MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 आर्थिक प्रणाली

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 आर्थिक प्रणाली

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में साधनों पर स्वामित्व होता है –
(i) सरकार का
(ii) निजी व्यक्तियों का
(iii) दोनों का
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ii) निजी व्यक्तियों का

प्रश्न 2.
पूँजीवाद में आर्थिक शक्तियों का संचालक होता है
(i) लोकतन्त्र
(ii) मूल्य तन्त्र
(iii) राज्यतन्त्र
(iv) उक्त सभी।
उत्तर:
(ii) मूल्य तन्त्र

प्रश्न 3.
समाजवाद में उपभोक्ता की सम्प्रभुता
(i) बढ़ जाती है
(ii) स्थिर रहती है
(iii) अप्रभावित रहती है
(iv) समाप्त हो जाती है।
उत्तर:
(iv) समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 4.
व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का अभाव पाया जाता है
(i) पूँजीवादी में
(ii) मिश्रित अर्थव्यवस्था में
(iii) समाजवाद में
(iv) उक्त सभी में।
उत्तर:
(iii) समाजवाद में

प्रश्न 5.
भारतीय अर्थव्यवस्था में किस प्रणाली को अपनाया गया है ?
(i) पूँजीवादी प्रणाली
(ii) समाजवादी प्रणाली
(iii) मिश्रित अर्थव्यवस्था प्रणाली
(iv) उक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(iii) मिश्रित अर्थव्यवस्था प्रणाली

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. पूँजीवाद में उत्पादन के साधनों पर ………………… का अधिकार होता है।
  2. ………………… को समाजवाद का जनक माना जाता है। (2015)
  3. ‘संयुक्त क्षेत्र’ का संचालन सरकार एवं ………………… दोनों द्वारा मिलकर किया जाता है।
  4. समाजवाद में उत्पत्ति के साधनों पर स्वामित्व ………………… का होता है।
  5. भारत में ………………… अर्थव्यवस्था को अपनाया गया है।

उत्तर:

  1. निजी व्यक्तियों
  2. कार्ल मार्क्स
  3. निजी उद्योगपतियों
  4. सरकार या समाज
  5. मिश्रित।

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 आर्थिक प्रणाली 1
उत्तर:

  1. → (ग)
  2. → (क)
  3. → (ख)

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 अति लघ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पूँजीवाद में आर्थिक प्रणाली का संचालन किस यन्त्र द्वारा होता है ?
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का संचालन मूल्य यन्त्र’ के द्वारा होता है। मूल्य तन्त्र से आशय अर्थव्यवस्था में विद्यमान माँग एवं पूर्ति की शक्तियों से है।

प्रश्न 2.
समाजवाद में उत्पत्ति के साधनों पर किसका अधिकार होता है ?
उत्तर:
समाजवाद में उत्पत्ति के साधनों का स्वामित्व सरकार या समाज के पास होता है।

प्रश्न 3.
मिश्रित अर्थव्यवस्था किन दो आर्थिक प्रणालियों का मिश्रण है ?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवादी तथा समाजवादी आर्थिक प्रणालियों का मिश्रण है।

प्रश्न 4.
भारत में कौन-सी प्रणाली अपनाई गई है? (2009)
उत्तर:
भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया गया है।

प्रश्न 5.
मिश्रित अर्थव्यवस्था में उत्पत्ति के साधनों पर किसका अधिकार होता है?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी एवं सरकारी दोनों प्रकार का नियन्त्रण होता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पूँजीवाद व समाजवाद किसे कहते हैं ? लिखिए।
उत्तर:
पूँजीवादपूँजीवाद का आशय-पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को अनेक नामों से जाना जाता है; जैसे – बाजार अर्थव्यवस्था, निर्बाधवादी अर्थव्यवस्था, अनियोजित अर्थव्यवस्था आदि। पूँजीवाद को अग्र प्रकार से परिभाषित किया गया है –
लॉक्स तथा हट्स के अनुसार, “पूँजीवाद आर्थिक संगठन की एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें निजी स्वामित्व पाया जाता है और मनुष्यकृत तथा प्रकृतिदत्त साधनों का निजी लाभ के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रो. जॉन स्ट्रेची के अनुसार, “पूँजीवाद शब्द से आशय उस आर्थिक प्रणाली से है जिसमें कारखानों एवं खेतों पर व्यक्तियों का स्वामित्व होता है। पूँजीवाद में व्यक्ति विश्व प्रेम या स्नेह से नहीं वरन् लाभ के उद्देश्य से कार्य करता है।”

इस प्रकार स्पष्ट है कि पूँजीवाद में वस्तुओं के उत्पादन एवं वितरण पर निजी व्यक्तियों का अधिकार होता है तथा वे संग्रहित पूँजी का उपयोग अपने लाभ के लिए करते हैं।

समाजवाद का आशय – समाजवाद का जन्म पूँजीवादी प्रणाली के दोषों को दूर करने के लिए हुआ है। कार्ल मार्क्स को समाजवाद का जनक माना जाता है। इस आर्थिक प्रणाली में उत्पत्ति के साधनों पर व्यक्तिगत स्वामित्व न होकर सामाजिक स्वामित्व होता है।

प्रो. एच. डी. डिकिन्सन के अनुसार, “समाजवाद समाज का एक ऐसा आर्थिक संगठन है, जिसमें उत्पादन के भौतिक साधनों पर सम्पूर्ण समाज का स्वामित्व होता है और उनका संचालन एक सामान्य योजना के अनुसार ऐसी संस्थाओं द्वारा किया जाता है जो सम्पूर्ण समाज के प्रति उत्तरदायी होती हैं। समाज के सभी सदस्य समान अधिकारों के आधार पर ऐसे समाजीकृत आयोजित उत्पादन के परिणामों के लाभ प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं।”

प्रश्न 2.
पूँजीवादी आर्थिक प्रणाली की विशेषताएँ बताइए। (कोई पाँच) (2012, 13, 16)
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के लक्षण या विशेषताएँ

  1. निजी सम्पत्ति – पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति को सम्पत्ति प्राप्त करने, रखने, प्रयोग करने व खरीदने-बेचने का पूरा अधिकार होता है।
  2. अधिकतम लाभ – पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार अधिकतम लाभ प्राप्त करना होता है। इसमें व्यक्ति केवल उन्हें कार्यों को करता है जिनसे उसे अधिक लाभ मिलने की सम्भावना होती है।
  3. उद्यम का चुनाव करने की स्वतन्त्रता – पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार किसी भी व्यवसाय को करने की स्वतन्त्रता होती है। यह बात श्रमिक, पूँजीवादी, किसान, उत्पादक, उपभोक्ता सभी पर लागू होती है।
  4. कीमत तन्त्र-पूँजीवादी अर्थप्रणाली में आर्थिक क्रियाओं के संचालन का कार्य कीमत यन्त्र द्वारा सम्पादित होता है, उदाहरणार्थ-एक उत्पादक उसी वस्तु का उत्पादन करेगा जिसकी माँग व कीमत अधिक है, जिससे उसे अधिकतम लाभ प्राप्त हो।
  5. साहसी का महत्त्व – पूँजीवादी प्रणाली में साहसी का महत्वपूर्ण स्थान होता है क्योंकि उसी के द्वारा उत्पादन के साधनों को एकत्रित करके उत्पादन कार्य संचालित किया जाता है तथा लाभ-हानि का जोखिम उठाया जाता है।

प्रश्न 3.
मिश्रित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं ? मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोष बताइए। (2017)
उत्तर:
“मिश्रित अर्थव्यवस्था वह आर्थिक प्रणाली है, जिसमें समाज के सभी वर्गों के आर्थिक कल्याण के लिए सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र को विशिष्ट भूमिकाएँ आबंटित की जाती हैं।”

मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोष

(1) निर्बल नीति – मिश्रित अर्थव्यवस्था एक निर्बल आर्थिक नीति है, इसके अन्तर्गत निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र एक-दूसरे के पूरक के रूप में कार्य नहीं करते हैं। परिणामस्वरूप समन्वय के अभाव में दोनों ही क्षेत्र . परस्पर एक-दूसरे पर दोषारोपण करते रहते हैं जिससे अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है।

(2) अकुशलता – मिश्रित अर्थव्यवस्था से यह आशा की गयी थी कि इसमें पूँजीवाद एवं समाजवाद दोनों के गुणों का समावेश होगा परन्तु व्यवहार में इसमें एक भी व्यवस्था के गुण न आ सके। इस अर्थव्यवस्था में लालफीताशाही, भाई-भतीजावाद व भ्रष्टाचार जैसे अवगुण आ जाने के कारण कुशलता का अभाव होता है।

(3) राष्टीयकरण का भय – मिश्रित अर्थव्यवस्था में कुछ उद्योग तो स्वयं सरकार के हाथ में होते हैं साथ ही सरकार को यह अधिकार होता है कि वह जब चाहे किसी भी उद्योग को अपने हाथ में ले सकती है, फलस्वरूप निजी उद्यमियों के मस्तिष्क में सदैव राष्ट्रीयकरण का भय रहता है जिससे आर्थिक विकास की गति मन्द रहती है।

(4) राज्य का आर्थिक प्रभुत्व – मिश्रित अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत सरकार धीरे-धीरे सार्वजनिक क्षेत्र में वृद्धि करती जाती है फलस्वरूप समाजवादी शक्तियों का प्रभुत्व बढ़ता जाता है तथा समस्त अर्थव्यवस्था परलोकतन्त्र के स्थान पर साम्यवाद की स्थापना का भय बना रहता है।

(5) आर्थिक अस्थिरता – मिश्रित अर्थव्यवस्था बहत लम्बे समय तक नहीं टिक पाती है। दीर्घकाल में यह व्यवस्था या तो पूँजीवादी व्यवस्था में बदल जाती है या फिर समाजवादी अर्थव्यस्था में। इसमें स्थायित्व की कमी होती है।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि मिश्रित अर्थव्यवस्था के अनेक दोष हैं। एक कहावत है, “जो व्यक्ति दो घोड़ों की सवारी करता है, गिर जाता है परन्तु मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोषों को ध्यान से देखा जाए तो पता चलता है कि यह दोष स्वयं व्यवस्था के न होकर उस सरकारी मशीनरी के हैं जो इस व्यवस्था को लागू करती है। यही कारण है कि मिश्रित अर्थव्यवस्था में अनेक दोषों के होते हुए भी यह आधुनिक समय में सबसे लोकप्रिय प्रणाली है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आर्थिक प्रणाली का अर्थ बताते हुए इसकी विशेषताएँ लिखिए। (2009, 12, 18)
उत्तर:
आर्थिक प्रणाली का आशय

किसी राष्ट्र में आर्थिक क्रियाओं का संचालन जिस व्यवस्था से होता है उसे आर्थिक प्रणाली कहा जाता है। समाज द्वारा निर्धारित इस व्यवस्था के द्वारा ही अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित सभी निर्णय लिए जाते हैं, जैसे किन-किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाना है, उत्पादन कैसे किया जाना है, उत्पादन किसके लिए किया जाना है आदि। इन्हीं निर्णयों के आधार पर ही अर्थव्यवस्था में उपभोग, उत्पादन, विनिमय एवं वितरण का निर्धारण होता है। राष्ट्र के निवासियों का जन-जीवन इन्हीं निर्णयों पर निर्भर करता है। इस प्रकार आर्थिक प्रणाली को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है –

प्रो. डार्फमेन के अनुसार, “अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत उन सभी सामाजिक नियमों, परम्पराओं तथा संस्थाओं का समावेश होता है जो समाज के सदस्यों में विनिमय साध्य वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, व्यापार तथा उपभोग के लिए सहयोग पर नियन्त्रण रखते हैं।”

ए. जे. ब्राउन के अनुसार, “आर्थिक प्रणाली एक साधन है जिसके द्वारा लोग अपनी आजीविका का उपार्जन करते हैं।”

इस प्रकार आर्थिक प्रणाली वह प्रणाली है जिसके अन्तर्गत आर्थिक क्रियाओं का संचालन होता है। आर्थिक क्रियाओं के अन्तर्गत किसी राष्ट्र में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन, इनका उपभोग, विनिमय तथा उत्पत्ति के साधनों में उनके पारिश्रमिक के वितरण का समावेश होता है। अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि आर्थिक प्रणाली देश के आर्थिक जीवन को नियन्त्रित करती है और इसका कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत होता है।

आर्थिक प्रणाली की विशेषताएँ

आर्थिक प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. आर्थिक प्रणाली का मुख्य उद्देश्य आर्थिक समस्याओं को हल करना है।
  2. अर्थव्यवस्था की मुख्य समस्याएँ हैं-क्या उत्पादन किया जाए, उत्पादन किसके लिए किया जाए और उत्पादन कैसे किया जाए ?
  3. अर्थव्यवस्था में मानवीय आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने वाले साधन सीमित मात्रा में होते हैं।
  4. आर्थिक प्रणाली के द्वारा मानवीय आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए साधनों के प्रयोग के तरीकों का चुनाव किया जाता है।
  5. आर्थिक प्रणाली परिवर्तनशील होती है।
  6. आर्थिक प्रणाली का सम्बन्ध एक देश या देशों के समूह से होता है।

प्रश्न 2.
पूँजीवाद का अर्थ बताइए तथा इसके लक्षण लिखिए।
उत्तर:
पूँजीवाद का अर्थ – पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को अनेक नामों से जाना जाता है; जैसे – बाजार अर्थव्यवस्था, निर्बाधवादी अर्थव्यवस्था, अनियोजित अर्थव्यवस्था आदि। पूँजीवाद को अग्र प्रकार से परिभाषित किया गया है –
लॉक्स तथा हट्स के अनुसार, “पूँजीवाद आर्थिक संगठन की एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें निजी स्वामित्व पाया जाता है और मनुष्यकृत तथा प्रकृतिदत्त साधनों का निजी लाभ के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रो. जॉन स्ट्रेची के अनुसार, “पूँजीवाद शब्द से आशय उस आर्थिक प्रणाली से है जिसमें कारखानों एवं खेतों पर व्यक्तियों का स्वामित्व होता है। पूँजीवाद में व्यक्ति विश्व प्रेम या स्नेह से नहीं वरन् लाभ के उद्देश्य से कार्य करता है।”

इस प्रकार स्पष्ट है कि पूँजीवाद में वस्तुओं के उत्पादन एवं वितरण पर निजी व्यक्तियों का अधिकार होता है तथा वे संग्रहित पूँजी का उपयोग अपने लाभ के लिए करते हैं।

समाजवाद का आशय – समाजवाद का जन्म पूँजीवादी प्रणाली के दोषों को दूर करने के लिए हुआ है। कार्ल मार्क्स को समाजवाद का जनक माना जाता है। इस आर्थिक प्रणाली में उत्पत्ति के साधनों पर व्यक्तिगत स्वामित्व न होकर सामाजिक स्वामित्व होता है।

प्रो. एच. डी. डिकिन्सन के अनुसार, “समाजवाद समाज का एक ऐसा आर्थिक संगठन है, जिसमें उत्पादन के भौतिक साधनों पर सम्पूर्ण समाज का स्वामित्व होता है और उनका संचालन एक सामान्य योजना के अनुसार ऐसी संस्थाओं द्वारा किया जाता है जो सम्पूर्ण समाज के प्रति उत्तरदायी होती हैं। समाज के सभी सदस्य समान अधिकारों के आधार पर ऐसे समाजीकृत आयोजित उत्पादन के परिणामों के लाभ प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं।”

पूँजीवाद के लक्षण –

  1. निजी सम्पत्ति
  2. अधिकतम लाभ
  3. उद्यम का चुनाव करने की स्वतन्त्रता
  4. कीमत तन्त्र
  5. साहसी का महत्त्व

प्रश्न 3.
मिश्रित अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं एवं इस प्रणाली की क्या विशेषताएँ हैं? लिखिए। (2009, 11, 15)
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ

मिश्रित अर्थव्यवस्था में समाजवादी और पूँजीवादी तत्वों का राष्ट्र की आवश्यकतानुसार मिश्रण रहता है। यह एक इस प्रकार की आर्थिक प्रणाली है जिसमें पर्याप्त मात्रा में निजी क्षेत्र तथा सार्वजनिक क्षेत्र दोनों का सहअस्तित्व होता है। दोनों के कार्यकरण का क्षेत्र निर्धारित कर दिया जाता है, दोनों अपने-अपने क्षेत्र में तथा मिलकर इस प्रकार कार्य करते हैं जिससे राष्ट्र के सभी लोगों के आर्थिक कल्याण में वृद्धि होती है तथा आर्थिक विकास तीव्र गति से होता है। भारतीय योजना आयोग के अनुसार, “मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित होते हैं तथा दोनों एक इकाई के दो घटकों के रूप में कार्य करते हैं।”

मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ

मिश्रित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

(1) निजी और सार्वजनिक क्षेत्र का सहअस्तित्व – मिश्रित अर्थव्यवस्था में राष्ट्र की आर्थिक क्रियाओं को सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। दोनों ही क्षेत्र साथ-साथ कार्य करके राष्ट्र की आर्थिक प्रगति में योगदान करते हैं। निजी क्षेत्र के उपक्रमों का स्वामित्व एवं प्रबन्ध व्यक्तियों के हाथ में होता है और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम सरकार के स्वामित्व एवं प्रबन्ध में कार्य करते हैं।

(2) पूँजीवाद और समाजवाद के मध्य का मार्ग – मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवाद और समाजवाद के मध्य की एक स्थिति है। इसमें पूँजीवाद तथा समाजवाद के मिश्रित गुण पाये जाते हैं। निजी क्षेत्र में जो भी उत्पादन का कार्य किया जाता है, उसमें लाभ भावना बनी रहती है, जो पूँजीवाद की प्रमुख विशेषता है। सार्वजनिक क्षेत्र का जितना भी उत्पादन होता है अथवा सार्वजनिक क्षेत्र की जो भी सम्पत्ति होती है, उस पर सामूहिक रूप से सभी व्यक्तियों का अधिकार होता है। इस प्रकार इस व्यवस्था से समाजवाद के लाभ भी प्राप्त कर लिये जाते हैं। इस प्रकार मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूँजीवाद व समाजवाद दोनों का तालमेल रहता है।

