MP Board Class 7th Social Science Solutions Chapter 13 The Foundation of the Mughal Empire and its Rise

MP Board Class 7th Social Science Solutions Chapter 13 The Foundation of the Mughal Empire and its Rise

MP Board Class 7th Social Science Chapter 13 Text Book Questions

Choose the correct alternatives from the following

Mp Board Class 7th Social Science Chapter 13 Question 1.
The first battle of Panipat was fought between:
(a) Akbar and Shershah
(b) Babar and Ibrahim Lodi
(c) Humayun and Shershah
(d) Bairam Kham and Hemu
Answer:
(b) Babar and Ibrahim Lodi

Class 7 Social Science Chapter 13 Question Answer Question 2.
The founder of Mughal dynasty was:
(a) Humayun
(b) Akbar
(c) Shershah
(d) Babar
Answer:
(d) Babar

Class 7 Social Science Chapter 13 Question 3.
The battle of Khanua took palce in:
(a) 1526 AD
(b) 1556 AD
(c) 1527 AD
(d) 1529 AD
Answer:
(c) 1527 AD

Fill in the blanks:

  1. The autobiography of Babar is known as …………
  2. The second battle of Panipat was fought in …………..
  3. ……………. was made the guardian of Akbar.
  4. Shershah’s real name was ……………
  5. The battle of Ghagra was foughtbetween Babar and …………..

Answer:

  1. Tuzuk-i-Babri
  2. 1556 AD
  3. Bairam Khan
  4. Farid Khan
  5. Afghans

MP Board Class 7th Social Science Chapter 13 Short Answer Type Questions

Mp Board Class 7 Social Science Solution Question 1.
Name the road, which was repaired by Shershah.
Answer:
Grand Trunk Road.

Mp Board Class 7th Social Science Solution Question 2.
When and where was a son born to Humayun?
Answer:
A son (Akbar) was bom to Humayun on 23rd November 1542 at die palace of the king of Amarkot, Veerpal.

Social Science Class 7 Mp Board English Medium Question 3.
When and between whom was the battle of Haldighati fought?
Answer:
The battle of Haldighati was fought between Rajput king Maharana pratap and the Mughal army in 1576 AD.

Mp Board Solution Class 7 Social Science Question 4.
What were the main sources of income during Akbar’s regime?
Answer:
During Akbar’s regime there were two main sources of income of the state. One was revenue from land and the other was taxes on trade.

Social Science Class 7 Mp Board Question 5.
Write down the names of the nine gems of Akbar’s court.
Answer:
The names of the nine gems of Akbar’s court:

  1.  Abulfazal
  2. Raja Mansingh
  3. Raja Todannal
  4. Tansen
  5. Birbal
  6. Hakim Hokum
  7. Abdurrahim Khan-Khana
  8. Fajzi
  9. Mulla-do-Pyaja

MP Board Class 7th Social Science Chapter 13 Long Answer Type Questions

7th Class Social 13th Lesson Question 1.
Describe the administrative system of Shershah.
Answer:
Shershah was an officient administrator. The interest of the people ranked above everything. He started many reforms in military administration, land revenue etc that was followed by Akbar. Shershah divided his empire into Sarkars, which were again subdivided into parganas.

Officer in charge of sarkars and panganas were periodically transferred. He enforced equal law for justice and introduced a reformed system of currency. The silver coin known as the Rupee which lasted throughout the Mughal period and was maintained by the East India company down to 1835 AD.

Mp Board Sst Solution Class 7 Question 2.
Describe the buildings made by Akbar.
Answer:
Akbar was the first ruler who had time and means to undertake the construction work on a large Scale. He built the forts of Allahabad, Agra and Lahore. He built the city of Fatehpur Sikri near Agra. He built many beautiful buildings among which Diwan – i – Aaam, Dewan – i – Khas, Panchmahal, Jaodhabi palace, Palace of Birbal, Jama Masjid, the Dargah of Sheikh Salim chisti and the Buland Darwaza are very prominent

Social Science Class 7th Mp Board Question 3.
Explain in detail the Rajput of Akbar.
Answer:
Akbar realized well that for ruling India he should have support and co-operation of both the Hindus and the Muslims. So he embarked on a definite policy towards the Rajputs. Akbar’s Rajput Policy:

  1. Akbar entered into matrimonial relation with a number of other Rajput kingdom.
  2. Akbar appointed Rajputs on high position.
  3. Akbar’s attitude towards his subordinate rulers and officers was liberal and he never hurt the religious sentiments of the Rajputs.
  4. He gave all respect to the Hindu kings in his court.

MP Board Class 7th Social Science Solutions

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions पद्य Chapter 3 प्रेम और सौन्दर्य

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions पद्य Chapter 3 प्रेम और सौन्दर्य

प्रेम और सौन्दर्य अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रेम और सौन्दर्य अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण के हृदय में किसकी माला शोभा पा रही है?
उत्तर:
श्रीकृष्ण के हृदय में गुंजाओं की माला शोभा पा रही है।

प्रश्न 2.
गोपाल के कुंडलों की आकृति कैसी है?
उत्तर:
गोपाल के कुंडलों की आकृति मछली जैसी है।

प्रश्न 3.
श्रद्धा का गायन-स्वर किस तरह का है?
उत्तर:
श्रद्धा का गायन-स्वर मधुकरी (भ्रामरी) जैसा है।

प्रश्न 4.
‘मधुर विश्रांत और एकान्त जगत का सुलझा हुआ रहस्य’-सम्बोधन किसके लिए है?
उत्तर:
यह सम्बोधन मनु के लिए है। श्रद्धा कहती है कि तुम्हें देखकर ऐसा लगता है मानो तुमने संसार के रहस्य को सुलझा लिया है, इसलिए तुम निश्चित होकर बैठे हो।

प्रश्न 5.
माथे पर लगे टीके की तुलना किससे की है?
उत्तर:
माथे पर लगे टीके की तुलना सूर्य से की गयी है।

प्रेम और सौन्दर्य लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गोपाल के गले में पड़ी गुंजों की माला की तुलना किससे की गई है?
उत्तर:
गोपाल के गले में पड़ी गुंजों की माला की तुलना दावानल की ज्वाला से की गई है।

प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण के ललाट पर टीका की समानता किससे की गई है?
उत्तर:
श्रीकृष्ण के ललाट पर शोभित टीके की समानता सूर्य से की गयी है।

प्रश्न 3.
मनु को हर्ष मिश्रित झटका-सा क्यों लगा?
उत्तर:
श्रद्धा की वाणी सुनते ही मनु को एक हर्ष मिश्रित झटका लगा और वे मोहित होकर यह देखने लगे कि यह संगीत से मधुर वचन कौन कह रहा है।

प्रेम और सौन्दर्य दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पीताम्बरधारी श्रीकृष्ण के सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्याम वर्ण पर पीताम्बर धारण किए हुए श्रीकृष्ण का स्लौन्दर्य ऐसा लग रहा है मानो नीलमणि के पर्वत पर प्रात:कालीन सूर्य की किरणें पड़ रही हैं।

प्रश्न 2.
‘सरतरु की मनु सिन्धु में,लसति सपल्लव डार’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नायक कहता है कि इस नायिका का झिलमिली नामक आभूषण अपार चमक के साथ झीने पट में झलक रहा है। उसे देखकर ऐसा लगता है मानो कल्प वृक्ष की पत्तों सहित डाल समुद्र में विलास कर रही है।

प्रश्न 3.
अरुण रवि मण्डल उनको भेद दिखाई देता हो, छवि धाम का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहता है कि श्रद्धा का मुख ऐसा सुन्दर दिखाई दे रहा था जैसे सूर्य अस्त होने से पहले छिप गया हो परन्तु जब लाल सूर्य उन नीले मेघों को चीर कर दिखाई देता है तो वह अत्यन्त सुन्दर दिखाई देता है। श्रद्धा के मुख का सौन्दर्य वैसा ही था।

प्रश्न 4.
अधोलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
(अ) तो पै वारौ उरबसी …………. खै उरबसी समान।
उत्तर:
हे चतुर राधिका! सुन, तू तो इतनी सुन्दर है कि तुझ पर मैं इन्द्र की अप्सरा उर्वशी को भी न्योछावर कर दूँ। हे राधा! तू तो मोहन के उर (हृदय) में उरबसी आभूषण के समान बसी हुई है। अतः दूसरों की बात सुनकर तुम मौन धारण मत करो।

(ब) हृदय की अनुकृति ………….. सौरभ संयुक्त।
उत्तर:
पूर्ववत्।
व्याख्या-कवि कहता है कि मनु ने वह सुन्दर दृश्य देखा जो नेत्रों को जादू के समान मोहित कर देने वाला था। श्रद्धा उस समय फूलों की शोभा से युक्त लता के समान लग रही थी। श्रद्धा चाँदनी से घिरे हुए काले बादल के समान लग रही थी। श्रद्धा ने नीली खाल का वस्त्र पहन रखा था इस कारण वह बादल के समान दिखाई दे रही थी। किन्तु उसकी शारीरिक कान्ति उसके परिधान के बाहर भी जगमगा रही थी। श्रद्धा हृदय की भी उदार थी और उसी के अनुरूप वह देखने में उदार लग रही थी, उसका कद लम्बा था और उससे स्वच्छन्दता झलक रही थी। वायु के झोंकों में वह ऐसी लगती थी मानो बसन्त की वायु से हिलता हुआ कोई छोटा साल का पेड़ हो और वह सुगन्धि में डूबा हो।

प्रेम और सौन्दर्य काव्य सौन्दर्य

प्रश्न 1.
अधोलिखित काव्यांश में अलंकार पहचान कर लिखिए
(अ) धस्यौ मनो हियगढ़ समरू ड्योढ़ी लसत निसान।’
(ब) ‘विश्व की करुण कामना मूर्ति’।।
उत्तर:
(अ) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ब) रूपक अलंकार।

प्रश्न 2.
फिरि-फिरि चित त ही रहतु, टुटी लाज की लाव।
अंग-अंग छवि झऔर में, भयो भौंर की नाव।”
में छन्द पहचान कर उसके लक्षण लिखिए।
उत्तर:
इसमें दोहा छन्द है जिसका लक्षण इस प्रकार है-
दोहा-लक्षण-दोहा चार चरण का मात्रिक छन्द है। इसकी प्रत्येक पंक्ति में 24 मात्राएँ होती हैं। पहले तथा तीसरे चरणों में 13-13 मात्राएँ और दूसरे तथा चौथे चरणों में 11-11 मात्राएँ। होती हैं।

प्रश्न 3.
संयोग श्रृंगार का एक उदाहरण रस के विभिन्न: अंगों सहित लिखिए।
उत्तर:
संयोग शृंगार :
जहाँ प्रेमी-प्रेमिका की संयोग दशा में प्रेम का अंकन, माधुर्यमय वार्ता, स्पर्श, दर्शन आदि का वर्णन हो वहाँ संयोग श्रृंगार होता है। इसमें स्थायी भाव-रति, विभाव-प्रेमी-प्रेमिका, अनुभाव-परिहास, कटाक्ष, स्पर्श, आलिंगन आदि तथा संचारी भाव-हर्ष, उत्सुकता, मद आदि होते हैं।

अंगों सहित उदाहरण :
“जा दिन ते वह नन्द को छोहरा, या वन धेनु चराई गयी है। मोहिनी ताननि गोधन, गावत, बेनु बजाइ रिझाइ गयौ है।। वा दिन सो कछु टोना सो कै, रसखानि हियै में समाइ गयौ है। कोऊन काहू की कानि करै, सिगरो, ब्रज वीर, बिकाई गयौ है।”

स्पष्टीकरण :
यहाँ पर आश्रय गोपियाँ तथा आलम्बन श्रीकृष्ण हैं। वन में गाय चराना, वंशी बजाना, गाना आदि उद्दीपन हैं। मोहित होना, लोक लज्जा न मानना आदि अनुभाव हैं। ‘स्मृति’ | संचारी भाव है। इस प्रकार रति स्थायी भाव संयोग-शृंगार में परिणत हुआ है।

प्रश्न 4.
वियोग श्रृंगार को परिभाषित करते हुए उदाहरण रस के अंगों सहित लिखिए।
उत्तर:
वियोग श्रृंगार-जहाँ प्रेमी-प्रेमिका की वियोग दशा में प्रेम का अंकन, विरह वेदना का सरस वर्णन हो वहाँ वियोग श्रृंगार होता है। इसे विप्रलम्भ श्रृंगार भी कहते हैं। इसमें स्थायी भाव-रति, विभाव-प्रेमी-प्रेमिका, अनुभाव-प्रस्वेद, अश्रु, कम्पन, रुदन आदि तथा संचारी भाव-स्मृति, विषाद, आवेग,आदि होते हैं।

अंगों सहित उदाहरण :
“ऊधौ मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं।
वृन्दावन गोकुल वन उपवन, सघन कुंज की छाहीं।
प्रात समय माता जसुमति अरु, नन्द देख सुख पावत।
माखन रोटी दह्यौ सजायौ, अति हित साथ खवावत।
गोपी ग्वाल बाल संग खेलत, सब दिन हँसत सिरात॥”

स्पष्टीकरण :
इसमें आश्रय श्रीकृष्ण तथा आलम्बन गोकुल की वस्तुएँ, नन्द किशोर आदि हैं। वृन्दावन, वन उपवन, रोटी, दही आदि उद्दीपन हैं। आँसू मलिनता आदि अनुभाव हैं। स्मृति संचारी भाव है तथा रति स्थायी भाव है।

प्रेम और सौन्दर्य महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण के हृदय पर किसकी माला शोभा पा रही है?
(क) मणियों की
(ख) मोतियों की
(ग) गुंजों की
(घ) फूलों की।
उत्तर:
(ग) गुंजों की

प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण के कानों में किस प्रकार के कुण्डल सुशोभित हैं?
(क) मकर की आकृति के
(ख) मछलियों की आकृति के
(ग) भौरों की आकृति के
(घ) हिरणों की आकृति के।
उत्तर:
(ख) मछलियों की आकृति के

प्रश्न 3.
प्रसादजी ने श्रद्धा सर्ग में किस प्रकार का चित्रण किया है?
(क) मनु और श्रद्धा के प्रेम का
(ख) प्रकृति का चित्रण
(ग) नारी सौन्दर्य का
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
सृष्टि में प्रलय के पश्चात् मनु ने सबसे पहले किसको देखा?
(क) पर्वतों को
(ख) वायु के झोंके
(ग) वृक्षों को
(घ) श्रद्धा को।
उत्तर:
(घ) श्रद्धा को।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. सोहत ओढ़े पीतु पटु स्याम ………… गात।
  2. गोपाल के गले में ………… माला थी।
  3. नील परिधान बीच सुकुमार खुल रहा मृदुल …………. अंग।
  4. श्रद्धा के अपूर्व सौन्दर्य को देख ………… आकर्षित होते हैं।

उत्तर:

  1. सलौने
  2. गुंजों
  3. अधखिला
  4. मनु।

सत्य/असत्य

  1. बिहारी के दोहों में राधा-कृष्ण के प्रेम का सुन्दर वर्णन है।
  2. ‘कामायनी’ आधुनिक काल का श्रेष्ठ महाकाव्य है। (2009)
  3. ‘नील घनशावक से सुकुमार सुधा भरने को विधु के पास’ पंक्ति प्रसाद की लहर’ कविता की है।
  4. प्रलयकाल के बाद जब मनु अकेले रह जाते हैं तब उन्हें श्रद्धा के दर्शन होते हैं।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य।

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions पद्य Chapter 3 प्रेम और सौन्दर्य img-1
उत्तर:
1. → (घ)
2. → (ग)
3. → (क)
4. → (ख)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. बिहारी के काव्य में किस रस की प्रधानता है?
  2. प्राचीन काल में कवि राजाओं के दरबार में रहकर उनकी प्रशंसा में कविता क्यों करते थे?
  3. श्रद्धा की मधुर वाणी सुनकर किसकी समाधि भंग हुई?
  4. श्रीकृष्ण के हृदय पर किसकी माला शोभा पा रही है? (2009)

उत्तर:

  1. श्रृंगार रस
  2. जीविकोपार्जन के लिए
  3. मनु की
  4. गुंजों की।

सौन्दर्य-बोध भाव सारांश

रीतिकालीन कवि बिहारीजी ने श्रीकृष्ण की वेश-भूषा एवं सुन्दर छवि का वर्णन किया है। उनका पीताम्बर प्रात:काल की पीली धूप की भाँति सुशोभित है। श्रीकृष्ण का सौन्दर्य इतना अपूर्व है कि कोई भी कवि उनके अलौकिक सौन्दर्य के वर्णन में सफल नहीं हो सकता। श्रीकृष्ण के मस्तक पर लगा लाल रंग का टीका सूर्यमण्डल में प्रवेश करके उनके सौन्दर्य में चार-चाँद लगा रहा है।

श्रीकृष्ण के हृदय में राधा निवास करती हैं। उनका सौन्दर्य उर्वशी अप्सरा से भी अधिक है। नायिका का मन नायक के प्रेम के कारण सांसारिक कार्यों में नहीं लगता है। उसका चंचल मन नायक के ध्यान में निमग्न रहता है। नायिका को अपने चारों ओर नायक श्रीकृष्ण की छवि दिखाई देती रहती है।

प्रेम और सौन्दर्य संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

सोहत औ. पीतु पटु, स्याम सलौने गात।
मनौं नीलमनि-सैल पर, आतपु परयौ प्रभात॥ (1)

शब्दार्थ :
सोहत = शोभा दे रहा है। सलौने = सुन्दर चमकीले। गात = शरीर। सैल = पर्वत। आतपु = घाम, धूप।

सन्दर्भ :
प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित ‘सौन्दर्य-बोध’ शीर्षक से लिया गया है।

प्रसंग :
यहाँ पर पीताम्बरधारी श्यामसुन्दर श्रीकृष्ण के स्वरूप का मोहक अंकन किया गया है।

व्याख्या :
कविवर बिहारी कहते हैं कि नायक के श्याम सलौने शरीर पर पीला वस्त्र ओढ़ने से ऐसा लगता है मानो नीलमणि के,पर्वत पर प्रात:कालीन धूप पड़ रही हो।

विशेष :

  1. इस दोहे में नायक के शारीरिक सौन्दर्य का वर्णन हुआ है।
  2. छेकानुप्रास एवं उत्प्रेक्षा अलंकारों का प्रयोग।
  3. दोहा छन्द।

सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजनु की माल।
बाहिर लसति मनौ पिए, दावानल की ज्वाल॥ (2)

शब्दार्थ :
उर = वक्षस्थल पर। गुंजनु की माल = गुंजा रत्नों की माला। लसति = शोभित हो रही है। दावानल = जंगल की आग।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
नायिका ने गुंजों के कुंज में नायक से मिलने का वायदा किया था पर किसी कारण वह वहाँ न पहुँच सकी इससे नायक दुःखित हो जाता है। इसी भाव को यहाँ व्यक्त किया गया है।

व्याख्या :
नायिका अपनी सखी से जो उसके वृत्तांत से परिचित है, कहती है कि श्रीकृष्ण के हृदय पर गुंज माला मुझे ऐसी लगती है मानो उस कुंज में मुझे न पाकर इनको जो दुःखरूपी दावानल का पान करना पड़ा, उसी की ज्वाला बाहर निकल रही है, इसे देखकर मेरी आँखों को बड़ा ताप होता है।

विशेष :

  1. गुरुजनों के मध्य नायिका अपनी बात को संकेतों के माध्यम से कहना चाहती है।
  2. अनुप्रास एवं उत्प्रेक्षा अलंकारों का प्रयोग।
  3. छन्द दोहा।

लिखन बैठि जाकी सबी, गहि-गहि गरव गरूर।
भए न केते जगत के, चतुर चितेरे कूर॥ (3)

शब्दार्थ :
सबी (सबीह) = यथार्थ चित्र। गरव गरूर = घमण्ड के साथ। केते = कितने। जगत = संसार के। चितेरे = चित्र बनाने वाले। कूर = विदलित, बुरी तरह विकृत।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
इस दोहे में नायिका की सखी नायक से उसके। क्षण-क्षण पर बढ़ते हुए यौवन तथा शरीर की कान्ति की प्रशंसा कर रही है।

व्याख्या :
नायिका की सखी नायक से कह रही है कि भला मैं बेचारी उस नायिका की प्रतिक्षण विकसित होती हुई शोभा। का वर्णन कैसे कर सकती हूँ? उसका यथार्थ चित्र लिखने के लिए घमण्ड में भर-भरकर बैठे जगत के कितने चतुर मूढ़ मति (क्रूर) नहीं हुए।

विशेष :

  1. नायिका के शरीर की, प्रतिक्षण बदलती रूप छवि का वर्णन किया गया है।
  2. सबी’ (सबीह) अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ यथार्थ चित्र से है।
  3. गहि-गहि में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।

मकराकृति गोपाल कैं, सोहत कुंडल कान।
धस्यो मनौ हियगढ़ समरु, ड्योढ़ी लसत निसान॥ (4)

शब्दार्थ :
मकराकृति = मछली की आकृति के। सोहत = शोभा देते हैं। धस्यौ = धस गया, अपने अधिकार में किया। हियगढ़ = हृदय रूपी गढ़ में। लसत = शोभा दे रहे हैं। निसान = ध्वजा।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
सखी द्वारा नायिका का वर्णन करने पर नायक के ऊपर। जो कामदेव का प्रभाव पड़ा है, उसी का वर्णन यहाँ किया गया है।

व्याख्या :
हे सखी। गोपाल के कानों में मछली की आकृति के कुंडल ऐसे सुशोभित हैं, मानो हृदय रूपी गढ़ (किले) पर कामदेव ने विजय प्राप्त कर ली है। इसी कारण उसके ध्वज मकान की ड्योढ़ी पर फहरा रहे हैं।

विशेष :

  1. नायक पर कामदेव के प्रभाव का वर्णन किया गया है।
  2. दूसरी पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार।
  3. शृंगार रस का वर्णन।

नीको लसत लिलार पर, टीको जरित जराय।
छविहिं बढ़वत रवि मनौ, ससि मंडल में आय॥ (5)

शब्दार्थ :
नीको= अच्छा। लसत= शोभा देता है। लिलार पर = माथे पर। जरित जराय = जड़ा हुआ। रवि = सूर्य ससि = चन्द्रमा। टीको = माथे पर पहनने वाला आभूषण।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
नायिका के जड़ाऊ टीके को माथे पर देखकर उससे रीझकर नायक कहता है।

व्याख्या :
नायक कहता है कि उसके ललाट पर जड़ाऊ काम से जड़ा हुआ टीका ऐसा अच्छा लग रहा है मानो चन्द्र-मंडल में आकर सूर्य उसकी छवि बढ़ा रहा हो।

विशेष :

  1. माथे पर पहने हुए टीके की शोभा का वर्णन
  2. द्वितीय पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार।
  3. शृंगार रस।

झीनैं पट मैं झिलमिली, झलकति ओप अपार।
सुरतरु की मनु सिंधु में, लसति सपल्लव डार।। (6)

शब्दार्थ :
ओप = चमक। सुरतरु = देवताओं का वृक्ष अर्थात् कल्पवृक्ष। लसति = शोभित होती है। सपल्लव = पत्तों सहित। डार = डाल।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
झीने पट में फूटकर निकली हुई नायिका के शरीर की झलक पर रीझकर नायक कहता है।

व्याख्या :
नायक कहता है ओहो! इसकी झिलमिली (एक प्रकार का कानों में पहने जाने वाला आभूषण) अपार चमक के साथ झीने पट में झलक रही है। मानो कल्प वृक्ष की पत्तों सहित डाल समुद्र में विलास कर रही हो।

विशेष :

  1. झीने पट में झिलमिली की झलक का सुन्दर वर्णन है।
  2. दूसरी पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार।
  3. शृंगार रस।

त्यौं-त्यौं प्यासेई रहत, ज्यौं-ज्यौं पियत अघाई।
सगुन सलोने रूप की, जुन चख तृषा बुझाई॥ (7)

शब्दार्थ :
प्यासेई रहत = प्यास नहीं बुझती है। अघाई = छककर पीने पर भी। चख = नेत्र। तृषा = प्यास।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
नायिका नायक को बार-बार देखती है फिर भी उसकी प्यास नहीं बुझती है, इसी का यहाँ वर्णन है।

व्याख्या :
नायिका कहती है कि मेरे प्यासे नेत्र ज्यों-ज्यों उस सगुन सलोने रूप को अघाकर पीते हैं त्यों-त्यों ही वे प्यासे बने रहते हैं क्योंकि सगुन एवं सलोने (खारे) पानी से आँखों की प्यास बुझती नहीं है अपितु बढ़ती ही जाती है।

विशेष :

  1. इसमें कवि ने यह भाव प्रकट किया है कि जैसे खारे पानी से प्यास तृप्त नहीं होती है उसी तरह नायक के सलोने रूप को देखने की इच्छा भी पूरी नहीं होती है।
  2. चख-तृषा में रूपक।
  3. श्रृंगार रस।

तो पर वारौं उरबसी, सुनि राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी है, उरबसी समान॥ (8)

