता है। इस प्रकार की समष्टि वृद्धि विर्हस्ट पर्ल लॉजिस्टिक वृद्धि (Verhulst-Pearl logistic growth) कहलाती है और निम्नलिखित समीकरण द्वारा वर्णित है
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जहाँ, N = समय ‘t’ पर समष्टि घनत्व, r= प्राकृतिक वृद्धि की इंट्रीन्सिक दर, K = पोषण क्षमता।
अधिकांश प्राणियों की समष्टियों में वृद्धि के लिए संसाधन परिमित (Finite) और देर-सबेर सीमित होने वाले हैं, इसलिए लॉजिस्टिक वृद्धि मॉडल को अधिक यथार्थपूर्ण माना जाता है।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित कथनों में परजीविता (पैरासिटिज्म ) को कौन-सा सबसे अच्छी तरह स्पष्ट करता है
(क) एक जीव को लाभ होता है,
(ख)दोनों जीवों को लाभ होता है,
(ग) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित नहीं होता है
(घ) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित होता है।
उत्तर
(घ) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित होता है।

प्रश्न 18.
समष्टि (पॉपुलेशन) की कोई तीन महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइए और व्याख्या कीजिए।
उत्तर
समष्टि में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो व्यष्टि जीव में नहीं होते। व्यष्टि जन्मता और मरता है लेकिन समष्टि में जन्म दरें और मृत्यु दरें होती हैं । समष्टि में इन दरों को क्रमशः प्रति व्यक्ति जन्म दर और मृत्यु दर कहते हैं। इसलिए दर को समष्टि के सदस्यों के संबंधों में संख्या में परिवर्तन (वृद्धि या ह्रास) के रूप में प्रकट किया। उदाहरण के लिए, अगर किसी ताल में पिछले साल कमल के 20 पौधे थे और जनन द्वारा 8 नए पौधे और हो

जाते हैं जिससे वर्तमान समष्टि 20 हो जाती है, तो हम जन्म दर को 8/20=0.4 संतति प्रति कमल प्रतिवर्ष के हिसाब से परिकलन (कैल्कुलेट) करते हैं ! अगर प्रयोगशाला समष्टि में 40 फलमक्खियों में से 4 व्यष्टि किसी विशिष्टीकृत समय अंतराल में, मान लीजिए एक सप्ताह के दौरान मर जाते हैं । तो उस समय के दौरान समष्टि में मृत्यु दर 4/40=0.1 व्यष्टि प्रति फलमक्खी प्रति सप्ताह कहलाएगी। समष्टि का दूसरा विशिष्ट गुण लिंग अनुपात यानि नर एवं मादा का अनुपात है। व्यष्टि या तो नर है या मादा है, लेकिन समष्टि का लिंग अनुपात होता है (जैसे कि समष्टि का 60 प्रतिशत स्त्री है और 40 प्रतिशत नर है)।
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किसी दिए गए समय में समष्टि भिन्न आयु वाले व्यष्टियों से मिलकर बनती है। अगर समष्टि के लिए आयु वितरण (दी गई आयु अथवा आयु वर्ग के व्यष्टियों का प्रतिशत) आलेखित (प्लॉटेड) किया जाता है तो बनने वाली संरचना आयु पिरामिड कहलाती है (चित्र) मानव समष्टि के लिए आयु पिरामिड आमतौर पर नर . और स्त्रियों की आयु का वितरण संयुक्त आरेख को दर्शाता है। पिरामिड का आकार समष्टि की स्थिति
प्रतिबिंबित दर्शाता है
(क) क्या यह बढ़ रहा है
(ख) स्थिर है या
(ग) घट रहा है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 8

जीव और समष्टियाँ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

जीव और समष्टियाँ वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
संगठन के स्तर में स्पष्ट एवं आसानी से पहचाने जाने वाली इकाई है
(a) कोशिका
(b) ऊतक
(c) अंग
(d) व्यक्तिगत जीव।
उत्तर
(d) व्यक्तिगत जीव।

प्रश्न 2.
अन्तरजातीय संचार में उपयोगी रासायनिक यौगिक है
(a) एलोकेमिक्स
(b) कैरोमोन्स
(c) ऑक्जिन्स
(d) फेरोमोन्स।
उत्तर
(d) फेरोमोन्स।

प्रश्न 3.
एक प्रजाति एवं उसके पर्यावरण में अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन कहलाता है
(a) सामुदायिक पारिस्थितिकी
(b) स्वयं पारिस्थितिकी
(c) इथोलॉजी
(d) वन पारिस्थितिकी।
उत्तर
(b) स्वयं पारिस्थितिकी

प्रश्न 4.
वह कारक जो जनसंख्या के परिमाण को प्रभावित नहीं करता
(a) माइग्रेशन
(b) इमाइग्रेशन
(c) इमीग्रेशन
(d) नेटेलिटी।
उत्तर
(a) माइग्रेशन

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प्रश्न 5.
एक ही प्रजाति के जीवों का दो विभिन्न रूपों में पाया जाना कहलाता है
(a) द्विरूपता
(b) त्रिरूपता
(c) बहुरूपता
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।।
उत्तर
(a) द्विरूपता

प्रश्न 6.
इकाई समय में प्रति 1000 व्यक्तियों का प्रतिवर्ष जन्मदर कहलाता है
(a) मृत्युदर
(b) जैविक दर
(c) जन्मदर
(d) वृद्धि दर।
उत्तर
(c) जन्मदर

प्रश्न 7.
नर चीते (Tiger) व मादा सिंह (Lioness) की उर्वर संतति कहलाती है
(a) खच्चर
(b) लाइगर
(c) हिन्नी
(d) टिग्लायन।
उत्तर
(d) टिग्लायन।

प्रश्न 8.
वह देश जो ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि प्रदर्शित करता है
(a) आस्ट्रेलिया
(b) ग्रीनलैण्ड
(c) आस्ट्रिया
(d) यू.एस.ए.।
उत्तर
(c) आस्ट्रिया

प्रश्न 9.
सहजीविता शब्द का सर्वप्रथम उपयोग करने वाले वैज्ञानिक हैं
(a) डी-बैरी
(b) मैकडुगल
(c) लिनीयस
(d) ओडम।
उत्तर
(a) डी-बैरी

प्रश्न 10.
किसी समुदाय में ज्यादा संख्या या आकार में स्थित समष्टि को उस समुदाय का कहते हैं
(a) निर्दिष्ट जाति
(b) प्रभावी जाति
(c) समुदाय
(d) जाति विविधता।
उत्तर
(b) प्रभावी जाति

प्रश्न 11.
निश्चित क्षेत्र में रहने वाली समस्त समष्टियों को उस स्थान का कहते हैं
(a) जीवीय समुदाय
(b) झील समुदाय
(c) जलक्रम
(d) मरुक्रमक।
उत्तर
(a) जीवीय समुदाय

प्रश्न 12.
धंसे हुए रन्ध्र पाये जाते हैं
(a) मरुद्भिद् पौधों में
(b) जलीय पौधों में
(c) समोद्भिद् पौधों में
(d) तैरते हुए पौधों में।
उत्तर
(a) मरुद्भिद् पौधों में

प्रश्न 13.
स्पंजी जड़ें पायी जाती हैं
(a) जूसिया में
(b) ट्रापा में
(c) इकॉर्निया में
(d) पिस्टिया में।
उत्तर
(a) जूसिया में

प्रश्न 14.
वायवीय श्वसन मूलें या न्यूमैटोफोर पाये जाते हैं
(a) जलीय पौधों में
(b) दलदली पौधों में
(c) मरुद्भिद् पौधों में
(d) समोद्भिद पौधों में।
उत्तर
(b) दलदली पौधों में

प्रश्न 15.
मैंग्रूव पौधे का उदाहरण है
(a) राइजोफोरा
(b) इकॉर्निया
(c) ऐविसीनिया
(d) (a) एवं (c) दोनों में ।
उत्तर
(a) राइजोफोरा

प्रश्न 16.
अल्पविकसित संवहनी ऊतक पाये जाते हैं
(a) मरुद्भिदों में
(b) जलोद्भिदों में
(c) समोद्भिदों में
(d) हैलोफाइट्स में।
उत्तर
(c) समोद्भिदों में

प्रश्न 17.
नागफनी में फिल्लोक्लैड रूपान्तरण है
(a) तना का
(b) पत्ती का
(c) जड़ का
(d) उपर्युक्त सभी का।
उत्तर
(a) तना का

प्रश्न 18.
जड़ रहित संवहनी पादप है
(a) वॉल्फिया
(b) लेम्ना
(c) इकॉर्निया
(d) साल्वीनिया।
उत्तर
(a) वॉल्फिया

प्रश्न 19.
मुक्त प्लावी पौधों का उदाहरण है
(a) पिस्टिया
(b) ट्रापा
(c) इकॉर्निया
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 20.
विविपैरी पायी जाती है
(a) जलोद्भिदों में
(b) मरुद्भिदों में
(c) मैंग्रूव पौधों में
(d) उपरिरोही पौधों में।
उत्तर
(c) मैंग्रूव पौधों में

प्रश्न 21.
मूल पॉकेट पायी जाती है
(a) राइजोफोरा में
(b) इकॉर्निया में
(c) वॉल्फिया में
(d) सैजिटेरिया में।
उत्तर
(b) इकॉर्निया में

प्रश्न 22.
निम्नलिखित कथनों में परजीविता (पैरासिटिज्म) को कौन-सा सबसे अच्छी तरह स्पष्ट करता है
(a) एक जीव को लाभ होता है
(b) दोनों जीव को लाभ होता है
(c) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित नहीं होता है
(d) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित होता है।
उत्तर
(d) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित होता है।

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये

1. …………… एक जड़ रहित मुक्त प्लावी पौधा है।
2. श्वसन मूलें …………… पौधों में पाई जाती हैं।
3. मातृ पौधे के ऊपर बीजों का अंकुरित होना ……. कहलाता है।
4. मांसल होकर पत्तीनुमा संरचना धारक तने को …………… कहते हैं।
5. पिस्टिया की जड़ों में मूल टोप के स्थान पर …………… पाया जाता है।
6. पाइनस की जड़ों व कवकों के सह-सम्बन्ध को …………… कहते हैं।
7. रैफ्लेशिया एक …………… परजीवी कहलाता है।
8. भू-मण्डल का वह भाग जहाँ जीव रहते हैं …………… कहलाते हैं।
9. ऐसे जीव जो दूसरे के मृत शरीर का भक्षण करते हैं …………… कहलाते हैं।
10. काष्ठीय आरोही पौधों को …………… कहते हैं।
11. आर्किड एक …………… पादप है।
12. नर गधे और घोड़े की संतति को …………… कहते हैं।
13. चन्दन एक …………… परजीवी पादप है।
उत्तर

  1. वॉल्फिया
  2. मैंग्रूव (दलदली)
  3. जरायुजता
  4. पर्णकाय स्तंभ
  5. मूल पॉकेट
  6. सह-परोपकारिता
  7. पूर्ण मूल
  8. स्थलमंडल
  9. मृतोपजीवी
  10. लिआनास
  11. उपरिरोही
  12. खच्चर
  13. आंशिक मूल।

3. सही जोड़ी बनाइए

I. ‘A’ – ‘B’

1. जलक्रमक अनुक्रमण – (a) आस्थापन
2. अपरदन – (b) स्थिरीकरण
3. आक्रमण – (c) बड अनूप
4. चरम अवस्था – (d) झील
5. सिपेरस – (e) प्रारम्भिक काल।
उत्तर
1. (d), 2. (e), 3. (a), 4. (b), 5. (c)

II. ‘A’ – ‘B’

1. प्रतिजीविता – (a) चारण और चराई
2. सहभोजिता – (b) गुणात्मक गुण
3. परभक्षण – (c) लाइकेन
4. ऋतुजैविकी – (d) अधिपादप एवं अधिजन्तु
5. सहोपकारिता – (e) ऋणात्मक अन्योन्य क्रिया।
उत्तर
1. (e), 2. (d), 3. (a), 4. (b), 5. (c).

III . ‘A’ – ‘B’

1. इकॉर्निया – (a) मैंग्रूव पादप
2. राइजोफोरा – (b) स्थिर प्लावी पादप
3. जूसिया – (c) पर्णकाय स्तंभ
4. रैननकुलस. – (d) मुक्त प्लावी पादप
5. नागफनी – (e) उभयचर।
उत्तर
1. (d), 2. (a), 3. (b), 4. (e), 5. (c)

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. एक ऐसे जन्तु का नाम लिखिये जो कि अपने अण्डों को दूसरे जन्तु के घोंसलों में देता है।
2. जाति बहुरूपता का एक उदाहरण दीजिए।
3. सहपरोपकारिता एवं प्रोटोकोऑपरेशन के एक-एक उदाहरण दीजिये।
4. लाइकेनों में सहजीवी रूप से कौन-से दो जीव पाये जाते हैं ?
5. लाइकेनों में शैवाल एवं कवक के मध्य किस प्रकार का सहसम्बन्ध पाया जाता है ?
6. काष्ठीय आरोही पौधों को क्या कहा जाता है ?
7. वार्मिंग ने जल सम्बन्धों के आधार पर पौधों के कितने समूह बताये हैं?
8. एक ऐसे आवृत्तबीजी पादप का नाम बताइये जिसमें जड़ तंत्र अनुपस्थित होता है।
9. किन्हीं दो मुक्त प्लावी पौधों के नाम लिखिये।
10. किन्हीं दो उभयचर पौधों के नाम लिखिये।
11. जलकुंभी एवं सिंघाड़े के पौधों में पाये जाने वाले उस अनुकूलन को लिखिये जिसके कारण यह पौधा जल की सतह पर तैरने में सक्षम होता है।
12. किसी एक मैंग्रूव पौधे का नाम लिखिये।
13. न्यूमैटोफोर किन पौधों में पाये जाते हैं ?
14. किसी ऐसे पौधे का नाम लिखिये जिसमें तना पत्तीनुमा संरचना में तथा पत्तियाँ काँटों में रूपान्तरित होती हैं।
उत्तर

  1. कोयल
  2. मधुमक्खी
  3. सहपरोपकारिता-लाइकेन तथा प्रोटोकोऑपरेशन-सी एनीमोन तथा हार्मिट-क्रैब
  4. शैवाल एवं कवक
  5. सहपरोपकारिता
  6. लिआनास
  7. तीन समूह
  8. वॉल्फिया
  9. हाइड्रिला, साल्विया
  10. रैननकुलस, सैजीटेरिया
  11. जलीय
  12. राइजोफोरा
  13. दलदली
  14. नागफनी।

जीव और समष्टियाँ अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक ऐसे आवृतबीजी का नाम लिखिए जिसमें जड़ तंत्र अनुपस्थित होता है।
उत्तर
वॉल्फिया।

प्रश्न 2.
जलकुंभी और सिंघाड़े में जल की सतह पर तैरने के लिये पाये जाने वाले अनुकूलन को लिखिए।
उत्तर
पर्णवृंत स्पंजी वायु से भरा रहता है।

प्रश्न 3.
वैण्डा में किस प्रकार की जड़ होती है ?
उत्तर
अपस्थानिक जड़।

प्रश्न 4.
किन पौधों में मूल गोप का अभाव होता है ?
उत्तर
जलीय पौधों में।

प्रश्न 5.
श्वसन मूलें किन पौधों में पायी जाती हैं ?
उत्तर
दलदली पौधों में।

प्रश्न 6.
सुन्दरवन डेल्टा में किस प्रकार की वनस्पति पाई जाती है ?
उत्तर
मैंग्रूव वनस्पति।

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प्रश्न 7.
उस एक पौधे/वृक्ष का नाम लिखिए जिसमें निमैटोफोर्स पाये जाते हैं।
उत्तर
एक्सिनीया।

प्रश्न 8.
मानव जाति की जनसंख्या के अध्ययन को क्या कहते हैं ?
उत्तर
डेमोग्राफी।

प्रश्न 9.
विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में निवास करने वाली प्रजातियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर
एलोट्रॉपिक।

प्रश्न 10.
एक मृतोपजीवी आवृत्तबीजी पौधे का नाम बताइये।
उत्तर
मोनोट्रापा।

प्रश्न 11.
हर्मिट क्रेब और सी-एनीमोन के मध्य का संबंध कहलाता है।
उत्तर
सहजीवन (प्रोटो को-ऑपरेशन)।

प्रश्न 12.
इकाई समय में किसी जीवसंख्या में उत्पन्न नये जीवों की वास्तविक संख्या को क्या कहते हैं ?
उत्तर
जन्म दर।

प्रश्न 13.
दो वनस्पति क्षेत्रों के बीच का संक्रमण प्रदेश क्या कहलाता है ?
उत्तर
इकोटोन।

प्रश्न 14.
किसी समुदाय में उपस्थित सभी जातियों के विभिन्न जीवन रूपों का प्रतिशत वितरण क्या कहलाता है ?
उत्तर
जैव-स्पेक्ट्रम।

प्रश्न 15.
एक ऐसे जन्तु का नाम बताइए जो कि अपने अण्डे दूसरे जन्तु के घोंसलों में देता है।
उत्तर
कोयल।

प्रश्न 16.
जाति बहुरूपता का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
मधुमक्खी

प्रश्न 17.
कीटभक्षी पौधे कीटों का भक्षण क्यों करते हैं ?
उत्तर
N2 की कमी को पूरा करने के लिए।

प्रश्न 18.
प्रमुख अजैव कारक कौन-से हैं ?
उत्तर
तापमान, जल, प्रकाश व मृदा

प्रश्न 19.
एक कीटभक्षी का नाम लिखिये।
उत्तर
यूट्रीकुलेरिया, ड्रोसेरा आदि।

जीव और समष्टियाँ लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक प्रतिस्पर्धा किसे कहते हैं ?
उत्तर
एक निश्चित क्षेत्र में उपस्थित जीवों के बीच पारिस्थितिक कारकों के दोहन के लिए होने वाली प्रतिस्पर्धा को पारिस्थितिक प्रतिस्पर्धा कहते हैं।

प्रश्न 2.
किसी भी जनसंख्या की विशेषताओं के नाम लिखिए।
अथवा
समष्टि पर प्रभाव डालने वाले कारकों के नाम लिखिये।
उत्तर
किसी भी जनसंख्या में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं-

  • जनसंख्या घनत्व
  • जन्म दर
  • मृत्यु-दर
  • वयस या आयु वितरण
  • जैविक क्षमता
  • जनसंख्या वृद्धि फार्म
  • जनसंख्या में परिवर्तन
  • जनसंख्या का प्रकीर्णन।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से प्रत्येक को परिभाषित कीजिए (प्रत्येक को 25 शब्दों में)
(1) पॉपुलेशन
(2) जनसंख्या घनत्व
(3) जैव क्षमता
(4) जन्म-दर
(5) मृत्यु-दर।
उत्तर
1. समष्टि (पॉपुलेशन)-नाइट (1965) के अनुसार, “किसी निश्चित क्षेत्र तथा समय में एक जाति या आपस में घनिष्ट रूप से सम्बन्धित कई जातियों (जीव, जन्तु तथा पौधों) के समूह को समष्टि कहते हैं।” जैसे-घास के मैदान में टिड्डों का समूह।

2. जनसंख्या घनत्व-प्रति इकाई क्षेत्रफल या आयतन में उपस्थित एक जाति या आपस में सम्बन्धित कई जातियों की औसत संख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं।

3. जैविक क्षमता/जीवीय विभव-अनुकूलतम परिस्थितियों में किसी जनसंख्या या समष्टि में वृद्धि की अधिकतम क्षमता को जैव क्षमता कहते हैं। किसी समष्टि की जैव क्षमता उसके वास्तविक निष्पादन से अधिक होती है, वास्तविक दर में यह अन्तर जैव क्षमता के पर्यावरणीय प्रतिरोध के कारण होता है।

4. जन्म-दर-इकाई समय में किसी जनसंख्या द्वारा उत्पन्न कुल नए सदस्यों की संख्या जन्म-दर कहलाती है। किसी भी जनसंख्या में जन्म-दर की अधिकतम सीमा होती है, लेकिन वास्तविक जन्म दर अधिकतम अपेक्षित दर से कम होती है।

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 9

 (5) मृत्यु-दर-इकाई समय में किसी समष्टि में मरने वाले जीवों की औसत संख्या को मृत्यु-दर कहते हैं।

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 10

प्रश्न 4.
जनसंख्या नियंत्रण के लिए जन-जागृति हेतु आप क्या सुझाव देंगे?
उत्तर
जनसंख्या नियंत्रण के लिए जन-जागृति हेतु सबसे ज्यादा आवश्यक है-
(1) शिक्षा का प्रसार एवं प्रचार । इससे बहुत-सी भ्रांतियाँ दूर की जा सकती हैं, जैसे
(अ) संतान, भगवान की देन है
(ब) पुत्र से मोक्ष प्राप्ति
(स) अधिक संतान से अधिक आय आदि।

(2) जनसंख्या वृद्धि की भयावहता की वास्तविकता से परिचय कराना।
(3) परिवार नियोजन के तरीकों का उपयोग।
(4) एक-से-अधिक शादी पर प्रतिबंध।
(5) विवाह की आयु में वृद्धि करना।
(6) जन्म-दर कम करना।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित के दो-दो उदाहरण दीजिएसहजीवी, सहभोजी, फाइटोप्लैंक्टॉन, जूप्लैंक्टॉन एवं जड़युक्त तैरने वाले पौधे।
उत्तर
1. सहजीवी-

  • इश्चिरिचिया,
  • ट्राइकोनिम्फा (दीमक की आँत में)

2. सहभोजी

  • ऑर्किड और वृक्ष
  • हर्मिट क्रैब (मोलस्क कवच पर)

3. फाइटोप्लैंक्टॉन-

  • नास्टॉक
  • एनाबीना

4. जूप्लैंक्टॉन-

  • पैरामीशियम
  • यूग्लीना

5. जड़युक्त तैरने वाले पौधे

  • वोल्फिया
  • लेम्ना।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए
(1) स्पीशीज एवं पॉपुलेशन
(2) जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या घनत्व
(3) मोनोस्पेसिफिक एवं पॉलिस्पेसिफिक पॉपुलेशन
(4) प्रतिस्पर्धा एवं प्रकीर्णन।
उत्तर
(1) स्पीशीज एवं पॉपुलेशन में अन्तर–आपस में संकरण सम्बन्ध रखने वाले एकसमान जीवों के समूह को स्पीसीज (जाति) कहते हैं, जबकि एक निश्चित समय में इकाई क्षेत्रफल में रहने वाली एक ही जाति की संख्या को समष्टि या पॉपुलेशन कहते हैं।

(2) जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या घनत्व में अन्तर-इकाई समय में किसी समष्टि या जनसंख्या में होने वाली वृद्धि को जनसंख्या वृद्धि कहते हैं, जबकि इकाई क्षेत्रफल में एक जाति के जीवों की औसत संख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं।

(3) एकजातीय (Monospecific) एवं बहुजातीय (Polyspecific) समष्टि में अन्तर–इकाई समय में किसी निश्चित क्षेत्र में एक जाति के जीवों की कुल संख्या को एकजातीय समष्टि कहते हैं, लेकिन व्यावहारिक रूप में ऐसा नहीं होता, बल्कि कोई जाति अकेले न रहकर कई जातियों के समूह में रहती हैं। एक समय में किसी निश्चित क्षेत्र की सभी जातियों की संख्या को बहुजातीय समष्टि कहते हैं।

(4) प्रतिस्पर्धा एवं प्रकीर्णन में अन्तर-प्रत्येक जैविक समुदाय में एक ही जाति और सभी जातियों के सदस्यों के बीच जल, भोजन, आवास, प्रकाश आदि के लिए संघर्ष होता है, जिसे प्रतिस्पर्धा कहते हैं, जबकि समष्टि प्रकीर्णन वह साधन है, जिसके द्वारा विनिष्ट समष्टि पुनः स्थापित होकर साम्यावस्था में आती है या आने का प्रयास करती है। समष्टि प्रकीर्णन में जीव या उनके बीज एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आवागमन करते हैं।

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प्रश्न 7.
भारत में जनसंख्या वृद्धि के चार कारण दीजिए।
उत्तर
भारत में जनसंख्या वृद्धि के चार कारण निम्नलिखित हैं-

  • जन्म-दर में वृद्धि
  • मृत्यु-दर में कमी
  • शिक्षा का महत्व नहीं समझना व इसका पर्याप्त प्रचार व प्रसार न होना
  • रूढ़िवादिता।

प्रश्न 8.
समष्टि साम्यावस्था से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
किसी समष्टि के वृद्धि स्वरूप को देखने पर पता चलता है कि किसी नये क्षेत्र में पहुँचकर प्रत्येक समष्टि तेजी से वृद्धि करके चरम सीमा पर पहुँच जाती है और लम्बे समय तक इसी चरम सीमा पर स्थित रहती है या स्थिर रहने का प्रयास करती है, इस अवस्था को साम्यावस्था कहते हैं। प्रत्येक समष्टि हमेशा इसी अवस्था में रहने का प्रयास करती है। साम्यावस्था में किसी समष्टि की जन्म तथा मृत्यु-दर बराबर होती है। साम्यावस्था में रहने के लिए समष्टि विभिन्न प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय कारकों से संघर्ष करती है और सफलता मिलने पर साम्यावस्था में बनी रहती है।

प्रश्न 9.
नई जाति की उत्पत्ति का संक्षिप्त विवरण लिखिए।
उत्तर
किसी नये जीव या जाति की उत्पत्ति पूर्व में अस्तित्व वाले जीव या जाति से ही होती है। किसी भी जाति का आवास एक बड़ा क्षेत्र होता है। जब इस क्षेत्र में किसी भौतिक अवरोध के कारण आवास के दोनों ओर के सदस्यों के बीच सम्पर्क टूट जाता है, तब दोनों ओर के जीवों में अपने-अपने वातावरण के प्रति अनुकूलन पैदा होने से गुणों में परिव.. आने लगता है। एक लम्बे समय के बाद यह परिवर्तन इतना अधिक हो जाता है कि इनमें जनन सम्बन्ध स्थापित नहीं हो पाता। कालान्तर में यह अन्तर इतना बढ़ जाता है कि पृथक् हुआ समूह एक नयी जाति का रूप ले लेता है।

प्रश्न 10.
एक जाति के सदस्यों के परस्पर सहयोगात्मक सम्बन्धों को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर
एक जाति के जीवों में सहयोगात्मक सम्बन्ध-जब एक जाति के विभिन्न सदस्य विभिन्न कार्यों में एक-दूसरे की मदद करते हैं तो इसे सहयोगात्मक सम्बन्ध कहते हैं। एक जाति के जीवों में सहयोगात्मक सम्बन्ध के कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं

  • जनन के लिए-जनन के लिए एक ही जाति के नर एवं मादा सदस्य एक-दूसरे का सहयोग करते हैं, जिससे उनकी निरन्तरता बनी रहे। जैसे-कुछ जीव स्थायी कुछ अस्थायी जनन सम्बन्ध बनाते हैं।
  • भोजन के लिए-कुछ जाति के जीव भोज्य पदार्थ को सरलता से प्राप्त करने के लिए सामूहिक शिकार करते हैं। जैसे-अफ्रीकी सिंह।
  • सुरक्षा के लिए-शत्रुओं से सुरक्षा के लिए कुछ जातियाँ, जैसे-हिरन, खरगोश समूह में रहते हैं।
  • सामाजिक व्यवस्था-कुछ जीवों में सरलतापूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए तथा काम के बँटवारे के लिए सामाजिक व्यवस्था पायी जाती है। जैसे-चींटियाँ।

प्रश्न 11.
जनसंख्या वृद्धि ग्राफ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
समष्टि के वृद्धि करने के ढंग को वृद्धि स्वरूप कहते हैं । समष्टियाँ प्राय: दो रूपों में वृद्धि करती हैं, जिन्हें क्रमश: ‘J’ आकार स्वरूप और ‘S’ आकार स्वरूप कहते हैं । ‘J’ आकार स्वरूप का अर्थ है कि जब किसी समष्टि के समय और वृद्धि का ग्राफ खींचते हैं तो यह Jआकार का प्राप्त होता है। इस प्रकार की वृद्धि
में शुरू में समष्टि का घनत्व तेजी से बढ़ता है, लेकिन वातावरणीय प्रतिरोध या अन्य कारकों के प्रभाव के कारण यह सहसा रुक जाता है। वृद्धि का यह ढंग कुछ शैवालों, कवकों और कीटों में देखा जा सकता है। S आकार के वृद्धि स्वरूप का अर्थ है कि जब किसी समष्टि की वृद्धि और समय का ग्राफ खींचते हैं तो यह S आकार का प्राप्त होता है। यह ग्राफ इस बात को व्यक्त करता है कि शुरू में समष्टि धीरे-धीरे वृद्धि करती है, इसके बाद तेजी से वृद्धि करती है और उसके बाद वातावरणीय प्रतिरोध के बढ़ने पर यह क्रमिक रूप से धीमी गति से वृद्धि करने लगती है। यह वृद्धि स्वरूप सामान्य रूप से अधिकांश समष्टियों में देखा जा सकता है।
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प्रश्न 12.
जन्तु सम्प्रेषण के कोई पाँच उदाहरण दीजिए।
उत्तर
जन्तुओं द्वारा आपस में सूचनाओं के आदान-प्रदान को जन्तु सम्प्रेषण कहते हैं इसके पाँच उदाहरण निम्नानुसार हैं-

  • सिंह, मोर, कोयल विशेष प्रकार की आवाजों को निकालकर नर या मादा की उपस्थिति का आभास कराते हैं
  • खरगोश अपने समूह के दूसरे सदस्य को अपनी पूँछ को जमीन पर पटककर खतरे की सूचना देता है।
  • मधुमक्खी विशिष्ट नृत्यों द्वारा भोजन के स्थान की सूचना देती है।
  • नर मेढक जननकाल में ‘टर्र-टाँ’ की आवाज के द्वारा मादा मेढक को अपनी उपस्थिति बताते हैं।
    कुत्ते, भय, याचना, मित्रता एवं आक्रमण की सूचना अपनी विभिन्न मुद्राओं से देते हैं।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए
(1) परजीविता एवं सहजीविता
(2) सहजीविता एवं सहभोजिता
(3) हाइड्रोसियर एवं जिरोसियर।
उत्तर
(1) परजीविता एवं सहजीविता में अंतर
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(2) सहजीविता एवं सहभोजिता (कमेन्सलिज्म) में अन्तर

(1) सहजीविता वह सम्बन्ध है, जिसमें दो जीव एक-दूसरे को लाभ पहुँचाते हुए जीवित रहते हैं, जबकि सहभोजिता या कमेन्सलिज्म वह सम्बन्ध है, जिसमें एक जीव लाभान्वित होता है दूसरा नहीं।

(2) सहजीविता में दोनों जीवों के बीच क्रियात्मक सम्बन्ध होता है, जबकि कमेन्सलिज्म में दोनों जीवों के बीच क्रियात्मक सम्बन्ध नहीं होता है।
उदाहरण-सहजीविता-लाइकेन तथा लेग्यूमिनोसी कुल के पादपों की जड़ों में पाये जाने वाले जीवाणु का सम्बन्ध। सहभोजिता-ऑर्किड तथा वृक्षों का सम्बन्ध, बंजर एवं चरती भूमि में चरती गाय की पीठ पर बैठे पक्षी का सम्बन्ध।

(3) हाइड्रोसियर एवं जिरोसियर में अन्तर

  • जल में होने वाले अनुक्रमण को हाइड्रोसियर कहते हैं, जबकि मरुभूमि में होने वाले अनुक्रमण को जिरोसियर कहते हैं।
  • हाइड्रोसियर में परिवर्तन अपेक्षाकृत तीव्रता से होता है, जबकि जिरोसियर में परिवर्तन अपेक्षाकृत धीमी गति से होता है।
  • हाइड्रोसियर में जलीय पौधे बनते हैं, जबकि जिरोसियर में मरुस्थलीय पौधे बनते हैं। उदाहरण-झील पारितन्त्र का विकास (हाइड्रोसियर), मरुभूमि में झाड़ियों का विकास।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
(1) परजीविता
(2) जैविक स्थिरता
(3) जाति प्रभाविता।
उत्तर
(1) परजीविता-दो जातियों के बीच ऐसा सम्बन्ध है, जिसमें एक सदस्य को लाभ तथा एक को हानि होती है। लाभ प्राप्त होने वाले सदस्य को परजीवी तथा हानि प्राप्त होने वाले सदस्य को पोषक कहते हैं। परजीवी सदस्य पोषक से भोजन तथा आवास प्राप्त करता है। कुछ परजीवी पोषक के शरीर के बाहर रहकर ही पोषण प्राप्त करते हैं, इन्हें बाह्य परजीवी कहते हैं, जैसे-लीच, , खटमल, मच्छर आदि, जबकि कुछ परजीवी सदस्य पोषक के शरीर के अन्दर रहकर अपना पोषण प्राप्त करते हैं, इन्हें अन्त:परजीवी कहते हैं। जैसे-फीताकृमि, ऐस्केरिस आदि।

(2) जैविक स्थिरता–किसी जीव समुदाय की यथास्थिति बनाये रखने की क्षमता को जैविक स्थिरता कहते हैं। ऐसा देखा गया है कि किसी जैविक समुदाय में जितनी अधिक जातियाँ पायी जाती हैं, वह समुदाय उतना ही अधिक स्थिर होता है। जातियों की संख्या में अधिकता का सामान्य अर्थ जीव समुदाय में विविधता से है। प्रकृति का नियम है कि विविधता में ही स्थिरता होती है। इसे हम उदाहरण के द्वारा समझा सकते हैं। यदि किसी बड़े क्षेत्र में एक ही प्रकार के पौधे लगा लें और उनमें कोई बीमारी लग जाय तो पूरे क्षेत्र की वनस्पतियाँ नष्ट हो जायेंगी, इसके विपरीत प्राकृतिक जंगल में किसी जाति के पादपों में रोग लगता है, तो शेष वृक्ष तथा पौधे जीवित रहेंगे, क्योंकि उसमें हजारों प्रकार की जातियाँ पायी जाती हैं । इसी कारण कृत्रिम रूप से विकसित जंगलों की अपेक्षा प्राकृतिक जंगल अधिक स्थायी होते हैं।

(3) जाति प्रभाविता–प्रत्येक जीवीय समुदाय में एक अथवा कुछ जातियों के जीव अधिक संख्या में पाये जाते हैं, इस जाति अथवा जातियों की प्रभावी जाति तथा समुदाय के इस गुण को जाति प्रभाविता कहते हैं। इन जातियों का समुदाय की अन्य जातियों तथा वहाँ के वातावरण पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। उदाहरणउष्ण कटिबन्धीय (ट्रॉपिकल) प्रदेशों के अधिक वर्षा वाले जंगलों में लगभग 10 जातियाँ ही प्रभावी रूप में पायी जाती हैं।

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प्रश्न 15.
समष्टि उच्चावचन किसे कहते हैं ?
उत्तर
किसी समष्टि के साम्यावस्था में पहुँचने के बाद इसके घनत्व में कमी या अधिकता होती रहती है। साम्यावस्था के घनत्व में कमी या अधिकता होने की क्रिया को समष्टि उच्चावचन कहते हैं। यह समष्टि का एक प्रमुख गुण है, जो जलवायवीय कारकों एवं समष्टि की आपसी सम्बन्धों या क्रियाओं के कारण होता है।

प्रश्न 16.
जनसंख्या प्रकीर्णन को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर
समष्टि परिक्षेपण या प्रकीर्णन वह साधन है, जिसके द्वारा विनिष्ट समष्टि पुनः स्थापित होकर साम्यावस्था में आती है या आने का प्रयास करती है। इसमें समष्टि जीव.या उनके बीज एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आवागमन करते हैं। वास्तव में समष्टि परिक्षेपण,वह क्रिया है, जिसके द्वारा कोई समष्टि अपने आवास में वृद्धि करती है। परिक्षेपण और प्रजनन में गहरा सम्बन्ध होता है, क्योंकि प्रजनन की अनुपस्थिति में परिक्षेपण नहीं हो सकता। समष्टि परिक्षेपण तीन विधियों के द्वारा हो सकता है

  • अग्रवासन-किसी समष्टि में बाहरी सदस्यों का आना अग्रवासन कहलाता है।
  • प्रवासन-किसी समष्टि के सदस्यों का दूसरे स्थान पर स्थायी रूप से बसना प्रवासन कहलाता है।
  • प्रवजन-किसी समष्टि के सदस्यों का दो तरफा प्रकीर्णन (जाना और आना) प्रवजन कहलाता है। जैसे-साइबेरियन पक्षी शीत ऋतु में दक्षिण दिशा में आते हैं लेकिन ग्रीष्म ऋतु में वापस लौट जाते हैं।

जीव और समष्टियाँ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जलीय पौधों के विशिष्ट लक्षण लिखिए।
उत्तर
जलीय पौधों के विशिष्ट लक्षण-

  • इन पौधों में बाह्य त्वचा पर उपत्वचा का अभाव होता है।
  • इन पौधों में जड़ तन्त्र अल्पविकसित होता है तथा जड़ें प्रायः छोटी एवं शाखारहित होती हैं। वॉल्फिया नामक आवृतबीजी पादप में तो जड़ों का अभाव होता है।
  • इन पौधों के शरीर में बड़े-बड़े अन्तर कोशिकीय अवकाश पाये जाते हैं जो कि वायु के संचार में सहायक होते हैं एवं पौधों को तैरने में सहायता करते हैं।
  • इन पौधों का सम्पूर्ण पादप शरीर जल एवं खनिज पदार्थों के अवशोषण में सहायक होता है।
  •  इन पौधों में रन्ध्रों का अभाव होता है यदि रन्ध्र उपस्थित भी होते हैं तो वे अक्रिय होते हैं ।
  • इन पौधों में यांत्रिक ऊतक अल्प विकसित होते हैं।
  • इन पौधों में संवहनी ऊतक या तो अनुपस्थित होते हैं अथवा अल्प विकसित होते हैं।
  • जल निमग्न पौधों में पत्तियाँ पतली, लंबी एवं फीतेनुमा होती हैं।
  • प्लावी पौधों में पत्तियाँ बड़ी चपटी होती हैं । बाह्य सतह पर मोम का जमाव होता है।
  • पर्णवृन्त लम्बे, लचीले, स्पंजी एवं श्लेष्मीय होते हैं।

प्रश्न 2.
मरुद्भिद् पौधों की आंतरिक संरचना में पाये जाने वाले अनुकूलन का सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर
मरुद्भिद् पौधों की आंतरिक संरचना के अनुकूलन

  • इन पौधों के तनों एवं पत्तियों की बाह्य त्वचा (Epidermis) के ऊपर एक मोटी उपत्वचा (Cuticle) पाई जाती है।
  • इनकी बाह्य त्वचा (Epidermis) बहुस्तरीय (Multilayered) भी हो सकती है। उदाहरणनेरियम (Nerium)।
  • बाह्य त्वचा की भित्तियों का मोटा होना, इससे वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है।
  • इन पौधों के पत्तियों की निचली सतह पर धंसे हुए रन्ध्र (Suncken stomata) पाये जाते हैं। यह रन्ध्र, रन्ध्रीय गुहाओं (Stomatal cavities) में स्थित होते हैं जिनमें रोम (Hairs) या रन्ध्रीय रोम (Stomatal hairs) उपस्थित होते हैं। उदाहरण- कनेर (Nerium), पाइनस (Pinus) |
  • इन पौधों की हाइपोडर्मिस (Hypodermis) मोटी भित्ति वाली स्क्लेरेनकायमी कोशिकाओं (Sclerenchymatous cell) की बनी होती है जो कि जल के वाष्पीकरण को रोकते हैं। उदाहरण–पाइनस (Pinus) की पत्तियाँ।
  • इनकी पत्तियों में मीजोफिल (Mesophyll), पैलिसेड ऊतक (Palisade tissue) एवं स्पंजी पैरेनकाइमा (Spongy parenchyma) में स्पष्ट तथा भिन्नित होते हैं।

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 13

  • अन्तरकोशिकीय अवकाश (Intercellular spaces) आकार में बहुत छोटे होते हैं अथवा अनुपस्थित होते हैं।
  • इनमें शरीर को मजबूती प्रदान करने के लिए यान्त्रिक ऊतक (Mechanical tissue) कोलेनकाइमा (Collenchyma) के रूप में तथा स्क्ले रेनकाइमा (Sclerenchyma) के रूप में उपस्थित रहता है।
  • इनके तनों के वल्कुट (Cortex) में क्लोरेनकाइमा भी पाया जाता है।
  • इन पौधों में संवहनी ऊतक (Conducting tissue), दारु (Xylem) तथा पोषवाह (Phloem) के रूप में पूर्णतया विकसित होता है, जिससे जल व पोषक पदार्थों का संवहन (Conduction) आसानी से होता है।
  • इनकी बाह्यत्वचा (Epidermis) के ऊपर रोम (hairs) अथवा कण्टक (Spines) पाये जाते हैं, जो कि वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करते हैं।
  • रंध्रों की संख्या कम व पत्ती की निचली सतह में होती है।
  • तनों में धंसे हुए रंध्रों का पाया जाना।

प्रश्न 3.
जलीय पौधों के आकारिकीय अनुकूलनों का वर्णन कीजिये।
अथवा
जलीय पौधों में पाए जाने वाले किन्हीं दो अनुकूलनों को लिखिए।
उत्तर
जलीय पौधों के आकारिकीय अनुकूलन निम्नलिखित हैं
(1) जड़ों के अनुकूलन

  • जड़ तन्त्र (Root system) अल्पविकसित होती है तथा ये अशाखित (Unbranched) होती हैं। कुछ प्लावी पौधों (Floating plants) उदाहरण-वॉल्फिया (Wolffia), यूट्रिकुलेरिया (Utricularia) तथा जल निमग्न पौधों (Submerged plants) उदाहरण-सिरेटोफिलम (Ceratophyllum) में जड़ें अनुपस्थित होती हैं।
  • कीचड़ में उगने वाले पौधों को छोड़कर अन्य सभी जलीय पौधों में मूलरोम (Root hairs) अनुपस्थित होते हैं, क्योंकि उनके शरीर की सम्पूर्ण सतह अवशोषण (Absorption) का कार्य करती है।
  • कुछ पौधों जैसे–इकॉर्निया (Eichhormia), ट्रापा (Trapa) एवं पिस्टिया (Pistia) आदि की जड़ों में मूल टोप (Root cap) का अभाव होता है तथा यह मूल पॉकेट (Root pocket) के द्वारा प्रतिस्थापित होती है।
  • यदि जड़ें उपस्थित रहती हैं, तो वे अपस्थानिक (Adventitious) होती हैं तथा ये लम्बाई में छोटी, अशाखित एवं अल्पविकसित होती हैं । लेप्ना (Lemna) में जड़ें पौधे के सन्तुलन (Balance) को बनाते हुए लंगर (Anchor) की भाँति कार्य करती हैं।

(2) तनों में होने वाले अनुकूलन (Adaptations in stems)

  • जलमग्न पौधों (Submerged plants) उदाहरण-हाइड्रिला (Hydrilla), पोटेमोजिटॉन – (Potamogeton) आदि में तना लम्बा (Long), पतला (Slender) एवं लचीला (Flexible) होता है।
  • स्वतन्त्र रूप से तैरने वाले पौधों (Free floating plants) में तना जल की सतह के समानान्तर उस पर तैरता रहता है। उदाहरण-ऐजोला (Azolla), साल्विनिया (Salvinia) आदि। जलकुम्भी (Eichhomia) में तना स्पंजी (Spongy), मोटा, स्टोलन युक्त (Stoloniferous) एवं छोटा होता है।
  • जल में तैरने वाले जड़ युक्त पौधे (Rooted floating plants) जिनमें पत्तियाँ जल की सतह पर तैरती रहती हैं तथा तना प्रकन्द (Rhizome) के रूप में पाया जाता है। उदाहरण-निम्फिया (Nymphaea), निलम्बो (Nelumbo)।
  • इन पौधों में प्रजनन रनर (Runner), स्टोलन (Stolon) एवं ट्यूबर (Tuber) आदि के द्वारा होता है। तने प्रायः बहुवर्षीय (Perennial) होते हैं।

(3) पत्तियों में पाये जाने वाले अनुकूलन (Adaptations in leaves)

(i) जलमग्न रूपों (Submerged forms) में पत्तियाँ पतली (thin), लम्बी (long) एवं फीतेनुमा (Ribbon shaped) होती हैं। उदाहरण-वैलिस्नेरिया (Vallisneria), सिरेटोफिलम (Ceratophyllum) एवं रैननकुलस एक्वेटिलिस (Ranunculus aquatilis) की पत्तियाँ पतली एवं कटी-फटी (Finely divided) होती हैं। जलमग्न पौधों में कटी-फटी पत्तियाँ जल के तरंगों (Waves) के प्रति कम प्रतिरोधक (Resistant) होती हैं और पौधों को सुरक्षित रखती हैं।

(ii) प्लावी पौधों (Floating plants) उदाहरण-निम्फिया(Nymphaea) एवं कुमुदनी (Nelumbo) की पत्तियाँ अपेक्षाकृत बड़ी (Large), चपटी (Flat), पूर्ण (Entire) एवं प्लावी (Floating) होती हैं। इनकी बाह्य सतह पर मोम (Wax) का जमाव (Coating) होता है। इन पौधों की पत्तियों के पर्णवृन्त (Petiole) लम्बे, लचीले (Flexible), स्पंजी (Spongy) एवं श्लेष्म (Mucilage) के द्वारा घिरे रहते हैं, जिसके कारण पत्तियाँ जल की सतह पर आ जाती हैं।

(iii) कुछ प्लावी पौधों उदाहरण-जलकुम्भी (Eichhornia) एवं सिंघाड़ा (Trapa) आदि पौधों में पत्तियों के पर्णवन्त (Petiole) फूले हुए (Swollen) एवं स्पंजी (Spongy) होते हैं, जिनमें हवा भरी रहती है। यह गुण पौधे को तैरने में सहायता करता है।

(iv) रैननकुलस (Ranunculus), सैजिटेरिया (Sagittaria), एवं लिम्नोफिला (Limnophila) आदि में विषमपर्णता (Heterophylly) पायी जाती है। इनमें कई प्रकार की पत्तियाँ पायी जाती हैं

  • जलमग्न पत्तियाँ (Submerged leaves)
  • प्लावित पत्तियाँ (Floating leaves) एवं
  • वायवीय पत्तियाँ (Aerial leaves)। निमग्न पत्तियाँ, रेखीय (linear), फीतेनुमा (Ribbon shaped) तथा कटी-फटी (Dissected) होती हैं । प्लावित पत्तियाँ पूर्ण (Entire) एवं पालित (Lobed) होती हैं।

प्रश्न 4.
मरुद्भिद पौधों के तनों एवं पत्तियों में पाये जाने वाले आकारिकीय अनुकूलनों का वर्णन कीजिए।
अथवा
मरुदभिद पौधों को उदाहरण सहित संक्षेप में समझाइए।
उत्तर
मरुद्भिद पौधों में शुष्क वातावरण को सहने के लिये निम्न प्रकार के प्रकार्यात्मक अनुकूलन पाये जाते हैं
पत्तियों में अनुकूलन (Adaptations in leaves)

  • मरुद्भिद पौधों की पत्तियाँ छोटी (Small) होती हैं, जिससे वाष्योत्सर्जन (Transpiration) करने वाले क्षेत्रफल में कमी आती है। उदाहरण-केजूराइना (Casurina)।
  • कुछ पौधों जैसे-अकेसिया मेलैनोजाइलॉन (Acacia melanonylon) में पर्णफलक (Leaf lamina) अनुपस्थित होता है तथा पर्णवृन्त (Petiole) चपटा होकर प्रकाश-संश्लेषण का कार्य करता है। इसे फिल्लोड (Phyllode) कहते हैं।
  • कुछ मरुद्भिद पौधों जैसे-ऐलोय (Aloe), ऐगेव (Agave), यूक्का (Yucca) एवं बिगोनिया (Begonia) आदि में पत्तियाँ मोटी, गूदेदार एवं मांसल होती हैं। अत: इनमें जल की अत्यधिक मात्रा संचित रहती है।
  • नागफनी (Opuntia) एवं ऐस्पेरेगस (Asparagus) में पत्तियाँ काँटों (Spines) में रूपान्तरित होती हैं। इसी प्रकार पाइनस (Pinus) की पत्तियाँ लम्बी एवं सूच्याकार (Needle shaped) होकर जल की हानि को कम करते हैं।
  • कुछ मरुद्भिद् पौधों में अनुपत्र (Stipules) काँटों (Spines) में रूपान्तरित होकर वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करते हैं। उदाहरण-यूफोर्बिया स्प्लेन्डेन्स (Euphorbia splendens), बेर (Zizvphus jujuba), अकेसिया (Acacia), कैपेरिस (Capparis) आदि।
  • इन पौधों की पत्तियों की बाह्य सतह चमकदार (Shiny) होती है, अतः ये प्रकाश को परावर्तित करके तापमान को कम करने में सहायता करती हैं। उदाहरण- कनेर (Nerium)।
  • कुछ एकबीजपत्री मरुद्भिद् पौधों की पत्तियाँ मुड़ी हुई (Rolled) अथवा वलयित (Folded) होकर रन्ध्रों को अन्दर की ओर छिपा लेती हैं, जिसके कारण वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है। उदाहरणएमोफिला (Ammophila), पोआ (Poa), सोमा (Psomma), एग्रोपायरॉन (Agropyron) आदि।

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प्रश्न 5.
जैविक समुदाय से आप क्या समझते हैं ? किसी जैव समुदाय के विशिष्ट लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
जैविक समुदाय-किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र या वास स्थान में निवास करने वाली विभिन्न समष्टियों के समूह को जैविक समुदाय या जीवीय समुदाय या पारिस्थितिकी समुदाय कहते हैं।
जैव समुदाय के विशिष्ट लक्षण-प्रत्येक जीवीय समुदाय में कुछ विशेषताएँ पायी जाती हैं जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नानुसार हैं

1.जाति विविधता-प्रत्येक जीवीय समुदाय में अनेक प्रकार के जीव एक साथ रहते हैं और सभी एकदूसरे से किसी-न-किसी रूप में जुड़े होते हैं।

2. रचना एवं वृद्धि स्वरूप-प्रत्येक जीवीय समुदाय की एक निश्चित रचना होती है जिसमें तीन प्रकार के जीव पाये जाते हैं-

  • उत्पादन
  • उपभोक्ता एवं
  • अपघटक । इसके साथ ही प्रत्येक जीव समुदाय का एक निश्चित वृद्धि स्वरूप होता है।

3. अनुक्रमण-प्रत्येक जैविक समुदाय परिवर्तनशील होता है तथा इसमें होने वाले परिवर्तन को रोका नहीं जा सकता है।

4. आत्मनिर्भरता-प्रत्येक जीवीय समुदाय में स्वपोषी तथा परपोषी दोनों ही जीव रहते हैं तथा सभी जीव भोजन तथा अपनी अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। परपोषी तथा विषमपोषी जीव की उपस्थिति के कारण प्रत्येक जीव समुदाय आत्मनिर्भर होता है।

5. जीवों के बीच अन्तर्सम्बन्ध-जीवीय समुदाय के सभी जीव एक-दूसरे से घनिष्टतापूर्वक जुड़े होते हैं।

6. जाति प्रभाविता-प्रत्येक जैविक समुदाय में एक जाति प्रभावी रूप में पायी जाती है।

प्रश्न 6.
जन्तुओं की सहयोगात्मक क्रियाओं का वर्णन कर उनका किसी जाति के लिए महत्व बताइए।
उत्तर
एक ही जाति के जीवों में कई प्रकार के क्रियात्मक संबंध होते हैं
(A) सहयोगात्मक