(3) एकाधिकारी प्रवृत्ति का नियन्त्रण – इसमें आय तथा धन के वितरण की असमानताएँ दूर करने के लिए प्रगतिशील कर, मृत्यु कर, उत्तराधिकारी कर तथा लाभों पर कर लगा दिये जाते हैं। इस दृष्टि से एकाधिकारी शक्तियों तथा प्रवृत्तियों को नियन्त्रित किया जाता है।

(4) सामाजिक सुरक्षा – मिश्रित अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत सामाजिक सुरक्षा; जैसे-वृद्धावस्था पेंशन, बीमारी, बीमा, बेरोजगारी, आश्रितों को लाभ, दुर्घटना और मृत्यु के विरुद्ध बीमा आदि की व्यवस्था होती है।

(5) आर्थिक नियोजन – मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास नियोजन द्वारा किया जाता है, ताकि समस्त अर्थव्यवस्था का कार्यकरण सामाजिक कल्याण तथा तीव्र आर्थिक विकास की दृष्टि से हो सके।

(6) नियन्त्रित कीमत प्रणाली – मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत प्रणाली को न तो बिल्कुल स्वतन्त्र छोड़ा जाता है और न पूर्णतः समाप्त ही किया जाता है। विभिन्न वस्तुओं की न्यूनतम व अधिकतम कीमतें निर्धारित कर दी जाती हैं।

(7) आधारभूत उद्योगों का राष्ट्रीयकरण – मिश्रित अर्थव्यवस्था में आधारभूत उद्योगों, जैसे-सुरक्षा सम्बन्धी उद्योग, डाक-तार, रेल तथा हवाई यातायात आदि का राष्ट्रीयकरण करके इन्हें सार्वजनिक क्षेत्र में रखा जाता है। इसका कारण यह है कि इन्हीं निजी क्षेत्र के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है।

प्रश्न 4. पूँजीवाद के गुण एवं दोषों की व्याख्या कीजिए। (2011)
अथवा
पूँजीवादी प्रणाली के दोष लिखिए। (2009)
उत्तर:
पूँजीवादी प्रणाली के गुण

  1. स्वयं संचालित-पूँजीवादी प्रणाली में किसी भी प्रकार का नियन्त्रण नहीं होता है, प्रत्येक व्यक्ति अपनी निजी स्वार्थ-सिद्धि के उद्देश्य से कार्य करता है। इस अर्थव्यवस्था में सभी स्वयं संचालित होते हैं।
  2. उत्पादन में वृद्धि-इस प्रणाली में प्रत्येक उत्पादन अधिकतम लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से उत्पादन में वृद्धि करना चाहता है।
  3. जीवन-स्तर में सुधार-पूँजीवाद में अधिक उत्पादन होने के कारण व्यक्तियों की आय अधिक होती है जिसके फलस्वरूप उनका जीवन-स्तर ऊँचा हो जाता है।।
  4. लचीलापन-लचीलापन इस प्रणाली का महत्वपूर्ण गुण है। यह समय तथा परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को परिवर्तित करती रहती है। अपने इसी गुण के कारण यह आज भी अधिकांश देशों में जीवित है।
  5. योग्यतानुसार पुरस्कार-पूँजीवाद के अन्तर्गत जो व्यक्ति जितना अधिक कार्यकुशल होता है, उसे उतना ही अधिक पुरस्कार मिलता है, परिणामस्वरूप व्यक्ति और अधिक उत्साह से कार्य करता है।
  6. अधिकतम सन्तुष्टि-पूँजीवाद में उपभोक्ता को सार्वभौमिक सत्ता प्राप्त होने के कारण उसको अधिकतम सन्तुष्टि की प्राप्ति होती है।

पूँजीवादी प्रणाली के दोष

  1. आर्थिक असमानताएँ-इस प्रणाली में धनी एवं निर्धन वर्ग की आय में बहुत अन्तर पाया जाता है। इस आर्थिक असमानता के कारण धनी और धनी व निर्धन और निर्धन होते चले जाते हैं।
  2. वर्ग संघर्ष-पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में समाज दो वर्गों में विभाजित होता है। पूँजीपति व श्रमिक वर्ग। इन दोनों वर्गों के मध्य निरन्तर टकराव होता रहता है और यह टकराव धीरे-धीरे वर्ग संघर्ष का रूप धारण कर लेता है।
  3. बेरोजगारी-पूँजीवाद में श्रमिकों को सदैव बेरोजगारी का भय बना रहता है पूँजीपति जब चाहे श्रमिकों की छंटनी कर काम से निकाल देते हैं। इस तरह उनका रोजगार सुरक्षित नहीं रहता है।
  4. आर्थिक साधनों का अपव्यय-पूँजीवादी प्रणाली में एक ही वस्तु का उत्पादन अलग-अलग उत्पादों द्वारा किया जाता है जिसके प्रचार तथा विज्ञापन पर बहुत व्यय करना पड़ता है जिससे वस्तुओं का मूल्य बढ़ता है।
  5. आर्थिक शोषण-इस व्यवस्था के अन्तर्गत अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी देकर उनका अनुचित शोषण किया जाता है।

प्रश्न 5.
समाजवादी आर्थिक प्रणाली क्या है ? इसकी विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
अथवा
समाजवाद की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (2010)
अथवा
समाजवाद के कोई पाँच लक्षण समझाइए। (2009)
उत्तर:
समाजवादी आर्थिक प्रणाली से आशय – लघु उत्तरीय प्रश्न 1 के उत्तर में ‘समाजवाद का आशय’ शीर्षक देखें।

समाजवादी आर्थिक प्रणाली की विशेषताएँ

समाजवादी अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

(1) उद्देश्यपूर्ण अर्थव्यवस्था-समाजवादी अर्थव्यवस्था के सुनियोजित लक्ष्य होते हैं और इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए विवेकपूर्ण सतत् प्रयास किये जाते हैं। अतः समाजवादी अर्थव्यवस्था व्यक्तिवादी अर्थव्यवस्था की भाँति अन्धी, उद्देश्यहीन व अविवेकपूर्ण नहीं होती। इसलिए समाजवादी अर्थव्यवस्था को व्यक्तिवादी अर्थव्यवस्था से भिन्न सामूहिकवादी अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

(2) उत्पादन के साधनों पर सरकारी स्वामित्व-समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत स्वामित्व के स्थान पर समाज का सामूहिक या सरकार का स्वामित्व होता है। देश के बड़े-बड़े उद्योगों, बैंक, बीमा कम्पनी, यातायात तथा संचार के साधनों आदि का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाता है और देश की सरकार को यह पूर्ण अधिकार होता है कि वह उनका संचालन अधिकतम कल्याण के लिए करे।

(3) आर्थिक नियोजन-समाजवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक नियोजन महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सरकार आर्थिक नियोजन की नीति को अपनाकर विभिन्न क्षेत्रों के लिए लक्ष्य निर्धारित करती है, क्षेत्रों में समन्वय स्थापित करती है तथा आर्थिक निर्णय लेती है। इसके लिए सरकार एक केन्द्रीय योजना अधिकारी नियुक्त करती है।

(4) प्रतियोगिता का अभाव-समाजवादी अर्थव्यवस्था में प्रतियोगिता सम्भव नहीं होती है। उत्पादन के सभी साधनों पर राज्य का अधिकार होता है। राज्य अर्थात् सरकार स्वयं साहसी एवं पूँजीगत का कार्य करता है। वह स्वयं ही किसी वस्तु का उत्पादन करने के लिए साधनों को एकत्र करता है एवं सम्पूर्ण उत्पादन व्यवस्था को संचालित करता है। इस प्रकार समाजवादी अर्थव्यवस्था में किसी प्रकार की प्रतियोगिता सम्भव नहीं होती है।

(5) सामाजिक कल्याण-समाजवादी अर्थव्यवस्था में व्यक्तिगत हित के स्थान पर सामाजिक कल्याण को महत्त्व दिया जाता है। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाओं का विश्लेषण तथा उनके बीच समन्वय स्थापित करने का कार्य एक निश्चित योजना के अनुसार किया जाता है, जिसमें उत्पादन के साधनों को विभिन्न उद्योगों में इस प्रकार बाँटा जाता है कि समाज के सभी व्यक्तियों का अधिकतम कल्याण हो सके।

(6) आय की समानता-समाजवादी अर्थव्यवस्था में आय का वितरण समानता के आधार पर होता है। इस सन्दर्भ में यह महत्त्वपूर्ण है कि आय की समानता का यह आशय नहीं है कि कार्य की मात्रा या गुणवत्ता को ध्यान में रखे बिना सभी लोगों में आय का समान वितरण कर दिया जाए। इसका आशय केवल यह कि राष्ट्रीय आय को उत्पादन के सभी साधनों में उनके द्वारा दिये गये योगदान के अनुपात में समानता के आधार पर वितरित किया जाए।

(7) शोषण की समाप्ति-समाजवाद एक वर्ग रहित समाज है क्योंकि समाजवाद में उत्पादन के साधनों तथा उत्पादन पर सरकार का स्वामित्व होता है जिसके कारण समाज पूँजीपति तथा श्रमिक वर्ग में विभाजित नहीं हो पाता है। इसके अलावा उत्पादन भी सामाजिक हित में किया जाता है जिससे श्रमिकों का शोषण नहीं हो पाता है। उपभोक्ता को भी जीवन की सभी उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त हो जाती हैं।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समाजवाद में क्या पाया जाता है ?
(i) वर्ग-संघर्ष
(ii) आर्थिक अस्थिरता
(iii) प्रेरणा का अभाव
(iv) निजी उद्यम।
उत्तर:
(iii) प्रेरणा का अभाव

प्रश्न 2.
मिश्रित अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषता है
(i) आर्थिक नियोजन
(ii) आर्थिक समानता
(iii) शोषण
(iv) कीमत तन्त्र।
उत्तर:
(ii) आर्थिक समानता

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. किसी देश में आर्थिक क्रियाओं का संचालन जिस व्यवस्था से होता है उसे ……………. कहा जाता है।
  2. पूँजीवाद में उत्पादन से सम्बन्धित सभी निर्णय ……………. की इच्छा के आधार पर लिये जाते हैं।
  3. मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसी आर्थिक प्रणाली है जिसमें ……………. एवं ……………. दोनों क्षेत्र साथ-साथ कार्य करते हैं।

उत्तर:

  1. आर्थिक प्रणाली
  2. उपभोक्ता
  3. सार्वजनिक निजी।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
भारतीय अर्थव्यवस्था में पूँजीवादी प्रणाली को अपनाया जाता है। (2016)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 2.
मिश्रित अर्थव्यवस्था में असीमित व्यक्तिगत स्वतन्त्रता रहती है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
पूँजीवाद में केन्द्रीय संस्था अर्थव्यवस्था का संचालन करती है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 4.
समाजवाद में केन्द्रीय नियोजन अनिवार्य है। (2017)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
कीमत यन्त्र पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्याओं का हल करता है।
उत्तर:
सत्य

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
वर्ग संघर्ष किस आर्थिक प्रणाली का लक्षण है ?
उत्तर:
पूँजीवादी

प्रश्न 2.
उत्पादन के साधनों पर समाज का स्वामित्व कौन-सी अर्थव्यवस्था में होता है ?
उत्तर:
समाजवादी

प्रश्न 3.
समाजवाद के प्रणेता का नाम लिखिए।
उत्तर:
कार्ल मार्क्स

प्रश्न 4.
समाजवादी अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्याएँ कौन हल करता है ?
उत्तर:
आर्थिक नियोजन

प्रश्न 5.
विश्व में मुख्यतः कितने प्रकार की आर्थिक प्रणालियाँ पाई जाती हैं ?
उत्तर:
तीन प्रकार की।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मूल्य तंत्र क्या है ?
उत्तर:
पूँजीवाद के अन्तर्गत किसी भी वस्तु का मूल्य उनकी माँग एवं पूर्ति की शक्तियों के द्वारा निर्धारित होता है। मूल्य निर्धारण की इस प्रक्रिया को मूल्य तंत्र कहा जाता है।

प्रश्न 2.
व्यापार चक्र किसे कहते हैं ?
उत्तर:
तेजी एवं मन्दी काल की पुनरावृत्ति होने की प्रवृत्ति को व्यापार चक्र कहा जाता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समाजवादी आर्थिक प्रणाली के गुण बताइए।
अथवा
समाजवादी अर्थव्यवस्था के कोई चार गुण लिखिए। (2014, 16)
उत्तर:
समाजवादी आर्थिक प्रणाली के गुण-समाजवादी आर्थिक प्रणाली के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं।

  1. आर्थिक स्थायित्व – समाजवाद में आर्थिक स्थायित्व रहता है, क्योंकि इसमें व्यापार चक्रों के उत्पन्न होने की सम्भावना लगभग समाप्त हो जाती है। अतः इस प्रणाली में सरकार द्वारा देश की माँग व पूर्ति में
    सन्तुलन रखा जाता है।
  2. बेरोजगारी की समाप्ति – इस प्रकार की प्रणाली में सरकार अर्थव्यवस्था का संचालन इस प्रकार करती है कि सभी को रोजगार मिल सके। योजनाओं में रोजगार को प्राथमिकता दी जाती है।
  3. साधनों का अधिकतम उपयोग – समाजवादी प्रणाली में साधनों की सभी प्रकार की बर्बादी और अपव्यय को रोका जाता है। इस व्यवस्था में केवल उन्हीं वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करने का प्रयास किया जाता है जिनसे अधिकतम लोगों की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट किया जा सके।
  4. श्रमिकों की कार्यक्षमता में वृद्धि – समाजवादी अर्थव्यवस्था में चूँकि श्रमिकों को उचित स्थान दिया जाता है, उनके रहन-सहन का स्तर ऊँचा किया जाता है, उन पर उत्तरदायित्व को बोझ लादा जाता है, इसलिए उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि हो जाती है, जिसका देश की आर्थिक स्थिति पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
  5. वग-संघर्ष की समाप्ति – समाजवादी व्यवस्था में एक वर्गहीन समाज होता है, इस कारण वर्ग-संघर्ष का प्रश्न ही नहीं उठता। समाजवाद में व्यक्तिगत लाभ को पूर्णतः समाप्त कर दिया जाता है, जो वर्ग-संघर्ष का आधार होता है। समाजवाद में उत्पादन के साधनों पर सरकार का स्वामित्व होता है। अतः वर्ग-संघर्ष का अन्त हो जाता है।
  6. आर्थिक समानता – समाजवादी व्यवस्था में अनुपार्जित आय को प्रायः समाप्त कर दिया जाता है। निजी सम्पत्ति को समाप्त करके भूमि तथा पूँजी सरकार के हाथ में आ जाती है, जिसके कारण लगान, ब्याज तथा लाभ अधिकांश सरकार को प्राप्त होता है। इस प्रकार समाजवाद में धन के वितरण की असमानताओं को कम करके लोगों की आय को इस प्रकार निश्चित किया जाता है जिससे कि जनसंख्या के कुल कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 2.
समाजवाद के प्रमुख दोष बताइए।
उत्तर:
समाजवाद के दोष-समाजवाद के प्रमुख दोष निम्नवत् हैं –

(1) सत्ता का केन्द्रीयकरण – समाजवाद की प्रवृत्ति केन्द्रीयकरण की है। इस सन्दर्भ में डॉ. कुमारप्पा का कहना है कि “जिस प्रकार से पूँजीवाद ने सम्पत्ति को लिया है, जो वास्तव में व्यक्तियों की थी और इसको पूँजीपतियों के हाथ में संचित कर दिया है, उसी प्रकार समाजवाद उस शक्ति को ले लेता है जो वास्तव में व्यक्तियों की है और राज्यों में केन्द्रित कर देती है।”

(2) लाल फीताशाही व नौकरशाही-इस अर्थव्यवस्था में सभी कार्य कर्मचारियों द्वारा कराया जाता है क्योंकि सभी संस्थानों का स्वामित्व सरकार के हाथ में होता है। अतः कोई भी निर्णय शीघ्र नहीं हो पाता। एक निर्णय नीचे से ऊपर तक फाइलों में ही चक्कर काटता रहता है।

(3) प्रेरणा एवं साहस की कमी – समाजवादी अर्थव्यवस्था में व्यक्ति प्रतिस्पर्धा तथा लाभ भावना की कमी, उत्तराधिकार की समाप्ति आदि के कारण प्रेरित होकर कार्य नहीं करता है। समाजवाद के लाभ भावना की प्रेरणा को महत्व ज्यादा नहीं दिया जाता, जिसके फलस्वरूप अर्थव्यवस्था सरकारी मशीन से चलती है जो हमेशा उदासीन होकर कार्य करती है। इस अर्थव्यवस्था में प्रत्येक श्रमिक सरकारी कर्मचारी होता है, इसलिए उसे अधिक कार्य करने की प्रेरणा नहीं मिलती है।

(4) सीमित व्यक्तिगत स्वतन्त्रता – समाजवादी व्यवस्था में व्यक्ति की स्वतन्त्रता का अतिक्रमण हो जाता है। समाज के हित के लिए व्यक्ति की स्वतन्त्रता का बलिदान कर दिया जाता है। व्यक्ति की स्वतन्त्रता का इस सीमा तक अंकुश होता है कि वह अपनी इच्छानुसार अपने व्यवसाय का भी चुनाव नहीं कर सकता।

(5) साधनों का अविवेकपूर्ण वितरण – समाजवादी व्यवस्था में साधनों का वितरण मनमाने ढंग से होता है। साधनों के वितरण का कोई वैज्ञानिक व विवेकपूर्ण आधार नहीं होता है। कीमत यन्त्र के अभाव के कारण साधनों का उचित वितरण नहीं हो पाता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था एवं समाजवादी अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पूँजीवादी एवं समाजवादी अर्थव्यवस्था में अन्तर
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 आर्थिक प्रणाली 2

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 3 Industries in India

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 3 Industries in India

MP Board Class 10th Social Science Chapter 3 Text Book Exercise

Objective Type Questions

Question 1.
Multiple Choice Questions:
(Choose the correct answer from the following)

Question (a)
In which year the Industrial Policy of India was declared?
(a) 1947
(b) 1951
(c) 1948
(d) 1972.
Answer:
(c) 1948

Question (b)
The capital of cotton textile industry of India is:
(a) Ahmedabad
(b) Mumbai
(c) Allahabad
(d) Indore.
Answer:
(b) Mumbai

Question (c)
Where is the security paper mill located in India?
(a) Nepanagar
(b) Titagarh
(c) Saharanpur
(d) Hoshangabad.
Answer:
(b) Titagarh

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Question (d)
In which of the following industries, air pollution is maximum:
(a) Match sticks industry
(b) Paper industry
(c) Chemical industry
(d) Furniture industry.
Answer:
(c) Chemical industry

Question (e)
Madhya pradesh Rajya Laghu Vanopaj Vyapar Evam Vikas Sarkari Sangh was established in the year?
(a) 1984
(b) 1994
(c) 2004
(d) 1974.
Answer:
(a) 1984

MP Board Class 10th Social Science Chapter 3 Very Short Answer Type Questions

Question 1.
What is an industry?
Or
What do you mean by manufacturing industry? (MP Board 2009)
Answer:
The work of making or manufacturing things is called industry. In the process of manufacturing or making things man uses raw material and converts it into finished goods with the help of labour, energy and technology.