शब्दार्थ :
उरबसी = उर्वशी नामक अप्सरा। सुजान = चतुर। उरबसी = हृदय में बस गयी है। उरबसी = हृदय पर पहनने का आभूषण।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
जब राधिका जी ने यह सुना कि श्रीकृष्ण किसी अन्य नायिका से प्रेम करने लगे हैं तो उन्होंने मौन धारण कर लिया है। सखी इसी मौन को छुड़ाने के निमित्त कहती है

व्याख्या :
हे चतुर राधिका! सुन, तू तो इतनी सुन्दर है कि तुझ पर मैं इन्द्र की अप्सरा उर्वशी को भी न्योछावर कर दूँ। हे राधा! तू तो मोहन के उर (हृदय) में उरबसी आभूषण के समान बसी हुई है। अतः दूसरों की बात सुनकर तुम मौन धारण मत करो।

विशेष :

  1. नायिका के मौन को छुड़ाने का प्रयास है।
  2. उरबसी’ में श्लेष, उरबसी-उरबसी में यमक अलंकार।
  3. शृंगार रस।

फिरि-फिरि चित उत ही रहतु, टूटी लाज की लाव।
अंग-अंग-छवि-झौर में, भयो भौर की नाव॥ (9)

शब्दार्थ :
लाव = नाव बाँधने की रस्सी। लाज की लाव = लज्जा रूपी लाव। झौर = झूमर (झुंड) भौंर = भँवर।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
इस दोहे में नायिका अपनी सखी से अपनी स्नेह दशा का वर्णन करती है।

व्याख्या :
हे सखी! नायक के अंग-प्रत्यंग की छवि के झूमर में फँसकर मेरा चित्त (मन) भँवर में पड़ी हुई नाव जैसा बनकर, बार-बार घूमकर पुनः उसी अर्थात् नायक की ओर ही लगा रहता है। वह किसी दूसरी तरफ नहीं जाता है क्योंकि उसकी लज्जारूपी रस्सी टूट गई है।

विशेष :

  1. नायक के प्रति विशेष आकर्षण ने उसकी लोक-लज्जा को मिटा दिया है।
  2. फिरि-फिरि, अंग-अंग में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार, सम्पूर्ण में अनुप्रास।
  3. शृंगार रस।

जहाँ-जहाँ ठाढ़ौ लख्यौ, स्याम सुभग-सिरमौरू।
उनहूँ बिन छिन गहि रहतु, दृगनु अजौं वह ठौरू॥ (10)

शब्दार्थ :
लख्यौ = देखा। सुभग = भाग्यवानों का। सिरमौरू = शिरोमणि। अजौं = अब भी। ठौरू = स्थान।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
श्रीकृष्ण के गोकुल से मथुरा चले जाने पर ब्रजबालाएँ आपस में जो वार्तालाप कर रही हैं, उसी का यहाँ वर्णन है।

व्याख्या :
ब्रज की युवतियाँ परस्पर कह रही हैं कि जिन-जिन स्थानों पर हमने प्यारे श्रीकृष्ण को खड़ा देखा था उन स्थानों में उनके कारण ऐसी सुन्दरता आ गई है कि उनके यहाँ न रहने पर भी हमारे नेत्रों को ऐसे प्रिय लगते हैं कि हम अब भी अपने आपको श्याम सुन्दर के संग पाती हैं।

विशेष :

  1. सुभग सिरमौरु का अर्थ सुन्दर पुरुषों में शिरोमणि (श्रीकृष्ण) के लिए आया है।
  2. श्रीकृष्ण के अलौकिक प्रभाव की छटा।
  3. जहाँ-जहाँ में पुनरुक्ति, स्याम सुभग-सिरमौर में अनुप्रास अलंकार।

श्रद्धा भाव सारांश

जयशंकर प्रसाद ने श्रद्धा तथा मनु की प्राचीन कथा के माध्यम से मानव मन की तर्क प्रधान बुद्धि का अंकन किया है।

श्रद्धा मनु से प्रश्न करती है आप कौन हैं जो इस एकान्त स्थान को अपनी आभा से आलोकित किये हो? संसार रूपी सागर की लहरों के समीप इस निर्जन स्थान पर मौन होकर क्यों बैठे हो?

आपको देखकर ऐसा आभास होता है कि आपने दुनिया के रहस्य का निदान कर लिया है। आप करुणा की सजल मूर्ति हो। मनु ने श्रद्धा के अपूर्व सौन्दर्य को निहारा। वह उनके नेत्रों को उलझाने वाला सुन्दर माया-जाल था। श्रद्धा का शरीर पुष्पों से आच्छादित कोमल लता के समान अथवा बादलों के मध्य चन्द्र की चाँदनी जैसा दृष्टिगोचर हो रहा था।

श्रद्धा का शरीर बसन्त की शीतल-मन्द-सुगन्धित वायु से झूमते हुए सुरभित शाल के लघु वृक्ष की भाँति सुशोभित हो रहा था। श्रद्धा की केशराशि उसके कंधों तक पीछे की ओर बिखरी हुई थी। बालों की आभा उसके मुखमण्डल की शोभा को और भी अधिक बढ़ा रही थी। श्रद्धा की मुस्कान कोमल कली पर उगते हुए सूर्य की उज्ज्वल किरण अलसाई होने के कारण सुन्दर लग रही थी।

श्रद्धा की सुन्दरता इस प्रकार दृष्टिगोचर हो रही थी मानो पुष्पों का वन लेकर मन्द-मन्द बहती हुई वायु उसके आँचल को सुगन्ध से परिपूर्ण करके कृतज्ञता ज्ञापन कर रही हो।

श्रद्धा संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

(1) “कौन तुम? संसृति-जलनिधि तीर-तरंगों से फेंकी मणि एक,
कर रहे निर्जन का चुपचाप प्रभा की धारा से अभिषेक?
मधुर विश्रांत और एकांत-जगत का सुलझा हुआ रहस्य,
एक करुणामय सुन्दर मौन और चंचल मन का आलस्य।”

शब्दार्थ :
संसृति = संसार। जलनिधि = सागर। निर्जन = एकान्त। प्रभा = कान्ति। अभिषेक = तिलक करना, सुशोभित करना। मधुर = आकर्षक। विश्रांत = थके हुए। . सन्दर्भ-प्रस्तुत छन्द महाकवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘कामायनी’ महाकाव्य के ‘श्रद्धा’ सर्ग से लिया गया है।

प्रसंग :
इस छन्द में प्रलय काल के पश्चात् श्रद्धा का मनु से साक्षात्कार होता है। श्रद्धा मनु से पूछती है।

व्याख्या :
श्रद्धा मनु से पूछती है कि तुम कौन हो? जिस प्रकार सागर की लहरों द्वारा किनारे पर फेंकी गई मणि सूनेपन को अपनी ज्योति से सुशोभित करती है, उसी प्रकार तुम भी इस संसार रूपी सागर के किनारे बैठे हुए मणि के समान इस एकान्त स्थान को अपनी कान्ति से सुशोभित कर रहे हो। तुम्हारा रूप मधुर है, तुम थके हुए से प्रतीत हो रहे हो और इस एकान्त सूने स्थान पर बैठे हो। तुम्हें देखकर ऐसा लगता है मानो तुमने संसार के रहस्य को सुलझा लिया है इसलिए तुम यहाँ निश्चित होकर बैठे हो। तुम्हारे मुख पर करुणा भी है और तुम्हारा मौन बड़ा आकर्षक प्रतीत होता है। तुम्हारी यह शान्ति सदैव चंचल रहने वाले मन की शिथिलता के समान है।

विशेष :

  1. कविता का आरम्भ नाटकीय ढंग से होता है।
  2. रूपक एवं उपमा अलंकार का प्रयोग।
  3. श्रृंगार रस।

(2) सुना यह मनु ने मधु गुंजार मधुकरी-सा जब सानन्द,
किए मुख नीचा कमल समान प्रथम कवि का ज्यों सुन्दर छन्द,
एक झिटका-सा लगा सहर्ष, निरखने लगे लुटे से कौन,
गा रहा यह सुन्दर संगीत? कुतूहल रहन सका फिर मौन।

शब्दार्थ :
मधु-गुंजार = मनोहर शब्द। मधुकरी = भँवरी। सानन्द = आनन्द सहित। झिटका = झटका।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
कवि कहता है कि उस समय मनु नीचे झुके हुए कमल के समान अपना मुख नीचा किए बैठे थे। उन्होंने भँवरी की गुंजार के समान श्रद्धा की यह मधुर वाणी बड़े हर्ष से सुनी। उस समय वे अकेले थे; किसी अन्य की मधुर वाणी सुनकर उनका प्रसन्न होना स्वाभाविक था। श्रद्धा द्वारा कहे गये ये शब्द मनु के लिए आदि कवि वाल्मीकि के प्रथम सुन्दर छन्द के समान थे।

वाल्मीकि कवि के प्रथम छन्द में करुणा का भाव समाया हुआ था। इधर श्रद्धा के वचनों में भी करुणा है। श्रद्धा की वाणी सुनते ही मनु को एक झटका-सा लगा और वे मोहित होकर यह देखने लगे कि कौन यह संगीत से मधुर वचन कह रहा है? जब मनु ने श्रद्धा को अपने सामने देखा तो कुतूहल के कारण वह शान्त न रह सके।

विशेष :

  1. आदि कवि वाल्मीकि के मुख से जो प्रथम छन्द निकला था, उसमें करुणा मौजूद थी।
  2. अनुप्रास एवं उपमा अलंकार का प्रयोग।
  3. भाषा खड़ी बोली।

(3) और देखा वह सुन्दर दृश्य नयन का इन्द्रजाल अभिराम,
कुसुम-वैभव में लता समान चन्द्रिका से लिपटा घनश्याम।
हृदय की अनुकृति बाह्य उदार एक लम्बी काया उन्मुक्त,
मधु-पवन, क्रीड़ित ज्यों शिशु साल, सुशोभित हो सौरभ-संयुक्त।

शब्दार्थ :
इन्द्रजाल = जादू। अभिराम = सुन्दर। कुसुम-वैभव = फलों का ऐश्वर्य। चन्द्रिका = चाँदनी। घनश्याम = काला बादल। अनुकृति = अनुरूप। बाह्य = देखने में। उन्मुक्त = स्वछंद। मधु-पवन = बसन्त की वाय शिशु-साल = साल का छोटा वृक्ष। सौरभ-संयुक्त = सुगन्धि से युक्त।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
कवि कहता है कि मनु ने वह सुन्दर दृश्य देखा जो नेत्रों को जादू के समान मोहित कर देने वाला था। श्रद्धा उस समय फूलों की शोभा से युक्त लता के समान लग रही थी। श्रद्धा चाँदनी से घिरे हुए काले बादल के समान लग रही थी। श्रद्धा ने नीली खाल का वस्त्र पहन रखा था इस कारण वह बादल के समान दिखाई दे रही थी। किन्तु उसकी शारीरिक कान्ति उसके परिधान के बाहर भी जगमगा रही थी। श्रद्धा हृदय की भी उदार थी और उसी के अनुरूप वह देखने में उदार लग रही थी, उसका कद लम्बा था और उससे स्वच्छन्दता झलक रही थी। वायु के झोंकों में वह ऐसी लगती थी मानो बसन्त की वायु से हिलता हुआ कोई छोटा साल का पेड़ हो और वह सुगन्धि में डूबा हो।

विशेष :

  1. श्रद्धा के अनुपम सौन्दर्य का वर्णन।
  2. उपमा तथा उत्प्रेक्षा अलंकार।
  3. भाषा-खड़ी बोली।

(4) मसूण, गांधार देश के नील रोम वाले मेषों के चर्म,
ढंक रहे थे उसका वपु कांत बन रहा था वह कोमल वर्म।
नील परिधान बीच सुकुमार खुला रहा मृदुल अधखुला
अंग, खिला हो ज्यों बिजली का फूल मेघवन बीच गुलाबी रंग।

शब्दार्थ :
मसृण = चिकने। गांधार देश = कंधार देश (अफगानिस्तान देश वर्तमान में)। रोम = रोयें। मेष = मेंढ़ा। चर्म = खाल। वपु = शरीर। कान्त = सुन्दर। वर्म = आवरण। परिधान = वस्त्र। मृदुल = कोमल।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
कवि कहता है कि कंधार देश के रोयें वाले मेंढ़ों की कोमल खाल से उसका सुन्दर शरीर ढका हुआ था। वही खाल (चमड़ा) उसका कोमल आवरण (वस्त्र) बन रहा था।
उस नीले आवरण के बीच से उसका कोमल अंग दिखाई दे रहा था। ऐसा लग रहा था मानो मेघ-वन के बीच में गुलाबी रंग का बिजली का फूल खिला हो।

विशेष :

  1. श्रद्धा की वेशभूषा और सुन्दरता का वर्णन है।
  2. उपमा तथा उत्प्रेक्षा अलंकार।
  3. भाषा-खीड़ी बोली।

(5) आज, वह मुख! पश्चिम के व्योम बीच जब घिरते हों घनश्याम,
अरुण रवि-मण्डल उनको भेद दिखाई देता हो छविधाम।
या कि, नव इंद्रनील लघु शृंग फोड़कर धधक रही हो कांत,
एक लघु ज्वालामुखी अचेत माधवी रजनी में अश्रान्त।

शब्दार्थ :
व्योम= आकाश। अरुणलाल। रवि-मण्डल = सूर्य मण्डल। छविधाम = सुन्दर। इन्द्रनील = नीलम। लघु श्रृंग = छोटी चोटी। माधवी रजनी = बसन्त की रात। अश्रान्त = निरन्तर।
सन्दर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-कवि कहता है कि आह! वह मुख बहुत ही। सुन्दर था। सन्ध्या के समय पश्चिम दिशा में जब काले बादल आ जाते हैं और सूर्य अस्त होने से पहले छिप जाता है किन्तु जब
लाल सूर्य उन मेघों को चीर कर दिखाई देता है तो वह अत्यन्त सुन्दर दिखाई देता है। श्रद्धा के मुख का सौन्दर्य भी वैसा ही था।
श्रद्धा के मुख की सुन्दरता का वर्णन करते हुए आगे कवि। कहता है कि नीलम की नन्ही-सी चोटी हो और बसन्त ऋतु की मधुर रात्रि में एक छोटा-सा ज्वालामुखी उस नीलम की चोटी
को फोड़कर धधक रहा हो तो जैसी उसकी शोभा होगी, वैसी ही। शोभा श्रद्धा के मुख की थी।

विशेष :

  1. श्रद्धा द्वारा पहना गया वस्त्र नीला है इस कारण नीले मेघों के बीच सूर्य की कल्पना की गई है।
  2. नीलम की चोटी कल्पना भी इसी नीले आवरण के कारण की गयी है।
  3. उत्प्रेक्षा अलंकार।

(6) घिर रहे थे घुघराले बाल अंस अवलम्बित मुख के पास,
नील घनशावक से सुकुमार सुधा भरने को विधु के पास।
और उस मुख पर वह मुसकान। रक्त किसलय पर ले विश्राम,
अरुण की एक किरण अम्लान अधिक अलसाई हो अभिराम।

शब्दार्थ :
अंस. = कंधा। अवलम्बित = सहारे। घन-शावक = बादल के बच्चे। सुधा = अमृत। विधु = चन्द्रमा। रक्त किसलय = लाल कोंपल। अरुण = सूर्य। अम्लान = कान्तिमान। अभिराम = सुन्दर।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
श्रद्धा के मुख के पास उसके कंधे पर धुंघराले बाल बिखरे हुए थे। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था मानो मेघों के बालक अर्थात् छोटे बादल चन्द्रमा के पास अमृत भरने को आये हों और श्रद्धा के मुख पर मुस्कराहट ऐसी शोभा दे रही थी मानो कोई सूर्य की कान्तिमान किरण लाल कोंपलों पर विश्राम करके अलसा रही हो।

विशेष :

  1. श्रद्धा के बाल नीले मेघों के समान हैं और मुख = चन्द्रमा के समान, अतः उत्प्रेक्षा अलंकार।
  2. श्रद्धा के ओंठ लाल कोंपल के समान हैं और मुस्कराहट सूर्य की किरण के समान। अतः उत्प्रेक्षा।
  3. श्रृंगार रस।

(7) नित्य-यौवन छवि से ही दीप्त विश्व की करुण कामना मूर्ति,
स्पर्श के आकर्षण से पूर्ण प्रकट करती ज्यों जड़ में स्फूर्ति।
उषा की पहिली लेखा कांत, माधुरी से भींगी भर मोद,
मद भरी जैसे उठे सलज्ज भोर की तारक-द्युति की गोद॥

शब्दार्थ :
यौवन की छवि = यौवन की शोभा। दीप्ति = शोभित। करुण = दयावान। कामना मूर्ति = इच्छा की मूर्ति। स्पर्श-पूर्ण = श्रद्धा को देखकर उसे स्पर्श करने की इच्छा होती थी। स्फूर्ति = चेतना। लेखा कांत = सुन्दर किरण। माधुरी = सुषमा। मोद = हर्ष। मदभरी = मस्ती से भरी हुई। भोर = प्रात:काल। तारक द्युति की गोद = तारों की शोभा की छाया में।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
कवि कहता है कि श्रद्धा अनन्त यौवन की शोभा से दीप्त थी। वह संसार भर की सदय इच्छा की मूर्ति थी। उसे देखकर उसे स्पर्श करने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होती थी। ऐसा लगता था मानो उसका सौन्दर्य जड़ वस्तुओं में भी चेतना भर देता था।

श्रद्धा उषा की पहली सुन्दर किरण के समान है। उसमें माधुर्य, आनन्द, मस्ती एवं लज्जा है। जिस प्रकार उषा की प्रथम किरण अन्धकार को दूर करती हुई निकल जाती है उसी प्रकार श्रद्धा के दर्शन से मनु के हृदय में छाया निराशा का अंधकार भी दूर होने लगा।

विशेष :

  1. उषा की प्रथम किरण का मानवीकरण है।
  2. श्रद्धा को पाकर मनु की निराशा कुछ कम होने लगी है।
  3. उपमा एवं उत्प्रेक्षा अलंकार।

(8) कुसुम कानन अंचल में मंद-पवन प्रेरित सौरभ साकार,
रचित-परमाणु-पराग-शरीर, खड़ा हो, ले मधु का आधार।
और पड़ती हो उस पर शुभ्र नवल मधु राका मन की साथ,
हँसी का मद विह्वल प्रतिबिम्ब मधुरिमा खेला सदृश अबाध।

शब्दार्थ :
कानन-अंचल = जंगल के बीच। मंद-पवन = धीरे-धीरे चलने वाली वायु। सौरभ साकार = सुगन्धि की साकार मूर्ति। परमाणु – पराग = पराग के परमाणु। मधु = पुष्प रस। शुभ्र = स्वच्छ। नवल = नवीन। मधु राका = बसन्त की पूर्णिमा। मद विह्वल = मस्ती से भरी हुई। मधुरिमा खेला सदृश अबाध = हँसी में अक्षय माधुर्य भरा है।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
कवि कहता है कि श्रद्धा फूलों से भरे हुए वन के बीच सौरभ की मूर्ति के समान दिखाई देती है, जिससे मन्द पवन खेल रहा है। वह सौरभ की मूर्ति फलों के पराग के परमाणुओं से बनी है। इस पराग निर्मित मूर्ति पर मन की कामना रूपी नवीन बसन्त की पूर्णिमा की चाँदनी पड़ रही हो तो जैसी शोभा होगी, वैसी ही शोभा श्रद्धा की हो रही थी। उस समय श्रद्धा की मस्त हँसी निरन्तर माधुर्य से खेला करती थी।

विशेष :

  1. श्रद्धा को पराग के परमाणुओं से निर्मित मूर्ति के समान दिखाकर उसके अनुपम सौन्दर्य का वर्णन किया है।
  2. उपमा अलंकार, अनुप्रास की छटा।
  3. शृंगार रस।

MP Board Class 10th Hindi Solutions

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Chapter 16 कूटश्लोकाः

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 16 कूटश्लोकाः

MP Board Class 8th Sanskrit Chapter 16 अभ्यासः

Class 8 Sanskrit Chapter 16 MP Board प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत(एक शब्द में उत्तर लिखो-)
(क) प्रथमायाः प्रहेलिकायाः उत्तरं किम्? (प्रथम पहेली का उत्तर क्या है?)
उत्तर:
सूची। (सूई)

(ख) वयं कया लिखामः? (हम किससे लिखते हैं?)
उत्तर:
लेखन्या। (पेन से)

(ग) कंसं कः सञ्जघान? (कंस को किसने मारा?)
उत्तर:
कृष्णः। (कृष्ण ने)

(घ) कम्बलवन्तं किंन बाधते? (कम्बल वाले को क्या परेशान नहीं करती?)
उत्तर:
शीतम्। (ठण्ड)

(ङ) कति स्त्रियः स्नानार्थ नर्मदां गताः? (कितनी स्त्रियाँ स्नान के लिए नर्मदा नदी पर गी?)
उत्तर:
विंशतिः। (बीस)

(च) करिणां कुलं को हन्ति? (हाथियों के समूह को कौन मारता है?)
उत्तर:
सिंहः। (शेर)

Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 16 प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो-)
(क) लेखन्याः स्वरूपं किम्? (पेन का स्वरूप कैसा है?)
उत्तर:
कृष्णमुखी द्विजिह्वा पञ्चभी च इति लेखन्याः स्वरूपम्। (मुंह काला, दो जीभ और पाँच अंगुलियों से चलना ऐसा पेन का स्वरूप है।)

(ख) सूच्याः किं लक्षणम्? (सूई का लक्षण क्या है?)
उत्तर:
एकचक्षुः बिलम् इच्छति क्षीयते वर्धते च इति सूच्याः लक्षणम्। (एक आँख होती है, बिल को खोजती है और घटती-बढ़ती है यह सूई का लक्षण है।)

(ग) काशीतलवाहिनी का? (काशी की सतह पर बहने वाली कौन है?)
उत्तर:
काशीतलवाहिनी गङ्गा। (काशी की सतह पर बहने वाली गंगा है।)

(घ) शीतं कं न बाधते? (ठण्ड किसको परेशान नहीं करती?)
उत्तर:
शीतं कम्बलवन्तम् न बाधते। (कम्बल जिसके पास हो ठण्ड उसे परेशान नहीं करती।)

(ङ) नर्मदायाः कति स्त्रियः पुनरायाता:? (नर्मदा से कितनी स्त्रियाँ वापस आयीं?)
उत्तर:
नर्मदायाः विंशतिः स्त्रियः पुनरायाताः। (नर्मदा से बीस स्त्रियाँ वापस आयीं।)

(च) शङ्करम् पतितं दृष्ट्वा पार्वती कीदशी भवति? (शंकर को गिरा हुआ देखकर पार्वती कैसी होती है?)
उत्तर:
शङ्करम् पतितं दृष्ट्वा पार्वती हषनिर्भरा भवति। (शंकर को गिरा हुआ देखकर पार्वती प्रसन्न होती है।)

Sanskrit Class 8 Chapter 16 MP Board प्रश्न 3.
युग्मेलनं कुरुत(जोड़े बनाओ-)
Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 16
उत्तर:
(क) → (iii)
(ख) → (vi)
(ग) → (i)
(घ) → (vii)
(ङ) → (ii)
(च) → (v)
(छ) → (iv)

Mp Board Class 8 Sanskrit Solution Chapter 16 प्रश्न 4.
रिक्त स्थानानि पूरयत(रिक्त स्थान भरो-)
(क) कंसं जघान ………….
(ख) कं बलवन्तं ………… शीतम्।
(ग) तत्पुरुष …………. येनाहं स्याम बहुब्रीहिः।
(घ) ………… पतितं दृष्टवा पन्नगाः रूरुदुः।
(ङ) मद्गेहे नित्यम् ………..।
उत्तर:
(क) कृष्णः
(ख) न बाधते
(ग) कर्मधारय
(घ) शङ्करम्
(ङ) अव्ययीभावः।

Class 8 Sanskrit Chapter 16 Mp Board प्रश्न 5.
द्वयर्थंकशब्दानाम् अर्थं लिखत(दो अर्थ वाले शब्दों के अर्थ लिखो-)
उत्तर:
Class 8 Sanskrit Chapter 16 MP Board

कूटश्लोकाः हिन्दी अनुवाद

कूटश्लोको
एकचक्षुः न काकोऽयं बिलमिच्छन्नपन्नगः।
क्षीयते वर्धते चैव न समुद्रो न चन्द्रमाः॥1॥

एकं चक्षुः अस्ति परन्तु काकः नास्ति बिलम् अन्विष्यति परन्तु पन्नगः नास्ति क्षयः भवति वृद्धिरपि भवति परन्तु समुद्रः नास्ति चन्द्रोऽपि नास्ति। तर्हि एतत् किम्?

Chapter 16 Sanskrit Class 8 MP Board अनुवाद :
जटिलश्लोक- एक आँख है परन्तु कौआ नहीं है, बिल खोजता है परन्तु साँप नहीं है, कम होता है और ज्यादा भी होता है परन्तु समुद्र नहीं है और चन्द्रमा भी नहीं है। तो यह क्या है?