  • सुरक्षा एवं भोजन के लिये सहयोग-इस सहयोग से जीवों को हिंसक जातियों से रक्षा प्रदान कर भोजन की खोज में मदद करता है। उदाहरण-बंदर, हिरण, जेब्रा, हाथी।
  • सामाजिक व्यवस्था-इस व्यवस्था के कारण शांति एवं अनुशासन बनाये रखने में मदद मिलती है। जिससे सुरक्षापूर्वक सरलता से जीवनयापन करते हैं। उदाहरण-चींटी, दीमक, मधुमक्खी।
  • प्रादेशिकता-कुछ जंतुओं में निश्चित क्षेत्र में अपने परिवार के शेष सदस्यों के साथ सहयोगात्मक रूप से जीवनयापन करते हैं । जंतुओं का स्थायी क्षेत्र बिल, घोंसला, झाड़ी, गुफा या दूसरे रूप में हो सकता है।
  • प्रजनन सहयोग-कई जंतु प्रजनन सहयोग के लिये आजीवन नर-मादा जोड़ा बनाते हैं इसे एक विवाही जीव कहते हैं। लोमड़ी, भेड़िया, एक नर के साथ कई मादाएँ हों तो बहु विषाही जीव कहते हैं। उदाहरण-हिरण, वालरस।
  • पैतृक संरक्षण या देखभाल-संतति तथा अंडों को सुरक्षा के लिये एक-दूसरे का सहयोग करते हैं। उदाहरण-मनुष्य, बंदर, हाथी।
  • सूचनाओं का आदान-प्रदान-लैंगिक रूप से जनन करने वाले जातियों में इन सूचनाओं का विशेष महत्व होता है। दैनिक जीवन में भी विशेष महत्व होता है।

(B) प्रतिस्पर्धात्मक-एक ही जाति के विभिन्न सदस्य आपस में भोजन, प्रजनन, क्षेत्र, गृह क्षेत्र तथा सुरक्षा आदि के लिये संघर्ष करते हैं। आवास हेतु पक्षी, भोजन हेतु छिपकली में संघर्ष देखा जाता है। एक ही जाति के सदस्यों के बीच में स्पर्धा के कारण उपलब्ध संसाधनों का जाति के सदस्यों में वितरण संतुलन बना रहता है। एक जाति के लिए सहयोगात्मक क्रियाओं का महत्व–एक जाति के जीव आपस में प्रजनन, भोजन, सुरक्षा एवं सामाजिक व्यवस्था के लिए सहयोगात्मक सम्बन्ध स्थापित करते हैं। एक जाति के सदस्यों को इस सम्बन्ध में कई लाभ होते हैं।

अगर हम प्रजनन सम्बन्ध को ही देखें तो यह बिना दो जीवों के सहयोग के सम्भव ही नहीं है। कई जीव जैसे बन्दर प्रजनन के लिए एक बड़ा समूह बनाते हैं जिसमें एक नर होता है और कई मादाएँ। कई जीव भोजन को सरलता से प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप में शिकार करते हैं । इसी प्रकार जीव जब समूह में रहते हैं तब मांसाहारी जीव आक्रमण नहीं करते जिनसे समूह के कारण उनको सुरक्षा मिलती है। इसी प्रकार चींटियों तथा मधुमक्खियों में समूह के कारण भोजन इत्यादि प्राप्त करने में सरलता होती है और उनका हर काम ठीक ढंग से होता है।

प्रश्न 7.
किसी जैविक समुदाय की विभिन्न जातियों के बीच अन्तर्सम्बन्धों का उदाहरणों सहित विवरण दीजिए।
उत्तर
जैविक समुदाय की विभिन्न जातियों के बीच अन्तर्सम्बन्ध-किसी भी जैविक समुदाय की विभिन्न जातियों के सदस्य अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दूसरे पर निर्भर रहते हैं। एक समुदाय की विविध जातियों में निम्नलिखित प्रकार का सम्बन्ध हो सकता है–

(1) परजीविता-जब एक जीव दूसरे जीव से पोषण प्राप्त करता है, तब इस सम्बन्ध को परजीविता कहते हैं।

(2) सहजीविता-दो जातियों का ऐसा सम्बन्ध है, जिसमें दोनों एक-दूसरे को लाभ पहुँचाते हुए साथसाथ जीवित रहती हैं। जैसे-लाइकेन एक ऐसा जीव है, जिसमें एक कवक तथा एक शैवाल समूह के जीव साथ-साथ रहते हैं।

(3) सहभोजिता-जब दो सदस्य साथ-साथ इस प्रकार जीवित रहते हैं कि एक सदस्य को लाभ होता है, जबकि दूसरे सदस्यों को इस सम्बन्ध में न ही लाभ होता है और न ही नुकसान। जैसे-ऑर्किड उच्च पादपों पर उगता है।

(4) शिकार एवं शिकारी-दो जातियों के बीच ऐसा सम्बन्ध है, जिसमें एक जन्तु दूसरे का शिकार कर अपना भोजन प्राप्त करता है। जैसे-जंगल के शेर और हिरन का सम्बन्ध ।

(5) अपमार्जिता- यह दो जातियों के बीच आहार प्राप्ति का अटूट सम्बन्ध है, जिसमें एक जाति के जीव दूसरे जीव जाति के मृत शरीर से भोजन प्राप्त करते हैं। जैसे-गिद्ध एवं चील मरे हुए पशुओं के शरीर से भोजन प्राप्त कर वातावरण की प्राकृतिक रूप से सफाई करते हैं।

(6) प्रतिस्पर्धा-वह सम्बन्ध है, जिसमें किसी समुदाय में एक ही जाति अथवा अलग-अलग जातियों के जीव जल, भोजन, आवास, प्रकाश आदि के लिए संघर्ष करते हैं। प्रतिस्पर्धात्मक सम्बन्ध किसी भी जैविक समुदाय को जीवन्त बनाये रखता है।

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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक

बहुलक NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बहुलक क्या होते हैं ?
उत्तर
सरल अणुओं अर्थात् एकलक के संयोजन से बने उच्चतर आण्विक द्रव्यमान वाले यौगिकों को बहुलक कहते हैं। पॉलिमर शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के दो शब्द poly + mer के योग से हुई है। Poly = many (बहु), mer = parts (भाग) इन्हें वृहत् अणु भी कहते हैं।
उदाहरण-P.V.C..टेफ्लॉन, पॉलिथीन इत्यादि।

प्रश्न 2.
संरचना के आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण कैसे किया जाता है ?
उत्तर
संरचना के आधार पर बहुलकों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है

  1. रेखीय बहुलक– पॉलिएथिलीन, नायलॉन, पॉलिविनाइल क्लोराइड।
  2. शाखित श्रृंखला बहुलक-निम्न घनत्व पॉलिथीन, ग्लाइकोजन।
  3. तिर्यकबद्ध बहुलक-बेकेलाइट, मेलामिन इत्यादि।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित बहुलकों को बनाने वाले एकलकों के नाम लिखिए[
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 4
उत्तर
(a) हेक्सामथेलीन, डाईएमीन तथा एडीपिक अम्ल
(b) केप्रोलेक्टम
(c) टेट्राफ्लुओरोएथिलीन।

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प्रश्न 4.
निम्न को योगात्मक एवं संघनन बहुलकों में वर्गीकृत कीजियेटेरिलीन, बैकेलाइट, पॉलिविनाइल क्लोराइड, पॉलिथीन।
उत्तर

  1. टेरिलीन- संघनन बहुलक
  2. बैकेलाइट- संघनन बहुलक
  3. पॉलिविनाइल क्लोराइड- योगात्मक बहुलक
  4. पॉलिथीन- योगात्मक बहुलक।

प्रश्न 5.
ब्यूना-N और ब्यूना-5 के मध्य अंतर समझाइए।
उत्तर
ब्यूना- N- 1, 3-ब्यूटाडाइईन एवं एक्रिलोनाइट्राइल का सहबहुलक है।
ब्यूना- S- 1, 3-ब्यूटाडाइईन एवं स्टाइरिन का सहबहुलक है।

प्रश्न 6.
निम्न बहुलकों को उनके अंतराआण्विक बलों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए

  • नायलॉन-6, 6, ब्यूना-S, पॉलिथीन
  • नायलॉन-6, निओप्रिन, पॉलिविनाइल क्लोराइड।

उत्तर
अंतराआण्विक बलों के बढ़ते क्रम –

  • ब्यूना-S, पॉलिथीन, नायलॉन-6, 6
  • निओप्रिन, पॉलिविनाइल क्लोराइड, नायलॉन-6।

बहुलक NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बहुलक और एकलक पदों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
बहुलक-बहुलक उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले पदार्थ होते हैं जिनमें वृहत् संख्या में पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाइयाँ पायी जाती हैं। इन्हें बृहत् अणु भी कहा जाता है । बहुलकों के कुछ उदाहरण- पॉलिथीन, बैकलाइट, रबर, नायलॉन 6, 6 आदि हैं।
एकलक- एकलक एक सरल अणु है जो बहुलीकृत होने में सक्षम है और इससे संगत बहुलक बनता
उदाहरण- पॉलिथीन एक बहुलक है। इसका सरल अणु एथिलीन एकलक है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 5

प्रश्न 2.
प्राकृतिक और संश्लेषित बहुलक क्या हैं ? प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
1. प्राकृतिक बहुलक-प्राकृतिक बहुलक उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले वृहत्अणु हैं और यह पादपों और जंतुओं में पाए जाते हैं। प्रोटीन और न्यूक्लिक अम्ल इसके उदाहरण हैं।

2. संश्लेषित बहुलक-संश्लेषित बहुलक मानव निर्मित उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले वृहत्अणु हैं। संश्लेषित प्लास्टिक, रेशे और रबर इसके अंतर्गत आते हैं। इनके दो विशिष्ट उदाहरण पॉलिथीन और डेक्रॉन हैं।

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प्रश्न 3.
समबहुलक और सहबहुलक पदों (शब्दों) में विभेद कर प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
समबहुलक- एक ही प्रकार की एकलक स्पीशीज के बहुलीकरण से बनने वाले योगात्मक बहुलकों को समबहुलक कहा जाता है।
उदाहरण –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 6

सहबहुलक- दो भिन्न-भिन्न प्रकार के एकलकों के योगात्मक बहुलीकरण से बनने वाले बहलकों को सहबहुलक कहा जाता है।
उदाहरण –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 7

प्रश्न 4.
एकलक की प्रकार्यात्मकता को आप किस प्रकार समझाएँगे?
उत्तर
प्रकार्यात्मकता एकलक में आबंधी स्थितियों की संख्या है।
उदाहरण- एथीन, प्रोपीन, स्टाइरीन, एक्रिलोनाइट्राइल की प्रकार्यात्मकृता एक है तथा एथिलीन ग्लाइकॉल, ऐडिपिक अम्ल हेक्सामेथिलीनडाइएमीन की दो है।

प्रश्न 5.
बहुलीकरण (Polymerization) पद (शब्द) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर
एक अथवा अधिक एकलकों की सहसंयोजक बंधों द्वारा पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाइयों के एक साथ श्रृंखलित होने से बनने वाले उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले बहुलक बनने की प्रक्रिया बहुलीकरण है।

प्रश्न 6.
(NH-CHR-CO)n एक समबहुलक है या सह-बहुलक ?
उत्तर
चूँकि (NH-CHR -CO)n इकाई, एकल एकलक इकाई से प्राप्त होती हैं इसलिए यह एक समबहुलक है।

प्रश्न 7.
आण्विक बलों के आधार पर बहुलक किन संवर्गों में वर्गीकृत किए जाते हैं ?
उत्तर
विभिन्न बहुलकों की श्रृंखलाओं के मध्य उपस्थित आण्विक बलों के आधार पर बहुलकों का …वर्गीकरण निम्न प्रकार से दिया गया है।

  1. प्रत्यास्थ बहुलक,
  2. रेशे,
  3. तापसुघट्य बहुलक और
  4. तापदृढ़ बहुलक।

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प्रश्न 8.
संकलन और संघनन बहुलीकरण के मध्य आप किस प्रकार विभेद करेंगे?
उत्तर
संकलन बहुलीकरण-योगात्मक बहुलक द्वि या त्रि-आबंध युक्त एकलक अणुओं के पुनरावृत्त योग से बनते हैं। एक ही प्रकार के एकलक स्पीशीज के बहुलीकरण से बनने वाले योगात्मक बहुलक को समबहुलक कहते हैं तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के एकलकों के योगात्मक बहुलीकरण से बनने वाले बहुलकों को सहबहुलक कहते हैं।
उदाहरण- एथीन से पॉलिएथिलीन का निर्माण।

संघनन बहुलीकरण- दो भिन्न द्वि-क्रियात्मक या त्रि-क्रियात्मक इकाइयों के बीच पुनरावृत्त संघनन अभिक्रिया द्वारा बनते हैं। इन बहुलीकरण अभिक्रिया के दौरान लघु अणु जैसे-H2O-NH3, HCl इत्यादि का विलोपन होता है।
उदाहरण- नायलॉन-6, 6, हेक्सामेथिलीनडाईएमीन तथा एडिपिक अम्ल का संघनन बहुलक है।

प्रश्न 9.
सहबहुलीकरण (Co-polymerization) पद(शब्द)की व्याख्या कीजिए और दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
सहबहुलीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक से अधिक प्रकार की स्पीशीज का बहुलीकरण किया जाता है। सहबहुलक में प्रत्येक एकलक की अनेक इकाइयाँ होती हैं।
उदाहरण- ब्यूना-S- यह 1, 3-ब्यूटाडाइईन तथा स्टाइरीन का सहबहुलक है।
ब्यूना-N- यह 1, 3-ब्यूटाडाइईन तथा एक्रिलोनाइट्राइल का सहबहुलक है।

प्रश्न 10.
एथीन के बहुलीकरण के लिए मुक्त मूलक क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर
बेंजॉयल परॉक्साइड की उपस्थिति में एथीन का बहुलीकरण मुक्त मूलक क्रियाविधि द्वारा समझा जा सकता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 8

प्रश्न 11.
तापसुघट्य और तापदृढ़ बहुलकों को प्रत्येक के दो उदाहरण के साथ परिभाषित कीजिए।
उत्तर
तापसुघट्य बहुलक को बार-बार तापन द्वारा मृदुलित और शीतलन द्वारा कठोर बनाया जा सकता है। अतः इसे बार-बार उपयोग किया जा सकता है। पॉलिथीन और पॉलिप्रोपिलीन आदि इसके उदाहरण हैं। तापदृढ़ बहुलक स्थायी रूप से दृढ़ रहने वाला बहुलक है। यह साँचे में ढालने की प्रक्रिया में कठोर हो जाता है तथा जम जाता है और पुनः मृदुलित भी नहीं किया जा सकता। बैकेलाइट और मेलामिन-फॉर्मेल्डिहाइड बहुलक इसके उदाहरण हैं।

प्रश्न 12.
निम्न बहुलकों को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलक लिखिए

  • पॉलिवाइनिल क्लोराइड,
  • टेफ्लॉन,
  • बैकेलाइट।

उत्तर

  • पॉलिवाइनिल क्लोराइड का एकलक, CH,=CHCI (वाइनिल क्लोराइड) है।
  • टेफ्लॉन का एकलक, CF2=CF2 (टेट्राफ्लुओरोएथिलीन) है।
  • बैकेलाइट के बनने में प्रयुक्त होने वाले एकलक, HCHO (फॉर्मेल्डिहाइड) और C6H5OH (फीनॉल) हैं।

प्रश्न 13.
मुक्त मूलक योगज बहुलकन में प्रयुक्त एक सामान्य प्रारंभक का नाम और संरचना लिखिए।
उत्तर
बेजॉइल परॉक्साइड
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 9

प्रश्न 14.
रबर अणुओं में द्विबंधों की उपस्थिति किस प्रकार उनकी संरचना और क्रियाशीलता को प्रभावित करती है ?
उत्तर
संरचना की दृष्टि से प्राकृतिक रबर एक रेखीय cis-1,4-पॉलिआइसोप्रिन है। इस बहुलक में द्विआबंध आइसोप्रिन इकाइयों के C, और C, के मध्य स्थित होते हैं। द्विआबंध का cis अभिविन्यास दुर्बल अंतर-आण्विक बलों द्वारा प्रभावी आकर्षण के लिए श्रृंखलाओं को समीप नहीं आने देता। अतः प्राकृतिक रबर की कुंडलित सरंचना होती है और यह प्रत्यास्थता प्रदर्शित करता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 10

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प्रश्न 15.
रबर के वल्कनीकरण के मुख्य उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
उत्तर
प्राकृतिक रबर के निम्नलिखित भौतिक गुणों के सुधार के लिये वल्कनीकरण किया जाता है

  • प्राकृतिक रबर उच्च ताप (>335K) ताप पर नर्म है।
  • प्राकृतिक रबर निम्न ताप (<283K) ताप पर भंगुर है।
  • यह अध्रुवीय विलायकों में घुलनशील है।
  • ऑक्सीकरण कर्मकों के आक्रमण के प्रति प्रतिरोधी नहीं है।

प्रश्न 16.
नायलॉन-6 और नायलॉन-6, 6 में पुनरावृत्त एकलक इकाइयाँ क्या हैं ?
उत्तर
नायलॉन-6 की पुनरावृत्त एकलक इकाई [NH(CH2)5-CO] है। नायलॉन-6, 6 बहुलक की पुनरावृत्तं एकलक इकाई दो एकलकों हेक्सामेथिलीनडाइऐमीन और ऐडिपिक अम्ल से व्युत्पित होती है।
[NH-(CH2)6-NH-CO(CH2)4-CO]

प्रश्न 17.
निम्नलिखित बहुलकों के एकलकों का नाम और संरचना लिखिए।
(i) ब्यूना-S,
(ii) ब्यूना-N,
(iii) डेक्रॉन,
(iv) निओप्रीन।
उत्तर
एकलकों के नाम और संरचनाएँक्र.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 11

प्रश्न 18.
निम्नलिखित बहुलक संरचनाओं के एकलक की पहचान कीजिए
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 12
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 13
उत्तर
(i) डेकानॉइक अम्ल –
HOOC-(CH2)8-COOH और हेक्सामेथिलीनडाइएमीन-H2N-(CH2)6-NH2 है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 14

प्रश्न 19.
एथिलीन ग्लाइकॉल और टेरेफ्थैलिक अम्ल से डेक्रॉन किस प्रकार प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर
डेक्रॉन बनाने के लिये निम्नलिखित समीकरण हैं-
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प्रश्न 20.
जैवनिम्नीय बहुलक क्या हैं ? एक जैवनिम्नीय ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर का उदाहरण दीजिए।
उत्तर
जैवनिम्नीय बहुलक वह बहुलक है जो एक लम्बे समयांतराल के बाद स्वयं के द्वारा अथवा सूक्ष्मजीवों की क्रिया द्वारा विघटित हो जाता है। जैवनिम्नीय बहुलक कहलाता है। इस प्रकार के बहुलक का उपयोग तथा उनका निस्तारण पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न नहीं करता है।
उदाहरण- पॉलिहाइड्रॉक्सीब्यूटीरेट को -हाइड्रॉक्सी वैलरेट PHBV.
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बहुलक अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुलक वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है –
(a) सिल्क सेल्युलोज से बनाया जाता है
(b) नायलॉन-6, 6 इलास्टोमर्स का उदाहरण है
(c) प्राकृतिक रबर की पुनरावृत्त इकाई आइसोप्रिन है
(d) स्टार्च तथा सेल्युलोज दोनों ग्लूकोज के बहुलक हैं।
उत्तर
(b) नायलॉन-6, 6 इलास्टोमर्स का उदाहरण है

प्रश्न 2.
CaC2 से पॉलिएथिलीन का निर्माण निम्न प्रकार से होता है –
CaC2+2H2O →Ca(OH)2+C2H2
C2H2+H2 →C2H4
nC2H4 →(-CH2-CH2-)n
64.0 Kg CaC2 से पॉलिएथिलीन की मात्रा प्राप्त होगी-
(a) 7 kg
(b) 14 kg
(c) 21 kg
(d) 28 kg.
उत्तर
(d) 28 kg.

प्रश्न 3.
निम्न घनत्व पॉलिएथिलीन के लिये निम्न दिये गये कथनों में से कौन-सा कथन गलत है –
(a) इसके निर्माण हेतु उच्च दाब की आवश्यकता है
(b) यह विद्युत् का दुर्बल चालक है
(c) इसके निर्माण हेतु उत्प्रेरक के रूप में ऑक्सीजन या परॉक्साइड प्रयुक्त होता है
(d) इसका उपयोग बाल्टियाँ तथा डस्टबीन बनाने में होता है।
उत्तर
(d) इसका उपयोग बाल्टियाँ तथा डस्टबीन बनाने में होता है।

प्रश्न 4.
नायलॉन उदाहरण है –
(a) पॉलिऐमाइड
(b) पॉलिथीन
(c) पॉलिएस्टर
(d) पॉलिसैकेराइड।
उत्तर
(a) पॉलिऐमाइड

प्रश्न 5.
प्राकृतिक रबर में होता है –
(a) वैकल्पिक सिस एवं ट्रान्स अभिविन्यास
(b) अनियमित सिस एवं ट्रान्स अभिविन्यास
(c) सभी सिस अभिविन्यास
(d) सभी ट्रान्स अभिविन्यास।
उत्तर
(c) सभी सिस अभिविन्यास

प्रश्न 6.
निम्न में से कौन-सा संघनन बहुलक नहीं है –
(a) मेलामाइन
(b) ग्लिपटल
(c) डेक्रॉन
(d) नियोप्रिन।
उत्तर
(d) नियोप्रिन।

प्रश्न 7.
निम्न में से नियोप्रिन का एकलक है –
(a)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक -1
(b)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक -2
(c) CH2=CH-C=CH
(d) CH2= CH-CH= CH2.
उत्तर
(a)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक -1

प्रश्न 8.
निम्न में से कौन-सा बहुलक जैवनिम्नीकरण बहुलक है –
(a) पॉलिएथिलीन
(b) बैकेलाइट
(c) PHBU
(d) PVC.
उत्तर
(c) PHBU

प्रश्न 9.
निम्न में से किसमें एस्टर बंध होता है –
(a) नायलॉन
(b) बैकलाइट
(c) टेरीलीन
(d) P.V.C.
(e) रबर।
उत्तर
(c) टेरीलीन

प्रश्न 10.
टेफ्लॉन किसका बहुलक है –
(a) टेट्राफ्लुओरो एथिलीन
(b) टेट्रा आयोडो एथिलीन
(c) टेट्राब्रोमो एथिलीन
(d) टेट्राफ्लुओरो एथिलीन।
उत्तर
(a) टेट्राफ्लुओरो एथिलीन

प्रश्न 11.
नायलॉन थ्रेड होते है –
(a) पॉलिएमाइड बहुलक
(b) पॉलिएथिलीन बहुलक
(c) पॉलिविनाइल बहुलक
(d) पॉलिएस्टर बहुलक।
उत्तर
(a) पॉलिएमाइड बहुलक

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प्रश्न 12.
बैकेलाइट बहुलक है –
(a) HCHO एवं एसीटीक अम्ल का
(b) HCHO एवं फिनॉल का
(c) C2H5-OH एवं फिनॉल का
(d) CH3-COOH एवं बेंजीन का।
उत्तर
(b) HCHO एवं फिनॉल का

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में जैवनिम्नीकरण बहुलक (Biodegradable) है –
(a) सेल्युलोज
(b) पॉलिथीन
(c) पॉलिविनाइल फ्लोराइड
(d) नायलॉन-6.
उत्तर
(a) सेल्युलोज

प्रश्न 14.
नायलॉन-6, 6 नहीं है –
(a) संघनन बहुलक
(b) सह बहुलक
(c) पॉलि ऐमाइड .
(d) समबहुलक।
उत्तर
(d) समबहुलक।

प्रश्न 15.
निम्न में श्रृंखला वृद्धि बहुलक है –
(a) स्टार्च
(b) न्यूक्लिक अम्ल
(c) पॉलिस्टाइरिन
(d) प्रोटीन।
उत्तर
(c) पॉलिस्टाइरिन

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. क्लोरोप्रिन ………….. बनाने में उपयोग किया जाता है।
  2. बहुलकों पर आवेश ………… है।
  3. बहुलक प्रकाश का …………… करते हैं।
  4. बहुलकों का अणु द्रव्यमान …………… होता है।
  5. ग्लूकोज ……………. का मोनोमर है।
  6. सेल्युलोज एक ………….. बहुलक है।
  7. एथिलीन ग्लाइकॉल तथा थैलिक अम्ल का बहुलक …………… कहलाता है।
  8. रबर …………… बहुलक है।
  9. रबर का वल्कनीकरण ………….. का उदाहरण है।
  10. बैकेलाइट एक ………………. प्लास्टिक है।
  11. नाइलॉन -6 को …………… भी कहते हैं।
  12. टेफ्लॉन …………… का बहुलक है।

उत्तर

  1. संश्लेषित रबर
  2. नहीं होता
  3. प्रकीर्णन
  4. अधिक
  5. सेल्युलोज
  6. प्राकृतिक
  7. ग्लिप्टल
  8. प्राकृतिक
  9. इलेस्टोमर
  10. ताप दृढ़
  11. पेर्लीन-2
  12. टेट्रा फ्लोरो एथिलीन।

3. उचित संबंध जोडिए

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 3
उत्तर

  1. (d)
  2. (a)
  3. (c)
  4. (1)
  5. (b)
  6. (g)
  7. (e)
  8. (h).

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4. एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. प्राकृतिक बहुलकों के दो उदाहरण दीजिए।
  2. योग बहुलक के दो उदाहरण दीजिए।
  3. संघनन बहुलक के दो उदाहरण दीजिए।
  4. ब्यूना रबर का रासायनिक नाम लिखिए।
  5. संश्लेषित रबर का एक उदाहरण दीजिए।
  6. पॉलीथीन का एकलक है।
  7. एथिलीन ग्लाइकॉल तथा डाइमेथैल थैलिक अम्ल के संघनन से प्राप्त बहुलक का नाम क्या है ?
  8. दो या दो से अधिक भिन्न एकलकों के बहुलीकरण को क्या कहते हैं ?
  9. टायर के धागे बनाने में प्रयुक्त बहुलक का नाम क्या है ?
  10. कैप्रोलैक्टम के बहुलीकरण से क्या प्राप्त होता है ?

उत्तर

  1. प्राकृतिक बहुलक-रबर, स्टार्च
  2. योग बहुलक-(i) पॉलिथीन (ii) पॉलिप्रापिलीन
  3. संघनन बहुलक- (i) नायलॉन-6 (ii) बैकलाइट
  4. स्टायरिन ब्यूटा डाइईन रबर (S.B.R)
  5. स्टाइरीन ब्यूटा-डाइ-ईन रबर (S.B.R.)
  6. एथीन (CH2 = CH2)
  7. टेरीलीन (डेक्रॉन)
  8. सह बहुलीकरण
  9. नायलॉन-6
  10. नायलॉन-6.

बहुलक लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या योगात्मक व संघनन बहुलीकरण में सहबहुलक (Copolymer) बनता है ?
उत्तर
हाँ, यह दोनों प्रकार के बहुलीकरण में बन सकता है। जैसे ब्यूना-S एक सहबहुलक है जो कि स्टाइरिन व 1, 3-ब्यूटाडाइईन से योगात्मक बहुलीकरण में बनता है। नायलॉन-6, 6 एक सह बहुलक है जो कि एडिपिक अम्ल एवं हेक्सामेथिलीन डाई एमीन के संघनन बहुलीकरण से बनता है।

प्रश्न 2.
नायलॉन-6 एवं नायलॉन-6,6 में क्रमश: 6 एवं 6, 6 क्या व्यक्त करते हैं ?
उत्तर
नायलॉन-6 को कैप्रोलैक्टम से बनाया जाता है जो कि साइक्लोहेक्सेन से प्राप्त होता है। यह 6 कार्बन परमाणु युक्त यौगिक है अतः नायलॉन-6 में 6 अंक, इन्हीं 6 कार्बन परमाणुओं को व्यक्त करते हैं।

नायलॉन-6, 6 को 6 कार्बन परमाणु युक्त एडिपिक अम्ल तथा 6 कार्बन परमाणु युक्त डाइ एमीन से बनाया जाता है। अतः नाम नायलॉन-6, 6 में इसे 6, 6 से व्यक्त किया जाता है जो कि दोनों यौगिकों में 6-6 कार्बन श्रृंखला को व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 3.
निम्न बहुलकों को उनके बढ़ते हुए अन्तर आण्विक बल के आधार पर व्यवस्थित कीजिए तथा इनको योगात्मक व संघनन बहुलक के रूप में भी वर्गीकृत कीजिए-नायलॉन-6, 6, ब्यूना-S, पॉलिथीन।
उत्तर
अन्तर आण्विक बल का बढ़ता हुआ क्रम है- पॉलिथीन < ब्यूना-S < नायलॉन-6,6
संघनन बहुलक- नायलॉन-6, 6
योगात्मक बहुलक- ब्यूना-S एवं पॉलिथीन।

प्रश्न 4.
थर्मोप्लास्टिक बहुलक, थर्मोसेटिंग बहुलक से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर
थर्मोप्लास्टिक बहुलक एवं थर्मोसेटिंग बहुलक में भिन्नता –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 17

प्रश्न 5.
क्या पॉलिएस्टर व पॉलिएक्रिलेट्स समान है ? उत्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
पॉलिएस्टर व पॉलिएक्रिलेट्स दोनों अलग-अलग श्रेणियों के बहुलक हैं तथा दोनों में निम्न अन्तर स्पष्ट है

  • पॉलिएक्रिलेट्स एकलक (होमोपॉलिमर) है जबकि पॉलिएस्टर, सह बहुलक की प्रकृति के हैं।
  • पॉलिएक्रिलेट्स में बहुलकों का संश्लेषण योगात्मक बहुलीकरण द्वारा होता है जबकि पॉलिएस्टर का संश्लेषण संघनन बहुलीकरण द्वारा होता है।
  • पॉलिएक्रिलेट्स में बहुलीकरण C =C बन्ध के द्वारा होता है जबकि पॉलिएस्टर में यह एस्टर बन्ध के द्वारा होता है।

प्रश्न 6.
मुक्त मूलक बहुलीकरण अभिक्रिया में हमेशा एकलक का विशुद्ध रूप ही क्यों लिया जाता है ?
उत्तर
मुक्त मूलक बहुलीकरण में अशुद्धियाँ श्रृंखला स्थानान्तरण एजेण्ट के रूप में कार्य कर सकती है तथा मुक्त मूलक से क्रिया कर अभिक्रिया को धीमा कर सकती है या पूरी अभिक्रिया को ही रोक सकती है।

प्रश्न 7.
प्राकृतिक रबर तथा वल्कनित रबर के कुछ महत्वपूर्ण अन्तर लिखिए।
उत्तर
प्राकृतिक रबर एवं वल्कनित रबर में अन्तर –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 18

प्रश्न 8.
पॉलिथीन क्या है ? इसके दो उपयोग लिखिये।
उत्तर
पॉलिथीन या पॉलिएथिलीन (Polyethylene)-अत्यधिक उच्च दाब 1000-3000 वायुमण्डल एवं 373 से 573K पर ऑक्सी अथवा अकार्बनिक परऑक्साइड की उपस्थिति में एथिलीन बहुलीकृत होकर पॉलिएथिलीन बनाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - Q8
इस प्रकार पॉलिएथिलीन एक योगात्मक बहुलक है तथा व्यापार में पॉलिथीन के नाम से प्रसिद्ध है। यह ताप प्लास्टिक है तथा गर्म करने से नर्म हो जाता है, जिससे इसे विभिन्न आकृतियों में ढाला जा सकता है। यह जल, अम्ल, क्षार तथा कार्बनिक विलायकों द्वारा अप्रभावित रहती है।
उपयोग (Uses)-

  • न टूटने वाली बोतलें, पाइप, बाल्टी आदि घरेलू उपयोग की वस्तुओं के निर्माण में।
  • पैक करने वाली सामग्रियों के निर्माण में,
  • तारों के विद्युत्-रोधन में।

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प्रश्न 9.
निओप्रिन रबर क्या है ? इसके उपयोग लिखिए।
उत्तर
निओप्रिन रबर-यह संश्लेषित रबर है, जो पोटैशियम परसल्फेट की उपस्थिति में क्लोरोप्रिन (2- क्लोरो ब्यूटा-1, 3 डाईन) के बहुलीकरण से बनता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 20
उपयोग-

  • पेट्रोल ले जाने वाली पाइप लाइन बनाने में।
  • कोयला खानों में काम करने वालों के लिए बेल्ट बनाने में।

प्रश्न 10.
पी.वी.सी. क्या है ? इसके क्या उपयोग हैं ?
उत्तर
पॉलि वाइनिल क्लोराइड (PVC)-इसे वाइनिल क्लोराइड के बहुलीकरण से बनाया जाता है। वाइनिल क्लोराइड को बेन्जॉइल परऑक्साइड की उपस्थिति में अक्रिय विलायक में लेकर गर्म करके इसे प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 11.
टेफ्लॉन क्या है ? इसके उपयोग लिखिये।
उत्तर
टेफ्लॉन या पॉलिटेट्राफ्लु ओरोएथिलीन [Teflon, Polytetrafluoroethylene (PTFE).. टेफ्लॉन टेट्राफ्लुओरो एथिलीन का उच्च बहुलक है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 21
टेफ्लॉन रासायनिक रूप से निष्क्रिय एवं ऊष्मा प्रतिरोधी बहुलक है। इसका गलनांक 603K है।
उपयोग– यह गैस्केट, पम्प की पैकिंग, बल्ब की सील, अस्नेहित बेयरिंग, फिल्टर वस्त्र (जालीदार कपड़ा) आदि को बनाने के उपयोग में आता है।

प्रश्न 12.
सेल्युलोज क्या है ? इसके उपयोग लिखिये।
उत्तर
सेल्युलोज प्रकृति द्वारा संश्लेषित बहुसैकेराइड (Polysaccharide) है। सेल्युलोज का अणुसूत्र (C6H10O5)n है। यह पेड़-पौधों की कोशिका भित्ति (Cell wall) का प्रमुख अंग है तथा कुछ जीव-जन्तुओं के ऊतक (Tissues) में भी पाया जाता है। लकड़ी में 60% तथा रुई (कॉटन) में 90% सेल्युलोज होती है। यह प्रकृति में सर्वाधिक मात्रा में मिलने वाला कार्बनिक यौगिक है।
उपयोग- सेल्युलोज से निर्मित अर्द्ध-संश्लेषित बहुलक कृत्रिम धागे व प्लॉस्टिक बनाने में बहुत उपयोगी

प्रश्न 13.
जिग्लर-नाटा उत्प्रेरक क्या है ? इसके उपयोग लिखिये ।
उत्तर
जिग्लर-नाटा उत्प्रेरक-टाइटेनियम क्लोराइड और ऐल्युमिनियम यौगिक का अक्रिय विलायक (हेक्सेन) में मिश्रण जिग्लर-नाटा उत्प्रेरक कहलाता है। उपयोग-1. कम दाब और ताप पर एथिलीन से पॉलिथीन बनता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 22
पॉलिथीन पॉलिथीन का उपयोग खिलौने, रेडियो, टी.वी. के केबिनेट बनाने में होता है।
2. कम ताप और दाब पर प्रोपिलीन जिग्लर-नाटा उत्प्रेरक की उपस्थिति में पॉलिप्रोपिलीन बहुलक बनाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 23
पॉलिप्रोपिलीन पॉलिप्रोपिलीन का उपयोग बोतलें, पाइप, ग्रामोफोन, रिकॉर्ड बनाने में होता है।

प्रश्न 14.
नायलॉन-6 और नायलॉन-6,6 में अन्तर स्पष्ट कीजिएं।
उत्तर
नायलॉन-6 और नायलॉन-6,6 में अन्तर।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 24
प्रश्न 15.
टेफ्लॉन की विधि, गुण तथा उपयोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर
टेफ्लॉन-यह ट्रेटाफ्लोरोएथिलीन को अमोनियम परऑक्सी सल्फेट की उपस्थिति में गर्म करके बनाया जाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 25
गुण-

  • यह बहुत कठोर पदार्थ है,
  • ऊष्मा का प्रतिरोधी होता है,
  • इसका गलनांक 330°C है,
  • यह रासायनिक रूप से निष्क्रिय होता है।

उपयोग- टेफ्लॉन का उपयोग सान्द्र अम्लों और दाहक द्रवों के भरने की केन बनाने तथा ऊष्मा व रासायनिक पदार्थों के प्रतिस्थायी वस्तुएँ बनाने में होता है।

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प्रश्न 16.
बैकलाइट कैसे बनाते हैं ? इसके उपयोग लिखिए।
उत्तर
क्षार की उपस्थिति में फीनॉल और फॉर्मेल्डिहाइड के संघनन से बैकेलाइट बनता है। बैकेलाइट क्रॉस बन्ध (Cross linked) बहुलक है।
उपयोग़-बहुलीकरण की अल्प मात्रा में बने हुए मुक्त मृदु बैकलाइट स्तरित काष्ठ के तख्तों के लिए बन्धक गोंद के रूप में तथा वार्निशों एवं लैकरों में उपयोग किये जाते हैं। बहुलीकरण की मात्रा उच्च होने से कठोर बैकलाइट बनते हैं, जो कंघे, फाउण्टेन पेन की नलियों, ग्रामोफोन के रिकॉर्ड, बिजली के सामान, फार्माइका मेज तलों तथा अनेक उत्पादों के बनाने के लिए उपयोग किये जाते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 26

प्रश्न 17.
नायलॉन-6,6 बनाने की विधि, गुण एवं उपयोग लिखिए।
उत्तर
नायलॉन- 6,6 – यह पॉलिऐमाइड संवर्ग का अति सामान्य बहुलक है। इसमें अनुलग्न-66 का अर्थ है कि बहुलक श्रृंखला में एसिड और डाइऐमीन दोनों के छ:-छ: कार्बन परमाणु होते हैं।
नायलॉन- 6,6 बनाने की विधि-यह ऐडिपिक अम्ल या 1,6- हेक्सेन डाइ ओइक ऐसिड तथा हेक्सामेथिलीन डाइऐमीन या 1, 6-डाइऐमीनो हेक्सेन के बहुलीकरण से बनाया जाता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक - 27
गुण-

  • नायलॉन धागे की उच्च तन्य शक्ति होती है।
  • ये कठोर होते हैं।
  • इनकी प्रवृत्ति इलेस्टिक होती है।
  • नायलॉन की संरचना प्रोटीन के समान होती है।

उपयोग-

  • इसका उपयोग ब्रिसल और ब्रश बनाने में होता है।
  • वस्त्र उद्योग में धागे, गलीचे, बनियान, जुरावे बनाने में होता है।

बहुलक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक बहुलक क्या है ? कुछ प्रमुख बहुलकों को उदाहरण द्वारा समझाइये।
उत्तर
प्राकृतिक बहुलक (Natural polymers)-अनेक बहुलक प्रकृति में पाये जाते हैं । प्रकृति में इनका निर्माण एकलक इकाइयों के संयोजन अथवा संघनन द्वारा न होकर एक जटिल उपापचय प्रक्रिया (metabolic process) द्वारा होता है। कुछ प्रमुख प्राकृतिक बहुलक निम्न हैं

1. पॉलिसैकेराइड (Polysaccharides)-ये मोनोसैकेराइडों के उच्च अणु द्रव्यमान वाले बहुलक है। इसका मुख्य उदाहरण स्टॉर्च तथा सेलूलोस है। स्टॉर्च पौधे का मुख्य संरक्षित खाद्य पदार्थ है जबकि सेलूलोस पौधों का मुख्य संरचनात्मक भाग है।

2. प्रोटीन (Proteins)-ये a ऐमीनो अम्लों के बहुलक हैं। प्रोटीन शरीर के अधिकांश भाग की रचना ही नहीं अपितु उसका संचालन भी करते हैं। प्रोटीन के जल-अपघटन से अन्तिम उत्पाद a ऐमीनो कार्बोक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं।

3. न्यूक्लिक अम्ल (Nucleic acids)-ये प्राकृतिक बहुलक पदार्थ हैं जो प्रत्येक जीवित कोशिका में “न्यूक्लिओ प्रोटीन” नामक यौगिक के रूप में प्रोटीनों के साथ संयुक्त पाये जाते हैं। प्रोटीनों के जैव संश्लेषण का नियंत्रण इन्हीं के द्वारा होता है। ये आनुवंशिक सूचना के वाहक हैं तथा इस विशिष्ट कार्य हेतु इनकी संरचना भी विशिष्ट होती है। राइबोन्यूक्लिक अम्ल (RNA) तथा डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA) मुख्य न्यूक्लिक अम्ल है।

4. प्राकृतिक रबर (Natural rubber)-प्राकृतिक रबर पौधों के लैटेक्स से प्राप्त होती है जो आइसोप्रीन (2- मेथिल 1,3 ब्यूटाडाईन) का बहुलक है।

प्रश्न 2.
संरचना के आधार पर बहुलकों को कितने भागों में विभाजित किया गया है ? उदाहरण देते हुए समझाइये।
उत्तर
संरचना के आधार पर बहुलकों को निम्न भागों में विभाजित किया गया है

1. रैखिक बहुलक (Linear polymers)-इस प्रकार के बहुलकों में एकलक इकाइयाँ मिलकर लम्बी सीधी श्रृंखला बनाती है। ये बहुलक इकाइयाँ एक के ऊपर एक स्थित होती हैं जिसके कारण इसकी तन्यता एवं गलनांक उच्च होते हैं । उदाहरण-पॉलि एथिलीन, नाइलॉन, पॉलि एस्टर।

2. शाखित श्रृंखला बहुलक (Branched Chain Polymer)-शाखित बहुलक पार्श्व-शाखाओं वाली एक दीर्घ श्रृंखला है। इस प्रकार के बहुलकों में एकलक इकाइयाँ आपस में जुड़कर मुख्य श्रृंखला और इससे अनेक पार्श्व श्रृंखलाएँ निकलती हैं जो शाखित होती हैं। उदाहरण-ऐमिलोपेक्टिन, ग्लाइकोजेन।।

3. तिर्यकबद्ध बहुलक-इस प्रकार के बहुलक में एकलक इकाइयाँ आपस में जुड़कर जाली के समान संरचना बनाती हैं। ये बहुलक अत्यन्त कठोर एवं भंगुर होते हैं। उदाहरण-बेकेलाइट तथा यूरिया, फार्मेल्डिहाइड रेजीन।

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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बीटी (Bt) आविष के रवे कुछ जीवाणुओं द्वारा बनाये जाते हैं, लेकिन जीवाणु स्वयं को नहीं मारते क्योंकि
(क) जीवाणु आविष के प्रति प्रतिरोधी होते हैं
(ख) आविष अपरिपक्व हैं।
(ग) आविष (Toxin) निष्क्रिय होता है
(घ) आविष जीवाणु की विशेषथैली में मिलता है।
उत्तर
(ग) आविष (Toxin) निष्क्रिय होता है।

प्रश्न 2.
पारजीनी जीवाणु क्या है ? किसी ऐक उदाहरण द्वारा सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर
पारजीनी जीवाणु (Transgenic Bacteria)-ऐसे बैक्टीरिया (जीवाणु) जिनके डी.एन.ए. में परिचालन द्वारा एक अतिरिक्त (बाहरी) जीन व्यवस्थित होता है जो अपना लक्षण व्यक्त करता है, इसे पारजीनी जीवाणु कहते हैं।

उदाहरण-ई. कोलाई (E.coli) बैक्टीरिया एक पारजीनी जीवाणु है जो मधुमेह (डायबिटीज) रोग के निदान के लिए इन्सुलिन (Insulin) को उत्पन्न करता है। इन्सुलिन अणु दो पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं का बना होता है-A श्रृंखला (A chain) तथा B श्रृंखला (B chain) जो आपस में डाइ-सल्फाइड बंधों द्वारा जुड़ी होती हैं। इन्सुलिन की दोनों शृंखलाओं का जैव संश्लेषण (Biosynthesis) एकल पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं प्राक्इन्सुलिन (Proinsulin) के रूप में होता है।

मानव सहित स्तनधारियों में इन्सुलिन प्राक् -हॉर्मोन (Pro-hormone) संश्लेषित होता है जिसमें एक अतिरिक्त फैलाव होता है जिसे पेप्टाइड C(Peptide-C) कहते हैं । यह ‘सी’ पेप्टाइड परिपक्व इन्सुलिन में नहीं होता है, जो परिपक्वता के दौरान इन्सुलिन से अलग हो जाता है। सन् 1983 में एली लिली नामक एक अमेरिकी कम्पनी ने दो DNAअनुक्रमों को तैयार किया जो मानव इन्सुलिन की श्रृंखला A और B के अनुरूप होते हैं, जिसे इश्चेरिचिया कोलाई (E.coli) के प्लास्मिड में प्रवेश कराकर इन्सुलिन का उत्पादन किया। इन अलग-अलग निर्मित श्रृंखलाओं में A और B को निकालकर डाइसल्फाइड बन्ध बनाकर आपस में संयोजित कर मानव इन्सुलिन का निर्माण किया जाता है।

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प्रश्न 3.
आनुवंशिक रूपान्तरित फसलों के उत्पादन के लाभ व हानि का तुलनात्मक विभेद कीजिये ?
उत्तर
आनुवंशिक रूपान्तरित फसलों के उत्पादन के लाभ (Advantages of Production of Genetically Modified (GM) crops)
जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके कई पादपों में लाभप्रद गुणों का निवेश किया जाता है। जैव प्रौद्योगिकी से विकसित आनुवंशिकता रूपान्तरित फसलों के लाभप्रद गुण अग्रलिखित हैं

  • इस प्रकार के फसलों में पोषण गुणवत्ता में सुधार (Improvement in Nutritional Quality) हुआ है, जैसे-अधिक उत्पादन, अच्छे प्रोटीन : टक तथा अच्छे आवश्यक गुणों जैसे-गेहूँ की अच्छी बेकिंग गुणवत्ता तथा जौ की अच्छी माल्टिंग गुणवत्ता आदि का विकास इस प्रकार की फसलों में हुआ है।
  • लवण एवं सूखा सहिष्णुता-इस प्रकार की फसलें अजैव प्रतिबलों (Abiotic stresses) जैसे– ठण्डा, सूखा, लवण, ताप आदि के प्रति अधिक सहिष्णु (Tolerant) होते हैं।
  • इस प्रकार की फसलें रासायनिक पीड़क नाशकों पर कम निर्भर करती है।
  • इस प्रकार की फसलें कटाई के पश्चात् होने वाले नुकसान को कम करती है।
  • इस प्रकार की फसलें ऐसे पादपों के विकास में सहायक है जिनसे वैकल्पिक पदार्थों (Pharmaceuticals) की आपूर्ति भी की जाती है।

आनुवंशिक रूपान्तरित फसलों के उत्पादन से हानि (Disadvantages of Production of Genetically Modified Crops) आनुवंशिक रूपान्तरित फसलों से कुछ हानियाँ भी होती है जो निम्न हैं

  • इस प्रकार की कुछ फसलों में बीज उत्पन्न करने की शक्ति नहीं होती जिससे प्रत्येक वर्ष किसान को नये बीज खरीदने पड़ते हैं।
  • छोटे किसान प्रत्येक बार इन फसलों को नहीं उगा सकते क्योंकि ये फसलें बहुत महँगी पड़ती है।
  • इस प्रकार की फसलों से लोगों में एलर्जी उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है।

प्रश्न 4.
क्राई प्रोटीन्स क्या है ? उस जीव का नाम बताइए जो इसे पैदा करता है ? मनुष्य अपने फायदे के लिये इस प्रोटीन को कैसे उपयोग में लाते हैं ?
उत्तर
जीव विष जिस जीन द्वारा कूटबद्ध होते हैं, उसे क्राई (Cry) कहते हैं। क्राई प्रोटीन क्रिस्टलीय प्रोटीन्स (Crystalline proteins) का एक वर्ग है। बैसीलस थूरीनजिएन्सिस जीवाणु की कुछ प्रजातियाँ क्राई प्रोटीन्स का निर्माण करती है। यह प्रोटीन फसल पादपों को कीट पीड़कों (Insect pests) के प्रति प्रतिरोधी बनाती है। ये कई प्रकार की होती है। उदाहरण के लिये, जो प्रोटीन्स जीन क्राई I ए सी (Cry I AC) व क्राई II ए बी (Cry II A B) द्वारा कूटबद्ध होते हैं वे कपास के मुकुल कृमि (Bud worm) को नियंत्रित करते हैं। जबकि क्राई I ए बी (Cry IA B) मक्का छेदक (Maize borer) को नियंत्रित करता है। ये प्रोटीन कई प्रकार के कीटों की प्रजातियों के लिये विष (Toxic) है लेकिन मनुष्य के लिये हानिकारक नहीं है।

प्रश्न 5.
जीन चिकित्सा क्या है ? एडीनोसिन डिएमिनेज (ए. डी. ए.) की कमी का उदाहरण देते हुए इसका सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर
जीन चिकित्सा (Gene Therapy)-जीन चिकित्सा में उन विधियों का सहयोग लिया जाता है जिनके द्वारा किसी बच्चे या भ्रूण में चिन्हित किये गये जीन दोषों का सुधार किया जाता है। उसमें रोग के उपचार के लिये जीनों को व्यक्ति की कोशिकाओं या ऊतकों में प्रवेश कराया जाता है। आनुवंशिक दोष वाली कोशिकाओं के उपचार के लिये सामान्य जीन को व्यक्ति या भ्रूण में स्थानान्तरित करते हैं जो निष्क्रिय जीन की क्षतिपूर्ति कर उसके कार्यों को सम्पन्न करते हैं।

जीन चिकित्सा का सर्वप्रथम प्रयोग सन् 1990 में एक चार वर्षीय बालिका में एडीनोसिन डिएमिनेज (Adenosine deaminase) की कमी को दूर करने के लिये किया गया था। यह एन्जाइम प्रतिरक्षा तंत्र के कार्य के लिए अति आवश्यक होता है। एडीनोसिन डिएमिनेज (ADA) से संबंधित जीन में गड़बड़ी होने के कारण घातक सम्बद्ध प्रतिरक्षा न्यूनता (Severe combined Immuno Deficiency SCID) रोग उत्पन्न होता है ।। इस प्रकार के रोगी में अक्रियाशील T- लिम्फोसाइट्स होती है। इसके कारण प्रतिरक्षा तंत्र रोगजनकों से लड़ने की क्षमता नहीं होती है।

जीन चिकित्सा में सर्वप्रथम रोगी के शरीर के रक्त से लसीकाणु को निकालकर शरीर के बाहर संवर्धित किया जाता है। सक्रिय ADA का CDNA लसीकाणु में प्रवेश कराकर अन्त में रोगी के शरीर में समाकलित कर दिया जाता है। ये कोशिकाएं मृतप्राय होती है इसलिये आनुवंशिकत: निर्मित लसीकाणुओं को समय-समय पर रोगी के शरीर से अलग करने की आवश्यकता होती है। यदि मज्जा कोशिकाओं से विलगित
अच्छे जीनों को प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था की कोशिकाओं से उत्पादित ADA में प्रवेश करा दिया जाये तो यह एक स्थाई उपचार हो सकता है।

प्रश्न 6.
ई. कोलाई जैसे जीवाणु में मानव जीन की क्लोनिंग एवं अभिव्यक्ति के प्रायोगिक चरणों का आरेखीय निरूपण प्रस्तुत कीजिए
उत्तर
पुनर्योगज डीएनए तकनीक (Re combinant DNA Technology)-

पुनर्योगज DNA प्राप्त करने के लिए तीन विधियाँ प्रयुक्त की
(अ) DNA की दो श्रृंखलाओं के अंतिम छोर पर नई DNA श्रृंखलाएँ जोड़कर-यदि हम एक DNA के सिरे पर कुछ क्षारक (जैसे – TTTTT) जोड़ दें, तथा दूसरे DNA के सिरे पर इसके संयुग्मी क्षारक (AAAAAA) जोड़ दें और फिर इन दोनों प्रकार के DNA को मिलायें, तो नई लड़ियाँ आपस में H-bond बनाकर दो भिन्न DNA अणुओं को संयुक्त कर देंगी। इस कार्य के लिए विशेष एंजाइम का उपयोग किया जाता है जिसे डी.एन.ए. ‘ए’ DNA ‘A’ टर्मिनल ट्रांसफरेज (Terminal Transferase) कहते हैं। अनजुड़े स्थानों को डी.एन.ए. लाइगेज (DNA Ligase) नामक एंजाइम द्वारा भर देते हैं।