Question 2.
What is the raw material used in paper industry?
Answer:
The pulp made of bamboo, rubber wood and grass is the basic raw material of tlfe paper industry. Actually the raw materials from forest (53%), from agro products (23%), from waste paper (15%) and the other raw material (9%).

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Question 3.
Which is the biggest iron and steel industry in India?
Answer:
Tata Iron and Steel Industry located at Jamshedpur in Jharkhand is the biggest iron and steel industry in India.

Question 4.
What do you mean by pollution?
Answer:
Pollution is meant any undesirable change in the air, water or land which occurs due to undesirable changes, on account of any physical, chemical or biological factor and which adversely affects the health, safety or welfare of all living brings. For example, air pollution, sound pollution, water pollution and land pollution etc.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 3 Short Answer Type Questions

Question 1.
In how many types the industries can be classified on the basis of ownership?
Answer:
On the basis of ownership the following types of industries are:

  1. Private industries – which are owned by an individual.
  2. Government industries – which are owned by the Government.
  3. Co – operative industries – which are owned by co – operative institutions.
  4. Mixed industries which are owned by two or more owners.

Question 2.
How many types of industries can be there on the basis of raw material used? (MP Board 2009, 2011)
Answer:
On the basis of raw material used in industrial units are divided into three parts:
(a) Agro – based:
Where raw materials is agricultural product e.g. cotton textile industry. –

(b) Mineral based:
Where raw materials is mineral e.g. Iron and Steel industry.

(c) Forest based:
Where raw material came forest product e.g. paper industry.

Question 3.
Why is iron and steel industry called a basic industry? (MP Board 2009, 2013)
Or
Iron – steel industry is a basic industry. Why? (MP Board 2009)
Answer:
Industries which are very important because many other industries depend on them for the supply of machines and other equipments necessary for the production of goods. Such industries are called Basic or Key industries.

Iron and Steel industry is a very important basic or key industry. Iron and Steel industries lay the foundations of other industries which include heavy engineering, ship building, automobiles etc.

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Question 4.
Where are paper units set up in West Bengal? (MP Board, 2011)
Answer:
The raw materials from agricultural products, forest and the pulp of bamboo and grass are abudantly available in the riverine zone of West Bengal and the marshland of Sunderban. There are the following area:

Titagarh, Ranigarh, Naihati, Kolkata, Kakinada, Bada Nagar, Shivraphooti etc. Where the 40% of country’s share is contained. On the other hand suitable climatic condition centrally setup labour availability and good networking are the boon for the of paper industry in West Bengal.

Question 5.
State the need of establishing cottage and small scale industry in local level?
Answer:
Small scale and cottage industries are the backbone of an economy. Some industries are based on agricultural and forest produces. These industries obtain the supply of raw material in the form of agricultural crops and forest products. In forest and village areas where the vanvasis and villagers twelve, there is an acute lack of industries. Therefore there is an urgent need to establish small and cottage industries.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 3 Long Answer Type Questions
Question 1.
How many types of industries can be there on the basis of raw material used? (MP Board 2009)
Answer:
Types of industries in India:
On the basis of ownership, utility, size, raw material and nature of finished goods produced, types of industries can be classified as follows:

1. According to the Criterion of Ownership:
Industries can be classified into four types:

(a) Private industries:
which are owned by an individual,

(b) Government industries:
which are owned by Government,

(c) Co – operative industries:
which are owned by co – operative organisations.

(d) Mixed industries:
which are owned by two or more owners of the above types.

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2. On the Basis of Utility industries can be classified into two types:
(a) Basic industries:
Such industries which provide basis for other industries. The products of such industries are used for setting up and running other industrial units like iron and steel industry.

(b) Consumer industries:
Such industries which produce consumer goods like textiles, sugar, paper etc.

3. On the Basis of Size:
industries can be classified into four types:

(a) Large scale industries:
Industrial units where capital investment is 10 crores or more e.g., Tata Iron and Steel Co.

(b) Medium industries:
Where capital investment is between 5 and 10 crores e.g. Leather industry.

(c) Small scale industries:
Such industries in which capital investment is 2 to 5 crores e.g. lac industry.

(d) Cottage industries:
Where capital investment is nominal and which are run with the help of the family members. If such industries are located in a village they are called village or rural industries and if they are located in a town they are known as urban cottage industry.

4. On the Basis of the Type of Finished Goods:
Industries can be classified into two types:

(a) Heavy industries:
where heavy machines, articles etc. are produced e.g. tractor manufacturing units.

(b) Light industries: where small articles of daily use are manufactured e.g. toys.

5. On the Basis of Raw Material:
Industrial units can be divided into three types:

(a) Agro based industry:
where raw material is agricultural products e.g. cotton textile industry.

(b) Mineral based industries:
such units which use mineral as raw material e.g., Iron – Steel industry.

(c) Forest based industries:
where raw material are forest products e.g., paper industry.

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Question 2.
In which four areas the Iron and Steel Industry is located and why? State the area wise names of the plants?
Answer:
The first modern iron and steel plant was set up in a place ‘Portonovo’ in the State of Tamilnadu (India) in the year 1830. The first major plant of iron and steel was set up in ’Sakchi1, a place in Jharkhand State, in the year 1907 by Jamshedji Tata. This place is now known as Jamshedpur.

The Iron and Steel industry located in Jamshedpur is known as ‘Tata Iron and Steel Company.’ (TISCO). The main reason of localisation of this industry in these areas is that the raw materials used in this industry are heavy, cheap and full of impurities due to which it is uneconomical to transport heavy raw materials, therefore the production units themselve are set up there. The industry is mainly localised in four regions:

(a) Industries located in coal belt:
Burnpur, Hirapur, Kulti, Durgapur and Bokaro.

(b) Industries located iron – ore belt:
Bhilai, Rourkela, Bhadravati, Salem, Vijay Nagar, Chandrapur.

(c) Steel industries located in areas between coal and iron ore belt which have transport facilities: Jamshedpur

(d) Coastal area where iron and steel industry is located:
Vishakhapatanam.

Production of iron and steel:
The systematic development of Iron and Steel Industry of India after independence has resulted into sustained increase in die production in last few decades during 1970 – 1971 the production was 70 lakh tones which increased to 492 lakh tones in the year 2005 – 2006. The industry is giving direct employment to more than 5 lakh persons in India.

Question 3.
Describe the production and distribution details of the paper industry of India?
Answer:
Production of paper:
India ranks 20th in the world in respect of paper production as per independence paper production has increased thirty times. Out of the total production of paper in the country 53% is writing and printing paper, 22% is packing paper, 6% card board and 65% is news print and remaining paper is of other special variety. Production of all varieties of paper in India in’ the year 1950 – 1951 was 116 thousand tons, which rose to 3090 thousand tons in 2000 – 2001.

The main paper producing states in the country are Karnataka, Bihar, Jharkhand, Kerala, etc. In Hoshangabad of Madhya Pradesh the security paper mill is also there. There are more than 600 paper and straw based mills in the country which give direct employment to approximately 3 lakh people. In our country the demand for paper is more than the production therefore, this industry needs concentrated efforts to speed up the development further.

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Question 4.
Describe the contribution of industries in the national economy?
Or
What is the contribution of industries in national economoy? (MP Board 2009)
Explain the contribution of industries in the national‘economy? (MP Board 2009)
Answer:
According to the Industrial Commission India was an industrial country even before the Christian era. After independence the need for industrial development was felt for the economic development of the country. In the year 1950, the ‘National Planning Commission’ was set up.

Through Five Year Plans Targets for industrial development were set. Consequently, due to increasing contribution of industries in national development, achievement of following objectives could become possible.

  1. Increase in the production due to industrialisation; per capital income increased and consequently the standard of living improved.
  2. Increase in employment opportunities and the human resource strengthened.
  3. Rise in the national income and capital formation.
  4. Due to increased contribution of industries, other constituent units of the economy viz. agriculture, mineral, transportation etc., also progressed.
  5. Research is strengthened and the technology also develops.

Question 5.
Throw light on ‘industrial pollution’? (MP Board 2010)
Or
What is the Sound Pollution? (MP Board 2009)
Answer:
The pollution generated by industries is called industrial pollution. The industrial development has, on the one hand, played an important role in developing the economy, while it has a adversely affected the environment and it is assuming vast proportions day by day. Main types of industrial pollution are as under:

  1. Air pollution
  2. Water pollution
  3. Land pollution
  4. Sound or Noise pollution

There are other factors also responsible for atmosphere pollution but here we shall study this problem with regard to industrialisation.

Air pollution:
The poisonous gases and smoke emitted by the industrial plants are main cause of air pollution, The nature and quantum of industrial pollution depends on the type of industry, raw material used and manufacturing technique and process. From this point of view textile industry, chemical industries, metal industry, oil refineries and sugar industry cause more pollution as compared to some other industries.

Water pollution:
Water is necessary for life. Undesirable elements when get mixed up with water, they pollute the water. Water is used for production by industries. During the manufacturing processes harmful matter, salts, acids and chemicals etc. get mixed ,up with the water; this water then flows into rivers and water reservoirs.

Land pollution:
The supply of land is limited. Misuse of this resource can have serious effects. Disposal of industrial waste on the surface of the earth is known as land pollution. These waste matters are not natural and they do not get absorbed in the natural cycle (i.e. they are not bio – degradable); this adversely affects the quality of land, this is known as land pollution.

Sound or Noise pollution:
Any sound in the air which is irritating and hampers the functioning of mind properly i.e., noise, is the main form of sound pollution. A variety of machines are used in industries which produce constant noise. Generators also make constant noise. Consequently the workers working here become victims of deafness and many mental problems.

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Question 6.
State the measures to control industrial pollution? (MP Board 2009, 2012)
Answer:
The following steps can be taken to control the various types of industrial pollution:
Measures to control air pollution:

  1. Height of chimneys of the factories should be increased to reduce the effect of harmful gases.
  2. To adopt such technology which will spread less pollution.
  3. Pollution control devices should be installed in industries.
  4. Well before setting of the plant, trees and greenery should be developed there.
  5. Such sources of energy, like solar energy, should be used which will cause minimal pollution.

Measures to control water pollution:

  1. Chemical industries which pollute the water most should be set up away from rivers and water reservoirs.
  2. Waste – water of industries should not be directly disposed of in rivers or sources of water, instead this water should be treated and used for irrigation etc.
  3. Water treatment arrangements should be made at the time of setting up of the plant itself.
  4. Trees should be planted on road side and open land around the plant.
  5. The industrialists should be advised regularly to control water pollution and government should keep a watch on the industrial waste.

Measures to control land pollution:

  1. Industrial waste should not be thrown in the open, proper arrangements should be made for their disposal.
  2. The waste should be burnt by modern methods and the heat so generated could be utilized for energy production. Due to this about 80% waste is burnt and the pollution caused by burning the waste can be controlled.
  3. Bio – degradable waste can be used for preparing compost manure.
  4. The industrial units should be prohibited to dispose of industrial waste without treatment.
  5. Technology should be developed to recycle the industrial waste.

Measures to control noise pollution:

  1. Industries should be set up away from the cities.
  2. Modern technology should be used to reduce noise walls to absorb noise can be constructed.
  3. Proper maintenance of machinery should be done, this reduces noise, old ill maintained machines also produce more noise.
  4. The workers should compulsorily use ear – plugging device in plants which make excessive noise.
  5. Anti – sound pollution machines should be installed in the plants.

Question 7.
Chief Forest Produce and Small scale and Cottage Industries of Madhya Pradesh?
Answer:
In Madhya Pradesh different types of valuable forest produce are through which the state government earns huge income every year. The government has introduced several schemes to collect and make use of forest products. It is essential for the development of vanvasis, that a part of forest products is used in small scale and cottage industries which are established locally. In this way the economic and social progress of the local inhabitants can be achieved.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 3 Additional Important Questions

Objective Type Questions

Question 1.
Multiple Choice Questions:
(Choose the correct answer from the following)

Question (a)
Which of the following raw material is related to the paper industry?
(a) Regur
(b) Pulp
(c) Soya
(d) Wood
Answer:
(b) Pulp

Question (b)
Coimbatore of Tamilnadu is the famous centre of:
(a) Paper
(b) Cotton
(c) Carbon
(d) Cardemom.
Answer:
(b) Cotton

Question (c)
‘Green House Effect’ is related to the:
(a) Water pollution
(b) Air pollution
(c) Land pollution
(d) Sound pollution.
Answer:
(b) Air pollution

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Question (d)
Cholera and Diarrhoea are the cause of:
(a) Insects
(b) Water
(c) Polluted water
(d) Polluted air.
Answer:
(c) Polluted water

Question (e)
The first large scale plant of iron and steel was set up?
(a) Sakchi
(b) Jamshedpur
(c) Tamilnadu
(d) Delhi
Answer:
(a) Sakchi

Question 2.
Fill in the blanks:

  1. The latest economic policy of libralisation and globalisation was geared up in ………………….
  2. Kulli and Burnpur Iron & Steel Company is located in the State of ………………….
  3. …………………….. Iron Pillar of the Gupta period is situated in Delhi.
  4. Bhopal gas tragedy was the result of ……………….. gas leaked in the atmoshphere.
  5. At present the number of reserved industries is …………………….. (MP Board 2009)
  6. Most paper producer state is ……………………. (MP Board 2009)
  7. Liberal policy for setting up and expansion of industry and investment is called ……………………
  8. Tata Iron steel Company is located at ……………………………
  9.  ………………… is called the Manchester of India for the production of cotton industry.
  10.  …………………. is the unit of measuring sound pollution.
  11. Bhillai Steel Plant is located in the State of ………………….

Answer:

  1. 1991
  2. West Bengal
  3. Mehrauli
  4. Methile
  5. two
  6. West Bengal
  7. Liberalisation
  8. Jamshedpur
  9. Ahmedabad
  10. Decibal
  11. Chhattisgarh.

Question 3.
True and False type questions:

  1. Nepa Nagar is famous the fertilizer industry.
  2. The first modern textile mills was established in Calcutta in 1918.
  3. Kanpur is called the Manchester of North India.
  4. Durgapur steel plant was established with the assistant of Germany.
  5. Industries should be set up away from the cities.

Answer:

  1. False
  2. False
  3. True
  4. False
  5. True.

Question 4.
Match the Cloumn:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 3 Industries in India 1
Answer:

  1. (d)
  2. (b)
  3. (c)
  4. (a)

Answer in One – Two Words or One Sentence

Question 1.
When was the first cotton textile mill started in India?
Answer:
It started in Bombay in 1854.

Question 2.
When and where did the first jute mill start in India?
Answer:
At Calcutta in 1939.

Question 3.
Name the state where coir industry is most developed in India?
Answer:
In Kerala.

Question 4.
Name the main raw materials used for the production of paper?
Answer:
Bamboo, sabai – grass, sugarcane, bagasse, etc.

Question 5.
Divide the industries on the basis of division of labour?
Answer:

  1. Large scale Industry
  2. Mediumscale Industry.

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Question 6.
Classify industries on the basis of raw materials and finished products?
Answer:

  1. Heavy Industry
  2. Light Industry.

Question 7.
Name industries which are owned by the State Government or some agency of the Central Government?
Answer:
Public Sector Enterprises.

Question 8.
Give an example of Private Sector Industry?
Answer:
Tata Iron and Steel Company, Jamshedpur.

Question 9.
Name the industry which serves as basis to many industries?
Answer:
Basic Industry.

Question 10.
Name two basic industries?
Answer:

  1. Iron and Steel Industry
  2. Cement Industry.

Question 11.
On the basis of ownership, in which sector can the Bhilai Steel Plant be put?
Answer:
Public Sector.

Question 12.
Give an example of the consumer industry?
Answer:
Fast Food Industry.

Question 13.
When and where was the Modem Cotton Textile Industry set up in India?
Answer:
Near Kolkata in 1818.

Question 14.
In which two states in India has the Cotton Textile Industry developed the most?
Answer:

  1. Maharashtra
  2. Gujarat.

Question 15.
Name the two main centres of Cotton Textile Industry?
Answer:

  1. Mumbai
  2. Ahmedabad.

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Question 16.
How many jute factories are there at present in India?
Answer:
106 factories.

Question 17.
Name the two cities famous for producing woollen clothes?
Answer:

  1. Amritsar
  2. Ludhiana.

Question 18.
Name the two centres famous for manufacturing silk cloth?
Answer:

  1. Mysore
  2. Varanasi.

Question 19.
Name the two centres in India famous for producing the artificial silk?
Answer:

  1. Mumbai
  2. Delhi.

Question 20.
In which states is Silk Industry mainly located?
Answer:
Karnataka, West Bengal, J & K.