उत्तर :
सूई।

Class 8 Sanskrit Chapter 16 Question Answer MP Board स्पष्टीकरण :
सूई में एक छेद होता है, इसलिए उसे एक आँख वाली कहा जाता है। सूई कपड़े के अन्दर जाती है, इसलिए वह बिल को खोजने वाली कही गई है। सूई में लगा धागा छोड़ा-बड़ा होता है इसलिए उसे घटने-बढ़ने वाली कहा गया है।

कृष्णमुखी न मार्जारी द्विजिह्वा न च सर्पिणी।
पञ्चभी न पाञ्चाली यो जानाति स पण्डितः॥2॥

मुखभागः कृष्णवर्णः वर्तते किन्तु कृष्णवर्णा मार्जारी नास्ति, द्वे, जिह्वे भवतः किन्तु सर्पिणी नास्ति, पञ्च पतयः सन्ति किन्तु पाञ्चाली नास्ति। तर्हि किम् अस्ति ? यः जानाति सः पण्डित एव।

Sanskrit Chapter 16 Class 8 MP Board अनुवाद :
मुँह काले रंग का है किन्तु काले रंग की बिल्ली नहीं है, दो जीभ होती हैं किन्तु सर्पिणी नहीं है, पाँच पति (अंगुलियों से पकड़ते हैं इसलिए) हैं किन्तु पांचाली (द्रोपदी) नहीं है। तो क्या है? जो जानता है वह पण्डित ही है।

उत्तर :
लेखनी।

Class 8 Chapter 16 Sanskrit MP Board स्पष्टीकरण :
पहले समय में प्रायः पेन काली स्याही वाले होते थे इसलिए उसे काले मुँह वाला कहा जाता है। पहले पेन में दो निब या जीभ होती थी इसलिए उसे दो जीभ वाली कहा गया हैं। पेन को चलाने में हाथ की पाँचों अंगुलियों का प्रयोग होता है। इसलिए इसके पाँच भर्ता या स्वामी कहे गये हैं।

कूटश्लोकः (प्रश्नोत्तरम्) –
कं सञ्जघान कृष्णः का शीतलवाहिनी गङ्गा।
केदारपोषणरताः कम् बलवन्तं न बाधते शीतम्॥3॥

कृष्णः कं जघान? ……… कंसम्
शीतलवाहिनी का? ……… काशीतलवाहिनीगङ्गा
दारपोषणरताः के? ……… केदारपोषणरताः
शीतं कम् न बाधते? ……… कम्बलवन्तम् बलवन्तम्
(जटिल श्लोक (प्रश्न और उत्तर सहित)

Ch 16 Sanskrit Class 8 MP Board अनुवाद :
श्रीकृष्ण ने किसको मारा? – कंस को।
कौन शीतल जल वाली गंगा है? – काशी की सतह पर बहने वाली।
कौन पत्नी के पोषण में रत है? – केदार (खेत) संवारने में संलग्न (कृषक)
किस बलवान् को ठण्ड परेशान नहीं करती? – कम्बल जिसके पास हो उसको।

संख्याकूटश्लोकः
एकोनाविंशतिः स्त्रीणां स्नानार्थं नर्मदां गता विंशतिः पुनरायाता एको व्याघ्रण भक्षितः॥4॥
स्त्रीणाम् एकोनाविंशतिः (१९) स्नानार्थं नर्मदां गता व्याघ्रण एको भक्षितः (१९-१ = १८) विंशतिः (२०) पुनरायाता!…….? एकः ना स्त्रीणां विंशतिः (१ + २० = २१) स्नानार्थ नर्मदां गता। व्याघ्रण एकः भक्षितः विंशतिः पुनः आयाता (२१ -१ = २०) संख्या वाले जटिल श्लोक

Chapter 16 Class 8 Sanskrit MP Board अनुवाद :
उन्नीस (एकोनाविंशतिः) स्त्रियाँ स्नान के लिए नर्मदा नदी पर गयीं। उनमें से बीस (विंशतिः) वापस आ गयीं, जबकि एक को बाघ खा गया?

स्पष्टीकरण :
इस पहेली में ‘एको न विंशतिः स्त्रीणां स्नानार्थं नर्मदां गता’ इस पंक्ति के दो अर्थ होंगे-
(1) एको ना विंशतिः स्त्रीणां = उन्नीस स्त्रियाँ।
(2) एको ना विंशतिः स्त्रीणां = एक नर या पुरुष (नर) और बीस (विंशतिः) स्त्रियाँ।

दूसरा अर्थ करने पर :
एक पुरुष और बीस स्त्रियाँ (1 + 20 = 21) स्नान के लिए नर्मदा नदी पर गयीं। उनमें से बीस वापस आ गयीं, एक को बाघ खा गया (21 -1 = 20)

समासकूटेन चमत्कारः
अहं च त्वं च राजेन्द्र लोकनाथावुभावपि।
बहुब्रीहिरहं राजन् षष्ठी तत्पुरुषो भवान्॥5॥

(एकः भिक्षुकः दरिद्रः/निर्धनः महाराजम् उद्दिश्य ब्रूते)
हे राजेन्द्र! अहं त्वं च उभौ अपि लोकनाथौ (स्व:) अहम् बहुव्रीहिः भवान् षष्ठीतत्पुरुषः। लोकः नाथः यस्य सः (भिक्षुकः) लोकस्य नाथः (राजा)। समास की जटिलता से चमत्कार

Class 8th Sanskrit Chapter 16 MP Board अनुवाद :
(एक भिक्षुक निर्धन है वह महाराज को उद्देश्य करके कहता है)

हे महाराज! मैं और तुम दोनों लोकनाथ हैं, मैं बहुब्रीहि और आप षष्ठी तत्पुरुष हैं।

स्पष्टीकरण :
इस समास पर आधारित पहेली को समझने के लिए बहुब्रीहि और षष्ठी तत्पुरुष समास को समझना आवश्यक है।

यहाँ ‘लोकनाथ’ इस समस्त पद का बहुब्रीहि और षष्ठी तत्पुरुष समास के आधार पर विग्रह करना होगा।

बहुब्रीहि-लोक नाथः यस्य सः (शिक्षकः)
(संसार ही सहारा है जिसका वह-भिक्षुक)

षष्ठी तत्पुरुष-लोकस्य नाथः
(राजा) (संसार का स्वामी-राजा)

इस आधार पर अर्थ करने पर-हे महाराज! मैं और तुम दोनों लोकनाथ (अर्थात् मैं भिक्षुक और तुम राजा हो) हैं।

द्वन्द्वो द्विगुरपि चाहम् मद्गृहे नित्यम् अव्ययीभावः।
तत्पुरुषः कर्मधारय येनाहं स्याम बहुब्रीहिः॥6॥

Class 8 Sanskrit Ch 16 MP Board द्वन्द्व :
द्विगु-अव्ययीभाव-तत्पुरुष-कर्मधार बहुब्रीहिसमासभेदान् आश्रित्य अत्र कूटश्लोके निर्धनस्य धनप्राप्यै पत्न्याः प्रार्थनायाः अद्भुत: सामाजिकः भावः निबद्धः। अत्र पत्नी धनार्जनाय अकर्मण्य प्रारं प्रेरयति।

द्वन्द्व :
अहं भवता सह कलहं करोमि किल? किमर्थम्?

द्विगुः :
अहं भवतः भार्या अस्मि। मम पालन पोषणं भवतः कर्त्तव्यम् अस्ति किन्तु (मद्गृहे नित्यम्)

अव्ययीभाव: :
प्रतिदिनं पले भोजनार्थम् किमपि नास्ति।

तत्पुरुष :
अतः हे पतिदेव कामपि उद्योगं कुरु।

कर्म + धारय :
धनधास्वादिल गृहमानय येन कारणेन (येनाहं स्याम)

बहुब्रीहिः :
अहमशिनायान्यसपना भवेयम्।

अनुवाद :
द्वन्द्व, द्विगु, अव्ययीभाव, तत्पुरुष, कर्मधारयं और बहुब्रीहि समास के भेदों पर आधारित इस कूट श्लोक में निर्धन की धन प्राप्ति के लिए पत्नी की प्रार्थना का अद्भुत सामाजिक भाव निबद्ध है। यहाँ पत्नी धन कमाने के लिए आलसी पति को प्रेरित कर रही है

(द्वन्द-मैं आपके साथ कलह अवश्य करता हूँ। किसलिए? द्विगु-मैं आपकी पत्नी हूँ। मेरा पालन-पोषण आपका कर्तव्य है। किन्तु (मेरे घर में नित्य)

अव्ययीभाव :
प्रतिदिन घर में भोजन के लिए कुछ भी नहीं है।

तत्पुरुष :
इसलिए हे पतिदेव! कोई भी धन्धा करो।

कर्मधारय :
धन-धान्य आदि को घर लाओ जिसके कारण से हम ऐसे हैं। बहुब्रीहि-मुझे भी धन-धान्य से सम्पन्न होना चाहिए।)

स्पष्टीकरण :
मेरे घर में द्वन्द्व (लड़ाई-झगड़ा) है, द्विगु। दम्पत्ति (पति-पत्नी)] हैं, अव्ययी भाव (धन का अभाव) है। तत्पुरुष (पति) कर्मधारय (आलस्य को छोड़कर कर्म करो) जिससे मैं बहुब्रीहि (धनयुक्त) हो जाऊँ।

शङ्करम् पतितं दृष्ट्वा पार्वती हर्षनिर्भरा।
रूरुदुः पन्नगाः सर्वे हा हा शङ्कर शङ्कर॥7॥

अत्रापि श्लेष द्वारा अर्थः बोध्यः। शङ्करम् पतितं दृष्ट्वा पार्वती प्रसन्ना भवति, सर्वाः दुःखिताः जाताः। अत्र शङ्करशब्दे पार्वतीशब्दे च श्लेषः। सर्पाः शीतलं चन्दनवृक्षं आलिङ्य मिलन्ति सः चन्दनवृक्षः प्रकृतिविकोपेन पतितः अतः निराश्रिताः पन्नगाः रुदन्ति तथा भिल्लस्त्री (मलयपर्वते) चन्दनवृक्षबाहुल्यात् चन्दनवृक्षकाष्ठम् इन्धनाय-उपयुक्ते।

भिल्लस्त्री (पार्वती) पतितं चन्दनवृक्षं दृष्टवा इन्धनं लब्धमिति हर्षनिर्भरा जाता।

शङ्करः शिवः चन्दनवृक्षः च, पार्वती: गौरी भिल्लस्त्री च।

अनुवाद :
शंकर को गिरा हुआ देखकर पार्वती प्रसन्न होती हैं। सर्प रोने लगे और सभी हाय शंकर हाय शंकर करने लगे।

यहाँ भी श्लेष द्वारा अर्थ समझने योग्य है। शंकर को गिरा हुआ देखकर पार्वती प्रसन्न होती हैं, सभी दुःखी हो जाते हैं। यहाँ शंकर शब्द में और पार्वती शब्द में श्लेष है। सर्प शीतल चन्दन वृक्ष से लिपटकर मिलते हैं, वह चन्दन वृक्ष प्रकृति के प्रकोप से गिर जाता है, इसलिए निराश्रित होकर सर्प रोते हैं तथा मलय पर्वत पर रहने वाली भीलनी चन्दन वृक्ष से चन्दन लकड़ी को ईंधन के लिए प्राप्त कर लेती हैं।

भीलनी (पार्वती) चन्दन के वृक्ष को गिरा हुआ देखकर, ईंधन पाकर प्रसन्न होती हैं।

यहाँ शंकर शिव और चन्दन वृक्ष हैं, पार्वती गौरी और भीलनी हैं।

स्पष्टीकरण :
इस पहेली को समझने के लिए श्लेष अलंकार को समझना आवश्यक है। ‘श्लेष’ का अर्थ है जहाँ एक ही शब्द के दो या दो से अधिक भिन्न-भिन्न अर्थ होते हैं। यहाँ ‘शंकर’ और ‘पार्वती’ शब्दों के दो-दो अर्थ हैं। ‘शंकर’ का एक अर्थ भगवान शंकर है और दूसरा अर्थ चन्दन का पेड़ है। इसी प्रकार ‘पार्वती’ का एक अर्थ भगवान शंकर की पत्नी पार्वती है और दूसरा अर्थ पर्वत पर निवास करने वाली भीलनी है। श्लेष के अनुसार अर्थ करने पर इस श्लोक का भाव होगा-चन्दन के पेड़ को गिरा हुआ देखकर पर्वत पर निवास करने वाली भीलनी प्रसन्न होती है। सर्प रोने लगे और हाय चन्दन के पेड़, हाय चन्दन के पेड़ करने लगे।

कस्तूरी जायते कस्मात् को हन्ति करिणां कुलम्।
किं कुर्यात् कातरो युद्धे मृगात् सिंहः पलायनम्॥8॥

अत्र चरणत्रये त्रयः प्रश्नाः चतुर्थे चरणे त्रयाणाम् एवं उत्तरं वर्तते। कस्तूरी कस्मात् जायते इति प्रथमः प्रश्नः ‘करिणां कुलं कः हन्ति’ इति द्वितीयप्रश्नः कातरः युद्धे किं कुर्यात् इति तृतीयः प्रश्नः।

अनुवाद :
कस्तूरी किससे उत्पन्न होती है? कौन हाथियों के कुल (समूह) को मारता है? दुःखी युद्ध में क्या करे, मृग से, सिंह, पलायन।

यहाँ तीन चरणों में तीन प्रश्न हैं और चौथे चरण में तीनों के ही उत्तर हैं। कस्तूरी किससे उत्पन्न होती है? यह पहला प्रश्न है। हाथियों के कुल (समूह) को कौन मारता है? यह दूसरा प्रश्न है। दुःखी युद्ध में क्या करे? यह तीसरा प्रश्न है।

स्पष्टीकरण :
प्रश्न 1.
कस्तूरी किससे उत्पन्न होती है?
उत्तर:
मृग से।

2. हाथियों के कुल (समूह) को कौन मारता है?
उत्तर:
सिंह

3. दुःखी युद्ध में क्या करे?
उत्तर:
पलायन (भागे)।

कूटश्लोकाः शब्दार्थाः

चक्षुः= नेत्र। पन्नगः सर्प। बिलम् = छेद। जिह्वा=जीभ। पञ्चभी = पाँच पतियों वाली। पाञ्चाली = द्रोपदी। जघान = मारा। शीतलवाहिनी = शीतल जल वाली। दारपोषणरताः = पत्नी के पोषण में तत्पर। केदारपोषणरताः = खेत सँवारने में संलग्न (कृषक)। कम्बलवन्तम् = किस बलवान् को। ना= पुरुष:/नरः। एकोनाविंशति= 19। विंशतिः =20। लोकनाथः = भिक्षुक/राजा। लोकानाथः यस्य सः = अन्यपदार्थप्रधानो बहुब्रीहिः। लोकः सर्वोऽपि भिक्षुकस्य नाथः-लोकस्य दासःभिक्षुकः। लोकस्यनाथः = षष्ठीतत्पुरुषसमासे कृते राजा इत्यर्थः। द्वन्द्वः= द्वन्द्व समास, कलह। द्विगुः= द्विगुसमास, दम्पत्ति (पति-पत्नी)। अव्ययीभावः = समास, धनाभाव (निर्धनता)। तत्पुरुषः = समास, पति। कर्मधारयः = समास, अकर्मण्यता छोड़कर कर्म करो। बहुब्रीहिः = समास, धनधान्ययुक्त। शङ्करम् = शङ्कर भगवान को/चन्दन के पेड़ को। पतितम् = गिरते हुए। पार्वती = पार्वती शिवपत्नी/पर्वतनिवासिनी भीलनी। पन्नगाः = सर्प। कस्तूरी = कस्तूरी (गन्धविशेष)। जायते = उत्पन्न होती है। हन्ति = मारता है। करिणां कुलम् = हाथियों के समूह को। . कातरः = दुःखी। युद्धे = युद्ध में।

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions

MP Board Class 7th Sanskrit Model Question Paper

MP Board Class 7th Sanskrit Model Question Paper (आदर्श प्रश्नपत्रम्)

प्रश्न 1.
(अ) सही विकल्प चुनकर लिखिए
(क) बदरीनाथधामास्ति
(i) गुजरातराज्ये
(ii) उड़ीसाराज्ये
(iii) कर्नाटकराज्ये
(iv) उत्तराखण्डराज्ये।
उत्तर:
(iv) उत्तराखण्डराज्ये

(ख) सिंह पीडितः आसीत्
(i) पिपासया
(ii) क्षुधया
(iii) ज्वरेण
(iv) शत्रुणा।
उत्तर:
(ii) क्षुधया

(ग) अपदं दूरगामी अस्ति
(i) पत्रम्
(ii) पक्षी
(iii) पशुः
(iv) मनुष्यः।
उत्तर:
(i) पत्रम्

(घ) पृथिव्याः उपग्रहः अस्ति
(i) बुधः
(ii) शनिः
(iii) चन्द्रः
(iv) शुक्रः।
उत्तर:
(iii) चन्द्रः

(ङ) लोकमान्यतिलकेन आरब्धः उत्सवः अस्ति
(i) दीपोत्सवः
(ii) होलिकोत्सवः
(iii) गणेशोत्सवः
(iv) स्वतन्त्रतादिवसोत्सवः।
उत्तर:
(iii) गणेशात्सवः

(ब) दिये गये शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(खड्गं, मूलाधारः, पूर्णिमा, तक्षशिला, शूलपाणिः)
(क) धर्म एव भारतस्य एकतायाः ………….. अस्ति।
(ख) ………. विश्वविख्यातम् अध्ययनकेन्द्रमासीत्।
(ग) त्रिनेत्रधारी न च ……….. ।
(घ) …………. गृहीत्वा युद्धं कुरु।
(ङ) शुक्लपक्षे ………… तिथि भवति।
उत्तर:
(क) मूलाधारः
(ख) तक्षशिला
(ग) शूलपाणिः
(घ) खड्गं
(ङ) पूर्णिमा।

प्रश्न 2.
अधोलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखो-

एकस्मिन् पर्वते दुर्मुखः नाम महौजस्वी सिंहः वसति स्म। सः च सदैव बहूनां पशूनां वधं करोति स्म। एकदा सर्वे पशवः सिंहस्य समीपम् अगच्छन् अवदन् च मृगेन्द्र! त्वं सदैव पशूनां वधं कथं करोषि? प्रसीद वयं स्वयं तव भोजनाय प्रतिदिनम् एकैकं पशुं प्रेषयिष्यामः।

(क) पर्वते किं नाम सिंहः प्रतिवसति स्म? (पर्वत पर किस नाम का शेर रहता था?)
उत्तर:
पर्वते दुर्मुखः नाम सिंहः वसति स्म। (पर्वत पर दुर्मुख नाम का शेर रहता था।)

(ख) सः केषां वधं करोति स्म? (वह किनका करता था?)
उत्तर:
स: बहूनां पशूनां वधं करोति स्म। (वह बहुत से पशुओं का वध किया करता था।)

(ग) के सिंहस्य समीपम् अगच्छन्? (कौन शेर के पास आये थे?)
उत्तर:
सर्वे पशवः सिंहस्य समीपम् अगच्छन् स्म। (सभी पशु शेर के पास गये थे।)

(घ) वयं प्रतिदिन किं प्रेषयिष्यामः? (हम सब प्रतिदिन किसको भेजेंगे?)
उत्तर:
वयं प्रतिदिनं एकैकं पशु प्रेषयिष्यामः। (हम सब प्रतिदिन एक-एक पशु को भेजेंगे।)
अथवा

योगेन शरीरं चित्तम् अपि स्वस्थं भवति। “शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्” इति प्रसिद्धं वचनम्। स्वस्थ शरीर अध्ययनं सुकरं भवति। तेन चित्तस्य एकाग्रता भवति। कार्ये कौशलं जायते। योगस्य अभ्यासेन अनेके लाभाः सम्भवन्ति।

(क) शरीरं चित्तं न केन स्वस्थं भवति? (शरीर और चित्त किससे स्वस्थ होता है?)
उत्तर:
योगेन शरीरं चित्तं न स्वस्थं भवति। (योग से शरीर और चित्त स्वस्थ होता है।)

(ख) धर्मस्य आद्यं साधनं किम् अस्ति? (धर्म का आदि साधन क्या है?)
उत्तर:
धर्मस्य आद्यं साधनं शरीरं अस्ति। (धर्म का आदि साधन शरीर है।)

(ग) स्वस्थे शरीरे किं सुकरं भवति? (स्वस्थ शरीर में क्या आसान होता है?)
उत्तर:
स्वस्थ शरीरे अध्ययनं सुकरं भवति। (स्वस्थ शरीर में अध्ययन आसान होता है।)

(घ) कार्ये किं जायते? (कार्य करने पर क्या पैदा होता है?)
उत्तर:
कार्ये कौशलं जायते। (कार्य करने पर कुशलता पैदा होती है।)

प्रश्न 3.
अधोलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखो-
माता शत्रुः पिता वैरी, येन बालो न पाठितः।
न शोभते सभामध्ये, हंसमध्ये बको यथा।।

(क) यया बालो न पाठितः सा माता कीदृशी? (जिस माता के द्वारा बालक को शिक्षित नहीं कराया जाता बह माता कैसी होती है?)
उत्तर:
सा माता शत्रुः अस्ति। (वह माता शत्रु होती है)

(ख) येन बालो न पाठितः स पिता कीदृशः? (जिस पिता के द्वारा बालक को शिक्षित नहीं कराया जाता वह पिता कैसा होता है?)
उत्तर:
सः पिता वैरी अस्ति। (वह पिता बैरी होता है।)

(ग) यः न पठितवान् स: कुत्र न शोभते? (जो अशिक्षित है वह कहाँ शोभा नहीं देता?)
उत्तर:
सः सभामध्ये न शोभते। (वह सभा के बीच शोभा नहीं देता।)

(घ) यः न पठितवान् सः कथं न शोभते? (जो अशिक्षित है वह कैसे शोभा नहीं देता?)
उत्तर:
सः हंसमध्ये बको यथा न शोभते। (वह हंसों के बीच बगुले की तरह शोभा नहीं देता।)
अथवा

वरमेको गुणी पुत्रो न मूर्ख-शतान्यपि।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति, न च तारागणा अपि॥

(क) कः पुत्रः वरम् अस्ति? (कौन-सा पुत्र श्रेष्ठ होता है?)
उत्तर:
गुणी पुत्रः वरम् अस्ति। (गुणवान पुत्र श्रेष्ठ होता है।)

(ख) कति मूर्खपुत्राः न वराणि? (कितने मूर्ख पुत्र अच्छे नहीं होते हैं?)
उत्तर:
शतानि मूर्खपुत्राः न वराणि। (सौ मूर्ख पुत्र अच्छे नहीं होते हैं।)

(ग) कः तमो हन्ति? (कौन अन्धकार को नष्ट कर देता है?)
उत्तर:
चन्द्रः तमो हन्ति। (चन्द्रमा अन्धकार को नष्ट कर देता है।)

(घ) क तमो न घ्नन्ति? (कौन अन्धकार को नष्ट नहीं कर पाते हैं?)
उत्तर:
ताराः तमो न घ्नन्ति। (तारे अन्धकार को नष्ट नहीं कर पाते हैं।)

प्रश्न 4.
(अ) पाठ्य पुस्तक से कण्ठस्थ किया हुआ एक श्लोक लिखो जो इस प्रश्न-पत्र में न हो।
उत्तर:
विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्तिः परेषां परिपीडनाय।
खलस्य साधोः विपरीतमेतत्, ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय।।

(ब) श्लोक को पूरा करो
जलबिन्दुं …………… क्रमशः …………. घटः।
स ………… सर्वविद्यानां ……….. च धनस्य च ॥
उत्तर:
निपातेन, पूर्यते, हेतु, धर्मस्य।

(स) पाठ्य पुस्तक से कण्ठस्थ की हुई एक सूक्ति लिखो।
उत्तर:
आचार: परमो धर्मः।

प्रश्न 5.
(अ) अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लिखो
(क) प्रयत्नेन के विश्वप्रियाः? (प्रयत्न करने से कौन विश्वप्रिय बन गये?)
उत्तर:
भारतीयाः

(ख) के उत्सवप्रियाः भवन्ति? (कौन उत्सवप्रिय होते हैं?)
उत्तर:
जनाः

(ग) सिक्खानां दशमः गुरुः क आसीत्? (सिक्खों के दसवें गुरु कौन थे?)
उत्तर:
गुरुगोविन्दसिंहः

(घ) सुप्तोऽपि नेत्रे कः न निमीलयति? (सोने पर भी दोनों नेत्रों को कौन बन्द नहीं करती है?)
उत्तर:
मत्स्यः

(ङ) कस्य सहायतां प्रभुः करोति? (प्रभु किसकी सहायता करते हैं?)
उत्तर:
श्रमशीलस्य

(च) केन कार्याणि सिद्धयन्ति? (किससे कार्य सिद्ध हो जाते हैं)
उत्तर:
उद्यमेन

(ब) अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखो
(क) मठानि किमर्थ स्थापितानि? (मठों की स्थापना किसलिए की गई?)
उत्तर:
धर्मरक्षार्थं वेदान्ततत्त्वानां प्रचारार्थम् च मठानि स्थापितानि। (धर्म की रक्षा और वेदान्त तत्वों के प्रचार के लिए मठों की स्थापना की गई।)