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(ब) नियंत्रण एंजाइमों की सहायता से (With the help of Restriction Enzymes) –
इस विधि में संयुग्मी क्षारकों के बीच हाइड्रोजन बंध बनाकर संकरित DNA का निर्माण करते हैं। परन्तु इस विधि में एक विशेष एंजाइम, नियंत्रण एंजाइम (Restriction Enzymes) का उपयोग करते हैं। इस प्रकार के लगभग 100 एंजाइम अब उपलब्ध है। ये एंजाइम चाकू की तरह कार्य करते हैं तथा DNA श्रृंखला को विशिष्ट स्थानों पर इस प्रकार से काट देते हैं कि वांछित जीनों वाले खंड प्राप्त हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, ई. कोलाई से ईको आर.आई. (Eco RI) नामक नियंत्रण एंजाइम पृथक् किया गया है। यह DNA अणु में क्षारकों के निम्न क्रम को पहचान कर उसे G तथा A के मध्य काट देता है|
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भिन्न-भिन्न स्रोतों से प्राप्त दो DNA के टुकड़ों को मिला दिया जाये तो संयुग्मी बेस आपस में हाइड्रोजन आबंध बनाकर द्विकुंडलित रचना बना लेते हैं। जो स्थान बिना जुड़े रहते हैं, उन्हें DNA लाइगेज की सहायता से जोड़ लिया जाता है, जैसा कि पहली विधि में किया गया था। स्पष्ट है कि Eco तथा DNA Ligase की सहायता से विभिन्न जीवों के जीनों को संयुक्त कराके संकरित जीन तैयार किये जा सकते हैं। संकरित जीन में दोनों ही जीवों के गुण उपस्थित होंगे। यहाँ तक कि ऐसे जीव, जिनमें कोई समानता नहीं है (हाथी और मनुष्य, चूहा और बंदर, टमाटर और आम) इत्यादि। यही नहीं पौधों और जंतुओं के बीच भी संकरण की संभावना बढ़ गई है।

(स) क्लोनिंग (Cloning)—
यह विधि सबसे अधिक सरल तथा उपयोगी सिद्ध हुई है। आप जानते हैं कि कोशिकाओं में DNA का प्रतिकृतिकरण होता रहता है। परन्तु यह भी तभी होता है, जब स्वयं जीन इसका आदेश देता है। कोशिका में इन ‘प्रतिकृतिकरण जीनों’ की संख्या बहुत कम होती है। जैसे, कुछ जीवाणुओं के गुणसूत्र में 300-500 तक जीन होते हैं, परन्तु ‘प्रतिकृतिकरण जीन’ केवल एक ही होता है। इस जीन की एक विशेषता यह भी है कि यदि इसे मूल DNA से अलग करके किसी दूसरे DNA के साथ जोड़ दिया जाये तो यह उसकी प्रतिकृति करने लगता है। जीवाणुओं के प्लाज्मिड (Plasmid) में भी यह जीन उपस्थित होता है। यही कारण है कि जिस जीवाणु कोशिकाओं में प्लाज्मिड होता है, वे तेजी से गुणन करती है।
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शरीर में प्रत्येक पदार्थ के संश्लेषण के लिए कोई निश्चित जीन उत्तरदायी होता है। यदि इस विशिष्ट जीन के साथ प्लाज्मिड के साथ पहले बताई विधियों द्वारा संकरित करा दिया जाये और इस संकरित DNA को पुनः जीवाणु की कोशिका में स्थापित करके उपयुक्त संवर्धन माध्यम में उगने दिया जाये, तो जीवाणु में वह जीन उसी पदार्थ का संश्लेषण करता है जो कि वह मूल शरीर में करता था। इस समस्त प्रक्रिया को क्लोनिंग (Cloning) कहते हैं। पोषी जीवाणु के लिए ई. कोलाई का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 7.
तेल के रसायनशास्त्र तथाr-DNA तकनीक जिसके बारे में आपको जितना भी ज्ञान प्राप्त है, उसके आधार पर बीजों से तेल हाइड्रोकार्बन हटाने की कोई एक विधि सुझाझा ?
उत्तर
बीजों से तेल हटाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी की आण्विक जैव तकनीक का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 8.
इन्टरनेट से पता लगाइए कि गोल्डन राइस (गोल्डन धान ) क्या है ?
उत्तर
“गोल्डन राइस” चावल (ओराइजा सटाइवा) की एक किस्म है जो जैव प्रौद्योगिकी द्वारा विकसित की गई है।

प्रश्न 9.
क्या हमारे रुधिर में प्रोटिओजेज तथा न्यूक्लिएजेज है ?
उत्तर
नहीं।

प्रश्न 10.
इन्टरनेट से पता लगाइए कि मुखीय सक्रिय औषध प्रोटीन को किस प्रकार बनायेंगे ? इस कार्य में आने वाली प्रमख समस्याओं का वर्णन कीजिये।
उत्तर
प्रोटीन की संरचना तथा कार्यों के अध्ययन के लिए मास-स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक पर आधारित पेप्टाइड-एमाइड-ड्यूटीरियम परिवर्तन तकनीक का अध्ययन किया जाता है तथा प्रोब उप-अणुक प्रोटीन संचालक की क्षमता का अध्ययन किया जाता है। यह विधि अत्यधिक श्रम व समय लेने वाली है। इस विधि में एमाइड के पृथक्करण का अध्ययन किया जाता है। ड्यूटीरियम एक्सचेंज मास स्पेक्ट्रोस्कोपी (DXMS) के द्वारा बन्ध का पूर्ण होना एवं एकल एमाइड (अमीनो अम्ल) पृथक्करण तीव्रता से सिद्ध होता है।

उपर्युक्त तकनीक से अत्यन्त कम मात्रा में उपस्थित पदार्थ में तथा लम्बे प्रोटीन पर सरलतापूर्वक कार्य किया जाता है। रिसेप्टर-लिगेन्ड युग्म पर जो जीवित कोशिका के अन्दर या कोशिका पर उपस्थित होते हैं, को शुद्धता के बिना अध्ययन किया जा सकता है। प्रोटीन रिसेप्टर की झिल्लियों का इन विट्रो विश्लेषण किया जाता है। इसकी मुख्य कठिनाई यह है कि इसके द्वारा कैंसर रोग हो जाता है।

जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
गेहूँ है एक
(a) फल
(b) बीज
(c) भ्रूण
(d) ग्लूम।
उत्तर
(b) बीज

प्रश्न 2.
कॉल्चीसीन निम्न में से कौन-सा प्रभाव डालता है
(a) D.N.A. द्विगुणन
(b) गुणसूत्रों का द्विगुणन
(c) स्पिण्डिल तन्तुओं का बनना
(d) मध्य पटलिका के बनने में अवरोधन
उत्तर
(b) गुणसूत्रों का द्विगुणन

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प्रश्न 3.
वह पौधा जिसमें बीज बनता है फिर भी वर्धी प्रजनन द्वारा उगाया जाता है
(a) आलू
(b) नीम
(c) आम
(d) सेवन्ती।
उत्तर
(a) आलू

प्रश्न 4.
मानव निर्मित अन्न है
(a) ट्रिटिकम
(b) ट्रिटिकेल
(c) पाइसम
(d) गन्ना।
उत्तर
(b) ट्रिटिकेल

प्रश्न 5.
सोनेरा 64 और लारोजा 64A किस पादप की प्रजातियाँ हैं
(a) गेहूँ
(b) धान
(c) मटर
(d) मक्का
उत्तर
(a) गेहूँ

प्रश्न 6.
अगुणित नर पौधे किसके संवर्धन से तैयार किये जा सकते हैं
(a) पुतन्तु
(b) परागकण
(c) पुंकेसर
(d) पुमंग।
उत्तर
(b) परागकण

प्रश्न 7.
संकरण के समय फूल की कली से पुंकेसरों को हटाने की क्रिया कहलाती है
(a) कृप्स करवाना
(b) स्वनिषेचन
(c) विपुंसन
(d) टोपपिन
उत्तर
(c) विपुंसन

प्रश्न 8.
बीज बुआई निर्भर करती है
(a) तापमान पर
(b) प्रकाश अवधि पर
(c) भूमि की नमी पर
(d) उपर्युक्त सभी पर।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी पर।

प्रश्न 9.
संकर ज्यादातर जनक से ओजस्वी होते हैं क्योंकि
(a) समयुग्मजता
(b) संकर ओज
(c) जनक ज्यादातर कमजोर होते हैं
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(b) संकर ओज

प्रश्न 10.
Ti प्लाज्मिड जो आनुवंशिक इंजीनियरिंग में प्रयुक्त होता है, प्राप्त होता है
(a) इश्चेरिचिया कोलाई से
(b) बैसीलस थूरिनजिएन्सिस से
(c) एग्रोबैक्टीरियम राइजोजीन्स से
(d) एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसिएन्स से।
उत्तर
(d) एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसिएन्स से।

प्रश्न 11.
Bt टॉक्सिन है
(a) अंत: कोशिकीय लिपिड
(b) अंत: कोशिकीय क्रिस्टलित प्रोटीन
(c) बाह्य कोशिकीय क्रिस्टलित प्रोटीन
(d) लिपिड।
उत्तर
(c) बाह्य कोशिकीय क्रिस्टलित प्रोटीन

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प्रश्न 12.
बैसीलस थूरिनजिएन्सिस (Bt) विभेद अपूर्व कार्य के लिए प्रयोग किया जाता है
(a) बायोमेटलर्जिक तकनीक
(b) बायोइन्सेक्टिसाइड्स पौधे
(c) जैव उर्वरक
(d) बायोमिनरेलाइजेशन प्रक्रम।
उत्तर
(b) बायोइन्सेक्टिसाइड्स पौधे

प्रश्न 13.
भारतीय पौधों में विदेशी DNA स्थानान्तरण में सामान्यतः प्रयोग की जाती है
(a) ट्राइकोडर्मा हार्जीएनम
(b) मेलोइडोगॉन इन्काग्नीटा
(c) एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसिएन्स
(d) पेनीसिलीयम एक्सपेन्सम
उत्तर
(c) एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसिएन्स

प्रश्न 14.
बायोपाइरेसी सम्बन्धित है
(a) जैव अणु तथा जीन्स की खोज से
(b) परम्परागत ज्ञान से
(c) जैव अनुसंधान से
(d) उपरोक्त सभी से।
उत्तर
(c) एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसिएन्स

प्रश्न 15.
सुनहरे चावल में कौन-सा विटामिन प्रचुर होता है
(a) विटामिन A
(b) विटामिन B
(c) विटामिन C
(d) विटामिन
उत्तर
(a) विटामिन A

2.  रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. देश के जैव संसाधनों की चोरी, डकैती तथा गैर कानूनी दोहन को ………….. कहते हैं।
2. जैविक पदार्थों के प्रयोग के लिए……………. एक प्रशासकीय आज्ञापत्र (Official licence) है।
3. जीवित जीवधारियों द्वारा उत्पन्न यौगिक ………….. है।
4. ……………. मानकों का एक समूह है जिसका प्रयोग हमारे कार्यों तथा जैविक संसार के बीच संबंधों को नियंत्रित करने में होता है।
5. उत्पाद की पुनर्घाप्ति, इसका शोधन तथा क्रियाविधि ………….. क्रिया कहलाती है।
उत्तर

  1. बायोपाइरेसी
  2. जैव एकाधिकार (बायोपेटेंट)
  3. जैव अणु
  4. जैव आचार संहिता
  5. डाउन स्ट्रीम।

3. सही जोड़ी बनाइए

‘A’ – ‘B’

1. एण्टीबायोटिक्स – (a) प्रति विषाणु प्रोटीन
2 ह्यूमूलिन – (b) जैव अणु तथा जीन की खोज
3. बायोपाइरेसी – (c) एस. वाक्समेन
4. इन्टरफेरॉन – (d) मानव इंसुलिन।
उत्तर
1. (c), 2. (d), 3. (b), 4. (a)

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. प्रथम ट्रांसजेनिक फसल का नाम लिखिए।
2. Bt-कपास में स्थानान्तरित कीटरोधी प्रोटीन का नाम क्या है ?
3. मानवनिर्मित इन्सुलिन का नाम क्या है ?
4. Nif जीन किस सूक्ष्मजीव में पाए जाते हैं ?
उत्तर

  1. तम्बाकू
  2. Cry प्रोटीन
  3. ह्यूम्यूलिन
  4. राइजोबियम।

जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वे जीन जिनके जीन्स हस्तकौशल द्वारा परिवर्तित किये जा चुके हैं, उन्हें क्या कहते हैं ?
उत्तर
आनुवंशिकतः रूपान्तरित जीव (Genetically modified organisms = GMO)

प्रश्न 2.
जैव प्रौद्योगिकी के सहयोग से तैयार की गई पीड़क फसलों के नाम लिखिए। उत्तर-बी.टी. कपास, बी.टी मक्का, धान, टमाटर, आलू व सोयाबीन। प्रश्न 3. बी.टी. विष (Bt toxin) प्रोटीन किसके द्वारा उत्पन्न
होता है ?
उत्तर
बैसीलस थूरीनजिएंसिस (Bacillus thuringiensis) द्वारा।

प्रश्न 4.
बी.टी. विष किस जीन द्वारा कूटबद्ध होता है ?
उत्तर
बी.टी. विष क्राई (Cry) जीन्स द्वारा कूटबद्ध होता है।

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प्रश्न 5.
RNi का पूर्ण नाम लिखिए।
उत्तर
आर एन ए अंतरक्षेप (RNA interference)!

प्रश्न 6.
आनुवंशिक रोग से ग्रसित शिशु के रोगोपचार के लिये उपयुक्त चिकित्सा व्यवस्था का नाम लिखिए।
उत्तर
जीन चिकित्सा।

प्रश्न 7.
उस जीवाणु का वैज्ञानिक नाम लिखिये, जिसमें Bt जीव विष निर्मित होता है।
उत्तर
बैसीलस थूरीनजिएंसिस।

जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
GM खाद्य क्या है ?
अथवा
जी.एम. फसल को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर
आनुवंशिक रूप से रूपान्तरित फसलों से उत्पादित खाद्य पदार्थों को GM खाद्य कहते हैं। यह GM

  • GM खाद्य पदार्थों में प्रति जैविक प्रतिरोधी जीन पाये जाते हैं।
  • इनमें ट्रांसजीवों (Transgenes) द्वारा उत्पादित प्रोटीन पाई जाती है। उदा. Cry-प्रोटीन । यह प्रोटीन कीट प्रतिरोधी किस्मों में पाई जाती है।
  • इन खाद्य पदार्थों में प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीनों के द्वारा उत्पादित एन्जाइम पाये जाते हैं जो कि पुनर्योजन DNA तकनीक में जीन ट्रांसफर के समय काम आते हैं।

प्रमुख GM फसल, खाद्य एवं फल

  • मक्का (Maize)-आनुवंशिक रूप से रूपांतरित जीनों का समावेश किया गया है जिनमें पीड़कों (Pests) एवं रोगों के लिए प्रतिरोधकता पायी जाती है।
  • फ्लौर-सौर टमाटर (Flaur Saur Tomato)-यह प्रथम GM खाद्य है । इन टमाटरों में कैनामाइसिन (Kanamycin) जैसे प्रतिजैविक के लिए प्रतिरोधकता पाई जाती है।
  • रेप ऑयल सीड (Rape Oil Seed)–यह एक नया पादप है जिनमें बास्टा (Basta) नाम खरपतवारनाशी के प्रति प्रतिरोधकता पाई जाती है।

प्रश्न 2.
GM फसलों के लाभ लिखिए।
उत्तर
GM फसलों के लाभ

  • GM फसलें, फसली पौधों में वांछित फिनोटाइपिक लक्षण उत्पन्न करती हैं।
  • Transgenesis द्वारा GM पौधों में विशिष्ट प्रकार की प्रोटीन उत्पन्न करने वाले जीवों को प्रविष्ट कराया जाता है। ये फसलें बाद में उस प्रोटीन का उत्पादन करती हैं।
  • इनमें विशिष्ट जैव-रासायनिक पथ वाले पौधों का संश्लेषण होता है।
  • इन फसलों में पूर्व से उपस्थित जीन की अभिव्यक्ति को रोकने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 3.
आनुवंशिक रूप से रूपांतरित खाद्य क्या है ? कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
ऐसी फसलें जिनमें अन्य प्रजातियों के उपयोगी जीन पाये जाते हैं तथा जिन्हें आनुवंशिक अभियांत्रिकी की सहायता से दूसरे में प्रविष्ट कराया जाता है उसे आनुवंशिक रूप से रूपांतरित (Genetically modified) या ट्रांसजेनिक फसलें कहते हैं । इन फसलों को ट्रांसजिनेसिस विधि द्वारा पुनर्योगज DNA तकनीक की सहायता से तैयार किया जाता है।
उदाहरण-

  • फ्लौर सौर टमाटर-यह प्रथम GM खाद्य है। इनमें कैनामाइसिन जैसे प्रतिजैविक के लिए प्रतिरोधकता पायी जाती है।
  • रेप ऑयल सीड-यह नया GM पादप है जिनमें बास्टा नामक खरपतवारनाशी के प्रति प्रतिरोधकता होती है।

प्रश्न 4.
दोषमुक्त कृषि किसे कहते हैं ?
उत्तर
कृषि की वह विधि जो कि दीर्घकालीन, टिकाऊ एवं हानि रहित होती है उसे दोषमुक्त कृषि कहते हैं । हरित क्रांति एवं उसके बाद के दौर में अधिक उत्पादन हेतु नई किस्मों के उपयोग, सिंचित क्षेत्र में वृद्धि, उर्वरकों के अति उपयोग, कीटनाशकों तथा शाकनाशी रसायनों के अंधाधुंध उपयोग से फसल उत्पादन में तो अत्यधिक वृद्धि हुई, परन्तु भूमि की गिरती उर्वरता, खाद्य व जल में प्रदूषण, विभिन्न रोगों व विकृतियों के रूप में सामने आ रही है।

पौधों व मनुष्य में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधी क्षमता धीरे-धीरे कम होती जा रही है। खाद्य व जल जनित बीमारियाँ मानव एवं पशु स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं । यह सब आधुनिक व्यावसायिक खेती के कारण हो रहा है, अतः एक ऐसी कृषि प्रणाली को विकसित करने की आवश्यकता हो गई है जो उपर्युक्त दोषों से मुक्त हों। ऐसी कृषि को दोषमुक्त या दीर्घकालीन कृषि कहा जाता है । दोषमुक्त कृषि का सबसे अच्छा उदाहरण कार्बनिक खेती (Organic agriculture) है।

प्रश्न 5.
कार्बनिक खेती क्या है ? इसका क्या आधार होता है ?
उत्तर
कार्बनिक खेती (Organic agriculture)-खेती कृषि उत्पादन की वह पद्धति है जिसमें संश्लेषित उर्वरक, कीटनाशक, निंदानाशक, पौध वृद्धि नियामक, पशुजनित पदार्थ, आनुवंशिक रूप से रूपान्तरित जीवाणु का उपयोग नहीं किया जाता है। इस विधि में भूमि की उर्वरता तथा उत्पादकता बढ़ाने के लिए जैविक खाद, फसल चक्र तथा कीटों तथा खरपतवारों को नष्ट करने के लिए जैव पीड़क नाशकों का उपयोग किया जाता
है। इसके अन्तर्गत पर्यावरण को क्षति पहुँचाये बिना उर्वरकों एवं कृषि रसायनों का कम-से-कम प्रयोग करते हुए जैविक आधारित उर्वरकों, खादों एवं जैव पीड़कनाशकों का अधिकाधिक उपयोग करके उत्पादन में वृद्धि की जाती है।

खेती के आधार (Basic of organic agriculture)-

  • कार्बनिक खेती भूमि, पौधे, पशु व मानव तथा वैश्विक परिस्थितियों को सुधारने व उसे टिकाऊ बनाने पर आधारित है।
  • कार्बनिक उन खेती उन जैव पारिस्थितिक तंत्रों एवं जैव चक्रों पर आधारित है जिसमें उन्हीं जैव तंत्रों व जैव पारिस्थितिक तंत्रों का उपयोग किया जाता है तथा उन्हें बढ़ाया जाता है।
  • कार्बनिक खेती वातावरण एवं जीवन की संभावनाओं को प्रदूषण मुक्त बनाने पर आधारित है।
  • कार्बनिक खेती वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों के स्वास्थ्य एवं वातावरण को बचाने के लिए वांछित सावधानियों एवं आवश्यक उपायों पर आधारित है।

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प्रश्न 6.
जीन मैनीपुलेशन या जेनेटिक इन्जीनियरिंग को समझाइए।
अथवा
आनुवंशिक अभियांत्रिकी किसे कहते हैं ? उसका मानव जीवन में महत्व लिखिए।
उत्तर
वैज्ञानिकों द्वारा DNA या आनुवंशिक पदार्थ की संरचना में आवश्यकतानुसार हेर-फेर करने को जीन मैनीपुलेशन या जेनेटिक इन्जीनियरिंग कहते हैं । आनुवंशिक पदार्थ का कृत्रिम संश्लेषण दो अलग-अलग जीनों के DNA खण्डों को जोड़कर नया DNA बनाना, DNA की मरम्मत, DNA से कुछ न्यूक्लियोटाइड को हटाकर या जोड़कर या विस्थापित करके इच्छित संरचना वाले नये DNA अणुओं का संश्लेषण करके जीन क्रिया का नियन्त्रण करना तथा जीवधारियों में इच्छित गुणों का समावेश करना जेनेटिक इन्जीनियरिंग का मुख्य उद्देश्य है। आनुवंशिकी की यह शाखा अभी अपने शैशव काल में है।

उम्मीद की जाती है कि इस विधि के द्वारा आनुवंशिक वैज्ञानिक जीन की संरचना में सुधार करके अथवा विकृत जीन को सामान्य जीन द्वारा विस्थापित करके आनुवंशिक रोगों से मानव जाति को मुक्ति दिला सकेंगे अथवा मानव द्वारा उपयोग में आने वाले पादपों व जन्तुओं की नस्लों का सुधार कर सकेंगे। आनुवंशिक पदार्थ के संगठन में हेर-फेर, DNA की संरचना का ज्ञान एक अत्याधुनिक तकनीक के विकास के कारण सम्भव हो सकता है। इनको रिकॉम्बिनेन्ट DNA तकनीकी कहते हैं।

आनुवंशिक अभियांत्रिकी का मानव जीवन में महत्व

1. औद्योगिक उपयोग-उच्च वर्गों के जीवों के विटामिन प्रतिजैविक या हॉर्मोन के जीन को कोड करके तथा इनके संश्लेषित DNA को जीवाणुओं में पुनः स्थापित करके विटामिन्स, हॉर्मोन्स आदि यौगिकों का औद्योगिक स्तर पर संश्लेषण किया जाना सम्भव हुआ है। इस विधि से मानव इन्सुलिन का Humulin नाम से जैव-संश्लेषण किया गया है।

2.चिकित्सीय उपयोग-नयी दवाइयों का जैवस्तर पर संश्लेषण तथा जीन चिकित्सा द्वारा हीमोफीलिया, फिनाइल कीटोन्यूरिया आदि वंशागत रोगों का उपचार किया जाना सम्भव हुआ है।

3. कृषि क्षेत्र में उपयोग-

  • जीवाणु अथवा नीले-हरे शैवाल से नाइट्रोजन यौगिकीकरण करने वाले जीनों का अनाज वाली फसलों में स्थानान्तरण करने हेतु प्रयोग जारी है, जिससे हमारी फसलें पर्यावरण से नाइट्रोजन का सीधा प्रयोग कर सकेंगी और हमें कृषि में कृत्रिम उर्वरक के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहेगी।
  • आनुवंशिक अभियांत्रिकी के द्वारा पौधों की नई एवं उच्च उत्पादन वाली प्रजातियों का विकास किया जाता है।
  • इसकी सहायता से उच्च गुणवत्ता एवं प्रोटीन युक्त पौधे विकसित किये जा सकते हैं।

4. जीन संरचना अभिव्यक्ति में परिवर्तन-इस तकनीक द्वारा इच्छानुसार नये-नये प्रकार के जीवों तथा वनस्पतियों का निर्माण सम्भव हो सकेगा।

प्रश्न 7.
जीन लाइब्रेरी या जीन बैंक क्या हैं ? इसे तैयार करने की विधि लिखिये ।
उत्तर
जीनोमिक लाइब्रेरी या जीन बैंक के अन्दर जीनोम खण्डों अथवा पूर्ण जीनोम को संरक्षित किया जाता है। जीनोमिक लाइब्रेरी तैयार करने के लिए कई क्रियाएँ चरण के रूप में सम्पन्न कराई जाती हैं

Isolation of m-RNA from tissue

Reverse transcriptase

c-DNA copies

Removal of m-RNA by alkali treatment

Single-stranded c-DNA

Double-stranded c-DNA with DNA polymerase forming hairpin loops

Removal of hairpin loops with Si nuclease

Double-stranded c-DNA

Insertion in vector to make library
चित्र-जीनोमिक लाइब्रेरी का निर्माण

(1) DNA खण्डों का उत्पादन।
(2) DNA खण्डों का वाहक क्लोन (प्लाज्मिड, कास्मिड या विषाणु) में प्रवेश।
(3) क्लोन्ड DNA का पोषक जीवाणु में प्रवेश। इस प्रकार प्राप्त पोषक जीवाणु जिसमें इच्छित DNA संरक्षित रहता है, को संवर्धन माध्यम में विकसित करते हैं। ऐसा करने पर जीवाणुओं की कॉलोनियाँ प्राप्त होती हैं। इन जीवाणुओं से एन्जाइम की सहायता से DNA को प्राप्त कर इन खण्डों को जीनोमिक लाइब्रेरी में संरक्षित किया जाता है।

जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिक इन्जीनियरिंग की अनुप्रयोज्यता का वर्णन कीजिए।
उत्तर
अनुप्रयोज्यता की दृष्टि से आनुवंशिक इन्जीनियरिंग हमें निम्नलिखित लाभदायक तथा हानिकारक परिणाम देती है
(A) लाभदायक प्रभाव

  • औद्योगिक उपयोग-उच्च वर्गों के जीवों के विटामिन प्रतिजैविक या हॉर्मोन के जीन का कोड करके तथा संश्लेषित DNA को जीवाणुओं में पुन:स्थापित करके विटामिन्स, हॉर्मोन्स आदि यौगिकों को औद्योगिक स्तर पर संश्लेषण किया जाना सम्भव हुआ है। इस विधि से मानव इन्सुलिन का Humulin नाम से जैव-संश्लेषण किया गया है।
  • चिकित्सीय उपयोग-नयी दवाइयों का जैव स्तर पर संश्लेषण तथा जीन चिकित्सा द्वारा हीमोफीलिया, फीनाइलकीटोन्यूरिया आदि वंशागत रोगों का उपचार किया जाना सम्भव हुआ है।
  • कृषि क्षेत्र में उपयोग-जीवाणु अथवा नीले-हरे शैवाल से नाइट्रोजन यौगिकीकरण करने वाले जीनों का अनाज वाली फसलों में स्थानान्तरण करने हेतु प्रयोग जारी है, जिससे हमारी फसलें पर्यावरण से नाइट्रोजन का सीधा प्रयोग कर सकेंगी और हमें कृषि में कृत्रिम उर्वरक के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहेगी।
  • जीन संरचना अभिव्यक्ति में परिवर्तन-इस तकनीक द्वारा इच्छानुसार नये-नये प्रकार के जीवों तथा वनस्पतियों का निर्माण सम्भव हो सकेगा।

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(B) हानिकारक प्रभाव

  • रोगाणु ऐन्टीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी हो सकते हैं।
  • आन्त्र में पाये जाने वाले जीवाणु कैन्सर कारक हो सकते हैं।
  • सामान्य वाइरस से अत्यधिक खतरनाक वाइरस का निर्माण हो सकता है।

प्रश्न 2.
फोरेंसिक विज्ञान क्या है ? फोरेंसिक विज्ञान में DNA फिंगर प्रिंटिंग की विधि समझाइए।
उत्तर
फोरेंसिक विज्ञान-फोरेंसिक विज्ञान के अन्तर्गत अपराधों की विवेचना की जाती है। आज जैव तकनीकी ने अपराधिक प्रकरणों के निपटारे में नये आयाम खोल दिये हैं। इनमें से DNA फिंगर प्रिंटिंग

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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 The d-and f-Block Elements

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 The d-and f-Block Elements

The d-and f-Block Elements NCERT Intext Exercises

Question 1.
Silver atom has completely filled d-orbitals (4d10) in its ground state. How can you say that it is a transition element?
Answer:
Silver exhibits +2 oxidation state. In this state, 4d- sub-shell contains nine electrons i.e., one of the 4d-orbitals is partially filled. Hence, it can be regarded as transition element.

Question 2.
In the series Sc (Z = 21) to Zn (Z = 30), the enthalpy of atomisation of Zinc is the lowest, i.e., 126 kj mol-1. Why ?
Answer:
In case of Zinc, 3d-electrons are not involved in metallic bonding, due to having 3d10 configuration. Because of poor metallic bonding, the enthaply of atomisation of Zinc is lowest.

Question 3.
Which of the 3d series of the transition metals exhibits the largest number of oxidation state and why ?
Answer:
Mn (Z = 25) exhibits the largest number of oxidation state, because it has the maximum number of unpaired electrons. Hence, it shows oxidation states from +2 to +7.

Question 4.
The E° (M2+/M) value for copper is positive (+0.34V). What is possibly the reason for this? (Hint: Consider its high ∆0H°Θ and low ∆hydH°).
Answer:
E°(M+2/M) for any metal depends upon the sum of enthalpies of atomisation, ionisation enthalpy and hydration enthalpy. Copper has high enthalpy of atomisation and low hydration enthalpy. Hence, E°(Cu+2/Cu) is positive.

Question 5.
How would you account for the irregular variation of ionisation enthalp-ies (first and second) in the first series of the transition elements?
Answer:
Irregular variation of ionisation enthalpies (first and second) is mainly due to varying degree of stability of different 3d-configurations. d0, d5 and d10 configurations have extra stability and hence in such cases the value of ionisation enthalpies are usually high.

For example, Cr has low first ionisation enthalpy because the electron has to be removed from 4s-orbital but the second ionisation enthalpy is very high as Cr+ has a stable d5 configuration. Zn has very high first ionisation enthalpy because electron is to be removed from stable configuration 3d10 4s2.

Question 6.
Why is the highest oxidation state of a metal exhibited in its oxide or fluo-ride only?
Answer:
Both.oxygen and fluorine are highly electronegative. Thus, they oxidise the met¬als in their compounds in highest oxidation state.

Question 7.
Which is a stronger reducing agent Cr2+ or Fe2+ and why ?
Answer:
Cr+2 is stronger reducing agent than Fe+2. This is because the configuration of Cr+2 changes from d4 to d3 and d3 configuration is stable (t32g) beinghalf filled t2g level.

Question 8.
Calculate the ‘spin only’ magnetic moment of M2+(aq) ion (Z = 27).
Answer:
The electronic configuration of M+2 (Z = 27) is
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Question 9.
Explain why Cu+ ion is not stable in aqueous solutions?
Answer:
Cu+(aq) is not stable in aqueous solution because of its less negative enthalpy of hydration than Cu+2(aq).

Question 10.
Actinide contraction is greater from element to element than lanthanide contraction. Why?
Answer:
This is due to poor shielding effect by 5f electrons in the actinoids than that of 4f electrons in the lanthanoids.

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The d-and f-Block Elements NCERT TextBook Exercises

Question 1.
Write down the electronic configuration of:
(i) Cr3+
(ii) Pm3+
(iii) Cu+
(iv) Ce4+
(v) CO2+
(vi) Lu2+
(vii) Mn2+
(viii) Th4+
Answer:
(i) Cr3+: [Ar]3d3
(ii) Pm3+ : [Xe]4f4
(iii) Cu+ : [Ar]3d10
(iv) Ce4+ : [Xe]54
(v) CO2+ : [Ar]3d7
(vi) LU2+ : [Xe]4f14 5d1
(vii) Mn2+ : [Ar]3d5
(viii) Th4+ : [Rn].

Question 2.
Why are Mn2+ compounds more stable than Fe2+ towards oxidation to their +3 oxidation state?
Answer:
Mn+2 has stable electronic configuration [Ar]4s03d5 and they do not easily change to Mn+3, Fe+2 [Ar] 4s03d6 on oxidation forms Fe+3 [Ar] 4s03d5 a more stable configuration.

Question 3.
Explain briefly how +2 oxidation state becomes more and more stable in the first half of the first row transition elements with increasing atomic number?
Answer:
Except Scandium (which shows an oxidation state of +3) all other first row transition elements show an oxidation state of +2. This is due to loss of two ns electrons. In the first half, as we move from Ti+2 to Mn+2 the electronic configuration changes from 3d2 to 3d5 i.e., more and more of d-orbitals are half filled imparting greater and greater stability of +2 oxiation state.

Question 4.
To what extent do the electronic configurations decide the stability of oxi-dation states in the first series of the transition elements? Illustrate your answer with examples.
Answer:
In transition series, the oxidation states which lead to exactly half filled or completely filled d-orbitals are more stable. For example, the electronic configuration of Fe(Z = 26) is [Ar] 3d64s2. It shows various oxidation states but Fe (III) is most stable because it has the configuration [Ar]3d5.

Question 5.
What may be the stable oxidation state of the transition element with the following d electronic configurations in the ground state of their atoms : 3d3,3d5,3d8 and 3d4?
Solution:
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Question 6.
Name the oxometal anions of the first series of the transition metals in which the metal exhibits the oxidation state equal to its group number.
Answer:
Cr2O72- and CrO42- (Group No. = Oxidation state of Cr = 6), MnO4 (Group No. = Oxidation state of Mn = 7).

Question 7.
What is lanthanoid contraction? What are the consequences of lanthanoid contraction?
Answer:
Interesting feature of the atomic size of lanthanides is that on moving down the group steady decrease in atomic size is observed. The shape of f-orbital is in such a way that its shielding effect is minimum, therefore on addition of extra electron in f-subshell only attractive force increases. The steady decrease (contraction) in size of fourteen lanthanide elements (La3+ 1 06Å to Lu3+ 0.8Å) by a value of about 0.2Å is known as lanthanide contraction.
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Reason : (i) The new electrons in lanthanides instead of going to outermost shell enters (n-2)f- suborbital as a result of which force of attraction increases between electron and nucleus due to which atom or ion contracts.

(ii) Electron entering in (n-2)f- suborbital have negligible or zero shielding effect over electrons present in the last orbit. In addition the shape of f-suborbital is not favourable for the shielding effect of electrons. Thus, lanthanide contraction occur.

Consequences of lanthanide contraction :

(i) Change in the properties of lanthanides: Due to lanthanide contraction, little change occurs in the properties of lanthanides. So it is very difficult to obtain them in pure state.

(ii) Influence over the properties of other elements : Lanthanide contraction have an important influence over the element present before and after it e.g., there is difference in properties of Ti and Zr while Zr and Hf have similar properties.

Question 8.
What are the characteristics of the transition elements and why are they called transition elements? Which of the d-block elements may not be regarded as the transition elements?
Answer:
Transition elements are those elements in which the atoms or ions (in stable oxidation state) contain partially filled cf-orbital. These elements lie in the p-block and show a transition of properties between 5-block and p-block. Therefore, these are called transition elements. Elements such as Zn, Cd and Hg cannot be classified as transition elements be¬cause these have completely filled d-subshell.

Question 9.
In what way is the electronic configuration of the transition elements different from that of the non-transition elements?
Answer:
The transition elements involve the filling of d-orbitals while the representative elements involve the filling of s and p-orbitals. The general electronic configuration of transition element is (n-1)d1-10 ns1-2 on the other hand, the general electronic configuration of representative elements in ns1-2 or ns2 np1-6. Thus, in representative elements only the last shell is incomplete while in transition elements the last but one shell is also incomplete.

Question 10.
What are the different oxidation states exhibited by the lanthanoids?
Answer:
The principal oxidation state of lanthanoids is +3. In addition, they exhibit oxi-dation states of +2 and + 4.

Question 11.
Explain giving reasons:
(i) Transition metals and many of their compounds show paramagnetic behaviour.
(ii) The enthalpies of atomisation of the transition metals are high.
(iii) The transition metals generally form coloured compounds.
(iv) Transition metals and their many compounds act as good catalyst.
Answer:
(i) Paramagnetic substance is one which is attracted by magnetic field. It arises due to presence of unpaired electron in atom, ion or molecule.

Most of the transition elements and compounds are paramagnetic in nature. This is due to fact that transition elements involve partially filled 4 subshell and their atom and ion contain unpaired electron.

(ii) Transition elements have high effective nuclear charge and a large number of valence electrons. Therefore, they form very strong metallic bonds. As a result, the enthalpy of atomization of transition metals is high.

(iii) The colour of transitional metal ions is due to partially filled (n-1)d orbitals. In transitional metal ions which contain unpaired d electrons, transition of electrons takes place from one 4-orbital to another 4-orbital. During this transition it absorbs some radiation of visible light and reflects the remaining radiation in the form of coloured light. Thus, the colour of the ion is complementary to the colour absorbed by it.

For example: [Cu(H2O)6]2+ ion appears blue because it absorbs the red colour of the visible light for electron promotion and reflects its complementary blue colour.

Colour of some ions :
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(iv)Transition elements act as good catalysts in chemical reaction in the hydrogenation of Ni metal, in contact process of manufacture of SO3, Pt and in manufacture of NH3 by Haber process Fe acts as catalyst. In the method of preparation of O2 by heating KClO3, MnO2 acts as catalyst.

Question 12.
What are interstitial compounds? Why are such compounds well known for transition metals?
Answer:
Most of the Transition elements form interstitial compounds at high temperature with atoms of non-metallic elements like-H,B,C,N, Si etc. Small atoms of these non-metal- lic elements fit in the interstitial voids of crystal lattice of transition elements. These are called interstitial compounds.

Properties :

  1. Properties of these compounds are like parent metal but physical properties differ.
  2. These compounds are hard.
  3. Their ductility and malleability becomes less.
  4. Their electrical conductivity decreases.
    Example: TiH, NiH2.

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Question 13.
How is the variability in oxidation states of transition metals different from that of the non-transition metals? Illustrate with examples.
Answer:
In transition elements, the successive oxidation states differ by unity. For ex-ample, Mn shows all the oxidation states from + 2 to +7. On the other hand, non-transition metals exhibit variable oxidation states which differ by two units. For example Pb(II), Pb(IV), Sn(II), Sn(IV).

Question 14.
Describe the preparation of potassium dichromate from iron chromite ore. What is the effect of increasing pH on a solution of potassium dichromate?
Answer:
Preparation : It is prepared from chromite ore or ferrochrome of chrome iron FeCr2O4 (FeO.Cr2O3). Different steps involved in the process are as follows :

1. Preparation of sodium chromate : The ore is finely powdered, mixed with sodium carbonate and quick lime and then roasted (heated to redness) in a reverberatory furnace in presence of excess of air when sodium chromate (yellow in colour) is formed with the evolution of CO2. Quick lime is added to keep the mass porous and thus facilitates oxidation.
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The roasted mass is extracted with water when sodium chromate dissolves completely leaving behind ferric oxide.

2. Conversion of sodium chromate to sodium dichromate : Sodium chromate is extracted with water and acidified with sulphuric acid to get sodium dichromate.
2Na2CrO4 + H2SO4 → Na2Cr2O7 + Na2SO4 + H2O
On concentration the less soluble sodium sulphate Na2SO4.10H2O crystallizes out. This is filtered hot and allowed to cool when sodium dichromate Na2Cr2O7.2H2O separates on standing.

3. Conversion of sodium dichromatic into potassium dichromate : Hot concentrated solution of sodium dichromate is treated with requisite amount of potassium chloride when potassium dichromate being less soluble crystallizes out on cooling.
Na2Cr2O7 + 2KCl → K2Cr2O7 + 2NaCl
Effect of pH on a solution of K2Cr2O7: Potassium chloride being less soluble than sodium chloride is obtained in the form of orange coloured crystals and can be removed by filtration. The dichromate ion \(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}\) exists in equilibrium with chromate \(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{4}^{2-}\) ion at pH 4. However, by changing the pH, they can be interconverted.
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Question 15.
Describe the oxidising action of potassium dichromate and write the ionic equations for its reaction with:
(i) Iodide
(ii) Iron(II) solution and
(iii) H2S.
Answer:
Reaction of K2Cr2O7 with acidic FeSO4, KI and H2S :
K2Cr2O7 acts as a very strong oxidizing agent in the acidic medium.
K2Cr2O7 + 4H2SO4 → K2SO4 + Cr2 (SO4)3 + 4H2O + 3[O]
K2Cr2O7 takes up electrons to get reduced and acts as an oxidizing agent. The reaction K2Cr2O7 with other iodide, iron (II) solution, and H2S are given below :
(i) It oxidizes ferrous sulphate to ferric sulphate.
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(ii) It liberates I2 from KI.
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These reactions are used in the estimation of iodine and ferrous ion in volumetric analysis

(iii) It oxidizes SO2 to sulphuric acid.
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(iv) It oxidizes H2S to sulphur.
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Question 16.
Describe the preparation of potassium permanganate. How does the acidi-fied permanganate solution react with (i) Iron(II) ions (ii) SO2 and (iii) Oxalic acid ? Write the ionic equations for the reactions.
Answer:
Preparation : Potassium permanganate is prepared from manganese dioxide. On a large scale, it is prepared from the mineral pyrolusite. The process involves the following steps:

1. Conversion of MnO2 into potassium manganate : The finely powdered pyrolusite mineral is fused with potassium carbonate or potassium hydroxide in presence of atmospheric oxygen or an oxidising agent such as potassium nitrate or potassium chlorate. The fused mass turns green due to the formation of potassium manganate.
2MnO2 + 2K2CO3 + O2 → 2K2MnO4 + 2CO2
2MnO2 + 4KOH + O2 → 2K2MnO4 + 2H2O
MnO2 + 2KOH + KNO3 → K2MnO4 + KNO2 + H2O
3MnO2 + 6KOH + KCl1O3 → 3K2MnO4 + KCl + 3H2O

2. Oxidation of potassium manganate into potassium permanganate :
(i) Chemical oxidation : The fused mass is extracted with water and the solution is filtered. The green solution is then converted to potassium permanganate by bubbling carbon dioxide, chlorine or oxygen through it.
32MnO4 + 2CO2 → 2KMnO4 + MnO2 ↓+ 2K2CO3
2K2MnO4 + Cl2 → 2KMnO4 + 2KCl
2K2MnO4 + H2O + O3 → 2KMnO4 + 2KOH + O2
The purple solution of potassium permanganate thus obtained is concentrated when it deposits dark purple, needle like crystals having a metallic lustre.

(ii) Electrolytic oxidation : Nowadays, it is largely manufactured by the electrolytic oxidation of the manganate. The manganate solution is electrolysed between iron electrodes separated by diaphragm. The oxygen evolved at the anode converts manganate to permanganate.
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After the oxidation is completed, the solution is filtered and evaporated under controlled condition to obtain the crystals of potassium permanganate.

(i) Acidified KMnO4 solution oxidizes Fe(II) ions to Fe(III) ions i.e. ferrous ions to ferric ions.
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(ii) Acidified potassium permanganate oxidizes SO2 to sulphuric acid.
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(iii) Acidified potassium permanganate oxidizes oxalic acid to carbon dioxide.
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Question 17.
For M2+/M and M3+/M2+ systems the E° values for some metals are as follows:
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Use this data to comment upon:
(i) The stability of Fe3+ in acid solution as compared to that of Cr3+ or Mn3+ and
(ii) The ease with which iron can be oxidised as compared to a similar process for either chromium or manganese metal.
Answer:
(i) As E° Cr+3/Cr+2 is negative (-0.4V), this means Cr+3 ion in solution cannot be reduced to Cr+2 easily, i.e., Cr+3 ions are very stable. As E° M+3/ Mn+2 is positive (+ 1.5V), Mn+3 ions can easily be reduced to Mn+2 ions in comparison to Fe+3 ions. Thus, the relative stability of these ions is:
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(ii) Oxidation potentials for the given pairs will be +0-9V, + 1-2V and 04V. Thus, the order of their getting oxidised will be in the order Mn > Cr > Fe.

Question 18.
Predict which of the following will be coloured in aqueous solution? Ti3+, V3+, Cu+, Sc3+, Mn2+, Fe3+ and CO2+. Give reasons for each.
Answer:
The ions with one or more unpaired electrons will be coloured in aqueous solu-tion due to d-d transition.
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Question 19.
Compare the stability of +2 oxidation state for the elements of the first transition series.
Ans.
The stability of +2 oxidation state decreases from left to right except for Mn and Zn. Stability decreases towards right due to decreasing negative value of standard reduction potential. The decrease in the -ve value of E° is due to increase in sum of ∆i H1 + ∆iH2 (first and second ionisation enthalpy)

Question 20.
Compare the chemistry of actinoids with that of the lanthanoids with special reference to:
(i) Electronic configuration
(ii) Atomic and ionic sizes
(iii) Oxidation state and
(iv) Chemical reactivity.
Answer:
Differences between Lanthanoids and Actinoids :

Lanthanoids

  1. Differentiating or last electrons enter in 4 f-sub-shell of (n – 2) orbit.
  2. These elements come after lanthanum so these are called lanthanoids.
  3. Common oxidation state is +3, other oxidation states are +2 and +4 also.
  4. Atomic or ionic radius decreases gradually and this is called lanthanide contraction.
  5. Lanthanoids have smaller tendency to form complexes.
  6. Lanthanoids do not form oxo-ions.
  7. Compounds of lanthanoids exhibit less basic in nature.
  8. Lanthanoids are not radioactive except Promethium.
  9. Except Pm, other lanthanoids are present in nature in abundance comparatively more than iodine.

Actinoids

  1. Differentiating or last electrons enter in 5f-sub-shell of (n – 2) orbit.
  2. These elements come after actinium so these are called actinoids.
  3. Common oxidation state in actinoids is also +3 but other oxidation states are higher, e.g., +4, +5, +6 and +7.
  4. Atomic or ionic radius also decreases gradually and steadily and this is called actinoid contraction.
  5. Actinoids have comparatively higher tendency of complex formation.
  6. Oxo-ions are formed, e.g., UO+2, PuO+2, UO+, etc.
  7. Compounds of actinoids are more basic in nature.
  8. All the actinoids are radioactive.
  9. Most of these are not found in nature and are artificially prepared.

Question 21.
How would you account for the following:
(i) Of the d4 species, Cr2+ is strongly reducing while manganese(III) is strongly oxidising.
(ii) Cobalt(II) is stable in aqueous solution but in the presence of complexing reagents it is easily oxidised.
(iii) The d1 configuration is very unstable in ions.
Answer:
(i) Cr+2 is reducing in nature as its configuration changes from d4 to d3 (A stable configuration having half filled t28 orbitals). On the other hand, Mn+3 is oxidising in nature as the configuration changes from d4 to d5 (A stable configuration having half filled t2g to eg orbitals)
(ii) Strong ligands force Cobalt (II) to lose one more electron from 3cfsubshell and thereby induce d2sp3-hybridisation.
(iii) The ions with d1 configuration try to lose the only electron on d-subshell in order to acquire stable inert gas configuration.

Question 22.
What is meant by ‘disproportionation’? Give two examples of dispropor-tionation reaction in aqueous solution.
Answer:
The disproportionation reactions are those in which the same substance get oxidised as well as reduced, for example
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Question 23.
Which metal in the first series of transition metals exhibits +1 oxidation state most frequently and why?
Answer:
Copper has electronic configuration [Ar] 3d104s1. It can easily lose one (4s1) electron to give stable 3d10 configuration.

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Question 24.
Calculate the number of unpaired electrons in the following gaseous ions: Mn3+, Cr3+, V3+ and Ti3+. Which one of these is the most stable in aqueous solution?
Answer:
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Cr+2 is most stable as it has half filled t28 level.

Question 25.
Give examples and suggest reasons for the following features of the transition metal chemistry:
(i) The lowest oxide of transition metal is basic, the highest is amphoteric/acidic.
(ii) A transition metal exhibits highest oxidation state in oxides and fluorides.
(iii) The highest oxidation state is exhibited in oxo-anions of a metal.
Answer:
(i) The lowest oxide of transition metal is basic because the metal atom has low oxidation state whereas highest is acidic or amphoteric due to highest oxidation state. For
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In low oxidation state of the metal, some of the valence electrons of the metal atom are not involved in bonding. Hence, it can donate electrons and behave as a base. In the higher oxidation state, valence electrons are involved in the bonding and are not available. Instead, effective nuclear charge is high. Hence, it can accept electrons and hence behave as an acid.

(ii) A transition metal exhibits higher oxidation states in oxides and fluorides because oxygen and fluorine are of small size and high electronegativity and hence can readily oxidise metals, for example OsF6[Os(VI)], V2O5[V(V)].

(iii) Oxo-anions of metals have highest oxidation states, for example Cr in Cr2O2-7 has an oxidation state of +6 whereas Mn in MnO4 has an oxidation state of +7. This is because of high electronegativity of oxgyen and is high oxidising property.

Question 26.
Indicate the steps in the preparation of:
(i) K2Cr2O7 from chromite ore
(ii) KMnO4 from pyrolusite ore.
Answer:
(i) It oxidizes ferrous sulphate to ferric sulphate.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 The d-and f-Block Elements 21

(ii) Acidified KMnO4 solution oxidizes Fe(II) ions to Fe(III) ions i.e. ferrous ions to ferric ions.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 The d-and f-Block Elements 22

Question 27.
What are alloys ? Name an important alloy which contains some of the lanthanoid metals. Mention its uses.
Answer:
An alloy is a homogeneous mixture of two or more metals or metals and non-metals. An important alloy contains lanthanoid metal is mischmetal which contains 50% Cerium and 25 % Lanthanum, with small amounts of Nd (Neodymium) and Pr (Praseody-mium). It is used in Mg-based alloy to produce bullets, shell and lighter flints.

Question 28.
What are inner transition elements ? Decide which of the following atomic numbers are the atomic numbers of the inner transition elements : 29,59,74,95,102, 104.
Answer:
The f-block elements i.e., in which last electrons into antipenultimate f-subshell are called inner-transition elements. These include lanthanoids (58-71) and actinoids (90-103). Thus, elements with atomic numbers 59,95 and 102 are inner transition elements.

Question 29.
The chemistry of the actinoid elements is not so smooth as that of the lanthanoids. Justify this statement by giving some examples from the oxidation state of these elements.
Answer:
Lanthanoids show limited number of oxidation states, such as +2, +3 and +4 (+3 is the principal oxidation state). This is because of large energy gap between 5d and 4f- subshells. On the other hand, actinoids also show principal oxidation state of +3 but show a number of other oxidation state also. For example, Uranium (Z = 92) exhibits oxidation states of +3, +4, +5, +6 and Neptunium (Z = 94) shows oxidation states of +3, +4, +5, +6 and +7. This is because of small energy difference between 5f and 6d orbitals.

Question 30.
Which is the last element in the series of the actinoids ? Write the electronic configuration of this element. Comment on the possible oxidation state of this element.
Answer:
Last element of the actinoid series = Lawrencium (Z = 103)
Electronic configuration = [Rn] 5f14 6dl1 7s2 Possible oxidation state = +3.

Question 31.
Use Hund’s rule to derive the electronic configuration of Ce3+ ion, and calculate its magnetic moment on the basis of ‘spin-only’ formula.
Answer:
Cerium electronic configuration = [Xe]4f1 5d1 16s2
Ce+3 ion = [Xe]4f1
i.e., one unpaired electron is present
Magnetic moment, µ = \(\sqrt{n(n+2)}\)
= \(\sqrt { 3 }\) = 1.73BM.

