MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 8 बीमार का इलाज (एकांकी, उदयशंकर भट्ट)
बीमार का इलाज पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न
बीमार का इलाज लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
चंद्रकांत किस सभ्यता व रहन-सहन का प्रेमी था?
उत्तर:
चंद्रकांत अंग्रेजी सभ्यता व रहन-सहन का प्रेमी था।
प्रश्न 2.
कांति अपने मित्र को आगरा क्यों लाया?
उत्तर:
कांति अपने मित्र को छुट्टियाँ बिताने के लिए आगरा लाया था।
प्रश्न 3.
आगरा पहुँचने पर विनोद का मज़ा किरकिरा क्यों हो गया था?
उत्तर:
आगरा पहुंचने पर विनोद बीमार पड़ गया और उसका सारा मज़ा किरकिरा हो गया था।
प्रश्न 4.
घर में स्वच्छता और सलीके का अभाव क्यों था?
उत्तर:
नौकर पर निर्भर रहने तथा रूढ़िवादी गृहस्वामिनी सरस्वती के कारण घर में स्वच्छता और सलीके का अभाव था।
प्रश्न 5.
होम्योपैथी के प्रति विश्वास किसे था और क्यों?
उत्तर:
कांति का विश्वास होम्योपैथी के डॉक्टर नानक चंद के प्रति है क्योंकि उनके हाथ में जादू है। कांति को विश्वास है कि उनके इलाज से शाम तक बुखार उतर जाएगा।
प्रश्न 6.
डॉ. गुप्ता ने विनोद का मार्जन होते देखकर क्या कहा?
उत्तर:
डॉ. गुप्ता ने विनोद का मार्जन होते देखकर कहा, “महाराज क्यों मारना चाहते हो बीमार को? निमोनिया हो जाएगा। अटरन्यूसेन्स।”
बीमार का इलाज दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
“तुमने तो कुंभकरण के चाचा को भी मात कर दिया” यह कथन किसने, किससे और क्यों कहा था?
उत्तर:
यह कथन कांति ने अपने मित्र विनोद से कहा था, क्योंकि वह आठ बजे तक सोता रहा। विनोद को कांति के साथ गाँव जाना था। इसलिए उसे अब तक तैयार हो जाना चाहिए था।
प्रश्न 2.
चंद्रकांत विनोद के इलाज के लिए किसे बुलाना उचित समझते है? कारण स्पष्ट कीजिए। इससे आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर:
चंद्रकांत विनोद के इलाज के लिए एलोपैथी के डॉक्टर गुप्ता को बुलाना उचित समझते हैं। इसका कारण यह है कि चंद्रकांत को एलोपैथी चिकित्सा-पद्धति पर विश्वास है। उनका मानना है कि डॉ. गुप्ता ने प्रतिमा का बुखार आते ही उतार दिया था। दूसरी बात यह कि वे मानते थे कि ‘कड़वी भेषज बिन पिये मिटे न तन को ताप।’ हम चंद्रकांत की बात से बिलकुल सहमत नहीं हैं; क्योंकि अन्य चिकित्सा पद्धति भी रोगों का निदान करने की क्षमता रखती है।
प्रश्न 3.
सुखिया विनोद की किस प्रकार की चिकित्सा के पक्ष में था? क्या आप उसके इलाज से सहमत होते?
उत्तर:
सुखिया विनोद की झाड़-फूंक की पद्धति से चिकित्सा कराने के पक्ष में था। उसका विश्वास था कि ओझा के हाथ फेरते ही बुखार उतर जाएगा। इसीलिए वह ओझा से अभिमंत्रित जल भी लाया था।
प्रश्न 4.
‘कड़वी भेषज बिन पिये, मिटे न तन को ताप’ चंद्रकांत के इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इसका आशय है कि कड़वी औषधि (दवाई) पिये विना शरीर का ताप नहीं मिटता। बुखार से छुटकारा पाने के लिए कड़वी दवा पीना आवश्यक होता है। स्वस्थ होने के लिए कड़वी दवाई तो पीनी ही पड़ती है।
प्रश्न 5.
