MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 12 ऊष्मागतिकी

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 12 ऊष्मागतिकी

ऊष्मागतिकी अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 12.1.
कोई गीजर 3.0 लीटर प्रति मिनट की दर से बहते हुए जल को 27°C से 77°C तक गर्म करता है। यदि गीजर का परिचालन गैस बर्नर द्वारा किया जाए तो ईंधन के व्यय की क्या दर होगी? बर्नर के ईंधन की दहन-ऊष्मा 4.0 × 104 + Jg-1 है?
उत्तर:
दिया है: ताप में वृद्धि
∆T = (77 – 27)°C = 50°C
SH2O = 4.2 × 103 Jkg-1 °C-1
ईंधन की दहन ऊष्मा
HC = 4 × 104Jg-1 प्रति मिनट प्रवाहित जल का द्रव्यमान, m = 3 ली
3 किग्रा (∴ 1 ली० = 1kg)
जल द्वारा गर्म होने के लिए ली गई ऊष्मा,
θ = ms ∆T
माना ईंधन के जलने की दर m’ g प्रति मिनट है। … (i)
अतः ईंधन द्वारा 1 मिनट में दी गई ऊष्मा
θ = m’ HC
ईंधन द्वारा प्रति मिनट दी गई ऊष्मा = प्रति मिनट ली गई ऊष्मा।
∴ m’ Hc = ms ∆T
∴ m’ = \(\frac { ms\Delta t }{ H_{ C } } \)
= \(\frac { 3\times 4.2\times 10^{ 3 }\times 50 }{ 4\times 10^{ 4 } } \)
= 15.75 g = 16 gm
अतः ईंधन 16 gm / मिनट की दर से जलता है।

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प्रश्न 12.2.
स्थिर दाब पर 2.0 × 10-2kg नाइट्रोजन (कमरे के ताप पर) के ताप में 45°C वृद्धि करने के लिए कितनी ऊष्मा की आपूर्ति की जानी चाहिए?
(N2 का अणुभार 28; R = 8.3 J mol-1K-1)।
उत्तर:
दिया है:
N2 का अणु भार = 28
गैस का द्रव्यमान, m = 2 × 10-2 किग्रा
ताप वृद्धि T = 45°C
R = 8.3 जूल प्रति मोल प्रति K
आवश्यक ऊष्मा θ = ?
दी गई गैस द्रव्यमान में, ग्राम मोलों की संख्या,
µ = \(\frac { m }{ 28gm } \) = \(\frac{20}{28}\) = 0.714
R = 8.3 mol -1 K-1
माना नियत दाब पर गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा Cp है।
Cp = \(\frac{7}{2}\) R = \(\frac{7}{2}\) × 8.3 × 45 J
= 933.75 J = 934 J

प्रश्न 12.3.
व्याख्या कीजिए कि ऐसा क्यों होता है?

  1. भिन्न-भिन्न तापों T1 व T2 के दो पिण्डों को यदि ऊष्मीय संपर्क में लाया जाए तो यह आवश्यक नहीं कि उनका अंतिम ताप (T1 + T2)/2 ही हो।
  2. रासायनिक या नाभिकीय संयंत्रों में शीतलक (अर्थात् द्रव जो संयंत्र के भिन्न-भिन्न भागों को अधिक गर्म होने से रोकता है) की विशिष्ट ऊष्मा अधिक होनी चाहिए।
  3. कार को चलाते – चलाते उसके टायरों में वायुदाब बढ़ जाता है।
  4. किसी बंदरगाह के समीप के शहर की जलवायु, समान अक्षांश के किसी रेगिस्तानी शहर की जलवायु से अधिक शीतोष्ण होती है।

उत्तर:

  1. इसका कारण यह है कि अन्तिम ताप वस्तुओं को अलग-अलग तापों के अतिरिक्त उनकी. ऊष्मा धारिताओं पर भी निर्भर करता है।
  2. चूँकि शीतलक संयन्त्र से अभिक्रिया जनित ऊष्मा को हटाता है अतः शीतलक की विशिष्ट ऊष्मा धारिता अधिक होनी चाहिए ताकि कम ताप-वृद्धि के लिए अधिक ऊष्मा शोषित कर सके।
  3. कार को चलाते-चलाते, सड़क के साथ घर्षण के कारण टायर का ताप बढ़ता है। इस कारण टायर में भरी हवा का दाब बढ़ जाता है।
  4. बन्दरगाह के समीप के शहरों की आपेक्षिक आर्द्रता समान अक्षांश के रेगिस्तानी शहर की तुलना में अधिक रहती है। इस कारण बन्दरगाह के समीप शहर की जलवायु रेगिस्तानी शहर की अपेक्षा शीतोष्ण बनी रहती है।

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प्रश्न 12.4.
गतिशील पिस्टन लगे किसी सिलिंडर में मानक ताप व दाब पर 3 मोल हाइड्रोजन भरी है। सिलिंडर की दीवारें ऊष्मारोधी पदार्थ की बनी हैं तथा पिस्टन को उस पर बालू की परत लगाकर ऊष्मारोधी बनाया गया है। यदि गैस को उसके आरंभिक आयतन के आधे आयतन तक संपीडित किया जाए तो गैस का दाब कितना बढ़ेगा?
उत्तर:
माना V1 = x
द्विपरमाणुक गैस का हाइड्रोजन के लिए
V2 = \(\frac { V_{ 1 } }{ 2 } \) = \(\frac{x}{2}\)
γ = \(\frac { C_{ p } }{ C_{ v } } \)
∴dQ = 0 + dw’ or dw’ = dQ
= 9.35 × 4.19 J
दिया है:
dQ = 9.35 cal (1 cal = 4.19J) … (iii)
समी (ii) व (iii) से
dw’ = 9.35 × 4.19 J = 38.97 J
माना निकाय पर कृत कार्य W’ है।
W’ = dw’ – dW = 38.97 – 22.3
= 16.67
= 16.7J

प्रश्न 12.6.
समान धारिता वाले दो सिलिंडर A तथा B एक-दूसरे से स्टॉपकॉक के द्वारा जुड़े हैं। A में मानक ताप व दाब पर गैस भरी है जबकि B पूर्णतः निर्वातित है। स्टॉपकॉक यकायक खोल दी जाती है। निम्नलिखित का उत्तर दीजिए:

  1. सिलिंडर A तथा B में अंतिम दाब क्या होगा?
  2. गैस की आंतरिक ऊर्जा में कितना परिवर्तन होगा?
  3. गैस के ताप में क्या परिवर्तन होगा?
  4. क्या निकाय की माध्यमिक अवस्थाएँ ( अंतिम साम्यावस्था प्राप्त करने के पूर्व) इसके P – V – T पृष्ठ पर होंगी?

उत्तर:
1. दिया है: मानक दाब
= P1 = 1 atm, V1 = V
P2 = ? तथा V2 = 27
चूँकि सिलिंडर B निर्वातित है अतः स्टॉपकॉक खोलने पर गैस का निर्वात में मुक्त प्रसार होगा। अतः गैस न तो कोई कार्य करेगी और न ही ऊष्मा का आदान-प्रदान होगा। अर्थात् गैस की आन्तरिक ऊर्जा व ताप स्थिर रहेंगे।
पुनः बॉयल के नियम से,
P1V1 = P2V2
∴P2 = \(\frac { P_{ 1 }V_{ 1 } }{ V_{ 2 } } \) = \(\frac { 1\times V }{ 2v } \) = 0.5 atm

2. चूँकि ω = 0 व θ = 0
∴ ∆V = 0
अर्थात् गैस की आन्तरिक ऊर्जा अपरिवर्तित रहेगी।

3. चूँकि आन्तरिक ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है। अतः गैस का ताप भी अपरिवर्तित रहेगा।

4. चूँकि गैस का मुक्त प्रसार हुआ है। इस कारण माध्यमिक अवस्थाएँ साम्य अवस्थाएँ नहीं हैं। अतः ये अवस्थाएँ दाब-आयतन-ताप पृष्ठ पर नहीं होगी।

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प्रश्न 12.7.
एक वाष्प इंजन अपने बॉयलर से प्रति मिनट 3.6 × 109 J ऊर्जा प्रदान करता है जो प्रति मिनट 5.4 × 108 J कार्य देता है। इंजन की दक्षता कितनी है? प्रति मिनट कितनी ऊष्मा अपशिष्ट होगी?
उत्तर:
दिया है: प्रति मिनट बॉयलर द्वारा अवशोषित ऊष्मा
Q1 = 3.6 × 109 J
भाप इंजन द्वारा प्रति मिनट कृत कार्य
= 5.4 × 108 J
प्रति मिनट व्यय/उत्सर्जित ऊष्मा = Q2 = ?
इंजन की प्रतिशत दक्षता n% = ?
हम जानते हैं कि n% = \(\frac { W }{ Q_{ 1 } } \) × 100
= \(\frac{3}{20}\) × 100 = 15%
सूत्र, Q1 = W + Q2 से,
Q2 = Q1 – W
= 36 × 108 – 5.4 × 108
= 30.6 × 108 J/min
= 3.06 × 109 J/min
= 3.1 × 109 J/min

प्रश्न 12.8.
एक हीटर किसी निकाय को 100 W की दर से ऊष्मा प्रदान करता है। यदि निकाय 75 Js-1 की दर से कार्य करता है, तो आंतरिक ऊर्जा की वृद्धि किस दर से होगी? उत्तर:
दिया है: θ = 100
W = 100 Js-1
∴∆V = θ – W
= 100 – 75 = 25 Js-1
अत: निकाय की आन्तरिक ऊर्जा वृद्धि दर 25 Js-1 है।

प्रश्न 12.9.
किसी ऊष्मागतिकीय निकाय को मूल अवस्था से मध्यवर्ती अवस्था तक (चित्र) में दर्शाये अनुसार एक रेखीय प्रक्रम द्वारा ले जाया गया है।एक समदाबी प्रक्रम द्वारा इसके आयतन को E से F तक ले जाकर मूल मान तक कम कर देते हैं। गैस द्वारा D से E तथा वहाँ से F तक कुल किए गये कार्य का आंकलन कीजिए।
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उत्तर:
माना गैस D से E व E से F तक कृत कार्य = W
अतःW = W1 + W2 …. (i)
माना W1 = D से E तक प्रसार में कृत कार्य
= DEHGD का क्षेत्रफल = ∆DEF का क्षे० + आयत EHGF का क्षे०
= \(\frac{1}{2}\) EF × DF + GH × FG … (ii)
दिया है:
EF = 5 – 2 = 3 litre = 3 × 10-3 m3
DF = 600 – 300 = 300 Nm-2
FG = 300 – 0 = 300 Nm2
GH = 5 – 2 = 3 × 10-3 m3
समीकरण (ii) से,
∴W1 = \(\frac{1}{2}\) × 3 × 10-3 × 300 + 3 × 10-3 × 300] J …….. (iii)
माना E से F (संपीडन) तक कृत कार्य = W2 = EHGF का क्षे०
= – FG × GH
= – (300 – 0) × (5 – 2) × 10-3
= – 300 × 3 × 10-3 J …. (iv)
∴समी० (i). (iii) व (iv) से,
w = \(\frac{1}{2}\) × 3 × 10-3 × 300 + 3 × 10-3 × 300 + 3 × 10-3
= 3 × 103 × 150J = 450 × 10-3 J
= 0.450 J

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प्रश्न 12.10.
खाद्य पदार्थ को एक प्रशीतक के अंदर रखने पर उसे 9°C पर बनाए रखता है। यदि कमरे का ताप 36°C है तो प्रशीतक के निष्पादन गुणांक का आंकलन कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
T1 = 273 + 36 = 309 K
T2 = 9°C = 282 K
β = ?
सूत्र β = \(\frac { T_{ 2 } }{ T_{ 1 }-T_{ 2 } } \) से
β = \(\frac { 283 }{ 309-282 } \) = \(\frac{282}{27}\) = 10.4

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MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 11 Force and Pressure

MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 11 Force and Pressure

MP Board Class 8th Science Force and Pressure NCERT Textbook Exercises

Question 1.
Give two examples each of situations in which you push or pull to change the state of motion of objects.
Answer:
Examples of Pull:

  • Pulling of a suitcase
  • Pulling of a cow by a man.

Examples of Push:

  • Pushing of a car to move
  • Pushing of an almirah by a man.

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Question 2.
Give two examples of situations in which applied force causes a change in the shape of an object.
Answer:
Examples of change in shape of an object when force is applied on it:

  1. Pressing a ball of dough when rolled to make a chapati.
  2. Pressing an inflated balloon between two palms.

Question 3.
Fill in the blanks in the following statements:
(a) To draw water from a well we have to at the rope.
(b) A charged body an uncharged body towards it.
(c) To move a loaded trolley we have to it.
(d) The north pole of a magnet the north pole of another magnet.
Answer:
(a) pull
(b) attracts
(c) pull/push
(d) repels.

Question 4.
An archer stretches her bow while taking aim at the target. She then releases the arrow, which begins to move towards the target. Based on this information fill up the gaps in the following statements using the following terms:
muscular, contact, non-contact, gravity, friction, shape, attraction.
(a) To stretch the bow, the archer applies a force that causes a change in its ……………
(b) The force applied by the archer to stretch the bow is an example of ……………… force.
(c) The type of force responsible for a change in the state of motion of the arrow is an example of a ………….. force.
(d) While the arrow moves towards its target, the forces acting on it are due to ………….. and that due to …………… of air.
Answer:
(a) shape
(b) muscular
(c) contact
(d) gravity, friction.

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Question 5.
In the following situations identify the agent exerting the force and the object on which it acts. State the effect of the force in each case.
(a) Squeezing a piece of lemon between the fingers to extract its juice.
(b) Taking out paste from a toothpaste tube.
(c) A load suspended from a spring while its other end is on a hood fixed to a wall.
(d) An athlete making a high jump to clear the bar at a certain height.
Answer:
(a) In this situation, the fingers are the agents exerting a force. Lemon is the object on which force acts. It involves muscular force.

(b) In this situation, the fingers are the agents exerting a force. Toothpaste is the object on which force acts. It involves muscular force.

(c) In this situation, the load is the agent exerting force. Spring is the object on which force acts. It involves gravitational force.

(d) In this situation, the athlete is the agent exercising force, bar is the object to be cleared. It involves a non-contact gravitational force.

Question 6.
A blacksmith hammers a hot piece of iron while making a tool. How does the force due to hammering affect the piece of iron?
Answer:
The force due to. hammering causes the changes in the shape of the iron and iron can be moulded in the shape of the required tool.

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Question 7.
An inflated balloon was pressed against a wall after it has been rubbed with a piece of synthetic cloth. It was found that the balloon sticks to the wall. What force might be responsible for the attraction between the balloon and the wall?
Answer:
This is an electrostatic force.

Question 8.
Name the forces acting on a plastic bucket containing water held above ground level in your hand. Discuss why the forces acting on the bucket do not bring a change in its state of motion.
Answer:
Forces acting on the plastic bucket are the muscular force and gravitational force. These forces do not bring the change in its state of motion because they are acting in opposite direction with equal magnitude. The effect of the gravitational force will pull it down if the muscular force will grow weak. The body will feel the stretch of gravitational force and will have to bend to cancel the magnitude of gravitational force.

Question 9.
A rocket has been fired upwards to launch a satellite in its orbit. Name the two forces acting on the rocket immediately after leaving the launching pad.
Answer:
Gravitational force and frictional force.

Question 10.
When we press the bulb of a dropper with its nozzle kept in water, air in the dropper is seen to escape in the form of bubbles. Once we release the pressure on the bulb, water gets filled in the dropper. The rise of water in the dropper is due to:
(a) Pressure of water
(b) Gravity of the earth
(c) Shape of rubber bulb
(d) Atmospheric pressure.
Answer:
(d) Atmospheric pressure.

MP Board Class 8th Science Force and Pressure NCERT Extended Learning – Activities and Projects

Question 1.
Make a 50 cm x 50 cm bed of dry sand about 10 cm in thickness. Make sure that its top surface is levelled. Take a wooden or a plastic stool. Cut two strips of graph paper each with a width of 1 cm. Paste them vertically on any leg of the stool – one at the bottom and the other from the top. Now gently put the stool on the sand bed with its legs resting on the sand. Increase the size of sand bed if required. Now put a load, say a school bag full of books, on the seat of the stool. Mark the level of sand on the graph strip. This would give you the depth, if any, to which the legs of stool sink in sand. Next, turn the stool upside down so that now it rests on its seat on the sand bed. Note the depth to which the stool sinks not. Next, put the same load on the stool and note the depth to which it sinks in the sand. Compare the pressure exerted by the stool in the two situations.
Answer:
Do yourself.

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Question 2.
Take a tumbler and fill it with water. Cover the mouth of the tumbler with a thick card similar to that of a postcard. Hold the tumbler with one hand while keeping the card pressed to its mouth with your other hand. Turn the tumbler upside down while keeping the card pressed to its mouth. Make sure that the tumbler is held vertical. Gently remove the hand pressing the card. What do you observe? Does the card get detached allowing the water to spill? With a little practice you will find that the card continues to hold ivater in the tumbler even after it is not supported by your hand. Also try this activity by using a piece of cloth to hold the tumbler in an upside down position (Fig. 11.1)
MP Board Class 8th Science Solutions Chapter 11 Force and Pressure 1

Answer:
Do yourself.

Question 3.
Take 4-5 plastic bottles of different shapes and sizes. Join them together with small pieces of glass or rubber tube as shown in Fig. 11.2. Keep this arrangement on a level surface. Now pour over in any one of the bottles. Note whether The bottle in which water is poured gets filled first or all the bottles get filled up simultaneously. Note the level of water in all the bottles from time to time. Try to explain your observations.
Answer:
Do yourself.

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MP Board Class 8th Science Force and Pressure NCERT Intext Activities and Projects

Activity 11.1.
The table given below gives some examples of familiar situations involving motion of objects. You can add more such situations or replace those given here. Try to identify action involved in each case as a push and/or a pull and record your observations. One example has been given to help you.

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Activity 11.5
Some situations have been given in Column 1 of Table 11.2 in which objects are not free to move. Column 2 of the Table suggests the manner in which a force can be applied on each object while Column 3 shows a diagram of the action. Try to observe the effect of force in as many situations as possible, You can also add similar situations using available material from your environment. Note your observation in Columns 4 and 5 of the Table.

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MP Board Class 8th Science Force and Pressure NCERT Additional Important Questions

A. Short Answer Type Questions

Question 1.
Define Force.
Answer:
Force is a pull or a push.

Question 2.
Is there any force which can be exerted on objects without touching them? If yes, name it.
Answer:
Yes. It is the magnetic force. It can be exerted on objects without touching them.

Question 3.
What is the SI unit of force?
Answer:
The SI unit of force is Newton.

Question 4.
What can force do to bodies on which it is applied?
Answer:
The body is pushed, pulled, thrown, flicked or kicked when force is applied on it.

Question 5.
What happens when two forces are applied on an object in the same direction?
Answer:
The two forces are added up.

Question 6.
What is pressure?
Answer:
Force exerted per unit area is called pressure.

Question 7.
Is there any relation between pressure and force?
Answer:
Yes, pressure is force exerted by a unit surface, i.e.,
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B. Long Answer Type Questions

Question 8.
Name some non-contact forces.
Answer:

  1. Electrostatic forces
  2. Magnetic force
  3. Force due to gravity.

Question 9.
How do we feel force in our daily life?
Answer:
Many big or small actions make us feel the force. We have to push or pull many objects daily. A moving ball stops on its own, the ball changes the direction of its motion, when hits with a bat. We churn curd to make lassi and many other actions.

Question 10.
How does an applied force changes the speed of an object?
Answer:
When a force is applied on an object, it may change its speed. If the applied force is in the direction of motion, the speed of the object increases. If the force is applied in the direction opposite to the motion, then it results in a decrease in the speed of the object.

Question 11.
What is pressure? What is the relation of pressure with area on which it is applied?
Answer:
Force exerted on per unit area is called pressure. Pressure is related with area on which it is applied. When the area is increased the pressure exerted is less. But when the area on which pressure is exerted, decreases the pressure increases. So, we conclude that pressure increases with decrease in area.

Question 12.
Why do astronauts wear specially made suits to go into space?
Answer:
The atmospheric pressure decreases as we go up. The pressure inside the body therefore becomes higher in comparison when the astronauts go into the space. Their suits make sure that the body cells of the astronaut do not burst under their internal pressure.

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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

द्रव्य के तापीय गुण अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 11.1.
निऑन तथा CO2 के त्रिक बिन्दु क्रमशः 24.57 K तथा 216.55 K हैं। इन तापों को सेल्सियस तथा फारेनहाइट मापक्रमों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
दिया है: निऑन का त्रिक बिन्दु, T1 = 24.57 K
CO2 का त्रिक बिन्दु, T2 = 216.55 K
हम जानते हैं कि केल्विन सेल्यिस व फारेनहाइट पैमाने में निम्नवत् सम्बन्ध है –
\(\frac { C-O\quad }{ 100-O } \) = \(\frac { F-32 }{ 212-32 } \)
सेल्सियस पैमाने पर,
\(\frac { C-O\quad }{ 100-O } \) = \(\frac { T-273.15 }{ 100 } \)
या C – T = 273.15
Ne के लिए
1, C = 24.57 – 273.15 = – 248.58°C
CO2 के लिए
2 C = 216.55 – 273.15 = – 56.6°C
फारेनहाइट पैमाने पर,
\(\frac { F-32 }{ 180 } \) = \(\frac { T-273.15 }{ 100 } \)
Ne के लिए,
F1 = (T1 – 273.15) × \(\frac{9}{5}\) + 32
= (24.57 – 273.15) × \(\frac{9}{5}\) + 32
= – 415.26°F
CO2 के लिए,
F2 = (T2 – 273.15) × \(\frac{9}{5}\) + 32
= (216.55 – 273.15) \(\frac{9}{5}\) + 32
= – 56.6 \(\frac{9}{5}\) + 32 = -69.88°F

प्रश्न 11.2.
दो परम ताप मापक्रमों A तथा B पर जल के त्रिक बिन्दु को 200A तथा 350 Bद्वारा परिभाषित किया गया है। T तथा TM में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
माना दोनों का शून्य, परम शून्य ताप से सम्पाती है।
प्रश्नानुसार, प्रथम पैमाने पर परम शून्य से जल के त्रिक – बिन्दु तक के तापों को 200 भागों में एवम् दूसरे पैमाने पर 350 . भागों में विभाजित किया गया है।
∴200A – OA = 350B – OB
= 273.16K – OK
∴200A = 350B = 273.16K
∴IA = \(\frac { 273.16 }{ 200 } \) K व 1B = \(\frac { 273.16K }{ 350 } \)
माना कि इन पैमानों पर किसी वस्तु का ताप क्रमश: TA व TB है।
TA = \(\frac { T\times 273.16 }{ 200 } \) K
तथा TB = \(\frac { T\times 273.16 }{ 350 } \) K
\(\frac { T_{ A } }{ T_{ B } } \) = \(\frac{350}{200}\) = \(\frac{7}{4}\)
TA : TB = 7 : 4
या
TA = \(\frac{7}{4}\) TB

प्रश्न 11.3.
किसी तापमापी का ओम में विद्युत प्रतिरोध ताप के साथ निम्नलिखित, सन्निकट नियम के अनुसार परिवर्तित होता है –
R = R0 [1 + α (T -T0)]
यदि तापमापी का जल के त्रिक बिन्दु 273.16 K पर प्रतिरोध 101.6Ω तथा लैड के सामान्य संगलन बिन्दु (600.5 K) पर प्रतिरोध 165.5Ω है तो वह ताप ज्ञात कीजिए जिस पर तापमापी का प्रतिरोध 123.4Ω है।
उत्तर:
दिया है:
T1 = 273.16 K पर R = 101.6Ω
व T2 = 600.5 K पर R2 = 165.5 माना T0 पर प्रतिरोध R0 है।
तथा T3 ताप पर प्रतिरोध R3 = 123.42 है।
हम जानते हैं कि
R = Ro [1 + 5 × 10-3(T – T0)] …… (i)
101.6 = R0 [1 + 5 × 10-3(273.16 – T0)] … (ii)
तथा 165.5 = R0 [1 + 5 × 10-3(600.5 – T0)] … (iii)
समी० (iii) को (ii) से भाग देने पर,
\(\frac { 165.5 }{ 101.6 } \) = \(\frac { 1+5\times 10(600.5-T_{ 0 }) }{ 1+5\times 10^{ -3 }(273.16-T_{ 0 }) } \)
या 1 + 5 × 10-3 (600.5 – T0)
= 1.629 [1 + 5 × 10-3 (273.16 – T0)
या 1.629 [1 + 1.366 – 0.005 T0)
= 1 + 3.003T0 = -49.67 K
समी० (ii) से,
R0 = \(\frac { 101.6 }{ 1+0.005(273.16+49.67) } \)
= \(\frac { 101.6 }{ 2.614 } \) = 38.87Ω
123.4 = 38.87 [(1+0.005)T -(-49.67)]
या T + 49.67 = (\(\frac { 123.4 }{ 38.87 } -1\)) \(\frac{1}{0.005}\)
या T = 434.94 – 49.67 = 385 K

प्रश्न 11.4.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए –
(a) आधुनिक तापमिति में जल का त्रिक बिन्दु एक मानक नियत बिन्दु है, क्यों? हिम के गलनांक तथा जल के क्वथनांक को मानक नियत-बिन्दु मानने में (जैसा कि मूल सेल्सियस मापक्रम में किया गया था।) क्या दोष है?
(b) जैसा कि ऊपर वर्णन किया जा चुका है कि मूल सेल्सियस मापक्रम में दो नियत बिन्दु थे जिनको क्रमशः 0°C तथा 100°C संख्याएँ निर्धारित की गई थीं। परम ताप मापक्रम पर दो में से एक नियत बिन्दु जल का त्रिक बिन्दु लिया गया है जिसे केल्विन परम ताप मापक्रम पर संख्या 273.16 K निर्धारित की गई है। इस मापक्रम (केल्विन परम ताप) पर अन्य नियत बिन्दु क्या है?
(c) परम ताप (केल्विन मापक्रम) T तथा सेल्सियस मापक्रम पर ताप tC में संबंध इस प्रकार है –
tC = T – 273.15
इस संबंध में हमने 273.15 लिखा है 273.16 क्यों नहीं लिखा?
(d) उस परमताप मापक्रम पर, जिसके एकांक अंतराल का आमाप फारेनहाइट के एकांक अंतराल की आमाप के बराबर है, जल के त्रिक बिन्दु का ताप क्या होगा?
उत्तर:

(a) चूँकि जल का त्रिक बिन्दु (273.16 K) एक अद्वितीय बिन्दु है जबकि हिम का गलनांक व जल का क्वथनांक नियत नहीं है। ये दाब परिवर्तित करने पर बदल जाते हैं।

(b) केल्विन मापक्रम पर दूसरा नियत बिन्दु परमशून्य ताप है। इस ताप पर सभी गैसों का दाब शून्य हो जाता है।

(c) सेल्सियस पैमाने पर, 0°C ताप सामान्य दाब पर बर्फ का गलनांक है। इसके संगत केल्विन ताप 273.15 K है। अतः प्रत्येक परम ताप (273.16 K), संगत सेल्सियस ताप के 273.15 K ऊँचा है। अतः उक्त सम्बन्ध में 273.15 का प्रयोग किया गया है।

(d) चूँकि 32°F = 273.15 K
तथा 212°F =373.15 K
∴(212 – 32)°F = (373.15 – 273.15) K
या 180°F = 100 K
∴1°F = \(\frac{100}{180}\) K
केल्विन मापक्रम में जल के त्रिक बिन्दु का ताप T = 273.16 K
माना नए परमताप पैमाने पर त्रिक बिन्दु का ताप T’ F है।
T’F – 0F = 273.16 K – 0K
T’F = 273.16 K
T’ × 100 K = 273.16 K
या
T = \(\frac { 273.16\times 180 }{ 100 } \) = 491.69
अतः नए पैमाने पर त्रिक बिन्दु के ताप का आंकिक मान 491.69 है।

प्रश्न 11.5.
दो आदर्श गैस तापमापियों A तथा B में क्रमशः ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन प्रयोग की गई है। इनके प्रेक्षण निम्नलिखित हैं –
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण img 1
(a) तापमापियों A तथा B के द्वारा लिए गए पाठ्यांकों के अनुसार सल्फर के सामान्य गलनांक के परमताप क्या हैं?

(b) आपके विचार से तापमापियों A तथा B के उत्तरों में थोड़ा अंतर होने का क्या कारण है? (दोनों तापमापियों में कोई दोष नहीं है)। दो पाठ्यांकों के बीच की विसंगति को कम करने के लिए इस प्रयोग में और क्या प्रावधान आवश्यक हैं?
उत्तर:
(a) माना सल्फर का गलनांक T है।
हम जानते हैं कि जल का त्रिक बिन्दु
Ttr = 273.16 K
थर्मामीटर A के लिए
Ptr = 1.250 × 105 Pa
P = 1.797 × 105 Pa, T = ?
सूत्र \(\frac { T }{ T_{ tr } } \) = \(\frac { P }{ P_{ tr } } \) से
TA = \(\frac { P }{ P_{ tr } } \) × Ttr
= \(\frac { 1.797\times 10^{ 5 } }{ 1.250\times 10^{ 5 } } \) × 273.16
थर्मामीटर B के लिए,
Ptr = 0.200 × 105 Pa
P = 0.287 × 105 Pa
TB = Ttr × \(\frac { P }{ P_{ tr } } \)
= 273.16 × \(\frac { 0.287\times 10^{ 5 } }{ 0.200\times 10^{ 5 } } \)
TB = 391.98K
To =Tvē

(b) दोनों तापमापियों के पाठ्यांकों में अन्तर होने का यह कारण है कि प्रयोग की गई गैसें आदर्श नहीं हैं। विसंगति को दूर करने के लिए पाठ्यांक कम दाब पर लेने चाहिए जिससे गैसें आदर्श गैस की भाँति व्यवहार करे।

प्रश्न 11.6.
किसी 1 m लंबे स्टील के फीते का यथार्थ अंशांकन 27.0°C पर किया गया है। किसी तप्त दिन जब ताप 45°C था तब इस फीते से किसी स्टील की छड़ की लंबाई 63.0 cm मापी गई। उस दिन स्टील की छड़ की वास्तविक लंबाई क्या थी? जिस दिन ताप 27.0°C होगा उस दिन इसी छड़ की लंबाई क्या होगी? स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक = 1.20 × 10-5 K-1
उत्तर:
दिया है:
T1 = 27°C पर फीते की लम्बाई, L = 100 सेमी
तथा T2 = 45°C पर फीते द्वारा मापी गई छड़ की ल० l = 63 सेमी।
स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक,
α = 1.2 × 10-5 प्रति K
हम जानते हैं कि α = \(\frac { \Delta L }{ L\times \Delta T } \)
∆L = L × ∆T × α
= 1000 × (45 – 27) × 1.2 × 10-5
= 0.0216 सेमी
100 सेमी लम्बाई में वृद्धिं = 0.0216 सेमी
सेमी लम्बाई में वृद्धि = (0.0216/100) सेमी
63 सेमी लम्बाई में वृद्धि = \(\frac { 0.0216\times 63 }{ 100 } \)
= 0.0136 सेमी।
अत: 45°C ताप पर स्टील की छड़ की वास्तविक लम्बाई
= 63 + 0.0136 सेमी।
= 63.0136 सेमी।
तथा जिस दिन ताप 27°C है उस दिन पुन: स्टील की छड़ की लम्बाई 63.0136 सेमी होगी।

प्रश्न 11.7.
किसी बड़े स्टील के पहिए को उसी पदार्थ की किसी धुरी पर ठीक बैठाना है। 27°C पर धुरी का बाहरी व्यास 8.70 cm तथा पहिए के केंद्रीय छिद्र का व्यास 8.69 cm है। सूखी बर्फ द्वारा धुरी को ठंडा किया गया है। धुरी के किस ताप पर पहिया धुरी पर चढ़ेगा? यह मानिए कि आवश्यक ताप परिसर में स्टील का रैखिक प्रसार गुणांक नियत रहता है
α स्टील = 12 × 10-5 K-1
I1 = 8.70 cm
I2 = 8.69 cm
T1 = 27°C = 273 + 27 = 300 K
T2 = ?
स्टील की शॉफ्ट को ठण्डा करने पर, लम्बाई निम्नवत् होती है –
I2 = l1[1 + α(T2 – T1)]
शॉफ्ट को T, ताप पर ठण्डा करने पर 1, =8.69 सेमी०, तब पहिया शॉफ्ट पर फिसल सकेगा।
अतः समी० (1) से,
8.69 = 8.70 [1 + 1.20 × T-5(T2 – 300)]
या T2 = 300 = \(\frac { 8.69-8.70 }{ 8.70\times 1.20\times 10^{ -5 } } \)
या T2 = 300 – 95.78 = 204.22 K
या = 204.22 – 273.15 = – 68.93°C
= – 68.93°C
या T2 = – 69°C

प्रश्न 11.8.
ताँबे की चादर में एक छिद्र किया गया है। 27.0°C पर छिद्र का व्यास 4.24 cm है। इस धातु की चादर को 227°C तक तप्त करने पर छिद्र के व्यास में क्या परिवर्तन होगा? ताँबे का रेखीय प्रसार गुणांक = 1.70 × 10-5K-1
उत्तर:
दिया है:
t1 = 27 °C
t2 = 227 °C
∆t = 227 – 27 = 200 °C
ताँबे के लिए रेखीय प्रसार गुणांक
α = 1.7 × 10-5° C-1
27°C पर छिद्र का व्यास, d1 = 4.24 सेमी
माना कि 227°C पर छिद्र का व्यास = d2
∆d = d2 – d1 = ?
ताँबे के लिए क्षेत्रीय प्रसार गुणांक
β = 2α = 2 × 1.7 × 10-5
= 3.4 × 10-5° C-1
27°C व 227°C पर क्रमश: S1 व S2 है।
S1 = \(\frac { \pi d_{ 1 }^{ 2 } }{ 4 } \) = \(\frac { \pi }{ 4 } \) × (4.24)2
= 4.494 π सेमी 2
या \(\frac { \pi d_{ 2 }^{ 2 } }{ 4 } \) = 4.525 π
या d2 = \(\sqrt { 4.525\times 4 } \) = 4.2544 cm
∆d = d2 – d1 = 4.2544 – 4.24
= 0.0144 cm
या ∆d = 1.44 × 10-2 सेमी

प्रश्न 11.9.
27°C पर 1.8 cm लंबे किसी ताँबे के तार को दो दृढ़ टेकों के बीच अल्प तनाव रखकर थोड़ा कसा गया है। यदि तार को – 39°C ताप पर शीतित करें तो तार में कितना तनाव उत्पन्न हो जाएगा? तार का व्यास 2.0 mm है। पीतल का रेखीय प्रसार गुणांक = 2.0 × 10-5 K-1 पीतल का यंग प्रत्यास्थता गुणांक = 0.91 × 1011 Pa
उत्तर:
दिया है:
I1 = 1.8 m, t1 = 27°C, t2 = – 39°C
∆t = t2 – t1
= – 39 – 27 = – 66°C
t2°C पर लम्बाई = l2
पीतल के लिए α = 2 × 10-50 K-1
Y = 0.91 × 1011 Pa
तार का व्यास d = 2.0 mm
= 2.0 × 10-3 m
माना तार का अनुप्रस्थ परिच्छेद a है।
a = \(\frac { \pi d^{ 2 } }{ 4 } \) = \(\frac { \pi }{ 4 } \) × (2.0 × 10-3)2
= 3.142 × 10 -6m2
माना तार में उत्पन्न तनाव F है।
अतः सूत्र Y = \(\frac { F/a }{ \Delta l/L } \) से
F = \(\frac { Ya\Delta l }{ l_{ 1 } } \)
परन्तु ∆l = l1 α ∆t
= 1.8 × 2 × 10-5 × (-66)
= – 0.00237 m = -0.0024 m
ऋणात्मक चिह्न प्रदर्शित करता है कि समी० (i) में Y, a, ∆l तथा l1, का मान रखने पर लम्बाई घटती है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण img 2
= 381 N = 3.81 × 102 N

प्रश्न 11.10.
50 cm लंबी तथा 3.00 mm व्यास की किसी पीतल की छड़ को उसी लंबाई तथा व्यास की किसी स्टील की छड़ से जोड़ा गया है। यदि ये मूललंबाइयाँ 40°C पर हैं, तो 250°C पर संयुक्त छड़ की लंबाई में क्या परिवर्तन होगा? क्या संधि पर कोई तापीय प्रतिबल उत्पन्न होगा? छड़ के सिरों को प्रसार के लिए मुक्त रखा गया है।
(पीतल तथा स्टील के रेखीय प्रसार गुणांक क्रमश: = 2.0 × 10-5 K-1, स्टील = 1.2 × 10-5 K-1 हैं।)
उत्तर:
पीतल की छड़ के लिए,
α = 2.0 × 10-5 K-1, l1 = 50 cm, t1 = 40°C
t2 = 250°C
∆t = t2 – t1
= 250 – 40 = 210°C
माना t2°C पर लम्बाई l2, है।
अतः
l2 = l1 (1 + α∆t)
= 50 (1 + 2 × 10-5 × 210)
= 50.21 cm
∆l brass = l2 – l1
= 50.21 – 50 = 0.21 cm
स्टील की छड़ के लिए,
t1 = 40°C, t2 = 250°C, α = 1.2 × 10-5 K-1,
l1 = 50.0 cm
∆t’ = t2 – t1
= 250 – 40 = 210°C
माना 250°C पर स्टील छड़ की ल० l2 है
अतः l2 = l1 ( 1 + α∆t’)
= 50 (1 + 1.2 × 10-5 × 210)
= 50.126 cm
250°C पर संयुक्त छड़ की लम्बाई 250°C = l2 + l2
= 50.21 + 50.126 = 100.336 cm व 40°C पर संयुक्त छड़ की लम्बाई
= l1 + l1 = 50 + 50
= 100 cm
संयुक्त छड़ की लम्बाई में परिवर्तन = 100.336 – 100
= 0.336 cm = 0.34 cm
अतः सन्धि पर कोई तापीय प्रतिबल उत्पन्न नहीं होता है।

प्रश्न 11.11.
ग्लिसरीन का आयतन प्रसार गुणांक 49 × 10-5 K-1 है। ताप में 30°C की वृद्धि होने पर इसके घनत्व में क्या आंशिक परिवर्तन होगा?
उत्तर:
दिया है:
ताप में वृद्धि ∆t = 30°C
माना 0°C पर ग्लिसरीन का प्रा० आयतन V0 है।
माना 30°C पर ग्लिसरीन का आयतन V1 है।
तब V1 = V0 (1 + r ∆t)
= V0 (1 + 49 × 10-5 × 30)
= V0 (1 + 0.01470) = 1.01470 V0
या \(\frac { V_{ 0 } }{ V_{ 1 } } \) = \(\frac{1}{1.01440}\) ……… (i)
अत: प्रारम्भिक घनत्व,
ρ0 = \(\frac { m }{ V_{ 0 } } \)
तथा अन्तिम घनत्व ρ1 = \(\frac { m }{ V_{ t } } \)
जहाँ m ग्लिसरीन का द्रव्यमान है।
\(\frac { \Delta \rho }{ \rho _{ 0 } } \) = घनत्व में भिन्नात्मक परिवर्तन
= \(\frac { \rho _{ t }-\rho _{ 0 } }{ \rho _{ 0 } } \)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण img 3
यहाँ गुणात्मक चिह्न प्रदर्शित करता है कि ताप में वृद्धि से घनत्व घटता है।
\(\frac { \Delta \rho }{ \rho _{ 0 } } \) = 0.0145 × 10-2
= 1.5 × 10-2

प्रश्न 11.12.
8.0 kg द्रव्यमान के किसी एल्युमीनियम के छोटे ब्लॉक में छिद्र करने के लिए किसी 10 kW की बरमी का उपयोग किया गया है। 2.5 मिनट में ब्लॉक के ताप में कितनी वृद्धि हो जाएगी। यह मानिए कि 50% शक्ति तो स्वयं बरमी को गर्म करने में खर्च हो जाती है अथवा परिवेश में लुप्त हो जाती है। एल्युमीनियम की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.91 Jg-1K-1 है।
उत्तर:
दिया है: m = 8 kg
शक्ति, P = 10 KW = 10 × 103 J/s
समय t = 2.5 मिनट =150 सेकण्ड
विशिष्ट ऊष्मा धारिता S = 0.91 Jg-1K-1
2.5 मिनट में बों द्वारा कम की गई ऊर्जा, E = Pt
= (10 × 103) × 150
= 1.5 × 106 जूल
माना सम्पूर्ण ऊर्जा ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती है जिसका 50% बमें द्वारा अवशोषित हो जाता है।
अत: ब्लॉक द्वारा शोषित ऊष्मा,
θ = E का 50%
= 1.5 × 106 × \(\frac{50}{100}\)
= 0.75 × 106 जूल
माना शोषित ऊष्मा से ब्लॉक के ताप में वृद्धि ∆T है।
सूत्र θ = ms ∆T से,
∆T = \(\frac { \theta }{ ms } \) = \(\frac { 0.75\times 10^{ -6 } }{ 8\times 910 } \)
= 103°C

प्रश्न 11.13.
2.5 kg द्रव्यमान के ताँबे के गुटके को किसी भट्टी में 500°C तक तप्त करने के पश्चात् किसी बड़े हिम – ब्लॉक पर रख दिया जाता है। गलित हो सकने वाली हिम की अधिकतम मात्रा क्या है? ताँबे की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.39 Jg2K-1; बर्फ की संगलन ऊष्मा = 335Jg-1
उत्तर:
दिया है: m = 2.5 kg
T1 = 500°C
विशिष्ट ऊष्मा धारिता,
S = 0.39 Jg-1K-1 = 390 Jkg-1K-1
बर्फ की संगलन ऊष्मा,
Lf = 335 Jg-1 = 335 × 103 Jkg-1
प्रश्नानुसार, निकाय का अन्तिम ताप T2 = 0°C
∆T = T1 – T2) = 500°C या 500 K
सूत्र θ = ms ∆T से गुट के द्वारा दी गई ऊष्मा,
θ = 2.5 × 390 × 500
= 48.75 × 107 J
माना कि बर्फ का m’ द्रव्यमान इस ऊष्मा को शोषित कर गल जाता है।
Q = m’Lf
m’ = \(\frac { \theta }{ L_{ f } } \)
= \(\frac { 48.75\times 10^{ 4 } }{ 3.35\times 10^{ 3 } } \) = 1.45 kg

प्रश्न 11.14.
किसी धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के प्रयोग में 0.20 kg के धातु के गुटके को 150°C पर तप्त करके, किसी ताँबे के ऊष्मामापी ( जल तुल्यांक 30.025 kg), जिसमें 27°C का 150 cm जल भरा है, में गिराया जाता है। अंतिम ताप 40°C है। धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता परिकलित कीजिए। यदि परिवेश में क्षय ऊष्मा उपेक्षणीय न मानकर परिकलन किया जाता है, तब क्या आपका उत्तर धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के वास्तविक मान से अधिक मान दर्शाएगा अथवा कम?
उत्तर:
दिया है:
गुटके का द्रव्यमान m = 0.20 kg
ऊष्मामापी का जल तुल्यांक m1 = 0.025 kg
भरे जल का द्रव्यमान m2 = 150 gm = 0.15 kg
गुटके का प्रारम्भिक ताप Ti = 150°C
ऊष्मामापी तथा जल का प्रारम्भिक ताप T’i = 27°C
मिश्रण का ताप, Tf = 40°C
SH2O = 4.18 × 103 Jkg-1°C-1
माना धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता Sm है।
गुटके द्वारा दी गई ऊष्मा,
Q = ms(Ti – Tf)
तथा ऊष्मामापी व जल द्वारा ली गई ऊष्मा
θ = (m1 + m2) SH2O. (Tf -T’i)
परन्तु दी गई ऊष्मा = ली गई ऊष्मा
θ = (m1 + m2) SH2O . (Tf -T’i)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण img 4
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण img 4a
= 0.43 × 103 JKg -1°C-1
= 0.43 JKg -1°C-1
यदि हम परिवेश में ऊष्मा क्षय को नगण्य न मानकर परिकलित करें, तब उपरोक्त मान वास्तविक विशिष्ट ऊष्मा धारिता से कम मान दर्शाएगा।

प्रश्न 11.15.
कुछ सामान्य गैसों के कक्ष ताप पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं के प्रेक्षण नीचे दिए गए हैं –
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण img 5
इन गैसों की मापी गई मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ एक परमाणुक गैसों की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं से सुस्पष्ट रूप से भिन्न हैं। प्रतीकात्मक रूप में किसी एक परमाणुक गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता 2.92 cal/mol K होती है। इस अंतर का स्पष्टीकरण कीजिए। क्लोरीन के लिए कुछ अधिक मान (शेष की अपेक्षा) होने से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
एक परमाणुक गैसों के अणुओं में सिर्फ स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा होती है परन्तु द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं में स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त घूर्णी गतिज ऊर्जा भी होती है। इसका कारण यह है कि द्विपरमाणुक गैसों के अणु अन्तराण्विक अक्ष के लम्बवत् दो अक्षों के परितः भी घूर्णन कर सकते हैं। किसी गैस को ऊष्मा देने पर यह ऊष्मा अणुओं की सभी प्रकार की भुजाओं में समान वृद्धियाँ करती हैं। चूँकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं की ऊर्जा के प्रकार अधिक होते हैं इसलिए इनकी मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ भी अधिक होती हैं। क्लोरीन की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता का अधिक मान यह व्यक्त करता है कि इसके अणु स्थानान्तरीय व घूर्णनी गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त काम्पनिक गतिज ऊर्जा भी रखते हैं।

प्रश्न 11.16.
101°F ताप ज्वर से पीड़ित किसी बच्चे को एन्टीपायरिन (ज्वर कम करने की दवा) दी गई जिसके कारण उसके शरीर से पसीने के वाष्पन की दर में वृद्धि हो गई। यदि 20 मिनट में ज्वर 98°F तक गिर जाता है तो दवा द्वारा होने वाले अतिरिक्त वाष्पन की औसत दर क्या है? यह मानिए कि ऊष्मा ह्रास का एकमात्र उपाय वाष्पन ही है। बच्चे का द्रव्यमान 30 kg है। मानव शरीर की विशिष्ट ऊष्मा धारिता जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के लगभग बराबर है तथा उस ताप पर जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 580 cal g-1 है।
उत्तर:
दिया है:
बच्चे का द्रव्यमान, m = 30 kg
ताप में गिरावट,
∆T = \(\frac{5}{3}\)°C
मानव शरीर की विशिष्ट ऊष्मा
C = 4.2 × 103 Jkg-1C-1
वाष्पन की गुप्त ऊष्मा = 580 cal g-1
= 580 × 4.2 × 103 JkgC-1
माना 20 मिनट में बच्चे के शरीर से m ग्राम पसीना उत्सर्जित होता है।
माना आवश्यक ऊष्मा Q है।
अतः Q = m’ L
= m × 580 × 4.2 × 103 J ……….. (i)
माना पसीने के उत्सर्जन के रूप में ऊष्मा ए का ह्रास होता है।
अतः Q = mC∆T
= 30 × 4.2 × 103 × 5 J
= 2.10 × 105 J
समी० (i) व (ii) से,
m’ × 580 × 4.2 × 103 = 2.1 × 105
या m’ = \(\frac { 2.1\times 10^{ 5 } }{ 580\times 4.2\times 10^{ 3 } } \)
= \(\frac{10}{116}\) = 0.0862 kg
पसीने के उत्सर्जित होने की दर
= \(\frac{m’}{t}\) = \(\frac{0.0862}{20}\)
= 0.00431 kg min-1 = 4.31 g min-1