Question 21.
What is the place of India in the production of sugar in the world?
Answer:
First.

Question 22.
Where are most of the sugar industries located in India?
Answer:
Uttar Pradesh.

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Question 23.
Name the sector in which the maximum number of sugar mills are situated in India?
Answer:
Co – operative Sector.

Question 24.
When and where was the first Modem Iron and Steel Industry set up in India?
Answer:
At Jamshedpur in 1907.

Question 25.
Name the Centre of locomotive industry?
Answer:

  1. Chittaranjan
  2. Jamshedpur
  3. Varanasi.

Question 26.
Which place is well known for the manufacture of railway coaches in India?
Answer:
Perambur (Chennai) and Kapurthala (Punjab).

MP Board Class 10th Social Science Chapter 3 Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Name the cities which are prominent producers of textile industry?
Answer:
Bombay, Ahmedabad, Coimbatore, Nagpur, Sholapur, Kolkata, Kanpur, Delhi, Indore, etc.

Question 2.
What is meant by agro – based industries?
Answer:
Industries which derive their raw material from agriculture are called agro – based industries.

Question 3.
What are the constituents of agro-based industries?
Answer:
Textile, sugar, vegetable oil and plantation industries derive their raw material from agriculture.

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Question 4.
Name the news print plant located in Madhya Pradesh?
Answer:
Nepanagar Newsprint Plant in Madhya Pradesh is located in Nepanagar.

Question 5.
Where is the steel industry mostly confined to?
Answer:
It is mostly confined to Chhota Nagpur Plateau bordering West Bengal Bihar, Orissa and Madhya Pradesh.

Question 6.
On the basis of ownership, classify the modem industry?
Answer:

  1. Public Sector Industry
  2. Private Sector Industry
  3. Joint Sector Industry
  4. Co – operative Sector Industry.

Question 7.
Name the four Iron and Steel Plants of India which have come up with foreign collaborations?
Answer:

  1. Bokaro (Russian Collaboration)
  2. Durgapur (British Collaboration)
  3. Rourkela (German Collaboration)
  4. Bhilai (Russian Collaboration).

Question 8.
What are light industries?
Answer:
Industries which use light raw materials and produce light goods are termed as light industries. Examples are electric fans, sewing machines, etc.

Question 9.
Why is Kapurthala famous for? Also name the state in which it is situated?
Answer:
Kapurthala is famous for the railway integral coach factory. It is the second coach factory of India. It is situated in Punjab.

Question 10.
When and where was the first cement factory set up in India? What is their number and production now?
Answer:
Near Chennai in 1904, the first cement factory was set up. 419 (200 mini and 119 large) factories as produced 1000 lakh tonnes of cement in 2000 – 2001.

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Question 11.
Name some physical facturs that effect location of industries?
Answer:
The physical factors are raw materials, power resources, water and favorable climate.

Question 12.
In which category of products would you put the following:
Grass, meat, coffee, iron ore.
Answer:

  1. Forest products : Grass
  2. Animal products : Meat
  3. Agricultural products : Coffee
  4. Mineral products : Iron ore.

Question 13.
Why cotton textile industry is situated in Maharashtra? (MP Board, 2012)
Answer:
Cotton textile industry is situted in Maharashtra because it is wtton growing area.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 3 Short Answer Type Questions

Question 1.
Describe the industries on the basis of nature of industry?
Answer:
Village industry:
Industries that are run within the village with their traditional methods of production are called village industries.

Cottage industries:
These industries are characterised by hand manufacture of local raw material at home. It means that the industries are run by family members with their own labour and locally collected raw material.

Question 2.
Name the factors important for industrialisation?
Answer:
The factors important for industrialisations are:

  1. Availability of raw materials.
  2. Sufficient market for product.
  3. A dense network of efficient and speedy transport.
  4. Trade and commerce facilities.
  5. Availability of sufficient capital for investment.
  6. Skilled as well as unskilled labour force.

Question 3.
Make a distinction between basic and consumer industry?
Answer:
Basic Industry:
Basic industries are those industries which provide their finished goods as raw material to other industries.
Examples:
Iron and steel industry, heavy machine tools, petro chemicals, cement industry, etc.

Consumer Industry:
The industries which manufacture basically commodities of daily use are called consumer industries.
Examples:
Tooth paste, brush, pencil, fountain pen, hosiery industry, Modern bakery, biscuit industry, television, radio, etc.

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Question 4.
Distinguish between large – scale and small – scale industry?
Answer:
Large – scale Industry:

  1. Large – scale industries are those industries which manufacture huge quantities of finished goods.
  2. Here quantity of raw material and capital investment is very large and huge.
  3. Labour is required in large numbers.
  4. Women workers are not generally employed in these industries.
  5. Examples: Iron and Steel industry, Cotton Textile industry, Cement industry.

Small – scale Industry:

  1. These industries manufacture finished goods in small quantities.
  2. No huge quantity of raw material and capital is required in these industries.
  3. Labour is required in limited numbers.
  4. Women workers are employed in large numbers.
  5. Examples: Garments industry, Hosiery industry, Television and Radio industry.

Question 5.
Distinguish between Agro – based and Mineral – based industries?
Answer:
Agro – based industries:

  1. The industries which obtain raw materials from agriculture are called agro – based industries.
  2. These industries provide employment in rural areas.
  3. Agro – based industries are mostly in private or cooperative sectors.
  4. Examples: Jute sugar, cotton textile, vegetable oil and plantation.

Mineral – based industries:

  1. Industries based on minerals for their raw materials are termed as mineral – based industries.
  2. They provide employment both to rural and urban labour.
  3. These industries are generally located in public sector due to huge investments involved.
  4. Examples: Iron and steel industry, machine tools industry.

Question 6.
Differentiate between national industries and multinational industries?
Answer:
National Industries:

  1. When an industry is established by a single nation, it is known as a national industry.
  2. These industries are set up in a public sector.
  3. Nationalised industries come under this category such as Hindustan Steel Ltd.

Multinational Industries:

  1. When an industry is established in collaboration with other countries, it is known as multinational industry.
  2. These industries are set up in private sector.
  3. Multinational industries include Coca Cola, etc.

Question 7.
What are the importance of manufacturing industries?
Answer:
Importance of manufacturing industries are:

  1. Manufacturing industries are parameters of the economic development of a country.
  2. Exports of manufactured goods bring foreign exchange.
  3. The manufacturing industries reduce the dependence of people on agriculture by providing them employment opportunities.

Question 8.
Why do engineering industries have regional concentration?
Answer:
Engineering industries have regional concentration because:

  1. There is a good supply of iron and steel of special varieties from the nearby plants to these centres.
  2. These centres get plentiful supply of power at economical rates.
  3. Highly skilled labour Is available in large numbers in these areas.

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Question 9.
Describe briefly the distribution of silk textile industry in India?
Answer:
Mulberry, tasar, eri and munga silk are major silk varieties which are produced in India. There are 90 big and small silk mills producing silk and silk goods in the country. More than 90% of the country silk production comes form West Bengal, Karnataka, Jammu and Kashmir. India produces 8.5 lakh kg of silk and silk goods annually.

The main silk producing centres are:

  1. Murshidabad and Bankur in West Bengal.
  2. Anantnag, Baramula and Srinagar in Jammu and Kashmir.
  3. Bangalore, Kolar, Mysore and Belgaum in Karnataka.

Question 10.
Describe briefly the distribution of railway equipment industries in India?
Answer:
Distribution of Railway Equipment Industries in India are as:
Railway equipments include railway engines, wagons and coaches. Railway engines are of three types – steam, diesel and electric engines. Engines are manufactured at Varanasi in U.P., Jamshedpur in Jharkhand and Chittaranjan in West Bengal.

Rails and sleeper bars are manufactured at iron and steel plants. Railway coaches are manufactured at Perambur in Tamil Nadu, Bangolore in Karnataka, Kapurthala in Punjab and Kolkata in West Bengal. Railway wagons are made in private sector and at railway workshops like Delhi, Varanasi, etc.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 3 Long Answer Type Questions

Question 1.
Describe the industries on the basis of size and scale of operation?
Answer:
On the basis of size and scale of operation the industries can be classified as:
1. Large scale indsutries:
Industries which use big power run machines and employ specialised labour giving rise to large scale production. Examples are iron and steel industries.

2. Medium scale industries:
These industries also employ large number of employees and use power machines in the production process but the amount of money spent is less than the large scale industries and the labour power used is also comparatively less.

3. Small scale industries:
Industries which employ less number of people and need less capital for starting the industry. They also use power but the amount of power used is much less than the other industries.

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Question 2.
Which are agro – based industries in India? What is their significance in Indian economy?
Answer:
Industries which draw raw material for their finished products from agriculture are called agro – based industries. Examples of agro – based industries are textile industry, sugar industry, vegetable oil industry, tea industry, jute industry and plantation industries, etc. These industries produce goods of daily consumers use and cater to the needs of common masses. Our industrial development, in fact, depends upon the agricultural development.

India is mainly an agriculture economy. The growth of its economy therefore depends upon the growth of agricultural production. Agro – based industries supply us food, cloth, packing material like jute, tea, and other articles of daily need. These industries have enhanced em-ployment opportunities to the teeming millions in villages.

Question 3.
Describe the five important ingredients of modem industry by giving suitable examples from India?
Answer:
Raw material, skilled, efficient and trained labour, capital availability of Power resources and transport facilities are the most important ingredients of modem industry. In fact, they are the factors on which localisation of industries depend. A factory tends to establish itself at places where these facilities are found:

1. Raw material:
It is the basic ingredient of a modern industry because it is the only important component that provides raw material which is transformed into the finished product.

2. Skilled, efficient and trained labour:
Another important in gredient is availability of efficient and qualified labour. Highly skilled and trained workforce is needed today as the production techniques have completely changed.

3. Capital:
It is also one of the most important factor of pro¬duction on which the modern industry depends.

4. Power:
The present industrial age is the machine age. All giant size machines have been installed by the industrial units. It is power only which runs them. Without the availability of power resources these machines are useless.

5. Market:
It is yet another important ingredient of modern industry. It means that there should be sufficient demand for goods being manufactured and their actual purchases.

6. Transport facilities:
These facilities are called the life lines of a country. Without them man and material cannot be sent from one place to another place. Hence the modern industry entirely depends on fast means of transport and communication for sending goods and messages.

Map Work

Question 1.
In the outline map of India show the following:
Bhilai, Ahmedabad, Bangalore, Cochin, Nepanagar, Jamshedpur, Visakhapatnam, Kanpur, Bhopal, Bombay (now Mumbai), Vijay Nagar?
Or
On an outline map of India show Mumbai? (MP Board 2009)
Answer:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 3 Industries in India img 2

Question 2.
On an outline map of India, show the major iron and steel plants of the country?
Or
On an outline map of India, show iron and steel industries in Chhattisgarh?
Answer:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 3 Industries in India img 3

Question 3.
On an outline map of India show the agriculture – based industry?
Answer:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 3 Industries in India img 4

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 18 Economy: Service Sector and Infrastructure

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 18 Economy: Service Sector and Infrastructure

MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 Text book Exercises

Objective Type Questions

Question 1.
Multiple Choice Questions
(Choose the correct answer from the following)

Question (i)
As the economy develops, the share of tertiary sector in the national income – (MP Board 2013)
(a) increases
(b) decreases
(c) increases, first then decreases
(d) decreases first, then increases.
Answer:
(a) increases.

Question (ii)
Help in the expansion of market –
(a) Means of transportation
(b) Means of communication
(c) Banks and financial institutions
(d) All of above.
Answer:
(d) All of above.

Question (iii)
Agriculture is included in – (MP Board 2009)
(a) Primary sector
(b) Secondary sector
(c) Tertiary sector
(d) Secondary and Tertiary both the sectors.
Answer:
(a) Primary sector.

Question (iv)
The tertiary sector provides employment – (MP Board 2009)
(a) Directly
(b) Indirectly
(c) Directly and indirectly both
(d) None of above.
Answer:
(b) Indirectly.

Question (v)
The reason for continuous development of tertiary sector is –
(a) Government interference
(b) Development of agriculture and industries
(c) Change in thinking
(d) All of above.
Answer:
(d) All of above.

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Question 2.
Fill in the blanks:

  1. The economy is divided into …………….. sectors. (MP Board 2009)
  2. The service sector is the …………….. sector of an economy.
  3. The total contribution of service sector in the year 200506 was …………….. in the gross domestic product.
  4. Education and health are the part of …………….. infrastructure. (MP Board 2009)
  5. The energy commission was formed in March ……………..

Answer:

  1. Three
  2. Third
  3. 54.2%
  4. Basic
  5. 1980.

Question 3.
Mach the coloumn:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 18 Economy Service Sector and Infrastructure img 1
Answer:

(a) (ii)
(b) (iii)
(c) (i)
(d) (v)
(e) (iv)

MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 Very Short Answer Type Questions

Question 1.
What does that part of the total population of a country called, which involves directly in the activities of production?
Answer:
Primary sector means Agriculture sector.

Question 2.
How does die percentage of occupational distribution of working population remain always?
Answer:
The occupational distribution of working population increases.

Question 3.
Name that sector of economy which cooperate in the execution of agriculture and industry.
Answer:
Tertiary (Service) Sector.

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Question 4.
Which type of services are called die services of doctor, teacher, barber, washerman and advocates? (MP Board 2009, Set A, Set D)
Answer:
Direct services.

Question 5.
What is tertiary sector?
Answer:
The sector of economy concerned with the services like education, medical, transport and communication are called the tertiary sector of national development.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 Short Answer Type Questions

Question 1.
What is relation between the sector of economy and national income?
Answer:
Suppose in a country the income from primary sector is Rs.100 crore: Rs. 75 crores from secondary sector and Rs. 150 crores from tertiary sector, then the Gross Domestic Income will be Rs. 325 crores (100 + 75 + 150 = 325) and net income from foreign is Rs. 10 crores. Thus gross domestic income is Rs. 325 crores + Net income from foreign is Rs. 10 crores therefore National Income = Rs. 335 crores.
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 18 Economy Service Sector and Infrastructure img 2

By experience we know that with economic development, the income obtained from primary, secondary and tertiary sectors increases and so their comparative contribution also changes. It has been seen that owing to the economic development in a country, the contribution erf primary sector gradually decreases in the gross national income and the contribution of tertiary or service sector increases.

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Question 2.
Explain the primary and secondary sectors of economy with the help of examples?
Answer:
Generally, those activities are called the activities of ‘Primary Sector’ where natural resources are used directly, such as farming, digging of coal from mines or to get wood from forests. In backward and developing countries maximum population is involved in this sector only. But as the development starts in the economy the population shifts from primary sector and gets involved in secondary sector.

In the ‘Secondary Sector’, the natural products are changed into several useful forms through manufacturing, for example, making sugar from sugarcane or making cement from lime stone and then constructing a house. All the industries of this type are kept in secondary sector.

Question 3.
Discuss the contribution of service sector to agriculture and national income?
Answer:
Service sector is helpful in increasing the agricultural production by providing to farmers to buy high yeild seeds. Saving of farmers from natural calamities is done by insurance schemes. The importance of Service Sector is gradually increasing day – by – day with economic development. The activities of service sector are increasing rapidly in all sectors, whether it is urban or rural, i.e., the reason more than half of the national income is obtained from service sector.

Question 4.
Explain any four reasons for the development of tertiary sector in India?
Answer:
The four reasons are:

  1. Increase in employment.
  2. Helpful in expansion of market.
  3. Safety of agricultural crop.
  4. Contribution to national income.

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Question 5.
Describe the types of infrastructure?
Answer:
There are two types of infrastructure:

1. Economic Infrastructure:
It is mainly based on the energy, transport and communication. Railway, road, parks, dams not power station are such an infrastructure.

2. Social Infrastructure:
Education, health and medical facilities we included in this infrastructure. It means social infrastructure is helpful to the development of human resources.

Question 6.
What is the contribution of Indian services to the world?
Answer:
As a result of the development of tertiary (service) sector in the Indian economy, today several types of services are being provided to different countries of the world by India. As a result of new economic policy and liberalisation of foreign trade the importance and share of Indian tertiary sectors within and outside the country is increasing continuously.

The neighbouring countries of India, Europe and the countries of the world like America and England are being benefited by India through its tertiary sector. During last few years, India has shown a rapid progress in the export of its services. The export of services during last few years, has increased thrice.

The trade of service sector has raised upto 61.4 million American Dollars in 2005-06. Thus increase in trade is mainly seen in software services, business and communication services. In the year 2005, the share of India was 1.0 per cent of total export of goods of the world, while the share of India in the export of services was 2.3 percent.

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Question 7.
Explain briefly the importance of energy and transportation?
Answer:
The economic development of any country depends upon the available means of energy. The reason for this is that agriculture, industry, mining, transportation etc all require energy.Transportation occupies an important place in the economy of any country. Transport is important from economic and social both point of views.

Actually, transport is a means of communication. In the beginning, the transport in India was developed mainly from the point of view of commercial and administrative facilities and conveyance. But after independence, during five – year plans the expansion of transport was done with a view of total economic development.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 Long Answer Type Questions

Question 1.
Why the division of economy is needed? Describe the sectors of economy?
Answer:
The manpower of any country performs various types of activities for its livelihood. Some do farming some work in factories or do trade or business. He obtains this income from all these activities only. Therefore it is necessary to understand the economy properly one should study those sectors of economy in which people are working.

1. Primary Sector:
The activities based directly on natural resources are called primary sector. Agriculture can be taken as an example. We have to depend, mainly upon natural resources like soil, rain, sunlight, air etc. to grow crops. Therefore agricultural crop is a natural product.

In the same way forestry, animal husbandry, mining etc. are also included in the primary sector. It can be said in brief that when we produce any commodity by using natural resources directly, then these are called the activities of primary sector.