परिवार के सदस्यों में इलाज के संबंध में हुए विवाद का विनोद पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
कांति का मित्र विनोद छुट्टियाँ मनाने कांति के घर आगरा गया था। वहाँ उसे बुखार आ गया, जिससे एक तो उसकी छुट्टियों का मजा किरकिरा हो गया दूसरा, घर में सब उसके इलाज को लेकर झगड़ रहे थे जिससे विनोद परेशान हो गया। वह झगड़े से इतना परेशान हो गया था कि उसे किसी की भी दवाई न पीने का निर्णय लेना पड़ा। जब उसे यह समझ में नहीं आया कि वह किसकी बात माने या किसकी न माने, तो वह बाहर जाने के लिए उठा और बोला-मेरा बुखार घूमने से उतरता है।
प्रश्न 6.
नीचे कुछ कथन और उनको बोलने वालों के नाम दिए गए हैं। ‘क’ स्तंभ का ‘ख’ स्तंभ से सही संबंध जोडिए।
उत्तर:
- (घ)
- (ङ)
- (ग)
- (ख)
- (क)
बीमार का इलाज भाव-विस्तार/पल्लवन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्ति का भाव-विस्तार कीजिए’ –
प्रश्न 1.
सारी देह अंगारे-सी दहक रही है।’
उत्तर:
विनोद बुखार से पीड़ित है। वुखार के कारण उसका शरीर अंगारे की भाँति दहक रहा है; अर्थात् उसे अत्यधिक बुखार है। इससे उसका शरीर बहुत गरम है।
बीमार का इलाज भाषा-अनुशीलन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के हिंदी रूप लिखिए –
नाइट, खैर, हकीम, फीवर, फैमिली, काबिल, माइंड, ख्याल, फेथ, सलीका।
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्नलिखित सामासिक शब्दों का समास-विग्रह कर उनके नाम लिखिए –
गृह स्वामिनी, मंत्राभिषिक्त, पढ़े-लिखे, माता-पिता, यथाशक्ति, चौराहा, नीलकंठ, गजानन, पीताम्बर। .
उदाहरण:
आदि-प्रारंभ, आदी-अभ्यस्त।
उत्तर:
प्रश्न 3.
नीचे उच्चारण में पर्याप्त समानता और आंशिक अंतर वाले शब्द दिए गए हैं। इनके अर्थ भिन्न-भिन्न हैं। उदाहरण के अनुसार इनके अर्थ लिखिए –
अतुल-अतल, अभय-उभय, आकर-आकार, आभरण-आवरण, बलि-बली, प्रसाद-प्रासाद, शोक-शौक, शकल-सकल, ग्रह-गृह, शर-सर, अनिल-अनल।
उत्तर:
- अतुल – असीम
अतल – अथाह। - अभय – निडर
उभय – दोनों। - आकर – खजाना
आकार – रूप। - आभरण – आभूषण
आवरण – ढकना। - बलि – चढ़ावा
बली – सशक्त। - प्रसाद – देवताओं को चढ़ाई गई वस्तु
प्रासाद – महल। - शोक – दुख
शौक – चाह, रुचि। - शकल – सुन्दर
सकल – समस्त। - ग्रह – नक्षत्र
गृह – घर। - शर – बाण
सर – तालाब। - अनिल – वायु
अनल – आग।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
नाक में दम होना, भाड़ झोंकना, चक्कर में पड़ना, गाँट बाँधना, मात देना, बाल धूप में पकना।
उत्तर:
प्रश्न 5.