प्रश्न 11.17.
थर्मोकोल का बना ‘हिम बॉक्स’ विशेषकर गर्मियों में कम मात्रा के पके भोजन के भंडारण का सस्ता तथा दक्ष साधन है। 30 cm भुजा के किसी हिम बॉक्स की मोटाई 5.0 cm है। यदि इस बॉक्स में 4.0 kg हिम रखा है तो 6 h के पश्चात् बचे हिम की मात्रा का आंकलन कीजिए। बाहरी ताप 45°C है तथा थर्मोकोल की ऊष्मा चालकता 0.01Js-1m-1K-1 है। (हिम की संगलन ऊष्मा = 335 × 103 Jkg-1)
उत्तर:
दिया है: घन के छह पृष्ठों का क्षेत्रफल
= 6 × 30 × 30 cm2
= 6 × 900 × 10-4 m2
दूरी, d = 5.0 cm = 5.0 × 10-2 m
बर्फ का कुल द्रव्यमान, M = 4 kg
समय t = 6 h = 6 × 60 × 60s
बक्से के बाहर का ताप = Q1 = 45°C
बक्से के भीतर का ताप = Q2 = 0°C
∆θ = θ1 – θ2 = 45 – 0 = 45°C
संगलन की ऊष्मा, L = 335 × 103 Jkg-1
थर्माकोल की ऊष्मीय चालकता गुणांक
= K = 0.01 Js-1m-10K-1
माना बर्फ का m kg द्रव्यमान गलता है
अतः 0°C पर गलन के लिए आवश्यक ऊष्मा,
Q = mL
पुनः = KA \(\frac { \Delta \theta }{ d } \)
\(\frac { 0.1\times 6\times 900\times 10^{ -4 }\times 45 }{ 335\times 10^{ 3 }\times 5.0\times 10^{ -2 } } \) × 6 × 3600
– \(\frac { 6\times 9\times 45 }{ 335\times 5\times 10^{ 2 } } \) × 6 × 36
= 0.313 kg
= 3.687 = 3.7 किग्रा

प्रश्न 11.18.
किसी पीतल के बॉयलर की पेंदी का क्षेत्रफल 0.15 m2 तथा मोटाई 1.0 cm है। किसी गैस स्टोव पर रखने पर इसमें 6.0 kg/min की दर से जल उबलता है। बॉयलर के संपर्क की ज्वाला के भाग का ताप आकलित कीजिए। पीतल की ऊष्मा चालकता = 109 Js-1m-1K-1; जल की वाष्पन ऊष्मा = 2256 × 103 Jk-11 है।
उत्तर:
दिया है:
K =109 Js-1m-1K-1 A = 0.15 m2
d = 1.0 cm = 10-2 θ2 = 100°C
माना बॉयलर के स्टोव के सम्पर्क वाले हिस्से का ताप θ1 है।
अतः
Q = \(\frac { KA(\theta _{ 1 }-\theta _{ 2 }) }{ d } \)
या
Q = \(\frac { 109\times 0.15\times (\theta _{ 1 }-100) }{ 10^{ -2 } } \)
= 1635 (θ1 – 100) Js -1 ……. (i)
जल के, वाष्पीकरण की ऊष्मा,
L = 2256 × 103 Jkg -1
बॉयलर में जल के उबलने की दर, M = 6.0 kg min -1
= \(\frac { 6.0 }{ 60 } \) = 0.1 kg -1s
जल द्वारा प्रति सेकण्ड अवशोषित ऊष्मा, Q = ML
या Q = 0.1 × 2256 × 103 Js-1 …… (ii)
समी० (i) व (ii) से
1635 (θ1 – 100) = 2256 × 102
या
θ1 – 100 = \(\frac { 2256\times 100 }{ 1635 } \) = 138
θ1 = 100 + 138 = 238°C

प्रश्न 11.19.
स्पष्ट कीजिए कि क्यों –
(a) अधिक परावर्तकता वाले पिंड अल्प उत्सर्जक होते हैं।
(b) कँपकँपी वाले दिन लकड़ी की ट्रे की अपेक्षा पीतल का गिलास कहीं अधिक शीतल प्रतीत होता है।
(c) कोई प्रकाशिक उत्तापमापी (उच्च तापों को मापने की युक्ति), जिसका अंशांकन किसी आदर्श कृष्णिका के विकिरणों के लिए किया गया है,खुले में रखे किसी लाल तप्त लोहे के टुकड़े का ताप काफी कम मापता है, परन्तु जब उसी लोहे के टुकड़े को भट्टी में रखते हैं, तो वह ताप का सही मान मापता है।
(d) बिना वातावरण के पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी।
(e) भाप के परिचालन पर आधारित तापन निकाय तप्त जल के परिचालन पर आधारित निकायों की अपेक्षा भवनों को उष्ण बनाने में अधिक दक्ष होते हैं।
उत्तर:
(a) चूँकि उच्च परावर्तकता वाले पिंड अपने ऊपर गिरने वाले अधिकांश विकिरण को परावर्तित कर देते हैं। अतः वे अल्प अवशोषक होते हैं। इसी कारण वे अल्प उत्सर्जक भी होते हैं।

(b) लकड़ी की ट्रे ऊष्मा की कुचालक होती है तथा पीतल का गिलास ऊष्मा का सुचालक होता है। कँपकँपी वाले दिन दोनों ही समान ताप पर होंगे। लेकिन स्पर्श करने पर गिलास हमारे हाथ से तेजी से ऊष्मा लेता है जबकि लकड़ी की ट्रे बहुत कम ऊष्मा लेती है। अतः गिलास ट्रे की तुलना में अधिक ठण्डा लगता है।

(c) चूँकि खुले में रखे तप्त लोहे का गोला तीव्रता से ऊष्मा खोता है तथा कम ऊष्माधारिता के कारण तीव्रता से ठण्डा होता जाता है। इस प्रकार उत्तापमापी को पर्याप्त विकिरण ऊर्जा लगातार नहीं मिल पाती है। जबकि भट्टी में रखने पर, गोले का ताप स्थिर बना रहता है तथा यह नियत दर से विकिरण उत्सर्जित करता है।

(d) चूँकि वायु ऊष्मा की कुचालक है। अतः पृथ्वी के चारों ओर का वायुमण्डल एक कम्बल की तरह व्यवहार करता है तथा पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरणों को वापस पृथ्वी की ओर को परावर्तित करता है। वायुमण्डल की अनुपस्थिति में, पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरण सीधे सुदूर अन्तरिक्ष में चले जाते हैं। एवम् पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी। (e) चूँकि 1 g जलवाष्प, 100°C के 1 g जल की तुलना में 540 cal अतिरिक्त ऊष्मा रखती है। अतः स्पष्ट है कि जलवाष्प आधारित तापन निकाय, तप्त जल आधारित तापन निकाय से ज्यादा दक्ष है।

प्रश्न 11.20.
किसी पिंड का ताप 5 मिनट में 80°C से 50°C हो जाता है। यदि परिवेश का ताप 20°C है, तो उस समय का परिकलन कीजिए जिसमें उसका ताप 60°C से 30°C हो जाएगा।
उत्तर:
80°C व 50°C का माध्य ताप 65°C है।
अतः परिवेश ताप से अन्तर = (65 – 20) = 45°C
सूत्र ताप में कमी/समयान्तराल = K (तापान्तर) से … (i)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण img 6
= K (45°C )
K(45°C) = 6°C प्रति मिनट ……. (ii)
माना t मिनट में ताप 60° से 30°C हो जाता है।
60°C व 30°C का माध्य ताप 45°C है।
इसका परिवेश ताप से अन्तर (45 – 20) = 25°C
सूत्र (i) से, \(\frac { 60-30 }{ t } \) = K (25°C)
या K (25°C) = \(\frac{30}{t}\)
समी० (ii) को (iii) से भाग देने पर,
\(\frac{K\left(45^{\circ} \mathrm{C}\right)}{K\left(25^{\circ} \mathrm{C}\right)}\) = \(\frac { 6\times t }{ 30 } \)
या t = \(\frac { 30 }{ 6 } \) × \(\frac { 45 }{ 25 } \) = 9 मिनट
625 अतः पिंड के ताप को 60°C से 30°C तक गिरने में 9 मिनट लगते हैं।

द्रव्य के तापीय गुण अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 11.21.
Co2 के P – T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

  1. किस ताप व दाब पर CO2 की ठोस, द्रव तथा वाष्प प्रावस्थाएँ साम्य में सहवर्ती हो सकती हैं?
  2. CO2 के गलनांक तथा क्वथनांक पर दाब में कमी का क्या प्रभाव पड़ता है?
  3. CO2 के लिए क्रांतिक ताप तथा दाब क्या हैं? इनका क्या महत्व है?
    • – 70°C ताप व 1 atm दाब
    • – 60°C ताप व 10atm दाब
    • 15°C ताप व 56 atm दाब

पर CO, ठोस, द्रव अथवा गैस में से किस अवस्था में होती है?

उत्तर:

  1. – 56.6°C ताप व 5.11 वायुमण्डलीय दाब पर।
  2. दाब में कमी होने पर दोनों घटते हैं।
  3. CO, के लिए क्रान्तिक ताप 31.1°C व क्रान्तिक दाब 73 वायुमण्डलीय दाब है।
    • – 70°C ताप व 1 atm दाब पर वाष्प या गैसीय अवस्था में।
    • – 60°C ताप व 10 atm दाब पर ठोस अवस्था में।
    • 15°C ताप व 56 atm दाब पर द्रव अवस्था में।

प्रश्न 11.22.
CO2 के P – T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) 1 atm दाब तथा – 60°C ताप पर CO2 का समतापी संपीडन किया जाता है? क्या यह द्रव प्रावस्था में जाएगी?
(b) क्या होता है जब 4 atm दाब व CO2 का दाब नियत रखकर कक्ष ताप पर शीतन किया जाता है?
(c) 10 atm दाब तथा – 65°C ताप पर किसी दिए गए द्रव्यमान की ठोस CO2 को दाब नियत रखकर कक्ष ताप तक तप्त करते समय होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
(d) CO2 को 70°C तक तप्त तथा समतापी संपीडित किया जाता है। आप प्रेक्षण के लिए इसके किन गुणों में अंतर की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर:
(a) समतापी सम्पीडन से तात्पर्य है कि गैस को – 60°C ताप पर दाब अक्ष के समान्तर ऊपर को ले जाया जाता है। इसके लिए हम ( – 60°C) ताप पर दाब अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। यह रेखा गैसीय क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है तथा द्रव क्षेत्र से नहीं जाती है। अर्थात् गैस बिना द्रवित हुए ठोस में परिवर्तित हो जाती है।

(b) यहाँ पर 4 atm दाब पर ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। हम देखते हैं कि यहाँ रेखा वाष्प क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्रों में प्रवेश करती है। इसका तात्पर्य है कि गैस, बिना द्रवित हुए ठोस अवस्था में संघनित होगी।

(c) यहाँ हम 10 atm दाब व – 65°C ताप से प्रारम्भ कर ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। यह रेखा ठोस क्षेत्र से द्रव क्षेत्र तथा बाद में वाष्प क्षेत्र में प्रवेश करती है। इसका तात्पर्य यह है कि इस ताप व दाब पर गैस ठोस अवस्था में होगी। गर्म करने पर यह गैस धीरे – धीरे द्रवास्था में आ जाएगी व पुनः गर्म करने पर गैसीय अवस्था में आ जाएगी।

(d) चूँकि 70°C ताप गैस के क्रान्ति ताप से अधिक है। अतः इसे समतापी सम्पीडन से द्रवित नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार चिर स्थायी गैसों की भाँति दाब बढ़ाते जाने पर इसका आयतन कम होता जाएगा।

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MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 14 पत्र जो इतिहास बन गए

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 14 पत्र जो इतिहास बन गए (पत्र, महात्मा गाँधी)

पत्र जो इतिहास बन गए पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

पत्र जो इतिहास बन गए लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘बा’ का स्वास्थ्य सुधरने की जानकारी बापू को किसके द्वारा मिली?
उत्तर:
‘बा’ का स्वास्थ्य सुधरने की जानकारी डिप्टी गवर्नर (उपराज्यपाल) द्वारा मिली।

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प्रश्न 2.
बापूजी प्रातःकालीन स्वल्पाहार में किन पदार्थों को ग्रहण करने की सलाह देते थे?
उत्तर:
बापूजी प्रातःकालीन स्वल्पाहार में दूध और साबूदाना ग्रहण करने की सलाह देते थे।

प्रश्न 3.
गाँधी जी ने अक्षर ज्ञान में किन विषयों पर बल दिया है? और क्यों?
उत्तर:
गाँधी जी ने अक्षर ज्ञान में गणित और संस्कृत विषयों पर बल दिया है क्योंकि बड़ी आयु में इन्हें सीखना कठिन होता है।

प्रश्न 4.
गाँधी जी ने अपने पुत्र से व्यय के संबंध में कौन सी सावधानी रखने को कहा है?
उत्तर:
व्यय के एक-एक पैसे का हिसाब-किताब सावधानी से रखने को कहा है।

प्रश्न 5.
गाँधी जी के अनुसार ईश प्रार्थना करने का उपयुक्त समय क्या है?
उत्तर:
ईश प्रार्थना करने का सबसे उपयुक्त समय सूर्योदय से पहले है।

पत्र जो इतिहास बन गए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गाँधी जी का शिक्षा के प्रति क्या दृष्टिकोण था? (M.P. 2009)
उत्तर:
गाँधी जी का शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण था कि जो शिक्षा व्यक्ति में चरित्र-निर्माण की भावना और कर्तव्य की भावना उत्पन्न करे, वही सर्वश्रेष्ठ है। केवल अक्षरज्ञान शिक्षा नहीं है। सच्ची शिक्षा तो चरित्र-निर्माण और कर्तव्य-बोध है।

प्रश्न 2.
माँ की सेवा के माध्यम से अपने पुत्र को गाँधी जी क्या संदेश देना चाहते थे?
उत्तर:
माँ की सेवा के माध्यम से अपने पुत्र को गाँधी जी यह संदेश देना चाहते थे कि माँ की सेवा करना ही सच्ची शिक्षा है। यही तुम्हारा कर्तव्य है।

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प्रश्न 3.
गाँधी जी का ‘आधी शिक्षा’ से क्या अभिप्राय था?
उत्तर:
गाँधी जी का ‘आधी शिक्षा’ से अभिप्राय था-केवल अक्षरज्ञान प्राप्त करना या होना। उनके अनुसार जो शिक्षा व्यक्ति को केवल अक्षरज्ञान कराती हो और उसमें चारित्रिक सद्गुणों और कर्त्तव्य-बोध की भावना उत्पन्न नहीं करती है, वह आधी शिक्षा है।

प्रश्न 4.
गाँधी जी ने अपने पुत्र से अच्छा किसान बनने की अपेक्षा क्यों की?
उत्तर:
गाँधी जी की इच्छा थी कि उनके परिवार में एक किसान हो। वे भविष्य में खेती से ही अपना जीवन-निर्वाह करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने अपने पुत्र से ‘अच्छा किसान बनने की अपेक्षा की है।

प्रश्न 5.
समय की पाबंदी के संबंध में गाँधी जी का क्या मत था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समय की पाबंदी के संबंध में गाँधी जी का मत था कि व्यक्ति को समय की पाबंदी रखनी चाहिए। समय की पाबंदी जीवन में आगे चलकर बड़ी सहायक सिद्ध होती है।

पत्र जो इतिहास बन गए भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्ति का भाव-विस्तार कीजिए –

प्रश्न 1.
‘अमीरी की तुलना में गरीबी अधिक सुखद है।’
उत्तर:
अमीरी की तुलना में गरीबी व्यक्ति को अधिक सुख देती है। अमीरी में व्यक्ति में झूठे प्रदर्शन की भावना के साथ-साथ अभिमान की भावना घर कर जाती है। वह समाज से दूर हो जाता है। लोगों के मन में ईर्ष्या-द्वेष की भावना उत्पन्न हो जाती है। व्यक्ति अधिक से अधिक प्राप्त करने के चक्कर में लगा हुआ सदा असंतुष्ट रहता है। गरीबी में व्यक्ति संतुष्ट रहता है। उसके जीवन आवश्यकताएँ सीमित रहती हैं। वह सुख, शांति का अनुभव करता है। उसे धन की रक्षा की चिंता नहीं सताती।

प्रश्न 2.
‘मैं समझता हूँ कि केवल अक्षर ज्ञान ही शिक्षा नहीं है।’ उत्तर-गाँधी जी की दृष्टि में केवल अक्षरज्ञान प्राप्त करना शिक्षा नहीं है। सच्ची शिक्षा तो व्यक्ति में चारित्रिक सद्गुणों का विकास करती है। इसके साथ ही वह तो व्यक्ति में कर्तव्य पालन की भावना उत्पन्न करती है। उसे उत्तरदायित्व निभाने का बोध कराती है।

पत्र जो इतिहास बन गए भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित का समास-विग्रह कर’ उनके नाम लिखिए –
प्रतिमास, अक्षर-ज्ञान, चरित्र-निर्माण, जीवन-निर्वाह, घर-खर्च।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 14 पत्र जो इतिहास बन गए img-2

प्रश्न 2.
क्या ‘सूर्योदय’ में संधि और समास दोनों हैं? यदि हाँ तो कैसे? इसी प्रकार के तीन अन्य शब्द लिखिए जिनमें संधि और समास दोनों हों।
उत्तर:
सूर्योदय में समास और संधि दोनों हैं।

सूर्योदय में संधि:
सूर्य + उदय। इसमें गुण संधि है। ‘अ’ स्वर के पश्चात् ह्रस्वः ‘उ’ है, अतः दोनों मिलकर ‘ओ’ हो गए हैं।

सूर्योदय में समास:
सूर्य का उदय। सूर्योदय में तत्पुरुष समास है। इसमें सूर्य और उदय मिलाकर समास बनाते हैं। इसमें ‘का’ विभक्ति का लोप हो जाता है।

तीन अन्य शब्द:
अछूतोद्धार, महोत्सव, हितोपदेश।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों का निर्देशानुसार रूपांतरण कीजिए –

  1. कुछ करने का अधिकार मुझे नहीं है। (प्रश्नवाचक)
  2. क्या वह फिर से चलने-फिरने लगी। (विधिवाचक)
  3. मैं पूर्ण रूप से शांति में हूँ। (निषेध वाचक)

उत्तर:

  1. मुझे कुछ करने का अधिकार क्यों नहीं है?
  2. वह फिर से चलने-फिरने लगी है।
  3. मैं पूर्ण रूप से शांति में नहीं हूँ।

प्रश्न 4.
नीचे लिखे वाक्यों के प्रकार बताइए –

  1. मैंने तुम्हें लिखना पसंद किया क्योंकि पढ़ने के समय तुम्हारा ही ध्यान मुझे बराबर रहता था।
  2. मुझे मालूम है कि तुम्हारे कुछ पत्र यहाँ आए हैं।
  3. गरीबी में ही सुख है।

उत्तर:

  1. संयुक्त वाक्य।
  2. मिश्र वाक्य।
  3. सरल वाक्य।

पत्र जो इतिहास बन गए योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
यदि आपके पिताजी ऐसा पत्र तुम्हें लिखें तो क्या उत्तर दोगे, सोचकर लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आधुनिक कम्प्यूटर युग में ‘ई-पत्र’ लिखे जाते हैं। ज्ञात कीजिए कि उन्हें लिखने की क्या पद्धति है तथा उससे क्या फायदे हैं?
उत्तर:
छात्र अपने साइंस के अध्यापक से जानकारी प्राप्त करें या कंप्यूटर अध्यापक से पूछे।

प्रश्न 3.
विभिन्न महापुरुषों, साहित्यकारों, स्वतंत्रता सेनानियों और जेल यात्रियों ने अपनी संतानों या देशवासियों को प्रेरक पत्र लिखे हैं। उनकी जानकारी अपनी लघु पुस्तिका में लिखें और मनन करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 4.
मध्य प्रदेश से प्रकाशित होने वाले हिंदी पत्रों और पत्रिकाओं की सूची बनाइए तथा उनके पतों पर लेख या कविता भेजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

पत्र जो इतिहास बन गए परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न –

प्रश्न 1.
गाँधी ने पत्र ……….. के नाम लिखा।
(क) कस्तूरबा
(ख) पंडित जवाहरलाल
(ग) पुत्र
(घ) डिप्टी गवर्नर
उत्तर:
(ग) पुत्र।

प्रश्न 2.
गाँधी जी ने अपने पुत्र के नाम पत्र में अपने संबंध में लिखा कि मैं……हूँ।
(क) पूर्णरूप से शांति में
(ख) पूर्णरूप से दुविधा में
(ग) पूर्णरूप से तनाव में
(घ) पूर्णरूप से मौन में।
उत्तर:
(क) पूर्णरूप से शांति में।

प्रश्न 3.
गाँधी जी को डिप्टी गवर्नर की उदारता से ज्ञात हुआ कि –
(क) ‘बा’ का स्वास्थ्य सुधर रहा है
(ख) पुत्र का स्वास्थ्य खराब है
(ग) पुत्र का स्वास्थ्य सुधर रहा है
(घ) पुत्र का स्वास्थ्य गिर रहा है
उत्तर:
(क) ‘बा’ का स्वास्थ्य सुधर रहा है।

प्रश्न 4.
गाँधी जी ने कहा कि ……….. ही शिक्षा नहीं है –
(क) आध्यात्मिक ज्ञान
(ख) पुस्तकीय ज्ञान
(ग) अक्षरज्ञान
(घ) धार्मिक ज्ञान
उत्तर:
(ग) अक्षरज्ञान।

प्रश्न 5.
जीवन में आगे चलकर बड़ी सहायक सिद्ध होगी यह ………..
(क) नियमितता
(ख) शिक्षा
(ग) ईश-प्रार्थना
(घ) आत्म-निर्भरता
उत्तर:
(क) नियमितता।

प्रश्न 6.
गाँधी जी ने अपने पुत्र से एक योग्य ……….. बनने की अपेक्षा की।
(क) डॉक्टर
(ख) सत्याग्रही
(ग) किसान
(घ) राजनेता
उत्तर:
(क) किसान।

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प्रश्न 7.
महात्मा गाँधी ने अपने पुत्र को पत्र तब लिखा, जब –
(क) वे आन्दोलन चला रहे थे
(ख) जब वे दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर थे
(ग) जब वे जेल में थे
(घ) जब वे दाण्डी यात्रा कर रहे थे।
उत्तर:
(ग) जब वे जेल में थे।

II. निम्नलिखित कथनों में सत्य/असत्य छाँटिए –

  1. गाँधीजी अक्षरज्ञान को ही शिक्षा समझते थे। (M.P. 2009)
  2. गाँधीजी को हर माह एक पत्र लिखने का अधिकार मिला था।
  3. गाँधीजी गरीबी की तुलना में अमीरी सुखद समझते थे।
  4. काम की अधिकता से मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए।
  5. महात्मा गाँधी ने अपने पुत्र देवदास को पत्र लिखा।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. असत्य।

III. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर कीजिए – (M.P. 2012)

  1. गाँधीजी ने ………. को पत्र लिखा। (पुत्र/पत्नी)
  2. गाँधीजी अपने पुत्र को ………. बनाना चाहते थे। (किसान/वकील)
  3. पत्र में ………. की बीमारी का उल्लेख किया गया है। (बा/पुत्र)
  4. ‘बा’ के स्वास्थ्य की जानकारी ………. से हुई। (जेलर डिप्टी गवर्नर)
  5. ‘पत्र जो इतिहास बन गए’ के लेखक ………. हैं। (मणिलाल गाँधी/महात्मा गाँधी)

उत्तर:

  1. पुत्र
  2. किसान
  3. ‘बा’
  4. डिप्टी गवर्नर
  5. महात्मा गाँधी।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 14 पत्र जो इतिहास बन गए img-1
उत्तर:

(i) (ङ)
(ii) (ग)
(iii) (ख)
(iv) (घ)
(v) (क)।

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
रामदास और देवदास कौन थे?
उत्तर:
महात्मा गाँधी के सुपुत्र।

प्रश्न 2.
गाँधीजी ने किसको पत्र लिखा?
उत्तर:
अपने सुपुत्र मणिलाल गाँधी को।

प्रश्न 3.
‘बा’ कौन थी?
उत्तर:
महात्मा गाँधी की धर्मपत्नी।

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प्रश्न 4.
गाँधीजी ने पुत्र को क्या बनने के लिए कहा?
उत्तर:
किसान।

प्रश्न 5.
प्रार्थना नियमपूर्वक क्यों करनी चाहिए?
उत्तर:
प्रार्थना नियमपूर्वक करनी चाहिए, क्योंकि जीवन में यह बहुत सहायक सिद्ध होती है।

पत्र जो इतिहास बन गए लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यह पत्र किसने किसको कहाँ से लिखा है?
उत्तर:
यह पत्र महात्मा गाँधी ने अपने पुत्र मणिलाल गाँधी को जेल से लिखा है।

प्रश्न 2.
महात्मा गाँधी ने पुत्र को ही पत्र लिखने का क्या कारण बताया है?
उत्तर:
महात्मा गाँधी को जेल में पढ़ते समय अपने पुत्र का ध्यान ही बराबर रहता था।

प्रश्न 3.
महात्मा गाँधी ने यह पत्र किस जेल से लिखा था?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने यह पत्र दक्षिण अफ्रीका की प्रिटोरिया जेल से लिखा था।

प्रश्न 4.
गाँधी जी को जेल में कितने पत्र लिखने और प्राप्त करने का अधिकार था?
उत्तर:
गाँधी जी को जेल में एक मास में एक पत्र लिखने और एक पत्र प्राप्त करने का अधिकार था।

प्रश्न 5.
गाँधी जी गरीबी में क्यों रहना चाहते थे?
उत्तर:
गाँधी जी को लगता था कि गरीबी में अधिक सुख है। इसलिए वे गरीबी में रहना चाहते थे।

प्रश्न 6.
गाँधीजी ने पत्र कहाँ से लिखा?
उत्तर:
गाँधीजी ने पत्र प्रिटोरिया जेल से लिखा।

प्रश्न 7.
गाँधीजी ने पत्र किसे और कब लिखा?
उत्तर:
गाँधीजी ने पत्र अपने सुपुत्र मणिलाल गाँधी को 15 मार्च, 1909 को लिखा।

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प्रश्न 8.
गणित और संस्कृत कब सीखनी चाहिए?
उत्तर:
गणित और संस्कृत छोटी उम्र में ही सीखनी चाहिए। बड़ी उम्र में ये विषय कम समझ में आते हैं।

पत्र जो इतिहास बन गए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गाँधी जी को अपने पुत्र से क्या आशा थी?
उत्तर:
गाँधी जी को अपने पुत्र से आशा थी कि उन्होंने जो जिम्मेदारी अपने पुत्र पर डाली है, वे उनके सर्वथा योग्य हैं और वह उस काम को अच्छी तरह से आनंद से निभा रहे होंगे।

प्रश्न 2.
गाँधी जी ने जेल जीवन में अध्ययन के द्वारा शिक्षा के संबंध में क्या निष्कर्ष निकाला?
उत्तर:
गाँधी जी ने जेल जीवन में अध्ययन के द्वारा शिक्षा के संबंध में निष्कर्ष निकाला कि अक्षर-ज्ञान ही शिक्षा नहीं है। सच्ची शिक्षा तो चरित्र-निर्माण और कर्तव्य का बोध है।

प्रश्न 3.
काम के संबंध में गाँधी जी का क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर:
काम के संबंध में गाँधी जी का दृष्टिकोण था कि व्यक्ति को काम की अधिकता से नहीं घबराना चाहिए। उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि यह काम कैसे होगा और पहले क्या करूँगा।

प्रश्न 4.
इस पत्र में गाँधी जी ने किन बातों पर बल दिया है?
उत्तर:
इस पत्र में गाँधी जी ने माँ की सेवा, शिक्षा में चरित्र-निर्माण की भावना, गरीबी की महत्ता, किसानी जीवन का महत्त्व, संस्कृत ज्ञान की उपयोगिता, मितव्ययता और ईश्वर की प्रार्थना पर विशेष बल दिया हैं।

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प्रश्न 5.
एक योग्य किसान बनने के लिए क्या-क्या आवश्यक है?
उत्तर:
एक योग्य किसान बनने के लिए यह आवश्यक है कि खेत में घास और गड्ढे खोदने में पूरा समय देना है। सभी औजारों को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए। यही नहीं उन्हें सुव्यवस्थित भी रखना चाहिए।

पत्र जो इतिहास बन गए लेखक-परिचय

प्रश्न 1.
महात्मा गाँधी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
मोहनदास करमचंद गाँधी को विश्व महात्मा गाँधी के नाम से जानता है। प्रत्येक भारतवासी उनके नाम से परिचित है। भारतीय उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जानते हैं। महात्मा गाँधी 20वीं शताब्दी के युगपुरुष हैं। उनका जन्म 2 अक्टबर, 1869 में गजरात के पोरबंदर में हआ था। आपके पिता का नाम करमचंद और माता का नाम पुतलीबाई था। आपकी माता बहुत धार्मिक प्रवृ 1 की थीं। उनका प्रभाव बेटे पर भी पड़ा।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा भारत में हुई। उसके बाद बैरिस्टरी की शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे इंग्लैंड चले गए। वे वहाँ से बैरिस्टरी की परीक्षा:पास करके भारत लौटे और वकालत करने लगे। तेरह वर्ष की आयु में कस्तूरबा से उनका विवाह हुआ। पोरबंदर के धनी व्यवसायी दादा अब्दुल्ला शेख के कुछ मुकदमे दक्षिण अफ्रीका में चल रहे थे। उन मुकदमों की पैरवी करने के लिए अब्दुल्ला शेख गाँधी जी को मई 1893 में अफ्रीका ले गए।

वहाँ गाँधी जी ने भारतीयों की दुर्दशा देखी। उन्होंने उनकी दुर्दशा देखकर उनके उद्धार के लिए आंदोलन चलाया। यह आंदोलन बिलकुल नए ढंग का था। यह आंदोलन ‘सत्याग्रह’ के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन के द्वारा उन्होंने भारतीयों के उद्धार करने में सफलता अर्जित की। अफ्रीका से भारतीयों को सत्याग्रह का मंत्र देकर वे भारत लौट आए। यहाँ आकर उन्होंने संपूर्ण भारत का भ्रमण किया और स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर सँभाली। सत्याग्रह आंदोलन, असहयोग आंदोलन तथा भारत छोड़ो आन्दोलन आदि चलाकर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश किया।

इस तरह 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। महात्मा गाँधी की मातृभाषा गुजराती थी। लेकिन उन्होंने अपनी दूरदृष्टि से हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया। उन्होंने हिंदी के महत्त्व को समझते हुए अपने अधिकांश भाषण हिंदी में दिए। वे सन् 1918 के हिंदी साहित्य सम्मेलन के अधिवेशन के सभापति बने। उन्होंने दक्षिण भारत में हिंदी-प्रचार की वृहद् योजना बनाई। वे हमेशा कहते थे, “स्वदेशाभिमान को स्थिर रखने के लिए हमें हिंदी सीखनी चाहिए।” महात्मा गाँधी, राम, कृष्ण, बुद्ध, ईसा, मुहम्मद आदि महान् विभूतियों की परंपरा में थे। 30 जनवरी, सन् 1948 ई० में एक धर्मांध ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

रचनाएँ:
गाँधी जी के विपुल साहित्य को उनकी मृत्यु के बाद भारत सरकार के प्रकाशन विभाग ने ‘संपूर्ण गाँधी वाङ्मय’ नाम से प्रकाशित किया है। इसके अनेक – भाग अब तक प्रकाशित हो चुके हैं। आपकी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ महत्त्वपूर्ण रचना है। आपने ‘हरिजन’ और ‘इंडिया’ नामक पत्र भी निकाले।

भाषा-शैली:
गाँधी जी की भाषा सरल हिंदी है। उन्होंने अपने विचारों को आम लोगों तक पहुँचाने के तत्सम, तद्भव, देशी-विदेशी शब्दों का निस्संकोच प्रयोग किया। उन्होंने अपने दार्शनिक विचारों को अत्यंत सरल भाषा में अभिव्यक्त किया।

पत्र जो इतिहास बन गए पाठ का सारांश

प्रश्न 1.
‘गाँधी जी का पुत्र के नाम पत्र’ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
यह पत्र गाँधी जी ने 25 मार्च, 1909 को प्रिटोरिया जेल से अपने पुत्र मणिलाल गाँधी को लिखा था। गाँधी जी ने अपने पुत्र को बताया है कि उन्हें जेल में रहते हुए एक पत्र लिखने और एक पत्र प्राप्त करने का अधिकार मिला है। उन्होंने पुत्र को पत्र लिखने का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि पढ़ते समय उन्हें अपने पुत्र का ही ध्यान रहता है। उन्होंने अपने पुत्र को लिखा कि वह मेरे संबंध में चिंता न करे।

मैं पूर्णरूप से शांति में हूँ। आशा है कि ‘बा’ स्वस्थ हो गई होंगी। डिप्टी गवर्नर की उदारता से ही मुझे ज्ञात हो सका कि ‘बा’ का स्वास्थ्य सुधर रहा है। क्या वह फिर से चलने-फिरने लगी हैं? ‘बा’ और तुम्हें सुबह प्रतिदिन साबूदाने का प्रयोग करना चाहिए। मैंने तुम्हारे ऊपर जो उत्तरदायित्व डाला है, उसे तुम योग्यता से और आनंद से पूरा कर रहे होंगे।

वास्तविक शिक्षा अक्षर ज्ञान नहीं है। सच्ची शिक्षा तो चरित्र-निर्माण और कर्तव्य का बोध है। तुम्हें माँ की सेवा का अवसर मिला है। अपने दोनों भाइयों की भी देखभाल कर रहे हो। तुम्हारी अधूरी शिक्षा इसी से पूरी हो जाती है। तुम्हें याद रखना चाहिए कि हमें आगे गरीबी में रहना है; क्योंकि अमीरी की अपेक्षा गरीबी अधिक सुखद है। तुम्हें योग्य किसान बनना है और सभी औजारों को साफ-सुथरा और सुव्यवस्थित रखने हैं।

तुम्हें गणित, संस्कृत और संगीत में पूरा ध्यान देना चाहिए। तुम्हें हिंदी, गजराती और अंग्रेजी के चुने हुए भजनों एवं कविताओं का संग्रह करना है। काम की अधिकता से आदमी को घबराना नहीं चाहिए। घर-खर्च में जो भी व्यय करते हो, उसका पैसे-पैसे का हिसाब रखना चाहिए। गाँधी जी अपने पुत्र को नियमित प्रार्थना करने के संबंध में भी कहते हैं। उनका विचार है कि इस नियमितता से भविष्य में बड़ी सहायता मिलेगी। वे अपने पुत्र को लिखते हैं-मैं आशा करता हूँ कि पत्र को अच्छी प्रकार पढ़ने और समझने के बाद ही उत्तर दोगे।

पत्र जो इतिहास बन गए संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

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प्रश्न 1.
आशा है कि ‘बा’ अब अच्छी हो गई होंगी। मुझे मालूम है कि तुम्हारे कुलपत्र यहाँ आए हैं, लेकिन वह मुझे नहीं दिए गए। फिर भी डिप्टी गवर्नर की उदारता से मुझे मालूम हुआ है कि ‘बा’ का स्वास्थ्य सुधर रहा है। क्या वह फिर से चलने-फिरनेलगीं? ‘बा’ और तुम लोग सवेरे दूध के साथ साबूदाने बराबर ले रहे होंगे। (Page 66)
प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश महात्मा गाँधी द्वारा लिखित पाठ ‘पत्र जो इतिहास बन गए’ से उद्धृत है। यह पत्र महात्मा गाँधी जी ने अपने पुत्र मणिलाल गाँधी को 25 मार्च, 1909 को प्रिटोरिया जेल से लिखा था। वे इस गद्यांश में अस्वस्थ ‘बा’ के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, साथ ही उन्हें स्वस्थ रहने के लिए साबूदाना खाने की सलाह भी दे रहे हैं।

व्याख्या:
गाँधी जी इसमें आशा व्यक्त कर रहे हैं कि अब कस्तूरबा स्वस्थ हो गई होंगी। वे अपने पुत्र से कहते हैं-तुमने कई पत्र लिखे होंगे और वे पत्र जेल तक पहुँचे भी होंगे, परंतु दक्षिण अफ्रीका सरकार ने वे पत्र मुझे नहीं दिए। लेकिन यहाँ के डिप्टी गवर्नर की उदारता के कारण ही मुझे ज्ञात हो सका कि अब ‘बा’ के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।

यदि वे उदारता न दिखाते तो मुझे ‘बा’ के स्वास्थ्य के संबंध में कछ पता ही नहीं चलता। गाँधी जी जानना चाहते हैं कि ‘बा’ फिर से चलने-फिरने लगी हैं या नहीं। वे अपनी पत्नी कस्तूरबा और पुत्र को सुबह प्रतिदिन दूध के साथ साबूदाना लेने का भी निर्देश दे रहे हैं। कहने का आशय यह है कि जेल में बंद गाँधी जी अपने पुत्र, पत्नी आदि के स्वास्थ्य के प्रति सचेत हैं। वे जेल में रहकर भी उन्हें खान-पान के संबंध में सचेत करते हैं।

विशेष:

  1. गाँधी जी की अपनी पत्नी कस्तूरबा के स्वास्थ्य संबंध में जानकारी प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त हुई है।
  2. भाषा सरल खड़ी बोली है।

प्रश्न 2.
मैं यह जानता हूँ कि तुम्हें अपनी शि के प्रति असन्तोष है। जेल में मैंने यहाँ खूब पढ़ा है। इससे मैं समझता हूँ कि केवल अक्षर-ज्ञान ही शिक्षा नहीं है। सच्ची शिक्षा तो चरित्र-निर्माण और कर्तव्य का बोध है। यदि यह दृष्टिकोण सही है और मेरे विचार. से तो यह बिलकुल ठीक है, तो तुम सच्ची शिक्षा प्राप्त कर रहे हो। अपनी माँ की सेवा का तो अवसर तुम्हें मिला है और उसकी बीमारी के दुःख को जो तुम सहन कर रहे हो, इससे अच्छा और क्याहो सकता है। रामदास और देवदास को भी तुम सँभाल रहे हो। यदि यह काम तुम अच्छी तरह और आनंद से करते हो, तो तुम्हारी आधी शिक्षा तो इसी के द्वारा पूरी हो जातीहै। (Page 66)

शब्दार्थ:

  • असंतोष – संतुष्ट ने होना।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश महात्मा गाँधी द्वारा लिखित पाठ ‘पत्र जो इतिहास बन गए’ से उद्धृत है। महात्मा गाँधी ने यह पत्र अपने पुत्र को उस समय लिखा जब वे दक्षिण अफ्रीका की जेल में थे। इस गद्यांश में गाँधी जी ने माँ की सेवा, शिक्षा में चरित्र-निर्माण की भावना पर बल दिया है।

व्याख्या:
गाँधी जी अपने पत्र में पुत्र को लिखते हैं कि उन्हें ज्ञात है कि तुम्हारे मन में अपनी शिक्षा को लेकर असंतोष की भावना है। अर्थात् तुम्हें जो शिक्षा प्रदान की गई है अथवा दिलवाई गई है, उससे तुम संतुष्ट नहीं हो। गाँधी जी पत्र में लिखते हैं कि उन्होंने जेल में रहते हुए बहुत अध्ययन किया है। इस अध्ययन के आधार पर वे समझते हैं कि केवल अक्षर ज्ञान प्राप्त करना ही शिक्षा नहीं है। सच्ची शिक्षा तो वही होती है, जो व्यक्ति में चरित्र-निर्माण की भावना और कर्तव्य का पालन करने की भावना उत्पन्न करती है। भाव यह है कि गाँधी जी उसी शिक्षा को श्रेष्ठ मानते थे, जो व्यक्ति में चारित्रिक सद्गुणों का विकास करे और उसमें अपने कर्तव्यों को पहचानने और उनका पालन करने की भावना उत्पन्न करें।

गाँधी जी आगे पत्र में लिखते हैं कि यदि शिक्षा के प्रति मेरा यह दृष्टिकोण ठीक है और मेरे विचार में तो शिक्षा के प्रति यह दृष्टिकोण एकदम सही है तो इसमें कोई खराबी नहीं है। कुछ भी अनुचित नहीं है। इस दृष्टिकोण से देखा जाए, तो तुम सच्ची शिक्षा प्राप्त कर रहे हो। तुम्हें अपनी माँ की सेवा का अवसर (मौका) मिला है। तुम अपनी माँ की बीमारी का दुख सहन कर रहे हो, इससे अच्छा क्या हो सकता है? अर्थात् बीमारी में अपनी माँ की सेवा करना, उनके दुख का अनुभव करना, स्वयं दुखी होना और उनके प्रति अपने कर्तव्य का पालन करना सर्वश्रेष्ठ चारित्रिक गुण है। इसके साथ ही तुम अपने दोनों भाइयों रामदास और देवदास की भी देखभाल कर रहे हो। यदि यह काम तुम भली-भाँति कर रहे हो और प्रसन्नता के साथ निभा रहे हो, तो तुम्हारी आधी शिक्षा की पूर्ति, तो इससे ही हो जाती है।

विशेष:

  1. गाँधी जी ने भारतीय जीवन के मूल्यवान पक्षों का उल्लेख करते हुए शिक्षा के प्रति अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट किया है।
  2. भाषा सरल, स्पष्ट परिमार्जित खड़ी बोली है।
  3. विचारात्मक शैली है।

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प्रश्न 3.
अक्षर ज्ञान में गणित और संस्कृत में पूरा ध्यान देना। भविष्य में संस्कृत तुम्हारे लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। ये दोनों विषय बड़ी उम्र में सीखना कठिन हैं। संगीत में भी बराबर रुचि रखना। हिंदी, गुजराती और अंग्रेजी के चुने हुए भजनों एवं कविताओं का एक संग्रह तुम्हें तैयार करना चाहिए। वर्ष के अंत में, तुम्हें अपना यह संग्रह बहुत मूल्यवान प्रतीत होगा। काम की अधिकता से मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए और न ही यही सोचना चाहिए कि वह कैसे होगा और पहले क्या करूँ। शांत चित्त से विचारपूर्वक तुमने यदि सभी सद्गुणों को प्राप्त करने की चेष्टा की, तो तुम्हारे लिए ये बहुत उपयोगी और मूल्यवान प्रमाणित होंगे। तुमसे मुझे यह भी आशा है कि घर-खर्च के लिए जो तुम खर्च करते हो, उसका पैसे-पैसे का हिसाब रखते रहो। (Page 66)

शब्दार्थ:

  • उपयोगी – लाभदायक।
  • उम्र – आयु।
  • मूल्यवान – कीमती।
  • चेष्टा – प्रयास।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश महात्मा गाँधी द्वारा रचित पाठ ‘पत्र जो इतिहास बन गए’ : से उद्धृत है। यह पत्र गाँधी जी ने जेल से अपने पुत्र मणिलाल गाँधी को लिखा है। इस गद्यांश में उन्होंने अपने पुत्र को गणित एवं संस्कृत के ज्ञान की उपयोगिता तथा चारित्रिक सद्गुणों को प्राप्त करने की महत्ता और मितव्ययता पर प्रकाश डालते हुए, इन्हें जीवन में अपनाने पर बल दिया है।

व्याख्या:
गाँधी जी अपने पत्र में अपने पुत्र को सलाह देते हैं कि अक्षर ज्ञान में गणित और संस्कृत विषय के अध्ययन पर पूरा ध्यान देना क्योंकि तुम्हारे आगामी जीवन में संस्कृत अत्यंत लाभदायक सिद्ध होगी। संस्कृत और गणित दोनों विषय ऐसे हैं जिन्हें बड़ी आयु में सीखना कठिन होता है। आयु बड़ी होने पर इन विषयों को नहीं सीखा जा सकता है। इन दोनों विषयों के साथ-साथ संगीत में भी अपनी रुचि बराबर बनाए रखना। तुम्हें हिंदी, गुजराती और अंग्रेजी के चुने हुए भजनों और कविताओं का एक संग्रह तैयार करना चाहिए।

वर्ष के अंत में यह संग्रह तुम्हें बहुत कीमती लगेगा। व्यक्ति को काम की अधिकता से कभी नहीं घबराना चाहिए। काम के संबंध में व्यक्ति को कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि यह काम या इतना काम कैसे होगा और पहले कौन-सा काम करूँ। भाव यह कि गाँधी जी पत्र में अपने पुत्र को सलाह देते हैं कि तुम्हें काम की अधिकता से नहीं घबराना चाहिए और नहीं यह सोचना चाहिए कि यह काम कैसे होगा और पहले कौन-सा काम प्रारंभ करूँ।

वे अपने पुत्र को कहते हैं कि तुमने शांत मन से अच्छी तरह सोच-विचार कर यदि सभी अच्छे गुणों को प्राप्त करने का प्रयास किया तो तुम्हारे लिए ये बहुत लाभदायक और कीमती सिद्ध होंगे। वे आगे लिखते हैं कि पुत्र! मुझे तुमसे यह भी उम्मीद है कि घर-खर्च; अर्थात् घर को सुव्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए जो भी तुम व्यय करते हो, उसका भी पूरा हिसाब-किताब लिखते होगे। घर खर्च का पूरा ब्यौरा रखना उचित है।

विशेष:

  1. गाँधी जी ने अपने पुत्र को कई परामर्श दिए हैं उसके आगामी जीवन के लिए लाभदायक सिद्ध होंगे।
  2. भाषा सरल खड़ी बोली है।
  3. उपदेशात्मक शैली है।

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MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 13 तीन बच्चे

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 13 तीन बच्चे (कहानी, सुभद्राकुमारी चौहान)

तीन बच्चे पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

तीन बच्चे लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बच्चों में किस बात पर बहस छिड़ी थी?
उत्तर:
बच्चों में अपनी-अपनी क्यारियों में फूल अधिक सुंदर होने को लेकर बहस छिड़ी थी।

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प्रश्न 2.
माँ को अपने बच्चों के प्रति न्याय करने में कठिनाई क्यों आ रही थी?
उत्तर:
माँ के लिए सभी बच्चे एक समान होते हैं इसीलिए उसे न्याय करने में कठिनाई आ रही थी।

प्रश्न 3.
लड़की ने अपने पिता के संबंध में क्या बताया?
उत्तर:
लड़की ने बताया कि उसका पिता शराब पीकर दंगा करता था और माँ को मारता था।

प्रश्न 4.
लड़की की माँ को जेल क्यों हुई थी?
उत्तर:
लड़की की माँ ने उन पुलिसवालों को मारा था, जो उसके बाप को पकड़कर ले जा रहे थे।

तीन बच्चे दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
तीनों बच्चों की दशा कैसी थी? (M.P. 2009)
उत्तर:
तीनों बच्चों की दशा दयनीय थी। उन्होंने चिथड़े पहन रखे थे। शरीर पर मैल की परत जम गई थी। वे भूखे और असहाय थे। जेल के पास नाले पर बने पुल के नीचे रहते थे। वे भीख माँगकर पेट भरते थे।

प्रश्न 2.
चौके का काम निपटाकर बाहर आने पर लेखिका ने क्या देखा? (M.P. 2009)
उत्तर:
चौके का काम निपटाकर लेखिका घर से बाहर गई, तो उसने देखा-तीन भिखारी बच्चे बड़े मजे में पूरियाँ खा रहे थे और उसके बच्चे भी बड़े उत्साह से उन्हें पूरियाँ परस रहे थे।

प्रश्न 3.
लेखिका को सबसे छोटे लड़के पर दया क्यों आई?
उत्तर:
लड़का उन तीनों में सबसे छोटा था। वह मुश्किल से पाँच वर्ष का था। उसने फटे-पुराने कपड़े पहने हुए थे। उसके बाल रूखे-सूखे थे। कई दिनों से न नहाने के कारण उसके शरीर पर मैल की परत जम गई थी। उसके गालों पर आँसुओं के निशान बने हुए थे। लड़के की असहाय स्थिति को देखकर लेखिका को बड़ी दया आई।

प्रश्न 4.
जबलपुर की जेल में लेखिका को किस प्रकार रखा गया था?
उत्तर:
लेखिका को जबलपुर की जेल में रखने की जगह अस्पताल में रखा था। उसकी सेवा के लिए दो महिला कैदियों को नियुक्त किया गया था।

प्रश्न 5.
अखबार में जबलपुर की कौन-सी घटना छपी थी?
उत्तर:
अखबार में जबलपुर की निम्नलिखित घटना छपी थी कल रात एकाएक पानी बरसा और खूब बरसा। जेल के पास के नाले में तीन गरीब बच्चे बह गए। उन तीनों की लाशें मिलीं। बहुत कोशिश करने पर भी इनकी शिनाख्त नहीं हो सकी। दो लड़कियाँ हैं और एक लड़का। ऐसा सुना गया है कि वे गाना गाकर भीख माँगा करते थे।

तीन बच्चे भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथनों का भाव-विस्तार कीजिए – (M.P. 2010)

प्रश्न 1.
“जज के पथ-प्रदर्शन के लिए कानून होते हैं और नज़ीर भी।”
उत्तर:
न्यायालय में न्याय करने के लिए न्यायाधीश को न्याय का रास्ता दिखाने के लिए लिखित कानून हैं और उसके सामने उदाहरण भी होते हैं। न्यायाधीश उन कानूनों के अंतर्गत, वकीलों के तर्क, गवाहों और उदाहरणों की रोशनी में न्याय करते हैं। कभी-कभी आँख मूंदकर कानूनों को मानने से न्याय करने में अन्याय भी हो जाताहै।

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प्रश्न 2.
“कैदखाने की दुनिया भी एक विचित्र ही है।”
उत्तर:
कैदखाने अर्थात् जेल का संसार भी अद्भुत ही होता है। जेल में विभिन्न प्रकार के अपराध करने वाले अपराधी होते हैं। इन अपराधियों में स्त्री-पुरुष दोनों होते हैं। कोई चोर है, तो कोई हत्यारा और कोई चरस बेचने का अवैध धंधा करता है। कोई अपने ही बच्चे की जान लेने वाली होती है तो कोई पुलिस की पिटाई करने वाले/वाली है। कैदियों में जवान से लेकर बूढ़े तक होते हैं। सब अलग-अलग धर्म और जाति के होते हुए पुलिस की दृष्टि में सब अपराधी और कैदी हैं।

तीन बच्चे भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द-युग्मों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
अपनी-अपनी, खाली-खाली, दो-दो, ठहरो-ठहरो, रोज-रोज।
उत्तर:

  1. अपनी-अपनी-वर्तमान में सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी ढपली बजा रहे हैं।
  2. खाली-खाली-भिखारियों की झोली खाली-खाली लग रही थी।
  3. दो-दो-पहलवान दो-दो हाथ करने को तैयार हैं।
  4. ठहरो-ठहरो-ठहरो, ठहरो! कहाँ जाते हो? पुलिस आ रही है।
  5. रोज-रोज़-तुम रोज़-रोज़ यहाँ खाने आ जाते हो। इसे क्या धर्मशाला समझ रखा है।

प्रश्न 2.
मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
लकीर का फकीर होना, माथा टेकना, पेट दिखाना, बाँह पकड़ना।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 13 तीन बच्चे img-1

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का समास-विग्रह कीजिए –
पथ-प्रदर्शक, सत्याग्रह, दशानन, भरपेट, चौराहा।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 13 तीन बच्चे img-2

प्रश्न 4.
दिए गए गद्यांश को पढ़कर यथास्थान उचित विराम-चिह्नों का प्रयोग कीजिए –
मैं बहत सोचती थी कि लखिया कौन है वह जेल क्यों आई एक दिन अचानक मैंने मेट्रन से पूछा जिसका उत्तर मिला ओह यह बड़ी खतरनाक औरत है इसने पुलिस को मारा है पुलिस को पर हमने इसका दिमाग ठीक कर दिया है आपको कोई तकलीफ तो नहीं देती।
उत्तर:
मैं बहुत सोचती थी कि लखिया कौन है। वह जेल क्यों आई? एक दिन अचानक मैंने मेट्रन से पूछा, जिसका उत्तर मिला- ‘ओह! यह बड़ी खतरनाक औरत है। इसने पुलिस को मारा है-पुलिस को। पर हमने उसका दिमाग ठीक कर दिया है। आपको कोई तकलीफ तो नहीं देती?”