Question 32.
Name the members of the lanthanoid series which exhibit +4 oxidation states and those which exhibit +2 oxidation states. Try to correlate this type of behaviour with the electronic configurations of these elements.
Answer:
+4 = 58Ce, 59Pr 60Nd 65Tb 66Dy
+2 = 60Nd 62Sm 63EU 69Tm 70Yb.
+4 oxidation state is shown when the configuration left is close to either 4f0 (i.e., 4f0 4f1 4f2) or close to 4f0 (i.e.,4f0 4f1 4f2) or close to 4f2 (i.e., 4f7 or 4f8) +2 oxidation state is shown when the configuration is 5d° 6s2 so that two electrons are easily lost.

Question 33.
Compare the chemistry of the actinoids with that of lanthanoids with reference to:
(i) Electronic configuration
(ii) Oxidation states and
(iii) Chemical reactivity.
Answer:
Lanthanoids

  1. Differentiating or last electrons enter in 4 f-sub-shell of (n – 2) orbit.
  2. These elements come after lanthanum so these are called lanthanoids.
  3. Common oxidation state is +3, other oxidation states are +2 and +4 also.
  4. Atomic or ionic radius decreases gradually and this is called lanthanide contraction.
  5. Lanthanoids have smaller tendency to form complexes.
  6. Lanthanoids do not form oxo-ions.
  7. Compounds of lanthanoids exhibit less basic in nature.
  8. Lanthanoids are not radioactive except Promethium.
  9. Except Pm, other lanthanoids are present in nature in abundance comparatively more than iodine.

Actinoids

  1. Differentiating or last electrons enter in 5f-sub-shell of (n – 2) orbit.
  2. These elements come after actinium so these are called actinoids.
  3. Common oxidation state in actinoids is also +3 but other oxidation states are higher, e.g., +4, +5, +6 and +7.
  4. Atomic or ionic radius also decreases gradually and steadily and this is called actinoid contraction.
  5. Actinoids have comparatively higher tendency of complex formation.
  6. Oxo-ions are formed, e.g., UO+2, PuO+2, UO+, etc.
  7. Compounds of actinoids are more basic in nature.
  8. All the actinoids are radioactive.
  9. Most of these are not found in nature and are artificially prepared.

Question 34.
Write the electronic configurations of the elements with the atomic num-bers 61, 91,101, and 109.
Answer:
(i) Z = 61 : [Xe] 4f5 5d0 6s2
(ii) Z = 91 : [Rn] 5f2 6d1 7s2
(iii) Z = 101 : [Rn] 5f13 6d0 7s2
(iv) Z = 109 : [Rn] 5f14 6d7 7s2

Question 35.
Compare the general characteristics of the first series of the transition metals with those of the second and third series metals in the respective vertical columns. Give special emphasis on the following points:
(i) Electronic configurations
(ii) Oxidation states
(iii) Ionisation enthalpies and
(iv) Atomic sizes.
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 The d-and f-Block Elements 23

Question 36.
Write down the number of 3d electrons in each of the following ions: Ti2+, V2+, Cr3+, Mn2+, Fe2+, Fe3+, CO2+, Ni2+ and Cu2+. Indicate how would you expect the five 3d orbitals to be occupied for these hydrated ions (Octahedral).
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 The d-and f-Block Elements 24
Note : About t2g and eg orbitals refer MOT Unit 9.

Question 37.
Comment on the statement that elements of the first transition series possess many properties different from those of heavier transition elements.
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 The d-and f-Block Elements 25

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Question 38.
What can be inferred from the magnetic moment values of the following complex species ?
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 The d-and f-Block Elements 26
Answer:
K4[Mn(CN)6]
Mn+2 : 3d5, magnetic moment of 2.2 indicates that it has one unpaired electron and hence forms inner orbitals or low spin complex. Its configuration is: t52g.
[Fe(H2O)6]2+
Fe+2 : 3d6, the magnetic moment value is close to 4 unpaired electrons so it forms outer orbital complex having 4 unpaired electrons. Its configuration is : t2g 4eg2g.
K2[MnCl4]
Mn+2: 3d5, the magnetic moment corresponds to 5 unpaired electrons. The cZ-orbitals are not disturbed. So it forms tetrahedral complex. Its configuration is : t2g 3eg2

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The d-and f-Block Elements Other Important Questions and Answers

The d-and f-Block Elements Objective Type Questions

Question 1.
Choose the correct answer :

Question 1.
In which of the compounds Mn shows highest oxidation state :
(a) K2MnO4
(b) KMnO4
(c) MnO2
(d) Mn3O4.
Answer:
(b) KMnO4

Question 2.
Which forms interstitial compound :
(a) Fe
(b) Ca
(c) Ni
(d) All of these
Answer:
(b) Ca

Question 3.
In neutral medium equivalent weight of KMnO4 is :
(a) M
(b) M/2
(c) M/3
(d) M/5.
Answer:
(c) M/3

Question 4.
The Lanthanide which is widely used :
(a) Lanthanum
(b) Nobelium
(c) Thorium
(d) Cerium.
Answer:
(d) Cerium.

Question 5.
Electronic configuration of Gadolinium is :
(a) [Xe] 4f6, 5d9, 6s2
(b) [Xe] 4f7, 5d1,6s2
(c) [Xe] 4f3, 5d5, 6s2
(d) [Xe] 4f6, 5d2, 6s2.
Answer:
(b) [Xe] 4f7, 5d1,6s2

Question 6.
Lanthanides contraction is responsible for the fact:
(a) 2r and Y have almost equal radius
(b) Zr and Nb have same oxidation state
(c) Zr and Hf have almost equal radius
(d) Zr and Zn have same oxidation state.
Answer:
(c) Zr and Hf have almost equal radius

Question 7.
In 3d series which elements shows highest oxidation state :
(a) Mn
(b) Fe2+
(c) Ni
(d) Cr.
Answer:
(a) Mn

Question 8.
Which of the transition metal ion is coloured :
(a) Cu+
(b) V2+
(c) Sc3+
(d) Ti4+.
Answer:
(b) V2+

Question 9.
A transition metal which is green in +3 oxidation state and orange in +6 oxidation state is:
(a) Mn
(b) Cr
(c) Os
(d) Fe.
Answer:
(b) Cr

Question 10.
In lanthanides the basicity of lanthanide oxides are :
(a) Increases
(b) Decreases
(c) First increases then decreases
(d) First decreases then increases.
Answer:
(b) Decreases

Question 11.
Number of unpaired electron in Fe+2 ion is :
(a) 0
(b) 4
(c) 6
(d) 3.
Answer:
(b) 4

Question 12.
Fe, Co, Ni, are magnetic substances of which type :
(a) Paramagnetic
(b) Ferromagnetic
(c) Diamagnetic
(d) Anti ferromagnetic.
Answer:
(b) Ferromagnetic

Question 2.
Fill in the blanks :

  1. Metals Fe, CO, Ni are known as ………………………
  2. Ionic size of trivalent cations are ……………………… with increase in atomic numbers.
  3. The transition metals having lower oxidation state shows ……………………… nature.
  4. K2Cr2O7 is a strong ……………………… agent, which gives ……………………… nascent oxygen.
  5. Zn shows only ……………………… oxidation state.
  6. f-block elements are known as ……………………… elements.
  7. Transition elements and their compounds act as ………………………
  8. General electronic configuration of inner transition element is ………………………
  9. Chemical form of Potassium manganate is ………………………
  10. f-block elements are also known as ………………………

Answers:

  1. Ferrous metals
  2. Decreases
  3. Basic
  4. Oxidising 3
  5. + 2
  6. Inner transition
  7. Catalyst
  8. (n-2)f1-14 (n-1)d1-2 ns2
  9. K2MnO4
  10. Transitional Elements.

Question 3.
Match the following :
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 The d-and f-Block Elements 27
Answers:

  1. (f)
  2. (g)
  3. (e)
  4. (c)
  5. (b)
  6. (d)
  7. (a).

Question 4.
Answer in one word / sentence :

1. Which is colourless Cu2+ or Cu+?
2. In a reaction KMnO4 is replaced by K2MnO4 then what will be the change in oxidation state of Mn ?
3. Which series shows higher oxidation state lanthanides or actinides ?
4. Which oxidation state of lanthanum is most stable ?
5. Write the equivalent weight of K2Cr2O7 in acid medium.
6. How many unpaired electrons are present in Fe3+ ?
7. Give the name of oxidising agent used in chromyl chloride test.
8. Out of (7-block elements, Zn does not show variable valencies, why ?
9. Which is the most important oxidation state of Cu ?
10. f-block elements can be divided into how many series ?
11. What is Lunar caustic ?
12. In d-block elements Zn does not exhibit variable oxidation state. Why ?
13. What is the alkaline solution of HgCl2 and KI known as ?
Answers:
1. Cu+
2. 1
3. Actinides
4. +3
5. 49
6. 5
7. K2Cr2O7
8. Completely filled ‘d’orbitals
9. +2
10. 2
11. AgNO3 (Silver nitrate)
12. Due to fully filled d-orbitals
13. Nessler’s reagent.

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The d-and f-Block Elements Short Answer Type Questions

Question 1.
Silver atom has completely filled d-orbitals (4d10) in its ground state. How can you say that it is a transition element ?
Answer:
Silver exhibits 4d105s0 electronic configuration in +1 oxidation state. But in some compounds it exhibits +2 oxidation state. In this state its electronic configuration is 4d95s0. Thus, due to incompletely filled 4d orbital, it is a transition element.

Question 2.
What are Transition elements ? They show metallic character. Why ?
Answer:
Elements whose atoms in their ground state or ions in their common oxidation states have incomplete or partially filled cf orbitals are called transitional elements. They are in group 2 to 13. Example : Fe, Ni, Co, etc.
General formula : (n-1)d1-10 ns1-2
Metallic character of an element depends on its tendency to form cation by loosing one or more electrons from its atom. All transitional elements are metals because they contain one or two electrons in their outermost shell which can be easily lost due to low ionisation energy. Thus, they are metallic in nature.

Question 3.
Why do transition metals exhibit variable oxidation states ?
Answer:
Transition metals exhibit variable valency because the energy subshell (n-1)d and ns are very close. Thus, possibility to lose electrons from ns subshell as well as from (n-1) d subshell is very much if there are unpaired electrons. So oxidation states of these metals may increase.
In these elements Mn shows maximum variable valencies.

Question 4.
Transition elements form alloy easily. Explain.
Answer:
It is the homogeneous mixture of two or more metals or metals with non-metals. Alloys are made to confer the property of metals. Transition elements have great tendency to form alloys because these elements have similar atomic size and can mutually substitute their positions in their crystal lattice. Alloys are comparatively hard and have higher m.p. than the elements from which they are made.

Question 5.
Explain magnetic properties of transitional elements on the basis of their electronic configuration.
Or,
Explain diamagnetism and paramagnetism.
Answer:
Magnetic property : Magnetic property is shown as:
(a) Paramagnetic substances: The substances which are attracted by magnetic field are called as paramagnetic substances. This property of paramagnetism is due to presence of unpaired electrons in atomic orbitals.
Fe, Co and Ni are ferromagnetic because they can be magnetised. Paramagnetism is represented by following formula :
\(\mu=\sqrt{n(n+2)}\)
Where, µ = Magnetic moment, n = Number of unpaired electrons.
(b) Diamagnetic substances : The substances which are repelled by magnetic field are called diamagnetic substances. In this type of substances all electrons are paired. Zinc is a diamagnetic metal.

Question 6.
Transition elements are inactive. Why ?
Answer:
The reason for low reactivity of transition elements are the following :

  1. High ionisation energy.
  2. High value of sublimation or atomization energy.
  3. Small value of hydration energy.
  4. Low value of standard electrode potential.

Question 7.
Write main characteristics of transitional elements.
Answer:
Main characteristics of transitional elements :

  1. Transition metals are metallic in nature which has electropositive character from Ti to Cu.
  2. They are hard and conductor of heat and electricity.
  3. Their b.p. and m.p. are high.
  4. They show variable oxidation states.
  5. These metals form coloured ions.
  6. These metals form co-ordination compounds.
  7. They are generally paramagnetic.
  8. These are good catalysts.
  9. These form alloys.
  10. These form interstitial compounds with non-metals.

Question 8.
Write any five main differences between d and f-Block elements.
Answer:
Differences between d and f-Block Elements :

d-Block Elements:

  1. Two shells n and (n-1) are incomplete.
  2. Last electron enters the d- orbital of penultimate shell.
  3. d-block elements are normally called Transitional element.
  4. d-block elements are available in nature.
  5. These elements exhibit variable oxidation state.
  6. These elements are stable.

f-Block Elements:

  1. Three shells n, (n-1) and (n-2) are inco-mplete.
  2. Last electron enters the orbital of antip-enultimate (n-2) shell.
  3. f-block elements are normally called Inner Transitional element.
  4. f-block elements are very rare. Therefore they are known as Rare Earth elements.
  5. These elements also exhibit variable oxidation state.
  6. These elements are less stable and many are radioactive.

Question 9.
What are Inner Transition elements ?
Answer:
These are the elements which contain (n-2)f and (n-1)d incomplete orbitals or in which electron enter in the antipenultimate (two energy levels below the outermost orbit orbital. These are so called because these are found within the transition elements. There are two types of inner transition elements :
(i) Lanthanides series : The 14 elements after Lanthanum (La57)
i. e., 58Ce – 71 LU are called lanthanides.
(ii) Actinides series : The 14 elements after Actinide (Ac89) i.e., Th90 to Lw103.

Question 10.
Write the name of members of Group 12. Why are they generally not considered as transition elements ?
Answer:
Members of Group 12 are Zn, Cd and Hg which are not included in transition elements because in both their atomic state and in bivalent ion state their electronic configuration is (n – 1)d10 i.e., their d-orbitals are completely filled. Therefore, they are not considered as transition elements.

Question 11.
Write any five characteristics of lanthanides.
Answer:
Five characteristics of lanthanides :

  1. These belongs tof-block because last electron goes to the f-subshell.
  2. These are shining metals like silver.
  3. These are good conductor of heat and electricity.
  4. Melting point and density of these are high.
  5. From La to Lu, atomic radii decreases continuously, it is called lanthanide contraction.

Question 12.
What is the reason that the ionisation energy of 5d series elements is higher than the series ?
Answer:
On moving from top to bottom in a group, value of ionisation energy decreases, but ionisation energy of elements of 5d series is higher than that of elements of 4d series. This is because of the presence of 14 Lanthanide elements in between due to which their size does not increase appreciably. Thus, attractive force between the nucleus and outermost electron is more and this is the cause of higher ionisation potential.

Question 13.
(i) Transition metals possess the ability, to form complex compounds. Explain.
(ii) Zn, Cd and Hg do not show the properties of Transition elements.
(iii) Why is Ti known as a wonder metal ?
Answer:
(i) Cause of formation of complex compounds by Transition metals :
(a) Small size of ions of these elements and high nuclear charge due to which these ions attract ligands.
(b) They possess vacant zforbitals in order to accomodate the electron pair donated by ligand.

(ii) Elements in which (n-1) d-orbital is partially filled are known as Transition elements.
Whereas in Zn [3d10 4s2], in Cd [4d10 5s2] and in Hg [5d10 6s2] state is found. Therefore, these do not show the properties of Transition elements.

(iii) Titanium is a shining white metal. It is extented strong (harder than steel), has high m.p. Good conductor of electric current resistant to corrosion and light metal. Due to all these qualities, it is called wonder metal.

Question 14.
The radius of Fe2+ ion is smaller than the radius of Mn2+ ion, why ?
Answer:
The atomic number of Fe (26) is more than the atomic number of Mn (25). Due to higher value of atomic number, iron nucleus contains more protons. Hence the force of attraction between the nucleus and the electrons of outermost orbit is more. Due to strong attractive force of the nucleus the electron cloud is pulled inwards which results in smaller size of Fe2+ ion as compared to Mn2+ ion.

Question 15.
Why is it difficult to separate lanthanide group ? Explain.
Answer:
The 14 inner transition elements which come after lanthanum (atomic number 57) are called lanthanides. In these elements, the incoming electrons enter in 4f – orbital leaving 5th and 6th orbital.

Separation of lanthanide is not possible due to lanthanide contractions. All lanthanides have quite similar properties. This is the reason why it is difficult to separate.

Question 16.
(i) TiO2 is white whereas TiCl3 is violet, why ?
(ii) In first transitional series paramagnetism increases till Cr then it starts de-creasing. Why ?
Answer:
(i) In TiO2, Ti is in +4 oxidation state (3d04s0) having a vacant d-orbital hence there is no d-d transition and it is white. On the other hand, in TiCl3, Ti is in +3 oxidation state (3d1 4s0) having one unpaired electron in its 3d- orbital, hence it is coloured.
(ii) In first transitional series, the number of unpaired electrons till Cr (3d5) increases and then due to pairing the number of unpaired electrons decreases. Thus, due to this at first paramagnetism increases till Cr and then it decreases.

Question 17.
Write chromyl chloride test with equation.
Answer:
Chromyl Chloride Test: 1. When a metal chloride is heated with solid potassium dichromate and cone. H2SO4 orange coloured vapours of chromyl chloride are formed.
K2Cr2O7 + 6H2SO4 + 4KCl → 2CrO2Cl2 ↑+ 6KHSO4 + 3H2O
2. When these fumes are passed in sodium hydroxide solution, yellow solution of sodium chromate is obtained. When lead acetate is added to it in presence of acetic acid yellow precipitate of lead chromate is obtained.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 The d-and f-Block Elements 28

Question 18.
Write names, symbols and electronic configuration of first transition series.
Answer:
First transition series: In the elements of this series from Sc21 to Cu29 electrons are filled in 3d-orbitals. The general electronic configuration of first transition series is 3d1-10 4s2. In these elements electronic configuration of Cr24 and Cu29 is 3d5 4s1 and 3d10 4s1 respectively.
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Question 19.
Write general electronic configuration of f-block elements. Write any two uses of lanthanides. Write any two uses of Actinides.
Answer:
General outer electronic configuration of f-block element is :
(n – 2)f1-14 (n – 1)d0-1 ns2.
Uses of Lanthanides : 1. Alloys of lanthanides are called mischmetals and it is used in manufacture of heat resistant, stainless and instrumental steel.
2. Lanthanides compounds are used in ceramic industry, paints, textile industry.
Uses of Actinides : 1. Compound of Thorium are used in cancer treatment.
2. Uranium are used for nuclear energy and its compounds are used in ceramic, medicine etc.

Question 20.
Write uses of KMnO4 and K2Cr2O7.
Answer:
Uses of KMnO4 :

  1. As a disinfectant for water.
  2. As an oxidizing agent in the laboratory and industry.
  3. For qualitative detection of halides, oxalates, sulphites etc.

Uses of K2Cr2O7:

  1. In calico printing and dyeing.
  2. As an oxidizing agent.
  3. In chrome tanning in lather industry.
  4. In volumetric analysis, it is used in the estimation of ferrous and iodides in redox titration.

Question 21.
Why generally Zn, Cd and Hg are not considered as transition elements ?
Answer:
The atom or ion of an element having incomplete d-orbital is called transition element. On the basis of this definition Zn, Cd and Hg which have complete d-orbital should not be included in J-block elements infact these elements do not resemble d-block in a number of properties, even then these elements are included in d-block element therefore Zn, Cd and Hg are called non-typical transition elements while rest of all transition elements are called typical elements.

Question 22.
Explain Cu+ is colourless while Cu+2 is coloured.
Answer:
If a transition metal contain unpaired electron, it shows paramagnetism and forms coloured compound. In Cu+ d-orbital is partially filled (3d9) thus Cu+ is colourless and diamagnetic while Cu+2 is coloured and paramagnetic.

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Question 23.
What are transition elements ? In how many series they are divided ? Explain.
Answer:
In modern periodic table elements present between 5-block and p-block elements are called transition elements or elements having partially filled d-orbitals are called transition elements. These are known as d-block elements because last electron enters the d-orbitals e.g., Iron (Fe), Chromium (Cr).
Division of d block → Elements of this block has been divided into four series :

(i) First transition series or 3d series → These elements have last electrons in 3d subshell. These series contain 10 elements from atomic number 21 to 30 in fourth period. i.e.
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(ii) Second transition series or 4d series → This series include 10 elements from atomic number 39 to 48 in fifth period. The last electron enters in 4d orbitals.
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(iii) Third transition series or 5d series → This series also contain 10 elements of 6th period from atomic number 57, 72 to 80. The last electron’ enters in 5d orbitals e.g.
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Elements between La (57) and Hf (72) i.e. from Ce (58) to Lu (71) are called lanthanides or inner transition elements.

(iv) Fourth transition series or 6d series → This series is incomplete. It starts with Actinium (89). Elements between Actinium (89) and Meitnerium (109) are called as Acti-nides. The last electron enters in 6d orbitals, e.g.
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The d-and f-Block Elements Long Answer Type Questions

Question 1.
Giving the electronic configuration of Lanthanide, explain their oxidation state.
Answer:
Lanthanide series : In this series electrons are filled in 4f-sub-shell. Normal electronic configuration of these electrons are (n-2)f1 to 14 (n-1)0 to 1 ns2. Total number of lanthanides are 14 which start from atomic number 58 (Cerium) to atomic number 71 (Lutetium). The main characteristics of this series are following :

Oxidation state: Highest oxidation state of lanthanides is (+3). It is due to loss of 2s electron and one d electron in La. Electronic configuration of La3+ is similar to Xe = 54, which is most stable. Some elements also show +2 and +4 oxidation state because these elements losing 2 or 4 electrons get stable configuration of f7 or f14 e.g., Ce4+(4f1), Tb+(4f8),Er2+(4f11),Yb2+(4f13) but Sm2+,Tm2+ are the exceptions.

Normally +4 oxidation state of lanthanides act as strong oxidizing agent. Like Ce+4 is a good oxidant of aqueous solution which changes to +4 and +3. On the other side +2 oxidation state of lanthanides act as strong reductant. Like Sm2+, Eu2+ and Yb2+ ions, are good reductants which get oxidized in aqueous solution from +2 to +3.

Chemical reactivity : Initial members of this series are highly reactive with the in-crease in atomic number reactivity decreases and are less reactive like Al of high atomic number. Lanthanides react with H2 at 575-675 K temperature forming LaH3. They react with C, X2,O2 and S to form carbide (M2O3 and M2S3), oxide and sulphide. Maximum compounds show +3 oxidation state but some elements also exhibit +2 and +4 oxidation state. On reacting with water, oxides of lanthanides form insoluble hydroxide. These oxides are stronger base than Al(OH)3 but weaker base than Ca(OH)2. These hydroxides react with CO2 to form carbonate.

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Question 2.
Explain the oxidizing property of KMnO4 in acidic, neutral and alkaline medium giving two examples each.
Answer:
KMnO4 acts as strong oxidizing agent in acidic, neutral and alkaline medium.
In acidic medium: It oxidizes in presence of dilute H2SO4 and get reduced.
2KMnO4 + 3H2SO4 → K2SO4 + 2MnSO4 + 3H2O + 5[O]
e.g., (i) It oxidizes ferrous salt into ferric salt,
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(ii) It oxidizes oxalate to CO2 :
2KMnO4 + 3H2SO4 + 5C2H2O4 → K2SO4 + 2MnSO4 + 8H2O + 10CO2

(iii) It oxidizes iodide ion to iodine :
2KMnO4 + 10KI + 8H2SO4 → 6K2SO4 + 2MnSO4 + 8H2O + 5I2

(iv) It oxidizes nitrites to nitrates :
2KMnO4 + 3H2SO4 + 5NaNO2 → 2MnSO4 + K2SO4 + 5NaNO3 + 3H2O

In neutral medium: In this medium, the reaction begins with neutral ethylene glycol but this does not give neutral reaction because KOH formed in the reaction makes basic in nature.
2KMnO4 + H2O → 2KOH + 2MnO2 + 3[O]
e.g., (i) It oxidizes manganous sulphate to manganese dioxide.
2KMnO4 + 3MnSO4 + 2H2O → 5MnO2 + K2SO4 + 2H2SO4

(ii) It oxidizes hydrogen sulphide to sulphur.
2KMnO4 + 4H2S → 2MnS + K2SO4 + 4H2O + S
In alkaline medium : In alkaline medium, reduces to MnO2 and gives 3 nascent oxygen.
e.g., (i) It oxidizes ethylene to ethylene glycol.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 8 The d-and f-Block Elements 35
(ii) It oxidizes iodide to iodate.
2 KMnO4 + H2O + KI → 2 MnO2 + 2 KOH + KIO3
Potassium iodate

KMnO4 gives more number of nascent oxygen in acidic medium than in alkaline medium due to which it acts as stronger oxidizing agent in acidic medium.
Uses of KMnO4: (i) As an oxidizing agent or as Baeyer’s solution in laboratory and industry.
(ii) In the manufacture of saccharin, benzoic acid, etc.

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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम

जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या आप दस पुनर्योगज प्रोटीन के बारे में बता सकते हैं जो चिकित्सीय व्यवहार के काम में लाये जाते हैं ?
उत्तर
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प्रश्न 2.
एक सचित्र चार्ट (आरेखित निरुपण के साथ) बनाइए जो प्रतिबंध एंजाइम के (जिस क्रियाधार DNA पर यह कार्य करता है उसे ) उन स्थलों को जहाँ यह DNA को काटता है व इनसे उत्पन्न उत्पाद को दर्शाता है ?
उत्तर
यहाँ ई. कोलाई से प्राप्त EcoRI नामक प्रतिबंधन एन्जाइम (Restriction Enzyme) का उदाहरण दिया जा रहा है
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प्रश्न 3.
कक्षा ग्यारहवीं में जो आप पढ़ चुके हैं उसके आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि आणविक आकार के आधार पर एंजाइम बड़े हैं या डी.एन.ए.। आप इसके बारे में कैसे पता लगायेंगे ?
उत्तर
प्रोटीन अमीनो अम्लों से बनी है। प्रोटीन 20 प्रकार के अमीनो अम्लों से बनी है जो पेप्टाइड आबंधों के द्वारा जुड़ी होती है। प्रोटीन में कुल अमीनो अम्लों की संख्या, उनके प्रकार, उनके लगने के क्रम आदि के कारण अनन्त प्रकार की प्रोटीने संभव हैं। प्रोटीनों की औसत लंबाई चारों ओर 300 है जो कि अमीनो अम्लों का बचा-खुचा पदार्थ है। इनमें से कुछ एक्टिन फिलामेंट हैं जो कि हजारों एक्टिन अणुओं से बने हैं।

डी.एन.ए. पॉलीमरेज न्यूक्लियोटाइडों से बने होते हैं। वे चार न्यूक्लियोटाइड होते हैं जो कि एक-दूसरे के साथ फॉस्फोडाइएस्टर आबंधों से जुड़े हुए होते हैं । DNA पॉलीमरेज न्यूक्लियोटाइडों के लाखों बड़े अणुओं को अपने अंदर रख सकते हैं। उदाहरण के लिए, सबसे बड़ा मानव गुणसूत्र 220 मिलियन बेस पेयर लंबा है। इस प्रकार DNA एंजाइम से बड़े हैं।

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प्रश्न 4.
मानव की एक कोशिका में DNA की मोलर सन्द्रिता क्या होगी ? अपने अध्यापक से परामर्श कीजिए।
उत्तर
मोलर सांद्रता (Molar concentration)-किसी पदार्थ की सांद्रता प्रति इकाई आयतन में उसकी मात्रा की माप होती है। इसे सामान्यतया मोलरता (Molarity) के पदों में व्यक्त किया जाता है। किसी पदार्थ की मोलरता एक लीटर आयतन में उपस्थित उसके अणुओं की संख्या होती है। अणुओं के सांद्रता की गणना निम्न सूत्र से की जा सकती है
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DNA अणु जटिल जैविक वृहदाणु होते हैं। इनका अणुभार 106 से 109 डाल्टन तक होता है । हमारे शरीर में DNA के न्यूक्लियोटाइड का औसत आण्विक द्रव्यमान 130.86 होता है। अत: मानव DNA अणु का आण्विक द्रव्यमान 6×109 न्यूक्लियोटाइड (मानव जीनोम प्रोजेक्ट के अनुसार) x 130.86 = 784.56 x 10° g/mol. होगा।

प्रश्न 5.
क्या सुकेन्द्रकी कोशिकाओं में प्रतिबंधन एण्डोन्यूक्लिएज नहीं मिलते हैं ? अपने उत्तर को सही सिद्ध कीजिए।
उत्तर
नहीं, सुकेन्द्रकी कोशिकाओं में प्रतिबन्धन एण्डोन्यूक्लिऐज नहीं मिलते हैं। ये कुछ जीवाणुओं में उपस्थित रहते हैं। सन् 1963 में ई. कोलाई (E.coli) से दो एन्जाइम पृथक् किये गये थे। ये जीवाणुभोजी की वृद्धि को रोक देते हैं। इनमें एक एन्जाइम DNA मेथिल समूह को जोड़ता है, जबकि दूसरा एन्जाइम DNA को काटता है। दूसरे एन्जाइम को प्रतिबन्धन एण्डोन्यूक्लिएज (Restriction endonuclease) कहते हैं। प्रतिबन्धन एण्डोन्यूक्लिऐजका उपयोग आनुवंशिक इंजीनियरिंग में DNA के पुनर्योगज अणु (Recombinant molecules of DNA) बनाने में किया जाता है जिसका निर्माण विभिन्न जीनोमों से प्राप्त DNA से मिलकर होता है।

प्रश्न 6.
अच्छी हवा व मिश्रण विशेषता के अतिरिक्त विलोडन हौज बायोरिऐक्टर में कौन-सी अन्य कम्पन्न फ्लास्क सुविधाएँ हैं ?
उत्तर
सभी पुनर्योगज प्रौद्योगिकियों का अंतिम उद्देश्य वांछित प्रोटीन का उत्पादन करना होता है। इसके लिये पुनर्योगज DNA के अभिव्यक्त होने की आवश्यकता होती है। बाहरी जीन उपयुक्त परिस्थितियों में अभिव्यक्त होती है। वांछित जीन को क्लोन करने पर लक्ष्य प्रोटीन की अभिव्यक्ति को प्रेरित करने वाली परिस्थितियों को अनुकूलतम बनाने के बाद इनका व्यापक स्तर पर उत्पादन किया जाता है।

उत्पादों की अधिक मात्रा में उत्पादन हेतु बायोरियेक्टर (Bioreactor) की सहायता ली जाती है। बायोरिएक्टर वांछित उत्पादन हेतु अनुकूलतम परिस्थितियाँ उपलब्ध कराती है। अनुकूलतम परिस्थितियों में तापमान, pH, क्रियाधार, लवण, विटामिन, ऑक्सीजन आदि आते हैं। विलोडन हौज बायोरिएक्टर में प्रक्षोभक तंत्र (Agitator system), O2, प्रदाय तंत्र, झाग नियंत्रण तंत्र, तापक्रम तंत्र, पी.एच नियंत्रण तंत्र व प्रतिचयन प्रहार (Sampling ports) लगा होता है जिससे संवर्धन की थोड़ी मात्रा समय-समय पर निकाली जा सकती है।

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प्रश्न 7.
शिक्षक से परामर्श कर पाँच पैलिंड्रोमिक अनुप्रयास करना होगा कि क्षार युग्मक नियमों का पालन करते हुए पैलिंड्रोमिक अनुक्रम बनाने के उदाहरण का पता लगाइए।”
उत्तर
प्रत्येक सीमाकारी एन्जाइम, DNA स्ट्रेण्ड के विशिष्ट 4 से 6 न्यूक्लियोटाइड क्षार अनुक्रम को पहचानता है। इस क्रम को अभिज्ञेय स्थल (Recognition site) या पैलिन्ड्रोम (Palindrome) कहते हैं। पैलिन्ड्रोम वे शब्द होते हैं जिन्हे बांये से दांये अथवा दांये से बांये पढ़ने पर एक समान नजर आते हैं जैसे
MOM, BOB, MADAM, MALAYALAM

परन्तु शब्द पैलिन्ड्रोम और DNA पैलिन्ड्रोम में अंतर है। DNA में पैलिन्ड्रोम क्षारक युग्मों का एक ऐसा अनुक्रम होता है जो पढ़ने के अभिविन्यास को समान रखने पर दोनों लड़ियों में एक जैसा पढ़ा जाता है। उदाहरणार्थ-निम्न अनुक्रमों को 5’→ 3′ दिशा में पढ़ने पर दोनों लड़ियों में एक जैसा पढ़ा जायेगा। यदि इसे 3′ → 5′ दिशा में पढ़ा जाए तब भी यह बात सही बैठती है|

5′-GAATTC -3′
3′ – CTTAAG -5′

प्रतिबंधन एन्जाइम DNA लड़ी को पैलिन्ड्रोम स्थल के केन्द्र से कुछ दूरी पर परन्तु विपरीत लड़ियों में दो समान क्षारकों के बीच काटते हैं । यहाँ पांच पैलिन्ड्रोम क्षारकों के क्रम का उदाहरण दिया जा रहा है-
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प्रश्न 8.
अर्धसूत्री विभाजन को ध्यान में रखते हुए क्या आप बता सकते हैं कि पुनर्योगज DNA किस अवस्था में बनते हैं ?
उत्तर
प्रथम अर्धसूत्री विभाजन की प्रथम पूर्वावस्था (Ist prophase) की उप-अवस्था जाइगोटीन (Zygotene) में समजात गुणसूत्र जोड़े बनते हैं। इसे सूत्र युग्मक (Synapsis) कहते हैं । पैकिटीन (Pachytene) उप-अवस्था में सूत्रयुग्मक सम्मिश्र (Synaptonemal complex) में एक या अधिक स्थानों पर गोल सूक्ष्म घुण्डियां दिखाई देने लगती हैं, इन्हें पुनर्संयोजन घुण्डियां (Recombination nodule) कहते हैं। समजात गुणसूत्रों के परस्पर जुड़े क्रोमेटिड्स (Chromatids) के मध्य एक या अधिक खण्डों की पारस्परिक अदला बदली को पारगमन कहते हैं। इससे ही समजात पुनर्संयोजित DNA(Recombinant DNA) बन जाता है। पुनर्संयोजन घुण्डियां उन स्थानों पर बनती हैं जहाँ पर पारगमन हेतु क्रोमेटिड्स के टुकड़े टूट कर पुन: जुड़ते हैं।

प्रश्न 9.
क्या आप बता सकते हैं कि प्रतिवेदक (रिपोर्टर) एन्जाइम को वरणयोग्य चिन्ह की उपस्थिति में बाहरी DNA को परपोषी कोशिकाओं में स्थानान्तरण के लिये मॉनीटर करने के लिये किस प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है ? ।
उत्तर
DNA द्वारा आदाता (ग्राही) कोशिका में प्रवेश करने का कार्य तभी किया जाता है जब आदाता कोशिका अपने चारों ओर स्थित DNA को धारण करने में सक्षम हो जाती है। यह कार्य अनेक विधियों के द्वारा किया जाता है । यदि पुनर्योगज DNA को जिसमें प्रतिजैविक, जैसे-ऐम्पिसिलिन के प्रति प्रतिरोधी जीन स्थित होती है, ई. कोलाई (E.coli) कोशिकाओं में स्थानान्तरित किया जाए तो परपोषी कोशिकाएँ प्रतिरोधी कोशिकाओं में रूपान्तरित हो जाती है।

यदि रूपान्तरित कोशिकाओं को अगार युक्त प्लेट पर फैलाया जाता है तो केवल कुछ रूपान्तरित कोशिकाएँ ही विकसित हो पाती है, जबकि अरूपान्तरित आदाता कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है। प्रतिरोधी जीन के कारण कोई भी ऐम्पिसिलिन की उपस्थिति में रूपान्तरित कोशिका का चयन कर सकता है। ऐसे प्रक्रम में प्रतिरोधी जीन को वरणयोग्य चिन्हक कहते हैं।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित का संक्षिप्त वर्णन कीजिए
(क) प्रतिकृतियन का उद्भव
(ख) बायोरिएक्टर
(ग) अनुप्रवाह संसाधन।
उत्तर
(क) प्रतिकृतियन का उद्भव-यह वह अनुक्रम है जहाँ से प्रतिकृतियन की शुरूआत होती है और जब कोई डी.एन.ए. का कोई खंड इस अनुक्रम से जुड़ जाता है तब परपोषी कोशिकाओं के अंदर – प्रतिकृति कर सकता है। यह अनुक्रम जोड़े गए डी.एन.ए. के प्रतिरूपों की संख्या के नियंत्रण के लिए भी उत्तरदायी है। इसलिए यदि कोई लक्ष्य डी.एन.ए. की काफी संख्या प्राप्त करना चाहता है तो इसे ऐसे संवाहक में क्लोन करना चाहिए जिसका मूल (Ori) अत्यधिक प्रतिरूप बनाने में सहयोग करता है।

(ख) बायोरिएक्टर-बायोरिएक्टर एक बर्तन के समान है, जिसमें सूक्ष्मजीवों, पौधों, जंतुओं व मानव कोशिकाओं का उपयोग करते हुए कच्चे माल को जैव रूप से विशिष्ट उत्पादों व्यष्टि एंजाइम आदि में परिवर्तित किया जाता है। बायोरिएक्टर वांछित उत्पाद पाने के लिए, अनुकूलतम परिस्थितियाँ उपलब्ध करता है । वृद्धि के लिए ये अनुकूलतम परिस्थितियाँ हैं तापमान, pH, क्रियाधार, लवण, विटामिन, ऑक्सीजन । जो बायोरिएक्टर में सामान्यतया सर्वाधिक उपयोग में लार,ता है वह विलोडन (स्टिरिंग) प्रकार का है जिसे चित्र में दर्शाया गया है।

विलोडित हौज रिएक्टर सामान्यतया बेलनाकार होते हैं या जिनके आधार घुमावदार होने से रिएक्टर के अंदर अंतर्वस्तु के मिश्रण में सहायता मिलती है। विलोडक बायोरिएक्टर में ऑक्सीजन उपलब्धता व उसके मिश्रण का काम करते हैं । विकल्पतः हवा बुलबुले के रूप में बायोरिएक्टर में भेजी जा सकती है। रिएक्टर में एक प्रक्षोभक यंत्र (एजिटेटर सिस्टम), ऑक्सीजन प्रदाय तंत्र, झाग नियंत्रण तंत्र, तापक्रम नियंत्रण तंत्र, पीएच नियंत्रण तंत्र व प्रति चयन प्रद्वार लगा होता है जिससे संवर्धन की थोड़ी मात्रा समय-समय पर निकाली जा सकती है।
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(ग) अनुप्रवाह संसाधन-जैव संश्लेषित अवस्था के पूर्ण होने के बाद परिष्कृत तैयार होने व विपणन के लिए भेजे जाने से पहले कई प्रक्रमों से होकर गुजरता है। इन प्रक्रमों में पृथक्करण कशोधन सम्मिलित है और इसे सामूहिक रूप से अनुप्रवाह संसाधन कहते हैं । उत्पाद को उचित परिरक्षक के साथ संरूपित करते हैं औषधि के मामले में ऐसे संरूपण (फॉर्मुलेशन) की चिकित्सीय परीक्षण से गुजारते है। प्रत्येक उत्पाद के लिए सुनिश्चित गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण की भी आवश्यकता होती है। अनुप्रवाह संसाधन व गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण प्रत्येक उत्पाद के लिए भिन्न-भिन्न होती है।

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प्रश्न 11.
संक्षेप में बताइए
(क) पी.सी.आर.,
(ख) प्रतिबंधन एंजाइम और डी.एन.ए.,
(ग) काइटिनेज।
उत्तर
(क) पी.सी.आर.- पी.सी.आर. का अर्थ पॉलिमरेज चेन रिऐक्शन (पॉलिमरेज शृंखला अभिक्रिया) है। इस अभिक्रिया में उपक्रमकों (प्राइमर्स-छोटे रासायनिक संश्लेषित अल्प न्यूक्लियोटाइड जो डी.एन.ए. क्षेत्र के पूरक होते हैं) के दो समुच्चयों (सेट्स) व डी.एन.ए. पॉलिमरेज एंजाइम का उपयोग करते हुए पात्रे (इन विट्रो) विधि द्वारा उपयोगी जीन के कई प्रतिकृतियों का संश्लेषण होता है। यह एंजाइम जिनोमिक डी.एन.ए. को टेंपलेट के रूप में लेकर अभिक्रिया से मिलने वाले न्यूक्लियोटाइडों का उपयोग करते हुए उपक्रमकों को विस्तृत कर देता है। यदि डीएनए प्रतिकृतयेन प्रक्रम कई बार दोहराया जाता है तब डीएनए खंड को लगभग एक अरब गुना प्रवर्धित किया जा सकता है।

(ख) प्रतिबंधन एंजाइम और डी.एन.ए.-आणविक कैंची कहे जाने वाले प्रतिबंधन एंजाइम (रिस्ट्रिक्शन एंजाइम) की खोज से डी.एन.ए. को विशिष्ट जगहों पर काटना संभव हो सका। कटे हुए डी.एन.ए. का भाग प्लाज्मिड डी.एन.ए. से जोड़ा जाता है। यह प्लाज्मिड डी.एन.ए. संवाहक (वेक्टर) की तरह कार्य करता है जो इससे जुड़े डी.एन.ए. को स्थानांतरित करता है। प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीन को संवाहक के साथ जोड़ने का काम एंजाइम डीएनए लाइगेज के द्वारा होता है जो डी.एन.ए. अणु के कटे हुए भाग पर कार्य कर उसके किनारों को जोड़ने का काम करता है ।

इस संयोजन से पात्रे (इन विट्रो) नये गोलाकार स्वतः प्रतिकृति बनाने वाले डी.एन.ए. का निर्माण होता है जिसे पुनर्योगज डी.एन.ए. कहते हैं। जब यह डी.एन.ए. इंश्चिरिचिया कोलाई में स्थानांतरित किया जाता है तो यह नए परपोषी के डी.एन.ए. पॉलिमरेज एंजाइम का उपयोग कर अनेक प्रतिकृतियाँ बना लेता है। प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीन की प्रति का ई. कोलाई का गुणन, ई. कोलाई में प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीन की क्लोनिंग कहलाती है।

(ग) काइटिनेज-काइटिनेज एक प्रकार का एंजाइम है।

प्रश्न 12.
अपने अध्यापक से चर्चा करके पता लगाइए कि निम्नलिखित के बीच कैसे भेद करेंगे

(क) प्लाज्मिड DNA और गुणसूत्रीय DNA
(ख) RNA और DNA
(ग) एक्सोन्यूक्लिएज और एंडोन्यूक्लिएज।
उत्तर
(क) प्लाज्मिड DNA और गुणसूत्रीय DNA (Plasmid DNA and Chromosomal DNA)
प्लाज्मिड अतिरिक्त गुणसूत्रीय रचनाएँ होती हैं जो जीवाणुओं के अन्दर स्वतः गुणित होती रहती है। इनका DNA दो सूत्रों का बना, प्रायः गोलाकार (Circular) होता है। इन पर अन्य जीनों के अतिरिक्त प्लाज्मिड की प्रतिकृति करने वाले जीन भी पाये जाते हैं। पुनर्योगज DNA तकनीक में प्रयुक्त प्लाज्मिड में प्रतिजैविक रोधिता वाले जीन भी होते हैं जिनसे पुनर्योगज DNA अणुओं की पहचान सम्भव हो पाती है।

गुणसूत्रों में उपस्थित DNA गुणसूत्रीय DNA होता है। यह भी दो सूत्रों का होता है परन्तु गोलाकार नहीं होता तथा कोशिका के केन्द्रक में होता है। इसमें प्रतिजैविक रोधिता वाले जीन नहीं होते हैं । यह प्लाज्मिड DNA की तुलना में अधिक लम्बा तथा अधिक न्यूक्लियोटाइड युक्त होता है।

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(ख) DNA तथा RNA में अन्तरDNA
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(ग) एक्सोन्यूक्लिएज और एंडोन्यूक्लिएज (Exonuclease and Endonuclease)एक्सोन्यूक्लिएज-ये DNA के सिरे से न्यूक्लियोटाइड को अलग करते हैं। एन्डोन्यूक्लिएज-ये DNA के भीतर विशिष्ट स्थलों पर काटते हैं। प्रत्येक प्रतिबंधन एन्डोन्यूक्लिऐज DNA अनुक्रम की लम्बाई के निरीक्षण पश्चात् कार्य करता है । जब यह अपना विशिष्ट पहचान अनुक्रम पा जाता है तब यह DNA से जुड़ता है तथा द्विकुंडलिनी की दोनों लड़ियों को शर्करा-फॉस्फेट आधार स्तम्भों के विशिष्ट केन्द्रों पर काटता है।

जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
कृत्रिम रूप से जीन की प्रकृति में परिवर्तन करना कहलाता है
(a) जीन परिचालन
(b) जीन हेर-फेर
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(c) (a) एवं (b) दोनों

प्रश्न 2.
D.N.A. पुनर्योगज तकनीक का आविष्कार कब किया गया
(a) सन् 1971
(b) सन् 1972
(c) सन् 1973
(d) सन् 1974.
उत्तर
(b) सन् 1972

प्रश्न 3.
एच. हैरिस व जे. एफ. वाटकिन्स द्वारा D.N.A. पुनर्योजन की कौन-सी विधि दी गयी थी
(a) रूपान्तरण
(b) पराक्रमण
(c) क्लोनिंग
(d) प्रोटोप्लास्ट संलयन।
उत्तर
(d) प्रोटोप्लास्ट संलयन।

प्रश्न 4.
कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने एक कृत्रिम जीन बनाया जिसकी क्षमता थी
(a) कृत्रिम इन्सुलिन बनाने की
(b) कृत्रिम जीन पैदा करने की
(c) कीड़ों का प्रकोप नहीं होने की
(d) पोषक खाद्य उत्पादन करने की।
उत्तर
(a) कृत्रिम इन्सुलिन बनाने की

प्रश्न 5.
विशिष्ट जीन के समान जीन प्राप्त करना कहलाता है
(a) जीव क्लोनिंग
(b) जीन क्लोनिंग
(c) D.N.A. क्लोनिंग
(d) R.N.A. क्लोनिंग।
उत्तर
(b) जीन क्लोनिंग

प्रश्न 6.
पादपों में कायिक संवर्धन द्वारा उत्पादित संततियों को कहते हैं
(a) कैलस
(b) अंडाणु
(c) क्लोन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(c) क्लोन

प्रश्न 7.
आनुवंशिक अभियांत्रिकी में ‘आण्विक कैंची’ की तरह उपयोग किया जाता है
(a) DNA पॉलीमरेज
(b) DNA लाइगेज
(c) हेलिकेज
(d) रेस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लिएज।
उत्तर
(d) रेस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लिएज।

प्रश्न 8.
लक्ष्य ऊतक (Target tissue) में ट्रांसजीन की ट्रांसजेनिक अभिव्यक्ति निर्धारित होती है
(a) इन्हान्स द्वारा
(b) रिपोर्टर द्वारा
(c) प्रमोटर द्वारा
(d) ट्रांसजीन द्वारा।
उत्तर
(b) रिपोर्टर द्वारा

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प्रश्न 9.
प्रथम प्रतिबंधन एण्डोन्यूक्लिएज निम्न में कौन-सा पहचाना गया
(a) EcoRI
(b)Hind II
(c) Hind III
(d) TaqI
उत्तर
(b)Hind II

प्रश्न 10.
pBR322 वाहक में किसके प्रति प्रतिरोधी जीन होती है
(a) एम्पीसिलिन
(b) टेट्रासाइक्लिन
(c) उपर्युक्त दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(c) उपर्युक्त दोनों

प्रश्न 11.
एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसिएंस का DNA खण्ड (t-DNA) सामान्य पौधों की कोशिकाओं में क्या रोग उत्पन्न करता है
(a) कैंसर
(b) अपघटन
(c) अर्बुद
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(c) अर्बुद

2.  रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. D.N.A. में संचित सूचना के संचरण तथा फिर से प्रकट होने एवं लक्षणों के बनने को ………….
कहते हैं।
2. ……………. मानव निर्मित इन्सुलिन है।
3. क्लोनिंग से …………….. वाले जीन भी उत्पन्न हो जाने की संभावना होती है।
4. वाहक का …………….. एवं …………….. आसान होना चाहिए।
5. आनुवंशिक इंजीनियरिंग से ऐसे जीव भी उत्पादित किये जा सकते हैं जिनका …………. सर्वथा नया हो।
6. …… जीन वाहक का कार्य करता है।
उत्तर

  1. भावाकृति
  2. ह्यूम्यूलिन
  3. अवांछित गुणों
  4. विलगन, शुद्धिकरण
  5. जीन प्रारूप
  6. Ti प्लाज्मिड।

3. सही जोड़ी बनाइए

‘A’ -‘B’

1. इन्सुलिन – (a) डी.एन.ए. में सकारात्मक परिवर्तन
2. जीन बैंक – (b) मानव जीनोम प्रायोजना
3. जीन अभियांत्रिकी – (c) जीन अभियांत्रिकी
4. जीनोमिकी – (d) ज्ञात D.N.A. संरक्षण
उत्तर
1. (c), 2. (d), 3. (a), 4. (b).

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. उस पादप का नाम बताइये जिसके DNA में न्यूक्लियोटाइड्स का क्रम सर्वप्रथम पढ़ा गया।
2. किसी जीनोम का संरचनात्मक तथा क्रियात्मक पक्ष का अध्ययन ।
3. उस वैज्ञानिक का नाम बताइये जिन्होंने DNA फिंगरप्रिंटिंग की आधारशिला रखी।
4. समान न्यूक्लियोटाइड क्रम के खण्डों वाला DNA
5. ऐसा जीव जिसमें दूसरे स्रोत (जीव) के जीन को प्रवेशित कराया गया है।
6. CCMB कहाँ स्थित है ?
7. प्रथम जन्तु क्लोन का नाम बताइये।
8. वह चिकित्सा पद्धति जिसके द्वारा किसी जीव में गड़बड़ी वाले जीन को सही जीन द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है।
9. विषाणुओं को नष्ट करने वाला जैव अणु जो मनुष्य में विषाणु प्रतिरोधकता उत्पन्न करता है।
10. Ti प्लाज्मिड का स्रोत।
उत्तर

  1. एरेबिडोप्सिस
  2. जीनोमिक्स
  3. एलेक जेफरी
  4. रिपिटीटिव DNA
  5. ट्रांसजेनिक
  6. हैदराबाद
  7. डॉली (भेड़)
  8. जीन थेरैपी
  9. इन्टरफेरॉन
  10. एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमिफेसिएन्स।

जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लक्ष्य जीन को पृथक करने के लिए कौन-से एन्जाइम की आवश्यकता होती है ?
उत्तर
लक्ष्य जीन को पृथक् करने के लिए प्रतिबन्धन एण्डोन्यूक्लिएज एन्जाइम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
कौन-सा DNA पॉलीमरेज उच्च ताप पर भी सक्रिय रहता है ?
उत्तर
टेक (Taq) DNA पॉलीमरेज उच्च ताप पर भी सक्रिय रहता है।

प्रश्न 3.
किन्ही तीन प्रतिबंधन एण्डोन्यूक्लिएज एन्जाइमों के नाम लिखिए।
उत्तर

  • EcoRI
  • Hind II
  • Hind III.