निम्नलिखित लोकोक्तियों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
- घोड़ी नहीं चढ़े तो क्या बारात भी नहीं देखी।
- आम के आम गुठलियों के दाम।
- हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और।
- अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गईं खेत।
- आधी छोड़ सारी को धारू, आधी मिले न पूरी पावै।
- थोथा चना बाजे घना।
उत्तर:
1. घोड़ी नहीं चढ़े, तो क्या बारात भी नहीं देखी:
राकेश अंतरिक्ष में नहीं गया तो क्या हुआ? उसे अंतरिक्ष की बहुत जानकारी है। उस पर तो ‘घोड़ी नहीं चढ़े, तो क्या बारात भी नहीं देखी’ वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ होती है।
2. आम के आम गुठलियों के दाम:
प्रापर्टी डीलर ने यह फ्लैट सस्ते में खरीदा है। वह चार साल फ्लैट में रहा और अब लाभ में बेच दिया। इसे कहते हैं ‘आम के आम गुठलियों के दाम’।
3. हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और:
वामदल प्रतिदिन सरकार से समर्थन लेने की धमकियाँ देते रहते हैं और करते-धरते कुछ नहीं हैं, भैया इनकी स्थिति हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और वाली है।
4. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गईं खेत:
अब फेल होने पर रोने से क्या लाभ; क्योंकि अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
5. आधी छोड़ सारी को धावै, आध्री मिले न पूरी पावै:
अधिक लालच करना अच्छा नहीं होता। कभी ऐसा न हो। – आधी छोड़ सारी को धावै, आधी मिले न पूरी पावै। इसलिए जो कुछ मिलता है उसे ले लो।
6. थोथा चना बाजे घना:
वह केवल डींगें मारना जानता है। बातें तो ऐसी करता है, मानो संसार के वैज्ञानिक उसके सामने कुछ नहीं। अरे भाई! उसकी स्थिति तो थोथा चना बाजे घना वाली है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों को कोष्ठक में दिए निर्देशानुसार रूपान्तरित कीजिए –
- मेरे भाग्य में गाँव की सैर नहीं लिखी है। (विधिसूचक)
- कमबख्त बुखार बेमौके आ धमका। (प्रश्नवाचक)
- गाँव का रास्ता ऊबड़-खाबड़ है। (निषेधात्मक)
- बुखार कभी झाड़-फूंक से गया है। (विस्मयादिवाचक वाक्य)
- पंडित जी मंदिर में पूजा कर रहे हैं। (आज्ञावाचक)
उत्तर:
- मेरे भाग्य में गाँव की सैर लिखी है।
- क्या कमबख्त बुखार बेमौके आ धमका?
- गाँव का रास्ता ऊबड़-खाबड़ नहीं है।
- अरे! बुखार कभी झाड़-फूंक से गया है।
- पंडितजी, मंदिर में पूजा करो।
प्रश्न 7.
उदाहरणः यदि तुम दवा नहीं पिओगे, तो तुम्हें लाभ नहीं होगा।
दवा पिए बिना तुम्हें लाभ नहीं मिलेगा। उदाहरण के अनुसार दिए गए वाक्यों को रूपान्तरित कीजिए।
- यदि तुम स्टेशन नहीं जाओगे तो श्याम सुंदर नहीं मिलेगा।
- यदि आप दूध नहीं पिएँगे तो शरीर में शक्ति नहीं आएगी।
- जब तक मैं दवा नहीं पियूँगा तब तक मुझे नींद नहीं आएगी।
- यदि रश्मि नहीं सोएगी तो उसे आराम नहीं मिलेगा।
उत्तर:
- स्टेशन गए बिना तुम्हें श्याम नहीं मिलेगा।
- दूध पिए बिना शरीर में शक्ति नहीं आएगी।
- दवा पिए बिना मुझे नींद नहीं आएगी।
- सोए बिना रश्भि को आराम नहीं मिलेगा।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार वाक्यों में रूपान्तरित कीजिए –
- वह गृह कार्य करके स्कूल जाता है। (संयुक्त वाक्य)
- प्रसिद्ध कवि का सभी आदर करते हैं। (मिश्र वाक्य)
- मैं उन लोगों में से नहीं हूँ, जो दवा देने के लिए भागते फिरें।(सरल वाक्य)
- जो अपनी जान-पहचान के लोग हैं, वे सदा प्रसन्न रहें। (सरल वाक्य)
उत्तर:
- वह गृह कार्य करता है और स्कूल जाता है।
- जो प्रसिद्ध कवि होते हैं, उनका सभी आदर करते हैं।
- मैं दवा लेने के लिए भागते फिरने वाले लोगों में से नहीं हूँ।
- अपनी जान-पहचान के लोग सदा प्रसन्न रहें।
बीमार का इलाज योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1.
अपने सहपाठियों की सहायता से इस एकांकी का अभिनय कीजिए।
उत्तर:
अपने भाषा अध्यापक की सहायता से छात्र अभिनय की तैयारी कर अभिनय करें।
प्रश्न 2.
यदि आपके पड़ोस में किसी बीमार के इलाज के संबंध में कोई विवाद हो तो आप उसे कैसे सुलझाएँगे?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
आप 25 घरों का सर्वे कीजिए और जानिए कि आपके गाँव/शहर में अधिकांश लोग इलाज किस विधि द्वारा कराते हैं।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
बीमार का इलाज परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
अंग्रेजी सभ्यता व रहन-सहन का प्रेमी है –
(क) कांति
(ख) विनोद
(ग) शांति
(घ) चंद्रकांत
उत्तर:
(घ) चंद्रकांत।
प्रश्न 2.
