MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 14 समयस्य सदुपयोगः

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Durva Chapter 14 समयस्य सदुपयोगः (संवादः) (सङ्कलितः)

MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

Mp Board Class 10 Sanskrit Chapter 14 प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखिए)।
(क) देवदुर्लभं किम्? (देवताओं द्वारा दुर्लभ क्या है?)
उत्तर:
मानवशरीरम् (मनुष्य का शरीर)।

(ख) अन्येषां वस्तूनाम् अपेक्षया अधिकः महत्त्वपूर्णः कः? (अन्य वस्तुओं की अपेक्षा क्या अधिक महत्वपूर्ण है?)
उत्तर:
समयः (समय)

(ग) किं परावर्तयितुं न शक्यते? (क्या लौटाया नहीं जा सकता?)
उत्तर:
समयः (समय)

(घ) जनाः समयस्य दुरुपयोगं कतिधा कुर्वन्ति? (लोग समय का दुरुपयोग कितने प्रकार से करते हैं?)
उत्तर:
द्विधा (दो प्रकार से)

(ङ) निष्क्रियाणां भारं वोढुं का नेच्छति? (निष्क्रिय लोगों का भार कौन नहीं उठाना चाहती?)
उत्तर:
कर्मभूमिः (कर्मभूमि)

Class 10 Sanskrit Chapter 14 MP Board प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत-(एक वाक्य में उत्तर लिखिए)
(क) मानवजीवनस्य उन्नत्यै अतिमहत्त्वपूर्णं किं भवति? (मानवजीवन की उन्नति के लिए अधिक महत्वपूर्ण क्या होता है?)
उत्तर:
मानवजीवनस्य उन्नत्यै अतिमहत्त्वपूर्ण समयः भवति।। (मानवजीवन की उन्नति के लिए अधिक महत्त्वपूर्ण समय होता है।)

(ख) के अप्रयोजनं गृहे गृहे अटन्ति? (कौन बिना कारण घर-घर भटकते हैं?)
उत्तर:
ये जनाः समयस्य दुरुपयोगं कुर्वन्ति ते अप्रयोजनं गृहे-गृहे अटन्ति। (जो लोग समय का दुरुपयोग करते हैं, वे बिना कारण घर-घर में भटकते हैं।)

(ग) प्रकृतिरपि किं शिक्षयति? (प्रकृति भी क्या सिखाती है?)
उत्तर:
प्रकृतिरपि समयस्य पालनं, कार्यपरायणताम् एव उपदिशति। (प्रकृति भी समय का पालन और कार्यपरायणता का ही उपदेश देती है।)

(घ) कीदृशाः छात्राः उच्चनागरिकाः अभवन्? (कैसे छात्र उच्चनागरिक हुए?
उत्तर:
वे छात्राः क्षणं क्षणं संयोज्य विद्याध्ययने समयस्य सदुपयोगं कृतवन्तः ते उच्चनागरिकाः अभवन्।
(जो छात्र पल-पल जोड़कर विद्याध्ययन में समय का सदुपयोग करते थे, वे उच्चनागरिक बने।)

(ङ) अस्माभिः किं कर्त्तव्यः? (हमारा क्या कर्त्तव्य है?)
उत्तर:
अस्माभिः कर्त्तव्यः यत् आलस्यं विहाय सर्वदैव समयस्य सदुपयोगः कर्त्तव्यः।
(हमें चाहिए कि आलस छोड़कर हमेशा समय का सदुपयोग करें)

कक्षा 10 संस्कृत पाठ 14 MP Board प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए)।
(क) जनाः समयस्य दुरुपयोगं कथं कुर्वन्ति? (लोग समय का दुरुपयोग कैसे करते हैं?)
उत्तर:
जनाः समयस्य दुरुपयोगं द्विधा कुर्वन्ति-व्यर्थयापनेन अकार्यकरणेन वा।

(लोग दो प्रकार से समय का दुरुपयोग करते हैं-व्यर्थ में बिताने से और न करने योग्य कार्य को करने से।)

(ख) केषां जन्य निरर्थकं भवति? (किनका जन्म निरर्थक होता है?)
उत्तर:
ये न अध्ययनं कुर्वन्ति न धर्मम् आचरन्ति न धनम् उपार्जयन्ति न वा मुक्तये प्रयासं कुर्वन्ति तेषां जन्म निरर्थकः भवति।

(जो न अध्ययन करते हैं, न धर्म पर चलते हैं, न धन कमाते हैं और न मुक्ति का प्रयास करते हैं, उनका जीवन निरर्थक होता है।)

(ग) के जनाः सर्वत्र तिरस्कृताः भवन्ति? (कौन लोग सब जगह तिरस्कृत होते हैं?)
उत्तर:
ये समयस्य दुरुपयोगं कुर्वन्ति, ते सर्वत्र तिरस्कृताः भवन्ति। (जो समय का दुरुपयोग करते हैं, वे सब जगह तिरस्कृत होते हैं।)

Sanskrit Class 10 Chapter 14 Mp Board प्रश्न 4.
प्रदत्तशब्दैः रिक्तस्थानानि पूरयत (दिए गए शब्दों से रिक्त स्थान भरिए-)
(निष्क्रियाणां, समयः, कार्य, सहयोगम्, तनयं)
(क) अन्येषां वस्तूनाम अपेक्षया अधिकः महत्त्वपूर्णः वर्तते।
उत्तर:
समयः।

(ख) कर्मभूमिः ………………. भारं वोढुम् नेच्छति।
उत्तर:
निष्क्रियाणां।

(ग) पितरौ अपि एतादृशं ………………. नाभिनन्दतः।
उत्तर:
तनयं।

(घ) ………………. वा साधयामि।
उत्तर:
कार्य।

(ङ) सर्वे एव तेषां ………………. इच्छन्ति
उत्तर:
सहयोगम्।

Mp Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत-(उचित क्रम से मिलाइए-)
संस्कृत के प्रश्न उत्तर कक्षा 10 MP Board
उत्तर:
(क) 3
(ख) 4
(ग) 1
(घ) 5
(ङ) 2

Sanskrit Chapter 14 Class 10 Mp Board प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं “न” इति लिखत
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ लिखिए)
(क) अस्माभिः समयस्य सदुपयोगः कर्त्तव्यः।
(ख) परिश्रमः अस्माकं जीवनस्य उन्नत्यै भवति।
(ग) मानवशरीरं देवदुर्लभं नास्ति।
(घ) भगवान् शङ्कराचार्यः अहोरात्रं परिश्रमं कृतवान्।
(ङ) कार्यकालमतिपातयेत्।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) आम्
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) न

Chapter 14 Sanskrit Class 10 प्रश्न 7.
अधोलिखितशब्दानां मूलशब्दं विभक्तिं वचनञ्च लिखत
(नीचे लिखे शब्दों के मूलशब्द, विभक्ति और वचन लिखिए)
Mp Board Class 10 Sanskrit
उत्तर:
Sanskrit Class 10 Mp Board

Class 10 Sanskrit Chapter 14 Mp Board प्रश्न 8.
अधोलिखितपदानां सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम लिखत
(नीचे लिखे पदों के सन्धि-विच्छेद कर सन्धि का नाम लिखिए-)
Sanskrit Samay Class 10 MP Board
उत्तर:
Sanskrit 10th Class Mp Board

Class 10 Sanskrit Mp Board प्रश्न 9.
अधोलिखितपदानां समासविग्रहं कृत्वा समासनाम लिखत
(नीचे लिखे पदों के विग्रह कर समास का नाम लिखिए)
Chapter 14 Hindi Class 10 Mp Board
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 14 समयस्य सदुपयोगः img 7

Samay In Sanskrit Class 10 MP Board प्रश्न 10.
रेखाङ्कितपदानाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(रखाङ्कित पदों के आधार पर प्रश्न बनाइए-)
(क) समयः अधिकमहत्त्वपूर्णः अस्ति। (समय अधिक महत्त्वपूर्ण है।)
उत्तर:
(क) कः अधिकमहत्त्वपूर्णः अस्ति? (क्या अधिक महत्त्वपूर्ण है?)

(ख) केचिज्जनाः समयस्य दुरुपयोगं कुर्वन्ति। (कुछ लोग समय का दुरुपयोग करते हैं)
उत्तर:
कोचेज्जनाः कस्य दुरुपयोगं कुर्वन्ति? (कुछ लोग किसका दुरुपयोग करते हैं?)

(ग) पितरौ तनयं नाभिनन्दतः। (माता-पिता पुत्र से खुश नहीं होते)
उत्तर:
कौ तनयं नाभिनन्दतः? (कौन पुत्र से खुश नहीं होते?)

(घ) सर्वे एव तेषां सहयोगमिच्छन्ति। (सभी उनका सहयोग करना चाहते हैं।
उत्तर:
सर्वे एव केषां सहयोगमिच्छन्ति? (सभी किनका सहयोग करना चाहते हैं?)

(ङ) एकमपि क्षणं व्यर्थं न यापनीयम्। (एक भी क्षण व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए)
उत्तर:
(एकमपि किं व्यर्थं न यापनीयम्?) (एक भी क्या व्यर्थं नहीं गँवाना चाहिए?)

योग्यताविस्तारः –

ये महापुरुषाः समयस्य सदुपयोगं कृत्वा देशहिताय समाजहिताय धर्महिताय वा कार्याणि कृतवन्तः तेषां नामानि अन्विष्य लिखत।
जो महापुरुष समय का सदुपयोग करके देश, धर्म व समाज के हित के लिए कार्य करते थे उनके नाम ढूँढ़कर लिखो।

एवमेव मानवजीवनोपयोगिविषयोपरि संवादलेखनं कुरुत।
ऐसे ही मानव जीवन के उपयोगी विषय पर संवाद लिखो।

समयस्य सदुपयोगः पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ में संवाद के माध्यम से समय के महत्त्व के विषय में चर्चा की गई है। आचार्य छात्रों को समय का सदुपयोग करने की शिक्षा दे रहे हैं, जिससे वे समय का महत्त्व जानकर उन्नति कर सकें।

समयस्य सदुपयोगः पाठ का अनुवाद

1. आचार्यः-छात्राः! मानवजीवनस्य उन्नत्यै अतिमहत्त्वपूर्णं किं भवति?
छात्राः-परिश्रमः, अध्ययन, परोपकारः, समयः इत्यादयः।

आचार्यः :
आम् मानवजीवनस्य उन्नत्यै विभिन्नानि महत्त्वपूर्णाङ्गानि सन्ति किन्तु तेषु समयस्य सदुपयोगः अर्थात् सत्सु कार्येषु उपयोगः महत्वपूर्णः वर्तते।

छात्राः कथम् एतत्?

आचार्यः :
समयो हि अन्येषां वस्तूनाम् अपेक्षया अधिकः महत्त्वपूर्णः अधिकश्च मूल्यवान वर्तते। अन्यानि वस्तूनि विनष्टानि पुनरपि लब्धुं शक्यते; परं समयो विनष्टो न केनापि उपायेन पुनः परावर्तयितुं शक्यन्ते यस्य आयुषो यावान् अंशः निरर्थकः गतः सः गतः एव।

शब्दार्थाः :
उन्नत्यौ-उन्नति के लिए-for progress; सत्सु-अच्छे में-in noble; विनष्टानि-नष्ट होने पर-on being wasted; लब्धुम्-प्राप्त करने योग्य-attainable; परावर्तयितुम्-लौटाने के लिए-io return, revive.

अनुवाद :
आचार्य-छात्रो! मानवजीवन की उन्नति के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण क्या होता है?

सभी छात्र-परिश्रम, अध्ययन, परोपकार, समय आदि।

आचार्य :
हाँ, मानव जीवन की उन्नति के लिए विभिन्न महत्त्वपूर्ण अङ्ग हैं, लेकिन उनमें समय का सदुपयोग अर्थात् अच्छे कार्यों में उपयोग महत्त्वपूर्ण है।

सभी छात्र-यह कैसे?

आचार्य :
समय ही अन्य वस्तुओं की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण और अधिक मूल्यवान है। अन्य सभी वस्तुएँ नष्ट होने पर फिर प्राप्त करने योग्य हो सकती हैं, परन्तु समय नष्ट होने पर किसी भी उपाय से फिर लौटाया नहीं जा सकता। जिसकी आयु का जो अंश बेकार हो गया वह गया ही!

English :
Besides labour, study and welfare of others, time is of great importance-Cannot be regained by any means on being lost like other objects.

Time once gone (wasted) is gone (wasted) for ever.

2. छात्राः-जनाः समयस्य दुरुपयोगं कथं कथं कुर्वन्ति?

आचार्यः :
जनाः द्विधा समयस्य दुरुपयोगं कुर्वन्ति-व्यर्थयापनेन अकार्यकरणेन च। अनेके जनाः कार्यसम्पादने समर्था अपि निरर्थकं समयं यापयन्ति। इतो भ्रमन्ति ततो भ्रमन्ति अप्रयोजनं गृहे गृहे अटन्ति। न ते स्वार्थाय एव किञ्चित् कार्यं कुर्वन्ति न वा परार्थाय एव । देवदुर्लभमिदं मानवशरीरं लब्ध्वापि ये न अध्ययनं कुर्वन्ति न धर्मम् आचरन्ति न धनम् उपार्जयन्ति न वा मुक्तये प्रयासं कुर्वन्ति तेषां जन्म निरर्थकं भवति तथा इयं कर्मभूमिः एतादृशानां निष्क्रियाणां भारं वोढुं नेच्छति।।

छात्राः-आचार्य! ये जनाः जीवने समयस्य सदुपयोगं न कुर्वन्ति ते को क्षतिम् अनुभवन्ति?

शब्दार्थाः :
द्विधा-दो प्रकार से-in two ways; यापनेन-बिताने से-by spending; अटन्ति-घूमते हैं-wander; परार्थाय-दूसरे के लिए-for others; उपार्जयन्ति-कमाते हैं-earn; वोढुम्-ढोने के लिए-to bear; क्षतिम्-नुकसान-harm.

अनुवाद :
सभी छात्र-लोग समय का दुरुपयोग कैसे-कैसे करते हैं?

आचार्यः :
लोग दो प्रकार से समय का दुरुपयोग करते हैं-व्यर्थ में बिताने से और न करने योग्य कार्य करने से। बहुत से लोग कार्य करने में समर्थ होते हुए भी बेकार में समय बिताते हैं। इधर घूमते हैं, उधर घूमते हैं, बिना किसी कारण घर-घर घूमते (भटकते) हैं। न तो वे अपने लिए ही कुछ करते हैं और न ही दूसरों के लिए। देवताओं द्वारा भी दुर्लभ इस मानव शरीर को प्राप्त करके भी ये सब न अध्ययन करते हैं, न धर्म का आचरण करते हैं, न धन कमाते हैं और न ही मुक्ति के लिए प्रयास करते हैं। उनका जन्म निरर्थक होता है और यह कर्मभूमि ऐसे लोगों का भार ढोने की इच्छा नहीं करती।

सभी छात्र-आचार्य! जो लोग जीवन में समय का सदुपयोग नहीं करते उन्हें क्या नुकसान होते हैं?

English :
Some people wander from place to place aimlessly. Some waste time in useless pursuits-do nothing fruitful for self or others-useless birth-mother earth doesn’t desire to bear their burden such people suffer a lot.

3. आचार्यः-ईदृशान् जनान् केऽपि न रोचयन्ति न वा कश्चित् आश्रयमेव दातुमिच्छति। स यत्रैव गच्छति ततः एव बहिष्क्रियते सर्वत्र च तिरस्कृतो भवति। किमधिंक पितरौ अपि एतादृशं तनयं नाभिनन्दतः का पुनरन्येषां बन्धुबान्धवानां वार्ता।

छात्राः-आचार्य! ये जनाः जीवने समयस्य सदुपयोगं कुर्वन्ति तेषां जीवनं कथं भवति?

आचार्यः :
ये जनाः कदापि समयस्य दुरुपयोगं न कुर्वन्ति सदैव कार्यसंलग्नाः तिष्ठन्ति न च परिश्रमात् आत्मानं गोपयन्ति तेषां सुखेन दुर्वाहो भवति। ते यत्रैव गच्छन्ति तत्रैव सादरं रक्ष्यन्ते गृहे बहिश्च सर्वत्रैव समानरूपेण अभिनन्द्यन्ते। सर्वे एवं तेषां सहयोगमिच्छन्ति। तादृशाः एव च कर्मवीराः जनाः समाजे सर्वत्र समाद्रियन्ते श्रेष्ठपदं च लभन्ते।

छात्राः-आचार्य! समयस्य सदुपयोगः जनाः काम् उन्नतिं प्राप्नुवन्ति?

शब्दार्थाः :
ईदृशान्-ऐसे-such; तनयम्-पुत्र को-son; गोपयन्ति-छिपाते हैं-hide; दुर्वाहो-ढोने में कठिन-difficulty in bearing; तादृशाः-वैसे-such.

अनुवाद :
आचार्य-ऐसे लोग किसी को भी अच्छे नहीं लगते और न कोई आश्रय ही देना चाहता है। वह जहाँ भी जाता है वहीं से निकाला जाता है और सब जगह उसका तिरस्कार होता है। अधिक क्या, माता-पिता भी ऐसे पुत्र से खुश नहीं होते, तो फिर अन्य बन्धु-बान्धवों की क्या बात।

सभी छात्र-आचार्य! जो लोग जीवन में समय का सदुपयोग करते हैं, उनका जीवन कैसा होता है?

आचार्य :
जो लोग कभी समय का दुरुपयोग नहीं करते, सदा ही कार्य में लगे रहते हैं और परिश्रम से जी नहीं चुराते उनका सुख ढोने में कठिन (बहुत ज्यादा) होता है। वे जहाँ भी जाते हैं, वहीं उनकी आदरपूर्वक रक्षा होती है। घर में और बाहर सब ओर समान रूप से अभिन्नदन होता है। सभी उनका सहयोग करना चाहते हैं। और वैसे ही कर्मवीर लोग समाज में सब जगह आदर पाते हैं और श्रेष्ठपद प्राप्त करते हैं।

सभी छात्र-आचार्य! समय के सदुपयोग से लोग कौन-सी उन्नति प्राप्त करते हैं?

English :
Nobody likes or lodges them-insulted everywhere. Others utilise time-busy themselves, in laborious deeds-never shirk work-get respect everywhere-greeted equally–held in high position-such people make progress.

4. आचार्यः :
शृण्वन्तु-अद्यावधि ये ये महापुरुषाः जगति प्रसिद्धाः अभवन् तेषां जीवनचरित्रस्य अध्ययनेन ज्ञायते यत् ते बाल्यकालादेव अहोरात्रं कर्मपरायणा आसन् एकमपि क्षणं निरर्थकं नहि नीतवन्तः। “कार्यं वा साधेयम् देहं वा पातेयम्” इत्येव तेषां लक्ष्यं बभूव। एतस्मात् एव कारणात् अद्यापि गृहे गृहे तेषां गौरवगाथा गीयते आदर्शपुरषाश्च मन्यन्ते। यदि भगवान् शङ्कराचार्यः अहोरात्रं परिश्रमं न अकरिष्यत् समस्तेऽपि भारते दिवानिशं न अभ्रमिष्यत्, स्थले स्थले विरोधिनां सिद्धान्तंन अखण्डयिष्यत् तर्हि पुनः भारते वैदिकधर्मस्य प्रचारः न अभविष्यत्। गान्धिसुभाषचन्द्र-चन्द्रशेखरादयः भारतीयाः कठिनपरिश्रमेण समयस्य सदुपयोगं कृत्वा गौराङ्गजनान् देशात् बहिः कृतवन्तः स्वराजं च प्राप्तवन्तः तथा च ये छात्राः क्षणं क्षणं संयोज्य विद्याध्ययने समयस्य सदुपयोगं कृतवन्तः ते एव विद्वान्सः उच्चनागरिकाः, अधिकारिणः वा अभवन्।

छात्राः-आचार्य! प्रकृतिरपि किं समयस्य पालनं शिक्षयति?

शब्दार्थाः :
अद्यावधि-आज तक-uptil today; पातेयम्-गिराना-make to fall (die); दिवानिशम-दिन रात-day and night; अखण्डयिष्यत्-खण्डन न किया होता-abrogated; गौराङ्ग-गोरे लोग, अंग्रेज-Englishmen.

अनुवाद :
आचार्यः-सुनो-आज तक जो महापुरुष, जगत में प्रसिद्ध हुए हैं, उनके जीवन चरित्र के अध्ययन से पता चलता है कि ये बचपन से ही दिन-रात कर्मपरायण थे, एक भी क्षण बेकार नहीं जाने दिया। “या कार्य सिद्ध करो या शरीर का पतन” यही उनका लक्ष्य था। इसी कारण से आज भी घर-घर में उनकी गौरवगाथा गाई जाती है और वे आदर्श पुरुष माने जाते हैं। यदि भगवान् शङ्कराचार्य दिन-रात परिश्रम न करते, पूरे भारत में दिन-रात न घूमते, जगह-जगह पर विरोधी सिद्धान्तों का खण्डन न करते, तो भारत में फिर से वैदिक धर्म का प्रचार नहीं होता। गाँधी, सुभाषचन्द्र, चन्द्रशेखर आदि भारतीयों ने कठिन परिश्रम से समय का सदुपयोग करके अंग्रेजों को देश से बाहर किया और स्वराज्य प्राप्त किया। और जिन छात्रों ने क्षण-क्षण जोड़कर विद्याध्ययन में समय का सदुपयोग किया, वे ही विद्वान, उच्च नागरिक और अधिकारी हुए।

छात्रः-आचार्य! क्या प्रकृति भी समय का पालन करना सिखाती है?

English :
World renowned noble persons never wasted a single second-believed in ‘do or die’-are known as ideals. Shankaracharya preached Vedic religion by abrogating opposing principles,-Subhash, Gandhi, Chandrashekhar made the Britishers Quit India and obtained self rule–such people became good citizens who utilised every second of time.

5. आचार्यः-आम् ‘प्रकृतिरपि समयस्य पालनं, कार्यपरायणताम् एव उपदिशति निरन्तरम्’। प्रकृतौ यावन्तः पदार्थाः सृष्टाः सन्ति ते सर्वेऽपि अहोरात्रं कार्यसंलग्ना एव दृश्यन्ते। सूर्य-चन्द्राभ्याम् आरभ्य कीट-पतङ्ग-पिपीलिका-पर्यन्तं सर्वेऽपि स्व स्व व्यापारे व्यापृताः विलोक्यन्ते। अतः प्रकृत्या अपि इयमेव शिक्षा दीयते यत् नहि केनापि समयस्य अनुपयोगः कर्त्तव्यः इति।

अतः अस्माभिः आलस्यं विहाय सर्वदैव समयस्य सदुपयोगः कर्त्तव्यः न तु कदाचित् एकमपि क्षणं व्यर्थं यापनीयम्। यथोक्तम् –

“न कार्यकालमतिपातयेत्”।

शब्दार्थाः :
पिपीलिका-चींटी-ant; व्यापृताः-व्यस्त-busy; आपनीयम्-बिताना चाहिए-should be spent, अतिपातयेत-नष्ट करें-waste.

अनुवाद :
सभी छात्र-आचार्य! प्रकृति भी क्या समय के पालन की शिक्षा देती है?

आचार्य :
हाँ, ‘प्रकृति भी समय के पालन और कार्यपरायणता का सदा ही उपदेश देती रहती है।” प्रकृति में जितने भी पदार्थ बने हैं, वे सभी दिन-रात कार्य में लगे हुए दिखाई देते हैं। सूर्य-चन्द्रमा से लेकर कीड़े-पतंगे चींटी तक सभी अपने-अपने काम में व्यस्त दिखाई देते हैं। इसलिए प्रकृति से यही शिक्षा मिलती है कि किसी के द्वारा भी समय का अनुपयोग नहीं करना चाहिए।

अतः हमें भी आलस छोड़कर सदैव समय का सदुपयोग करना चाहिए, न कि कभी एक भी क्षण व्यर्थ में बिताना चाहिए। जैसे कि कहा है

काम का समय नष्ट नहीं करना चाहिए।

English :
Nature also gives lessons of honouring time and devotion to duty-All objects of nature are-always engaged inward no object of nature teaches misuse of time. Never waste time meant for work.

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions

MP Board Class 6th Special English Solutions Chapter 4 The Country Child

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MP Board Class 6th Special English Solutions Chapter 4 The Country Child

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The Country Child Text Book Exercise

Word Power

1. Write one word rhyming with the followings:
dear …………
flower ………….
tall ………..
town ………….
night …………
should ………….
Answer:
dear – near
flower – hour
tall – all
town – down
night – bright
should – would

2. Match the column ‘A’ with ‘B’.
The Country Child Poem Class 6 MP Board
Answer:
1. → (v)
2. → (i)
3. → (ii)
4. → (iii)
5. → (iv)

Complete the lines.

1. Write the missing lines of the poem;

My home is a house
…………………………!)
(I’d live in the street,
…………………………
The lanes are so quiet,
…………………………
I do wish that someone
…………………………!)
There is no one to play with
…………………………!)
The trees are so high
…………………………!)
Answer:
Near a wood
If I could!)
Oh, dear!
Lived near.
At all
And so tall

Comprehension

Answer these questions:

Class 6 English Chapter 4 The Country Child MP Board Question 1.
Where is the country child’s house?
Answer:
The country child’s house is near a jungle.

The Country Child MP Board Question 2.
What does he say about the lanes?
Answer:
He says that the lanes are quiet and lonely.

Class 6 English Chapter 4 Mp Board Question 3.
Are there any houses near his?
Answer:
No, there are no houses near his house.

The Country Child Poem Question Answer MP Board Question 4.
Where does he wish to live?
Answer:
He wishes to live in a town crowded with people.

The Country Child Class 6 MP Board Question 5.
Are there any children for him to play with?
Answer:
No, there are no children for him to play with.

The Country Child Summary MP Board Question 6.
Who are his companions?
Answer:
Birds and flowers are his only companions.

Mp Board Class 6 English Chapter 4 Question 7.
Why does he wish to live in a town?
Answer:
He wishes to enjoy the company, the comforts and pleasures of city life.

The Country Child Word Meanings

Wood – forest, वन, Lanes streets, गलियोँ, Quiet – calm, शांत।, Lonely – alone, अकेला, Twinkling – glittering, जगमगाती हुई, Bright – shining, चमकीली।

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MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी

पुष्पी पादपों की आकारिकी NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मूल के रूपान्तरण से आप क्या समझते हैं? निम्नलिखित में किस प्रकार का रूपान्तरण पाया जाता है –

  1. बरगद
  2. शलजम
  3. मैंग्रूव वृक्ष?

उत्तर:
जड़ें कुछ विशिष्ट कार्यों को सम्पादित करने के लिए अपने रूप में परिवर्तन कर लेती हैं। इस क्रिया को रूपान्तरण (Modification) कहते हैं। जड़ों में रूपान्तरण भोजन संग्रहण, यांत्रिक कार्यों तथा श्वसन के लिए होता है।

  1. बरगद – इसमें जड़ों का रूपान्तरण स्तम्भमूल (Prop root) के रूप में होता है, जिससे तने की क्षैतिज शाखाओं से वायवीय जड़ें निकलकर भूमि में प्रविष्ट कर जाती हैं।
  2. शलजम – भोजन संग्रह करने के लिए जड़ का ऊपरी भाग फुलकर कुंभीरूप (Napiform) में रूपान्तरित हो जाता है।
  3. मैंग्रूव वृक्ष – इसमें जड़ें श्वसनमूल (Respiratory roots) में रूपान्तरित होकर भूमि के ऊपर आ जाती हैं। इन श्वसन मूलों में अनेक वातरन्ध्र पाये जाते हैं जहाँ से वायुमण्डलीय O2 जड़ों में प्रवेश करके वायु की कमी को पूरा करते हैं।

प्रश्न 2.
बाह्य लक्षणों के आधार पर निम्नलिखित कथनों की पुष्टि कीजिए –

  1. पौधे के सभी भूमिगत भाग सदैव मूल नहीं होते।
  2. फूल एक रूपान्तरित प्ररोह है।

उत्तर:
1. पौधे के सभी भूमिगत भाग सदैव मूल नहीं होते – यह सही है कि जड़ें हमेशा भूमि के अन्दर वृद्धि करती हैं तथा तने भूमि से ऊपर की ओर वृद्धि करते हैं, परन्तु कुछ तने इसके अपवाद हैं। उदाहरणअदरक, प्याज एवं आलू। ये सभी भूमिगत तनों के उदाहरण हैं। – आलू का कन्द (Potato tuber) एक रूपान्तरित भूमिगत तना है। यह तना कन्द में रूपान्तरित होकर भोज्य पदार्थों का संग्रहण करता है। अत: आलू एक तना है न कि जड़। इसे निम्नलिखित तथ्यों के द्वारा सिद्ध किया जा सकता है –

  • इसमें पर्व एवं पर्वसन्धियाँ उपस्थित होती हैं।
  • इसमें शल्क-पत्र (Scale leaves) उपस्थित होते हैं।
  • इसमें कलिका (Buds), आँखों (Eyes) के रूप में होती हैं।
  • यह भोज्य पदार्थों के संग्रहण के लिए रूपान्तरित हुआ है।

2. पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह है – निम्नलिखित कुछ ऐसे कारण हैं, जो यह प्रमाणित करते हैं कि पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह है –

  • पुष्प का पुष्पासन एक संघनित तने के समान दिखाई देता है, जिसके पर्व (Inter-node) तथा पर्व सन्धि आपस में मिले प्रतीत होते हैं।
  • सभी पुष्पीय पत्र पत्तियों के चक्र के समान ही पुष्पासन पर लगे होते हैं। वास्तव में पुष्पीय पत्र विशिष्ट कार्यों के लिए रूपान्तरित पत्तियाँ हैं।
  • कुछ पौधों के बाह्यदल (Sepals) पत्तियों के समान दिखाई देते हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि बाह्यदल पत्तियों का ही रूपान्तरण है, जैसे-वाटर लिली।
  • कुछ पौधे जैसे – गाइनेण्ड्रोप्सिस में दल एवं पुमंग के बीच का पुष्पासन बड़ा होकर तने का रूप ले लेता है। ठीक उसी प्रकार कुछ पौधों में पुमंग तथा जायांग के बीच का पुष्पासन भी तने के समान बढ़ जाता है। ये दोनों उदाहरण पुष्पासन को संघनित तना तथा पुष्पपत्रों को रूपान्तरित पत्ती होने का प्रमाण देते हैं।
  • पुष्प का विकास प्ररोह के समान एक कलिका (Bud) से होता है।

प्रश्न 3.
एक पिच्छाकार संयुक्त पत्ती हस्ताकार संयुक्त पत्ती से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर:
1. पिच्छवत् संयुक्त पर्ण (Pinnate compound leaf):
इस प्रकार के संयुक्त पर्ण में पार्वीय पर्णक होते हैं जो अभिमुखी (Opposite) रूप में विन्यस्त होते हैं। इसमें पत्ती का वृन्त और मध्य शिरा मिलकर रैकिस बनाते हैं जिस पर पर्णक लगे रहते हैं। एकपिच्छवत् (Unipinnate) – इस प्रकार की संयुक्त पत्ती में पर्णक सीधे रैकिस (पिच्छाक्ष) पर ही लगे रहते हैं, जैसे – गुलाब, चरौंठा (Cassia tora), इमली आदि। यदि रैकिस पर पत्रकों के जोड़ों की संख्या सम हो तो इसे समपिच्छवत् (Paripinnately compound ) जैसे – रत्ती, अशोक, इमली और असम होने पर असमपिच्छवत् (Imparipinnately compound) कहते हैं जैसे – गुलाब, चरौंठा, सेम।

2. हस्ताकार या पाणिवत् संयुक्त पर्ण (Palmately compound leaf):
हस्ताकार संयुक्त पर्ण उसे कहते हैं जिसके वृन्त के अग्रस्थ भाग पर जुड़े हुए पर्णक होते हैं जो एक सामान्य स्थान से निकलते हुए प्रतीत होते हैं, जैसे हमारी हथेली से अँगुलियाँ, उदाहरण सेमल, क्लीओमशाइनैड्रॉप्सिस आदि।

प्रश्न 4.
विभिन्न प्रकार के पर्णविन्यास का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तने के ऊपर पत्तियों की व्यवस्था या क्रम को पर्ण – विन्यास (Phyllotaxy) कहते हैं प्रत्येक पौधे की पत्तियाँ अपने तने के ऊपर एक निश्चित क्रम में ही व्यवस्थित होती हैं। पर्ण-विन्यास के प्रकार (Types of Phyllotaxy) – पौधों में तीन प्रकार का पर्ण – विन्यास पाया जाता है –

1. एकान्तर (Alternate):
जब प्रत्येक पर्व-सन्धि से केवल एक पत्ती निकलती है और दूसरी पत्ती इसके विपरीत दूसरे पर्व पर निकलती है, तो इन पत्तियों के क्रम को एकान्तर पर्ण विन्यास कहते हैं। ये पत्तियाँ सर्पिल (Spiral) क्रम में तने के ऊपर लगी होती हैं । जैसे – गुड़हल, सूरजमुखी।

2. विपरीत या अभिमुखी (Opposite):
जब एक पर्व सन्धि पर दो पत्तियाँ एक-दूसरे के आमनेसामने लगी हों तो पत्तियों के इस क्रम को अभिमुखी पर्ण-विन्यास कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है –

(a) अभिमुखी क्रॉसित (Opposite dicussate):
इस पर्ण विन्यास में प्रत्येक पर्वसन्धि से दो विपरीत पत्तियाँ निकलती हैं, लेकिन निकटवर्ती पर्वसन्धियों से निकलने वाली पत्तियाँ एक-दूसरे के साथ समकोण बनाती हैं जैसे – मदार या आक (Calotropis), पोदीना, तुलसी।

(b) अभिमुखी अध्यारोपित (Opposite superposed):
इस पर्ण-विन्यास में दो पर्वसन्धियों की विपरीत पत्तियाँ ठीक एक-दूसरे के ऊपर-नीचे स्थित होती हैं। जैसे-जामुन, अमरूद आदि।

3. चक्रीय (Cyclic or Whorled or Verticillate):
जब किसी पौधे के ऊपर पत्तियाँ एक पर्वसन्धि पर दो से अधिक की संख्या में चक्र के रूप में व्यवस्थित हों तो इस पर्ण-विन्यास को चक्रीय पर्ण – विन्यास कहते हैं। जैसे – कनेर (Nerium)

प्रश्न 5.
निम्नलिखित की परिभाषा लिखिए –

  1. पुष्पदल विन्यास
  2. बीजांडासन
  3. त्रिज्या सममिति
  4. एकव्यास सममिति
  5. ऊर्ध्ववर्ती
  6. परिजायांगी पुष्प
  7. दललग्न पुंकेसर।

उत्तर:
1. पुष्पदल विन्यास (Aestivation):
पुष्प की कली अवस्था में बाह्यदलों, दलों अथवा परिदलों के आपसी सम्बन्ध को पुष्पदल विन्यास कहते हैं। पुष्पदलों में –

  • कोरस्पर्शी
  • व्यावर्तित
  • कोरछादी
  • पंचक प्रकार के विन्यास पाये जाते हैं।

2. बीजांडासन (Placentation):
अण्डाशय में बीजाण्ड, के लगने की व्यवस्था को बीजांडासन (Placentation) कहा जाता हैं पौधों में –

  • सीमान्त
  • भित्तीय
  • आधारलग्न
  • पृष्ठीय एवं
  • अक्षीय प्रकार का बीजांडासन पाया जाता है।

3. त्रिज्या सममिति (Actinomorphic):
किसी भी उदग्रतल (Vertical plane) से काटने पर यदि पुष्प दो बराबर भागों में बँट जाये तो ऐसे पुष्पों को त्रिज्या सममिति (Actinomorphic) कहते हैं। उदा – गुलाब, – गुड़हल।

4. एकव्यास सममिति (Zygomorphic):
यदि पुष्प को केवल एक ही तल से दो समान भागों में काटा जा सकता है तो ऐसे पुष्पों को एकव्यास सममिति कहते हैं। उदा.-टेसू, तुलसी, मटर।

5. ऊर्ध्ववर्ती (Superior):
ऐसे अण्डाशय को, जो सभी पुष्पीय पत्रों के ऊपर स्थित होता है। ऊर्ध्ववती (Superior) कहते हैं । उदा.-सरसों, बैंगन, चाइना रोज आदि।

6. परिजायांगी (Perigynous):
वह निवेशन, जिसमें पुष्पासन एक प्याले का रूप ले लेता है। जायांग पुष्पासन के अन्दर तथा अन्य पुष्पीय पत्र प्याले के किनारों पर स्थित होते हैं। इनमें अण्डाशय अधोवर्ती (Inferior) होता है। जैसे – गुलाब, सेम, मटर, अशोक।

7. दललग्न पुंकेसर (Epipetalous):
जब किसी पुष्प के पुंकेसर दल से जुड़े होते हैं, तब इन पुंकेसरों को दललग्न कहते हैं। उदा – धतूरा और कनेर।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में अंतर लिखिए –

  1. असीमाक्षी तथा ससीमाक्षी पुष्पक्रम
  2. झकड़ा जड़(मूल) तथा अपस्थानिक मूल
  3. वियुक्ताण्डपी तथा युक्ताण्डपी अंडाशय।

उत्तर:
1. असीमाक्षी और ससीमाक्षी पुष्पक्रम में अन्तर –

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 1

2. झकड़ा (मूसला) जड़ एवं अपस्थानिक जड़ में अन्तर –

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 2

3. वियुक्ताण्डपी तथा युक्तांडपी अंडाशय –
(1) वियुक्तांडपी (Apocarpous) – यदि दो या अधिक अंडप (Carpels) अंडाशय में उपस्थित हों तथा आपस में स्वतंत्र अवस्था में रहें तब इसे वियुक्तांडपी कहा जाता है। उदाहरण-रेननकुलस में बहुअण्डपी युक्तांडप पाये जाते हैं।

(2) युक्तांडपी (Syncarpous) – यदि दो या अधिक अंडप (Carpels) आपस में संयुक्त हों, तो जुड़े हुए अंडप की यह अवस्था युक्तांडपी कहलाती है। उदाहरण-चाइना रोज में पंचांडपी, अण्डाशय पाया जाता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित के चिन्हित चित्र बनाइये –
(1) चने के बीज तथा
(2) मक्के के बीज का अनुदैर्ध्य काट।
उत्तर:
(1) चने का बीज –
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(ii) मक्के के बीज का अनुदैर्ध्य काट –
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प्रश्न 8.
उचित उदाहरण सहित तने के रूपांतरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(a) प्रकन्द (Rhizome):
यह एक अनिश्चित वृद्धि वाला बहुवर्षी भूमिगत तना है, जो कि Internode अनुकूल परिस्थिति में विकसित होकर प्ररोह एवं पत्तियों Node AS का निर्माण करता है। इसमें पर्व एवं पर्वसन्धियाँ उपस्थित होती हैं। प्रत्येक पर्वसन्धि पर शल्क पत्र (Scale leaves) एवं अक्षीय कलिका (Axillary bud) पायी जाती है। इसकी निचली सतह से बहुत-सी अपस्थानिक जड़ें निकलती हैं। उदाहरण – अदरक (Ginger)।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 5