प्रश्न 4.
PCR का पूर्ण नाम लिखिए। इसमें कौन-सा एन्जाइम प्रयुक्त होता है ?
उत्तर
पॉलिमरेज श्रृंखला अभिक्रिया (Polymerase Chain Reaction) इसमें टेक (Taq) DNA पॉलमरेज एन्जाइम प्रयुक्त होता है।

प्रश्न 5.
जीवाणुभोजी (Bacteriophage) किसे कहते हैं ?
उत्तर
जीवाणुओं को संक्रमित करने वाले विषाणु को जीवाणुभोजी कहते हैं।

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प्रश्न 6.
प्रथम पुनर्योगज DNA का निर्माण किसमें हुआ था ?
उत्तर
जीवाणु सालमोनेला टाइफीयूरिम में।

प्रश्न 7.
आण्विक कैंची किसे कहते हैं ?
उत्तर
प्रतिबंधन एन्जाइम (Restriction Enzyme) को आण्विक कैंची कहते हैं।

प्रश्न 8.
हिंड II (Hind II) DNA अणु को कहाँ से काटता है ?
उत्तर
हिंड II, DNA अणु को उस विशेष बिन्दु पर काटते हैं जहाँ पर छ: क्षारक युग्मों (Base pairs) का विशेष अनुक्रम होता है।

प्रश्न 9.
चिपचिपे सिरे किस एन्जाइम के कार्य में सहायता करते हैं ?
उत्तर
एन्जाइम DNA लाइगेज के कार्य में सहायता प्रदान करता है।

प्रश्न 10.
DNA खण्ड किस प्रकार के आवेशित अणु होते हैं ?
उत्तर
ऋणात्मक आवेशित (Charged) होते हैं।

प्रश्न 11.
इलेक्ट्रोफोरेसिस में DNA को देखने के लिये किससे अभिरंजित किया जाता है ?
उत्तर
इथीडियम ब्रोमाइड नामक यौगिक से अभिरंजित करते हैं।

प्रश्न 12.
इलेक्ट्रोफोरेसिस में क्या होता है ?
उत्तर
DNA खण्ड का पृथक्करण एवं विलगन।

प्रश्न 13.
जीवाणु कोशिका में मिलने वाले वर्तुल DNA का प्रमुख कार्य बताइये।
उत्तर
यह संवाहक (वेक्टर) की तरह कार्य करता है।

प्रश्न 14.
उस तकनीक का नाम लिखिए, जिसके द्वारा DNA खण्डों को अलग कर सकते हैं ?
उत्तर
जैव वैद्युत कण संचलन (Electrophoresis)।

प्रश्न 15.
प्लाज्मिड pBR322 में पाये जाने वाले दो प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीन के नाम लिखिये ?
उत्तर
एम्पिसिलिन व टेट्रासाइक्लीन ।

जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिक अभियांत्रिकी किसे कहते हैं ?
उत्तर
DNA या आनुवंशिक पदार्थ की संरचना में आवश्यकतानुसार हेर-फेर करने की क्रिया को आनुवंशिक अभियान्त्रिकी कहते हैं।

प्रश्न 2.
आनुवंशिक अभियांत्रिकी के दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर
उद्देश्य-

  • जीन की संरचना में इच्छित परिवर्तन करना।
  • आनुवंशिक विकृतियों को ठीक करना।

प्रश्न 3.
बैक्टीरियोफेज क्या है ?
उत्तर
बैक्टीरियोफेज जीवाणु कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रकार का परजीवी विषाणु है, जिसका शरीर दो भागों-सिर एवं पूँछ का बना होता है। इसके सिर में आनुवंशिक पदार्थ के रूप DNA पाया जाता है। आनुवंशिक अभियान्त्रिकी में इसका बहुत अधिक महत्व है।

प्रश्न 4.
रेस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लिएज क्या है ?
उत्तर
रेस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लिएज, न्यूक्लिएज समूह का एन्जाइम है। यह नाभिकीय अम्लों विशेषकर DNA को विशिष्ट स्थान पर काटने का कार्य करता है।

प्रश्न 5.
वाहक क्या है ?
उत्तर
DNA पुनर्योजन तकनीक में विदेशज जीन (Foreign DNA) को अपने साथ इच्छित स्थल तक लाने वाले DNA खण्ड को वाहक (Vector) कहते हैं।

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प्रश्न 6.
वाहक के चार लक्षण लिखिये।
उत्तर
वाहक के लक्षण-

  • स्व-द्विगुणन की क्षमता होनी चाहिए।
  • इसका विलगन एवं शुद्धिकरण आसान होना चाहिए।
  • अणुभार कम होने चाहिए ताकि इस पर बड़े DNA अथवा जीन को जोड़ा जा सके।
  • पोषक कोशिका (Host Cell) के अन्दर इसका विनिष्टिकरण (Degradation) नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 7.
प्लाज्मिड किसे कहते हैं ?
उत्तर
प्लाज्मिड्स बाह्य नाभिकीय (Extra nuclear) स्वत: द्विगुणित होने वाले (Self replicating), सहसंयोजी रूप से बन्द (Covalently Closed), वलयाकार, द्विसूत्री DNA अणु हैं, जो कि प्रायः सभी जीवाणु कोशिकाओं में पाये जाते हैं।

प्रश्न 8.
DNA लाइगेज क्या होता है ?
उत्तर
DNA लाइगेज एक विशिष्ट प्रकार का एन्जाइम होता है, जो दो DNA खण्डों को आपस में या DNA अणु के टूट-फूट वाले स्थल को जोड़ने का कार्य करता है।

प्रश्न 9.
c-DNA किसे कहते हैं ?
उत्तर
जीवन कोशिका में पुनर्योजित DNA का द्विगुणन से प्राप्त प्रतिलिपियों को क्लोन्ड या पुंजीकृत DNA (c-DNA) कहा जाता है।

प्रश्न 10.
Ti प्लाज्मिड क्या है ?
उत्तर
ऐग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसिएन्स (Agrobacterium tumifaciens) नामक जीवाणु में पाये जाने वाले विशिष्ट प्लाज्मिड जो कि द्विबीजपत्री पौधों में संक्रमण पश्चात् ट्यूमर निर्माण को अभिप्रेरित करता है, Ti प्लाज्मिड कहलाता है। यह जीन अभियांत्रिकी में वाहक का भी कार्य करता है।

प्रश्न 11.
विश्व के पहले जन्तु क्लोन का नाम बताइए।
उत्तर
विश्व में पहला जन्तु क्लोन भेड़ का उत्पन्न कराया गया, जिसका नाम डॉली रखा गया है।

प्रश्न 12.
कृत्रिम रूप से DNA संश्लेषण की विधि को खोजने वाले वैज्ञानिकों के नाम बताइए।
उत्तर
कृत्रिम रूप से DNA संश्लेषण की विधि के खोज का श्रेय डॉ. हरगोबिन्द खुराना, एम. नीरेनबर्ग एवं आर. हौली को दिया जाता है, जिसके लिए इन तीनों वैज्ञानिकों को एक साथ सन् 1968 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रश्न 13.
जीन मैनीपुलेशन या जेनेटिक इन्जीनियरिंग को समझाइए।
उत्तर
वैज्ञानिक द्वारा DNA या आनुवंशिक पदार्थ की संरचना में आवश्यकतानुसार हेर-फेर करने को जीन मैनीपुलेशन या जेनेटिक इन्जीनियरिंग कहते हैं। आनुवंशिक पदार्थ का कृत्रिम संश्लेषण दो अलग-अलग जीनों के DNA खण्डों को जोड़कर नया DNA बनाना, DNA की मरम्मत, DNA से कुछ न्यूक्लियोटाइड को हटाकर या जोड़कर या विस्थापित करके इच्छित संरचना वाले नये DNA अणुओं का संश्लेषण करके जीन क्रिया का नियन्त्रण करना तथा जीवधारियों में इच्छित गुणों का समावेश करना जेनेटिक इन्जीनियरिंग का मुख्य उद्देश्य है। आनुवंशिकी की यह शाखा अभी अपने शैशव काल में है।

उम्मीद की जाती है कि इस विधि के द्वारा आनुवंशिक वैज्ञानिक जीन की संरचना में सुधार करके अथवा विकृत जीन को सामान्य जीन द्वारा विस्थापित करके आनुवंशिक रोगों से मानव जाति को मुक्ति दिला सकेंगे अथवा मानव द्वारा उपयोग में आने वाले पादपों व जन्तुओं की नस्लों का सुधार कर सकेंगे। आनुवंशिक पदार्थ के संगठन में हेर-फेर, DNA की संरचना का ज्ञान एक अत्याधुनिक तकनीक के विकास के कारण सम्भव हो सकता है। इनको रिकॉम्बिनेन्ट DNA तकनीकी कहते है

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प्रश्न 14.
फसल सुधार में आनुवंशिक इंजीनियरिंग के तीन उपयोग लिखिए।
उत्तर-
फसल सुधार में आनुवंशिक इंजीनियरिंग के उपयोग

  • धान्यों में स्वयं नाइट्रोजन स्थिरीकरण गुण पैदा करने के प्रयास में काफी सफलता मिली है।
  • पौधों की जंगली प्रजातियों से जीनों को प्राप्त कर उन्हें फसली पौधों में स्थानांतरण कर उनमें परजीवियों तथा.कीड़े-मकोड़ों के प्रति प्रतिरोधकता पैदा करने के भी प्रयास किये जा रहे हैं।
  • केन्द्रकीय एवं हरितलवक जीन्स को पुन: समायोजित कर फसली पौधों की प्रकाश-संश्लेषण करने की क्षमता बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके अलावा C3,पौधों को C4 पौधों में परिवर्तित करने के प्रयास में भी इस तकनीक द्वारा आशान्वित सफलता मिली है।

प्रश्न 15.
जीन क्लोनिंग के उपयोग लिखिये।
उत्तर
जीन क्लोनिंग के उपयोग-

  • किसी जीव के इच्छित जीनोटाइप को संरक्षित करने में।
  • उच्च गुणों वाले जीवों को सरलता से प्राप्त करने में।
  • विलुप्त हो रहे पादपों तथा जन्तुओं को संरक्षित करने में।
  • उपयोगी (दूध, प्रोटीन देने वाले) जंतुओं को पैदा करने में।
  • मानव अंग प्रत्यारोपण के लिये आनुवंशिक रूप से परिवर्तित पशुओं को पैदा करने में।

प्रश्न 16.
चिकित्सा के क्षेत्र में आनुवंशिक इंजीनियरिंग के कोई तीन उपयोग लिखिये।
उत्तर
चिकित्सा के क्षेत्र में आनुवंशिक इंजीनियरिंग के उपयोग-

  • गोइडल ने E.coli के D.N.A. में इस हॉर्मोन के जीन को निवेशित कर माध्यम से मनुष्य के वृद्धि हॉर्मोन का संश्लेषण कराया।
  • हिपैटाइटिस B एक संदूषित जीन के कारण होता है, इसे प्रतिस्थापित कर वैज्ञानिकों ने इस रोग का इलाज ढूँढ लिया है।
  • कृत्रिम जीन निर्माण द्वारा (जीन संवर्द्धन तकनीक) मानव इंसुलिन मधुमेह की बीमारी को दूर करने के लिये तैयार करना।

प्रश्न 17.
जीन्स बैंक से आप क्या समझते हैं ? इसका क्या महत्व है ?
उत्तर
जीन्स को जीवों के अथवा संश्लेषित अवस्था में संरक्षित करने वाली संस्था या स्थान को जीन बैंक कहते हैं। इसके अन्तर्गत जीवों की कोशिकाओं में पाये जाने वाले आनुवंशिक पदार्थ (DNA) का संरक्षण किया जाता है। इसका सबसे पहला उपाय यह है कि दुर्लभ जीवों को संरक्षित रखा जाये। दूसरे उपाय के अन्तर्गत जीवों की कोशिकाओं या ऊतकों को सुरक्षित रखा जाता है। महत्व-जीन्स बैंक में जीनों को संरक्षित रखकर इनके द्वारा नयी उन्नतशील जातियों को तैयार किया जाता है तथा उन पर अनेक वैज्ञानिक परीक्षण भी किये जा सकते हैं।

प्रश्न 18.
आनुवंशिक इन्जीनियरिंग की महत्ता एवं उसके तीन उपयोग लिखिए।
उत्तर
मनुष्य को जैव-तकनीक तथा आनुवंशिक इन्जीनियरिंग के द्वारा कई उपयोगी एवं महत्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त हुई हैं। ऐसा लगता है कि इसकी सहायता से सुजननिकी के क्षेत्र में कई विचार जो अब तक कल्पनामयी लगते थे, निकट भविष्य में वास्तविकता में बदल जायेंगे। आनुवंशिक इन्जीनियरिंग के उपयोगअनुप्रयोज्यता की दृष्टि से आनुवंशिक इन्जीनियरिंग हमें निम्नलिखित लाभदायक तथा हानिकारक परिणाम देती है

प्रश्न 19.
जीन क्लोनिंग से क्या समझते हैं ? इसका क्या महत्व है ?
अथवा
जीन क्लोनिंग क्या है ? दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर
जीन क्लोनिंग, पुनर्संयोजित DNA खण्डों को प्राप्त करने या तैयार करने की एक विधि है, जिसमें विदलित DNA (Cleaved DNA) अणु को विषाणु DNA या प्लाज्मिड DNA के साथ सम्बन्धित करते हैं और फिर विषाणु अथवा जीवाणु द्विगुणन कराके इससे सम्बन्धित DNA की प्रतिलिपियाँ तैयार करते हैं। इस प्रकार से प्राप्त सम्बन्धित DNA की प्रतियों जो पुनर्संयोजित DNA के गुणन से बनती हैं, क्लोन्ड DNA कहते हैं तथा यह तकनीक जीन क्लोनिंग कहलाती है।

महत्व-

  • इसके द्वारा उपयोगी आनुवंशिक गुणों को प्राप्त किया जा सकता है।
  • इस तकनीक के द्वारा कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
  • इस तकनीक के द्वारा कई दवाइयों का संश्लेषण किया जा सकता है।
  • इसका उपयोग सुजननिकी में किया जा सकता है।

जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिक इंजीनियरिंग की अनुप्रयोज्यता का वर्णन कीजिए।
अथवा
आनुवंशिक इंजीनियरिंग का औद्योगिक एवं चिकित्सा क्षेत्र में योगदान लिखिए।
अथवा
जीन अभियांत्रिकी के लाभदायक तथा हानिकारक प्रभावों को लिखिये।
अथवा
आनुवंशिक इंजीनियरिंग के तीन महत्व लिखिये।
अथवा
जीन आनुवंशिक अभियांत्रिकी किसे कहते हैं ? औद्योगिक एवं चिकित्सा के क्षेत्र में इसका महत्व लिखिए।
उत्तर
अनुप्रयोज्यता की दृष्टि से आनुवंशिक इन्जीनियरिंग हमें निम्नलिखित लाभदायक तथा हानिकारक परिणाम देती है

(A) लाभदायक प्रभाव

1. औद्योगिक उपयोग-उच्च वर्गों के जीवों के विटामिन प्रतिजैविक या हॉर्मोन्स के जीन का कोड करके तथा इनके संश्लेषित DNA को जीवाणुओं में पुन:स्थापित करके विटामिन्स, हॉर्मोन्स आदि यौगिकों को औद्योगिक स्तर पर संश्लेषण किया जाना सम्भव हुआ है। इस विधि से मानव इन्सुलिन का Humulin नाम से जैव-संश्लेषण किया गया है।

2.चिकित्सीय उपयोग-नयी दवाइयों का जैव स्तर पर संश्लेषण तथा जीन चिकित्सा द्वारा हीमोफीलिया, फीनाइलकीटोन्यूरिया आदि वंशागत रोगों का उपचार किया जाना सम्भव हुआ है।

3. कृषि क्षेत्र में उपयोग-जीवाणु अथवा नीले-हरे शैवाल से नाइट्रोजन यौगिकीकरण करने वाले जीनों का अनाज वाली फसलों में स्थानान्तरण करने हेतु प्रयोग जारी है, जिससे हमारी फसलें पर्यावरण से नाइट्रोजन का सीधा प्रयोग कर सकेंगी और हमें कृषि में कृत्रिम उर्वरक के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहेगी।

4. जीन संरचना अभिव्यक्ति में परिवर्तन-इस तकनीक द्वारा इच्छानुसार नये-नये प्रकार के जीवों तथा वनस्पतियों का निर्माण सम्भव हो सकेगा।

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(B) हानिकारक प्रभाव-

  • रोगाणु ऐण्टिबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी हो सकते हैं।
  • आंत में पाये जाने वाले जीवाणु कैन्सर कारक हो सकते हैं।
  • सामान्य वाइरस से अत्यधिक खतरनाक वाइरस का निर्माण हो सकता है।

प्रश्न 2.
पुनर्संयोजन DNA तकनीक के महत्व एवं उपयोग को लिखिए।
अथवा
आनुवंशिक अभियांत्रिकी की महत्ता एवं अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर
जीन क्लोनिंग या पुनर्योगज DNA तकनीक जैविक विज्ञान (Biological sciences) के सभी क्षेत्रों में अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हुआ है। इस तकनीक के प्रमुख महत्व एवं उपयोग निम्नानुसार हैं

  • पुनर्योगज DNA तकनीक या जीन क्लोनिंग के द्वारा हमें वांछित गुणों वाले जीनों को अन्य जन्तु व पौधों में प्रत्यारोपित करके इनकी अच्छी किस्में तैयार करने में सफलता प्राप्त हुई है।
  • इस तकनीक के द्वारा आनुवंशिक रोगों का भ्रूणीय अवस्था में ही पता लगाया जा सकता है।
  • rec-DNA तकनीक की सहायता से DNA/ जीन के क्रमीकरण (Sequencing of DNA/ Gene) में सहायता मिली है।
  • इस तकनीक की सहायता से विभिन्न प्रकार की पुनर्योगज वैक्सीनों (Recombinant vaccine) का विकास किया जाता है। उदाहरण-हिपैटाइटिस-B वैक्सीन।
  • इसकी सहायता से जीन क्रिया नियमन के अध्ययन में सुविधा हुई है।
  • इस तकनीक के द्वारा ही विभिन्न प्रकार की प्रोटीन्स जैसे-इन्सुलिन, हॉर्मोन्स, इण्टरफेरॉन्स एवं विटामिनों का औद्योगिक स्तर पर निर्माण जीवाणुओं द्वारा संभव हुआ है।
  • इस तकनीक के द्वारा उत्कृष्ट किस्म के प्रतिजैविकों का उत्पादन किया जाता है।
  • हीमोफिलिक मनुष्यों में VIII C (ऐण्टिहीमोफिलिक ग्लोब्यूलिन) का अभाव होता है। यह फैक्टर रक्त के थक्का बनाने (Blood clotting) का कार्य करता है। इसके जीन की क्लोनिंग के फलस्वरूप उपयुक्त मात्रा में VIII C कारक का उत्पादन संभव हो गया है।

प्रश्न 3.
पुनर्संयोजन DNA क्या है ? इसके निर्माण के चरणों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
जीन मैनीपुलेशन या जेनेटिक इंजीनियरिंग को समझाइये।
अथवा
डी. एन. ए. पुनर्योगज तकनीक क्या है ?
अथवा
रिकॉम्बिनेन्ट D.N.A. तकनीक के विभिन्न चरणों में लिखिये।
अथवा
D.N.A. पुनर्योगज तकनीक क्या है ? इस तकनीक के उपकरण का नाम लिखिये। (कोई चार)
उत्तर
किसी जीव के जीनोम में वांछित लक्षणों वाले जीनों को प्रविष्ट कराकर एक नये प्रकार के DNA को बनाना DNA पुनर्संयोजन तकनीक कहलाती है तथा इस प्रकार बने DNA को पुनर्संयोजन DNA या पुनर्योगज DNA कहते हैं। पुनर्योगज DNA तकनीक का उपयोग करके किसी जीव के आनुवंशिक संगठन में परिवर्तन करने की तकनीक को जीन तकनीक या जीन प्रौद्योगिकी (Gene technology) कहते हैं।

पुनर्योगज या पुनर्संयोजन DNA तकनीक के विभिन्न चरण-पुनर्योगज DNA तकनीक एक जटिल प्रक्रिया है, जो कि निम्नलिखित चरणों में पूर्ण की जाती है

  1. विदेशज (Foreign) या टारगेट DNA का चयन जिसकी क्लोनिंग करनी होती है।
  2. प्लाज्मिड या लैम्डा फेज या कॉस्मिड में से किसी एक का वाहक अर्थात् वेक्टर के रूप में चयन।
  3. फॉरेन DNA को वेक्टर DNA के साथ जोड़ना अर्थात् पुनर्योगज. DNA का निर्माण।
  4. पोषक कोशिका में पुनर्योगज DNA का स्थानान्तरण।
  5. रूपान्तरित कोशिकाओं का चयन। जीन पुनर्संयोजन तकनीक द्वारा इन्सुलिन जीन का जीवाणु में प्रवेश की प्रक्रिया का चित्रात्मक निरूपण द्वारा इसके विभिन्न चरणों को प्रदर्शित किया जा रहा है।

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम 7
प्रश्न 4.
मानव इन्सुलिन के उत्पादन में आनुवंशिक इन्जीनियरिंग के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर
अलरिच तथा उनके सहयोगियों (Ulrich at, 1977) ने चूहे में इन्सुलिन बनाने वाले जीन को निष्कर्षित कर ई. कोलाई जीवाणु में स्थानान्तरित करने में सफलता पायी। इन लोगों ने चूहे से विशुद्ध m-RNA को निकाला तथा उससे रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एन्जाइम की सक्रियता से DNA का संश्लेषण किया। इस इन्सुलिन संश्लेषण से सम्बन्धित DNA को प्लाज्मिड DNA के साथ एन्डोन्यूक्लिएज तथा लाइगेज के साथ जोड़कर पुनर्योगज DNA का निर्माण किया। इस पुनर्योगज DNA को ई. कोलाई के 1776 विभेद के Ex 2 होस्ट (पोषक) में स्थानान्तरित कर चूहे के इन्सुलिन DNA को क्लोन किया। नये वातावरण में इन जीन के ट्रांसलेशन (अनुलिपिकरण या अनुवादन) से जैविक रूप से सक्रिय इन्सुलिन का उत्पादन होता है।

नोट-बैक्टीरियोफेज जीवाणु कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रकार का परजीवी विषाणु है, जिसका शरीर दो भागों-सिर एवं पूँछ का बना होता है। इसके सिर में आनुवंशिक पदार्थ के रूप DNA पाया जाता है। आनुवंशिक अभियान्त्रिकी में इसका बहुत अधिक महत्व है।

प्रश्न 5.
क्लोन किसे कहते हैं ? जीन एवं पादप क्लोन किस प्रकार तैयार किये जाते हैं समझाइये?
उत्तर
अलैंगिक विधि द्वारा उत्पन्न आनुवंशिक रूप से समान जीवों को क्लोन कहते हैं। जीन एवं पादप क्लोन निम्नानुसार तैयार किये जाते हैं

1. जीन क्लोनिंग (Gene cloning)-विशिष्ट जीन के समान जीन प्राप्त करना जीन क्लोनिंग कहलाता है। क्लोन प्राप्त करने वाले DNA खण्ड को पहले वाहक DNA में प्रवेश कराया जाता है। उसके बाद यह वाहक DNA पोषक कोशिका में डाला जाता है जहाँ पर इसके जीन क्लोन प्राप्त होते हैं । जीवाणुओं के माध्यम से जीन क्लोनिंग में निम्न चरण पाये जाते हैं.

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(i) जीन का निर्माण (Preparation of the gene)-जीवाणु द्वारा जीन क्लोनिंग के लिए DNA को प्रकिण्व एण्डोन्यूक्लिएज की सहायता से छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल लेते हैं। प्रत्येक खण्ड एकहरा शीर्षयुक्त होता है।

(ii) वाहक में प्रवेश कराना (Insertion into vector)—वाहक एक ऐसा प्रतिनिधि (Agent) है जिसका उपयोग DNA को पोषक जीवाणु कोशिका के प्लाज्मिड तक पहुँचाने के लिए किया जाता है। वाहक (Vector) DNA को एण्डोन्यूक्लिएज की सहायता से खोलते हैं। DNA लाइगेज प्रकिण्व की सहायता से DNA खण्ड वेक्टर के प्लाज्मिड या गुणसूत्र (DNA) से जोड़ देते हैं। अब DNA खण्डयुक्त प्लाज्मिड को पुनर्संयोजित प्लाज्मिड कहते हैं।

(iii) पोषक कोशिका का पुनर्निर्माण (Transformation of host cell)—संयुक्त प्लाज्मिड को पोषक जीवाणु कोशिका के अन्दर प्रवेश कराते हैं जहाँ पर जीवाणु कोशिका द्वारा प्लाज्मिड का निर्माण किया जाता है। इन जीवाणुओं को कैल्सियम क्लोराइड के तनु एवं ठण्डे विलयन में रखते हैं। यह विलयन जीवाणु कोशिका द्वारा विदेशी DNA को ग्रहण करने में मदद करता है।

इस प्रकार से DNA के पुनर्निर्माण के लिए E. coli नामक जीवाणु का उपयोग किया जाता है क्योंकि

  • इसका विस्तृत रूप से अध्ययन किया जा चुका है।
  • कैल्सियम क्लोराइड द्वारा उपचारित इस जीवाणु की कोशिका में DNA पुनर्निर्माण तीव्रता से होता है।
  • यह जीवाणु लगभग सभी प्रकार के DNA का अनुलिपिकरण कर सकता है।
    इस प्रकार प्राप्त DNA की अनुकृतियों को जीन बैंक या जीनोमिक लाइब्रेरी में रखा जाता है।

2. पादप क्लोनिंग (Plant cloning)—कायिक प्रवर्धन द्वारा उत्पादित सन्ततियों को क्लोन कहते हैं वर्तमान युग में ऊतक संवर्धन तकनीक द्वारा पौधों के क्लोन तैयार किये जाते हैं। इस कार्य हेतु पौधे के भाग (एक्सप्लाण्ट) का चयन करके उसे एक कृत्रिम संवर्धन माध्यम में उगाया जाता है। संवर्धन माध्यम में सर्वप्रथम कोशिकाओं का एक असंगठित एवं अविभाजित समूह बनता है जिसे कैलस (Callus) कहते हैं । इस कैलस के टुकड़ों को अब हॉर्मोन युक्त अन्य संवर्धन माध्यम में उगाया जाता है जिससे छोटे-छोटे पौधे बनते हैं । इन पौधों को अब खेतों/क्यारियों में रोपित किया जाता है।

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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव

मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जीवाणुओं को नग्न नेत्रों द्वारा नहीं देखा जा सकता, लेकिन सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है। यदि आपको अपने घर से अपनी जीव विज्ञान प्रयोगशाला तक एक नमूना ले जाना हो . और सूक्ष्मदर्शी की सहायता से इस नमूने से सूक्ष्मदर्शी की उपस्थिति को प्रदर्शित करना हो, तो किस प्रकार का नमूना आप अपने साथ ले जायेंगे और क्यों?
उत्तर
यदि हमको अपने घर से जीव विज्ञान प्रयोगशाला तक सूक्ष्मजीव का नमूना ले जाकर सूक्ष्मदर्शी में अवलोकन करना हो तो हम एक सड़ी (खराब) ब्रेड का टुकड़ा अथवा थोड़ी मात्रा में दही ले जायेंगे। क्योंकि ये दोनों चीजें आसानी से उपलब्ध हैं और इनमें सूक्ष्मजीव आसानी से दिखाई दे जाते हैं। सूक्ष्मजीव लैक्टोबेसीलसया अन्य लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया (L.A.B.) दूध में वृद्धि कर उसे दही में परिवर्तित करते हैं। इसी प्रकार ब्रेड पर दिखाई पड़ने वाला हरा रंग कवक (fungi) होता है, इसके बीज (spore) वायु में उपस्थित रहते हैं तथा खाद्य पदार्थ में वृद्धि करते रहते हैं।

प्रश्न 2.
उपापचय के दौरान सूक्ष्मजीव गैसों का निष्कासन करते हैं, उदाहरण द्वारा सिद्ध कीजिए।
उत्तर
डोसा व इडली (Dosa and Idli) निर्माण दाल-चावल के आटे को गीला कर जीवाणु द्वारा किण्वित कराने के उपरांत होता है। किण्वन के कारण आटे में से CO2, निकलती है। इस क्रिया को खमीर उठाना कहा जाता है । इस क्रिया के बाद आटा ढीला व मुलायम तथा फूली हुई आकृति वाला बन जाता है । इस आटे के द्वारा डोसा व इडली बनाया जाता है।

स्विस चीज (Swiss cheese) में पाये जाने वाले बड़े-बड़े छिद्र प्रोपिओनिबैक्टीरियम शारमैनाई नामक जीवाणु द्वारा अधिक मात्रा में उत्पन्न CO2, के कारण होते हैं। रॉक्यूफोर्ट चीज़ एक विशेष प्रकार के कवक पेनीसीलियम रॉक्वीफोर्टी (Penicillium roqueforti) की सहायता से तैयार किया जाता है। इस प्रकार के पनीर में विशिष्ट सुगंध होती है।।

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प्रश्न 3.
किस भोजन (आहार) में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया मिलते हैं ? इनके कुछ लाभप्रद उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
दही (Curd) इसे दूध में जीवाणुओं के द्वारा किण्वन क्रिया के फलस्वरूप प्राप्त किया जाता है। दूध से दही के निर्माण में भाग लेने वाले जीवाणु लैक्टिक एसिड जीवाणु (Lactic acid bacteria-LAB.) होते हैं।

इन जीवाणुओं में लैक्टोबैसीलस एसीडोफिलस (Lactobacillus acidphilous), लै.लैक्टिस (L. Lactis) व स्ट्रेप्टोकोकस लैक्टिस (Streptococcus lactis) होते हैं। ये जीवाणु लैक्टिक अम्ल का उत्पादन करते हैं जो 45° से कम तापक्रम पर दुग्ध प्रोटीन को स्कंदित तथा आंशिक रूप से बचा देते हैं । आरंभ में दही को थोड़ी मात्रा में जामन (निवेश द्रव्य) के रूप में हल्के गर्म दूध में मिलायी जाती है।

इस जामन में असंख्य लैक्टिक एसिड जीवाणु होते हैं जो उपयुक्त ताप पर कई गुना वृद्धि करते हैं जिसके फलस्वरूप दूध दही में परिवर्तित हो जाता है। यही नहीं इसमें Vit. B12 की मात्रा बढ़ने से पोषण संबंधी गुणवत्ता में भी सुधार आता है।

दध से दही बनते समय लैक्टोबेसीलसलैक्टोज शर्करा को किण्वित कर लैक्टिक अम्ल में बदलते हैं तो स्ट्रेप्टोकोकस कैसीन प्रोटीन (दुग्ध प्रोटीन) को स्कंदित करते हैं। हल्के गर्म दूध में जामन डालने के पश्चात् लगभग 5 घण्टे में दही का निर्माण हो जाता है।

प्रश्न 4.
कुछ पारंपरिक आहार जो गेहूँ, चावल तथा चना (अथवा उनके उत्पाद) से बनते हैं और उनमें सूक्ष्मजीवों का उपयोग शामिल हो, उनके नाम बताइए।
उत्तर
बहुत से पारंपरिक भारतीय आहार है जो गेहूँ, चावल तथा चना से बनते हैं और उनमें सूक्ष्मजीवों का प्रयोग शामिल होता है उनके नाम इस प्रकार हैं दही, पनीर, चीज़, डोसा, इडली, कुछ भारतीय ब्रेड जैसे-भटूरा दक्षिण भारत के कुछ भागों में एक पारंपरिक पेय टोडी है।

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प्रश्न 5.
हानिप्रद जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न करने वाले रोगों के नियंत्रण में सूक्ष्मजीव किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ?
उत्तर
सबसे पहले प्रतिजैविक पेनिसिलीन (Penicillin) की खोज हुई थी। सन् 1928 में अलेक्जेण्डर फ्लेमिंग (Alexander fleming) ने खोजा था। अलेक्जेण्डर फ्लेमिंग जब स्टेफिलोकोकस(Staphylococcus) नामक जीवाणु पर कार्य कर रहे थे तब उन्होंने देखा कि जिन प्लेटों पर वह कार्य कर रहे थे उनमें एक बिना धुली प्लेट पर मोल्ड (Moulds) उत्पन्न हो गये हैं, इस कारण स्टैफिलोकोकस वृद्धि नहीं कर सका। उन्होंने पाया कि यह प्रभाव मोल्ड द्वारा उत्पन्न एक रसायन पेनिसिलीन द्वारा होता है। क्योंकि पेनिसिलीन पेनिसिलियम नोटेटम (Penicillium notatum) नामक मोल्ड से उत्पन्न होता है। इसी कारण इसका नाम उन्होंने पेनिसिलीन रखा।

पेनिसिलीन की खोज के बाद अनेक प्रतिजैविक जैसे टेट्रासाइक्लिन, कैनामाइसिन, नियोमाइसीन, ल्यूकोमाइसीन आदि को पृथक किया जा चुका है। इनका प्रयोग जीवाणु, कवक, विषाणु तथा अन्य सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। प्लेग, काली खाँसी, डिफ्थीरिया (गलघोंटू) लेप्रोसी (कुष्ठ रोग) जैसे भयानक रोग जिनसे संसार के लाखों लोग मरे हैं, इसके उपचार के लिए एंटीबायोटिक ने हमारी क्षमता में वृद्धि किया तथा एक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है।

प्रश्न 6.
किन्हीं दो कवक प्रजातियों के नाम लिखिए, जिनका प्रयोग प्रतिजैविकों(एंटीबायोटिक्स) के उत्पादन में किया जाता है ?
उत्तर
पेनीसिलिन, पेनीसिलियम नोटेटमसे तथा पेनीसिलीन क्रासोजिनम नामक मोल्ड से उत्पन्न होता है।

प्रश्न 7.
वाहित मल से आप क्या समझते हैं, वाहित मल हमारे लिए किस प्रकार से हानिप्रद है ?
उत्तर
प्रतिदिन नगर एवं शहरों से व्यर्थ-जल की एक बहुत बड़ी मात्रा जनित होती है। इस व्यर्थ जल का प्रमुख घटक मनुष्य का मलमूत्र है। नगर के इस व्यर्थ जल को वाहित मल (सीवेज) भी कहते हैं। इसमें कार्बनिक पदार्थों की बड़ी मात्रा तथा सूक्ष्मजीव पाये जाते हैं जो अधिकांशतः रोगजनकीय होते हैं।

प्रश्न 8.
प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहित मल उपचार के बीच पाए जाने वाले मुख्य अंतर कौन से
उत्तर
प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहित मल उपचार में अंतर
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प्रश्न 9.
सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है यदि हाँ तो किस प्रकार से ? इस पर विचार कीजिए।
उत्तर
हाँ, सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है। बायो गैस एक प्रकार से गैसों का मिश्रण है जो सूक्ष्मजीवों की सक्रियता द्वारा उत्पन्न होती है। वृद्धि तथा उपापचय के दौरान सूक्ष्मजीव विभिन्न किस्मों के गैसीय उत्पाद उत्पन्न करते हैं। जैसे-मीथेन, हाइड्रोजन सल्फाइड तथा CO2, I ये गैसें बायोगैस का निर्माण करती हैं। चूँकि ये ज्वलनशील होती हैं, इस कारण इनका प्रयोग ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जा सकता है । बायो गैस को सामान्यत: गोबर गैस भी कहते हैं।

प्रश्न 10.
सूक्ष्मजीवों का प्रयोग रसायन उर्वरकों तथा पीड़कनाशियों के प्रयोग को कम करने के लिए भी किया जा सकता है। यह किस प्रकार सम्पन्न होगा ? व्याख्या कीजिये।
उत्तर
सहसंबंध द्वारा (By correlation)-उच्च पौधों की जड़ों तथा कवकों के सह-संबंध को माइकोराइजा (Mycorrhiza) कहते हैं। माइकोराइजा का निर्माण ग्लोमस (glomus) वंश के अनेक सदस्यों द्वारा होता है। कवक मृदा में उपस्थित फॉस्फोरस का अवशोषण करके पादपों को देते हैं तथा पौधे की जड़ इन्हें पनपने का स्थान तथा भोजन प्रदान करती है। इसके उदाहरण ओक (oak), बीच (beech), तथा अनेक पाइन (pines), पादप हैं ।

इस प्रकार के संबंधों से पादप को अनेक लाभ होते हैं जैसे मूलवातोढ़ (root born), रोगजनक के प्रति प्रतिरोधकता, लवणता तथा सूखे के प्रति सहनशीलता एवं विकास प्रदर्शित करते हैं। . सायनोबैक्टीरिया स्वपोषित सूक्ष्मजीव है जो जलीय तथा स्थलीय वायुमण्डल में विस्तृत रूप से पाये जाते हैं। इनमें बहुत-से जीव वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत करते हैं, जैसे- एनाबीना, नॉस्टॉक, ऑसिलेटोरिया आदि । नील-हरित शैवाल या सायनोबैक्टीरिया महत्वपूर्ण जैव उर्वरक हैं। ये मृदा में कार्बनिक पदार्थों को बढ़ाते हैं जिससे मृदा की उर्वरता बढ़ती है। वर्तमान में किसान इन्हीं जैव उर्वरकों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं।

प्रश्न 11.
जल के तीन नमूने लो-एक नदी का जल, दूसरा अनुपचारित वाहित मल-जल तथा तीसरा वाहित मल उपचार संयंत्र से निकला द्वितीयक बहिःस्राव। इन तीनों नमूनों पर “अ”तथा “ब”, “स” के लेबल लगाओ। इस बारे में प्रयोगशाला कर्मचारी को पता नहीं है कि कौन-सा क्या है ? इन तीनों नमूनों “अ”, “ब” तथा “स” के बी. ओ. डी. का रिकार्ड किया गया जो क्रमश: 20mg/L,8mg/L तथा 400mg/L निकला। इन नमूनों में कौन-सा सबसे अधिक प्रदूषित नमूना है ? इस तथ्य को सामने रखते हुए कि नदी का जल अपेक्षाकृत अधिक स्वच्छ है। क्या आप सही लेबल का प्रयोग कर सकते हैं?
उत्तर
बी. ओ. डी. ऑक्सीजन की उस मात्रा को संदर्भित करता है जो जीवाणु द्वारा एक लीटर पानी में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों की खपत कर उन्हें ऑक्सीकृत कर दें। वाहित मल का तब तक उपचार किया जाता है जब तक बी. ओ. डी. घट न जाए । जल के एक नमूने में सूक्ष्मजीवियों द्वारा ऑक्सीजन के उद्ग्रहण की दर का मापन बी. ओ. डी. परीक्षण से किया जाता है, अत: अप्रत्यक्ष रूप से जल में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों का मापन ही बी. ओ. डी. है। जब व्यर्थ जल का बी. ओ. डी. अधिक होगा, तब उसकी प्रदूषण क्षमता भी अधिक होगी।

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दिए गए जल के तीन नमूनों में से नदी के जल का बी. ओ. डी. ।

(अ) 20mg/L है, अनुपचारित वाहित मल-जल का बी. ओ. डी.।
(ब) 8mg/L तथा द्वितीयक बहि:स्राव के जल का बी.ओ.डी.।
(स) 400mg/L है।

सही लेबल इस प्रकार है

(अ) नदी का जल (स्वच्छ जल)।
(ब) द्वितीयक बहि:स्राव (उपचारित वाहित मल)।
(स) दूसरा अनुपचारित (वाहित मल-जल)।

प्रश्न 12.
उस सूक्ष्मजीव का नाम बताइए जिसमें साइक्लोस्पोरिन-ए( प्रतिरक्षा निषेधात्मक औषधि) तथा स्टैटिन (रक्त कोलेस्ट्रॉल लघुकरण कारक) को प्राप्त किया जाता है। .
उत्तर
साइक्लोस्पोरिन-ए जिसका प्रयोग अंग प्रतिरोपण में प्रतिरक्षा निरोधक (इम्यूनोसप्रेसिव) के रूप में रोगियों में किया जाता है। इसका उत्पादन ट्राइकोडर्मा पॉलीस्पोरम नामक कवक से किया जाता है। मोनोस्कस परप्यूरीअस यीस्ट से स्टैटिन उत्पन्न किया जाता है । इस स्टैटिन का व्यापारिक स्तर पर उपरोक्त रक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले कारक के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में सूक्ष्मजीवियों की भूमिका का पता लगाइए तथा अपने अध्यापक से इनके विषय में विचार-विमर्श कीजिए
(1) एकल कोशिका प्रोटीन (एस.सी.पी.)
(2) मृदा।
उत्तर
(1) एकल कोशिका प्रोटीन (एस.सी.पी.)-पशु तथा मानव पोषण के लिए प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोतों में से एक एकल कोशिका प्रोटीन है। सूक्ष्मजीवों को प्रोटीन के अच्छे स्रोत के रूप में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है वास्तव में, अधिकांश लोगों द्वारा मशरूम भोजन के रूप में खाए जाने लगे हैं। अत: बड़े पैमाने में मशरूम संवर्धन एक प्रकार से बढ़ता हुआ उद्योग है।

जिससे अब विश्वास होने लगा है कि सूक्ष्मजीव आहार के रूप में स्वीकार्य हो जायेंगे। सूक्ष्मजीवी स्पाइरूलाइना में प्रोटीन, खनिज, वसा, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन प्रचुर मात्रा में विद्यमान हैं । इसका उपयोग पर्यावरणीय प्रदूषण को भी कम करता है । सूक्ष्मजीव जैसे मिथाइलोफिलस मिथाइलोट्रोपस की वृद्धि तथा बायोमास उत्पादन की उच्च दर से संभावित 25 टन तक प्रोटीन उत्पन्न कर सकते हैं।

(2) मृदा-जैव उर्वरक एक प्रकार के जीव है, जो मृदा की पोषक गुणवत्ता को बढ़ाते हैं । जैव उर्वरकों का मुख्य स्रोत जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्टीरिया होते हैं । लेग्यूमिनस पादपों की जड़ों पर स्थित ग्रंथियों का निर्माण राइजोबियम के सहजीवी संबंध द्वारा होता है। यह जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर कार्बनिक रूप में परिवर्तित कर देते हैं । पादप इसका उपयोग पोषकों के रूप में करते हैं। यह भी वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते हैं। इस प्रकार मृदा में नाइट्रोजन अवयव बढ़ जाते हैं।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित को घटते क्रम में मानव समाज कल्याण के प्रति उनके महत्व के अनुसार संयोजित करें, महत्वपूर्ण पदार्थ को पहले रखते हुए कारणों सहित अपना उत्तर लिखिए बायो गैस, सिट्रिक एसिड, पेनीसिलिन तथा दही।
उत्तर
दी गई सूची में सबसे महत्वपूर्ण पदार्थ पेनीसिलीन है क्योंकि यह मानव सभ्यता के कल्याण हेतु महत्वपूर्ण है। यह कई जानलेवा बीमारियों को ठीक करता है। इसके बाद सूची में बायोगैस का नंबर आता है क्योंकि यह ईंधन का स्रोत है। इसके बाद दही का स्थान आता है क्योंकि यह हमें पोषक दुग्ध उत्पाद प्रदान करता है। अंत में सिट्रिक एसिड आता है, क्योंकि इसका उपयोग प्रोसेसिंग उद्योग में किया जाता है।

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प्रश्न 15.
जैव उर्वरक किस प्रकार से मृदा की उर्वरता को बढ़ाते हैं ?
उत्तर
जैव उर्वरक एक प्रकार के जीव हैं जो मृदा की पोषक गुणवत्ता को बढ़ाते हैं । जैव उर्वरकों का मुख्य स्रोत कवक, जीवाणु तथा सायनोबैक्टीरिया होते हैं। यह जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर कार्बनिक रूप में परिवर्तित कर देते हैं। दूसरे जीवाणु ऐजोस्पाइरिलम तथा ऐजोबैक्टर भी वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते हैं । धान के खेत में सायनोबैक्टीरिया महत्वपूर्ण जैव उर्वरक की भूमिका निभाते हैं। नील-हरित शैवाल भी मृदा में कार्बनिक पदार्थ बढ़ा देते हैं, जिससे उसकी उर्वरता बढ़ जाती है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव 2

मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
मढ़े जैसा एक खट्टा तरल दुग्ध उत्पाद है
(a) पनीर
(b) दही
(c) योगर्ट
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(c) योगर्ट

प्रश्न 2.
क्लॉस्ट्रिडियम, एजोटोबैक्टर, राइजोबियम भूमि की उर्वरा शक्ति किसके द्वारा बढ़ाते हैं
(a) नाइट्रोजन स्थिरीकरण से
(b) विनाइट्रोजनीकरण से
(c) इमल्सीफिकेशन से
(d) विटामिन से।
उत्तर
(a) नाइट्रोजन स्थिरीकरण से

प्रश्न 3.
टेट्रासाइक्लिन प्राप्त किया जाता है
(a) स्ट्रे. रेमोसस से
(b) स्ट्रे. ऑरियोफैसिएन्स से
(c) स्ट्रे. फ्रेडी से
(d) स्टे. नोडोसमसे।
उत्तर
(b) स्ट्रे. ऑरियोफैसिएन्स से

प्रश्न 4.
स्ट्रेप्टोमाइसेज ओलिवेसियम एवं बैसिलस मेगाथीरियम से प्राप्त किया जाता है
(a) विटामिन C
(b) विटामिन D
(c) विटामिन E
(d) विटामिन B12
उत्तर
(d) विटामिन B12

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प्रश्न 5.
न्यूमोनिया, टी. बी. व कोढ़ के उपचार के लिये उपयोग किया जाता है
(a) जीवाणुभोजियों का
(b) केवल जीवाणु का
(c) केवल विषाणु का
(d) कवकों का।
उत्तर
(a) जीवाणुभोजियों का

प्रश्न 6.
जैव तकनीकी एवं सूक्ष्मजैविकी में विषाणुओं का उपयोग किया जाता है
(a) दवाई के रूप में
(b) वेक्टर के रूप में
(c) जल उपचार में
(d) तीनों क्षेत्र में।
उत्तर
(b) वेक्टर के रूप में

प्रश्न 7.
बेकरी में रोटी, बिस्कुट व अन्य उत्पाद को प्राप्त करने में उपयोगी है
(a) विषाणु
(b) जीवाणु
(c) यीस्ट
(d) प्रोटोजोअन।
उत्तर
(c) यीस्ट

प्रश्न 8.
यीस्ट में कौन-सा विटामिन पाया जाता है
(a) C
(b)D
(c)B complex
(d)A.
उत्तर
(c)B complex

प्रश्न 9.
स्ट्रे. रेमोसस से कौन-सी औषधि प्राप्त करते हैं
(a) टेरामाइसिन
(b) निओमाइसिन
(c) इरिथ्रोमाइसिन
(d) ऐक्टिडीन।
उत्तर
(a) टेरामाइसिन

प्रश्न 10.
नाइट्रोसोमोनास एवं नाइट्रोबैक्टर जीवाणु है
(a) डीनाइट्रीफाइंग
(b) नाइट्रीफाइंग
(c) एसीटोबैक्टर
(d) हॉर्मोन प्रोड्यूसर
उत्तर
(b) नाइट्रीफाइंग

प्रश्न 11.
लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया द्वारा दूध से दही में परिवर्तन करने में किस विटामिन की मात्रा में वृद्धि होती है
(a) विटामिन C
(b) विटामिन D
(c) विटामिन B12
(d) विटामिन E
उत्तर
(c) विटामिन B12

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प्रश्न 12.
मीथेनोजेन निम्नलिखित में से किसमें नहीं पाये जाते हैं
(a) मवेशियों के मेन
(b) गोबर गैस संयंत्र
(c) पानी से भरे धान के खेत की तली पर
(d) सक्रियत आपंक में।
उत्तर
(c) पानी से भरे धान के खेत की तली पर

प्रश्न 13.
वाहित मल के प्राथमिक उपचार में जल किससे मुक्त होता है
(a) घुलित अशुद्धियाँ
(b) स्थिर कण
(c) विषैले पदार्थ
(d) हानिकारक जीवाणु।
उत्तर
(b) स्थिर कण

प्रश्न 14.
अपशिष्ट जल की B.O.D. निम्न में से किसकी मात्रा के आंकलन से जानी जाती है
(a) कुल कार्बनिक पदार्थ
(b) जैव अपघटनीय कार्बनिक पदार्थ
(c) ऑक्सीजन की मुक्ति
(d) ऑक्सीजन की खपत।
उत्तर
(d) ऑक्सीजन की खपत।

प्रश्न 15.
भारत में गौवंश के गोबर से बायो गैस उत्पादन की तकनीक प्रमुखतः किसके प्रयासों से विकसित की गई
(a) गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया
(b) तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग
(c) भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान तथा खादी एवं ग्राम उद्योग विभाग
(d) इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन।
उत्तर
(c) भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान तथा खादी एवं ग्राम उद्योग विभाग

प्रश्न 16.
मुक्तजीवी फंगस ट्राइकोडर्मा का प्रयोग किया जा सकता है
(a) कीटों को मारने में
(b) पादप रोगों के जैव नियंत्रण में
(c) बटर फ्लाई के कैटरपिलर के नियंत्रण में
(d) एंटीबायोटिक्स के निर्माण में।
उत्तर
(b) पादप रोगों के जैव नियंत्रण में

प्रश्न 17.
माइकोराइजा पोषक पौधों की किस कार्य में मदद नहीं करता
(a) इसकी फॉस्फोरस ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाने में
(b) इसकी शुष्कता ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाने में
(c) इसकी जड़ों की रोगजनकों के प्रति प्रतिरोधकता बढ़ाने में
(d) इसकी कीटों के लिए प्रतिरोधकता बढ़ाने में।
उत्तर
(a) इसकी फॉस्फोरस ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाने में

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत सूक्ष्म जीवों (आँखों से न दिखने वाले) का अध्ययन करते हैं, ………… कहलाता है।
2 पनीर बनाने के लिये ……….. वंश के जीवाणु का उपयोग किया जाता है।
3. नाइट्रोसोमोनास, नाइट्रोबैक्टर ………….. जीवाणु है।
4. सिरका उद्योग में ……….. जीवाणु का उपयोग होता है।
5. पेक्टिनेज एंजाइम …………. प्रजाति की सहायता से बनाते हैं।
6. सूक्ष्म जीवाणु का आकार …………. mm से कम होता है।
7. दही …………. जीवाणु की सहायता से बनाया जाता है।
8. दूध से चीज़ बनाते समय फलों की सुगंध डालने से बना पदार्थ …………. कहलाता है। .
9. दूध से सीधे बना छेना …………. छेना होता है।
10. कवकरोधी जीवाण्विक प्रतिरक्षी पदार्थ …………. होता है।
उत्तर

  1. सूक्ष्मजैविकी
  2. लैक्टोबैसिलस
  3. नाइट्रीफाइंग
  4. एसीटोबैक्टर एसीटी
  5. क्लॉस्ट्रिडियम
  6. 0-1
  7. लैक्टोबैसिलस
  8. योगर्ट
  9. कच्चा
  10. पॉलीमिक्सिन।

3. सही जोड़ी बनाइये

I. ‘A’- ‘B’

1. पेनिसिलिन – (a) पे. सिट्रिनम
2 साइट्रिनिन – (b) पे. क्लेविफोर्मी
3. क्लैविसिन – (c) टाइकोडर्मा स्पी
4. ग्लियोटॉक्सिन – (d) पेनिसिलियम नोटेटम।
उत्तर
1.(d), 2. (a), 3. (b), 4. (c)

II. ‘A’ – ‘B’

1. विटामिन प्रोड्यूसर – (a) ऐस्परजिलस
2 प्रतिजैविक उत्पादक – (b) मोनैस्कस
3. हॉर्मोन उत्पादक – (c) यीस्ट
4. एंजाइम उत्पादक – (d) पेनिसिलियम
5. वर्णक उत्पादक – (e) जिबरेला फ्यूजिकोराई।
उत्तर
1.(c), 2. (d), 3.(e), 4. (a), 5. (b).

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III. ‘A’ – ‘B’

1. पेनिसिलिन – (a) स्ट्रेप्टोमाइसिस वेनक्यूली
2. क्लोरेमफिनीकाल – (b) स्ट्रेप्टोमाइसिस राइमोसस
3. टेरामाइसिन – (c) स्ट्रेप्टोमाइसिस ओरियोफेसियन्स
4. टेट्रासाइक्लिन – (d) पेनिसिलियम क्रासोजिनम।
उत्तर
1. (d), 2. (a), 3. (b), 4. (c).

