MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 6 यशः शरीरम्

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Durva Chapter 6 यशः शरीरम् (कथा) (सङ्कलिता)

MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 6 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

कक्षा 10 संस्कृत पाठ 6 MP Board प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखिए-)।
(क) मार्कण्डेयः नाम ऋषिः कुत्र वसति स्म? (मार्कण्डेय ऋषि कहाँ रहते थे?)
उत्तर:
गङ्गातीरे (गङ्गा के किनारे)

(ख) वासुदेवः कस्य प्रियशिष्यः आसीत्? (वासुदेव किसका प्रिय शिष्य था?)
उत्तर:
मार्कण्डेयस्य (मार्कण्डेय का)।

(ग) वासुदेवः प्रथमं कस्य गृहं प्रति प्रस्थितः? (वासुदेव पहले किसके घर गया?)
उत्तर:
देवराजस्य (देवराज के)

(घ) रामदेवः कस्मिन् ग्रामे वसति स्म? (रामदेव किस गाँव में रहता था?)
उत्तर:
रामनाथपुरे (रामनाथ पुर में)

(ङ) जनाः प्रतिदिनं कं स्मरन्ति स्म? (लोग प्रतिदिन किसको याद करते थे?)
उत्तर:
रामदेवम् (रामदेव को)

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Class 10 Sanskrit Chapter 6 MP Board प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत- (एक वाक्य में उत्तर लिखिए-)
(क) कः मृतोऽपि जीवति? (कौन मरकर भी जीवित है?)
उत्तर:
यः समाजहितं चिन्तयति सः मृतोऽपि जीवति।।
(जो समाज के हित की सोचता है, वह मरकर भी जीवित है।)

(ख) कः जीवन्नपि मृतः एव? (कौन जीते हुए भी मृत है?)
उत्तर:
यः स्वार्थमात्रं चिन्तयति सः जीवन्नपि मृतः एव।
(जो केवल अपने विषय में सोचता है, वह जीवित होकर भी मृत है।)

(ग) देवालये किं प्रचलति स्म? (मंदिर में क्या चल रहा था?)
उत्तर:
देवालये प्रसादत्वेन भोजनवितरणं प्रचलति स्म। (मंदिर में प्रसाद के रूप में भोजन बँट रहा था।)

(घ) जलं दत्वा माता किम् अपृच्छत? (जल देकर माता ने क्या पूछा?)
उत्तर:
जलं दत्वा माता अपृच्छत्-भवता कुत्र गम्यते?” इति। (जल देकर माता ने पूछा- “आप कहाँ जा रहे हैं?)

(ङ) भोजनपरिवेषकाः किं कृतवन्तः? (भोजन परोसने वालों ने क्या किया?)
उत्तर:
भोजनपरिवेषकाः वासुदेवाय अन्नं पायसादिकं न परिविष्टवन्तः। (भोजन परोसने वालों ने वासुदेव के लिए अन्न-खीर आदि नहीं परोसा।)

Mp Board Class 10 Sanskrit Chapter 6 प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए।)
(क) कोपेन देवराजः किम् उक्तवान् ? (क्रोध में देवराज ने त्म्या कहा?)
उत्तर:
कोपेन देवराजः उक्तवान्–“किं धनं याचयितुम् आगतं भवता? मया कस्मैचित् किमपि न दीयते। मम विश्रान्तिः नाशिता भवता। निर्गम्यताम इतः” इति।

(क्रोध में देवराज ने कहा-“क्या तुम धन माँगने आए हो? मैं किसी को कुछ नहीं दूंगा। मेरा आराम भंग कर दिया तुमने। चले जाओ यहाँ से।”)

(ख) पुत्रः वासुदेवं विषादेन किमुक्तवान् ? (पुत्र ने वासुदेव को दुख से क्या कहा?)
उत्तर:
पुत्रः वासुदेवं विषादेन उक्तवान्-“मम पिता विंशति वर्षेभ्यः पूर्वम् एव दिवं गतः। इदानीं लोके तस्य स्मृतिमात्रम् अस्ति।” इति।

(पुत्र ने वासुदेव को दुख से कहा-“मेरे पिता 20 वर्ष पहले ही स्वर्ग चले गए। अब संसार में उनकी केवल याद ही है।”)

(ग) यदा वासुदेवस्य अध्ययनं समाप्तं तदा गुरुः तमाहूय किमवदत्? (जब वासुदेव का अध्ययन समाप्त हो गया, तब गुरु ने उसे बुलाकर क्या कहा?)
उत्तर:
यदा वासुदेवस्य अध्ययनं समाप्तं तदा गुरुः तमाहूय अवदत्-“शिष्य! अधुना भवान सर्वविद्यापारङ्गतः अस्ति। अतः इतः परं स्वग्रामं गन्तुम् अर्हति भवान्। गमनात् पूर्वं भवता द्वारकापुरस्य देवराजस्य गृहं दृष्ट्वा आगन्तव्यम्। किन्तु गृहस्यान्तः न गन्तव्यम्’ इति।

(जब वासुदेव का अध्ययन समाप्त हुआ तब गुरु ने उसे बुलाकर कहा, शिष्य! अब तुम समस्त विद्याओं में निपुण हो। अब तुम यहाँ से अपने गाँव जाने योग्य हो। जाने से पूर्व तुम द्वारकापुर के देवराज के घर जाकर देखकर आओ। पर घर के अन्दर नहीं जाना।”)

Sanskrit Class 10 Chapter 6 Mp Board प्रश्न 4.
प्रदत्तशब्दैः रिक्तस्थानानि पूयरत
(दिए गए शब्दों से रिक्त स्थान भरिए-)
(बहवः, भोजनम्, मध्येमार्गम्, रामदेवस्य, देवालयम्)
(क) तत्र प्रसादत्वेन ………………. प्रचलति स्म।
(ख) वासुदेवः कञ्चित्………………. अपश्यत।
(ग) मया……………….जीवनम् एव अनुसरणीयम्।
(घ) गुरुकुले……………….शिष्याः आसन्।
(ङ) …………….तेन सोमपुरं प्राप्तम्।
उत्तर:
(क) भोजनम्
(ख) देवालयम्
(ग) रामदेवस्य
(घ) बहवः
(ङ) मध्येमार्गम्।

Class 10th Sanskrit Chapter 6 MP Board प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत-(उचित क्रम से मिलाइए-)
कक्षा 10 संस्कृत पाठ 6 MP Board
उत्तर:
(क) 3
(ख) 5
(ग) 4
(घ) 1
(ङ) 2

Chapter 6 Sanskrit Class 10 Mp Board प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्ष “न” इति लिखत
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ लिखिए-)
(क) गुरुकुले बहवः शिष्याः आसन्।
(ख) मध्येमागं तेन रत्नपुर प्राप्तम्।।
(ग) ग्रामे सर्वे देवराजं सगौरवं स्मरन्ति स्म।
(घ) रामदेवः प्रातः स्मरणीयः आसीत्।
(ङ) रामदेवस्य गृहं वैभवोपेतम् आसीत्।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) न
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) न।।

Sanskrit Class 10 Chapter 6  प्रश्न 7.
अधोलिखितपदानां विभक्तिं वचनं च लिखत
(नीचे लिखे पदों की विभक्ति व वचन लिखिए।)
Class 10 Sanskrit Chapter 6 MP Board
उत्तर:
Mp Board Class 10 Sanskrit Chapter 6

Class 10 Sanskrit Chapter 6 Solutions MP Board प्रश्न 8.
उदाहरणानुसारं पदानां प्रकृतिं प्रत्ययं च पृथक्कुरुत
(उदाहरणानुसार पदों की प्रकृति व प्रत्यय अलग करके लिखिए-)
(क) गन्तव्यम्
(ख) प्रस्थितवान्
(ग) प्राप्तवान्
(घ) उक्त्वा
(ङ) सत्कृत्व
(च) आगत्य
(छ) यात्विा
(ज) वदन्दः
उत्तर:
Sanskrit Class 10 Chapter 6 Mp Board

Sanskrit Class 10th Chapter 6 MP Board प्रश्न 9.
अधोलिखितशब्दानां पर्यायशब्दान् लिखत।
(नीचे लिखे शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।)
(क) मुनिः
(ख) युक्कः
(ग) अम्ब
(घ) बुभुक्षितः।
उत्तर:
Class 10th Sanskrit Chapter 6 MP Board

Class 10 Sanskrit Chapter 6 Question Answer MP Board प्रश्न 10.
अधोलिखितवाक्यानां कथानुसारेण क्रमसंयोजनं कुरुत
(नीचे लिखे वाक्यों को कथा के अनुसार क्रम से लिखिए।)
(क) ततः वासुदेवः रामनाथपुरं प्राप्य रामदेवस्य गृहम् अगच्छत्।
(ख) गङ्गातीरे मार्कण्डेयः नाम कश्चन मुनिः वसति स्म।
(ग) मया रामदेवस्य जीवनम् एव अनुसरणीयम्
(घ) किञ्चिदने गतः वासुदेवः किञ्चित् देवालयम् अपश्यत्।
(ङ) शिष्यः अनन्तरं रामनाथपुरं प्रति प्रस्थितवान्।
(च) वासुदेवः तस्य प्रियशिष्यः आसीत्।
उत्तर:
(क) गङ्गातीरे मार्कण्डेयः नाम कश्चन मुनिः वसति स्म।
(ख) वासुदेवः तस्य प्रियशिष्यः आसीत्।
(ग) किञ्चिदग्रे गतः वासुदेवः किञ्चित् देवालयम् अपश्यत्।
(घ) शिष्यः अनन्तरं रामनाथपुरं प्रति प्रस्थितवान्।
(ङ) ततः वासुदेवः रामनाथपुरं प्राप्य रामदेवस्य गृहम् अगच्छत्।
(च) मया रामदेवस्य जीवनम् एव अनुसरणीयम्।

Mp Board Class 10th Sanskrit Chapter 6 प्रश्न 11.
प्रदत्तं चित्रम् अवलम्ब्य पञ्चवाक्यानि रचयत।
(दिए गए चित्र को देखकर पाँच वाक्य बनाइए।)
Chapter 6 Sanskrit Class 10 Mp Board
उत्तर:
(क) अस्मिन् चित्रे द्वे स्त्रियौ स्तः।
(ख) ते वार्तालापं कुरुतः।
(ग) गवेषणेन बालकः पश्यति।
(घ) आकाशे वायुयानं गच्छति।।
(ङ) द्वे स्त्रियौ गृहात् बहिः तिष्ठतः।

योग्यताविस्तार –

संस्कृतसाहित्यस्य अन्याः कथाः अन्विष्य पठत।
(संस्कृत साहित्य की अन्य कथाएँ ढूँढ़कर पढ़ो।)

अन्ये ये महापुरुषाः यशः शरीरेण ख्याताः सन्ति तेषां जीवनवृत्तान्तं कथारूपेण लिखत।
(अन्य जो महापुरुष यशरूपी शरीर से प्रसिद्ध हैं, उनके जीवन-वृत्तान्त को कथा रूप में लिखो।)

यशः शरीरम् पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ में यश की महत्ता को एक कथा के माध्यम से सिद्ध किया गया है। इस पाठ में दो विशेष पात्रो का वर्णन है जिनमें से एक धनी होते हुए भी जीवित होने पर अपयश के कारण मृत के समान व घृणित है, तथा दूसरा जीवित न होने पर भी यश रूप शरीर से लोगों के हृदयों में जीवित है। अतः मनुष्य को सदा यश-प्राप्ति के लिए अच्छे कार्य करने चाहिएं।

यशः शरीरम् पाठ का अनुवाद

1. गङ्गातीरे मार्कण्डेयः नाम कश्चन मुनिः वसति स्म। तस्य गुरुकुले बहवः शिष्याः आसन्। वासुदेवः तस्य प्रिय शिष्यः। तस्य द्वादशवर्षात्मकम् अध्ययनं यदा समाप्तं तदा गुरुः तम् आहूय अवदत्-“शिष्य! अधुना भवान् सर्वविद्यापारङ्गतः अस्ति। अतः इतः परं स्वग्रामं गन्तुम् अर्हति भवान्। गमनात् पूर्वं भवता द्वारकापुरस्य देवराजस्य गृहं दृष्ट्वा आगन्तव्यम्। किन्तु गृहस्यान्तः न गन्तव्यम्” इति।।

वासुदेवः तस्मिन् एव दिने द्वारकापुरं प्रति प्रस्थितवान्। दिनत्रयात्मकस्य प्रयाणस्य अनन्तरं तं ग्रामं प्राप्य सः ग्रामद्वारे स्थितान् जनान् अपृच्छत्-“देवराजस्य गृहं कुत्र?” इति। “वृथा किमर्थं गम्यते तत्र?” इति उपेक्षया वदन्तः ते देवराजगृहस्थलं सूचितवन्तः। अग्रे गतः सः कूपात् जलम् उद्धरन्तीं महिला याचित्वा जलं प्राप्य तत् पिबन् ताम् अपृच्छत्-“देवराजगृहं कुत्र?” “तस्य पापिनः नाम किमर्थं मम पुरतः उच्चारयति भवान्?” इति वदन्ती सा महिला ततः निरगच्छत् एव।

शब्दार्था :
आहूय-बुलाकर-caling; सर्वविद्यापारङ्गतः-समस्त विद्याओं में निपुण-skilled in all types of learning; प्रस्थितवान्-गया-started, वृथा-व्यर्थ में-in vain, वदन्तः-बोलते हुए-speaking, उद्धरन्तीम्-निकालती हुई को-drawing.

अनुवाद :
गङ्गा के किनारे मार्कण्डेय नाम के कोई मुनि रहते थे। उनके गुरुकुल में बहुत सारे शिष्य थे। वासुदेव उनका प्रिय शिष्य था। उसका बारह वर्ष तक का अध्ययन जब समाप्त हुआ, तब गुरु ने उसको बुलाकर कहा-“शिष्य! अब आप समस्त विद्याओं में निपुण हो गए हो। इसलिए यहाँ से दूर अपने गाँव में जाने योग्य हो गए हो । जाने से पहले तुम्हारे द्वारा द्वारकापुर के देवराज के घर को देखकर आना होगा। पर घर के अन्दर मत जाना।”

वासुदेव उसी दिन ही द्वारकापुर की ओर चला गया। तीन दिन की यात्रा के बाद उस गाँव में पहुँचकर उस गाँव के द्वार पर खड़े लोगों से पूछा-“देवराज का घर कहाँ है?” “व्यर्थ में वहाँ क्यों जा रहे हो?” इस प्रकार गुस्से में बोलते हुए उन्होंने देवराज का घर बता दिया। आगे जाते हुए उसने कुएँ से जल निकालती हुई महिला से माँगकर जल लेकर व पीकर उससे पूछा-“देवराज का घर कहाँ है?” “उस पापी का नाम मेरे सामने क्यों बोला, आपने?” ऐसा कहते हुए वह महिला वहाँ से चली ही गई।

English :
Vasudev learnt all subjects. Directed by Guru Markandeya to locate the house of Devraj at Dwakrapur-went to the village and learnt that Devraj was an evil-minded person.

2. किञ्चिदग्रेगतः वासुदेवः कञ्चित् देवालयम् अपश्यत्। तत्र प्रसादत्वेन भोजनवितरणं प्रचलति स्म। नितरां बुभुक्षितः वासुदेवः जनानां पङ्क्तौ उपाविशत्। भोजनसमये स्वपार्श्वे उपविष्टवन्तं कञ्चित् जनम् अपृच्छत् वासुदेवः-“देवराजः किं धनिक?” इति। तदा सः पार्श्वस्थः जनः-“धिक् भवन्तम्। भोजनकाले तस्य पापिनः नाम स्मारितम्” इति वदन् भोजनं परित्यज्य उत्थितः एव। एतत् दृष्ट्वा परिवेषकाः वासुदेवाय अन्नं पायसादिकं न परिविष्टवन्तः एव। अपूर्णोदरः एव सः ततः उत्थितवान्।

शब्दार्था :
प्रसादत्वेन–प्रसाद के रूप में-as; नितराम्-बहुत अधिक-excessively, extremely; बुभुक्षितः-भूखा-hungry,स्वपार्श्वे अपने पास में-near him, उपविष्टवन्तः-बैठे हुए-sitting, धिक-धिक्कार है-fie, वदन-बोलते हुए-saying,परित्यज्य-छोड़कर-leaving, परिवेषकाः-खाना परोसने वाले-servers of food, पायसादिकम्-खीर इत्यादि-porridge etc, परिविष्टवन्तः-परोसा-served, अपूर्णोदरः-खाली पेट-empty bellied.

अनुवाद :
कुछ आगे जाने पर वासुदेव ने एक मन्दिर देखा। वहाँ प्रसाद के रूप में भोजन बँट रहा था। बहुत अधिक भूखा वासुदेव लोगों की पंक्ति में बैठ गया। भोजन के समय अपने पास में बैठे किसी व्यक्ति से वासुदेव ने पूछा-“देवराज क्या धनी है?’ तब पास में बैठा वह व्यक्ति बोला, “आपको धिक्कार है। भोजन के समय उस पापी का नाम याद किया।” ऐसा कहते हुए भोजन छोड़कर उठ ही गया। यह देखकर खाना परोसने वालों ने वासुदेव के लिए अन्न खीर आदि परोसा ही नहीं। खाली पेट ही वह वहाँ से उठ गया।

English :
Vasudev reached a temple-sat in the line to receive ‘Prasad’-asked somebody about Devraj-The fellow cursed him and stood up ‘Vasudev also remained hungry-Prasad was net served to him.”

3. दूरात् एव देवराजस्य गृहं दृष्ट्वा प्रत्यागतः सः दिनद्वयस्य अनन्तरं गुरुकुलं प्राप्तवान्। गुरुः तं पुनः अवदत्-‘रामनाथपुरं गत्वा रामदेवस्य गृहं ज्ञात्वा आगन्तव्यम्” इति। शिष्यः अनन्तरदिने एव रामनाथपुरं प्रति प्रस्थितवान्। मध्येमागं तेन सोमपुरं प्राप्तम्। तत्र स्वगृहस्य पुरतः उपविष्टां काञ्चित् मातरम् अवदत् सः-“अम्ब! किञ्चित् जल ददातु” इति।

जलं दत्वा माता अपृच्छत्-“भवता कुत्र गम्यते?” इति।
‘रामदेवस्य गृहं प्रति’ इति अवदत् वासुदेवः।

“अहो, प्रातः स्मरणीयः सः” इति उक्त्वा सा माता वासुदेवं सस्नेहम् अन्तः नीत्वा भोजनादिकं दत्वा सत्कृतवती। ततः निर्गतः वासुदेवः रामनाथपुरं प्राप्य ‘रामदेवस्य गृहं कुत्र?’ इति कञ्चित् अपृच्छत् । सः अपि सत्कृत्य स्वयम् आगत्य रामदेवगृहं प्रादर्शयत् । दूरात् एव तत् दृष्टवा वासुदेवः गुरुकुलं प्रत्यगच्छत्।

शब्दार्था :
प्रत्यागतः-लौट आया-returned, ज्ञात्वा-जानकर-knowing; मध्येमार्गम्-रास्ते के बीच में-on the way; पुरतः-सामने-in front of; नीत्वा-ले जाकर-taking; सत्कृत्य-सत्कार करके-honouring, welcoming, प्रादर्शयत्-दिखाया-showed.