विनोद लापरवाही से कभी उठकर बैठ जाता है और कभी………….है।
(क) उठकर खाँसने लगता
(ख) उठकर टहलने लगता
(ग) उठकर जाने लगता
(घ) उठकर दवाई लेने लगता
उत्तर:
(ख) उठकर टहलने लगता।
प्रश्न 3.
प्रतिमा का केस खराब कर दिया था –
(क) वैद्य हरिचंद्र ने
(ख) डॉक्टर गुप्ता ने
(ग) डॉ. भटनागर ने
(घ) पुजारीजी ने
उत्तर:
(ग) डॉ. भटनागर ने।
प्रश्न 4.
‘दूध तो मैं पिऊँगा नहीं’, किसने कहा?
(क) कांति ने
(ख) शांति ने
(ग) प्रतिमा ने
(घ) विनोद ने
उत्तर:
(घ) विनोद ने।
प्रश्न 5.
मैं चाहता हूँ कि अपनी जान-पहचान के लोग सदा ……. रहें।
(क) प्रसन्न
(ख) बीमार
(ग) निरोग
(घ) स्वस्थ
उत्तर:
(क) प्रसन्न।
प्रश्न 6.
कांति के साथ पढ़े हैं –
(क) डॉ. भटनागर
(ख) डॉ. नानकचंद
(ग) वैद्य हरिचंद
(घ) विनोद
उत्तर:
(घ) विनोद।
प्रश्न 7.
सुखिया किस चिकित्सा पद्धति में विश्वास करता है?
(क) झाड़-फूंक
(ख) एलोपैथी
(ग) होमियोपैथी
(घ) आयुर्वेदिक
उत्तर:
(क) झाड़-फूंक।
प्रश्न 8.
बीमारी पहचानने में कर तो ले कोई मेरा मुकाबला, कहा –
(क) हरिचंद्र वैद्य ने
(ख) डॉ. गुप्ता ने
(ग) डॉ. नानकचंद ने
(घ) चंद्रकांत ने
उत्तर:
(क) डॉ. नानकचंद ने।
प्रश्न 9.
मुझे इस घर में सब बीमार मालूम पड़ते हैं, कहा –
(क) डॉ. नानकचंद ने
(ख) डॉ. गुप्ता ने
(ग) डॉ. भटनागर ने
(घ) हरिचंद ने वैद्य
उत्तर:
(क) हरिचंद वैद्य ने।
प्रश्न 10.
अब इस घर में मेरी कोई जरूरत नहीं है, किसने कहा –
(क) प्रतिमा ने
(ख) सरस्वती ने
(ग) चन्द्रकांत ने
(घ) कांति ने
उत्तर:
(ख) सरस्वती ने।
II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर करें –
- ‘बीमार का इलाज’ ………. है। (नाटक/एकांकी) (M.P. 2012)
- ………. ने कहा, “दूध तो पिऊँगा नहीं। (विनोद/कांति)
- ………. ने कहा, “ये बाल धूप में सफेद नहीं हुए।” (सरस्वती/चन्द्रकांत)
- उदयशंकर भट्ट का जन्म सन् ………. ई० में हुआ था। (1966/1897)
- ‘बीमार का इलाज’ में ………. है। (मनोरंजन/व्यंग्य)
उत्तर:
- एकांकी
- विनोद
- चन्द्रकांत
- 1897
- व्यंग्य।
III. निम्नलिखित कथनों में सत्य/असत्य’ छाँटिए –
- ‘बीमार का इलाज’ एक निबंध है। (M.P. 2009)
- परिवार के सभी सदस्य अपने-अपने ढंग से इलाज कराते हैं।
- ‘बीमार का इलाज’ की भाषा तत्सम है।
- सुखिया-झाड़-फूंक में विश्वास करता है।
- कांति अपने मित्र विनोद को अपने साथ रहने के लिए लाया था।’
उत्तर:
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- असत्य।
IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –
प्रश्न 1.
उत्तर:
(i) (ग)
(ii) (घ)
(iii) (ङ)
(iv) (ख)
(v) (क)।
V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –
प्रश्न 1.
विनोद को अचानक क्या हो गया?
उत्तर:
बुखार।
प्रश्न 2.
सरस्वती किस विचारधारा की थी?
उत्तर:
रूढ़िवादी।
प्रश्न 3.
नानकचंद कौन है?
उत्तर:
नानकचंद होम्योपैथी का डॉक्टर है।
प्रश्न 4.
विनोद क्यों बाहर घूमने निकल जाता है?