(b) शल्ककन्द (Bulb):
इसे हम भूमिगत संपरिवर्तित कलिका कह सकते हैं, जिसमें स्तम्भ छोटा होता है, जिसे डिस्क (Disc) कहा जाता है। डिस्क (तने) पर अत्यन्त आस-पास मांसल शल्क पत्र लगे होते हैं। तने पर पर्व बहुत छोटे रहते हैं। तने के निचले भाग से अपस्थानिक जड़ें निकलती हैं। तने के अग्र भाग में शीर्षस्थ कलिका एवं शल्क पत्रों के कक्ष से कक्षस्थ कलिकाएँ निकलती हैं। शल्क पत्र विन्यास के अनुसार, शल्ककन्द निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं –

(i) कंचुकित शल्ककन्द (Tunicated bulb):
इसमें शल्क पत्र एक-दूसरे को पूर्ण रूप से ढंके एवं संकेन्द्रित होते हैं। बाहर सूखे शल्क पत्र का आवरण होता है, जो छिलका बनाता है। उदाहरणप्याज।
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(ii) शल्की शल्ककन्द (Scaly bulb):
इसमें शल्क पत्र एक – दूसरे को ढंकते नहीं। इनमें सम्पूर्ण कलियों को ढंकने हेतु एक आवरण (ट्यूनिक) नहीं होता। उदाहरण – लहसुन, लिली इसे संयुक्त शल्ककन्द (Compound bulb) कहते हैं । इसकी एक कली शल्ककन्द (Bulblet) कहलाती है।
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(c) घनकन्द (Corm):
यह भूमि में पाया जाने वाला एक बहुत मोटा एक पर्व वाला स्तम्भ है, जो भूमि में उदग्र (Vertical) होता है। इस पर शल्क पत्र और अपस्थानिक मूल होती हैं। सूरन या जिमीकन्द इसका अच्छा उदाहरण है। इसमें शीर्षस्थ कलिका वायवीय प्ररोह बनाती है, जिसमें संगृहीत भोजन काम में लाया जाता है। अपस्थानिक कलिकाएँ अन्य घनकन्द बनाती हैं।
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प्रश्न 9.
फैबेसी तथा सोलेनेसी कुल के एक – एक पुष्प को उदाहरण के रूप में लीजिए तथा उनका अर्द्ध तकनीकी विवरण प्रस्तुत कीजिए। अध्ययन के पश्चात् उनके पुष्पीय चित्र भी बनाइए।
उत्तर:
फैबेसी (Fabaceae) कुल को पहले पैपिलियोनेसी कहते थे। मटर का पुष्प पैपिलियोनेसी या फैबेसी कुल का प्रतिनिधित्व करता है।

मटर के पुष्प का वर्णन –
(1) पुष्पक्रम (Inflorescence):
प्रायः असीमाक्ष (Racemose) प्रकार होता है। क्रोटोलेरिया (Crotolaria) में टर्मिनल रेसीम (Terminal raceme), मेलिलोटस (Melilotus) में कोरिम्बोज रेसीम (Corymbose raceme) अथवा एकल कक्षस्थ (Solitary axillary) उदाहरण-साइसर ऐराइटिनम (Cicer arietinum) प्रकार का होता है।

(2) पुष्प (Flower):
पुष्प संवृत (Pedicillate), निपत्री (Bracteate), प्रायः सहपत्रिका युक्त (Bractiolate), द्विलिंगी (Bisexual), जायगोमॉर्फिक (Zygomorphic), अधोजायांगी (Hypogynous) या परिजायांगी (Perigynous), पूर्ण (Complete) तथा पंचतयी (Pentamerous) होते हैं।

(3) बाह्यदलपुंज (Calyx):
प्राय: 5, संयुक्त बाह्यदलीय (Gamosepalous), घण्टाकार (Campanulate), कुछ में नलिकाकार (Tubular) होता है। बाह्यदल विन्यास कोरछादी (Imbricate) या कोरस्पर्शी (Valvate) होता है। विषम सेपल (Odd sepal) हमेशा अग्रभाग (Anterior) में पाया जाता है।

(4) दलपुंज (Corolla):
प्रायः 5, स्वतन्त्रदलीय (Polypetalous), पैपीलियोनेशियस (Papilionaccous) होता है। पश्च दल (Posterior petal) सबसे बाहर तथा सबसे बड़ा होता है। इसे स्टैण्डर्ड (Standard) या वैक्सिलम (Vaxillum) कहते हैं। वैक्सिलम के दोनों ओर के पार्श्वदल (Lateral petals) को विंग (Wings) या ऐली (Alae) कहते हैं। पुष्प के अग्र भाग पर उपस्थित दो दल (Anterior petals) आपस में जुड़कर नाव के आकार की संरचना बनाते हैं, जिसे कील (Keel) या कैरिना (Carina) कहते हैं। दलपुंज विन्यास अवरोही कोरछादी (Descending imbricate) या वैक्सिलरी (Vaxillary) प्रकार का होता है।

(5) पुमंग (Androecium):
पुंकेसरों की संख्या प्रायः 10 होती है। ये पुंकेसर दो बण्डलों में व्यवस्थित रहते हैं। 9 पुंकेसर आपस में जुड़े रहते हैं, जबकि 1 पुंकेसर स्वतन्त्र होता है। ऐसे पुमंग को द्विसंघी (Diadelphous) कहते हैं। पोंगेमिया (Pongamia) एवं क्रोटेलेरिया (Crotalaria) में एकसंघी (Monoadelphous) पुंकेसर पाये जाते हैं। द्विसंघी पुंकेसर में पश्च (Posterior) 9 पुंकेसर आपस में जुड़े तथा एक अग्र (Anterior) पुंकेसर स्वतन्त्र होता है। परागकोष द्विकोष्ठीय (Dithecous), आधारलग्न (Basifixed) तथा अन्तर्मुखी (Introse) होते हैं।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 9

(6) जायांग (Gynoecium):
यह एकाण्डपी (Monocarpellary), एककोष्ठीय (Unilocular), ऊर्ध्ववर्ती (Superior) अथवा अर्द्ध-अधोवर्ती (Half-inferior) होता है। बीजाण्डन्यास (Placentation) सीमान्त (Marginal) प्रकार का होता है । वर्तिका सरल (Simple) तथा वर्तिकाग्र (Stigma) समुण्ड (Capitate) अथवा अन्तस्थ (Terminal) होता है।

(7) फल (Fruits):
फल, लेग्यूम (Legume) या पॉड (Pod) प्रकार का होता है। यह दोनों सीवनों (Sutures) के द्वारा खुलता है अथवा अस्फोटी (Indehiscent) होता है।

(8) बीज (Seeds):
बीज अभ्रूणपोषी (Non-endospermic) होता है अथवा अत्यन्त छोटे भ्रूणपोष युक्त होते हैं।

(9) पुष्प सूत्र (Floral Formula):

मटर – पाइसम सटाइवम (Pisum sativum)
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 10

सोलेनेसी कुल के पुष्पीय लक्षण –
पुष्पक्रम (Inflorescence):
पुष्पक्रम अधिकांशतः सायमोज (Cymose) प्रकार का होता है। परन्तु पौधों में पुष्पक्रम भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। जैसे –

  • धतूरा (Datura) – द्विशाखित साइम (Dichasial cyme)
  • सोलेनम(Solanum s.p.p.) – हेलिकॉयड साइम (Helicoid cyme)
  • एट्रोपा बेलाडोना (Atropa beladona) – स्कॉर्पिआइड साइम (Scorpioid cyme)
  • निकेन्ड्रा (Nicandra) – एकल कक्षस्थ (Solitary axillary)।

पुष्प (Flowers):
पुष्प प्रायः सवृन्त (Pedicillate), द्विलिंगी (Bisexual or Hermaphrodite), पूर्ण (Complete), पंचतयी (Pentamerous), एक्टिनोमॉर्फिक (Actinomorphic), अधोजायांगी (Hypogynous), सहपत्री (Bracteate) अथवा असहपत्री (Ebracteate) होते हैं। हाइपोसाइमस नाइजर (Hypocymus niger) तथा सालपिगलोसिस (Salpiglosis) में पुष्प जायगोमॉर्फिक (Zygomorphic) होते हैं। इसके अलावा सालपिगलोसिस में पुष्प हमेशा बन्द रहने वाले (Cleistogamous) होते हैं।

(3) बाह्यदलपुंज (Calyx) – बाह्यदलों (Sepals) की संख्या 5, संयुक्त बाह्यदली (Gamosepalous), चिरलग्न अथवा चिरस्थायी (Persistent) होते हैं। बाह्यदल विन्यास (Aestivation) कोरस्पर्शी (Valvate) प्रकार का होता है।

(4) दलपुंज (Corolla) – दलों की संख्या 5, संयुक्तदली (Gamosepalous) तथा पुष्पदल विन्यास कोरछादी (Valvate) प्रकार का होता है। दलों का रंग प्रायः बैंगनी (Violet) अथवा सफेद (White) एवं कभी-कभी पीला (Yellow) होता है।

(5) पुमंग (Androecium) – पुंकेसरों की संख्या प्रायः 5, पृथक् पुंकेसरी (Polyandrous), दललग्न (Epipetalous), पुतन्तु (Filament) छोटे तथा रोमिल (Hairy), परागकोष (Anther) आधारलग्न (Basifixed), द्विकोष्ठीय (Dithecous) तथा लम्बे होते हैं।

(6) जायांग (Gynoecium) – द्विअण्डपी (Bicarpellary) संयुक्ताण्डपी (Syncarpous), अण्डाशय द्विकोष्ठीय (Bilocular), ऊर्ध्ववर्ती (Superior) तथा तिरछा (Oblique) होता है। यह इस कुल का प्रमुख लक्षण होता है। बीजाण्डन्यास अक्षीय (Axile) तथा अनेक बीजाण्ड युक्त होता है। वर्तिका साधारण तथा वर्तिकाग्र द्विपालित (Bilobed) होता है।

(7) फल (Fruit) – ये बेरी (Berry), उदाहरण – टमाटर, बैंगन आदि अथवा कैप्सूल (Capsule), उदाहरणधतूरा प्रकार के होते हैं।

(8) बीज (Seed) – यह भ्रूणपोषी (Endospermic) प्रकार का होता है। (9) पुष्पीय सूत्र (Floral formula)

(i) सोलेनम नाइग्रम(Solanum nigrum):
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(ii) धतूरा अल्बा(Datura alba):
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MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 13

(10) पुष्प आरेख – देखें पार्श्व चित्र।

प्रश्न 10.
पुष्पीय पादपों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के बीजाण्डन्यासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जरायुन्यास या बीजाण्डन्यास (Placentation):
अण्डाशय में बीजाण्ड, बीजाण्डासन पर एक विशेष क्रम में व्यवस्थित रहते हैं, इसी क्रम को बीजाण्डन्यास कहते हैं । जैसा कि हम जानते हैं कि जायांग एक रूपान्तरित पत्ती है वही पत्ती गोलाई में मुड़कर जायांग की रचना करती है इस रूपान्तरित पत्ती के दोनों किनारे एक स्थान पर मिले प्रतीत होते हैं । सामान्यतः बीजाण्डसन अण्डप तलों (किनारों) के मिलने के स्थान पर ही बनते हैं। पौधों में निम्न प्रकार के बीजाण्डन्यास पाये जाते हैं

1. सीमान्त (Marginal):
यह बीजाण्डन्यास एकाण्डपी जायांगों में पाया जाता है। इसमें बीजाण्डासन अण्डप के दोनों किनारों के मिलने के स्थान पर बनाता है तथा इसके बीजाण्ड अधर सीवन (Ventral suture) पर रेखीय क्रम में लगे होते हैं, जैसे – मटर, अरहर, चना, बबूल, अमलतास, सेम, गुलमोहर।

2. भित्तीय (Parietal):
यह बीजाण्डन्यास एक से अधिक अण्डपों वाले संयुक्ताण्डपी अर्थात् एककोष्ठीय जायांगों में पाया जाता है। इसमें बीजाण्ड अण्डाशय की भीतरी दीवार पर उस स्थान से लगे होते हैं जहाँ अण्डपों के किनारे मिलते हैं। इसमें बीजाण्डसनों (Placenta) की संख्या अण्डपों की संख्या पर निर्भर करती है। जैसेपपीता, सरसों, लौकी।

3. आधारलग्न (Basal):
यह बीजाण्डन्यास द्वि या बहुअण्डपी लेकिन अनिवार्यतः एककोष्ठीय अण्डाशय में पाया जाता है। इसमें अण्डाशय के आधार से केवल एक बीजाण्ड लगा होता है। जैसे – सूरजमुखी, गेंदा। कभी-कभी बीजाण्ड आधार के स्थान पर अण्डाशय के ऊपरी भाग से जुड़ा होता है।

4. पृष्ठीय या धरातलीय (Superficial):
यह बीजाण्डन्यास बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी, बहुकोष्ठीय अण्डाशयों में पाया जाता है। इसमें बीजाण्ड अण्डपों की भीतरी दीवाल से चारों लगे रहते हैं। जैसे-कमल, निम्फिया, सिंघाड़ा।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 14

5. अक्षीय (Axile):
यह बीजाण्डन्यास है जो बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी ऐसे जायांगों में पाया जाता है जिसमें कोष्ठकों की संख्या अण्डपों की संख्या के बराबर होती है। इसमें अण्डपों के किनारे जुड़ने के पश्चात् अन्दर की ओर बढ़कर केन्द्र में जुड़ जाते हैं तथा एक केन्द्रीय अक्ष का निर्माण करते हैं। यही अक्ष फूलकर बीजाण्डासन (Placenta) बना देता है। जिससे बीजाण्ड जुड़े होते हैं। जैसे – बैंगन, गुड़हल, टमाटर, नीबू, सन्तरा, नारंगी।

6. मुक्त स्तम्भीय (Free central):
यह बीजाण्डासन ऐसे जायांग में पाया जाता है जो बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी होता है। इसमें बीजाण्ड अण्डाशय के केन्द्रीय कक्ष के चारों तरफ स्वतन्त्र रूप से लगे होते हैं। उदाहरण – डाएन्थस, प्राइमुला।

प्रश्न 11.
पुष्प क्या है ? एक प्रारूपी एंजियोस्पर्म पुष्प के भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह या कली है जो तने या शाखाओं के शीर्ष अथवा पत्ती कक्ष में उत्पन्न होकर प्रजनन का कार्य करता है तथा फल एवं बीज को उत्पादित करता है। एक प्रारूपिक पुष्प के चार भाग होते हैं –

1.  बाह्यदल पुंज (Calyx) – इसका मुख्य कार्य पुष्प की कलिका अवस्था में रक्षा करना है, बाह्यदल हरे होने के कारण पत्ती के समान भोजन का संश्लेषण करता है।

2. दल पुंज (Corolla) – यह पुष्प का रंगीन एवं आकर्षक भाग है, ये कीटों को पर-परागण के लिए आकर्षित करते हैं।

3. पुमंग (Stamen) – पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय-पत्र के तीसरे चक्र को, जो नर जनन अंग का कार्य करता है, पुमंग कहते हैं। जबकि इसका एकक पुंकेसर (Stamen) कहलाता है। प्रत्येक पुंकेसर तीन भागों –

  • पुतन्तु (Filament)
  • परागकोष (Anther) एवं
  • योजी (Connective) से मिलकर बना होता हैं।

4. जायांग (Gynoecium):
पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय पत्रों के चक्र को, जो मादा जनन अंग का कार्य करते हैं, जायांग कहते हैं। यह कई एककों का बना होता है, इन एककों को अण्डप (Carpel) कहते हैं। एक प्रारूपिक जायांग तीन भागों –

  • अण्डाशय (Ovary)
  • वर्तिका (Style) एवं
  • वर्तिकाग्र (Stigma) से मिलकर बना होता है।

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 15

प्रश्न 12.
पत्तियों के विभिन्न रूपान्तरण पौधे की कैसे सहायता करते हैं?
उत्तर:
पत्तियों का मुख्य कार्य प्रकाश – संश्लेषण तथा वाष्पोत्सर्जन है लेकिन कुछ पत्तियाँ इसके अलावा कुछ अन्य कार्यों को भी करती हैं जिसके कारण इनके स्वरूप में सामान्य परिवर्तन हो जाता है इन्हीं परिवर्तनों को पत्ती का रूपान्तरण कहते हैं। ऐसे विशेष रूपान्तरणों को प्रदर्शित करने वाली पत्तियाँ साधारण हरी पत्तियों से भिन्न एवं सामान्यतः हासित होती हैं। पत्तियों के प्रकार के अन्तर्गत वर्णित सहपत्रिका (Bracts), शल्क पत्र (Scale leaves) तथा पुष्पीय पत्र (Floral leaves) भी पत्तियों के रूपान्तरण ही हैं । पत्तियों के दूसरे रूपान्तरण इस प्रकार हैं –

(1) पर्ण कंटक (Leaf spines):
कभी-कभी पत्तियाँ काँटे का रूप लेकर या तो वाष्पोत्सर्जन को रोकती हैं या रक्षात्मक कार्य करती हैं इन्हीं रूपान्तरित पत्तियों को पर्णकंटक कहते हैं। केवड़ा (Padanus) में पत्तियों के किनारे, सतावर (Asparagus) एवं यूलेक्स (Ulex) तथा नागफनी में सम्पूर्ण पत्ती काँटों में रूपान्तरित होती हैं। नीबू और बेल में प्रोफिल्स काँटों में रूपान्तरित होता है।

(2) पर्ण प्रतान (Leaf tendrils):
कमजोर तने वाले कुछ पादपों की सम्पूर्ण पत्तियाँ या उनका कुछ भाग प्रतान में रूपान्तरित हो जाता है जिससे ये आरोहण का कार्य कर सकें। मटर में सम्पूर्ण पत्रक, ग्लोरिओसा में पत्राग्र प्रतान में रूपान्तरित होते हैं।

(3) पर्ण अंकुश (Leaf hooks):
कुछ पौधों जैसे – बिग्नोनिया में संयुक्त पत्ती के पर्णक नाखून के समान मुड़कर अंकुश का रूप ले लेते हैं। जो पौधे को आरोहण में मदद करने के साथ उनकी रक्षा का कार्य करते हैं।

(4) शल्क पत्र (Scaly leaves):
कलिकाओं की रक्षा के लिए कुछ पौधों की पत्तियाँ शल्क का रूप ले लेती हैं जिन्हें शल्क पत्र कहते हैं। जैसे – अदरक, जिमीकन्द।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 16

(5) संग्रहण पत्रक (Storage leaves):
कुछ पौधों की पत्तियाँ जल तथा भोज्य पदार्थों को संगृहीत करके मांसल हो जाती हैं जिन्हें संग्रहणी पर्ण कहते हैं। मरुभूमि के पादपों में यह रूपान्तरण पाया जाता है जिससे पौधे भविष्य के लिए भोजन तथा जल का संग्रहण करते हैं जैसे – घीक्वार (Agave), ग्वारपाठा (Aloe), ब्रायोफिलम।

(6) पर्णमूल (Leaf roots) – कुछ पौधों की पत्तियाँ जड़ों में रूपान्तरित हो जाती हैं जिन्हें पर्णमूल कहते हैं। डलझील (कश्मीर) में मिलने वाले साल्वीनिया नामक जलीय पौधे की पत्तियाँ पर्णमूल में – रूपान्तरित होकर जल को अवशोषित करने के साथ पौधे को तैरने में मदद करती हैं।
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(7) घटपर्ण (Pitcher):
कुछ कीटभक्षी पौधे जैसे – निपेन्थीसया पिचर प्लाण्ट में पत्तियों का फलक घटपर्ण (Pitcher) में बदल जाता है। पर्णाधार चौड़ा और पर्ण वृन्त प्रतान सदृश हो जाता है। पर्णाग्र कलश पादप का ढक्कन बनाता है। कीड़े पकड़कर ऐसे पौधे अपनी नाइट्रोजन की कमी को पूरा करते हैं। भारत में आसाम की गारो पहाड़ियों पर कलश पादप मिलते हैं।

(8) ब्लैडर (Bladder):
यूट्रीकुलेरिया नामक जलीय कीटभक्षी पौधे में पत्तियाँ ब्लैडर में बदल जाती हैं। ब्लैडर में भीतर की ओर खुलने वाला कपाट (वाल्व) होता है जिसके मुख पर कड़े रोमों के गुच्छे पाये जाते हैं। जलीय कीट पानी के प्रवाह के साथ बहकर ब्लैडर में प्रविष्ट तो हो सकते हैं, किन्तु बाहर नहीं निकल सकते। पाचक ग्रन्थियाँ कीट का पाचन करती हैं, अतिरिक्त पानी धीरे-धीरे बाहर चला जाता है।

प्रश्न 13.
पुष्पक्रम की परिभाषा लिखिए। पुष्पीय पादपों में विभिन्न प्रकार के पुष्पक्रमों के आधार पर वर्णन कीजिए
उत्तर:
पुष्पक्रम (Inflorescence):
प्ररोह का वह भाग जिस पर पुष्प लगे होते हैं पुष्पावली वृन्त (Peduncle) कहलाता है। इस पुष्पावली वृन्त पर पुष्प सीधे या पुष्प वृन्त (Pedicel) द्वारा जुड़े रहते हैं। पुष्पावली वृन्त पर पुष्पों के लगने के क्रम को पुष्पक्रम कहते हैं। पुष्पावली वृन्त से पुष्प एकल या समूहों में उत्पन्न होते हैं। जब एकल पुष्प पुष्पावली वृन्त (तना) के शीर्ष पर उगता है तब इसे एकल अन्तस्थ (Solitary terminal) कहते हैं। जैसे – नाइजेला, पोस्त इत्यादि। लेकिन जब एकल पुष्प किसी पत्ती के कक्ष से विकसित होता (या लगा होता) है। तब इसे एकल कक्षस्थ (Solitary axillary) कहते हैं। जैसे – गुड़हल, नास्टर्शियम।

अनिश्चित या असीमाक्ष पुष्पक्रम (Indefinite or Racemose Inflorescence):
वह पुष्पक्रम है जिसके पुष्पावली वृन्त या मुख्य अक्ष की अग्रस्थ कलिका हमेशा बनी रहती है और अपने नीचे पुष्पों को जन्म देती रहती है। जैसे-गुलमोहर, मूली, लटजीरा, चौलाई, सरसों, गेहूँ, अरबी आदि।

निश्चित या ससीमाक्ष पुष्पक्रम (Cymose or Determinate Inflorescence):
वह पुष्पक्रम है जिसमें पुष्पावली वृन्त या मुख्य अक्ष की अग्रस्थ कलिका पुष्प में परिवर्तित होकर इसकी वृद्धि को अवरुद्ध कर देती है। जैसे – कपास, रैननकुलस, सागौन, चमेली, मिश्रित पुष्पक्रम (Mixed Inflorescence)-मिश्रित पुष्पक्रम वह पुष्पक्रम है जिसमें मुख्य अक्ष (पुष्पावली वृन्त) पर अलग तथा इसकी शाखाओं पर अलग प्रकार का पुष्पक्रम पाया जाता है। दूसरे शब्दों में इस पुष्पक्रम में एक ही मुख्य अक्ष पर दो अलग – अलग पुष्पक्रम पाये जाते हैं। जैसे-केला, एक्जोरा।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 18

प्रश्न 14.
ऐसे पुष्प का सूत्र लिखिए जो त्रिज्या सममित, उभयलिंगी, अधोजायांगी, 5 संयुक्त बाह्य दली, 5 मुक्त दली, पाँच मुक्त पुंकेसरी, द्वियुक्तांडपी तथा ऊर्ध्ववर्ती अंडाशय हो।
उत्तर:
पुष्पसूत्र –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 20

प्रश्न 15.
पुष्पासन पर स्थिति के अनुसार लगे पुष्पी भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह या कली है जो तने या शाखाओं के शीर्ष अथवा पत्ती कक्ष में उत्पन्न होकर प्रजनन का कार्य करता है तथा फल एवं बीज को उत्पादित करता है। एक प्रारूपिक पुष्प के चार भाग होते हैं –

1.  बाह्यदल पुंज (Calyx) – इसका मुख्य कार्य पुष्प की कलिका अवस्था में रक्षा करना है, बाह्यदल हरे होने के कारण पत्ती के समान भोजन का संश्लेषण करता है।
2. दल पुंज (Corolla) – यह पुष्प का रंगीन एवं आकर्षक भाग है, ये कीटों को पर-परागण के लिए आकर्षित करते हैं।
3. पुमंग (Stamen) – पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय-पत्र के तीसरे चक्र को, जो नर जनन अंग का कार्य करता है, पुमंग कहते हैं। जबकि इसका एकक पुंकेसर (Stamen) कहलाता है। प्रत्येक पुंकेसर तीन भागों –

  • पुतन्तु (Filament)
  • परागकोष (Anther) एवं
  • योजी (Connective) से मिलकर बना होता हैं।

4. जायांग (Gynoecium):
पुष्पासन पर स्थित पुष्पीय पत्रों के चक्र को, जो मादा जनन अंग का कार्य करते हैं, जायांग कहते हैं। यह कई एककों का बना होता है, इन एककों को अण्डप (Carpel) कहते हैं। एक प्रारूपिक जायांग तीन भागों –

  • अण्डाशय (Ovary)
  • वर्तिका (Style) एवं
  • वर्तिकाग्र (Stigma) से मिलकर बना होता है।

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 15

पुष्पी पादपों की आकारिकी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

पुष्पी पादपों की आकारिकी वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
I. सही विकल्प चुनकर लिखिए –

1. किस पौधे में मूल ग्रन्थिका पायी जाती है –
(a) बरगद में
(b) चने में
(c) आम में
(d) अदरक में।
उत्तर:
(b) चने में

2. कन्दमूल पायी जाती है –
(a) मिर्च में
(b) टैपियोका में
(c) कनेर में
(d) शकरकन्द में।
उत्तर:
(d) शकरकन्द में।

3. मूलांकुर से उत्पन्न न होकर किसी अन्य भाग से विकसित होने वाली जड़ों को कहते हैं –
(a) पर्णमूल
(b) अपस्थानिक मूल
(c) मूसला मूल
(d) वायवीय मूल।
उत्तर:
(b) अपस्थानिक मूल

4. न्यूमैटोफोर जड़ें पायी जाती हैं –
(a) टीनोस्पोरा में
(b) अजूबा में
(c) जूसिया में
(d) राइजोफोरा में।
उत्तर:
(d) राइजोफोरा में।

5. जूसिया में उपस्थित जड़ों का कार्य है –
(a) सहारा देना
(b) भोजन का संग्रह करना
(c) श्वसन करना
(d) आरोहण।
उत्तर:
(c) श्वसन करना

6. बरगद के वृक्ष की स्तम्भ मूल (Prop roots) काम करती है –
(a) वृक्ष के बड़े आकार को सहारा देने का
(b) भूमि में जल को रोकने का
(c) भूमि से जल के अवशोषण का
(d) वायुमण्डल से वायु के अवशोषण का।
उत्तर:
(a) वृक्ष के बड़े आकार को सहारा देने का

7. जो तना, हरा एवं पत्ती जैसा होता है, कहलाता है –
(a) द्विबीजपत्री तना
(b) एकबीजपत्री तना
(c) पर्णकाय स्तम्भ
(d) प्रकन्द।
उत्तर:
(c) पर्णकाय स्तम्भ

8. निम्न में कौन-सा तने का रूपान्तरण नहीं है –
(a) अदरक
(b) आम, अदरक
(c) स्तम्भ कन्द
(d) लहसुन।
उत्तर:
(b) आम, अदरक

9. केले का पौधा विकसित होता है –
(a) प्रकन्द से
(b) बीज़ से
(c) अन्त:भूस्तारी से
(d) भूस्तारी से।
उत्तर:
(c) अन्त:भूस्तारी से

10. आलू की कायिक वृद्धि होती है –
(a) प्रकन्द द्वारा
(b) स्तम्भ कन्द द्वारा
(c) अन्त:भूस्तारी द्वारा
(d) शल्क कन्द द्वारा।
उत्तर:
(b) स्तम्भ कन्द द्वारा

11. जब तना हरी पर्णिल संरचना में रूपान्तरित होता है, तो यह कहलाता है –
(a) पत्रकन्द
(b) प्रतान
(c) पर्णायित वृन्त
(d) पर्णकाय स्तम्भ।
उत्तर:
(d) पर्णकाय स्तम्भ।

12. फूला हुआ पर्णाधार कहलाता है –
(a) अनुपर्ण
(b) सहपत्र
(c) पल्विनस
(d) स्तम्भ कन्द।
उत्तर:
(c) पल्विनस

13. स्माइलैक्स का कौन-सा भाग प्रतान में रूपान्तरित होता है –
(a) पत्तियाँ
(b) अनुपर्ण
(c) तना
(d) पर्णक।
उत्तर:
(b) अनुपर्ण

14. कक्षस्थ कलिकाएँ निकलती हैं –
(a) वल्कुट की बाह्य स्तरों से बाह्यजनित रूप में
(b) अधिचर्म से बाह्यजनित रूप में
(c) परिरम्भ से अन्त:जनित रूप में
(d) वर्धी बिन्दु से अन्त:जनित रूप में।
उत्तर:
(a) वल्कुट की बाह्य स्तरों से बाह्यजनित रूप में

15. पर्णवृन्त, प्रतानों में रूपान्तरित हो जाते हैं –
(a) पैसीफ्लोरा में
(b) क्लीमैटिस में
(c) ग्लोरिओसा में
(d) एण्टीगोनन में।
उत्तर:
(b) क्लीमैटिस में

II. सही विकल्प चुनकर लिखिए –
1. मटर के पुष्प के दलपुंज के पुष्पदल विन्यास को कहते हैं –
(a) कॉण्टॉर्टेड
(b) वाल्वेट
(c) ध्वजिक
(d) इम्ब्रीकेट।
उत्तर:
(c) ध्वजिक

2. चिस्थायी (Persistant) बाह्यदलपुंज खाने योग्य बेरी (Berry) को बन्द किए हुए एक शुष्क गुब्बारे जैसी रचना बनाता है –
(a) निकोटियाना में
(b) सोलेनम में
(c) फाइसेलिस में:
(d) कैप्सीकम में।
उत्तर:
(c) फाइसेलिस में:

3. एक ऑथोपस बीजाण्ड वह होता है जिसमें बीजाण्डद्वार एवं निभाग (Micropyle and Chalaza) होते हैं –
(a) बीजाण्डवृन्त से तिरछा
(b) बीजाण्डवृन्त के समकोण पर
(c) बीजाण्डवृन्त के समानान्तर
(d) बीजाण्डवृन्त की सीधी रेखा में।
उत्तर:
(d) बीजाण्डवृन्त की सीधी रेखा में।

4. आधारीय बीजाण्डन्यास उपस्थित होता है –
(a) कम्पोजिटी में
(b) सोलेनेसी में
(c) माल्वेसी में
(d) माइमोसॉइडी में।
उत्तर:
(a) कम्पोजिटी में

5. परागकण प्रदर्शित करते हैं –
(a) नर युग्मकोद्भिद को
(b) मादा युग्मकोद्भिद को
(c) नर बीजाणुद्भिद को
(d) मादा बीजाणुद्भिद को।
उत्तर:
(a) नर युग्मकोद्भिद को

6. फूलगोभी का खाने योग्य भाग होता है –
(a) फल
(b) कलिका
(c) पुष्पक्रम
(d) पुष्प।
उत्तर:
(d) पुष्प।

7. जिह्वाकार (Lingulate) दलपुंज, जो कम्पोजिटी कुल में भी मिलता है, कहलाता है –
(a) मास्कड
(b) द्विओष्ठीय
(c) स्ट्रैप के आकार का
(d) चक्राकार।
उत्तर:
(c) स्ट्रैप के आकार का

8. मटर के पुष्प में ध्वजक तथा कील (Keel) बनाते हैं –
(a) बाह्यदलपुंज
(b) दलपुंज
(c) पुमंग
(d) जायांग।
उत्तर:
(b) दलपुंज

9. पुष्प के विभिन्न भागों के अध्ययन हेतु अत्यधिक उपयुक्त पुष्प होगा –
(a) सरसों का
(b) चम्पा का
(c) खीरा का
(d) सूर्यमुखी का।
उत्तर:
(a) सरसों का

10. दललग्न सम्बन्धित है –
(a) दलों के पुष्पदल विन्यास से
(b) अण्डाशय की स्थिति से
(c) पुंकेसरों से
(d) जरायुन्यास से।
उत्तर:
(c) पुंकेसरों से

11. रोमपुच्छ (Pappus) रूपान्तरण है –
(a) दलपुंज का
(b) बाह्यदलपुंज का
(c) सहपत्रों का
(d) जायांग का।
उत्तर:
(b) बाह्यदलपुंज का

12. किसी पुष्प को जाइगोमॉर्फिक कहते हैं, जब –
(a) इसके केन्द्र से होकर गुजरती हुई प्रत्येक ऊर्ध्व काट इसे दो सम भागों में विभाजित करती है
(b) इसके केन्द्र से होकर केवल एक ही ऊर्ध्व काट सम्भव होता है जो इसे दो समान भागों में बाँटता है
(c) उपर्युक्त में से कोई एक दशा उपस्थित होती है
(d) उपर्युक्त में से कोई भी स्थिति नहीं मिलती है।
उत्तर:
(b) इसके केन्द्र से होकर केवल एक ही ऊर्ध्व काट सम्भव होता है जो इसे दो समान भागों में बाँटता है

13. जब पुंकेसर दलों से लगे होते हैं तब यह दशा होती है –
(a) बाह्यदल लग्न
(b) गायनेण्ड्स
(c) दललग्न
(d) परिदललग्न।
उत्तर:
(c) दललग्न

14. चतुर्दी / (Tetradynamous) दशा सम्बन्धित होती है –
(a) पुमंग से
(b) जायांग से
(c) पुष्पक्रम से
(d) परिदललग्न से।
उत्तर:
(a) पुमंग से

15. निम्न में से किसमें एक ही पादप में नर तथा मादा पुष्प मिलते हैं –
(a) एकलिंगी
(b) द्विलिंगी
(c) मोनोसियस
(d) डायोसियस।
उत्तर:
(c) मोनोसियस

16. पुष्पों के समूह को धारण किये हुए प्ररोह की शाखा तन्त्र को कहते हैं –
(a) जरायुन्यास
(b) शिराविन्यास
(c) पुष्पक्रम
(d) पर्णविन्यास।
उत्तर:
(c) पुष्पक्रम

17. असीमाक्ष में पुष्प होते हैं –
(a) पृथक् लिंगों के
(b) एक ही लिंग के
(c) तलाभिसारी क्रम में व्यवस्थित
(d) अग्रकाभिसारी क्रर में व्यवस्थित।
उत्तर:
(d) अग्रकाभिसारी क्रर में व्यवस्थित।

18. वह पुष्पक्रम जिस पर अवृन्त और एकलिंगी पुष्प पाये जाते हैं –
(a) स्थूलमंजरी
(b) मंजरी
(c) एकीन
(d) पैनीकिल।
उत्तर:
(b) मंजरी

19. कैटकिन या वर्टीसिलास्टर एक प्रकार है –
(a) जरायुन्यास का
(b) शिराविन्यास का
(c) पुष्पक्रम का
(d) पर्णविन्यास का।
उत्तर:
(c) पुष्पक्रम का

20. म्यूजेसी (Musaseae) में पुष्पक्रम होता है –
(a) शूकी
(b) शीर्ष
(c) कैपीटुलम
(d) स्थूलमंजरी।
उत्तर:
(d) स्थूलमंजरी।

III. सही विकल्प चुनकर लिखिए –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 20
(a) मालवेसी
(b) सोलेनेसी
(c) कम्पोजिटी
(d) लेग्यूमिनोसी।
उत्तर:
(b) सोलेनेसी

2. तन्तु स्वतन्त्र, परागकोष समेकित एवं दललग्न पुंकेसर किस कुल में पाये जाते हैं –
(a) सोलेनेसी
(b) एस्टेरेसी।
(c) एस्केलपियेडेसी
(d) कान्वॉलवुलेसी।
उत्तर:
(b) एस्टेरेसी।

3. किस कुल में परिदलपुंज पाया जाता है –
(a) मालवेसी
(b) लिलिएसी
(c) क्रुसीफेरी
(d) सोलेनेसी।
उत्तर:
(b) लिलिएसी

4. चना किस कुल का पौधा है –
(a) सोलेनेसी
(b) पैपिलियोनेसी
(c) ग्रैमिनी
(d) माइमोसाइडी।
उत्तर:
(b) पैपिलियोनेसी

5. किस कुल के पुंकेसर अण्डाशय के ऊपर पैदा होते हैं –
(a) क्रुसीफेरी
(b) लिलिएसी
(c) सोलेनेसी
(d) एस्टेरेसी।
उत्तर:
(d) एस्टेरेसी।

6. सूरजमुखी का फल है –
(a) सिप्सेला
(b) बेरी
(c) डूप
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) सिप्सेला

7. सूरजमुखी के रश्मि पुष्पक होते हैं –
(a) अलिंगी
(b) द्विलिंगी
(c) एकलिंगी
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) एकलिंगी

प्रश्न 2.
I. एक शब्द में उत्तर दीजिए –

  1. तना भ्रूण के किस भाग से विकसित होता है?
  2. द्वि-पार्श्व पत्तियाँ किन पौधों में पाई जाती हैं?
  3. पर्णकाय स्तम्भ रूपान्तरण किस पौधे में होता है?
  4. जड़ का कौन-सा क्षेत्र जल अवशोषण करता है?
  5. नर्म तथा हरे तनों वाले छोटे पौधे के लिये वानस्पतिक शब्दावली क्या है?
  6. केले की पत्ती के आकार का नाम लिखिए।
  7. ब्रायोफिलम में पत्ती के किसी भी भाग से विकसित जड़ों को क्या कहते हैं?
  8. राइजोफोरा में पायी जाने वाली विशिष्ट जड़ों का नाम लिखिए।
  9. पर्णाभ स्तम्भ पौधे के किस भाग का रूपान्तरण है?
  10. कैक्टस की पत्तियाँ कैसी होती हैं?
  11. प्रकन्द क्या है?