(ख) कौ द्वौ पक्षौ भवतः? (कौन से दो पक्ष होते हैं?)
उत्तर:
शुक्लपक्षः कृष्णपक्ष: च इति दौ पक्षौ भवतः। (शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष नामक दो पक्ष होते हैं।)

(ग) भास्कराचार्यः किं प्रतिपादितवान्? (भास्कराचार्य ने क्या प्रतिपादित किया?)
उत्तर:
भास्कराचार्यः गुरुत्वाकर्षणसिद्धांत π (पै) इति गणितचिह्नस्य मानं त्रैराशिकनियमादीन् प्रतिपादितवान्। (भास्कराचार्य ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त, गणित चिह्न π (पाई) का मान, त्रैराशिक नियम आदि का प्रतिपादन किया।)

(घ) परोपकारः किमर्थ भवति? (परोपकार किसके लिए होता है)
उत्तर:
परोपकारः पुण्याय भवति। (परोपकार पुण्य के लिए होता है।)

(ङ) बालचरस्य प्रथमा प्रतिज्ञा का अस्ति? (बालचरस्य की पहली प्रतिज्ञा क्या है?)
उत्तर:
‘ईश्वरं स्वदेशं प्रति च कर्त्तव्यपालनं’ बालचरस्य प्रथमा प्रतिज्ञा अस्ति। (‘ईश्वर और अपने देश के प्रति कर्त्तव्य का पालन करना’ बालचर की पहली प्रतिज्ञा है।)

(च) सुलभा कस्य मूर्तिम् अपश्यत्? (सुलभा ने किसकी मूर्ति को देखा?)
उत्तर:
सुलभा मुनेः पतञ्जले: मूर्तिम् अपश्यत्। (सुलभा मे मुनि पतञ्जलि की मूर्ति को देखा।)

प्रश्न 6.
(अ) अधोलिखित शब्दों के रूप तीनों वचनों में लिखो-
(क) लेखनी-पञ्चमी विभक्ति
(ख) सर्व-तृतीया विभक्ति (पुल्लिङ्ग)
(ग) मधु-चतुर्थी विभक्ति।
उत्तर:
MP Board Class 7th Sanskrit Model Question Paper img 1

(ब) अधोलिखित के धातुरूप निर्देशानुसार तीनों वचनों में लिखो-
(क) पठ्-लोट्लकारः (आज्ञार्थकः), उत्तमपुरुषः।
(ख) गम् (गच्छ्)-विधिलिङ्लकारः, प्रथमपुरुषः।
(ग) वन्द-(आत्मनेपद) लट्लकारः, मध्यमपुरुषः।
उत्तर:
MP Board Class 7th Sanskrit Model Question Paper img 2

(स) अधोलिखित में रेखांकित शब्दों के कारक नाम लिखो-
(क) खगः वृक्षे निवसति।
(ख) रामः पठति।
(ग) हिमालयात् गङ्गा प्रभवति।
(घ) राजा ब्राह्मणाय धनं ददाति।
उत्तर:
(क) अधिकरणकारकम् (सप्तमी विभक्तिः)
(ख) कर्तृकारकम् (प्रथमा विभक्तिः)
(ग) अपादानकारकम् (पञ्चमी विभक्तिः)
(घ) सम्प्रदानकारकम् (चतुर्थी विभक्तिः)

प्रश्न 7.
(अ) अधोलिखित शब्दों के धातु और प्रत्यय अलग करो-
(क) विलिख्य
उत्तर:
विलिख्या = वि (उपसर्गः) + लिख् (धातुः) + य (ल्यप्)

(ख) कृतवान्
उत्तर:
कृतवान् = कृ धातुः + क्तवतु प्रत्ययः

(ग) लिखित्वा
उत्तर:
लिखित्वा = लिख (धातुः) + त्वा (क्त्वा प्रत्ययः)

(घ) क्रीडितः।
उत्तर:
क्रीडितः = क्रीड् धातुः + क्त प्रत्ययः

(ब) अधोलिखित के उपसर्ग अलग करो-
(क) उपकरोति
(ख) अनुधावति
(ग) पराजयते
(घ) उद्भवति।
उत्तर:
(क) उप
(ख) अनु
(ग) परा,
(घ) उत्।

(स) अधोलिखित में से अव्यय चुनकर लिखो-
(क) धेनु
(ख) अतः
(ग) नगरम्
(घ) पुरतः
(ङ) मा।
उत्तर:
(ख) अतः
(घ) पुरतः
(ङ) मा।

प्रश्न 8.
(अ) अधोलिखित शब्दों की सन्धि विच्छेद करके सन्धि का नाम लिखो-
(क) देवर्षिः
(ख) अजन्तः
(ग) पावकः
(घ) सुबन्तः।
उत्तर:
(क) देवर्षिः = देव + ऋषिः (स्वरसन्धिः)
(ख) अजन्तः = अच् + अनतः (व्यञ्जनसन्धिः)
(ग) पावकः = पौ + अकः (स्वरसन्धिः)
(घ) सुबन्तः = सुप् + अन्तः (व्यञ्जनसन्धिः)

(ब) अधोलिखित शब्दों के समास विग्रह करके समास का नाम लिखो-
(क) चौरभयम्
(ख) पंचवटी
(ग) उपकृष्णम्।
उत्तर:
(क) चौरभयम्-चौराद् भयम् (तत्पुरुषसमासः)
(ख) पंचवटी-पञ्चानां वटानां समाहारः (द्विगुसमास:)
(ग) उपकृष्णम्-कृष्णस्य समीपम् (अव्ययीभावसमासः)

(स) अधोलिखित संख्याओं को संस्कृत में लिखो-
(क) 14
(ख) 18
(ग) 16
उत्तर:
(क) 14-चतुर्दश
(ख) 18-अष्टादश
(ग) 16-षोडश।

प्रश्न 9.
अधोलिखित शब्दों से पत्र को पूरा करो-
(भ्रमणार्थं, स्वास्थ्यम्, प्रणामाः, परीक्षा, कुशलिनी)

खजूरीपन्थतः
3 जनवरी, 20……….

पूज्यमातः! …………..
अहम् ईश्वरस्य कृपया ………….. अस्मि।
भवत्याः ………….. कथम् अस्ति?
अहं अस्मिन् मासे ………. गमिष्यामि। आगामिमासे मम ……….. अस्ति। पितृचरणौ वन्दे।

भवत्याः पुत्री
शैलजा

उत्तर:
प्रणामाः, कुशलिनी, स्वास्थ्यम्, भ्रमणार्थम्, परीक्षा।

प्रश्न 10.
अधोलिखित में से किसी एक विषय पर पाँच वाक्यों में संस्कृत में निबन्ध लिखो
(क) मम विद्यालयः
उत्तर:

  1. मम विद्यालयः ‘खाईखेड़ा’ ग्रामे स्थितः अस्ति।
  2. विद्यालयस्य भवनम् अतीवसुन्दरम् अस्ति।
  3. अहं विद्यालयं गत्वा गुरून् प्रणमामि।
  4. विद्यालये एकम् उद्यानम् अपि अस्ति।
  5. विद्यालये एक विशालं क्रीडाक्षेत्रम् अस्ति।

(ख) पुस्तकम्
उत्तर:

  1. पुस्तकानि मह्यम् अतीव रोचन्ते।
  2. पुस्तकानि ज्ञानस्य भण्डारः भवन्ति।
  3. पुस्तकानि अस्माकं मित्राणि सन्ति।
  4. पुस्तकानां सङ्गति लाभप्रदा भवति।
  5. अस्माभिः पुस्तकानि रक्षणीयानि।

(ग) उद्यानम्
उत्तर:

  1. उद्यानम् अत्यन्तं रमणीयं भवति।
  2. बालकाः उद्यानं क्रीडन्ति।
  3. उद्याने तडागः अपि अस्ति।
  4. जनाः उद्यानं भ्रमणार्थं गच्छन्ति।
  5. खगाः वृक्षेषु निवसन्ति।

(घ) धेनुः।
उत्तर:

  1. धेनुः अस्माकं माता अस्ति।
  2. धेनूनां विविधाः वर्णाः भवन्ति।
  3. धेनुः तृणानि भक्षयति।
  4. धेनुः जनेभ्यः मधुरं पयः प्रयच्छति।
  5. वयं धेनुं मातृरूपेण पूजयामः।

अथवा
अधोलिखित शब्दों की सहायता से पाठ्य पुस्तक में चित्र देखकर संस्कृत में पाँच वाक्य लिखो-
(धेनुः, कृषकः, गृहाणि, वृक्षौ, क्षेत्रम्)
उत्तर:
(1) गोपालः धेनुम् दुहति।
(2) कृषकः तापं शीतं वृष्टिं सहित्वा कृषिकर्म करोति।
(3) ग्रामे बहूनि गृहाणि सन्ति।
(4) ग्रामे दौ वृक्षौ स्तः।
(5) प्रात:काले कृषकाः स्व-स्व क्षेत्रम् गत्वा कृषिकर्माणि कुर्वन्ति।

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 16 भोजस्य शिक्षाप्रियता

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 16 भोजस्य शिक्षाप्रियता

MP Board Class 6th Sanskrit Chapter 16 अभ्यासः

Class 6 Sanskrit Chapter 16 MP Board प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)-
(क) धारानगर्याः नृपति कः आसीत्? (धारा नगरी का राजा कौन था?)
उत्तर:
राजा भोजः

(ख) धारानगरी कुत्र अस्ति? (धारा नगरी कहाँ है?)
उत्तर:
मध्यप्रदेशस्य मालव क्षेत्रे

(ग) विप्रस्य हस्ते किम् आसीत्? (ब्राह्मण के हाथ में क्या था?)
उत्तर:
चर्मपात्रं।

Sanskrit Class 6 Chapter 16 MP Board प्रश्न 2.
एक वाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) भोजस्य नाम केन कारणेन प्रसिद्धम्? (भोज का नाम किस कारण से प्रसिद्ध है?)
उत्तर:
भोजस्य नाम शिक्षाप्रियता कारणेन प्रसिद्धम्। (भोज का नाम शिक्षाप्रियता के कारण प्रसिद्ध है।)

(ख) विप्रम् अति दरिद्रं ज्ञात्वा राजा किम् अपृच्छत्? (ब्राह्मण को अति दरिद्र जानकर राजा ने क्या पूछा?)
उत्तर:
विप्रम् अति दरिद्रं ज्ञात्वा राजा अपृच्छत् “विप्र! चर्मपात्रं किमर्थं हस्ते वहसि?” (ब्राह्मण को अति दरिद्र जानकर राजा ने पूछा, हे ब्राह्मण! चर्मपात्र को हाथ में किसलिए ढो रहे हो (लिए हुए हो)?

Class 6th Sanskrit Chapter 16 MP Board प्रश्न 3.
उच्चरयत (उच्चारण करो)
भू + क्त्वा = भूत्वा = होकर।
ज्ञा + क्त्वा = ज्ञात्वा = जानकर।
कृ+ क्त्वा = कृत्वा = करके।
श्रु + क्तवा = श्रुत्वा = सुनकर।
सम् + भू + ल्यप् = सम्भूय = होकर।
वि + ज्ञा + ल्यप् = विज्ञाय = जानकर।
आ + गम् + ल्यप् = आगत्य = आकर।

Sanskrit Chapter 16 Class 6 MP Board प्रश्न 4.
कोष्ठकात् उचितानि पदानि चित्वा रिक्त स्थानानि पूरयत (कोष्ठक से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों – को पूरा करो)
(क) शिक्षितानां सम्मानं ………….. भोजः प्रसिद्धः अभवत्। (दृष्ट्वा /कृत्वा)
(ख) राजा प्रसन्नो ………… तस्मै पुरस्कारं अयच्छत्। (भूत्वा/ज्ञात्वा)
(ग) लौहशृङ्खलायाः आवश्यकता ……….. कृते अस्ति। (शत्रूणां मूर्खाणां)
उत्तर:
(क) कृत्वा
(ख) भूत्वा
(ग) शत्रूणाम्।।

Mp Board Solution Class 6 Sanskrit प्रश्न 5.
पर्यायमेलनं कुरुत (पर्यायवाची शब्दों को मिलाइये)
Chapter 16 Sanskrit Class 6 MP Board
उत्तर:
(क) → 3
(ख) → 4
(ग) → 5
(घ) → 2
(ङ) → 1

योग्यताविस्तारः

1. पदानां विभक्तिं वचनं च लिखत (शब्दों की विभक्ति और वचन लिखो)
(क) शिक्षिताः
(ख) जनाः
(ग) मार्गे
(घ) भोज
(ङ) प्रदेशस्य
(च) कवये।
उत्तर:
Class 6 Chapter 16 Sanskrit MP Board

2. ‘कवि’ शब्दस्य रूपाणि लिखत। (कवि शब्द के रूप लिखो)
उत्तर:
‘कवि’ शब्द के रूप
Mp Board Solution Class 6th Sanskrit

भोजस्य शिक्षाप्रियता हिन्दी अनुवाद

अस्ति मध्यप्रदेशस्य मालवक्षेत्रे धारा नाम नगरी। पुरा अस्याः नगर्याः शासकः नृपतिः भोजः आसीत्। नृपतेः आदेश: आसीत् यत्-

“विप्रोऽपि यो भवेन्मूर्खः, सः पुराद् बहिरस्तु मे।
कुम्भकारोऽपि यो विद्वान् स तिष्ठतु पुरे मम॥”

भोजस्य शिक्षाप्रियताकारणेन शिक्षिताः जनां एव धारानगर्यां वसन्ति स्म। एकदा उद्यानमार्गे विहरन् भोजः कमपि विप्रम् अपश्यत्। तस्य हस्ते चर्ममयं कमण्डलुं दृष्ट्वा तं च अतिदरिद्रं ज्ञात्वा राजा अपृच्छत्-“विप्र ! चर्मपात्रं किमर्थं हस्ते वहसि?” सः च विप्रः मुखशोभया विनम्रप्रश्नेन च तं भोजं मत्वा प्रणम्य अकथयत्-“देव! सम्प्रति लौहस्य ताम्रस्य च अभावः जातः। अत: चर्ममयं पात्रं वहामि।”

Class 6 Sanskrit Chapter 16 Solution MP Board अनुवाद :
मध्यप्रदेश के मालव क्षेत्र में धारा नामक नगर है। प्राचीनकाल में इस नगरी का शासक राजा भोज था। राजा का आदेश था कि-“जो ब्राह्मण यदि मूर्ख है, तो वह मेरे इस नगर से बाहर निकल जाये। यदि कुम्हार जो विद्वान है, वह मेरे नगर में ठहरे।”

भोज के शिक्षा-प्रेम के कारण शिक्षित लोग ही धारानगरी में रहा करते थे। एक दिन उद्यान मार्ग पर विहार करते हुए (राजा) भोज ने किसी ब्राह्मण को देख लिया। उसके हाथ में चमड़े के कमण्डल को देखकर और उसे बहुत ही दरिद्र समझकर (जानकर) राजा ने पूछा-हे ब्राह्मण! चमड़े के इस पात्र को व्यर्थ ही क्यों ढो रहे हो। और वह ब्राह्मण मुख शोभा और विनम्र प्रश्न से उसे राजा भोज मानकर प्रणाम करते हुए कहा- “हे देव! अब लोहे और ताँबे का अभाव हो गया है, इसलिए चमड़े का बर्तन ढो रहा हूँ।”

भोजः पुनः अपृच्छत्-“विप्र। कथं लौह-ताम्रयोः अभावः?” तदा विप्रः पद्यं पठति-

“अस्य श्रीभोजराजस्य, द्वयमेव सुदुर्लभम्।
शत्रूणां श्रङ्खलैः लौहं, तानं शासनपत्रकैः॥”

राजा प्रसन्नो भूत्वा तस्मै कवये ताम्रप्रशस्तिपत्रं धनराशि च पुरस्काररूपेण अयच्छत्। शिक्षितानां सम्मानकारणेन भोजस्य नाम अद्यापि भारते प्रसिद्धम्।

Sanskrit Chapter 16 MP Board अनुवाद :
भोज ने फिर पूछा- “हे ब्राह्मण! लोहे और ताँबे का अभाव क्यों है?” तब ब्राह्मण ने इस पद्य को पढ़ा

“इस राजा भोज के राज्य में दो ही वस्तु बहुत दुर्लभ हैं। शत्रुओं के लिए जंजीरों के कारण लोहा तथा शासन पत्रकों के कारण ताम्र (ताँबा)।”

राजा ने प्रसन्न होकर उस कवि को ताँबे का प्रशस्ति पत्र और धनराशि पुरस्कार के रूप में प्रदान की। शिक्षितों का सम्मान करने के कारण भोज का नाम आज भी भारत में प्रसिद्ध है।

भोजस्य शिक्षाप्रियता शब्दार्थाः.

पुरा = प्राचीन समय में। बहिः = बाहर। ईदृशः = इस प्रकार। चर्ममयं = चमड़े से बना हुआ। कमण्डलुम् = पानी रखने के पात्र को। शृङ्खलैः = जंजीरों से। अस्तु = हो। अयच्छत् = प्रदान किया। वहसि = ले जाते हो। मत्वा = मानकर। विप्रः = ब्राह्मण। सम्प्रति = आजकल। विहरन = घूमते हुए। ताम्रप्रशस्तिपत्रं = ताँबे का प्रशंसापत्र।

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Chapter 21 नर्मदा

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 21 नर्मदा

MP Board Class 8th Sanskrit Chapter 21 अभ्यासः

Class 8 Sanskrit Chapter 21 MP Board प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत(एक शब्द में उत्तर लिखो-)
(क) अस्माकम् प्रदेशस्य जीवनदायिनी का? (हमारे प्रदेश की जीवनदायिनी कौन है?)
उत्तर:
नर्मदा। (नर्मदा)

(ख) नर्मदा कस्मात् स्थानात् प्रादुर्भवति? (नर्मदा किस स्थान से निकलती है?)
उत्तर:
अमरकण्टकपर्वतात्। (अमरकण्टक पर्वत से)

(ग) कस्याः नाम रेवा? (किसका नाम रेवा है?)
उत्तर:
नर्मदायाः। (नर्मदा का)।

(घ) अमरकण्टकस्थानं कस्मिन् मण्डले अस्ति? (अमरकण्टक स्थान किस मण्डल में है?)
उत्तर:
अनूपपुर मण्डले। (अनूपपुर मण्डल में)

(ङ) नर्मदा कस्मिन् सागरे मिलति? (नर्मदा किस सागर में मिलती है?)
उत्तर:
अरबसागरे। (अरब सागर में)

(च) मण्डनमिश्रः कस्मिन् नगरे वसति स्म? (मण्डनमिश्र किस नगर में रहते थे?)
उत्तर:
मण्डलेश्वरनगरे। (मण्डलेश्वर नगर में)

Mp Board Class 8 Sanskrit Solution Chapter 21 प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत(एक वाक्य में उत्तर लिखो-)
(क) धूमधारजलप्रपातः कुत्र अस्ति? (धूआँधार झरना कहाँ है?)
उत्तर:
धूमधारजलप्रपात: भेड़ाघाटनामके स्थाने अस्ति। (धूआँधार झरना भेड़ाघाट नामक स्थान पर है।)

(ख) सेठानीघाटस्थानं कस्मिन् नगरे अस्ति? (सेठानीघाट स्थान किस नगर में है?)
उत्तर:
सेठानीघाटस्थानं होशंगाबादनगरे अस्ति। (सेठानीघाट स्थान होशंगाबाद नगर में है।)

(ग) ओङ्कारेश्वरनगरे किं नाम ज्योतिर्लिङ्गम्? (ओङ्कारेश्वर नगर में किस नाम का ज्योतिर्लिंग है?)
उत्तर:
ओङ्कारेश्वरनगरे ममलेश्वरनामज्योतिर्लिंङ्गम्। (ओंकारेश्वर नगर में ममलेश्वर नाम का ज्योतिर्लिंग है।)

(घ) सरदारसरोवरबन्धः कस्यां नद्याम् अस्ति? (सरदार सरोवर बाँध किस नदी पर है?)
उत्तर:
सरदारसरोवरबन्धः नर्मदानद्याम् अस्ति। (सरदार सरोवर बाँध नर्मदा नदी पर है।)

(ङ) बन्धैः के लाभाः? (बाँधों से क्या लाभ हैं?)
उत्तर:
बन्धैः विधुदुत्पादनम्, भूमिसेचनम्, जलपरिवहनम्, अभयारण्यनिर्माणम्, पर्यटनस्थलनिर्माणम् इत्यादयो विविधलाभाः। (बाँधों से बिजली उत्पादन, भूमि का सींचना, जल परिवहन, अभयारण्य निर्माण, पर्यटन स्थल का निर्माण इत्यादि विभिन्न लाभ हैं।)

Class 8 Sanskrit Chapter 21 Mp Board प्रश्न 3.
उचितशब्देन रिक्तस्थानम् पूरयत(उचित शब्द से रिक्त स्थान भरो-)
(क) नर्मदायाः अपरं नाम ……….. अस्ति। (भागीरथी/मेकलसुता)
(ख) नर्मदानदी ……………. जीवनदायिनी कथ्यते। (उत्तरप्रदेशस्य/मध्यप्रदेशस्य)
(ग) ममलेश्वरज्योतिर्लिङ्गम् …………… अस्ति। (उज्जयिन्याम्/ओङ्कारेश्वरनगरे)
(घ) आद्यशङ्कराचार्यस्य गुरोः नाम ………… अस्ति। (महर्षि वाल्मीकि/गोविन्दपादाचार्यः)
(ङ) बरगीबन्धः ……………. अस्ति। (नर्मदायाम्/गोदावर्याम्)
उत्तर:
(क) मेकलसुता
(ख) मध्यप्रदेशस्य
(ग) ओङ्कारेश्वरनगरे
(घ) गोविन्दपादाचार्यः
(ङ) नर्मदायाम्।

Sanskrit Class 8 Chapter 21 प्रश्न 4.
उचितं योजयत(उचित को मिलाओ-)
Class 8 Sanskrit Chapter 21 Mp Board
उत्तर:
(क) → (iii)
(ख) → (v)
(ग) → (ii)
(घ) → (i)
(ङ) → (iv)

Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 21 प्रश्न 5.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं “न” इति लिखत्।
(शुद्धवाक्यों के सामने “आम्” (हाँ) और अशुद्ध वाक्यों के सामने “न” (नहीं) लिखो-)
(क) नर्मदा अमरकंटाकात् प्रादुर्भवति।
(ख) रेवा नर्मदायाः अपरं नाम अस्ति।
(ग) नर्मदायाम् सरदारसरोवरबन्धः अस्ति।
(घ) मेघदूते नर्मदायाः वर्णनं नास्ति।
(ङ) पुराणेषु नर्मदायाः वर्णनम् अस्ति।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) आम्
(ग) आम्
(घ) न
(ङ) आम्

8 वीं कक्षा संस्कृत गाइड 2021 MP Board प्रश्न 6.
नामोल्लेखपूर्वकं सन्धिविच्छेदं कुरुत(नाम का उल्लेख करते हुए सन्धि-विच्छेद करो-)
(क) गहनारण्येषु
(ख) अत्रैव
(ग) अवलोकनार्थम्
(घ) इत्यादयः।
उत्तर:
Class 8 Sanskrit Chapter 21 MP Board

Class 8 Sanskrit Abhyas Prashn Patra MP Board प्रश्न 7.
नामोल्लेखपूर्वकं समासविग्रहं कुरुत(नाम का उल्लेख करते हुए समास विग्रह करो-)
(क) अभयारण्य निर्माणम्
(ख) देवालयाः
(ग) घण्टानादाः
(घ) भूमिसेचनम्।
उत्तर:
Mp Board Class 8 Sanskrit Solution Chapter 21

नर्मदा हिन्दी अनुवाद

पावनसलिलानर्मदा अस्माकम् प्रदेशस्य जीवनदायिनी सरिता अस्ति। एषा एव रेवा-मेकलसुतादिभिः अनेकानामभिः प्रसिद्धा। अस्याः उभयोः तटयोः अनेकानि तीर्थस्थानानि, तपस्विनाम् आश्रमाश्च सन्ति। प्राचीनकालादेव अस्याः पावनतटयोः तपस्विनां सिद्धस्थलानि सन्ति। अतः जनाः नर्मदायाः परिक्रमणं कृत्वा आत्मानं धन्यम् पवित्रं च मन्यते अत्रत्यं नैसर्गिक सौन्दर्यमपि दर्शनीयम्।।

Class 8 Sanskrit MP Board अनुवाद :
पवित्र जल वाली नर्मदा हमारे प्रदेश की जीवनदायिनी (जीवन प्रदान करने वाली) नदी है। यही रेवा, मेकलसुता आदि अनेक नामों से प्रसिद्ध है। इसके दोनों किनारों पर अनेक तीर्थस्थान और तपस्वियों के आश्रम हैं। प्राचीनकाल से ही इसके पवित्र किनारों पर तपस्वियों के सिद्ध स्थल हैं। इसलिए लोग नर्मदा की परिक्रमा करके अपने को धन्य और पवित्र मानते हैं। यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य भी देखने योग्य है।