प्रश्न 4.
एक शब्द में उत्तर दीजिए
1. मिट्टी में पाये जाने वाले दो नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणुओं के नाम बताइए।
2 सूक्ष्मजीवों द्वारा कीट / खरपतवार के नियंत्रण को क्या कहते हैं ?
3. सहजीवी एवं असहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणुओं के नाम बताइए।
4. IPM का पूरा नाम लिखिए।
5. पीड़कनाशी का नाम दीजिए।
6. फसल के साथ उगे अवांछित पौधे को क्या कहते हैं ?
उत्तर

  1. एजोटोबैक्टर, बैसिलस पॉलीमिक्सा
  2. जैविक नियंत्रण
  3. सहजीवी- राइजोबियम, असहजीवी– एजोटोबैक्टर
  4. इन्टीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट
  5. एजेडिरेक्टिन
  6. खरपतवार

मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रमुख उपयोगी सूक्ष्मजीवों के नाम लिखिए।
उत्तर
प्रमुख उपयोगी सूक्ष्मजीवों के नाम जीवाणु, कवक और विषाणु हैं।

प्रश्न 2.
जिबरेलिन नामक हॉर्मोन किस कवक से प्राप्त किया जाता है ?
उत्त
जिबरेलिन नामक हॉर्मोन जिबरेला फ्यूजिकोराई से प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 3.
डेयरी उद्योग में जीवाणु से कौन-कौन-से उत्पाद बनाए जाते हैं ?
उत्तर
डेयरी उद्योग में जीवाणुओं से दही, मक्खन, पनीर, मट्ठा एवं योगर्ट बनाए जाते हैं। इसके लिये लेक्टोबेसीलस स्पी. एवं स्ट्रेप्टोकोकस स्पी. आदि का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 4.
प्रतिजैविक किन सूक्ष्मजीवों से प्राप्त करते हैं ?
उत्तर
प्रतिजैविक मुख्यत: जीवाणु एवं कवक द्वारा प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 5.
सूक्ष्म जीव विज्ञान (सूक्ष्मजैविकी) किसे कहते हैं ?
उत्तर
सूक्ष्म जीव विज्ञान जीव विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत सूक्ष्मदर्शी से दिखाई देने वाले सूक्ष्मजीवों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित उत्पादन करने वाले कवक का नाम बताइए
(1) साइट्रिक अम्ल
(2) विटामिन B2,
उत्तर
उत्पाद का नाम – उत्पादन करने वाले कवक का नाम

  1. साइट्रिक अम्ल -पेनिसिलियम साइट्रियम, पेनिसिलियम ल्यूटियम, म्यूकर पाइरीफार्मिस एवं ऐस्परजिलस नाइगर।
  2. विटामिन B2 – क्लॉस्ट्रीडियम ऐसीटोन्यूटिलिकम, एरीमोथीसियम ऐस्बी।

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प्रश्न 7.
योगर्ट क्या है ?
उत्तर
योगर्ट एक दुग्ध उत्पाद है, जो मढे जैसा खट्टा तरल पदार्थ है।

प्रश्न 8.
बोतल में बंद गंगाजल बहुत अधिक समय तक रखने पर भी नहीं सड़ता। क्यों?
उत्तर
गंगा के जल में वर्षों से मृत शरीर तथा अन्य उत्सर्जी पदार्थों का विसर्जन किया जाता है, लेकिन जीवाणुभोजी की उपस्थिति के कारण यह जल बोतल में बहुत अधिक समय तक रखने पर भी नहीं सड़ता।

प्रश्न 9.
एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज किसने की?
उत्तर
एलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने।

प्रश्न 10.
पेनिसिलिन किस सूक्ष्मजीव/कवक से प्राप्त होता है ?
उत्तर
पेनिसिलियम नोटेटम (Penicillium notatum) से।

प्रश्न 11.
औद्योगिक रूप से सिट्रिक अम्ल बनाने में किस सूक्ष्मजीव का प्रयोग होता है ?
उत्तर
एस्परजिलस नाइगर (Aspergillus niger)।

प्रश्न 12.
किसी एक मीथेनोजेन जीवाणु का नाम लिखिए।
उत्तर
मीथेनोबैक्टीरियम प्रजाति (Methanobacterium sp.)

प्रश्न 13.
सीवेज ट्रीटमेन्ट में अवायवीय अवपंक (एनएरोबिक स्लज) में कौन से जीवाण पाये जाते हैं ?
उत्तर
मीथेनोजेन्स (Methanogens)

प्रश्न 14.
लेडीबर्ड क्या है ?
उत्तर
एक कीट है जिसको एफिड के नियंत्रण हेतु जैव नियंत्रक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 15.
IPM का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (Integrated Pest Management)।

प्रश्न 16.
एक स्वपोषी नाइट्रोजन स्थिरीकरणकर्ता सूक्ष्मजीव का नाम बताइये।
उत्तर
एनाबीना (Anabaena)

प्रश्न 17.
माइकोराइजा किस विशिष्ट खनिज का अवशोषण कर पौधों की जड़ों को देती है जो पौधा स्वयं अवशोषित नहीं कर पाता।
उत्तर
फॉस्फोरस।

प्रश्न 18.
दूध को दही में परिवर्तित करने वाले सूक्ष्मजीव का नाम बताइये।
उत्तर
लैक्टोबैसीलस प्रजाति (Lactobacillus spe.)

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प्रश्न 19.
जैव वैज्ञानिक नियंत्रण के तहत् कौन-से कवक का उपयोग पादप रोगों के उपचार में किया जाता है।
उत्तर
ट्राइकोडर्मा प्रजाति (Trichoderma spe.)

प्रश्न 20.
स्वीस पनीर बनाने के लिये किस जीवाणु का प्रयोग होता है।
उत्तर
प्रोपिओनीबैक्टीरियम शारमैनाई (Propionibacterium sharmanii)।

प्रश्न 21.
कौन-सा पनीर एक विशिष्ट कवक की वृद्धि से परिपक्व होता है।
उत्तर
रॉक्फोर्ट पनीर (Roquefort cheese)।

प्रश्न 22.
बिना आसवन के बनने वाले दो ऐल्कोहॉलिक पेयों के नाम लिखिए।
उत्तर
बियर (Beer) तथा वाइन (Wine)

प्रश्न 23.
किण्वित रस के आसवन से तैयार होने वाले दो ऐल्कोहॉलिक पेयों के नाम लिखिए।
उत्तर
व्हिस्की (Whisky) तथा रम (Rum)।

प्रश्न 24.
बी. ओ. डी. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
बायोकैमिकल या बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (Biochemical or biological Oxygen Demand)

प्रश्न 25.
उस जीवाणु का नाम बताइये जो मिट्टी के भीतर नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है ?
उत्तर
स्पाइरुलीना।

प्रश्न 26.
किसी ऐसे संक्रमणकारी कारक का नाम बताइये जिसमें न तो डी.एन.ए. होता है और न ही आर. एन. ए.
उत्तर
प्रियॉन (Prion)

मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पनीर क्या है ? इसे किस प्रकार तैयार किया जाता है ?
उत्तर
पनीर एक दुग्ध उत्पाद है, जिसमें 20 से 30% प्रोटीन होती है। दूध को साफ पतले कपड़े में छानकर 60°C पर 30 मिनट तक गर्म कर 15 सेकण्ड तक 75°C गर्म करते हैं। इसके पश्चात् इसे 30°C तापक्रम तक ठंडा करते हैं, इसमें लैक्टिक अम्ल जीवाणु स्ट्रेप्टोकोकस लैक्टिस, स्ट्रे. क्रिमोटिस तथा रेनिन एन्जाइम की थोड़ी सी मात्रा डालते हैं । इससे दूध से वसा एवं कैसीन प्रोटीन हट जाता है। दूध में उपस्थित कैसीन लगभग 45 मिनट में जमकर ठोस हो जाता है। छोटे-छोटे टुकड़े काटकर गर्म पानी में एक घंटा गर्म करते हैं, जब तैरने . लगे तो निकालकर निचोड़ते हैं। फिर नमक पानी में डुबाकर उपचारित कर लेते हैं। पनीर तैयार हो जाता है।

प्रश्न 2.
जीवाणु का कृषि क्षेत्र में क्या उपयोग है ?
उत्तर
जीवाणु का कृषि में उपयोग-कृषि के क्षेत्र में जीवाणु निम्न प्रकार से उपयोगी हैं

  • ये मृत जीवों का अपघटन करके भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।
  • ये भूमि में N2, स्थिरीकरण द्वारा इसकी उपजाऊ शक्ति में वृद्धि करते हैं।
  • नीले-हरे शैवालों का उपयोग उर्वरकों के रूप में किया जाता है।
  • ये पदार्थों के चक्रीयकरण में भाग लेकर भूमि में खनिज लवणों की मात्रा का नियंत्रण करते हैं।

प्रश्न 3.
सिरका उद्योग में किस तरह जीवाणुओं का प्रयोग होता है ?
उत्तर
सिरका उद्योग में शर्करा का किण्वन यीस्ट के द्वारा किया जाता है जिससे शराब तैयार की जाती है इस एथिल ऐल्कोहॉल को अधिक समय तक खुले हवा में छोड़ दें तो वह सिरके में बदल जाता है।
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प्रश्न 4.
प्रतिजैविक प्रदान करने वाले पाँच कवकों के नाम लिखिए।
उत्तर
कवकों के नाम जिनसे प्रतिजैविक औषधियाँ प्राप्त की जाती हैं, निम्नलिखित हैं
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प्रश्न 5.
प्रतिजैविक पैदा करने वाले पाँच जीवाणुओं के नाम लिखिए।
उत्तर
प्रतिजैविक पैदा करने वाले पाँच जीवाणु
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मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवाणुओं के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग लिखिये।
उत्तर
जीवाणुओं के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग निम्नानुसार हैं

  • नाइट्रोजन स्थिरीकरण-कुछ जीवाणु जैसे-ऐजोटोबैक्टर तथा क्लॉस्ट्रिडियमनाइट्रोजन स्थिरीकरण द्वारा भूमि की उर्वर शक्ति को बढ़ाते हैं।
  • लैक्टिक अम्ल निर्माण-लैक्टोबैसिलस लैक्टाई जीवाणु दूध के लैक्टोज को लैक्टिक अम्ल (दही) में परिवर्तित कर देते हैं।
  • ऐसीटिक अम्ल निर्माण-ऐसीटोबैक्टर ऐसीटाई जीवाणु सिरका का निर्माण करता है।
  • रेशे की रेटिंग-कुछ जीवाणु जैसे- क्लॉस्ट्रिडियम ब्यूटीरियमपादप रेशों के उत्पादन में सहायता करते हैं।
  • तम्बाकू एवं चाय उद्योग-कुछ जीवाणु जैसे-माइकोकॉकस कॉण्डीसेन्सतम्बाकू एवं चाय की सीजनिंग करते हैं।
  • औषधि निर्माण-कुछ जीवाणु जैसे-स्ट्रेप्टोमाइसिस से प्रतिजैविक औषधियाँ प्राप्त होती हैं।
  • सहजीवी के रूप-कुछ जीवाणु हमारे शरीर में सहजीवी रूप (जैसे-इश्चिरीचिया कोलाई) में रहकर जैविक क्रिया में मदद करते हैं।

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प्रश्न 2.
विषाणु के अनुप्रयोग पर निबंध लिखिए।
उत्तर
विषाणुओं के अनुप्रयोग भिन्न क्षेत्रों में निम्नानुसार हैं

  • जैविक नियंत्रण में-जीवाणुभोजी विषाणुओं के द्वारा हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट किया जाता है अर्थात् यह जैव नियंत्रक के काम आता है।
  • रोगों के उपचार में-न्यूमोनिया, टी.बी., कोढ़ आदि के उपचार में जीवाणुभोजियों का उपयोग कर रोगजनक जीवाणुओं का भक्षण करवाया जाता है।
  • अंतरिक्ष सूक्ष्मजीव विज्ञान में-जीवाणुभोजियों के Lysogenic cultures Radiation detector के रूप में उपयोग आते हैं।
  • आनुवंशिकी अभियांत्रिकी में इसमें फेजेस का उपयोग आनुवंशिक पदार्थ को एक कोशिका से दूसरी कोशिका में स्थानांतरित करने में करते हैं।
  • प्रदूषित जल उपचार में-जीवाणुओं एवं अन्य सूक्ष्मजीवों द्वारा प्रदूषित जल के उपचार हेतु जीवाणुभोजी का उपयोग करते हैं। इसके अलावा भूमि की उर्वरता हेतु हानिकारक सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने में एवं अनुसंधान हेतु जीवाणुभोजी का प्रयोग वेक्टर के रूप में करते हैं।

प्रश्न 3.
विभिन्न क्षेत्रों में कवकों की उपयोगिता बताइए।
उत्तर
कवकों के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगिता निम्नलिखित हैं
(1) औषधि के रूप में अनेक प्रकार के ऐण्टिबायोटिक कवकों से प्राप्त किये जाते हैं, जैसे-पेनिसिलीन, पेनिसिलियम नोटेटम (Penicillium notatum) से प्राप्त किया जाता है।
(2) भूमि की उर्वरता-कवक कई सड़े-गले पदार्थों का अपघटन करके भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
(3) उद्योगों में-

  • बेकरी उद्योग में कुछ यीस्ट तथा दूसरे कवकों को आटा के साथ गूंथकर ब्रेड बनाई जाती है।
  • शराब उद्योग में-यीस्ट तथा दूसरे कवकों में जाइमेज तथा कई ऐसे ही एन्जाइम पाये जाते हैं, जिनकी सहायता से कार्बोहाइड्रेट्स युक्त पदार्थों का किण्वन करके शराब बनाई जाती है।
  • रासायनिक उद्योग में कई प्रकार के अम्लों तथा अन्य रासायनिक वस्तुओं का निर्माण कवकों की सहायता से किया जाता है, जैसे-साइट्रिक अम्ल को ऐस्परजिलस नाइगर (Aspergillus niger) की सहायता से प्राप्त किया जाता है।
  • पनीर उद्योग में-पनीर निर्माण के समय इनका उपयोग किण्वन कारक के रूप में किया जाता है।
  • प्रकीण्व बनाने में-ऐमाइलेज ऐस्परजिलस तथा जाइमेज यीस्ट से प्राप्त किया जाता है।

(4) नाइट्रोजन स्थिरीकरण-कई कवक जैसे-रोडोटुरुला (Rodotounula) नाइट्रोजन स्थिरीकरण द्वारा भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
(5) हॉर्मोन निर्माण में-जिबरेलिन नामक हॉर्मोन जिबरेला फ्यूजिकोराई नामक कवक से प्राप्त किया जाता है।
(6) अनुसंधान में-न्यूरोस्पोरा जैसे कई कवकों का उपयोग आनुवंशिकी तथा कई अनुसंधानों में किया जाता है।
(7) वातावरण को शुद्ध करना-कवक अपघटन द्वारा वातावरण को शुद्ध करते हैं।
(8) जैविक नियंत्रण-जब एक जीव द्वारा बना पदार्थ दूसरे जीव को नष्ट कर देता है, तो इसे जैविक नियंत्रण कहते हैं।
(9) वर्णकों का निर्माण-मोनेस्कस द्वारा प्राप्त लाल रंग चावल रंगने के काम आता है।

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प्रश्न 4.
बायो गैस के उत्पादन में सूक्ष्म जीव किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं? व्याख्या कीजिये।
उत्तर
बायो गैस के उत्पादन में सूक्ष्मजीवों की भूमिका-गोबर गैस एक प्रकार के गैसों का मिश्रण है जिसमें मीथेन भी उपस्थित होती है जो सूक्ष्मजीवी सक्रियता द्वारा उत्पन्न होती है। कुछ बैक्टीरिया जो सेल्यूलोज युक्त पदार्थों पर अवायवीय रूप में उगते हैं वह CO2, तथा H2, के साथ-साथ बड़ी मात्रा में मीथेन (Methane) उत्पन्न करते हैं।

सामूहिक रूप से इन जीवाणुओं को मीथेनोजेन (Methanogens) कहते हैं। इनमें सामान्य जीवाणु मीथेनोबैक्टीरिया है। पशुओं के मल को गोबर कहते हैं। जिसमें ये जीवाणु प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं, जो गोबर गैस (Gobar gas) अथवा बायो गैस (Biogas) का उत्पादन करते हैं।

बायो गैस संयंत्र अथवा गोबर गैस संयंत्र एक बड़ा टैंक होता है जिसकी गहराई 10-15 फीट होती है, इस टैंक में अपशिष्ट संग्रहीत एवं गोबर की स्लरी (Slurry) भरी जाती है। स्लरी के ऊपर एक सचल ढक्कन रखा जाता है। जिसे गैस होल्डर (Gas holder) कहते हैं। सूक्ष्मजीवी सक्रियता के कारण अथवा मीथेनोजेन (Methanogenes) बैक्टीरिया की उपस्थिति में रासायनिक अभिक्रियाओं के फलस्वरूप गैस का निर्माण होता है। जिसके फलस्वरूप ढक्कन अर्थात् गैस होल्डर ऊपर की ओर उठ जाता है।

बायो गैस संयंत्र में एक निकास होता है जिसकी सहायता से पाइप के द्वारा घरों में गैस की पूर्ति की जाती है। उपयोग में ली गई स्लरी दूसरे विकास द्वार से बाहर निकाल दी जाती है। इसका उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है |

भारत में बायो गैस उत्पादन प्रौद्योगिकी को विकसित करने में निम्न का प्रमुख योगदान रहा है-

  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute IARI).
  • खादी व ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission KVIC).

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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मानव कल्याण में पशुपालन की भूमिका की संक्षेप में व्याख्यो दीजिए।
उत्तर
पशुपालन, पशुप्रजनन तथा पशुधन वृद्धि की एक कृषि पद्धति है। पशुपालन का संबंध पशुधन जैसे- भैंस, गाय, सूअर, घोड़ा, भेड़, ऊँट, बकरी आदि के प्रजनन तथा उनकी देखभाल से होता है जो मानव के लिए लाभप्रद हैं । इसमें कुक्कुट तथा मत्स्य पालन भी शामिल है। अति प्राचीन काल से मानव द्वारा जैसे-मधुमक्खी, रेशमकीट, झींगा, केकड़ा, मछलियाँ, पक्षी, सूअर, भेड़, ऊँट आदि का प्रयोग उनके उत्पादों जैसे-दूध, अंडे, माँस, ऊन, रेशम, शहद आदि प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ खाद्य उत्पादन की वृद्धि एक प्रमुख आवश्यकता है।

पशुपालन खाद्य उत्पादन बढ़ाने के हमारे प्रयासों में मुख्य भूमिका निभाता है। शहद का उच्च पोषक मान तथा इसके औषधीय महत्व को ध्यान में रखते हुए मधुमक्खी पालन अथवा मौन पालन पद्धति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। डेरी उद्योग से मानव खपत के लिए दुग्ध तथा इसके उत्पाद प्राप्त होते हैं । कुक्कुट का प्रयोग भोजन के लिए अथवा उनके अंडों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग आहार के रूप में मछली, मछली उत्पादों तथा अन्य जलीय जन्तुओं पर आश्रित है। हमारे देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या पशुपालन उद्योग से किसी-न-किसी रूप में जुड़ी हुई है। पशुपालन हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है। अत: मानव कल्याण में पशुपालन की बहुत बड़ी भूमिका है।

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प्रश्न 2.
यदि आपके परिवार के पास एक डेयरी फार्म है तब आप दुग्ध उत्पादन में उसकी गुणवत्ता तथा मात्रा में सुधार लाने के लिए कौन-कौन से उपाय करेंगे ?
उत्तर
डेयरी फार्म वह फार्म है जहाँ दुग्ध उत्पादों को प्राप्त करने के लिए दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुओं जैसे-गाय, भैंस, ऊँट तथा बकरी आदि का पालन-पोषण किया जाता है। ऐसे कार्य जहाँ दूध का उत्पादन हो, उसे डेयरी प्रबंधन कहते हैं । डेयरी फार्म प्रबंधन में हम उन संसाधनों तथा तन्त्रों के विषय में अध्ययन करते हैं जिनसे दुग्ध की गुणवत्ता में सुधार तथा उसका उत्पादन बढ़ता है। दुग्ध उत्पादन मूल रूप से फार्म में रहने वाले पशुओं की नस्ल की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

अच्छी नस्ल का चयन तथा उनकी अच्छी उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लिए पशुओं की अच्छी देखभाल जिसमें उसके रहने के लिए अच्छा घर तथा पर्याप्त जल तथा रोगाणु मुक्त वातावरण होना चाहिए। पशुओं को भोजन प्रदान करने का तरीका वैज्ञानिक होना चाहिए। इसमें विशेषकर चारे की गुणवत्ता तथा मात्रा पर बल दिया जाना चाहिए। इसके अलावा दुग्धीकरण, दुग्ध उत्पादों का भण्डारण तथा परिवहन के दौरान सफाई तथा पशु एवं पशुपालकों का कार्य सर्वोपरि है। पशु चिकित्सकों से पशुओं की नियमित जाँच होनी चाहिए जिससे उनकी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ दूर कराई जा सकें।

प्रश्न 3.
नस्ल शब्द का क्या अर्थ है ? पशु प्रजनन के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर
नस्ल (Breed)-जन्तुओं का वह समूह जिसके सदस्य कद-काठी,रंग-रूप व अन्य आकारिकी लक्षणों में समान तथा समान पूर्वज परम्परा के हों, नस्ल कहलाते हैं।
पशु प्रजनन के उद्देश्य-

  • पशु उत्पादन को बढ़ाना
  • पशु उत्पाद के वांछित गुणों में सुधार
  • रोग प्रतिरोधी पशुओं का विकास
  • अधिक व्यापक क्षेत्र हेतु अनुकूलन के लिए।

प्रश्न 4.
पशु प्रजनन में प्रयोग में लायी जाने वाली विधियों के नाम बताइये।आपके अनुसार कौनसी विधि सर्वोत्तम
है ? क्यों?
उत्तर
पशु प्रजनन की विभिन्न विधियाँ हैं-अंत:प्रजनन (inbreeding), बहि-प्रजनन (outbreeding), बहि:संकरण (outcrossing), संकरण (cross breeding) तथा अन्तःप्रजाति संकरण (interspecific Hybridization)। इन सब विधियों में संकरण सर्वोत्तम प्रजनन विधि है । इस विधि में दो भिन्न नस्लों के वांछित गुणों का बनने वाले संकर में संयोजन होता है। इस प्रकार बनने वाला संकर हेटेरोसिस (Heterosis) प्रदर्शित करता है। पशुओं की अनेक उन्नत-नस्लें इस विधि से विकसित की गई है, जैसे-करन स्विस व सुनन्दिनी गाय।

प्रश्न.5.
मौन (मधुमक्खी पालन) से आप क्या समझते हैं ? हमारे जीवन में इसका क्या महत्व है?
उत्तर
मधुमक्खी पालन-शहद के उत्पादन के लिए मधुमक्खियों के छत्तों का रख-रखाव ही मधुमक्खी पालन अथवा मौन पालन है। महत्व-मधुमक्खी पालन का हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है

  • शहद उच्च पोषक महत्व का आहार है तथा औषधियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
  • मधुमक्खियाँ मोम भी पैदा करती हैं जिसका कांतिवर्धक वस्तुओं की तैयारी तथा विभिन्न प्रकार के पॉलिश वाले उद्योगों में प्रयोग किया जाता है।
  • मधुमक्खियाँ हमारे बहुत से फसलों जैसे-सूर्यमुखी, सरसों, सेब तथा नाशपाती के लिए परागणक है। पुष्पीकरण के समय यदि इनके छत्तों को खेतों के बीच रख दिया जाये तो इससे पौधों की परागण क्षमता बढ़ जाती है और इस प्रकार फसल तथा शहद दोनों के उत्पादन में सुधार हो जाता है।

प्रश्न 6.
खाद्य उत्पादन को बढ़ाने में मत्स्यकी की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर
मत्स्यकी एक प्रकार का उद्योग है जिसका संबंध मछली अथवा अन्य जलीय जीवों को पकड़ना, उनका प्रसंस्करण तथा उन्हें बेचने से होता है। हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग आहार के रूप में मछली, मछली उत्पादों तथा अन्य जलीय जन्तुओं आदि पर आश्रित है। भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्यकी का महत्वपूर्ण स्थान है। यह तटीय राज्यों में विशेषकर लाखों मछुआरों तथा किसानों को आय तथा रोजगार प्रदान करती है।

बहुत से लोगों के लिए यही जीविका का एक मात्र साधन है। मत्स्यकी की बढ़ती हुई माँग को देखते हुए इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की तकनीकें अपनाई जा रही हैं। मत्स्यकी उद्योग विकसित हुआ है तथा फला-फूला है, जिससे सामान्यत: देश को तथा विशेषत: किसानों को काफी आमदनी हुई। इसकी प्रगति को देखते हुए अब हम ‘हरित क्रांति’ की भाँति ‘नील क्रांति’ की बात करने लगे हैं।

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प्रश्न 7.
पादप प्रजनन में शामिल विभिन्न चरणों का संक्षेप में वर्णन कीजिये। .
उत्तर
पादप प्रजनन के विभिन्न चरण-विभिन्नताओं का संग्रह (Collection of variability), जनकों का मूल्यांकन तथा चयन (Evaluation and selection of parents), चयनित जनकों के बीच संकरण (cross hybridization among selected parents)। श्रेष्ठ पुनर्योजन का चयन तथा परीक्षण (selection and testing of superior recombinants), नये कृषकों का परीक्षण, नियुक्ति तथा व्यवसायीकरण (testing, release and commercialization of new cultivars)

प्रश्न 8.
जैव प्रबलीकरण का क्या अर्थ है ? व्याख्या कीजिये।
उत्तर
जैव प्रबलीकरण (Biofortification)-पोषक मान (Nutritional valye) बढ़ाने के उद्देश्य को लेकर किया पादप प्रजनन जैव प्रबलीकरण कहलाता है। पोषक मान से यहाँ तात्पर्य सूक्ष्म पोषक तत्व जैसेविटामिन्स या खनिज, अथवा वांछित अमीनो अम्ल अथवा स्वास्थ्यकारी वसा का स्तर है।
खाद्य पदार्थों में इन पोषक पदार्थों का स्तर बढ़ाकर जन स्वास्थ्य को सुधारने का सार्थक प्रयास किया जा सकता है।
पोषक गुणवत्ता के उन्नयन हेतु किया गया पादप प्रजनन निम्नलिखित को सुधारने के उद्देश्य से किया जाता है

  • प्रोटीन की मात्रा व गुणवत्ता (Protein content and quality)
  • तेल की मात्रा व गुणवत्ता (Oil content and quality)
  • विटामिन्स की मात्रा (Vitamin content)
  • सूक्ष्म पोषक व खनिज मात्रा (Micronutrient and mineral content)

सन् 2000 में मक्का की ऐसी संकर किस्म का विकास किया गया जिसमें महत्वपूर्ण अमीनो अम्ल लाइसिन (lysine) व ट्रिप्टोफेन (tryptophan) की मात्रा मक्का के उपलब्ध संकरों में इन अमीनो अम्लों की मात्रा से दोगुनी थी। शक्ति, रतन व प्रोटीन किस्में लाइसिन से भरपूर हैं।

प्रश्न 9.
विषाणु मुक्त पादप तैयार करने के लिए पादपों का कौन-सा भाग सर्वाधिक उपयुक्त है तथा क्यों?
उत्तर
पौधे के शीर्षस्थ व कक्षस्थ विभज्योतक (Apical and axillary meristem) विषाणुरहित होते हैं। अतः पौधों का शीर्षस्थ (apical) भाग विषाणुमुक्त पादप तैयार करने के लिए उपयुक्त है।

प्रश्न 10.
सूक्ष्म प्रवर्धन द्वारा पादप उत्पादन के मुख्य लाभ क्या हैं ?
उत्तर
सूक्ष्म प्रवर्धन (Micropropagation) द्वारा पादप उत्पादन के निम्न लाभ हैं

  • कम समय में बड़ी मात्रा में पौधे-तैयार किये जा सकते हैं।
  • इस प्रकार बने पौधे विषाणु रहित व स्वस्थ होते हैं।
  • पौधे एक वर्ष में तैयार हो जाते हैं। अनुकूल मौसम आने का इंतजार नहीं करना पड़ता।
  • जो पादप बीज बनाने में असमर्थ हैं उनका उत्पादन इस विधि से करना संभव है।

प्रश्न 11.
पत्ती में कौतक पादप के प्रवर्धन में जिस माध्यम का प्रयोग किया गया है, उसमें विभिन्न घटकों का पता लगाओ।
उत्तर
संवर्धन माध्यम के निम्न प्रमुख घटक होते हैं

  • कार्बन स्रोत-सुक्रोज या अन्य शर्करा।
  • अन्य कार्बनिक पदार्थ-अमीनो अम्ल, विटामिन।
  • अकार्बनिक लवण-पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्सियम, सल्फर आदि के लवण।
  • वृद्धि नियामक (Growth regulator) हॉर्मोन्स-ऑक्सिन तथा साइटोकाइनिन।
  • जल।
  • अगर-अगर-माध्यम को ठोस बनाने हेतु।

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प्रश्न 12.
शस्य पादपों की किन्हीं पाँच संकर किस्मों के नाम बताइए जिनका विकास भारत वर्ष में हुआ है। .
उत्तर

  • धान-IR-36, पूसा, बासमती-1, जया, पदमा, रत्ना।
  • गेहूँ-सोनालिका, कल्यान, सोना, (HD-3090 पूसा अमूल्या 2013 में, (HD-3086 पूसा गौतमी 2013 में)।
  • मक्का -गंगा – 5, रंजीत नवजोत।
  • भिण्डी-पूस आवनी।
  • बैंगन-पूसा बैंगनी, पूसा क्रांति और मुक्तवेशी।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. पशुओं में गिल्टी रोग या एन्थ्रेक्स फैलता है
(a) जीवाणु द्वारा
(b) फफूंद द्वारा
(c) विषाणु द्वारा
(d) किलनी द्वारा।
उत्तर
(b) फफूंद द्वारा

प्रश्न 2.
गायों के गलघोटू रोग का जनक है
(a) ब्रुसेला एट्सि
(b) बेसीलस प्रजाति
(c) पाश्चुरेला बोवीसेप्टिका
(d) क्लॉस्ट्रीडियम।
उत्तर
(b) बेसीलस प्रजाति

प्रश्न 3.
खुरपका या मुंहपका रोग का रोगजनक जीव है
(a) कवक
(b) जवाणु
(c) विषाणु
(d) माइकोप्लाज्मा।
उत्तर
(a) कवक

प्रश्न 4.
वर्षा ऋतु के पश्चात् पशुओं में फैलने वाला प्रमुख रोग है
(a) काला ज्वर
(b) गलघो
(c) पोकनी
(d) एन्थ्रेक्स।
उत्तर
(b) गलघो

प्रश्न 5.
गलघोटू के टीके लगाये जाते हैं
(a) जनवरी-फरवरी में
(b) मार्च-अप्रैल में
(c) मई-जून में
(d) अक्टूबर-नवम्बर में।
उत्तर
(a) जनवरी-फरवरी में

प्रश्न 6.
पशुओं में प्लेग रोग का कारक है
(a) कवक
(b) जीवाणु
(c) विषाणु
(d) माइकोप्लाज्मा।
उत्तर
(b) जीवाणु

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प्रश्न 7.
धान्य पौधे का उदाहरण है
(a) गेहूँ
(b) धान
(c) मक्का
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 8.
सामान्य गेहूँ का वानस्पतिक नाम है
(a) ट्रिटिकम एस्टाइवम
(b) ट्रि.वल्गेर
(c) ट्रि.ड्यूरम
(d) ट्रि.मोनोकोक्कम।
उत्तर
(b) ट्रि.वल्गेर

प्रश्न 9.
धान किस कुल का सदस्य है
(a) ग्रैमिनी
(b) पैपिलियोनेसी
(c) यूफोर्बिएसी
(d) कम्पोजिटी।
उत्तर
(a) ग्रैमिनी

प्रश्न 10.
पद्मा एवं जया है
(a) गेहूँ
(b) धान
(c) चना
(d) मूंगफली।
उत्तर
(b) धान

प्रश्न 11.
रतनजोत का वानस्पतिक नाम
(a) पोंगेमिया पिन्नाटा
(b) रिसीनस कम्यूनिस
(c) जैट्रोफा करकस
(d) ब्रेसिका कम्पेस्ट्रिस।
उत्तर
(c) जैट्रोफा करकस

प्रश्न 12.
गेहूँ है एक
(a) फल
(b) बीज
(c) भ्रूण
(d) ग्लूम।
उत्तर
(b) बीज

प्रश्न 13.
कॉल्चीसीन निम्न में से कौन-सा प्रभाव डालता है
(a) D.N.A. द्विगुणन
(b) गुणसूत्रों का द्विगुणन
(c) स्पिण्डिल तन्तुओं का बनना
(d) मध्य पटलिका के बनने में अवरोधन।
उत्तर
(b) गुणसूत्रों का द्विगुणन

प्रश्न 14.
वह पौधा जिसमें बीज बनता है फिर भी वर्धी प्रजनन द्वारा उगाया जाता है
(a) आलू
(b) नीम
(c) आभ
(d) सेवन्ती।
उत्तर
(a) आलू

प्रश्न 15.
मानव निर्मित अन्न है
(a) ट्रिटिकम
(b) ट्रिटिकेल
(c) पाइसम
(d) गन्ना
उत्तर
(b) ट्रिटिकेल

प्रश्न 16.
सोनेरा 64 और लौरोजा 64A किस पादप की प्रजातियाँ हैं
(a) गेहूँ
(b) धान
(c) मटर
(d) मक्का ।
उत्तर
(a) गेहूँ

प्रश्न 17.
अगुणित नर पौधे किसके संवर्धन से तैयार किये जा सकते हैं
(a) पुतन्तु
(b) परागकण
(c) पुंकेसर
(d) पुमंग।
उत्तर
(b) परागकण

प्रश्न 18.
संकरण के समय फूल की कली से पुंकेसरों को हटाने की क्रिया कहलाती है
(a) कृप्स करवाना
(b) स्वनिषेचन
(c) विपुंसन
(d) टोपपिन।
उत्तर
(c) विपुंसन

प्रश्न 19.
बीज बुआई निर्भर करती है
(a) तापमान पर
(b) प्रकाश अवधि पर
(c) भूमि की नमी पर
(d) उपर्युक्त सभी पर।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी पर।

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प्रश्न 20.
संकर ज्यादातर जनक से ओजस्वी होते हैं क्योंकि
(a) समयुग्मजता
(b) संकर ओज
(c) जनक ज्यादातर कमजोर होते हैं
(d) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं ।
उत्तर
उत्तर

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. अच्छे गुणों वाले पशुओं को प्रजनन हेतु चुनना ………………. कहलाता है।
2. दो भिन्न आनुवंशिक गुणों वाले पशुओं के मध्य संकरण ……. कहलाता है।
3. मुर्गियों का रानीखेत रोग सर्वप्रथम उ.प्र. के ………………. जिले में देखा गया।
4. पाउल पॉक्स रोग ………………. के द्वारा होता है।
5. पशुओं का खुरपका-मुँहपका रोग ………………. के द्वारा होता है।
6. कोशिकाओं के अविभाजित एवं असंगठित समूहों को ………………. कहते हैं।
7. पुष्पों से पुंकेसर या परागकोषों को हटाना ………………. कहलाता है।
8. ऊतक संवर्धन हेतु चयनित पौधों को ……………… कहते हैं।
9. टोटीपोटेन्सी की खोज ……………… ने की थी।
10. गेहूँ का वानस्पतिक नाम ……………… है।
11. कोशिका की पुनर्जनन क्षमता को ……………… कहते हैं।
12. कैलस कोशिकाओं का अन्य कोशिकाओं में विभेदन …………. कहलाता है।
13. स्केलिंग ………………. युक्त पौधों में वर्धी प्रसारण की महत्वपूर्ण विधि है।
14. ट्रिटिकम वल्गेर में गुणसूत्र की कुल संख्या ……………… होती है।
15. मूंगफली …………….. कुल की सदस्य है।
16. करंज का वानस्पतिक नाम ………………. है।
17. ………………. प्रथम GM फसल है।’
18. ………………. को देश का धान का कटोरा कहते हैं।
19. कोशिका की पुनर्जनन क्षमता को …………….. कहते हैं।
20. कैलस कोशिकाओं का अन्य कोशिकाओं में विभेदन ………………. कहलाता है।
21. निकट संबंधी में प्रजनन ………………. कहलाता है।
22. किसी पादप को प्राकृतिक आवास से निकालकर नई जलवायु वाले आवास में स्थापित करना …………… कहलाता है।
23. विभिन्न नस्ल के शुद्ध जन्तुओं के नर-मादा के मध्य होने वाले सहवास को …………….. कहते हैं ।
उत्तर

  1. वरण या चयन
  2. बहिः प्रजनन
  3. कुमायूँ
  4. विषाणु
  5. विषाणु
  6. कैलस
  7. विपुंसन
  8. एलीट
  9. स्टीवर्ड
  10. ट्रिटिकम वल्गेर
  11. पूर्णशक्तता
  12. कोशिका विभेदन
  13. शल्ककंद
  14. 42
  15. पैपिलिओनेसी
  16. पोंगेमिया पिन्नाटा
  17. फ्लेवर-सेवर टमाटर
  18. छत्तीसगढ़
  19. पूर्णशक्तता
  20. कोशिका विभेदन
  21. समप्रजनन
  22. पुरःस्थापन
  23.  संकरण।

3. सही जोड़ी बनाइये

I. ‘A’ -‘B’

1. विष ज्वर (एन्थ्रेक्स) – (a) विषाणु
2. क्लॉस्ट्रीडियम स्कर्वी – (b) वैसिलरी सफेद दस्त
3. रानीखेत रोग – (c) मुर्गियों का खूनी दस्त
4. कॉक्सीडिया – (d) गाय
5. साल्मोनेला पुलोरम – (e) लंगड़ी ज्वर।
उत्तर
1. (d), 2. (e), 3. (a), 4. (c), 5. (b)

II. ‘A’ – ‘B’

1. ट्रिटिकेल – (a) हेक्साप्लॉइड
2. ऊतक संवर्धन – (b) परागकोषों को हटाना
3. ट्रिटिकम एस्टीवम – (c) एलीट
4. टोटीपोटेन्सी – (d) गेहूँ एवं राई
5. विपुंसन – (e) स्टीवर्ड।
उत्तर
1. (d), 2. (c), 3. (e), 4. (a), 5. (b)

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III. ‘A’ – ‘B’

1. सोनालिका 5308 – (a) जैव ईंधन
2. जिया मेज – (b) जैव पीड़कनाशी
3. जैट्रोफा (रतनजोत) – (c) संवर्धन
4. आक – (d) मक्का
5. अगर – (e) गेहूँ।
उत्तर
1. (e), 2. (d), 3. (a), 4. (b), 5. (c).

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. भारतवर्ष में हरित क्रांति का प्रारंभ कब हुआ था ?
2. बल्ब (शल्ककन्द) वाले पौधों में वर्धी प्रसारण को क्या कहते हैं ?
3. किन्हीं दो धान्य के नाम लिखिए।
4. किसी मानवनिर्मित फसल का नाम लिखिए।
5. दो भिन्न जातियों के संकरण से उत्पन्न जीव को क्या कहते हैं ?
6. पुष्प से अपरिपक्व परागकोषों को हटाने को क्या कहते हैं ?
7. संकर प्रोजेनी का अपने जनकों से ओजस्वी होना क्या कहलाता है ?
8. मधुमक्खी पालन को क्या कहते हैं ?
9. मछलीपालन को क्या कहते हैं ?
10. कोशिकाओं के अविभाजित एवं असंगठित समूह को कहते हैं ?
उत्तर

  1. 1960
  2. कृत्रिम पादप प्रसारण
  3. गेहूँ, चावल
  4. ट्रिटिकेल
  5. संकर
  6. विपुंसन
  7. संकर ओज,
  8. एपीकल्चर
  9. फिशरी
  10. कैलस।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हिसारडैल क्या है ?
उत्तर
हिसारडैल भेड़ की एक नस्ल है।

प्रश्न 2.
पारजीनी गाय रोजी से उत्पन्न दूध की क्या विशेषता है ?
उत्तर
पारजीनी गाय रोजी के दूध में वसा की मात्रा कम तथा प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।

प्रश्न 3.
मधुमक्खी की उस प्रजाति का नाम लिखिए जिन्हें पाला जा सकता है ।
उत्तर
एपिस इंडिका।

प्रश्न 4.
पुष्पीकरण के समय मधुमक्खी के छत्तों को खेत के बीच रखने पर पौधे पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर
पौधों की परागण क्षमता बढ़ जायेगी।

प्रश्न 5.
अन्तःप्रजनन किसे कहते हैं ?
उत्तर
एक ही नस्ल के पशुओं के मध्य होने वाले प्रजनन को अन्तःप्रजनन कहते हैं।

प्रश्न 6.
पशु प्रजनन का उद्देश्य बताइये।
उत्तर
पशुओं के उत्पादन को बढ़ाना तथा उनके उत्पादों की वांछित गुणवत्ता में सुधार करना है।

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प्रश्न 7.
बर्ड-फ्लू के रोगकारक का नाम लिखिए।
उत्तर
बर्ड-फ्लू के रोगकारक का नाम इन्फ्लूएन्जा-A विषाणु या H,N, विषाणु है।

प्रश्न 8.
आनुवंशिक रूपान्तरित पादपों के कोई दो नाम लिखिये।
उत्तर

  • गोल्डन राइस
  • फ्लेवर सेवर।

प्रश्न 9.
ऐसे दो पौधों के नाम लिखिए, जो कृत्रिम वरण द्वारा उत्पन्न किये गये हैं।
उत्तर

  • कल्याण सोना
  • शाइनिंग मूंग।

प्रश्न 10.
इस जीव का नाम लिखिए जिसका प्रयोग एकल कोशिका प्रोटीन के व्यापारिक उत्पादन में किया जाता है।
उत्तर
स्पाइरुलाइना का प्रयोग एकल प्रोटीन के व्यापारिक उत्पादन में किया जाता है।

प्रश्न 11.
डेयरी उद्योग किसका प्रबंधन है ?
उत्तर
पशु प्रबंधन।

प्रश्न 12.
पशुपालन किसे कहते हैं ?
उत्तर
मानव कल्याण के लिए पशुओं की देखभाल को पशुपालन कहते हैं।

प्रश्न 13.
अर्द्धवामन धान की किस्मों को किससे व्युत्पन्न किया जाता है ?
उत्तर
अर्द्धवामन धान की किस्मों को IR-8 तथा थाइचुंग नेटिव-1 से व्युत्पन्न किया गया।

प्रश्न 14.
पोमैटो का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर
पोमैटो का निर्माण टमाटर के प्रोटोप्लास्ट व आलू के प्रोटोप्लास्ट के युग्मन से होता है।

प्रश्न 15.
पादपों में विषाणु द्वारा उत्पन्न होने वाले किन्हीं दो रोगों के नाम लिखिये।
उत्तर

  • तंबाकू मोजैक
  • शलजम मोजैक।

प्रश्न 16.
एस.टी.पी. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
“एकल प्रोटीन कोशिका” एस.टी.पी. का शब्द विस्तार है।

प्रश्न 17.
अलवण जल में पाई जाने वाली किन्हीं दो मछलियों के नाम लिखिए।
उत्तर

  • कतला
  • रोहू।

प्रश्न 18.
स्पाइरुलाइना का आर्थिक महत्व क्या है ?
उत्तर
यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है तथा प्रदूषण को कम करता है।

प्रश्न 19.
निकट संबंधी पशुओं के मध्य प्रजनन को कहते हैं।
उत्तर
अंतःप्रजनन।

प्रश्न 20.
गायों के विष ज्वर रोग के रोग कारक का नाम लिखिए।
उत्तर
बैसिलस एन्थ्रेसिस।

प्रश्न 21.
रानीखेत किनका प्रमुख रोग है ?
उत्तर
मुर्गियों का।

प्रश्न 22.
पशुओं में वर्षा ऋतु के पश्चात् होने वाला प्रमुख रोग है।
उत्तर
एन्थ्रेक्स।

प्रश्न 23.
कुत्तों के दो प्रमुख रोगों के नाम लिखो।
उत्तर
डर्मेटाइटिस और रेबीज।

प्रश्न 24.
दो भिन्न जातियों के संकरण से उत्पन्न जीव को क्या कहते हैं?
उत्तर
संकर।

प्रश्न 25.
मानव निर्मित प्रथम फसल का नाम लिखिए।
उत्तर
ट्रिटिकेल।

प्रश्न 26.
मिलेट का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
राई।

प्रश्न 27.
ऊतक संवर्धन के जनक का नाम बताइये।
उत्तर
हैबरलैंड।

प्रश्न 28.
मूंगफली का वानस्पतिक नाम लिखिए।
उत्तर
अरेकिस हाइपोजिया

प्रश्न 29.
साहीवाल किसकी उन्नत नस्ल है ?
उत्तर
गाय की।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्केलिंग क्या है, इसका क्या महत्व होता है ?
उत्तर
स्केलिंग वर्धी प्रसारण की विधि है, जो कि बल्ब (शल्क कंद) वाले पौधे के लिए उपयोगी है। इस विधि में सभी बल्ब पृथक कर लिये जाते हैं तथा उन्हें ऐसी भूमि में रोपित किया जाता है जहाँ उनकी वृद्धि के लिए सभी आवश्यक परिस्थितियाँ उपस्थित होती हैं। इससे शल्क वृद्धि करके अपने आधार पर छोटे-छोटे बल्ब बना लेता है। 3-5 बल्ब (छोटे-छोटे) विकसित होते हैं। यह लिलियेसी कुल के पौधे जैसे लहसुन, लिलियम के लिए उपयोगी है।

प्रश्न 2.
ऊतक संवर्धन क्या है ? इसके उद्देश्य लिखिए।
उत्तर
ऊतक संवर्धन में अलग की गई कोशिका या ऊतक अथवा अंग जैसे परागकोष या परागकण, भ्रूण या भ्रूणिका आदि से संवर्धन माध्यम पर नियंत्रित तथा अजीकृत अवस्था में अत्यधिक संख्या में पौधे विकसित किये जाते हैं।
उद्देश्य

  • इसके द्वारा फसल किसी भी अवस्था से नये पौधे के लिए विकास को सुनिश्चित करता है।
  • अभूतपूर्व संकर किस्मों को उत्पन्न करना।
  • रोगी पौधों से रोगमुक्त पौधों का विकास करना।
  • अगुणित पौधों का संवर्धन।
  • आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण पौधों का कम समय में अत्यधिक संख्या में निर्मित करना।

प्रश्न 3.
कैलस संवर्धन क्या है ? इसकी तकनीक लिखिए।
उत्तर
पादप ऊतक संवर्धन के क्रम में संरोप (Explant) के कोशिकाओं द्वारा ऑक्सिन तथा सायटोकायनिन की उपस्थिति में तथा अजर्म स्थिति के होने पर कोशिकाओं के असंगठित समूह के रूप में कैलस का निर्माण होता है यह प्रक्रिया संवर्धन कहलाती है। तकनीक-सोडियम हाइपोक्लोराइड से विसंक्रमणित करते हैं। विसंक्रमणित पौधे को कई बार आसुत जल से धोते हैं। इसे विसंक्रमणित माध्यम में छोटे-छोटे टुकड़ों में विभक्त कर स्थानान्तरित कर देते हैं। संरोपण पश्चात् संवर्धन माध्यम को नियंत्रित प्रकाश व ताप पर ऊष्मायन (Autoclave) के माध्यम में स्थानान्तरित कर देते हैं। कैलस निर्माण हेतु संवर्धन के लिए पोषण माध्यम में ऑक्सिन तथा सायटोकाइनिन समान अनुपात में मिलाया जाता है।

प्रश्न 4.
ऊतक संवर्धन की प्रक्रिया में वातायन क्यों आवश्यक होता है ?
उत्तर
किसी भी जीवन के लिए श्वसन एक प्रमुख लक्षण है। श्वसन के द्वारा ही जीव अपने सभी प्रकार्यात्मक लक्षणों को सुचारू रूप से चलायमान रख पाता है। श्वसन के लिए वायु (ऑक्सीजन) बहुत जरूरी है। ऊतक संवर्धन की प्रक्रिया में ऊतकों को उपयुक्त वायु प्राप्त होनी चाहिए तभी वे ठीक से विकसित हो पायेंगे। वायु की उपलब्धता हेतु किया गया प्रबंध वातायन कहलाता है, अतः ऊतक संवर्धन की प्रक्रिया की सफलता के लिए वातायन बहुत जरूरी है।

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प्रश्न 5.
अन्तःप्रजनन किसे कहते हैं ? इससे क्या लाभ होते हैं ?
उत्तर
अन्तःप्रजनन (Inbreeding)-निकट सम्बन्धित या समान प्रजातियों के बीच होने वाले प्रजनन को अन्तःप्रजनन कहते हैं। इस तकनीक के द्वारा जन्तु नस्लों में सुधार किया जाता है। इस प्रजनन से शुद्ध नस्लों के जन्तुओं को पैदा किया जाता है। लेकिन इस प्रजनन के कारण विकास की संभावनाएँ कम होती जाती हैं। प्राचीनकाल से ही इस तकनीक का प्रयोग जन्तुओं के सुधार के लिए किया जा रहा है। उदाहरण-स्पेन में उत्तम ऊन प्राप्त करने के लिए मेरिनो भेड़ों में 170 सालों तक अन्तःप्रजनन किया गया। हमारे देश में उन साँड़ों का प्रयोग अन्तःप्रजनन के लिए चरागाहों में किया जाता है जो बोझ ढोने में उत्तम होते हैं, शेष का जनननाशन (Castration) करके उन्हें बैल बना दिया जाता है।

प्रश्न 6.
पशुओं में खुरपका एवं मुंहपका रोग कैसे फैलता है ? रोग के लक्षण व रोग जनक का नाम लिखिए।
उत्तर
पशुओं में खुरपका एवं मुँहपका रोग रोगी पशुओं के पास रहने से संक्रमण से होता है। यह गाय, भैंस, भेड़, बकरी एवं सुअर में होता है।
लक्षण-

  • पशु के शरीर का ताप काफी बढ़ जाता है। वह सुस्त हो जाता है तथा जुगाली करना बंद कर देता है।
  • पशु के मुँह, पैरों के खुरों, अयन व थनों पर छाले बनकर फूट जाते हैं जिसमें घाव बन जाता है।
  • पशु बार-बार जमीन पर पैर को पटकता है और लंगड़ाकर चलता है।

प्रश्न 7.
शहद में उपस्थित पदार्थों को सूचीबद्ध कीजिये।
अथवा
मधुमक्खी की तीन प्रजातियों के नाम तथा शहद का रासायनिक संगठन लिखिए।
अथवा
मधुमक्खी की तीन प्रजातियों के नाम तथा शहद के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर
मधुमक्खी की तीन

प्रजाति

  • ऐपिस इण्डिका
  • ट्राइगोना स्पी.
  • मेलिनोपा स्पी.।

शहद के दो उपयोग

  • इसका उपयोग दवा के रूप में किया जाता है।
  • इसका उपयोग पोषक पदार्थ के रूप में किया जाता है।

प्रोटीन

  • शहद का रासायनिक संघटन
  • फ्रक्टोज (41%)
  • प्रोटीन (0.18%)
  • ग्लूकोज (35%)
  • खनिज लवण (3:3%)
  • सुक्रोज (1.9%)
  • जल (17.25%).
  • डेक्सट्रीन (1.5%).