उत्तर:

  1. प्रांकुर
  2. द्विबीजपत्री पौधों
  3. नागफनी
  4. मूल रोम
  5. शाक
  6. दीर्घायत (Oblong)
  7. जनन मूल
  8. न्यूमैटोफोर
  9. तने
  10. काँटे के रूप में
  11. तनों का अधोभूमिक रूपान्तरण।

II. एक शब्द में उत्तर दीजिए –

  1. दल के समान सहदल पत्र किस पुष्प में पाये जाते हैं?
  2. उपरिजाय पुष्प का उदाहरण दीजिये।
  3. गेहूँ का दाना फल है या बीज?
  4. शुष्क फल का नाम लिखिए जिसमें फलभित्ति बीजावरण के साथ मिल जाती है।
  5. पैपस पुष्प की किस रचना का रूपांतरण है?
  6. निषेचित तथा परिपक्व बीजाण्ड के लिये वैज्ञानिक शब्द लिखिये।
  7. तुलसी में किस प्रकार का पुष्पक्रम पाया जाता है?
  8. सरसों में किस प्रकार का दलपुंज पाया जाता है?
  9. परिदलपुंज का एक उदाहरण लिखिए।

उत्तर:

  1. बोगेनवेलिया
  2. सूर्यमुखी
  3. फल
  4. कैरियोप्सिस
  5. बाह्यदलपुंज
  6. फल एवं बीज
  7. कूटचक्रक
  8. पृथक्दली
  9. मक्का।

III. एक शब्द में उत्तर दीजिए –

  1. ग्रैमिनी कुल के परिदलपुंज को क्या कहते हैं?
  2. किस कुल के पुष्पों के बाह्यदलपुंज रोमिल (पैपस) होते हैं?
  3. वे पुष्प जो त्रितयी, हाइपोगाइनस, जायांग-त्रिअंडपी, युक्तांडपी व त्रिकोष्ठीय होते हैं किस कुल में आते हैं?
  4. जिस कुल में पादपों की जड़ें ग्रंथिमय होती हैं, उनके नाम बताइये।
  5. उस कुल का नाम बताइये जिसमें फल सिलिक्युआ एवं पुष्प क्रॉसित होते हैं।
  6. टमाटर का वानस्पतिक नाम लिखिए।
  7. मटर का वानस्पतिक नाम लिखिए।
  8. धतूरे का पुष्प सूत्र लिखिए।

उत्तर:

  1. लॉडिक्यूल
  2. कंपोजिटी
  3. लिलियेसी
  4. पैपिलियोनेसी
  5. क्रुसीफेरी
  6. लाइकोपर्सिकम एस्कुलेन्टम
  7. पाइसम सटाइवम
  8. MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 21

प्रश्न 3.
I. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1.  …………….. पौधे को यांत्रिक आधार देती हैं।
  2. जड़ भ्रूण के …………….. से विकसित होती है।
  3. पर्व तथा …………….. जड़ में नहीं होते हैं।
  4. न्यूमैटोफोर दलदली पौधों की जड़ों में …………….. के लिये विकसित होते हैं।
  5. आर्द्रताग्राही जड़ों में …………….. ऊतक पाये जाते हैं।
  6. महाबरगद वृक्ष …………….. में है, जिसमें …………. जड़ें हैं।
  7. पर्णाभ वृंत का उदाहरण …………….. होता है।
  8. छुईमुई में पर्णाधार ……………..होता है।
  9. कैक्टस में प्रकाश-संश्लेषण का कार्य …………….. करता है।
  10. अमरबेल में पोषक से भोजन प्राप्त करने वाली रचना को …………….. कहते हैं।

उत्तर:

  1. जड़ें
  2. मूलांकुर
  3. पर्वसंधि
  4. श्वसन
  5. गुंठिका (Velamen)
  6. कलकत्ता, स्तम्भ
  7. आस्ट्रे लियन बबूल या पर्किनसोनिया
  8. फूला हुआ
  9. तना
  10. हॉस्टोरिया।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. पक्षियों द्वारा परागण को …………….. कहते हैं।
  2. पुष्प रूपान्तरित …………….. है।
  3. पुमंग …………….. तथा जायांग पुष्प का …………….. अंग है।
  4. पुष्पासन पर पुष्पीय चक्रों का स्थित होना
  5.  ……………. के बिना फल का निर्माण पार्थीनोजेनेसिस कहलाता है।
  6. युग्मक जनन में …………….. का निर्माण होता है।
  7. वे फल जो अंडाशय से विकसित होते हैं …………….. फल कहलाते हैं।
  8. भ्रूणपोष पोषक ऊतक है जो विकसित होते …………….. को पोषण देती है।
  9. अधोजाय पुष्प में, अंडाशय …………….. होता है।
  10. परिदलपुंज बाह्यदल तथा दल की वह अवस्था जब दोनों एक ………….. दिखाई देते हैं।

उत्तर:

  1. जन्तु (पक्षी) परागण
  2. प्ररोह
  3. नर, मादा जनन
  4. पुष्पपत्रों का निवेशन
  5. निषेचन
  6. युग्मक
  7. सत्य
  8. भ्रूण
  9. उत्तरवर्ती
  10. समान।

III. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. पुष्पीय पादपों का सबसे बड़ा कुल …………….. है।
  2. …………….. कुल का पुंकेसर अंडाशय के ऊपर पैदा होता है।
  3. एण्ड्रोपोगान म्यूरीकेट्स …………….. का वानस्पतिक नाम है, यह गर्मी में शीतलता प्रदान करता है।
  4. दालें …………….. कुल के सदस्य हैं।
  5. परिदलपुंज …………….. कुल में पाया जाता है।

उत्तर:

  1. कंपोजिटी
  2. एस्टेरेसी
  3. खस
  4. पेपिलियोनेसी
  5. लिलिएसी।

प्रश्न 3.
I. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1.  …………….. पौधे को यांत्रिक आधार देती हैं।
  2. जड़ भ्रूण के …………….. से विकसित होती है।
  3. पर्व तथा …………….. जड़ में नहीं होते हैं।
  4. न्यूमैटोफोर दलदली पौधों की जड़ों में …………….. के लिये विकसित होते हैं।
  5. आर्द्रताग्राही जड़ों में …………….. ऊतक पाये जाते हैं।
  6. महाबरगद वृक्ष …………….. में है, जिसमें …………. जड़ें हैं।
  7. पर्णाभ वृंत का उदाहरण …………….. होता है।
  8. छुईमुई में पर्णाधार ……………..होता है।
  9. कैक्टस में प्रकाश-संश्लेषण का कार्य …………….. करता है।
  10. अमरबेल में पोषक से भोजन प्राप्त करने वाली रचना को …………….. कहते हैं।

उत्तर:

  1. जड़ें
  2. मूलांकुर
  3. पर्वसंधि
  4. श्वसन
  5. गुंठिका (Velamen)
  6. कलकत्ता, स्तम्भ
  7. आस्ट्रे लियन बबूल या पर्किनसोनिया
  8. फूला हुआ
  9. तना
  10. हॉस्टोरिया।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. पक्षियों द्वारा परागण को …………….. कहते हैं।
  2. पुष्प रूपान्तरित …………….. है।
  3. पुमंग …………….. तथा जायांग पुष्प का …………….. अंग है।
  4. पुष्पासन पर पुष्पीय चक्रों का स्थित होना
  5.  ……………. के बिना फल का निर्माण पार्थीनोजेनेसिस कहलाता है।
  6. युग्मक जनन में …………….. का निर्माण होता है।
  7. वे फल जो अंडाशय से विकसित होते हैं …………….. फल कहलाते हैं।
  8. भ्रूणपोष पोषक ऊतक है जो विकसित होते …………….. को पोषण देती है।
  9. अधोजाय पुष्प में, अंडाशय …………….. होता है।
  10. परिदलपुंज बाह्यदल तथा दल की वह अवस्था जब दोनों एक ………….. दिखाई देते हैं।

उत्तर:

  1. जन्तु (पक्षी) परागण
  2. प्ररोह
  3.  नर, मादा जनन
  4. पुष्पपत्रों का निवेशन
  5. निषेचन
  6. युग्मक
  7. सत्य
  8. भ्रूण
  9. उत्तरवर्ती
  10. समान

III. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -.

  1. पुष्पीय पादपों का सबसे बड़ा कुल …………….. है।
  2. ……………. कुल का पुंकेसर अंडाशय के ऊपर पैदा होता है।
  3. एण्ड्रोपोगान म्यूरीकेट्स …………….. का वानस्पतिक नाम है, यह गर्मी में शीतलता प्रदान करता है।
  4. दालें …………….. कुल के सदस्य हैं।
  5. परिदलपुंज …………….. कुल में पाया जाता है।

उत्तर:

  1. कंपोजिटी
  2. एस्टेरेसी
  3. खस
  4. पेपिलियोनेसी
  5. लिलिएसी।

प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 22
उत्तर:

  1. (d) पर्व संधि पर उत्पन्न जड़ें
  2. (e) सहजीवी जड़
  3. (a) अग्रभाग में भोजन संचित जड़
  4. (c) तने के आधार पर विकसित जड़
  5. (b) जूसिया

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 23
उत्तर:

  1. (d) सतावर
  2. (c) नीबू
  3. (b) कुछ समय की वायवीय जड़
  4. (e) कंद
  5. (a) संघनित कक्षस्थ कलिका

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 24
उत्तर:

  1. (b) केला
  2. (d) घास
  3. (a) शहतूत
  4. (e) फूलगोभी
  5. (c) कद्दू

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 26
उत्तर:

  1. (e) असीमाक्षी
  2. (d) स्पाइक
  3. (f) ससीमाक्षी पुष्पक्रम
  4. (a) स्पैडिक्स
  5. (b) कटोरिया पुष्पक्रम
  6. (c) हाइपैन्थोडियम

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 27
उत्तर:

  1. (d) प्याज
  2. (e) सरसों
  3. (a) धतूरा
  4. (b) मटर
  5. (c) कम्पोजिटी
  6. (f) क्रुसीफेरी।

प्रश्न 5.
I.सत्य / असत्य बताइए –

  1. जड़ें गुरुत्वानुवर्ती गति प्रदर्शित करती हैं।
  2. जड़ के अग्रभाग पर उपस्थित संरचना मूल छद कहलाती है।
  3. कुछ विशिष्ट कार्यों के लिये जड़, तना एवं पत्ती अपने मूल स्वरूप में कुछ परिवर्तन कर लेती है, इसे रूपांतरण कहते हैं।
  4. तने का अधोभूमिक रूपांतरण कुल तीन प्रकार का होता है।
  5. कुछ पादपों में दो प्रकार की पत्तियाँ होती हैं, इस दशा को पत्तियों की विभिन्नरूपकता कहते हैं।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

II. सत्य / असत्य बताइए –

  1. पुष्प के अंग विशेष कार्यों को करने के लिये रूपांतरित पत्तियाँ हैं अतः इन्हें पुष्पीय पत्र कहते हैं।
  2. एक फूलगोभी पूरा पुष्पक्रम है जो संयुक्त कोरिम्ब कहलाता है।
  3. बीज के अन्दर पौधा सुरक्षित होता है।
  4. पुष्पक्रम के केवल तीन प्रकार होते हैं –
    1. सरल
    2. संयुक्त
    3. मिश्रित।
  5. फल, फलभित्ति एवं बीज का बना होता है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

III. सत्य / असत्य बताइए –

  1. स्पाइकलेट का स्पाइक पुष्पक्रम ग्रैमिनी कुल में पाया जाता है।
  2. सूरजमुखी में बिंब पुष्पक परिधि में स्थित होते हैं।
  3. सोलेनेसी कुल का पौधा विथानिया सोम्नीफेरा खाँसी ठीक करने की औषधि के रूप में काम आता है।
  4. लिलियम कैन्डिडम चाँदनी पुष्प का वानस्पतिक नाम है।
  5. राई, दूबघास व बाँस ग्रैमिनी कुल के सदस्य हैं।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

पुष्पी पादपों की आकारिकी अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पार्श्व मूल की उत्पत्ति किस प्रकार होती है ?
उत्तर:
पार्श्व मूलों (Lateral roots) की उत्पत्ति अन्तर्जात (Endogenous) अर्थात् आन्तरिक ऊतकों से होती है। वास्तव में पार्श्व जड़ों की उत्पत्ति परिरंभ (Pericycle) से होती है।

प्रश्न 2.
पुश्त मूल को उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
पुश्त मूल (Root buttresses):
कुछ बड़े वृक्षों में पौधे के निचले भाग से पटियेनुमा रचनाएँ निकलती हैं, जो कि स्वभाव में आधी जड़ एवं आधी तना होती हैं। ये जड़ें पौधे को आधार प्रदान करती हैं। उदाहरण – सेमल (Prombab malabaricum)।

प्रश्न 3.
जड़ द्वारा जल एवं खनिज लवणों का अवशोषण किस प्रदेश द्वारा किया जाता है ?
उत्तर:
जड़ों द्वारा जल एवं खनिज लवणों का अवशोषण मूल रोम प्रदेश (Root hair zone) द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 4.
मूल टोप क्या है ? इसका क्या महत्व है ?
उत्तर:
जड़ों के अग्रभाग पर उपस्थित टोपीनुमा संरचना को ही मूल टोप (Root cap) कहते हैं। यह जड़ के सिरे की रक्षा करती है।

प्रश्न 5.
ऐसे जड़ का नाम बताइये जो कि प्रकाश-संश्लेषण में सहायक होता है ?
उत्तर:
परिपाची मूल (Assimilatory root) उदाहरण – टीनोस्पोरा, ट्रॉपा (Trapa) आदि।

प्रश्न 6.
न्यूमैटोफोर क्या है ?
उत्तर:
दलदली पौधों में पायी जाने वाली श्वसन मूलों को ही न्यूमैटोफोर (Pneumatophore) कहते हैं। यह जड़ों का श्वसन हेतु एक रूपान्तरण है।

प्रश्न 7.
अपस्थानिक जड़ें क्या हैं ?
उत्तर:
ऐसी जड़ें जो कि मूलांकुर से विकसित न होकर तने के आधार पर पर्वसन्धियों से निकलती हैं, उन्हें ही अपस्थानिक जड़ें (Adventitious roots) कहते हैं।

प्रश्न 8.
पौधे के किस भाग से जड़ों की उत्पत्ति होती है?
उत्तर:
जड़ों की उत्पत्ति पौधों के बीजों में उपस्थित भ्रूण के मूलांकुर (Radicle) से होती है।

प्रश्न 9.
कुंभीरूपी मूल एवं शंकुरूपी मूल के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • कुंभीरूपी मूल (Napiform roots) – शलजम, चुकन्दर।
  • शंकुरूपी मूल (Conical roots) – गाजर।

प्रश्न 10.
प्याज एवं आलू के खाने योग्य भाग का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्याज का शल्क पत्र एवं आलू का स्तंभकंद खाने योग्य भाग है।

प्रश्न 11.
प्रकन्द घनकन्द एवं शल्ककंद की तुलना कीजिये।
उत्तर:
प्रकन्द, घनकन्द एवं शल्ककंद में तुलनाक्र –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 28

प्रश्न 12.
स्टोलोन एवं रनर में अन्तर बताइये।
उत्तर:
स्टोलोन एवं रनर में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 29

प्रश्न 13.
फिल्लोक्लैड एवं क्लैडोड में अन्तर लिखिए।
उत्तर:

  • फिल्लोक्लैड (पर्णाभस्तम्भ) अनिश्चित वृद्धि वाला हरा तना, है जो कि रूपान्तरित होकर पत्ती का कार्य करता है, जबकि क्लैडोड (पर्णाभ पर्व) निश्चित वृद्धि वाला हरा तना है।
  • फिल्लोक्लैड में कई पर्व एवं पर्वसंधियाँ होती हैं, जबकि क्लैडोड में केवल एक या दो पर्व होते हैं।

प्रश्न 14.
रूपान्तरण का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
रूपान्तरण – अपने सामान्य कार्यों से हटकर कुछ विशिष्ट कार्यों को करने के लिए तने अपने सामान्य रूप एवं आकार में परिवर्तन कर लेते हैं। इसे ही तनों का रूपान्तरण कहते हैं।

प्रश्न 15.
स्तम्भ कन्द एवं मूल कन्द में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
स्तम्भ कन्द (Stem tuber) में पर्व, पर्वसन्धि, पर्व कलिकाएँ और शल्क पत्र पाये जाते हैं। इनकी आन्तरिक रचना भी तने के समान होती है जबकि मूल कन्द (Root tuber) में ये रचनाएँ नहीं होती

प्रश्न 16.
रनर, सकर एवं ऑफसेट में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
रनर, सकर और ऑफसेट में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 30

प्रश्न 17.
पर्णकाय स्तंभ तथा पर्णाभवृन्त में अन्तर लिखिये।
उत्तर:
पर्णकाय स्तंभ में तना रूपान्तरित होकर मांसल हो जाती हैं, जबकि पर्णाभवृन्त में पर्णवृन्त रूपान्तरित होकर पत्ती सदृश संरचना बनाते हैं।

प्रश्न 18.
समद्विपार्श्विक पत्ती किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऐसी पत्तियाँ, जिनकी ऊपरी एवं निचली सतह संरचना की दृष्टि से समान होती हैं, समद्विपाश्विक पत्तियाँ कहलाती हैं। प्रायः एकबीजपत्री पौधों में पाया जाता है। उदाहरण – मक्का की पत्ती।

प्रश्न 19.
पृष्ठाधारी पत्ती किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पृष्ठाधारी पत्ती (Dorsiventral leaf):
ऐसी पत्ती जिसकी ऊपरी तथा निचली सतह में संरचनात्मक भिन्नता पायी जाती है, पृष्ठाधारी पत्ती कहलाती है। प्रायः द्विबीजपत्री पौधों में पाया जाता है। उदाहरणआम।

प्रश्न 20.
समानान्तर एवं जालिकावत् शिराविन्यास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समानान्तर एवं जालिकावत् शिराविन्यास में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 31

प्रश्न 21.
पुष्प क्या है ?
उत्तर:
पुष्प एक रूपान्तरित प्ररोह या कली है, जो तने या शाखाओं के शीर्ष अथवा पत्ती के कक्ष में उत्पन्न होकर प्रजनन का कार्य करता है तथा फल एवं बीज को उत्पादित करता है।

प्रश्न 22.
द्विलिंगी पुष्प से क्या समझते हैं ?
उत्तर;
पुष्प में चार चक्र होते हैं, जिसमें दो चक्र सहायक अंगों का चक्र (बाह्यदल) है और दो चक्र जनन अंग के होते हैं, ये एण्डोशियम और गायनोशियम हैं। यदि ये दोनों चक्र एक ही पुष्प में हों तो इसे द्विलिंगी पुष्प कहते हैं।

प्रश्न 23.
पुष्प सूत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वह सूत्र जिसके द्वारा पुष्प की संरचना को संक्षिप्त रूप में एक सूत्र के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है, उसे पुष्प सूत्र कहते हैं। इस सूत्र या समीकरण में पुष्प की विभिन्न संरचनाओं तथा स्थितियों को विभिन्न संकेतों द्वारा व्यक्त किया जाता है। उदाहरण – सरसों
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 55

प्रश्न 24.
उत्तरवर्ती व अधोवर्ती अंडाशय में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
उत्तरवर्ती एवं अधोवर्ती अंडाशय में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 32

पुष्पी पादपों की आकारिकी लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भूमिगत तने तथा जड़ में कोई चार अन्तर लिखिये।
उत्तर:
भूमिगत तने एवं जड़ में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 33

प्रश्न 2.
तने के कार्यों को लिखिये।
उत्तर:
तने के कार्य (Functions of stems):
तना पौधे का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो निम्नलिखित कार्यों का सम्पादन करता है –

  • इसी के ऊपर शाखाएँ, पुष्प तथा फल लगे होते हैं। इस प्रकार यह इन्हें आधार प्रदान करता है। तना इन्हें इस प्रकार साधे रखता है कि इन्हें प्रकाश मिल सके। अतः यह पौधे को यान्त्रिक सहारा देता है।
  • बाल अवस्था में यह हरा होकर प्रकाश-संश्लेषण का कार्य करता है।
  • यह जड़ द्वारा अवशोषित पदार्थ का संवहन करता है।
  • रेगिस्तान में यह भोजन निर्माण तथा संग्रहण का कार्य करता है।
  • कुछ पौधों में यह वर्धी प्रजनन का कार्य करता है। जैसे-आलू, अदरक।
  • कुछ पौधों में यह काँटों में रूपान्तरित होकर उनकी पशुओं से रक्षा करता है।
  • भूमिगत होने पर यह मृदा को बाँधने का कार्य करता है।

प्रश्न 3.
पत्ती के सामान्य कार्य लिखिए।
उत्तर:
पत्ती के सामान्य कार्य –

  • यह प्रकाश-संश्लेषण के द्वारा पौधे तथा समस्त जीवीय समुदाय के लिए भोज्य पदार्थों का संश्लेषण करती हैं।
  • यह रन्ध्रों (Stomata) के द्वारा गैसीय आदान-प्रदान करके श्वसन में मदद करती है।
  • यह स्टोमेटा के द्वारा वाष्पोत्सर्जन का कार्य करती है।
  • यह भोज्य पदार्थों का संवहन करती है।

प्रश्न 4.
पत्ती के विशिष्ट कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पत्तियों के विशिष्ट कार्य –

  • कुछ पत्तियाँ भोजन संग्रहण का कार्य करती हैं।
  • कुछ पत्तियाँ रूपान्तरित होकर आरोहण, रक्षा और विशिष्ट भोजन ग्रहण (कीटभक्षी पौधों में) का कार्य करती हैं।
  • कुछ पत्तियाँ रंग बदलकर पर-परागण में सहायता करती हैं और परागण में भाग लेने वाले जन्तुओं को आकर्षित करती हैं।
  • कुछ पत्तियाँ वर्षी प्रजनन में सहायता करती हैं जैसे—ब्रायोफिलम।
  • कुछ पत्तियाँ जड़ों में रूपान्तरित होकर अवशोषण का कार्य करती हैं, जैसे—साल्वीनिया की पत्ती।

प्रश्न 5.
पर्णाभस्तम्भ एवं पर्णाभवृन्त में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
पर्णाभस्तम्भ और पर्णाभवृन्त में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 34

प्रश्न 6.
बाह्यदलों के चार कार्य लिखिए।
उत्तर:
बाह्यदलों के कार्य (Functions of calyx) –

  • इसका मुख्य कार्य पुष्प की कलिकावस्था में इसकी रक्षा करना है।
  • बाह्यदल हरे होने के कारण पत्ती के समान भोज्य पदार्थों का संश्लेषण करते हैं।
  • ये रंगीन होकर कीटों को पर-परागण के लिए आकर्षित करते हैं।
  • कभी-कभी ये रोमगुच्छ (Pappus) के रूप में फलों तथा बीजों से जुड़े रहकर इनके विकिरण में सहायता करते हैं।

प्रश्न 7.
पुंकेसरों के आसंजन से आप क्या समझते हैं ? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पुंकेसरों का आसंजन (Adhesion of Stamens):
जब पुष्प के किसी चक्र के अवयव किसी दूसरे चक्र से सम्बद्ध होते हैं, तब इस क्रिया को आसंजन कहते हैं। पुंकेसरों में निम्नलिखित प्रकार के आसंजन पाये जाते हैं –

  • दललग्न (Epipetalous) – जब किसी पुष्प के पुंकेसर दल से जुड़े होते हैं, तब इन पुंकेसरों को दललग्न कहते हैं। जैसे – धतूरा और कनेर।
  • परिदललग्न (Epiphyllous) – जब पुंकेसर परिदलों से जुड़े रहते हैं, तब इन्हें परिदललग्न कहते हैं। जैसे – प्याज, सतावर।
  • पुजायांगी (Gynandrous) – जब पुंकेसर जायांग से जुड़े हों, तब इन्हें पुजायांगी कहा जाता है। जैसे – मदार।
  • पुजायांग स्तम्भी (Gynostegium) – आर्किड जैसे कुछ पादपों में पुष्पासन अण्डाशय के आगे तक बढ़ जाता है, जिससे अवृन्ती पुंकेसर और कुक्षीय पालि (Stigmatic lobes) जुड़े रहते हैं।

प्रश्न 8.
पुष्प पत्रों के निवेशन से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
जायांगधर, परिजायांगी एवं जायांगोपरिक अण्डाशय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
पुष्प पत्रों का निवेशन (Insertion of Floral Leaves) – पुष्पासन पर जायांग के सापेक्ष अन्य अंगों की स्थिति को पुष्प पत्रों का निवेशन कहते हैं। यह तीन प्रकार का हो सकता है –

1. अधोजाय या जायांगधर (Hypogynous):
वह निवेशन है, जिसमें पुष्पासन फूलकर शंक्वाकार हो जाता है। इसके शीर्ष पर अण्डाशय स्थित होता है, शेष पुष्पीय पत्र अण्डाशय से नीचे स्थित होते हैं, ऐसे अण्डाशय को जो सभी पुष्पीय पत्रों में ऊपर स्थित होता है उत्तरवर्ती (Superior) कहते Hypogynous Perigynous Epigynous हैं उदाहरण-सरसों, बैंगन, चाइना रोज आदि।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 35

2. परिजाय या परिजायांगी (Perigynous):
वह निवेशन है, जिसमें पुष्पासन एक प्याले का रूप ले लेता है। जायांग पुष्पासन के अन्दर तथा अन्य पुष्पीय पत्र प्याले के किनारों पर स्थित होते हैं। ऐसे अण्डाशय को जो सभी पुष्पीय पत्रों के नीचे स्थित होता है, अधोवर्ती अण्डाशय (Inferior ovary) कहते हैं। जैसे – गुलाब, सेम, मटर, अशोक, गुलमोहर आदि।

3. जायांगोपरिक या उपरिजाय (Epigynous):
वह निवेशन है, जिसमें पुष्पासन प्याले के समान गहरा हो जाता है, जिसके अन्दर अण्डाशय स्थित होता है, लेकिन इस निवेशन में अण्डाशय तथा पुष्पासन की भित्तियाँ एक-दूसरे से सटी रहती हैं और प्याले के शीर्ष से पुष्पीय पत्र निकलते हैं। इस निवेशन में भी अण्डाशय अन्य पुष्पीय पत्रों से नीचे स्थित रहता है। अत: यह अण्डाशय भी अधोवर्ती होता है। जैसे – सेय, सूर्यमुखी, एक्जोरा आदि।

पुष्पी पादपों की आकारिकी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अपस्थानिक जड़ों के भोजन संग्रहण हेतु बने रूपान्तरणों को समझाइये।
उत्तर:
अपस्थानिक जड़ों का भोजन संग्रहण हेतु रूपान्तरण-भोजन संग्रहण के कारण अपस्थानिक जड़ों में निम्नलिखित रूपान्तरण पाये जाते हैं –
(1) पुलकित या गुच्छ मूल (Fasciculated roots):
कुछ पौधों की अपस्थानिक या रेशेदार जड़ें भोज्य पदार्थों के एकत्रित हो जाने के कारण फूलकर गुच्छे का रूप ले लेती हैं इन्हें ही गुच्छमूल कहते हैं। जैसेडहेलिया (Dahlia), सतावर (Asparagus)।

(2) कन्द मूल (Tuberous roots):
वे जड़ें हैं, जो भोजन को संगृहीत करके अनियमित आकार की हो जाती हैं। ये जड़ें तने की पर्वसन्धियों से निकलती हैं तथा भोजन को संगृहीत करके अनियमित आकार में फूल जाती हैं। उदाहरणस्वरूप-शकरकन्द का तना भूमि पर रेंगकर चलता है, इसकी पर्वसन्धियों से अपस्थानिक जड़ें निकलती हैं, जो भूमि में जाकर खाद्य पदार्थों को संचित करके फूल जाती हैं और कन्द मूल का निर्माण करती हैं।

(3) ग्रन्थिल मूल (Nodulated roots):
ये जड़ें हैं, जो तने के आधार से निकलकर सामान्य जड़ के समान वृद्धि करती हैं लेकिन इनके अग्रस्थ भाग खाद्य पदार्थों के जमा हो जाने के कारण फूल जाते हैं। जैसेहल्दी की जड़।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 36

(4) मणिकामय मूल (Moniliform roots):
वे जड़ें हैं, जो मोतियों की माला के समान फूल जाती हैं। अंगूर, कुछ घासों एवं दलदली घासों (Sedge) में जड़ें मोतियों की माला के समान फूली-संकुचित-फूली दिखाई देती हैं। डायोस्कोरिया एलाटा में भी इसी प्रकार की जड़ें पायी जाती हैं।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 37

(5) वलयित मूल (Annulated roots):
वे जड़ें हैं, जो भोज्य पदार्थों के संग्रहण के कारण छल्ले का रूप ले लेती हैं, जो एक के ऊपर एक रखी प्रतीत होती हैं। इपीकॉक में इसी प्रकार की जड़ें पायी जाती हैं।

प्रश्न 2.
यांत्रिक कार्यों के लिए अपस्थानिक जड़ों में होने वाले रूपान्तरण लिखिये।
उत्तर:
यांत्रिक कार्यों (आधार प्रदान करने) के लिए अपस्थानिक जड़ों के रूपान्तरण-पौधे को यान्त्रिक सहारा प्रदान करने के लिए अपस्थानिक जड़ों में निम्नलिखित रूपान्तरण पाये जाते हैं –

(1) स्तम्भ मूल (Prop root):
यह जड़ का वह रूपान्तरण है, जिससे तने की क्षैतिज शाखाओं से वायवीय जड़ें निकलकर भूमि में प्रविष्ट कर जाती हैं। भूमि में प्रवेश के बाद ये स्थूलकाय होकर स्तम्भाकार हो जाती हैं तथा वृक्ष की शाखाओं के वजन को साधने के साथ भूमि से जल तथा पोषक पदार्थों को अवशोषित करती हैं। बरगद के वृक्ष में इसी प्रकार की जड़ें पायी जाती हैं। कलकत्ता के वानस्पतिक उद्यान में भारत का सबसे पुराना वृक्ष है, जो लगभग 200 वर्ष पुराना और 300 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है। इतने विशाल क्षेत्रफल में फैले रहने के बावजूद इसके मूल तने को निकाल दिया गया है। फलतः पूरा वृक्ष स्तम्भ मूल पर ही टिका है।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 38

(2) पुस्त मूल (Root buttresses) :
कुछ बड़े ख्ने जैसी जड़ें पौधों (वृक्षों) में पटियेनुमा रचनाएँ निचले भाग से निकलती हैं जो कि वास्तविकता में स्वभावगत आधी जड़ एवं आधा तना होती हैं । ऐसी जड़ें आधार प्रदान करती हैं। सेमल (Prombab maladaricum) के प्रौढ़ वृक्षों में ये मिलती है।

(3) आरोही मूल (Climbing root):
कुछ पौधों में इस प्रकार की जड़ें आधार पर आरोहण में सहायता पहुँचाती हैं। ये जड़ें पतली एवं लम्बी होती हैं तथा तने की पर्वसन्धियों (Nodes) से निकलती हैं। कालीमिर्च, मनीप्लाण्ट (पोथॉस) और पान में इस प्रकार की जड़ें पायी जाती हैं। इन पौधों की आरोही मूलों से एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ निकलता है। जिसकी सहायता से जड़ें आधार से चिपकती जाती हैं और तना चिपककर ऊपर बढ़ता जाता है।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 39

(4) चिपकने वाली जड़ें (Clinging roots)-जो पौधे दूसरे पौधों पर उगते हैं, उनको अधिपादप (epiphytes) कहते हैं। कुछ अधिपादपों में एक विशेष प्रकार की जड़ें पायी जाती हैं, जो इन्हें आधार से पिचकाये रखती हैं, इन्हें ही चिपकने वाली जड़ें कहते हैं, जैसे-वैण्डा की जड़ें।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 40

प्रश्न 3.
मूसला जड़ों में पाये जाने वाले विभिन्न रूपान्तरणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भोजन संग्रह के लिए मूसला जड़ के रूपान्तरण को चित्र सहित समझाइए।
उत्तर:
मूसला जड़ों के रूपान्तरण (Modification of tap roots) – मूसला जड़ों में मुख्यतः दो कार्यों के लिए रूपान्तरण पाया जाता है –

1. भोजन संग्रहण के लिए (For food storage):
कुछ मूसला जड़ें खाद्य पदार्थों को संगृहीत करके फूलकर मांसल हो जाती हैं और अलग-अलग आकार ग्रहण कर लेती हैं। इस संगृहीत भोजन सामग्री का उपयोग पादप करते हैं। इन रूपान्तरणों का नामकरण जड़ के आकार के आधार पर निम्न प्रकार से किया जाता है –

(i) शंक्वाकार (Conical):
इसमें जड़ आधार से अग्रस्थ भाग तक क्रमश: पतली होती जाती है। इनका आधार भाग सबसे मोटा और अग्र भाग सबसे पतला होता है। उदाहरण-गाजर का फूला हुआ भाग मांसल जड़ द्वारा बनाया जाता है।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 41

(ii) तर्कुरूप (Fusiform):
यह जड़ बीच में मोटी और दोनों सिरों की ओर क्रमशः पतली होती जाती है। इसमें ऊपर का पतला भाग बीजपत्राधार (Hypocotyl) तथा शेष सम्पूर्ण भाग जड़ होता है। उदाहरण-मूली।

(iii) कुंभीरूप (Napiform):
इस जड़ का ऊपरी भाग बहुत अधिक फूला लेकिन अग्र भाग एकदम पतला होता है। इसका ऊपरी फूला हुआ भाग बीजपत्राधार एवं जड़ दोनों के फूलने से बनता है। उदाहरणशलजम, चुकन्दर।

2. श्वसन के लिए (For respiration):
श्वसन मूल (Respiratory roots)-ये जड़ें दल-दल में उगने वाले पौधों में पायी जाती हैं। चूँकि, ऐसे स्थानों पर भूमि में वायु की कमी रहती है अत: श्वसन क्रिया हेतु पौधे की द्वितीयक जड़ें अपने स्वभाव के विपरीत विकसित होकर भूमि के ऊपर आ जाती हैं। भूमि के ऊपर विकसित इस ऊर्ध्वाधर भाग को श्वसन मूल या न्यूमैटोफोर (Pneumatophore) कहते हैं। इन श्वसन मूलों में अनेक वातरन्ध्र (Lenticels) पाये जाते हैं। इन्हीं रन्ध्रों से वायुमण्डलीय ऑक्सीजन जड़ों में प्रवेश करके वायु की कमी को पूरा करती है। इस प्रकार की जड़ें बंगाल के सुन्दरवन में उगने वाले पौधों में पायी जाती हैं। उदाहरणराइजोफोरा (Rhizophora)।

प्रश्न 4.
तनों के अधोभूमिक रूपान्तरणों को उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
तनों के अधोभूमिक रूपान्तरण (Underground modifications of Stem):
ऐसे तने जो कि भूमि के नीचे स्थित रहते हैं उन्हें अधोभूमिक रूपान्तरण कहते हैं । तनों का यह रूपान्तरण प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने आपको जीवित रखने के लिए होता है। प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने के लिए भूमिगत तने वाले भाग में भोज्य पदार्थ एकत्र करके अपने-आपको सुरक्षित रखते हैं। अनुकूल परिस्थिति आते ही ये विकसित होकर एक नया पौधा बना लेता है।
भूमिगत तनों में निम्नलिखित चार प्रकार के रूपान्तरण पाये जाते हैं –

  1. प्रकन्द
  2. स्तम्भ कन्द
  3. शल्ककन्द

(1) प्रकन्द (Rhizome):
यह एक अनिश्चित वृद्धि Nod वाला बहुवर्षी भूमिगत तना है, जो कि अनुकूल परिस्थिति में विकसित होकर प्ररोह एवं पत्तियों का निर्माण करता है। इसमें पर्व एवं पर्वसन्धियाँ उपस्थित होती हैं। प्रत्येक पर्वसन्धि पर शल्क पत्र (Scale. leaves) एवं अक्षीय कलिका (Axillary bud) पायी जाती है। इसकी निचली ‘सतह से बहुत-सी अपस्थानिक जड़ें निकलती हैं। चित्र-अदरक के प्रकन्द उदाहरण – अदरक (Ginger)।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 5

(2) स्तम्भ कन्द (Stem tuber):
पौधे का भूमि के अन्दर बनने वाला मांसल भाग कन्द (Tuber) कहलाता है। यह जड़ Scar of Scar of Germinating scale leaf eye bud अथवा तना दोनों से विकसित हो सकता है, जब यह जड़ से stem विकसित होता है, तब इसे मूलकन्द (Root tuber) लेकिन Apex जब यह तने से विकसित होता है, तब इसे स्तम्भ कन्द (Stem tuber) कहते हैं। स्तम्भ कन्द में तने की कक्षस्थ कलिका भूमि के अन्दर विकसित होकर भोज्य पदार्थों को संगृहीत कर लेती Base end है।

इसी संगठित भाग को स्तम्भ कन्द कहते हैं। आलू स्तम्भ कन्द का अच्छा उदाहरण है। अगर हम आलू को ध्यान से देखें तो इस पर अनेक गड्ढे सर्पिलाकार रूप में विन्यस्त रहते हैं, जिन्हें अक्षि (Eyes) कहते हैं। वास्तव में ये इनकी पर्वसन्धियाँ हैं, जिनमें तीन कलिकाएँ स्थित होती हैं, जो शल्क पत्रों से ढंकी रहती हैं। दो अक्षियों के बीच का स्थान पर्व कहलाता है। आलू का कन्द वर्धा प्रसारण के काम आता है।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 42

(3) शल्ककन्द (Bulb):
इसे हम भूमिगत संपरिवर्तित कलिका कह सकते हैं, जिसमें स्तम्भ छोटा होता है, जिसे डिस्क (Disc) कहा जाता है। डिस्क (तने) पर अत्यन्त आस-पास मांसल शल्क पत्र लगे होते हैं। तने पर पर्व बहुत छोटे रहते हैं। तने के निचले भाग से अपस्थानिक जड़ें निकलती हैं। तने के अग्र भाग में शीर्षस्थ कलिका एवं शल्क पत्रों के कक्ष से कक्षस्थ कलिकाएँ निकलती हैं। शल्क पत्र विन्यास के अनुसार, शल्ककन्द निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं –

(a) कंचुकित शल्ककन्द (Tunicated bulb):
इसमें शल्क पत्र एक-दूसरे को पूर्ण रूप से ढंके एवं संकेन्द्रित होते हैं। बाहर सूखे शल्क पत्र का आवरण होता है, जो छिलका बनाता है। उदाहरण – प्याज।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 43

(b) शल्की शल्ककन्द (Scaly bulb):
इसमें शल्क पत्र एक – दूसरे को ढंकते नहीं। इनमें सम्पूर्ण कलियों को ढंकने हेतु एक आवरण (ट्यूनिक) नहीं होता। उदाहरण-लहसुन, लिली इसे संयुक्त शल्ककन्द (Compound bulb) कहते हैं। इसकी एक कली शल्ककन्द (Bulblet) कहलाती है।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 44