अनूपपुरमण्डले अमरकण्टवं नाम पर्वतोऽस्ति। तत एव नर्मदा प्रादुर्भवति। तदनन्तरम् एषा गहनारण्येषु उत्तुङ्गपर्वतेषु च भ्रमणं कुर्वती डिण्डोरीमण्डलम् प्रविशति। डिण्डोरीतः सपाकारगत्या उच्चावचमार्गेण महाराजपुरम् प्राप्नोति। ततः जाबालिपुरम् आगच्छति। श्वेतशिलाखण्डानां कृतेऽतिप्रसिद्धे भेड़ाघाटनामके स्थाने धूमधारजलप्रपातस्वरूपं धारयति। तद् अवलोकनार्थं बहवः पर्यटकाः अत्र आगच्छन्ति।

8 वीं कक्षा संस्कृत गाइड 2021 MP Board अनुवाद :
अनूपपुर मण्डल में अमरकण्टक नामक पर्वत है। वहाँ से ही नर्मदा निकलती है। उसके बाद यह घने वनों और ऊँचे पर्वतों पर भ्रमण करती हुई डिण्डोरी मण्डल में प्रवेश करती है। डिण्डोरी से सर्पाकार गति से ऊँचे-नीचे मार्ग से महाराजपुर (मण्डल) पहुँचती है। वहाँ से जबलपुर आती है। संगमरमर की चट्टानों के लिए अति प्रसिद्ध भेड़ाघाट नाम के स्थान पर धूआँधार झरने का रूप धरती है। उसे देखने के लिए बहुत से पर्यटक यहाँ आते हैं।

जाबालिपुरतः ब्रह्माण्डघट्टम् आयाति ततः अनेकक्षेत्राणि पावयन्ती इयं होशङ्गाबादनगरम् प्रविशति। अत्रत्यं सेठानीघाट’। इति स्थानम् प्रसिद्धम्। अस्मिन नगरे अस्याः तटे अनेके देवालयाः आश्रमाश्च सन्ति। अत्र भक्तैः कृताः प्रार्थनाः घण्टानादाश्च अहर्निशं श्रूयन्ते।।

Surbhi Sanskrit Book Class 8 Pdf Download MP Board  अनुवाद :
जबलपुर से ब्रह्माण्डघाट (बरमान घाट) आती है वहाँ से अनेक क्षेत्रों को पवित्र करती हुई यह होशंगाबाद नगर में। प्रवेश करती है। यहाँ का ‘सेठानीघाट’ स्थान प्रसिद्ध है। इस नगर। में इसके किनारे अनेक मन्दिर और आश्रम हैं। यहाँ भक्तों के द्व रा की गयी प्रार्थना और घण्टों का स्वर रात-दिन सुनाई देता है।

ततो वेगवती एषातरंगिणी ओङ्कारेश्वरनगरं स्पृशति। अत्र ममलेश्वरनामज्योतिर्लिङ्ग समाराधयन्ती ओंकार इव आकृति धारयति। अत्रैव आद्यशङ्कराचार्यस्य गुरोः गोविन्दपादाचार्यस्य पवित्रस्थानम् अप्यस्ति।

कक्षा 8 विषय संस्कृत MP Board अनुवाद :
वहाँ से वेग वाली यह नदी ओंकारेश्वर नगर को छूती है। यहाँ ममलेश्वर नामक ज्योतिर्लिंग की आराधना करती। हुई ओंकार के समान आकृति को धारण करती है। यहीं पर आदि शंकराचार्य के गुरु गोविन्दपाद् आचार्य का पवित्र स्थान भी है।

ततः मण्डनमिश्रेण मण्डितम् मण्डलेश्वरनगरमपि। एषा मण्डयति। मण्डलेश्वरनगरात् महाराजया अहिल्यया सेविते माहिष्मतीनगरे अस्याः अतिविस्तृतं रूपं दृश्यते। पश्चात् खलघाटेशूलपाणेश्वरादीनि स्थानानि सिञ्चन्ती सा गुर्जरप्रान्तस्य भृगुकच्छनगरसमीपे अरबसागरे विलीयते।।

अनुवाद :
वहाँ से मण्डनमिश्र से सुशोभित मण्डलेश्वर नगर को भी यह सुशोभित करती है। मण्डलेश्वर नगर से महारानी अहिल्या के द्वारा सेवित माहिष्मती (महेश्वर) नगर में इसका अति विस्तृत रूप दिखाई देता है। बाद में खलघाट शूलपाणेश्वर आदि स्थानों को सींचती हुई गुजरात प्रान्त के भरुच नगर के पास अरब सागर में विलीन हो जाती है।

नर्मदानद्यामेव बरगी-इन्दिरासागर-सरदारसरोवरदायः बहवः बन्धाः निर्मिताः सन्ति। यावन्तः बन्धाः नर्मदानद्यां सन्ति तावन्तः अन्यासु नदीषु न सन्ति। एभिः बन्धैः विधुदुत्पदानम्, भूमिसेचनम्, जलपरिवहनम्, अभयारण्यनिर्माणम्, पर्यटनस्थलनिर्माणम् इत्यादयो विविधलाभाः भवन्ति। एतेषाम् उपकराणां हेतुः एषा एव।

अनुवाद :
नर्मदा नदी पर ही बरगी, इन्दिरासागर, सरदार सरोवर आदि बहुत से बाँध निर्मित हैं। जितने बाँध नर्मदा नदी पर हैं उतने अन्य नदियों पर नहीं हैं। इन बाँधों से बिजली उत्पादन, भूमि का सींचना, जल परिवहन, अभयारण्य का निर्माण, पर्यटनस्थल का निर्माण इत्यादि विभिन्न लाभ होते हैं। इनके उपकारों के लिए यही है।

एषा नामस्मरणमात्रेण पापम् अपाकरोति। पुराणेषु अस्याः बहुविधमाहात्म्यम् प्रतिपादितम्। कालिदासेनापि मेघदूते अस्याः सौन्दर्यम् माहात्म्यं च वर्णितम्। धन्य एषा भूमिः यत्र रेवा राजते।

अनुवाद :
यह नाम के स्मरण मात्र से पाप को दूर करती है। पुराणों में इसकी बहु विध महिमा प्रतिपादित है। कालिदास ने भी मेघदूत में इसके सौन्दर्य और महिमा का वर्णन किया है। धन्य है यह भूमि जहाँ रेवा (नर्मदा) सुशोभित होती है।

नर्मदा शब्दार्थाः

सिद्धस्थलानि = सिद्धभूमि/तीर्थ। धूमधारः = धुंआधार। अत्रत्यम् = यहाँ का। ओंकार इव = ओंकार के समान। उत्तुङ्गम् = ऊँचा। ब्रह्माण्डघट: बरमान घाट का प्राचीन नाम। उच्चावचमार्गेण = ऊँचे-नीचे मार्गों से। सर्पाकारगत्या = वक्रगति से। माहिष्मतीनगरम् = महेश्वर नगर का प्राचीन नाम। महाराजपुरम् = मण्डला का प्राचीन नाम। भृगुकच्छनगरम् = भरूच नगर का प्राचीन नाम। प्राप्नोति = पहुँचती है। श्वेतशिलाखण्डानाम् = सङ्गमरमर की चट्टानों के।

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions

MP Board Class 7th Special English Solutions Chapter 1 My Land

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MP Board Class 7th Special English Solutions Chapter 1 My Land

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My Land Text Book Exercise

Listen and Repeat

Fresh and Fair
Dear and Rare
Rich and Rare
Waver Braver

Comprehension

Choose the correct option-
(i) What do you think the poem is about?
(a) country and country-men
(b) village
(c) town
Answer:
(a) country and country-men

(ii) By what name does the poet call his country?
(a) great land
(b) native land
(c) mother land
Answer:
(b) native land

(iii) What does the poet say about the men in the poem?
(a) coward
(b) lazy
(c) brave
Answer:
(c) brave

(iv) List the words which have been used by the poet in the poem for native land
Answer:
dear and rare, true and bold, rare and fair.

Word Power

A. Use the words given below in on complete sentence each:
dear, rare, divine, pine
Answer:
Priya Gupta in Hardik’s dear friend.
Honesty is a rare thing these days.
Truth is a divine virtue.
She pines for her lover.

B. Make new words adding ‘en’ at the beginning of the word as shown in the example:

  1. rich – enrich
  2. list
  3. circle
  4. able
  5. title
  6. sure

Answer:

  1. enrich
  2. enlist
  3. en-circle
  4. enable
  5. entitle
  6. ensure.

C. Find words from this words square:
Class 7 English Chapter 1 MP Board
Answer:

  1. Flower
  2. Fresh
  3. Earl
  4. Dear
  5. Hat
  6. Dry
  7. Yes
  8. Squirrel
  9. Sharp
  10. Land
  11. Date
  12. Too
  13. Lay
  14. Air

Let’s Talk

‘C’ can be pronounced as:
‘K’ as in cow ‘s’ as in cell
Read aloud and according to their pronunciation separate the following words and write them in proper columns (work in pairs)
attendance Cell, Sentence, Cow, Crane, Correct, Historical Place, Clear, Inspector
Answer:
Class 7 English Chapter 1 My Land Summary MP Board

Let’s Write

A. Match the sentences given at the end with the correct pictures and rearrange the sentences to make a story. Write the complete story in your notebook.
1. Then she found a pup.
2. She brought it home, bandaged its leg and gave it milk and food.
3. Later Sangita had to keep it tied because it chased the hens from the neighbour’s house.
4. It was hurt in one leg. It was crying a lot.
5. Once Sangita went for a walk in the morning. She saw many beautiful flowers and birds on the way.
6. The puppy barked at all the cats in the street.
7. The dog started living with her. It folllowed her every where.
Answer:
The Correct order of sentence is.
5, 1, 4, 2, 3, 6, 7.

Once Sangita went for a walk in the morning she saw many beautiful flowers and birds on the way. Then she found a pup. It was hurt in one leg. It was crying a lot. She brought it home, bandaged its leg and gave it milk and food. Later Sangita had to keep it tied because it chased the hens from the neighbour’s house. The puppy barked at all the cats in the street, The dog started living with her. It followed her everywhere.

Let’s Di It

A. Read different situations of city and village life given in the circle and enlist them accordingly.
Class 7 English Chapter 1 Mp Board
Answer:
My Land Poem Questions And Answers MP Board

My Land Word Meanings

Page: Rare – uncommon विरली, Native land – land of birth जन्म भूमि, Braver – bolder अधिक सुरवीर, Waver – shake हिलना, डोलना, Freely – willingly इच्छ से, Dull – tasteless स्वादरहित, Guard – protect रक्षा करना, Virtue – good qualities सदुगुणा, Reward – return for sevice पुरस्कार, Foe – enemy शत्रु, Border – boundary सीमा, Pine – to suffer कष्ट झेलना

My Land Stanzas for Comprehension

Read the extracts given below and answer the questions that follow each :
A. She is rich and rare land:
O, she a fresh and fair land:
She is a dear and rare land,
This native land of mine.

Class 7 English Chapter 1 My Land MP Board Question.
1. Complete the sentence: She is a rich and ……….
2. Complete the sentence: She is a fresh and ………
3. Complete the sentence: She is a dear and ……….
4. Give the meaning of native land.
Answer:
1. She is a rich and rare land.
2. She is a fresh and fair land.
3. She is a dear and rare land.
4. Native land means the land of one’s birth.

B. No men than hers are braver,
Her women’s hearts ne’er waver;
I’d freely die to save her,
And think my lot divine.

Mp Board Class 7th English Chapter 1 Question.
1. Which country’ people are the bravest?
2. How are the women’s hearts there?
3. What would the poet do to save his land?
4. Use the word ‘lot’ in a sentence.
Answer:
1. The people of the poet’s country are the bravest.
2. There the women’s hearts are not fickle.
3. The Poet would freely die to save his mother land.
4. Nobody knows what is in his lot.

C. She’s not a dull or cold land;
No! she’s a warm and bold land,
Oh! she’s a true and old land;
This native land of mine.

My Land Poem Class 7th MP Board Question.
1. Give the meaning of cold.
2. Give the meaning of warm.
3. Is the poet’t country dull or cold?
4. Complete the sentence: She is a true and ……….
Answer:
1. Cold here means heartless.
2. Warm here means full of kindly feelings.
3. The peot’t country is neither dull nor cold.
4. She is a true and old land.

D. Could beauty ever guard her,
And virtue still reward her,
No foe would cross her border,
No friend within it pine.

Class 7th English Chapter 1 My Land MP Board Question.
1. which are the two qualities of the poet’s land?
2. Would the foe ever cross her border?
3. Give the antonyms of : beauty, ever, friend, virtue, reward.
4. Use the word ‘within’ in your own sentence.
Answer:
1. Beauty and virtue are the two qualities of the poet’t land.
2. No, the foe would never cross her border.
3. Ugliness, never, foe, vice, punish.
4. I shall return within a week.

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 17 Money and Finance System

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 17 Money and Finance System

MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 Text book Exercises

Objective Type Questions

Mp Board Class 10th Social Science Chapter 17 Question 1.
Multiple Choice Questions
(Choose the correct answer from the following)

Chapter 17 Social Science Class 10 Question (i)
The primary function of money is –
(a) Medium of exchange
(b) Storage of value
(c) Standard of deferred payments
(d) All of above
Answer:
(a) Medium of exchange

Money And Financial System Class 10 Question (ii)
The Sahukars have an important role in –
(a) Industrial finance
(b) Finance for development
(c) Agricultural finance
(d) None of above
Answer:
(c) Agricultural finance

Class 10 Social Science Chapter 17 Question (iii)
The main function of Foreign Exchange Banks is –
(a) To accept deposits
(b) To lend money
(c) Exchange of money
(d) All of above
Answer:
(d) All of above

Mp Board Class 10th Social Science Solution In English Question 2.
Fill in the blanks:

  1. To satisfy the wants by exchanging one commodity with another commodity is called ………….. system.
  2. In a financial system the financial institutions provide ………….. to other needy persons by taking money on credit.
  3. The maximum number of members in a self help group is …………..
  4. The industrial banks provide short term and long term ………….. to industries.
  5. The saving banks collect the ………….. of public.

Answer:

  1. Barter
  2. Money
  3. Twenty
  4. Loan
  5. Money

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17 Very Short Answer Type Questions

Mp Board Solution Class 10 Social Science Question 1.
What was the main problem of Barter System?
Answer:
The main problem of barter system is:

  1. Fact of double coincidence
  2. Lack of divisibility
  3. Unnecessary wastage of time energy

Mp Board Solution Class 10th Social Science Question 2.
In which part of India is the ‘Chit Fund’ very popular?
Answer:
It is much popular in the villages of Southern India. There it runs in both the forms organised and unorganised. It is a sort of saving plan found in India. The members of these chit funds are made in a fixed number.

Mp Board Solution Class 10 Question 3.
What are the major difference between banks and non-banking institutions?
Answer:
Banks means Commercial banks which are scheduled under the provision of Reserve Bank of India while non-banking institutions work under private sector.

Mp Board Class 8 Social Science Solution Chapter 17 Question 4.
What is the term of loan given by Land Development Banks to farmers?
Answer:
Land Development Banks provide loan to the farmers as long term basis for the period of 15-20 years.

Mp Board Solution Class 10th Question 5.
What is the short name of the National Bank for Agricultural and Rural Development.
Answer:
NABARD.

10th Class Social 17th Lesson Question 6.
Which bank does the function of issuing notes in country?
Answer:
Reserve Bank of India.

Mp Board Solution.Com Class 10 Question 7.
In which state of the country the first mobile bank was established?
Answer:
Madhya Pradesh district Khargone.

Class 10th Mp Board Solution Question 8.
Is ICICI bank a public sector bank or private sector bank?
Answer:
ICICI is a bank of a private sector.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17 Short Answers Type Questions

Money And Credit Class 10 Pdf Question 1.
Which goods were used as money in ancient times?
Answer:
Metals, animals, foodgrains and cloths etc. were used as money is ancient times. These important goods are valuable to the business point of view either domestic or regional level.

Class 10th Mp Board Solution Social Science Question 2.
State the demerits of Sahukar system?
Answer:
The Sahukars play an important role in agricultural financing today. The Sahukars fulfil about 25 per cent requirements of agro financing. They also have a bad name apart from being popular. The main reason for this is their defective system of functioning in which

  1. High rate of interest.
  2. Advance interest.
  3. Manipulation in calerlation facts are included. Therefore the government has kept control over the Sahukars even then they have got an important role in rural areas.

Question 3.
Define money?
Answer:
According to Prof. Marshall, “Money includes all those commodities which in particular time or place undoubtedly can be accepted as consideration for goods and services as means of deferred payments.” According to Prof. Ely: “Money is that commodity which as a means of exchange can be freely transferred and ordinarily acceptable as a means of final payment of debts.”

Question 4.
What are commercial banks?
Answer:
The banks which arrange short – term loan for commercial purpose are called commercial banks. State Bank of India and its subsidiary banks are such types of banks.

Question 5.
What is meant by the finance system?
Answer:
People in their daily life need money to fulfil their daily requirements. Similarly, money is required for implementing different types of work related to industries, business and agriculture. To fulfil these requirements people, business man and farmers everyone has to take loan.

In the same way when we have income more than our need we need financing institutions to save that money safely and to earn profit from that Thus the financing institutions keeps our surplus income or saving as deposits and lend it, known as financing system. Thus the process of keeping balance between demand and supply of wealth or capital in the economy is called financing system.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17 Long Answer Type Questions

Question 1.
Write an article on the development of money?
Answer:
In ancient time the man too could not produce all the commodities of his requirement. Therefore, he started to exchange the goods produced by him with goods produced by other person. It is known as Barter System of exchange. This system of Barter prevailed for a long time. Several difficulties of Barter System arose with time. The major problem of this system was availability of such a person who could accept the commodity produced by a person and could make available the commodity required by him. So such goods were discovered which could be accepted by all.

In the beginning cow, goat, fish bones, skin of animals, ivory etc. were accepted as a unit of money. But this system also brought many difficulties with it. So this system inspired the use of metals. As a result the use of metal started in the form of coins, which solved many problems. The kings and emperors fixed the weight, size, colour and shape of the coin to keep check on forgery. These coins were certified by the government through stamping. Gold, silver, copper, etc. metals were extensively used as coins.

The difficulties of metallic currency arose with the time. As a result along with the development of banking system, paper, currency was also developed.Expansion of paper currency took place in various ways, such as written certificates, representative paper currency, convertible paper currency, inconvertible paper currency, etc. The development of credit money, in the form of cheque, hundi, drafts etc. took place with development of Central Bank and Commercial Bank. At present credit cards and A.T.M cards are prevailing in the form of plastic currency.

Question 2.
What are Self – Help Groups? What may be the objectives of its formation? (MP Board 2009)
Or
Write any four aims of Self – Help Groups. (MP Board 2009)
Answer:
Self – Help Group is a voluntary organisation of poor people. These groups are formed for the solutions of their problems by mutual co – operation. This group motivates it members for small savings. These savings are deposited in banks. The account of bank in which the amount is deposited is on name of the group. Generally the maximum number of members of a group is 20.

Generally the members of a group are those people who do not have any approach to the financial institutions such as bank etc. Therefore the group teaches its members that method of saving which is an appropriate method for satisfying their needs. The group makes small loans easily available to its members on lower rate of interest. These groups have played an important role in the field of empow¬ering women.

Objectives of the Formation of Self – Help Group:
Following may be the objective of formation of any Self – Help Groups:

  1. To develop the feeling of working together unitedly.
  2. To develop the habit of saving for better future among the members.
  3. To create the opportunity of self-employment by lending money to members.
  4. To develop the feeling of self-reliance in its members.
  5. To develop awareness towards the subjects like health, nutrition, education, domestic violence.
  6. To conduct welfare activities with the help of government, loans and other self – service institutions.

Question 3.
Which financial institutions are found in India? Explain.
Answer:
The following financial institutions are found in India:
Banks:
Under the financial institutions banks have special importance in the modern age. Generally banks are known as the institutions which deposit the money of people and lend money to the needy people. Today all the major economic activities are done by the means of banks. Along with the exchange of money, construction of credit is also a function of bank.

Bank such as State Bank of India, The Allahabad Bank, Canara Bank, Bank of India etc. are functioning under public sector in India.Several banks were established under private sector after the year 1991. For example, ICICI Bank, HDFC Bank, UTI Bank, Indus Bank etc. are the banks of private sector.

Insurance Companies:
Insurance is a system to provide security against the consequences of risks. Commodities, services and business activities are also insured along with human lives. Insurance companies invest the obtained amount of money in different productive works which leads to economic growth.

Sahukar (Indigeneous Banks):
Sahukar or Mahajan is that fellow who provides loan to his customers from time to time. Sahukars are two types:

  1. Farmers Sahukars or Zamindars.
  2. Commercial Sahukars:

Farmer Sahukars are those persons who mainly do farming but being rich they do the job of lending money as a secondary business. Commercial Sahukars are those whose chief business is only lending money.

Zamindars:
In the year 1793, Lord Cornwallis started this system in Bengal Zamindars were the big landlords. Their work was the collection of revenue from the farmers. They collected the revenue from the peasents and gave it to the government. Zamindars provided loan to the farmers whenever required to fulfil their needs. The rate of interest on loans provided by them to the farmers used tot .be very high. The conditions of loans provided by them were alfeo very strict.

Question 4.
What are the main types of banks? Write.
Answer:
Types of Banks are as follows:
Commercial Banks:
Commercial Banks are those type of banks which imafeke arrangements for short term loans for commercial purposes. These banks do some other banking functions also other than accepting the deposits of people and providing loans to them.

Industrial Banks:
The institutions which make arrangements of medium and long term loans for industries are called industrial banks. Apart from providing loans to the industries from themselves these banks also help them to seek capital from other resources.

Foreign Exchange Banks:
Institutions which exchange foreign currencies and make arrangements of foreign exchange for foreign trade are called Foreign Exchange Banks. These banks set up their branches in foreign countries, which make the exchange of foreign currencies simple and easy.

Agricultural Banks:
Agricultural system is different from trade and industries. Therefore its loan-related needs are different from trade and industries. This is the reason due to which agricultural banks have been established to fulfil the needs of farmers. Following L banks are fulfilling the requirement of agricultural finances:

  1. Agricultural Cooperative Banks.
  2. Land Development Banks.
  3. Regional Rural Banks.

National Bank for Agriculture and Rural Development:
National Bank for Agriculture and Rural Development was established on 12th July, 1982 for the purpose of making the loans available for development of agriculture. Briefly is called NABARD. It functions as the apex bank in the structure of credit in the rural areas.

Central Bank:
The central bank is the supreme institution of the banking system of any country. It has no direct relation with the people. The minting of the currency of the country is done by this bank only. It is the banker of the government. It maintains the record of all types of accounts of the government and whenever needed provides loan to the government also. It is ‘Bank of the Banks’.

International Bank:
Those banks are included in international banks, which have been established to solve the international economic problems and to provide economic help to their member countries. In this direction two institutions namely World Bank and International Monetary Fund were set up in 1945.

Question 5.
Describe the main functions of money?
Or
Write the main functions of Money (MP Board 2009)
Or
What is Money? Write its main functions? (MP Board 2009)
Answer:
The money performs several functions in the economy. The main functions of money are as follows:

1. Medium of Exchange:
The goods and services are brought and sold through money. The producer gets money by selling his commodity and then he
purchases his required goods through this obtained money.

2. Measure of Value:
At present value of every commodity and service is measured by money. Prices of all commodities and services in the market are expressed in terms of money only. It is an important function of money.

3. Transfer of Purchasing Power:
Money can be transported from one place to another. In the state of purchasing commodities from another place, the payment of its price can be done through money or bank draft, cheque, money order etc. Rupees can be transferred easily from one place to another through banks.

4. Store of Purchasing Power:
According to his nature, man saves money to deal with major crisis. Now saving for future through medium of money has become, very easy. Storing of purchase power by depositing money in banks or post offices has become very common now.

Along with this the process of lending and taking loans has become very easy now. A consumer obtains maximum satisfaction and a producer increase the quantity of his product through money only. In brief, money does several important functions in human life.

Question 6.
Discuss about the institutions which provide loan to agriculture?
Answer:
The institutions which provide loan facility to agriculture are as follows:

1. Agricultural Cooperative Banks:
This bank provides the facility of short-term loans to farmers at low rate of interest. In India the cooperative banks have three-tier structure. At the lowest village level are the Primary cooperative societies. Above these societies are district Central Cooperative banks which provide loans to these societies on demand.

Above these Central Banks are State Cooperative Banks. The State Cooperative Bank meet the loan requirements of District Central Cooperative Banks. Whenever State Cooperative Banks, need loans then National Agricultural Rural Development Bank which is also called NABARD helps them.

2. Land Development Bank:
Land Development Banks provide long term loans to farmers. These banks provide loans for a period of 15 – 20 years at a low rate of interest for land reform, for digging wells and tube wells, to purchase agricultural equipments, tractors etc. As these banks provide loans on the security of land so these banks are advantageous for the big farmers.