अनुवाद :
दूर से ही देवराज का घर देखकर वह लौट आया। वह दो दिन बाद गुरुकुल पहुँचा। गुरु ने उसे फिर कहा-रामनाथपुर जाकर रामदेव का घर जानकर आओ।” शिष्य दूसरे दिन ही रामनाथपुर की ओर चला गया। रास्ते के बीच में वह सोमपुर पहुंचा। वह अपने घर के सामने बैठी हुई किसी माता (वृद्ध स्त्री) से बोला-“माता! थोड़ा जल दे दो।”
जल देकर माता ने पूछा-“आप कहाँ जा रहे हो?
“रामदेव के घर की ओर।” वासुदेव बोला।

“वाह, वह प्रातः याद करने योग्य है।” ऐसा कहकर उस माता ने वासुदेव को प्रेम से अन्दर ले जाकर भोजन आदि देकर सत्कार किया ! वहाँ से निकल कर वासुदेव रामनाथ पुर पहुँचकर ‘रामदेव का घर कहाँ है?” किसी से पूछा। उसने भी सत्कार करके स्वयं आकर रामदेव का घर दिखाया। दूर से ही वह देखकर वासुदेव गुरुकुल लौट आया।

English :
Vasudev was again directed to learn about Ramdev’s house at Ramnathpur. Vasudev left for the place-Reached Sompur on the way. Asked a woman about Ramdev. She welcomed him-Reached Ramnathpur-Somebody greeted him and showed Ramdev’s house-Viewing the house from a distance Vasudev returned to the Gurukul.

5. दिनद्वयस्य अनन्तरं गुरुः अकथयत्-‘वासुदेव! भवान् इतः स्वगृह गन्तुम् अर्हति। गमनात् पूर्वं भवता देवराज-रामदेवयोः पूर्णः परिचयः प्राप्तव्यः” इति। एतम् आदेशं पालयन् वासुदेवः पुनरपि द्वारकापुरं प्राप्य देवराजस्य गृहम् अगच्छत्। वैभवोपेतं गृहं तत्। द्वाररक्षकः तस्य प्रवेशं निषिद्धवान्। बहुधा प्रार्थना यदा कृता तदा सः अन्तः गत्वा देवराजं वासुदेवागमनं निवेदितवान्। कोपेन एव बहिः आगत्य देवराजः-“किं धनं याचितुम् आगतं भवता? मया कस्मैचित् किमपि न दीयते । मम विश्रान्तिः नाशिता भवता। निर्गम्यताम् इतः” इति तर्जयित्वा तं प्रेषितवान्।

शब्दार्था :
वैभवोपेतम्-वैभव, विशालता से युक्त को-grand, splendid, निषिद्धवान्-रोका-refused, checked; निर्गम्यताम्-निकल जाओ-go away, तर्जयित्वा-डाँटकर-scolding, snubbing.

अनुवाद :
दो दिन बाद गुरु ने कहा-“वासुदेव! तुम यहाँ से अपने घर जाने योग्य हो.। जाने से पहले तुम देवराज व रामदेव का पूरा परिचय प्राप्त करना।”

इस आदेश को पालते हुए वासुदेव फिर द्वारकापुर पहुँचकर देवराज के घर गया। उसका घर विशालता से युक्त था। द्वारपाल ने उसे अन्दर जाने से रोका। बहुत प्रार्थना जब की तब उसने अन्दर जाकर देवराज को वासुदेव के आने की बात बताई। क्रोध में ही बाहर आकर देवराज ने-“क्या तुम धन माँगने आए हो? मैं किसी को कुछ नहीं दूंगा। मेरे आराम को भंग कर दिया तुमने। यहाँ से चले जाओ।” डाँटकर उसे निकाल (भेज) दिया।

English :
Guru asked Vasudev to gather detailed information about Devraj and Ramdev. Vasudev was not allowed to enter Devraj’s building. Devraj came out-called him a beggar-turned him awaysnubbed him also for robbing him of his rest.

7. ततः वासुदेवः रामनाथपुरं प्राप्य रामदेवस्य गृहम् अगच्छत्। पर्णेः निर्मितं प्राचीनं गृहं तत्। कश्चन् युवकः तं सादरं स्वागतीकृत्य पानीयभोजनादिभिः तं सत्कृत्य विश्रान्त्यर्थं व्यवस्थाम् अकरोत्। विश्रान्तेः अनन्तरं सः ‘अहं रामदेवस्य पुत्रः’ इति स्वपरिचयम् उक्त्वा आगमनकारणम् अपृच्छत्। यदा वासुदेवः रामदेवस्य दर्शनेच्छा प्राकटयत् तदा पुत्रः एक भावचित्रं प्रदर्श्य-“मम पिता विंशति वर्षेभ्यः पूर्वम् एव दिवं गतः। इदानीं तस्य स्मृतिमात्रम् अस्ति लोके” इति विषादेन अवदत्। रामदेवः ग्रामस्य विकासाय देवालय-चिकित्सालय-विद्यालय-ग्रन्थालय-धर्मशालोद्यानानि यानि कारितवान तत्सर्वम अपश्यत् वासुदेवः। ग्रामे सर्वे रामदेवं सगौरवं स्मरन्ति स्म।

‘देवराजे जीवति सति अपि कोऽपि तस्मिन् आदरवान् न । रामदेवः तु विंशतिवर्षेभ्यः पूर्वम् एव दिवं गतः चेदपि जनाः प्रतिदिनं तं स्मरन्ति । यः समाजहितं चिन्तयति सः मृतोऽपि जीवति। यः स्वार्धमात्रं चिन्तयति सः तु जीवन्नपि मृतः एव’ इति अवगतवान् वासुदेवःमया रामदेवस्य जीवनम् एव अनुसरणीयम्’ इति सङ्कल्प्य स्वग्रामम् अगच्छत्।

शब्दार्था :
पर्णैः-पत्तों से-leaves, दर्शनेच्छाम्-देखने की इच्छा को-adesire to see, भावचित्रम्-छायाचित्र को-photo, प्रदर्श्य-दिखाकर-showing, विषादेन-दुःख से-with grief.

अनुवाद :
तब वासुदेव रामनाथपुर पहुँचकर रामदेव के घर गया। वह पत्तों का बना पुराना घर था। किसी युवक ने उसका आदर सहित स्वागत कर, पानी भोजन आदि से उसका सत्कार कर आराम करने की व्यवस्था की। आराम करने के बाद उसने, “मैं रामदेव का पुत्र हूँ।” ऐसा अपना परिचय देकर आने का कारण पूछा। जब वसुदेव ने रामदेव को देखने की इच्छा प्रकट की तब पुत्र ने एक छायाचित्र दिखाकर– “मेरे पिता बीस वर्ष पहले ही स्वर्ग चले गए। अब इस संसार में उनकी केवल स्मृति ही रह गई है।” दुःख से कहा। रामदेव ने गाँव के विकास के लिए जो मंदिर-चिकित्सालयविद्यालय-ग्रन्थालय-धर्मशाला, उद्यान आदि बनवाये, वह सब वासुदेव ने देखे। गाँव में रामदेव को गर्व से याद करते थे।

“देवराज जीवित होते हुए भी कोई उसका आदर नहीं करता। रामदेव तो बीस वर्ष पूर्व ही स्वर्ग चले गए, फिर भी लोग उन्हें प्रतिदिन याद करते हैं। जो समाज के हित की सोचता है, वह मरकर भी जीवित है। जो स्वार्थ की ही सोचता है, वह तो जीवित होते हुए भी मृत ही है।” यह जानकर वासुदेव, “मेरे द्वारा रामदेव के जीवन का ही अनुसरण करना चाहिए,” यह सङ्कल्प कर अपने गाँव को चला गया।

English :
Vasudev then reached Ramnathpur. Ramdev’s son greeted him-served food and drink Ramdev had built a temple, a dispensary, a school, a library and an inn before his death. All the villagers remembered him with honour, Vasudev learnt the difference between a selfish and egoistic richman and a poor social workerVasudev resolved to follow Ramdev’s path of social service.

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions

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Birbal Visits Heaven Text Book Exercise

Word Power

(a) Fill in the blanks with the words given.
Class 6 English Chapter 10 Birbal Visits Heaven MP Board

  1. There was a wind blowing; so the fire …………. fast and a large number of huts were burnt down.
  2. Cinderella was a poor girl. A prince married her. Her sisters who were wicked, became ………….. of her and tried to do her harm.
  3. When his enemies attacked the palace, the king escaped through a ………….. passage.
  4. Mrs. Prasad’s diamond ring was missing. The police came. They ………….. Mrs. Prasad’s maidservant. But Mrs. Prasad told them, “I don’t have any ………….. about my maidservant. She is very honest person.
  5. A. Do you know the difference between a star and a planet.
    B. Yes, I do. A star has a ………….. a planet has not.
  6. In the story you read in lesson I, Kassim …………… Ali in the end.
  7. The Buddha met a robber chief in the forest. By his love and words of advice he ………….. change in the robber chief. And the robber became a good man.
  8. In the forests of Kerala, elephants are used for lifting and ………….. up heavy logs of wood.

Answer:

  1. caught on
  2. jealous
  3. secret
  4. suspected, suspicion
  5. twinkle
  6. outwits
  7. brought about
  8. Piling.

(b) Match the columns.

Birbal Was Greatly Disturbed In Mind MP Board
Answer:
1. → (b)
2. → (d)
3. → (e)
4. → (c)
5. → (a)

Comprehension

(a) Mark (✓) or (✗) according to the information provided in this lesson:

  1. Akbar was a minister at the court of Birbal.
  2. The other courtiers were always making plans tobring about Akbar’s downfall.
  3. The barber’s friend was ready to send a message to heaven.
  4. Barber bribed the courtiers to cooperate with him.
  5. Birbal was greatly disturbed in mind.

Answer:

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✓)
  4. (✗)
  5. (✓)

(b) Answer these questions.

Class 6 English Chapter 10 Birbal Visits Heaven MP Board Question 1.
Why were the Emperor’s courtiers jealous of Birbal?
Answer:
The courtiers felt very jealous of Birbal as he was in the good books of the Emperor Akbar and enjoyed his favour.

Birbal Was Greatly Disturbed In Mind MP Board Question 2.
How did the courtiers get the barber’s cooperation for their plan?
Answer:
The courtiers paid a large bribe to the barber to get his cooperation for their plan.

Birbal Visits Heaven Class 6 MP Board Question 3.
What did the Emperor think of the barber of first?
Answer:
At first the Emperor thought that the barber was talking foolishly. The Emperor had really no intention of sending any messenger to heaven. Besides, how could he spare his favourite minister for the unpleasant task.

Class 6 English Chapter 10 Mp Board  Question 4.
Did the Emperor really want a messenger to be sent to heaven?
Answer:
No, the Emperor did not want a messenger to be sent to heaven. He did so only to please the barber.

Birbal’s Wit Is A Hit Class 6 Question Answer MP Board Question 5.
What kind of man should be sent to the heaven according to the barber?
Answer:
According to the barber only a wise man should be sent to the heaven.

Birbal Was A King True Or False MP Board Question 6.
Why did Akbar agree to the plan of Birbal’s enemies?
Answer:
Akbar agreed to barber’s proposal, and the plan of his enemies as he had a deep faith in the cleverness and wisdom of Birbal.

Birbal Was Greatly Disturbed In Mind True Or False MP Board Question 7.
What arrangements did the barber and his friends make on the appointed day?
Answer:
On the appointed day, Birbal was made to sit on a chair in the burial place. Then sandal wood logs were heaped upon all the sides of the chair and it was set on fire.

Class 6th Special English Solution MP Board Question 8.
How did Birbal escape death?
Answer:
Birbal managed to save his life. He had already got dug an underground passage
from the burial place to his house. He escaped through the passage before the chair was set on fire.

Question 9.
What did Birbal say after returning from heaven?
Answer:
After returning from heaven Birbal said to Akbar that his ancestors had no barbers in heaven and they needed one immediately

Question 10.
Why did Akbar want to sent the barber to heaven?
Answer:
Akbar wanted to send the barber to heaven to punish him because he (barber) had plotted against Birbal’s life.

Grammar in Use

(a) Make five meaningful sentences from table A using the clause given under B.
Birbal Visits Heaven Class 6 MP Board
B
1. I was in the playground.
2. He hoped to get more money there.
3. Vehicles come here from all sides.
4. It should not be hot there.
5. Don’t change your place.
Answer:
1. I must have dropped my pen where I was playing.
2. The beggar sits where many people pass by.
3. The accident took place where the four roads met.
4. I like to live where the climate is cool.
5. Go and sit where you sat yesterday.

(b) Fill in the blanks with the prepositions given. Use each preposition more than once.
(with, at, by)

  1. My father is being treated ………… Dr. Karunakar.
  2. Everyone at home is pleased ………….. his treatment.
  3. The school was inspected ………….. the District Education Officer last week.
  4. The D.E.O. was pleased ………….. everything he saw at the school.
  5. Everyone was surprised …………. the boy’s cleverness.
  6. The door was fitted ………….. a new handle.
  7. When the sailors saw two birds flying over the sea, they were filled …………… hope that land must be near.

Answer:

  1. by
  2. with
  3. by
  4. with
  5. at
  6. with
  7. with

Let’s Talk

Have a conversation with your friend. He is a shopkeeper and you wait for him to buy a few items i.e., sugar, toothpaste, soap. etc.
Answer:
Do yourself.

Let’s Write

Question 1.
Write a paragraph on what Birbal narrated about the condition of Akbar’s ancestors in heaven. Use the following clue words:
(beards, ancestors, barbers, fall over, recognize)
Answer:
Birbal told the Emperor that his ancestors were happy in the heaven, but they were in trouble for their long beards. They needed a barber immediately. Their beards were very long and touched the ground. He would not recognize them if he saw them sometimes they stepped on their beards and fell over.

Birbal Visits Heaven Word Meanings

Class 6 English Chapter 10 Mp Board

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MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 2 Administrative Structure, Policies and Impact of British Rule

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 2 Administrative Structure, Policies and Impact of British Rule

MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 Text Book Exercise

Choose the correct option of the following questions

Mp Board Class 8 Social Science Solution Chapter 2 Question 1.
When was the Regulating Act passed in British Parliament?
(a) 1750
(b) 1773
(c) 1857
(d) 1940
Answer:
(b) 1773

Mp Board Class 8 Social Science Chapter 2 Question 2.
When was the Asiatic Society of Bengal founded?
(a) 1784
(b) 1790
(c) 1801
(d) 1901
Answer:
(a) 1784

Social Science Class 8 Mp Board English Medium Solution Question 3.
Who introduced Permanent settlement in 1793?
(a) William Pitt
(b) Lord Clive
(c) Warren Hastings
(d) Lord Cornwallis
Answer:
(d) Lord Cornwallis

Mp Board 8th Class Social Science Solutions Question 4.
Which Act was passed in 1813
(a) Charter Act
(b) Pitt’s India Act
(c) Regulating Act
(d) Civil Service Act
Answer:
(a) Charter Act

Fill in the blanks:

  1. Clive left Nizamat work to ………….
  2. In 1772 ……….. was appointed Governor of Bengal.
  3.  ………… introduced civil service in India.
  4. Ryotwari system was first launched at ………….
  5. ………… introduced modem post and telegraph system.

Answers:

  1. Nawab of Bengal Najmudaulah
  2. Warren Hastings
  3. Lord Coma – wallis
  4. Madras and Bombay
  5. Lord Dalhousie.

MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 Very Short Answer Type Questions

Mp Board Class 8th Social Science Solution Question 1.
Who was appointed by the company to collect land revenue?
Answer:
Zamindars.

Class 8 Social Science Chapter 2 Mp Board Question 2.
Which book contains the reforms of Cornawallis?
Answer:
The book Cornwallis’s Code reforms of Cornawallis.

Mp Board Class 8th Social Science Chapter 2 Question 3.
Under which system peasant lost right over the land?
Answer:
Ryotwari System.

MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 Short Answer Type Questions

Mp Board Class 8th Social Science Solution English Medium Question 1.
what was of impact of the dual rule on the people of Bangal ?
answer:
dual rule give the power of Bengal in company ‘s hands but it was free from liabilities. Nawab of Bengal had the reign but he lacked power and wealth. The company had no responsibility of security and governance despite having control over treasury and army. The dual mle in Bengal damaged agriculture, industry and trade of the Bengal.

Mp Board Solution Class 8 Social Science Question 2.
What were the main aims of Regulating Act?
Answer:
The British Govt, passed the Regulating Act in 1773.
The two main aims of Regulating Act were:

  • To remove the drawbacks in the governing body of company.
  • To rectify the causes of company’s misgovernance in India.

Class 8th Social Science Solution Mp Board Question 3.
What were the main characteristics of Pitt’s India Act?
Answer:
The main characteristics of Pitt’s India Act of 1784 were:

  • A Board of control for India was set up in Britain through which the British government controlled the company’s civil, military and revenue affairs in India.
  • The company retained the power to appoint and dismiss its officials.
  • The Governor General became the commander in chief of all the British.

MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 Long Answer Type Questions

Mp Board Class 8 Social Science Solution In English Question 1.
Elaborate how economic policy of British rule affected Indian Industries?
Answer:
The indigenous industries were affected to a great extent by the industrial policy of the British Government:
1. The British officials did not patronize the Indian goods.

2. By the end of the seventeenth century the demand for Indian cotton goods in England was very high. This crippled the native textile industry in Britain. Hence, there British government passed a law in Britain in the year 1700 and 1720 A.D. prohibiting the entry of the Indian textile products.

These restrictions naturally affected the Indian textile products very adversely. Restrictions were imposed on the entiy of Indian textile products by laws passed in Britain 1700 and 1720 A.D. Steps were taken in India and in Britain to serve the interest of the British traders and manufactures at the cost of the Indian industries.

3. The company’s agents in India forced the producers of cotton, cloth and other commodities to change for their goods 20 to 40 per cent less than the marked price. The workers were also forced to work for company under their term and conditions.

4. They manipulated the prices of raw cotton. This almost wiped out the cotton textile industry in India.

5. The British goods coming to India were exempted from duties, but the Indian exports to Britain were subjected to high import duty. The free trade policy proved ruinous to Indian industries.

Class 8 Social Science Chapter 2 Question 2.
What do you mean by permanent settlement?
Answer:
Through the system of the permanent settlement as introduced in Bengal, Bihar and Orissa, the government gave the right to collect revenue to Zamindars. The person giving the highest bid was given the right to collect revenue. He would be a middle man between the Government and the peasants. He was free to collect as much as he could from the peasants but was required to pay to government an amount already fixed. Thus the permanent settlement benefited the landlords more than the government.

Mp Board Class 8 Social Science Question 3.
Which were the evils prevalent in Indian Society in the 18th century and what efforts were made by the Government to eradicate them?
Answer:
Many degrading and inhuman customs and practices had grown in the Indian society during the British rule. The victims of these customs were children, females and people belonging to the low-castes. Female infanticide was one great evil; Sati was another. One of the customs was the throwing away of the infant boys and girls to honor religious vows.

The women, particularly the widows, have live a miserable life. In Bengal alone, as many as 8134 cases of Sati were recorded from 1815 to 1828. The British reformers took up measures to eradicate the evils of the society. The government passed several regulations to stop these evils. The government banned the Sati system and passed a law in 1843 which made slavery illegal.

Question 4.
What were the education reforms by British Govt, and its results?
Answer:
The British government started modem education for Indian at their own level. In 1835, the government decided to impart European Literature and Scientific education to Indians. Under this scheme, English became the medium of instructions in some schools started by the government slowly education spread in India and Universities were established at Calcutta, Bombay, Madras.