(4) घनकन्द (Corm):
यह भूमि में पाया जाने वाला एक बहुत मोटा एक पर्व वाला स्तम्भ है, जो भूमि में उदग्र (Vertical) होता है। इस पर शल्क पत्र और अपस्थानिक मूल होती हैं। सूरन या जिमीकन्द इसका अच्छा उदाहरण है। इसमें शीर्षस्थ कलिका वायवीय प्ररोह बनाती है, जिसमें संगृहीत भोजन काम में लाया जाता है। अपस्थानिक कलिकाएँ अन्य घनकन्द बनाती हैं।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 45

प्रश्न 5.
तनों के वायवीय रूपान्तरण का सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर:
वायवीय रूपान्तरण या कायान्तरित तने (Aerial Modifications or Metamorphoseal Stems):
वायवीय रूपान्तरण में तने का स्वरूप इतना अधिक बदल जाता है कि उन्हें पहचानना कठिन होता है। इसलिए इन रूपान्तरणों या सम्परिवर्तनों को कायान्तरित (Metamorphoseal) तना कहा जाता है। इस प्रकार के रूपान्तरित तनों को उनके उद्भव एवं स्थिति के द्वारा ही पहचाना जा सकता है। यह रूपान्तरण चार प्रकार का हो सकता है –

  1. स्तम्भ प्रतान
  2. स्तम्भ मूल
  3. पर्णाभ स्तम्भ और
  4. पत्र प्रकलिका।

(1) स्तम्भ प्रतान (Stem Tendril):
यह तना रूपान्तरण है जिसमें पत्तियों की कक्षस्थ कलिका सामान्य शाखा के स्थान पर रूपान्तरित होकर एक तन्तुमय संरचना का निर्माण करती है जिसे प्रतान (Tendril) कहते हैं। यह प्रतान पौधे के आरोहण में सहायता करता है। तने का यह रूपान्तरण कमजोर तने वाले पादपों में पाया जाता है। इस रूपान्तरण को अंगूर, एण्टीगोनॉन, पैसीफ्लोरा, कार्डियोस्पर्मम में देखा जा सकता है।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 46

(2) स्तम्भ शूल (Stem thorn):
इस रूपान्तरण में कक्षस्थ कलिका (नीलकण्ठ Duranta में) काँटे में परिवर्तित हो जाती है इसे स्तम्भ शूल या कण्टक कहते हैं । इस कण्टक पर पत्तियाँ, शाखाएँ, फूल भी उत्पन्न होते हैं। इससे जाहिर है कि यह काँटा स्तम्भ के रूपान्तरण से बना है। करौंदा, हालग्रेफिला स्पाइनोसा, नीबू, बेल में इस प्रकार का रूपान्तरण पाया जाता है।

(3) पर्णाभस्तम्भ या पर्णकाय स्तम्भ (Phylloclade):
तने के इस रूपान्तरण में तना रूपान्तरित होकर पत्ती का रूप ले लेता है। यह रूपान्तरण सामान्यतः मरुभूमि में उगने वाले उन पादपों में पाया जाता है जिनकी पत्तियाँ वाष्पोत्सर्जन को रोकने के लिए काँटों या शल्कों का रूप ले लेती हैं। यह रूपान्तरण नागफनी (Opuntia), कोकोलोबा, मुहलेन, बेकिया इत्यादि में पाया जाता है।

(4) पत्र प्रकलिका (Bulbils):
तने के इस रूपान्तरण में तने या प्ररोह को बनाने वाली कलिकाएँ समूह में व्यवस्थित होकर विशेष रूप धारण कर लेती हैं। ये रूपान्तरण पौधों में वर्धी प्रजनन के लिए पाया जाता है। डायकोरिया, एगेव, अनन्नास इत्यादि में यह रूपान्तरण देखा जा सकता है।

प्रश्न 6.
शिरा विन्यास किसे कहते हैं ? विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शिरा विन्यास (Venation):
पर्णफलक के मध्य में संवहन पूल पाया जाता है इसे मध्य शिरा (Mid vein) कहते हैं। इससे अनेक शाखाएँ निकलकर सम्पूर्ण पर्ण फलक में बिखरी होती हैं इन शाखाओं को नाड़ी या शिरा (Vein) कहते हैं, इस प्रकार ये शिराएँ संवहन के लिए बनी रचनाएँ हैं। इनकी सहायता से फलक को खाद्य सामग्री, जल व लवणों का वितरण होता है । इसके अलावा ये शिराएँ पर्णफलक का कंकाल बनाती हैं। पर्ण फलक में शिराओं के विन्यास को ही शिरा विन्यास कहते हैं। यह दो प्रकार का हो सकता है –

  • जालिकावत् तथा
  • समानान्तर शिरा विन्यास।

(1) जालिकावत् शिरा विन्यास (Reticulate Venation):
वह शिरा विन्यास है जिसमें फलक के अन्दर शिराएँ जाल के रूप में व्यवस्थित होती हैं। यह शिरा विन्यास कुछ अपवादों को छोड़कर सभी द्विबीजपत्री पादपों की पत्तियों में पाया जाता है। यह दो प्रकार का हो सकता है –

  • एक शिरीय
  • बहुशिरीय।

(i) एकशिरीय या पिच्छवत् (Unicostate or Pinnate):
इस शिराविन्यास में फलक के मध्य में एक मजबूत मध्य शिरा (Midrib or Costa) पाया जाता है इसमें से पार्वीय शिराएँ निकलकर फलक के किनारे तक जाती हैं। सभी दिशाओं में फैली हुई अन्य अनेक पतली शिराएँ जाल सदृश रचना बनाती हैं जैसे – आम, अमरूद, पीपल।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 48

(ii) बहुशिरीय या हस्ताकार (Multicostate or Palmate):
इस शिराविन्यास में मध्य शिरा कई समान शाखाओं में बँटकर फलकों में फैली होती है। यह शिरा विन्यास दो प्रकार का हो सकता है –

(a) अपसारी (Divergent):
इसमें शिराएँ केन्द्र से निकलकर फलक के किनारे की ओर अग्रसित होने में एक-दूसरे से दूर होती जाती हैं, जैसे-अण्डी , कपास आदि।

(b) अभिसारी (Convergent):
इसमें वृन्त के केन्द्र से तो अनेक शिराएँ निकलती हैं। किन्तु फलक के अग्रक की ओर जाते हुए आपस में मिल जाती हैं; जैसे – बेर, तेजपात, स्माइलैक्स (अपवाद स्वरूप एकबीजपत्री होने पर भी जालिकावत्)।

(2) समानान्तर या समदिश शिरा विन्यास (Parallel Venation):
यह शिरा विन्यास है जिसमें शिराएँ एक-दूसरे के समानान्तर स्थित होती हैं। यह शिरा विन्यास दो प्रकार का हो सकता है –

(i) एकशिरीय या पिच्छाकार (Unicostate or Pinnate):
फलक में एक मुख्य शिरा होती है जिससे पार्श्व शिराएँ समानान्तर क्रम में निकलती हैं। जैसे – अदरक, हल्दी, कैना, केला।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 49

(ii) बहुशिरीय या हस्ताकार (Multicostate of palmate) – इस शिरा विन्यास में मुख्य शिरा कई शाखाओं में बँट जाती है। यह विन्यास दो प्रकार का होता है

(a) अपसारी (Divergent):
इसमें वृन्ताग्र से अनेक शिरायें फैलती हुई फलक के किनारे की ओर समानान्तर रूप में जाती हैं तथा एक-दूसरे से मिलती नहीं हैं। जैसे – ताड़।

(b) अभिसारी (Convergent):
इसमें शिराएँ वृतान्त से निकलकर समान्तर रूप से बढ़कर फलक के अग्र भाग पर एक-दूसरे से मिल जाती हैं, जैसे-धान, बाँस, जलकुम्भी।
अपवाद (Exceptions) – निम्नलिखित पौधे अपने स्वभाव के विपरीत शिरा विन्यास का प्रदर्शन करते हैं –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 50

  • स्माइलैक्स एवं डायोस्कोरिया एकबीजपत्री होने के बाद भी जालिकावत् शिरा विन्यास का प्रदर्शन करते हैं।
  • कैलोफाइलम, द्विबीजपत्री होने के बाद भी समानान्तर शिरा विन्यास का प्रदर्शन करता है।

प्रश्न 7.
पुष्पदल विन्यास से आप क्या समझते हैं? पुष्पों में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के पुष्पदल विन्यास का सचित्र वर्णन कीजिए। .
उत्तर:
पुष्पदल विन्यास (Aestivation) – पुष्प की कली अवस्था में बाह्यदलों, दलों अथवा परिदलों के आपसी सम्बन्ध को पुष्पदल विन्यास कहते हैं। पुष्पदलों में निम्नलिखित विन्यास पाये जाते हैं –

(1) कोरस्पर्शी (Valvate):
इस पुष्पदल विन्यास में पुष्पदल के किनारे या तो एक दूसरे के पास-पास स्थित होते हैं या एक-दूसरे को स्पर्श करते रहते हैं लेकिन ये कभी भी एक-दूसरे को ढकते नहीं हैं। जैसे-मदार, धतूरा।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 51

(2) व्यावर्तित (Twisted):
इस पुष्पदल विन्यास में पुष्पदल का एक किनारा एक पुष्पदल से ढका रहता है तथा इसका दूसरा किनारा दूसरे पुष्पदल के किनारे को ढंकता है, जैसे- गुड़हल एवं कपास।

(3) कोरछादी (Imbricate):
इस विन्यास में एक पुष्पदल के दोनों किनारे पड़ोसी पुष्पदलों के दोनों किनारों से ढंके रहते हैं। इसी प्रकार दूसरा पुष्पदल अपने पड़ोसी पुष्पदल के किनारे को स्वयं ढकता है। शेष पुष्पदलों का एक किनारा समीपवर्ती पुष्पदल से ढंका रहता है जबकि दूसरा किनारा ऊपर रहता है। जैसे-सेव, गुलमोहर आदि।

(4) पंचक (Quincuncial):
इस विन्यास में पश्च पुष्पदल के दोनों किनारे पार्श्व पश्चदल के ऊपर एवं पार्श्व पुष्पदलों के किनारे समीपस्थ पुष्पदलों के किनारों को ढंके रहते हैं। शेष दलों के किनारों के बीच व्यावर्तित विन्यास पाया जाता है। दूसरे शब्दों में इस विन्यास में दो पुष्पदल पूर्णतः अन्य दो पुष्पदलों द्वारा ढंके तथा एक पुष्पदल व्यावर्तित विन्यास में होता है, जैसे- लौकी, अमरूद।

(5) ध्वजक (Vaxillary):
इस विन्यास में ध्वजक नामक एक बड़ा पुष्पदल पाया जाता है जिसके दोनों किनारे पार्श्व पुष्पदलों के दोनों किनारों को ढंके रहते हैं। शेष दो पुष्पदल आपस में जुड़े रहते हैं जबकि इनके स्वतन्त्र किनारे पार्श्व दलों के किनारों से ढंके रहते हैं।

प्रश्न 8.
अंकुरण किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार का होता है ? संक्षेप में समझाइये।
उत्तर:
अंकुरण (Germination):
बीज के अन्दर भ्रूण सुप्तावस्था में पड़ा रहता है, लेकिन अनुकूल परिस्थितियों के आने पर यह सुसुप्तावस्था त्यागकर सक्रिय अवस्था में आता है तथा विकसित होकर एक शिशु पादप बनता है। इस क्रिया को अंकुरण या परिवर्धन कहते हैं। पौधों में दो प्रकार का अंकुरण पाया जाता है-

(i) अधोभूमिक अंकुरण (Hypogeal germination):
वह अंकुरण है जिसमें अंकुरण के बाद बीजपत्र भूमि के ऊपर नहीं आते हैं। इस अंकुरण में भ्रूण के अक्ष का मूलांकुर पहले विकसित होकर जड़ तथा बाद में प्रांकुर विकसित होकर प्ररोह बना देता है और बीज अपने स्थान पर ही रह जाता है। जैसे-चना, मटर, मक्का, आम, कटहल, धान, गेहूँ, नारियल, खजूर आदि का अंकुरण।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 52

(ii) उपरिभूमिक अंकुरण (Epigeal germination):
वह अंकुरण है जिसमें अंकुरण के बाद बीजपत्र भूमि के ऊपर आकर पत्ती का रूप धारण कर लेता है और प्रकाश-संश्लेषण का Leaves कार्य करता है तथा कुछ दिनों बाद असली पत्तियों के निर्माण के बाद सूखकर गिर जाते हैं। वास्तव में इस Epicotyle अंकुरण में मूलांकुर के बनने के बाद हाइपोकोटाइल बढ़कर एक चाप के रूप Plumule में भूमि के ऊपर निकल आता है और इसके साथ ही बीजपत्र तथा भ्रूणपोष भी बाहर आ जाते हैं।

कुछ समय बाद Kadicle चाप के रूप में निकला हाइपोकोटाइल (बीजपत्राधार) सीधा खड़ा हो जाता है और भ्रूणपोष से बीजपत्रों में भोजन एकत्र हो जाता है। इसी के साथ बीजपत्र भी हरा हो जाता है, लेकिन कुछ समय बाद सूखकर झड़ जाता है। अंकुरण के समय अनुकूल परिस्थितियों में बीज बीजाण्डद्वार से आर्द्रता को सोखकर फूल जाता है। आर्द्र बीज में से मूलांकुर बीजावरण को भेद कर बाहर आ जाता है और भूमि की ओर वृद्धि करके मूलतन्त्र बनाता है। इसके बाद प्रांकुर वृद्धि करके प्ररोह तन्त्र बना देता है।
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 5 पुष्पी पादपों की आकारिकी - 53

प्रश्न 9.
चने के बीज की संरचना को चित्र सहित समझाइये।
उत्तर:
चने का बीज (Seed of gram)- यह एक भूरे या सफेद या गुलाबी रंग का द्विबीजपत्री अभ्रूणपोषी बीज है जिसके चारों तरफ बीजचोल या बीजावरण (Seed coat) पाया जाता है। भीगे बीज के छिलके को हटाकर देखने पर यह बीजचोल दो स्तरों का बना दिखाई देता है। बाहरी मोटे तथा भूरे आवरण की बाह्य आवरण (Testa) कहते हैं। चने के बीज का एक सिरा नुकीला होता है, नुकीले सिरे पर एक गड्ढा पाया जाता है जिसके द्वारा बीज एक तन्तु द्वारा फल से जुड़ा होता है, इस गड्ढे को नाभिका (Hilum) कहते हैं।

नाभिका के बीच में एक छोटा सा छिद्र पाया जाता है जिसे बीजाण्डद्वार (Micropyle) कहते हैं। भीगे बीज को दबाने से यहीं से पानी निकलता है। नाभिका के ऊपर बीजचोल पर एक पतली धारी पायी जाती है जिसे सन्धि रेखा (Raphe) कहते हैं। यह रेखा बीज को दो भागों में बाँटती है। बीजचोल के हटाने पर बीज में जो भाग दिखाई देता है उसे भ्रूण कहते है। इसके भ्रूण में निम्न भाग पाये जाते हैं –

1. बीजपत्र (Cotyledon):
बीजों को खोलने के बाद दो मोटी, चपटी रचनाएँ दिखाई देती हैं, जिन्हें बीजपत्र कहते हैं।

2. अक्ष (Axis):
दोनों बीजपत्रों के बीच एक छोटी सी संरचना अक्ष होती। है, जिससे दोनों बीजपत्र जुड़े होते हैं। वास्तव में दोनों बीजपत्र रूपान्तरित पत्तियाँ हैं और अक्ष पौधों का मुख्य भाग। अक्ष (C) का वह भाग जो बीजपत्रों के बीच दबा होता है प्रांकर (Plumule) कहलाता है। यह अंकुरण के बाद पौधे के प्ररोह का निर्माण करता है।

अग्र का दूसरा सिरा जो बीजपत्रों के बाहर स्थित होता है मूलांकुर (Radicle) कहलाता है और जड़ बनाता है। प्रांकुर के ठीक नीचे का भाग बीजपत्रोपरिक (Epicotyle) कहलाता है। अक्ष का वह भाग जो बीजपत्रों के ठीक नीचे या मूलांकुर के ठीक ऊपर स्थित होता है बीजपत्राधार (Hypocotyle) कहलाता है।
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MP Board Class 11th Biology Solutions

MP Board Class 7th Special English Solutions Chapter 7 Akbar and Birbal

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MP Board Class 7th Special English Solutions Chapter 7 Akbar and Birbal

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Akbar and Birbal Text Book Exercise

Comprehension

A. Answer the Questions given below:

Mp Board Class 7th English Chapter 7 Question 1.
What was the problem that the courtiers of Akbar were not able to solve?
Answer:
Akbar drew a line on a piece of paper. He wished the courtiers to make the line shorter. The courtiers were not able to solve this problem.

Class 7 English Chapter 7 Akbar And Birbal Question 2.
How did Birbal solve the problem?
Answer:
Birbal drew a longer line. It made Akbar’s line shorter. In this way, he solved the problem.

Question And Answer Of Akbar And Birbal MP Board Class 7th Question 3.
Why did Akbar put Birbal in prison?
Answer:
One day Birbal remained absent from court without any information. Akbar, the great emperor became angry. He thought of punishing Birbal. Therefore. Akbar put Birbal in prison.

10 Sentences About Birbal In English MP Board Class 7th Question 4.
On what condition did Akbar say that he will set Birbal free?
Answer:
Akbar laid down a condition to set/Birbal free. Birbal will have to bring him a horse which is neither black, nor brown, neither grey nor white in colour.

Akbar And Birbal Story MP Board Class 7th Question 5.
How did Birbal outwit the Emperor?
Answer:
Birbal reported to the Emperor that he had found the desired horse. Akbar should send a man to fetch the horse on any day other than the week days. Akbar had to keep mum. In this way, Birbal out-witted the emperor.

B. State whether the following statements are True or False:

  1. Birbal was able to solve the problem. T / F
  2. Courtiers were known for their wisdom. T / F
  3. Akbar did not go to inspect the prison. T / F
  4. Akbar asked Birbal to bring a camel. T / F
  5. Akbar was talking with the courtiers. T / F

Answer:

  1. True
  2. True
  3. False
  4. False
  5. False

Word Power

A. Tick the correct word:

  1. India wants piece/peace, not war.
  2. We went to the fare/fair.
  3. We pray/prey to God daily.
  4. I have forgotten my date of berth/ birth.
  5. Her eye site/sight is weak.
  6. Our principal/principle is a kind man.

Answer:

  1. peace
  2. fair
  3. pray
  4. birth
  5. sight
  6. principal

B. Read the words given in triangles, work with your partner and write the words similar in meaning in the spaces given below with the help of clues given in the box:
Mp Board Class 7th English Chapter 7
Answer:
Class 7 English Chapter 7 Akbar And Birbal

Grammar in use

A. Fill in the blank spaces with the articles:

(a, an, the wherever necessary)
Question 1.
We live in ………… old house in …………. middle of ………. village. There is ………… beautiful garden behind ………… house. ………. roof of ……….. house is in very bad condition. My father is ………. mason. He is ……….. honest man. He called other masons to construct …………….. new house for us.
Answer:
We live in an old house in the middle of a village. There is a beautiful garden behind the house. The roof of the house is in very bad condition. My father is a mason. He is an honest man. He called other masons to construct the new house for us.

B. Someone is talking about a party.

Fill in the blank spaces with ‘was’ or ‘Were’.
Question 1.
We really enjoyed the party. All the rooms ………. crowded with people. Everyone ………… enjoying a lot. All the people there ……….. very smart. One of the guests ………… quite well known for his witty jokes. He ………… the actor Tom Alter. Each guest …………. welcomed by the hostess.

It’s a lovely house, you know. A number of people ……….. swimming in the garden pool. Two of my friends …………. also invited. But neither of them ……….. there till 10’O’ clock.
Answer:
We really enjoyed the party. All the rooms were crowded with people. Everyone was enjoying a lot. All the people there were very smart. One of the guests was quite well known for his witty jokes. He was the actor Tom Alter. Each guest was welcomed by the hostess.

It’s a lovely house, you know. A number of people were swimming in the garden pool. Two of my friends were also invited. But neither of them was there till 10’O’ clock.

Let’s Talk

Make a group of five students. Find some witty jokes of Birbal and Akbar and tell one joke from each group in the class. Answer: For self attempt.

Let’s Write

A. Write numbers in the boxes to show the correct order of the sentences and rewrite them in your notebook in correct sequence.

  1. The courtiers were perplexed. They didn’t know how to solve the problem.
  2. Birbal can’t you make this lie shorter?
  3. How can you make this line shorter?
  4. The great emperor was sitting on his takht-e-iaaus along with his courtiers
  5. Yes, your Majesty! I can
  6. Tell us your problem, your Majesty, we’ll try to solve it.
  7. They were known for their wisdom.
  8. n See, your Majesty, I’ve made your line shorter.
  9. Birbal you are really very clever.
  10. There is a problem in my mind that I am unable to solve.

Answer:
The correct order of sentences is given below.
(4, 7, 10, 6, 1, 3, 2, 5, 8, 9)

  1. The great emperor was sitting on his takht-e-taaus along with his courtiers.
  2. They were known for their wisdom
  3. There is a problem in my mind that I am unable to solve.
  4. Tell us your problem, your Majesty, we’ll try to solve it.
  5. The courtiers were perplexed. They didn’t know how to solve the problem.
  6. How can you make this line shorter?
  7. Birbal can’t you make this line shorter.
  8. Ye, your Majesty! I can.
  9. See, your Majesty, I’ve made your line shorter.
  10. Birbal you are really very clever.

B. Write five sentences about each:

Question 1.
(i) Akbar
(ii) Birbal
Answer:
(i) Akbar

  1. Akbar was a great Emperoir.
  2. He had witty and wise courtiers
  3. He was a jollyfellow
  4. He used to set problems before his courtiers.
  5. He both praised and punished his courtiers.

(ii) Birbal

  1. Birbal was one of Akbar’s Navratna
  2. He was witty by nature.
  3. He never got perplexed with any problem.
  4. He was a self-willed person.
  5. Akbar used to call him sharp, prompt and clever.

Let’s do it

Among a group of four students think of ideas to test each other’s intelligence as Akbar did with his courtiers.
Answer:
For self attempt.

Akbar and Birbal Word Meanings

Page 40 to 41: Dynasty – the ruling family – रजवंश, Surrounded – encircled – घिरा हुआ, Wit – intelligence, talent – समझ बुद्धि कौशल, Intelligence – inborn understanding – चतुराई ज्ञान, Either – one of the two – दोनों में से एक भी, Perplexed – confused – परेशान, Corner – nook – कोना, Drew – sketched – खींची, Impressed – influenced – प्रभावित होना, Really – actually – वस्तव में, Prompt – quick in action – तेज, Reason – cause – कारण, Inspect – check – निरीक्षण करना, Glanced – cast a quick look – तेज नजर डाली, Condition – a thing on which another thing depends – शर्त, Fetch – to go for and bring back – जा कर लाना।

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MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Chapter 2 कालज्ञो वराहमिहिरः

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 2 कालज्ञो वराहमिहिरः

MP Board Class 8th Sanskrit Chapter 2 अभ्यासः

Mp Board Class 8 Sanskrit Solution Chapter 2 प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत(एक शब्द में उत्तर लिखो-)
(क) वराहमिहिरस्य जन्म कुत्र अभवत्? (वराहमिहिर का जन्म कहाँ हुआ?)
उत्तर:
कपित्थग्रामे। (कपित्थ गाँव में)

(ख) वराहमिहिरस्य पितुः नाम किम्? (वराहमिहिर के पिता का नाम क्या था?)
उत्तर:
आदित्यदासः। (आदित्यदास)

(ग) वराहमिहिरः कस्मात् ज्यौतिषं पठितवान्? (वराहमिहिर ने किससे ज्योतिष पढ़ी?)
उत्तर:
स्वकीयजनकात्। (अपने पिता से)

(घ) वराहमिहिरः खगोलशास्त्रं कस्मात् पठितवान्? (वराहमिहिर ने खगोलशास्त्र किससे पढ़ा?)
उत्तर:
आर्यभट्टात्। (आर्यभट्ट से)

(ङ) वराहमिहिरः अध्ययनं समाप्य कुत्र अगच्छत्? (वराहमिहिर अध्ययन समाप्त करके कहाँ गये?)
उत्तर:
उज्जयिनीम्। ( उज्जयिनी)

Class 8 Sanskrit Chapter 2 Mp Board प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत(एक वाक्य में उत्तर लिखो-)
(क) वराहमिहिरस्य जन्म कदा अभवत्? (वराहमिहिर का जन्म कब हुआ?)
उत्तर:
वराहमिहिरस्य जन्म ४९९ ख्रिस्ताब्दे सजातम्। (वराहमिहिर का जन्म चार सौ निन्यानवे ईस्वी में हुआ।)

(ख) वराहमिहिरः कदा दिवङ्गतः? (वराहमिहिर कब स्वर्गवासी हुए?)
उत्तर:
वराहमिहिरः ५८७ ख्रिस्ताब्दे दिवङ्गतः। (वराहमिहिर पांच सौ सतासी ईस्वी में स्वर्गवासी हुए।)

(ग) भारते फलितज्यौतिषस्य प्रथमः आचार्यः कः। अभवत्? (भारत में फलितज्योतिष के प्रथम आचार्य कौन हुए?)
उत्तर:
भारते फलितज्योतिषस्य प्रथमः आचार्यः वराहमिहिरः अभवत्। (भारत में फलितज्योतिष के प्रथम आचार्य वराहमिहिर हुए)

(घ) वराहमिहिरेण के ग्रन्थाः विरचिताः। (वराहमिहिर ने कौन से ग्रन्थ रचे?)
उत्तर:
वराहमिहिरेण बृहत्संहिता-बृहज्जातकम्पञ्च सिद्धान्तिका ग्रन्थाः विरचिताः। (वराहमिहिर ने वृहत्संहिता, बृहज्जातकम् पंञ्चसिद्धान्तिका ग्रन्थ रचे।)

(ङ) पादपाः वल्मीकाश्च किं प्रदर्शयन्ति? (वृक्ष और दीमक क्या प्रकट करते हैं?)
उत्तर:
पादपाः वल्मीकाश्च अधोभौमिकजलस्थिति प्रदर्शयन्ति। (वृक्ष और दीमक भूमि के नीचे जल होना प्रकट करते हैं।)

कक्षा 8 संस्कृत पाठ 2 प्रश्न 3.
उचितशब्देन रिक्तस्थानं पूरयत(उचित शब्द द्वारा खाली स्थान भरो-)
(क) वराहमिहिरः अध्ययनं समाप्य ………… आगतः। (उज्जयिनीम्/पाटलीपुत्र नगरम्)
(ख) आर्यभट्टः ……….. आसीत्। (खगोलशास्त्री/साहित्यशास्त्री)
(ग) बृहज्जातकम् नाम ग्रन्थः ………… विरचितः। (आर्यभटेन/वराहमिहिरेण)
(घ) कपित्थग्रामः ………… निकटे अस्ति। (पाटलिपुत्रनगरस्य/उज्जयिन्याः)
(ङ) गुरुवाकर्षणस्य सिद्धान्तं ……….. प्रतिपादितम्।। (आदित्यदासेन/वराहमिहिरेण)
उत्तर:
(क) उज्जयिनीम्
(ख) खगोलशास्त्री
(ग) वराहमिहिरेण
(घ) उज्जयिन्याः
(ङ) वराहमिहिरेण।

Class 8 Sanskrit Chapter 2mp Board प्रश्न 4.
उचितं योजयत(सही को मिलाओ-)
Class 8 Sanskrit Chapter 2 Question Answer
उत्तर:
(क) → (iii)
(ख) → (iv)
(ग) → (i)
(घ) → (v)
(ङ) → (ii)

कक्षा 8 संस्कृत पाठ 2 प्रश्न उत्तर प्रश्न 5.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षं’न’ इति लिखत (शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ (हाँ) एवं अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न”नहीं) लिखो-)
(क) “पञ्चसिद्धान्तिका” इत्यस्य ग्रन्थस्य रचयिता वराहमिहिरः अस्ति।
(ख) बृहज्जातकम् ग्रन्थस्य रचयिता आर्यभट्टः अस्ति।
(ग) आर्यभट्टः खगोलशास्त्री आसीत्।
(घ) वराहमिहिरस्य कृता कालगणना प्रामाणिकी अस्ति।
(ङ) वराहमिहिरस्य जन्म वर्तमानमध्यप्रदेशराज्ये अभवत्।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) न
(ग) आम्
(घ) आम्
(ङ) आम्।

8 वीं कक्षा संस्कृत गाइड In Hindi Chapter 2 प्रश्न 6.
नामोल्लेखपूर्वकं सन्धिविच्छेदं कुरुत(नाम का उल्लेख करते हुए सन्धि विच्छेद करो-)
(क) आदित्योपासकः
(ख) अस्मिन्नेव
(ग) समाप्याध्ययनम्
(घ) बालकोऽजायत
(ङ) वर्द्धिताश्च
(च) खगोलशास्त्रस्याध्ययनम्।
उत्तर:
Class 8th Sanskrit Chapter 2

कालज्ञो वराहमिहिरः हिन्दी अनुवाद

अस्ति उज्जयिन्याः निकटे ‘कपित्थ’ (कायथा) नामाख्यो ग्रामः। तत्र आदित्योपासकः ‘आदित्यदासः नामा कश्चित् विप्रः प्रतिवसति स्म। तस्य गृहे ‘वराहमिहिरः नामः बालकोऽजायत। वराहमिहिरम्य जन्म ४९९ (नवनवत्यधिक चतुश्शतके), ख्रिस्ताब्दे सञ्जातम्।।

अनुवाद :
उज्जयिनी के पास ‘कपित्थ’ (कायथा) नामक गाँव है। वहाँ सूर्य का भक्त ‘आदित्यदास’ नामक कोई ब्राह्मण रहता था। उसके घर में ‘वराहमिहिर’ नामक बालक ने जन्म लिया। वराहमिहिर का जन्म 499 (चार सौ निन्यानवे) ईस्वी में हुआ।

बालकः वराहमिहिरः स्वकीयपित्रा एक ज्यौतिष-विद्यामध्यगच्छत्। ततः सः पाटिलपुत्रनगरं गन्या प्रसिद्धखगोलशास्त्रज्ञात् आर्यभट्टात् खगोलशास्त्रस्याध्ययनं कृतवान्।

Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 2 अनुवाद :
बालक वराहमिहिर ने अपने पिता से ही ज्योतिष विद्या का अध्ययन किया। उसके पश्चात् उन्होंने पाटलिपुत्र (पटना) नगर जाकर प्रसिद्ध खगोलशास्त्री आर्यभट्ट से खगोलशास्त्र (आकाश मण्डल का शास्त्र) का अध्ययन किया।

तदानीम् उज्जयिनी विद्यायाः प्रमुखकेन्द्रमासीत्। उज्जयिन्यां गुप्तवंशस्य संरक्षणे बहुविधकला-विज्ञान-सांस्कृतिककेन्द्रादीनि संरक्षितानि वर्द्धितानि चासन्। अत्र नानादिग्देशेभ्यः विद्वज्जनानां समागमः भवतिस्म अत एव वराहमिहिरोऽपि समाप्याध्ययनम् अस्मिन्नेव नगरे समागतः।

क्लास 8 संस्कृत चैप्टर 2 अनुवाद :
उस समय उज्जयिनी विद्या का प्रमुख केन्द्र थी। उज्जयिनी में गुप्तवंश के संरक्षण (देखरेख) में अनेक प्रकार के कला, विज्ञान और सांस्कृतिक केन्द्र आदि संरक्षित और विकसित थे। यहाँ विभिन्न दिशाओं और देशों से विद्वान् लोगों का मेल होता था। इसीलिए वराहमिहिर भी अध्ययन समाप्त करके इसी नगर में आ गये।

वराहमिहिरः देवज्ञः वैज्ञानिकश्चासीत्। सः। गतानुगतिकताया: स्थाने वैज्ञानिकदृष्टिकोणस्य महत्वं प्रतिपादिलवान्। ग्रहनक्षत्रप्रभावाश्रितं फलित-ज्यौतिषं नाम शास्त्रं तस्दा प्रियपतिपााविषयोऽभवत्। तेन कृता कालगणना प्रामाणिकी अस्ति। भारते फलितज्यौतिषस्य प्रथमः आचार्य: वराहमिहिरः एव अस्ति न तत्पूर्वं फलितज्योतिषस्य शास्त्रं प्राप्यते भारते। एष एवं सर्वप्रथमं प्रतिपादितवान् यत् चन्द्रस्त्र प्रकाश: स्वीकीयः नास्ति, अपितु सः सूर्यस्य प्रकाशेन प्रकाशते।

Sanskrit Class 8 Chapter 2 अनुवाद :
वराहमिहिर वेदों के ज्ञाता और वैज्ञानिक थे। उन्होंने गतानुगतिकता (अन्धानुकरण या दूसरों की नकल करना) के स्थान पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण का महत्त्व समझाया। ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव पर आधारित फलित-ज्योतिष (नक्षत्र ग्रहों के अनुसार फल बताने वाली विद्या) नामक शास्त्र उनका प्रिय प्रतिपादन (विचार) किये जाने योग्य विषय हुआ। उनके द्वारा की गयी काल की गणना प्रामाणिक है। भारत में फलितज्योतिष के प्रथम आचार्य वराहमिहिर ही हैं। उनसे पहले भारत में फलितज्योतिष का शास्त्र प्राप्त नहीं होता। इन्होंने ही सबसे पहले समझाया कि चन्द्रमा का प्रकाश अपना नहीं है, बल्कि वह सूर्य के प्रकाश से चमकता है।

वराहमिहिरेण बृहत्संहिता-बृहज्जातकम्-पञ्चसिद्धान्तिका ग्रन्थाः विरचिताः। एतेषु ग्रन्थेषु खगोलविद्यायाः गूढ़तत्त्वानां प्रतिपादनमस्ति। अनेन न केवल खगोलतत्त्वानां निरूपणं कृतम् अपितु पृथिव्याः गोलकत्वम्, गुरुत्वाकर्षणस्य सिद्धान्तम्, पर्यावरणविज्ञानम्, जलविज्ञानम्, भूविज्ञानमपि विस्तरेण विवेचितम्। “पादपाः वल्मीकाश्च अधोभौमिकजलस्थितिं प्रदर्शयन्ति।” इति तस्य कथनमासीत्। आधुनिकवैज्ञानिकाः अपि तानवलम्ब्य अन्वेषणं कुर्वन्ति।

Class 8 Sanskrit Chapter 2 अनुवाद :
वराहमिहिर ने ‘वृहत्संहिता,’ बृहज्जातकम्’ और ‘पञ्चसिद्धान्तिका’ ग्रन्थ रचे। इन ग्रन्थों में आकाशमण्डल की विद्या के गहन तत्वों को समझाया गया है। इन्होंने न केवल खगोल तत्त्वों का निरूपण किया बल्कि पृथ्वी के गोल होने का, गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त का, पर्यावरण विज्ञान का जलविज्ञान का और भू-विज्ञान का भी विस्तार से वर्णन किया। “वृक्ष और दीमक भूमि के नीचे जल होना प्रकट करते हैं।” यह उनका कहना था। आधुनिक वैज्ञानिक भी उनका सहारा लेकर खोज करते हैं।

नानादेशेषु परिभ्रमन् स्वकीयज्ञानदीप्त्या दीप्यमानः ५८७ (सप्तशीत्यधिकं पञ्चशतम्) ख्रिस्ताब्दे सः दिवङ्गतः। स्वकीयविस्तृतज्ञानेन खगोलसदृशं गहनविषयमपि सरलं प्रस्तुतवान्। ज्यौतिषविद्यामहार्णवं तर्तुं तस्य ग्रन्थाः नौकाः इव सन्ति। सः महान् कालज्ञः आसीत्। ज्योतिर्विद्यायां तु वराहमिहिरः तिमिरनाशकः सूर्य इव आसीत्।

कक्षा 8 विषय संस्कृत पाठ 2 अनुवाद :
अनेक देशों में घूमते हुए अपनी ज्ञान की ज्योति से प्रकाशमान वह 587 (पाँच सौ सतासी) ईस्वी में स्वर्गवासी हो गये। अपने विस्तृत ज्ञान से खगोल जैसे गहन विषय को भी सरल कर दिया। ज्योतिष विद्या के महासागर को पार करने के लिए उनके ‘ग्रन्थ नाव के समान हैं। वह महान ज्योतिषी थे। ज्योतिर्विद्या में तो वराहमिहिर अन्धकार का विनाश करने वाले सूर्य के समान थे।

कालज्ञो वराहमिहिरः शब्दार्थाः

कालज्ञः = ज्योतिषी। अजायत = जन्म लिया। वल्मीकाः = दीमक। महार्णवम् = महासागर को। गतानुगतिकताया: = अन्धानुकरण। तिमिरनाशकः = अन्धकार विनाशक। खगोल = आकाशमण्डल। फलितज्यौतिषम् = नक्षत्र ग्रहों के अनुसार फल बताने वाली विद्या।

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 7 बल-बहादुरी

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 7 बल-बहादुरी (निबन्ध, कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’)

बल-बहादुरी पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

बल-बहादुरी लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Bal Bahaduri Class 12 MP Board प्रश्न 1.
बल और सहृदयता में क्या अंतर है?
उत्तर:
बल में पौरुष होने का भाव होता है, जबकि सहृदयता में देवत्व होने का भाव होता है।

Makrand Hindi Book Class 12 Solutions MP Board प्रश्न 2.
मानवता के विकास की पुण्य-भूमि किसे कहा गया है?
उत्तर:
अभय और शांति के सुंदर मिलन को मानवता के विकास की पुण्य-भूमि कहा गया है।

Hindi Makrand Class 12th MP Board प्रश्न 3.
बल का उपयोग विवेक के साथ क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
बल का उपयोग विवेक के साथ करने से व्यक्ति स्वर्ग की सीमा तक पहुँच जाता है।

प्रश्न 4.
लेखक ने बल के किन दो रूपों का वर्णन किया है?
उत्तर:
लेखक ने बल के सदुपयोग और दुरुपयोग दो रूपों का प्रयोग किया है।

प्रश्न 5.
सम्राट अकबर ने किन वीरों का सम्मान किया था?
उत्तर:
सम्राट अकबर ने जयमल और फत्ता नामक वीरों का सम्मान किया था।

प्रश्न 6.
अंग्रेज सेनापति द्वारा झाँसी की रानी की वीरता की प्रशंसा को लेखक ने क्यों महत्त्वपूर्ण माना है?
उत्तर:
लेखक अंग्रेज सेनापति ह्यूरोज द्वारा झाँसी की रानी की वीरता की प्रशंसा को इसलिए महत्त्वपूर्ण माना है क्योंकि एक प्रतिद्वंद्वी वीर ने उसकी वीरता की प्रशंसा की थी।