उत्तर:
वह अपने इलाज के लिए होने वाले झगड़े से परेशान होकर बाहर निकल जाता है।
प्रश्न 5.
विनोद की छुट्टियाँ क्यों बेकार हो गईं?
उत्तर:
बुखार आने से विनोद की छुट्टियाँ वेकार हो गई।
बीमार का इलाज लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
विनोद ने क्यों कहा कि मेरी छुट्टियाँ बेकार हो गईं?
उत्तर:
विनोद आगरा आकर बीमार पड़ गया। अब वह घूमने के लिए गाँव नहीं जा सका, इसलिए उसने कहा कि सारी छुट्टियाँ बेकार हो गई।
प्रश्न 2.
चंद्रकांत ने डॉक्टर भटनागर के संबंध में क्या कहा?
उत्तर:
चंद्रकांत ने कहा, “डॉक्टर भटनागर इस घर में कदम नहीं रख सकता।”
प्रश्न 3.
होमियोपैथी का डॉक्टर कौन है?
उत्तर:
होमियोपैथी का डॉक्टर नानकचंद है।
प्रश्न 4.
सरस्वती पंडित से किसका मार्जन करने के लिए कहती है और क्यों?
उत्तर:
सरस्वती पंडितजी से विनोद का मार्जन करने के लिए कहती है ताकि सारी अला-बला दूर हो जाए।
प्रश्न 5.
चंद्रकांत ने वैद्यजी की दवा के संबंध में क्या कहा है?
उत्तर:
वैद्यों की दवा पीना मृत्यु को बुलाना है।
प्रश्न 6.
कांति ने विनोद के बारे में क्या सोचा था?
उत्तर:
कांति ने विनोद के बारे में सोचा था-कुछ दिन यहाँ घर में आनंद-मौज करेंगे। फिर खूब गाँव की सैर करेंगे।
प्रश्न 7.
“डॉक्टर भटनागर इस घर में कदम नहीं रख सकता।” ऐसा किसने कहा?
उत्तर:
“डॉक्टर भटनागर इस घर में कदम नहीं रख सकता।” ऐसा कांति के पिता चन्द्रकांत ने कहा।
प्रश्न 8.
डॉक्टर भटनागर ने किसका केस खराब कर दिया था?
उत्तर:
डॉक्टर भटनागर ने प्रतिमा का केस खराब कर दिया था।
बीमार का इलाज दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
विनोद के लिए कांति ने किस प्रकार के इलाज का सुझाव दिया?
उत्तर:
कांति होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में विश्वास रखता था। इसी कारण वह अपने मित्र विनोद का इलाज होम्योपैथी के डॉक्टर से करवाना चाहता था। उसके अनुसार होम्योपैथी के डॉक्टर के हाथ में जादू-सा प्रतीत होता था। उसका होम्योपैथी पर विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था।
प्रश्न 2.
घर के अलग-अलग सदस्यों ने बीमार का इलाज कैसे किया? ‘बीमार का इलाज’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
‘बीमार का इलाज’ एकांकी में परिवार के सदस्यों के विचार आपस में कहीं नहीं मिलते थे। वे बीमार की तकलीफ को ध्यान न देकर अपनी सलाह को ही कार्यान्वित करना चाहते थे। विनोद का मित्र होम्योपैथी पद्धति से इलाज करवाना चाहता था, तो पिता एलोपैथी पर विश्वास रखते थे और माँ आयुर्वेद द्वारा इलाज करवाना चाहती थीं। साथ ही पंडित द्वारा मार्जन भी करवा रही थीं।
प्रश्न 3.
‘बीमार का इलाज’ एकांकी के किन्हीं चार पात्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- चंद्रकांत-आगरा का एक रईस, जो अंग्रेजी सभ्यता व रहन-सहन का प्रेमी है। उम्र 45 वर्ष।
- कांति-चंद्रकांत का बड़ा पुत्र। उम्र लगभग 21-22 वर्ग।
- विनोद-कांति का समवयस्क मित्र।
- सरस्वती-कांति की माँ-अपने पति के सर्वथा भिन्न, दुवली-पतली, पुराने विचारों की।
प्रश्न 4.
“मुझे इस घर में सभी बीमार मालूम पड़ते हैं”-‘बीमार का इलाज’ एकांकी में डॉक्टर ने यह वाक्य क्यों कहा?