2. Secondary Sector:
Under the activities of this sector the natural products are transformed into other forms through manufacturing system. For example, to make machine from iron or to make cloth from cotton etc. is the next step after the primary activities.

In this sector goods are not produced directly through nature but are manufactured through human efforts. These activities can be done in a factory or in a house. As this sector is related to sequential increase and various types of industries, therefore it is also called Industrial Sector.

3. Tertiary (Third) Sector:
The activities of this sector are far different from the primary and’secondary sector. The activities of tertiary sector do not produce goods at its own, but assist in the process of production.For example, to sell the goods produced by primary and secondary sectors, trains and trucks are needed to transport them to the whole sale and retail markets Godowns are required to store the goods manufactured by industries.

Loans from banks are required for the production of goods by the primary and secondary sectors. Telephones, Internet, post – offices, courier services are needed for the convenience of production and trade.

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Question 2.
Explain the importance of tertiary sector as a component of Income?
Answer:
The following main components of tertiary sector contribute its share to increase national income:
1. Increase in Employment:
The service sector provides employment to public directly and indirectly in both the forms. For example, 15.77 lakh people are employed in Indian railways. This number is highest in comparision to any other enterprise of the country. The contribution of transport, wholesale and retail trade, banks, teaching institutions, health services, tourism and hotel business is increasing job opportunities to a large extent.

2. Safety of Agricultural Crops and Development of Agriculture:
Saving of poor farmers from natural calamities also done through service sector. The uncertainty and risk of agricultural crops is eradicated by ‘Varsha Beema Yojna’ (Insurance Scheme against rain), ’Fasal Beema Yojna’ (Crop Insurance Scheme) and ‘Rashtriya Krishi Beema, Yojna’ (National Agriculture Insurance Scheme).

Along with this tertiary sector is helpful in increasing the production by providing capital to farmers to buy high yield seeds, fertilisers etc. In this manner tertiary sector improves the economic condition of farmers and helps in increasing farming production.

3. Balanced Economic Development:
In every country some areas get developed comparatively while some areas are left behind as backward ones. The backward areas are developed through the facilities of transport, communication and finance. The development of inaccessible and hilly areas is also possible due to the construction of roadways and railways.

4. Earning (Obtaining of) Foreign Exchange:
A large amount of foreign exchange is coming in the last few years through tertiary sector. We obtain foreign exchange from tourism and financial services along with shipping and air services.

In the recent years, there has been significant development in the sectors of software, call centres, education and health and now foreign currency is obtained through these services also. In the coming years, there is a big possibility of obtaining a large amount of foreign currency from the tertiary sector.

5. Security of the Country:
The tertiary sector has an important place in the security of the country. The means of transport and communications are required to transport the army up to the borders and to make proper arrangements for them. The contribution of tertiary sector is very important in several ways such as delivering army goods, making arrangements for fooding and living of the soldiers and conveying important information etc.

Question 3.
Explain the meaning of tertiary sector and describe the importance of tertiory?
Answer:
1.Tertiary (Third) Sector:
The activities of this sector are far different from the primary and’secondary sector. The activities of tertiary sector do not produce goods at its own, but assist in the process of production.For example, to sell the goods produced by primary and secondary sectors, trains and trucks are needed to transport them to the whole sale and retail markets Godowns are required to store the goods manufactured by industries.

2. Increase in Employment:
The service sector provides employment to public directly and indirectly in both the forms. For example, 15.77 lakh people are employed in Indian railways. This number is highest in comparision to any other enterprise of the country.

The contribution of transport, wholesale and retail trade, banks, teaching institutions, health services, tourism and hotel business is increasing job opportunities to a large extent.

3. Safety of Agricultural Crops and Development of Agriculture:
Saving of poor farmers from natural calamities also done through service sector. The uncertainty and risk of agricultural crops is eradicated by ‘Varsha Beema Yojna’ (Insurance Scheme against rain), ’Fasal Beema Yojna’ (Crop Insurance Scheme) and ‘Rashtriya Krishi Beema Yojna’ (National Agriculture Insurance Scheme).

Along with this tertiary sector is helpful in increasing the production by providing capital to farmers to buy high yield seeds, fertilisers etc. In this manner tertiary sector improves the economic condition of farmers and helps in increasing farming production.

Question 4.
Explain the meaning of infrastructure and state about its parts in brief?
Answer:
Infrastructure means all those facilities, activities and services, which help in the execution, development of the other sectors of production and are helpful in our daily life.

Types of Infrastructure:
Infrastructure on the basis of the activities included in the infrastructure is categorised into two parts.

1. Economic Infrastructure:
Infrastructure, which is mainly related to energy transport and communication, is called economic infrastructure. Railways, roads, ports, airports, dams, power stations etc. are kept under economic infrastructure. They have an important place in the economic development of a country, herefore they are also called basic economic facilities.

2. Social Infrastructure:
Social infrastructure is helpful in the development of human resource and in human capital formation. Education, health and medical facilities are included in it as its main parts. These make efficient, skilled and healthy manpower available” to the society. It improves the working capacity of the manpower due to which the production in the primary and secondary sectors increases rapidly. As a result of it the economy grows rapidly.

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Question 5.
What is the contribution of education and health in the ecdnomic development?
Answer:
Without social infrastructure such as education and health economic development is not possible. But it is seen that in the backward and developing countries due to lack of resources attention is not paid on education training and health.

Education:
Various programmes centred upon ‘Education For All have been implemented in India, right from the beginning, for the expansion of education. From the year 2004, an education cess 2 per cent has been imposed on all direct and indirect central taxes to gather the financial sources for the expansion of education. Along with expansion of basic education, schemes like mid – day meal, girls education, National literacy mission etc. are being implemented with this money. After the independence educational institution of every level have expanded rapidly.

Health:
After independence the government has emphasized specially on the expansion of health services in the country. The number of primary and community health centres was only 725 in year 1951, which raised to 1.72 lakh in the year 2005. The number of modern technique doctors has increased from 0.62 lakh to 6.65 lakh. During this period, programmes are being undertaken to control diseases such as malaria, leprosy, tuberculosis, aids, blindness, cancer and mental deformity.

Due to expansion of health facilities in the country on one hand the treatment of several serious diseases has become possible and on the other hand awareness has developed among people towards health. As a result, life expectancy at birth has increased rapidly in the country, for example, the male life expectancy was only 37.2 years in the year 1951 which rose to 63.9 years in 2005. Similarly, the female life expectancy during the same period raised from 36.2 years to 66.9 years.

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Question 6.
Why is the tertiary sector in India expanding? Give the reason for it.
Answer:
The main reasons responsible for the rapid increase in the contribution of tertiary sector in India are as follows:

1. After independence five – year plans were implemented in India. As a result the public sector has expanded rapidly in India. The services like hospitals, educational institutions, post and telegraph, transport, bank, insurance companies, local institution, defence services, judiciary etc.

have been expanded in the country. As a result, after independence these services have been expanded rapidly and their share in the economy is being increased.

2. The primary and secondary sectors have been expanded rapidly during last years. The green revolution along with industrial revolution has been successful in our country.

It has increased the demand for the facilities like transport, trade, storage and banking which has resulted in the rapid expansion of these facilities.

3. Generally, it is seen that with the increase in the income, the consumption of various services by the people is also increased. The people spend more and more on private hospitals, expensive schools, purchase of new goods, according to changing scenearo, use of vehicles, due to increase in income.

The demand for services has increased in villages along with cities. The share of service sector in the country has increased tremendously.

4. During last few years, several new services based on information and technology have become compulsory for living. Due to this the consumption along with production of these services have been increased enormously.

Tube lights, televisions, cable connections, mobile phones, motor cars, scooters and motor cycles, computers and internets, call centres etc., have expanded the market of consumer goods in India. As a result the contribution of services is increased.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 Additional Important Questions

Objective Type Questions

Question 1.
Multiple Choice Questions:
(Choose the correct answer from the following)

Question (i)
Money and banking are die example of –
(a) Primary Sector
(b) Secondary Sector
(c) Tertiary Sector
(d) All Sector.
Answer:
(c) Tertiary Sector

Question (ii)
Communication Services in India was started in –
(a) 1737
(b) 1837
(c) 1937
(d) 2007
Answer:
(b) 1837

Question (iii)
‘United Telecom’ is a joint venture of –
(a) Indo – China
(b) Indo – Nepal
(c) Indo – Pak
(d) Indo – Srilanka
Answer:
(b) Indo – Nepal

Question (iv)
‘Swamium Charhtrbhuj’ is related to the means of –
(a) Transport
(b) Science
(c) Agriculture
(d) Industry
Answer:
(a) Transport

Question (v)
Service Sector provides employment –
(a) Directly
(b) Indirectly
(e) Directly and Indirectly Both
(d) None of the above
Answer:
(d) None of the above

Question 2.
Fill in the blanks:

  1. Agriculture is counted under the …………. sector.
  2. There are …………. major ports in India.
  3. The coastal line of India is …………. km long.
  4. India has to import …………. at total petroleum production.
  5. The activity of primary sector is ………….

Answer:

  1. Primary
  2. 12
  3. 75
  4. 80%
  5. Fisheries

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Question 3.
True and False type questions:

  1. Education and Health are the basic infrastructure.
  2. Half of national income is obtained from tertiary sector.
  3. ATM services are counted under tertiary sector.
  4. There are four sector of economic development in India.
  5. Agriculture is included in primary sector.(MP Board, 2009)

Answer:

  1. True
  2. True
  3. True
  4. False
  5. True

Answer in One-Two Words or One Sentence:

Question 1.
What is the ranking of Indian Economy in the group of world economy?
Answer:
Twelve rank as a big economy.

Question 2.
Most Indian trade takes place with which countries of Europe ?
Answer:
United Kingdom.

Question 3.
How much contribution of primary sector was in 1951?
Answer:
60%.

Question 4.
How much contribution of tertiary sector was in 1951?
Answer:
28%.

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Question 5.
What was the contribution of primary sector in 2006?
Answer:
21.7%.

Question 6.
What was the contribution of teritiary sector in 2005?
Answer:
More than 54.2%.

Question 7.
What is the length of coastline of India?
Answer:
7517 kilometres.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 Very Short Answer Type Questions

Question 1.
What do you mean by National Income’s relation to tertiary sector?
Answer:
The importance of tertiary sector is gradually increasing day – by – day with economic development The activities of service sector are increasing rapidly in all sectors whether it is urban or rural; that is the reason more than half of the national income is obtained from tertiary sector.

Question 2.
What is the basis for calculating the national income and Gross Domestic Product of a country?
Answer:
The primary, secondary and tertiary sectors of economy are considered as the basis for calculating the national income and Gross Domestic Product (G.D.P.) of a country.

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Question 3.
What do you mean by communication satellite unit?
Answer:
The communication service which are operated through satellite. Measuring of ground water level, searching of minerals and petroleum materials, and preparing of Maps are implemented by Communication satellite unit.

Question 4.
What is status of Indian Economy regarding the World Bank report?
Answer:
According to the World Bank report, the Indian economy has became 12th big economy in the world based on GDP.

Question 5.
How does the risk factor of agriculture, industry and business remove?
Answer:
Through increasing the facilities of service sector.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 18  Short Answer Type Questions

Question 1.
How is tertiary sector helpful in the expansion of market?
Answer:
Helpful in Expansion of Market:
Tertiary sector is helpful in the expansion of market of the commodities produced by primary and secondary sectors. Have you ever thought how do you get the apples of Kashmir or how do we know the price of camera to be purchased from England This is possible only because of Tertiary Sector. By the facilities of transport the goods and passengers are carried from one place to another. The decision of business deals or booking of hotels are done by the means of communication. All activities have become easy and convenient because of it.

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Question 2.
What do you mean by water transport?
Answer:
The waterways system of India is of two types first internal waterways and second coastal and oceanic waterways. The internal water transport is done through deep rivers and canals and boats and steamers are used for this. The coastline of India is 7517 Kilometre long and there are 13 major ports and 187 small ports on it. The major foreign trade of India is done through major ports.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 Long Answer Type Questions

Question 1.
Describe the relations between Banking, Insurance and Finance sector?
Answer:
Banking, Insurance and Financial institutions have an important place for the rapid economic growth of the country. The reason is that these institutions make the capital available to the entrepreneurs for investment, by collecting the savings from the economy. Due to this there is expansion of economic activities and as a result, income, employment and the rate of development has increased.

After the nationalisation of the major banks of the country in 1969, the commercial banks have shown an immense progress. By the year 2006, the branches of all the banks of public sector have increased up to 70 thousand approximately. Along with banks of public sector, several commercial banks and financial institutions of private sector are also running in the country. These institutions also provide personal loans for domestic purposes along with industrial and business purpose. The financial institution has expanded rapidly due to decrease in rate of interest during last few years.

Cooperative banking system in the country has also expanded rapidly. In the rural areas, Co – operative Credit Committees provide loans for the development of the agriculture. The organisation of co – operative banks in India is three tier, first at State level is Apex Bank, Second at district level Central Co – operative banks and Primary Co – operative Societies are functioning at the third level.

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Question 2.
Describe the importance of rail transport and road transport ?
Answer:
Rail Transport:
In India railway is the most convenient means of transportation for transporting goods and passengers. The railways was started in 1853, when the first train ran 34 kilometres from Bombay to Thana. After this the all round development of railways took place. Till 2005 – 06, 63.3 thousand Kilometre railways lines were constructed in the country. As a result, now Indian Railways is the largest railway system in Asia and second largest system in the world.

Road Transport:
Roads have a special importance in India. As India is a country of villages, therefore roads have an important place from the viewpoint of increase in production and in the opportunities of employment. The total length of roads in India is approximately 33.4 lakh kilometre. At present, there are several ambitious schemes being implemented in which the ‘Swarnim Chaturbhuj Road’ Scheme is the most important scheme. The private sector is also now included in the construction work of roads.

Question 3.
What are the sources of energy? Discuss the position of electricity in India?
Answer:
Sources of Energy:
There are many sources of energy as electricity, coal, lignite, natural oil and gas etc. Among all these sources electricity is most important. The electricity is generated with the help of three main sources water, coal and atoms and these are known as hydroelectricity, thermal electricity and atomic energy. Hydroelectricity is produced by constructing dams on rivers. Coal is used to produce thermal power. Uranium and thorium are used in the production of atomic energy.

In India, 80 per cent of total production of electricity is produced by thermal power, which is mainly based on coal. The total store of coal in India is estimated to be 21 crore tonnes, but here the quantity of ash is higher in coal. Therefore, high quality coal is imported from Australia. Apart from the production of electricity the coal is used in steel plants, railways and to make bricks.

Natural oil and gas is a leading source of the production of energy. But India has to import about 80 per cent of total requirement of natural oil and petroleum.

Position of Electricity in India:
The demand for electricity in India has increased rapidly due to industrialisation, use of machines in agriculture, increase in urban population, and electrification of villages.

The efforts to increase the production of electricity were made immediately after independence only. As a result the production of electricity increased about 143.8 thousand megawatt in the year 2005 – 06 which was only 2.3 thousand megawatt in the year 1951. But the production of electricity has been low as compared to its demand and so the power crisis arose. At present the position is such that industries and agriculture both are not receiving sufficient electric supply. There is no continuous supply of electricity to cities and villages. Now private sector has also been given, permission to meet the increased demands.

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Question 4.
What do you mean by communication? What is its importance?
Answer:
The Indian Communication System is the largest one in the world. The communication service in the country was started first in 1837. But the expansion of these services has been very rapid only after the independence. The economic reforms, started from the year 1991 have made revolutionary changes in Tele Communication.

This sector has tremendously developed due to the partnership of private sector. Due to this the number of telepnones have increased to 19 crores by the end of the year 2006 and this number will reach up to 25 crores by the end of the year 2007 as estimated by a study.

Now the mobile sets have become very popular in urban as well as in rural areas. Due to the expansion of tele – communication services, India is now improving fast towards the knowledge based society. The rapidly increasing number of the customers of internet broad band is an example of it.

The popularity, and expansion of computers and communication technology has modernised the post – office system also. Due to this only now the Indian Postal network has become one of the developed networks of the world. India has developed the satellite system also, which is a multipurpose system. This is used for weather information, television, radio etc.