बल-बहादुरी दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘सबल के बल का सदुपयोग ही सफलता की कुंजी है।’ इस कथन को कीजिए। (M.P. 2009, 2012)
उत्तर:
शक्तिशाली व्यक्ति यदि बल का सदुपयोग करे तो सफलता उसके कदम चूमती है। उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है। राम और कृष्ण इसके उदाहरण हैं। उन्होंने बल का सदुपयोग किया था इसीलिए उनकी जयंती मनाई जाती है। रावण और कंस दोनों ने बल का दुरुपयोग किया था। यही कारण है कि उनके स्मरण मात्र से मन में घृणा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
सात्त्विक सहयोग को राष्ट्रों के निर्माण की मूलशिला क्यों कहा गया है?
उत्तर:
सात्त्विक सहयोग को राष्ट्रों के निर्माण की मूलशिला कहा गया है क्योंकि उसमें बल और प्रेम का सहयोग होता है। सात्त्विक सहयोग में अभिमान एवं कर्मण्यता, त्याग और ईमानदारी आदि मानवीय गुण सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 3.
बल और बुद्धि में पारस्परिक संबंध है-उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
बल और बुद्धि में पारस्परिक संबंध है क्योंकि बुद्धि के बिना बल व्यर्थ है। बल के अभाव में बुद्धि अपंग के समान है। उदाहरणार्थ-राजदूतों में वल था लेकिन बुद्धि का अभाव था। वे युद्ध-भूमि में शत्रुओं से सिंह की भाँति लड़े। उनकी वीरता की शत्रु व मित्र सभी ने प्रशंसा की। इतनी वीरता दिखाने के बाद भी वे पराजित हुए। यदि उनमें बल के साथ बुद्धि होती, तो उनका इतिहास कुछ और ही होता।

प्रश्न 4.
लेखक के बल की चरम सीमा कहाँ तक बतलाई है?
उत्तर:
लेखक ने बल की चरम सीमा शत्रुओं के समूह-गर्जन में, केसरी के साथ खेलने में या फिर देश और धर्म के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों का बलिदान देने में बताई है।

प्रश्न 5.
बल की दृष्टि से पश्चिम और भारत में क्या अंतर है? (M.P. 2010)
उत्तर:
बल की दृष्टि से पश्चिम और भारत की दृष्टि में पर्याप्त अंतर है। पश्चिम शारीरिक बल का उपासक है और भारत आत्मबल अर्थात् बुद्धि के बल को महत्त्व देता है।

प्रश्न 6.
शरीर-बल और आत्म-बल में लेखक ने किसे श्रेष्ठ माना है? आज विश्व कल्याण के लिए दोनों में से कौन-सा अधिक उपयोगी है?
उत्तर:
लेखक ने शरीर-बल और आत्मवल में से आत्मबल को श्रेष्ठ माना है। आज विश्व कल्याण के लिए दोनों में से आत्मबल सर्वाधिक उपयोगी है।

बल-बहादुरी भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
“पुरुषत्व, अभय का जनक है और देवत्व शान्ति का।”
उत्तर:
पुरुषत्व अर्थात् वीरता और पराक्रम का भाव मनुष्य में निडरता का भाव उत्पन्न करता है। इस प्रकार पुरुपत्व निर्भयता का जनक है। इस प्रकार जब व्यक्ति में कल्याण चाहने वाले देवता होने का भाव उत्पन्न होता है, तो उसमें शांति उत्पन्न होती है। इस तरह देवत्व शांति का जनक है। जब अभय ओर शांति दोनों मिल जाते हैं, तो मानवता के विकास की पुण्य भूमि उत्पन्न हो जाती है। निर्भयता और शांति की स्थिति में ही मानवता का विकास होता है।

प्रश्न 2.
“बल अंधा है और उसकी गति पथ-प्रदर्शक के अधीन है।”
उत्तर:
निश्चय ही बल अंधा होता है। उसमें अच्छा-बुरा सोचने, उचित-अनुचित के संबंध में विचार करने की शक्ति नहीं होती। बल के वशीभूत होकर ही व्यक्ति उसका दुरुपयोग कर अन्याय और अत्याचार करता है। वल को सही दिशा देने का कार्य मार्ग दिखाने वाले का होता है। वह बल को सदुपयोग के मार्ग पर भी चला सकता है और दुरुपयोग के मार्ग पर भी। बल का सदुपयोग उसकी सफलता है और दुरुपयोग उसकी असफलता है।

बल-बहादुरी भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं, उनमें से ‘प्रत्यय’ पृथक् कर लिखिए –
पुरुषत्व, मानवता, वीरता, कर्मण्यता, दूधवाला, चरितार्थता।
उत्तर:
Bal Bahaduri Class 12 MP Board

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का समास-विग्रह कर समास का नाम लिखिए –
इतिहास-उपवन, वीरता-वल्लरी, परागमाला।
उत्तर:
Makrand Hindi Book Class 12 Solutions MP Board

प्रश्न 3.
दिए गए वाक्यों को निर्देशानुसार रूपांतरित कीजिए –

  1. मोहन पुस्तक खरीदकर पढ़ता है। (मिथ वाक्य में)
  2. समय बहुत खराब है, इसलिए देखभाल कर चलना चाहिए। (सरल वाक्य में)
  3. विद्वानों का सभी आदर करते हैं। (मिश्र वाक्य में)
  4. तुम परिश्रम करो और परीक्षा में सफल हो जाओ। (सरल वाक्य में)
  5. राम पुस्तकें पढ़ता है जिससे उसे ज्ञान प्राप्त होता है। (संयुक्त वाक्य में)

उत्तर:

  1. मोहन ने कहा कि वह पुस्तक खरीदकर पढ़ता है।
    या
    जब मोहन पुस्तक खरीदता है, तब पढ़ता है।
  2. देखभाल कर चलो समय बहुत खराब है।
  3. जो विद्वान हैं, उनका सभी आदर करते हैं।
  4. तुम परिश्रम करके परीक्षा में सफल हो सकते हो।
  5. राम पुस्तकें पढ़ता है और उसे ज्ञान प्राप्त होता हैं।

बल-बहादुरी योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
वीर पुरुषों और वीरांगनाओं के चित्रों का संग्रह कर अलबम बनाइए।
उत्तर:
छात्र राम, कृष्ण, अर्जुन, महाराणा प्रताप, शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई आदि के चित्र एकत्र कर अलबम बना सकते हैं।

प्रश्न 2.
किसी बलिदानी वीर के बारे में 10 पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई, भगतसिंह आदि किसी पर भी छात्र स्वयं दस पंक्तियाँ लिखें।

प्रश्न 3.
किसी देश-भक्त का रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
‘बल और बुद्धि में कौन श्रेष्ठ है’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

बल-बहादुरी परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न –

प्रश्न 1.
‘बल-बहादुरी’ निबंध के लेखक हैं –
(क) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(ख) कन्हैयालाल नंदन
(ग) भगीरथ मिश्र
(घ) यतीन्द्र मिश्र
उत्तर:
(क) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’।

प्रश्न 2.
कौन-सी बहादुरी सात्विक और ग्रहणीय है –
(क) अपनी स्वार्थवृत्ति को पूरा करने वाली
(ख) जनकल्याण करने वाली
(ग) लोगों को भयभीत कर कायर बनाने वाली
(घ) निर्दोष जनता को सताने वाली
उत्तर:
(ख) जनकल्याण करने वाली।

प्रश्न 3.
अज्ञान का पुत्र बताया गया है –
(क) लोभ को
(ख) मोहमाया को
(ग) अहंकार को
(घ) क्रूरता को
उत्तर:
(ग) अहंकार को।

प्रश्न 4.
राष्ट्र एवं जातियों के गौरव की स्थिति किसके शिशुओं जैसी है?
(क) कोकिल के
(ख) मनुष्य के
(ग) जानवरों के
(घ) राक्षसों के
उत्तर:
(क) कोकिल के।

प्रश्न 5.
बल और बुद्धि का संबंध वही है जो –
(क) देह और आँख का
(ख) बुद्धि और बल का
(ग) त्याग और तपस्या का
(घ) स्वार्थ और भोग का
उत्तर:
(क) देह और आँख का।

प्रश्न 6.
औरंगजेब कम बल राशि का स्वामी होते हुए भी साम्राज्य का स्वामी किसके प्रभाव से बन सका –
(क) बुद्धि कौशल से
(ख) रण-कौशल से
(ग) इच्छा शक्ति से
(घ) भाग्य-कौशल से
उत्तर:
(क) बुद्धि कौशल से।

प्रश्न 7.
बल ………….. होता है।
(क) अंधा
(ख) कान का कच्चा
(ग) अभिमानी
(घ) स्वार्थी
उत्तर:
(क) अंधा।

प्रश्न 8.
पश्चिम …… उपासक है।
(क) शरीर बल का
(ख) आत्मबल का
(ग) सैन्य बल का
(घ) धन-बल का
उत्तर:
(क) शरीर बल का।

प्रश्न 9.
भारत ………. उपासक है।
(क) आत्मबल का
(ख) शरीर-बल का
(ग) धन-बल का
(घ) पशु-वल का
उत्तर:
(क) आत्मबल का।

प्रश्न 10.
इतिहास-रत्न जयमल और वीर शिरोमणि फत्ता का हम कितना ही गुणगान करें, पर उसका सच्चा सम्मान तो –
(क) झाँसी की वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई ही कर सकती थी।
(ख) मुगल सम्राट वीर अकबर ही कर सकता था।
(ग) मुगल सम्राट महान् शाहजहाँ ही कर सकता था।
(घ) उसके होठ जरा बाहर निकल जाते थे।
(ङ) औरंगजेब ही कर सकता था।
उत्तर:
(ख) मुगल सम्राट वीर अकबर ही कर सकता था।

II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर करें –

  1. शाहजहाँ का उत्तराधिकारी अत्यन्त ………. था। (चतुर बलवान)
  2. कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ के निबंध का नाम ………. है। (बल बहादुरी मेरे सपनों का भारत)
  3. भारत ………. का उपासक है। (आत्मवल शक्तिबल)
  4. प्रकृति ने गाँधी की ………. की। (महावृष्टि, महासृष्टि)
  5. वे जहाँ लड़े ………. की भाँति लड़े। (सिंह/शेर)

उत्तर:

  1. बलवान
  2. बल-बहादुरी
  3. आत्मबल
  4. महासृष्टि
  5. सिंह।

III. निम्नलिखित कथनों में सत्य असत्य छाँटिए –

  1. ‘बल-बहादुरी’ निबंध के लेखक यतीन्द्र मिश्र हैं। (M.P. 2009)
  2. शाहजहाँ का उत्तराधिकारी दारा था।
  3. बल में देवत्व का निवास है।
  4. बल की चरम सीमा नहीं है।
  5. गुरुनानक के आत्मज दीवार में चुने गए।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. असत्य।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 7 बल-बहादुरी img-3
उत्तर:

(i) शिरोमणि
(ii) ताण्डव
(iii) वल्लरी
(iv) परागमाला
(v) उपवन

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

  1. सौभाग्य-श्री का पुनीत वरदान क्या है?
  2. आकर्षण का केन्द्र क्या है?
  3. वीरता का सार किसमें है?
  4. गाँधी की महासृप्टि किसने की?
  5. स्वर्ग की सीमा में कौन ले जाता है?

उत्तर:

  1. बल के साथ बुद्धि का एकमात्र संयोग।
  2. बल।
  3. न्यौछावर करने में।
  4. प्रकृति ने।
  5. विवेक का साहचर्य।

बल-बहादुरी लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कायरता का पिता और उसकी परी किसे बताया गया है?
उत्तर:
भय को कायरता का पिता और दीनता को उसकी सहचरी बताया गया है।

प्रश्न 2.
पैशाचिकता की सखी कौन है?
उत्तर:
पैशाचिकता की सखी क्रूरता है।

प्रश्न 3.
राम और कृष्ण की जयंती मनाने का कारण क्या बताया गया है?
उत्तर:
राम और कृष्ण की जयंती मनाने का कारण उनके द्वारा बल का सदुपयोग करना बताया गया है।

प्रश्न 4.
शाहजहाँ का उत्तराधिकारी दारा, कितने हाथियों की बलराशि का स्वामी था?
उत्तर:
शाहजहाँ का उत्तराधिकारी दारा, साठ हजार हाथियों से भी अधिक बलराशि का स्वामी था।

प्रश्न 5.
कवि की कविता की सच्ची प्रशंसा करने का अधिकारी किसे बताया गया है?
उत्तर:
एक कवि की कविता की सच्ची प्रशंसा का अधिकारी दूसरे कवि को बताया गया है।

प्रश्न 6.
बल के अभाव में क्या दिखाई देता है?
उत्तर:
बल के अभाव में कायरता का दयनीय दर्शन दिखाई देता है।

प्रश्न 7.
क्रूरता क्या करती है?
उत्तर:
क्रूरता अज्ञान के पुत्र अहंकार का पोषण करती है।

प्रश्न 8.
बल और बुद्धि का संबंध किस तरह का है?
उत्तर:
बल और बुद्धि का संबंध देह और आँख की तरह है।

बल-बहादुरी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किनका पारस्परिक विरोध विश्व के विशाल राष्ट्रों और जातियों को हृदयबेधी इतिहास में बदल देता है?
उत्तर:
बल और प्रेम का पारस्परिक विरोध विश्व के विशाल राष्ट्रों और जातियों को हृदयबेधी इतिहास में बदल देता है। इनमें परस्पर विरोध के कारण विशाल राष्ट्रों और जातियों को नष्ट-भ्रष्ट कर देता है।

प्रश्न 2.
बल का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
बल का बड़ा महत्त्व है। जो मनुष्य शक्तिशाली होता है, उसका व्यक्तित्व सबको अपनी ओर आकर्षित करता है। उसको सभी प्रेम और श्रद्धा के साथ प्रेम का उपहार देते हैं और स्वयं को सौभाग्यशाली समझते हैं। शक्तिशाली व्यक्ति सभी में लोकप्रिय हो जाता है।

प्रश्न 3.
किस वरदान को पुनीत कहा गया है और क्यों?
उत्तर:
बल और बुद्धि के संयोग को सौभाग्य श्री का वरदान कहा गया है; क्योंकि जिस मनुष्य जाति और राष्ट्र के लोगों को यह वरदान प्राप्त हो जाता है, सफलता उनके सामने हाथ वाँधे खड़ी होने में ही अपनी सार्थकता समझती है। वल-बुद्धि के संयोग से ही प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

प्रश्न 4.
एक की जयंती मनाई जाती है और दूसरे की नहीं। क्यों?
उत्तर:
एक की जयंती मनाई जाती है और दूसरे की नहीं। ऐसा इसलिए कि एक ने अपनी शक्ति का उपयोग जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए किया था। उसने अन्यायी, अत्याचारी और दुराचारी प्रवृत्ति के लोगों में फंसी जनता को मुक्ति बीमार का इलाज दिलाने के लिए उनका संहार किया था। दूसरे ने जनता के अधिकारों का बलपूर्वक हनन किया था। उसके अधिकारों को छीना और उसे खूब सताया था।

प्रश्न 5.
बल की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
बल में आकर्षण होता है। इसलिए वह अपनों को ही नहीं, अपितु दूसरों को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। फलस्वरूप उसे सभी ललचाई हुई दृष्टि से देखते हैं। उसके प्रति प्रेम और श्रद्धा के उपहार समर्पित करते हैं। फिर उसे प्रशंसा के एक-एक वाक्य सुनाने लगते हैं।

बल-बहादुरी लेखक-परिचय

प्रश्न 1.
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जन्म सन् 1906 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले में देवबंद नामक स्थान में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों में हुई। उनकी रुचि प्रारंभ से ही राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यों में थी। उच्च शिक्षा ग्रहण करते समय ही वे स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। फलस्वरूप उनकी शिक्षा पूर्ण न हो सकी। ‘प्रभाकर’ जी समय-समय पर राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलनों में सक्रिय भाग लेने के कारण कई बार जेल गए। छोटी आयु से ही वे अखबारों में लिखने लगे। उन्होंने कलकत्ता (अब कोलकाता) से प्रकाशित होने वाले ‘ज्ञानोदय’ नामक पत्र का अनेक वर्षों तक सफल संपादन किया।

सहारनपुर में अपना छापाखाना (प्रेस) स्थापित किया और ‘नया जीवन’ नामक पत्रिका का प्रकाशन किया। संरमरण और रेखाचित्र के क्षेत्र में यह पत्रिका बेजोड़ थी। इसके कारण इन्हें विशेष ख्याति मिली। सन् 1990 में हिन्दी सेवाओं के लिए उन्हें ‘पद्मश्री’ की उपाधि से अलंकृत किया गया। ‘प्रभाकर’ जी.की रचनाओं में गाँधीवादी विचारधारा का स्पष्ट प्रभाव है। उनकी प्रत्येक रचना में समाज एवं परिवार को सुखी बनाने का उद्देश्य दिखाई पड़ता है। उनकी रचनाओं में राष्ट्रीय भावना का भी समावेश है। सन् 1995 में उनका स्वर्गवास हो गया।

साहित्यिक विशेषताएँ:
‘प्रभाकर’ जी ने अपनी साहित्यिक यात्रा का प्रारंभ एक पत्रकार के रूप में किया। उन्होंने लघु कहानियाँ. संस्मरण, रेखाचित्र तथा निबन्धों की रचना की। वे हिन्दी के रेखाचित्र, संस्मरण एवं ललित निबंधों के श्रेष्ट रचनाकारों में गिने जाते हैं।

रचनाएँ:
नई पीढ़ी नए विचार, जिंदगी मुस्कराई, माटी हो गई सोना, आकाश के तारे, धरती के फूल, दीप जले : शंख बजे, बाजे पायलिया के घुघरू, क्षण बोले : कण मुसकाए, महके आँगन चहके द्वार, जिएँ तो ऐसे जिएँ आदि।

भाषा-शैली:
‘प्रभाकर’ जी की भाषा-शैली सजीव, प्रवाहपूर्ण, आत्मीय एवं मर्मस्पर्शी है। वे छोटी-से-छोटी एवं वड़ी-से-बड़ी बात को सहजता से कह जाने में सिद्धहस्त थे। उनकी समस्त रचनाओं में नवीनता एवं ताजगी है, जो पाठकों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। उनकी भाषा-शैली में उदाहरणों व सूक्तियों का पर्याप्त मात्रा में समावेश है। वे अपनी बात की पुष्टि में उदाहरण का प्रयोग करते हैं। उनकी भाषा विषयानुकूल है।

बल-बहादुरी पाठ का सारांश

प्रश्न 2.
‘बल-बहादुरी’ निबंध का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘बल-बहादुरी’ कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा रचित एक विवेचनात्मक निबंध है। इसमें लेखक ने बल के सदुपयोग करने पर बल दिया है। लेखक बल और सहदय में अंतर स्पष्ट करते हुए कहता है कि बल में पौरुष होता है और सहृदयता में देवत्व। बल का अभाव कायरता है और सहृदयता का अभाव पाप और दानवता है। कायरता भय का पिता और हीनता उसकी सहचरी है।

पौरुष से निडरता आती है और सहदयता से शांति। जब निडरता और का समन्वय होता है तो मानवता का विकास होता है। रावण, कंस, राम और कृष्ण सभी बलशाली थे। परंतु दो की ही जयंती मनाई जाती है और दो की नहीं। ग़म और कृष्ण ने अपने बल का सदुपयोग जनता के हित के लिए किए। जबकि रावण और कंस ने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए बल का दुरुपयोग किया। सबल के बल का सदुपयोग करना उसकी सफलता की कुंजी है। यद्यपि वल एक होता है किंतु सदुपयोग ओर दुरुपयोग के आधार पर दो रूपों में दिखाई देता है।

वल और विवेक का साहचर्य मनुष्य को स्वर्ग में ले जाता है, तो अविवेक का नरक में ले जाता है। सामान्य रूप से बल अंधा होता है और उसकी गति पथ-प्रदर्शक के अधीन होती है। बल और प्रेम का सात्विक सहयोग राष्ट्रों के निर्माण का आधार है, तो विरोध उनके विनाश का इतिहास। बल आकर्षण का केंद्र होता है। वह सभी को अपनी ओर खींचता है। वीर अपने विरोधी वीर के एक प्रशंसाभरे वाक्य को अधिक महत्त्व देता है। वास्तव में एक वीर ही दूसरे वीर का सच्चा सम्मान कर सकता है। झाँसी की रानी का वास्तविक सम्मान ब्रिटिश सेना के वीर सेनापति ह्यूरोज के शब्दों में ही मिलता है।

बल और बुद्धि का वही संबंध है जो शरीर और आँख का है। बुद्धि कौशल के अभाव में बल निरर्थक है और बल के बिना बुद्धि व्यर्थ है। इसी कारण तो राजपूतों को हार का मुंह देखना पड़ा। दाराशिकोह शक्तिशाली था परन्तु औरंगजेब बुद्धिमान। वह अपने बुद्धि-कौशल से ही शाहजहाँ के साम्राज्य का सम्राट बन बैठा। – जिस मनुष्य, जाति या राष्ट्र में बल और बुद्धि एकत्र हो जाते हैं वहाँ सफलता और विजय निश्चित होती है। बल-बुद्धि का संयोग सुख पर आधारित होने पर सौंदर्य एवं प्रेम के सम्मिलन की भाँति सुंदर, प्रकृति एवं पुरुष के सम्मिलन की तरह पवित्र और काव्य एवं संगीत के सम्मिलन के समान अजेय हो जाता है।

बल की चरम-सीमा वीर की अविचल मुस्कान में है, जो संकटों की स्थिति में भी उसके मुख पर बनी रहती है। विश्व का इतिहास ऐसे वीरों से भरा पड़ा है, जो धर्म देश और मानव के हित में अपने प्राणों को न्यौछावर करने से पीछे नहीं हटे। पाश्चात्य देशों और भारत में यही अंतर है कि पाश्चात्य देश बल को महत्त्व देते हैं और भारत आत्मबल को। महात्मा बुद्ध और महात्मा गाँधी ने संसार में आत्मबल की महासृष्टि की और भारतीय संस्कृति के इतिहास में अहिंसा को प्रतिष्ठित कर एक नया अध्याय जोड़ा। अतः जनकल्याण करने वाली बहादुरी सात्विक और ग्रहणीयहै।

बल-बहादुरी संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
बल में पुरुषत्व का निवास है और सहृदयतो में देवत्व का। बल के अभाव में परिलक्षित होता है क्लीबत्व का दयनीय दर्शन और सहृदयता की शून्यता में तांडव करती है, पापपुंज-प्रोज्ज्वलित पैशाचिकता! क्लीबत्व भय का पिता है और उसकी सहचरी है दीनता, पर पैशाचिकता की सखी है क्रूरता और वह अज्ञान के पुत्र अहंकार का पोषण करती है। पुरुषत्व अभय का जनक है और देवत्व शांति का। अभय और शांति का यह सुंदर सम्मेलन ही मानवता के विकास की पुण्य-भूमि है। (Page 26)

शब्दार्थ:

  • पुरुषत्व – पौरुष, वीरता।
  • क्लीबत्व – नपुंसकता, कायरता, अपुरुषत्व।
  • सहृदयता – दयालुता, करुणा, चित की कोमलता।
  • देवत्व – परमात्मा होने का भाव।
  • परिलक्षित – अच्छी तरह दिखाई देना।
  • सहचरी – साथिन, साथी।
  • पैशाचिकता – राक्षस जैसा व्यवहार।
  • सखी – सहेली।
  • क्रूरता – निर्दयता, कठोरता।
  • अहंकार – अभिमान।
  • पोषण – पालना, बड़ा करना।
  • अभय – निडर, निर्भय।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश कन्हैयाताल मित्र ‘प्रभाकर’ द्वारा रचित निबंध ‘वल-बहादुरी’ से लिया गया है। इसमें लेखक ने बल और सहृदयता के अंतर को स्पष्ट करने के लिए साथ-साथ निडरता और शांति के समन्वय को मानवता के विकास की आधारभूमि बताया है।

व्याख्या:
लेखक बल और सहृदयता का अंतर स्पष्ट करते हुए कह रहा है कि बल अर्थात् शक्ति, पराक्रम में वीरता का निवास होता है, जबकि मन की कोमलता अथवा दयालुता में देवता होने का भाव रहता है। शक्ति अथवा पौरुष के अभाव में अच्छी तरह से कायरता, नपुंसकता के दयनीय दर्शन होते हैं। दूसरे शब्दों में वीरता के अभाव में मनुष्य में कायरता आ जाती है। कायरता के कारण ही उसका व्यवहार दयनीय हो जाता है। शक्ति और दयालुता की कमी के कारण ही पुरुष का उग्र रूप दिखाई देता है। इससे वह निर्दयतापूर्वक अपनी शक्ति का दुरुपयोग करता है। इससे उसमें राक्षसी प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है।

कायरता या नपुंसकता भय से पैदा होती है। इसीलिए कायरता भय (डर) का पिता है और हीनता उसकी साथिन हैं। दूसरे शब्दों में कायरता से मनुष्य के मन में भय उत्पन्न होता है और भय से हीनता आती है। राक्षसी व्यवहार की सहेली निर्दयता है और वह अज्ञान के पुत्र अभिमान को पालती है। दूसरे शब्दों में मनुष्य में अज्ञानता के कारण अभिमान और घमंड आता है और उसी के वशीभूत होकर वह राक्षसों जैसा व्यवहार करता है।

वीरता का भाव निर्भयता को जन्म देता है और दयालुता या श्रद्धा का भाव शांति की भावना उत्पन्न करता है। जब निडरता और शांति मिल जाते हैं, तो यह सुंदर सम्मिलन ही मानवता के विकास की पवित्र भूमि है। दूसरे शब्दों में निडरता और शांति जब मिल जाते. हैं, तो मानवता के विकास की पुण्य भूमि तैयार हो जाती है।

विशेष:

  1. बल और सहृदयता का अंतर स्पष्ट किया गया है। कायरता और भय तथा अज्ञान और अहंकार का संबंध भी स्पष्ट किया गया है।
  2. भाषा कठिन है। समास शैली का प्रयोग किया गया है।
  3. लेखक ने गागर में सागर भरने का प्रयास किया है।
  4. भाषा सूक्ति समान वाक्यों से बोझिल है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
बल और सहृदयता का अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बल और सहृदयता में यह अंतर है कि बल अर्थात् शक्ति और पराक्रम में वीरता का निवास होता जबकि सहृदयता में देवत्व का निवास होता है।

प्रश्न (ii)
मानवता का विकास कैसे होता है?
उत्तर:
मनुष्य में पौरुष से निडरता उत्पन्न होती है। सहृदयता की कोमलता और दयालुता की भावना आती है। उस समय उसमें शांति उत्पन्न होती है। जब मनुष्य में अभय और शान्ति का सुन्दर और संतुलित सम्मिश्रण हो जाता है तो उसमें मानवता का विकास होता है।

प्रश्न (iii)
मनुष्य में कायरता कैसे उत्पन्न होती है?
उत्तर:
मनुष्य में कायरता भय से उत्पन्न होती है और भय से हीनता की भावना उत्पन्न होती है। इस प्रकार भय और हीनता से कायरता आती है।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
मनुष्य राक्षसी व्यवहार क्यों करता है?
उत्तर:
मनुष्य में अज्ञानता के कारण अहंकार उत्पन्न होता है और अहंकार के वशीभूत होकर ही मनुष्य राक्षसी व्यवहार करता है।

प्रश्न (ii)
सहृदयता का अभाव मनुष्य को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर:
सहदयता के अभाव में पुरुष उग्र रूप धारण कर लेता है। वह निर्दयतापूर्वक वल का दुरुपयोग करता है। उसमें राक्षसी प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है। मनुष्य इससे प्रभावित होकर अन्याय व अत्याचार जैसे पाप कर्म करने लगता है।

प्रश्न (iii)
राक्षसी व्यवहार की सखी और अज्ञान का पुत्र किसे कहा गया है?
उत्तर:
राक्षसी व्यवहार की सखी क्रूरता को ओर अज्ञान का पुत्र अहंकार को कहा गया है।

प्रश्न 2.
रावण भी बली था और राम भी, कृष्ण में भी बल का अधिष्ठान था और कंस में भी, पर एक की आज जयंती मनाई जाती है और दूसरे का स्मरण हमारे हृदयों में घृणा के उद्रेक का कारण होता है। बात क्या है? एक ने अपने बल का उपयोग किया जनता के अधिकारों की रक्षा में और दूसरे ने उनके अपहरण में, एक के बल का पथ-प्रदर्शक था प्रेम और दूसरे का स्वार्थ, बस दोनों का यही अंतर है। इसका अर्थ यह हुआ कि सबल के बल का सदुप्रयोग की उसकी सफलता की एकमात्र कुंजी है। (Page 26) (M.P. 2010)

शब्दार्थ:

  • बली – बलवान, शक्तिशाली।
  • अधिष्ठान – संस्था, वासस्थान।
  • जयंती – जन्मदिन।
  • स्मरण – यादगार।
  • उद्रेक – वृद्धि, अधिकता।
  • पथ-प्रदर्शक – मार्ग दिखाने वाला।
  • अपहरण – छीन लेना, स्वार्थसिद्ध के लिए किसी को बलपूर्वक उठा ले जाना।
  • सबल – सशक्त, बलवान।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा रचित निबंध ‘वल-बहादुरी’ से लिया गया है। इस गद्यांश में लेखक ने वल के सेदुपयोग और दुरुपयोग में अंतर स्पष्ट किया है।

व्याख्या:
लेखक कहता है कि रावण भी शक्तिशाली था और राम भी शक्तिशाली थे। इसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण भी शक्ति के पुंज थे और कंस भी बलशाली था। जब ये चारों बलशाली और शक्तिशाली थे तो भी इनमें से एक का जन्मदिन बड़ी – धूमधाम से मनाया जाता है जबकि दूसरे की याद आते ही हमारे हृदयों में घृणा की वृद्धि होती है। इसका कारण है एक ने अपनी शक्ति का उपयोग जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए किया था।

उसने अन्याय, अत्याचारी, दुराचारी, राक्षस प्रवृत्ति के लोगों के चंगुल में फँसी जनता को मुक्ति दिलाने के लिए उनका संहार किया। दूसरे ने जनता के अधिकारों का बलपूर्वक हनन किया। उनके अधिकारों को छीना और जनता को सताया। एक ने शक्ति का मार्ग दिखाने का कार्य प्रेम से किया। उसने प्रेम के द्वारा जनता को अपना बनाया जबकि दूसरे ने अपनी ताकत का प्रयोग अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए किया। दोनों में अपनी शक्ति के प्रयोग में यही अंतर था।

एक ने दूसरों के हित के लिए प्रेम का मार्ग अपनाकर शक्ति का सदुपयोग किया, तो दूसरे ने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया। इसका आशय यह हुआ कि शक्तिशाली की ताकत का सदुपयोग ही उसकी सफलता का आधार है। अपनी शक्ति का सदुपयोग करने वालों का जन्मदिन मनाया जाता है और दुरुपयोग करने वालों के स्मरण मात्र से घृणा उत्पन्न होती है। अतः शक्ति के सदुपयोग में ही जीवन की सफलता है।

विशेष:

  1. लेखक ने शक्ति (बल) के सदुपयोग और दुरुपयोग का अंतर उदाहरण देकर किया है।
  2. भापा तत्सम शब्दावली प्रधान है और शैली सामासिक है।
  3. प्रत्येक वाक्य नपा-तुला सूक्ति समान है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
राम और कृष्ण की जयंती मनाई जाती है, क्यों?
उत्तर:
राम और कृष्ण दोनों ही शक्तिशाली थे। इन दोनों बलशालियों के जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं; क्योंकि इन्होंने अपने बल का सदुपयोग जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए किया था। उन्होंने अन्यायी, अत्याचारी और दुराचारी राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों से मुक्ति दिलाने के लिए उनका संहार किया था।

प्रश्न (ii)
रावण और कंस के स्मरण मात्र से हमारे हृदयों में घृणा क्यों उत्पन्न होती है?
उत्तर:
रावण और कंस शक्तिशाली थे, किन्तु उन्होंने अपनी शक्ति का दुरुपयोग जनता के अधिकारों का हनन करने में, जनता को सताने के लिए, अन्याय, अत्याचार और अपहरण आदि जघन्य कार्यों में किया। अतः उनके स्मरण मात्र से हमारे हृदय में घृणा उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 3.
राम और कृष्ण के बल की पथ-प्रदर्शक कौन था?
उत्तर:
राम और कृष्ण के बल का पथ-प्रदर्शक प्रेम था। इसी प्रेम के कारण वे अपने बल का सदुपयोग करने में सफल रहे।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
राम और कृष्ण तथा रावण और कंस के शक्ति प्रयोग में क्या अन्तरथा?
उत्तर:
राम और कृष्ण ने अपनी शक्ति का सदुपयोग प्रेम के द्वारा जनता को अपना बनाने के लिए किया, जबकि रावण और कंस ने अपनी ताकत का दुरुपयोग अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए किया। दोनों के अपनी शक्ति के प्रयोग का यही अंतर था।

प्रश्न (ii)
राम व कृष्ण और रावण-कंस के पथ व प्रदर्शक कौन थे?
उत्तर:
राम व कृष्ण का पथ प्रदर्शक प्रेम था। उन्होंने परहित के लिए प्रेम का मार्ग अपनाकर शक्ति का सदुपयोग किया। रावण व कंस का पथ-प्रदर्शक स्वार्थ था। उन दोनों ने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया।

प्रश्न 3.
राष्ट्र एवं जातियों के गौरव की स्थिति पूर्णतः कोकिल के शिशुओं जैसी है। उसका जन्म होता है, शक्ति की कल्याणमयी गोद में पर वह पलता है प्रेम के पवित्रपालने में। बल उसकी नसों में अभिमान एवं कर्मण्यता के रक्त का संचार करता है और प्रेम उसे त्याग का अमृत पिलाकर अमर करने का प्रयत्न । बल एवं प्रेम का यह सात्त्विक सहयोग ही राष्ट्रों के निर्माण की मूल शिला और इन दोनों का पारस्परिक विरोध ही विश्व के विशाल राष्ट्रों एवं जातियों के खंडहरों का सच्चा एवं हृदयबेधी इतिहास है। (Page 27)

शब्दार्थ:

  • गौरव – गर्व, महत्त्व, प्रतिष्ठा, बड़प्पन।
  • कोकिल – कोयल। कल्याणमयीसौभाग्यशाली, मंगलकारी।
  • पवित्र – शुद्ध, निर्मल, निश्छल।
  • पालना – भरण-पोषण करना, भोजन-वस्त्र आदि देकर बड़ा करना।
  • अभिमान – घमंड, गर्व।
  • नसों – रुधिर वाहिनी नलिकाएँ।
  • कर्मण्यता – कर्तव्यपरायणता, संचार-गमन, मार्गदर्शन, संदेशवाहक साधन का प्रकार।
  • अमृत – सुधा, वह वस्तु जिसके पीने से मुर्दा जी उठे।
  • अमर – अविनाशी, न मरने वाला।
  • सात्त्विक – सत्वगुणयुक्त, ईमानदार, नेक, शक्तिशाली।
  • हृदयबेधी – हृदय को बेधने वाला, हृदय को छलनी करने वाला।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा रचित निबंध ‘बल-बहादुरी’ से लिया गया है। इस गद्यांश में लेखक ने राष्ट्र एवं जातियों के उत्थान तथा पतन को रेखांकित किया है।

व्याख्या:
लेखक कहता है कि राष्ट्र (देश) और जातियों की प्रतिष्ठा की स्थिति संपूर्ण रूप से कोयल के शिशुओं (बच्चों) की भाँति होती है। राष्ट्र और जातियों का उदय होता है और वे शक्ति की मंगलकारी गोद में प्रेम के निश्छल पालने में उनका भरण-पोषण होता है। यही कारण है कि उसकी खून वाहिनी नलिकाओं में गर्व एवं कर्तव्य पालने का भाव भरा होता है। अर्थात् देश और जातियों के लोगों में अपने देश व जातियों के प्रति गर्व और कर्तव्य की भावना भरी होती है।

वह निश्छल प्रेम उसे अपने देश व जाति के लिए सर्वस्व बलिदान करने का अमृत पिलाकर अमर वना देता है। शक्ति (ताकत) और स्नेह का यह सत्वगुणयुक्त सहयोग ही राष्ट्र के उत्थान की आधारशिला है और यदि बल और प्रेम में परस्पर विरोध हो तो संसार के विशाल (बड़े) राष्ट्रों एवं जातियों का पतन हो जाता है। विश्व में विभिन्न राष्ट्रों एवं जातियों के अवशेष इसी सच्चाई एवं हृदय को बेधने वाला इतिहास इसका साक्षी है।

विशेष:

  1. राष्ट्रों एवं जातियों के उत्थान व पतन के कारणों को स्पष्ट किया गया है। प्रेम एवं बल का सहयोग राष्ट्रों का उत्थान करता है, तो इनका विरोध उनका पतन।
  2. भाषा तत्सम प्रधान एवं दुरूह है किन्तु सुगठित है।
  3. समासयुक्त शैली है।
  4. प्रत्येक वाक्य सूक्ति लगता है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
राष्ट्र एवं जातियों के गौरव की स्थिति कैसी होती है?
उत्तर:
राष्ट्र एवं जातियों के गौरव की स्थिति कोकिल के बच्चों जैसी होती है। राष्ट्र और जातियों का जन्म होता है किन्तु उनका पालन-पोषण शक्ति और प्रेम के द्वारा होता है। इससे ही उन्हें गौरव प्राप्त होता है।

प्रश्न (ii)
राष्ट्रों एवं जातियों का उत्थान-पतन कैसे होता है?
उत्तर:
प्रेम और बल का सहयोग राष्ट्रों का उत्थान करता है तो इनका विरोध उनका पतन करता है।

प्रश्न (iii)
विश्व के विशाल राष्ट्रों एवं जातियों का हृदयवेधी इतिहास कैसे बनताहै?
उत्तर:
प्रेम और बल का पारस्परिक विरोध ही विश्व के विशाल राष्ट्रों एवं जातियों का हृदयवेधी इतिहास बनता है। उन दोनों के पारस्परिक विरोध और संघर्ष से राष्ट्र और जातियाँ नष्ट हो जाती हैं और इतिहास का भाग बन जाती हैं।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
राष्ट्रों के निर्माण की आधारशिला क्या है?
उत्तर:
बल और प्रेम का सात्त्विक सहयोग राष्ट्रों के निर्माण की आधारशिला है।