As a result of this many English educated Indian got jobs in the company. the Indians got the knowledge of science and technology political affairs and economic issued they were now aware about their right and privileges.

MP Board Class 8th Social Science Solutions

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण

बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण Important Questions

बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न (a)
पूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार की मुख्य विशेषता है –
(a) वस्तु की समान कीमत
(b) समरूप वस्तुएँ
(c) अत्यधिक क्रेता और विक्रेता
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न (b)
जिस बाजार में स्वतंत्र प्रवेश तथा बहिर्गमन हो, उसका नाम है –
(a) एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता बाजार
(b) अपूर्ण प्रतियोगिता का बाजार
(c) पूर्ण प्रतियोगिता का बाजार
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) पूर्ण प्रतियोगिता का बाजार

प्रश्न (c)
वस्तु की कीमत एवं माँग के बीच प्रतिलोम संबंध पाया जाता है –
(a) केवल एकाधिकार का
(b) केवल एकाधिकारी प्रतियोगिता
(c) और (b) दोनों में
(d) केवल पूर्ण प्रतियोगिता।
उत्तर:
(c) और (b) दोनों में

प्रश्न (d)
निम्नलिखित में से किसके अनुसार, “किसी वस्तु की कीमत, माँग और पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है” –
(a) जेवन्स
(b) वालरस
(c) मार्शल
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) मार्शल

प्रश्न (e)
एकाधिकार फर्म के संतुलन की शर्त नहीं है –
(a) औसत आय = सीमांत आगम
(b) सीमांत आय = सीमांत लागत
(c) सीमान्त लागत वक्र सीमांत आय वक्र को नीचे से काटे
(d) (b) एवं (c) दोनों।
उत्तर:
(a) औसत आय = सीमांत आगम

प्रश्न (f)
बाजार मूल्य पाया जाता है –
(a) अल्पकालीन बाजार में
(b) दीर्घकालीन बाजार में
(c) अति दीर्घकालीन बाजार में
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) अल्पकालीन बाजार में

प्रश्न (g)
एक फर्म का माँग वक्र पूर्ण लोचदार होता है –
(a) पूर्ण प्रतियोगिता
(b) एकाधिकार
(c) एकाधिकारी प्रतियोगिता
(d) अल्पाधिकार।
उत्तर:
(a) पूर्ण प्रतियोगिता

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. जिस कीमत पर माँग एवं पूर्ति बराबर होते हैं, उसे ……………………………. कीमत कहते हैं।
  2. कीमत विभेद की सम्भावना …………………………………. बाजार में उत्पन्न होती है।
  3. एक अतिरिक्त इकाई का विक्रय करने पर कुल आगम में वृद्धि को …………………………….. कहते हैं।
  4. यदि किसी वस्तु की आपूर्ति अपरिवर्तित रहती है तो माँग में वृद्धि होने पर उस वस्तु की साम्य कीमत …………………………. जायेगी।
  5. पूर्ण प्रतियोगी बाजार में एक फर्म …………………….. होती है।
  6. कीमत सीलिंग ………………………… द्वारा किया जाता है।
  7. ……………………….. काल में माँग की शक्ति प्रभावशाली होती है।
  8. दो से अधिक फर्म का होना ……………………………. बाजार में आवश्यक है।
  9. फर्मों के समूह को ………………………………. कहते हैं।
  10. पेट्रोल का बाजार …………………………….. होता है।

उत्तर:

  1. सामान्य
  2. एकाधिकारी
  3. सीमान्त आगम
  4. बढ़
  5. कीमत स्वीकारक
  6. सरकार
  7. अल्प
  8. अल्पाधिकार
  9. उद्योग
  10. अंतर्राष्ट्रीय।

प्रश्न 3.
सत्य/असत्य का चयन कीजिए –

  1. ईटों का बाजार प्रादेशिक होता है।
  2. सामान्य मूल्य काल्पनिक होता है।
  3. अपूर्ण प्रतियोगिता एक व्यावहारिक दशा है।
  4. माँग तथा पूर्ति की शक्तियाँ लम्बी अवधि तक स्थायी साम्य की अवस्था में रहती हैं।
  5. माँग तथा पूर्ति दोनों में से किसी एक शक्ति द्वारा किसी वस्तु का मूल्य निर्धारित होता है।
  6. पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म स्वयं मूल्य निर्धारित करती है।
  7. एकाधिकृत प्रतियोगिता का माँग वक्र अनिश्चित होता है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. असत्य
  6. असत्य
  7. सत्य।

प्रश्न 4.
सही जोड़ी बनाइए –
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 1
उत्तर:

  1. (c)
  2. (a)
  3. (e)
  4. (d)
  5. (b).

प्रश्न 5.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. टमाटर का बाजार मुख्य रूप से किस प्रकार का बाजार होता है?
  2. बाजार मूल्य किसके चारों ओर घमता है?
  3. दीर्घकाल में पूर्ण प्रतियोगी फर्म को कौन – सा लाभ प्राप्त होता है?
  4. कीमत निर्धारण में समय तत्व का महत्व किस अर्थशास्त्री ने बताया था?
  5. असामान्य लाभ या हानि किस प्रतियोगिता में होती है?
  6. व्यावहारिक जगत में किस प्रतियोगिता की स्थिति नहीं पाई जाती है?

उत्तर:

  1. अति अल्पकालीन
  2. सामान्य मूल्य
  3. सामान्य लाभ
  4. प्रो. मार्शल ने
  5. अपूर्ण प्रतियोगिता,
  6. पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति।

बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण लघु उत्तरोष प्रश्न

प्रश्न 1.
बाजार मूल्य तथा सामान्य मूल्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
बाजार मूल्य तथा सामान्य मूल्य में अन्तर –

बाजार मूल्य:

  1. सामान्य मूल्य बाजार मूल्य अल्पकालीन मूल्य होता है। सामान्य मूल्य दीर्घकालीन मूल्य होता है।
  2. बाजार मूल्य वास्तविक मूल्य होता है। सामान्य मूल्य एक काल्पनिक मूल्य होता है।
  3. बाजार मूल्य का निर्धारण माँग एवं पूर्ति के अस्थायी संतुलन द्वारा होता है।
  4. बाजार मूल्य के निर्धारण में पूर्ति की अपेक्षा माँग सामान्य मूल्य के निर्धारण में माँग की अपेक्षा अधिक प्रभावी होती है।
  5. बाजार मूल्य पुनरुत्पादनीय तथा गैरपुनरुत्पादनीय दोनों ही प्रकार की वस्तुओं का होता है।

सामान्य मूल्य:

  1. सामान्य मूल्य दीर्घकालीन मूल्य होता है।
  2. सामान्य मूल्य एक काल्पनिक मूल्य होता है।
  3. सामान्य मूल्य का निर्धारण माँग और पूर्ति के अस्थायी संतुलन द्वारा होता है।
  4. पूर्ति अधिक प्रभावशाली होती है।
  5. सामान्य मूल्य केवल पुनरुत्पादनीय वस्तुओं का ही होता है गैर – पुनरुत्पादनीय वस्तुओं का नहीं।

प्रश्न 2.
बाजार मूल्य की विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर:
बाजार मूल्य की प्रमुख विशेषताएँ हैं –

  1. बाजार मूल्य एक अल्पकालीन मूल्य होता है। यह किसी समय माँग और पूर्ति के अस्थायी संतुलन द्वारा निर्धारित होता है।
  2. बाजार मूल्य वह मूल्य होता है जिस पर वास्तव में बाजार में वस्तु खरीदी एवं बेची जाती है।
  3. बाजार मूल्य सदैव सामान्य मूल्य के इर्द – गिर्द चक्कर लगाता रहता है। यह अधिक समय तक सामान्य मूल्य से बहुत ऊँचा या नीचा नहीं रह सकता।
  4. बाजार मूल्य सभी प्रकार की वस्तुओं का होता है चाहे वे निरुत्पादनीय हों अथवा पुनरुत्पादनीय।
  5. बाजार मूल्य के निर्धारण में पूर्ति की अपेक्षा माँग अधिक प्रभावशाली होती है। जब माँग बढ़ती है तो बाजार मूल्य भी बढ़ जाता है और जब माँग घटती है तो बाजार मूल्य भी घट जाता है।

प्रश्न 3.
सामान्य मूल्य की विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर:
सामान्य मूल्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित हैं –

  1. सामान्य मूल्य दीर्घकालीन मूल्य होता है। अत: सामान्य मूल्य माँग और पूर्ति के स्थायी संतुलन द्वारा निर्धारित होता है।
  2. सामान्य मूल्य उत्पादन व्यय के बराबर होता है। यह उत्पादन व्यय से बहुत ऊँचा या नीचा स्थायी रूप से नहीं रह सकता।
  3. सामान्य मूल्य एक स्थायी मूल्य होता है, क्योंकि यह माँग तथा पूर्ति की स्थायी शक्तियों द्वारा निर्धारित होता है।
  4. सामान्य मूल्य उन्हीं वस्तुओं का होता है, जिन्हें पुनः उत्पन्न किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर जिन वस्तुओं को पुन: उत्पन्न नहीं किया जा सकता, उनका सामान्य मूल्य नहीं होता।
  5. सामान्य मूल्य के निर्धारण में माँग की अपेक्षा पूर्ति का अधिक प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 4.
एक वस्तु का बाजार संतुलन में है, यदि कीमत –

  1. संतुलन कीमत से अधिक और
  2. संतुलन कीमत से कम होगी तो बाजार में क्या प्रतिक्रियाएँ होंगी? समझाइए?

उत्तर:

1. यदि बाजार कीमत संतुलन कीमत से अधिक हो:
इस दशा में बाजार माँग, बाजार पूर्ति से कम होगी अतः पूर्ति की अधिकता की स्थिति निर्मित हो जाएगी। प्रतिस्पर्धा विक्रेताओं में बढ़ेगी जिसके कारण विक्रेता कम कीमत भी स्वीकार कर लेगा। कीमत कम होने से माँग बढ़ जाएगी एवं पूर्ति संकुचित हो जाएगी। ऐसा होने से बाजार कीमत संतुलन कीमत के बराबर आ जाएगी।

2. यदि बाजार कीमत संतुलन कीमत से कम हो:
इस परिस्थिति में बाजार माँग, पूर्ति से अधिक हो जाएगी तथा माँग की अधिकता हो जाएगी। इसके कारण क्रेताओं में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इस प्रतिस्पर्धा के कारण क्रेता अधिक मूल्य देने को तैयार हो जाते हैं। इस मूल्य का प्रभाव यह पड़ता है कि माँग कम या संकुचित हो जाती है तथा पूर्ति का विस्तार हो जाता है यह तब तक होता है जब तक कि बाजार कीमत, संतुलन कीमत के बराबर न आ जाए। इन दोनों परिस्थितियों को निम्न चित्रों की सहायता से अधिक स्पष्ट किया जा सकता है
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 2
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 3

प्रश्न 5.
पूर्ति में परिवर्तन का संतुलन मूल्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? रेखाचित्र द्वारा समझाइए?
उत्तर:
माँग स्थिर रहने पर पूर्ति में परिवर्तन का मूल्य पर Y प्रभाव पड़ना आवश्यक है। पूर्ति परिवर्तन की दो स्थितियाँ हो सकती हैं –

1. पूर्ति में वृद्धि का प्रभाव:
यदि किसी वस्तु की पूर्ति में वृद्धि होती है तो उसका पूर्ति वक्र बायीं ओर खिसकेगा। पूर्ति वृद्धि का आशय है कि उसके उत्पादक एवं विक्रेता वस्तु के निश्चित मूल्य पर उसकी अधिक मात्रा उत्पादित करने एवं विक्रय करने को तत्पर रहेंगे।

रेखाचित्र के आधार पर DD माँग रेखा और SS पूर्ति वक्र के मध्य E बिन्दु संतुलन बिन्दु है। इस आधार पर OQ वस्तु की मात्रा का निर्धारण होता है। अब पूर्ति में वृद्धि के कारण पूर्ति वक्र दायीं तरफ खिसक कर S1S1, हो जाता है । इस नये S1S1, वक्र DD माँग वक्र का E सन्तुलन होता है। अत: मात्रा बढ़कर OQ1, हो जाता है।
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 4

2. पूर्ति में कमी का प्रभाव:
यदि किसी वस्तु की पूर्ति कम होती है, तो इसका आशय यह है कि उसके उत्पादक एवं विक्रेता वस्तु के निश्चित मूल्य पर उसकी कम मात्रा ही उत्पादित करने एवं विक्रय को तैयार होंगे। रेखाचित्र द्वारा DD रेखा माँग रेखा तथा SS रेखा पूर्ति रेखा है। E बिन्दु सन्तुलन बिन्दु है। यदि पूर्ति में कमी होती है तो पूर्ति रेखा बायीं ओर खिसक कर S1S1, हो जाता है और नयी सन्तुलन बिन्दु E1, प्राप्त होता है। अतः सन्तुलन मूल्य बढ़कर OP1, हो जाती है और सन्तुलन मात्रा घटकर OQ1 हो जाता है।
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 5

प्रश्न 6.
जब एक वस्तु का संतुलन मूल्य उसके बाजार मूल्य से कम हो जाता है तो विक्रेताओं में प्रतिस्पर्धा होगी? इस कथन के संदर्भ में कारण सहित उत्तर दीजिए?
उत्तर:
उक्त कथन सही है क्योंकि जब संतुलन मूल्य, बाजार मूल्य से कम होता है तो बाजार पूर्ति अधिक एवं बाजार माँग कम हो जाती है। इससे पूर्ति की अधिकता उत्पन्न होती है। दूसरे शब्दों में वस्तु के क्रेता कम एवं विक्रेता अधिक होते हैं इसके कारण विक्रेताओं में स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है।

प्रश्न 7.
एकाधिकारी प्रतिस्पर्धा में दीर्घकाल में किसी फर्म का संतुलन शून्य लाभ पर होने का क्या कारण है?
उत्तर:
एकाधिकारी प्रतिस्पर्धा बाजार में नए फर्मों का प्रवेश दीर्घकाल में निर्बाध रूप से होता है। यदि कोई उद्योग या फर्म अल्पकाल में धनात्मक अर्जित कर रही है तो इससे नवीन फर्मों का उद्योग में प्रवेश का आकर्षण बढ़ेगा ऐसा तब तक होगा जब तक लाभ शून्य न हो जाए। यदि अल्पकाल में ही फर्मों को हानि हो रही हो तो कुछ फर्मे या तो उत्पादन बंद कर देंगी या उद्योग को छोड़कर बाजार से बहिर्गमन कर जाएँगी। पूर्ति में कमी आ जाएगी एवं इसके कारण संतुलन मूल्य बढ़ेगा एवं ऐसा तब तक होगा जब तक लाभ शून्य की स्थिति में न आ जाए।

प्रश्न 8.
एक फर्म को मूल्य स्वीकारक फर्म कब कहा जाता है?
उत्तर:
एक फर्म को मूल्य स्वीकारक फर्म तभी माना जाएगा जब वस्तु की कीमत बाजार माँग और बाजार पर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है और फर्मों द्वारा इस मूल्य पर कितनी भी वस्तुओं का विक्रय किया जा सकता है एवं कोई भी फर्म कीमत को प्रभावित नहीं कर सकती है। इसके कारण हैं –

  1. विक्रेताओं एवं क्रेताओं की बड़ी संख्या जो बाजार की पूर्ति को प्रभावित नहीं कर सकते।
  2. वस्तुएँ समरूप होती हैं। इसलिए कोई भी फर्म प्रचलित मूल्य से अधिक मूल्य वसूल करेगी तो क्रेता एक फर्म को छोड़कर दूसरे फर्म की ओर चले जाएँगे।
  3. क्रेता एवं विक्रेता को बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है। अतः प्रत्येक फर्म मूल्य स्वीकारक होती है।

प्रश्न 9.
पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मों के स्वतंत्र प्रवेश एवं बहिर्गमन का क्या प्रभाव होता है? समझाइए?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में प्रत्येक फर्म स्वतंत्रतापूर्वक उद्योग में प्रवेश कर सकती है एवं इच्छानुसार बहिर्गमन कर सकती है। जब फर्मे अधिलाभ अर्जित करती हैं तो नई फर्मे लाभ की आशा में उद्योग में प्रवेश करेंगी एवं इससे बाजार की पूर्ति में वृद्धि हो जाएगी। इससे वस्तु की बाजार कीमत कम हो जाएगी, लाभ कम हो जाएगा एवं फर्मे उद्योग को छोड़कर जाने लगेंगी। जब सामान्य हानि की दशा रहेगी तो फर्ने उद्योग को छोड़कर जाने लगेंगी परिणामस्वरूप बाजार की पूर्ति में कमी आ जाएगी। बाजार की पूर्ति कम होने से बाजार मूल्य बढ़ जाएगा एवं सामान्य हानि समाप्त होने लगेगी।

प्रश्न 10.
एक कीमत – स्वीकारक फर्म की बाजार कीमत तथा सीमान्त सम्प्राप्ति में क्या संबंध है?
उत्तर:
एक इकाई के कम या अधिक उत्पादन करने से। कुल सम्प्राप्ति में जो परिवर्तन आता है। उसे सीमान्त सम्प्राप्ति। कहते हैं। सूत्र –
MR = TRN – TRN – 1

एक कीमत स्वीकारक फर्म बाजार कीमत को ही स्वीकार करती है। अत: उसके लिए औसत सम्प्राप्ति, सीमान्त सम्प्राप्ति की तथा बाजार कीमत तीनों बराबर होते हैं। एक कीमत स्वीकारक फर्म के लिए सभी सीमान्त सम्प्राप्तियों को जोड़कर कुल सम्प्राप्ति – उत्पादन की गणना की जा सकती है।

प्रश्न 11.
किसी आगत की कीमत में वृद्धि एक फर्म के पूर्ति वक्र को किस प्रकार प्रभावित करती है?
उत्तर:
जब उत्पादन की एक आगत की कीमत (जैसे – भूमि की लगान दर) में वृद्धि होती है, तो इसके परिणामस्वरूप निर्गत की उत्पादन लागत में भी वृद्धि होती है। जिससे निर्गत के किसी भी स्तर पर फर्म की औसत लागत तथा सीमान्त लागत में भी वृद्धि हो जाती है। सीमान्त लागत वक्र ऊपर/बायीं ओर खिसक जाता है। अतः साधनों की कीमत/लागत बढ़ने से आपूर्ति वक्र ऊपर/बायीं ओर खिसक जाता है।

प्रश्न 12.
मूल्य निर्धारण में समय तत्व के महत्व की व्याख्या कीजिये?
उत्तर:
किसी भी वस्तु के मूल्य निर्धारण में समय तत्व का विशेष महत्व होता है। वस्तु का मूल्य हमेशा माँग और पूर्ति की सापेक्षिक शक्तियों के द्वारा निर्धारित होता है। बाजार में माँग और पूर्ति की सापेक्षिक शक्तियों के बीच रस्साकशी होती है। कभी माँग, पूर्ति से ज्यादा हो जाती है तो कभी पूर्ति, माँग से ज्यादा हो जाती है किन्तु इन दोनों शक्तियों को पूर्ण संतुलन बिन्दु तक पहुँचने में समय लगता है। तब तक बाजार में अस्थायी साम्य बना रहता है। वस्तु के मूल्य निर्धारण में समय तत्व का प्रभाव निम्न प्रकार पड़ता है –