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 9 स्वतन्त्रता आन्दोलन से सम्बन्धित घटनाएँ

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 9 स्वतन्त्रता आन्दोलन से सम्बन्धित घटनाएँ

MP Board Class 10th Social Science Chapter 9 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 9 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
बंगाल विभाजन का मूल उद्देश्य था (2011)
(i) बंगाल में प्रशासनिक व्यवस्था लागू करना
(ii) राष्ट्रवादी भावनाओं को दबाना
(iii) राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ाना
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ii) राष्ट्रवादी भावनाओं को दबाना

प्रश्न 2.
कांग्रेस का विभाजन हुआ (2011)
(i) नागपुर अधिवेशन में
(ii) सूरत अधिवेशन में
(iii) लाहौर अधिवेशन में
(iv) बम्बई अधिवेशन में
उत्तर:
(ii) सूरत अधिवेशन में

प्रश्न 3.
गांधीजी ने ‘खिलाफत आन्दोलन’ का समर्थन क्यों किया ?
(i) क्योंकि खलीफा भारतीय स्वतन्त्रता संघर्ष का समर्थक था
(ii) क्योंकि गाँधीजी अंग्रेजों के विरुद्ध मुसलमानों का समर्थन चाहते थे
(iii) क्योंकि खलीफा भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के प्रेमी थे
(iv) क्योंकि टर्की ने भारतीय स्वतन्त्रता का समर्थन किया।
उत्तर:
(ii) क्योंकि गाँधीजी अंग्रेजों के विरुद्ध मुसलमानों का समर्थन चाहते थे

प्रश्न 4.
रॉलेट एक्ट का उद्देश्य था (2011)
(i) सभी हड़तालों को गैर-कानूनी घोषित करना
(ii) आन्दोलनकारियों का दमन करना
(iii) सभी के मध्य समानता स्थापित करना
(iv) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ii) आन्दोलनकारियों का दमन करना

प्रश्न 5.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम में निम्नलिखित में से कौन शामिल नहीं है ?
(i) देशवासियों को नमक बनाना चाहिए
(ii) विदेशी वस्त्रों की होली जलाई जाए
(iii) हिंसात्मक साधनों से कानूनों का उल्लंघन किया जाए
(iv) शराब की दुकानों पर ध्यान दिया जाए।
उत्तर:
(iii) हिंसात्मक साधनों से कानूनों का उल्लंघन किया जाए

प्रश्न 6.
फारवर्ड ब्लॉक की स्थापना किसने की ? (2009,11)
(i) भगतसिंह
(ii) रास बिहारी बोस
(iii) चन्द्रशेखर आजाद
(iv) सुभाष चन्द्र बोस।
उत्तर:
(iv) सुभाष चन्द्र बोस।

प्रश्न 7.
जुलाई 1947 में ब्रिटिश संसद ने भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम पारित किया जिसके अनुसार दो निम्न स्वतन्त्र देशों का निर्माण हुआ (2011, 12)
(i) भारत-बांग्लादेश
(ii) भारत-पाकिस्तान
(iii) भारत-श्रीलंका
(iv) भारत-नेपाल।
उत्तर:
(ii) भारत-पाकिस्तान

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. 1905 में बंगाल प्रान्त में बंगाल, ………………., उड़ीसा सम्मिलित थे।
  2. ‘करो या मरो’ का नारा ………………. आन्दोलन में दिया गया।
  3. 1928 में क्रान्तिकारियों ने ………………. का गठन किया।
  4. भारत की स्वाधीनता के समय ………………. भारत के वाइसराय थे। (2009, 10)
  5. ………………. के नेतृत्व में भारत की रियासतों के विलीनीकरण का कार्य सम्पन्न हुआ।

उत्तर:

  1. बिहार, असम
  2. भारत छोड़ो
  3. हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातान्त्रिक सेना
  4. माउण्टबेटन
  5. सरदार बल्लभभाई पटेल।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 9 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बंगाल विभाजन कब और क्यों किया गया था ?
उत्तर:
बंगाल विभाजन 16 अक्टूबर, 1905 को प्रभावी रूप से लागू किया गया। लार्ड कर्जन का विचार था कि प्रशासनिक दृष्टि से एक लैफ्टीनेंट गवर्नर द्वारा इतने विशाल प्रान्त पर कुशलतापूर्वक शासन करना सम्भव ‘नहीं है, अतः कर्जन ने बंगाल को दो भागों में विभाजित करने की योजना बनाई। परन्तु बंगाल का यह विभाजन प्रशासनिक कारणों से नहीं बल्कि राजनैतिक कारणों से किया गया था। लार्ड कर्जन राष्ट्रीय चेतना के केन्द्र बंगाल पर आघात कर इसे कमजोर बनाना चाहता था। लार्ड कर्जन का एक उद्देश्य हिन्दू और मुसलमानों की संगठित शक्ति को तोड़कर उसे बाँटना था।

प्रश्न 2.
असहयोग आन्दोलन अचानक क्यों स्थगित हो गया ?
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन का स्थगन-5 फरवरी, सन् 1922 को गोरखपुर के निकट चौरी-चौरा गाँव में पुलिस ने भीड़ पर गोली चलायी। जब उसका गोला-बारूद समाप्त हो गया तो पुलिसजनों ने अपने को थाने में बन्द कर लिया। भीड़ ने थाने में आग लगा दी, जिससे 22 सिपाही जलकर मर गये। गांधीजी अहिंसात्मक आन्दोलन में विश्वास करते थे। अतः इस हिंसात्मक घटना से उन्हें आघात लगा तो उन्होंने असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया।

प्रश्न 3.
खिलाफत और असहयोग आन्दोलन के क्या लक्ष्य थे ?
उत्तर:
खिलाफत आन्दोलन – प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद टर्की के साथ जो अन्यायपूर्ण व्यवहार किया गया था, उस पर वहाँ खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ हुआ। इसके समर्थन में भारत के अली भाइयों (मोहम्मद अली और शौकत अली) ने खिलाफत आन्दोलन आरम्भ किया।

असहयोग आन्दोलन – कांग्रेस ने 1920 में गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग का नया कार्यक्रम अपनाया। जलियाँवाला बाग का हत्याकाण्ड, रॉलेट एक्ट का विरोध, ब्रिटिश सरकार की वादा खिलाफी का विरोध और स्वराज की प्राप्ति, ये असहयोग आन्दोलन के उद्देश्य थे।

प्रश्न 4.
आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर आक्रमण कर किन स्थानों को अंग्रेजों से मुक्त कराया ?
उत्तर:
सुभाषचन्द्र बोस ने भारत-बर्मा सीमा पर युद्ध आरम्भ किया। फरवरी 1944 में आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर आक्रमण कर रामू, कोहिया, पलेम, तिद्विम आदि को अंग्रजों से मुक्त कराया। अप्रैल 1944 में आजाद हिन्द फौज ने इम्फाल को घेर लिया परन्तु वर्षा के आधिक्य और रसद की कमी के कारण उन्हें लौटना पड़ा।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 9 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बंगाल विभाजन के पीछे ब्रिटिश शासन के क्या उद्देश्य थे ?
अथवा
बंगाल विभाजन का क्या उद्देश्य था ? लिखिए। (2009)
उत्तर:
बंगाल विभाजन के पीछे अंग्रेजों के निम्नलिखित उद्देश्य थे –

  1. ब्रिटिश सरकार के अनुसार बंगाल विभाजन का प्रमुख उद्देश्य बंगाल के प्रशासन को सुधारना था। लार्ड कर्जन के मत में बंगाल एक विशाल प्रान्त था, अतः समुचित प्रशासनिक संचालन के लिए उसका विभाजन करना आवश्यक था।
  2. बंगाल विभाजन का अन्य उद्देश्य बंगाल की संगठित राजनीतिक भावना को समाप्त करना तथा राष्ट्रीयता के वेग को कम करना था।
  3. इतिहासकारों के अनुसार बंगाल विभाजन का प्रमुख उद्देश्य जनता में फूट डालना था। पूर्वी बंगाल में मुसलमानों का बहुमत तथा पश्चिमी भाग में हिन्दुओं का बहुमत रखना जिससे हिन्दू-मुस्लिम एकता समाप्त हो जाए।

प्रश्न 2.
कांग्रेस का विभाजन भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन की दृष्टि से विनाशकारी सिद्ध हुआ। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1907 ई. में सूरत में कांग्रेस के अधिवेशन में कांग्रेस के उग्रराष्ट्रवादियों तथा उदारवादियों के मध्य खुलकर संघर्ष हुआ। उग्रराष्ट्रवादियों ने लाला लाजपतराय को अध्यक्ष पद पर खड़ा किया जिसका उदारवादियों ने विरोध किया। उदारवादी डॉ. रासबिहारी को अध्यक्ष बनाना चाहते थे।

सूरत अधिवेशन की घटना ने कांग्रेस के उदार और उग्रराष्ट्रवादी नेताओं को सोचने पर विवश किया किन्तु दोनों पक्षों के कुछ नेता मतभेदों को समाप्त करने पर एकमत नहीं हुए जिसके कारण अन्ततः कांग्रेस में विभाजन हो गया, जिसे ‘सूरत की फूट’ कहा जाता है। कांग्रेस का यह विभाजन भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन की दृष्टि से विनाशकारी सिद्ध हुआ। ब्रिटिश सरकार ने इसे अपनी जीत के रूप में लिया। वस्तुतः सूरत अधिवेशन से स्वाधीनता का नया अध्याय आरम्भ होता है।

प्रश्न 3.
स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास में 1929 के लाहौर अधिवेशन का क्या महत्त्व है ? (2014)
उत्तर:
कांग्रेस का 44वाँ अधिवेशन 1929 में लाहौर में हुआ। इस अधिवेशन के अध्यक्ष पं. जवाहर लाल नेहरू थे। अपने इसी अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की माँग का प्रस्ताव पास किया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने का निर्णय भी लिया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि हर वर्ष 26 जनवरी का दिन सम्पूर्ण भारत में स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाए। इस प्रकार 26 जनवरी, 1930 को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया गया। इसके मनाये जाने से जन-साधारण में एक बड़ा जोश पैदा हो गया और पूर्ण स्वराज्य का सन्देश घर-घर पहुँच गया। इसी कारण लाहौर अधिवेशन का भारतीय इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान है।

प्रश्न 4.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाए जाने के क्या कारण थे? (2009, 10, 14, 15, 18)
उत्तर:
दिसम्बर 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस कार्यसमिति को सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ करने की स्वीकृति दी गई थी। वायसराय लार्ड इरविन ने लाहौर अधिवेशन के पूर्ण स्वाधीनता प्रस्ताव को मानने से इन्कार कर दिया था परन्तु गांधीजी अभी भी समझौते की आशा रखते थे। अतः उन्होंने 30 जनवरी, 1930 को लार्ड इरविन के समक्ष 11 माँगें प्रस्तुत की। गांधीजी ने यह भी घोषित किया कि माँगें स्वीकार न होने की स्थिति में सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ किया जायेगा।

गांधीजी चाहते थे कि सरकार विनिमय की दर घटाए, भू-स्वराज कम करे, पूर्ण नशाबन्दी लागू हो, बन्दूकों को रखने का लाइसेंस दिया जाये, नमक पर कर समाप्त हो, हिंसा से दूर रहने वाले राजनीतिक बन्दी छोड़े जाएँ, गुप्तचर विभाग पर नियन्त्रण स्थापित हो, सैनिक व्यय में पचास प्रतिशत कमी हो, कपड़ों का आयात कम हो आदि। वायसराय ने इन माँगों को अस्वीकार कर दिया। अत: गांधीजी ने योजनानुसार सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ किया।

प्रश्न 5.
गांधीजी के आरम्भिक आन्दोलनों की तुलना में भारत छोड़ो आन्दोलन किस प्रकार भिन्न है ? स्पष्ट कीजिए। (2009)
उत्तर:
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 8 अगस्त, 1942 को ‘भारत छोड़ो’ का प्रस्ताव मुम्बई में पारित किया। गांधीजी ने इस अवसर पर कहा कि “प्रत्येक भारतवासी को चाहिए कि वह अपने आपको स्वाधीन मनुष्य समझे। उसे स्वाधीनता की यथार्थतापूर्ण प्राप्ति या उसके हेतु किए गए प्रयत्न में मर मिटने को तत्पर रहना चाहिए।”

महाजन दम्पत्ति के अनुसार, “1942 का राष्ट्रीय आन्दोलन 1921 और 1930 के आन्दोलनों से अनेक बातों में भिन्न तथा विशेष था। पहले आन्दोलन इसलिए किये गये थे, ताकि भारत के लोगों को ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध अन्तिम संग्राम के लिए तैयार किया जाए। उनका ध्येय देश में जागृति उत्पन्न करना था। वे लोग जो शताब्दियों से विदेशियों के नीचे पिस रहे थे उनके हृदय से भय दूर करना था और देश-प्रेम को भरना था। उनके सम्मुख स्वराज्य की स्थापना का ध्येय तो था परन्तु बहुत दूर था। 1942 के आन्दोलन करने वालों का यह निश्चय था कि यह आन्दोलन आजादी के लिए अन्तिम संग्राम है और इसलिए वे अपने ध्येय की पूर्ति के लिए सब कुछ बलिदान करने के लिए उद्यत थे।”

प्रश्न 6.
स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान गांधीजी ने किन तरीकों को अपनाने के लिए कहा ?
उत्तर:
स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान गांधीजी ने निम्न तरीकों को अपनाने को कहा –

(1) आन्दोलन में अहिंसा को अपनाना – प्रारम्भ से ही महात्मा गांधी के राजनीतिक विचारों का आधारभूत सिद्धान्त अहिंसा था। उन्होंने यह समझ लिया था कि भारत में शस्त्र की शक्ति अथवा हिंसा द्वारा अंग्रेजी राज्य को नहीं हटाया जा सकता। अत: उन्होंने कांग्रेस के क्रान्तिकारी विचार के कार्यकर्ताओं को समझाया कि वे अपने हिंसा के मार्ग के छोड़कर जनजागृति एवं संगठन को महत्त्व देकर ही संघर्ष करें। गांधीजी अहिंसा को कायरों का नहीं वरन् शक्तिशाली लोगों का हथियार मानते थे। गांधीजी के अनुसार, “अहिंसा एक ऐसा सच्चा हथियार है जिसमें सभी को जीतने की शक्ति होती है।”

(2) आन्दोलन में नैतिक साधनों के प्रयोग पर बल देना – अहिंसा के अतिरिक्त गांधीजी ने सत्य, नैतिकता, न्याय, पवित्रता तथा निर्भयता पर भी बल दिया। उनके अनुसार, “सत्य तथा अहिंसा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।” उनके मत में आदर्श आन्दोलनकारी वह है जो सत्य में भी निष्ठा रखता है। वे नैतिकता पर भी बल देते थे। उनके अनुसार नैतिकता से ही मनुष्य में आत्मबल का विकास होता है तथा आत्मबल वाला व्यक्ति निहत्था होकर भी बड़ी-से-बड़ी शक्ति को अपने अनुकूल बना सकता है। वे राजनीति तथा नैतिकता को अलग-अलग नहीं मानते थे।

(3) महात्मा गांधी द्वारा चलाये आन्दोलनों के साधन – महात्मा गांधी के आन्दोलन पूर्णतया अहिंसात्मक थे तथा उनके प्रमुख साधन थे-व्यक्तिगत सत्याग्रह, सामूहिक सत्याग्रह, विदेशी माल का बहिष्कार, शराब की दुकानों पर धरना तथा सरकारी नौकरियों का बहिष्कार।

ये विधियाँ अहिंसक तो थीं, पर कुछ कम क्रान्तिकारी न थीं, इनके कारण समाज के सभी वर्गों के लाखों लोग प्रभावित हुए। उनके अन्दर वीरता और आत्मविश्वास की भावना जागी। लाखों लोग निर्भय होकर सरकार का दमन झेलने लगे, जेल जाने लगे तथा लाठी-गोली का सामना करने लगे।

प्रश्न 7.
क्रान्तिकारी आन्दोलन का भारत के इतिहास में महत्त्व स्पष्ट कीजिए। (2010, 17)
उत्तर:
क्रान्तिकारियों ने राष्ट्रीय आन्दोलन को एक नई दिशा प्रदान की। अब ब्रिटिश सरकार के प्रति सहयोग की नीति से हटकर विरोध की नीति अपनाई गई। इसके लिए उन्हें पुलिस की लाठियों का शिकार होना पड़ा और अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। इससे जन-आन्दोलन भड़क उठा और कई क्रान्तिकारी युवकों ने बदला लेने की कसम खाई। भगतसिंह, खुदीराम बोस, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, बटुकेश्वर दत्त, वीर सावरकर जैसे अनेक क्रान्तिकारी युवकों ने ब्रिटिश अफसरों की हत्या करने तथा हथियारों को प्राप्त करने के लिए सरकारी खजाने एवं मालगोदामों को लूटने तक में भी संकोच नहीं किया। इन सबका उद्देश्य था, हर सम्भव प्रयत्न से अंग्रेजों को देश के बाहर खदेड़ना तथा देश को गुलामी की बेड़ियों से छुटकारा दिलाना। भगतसिंह ने फाँसी के तख्ते को चूमा, राम प्रसाद बिस्मिल तथा खुदीराम बोस ने यह कहते हुए हँसते-हँसते फाँसी का फन्दा अपने गले में डाल दिया –

“सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।”

इसी तरह पुलिस के साथ मुठभेड़ में चन्द्रशेखर आजाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में शहीद हो गये।

इन क्रान्तिकारियों का बलिदान निष्फल नहीं गया। ब्रिटिश शासन डगमगाने लगा और उन्होंने सोच लिया कि भारत की धरती पर रहने के उनके कुछ ही दिन बाकी रह गये हैं।

प्रश्न 8.
कैबिनेट मिशन का क्या उद्देश्य था ? वह उन उद्देश्यों में कहाँ तक सफल रहा ?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन – शिमला सम्मेलन की असफलता के बाद इंग्लैण्ड की नयी मजदूर दल की सरकार ने भारत की स्थिति की जानकारी लेने के लिए एक शिष्टमण्डल भारत भेजा। ब्रिटिश संसदीय शिष्टमण्डल ने अपनी रिपोर्ट में भारत में सत्ता को तुरन्त हस्तान्तरित किये जाने की अनुशंसा की। इस स्थिति में ब्रिटिश प्रधानमन्त्री लार्ड एटली ने कैबिनेट मिशन भारत भेजा।

कैबिनेट मिशन ने भारत के भावी स्वरूप को निश्चित करने वाली एक योजना 16 मई, 1946 को प्रस्तुत की। योजना के दो मुख्य भाग थे – अन्तरिम सरकार की स्थापना की तात्कालिक योजना तथा संविधान निर्माण की दीर्घकालीन योजना।

यह सत्य है कि कैबिनेट मिशन योजना में अनेक दोष थे फिर भी यह योजना अब तक प्रस्तुत की गयी योजनाओं से कहीं अधिक सारगर्भित तथा पर्याप्त सीमा तक व्यावहारिक थी। महात्मा गांधी के अनुसार, “यह उन परिस्थितियों में ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रस्तुत की जा सकने वाली सर्वश्रेष्ठ योजना थी।”

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 9 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत छोड़ो आन्दोलन का क्या अर्थ है एवं यह कब शुरू हुआ ? भारतीय स्वतन्त्रता के इतिहास में इसके महत्त्व को लिखिए।
अथवा
भारत छोड़ो आन्दोलन कब शुरू हुआ था ? भारतीय स्वतन्त्रता के इतिहास में इसका महत्व लिखिए। (2018)
उत्तर:
भारत छोड़ो आन्दोलन