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए –

  1. आपको चुप रहना चाहिए। (आज्ञा वाचक)
  2. क्या तुम खेलोगे? (इच्छा वाचक)
  3. अहा! कैसा सुंदर दृश्य है। (विधिवाचक)

उत्तर:

  1. आप चुप रहिए।
  2. ईश्वर करे! तुम खेलो।
  3. बहुत सुंदर दृश्य है।

तीन बच्चे योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
आपने सड़क पर भजन गाते हुए छोटे बच्चों को देखा होगा, उन्हें देखकर आपके मन में क्या विचार आते हैं?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 2.
न्यायालय, न्यायाधीश और जेल पर चार-चार वाक्य लिखिए।
उत्तर:
न्यायालय:

  1. देश में अपराधों की रोकथाम के लिए न्यायालयों की स्थापना की गई है।
  2. न्यायालय दो प्रकार के होते हैं-दीवानी और फौजदारी न्यायालय।
  3. देश में कनिष्ठ न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक की न्याय व्यवस्था है।
  4. सुप्रीम कोर्ट देश का सर्वोच्च न्यायालय है।

न्यायाधीश:

  1. न्यायाधीश का कार्य न्याय करना होता है।
  2. न्यायाधीश के अदालतों के स्तर पर अपने-अपने अधिकार क्षेत्र होते हैं।
  3. न्यायाधीश मुकदमों की सुनवाई करते हैं।
  4. न्यायाधीश अपराधियों को सजा सुनाते हैं।

जेल:

  1. जेल न्यायालय से सजा-प्राप्त कैदियों को रखने का स्थान होता है।
  2. जेल में विभिन्न प्रकार के अपराधी रखे जाते हैं।
  3. जेल में यातनाएँ दी जाती हैं।
  4. जेल एक भयावह स्थान है। हमें जेल जाने योग्य कर्म नहीं करने चाहिए।

प्रश्न 3.
बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए क्या योजनाएँ चलाई जा रही हैं? इन योजनाओं की जानकारी स्थानीय निकायों से प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
बाल-सुधार गृह व बाल न्यायालय के बारे में जानकारी एकत्रित करके जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

तीन बच्चे परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न –

प्रश्न 1.
बच्चों के काकाजी को किसी का ………… के ऊपर बोलना पसंदनहीं था।
(क) सप्तम स्वर
(ख) पंचम स्वर
(ग) अष्टम स्वर
(घ) द्वितीय स्वर
उत्तर:
(ख) पंचम स्वर।

प्रश्न 2.
बड़ी लड़की की आयु दस वर्ष और छोटी की आयु सात-आठ वर्ष और लड़के की आयु थी ……..।
(क) छह वर्ष
(ख) चार वर्ष
(ग) पाँच वर्ष
(घ) एक वर्ष
उत्तर:
(ग) पाँच वर्ष।

प्रश्न 3.
लेखिका के जेल में जाने का कारण था –
(क) भारत छोड़ो आंदोलन में सत्याग्रह करना
(ख) नमक तोड़ो आंदोलन में सत्याग्रह करना
(ग) युद्ध विरोधी आंदोलन में सत्याग्रह करना
(घ) बहिष्कार आंदोलन में भाग लेना।
उत्तर:
(ग) युद्ध विरोधी आंदोलन में सत्याग्रह करना।

प्रश्न 4.
भिखारी बच्चों का बाप अमरावती जेल में था और माँ …….. थी।
(क) अमरावती जेल में
(ख) जबलपुर जेल में
(ग) थाणे जेल में
(घ) तिहाड़ जेल में
उत्तर:
(ख) जबलपुर जेल में।

प्रश्न 5.
भिखारी बच्चों ने अपने न नहाने का कारण बताया था कि …..।
(क) हमारे पास दूसरे कपड़े नहीं हैं।
(ख) हमारे पास नहाने के लिए साबुन नहीं है।
(ग) हमारे पास पानी नहीं है।
(घ) हमारे पास घर नहीं है।
उत्तर:
(क) हमारे पास दूसरे कपड़े नहीं हैं।

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प्रश्न 6.
भिखारी बच्चे जेल के पास के एक ……….. में रहते थे।
(क) झोंपड़ी
(ख) नाले
(ग) मकान
(घ) छप्पर
उत्तर:
(ख) नाले।

प्रश्न 7.
जेल में मिनू किससे हिल गई थी?
(क) लेखिका से
(ख) लखिया से
(ग) जेलर से
(घ) मेट्रन से
उत्तर:
(ख) लखिया से।

प्रश्न 8.
तीन भिखारी बच्चों की मौत हुई थी …….।
(क) बरसात के पानी में बहने से
(ख) बीमारी लग जाने से
(ग) भूख के कारण से
(घ) दुर्भाग्य से
उत्तर:
(क) बरसात के पानी में बहने से।

प्रश्न 9.
हर एक का कहना था कि –
(क) उसकी क्यारी के पौधे सबसे अधिक सुन्दर हैं।
(ख) उसकी क्यारी के फूल सबसे सुन्दर हैं।
(ग) उसकी क्यारी की मिट्टी सबसे अच्छी है।
(घ) उसकी क्यारी सबसे अधिक सुन्दर है।
उत्तर:
(ख) उसकी क्यारी. के फूल सबसे सुन्दर हैं।

II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पस्कीजिए –

  1. तीन बच्चे ………. है। (एकांकी/कहानी) (M.P. 2012)
  2. सुभद्राकुमारी का जन्म सन् ………. में हुआ था। (1804/1904)
  3. तीन बच्चे के रचनाकार हैं ……….। (मनमोहन मदारिया/सुभद्राकुमारी चौहान)
  4. बिखरे मोती सुभद्रा कुमारी चौहान का ………. है। (काव्य-संग्रह/कहानी-संग्रह)
  5. सत्याग्रह के दौरान सुभद्राकुमारी ………. गईं। (जेल/जेल नहीं)

उत्तर:

  1. कहानी
  2. 1904
  3. सुभद्राकुमारी चौहान
  4. कहानी-संग्रह
  5. जेल।

III. निम्नलिखित कथनों में सत्य असत्य छाँटिए –

  1. जज के पथ-प्रदर्शन के लिए कानून होते हैं।
  2. लेखिका के सामने कानून और नज़ीर थीं।
  3. गाना कोरस में था और स्वर बच्चों का-सा।
  4. लेखिका ने बाहर आकर देखा-चार बच्चे।
  5. लेखिका की सेवा के लिए दो औरतें तैनात थीं।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 13 तीन बच्चे img-3
उत्तर:

(i) (ग)
(ii) (घ)
(iii) (ङ)
(iv) (ख)
(v) (क)।

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
तीन बच्चे कौन थे?
उत्तर:
दो लड़कियाँ और एक लड़का।

प्रश्न 2.
लड़की ने गोद से लड़के को उतारकर क्या किया?
उत्तर:
लड़की ने गोद से लड़के को उतारकर जमीन से माथा टेककर लेखिका को प्रणाम किया।

प्रश्न 3.
बच्चों ने लेखिका को क्या बतलाया?
उत्तर:
बच्चों ने लेखिका को बतलाया कि वे भूखे हैं।

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प्रश्न 4.
बाहर से कौन-से गाने की आवाज आई?
उत्तर:
बाहर से निम्नलिखित गाने की आवाज आई “भगवान दया करके मेरी नैया को पार लगा देना।”

प्रश्न 5.
लड़की की माँ जेल में क्यों थी?
उत्तर:
पुलिस की पिटाई करने के कारण लड़की की माँ जेल में थी।

तीन बच्चे लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखिका ने किन्हें हिटलर और मुसोलिनी कहा है?
उत्तर:
लेखिका ने अपने बच्चों को हिटलर और मुसोलिनी कहा है।

प्रश्न 2.
काका ने बच्चों का झगड़ा कैसे समाप्त किया?
उत्तर:
काका ने कहा, यदि तुम लड़े-भिड़े तो मैं तुम्हारी माँ को सत्याग्रह नहीं करने दूंगा। यह सुनकर बच्चों ने अपना झगड़ा समाप्त कर दिया।

प्रश्न 3.
तीन बच्चे किस प्रकार भीख माँग रहे थे?
उत्तर:
तीन बच्चे गाना गाकर भीख माँग रहे थे।

प्रश्न 4.
लेखिका ने अपने बच्चों को क्या निर्देश दिया?
उत्तर:
लेखिका ने अपने बच्चों को भीख माँगने वालों को दो-दो पूरियाँ देने का निर्देश दिया।

प्रश्न 5.
तीनों बच्चों के क्या नाम थे?
उत्तर:
बड़ी लड़की का ईठी, छोटी लड़की का सीठी और लड़के का प्रेम नाम था।

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प्रश्न 6.
बच्चों का बाप कहाँ था?
उत्तर:
अमरावती जेल में।

प्रश्न 7.
लेखिका की सेवा के लिए दोनों औरतें कैसी थीं?
उत्तर:
लेखिका की दोनों औरतें अलग-अलग विशेषताओं की थीं। उनमें एक अल्लड़-सी थी, जिसे कुछ काम-काज नहीं आता था। दूसरी समझदार थी जो हर काम को मन लगाकर करती थी।

तीन बच्चे दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बच्चे कौन-सा गाना गाकर भीख माँग रहे थे?
उत्तर:
बच्चे निम्नलिखित गाना गाकर भीख माँग रहे थे –
“भगवान दया करना इतनी,
मेरी नैया को पार लगा देना।”
“मैं तो डूबत हूँ मँझधार पड़ीं.
मेरी बैयाँ पकड़ के उठा लेना।”

प्रश्न 2.
दूसरे दिन लेखिका के बच्चों ने क्या तर्क देकर भिखारी बच्चों को पूरियाँ खिलाईं?
उत्तर:
बच्चों ने कहा पूरियाँ तो धरी हैं। बेचारे छोटे-छोटे बच्चे हैं। जाने अकी माँ है या नहीं। वे भला कहाँ पकायेंगे। इससे तो अच्छा यह है कि उन्हें कुछ न दिया जाए। आप माँ होकर ऐसा क्यों कहती हो। उन बेचारों को भी भूख लगी होगी। हमारे हिस्से की ही दें दो। हम शाम को नाश्ता नहीं करेंगे। ये तर्क देकर लेखिका के बच्चों ने दूसरे दिन भिखारी बच्चों को पूरियाँ खिलाईं।

प्रश्न 3.
लेखिका जेल क्यों गई?
उत्तर:
लेखिका युद्ध-विरोध के आंदोलन में सत्याग्रह करके जेल गई। उसके बच्चे चाहते थे कि उनकी माँ सत्याग्रह करके जेल जाएँ।

प्रश्न 4.
लड़की ने अपने माता-पिता के संबंध में क्या बताया?
उत्तर:
लड़की ने बताया कि उसका बाप शराब पीकर दंगा करता था। माँ को मारता था और गाली बकता था। इसलिए पुलिसवाले पकड़कर ले गए और माँ ने पुलिसवालों को मारा था क्योंकि उसने हमारे बाप को पकड़ा था। इसलिए पुलिस उसे भी साथ ले गई। अब माँ-बाप दोनों जेल में हैं।

प्रश्न 5.
नाले में तीनों बच्चे क्यों बह गए?
उत्तर:
नाले में तीनों बच्चे बह गए क्योंकि उस दिन खूब पानी बरसा था। खूब बादल गरजे थे और कड़क-कड़क कर बिजली चमकी थी। अधिक पानी बरसने से बच्चों को बचने की कोई गुंजाइश नहीं रही। वे उस पानी में बह गए।

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प्रश्न 6.
लेखिका को लखिया के बारे में मेट्रन से क्या जानकारी मिली?
उत्तर:
लेखिका को लखिया के बारे में मेट्रन से यह जानकारी मिली कि वह बड़ी खतरनाक औरत है। उसने पुलिस को मारा है लेकिन पुलिस ने जेल में उसके दिमाग को ठीक कर दिया है।

तीन बच्चे लेखिका-परिचय

प्रश्न 1.
सुभद्राकुमारी चौहान का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी. साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 ई० को निहालपुर, इलाहाबाद में हुआ था। इनका परिवार एक प्रगतिशील परिवार था। इन्होंने प्रयाग के क्रास्थवेस्ट स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। इनकी पहली रचना ‘नीम’ 1913 ई० में ‘मर्यादा’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। उस समय इनकी आयु मात्र 9 वर्ष की थी। इनका विवाह 1919 में श्री लक्ष्मणसिंह के साथ हुआ। 1921 में गाँधी जी के असहयोग आंदोलन का प्रभाव इन पर भी पड़ा। इन्होंने अपने पति के साथ पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।

इसके पश्चात् आप दोनों ने स्वाधीनता संग्राम में भाग लिया। 1923 में इनको सत्याग्रह के सिलसिले में पुलिस ने हिरासत में ले लिया। 1942 में भी इनको दस मास का कारावास मिला। देश के स्वाधीन होने पर आप मध्य प्रदेश विधानसभा की सदस्य बनीं। 15 फरवरी, 1948 में एक मोटर-दुर्घटना में इनकी दिमाग की नस फट गई और सिवनी में ही इनका देहावसान हो गया।

साहित्यिक विशेषताएँ:
श्रीमती सुभद्राकुमारी की साहित्य और राजनीति में आरंभं से ही रुचि थी। स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने के कारण आप अधिक साहित्य रचना नहीं कर पाईं। फिर भी कविता, कहानी और निबंध के क्षेत्र में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। इनकी रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में बिखरी हुई हैं। इनकी सुप्रसिद्ध कविता ‘झाँसी की रानी’ है, जिसे अंग्रेजों ने जब्त कर लिया था। इनकी कविताओं के दो विषय रहे-राष्ट्रीयता तथा सामाजिक जीवन की समस्याएँ। राष्ट्रीय रचनाओं का मूल स्वर स्वाधीनता आंदोलन और देशभक्ति रहा।

इन कविताओं में अपने देश के प्रति अपनी भक्ति-भावना को प्रदर्शित किया है। इन कविताओं में राष्ट्रभक्ति के साथ-साथ निर्भीकता और ओजस्विता का गुण मुख्य है। सुभद्राजी हिंदी काव्य जगत् में अकेली ऐसी कवयित्री हैं, जिन्होंने अपने कंठ की पुकार से लाखों भारतीय युवक-युवतियों को युग-युग की अकर्मण्य उदासी को त्याग, स्वतंत्रता संग्राम में अपने को समर्पित कर देने के लिए प्रेरित किया। सामाजिक जीवन से संबंधित कविताओं में दाम्पत्य-प्रेम और वात्सल्य भाव की कविताएँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इनके काव्य में एक ओर नारी सुलभ ममता तथा सुकुमारता है तो दूसरी ओर पद्मिनी के जौहर की भीषण ज्वाला है।

रचनाएँ:
काव्य-संग्रह-त्रिधारा और मुकुल।

कहानी-संग्रह:
सीधे-सादे चित्र, बिखरे मोती और उन्मादिनी।

इनकी कविताओं की भाषा सरल तथा बोलचाल के निकट है। वर्ण्य-विषय के अनुरूप उसमें प्रसाद और ओजगुण मिलता है। आपकी कविताओं में मानक जीवन की सहज अनुभूति हुई है। इन कविताओं में अलंकारों का प्रयोग भी सहज ढंग से ही हुआ है; अर्थात् इन रचनाओं में अलंकारों का प्रयोग प्रयत्नपूर्ण नहीं किया गया है।

तीन बच्चे पाठ का सारांश

प्रश्न 1.
‘तीन बच्चे’ कहानी का सार लिखिए।
उत्तर:
लेखिका के बच्चों ने घर की क्यारियों में फूलों के पौधे लगाए थे। थोड़े दिन बाद क्यारियों में फूल खिल आए। बच्चे आपस में झगड़ने लगे कि उसकी क्यारी के फूल सबसे सुंदर हैं। उनके झगड़े की आवाज सुनकर लेखिका को रसोईघर छोड़कर बगीचे में जाना पड़ा। लेखिका को बच्चों की लड़ाई को न्यायपूर्वक समाप्त करना था। इतने में बच्चों के काकाजी आ गए। उन्होंने बच्चों से कहा कि यदि तुम लड़े-भिड़े तो मैं तुम्हारी माँ को सत्याग्रह न करने दूंगा। लेखिका के बच्चे चाहते थे कि मैं (लेखिका) सत्याग्रह करूँ और जेल जाऊँ। बच्चों ने झगड़ना बंद कर दिया और कहा सभी क्यारियों के फूल सुंदर हैं।

सब घर के अंदर जा रहे थे कि बाहर से बच्चों के गाने की आवाज आई, “भगवान दया करना इतनी, मेरी नैया को पार लगा देना।” हम दरवाजे की और दौड़ पड़े। बाहर आकर देखा तीन बच्चे थे। दो लड़कियाँ और एक लड़का। बड़ी लड़की 10 साल की तथा छोटी 8 साल की होगी। लड़का 5 साल के लगभग होगा, जो बड़ी लड़की की गोद में था। उनके कपड़े फटे-पुराने थे। उन्होंने बताया कि वे भूखे हैं। कल से कुछ नहीं खाया है। लेखिका ने अपने बच्चों से उन्हें दो-दो पूरी लाकर देने को कहकर, अंदर चली गई। बच्चों ने उन्हें भरपेट पूरियां खिलाईं।

दूसरे दिन जब वे लोग चाय पी ही रहे थे कि उन बच्चों की टोली फिर आ पहुँची। लेखिका ने अपने बच्चों से कहा कि कल तुमने खूब पूरियाँ खिलाई थीं न, अब वे सब फिर आ गए। जैसे उनके लिए यहाँ रोज पूरियाँ रखी हैं। बच्चों ने एक साथ कहा, ‘धरी तो हैं माँ! इसके साथ ही उनके हाथ पूरी के डिब्बे की ओर बढ़े। एक बच्चे ने कहा, ‘न जाने उनकी माँ भी है या नहीं।’ बच्चों ने उन तीनों को पूरियाँ खिलाईं।

लेखिका भी दरवाजे पर पहुँच गई। लेखिका ने उनके संबंध में जानना चाहा। उसे पता लगा कि वे तीनों भाई-बहन हैं। उनमें से बड़ी लड़की का नाम ‘ईठी’, छोटी बहन का नाम ‘सीठी’ और भाई का नाम ‘प्रेम’ था। उनके माँ-बाप जेल में थे। उनका बाप शराब पीकर दंगा मचाता था और उनकी माँ को पीटता था। पुलिस ने उसके बापू को पकड़ा, तो माँ ने पुलिसवालों को मारा था इसलिए पुलिसवाले उसे भी ले गए। उनकी माँ के साथ उनका एक छोटा भाई भी था।

लेखिका को बड़ा दुख हुआ कि माँ-बाप जेल में और ये अनाथ सड़क पर भीख माँगते फिरते हैं। उन्हें देखकर लेखिका को लगा कि इन बच्चों को नहाये हुए भी काफी दिन हो गए हैं। लेखिका ने बड़ी लड़की से पूछा कि तुम अपनी माँ से मिलने जेल नहीं जातीं। इस पर उसने बताया कि तीन महीने में एक बार मुलाकात होती है। एक बार मुलाकात करने गए थे। दूसरी बार तीन महीने बाद गए, तो पता चला कि माँ को यहाँ की जेल में भेज दिया गया है। इसलिए हम काली माँ के साथ यहाँ आ गए।

काली माँ भीख माँगती है। वे तीनों बच्चे जेल के पास बने नाले के पुल के नीचे रहते हैं। कभी-कभी काली माँ आ जाती है। बड़ी लड़की कहती है-जब माँ जेल से छूटेगी तो हम उसको साथ लेकर देश जाएँगे। बालिका का मुँह इस विचार से खुशी से भर उठा। बच्चों ने लेखिका को बताया कि उनके पास दूसरे कपड़े नहीं हैं। इस पर लेखिका के बच्चों ने अपने ढेर सारे कपड़े उन्हें लाकर दिए।

लेखिका भी युद्ध-विरोधी सत्याग्रह करके जेल की अतिथि बनी। उनकी सबसे छोटी बेटी मिनू उनके साथ ही गई; क्योंकि वह बहुत छोटी थी। उन्हें जेल की बजाय, अस्पताल में रखा गया और उनकी सेवा के लिए दो साधारण कैदी स्त्रियों को लगा दिया गया था। लेखिका की सेवा में तैनात औरतों में से एक अल्हड़-सी थी। उसे कुछ काम-काज नहीं आता था और दूसरी प्रौढ़ा थी। उसकी गोद में एक बच्चा था। वह बड़ी फिक्र से सब काम करती थी। मिनू को तो उसने अपनी बच्ची की तरह हिला लिया था। उस औरत का नाम लखिया था। लेखिका लखिया के संबंध में सोचती थी कि लखिया कौन है? यह जेल क्यों आई? एक दिन लेखिका ने मेट्रन से पूछा तो उसने बताया कि इसने पुलिस को मारा था।

इस पर लेखिका को उन तीन बच्चों की याद आई। उनकी माँ भी तो पुलिस को मारने के कारण जेल में थी और उसके साथ भी एक बच्चा था लेकिन लेखिका लखिया से कुछ पूछने का साहस न जुटा पाई। एक दिन खूब मूसलाधार बरसात हुई। बादल जोर-जोर से गरजे। लेखिका ने ईश्वर से सब बच्चों को अच्छी तरह रखने की प्रार्थना की। लेखिका के पास जेल में अखबार आता था। उसमें एक खबर थी। कल रात, एकाएक बहुत पानी बरसा। जेल के पास के नाले में तीन गरीब बच्चे बह गए। उनकी लाशें मिलीं।

वे गाकर भीख माँगा करते थे। लेखिका के सामने उन तीनों बच्चों के चित्र खिंच गए। उसने जबरदस्ती अपने आँसुओं को रोका। उसके मुख से निकला-बेचारे बच्चे। लेखिका ने लखिया से पूछा कि जेल के बाहर उसके कितने बच्चे हैं? लखिया ने गहरी साँस लेकर कहा-“जेल के बाहर बाई साहब! वो तो भगवान के हैं-अपने कैसे कहूँ।” उसके बाद वह अखबार की खबर पूछती ही रह गई लेकिन उसे कुछ नहीं बता सकी।

तीन बच्चे संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

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प्रश्न 1.
संग्राम में विषैले वाक्यों का प्रयोग होते सुनकर मुझे चौके का काम छोड़, बगीचे की ओर जाना पड़ा। मुझे देखते ही सब एक साथ अपने-अपने पक्ष का समर्थन कर न्याय की दुहाई देने लगे। न्याय का कार्य उतना आसान न था, जितना एक अदालत के जज का होता है। जज के पथ-प्रदर्शन के लिए कानून होते हैं और नजीरें भी। चाहे लकीर की फकीरी में अन्याय ही क्यों न हो जाए; पर उसका मार्ग स्पष्ट रहता है। मेरे सामने न कानून था, न नज़ीर-फिर भी मुझे यह लड़ाई समाप्त करनी थी और न्यायपूर्वक। (Page 57)

शब्दार्थ:

  • संग्राम – युद्ध, लड़ाई।
  • विषैले – जहर में बुझे।
  • आसान – सरल।
  • अदालत – न्यायपालिका।
  • जज – न्यायाधीश।
  • नज़ीरें – अनेक उदाहरण।
  • प्रदर्शन – दिखावा।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा लिखित कहानी ‘तीन बच्चे’ से , उद्धृत है। लेखिका इस गद्यांश में अपने बच्चों के परस्पर हो रही लड़ाई का वर्णन करते हुए और उनकी लड़ाई समाप्त करने के लिए न्यायाधीश की भूमिका निभाने की अपनी स्थिति का वर्णन कर रही है।

व्याख्या:
लेखिका के बच्चों ने घर की क्यारियों में एक-एक फूलों का बगीचा लगाया था। उन क्यारियों में फूल खिल आए थे और बच्चे अपनी-अपनी क्यारियों के फूलों को एक-दूसरे से सुंदर बताते हुए परस्पर लड़ने लगे थे। बच्चों की लड़ाई में प्रयुक्त हो रहे, विष की तरह वाक्यों को सुनकर लेखिका को रसोईघर का काम बीच में ही छोड़कर बगीचे में जाना पड़ा। लेखिका को बगीचे में देखकर बच्चे परस्पर लड़ना छोड़कर, लेखिका से अपने-अपने पक्ष का समर्थन कर न्याय की माँग करने लगे। बच्चे चाहते थे कि वह न्याय करे कि किसकी क्यारी के फूल सुंदर हैं।

लेखिका कहती हैं कि बच्चों में न्याय करना सरल नहीं था। यदि एक का पक्ष लेकर उसकी क्यारी के फूलों को सुंदर बताया तो दूसरा नाराज. हो जाएगा और यदि दूसरे के फूलों को सुंदर बताया तो पहला नाराज हो जाएगा। न्यायालय में बैठे न्यायाधीश के लिए न्याय करना अधिक आसान होता है, क्योंकि न्याय के लिए न्यायालय के न्यायाधीश के सामने कानून होता है, जो उसको मार्ग दिखाते हैं।

इतना ही नहीं उसके सामने उदाहरण होते हैं और वकीलों के तर्क होते हैं। यह दूसरी बात है कि कानूनों का अक्षरशः पालन करने में अन्याय ही क्यों न हो जाए, किंतु उसका न्याय करने का रास्ता एकदम साफ होता है। लेखिका कहती है कि उसके सामने न तो कोई कानून था और न ही कोई उदाहरण था। ऐसी स्थिति में भी उसे बच्चों की इस लड़ाई को.समाप्त करना था और वह भी बिना किसी का पक्ष लिए हुए। उसे निष्पक्ष रहकर न्याय करनाथा।

विशेष:

  1. लेखिका ने इस तथ्य को उजागर किया है कि बच्चों की लड़ाई का निर्णय करना आसान नहीं होता है।
  2. न्याय के रास्ते की कठिनाइयों का वर्णन किया गया है।
  3. भाषा उर्दू शब्दावली युक्तखड़ी बोली है।
  4. मुहावरों का भी प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 2.
हम लोगों को देखते ही उन्होंने गाना बंद कर दिया। लड़के को गोद से उतारकर, बड़ी ने जमीन से माथा टेककर हमें प्रणाम किया। उसकी देखा-देखी छोटी लड़की और लड़के ने जमीन से माथा टेका और तीनों ने अपने चीथड़ों से छिपे हुए पेट को दिखाकर यह बतलाया कि वे भूखे हैं। बड़ी के हाथ में एक झोली थी और छोटी के हाथ में एक टीन का डिब्बा। उन्होंने एक बार झोली की ओर देखा जो बिलकुल खाली जान पड़ती थी फिर हमारी ओर याचना की दृष्टि से देखने लगे। मैंने उनसे कहा-“तुम गाती तो बहुत अच्छा हो, और भी कोई गाना. जानती हो?” (Page 57)

शब्दार्थ:

  • जमीन – धरती, पृथ्वी।
  • चीथड़ों – फटे-पुराने कपड़े।
  • माथा टेकना – भूमि से सर लगाकर प्रणाम करना।
  • याचना – प्रार्थना करना, माँगना।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित कहानी ‘तीन बच्चे’ से उद्धृत है। लेखिका तीन भीख माँगने वाले बच्चों की दुर्दशा का वर्णन करती हुई कहती है।

व्याख्या:
बच्चों की लड़ाई समाप्त होने के बाद लेखिका घर के अंदर जा रही थी कि बाहर से बच्चों के गाने की आवाज सुनकर सब दरवाजे की ओर दौड़ पड़े और बाहर आकर उन्होंने देखा कि तीन बच्चे दो लड़कियाँ और एक लड़का गाकर भीख माँग रहे हैं। लेखिका कहती है कि हमें बाहर आया देखकर उन तीनों बच्चों ने गाना बंद कर दिया। उनमें से बड़ी लड़की ने लड़के को गोद से उतार दिया और भूमि से सर लगाकर उसे प्रणाम किया।

उस बड़ी लड़की का अनुसरण करते हुए छोटी लड़की और लड़के ने भी भूमि से माथा टेककर उसे प्रणाम किया। उन तीनों ने अपने फटे-पुराने, मैल से भरे हुए कपड़ों में छिपे पेट को दिखलाते हुए बताया कि वे भूखे हैं। बड़ी लड़की के हाथ में एक झोली थी और छोटी के हाथ में टीन का डिब्बा था। उनकी झोली बिलकुल खाली थी। उन तीनों में माँगने की दृष्टि से हमारी ओर देखा। लेखिका कहती है कि मैंने उन तीनों से कहा कि तुम तीनों बहुत अच्छा गाते हो। क्या और भी कोई गाना जानती हो?

विशेष:

  1. भीख माँगने वाले बच्चों की स्थिति का हृदयस्पर्शी वर्णन किया गया हैं।
  2. भाषा सरल, स्पष्ट, सुबोध खड़ी बोली है।
  3. मुहावरों का भी प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 3.
हमारी माँ ने पुलिस वालों को मारा था-जिसने हमारे बाप को पकड़ा था न, उसी को। और फिर वे हमारी माँ को भी पकड़ कर ले गए। बड़े बुरे होते हैं पुलिस वाले-“हमारी माँ को भी ले गए। माँ के बिना हमको भी बुरा लगता है, पर यह प्रेमा तो रात-दिन रोता ही रहता है।” मैंने लड़के की ओर देखा-बेचारा छोटा-सा बच्चा; मुश्किल से पाँच बरस का फटे चीथड़ों में लिपटा हुआ, सर में महीनों से तेल का नाम नहीं, रूखे-बिखरे बाल न जाने कब से नहाया नहीं था; शरीर पर एक मैल की तह-सी जम गई थी, गालों पर आँसुओं के निशान बने हुए थे, आँसुओं के साथ-साथ उस स्थान की मैल जो धुल गई थी। मुझे उस बच्चे पर बड़ी दया आई। (Pages 59-60)

शब्दार्थ:

  • मुश्किल – कठिनाई।
  • तह जमना – परत जमना।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित कहानी ‘तीन बच्चे’ से उद्धृत है। भीख माँगने वाली लड़की अपनी माँ के जेल जाने का कारण लेखिका को बता रही है, तो लेखिका उनके साथ छोटे लड़के की दुर्दशा का चित्रण कर रही है।

व्याख्या:
भीख माँगने वाले तीन बच्चों में से बड़ी लड़की बताती है कि हमारी माँ ने उन पुलिसवालों को मारा था, जिन्होंने हमारे बाप को पकड़ा था। पुलिसवालों को पीटने के अपराध में पुलिस हमारी माँ को भी पकड़कर ले गई थी। लड़की कहती है कि पुलिसवाले बहुत बुरे होते हैं। वे हमारी माँ को पकड़कर ले गए। उसे भी जेल में डाल दिया। माँ के बिना हम बच्चों को बुरा लगता है। माँ का अभाव हमें खलता है। यह मेरा भाई प्रेम तो रात-दिन माँ को याद करके रोता ही रहता है।

लेखिका कहती है कि मैंने उस लड़के की ओर देखा-बेचारा (असहाय, विवश) छोटा-सा बच्चा है। वह मुश्किल से पाँच वर्ष का होगा। फटे-पुराने मैले कपड़ों में लिपटा हुआ है। उसके बाल रूखे-सूखे हैं, लगता है उसे नहाये हुए बहुत दिन हो गए थे। उसके शरीर पर मैल की एक तह-सी जम गई थी। उसके गालों पर आँसुओं के बहने के निशान बन गए थे। गालों पर आँसुओं के बहने से उस छोटे-से बच्चे के गालों से मैल भी धुल गई थी। लेखिका कहती है कि मुझे उसकी दुर्दशा देखकर बड़ी दया आई। लेखिका के मन में उस अबोध बालक के प्रति दया का भाव जागृत हो उठा।

विशेष:

  1. लड़की ने अपनी माँ के जेल जाने के कारण को स्पष्ट किया है।
  2. लेखिका ने छोटे लड़के की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डाला गया
  3. भाषा सरल, स्पष्ट खड़ी बोली है।

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प्रश्न 4.
मेरी सेवा के लिए जो दो औरतें तैनात थीं, उनमें एक तो अल्हड़-सी थी, जिसे कुछ काम-काज न आता था पर दूसरी समझदार थी। वह प्रौढ़ा थी। उसकी गोद में भी एक बच्चा था। वह बड़ी फिक्र से सब काम करती थी। वह अधिकतर चुप रहती थी, जैसे सदा मन ही मन कुछ सोचा करती हो। मिनू को तो उसने इस प्रकार हिला लिया था जैसे वह उसकी बच्ची हो। उसका खुद का बच्चा पाँव-पाँव चलता और मिनू उसकी गोदी पर। पानी भरती, तो मिनू उसके साथ होती; दाल दलती, तो मिनू उसके साथ और बर्तन मलती तो मिनू भी उसके साथ छोटी-छोटी कटोरियाँ और गिलास मलती दीख पड़ती। अंत को बात इतनी बढ़ी कि वह मिनू को अपनी पीठ से बाँधकर झाडू देने लगी। उसका नाम का लखिया’। (Page 61)

शब्दार्थ:

  • तैनात – नियुक्त।
  • अल्हड़ – बालोचित सरलता के साथ मस्त और लापरवाह।
  • प्रौढ़ा – वह स्त्री जिसकी आयु अधिक हो चली हो।
  • फिक्र – चिंता।
  • हिला लेना – घुल-मिल जाना।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित कहानी ‘तीन बच्चे – उद्धृत है। इस गद्यांश में लेखिका उनकी सेवा में नियुक्त दोनों स्त्रियों की विशेषताओं पर प्रकाश डाल रही है।

व्याख्या:
लेखिका युद्ध-विरोधी आंदोलन में सत्याग्रह करके जेल चली गई, तो उसे जबलपुर जेल में रखने की अपेक्षा अस्पताल में आ गया और दो महिला कैदियों को उसकी देखभाल के लिए नियुक्त कर दिया था था। उन दोनों महिलाओं में से एक बातूनी सरसता के साथ मस्त और लापरवाह थी। उसे कोई काम-काज नहीं आता था किंतु दूसरी समझदार थी। वह अधिक आयु की थी। उसकी गोद में भी एक बच्चा था। वह प्रत्येक काम में निपुण थी और बड़ी चिंता के साथ सब काम करती थी। वह अधिक नहीं बोलती थी। अधिकांश समय चुप ही रहती थी। उसे देखकर लगता था जैसे वह मन ही मन सोचती रहती हो।

लेखिका कहती कि उस औरत ने मेरी लड़की मिनू को अपने साथ इस प्रकार घुला मिला लिया था जैसे वह उसकी लड़की हो। उसका स्वयं का लड़का पैदल चलता था और मीनू उसकी गोदी में रहती। जब वह पानी भरती तो भी मिनू उसके साथ ही रहती, दाल दलती तो भी मिनू उसके साथ ही रहती और वह बर्तन साफ करती तो मिनू भी उसके काम में हाथ बँटाती। वह छोटी-छोटी कटोरियाँ और गिलास मलती दिखाई पड़ती। भाव यह कि मिनू उस औरत के ही साथ रहती। आखिर में बात इतनी बढ़ गई कि वह मिनू को अपनी पीठ से बाँधकर सफाई का काम करने लगी। उस औरत का नाम लखिया था। लखिया के साथ मीनू बहुत अधिक घुल-मिल गई थी।

विशेष:

  1. लेखिका ने लखिया नामक महिला कैदी और अपनी सेविका के चरित्र पर प्रकाश डाला है।
  2. भाषा चित्रात्मक है।
  3. भाषा खड़ी बोली है।

प्रश्न 5.
मैं बहुत सोचती थी कि लखिया कौन है। वह जेल क्यों आई? एक दिन अचानक मैंने मेट्रन से पूछा, जिसका उत्तर मिला-“ओह! यह बड़ी खतरनाक औरत है। इसने पुलिस को मारा है-पुलिस को। पर हमने उसका दिमाग ठीक कर दिया है। आपको कोई तकलीफ तो नहीं देती?” अचानक मुझे उन बच्चों का ख्याल में गया। उनकी माँ भी तो पुलिस को मारने के कारण जेल भेजी गई थी और उसके साथ भी तो एक छोटा बच्चा था। पूछना मैंने कई बार चाहा, पर लखिया की गंभीर और उदास मुद्रा देखकर, हिम्मत मेरी एक बार भी न हुई। (Page 61)

शब्दार्थ:

  • अचानक – एकाएक, अकस्मात।
  • दिमाग – मस्तिष्क।
  • तकलीफ – कष्ट, दुख।
  • ख्याल – ध्यान।
  • मुद्रा – आकृति।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा रचित कहानी ‘तीन बच्चे’ से उद्धृत है। लेखिका लखिया के संबंध में बता रही है।

व्याख्या:
लेखिका कहती है कि मैं लखिया के संबंध में बहुत सोचती थी कि यह कौन है और किस अपराध में जेल आई है? एक दिन एकाएक मैंने मेट्रन से लखिया के संबंध में पूछा, तो उसने बताया कि यह बहुत खतरनाक स्त्री है। इसने पुलिसवालों की पिटाई की है किंतु हमने इसका दिमाग ठीक कर दिया है। यह आपको कोई कष्ट तो नहीं देती। लेखिका कहती है कि यह सुनकर कि इसने पुलिसवालों को पीटा है, मुझे उन तीन भीख माँगने वाले बच्चों का ध्यान आ गया।

उनकी माँ भी तो पुलिसवालों को मारने के अपराध में जेल में थी। उसके साथ भी एक बच्चा था। लेखिका कहती है कि मैंने इस संबंध में लखिया से कई बार पूछना चाहा लेकिन उसका गंभीर और उदास मुख देखकर, एक बार भी साहस नहीं हुआ। कहने का भाव यह है कि लेखिका लखिया से चाहते हुए भी कुछ नहीं पूछ सकी।

विशेष:

  1. लेखिका लखिया के संबंध में जिज्ञासा होते हुए उससे कुछ भी पूछने का साहस नहीं जुटा सकी। लेखिका की मनःस्थिति पर प्रकाश डाला गया है।
  2. भाषा सरल, स्पष्ट खड़ी बोली है।

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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण

तरलों के यांत्रिकी गुण अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 10.1.
स्पष्ट कीजिए क्यों?
(a) मस्तिष्क की अपेक्षा मानव का पैरों पर रक्तचाप अधिक होता है।
(b) 6 km ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाब समुद्र तल पर वायुमण्डलीय दाब का लगभग आधा हो जाता है, यद्यपि वायुमण्डल का विस्तार 100 km से भी अधिक ऊँचाई तक है।
(c) यद्यपि दाब, प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला बल होता है तथापि द्रवस्थैतिक दाब एक अदिश राशि है।।
उत्तर:
(a) पैरों के ऊपर रक्त स्तम्भ की ऊँचाई मस्तिष्क के ऊपर रक्त स्तम्भ की ऊँचाई से ज्यादा होती है। हम जानते हैं कि द्रव स्तम्भ का दाब गहराई के अनुक्रमानुपाती होता है। इसी कारण पैरों पर रक्त दाब मस्तिष्क की तुलना में अधिक होता है।

(b) पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव के कारण वायु के अणु पृथ्वी के नजदीक बने रहते हैं, अधिक ऊँचाई तक नहीं जा पाते हैं। इस प्रकार 6 किमी से अधिक ऊँचाई तक जाने पर वायु बहुत ही विरल हो जाती है तथा घनत्व बहुत कम हो जाता है। चूंकि द्रव – दाब, द्रव के घनत्व के समानुपाती होता है। इस प्रकार 6 किमी से ऊपर की वायु का कुल दाब बहुत कम होता है। अतः पृथ्वी तल से 6 किमी की ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाब समुद्र तल पर वायुमण्डलीय दाब से आधा रह जाता है।

(c) पास्कल के नियमानुसार, किसी बिन्दु पर द्रव दाब समस्त दिशाओं में समान रूप से लगता है। अतः दाब के साथ कोई दिशा नहीं जोड़ी जा सकती है। अतः दाब एक सदिश राशि है।

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प्रश्न 10.2.
स्पष्ट कीजिए क्यों?
(a) पारे का काँच के साथ स्पर्श कोण अधिक कोण होता है जबकि जल का काँच के साथ स्पर्श कोण न्यून कोण होता
(b) काँच के स्वच्छ समतल पृष्ठ पर जल फैलने का प्रयास करता है जबकि पारा उसी पृष्ठ पर बूंदें बनाने का प्रयास करता है। (दूसरे शब्दों में जल काँच को गीला कर देता है जबकि पारा ऐसा नहीं करता है।)
(c) किसी द्रव का पृष्ठ तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।
(d) जल में घुले अपमार्जकों के स्पर्श कोणों का मान कम होना चाहिए।
(e) यदि किसी बाह्य बल का प्रभाव न हो, तो द्रव बँद की आकृति सदैव गोलाकार होती है।