प्रश्न (ii)
राष्ट्रों एवं जातियों के रक्त में बल और त्याग किसका संचार करते हैं?
उत्तर:
राष्ट्रों एवं जातियों के रक्त में बल अभियान एवं कर्मण्यता का संचार करता है। प्रेम उसमें त्याग की भावना उत्पन्न कर अमर बनाने का प्रयास करता है।

प्रश्न 4.
बल आकर्षण का केंद्र है। बल का उपयुक्त प्रदर्शन अपनों और बिगानों, सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है। सबल को सभी मुग्ध दृष्टि से देखते हैं, प्रेम और श्रद्धा का स्नेहोपहार उसके चरणों में समर्पित कर सभी अपने को धन्य समझते हैं, पर वीर अपने प्रतिद्वंद्वी वीर के एक प्रशंसा-वाक्य को जनसाधारण के अतिशयोक्तिपूर्ण अपने भाषणों से अधिक महत्त्व देता है। वास्तव में एक कवि ही दूसरे कवि की सच्ची प्रशंसा करने का अधिकारी है और एक वीर ही दूसरे वीर का सच्चा सम्मान कर सकता है।

इतिहास-रत्न जयमल और वीर शिरोमणि फत्ता का हम कितना ही गुण-गान करें। पर उनका सच्चा सम्मान तो मुगल सम्राट वीर अकबर ही कर सकता था। झाँसी की वीर महारानी लक्ष्मीबाई के सम्मान में हम कितने ही काव्यों का निर्माण क्यों न करें, उस देवी का वास्तविक सम्मान ब्रिटिश सेना के वीर सेनापति ह्यू रोज के वे शब्द हैं, जो आज भी इतिहास के स्वर्ण-पृष्ठों में अपनी दिव्य-प्रकाश-माला के साथ जगमगा रहे हैं। (Page 27)

शब्दार्थ:

  • आकर्षण – अपनी ओर खींचना।
  • प्रदर्शन – दिखावा।
  • बेगानों – परायों, दूसरों।
  • मुग्ध – मोहित, सुंदर।
  • स्नेहोपहार – प्रेम का उपहार।
  • प्रतिद्वंद्वी – विरोधी, विपक्षी।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा रचित निबंध ‘बल-बहादुरी’ से लिया गया है। इस गद्यांश में लेखक ने बल के महत्व को व्यक्त किया है।

व्याख्या:
बल अर्थात् शक्तिशाली व्यक्ति सभी का ध्यान अपनी ओर खींचता है। वह सभी के आकर्षण का केंद्र होता है। शक्ति का उपयुक्त प्रदर्शन अपने आत्मीयजनों, सगे-संबंधियों एवं मित्रों के साथ-साथ परायों को भी अपनी ओर खींचता है। सशक्त व्यक्ति को सभी मोहित करने वाली दृष्टि से देखते हैं। इतना ही नहीं वे प्रेम (स्नेह) और श्रंद्धा का प्रेममयी उपहार (भेंट) भी उसके चरणों में समर्पित कर स्वयं को सौभाग्यशाली समझते हैं। दूसरे शब्दों में, शक्तिशाली, बलशाली व्यक्ति को अपने तथा परायों का स्नेह प्राप्त होता है।

सभी उसके प्रति प्रेम व श्रद्धा रखते हैं। परन्तु जो सच्चा वीर होता है बहादुर होता है, वह अपने प्रबल विरोधी वीर के एक प्रशंसाभरे वाक्य को अधिक महत्त्व देता है। वह जन-सामान्य के द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर की गई प्रशंसा के भाषणों को अधिक महत्त्व नहीं देता। सत्य तो यह है कि एक कवि ही दूसरे कवि की कविताओं की वास्तविक प्रशंसा कर सकता है क्योंकि उसे कविता के गुण-दोषों का ज्ञान होता है।

इसी प्रकार एक सच्चा वीर ही दूसरे वीर की बहादुरी का सच्चा आदर कर सकताहै। इतिहास में रत्न माने जाने वाले वीर जयमल और वीरों में श्रेष्ठ समझे जाने वाले फत्ता का हम लोग कितना ही गुणगान करें, परंतु उनका सच्चा सम्मान तो मुगल सम्राट अकबर ही कर सकता है। यह इसलिए कि उन दोनों ने मुगल सम्राट अकबर की विशाल सेना का सामना किया था। सम्राट ने इनकी बहादुरी को देखा-परखा था।

लेखक कहता है कि इसी प्रकार झाँसी की वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के सम्मान में हम कितने ही काव्य-ग्रंथों का निर्माण क्यों न कर लें किंतु उस वीरांगना का उचित सम्मान तो ब्रिटिश सेना के बहादुर सेनापति ह्यूरोज द्वारा रानी के संबंध में कहे वे शब्द हैं जो इतिहास के सुनहरे पृष्ठों में आज भी अपनी दिव्य-प्रकाश-माला के साथ चमक रहे हैं। कहने का भाव यह है कि रानी के संबंध में सेनापति ह्यूरोज द्वारा कहे गए शब्द ही सर्वाधिक रूप में अपना महत्त्व रखते हैं। वही उनकी बहादुरी के प्रमाण हैं। एक वीर ही दूसरे वीर का सर्वोच्च सम्मान कर सकता है।

विशेष:

  1. बल और बहादुरी के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान है। सामासिक शैली है।
  3. प्रत्येक वाक्य सूक्ति का कार्य कर रहा है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
बल आकर्षण का केन्द्र कैसे है?
उत्तर:
बल आकर्षण का केन्द्र होता है। शक्तिशाली व्यक्ति की ओर सभी ध्यान देते हैं। यह इसलिए कि वह अपनी शक्ति-प्रदर्शन के द्वारा अपने आत्मीयजनों, सगे-संबंधियों, मित्रों एवं दूसरों का ध्यान आकर्षित कर लेता है। उसे सभी मुग्ध दृष्टि से देखते हैं।

प्रश्न (ii)
वीर अपने प्रतिद्वंद्वी की बात को अधिक महत्त्व क्यों देते हैं?
उत्तर:
वीर अपने प्रतिद्वंद्वी वीर की बात को इसलिए महत्त्व देते हैं क्योंकि प्रतिद्वंद्वी . वीर ही उसकी वीरता का सच्चा मूल्यांकन कर सकता है। उसके द्वारा की गई प्रशंसा ही उसकी वास्तविक प्रशंसा होती है।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
वीर जनसामान्य की प्रशंसा को महत्त्व क्यों नहीं देता?
उत्तर:
वीर जनसामान्य की प्रशंसा को महत्त्व नहीं देता क्योंकि जनसामान्य उसकी प्रशंसा का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन करते हैं। एक सच्चा वीर ही दूसरे वीर की बहादुरी की प्रशंसा कर सकता है, जनसामान्य नहीं।

प्रश्न (ii)
वीर जयमल और फत्ता का सच्चा सम्मान कौन कर सकता था औरक्यों?
उत्तर:
वीर जयमल और फत्ता का सच्चा सम्मान अकबर ही कर सकता था; क्योंकि उसने उनकी वीरता को देखा-परखा था।

प्रश्न 5.
पश्चिम शरीर बल का उपासक है और भारत आत्मबल का। अपने-अपने क्षेत्र और समय में दोनों ही बल खूब फले-फूले और विकास की चरम सीमा तक पहुँचे। प्राचीनतम अतीत के अनंतर भी बुद्ध के रूप में भारत ने एक बार फिर अपने पक्ष की उज्ज्वलता घोषित की, पर अभी विश्व के विशाल प्रांगण में उसके पक्ष की सर्वोत्कृष्टता प्रमाणित होनी अवशिष्ट थी कि प्रकृति ने गाँधी की महासृष्टि की, जो युद्ध की पाशविकता की अहिंसा के साथ सफलतापूर्वक जोड़ एक सांस्कृतिक अनुष्ठान का रूप दे सका और यों भारतीय संस्कृति के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने में सफल हुआ। (Page 28)

शब्दार्थ:

  • उपासक – उपासना करने वाला, आराधक।
  • आत्मबल – आत्मा का बल, मन का बल।
  • अनंतर – तुरंत बाद।
  • उज्ज्वलता – कांति, चमकता हुआ।
  • अवशिष्ट – शेष, बचा हुआ।
  • पाशविकता – पशु प्रवृत्ति।
  • अनुष्ठान – धार्मिक कृत्य।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ द्वारा रचित निबंध ‘बल-बहादुरी’ से लिया गया है। इस गद्यांश में लेखक ने बल के संबंध पश्चिमी और भारतीय दृष्टिकोण के अंतर को स्पष्ट किया है।

व्याख्या:
पश्चिमी सभ्यता अथवा पश्चिम के राष्ट्र शारीरिक-शक्ति की उपासना करने वाले हैं। वे शारीरिक बल को महत्त्व देते हैं जबकि भारतीय सभ्यता के लोग आत्मिक शक्ति को महत्त्व देते हैं। बल के संबंध में भारतीय और पश्चिम के दृष्टिकोण में पर्याप्त अंतर है। पश्चिम में शारीरिक बल और भारत में आत्मिक बल दोनों ही खूब विकसित हुए और अपने विकास की अंतिम सीमा तक पहुँचे। प्राचीनतम काल के तुरंत बाद भी महात्मा बुद्ध के रूप में भारत ने एक बार पुनः अपने आत्मबल की चमक बिखेरी। उनकी कांति चारों ओर फैलायी।

परंतु अभी तक संसार के विस्तृत क्षेत्र में उनके पक्ष की सर्वोत्कृष्टता सिद्ध होनी बाकी थी कि प्रकृति ने महात्मा गाँधी की महासृष्टि की अर्थात् जब तक संसार महात्मा बुद्ध के आत्मबल को सर्वश्रेष्ठ मानता तब तक संसार में महात्मा गाँधी उत्पन्न नहीं हुए। वे ऐसे समय में उत्पन्न हुए जब संसार युद्धग्रस्त था और हिंसा, अन्याय, अत्वाच्यर के रूप में मनुष्य की पशु प्रवृत्ति उजागर हो रही थी। उन्होंने युद्ध की पाशविकता का अहिंसा के साथ सामना किया। उन्होंने पाशविकता को अहिंसा के साथ सफलतापूर्वक जोड़कर एक सांस्कृतिक अनुष्ठान का रूप दिया। दूसरे शब्दों में उन्होंने हिंसा के स्थान पर अहिंसा को महत्त्व दिया।

वे अहिंसा का सहारा लेकर बिना युद्ध के स्वतंत्रता प्राप्त करने में सफलता अर्जित कर भारतीय संस्कृति के इतिहास में एक नवीन अध्याय को जोड़ने में सफल हुए। महात्मा गाँधी ने अपने आत्मवल के द्वारा संसार में अहिंसा के महत्त्व को स्थापित किया। उन्होंने विशाल शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को भारत को स्वतंत्र करने के लिए विवश कर भारतीय संस्कृति के नए अध्याय का प्रारंभ किया।

विशेष:

  1. बल के संबंध में भारतीय दृष्टिकोण की महत्ता को स्थापित किया है। भारतीय संस्कृति में अहिंसा के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।
  2. भाषा तत्सम प्रधान है। सामासिक शैली है।
  3. प्रत्येक वाक्य सूक्ति प्रतीत होता है। वाक्य सुसंगठित हैं।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
बल के संबंध में पश्चिम और भारत के क्या विचार हैं?
उत्तर:
बल के संबंध में पश्चिम और भारत के विचारों में पर्याप्त अंतर है। पश्चिम शारीरिक बल का उपासक है, तो भारत आत्मबल का उपासक है। भारत ने प्राचीनकाल से लेकर आधुनिक काल तक आत्मबल की श्रेष्ठता सिद्ध की है।

प्रश्न (ii)
महात्मा गाँधी ने आत्मबल के द्वारा किस नए अध्याय का प्रारंभ किया?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने अपने आत्मबल के द्वारा संसार में अहिंसा के महत्त्व को स्थापित किया। उन्होंने इसके द्वारा विशाल शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को भारत को स्वतंत्र करने के लिए विवश कर भारतीय संस्कृति में आत्मबल और अहिंसा के नए अध्याय का प्रारंभ किया।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
कौन-कौन से बल अपने विकास की चरम सीमा तक पहुँचे?
उत्तर:
शारीरिक बल तथा आत्मबल दोनों ही बल अपने-अपने क्षेत्र और समय में खूब, फले-फूले और विकास की चरम सीमा तक पहुँचे। पशिप में शारीरिक बल और भारत में आत्मिक बल विकास की चरम तक पहुँचे।

प्रश्न (ii)
महात्मा गाँधी की प्रवृति ने कैसे समय में महासृष्टि की?
उत्तर:
महात्मा गाँधी की प्रवृत्ति ने ऐसे समय में महासृष्टि की जब पूरा संसार युद्धग्रस्त था। चारों ओर हिंसा, अन्याय और अत्याचार के रूप में मनुष्य की पशु-प्रवृत्ति प्रकट हो रही थी। उन्होंने युद्ध की पाशविकता का आत्मबल और अहिंसा से सामना किया।

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MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 4 गेहूँ और गुलाब

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 4 गेहूँ और गुलाब (निबन्ध, रामवृक्ष बेनीपुरी)

गेहूँ और गुलाब अभ्यास

बोध प्रश्न

गेहूँ और गुलाब अति लघु उत्तरीय प्रश्न

गेहूं और गुलाब MP Board Class 10th Hindi प्रश्न 1.
पृथ्वी पर मानव अपने साथ क्या लेकर आया है?
उत्तर:
पृथ्वी पर मानव अपने साथ भूख और प्यास लेकर आया है।

गेहूं और गुलाब पाठ के प्रश्न उत्तर MP Board Class 10th Hindi प्रश्न 2.
मानव को मानव किसने बनाया?
उत्तर:
मानव को मानव गुलाब ने बनाया।

गेहूं और गुलाब निबंध का सारांश MP Board Class 10th Hindi  प्रश्न 3.
मानव जीवन सुखी और आनन्दित कब होता
उत्तर:
मानव जीवन सुखी और आनन्दित तब होता है जब वह गेहूँ और गुलाब में सन्तुलन बना कर रखता है।

गेहूं और गुलाब निबंध MP Board Class 10th Hindi प्रश्न 4.
गुलाब किसका प्रतीक बन गया है?
उत्तर:
गुलाब विलासिता, भ्रष्टाचार, गन्दगी और गलीच का प्रतीक बन गया है।

प्रश्न 5.
आज का मानव किस परम्परा से प्रभावित है?
उत्तर:
आंज का मानव शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले साधनों की प्रचुरता से प्रभावित हो रहा है।

प्रश्न 6.
कामनाओं को स्थूल वासनाओं के क्षेत्र से ऊपर उठाकर हमारी प्रवृत्ति किस ओर होनी चाहिए ?
उत्तर:
कामनाओं को स्थूल वासनाओं के क्षेत्र से ऊपर उठाकर सूक्ष्म भावनाओं की ओर प्रवृत्त होना चाहिए।

गेहूँ और गुलाब लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गेहूँ और गुलाब से मानव को क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
गेहूँ से मानव के शरीर की पुष्टि होती है और गुलाब से मानव के मानस की तृप्ति होती है।

प्रश्न 2.
मनुष्य पशु से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
मनुष्य के शरीर में पेट का स्थान नीचे है और हृदय तथा मस्तिष्क ऊपर। पशुओं के शरीर में पेट और मानस समानान्तर रेखा में होते हैं।

प्रश्न 3.
विज्ञान ने गेहूँ के बारे में क्या बतलाया है?
उत्तर:
विज्ञान ने गेहूँ के बारे में बताया है कि पृथ्वी और आकाश के कुछ तत्त्व एक विशेष प्रक्रिया से पौधों की बालियों में संगृहीत होकर गेहूँ बन जाते हैं।

प्रश्न 4.
गेहूँ और मानव शरीर का क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
गेहूँ और मानव शरीर का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है। गेहूँ खाकर ही मानव अपनी चिरबुभुक्षा को शान्त करता है।

प्रश्न 5.
वृत्तियों को वश में करने के लिए मनोविज्ञान के कौन-से उपाय बताये हैं?
उत्तर:
वृत्तियों को वश में करने के लिए मनोविज्ञान ने दो उपाय बताये हैं-

  1. इन्द्रियों का संयम और
  2. वृत्तियों का उन्नयन।

प्रश्न 6.
लेखक के अनुसार शुभ दिन का स्वरूप कैसा होगा?
उत्तर:
लेखक के अनुसार शुभ दिन तब होगा जब हम स्थूल शारीरिक आवश्यकताओं की जंजीर तोड़कर सूक्ष्म मानव जगत् के लिए नया लोक बसायेंगे।

गेहूँ और गुलाब दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘गेहूँ और गुलाब’ में लेखक सन्तुलन स्थापित करना क्यों चाहते हैं?
उत्तर:
गेहूँ और गुलाब में लेखक सन्तुलन स्थापित करना इसलिए चाहते हैं कि ताकि वह सुखी सानन्द रहे।

प्रश्न 2.
वृत्तियों के उन्नयन का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वृत्तियों के उन्नयन का आशय यह है कि हम कामनाओं को स्थूल वासनाओं के क्षेत्र से ऊपर उठाकर सूक्ष्म भावनाओं की ओर प्रवृत्त कराएँ।

प्रश्न 3.
उसके श्रम के साथ संगीत बँधा हुआ था और संगीत के साथ श्रम’-इस पंक्ति का भाव विस्तार कीजिए।
उत्तर:
इस पंक्ति का भाव यह है कि जब तक मानव के जीवन में गेहूँ और गुलाब का सन्तुलन रहा तब तक कमाता हुआ गाता था और गाता हुआ कमाता था। इस प्रकार श्रम और संगीत दोनों एक साथ मिले हुए थे।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अंश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(अ) मानव शरीर में पेट …………..रेखा में नहीं है।
उत्तर:
लेखक श्री बेनीपुरी जी कहते हैं कि मानव और पशु की शारीरिक रचना में अन्तर है। मानव की शारीरिक रचना में उसके पेट का स्थान नीचे है, पेट के ऊपर हृदय का और हृदय से भी ऊपर मस्तिष्क का स्थान होता है। पशुओं के समान उसका पेट और मानस समानान्तर रेखा में नहीं है। जिस दिन मानव सीधा तनकर खड़ा हो गया उसी दिन मानस (मस्तिष्क) ने उसके पेट पर विजय प्राप्त कर ली।

प्रश्न 5.
रामवृक्ष बेनीपुरी की भाषा-शैली पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
श्री रामवृक्ष बेनीपुरी ने अपने निबन्धों में एक विशेष प्रकार की अलंकृत भाषा का प्रयोग किया है। आपकी भाषा में सूत्रात्मकता है। एक सूत्र के रूप में आप किसी बात को कह देते हैं। आपकी शैली भावुकता प्रधान है। भाषा में आपने शब्द चित्रों को अत्यन्त सजीव बना दिया है। आपके निबन्धों में विचारों की गम्भीर अभिव्यक्ति देखने को मिलती है। साथ ही उसमें उपदेशात्मकता भी आ गयी है।

गेहूँ और गुलाब भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
पाठ में आये हुए इन सामासिक शब्दों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए
उत्तर:

  1. सौन्दर्य-बोध = सौन्दर्य का बोध = तत्पुरुष समास।
  2. मन-मोर = मन का मोर = तत्पुरुष समास।
  3. गृह-युद्ध = गृह का युद्ध = तत्पुरुष समास।
  4. कीट-पतंग = कीट और पतंग = द्वन्द्व समास।
  5. इन्द्र-धनुष = इन्द्र का धनुष = तत्पुरुष समास।

प्रश्न 2.
दिये गये शब्दों से वाक्य बनाइए
उत्तर:

  1. कच्चा-कुम्हार कच्चा घड़ा तैयार कर रहा है।
  2. शारीरिक-गेहूँ शारीरिक जरूरतों को पूरा करता है।
  3. मानसिक-गुलाब मानसिक स्तर को व्यक्त करता है।
  4. भ्रष्टाचार-शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति में कभी-कभी मानव भ्रष्टाचार की राह भी अपना लेता है।

गेहूँ बनाम गुलाब महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

गेहूँ और गुलाब बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘गेहूँ बनाम गुलाब’ निबन्ध के लेखक हैं-
(क) सरदार पूर्णसिंह
(ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
(ग) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(घ) अज्ञेय।
उत्तर:
(ख) रामवृक्ष बेनीपुरी

प्रश्न 2.
‘गेहूँ और गुलाब’ निबन्ध है-
(क) ललित
(ख) विचारात्मक
(ग) वर्णनात्मक
(घ) राजनीतिक।
उत्तर:
(क) ललित

प्रश्न 3.
गेहूँ और गुलाब किस बात के प्रतीक हैं?
(क) श्रम का
(ख) एक से शरीर पुष्ट होता है और दूसरे से मन प्रफुल्लित होता है
(ग) विलासिता का
(घ) भौतिकता एवं सौन्दर्य बोध।
उत्तर:
(घ) भौतिकता एवं सौन्दर्य बोध।

प्रश्न 4.
प्रथम संगीत का स्वर किस समय गूंजा?
(क) पक्षियों के द्वारा
(ख) पशुओं के द्वारा
(ग) गेहूँ के ऊखल में कूटने पर
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) गेहूँ के ऊखल में कूटने पर

प्रश्न 5.
‘गेहूँ और गुलाब’ निबन्ध में गेहूँ किसका प्रतीक है? (2011)
(क) अमीरी का
(ख) गरीब का
(ग) श्रमिक का
(घ) विलासी का।
उत्तर:
(क) अमीरी का

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. गेहूँ और गुलाब में हम फिर एक बार ………… स्थापित करें।
  2. मानव शरीर में पेट का स्थान …………… है।
  3. विलासिता शरीर को नष्ट करती है और …………..को भी।
  4. इन्द्रधनुष ने उसके हृदय को भी इन्द्रधनुषी रंगों में ………… दिया।
  5. मानव पृथ्वी पर आया …………. लेकर, क्षुधा लेकर।

उत्तर:

  1. सन्तुलन
  2. नीचे
  3. धन
  4. रंग
  5. भूख।

सत्य/असत्य

  1. गेहूँ बड़ा या गुलाब? हम क्या चाहते हैं-पुष्ट शरीर या तृप्त मानस?
  2. ‘गुलाब’ मनुष्य की मानसिक तृप्ति और सौन्दर्य बोध का प्रतीक है। (2009)
  3. गेहूँ मनुष्य की भूख एवं शारीरिक आवश्यकता का प्रतीक है। (2009, 12, 15)
  4. क्या प्रचुरता मानव को सुख और शान्ति नहीं दे सकती है?
  5. मानव के जीवन में जब तक गेहूँ और गुलाब का सन्तुलन रहा वह सुखी रहा,सानन्द रहा।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 4 गेहूँ और गुलाब img-1
उत्तर:
1. → (ख)
2. → (ङ)
3. → (घ)
4. → (ग)
5. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. गुलाब की दुनिया कैसी दुनिया है?
  2. गेहूँ आज किसका प्रतीक है?
  3. मानव शरीर में पेट का स्थान कहाँ है?
  4. उसका साँवला दिन में गायें चराता था,रास रचता था। किसके लिए प्रयोग किया है?
  5. गुलाब आज किसका प्रतीक बन गया है?

उत्तर:

  1. रंगों की दुनिया
  2. आर्थिक और राजनीतिक सम्पन्नता का
  3. नीचे
  4. कृष्ण
  5. विलासिता का, भ्रष्टाचार का, गन्दगी और गलीज का।

गेहूँ और गुलाब पाठ सारांश

‘गेहूँ और गुलाब’ रामवृक्ष बेनीपुरी का प्रसिद्ध एवं प्रतीकात्मक निबन्ध है।

इस निबन्ध में लेखक ने गेहूँ को भौतिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रगति का प्रतीक माना है तथा गुलाब को मानसिक एवं सांस्कृतिक प्रगति का मानव प्राचीन काल से ही सौन्दर्य प्रेमी रहा है। गुलाब के प्रति मानव का विशेष आकर्षण रहा है क्योंकि यह सुन्दर पुष्प होने के साथ-साथ उपयोगी भी है। सुगन्ध के लिए भी गुलाब का महत्त्व है।

गेहूँ का प्रयोग हम भोजन के रूप में करते हैं। गुलाब को खुशबू के लिए प्रयोग करते हैं व सूंघते भी हैं। एक से पेट भरता है, तो दूसरे से व्यक्ति को मानसिक सन्तुष्टि मिलती है। मानव ने अथक् परिश्रम करके गेहूँ का उत्पादन किया। इसी प्रकार से गुलाब की भी खेती की। इस प्रकार मनुष्य ने गुलाब और गेहूँ में सन्तुलन बनाये रखने का प्रयत्न किया है।

भौतिक सुख और सुविधाओं से मनुष्य को स्थायी सुख और शान्ति प्राप्त नहीं हो सकती है। ये सब तो दिखावा और छलावा है लेकिन मानव इन सुख-सुविधाओं के पीछे निरन्तर दौड़ रहा है। इसी कारण मनुष्य में स्वार्थवश मानवता के स्थान पर दानवता बढ़ती जा रही है। ये सब प्रवृत्ति समाज के हित में नहीं है। अतः ऐसा प्रयत्न करना चाहिए जिससे मानसिक संस्कार विकसित हों अर्थात् गेहूँ पर गुलाब की और शरीर पर मन की जीत हो जाय।

अब गेहूँ की दुनिया समाप्त हो रही है। गुलाब की दुनिया विकसित होती जा रही है। अतः विज्ञान और मानव दोनों को सचेष्ट रहना चाहिए अन्यथा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का विनाश निश्चित है।

गेहूँ और गुलाब संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

(1) मानव को मानव बनाया गुलाब ने। मानव, मानव तब बना, जब उसने शरीर की आवश्यकताओं पर मानसिक वृत्तियों को तरजीह दी।

कठिन शब्दार्थ :
मानसिक वृत्तियों = मन की भावनाओं। तरजीह दी = महत्त्व दिया।

सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश ‘गेहूँ और गुलाब’ शीर्षक निबन्ध से लिया गया है। इसके लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी जी हैं।

प्रसंग :
लेखक ने इस अंश में यह बताया है कि जहाँ गेहूँ शरीर की आवश्यकताओं के लिए जरूरी है, वहीं गुलाब मानसिक वृत्तियों के लिए जरूरी है।

व्याख्या :
लेखक श्री रामवृक्ष बेनीपुरी कहते हैं कि गेहूँ मनुष्य की शारीरिक आवश्यकताओं अर्थात्, भूख आदि के लिए जहाँ आवश्यक है, वहीं गुलाब मानसिक सभ्यता को पनपाता है। अतः पूर्ण मानव बनने के लिए हमें गेहूँ और गुलाब दोनों चाहिए।

विशेष :

  1. मानवीय सभ्यता के लिए गुलाब जैसी उच्च भावनाओं की भी आवश्यकता है।
  2. भाषा भावानुकूल।

(2) मानव शरीर में पेट का स्थान नीचे है, हृदय का ऊपर और मस्तिष्क का सबसे ऊपर। पशुओं की तरह उसका पेट और मानस समानान्तर रेखा में नहीं है। जिस दिन सीधे तनकर खड़ा हुआ, मानस ने उसके पेट पर विजय की घोषणा की।

कठिन शब्दार्थ :
समानान्तर = एक सीध में। मानस = मनुष्य।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
इस अंश में लेखक ने मानव और पशुओं की शारीरिक बनावट के अन्तर को समझाया है।

व्याख्या :
लेखक श्री बेनीपुरी जी कहते हैं कि मानव और पशु की शारीरिक रचना में अन्तर है। मानव की शारीरिक रचना में उसके पेट का स्थान नीचे है, पेट के ऊपर हृदय का और हृदय से भी ऊपर मस्तिष्क का स्थान होता है। पशुओं के समान उसका पेट और मानस समानान्तर रेखा में नहीं है। जिस दिन मानव सीधा तनकर खड़ा हो गया उसी दिन मानस (मस्तिष्क) ने उसके पेट पर विजय प्राप्त कर ली।

विशेष :

  1. लेखक पशु और मानव के अन्तर को बताते हुए कह रहा है कि दोनों में मुख्य अन्तर है कि जहाँ पशु में शारीरिक आवश्यकताओं को प्राप्त करने की इच्छा होती है, वहीं मानव में उच्च विचारों को प्राप्त करने की इच्छा होती है।
  2. भाषा भावानुकूल।

(3) जब तक मानव के जीवन में गेहूँ और गुलाब का सन्तुलन रहा, वह सुखी रहा, सानन्द रहा।

कठिन शब्दार्थ :
सानन्द = आनन्दपूर्वक।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
लेखक बताना चाहता है कि मानव जीवन में गेहूँ और गुलाब का सन्तुलन बहुत आवश्यक है। इन दोनों में सन्तुलन न रहने पर मानव सुखी नहीं रह सकता है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि जब तक मानव जीवन में गेहूँ और गुलाब में सन्तुलन बना रहेगा, तभी तक मानव सुखी और सानन्द रहेगा। जैसे ही दोनों का सन्तुलन बिमड़ेगा मानव जीवन नरक बन जायेगा।

विशेष :
लेखक ने गेहूँ और गुलाब के सन्तुलन पर जोर दिया है।

(4) कैसा वह शुभ दिन होगा, जब हम स्थूल शारीरिक आवश्यकताओं की जंजीर तोड़कर सूक्ष्म मानव जगत का नया लोक बसाएँगे।

कठिन शब्दार्थ :
स्थूल = दिखाई देने वाला। सूक्ष्म = प्रत्यक्ष न दिखाई देने वाला।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
इसमें लेखक ने स्थूल शारीरिक आवश्यकताओं – की तुलना में सूक्ष्म मानव जगत को महत्त्व दिया है।

व्याख्या :
लेखक बेनीपुरी जी कहते हैं कि मानव जीवन में तभी खुशहाली एवं आनन्द की प्राप्ति होगी जब हम शारीरिक आवश्यकताओं की जंजीर को तोड़कर सूक्ष्म मानव जगत का नया लोकं बसाएँगे।

विशेष :

  1. इस अंश में लेखक ने सूक्ष्म मानव जगत का – महत्त्व बताया है।
  2. भाषा भावानुकूल।

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MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 13 सौरमण्डलम्

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 13 सौरमण्डलम्

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 13 अभ्यासः

Mp Board Class 7 Sanskrit Chapter 13 प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) स्वप्रकाशरहिताः के? [अपने प्रकाश से रहित कौन होते हैं?]
उत्तर:
ग्रहाः

(ख) सर्वे ग्रहाः कं परिभ्रमन्ति? [सभी ग्रह किसके चारों ओर घूमते हैं?]
उत्तर:
सूर्यम्.

(ग) पृथिव्याः उपग्रह कः? [पृथ्वी का उपग्रह कौन है?]
उत्तर:
चन्द्रः

(घ) कदा चन्द्रस्य दर्शनं न भवति? [चन्द्र का दर्शन कब नहीं होता है?]
उत्तर:
अमावस्यायां रात्रौ।

प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) आकाशपिण्डेषु के के दृश्यन्ते? [आकाशपिण्डों में कौन-कौन दिखते हैं?]
उत्तर:
आकाशपिण्डेषु तारागणा: महाः उपग्रहाः च दृश्यन्ते। [आकाशपिण्डों में तारागण, ग्रह और उपग्रह दिखाई देते हैं।]

(ख) पृथिव्याः सूर्य परिक्रमण कालः कः? [पृथ्वी का सूर्य की परिक्रमा करने का समय कौन-सा है?]
उत्तर:
पृथिव्याः सूर्यपरिक्रमणकालः २३.५६ होरासु भ्रमन्ती ३६५.२५ दिवसेषु सूर्य परिक्रमणकालः वर्तते।। [पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते समय २३.५६ घंटों में घूमती है तथा ३६५.२५ दिनों में सूर्य की परिक्रमा करने का समय है।]

(ग) सूर्यम् परितः के ग्रहा: परिभ्रमन्ति? [सूर्य के चारों ओर कौन-से ग्रह घूमते हैं?]
उत्तर:
सूर्यम् परितः क्रमेण बुधः, शुक्रः, पृथिवी, मङ्गल, गुरुः, शनिः, अरुणः, वरुणः, यम इति ग्रहाः परिभ्रमन्ति। [सूर्य के चारों ओर क्रमशः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, गुरु, शनि, अरुण, वरुण, यम इत्यादि ग्रह घूमते हैं।]

(घ) चन्द्रस्य पृथिवीं परितः भ्रमणकालः कः? [पृथ्वी के चारों ओर घूमने का चन्द्रमा का समय क्या है?]
उत्तर:
चन्द्रस्य पृथिवीं परितः भ्रमणकालः २७.३२ दिवसाः। [चन्द्रमा का पृथ्वी के चारों ओर घूमने का समय २७.३२ दिन है।]

(ङ) सौरमण्डलमिति किमर्थम् उच्यते? [सौरमण्डल किस अर्थ से कहा जाता है?]
उत्तर:
सूर्यस्य मण्डले एव एतेषां सर्वेषां ग्रहाणां उपग्रहाणां च स्थिति सौरमण्डलम् उच्यते। [सूर्यमण्डल में ही इन सभी ग्रहों और उपग्रहों की स्थिति सौरमण्डल कही जाती है।]

प्रश्न 3.
उचित मेल करो
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 13 सौरमण्डलम् img 1
उत्तर:
(क) → (7)
(ख) → (4)
(ग) → (5)
(घ) → (1)
(ङ) → (8)
(च) → (2)
(छ) → (6)
(ज) → (3)

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाओ
(क) पूर्णिमायां रात्रौ चन्द्रस्यं दर्शनं भवति।
(ख) वयं प्रतिदनं सूर्यं चन्द्रं नक्षत्राणि च पश्यामः।
उत्तर:
(क) कस्याम् रात्रौ चन्द्रस्य दर्शनं भवति?
(ख) वयं प्रतिदिनम् कानि कानि पश्याम:?

प्रश्न 5.
आत्मनेपद धातु रूपों को लिखो
(क) याच
(ख) सेव्
(ग) शुभ् (शोभ)।
उत्तर:
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 13 सौरमण्डलम् img 2

प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों को भरो
(क) सूर्य ………… प्रकाशयति।
(ख) सर्वे ग्रहाः ………… परिक्रमन्ति।
(ग) ………….. ग्रहं परितः भ्रमन्ति।
(घ) …………. रात्रौ पूर्णचन्द्रस्य दर्शनम् भवति।
(ङ) प्रतिदिनं चन्द्रस्य …………. दृश्यते।
उत्तर:
(क) स्वप्रकाशेन
(ख) सूर्य
(ग) उपग्रहाः
(घ) पूर्णिमायाम्
(ङ) आकारभेदः।।

प्रश्न 7.
भिन्न प्रकृति के क्रियारूपों का वर्गीकरण करो-
मोदते, जानाति, पठथ, याचे, गच्छामि, सेवामहे, करोषि, शोभेते।
उत्तर:
जानाति, पठथ, गच्छामि, करोषि।

सौरमण्डलम् हिन्दी अनुवाद

वयं प्रतिदिनं सूर्यं चन्द्रं नक्षत्राणि च पश्यामः, चकिताः आह्लादिताश्च भवामः। ब्रह्माण्डस्य आकाशगङ्गायाम् आकाशपिण्डानां समूहाः वर्तन्ते। तेषु आकाशपिण्डेषु तारागणाः ग्रहाः उपग्रहाः च दृश्यन्ते।

ये स्वप्रकाशयुक्ताः भवन्ति ते ताराः इति कथ्यन्ते। तेषु सूर्यः प्रमुखः। स स्वप्रकाशेन ग्रहान् उपग्रहान् च प्रकाशयति।

स्वप्रकाशरहिताः पिण्डाः ग्रहाः इति कथ्यन्ते। सर्वे ग्रहाः सूर्य परिक्रमन्ति। पृथिवी अपि सूर्यात् सुदूरे स्थित्वा स्वयं स्वधुरि २३.५६ होरासु भ्रमन्ती ३६५.२५ द्विवसेषु सूर्य परिक्रामति। पृथिव्या सह अन्ये ग्रहाः अपि सूर्यप्रकाशेनैव प्रकाशिताः भवन्ति। सूर्यः केन्द्रस्थाने तिष्ठति। सूर्यं परितः क्रमेण बुधः,शुक्रः, पृथिवी, मङ्गलः, गुरुः, शनिः, अरुणः, वरुणः, यम’ इति ग्रहाः परिभ्रमन्ति। यद्यपि अब इसे ग्रह नहीं माना जाता है।

अनुवाद :
हम प्रतिदिन सूर्य, चन्द्रमा और नक्षत्रों को देखते हैं, चकित और प्रसन्न होते हैं। ब्रह्माण्ड की आकाश गंगा में आकाश पिण्डों का समूह विद्यमान है। उन आकाशपिण्डों में तारों के समूह, ग्रह और उपग्रह दिखायी पड़ते हैं।

ये सभी अपने प्रकाश से युक्त होते हैं, उन सब को तारे कहते हैं। उनमें सूर्य प्रमुख है। वह अपने प्रकाश से ग्रहों और उपग्रहों को प्रकाशित करता है।

अपने प्रकाश से रहित पिण्ड ग्रह कहे जाते हैं। सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। पृथ्वी भी सूर्य से बहुत दूर रहकर स्वयं अपनी धुरी पर २३.५६ घण्टों में घूमती हुई ३६५.२५ दिनों में सूर्य का चक्कर लगाती है। पृथ्वी के साथ अन्य ग्रह भी सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं। सूर्य केन्द्र स्थान में होता है। सूर्य के चारों ओर क्रमशः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, गुरु, शनि, अरुण, वरुण, यम आदि नवग्रह (नौ ग्रह) घूमा करते हैं।

उपग्रहाः ग्रहं परितः भ्रमन्ति। प्रत्येकस्य ग्रहस्य उपग्रहाः सन्ति। चन्द्रः पृथिव्याः उपग्रहः। चन्द्रस्य पृथिवीं परितः भ्रमण कालः २७.३२ दिवसाः। प्रतिदिनं चन्द्रस्य आकारभेदः दृश्यते। पौर्णिमायाः रात्रौ पूर्णचन्दस्य दर्शनं भवति। अमावस्यायां रात्रौ तु चन्द्रस्य दर्शनं न भवति।

सूर्यस्य मण्डले एव एतेषां सर्वेषां ग्रहाणां उपग्रहाणां च स्थितिः अस्ति। अतः एतदेव सौरमण्डलम् इति उच्यते। एतान् अतिरिच्य आकाशगङ्गायाम् ईदृशानां तारागणनां अनेके समूहाः वर्तन्ते। ब्रह्माण्डस्य विशालतायाः कल्पना दुष्करा एव अस्ति।

अनुवाद :
उपग्रह ग्रह के चारों ओर घूमते हैं। प्रत्येक ग्रह के उपग्रह होते हैं। चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है। चन्द्रमा का पृथ्वी के चारों ओर घूमने का समय २७.३२ दिन होता है। प्रत्येक दिन चन्द्रमा के आकार में भेद दिखाई देता है। पूर्णिमा की रात्रि को पूर्णचन्द्र का दर्शन होता है। अमावस्या की रात्रि को तो चन्द्रमा के दर्शन ही नहीं होते हैं।

सूर्यमण्डल में ही इन सभी ग्रहों और उपग्रहों की स्थिति होती है। इसलिए इसे ही सौरमण्डल कहा जाता है। इनके अतिरिक्त आकाशगंगा में ऐसे तारागणों के अनेक समूह होते हैं। ब्रह्माण्ड की विशालता की कल्पना अति दुष्कर ही है।

सौरमण्डलम् शब्दार्थाः

आह्लादिताः = प्रसन्न (बहुवचन)। अतिरिच्य = छोड़कर, अतिरिक्त। दृश्यन्ते = दिखाई देते हैं। कथ्यन्ते = कहे जाते हैं। होरासु = घण्टों में। परितः = चारों ओर। दुष्कराः = कठिन। ईदृशानां = इस प्रकार से।।

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions

MP Board Class 8th General English Solutions Chapter 3 The Ungrateful Jeweller

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MP Board Class 8th General English Solutions Chapter 3 The Ungrateful Jeweller

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The Ungrateful Jeweller Textual Exercise

Read and Learn
(पढ़ो और याद करो):
Do Yourself.