थोड़ी मात्रायें विटामिन B1, B6, कोलीन, विटामिन C और D होता है।

प्रश्न 8.
अण्डजोत्पत्ति में कौन-कौन-सी सावधानियाँ रखनी चाहिए? उत्तर-मुर्गियों में अण्डजोत्पत्ति 21 दिन में होती है इसके लिए निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए

  • अण्डजोत्पत्ति के लिए उत्तम किस्म के अण्डों का चयन करना चाहिए।
  • मध्यम माप वाले अण्डे होने चाहिए।
  • चयनित अण्डे का रंग सफेद होना चाहिए।
  • अण्डों को जल से धोना चाहिए ।
  • अण्डों को अधिक हिलाना नहीं चाहिए।
  • गर्मियों में अण्डों को तीन दिन से अधिक नहीं रखना चाहिए।
  • अण्डों का सेचन देशी मुर्गी से कराना चाहिए।
  • रात्रि में मुर्गी को अण्डों पर बैठाने से पहले अच्छा भोजन एवं जल देना चाहिए।

प्रश्न 9.
मुर्गीपालन के चार महत्व लिखिए।
उत्तर
महत्व-

  • इससे हमें मांस तथा अण्डे प्राप्त होते हैं।
  • इस व्यवसाय से कम समय में ही आय होने लगती है।
  • इस व्यवसाय में कम पूँजी लगती है इस कारण यह बेरोजगारी की समस्या का समाधान करता है।

प्रश्न 10.
अण्डे देने वाली कुक्कुट नस्लों की विशेषताएँ बताइए तथा दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
अण्डे देने वाली कुक्कुट नस्लों में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं-

  • अण्डे देने वाली कुक्कुटों की त्वचा कोमल होती है और प्यूबिक अस्थि तथा कील के बीच 3-4 उँगलियों का स्थान होता है।
  • अण्डे देने वाले कुक्कुटों का शरीर बड़ा तथा भारी भरकम होता है ।
  • जो कुक्कुट नर के समान दिखाई देते हैं वे अधिक अण्डे नहीं देते ।
  • अण्डे देने वाले कुक्कुटों का निकास (vent) कोमल तथा भीगा हुआ होता है।
  • अण्डे देने वाले कुक्कुटों की कलगी पूर्ण विकसित, उष्ण, गहरे लाल रंग की व मुलायम होती है।

अण्डे देने वाली मुर्गियों के उदाहरण-

  • लेगहार्न
  • मिनोरका
  • एनकोना
  • कैम्पियन

प्रश्न 11.
मांस प्रदान करने वाली कुक्कुट नस्लों की विशेषताएँ बताइए तथा चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर
मांस प्रदान करने वाली कुक्कुटों के निम्नलिखित लक्षण होते हैं

  • आकार में बड़ी होती हैं
  • ये आहार अधिक मात्रा में ग्रहण करती हैं।
  • इनके पंख ढीले होते हैं, जिससे ये गोलाकार दिखाई देती हैं।
  • इनकी वृद्धि दर धीमी होती है।
    उदाहरण-असील, ससैक्स, आस्ट्रोलोप्स, कड़कनाथ।

प्रश्न 12.
मीठे जल एवं खारे जल में पाई जाने वाली तीन-तीन मछलियों के नाम लिखिए।
अथवा
निम्नलिखित के वैज्ञानिक नाम लिखकर उनका उपयोग लिखिए।
1. रोहू
2. कतला
3. सिंधारा
4. मृगल।
उत्तर
(a) मीठे जल में पाई जाने वाली मछलियाँ

1. रोहू-लेबियो रोहिता (Labeo rohita)
उपयोग-रोहू के मस्तिष्क में फॉस्फो-प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा रहने के कारण इसके सेवन से आँख की रोशनी बढ़ती है।

2. कतला-कतला कतला (Catla catla)
उपयोग-कंतला के मस्तिष्क में फॉस्फो-प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा रहने के कारण इसके सेवन से आँख की रोशनी बढ़ती है।

3. सिंधारा-मिस्ट्रिस सिन्धाला (Mystrus seenghala)
उपयोग-सिंघारा मछली में लोहे व ताँबे की काफी मात्रा रहने के कारण रक्त संबंधी विकार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

4. मृगल-सिरेहीनस मृगल (Cirrhinus mrigala)।
उपयोग-मृगल मछली में लोहे व ताँबे की काफी मात्रा रहने के कारण रक्त संबंधी विकार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

(b) खारे जल में पाई जाने वाली मछलियाँ

  • हिल्सा-इलिसा जाति (Ilisa species)
  • पामहर्ट-स्ट्रोमेटस (Stromatus)
  • बाम्बेडक-हार्पोडान (Harpodon)

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प्रश्न 13.
मछली का मांस अन्य जन्तुओं के मांस की तुलना में सर्वोत्तम क्यों होता है ?
उत्तर

  • मछली का मांस सर्वोत्तम माना जाता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है।
  • इसमें आयोडीन पाया जाता है जो ग्वायटर रोग से बचाव करता है ।
  • इसमें वसा की मात्रा कम होती है, जिससे हृदय संबंधी बीमारी नहीं होती।
  • इसमें वसा में विलेय विटामिन A एवं D की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है।
  • इसे आसानी से पचाया जा सकता है। इस कारण यह बच्चों का अच्छा भोजन है।

प्रश्न 14.
गाय एवं भैंस की उन्नत किस्मों के नाम लिखिए।गाय की तुलना में भैंस का दूध सर्वोत्तम क्यों है ?
उत्तर
(a) गाय की उन्नत किस्म-

  • होल्सटीन फ्रीसियन
  • जर्सी
  • आयर शायर
  • ब्रॉउन स्विस।

(b) भैंस की उन्नत किस्म-

  • मुर्रा
  • सूरती
  • भदावरी
  • नागपुरी।

गाय की तुलना में भैंस का दूध सर्वोत्तम है, क्योंकि

  • गाय की तुलना में भैंस के दूध की मात्रा तिगुनी होती है।
  • भैंस के दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है।
  • भैंस का दूध गाय की तुलना में अधिक रोग प्रतिरोधी होता है।

प्रश्न 15.
भेड़ एवं बकरी का महत्वपूर्ण उपयोग क्या होता है ? प्रत्येक के तीन-तीन भारतीय प्रजातियों के नाम लिखिए।
उत्तर
भेड़ का जन्तु वैज्ञानिक नाम क्विस एरीस (Quis aries) है। इसे ऊन, मांस एवं चमड़े के लिए पाला जाता है। भेड़ की महत्वपूर्ण तीन प्रजातियाँ निम्नलिखित हैं

  • लोही-उच्च श्रेणी का ऊन प्राप्त होता है।
  • भाकरावल
  • पटनावड़ी।

बकरी का जन्तु वैज्ञानिक नाम काप्राहिरकस (Caprahircus) है। इसका पालन दूध एवं मांस दोनों के लिए किया जाता है। बकरी की महत्वपूर्ण तीन प्रजातियाँ निम्नलिखित हैं

  • कश्मीरी बकरी
  • कच्छी
  • सिरोही।

प्रश्न 16.
उत्तम किस्म की पाँच मुर्गी प्रजातियों के नाम लिखिए।
उत्तर

  • रोड आइसलैण्ड रेड (Rhode Island Red)
  • न्यू हैम्पशायर (New Hampshires)
  • लाइट ससैक्स (Light Sussex)
  • आस्ट्रेलोप्स (Australops)
  • व्हाइट लैगहान (White Laghorn)

प्रश्न 17.
मुर्गियों में होने वाले पाँच संक्रामक रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति 1

प्रश्न 18.
एकल कोशिका संवर्धन क्या है ? इसकी पेपर राफ्ट तकनीक तथा उसके महत्व लिखिए।
उत्तर
नियंत्रित वातावरण में अजीकृत, पृथक्कृत एक कोशिका को उचित पोषण माध्यम पर परिवर्धित कराये जाने की प्रक्रिया एकल कोशिका संवर्धन
(Single Cell Culture) कहलाती है।
(1) सर्वप्रथम माइक्रोपिपेट या माइक्रोस्पेचुला की सहायता से अजीकृत पौधे के भाग से अलग किये, एकल कोशिका को लिया जाता है या सस्पेंशन कल्चर से एक कोशिका को पृथक्कृत किया जाता है।

(2) पोषण माध्यम पर एक पुराने कैलस को रखा जाता है, जिसके ऊपर 8 mm x 8 mm साइज के फिल्टर पेपर को कुछ दिनों तक रखकर नम तथा पोषक पदार्थ-युक्त बना लेते हैं, जिसे पेपर राफ्ट कहा जाता है।

(3) अलग किये गये एकल कोशिका को अजीकृत अवस्था में पेपर राफ्ट पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है।

(4) समस्त पोषण माध्यम युक्त कोशिका, अर्थात् संवर्धन को 16 घण्टे तक 25°C अंधकार में या श्वेत प्रकाश (3,000 लक्स) में ऊष्मायित (Incubate) कराया जाता है।

(5) पृथक्कृत कोशिका (Isolated cell) क्रमिक विभाजन के फलस्वरूप कोशिका समूह में परिणित हो जाता है, जिसे नये पोषक माध्यम पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है, जहाँ इससे कैलस विकसित होता है।

(6) कैलस से सामान्य ऊतक संवर्धन विधि से नये पौधे का तथा अन्ततः विकसित पौधे का परिवर्धन होता
इसकी दूसरी विधि कोशिका सस्पेंशन तकनीक के बारे में भी इसे शोध के आधार पर जानकारी प्राप्त हुई, इससे हर पौधे के छोटे हिस्से से भी एक पूर्ण विकसित पौधे प्राप्त कर सकते हैं।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कुक्कुटों के रानीखेत रोग के लक्षण, रोकथाम व उपचार लिखिए।
उत्तर
रानीखेत रोग वाइरस से होता है। इसके निम्न लक्षण हैं

  • श्वास लेने में तकलीफ होती है, इसलिये मुर्गियों का मुँह खुला होता है।
  • मुर्गियों को दस्त लग जाते हैं।
  • सिर, गर्दन तथा टाँगों को लकवा मार जाता है।
  • मुर्गी को भूख नहीं लगती एवं कमजोर हो जाती है।
  • पहले उनका तापक्रम बढ़ता है एवं कुछ समय पश्चात् सामान्य से भी कम हो जाता है।
  • मुँह एवं नासिका रन्ध्रों में से एक लसलसा पदार्थ निकलता है।
  • मुर्गकेश का रंग गहरा बैंगनी हो जाता है।
  • अण्डा देने वाली मुर्गियों में अण्डा तेजी से फटने लगता है एवं रोगी मुर्गी अण्डा देना बिल्कुल बन्द : कर देती है।इस रोग के लक्षण पाचन संस्थान, श्वसन-संस्थान एवं रक्त परिवहन संस्थान पर स्पष्ट दिखायी देने लगते हैं।

रोकथाम एवं उपचार (Control and treatment)

  • रोगी मुर्गियों को तुरंत ही स्वस्थ मुर्गियों से अलग बाड़े में रखना चाहिए।
  • रोग से मरी हुई मुर्गियों को गाड़ देना चाहिए अथवा जला देना चाहिए।
  • पानी में कीटाणुनाशक घोल तैयार करना चाहिए।
  • बीमार मुर्गियों के बर्तन फिनाइल से साफ करके रखना चाहिए।
  • 6 से 8 सप्ताह के बच्चों को रानीखेत का टीका लगवाना चाहिए।
  • रोग से मरी मुर्गी की तिल्ली को थर्मस में (बर्फ के साथ ग्लिसरीन एवं नमक 111 के घोल में) सुरक्षित रखकर प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजना चाहिए।

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प्रश्न 2.
कृत्रिम गर्भाधान क्या है ? उसका महत्व समझाइए।
उत्तर
संकरण या बहि:प्रजनन दो भिन्न आनुवंशिक गुणों वाले जीवों को जनन की दृष्टि से संयोग कराके नयी संतानों को प्राप्त करने के ढंग को संकरण कहते हैं। जन्तुओं में संकरण कराना पादपों की अपेक्षा थोड़ा कठिन होता है। जन्तुओं के गुणों में सुधार के लिए दो प्रकार का संकरण होता है

1. प्राकृतिक संकरण (Natural hybridization)-इस संकरण में नर तथा मादा प्राकृतिक रूप से आपस में संयोग करते हैं । यह दो भिन्न प्रजातियों में होता है। भारत में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए गाय की कई प्रजातियाँ जैसे-जर्सी (इंग्लैण्ड), ब्राउनस्विस (स्विटजरलैण्ड), होल्स्टीन प्रिंसियन (हॉलैण्ड) विदेशों से मँगायी गयी हैं। इन प्रजातियों तथा देशी प्रजातियों के संकरण से करनस्विस और सुनन्दिनी नामक गाय की प्रजातियाँ क्रमशः राष्ट्रीय दुग्ध अनुसंधान संस्थान करनाल और केरल में विकसित की गयी है। कई दूसरे जन्तुओं की भी अति उत्पादक जातियाँ प्राकृतिक संकरण के द्वारा तैयार की गयी हैं।

2. कृत्रिम संकरण या कृत्रिम गर्भाधान (Artificial hybridization)-कृत्रिम संकरण, संकरण की वह विधि है जिसमें नर के शुक्राणुओं को एकत्र करके मादा के जनन मार्ग में पहुँचा दिया जाता है जो निषेचन करके नयी सन्तति को बनाता है। इस संकरण में निम्न चरण होते हैं

(1) जनकों का चुनाव (Selection of parents)-यह संकरण का पहला चरण है जिसमें इच्छित गुणों वाले नर तथा मादा का चुनाव किया जाता है। इसके लिए स्वस्थ तथा उच्च गुणों वाले जनकों का चुनाव किया जाता है।

(2) वीर्य को एकत्र करना (Collection of semen)-इस चरण में यान्त्रिक या विद्युतीय आवेश द्वारा नर को उत्तेजित किया जाता है और स्खलित होने वाले वीर्य को एकत्र कर लिया जाता है।

(3) वीर्य का संरक्षण (Preservation of semen)-वीर्य को तनु बनाकर फ्रिजों में या विशिष्ट रसायनों के द्वारा परिरक्षित करके जीवित अवस्था में ही रखा जाता है।

(4) वीर्य का जनन मार्ग में प्रवेश (Introduction of semen)-इस चरण में अनुरक्षित वीर्य को मादा पशु के गर्म होने पर उसके योनि मार्ग में डाला जाता है। इस तकनीक का सर्वप्रथम प्रयोग स्प्लैन्जेनी(Spallanzani) ने 1970 में कुत्तों के ऊपर किया। भारत में इसका सर्वप्रथम उपयोग सन् 1944 में पशु अनुसंधान संस्थान एटा नगर, उत्तर प्रदेश में किया गया। आज की लगभग 10%-70% उपयोगी जन्तु प्रजातियों का आविष्कार इसी विधि के द्वारा किया गया है। इस संकरण के समय निम्न सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए

  • वीर्य का मादा में प्रवेश उपर्युक्त समय पर करवाना चाहिए।
  • उच्च कोटि के नर के वीर्य को ही लेना चाहिए।
  • वीर्य प्रवेश के लिए सही तकनीक का प्रयोग करना चाहिए।
  • मादा का स्वास्थ्य वीर्गीकरण के समय ठीक होना चाहिए। कृत्रिम संकरण के लाभ

(महत्व)-

  • स्वस्थ नर के थोड़े से वीर्यन से बहुत अधिक मादाओं में निषेचन कराया जा सकता है।
  • वीर्यन को एम्पुलों में दूर तक बिना किसी असुविधा के ले जाया जाता है।
  • नर की उपलब्धता की कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं और हर जगह अच्छे नर के वीर्य का प्रयोग किया जा सकता है।
  • इच्छित गुणों वाले पशुओं को प्राप्त किया जा सकता है।

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प्रश्न 3.
एक्वाकल्चर किसे कहते हैं ? एक्वाकल्चर में उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर
उपयोगी जलीय पौधे एवं अन्य प्राणियों के उत्पादन को एक्वाकल्चर कहते हैं। एक्वाकल्चर में मछलियों के अतिरिक्त झींगा एवं समुद्री केकड़ा का भी उत्पादन किया जाता है। एक्वाकल्चर के विभिन्न चरण
(Steps Involved in Aquaculture)

  • मत्स्य पालन केन्द्रों से मत्स्य बीज एवं अण्डों को प्राप्त किया जाता है। मछलियों के पीयूष ग्रन्थि से हॉर्मोन्स निकालकर अण्डे देने वाली मछलियों में इन्जेक्शन द्वारा प्रविष्ट कराने से अण्डोत्सर्ग शीघ्र होता है। पीयूष हॉर्मोन को ऐल्कोहॉल में संरक्षित किया जाता है।
  • अण्डों को हेचरी या नर्सरी में डाल दिया जाता है। इसका तापक्रम 27°C से 31°C होता है। 15-18 घण्टे पश्चात् शिशु निकलते हैं, जिसे हैचलिंग कहते हैं।
  • है चलिंग को पानी में रखा जाता है जिससे 4-5 दिनों के बाद यह छोटी मछली में रूपान्तरित हो जाता है, जिसे फ्राई (Fry) कहते हैं।
  • फ्राई 12-14 दिनों में 20-25 cm की हो जाती है इसे फिंगरलिंग कहते हैं।
  • फिंगरलिंग को पोषक तालाबों में स्थानान्तरित किया जाता है। यह फाइटोप्लैंक्टॉन को खाता है।
  • अन्त में इसे उत्पादक तालाबों या जलाशयों में स्थानान्तरित किया जाता है, जहाँ पर इनका वजन बढ़ता है।
  • पूर्ण विकसित मछली का वजन 5-6 किलोग्राम हो जाता है एवं 4 वर्ष के पश्चात् अण्डे देने लगती है।
  • मत्स्याखेट द्वारा इन्हें निकालकर निर्यात किया जाता है। इसका शीत भण्डारण किया जाता है, क्योंकि इसका मांस शीघ्र सड़ जाता है।

प्रश्न 4.
मुर्गीपालन के लिए आप आदर्श आवास का प्रबंध कैसे करेंगे?
उत्तर
मुर्गीपालन व्यवसाय में कुक्कुट भवनों (आवासों) का अपना अलग-अलग महत्व होता है। कुक्कुट भवन आधुनिक एवं महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले होने चाहिए। अच्छे भवन, वही समझे जाते हैं, जिनमें निम्न महत्वपूर्ण बातें हों, जैसे-

  1. सुरक्षा
  2. पर्याप्त स्थान
  3. उचित सुविधा
  4. सस्ते एवं आरामदायक
  5. स्वच्छ
  6. पानी एवं रोशनी का प्रबन्ध
  7. बाजार की निकटता तथा
  8. परजीवी व अन्य कीड़ों से सुरक्षा।

आवासों (भवनों) को बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि ये कम लागत में तैयार किये जायें और जिनमें निम्नलिखित बातों का होना भी अनिवार्य है-

  1. आवासों में नमी न रहे तथा इनसे पानी निकास की उत्तम व्यवस्था हो
  2. आवास ऐसे स्थानों पर हो जहाँ सूर्य की रोशनी दिन भर पड़ती रहे क्योंकि वह सूक्ष्म जीवों के विकास को रोकती है।
  3. वायु संचार की पर्याप्त व्यवस्था हो, क्योंकि मुर्गियों में पसीने की ग्रन्थियाँ नहीं पायी जाती इस कारण ये श्वास द्वारा ही नमी को निकालती हैं।
  4. आवास के सफाई की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
  5. मुर्गी एक कमजोर पक्षी है, जिसके बहुत अधिक शत्रु हैं इस कारण इसकी सुरक्षा व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए।

प्रश्न 5.
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में जलीय संवर्धन के माध्यम से उन्नति के अवसर हैं। विवेचना कीजिए।
उत्तर
छत्तीसगढ़ में जल संवर्धन हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों, डबरों के निर्माण की परम्परा रही है तथा आज भी समस्त ग्रामों एवं इसके विकसित शहरों में चप्पे-चप्पे पर तालाब देखे जा सकते हैं । विकास के आयामों में नहर, बाँध तथा अन्य जल संग्रहण क्षेत्र विकसित हुए हैं। इन सभी जल संग्रहण क्षेत्रों को वैज्ञानिक तकनीक से प्रबंधित किए जल संवर्धन क्षेत्र में उपयोग किया जाये तो ये उन्नति के द्वार खोलने वाले हैं तथा इसमें छत्तीसगढ़ के विकास के अवसर सन्निहित हैं।

उपयोगी जलीय जीवों को उत्पादित करने की विधि को जलीय संवर्धन कहते हैं । जलीय संवर्धन में कई उपयोगी शैवालों के अलावा जलीय जन्तुओं जैसे—मछली, झींगा, केकड़ा, मोलस्का (खाने वाले और मोती वाले) इत्यादि को पालते या संवर्धित करते हैं । वैसे तो कई जलीय जन्तुओं का संवर्धन किया जाता है, लेकिन इनमें से मत्स्य संवर्धन (Pisciculture), प्रॉन संवर्धन (Prawn culture) तथा मोती संवर्धन (Pearl culture) प्रमुख हैं । मत्स्य संवर्धन में मछलियों का, प्रॉन संवर्धन में झींगों को भोजन के लिए तथा मोती संवर्धन में मुक्ता सीपियों (Pearl oyster) को मोतियों के लिए संवर्धित किया जाता है।

प्रश्न 6.
पादपों में रोग प्रतिरोधकता से आप क्या समझते हैं ? पादपों की कुछ प्रमुख रोग प्रतिरोधी प्रजातियों के नाम बताइये। इसे किस प्रकार उत्पन्न किया जाता है ?
उत्तर
अनेक प्रकार के रोगकारक जैसे-कवक, जीवाणु तथा विषाणु उष्णकटिबन्धीय जलवायु की फसल जातियों को व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं । इन कारकों के कारण फसलों को 20-30% तक हानि या कभी-कभी पूर्ण हानि भी हो जाती है। ऐसी परिस्थितियों में रोग के प्रति प्रतिरोधी खेतिहर जातियों में प्रजनन एवं विकास से खाद्य उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इन्हें उगाने से जीवाणु एवं कवकनाशी पदार्थों का प्रयोग भी कम हो जाता है तथा उन पर निर्भरता भी कम हो जाती है। पोषी पदार्थों की प्रतिरोधकता उसकी रोगजनकों को रोग उत्पन्न करने से रोकने की क्षमता है तथा इसका निर्धारण पोषी पादप के आनुवंशिक ढाँचे द्वारा किया जाता है। प्रजनन की क्रिया अपनाने से पहले रोगकारक जीव के बारे में जानकारी तथा उसके प्रसार की क्रियाविधि की जानकारी महत्वपूर्ण है।

कवकों द्वारा उत्पन्न कुछ रोग हैं-गेहूँ का भूरा किट्ट, गन्ने का रेड रोट रोग तथा आलू में पछेती अंगमारी। विषाणु तथा जीवाणु द्वारा उत्पन्न होने वाले रोग हैं-तम्बाकू मोजैक, शलजम मोजैक, टमाटर का पर्ण बेलन, तथा जीवाणु द्वारा उत्पन्न रोग सिट्रस कैंकर, चावल का किट्ट ।

रोग प्रतिरोधकता के लिए प्रजनन विधियाँ (Methods of Breeding for Disease Resistance)
रोग प्रतिरोधकता उत्पन्न करने की परम्परागत विधियाँ निम्न हैं

  • संकर (Hybridization)
  • चयन (Selection)

इसके अन्तर्गत निम्न पदों को अपनाते हैं

  • प्रतिरोधकता स्रोतों के जनन द्रव्य को छानना।
  • चयनित जनकों का संकरण।
  • संकरों का चयन।
  • मूल्यांकन।
  • नयी किस्मों का परीक्षण तथा उसका उत्पादन।

संकरण तथा चयन द्वारा प्रजनित कुछ शस्य कवकों, जीवाणुओं तथा विषाणुओं के प्रति रोग प्रतिरोधकता होती है। ये शस्य प्रजाति नीचे तालिका में दी गई हैं
तालिका-प्रमुख फसलों की रोग प्रतिरोधक प्रजातियाँ
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति 2
रोग प्रतिरोधी जीन जो विभिन्न फसलों की प्रजातियों अथवा उनकी जंग प्रजातियों में उपलब्ध रहती है। लेकिन इनकी सीमित संख्या में उपलब्धि के कारण पारम्परिक प्रजनन प्रायः निरुद्ध होता है। पादपों में विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा उत्परिवर्तन (Mutation) को प्रेरित किया जाता है तथा बाद में प्रतिरोधकता के लिए पादप पदार्थों की स्क्रीनिंग द्वारा वांछनीय जीन की पहचान की जाती है। वांछनीय लक्षण वाले पौधों को सीधे ही गुणित किया जाता है अतः इसका प्रयोग प्रजनन के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 7.
पीड़कों (नाशी कीट) के प्रति प्रतिरोधकता के विकास के लिए पादप प्रजनन किस प्रकार सहायक है ? व्याख्या कीजिये।
उत्तर
पीड़कों के प्रति प्रतिरोधकता के विकास के लिए पादप प्रजनन (Plant breeding for the development of resistance to insect pests)
पोषी पादप फसलों से कीट प्रतिरोधकता, आकारिकी जैव रसायन या शरीर क्रियात्मक अभिलक्षणों के कारण होती है। अधिकांश पादपों में रोमिल पत्तियाँ पीड़कों के प्रति प्रतिरोधकता से सम्बन्ध रखती है। जैसे कपास में जैसिड तथा गेहूँ में धान्य पर्ण शृंग। इसी प्रकार गेहूँ के विशेष प्रकार के तने के कारण

स्टेमसॉफ्लाई उनके पास नहीं आती तथा चिकनी पत्तियों वाली तथा मकरंद विहीन कपास की प्रजातियाँ बालवर्म को अपनी ओर आकर्षित नहीं करती। उच्च एस्पार्टिक अम्ल, कम नाइट्रोजन तथा शर्करा अंश मक्का में तना छेदक के प्रति प्रतिरोधकता उत्पन्न करते हैं। पीड़क प्रतिरोधकता के लिए प्रजनन विधियों के वही क्रम लागू होते हैं, जो अन्य शस्य संबंधी विशेषकों में पाये जाते हैं । जैसे उत्पादन, गुणवत्ता आदि जिनका वर्णन ऊपर किया जा चुका है। कृषि तथा इसकी जंगली प्रजातियों के प्रतिरोधक जीन का स्रोत कृषक किस्में तथा जनन द्रव्य संग्रहण है।

नाशी कीटों के प्रति प्रतिरोधकता विकसित करने के लिए संकरण तथा चयन द्वारा प्रजनित फसलों की कुछ विमुक्त प्रजातियाँ इस प्रकार हैं
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति 3

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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements

The p-Block Elements NCERT Intext Exercises

Question 1.
Why are.pentahalides more covalent than trihalides ?
Answer:
Higher the positive oxidation state of central atom, it will have more polarising power which, in turn will increase the covalent character of the bond formed between the central atom and the other atom. Hence pentahalides are more covalent than trihalide.

Question 2.
Why is BiH3 the strongest reducing agent amongst all the hydrides of Group 15 elements ?
Answer:
Among the hydrides of Group-15, BiH3 is the least stable because Bi has largest size in group and has least tendency to form covalent bond with small hydrogen atom. Therefore, it can readily lost H atom and has strongest tendency to act as reducing agent.

Question 3.
Why is N2 less reactive at room temperature?
Answer:
In N2 molecule, there is a strong pπ-pπ overlap that results in the formation of triple bond between N atoms (N ≡ N). As a consequence, the bond dissociation energy of N2 is very high and N2 is less reactive at room temperature.

Question 4.
Mention the conditions required to maximise the yield of ammonia.
Answer:
Ammonia is prepared by the Haber’s process.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 1
In accordance with Le-chatelier’s principle, to maximize the yield, a high pressure 200 atm is used. To increase the rate of the reaction, a temperature of around 700 K is used and iron oxide mixed with some K2O and Al2O3 is used as a catalyst. Sometimes, Mo is also used as a promoter to increase the efficiency of the Fe catalyst.

Question 5.
How does ammonia reacts with a solution of Cu2+?
Answer:
Ammonia reacts with a solution of Cu+2 ions of solution to form deep blue coloured complex, tetra’amine copper (II) ion.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 2

Question 6.
What is the covalence of nitrogen in N2O5 ?
Answer:
Covalency depends upon the number of shared pairs of,electrons. Now in N2O5, each nitrogen atom has four shared pairs of electrons as shown :
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 3
Therefore, the covalency of N in N2O5 is 4.

Question 7.
Bond angle in PH4+ is higher than that in PH3. Why ?
Answer:
PH4+ is a regular tetrahedral structure, thus bond angle is 109°28′.
PH3 molecule has a pyramidal structure. The bond angle is 93°. Hence, bond angle in PH4+ ion is higher.

Question 8.
What happens when white phosphorus is heated with concentrated NaOH solution in an inert atmosphere of CO2 ?
Answer:
When white phosphorus is heated with cone. NaOH solution in an inert atmosphere of CO2, phosphine gas is prepared.
MP Bocard Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 4

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Question 9.
What happens when PCl5 is heated ?
Answer:
PCl5 has three equatorial and two axial bonds. Since axial bonds are weaker than equatorial bonds, therefore, when PCl5 is heated, the less stable axial bond breaks to form PCl3.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 5

Question 10.
Write a balanced equation for the hydrolytic reaction of PCl5 in heavy water.
Answer:
PCl5 + D2O → POCl3 + 2DCl.

Question 11.
What is the basicity of H3PO4?
Answer:
H3PO4 contains three P-OH bonds and therefore, its basicity is three.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 6

Question 12.
What happens when H3PO3 is heated ?
Answer:
On heating, H3PO3 disproportionates to give orthophosphoric acid and phosphine.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 7

Question 13.
List the important sources of sulphur.
Answer:
Sulphates and sulphides are important sources of sulphur.
Sulphates : Gypsum (CaSO4.2H2O), Epsom salt (MgSO4.7H2O), Baryte (BaSO4).
Sulphides : Galena (PbS), Zinc blende (ZnS), Copper pyrites (CuFeS2), Iron pyrites (FeS2) etc.
Organic materials such as eggs, proteins, garlic, onion, mustard, hair and wool also contain sulphur in small quantities.

Question 14.
Write the order of thermal stability of the hydrides of Group-16 elements.
Answer:
As the size of element increases down the group, the E-H bond dissociation energy decreases and hence E-H bond breaks more easily. Thus, the thermal stability of the hydrides of Group 16 elements decreases down the group, i.e., H2O > H2S > H2Se > H2Te > H2PO.

Question 15.
Why is H2O a liquid and H2S a gas ?
Answer:
Due to high electronegativity of oxygen and its small size, there are strong H-bonding in water. As a result, the molecules exist as associated and is liquid at room temperature. But there is no H-bonding in H2S because of low electronegativity of ‘S’.

Question 16.
Which of the following does not react with oxygen directly ?
Zn, Ti, Pt, Fe
Answer:
Being noble metal, Pt does not react with oxygen directly. Zn, Ti and Fe are active metals so they react with oxygen.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 8

Question 17.
Complete the following reactions :
(i) C2H4 + O2
(ii) 4Al + 3O2
Answer:
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Question 18.
Why does O3 acts as a powerful oxidizing agent ?
Answer:
O3 is an endothermic compound. On heating, it readily decompose to give dioxygen and nascent oxygen.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 10
Since it liberates nascent oxygen easily. It acts as powerful oxidising agent.

Question 19.
How is O3 estimated quantitatively ?
Answer:
Ozone (O3) reacts with an excess of potassium iodide (KI) solution buffered with a borate buffer (pH = 9-2) and liberate (I2).
2I + H2O(l) + O3(g) → 2OH(aq) + I2(s) + O2(g)
The liberated I2 is titrated against a standard solution of sodium thiosulphate. At the end point, I2 combines with the starch to give the deep blue starch-iodine complex.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 11
This method is also used for detecting ozone in polluted air.

Question 20.
What happens when sulphur dioxide is passed through an aqueous solution of Fe(III) salt ?
Answer:
Sulphur dioxide (a reducing agent) reduces Fe (III) ions to Fe (II) ions as per the following reaction:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 12

Question 21.
Comment on the nature of two S-0 bonds formed in SO2 molecule. Are the two S-O bonds in this molecule equal ?
Answer:
Both the S-0 bonds are covalent and have equal strength due to resonating structures.

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Question 22.
How is the presence of SO2 detected ?
Answer:
The presence of SO2 detected by following ways :
(a) SO2 (reducing agent) decolourises acidified potassium permanganate solution.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 13
(b) SO2 turns orange coloured acidified K2Cr2O7 solution green due to reduction of Cr2O72- to Cr+3 ions.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 14

Question 23.
Mention three areas in which H2SO4 plays an important role.
Answer:
Uses of H2SO4 :
(i) Manufacture of fertilizers (e.g. ammonium sulphate, calcium superphosphate)
(ii) Petroleum refining
(iii) Metallurgical applications (e.g. cleansing metals before enamelling electroplating, galvanising etc.)

Question 24.
Write the conditions to maximise the yield of H2SO4 by Contact process.
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 15
According to Le-chatelier’s principle following are the requirements for maximum yield.
(i) Low temperature as the conversion of SO2 to SO3 is exothermic (720K).
(ii) High pressure (2 atm).
(iii) A catalyst (Pt or V2O5) to increase the rate of reaction.

Question 25.
Why is Ka2 << Ka1 for H2SO4 in water ?
Answer:
H2SO4 is a dibasic acid, it ionizes in two stages and hence has two dissociation constants.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 16
Ka2 is less than Ka, because the negatively charged HSO4 ion has much less tendency to denote a proton to H2O as compared to neutral H2SO4 due to electrostatic reason.

Question 26.
Considering the parameters such as bond dissociation enthalpy, electron gain enthalpy and hydration enthalpy, compare the oxidizing power of F2 and Cl2.
Answer:
Oxidising power is a combined effect of bond dissociation enthalpy, electron gain enthalpy and hydration enthalpy. Comparing F2 and Cl2 with the given parameters :
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 17

From the data given above, it is clear that bond dissociation enthalpy and electron gain enthalpy are higher for chlorine but hydration enthalpy is much higher for fluorine. It compensates the effect of other two. As a result, the ∆H overall is more negative for F2 than for Cl2. Hence, F2 is stronger oxidizing agent than Cl2.

Question 27.
Give two examples to show the anomalous behaviour of fluorine.
Answer:
(i) Two anomalous behaviour of fluorine are : (i) Since fluorine is most elec-tronegative element, it shows only a negative oxidition state of-1. It does not show any positive oxidation state. On the other hand, the other halogens show positive oxidation states also such as +1, +3, +5, +6 and +7.
(ii) Maximum co valency of fluorine is one because it can not expand its valence shell beyond octet because there are no d-orbitals in the valence shell. On the other hand, other elements can exercise covalencies up to 7 because of availability of vacant d-orbitals.

Question 28.
Sea is the greatest source of some halogens. Comment.
Answer:
Sea water contains chlorides, bromides and iodides of sodium, potassium, magnesium and calcium, but mainly sodium chloride (2-5% by mass). Dried up sea-weeds contain sodium chloride and carnallite, KCl. MgCl2. 6H2O. Certain sea-weeds contain up to 0-5% of iodine as sodium iodide and chile saltpetre (NaNO3) contains up to 0-2% of sodium iodate. Thus, sea is the greatest source of halogen.

Question 29.
Give the reason for bleaching action of Cl2.
Answer:
Bleaching action of chlorine is due to its oxidation. In the presence of moisture, chlorine gives nascent oxygen.
Cl2 + H2O → 2HCl + [0]
Because of nascent oxygen, it bleaches colouring substance as
Colouring substance +[0] → Colourless substance.
It bleaches vegetables or organic matter. The bleaching action of chlorine is permanent.

Question 30.
Name two poisonous gases which can be prepared from chlorine gas.
Answer:
(i) Phosgene (COCl2)
(ii) Tear gas (CCl3.NO2)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 18

Question 31.
Why is I-Cl more reactive than I2 ?
Answer:
I-Cl bond is weaker than I-I bond, so ICl is more reactive than I2.

Question 32.
Why is Helium used in diving apparatus ?
Answer:
Helium is used as a diluent for oxygen is modern diving apparatus because of its very low solubility in blood.

Question 33.
Balance the following equation :
XeF6 + H2O → XeO2F2 + HF
Answer:
XeF6 + 2H2O → XeO2F2 + 4HF.

Question 34.
Why has it been difficult to study the chemistry of Radon ?
Answer:
Radon is a radioactive with very short half life of 3-82 day’s that’s why the study of Chemistry of Radon is difficult.

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The p-Block Elements NCERT TextBook Exercises

Question 1.
Discuss the general characteristics of Group-15 elements with reference to their electronic configuration, oxidation state, atomic size, ionisation enthalpy and electronegativity.
Answer:
The group-15 of the periodic table contains five elements, namely nitrogen (N), phosphorus (P), arsenic (As), antimony (Sb) and bismuth (Bi). These elements are called ‘Pnicogens’ and their compounds as ‘Pniconides’. The name is derived from the Greek word ‘Pnicogens’ meaning suffocation.

Its general characteristics are given below :

1. Electronic configuration : these elements have five valency electrons therefore, their general valence shell electronic configuration will be ns2 np3, where, n = 2 to 6. The penultimate shell has 2 electrons in case of nitrogen, 8 electrons in phosphorus and 18 electrons in other elements.

In accordance with the Hund’s rule of maximum multiplicity the three np electrons are distributed as np1x, np1y, np1z. Thus, the p-orbitals are half filled and hence are stable and do not show much reactivity.

2. Oxidation state: The valency shell electronic configuration ns2 np3 of these elements suggests that these elements can show an oxidation states of 3, +3 and +5.

Nitrogen and phosphorus the first two members show negative oxidation state of -3 in their compound. Since, their electronegativities are high and atomic size are small. They form anions such as nitride ion (Mg3N2) and phosphide ion (Mg3P2) with highly positive elements. But, this tendency to show negative oxidation state decreases down the group due to the decrease in electronegativity and increase in size of the elements.

All these elements show positive oxidation state when they combine with more electronegative elements. They show +3 and +5 oxidation states in their compounds. However, the stability of +3 oxidation state increases and that of +5 oxidation state decreases down the group on account of inert pair effect (in ability of ns electrons to participate in bonding). This is noticed maximum in Bi due to very large nuclear charge. Thus, a molecule of BiCl3 can exist and not of BiCl5.

3. Atomic size: The atomic radii (covalent) and ionic radii (in same oxidation state) of 15th group members are smaller as compared to 14th group elements.
Reason : As we move left to right in a period nuclear charge increases and the new electrons are added in the same shell. Due to that effective nuclear charge increases (Z-effective). This results in decrease in atomic and ionic radii.
On going down the group, the covalent and ionic radii (in a same oxidation state) increases with the increase in atomic number. This increase is very large from N to P. However, from As to Bi only a small increase is observed.
Reason: On moving down the group increase in size can be explained on the basis of successive addition of new shell due to that Z-effective decreases. But, after ‘P’ increase in size is comparatively very small, because of insufficient shielding effect of 3d-electrons (Z- effect increases). Similarly, increase in size from Sb to Bi is small due to insufficient screening by 4/-electrons.

4. Ionization enthalpy : (a) The elements of group 15th element (nitrogen family) have sufficiently high ionization enthalpy which are more than the corresponding elements of group 14th element (carbon family).
(b) Down the group, the value of ionization enthalpies decreases regularly.

5. Electronegativity : As compared to group 14th element, group 15th elements are more electronegative. The electronegativity value decreases on moving down the group from N to Bi. Nitrogen is the most electronegative element of the family.

Question 2.
Why does the reactivity of nitrogen differ from phosphorus ?
Answer:
Molecular nitrogen exist as a diatomic molecule having a triple bond between the two nitrogen atoms, N = N (due to it stability to form pπ-pπ multiple bonding). The bond dissociation energy is very high (941-4 kJ mol-1). Thus, under ordinary conditions, nitrogen behaves as an inert gas. On the other hand, white and yellow phosphorus exists as a triatomic molecule (P4) having single bonds. The dissociation energy of P-P bond is low (213 kJ mol-1). Thus, phosphorus is much more reactive than nitrogen.

Question 3.
Discuss the trends in chemical reactivity of Group 15th elements.
Answer:
Chemical reactivity: The elements of group 15 show different reactivity. Nitro¬gen, inspite of its greater electronegativity value of 3, is chemically inert.
The chemical inertness of nitrogen is due to the presence of a triple bond between two nitrogen atoms (N ≡ N) which is very strong and requires high dissociation energy (941.4 kJ mol-1).
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 19
Phosphorus exists in P4 tetrahedral molecules, each p-p-p angle is 60° instead of 109°28 ‘as expected from sp3 hybridization. Thus P4 molecule has a highly strained cage like structure and this makes white phosphorus highly reactive, (on the other hand red phosphorus has opened up network structure and not discrete P4 molecule hence less reactive than white phosphorus). As, Sb and Bi are also not very reactive.

Question 4.
Why does NH3 form hydrogen bond but PH3 does not ?
Answer:
The N – H bond in ammonia is quite polar as nitrogen is highly electronegative in nature. As a result, NH3 molecules are linked by intermolecular hydrogen bonding.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 20
On the other hand, P – H bond is non-polar as both P and H have same electronegativ¬ity. Hence in phosphine no hydrogen bonding is present.

Question 5.
How is nitrogen prepared in the laboratory ? Write the chemical equations of the reactions involved.
Answer:
(i) In the laboratory, dinitrogen is prepared by heating an aqueous solution of ammonium chloride with sodium nitrite.
NH4Cl(ag) + NaNO2(aq) → N2(g) + 2H2O(l) + NaCl(aq)
(ii) Preparation by thermal decomposition of Ammonium dichromate.
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(iii) Net N2 is obtained from sodium or Barium azide.
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Question 6.
How is ammonia manufactured industrially ?
Answer:
Theory : One volume of nitrogen and three volume of hydrogen reacts together to form ammonia. It is an exothermic process. Formation of ammonia is accompanied by decrease in volume because four volume of reactants react to form two volumes of product. Thus, according to Le-chatelier’s principle high concentration of N2 and H2 low temperature and high pressure is favourable for the formation of ammonia.
Chemical reaction:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 23
Method: Pure nitrogen and pure and dry hydrogen are taken in ratio 1:3. The above mixture is passed in chamber containing ferric oxide (Fe2O3) as catalyst and molybdenum as promoter at 400-500C under the high pressure of 200 atmospheric pressure. The gas obtained after reaction contains 15-40% is cooled by condensers and liquid ammonia is obtained.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 24
Precautions : (i) N2 and H2 should be pure and dry because impurities damage catalytic activities and
(ii) Temperature and pressure should be controlled.

Question 7.
Illustrate how copper metal can give different products on reaction with HNO3.
Answer:
On heating with dil.HNO3, Copper gives copper nitrate and nitric oxide.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 25
With cone. HNO3, instead of NO, NO2 is evolved.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 26

Question 8.
Give the resonating structures of NO2 and N2O5.
Answer:
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Question 9.
The HNH angle value is higher than HPH, HAsH and HSbH angles. Why?
[Hint: Can be explained on the basis of sp3 hybridisation in NH3 and only s-p bonding between hydrogen and other elements of the group].
Answer:
According to VSEPR theory, the lone pair-bond pair repulsion is larger than bond pair-bond pair repulsion. As a result, the tetrahedral shape is distorted and the bond angle becomes less than tetrahedral angle (109°28′). Electronegativity of N is maximum in group 15, so bond pairs of electrons lie much closer to N in NH3. The force of repulsion between the adjacent bond pairs are also high so the HNH bond angle value is higher in NH3 than HPH, HAsH and HSbH angles.

Question 10.
Why does R3P = O exist but R3N = O does not (R = alkyl group)?
Answer:
Nitrogen does not have d-orbitals in its valence shell. Therefore, it can not extend its covalency to five by forming dπ-dπ bonding. As a result, the molecule of R3N = O does not exist. However, phosphorus has vacant rf-orbitals in the valence shell and can form dx-dxbonding. Thus, a molecule like R3P = O can exist.

Question 11.
Explain why NH3 is basic while BiH3 is only feebly basic.
Answer:
Atomic size of N(70pm) is much smaller than that of Bi (148 pm). Therefore, electron density on the N-atom is much higher than that on Bi-atom. Consequently, the tendency of N in NH3 to donate the pair of electrons is much higher than that of Bi in BiH3. Thus, NH3 is basic while BiH3 is only feebly basic.

Question 12.
Nitrogen exists as diatomic molecule and phosphorus as P4 Why?
Answer:
Nitrogen because of its small size and high electronegativity is capable of forming pπ-pπ multiple bonding. Therefore, it exists as diatomic molecule with one σ and two K bonds (N ≡ N). Phosphorus, on the other hand, has a longer size and lower electronegativity and thus is not capable to form pπ-pπ multiple bonds. It prefers to form single bonds hence, it exists as tetrahedral P4 molecules.

Question 13.
Write main differences between the properties of white phosphorus and red phosphorus.
Answer:
Comparison of properties of White and Red phosphorus :
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 28

Question 14.
Why does nitrogen show catenation properties less than phosphorus?
Answer:
The catenation properties depends upon the strength of the element-element bond. The N-N bond strength is much weaker (due to repulsion of lone pairs on nitrogen because of its small size) than the P-P bond strength, therefore, nitrogen shows catenation less than phosphorus.

Question 15.
Give the disproportionation reaction of H3PO3.
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 29

Question 16.
Can PCl5 acts as an oxidising as well as a reducing agent ? Justify.
Answer:
Phosphorus has maximum oxidation state of +5 in PCl5. It can not increase its oxidation state further and thus it can not act as reducing agent. However, PCl5 can act as an oxidising agent as it can itself reduce from +5 to +3 oxidation state. For example, PCl5 oxidises Ag and Sn in the following reactions :
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Question 17.
Justify the placement of O, S, Se, Te and Po in the same group of the periodic table in terms of electronic configuration, oxidation state and hydride formation.
Answer:
The elements of group 16 are collectively called chalcogens.
(i) Elements of group 16 have six valence electrons each. The general electronic configuration of these elements is ns2 np4, where n varies from 2 to 6.

(ii) Oxidation state : As these elements have six valence electrons (ns2np4), they should display an oxidation state of -2. However, only oxygen predominatntly shows the oxidation state of-2 owing to its high electronegativity. It also exhibits the oxidation state of -1(H2O2), zero (O2) and +2 (OF2).
However, the stability of the -2 oxidation state decreases on moving down a group due to a decrease in the electronegativity of the elements. The heavier elements of the group show an oxidation state of +2, +4 and +6 due to the availability of d-orbitals.

(iii) Formation of hydrides : These elements from hydrides of formula H2E, where E = O, S, Se, Te, Po. Oxygen and sulphur also form hydrides of type H2E2. These hydrides are quite volatile in nature.

Question 18.
Why is dioxygen a gas but sulphur a solid?
Answer:
The oxygen atom has tendency to form pπ-pπ multiple bonding due to its small size and high electronegativity. As a result, oxygen exist as diatomic molecule. These mol¬ecules are held together by weak van der waal’s forces of attraction which can be easily overcome by collisions of the molecules at room temperature. Therefore, O2 is the gas at room temperature.

Sulphur, on the other hand, because of its bigger size and lower electronegativity, does not form pπ-pπ multiple bonds. Instea it prefers to form S-S single bond and form polyatomic complex molecules having eight atoms per molecule (S8) and have puckered ring structure. Therefore, S atoms are strongly held together and it exists as a solid.

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Question 19.
Knowing the electron gain enthalpy values for O → O and O → O2- as -141 and 702 kj mol-1 respectively, how can you account for the formation of a large number of oxides having O2- species and not O ?
(Hint: Consider lattice energy factor in the formation of compounds).
Answer:
Although the formation of O2- anions requires more energy in comparison to the formation of O anion (actually energy is released). Yet in large number of oxides, oxygen is divalent in nature. This is due to the fact that lattice energies of the oxides having O2- anions are very high on account of greater magnitude of electrostatic force of attraction.

Question 20.
Which aerosols deplete ozone ?
Answer:
Freon (CCl2F2) (Chlorofluoro carbon).

Question 21.
Describe the manufacture of H2SO4 by contact process.
Answer:
Manufacture of sulphuric acid : Sulphuric acid is prepared on large scale by contact process. The basic raw material used is either sulphur or iron pyrites.
Principle of contact process : When pure and dry SO2 mixed with air is passed over V2O5 catalyst it gets oxidised to SO3 which is absorbed by H2SO4 to form oleum i.e., H2S2O7.
2SO2 + O2 → 2SO3 + 45.2 cal
SO3 + H2SO4 → H2S2O7
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 31
Details of the process are given below :
(a) Sulphur or pyrite burners : SO2 is produced by burning sulphur or roasting pyrites in pyrite burners.

(b) Purification unit: This unit is an assembly of various parts like.
(i) Dust chamber: SO2 gas produced is passed through dust chamber through which steam is sprayed from top. Dust particles absorb moisture, become heavy and settle down.
(ii) Cooling pipes : Now, the gaseous mixture is passed through cooling pipes to lower the temperature to 100°C.
(iii) Washing tower or scrubbers : It is filled with quartz and showers of cold water continue from top. Dust particles as well as soluble impurities settle down and are removed.
(iv) Drying tower : It is a high tower full of quartz pieces. Cone. H2SO4 is sprayed from the top. Gases enter the tower from bottom and get dried in contact with cone. H2SO4.
(v) Arsenic purifier : It is filled with shelves containing freshly prepared ferric hydroxide which absorb the impurities of arsenic purified and dried.

(c) Testing box : Before sending the gaseous mixture to contact chamber it is tested here. A strong beam of light is thrown into the testing box, if the gaseous mixture contains dust or any other particles they become visible, hence gaseous mixture is repurified. The completely pure gas is then sent to the contact chamber.

(d) Preheater : Pure gas free from dust particle is heated in preheater to 450°C and then passed into contact tower, where SO2 gets oxidized to SO3. This reaction is exothermic due to which temperature of contact tower raises to 450°C. After this the pure gases are pumped directly into the contact tower.

(e) Contact tower : It consists of a big iron container containing several pipes filled with vanadium pentoxide or platinized asbestos or any other suitable catalyst. Temperature is maintained at 450°C. Pure and dry SO2 reacts with air in these pipes to form sulphur trioxide.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 32
On account of exothermic nature of reaction, sufficient heat is available.

(f) Absorption tower: The sulphur trioxide is then passed into a tower in which cone, sulphuric acid flows down in the form of spray. Sulphuric acid absorbs SO3 and becomes more concentrated. This acid, due to excess of SO3 produces a fog in the tower. The acid obtained is called fuming sulphuric acid or oleum.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 33
Oleum is mixed with calculated quantity of water to form acid of a particular strength.
H2S2O7 + H2O → 2H2SO4
It may be noted that sulphur trioxide is not directly absorbed in water to form sulphuric acid because it forms a dense fog of sulphuric acid which does not condense easily.
Note : For detail refer to your NCERT Text-Book.

Question 22.
How is SO2 an air pollutant?
Answer:
SO2 dissolves in rain water and produces acid rain. The acid rain contains sulphuric acid
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 34
In addition to H2SO4, acid rain also contains HNO3.

Question 23.
Why are halogens strong oxidising agents?
Answer:
Halogens are strong oxidising agents due to their low bond dissociation enthalpy, high electronegativity and large negative electron gain enthalpy. Halogens have a strong tendency to accept electrons and thus get reduced.
X2 + 2e → 2X
As a result, halogen acts as strong oxidising agents. Their oxidising power however decreases from F2 to I2 as is evident from their electrode potentials:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 35

Question 24.
Explain why fluorine forms only one oxyacid, HOF ?
Answer:
Due to absence of d-orbital, fluorine does not shqw +3, +5 and + 7 oxidation state, while other halogen do show. Thus, it does not form oxoacids like HOFO, HOFO2, HOFO3. It shows only +1 oxidation state and form HOF only.

Question 25.
Explain why inspite of nearly the same electronegativity, oxygen forms hydrogen bonding while chlorine does not.
Answer:
Oxygen has smaller size than chlorine, smaller size of oxygen favours hydrogen bonding.

Question 26.
Write two uses of ClO2.
Answer:
Two uses of ClO2 :
(i) It is a powerful oxidising and chlorinating agent.
(ii) It is an excellent bleaching agent for wood pulp, flour for making white bread.

Question 27.
Why are halogens coloured ?
Answer:
Halogen absorb part of light in the visible region which causes excitation of outer electrons to higher energy levels. By absorbing different quanta of radiations, they display different colours. Fluorine atom is the smallest and the force of attraction between the nucleus and the outer electrons is very large. As a result, it requires large excitation energy and absorbs violet light and therefore appear yellow (complementary colour). As different colours are absorbed by different halogens, they display different complementary colour also.