3. Regional Rural Banks:
The Regional rural banks were set up in 1975. These banks were set up with the main objective of providing banking facilities to the people of distant rural areas. These banks provide loans to small and marginal farmers, agricultural labourers, rural artisans, small entrepreneurs. On 30th June, 2005, 14,484 branches of regional rural banks were running in the country.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 Additional Important Questions

Objective Type Questions

Question 1.
Multiple Choice Questions:
(Choose the correct answer from the following)

Question (i)
In latin Language money was known of – (MP board, 2012)
(a) Moneta
(b) Goddess Juno
(c) Pecunia
(d) Pecus
Answer:
(a) Moneta

Question (ii)
ATM means
(a) All Time Money
(b) Any Time Money
(c) Altogether Time of Money
(d) Automatic Teller Machohe
Answer:
(b) Any Time Money

Question (iii)
Which of the following institutions is the open body at various finance institution.
(a) SBI
(b) RBI
(c) NABARD
(d) CBI
Answer:
(c) NABARD

Question (iv)
Which of the following bank is called the Bank of Banks?
(a) Central Bank of India
(b) State Bank of India
(c) Reserve Bank of India
(d) Bank of Baroda
Answer:
(c) Reserve Bank of India

Question 2.
Fill in the blanks:

  1. There are ……………. banks were nationalised in 1969.
  2. The head of Rural Bank of Bangladesh is …………….
  3. ……………. are the backbone of Bangladesh’s Rural Bank.
  4. ATM has made the banking function very …………….

Answer:

  1. 14
  2. Mohammad Yunus
  3. Self Help Groups
  4. Convenient

Question 3.
True and False type questions:

  1. Mahajans were the indigenous source of rural areas in ancient India.
  2. Thfe Central Bank of India is Reserve Bank of India.
  3. The second time nationalisation of banks in India was completed in the year of 1991.
  4. The mobile bank running in M.P. is called Laxmi Vahini.

Answer:

  1. True
  2. True
  3. False
  4. True

Question 4.
Match the Column:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 17 Money and Finance System img 1

Answer:

1. (b)
2. (d)
3. (c)
4. (a)

Answer in One – Two Words or One Sentence

Question 1.
Name the four important functions of money?
Answer:
Money is a matter of function for a medium, a measure, a standard and a store.

Question 2.
Mention the kinds of metallic money?
Answer:
Metallic money is classified as:

  1. Standard money
  2. Token money

Question 3.
Which system is adopted in the Indian economy?
Answer:
Barter System

Question 4.
Write the full form of ATM?
Answer:
Any Time Money

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17  Very Short Answers Type Questions

Question 1.
What is ATM?
Answer:
A.T.M. (Any Time Money):
As it is clear by its name, A.T.M. is a system in which money can be withdrawn at any time. The A.T.M. is made of plastic and consists of a metal chip, on which all the details related to bank accounts are entered. A.T.M. has made the banking function very easy and convenient.

Question 2.
What do you mean by Laxmi Vahini?
Answer:
A mobile bank has been set up in the district of Khargone of Madhya Pradesh. This institution named ’Laxmi Vahini’ functions mobiling in a van. The capital of this institution is Rs. One crore and it provides various types of banking facilities available to villages by going from village – to – village.

Question 3.
Name the metallic money?
Answer:
Consumption goods, such as grocery, salts, fish, animals, capital goods and jwellery and gems such as shells, valuable metal are known as metallic money.

Question 4.
What do you mean by NABARD?
Answer:
The full name of NABARD is National Bank for Agriculture and Rural Development. This institution fulfils the loans given by the Land Development Banks, Cooperative Banks and Commercial Banks, etc. for tire development of agriculture and rural areas. It is supreme institution related to rural and agricultural credits.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17 Short Answers Type Questions

Question 1.
Discuss briefly the Rural Bank of Bangladesh.
Answer:
A solid process of rural bank have been developed in Bangladesh through Self-help Groups. There are 60 lakh people under debt in these banks who are spread in 40,000 villages of Bangladesh. This programme was started by Mohammad Yunus in 1970. These rural banks have significantly contributed for the fulfilment of loan related needs of poors. Mohammed Yunus was honoured Nobel Prize in 2006 for the same work.

Question 2.
What are the secondary functions of money?
Answer:
The secondary functions of money are as under:

1. Basis for deferred payment:
Money has made it possible and convinent that the payment of dues can be made of a later date in future.

2. Store of exchange value:
After the introduction of money it has been very convinent to accumulate income and wealth to meet future requirements.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17 Long Answer Type Questions

Question 1.
What is paper money? Give its kinds.
Answer:
Paper money or currency notes, printed on paper are issued by the government and legally acceptable within the country. It has the face value only and accepted at the printed face value
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 17 Money and Finance System img 2
1. Representative Paper Money:
This paper money represents cent percent gold, silver and standard coins kept in reserve against their issue.

2. Convertible Paper Money:
Under this issue of notes the government promises to pay on demand the face value of notes in terms of real value i.e. gold silver and standard coins. Generally proportionate reserve is maintained on issue of convertible paper money in the form of gold silver and government documents. In India notes worth Rs. 2, 5, 10, 20, 50, 100 and Rs. 500 are convertible paper money. It is issued by Reserve Bank of India.

3. Inconvertible Paper Money:
The government does not promise to repay back the face value in metallic terms of real/value. In our country one rupee note is non – convertible paper money. It is issued by Secretary, Ministry of Finance.

4. Fiat Money:
It is also known as emergency money issued by the government to meet the emergency requirement of funds. Behind this issue metallic reserve is not kept.

Question 2.
Explain various methods of extending loan by banks?
Answer:
The bank adopts the following methods for advancing loans:
1. Granting Loans:
The main function of the bank is to lend money at rates higher titan the rate of deposit. The excess interest earned by the bank is its profit. These loans are granted on the security and surety.

2. By Allowing an Overdraft:
Customers having current account in the bank are provided the facility to draw from the bank more than their deposit as per arrangement with the bank only reputed and trustworthy customers are granted this facility. The bank charges interest on overdraft.

3. Cash Credit:
Under this method the borrower opens on account with the bank. The bank sanctions the loan and credits the amount in borrower’s name. He withdraws money as and when required. After the period of loan in over the borrower returns the money with interest. This is the method of granting loans.

4. Discounting Bills:
The bank advances loans on the security of bills and hundies, the practice is known as discounting of the bill. The bank charge interest for the period between the discounting of the bill to the due date of the bill. This is the safest method of advancing loan because the bill bears the security of both the drawee and drawer.

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 1 प्रबंध-प्रकृति एवं महत्व

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 1 प्रबंध-प्रकृति एवं महत्व

प्रबंध-प्रकृति एवं महत्व Important Questions

प्रबंध-प्रकृति एवं महत्व वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रबंध की प्रकृति एवं महत्व MP Board Class 12th प्रश्न 1.
एक शब्द या वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. प्रबंध के कितने आधारभूत तत्व हैं ?
  2. प्रबंध की आवश्यकता किन-किन क्षेत्रों में होती है ?
  3. प्रबंध के तीन स्तर कौन से हैं ?
  4. प्रबंध का कौन-सा कार्य प्रबंध का आधारभूत (प्राथमिक) कार्य माना जाता है ?
  5. प्रबंध के उस स्तर का नाम लिखिए जिनमें कर्मचारियों के कार्यों को देखना शामिल है।
  6. यदि पिता प्रबंधक है और उसका पुत्र भी प्रबंधक है तो ऐसी प्रतिभा को क्या कहेंगे?
  7. व्यवस्थित ज्ञान को क्या कहते हैं ?
  8. दूसरों से कार्य कराने की कला किसे कहते हैं ?
  9. प्रबंध की सम्पूर्ण क्रियाएँ किससे संबंधित हैं ?
  10. पेशे के अन्तर्गत सदस्यों के व्यवहारों के मार्गदर्शन व नियंत्रण हेतु जो दिशा-निर्देश दिये जाते हैं,उसे क्या कहते हैं?
  11. नीतियाँ निर्धारित करना प्रबंध के किस स्तर का कार्य है ?
  12. समन्वय की आवश्यकता प्रबंध के किस स्तर पर होती है ?
  13. व्यक्तिगत कौशल के प्रयोग द्वारा वांछित परिणाम प्राप्त करना क्या कहलाता है ?
  14. प्रशिक्षण व अनुभव द्वारा प्राप्त ज्ञान का सामाजिक हित हेतु प्रयोग करना क्या कहलाता है ?
  15. क्या प्रबंध में कला की सभी विशेषताएँ विद्यमान हैं ?

उत्तर:

  1. पाँच
  2. सभी क्षेत्रों में
  3. प्रबंध के तीन स्तर होते हैं-(अ) उच्च स्तर, (ब) मध्य स्तर तथा (स) निम्न स्तर
  4. नियोजन
  5. पर्यवेक्षकीय स्तर/निम्न स्तर
  6. जन्मजात प्रतिभा
  7. विज्ञान
  8. प्रबंध
  9. मनुष्य से
  10. आचार संहिता
  11. उच्च स्तरीय प्रबंध का
  12. सभी तीनों स्तर पर
  13. कला
  14. पेशा
  15. हाँ, प्रबंध में कला की सभी विशेषताएँ विद्यमान हैं।

प्रबंध-प्रकृति एवं महत्व अति लघु उत्तरीय प्रश्न

Prabandh Ke Sahayak Karya MP Board Class 12th प्रश्न 1
प्रबंध क्या है ?
उत्तर:
प्रबंध सर्वश्रेष्ठ तरीके से काम को करवाने की एक कला है।

प्रबंध के स्तर समझाइए MP Board Class 12th प्रश्न 2.
प्रबंध का व्यवसाय में क्या महत्व है ?
उत्तर:
प्रबंध का व्यवसाय में वही महत्व है जो मनुष्य के शरीर में मस्तिष्क का होता है।

प्रबंध की प्रकृति एवं महत्व In English MP Board Class 12th प्रश्न 3.
शीर्ष स्तरीय प्रबंध में कौन-कौन से अधिकारी शामिल हैं ?
उत्तर:
शीर्ष स्तरीय प्रबंध में निम्न अधिकारी शामिल होते हैं

  1. संचालक मण्डल
  2. प्रबंध संचालक
  3. मुख्य प्रबंधक।

प्रबंध की विशेषताएं लिखिए MP Board Class 12th प्रश्न 4.
प्रबंध के पाँच एम से क्या आशय है ?
उत्तर:

  • प्रबंध के पाँच एम हैं-मानव (Men)
  • माल (Material)
  • मशीन (Machine)
  • मुद्रा (Money)
  • तथा विधि (Method)

यह प्रबंध के आधारभूत तत्व कहलाते हैं।

Prabandh Ki Visheshtaen MP Board Class 12th प्रश्न 5.
यह क्यों कहा जाता है कि प्रबंध सर्वव्यापक है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
क्योंकि प्रबंध की आवश्यकता सभी क्षेत्रों में है जैसे-व्यावसायिक, गैर-व्यावसायिक, राजनैतिक, सामाजिक क्षेत्र आदि।

प्रश्न 6.
प्रबंध के पहले और अंतिम कार्य को लिखिए।
उत्तर:
नियोजन प्रबंध का प्रथम कार्य और नियंत्रण प्रबंध का अंतिम कार्य है।

प्रश्न 7.
प्रबंध का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
प्रबंध से आशय दूसरों से कार्य कराने की कला से है। प्रबंध के अन्तर्गत इस बात को शामिल किया जाता है कि उपक्रम में कर्मचारियों द्वारा अच्छे से अच्छा कार्य कैसे कराया जाये ताकि न्यूनतम समय में न्यूनतम लागत पर अधिकतम लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

प्रबंध-प्रकृति एवं महत्व लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रबंध को बहुरूपीय अवधारणा क्यों माना गया है ?
उत्तर:
प्रबंध को बहुआयामी अवधारणा इसलिए माना जाता है क्योंकि इसमें बहुत-सी क्रियायें शामिल होती हैं। उनमें से तीन मुख्य क्रियायें निम्नलिखित हैं

  1. कार्य का प्रबंध- उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कार्य का प्रबंध करना।
  2. लोगों का प्रबंध- कर्मचारियों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की देखभाल करना, व्यक्तियों के समूहों की देखभाल करना आदि।
  3. प्रचालन का प्रबंध- आगतों का क्रय करना तथा उन्हें अर्द्ध निर्मित वस्तुओं में बदलना।

प्रश्न 2.
प्रबंध की किन्हीं तीन विशेषताओं को समझाइये।
उत्तर:
प्रबंध की विशेषताएँ
1. प्रबंध के सिद्धान्त गतिशील हैं – प्रबंध अपने समक्ष नित्य प्रति उपस्थित समस्याओं का सूक्ष्म विश्लेषण करता है और तद्नुसार गंभीर निर्णय लेकर उसे कार्यान्वित करता है। प्रबंध सामाजिक परिवर्तन के साथ – साथ प्रबंध तकनीक में नवीनता लाने का प्रयास करता है। इससे स्पष्ट है कि प्रबंध सामाजिक परिवर्तन को अधिक गतिशीलता प्रदान करता है।

2. प्रबंध एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है – प्रबंध में नियोजन, क्रियान्वयन, नियंत्रण, समन्वय, अभिप्रेरण, निर्देशन इत्यादि सम्मिलित हैं, जिनकी सहायता से पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हो सकती है।

3. प्रबंध का निश्चित उद्देश्य होता है – प्रत्येक प्रबंधकीय प्रक्रिया का विशिष्ट उद्देश्य होता है, जिसका निर्धारण प्रशासन द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 3.
प्रबंध के सहायक कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रबंध के सहायक कार्य निम्नलिखित हैं
1. नवप्रवर्तन-सामान्यतः नवप्रवर्तन या नवाचार का आशय उत्पादन के लिए नई डिजाइन, एक नवीन . उत्पादन विधि या नवीन विपणन तकनीक से है। नवप्रवर्तन प्रबंध का महत्वपूर्ण सहायक कार्य है। इस हेतु बड़ेबड़े व्यापार गृह शोध एवं विकास विभाग की पृथक से स्थापना करते हैं।

2. संप्रेषण-संदेशवाहन या संचार व्यवस्था अथवा संप्रेषण का अभिप्राय दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य विचारों व तथ्यों के आदान-प्रदान से है। संप्रेषण के माध्यम से प्रबंधक संस्था के लक्ष्यों, उद्देश्यों, नीतियों, आदेशों, कार्यक्रमों के बारे में कर्मचारियों को अवगत कराता है। यह प्रबंध का आधुनिक कार्य है।

3. निर्णयन-संस्था या उपक्रम की क्रियाओं में प्रवर्तन से लेकर समापन तक की सभी अवस्थाओं में निर्णय लेने पड़ते हैं। निर्णयन एक बौद्धिक प्रक्रिया है, जिसमें सर्वश्रेष्ठ विकल्प का चयन किया जाता है। यह प्रबंध का महत्वपूर्ण सहायक कार्य है।

प्रश्न 4.
उच्चस्तरीय प्रबंध के कार्य लिखिए।
उत्तर:
उच्चस्तरीय प्रबंध के निम्न कार्य होते हैं –

  1. उपक्रम के उद्देश्यों को निर्धारित करना।
  2. संस्था के ट्रस्टी के रूप में उसकी रक्षा करना।
  3. मुख्य अधिशासी का चयन करना।
  4. संस्था की उपलब्धियों व परिणामों की जाँच करना।
  5. बजट को पारित करना।
  6. आय का उचित वितरण करना ।
  7. महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श करना।
  8. व्यवसाय के दीर्घकालीन स्थायित्व के लिए प्रयास करना।

प्रश्न 5.
मध्यस्तरीय प्रबंध के कार्य लिखिये।
उत्तर:
मध्यस्तरीय प्रबन्ध के कार्य निम्न हैं –

  1. मुख्य अधिशासी की क्रियाओं में सहायता प्रदान करना।
  2. संचालनात्मक निर्णयों में सहयोग करना।
  3. प्रतिदिन के परिणामों से सम्पर्क बनाये रखना ।
  4. उत्पादन की उपलब्धियों की समीक्षा करना।
  5. उच्चस्तरीय प्रबन्ध द्वारा तय की गई सीमाओं के मध्य निर्धारित नीतियों का क्रियान्वयन करना ।
  6. अधीनस्थों के कार्यों का मूल्यांकन।
  7. उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु योजनायें तैयार करना ।
  8. उच्च व निम्न स्तर के मध्य उचित समन्वय व संप्रेषण का कार्य करना।

प्रश्न 6.
निम्नस्तरीय प्रबंध के कार्य लिखिए।
उत्तर:
निम्नस्तरीय प्रबंध के निम्न कार्य होते हैं –

  1. संस्था के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की पूर्ति हेतु योजनायें बनाना।
  2. कर्मचारियों को कार्य सौंपना।
  3. प्रति घण्टा कार्य एवं परिणामों पर निगरानी रखना ।
  4. त्रुटि के स्रोत स्थल पर निगाहें रखकर उचित कदम उठाना।
  5. उत्पादन कर्मचारियों से व्यक्तिगत सम्बन्ध बनाये रखना।
  6. आवश्यकतानुसार कर्मचारियों से सम्पर्क बनाये रखना।
  7. कर्मचारियों के कार्यों का मूल्यांकन करना।
  8. कर्मचारियों के हितों, सुविधाओं का ध्यान रखकर मध्यम प्रबन्धकों को उचित सूचना देना।

प्रश्न 7.
प्रबंध के उद्देश्यों को संक्षेप में समझाइये।
उत्तर:
एक प्रभावी प्रबंध के उद्देश्य निम्नलिखित होते हैं –

1. न्यूनतम प्रयासों से अधिकतम परिणाम प्राप्त करना – प्रमुखतः यह व्यापार के उद्देश्यों पर आधारित होता है जिसमें यह प्रयास किया जाता है कि कम-से-कम प्रयास, लागत व समय में अधिक-सेअधिक परिणाम प्राप्त किये जा सके अर्थात् उपलब्ध मानवीय एवं भौतिक संसाधनों के प्रयोग से अच्छे-सेअच्छे परिणामों को प्राप्त करना ही प्रबंध का प्रमुख लक्ष्य होता है।

2. नियोक्ता एवं कर्मचारी का विकास करना- एक अच्छा प्रबंध नियोक्ता एवं कर्मचारी दोनों का विकास करता है क्योंकि दोनों ही समाज के अंग होते हैं।

3. श्रम व पूँजी में समन्वय बनाये रखना- किसी भी उपक्रम में दो प्रमुख वर्ग होते हैं, प्रबंध का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य श्रम व पूँजी में सामंजस्य बनाये रखना है।

प्रश्न 8.
समन्वय और सहयोग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समन्वय और सहयोग में अन्तर –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 1 प्रबंध-प्रकृति एवं महत्व image - 1

प्रश्न 9.
प्रबंध, प्रशासन तथा संगठन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्रशासन एवं प्रबंध में कोई तीन अंतर अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रबंध, प्रशासन तथा संगठन में अन्तर –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 1 प्रबंध-प्रकृति एवं महत्व image - 2

प्रश्न 10.
प्रबंध और संगठन में कोई तीन अंतर बताइये।
उत्तर:
प्रबंध और संगठन में अन्तर –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 1 प्रबंध-प्रकृति एवं महत्व image - 3

प्रश्न 11.
“प्रबंध को जन्मजात एवं अर्जित प्रतिभा कहा गया है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रबंध एक जन्मजात एवं अर्जित प्रतिभा है – प्रबंधक जन्मजात होते हैं इसका आशय यही है कि प्रबंधक मनुष्य के पारिवारिक गुणों से बनते हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि कुछ व्यक्ति जन्म से ही योग्य, चतुर तथा अनुभवी होते हैं और वे दूसरों पर नियंत्रण तथा नेतृत्व अच्छी तरह से कर सकते हैं। जिस प्रकार एक गायक का गला, नर्तकी के पैर ईश्वर की देन होते हैं उसी प्रकार एक प्रबंधक की प्रबंध शैली ईश्वर की देन है। आज प्रबंध की नई-नई तकनीक विकसित हो गई है।

प्रबंधक तैयार करने हेतु विभिन्न विश्वविद्यालयों, राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक संस्थान प्रारम्भ किये जा चुके हैं । आज एक ऐसा व्यक्ति भी श्रेष्ठ प्रबंध कार्य सम्पन्न कर सकता है जिसे प्रबंध का गुण जन्मजात न मिला हो। अतः प्रबंध एक जन्मजात प्रतिभा भी है और साथ-साथ अर्जित प्रतिभा भी।

प्रश्न 12.
प्रबंध को बहुआयामी अवधारणा क्यों माना गया है ?
उत्तर:
प्रबंध के अंतर्गत बहुत-सी क्रियायें शामिल होती हैं इसलिए इसे बहुआयामी अवधारणा माना गया है। कुछ प्रमुख क्रियाएँ निम्नलिखित हैं

  1. कार्य का प्रबंध-इसके अंतर्गत उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कार्यों का प्रबंध करना होता है।
  2. लोगों का प्रबंध-इस क्रिया में कर्मचारियों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की देखभाल करना तथा व्यक्तियों के समूहों की देखभाल की जाती है।
  3. प्रचालन का प्रबंध-इसके अंतर्गत आगतों का क्रय करना तथा उन्हें अर्द्ध-निर्मित वस्तुओं में बदलना आता है।

प्रश्न 13.
“प्रबंध सभी स्तरों में आवश्यक है।” स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
संगठन किसी भी स्तर का क्यों न हो उसमें प्रबन्ध का अस्तित्व अवश्य रहता है। सामान्यतः प्रबन्ध के तीन स्तर होते हैं उच्च, मध्यम व निम्नस्तरीय प्रबन्ध । उच्च स्तर पर संचालक मंडल एवं जनरल मैनेजर प्रबन्धकीय कार्य देखते हैं, जबकि मध्यम स्तर पर विभिन्न विभागों के विभाग प्रमुख प्रबन्ध का कार्य करते हैं। निम्न स्तर पर निर्णयों की अपेक्षा पर्यवेक्षण सम्बन्धी कार्य अधिक किये जाते हैं। इस प्रकार संगठन के सभी स्तरों पर प्रबन्ध आवश्यक है।

प्रश्न 14.
प्रबंध के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रबंध के निम्नलिखित तीन स्तर हैं –

1. उच्चस्तरीय प्रबंध-किसी उपक्रम के प्रबंध स्तरों में उच्चस्तरीय प्रबंध का स्थान सर्वोपरि होता है। एक वृहत् आकार के उपक्रम के उद्देश्य व नीतियों को सामान्यतः संचालक मण्डल द्वारा निर्धारित किया जाता है। संचालक मण्डल के कार्यों का वास्तविक निष्पादन प्रबंध संचालक या महाप्रबंधक करते हैं, जिसे मुख्य अधिशासी कहते हैं। मुख्य अधिशासी का प्रमुख कार्य संचालक मण्डल द्वारा जारी निर्देशों, नीतियों को जारी करना और उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु आवश्यक क्रियायें करना होता है।

2. मध्यस्तरीय प्रबंध-1940 के दशक में मेरी कुशिंग नाइल्स ने मध्यस्तरीय प्रबंध की विचारधारा को विकसित किया था। इस स्तर में विभागीय प्रबंधक जैसे-उत्पादन प्रबंधक, विपणन प्रबंधक, वित्त प्रबंधक, कर्मचारी तथा इनके समीपस्थ नीचे के अधिकारी जिनमें अधीक्षक, उपाध्यक्ष आदि को शामिल किया जाता है।

3.पर्यवेक्षणीय या निम्न स्तर प्रबंध-प्रबंधकीय स्तरों में पर्यवेक्षणीय प्रबंध निम्न स्तर का होता है। इसलिए इसे प्रथम पंक्ति का प्रबंध भी कहा जाता है। इस स्तर पर मुख्यतः फोरमैन, पर्यवेक्षक या कार्यालय पर्यवेक्षकों को शामिल किया जाता है। इस स्तर के प्रबंधकों का मुख्य कार्य यह देखना होता है कि उनके अधीनस्थ कर्मचारियों ने कार्य ठीक ढंग से किया है या नहीं। इस स्तर के प्रबंधकों का कार्य कर्मचारियों की नीतियाँ स्पष्ट करना, आवश्यक स्तर या प्रमाप निर्धारित करना, अनुदेश देना, मार्ग प्रशस्त करना, अभिप्रेरणा देना आदि है।

प्रश्न 15.
मध्यम स्तरीय प्रबंध क्या है ? इसके प्रमुख कर्त्तव्य बताइए।
उत्तर:
1940 के दशक में “मेरी कुशिंग नाइल्स” ने मध्यस्तरीय प्रबंध की विचारधारा को विकसित किया था। इस स्तर में विभागीय प्रबंधक जैसे- उत्पादन प्रबंधक, विपणन प्रबंधक, वित्त प्रबंधक, कर्मचारी तथा इनके समीपस्थ नीचे के अधिकारी, उपाध्यक्ष आदि को शामिल किया जाता है। “मेरी कुशिंग नाइल्स” के अनुसार- “उच्च स्तर एवं निम्न स्तर के मध्य के अधिकारी ही मध्य स्तरीय प्रबंध में शामिल किए जाते हैं।”

“फिफनर एवं शेरवुड” के अनुसार- “मध्य स्तरीय प्रबंध में क्रय प्रतिनिधियों, एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने वाले विभागों, प्रमुख कार्यालय प्रबंधकों, उत्पादन प्रबंधकों और विभागीय संग्रहकर्ताओं को शामिल किया जाता है।”