Word Power
(शब्द सामर्थ्य):

(A) Match the Columns:
(कॉलमों कामिलान:)

The Ungrateful Jeweller MP Board Class 8th
Answer:
(i) (d) one who cuts wood
(ii) (c) tired
(iii) (b) jewellery
(iv) (e) thankless
(v) (a) to set free

(B) Write what we call them:
(हम इन्हें क्या कहते हैं,लिखे:)

  1. one who cuts wood.
  2. one who makes jewellery.
  3. one who saves others.
  4. one who travels.
  5. one who makes sculptures.

Answer:

  1. Woodcutter
  2. Jeweller
  3. Savior
  4. Traveler
  5. Sculptor.

(C) Make adjectives of the following by adding full:
thank – thankful; grace – graceful; peace – peaceful; meaning – meaningful, help – helpful; pain – painful; wonder – wonderful; power – powerful; hope – hopeful:

Comprehension
(बोध प्रश्न):

Answer the following questions:
(निम्नलिखत प्रशनों के उत्तर लिखे:)

The Ungrateful Jeweller MP Board Class 8th Question 1.
When could the woodcutter not earn any money ?
(व्हेन कुड द वुडकटर नॉट अर्न ऐनी मनी ?)
लकड़हारा कब पैसे नहीं कमा पाता था ?
Answer:
The woodcutter could not earn any money during the rainy season.
(द वुडकटर कुड नॉट अर्न ऐनी मनी ड्यूरिंग द रेनी सीजन।)
लकड़हारा बरसात के मौसम में कोई पैसे नहीं कमा पाता था।

Class 8 English Chapter 3 The Ungrateful Jeweller MP Board Question 2.
Who were trapped in the well?
(हू वर ट्रैप्ड इन द वैल ?)
कुएँ में कौन फंसे हुए थे ?
Answer:
A tiger, a monkey, a snake and a jeweler were trapped in the well.
(अ टाइगर, अ मंकी, अस्नेक एण्ड अ जुअलर वर ट्रैप्ड इन द वैल।)
एक बाघ, बन्दर, साँप और जौहरी कुएँ में फंसे हुए थे।

The Ungrateful Jeweller Question Answer MP Board Question 3.
How did the tiger, the monkey and the snake help the woodcutter ?
(हाउ डिड द टाइगर, द मंकी एण्ड द स्नेक हैल्प द वुडकटर ?)
बाघ, बन्दर और साँप ने लकड़हारे की कैसे मदद की ?
Answer:
The tiger once gave the woodcutter a set of gold ornaments, the monkey gave him sweet fruits one day when he was very hungry and the snake helped him in coming out of the prison.
(द टाइगर वन्स गेव द वुडकटर अ सैट ऑफ गोल्ड और्नामेन्ट्स, द मंकी गेव हिम स्वीट फ्रूट्स वन डे व्हेन ही वॉज वेरी हंगरी एण्ड द स्नेक हैल्प्ड हिम इन कमिंग आउट ऑफ द प्रिजन।)
बाघ ने एक दिन लकड़हारे को सोने के आभूषण दिये, बन्दर ने उसे मीठे फल दिये जब वह बहुत भूखा था और साँप ने उसे जेल से निकलवाने में मदद की।

Lesson 3 The Ungrateful Jeweller MP Board Question 4.
Why was the woodcutter put in prison ?
(व्हॉय वॉज द वुडकटर पुट इन प्रिजन ?)
लकड़हारे को जेल में क्यों डाला गया ?
Answer:
The woodcutter was put in the prison because the ornaments which the tiger gave him were the lost ornaments of the queen. So, thinking him to be the thief, he was arrested.
(दवुडकटर वॉज पुट इन द प्रिजन बिकॉज, द ऑर्नामेन्ट्स विच द टाइगर गेव हिम वर द लॉस्ट ऑनर्नामेन्ट्स ऑफ द क्वीन। सो, थिंकिंग हिम टू बी द,श्रीफ, ही वॉज अरैस्टिड।)
लकड़हारे को जेल में इसलिए डाला गया क्योंकि जो सोने के आभूषण उसे बाघ ने दिये थे वे रानी के थे और लकड़हारे को चोर मानते हुए कैद कर लिया गया।

The Ungrateful Jeweller Story In Hindi MP Board Question 5.
Who among the four, trapped in the well proved ungrateful to the woodcutter ? How?
(हू अमंग द फोर ट्रैप्ड इन द वैल प्रूव्ड अनग्रेटफुल टु द वुडकटर ? हाउ ?)
कुएँ में फंसे हुए चारों में से लकड़हारे के प्रति कौन कृतघ्न निकला ? कैसे ?
Answer:
Jewell-er proved to be ungrateful to the woodcutter among the four trapped in the well as instead of helping the woodcutter he proved the woodcutter to be a thief before the king and woodcutter was sent to the prison.
(जुअलर प्रूव्ड टू बी अनग्रेटफुल टू द वुडकटर अमंग द फोर ट्रैप्ड इन द वैल ऐज इन्स्टैड ऑफ हैल्पिंग द वुडकटर ही प्रूव्ड द वुडकटर टू बी अ थीफ बिफोर द किंग एण्ड द वुडकटर वॉज सैन्ट टू द प्रिजन।)
कुएँ में फंसे हुए चारों में से जौहरी कृतघ्न निकला क्योंकि लकड़हारे की मदद की अपेक्षा उसने लकड़हारे को राजा के सामने चोर साबित कर दिया और कैद करवा दिया।

Question 6.
What did the snake do to help the woodcutter ?
(व्हॉट डिड द स्नेक डू टु हैल्प द वुडकटर ?)
साँप ने लकड़हारे की मदद करने के लिए क्या किया ?
Answer:
Snake bit the queen on her forehead such that she could not recover unless the woodcutter touched her forehead with his axe. Thus the woodcutter gained king’s favor and was freed.
(स्नेक बिट द क्वीन ऑन हर फोरहैड सच दैट सी कुड नॉट रीकवर अनलैस द वुडकटर टच्ड हर फोरहैड विद हिज एक्स। दस द वुडकटर गेन्ड किंगज़ फेवर एण्ड वॉज फ्रीड।)
साँप ने रानी के माथे पर इस तरह काटा कि वह लकड़हारे के उसके माथे को कुल्हाड़ी से छूने मात्र से ही ठीक हो सकती थी। इस तरह लकड़हारे ने राजा का विश्वास जीत लिया और उसे छोड़ दिया गया।

Question 7.
What happened to the jeweler in the end ?
(व्हॉट हैपन्ड टु द जुअलर इन द एण्ड ?)
अन्त में जौहरी को क्या हुआ ?
Answer:
The ungrateful jeweler was very much ashamed of his act in the end.
(द अनग्रेटफुल जुअलर वॉज वेरी मच अशेम्ड ऑफ हिज ऐक्ट इन द एन्ड।)
कृतघ्न जौहरी अन्त में अपने किए पर बहुत शर्मिन्दा हुआ।

Let’s Learn
(आओ याद करें):

(A) Given below is a story. The articles are missing in it. Use appropriate articles to fill in the blanks:
(नीचे दी गई एक कहानी है। इसमें आर्टीकल्स नहीं दिये हैं। उचित आर्टीकल से रिक्त स्थान भरोः)
Answer:
One day a eat climbed up a tree. Since it was sick, it could not climb down itself. It mewed and mewed. There lived an elephant at a nearby place. It was a good friend of the cat. It heard the cry of the cat. It ran fast to help the cat. Without climbing up the tree, the elephant caught the cat in his trunk and brought her down.

(B) Fill the missing words with the proper degree of the adjectives:
(विशेषण की उचित डिग्री से लुप्त शब्दों को भरोः)
Answer:

Class 8 English Chapter 3 The Ungrateful Jeweller MP Board

Let’s Talk
(आओ बात करों):

Make pairs in the class and talk about the Nobel prize with the help of the clues given. Complete the conversation:
(कक्षा में जोड़े बनाएँ और नीचे लिखे संकेतों की सहायता से नोबल पुरस्कार के बारे में बात करें। बातचीत को पूरा करें:)
Answer:
First Student : What is the highest award in the world?
Second Student : Nobel Prize is the highest award in the world.
Second Student : Why is it given ?
First Student : It is given for a specialized work done in the field of peace, Physics, Chemistry, Literature, Economics, Medicine.
First Student : Whom is it awarded by ?
Second Student : It is awarded by the Sweden Committee, Bank of Sweden and the Norwegian Parliament.
Second Student : Who got the Nobel Prize in Economics in India ?
First Student: Amartya Sen got the Nobel Prize in Economics.

Let’s Read
(आओ पढ़ें):

Given some newspaper cutting in the book. Read them carefully and answer the questions asked:
(कुछ अखबार की कटिंग दी गई हैं। उन्हें सावधानीपूर्वक पढ़ें:)

Question 1.
There are three news ‘items’ what are they about?
Answer:

  • Inauguration of Metro Rail, from, Rajiv, Chowk to Dwarka, New Delhi.
  • Woman’s fight with a leopard to save her son.
  • Isolated islands have giant species of different animals.

Question 2.
Who is the man – eater ?
Answer:
Leopard is the man – eater.

Question 3.
Why do animals on islands evolve into gigantic versions ?
Answer:
Animals on islands evolve into gigantic versions because of isolation and a lack of competition.

Question 4.
Who is Sue Lieberman ?
Answer:
Sue Lieberman is an evolutionary biologist and director of the Global Species program me for WWF International.

Question 5.
Which is the longest stretch of the Delhi metro rail ?
Answer:
The longest stretch of Delhi metro rail is from Rajiv Chowk to Dwarka. It is 22.8 km long.

Question 6.
What are Komodo dragons ?
Answer:
Komodo dragons are the world’s largest lizards which can be 3 meters long or more and weigh up to 225 kg.

Let’s Write
(आओ लिखो):

I. Read the following sentences and punctuate them:
(निम्नलिखित वाक्यों को पढ़ें और विराम चिन्ह लगाएँ:)
Answer:

  • Seema says, “They will leave for Mumbai.”
  • Have you heard about missiles ?
  • What a beautiful building ?
  • Ram, Mohan, Sohan, Twinkle are friends.
  • Can you put these articles on the rack ?
  • Do you know how rum-ours spread ?
  • The poem is about the winter season.
  • If you came across a helpless man, what would you do?

II. Look at the pictures given in the book and write a story with the help of the clues given:
(पुस्तक में दिए गए चित्रों को देखो और संकेतों की महायता से एक कहानी लिखे:)
Answer:
When you see travelling by bus or train, you should never take any eatables from a stranger as it may be dangerous. The eatables may carry drugs. So you may get infected. The person offering you the eatables may be a rogue and he may run away with your belongings when you are not in your senses. So it is never safe to take eatables from strangers.

Let’s do it
(आओ इसे करें):

Find out some motto’s.
Write them on a chart in Bold letters. Hang the chart in the classroom.
(कुछ आदर्श वाक्यों को ढूँढ़ो। उन्हें काले अक्षरों में एक चार्ट पर लिखें। कक्षा के कमरे में इस चार्ट को टाँगें।)
Answer:
Here are some motto’s. Students can write then on a chart themselves.

  • TRUTH ALONE WINS
  • WORK IS WORSHIP
  • A FRIEND IN NEED IS A FRIEND INDEED.

The Ungrateful Jeweller, Word Meanings

Several (सेवरल्) = अनेक;  Across (अक्रॉस) = पार;  Peep (पीप) = झाँकना;  Jewell-er (जुअलर) = जौहरी;  Trap ( ट्रैप) = फंसना;  In a fix (इन अफिक्स) = दुविधा में रहना या होना;  Pleasure (प्लेज़र) = आनन्द;  Exhausted (ऐगजॉस्टिड) = थका हुआ;  Content (कण्टेण्ट) = सन्तुष्टि;  Your highness (योर हाइनैस) = राजा को सम्बोधित करने हेतु आदर सूचक शब्द;  Ungrateful (अनग्रेटफुल) = कृतघ्न;  Forehead (फोरहैड) = मस्तक;  Favor (फेवर) = अनुग्रह;  Loomed (लूम्ड) = छा गया।  Release (रिलीज़) = मुक्त करना; Savior (सेव्यर) = बचाने वाला।

The Ungrateful Jeweller, Summary Pronunciation & Translation

1. Once there was a poor woodcutter. During the rainy season he could not earn money. For several days and nights he had nothing to eat. He made a long journey on foot in search of some job. On the way he came across a well. When he was passing by the well he heard”Help, Help”. The wood cutter peeped into the well. He saw a monkey, a tiger, a snake,stand a jeweler trapped in it.

न्स अवाज अ पूअर वुडकप्टर ड्यूरिंग द रेनी सीजन ही कुर्ड नॉट अर्न मनी. फॉर सेवरल डेज एण्ड नाइट्स ही हैड नथिंग टू ईट. ही मेड अ लांग जर्नी ऑन फुट इन सर्च ऑफ सम जॉब. ऑन द वे ही केम अक्रॉस वैल. व्हेन ही वाज पासिंग बाइ द वैल ही हर्ड “हैल्प, हैल्प”. द वुडकटर पीप्ड इन्टु द वैल. ही सॉ अ मंकी, अ टाइगर, अस्नेक, एण्ड अ ज्वेलर ट्रैप्ड इन इट.

अनुवाद:
एक बार की बात है एक गरीब लकड़हारा था। बरसात के मौसम में उसने कोई धन नहीं कमाया। कई दिनों और रातों तक उसे कुछ खाने को नहीं मिला था। उसने काम की तलाश में एक लम्बी पैदल यात्रा की। रास्ते में उसे एक कुआँ मिला। जब वह कुएँ के पास से गुजर रहा था उसने बचाओ-बचाओ’ की आवाज सुनी। लकड़हारा कुएँ के भीतर झाँका। उसने एक बन्दर, एक बाघ, एक साँप तथा एक जौहरी को कुएँ के अन्दर देखा।

2. They cried again, “Take us out”. The woodcutter was in a fix. If he pulled out the snake and the tiger, they might kill him. He said, “When you come out, you will bite me or kill me.” The tiger and the snake said, “We are not so thankless as to harm our savior.” The woodcutter took all of them out. They thanked him and said, “It will be a great pleasure if we can be of any help to you,” and went away.

दे क्राइड अगेन, “टेक अस आउट”. द वुड टर वाज इन अ फिक्स. इफ ही पुल्ड आउट द स्नेक एण्ड द टाइगर, दे माइट किल हिम. ही सैड, “व्हेन यू कम आउट, यू विल बाइट मी ऑर किल मी”. द-ट्राइगर एण्ड द स्नेक सैड, “वी आर नॉट सो थैकलैस एज टु हार्म अवर सेवियर.” द वुडकटर टुक ऑल ऑफ देम आउट. दे बैंक्ड हिम एण्ड सैड, “इट विल बी अ ग्रेट प्लेजर इफ वी कैन बी ऑफ एनी हैल्प टु यू,” एण्ड वैन्ट अवे.

अनुवाद:
वे पुनः चिल्लाये, “हमें बाहर निकालो।” लकड़हारा दुविधा में था। यदि उसने साँप और बाघ को बाहर निकाला तो वे उसे मार सकते थे। उसने कहा, “जब तुम बाहर आओगे तो तुम मुझे काट लोगे या मार दोगे।” बाघ और साँप ने कहा, “हम इतने कृतघ्न नहीं हैं कि अपने बचाने वाले को हानि पहुँचाएँ। लकड़हारे ने उन सभी को बाहर निकाल लिया। उन्होंने उसे धन्यवाद दिया और कहा, “हमें अत्यधिक प्रसन्नता होगी यदि हम कभी आपकी कोई मदद कर सकते हों।” और चले गए।

3. Days passed. The woodcutter was cutting a tree ‘ in the forest. He was very exhausted and hungry. He stopped near a tree. The monkey saw him and dropped some sweet fruits for him. The woodcutter ate them to his heart’s content and felt full of energy. He started his work again. While coming back he met the tiger. The tiger presented him a set of gold ornaments. The woodcutter thought, “My worries are over now. I shall sell the gold and get money. I can spend my life . easily and comfortably.” He went to the jeweler to sell the ornaments.

डेज पास्ड. द वुडकटर वाज कटिंग अट्री इन द फॉरेस्ट. ही वाज वैरी एगजॉस्टिड एण्ड हंग्री. ही स्टॉप्ड निअर अट्री. द मंकी सॉ हिम एण्ड ड्रॉप्ड सम स्वीट फ्रूट्स फॉर हिम. द वुडकटर एट दैम टु हिज हर्ट्स कान्टेन्ट एण्ड फैल्ट फुल ऑफ एनर्जी. ही स्टार्टेड हिज वर्क अगेन. व्हाइल कमिंग बैक ही मैट द टाइगर. द टाइगर प्रिजेन्टिड हिम अ सैट ऑफ गोल्ड ऑर्नामेंट्स. द वुडकटर थॉट, “माइ वरीज आर ओवर नाउ. आई शैल सेल द गोल्ड एण्ड गैट मनी. आइ कैन स्पैन्ड माइ लाइफ ईजिली एण्ड कम्फर्टेबिली.” ही वैन्ट टु द ज्वेलर टु सेल द ऑर्नामेंट्स.

अनुवाद:
दिन गुजरते गए। एक दिन लकड़हारा जंगल में। एक पेड़ काट रहा था। वह बहुत थका हुआ और भूखा था। वह। एक पेड़ के पास रुक गया। बन्दर ने उसे देखा और कुछ मीठे फल उसके लिए नीचे गिरा दिए। लकड़हारे ने उन्हें पेट भर खाया। और स्वयं को ऊर्जा से भरा अनुभव किया। उसने अपना काम पुनः आरम्भ कर दिया। लौटते समय उसे बाघ मिला। बाघ ने उसे सोने के आभूषणों का एक सैट दिया। लकड़हारे ने सोचा, “मेरी परेशानियाँ अब समाप्त हो गई हैं। मैं सोने को बेचकर धन पा लूँगा। मैं अपना जीवन आसानी और आराम से गुजार सकता हूँ।” वह आभूषणों को बेचने जौहरी के पास गया।

4. The jeweller at once took the ornaments and went straight to the king. He said to the king, “Your highness, the lost ornaments of the princess have been found.” The poor woodcutter was arrested and | put in prison. He thought of the ungratefulness of the jeweller and thought of the snake. The snake appeared at once and said, “I shall bite the queen and she will not recover unless you touch her forehead with your axe and in this way you can win the king’s favor.” Having said so the snake went away.

द ज्वेलर ऐट वन्स टुक द ऑर्नामेन्ट्स एण्ड वैन्ट स्ट्रेट टु द किंग. ही सैड टु द किंग, “योर हाइनैस, द लॉस्ट ऑर्नामेंट्स ऑफ द प्रिंसेस हैव बीन फाउण्ड.”द पूअर वुडकटर वाज अरेस्टिड एण्ड पुट इन प्रिजन. ही थॉट ऑफ द अनग्रेटफुलनेस ऑफ द ज्वेलर एण्ड थॉट ऑफ द स्नेक. द स्नेक अपीयर्ड ऐट वन्स एण्ड सैड, “आइ शैल बाइट द क्वीन एण्ड शी बिल नॉट रिकवर अनलैस यू टच हर फोरहैड विद योर एक्स एण्ड इन दिस वे यू कैन विन द किंग्स फेवर”. हैविंग सैड सो द स्नेक वैन्ट अवे.

अनुवाद:
जौहरी ने तुरन्त आभूषण लिए और सीधा राजा के पास गया। उसने राजा से कहा, “हुजूर, राजकुमारी के खोये हुए आभूषण मिल गए हैं।” गरीब लकड़हारे को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। उसने जौहरी की कृतघ्नता के बारे में सोचा और साँप के बारे में विचार किया। साँप तुरन्त प्रकट हो गया और उसने कहा, “मैं रानी को डस लूँगा और वह तब तक शिवलाल दिग्दर्शिका सम्पूर्ण विषय ठीक नहीं होगी जब तक तुम अपनी कुल्हाड़ी से उनके मस्तक को नहीं छुओगे और इस प्रकार तुम राजा की कृपा पा सकते हो।” ऐसा कहकर साँप चला गया।

5. The snake bit the queen. The clouds of danger loomed over the life of the queen. One of the king’s men said, “The woodcutter in the prison can save the queen’s life.” At once the woodcutter was called. He came and touched the queen’s forehead with his axe. She recovered fully. The woodcutter was released and the king gave him all his ornaments and a lot of gold. The ungrateful jeweller was very much ashamed of his act.

द स्नेक बिट द क्वीन. द क्लाउड्स ऑफ डेंजर लूम्ड ओवर द लाइफ ऑफ द क्वीन. वन ऑफ द किंग्स मैन सैड, “द वुडकटर इन द प्रिजन कैन सेव द क्वीन्स लाइफ.” ऐट वन्स द वुडकटर वाज कॉल्ड. ही केम एण्ड टच्ड द क्वीन्स फोरहैड विद हिज एक्स. शी रीकवर्ड फुली. द वुडकटर वाज रिलीज्ड एण्ड द किंग गेव हिम। ऑल हिज ऑर्नामेंट्स एण्ड अ लॉट ऑफ गोल्ड. द अनग्रेटफुल। ज्वैलर वाज वैरी मच अशेम्ड ऑफ हिज एक्ट.

अनुवाद:
साँप ने रानी को डस लिया। रानी के जीवन पर खतरे के बादल मँडराने लगे। राजा के एक सेवक ने कहा, “जेल में बन्द लकड़हारा रानी के जीवन को बचा सकता है। तुरन्त लकड़हारे को बुलाया गया। वह आया और उसने रानी के माथे को अपनी कुल्हाड़ी से छुआ। वह पूर्णरूप से सही हो गयी। लकड़हारे को मुक्त कर दिया गया और राजा ने उसके सारे आभूषण और बहुत-सा सोना उसे दिया। कृतघ्न जौहरी अपने किए पर बहुत शर्मिन्दा हुआ।

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MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 6 The New Player in the Team

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The New Player in the Team Textual Exercises

Word Power

A. Match the following words with their meanings.
(सुमेलित कीजिए)

The New Player In The Team MP Board Class 10th
Answer:
1. → (e)
2. → (c)
3. → (d)
4. → (b)
5. → (a)

B. Use the following words in sentences of your own.
(निम्न शब्दों के वाक्य बनाइए)
Answer:
1. coach
A coach trains his team to play well.

2. court
Rohan filed a case in the court against Ajay for stealing his gold.

3. yearn
I yearn to lead a life of solitude in the country away from stress.

4. prejudge
It is not fair to prejudge the capability of a player.

C. Fill in the blanks spaces by using the word coming in the text.
(रिक्त स्थान भरो)

  1. It was just a matter of ………… practice. (vigorous/rigorous)
  2. This gave a massive ………… to her confidence. (boost/boast)
  3. I will never again ………… people; I hope you can forgive me. (prejudge/prelude)
  4. Even the ………… remarks from the teammates only made her more resolute. (severe/snide)

Answer:

  1. rigorous
  2. boost
  3. prejudge
  4. snide.

How Much Have I Understood?

A. Answer these questions. (One or two sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।)

The New Player In The Team MP Board Class 10th Question 1.
Why was Mamta’s selection in the school team a surprise to everyone?
(व्हाय वॉज़ ममताज़ सलेक्शन इन द स्कूल टीम अ सरप्राइज़ availah?)
ममता का स्कूल की टीम में चुनाव सबके लिए आश्चर्यजनक क्यों था?
Answer:
Mamta’s selection in the school team was a surprise to everyone because she had joined the school only a month before and had never played basketball before.
(ममताज़ सलेक्शन इन द स्कूल टीम वॉज़ अ सरप्राइज़ टू ‘एव्रीवन बिकॉज शी हैड जॉइन्ड द स्कूल ओनलि अ मन्थ बिफोर एण्ड हैड नेवर प्लेड बास्केटबॉल बिफोर।)
ममता का स्कूल की टीम में चुनाव सबके लिए आश्चर्यजनक था क्योंकि वह विद्यालय में एक माह पूर्व ही आई थी व उसने बास्केटबॉल पहले कभी नहीं खेली थी।

Class 10 English Chapter 6 The New Player In The Team MP Board Question 2.
What qualities did the coach notice in Mamta?
(व्हॉट क्वालिटीज़ डिड द कोच नोटिस इन ममता?)
कोच ने ममता में कौन-से गुण देखे?
Answer:
The coach noticed that Mamta’s passes were good and she was also physically fitter than anyone else.
(द कोच नोटिस्ड् दैट ममताज़ पासेस वर गुड एण्ड शी वॉज़ ऑल्सो फिज़िकली फिटर दैन एनीवन एल्स।)
कोच ने देखा कि ममता गेंद को बहुत अच्छी तरह दूसरे खिलाड़ी की तरफ बढ़ाती थी तथा वह शारीरिक रूप से दूसरी खिलाड़ियों से स्वस्थ थी।

The New Player In The Team Class 10 MP Board Question 3.
How did her classmates behave with her?
(हाउ डिड हर क्लासमेट्स बिहेव विद हर?)
उसके सहपाठियों का उसके साथ कैसा व्यवहार था?
Answer:
Mamta’s classmates treated her as an unwelcome guest who was too low in status by their standards.
(ममताज़ क्लासमेट्स ट्रीटेड हर एज़ एन अनवेलकम गैस्ट हू वॉज़ टू लो इन स्टेटस बाइ देयर स्टैण्डर्ड्स।)
ममता की सहपाठी उससे एक अनचाहे मेहमान की तरह व्यवहार करती थीं जो उनके दर्जे से बहुत नीची थी।

The New Player In The Team Question Answer MP Board Class 10th Question 4.
Why did the girls refuse to make Mamta their friend?
(व्हाय डिड द गर्ल्स रिफ्यूज़ टू मेक ममता देयर फ्रेन्ड्?)
लड़कियों ने ममता से दोस्ती करने से इंकार क्यों कर दिया?
Answer:
The girls refused to make Mamta their friend because she came from a small town and was not rich.
(द गर्ल्स रिफ्यूज्ड टू मेक ममता देयर फ्रेन्ड् बिकॉज़ शी कम फ्रॉम अ स्मॉल टाउन एण्ड वॉज़ नॉट रिच।)
लड़कियों ने ममता से दोस्ती करने से इंकार कर दिया क्योंकि वह एक छोटे कस्बे से आई थी व अमीर नहीं थी।

Blossom Class 6 Solutions MP Board Class 10th Question 5.
What was the challenge before Mamta?
(व्हॉट वॉज़ द चैलेन्ज बिफोर ममता?)
ममता के समक्ष क्या चुनौती थी?
Answer:
The challenge before Mamta was to win the trophy in the inter-school basketball championship that year.
(द चैलेन्ज बिफोर ममता वॉज़ टू विन द ट्रॉफी इन द इन्टर-स्कूल बास्केटबॉल चैम्पियनशिप दैट ईयर।)
ममता के समक्ष उस वर्ष की अन्तर-विद्यालय बास्केटबॉल प्रतियोगिता जीतने की चुनौती थी।

Mp Board Class 10 English Chapter 6 Question 6.
Which remark of the coach touched Mamta?
(व्हिच रिमार्क ऑफ द कोच टच्ड् ममता?)
कोच की कौन-सी टिप्पणी ममता के दिल को छू गई?
Answer:
The coach made the remark to Reema that they have not been able to win the trophy since she started playing but may be that year they would win because of Mamta. This touched Mamta.
(द कोच मेड द रिमार्क टू रीमा दैट दे हैव नॉट बीन एबल टू विन द ट्रॉफी सिन्स शी स्टार्टेड प्लेईंग बट मे बी दैट ईयर दे वुड विन बिकॉज़ ऑफ ममता। दिस टच्ड् ममता।)
कोच ने रीमा से कहा कि वे तब से ट्रॉफी नहीं जीत पाये जब से उसने खेलना शुरू किया है पर हो सकता है कि उस वर्ष वे ममता के कारण ट्रॉफी जीतें। यह बात ममता को छू गई।

Question 7.
How did the fighter in Mamta come out?
(हाउ डिड द फाईटर इन ममता कम आऊट?)
ममता के अन्दर लड़ने की इच्छा कैसे उत्पन्न हुई?
Answer:
The snide remarks made by her teammates brought out the fighter in Mamta.
(द स्नाइड रिमार्क्स मेड बाइ हर टीममेट्स ब्रॉट आऊट द फाईटर इन ममता।)
ममता की साथी खिलाड़ियों द्वारा कहे गये कटु शब्दों ने ममता के अन्दर लड़ने की इच्छा जाग्रत की।

Question 8.
What made Mamta win the race?
(व्हॉट मेड ममता विन द रेस?)
ममता ने रेस किस वजह से जीती?
Answer:
Mamta’s concentration and rigorous practice made her win the race.
(ममताज़ कन्सन्ट्रेशन एण्ड रिगोरस प्रेक्टिस मेड हर विन द रेस।)
ममता की एकाग्रता व लगातार अभ्यास ने उसे दौड़ जिताई।

Question 9.
How was Mamta able to change her image in school?
(हाउ वॉज़ ममता एबल टू चेन्ज हर इमेज इन स्कूल?)
ममता ने स्कूल में अपनी छवि कैसे बदली?
Answer:
Mamta was able to change her image in school by winning the race.
(ममता वॉज़ एबल टू चेन्ज हर इमेज इन स्कूल बाइ विनिंग द रेस।)
ममता ने दौड़ में जीतकर विद्यालय में अपनी छवि बदली।

Question 10.
Why did the girls not hope to win the competition?
(व्हाय डिड द गर्ल्स नॉट होप ट्र विन द कॉम्पटिशन?)
लड़कियों को प्रतियोगिता में जीत की उम्मीद क्यों नहीं थी?
Answer:
The girls did not hope to win the competition because Mamta was made the captain of the team and she had never played basketball before.
(द गर्ल्स डिड नॉट होप टू विन द कॉम्पटिशन: बिकॉज़ ममता वॉज़ मेड द कैप्टेन ऑफ द टीम एण्ड शी हैड नेवर प्लेड बास्केटबॉल बिफोर।)
लड़कियों को प्रतियोगिता में जीतने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि ममता को टीम का कप्तान बना दिया गया था व उसने पहले कभी बास्केटबॉल नहीं खेली थी।

B. Answer these questions. (Three or four sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में दीजिए।)

Question 1.
Why was Mamta ill-treated by her classmates?
(व्हाय वॉज़ ममता इल-ट्रीटेड बाइ हर क्लासमेट्स्?)
ममता की सहपाठी उसके साथ दुर्व्यवहार क्यों करती थीं?
Answer:
Mamta came from a small town and school. She was also not from a rich family like other girls so her classmates ill-treated her. They thought she was too low in status by their standards.
(ममता केम फ्रॉम अं स्मॉल टाउन एण्ड स्कूल। शी वॉज़ ऑल्सो नॉट फ्रॉम अ रिच फैमिली लाइक अदर गर्ल्स सो हर क्लासमेट्स् इल-ट्रीटेड हर। दे थॉट शी वॉज़ टू लो इन स्टेटस बाइ देयर स्टैण्डर्ड्स।)
ममता एक छोटे कस्बे व छोटे स्कूल से आई थी। वह दूसरी लड़कियों की तरह समृद्ध परिवार से भी नहीं थी इसीलिए उसकी सहपाठियाँ उससे दुव्यवहार करती थीं। वे सोचती थीं कि वह उनके दर्जे से बहुत नीची थी।

Question 2.
How did the coach support Mamta?
(हाउ डिड द कोच सपोर्ट ममता?)
कोच ने ममता की किस प्रकार सहायता की?
Answer:
The coach supported Mamta by showing his confidence in her. He said that she had good passes and was physically fitter than anyone else in the team. He also remarked that may be that year they may win the trophy. because of her.
(द कोंच सपोर्टेड ममता बाइ शोइंग हिज़ कॉन्फिडेन्स इन हर। ही सेड दैट शी हैड गुड पासेस एण्ड वॉज़ फिजिकली फिटर दैन एनीवन एल्स इन द टीम। ही ऑल्सो रिमार्ड दैट मे बी दैट ईयर दे मे विन द ट्रॉफी बिकॉज़ ऑफ हर।)
कोच ने ममता में अपना विश्वास दिखाकर उसका समर्थन किया। उन्होंने कहा कि उसकी गेंद फेंकने की क्षमता अच्छी थी और वह बाकी सभी खिलाड़ियों से शारीरिक रूप से ज्यादा सक्षम थी। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि वे उस वर्ष उसी की वजह से ट्रॉफी जीतें।

Question 3.
How did Mamta’s team make history?
(हाउ डिड ममताज़ टीम मेक हिस्ट्री?)
ममता की टीम ने इतिहास कैसे रचा?
Answer:
Mamta’s team made history by reaching the finals in the competition for the first time and winning it too.
(ममताज़ टीम मेड हिस्ट्री बाइ रीचिंग द फाइनल्स इन द कॉम्पटिशन फॉर द फर्स्ट टाइम एण्ड विनिंग इट टू।)
ममता की टीम ने प्रतियोगिता के अन्तिम चरण में पहली बार पहुँचकर व उसे जीतकर इतिहास रचा।

Question 4.
What made Mamta a good basketball player?
(व्हॉट मेड ममता अ गुड बास्केटबॉल प्लेयर?)
ममता एक अच्छी बास्केटबॉल की खिलाड़ी कैसे बनी?
Answer:
Mamta’s daily practice and firm determination made her a good basketball player. She was good in passes and could easily grab the ball because of her height. She was also good at offence and defence.
(ममताज़ डेली प्रेक्टिस एण्ड फर्म डिटर्मिनेशन मेड हर अ गुड बास्केटबॉल प्लेयर। शी वॉज़.गुड इन पासेज़ एण्ड कुड ईज़िली ग्रैब द बॉल बिकॉज़ ऑफ हर हाईट। शी वॉज़ ऑल्सो गुड एट ऑफेन्स एण्ड डिफेन्स।)
ममता के रोज के अभ्यास व दृढ़ निश्चय ने उसे एक अच्छा बास्केटबॉल खिलाड़ी बना दिया। वह अपनी ऊँचाई के कारण गेंद फेंकने व लपकने में माहिर थी। वह बचाव व आक्रमण में भी अच्छी थी।

Question 5.
If you had been a coach, how would you have treated Mamta?
(इफ यू हैड बीन अ कोच, हाउ वुड यू हैव ट्रीटेड ममता?)
अगर तुम कोच होते तो तुम ममता के साथ किस प्रकार का व्यवहार करते?
Answer:
If I had been a coach, I would have behaved the same way as Mamta’s coach. A coach should show confidence in the player and be encouraging and supporting like her coach was.
(इफ आइ हैड बीन अ कोच, आइ वुड हैव बिहेव्ड द सेम वे एज़ ममताज़ कोच। अ कोच शुड शो कॉन्फिडेन्स इन द प्लेयर एण्ड बी एंकरेजिंग एण्ड सपोर्टिग लाइक हर कोच वॉज़।)
अगर मैं कोच होता तो मैंने ममता के कोच की तरह ही व्यवहार किया होता। एक कोच को खिलाड़ी में विश्वास होना चाहिए व उसे प्रोत्साहन व समर्थन देना चाहिए।

Question 6.
What were the qualities that helped Mamta become indispensible for the team?
(व्हॉट वर् द क्वॉलिटीज़ दैड. हैल्प्ड् ममता बिकम इन्डिस्पेंसेब्ल फॉर द टीम?)
ममता के कौन-से गुणों ने उसे टीम का जरूरी हिस्सा बना दिया?
Answer:
Mamta’s determination and hard work made her indispensable for the team. She put all her attention and concentration on her practice and goal to succeed.
(ममताज़ डिटर्मिनेशन एण्ड हार्ड वर्क मेड हर इन्डिस्पेन्सेबल फॉर द टीम। शी पुट ऑल हर अटेन्शन एण्ड कन्सन्ट्रेशन ऑन हर प्रैक्टिस एण्ड गोल टू सक्सीड।)
ममता के दृढ़ निश्चय व कड़ी मेहनत ने उसे टीम का अभिन्न अंग बना दिया। उसने अपना सारा ध्यान व एकाग्रता अपने अभ्यास व लक्ष्य पर लगा दिया।

Language Practice

A. Make meaningful sentences from the given table and write them in your note book.
(दी गई तालिका से वाक्य बनाओ।)
Answer:

  1. We couldn’t hear clearly what you said.
  2. Neelam could play piano, when she was four.
  3. The child couldn’t lift the box as it was. heavy.
  4. I can speak Sanskrit very well.
  5. You can’t understand anything what happened.

B. Fill in the blanks with may/might/can/could/ must.
(रिक्त स्थान भरो)

  1. My brother is very strong. He ………… lift 80 kg of weight.
  2. The student said, “Sir, ……….. I drink some water, please?”
  3. When I was ten, I ………… not ride a bicycle.
  4. It’s the Independence Day. tomorrow. Every one of you ……….. be here at 7 a.m. sharp.
  5. Don’t touch the box. It ………… have a bomb inside.

Answer:

  1. can
  2. May
  3. could
  4. must
  5. might.