1. अति अल्पकाल:
यह वह समयावधि होती है जब वस्तु की पूर्ति स्थिर रहती है। यदि माँग बढ़ जाती है तो वस्तु का मूल्य बढ़ जायेगा एवं माँग घट जाती है तो मूल्य घट जायेगा। इसका कारण यह है कि मूल्य पर माँग का ही प्रभाव अधिक एवं पूर्ति का प्रभाव कम देखने में आता है। माँग अनुसार पूर्ति समायोजित नहीं की जा सकती।

2. अल्पकाल:
इस समयावधि में भी वस्तु की पूर्ति लगभग स्थिर रहती है। इसमें स्टॉक में रखी गई मात्रा तक ही माँग को पूरा किया जा सकता है। इस काल में भी मूल्य पर माँग का ही प्रभाव अधिक देखने में आता है। यहाँ भी माँग के अनुसार पूर्ति को पूर्णतः समायोजित नहीं किया जा सकता है।

3. दीर्घकाल:
यह वह समयावधि होती है जिसमें वस्तु की कीमत पर पूर्ति का प्रभाव अधिक पड़ता है। समय इतना अधिक होता है कि माँग के अनुसार पूर्ति को समायोजित किया जा सकता है।

4. अति दीर्घकाल:
यह वह समयावधि है जिसमें न केवल उत्पादकों को माँग के अनुसार पूर्ति को समायोजित करने का पूरा समय मिल जाता है, यहाँ तक पूर्ति पक्ष में उत्पादन की मात्रा, तकनीक, संयंत्र के आकार – प्रकार एवं माँग पक्ष में जनसंख्या, रुचि, फैशन, आय आदि में परिवर्तन दिखाई देता है।

प्रश्न 13.
मान.लीजिए, एक पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में वस्तुx की माँग तथा पूर्ति वक्र निम्न प्रकार दिये गये हैं –
qD = 700 – P
qS = 500 + 3p क्योंकि p ≥ 15
= 0 क्योंकि 0 ≤ p < 15
मान लीजिए कि बाजार में समरूपी फर्मे हैं। ₹15 से कम किसी भी कीमत पर वस्तु x की बाजार पूर्ति के शून्य होने के कारण की पहचान कीजिए। इस वस्तु के लिए सन्तुलन कीमत क्या होगी? संतुलन की स्थिति में x की कितनी मात्रा का उत्पादन होगा?
उत्तर:
माना कि बाजार में समरूपी फर्मों की संख्या स्थिर है, तब दिया है –
qD = 700 – p
qS = 500 + 3 p के लिए p ≥ 15
qS = 0 के लिए p < 15
यहाँ qD = माँग, qS= पूर्ति, p = कीमत।
क्योंकि सन्तुलन कीमत पर बाजार रिक्त हो जाता है।
अतः हम बाजार माँग और बाजार पूर्ति को बराबर करके संतुलन कीमत निम्न प्रकार ज्ञात कर सकते हैं –
qD = qS
700 – p = 500 + 3p
3P + P = 700 – 500
4P = 200
P = 50
अतः संतुलन कीमत = 50 प्रति इकाई।
अतः सन्तुलन की स्थिति में वस्तु x की मात्रा qD= 700 – 50 = 650
पूर्ति qS = 500 + 3(50) = 650
इस प्रकार सन्तुलन मात्रा 650 इकाई होगी तथा ₹ 5 से कम किसी भी कीमत पर फर्म उत्पादन नहीं करेगी क्योंकि उसे हानि उठानी पड़ेगी।

प्रश्न 14.
मान लीजिए कि नमक की माँग तथा पूर्ति वक्र को इस प्रकार दिया गया है?
qD = 1000 – p
qS = 700 + 2p

(a) संतुलन कीमत तथा मात्रा ज्ञात कीजिए।
(b) अब मान लीजिए कि नमक के उत्पादन के लिए प्रयुक्त एक आगत की कीमत में वृद्धि हो जाती है और नया पूर्ति वक्र है –

qS = 400 + 2p
सन्तुलन कीमत तथा मात्रा किस प्रकार परिवर्तित होती है? क्या परिवर्तन आपकी अपेक्षा के अनुकूल है?

(c) मान लीजिए, सरकार नमक की बिक्री पर ₹ 3 प्रति इकाई कर लगा देती है। यह संतुलन कीमत तथा मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करेगा?
उत्तर:

(a) दिया है –

qD = 1000 – P
qS = 700 + 2 p
संतुलन कीमत की गणना निम्न प्रकार कर सकते हैं –
qD = qS
1000 – p = 700 + 2p
1000 – 700 = 2p + p
3p = 300
p= 100
अतः संतुलन कीमत = 100 होगी।
अब हम संतुलन मात्रा की गणना निम्न प्रकार कर सकते हैं –
qD = 1000 – 100 = 900
तथा
qS = 700 + 2 (100) = 900
अतः सन्तुलन मात्रा 900 किग्रा होगी।

(b) संतुलन वक्र में परिवर्तन होने पर –
qS = 400 + 2p
तथा
qD = 100 – p
संतुलन कीमत की गणना –
q = 1000 – p = 400 + 2p
qD = 100 – p
संतुलन कीमत की गणना –
qD = qS
= 1000 – p = 400 + 2p
= 1000 – 400 = 2p + p
3p = 600
p = 200
अतः संतुलन कीमत की गणना –
qD = 1000 – 200 = 800
qS = 400 + 2 (200) = 800.

प्रश्न 15.
क्या प्रतिस्पर्धी बाजार में लाभ – अधिकतमीकरण फर्म, जिसकी बाजार कीमत सीमान्त लागत के बराबर नहीं है, उसका निर्गत का स्तर सकारात्मक हो सकता है? व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
प्रतिस्पर्धी बाजार में लाभ अधिकतमीकरण फर्म जिसकी बाजार कीमत, सीमान्त लागत से कम या अधिक है अर्थात् बराबर नहीं है। उसका निर्गत स्तर सकारात्मक नहीं हो सकता है। निर्गत सतर के सकारात्मक होने के लिए प्रतिस्पर्धी बाजार में लाभ – अधिकतमीकरण फर्म की बाजार कीमत तथा सीमान्त लागत का बराबर होना आवश्यक है। प्रश्नानुसार, व्याख्या करने के लिए निर्गत स्तर के सकारात्मक न होने की दो स्थितियाँ हो सकती हैं –

  • बाजार कीमत सीमान्त लागत से अधिक होने पर, (MR > MC)
  • बाजार कीमत सीमान्त लागत से कम होने पर, (MR < MC)

इस रेखाचित्र में Y1, के उत्पादन स्तर पर उत्पादन किया जाता है। इससे कम उत्पादन करने का तात्पर्य होगा कि कीमत सीमान्त लागत से कम (MR < MC) है। जिसके फलस्वरूप फर्म को हानि होगी। इसलिए कोई भी फर्म ऐसा नहीं करेगी कि Y1, से कम उत्पादन करे। इसका तात्पर्य यह है कि फर्म सकारात्मक उत्पादन करने के लिए Y1 से अधिक उत्पादन को बढ़ाने का प्रयत्न करेगी। ऐसा करने पर यदि कीमत सीमान्त लागत से अधिक हो जाती है, (MR > MC) तो फर्म उत्पादन बढ़ाने का लाभ प्राप्त करेगी। फर्म अपने लाभ को अधिकतम करने के लिए तब तक उत्पादन बढ़ाएगी जब तक कीमत सीमान्त लागत के बराबर नहीं आ जाती है। (MR = MC)। चित्र में Y2 आ जाती है। (MR = MC)।

चित्र में Y2, उत्पादन के बाद भी उत्पादन बढ़ाना जारी रखती है, तो Y3 उत्पादन स्तर पर सीमान्त लागत कीमत से कम हो जाएगा अर्थात् MR < MC और फर्म के लाभ कम हो जाएँगे। इसलिए फर्म Y3, उत्पादन स्तर से पुन: Y2, उत्पादन के स्तर पर आएगी तथा E बिन्दु जो कि अधिकतम लाभ का बिन्दु है पर पहुँच जाएँगी। यही फर्म का सकारात्मक स्तर है। इस प्रकार से एक पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में फर्म Y2, स्तर से न कम और न ज्यादा उत्पादन करना चाहेगी। क्योंकि इस स्तर पर उसे अधिकतम लाभ मिल रहे हैं।

प्रश्न 16.
क्या एक प्रतिस्पर्धी बाजार में कोई लाभ – अधिकतमीकरण फर्म सकारात्मक निर्गत स्तर पर उत्पादन कर सकती है, जब सीमान्त लागत घट रही हो। व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
प्रस्तुत रेखाचित्र से स्पष्ट है कि यदि फर्म निर्गत की q1, मात्रा का उत्पादन करती है, तो सीमान्त लागत, सीमान्त सम्प्राप्ति से अधिक होगी। जिससे फर्म को हानि Y उठानी पड़ेगी। फर्म उत्पादन मात्रा को तब तक बढ़ाएगी। जब तक MC = MR न हो जाए। बिन्दु B पर MC = MR है। फर्म का सकारात्मक निर्गत स्तर है। q1 से q2 निर्गत स्तरों के बीच सीमान्त लागत कम होती जा रही है। इसलिए इनके बीच का कोई भी निर्गत स्तर सकारात्मक निर्गत स्तर नहीं हो सकता है। अतः पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार में कोई लाभ अधिकतमीकरण फर्म सकारात्मक निर्गत स्तर पर उत्पादन नहीं कर सकती है, जब सीमान्त लागत घट रही हो।

बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताएँ बताइये?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नांकित हैं –

1. क्रेताओं और विक्रेताओं की बाजार में अधिक संख्या:
पूर्ण प्रतियोगिता की सबसे पहली विशेषता यह है कि बाजार में क्रेताओं एवं विक्रेताओं की संख्या इतनी अधिक होनी चाहिए कि कोई भी क्रेता या विक्रेता अकेले वस्तु की कीमत को प्रभावित करने की दशा में न हो।

2. वस्तुओं का समरूप होना:
पूर्ण प्रतियोगिता की दूसरी विशेषता यह है कि विभिन्न फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुओं में समरूपता का गुण होता है। उत्पादन में समरूपता होने के कारण विक्रेता बाजार में प्रचलित मूल्य से अधिक कीमत नहीं ले सकता।

3. फर्मों का स्वतंत्र प्रवेश तथा बहिर्गमन:
पूर्ण प्रतियोगिता की तीसरी विशेषता यह है कि विभिन्न फर्मों को उद्योग में प्रवेश करने तथा उद्योग को छोड़ने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है।

4. उत्पत्ति के साधनों में पूर्ण गतिशीलता:
पूर्ण प्रतियोगिता में उत्पत्ति के साधनों को एक व्यवसाय को छोड़कर दूसरे व्यवसाय में जाने की पूरी स्वतंत्रता रहती है। इसलिए उत्पत्ति के साधन पूर्णरूपेण गतिशील होते है।

5. विक्रय एवं परिवहन लागतों का अभाव:
पूर्ण प्रतियोगिता में सभी उत्पादक एवं क्रेता एक – दूसरे के इतने अधिक निकट होते हैं कि इनमें विक्रय एवं परिवहन लागतों का अभाव पाया जाता है।

प्रश्न 2.
संतुलन मूल्य का निर्धारण उदाहरण सहित समझाइए?
उत्तर:
संतुलन मूल्य:
पूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की कीमत का निर्धारण माँग और पूर्ति की सापेक्षिक क्रियाओं के द्वारा होता है। माँग और पूर्ति की शक्तियाँ ही इस कीमत का निर्धारण करती हैं। जिस कीमत पर क्रेता, और विक्रेता दोनों संतुष्ट हो जाते हैं। यह मूल्य संतुलन मूल्य कहलाता है। इस कीमत पर वस्तु की माँग और पूर्ति दोनों बराबर होते हैं तथा बाजार साफ हो जाता है अर्थात् न तो कोई अतिरिक्त माँग होती है और न ही कोई अतिरिक्त पूर्ति।
तालिका – संतुलन – मूल्य वस्तु का मूल्य:

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि जब कीमत ₹ 1 है तब माँग 500 और पूर्ति 100 किलोग्राम है अर्थात् माँग पूर्ति से अधिक है, अत: कीमत में बढ़ने की प्रवृत्ति होगी। कीमत बढ़ते – बढ़ते जब ₹ 3 पर पहुँचती है तब वस्तु की माँग और पूर्ति दोनों ही 300 किलोग्राम हो जाती है। यहीं पर संतुलन होगा। यदि कीमत ₹ 5 हो जाती है तो वस्तु की माँग 100 किलोग्राम तथा पूर्ति 500 किलोग्राम की होगी। इस स्थिति में माँग की तुलना में पूर्ति अधिक होगी, अतः कीमत में घटने की प्रवृत्ति प्रारंभ हो जायेगी और पुनः कीमत ₹ 3 पर जा पहुँचती है इस प्रकार उपर्युक्त तालिका के अनुसार माँग और पूर्ति में संतुलन ₹ 3 कीमत पर होता है, अतः कीमत ₹ 3 निर्धारित होती है चूँकि ₹ 3 की इस कीमत पर वस्तु की माँग और वस्तु की पूर्ति दोनों ही बराबर है अतः कीमत में परिवर्तन होने की कोई प्रवृत्ति नहीं होगी और संतुलन हो जायेगा!

प्रश्न 3.
बाजार मूल्य का अर्थ लिखिए। अति अल्पकाल के बाजार का मूल्य निर्धारण पर क्या प्रभाव पड़ता है? समझाइए?
उत्तर:
बाजार मूल्य का अर्थ:
बाजार मूल्य वह मूल्य होता है जिस पर अल्पकाल में माँग और पूर्ति के बीच अस्थायी संतुलन होता है। अल्पकाल से तात्पर्य, समय की उस अवधि से है जिनमें वस्तु की पूर्ति को उसकी माँगों के अनुसार समायोजित नहीं किया जा सकता है। बाजार मूल्य का निर्धारण वस्तु की माँग एवं पूर्ति के अस्थायी संतुलन द्वारा होता है। अल्पकाल में जिस मूल्य पर वस्तुओं का क्रय – विक्रय होता है, वही बाजार मूल्य कहलाता है।

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 11
अति अल्पकाल में मूल्य – निर्धारण:
अति अल्पकाल वह अवधि होती है जिसमें कुल पूर्ति स्थिर रहती है। अति अल्पकाल में समय इतना कम होता है कि उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन करना सम्भव नहीं होता। इस दृष्टि। से नाशवान वस्तुओं में अति अल्पकाल या बाजार अवधि प्रायः एक दिन तथा टिकाऊ वस्तुओं की बाजार अवधि कुछ दिन या कुछ सप्ताह होती है।

चित्र द्वारा स्पष्टीकरण:
प्रस्तुत रेखाचित्र में पूर्ति स्थिर होने के कारण पूर्ति रेखा SQ को एक खड़ी रेखा के रूप में प्रदर्शित किया गया है। OQ पूर्ति स्थिर है। माँग रेखा DD है। माँग तथा पूर्ति रेखा एक – दूसरे को P बिन्दु पर काट रही है। अत: वस्तु की कीमत PQ निर्धारित होती है। यदि माँग बढ़ाकर D1,D1, हो जाती है तो कीमत बढ़कर PQ हो जाती है। यदि माँग घटकर D2,D2, हो जाती है तो कीमत घटकर P1Q हो जाती है।

प्रश्न 4.
पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य निर्धारण कैसे होता है? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए?
अथवा
पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य निर्धारण को निम्नांकित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट कीजिए?

  1. वस्तु की माँग
  2. वस्तु की पूर्ति
  3. माँग व पूर्ति का संतुलन।

उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य निर्धारण:
पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य निर्धारण किस प्रकार का होता है, इस संबंध में प्राचीन अर्थशास्त्रियों में काफी मतभेद रहा, मुख्यत: दो विचारधाराएँ प्रचलित थीं। एक विचार के समर्थक एडम स्मिथ, रिकार्डो आदि थे, जिनके अनुसार किसी वस्तु का मूल्य उसकी उत्पादन लागत द्वारा निर्धारित होता है। इसके विपरीत, दूसरी विचारधारा के समर्थकों वालरस, जेवेन्स आदि के अनुसार किसी वस्तु का मूल्य उसकी उत्पादन लागत पर नहीं बल्कि उसकी उपयोगिता अर्थात् सीमान्त उपयोगिता पर निर्भर करता है।

1. वस्तु की माँग:
किसी वस्तु की माँग उपभोक्ताओं द्वारा की जाती है। उपभोक्ता किसी वस्तु की माँग उस वस्तु में निहित उपयोगिता के कारण करता है। उपभोक्ता वस्तु का कितना मूल्य देगा, यह वस्तु की सीमान्त उपयोगिता पर निर्भर करता है। उपभोक्ता किसी भी दशा में वस्तु की सीमान्त उपयोगिता में अधिक मूल्य नहीं देगा। इस प्रकार उपभोक्ता के लिए वस्तु की सीमान्त उपयोगिता वस्तु के मूल्य की अधिकतम सीमा निर्धारित करती है।

2. वस्तु की पूर्ति:
किसी वस्तु की पूर्ति उत्पादकों द्वारा की जाती है। वस्तु के उत्पादन में चूँकि उत्पादकों को कुछ लागतें वहन करनी पड़ती हैं, इसलिए वह अपनी वस्तु का मूल्य कम से कम सीमान्त लागत के बराबर अवश्य प्राप्त करना चाहेंगे। इस प्रकार सीमान्त लागत किसी वस्तु के मूल्य की निम्नतम सीमा को बताती है।

3. माँग व पूर्ति का संतुलन:
उपभोक्ता वस्तु की कीमत उसकी सीमान्त उपयोगिता से अधिक नहीं देगा तथा उत्पादक वस्तु की कीमत उसकी सीमान्त लागत से कम नहीं लेगा। अतः वस्तु की कीमत इन दोनों सीमाओं के बीच में कहीं निर्धारित होगी। प्रत्येक क्रेता इस बात का प्रयास करता है कि उसे वस्तु की कम से कम कीमत चुकानी पड़े। प्रत्येक विक्रेता इस बात का प्रयास करता है कि वह वस्तु की अधिक से अधिक कीमत प्राप्त कर ले। ऐसी स्थिति में क्रेता एवं विक्रेता में – सौदेबाजी चलती रहती है तथा माँग एवं पूर्ति की शक्तियाँ एकदूसरे के विपरीत दिशा में कार्य करती हैं। अन्त में वस्तु की कीमत है| उस बिन्दु पर निर्धारित होती है, जहाँ पर कि वस्तु की माँगी जाने वाली मात्रा तथा वस्तु की पूर्ति मात्रा आपस में बराबर हो जाती है। इसी को साम्य मूल्य कहते हैं।
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 12

चित्र द्वारा स्पष्टीकरण:
प्रस्तुत चित्र में OX आधार रेखा पर वस्तु की माँग व पूर्ति तथा OY लम्ब रेखा पर वस्तु की कीमत को प्रदर्शित किया गया है। चित्र में DD माँग वक्र तथा SS पूर्ति वक्र हैं । ये दोनों एक – दूसरे को E बिन्दु पर काटते हैं। यह साम्य बिन्दु है। इस बिन्दु पर मूल्य OP या OE होगा तथा मात्रा OQ होगी। इस प्रकार पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत मूल्य का निर्धारण माँग व पूर्ति की सापेक्षिक शक्तियों द्वारा साम्य बिन्दु पर किया जाता है।