उत्तर:
(a) पारे के अणुओं के मध्य संसजक बल, पारे तथा काँच के अणुओं के मध्य आसंजक बल से अधिक होता है। अतः काँच व पारे का स्पर्श कोण अधिक कोण होता है जबकि जल के अणुओं के मध्य संसजक बल, काँच तथा जल के अणुओं के मध्य आसंजक बल से कम होता है। अत: जल व काँच के मध्य स्पर्श कोण न्यूनकोण होता है।
(b) यहाँ पर उपरोक्त कारण लागू होता है।
(c) किसी द्रव के मुक्त पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ा देने पर उसके तनाव में कोई परिवर्तन नहीं होता है जबकि रबड़ की झिल्ली को खींचने पर उसमें तनाव बढ़ जाता है। अतः द्रव का पृष्ठ – तनाव उसके मुक्त क्षेत्रफल से निर्भर होता है।
(d) अपमार्जक घुले होने पर जल का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है, परिणामस्वरूप स्पर्श कोण भी कम हो जाता है।
(e) बाह्य बल की अनुपस्थिति में बूंद की आकृति सिर्फ पृष्ठ तनाव द्वारा निर्धारित होती है। पृष्ठ तनाव के कारण बूंद न्यूनतम क्षेत्रफल वाली आकृति ले लेती है। चूंकि एक दिए गए आयतन के लिए गोले का युक्त पृष्ठ न्यूनतम होता है। अतः बूंद गोलाकार हो जाती है।

प्रश्न 10.3.
प्रत्येक प्रकथन के साथ संलग्न सूची में से उपयुक्त शब्द छाँटकर उस प्रकथन के रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए –

  1. व्यापक रूप में द्रवों का पृष्ठ तनाव ताप बढ़ने पर ………………… है। (बढ़ता/घटता)
  2. गैसों की श्यानता ताप बढ़ने पर ………………………… है, जबकि द्रवों की श्यानता ताप बढ़ने पर ……………………….. है। (बढ़ती/घटती)
  3. दृढ़ता प्रत्यास्थता गुणांक वाले ठोसों के लिए अपरूपण प्रतिबल ………………………. के अनुक्रमानुपाती होता है, जबकि द्रवों के लिए वह ……………………….. के अनुक्रमानुपाती होता है। (अपरूपण विकृति/अपरूपण विकृति की दर)
  4. किसी तरल के अपरिवर्ती प्रवाह में आए किसी संकीर्णन पर प्रवाह की चाल में वृद्धि में ………………………… का अनुसरण होता है। (संहति का संरक्षण/बर्नली सिद्धांत)
  5. किसी वायु सुरंग में किसी वायुयान के मॉडल में प्रक्षोभ की चाल वास्तविक वायुयान के प्रक्षोभ के लिए क्रांतिक चाल की तुलना में ………………………… होती है। (अधिक/कम)

उत्तर:

  1. घटता
  2. बढ़ती, घटती
  3. अपरूपण विकृति, अपरूपण विकृति की दर
  4. संहति का संरक्षण
  5. अधिक।

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प्रश्न 10.4.
निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए।

(a) किसी कागज की पट्टी को क्षैतिज रखने के लिए आपको उस कागज पर ऊपर की ओर हवा फूंकनी चाहिए, नीचे की ओर नहीं।

(b) जब हम किसी जल टोंटी को अपनी उँगलियों द्वारा बंद करने का प्रयास करते हैं, तो उँगलियों के बीच की खाली जगह से तीव्र जल धाराएँ फूट निकलती हैं।

(c) इंजेक्शन लगाते समय डॉक्टर के अंगूठे द्वारा आरोपित दाब की अपेक्षा सुई का आकार दवाई की बहिःप्रवाही धारा को अधिक अच्छा नियंत्रित करता है।

(d) किसी पात्र के बारीक छिद्र से निकलने वाला तरल उस पर पीछे की ओर प्रणोद आरोपित करता है।

(e) कोई प्रचक्रमान क्रिकेट की गेंद वायु में परवलीय प्रपथ का अनुसरण नहीं करती।

उत्तर:

(a) कागज पर ऊपर की ओर फूंक मारने से ऊपर की वायु का वेग अधिक हो जाएगा। अत: बर्नूली की प्रमेय से, कागज के ऊपर वायुदाब, नीचे की अपेक्षा कम हो जाएगा। इससे कागज पर उत्थापक बल लगेगा जो कागज को नीचे गिरने से रोकेगा।

(b) जल टोंटी को उँगलियों द्वारा बन्द करने पर उँगलियों के बीच की खाली जगह से तीव्र जल धाराएँ फूट निकलती हैं। यहाँ धारा का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल टोंटी के अनुप्रस्थ क्षेत्रफल से कम होता है। अतः अविरतता के नियमानुसार, जल का वेग अधिक हो जाता हैं।

(c) अविरतता के नियम से, समान दाब आरोपित किए जाने पर, सुई बारीक होने पर बहि:प्रवाही धारा का प्रवाह वेग बढ़ जाता है। अत: बहिःप्रवाही वेग सुई के आकार से ज्यादा नियन्त्रित होता

(d) किसी पात्र के बारीक छिद्र से निकलने वाला तत्व उस पर पीछे की ओर प्रणोद आरोपित करता है। इसका कारण यह है कि यहाँ उच्च बहि:स्राव वेग प्राप्त कर लेता है। बाह्य बल के अनुपस्थिति में पात्र तथा तरल का संवेग संरक्षित रहता है। अतः पात्र विपरीत दिशा में संवेग प्राप्त करता है। अर्थात् बाहर निकलता हुआ द्रव पात्र पर विपरीत दिशा में प्रणोद लगाता है।

(e) घूर्णन करती गेंद अपने साथ वायु को खींचती है। अतः गेंद के ऊपर व नीचे वायु के वेग में अन्तर आ जाता है। परिणामस्वरूप दाबों में भी अन्तर आ जाता है। इसी कारण गेंद पर भार के अतिरिक्त एक दूसरा बल भी लगने लगता है तथा गेंद का पथ परवलयाकार नहीं रह पाता है।

प्रश्न 10.5.
ऊँची एड़ी के जूते पहने 50 kg संहति की कोई बालिका अपने शरीर को 1.0 cm व्यास की एक ही वृत्ताकार एड़ी पर संतुलित किए हुए है। क्षैतिज फर्श पर एड़ी द्वारा आरोपित दाब ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है, F = mg = 50 × 9.8 N = 490 N
d = 1.0cm, r = \(\frac{d}{2}\) = 0.5cm
= 0.3 × 10-2m = 5 × 10-3
फर्श का क्षैतिज क्षेत्रफल जहाँ एड़ी लगती है,
A = πr2 = 3.142 (5 × 10-3)2
= 3.142 × 25 × 10-6 m2
माना एड़ी द्वारा क्षैतिज फर्श पर लगाया गया दाब P है।
अतः P = \(\frac{F}{A}\)
या
P = \(\frac { 490 }{ 3.142\times 25\times 10^{ -6 } } \)
= 6.24 × 106 Pascal
P = 6.24 × 106 Pa

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प्रश्न 10.6.
टॉरिसिली के वायुदाब मापी में पारे का उपयोग किया गया था। पास्कल ने ऐसा ही वायुदाब मापी 984kgm -3 Pa घनत्व की फ्रेंच शराब का उपयोग करके बनाया। सामान्य वायुमंडलीय दाब के लिए शराब स्तंभ की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना सामान्य ताप पर संगत फ्रेंच शराब स्तम्भ की ऊँचाई h है।
साधारण वायुमण्डलीय दाब
P = 1.013 × 105 पास्कल
माना शराब स्तम्भ के संगत दाब P’ है।
P’ = Hpwg
जहाँ pw = शराब का घनत्व = 984 kgm-3
प्रश्नानुसार, P’ = P
या hpwg =P
या h = \(\frac { P }{ \rho _{ w }g } \)
= \(\frac { 1.013\times 10^{ 5 } }{ 984\times 9.8 } \) = 10.5 m

प्रश्न 10.7.
समुद्र तट से दूर कोई ऊर्ध्वाधर संरचना 109 Pa के अधिकतम प्रतिबल को सहन करने के लिए बनाई गई है। क्या यह संरचना किसी महासागर के भीतर किसी तेल कप के शिखर पर रखे जाने के लिए उपयुक्त है? महासागर की गहराई लगभग 3 km है। समुद्री धाराओं की उपेक्षा कीजिए।
उत्तर:
दिया है: जल स्तम्भ की गहराई, L = 3 किमी
= 3 × 103 मीटर 3
जल का घनत्व, ρ = 103 किग्रा/मीटर 3
माना जल स्तम्भ द्वारा आरोपित दाब P है।
∴ P = hpg
= 3 × 103 × 103 × 9.8
= 30 × 106 = 3 × 107 पास्कल
चूँकि संरचना को महासागर पर रखा गया है अत: महासागर का जल 3 × 107 पास्कल का दाब लगाता है।
चूंकि ऊर्ध्व संरचना पर अधिकतम भंजक प्रतिबल 109 है।
3 × 107 पास्कल < 10 × 9 पास्कल
अतः यह संरचना महासागर के भीतर तेल कूप के शिखर पर रखी जा सकती है।

प्रश्न 10.8.
किसी द्रवचालित आटोमोबाइल लिफ्ट की संरचना अधिकतम 3000 kg संहति की कारों को उठाने के लिए की गई है। बोझ को उठाने वाले पिस्टन की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 425 cm है। छोटे पिस्टन को कितना अधिकतम दाब सहन करना होगा?
उत्तर:
दिया है: बड़े पिस्टन पर अधिकतम सहनीय बल,
F = 3000 kgf = 3000 × 9.8 N पिस्टन का क्षेत्रफल
A = 425 cm2 = 425 × 10-4m2
माना बड़े पिस्टन पर अधिकतम दाब P है।
अतः P = \(\frac{F}{A}\) = \(\frac { 3000\times 9.8 }{ 425\times 10^{ -4 } } \)
= 6.92 × 105
चूँकि द्रव सभी दिशाओं में समान दाब आरोपित करता है। अतः छोटी पिस्टन 6.92 × 105 पास्कल का अधिकतम दाब सहन करना होगा।

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प्रश्न 10.9.
किसी U – नली की दोनों भुजाओं में भरे जल तथा मेथेलेटिड स्पिरिट को पारा एक – दूसरे से पृथक् करता है। जब जल तथा पारे के स्तंभ क्रमश: 10 cm तथा 12.5 cm ऊँचे हैं, तो दोनों भुजाओं में पारे का स्तर समान है। स्पिरिट का आपेक्षित घनत्व ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है: U नली की एक भुजा में जल की ऊँचाई, h1 = 10 सेमी,
ρ1 = ग्राम/सेमी 3
U नली की एक दूसरी भुजा में स्प्रिट की ऊँचाई, h2 = 12.5 सेमी,
ρ2 = ?
माना जल तथा स्प्रिट द्वारा लगाया गया दाब क्रमश: P1 व P2 है।
∴ P1 = h1ρ1g …………. (i)
व P2 = h2ρ2g ……………. (ii)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img 1
चूँकि दोनों भुजाओं में पारे का स्तम्भ समान है। अतः
P1 = P2
या h1ρ1g = h2ρ2g
या ρ2 = \(\frac { h_{ 1 }\rho _{ 1 } }{ h_{ 2 } } \)
= \(\frac{10 × 1}{12.5}\) = \(\frac{4}{5}\)
= 0.8 cm -3
स्प्रिट का विशिष्ट घनत्व = \(\frac { \rho _{ 1 } }{ \rho _{ 2 } } \)
= \(\frac { 0.8gcm^{ -3 }\quad }{ 1gcm^{ -3 }\quad } \) = 0.800

प्रश्न 10.10.
यदि प्रश्न 10.9 की समस्या में, U – नली की दोनों भुजाओं में इन्हीं दोनों द्रवों को और उड़ेल कर दोनों द्रवों के स्तंभों की ऊँचाई 15 cm और बढ़ा दी जाए, तो दोनों भुजाओं में पारे के स्तरों में क्या अंतर होगा। (पारे का आपेक्षिक घनत्व = 13.6)।
उत्तर:
माना U – नली की दोनों भुजाओं में अन्तर h है।
माना पारे का घनत्व pm है।
माना समान क्षैतिज पर दो बिन्दु A व B हैं।
∴A पर दाब = B पर दाब
या P0 + hwρwg
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img 2
= P0 + hsρsg + hmρmg
जहाँ P0 = वायुमण्डलीय दाब
या hwρw = hsρs + hmρm ………. (i)
या hmρm = hwρw – hsρs
दिया है जल स्तम्भ की ऊँचाई,
hs = 12.5 + 15 = 27.5 cm
ρw = 1 g cm-3
ρs = 0.8 cm-3
ρm = 13.6 g cm-3
समी० (i) व (ii) से
hm × 13.6 = 25 × 1 – 27.5 × 0.8
या hm = \(\frac { 25-22.00 }{ 13.6 } \) = 0.2206 cm
= 0.221 cm
या hm = 0.221 cm

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प्रश्न 10.11.
क्या बली समीकरण का उपयोग किसी नदी की किसी क्षिप्रिका के जल – प्रवाह का विवरण देने के लिए किया जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बर्नूली समीकरण केवल धार-रेखी प्रवाह पर लागू होता है। नदी की क्षिप्रिका का जल-प्रवाह धारा रेखी प्रवाह नहीं होता है। इसलिए इसका विवरण देने के लिए बर्नूली समीकरण का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 10.12.
बर्नूली समीकरण के अनुप्रयोग में यदि निरपेक्ष दाब के स्थान पर प्रमापी दाब (गेज दाब) का प्रयोग करें तो क्या इससे कोई अंतर पड़ेगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बर्नूली समीकरण से,
P1 + \(\frac{1}{2}\)ρv12 + ρgh1
= P2 + \(\frac{1}{2}\)ρv22 + ρgh2
या P1 – P2 = \(\frac{1}{2}\)ρ (v22 – v12) + ρg(h2 – h1) …….. (i)
माना दो बिन्दुओं पर वायुमण्डलीय व गेज दाब क्रमश:
PaP1a व P1, P12 हैं।
P1 = Pa + P2
तथा P2 = P1a + P2
P2 – P2 = (Pa – P’a) + (P’1 – P’2) ~ P’1 – P’2 (∴Pa = P’a)
अतः दोनों बिन्दुओं पर वायुमण्डलीय दाबों में बहुत कम अन्तर होने पर परमदाब के स्थान पर गेज दाब का प्रयोग करने से कोई अन्तर नहीं पड़ेगा।

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प्रश्न 10.13.
किसी 1.5 m लंबी 1.0 cm त्रिज्या की क्षैतिज नली से ग्लिसरीन का अपरिवर्ती प्रवाह हो रहा है। यदि नली के एक सिरे पर प्रति सेकंड एकत्र होने वाली ग्लिसरीन का परिणाम 4.0 × 10-3 kgs-1 है, तो नली के दोनों सिरों के बीच दाबांतर ज्ञात कीजिए। (ग्लिसरीन का घनत्व = 1.3 × 103kgm-3 तथा ग्लिसरीन की श्यानता = 0.83 Pas)
[आप यह भी जाँच करना चाहेंगे कि क्या इस नली में स्तरीय प्रवाह की परिकल्पना सही है।]
उत्तर:
दिया है:
r = 1.0 cm = 10-2 cm
l = 1.5 m
ρ = 1.3 × 102kg m-3
प्रति सेकण्ड ग्लिसरीन का प्रवाहित द्रव्यमान,
M = 4 × 10-3 kgs-1
ग्लिसरीन की श्यानता,
η = 0.83 Pas = 0.83 Nm-2s
माना नली के दोनों सिरों पर दाबान्तर P है।
रेनॉल्ड संख्या NR = ?
माना ग्लिसरीन का प्रति सेकण्ड प्रवाहित आयतन V है।
∴V = \(\frac{M}{ρ}\)
= \(\frac { 4\times 10^{ -3 }kgs^{ -1 } }{ 1.3\times 10^{ 3 }kgm^{ -3 } } \)
= \(\frac{4}{1.3}\) × 10-6m3s-1
पासले सूत्र से,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img 3
= 9.7537 × 102 Pa
= 9.8 × 102 Pa
धारा रेखीय प्रवाह की अभिग्रहीति जाँचने के लिए हम रेनॉल्ड संख्या का मान निकालते हैं –
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img 4
= 3.07 × 10-1 = 0.307 = 0.31
अतः प्रवाह स्तरीय (धारा रेखीय) है।

प्रश्न 10.14.
किसी आदर्श वायुयान के परीक्षण प्रयोग में वायु – सुरंग के भीतर पंखों के ऊपर और नीचे के पृष्ठों पर वायु-प्रवाह की गतियाँ क्रमश: 70 ms-1 तथा 63 ms-1 हैं। यदि पंख का क्षेत्रफल 2.5 m2 है, तो उस पर आरोपित उत्थापक बल परिकलित कीजिए। वायु का घनत्व 13 kgm-3 लीजिए।
उत्तर:
माना वायुयान के ऊपरी व निचली पर्तों की चाल क्रमशः v1, व v2, है तथा संगत दाब क्रमशः P1 व P2, है। दिया है –
v1 = 70 मीटर/सेकण्ड
v2 = 63 मीटर/सेकण्ड
ρ = 1.3 किग्रा/मीटर3
माना पंखों की ऊपरी व निचले पर्ते समान ऊँचाई पर हैं।
h1 = h2
पंख का क्षेत्रफल, A = 2.5 मीटर 2
बरनौली प्रमेय से,
P1 + ρgh2 + \(\frac{1}{2}\) ρv12
= P2 + rogh2 + \(\frac{1}{2}\) ρv22
या P2 – P1 = \(\frac{1}{2}\) ρ(v12 – v22)
यह दाबान्तर ही वायुयान को ऊपर उठाता है।
माना, पंखे पर आरोपित बल है। अतः
F = (P2 – P1) × A
= \(\frac{1}{2}\) ρ (v12 – v22) × 2.5
= \(\frac{1}{2}\) × 1.3 × (702 – 632) × 2.5
= \(\frac{1}{2}\) × 1.3 × 931 × 2.5 = 1512.9N
= 1.5129 × 103N = 1.513 × 103N
= 1.5 × 103N

प्रश्न 10.15.
चित्र (a) तथा (b) किसी द्रव (श्यानताहीन) का अपरिवर्ती प्रवाह दर्शाते हैं। इन दोनों चित्रों में से कौन सही नहीं है? कारण स्पष्ट कीजिए।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img t
उत्तर:
चित्र (a) सही नहीं है। चूँकि इस चित्र में, नलिका की ग्रीवा में अनुप्रस्थ क्षेत्रफल कम है। अत: अविरतता के सिद्धान्त से, यहाँ वेग अधिक होगा। अर्थात् बर्नूली प्रमेय से यहाँ जल दाब कम होगा जबकि चित्र (a) में ग्रीवा पर जल दाब अधिक दिखाया गया है।

प्रश्न 10.16.
किसी स्प्रे पंप की बेलनाकार नली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 8.0 cm2 है। इस नली के एक सिरे पर 1.0 mm व्यास के 40 सूक्ष्म छिद्र हैं। यदि इस नली के भीतर द्रव के प्रवाहित होने की दर 1.5 m min-1 है, तो छिद्रों से होकर जाने वाले द्रव की निष्कासन – चाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
A1 = 8 सेमी 2 = 8 × 10-4 मीटर2
छिद्र की त्रिज्या,
r = 0.5 मिमी = 0.5 × 10 -3 मीटर
छिद्रों का कुल क्षेत्रफल = 40 × π(r2)
= 40 × 3.14 × (0.5 × 10-3)2
= 0.3 × 10-4 मीटर2
v1 = 1.5 मीटर/सेकण्ड
= \(\frac{1.5}{60}\) = \(\frac{1}{40}\) मीटर/सेकण्ड
v2 = ?
सातत्यता समीकरण से,
A2v2 = A1v1
v2 = \(\frac { A_{ 1 } }{ A_{ 2 } } \) v1
= \(\frac { 8\times 10^{ -4 } }{ 0.3\times 10^{ -4 } } \) × 0.025
= 9.64 मीटर/सेकण्ड

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प्रश्न 10.17.
U – आकार के किसी तार को साबुन के विलयन में डुबो कर बाहर निकाला गया जिससे उस पर एक पतली साबुन की फिल्म बन गई। इस तार के दूसरे सिरे पर फिल्म के संपर्क में एक फिसलने वाला हल्का तार लगा है जो 1.5 × 10-2N भार (जिसमें इसका अपना भार भी सम्मिलित है) को सँभालता है। फिसलने वाले तार की लम्बाई 30 cm है। साबुन की फिल्म का पृष्ठ तनाव कितना है?
उत्तर:
दिया है: तार की लंबाई,
l = 30
सेमी = 0.3 मीटर
तार पर लटका भार,
w = 1.5 × 10-2 न्यूटन
माना फिल्म का पृष्ठ तनाव S है।
अतः फिल्म के एक ओर के पृष्ठ के कारण तार पर लगने वाला बल,
F1 = s × 1
दोनों पृष्ठों के कारण तार पर बल,
F = 2F1
= 2sl
यह बल (F) ही भार (W) को सन्तुलित करता है।
2sl = w
पृष्ठ तनाव, s = \(\frac{W}{2l}\)
= \(\frac { 1.5\times 10^{ -2 } }{ 2\times 0.3 } \)
= 2.5 × 10-2 न्यूटन प्रति मीटर

प्रश्न 10.18.
निम्नांकित चित्र (a) में किसी पतली द्रव फिल्म को 4.5 × 10-2 N का छोटा भार सँभाले दर्शाया गया है। चित्र (b) तथा (e) में बनी इसी द्रव की फिल्में इसी ताप पर कितना भार संभाल सकती हैं? अपने उत्तर को प्राकृतिक नियमों के अनुसार स्पष्ट कीजिए।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img u
उत्तर:
तीनों चित्रों में, फिल्म के नीचे वाले किनारे की लम्बाई 40 सेमी (समान) है। (F = 25 l)
इस किनारे पर फिल्म के पृष्ठ तनाव (S) के कारण समान बल लगेगा। यह बल लटके हुए भार को साधता है। चूँकि साधने वाला बल प्रत्येक दशा में समान है। इसलिए चित्र (b) तथा (c) में भी वही भार 4.5 × 10 -2 न्यूटन सँभाला जा सकता है।

प्रश्न 10.19.
3.00 mm त्रिज्या की किसी पारे की बूंद के भीतर कमरे के ताप पर दाब क्या है? 20°C ताप पर पारे का पृष्ठ तनाव 4.65 × 10-1 Nm-1 है। यदि वायुमंडलीय दाब 1.01 × 105 Pa है, तो पारे की बूंद के भीतर दाब – आधिक्य भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
बूंद की त्रिज्या r = 3.0 mm
= 3.0 × 10-3 m
पारे का पृष्ठ तनाव
T = 4.65 × 10-1 Nm-1
बूंद के बाहर दाब, Po = वायुमण्डलीय दाब
= 1.01 × 105 Pa
माना कि बूंद के अन्दर दाब P है तब बूंद के अन्दर आधिक्य दाब निम्नवत् है –
P = Pi – P0 = \(\frac{2T}{r}\)
= \(\frac { 2\times 4.65\times 10^{ -1 } }{ 3\times 10^{ -3 } } \) = 310Pa
Pi = P + P0
= 310 + 1.01 × 105 Pa
= 1.01 × 105 + 0.00310 × 105
= 1.01310 × 105 Pa

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प्रश्न 10.20.
5.00 mm त्रिज्या के किसी साबुन के विलयन के बुलबुले के भीतर दाब – आधिक्य क्या है? 20°C ताप पर साबुन के विलयन का पृष्ठ तनाव 4.65 × 10-1 Nm-1 है। यदि इसी विमा का कोई वायु का बुलबुला 1.20 आपेक्षिक घनत्व के साबुन के विलयन से भरे किसी पात्र में 40.0 cm गहराई पर बनता, तो इस बुलबुले के भीतर क्या दाब होता, ज्ञात कीजिए।
(1 वायुमंडलीय दाब = 1.01 × 105Pa)
उत्तर:
साबुन के घोल का पृष्ठ तनाव,
T = 2.5 × 10-2 Nm-1
साबुन के घोल का घनत्व = ρ
= 1.2 × 103kg m-3
साबुन के बुलबुले की त्रिज्या = r
= 5.0 mm = 5.0 × 10-3m
1 वायुमण्डलीय दाब = 1.01 × 105 Pa
साबुन के बुलबुले के अन्दर आधिक्य दाब निम्नवत् है –
Pi – P0 = \(\frac{4T}{r}\)
= \(\frac { 2\times 2.5\times 10^{ -2 } }{ 5.0\times 10^{ -3 } } \) = 20 Pa
साबुन के घोल में वायु के बुलबुले के अन्दर आधिक्य दाब –
Pi – P0 = \(\frac{2T}{r}\)
= \(\frac { 2\times 2.5\times 10^{ -2 } }{ 5.0\times 10^{ -3 } } \) = 10 Pa
40 सेमी गहराई पर वायु के बुलबुले के बाहर दाब,
P0 = वायुमण्डलीय दाब + 40 सेमी के कारण दाब
= 1.01 × 105 + 0.4 × 1.2 × 103 × 9.8
= 1.05704 × 105 Pa (∴P = hpg)
= 1.06 × 105 Pa
∴ वायु के बुलबुले के अन्दर दाब
Pi = P0 + \(\frac{2T}{r}\)
= (1.06 × 105 + 10)Pa
= 1.06 × 105 + 0.00010 × 105
= 1.06010 × 105Pa
= 1.06 × 105 Pa

तरलों के यांत्रिकी गुणअतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 10.21.
1.0 m2 क्षेत्रफल के वर्गाकार आधार वाले किसी टैंक को बीच में ऊर्ध्वाधर विभाजक दीवार द्वारा दो भागों में बाँटा गया है। विभाजक दीवार में नीचे 20 cm2 क्षेत्रफल का कब्जेदार दरवाजा है। टैंक का एक भाग जल से भरा है तथा दूसरा भाग 1.7 आपेक्षिक घनत्व के अम्ल से भरा है। दोनों भाग 4.0 m ऊँचाई तक भरे गए हैं। दरवाजे को बंद रखने के आवश्यक बल परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया है: दोनों ओर भरे द्रवों की ऊँचाई
hw = ha = 4 मीटर
जल का घनत्व pw = 103 किग्रा प्रति मीटर 3
अम्ल का आपेक्षिक घनत्व = \(\frac { \rho _{ a } }{ \rho _{ w } } \) = 1.7
दरवाजे का क्षेत्रफल
A = 20 सेमी2 = 2 × 10-3 मीटर 2
जल की साइड से दरवाजे पर दाब
P1 = Pa + hwρwg
= Pa + 4 × 103 × 9.8
= Pa + 3.92 × 10 4 न्यूटन/मीटर 2
अम्ल की साइड से दरवाजे पर दाब
P2 = Pa + haρag
= Pa + ha \(\frac { \rho _{ a } }{ \rho _{ w } } \) × g × ρw
= Pa + 6.66 × 104 न्यूटन/मीटर 2
अतः दाबान्तर P = P2 – P1 = (6.66 – 3.92) × 104
= 2.74 × 104 न्यूटन/मीटर 2
अतः दरवाजा बन्द रखने के लिए आवश्यक बल F = PA
= 2.74 × 104 × 2 × 10-3
= 54.8
= 55 न्यूटन

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प्रश्न 10.22.
चित्र (a) में दर्शाए अनुसार कोई मैनोमीटर किसी बर्तन में भरी गैस के दाब का पाठ्यांक लेता है। पंप द्वारा कुछ गैस बाहर निकालने के पश्चात् मैनोमीटर चित्र (b) में दर्शाए अनुसार पाठ्यांक लेता है। मैनोमीटर में पारा भरा है तथा वायुमंडलीय दाब का मान 76 cm (Hg) है।
(i) प्रकरणों (a) तथा (b) में बर्तन में भरी गैस के निरपेक्ष दाब तथा प्रमापी दाब cm (Hg) के मात्रक में लिखिए।
(ii) यदि मैनोमीटर की दाहिनी भुजा में 13.6 cm ऊँचाई तक जल (पारे के.साथ अमिश्रणीय) उड़ेल दिया जाए तो प्रकरण (b) में स्तर में क्या परिवर्तन होगा? (गैस के आयतन में हुए थोड़े परिवर्तन की उपेक्षा कीजिए।)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img l
उत्तर:
(i) प्रकरण (a) में
गैस का निरपेक्ष दाब = Pa + h
दिया है: h = 20 सेमी पारा व pa = 76 सेमी पारा (वायुमण्डलीय दाब)
निरपेक्ष दाब = 76 + 20 = 96 सेमी (पारा)
लेकिन प्रमापी दाब (मेज दाब) = 20 सेमी (पारा) प्रकरण (b) में
गैस का निरपेक्ष दाब = Pa + h
= 76 – 18 (h = – 18 सेमी)
= 58 सेमी (पारा)
लेकिन प्रमापी दाब (गेज दाब) = – 18 सेमी (पारा)

(ii) जल स्तम्भ के दाब को सन्तुलित करने के लिए बाईं भुजा में पारा ऊपर चढ़ेगा। माना दोनों ओर के तलों का अन्तर h है।
माना h1 = 13.6 सेमी ऊँचे जल स्तम्भ का दाब h’1, ऊँचाई वाले पारे के स्तम्भ के दाब के समान है।
∴h’1 × ρHg × g = h1w.g
∴h’1 = \(\frac { \rho _{ w } }{ \rho _{ ng } } \) × h1
= \(\frac { 10^{ 3 }\times 13.6 }{ 13.6\times 10^{ 3 } } \) = 1 सेमी।
प्रकरण (c) में गैस का निरपेक्ष दाब,
P = Pa + h’ + h’1
58 = 76 + h + 1
h = 58 – 77 = – 19 सेमी।
अतः प्रथम स्तम्भ में पारे का तल दूसरे स्तम्भ की तुलना में 19 सेमी ऊँचा हो जाएगा।

प्रश्न 10.23.
दो पात्रों के आधारों के क्षेत्रफल समान हैं परंतु आकृतियाँ भिन्न – भिन्न हैं। पहले पात्र में दूसरे पात्र की अपेक्षा किसी ऊँचाई तक भरने पर दो गुना जल आता है। क्या दोनों प्रकरणों में पात्रों के आधारों पर आरोपित बल समान हैं। यदि ऐसा है तो भार मापने की मशीन पर रखे एक ही ऊँचाई तक जल से भरे दोनों पात्रों के पाठ्यांक भिन्न – भिन्न क्यों होते है?
उत्तर:
हाँ, दोनों प्रकरणों में पात्रों के आधारों पर आरोपित बल समान है।
माना प्रत्येक पात्र में जल स्तम्भ की ऊँचाई h व आधार का क्षेत्रफल A है।
अतः आधार पर बल = जल स्तम्भ का दाब × क्षेत्रफल
= hpg × A = Ahpg
अत: दोनों पात्रों के आधारों पर समान बल लगेंगे।
भाप मापने वाली मशीन, पात्रों के आधार पर लगने वाले बल को मापने के स्थान पर पात्र तथा जल का भार मापती है।
चूँकि एक पात्र में दूसरे की तुलना में दो गुना जल है। अतः भार मापने की मशीन के पाठ्यांक अलग – अलग होंगे।

प्रश्न 10.24.
रुधिर – आधान के समय किसी शिरा में, जहाँ दाब 2000 Pa है, एक सुई धुंसाई जाती है। रुधिर के पात्र को किस ऊँचाई पर रखा जाना चाहिए ताकि शिरा में रक्त ठीक – ठीक प्रवेश कर सके।
(सम्पूर्ण रुधिर का घनत्व सारणी 10.1 में दिया गया है।)
उत्तर:
दिया है: शिरा में रक्त दाब,
P = 2000 Pa
रक्त का घनत्व ρ = 1.06 × 103 kg m-3
g = 9.8 ms-2
माना कि रक्त के पात्र की सुई से ऊँचाई = h
सूत्र P = hρg से,
h = \(\frac { P }{ \rho g } \)
= \(\frac { 2000 }{ 1.06\times 10^{ 3 }\times 9.8 } \)
= \(\frac { 1000 }{ 106\times 49 } \)
= 0.193 m
या h = 0.2 m

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प्रश्न 10.25.
बर्नूली समीकरण व्युत्पन्न करने में हमने नली में भरे तरल पर किए गए कार्य को तरल की गतिज तथा स्थितिज ऊर्जाओं में परिवर्तन के बराबर माना था।
(a) यदि क्षयकारी बल उपस्थित है, तब नली के अनुदिश तरल में गति करने पर दाब में परिवर्तन किस प्रकार होता है?
(b) क्या तरल का वेग बढ़ने पर क्षयकारी बल अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं? गुणात्मक रूप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
(a) क्षयकारी बल की अनुपस्थिति में बहते हुए द्रव के एकांक आयतन की सम्पूर्ण ऊर्जा स्थिर रहती है लेकिन क्षयकारी बल की उपस्थिति में नली में तरल के प्रवाह को बनाए रखने के लिए क्षयकारी बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। अतः नली के अनुदिश चलने पर तरल का दाब अधिक तीव्रता से घटता जाता है। इसी कारण शहरों में जल की टंकी से बहुत दूरी पर स्थित मकानों की ऊँचाई टंकी से कम होने पर भी जल उनकी ऊपर वाली मंजिल तक नहीं पहुंच पाता है।

(b) हाँ, तरल का वेग बढ़ने पर तरल की अपरूपण दर बढ़ती है। इस प्रकार क्षयकारी श्यान बल और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

प्रश्न 10.26.
(a) यदि किसी धमनी में रुधिर का प्रवाह पटलीय प्रवाह ही बनाए रखना है तो 2 × 10-3 m त्रिज्या की किसी धमनी में रुधिर-प्रवाह की अधिकतम चाल क्या होनी चाहिए?
(b) तदनुरूपी प्रवाह – दर क्या है? (रुधिर की श्यानता 2.084 × 10-3 Pas लीजिए)।
उत्तर:
दिया है: η = 2.084 × 10-3 Pas,
r = 2 × 10-3 मीटर
(a) माना रुधिर प्रवाह की अधिकतम चाल = vmax
सूत्र रेनाल्ड संख्या, Re = \(\frac { \rho vd }{ \eta } \) = \(\frac { \rho v_{ 2r } }{ \eta } \) से,
vmax = \(\frac { \eta (R_{ e })_{ usb } }{ 2\rho r } \)
= \(\frac { 2.084\times 10^{ -3 }\times 2000 }{ 1.06\times 10^{ 3 }\times 2\times 2\times 10^{ -3 } } \) [∴(Re)max = 2000] = 0.98 मीटर/सेकण्ड

(b) माना तद्नुरूपी प्रवाह दर = प्रति सेकण्ड प्रवाहित रक्त = धमनी का अनुप्रस्थ परिच्छेद × रक्त प्रवाह की दर
= \(\frac { \pi r^{ 2 } }{ 4 } \).v
= \(\frac { \pi }{ 4 } \) × ( 2 × 10-3)2 × 0.98
= 3.08 × 10-6 मीटर 3 प्रति सेकण्ड

प्रश्न 10.27.
कोई वायुयान किसी निश्चित ऊँचाई पर किसी नियत चाल से आकाश में उड़ रहा है तथा इसके दोनों पंखों में प्रत्येक का क्षेत्रफल 25 m2 है। यदि वायु की चाल पंख के निचले पृष्ठ पर 180 kmh-1 तथा ऊपरी पृष्ठ पर 234 kmh-1 है, तो वायुयान की संहति ज्ञात कीजिए। (वायु का घनत्व 1kgm-3 लीजिए)।
उत्तर:
माना पंख के ऊपरी व निचले पृष्ठ पर वायु का वेग क्रमश: v1 व v2 है।
v1 = 234 kmh-1 = 234 × \(\frac{5}{18}\)
= 50 ms-1
प्रत्येक पंख का क्षेत्रफल = 25 m2
पंख का कुल क्षेत्रफल,
A = 25 + 25 = 50 m2
अतः बर्नूली प्रमेय से दोनों पंखों के वायु का घनत्व
ρ = 1 kg m-3
पृष्ठों के बीच दाबान्तर,
∆P = \(\frac{1}{2}\) ρ (v12 – v22)
= \(\frac{1}{2}\) × 1 × (652 – 502)
= \(\frac{1}{2}\) (4225 – 2500)
बल, F = ∆P × A = \(\frac{1725}{2}\) × 50N

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प्रश्न 10.28.
मिलिकन तेल बूंद प्रयोग में, 2.0 × 10-5m त्रिज्या तथा 1.2 × 103 kgm-3 घनत्व की किसी बूंद की सीमांत चाल क्या है? प्रयोग के ताप पर वायु की श्यानता 1.8 × 10-5 Pas लीजिए। इस चाल पर बूंद पर श्यान बल कितना है? (वायु के कारण बूंद पर उत्प्लावन बल की उपेक्षा कीजिए)।
उत्तर:
दिया है:
r = 2.0 × 10-5 m,
ρ = 1.2 × 103kgm-3
η = 1.8 × 10-5 Nsm-2,
vT = ?, F = ?
सीमान्त वेग v = \(\frac{2}{9}\) r2 \(\frac { (\rho -\rho _{ 0 })g }{ \eta } \)
चूँकि वायु के कारण बूंद का घनत्व नगण्य है।
वायु के लिए P0 = 0
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img 8
= 5.8 × 10-2 ms-1
= 5.8 cms-1
स्टोक्स के नियम से बिंदु पर सायं बल
F = 6πηrvT
= 6 × 3.142 × (1.8 × 10-5) × ( 2 × 10-5) × (5.8 × 10-2)
= 3.93 × 10-10 N

प्रश्न 10.29.
सोडा काँच के साथ पारे का स्पर्श कोण 140° है। यदि पारे से भरी द्रोणिका में 1.00 mm त्रिज्या की काँच की किसी नली का एक सिरा डुबोया जाता है, तो पारे के बाहरी पृष्ठ के स्तर की तुलना में नली के भीतर पारे का स्तर कितना नीचे चला जाता है? (पारे का घनत्व = 13.6 × 103 kgm-3)
उत्तर:
दिया है: स्पर्श कोण, θ = 140°, r = 1 मिमी = 10-3 मीटर
पृष्ठ तनाव T = 0.465 न्यूटन प्रति मीटर,
पारे का घनत्व ρ = 13.6 × 103 किग्रा प्रति मीटर 3
h = ?
cos θ = cos 140°
= – cos 40°
= – 0.7660
सत्र
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img 9
यहाँ ऋणात्मक चिन्ह को छोड़ने पर यह प्रदर्शित करता है कि बाहर के पारे के स्तम्भ के सापेक्ष नली के स्तम्भ में अवनमन होता है।
अवनमन = 5.34 मिमी।

प्रश्न 10.30.
3.0 mm तथा 6.0 mm व्यास की दो संकीर्ण नलियों को एक साथ जोड़कर दोनों सिरों से खुली एक U – आकार की नली बनाई जाती है। यदि इस नली में जल भरा है, तो इस नली की दोनों भुजाओं में भरे जल के स्तरों में क्या अंतर है। प्रयोग के ताप पर जल का पृष्ठ तनाव 7.3 × 10-2 Nm-1 है। स्पर्श कोण शून्य लीजिए तथा जल का घनत्व 1.0 × 10 3kgm-3 लीजिए। (g = 9.8 ms-2)
उत्तर:
दिया है:
जल का पृष्ठ घनत्व,
T = 7.3 × 10-2 Nm-1
जल का घनत्व ρ = 1 × 103kg m-3
स्पर्श कोण, θ = 0°, g = 9.8 ms-2
माना दो संकीर्ण नलिकाओं के छिद्रों के व्यास D1 व D2 हैं।
अतः D1 = 3.0 mm तथा D2 = 6.0 mm
∴त्रिज्याएँ, r1 = \(\frac { D_{ 1 } }{ 2 } \) = \(\frac{3}{2}\) = 1.5mm
= 1.5mm = 1.5 × 10-3m
तथा
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img 10
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img 10a
= 4.97 mm
= 5.00 मिमी

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प्रश्न 10.31.
(a) यह ज्ञात है कि वायु का घनत्वp ऊँचाई y(मीटरों में) के साथ इस संबंध के अनुसार घटता है –
ρ = ρ0e-y/y0
यहाँ समुद्र तल पर वायु का घनत्व ρ0 = 1.25 kg m-3 तथा Y0, एक नियतांक है। घनत्व में इस परिवर्तन को वायुमंडल का नियम कहते हैं। यह संकल्पना करते हुए कि वायुमंडल का ताप नियत रहता है (समतापी अवस्था) इस नियम को प्राप्त कीजिए। यह भी मानिए किg का मान नियत रहता है।

(b) 1425 m3 आयतन का हीलियम से भरा कोई बड़ा गुब्बारा 400 kg के किसी पेलोड को उठाने के काम में लाया जाता है। यह मानते हुए कि ऊपर उठते समय गुब्बारे की त्रिज्या नियत रहती है, गुब्बारा कितनी अधिकतम ऊँचाई तक ऊपर उठेगा?
[yo = 8000 m तथा ρHe = 0.18 kg m-3 लीजिए।]
उत्तर:
(a) माना कि एक दूसरे से ऊर्ध्वाधर दूरी dy पर दो बिन्दु A व B हैं।
माना Y = बिन्दु A की समुद्र तल से ऊँचाई
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण img 11
(i) P = A पर दाब
dp = A से B तक दाब में परिवर्तन
जैसे – जैसे हम समुद्र तल से ऊँचाई की ओर चलते हैं, दाब तथा घनत्व दोनों ही ऊँचाई के साथ बढ़ते हैं।
p – dp = B पर दाब
माना A तथा B पर घनत्व क्रमशः ρ व ρ – dρ हैं।
अत: A से B तक दाब में कमी = – dp
बल/क्षेत्रफल = \(\frac{mg}{a}\) = \(\frac{mg}{V.a}\) V
= (\(\frac{m}{V}\)) g . \(\frac{a}{a}\) dy
= pgdy ……… (i)
चूँकि ताप नियत रहता है।
∴ P ∝ρ
(∴ बॉयल के नियम से P ∝\(\frac{1}{v}\) ∝ \(\frac { 1 }{ (\frac { M }{ \rho } ) } \) या \(\frac{P}{M}\) ∝ P)
या p = kp ……. (ii)
जहाँ K नियतांक है।
समी० (i) व (ii) से,
– d(kp) = pgdy
या – kdp = pgdy
या \(\frac { d\rho }{ \rho } \) = \(\frac{g}{k}\) dy
या \(\frac { d\rho }{ \rho } \) + \(\frac{g}{k}\) dy = 0 ………. (iii)
समी (iii) का समाकलन करने पर,
\(\int { \frac { d\rho }{ \rho } } \) + \(\int { \frac { g }{ k } } \) dy = C
या logeρ + \(\int { \frac { g }{ k } } \) y = C ……………. (iv)
जहाँ C समाकलन नियतांक है।
माना Y = 0 पर ρ = ρ0
समी० (iv) से, logeρ0 = C ……….. (v)
समी० (iv) व (v) से
(ii) log eρ + \(\int { \frac { g }{ k } } \) y = logeρ0
या logeρ – logeρ0ρ = \(\int { \frac { -g }{ k } } \) y
या loge \(\frac { \rho }{ \rho _{ 0 } } \) = \(\int { \frac { -g }{ k } } \) y
∴\(\frac { \rho }{ \rho _{ 0 } } \) = e-g/k y = e-y/y0
या ρ = ρ0 e -y/y0
या ρ = ρ0e -y/y0
जो कि अभीष्ट नियम है।
दिया है:
Y0 = \(\frac{k}{g}\) नियतांक है।

(b) माना हीलियम का गुब्बारा Y ऊँचाई तक उड़ता है।
गुब्बारे का आयतन, V = 1425 मीटर3
पेलोड = 400 gN
PHe = 0.18 × 1425 = 256.5 kg
लिफ्ट से अलग कुल लोड
= 400 + 256.5 = 656.5 N
माना h ऊँचाई पर वायु का घनत्व p है। साम्यावस्था में, लिफ्ट से अलग किया लोड = He के गुब्बारे का भार
या 656.5g = V × p × g
या
ρ = \(\frac{656.5}{V}\) = \(\frac{656.5}{1425}\)
= 0.461 kg m-3
सूत्र ρ = ρ0e-y/y0 से
0.461 = 1.25e-y/8
e-y/8 = \(\frac{1.25}{0.461}\) = 2.71
\(\frac{y}{8}\) = ln 2.71 = 0.997
या y = 0.997 × 8 = 7.98 km
~ 8 km
यदि ऊँचाई के साथ 8 में परिवर्तन माना जाए तब ऊँचाई लगभग 8.2 किमी० होगी।

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MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 11 मेरे सपनों का भारत

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 11 मेरे सपनों का भारत (निबन्ध, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम)

मेरे सपनों का भारत पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

मेरे सपनों का भारत लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बौद्धिक पुनर्जागरण की प्रक्रिया में किस-किसका योगदान था?
उत्तर:
बौद्धिक पुनर्जागरण की प्रक्रिया में धार्मिक संतों, दार्शनिकों, कवियों, वैज्ञानिकों, खगोलविदों और गणितज्ञों का योगदान था।

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प्रश्न 2.
शिक्षा के क्षेत्र में कौन-कौन से आचार्य प्रसिद्ध हुए हैं? (M.P. 2010)
उत्तर:
शिक्षा के क्षेत्र में कौटिल्य, पाणिनि, जीवक, अभिनव गुप्त और पतंजलि आदि आचार्य प्रसिद्ध हुए हैं।

प्रश्न 3.
स्वतंत्रता के पश्चात् भारत के विकास के लिए किस प्रकार की योजनाएँ बनाई गईं?
उत्तर:
स्वतंत्रता के पश्चात् भारत विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएँ बनाई गईं।

प्रश्न 4.
भारत विकसित देशों की श्रेणी में वैसे आ सकेगा?
उत्तर:
भारत बौद्धिक समाज के रूप में बदलकर ही विकसित देशों की श्रेणी में आ सकेगा।

प्रश्न 5.
भारतीय सेना में कौन-कौन सी स्वदेशी मिसाइलें शामिल की गई हैं?
उत्तर:
भारतीय सेना में ‘पृथ्वी’ और ‘अग्नि’ स्वदेशी मिसाइलें शामिल की गई हैं।

मेरे सपनों का भारत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अतीत में शिक्षा के क्षेत्र में भारत को बहुत उन्नत क्यों कहा गया है?
उत्तर:
अतीत में भारत में तक्षशिला और नालंदा जैसे महान् विश्वविद्यालय थे, जिनमें भारत के अतिरिक्त सुदूर देशों के विद्यार्थी भी भाषा, व्याकरण, दर्शनशास्त्र, औषधि, विज्ञान, सर्जरी, धनुर्विद्या, एकाउंट्स, वाणिज्य, भविष्य-विज्ञान, दस्तावेजीकरण, तंत्रविद्या, संगीत, नृत्य तथा छिपे खजानों की शिक्षा प्राप्त करने आते थे। इसीलिए अतीत में शिक्षा के क्षेत्र में भारत को बहुत उन्नत कहा गया है।