उत्तर:
डॉ. नानकचंद ने कांति के परिवार के सभी सदस्यों की अलग-अलग सोच और पारस्परिक समझ के अभाव के कारण सभी को मानसिक रूप से बीमार पाया। वे सभी अपने-आप को श्रेष्ठ समझते हैं और अपने-अपने दृष्टिकोण को ही सही मानते हैं। इसलिए सभी अपनी-अपनी चिकित्सा-पद्धति से विनोद का इलाज कराने की कोशिश करते हैं। डॉ. नानकचंद के आने पर विनोद परेशान होकर घूमने चला जाता है।
डॉक्टर उसे नींद में घूमने की बीमारी बता देते हैं। चन्द्रकांत डॉक्टर को बताता है कि डॉक्टर ने उसे बुखार की देवा दी है और सरस्वती बताती है कि वैद्य ने उसे अपच का काढ़ा दिया है। सुखिया अपना मत व्यक्त करता है कि फायदा तो ओझा से उसके द्वारा लाए जल से हुआ है। डॉ. नानकचंद सभी को मानसिक रूप से बीमार मान लेते हैं।
प्रश्न 5.
घर के लोग घर में आया मेहमान का किस-किस तरह से इलाजकरवाते हैं?
उत्तर:
घर के लोग घर में आए मेहमान का अलग-अलग तरह से इलाज करवाते – हैं। एक ओर मेहमान को एलोपैथिक डॉक्टर की दवा लेनी पड़ती है, तो दूसरी ओर वैद्यजी की। इसी प्रकार एक ओर मंदिर के पुजारी उस पर जल छिड़कने आते हैं, तो दूसरी ओर होम्योपैथिक डॉक्टर की दवाई पर उसे विश्वास करने के लिए कहा जाता है। इस तरह घर के लोगों की रुचि के अनुसार इलाज होता रहा।
प्रश्न 6.
“मेरा बुखार घूमने से उतरता है।” ऐसा विनोद ने क्यों कहा?
उत्तर:
“मेरा बुखार घूमने से उतरता हैं।” ऐसा विनोद ने कहा। इसलिए क्योंकि उसका इलाज घर के लोग अपनी-अपनी रुचि के अनुसार करवाते हैं। इससे वह ठीक नहीं हो पाता है। यही नहीं, एक स्थिति ऐसी भी आ जाती है कि उसके इलाज को लेकर घर के स्वामी और उसकी पत्नी आपस में झगड़ने लगते हैं। इसे देखकर वह परेशान हो उठता है। फिर वह यह कहते हुए बाहर निकल जाता है- “मेरा बुखार घूमने से उतरता है।”
बीमार का इलाज लेखक-परिचय
प्रश्न 1.
उदयशंकर भट्ट का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
उदयशंकर भट्ट का जन्म सन् 1897 ई० में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में हुआ। उनके पूर्वज गुजरात से आकर यहाँ बस गए थे। उनके घर का वातावरण संस्कृतमय था। वे बचपन से ही संस्कृत के छंदों में रचना करने लगे थे। इतना ही नहीं अपने शिक्षा काल में भी हिंदी में भी कविताएँ और लेख आदि लिखने लगे थे। उन्होने स्वतन्त्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद वे आकाशवाणी के परामर्शदाता और निदेशक रहे। जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने सबसे पहले लाला लाजपतराय के नेशनल कॉलेज, लाहौर में अध्यापन कार्य किया।
बाद में लाहौर के ही खालसा कॉलेज, सनातन धर्म कॉलेज आदि में. भी अध्यापन कार्य किया। इसी समय उनमें नाटक लिखने की रुचि उत्पन्न हुई। 28 फरवरी, सन् 1966 ई० में उनका निधन हो गया। साहित्यिक विशेषताएँ-भट्टी वहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने नाटककार के रूप में ख्याति अर्जित की। उन्होंन एकांकियों की भी रचना की थी। उन्होंने एकांकियों के माध्यम से समाज में प्रचलित जनजीवन की समस्याओं को प्रस्तुत किया। उन्होंने कई ऐतिहासिक व पौराणिक नाटक भी लिखे।
रचनाएँ:
तक्षशिला, युगदीप, अमृत और विप, विक्रमादित्य, मुक्तिपथ, शकविजय,स्त्री का हृदय, आन का आदमी, कालिदास, मत्स्यगंधा, वह जो मने देखा, एक पक्षी आदि।
भाषा-शैली:
भट्टी ने अपनी रचनाओं में आम बोलचाल की सरल भापा का प्रयोग किया है। उन्होंने क्षेत्रीय शव्दावली का भी खुलकर प्रयोग किया। उनकी भाषा में हास्य और व्यंग्य का पुट भी मिलता है। उनकी भाषा पात्रानुकूल और भापानुकल है।
महत्त्व:
भट्टजी का हिंदी नाटककारों और एकांकीकारों में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उनके अधिकांश नाटक और एकांकी मंचित हो चुके हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है।
बीमार का इलाज पाठ का सारांश
प्रश्न 1.