1942 के वर्ष में देश के राजनीतिक मंच पर एक ऐसा ऐतिहासिक आन्दोलन आरम्भ हुआ, जिसे ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के नाम से जाना जाता है। यह यथार्थत: जन-आन्दोलन था। यह एक ऐसा अन्त:प्रेरित और स्वेच्छासूचक सामूहिक आन्दोलन था, जिसका जन्म राष्ट्र की स्वाधीनता के लिए स्व-प्रेरणा के फलस्वरूप हुआ था। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 8 अगस्त, 1942 को ‘भारत छोड़ो’ का प्रसिद्ध प्रस्ताव पास किया।

भारत छोड़ो आन्दोलन के अवसर पर महात्मा गांधी ने अपने उत्साहपूर्ण तथा जोशीले भाषण में भारतवासियों को ‘करो या मरो’ का ऐतिहासिक सन्देश दिया। इस सन्देश का आशय था कि स्वतन्त्रता की प्राप्ति के लिए भारतवासियों को अहिंसक ढंग से हर सम्भव उपाय करना चाहिए।

आन्दोलन का प्रारम्भ – भारत छोड़ो प्रस्ताव के पारित होने के दूसरे दिन ही ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया। परिणामस्वरूप ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन की आग सारे देश में फैल गयी। . प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं को गिरफ्तार कर लेने के कारण इस आन्दोलन ने हिंसात्मक रूप ले लिया। जगह-जगह पर उग्र प्रदर्शन हुए। नगरों तथा गाँवों में विशाल जुलूस निकाले गये। स्थान-स्थान पर रेलवे स्टेशन, डाकखाने, तारघर तथा थानों को जला दिया गया।

बलिया, सतारा, बंगात तथा बिहार के कुछ स्थानों पर तो कुछ काल के लिए ब्रिटिश शासन का नामोनिशान ही मिटा दिया गया। इन स्थानों पर आन्दोलनकारियों ने स्वतन्त्र शासन की स्थापना कर दी, परन्तु ब्रिटिश सरकार ने भी कठोरता से अपना दमन चक्र चलाया। यह आन्दोलन 1945 तक किसी-न-किसी रूप में चलता रहा। यह सत्य है कि ब्रिटिश सरकार ने इस आन्दोलन का दमन कर दिया था, परन्तु इस जनजागृति ने ऐसे वातावरण का निर्माण किया कि कुछ वर्षों के बाद ही ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़कर जाना पड़ा।

भारत छोड़ो आन्दोलन का महत्त्व – भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में भारत छोड़ो आन्दोलन’ का अपना विशेष महत्त्व है। यह सत्य है कि जिस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आन्दोलन को प्रारम्भ किया गया था, वह तुरन्त प्राप्त नहीं हो सका, परन्तु इसके प्रभाव व्यापक रहे। इस आन्दोलन के कारण अमेरिका, चीन आदि विशाल राष्ट्रों को भारत के जन असन्तोष का ध्यान हुआ जिससे उन्होंने ब्रिटेन पर दबाव डाला कि वह भारत को स्वतन्त्र कर दे। साथ ही ब्रिटेन को भी यह ज्ञात हो गया कि वह अधिक दिनों तक भारत को पराधीन नहीं रख सकता। अन्य शब्दों में, इस आन्दोलन ने भारत की स्वतन्त्रता की पृष्ठभूमि तैयार कर दी थी।

प्रश्न 2.
क्रान्तिकारियों के बारे में आप क्या जानते हैं ? ब्रिटिश शासन के विरुद्ध उन्होंने कौनसे तरीके अपनाए ? (2011, 13)
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रियावादी नीति के फलस्वरूप 19वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रीयता का विकास हुआ। बंगाल विभाजन के बाद भारतीयों में क्रान्तिकारी भावना का तेजी से प्रसार हुआ। क्रान्तिकारी विचारधारा के अनुयायियों का विश्वास था कि अहिंसा और वैधानिक साधनों द्वारा राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं। क्रान्तिकारी मानते थे कि हिंसा और भय दिखाकर स्वराज व स्वशासन प्राप्त किया जा सकता है। वे मातृभूमि को तत्काल विदेशी बन्धन से मुक्त करना चाहते थे। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए क्रान्तिकारियों ने गुप्त समितियों का गठन किया, युवकों को सैनिक प्रशिक्षण दिया, अस्त्र-शस्त्र एकत्र किये तथा समाचार-पत्रों और अन्य माध्यमों से क्रान्तिकारी विचारों का प्रसार किया। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए क्रान्तिकारियों ने बंगाल में अनुशीलन समितियों की स्थापना की। ये समितियाँ युवकों को भारतीय इतिहास और संस्कृति से अवगत कराती थीं तथा उनमें स्वतन्त्रता की भावना जागृत करती थीं। वे युवकों में त्याग और बलिदान की भावना उत्पन्न कर उन्हें मातृभूमि को विदेशी बन्धनों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए तैयार करती थीं। इस कार्य के लिए क्रान्तिकारियों ने पिस्तौल, बन्दूक और गोला-बारूद का रास्ता चुना।

प्रमुख क्रान्तिकारी व घटनाएँ – इस विचारधारा के प्रमुख समर्थक थे-चापेकर बन्धु, रामप्रसाद बिस्मिल, खुदीराम बोस, अशफाक उल्ला खाँ, सावरकर बन्धु, चन्द्रशेखर आजाद तथा सरदार भगतसिंह ये सभी क्रान्तिकारी भीख माँगकर स्वराज्य प्राप्त करने में विश्वास नहीं करते थे। 1928 में दिल्ली में क्रान्तिकारियों की बैठक आयोजित की गई और ‘हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातान्त्रिक सेना’ का गठन किया गया। पंजाब में भगवती चरण व भगतसिंह ने ‘नौजवान भारत सभा’ का गठन किया।

ब्रिटिश सरकार ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ पास कराना चाहती थी। क्रान्तिकारियों ने इस बिल को रुकवाने के लिए केन्द्रीय असेम्बली में बम फेंकने की योजना बनाई। इस कार्य को सरकार भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त को सौंपा गया। जब 9 अप्रैल, 1929 को इस बिल पर असेम्बली में चर्चा चल रही थी, भगतसिंह ने असेम्बली में बम फेंक दिया। क्रान्तिकारियों का उद्देश्य किसी की हत्या करना नहीं था अपितु वे अपनी आवाज सरकार तक पहुँचाना चाहते थे। बाद में भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त पर मुकदमा चलाया गया। 23 मार्च, 1931 को ब्रिटिश सरकार द्वारा भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव को फाँसी के तख्ते पर लटका दिया गया।

1928 में लाहौर में ‘साइमन वापस जाओ’ आन्दोलन लाला लाजपतराय के नेतृत्व में शुरू हुआ। पुलिस में हुई झड़प के दौरान लाजपतराय की मृत्यु हो गई जिससे क्रान्तिकारियों भड़क उठे और पुलिस अधिकारी साण्डर्स की हत्या कर दी गई।

जतीन्द्रनाथ दास द्वारा भगतसिंह व अन्य क्रान्तिकारियों को जेल में सुविधाएँ दिए जाने की माँग को लेकर भूख हड़ताल की गयी और अन्ततः उन्होंने प्राणों की आहुति दे दी।

इधर ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति के कारण और अनेक क्रान्तिकारियों नेताओं की मृत्यु से क्रान्तिकारी आन्दोलन को बहुत हानि हुई। चन्द्रशेखर आजाद ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में क्रान्ति की योजना बनाने के लिए 27 फरवरी, 1931 में क्रान्तिकारियों की एक बैठक बुलाई किन्तु दुर्भाग्य से ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें घेर लिया। आजाद ने अन्तिम क्षण तक ब्रिटिश सिपाहियों से लोहा लिया किन्तु जब उन्हें लगा कि वे बच नहीं पाएंगे तो उन्होंने स्वयं को गोली मार ली और अन्तत: वे वीरगति को प्राप्त हुए। क्रान्तिकारी आन्दोलन में भारतीय वीरांगनाओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। श्रीमती सुशीला देवी, श्रीमती दुर्गा देवी, प्रेमवती आदि महिलाओं ने आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

प्रश्न 3.
आजाद हिन्द फौज की स्थापना क्यों की गई थी एवं भारत की स्वतन्त्रता के लिए उसके योगदान को लिखिए। (2009, 18)
अथवा
आजाद हिन्द फौज का स्वतन्त्रता आन्दोलन में क्या योगदान था ? (2009)
उत्तर:
आजाद हिन्द फौज

जापानियों द्वारा ब्रिटिश सेना के अनेक सैनिक युद्धबन्दी बना लिये गये थे। उनमें एक सैनिक अधिकारी कैप्टन मोहन सिंह थे जिन्होंने भारतीय युद्धबन्दियों को संगठित करके फरवरी 1942 ई. में आजाद हिन्द फौज की स्थापना की। इस फौज की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य भारत की मुक्ति के लिए संघर्ष करना था। सुभाष चन्द्र बोस 1943 ई. में जापान पहुँचे तो रास बिहारी बोस ने आजाद हिन्द फौज के संचालन का कार्य उनको सौंपा। सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज का नेतृत्व सँभालने के पश्चात् घोषणा की कि, “ईश्वर के नाम पर मैं पवित्र शपथ लेता हूँ कि मैं भारत और उसके 38 करोड़ लोगों को स्वतन्त्र कराऊँगा और मैं इस पवित्र युद्ध को अपने जीवन की अन्तिम साँस तक जारी रखेंगा।” इसके अतिरिक्त सुभाष चन्द्र बोस ने “दिल्ली चलो” का नारा भी लगाया।

1944 ई. को रंगून (यंगून) से प्रस्थान कर बर्मा (म्यांमार) में अंग्रेजों को पराजित करने के पश्चात् भारत में प्रवेश किया। भारत की भूमि पर आजाद हिन्द फौज ने युद्ध किये तथा अनेक बार ब्रिटिश सेनाओं को परास्त किया। बर्मा (म्यांमार) भारत सीमा पार कर प्रथम बार 1944 ई. में आजाद हिन्द फौज ने भारत की स्वतन्त्र भूमि पर तिरंगा झण्डा फहराया। इसके पश्चात् नागालैण्ड तथा कोहिमा पर भी अधिकार कर लिया, परन्तु आगे उसे पराजय का मुख देखना पड़ा। 1945 ई. में एक वायुयान दुर्घटना में सुभाषचन्द्र बोस का स्वर्गवास हो गया। इसी वर्ष अंग्रेजी सरकार ने आजाद हिन्द फौज के सैनिकों पर जिनमें प्रमुख थे-सहगल, ढिल्लन तथा शाहनवाज खाँ आदि पर मुकदमा चलाया। देश भर में उनकी रक्षा के लिए आवाज उठी, अतः ब्रिटिश सरकार को मजबूर होकर आजाद हिन्द के सभी सैनिकों को मुक्त करना पड़ा जिससे भारतीय जनता में आजाद हिन्द फौज के प्रति एक अपार निष्ठा की भावना बढ़ी तथा भारत की नौ-सेना तथा वायुसेना को शासन के विरुद्ध विद्रोह करने की प्रेरणा मिली। वास्तव में आजाद हिन्द फौज ने ब्रिटिश साम्राज्य के पतन की क्रिया को और अधिक तीव्र कर दिया।

प्रश्न 4.
मुस्लिम लीग के कार्यों ने पाकिस्तान के निर्माण की पृष्ठभूमि कैसे तैयार की ? समझाइए।
उत्तर:
मुस्लिम लीग

20वीं शताब्दी के आरम्भ में साम्प्रदायिकता की भावना ने जोर पकड़ा। मुसलमानों का एक वर्ग कांग्रेस को मुस्लिम विरोधी मानने लगा था। अंग्रेज शासक भी कांग्रेस के आन्दोलनों को विद्रोह के रूप में देखते थे। इसलिए वे कांग्रेस की एक प्रतिद्वन्द्वी संस्था की स्थापना करना चाहते थे। ब्रिटिश सरकार के संकेतों को देखते हुए मुसलमानों का एक शिष्टमण्डल अक्टूबर. 1906 में आगा खाँ के नेतृत्व में भारत में भारत के वायसराय लार्ड मिण्टो से मिला और एक माँग-पत्र प्रस्तुत किया। माँगों में मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र, विधानमण्डलों में मुसलमानों को अधिक स्थान, सरकारी नौकरियों और विश्वविद्यालयों की स्थापना में रियायतें और गवर्नर जनरल की परिषद् में मुसलमान प्रतिनिधि की नियुक्ति का आग्रह था।

अन्ततः लार्ड मिण्टो भारत में मुस्लिम साम्प्रदायिकता का जनक बना। इस प्रकार अंग्रेज सरकार से प्रोत्साहन प्राप्त करके आगा खाँ तथा अन्य मुस्लिम नेताओं ने 30 दिसम्बर, 1906 ई. में मुस्लिम लीग की स्थापना की। उन्होंने 1907 के लखनऊ अधिवेशन में लीग के संविधान को लागू किया।

मुस्लिम लीग के उद्देश्य –

  1. भारतीय मुसलमानों में ब्रिटिश राज के प्रति भक्ति भावना उत्पन्न करना।
  2. ब्रिटिश शासन के समक्ष मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए माँग करना।
  3. लीग के उद्देश्यों को हानि पहुँचाये बिना मुसलमानों एवं अन्य जातियों में यथासम्भव मेल-जोल रखना।

लीग के उद्देश्यों से स्पष्ट हो जाता है कि वह एक साम्प्रदायिक संस्था थी अतः राष्ट्रवादी मुसलमानों ने लीग की स्थापना का विरोध किया और वे कांग्रेस में ही बने रहे।

लीग द्वारा पाकिस्तान निर्माण की पृष्ठभूमि – मुस्लिम नेताओं के मन में पाकिस्तान की स्थापना का विचार अचानक नहीं हुआ अपितु यह धीरे-धीरे विकसित हुआ। 1930 में मुस्लिम लीग के इलाहाबाद अधिवेशन में डॉ. मोहम्मद इकबाल ने ‘सर्व इस्लाम’ की भावना से प्रेरित होकर पाकिस्तान की स्थापना के विचार को प्रस्तुत किया। अंग्रेजी विश्वकोष के अनुसार पाकिस्तान की सबसे पहली परिकल्पना एक पंजाबी मुसलमान रहमतअली के दिमाग की उपज थी। पूर्व में राष्ट्रवादी मुसलमान रहे मोहम्मद अली जिन्ना भी अन्ततः साम्प्रदायिक बन गये और अक्टूबर 1938 में उन्होंने द्विराष्ट्र सिद्धान्त’ की माँग की। 1941 में मुस्लिम लीग ने मद्रास अधिवेशन में पाकिस्तान के निर्माण को अपना मुख्य लक्ष्य बनाया। 1942 में क्रिप्स मिशन ने आग में घी का काम करते हुए पाकिस्तान की माँग को प्रोत्साहित किया और इस तरह अन्ततः भारत विभाजन पर कांग्रेस को आम सहमति बनानी पड़ी।

प्रश्न 5.
किन परिस्थितियों में भारत का विभाजन किया गया ? कांग्रेस ने भारत विभाजन क्यों स्वीकार किया ? (2011)
उत्तर:
माउण्टबेटन योजना और भारत का विभाजन

23 मार्च, 1947 को लार्ड वैवेल के स्थान पर लार्ड माउण्टबेटन नया गवर्नर जनरल बनकर भारत आया। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें पूर्ण अधिकार देकर भारत भेजा था, जिससे वे कैबिनेट योजना के अनुसार गठित . संविधान सभा के माध्यम से भारतीयों को शासन सत्ता सौंप सकें। माण्उटबेटन ने भारतीय राजनीति का गहनता से अध्ययन किया। अनेक विभिन्न दलों के नेताओं से विचार-विमर्श करने के पश्चात् वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि भारत में स्थायी शान्ति के लिए पाकिस्तान की योजना को स्वीकार करना आवश्यक है।

कांग्रेस के नेता विभाजन नहीं चाहते थे परन्तु लीग विभाजन के अलावा और कोई बात करने को तैयार नहीं थी। अन्ततः साम्प्रदायिकता पागलपन के ज्वार के समक्ष विवश होकर कांग्रेस को भारत विभाजन की सहमति देनी पड़ी। अन्तरिम सरकार की अपंगता, साम्प्रदायिक हिंसा का ज्वार, मुस्लिम लीग की हठधर्मिता, कांग्रेस नेताओं की विवशता तथा ब्रिटिश कूटनीति के परिणामस्वरूप भारत का विभाजन हुआ। माण्उटबेटन ने जो योजना प्रस्तुत की उसके अनुसार भारत को दो भागों, भारत तथा पाकिस्तान में विभाजित किये जाने तथा सत्ता का हस्तान्तरण 15 अगस्त, 1947 को करने सम्बन्धी प्रावधान किया गया। योजना में पंजाब, बंगाल, सिन्ध, असम, बलूचिस्तान के विषय में स्पष्ट नीति निर्धारित की गयी।

माउण्टबेटन की योजना को कांग्रेस ने स्वीकृति प्रदान की। मुस्लिम लीग समस्त बंगाल, असम, पंजाब, उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रान्त तथा बलूचिस्तान को पाकिस्तान में मिलाना चाहती थी परन्तु माउण्टबेटन के दबाव के आगे उसे योजना को स्वीकार करना पड़ा।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 9 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 9 वस्तुनिष्ट प्रश्न

बहु-विकल्पीय

प्रश्न 1.
बंगाल विभाजन किसने किया? (2012)
(i) विलियम बैंटिंक
(ii) लार्ड रिपन
(iii) लॉर्ड कर्जन
(iv) महारानी विक्टोरिया।
उत्तर:
(iii)

प्रश्न 2.
साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लाहौर में किस नेता का स्वर्गवास हो गया था ?
(i) विपिनचन्द्र पाल
(ii) लाला लाजपतराय
(iii) बाल गंगाधर तिलक
(iv) केशवदेव।
उत्तर:
(ii)