प्रश्न 5.
पूर्ण प्रतियोगिता को परिभाषित कीजिए। क्या पूर्ण प्रतियोगिता काल्पनिक है?
अथवा
“पूर्ण प्रतियोगिता एक कोरी कल्पना है।” स्पष्ट कीजिये?
अथवा क्या पूर्ण प्रतियोगिता कल्पना मात्र है? मुख्य कारण बताइये?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता की परिभाषा:
श्रीमती जॉन रॉबिन्सन के अनुसार, “पूर्ण प्रतियोगिता तब पायी जाती है, जब प्रत्येक उत्पादक के उत्पादन के लिए माँग पूर्णतया लोचदार होती है। इसका अर्थ यह है कि प्रथम, विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है जिससे किसी एक विक्रेता को उत्पादक का उत्पादन उस वस्तु के कुल उत्पादन का एक बहुत ही थोड़ा – सा भाग प्राप्त होता है तथा दूसरे सभी क्रेता प्रतियोगी विक्रेताओं के बीच चुनाव कराने की दृष्टि से समान होते हैं, जिससे कि बाजार पूर्ण हो जाता है।”

क्या पूर्ण प्रतियोगिता काल्पनिक है:
पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की एक काल्पनिक दशा है, क्योंकि

1. क्रेताओं एवं विक्रेताओं का बड़ी संख्या में न होना:
पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की एक ऐसी दशा है जिसमें क्रेताओं एवं विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है, लेकिन व्यावहारिक जगत में यह बात सही नहीं है, क्योंकि कुछ वस्तुओं के उत्पादक सीमित होते हैं जबकि उपभोक्ताओं की संख्या अधिक होती है।”

2. वस्तु का समरूप न होना:
पूर्ण प्रतियोगिता के लिए यह आवश्यक शर्त है कि वस्तुएँ समरूप होनी चाहिए, लेकिन व्यवहार में ऐसा नहीं होता। प्राय: हम जिन वस्तुओं का उपभोग करते हैं वे सब वस्तुएँ आकारप्रकार तथा गुणों में एक – दूसरे के समान नहीं होती हैं।

3. फर्मों का स्वतंत्र प्रवेश तथा बहिर्गमन न होना:
पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में यह शर्त रहती है कि कोई भी फर्म, उद्योग में प्रवेश कर सकती है तथा उद्योग से बहिर्गमन कर सकती हैं लेकिन व्यवहार में सरकारी हस्तक्षेप के कारण ऐसा नहीं होता है।

4. बाजार का पूर्ण ज्ञान न होना:
पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में यह शर्त रहती है कि क्रेताओं एवं विक्रेताओं में निकट का सम्पर्क होता है, लेकिन व्यावहारिक जगत में क्रेताओं एवं विक्रेताओं को इस बात की जानकारी नहीं रहती कि कौन – सी वस्तु कहाँ तथा किस कीमत में बेची या खरीदी जा सकती है।

5. उत्पत्ति के साधनों में पूर्ण गतिशीलता न होना:
उत्पत्ति के साधन पूर्ण प्रतियोगिता में पूर्ण गतिशील होते हैं, यह मान्यता भी गलत है।

6. परिवहन लागतों का शून्य होना संभव नहीं:
वस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने ले जाने में परिवहन व्यय भी होते हैं। अतः परिवहन लागतों का शून्य होना संभव नहीं है।

प्रश्न 6.
पूर्ण प्रतियोगिता की दशा में दीर्घकाल में किसी वस्तु का मूल्य कैसे निश्चित होता है? समझाइये?
उत्तर:
दीर्घकाल (Long Period) दीर्घकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं तथा जिनका माँग के अनुरूप ४ पूर्ति में समायोजन किया जा सकता है। इस समयावधि में अन्य फर्मे उद्योग में प्रवेश कर सकती हैं एवं वर्तमान फर्मे उद्योग से बहिर्गमन कर सकती हैं तथा सभी फर्मे अपने उत्पादन की क्षमता को आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर सकती हैं। दीर्घकाल में वस्तु के मूल्य निर्धारण में उसके उत्पादन की लागत का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। इस समयावधि में वस्तु का मूल्य उसकी औसत न्यूनतम लागत के बराबर होगा।
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 13
रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण:
प्रस्तुत रेखाचित्र में उद्योग की माँग व पूर्ति की शक्तियाँ E वस्तु की मात्रा – साम्य बिन्दु पर OP कीमत का निर्धारण करती हैं तथा उद्योग में कुल OQ मात्रा तक वस्तुओं का क्रय – विक्रय किया जाता है। यही OP कीमत फ़र्म के द्वारा स्वीकार कर ली जाती है। यह कीमत दीर्घकालीन औसत लागत (LAC) तथा दीर्घकालीन सीमांत लागत (LMC) के बराबर है। फर्म का संतुलन P बिन्दु पर होता है। फर्म OK मात्रा बेचकर न्यूनतम औसत लागत OR पर उत्पादन करती है। फर्म को यहाँ सामान्य लाभ प्राप्त होता है। अर्थात् यहाँ P = LAC = LMC = LAR = LMR है। इस काल में कीमत, उत्पादन लागत पर निर्भर करेगी, जो स्वयं उत्पत्ति के नियमों पर आधारित है।
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 14

प्रश्न 7.
माँग में परिवर्तन का संतुलन मूल्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? रेखाचित्र द्वारा समझाइए?
उत्तर:
वस्तु विशेष के मूल्य स्थिर रहने पर भी दूसरी वस्तुओं के मूल्य में परिवर्तन, उपभोक्ताओं की आय में परिवर्तन अथवा फैशन, रुचि आदि परिवर्तित होने से माँग घट-बढ़ सकती है। दूसरे शब्दों में माँग वक्र खिसक सकता है।

1. माँग में वृद्धि का प्रभाव:
यदि किसी वस्तु की माँग में वृद्धि होती है तथा पूर्ति यथावत् रहती है, तो बाजार में इस वस्तु का मूल्य बढ़ जायेगा क्योंकि इस दशा में उत्पादक या विक्रेता अपनी वस्तु को अधिक मूल्य पर विक्रय कर सकेगा और मात्रा अधिक होने। पर माँग में भी वृद्धि होगा। रेखाचित्र में DD माँग रेखा और SS पूर्ति रेखा बिन्दु E पर काटती है। वस्तु की कीमत OP तथा वस्तु की मात्रा। OQ निर्धारित होता है। माँग में वृद्धि के कारण माँग रेखा खिसक कर D1D1, हो जाता है। नये माँग रेखा पूर्ति वक्र को E1, बिन्दु पर संतुलन करता है, जब संतुलन मूल्य बढ़कर E1Q1 और संतुलन मात्रा OQ1, हो। जाती है। अर्थात् माँग बढ़ने से मूल्य भी बढ़ता है।
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 15
2. माँग में कमी का प्रभाव:
पूर्ति वक्र यथावत् रहने पर जब माँग में कमी या माँग वक्र बायीं ओर खिसकता है तो संतुलन मूल्य और संतुलन की मात्रा दोनों में कमी हो जाती है। रेखाचित्र में DD माँग रेखा तथा SS पूर्ति रेखा है, E संतुलन बिन्दु है और OQ1 संतुलन की मात्रा है। माँग में कमी के कारण माँग वक्र बायीं ओर खिसक कर D1D1 और मात्रा OQ, रह जाती है। अतः जब वस्तु विशेष पर माँग में कमी आती है, तो उसका मूल्य भी गिर जाता है।
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 16

प्रश्न 8.
निम्न तालिका में प्रतिस्पर्धी फर्म की कुल लागत सारणी को दर्शाया गया है। वस्तु की कीमत ₹ 10 दी हुई है। प्रत्येक उत्पादक स्तर पर लाभ की गणना कीजिए। लाभ – अधिकतमीकरण निर्गत स्तर ज्ञात कीजिए?
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 17
उत्तर:
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img t
लाभ:
अधिकतमीकरण निर्गत स्तर 5 इकाइयाँ हैं।

प्रश्न 9.
दो फर्मों वाले एक बाजार को लीजिए। निम्न तालिका दोनों फर्मों की पूर्ति सारणियों को दर्शाती है – SS1, कॉलम में फर्म -1 की पूर्ति सारणी, कॉलम SS2, में फर्म – 2 की पूर्ति सारणी का परिकलन कीजिए?
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 19
उत्तर:
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 19

प्रश्न 10.
एक दो फर्मों वाले बाजार को लीजिए। निम्न तालिका में कॉलम SS1, तथा कॉलम SS2, क्रमशः फर्म -1 तथा फर्म – 2 के पूर्ति सारणियों को दर्शाते हैं। बाजार पूर्ति सारणी का परिकलन कीजिए?
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 21
उत्तर:
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 4 बाजार के स्वरूप (प्रकार) एवं मूल्य निर्धारण img 22

प्रश्न 11.
₹ 10 प्रति इकाई बाजार कीमत पर एक फर्म की सम्प्राप्ति ₹ 50 है। बाजार कीमत बढ़कर ₹ 15 हो जाती है और अब फर्म को ₹ 150 की सम्प्राप्ति होती है। पूर्ति वक्र की कीमत लोच क्या है?
हल: कीमत स्तर ₹ 10 प्रति इकाई बाजार कीमत पर
कुल आगम (TR) = ₹ 50
पूर्ति की गई इकाइयाँ (q0) = \(\frac { TR }{ P }\)
= \(\frac { 50 }{ 10 }\)
= 5 इकाइयाँ
कीमत स्तर ₹ 15 प्रति इकाई बाजार कीमत पर
कुल आगम (TR) = ₹ 150
पूर्ति की गई इकाइयाँ (q1) = \(\frac { TR }{ P }\)
= \(\frac { 150 }{ 15 }\)
= 10 इकाइयाँ
P0 = 10, P1 = 15
कीमत में परिवर्तन ∆p = P1 – P0
= 15 – 10 = ₹5
मात्रा में परिवर्तन ∆q = q1 – q0
= 10 – 5 = 5 इकाइयाँ
es = \(\frac { Δ_{ p } }{ Δ_{ q } } \) x \(\frac { p_{ 0 } }{ q_{ 0 } } \)
= \(\frac { 5 }{ 5 }\) x \(\frac { 10 }{ 5 }\) = 2
पूर्ति की लोच = 2

MP Board Class 12th Economics Important Questions

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 14 North America-Economic Features

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 14 North America-Economic Features

MP Board Class 8th Social Science Chapter 14 Text Book Exercise

Choose the correct option of the following Questions

Mp Board Class 8 Social Science Solution Chapter 14 Question 1.
For which crop the plain of Prairies are called the bucket of breads
(a) Rice
(b) Maize
(c) Wheat
(d) Barley
Answer:
(c) Wheat

Mp Board Class 8 Social Science Chapter 14 Question 2.
Which of the following is known for car industry?
(a) Chicago
(b) Detroit
(c) Pittsburgh
(d) New York
Answer:
(b) Detroit

Fill in the blanks:

  1. The fishes are found in plenty near the ………… is land.
  2. ……………. is called the city of oven.
  3. ………….. is known for thickly Spanish language speaking population of the world.

Answer:

  1. New Found land
  2. Pittsburgh
  3. Mexico City.

MP Board Class 8th Social Science Chapter 14 Very Short Answer Type Questions

North America Economic Features Class 8 Mp Board Question 1.
Which Industries are forest based in Canada?
Answer:
Paper, pulp, furniture, Samuoor industries are forest based in Canada.

Class 8 Social Science Chapter 14 Mp Board Question 2.
Write names of three crops belt in North America?
Answer:

  1. Wheat is chief crop of North America – Prairie regions are called bucket of bread due to the immense production of wheat in Prairie.
  2. Maize – It is a staple crop of Mexico while in the United States, much of the Maize produced is used for feeding pigs and cattle. Maize is chiefly produced in the Central part of U.S. and Mexico. Having immense production the Central part of US is called the belt of Maize.
  3. Barley – It is produced highly in Canada.

Class 8 Social Science Chapter 14 Question Answer Mp Board Question 3.
Which part in North America is thickly populated?
Answer:
The most thickly populated parts of North America are on the north-eastern Coastal lands and the areas around the Green lakes. Most of the big cities are located in these areas.

Question 4.
Why Cuba is called the home of Sugar?
Answer:
Sugar industry is highly developed in Cuba so it is called the home of Sugar.

MP Board Class 8th Social Science Chapter 14 Short Answer Type Questions

Question 1.
Write names of three major rail routes with starting station and end point.
Answer:
The three major rail routes are:

  • Canadian Pacific Rail – Heli fax to Vancouver.
  • Union and Central Pacific Rail – New York to San Francisco.
  • South Pacific Rail – New York to Los Angeles.

Question 2.
Write major industries of Canada with their centers?
Answer:
Paper, pulp, furniture, Samicoor, the dairy industry and meat industry are highly developed here. Industries in Canada are in the most eastern part. Ottawa (Capital of Canada) Montreal, Vancouver, Winnipeg, Toronto, St. Johns are major industrial cities.

Question 3.
Write the names of major industries of U.S.A. with their centers?
Answer:
The iron-steel, cloths, paper, machines, chemicals metal melting, meat, motor cars, shipping, aeroplane, arms are the major industries of U.S.A. New York, Philadelphia, Boston, Chicago, Los Angeles, Cans-sap City, Portland, San Francisco city are major industrial centers of U.S.A. The Grand Bank near the coast of New Found land is famous for fishing. The world famous Hollywood film city is in Los Angeles. Detroit is famous for car industry.

Question 4.
What are the modes of transportation in North America? How long their expanse is:
Answer:
North America has a very well – developed transportation system. It possesses a dense network of roads and railways. Coastal and inland Water- ways continue to be the bulk carriers. Four vehicles run simultaneously in one direction. Cars are most popular mode of transport here. North America has an extensive and efficient network of railways. There are three inter-continental rail routes.

  • Canadian-Pacific Rail – Halifax to Vancouver
    Union and Central Pacific Rail – New York to San Francisco
    South Pacific Rail – New York to Los Angeles. Chicago is the biggest Railway Junction of the world.

Airways:
The inland and international airways has been – highly developed. New York, San Francisco, Chicago, Washington, Ottawa, Mexico etc. are important international airports. Waterways: Five Lakes, St. Lawrence and Mississippi rivers has sufficient facilities of waterways in coastal regions. On the east coast Boston, New York, Philadelphia, New Orleans and on the west coast Vancouver, San Francisco, Los Angeles etc. are important international harbors.

MP Board Class 8th Social Science Chapter 14 Long Answer Type Questions

Question 1.
What are the causes of agricultural progress in North-America?
Answer:
North America is very rich in agricultural production. This is mainly because the continent is vast and possesses very fertile plains, suitable climate and sufficient water is available for irrigation. Crops are two types:

  • Food grains such as wheat, maize, barley, rice and millet.
  • Cash crops cotton, sugarcane, tobacco, so yabean, groundnut, Chukandar and fruits.

Extensive Prairies grasslands in the central and the river valleys are suitable for farming. Extensive agriculture is the chief farming practice. There are big fields and big machines are used for farming. New scientific techniques is used for farming. Use of fertilizers and latest quality seeds are the causes of agricultural progress in North America.

Question 2.
Write the reasons why there are thick population in the eastern part of North America?
Answer:
The total population of North America is 51 crore 40 lakhs. The density of population is 21 person per square kilometers. The distribution of population is not even everywhere. The most thickly populated parts of North America are on the north – eastern coastal lands and the areas around the Great Lakes. Most of the big cities of the continent are located in these areas. This region enjoys the moist cool climate and has adequate power resources and many industries.

Question 3.
The natural resources have made North America rich. Mention it with reason.
Answer:
At present North America is most prosperous and very highly industrialized continent in the world. Being a developed continent it has economic links with most of countries in the world. The economic condition is very strong. It is also very advanced continent in industries also.

This is mainly because of its vast natural resources and high level of technology to use them. The fertile plains, extensive grasslands, broad belts of forests, extensive fishing grounds around its coasts and minerals are the valuable natural resources of North America.

Main Economic resources of North America are:

  • Agricultural Resources
  • Forest Resources
  • Mineral and Energy Resources
  • Fishery Resources
  • Industry and transport
  • Population.

These resources made North America very rich.

Question 4.
Why North America is so advance continent?
Answer:
The reasons of being North America an advanced continent are as follows:
It has extensive natural resources. It has fertile land which is a source of rich crops. It has immense mineral wealth. Its industries are highly advance. Means of transport are unique in the world. It has economic relations with most of the countries of the world. It has atomic power and well trained forces also. So we can say that North America is a advance and developed continent.

Project Work
In the outline map of North America show the following

  1. Panama Canal
  2.  Ottawa
  3.  Prierry,
  4. New found land
  5. Sanfrenisco
  6.  Canadian Pacific Railway
  7. Mexico City
  8. The capital of United States of America.

Answer:

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 14 North America-Economic Features img 1

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MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 9 Religious, Social Reform Movements and Cultural Awakening

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 9 Religious, Social Reform Movements and Cultural Awakening

MP Board Class 8th Social Science Chapter 9 Text Book Exercise

Choose the correct option of the following.

Mp Board Class 8 Social Science Solution Chapter 9 Question 1.
Who founded Bramho Samaj in 1828?
(a) Ishwarchandra Vidyasagar
(b) Swami Dyanand Saraswati
(c) Raja Ram Mohan Roy
(d) Keshava Chandra
Answer:
(c) Raja Ram Mohan Roy

Describe The Sikh Movement Class 8 Mp Board Question 2.
When and by whom was the Prarthana Samaj founded?
(a) Mahadev Govind Ranade in 1867
(b) Svyami Dyanand Saraswati in 1875
(c) Swami Vivekanand in 1897
(d) Madam Blatwaski in 1882
Answer:
(a) Mahadev Govind Ranade in 1867

Mp Board Class 8 Social Science Chapter 9  Question 3.
Who founded the Mohammad an Anglo Oriental College?
(a) Nawab Abdul Latif
(b) Sharimtullah
(c) Iqbal
(d) Sir Syed Ahmed Khan
Answer:
(d) Sir Syed Ahmed Khan

Class 8 Social Science Chapter 9 Mp Board Question 4.
Who composed the song ‘Vande Matram’
(a) Rabindra Nath Tagore
(b) Swami Vivekanand
(c) Bankimchandra Chattopadhyay
(d) Swami Dayanand Saraswati
Answer:
(c) Bankimchandra Chattopadhyay

Fill in the blanks:

  1. In 1829 Lord William Bentick with the help of Raja Ram Mohan Roy passed Act against …………….. system.
  2. In the year …………… Deccan Education Society was founded by Mahadev Govind Ranade.
  3. Jyotiba Phule worked for the growth of …………..
  4. Swami Dayanand Saraswati published the book ……………
  5. Ramkrishan Mission was founded by ……………..

Answer:

  1. Sati
  2. 1884
  3. Dalits
  4. Satya Prakash
  5. Swami Vivekanand.

MP Board Class 8th Social Science Chapter 9 Very Short Answer Type Questions

Class 8 Social Science Chapter 9 Mp Board Question 1.
Which university was founded by Pandit Madan Mohan Malviya in Varanasi?
Answer:
Banaras Hindu University.

Mp Board Class 8 Science Chapter 9 Question 2.
Which topmost award did Rabindra Nath Tagore received in 1913?
Answer:
He was conferred with Nobel prize for Literature.

Chapter 9 Social Science Class 8 Mp Board Question 3.
What was childhood name of Swami Vivekananda?
Answer:
Narendra Nath.