‘बीमार का इलाज’ एकांकी का सार लिखिए।
उत्तर:
उदयशंकर भट्ट द्वारा लिखित एकाकी ‘बीमार का इलाज’ एक मनोरंजक घटना पर आधारित है। इस एकांकी का सार इस प्रकार है-चंद्रकांत के बड़े पुत्र कांति का मित्र विनोद इलाहाबाद से आगरा घूमने आता है लेकिन अचानक वह बीमार पड़ जाता है। उसने आगरा से कांति के गाँव जाने का कार्यक्रम बनाया था परंतु आगरा आते ही उसे बुखार चढ़ जाता है और वह गाँव नहीं जा पाता है। इस कारण विनोद का सारा आनंद समाप्त हो जाता है। कांति के परिवार के सभी सदस्य अपने-अपने ढंग से इलाज कराते हैं। परिवार के सदस्यों के विचार परस्पर नहीं मिलते हैं।
वे बीमार की तकलीफ को ध्यान में न रखकर अपनी ही प्रिय चिकित्सा पद्धति से इलाज कराना चाहते हैं। कांति के पिता एलोपैथी से इलाज कराना चाहते हैं। इसके लिए वे डॉक्टर गुप्ता को बुलाते हैं। उनकी पत्नी सरस्वती आयुर्वेदिक पद्धति में विश्वास रखती हैं इसलिए वह वैद्य हरिचंद को बुलाती हैं और पंडितजी से मार्जन भी करवाती हैं। चंद्रकांत का नौकर झाड़-फूंक में विश्वास करता है। इसके लिए वह झाड़-फूंक करने वाला यानी ओझा को लेकर आता है। इस प्रकार बीमार महमान को एक ओर एलोपैथिक डॉक्टर की दवाई लेनी पड़ती है, तो दूसरी ओर वैद्यजी का काढ़ा पीना पड़ता है।
एक ओर मंदिर के पुजारी उस पर जल छिड़कने आते हैं, तो दूसरी ओर होम्योपैथिक डॉक्टर की दवाई पर विश्वास करने को कहा जाता है। स्थिति यहाँ तक पहुँच जाती है कि मेहमान विनोद के इलाज को लेकर घर के स्वामी चंद्रकांत और उसकी पत्नी सरस्वती का आपस में झगड़ा हो जाता है। अंत में विनोद उनसे पीछा छुड़ाने के लिए बाहर घूमने निकल जाता है। चंद्रकांत, सरस्वती और सुखिया परस्पर अपने-अपने विश्वास को लेकर झगड़ने लगते हैं। इस पर डॉक्टर नानकचंद कांति से कहते हैं, “मुझे तो इस घर में सभी बीमार मालूम होते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर घर से बाहर चले जाते हैं और एकांकी समाप्त हो जाता है। इस एकांकी से मनोरंजन होने के साथ-साथ लोगों की विचित्र प्रवृत्तियों की ओर व्यंग्यपूर्ण संकेत भी मिलते हैं।
बीमार का इलाज संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या
प्रश्न 1.