मध्य स्तरीय प्रबंध के कार्य / कर्त्तव्य –

  1. मुख्य अधिशासी की क्रियाओं में सहयोग प्रदान करना।
  2. संचालनात्मक निर्णयों में सहयोग करना।।
  3. प्रतिदिन के परिणामों में सहयोग के साथ संपर्क बनाये रखना।
  4. उत्पादन की उपलब्धियों की समीक्षा करना।
  5. समय-समय पर कर्मचारियों का मूल्यांकन करना।

प्रश्न 16.
प्रबंध के सामाजिक उत्तरदायित्व को समझाइये।
उत्तर:
प्रबंध के छः सामाजिक उत्तरदायित्व निम्न हैं –

  1. उपभोक्ता के प्रति-उपभोक्ताओं को पर्याप्त मात्रा में श्रेष्ठ कोटि एवं सस्ती वस्तुएँ व सेवाएँ उचित समय पर उपलब्ध करानी चाहिए।
  2. सरकार के प्रति-सरकार द्वारा प्रतिपादित नीतियों, नियमों व कानून का पूर्णरूप से पालन करना, करों का पूर्ण भुगतान करना।
  3. पर्यावरण के क्षेत्र-विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को रोकने हेतु उचित उपाय करना, वृक्षारोपण करना व सरकार द्वारा चलाये जा रहे पर्यावरण योजनाओं में सहयोग प्रदान करना।

प्रश्न 17.
प्रबंध प्रक्रिया है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रबंध प्रक्रिया के रूप में- प्रक्रिया से अभिप्राय चरणों की श्रृंखला से है। एक प्रक्रिया के रूप में प्रबंध का अर्थ परस्पर संबंधित कार्यों की एक श्रृंखला से है ताकि मानवीय तथा अन्य संसाधनों के प्रभावपूर्ण उपयोग द्वारा संस्था के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके। इस प्रक्रिया में नियोजन, संगठन, नियुक्तिकरण, निर्देशन तथा नियंत्रण कार्य शामिल है। प्रबंध को एक प्रक्रिया इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें कार्यों की एक क्रमबद्ध श्रृंखला होती है जो निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करने में योगदान देती है।

प्रश्न 18.
समन्वय में आने वाली कठिनाइयाँ एवं उनका समाधान बताइए।
उत्तर:
समन्वय में आने वाली कठिनाइयाँ एवं उनके समाधान निम्नलिखित हैं –

1. संस्थागत एवं व्यक्तिगत उद्देश्यों में भिन्नता (Difference in organisational and individual objectives)—यह तो निर्विवाद सत्य है कि संस्था एवं उसमें काम करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्य भिन्न होंगे क्योंकि संस्था चाहेगी कि उसको अधिकतम लाभ मिले जबकि कर्मचारी वर्ग चाहेगा कि उनको अधिकतम वेतन मिले। यदि कर्मचारी वर्ग ईमानदारी व सत्यनिष्ठा से काम करे तो दोनों के उद्देश्य एक ही समय में पूरे हो सकते हैं और समन्वय स्थापित करने में कठिनाई भी नहीं आएगी।

इसके विपरीत यदि कर्मचारी वर्ग केवल अपने उद्देश्यों की ओर ही ध्यान देता है तो उनका ऐसा व्यवहार समन्वय के मार्ग में बाधा उत्पन्न करेगा। संस्थागत एवं व्यक्तिगत उद्देश्यों में अंतर को समाप्त करने के लिए संस्था के प्रत्येक व्यक्ति को यह देखना होगा कि संस्था के उद्देश्य में उसका क्या योगदान है।

2. विभिन्न व्यक्तियों के उद्देश्यों में भिन्नता (Difference in individual objectives)-संस्था में कार्यरत विभिन्न व्यक्तियों के उद्देश्य भिन्न हो सकते हैं जिसके कारण सभी की कार्यप्रणाली में भिन्नता आ जाती है और अंततः समन्वय में इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए सभी उद्देश्यों को ध्यान में रखकर समान उद्देश्य निश्चित कर लेने चाहिए और उन्हें प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।

3. कार्य प्रगति मूल्यांकन के प्रमापों में भिन्नता (Problem in the measurement and evaluation of work progress) -विभिन्न विभागों में एक जैसे कार्य की प्रगति मूल्यांकन के प्रमाप भिन्न हो सकते हैं। संस्था का ऐसा व्यवहार कर्मचारियों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न करता है जिसका समन्वय पर विपरीत प्रभाव पड़ता इस समस्या से निपटने के लिए उच्च प्रबंधक को चाहिए कि एक जैसा काम करने वाले सभी कर्मचारियों की प्रगति का मूल्यांकन करने के प्रमाप समान रखे ताकि वे संस्था के प्रति अधिक निष्ठावान रहें।

4. जटिल संगठनात्मक ढाँचा (Complex organisational structure)- कई बार देखा जाता है कि संस्था का संगठनात्मक ढाँचा अस्पष्ट होता है अर्थात् यह स्पष्ट नहीं होता कि कौन किसका अधिकारी है और कौन अधीनस्थ । कई बार कर्मचारियों के अधिकार एवं दायित्व भी स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किये जाते। ऐसी स्थिति में समन्वय में बाधा आती है।

इस समस्या के समाधान के लिए उच्च प्रबंधक को चाहिए कि स्पष्ट एवं सरल संगठनात्मक ढाँचा तैयार करें।

प्रश्न 19.
एक भूमंडलीय प्रबंधक के सामने कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक भूमंडलीय (global) प्रबंधक के सामने निम्न प्रकार की चुनौतियाँ आती हैं देश में प्रबंधक के रूप में (In the form of Manager)-एक भूमंडलीय प्रबंधक के स्थानीय कार्यालय अथवा व्यवसाय में साझीदार के रूप में अपने देश की विधिक एवं व्यावसायिक उपस्थिति की स्थापना करनी होती है। वह ग्राहक, वकील एवं अप्रवासी अधिकारियों सहित विधिक इकाई के साथ संपर्क साधता है एवं उनसे सौदेबाजी करता है क्योंकि सेवाओं में यू.एस.ए. यूरोप में कार्य करने के लिए भारत में तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है।

वह भर्ती की सेवाएं प्रदान करने वाली स्थानीय कंपनियों से भी बातचीत करता है। वह एक और अहम् भूमिका निभाता है। वह बाह्यस्रोतीकरण (outsourcing) एवं वैश्विक सुपुर्दगी के कारण विपरीत सांस्कृतिक एवं बहु-सांस्कृतिक अवसरों के सकारात्मक प्रभाव पर जोर देकर अपने भावी ग्राहकों में सहजता की भावना पैदा करता है। इसके कारण उत्पन्न किसी भी शंका का समाधान भी करता है।

एक कार्यात्मक प्रबंधक के रूप में (In the form of divisional head)-वैश्विक प्रबंधक को यह सुनिश्चित करना होता है कि वह सही तकनीकी कौशल की भर्ती कर सकता है, इस कौशल से एक दृढ़ संसाधन के आधार का निर्माण कर सकता है एवं बहुत समय-क्षेत्र के रूप में भूमंडलीय कार्यवातावरण में इन दक्ष कर्मचारियों से काम लेकर सॉफ्टवेयर की कार्य योजनाओं को पूरा सकता है। इसके लिए वह उन व्यावसायिक चक्र जिसके अंतर्गत ग्राहक का व्यवसाय चलता है, पर आधारित ग्राहक की प्राथमिकताओं को समझ सकता है, जिन प्रक्रियाओं एवं पद्धतियों से ग्राहक परिचित है उनको समझ सकता है एवं उन्हें अपना सकता है और अंत में इस कार्य में ग्राहक की अपेक्षाओं का प्रबंधन सम्मिलित है।

इस प्रबंध में कार्यात्मक प्रबंधक को ग्राहक की प्राथमिकताओं के अनुरूप भारत एवं यू.एस.ए. अथवा यूरोप में क्रियाओं में समन्वय करना होता है, यह बताना होता है कि क्या संभव है और क्या संभव नहीं है तथा इसी के अनुसार अपने कर्मचारियों की अपेक्षाओं एवं संतुष्टि के स्तरों का प्रबंध करना होता है।

व्यवसाय के नेतृत्व के रूप में (In the form of leader)- भूमंडलीय प्रबंधक को बदलती हुई व्यावसायिक परिस्थितियों एवं ग्राहक की प्राथमिकताओं के प्रति सचेत रहना होता है। उसे बाह्यस्रोतीकरण में प्रवृतियों की पहचान करनी होती है एवं उसमें मिलने वाले अवसरों, संभावित जोखिमों के पूर्वानुमान की क्षमता का होना आवश्यक है।

प्रश्न 20.
“प्रबंध एक प्रणाली है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रबंध एक प्रणाली है। प्रणाली में निम्न विशेषताएँ होती हैं –

  1. प्रत्येक प्रणाली की एक उप प्रणाली होती है।
  2. प्रत्येक प्रणाली का एक निश्चित उद्देश्य होता है।
  3. प्रत्येक प्रणाली अपनी सभी प्रणालियों में समन्वय बनाये रखती हैं।
  4. प्रणाली में सन्देशवाहन गतिमान रहना चाहिए।
  5. एक प्रणाली को अन्य प्रणालियों से अलग नहीं किया जा सकता है।
    उपर्युक्त विशेषताएँ प्रबंध में निहित हैं, अतः हम प्रबंध को एक प्रणाली कह सकते हैं।

प्रश्न 21.
“प्रबंध एक पेशा है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पेशा कहलाने हेतु किसी व्यवसाय में निम्न विशेषताएँ होनी चाहिए

  1. पेशे में विशिष्ट एवं क्रमबद्ध ज्ञान का होना आवश्यक है।
  2. पेशे में तकनीकी ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है।
  3. पेशे का उद्देश्य सेवा करना होता है।
  4. पेशे का ज्ञान कुछ विशिष्ट संस्थाओं से ही लिया जा सकता है।
  5. पेशा कार्य के बदले पारिश्रमिक आवश्यक है, अनिवार्य नहीं।

प्रश्न 22.
भारत में प्रबन्ध का क्या महत्त्व है ? समझाइए।
अथवा
पंचवर्षीय योजनाओं को ध्यान में रखते हुए भारत में प्रबन्ध के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
पंचवर्षीय योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु प्रबन्धकों की मांग में निरन्तर वृद्धि हो रही है। नियोजित विकास के लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए भारत को अपनी प्रबन्धकीय कुशलता व गुण दोनों में · वृद्धि करनी है। भारत में निम्नांकित कारणों से प्रबन्ध का महत्त्व और भी अधिक है –

  1. देश में पंचवर्षीय योजनाओं को सफल बनाने की दृष्टि से।
  2. देश के आर्थिक विकास को गति प्रदान करने की दृष्टि से।
  3. देश के मानवीय तथा प्राकृतिक संसाधनों के अधिकतम उपयोग हेतु।
  4. प्रतियोगिताओं का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए।
  5. सरकारी तन्त्र में कुशलता के लिए।

प्रश्न 23.
समन्वय का महत्व लिखिए।
उत्तर:
व्यवसाय व्यापार हो या कोई भी संगठन या संस्था बिना समन्वय के कभी भी लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकती। किसी टीम की सफलता भी समन्वय पर आधारित होती है। बिना समन्वय के ना तो हवाई जहाज उड़ाया जा सकता है और न ही समुद्री जहाज को आगे बढ़ाया जा सकता है। किसी उपक्रम में समन्वय के महत्व . को बताते हुए कूण्ट्ज एवं ओ. डोनेल ने कहा है कि “समन्वय प्रबंध का एक कार्य ही नहीं हैं, अपितु प्रबंध का सार (Essence) भी है।” अतः स्पष्ट है कि प्रबंधकीय क्षेत्र में समन्वय का विशिष्ट स्थान है। समन्वय के महत्व को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है।

1. एकता को बल-समन्वय रहने से उचित तालमेल बना रहता है। उचित तालमेल से कर्मचारियों में एकता बनी रहती है तथा एकता से ही शक्ति प्राप्त होती है, शक्ति से विकास के मार्ग खुल जाते हैं । अतः समन्वय से विकास होता है तथा प्रबन्धकीय कर्मचारियों में एकता बनी रहती हैं।

2. विकास का बढ़ावा किसी भी संस्था या व्यवसाय का विकास उस समय ही सम्भव है जब वहाँ के उत्पादन के समस्त साधनों व विभागों के मध्य उचित समन्वय हो। समन्वय के बिना विकास की बात करना रेत पर महल बनाने जैसा होगा। समन्वय से विकास की गति तीव्र होती है।

3. प्रमाप एवं विशिष्टीकरण को प्राप्त करना-अपने उत्पादन के स्तर को निर्धारित प्रमाप पर लाने के लिये सभी वर्गों व उत्पत्ति के साधनों में उचित समन्वय आवश्यक है, ताकि एक-दूसरे की समस्याओं को सुनकर या देखकर उसका समाधान किया जा सके।

4. उपलब्ध साधनों का सदुपयोग-किसी भी संस्था या उपक्रम में विकास के साधन सीमित होते हैं। अतः उनका अधिकतम उपयोग हो इसके लिए उत्पादन के विभिन्न साधनों के मध्य समन्वय आवश्यक है। उचित समन्वय को कार्यों में पुनरावृत्ति (दोहराव) नहीं होती। जिससे धन, सामग्री व समय की बचत होती है तथा उपलब्ध साधन का उचित व अधिकतम उपयोग सम्भव हो पाता है।

प्रश्न 24.
प्रबंध की प्रमुख सीमाओं को समझाइए।
उत्तर:
प्रबंध की आवश्यकता सर्वव्यापी है, किन्तु इसकी कुछ सीमाएँ हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  1. प्रबंध का कार्य मनुष्य से संबंधित है जो मानवीय स्वभाव से प्रभावित रहता है। प्रत्येक मनुष्य का आचरण पृथक्-पृथक् होता है, अतः सभी के लिए एक निश्चित प्रणाली नहीं अपनायी जा सकती है।
  2. प्रबंध के सिद्धान्त तकनीकीगत प्रक्रियाओं आविष्कारों, संगठन की रुचि, मनोविज्ञान आदि पर आधारित होते हैं, अतः प्रबंध का कोई सिद्धांत स्थायी रूप से लागू नहीं होता है।
  3. प्रबंध के कार्य उस संस्था के उद्देश्य, नीति व परिस्थितियों के अनुरूप होते हैं, अतः किसी एक संस्था के अनुभव को अन्य संस्थाओं में लागू नहीं किया जा सकता है, क्योंकि प्रत्येक संस्था का अपना अलग उद्देश्य,संगठन व कार्यप्रणाली होती है।
  4. प्रबंध के पास नेतृत्व, निर्णयन व नियंत्रण के अधिकार होते हैं, अतः प्रबंध के स्वभाव में नौकरशाही, लालफीताशाही व तानाशाही जैसी दूषित मनोवृत्तियाँ जन्म ले लेती हैं, जिससे संस्था का कार्य सीमित हो जाता है।

प्रश्न 25.
प्रबंध के प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
प्रबन्ध के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं

1. नियोजन (Planning) – प्रबन्ध का सबसे महत्त्वपूर्ण एवं प्राथमिक कार्य नियोजन करना है। शील्ड (Shield) के शब्दों में “योजना विभाग प्रबन्ध का हृदय है जिसका एकमात्र कार्य उत्पादन के विभिन्न पहलुओं में कार्यरत कर्मचारियों की आवश्यकताओं को पूरा करना है।” नियोजन के अन्तर्गत किसी कार्य को किस प्रकार, किस व्यक्ति से, कहाँ पर, किस विधि से, कितने समय में पूरा करना है, इसकी रूपरेखा तैयार कर ली जाती है ताकि निर्धारित अवधि में लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। इस हेतु पूर्वानुमान (Forecasting) लगाया जाता है। प्रो. टेरी ने कहा है “नियोजन भविष्य के गर्भ में देखने की विधि है।” (Planning is a method of looking ahead)।

2. संगठन (Organization)- संगठन प्रबन्ध का दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य है। “बिना संगठन के कोई भी प्रबन्ध जीवित नहीं रह सकता।” मानव व मशीन का सामूहिक प्रयास जो पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये कार्य करता है संगठन कहलाता है। संगठन दो या अधिक व्यक्तियों का समूह होता है। मजबूत संगठन के बिना प्रबन्ध अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता, प्रबन्ध संगठन को मजबूत व प्रभावी बनाता है। व्यापार, वाणिज्य एवं उद्योग के विभिन्न साधनों में प्रभावपूर्ण सामन्जस्य स्थापित करना ही संगठन है।

3. नियुक्तियाँ (Staffing)- प्रबन्ध का तीसरा महत्त्वपूर्ण कार्य कर्मचारियों की नियुक्ति करना है, क्योंकि बिना कर्मचारी के संगठन नहीं और बिना संगठन के प्रबन्ध नहीं हो सकता। नियुक्ति कार्य हेतु बड़े-बड़े उत्पादन (उपक्रम) में अलग से विवर्गीय विभाग (Personnel Deptt.) खोला जाता है और इसी विभाग द्वारा नियुक्तियाँ की जाती हैं। कार्य पर नियुक्ति करने के पूर्व “व्यक्ति कार्य के लिये व कार्य व्यक्ति के लिये” (Man to job and job to man) के सिद्धांत का पालन करना चाहिये। यह प्रबन्ध द्वारा ही सम्भव है।

4. संचालन (Direction)- संचालन, प्रबन्ध का चतुर्थ महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसे निर्देशन या नेतृत्व भी कहा जाता है। प्रबन्ध मस्तिष्क की भाँति होता है अतः इसका कार्य सम्पूर्ण व्यवसाय व उद्योग को संचालित करना होता है। वह अन्य कर्मचारियों को आवश्यक कार्य करने हेतु निर्देश देने का काम करता है। चूँकि कार्ययोजना प्रबन्ध द्वारा ही तैयार की जाती है। इसलिए संचालन या दिशा-निर्देश सम्बन्धी कार्य भी प्रबन्ध द्वारा ही किये जाते हैं।

प्रश्न 26.
जैक वैलश (Jack Welch) जो जी.ई. का सी. ई. ओ. (CEO) था, प्रबंधकों की सफलता के लिए कौन-कौन से संकेत दिए/लिखे ?
उत्तर:
जैक वैलश (Jack Welch) ने प्रबंधकों को सफलता के लिए निम्नलिखित संकेत दिये –

  1. स्वप्न देखो और फिर इस स्वप्न को वास्तविकता में बदलने के लिए अपने संगठन में ऊर्जा दो।
  2. सामरिक (strategic) महत्व के मामलों पर ध्यान केन्द्रित करो।
  3. मुख्य समस्या पर ध्यान केन्द्रित करो।। 4. प्रत्येक का योगदान लो एवं उच्च विचार जहाँ से भी मिले उनका स्वागत करो। 5. उदाहरण प्रस्तुत कर नेतृत्व प्रदान करो।

प्रश्न 27.
प्रबंध की प्रकृति या विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रबन्ध की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

1.रबन्ध एक प्रक्रिया है- प्रबन्ध एक प्रक्रिया है तथा यह प्रक्रिया उस समय तक चलती रहती है, जब तक निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं हो जाती, इसमें नियोजन, क्रियान्वयन, अभिप्रेरण, निर्देशन आदि शामिल रहते हैं, जिनकी सहायता से लक्ष्य प्राप्त होते हैं।

2. प्रबन्ध एक पेशा है- आज के औद्योगिक युग में प्रबन्ध एक पेशे के रूप में विकसित हुआ है तथा लगातार इसकी आवश्यकता व माँग बढ़ती जा रही है, इसी कारण आज कई संस्थानों में हम प्रशिक्षित एवं पेशेवर प्रबन्धक को संगठनों के शीर्ष पदों पर देख सकते हैं।

3. अदृश्य कौशल- प्रबन्ध को देखा नहीं जा सकता है, यह कार्य के परिणाम के रूप में हमारे सामने आता है, यदि कार्य के प्रयास सफल होते हैं, तो वह अच्छा प्रबन्ध कहलाता है। इसके विपरीत यदि कोई असफल होते हैं तो वहाँ पर प्रबन्ध की अकुशलता साबित होती है।

4. सामूहिक प्रयास- प्रबन्ध में सामूहिक प्रयासों पर ध्यान दिया जाता है, व्यक्ति विशेष पर ध्यान नहीं दिया जाता है, दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि एकता के साथ सामूहिक में संस्था के लिए कार्य करना प्रबन्ध का लक्ष्य होता है।

प्रश्न 28.
समन्वय का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा उसकी हमारे जीवन में क्या आवश्यकता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समन्वय-उत्पत्ति के विभिन्न साधनों को तथा उनके कार्यों को एक सूत्र में बाँधना तथा क्रमबद्ध करना ताकि वे सामूहिक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रभावपूर्ण ढंग से कार्य कर सकें, समन्वय कहते हैं। समन्वय का साधारण अर्थ है तालमेल बैठाना। समन्वय के अभाव में उपक्रम की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा उत्पादन लागत बढ़ जाती है।
समन्वय का महत्व/आवश्यकता (Importance/Need of Coordination) समन्वय की आवश्यकता और महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा अधिक स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है

1. संगठन का आकार (Size of the Organisation)-समन्वय की आवश्यकता संगठन के आकार के बढ़ने पर बढ़ती है क्योंकि बड़े संगठन में काम करने वाले व्यक्तियों की संख्या अधिक होती है, प्रत्येक व्यक्ति की अपनी आवश्यकताएँ और उद्देश्य होते हैं, इसीलिए यहाँ सामान्य लक्ष्य के प्रति इन कर्मचारियों के प्रयासों को एकत्रित करने की अधिक आवश्यकता होती है। संगठनात्मक कुशलता के लिए समन्वय द्वारा संगठनात्मक लक्ष्यों और व्यक्तिगत लक्ष्यों में तालमेल स्थापित करना महत्वपूर्ण है।

2. कार्यात्मक विभिन्नता (Functional Differentiation)-एक संगठन के कार्य विभिन्न विभागों, वर्गों या श्रेणियों में विभाजित होते हैं और प्रत्येक विभाग अपने उद्देश्य को अधिक महत्व देकर अपना-अपना काम करते हैं।

परंतु वास्तव में ये विभाग अंतः संबंधित और परस्पर आश्रित होते हैं। इसीलिए विभिन्न वर्गों की क्रियाओं को समन्वित करने की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि वे एक ही संगठन के भाग होते हैं। विभिन्न विभागों के बीच में अंतर को कम करने के लिए समन्वय की आवश्यकता होती है।

3. विशिष्टीकरण (Specialization)-बड़े और आधुनिक संगठन में विशिष्टीकरण का उच्च स्तर होता है और विशेषज्ञ या कुशल व्यक्ति महसूस करते हैं कि केवल वे ही योग्य व्यक्ति हैं और वे हमेशा सही दिशा में सही निर्णय लेते हैं।

संगठन में कई विशेषज्ञ काम करते हैं। यदि वे सभी अपने ढंग से काम करेंगे तो इसका परिणाम संदेह एवं अव्यवस्था होगा। इसीलिए उन सभी विशेषज्ञों की क्रियाओं को एक सामान्य दिशा में समन्वित कर उनसे अधिकतम लाभ प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 29.
पेशे की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
पेशे की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

(क) भली-भाँति परिभाषित ज्ञान का समूह-सभी पेशे भली-भाँति परिभाषित ज्ञान के समूह पर आधारित होते हैं जिसे शिक्षा से अर्जित किया जाता है।

(ख) अवरोधित प्रवेश-पेशे में प्रवेश परीक्षा अथवा शैक्षणिक योग्यता द्वारा सीमित होता है। उदाहरण के लिए यदि भारत में किसी को चार्टर्ड एकाउंटेंट बनना है तो उसे भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्था द्वारा आयोजित की जाने वाली एक विशेष परीक्षा को पास करना होगा।

(ग) पेशागत परिषद्-सभी किसी-न-किसी परिषद् सभा से जुड़ें होते हैं जो इनमें प्रवेश का नियमन करते हैं। कार्य करने के लिए प्रमाण-पत्र जारी करते हैं एवं आचार संहिता तैयार करते हैं तथा उसको लागू करते हैं।

(घ) नैतिक आचार संहिता-सभी पेशे आचार संहिता से बँधे हैं जो उनके सदस्यों के व्यवहार को दिशा देते हैं। उदाहरण के लिए जब डॉक्टर अपने पेशे में प्रवेश करते हैं तो वह अपने कार्य नैतिकता की शपथ लेते हैं।

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 7th General English Solutions Chapter 3 The Wise Man-II

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The Wise Man-II Textual Exercises

Read and Learn (पढ़ो और याद करो)
Students should do themselves. (छात्र स्वयं करें।)

Comprehension (बोध प्रश्न) :

(A) Answer the questions given below :
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए)

Mp Board Class 7th English Chapter 3 Question 1.
What did the thugs ask Bhola ?
(व्हॉट डिड द ठग्स, आस्क् भोला?) ठगों ने भोला से क्या पूछा ?
Answer:
The thugs asked Bhola if he would sell his mangoes.
(द ठग्स् आस्कड् भोला इफ ही वुड सैल हिज़ मैंगोज़।) ठगों ने भोला से पूछा कि क्या वह अपने आम बेचेगा।