MP Board Class 8th Social Science Chapter 9 Short Answer Type Questions

Class 8 Social Science Chapter 9 Question Answer Mp Board Question 1.
Mention two works taken by Raja Ram Mohan Roy for social up lift ment?
Answer:
Raja Ram Mohan Roy was against the Sati & Caste system. He favored Widow re-marriage and education to all.

Mp Board Class 8 Chapter 9 Question 2.
Write three important works done for the society and the culture by Arya Samaj?
Answer:
Arya samaj opposed the existing caste system, it advocated equal rights for all citizens and opposed child marriage and
encouraged widow marriage.

8th Class Samaj Question Answer Mp Board Question 3.
What was the objective of Vivekananda to form the Rama Krishna Mission?
Answer:
The main aim of mission was to link Indian nationalism to spiritualism and serve the society.

Class 8 Chapter 9 Social Science Mp Board Question 4.
Mention two works done by Jyotiba Phule for the interests of Dalits.
Answer:
Jyotiba Phule opposed untouchability and supported widow remarriage. He had started a school for Dalits.

Mp Board Class 8 Social Science Solution Chapter 8 Question 5.
Write two important works done by Annie Besant for the society?
Answer:
She made great efforts towards women education, opposed child marriage and caste system.

MP Board Class 8th Social Science Chapter 9 Long Answer Type Questions

Social Science Class 8 Chapter 9 Mp Board Question 1.
Describe the works taken by Sir Syed Ahmed Khan for the Muslim social reform movement?
Answer:
The contribution of Syed Ahmed Khan to the spread of education and the awakening of the Muslims was very significant. Syed Ahmed Khan was concerned over the depressed condition of the Muslims and wanted to free them from the chains of backwardness. He was a staunch supporter of Hindu – Muslim Unity. He regarded Hindu, Muslim, Christians of India as one Quami. He declared that “this Quam should act for the common good of the country which is good for all of them.”

He strove hard to remove the hostility of British rulers towards the Muslim and to persuade the Muslims to accept the religious and educational reforms. In the field of education, he advocated English education for the regeneration of Muslims in India. In 1864 he founded the Translation Society which was later renamed the Scientific Society which published Urdu translation of English books on scientific subjects.

His greatest achievements was the establishment of Mohammedan. Anglo-Oriented College at Aligarh in 1875. The Mohammedan Anglo – Oriented College which later became the Aligarh Muslim University fostered a modern outlook among the students and played an important role in the awakening of the Muslims in India.

Question 2.
Describe about sikh movement?
Answer:
The main activities of the reform movements among the Sikhs can be stated as under:

  • The Singh Sabhas attempted to set up educational institutions. Khalsa College was established in Amritsar in 1892. Likewise, Khalsa Colleges and schools were opened.
  • Gurumukhi because the language for transmitting ideas.
  • There began reform movements in the Gurudwaras. Earlier the Gurudwaras were under the control of the Mahants. The movement was launched to bring them under the control of the Sikh community. Consequently, the Gurudwaras came to be controlled by the Managing Committees.

Question 3.
What were the impacts of 19th century social and religious movements over the Indian society?
Answer:
The religious and social reforms started in 19th century had a positive change in every section of Indian society like education, culture, politics, social and religion. The salient features were:

  • There was thrust towards and modern 1 education, science and literature.
  • Many schools and colleges were started in India.
  • The status of women improved. The evil practices of sati, child marriage and purdha system were on verge to be abolished.
  • There was feeling of freedom and nationalism.
  • These reforms brought a new awakening in India and cultural feeling got boost.

Question 4.
Write in detail about the growth in the field of science in 19th century?
Answer:
The introduction of modern science in India began in the early 19th century. Since then, thing moved quickly. The major landmarks in the growth of modern science in India are:

  • Setting up the Department of Science in the universities.
  • Founding the Indian Association for the cultivation of science in 1876.
  • Setting up of Indian Science Congress Association, 1920.

Many reformers were of the view that the major cause of the backwardness of India was neglect of science hence more stress was given in 19th Century towards teaching of Science. India produced a large number of Scientists who won international fame. These included P.C. Ray, J.C. Bose, C.V. Raman, Satyen Bose, Meghnad Saha, D.N. Wadia and Birbal Sahni, C.V. Raman was awarded Nobel Prize for the Physics in 1930.

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MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Chapter 4 नीतिश्लोकाः

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 4 नीतिश्लोकाः

MP Board Class 8th Sanskrit Chapter 4 अभ्यासः

Mp Board Class 8 Sanskrit Solution Chapter 4 प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत(एक शब्द में उत्तर लिखो-)
(क) भार्या कीदृशी भवेत्? (पत्नी कैसी होनी चाहिए?)
उत्तर:
प्रियवादिनी। (प्रिय बोलने वाली)

(ख) विद्या कीदृशी भवेत्? (विद्या कैसी होनी चाहिए?)
उत्तर :
अर्थकरी। (धन का संग्रह कराने वाली)

(ग) युक्तं नीचस्य किं भवति? (उचित असमर्थ के लिए क्या हो जाता है?)
उत्तर:
दूषणम्। (अनुचित)

(घ) मनुष्यः मृत्यु कथम् आपद्यते? (मनुष्य मृत्यु कैसे प्राप्त करता है?)
उत्तर:
मोहात्। (मोह से)

(ङ) मित्रं कदा जानीयात्? (मित्र को कब जानना चाहिए?)
उत्तर:
आपत्सु। (आपत्तियों में)

Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 4 प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत(एक वाक्य में उत्तर लिखो-)
(क) अजीर्णे विषं किम्? (अपच में विष क्या है?)
उत्तर:
अजीर्णे भोजनं विषम्। (अपच में भोजन विष है।)

(ख) दारिद्रयं कुत्र नास्ति? (दरिद्रता कहाँ नहीं है?)
उत्तर:
दारिद्रयं उद्योगे नास्ति। (दरिद्रता परिश्रम में नहीं है।)

(ग) मानवः नित्यं किं विचिन्तयेत्? (मनुष्य को सदा क्या सोचना चाहिए?)
उत्तर:
मानवः नित्यं मे किं छिद्रं को सङ्गो किम् अविनिपातितम् कुतः दोषः ममाश्रयेद् इति विचिन्तयेत्। (मनुष्य को सदा मुझमें क्या बुराई है, क्या आसक्ति है, वह कौन-सी वस्तु है जो पतनशील नहीं है। मुझमें दोष कहाँ से आते हैं, यह सोचना चाहिए।)

(घ) गुणेषु कः करणीयः करणीयम्? (गुणों के उपार्जन हेतु क्या करना चाहिए?)
उत्तर:
गुणेषु यत्नः करणीयः। (गुणों के उपार्जन हेतु प्रयास करना चाहिए।)

(ङ) अनभ्यासे किं विषम्? (अभ्यास न करने पर क्या विष है?)
उत्तर:
अनभ्यासे शास्त्रम् विषम्। (अभ्यास न करने पर शास्त्र विष है।)

Class 8 Sanskrit Chapter 4 Mp Board प्रश्न 3.
श्लोकांशान् यथायोग्यं योजयत(श्लोक के अंशों को ठीक-ठीक जोड़ो-)
Mp Board Class 8 Sanskrit Solution Chapter 4
उत्तर:
(क) → (ii)
(ख) → (iv)
(ग) → (v)
(घ) → (i)
(ङ) → (iii)

नीति श्लोक In Sanskrit Class 8 MP Board प्रश्न 4.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां। समक्षं’न’ इति लिखत
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ (हाँ) तथा अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ (नहीं) लिखो-)
(क) नित्यम् अर्थागमः अरोगिता च इति द्वयं भवेत्।
(ख) अमृतं विषं च द्वयं देहे प्रतिष्ठितम्।
(ग) उद्योगे दारिद्र्यम् अस्ति।
(घ) व्यसनेषु बान्धवान् जानीयात्।
(ङ) सत्येन अमृतम् आपद्यते।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) आम्
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) आम्।

नीति श्लोक अर्थ सहित Class 8 MP Board प्रश्न 5.
पदानां विभक्तिं वचनं च लिखत(शब्दों के विभक्ति और वचन लिखो-)
उत्तर:
Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 4

(नीति के श्लोकों में नीति होती है। जीवन के विषय में, समाज के विषय में, राष्ट्र के विषय में, धर्म, वैराग्य, संस्कार और परोपकार आदि के विषय में प्रामाणिक, अच्छा चिन्तन और वैज्ञानिक चिन्तन नीति के श्लोकों में पाया जाता है। संस्कृत में नीति को आधार बनाकर श्लोक रचना करने की और शतक (सौ श्लोकों का संग्रह) रचना करने की परम्परा अति प्राचीन है। वस्तुतः थोड़े शब्दों के द्वारा प्रतिष्ठित भावों का, उदात्त विचारों का और श्रेष्ठ विषयों का महत्वपूर्ण विवरण नीति के श्लोकों में पाया जाता है।

नीतिश्लोकाः हिन्दी अनुवाद

अर्थागमोनित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रोऽर्थकरी च विद्या षड् जीवलोकस्य सुखानि राजन्॥१॥

कक्षा 8 संस्कृत पाठ 4 MP Board अनुवाद :
हे राजन्! नित्य धन का आगम हो, निरोगता हो, पत्नी प्यारी हो और प्रिय बोलने वाली हो, आज्ञा का पालन करने वाला पुत्र हो और धन का संग्रह कराने वाली विद्या हो, ये छह संसार के सुख हैं।

अयुक्तं स्वामिनो युक्तं युक्तं नीचस्य दूषणम्।
अमृतं राहवे मृत्युः विषं शङ्करभूषणम्॥२॥

क्लास 8 संस्कृत चैप्टर 4 MP Board अनुवाद :
समर्थ (शक्तिशाली) व्यक्ति के लिए अनुचित भी उचित हो जाता है और नीचे स्तर के (असमर्थ) व्यक्ति के लिए उचित भी अनुचित हो जाता है। जैसे राहु को अमृत पीने से भी मृत्यु मिली और विषपान करना शंकरजी के लिए भूषण हो गया।

अमृतं चैव मृत्युश्च द्वयं देहे प्रतिष्ठितम्।
मृत्युमापद्यते मोहात् सत्येनापद्यतेऽमृतम्॥ ३॥

Class 8th Sanskrit Chapter 4 MP Board अनुवाद :
अमरता और मृत्यु दोनों शरीर में स्थित हैं। मोह में फंसे रहने से मृत्यु प्राप्त होती है और सत्य को जानने से अमरता प्राप्त होती है।

आपत्सु मित्रं जानीयाद् युद्धे शूरं धने शुचिम्।
भार्या क्षीणेषु वित्तेषु व्यसनेषु च बान्धवान्।॥४॥

अनुवाद :
मित्र को आपत्तियों में, शूरवीर को युद्ध में, पवित्रता को धन में, पत्नी को धन नष्ट हो जाने पर और भाई-बन्धुओं को संकटों में जानना (पहचानना) चाहिए।

आरोप्यते शिला शैले यत्नेन महता यथा।
निपात्यते क्षणेनाधः तथात्मा गुणदोषयोः॥५॥

Mp Board Class 8th Sanskrit Solution Chapter 4 अनुवाद :
जैसे पर्वत पर शिला बहुत ही कठिनाई से चढ़ाई जाती है और एक क्षण में ही नीचे गिरा दी जाती है वैसे ही प्राणी गुण और दोष ग्रहण करता है। (अर्थात् गुण कठिनता से एवं दोष सरलता से ग्रहण करता है।)

उद्योगे नास्ति दारिद्रयं जपतो नास्ति पातकम्।
मौने च कलहो नास्ति नास्ति जागरिते भयम्॥६॥

Mp Board Class 8 Sanskrit Solution अनुवाद :
परिश्रम करने से दरिद्रता (गरीबी) नहीं रहती – है, भगवान् का नाम लेने से पाप नहीं रहते हैं। मौन (चुप) रहने। से लड़ाई-झगड़ा नहीं होता है और जागते रहने से (चोर आदि का) भय नहीं होता है।

किं छिद्रं को नु सङ्को मे किं वास्त्यविनिपातितम।
कुतो ममाश्रयेद् दोषः इति नित्यं विचिन्तयेत्॥७॥

Mp Board Solution Class 8 Sanskrit अनुवाद :
मुझमें क्या बुराई है, क्या आसक्ति है अथवा वह कौन-सी वस्तु है जो पतनशील (नष्ट होने वाली) नहीं है। मुझमें दोष (बुराइयाँ) कहाँ से आते हैं, इनके विषय में सदा। सोचना चाहिए।

गुणेषु क्रियतां यत्नः किमाटोपैः प्रयोजनम्।
विक्रीयन्ते न घण्टाभिर्गावः क्षीरविवर्जिताः॥ ८॥

Class 8th Sanskrit Shlok MP Board अनुवाद :
गुणों के उपार्जन में प्रयास करना चाहिए, बाहरी – आडम्बरों (दिखावों) से क्या लाभ है। क्योंकि घण्टे लटकाने से दूध न देने वाली गायें नहीं बिकती हैं।

निर्धनस्य विषं भोगो निस्सत्त्वस्य विषं रणम्।
अनभ्यासे विषं शास्त्रम् अजीर्णे भोजनं विषम्॥९॥

अनुवाद :
निर्धन के लिए भोग-विलास विष है, अशक्त। (शक्तिहीन) के लिए युद्ध विष है, अभ्यास न करने के लिए। शास्त्र विष हैं (और) अपच होने पर भोजन विष है।

नीतिश्लोकाः शब्दार्थाः

अर्थागमः = धन का आगम। अरोगिता = निरोगता। वश्यः = आज्ञापालक। अर्थकरी = धन संग्रह कराने वाली। अयुक्तम् = अनुचित, अयोग्य। स्वामिनः = समर्थ जन का। युक्तम् = उचित वस्तु या उपयोगी वस्तु। अमृतम् = अमृत, अमरता। मृत्युमापद्यते = मृत्यु को पाता है। आपत्सु = आपत्तियों में। व्यसनेषु = संकटों के समय। जानीयात् = जानना चाहिए। आरोप्यते = चढ़ाई जाती है। निपात्यते = गिराई जाती है। तथात्मा = वैसे ही प्राणी, व्यक्ति। अधः = नीचे। उद्योगे = उद्यम करने पर। दारिद्रयम् = गरीबी। जपतः = भगवान् का नाम लेने वाले का। कलहः = लड़ाई-झगड़ा। छिद्रम् = दुर्बलता, गलती, बुराई। सङ्ग = आसक्ति। अविनिपातितम् = वह कौन-सी वस्तु जो पतनशील नहीं है। ममाश्रयेत् = मुझ में आते हैं। विचिन्तयेत् = चिन्तन करना चाहिए। गुणेषु = गुण के उपार्जन में। किमाटोपैः = बाहरी आडम्बरों से क्या। घण्टाभिः = घण्टे लटकाने से। क्षीरविवर्जिताः = दूध से रहित। भोगः = भोग-विलास। निस्सत्वस्य = अशक्त के लिए। अनभ्यासे = अभ्यास न करने पर। अजीर्णे = अपच में।

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions

MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 1 Light the Lamp of Thy Love

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MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 1 Light the Lamp of Thy Love

For the sake of students we have gathered the complete 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 1 Light The Lamp Of Thy Love Questions and Answers can provided in pdf Pattern. Refer the chapter wise MP Board Class 10th English Solutions Questions and Answers Topics and start the preparation. You can estimate the importance of each chapter, find important English grammar concepts which are having more weightage. Concentrate on the important grammar topics from Madhya Pradesh Board Solutions for 10th English Chapter 1 Light The Lamp Of Thy Love Questions and Answers PDF, prepare well for the exam.

Light the Lamp of Thy Love Textual Exercises

Word Power

A. Match the following words with their correct meaning.
(सुमेलित कीजिए)
Mp Board Class 10 English Workbook Solutions
Answer:
1. → (e)
2. → (a)
3. → (b)
4. → (d)
5. → (C)

B. Give antonyms of the following words:
(विलोम शब्द लिखिए)
Answer:
light – dark
external – internal
senior – junior
evil – good

How Much Have I Understood?

A. Answer these questions. (One or two sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।)

Light The Lamp Of Thy Love MP Board Class 10th Question 1.
What do you mean by ‘In my house’ in the poem?
(निम्न प्ररनों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए)
Answer:
By In my house’ the poet means his own body, soul and heart.
(बाइ ‘इन माइ हाऊस’ द पोऍट मीन्स हिज़ ओन बॉडी, सोल एण्ड हार्ट।)
‘मेरे घर में’ से कवि का तात्पर्य उसके स्वयं के शरीर, आत्मा व हृदय से है।)

Class 10 English Chapter 1 Light The Lamp Of Thy Love Question 2.
What does the speaker want the Lord to do at first?
(व्हॉट डज़ द स्पीकर वॉण्ट द लॉर्ड टू डू ऐट फर्स्ट?)
वक्ता ईश्वर से सर्वप्रथम क्या करवाना चाहता है?
Answer:
The speaker wants the Lord to light the lamp of his love in his heart and soul.
(द स्पीकर वॉन्ट्स द लॉर्ड टू लाइट द लैम्प ऑफ हिज़ लव इन हिज़ हार्ट एण्ड सोल।)
वक्ता चाहता है कि ईश्वर उसके हृदय व आत्मा में अपने प्रेम का दीपक जलाए।

Light The Lamp Of Thy Love Workbook Solution Question 3.
What kind of lamp is it in the poem?
(व्हॉट काइन्ड ऑफ लैम्प इज इट इन द पोऍम?)
कविता में किस प्रकार के दीपक के विषय में कहा गया है?
Answer:
The lamp mentioned in the poem is transmuting. Its rays have the power of transformation.
(द लैम्प मैन्शन्ड इन द पोऍम इज़ ट्रान्सम्यूटिंग। इट्स रेज़ हैव द पावर ऑफ ट्रान्सफॉर्मेशन।)
कविता में चर्चित दीपक बदलाव लाने वाला है। उसकी किरणों में परिवर्तन करने की क्षमता है।

Light The Lamp Of Thy Love Questions Answer Question 4.
What does ‘darkness’ stand for in the poem?
(व्हॉट डज़ ‘डार्कनेस’ स्टैण्ड फॉर इन द पोऍम?)
कविता में अन्धकार का क्या तात्पर्य है?
Answer:
The ‘darkness’ means the ignorance and evil present in the heart.
(द डार्कनेस मीन्स द इग्नोरेन्स एण्ड ईविल प्रेजेन्ट इन द हार्ट।)
अन्धकार से तात्पर्य हृदय में व्याप्त अज्ञानता व बुराई से है।

Light The Lamp Of Thy Love All Questions And Answers Question 5.
What does ‘light’ stand for in the poem?
(व्हॉट डज़ लाइट स्टैण्ड फॉर इन द पोऍम?)
कविता में प्रकाश से क्या तात्पर्य है?
Answer:
‘Light’ means knowledge that can distinguish between evil and good, right and wrong.
(लाइट मीन्स नॉलेज दैट कैन डिस्टिंग्विश बिटवीन ईविल एण्ड गुड, राईट एण्ड राँग।)
उजाले का तात्पर्य ज्ञान से है जो बुराई और अच्छाई व सही और गलत में फर्क कर सके।

Mp Board Class 10th General English Book Solution Question 6.
What are the senses compared to?
(व्हॉट आर द सेन्सेज़ कम्पेअर्ड टू?)
इन्द्रियों की तुलना किससे की गई है?
Answer:
The senses are compared to lamps.
(द सेन्सेज़ आर कम्पेअर्ड टू लैम्प्स।)
इन्द्रियों की तुलना दीपों से की गई है।