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प्रश्न 2.
शून्य के आविष्कार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (M.P. 2011)
उत्तर:
गणित के क्षेत्र में भारत ने शून्य का आविष्कार किया जिससे गणना करने की दोहरी प्रणाली विकसित हुई। इसी दोहरी प्रणाली पर आधुनिक कंप्यूटर निर्भर हैं। प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने विश्व को गणना सिखाने का श्रेय भारतीयों को दिया। शून्य के आविष्कार से अनेक महत्त्वूपर्ण वैज्ञानिक खोज संभव हो सकीं।

प्रश्न 3.
आर्यभट्ट की क्या देन है? (M.P. 2009, 2012)
उत्तर:
आर्यभट्ट ने हमें बताया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है। उन्होंने रेखागणित के क्षेत्र में वृत्त की परिधि और व्यास के अनुपात को पाई के रूप में परिभाषित किया था और दशमलव के चार अंकों तक इसका शुद्ध मान बतलाया था। इस प्रकार रेखागणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट की महत्त्वपूर्ण देन है। दशमलव पद्धति भी उनकी देन है।

प्रश्न 4.
भारत के आधारभूत ढाँचे के निर्माण के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए?
उत्तर:
भारत ने आधारभूत ढाँचे के निर्माण के लिए महत्त्वपूर्ण उद्योगों की स्थापना की। अनुसंधान व विकास और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थानों की स्थापना की। इनका नेतृत्व योग्य व्यक्तियों के हाथों में दिया गया।

प्रश्न 5.
“स्वतंत्रता से पूर्व भी भारतीयों ने विश्वस्तरीय उपलब्धियाँ प्राप्त की थीं।” इस कथन का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए। (M.P. 2012)
उत्तर:
इस कथन का तात्पर्य है कि स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व भी भारत में प्रत्येक क्षेत्र से जुड़े प्रतिभाशाली वैज्ञानिक, कवि, दार्शनिक, इंजीनियर, चिकित्सक आदि थे। वैज्ञानिकों ने अपनी खोजों के द्वारा विदेशों में भारत का नाम रोशन किया। टैगोर ने साहित्य के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। सी.वी. रमन, के.एस. कृष्णन को उनकी वैज्ञानिक खोजों के लिए ‘सर’ उपाधि से सम्मानित किया गया। दार्शनिक क्षेत्र में स्वामी विवेकानंद ने अपने व्याख्यानों से विश्व के लोगों को प्रभावित किया।

प्रश्न 6.
अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक बाजार में भारतीय सॉफ़्टवेयर की अच्छी साखक्यों है?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक बाजार में भारतीय सॉफ्टवेयर की अच्छी साख है, क्योंकि इस क्षेत्र में सक्रिय भारतीय इंजीनियरों ने अपनी कुशलता का परिचय दिया है। हमारा कुशल- जन-संसाधन विश्व में सर्वोपरि है। इसमें युवा उद्यमियों का कुशल प्रबंधन प्रशंसनीय है।

प्रश्न 7.
सही जोड़ियाँ बनाइए –
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 11 मेरे सपनों का भारत img-1
उत्तर:

  1. (ग)
  2. (ङ)
  3. (क)
  4. (ख)
  5. (घ)।

मेरे सपनों का भारत भाव-विस्तार/पल्लवन

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प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्ति का भाव-विस्तार कीजिए- “विश्व एक बौद्धिक समाज में परिवर्तित हो रहा है।”
उत्तर:
21वीं शताब्दी ज्ञान युग और बौद्धिक युग से सम्बन्धित है। जहाँ ज्ञान की प्राप्ति, उपलब्धि और प्रयोग को महत्त्वपूर्ण संसाधन माना जाता है। आज संसार में प्रत्येक व्यक्ति विविध विषयों का ज्ञान अर्जित करना चाहता है। ज्ञान बुद्धि का विषय है। इसीलिए समाज के लिए अपना बौद्धिक विकास करने में संलग्न है और विश्व एक बौद्धिक समाज में परिवर्तित हो रहा है। जहाँ अज्ञान और अंधविश्वास के लिए कोई स्थान नहीं है।

मेरे सपनों का भारत भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का समास-विग्रह करते हुए उनके नाम भी लिखिए –
विश्वविद्यालय, दर्शनशास्त्र, औषधि विज्ञान, तंत्र विद्या, आधारशिला।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 11 मेरे सपनों का भारत img-2

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए –

  1. हम इसका श्रेय भारतीयों को देते हैं, जिन्होंने हमें गणना करना सिखाया। (सरल वाक्य में)
  2. भारत ने महत्त्वपूर्ण उद्योगों की स्थापना और आधारभूत ढाँचे के निर्माण को प्रेरित किया। (मिश्र वाक्य में)
  3. बालक रो-रोकर चुप हो गया। (संयुक्तं वाक्य में)

उत्तर:

  1. हमें गणना करना सिखाने का श्रेय भारतीयों को देना चाहिए।
  2. जब भारत ने महत्त्वपूर्ण उद्योगों की स्थापना की, तब उसने आधारभूत ढाँचे का भी निर्माण किया।
  3. बालकं रो रहा था और वह रोकर चुप हो गया।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अशुद्ध वाक्य को शुद्ध रूप में लिखिए –

  1. खिड़की खुलने से प्रकाश आएगा।
  2. तुम तुम्हारे घर जाओ।
  3. हमारे को अपनी उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए।

उत्तर:

  1. खिड़की खुलने से प्रकाश आता है।
  2. तुम अपने घर जाओ।
  3. हमें अपनी उपलब्धि पर गर्व करना चाहिए।

मेरे सपनों का भारत योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
भारत ने शून्य का आविष्कार किया, ऐसे ही भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में और क्या-क्या उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं? सूची बनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
भारतीय मिसाइल का मॉडल तैयार कर उसका प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 3.
आपके सपनों में भारत कैसा है, विषय पर परिचर्चा का आयोजन कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
गाँव/शहर का विकास ही भारत का विकास है, अतः आप अपने गाँव/शहर के विकास के लिए स्वयं क्या करना चाहते हैं, लेखबद्ध करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

मेरे सपनों का भारत परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न –

प्रश्न 1.
विश्व को शून्य की देन ……….. है।
(क) इंग्लैंड की
(ख) अमेरिका की
(ग) जापान की
(घ) भारत की
उत्तर:
(घ) भारत की।

प्रश्न 2.
रामानुजम प्रसिद्ध ……….. थे।
(क) वैज्ञानिक
(ख) गणितज्ञ
(ग) दार्शनिक
(घ) शिक्षा शास्त्री
उत्तर:
(ख) गणितज्ञ।

प्रश्न 3.
भारत ने ………… का आविष्कार किया।
(क) दशमलव प्रणाली
(ख) कंप्यूटर
(ग) शिक्षा प्रणाली
(घ) मिसाइल प्रणाली
उत्तर:
(क) दशमलव प्रणाली।

प्रश्न 4.
‘हम इसका श्रेय भारतीयों को देते हैं’ किसने कहा?
(क) अल्बर्ट आइंस्टाइन ने
(ख) अल्बर्ट डिसूजा ने
(ग) अल्बर्ट मारकोनी ने
(घ) सी.वी. रमन ने
उत्तर:
(क) अल्बर्ट आइंस्टाइन ने।

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प्रश्न 5.
वृत्त की परिधि और व्यास के अनुपात को पाई के रूप में ……….. परिभाषित किया।
(क) आर्यभट्ट ने
(ख) भास्कराचार्य ने
(ग) मिहिर वराह ने
घ) नागार्जुन ने
उत्तर:
(क) आर्यभट्ट ने।

प्रश्न 6.
भारतीय सेना में शामिल की जा चुकी मिसाइलें हैं –
(क) सूर्य और आकाश
(ख) पृथ्वी और अग्नि
(ग) क्रूज और नाग
(घ) गौरी और हल्फ
उत्तर:
(ख) पृथ्वी और अग्नि।

प्रश्न 7.
विश्व किस समाज में परिवर्तित हो रहा है –
(क) बौद्धिक
(ख) धार्मिक
(ग) वैज्ञानिक
(घ) आध्यात्मिक
उत्तर:
(क) बौद्धिक।

प्रश्न 8.
‘मेरे सपनों का भारत’ के लेखक हैं……….। (M.P. 2012)
(क) अब्दुल कलाम आजाद
(ख) डॉ. अब्दुल कलाम
(ग) अब्दुल कादिर
(घ) अब्दुल रहमान
उत्तर:
(ख) डॉ. अब्दुल कलाम।

प्रश्न 9.
सुश्रुत ने कब जटिल शल्य क्रिया की थी?
(क) 15,000 वर्ष पहले
(ख) 1,000 वर्ष पहले
(ग) 2,500 वर्ष पहले
(घ) 2,000 वर्ष पहले
उत्तर:
(ग) 2,500 वर्ष पहले।

II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर कीजिए –

  1. भारत पिछली शताब्दी में एक ………. राष्ट्र था। (प्रबल उन्नत)
  2. भारत ने ………. का आविष्कार किया। (गुरुत्वाकर्षण/शून्य)
  3. इक्कीसवीं सदी ………. से संबंधित है। (बौद्धिक युग/धार्मिक युग)
  4. स्वतंत्रता के बाद भारत ने ………. शुरू की। (पंचवर्षीय योजना/राजनीतिक योजना)
  5. 70 के दशक में पहले ………. क्रान्ति के परिणाम देखने को मिले। (समग्र/हरित)

उत्तर:

  1. उन्नत
  2. शून्य
  3. बौद्धिक युग
  4. पंचवर्षीय योजना
  5. हरित।

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III. निम्नलिखित कथनों में सत्य असत्य छाँटिए –

  1. ‘मेरे सपनों का भारत’ निबंध के लेखक पंडित नेहरू हैं।
  2. हमें अपने उल्लेखनीय उपलब्धियों पर गर्व होना चाहिए।
  3. भारतीय सेना में ‘पृथ्वी’ और ‘अग्नि’ को शामिल किया गया।
  4. परमाणु ऊर्जा उत्पत्ति तथा अस्त्र विकास में हमारी उपलब्धियाँ विकसित विश्व के मुकाबले की नहीं हैं।
  5. विश्व एक बौद्धिक समाज में परिवर्तित हो रहा है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए – (M.P. 2009)

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 11 मेरे सपनों का भारत img-3
उत्तर:

(i) (ङ)
(ii) (ग)
(iii) (घ)
(iv) (ख)
(v) (क)।

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
किस दशक में पहले हरित क्रांति के परिणाम देखने को मिले?
उत्तर:
70 के दशक में।

प्रश्न 2.
भारत किस अवसर का लाभ एक विकसित देश बनने के लिए उठा सकता हैं।
उत्तर:
दो दशकों के भीतर का।

प्रश्न 3.
भास्कराचार्य ने किस सिद्धान्त की स्थापना की?
उत्तर:
‘सूर्य-सिद्धान्त’ की।

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प्रश्न 4.
‘सूर्य सिद्धान्त’ में भास्कराचार्य ने किसके नियम को पहचाना था?
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण के नियम को।

प्रश्न 5.
शिक्षकों के पैनल में कौन-कौन से प्रसिद्ध आचार्य थे?
उत्तर:
कौटिल्य, पाणिनि, जीवक, अभिनव गुप्त और पतंजति।

मेरे सपनों का भारत लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अतीत में भारत के दो महान् विश्वविद्यालय कौन-कौन से थे? (M.P. 2012)
उत्तर:
अतीत में भारत में तक्षशिला. और नालंदा दो महान् विश्वविद्यालय थे।

प्रश्न 2.
2500 वर्ष पहले किस चिकित्सक ने जटिलशल्य क्रियाएँ की थीं?
उत्तर:
2500 वर्ष पहले सुश्रुत ने जटिलशल्य क्रियाएँ की थीं।

प्रश्न 3.
आज़ादी से पूर्व के प्रसिद्ध कवि कौन थे?
उत्तर:
आज़ादी से पूर्व रवींद्रनाथ टैगोर प्रसिद्ध कवि थे।

प्रश्न 4.
ऑपरेशन फ्लड से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ऑपरेशन फ्लड से तात्पर्य है-दूध उत्पादन में क्रांति होना।

प्रश्न 5.
पी.एस.एल.वी. सी.-5 की सातवीं सफल उड़ान ने क्या प्रदर्शिताकिया?
उत्तर:
उपग्रह को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने की स्वदेशी योग्यता को।

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प्रश्न 6.
आर्यभट्ट कौन थे?
उत्तर:
आर्यभट्ट एक महान भारतीय वैज्ञानिक थे। उन्होंने किसी वृत्त की परिधि और व्यास के अनुपातको पाई के रूप में परिवर्तित किया था।

प्रश्न 7.
लेखक ने शल्य-क्रिया के क्षेत्र में किसका नाम लिया है?
उत्तर:
लेखक ने शल्य-क्रिया के क्षेत्र में सुश्रुत का नाम लिया है।

प्रश्न 8.
स्वतंत्रता के बाद भारत ने क्या शुरू की?
उत्तर:
पहली पंचवर्षीय योजना।

मेरे सपनों का भारत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हरित क्रांति से क्या लाभ हुआ?
उत्तर:
कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति के कारण भारत खाद्यान्नों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना। खाद्यान्नों के आयात पर उसकी निर्भरता समाप्त हो गई।

प्रश्न 2.
अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने क्या प्रगति की?
उत्तर:
अंतरिक्ष-विज्ञान के क्षेत्र में हर प्रकार उपग्रह डिजाइन तथा विकसित करने और उन्हें अपने प्रक्षेपण यानों द्वारा अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने के साथ ही स्वदेशी तकनीक विकसित करने की योग्यता प्राप्त कर ली है।

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प्रश्न 3.
मिसाइल क्षेत्र में भारत की क्या उपलब्धि है?
उत्तर:
मिसाइल के क्षेत्र में भारत ने किसी भी प्रकार की मिसाइल या मुखाग्र को डिजाइन करने, विकसित करने तथा उसे उत्पादित करने की स्वदेशी क्षमता प्राप्त कर ली है।

प्रश्न 4.
आजादी से पहले हमारे पास विस-किस क्षेत्र के कौन-कौन-से लोग जुड़े हुए थे?
उत्तर:
आजादी से पहले हमारे पास विश्वस्तरीय वैज्ञानिक, कवि, दार्शनिक, इंजीनियर, चिकित्सक और लगभग हरेक क्षेत्र से लोग जुड़े हुए थे। हमारे पास एस. एन. बोस, मेघनाद साहा, जे.सी. बोस., सर सी.वी. रमन, सर के.एस. कृष्णन, होमी जहाँगीर भाभा, विक्रम साराभाई, वी.एस. राय जैसे वैज्ञानिक, रामानुजम् जैसे गणितज्ञ, रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे कवि, विवेकानंद जैसे दार्शनिक जुड़े हुए थे।

प्रश्न 5.
व्यावसायिक बाजार में भारत किस प्रकार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है?
उत्तर:
हमारा कुशल जन-संसाधन संसार में सबसे इच्छित संसाधनों में से एक है। यह विकसित संसार के आर्थिक विकास में भारतीय वैज्ञानिकों और उद्यमियों के बड़े योगदान से स्पष्ट है। इसके अलावा अपनी जनसंख्या और शिक्षित जनशक्ति की उपलब्धता के कारण भारत तुरन्त बौद्धिक कर्मियों की विशाल संख्या कर सकने में सक्षम है। ऐसा कर सकने में बहुत कम विकसित देश सक्षम हैं।

मेरे सपनों का भारत लेखक-परिचय

प्रश्न 1.
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का संक्षिप्त जीवन-परिचय और साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
भारतरत्न और भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम का जन्म सन् 1931 में तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले के धनुष कोटि नगर के एक साधारण परिवार में हुआ। उनका पूरा नाम डॉ. चंबुल पाकिर जैनुल आवदीन अब्दुल कलाम था। उनका जीवन सादगी की अनूठी मिसाल था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम में हुई। उच्चशिक्षा के लिए आप तिरुचिरापल्ली चले गए और वहाँ के सेंट जोसफल कॉलेज में उच्च शिक्षा प्राप्त की।

ईश्वर में आपकी पूर्ण आस्था थी। आप सच्चे धर्मनिरपेक्ष थे। आप जिस प्रकार कुरान का पाठ करते थे, उसी प्रकार गीता के दर्शन में भी आपकी आस्था थी। उनका कहना था कि जब में विज्ञान विपय से संबंधित अनेक सूक्ष्म कणों से मिलकर बने कणों का अध्ययन करता था, तो उससे प्रभु की सत्ता में मेरा विश्वास और भी दृढ़ हो जाता।

आपकी परिकल्पना थी कि सन् 2020 तक भारत विकसित राष्ट्र बने। इस कल्पना को साकार करने के लिए आपने विज्ञान के क्षेत्र में गहन अनुसंधान किया तथा देश को उपग्रह प्रणाली में आत्मनिर्भर बनाया। सर्वप्रथम मिसाइल कार्यक्रम को भारत में एक पहचान दी। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइलमैन’ भी कहा जाता है। आपके प्रयासों से भारतीय सेना को पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइलों से सुसज्जित किया गया है तथा अनेक मिसाइलों के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। डॉ. कलाम ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भी अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। इन्हीं विशिष्ट उपलब्धियों एवं वैज्ञानिक परिकल्पना के लिए उनको राष्ट्र का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत-रत्न’ प्रदान किया गया। 28 जुलाई, 2015 को इनका निधन हो गया।

साहित्यिक उपलब्धियाँ:
विज्ञान के अतिरिक्त साहित्य के क्षेत्र में डॉ. कलाम ने उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। आपकी रचनात्मक प्रतिभा का लाभ साहित्य जगत् को भी मिलता रहा है। आपके बहुमूल्य विचार, कल्पना शक्ति एवं दूर-दृष्टि आपकी बहुमूल्य रचनाओं में भी झलकती हैं। आपमें देश के भावी कर्णधारों को सँवारने की अद्वितीय परिकल्पनाएँ थीं।

रचनाएँ:
मेरे सपनों का भारत।

महत्त्व:
आप बच्चों को राष्ट्र की धरोहर मानते थे। आप भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति पद पर आसीन थे। आप वैज्ञानिक क्षेत्र के साथ-साथ शिक्षण और साहित्य-सृजन में भी संलग्न थे।

मेरे सपनों का भारत पाठ का सारांश

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प्रश्न 1.
डॉ. अब्दुल कलाम के द्वारा रचित ‘मेरे सपनों का भारत’ लेख का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘मेरे सपनों का भारत’ पाठ के रचयिता डॉ. अब्दुल कलाम हैं। इसमें लेखक ने भारत जैसे विकासशील देश के लिए एक बौद्धिक समाज के रूप में विकसित होने और स्वयं को एक बौद्धिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तित होने के तरीकों व उपायों पर विचार किया है। लेखक का कहना है कि भारतीय सभ्यता की प्रभावशाली उपलब्धियों को देखने पर स्पष्ट हो जाता है कि विगत सहस्राब्दी में भारत एक उन्नत समाज था। यहाँ धार्मिक संतों, दार्शनिकों, कवियों, वैज्ञानिकों, खगोलविदों और गणितज्ञों के प्रेरक योगदानों से बौद्धिक पुनर्जागरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रही है। उनके मौलिक विचारों, सिद्धांतों और व्यवहारों ने बौद्धिक समाजका ठोस आधारशिला रखी।

तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय जिनमें अन्य देशों के विद्यार्थी भी अनेक विषयों की शिक्षा ग्रहण करने आते थे। इस बात के प्रमाण हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत बहुत उन्नत था। कौटिल्य, पाणिर्णाने, जीवक, अभिनव गुप्त तथा पतंजलि जैसे योग्य शिक्षाविद् थे। गणित के क्षेत्र में भारतीयों ने विश्व को शून्य और दशमलव पद्धति दी, जिसक कारण वर्तमान कम्प्यूटर और महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज संभव हो सकी। यूकलिड से बहुत पहले भारत में ज्यामिति’ के नाम से रेखागणित का प्रयोग किया जाता था। आर्यभट्ट ने किसी वृत्त की परिधि और अनुपात को पाई के रूप में परिभाषित किया था और दशमलव के चार अंकों तक शुद्ध मान बतलाया था।

इसी प्रकार भास्कराचार्य ने सूर्य सिद्धांत की स्थापना की। उन्होंने बताया था। कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है। भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण को पहचाना था। चरक ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को दिया, तो सुश्रुत ने जटिल शल्य क्रियाएँ की थीं। हमें अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों पर गर्व है। भारत में आजादी से पूर्व भी भारत में एस.एन. बोस, मेघनाथ साहा, जे.सी. बोस, सर सी.वी. रमन, सर के.एस. कृष्णन, होमी जहाँगीर भाभा, विक्रम सारा भाई जैसे वैज्ञानिक, रामानुजम जैसे गणितज्ञ, रवींद्रनाथ जैसे कवि, विवेकानंद जैसे दार्शनिक थे।

स्वतंत्रता के बाद भारत में पंचवर्षीय योजना प्रारंभ की गई। उद्योगों के लिए आधारभूत ढाँचा बना। 1970 में हरित क्रांति हुई। देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बना। ऑपरेशन फ्लड के द्वारा देश विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में काफी विकास हुआ। भारत ने उपग्रह डिजाइन तथा विकसित करने, अपनी धरती से प्रक्षेपण यानों द्वारा कक्षा में प्रक्षेपित करने की क्षमता प्राप्त की। इसी प्रकार मिसाइल या मुखाग्र को डिजाइन करने की क्षमता प्राप्त की है। भारतीय सेना में पृथ्वी और अग्नि को शामिल किया जाना स्वदेशी क्षमता का ही प्रमाण है।

परमाणु ऊर्जा उत्पत्ति तथा अस्त्र विकास में हम विश्व के समकक्ष हैं। भारतीय सॉफ्टवेयर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय वैज्ञानिकों व उद्यमियों ने विश्व आर्थिक व्यवस्था में बड़ा महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत तुरंत बौद्धिक कर्मियों की विशाल संख्या तैयार करने में सक्षम है। आज विश्व बौद्धिक समाज में बदल रहा है, जहाँ समन्वित ज्ञान-शक्ति तथा धन का स्रोत होगा। अतः भारत को विकसित देश बनने के लिए अवसर का लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए यह जानना आवश्यक है कि हम प्रतिस्पर्धात्मकता के मामले में कहाँ हैं, जो यह एक बौद्धिक शक्ति बनने के लिए आवश्यक है।

मेरे सपनों का भारत संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
भारतीय सभ्यता की प्रभावशाली उपलब्धियों को देखने पर यह विश्वास प्रबल हो जाता है कि भारत पिछली सहस्राब्दी में एक उन्नत समाज था। कई धर्मों के संतों, दार्शनिकों, कवियों, वैज्ञानिकों, खगोलविदों और गणितज्ञों के प्रेरक योगदानों के द्वारा बौद्धिक पुनर्जागरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रही। उनके भए तथा मौलिक विचारोंसिद्धांतों और व्यवहारों ने हमारे अपने बौद्धिक समाज के लिए एक ठोस आधार प्रदान किया। (Page 49)

शब्दार्थ:

  • प्रबल – दृढ़।
  • सहस्राब्दी – हजारों वर्ष।
  • उपलब्धियों – प्राप्तियों।
  • बौद्धिक – बुद्धि से संबंधित।
  • पुनर्जागरण – फिर जागृत होने की प्रक्रिया।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा लिखित लेख ‘मेरे सपनों का भारत’ से लिया गया है। लेखक प्राचीन भारत की उपलब्धियों के आधार पर बौद्धिक पुनर्जागरण की प्रक्रिया के निरंतर चलते रहने की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

व्याख्या:
भारत विगत एक हजार वर्षों के दौरान एक उन्नत समाज था, यह बात प्राचीन भारतीय सभ्यता की विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावशाली देनों को देखने से प्रमाणित हो जाता है। यह विश्वास भी दृढ़ हो जाता है कि भारत एक प्रगतिशील देश था। भारत में प्रचलित विभिन्न धर्मों के साधु-सं, ऋषि-महर्षियों, दर्शन-शास्त्र के तत्त्ववेत्ताओं, कवियों, वैज्ञानिकों, आकाशमंडल के ग्रह-नक्षत्रों के जानकारों और गणित के विद्वानों के प्रेरित करने वाले योगदानों के द्वारा बुद्धि संबंधी पुनजागरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती थी। इससे फिर जागृत होने की प्रक्रिया में कभी बाधा उत्पन्न नहीं होती थी। उनके नवीन और मौलिक विचारों, सिद्धांतों और व्यवहारों ने हमारे अधुिनिक बौद्धिक समाज के लिए ठोस आधार प्रदान किया है।

विशेष:

  1. लेखक ने प्राचीन भारत की उपलब्धियों को प्रेरक बताया है। यह भी बताया है कि उस काल में बौद्धिक पुनजांगरण की निरंतर चलने वाली प्रक्रिया ने समाज को ठोस आधार प्रदान किया है।
  2. भाषा तत्सम शब्दावली युक्त है।
  3. विचारात्मक शैली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
भारत एक उन्नत समाज था, यह कैसे प्रमाणित होता है?
उत्तर:
भारतीय सभ्यता की विगत एक हजार वर्षों की प्रभावशाली उपलब्धियों को देखने पर यह बात प्रमाणित हो जाती है कि भारत एक उन्नत समाज था।

प्रश्न (ii)
प्राचीन काल में समाज को ठोस आधार किसने प्रदान किया है?
उत्तर:
प्राचीन काल में बौद्धिक पुनर्जागरण की निरंतर चलने वाली प्रक्रिया ने समाज को ठोस आधार प्रदान किया है।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने किस ओर ध्यान आकर्षित किया है?
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने प्राचीन भारत की उपलब्धियों और निरंतर चलने वाली बौद्धिक प्रक्रिया की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

प्रश्न (ii)
किन लोगों के योगदान से पुनर्जागरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रही?
उत्तर:
धार्मिक संतों, दार्शनिकों, कवियों, वैज्ञानिकों, खगोलविदों और गणितज्ञों के प्रेरक योगदानों से भारत में पुनर्जागरण की प्रक्रिया निरंतर चलती रही।

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प्रश्न 2.
भारत ने शून्य का आविष्कार किया, जिसने गणना की दोहरी प्रणाली की आधारशिला रखी, जिस पर वर्तमान कंप्यूटर निर्भर हैं। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा था, “हम इसका श्रेय भारतीयों को देते हैं, जिन्होंने हमें गणना करना सिखाया, जिसके बिना कोई भी महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज नहीं की जा सकती थी।” इसी प्रकार, भारत ने दशमलवे पद्धति (डेसिमल सिस्म) का आविष्कार किया। यूकलिड से काफी पहले भारत में ज्यामिति के नाम से रेखागणित का प्रयोग किया जाता था। आर्यभट्ट ने किसी वृत्त की परिधि और व्यास के अनुपात को पाई के रूप में परिभाषित किया था और दशमलव के चार अंकों तक इसका शुद्ध मान बतलाया था। (Page 50)

शब्दार्थ:

  • शून्य – जीरो।
  • आविष्कार-खोजगणना – गिनने की प्रक्रिया आधारशिलानींव का रह पत्थर, जिसके ऊपर मकान की दीवार बनाई जाती है।

प्रसंग:
प्नत गद्यांश डॉ. अब्दुल कलाम द्वारा लिखित लेख ‘मेरे सपनों के भारत’ में लिया गया है। खक प्राचीन भारत के गणित के क्षेत्र में योगदान का उल्लेख किया है।

व्याख्या:
लेखक कहता है कि गणित के क्षेत्र में भारत का महत्त्वपूर्ण योगदान है। इस क्षेत्र में भारत ने शून्य (जीरो) का आविष्कार किया, जिसने गिनती करने की दोहरी पद्धति की नींव रखी। गणना की इसी दोहरी पद्धति पर वर्तमान कंप्यूटर आश्रित है। आधुनिक कंप्यूटर दोहरी प्रणाली से ही संचालित है। सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टाइन ने जीरो के आविष्कार का श्रेय भारतीयों को देते हुए कहा कि भारतीयों ने ही हमें गिनती करना सिखाया। विश्व के लिए उनका यह बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। समुचित गणना के अभाव में कोई भी महत्त्वपूर्ण खोज नहीं की जा सकती थी; अर्थात् गणित के क्षेत्र में भारतीयों द्वारा शून्य की विश्व को देन के पश्चात् ही महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज और आविष्कार संभव हो सके हैं।

दशमलव प्रणाली भी विश्व को भारतीयों की ही देन है। इतना ही नहीं यूकलिड से बहुत पहले भारत में ज्यामिति के नाम से रेखागणित का प्रयोग किया जाता था। दूसरे शब्दों में, यूकलिड से पहले ही भारतीयों ने रेखागणित का आविष्कार कर लिया था। आर्यभट्ट ने वृत्त की परिधि और व्यास के अनुपात को पाई के रूप में परिभाषित किया था। इसके साथ ही दशमलव के चार अंकों तक इसका शुद्ध मान निकालकर बताया था।

विशेष:

  1. गणित के क्षेत्र में भारतीयों की उपलब्धियों और विश्व में उनके – योगदान के महत्त्व को स्पष्ट किया गया है।
  2. भाषा तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है।
  3. गणित की पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
  4. शैली वर्णनात्मक है।

मयांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्राचीन भारत की गणित के क्षेत्र में विश्व को क्या देन है?
उत्तर:
प्राचीन भारत की गणित के क्षेत्र में विश्व को महत्त्वपूर्ण देन है-शून्य (जीरो)। इस देन से गिनती करने की दोहरी पद्धति की नींव पड़ी, जिससे अनेक वैज्ञानिक आविष्कार संभव हो सके।

प्रश्न (ii)
भारत में यूकलिड से पूर्व किस नाम से रेखागणित का प्रयोग होता था।
उत्तर:
यूकलिड से पूर्व ही भारत में ‘ज्यामिति’ के नाम से रेखागणित का प्रयोग होता था।

प्रश्न (iii)
अल्बर्ट आइंस्टाइन ने भारतीयों को किस बात का श्रेय दिया?
उत्तर:
अल्बर्ट आइंस्टाइन ने भारतीयों को विश्व को गणना सिखाने का श्रेय दिया।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
गणित के क्षेत्र में जीरो के अतिरिक्त भारतीयों ने क्या आविष्कार किया?
उत्तर:
गणित के क्षेत्र में जीरो के अतिरिक्त भारतीयों के दशमलव पद्धति का आविष्कार किया। आधुनिक दशमलव पद्धति विश्व को भारतीयों की ही देन है।

प्रश्न (ii)
आर्यभट्ट ने पाई के रूप में किसे परिभाषित किया था?
उत्तर:
आर्यभट्ट ने किसी वृत्त की परिधि और व्यास के अनुपात को पाई के रूप में परिभाषित किया था।

प्रश्न 3.
ऐसा नहीं है कि उल्लेखनीय उपलब्धियाँ केवल हमारे अतीत तक सीमित हैं। भारत की आजादी से पहले, हमारे पास विश्व स्तरीय वैज्ञानिक, कवि, दार्शनिक, इंजीनियर, चिकित्सक और लगभग प्रत्येक क्षेत्र से जुड़े लोग थे। हमारे पास एस.एन. बोस, मेघनाद साहा, जे.सी. बोस, सर सी.वी. रमन, सर के.एस. कृष्णन, होमी जहाँगीर भाभा, विक्रम साराभाई, बी.सी. राय जैसे वैज्ञानिक, रामानुजम जैसे गणितज्ञ; रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे कवि; विवेकानंद जैसे दार्शनिक संत रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद के काल में भी उतनी ही महान् उपलब्धियाँ देखने को मिली हैं। (Page 50)

शब्दार्थ:

  • आजादी – स्वतंत्रता।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश डॉ. अब्दुल कलाम द्वारा लिखित लेख ‘मेरे सपनों का भारत’ से लिया गया है। इस गद्यांश में लेखक अतीत की उपलब्धियों की चर्चा करने के पश्चात् स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व के विद्वानों की चर्चा किया है।

व्याख्या:
लेखक का कहना है कि ऐसा नहीं है कि भारत ने केवल अतीत (प्राचीनकाल) में ही विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हों, अपितु भारत में स्वतत्रता प्राप्ति से पहले भी विश्व-स्तरीय अर्थात् उच्चकोटि के वैज्ञानिक, कवि, दार्शनिक, इंजीनियर, डॉक्टर और लगभग प्रत्येक क्षेत्र के जुड़े लोग थे।

हमारे देश में एस.एन बोस, मेघनाद साहा, जे.सी. बोस, सर सी.वी. रमन, सर के.एस. कृष्णन, होमी जहाँगीर भाभा, विक्रम साराभाई और बी.सी. राय जैसे योग्य वैज्ञानिक, गणित के क्षेत्र में रामानुजम जैसे गणितज्ञ, साहित्य के क्षेत्र में रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान् कवि और आध्यात्मिक संसार में विवेकानंद जैसे संत रहे हैं। हमारे देश में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के समय में भी उतनी ही योग्य और उच्चकोटि की महान् प्राप्तियाँ देखने को मिली हैं। इस प्रकार हमारे देश ने अतीत में, स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले और बाद में वैज्ञानिक, दार्शनिक, साहित्यिक, इंजीनियरिंग, गणित आदि सभी क्षेत्रों में महान् उपलब्धियाँ अर्जित की हैं।

विशेष:

  1. स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महान् लोगों की गणना करवाई गई है।
  2. भाषा सरल, सुबोध खड़ी बोली है।
  3. वर्णनात्मक शैली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
आजादी से पहले भारत के पास कौन-सा विश्व स्तर कवि रहा है?
उत्तर:
आज़ादी से पहले भारत के पास कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसा विश्वस्तरीय कवि रहा है।

प्रश्न (ii)
स्वतंत्रता से पहले भारत में कौन-कौन से क्षेत्रों से जुड़े उच्चकोटि के लोग रहे हैं?
उत्तर:
स्वतत्रता प्राप्ति से पहले भारत में वैज्ञानिक, कवि, दार्शनिक, इंजीनियर, डॉक्टर आदि प्रत्येक क्षेत्र से जुड़े विश्वस्तरीय लोग रहे हैं।

प्रश्न (iii)
लेखक ने गणित के क्षेत्र में किस गणितज्ञ का नाम लिया है?
उत्तर:
लेखक ने गणित के क्षेत्र में सुप्रसिद्ध गणितज्ञ रामानुजम का नाम लिया है।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
लेखक ने प्रस्तुत गद्यांश में किस काल की चर्चा की है?
उत्तर:
लेखक ने प्रस्तुत गद्यांश में स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व काल की चर्चा की है।

प्रश्न (ii)
लेखक ने किन वैज्ञानिकों के नाम गिनाए हैं, जिनका स्वतंत्रता पूर्व और स्वतंत्रता के बाद महान् उपलब्धियों में योगदान रहा है?
उत्तर:
होमी जहाँगीर भाभा, विक्रम सारा भाई, और बी.सी. राय जैसे वैज्ञानिकों की स्वतंत्रता पूर्व और स्वतंत्रता के बाद भी महान वैज्ञानिक उपलब्धियों में योगदान रहा है।

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प्रश्न 4.
स्वतंत्रता के बाद भारत ने अपनी पहली पंचवर्षीय योजना शुरू की। इसने महत्त्वपूर्ण उद्योगों की स्थापना और आधारभूत ढाँचे के निर्माण को प्रेरित किया। ’70 के दशक में पहले हरित क्रांति के परिणाम देखने को मिले, जिसने भारत को खाद्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया। ऑपरेशन फ्लड ने भारत को निश्चित समयावधि में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बनाया। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में भी काफी विकास देखने को मिला और कई अनुसंधान व विकास और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थानों की स्थापना हुई, जिनका नेतृत्व विभिन्न क्षेत्रों के योग्य नेता कर रहे थे। इसने उच्च प्रौद्योगिकी मिशनों के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया। (Page 50)

शब्दार्थ:

  • पंचवर्षीय – पाँच वर्ष की।
  • निर्माण – बनाने की प्रक्रिया।
  • प्रेरित – प्रेरणा देना।
  • प्रौद्योगिकी – किसी विशेष क्षेत्र या व्यवसाय-संबंधी तकनीक।
  • अनुसंधान – अन्वेषण, जाँच-पड़ताल द्वारा वस्तुस्थिति का पता लगाना।
  • मिशन – लक्ष्य।
  • मजबूत – दृढ़ आधार-नींव।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश डॉ. अब्दुल कलाम द्वारा लिखित लेख ‘मेरे सपनों का भारत’ से लिया गया है। लेखक स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अर्जित की गई उपलब्धियों का वर्णन किया है।

व्याख्या:
लेखक का कहना है कि भारत ने 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त की। उसके बाद भारत ने अपने चहुंमुखी विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएँ शुरू की। भारत में स्वतंत्रता के बाद पहली पाँच साल की योजना आरंभ की गई। पहली पंचवर्षीय योजना में महत्त्वपूर्ण जनोपयोगी माल या सामान बनाने के लिए कल-कारखानों की स्थापना और उनके विकास के लिए मुख्य नींव के रूप में ढाँचा खड़ा करने के लिए प्रेरित किया गया। दूसरे शब्दों में, इस पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत देश के औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत ढाँचा तैयार किया गया।

1970 के दशक (दस वर्षों) में सबसे पहले कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति के परिणाम सामने आए। इस हरित क्रांति ने देश को खाद्यान्नों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया। इसके बाद ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम के अंतर्गत भारत एक निश्चित समय सीमा में विश्व का सबसे बड़ा उत्पादन करने वाला देश बना। विज्ञान और तकनीकी में भी इस अवधि में पर्याप्त बड़ा दूध उत्पादन करने वाला देश बना। विज्ञान और तकनीकी में भी इस अवधि में इसमें पर्याप्त विकास देखने को मिला उस समय अनुसंधान व विकास के लिए अनेक विज्ञान तथा तकनीकी संस्थानों की स्थापना की गई। इन संस्थानों का नेतृत्व विभिन्न क्षेत्रों के योग्य वैज्ञानिक, इंजीनियर आदि कर रहे थे। इसने उच्च तकनीक प्राप्त करने के लिए एक सुदृढ़ आधार भी तैयार किया।

विशेष:

  1. लेखक ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हरित क्रांति और ऑपरेशन फ्लड की सफलता का उल्लेख किया है, जिससे देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बना और दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश बना।
  2. भाषा पारिभाषिक शब्दावली से युक्त खड़ी बोली है।
  3. वर्णनात्मक शैली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
भारत ने स्वतंत्रता प्राप्ति के वाद विकास के लिए क्या तरीका अपनाया है?
उत्तर:
भारत ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं का तरीका अपनाया है।

प्रश्न (ii)
लेखक ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद की किन उपलब्धियों का वर्णन किया है?
उत्तर:
लेखक ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाढ़ की हरित क्रांति और ऑपरेशन फ्लड का वर्णन किया है। सन् 1970 के पहले दशक में हरित क्रांति हुई, जिसके कारण देश खाद्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना। ऑपरेशन फ्लड के अंतर्गत भारत एक निश्चित समय में विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना।

प्रश्न (iii)
भारत ने वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक क्षेत्र में क्या प्रगति की है?
उत्तर:
भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिक के क्षेत्र में काफी प्रगति की है। यहाँ • कई अनुसंधान व विकास और विज्ञान प्रौद्योगिकी संस्थाओं की स्थापना हुई है। इससे उच्च प्रौद्योगिकी लक्ष्यों की प्राप्ति का आधार तैयार हुआ।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत गद्यांश में किन उपलब्धियों का वर्णन किया गया है?
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद की उपलब्धियों का वर्णन किया गया है।

प्रश्न (ii)
कृषि के क्षेत्र में कौन-सी क्रांति हुई? उसका क्या लाभ हुआ?
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति हुई। इस क्रांति के कारण देश खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बना।

प्रश्न 5.
भारत के उपग्रह तथा उपग्रह प्रक्षेपण यान कार्यक्रमों द्वारा रखे गए ठोस आधार ने देश को किसी प्रकार का उपग्रह डिजाइन तथा विकसित करने और उसे अपनी ही धरती से अपने प्रक्षेपण यानों द्वारा कक्षा में प्रक्षेपित करने की क्षमता प्रदान की है। पी. एस.एल.वी. सी-5 की सातवीं सफल उड़ान ने, जिसमें रिसोर्स सेट-1 को सन सिंक्रोनस ऑरबिट में स्थापित किया गया, ने स्वदेशी योग्यता में भारत की क्षमता को प्रदर्शित किया है। इसी प्रकार, भारत किसी भी प्रकार की मिसाइल या मुखाग्र को डिजाइन करने, विकसित करने तथा उत्पादित करने में सक्षम है। भारतीय सेना में ‘पृथ्वी’ तथा ‘अग्नि’ को शामिल किया जाना इस स्वदेशी क्षमता का प्रमाण है। परमाणु ऊर्जा उत्पत्ति तथा अस्त्र विकास में हमारी उपलब्धियाँ विकसित विश्व के मुकाबले की हैं। (Page 50)

शब्दार्थ:

  • उपग्रह – कृत्रिम ग्रह, अंतरिक्ष में राकेट द्वारा भेजे गए कृत्रिम ग्रह।
  • प्रक्षेपण – दूर फेंकना।
  • ठोस – सुदृढ़।
  • आधार – नींव।
  • डिजाइन – रूपांकन, आकृति।
  • क्षमता – शक्ति, योग्यता।
  • स्वदेशी – अपने देश में विकसित।
  • प्रदर्शित – दिखाना।
  • मुखाग्र – मुख का अगला भाग।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश डॉ. अब्दुल कलाम द्वारा रचित लेख ‘मेरे सपनों का भारत’ से लिया गया है। लेखक भारत की आंतरिक तथा रक्षा के क्षेत्र में अर्जित उपलब्धियों का वर्णन किया है।

व्याख्या:
भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में आशातीत उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। भारत के उपग्रह तथा उपग्रह प्रक्षेपण यान कार्यक्रमों के द्वारा रखी गई सुदृढ़ नींव ने देश को किसी भी तरह के उपग्रह (कृत्रिम ग्रह) को आकार देने तथा उसे विकसित करने और अपने ही प्रक्षेपण यानों द्वारा अंतरिक्ष की किसी भी कक्षा में स्थापित करने अथवा फेंकने की योग्यता से संपन्न किया। भारत उपग्रह बनाने तथा उन्हें अपने प्रक्षेपण यानों के द्वारा अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है। पी.एस.एल.वी. सी-5 की सातवीं सफल उड़ान के द्वारा रिसोर्स सेट-1 को सन सिंक्रोनस ऑर बिट में स्थापित किया गया।

इसके द्वारा भारत ने अपनी स्वदेशी योग्यता तथा क्षमता को प्रदर्शित किया है। इसी प्रकार रक्षा-अनुसंधान के क्षेत्र में भारत किसी भी तरह की मिसाइल अथवा उसके अग्रभाग को डिजाइन करने, उसे विकसित करने के साथ ही साथ उसका उत्पादन करने में भी सक्षम है। भाव यह कि भारत किसी भी प्रकार की मिसाइल बनाने और उसका उत्पादन करने में सक्षम है। भारतीय सेना में सम्मिलित की गई पृथ्वी और अग्नि नामक मिसाइलें इस स्वदेशी प्रौद्योगिकी क्षमता का जीवंत उदाहरण है। परमाणु ऊर्जा तथा परमाणु अस्त्र विकसित करने की भारतीय प्राप्तियाँ विकसित विश्व के स्तर की हैं। दूसरे शब्दों में भारत ने उपग्रह प्रक्षेपण, मिसाइल निर्माण और परमाणु अस्त्र निर्माण की जो स्वदेशी तकनीक विकसित की है, वह विकसित राष्ट्रों की तकनीक के स्तर की है।

विशेष:

  1. लेखक ने विज्ञान के क्षेत्र में भारत की आधुनिक उपलब्धियों से परिचित कराया है।
  2. भाषा पारिभाषिक शब्दावली से युक्त खड़ी बोली है।
  3. वर्णनात्मक शैली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
भारत ने उपग्रह तथा उपग्रह प्रक्षेपण में कौन-सी क्षमता प्राप्त की है?
उत्तर:
भारत ने उपग्रह के क्षेत्र में किसी भी प्रकार का उपग्रह डिजाइन करने और उसे विकसित करने की स्वदेशी तकनीक विकसित की है। वह हर प्रकार के उपग्रह बनाने में समर्थ है। भारत ने उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में भी आशातीत क्षमता प्राप्त की है। वह प्रक्षेपण यान बनाने और उनसे अपनी ही धरती से उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है।

प्रश्न (ii)
भारत ने उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में अपनी स्वदेशी योग्यता कैसे प्रमाणित की है?
उत्तर:
भारत ने पी.एस.एल.वी., सी-5 प्रक्षेपण यान की सातवीं सफल उड़ान के द्वारा रिसोर्स सेट-1 को सन सिंक्रोनस ऑरबिट में स्थापित कर अपनी प्रक्षेपण की स्वदेशी योग्यता और क्षमता को प्रमाणित किया है।

प्रश्न (iii)
भारत की मिसाइल निर्माण की क्षमता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत ने मिसाइल निर्माण के क्षेत्र में पर्याप्त प्रगति की है। वह किसी भी प्रकार की मिसाइल अथवा उसका मुखाग्र डिजाइन करने, विकसित करने और उत्पादित करने की क्षमता रखता है।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
मिसाइल के क्षेत्र में भारत की स्वदेश क्षमता का प्रमाण क्या है?
उत्तर:
भारतीय सेना में भारत द्वारा निर्मित ‘पृथ्वी’ और ‘अग्नि’ मिसाइलों का सम्मिलित किया जाना ही मिसाइल के क्षेत्र में उसकी स्वदेशी क्षमता का प्रमाण है।

प्रश्न (ii)
भारत की कौन-सी उपलब्धियाँ विश्वस्तर की हैं?
उत्तर:
भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता तथा परमाणु अस्त्र निर्माण की क्षमता विकसित विश्व के स्तर की हैं।

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प्रश्न 6.
भारत के पास कुछ ऐसी संपदाएँ तथा लाभ हैं, जिनके बारे में विश्व के कुछ देश गर्व से दावा कर सकते हैं। हमें अपने गौरवशाली अतीत और वर्तमान योगदानों तथा अपने भविष्य की रूपरेखा बनाने के लिए प्राप्त प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को पहचानना चाहिए। विश्व एक बौद्धिक समाज में परिवर्तित हो रहा है, जहाँ समन्वित ज्ञानशक्ति तथा धन का स्रोत होगा। यही समय है, जब भारत खुद को एक बौद्धिक शक्ति में बदलने और फिर अगले दो दशकों के भीतर एक विकसित देश बनने के लिए इस अवसर का लाभ उठा सकता है। इस रूपांतरण के लिए यह जानना आवश्यक है कि हम प्रतिस्पर्धात्मकता के मामले में कहाँ हैं, जो एक बौद्धिक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर होने के लिए वास्तविक इंजन है। (Page 51) (M.P. 2009)

शब्दार्थ:

  • संपदाएँ – संपत्तियाँ, कोश, खजाना।
  • गर्व – घमंड, अभिमान।
  • दावा – किसी वस्तु को अपनी बताने का अधिकार प्रतिस्पर्धात्मक-होड़, प्रतियोगिता।
  • समन्वित – संतुलित।
  • रूपांतरण – रूप में परिवर्तन।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश डॉ. अब्दुल कलाम द्वारा लिखित लेख ‘मेरे सपनों का भारत’ से लिया गया है। लेखक कहता है कि भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लिए स्वयं को एक बौद्धिक अर्थव्यवस्था में बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए उसे तरीकों और उपायों को जानना होगा।

व्याख्या:
लेखक का मत है कि भारत के पास कुछ ऐसी खनिज संपदाएँ और प्राकृतिक लाभ हैं, जिनके संबंध में संसार के कुछ देश अभिमान के साथ अधिकार जता सकते हैं। दूसरे शब्दों में भारत खनिज संपदाओं से संपन्न देश है और इससे वह लाभ उठा सकता है। इन संपदाओं के होने का दावा वह गर्व के साथ कर सकता है। लेखक का मत है कि हमें अपने गौरवशाली अतीत और वर्तमान के विविध क्षेत्रों में योगदान तथा भविष्य की योजना बनाने के लिए प्राप्त उपलब्धियों के प्रतियोगितात्मक लाभ को पहचानकर लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। वर्तमान में विश्व बौद्धिक समाज में बदल रहा है, जहाँ संतुलित ज्ञान शक्ति तथा धन का स्रोत होगा।

आज संसार बौद्धिक अर्थव्यवस्था में बदल रहा है। धन का स्रोत वहीं होगा, जहाँ बौद्धिक ज्ञान का संतुलित रूप से उपयोग किया जाएगा। इसलिए भारत जैसे विकासशील देश के लिए स्वयं का एक बौद्धिक समाज के रूप में विकसित होना है, तो उसे एक बौद्धिक अर्थ-व्यवस्था में बदलना होगा। अतः भारत को स्वयं को एक बौद्धिक शक्ति में बदलने और फिर आगामी बीस वर्षों में एक विकसित देश बनने के अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

किंतु स्वयं को विकसित देश में परिवर्तित करने के लिए यह जानना आवश्यक है कि हम प्रतियोगितात्मक के दृष्टिकोण से कहाँ हैं? इसके लिए हमें बौद्धिक अर्थव्यवस्था में बदलने के तरीकों और उपायों की जाँच-पड़ताल करनी पड़ेगी। उसी के आधार पर हम एक बौद्धिक शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं और विकसित देशों में सम्मिलित हो सकते हैं।

विशेष:

  1. लेखक ने भारत के विकसित देश बनने की रूपरेखा प्रस्तुत की है।
  2. भाषा तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है।
  3. विचारत्मक तार्किक शैली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए क्या किया जाना आवश्यक है?
उत्तर:
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए स्वयं को एक द्धिक अर्थव्यवस्था में बदलना आवश्यक है। इसके लिए उसे तरीकों और उपायों को जानना आवश्यक है।

प्रश्न (ii)
लेखक के अनुसार हमें कौन-सा लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए?
उत्तर:
लेखक के अनुसार हमें अपने गौरवशाली अतीत और वर्तमान के विविध क्षेत्रों में योगदान और भविष्य की योजना बनाने के लिए प्राप्त उपलब्धियों के प्रतियोगितात्मक लाभ को पहचानकर अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
विश्व किस प्रकार की अर्थव्यवस्था में बदल रहा है?
उत्तर:
विश्व आज बौद्धिक अर्थव्यवस्था में बदल रहा है।

प्रश्न (ii)
हम किस आधार पर बौद्धिक शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं?
उत्तर:
हम बौद्धिक अर्थव्यवस्था में बदलने के तरीकों और उपायों की जाँच-पड़ताल के आधार पर ही एक बौद्धिक शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ सकते है।

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MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 10 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 10 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा (संस्मरण, काका कालेलकर)

निष्ठामूर्ति कस्तूरबा पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

निष्ठामूर्ति कस्तूरबा लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक ने राष्ट्रमाता किसे कहा है? (M.P. 2010)
उत्तर:
माँ कस्तूरबा को राष्ट्रमाता कहा गया है।

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प्रश्न 2.
राष्ट्र माँ कस्तूरबा को किस आदर्श की जीवित प्रतिमा मानता है?
उत्तर:
राष्ट्र माँ कस्तूरबा का आर्य सती स्त्री के आदर्श की जीवित प्रतिमा मानता है।

प्रश्न 3.
कस्तूरबा भाषा का सामान्य ज्ञान होने पर भी कैसे अपना काम चला लेती थीं?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा कुछ अंग्रेजी समझ लेती थीं और वे 25-30 शब्द बोल लेती थीं। उन्हीं शब्दों को समझ-बोलकर अपना काम चला लेती थीं।

प्रश्न 4.
कस्तूरबा को किन ग्रंथों पर असाधारण श्रद्धा थी?
उत्तर:
कस्तूरबा को गीता और तुलसी-रामायण पर असाधारण श्रद्धा थी।

प्रश्न 5.
महात्माजी और कस्तूरबा को पहली बार देखकर लेखक ने क्या अनुभव किया?
उत्तर:
लेखक ने अनुभव किया कि मानो उस आध्यात्मिक माँ-बाप मिल गए हैं।

निष्ठामूर्ति कस्तूरबा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दुनिया में कौन-सी दो अमोघ शक्तियाँ मानी गई थीं? कस्तूरबा की निष्ठा किसमें अधिक थी? (M.P. 2009, 2010)
उत्तर:
दुनिया में शब्द और कृति दो अमोघ शक्तियाँ मानी गई हैं। शब्दों ने तो सारी दुनिया को हिला कर रख दिया है।

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प्रश्न 2.
कस्तूरबा को तेजस्वी महिला क्यों कहा गया है? (M.P. 2012)
उत्तर:
जब माँ कस्तूरबा को दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया तो उन्होंने अपने बचाव में कुछ नहीं कहा और न ही कोई निवेदन प्रकट किया। उन्होंने केवल यही कहा कि मुझे तो वह कानून तोड़ना है जो यह कहता है कि मैं महात्माजी की धर्मपत्नी नहीं हूँ। जेल में उनकी तेजस्विता तोड़ने में सरकार असफल रही और सरकार को घुटने टेकने पड़े इसीलिए माँ कस्तूरबा को तेजस्वी कहा गया है।

प्रश्न 3.
“सभा में जाने का मेरा निश्चय पक्का है मैं जाऊँगी ही” यह कथन किसका है और किस प्रसंग में कहा गया है?
उत्तर:
यह कथन माँ कस्तूरबा का है। यह इस प्रसंग में कहा गया है जब गाँधी जी को सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था और माँ कस्तूरबा पति के कार्य को आगे बढ़ाने के उस सभा में भाषण देने जा रही थीं जिसमें गाँधीजी भाषण देने वाले थे। उस समय सरकारी अधिकारियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो उन्होंने उक्त कथन द्वारा उन्हें उत्तर दिया।

प्रश्न 4.
“मुझे यहाँ का वैभव कतई नहीं चाहिए। मुझे तो सेवाग्राम की कुटिया ही पसंद है” माँ कस्तूरबा के इस कथन के आशय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आशय-माँ कस्तूरबा को गाँधीजी के साथ आगा खाँ महल में सरकार ने कैद कर रखा था। वहाँ किसी प्रकार का अभाव नहीं था। सभी प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध थीं किंतु उन्हें वहाँ कैद होना असहनीय लग रहा था। उन्हें महल में कैद होना अच्छा नहीं लगता। उन्हें किसी प्रकार सुख-सुविधा, ऐश्वर्य की आवश्यकता नहीं थी, उन्हें तो स्वतंत्रतापूर्वक सेवाग्राम की कुटिया में रहना ही पसंद था।

प्रश्न 5.
कस्तूरबा ने अपनी तेजस्विता और कृतिनिष्ठा से क्या सिद्ध कर दिखाया?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा ने अपनी तेजस्विता और कृतिनिष्ठा से यह सिद्ध कर दिखाया कि उन्हें शब्द-शास्त्र में बेशक निपुणता प्राप्त न हो परंतु कर्त्तव्य-अकर्त्तव्य के निर्णय करने में उन्हें कोई दुविधा नहीं है। उनमें तुरंत निर्णय लेने की क्षमता है।

प्रश्न 6.
बदलते आदर्शों के इस युग में कस्तूरबा के प्रति श्रद्धा प्रकट कर किस बात का प्रमाण दिया गया है?
उत्तर:
बदलते आदर्शों के इस युग में कस्तूरबा के प्रति श्रद्धा प्रकट कर इस बात का प्रमाण दिया कि आज भी हमारे देश में प्राचीन तेजस्वी आदर्श मान्य हैं और हमारी संस्कृति की जड़ें आज भी काफी मजबूत हैं।

निष्ठामूर्ति कस्तूरबा भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथन का भाव-विस्तार कीजिए।
“हमारी संस्कृति की जड़ें आज भी काफी मजबूत हैं।”
उत्तर:
हमारी भारतीय संस्कृति के जीवन-मूल्य और आदर्श आज के बदलते . आदर्शों के युग में भी महत्त्व रखते हैं। भारतीय समाज में आज भी उन आदर्शों को श्रद्धा और विश्वास की दृष्टि से देखा जाता हैं। इससे प्रमाणित होता है कि हमारी संस्कृति की जड़ें भी काफी मजबूत हैं। संस्कृति के आदर्शों और मूल्यों को सरलता से समाप्त नहीं किया जा सकता।

निष्ठामूर्ति कस्तूरबा भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों की संधि-विच्छेद करते हुए संधि का नाम लिखिए –
लोकोत्तर, स्वागत, सत्याग्रह, महत्त्वाकांक्षा, निस्तेज।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 10 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा img-1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का समास-विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए –
धर्मनिष्ठा, राष्ट्रमाता, देशसेवा, जीवनसिद्धि, बंधनमुक्त।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 10 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा img-2

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग करके लिखिए –
उपसंहार, प्रत्युत्पन्न, असाधारण, अशिक्षित, अनपढ़।
उत्तर:
उपसर्ग – उप, प्रति, अ, अ, अन।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करके लिखिए –
तेजस्विता, कौटुम्बिक, चरित्रवान, शासकीय, उत्कृष्टता।
उत्तर:
प्रत्यय – ता, इक, वान, ईय, ता।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित विदेशी शब्दों के लिए हिंदी शब्द लिखिए –
अमलदार, हासिल, खुद, कायम, आंबदार, जिद्द।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 10 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा img-3

निष्ठामूर्ति कस्तूरबा योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
ऐसी नारियों के जीवन-प्रसंगों का संकलन कीजिए जो समाज के लिए प्रेरक व आदर्श साथ ही स्वरूप रही हैं।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
अपने आस-पास की ऐसी महिला के बारे में लिखिए, जो आपके लिए आदर्श हो।
उत्तर:
छात्र स्वयं लिखें।

प्रश्न 3.
स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली महिलाओं के चित्रों का एलबम बनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं चित्र एकत्र कर एलबम बनाएँ।

निष्ठामूर्ति कस्तूरबा परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर –

प्रश्न 1.
कस्तूरवा का एकाक्षरी नाम…….था।
(क) माँ
(ख) बा
(ग) तेजस्वी
(घ) दा
उत्तर:
(ख) बा।

प्रश्न 2.
अपने आंतरिक सद्गुणों और निष्ठा के कारण कस्तूरबा…….वन पाईं।
(क) राष्ट्रमाता
(ख) वीरमाता
(ग) वीर पत्नी।
(घ) आदर्श नारी
उत्तर:
(क) राष्ट्रमाता।

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प्रश्न 3.
‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ संस्मरण के लेखक हैं –
(क) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’
(ख) उदयशंकर भट्ट
(ग) काला कालेलकर
(घ) मैथिलीशरण गुप्त
उत्तर:
(ग) काका कालेलकर।

प्रश्न 4.
लेखक के अनुसार गाँधीजी को भारत में कहाँ गिरफ्तार किया गया था?
(क) विधानसभा हाउस
(ख) आगा खाँ महल
(ग) बिड़ला हाउस
(घ) बिड़ला मंदिर
उत्तर:
(ग) बिड़ला हाउस।

प्रश्न 5.
कस्तूरबा का निधन……….में हुआ।
(क) बिड़ला हाउस
(ख) आगा खाँ महल
(ग) सेवाग्राम
(घ) वायसराय हाउस
उत्तर:
(ख) आगा खाँ महल।

प्रश्न 6.
“अगर आप गिरफ्तार करें, तो भी मैं जाऊँगी।” यह कथन उस समय … का है?”
(क) जब कस्तूरबा को पुलिस ने घेर लिया।
(ख) जब कस्तूरवा पर सरकार ने आरोप लगाया।
(ग) जब महात्माजी को गिरफ्तार कर लिया गया।
(घ) जब कस्तूरबा से पुलिस ने पूछताछ की।
उत्तर:
(ख) जब कस्तूरबा पर सरकार ने आरोप लगाया।

II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर कीजिए –

  1. राष्ट्र ने ………. को राष्ट्रपति का सम्मान दिया। (महात्माजी बापूजी)
  2. कस्तूरबा ………. के नाम से राष्ट्रमाता का सम्मान दिया गया। (माँ वा)
  3. दुनिया में दो अमोघ शक्तियाँ हैं ……….। (शब्द और कृति स्मृति और उपासना)
  4. लेखक को कस्तूरवा के प्रथम दर्शन ………. में हुए। (शान्तिनिकेतन/दक्षिण अफ्रीका)
  5. हमारी ………. की जड़ें आज भी काफी मजबूत हैं। (परम्परा/संस्कृति)

उत्तर:

  1. बापूजी
  2. बा
  3. शब्द और कृति
  4. शान्तिनिकेतन
  5. संस्कृति।

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III. निम्नलिखित कथनों में सत्य असत्य छाँटिए –

  1. अपने आंतरिक सद्गुणों और निष्ठा के कारण कस्तूरबा राष्ट्रमाता बन गईं।
  2. कस्तूरबा का भाषा-ज्ञान सामान्य से अधिक था।
  3. 1915 के आरंभ में महात्माजी शान्तिनिकेतन पधारे।
  4. आश्रम में कस्तूरबा लेखक के लिए देवी के समान थीं।
  5. अध्यक्षीय भाषण किसी से लिखवा लेना आसान है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्या
  4. असत्य
  5. सत्य।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 10 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा img-4
उत्तर:

(i) (घ)
(ii) (ग)
(iii) (ख)
(iv) (ङ)
(v) (क)।

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
सत्याग्रहाश्रम क्या था?
उत्तर:
महात्माजी की संस्था।

प्रश्न 2.
स्त्री-जीवन सम्बन्ध के हमारे आदर्श को हमने क्या किए हैं?
उत्तर:
काफी बदल दिए हैं।

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प्रश्न 3.
कस्तूरबा के सामने उनका कर्त्तव्य कैसा था?
उत्तर:
किसी दीये के समान था।

प्रश्न 4.
किन दो वाक्यों में कस्तूरबा अपना फैसला सुना देतीं।
उत्तर:
‘मुझसे यही होगा’ और ‘यह नहीं होगा।

प्रश्न 5.
कस्तूरबा में कौन-से भारतीय गुण थे?
उत्तर:
कौटुम्बिक सत्वगुण।

निष्ठामूर्ति कस्तूरबा लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
माँ कस्तूरबा कौन थीं? (M.P. 2010)
उत्तर:
माँ कस्तूरबा महात्मा गाँधीजी की सहधर्मचारणी थीं।

प्रश्न 2.
माँ कस्तूरबा अंग्रेजी कैसे समझ और बोल लेती थीं?
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका में जाकर रहने के कारण कस्तूरबा कुछ अंग्रेजी समझ लेती थीं और 25-30 शब्द बोल भी लेती थीं।

प्रश्न 3.
माँ कस्तूरबा ने धर्म के विरुद्ध खुराक लेने से इनकार क्यों कर दिया?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा एक धर्मनिष्ठ महिला थीं। धर्म के विरुद्ध खुराक लेने से उनका धर्म भ्रष्ट हो जाता इसलिए उन्होंने धर्म के विरुद्ध खुराक लेने से मना कर दिया।

प्रश्न 4.
लेखक को कस्तूरबा के प्रथम दर्शन कब हुए?
उत्तर:
सन् 1915 में शांतिनिकेतन पधारने पर लेखक को कस्तूरबा के प्रथम दर्शन हुए हैं।

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प्रश्न 5.
माँ कस्तूरबा को भारत में कहाँ कैद रखा गया?
उत्तर:
माँ कस्तूबा को भारत में आगा खाँ महल में कैद रखा गया।

प्रश्न 6.
आज हमारी संस्कृति की जड़ें कैसी हैं?
उत्तर:
आज हमारी संस्कृति की जड़ें काफी मजबूत हैं।

प्रश्न 7.
महात्मा गाँधी की सहधर्मिणी कौन थी?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा, महात्मा गाँधी की संहधर्मिणी थीं।

प्रश्न 8.
माँ कस्तूरबा का किसके प्रति अपार श्रद्धा थी?
उत्तर:
तुलसीदास की रामायण के प्रति माँ कस्तूरबा की अपार श्रद्धा थी।

निष्ठामूर्ति कस्तूरबा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
महात्मा गाँधीजी ने किन दो शक्तियों की उपासना की?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने विश्व की दो अमोघ शक्तियों-शब्द और कृति-की असाधारण उपासना की। उन्होंने इन दोनों शक्तियों में निपुणता प्राप्त की।

प्रश्न 2.
“मुझे अखाद्य खाकर जीना नहीं है। यह कथन किसका है और किस प्रसंग में कहा गया हैं?
उत्तर:
यह कथन माँ कस्तूरबा का है और यह डॉक्टर द्वारा धर्म के विरुद्ध खुराक लेने की बात के प्रसंग में कहा गया है।

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प्रश्न 3.
पति के गिरफ्तार होने पर मौकस्तूरबा ने उनके कार्य को आगे बढ़ाने के लिए क्या किया?
उत्तर:
पति के गिरफ्तार होने पर माँ कस्तूरबा ने उनके कार्य आगे बढ़ाने के लिए उस सभा में भाषण देने के लिए गईं जिसे गाँधीजी संबोधित करने वाले थे। दो-तीन बार राजकीय परिषदों या शिक्षण सम्मेलनों में अध्यक्ष का पद संभाला और अध्यक्षीय भाषण दिए।

प्रश्न 4.
माँ कस्तूरबा देश में चल रही सूक्ष्म जानकारी.कैसे रखती थीं?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा देश में क्या चल रहा है इसकी सूक्ष्म जानकारी प्रश्न पूछ-पूछकर या अखबारों पर दृष्टि डालकर प्राप्त कर लेती थीं और इस देश में चल रही गतिविधियों की जानकारी रखती थीं।

प्रश्न 5.
“मुझे यहाँ का वैभव कतई नहीं चाहिए। मुझे तो सेवाधाम की कुटिया ही पसंद है।” यह किसने, कब और क्यों कहा?
उत्तर:
“मुझे यहाँ का वैभव कतई नहीं चाहिए। मुझे तो सेवाधाम की कुटिया ही पसंद है।” यह माँ कस्तूरबा ने कहा। यह उस समय कहा, जव माँ कस्तूरबा को गाँधीजी के साथ आगा खाँ महल में सरकार ने कैद कर लिया। माँ कस्तूरबा ने यह इसलिए कहा कि उन्हें वहाँ कैद होना असहनीय हो उठा था। इसका यही कारण था कि उन्हें किसी प्रकार की सुख-सुविधा और ऐश्वर्य की आवश्यकता नहीं थी। उन्हें तो स्वतंत्रता एवं सेवाग्राम कुटिया ही पसंद थी।

प्रश्न 6.
माँ कस्तूरबा ने धर्म के विरुद्ध खुराक लेने से क्यों मना कर दिया?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा ने धर्म के विरुद्ध खुराक लेने से मना कर दिया क्योंकि धर्म के प्रति उनकी अपार श्रद्धा थी। इस प्रकार की खुराक उनकी अंतरात्मा के विरुद्ध थी। फलस्वरूप उन्होंने इस प्रकार की खुराक लेने की अपेक्षा मृत्यु को प्राप्त होना उचित समझा था।

निष्ठामूर्ति कस्तूरबा लेखक-परिचय

प्रश्न 1.
काका कालेलकर का संक्षिप्त-जीवन परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
काका कालेलकर का जन्म 1 दिसंबर, सन् 1885 ई० में महाराष्ट्र प्रांत के सतारा नगर में हुआ था। अहिंदीभाषी होते हुए भी आपने सबसे पहले हिंदी सीखी और कई वर्षों तक दक्षिण सम्मेलन की ओर से हिंदी का प्रचार-कार्य किया। आपने राष्ट्रभाषा प्रचार के कार्य में सक्रिय और सार्थक भूमिका निभाई। अपनी चमत्कारी सूझ-बूझ और व्यापक अध्ययनशीलता के कारण आपकी गणना प्रमुख अध्यापकों और व्यवस्थापकों में होने लगी।

गुजरात में हिंदी प्रचार के लिए. गाँधी जी ने कालेलकर को ही चुना इसलिए उन्होंने गुजराती सीखी और गहन अध्ययन के बाद ही शिक्षण-कार्य प्रारंभ किया। आप गुजरात विद्यापीठ के कुलपति पद पर रहे। आपको दो बार राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया। सन् 1964 ई० में आपको ‘पदम् विभूषण’ सम्मान से सम्मानित किया गया। मराठीभाषी होते हुए भी आपने हिंदी के प्रचार-प्रसार में रुचि दिखाई। आप विज्ञापन और आत्मप्रचार से दूर रहकर हिंदी की सेवा में लगे रहे। आपका निधन 21 अगस्त, 1981 को हुआ।

साहित्यिक विशेषताएँ:
आपके साहित्य में यात्राओं के वर्णन तथा लोक-जीवन के अनुभवों को स्थान मिला है। आपने हिंदी में यात्रा-साहित्य के अभाव को काफी हद तक दूर किया। आपकी रचनाओं में सजीवता के प्रत्यक्ष दर्शन होते हैं। अपनी भाषा क्षमता के कारण ही आप साहित्य अकादमी में गुजराती भाषा के प्रतिनिधि चुने गए।

रचनाएँ:
काका कालेलकर ने लगभग तीस पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें स्मरण-यात्रा, धर्मोदय, हिमालय प्रवास, लोकमाता, जीवन और साहित्य, तक्षशिला, अमृत और विष, मुक्ति पथ, स्त्री का हृदय, युगदीप आदि प्रमुख हैं।

भाषा-शैली:
काका कालेलकर की भाषा-शैली बड़ी सजीव और प्रभावशाली है। उन्होंने अपनी रचनाओं में हिंदी खड़ी बोली का प्रयोग किया है। उनकी भाषा आम बोलचाल की है। उन्होंने अपनी भाषा में तद्भव, तत्सम और देशी-विदेशी भाषाओं के शब्दों, मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग किया है।

साहित्य में महत्त्व:
काका कालेलकर को उत्तम निबंध, सजीव यात्रा-वृत्त, प्रभावोत्पादक संस्मरण और भावुकतापूर्ण जीवनी लिखने वालों में उच्च स्थान प्राप्त है। आप अहिंदीभाषी होते हुए भी राष्ट्रभाषा हिंदी के सच्चे सेवकों में गिने जाते हैं।

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निष्ठामूर्ति कस्तूरबा पाठ का सारांश

प्रश्न 1.
काका कालेलकर के संस्मरण ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरवा’ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
लेखक ने इस संस्मरण में कस्तूरबा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला है। लेखक का मानना है कि माँ कस्तूरबा का सम्मान गाँधी जी की पत्नी होने के कारण नहीं, अपितु उनके स्वतंत्र व्यक्तित्व के कारण है। राष्ट्र ने बापूजी को राष्ट्रपिता का सम्मान दिया है तो ‘बा’ भी राष्ट्रमाता का सम्मान पा सकीं। वे राष्ट्रमाता अपने आंतरिक सद्गुणों और निष्ठा के कारण बनीं। उन्होंने प्रत्येक स्थान पर अपने चरित्र को उजागर किया है। वे आर्य स्त्री के आदर्श की जीवंत प्रतिमा थीं।

माँ कस्तूरबा का भाषा ज्ञान विशेष नहीं था। दक्षिण अफ्रीका में जाकर कुछ अंग्रेजी के शब्द समझने में समर्थ हो सकी थी और अंग्रेजी के 25-30 शब्द बोलने के लिए भी सीख लिए थे। विदेशी मेहमानों के आने पर उन्हीं शब्दों से अपना काम चलाती थीं। माँ कस्तूरबा की गीता और तुलसी की रामायण पर अपार श्रद्धा थी। आगा खाँ महल में कारावास के दौरान वार-बार गीता का पाठ लेने का प्रयास करती रही थीं।

संसार में दो अमोघ शक्तियाँ हैं-शब्द और कृति, किंतु अंतिम अक्ति ‘कृति’ है। महात्माजी ने शब्द और कृति दोनों शक्तियों की उपासना की तो बा ने कृति शक्ति की ‘नम्रता के साथ उपासना करके संतोष प्राप्त करने के साथ-साथ जीवन-सिद्धि भी प्राप्त की थी। दक्षिण अफ्रीका में जब उन्हें जेल भेजा, तो उन्होंने अपना बचाव नहीं किया। न कोई निवेदन किया और जेल चली गईं। जेल में वहाँ की सरकार ने उनकी तेजस्विता भंग करने का बड़ा प्रयास किया किंतु वह सफल न हो सकी। डॉक्टर ने जब धर्म के विरुद्ध खुराक लेने की बात कही तो केवल इतना कहा- “मुझे अखाद्य खाकर जीना नहीं है। फिर भले ही मुझे मौत का सामना करना पड़े।”

लेखक को सन् 1915 में शांतिनिकेतन में ‘बा’ को देखने का अवसर मिला। रात को आंगन के बीच के एक चबूतरे पर अगल-बगल विस्तर लगाकर वापृ ओर बा सो गए और अन्य लोग आँगन में बिस्तर लगा सो गए। उस समय लेखक को लगा कि हमें आध्यात्मिक मां-बाप मिल गए हैं। लेखक को ‘बा’ के अंतिम दर्शन बिड़ला हाउस में गिरफ्तारी के दौरान हुए। जब गाँधी जी को गिरफ्तार करने के वाद उनसे कहा गया कि आपकी इच्छा हो । तो आप भी चल सकती हैं। ‘बा’ ने कहा अगर आप गिरफ्तार करें तो मैं भी जाऊँगी। पति के गिफ्तार होने के बाद उन्होंने उस सभा में जाने का निश्चय किया, जिसमें बापू बोलने वाले थे। सरकार ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, तो उन्होंने उत्तर दिया कि ‘सभा में जाने का निश्चय पक्का है, मैं जाऊँगी।’

माँ कस्तूरबा को गिरफ्तार करके आगा खाँ महल में रखा गया है, जहाँ सभी प्रकार की सुख-सुविधाएँ थीं किंतु उन्हें अपना कैद में होना असह्य था। उन्होंने कई बार कहा-‘मुझे यहाँ का वैभव कतई नहीं चाहिए, मुझे तो सेवाग्राम की कुटिया ही पसंद है।” सरकार ने उनके शरीर को कैद रखा, किंतु उनकी आत्मा को वह कैद सहन नहीं हुई। उन्होंने सरकार की कैद में ही अपने प्राण त्यागे और वह स्वतंत्र हुई। माँ कस्तूरबा के सामने उनके कर्तव्य सदा स्पष्ट रहे। उन्होंने ‘मुझसे यही होगा’ और ‘यह नहीं होगा’ वाक्यों में अपना निर्णय सुना देती थीं।

आश्रम में कस्तूरबा लोगों के लिए माँ के समान थीं। आश्रम के नियम उन पर लागू नहीं होते थे। आश्रम में सभी के खाने-पीने की व्यवस्था कस्तूरबा करती थीं। आलस्य उनमें बिलकुल नहीं था। वे रसोईघर में जो भी काम करती थीं, आस्था से करती थीं। उनमें संस्था चलाने की महत्त्वाकांक्षा नहीं थी। परंतु देश में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी वे अवश्य रखती थीं। वापूजी जब जेल में होते थे तो उन्होंने दो-तीन बार राजकीय परिषदों का या शिक्षण सम्मेलनों का अध्यक्ष पद भी सँभालना पड़ा। उनके अध्यक्षीय भाषण लेखक लिखता था। किन्तु उपसंहार माँ कस्तूरबा अपनी प्रतिभा से करती थीं, उनके भाषणों में परिस्थिति की समझ, भाषा की सावधानी और खानदानी की महत्ता आदि गुण उत्कृष्टता से दिखाई देते थे।

माँ कस्तूरबा की मृत्यु पर पूरे देश ने स्वयं स्फूर्ति से उनका स्मारक बनाया। कस्तूरबा अपने संस्कार के बल पर पातिव्रत्य को, कुटुंब-वत्सलता को और तेजस्विता को चिपकाए रहीं और उसी के बल पर बापूजी के माहात्म्य की बराबरी कैर सकीं। स्वातंत्र्य की पूर्व शिवरात्रि के दिन उनका स्मरण कर सभी देशवासी अपनी-अपनी तेजस्विता को और अधिक तेजस्वी बनाते हैं।

निष्ठामूर्ति कस्तूरबा संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
महात्मा गाँधी जैसे महान पुरुष की सहधर्मचारिणी के तौर पर पूज्य कस्तूरबा के बारे में राष्ट्र का आदर मालूम होना स्वाभाविक है। राष्ट्र ने महात्माजी को ‘बापूजी’ के नाम से राष्ट्रपिता के स्थान पर कायम किया ही है। इसलिए कस्तूरबा भी ‘घा’ के एकाक्षरी नाम से राष्ट्रमाता बन सकी हैं। किंतु सिर्फ महात्माजी के साथ संबंध के कारण ही नहीं, बल्कि अपने आंतरिक सद्गुणों और निष्ठा के कारण भी कस्तूरबा राष्ट्रमाता बन पाई हैं। चाहे दक्षिण अफ्रीकामें हों या हिंदुस्तान में, सरकार के खिलाफ लड़ाई के समय जब-जब चारित्र्य का तेज प्रकट करने का मौका आया, कस्तूरबा हमेशा इस दिव्य कसौटी से सफलतापूर्वक पार हुई हैं। (Page 44)

शब्दार्थ:

  • सहधर्मचारिणी – धर्म या कर्तव्यों के निर्वाह में साथ देने वाली पत्नी।
  • कायम – स्थापित।
  • एकाक्षरी – एक अक्षर वाला।
  • आंतरिक सद्गुण – हृदय के अच्छे गुण।
  • कसौटी – परख, परीक्षा।
  • खिलाफ – विरुद्ध।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश काका कालेलकर द्वारा रचित संस्मरण ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ से लिया गया है। लेखक इन पंक्तियों में कस्तूरबा के राष्ट्रमाता बनने के कारणों को स्पष्ट करने के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व पर भी प्रकाश डाल रहा है।

व्याख्या:
महात्मा गाँधी की धर्म अथवा कर्तव्यों के निर्वाह में साथ देने वाली पूजनीय कस्तूरबा के संबंध में राष्ट्र के आदर को देशवासियों को ज्ञान होना स्वाभाविक है। राष्ट्र ने महात्मा गाँधी को ‘बापूजी’ कहकर सम्मानित किया है। इतना ही नहीं उन्हें राष्ट्रपिता के पद पर स्थापित किया है। सारा राष्ट्र उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्मान देता है। इसलिए कस्तूरबा भी ‘बा’ एक अक्षर वाले नाम से राष्ट्रमाता बनने में सफल रही हैं।

सारा देश उन्हें राष्ट्रमाता का दर्जा देता है। महात्मा गाँधी की पत्नी होने के कारण ही वे राष्ट्रमाता नहीं बनीं, अपितु अपने सद्गुणों अर्थात् अच्छे गुणों से युक्त होने और विश्वास के कारण बनीं। वे चाहे दक्षिण अफ्रीका में रही हों अथवा भारत में, जब भी उन्हें सरकार के विरुद्ध लड़ाई लड़ते समय अपने चारित्रिक तेज को उजागर करने का अवसर मिला, वे सदा इस दिव्य परीक्षा में पूर्णतः सफल हुईं। भाव यह है कि माँ कस्तूरबा को जब भी अपने चारित्रिक तेज को उजागर करने का अवसर मिला, उन्होंने इसे उजागर किया।

विशेष:

  1. माँ कस्तूरबा का सम्मान उनकै स्वतंत्र व्यक्तित्व के कारण समूचे देश में होता है। लेखक मैं इस तथ्य को उजागर किया है।
  2. माँ कस्तूरबा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया है।
  3. भाषा तत्सम, उर्दू शब्दावली से युक्त खड़ी बोली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
माँ कस्तूरबा किस कारण से राष्ट्रमाता बन सकीं?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा महात्मा गाँधी की पत्नी होने के कारण राष्ट्रमाता नहीं बनी, अपितु वे अपने हृदय के सद्गुणों और विश्वास तथा स्वतंत्र व्यक्तित्व के कारण राष्ट्रमाता बनने में सफल रहीं।

प्रश्न (ii)
माँ कस्तूरबा किस कसौटी पर सदा खरी उतरीं?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा को दक्षिण अफ्रीका और हिंदुस्तान में सरकार के विरुद्ध लड़ाई लड़ते समय जब भी चारित्रिक तेज को प्रकट करने का मौका मिला वे सदा इस कसौटी पर खरी उतरीं।

प्रश्न (iii)
माँ कस्तूरबा के दो चारित्रिक गुणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. माँ कस्तूरबा महात्मा गाँधी के धर्म और कर्तव्यों के निर्वाह में साथ देने वाली पतिव्रता नारी थीं।
  2. उनका अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व था। सरकार के विरुद्ध लड़ाई लड़ने में वे कभी पीछे नहीं हटीं।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
माँ कस्तूरबा को महात्मा गाँधी की सहधर्मचारिणी क्यों कहा गया है?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा महात्मा गाँधी की ऐसी पत्नी ही, जो अपने पति के धर्म और कर्तव्यों के निर्वाह में पूर्ण साथ देती थीं इसीलिए उन्हें महात्मा गाधी की सहधर्मचारिणी कहा गया है।

प्रश्न (ii)
राष्ट्र ने महात्मा गाँधी को किस पद पर स्थापित किया है?
उत्तर:
राष्ट्र ने महात्मा गाँधी को ‘बापूजी’ नाम से राष्ट्रपिता के पद पर स्थापित किया।

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प्रश्न 2.
दुनिया में दो अमोध शक्तियाँ हैं-शब्द और कृति। इसमें कोई शक नहीं कि ‘शब्दो’ नै सारी पक्षी को हिला दिया है। किंतु अंतिम शक्ति तो ‘कृति’ की है। महात्माजी ने इन दोनों शक्तियों की असाधारण उपासना की है। कस्तूरबा ने इन दोनों शक्तियों से ही अधिक श्रेष्ठ शक्ति कृति की नम्रता के साथ उपासना करके संतोष माना और जीवनसिद्धि प्राप्त की। (Page 45) (M.P 2011).

शब्दार्थ:

  • दुनिया – संसार, विश्व, जगत्।
  • अमोघ – अचूक।
  • कृति – रचना, कार्य, कर्म।
  • शक – संदेह।
  • स्मृति – स्मरण, चिंतन, इच्छा, पाप।
  • उपासना – आराधना, प्रजा जीवन।
  • असाधारण – जो साधारण नहीं है, विशेष।
  • नम्रता – कोमलता, विनम्रता।
  • जीवनसिद्धि – जीवन में सफलता प्राप्ति।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश काका कालेलकर द्वारा रचित संस्मरण ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ से लिया गया है। लेखक माँ कस्तूरवा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाल रहा हैं।

व्याख्या:
लेखक कहता है कि संसार में दो अचूक ताकते हैं-शब्द और कृति अर्थात् शब्द और उनके माध्यम से रचित रचना। इस बात में विलकुल संदेह नहीं है कि शब्दों की शक्ति में सारे भू-मंडल को हिला दिया है। दूसरे शब्दों में, शब्दों ने अपनी शक्ति से सारे संसार को अस्थिर कर दिया है परंतु आखिरी शक्ति तो स्मरण अथवा चिंतन है। महात्मा गाँधी ने अपने जीवन में शब्द और कृति दोनों शक्तियों की विशेष आधिमा की; अर्थात् उन्होंने शब्दों की शक्ति और उससे होने वाली रचनों पर विशेष दक्षता प्राप्त की। उन्होंने किस अवसर किन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए और रचना में किस प्रकार के शब्दों का चयन करना चाहिए। इसमें विशेष योग्यता प्राप्त की।

कस्तूरबा गांधी ने इसके विपरीत इन दोनों शक्तियों से अधिक श्रेष्ठ सृष्टि की रचना; अर्थात् महात्मा गाँधी की विनम्रता के साथ आराधना करके ही संतुष्टि प्राप्त की और जीवन में सफलता प्राप्त की। दूसरे शब्दों में, कस्तूरबा गांधी ने शब्द शक्ति की अधिक उपासना नहीं की। उनका भाषा ज्ञान अधिक नहीं था किंतु उन्होंने सृष्टि की रचना महात्मा गाँधी की सेवा द्वारा ही अपने जीवन को सफल बनाया।

विशेष:

  1. महात्मा गाँधी और कस्तूरबा के भाषा ज्ञान के अंतर को स्पष्ट किया गया है।
  2. कस्तूरबा की पतिनिष्ठा को उजागर किया गया है।
  3. भाषा तत्सम शब्दावलीयुक्त खड़ी वोली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
किस, शक्ति ने सारी दुनिया को हिला दिया है?
उत्तर:
शब्द की अमोघ शक्ति ने सारी दुनिया को हिला दिया है।

प्रश्न (ii)
महात्मा गाँधी ने किन दो शक्तियों की उपासना की है?
उत्तर:
महात्मा गांधी ने शब्द और कृति दोनों अमोघ शक्तियों की असाधारण उपासना की है। उन्होंने इन दोनों शक्तियों पर असाधारण अधिकार प्राप्त कर लिया था।

प्रश्न (iii)
इन दोनों शक्तियों से अधिक श्रेष्ठ कृति’ किसे कहा गया है?
उत्तर:
शब्द और कृति शक्तियों से आधक श्रेष्ठ कृति महात्मा गाँधी को कहा गया है।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
इस गयांश में किसके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया है?
उत्तर:
इस गद्यांश में माँ कस्तूरबा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया है।

प्रश्न (ii)
माँ कस्तूरबा ने किसकी उपासना करके जीवन-सिद्धि प्राप्त की?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा ने शब्द और कृति जैसी अमोघ शक्तियों से अधिक सृष्टि की श्रेष्ठ रचना महात्मा गाँधी की विनम्रता के साथ आराधना करके ही संतुष्टि और जीवनसिद्धि प्राप्त की।

प्रश्न (iii)
माँ कस्तूरबा ने किस शक्ति की अधिक उपासना नहीं की?
उत्तर:
माँ कस्तूरवा ने शब्द शक्ति की अधिक उपासना नहीं की। उन्हें भाषा ज्ञान अधिक नहीं था।

प्रश्न 3.
दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने जब उन्हें जेल भेज दिया, कस्तूरबा ने अपना बचाव तक नहीं किया। न कोई निवेदन प्रकट किया। “मुझे तो वह कानून तोड़ना ही है जो यह कहता है कि मैं महात्माजी की धर्मपत्नी नहीं हूँ।” इतना कहकर सीधे जेल चली गईं। जेल में उनकी तेजस्विता तोड़ने की कोशिशें वहाँ की सरकार ने बहुत की, किंतु अंत में सरकार की उस समय की जिद्द ही टूट गई। डॉक्टर ने जब उन्हें धर्म विरुद्ध खुराक लेने की बात कही तब भी उन्होंने धर्मनिष्टा पर कोई व्याख्यान नहीं दिया। उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा-“मुझे अखाद्य खाना खाकर जीना नहीं है। फिर भले ही मुझे पौत का सामना करना पड़े।” (Page 45)

शब्दार्थ:

  • बचाव – बचने का प्रयास।
  • निवेदन – प्रार्थना, याचिका।
  • तेजस्विता – तेजस्वी होने का भाव, प्रभावशाली होने का भाव कोशिश-प्रयास।
  • जिद – हटवादिता।
  • धर्मविरुद्ध – धर्म के विपरीत।
  • खुराक – आहार, भोजन।
  • धर्मनिष्ठा – धर्म के प्रति श्रद्धा।
  • व्याख्यान – भाषण।
  • अखाद्य – जो खाने योग्य न हो।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश काका कालेलकर द्वारा रचित ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ से लिया गया है। लेखक कस्तूरबा के व्यक्तित्व के तेजस्वी स्वरूप और दृढ़ता को उजागर कर रहा है।

व्याख्या:
लेखक दक्षिणी अफ्रीका में घटित घटना के द्वारा माँ कस्तूरबा के व्यक्तित्व की दृढ़ता को उजागर करते हुए आगे कहता है कि जव दक्षिणी अफ्रीका की सरकार ने माँ कस्तूरबा को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया, तो उन्होंने अपने बचाव के संबंध में कुछ नहीं कहा। न कोई तर्क दिया और न ही जेल से छूटने के लिए कोई याचिका दर्ज की। उन्होंने उस समय केवल इतना ही कहा कि मुझे तो वह कानून भंग करना है, जो मुझे महात्मा गाँधी की पत्नी स्वीकार नहीं करता। इतना कहकर वे जेल चली गईं और जेल जाकर यह सिद्ध कर दिया कि वे गांधी जी की पत्नी हैं।

जेल में उनके तेजस्वी होने के भाव और उनकी दृढ़ता तोड़ने के अनेक प्रयास वहाँ की सरकार ने किए, लेकिन वह माँ कस्तूरबा की तेजस्विता तोड़ने में सफल नहीं हो पाईं। उनकी दृढ़ता के सामने तत्कालीन दक्षिण अफ्रीका की सरकार को घुटने टेकने पड़े। जेल में रहते हुए जब उनका स्वास्थ्य गिरने लगा, तो डॉक्टर ने उन्हें हिंदू-धर्म के विरुद्ध भोजन लेने का सुझाव दिया।

उस समय उन्होंने धर्म के प्रति श्रद्धा और आस्था पर कोई भाषण नहीं दिया। उन्होंने केवल इतना ही कहा कि मुझे अखाद्य (न खाने योग्य) भोजन खाकर जीवित नहीं रहना है। चाहे मुझे मृत्यु का ही सामना करना पड़े। दूसरे शब्दों में, उन्होंने मांस-अंडे आदि खाने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने ऐसा भोजन खाने की अपेक्षा मृत्यु को चुना। यह उनके व्यक्तित्व की दृढ़ता का ही परिचायक है।

विशेष:

  1. माँ कस्तूरबा के व्यक्तित्व की तेजस्विता, दृढ़ता, धर्मनिष्ठा को उजागर किया गया है।
  2. भाषा तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है।
  3. मुहावरों के प्रयोग से भाषा में अर्थवत्ता का समावेश हुआ है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
माँ कस्तूरबा ने किस कानून को तोड़ने की बात की है?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा ने दक्षिण अफ्रीका के उस कानून को तोड़ने की बात की है, जो उन्हें महात्मा गाँधी की पत्नी स्वीकार नहीं करता था।

प्रश्न (ii)
माँ कस्तूरबा को दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने बंदी क्यों बनाया?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा ने दक्षिण अफ्रीका के सरकारी कानून को तोड़ा था, इसलिए उन्हें बंदी बनाकर जेल भेज दिया गया।

प्रश्न (iii)
जेल में डॉक्टर ने उन्हें क्या परामर्श दिया?
उत्तर:
जेल में माँ कस्तूरबा का स्वास्थ्य गिरने लगा, तो डॉक्टर ने उन्हें धर्म के विरुद्ध खाना खाने का परामर्श दिया। दूसरे शब्दों में, डॉक्टर ने उन्हें मांस और अण्डे खाने की सलाह दी।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
दक्षिण अफ्रीका में कस्तूरबा को जब जेल भेज दिया तो उन्होंने अपना बचाव क्यों नहीं किया?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा दक्षिण अफ्रीका के उस कानून को तोड़ना चाहती थीं जो उन्हें. महात्मा गाँधी की धर्मपत्नी नहीं मानता था इसीलिए उन्होंने अपना बचाव नहीं किया और जेल चली गईं।

प्रश्न (ii)
माँ कस्तूरबा ने धर्म के विरुद्ध खुराक लेने से मना क्यों कर दिया?
उत्तर:
धर्म के विरुद्ध खुराक लेने से माँ कस्तूरबा की धर्मनिष्ठा खंडित हो जाती इसीलिए उन्होंने धर्म के विरुद्ध खुराक लेने से मना कर दिया।

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प्रश्न 4.
महात्माजी को गिरफ्तार करने के बाद सरकार की ओर से कस्तूरबा को कहा गया, “अगर आपकी इच्छा हो तो आप भी साथ में चल सकती हैं।” बा बोलीं-“अगर आप गिरफ्तार करें तो मैं भी जाऊँगी। वरना आने की मेरी तैयारी नहीं है। महात्माजी जिस सभा में बोलने वाले थे उस सभा में जाने का उन्होंने निश्चय किया था। पति के गिरफ्तार होने के बाद उनका काम आगे चलाने की जिम्मेदारी बा ने कई बार उठाई है।

शाम के समय जब वह व्याख्यान के लिए निकल पड़ीं, सरकारी अमलदारों ने आकर उनसे कहा, ‘माताजी सरकार का कहना है कि आप घर पर ही रहें, सभा में जाने का कष्ट न उठाएँ।” बा ने उस समय उन्हें न देशसेवा का महत्त्व समझाया और न उन्होंने उन्हें ‘देशद्रोह करने वाले हो’ कहकर उनकी निभर्त्सना ही की। उन्होंने एक ही वाक्य में सरकार की सूचना का जवाब दिया। “सभा में जाने का मेरा निश्चय पक्का है, मैं जाऊँगी ही।” (Page 45)

शब्दार्थ:

  • व्याख्यान – भाषण।
  • अमलदारों – अधिकारियों।
  • निभर्त्सना – निंदा।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश काका कालेलकर द्वारा लिखित संस्मरण ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ से उद्धृत है। लेखक कस्तूरबा के व्यक्तित्व की दृढ़ता को उजागर कर रहा है।

व्याख्या:
दिल्ली के बिड़ला हाउस में पुलिस द्वारा महात्मा गाँधी को गिरफ्तार करने के बाद सरकार की तरफ़ से बा को संदेश दिया गया कि यदि आपकी इच्छा गाँधी जी के साथ जेल जाने की हो, तो आप भी साथ चल सकती हैं। इस पर बा ने उत्तर दिया कि यदि आप मुझे गिरफ्तार करेंगे तो मैं भी चलूँगी, अन्यथा जेल जाने की मेरी कोई तैयारी नहीं; अर्थात् मैं बिना गिरफ्तार किए जेल जाने के लिए तैयार नहीं हूँ। गिरफ्तार करोगे, तो मुझे जाना ही पड़ेगा। महात्मा गांधी उस दिन जिस सभा में भाषण देने वाले थे, माँ कस्तूरबा ने उस सभा में जाने का निश्चय किया।