C. Change the sentences given below using ‘may’.
(दिए गये वाक्यों में ‘may’ का उपयोग करो)

1. Perhaps the manager is busy.
Answer:
The manager may be busy.

2. Perhaps he does not want to see me.
Answer:
He may not want to see me.

3. Perhaps Golu is not working today.
Answer:
Golu may not be working today.

4. Perhaps Anuj is walking on the road.
Answer:
Anuj may be walking on the road.

Listening Time

A. The teacher will read out the words and the students will repeat them.
(निम्न शब्दों को दोहराओ।)
Answer:
MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 6 The New Player in the Team 2

B. Your teacher will read out the information given in the book to you. Listen to it carefully and complete the grid. (Prepare the grid in your copy. Then do the exercise.)
(दी गई सूचना द्वारा निम्न तालिका को पूरा करिए।)
Answer:
Class 10 English Chapter 6 The New Player In The Team MP Board

Speaking Time

Imagine that you are going to spend two weeks at Pachmarhi for a state level sports meet. What will you need for the trip? Here is the list. Choose your items and tell them to the whole class.
(पचमढ़ी जाने के लिए तुम क्या-क्या ले जाना चाहोगे?)
Answer:
Students can do themselves.
(छात्र स्वयं करें।)

Writing Time

You are Jyotsna of class X of School of Excellence, Narshinghpur. You are the perfect of your school. Draft a notice in not more than 50 words informing the students about the career counselling programme and request the interested students to get themselves registered with you.
(विद्याथियों के लिए सूचना लिखो)
Answer:
Notice
20 Dec., 20….
Career Counselling Programme :
School is going to organize a career counselling programme on 25 Dec., 20….. Those who want to attend the programme should get their names registered by 15 Dec., 20… with me.

Jyotsna
Class X
School of Excellence

Things to do

Make a list of the players of Indian women’s hockey team and men’s cricket team. Do they include any players from M.P.? If yes, give their names and other information.
(भारतीय महिला हॉकी टीम व पुरुष क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के नाम लिखिए व अगर उनमें से कोई मध्य प्रदेश का है तो उसके विषय में सूचना दीजिए)
Answer:
Students can do themselves.
(छात्र स्वयं करें।)

The New Player in the Team Difficult Word Meanings 

The New Player In The Team Class 10 MP Board

The New Player in the Team Summary, Pronunciation & Translation

“Mamta, I want you to start practising your game seriously from today. I am taking you in the basketball team.”

These words of the basketball coach surprised everyone. Selections had been going on for the school’s basketball team, and the coach had chosen Mamta, who had joined the school only a month before.

Mamta could not believe her ears. She wanted to play basketball since she joined the school, but none of the girls in her class was ready to teach her. In fact, some of the girls in the team even laughed at her when they heard that the previous school in which she had studied did not even have a basketball court.

(“ममता, आई वॉण्ट यू टू स्टार्ट प्रैक्टिसिंग यॉर गेम सीरियसली’फ्रॉम टुडे आई ऐम टैकिंग यू इन द बास्केटबॉल टीम.”

दीज वर्ड्स ऑफ द बास्केटबॉल कोच सरप्राईज्ड एवरीवन सिलेक्शन्स हैड बीन गोइंग ऑन फॉर द स्कूल्स बास्केटबॉल टीम, ऐण्ड द कोच हैड चोज़न ममता, हू हैड जॉइन्ड द स्कूल ओनली अ मन्थ बिफोर.

ममता कुड नॉट बिलीव हर ईअर्स. शी वॉण्टिड टू प्ले बास्केटबॉल सिन्स शी जॉइन्ड द स्कूल, बट नन ऑफ द गर्ल्स इन हर क्लास वॉज़ रेडी टू टीच हर. इन फैक्ट, सम ऑफ द गर्ल्स इन द टीम ईवन लाफ्ड ऐट हर व्हेन दे हर्ड दैट द प्रीवियस स्कूल इन व्हिच शी हैड स्टडीड डिड नॉट ईवन हैव अ बास्केटबॉल कोर्ट.)

अनुवाद :
“ममता मैं चाहता हूँ कि तुम आज से अपने खेल का गम्भीरता से अभ्यास करना आरम्भ करो। मैं तुम्हें बास्केटबॉल की टीम में ले रहा हूँ।”

बॉस्केटबॉल प्रशिक्षक के इन शब्दों ने सभी को आश्चर्य में डाल दिया। विद्यालय की बास्केटबॉल टीम का चयन चल रहा था और प्रशिक्षक ने ममता को चुना था जिसे अभी केवल एक महीना ही हुआ था विद्यालय में प्रवेश लिए।

ममता को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। जब से उसने विद्यालय में प्रवेश लिया था वह तब से ही बॉस्केटबॉल खेलना चाहती थी परन्तु उसकी कक्षा की कोई भी लड़की उसको सिखाने को तैयार नहीं थी। सच तो यह है कि बॉस्केटबॉल टीम की कुछ लड़कियों ने उसकी हँसी उड़ाई थी जब उन्होंने यह सुना था कि ममता पर्व में जिस विद्यालय में पढ़ती थी वहाँ बॉस्केटबॉल कोर्ट (बॉस्केटबॉल खेलने का मैदान) तक नहीं था।

Mamta had been studying in a small school in the nearby town till then, as her parents could not afford to send her to any of the public schools in the city. It was only because of the scholarship she had won from a trust that it had been possible for her to join this reputed convent school. Being away from home, in a hostel, she yearned for some friends, but till now most of the girls had refused to accept a small-town girl as their friend. Most of the girls in the school came from rich families. They treated her as an unwelcome guest who was too low in status by their standards.

“Sir, she has never played basketball before. How can you take her in the team ?” their captain, Saba complained.

“Don’t be mean, Saba. There is always a first time for every one. Can’t you see how good her passes are? And physically she is fitter than any of you,” the physical education teachers admonished Saba.

(ममता हैड बीन स्टडीईंग’इन अ स्मॉल स्कूल इन द नीयरबाई टाऊन टिल दैन, ऐज़ हर पेरेण्ट्स कुड नॉट अफोर्ड टू सेण्ड हर टू एनी ऑफ द पब्लिक स्कूल्स इन द सिटी इट वॉज़ ओनली बिकॉज़ ऑफ द स्कॉलरशिप शी हैड वन फ्रॉम अ ट्रस्ट दैट इट हैड बीन पॉसिबल फॉर हर टू जॉइन दिस रिप्यूटेड कॉन्वेण्ट स्कूल. बीइंग अवे फ्रॉम होम, इन अ हॉस्टल, शी यर्नड फॉर सम फ्रेण्ड्स, बट टिल नाऊ मोस्ट ऑफ द गर्ल्स हैड रिफ्यूज्ड टू एक्सेप्ट अ स्मॉल-टाऊन गर्ल ऐज़ देयर फ्रेण्ड. मोस्ट ऑफ द गर्ल्स इन द स्कूल केम फ्रॉम रिच फैमिलीज़. दे ट्रीटिड हर ऐज़ ऐन अनवेल्कम गेस्ट हू वॉज़ टू लो इन स्टेटस बाई देयर स्टैण्डर्ड्स

“सर, शी हैज़ नैवर प्लेड बास्केटबॉल बिफोर. हाऊ कैन यू टेक हर इन द टीम?” देयर कैप्टेन, सबा कम्प्लेन्ड.

“डोण्ट (डू नॉट) बी मीन, सबा. देयर इज़ ऑल्वेज़ अ फर्स्ट टाईम फॉर एवरी वन. काण्ट यू सी हाऊ गुड हर पासेस आर ? ऐण्ड फिजिकली शी इज़ फिटर दैन एनी ऑफ यू.” द फिजिकल एजुकेशन टीचर एडमॉनिश्ड सबा.)

अनुवाद :
ममता पूर्व में पास के कस्बे के एक छोटे विद्यालय में पढ़ती थी क्योंकि उसके माँ-बाप किसी बड़े विद्यालय में भेजने का खर्चा नहीं उठा सकते थे। वह तो क्योंकि उसने अभी एक धर्मार्थ न्यास द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति जीती जिसके कारण उसका इस प्रतिष्ठित अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में प्रवेश सम्भव हो पाया। अपने घर से दूर, छात्रावास में रहने के कारण उसकी प्रबल इच्छा थी कि कुछ मित्र (सहेलियाँ) हों परन्तु अभी तक ज्यादातर लड़कियों ने छोटे से कस्बे से आई हुई लड़की को मित्र के रूप में स्वीकार करने से इन्कार कर दिया था। इस विद्यालय में पढ़ने वाली अधिकतर लड़कियाँ बेहद सम्पन्न परिवारों से थीं। वे सब उसके साथ एक अनचाहे, बिन बुलाए मेहमान की तरह बर्ताव करती थीं जो कि उनकी हैसियत से बहुत नीचे थी।

“सर इसने पहले कभी बॉस्केटबॉल नहीं खेला। आप उसे टीम में कैसे ले सकते हैं?” टीम की कप्तान सबा ने विरोध किया।

“तुच्छ न बनो, सबा। सभी के लिए हमेशा कभी तो प्रथम प्रयास होता है। क्या तुम्हें दिखाई नहीं देता कि वो कितनी अच्छी तरह से पास (गेंद को अपने साथी खिलाड़ी को देना) देती है? और शारीरिक रूप से वह तुम सब से ज्यादा स्वस्थ है।” शारीरिक शिक्षा अध्यापक ने सबा को झिड़क दिया।)

“Oh, no! Now we can forget all about winning the trophy in the inter-school basketball championship this year,” grumbled Reema, the vice-captain of the team.

The other girls in her group also made faces to show their displeasure. What these girls did not know was that if anyone told Mamta she could not do a certain thing, she accepted it as a challenge and never rested till she had proved them wrong.

The coach had heard Reema and said, “Have you been able to win the trophy even once since you started playing? Maybe this year you will at last win because of Mamta.”

Mamta was touched by that remark. She silently thanked the coach for his support and made up her mind to be so good at the game that the team would feel incomplete without her.

(“ओह, नो! नाऊ वी कैन फॉरगेट ऑल अबाऊट विनिंग द ट्रॉफी इन द इण्टर-स्कूल बॉस्केटबॉल चैम्पियनशिप दिस यीअर,” ग्रम्बल्ड रीमा, द वाईस-कैप्टेन ऑफ द टीम द अदर गर्ल्स इन हर ग्रुप ऑल्सो मेड फेसेस टू शो देयर डिसप्लेज़र व्हॉट दीज़ गर्ल्स डिड नॉट नो वॉज़ दैट इफ एनीवन टोल्ड ममता शी कुड नॉट डू अ सर्टन थिंग, शी एक्सेप्टिड इट ऐज़ अ चैलेन्ज ऐण्ड नेवर रेस्टेड टिल शी हैड प्रूव्ड दैम रॉन्ग

द कोच हैड हर्ड रीमा ऐण्ड सेड,“हैव यू बीन एबल टू विन द ट्रॉफी ईवन वन्स सिन्स यू स्टार्टिड प्लेइंग? मेबी दिस यीअर यू विल ऐट लास्ट विन बिकॉज़ ऑफ ममता.”

ममता वॉज़ टच्ड बाई दैट रिमार्क. शी साइलेण्टली थैक्ड द कोच फॉर हिज़ सपोर्ट ऐण्ट मेड अप हर माईण्ड टू बी सो गुड ऐट द गेम दैट द टीम वुड फील इनकम्प्लीट विदाऊट हर.)

अनुवाद :
“ओ नहीं! अब तो हमें इस वर्ष अन्तर-विद्यालयी बॉस्केटबॉल प्रतियोगिता जीतने की बात को भूल जाना चाहिए।” टीम की उप-कप्तान रीमा बड़बड़ाई।

उनके दल की अन्य लड़कियों ने भी मुँह बनाकर अपनी अप्रसन्नता प्रकट की। किन्तु इन लड़कियों को यह नहीं पता था कि यदि ममता को कोई यह बोल देता था कि वह कोई काम नहीं कर सकती तो ममता उसे एक चुनौती की तरह लेती थी और तब तक शान्त नहीं बैठती थी जब तक कि उन्हें गलत न साबित कर दे।

प्रशिक्षक ने रीमा की बात सुन ली थी, उन्होंने कहा “क्या तुम एक बार भी यह प्रतियोगिता जीत पाई हो जब से तुमने खेलना शुरू किया है? शायद इस वर्ष आखिरकार जीतो ममता के कारण।”

प्रशिक्षक की बात ने ममता को छू लिया। उसने मन ही मन उनको समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और यह दृढ़ निश्चय किया कि वह इस खेल में इतनी कुशल होकर दिखाएगी कि उसके बिना टीम खुद को अधूरा महसूस करने लगे।

She thought of the famous words that her mother often repeated to her, ‘Practice makes a man perfect’. So she started using all her free time in practising basketball. She was thankful that the coach was helping her in every way. She kept perfecting her passes and her techniques with firm determination. Even the snide remarks from the teammates made her more resolute.

Like the time when she dropped a pass and Hema said, “Do you have butter fingers that you cannot even hold the ball properly?” or when Reema said, “Don’t try to act nice on the court. It won’t get you anywhere. You have to be a fighter to play this game and always be on the offensive. Delicate girls like you have no place on the court.” Little did the girls realize that these remarks really bought out the fighter in her.

(शी थॉट ऑफ द फेमस, वर्ड्स दैट हर मदर ऑफन रिपीटिड टू हर, ‘प्रैक्टिस मेक्स अ मैन परफेक्ट,’ सो शी स्टार्टिड यूजिंग ऑल हर फ्री टाईम इन प्रैक्टिसिंग बॉस्केटबॉल शी वॉज़ बैंकफुल दैट द कोच वॉज़ हेल्पिंग हर इन एवरी वे शी केप्ट परफेक्टिंग हर पासिस ऐण्ड हर टेक्नीक्स विद फर्म डिटरमिनेशन. ईवन द स्नाईड रिमार्क्स फ्रॉम द टीममेट्स मेड हर मोर रिज़ोल्यूट.

लाईक द टाईम व्हेन शी ड्रॉप्ड अ पास ऐण्ड हेमा सेड, “डू यू हैव बटर फिंगर्स दैट यू कैननॉट ईवन होल्ड द बॉल प्रॉपर्ली?” और व्हेन रीमा सेड, “डोण्ट ट्राई टू ऐक्ट नाईस ऑन द कोर्ट   इट वोण्ट (वुडनॉट) गैट यू एनीव्हेयर. यू हैव टू बी अ फाईटर टू प्ले दिस गेम ऐण्ड ऑल्वेज़ बी ऑन द ऑफेन्सिव. डेलिकेट गर्ल्स लाईक यू हैव नो प्लेस ऑन द कोर्ट.” लिटल डिड द गर्ल्स रियलाईज़ दैट दीज़ रिमार्क्स रीयली ब्रॉट आऊट द फाईटर इन हर.)

अनुवाद :
ममता को अपनी माँ के शब्द जो वह अक्सर कहती थीं याद आए “अभ्यास व्यक्ति को निपुण बनाता है।” इसलिए ममता अपना सारा खाली समय बॉस्केटबॉल के अभ्यास में लगाने लगी। वह कृतज्ञ थी कि उसके प्रशिक्षक उसकी हर प्रकार से सहायता कर रहे थे। वह दृढ़ निश्चय के साथ पास (गेंद को साथी खिलाड़ी को देना) देने की कला व अपने खेल कौशल को निखारने में लगी रही। साथी खिलाड़ियों की व्यंग्यात्मक टिप्पणियों ने उसके संकल्प को और दृढ़ कर दिया।

जैसे कि जब एक बार वह साथी खिलाड़ी द्वारा गेंद देने पर उसे पकड़ नहीं पाई तो हेमा ने कहा “क्या तुम्हारी ऊँगलियाँ मक्खन की हैं जो तुम गेंद तक नहीं पकड़ पाती ठीक से ?” अथवा जब रीमा ने कहा, “कोर्ट पर भली बनने की कोशिश मत करो। यह तुम्हें कहीं नहीं ले जा सकता। इस खेल को खेलने के लिए तुम्हें लड़ाका (योद्धा) बनना पड़ेगा और हमेशा आक्रामक रहना पड़ेगा। तुम जैसी नाजुक लड़कियों की इस खेल के मैदान पर कोई जगह नहीं है।” उन लड़कियों को ज़रा भी अन्दाज़ा नहीं था कि ऐसी टिप्पणियों ने सच में ही उसके अन्दर के योद्धा को जगा दिया था।

One month later, the school organized the annual sports meet. Mamta wanted to participate in the 400 metre race. She was a fast runner. She used to walk long distances in her town. That had helped her develop strong leg muscles and good stamina. On top of that she was also tall for her age. She would be competing against the school champion, who had been winning the race for the past three years. Most girls laughed at her wish to win the race. After all, Mamta had never before participated in a race. But she believed in herself. She knew she could run well. It was just a matter of rigorous practice. And she wanted to win for a very strong reason. She felt that winning against the school champion would also help her somehow in her basketball game. So she started concentrating on her speed when she exercised in the morning.

(वन मन्थ लेटर, द स्कूल ऑर्गनाईज्ड द ऐनुअल स्पोर्ट्स मीट ममता वॉण्टिड. टू पार्टिसिपेट इन द फोर हन्ड्रेड मीटर रेस. शी वॉज़ अ फास्ट रनर. शी यूज्ड.टू वॉक लॉन्ग डिस्टेन्सिस इन हर टाऊन. दैट हैड हेल्पड् हर डेवलप स्ट्रॉन्ग लेग मसल्स ऐण्ड गुड स्टैमिना. ऑन टॉप ऑफ दैट शी वॉज़ ऑल्सो टॉल फार हर एज. शी वुड बी कम्पीटिंग अगेन्स्ट द स्कूल चैम्पियन, हू हैड बीन विनिंग द रेस फॉर द पास्ट थ्री यीअर्स मोस्ट गर्ल्स लाफ्ड ऐट हर विश टू विन द रेस. आफ्टर ऑल ममता हैड नेवर बिफोर पार्टिसिपेटिड इन अ रेस. बट शी बिलीव्ड इन हरसेल्फ. शी नियू शी कुड रन वेल. इट वॉज़ जस्ट अ मैटर ऑफ रिगरस प्रैक्टिस. ऐण्ड शी वाण्टिड टू विन फॉर अ वेरी स्ट्रॉन्ग रीज़न शी फेल्ट दैट विनिंग अगेन्स्ट द स्कूल चैम्पियन वुड ऑल्सो हेल्प हर समहाऊ इन हर बॉस्केटबॉल गेम. सो शी स्टार्टिड कन्सनट्रेटिंग ऑन हर स्पीड व्हेन शी एक्सरसाईज्ड इन द मॉर्निंग.)

अनुवाद :
एक महीने पश्चात विद्यालय में वार्षिक खेलकूद आयोजित किए गए। ममता चार सौ मीटर की दौड़ में प्रतिभाग करना चाहती थी। वह एक तेज धावक थी। अपने कस्बे में वह काफी दूर तक पैदल चला करती थीं। इस कारण उसके पैर की माँसपेशियाँ बहुत मजबूत हो गई थी और सहनशक्ति भी बहुत अच्छी हो गई थी और फिर वह काफी लम्बी थी उसकी उम्र को देखते हुए। उसे अपने विद्यालय के विजेता के खिलाफ दौड़ना था जो पिछले तीन वर्षों से यह दौड़ जीतती आ रही थी। लगभग सभी लड़कियाँ उसकी इस दौड़ को जीतने की इच्छा पर हँसी। आखिर ममता ने इससे पहले किसी दौड़ प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया था। परन्तु उसे स्वयं पर भरोसा था। उसे पता था कि वह अच्छा दौड़ सकती है। उसे सिर्फ कठिन. अभ्यास करना था। और वह यह दौड़ एक बहुत विशिष्ट कारण से जीतना चाहती थी। उसको लग रहा था कि विद्यालय के विजेता के खिलाफ जीतने से बॉस्केटबॉल के खेल में भी मदद मिलेगी। इसलिए उसने दौड़ने की गति पर ध्यान देना शुरू कर दिया जब वह सुबह व्यायाम करती थी।

The day of the race downed. It turned out to be a close race. Towards the end Mamta caught up with the champion. Her eyes were fixed at the finishing line. Like Arjuna in the Mahabharata aiming at the fish’s eye, Mamta too could see nothing else. And in the end she did win, though by a couple of seconds only. It was so unexpected that there was a moment’s silence all around as she crossed the finishing line. Even the judges on the field were surprised that someone looking so frail and delicate could run so fast. There was a lot of excitement on the field before Mamta was announced the winner.

(द डे ऑफ द रेस डॉन्ड. इट टर्ड आऊट टू बी अ क्लोज़ रेस. टुवर्ड्स द एण्ड ममता कॉट अप विद द चैम्पियन. हर आईज़ वर फिक्सड ऐट द फिनिशिंग लाईन. लाईक अर्जुन इन द महाभारत एमिंग ऐट द फिशिश आई, ममता टू कुड सी नथिंग एल्स ऐण्ड इन द एण्ड शी डिड विन, दो बाई अ कपल ऑफ सेकण्ड्स ओनली इट वॉज़ सो अनएक्सपेक्टिड दैट देयर वॉज़ अ मोमेण्ट्स साईलेन्स ऑल अराऊण्ड ऐज शी क्रॉस्ड द फिनिशिंग लाईन. ईवन द जजिस ऑन द फील्ड वर सरप्राईज्ड दैट समवन लकिंग सो फ्रेल ऐण्ड डेलिकेट कड रन सो फास्ट. देअर वॉज अ लॉट ऑफ एक्साईटमेण्ट ऑन द फील्ड बिफोर ममता वॉज़ अनाउन्सड द विनर.)

अनुवाद :
प्रतियोगिता का दिन आ पहुँचा। वह एक बहुत प्रतिद्वन्द्वितापूर्ण दौड़ साबित हुई। दौड़ के आखिर में ममता विजेता के बराबर आ गई। उसकी दृष्टि समाप्ति रेखा पर जमी हुई थी। जिस,प्रकार महाभारत में अर्जुन की दृष्टि मछली पर स्थिर थी, उसी प्रकार ममता को भी और कुछ नजर नहीं आ रहा था। आखिरकार ममता जीत ही गई अपितु महज कुछ क्षणों से। यह कुछ ऐसा अप्रत्याशित था कि कुछ पलों के लिए सब तरफ सन्नाटा सा छा गया जब ममता ने समाप्ति रेखा पार की। यहाँ तक कि मैदान पर मौजूद निर्णायक भी इस बात से हैरान थे कि इतनी कमजोर दुबली-पतली नाजुक सी दिखने वाली लड़की इतना तेज़ दौड़ सकती है। मैदान पर काफी उत्तेजना व हलचल थी ममता को विजेता घोषित किए जाने से पहले।

The previous year’s champion showed that she was a true sportsperson; she hugged Mamta and congratulated her. Then, as Mamta received her prize, she also got a standing ovation. It had taken Mamta just a few moments on the field to become a celebrity. The race changed Mamta’s image in the school. She became very popular and even her teammates were now less hostile towards her. This gave a massive boost to her confidence. Now Mamta wanted to play a major role in the match and win the inter-school trophy for her school more than anything else.

(द प्रीवियस यीअर्स चैम्पियन शोड दैट शी वॉज़ अ ट्र स्पोर्ट्सपर्सन; शी हग्ड ममता ऐण्ड कांग्रैचुलेटिड हर. देन, ऐज़ ममता रिसीव्ड हर प्राईज़, शी ऑल्सो गॉट अ स्टैण्डिग ओवेशन इट हैड टेकिन ममता जस्ट अ फ्यू मोमेण्ट्स ऑन द फील्ड टु बिकम अ सेलिब्रिटी द रेस चेन्ज्ड ममतास इमेज इन द स्कूल शी बिकेम वेरी पॉपुलर ऐण्ड ईवन हर टीममेट्स वर नाऊ लेस हॉस्टाईल टुवर्ड्स हर दिस गेव अ मैसिव बूस्ट टू हर कॉन्फिडेन्स नाऊ ममता वाण्टिड टू प्ले अ मेजर रोल इन द मैच ऐण्ड विन द इण्टर-स्कूल ट्रॉफी फॉर हर स्कूल मोर दैन एनीथिंग एल्स.)

अनुवाद :
पिछले वर्ष की विजेता ने दिखाया कि वह सच में एक खिलाड़ी है; उसने ममता को गले लगाया और बधाई दी। फिर जब ममता को पुरस्कार दिया गया तो सभी उपस्थित जनों ने खड़े होकर तालियाँ बजाई और उसके प्रति अपना सम्मान प्रकट किया। बस कुछ ही पल लगे थे ममता को मैदान पर एक ख्याति प्राप्त व्यक्ति होने में। दौड़ ने ममता की छवि बदल दी। वह काफी लोकप्रिय हो गई यहाँ तक कि उसकी टीम की साथी खिलाड़ियों का बर्ताव भी अब पहले जैसा नहीं था। इसने ममता के आत्मविश्वास को ज़बरदस्त बढ़ावा दिया। अब ममता बॉस्केटबॉल के मैच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहती थी और किसी भी चीज़ से अधिक अपने विद्यालय के लिए अन्तर-विद्यालयी प्रतियोगिता जीतना चाहती थी।

She kept practising hard. She proved to be excellent with passes and good at offence and defence. Being a fast runner, she could easily dodge her opponents and it sometimes looked as if she was flying with the ball. Before anyone could catch up with her, she would have reached the basket. And her shots too were perfect most of the time.

Finally, the inter-school basketball competition started. In all, ten teams were participating in the competition. Mamta’s school had never before even reached the semi-finals. So this year the girls were desperate to win.

(शी केप्ट प्रैक्टिसिंग हार्ड शी प्रव्ड टू बी एक्सिलेण्ट विद पासिस ऐण्ड गुड ऐट ऑफेन्स ऐण्ड डिफेन्स बीईंग अ फास्ट रनर, शी कुड ईज़िली डॉज हर ऑपोनेण्ट्स ऐण्ड इट समटाईम्स लुक्ड ऐज इफ शी वॉज़ फ्लाइंग विद द बॉल बिफोर एनीवन कुड कैच अप विद हर, शी वुड हैव रीच्ड द बॉस्केट ऐण्ड हर शॉट्स टू वर परफेक्ट मोस्ट ऑफ द टाईम।

फाईनली, द इण्टर-स्कूल बॉस्केटबॉल कम्पिटीशन स्टार्टिड इन ऑल, टेन टीम्स वर पार्टिसिपेटिंग इन द कम्पिटीशन. ममतास स्कूल हैड नेवर बिफोर ईवन रीच्ड.द सेमी-फाइनल्स सो दिस यीअर द गर्ल्स वर डेस्परेट ट्र विन.)

अनुवाद :
वह कठिन अभ्यास में लगी रही। वह पास देने व लेने में बेहतरीन साबित हो रही थी तथा खेल के आक्रामक एवं रक्षात्मक दोनों पहलुओं में बहुत अच्छी हो गई थी। बहुत तेज धावक होने के कारण वह बहुत आसानी से प्रतिद्वन्द्वी को छका लेती थी और कई बार तो यह भी लगता था जैसे वह गेंद के साथ उड़ सी रही है। इससे पहले कि कोई उस तक पहुँच पाए वह प्रतिद्वन्द्वी टीम की बॉस्केट तक पहुँच जाती थी। और उसके शॉट (गेंद को बॉस्केट के अन्दर डालने के लिए फेंकना) भी अब अचूक होने लगे थे।

आखिरकार अन्तर-विद्यालयी बॉस्केटबॉल प्रतियोगिता आरम्भ हुई। कुल दस टीमें प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर रही थीं। ममता का विद्यालय इससे पहले कभी इस प्रतियोगिता के सेमी-फाइनल चरण (अन्तिम चरण से पूर्व का चरण) तक नहीं पहुँच पाया था। इसलिए इस वर्ष सभी लड़कियाँ किसी भी तरह से जीतना चाहती थीं।

Their team went up to the finals. Mamta had a big role in the team reaching the finals. Her shots never missed and being five feet six inches tall, she could easily pass the ball to whoever she wished to, and grab it easily when it was meant for someone else. With every game they won, her teammates respected her more than before. Without her, they would have found it very difficult to reach the finals.

In the finals, they were up against the city champions. The game finished with equal points for both the teams. So both the teams got three free shots each. The opponents were able to score only one shot out of three. From her team, Mamta was chosen to hook the ball. She had to score at least two baskets to win. All eyes were fixed on her.

(देयर टीम वेण्ट अप टू द फाइनल्स. ममता हैड अ बिग रोल इन द टीम रीचिंग द फाइनल्स हर शॉट्स नेवर मिस्ड ऐण्ड बीईंग फाईव फीट सिक्स इन्चिस टॉल, शी कुड ईज़िली पास द बॉल टू हूएवर शी विश्ड टू, ऐण्ड ग्रैब इट ईजिली व्हेन इट वॉज़ मेण्ट फॉर समवन एल्स विद एवरी गेम दे वन, हर टीममेट्स रिस्पेक्टिड हर मोर दैन बिफोर विदाऊट हर, दे वुड हैव फाउण्ड इट वेरी डिफिकल्ट टू रीच द फाईनल्स

इन द फाइनल्स दे वर अप अगेन्स्ट द सिटी चैम्पियन्स द गेम फिनिश्ड विद ईक्वल पॉईन्ट्स फॉर बोथ द टीम्स सो बोथ द टीम्स गॉट थ्री फ्री शॉट्स ईच द ऑपोनेण्ट्स वर एबल टू स्कोर ओनली वन शॉट आऊट ऑफ थ्री. फ्रॉम हर टीम, ममता वॉज़ चोजन टू हुक द बॉल शी हैड टू स्कोर ऐट लीस्ट टू बॉस्केट्स टू विन. ऑल आईज़ वर फिक्स्ड ऑन हर.)

अनुवाद :
उनकी टीम फाइनल तक पहुँच गई। टीम के फाइनल तक पहुँचने में ममता की बहुत बड़ी भूमिका थी। उसके शॉट (बॉस्केट की तरफ फेंकी गई गेंद) कभी खाली नहीं गए और पाँच फुट छह इन्च की लम्बाई के कारण वह बहुत आसानी से किसी को भी पास दे सकती थी और किसी अन्य के लिए जाती गेंद को बीच में ही लपक सकती थी। हर जीत के साथ उसकी टीम की साथी खिलाड़ियों के मन में उसके प्रति सम्मान बढ़ता जा रहा था। उसके बिना उनकी टीम के लिए फाइनल तक पहुँच पाना बहुत ही मुश्किल था।

फाइनल में उनका सामना शहर की विजेता टीम से था। खेल के अन्त में दोनों टीमों के बराबर अंक थे। इसलिए दोनों टीमों को तीन फ्री शॉट (बॉस्केटबॉल के खेल में एक विशेष स्थान पर खड़े होकर गेंद को बॉस्केट की तरफ उछालना) मिले। प्रतिद्वन्द्वी टीम तीन में से केवल एक बार गेंद को बॉस्केट में डाल पाई। ममता की टीम की तरफ से ममता को फ्री शॉट लेने के लिए चुना गया। उसे तीन में से कम-से-कम दो बार गेंद को बॉस्केट में डालना था जीतने के लिए। सभी की दृष्टि उस पर लगी थी।

She bounced the ball nervously, knowing fully well the responsibility she carried on her shoulders. Suddenly, she remembered Reema’s words the day she was chosen for the team. ‘Now we can forget all about winning the trophy in the inter-school basketball championship this year. Those words set her on fire again. This was her chance to show everyone how wrong they were. She made her shot, and it was a perfect basket. There was a loud applause from the audience. Both the teams were again equal.

But could she do it again? There was deafening silence in the field in anticipation of her shot. It was as if no one even dared to breathe. Mamta bent her legs, raised the ball into position, and at last took the shot. She felt tears streaming down her face as the ball looped through the basket and bounced on the ground. Their team had made history. They had been participating in the competition for long, but it was the first time that they had reached the finals and had won it too.

(शी बाऊन्स्ड द बॉल नर्वसली, नोईंग फुली वेल द रिस्पॉन्सिबिलिटी शी कैरिड ऑन हर शोल्डर्स सडनली, शी रिमेम्बर्ड रीमाज़ वर्ड्स द डे शी वॉज़ चोज़न फॉर द टीमः ‘नाऊ वी कैन फॉरगेट ऑल अबाऊट विनिंग द ट्रॉफी इन द इण्टर-स्कूल बास्केटबॉल चैम्पियनशिप दिस यीअर. ‘दोज़ वर्ड्स सेट हर ऑन फायर अगेन दिस वॉज़ हर चान्स टू शो एवरीवन हाऊ रॉन्ग दे वर. शी मेड हर शॉट, ऐण्ड इट वॉज़ अ परफेक्ट बास्केट. देयर वॉज़ अ लाऊड अपलॉज़ फ्रॉम द ऑडियन्स बोथ द टीम्स वर अगेन ईक्वल.

बट कुड शी डू इट अगेन? देयर वॉज़ डेफनिंग साइलेन्स इन द फील्ड इन एन्टिसिपेशन ऑफ हर शॉट. इट वॉज़ ऐज़ इफ नो वन ईवन डेअर्ड टू ब्रीद. ममता बेण्ट हर लेग्ज, रेज्ड द बॉल इन्टू पोज़िशन, ऐण्ड ऐट लास्ट टुक द शॉट शी फेल्ट टीयर्स स्ट्रीमिंग डाऊन हर फेस ऐज द बॉल लूप्ड धू द बास्केट ऐण्ड बाऊन्स्ड ऑन द ग्राउण्ड देयर टीम हैड मेड हिस्ट्री. दे हैड बीन पार्टिसिपेटिंग इन द कम्पिटिशन फॉर लॉन्ग, बट इट वॉज़ द फर्स्ट टाईम दे हैड रीच्ड द फाइनल्स ऐण्ड वन इट टू.)

अनवाद :
यह बखूबी जानते हुए कि उसके कंधों पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी थी वह थोड़ी घबराई अवस्था में गेंद को ज़मीन पर टप्पा खिलाने लगी। अचानक उसे रीमा के कहे हुए शब्द याद आ गए जो उसने उस दिन कहे थे जिस दिन ममता को टीम में चुना गया था, “अब हमें इस वर्ष अन्तर-विद्यालयी बॉस्केटबॉल प्रतियोगिता जीतने की बात को भूल जाना चाहिए।” वो शब्द याद आते ही उसकी घबराहट दूर हो गई और उसे अपना संकल्प याद आ गया। यही मौका था उसके लिए सबको यह दिखाने के लिए कि कितने गलत थे वे। उसने गेंद को बॉस्केट की तरफ उछाला और गेंद सीधे बॉस्केट में चली गई। दर्शकों ने तुमुल हर्षध्वनि के साथ उसके प्रयास को सराहा। दोनों टीमें फिर से बराबर हो गईं।

पर क्या वह फिर से यह कर पाएगी ? उसके अगले प्रयास की प्रत्याशा में वहाँ ऐसा सन्नाटा पसर गया मानो सब गूंगे हो गए हों। ऐसा लगा रहा था जैसे सभी साँस तक लेने से डर रहे हों। ममता ने अपने पैरों को हल्का सा मोड़ा, गेंद को ऊपर उठा कर सही स्थिति में लाई, और आखिरकार उसने गेंद को बॉस्केट की तरफ उछाल दिया। जैसे ही गेंद बॉस्केट के अन्दर से निकलकर ज़मीन पर आ कर गिरी ममता को अपने चेहरे पर बहते हुए आँसुओं का अहसास हुआ। उनकी टीम ने इतिहास रचा था। उनकी टीम इस प्रतियोगिता में काफी वर्षों से प्रतिभाग कर रही थी, परन्तु यह पहली बार था कि उनकी टीम फाइनल में पहुँची और जीत भी गई।

Mamta’s teammates came running from all around and hugged her. Everyone was shouting and dancing at the same time. There was cheering all around.

In the noise she heard Saba say, “I will never again prejudge people; I hope you can forgive me.”

Reema too joined Saba and apologized to Mamta.

Mamta clasped their hands and said, “Finally, I feel as if I belong here.”

Just then their coach came forward to ‘congratulate them. “Mamta, you did not let me down. Thank you,” he said.

“No, sir, I should be thanking you. Had you not shown faith in me the day you chose me, I would never have even learnt the game,” Mamta said, wiping her tears of happiness.

She had really become indispensable for the team, all because of her determination and hardwork.

(ममताज़ टीममेट्स केम रनिंग फ्रॉम ऑल अराऊण्ड ऐण्ड हग्ड हर. एवरीवन वॉज़ शाऊटिंग ऐण्ड डान्सिंग ऐट द सेम टाईम. देयर वॉज़ चीयरिंग ऑल अराऊण्ड.

इन द नॉईज़ शी हर्ड सबा से, “आई विल नेवर अगेन प्रीजज पीपल; आई होप यू कैन फारगिव मी.”

रीमा टू जॉईन्ड सबा ऐण्ड अपॉलोजाईज्ड टू ममता ममता क्लैस्पड देयर हैण्ड्स ऐण्ड सेड, “फाइनली, आई फील ऐज़ इफ आई बिलॉन्ग हीयर.”

जस्ट देन देयर कोच केम फॉरवर्ड टू काँग्रैचुलेट दैम. “ममता, यू डिड नॉट लैट मी डाऊन बैंक यू.” ही सेड.

“नो, सर, आई शुड बी बैंकिंग यू. हैड यू नॉट शोन फेथ इन मी द डे यू चोज़ मी, आई वुड नेवर हैव ईवन लर्ट द गेम.” ममता सेड वाईपिंग हर टीयर्स ऑफ हैप्पिनैस.

शी हैड रीयली बिकम इनडिस्पेन्सेबल फॉर द टीम ऑल बिकॉज़ ऑफ हर डिटरमिनेशन ऐण्ड हार्डवर्क.)

अनुवाद :
ममता की टीम की साथी खिलाड़ी सब तरफ से दौड़ती हुई आयीं और उसे गले लगा लिया। सभी लोग एक ही समय में खुशी से चिल्ला रहे थे और नृत्य भी कर रहे थे। सब तरफ आनन्द का माहौल था।

उसी शोर में उसने सबा को कहते सुना “मैं फिर कभी किसी के लिए पूर्वधारणा नहीं बनाऊँगी; आशा है तुम मुझे क्षमा कर सकोगी।”

सबा की ही तरह रीमा ने भी ममता से क्षमा याचना की। ममता ने उनके हाथों को भींचते हुए कहा, “आखिरकार आज मुझे ऐसा अनुभव हो रहा है कि मैं भी तुम में से ही हूँ।” ठीक तभी उनके प्रशिक्षक आगे आए उनको बधाई देने। उन्होंने कहा “ममता, तुमने मेरी इज्जत रख ली और मुझे नीचा नहीं देखने दिया। धन्यवाद।”

“नहीं सर (अध्यापक महोदय) मुझे आपको धन्यवाद देना चाहिए। अगर आपने उस दिन मुझ पर भरोसा नहीं जताया होता मुझे चुनकर, तो मैं यह खेल कभी सीख ही नहीं पाती।” ममता ने अपने खुशी के आँसुओं को पोंछते कहा।

वह अपने दृढ़ निश्चय एवं कठोर परिश्रम से अपनी टीम के लिए अपरिहार्य बन चुकी थी।

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