B. Answer the questions. (Three or four sentences)
(निम्न प्रश्नों के तीन या चार वाक्यों में उत्तर दीजिए।)

Light The Lamp Of Thy Love Questions And Answers Question 1.
Why does the poet want God to light the lamp?
(व्हाय डज़ द पोऍट वॉण्ट गॉड टू लाइट द लैम्प?)
कवि ईश्वर से दीपक क्यों जलवाना चाहता है?
Answer:
The poet wants God to light the lamp because only he has the power to transform evil into good and ignorance into knowledge.
(द पोऍट वॉन्ट्स गॉड ट्र लाइट द लैम्प बिकॉज़ ओनली ही हैज़ द पावर टू ट्रान्सफॉर्म ईविल इन्टू गुड एण्ड इग्नोरेंस इन्टू नॉलेज।)
कवि ईश्वर से दीपक जलवाना चाहता है क्योंकि सिर्फ ईश्वर ही बुराई को अच्छाई व अज्ञानता को ज्ञान में परिवर्तित करने की क्षमता रखते हैं।

Mp Board Class 10 English Book Solution Question 2.
What does the ‘door of the soul’ suggest?
(व्हॉट डज़ द डोर ऑफ़ द सोल सजेस्ट?)
आत्मा के द्वार से क्या तात्पर्य है?
Answer:
The ‘door of the soul’ suggests poet’s inner self and heart. He wants God to light the lamp of His love within him.
(द ‘डॉर ऑफ द सोल’ सजेस्ट्स पोऍट्स इनर सेल्फ एण्ड हार्ट। ही वॉन्ट्स गॉड टू लाइट द लैम्प ऑफ हिज़ लव विदिन हिम)
‘आत्मा के द्वार’ का तात्पर्य कवि के अन्तर्मन व हृदय से है। वह चाहते हैं कि ईश्वर अपने प्रेम का दीपक उनमें प्रज्ज्वलित करे।

Light The Lamp Of Thy Love Poem MP Board Class 10th Question 3.
What should we pray for?
(व्हॉट शुड वी प्रे फॉर?)
हमें क्या प्रार्थना करनी चाहिए?
Answer:
We should pray to God to drive away ignorance and evil from our heart by the lamp of his love.
(वी शुड प्रे टू गॉड टू ड्राईव अवे इग्नोरेंस एण्ड ईविल फ्रॉम आवर हार्ट बाइ द लैम्प हिज़ लव।)
हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि वे हमारे हृदय से अज्ञानता व बुराई को अपने प्रेम के दीपक से हटाएँ।

Light The Lamp Of Thy Love Is A Simple Prayer Written By Question 4.
Why does the speaker want the Lord to touch him once?
(व्हाइ डज़ द स्पीकर वॉन्ट द लॉर्ड टू टच हिम वन्स?)
वक्ता यह क्यों चाहता है कि ईश्वर उसे एक बार स्पर्श करे?
Answer:
The speaker wants the God to touch him once so that he may change. He believes that by His touch his body of clay would turn into gold, like that of God and all his worries would fade away.
(द स्पीकर वॉन्ट्स द गॉड टू टच हिम वन्स सो दैट ही मे चेन्ज। ही बिलीव्स दैट बाइ हिज़ टच हिज़ बॉडी ऑफ क्ले वुड टर्न इन्टू गोल्ड, लाइक दैट ऑफ गॉड एण्ड ऑल हिज़ वरीज़ वुड फेड अवे।)
वक्ता चाहता है कि ईश्वर उसे एक बार स्पर्श करे जिससे कि उसमें परिवर्तन आये। उसे विश्वास है कि ईश्वरीय स्पर्श से उसका मिट्टी का शरीर ईश्वर के समान स्वर्णिम हो जायेगा व उसकी समस्त चिन्ताएँ विलोप हो जायेंगी।

Light The Lamp Of Love Meaning In Hindi MP Board Class 10th Question 5.
What is the message of the poem?
(व्हॉट इज़ द मैसेज ऑफ द पोऍम?)
कविता क्या सन्देश देती है?
Answer:
the poem says that instead of asking for worldly comforts we should pray to God to light our soul with His knowledge and love and drive away all the evil from our heart.
(द पोऍम सेज़ दैट इन्स्टैड ऑफ आस्किंग फॉर वर्ल्डली कम्फर्ट्स वी शुड प्रे टू गॉड टू लाइट आवर सोल विद हिज़ नॉलेज एण्ड लव एण्ड ड्राइव अवे ऑल द ईविल फ्रॉम आवर हार्ट।)
कविता यह सन्देश देती है कि हमें ईश्वर से सांसारिक ऐशो-आराम की वस्तुओं के लिए प्रार्थना न करके उससे यह प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमारी आत्मा को प्रेम व ज्ञान से प्रकाशित करे और हमारे हृदय से बुराइयों को दूर करे।

Listening Time

A. The teacher will read out the following words and the students will repeat them. (निम्न शब्दों को दोहराओ।)
Answer:
Light The Lamp Of Thy Love Poem Hindi Translation

B. Complete the following stanza.
(निम्न पद्यांश को पूरा करिए।)
Answer:
In my house with Thine own hands
Light the lamp of Thy love!
The transmuting lamp entrancing,
Wondrous are its rays.
Change my darkness to Thy light, Lord!

Speaking Time

Speak out four sentences of your own as to what the poet prays to God.
(कवि की प्रार्थना के चार वाक्य लिखिए।)
Answer:

  1. The poet prays to God to change his darkness into His light.
  2. The poet prays to God to turn his evil into good.
  3. The poet prays to God to change him from clay to gold.
  4. The poet prays to God to free him from worries.

Writing Time

Paraphrase the poem in prose form by filling the blanks with suitable words from the box.
(रिक्त स्यान भरो)

(the lamp, body, love, happy, attitude, change, please, magical, golden, darkness, noble, remove, vices, make, touch, become, senses, mentor and guide, slavery free.)

Answer:
My Lord! Please light the lamp of Your love in my body. Your love can change me and my attitude and make me happy. Your love has magical power. It can remove all the darkness in me. Please remove the evil in me and make me noble.
O Almighty! please touch me with your golden hand.
My body is full of vices. Please make it sublime. My Lord! I have become a slave to my senses. Please free me of this slavery and be my mentor and guide.

Things to do

Collect any other poem of Tagore on a similar theme. Write it in your project file. Learn it by heart and recite it in your class.
(टैगोर की कोई अन्य कविता ढूँढ़कर लिखो व याद करके अपनी कक्षा में सुनाओ।)
Answer:
Students can do themselves.
(छात्र स्वयं करे)

Light the Lamp of Thy Love Central Idea of the Poem

The poem is the poet’s prayer to God to light the lamp of his (God’s) love in his heart and remove its darkness of ignorance. He believes that the wonderful rays of the lamp would transform his evil into good, clayey body into gold and would free him from all the worries and tensions of life.

Light the Lamp of Thy Love Difficult Word Meanings 

Thine (दाइन)-(old use) yours (here related to God) (तुम्हारा), (यहाँ ईश्वर से सम्बन्धित); Thy (दाइ) -(old use) your (here related to God) (तुम्हारा), (यहाँ ईश्वर से सम्बन्धित); Transmute (ट्रान्सम्यूट)-to change something in something different (बदलाव करना); Entrancing (एन्ट्रेन्सिग) – capable of making somebody feel great pleasure and admiration so that they give somebody/something all their attention (सम्मोहित मन्त्रमुग्ध कर देना); Wondrous (वन्डरस)-wonderful, fascinating (अदूभुत); Darkness (डाकनेस) – ignorance, evil (अज्ञानता बुराई); Light (लाइट)-knowledge (ज्ञान), Evil (ईविल)-a force that causes bad things to happen (बुराई); Clay (क्ले) (here) the human body supposed to be build out of clay (यहाँ मानव शरीर मिट्टी का बना हुआ माना गया है); Sense lamps (सेन्स लैम्प्स)-the five senses of eyes (sight), ears (hearing), nose (smell), tongue (taste) and skin (touch) (पाँच इन्द्रियाँ); Sooted (सूटिड)-with soot (carbon), darkened (कालिख लगा हुआ); Light Thy resurrecting lamp (लाईट दाइ रिसरेक्टिंग लैम्प) – the radiant grace of God illuminating the poet’s life (ईश्वरीय तेज से कवि की जिन्दगी भी रोशन हो गई है)।

Light the Lamp of Thy Love Summary, Pronunciation & Translation

In my house, with Thine own hands,
Light the lamp of Thy Love!
Thy transmuting lamp entrancing,
Wondrous are its rays.

(इन माई हाऊज, विद दाईन ओन हैण्ड्स,
लाइट द लैम्प ऑफ दाय लव!
दाय ट्रांसम्यूटिंग लैम्प एन्ट्रैन्सिंग,
वन्डरस आर इट्स रेज़)

अनुवाद :
हे प्रभु! मेरे घर में स्वयं अपने हाथों से
अपने प्रेम का दीप प्रज्ज्वलित करो
अपना परिवर्तित कर देने वाला मनोहर दीप
चमत्कारिक है किरणें जिसकी।

विशेष :
इस कविता में कवि ईश्वर को सम्बोधित कर रहा है। इसे स्पष्ट करने के लिए ही ‘हे प्रभु’ सम्बोधन जोड़ा गया है।

Change my darkness to Thy light, Lord!
Change my darkness to Thy light,
And my evil into good.

(चेंज माई डार्कनेस ट्रदाय लाइट, लॉर्ड!
चेंज माई डार्कनेस टू दाय लाइट,
ऐण्ड माई ईविल इन्टू गुड.)

अनुवाद :
मेरे अज्ञान के अँधेरे को स्वयं के (ज्ञान के) प्रकाश में परिवर्तित कर दो हे प्रभु! मेरे अज्ञान के अँधेरे को. स्वयं के (ज्ञान के) प्रकाश में परिवर्तित कर दो, और मेरी बुराइयों को अच्छाइयों में।’

Touch me but once and I will change,
All my clay into Thy gold
All the sense lamps that I did light
Sooted into worries
Sitting at the door of my soul,
Light Thy resurrecting lamp!

(टच मी बट वन्स ऐण्ड आई विल चेंज,
ऑल माई क्ले इन्टू दाय गोल्ड
ऑल द सेंस लैम्प्स दैट आई डिड लाइट
सूटेड इन्टू वरीज
सिटिंग ऐट द डोर ऑफ माई सोल,
लाइट दाय रिसरैक्टिंग लैम्प!)

अनुवाद :
हे प्रभु! सिर्फ एक बार छू लो मुझको तो बदल डालूँगा।
मेरे मन का समस्त कीचड़ (मैल) तुम्हारे प्रेम और ज्ञान के स्वर्ण में
अपनी समस्त इन्द्रियों को जो मैंने उद्दीप्त कर रखी हैं। चिन्ता (इच्छाओं) की कालिख से।
मेरी आत्मा के द्वार पर बैठकर हे प्रभु!
अपने पुनर्जीवनदायी (अमरत्व प्रदान करने वाले) ज्ञान के प्रकाश वाला दीप प्रज्ज्वलित करो।

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MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 3 सुभाषितानि

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 3 सुभाषितानि (पद्यम्)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 3 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

संस्कृत कक्षा 9 पाठ 3 Solutions MP Board प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत्-(एक शब्द में उत्तर दीजिए)
(क) गुणाः कं प्राप्य दोषाः भवन्ति? (गुण किसे प्राप्त कर दोषमय होते हैं?)
उत्तर:
निर्गुणमः। (निर्गुणी के पास)

(ख) प्रथमे का अर्जनीया? (पहले क्या प्राप्त करना चाहिए?)
उत्तर:
विद्या। (विद्या)

(ग) विद्यां का तनोति? (विद्या किसका विस्तार करती है?)
उत्तर:
लक्ष्मी।

(घ) किं धनं भ्रातृभाज्यं नास्ति? (कौन-सा धन भाइयों में नहीं बंटता है?)
उत्तर:
विद्या।

(ङ) दैवेन देयमिति के वदन्ति? (भाग्य द्वारा प्राप्त होना चाहिए यह कौन कहते हैं?)
उत्तर:
का पुरुषा।

सुभाषितानि श्लोक अर्थ सहित Class 9 MP Board प्रश्न 2.
एक वाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखिये)
(क) समुद्रमासाद्य नदीनां तोयाः कीदृशाः भवन्ति? (समुद्र के लिए नदियों के जल की स्थिति कैसे होती है?)
उत्तर:
अपेयाः। (न पीने योग्य होती है।)

(ख) माता इव का रक्षति? (माता के समान क्या रक्षा करतो है?)
उत्तर:
माता इव विद्या रक्षति। (माता के समान विद्या रक्षा करती है।)

(ग) देहस्य सारं किम्? (देह का सार क्या है?)
उत्तर:
देहस्य सारं धर्मः। (देह का सार धर्म है।)

(घ) संतः केन पूर्णाः भवन्ति? (संत किससे पूर्ण होते हैं?)
उत्तर:
संतः मनसि, वचिस काये पुण्यपीयुषपूर्णाः भवन्ति।। (संत मन, वचन और शरीर से पूर्ण होते हैं।)

संस्कृत कक्षा 9 पाठ 3 गोदोहनम् प्रश्न उत्तर MP Board प्रश्न 3.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो)
(क) निर्गन्धा किंशपत्रः इव के न शोभन्ते? (गंधहीन टेसू के फूल की तरह कौन शोभा नहीं पाता?)
उत्तर:
विद्याहीनाः निर्गन्धाः किंशुकाः इव न शोभन्ते। (विद्या से हीन व्यक्ति गन्धहीन टेसू के फूल की तरह होता है।)

(ख) गुणानां स्वभावः कीदृशः भवति? (गुणियों का स्वाभाव किस तरह का होता है?)
उत्तर:
गुणानां स्वभावः नद्याः इव भवति। (गुणी लोगों का स्वभाव नदी के समान होता है।)

(ग) विद्या किं किं साधयति? (विद्या वया-क्या साधती है?)
उत्तर:
माता इष रक्षति, पिता इव हिते नियुक्ते, कान्ता इष च खेदम् अपनीय अभिरमयति, लक्ष्मी तनोति इदृशं विद्या सर्वम् साध्यति। (विद्या माता के समान रक्षा करती है, पिता के समान कल्याण (हित) करती है, पत्नी के समान कष्ट को दूर करती है साथ ही लक्ष्मी की वृद्धि करती है, यश में वृद्धि करती है।)

(घ) विद्याधनस्य किं वैशिष्ट्रयम्? (विद्या की क्या विशेषता है)
उत्तर:
अस्मिन चौरहार्य न च राजहार्य न, भ्रातृभाज्यं न, च भारकारिन व्यये कृते वर्धत एवं नित्यम्।

(इस चोर चुरा नहीं सकता, राजा हरण नहीं कर सकता, भाइयों में बँट नहीं सकती और न ही यह भारकारी है। यह खर्च करने पर बढ़ती जाती है।)

Class 9th Sanskrit Shlok Mp Board  प्रश्न 4.
शुद्धवाक्यानां समक्षम “आम” अशुद्ध वाक्यानां समक्षम् ‘न’ इति लिखत
(क) नद्य आस्वाद्यतोयाः प्रवहन्ति
(ख) यत्ने कृते यदि न सिद्धयति कोडल दोषः
(ग) विद्या मातेव रक्षति
(घ) गात्रम् अङ्गेन विना शोभते
(ङ) उद्योगिनम् पुरुष लक्ष्मीः उपैति
उत्तर:
(क) आम्
(ख) आम्
(ग) आम्
(घ) न
(ङ) आम्

सुभाषितानि श्लोक Class 9 MP Board प्रश्न 5.
युग्ममेलनं कुरुत(सही जोड़ी बनाइये)
संस्कृत कक्षा 9 पाठ 3 Question Answer MP Board

Subhasitani Sloka Class 9 MP Board प्रश्न 6.
श्लोकपूर्ति कुरुत
(क) स जातो येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम।
परिवर्तिनिसंसारे मृतः को वा न जायते॥

(ख) बुद्धेः फलं तत्त्वविचारका च देहस्य सारं व्रत धारणं च।
अर्थस्य सारं किल पात्रदानं वाचः फलं प्रतिकरं नराणाम्॥

संस्कृत कक्षा 9 पाठ 3 प्रश्न उत्तर MP Board प्रश्न 7.
संधि कृत्वा संधेः नाम लिखत (संधि विग्रह करके नाम लिखो)
संस्कृत कक्षा 9 पाठ 3 गोदोहनम Solutions MP Board

Subhashitani Shlok Class 9th MP Board प्रश्न 8.
अव्ययैः वाक्यरचनां कुरुत
(क) कृते – व्यये कृते वर्धत एव नित्यम्।
(ख) यदि, – यत्ने कृते यदि न सिद्धयति कोऽत्र दोष।
(ग) खलु – वाग्यं प्रधानं खलु योग्यतायाः।
(घ) इव – मातेव रक्षति।
(ङ) बिना – धर्म बिना न राजयते।
(च) एव – व्यये कृते वर्धत एव नित्यम्।

Class 9 Sanskrit Subhashitani Shlok MP Board प्रश्न 9.
अधोलिखित पदानाम् मूलशब्दं विभक्तिं वचनञ्च लिखत्
कक्षा 9वी संस्कृत पाठ 3 के प्रश्न उत्तर MP Board

सुभाषितानि अर्थ सहित Class 9 MP Board प्रश्न 10.
अधोलिखित क्रियापदानां धातु, लकार, पुरुष, वचन लिखत्
Sanskrit Shlok Class 9 MP Board

सुभाषितानि पाठ संदर्भ प्रतिपाद

सुंदर कथन को सुभाषित कहते हैं। संस्कृत साहित्य में सुभाषित के अंतर्गत नीति, आदर्श, सुंदर आचार-विचार एवं जीवन के मूल्यपरक ज्ञान का भंडार है। वस्तुतः सुभाषितानि में जीवन जीने के लिए काम आने वाले आवश्यक तत्त्वों का वर्णन है जो शिक्षण माध्यम से विद्यार्थियों तक पहुँचाना संस्कृत भाषा की विशेषता है। सुभाषित के माध्यम से लोगों के जीवन में परिवर्तन लाया जा सकता है। अतः सुभाषित श्लोक से शिक्षा ग्रहण करना चाहिए।

सुभाषितानि पाठ का हिन्दी अर्थ

1. उद्योगिनं पुरुषसिंहमुपैति लक्ष्मीः
दैवेन देयमिति का पुरुषा वदन्ति।
दैवं निहत्य कुरु पौरुषमात्मशक्त्या
यत्ने कृते यदि न सिद्धयति कोऽत्रदोषः॥

शब्दार्थ :
उद्योगिनम्-प्रयत्न करने वाले को-Laborious; उपैति-पास जाती है-to near; कापुरुषा-कायर पुरुष-timed person, coward, feared man; वदन्ति-कहते हैं-says.

अर्थ :
उद्योगी अर्थात् प्रयत्नशील पुरुष के पास ही लक्ष्मी आती है। कायर लोग भाग्य पर निर्भर रहते हैं कि भाग्य में होगा तो धन मिलेगा। अतः भाग्य पर भरोसा न कर अपने शक्ति भर पौरुष करना चाहिए। यदि इतने पर भी कार्य सिद्ध न हो तो यह सोचना चाहिए कि कार्य संपन्न करते समय कौन-सी गलती हुई जिससे कार्य संपन्न नहीं हुआ।

2. रूपयौवन सम्पन्ना विशालकुलसम्भवाः।
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः॥

शब्दार्थ :
निर्गंधा-बिना गंध वाले-adourless; किंशुका-टेसू ढाक के फूलोंflower of Tessu.