मेरे बच्चे, तुम पढ़-लिखकर भी नासमझ ही रहे। बिना अनुभव के समझदार और बच्चे में अंतर ही क्या है। अरे, होम्योपैथी भी कोई इलाज है। गाँठ बाँध लो-“कड़वी भेषज बिन पिये, मिटे न तन को ताप।” ये बाल धूप में सफेद नहीं हुए हैं। (Page 32)
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ उदयशंकर भट्ट द्वारा रचित एकांकी ‘बीमार का इलाज’ से उद्धृत हैं। हास्य-प्रधान इस एकांकी में कांति का मित्र विनोद बीमार है। इसमें बीमार की दयनीय स्थिति के साथ-साथ लोगों की विचित्र प्रवृत्तियों की ओर भी व्यंग्यपूर्ण संकेत मिलते हैं। बीमार के इलाज के लिए चंद्रकांत, डॉ. गुप्ता को बुलाने के लिए कहते हैं, तो कांति होम्योपैथी के डॉ. नानक चंद को बुलाना चाहते हैं। इस पर कांति के पिता चंद्रकांत कहते हैं।
व्याख्या:
पढ़-लिखकर शिक्षित तो हो गए, परंतु तुम्हारे अंदर अभी समझदारी विकसित नहीं हो पाई है। तुम नासमझ बच्चे के ही समान हो। कहने का भाव यह कि तुम अनुभवहीन शिक्षित व्यक्ति तो हो, किंतु समझदारी के अभाव में बालक के समान हो। होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति बीमार व्यक्ति का इलाज करने का सही ढंग नहीं है। भाव यह कि चंद्रकांत इस चिकित्सा पद्धति को इलाज के लिए गलत बताते हैं। वह अपने पुत्र को समझाते हुए कहते हैं कि तुम अच्छी प्रकार समझ लो कि कड़वी दवा के बिना बुखार ठीक नहीं हो सकता है। यह मैंने अनुभव से सीखा है। मेरे बाल धूप में सफेद नहीं हुए हैं। यही मेरे लंबे जीवन और उसमें प्राप्त अनुभव के प्रतीक हैं।
विशेष:
- चंद्रकांत का अनुभव था कि कटु औषधि ही रोग को मिटा सकती है।
- प्रस्तुत एकांकी में लेखक ने बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है जिसमें क्षेत्रीय शब्दावली का भी प्रयोग हआ है।
प्रश्न 2.
लो और सुनो। इनके मारे भी मेरी नाक में दम है। उस मरे डॉक्टर को कुछ न आवे है न जावे है। न जाने क्यों डॉक्टर गुप्ता के पीछे पड़ रहे हैंगे। क्या नाम है मरे उस भटनागर का? इन दोनों ने तो प्रतिमा को मार ही डाला था। वह तो कहो, भला हो इन वैद्य जी का। बचा लिया। जा, बेटा शांति, जा तो सही जल्दी। (Page 32)
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ उदयशंकर भट्ट द्वारा रचित एकांकी ‘बीमार का इलाज’ से उद्धृत हैं। हास्य-प्रधान इस एकांकी में कांति का मित्र विनोद बीमार है। चंद्रकांत डॉक्टर को बुलाने की बात करते हैं तो उनकी पत्नी सरस्वती डॉक्टर की बुराई करती है; क्योंकि उसका विश्वास चिकित्सा की आयुर्वेदिक प्रणाली पर है और वह वैद्यजी को बुलाना चाहती है। वह डॉक्टर को बुलाने की बात सुनकर अपने पति चन्द्रकांत से कहती है –
व्याख्या:
लो यह भी सुनो, ये एलोपैथी के डॉक्टर से विनोद का इलाज कराना चाहते हैं। इनके कारण भी मैं परेशान रहती हूँ। उस मरे डॉक्टर को कुछ आता-जाता नहीं है। अर्थात् डॉक्टर को रोग के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। वह रोग की पहचान करने में असमर्थ हैं। फिर भी पता नहीं क्यों डॉक्टर गुप्ता को बुलाने पर जोर दे रहे हैं। उस डॉक्टर भटनागर ने और डॉक्टर गुप्ता ने तो मिलकर प्रतिमा को लगभग मार ही डाला था; अर्थात् जब प्रतिमा बीमार पड़ी तो इन दोनों डॉक्टरों को बुलाया गया था।
इनके इलाज से प्रतिमा स्वस्थ होने की अपेक्षा और अधिक बीमार हो गई थी। उसकी स्थिति बिगड़ गई थी। यह तो वैद्यजी ने अपने इलाज से बचा लिया था। दूसरे शब्दों में, प्रतिमा वैद्यजी के इलाज से ही निरोग हुई थी। सरस्वती अपने बेटे कांति से कहती है-जा बेटा, जल्दी से जाकर वैद्यजी को बुला ला।
विशेष:
- सरस्वती का विश्वास आयुर्वेदिक चिकित्सा-पद्धति पर विश्वास है। वह वैद्यजी से ही विनोद का इलाज करवाना चाहती है। उसका एलोपेथी चिकित्सा-पद्धति पर बिलकुल विश्वास नहीं है।
- बोलचाल की सरल भाषा का प्रयोग किया गया है।
- भाषा पात्रानुकूल व भावानुकूल है।