पति के जेल जाने के बाद, उनकी अनुपस्थिति में पति के कार्य को आगे बढ़ाने का उत्तरदायित्व ‘बा’ ने कई बार उठाया। शाम के समय वे सभा में भाषण देने के लिए बिड़ला हाउस चल दीं। तो सरकारी अधिकारियों ने आकर उनसे कहा कि माताजी सरकार चाहती है कि आप घर पर ही रहें, अर्थात् आप सभा में भाषण देने जाएँ, यह सरकार नहीं चाहती। ‘बा’ ने उस अवसर पर उन सरकारी अधिकारियों को न तो देश सेवा का महत्त्व समझाया और न ही उन्होंने उन्हें देश के विरुद्ध कार्य करने वाला कहकर उनकी निंदा की। उन्होंने एक ही वाक्य में सरकार की उस सूचना का उत्तर दिया कि सभा में जाने का मेरा निश्चय पक्का है, और में अवश्य जाऊँगी। . इस प्रकार उन्होंने अपनी दृढ़ता का परिचय दिया।

विशेष:

  1. माँ कस्तूरबा की दृढ़ता को उजागर किया गया है। पति के कार्य को आगे बढ़ाने के क्षमता को उद्घाटित किया गया है।
  2. भाषा सरल, सुबोध और आम बोलचाल की खड़ी बोली है।
  3. मुहावरों का सार्थक प्रयोग किया गया है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत गद्याशं में माँ कस्तूरबा के चरित्र का कौन-सा पक्ष उजागर हुआ है?
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश में माँ कस्तूरबा के चरित्र की दृढ़ता का पक्ष उजागर हुआ है।

प्रश्न (ii)
महात्मा गाँधी को गिरफ्तार करने के बाद दक्षिण अफ्रीका सरकार ने कस्तूरबा के सामने क्या प्रस्ताव रखा?
उत्तर:
महात्मा गाँधी को गिरफ्तार करने के बाद दक्षिण अफ्रीका सरकार ने माँ कस्तूरबा के सामने प्रस्ताव रखा कि अगर आपकी इच्छा हो तो आप भी (गाँधीजी के) साथ चल सकती हैं।

प्रश्न (iii)
माँ कस्तूरबा ने पति की गिरफ्तारी के बाद उनके अधूरे कार्य को आगे बढ़ाने के लिए क्या किया?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा ने पति की गिरफ्तारी के बाद उनके अधूरे कार्य को आगे बढ़ाने के लिए उस सभा को सम्बोधित करने का निश्चय किया, जिसमें वे भाषण देने वाले थे। सरकारी अधिकारियों द्वारा रोकने पर भी वे नहीं रुकीं।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
माँ कस्तूरबा ने गाँधी के साथ जेल जाने से क्यों मना कर दिया?
उत्तर:
सरकार माँ कस्तूरबा को गिरफ्तार नहीं कर रही थी अपितु उसने उनकी इच्छा पर छोड़ दिया था इसलिए उन्होंने गाँधीजी के साथ जेल जाने से मना कर दिया था। दूसरे उनकी जेल जाने की तैयारी भी नहीं थी।

प्रश्न (ii)
सरकारी अमलदारों ने क्या कहकर कस्तूरबा को सभा में जाने से रोकने का प्रयास किया?
उत्तर:
सरकारी अमलदारों ने यह कहकर कि ‘माताजी सरकार का कहना है कि आप घर पर ही रहें, सभा में जाने का कप्ट न उठाएँ, यह कहकर कस्तूरबा को सभा में जाने से रोकने का प्रयास किया।

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प्रश्न 5.
आगाखाँ महल में खाने-पीने की कोई तकलीफ नहीं थी। हवा की दृष्टि से भी स्थान अच्छा था। महात्माजी का साथ भी था, किंतु कस्तूरबा के लिए यह विचार ही असह्य हुआ कि ‘मैं कैद में हूँ।’ उन्होंने कई बार कहा-‘मुझे यहाँ का वैभव कतई नहीं चाहिए, मुझे तो सेवाग्राम की कुटिया ही पसंद है।’ सरकार ने उनके शरीर को कैद रखा किंतु उनकी आत्मा को वह कैद सहन नहीं हुई। जिस प्रकार पिंजड़े का पक्षी प्राणों का त्याग करके बंधनमुक्त हो जाता है उसी प्रकार कस्तूरबा ने सरकार की कैद में अपना शरीर छोड़ा और वह स्वतंत्र हुईं। उनके इस मूक किंतु तेजस्वी? बलिदान के कारण अंग्रेजी साम्राज्य की नींव ढीली हुई और हिंदुस्तान पर उनकी हुकूमत कमजोर हुई।

कस्तूरबा ने अपनी कृतिनिष्ठा के द्वारा यह दिखा दिया कि शुद्ध और रोचक साहित्य के पहाड़ों की अपेक्षा कृति का एक क्षण अधिक मूल्यवान और आबदार होता है। शब्द-शास्त्र में जो लोग निपुण होते हैं उनको कर्त्तव्य-अकर्तव्य की हमेशा ही विचिकित्सा करनी पड़ती है। कृतिनिष्ठ लोगों को ऐसी दुविधा कभी परेशान नहीं कर पाती। कस्तूरबा के और सामने उनका कर्तव्य किसी दीये के समान स्पष्ट था। जब कभी कोई चर्चा शुरू हो जाती तब ‘मुझसे पेही होगा’ और ‘यह नहीं होगा’-इन दो वाक्यों में ही अपना फैसला सुना देतीं। (Pages 45-46)

शब्दार्थ:

  • तकलीफ़ – परेशानी।
  • असह्य – असहनीय, सहन न करने योग्य।
  • वैभव – ऐश्वर्य।
  • कतई – बिलकुल, ज़रा भी।
  • बंधनमुक्त – स्वतंत्र।
  • मूक – मौन।
  • नींव ढीली होना – आधार कमजोर होना।
  • हुकूमत-शासन – व्यवस्था।
  • आबदार – स्वाभिमानी, धारदार, चमकदार।
  • निपुण – कुशल।
  • विचिकित्सा – संदेह, शक, दुविधा।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश काका कालेलकर द्वारा रचित ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ से उद्धृत किया गया है। लेखक माँ कस्तूरबा की मृत्यु और उससे ब्रिटिश साम्राज्य पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या:
भारत की ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गाँधी और माँ कस्तूरबा को गिरफ्तार करके आगा खाँ महल में रखा। महल में खाने-पीने की व्यवस्था अच्छी थी। उन्हें खाने-पीने की कोई परेशानी नहीं थी। हवा के आने-जाने की भी अच्छी व्यवस्था थी। दूसरे शब्दों में, महल हवादार और आरामदायक था। फिर गाँधीजी भी माँ कस्तूरबा के साथ ही थे किंतु सभी प्रकार की सुविधाएँ होते हुए भी ‘बा’ के लिए यह विचार ही असहनीय था कि वे इस महल में कैद हैं। यह महल कैदखाना है। उन्होंने इस संबंध में कई बार कहा कि मुझे यहाँ का ऐश्वर्य बिलकुल नहीं चाहिए।

मुझे तो इस महल की अपेक्षा सैवाग्राम की कुटिया ही अधिक पसंद है। लेखक कहता है कि सरकार ने उनके शरीर को आगा खाँ महल में कैद कर रखा था किंतु उनकी आत्मा को यह कैद सहन नहीं हुई। जिस प्रकार पिंजरे में बंद पक्षी अपने प्राणों को त्यागकर स्वतंत्र हो जाता है। उसी प्रकार माँ कस्तूरबा सरकार की कैद में अपना शरीर छोड़ा अर्थात् सरकार की कैद में ही माँ कस्तूरबा का देहांत हो गया और वे सरकार की कैद से आजाद हो गईं। उनके इस मौन किंतु तेजस्वी बलिदान के कारण भारत में अंग्रेजी साम्राज्य के आधार को कमजोर कर दिया। हिंदुस्तान पर उनकी पकड़ ढीली पड़ गई।

माँ कस्तूरबा ने अपने कार्यों से यह दिखा दिया कि अपनी कृतिनिष्ठा अर्थात् महात्मा गाँधी के प्रति उनकी श्रद्धा और आस्था के द्वारा यह प्रमाणित कर दिया कि शुद्ध और रोचक साहित्य के विशाल भंडार की अपेक्षा सृष्टि की रचना का एक क्षण अधिक मूल्यवान और स्वाभिमान होता है। शब्द-शास्त्र अर्थात् शब्द ज्ञान में जो लोग निपुण होते हैं उनको कर्त्तव्य और अकर्तव्य का निर्णय करने में सदैव दुविधा होती हैं।

लेखक का मत है कि ईश्वर की रचना के प्रति आस्था रखने वाले लोगों को इस प्रकार की दुविधा कभी भी परेशान नहीं कर पाती अर्थात् वे तुरंत निर्णय करने में सक्षम होते हैं। माँ कस्तूरबा के सम्मुख उनका कर्त्तव्य दीये के प्रकाश के सामने बिलकुल स्पष्ट था। जब कभी कर्त्तव्य-अकर्त्तव्य के संबंध में चर्चा आरंभ हो जाती तो :मुझसे यही होगा’ और ‘मुझसे यह नहीं होगा’ कहकर वे अपना स्पष्ट निर्णय दे देती थीं। उन्हें निर्णय लेने में ज़रा भी देर नहीं लगती थी। वे तुरंत निर्णय लेने की क्षमता रखती थीं।

विशेष:

  1. माँ कस्तूरबा की कैद में मृत्यु ओर ब्रिटिश शासन पर उसके प्रभाव का वर्णन किया गया है।
  2. माँ कस्तूरबा की निर्णय क्षमता को उजागर किया गया है।
  3. भाषा तत्सम तथा उर्दू शब्दावली से युक्त खड़ी बोली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
माँ कस्तूरबा आगा खाँ महल में क्यों नहीं रहना चाहती थीं?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा को सरकार ने आगा खाँ महल में कैद में रखा था। यद्यपि उन्हें वहाँ सारी सुविधाएँ उपलब्ध थीं तथापि उन्हें कैद में होने का विचार असह्य था इसलिए वे आगा खाँ महल में नहीं रहना चाहती थीं।

प्रश्न (ii)
माँ कस्तूरबा सरकार की कैद से कैसे स्वतंत्र हुईं?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा जेल में ही अपने प्राणों को त्यागकर सरकार की कैद से मुक्त हो गईं।

प्रश्न (iii)
प्रस्तुत गद्यांश में माँ कस्तूरबा की कौन-सी चारित्रिक विशेषता उभरकर सामने आई है?
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश में माँ कस्तूरबा के चरित्र की कर्तव्य-अकर्त्तव्य के संबंध में निर्णय लेने की क्षमता उजागर हुई है। वे तुरंत निर्णय लेने में समर्थ थीं।

गद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
आगा खाँ महल में सरकारी कैद में माँ कस्तूरबा की मृत्यु होने का ब्रिटिश साम्राज्य पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
कैद में माँ कस्तूरबा की मृत्यु होने से भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की नींव ढीली हुई और हिंदुस्तान पर उनकी हुकूमत कमजोर हुई।

प्रश्न (ii)
माँ कस्तूरबा को आगा खाँ महल के वैभव की अपेक्षा क्या पसंद था?
उत्तर:
माँ कस्तूरबा को आगा खाँ महल के वैभव की अपेक्षा सेवाग्राम की कुटिया का सीधा-सादा जीवन अधिक पसंद था।

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MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 9 जागो फिर एक बार

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 9 जागो फिर एक बार (कविता, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’)

जागो फिर एक बार पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

जागो फिर एक बार लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘सवा-सवा लाख पर’ एक को चढ़ाने की घोषणा किसने की थी?
उत्तर:
सवा-सवा लाख पर एक चढ़ाने की घोषणा गुरु गोविन्द सिंह ने की थी।

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प्रश्न 2.
गीता की उक्ति क्या है?
उत्तर:
गीता की उक्ति है कि इस संसार में योग्य व्यक्ति ही जीता है।

प्रश्न 3.
‘ताप-त्रय’. कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
दैहिक, दैविक और भौतिक ताप-त्रय हैं।

प्रश्न 4.
‘सिंधु-नद-तीरवासी’ किसे कहा गया है?
उत्तर:
भारतवासियों को सिंधु-नद-तीरवासी कहा गया है।

जागो फिर एक बार दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मेषमाता तप्त आँसू क्यों बहाती है?
उत्तर:
मेषमाता निर्बल होती है। उसकी संतान जब उससे छीनी जाती है, तो वह चुपचाप देखती रह जाती है इस प्रकार वह अपने जन्म पर दुखी होकर अपने तप्त आँसू बहाती है।

प्रश्न 2.
ऋषियों का महामंत्र क्या है?
उत्तर:
ऋषियों का महामंत्र है कि तुम महान् हो, तुम सदा से महान् हो। यह शरीर नाशवान है और इसके साथ ही यह हीनता दिखाना, कायरतापूर्ण व्यवहार करना तथा काम भावना में प्रवृत्तं रहना आदि भी स्थायी नहीं हैं बल्कि शीघ्र ही नष्ट होने वाले हैं। तुम ब्रह्म हो और सारा संसार तुम्हारे चरणों की धूल के बराबर नहीं है। अतः तुम उठो और अपनी शक्ति पहचानो तथा उसके अनुरूप कार्य करो।

प्रश्न 3.
कवि ‘जागो फिर एक बार’ में क्या उद्बोधन देता है? (M.P. 2012)
उत्तर:
कवि ने ‘जागो फिर एक बार’ कविता में भारतीयों को उद्बोधन दिया है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के महासंग्राम में योद्धा की तरह संघर्ष करो। अपनी वीस्वती परंपरा को अक्षुण्ण रखने वाले भारतीय व्यक्ति को अपनी संपूर्ण कायरता को त्यागकर अपने पराक्रमी और पुरुषार्थी स्वरूप को जागृत करो। अपनी दासता के संपूर्ण बंधनों को तोड़ने के लिए उसे जागृत करना आवश्यक है।

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प्रश्न 4.
शिशु के छिनने पर सिंही और मेषमाता के व्यवहार में क्या अंतर है? (M.P. 2010)
उत्तर:
यदि सिंहनी की गोद से कोई उसका शिशु छीनने का प्रयत्न करे, तो वहचुप नहीं रहती। वह इतने जोर से दहाड़ती है कि उसके बच्चे को भयभीत होकर छोड़कर भाग जाता है। दूसरी ओर मेषमाता अपने बच्चे को छीनने वाले को चुपचाप देखती रहती है, क्योंकि वह कमजोर है। इसलिए अपने जन्म पर दुखी होकर आँसू बहाती रह जाती है। इसके विपरीत सिंहनी अपने शिशु की रक्षा के लिए उग्र रूप धारण कर लेती है जबकि मेषमाता अपने बच्चे की रक्षा के लिए कोई भी प्रयास नहीं करती।

जागो फिर एक बार भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-विस्तार कीजिए –

  1. हे नश्वर यह दीन भाव-कायरता, कामपरता।
  2. अभय हो गए हो तुम मृत्युंजय व्योमकेश के समान अमृत संतान।

उत्तर:

1. यह मानव शरीर नाशवान है और इसके साथ ही यह दीनता दिखाना, कायरतापूर्ण व्यवहार करना तथा कामभावना में प्रवृत्त रहना आदि भावनाएँ भी नश्वर हैं। जब शरीर ही नष्ट होने वाला है तो ये भाव भी स्थायी नहीं हैं। बल्कि ये भी शीघ्र नष्ट होने वाले हैं। इसलिए अपनी शक्ति को पहचानकर, उसी के अनुरूप कार्य करो।

2. तीनों प्रकार के गुण सत, रज और तम तथा तीन प्रकार के ताप दैविक, भौतिक तथा आध्यात्मिक अग्नि में जलकर भस्म हो गए थे। हे भारतवासियो! ऐसी स्थिति तुम मृत्यु को जीतने वाले भगवान शिव के समान निडर हो गए थे। तुम्हें मृत्यु का भय नहीं रहा था। अभयदान मिल जाने से तुम अमर हो गए थे।

जागो फिर एक बार भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
‘शप्त-सप्त’ समोच्चारित शब्द-युग्म है। इसी प्रकार के पाँच शब्द-युग्म लिखिए।
उत्तर:

  • अनल – अनिल
  • गुप्त – सुप्त
  • दिन – दीन
  • सुत – सूत
  • कूल – कुल।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का समास-विग्रह कर उनके नाम लिखिए –
मरणलोक, महासिंधु, तीरवासी, मेषमाता, सप्तावरण।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 9 जागो फिर एक बार img-1

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अनेकार्थी शब्द हैं। प्रत्येक के ऐसे दो-दो वाक्य बनाइए जिससे उनके भिन्न अर्थ स्पष्ट हों –
सैंधव, काल, गुण, पद।
उत्तर:
सैंधव:

  1. सैंधव की थाह कोई नहीं पा सकता।
  2. महाभारत काल में सैंधव नरेश जयद्रथ था।

काल:

  1. विकराल काल से कोई नहीं बच सकता।
  2. संध्या काल पक्षी घर लौट रहे हैं।

गुण:

  1. काव्य के भी गुण-दोष होते हैं।
  2. गुणी का सब जगह आदर होता है।

पद:

  1. मुझे अध्यक्ष का पद मिल गया है।
  2. इस पद की रचना कबीर ने की है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित पारिभाषिक शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
सच्चिदानंद, परमाणु, सहस्रार, माया।
उत्तर:

  • सच्चिदानंद – ईश्वर का दूसरा नाम ही सच्चिदानंद है।
  • परमाणु – आज सभी राष्ट्र परमाणु शक्ति सम्पन्न बनना चाहते हैं।
  • सहस्रार – भक्ति का अंतिम पड़ाव सहस्रार है।
  • माया – माया ईश्वर की प्राप्ति में सबसे बड़ी बाधा है।

जागो फिर एक बार योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
वीररस के कवियों की रचनाओं का संग्रह करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
वार्षिक उत्सव में वीररस के कवियों के प्रतिरूप धारण कर कवि सम्मेलन आयोजित करें।
उत्तर:
छात्र अपने भाषाध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 3.
निकटवर्ती स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से भेंट कर उनसे स्वतंत्रता संग्राम के अनुभवों को सुनिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

जागो फिर एक बार परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न –

प्रश्न 1.
‘जागो फिर एक बार’ कविता में ……… का भाव निहित है। (M.P. 2012)
(क) राष्ट्रीय नवजागरण
(ख) राष्ट्रीय एकता
(ग) राष्ट्रीय भाषा
(घ) राष्ट्रीय भक्ति
उत्तर:
(क) राष्ट्रीय नवजागरण।

प्रश्न 2.
‘जागो फिर एक बार’ कविता ……… के आंदोलन की पृष्ठभूमि पर सजितं है।
(क) सामाजिक समता प्राप्ति
(ख) स्वतंत्रता प्राप्ति
(ग) आर्थिक मुक्ति प्राप्ति
(घ) अंग्रेज भगाओ
उत्तर:
(ख) स्वतंत्रता प्राप्ति।

प्रश्न 3.
गुरु गोविंद सिंह ……. के गुरु थे।
(क) ईसाइयों
(ख) जैनों
(ग) सिखों
(घ) बौद्धों
उत्तर:
(ग) सिखों।

प्रश्न 4.
भारतीयों को किसका रूप माना गया है?
(क) शिव का
(ख) ब्रह्मा का
(ग) इन्द्र का
(घ) विष्णु का
उत्तर:
(ख) ब्रह्मा का।

प्रश्न 5.
‘सत्श्री अकाल’ किस धर्म से संबंधित है?
(क) सिख धर्म से
(ख) इस्लाम धर्म से
(ग) मानव धर्म से
(घ) सनातन धर्म से
उत्तर:
(क) सिख धर्म से।

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प्रश्न 6.
“तुम हो महान्, तुम सदा हो महान्” यह भारतीयों में किसका ड्का महामंत्र है?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) ऋषियों
(ग) गुरु गोविंद सिंह
(घ) स्वापी दयानंद
उत्तर:
(ख) ऋषियों।

प्रश्न 7.
“मृत्युंजय व्योमवेश के समान’ में ‘मृत्युंजय’ किसे कहा गया है?
(क) भगवान शिव को
(ख) भगवान श्रीकृष्ण को
(ग) भगवान विष्णु को
(घ) रावण को
उत्तर:
(क) भगवान शिव को।

प्रश्न 8.
तीन ताप कौन-कौन से हैं?
(क) दैहिक, दैविक और भौतिक
(ख) लौकिक, अलौकिक और आध्यात्मिक
(ग) समुद्री, आकाशीय और स्थलीय
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) दैहिक, दैविक और भौतिक।

प्रश्न 9.
‘जागो फिर एक बार’ कविता के रचयिता हैं – (M.P. 2010)
(क) श्री सुमित्रानंदन पंत
(ख) श्री सूर्यकांत त्रिपाठी
(ग) बालकवि बैरागी’
(घ) श्री जयशंकर प्रसाद’
उत्तर:
(ख) श्री सूर्यकांत त्रिपाठी

प्रश्न 10.
“सवा लाख पर एक को चढ़ाऊँगा।” की घोषणा की थी –
(क) ऋषियों ने
(ख) सिन्धु-नद-तीरवासी ने
(ग) गुरु गोविन्द सिंह ने
(घ) सत्श्री अकाल ने
उत्तर:
(ग) गुरु गोविन्द सिंह ने।

II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर कीजिए –

  1. ‘समन्वय’ पत्रिका का सम्पादन ………. के द्वारा किया गया। (महावीर प्रसाद द्विवेदी ‘निराला’)
  2. ‘निराला’ स्वच्छंदतावादी काव्य-संसार के ………. कवि रहे। (सर्वोत्कृष्ट श्रेष्ठ)
  3. ‘जागो फिर एक बार’. ………. प्रधान कविता है। (सामाजिक चेतना, राष्ट्रीय चेतना)
  4. ‘जागो फिर एक बार’ कविता ………. छन्द में है। (मुक्तक/मात्रिक)
  5. ‘योग्य जन जीता है’ उक्ति है ………. । (पश्चिम की गीता की)

उत्तर:

  1. ‘निराला’
  2. सर्वोत्कृष्ट
  3. राष्ट्रीय चेतना
  4. मुक्तकं
  5. गीता की।

III. निम्नलिखित कथनों में सत्य/असत्य छाँटिए –

  1. कवि ने भारतीयों को शेर और अंग्रेजों को सियार कहा है।
  2. ‘योग्य जन जीता है’ यह उक्ति पश्चिमी है।
  3. गुरु गोविन्द सिंह ईसाइयों के गुरु थे।
  4. ‘सत् श्री अकाल’ सिख धर्म से संबंधित है।
  5. ‘मृत्युंजय व्योमकोश के समान’ में मृत्युंजय भगवान विष्णु को कहा गया है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. असत्य।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 9 जागो फिर एक बार img-2
उत्तर:

(i) (ङ)
(ii) (ग)
(iii) (घ)
(iv) (ख)
(v) (क)।

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
‘तुम हो महान्, तुम सदा हो महान्’ किसका महामंत्र है?
उत्तर:
ऋषियों का।

प्रश्न 2.
अपना बच्चा छिनता देख सिंहनी क्या करती है?
उत्तर:
सिंहनी अपनी गोद से बच्चा छीनने पर भयंकर दहाड़ करती हुई खाने के लिए दौड़ने लगती है।

प्रश्न 3.
दीन भाव क्या है?
उत्तर:
कायरता और कामपरता।

प्रश्न 4.
तीन गुण कौन-कौन हैं?
उत्तर:
सत्व, रज और तम।

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प्रश्न 5.
तीन ताप कौन-कौन हैं?
उत्तर:
दैविक, दैहिक और भौतिक।

जागो फिर एक बार लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘जागो फिर एक बार’ कविता के रचयिता कौन हैं?
उत्तर:
‘जागो फिर एक बार’ कविता के रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं।

प्रश्न 2.
‘जागो फिर एक बार’ कविता में कवि किसे जगा रहा है?
उत्तर:
इस कविता में कवि भारतीयों को जगा रहा है।

प्रश्न 3.
‘शेरों की माँद में आया है आज स्यार’ इसमें ‘स्यार’ किसे कहा गयाहै।
उत्तर:
इसमें ‘स्यार’ अंग्रेजों को कहा गया है।

प्रश्न 4.
भारतीयों को पशु तुल्य क्यों कहा गया है?
उत्तर:
यदि भारतीय कृतज्ञ होकर अपने देश को दासता से मुक्ति नहीं दिला सके, तो पशु तुल्य हैं।

प्रश्न 5.
‘जागो फिर एक बार’ कविता में क्या दिया है?
उत्तर:
‘जागो फिर एक बार’ कविता में कवि ने भारतीयों को जागरथ का संदेश दिया है।

प्रश्न 6.
भारत देश की क्या परम्परा रही है?
उत्तर:
भारत देश की परम्परा वीरों की रही है।

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प्रश्न 7.
गुरु गोविन्द सिंह ने क्या कहा था?
उत्तर:
गुरु गोविन्द सिंह ने कहा था –
“सवा-सवा लाख पर
एक को चढ़ाऊँगा,
गोविन्द सिंह निज
नाम तब कहाऊँगा।’

जागो फिर एक बार दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गुरु गोविन्द सिंह ने ‘सवा लाख पर एक चढ़ाऊँगा’ की घोषणा क्यों की थी?
उत्तर:
गुरु गोविन्द सिंह ने सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए यह घोषणा की थी कि उसका एक-एक वीर सिपाही शत्रु की सेना के सवा लाख सिपाहियों के बराबर है। यदि वह रणभूमि में मरा तो शत्रुओं की सेना के सवा लाख सिपाहियों को ही मारकर मरेगा। इस नारे से सेना के सिपाही का उत्साह बढ़ता था और वह स्वयं को अजेय समझने लगता था।

प्रश्न 2.
उत्सर्ग की किस परंपरा का उल्लेख किया है?
उत्तर:
कवि ने उत्सर्ग की उस परंपरा का उल्लेख किया है, जिसमें युद्ध के फाग में खून की होली खेलते हुए अनेक वीरों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दियाथा।

प्रश्न 3.
कवि भारतीयों को क्यों जागत करना चाहता है?
उत्तर:
इस कविता में कवि भारतीयों को स्वतंत्रता प्राप्ति के महासंग्राम में एक योद्धा की तरह भाग लेने के लिए जागृत करना चाहता है।

प्रश्न 4.
कवि ने बलिदान की किस परम्परा का उल्लेख किया है?
उत्तर:
कवि ने बलिदान की उस परम्परा का उल्लेख किया है जिसमें युद्ध के फाग में रंगे रंग की तरह मानकर अनेक भारतीय वीरों ने अपने प्राणों को न्योछावर कर दिए। युद्ध-भूमि में अपने प्राणों का बलिदान करने वाले इन धीरों ने परमपद प्राप्त करके मृत्यु पर मानो विजय प्राप्त कर ली।

प्रश्न 5.
अपनी महान् और वीरतापूर्ण परम्परा को हमेशा बनाए रखने के लिए कवि ने क्या सुझाव दिए हैं?
उत्तर:
अपनी महान् और वीरतापूर्ण परम्परा को हमेशा बनाए रखने के लिए कवि ने ये सुझाव दिए हैं कि हमें अपनी सारी कायरता को भूल जाना चाहिए। अपने पुरुषार्थ और पराक्रम को जगाना चाहिए। अपनी गुलामी के बंधनों को त्यागने के लिए जागना होगा। हमें अपने ऋषियों द्वारा दिए गए महामंत्र ‘तुम हो महान्, तुम सदा हो महान्’ को हमेशा याद रखना चाहिए।

जागो फिर एक बार कवि-परिचय

प्रश्न 1.
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं का परिचय दीजिए।
उत्तर:
छायावादी कविता के चार स्तंभों में से एक सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म बंगाल प्रांत के अंतर्गत महिपादल के मेदिनीपुर जिले में 1896 ई० में वसंत पंचमी के दिन हुआ था। इनके पूर्वज उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गढ़कोला स्थान के रहने वाले थे। इनके पिता पंडित रामसहाय त्रिपाठी नौकरी के सिलसिले में बंगाल के महिषादल राज्य में रहने लगे थे। उनके बंगाल में रहने के कारण ‘निराला’ जी की शिक्षा-दीक्षा वहीं पर हुई। इसीलिए इनका आरंभ में बंगला भाषा और साहित्य से परिचय हो गया। बाद में इन्होंने हिंदी तथा संस्कृत का अध्ययन घर पर रहकर ही किया। इनकी नियमित शिक्षा नौवीं कक्षा से आगे न हो सकी।

प्रकृति प्रेम तथा एकांत में पत्र-पत्रिकाओं के पठन-पाठन से आपकी रुचि साहित्य की ओर बढ़ती गई। युवावस्था में प्रवेश करते-करते इन पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा। पहले माँ की मृत्यु हुई। फिर पिताजी की। इसके पश्चात् फ्लू के रोग में परिवार के अन्य प्राणी भी चल बसे। इन घटनाओं से कवि का संवेदनशील मन कराह उठा। आर्थिक अभाव और उदारवादी वृत्ति के कारण इनको जीवन की कठोर विषमताओं से सदैव जूझना पड़ा। इन दैवी और आर्थिक आपदाओं ने इनको दार्शनिक बना दिया। स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा विवेकानन्द के साहित्य और दर्शन का आप पर गहरा प्रभाव पड़ा।

पिता की मृत्यु के बाद इनको पिता के स्थान पर नौकरी मिल गई थी, किंतु ये वहाँ अधिक समय तक न रह सके। कोलकाता से प्रकाशित होने वाले ‘मतवाला’ तथा पत्रिकाओं का उन्होंने सम्पादन किया। कुछ दिन ‘सुधा’ पत्रिका का भी सम्पादन किया। जीवन के अंतिम समय में ये अर्द्धविक्षिप्त हो गए। इसी अवस्था में 15 अक्टूबर, 1961 ई० को इनका देहावसान हुआ।

साहित्यिक विशेषताएँ:
‘निराला’ के काव्य में छायावादी, प्रगतिवादी तथा प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का संगम हुआ है। ‘निराला’ की अनामिका, परिमल, गीतिका तथा तुलसीदास आदि छायावादी रचनाएँ हैं। परिमल, बेला और नए पत्ते इनकी प्रगतिवादी रचनाएँ मानी जाती हैं। ‘अणिमा’ काव्य को विद्वान दार्शनिक रचनाओं में सम्मिलित करते हैं। इनकी रचना ‘तुलसीदास’ प्रबंधात्मक रचना है। इसमें महाकवि तुलसीदास.. के मनोविकास को दर्शाया गया है। ‘राम की शक्ति पूजा’ करुणा की पृष्ठभूमि पर आधारित शृंगार, वात्सल्य और व्यंग्य को समेटे हुए हैं। ‘सरोज-स्मृति’ हिंदी साहित्य का प्रसिद्ध शोकगीत है।

रचनाएँ:
प्रबंधात्मक काव्य-राम की शक्ति पूजा, सरोज-स्मृति और तुलसीदास।

काव्य:
परिमल, गीतिका, अनामिका, कुकुरमुत्ता, अणिमा, नए पत्ते, बेला, अर्चना, . आराधना, गीतगुंज और सांध्यकली।

उपन्यास:
अप्सरा, अलका, निरुपमा, प्रभावती, चोरी की पकड़, काले कारनामे। कहानी-लिली, सखी, सुकुल की बीवी, देवी। रेखाचित्र-कुल्ली भाट, विल्लेसुर बकरिहा, चतुरी चमार।

आलोचना:
प्रबंध-पादप, प्रबंध प्रतिमा, संचय और चाबुक।

निरालाजी के काव्य की भाषा, भाव और छंद में नवीनता के कारण अद्वितीय बन गयी है। इनमें खड़ी बोली के साथ-साथ उर्दू, अरबी, फारसी और अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है पर ये प्रयोग कहीं भी खटकते नहीं। ‘निराला’ हिंदी कविता में मुक्त छंद के प्रवर्तक रहे। इनकी विशेषता लयात्मकता के कारण मात्रा, वर्गों में तालमेल के कारण बढ़ गई है। इनके काव्य में पारंपरिक अलंकारों के साथ-साथ छायावादी मानवीकरण तथा विशेषण विपर्यय जैसे अलंकारों का प्रयोग भी मिलता है। .

महत्त्व:
‘निराला’ आधुनिक हिंदी के उन महान् कवियों में से एक हैं, जिन्होंने रूढ़ियों को विध्वंस किया, किंतु भाव, भाषा और छंद को एक नया आयाम प्रदान कर हिंदी कविता का उत्कर्ष किया। ‘निराला’ जी छायावादी कविता के प्रवर्तकों में से एक हैं। स्वच्छंदतावादी काव्य जगत् के भी वे सर्वोत्कृष्ट कवि हैं।

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जागो फिर एक बार पाठ का सारांश

प्रश्न 2.
‘जागो फिर एक बार’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘जागो फिर एक बार’ कविता में कवि ने भारत के अतीत का गौरवमय चित्रण किया है। इसी संदर्भ में वह भारतीयों को जागरण का संदेशा दे रहे हैं। भारतीयों ने अतीत काल में युद्ध में मरकर स्वर्ग जाने का लक्ष्य बना रखा था यही उनके जीवन का आदर्श था। उनके इस आदर्श के कारण महासागर से लेकर सिंधु नदी के वासियों ने उनकी प्रशंसा के गीत गाए हैं। गुरु गोविन्द सिंह ने भी कहा कि सवा-सवा लाख शत्रओं को मारकर जब उनका एक सिपाही या योद्धा मरेगा। तभी वह अपना नाम गोविन्द सिंह कहलाना चाहेंगे।

वीरों के मन को मोहित कर लेने वाला यह गीत योद्धाओं को रणभूमि में अजेय बना देता था। आज शेरों! (भारतीयों) की माँद में पुनः सियार (अंग्रेज) घुस आए हैं। इसलिए शेरों जागो और इनको अपनी माँद में से बाहर धकेलो। गुरु गोविंद सिंह जब रणभूमि में सत श्री अकाल का उच्चारण करते हुए पहुँचते थे, तो उनका चेहरा तमतमा जाता था और उससे आग-सी निकला करती थी। इस आग में तीन काल (भूत, भविष्य, वर्तमान), तीनों गुण (सत्, रज, तम) तथा तीनों ताप (दैविक, भौतिक तथा आध्यात्मिक) जलकर भस्म हो जाते थे। ऐसी दशा में तुम शिव के समान मृत्यु को जीतने वाले हो गए।

तुम उस परम योगी के समान हो गए, जो सातों आवरण भेदकर उस स्थान पर पहुँच जाता है, जहाँ. ब्रह्मस्थल है। अरे तुम जागो, तुम वीर हो। भला कोई सिंहनी की गोद से उसका शिशु भी छीन ले और वह चुपचाप देखती रहेगी। ऐसा कभी नहीं हुआ। केवल भेड़ की माता ही अपने शिशु को छिनता हुआ देखती है और अपने जन्म पर आँसू बहाती रह जाती है। इस संसार में जो योग्य जन होता है वही जीता है। यही हमारे यहाँ की गीता का उपदेश है। इस उपदेश को याद करो और एक बार जाग जाओ। अरे तुम पशु नहीं हो, बल्कि वीर योद्धा हो।

यह ठीक है कि तुम कालचक्र में दबे हुए योद्धा के समान हो। पर क्या यह सब माया है। तुम मुक्त छंद की भाँति हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो और आनंद में डूबे हुए ईश्वर का रूप हो। महाऋषियों ने अणुओं और परमाणुओं में सदा यही मंत्र फूंका है कि तुम महान् हो। यह दीनता, कायरता और भोग-विलास की भावना को नष्ट कर दो। अरे तुम ब्रह्म हो। यह सारा संसार तुम्हारे चरणों की धूलि की बराबरी करने योग्य भी नहीं है इसलिए तुम जागो और अपने को पहचानो।

जागो फिर एक बार संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
जागो फिर एक बार!
समर में अमर कर प्राण,
गान गाए महासिंधु से
सिंधु-नद-तीरवासी!
सैन्धव तुरंगों पर
चतुरंग चमू संग,
सवा-सवा लाख पर
एकको चढ़ाऊँगा,
गोविन्दसिंह निज
नाम जब कहाऊँगा।” (Pages 40-41)

शब्दार्थ:

  • समर – युद्ध।
  • सैंधव – सिंधु (समुद्र) संबंधी
  • चतुरंग – चार तरह की।
  • चमू – सेना।
  • महासिंधु – महासागर।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला’ की कविता ‘जागो फिर एक बार’ से ली गई हैं। यहाँ कवि ने गुरु गोविन्द सिंह का गुणगान करते हुए भारतवासियों को उद्दीप्त किया है कि वे भी अपने आलस्य भाव को छोड़कर शत्रुओं से भिड़ जाएँ और देश को स्वतंत्र कराएँ।

व्याख्या:
कवि कहता है कि हे भारतवासियो! तुम एक बार फिर जागो। इस देश के वीरों की परम्परा रही है कि युद्ध में शत्रुओं से लड़ते-लड़ते मर जाने पर वीर के प्राण अमर हो जाते हैं। सिंधु प्रांत के घोड़ों पर चढ़कर अपने साथ चतुरंगी सेना-अर्थात् अश्व सेना, गजसेना, रथसेना तथा पैदल सिपाही-के साथ जब वीर युद्ध में जाते थे तो सिंधु नदी के तटवासी और महासागर भी उनका गुणगान गाते थे।

याद करो गुरु गोविन्द सिंहजी जैसे वीर पुरुष ने कहा था कि जब शत्रुओं पर आक्रमण करूँगा तो सवा-सवा लाख शत्रुओं को मारकर ही अपने एक सिपाही को चढ़ाऊँगा। ऐसा होने पर ही मैं अपना नाम गोविंद सिंह कहलाऊँगा। भव यह है कि मेरी सेना का एक-एक वीर सिपाही शत्रु की सेना के सवा लाख सिपाहियों के लिए काफी है। यदि वह रणभूमि में मरा, तो शत्रुओं की सवा लाख सेना का सफाया करके ही मरेगा।

विशेष:

  1. यहाँ गुरु गोविन्द सिंह की सेना की वीरता का वर्णन किया है। गुरु गोविन्द सिंह अपनी सेना का मनोबल किस प्रकार बढ़ाया करते थे, कवि ने उस नारे का उल्लेख किया है।
  2. इसमें वीररस है।
  3. इसकी भाषा में ओजगुण है।
  4. इसमें अनुप्रास तथा पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार हैं।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्त संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
कवि ने भारतीयों को किस प्रकार उदबोधित किया है?
उत्तर:
कवि ने गुरु गोविन्द सिंह का गुणगान करते हुए भारतीयों को उद्बोधित किया है कि वे आलस्य भाव को छोड़कर देश को स्वतंत्र कराने के लिए शत्रुओं से भिड़ जाएँ।

प्रश्न (ii)
गुरु गोविंद सिंह ने क्या नारा लगाया था?
उत्तर:
गुरु गोविन्द सिंह ने नारा लगाया था कि सवा-सवा लाख पर एक को . चढ़ाऊँगा; अर्थात् उन्होंने कहा था कि उनकी सेना का एक-एक सिपाही शत्रु की सेना के संवा लाख सिपाहिया के बराध है। वह शत्रुओं की सेना के सिपाहियों को मारकर ही मरेगा। “सवा लाख से एक लड़ाऊँ तब गोविन्द सिंह नाम कहाऊँ।”

प्रश्न (iii)
किन लोगों की वीरता का गुणगान आज तक किया जाता है?
उत्तर:
सिन्धु नदी के किनारे रहने वाले लोगों की वीरता का गुणगान आज तक किया जाता है।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
काव्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
कवि ने गुरु गोविन्द सिंह का गुणगान करते हुए भारतीयों को स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए तैयार होने के लिए उद्बोधित किया है। देश की परंपरा का उल्लेख करके भारतीयों को जगाने का प्रयास किया है। गोविन्द सिंह अपनी सेना का मनोबल किस प्रकार बढ़ाया करते थे, कवि ने उनके उस नारे का भी उल्लेख किया है।

प्रश्न (ii)
काव्यांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिल्प-सौंदर्य:
कवि ने भारत के अतीत का गौरवमय चित्रण किया है। वह भारतीयों को जागरण का संदेशा दे रहे हैं। ‘गान गाए’, ‘चतुरंग चमू’ में अनुप्रास अलंकार है। सवा-सवा में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है। भाषा ओजगुण संपन्न और तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है। काव्यांश में वीररस है।

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प्रश्न 2.
किसने सुनाया यह
वीर-जन-मोहन अति
मोदन अति दुर्जय संग्राम-राग,
फागका खेला रण
बारहों महीनों में?
शेरों की माँद में
आया है आज स्यार
जागो फिर एक बार! (Page 41)

शब्दार्थ:

  • वीर-जन-मोहन – वीरों को मोहित करना।
  • दुर्जय – जिसे जीतना कठिन है।
  • संग्राम राग – युद्ध का गीत।
  • फाग – होली।
  • माँद – घर।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता ‘जागो फिर एक बार’ से उद्धृत है। भारतवासियों को उद्बोधित करते हुए कवि उन्हें अतीत काल के वीरों की शौर्य गाथा को सुना रहा है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि वीर जनों को मोहित कर लेने वाला यह राग किसने सुनाया अर्थात् ‘सवा-सवा लाख पर एक को चढ़ाऊँगा’ का नारा गोविन्द सिंह का दिया हुआ है जिसे सुनकर वीर उत्साह में झूम उठते थे। वे वीर रणभूमि में इस राग में झूमते हुए दुर्जय हो जाते थे; अर्थात् शत्रु उन पर विजय नहीं पा सकते थे। गुरु गोविन्द सिंह एवं उनके योद्धा इस प्रकार बारह महीने रणभूमि में खून की होली खेला करते थे। गुरु गोविन्द सिंह की परम्परा वाले शेर आज भी हैं, किन्तु आज शेरों की माँद में स्यार (अंग्रेज) घुस आया है। इस स्यार को मारने के लिए हे भारतीय वीरो! तुम जाओ और शत्रु का सफाया करो।

विशेष:

  1. यहाँ पर कवि ने भारतीयों में रणोन्माद भरने की चेष्टा की है, ताकि ये अंग्रेजों के खिलाफ जमकर युद्ध कर सकें।
  2. इसमें अनुप्रास अलंकार है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
वीरजनों को मोहित करने वाले किस राग की ओर कवि का संकेत है?
उत्तर:
वीरजनों को मोहित करने वाले उस राग की ओर कवि का संकेत है जिसे गुरु गोविन्द सिंह ने सुनाया कि ‘सवा लाख पर एक को चढ़ाऊँ’ इसे सुनकर वीर उत्साह में झूम उठते थे।

प्रश्न (ii)
कवि ने किसे शेर और स्यार कहा है?
उत्तर:
कवि ने भारतीयों को शेर और अंग्रेजों को सियार कहा है। इन सियारों को मार भगाने के लिए भारतीय शेरो! तुम जागो और शत्रु का सफाया कर दो।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत काव्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
कवि भारतीयों को उद्बोधित करने के लिए अतीतकाल के वीरों की वीरता का गुणगान कर रहा है। वह कहता है कि गुरु गोविन्द सिंह बारह महीने रणभूमि में खून की होली खेलते थे। भारतीय वीरो! उनसे प्रेरणा लेकर शत्रुओं को मार भगाओ। स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए जाग उठो।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत काव्यांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि ने भारतीयों में रणोन्माद भरने की चेष्टा की है ताकि वे स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध कर सकें। ‘माँद में’ अनुप्रास अलंकार है। भाषा ओजस्वी तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है। वीर रस है। शेर भारतीयों का, माँद भारत का और स्यार अंग्रेजों का प्रतीक है। छंदयुक्त कविता में लय-तुक नहीं है।

प्रश्न 3.
सत् श्री अकाल,
भाल-अनल धक-धक् कर जला,
भस्म हो गया था काल
तीनों गुण ताप त्रय,
अभय हो गये थे तुम
मृत्युंजय व्योमकेश के समान,
अमृत सन्तान! तीव्र
भेदकर सप्तावरण-मरण-लोक,
शोकहारी! पहुँचे थे वहाँ
जहाँ आसन है सहस्रार
जागो फिर एक बार! (Page 41)

शब्दार्थ:

  • अनल – आग, तेज।
  • भाल – माथा।
  • ताप त्रय – तीन प्रकार के दुःख-मानसिक, शारीरिक और आत्मिक।
  • अभय – निडर।
  • मृत्युंजय – मृत्यु को जीतने वाले, भगवान शिव।
  • सप्तावरण – सात आवरण, सात चक्र।
  • मरण-लोक – मृत्यु लोक।
  • शोकहारी – दुख दूर करने वाले।
  • सहस्रार – हठयोग के अनुसार छः चक्रों को पार कर मस्तिष्क में रहने वाला सातवाँ चक्र जहाँ रस टपकता है, ब्रह्मलोक।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता ‘जागो फिर एक बार’ से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने बताया है कि भारत का अतीत गौरवमय है। इसी सन्दर्भ में वह भारतीयों को जागरण का संदेश दे रहा है।

व्याख्या:
कवि कहता है कि जब गुरु,गोविन्द सिंह सत श्री अकाल का उच्चारण करते हुए युद्धभूमि में पहुँचते थे तो उनके मस्तक से आग उगलने लगती थी, यह आग सबको जला डालने के लिए धधक उठती थी। इस आग में काल, तीनों प्रकार के गुण (सत, रज और तम) तथा तीन प्रकार के ताप (दैविक, भौतिक तथा आध्यात्मिक कष्ट) जलकर भस्म हो गए। हे भारतवासियो! ऐसी दशा में तुम शिवजी की सन्तान के समान हो गए थे।

अभयदान मिल जाने से तुम अमर हो गए थे। ऐसी अवस्था में तुम संसार के सात आवरणों को भेदकर उस स्थान पर जा पहुँचे थे, जिसे सहन दल कमल का आसन कहा जा सकता है; अर्थात् योग सिद्धि के द्वारा तुमने ब्रह्म . रंध्र की अवस्था को पा लिया है। अब एक बार फिर जागो! और शत्रुओं का सफाया करो।

विशेष:
1. सहन दल कमल का संबंध हठयोग की साधना से है। इसके अनुसार माना जाता है कि कुंडलिनी छः चक्रों में से निकलकर सातवें चक्र में प्रवेश करती है, जिसे सहस्रदल कमल कहा जाता है। कुंडलिनी के इस चक्र में पहुँचकर वहाँ पर एक रस टपकता है जिसे पीकर साधना पूरी हो जाती और उसे मुक्ति मिल जाती है।

2. कवि वीर सेनानी गुरु गोविन्द सिंह और योग साधना के द्वारा सिद्धि पाने वाले भारतीयों को लक्ष्य कर नए मूल्यों को पाने की प्रेरणा दे रहा है।