Class 7th English Chapter 3 The Wise Man 2 MP Board Question 2.
Did Bhola agree to sell the green mangoes ?
(डिड भोला एग्री टू सैल द ग्रीन मैंगोज़ ?)
क्या भोला आम बेचने के लिए तैयार हुआ ?
Answer:
No, Bhola did not agree to sell the green mangoes.
(नो, भोला डिड नॉट एग्री टू सैल द ग्रीन मैंगोज़।)
नही, भोला हरे आम बेचने के लिए तैयार नहीं हुआ।

Class 7th Mp Board English Question 3.
Did Bhola’s wife like chutney ?
(डिड भोलाज़ वाईफ लाइक चटनी ?)
क्या भोला की पत्नी चटनी पसन्द करती थी ?
Answer:
Yes, Bhola’s wife liked chutney very much.
(यस, भोलाज़ वाईफ लाइक्ड् चटनी वैरी मच।)
हाँ, भोला की पत्नी चटनी बहुत पसन्द करती थी।

Class 7 English Chapter 1 Mp Board Question 4.
What was the bet ?
(व्हॉट वॉज़ द बैट ?) शर्त क्या थी?
Answer:
The two thugs made a bet with Bhola that they would give him one thousand rupees if his wife does not get angry with him for bringing mangoes in exchange of a horse. And Bhola would pay them the same amount if she goes against his decision.
(द टू ठग्स मेड अ बैट विद भोला दैट दे बुड गिव हिम वन थाऊसन्ड रूपीज़ इफ हिज़ वाइफ डज़ नॉट गैट एंग्री विद हिम फॉर ब्रिग्रिंग मैंगोज इन एक्सचेन्ज ऑफ अ हॉर्स। एण्ड भोला वुड पे देम द सेम अमाउन्ट इफ शी गोज़ अगेन्स्ट हिज़ डिसीशन।)
दो ठगों ने भोला से शर्त लगाई कि वे भोला को एक हजार रुपये देंगे, अगर उसकी पत्नी उस पर एक घोड़े के बदले में आम ले जाने पर क्रोधित नहीं होगी। और भोला उन्हें उतनी ही रकम देगा, अगर वह उसके निर्णय के विरुद्ध गई।

Question 5.
Who won the bet?
(हू वन द बैट ?)
शर्त कौन जीता ?
Answer:
Bhola won the bet.
(भोला वन द बैट।)
शर्त भोला जीता।

Question 6.
How did Bhola plan to spend the money?
(हाउ डिड भोला प्लैन टू स्पेन्ड द मनी ?)
भोला ने पैसे खर्च करने की क्या योजना बनाई ?
Answer:
Bhola planned to buy another horse with the money.
(भोला प्लैन्ड टू बाइ ऐनअदर हॉर्स विद द मनी।)
भोला ने पैसों से एक दूसरा घोड़ा खरीदने की योजना बनायी।

(B) Tick the correct option :
(सही विकल्प पर चिन्ह लगाएँ)

(i) Where did Bhola meet the thugs ?
(व्हेयर डिड भोला मीट द ठग्स् ?)
भोला ठगों से कहाँ मिला ?
(a) Bhopal (भोपाल) भोपाल
(b) Village (विलेज) गाँव
(c) Market (मार्केट) बाजार
Answer:
(c) Market (मार्केट) बाजार।

(ii) What did the thugs say to Bhola ?
(व्हॉट डिड द ठग्स् से टू भोला ?)
ठगों ने भोला से क्या कहा?
(a) to have a bet
(टू हैव अ बैट)
शर्त लगाने को
(b) to throw the mangoes
(टू थ्रो द मैंगोज़)
आम फेंकने को
(c) to sell the mangoes
(टू सैल द मैंगोज़)
आम बेचने को
Answer:
(c) to sell the mangoes
(टू सैल द मैंगोज़)
आम बेचने को।

(iii) How much money was offered in the bet ?
(हाउ मच मनी वॉज़ औफर्ड इन द बैट ?)
शर्त में कितना पैसा लगाया गया ?
(a) A hundred rupees
(अ हन्ड्रेड रुपीज़)
सौ रुपये
(b) Ten thousand rupees
(टेन थाउसंड् रुपीज़)
दस हज़ार रुपये
(c) One thousand rupees
(वन थाउसंड़ रुपीज़)
एक हज़ार रुपये।
Answer:
(c) One thousand rupees
(वन थाउसंड् रुपीज़)
एक हज़ार रुपये।

(iv) With whom did Bhola return home?
(विद हम डिड भोला रिटर्न होम ?)
भोला घर किसके साथ लौटा ?
(a) the thugs
(द ठग्स्) ठगों
(b) friends
(फ्रेन्ड्स) दोस्तों
(c) Strangers (स्ट्रेन्जर्स) अपरिचितों।
Answer:
(a) the thugs (द ठग्स्) ठगों।

(v) Did the thugs suceed in their plan ?
(डिड द ठग्स, सक्सीड इन देयर प्लैन ?)
क्या ठग अपनी योजना में कामयाब हुए ?
(a) No
(नो) नहीं
(b) Yes
(यस) हाँ
(c) I am not sure
(आइ एम नॉट श्योर)
मैं पूरी तरह सुनिश्चित नहीं हूँ।
Answer:
(a) No (नो) नहीं।

Word Power (शब्द सामथ्र्य) :

(A) The mango is called “The king of fruits”. Now match these :
(आम को ‘फलों का राजा’ कहा जाता है। अब इन्हें मिलाइए)
MP Board Class 7th General English Chapter 3 The Wise Man-II 1
MP Board Class 7th General English Chapter 3 The Wise Man-II 2
Answer:

  1. → (d)
  2. → (c)
  3. → (b)
  4. → (a)
  5. → (e)

(B) Pick the odd word out and encircle it.
MP Board Class 7th General English Chapter 3 The Wise Man-II 3

(C) Match the two columns :
(दोनों कालम का मिलान करें)
MP Board Class 7th General English Chapter 3 The Wise Man-II 4
Answer:

  1. → (a)
  2. → (f)
  3. → (b)
  4. → (c)
  5. → (d)
  6. → (e)

Grammar in Use (व्याकरण का प्रयोग):

(A) Use of ‘for, to :

(a) Complete the sentences using ‘to’ or ‘for’:
(निम्न वाक्यों में ‘to’ या ‘for’ लगाकर वाक्य पूरा कीजिए)

(1) They made a plan …………….. deceive him
(2) The mangoes are …………….. my wife.
(3) She always agrees …………….. my decisions.
(4) You will pay the same amount …………….. us.
(5) His wife was waiting …………….. her husband.
(6) What have you brought …………….. me?
(7) I sold the horse …………….. a donkey.
(8) I exchanged the donkey …………….. a sheep.
(9) A hen is cheaper …………….. feed than a sheep.
(10) I shall use money …………….. buy another horse.
Answers:
(1) to
(2) for
(3) to
(4) to
(5) for
(6) for
(7) for
(8) for
(9) to
(10) to.

(B) Fill in the blanks with these words :
(इन शब्दों से खाली स्थान भरें)
(little, a little, few, a few)

(1) I have ……………. time to stay.
(2) He knows ……………. of the story.
(3) I have ……………. milk so we can’t have tea.
(4) They have ……………. coins.
(5) He has ……………. friends, as he is new to Indore.
(6) She left Bhopal ……………. days ago.
Answers:
(1) a little
(2) a little
(3) little
(4) a few
(5) a few
(6) a few

Let’s Talk (आओ बात करें):

Work in Pairs (जोड़ों में कार्य करें)

(A) With your partner’s help, fill in the blanks with appropriate words from the table given below and complete the story.)
(अपने साथी की सहायता से नीचे दी गई तालिका से उचित शब्द का चयन करते हुए खाली स्थान भरिए और कहानी पूरी करिए।)
(to market, basket, more, many more, what happened, stumbled, full, looking, were thrown out, broke.)

(1) A woman was carrying a……….of eggs.
(2) She was going………to sell them.
(3) She thought she would get………money by ___ selling.
(4) Then she would buy………..hens.
(5) She was not……….on the road.
(6) Do you know……………?
(7) She. …………
(8) All the eggs …………
(9) Most of them. …………
Answers:
(1) basket, full
(2) to market
(3) more
(4) many more
(5) looking
(6) what happened
(7) stumbled
(8) were thrown out
(9) broke.

Let’s Write (आओ लिखें):

Suppose you went to market yesterday. Describe about it in sentences of your own. Use the words given below in your sentences.
(मानलो, कल आप बाजार गए थे। अपने वाक्यों में इसका वर्णन करिए। नीचे दिए शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।)
(huslte and bustle, shopkeepers bargaining with customers, colourful lighting, swings, sweetshops, eateries, fancy goods and clothes shops.)
Answer:
Yesterday, I went to the market. There was hustle and bustle of vehicles. There were different shops of different articles like sweet shops eateries, fancy goods and clothes shops. Shopkeepers were bargaining with customers. Shops were decorated with colourful lighting. Children were swinging on the swings.

Let’s Do It (आओ इसे करें):

Read the given story and answer the questions given below it:
(दी गई कहानी को पढ़िए और इसके नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।)

(A)
Question 1.
What happened when Deepak and Bhola were walking through the forest ?
(व्हॉट हैपन्ड व्हेन दीपक एण्ड भोला वर् वॉकिंग श्रू द फॉरेस्ट ?)
जब दीपक व भोला जंगल में जा रहे थे तब क्या हुआ?
Answer:
When Deepak and Bhola were walking through the forest, a bear attacked them.
(व्हेन दीपक एण्ड भोला वर वॉकिंग यू द फॉरेस्ट, अ बीयर अटैक्ड् देम्।)
जब दीपक व भोला जंगल से जा रहे थे, तब एक भालू ने उन पर आक्रमण किया।

Question 2.
What did Deepak do ?
(व्हॉट डिड दीपक डू?)
दीपक ने क्या किया ?
Answer:
Deepak climbed a tree and sat there.
(दीपक क्लाइम्ब्ड् अट्री एण्ड सैट देयर।)
दीपक एक पेड़ पर चढ़कर बैठ गया।

Question 3.
What did Bhola do ?
(व्हॉट डिड भोला डू?)
भोला ने क्या किया ?
Answer:
Bhola fell to the ground and played dead.
(भोला फैल टू द ग्राउण्ड एण्ड प्लेड डेड।)
भोला जमीन पर गिर गया और शव के समान अभिनय करने लगा। किया?

Question 4.
What did the bear do?
(व्हॉट डिड द बीयर डू?) भालू ने क्या किया ?
Answer:
The bear came to Bhola and sniffed. It sniffed his face, decided he was dead and lumbered off.
(द बीयर केम टू भोला एण्ड स्निफ्ड्। इट स्निफ्ड् हिज़ फेस, डिसाइडिड ही वॉज़ डेड एण्ड लम्बर्ड ऑफ।)
भालू भोला के पास आया और उसे सूंघने लगा। उसने उसका मुँह सूंघा और तय किया कि वह मर चुका है और भारी कदमों से चला गया।

Question 5.
What did Deepak say to Bhola when the bear had gone?
(व्हॉट डिड दीपक से टू भोला व्हेन द बीयर हैड गौन?) दीपक ने भोला से क्या कहा जब भालू चला गया ?
Answer:
After the bear had gone Deepak asked Bhola what the bear whispered in his ear.
(आफ्टर द बीयर हैड गौन दीपक आस्क्ड भोला व्हॉट द बीयर व्हिस्पर्ड इन हिज़ ईयर।)
भालू के जाने के बाद दीपक ने भोला से पूछा कि भालू उसके कान में क्या फुसफुसाया।

Question 6.
What did Bhola say to him ?
(व्हॉट डिड भोला से टू हिम ?)
भोला ने उससे क्या कहा ?
Answer:
Bhola said to Deepak that someone who deserts his friend in times of danger is not a good person at all.
(भोला सेड टू दीपक दैट समवन हू डैज़र्टस् हिज़ फ्रेन्ड् इन टाइम्स ऑफ डेंजर इज़ नॉट अ गुड पर्सन एट ऑल।)
भोला ने दीपक से कहा कि जो अपने दोस्त को बुरे वक्त में छोड़ दे वह अच्छा इंसान नहीं होता।

Question 7.
Was Deepak a good friend ?
(वॉज़ दीपक अगुड फ्रेन्ड् ?)
क्या दीपक अच्छा दोस्त था?
Answer:
No, Deepak was not a good friend.
(नो, दीपक वॉज़ नॉट अ गुड फ्रेन्ड्।)
नहीं, दीपक एक अच्छा दोस्त नहीं था।

(B) Match the following words with their meanings :
(निम्न शब्दों को उनके अर्थ से मिलान कीजिए)
MP Board Class 7th General English Chapter 3 The Wise Man-II 5
MP Board Class 7th General English Chapter 3 The Wise Man-II 6
Answer:

  1. → (d)
  2. → (a)
  3. → (e)
  4. → (c)
  5. → (b)

Pronunciations & Translation

Two thugs were watching Bhola in the market exchanging his things. They made a plan to deceive him. They went to Bhola and asked him.
(टू ठग्स वर वाचिंग भोला इन द मार्केट एक्सचेंजिंग हिज थिंग्स। दे मेड अ प्लान टू डिसीव हिम। दे वैन्ट टू भोला एण्ड आस्क्ड हिम)
अनुवाद – दो ठग बाजार में भोला को अपनी वस्तुएँ बदलते हुए देख रहे थे। उन्होंने उसे ठगने की योजना बनाई। वे भोला के पास गये और उससे पूछा
The first : Will you sell these mangoes, Sir thug
(द फर्स्ट ठग : विल यू सेल दीज मेन्गोज, सर ?)
अनुवाद – पहला ठग : क्या आप इन आमों को बेचेंगे, श्रीमान् ?
Bhola : No, not at all, these are for my wife.
She likes mango chutney very much.
(भोला : नो, नॉट ऐट ऑल, दीज आर फॉर माइ वाइफ.शी लाइक्स मेंगो चटनी वैरी मच।) अनुवाद- भोला नहीं, बिल्कुल नहीं, ये मेरी पत्नी के लिए हैं वह आम की चटनी बहुत अधिक पसन्द करती है।
Second : If she sees the mangoes, she will be thug angry with you.
(सेकण्ड ठग : इफ शी सीज द मेंगोज, शी विल बी एंग्री विद यू।)
अनुवाद – दूसरा ठग : यदि वह इन आमों को देखेगी तो वह आपसे नाराज होगी।
Bhola : Why ? Why will she be angry with me?
(भोला : व्हाई ? व्हाई विल शी बी एंग्री विद मी ?)
अनुवाद – भोला : क्यों ? वह मुझसे क्यों नाराज होगी ?
The second : Because you sold the horse and thug bought these cheap mangoes
(द सेकण्ड : बिकॉज यू सोल्ड द हॉर्स एण्ड बॉट दीज चीप ठग मेंगोज।)
अनुवाद – दूसरा ठग : क्योंकि तुमने घोड़ा बेचकर इन सस्ते आमों को खरीद लिया।
Bhola : Ho, ho, ho! No chance of it! She is an obedient wife. She always agrees to my decisions.
(भोला : हो, हो, हो! नो चान्स ऑफ इट! शी इज एन ओबीडिएण्ट वाइफ. शी ऑल्वेज एग्रीज टू माइ डिसीजन्स।)
अनुवाद – भोला (हँसते हुए) : हो, हो, हो! इसकी कोई संभावना नहीं है। वह एक आज्ञाकारी पत्नी है। वह सदैव मेरे निर्णयों से सहमत होती है।
The first : Alas ! But not this time. Will you have thug a bet on it ?
(द फर्स्ट ठग : अलास ! बट नॉट दिस टाइम विल यू हैव अ बैट ऑन इट ?)
अनुवाद – पहला ठग : हाय! परन्तु इस बार नहीं होगा। क्या तुम इसकी शर्त लगाओगे ?
Bhola : Why not ? What will be the terms ?
(भोला : व्हाई नॉट ? व्हाट विल बी द टर्स ?)
अनुवाद – भोला : क्यों नहीं ? क्या शर्ते होगी ?
The second : We shall give you a thousand rupees thug if your wife does not get angry with you. You will pay the same amount to us if she goes against your decision.
(द सेकण्ड : वी शैल गिव यू अ थाउजेण्ड (रूपीज इफ योर ठग वाइफ डज नॉट गैट एंग्री विद यू। यू विल पे द सेम अमाउण्ट टू अस इफ शी गोज अगेन्स्ट योर डिसीजन.)
अनुवाद – दूसरा ठग : हम तुम्हें एक हजार रूपये देंगे यदि तुम्हारी पत्नी तुम पर नाराज नहीं होगी। तुम हमें इतने ही रूपये दोगे यदि वह तुम्हारे निर्णय के खिलाफ जाती है।
Bhola : Though it is a very large amount, I am certain you will lose the bet.
(भोला : दो इट इज अ वैरी लार्ज अमाउण्ट, आई एम सर्टन यू विल लूज द बेट.)
अनुवाद – भोला : यद्यपि यह एक बहुत बड़ी राशि है, मुझे निश्चय है कि तुम शर्त हार जाओगे।
Bhola came back home with the two strangers. His wife was eagerly waiting for him.
(भोला केम बैक होम विद द टू स्ट्रेन्जर्स। हिज वाइफ वाज ईगरली वेटिंग फॉर हिम.)
अनुवाद – भोला : दो अजनबियों के साथ घर वापस आया। उसकी पत्नी उसका व्याकुलता से इन्तजार कर रही थी।
Shanti : Did you get rid of the horse ?
(शान्ति : डिड यू गैट रिड ऑफ द हॉर्स ?)
अनुवाद – शान्ति : क्या तुम्हें घोड़े से छुटकारा मिल गया ?
Bhola smiled and replied, “Yes, my dear.”
(भोला स्माइल्ड एण्ड रिप्लाइड, “यस, माइ डीयर)
अनुवाद- भोला मुस्कराया और उत्तर दिया, “हाँ प्रिये।”
Shanti : What have you brought for me and who are these gentlemen ?
(शांति : व्हाट हैव यू ब्रॉट फॉर मी एण्ड हू आर दीज जेन्टलमैन ?)
अनुवाद – शान्ति : आप मेरे लिए क्या लाए हो और ये सज्जन कौन है ?
Bhola : I have brought something special for you and these gentlemen are my new friends.
(भोला : आइ हैव ब्रॉट समथिंग स्पेशल फॉर यू एण्ड दीज जेन्टलमैन आर माइ न्यू फ्रेन्ड्स।)
अनुवाद – भोला : मैं तुम्हारे लिए कुछ विशेष चीज लाया हूँ और ये सज्जन मेरे नये दोस्त हैं।
Shanti : What is it?
(शान्ति : व्हाट इज इट ?)
अनुवाद-शान्ति : यह क्या है ?
Bhola : Have patience dear ! I sold the horse for a donkey.
(भोला : हैव घेशेन्स डीयर ! आइ सोल्ड द हॉर्स फॉर अडंकी।)
अनुवाद – भोला : प्रिये, धैर्य रखो ! मैने एक गधे के बदले घोड़े को बेच दिया।
Shanti : Oh, good! We shall use it in our field.
(शान्ति : ओह, गुड ! वी शैल यूज इट इन अवर फील्ड)
अनुवाद-शान्ति : वाह अच्छा है! हम इसे अपने खेत में प्रयोग करेंगे।
Bhola : But dear! I exchanged the donkey for a sheep.
(भोला : बट डीयर! आइ एक्सचेंज्ड द डंकी फॉर अशीप.)
अनुवाद – भोला : लेकिन प्रिये! मैंने गधे के बदले एक भेड़ ले ली।
Shanti : That’s even better. We shall have plenty of wool.
दैट्स इवन बैटर। वी शैल हैव प्लेन्टी ऑफवूल.)
अनुवाद – शान्ति : यह भी अच्छा है। हमारे पास बहुत सा ऊन होगा।
Bhola : But then I sold it for a hen.
(भोला : बट दैन आई सोल्ड इट फॉर अ हैन.)
अनुवाद-भोला : लेकिन तब मैंने एक मुर्गी के लिए इसे बेच दिया।
Shanti : How wise you are! A hen is cheaper to feed than a sheep.
(शान्ति : हाउ वाइज यू आर ! अ हैन इज चीपर टू फीड दैने अ शीप।)
अनुवाद-शान्ति : आप कितने बुद्धिमान हो! एक मुर्गी को भेड़ की अपेक्षा पालना अधिक सस्ता है।
Bhola : But dear! I exchanged the hen for a basket of mangoes.
(भोला : बट डीयर! आइ एक्सेचेंज्ड द हैन फॉर अबास्केट ऑफ मेंगोज।)
अनुवाद-भोला : लेकिन प्रिये! मैंने मुर्गी के बदले एक टोकरी आम ले लिए।
Shanti : That’s the best bargain you have ever made in your life. I have been longing for mango-chutney for more than a fortnight.
(शान्ति : दैट्स द बेस्ट बारगेन यू हैव एवर मेड इन योर लाइफ आई हैव बीन लाँगिंग फॉर मेंगो चटनी फॉर मोर दैन अ फोर्टनाइट.)
अनुवाद-शान्ति : यह आपके जीवन का सबसे अच्छा मोलभाव है। मेरी इच्छा पन्द्रह दिनों से अधिक समय से आम की चटनी खाने की हो रही थी।
Bhola : Here is the basket full of mangoes. Now take this and make two types of chutney, first sweet for us and sour chutney for my clever friends.
(भोला : हीयर इज द बास्केट फुल ऑफ मेंगोज. नाउ टेक दिस एण्उ मेक टू टाइप्स ऑफ चटनी, फर्स्ट स्वीट फॉर अस एण्ड सोर चटनी फॉर माइ क्लेवर फ्रेन्ड्स.)
अनुवाद-भोला : यहाँ आमों से भरी टोकरी है। अब इसे लो और दो प्रकार की चटनी बनाओ, हमारे लिए मीठी और मेरे चतुर दोस्तों के लिए खट्टी चटनी बनाओ।
Shanti went into the house with the mangoes. The two thugs heard their conversation with great surprise.
(शान्ति वैन्ट इनटू द हाउस विद द मेन्गोज. द टू ठग्स हर्ड देयर कन्वर्सेशन विद ग्रेट सरप्राइज.)
अनुवाद-शान्ति : आमों के साथ घर में गई। दोनों ठगों ने अत्यन्त आश्चर्य के साथ उनकी बात-चीत को सुना।
The first : Bhola, you have won the bet, here is thug the amount.
(द फर्स्ट ठग : भोला, यू हैव वन द बैट, हीयर इज द अमाउण्ट।)
अनुवाद-पहला ठग : भोला, तुम शर्त जीत गये हो, यह तुम्हारा धन है।
Bhola : Thank you Sir, So kind of you!
(भोला : बैंक यू सर, सो काइण्ड ऑफ यू!)
अनुवाद-भोला : धन्यवाद श्रीमान्, आप कितने अच्छे हैं!
The second : One thing more, Sir, would you please thug tell me how you will spend this money?
(द सेकण्ड : वन थिंग मोर, सर, वुड यू प्लीज टैल मी हाउ यू विल स्पेन्ड दिस मनी?)
अनुवाद – दूसरा ठग : एक बात और, श्रीमान् जी, क्या आप मुझे यह बताओगे कि इस धन को आप कैसे खर्च करेंगे ?
Bhola : I shall buy another horse.
(भोला : आइ शैल बाय एनआदर हॉर्स।)
अनुवाद-भोला : मैं एक दूसरा घोड़ा खरीदूंगा।

The Wise Man-II Word Meanings

Against (अगेन्स्ट्)-विरुद्ध, खिलाफ;Agrees (एग्रीज़) – सहमत होता है ; Amount (अमाउन्ट)-रकम, धनराशि; Angry (एंग्री)-गुस्से में, क्रोधित; Bargaining (बार्गेनिंग) – मोलभाव, सौदाकारी; Bet (बैट)-शर्त; Brought (ब्रॉट) – लाया; Certain (सर्टेन)-निश्चित, पक्का; Cheaper (चीपर)-सस्ता; Conversation (कन्वरसेशन)-बातचीत, वार्तालाप; Deceive (डिसीव)-धोखा देना, ठगना; Decisions (डिसिज़न्स)-निर्णय, फैसले; Eagerly (ईगरली) -उत्सुकतापूर्वक; Exchange (एक्सचेन्ज)-आदान-प्रदान; Fortnight (फोर्टनाइट)-पक्ष, पखवाड़ा; Longing (लॉगिंग)-लालसा; Lose (लूज़)-खोना; Obedient (ओबिडिएन्ट)-आज्ञाकारी; Patience (पेशेन्स्)-धैर्य, सहनशीलता; Cheaper (चीपर)-सस्ता; Pay (पे)-वेतन, भुगतान; Plenty (प्लैन्टी)-पर्याप्त Longing for (लॉन्गिंग फॉर)-इच्छा कर रही; Replied (रिप्लाइड)-जवाब दिया; Sold (सोल्ड)-बेचा; Sour (सॉर)-खट्टा; Strangers (स्ट्रेन्जर्स)-अजनबी, अपरिचित; Successful (सक्सेसफुल) -कामयाब; Surprise (सरप्राइज़)-आश्चर्य; Terms (टर्मस्)-समझौते; Thug (ठग)-ठग; Waiting (वेटिंग) -प्रतीक्षा में; Wise (वाइज़)-बुद्धिमान; Won (वन)-जीता।

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