हिन्दी अर्थ :
अद्वितीय रूप एवं यौवन संपन्न होने एवं बड़े कुल में उत्पन्न होने पर भी विद्याविहीन व्यक्ति उसी प्रकार शोभाहीन होता है जैसे पलाश का पुष्प (जो देखने में सुंदर तो होता है किन्तु गन्धहीन होने के कारण बेकार होता है)।

3. गुणा गुणज्ञेषु गुणा भवन्ति, ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषाः।
आस्वाद्यतोयाः प्रवहन्ति नद्यः, समुद्रमासाद्य भवन्त्यपेयाः॥

शब्दार्थ :
आस्वाधतोयाः-पीने योग्य/स्वादिष्ट जल वाली-drinking, tasty; प्रवहन्ति-बहती है-flows; आसाद्य-पहुँचकर/पाकर-After reaching; अपेयाः-न पीने योग्य-without drinking.

हिन्दी अर्थ :
गुणवान व्यक्ति गुणीजनों के बीच रहकर उनके अच्छे गुण ग्रहण करता है किन्तु वही दुर्गुणी की संगति में दुर्गुणों से भर जाता है, ठीक उसी प्रकार जैसे नदी का जल पीने में मीठा होता है किन्तु समुद्र में वही जल मिलते ही खारा हो जाता है और पीने योग्य नहीं रह जाता।

4. प्रथमे नार्जिता विद्या, द्वितीये नार्जितं धनम्।
तृतीये नार्जितं पुण्यं, चतुर्थं किं करिष्यति॥

शब्दार्थ :
प्रथमे-बाल्यावस्था में-inchild hood; द्वितीये–यौवनावस्था में-inyouth; अर्जितम्-इकट्ठा किया/कमाया-collected; अभिरमयति-आनंदित करती है-enjoyes; कल्पतेव-कल्पवृक्ष की भाँति-like kalpbriksh (one of the fabulous plants or trees of India’s or of Krisna’s paradise, a tree that grants all desires.)

हिन्दी अर्थ :
जिसने (जीवन के) प्रथम चरण में विद्या नहीं प्राप्त की, दूसरे चरण में धनार्जन नहीं किया एवं तीसरे चरण में पुण्य नहीं कमाया वह चौथे पन में क्या करेगा?

5. मातेव् रक्षति पितेव हिते नियुङ्क्ते
कान्तेव चाभिरमयत्यपनीय खेदम्।
लक्ष्मी तनोति वितनोति च दिक्षुकीर्ति
किं किं न साधयति कल्पलतेव विद्या॥

शब्दार्थ :
नियुङ्क्ते-लगाता है-aid; खेदम्-कष्ट/दुख को-seems to sorrow, to sad;अभिरमयति-आनंदित करती है-enjoys; तनोति-फैलाती है-spreads; दिक्षु-दिशाओं में-in direction.

हिन्दी अर्थ :
विद्या (व्यक्ति की) माता सदृश्य रक्षा करती है, पिता के सदृश अच्छे हितकर कार्यों में लगाती है, पत्नी के समान आमोद-प्रमोद प्रदान करते हए कष्टों को दूर करती है। विद्या धन-सम्पत्ति में वृद्धि करती है, चारों दिशाओं में कीर्ति फैलाती है। विद्या कल्पलता के सदृश है, यह क्या-क्या नहीं कर सकती (अर्थात्) सब कार्य साधती है।

6. बुद्धेः फलं तत्त्वविचारणा च देहस्य सारं व्रतधारणं च
अर्थस्य सारं किल पात्रदान, वाचः फलं प्रीतिकरं नराणाम्॥

शब्दार्थ :
तत्वविचारणा-नित्य वस्तुओं का शोध करना-Philosopher; देहस्य-शरीर का-By body; बुद्धे फलं-बुद्धि का फल-Fruit of wise; व्रतधारणं-व्रतधारण करना-Keeping fast; अर्थस्य-धन का-To wealth; नराणाम्-व्यक्ति को-Toperson, to man.

हिन्दी अर्थ :
बुद्धि के परिणामस्वरूप तत्त्वचिंतन, शरीर का तत्त्व है-व्रत धारण करना, अर्थ (धन) का सार (तत्त्व) है-दान देना (उचित पात्र या व्यक्ति को), और वाणी का सार तत्त्व है-प्रेम युक्त व्यवहार करना (अर्थात् प्रेम पूर्ण मधुर वचन बोलना)।

7. न चौरहार्यं न च राजहार्यम्
न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।
व्यये कृते वर्धत एवं नित्यम्
विद्याधनं सर्वधन प्रधानम् ॥

शब्दार्थ :
चौरहार्यम्-चोर के द्वारा चुराई जाने वाली-Through thing; भारकारि-बोझ करने वाली-Burdenable thing, weighheavily: राजहार्यम्-राजा के द्वारा हरण करने वाली-Through king snatching thing; भ्रातृभाज्यं-भाइयों के द्वारा बांटे जाने वाली-Through brothers distributing thing; व्ययेकृते-व्यय करने में-In expensive; वर्धत-बढ़ती है -Increase; नित्यम्-हमेशा-Always; विद्याधनम-विद्याधन-Wealth of knowledge; सर्वधनं-सभी धनों में-in all wealth.

हिन्दी अर्थ :
(विद्या धन ऐसा धन है जिसे) चोर चोरी नहीं कर सकता, जिसे राजा हरण नहीं कर सकता, भाई उसका बंटवारा नहीं कर सकता। (यह धन) जितना खर्च किया जाए, निरंतर बढ़ता है इसीलिए विद्याधन को सर्वश्रेष्ठ धन कहा गया है।

8. अङ्गेन गात्रं नयनेन वक्त्रम्
न्यायेन राज्यं लवणेन भोज्यम्।
धर्मेण हीनं खलु जीवितञ्च
न राजते चंद्रमसा बिना निशा॥

शब्दार्थ :
गात्रम्-शरीर-Body; अङ्गेन-अंग के बिना-Without part of body; नयनेन-नयन के बिना-Without eye; न्यायेन-न्याय के बिना-Without judge; धर्मेण-धर्म के बिना-Without religion; हीन-हीन-Weak; नराजते-सुशोभित नहीं होता-Unfit, unmatched.

हिन्दी अर्थ :
अंगों के बिना शरीर, बिना नेत्र के मुँह, न्यायहीन राज्य, बिना नमक का भोजन, बिना धर्म के जीवन एवं बिना चंद्रमा के रात्रि सुशोभित नहीं होती।

9. परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते।
स जातो येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम्॥

शब्दार्थ :
जातः-उत्पन्न हुआ-Arce; परिवर्तिनि-परिवर्तनशील-Changeable;

हिन्दी अर्थ :
इस परिवर्तनशील मर्त्यलोक में कोई भी प्राणी ऐसा नहीं है जो मरणधर्मा न हो (अर्थात् जो मृत्यु को प्राप्त नहीं होता हो) किन्तु इस संसार में उसी का पैदा होना सार्थक है जिससे समस्त कुल उन्नति को प्राप्त हो।

10. मनसि वचसि काये पुण्यपीयूषपूर्णाः
त्रिभुवनमुपकारश्रेणिभिः ‘प्रीणयन्तः
परगुणपरमाणून पर्वतीकृत्य नित्यम्
निजहृदि विकसन्तः संति सन्तः कियन्तः॥

शब्दार्थ :
मनसि-मन में-In mind; वचसि-वाणी में-In word, in speach; त्रिभुवनम्-तीनों लोकों को-To three world; प्रीणयन्तः-प्रसन्न करते हुए-Doing happy; पर्वतीकृत्य-पर्वत के समान बनाकर-Build like mountain; निजहृदि-अपने हृदय में-In own heart; विकसन्तः–बढ़ाते हुए-Progressive; पीयूषपूर्णाः-अमृत से भरे हुए-With full of nectar.

हिन्दी अर्थ :
मन, वचन, शरीर से पुण्य रूपी अमृत से परिपूर्ण, अपने उपकार से तीनों लोक को प्रसन्न करते हुए, दूसरों के छोटे से गुणों को भी पर्वत के सदृश्य जानकर अपने हृदय में ध्यान देने वाले सन्त कितने हैं।

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 1 चत्वारि धामानि

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 1 चत्वारि धामानि

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 1 अभ्यासः

Mp Board Solution Class 7th Sanskrit प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) शारदामठं कस्यां दिशि अस्ति? [शारदामठ किस दिशा में है?]
उत्तर:
पश्चिम दिशि

(ख) शङ्कराचार्यस्य प्रथमशिष्यस्य नाम किम्? [शंकराचार्य के पहले शिष्य का नाम क्या है?]
उत्तर:
सुरेश्वराचार्यः

(ग) ज्योतिर्मठं कुत्र अस्ति? [ज्योतिर्मठ कहाँ पर है?]
उत्तर:
उत्तराञ्चलराज्ये

(घ) द्वारका कस्मिन् राज्ये अस्ति? [द्वारका किस राज्य में है?]
उत्तर:
गुजरातराज्ये

(ङ) जगद्गुरु कः आसीत्? [जगद्गुरु कौन थे?]
उत्तर:
शङ्कराचार्यः।

कक्षा 7 संस्कृत पाठ 1 प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) शङ्कराचार्येण स्थापितानां मठानां नामानि कानि? [शंकराचार्य के द्वारा स्थापित मठों के नाम क्या हैं?
उत्तर:
शङ्कराचार्येण स्थापितानां मठानां नामानि सन्ति
(1) शृङ्गेरिमठम्
(2) गोवर्धनमठम्
(3) शारदामठम्
(4) ज्योतिर्मठम्।
[शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठों के नाम हैं-
(1) शृङ्गेरिमठ
(2) गोवर्धनमठ
(3) शारदामठ
(4) ज्योतिर्मठ।]

(ख) कः कस्य एकतायाः मूलाधारः? [किसकी एकता का मूल आधार क्या है?]
उत्तर:
धर्मः भारतस्य एकतायाः मूलाधारः। [धर्म भारत की एकता का मूल आधार है।]

(ग) मठानि किमर्थं स्थापितानि? [मठों की स्थापना किसलिए की गई?]
उत्तर:
धर्मरक्षार्थं वेदान्ततत्वानां प्रचारार्थम् च मठानि स्थापितानि। [धर्म की रक्षा के लिए और वेदान्त तत्वों के प्रचार के लिए मठों की स्थापना की गई।]

(घ) शङ्कराचार्यस्य चत्वारः शिष्याः के? [शंकराचार्य के चार शिष्य कौन थे?]
उत्तर:
शङ्कराचार्यस्य प्रथम शिष्यः सुरेश्वराचार्यः, द्वितीयः शिष्य हस्तामलकः, तृतीय शिष्यः त्रोटकाचार्यः, चतुर्थः शिष्यः पद्मपादः इति।
[शंकराचार्य के प्रथम शिष्य सुरेश्वराचार्य, द्वितीय शिष्य हस्तामलक, तीसरे शिष्य त्रोटकाचार्य और चौथे शिष्य पद्मपाद थे।]

(ङ) भारतं कथं संरक्षितं भवति? [भारत किस तरह सुरक्षित है?]
उत्तर:
धर्मरक्षणेन एव भारतम् संरक्षितं भवति। [धर्म की रक्षा करने से ही भारत सुरक्षित है।]

Mp Board Solution Class 7 Sanskrit प्रश्न 3.
उचित शब्दों को मिलाओ-
Image
उत्तर:
(क) → (3)
(ख) → (5)
(ग) → (4)
(घ) → (2)
(ङ) → (1)

Mp Board Class 7 Sanskrit Solution प्रश्न 4.
कोष्ठक के शब्दों का प्रयोग करके रिक्त स्थानों को भरो (गोवर्धनमठम्, भगवत्पादं, धर्मो, मूलाधारः, पद्मपादः)
(क) नमामि ……….. शङ्करं लोकशङ्करम्।
(ख) पूर्वदिशि ……….. अस्ति।
(ग) ………. रक्षति रक्षितः।
(घ) शङ्कराचार्यस्य चतुर्थः शिष्यः ………..।
(ङ) धर्म एव भारतस्य एकतायाः ……….. अस्ति।
उत्तर:
(क) भगवत्पादं
(ख) गोवर्धनमठम्
(ग) धर्मो
(घ) पद्मपाद
(ङ) मूलाधारः।

कक्षा 7 संस्कृत पाठ 1 के प्रश्न उत्तर प्रश्न 5.
विलोम शब्द लिखो
(क) धर्मः
(ख) प्रसिद्धानि
(ग) स्मरणम्
(घ) गुरु:
(ङ) ज्ञानम्।
उत्तर:
(क) → अधर्मः
(ख) → अप्रसिद्धानि
(ग) → विस्मरणम्
(घ) → शिष्यः
(ङ) → अज्ञानम्।

कक्षा 7 संस्कृत पुस्तक Mp Board प्रश्न 6.
प्रथमा-बहुवचन के रूप लिखो
(क) अहम्
(ख) नाम
(ग) शिष्यः
(घ) धाम
(ङ) मठम्।
उत्तर:
(क) वयम्
(ख) नामानि
(ग) शिष्याः
(घ) धामानिः
(ङ) मठानि।

चत्वारि धामानि हिन्दी अनुवाद

Mp Board Class 7th Sanskrit Solution शिक्षिका :
भारति! भवती जानाति किं कः अयं महापुरुषः?

भारती :
आर्ये! अयं खलु जगद्गुरु शङ्कराचार्यः।

महेश: :
आम् अहमपि जानामि एते किल तस्य चत्वारः शिष्याः।

Class 7 Mp Board Sanskrit देवेशः :
शङ्कराचार्यस्य प्रथमशिष्यस्य नाम सुरेश्वराचार्यः इति।

शिक्षिका :
देवेशः! अन्येषां त्रयाणां शिष्याणां नामानि कानि?

देवेशः :
अहं न जानामि।

Class 7th Sanskrit Mp Board Solution शारदा :
द्वितीयः शिष्यः हस्तामलकः तृतीयः शिष्यः त्रोटकाचार्यः चतुर्थः शिष्य पद्मपादः।

अनुवाद :
शिक्षिका-हे भारती! क्या तुम जानती हो कि यह महानुभाव कौन हैं?

Class 7th Sanskrit Mp Board भारती :
आर्ये! यह जगद्गुरु शंकराचार्य हैं। महेश-हाँ, मैं भी इन्हें जानता हूँ कि उनके चार शिष्य थे।

देवेश :
शंकराचार्य के पहले शिष्य का नाम सुरेश्वराचार्य था।

7th Class Sanskrit Mp Board शिक्षिका :
देवेश! अन्य तीन शिष्यों के क्या-क्या नाम हैं? देवेश-मैं नहीं जानता हूँ।

शारदा :
दूसरे शिष्य हस्तामलक, तीसरे शिष्य त्रोटकाचार्य (और) चौथे शिष्य पद्मपाद थे।

शिक्षिका :
साधु, अपि जानान्ति शङ्करमठानि?

Class 7 Sanskrit Mp Board Solution सर्वे :
न जानीमः।

शिक्षिका :
शङ्कराचार्येण चतुर्षु स्थानेषु चतसृषु दिक्षु चत्वारि मठानि स्थापितानि। तानि चत्वारि पवित्रधामानि इति प्रसिद्धानि।

Class 7th Mp Board Sanskrit महेश: :
आर्ये! उत्तरदिशि बदरीनाथः, दक्षिणदिशि रामेश्वरं, पश्चिमदिशि द्वारका, पूर्वदिशि जगन्नाथपुरी इति किल चत्वारि धामानि।

शिक्षिका :
सत्यम्! किन्तु धर्मप्रचाराय शङ्कराचार्येण स्थापितानि मठानि अपि चत्वारि धामानि इति प्रसिद्धानि। तानि चतस्तृषु दिक्षु सन्ति।

Mp Board 7th Class Sanskrit Book भारती :
तानि धामानि कानि?

शिक्षिका :
शृङ्गेरिमठम्, गोवर्धनमठम्, शारदामठम्, ज्योतिर्मठम्।

देवेशः :
कस्यां कस्यां दिशि सन्ति?

कक्षा 7 संस्कृत पुस्तक Pdf Mp Board अनुवाद :
शिक्षिका-ठीक है, क्या शंकर के मठों को भी जानते हो?

सभी :
नहीं जानते हैं।

Mp Board Class 7th Sanskrit शिक्षिका :
शंकराचार्य के द्वारा चार स्थानों पर चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की गई थी। वे चारों पवित्र धाम हैं, इस रूप में प्रसिद्ध हैं।

महेश :
आर्ये! उत्तर दिशा में बदरीनाथ, दक्षिण दिशा में रामेश्वर, पश्चिम दिशा में द्वारका (तथा) पूर्व दिशा में जगन्नाथपुरी-इस प्रकार ये चार धाम हैं।

Mp Board Class 7th Subject Sanskrit शिक्षिका :
ठीक! किन्तु धर्म के प्रचार के लिए शंकराचार्य के द्वारा स्थापित किये गये मठ ही चार धाम हैं; ऐसा प्रसिद्ध है। वे चारों दिशाओं में हैं।

भारती :
वे धाम कौन-कौन से हैं?

शिक्षिका :
शृङ्गेरिमठ, गोवर्धनमठ, शारदामठ (तथा) ज्योतिर्मठ।

Sanskrit 7th Class Mp Board देवेश :
(ये) किस-किस दिशा में हैं?

शिक्षिका :
पश्यन्तु इदं कोष्ठकं, स्पष्टं भवति
Mp Board Class 7 Sanskrit

शिक्षिका :
धर्म एव भारतस्य एकतायाः मूलाधारः। ‘धर्मो रक्षति रक्षितः’ अतः धर्मरक्षणेन एव भारतम् संरक्षितं भवति। धर्मरक्षणार्थं वेदान्ततत्वानां प्रचारार्थम् एतानि मठानि स्थापितानि। मठानां स्थापकं जगद्गुरुम् आदिशङ्करं स्मरामः।

“श्रुतिस्मृतिपुराणानाम् आलयं करुणालयम्।
नमामि भगवत्पादशङ्करं लोकशङ्करम्॥”

7th Sanskrit Mp Board अनुवाद :
शिक्षिका-इस कोष्ठक को देखो (इससे) स्पष्ट होता है-
Sanskrit Class 7 Mp Board

शिक्षिका :
धर्म ही भारत की एकता का मूल आधार है। ‘(धर्म की) रक्षा करने वाले की धर्म रक्षा करता है।’ इसलिए धर्म की रक्षा करने से ही भारत भली प्रकार से रक्षित होता है। धर्म की रक्षा के लिए और वेदान्त के तत्वों के प्रचार के लिए इन मठों की स्थापना की गई है। मठों की स्थापना करने वाले जगद्गुरु आदिशङ्कर का (हम) स्मरण करते हैं।

“वेद, स्मृति और पुराणों के स्थान करुणानिधान और संसार का कल्याण करने वाले भगवान शंकर के चरणों की मैं वन्दना करता हूँ।”

चत्वारि धामानि शब्दार्थाः

चत्वारः = चार (पुल्लिङ्ग)। धर्मप्रचाराय = धर्म के प्रचार के लिए। धर्मरक्षणेन = धर्मरक्षा से।

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