3. इसमें अनुप्रास तथा पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
तीन गुण और तापत्रय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
सत, रज और तम तीन गुण हैं तथा दैविक, भौतिक और आध्यात्मिक तापत्रय हैं।

प्रश्न (ii)
भारतवासी अमर कैसे हो गए थे?
उत्तर:
जब तीनों गुण और तापत्रय जलकर भस्म हो गए, तो भारतवासी ऐसी स्थिति में शिवजी की संतान के समान हो गए थे और अभयदान मिलने के कारण अमर हो गए थे।

प्रश्न (iii)
भारतीयों ने किस स्थान को प्राप्त कर लिया था?
उत्तर:
भारतीयों ने संसार के सात आवरणों को भेदकर उस आसन को प्राप्त कर लिया था जिसे सहस्र दल कमल का आसन कहा जाता है। दूसरे शब्दों में भारतीयों ने योगसिद्धि के द्वारा ब्रह्म रन्ध्र की अवस्था को पा लिया है।

प्रश्न 4.
सिंही की गोद से
छीनता रे शिशु कौन?
मौन भी क्या रहती वह
रहते प्राण? रे अजान!
एक मेषमाता ही
रहती है निर्निमेष –
दुर्बल वह –
छिनती संतान जब
जन्मपर अपने अभिशप्त
तप्त आँसू बहाती है –
किन्तु क्या,
योग्य जन जीता है,
पश्चिम की उक्ति नहीं –
गीता है, गीता है –
स्मरण करो बार-बार –
जागो फिर एक बार! (Page 41)

शब्दार्थ:

  • अजान – अनजान।
  • मेषमाता – भेड़ की माता।
  • निर्मिमेष – चुपचाप देखना।
  • दुर्बल – कमजोर।
  • अभिशप्त – शाप से सताए हुए।
  • तप्त – गर्म।
  • जन – आदमी।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता ‘जामो फिर एक बार’ से उद्धृत है। कवि भारतीयों को उद्बोधित करते हुए कहते हैं कि राष्ट्र विपत्ति में पड़ा हुआ है, तुम उसकी सन्तान हो। अतः उसका निवारण करने के लिए उठो।

व्याख्या:
कवि कहता है कि क्या कभी तुमने सिंह की गोद से उसके बच्चे को छीनते हुए देखा है। यदि कोई उसके बच्चे को छीनने का प्रयत्न करे तो क्या उस बच्चे की माता प्राण रहते चुप रहती है? अर्थात् वह इतनी जोर से दहाड़ती है कि उसके बच्चे को उठाने वाले हाथ अपने आप ही पीछे हट जाते हैं। क्या तुम इस बात से अनजान हो? एक भेड़ की माता ही ऐसी होती है वह अपने बच्चे को उठाने वाले व्यक्ति को चुपचाप देखती रह जाती है क्योंकि वह कमजोर है।

उसकी सन्तान जब उससे छीनी जाती है, तब अपने जन्म पर दुःखी होकर आँसू बहाती रह जाती है। लेकिन क्या कभी कोई अपनी रक्षा में समर्थ व्यक्ति भी इस प्रकार आँसू बहाता रह सकता है। इस संसार में योग्य व्यक्ति ही जीता है यह पश्चिम की ही उक्ति नही हैं, अपितु हमारी गीता का भी यही उपदेश है। इन बातों को बार-बार याद करो और अपना आलस्य भाव को छोड़ देश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक बार जाग जाओ और शत्रुओं को मार डालो या मारकर भगा दो।

विशेष:

  1. यहाँ पर कवि ने सिंहनी और मेषमाता का उदाहरण देकर स्पष्ट किया है कि यदि अपनी स्वतंत्रता को छिनता देखकर तुम लड़ने-सरने को तैयार हो जाते हो, तो शेर हो अन्यथा भेड़ हो जिसकी नियति में कटना है।
  2. गीता से सतत कर्म करने की शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा दी गई है।
  3. इसमें अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश तथा उदाहरण अलंकार हैं।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
सिंहनी और मेषमाता में क्या अंतर है?
उत्तर:
सिंहनी शक्तिशाली होती है और मेषमाता दुर्बल होती है। सिंहनी के बच्चे को जब कोई छीनने या उठाने का प्रयास करता है, तो वह चुप नहीं रहती, अपितु, क्रोधित होकर इतने जोर से दहाड़ती है कि बच्चे को उठाने वाले हाथ अपने आप पीछे हट जाते हैं जबकि मेषमाता अपने बच्चे को उठाते हुए देखकर भी चुपचाप रहती है। वह कुछ नहीं करती, केवल आँसू बहाती रह जाती है।

प्रश्न (ii)
इस संसार में कैसा व्यक्ति जीता है?
उत्तर:
इस संसार में योग्य, समर्थ व्यक्ति ही जीता है। यह पश्चिम की उक्ति ही नहीं, हमारी गीता का भी यही उपदेश है।

काव्यांश पर सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
यहाँ कवि ने सिंहनी और मेषमाता का उदाहरण देकर स्पष्ट किया है कि यदि अपनी स्वतंत्रता को छीनता देखकर भी यदि तुम लड़ने-मरने को तैयार हो जाते हो तो शेर हो अन्यथा भेड़ हो जिसकी नियति में डरना है। तुम्हें स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना चाहिए।

शिल्प-सौंदर्य:
उदाहरण अलंकार है। ‘मेषमाता’, ‘अपने अभिशप्त’, ‘जन जीता’ में अनुप्रास अलंकार है। गीता है, गीता है और बार-बार में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है। तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है। ओजमयी भाषा है। वीररस है। प्रयोगवादी कविता है।

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प्रश्न 5.
पशु नहीं, वीर तुम,
समर-शूर कूर नहीं,
काल-चक्र में हो दबे
आज तुम राजकुँवर!
समर सरताज! पर, क्या है,
सब माया है-माया है,
मुक्त हो सदा ही तुम,
बाधा-विहीन-बंध-छंद ज्यों,
डूबे आनंद में सच्चिदानंद रूप। (Page 41)

शब्दार्थ:

  • पशु – जानवर।
  • समर-शूर – योद्धा।
  • क्रूर – अत्याचारी।
  • समर सरताज – युद्ध में विजयी।
  • बाधा विहीन – बिना किसी रुकावट के।
  • सच्चिदानंद – भगवान।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश सूयकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की कविता ‘जागो फिर एक बार’ से लिया गया है। इस कविता में देशवासियों को उद्बोधित करते हुए कवि कहता है कि एक बार जाग जाओ और देश पर घिरी हुई विपत्तियों को दूर करो।

व्याख्या:
कवि कहता है कि यदि तुम कृतज्ञ होकर अपने देश को पराधीनता से मुक्त नहीं कर सके तो तुम पशु के तुल्य हो, वीर नहीं। तुम तो युद्ध वीर या योद्धा हो, अत्याचारी नहीं। यह ठीक है कि हे राजकुमार, तुम कालचक्र में दवे हुए हो, किन्तु यह क्यों भूल जाते हो कि तुमने युद्ध में हमेशा विजय प्राप्त की है। पर वह क्या कहते हो कि यह सब छल या छलावा मात्र है। तुम इसी प्रकार स्वतंत्र हो जैसे आज कविता में छंद मुक्त कविता की स्थिति है। तुम सच्चिदानंद भगवान् के रूप या अंश हो और आज अपने काल्पनिक आनंद में इवे हा हो।

विशेष:

  1. यहाँ कवि भारतवासियों को याद दिलाता है कि उन्होंने अनेक युद्ध जीते हैं और वे युद्धभूमि में विजयी रहे हैं। इसलिए उनको आज भी युद्ध करना चाहिए।
  2. इसमें अनुप्रास तथा पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
कवि ने यह क्यों कहा कि ‘पशु नहीं, वीर तुम’।
उत्तर:
कवि ने यह इसलिए कहा कि तुम भारतीय कृतज्ञ होकर भी अपने देश को पराधीनता से मुक्त नहीं कर सके तो तुम पशु के तुल्य हो, वीर नहीं। कवि ने यह भारतीयों को स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने के लिए कहा है।

प्रश्न (ii)
कवि ने भारतीयों को उद्बोधित करने के लिए क्या-क्या कहा है?
उत्तर:
कवि ने भारतीयों को उद्बोधित करने के लिए वीर, समर-शूर, राजकुंवर, समर सरताज, कालचक्र में दबे हुए, स्वतंत्र, सच्चिदानंद आदि कहा है।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत काव्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
काव्य-सौंदर्य:
कवि ने यहाँ भारतीय को उद्बोधित करने के लिए उन्हें याद दिलाया है कि उन्होंने अनेक युद्ध जीते हैं। वे वीर हैं। स्वतंत्र, स्वच्छंद औसच्चिदानंद के अंश हैं। उन्हें आज भी स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए युद्ध करके विजय प्राप्त करनी चाहिए। समर-शूर, समर सरताज, वाधाविहीन वंध में अनुप्रास अलंकार है। ‘माया है, माया है’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है। भारतीयों के लिए अनेक विशेषणों का प्रयोग किया गया है। भाषा तत्सम शब्दावली युक्त आजमयी खड़ी बोली है। प्रयोगवादी कविता है।

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प्रश्न 6.
महामंत्र ऋषियों का
अणुओं परमाणुओं में फूंका हुआ –
“तुम हो महान्, तुम सदा हो महान्”
है नश्वर यह दीन भाव,
कायरता, कामपरता,
ब्रह्म हो तुम,
पद-रज भर भी है नहीं पूरा यह विश्व-भार
जागो फिर एक बार!

शब्दार्थ:

  • नश्वर – नाश हो जाने वाला।
  • दीन भाव – दैन्य भाव।
  • कायरता – डरपोकपन।
  • पद-रज – भर-पैरों की धूल।
  • विश्व-भर – संसार का बोझ।
  • तप्त – गर्म।
  • जन – आदमी।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता ‘जागो फिर एक बार’ से लिया गया है। कवि भारतवासियों से बार-बार एक ही बात कह रहा है कि उनको जाग जाना चाहिए तथा अपनी सोई हुई वीरता को जगा लेना चाहिए। ताकि वे देश पर आई विपत्ति को दूर कर सकें।

व्याख्या:
कवि कहता है कि हमारे भारतीय ऋषियों से सदा ही यह महामंत्र हर अणु और परमाणु में फूंका है कि तुम महान् हो, तुम सदा से महान् हो । यह शरीर नाशवान् है और इसके साथ ही यह दीनता दिखाना, कायरतापूर्ण व्यवहार करना तथा काम भावना में प्रवृत्त रहना आदि भी स्थायी नहीं हैं, बल्कि शीघ्र ही नष्ट हो जाने वाले भाव हैं। तुम ब्रह्म के रूप हो। इसलिए तुम भी ब्रह्म हो और सारे संसार का भार तुम्हारे चरणों की धूल के बराबर भी नहीं है। तुम उठो और अपनी शक्ति पहचानो तथा उसके अनुरूप ही कार्य करो। और शत्रुओं को पराजित कर उन्हें अपने घर से बाहर निकालो।

विशेष:

  1. यहाँ पर भारतीय ऋषियों का मंत्र ‘मैं ही ईश्वर हूँ’ के बारे में वह भारतीयों को याद दिलाना चाहता है। वह उनको प्रेरित करता है कि उनके द्वारा किया जाने वाला कोई भी कार्य असंभव नहीं है।
  2. इसमें अनुप्रास अलंकार है।
  3. इसमें भाषा में ओजगुण है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्त संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
ऋषियों ने कौन-सा महामंत्र फूंका है?
उत्तर:
भारतीय ऋषियों ने सदा यह महामंत्र फूंका है कि अणु और परमाणु में ‘तुम भारतीय महान् हो, सदा से महान् हो। यह शरीर नश्वर है, तुम अमर हो।

प्रश्न (ii)
कवि ने भारतीयों का उद्बोधन क्यों किया है?
उत्तर:
कवि ने भारतीयों का उद्बोधन इसलिए किया है ताकि वे आलस्य को त्यागकर उठें और अपनी शक्ति को पहचारकर, स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करें।

काव्यांश पर सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत काव्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
कवि भारतीयों को जगाने के लिए उद्बोधित करता है कि उन्हें जाग जाना चाहिए तथा. अपनी सोई हुई वीरता को पहचानकर देश पर आई विपत्ति को दूर करने के लिए संघर्ष करना चाहिए। भारतीय ऋषियों के महामंत्र का उल्लेख करते हुए कवि ने कहा कि यह शरीर नश्वर है, परंतु तुम अमर हो। तुम्हारे लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत काव्यांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिल्प-सौंदर्य:
महामंत्र, कायरता, कामपरता में अनुप्रास अलंकार है। विश्व-भार में रूपक अलंकार है। तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है। भाषा में ओजगुण है। वीररस है। प्रयोगवादी कविता है।

MP Board Class 12th Hindi Solutions

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 8 बीमार का इलाज

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 8 बीमार का इलाज (एकांकी, उदयशंकर भट्ट)

बीमार का इलाज पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

बीमार का इलाज लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
चंद्रकांत किस सभ्यता व रहन-सहन का प्रेमी था?
उत्तर:
चंद्रकांत अंग्रेजी सभ्यता व रहन-सहन का प्रेमी था।

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प्रश्न 2.
कांति अपने मित्र को आगरा क्यों लाया?
उत्तर:
कांति अपने मित्र को छुट्टियाँ बिताने के लिए आगरा लाया था।

प्रश्न 3.
आगरा पहुँचने पर विनोद का मज़ा किरकिरा क्यों हो गया था?
उत्तर:
आगरा पहुंचने पर विनोद बीमार पड़ गया और उसका सारा मज़ा किरकिरा हो गया था।

प्रश्न 4.
घर में स्वच्छता और सलीके का अभाव क्यों था?
उत्तर:
नौकर पर निर्भर रहने तथा रूढ़िवादी गृहस्वामिनी सरस्वती के कारण घर में स्वच्छता और सलीके का अभाव था।

प्रश्न 5.
होम्योपैथी के प्रति विश्वास किसे था और क्यों?
उत्तर:
कांति का विश्वास होम्योपैथी के डॉक्टर नानक चंद के प्रति है क्योंकि उनके हाथ में जादू है। कांति को विश्वास है कि उनके इलाज से शाम तक बुखार उतर जाएगा।

प्रश्न 6.
डॉ. गुप्ता ने विनोद का मार्जन होते देखकर क्या कहा?
उत्तर:
डॉ. गुप्ता ने विनोद का मार्जन होते देखकर कहा, “महाराज क्यों मारना चाहते हो बीमार को? निमोनिया हो जाएगा। अटरन्यूसेन्स।”

बीमार का इलाज दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
“तुमने तो कुंभकरण के चाचा को भी मात कर दिया” यह कथन किसने, किससे और क्यों कहा था?
उत्तर:
यह कथन कांति ने अपने मित्र विनोद से कहा था, क्योंकि वह आठ बजे तक सोता रहा। विनोद को कांति के साथ गाँव जाना था। इसलिए उसे अब तक तैयार हो जाना चाहिए था।

प्रश्न 2.
चंद्रकांत विनोद के इलाज के लिए किसे बुलाना उचित समझते है? कारण स्पष्ट कीजिए। इससे आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर:
चंद्रकांत विनोद के इलाज के लिए एलोपैथी के डॉक्टर गुप्ता को बुलाना उचित समझते हैं। इसका कारण यह है कि चंद्रकांत को एलोपैथी चिकित्सा-पद्धति पर विश्वास है। उनका मानना है कि डॉ. गुप्ता ने प्रतिमा का बुखार आते ही उतार दिया था। दूसरी बात यह कि वे मानते थे कि ‘कड़वी भेषज बिन पिये मिटे न तन को ताप।’ हम चंद्रकांत की बात से बिलकुल सहमत नहीं हैं; क्योंकि अन्य चिकित्सा पद्धति भी रोगों का निदान करने की क्षमता रखती है।

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प्रश्न 3.
सुखिया विनोद की किस प्रकार की चिकित्सा के पक्ष में था? क्या आप उसके इलाज से सहमत होते?
उत्तर:
सुखिया विनोद की झाड़-फूंक की पद्धति से चिकित्सा कराने के पक्ष में था। उसका विश्वास था कि ओझा के हाथ फेरते ही बुखार उतर जाएगा। इसीलिए वह ओझा से अभिमंत्रित जल भी लाया था।

प्रश्न 4.
‘कड़वी भेषज बिन पिये, मिटे न तन को ताप’ चंद्रकांत के इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इसका आशय है कि कड़वी औषधि (दवाई) पिये विना शरीर का ताप नहीं मिटता। बुखार से छुटकारा पाने के लिए कड़वी दवा पीना आवश्यक होता है। स्वस्थ होने के लिए कड़वी दवाई तो पीनी ही पड़ती है।

प्रश्न 5.
परिवार के सदस्यों में इलाज के संबंध में हुए विवाद का विनोद पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
कांति का मित्र विनोद छुट्टियाँ मनाने कांति के घर आगरा गया था। वहाँ उसे बुखार आ गया, जिससे एक तो उसकी छुट्टियों का मजा किरकिरा हो गया दूसरा, घर में सब उसके इलाज को लेकर झगड़ रहे थे जिससे विनोद परेशान हो गया। वह झगड़े से इतना परेशान हो गया था कि उसे किसी की भी दवाई न पीने का निर्णय लेना पड़ा। जब उसे यह समझ में नहीं आया कि वह किसकी बात माने या किसकी न माने, तो वह बाहर जाने के लिए उठा और बोला-मेरा बुखार घूमने से उतरता है।

प्रश्न 6.
नीचे कुछ कथन और उनको बोलने वालों के नाम दिए गए हैं। ‘क’ स्तंभ का ‘ख’ स्तंभ से सही संबंध जोडिए।
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 8 बीमार का इलाज img-1
उत्तर:

  1. (घ)
  2. (ङ)
  3. (ग)
  4. (ख)
  5. (क)

बीमार का इलाज भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्ति का भाव-विस्तार कीजिए’ –

प्रश्न 1.
सारी देह अंगारे-सी दहक रही है।’
उत्तर:
विनोद बुखार से पीड़ित है। वुखार के कारण उसका शरीर अंगारे की भाँति दहक रहा है; अर्थात् उसे अत्यधिक बुखार है। इससे उसका शरीर बहुत गरम है।

बीमार का इलाज भाषा-अनुशीलन

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प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के हिंदी रूप लिखिए –
नाइट, खैर, हकीम, फीवर, फैमिली, काबिल, माइंड, ख्याल, फेथ, सलीका।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 8 बीमार का इलाज img-2

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सामासिक शब्दों का समास-विग्रह कर उनके नाम लिखिए –
गृह स्वामिनी, मंत्राभिषिक्त, पढ़े-लिखे, माता-पिता, यथाशक्ति, चौराहा, नीलकंठ, गजानन, पीताम्बर। .
उदाहरण:
आदि-प्रारंभ, आदी-अभ्यस्त।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 8 बीमार का इलाज img-3

प्रश्न 3.
नीचे उच्चारण में पर्याप्त समानता और आंशिक अंतर वाले शब्द दिए गए हैं। इनके अर्थ भिन्न-भिन्न हैं। उदाहरण के अनुसार इनके अर्थ लिखिए –
अतुल-अतल, अभय-उभय, आकर-आकार, आभरण-आवरण, बलि-बली, प्रसाद-प्रासाद, शोक-शौक, शकल-सकल, ग्रह-गृह, शर-सर, अनिल-अनल।
उत्तर:

  • अतुल – असीम
    अतल – अथाह।
  • अभय – निडर
    उभय – दोनों।
  • आकर – खजाना
    आकार – रूप।
  • आभरण – आभूषण
    आवरण – ढकना।
  • बलि – चढ़ावा
    बली – सशक्त।
  • प्रसाद – देवताओं को चढ़ाई गई वस्तु
    प्रासाद – महल।
  • शोक – दुख
    शौक – चाह, रुचि।
  • शकल – सुन्दर
    सकल – समस्त।
  • ग्रह – नक्षत्र
    गृह – घर।
  • शर – बाण
    सर – तालाब।
  • अनिल – वायु
    अनल – आग।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
नाक में दम होना, भाड़ झोंकना, चक्कर में पड़ना, गाँट बाँधना, मात देना, बाल धूप में पकना।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 8 बीमार का इलाज img-4

प्रश्न 5.
निम्नलिखित लोकोक्तियों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए –

  1. घोड़ी नहीं चढ़े तो क्या बारात भी नहीं देखी।
  2. आम के आम गुठलियों के दाम।
  3. हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और।
  4. अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गईं खेत।
  5. आधी छोड़ सारी को धारू, आधी मिले न पूरी पावै।
  6. थोथा चना बाजे घना।

उत्तर:

1. घोड़ी नहीं चढ़े, तो क्या बारात भी नहीं देखी:
राकेश अंतरिक्ष में नहीं गया तो क्या हुआ? उसे अंतरिक्ष की बहुत जानकारी है। उस पर तो ‘घोड़ी नहीं चढ़े, तो क्या बारात भी नहीं देखी’ वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ होती है।

2. आम के आम गुठलियों के दाम:
प्रापर्टी डीलर ने यह फ्लैट सस्ते में खरीदा है। वह चार साल फ्लैट में रहा और अब लाभ में बेच दिया। इसे कहते हैं ‘आम के आम गुठलियों के दाम’।

3. हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और:
वामदल प्रतिदिन सरकार से समर्थन लेने की धमकियाँ देते रहते हैं और करते-धरते कुछ नहीं हैं, भैया इनकी स्थिति हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और वाली है।

4. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गईं खेत:
अब फेल होने पर रोने से क्या लाभ; क्योंकि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

5. आधी छोड़ सारी को धावै, आध्री मिले न पूरी पावै:
अधिक लालच करना अच्छा नहीं होता। कभी ऐसा न हो। – आधी छोड़ सारी को धावै, आधी मिले न पूरी पावै। इसलिए जो कुछ मिलता है उसे ले लो।

6. थोथा चना बाजे घना:
वह केवल डींगें मारना जानता है। बातें तो ऐसी करता है, मानो संसार के वैज्ञानिक उसके सामने कुछ नहीं। अरे भाई! उसकी स्थिति तो थोथा चना बाजे घना वाली है।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों को कोष्ठक में दिए निर्देशानुसार रूपान्तरित कीजिए –

  1. मेरे भाग्य में गाँव की सैर नहीं लिखी है। (विधिसूचक)
  2. कमबख्त बुखार बेमौके आ धमका। (प्रश्नवाचक)
  3. गाँव का रास्ता ऊबड़-खाबड़ है। (निषेधात्मक)
  4. बुखार कभी झाड़-फूंक से गया है। (विस्मयादिवाचक वाक्य)
  5. पंडित जी मंदिर में पूजा कर रहे हैं। (आज्ञावाचक)

उत्तर:

  1. मेरे भाग्य में गाँव की सैर लिखी है।
  2. क्या कमबख्त बुखार बेमौके आ धमका?
  3. गाँव का रास्ता ऊबड़-खाबड़ नहीं है।
  4. अरे! बुखार कभी झाड़-फूंक से गया है।
  5. पंडितजी, मंदिर में पूजा करो।

प्रश्न 7.
उदाहरणः यदि तुम दवा नहीं पिओगे, तो तुम्हें लाभ नहीं होगा।
दवा पिए बिना तुम्हें लाभ नहीं मिलेगा। उदाहरण के अनुसार दिए गए वाक्यों को रूपान्तरित कीजिए।

  1. यदि तुम स्टेशन नहीं जाओगे तो श्याम सुंदर नहीं मिलेगा।
  2. यदि आप दूध नहीं पिएँगे तो शरीर में शक्ति नहीं आएगी।
  3. जब तक मैं दवा नहीं पियूँगा तब तक मुझे नींद नहीं आएगी।
  4. यदि रश्मि नहीं सोएगी तो उसे आराम नहीं मिलेगा।

उत्तर:

  1. स्टेशन गए बिना तुम्हें श्याम नहीं मिलेगा।
  2. दूध पिए बिना शरीर में शक्ति नहीं आएगी।
  3. दवा पिए बिना मुझे नींद नहीं आएगी।
  4. सोए बिना रश्भि को आराम नहीं मिलेगा।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार वाक्यों में रूपान्तरित कीजिए –

  1. वह गृह कार्य करके स्कूल जाता है। (संयुक्त वाक्य)
  2. प्रसिद्ध कवि का सभी आदर करते हैं। (मिश्र वाक्य)
  3. मैं उन लोगों में से नहीं हूँ, जो दवा देने के लिए भागते फिरें।(सरल वाक्य)
  4. जो अपनी जान-पहचान के लोग हैं, वे सदा प्रसन्न रहें। (सरल वाक्य)

उत्तर:

  1. वह गृह कार्य करता है और स्कूल जाता है।
  2. जो प्रसिद्ध कवि होते हैं, उनका सभी आदर करते हैं।
  3. मैं दवा लेने के लिए भागते फिरने वाले लोगों में से नहीं हूँ।
  4. अपनी जान-पहचान के लोग सदा प्रसन्न रहें।

बीमार का इलाज योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
अपने सहपाठियों की सहायता से इस एकांकी का अभिनय कीजिए।
उत्तर:
अपने भाषा अध्यापक की सहायता से छात्र अभिनय की तैयारी कर अभिनय करें।

प्रश्न 2.
यदि आपके पड़ोस में किसी बीमार के इलाज के संबंध में कोई विवाद हो तो आप उसे कैसे सुलझाएँगे?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 3.
आप 25 घरों का सर्वे कीजिए और जानिए कि आपके गाँव/शहर में अधिकांश लोग इलाज किस विधि द्वारा कराते हैं।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

बीमार का इलाज परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजी सभ्यता व रहन-सहन का प्रेमी है –
(क) कांति
(ख) विनोद
(ग) शांति
(घ) चंद्रकांत
उत्तर:
(घ) चंद्रकांत।

प्रश्न 2.
विनोद लापरवाही से कभी उठकर बैठ जाता है और कभी………….है।
(क) उठकर खाँसने लगता
(ख) उठकर टहलने लगता
(ग) उठकर जाने लगता
(घ) उठकर दवाई लेने लगता
उत्तर:
(ख) उठकर टहलने लगता।

प्रश्न 3.
प्रतिमा का केस खराब कर दिया था –
(क) वैद्य हरिचंद्र ने
(ख) डॉक्टर गुप्ता ने
(ग) डॉ. भटनागर ने
(घ) पुजारीजी ने
उत्तर:
(ग) डॉ. भटनागर ने।

प्रश्न 4.
‘दूध तो मैं पिऊँगा नहीं’, किसने कहा?
(क) कांति ने
(ख) शांति ने
(ग) प्रतिमा ने
(घ) विनोद ने
उत्तर:
(घ) विनोद ने।

प्रश्न 5.
मैं चाहता हूँ कि अपनी जान-पहचान के लोग सदा ……. रहें।
(क) प्रसन्न
(ख) बीमार
(ग) निरोग
(घ) स्वस्थ
उत्तर:
(क) प्रसन्न।

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प्रश्न 6.
कांति के साथ पढ़े हैं –
(क) डॉ. भटनागर
(ख) डॉ. नानकचंद
(ग) वैद्य हरिचंद
(घ) विनोद
उत्तर:
(घ) विनोद।

प्रश्न 7.
सुखिया किस चिकित्सा पद्धति में विश्वास करता है?
(क) झाड़-फूंक
(ख) एलोपैथी
(ग) होमियोपैथी
(घ) आयुर्वेदिक
उत्तर:
(क) झाड़-फूंक।

प्रश्न 8.
बीमारी पहचानने में कर तो ले कोई मेरा मुकाबला, कहा –
(क) हरिचंद्र वैद्य ने
(ख) डॉ. गुप्ता ने
(ग) डॉ. नानकचंद ने
(घ) चंद्रकांत ने
उत्तर:
(क) डॉ. नानकचंद ने।

प्रश्न 9.
मुझे इस घर में सब बीमार मालूम पड़ते हैं, कहा –
(क) डॉ. नानकचंद ने
(ख) डॉ. गुप्ता ने
(ग) डॉ. भटनागर ने
(घ) हरिचंद ने वैद्य
उत्तर:
(क) हरिचंद वैद्य ने।

प्रश्न 10.
अब इस घर में मेरी कोई जरूरत नहीं है, किसने कहा –
(क) प्रतिमा ने
(ख) सरस्वती ने
(ग) चन्द्रकांत ने
(घ) कांति ने
उत्तर:
(ख) सरस्वती ने।

II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर करें –

  1. ‘बीमार का इलाज’ ………. है। (नाटक/एकांकी) (M.P. 2012)
  2. ………. ने कहा, “दूध तो पिऊँगा नहीं। (विनोद/कांति)
  3. ………. ने कहा, “ये बाल धूप में सफेद नहीं हुए।” (सरस्वती/चन्द्रकांत)
  4. उदयशंकर भट्ट का जन्म सन् ………. ई० में हुआ था। (1966/1897)
  5. ‘बीमार का इलाज’ में ………. है। (मनोरंजन/व्यंग्य)

उत्तर:

  1. एकांकी
  2. विनोद
  3. चन्द्रकांत
  4. 1897
  5. व्यंग्य।

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III. निम्नलिखित कथनों में सत्य/असत्य’ छाँटिए –

  1. ‘बीमार का इलाज’ एक निबंध है। (M.P. 2009)
  2. परिवार के सभी सदस्य अपने-अपने ढंग से इलाज कराते हैं।
  3. ‘बीमार का इलाज’ की भाषा तत्सम है।
  4. सुखिया-झाड़-फूंक में विश्वास करता है।
  5. कांति अपने मित्र विनोद को अपने साथ रहने के लिए लाया था।’

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. असत्य।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 8 बीमार का इलाज img-5
उत्तर:

(i) (ग)
(ii) (घ)
(iii) (ङ)
(iv) (ख)
(v) (क)।

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
विनोद को अचानक क्या हो गया?
उत्तर:
बुखार।

प्रश्न 2.
सरस्वती किस विचारधारा की थी?
उत्तर:
रूढ़िवादी।

प्रश्न 3.
नानकचंद कौन है?
उत्तर:
नानकचंद होम्योपैथी का डॉक्टर है।

प्रश्न 4.
विनोद क्यों बाहर घूमने निकल जाता है?
उत्तर:
वह अपने इलाज के लिए होने वाले झगड़े से परेशान होकर बाहर निकल जाता है।

प्रश्न 5.
विनोद की छुट्टियाँ क्यों बेकार हो गईं?
उत्तर:
बुखार आने से विनोद की छुट्टियाँ वेकार हो गई।

बीमार का इलाज लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विनोद ने क्यों कहा कि मेरी छुट्टियाँ बेकार हो गईं?
उत्तर:
विनोद आगरा आकर बीमार पड़ गया। अब वह घूमने के लिए गाँव नहीं जा सका, इसलिए उसने कहा कि सारी छुट्टियाँ बेकार हो गई।

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प्रश्न 2.
चंद्रकांत ने डॉक्टर भटनागर के संबंध में क्या कहा?
उत्तर:
चंद्रकांत ने कहा, “डॉक्टर भटनागर इस घर में कदम नहीं रख सकता।”

प्रश्न 3.
होमियोपैथी का डॉक्टर कौन है?
उत्तर:
होमियोपैथी का डॉक्टर नानकचंद है।

प्रश्न 4.
सरस्वती पंडित से किसका मार्जन करने के लिए कहती है और क्यों?
उत्तर:
सरस्वती पंडितजी से विनोद का मार्जन करने के लिए कहती है ताकि सारी अला-बला दूर हो जाए।

प्रश्न 5.
चंद्रकांत ने वैद्यजी की दवा के संबंध में क्या कहा है?
उत्तर:
वैद्यों की दवा पीना मृत्यु को बुलाना है।

प्रश्न 6.
कांति ने विनोद के बारे में क्या सोचा था?
उत्तर:
कांति ने विनोद के बारे में सोचा था-कुछ दिन यहाँ घर में आनंद-मौज करेंगे। फिर खूब गाँव की सैर करेंगे।

प्रश्न 7.
“डॉक्टर भटनागर इस घर में कदम नहीं रख सकता।” ऐसा किसने कहा?
उत्तर:
“डॉक्टर भटनागर इस घर में कदम नहीं रख सकता।” ऐसा कांति के पिता चन्द्रकांत ने कहा।

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प्रश्न 8.
डॉक्टर भटनागर ने किसका केस खराब कर दिया था?
उत्तर:
डॉक्टर भटनागर ने प्रतिमा का केस खराब कर दिया था।

बीमार का इलाज दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विनोद के लिए कांति ने किस प्रकार के इलाज का सुझाव दिया?
उत्तर:
कांति होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में विश्वास रखता था। इसी कारण वह अपने मित्र विनोद का इलाज होम्योपैथी के डॉक्टर से करवाना चाहता था। उसके अनुसार होम्योपैथी के डॉक्टर के हाथ में जादू-सा प्रतीत होता था। उसका होम्योपैथी पर विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था।

प्रश्न 2.
घर के अलग-अलग सदस्यों ने बीमार का इलाज कैसे किया? ‘बीमार का इलाज’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
‘बीमार का इलाज’ एकांकी में परिवार के सदस्यों के विचार आपस में कहीं नहीं मिलते थे। वे बीमार की तकलीफ को ध्यान न देकर अपनी सलाह को ही कार्यान्वित करना चाहते थे। विनोद का मित्र होम्योपैथी पद्धति से इलाज करवाना चाहता था, तो पिता एलोपैथी पर विश्वास रखते थे और माँ आयुर्वेद द्वारा इलाज करवाना चाहती थीं। साथ ही पंडित द्वारा मार्जन भी करवा रही थीं।

प्रश्न 3.
‘बीमार का इलाज’ एकांकी के किन्हीं चार पात्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. चंद्रकांत-आगरा का एक रईस, जो अंग्रेजी सभ्यता व रहन-सहन का प्रेमी है। उम्र 45 वर्ष।
  2. कांति-चंद्रकांत का बड़ा पुत्र। उम्र लगभग 21-22 वर्ग।
  3. विनोद-कांति का समवयस्क मित्र।
  4. सरस्वती-कांति की माँ-अपने पति के सर्वथा भिन्न, दुवली-पतली, पुराने विचारों की।

प्रश्न 4.
“मुझे इस घर में सभी बीमार मालूम पड़ते हैं”-‘बीमार का इलाज’ एकांकी में डॉक्टर ने यह वाक्य क्यों कहा?
उत्तर:
डॉ. नानकचंद ने कांति के परिवार के सभी सदस्यों की अलग-अलग सोच और पारस्परिक समझ के अभाव के कारण सभी को मानसिक रूप से बीमार पाया। वे सभी अपने-आप को श्रेष्ठ समझते हैं और अपने-अपने दृष्टिकोण को ही सही मानते हैं। इसलिए सभी अपनी-अपनी चिकित्सा-पद्धति से विनोद का इलाज कराने की कोशिश करते हैं। डॉ. नानकचंद के आने पर विनोद परेशान होकर घूमने चला जाता है।

डॉक्टर उसे नींद में घूमने की बीमारी बता देते हैं। चन्द्रकांत डॉक्टर को बताता है कि डॉक्टर ने उसे बुखार की देवा दी है और सरस्वती बताती है कि वैद्य ने उसे अपच का काढ़ा दिया है। सुखिया अपना मत व्यक्त करता है कि फायदा तो ओझा से उसके द्वारा लाए जल से हुआ है। डॉ. नानकचंद सभी को मानसिक रूप से बीमार मान लेते हैं।

प्रश्न 5.
घर के लोग घर में आया मेहमान का किस-किस तरह से इलाजकरवाते हैं?
उत्तर:
घर के लोग घर में आए मेहमान का अलग-अलग तरह से इलाज करवाते – हैं। एक ओर मेहमान को एलोपैथिक डॉक्टर की दवा लेनी पड़ती है, तो दूसरी ओर वैद्यजी की। इसी प्रकार एक ओर मंदिर के पुजारी उस पर जल छिड़कने आते हैं, तो दूसरी ओर होम्योपैथिक डॉक्टर की दवाई पर उसे विश्वास करने के लिए कहा जाता है। इस तरह घर के लोगों की रुचि के अनुसार इलाज होता रहा।

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प्रश्न 6.
“मेरा बुखार घूमने से उतरता है।” ऐसा विनोद ने क्यों कहा?
उत्तर:
“मेरा बुखार घूमने से उतरता हैं।” ऐसा विनोद ने कहा। इसलिए क्योंकि उसका इलाज घर के लोग अपनी-अपनी रुचि के अनुसार करवाते हैं। इससे वह ठीक नहीं हो पाता है। यही नहीं, एक स्थिति ऐसी भी आ जाती है कि उसके इलाज को लेकर घर के स्वामी और उसकी पत्नी आपस में झगड़ने लगते हैं। इसे देखकर वह परेशान हो उठता है। फिर वह यह कहते हुए बाहर निकल जाता है- “मेरा बुखार घूमने से उतरता है।”

बीमार का इलाज लेखक-परिचय

प्रश्न 1.
उदयशंकर भट्ट का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
उदयशंकर भट्ट का जन्म सन् 1897 ई० में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में हुआ। उनके पूर्वज गुजरात से आकर यहाँ बस गए थे। उनके घर का वातावरण संस्कृतमय था। वे बचपन से ही संस्कृत के छंदों में रचना करने लगे थे। इतना ही नहीं अपने शिक्षा काल में भी हिंदी में भी कविताएँ और लेख आदि लिखने लगे थे। उन्होने स्वतन्त्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद वे आकाशवाणी के परामर्शदाता और निदेशक रहे। जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने सबसे पहले लाला लाजपतराय के नेशनल कॉलेज, लाहौर में अध्यापन कार्य किया।

बाद में लाहौर के ही खालसा कॉलेज, सनातन धर्म कॉलेज आदि में. भी अध्यापन कार्य किया। इसी समय उनमें नाटक लिखने की रुचि उत्पन्न हुई। 28 फरवरी, सन् 1966 ई० में उनका निधन हो गया। साहित्यिक विशेषताएँ-भट्टी वहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने नाटककार के रूप में ख्याति अर्जित की। उन्होंन एकांकियों की भी रचना की थी। उन्होंने एकांकियों के माध्यम से समाज में प्रचलित जनजीवन की समस्याओं को प्रस्तुत किया। उन्होंने कई ऐतिहासिक व पौराणिक नाटक भी लिखे।

रचनाएँ:
तक्षशिला, युगदीप, अमृत और विप, विक्रमादित्य, मुक्तिपथ, शकविजय,स्त्री का हृदय, आन का आदमी, कालिदास, मत्स्यगंधा, वह जो मने देखा, एक पक्षी आदि।

भाषा-शैली:
भट्टी ने अपनी रचनाओं में आम बोलचाल की सरल भापा का प्रयोग किया है। उन्होंने क्षेत्रीय शव्दावली का भी खुलकर प्रयोग किया। उनकी भाषा में हास्य और व्यंग्य का पुट भी मिलता है। उनकी भाषा पात्रानुकूल और भापानुकल है।

महत्त्व:
भट्टजी का हिंदी नाटककारों और एकांकीकारों में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उनके अधिकांश नाटक और एकांकी मंचित हो चुके हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है।

बीमार का इलाज पाठ का सारांश

प्रश्न 1.
‘बीमार का इलाज’ एकांकी का सार लिखिए।
उत्तर:
उदयशंकर भट्ट द्वारा लिखित एकाकी ‘बीमार का इलाज’ एक मनोरंजक घटना पर आधारित है। इस एकांकी का सार इस प्रकार है-चंद्रकांत के बड़े पुत्र कांति का मित्र विनोद इलाहाबाद से आगरा घूमने आता है लेकिन अचानक वह बीमार पड़ जाता है। उसने आगरा से कांति के गाँव जाने का कार्यक्रम बनाया था परंतु आगरा आते ही उसे बुखार चढ़ जाता है और वह गाँव नहीं जा पाता है। इस कारण विनोद का सारा आनंद समाप्त हो जाता है। कांति के परिवार के सभी सदस्य अपने-अपने ढंग से इलाज कराते हैं। परिवार के सदस्यों के विचार परस्पर नहीं मिलते हैं।

वे बीमार की तकलीफ को ध्यान में न रखकर अपनी ही प्रिय चिकित्सा पद्धति से इलाज कराना चाहते हैं। कांति के पिता एलोपैथी से इलाज कराना चाहते हैं। इसके लिए वे डॉक्टर गुप्ता को बुलाते हैं। उनकी पत्नी सरस्वती आयुर्वेदिक पद्धति में विश्वास रखती हैं इसलिए वह वैद्य हरिचंद को बुलाती हैं और पंडितजी से मार्जन भी करवाती हैं। चंद्रकांत का नौकर झाड़-फूंक में विश्वास करता है। इसके लिए वह झाड़-फूंक करने वाला यानी ओझा को लेकर आता है। इस प्रकार बीमार महमान को एक ओर एलोपैथिक डॉक्टर की दवाई लेनी पड़ती है, तो दूसरी ओर वैद्यजी का काढ़ा पीना पड़ता है।

एक ओर मंदिर के पुजारी उस पर जल छिड़कने आते हैं, तो दूसरी ओर होम्योपैथिक डॉक्टर की दवाई पर विश्वास करने को कहा जाता है। स्थिति यहाँ तक पहुँच जाती है कि मेहमान विनोद के इलाज को लेकर घर के स्वामी चंद्रकांत और उसकी पत्नी सरस्वती का आपस में झगड़ा हो जाता है। अंत में विनोद उनसे पीछा छुड़ाने के लिए बाहर घूमने निकल जाता है। चंद्रकांत, सरस्वती और सुखिया परस्पर अपने-अपने विश्वास को लेकर झगड़ने लगते हैं। इस पर डॉक्टर नानकचंद कांति से कहते हैं, “मुझे तो इस घर में सभी बीमार मालूम होते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर घर से बाहर चले जाते हैं और एकांकी समाप्त हो जाता है। इस एकांकी से मनोरंजन होने के साथ-साथ लोगों की विचित्र प्रवृत्तियों की ओर व्यंग्यपूर्ण संकेत भी मिलते हैं।

बीमार का इलाज संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
मेरे बच्चे, तुम पढ़-लिखकर भी नासमझ ही रहे। बिना अनुभव के समझदार और बच्चे में अंतर ही क्या है। अरे, होम्योपैथी भी कोई इलाज है। गाँठ बाँध लो-“कड़वी भेषज बिन पिये, मिटे न तन को ताप।” ये बाल धूप में सफेद नहीं हुए हैं। (Page 32)

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ उदयशंकर भट्ट द्वारा रचित एकांकी ‘बीमार का इलाज’ से उद्धृत हैं। हास्य-प्रधान इस एकांकी में कांति का मित्र विनोद बीमार है। इसमें बीमार की दयनीय स्थिति के साथ-साथ लोगों की विचित्र प्रवृत्तियों की ओर भी व्यंग्यपूर्ण संकेत मिलते हैं। बीमार के इलाज के लिए चंद्रकांत, डॉ. गुप्ता को बुलाने के लिए कहते हैं, तो कांति होम्योपैथी के डॉ. नानक चंद को बुलाना चाहते हैं। इस पर कांति के पिता चंद्रकांत कहते हैं।

व्याख्या:
पढ़-लिखकर शिक्षित तो हो गए, परंतु तुम्हारे अंदर अभी समझदारी विकसित नहीं हो पाई है। तुम नासमझ बच्चे के ही समान हो। कहने का भाव यह कि तुम अनुभवहीन शिक्षित व्यक्ति तो हो, किंतु समझदारी के अभाव में बालक के समान हो। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति बीमार व्यक्ति का इलाज करने का सही ढंग नहीं है। भाव यह कि चंद्रकांत इस चिकित्सा पद्धति को इलाज के लिए गलत बताते हैं। वह अपने पुत्र को समझाते हुए कहते हैं कि तुम अच्छी प्रकार समझ लो कि कड़वी दवा के बिना बुखार ठीक नहीं हो सकता है। यह मैंने अनुभव से सीखा है। मेरे बाल धूप में सफेद नहीं हुए हैं। यही मेरे लंबे जीवन और उसमें प्राप्त अनुभव के प्रतीक हैं।

विशेष:

  1. चंद्रकांत का अनुभव था कि कटु औषधि ही रोग को मिटा सकती है।
  2. प्रस्तुत एकांकी में लेखक ने बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है जिसमें क्षेत्रीय शब्दावली का भी प्रयोग हआ है।

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प्रश्न 2.
लो और सुनो। इनके मारे भी मेरी नाक में दम है। उस मरे डॉक्टर को कुछ न आवे है न जावे है। न जाने क्यों डॉक्टर गुप्ता के पीछे पड़ रहे हैंगे। क्या नाम है मरे उस भटनागर का? इन दोनों ने तो प्रतिमा को मार ही डाला था। वह तो कहो, भला हो इन वैद्य जी का। बचा लिया। जा, बेटा शांति, जा तो सही जल्दी। (Page 32)

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ उदयशंकर भट्ट द्वारा रचित एकांकी ‘बीमार का इलाज’ से उद्धृत हैं। हास्य-प्रधान इस एकांकी में कांति का मित्र विनोद बीमार है। चंद्रकांत डॉक्टर को बुलाने की बात करते हैं तो उनकी पत्नी सरस्वती डॉक्टर की बुराई करती है; क्योंकि उसका विश्वास चिकित्सा की आयुर्वेदिक प्रणाली पर है और वह वैद्यजी को बुलाना चाहती है। वह डॉक्टर को बुलाने की बात सुनकर अपने पति चन्द्रकांत से कहती है –

व्याख्या:
लो यह भी सुनो, ये एलोपैथी के डॉक्टर से विनोद का इलाज कराना चाहते हैं। इनके कारण भी मैं परेशान रहती हूँ। उस मरे डॉक्टर को कुछ आता-जाता नहीं है। अर्थात् डॉक्टर को रोग के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। वह रोग की पहचान करने में असमर्थ हैं। फिर भी पता नहीं क्यों डॉक्टर गुप्ता को बुलाने पर जोर दे रहे हैं। उस डॉक्टर भटनागर ने और डॉक्टर गुप्ता ने तो मिलकर प्रतिमा को लगभग मार ही डाला था; अर्थात् जब प्रतिमा बीमार पड़ी तो इन दोनों डॉक्टरों को बुलाया गया था।

इनके इलाज से प्रतिमा स्वस्थ होने की अपेक्षा और अधिक बीमार हो गई थी। उसकी स्थिति बिगड़ गई थी। यह तो वैद्यजी ने अपने इलाज से बचा लिया था। दूसरे शब्दों में, प्रतिमा वैद्यजी के इलाज से ही निरोग हुई थी। सरस्वती अपने बेटे कांति से कहती है-जा बेटा, जल्दी से जाकर वैद्यजी को बुला ला।

विशेष:

  1. सरस्वती का विश्वास आयुर्वेदिक चिकित्सा-पद्धति पर विश्वास है। वह वैद्यजी से ही विनोद का इलाज करवाना चाहती है। उसका एलोपेथी चिकित्सा-पद्धति पर बिलकुल विश्वास नहीं है।
  2. बोलचाल की सरल भाषा का प्रयोग किया गया है।
  3. भाषा पात्रानुकूल व भावानुकूल है।

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