Question 28.
Write the reactions of F2 and CI2 with water.
Answer:
F2 being strong oxidising agent oxidises H2O to O2 or O3.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 36
Cl2, on the other hand, reacts with H2O to form hydrochloric acid and hypochlorous acid.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 37

Question 29.
How can you prepare Cl2 from HCl and HCl from Cl2? Write reactions only.
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 38

Question 30.
What inspired N. Bartlett for carrying out reaction between Xe and PtF6?
Answer:
Neil Bartlett observed that PtF6 reacts with O2 to form an ionic solid O+2 PtF6
O2(g) + PtF6(g) → O+2[PtF6]
In this reaction, O2 gets oxidised to O+2 by PtF6.
Since the first ionisation energy of xenon is fairly close to that of oxygen. Bartlett thought that PtF6 should also oxidise Xe to Xe+. This prompted Bartlett to carry out the reaction between Xe and PtF6 and formed the first noble gas compound.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 39

Question 31.
What are the oxidation states of phosphorus in the following :
(i) H3PO3
(ii) PCl3
(iii) Ca3P2
(iv) Na3PO4
(v) POF3 ?
Answer:
(i) H3PO3 = 3 × (+1) + 3 × (-2) + X = 0 or X = +3
(ii) PCl3 = X + 3(-1) = 0 or X = +3
(iii) Ca3P2 = 3 × (+2) + 2 X = 0 or X = -3
(iv) Na3PO4 = 3 × (+1) + X + 4 × (-2) = 0 or X = +5
(v) POF3 = X (-2) + 3 × (-1) = 0 or X = +5.

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Question 32.
Write balanced equations for the following :
(i) NaCI is heated with sulphuric acid in the presence of MnO2.
(ii) Chlorine gas is passed into a solution of Nal in water.
Answer:
(i) Cl2 is produced
4NaCl + MnO2 + 4H2SO4 → MnCl2 + 4NaHSO4 + 2H2O + Cl2
(ii) Cl2 being an oxidising agent oxidises Nal to I2.
Cl2(g) + 2NaI(aq) → 2NaCl(aq) + I2(s)

Question 33.
How are xenon fluorides XeF2, XeF4 and XeF6 obtained ?
Answer:
Xenon Fluorides : Three fluorides of xenon are important. These are xenon difluoride (XeF2), xenon tetrafluoride (XeF4) and xenon hexafluoride (XeF6).The fluorides of xenon can be prepared by the direct combination between xenon and fluorine under different conditions.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 40

Question 34.
With what neutral molecule is CIO isoelectronic? Is that molecule a Lewis base ?
Answer:
OF2 and ClF are isoelectronic to CIO, out of which ClF is a Lewis base.

Question 35.
How are XeO3 and XeOF4 prepared ?
Answer:
Hydrolysis of XeF4 and XeF6 with water forms XeO3.
6XeF4 + 12H2O → 4Xe + 2XeO3 + 24HF + 3O2
XeF6 + 3H2O → XeO3 + 6HF
Partial hydrolysis of XeF6 gives XeOF4.
XeF6 + H2O → XEOF4 + 2HF

Question 36.
Arrange the following in the order of property indicated for each set:
(i) F2, Cl2, Br2,I2 – increasing bond dissociation enthalpy.
(ii) HF, HCl, HBr, HI – increasing acid strength.
(iii) NH3, PH3, ASH3, SbH3, BiH3 – increasing base strength.
Answer:
(i) I2 < F2 < Br2 < Cl2
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 41
Here F2 has very less bond dissociation energy inspite of having small size. It is due to repulsion be¬tween the lone pair of electrons on small size F-atoms.
(ii) HF < HCl < HBr < HI
It depends upon their bond dissociation enthalpy, which decreases from H-F to H-I as the size of atom increases from F to I.
(iii) BiH3 < SbH3 < AsH3 < PH3 < NH3.
They are lewis bases due to presence of lone pair of electrons on central atom of hydrides. The availability of lone pair of electrons is maximum in nitrogen owing to its small size therefore, NH3 is maximum basic and as the size of central atom increases availability decreases.

Question 37.
Which one of the following does not exist ?
(i) XeOF4
(ii) NeF2
(iii) XeF2
(iv) XeF6
Answer:
NeF2 does not exist as Ne does not have J-orbitals in valence shell and possesses high ionisation enthalpies. Thus, there is no scope of promotion of electrons i.e. formation of half filled orbitals. Hence, the formation of NeF2 is not possible.

Question 38.
Give the formula and describe the structure of a noble gas species which is isostructural with:
(i) ICl4
(ii) IBr2
(iii) BrO3.
Answer:
(i) ICl4 : sp3d2 hybridisation, square planar shape.
XeF4 is an isostructural species.

(ii) IBr2 : sp3d hybridisation, Linear shape.
XeF2 is an isostructural species.

(iii) BrO3: sp3 hybridisation, tetrahedral geometry (Pyramidal shape)
XeO3 is an isostructural species.

Question 39.
Why do noble gases have comparatively large atomic sizes?
Answer:
In case of noble gases, the atomic radii corresponds to van der Waal’s radii, which are always large.

Question 40.
List the uses of neon and argon gases.
Answer:
Uses of Neon : (i) Neon lights are used for commercial advertisements. It consists of a long tube fitted with electrodes at both ends. On filling the tube with neon gas and passing electric discharge of about 1000 volt potential, a bright red light is produced. Different colours can be obtained by mixing neon with other gases. For producing blue or green light neon is mixed with mercury vapours.

Uses of Argon :
(i) Like helium, it is also used to create inert atmosphere in welding of aluminium ahd stainless steel.
(ii) It is filled in electric bulbs along with 25% nitrogen.
(iii) It is also used in radio valves.
(iv) Argon alone or its mixture with neon is used in tubes for producing lights of different colours.

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The p-Block Elements Other Important Questions and Answers

The p-Block Elements Objective Type Questions

Question 1.
(A) Choose the correct answer :

Question 1.
In which compound oxygen exhibits +2 oxidation state :
(a) H2O
(b) Na2O
(c) OF2
(d) MgO.
Answer:
(c) OF2

Question 2.
Reddish brown gas is formed, when nitric oxide oxidizes by air. This gas is :
(a) Na2O2
(b) Na2O4
(c) NO2
(d) N2O3.
Answer:
(c) NO2

Question 3.
H3PO3 is :
(a) Dibasic acid
(b) Monobasic acid
(c) Tribasic acid
(d) Tetrabasic acid
Answer:
(c) Tribasic acid

Question 4.
Which one of the following is a typical metal:
(a) P
(b) As
(c) Sb
(d) Bi.
Answer:
(d) Bi.

Question 5.
Oxide which shows paramagnetic character :
(a) N2O4
(b) NO4
(C) P4O6
(d) N2O5.
Answer:
(b) NO4

Question 6.
Ammonia can be dried by :
(a) H2SO4
(b) P2O5
(c) Anhydrous CaCl2
(d) CaO.
Answer:
(d) CaO.

Question 7.
Nitric acid change iodine into :
(a) Iodic acid
(b) Hydroiodic acid
(c) Iodine pentaoxide
(d) Iodine nitrate.
Answer:
(a) Iodic acid

Question 8.
NH3 is a Lewis base which forms complex salt with cations. Following cation does not form complex salt with NH3 :
(a) Ag+
(b) Cu2+
(c) Cd2+
(d) Pb2+
Answer:
(d) Pb2+

Question 9.
Ammonia is soluble in:
(a) Hg2Cl2
(b) PbCl2
(c) Agl
(d) Cu(OH)2.
Answer:
(d) Cu(OH)2.

Question 10.
How much water molecules are required to change one molecule of P2O5 into orthophosphoric acid:
(a) 2
(b) 3
(c) 4
(d) 5.
Answer:
(b) 3

Question 11.
Bleaching action of SO2 is due to :
(a) Reduction
(b) Oxidation
(c) Hydrolysis
(d) Acidic nature.
Answer:
(a) Reduction

Question 12.
What happens when SO2 is passed through acidic K2Cr2O7 :
(a) Solution turns blue
(b) Solution turns colourless
(c) SO2 reduced
(d) Green chromic sulphate is formed.
Answer:
(d) Green chromic sulphate is formed.

Question 13.
P2O3 forms which of the following acid :
(a) H4P2O7
(b) H3PO4
(C) H3PO3
(d) HPO3
Answer:
(C) H3PO3

Question 14.
Most acidic halide is :
(a) PCl5
(b) SbCl3
(c) BrCl3
(d) CCl4
Answer:
(a) PCl5

Question 15.
The catalyst used in manufacturing of H2SO4 is :
(a) Al2O3
(b) CrO3
(c) V2O5
(d) MnO2
Answer:
(c) V2O5

Question 16.
The hydrolysis of phosphorus trihalides give :
(a) One monobasic acid and one dibasic acid
(b) One monobasic acid and one tribasic acid
(c) One monobasic acid and a salt
(d) Two dibasic acids.
Answer:
(a) One monobasic acid and one dibasic acid

Question 17.
In the following reaction :
P4 + 3NaOH + 3H2O → PH3 + 3NaH2PO2
(a) P oxidises
(b) P oxidises and reduces
(c) P reduces
(d) Na oxidises.
Answer:
(b) P oxidises and reduces

Question 18.
Laughing gas is :
(a) NO
(b) N2O
(C) N2O3
(d) N2O5.
Answer:
(b) N2O

Question 19.
White phosphorus does not contain :
(a) 6 P-P single bond
(b) 4 P-P single bond
(c) 4 lone pair of electron
(d) Bond angle of P-P-P is 60°.
Answer:
(b) 4 P-P single bond

Question 20.
On heating NH4Cl and NaNO2 solution gives :
(a) N2O
(b) N2
(C) NO2
(d) NH3.
Answer:
(b) N2

Question 21.
Formula of metaphosphoric acid is :
(a) H3PO4
(b) HPO3
(c) H3PO3
(d) H2PO3.
Answer:
(b) HPO3

Question 22.
Gas which cannot be collected on water :
(a) Na
(b) O2
(c) SO3
(d) PH3.
Answer:
(c) SO3

(B) Choose the correct answer :

Question 1.
Chlorine shows bleaching property in the presence of:
(a) Dry air
(b) Moisture
(c) Sunlight
(d) Pure oxygen.
Answer:
(b) Moisture

Question 2.
Which of the following element forms least number of compounds :
(a) He
(b) Ar
(c) Kr
(d) Xe.
Answer:
(a) He

Question 3.
Which is used for bright advertisement display :
(a) Xe
(b) Ar
(c) Ne
(d) He.
Answer:
(c) Ne

Question 4.
Monazite is a source of:
(a) Ne
(b) Ar
(c) Kr
(d) He.
Answer:
(d) He.

Question 5.
Which of the following is not obtained by the direct reactions of the constituents:
(a) XeF2
(b) XeF4
(c) XeO3
(d) XeF6.
Answer:
(a) XeF2

Question 6.
Which of the following halides are least stable and whose existence is suspicious:
(a) CI4
(b) GeI4
(c) SnI4
(d) PbI4
Answer:
(d) PbI4

Question 7.
Which of the following is the strongest acid:
(a) HBr
(b) HCl
(c) HF
(d) HI.
Answer:
(d) HI.

Question 8.
Most electronegative element is:
(a) F
(b) Cl
(c) Br
(d) I.
Answer:
(a) F

Question 9.
Which halogen is solid at room temperature:
(a) Cl2
(b) I2
(c) Br2
(d) F2
Answer:
(d) F2

Question 10.
Which has maximum electron affinity:
(a) F
(b) Cl
(c) Br
(d) I.
Answer:
(b) Cl

Question 11.
Electronic configuration of valence shell of halogen ¡s:
(a) s2 p5
(b) s2p3
(c) s2p6
(d) s2p4.
Answer:
(a) s2 p5

Question 12.
Which element is most alkaline:
(a) F
(b) Cl
(c) Br
(d) I.
Answer:
(d) I.

Question 13.
The strongest reducing agent is:
(a) F
(b) Br
(c) I
(d) I.
Answer:
(c) I

Question 14.
Which of the following is weakest acid:
(a) HF
(b) HCI
(c) HBr
(d) HI.
Answer:
(a) HF

Question 15.
Oxidizing property ¡s highest of:
(a) I2
(b) Br2
(c) F2
(d) Cl2.
Answer:
(c) F2

Question 16.
Which Noble gas does not have octet complete:
(a) Helium
(b) Neon
(c) Argon
(d) Krypton.
Answer:
(a) Helium

Question 17.
Which Halogen sublimates:
(a) Chlorine
(b) Bromine
(c) Iodine
(d) Fluorine.
Answer:
(c) Iodine

Question 18.
Which of the noble gas is most soluble in water:
(a) He
(b) Ar
(c) Ne
(d) Xe.
Answer:
(d) Xe.

Question 19.
I2 easily dissolve in KI solution to form :
(a) I
(b) KI2
(C) KI
(d) KI3.
Answer:
(d) KI3.

Question 20.
Gas mixed in oxygen which is used in respiration for asthma patients :
(a) N2
(b) Cl2
(c) He
(d) Ne.
Answer:
(c) He

Question 21.
Deacon’s process is used for manufacture of:
(a) Bleaching powder
(b) Chlorine
(c) Nitric acid
(d) Sulphuric acid.
Answer:
(b) Chlorine

Question 22.
Sea grass is the source of industrial manufacture of:
(a) Chlorine
(b) Bromine
(c) Iodine
(d) Fluorine.
Answer:
(c) Iodine

Question 23.
Which gas is more useful to be filled in electric bulb :
(a) He
(b) Ne
(c) Ar
(d) Kr.
Answer:
(c) Ar

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Question 2.
(A) Fill in the blanks :

1. N2O is a …………………. oxide.
2. Formula of Caro’s acid is ………………….
3. Concentrated nitric acid has brown colour due to the dissolution of …………………. gas.
4. Out of nitrogen oxides …………………. and …………………. are paramagnetic.
5. Pyrophosphoric acid is …………………. basic acid.
6. H2S gas cannot be dried by cone. H2SO4 because H2S …………………. it.
7. Fuming sulphuric acid dissolves in SO3 to form ………………….
8. Oxidation state of S in H2S2O8 (Marshall gas) is ………………….
9. NH3 gives white fumes of …………………. when it combines with HCl.
10. Elements of 16th group are known as ………………….
11. …………………. is used as a refrigerant.
Answers:
1. Neutral
2. H2SO5
3. NO2
4. NO, NO2
5. Tetra
6. reduces
7. Oleum
8. +6,9. NH4Cl
10. Chalcogen
11. Liquid NH3.

(B) Fill in the blanks :

1. ………………….. has the highest electron affinity.
2. In the presence of moisture, chlorine acts as a ………………….. agent.
3. Bleaching powder is also called as …………………..
4. At ordinary temperature bromine is a …………………..
5. Inter halogen compound AX5 has ………………….. structure.
6. Chlorine was discovered by …………………..
7. Neil Bertlett forms first noble compound which is …………………..
8. Element with highest electron affinity is …………………..
9. In oxy acid halogen present in ………………….. hybride state.
10. Gas which is light due to which it is filled in aircraft tyres is …………………..
11. ………………….. inert gas is mostly used in advertisements.
12. Elements of Group 17th are commonly known as …………………..
13. ………………….. is a radioactive inert gas.
Answer:
1. Chlorine
2. Bleaching
3. Calcium chlorohypochloride
4. Liquid
5. Square pyramidal
6. Scheele
7. Xe [PtF6]
8. Chlorine
9. sp3
10. Helium
11. Ne (Neon)
12. Halogen
13. Radon.

Question 3.
Match the following :
I.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 42
Answers:

  1. (d)
  2. (c)
  3. (a)
  4. (b)
  5. (f)
  6. (g)
  7. (e)
  8. (i)
  9. (j)
  10. (h)

II.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 43
Answers:

  1. (e)
  2. (c)
  3. (b)
  4. (a)
  5. (d).

III.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 44
Answers:

  1. (e)
  2. (d)
  3. (b)
  4. (f)
  5. (c)
  6. (a).

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Question 4.
(A) Answer in one word / sentence :
1. Who protects earth from ultraviolet rays ?
2. Give the chemical name of oil of vitriol or king of chemical.
3. Which gas is used for refrigeration ?
4. At which temperature water has maximum density ?
5. Give the name of compound formed by the dissolution of SO3 in sulphuric acid.
6. Write name of an antichlor.
7. Which gas is used for bleaching of oil and elephant teeth ?
8. Ammonium salts react with Nessler’s reagent to give which coloured precipitate ?
9. On moving down from N to Bi, +3 oxidation state of Bi becomes more stable than +5. Why ?
10. State the percentage of N2 by volume in nature.
Answers:
1. Ozone layer
2. H2SO4
3. NH3
4. 4°C
5. Oleum
6. SO2
7. Ozone
8. Brown
9. Due to Inert pair effect
10. 80%.

(B) Answer in one word/sentence :

1. Give the name of radioactive halogen.
2. Which noble gas is used in bulb with nitrogen ?
3. Write the name of noble gas which is used in treatment of cancer.
4. Write the formula of Carnalite.
5. Which noble gas is maximum available in the atmosphere ?
6. What is the shape of XeF6 ?
7. Write one use of fluorine.
8. Which type of hybridization is present in XeO3?
9. Write the oxidation state of F.
10. Write only equation for the preparation of chlorine in the lab.
11. What is the shape of AX3 type of Interhalogen compound ?
12. Write the correct order of strength of halogen acid.
13. Which noble gases do not form compounds ?
14. With which noble gas does F form compounds ?
15. Sea weeds are the source of which halogen ?
Answer:
1. Astatine
2. Ar
3. Rn
4. KCl.MgCl2.6H2O
5. Argon
6. Distorted octahedron
7. In preparing fluorocarbon, which is used in refrigeration
8. sp3
9. -1
10. MnO2 + 4HCl → MnCl2 + 2H2O + Cl2
11. T- shape
12. HF < HCl < HBr < HI
13. He, Ne and Ar
14. Xe
15. Iodine.

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The p-Block Elements Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Why is dinitrogen (N2) less reactive at room temperature ?
Answer:
Due to high bond enthalpy of N ≡ N bond, dinitrogen is very less reactive at room temperature.

Question 2.
Why is concentrated sulphuric acid a high boiling point oily liquid ?
Answer:
Due to hydrogen bond between H2SO4 molecules, it is a high boiling point oily liquid.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 45

Question 3.
Name two poisonous gases which are prepared from chlorine.
Answer:
(i) Phosgene (COCl2)
(ii) Tear gas (CCl3NO2).

Question 4.
Write the order of acidic strength of HCIO, HBrO and HIO.
Answer:
Strength of hypohalous acids decreases from HCIO to HIO.
HCIO > HBrO > HIO.

Question 5.
What are clathrate compounds ?
Answer:
In the cavity or space of crystal lattice of a compound small sized elements like noble gases get trapped within. Such compounds are called clathrate compounds.
Example : Kr3 (β-quinol).

Question 6.
Electronegativity of F atom is more than I atom still acidic strength of HF is less than HI. Explain.
Answer:
Due to small size of F atom, bond dissociation energy of HF bond is much higher than HI bond, in which size of I atom is large.

Question 7.
Which noble gases can form chemical compound ?
Answer:
Kr and Xe can form compounds in extremely specific conditions.

Question 8.
Fluorine is strong oxidizing agent as compared to chlorine. Why ?
Answer:
Because of following points, fluorine is strong oxidizing agent:

  1. The size of F atom is smaller than Cl atom.
  2. Electronegativity of fluorine is higher than Cl atom.
  3. Dissociation energy of fluorine is less than that of chlorine.
  4. E° value of fluorine is more than chlorine.

Question 9.
F2O is not considered to be the oxide of fluorine. Why ?
Answer:
Fluorine is the most electronegative element. Its electronegativity is higher than oxygen. In naming a compound less electronegative elements are first and then more electronegative elements are written. Therefore, F2O or OF2 is known as oxygen difluoride and not fluorine oxide.

Question 10.
Interhalogen compounds are more reactive than halogen. Why ?
Answer:
X — Y bonds of interhalogen compounds are more polar due to difference in the electronegativities of halogen and are generally weaker than X — Y bonds of pure halogen. Therefore, interhalogen compounds are more reactive than halogens.

Question 11.
Helium and Neon do not form compounds with Fluorine. Why ?
Answer:
Due to absence of cf-orbitals in the valence shell of He and Ne, their electrons cannot get excited into higher energy o’-sub-shells. Therefore, He and Ne do not form compounds with fluorine.

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The p-Block Elements Short Answer Type Questions

Question 1.
H2O is liquid, while H2S is a gas at ordinary temperature. Explain.
Answer:
In H2O, oxygen is electronegative due to this intermolecular hydrogen bonding is found among H2O molecule and exists as liquid state.
On the other hand, sulphur is less electronegative due to this intermolecular hydrogen bonding is not found in H2S and it exists as gas
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 46

Question 2.
Write formula and structures of five oxy acids of phosphorus.
Answer:
Five oxy acids of phosphorous are :
(i) H3PO2 (Hypophosphorous acid)
(ii) H3PO3 (Phosphorous acid)
(iii) H4P2O5 (Pyrophosphorous acid)
(iv) H4P2O6 (Hypophosphoric acid)
(v) H4P2O7 (Pyrophosphoric acid).
Structures of oxy acids of phosphorus are :
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 47

Question 3.
Behaviour of oxygen is different from other elements of the group. Why ?
Answer:
Reason for abnormal behaviour of oxygen :

  1. Electronegativity is maximum.
  2. Ionisation energy is high.
  3. No any vacant d-orbitals present in valence shell.
  4. Atomic size is small.
  5. It forms strong hydrogen bonds.

Question 4.
What is the reason that oxygen is a gas whereas sulphur is a solid ?
Answer:
Oxygen forms diatomic O2 molecule. Different molecules of oxygen are tied with weak van der Waals forces, so oxygen is gas at normal temperature.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 48
On the other hand, sulphur forms a complex molecular structure of 8 sulphur atoms. Molecular mass of S8 is very much and it is solid.

Question 5.
Water is neutral, whereas H2S is a weak acid. Why ?
Answer:
Due to the presence of strong H-bond in water, its molecules mutually associate due to which magnitude of its dissociation constant (ka) decreases. Therefore, water is neutral. Whereas in H2S due to lower electronegativity of S, hydrogen bond cannot be formed and size of sulphur atom is larger than oxygen atom due to which release of hydrogen in the form of proton is helpful. Thus, H2S is a weak acid.

Question 6.
In the laboratory ammonia is dried by quick lime, why ?
Answer:
In the laboratory ammonium chloride is heated with caustic soda solution or with milk of lime in a hard, round bottom flask. Ammonia evolved is directly passed over quick lime and is collected in gas jars by downward displacement of air.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 49
Aqueous NH3 is dried by passing it over quick lime (CaO). H2SO4, CaCl2 and P2O5, etc. cannot be used for drying NH3 because it reacts with them.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 50

Question 7.
Write the difference between the bleaching action of SO2 and Cl2.
Or
Bleaching of flowers by Cl2 is permanent while bleaching by SO2 is temporary, why ?
Answer:
Bleaching action of SO2: Bleaching by SO2 is due to the process of reduction in the presence of moisture.
SO2 + 2H2O → H2SO4 + 2[H] (nascent)
The nascent hydrogen liberated in the reaction is responsible for bleaching flower but when the flower comes in contact with air. It gets oxidized and become coloured.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 51
Bleaching action of Cl2: Bleaching by Cl2 is due to the process of oxidation in the presence of moisture.
Cl2 + H2O → 2HCl + [O] (nascent)
Coloured substance + [O] → Colourless
The oxygen liberated in the reaction is responsible for bleaching, colour bleached by Cl2 is permanent and original colour cannot be restored on exposure to air.

Question 8.
Write formula and structure of five Oxy acids of Sulphur.
Answer:
Oxy acids of Sulphur:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 52
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 53

Question 9.
Write any four functions of Glover’s tower in lead chamber process for manufacturing of H2SO4.
Answer:
Functions of Glover’s tower :
(1) Oxide of nitrogen in nitrated sulphuric acid obtained by Glover’s tower, released
2NO + 2HSO4 + H2O → NO + NO2 + 2H2SO4

(2) By the temperature of gases, the water present in lead chamber evaporates and acid concentration increases upto 78%.

(3) In this tower SO2, NO2 and water vapour react to form H2SO4.
SO2 + NO2 + H2O → H2SO4 + NO

(4) Stones of Glover’s tower cool down and maintain the temperature 60-80°C.

Question 10.
What is Aqua regia ? Write its uses.
Answer:
Aqua regia : Mixture of 1 part of cone. HNO3 and 3 part of cone. HCl.
Uses : It dissolves Au and Pt.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 54

Question 11.
Contact process of manufacturing of H2SO4 is supposed to be more ad¬vance than lead chamber process. Why ?
Answer:
(i) The acid obtained by contact process is pure while the acid obtained by lead chamber process is impure.
(ii) The plant for lead chamber process requires large area while plant used in contact process occupies comparatively less area.
(iii) The catalyst used in contact process is platinised asbestos while in lead chamber process catalyst is gaseous (NO2 gas) and to maintain its flow regular is tedious.
(iv) In contact process concentrated sulphuric acid is obtained while in lead chamber process dilute acid is obtained.
(v) In contact process running of the plant is less costly while in lead chamber process running of the plant is costly.

Question 12.
The boiling point of NH3 is more than PH3. Why ?
Answer:
Ammonia molecules are associated together by hydrogen bond due to presence of N atom which is more electronegative than P atom of PH3 in which there is no hydrogen bond that is why boiling point of NH3 is high.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 55

Question 13.
Draw labelled diagram of laboratory method of phosphine and give chemical equation.
Answer:
Phosphine is prepared in laboratory by heating white phosphorus with NaOH in an inert atmosphere of CO2 and oil gas. Phosphine produced is highly inflammable due to the presence of phosphorus dehydride as impurity. Vapour of phosphine form vortex noing of smoke in contact with air. Alcoholic KOH can be used in place of NaOH.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 56

Question 14.
Nitrogen differs from its group 15 and show diagonal relationship with sulphur of group 16. Clarify the cause of similarity and difference.
Answer:
Nitrogen shows dissimilarities with other elements of that group due to following factors :

  1. Smaller atomic size.
  2. High electronegativity
  3. Tendency to form multiple bonds
  4. Non-availability of d-subshells.

Nitrogen resembles sulphur of group 16 in the following properties :

  1. Both are non-metal
  2. Both are bad conductor of electricity
  3. Both are electronegative element
  4. Both form covalent compound
  5. Both form stable and covalent hydride
  6. Oxide of both elements are soluble in water and form oxy acids
  7. Hydride of both elements dissolve in water.

Question 15.
Write the structure of Pyrophosphoric acid.
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 57
Oxidation number of phosphorus in pyrophosphoric acid is +5. It is tetrabasic acid. Pyro word is used for such acids which is obtained by the loss of one water molecule by heating two molecules. Its chemical formula is H4P2O7(P2O5.2H2O).

Question 16.
Oxygen exhibit -2 to +2 oxidation state while the other member of this group show +2, +4 and +6 oxidation state. Why ?
Answer:
The oxidation state of oxygen is -2, but in H2O2, O2, O2F2 and OF2 etc., the oxidation number of oxygen is -1, 0, +1 and +2. Oxygen is divalent because it contains two unpaired electrons. Its electronic configuration is 1s2,2s2, 2p2x, 2p1y 2p1z Therefore, there is no vacant nd orbital in oxygen. Thus, it does not have more than 2 valency whereas other element of this group contains vacant nd orbital. The electron from ns and np orbital can jump to nd orbital and gives rise to +2, +4 and +6 oxidation state.

Question 17.
Explain that molecular formula of oxygen is O2 whereas that of sulphur is Sg.
Answer:
Size of oxygen atom is small, thus it possesses the ability to form stable double bond with itself. Thus, its molecular formula is O2 where as due to large size of sulphur atom it does not form multiple bond, therefore it does not exist in the form of S2. Along with it due to high S-S bond energy it has catenation property more than oxygen. Therefore, sulphur exists in the form of S8 in which each sulphur atom is linked with other sulphur atoms by single covalent bonds and form puckered ring like structure.

Question 18.
Write name, formula and oxidation state of oxides of nitrogen.
Answer:
Five oxides of Nitrogen are :
(i) Nitrous oxide (N2O): Oxidation state +1.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 58
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 59

Question 19.
Explain Siemen-Halskey ozonizer process for the manufacture of ozone and draw labelled diagram.
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 60
For commercial production of ozone Siemen-Halskey ozonizer is used. It consists of an iron box fitted with 6 to 8 glass cylinders. Each cylinder is 3 ft high and 10″ in width. The box is divided into three com-partments. Cold water flows through the central compartment for cooling. Each cylinder is fitted with an aluminium rod which are resting on insulating glass slab in the lower compartment. There is annular space between rod and sides of cylinder. A current of air flows through this annular space. The aluminium rods are subjected to high potential of 8,000 to 10,000 volts. The air which enters at bot¬tom escapes at the top and contains about 5% of ozone. If pure oxygen is used in place of oxygen then ozonized oxygen contains about 15% of ozone.

Question 20.
H2S is a stronger reducing agent than H2O. Why ? Give any three reasons.
Answer:
H2S is a stronger reducing agent than H2O because H2S can easily releases its hydrogen not H2O due to the following reasons :
(1) In H2O, H-bond is present which require extra energy to get released.
(2) Size of S is larger than oxygen.
(3) Electronegativity of oxygen is more than sulphur.

Question 21.
Why is sulphurous acid a reducing agent ?
Answer:
Because on sulphur atom of H2SO3 a non-bonding electron is still present. By losing this electron pair sulphur atom of H2SO3 can achieve higher oxidation state. Therefore, H2SO3 act as a reducing agent.

Question 22.
What is general electronic configuration of noble gases ? Write electronic configuration of noble gases.
Answer:
The general electronic configuration of noble gases is ns2np6. Where, n is the valence shell’s serial number.

Electronic configuration of noble gases are following :
Helium (He) → 1s2
Neon (Ne) → 1s2 2s2 2p6
Argon (Ar) → 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6
Krypton (Kr) → 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 4s2 3d10 4p6
Xenon (Xe) → 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 4s2 3d10 4p6 5s2 4d10 5p6
Radon (Rn) → 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 4s2 3d10 4p6 5s2 4d10 5p6 6s2 4f14 5d10 6p6.

Question 23.
Explain with reason :
(a) HF is liquid while other hydrides of halogens are .gases at normal temperature.
(b) Fluorine does not form polyhalide.
Answer:
(a) The electronegativity of fluorine is maximum than other halogens. Therefore, HF molecule is conjugated by H-bond and the boiling point of HF is more to other halogen acids therefore HF is liquid while halides of other halogens are gases at room temperature.
H – F …. H – F …. H – F …. H – F
(b) The electronic configuration of fluorine is 1s2, 2s2, 2p5. Due to absence of d-orbital in its valency shell it does not show higher oxidation state and so it does not made polyhalide.

Question 24.
Explain, why :
(a) Noble gases are monoatomic ?
(b) Atomic radii of noble gases are largest ?
(c) Ionisation energy of noble gases are highest ?
Answer:
(a) There is no any unpaired electron in electronic configuration of noble gases. So these do not form chemical bonds and are monoatomic.
(b) Outermost shell of noble gases are completely filled so atomic radii of noble gases are maximum.
(c) All electrons in outermost orbit of noble gases are paired and energy required to make them unpaired is very high. Thus, noble gases have maximum ionisation energy in respective periods.

Question 25.
What do you mean by available chlorine ? Explain with reaction.
Answer:
When bleaching powder is treated with excess of dilute acid or carbon dioxide, the whole of chlorine present in the molecule is liberated. The amount of chlorine thus set free is called available chlorine.
CaOCl2 + 2HCl → CaCl2 + H2O + Cl2
CaOCl2 + H2SO4 → CaSO4 + H2O + Cl2
CaOCl2 + CO2 → CaCO3 + Cl2
Amount of available chlorine in a good sample is 35-38%.

Question 26.
Write any two uses of helium gas.
Answer:
Uses of Helium : (i) It is used in filling air ships and balloons for weather study.
(ii) A mixture of 80% helium and 20% oxygen is used by divers for respiration.

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Question 27.
Explain the structures of XeF2 and XeF4.
Answer:
Structure of XeF2: In XeF2 molecule Xe atom is in sp3 d hybrid state hence, its structure is trigonal bipyramidal but its geometry is linear.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 61
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 62
Structures of XeF4 : XeF4 formed under second excited state of Xe where two of sporbitals are unpaired and 4 unpaired electron develop. Being sp3 d2 hybridization involved, the structure is octahedral but due to presence of two lone pair of electron geometry of molecules get distorted and becomes square planar.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 63

Question 28.
Fluorine always exhibit -1 oxidation state. Why ?
Answer:
Fluorine is the most electronegative element of periodic table. It always exhibit -1 oxidation state. It has no d-subshell in the outermost orbit. So it does not show any excited state.

Question 29.
Write the name, formula and oxidation number of any two oxy acids of chlorine.
Or,
Write formula structure and oxidation states of any two oxy acids of chlorine.
Answer:
Oxy acids of Chlorine :
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 64

(i) Structure of HCIO : Central atom chlorine in CIO ion of HCIO is sp3 hybridized, due to which four hybrid orbitals are formed. Three of it contain lone electron pair and the fourth undergo overlapping with the orbital of oxygen forming sigma bond. The H+ geometry is linear.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 65

(ii) Structure of HClO3
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 66
(iii) Structure of HClO4 : Its central atom Cl is sp3 hybridized. Thus, ClO4 ion is tetrahedral.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 67

Question 30.
Explain bleaching action of bleaching powder.
Answer:
The cloth to be bleached is dipped in a solution of bleaching powder in water in a vat. From this vat, the cloth passes into a very dilute solution of hydrochloric acid. Here the cloth is bleached due to the liberation of chlorine by the action of acid on the bleaching agent. Some chlorine remains sticking to the fibre and is likely to damage it. In order to remove the traces of chlorine, the cloth is passed through a vat containing antichlor like sodium thiosulphate.

The cloth is then carried to another vessel where it is washed with excess of water. The washed cloth is then pressed with rollers, dried and ironed in the ironing cylinders and then wrapped in the form of a roll.
CaOCl2 + H2SO4 → CaSO4 + H2O + Cl2
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 68

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Question 31.
Noble gases are inert. Why ?
Answer:
Noble gases are inert due to following reasons :

  1. Noble gases are inert because octet of these gases are complete. It is the most stable state and do not have unpaired electrons.
  2. Ionisation energy of noble gases are high and electronegativity and electron affinity are zero. Therefore, these gases neither accept electron nor release electron.

Thus, noble gases are inert in nature.

Question 32.
Write any three anomalous behaviour of fluorine from other member of its group.
Answer:
Anomalous behaviour of fluorine are :

  1. Highest electronegativity of fluorine than other halogen. So, it can form F- ion and can displace other element.
  2. Due to smaller size, it forms strong covalent bond with other atom.
  3. Bond energy of fluorine is very low of about 158 kJ mol-1. Hence, it requires very less activation energy.

Question 33.
Xenon is a noble gas, then also it forms compound. Why ? Give structure of any two compounds.
Answer:
In 1962 Neil Bartlett observed that oxygen reacts with PtF6 and form O2[PtF6]. He thought that the first ionization energy of oxygen and xenon is nearly same, on this basis he treated Xe and PtF6 and got the first compound Xe+[PtF6].
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 69
By direct action of Xe on PtF6, first compound of inert gases Xe+[PtF6] was obtained. It is an orange-yellow crystalline solid.

Question 34.
Fluorine is strong oxidizing agent as compared to chlorine. Why ?
Answer:
Because of following points, fluorine is strong oxidizing agent:

  1. The size of F atom is smaller than Cl atom.
  2. Electronegativity of fluorine is higher than Cl atom.
  3. Dissociation energy of fluorine is less than that of chlorine.
  4. E° value of fluorine is more than chlorine.

Question 35.
Describe the laboratory preparation of chlorine.
Answer:
Laboratory preparation : HCl and MnO2 is taken in a round bottom flask. Cone. HCl is added from thistle funnel. The flask is heated slowly so that green yellow colour of Cl2 gas evolved.
MnO2 + 4HCl → MnCl2 + 2H2O + Cl2
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 70

Question 36.
Write any five physical properties of noble gases.
Answer:
Five physical properties of noble gases :

  1. Atomic radii: Ionic radii of noble gases are corresponding to van der Waals’ radii. On moving downwards in the group, van der Waals’ radii increases.
  2. Ionisation energy : Due to stable electronic configuration, ionisation energy is very much. Value of ionisation energy decreases with increase in atomic number.
  3. Electron affinity : Due to stable electronic configuration ns2np6, noble gases do not have tendency to accept electron. Thus, electron affinity of these nearly zero.
  4. m. p. and b.p.: Due to weak attractive forces present in atoms m.p. and b.p. of these gases are low. Value of m.p. and b.p. increases on moving downward in the group.
  5. Liquification : Noble gases are not liquefied easily due to weak van der Waals’ forces.

Question 37.
Describe properties of hydrides of halogens under the following heads :
(i) Physical state
(ii) Thermal stability
(iii) Reducing property
(iv) Acidic strength
(v) Nature of bond.
Answer:
Properties of hydrides of hydrogen :
(i) Physical state: Hydrogen fluoride is a low boiling (292K) liquid while HC1, HBr and HI are gases. HF is liquid due to H-bonding.

(ii) Thermal stability : The order of thermal stability is
HF > HCl > HBr > HI
On moving down the group thermal stability decreases due to decrease in stability of bond with increase in size of halogen atom.

(iii) Reducing property : Reducing property increases down the group because stability of H – X bond decreases down the group.
HF < HCl < HBr < HI
HF does not have reducing property. HCl is weak reducing agent, HBr is strong reducing agent while HI is strongest reducing agent.

(iv) Acidic strength : Halogen hydrides are covalent compound in gaseous state. They ionize in gaseous medium and behave like acids. Their acidic strength is related to
stability of H – X bond strength. The decreasing order of acidic strength is
HF > HCI > HBr > HI
Dissociation energy of HF is highest hence, it does not ionises in aqueous solution.
Therefore, it is the weakest acid.

(v) Nature of bond: All halides are of covalent nature, but some possess ionic character also. Inonic character decreases from HF to HI.

Question 38.
Fluorine shows only -1 oxidation state while other halogen shows +3, +5 and +7 oxidation state in addition to -1 and +1, why ?
Answer:
F shows only +1 and -1 oxidation state, while other halogen i.e Cl, Br and I show +3, +5, +7 oxidation state in addition to +1, -1 because Cl, Br, and I halogen atom have vacant d-orbital on excited state they exhibit +3, +5 and +7 unpaired in d-orbital.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 71
Therefore, except F other halogen show +3, +5 and +7 oxidation state in addition to -1 and +1.

Question 39.
Elements of group 17 (halogens) are coloured. Explain, why ?
Answer:
All elements of halogen group are coloured. Colour of these elements become deep with increase in atomic number.
Fluorine – Yellow
Bromine – Brown or deep red
Chlorine – Green-Yellow
Iodine – Violet.
Colour of halogens is due to absorption of visible light by molecules. Due to absorption of light outermost electrons excited to higher orbitals and elements are seen coloured. Being smaller atomic size, fluorine absorbs violet radiation of higher energy and are seen light yellow coloured while iodine atom having larger atomic size absorbs yellow radiation of lower energy and are seen violet coloured. For larger atomic size, radiation of less energy are required because electrons are far from the nucleus.

Question 40.
Give reason :
(a) Iodine exhibits some metallic property.
(b) Halogens are strongly oxidizing, Why ?
Answer:
(a) Ionization energy of iodine is small so it gives out one electron from its valence shell. In some reaction Iodine gives I+ ion so it has some metallic property.
I → I+ + e
(b) Halogens are only one electron short to complete their octet and attaining stable structure. So halogens have strong tendency to accept electron. Thus, halogens are strong oxidising agents because of accepting electrons in reduction, oxidising power of halogens decreases from fluorine to iodine.
F2 > Cl2 > Br2 > I2

Question 41.
Fluorine is more active than other halogen. Explain, in three points.
Answer:
Fluorine is more active than other halogen because of:

  1. Bond energy of fluorine is minimum (158 kJ/mol), so F2 molecules require less activation energy for reaction.
  2. Size of fluorine atom is smaller than other halogen atoms, so the covalent bond formed with other atoms is stronger.
  3. Electronegativity of fluorine atom is highest and it forms F- ion easily. Due to more electronegativity it substituted other elements from their compounds.

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The p-Block Elements Long Answer Type Questions

Question 1.
Give chemical reaction of ozone with
(i) K2MnO4
(ii) I2
(iii) Ag2O
(iv) CH2 = CH2 and
(v) PbS.
Answer:
(i) With K2MnO4 : Potassium permangnate is formed.
2K2MnO4 + H2O + O3 → 2KMnO4 + 2KOH + O2

(ii) With I2 : Iodic acid is formed.
I2 + H2O + 5O3 → 2HIO3 + 5O2

(iii) With Ag2O : Silver is formed.
Ag2O + O3 → 2 Ag + 2O2

(iv) With CH2 = CH2: Ethene ozonide is formed.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 72

(v) With PbS : PbSO4 is formed.
PbS + 4O3 → PbSO4 + 4O2

Question 2.
Explain Ostwald’s process of manufacture of nitric acid drawing labelled diagram.
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 73
Principle of Ostwald’s process: The mixture of ammonia and air when passed over platinum gauze catalyst at 750 – 90OC, ammonia gets oxidized to pitric oxide.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 74
The reaction is exothermic and the heat liberated maintains the temperature of the catalyst. The nitric oxide is then oxidised to nitrogen dioxide by air which is cooled to 50”C and absorbed by water to produce nitric acid.

Question 3.
In which properties nitrogen exhibit difference with the other elements of that group and why ?
Answer:
Nitrogen shows dissimilarities with other elements of that group due to following factors :

  1. Smaller atomic size
  2. High electronegativity
  3. Tendency to form multiple ,bonds
  4. Non-availability of J-subshells.

Differences in properties :

  1. Nitrogen is less reactive gas while other members are reactive solids
  2. Nitrogen is diatomic while molecules of other elements are tetra-atomic (P4, AS4, Sb4)
  3. Nitrogen does not form complex compound while other elements of this group form complex compound due to presence of vacant d-orbitals
  4. Various oxides of nitrogen (N2O, NO, N2O3, N2O4 , N2O5) are known while other members do not form so many oxides
  5. NH3 is a liquid with high b.p. while other hydrides are gases
  6. Nitrogen shows catenation capability while it is absent in other elements
  7. Nitrogen does not show allotropism while other elements show allotropism
  8. Nitrogen does not form complex ions while other elements form complex
    ions e.g., PF4,SbI6 etc.

Question 4.
Describe Brodie’s Ozonizer with diagram.
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 75
It is U-shaped glass tube, consists Pt wire with dil. H2SO4. The whole apparatus is put into glass utensil, outer utensil also contain H2SO4 and Pt electrode. Dry O2 is i passed through U-tube under the influence of high electric discharge oxygen gets converted to ozonised oxygen, the outcoming gas contains 20% of ozone.

Question 5.
Explain hydrides of nitrogen family on the following points :
1. Name and formula
2. Basic nature
3. Reducing property
4. Bond angle
5. Melting and boiling point.
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 76
Basic nature: Basic nature decreases from NH3 to BiH3. Basic nature of these hydrides is due to the presence of lone pair of electron in the central atom.
Reducing nature: Reducing property increases in moving downwards from NH3 to BiH3. This is due to the decreasing stability of hydrides.
Bond angle: On going down the group the bond angle decreases due to decreasing electronegativity of central atom :
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 77
Melting point and boiling point: There is no regular trend of M.P. and B.P. of 15th group elements. M.P. increase from N to As whereas again decreases in Sb and Bi. B.P. increases continuously from N to Bi.

Question 6.
Explain hydrides of oxygen family on the following points :
1. Name and formula
2. Thermal stability
3. Reducing property
4. Acidic property
5. Covalent Character
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 78
Thermal stability : Stability decrease with increase in molecular mass.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 7 The p-Block Elements 79
Reducing nature : The reducing power of hydrides of oxygen family increase in thermal stability.
Acidic nature : Water is neutral in nature while acidic nature increases from H2S to H2Te. This is due to increase in bond length in moving down the group which leads to increase hydrogen releasing tendency.
Covalent Character: Hydrogen has one electron in its outermost shell by which it can form covalent bond with the other elements of oxygen family and complete its outermost shell.

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Question 7.
Explain manufacture of chlorine under the following heads :
(i) Labelled diagram of Nelson cell
(ii) Principle
(iii) Deacon’s process.
Answer:
(i) Nelson cell : In Nelson cell, graphite anode is suspended in a perforated cylindrical steel cathode provided with asbestos. Brine solution is taken in steel cathode. On electrolysis, chlorine gas is liberated at anode and is drawn Brine off through the outlet at the top. Na reacts with H2O at bottom to form NaOH and H2. Hydrogen escapes through the exit.
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(ii) Principle: Nelson method or By electrolysis : Chlorine is manufactured by electrolysis of NaCl solution, chlorine is obtained as by-product.
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(iii) Deacon’s process : Previously chlorine was manufactured by Deacon’s process. In this process, HCl gas is heated with oxygen at 450°C in presence of CuCl2 catalyst.

Question 8.
Why elements of group 17 are called halogen ? Explain the following properties of halogen:
(i) Oxidation state
(ii) Electronegativity
(iii) Oxidizing property
(iv) Formation of bond with other element.
Answer:
Halogen means salt producer. The first four members of this group found in sea water. Therefore, the elements belonging to 17th group are called halogen.

Properties of halogen:
(i) Oxidation state : Common oxidation state of halogen is -1. Except fluorine the other halogen atom exhibit + 3, + 5, + 7 oxidation state.
F = -1
Cl = -1, +1, + 3, + 5, + 7
Br = -1, +1, +3, +5 .
I = -1, +1, +3, + 5, + 7.
Halogen have electronic configuration ns2np5 in their outermost energy level. So they have strong tendency to get or to share one electron for completion of octet, so they show -1 oxidation state when they combine with less electronegative elements.On combining with more electronegative elements they show +1 oxidation state. Oxidation state in HF, HC1 and HI is -1 and in ClF, BrF, IF, HClO, HBrO and HIO is + 1.

(ii) Electronegativity: The halogen have very high values of electronegativity. Fluorine is the most electronegative element with the electronegativity value 4.

(iii) Oxidizing property : Halogen are strong oxidizing agent due to high electron affinity, they have strong tendency to accept electron.
Decreasing order of oxidizing power is given as F2 > Cl2 > Br2 > I2.

(iv) Formation of bond with other element: Halogen form ionic bond with elec-tropositive element with the increase in the size of halogen atom, the tendency to form ionic bond decreases, e.g., AlF3 is ionic compound but AlCl3 is covalent compound. It forms covalent bond with non-metal.

Question 9.
Explain bleaching powder under the following points :
(i) Methods of preparation
(ii) Properties
(iii) Uses.
Answer:
(i) Methods of preparation: Bleaching powder is manufactured by the action of chlorine on dry slaked lime.
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There are two plants for the manufacture of bleaching powder.
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(a) Hasenclever plant : The plant consists of a number of horizontal cylinders provided with rotating shafts carrying blades.

Procedure: Slaked lime is added in the hopper and moved forward from one cylinder to the next by the revolving blades till it falls down. At the same time, dilute chlorine is passed up.

The formation of bleaching powder is based on the principle of counter currents as slaked lime and chlorine move in opposite direction to ensure complete conversion. Bleaching powder formed is collected in the receiver below.

(b) Modern method (Bachmann’s plant): Description of the plant: The plant consists of a vertical tower made of cast iron. It is provided with inlets for chlorine and hot air slightly above the base, a hopper at the top and an exit for the unused chlorine and air just below the top. There are a number of horizontal shelves at regular heights inside the tower.
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Each shelf is provided with rotating rakes.

Dry slaked lime is fed into the chlorinating tower through the hopper at the top with the help of a suitable compressed air pumping arrangement. Slaked lime thus added, moves down with the help of rotating rakes. It meets the upgoing chlorine on the way and is con¬verted into bleaching powder which collects in the container, placed at the bottom. A current of hot air is passed to drive away unreacted chlorine.

(ii) Properties of bleaching powder:
(a) It is a pale yellow powder having strong smell of Cl2.
(b) It is soluble in cold water.
(c) In presence of a little cobalt chloride, it decomposes to liberate oxygen. On long standing it undergoes slow auto-oxidation and is converted into a mixture of calcium chlorate and calcium chloride.
(d) Reaction with insufficient acid: Bleaching powder is treated with small amount of dilute acid, it liberates hypochlorous acid which fumitus oxygen (nascent) and thus acts as oxidizing and bleaching agent.
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(e) With excess of acid : Bleaching powder reacts with excess of acid and liberates Cl2. The amount of Cl2 thus liberated is called “Available chlorine”.
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(f) Reduction: Bleaching powder decomposes in presence of cobalt chloride liberating oxygen.
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On keeping for long time it undergoes self oxidation forming calcium chlorate and calcium chloride.
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(iii) Uses: (a) It is used as a disinfectant and germicide for the sterilization of drinking water.
(b) For the manufacture of chloroform.
(c) In textile and paper factories, for bleaching cotton, linen and wood pulp.
(d) For rendering wool unshrinkable.

Question 10.
What are interhalogen compounds ? How many types are they ? Give one example of each type with structure.
Or,
Explain hybridization in ABS and AB7 type of interhalogen compounds and draw their structures.
Answer:
Because of difference in the electronegativity value of halogen member it is possible to combine to form compound. When two different halogen combine together to form binary compound, then it is known as interhalogen compound.

There are four types of interhalogen compound, which has general formula XYn, where n = 1, 3, 5 or 7.
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Structure of interhalogen compound :
1. AB Type : Like ClF, BrCl, IBr, ICl.
Their geometry is linear. In the ground state electronic configuration of chlorine it is clearly observed that there is one unpaired electron which forms covalent bond with other halogen atom.
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2. AB3 Type : It is T-shaped. Like ClF3 molecule. Its central atom X shows sp3d hybridization.
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3. AB5 (IF5, BrF5) Type : These type of compounds show sp3d2 hybridization. Their structure is square pyramidal in which there is lone pair of electron at one place. Like in the figure formation of IF5 molecule is shown.
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4. AB7 (IF7) Type : Its geometry is pentagonal bipyramidal which is formed by sp3d2 hybridization. Hybridization in IF7 molecule is sp3d3.
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Question 11.
Write the uses of Noble gases.
Answer:
Uses of Noble Gases :
Uses of Helium : (i) It is used in filling air ships and balloons for weather study as it is light and non-inflammable.
(ii) Helium is used in research work for maintaining very low temperatures.
(iii) It is used in producing inert atmosphere, for food preservation and as filler in electric transformer.
(iv) Sea divers use mixture of helium and oxygen for deep sea diving. This is due to the fact that under high pressure helium is less soluble in blood as compared to nitrogen. If for breathing in deep sea diving air is used then more nitrogen will dissolve in blood under pressure and when the diver comes back at the surface of the sea, the solubility of nitrogen in blood decreases due to decrease in pressure and changes into nitrogen bubbles. This causes severe pain in diver’s body. It may also cause blisters and vomiting.

Uses of Neon : (i) Neon lights are used for commercial advertisements. It consists of a long tube fitted with electrodes at both ends. On filling the tube with neon gas and passing electric discharge of about 1000 volt potential, a bright red light is produced. Different colours can be obtained by mixing neon with other gases. For producing blue or green light neon is mixed with mercury vapours.

Uses of Argon : (i) Like helium, it is also used to create inert atmosphere in welding of aluminium ahd stainless steel.
(ii) It is filled in electric bulbs along with 25% nitrogen.
(iii) It is also used in radio valves.
(iv) Argon alone or its mixture with neon is used in tubes for producing lights of different colours.

Uses of Krypton and Xenon : (i) They are also used in electric bulbs in place of argon, but they are costly.
(ii) Both are used in flash photography.
(iii) Krypton is mainly used in producing fluorescence, incandescence and electric lights.
(iv) Krypton lamp is used as indicator at aeroplane terminals for landing of the aeroplane.

Uses of Radon: (i) In treatment of malignant growths (cancer) and non-healing wounds. Also, used in researches associated with radioactivity.
(ii) Used as a substitute for X-rays in radiology.
(iii) Radon is soluble in fatty compounds and recently a radon containing ointment has been manufactured for radiotherapy.

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