प्रश्न 3.
गांधीवादी के नेतृत्व में असहयोग का कार्यक्रम अपनाया गया
(i) 1908 में
(ii) 1912 में
(iii) 1918 में
(iv) 1920 में
उत्तर:
(iv)

प्रश्न 4.
दिसम्बर 1929 में हुए लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष थे
(i) मोतीलाल नेहरू
(ii) पं. जवाहरलाल नेहरू
(iii) महात्मा गांधी
(iv) मौलाना आजाद
उत्तर:
(ii)

प्रश्न 5.
स्वराज्य दल की स्थापना की
(i) चितरंजनदास ने
(ii) ऊधमसिंह ने
(iii) चन्द्रशेखर आजाद ने
(iv) अरविन्द घोष ने।
उत्तर:
(ii)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. 1942 में …………….. मिशन भारत आया। (2009)
  2. बंगाल विभाजन का विरोध लोगों ने सड़कों पर …………….. गीत गाते हुए किया। (2012)
  3. ‘जय हिन्द’ का नारा …………….. ने दिया था। (2009, 17)
  4. 9 अगस्त, 1925 को क्रान्तिकारियों ने लखनऊ के निकट …………….. नामक स्थान पर गाड़ी रोककर सरकारी खजाना लूट लिया था। (2012)

उत्तर:

  1. क्रिप्स
  2. वंदेमातरम्
  3. सुभाष चन्द्र बोस
  4. काकोरी।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
1938 में सुभाषचन्द्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष बने। (2009)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
1929 के लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज्य’ का प्रस्ताव किया गया। (2009)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3.
‘करो या मरो’ का नारा असहयोग आन्दोलन में दिया गया। (2013)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 4.
कांग्रेस का विभाजन सूरत अधिवेशन में हुआ। (2010, 18)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
भारत 15 अगस्त, 1947 को आजाद नहीं हुआ। (2009)
उत्तर:
असत्य

जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 9 स्वतन्त्रता आन्दोलन से सम्बन्धित घटनाएँ 1
उत्तर:

  1. → (ख)
  2. → (क)
  3. → (घ)
  4. → (ङ)
  5. → (ग)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
रोलेट अधिनियम कब लागू हुआ ? (2009)
उत्तर:
मार्च 1919 में
उत्तर:

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय आन्दोलन में पूर्ण स्वाधीनता दिवस किस दिन मनाया गया था ?
उत्तर:
26 जनवरी, 1930

प्रश्न 3.
‘साइमन कमीशन’ के अध्यक्ष कौन थे ?
उत्तर:
सर जॉन साइमन

प्रश्न 4.
किस क्रान्तिकारी ने पंजाब के पूर्व गवर्नर की गोली मारकर हत्या कर दी थी ? (2009)
उत्तर:
ऊधम सिंह

प्रश्न 5.
मोहम्मडन एंग्लो-ओरियण्टल कॉलेज की स्थापना किसने की थी ? (2009)
उत्तर:
सर सैयद अहमद खाँ

प्रश्न 6.
क्रिप्स मिशन भारत कब आया ? (2012)
उत्तर:
22 मार्च, 1942

प्रश्न 7.
फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना किसने की ? (2013)
उत्तर:
सुभाषचन्द्र बोस

प्रश्न 8.
भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम कब पारित हुआ था ?
उत्तर:
4 जुलाई, 1947.

प्रश्न 9.
रोलेट एक्ट का कोई एक उद्देश्य लिखिए। (2010)
उत्तर:
आन्दोलनकारियों का दमन करना।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 9 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
साइमन कमीशन का बहिष्कार क्यों किया गया ?
उत्तर:
साइमन कमीशन का बहिष्कार इसलिए किया गया, क्योंकि इसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे और भारतीयों का इसमें कोई प्रतिनिधि नहीं था।

प्रश्न 2.
पूर्ण स्वराज्य के लक्ष्य को कब और कहाँ स्वीकार किया गया ?
अथवा
1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता किसने की थी ? इसमें कौन-सा महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया ?
उत्तर:
दिसम्बर, 1929 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन में जो कि लाहौर में हुआ। इसके अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे। यहाँ कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य को अपना लक्ष्य स्वीकार किया और इसकी प्राप्ति के लिए गांधीजी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाने का फैसला किया।

प्रश्न 3.
रॉलेट एक्ट क्या था ? समझाइए। (2014, 16)
उत्तर:
यह एक ऐसा कानून था जिसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना अभियोग चलाये अनिश्चित समय तक जेल में डाला जा सकता था। यह सन् 1919 में पारित हुआ था। रॉलेट एक्ट का प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय आन्दोलनों को कुचलना था। अत: गांधीजी ने इस एक्ट का व्यापक विरोध किया।

प्रश्न 4.
“गांधीजी साधारण नागरिक थे। फिर भी सारी दुनिया उन्हें सम्मान देती है,” क्यों ? समझाइए।
उत्तर:
गांधी जी जनसाधारण के प्रतीक थे। वे सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास रखते थे तथा जनता से उसी भाषा में बात करते थे जो भ्वह समझती थी। इसी कारण दुनिया उन्हें सम्मान देती है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 9 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड की घटना को लिखिए। (2012, 14)
अथवा
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड क्यों हुआ? इसके क्या परिणाम हुए ?
उत्तर:
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड-रॉलेट अधिनियम मार्च 1919 में लागू किया गया। विरोध में पूरे देश से आवाज उठी। पंजाब में भी रॉलेट अधिनियम का विरोध हुआ। पंजाब में ब्रिटिश सरकार ने अनेक जगहों पर लाठी-गोली चलवाई। 10 अप्रैल को कांग्रेस के दो प्रभावशाली नेता डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू गिरफ्तार किए गए और उन्हें जेल भेज दिया गया। इन गिरफ्तारियों के विरोध में अमृतसर के जलियाँवाला बाग में 13 अप्रैल बैशाखी के दिन विरोध सभा हुई। जैसे ही सभा प्रारम्भ हुई जनरल डायर नामक एक सैनिक अधिकारी ने सभा को किसी भी प्रकार की चेतावनी दिये बिना अपने सैनिकों को सभा की भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया। सैनिकों ने भीड़ पर गोली चलायी जिसके परिणामस्वरूप लगभग 800 से अधिक व्यक्ति मारे गये तथा 2000 के लगभग घायल हो गये। जलियाँवाला काण्ड से जनता में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध व्यापक असन्तोष की भावना जागृत हुई। इसके बाद असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ हो गया।

प्रश्न 2.
गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया ? इसके क्या सिद्धान्त थे ?
अथवा
असहयोग आन्दोलन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (2015)
उत्तर:
गांधीजी के नेतृत्व में 1920 में असहयोग आन्दोलन का नया कार्यक्रम अपनाया गया। जलियाँवाला बाग का हत्याकाण्ड एवं रॉलेट एक्ट का विरोध, अंग्रेजी सरकार की वादाखिलाफी का विरोध और स्वराज्य की प्राप्ति असहयोग आन्दोलन के उद्देश्य थे। असहयोग आन्दोलन के तीन आधारभूत सूत्र थे-कौंसिलों का बहिष्कार, न्यायालयों का बहिष्कार और विद्यालयों का बहिष्कार। इस आन्दोलन के निम्नलिखित कार्यक्रम थे –

  1. सरकारी उपाधियों का त्याग व अवैतनिक पदों का बहिष्कार।
  2. वकीलों और बैरिस्टरों द्वारा न्यायालयों का बहिष्कार।
  3. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
  4. स्थानीय संस्थाओं के मनोनीत सदस्यों द्वारा अपने पदों का त्याग।
  5. सरकारी उत्सवों का बहिष्कार।

प्रश्न 3.
असहयोग आन्दोलन के परिणाम बताइए।
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन के परिणाम-इस आन्दोलन के निम्नलिखित परिणाम सामने आये –

  1. देश-भर में एक-सी विचारधारा व राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार हुआ व विभिन्न सम्प्रदायों और प्रान्तों के लोग कांग्रेस के झण्डे के नीचे आ गये।
  2. हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित हुई। गांधीजी ने सभी वर्गों के लोगों पर जादू-सा कर दिया था और सबको एक दिशा में चलने वाला एक पचरंगी दल बना लिया था।
  3. इस आन्दोलन ने ब्रिटिश शासन-व्यवस्था के ढाँचे को झकझोर दिया। अंग्रेजों को लगने लगा कि बिना उदारवादियों के सहयोग के वे आगे नहीं बढ़ पायेंगे।
  4. लोगों में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार तथा स्वदेशी वस्तुओं के प्रति लगाव की प्रवृत्ति जाग्रत हुई। परिणामस्वरूप कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन मिला।
  5. अंग्रेजी भाषा का महत्त्व जाता रहा और कांग्रेस ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार कर लिया।

प्रश्न 4.
साइमन कमीशन कब और क्यों भेजा गया था ? इसका भारतीयों द्वारा विरोध क्यों किया गया? (2016)
उत्तर:
साइमन कमीशन-1927 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में 7 सदस्यों का एक कमीशन नियुक्त किया जिसका काम सरकार ने सामने यह रिपोर्ट प्रस्तुत करना था कि 1919 ई. का एक्ट कहाँ तक सफल रहा है। इस कमीशन का बहिष्कार इसलिए किया गया, क्योंकि इसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे और भारतीयों का इसमें कोई प्रतिनिधि नहीं था। जहाँ यह कमीशन जाता था वहाँ हड़तालें होती थीं, काली झण्डियाँ दिखायी जाती थीं और ‘साइमन लौट जाओ’ का नारा लगाया जाता था। इसी आन्दोलन का नेतृत्व करते हुए पुलिस की लाठियों के प्रहार से लाला लाजपतराय का निधन हो गया।

प्रश्न 5.
‘स्वराज्य दल’ की स्थापना कब व किसने की थी ? इसके मुख्य उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
कांग्रेस के कुछ नेताओं, जिनमें प्रमुख थे-चितरंजन दास, मोतीलाल नेहरू, ने मार्च 1923 ई. में ‘स्वराज्य दल’ की स्थापना की। स्वराज्य दल के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे –

  1. असहयोग की नीति का त्याग कर नवीन नीतियों पर चलना।
  2. नौकरशाही के कार्यों में कौंसिल में प्रवेश करके रुकावट डालना।
  3. विधान परिषद् का चुनाव लड़कर उसमें अपना पक्ष रखना।
  4. सरकारी अनुचित कार्यवाहियों के साथ असहयोग की भावना रखना।
  5. विधान परिषद् के चुनाव जीतकर संविधान को असफल तथा खोखला सिद्ध करना।

प्रश्न 6.
खिलाफत आन्दोलन क्या था ? इसके महत्त्व को बताइए।
उत्तर:
खिलाफत आन्दोलन असहयोग की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। इस आन्दोलन का प्रारम्भ प्रथम विश्व-युद्ध के बाद हुआ। खिलाफत आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य इस्लाम के खलीफा सुल्तान को फिर से शक्ति दिलाना था। इसके समर्थन में भारत से अली बन्धुओं (मुहम्मद अली और शौकत अली) ने खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ किया। खिलाफत आन्दोलन में कांग्रेस के नेता भी सम्मिलित हुए और आन्दोलन को पूरे भारत में फैलाने में उन्होंने सहायता दी। किन्तु टर्की में इस आन्दोलन के समाप्त होते ही भारत के मुसलमानों ने भी इसे समाप्त कर दिया। खिलाफत आन्दोलन का महत्त्व-भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में खिलाफ तथा असहयोग आन्दोलन का विशेष महत्व रहा है। इसके कारण हिन्दू और मुस्लिम एकता को बल मिला जिससे स्वतन्त्रता आन्दोलन सबल बना।

प्रश्न 7.
क्रिप्स प्रस्ताव क्या थे ? सरकार ने इन प्रस्तावों को वापस क्यों लिया ??
उत्तर:
क्रिप्स 22 मार्च, 1942 को भारत आया। उसने पर्याप्त काल तक भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों तथा सम्प्रदायों के नेताओं से वार्ता की तथा अपनी योजना प्रस्तुत की, परन्तु उसकी योजना को सभी राजनीतिक दलों द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया। कांग्रेस ने इसे निम्नलिखित कारणों से अस्वीकृत कर दिया था –

  1. कांग्रेस मुख्यतया क्रिप्स योजना से इस कारण असन्तुष्ट थी, क्योंकि इसमें उसकी पूर्ण स्वाधीनता की माँग को स्वीकार नहीं किया गया था।
  2. क्रिप्स योजना में मुस्लिम लीग की भारत विभाजन की माँग को स्वीकार कर लिया गया था जिसके कांग्रेस पूर्णतया विरुद्ध थी।
  3. सम्पूर्ण प्रशासनिक शक्ति देशी नरेशों को प्रदान करके राज्यों की प्रजा के हितों की अवहेलना की गयी थी।
  4. कांग्रेस चाहती थी कि युद्धकाल में ही भारत में संसदीय शासन प्रणाली की स्थापना हो, परन्तु युद्धकाल में ब्रिटेन तनिक भी शक्ति का परित्याग नहीं करना चाहता था।

प्रश्न 8.
शिमला सम्मेलन क्यों बुलाया गया था ? यह क्यों असफल रहा ?
उत्तर:
शिमला सम्मेलन-लार्ड वैवेल ने घोषणा की कि 25 जन, 1945 को शिमला में एक सम्मेलन होगा। सम्मेलन में तय हुआ कि केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल मिला-जुला होगा तथा उसमें 14 मन्त्री होंगे। इसमें 5 कांग्रेस, 5 लीग तथा 4 वायसराय द्वारा मनोनीत होंगे। वायसराय ने कांग्रेस तथा लीग को 8 से 12 नाम देने को कहा। कांग्रेस ने जो सूची वायसराय को भेजी, उसमें दो सदस्य मुस्लिम थे। परन्तु जिन्ना चाहते थे कि मुसलमान प्रतिनिधि लीग के सदस्यों में से ही लिये जायें। इसका कारण यह था कि जिन्ना कांग्रेस को हिन्दू संस्था सिद्ध करके, लीग को भारतीय मुसलमानों की एकमात्र प्रतिनिधि संस्था होने का दावा करना था।

लीग के असहयोग के कारण शिमला सम्मेलन असफल हुआ। सम्मेलन की असफलता का कारण जिन्ना का हठधर्मी होना था।

प्रश्न 9.
भारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता के कारण-भारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता के कारण निम्नलिखित थे –

  1. ब्रिटिश सरकार ने राष्ट्रीय नेताओं को अचानक गिरफ्तार कर लिया था।
  2. भारत छोड़ो आन्दोलन में योजना तथा संगठन का भी अभाव था।
  3. इस आन्दोलन की रूपरेखा तथा स्वरूप भी स्पष्ट नहीं था।
  4. ब्रिटिश सरकार की दमन नीति अत्यधिक कठोर थी।
  5. आन्दोलनकारियों के पास समुचित हथियारों तथा धन का भी अभाव था।

प्रश्न 10.
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सुभाषचन्द्र बोस एक निर्भीक योद्धा थे और उनका स्थान विश्व के महानतम देश भक्तों में है। दिसम्बर 1940 में वे गुप्त रूप से देश छोड़कर निकल गये। वे मार्च 1941 में वायुयान द्वारा काबुल से बर्लिन पहुँच गये। देश से भाग निकलने तथा पेशावर और काबुल होकर जर्मनी जा पहुँचने की कहानी उनके साहसपूर्ण कार्य की वीरगाथा है। जून 1943 में बोस जापान जा पहुँचे। 5 जुलाई, 1943 को उन्होंने आजाद हिन्द फौज के गठन की घोषणा की। उस समय उसमें 60 हजार से कुछ अधिक भारतीय शामिल थे। उनका युद्ध-घोष था ‘दिल्ली चलो’। 21 अक्टूबर, 1943 को बोस ने स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार की स्थापना की। सुभाषचन्द्र बोस ने ही हिन्दुस्तान को ‘जय हिन्द’ का जयघोष दिया। उनके राजनीतिक जीवन में यह कथन अत्यधिक रोचक है, ‘जो व्यक्ति एक समय स्वराज दल का सक्रिय सदस्य था वह देश की स्वाधीनता के लिए आजाद हिन्द फौज का महासेनानायक बन गया।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 9 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय स्वाधीनता अधिनियम क्या है ? इसके प्रमुख प्रावधानों को लिखिए। (2009, 17)
उत्तर:
भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम, 1947

माउण्टबेटन की योजनानुसार सरकार ने हस्तान्तरण की कार्यवाही को पूर्ण करने के लिए भारतीय स्वाधीनता अधिनियम’ का प्रारूप तैयार किया। प्रारूप को कांग्रेस और लीग के अनुमोदन के लिए भेजा गया। अनुमोदन प्राप्त करने के पश्चात् विधेयक को ब्रिटिश संसद ने पारित किया गया। 18 जुलाई, 1947 को इसने अधिनियम का रूप लिया।

प्रमुख प्रावधान – भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम में कुल 20 धाराएँ तथा दो परिशिष्ट थे। इसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित थे –

  1. 15 अगस्त, 1947 ई. को भारत तथा पाकिस्तान नामक दो स्वतन्त्र राज्यों की स्थापना की जायेगी। ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें सत्ता भी सौंप दी जायेगी।
  2. सिन्ध, उत्तर-पूर्वी सीमा प्रान्त, पश्चिमी पंजाब, बलूचिस्तान तथा असम का सिलहट जिला पाकिस्तान में तथा शेष भाग भारत में रहेगा।
  3. दोनों राज्यों की विधान सभाएँ अपने-अपने संविधानों का निर्माण करेंगी।
  4. दोनों राज्यों में नवीन संविधानों के निर्माण तक शासन 1935 ई. के अधिनियम के अनुसार चलता रहेगा।
  5. भारत तथा पाकिस्तान दोनों को राष्ट्र-मण्डल के सदस्य बने रहने या छोड़ने की भी स्वतन्त्रता होगी।
  6. 15 अगस्त, 1947 ई. से भारत सचिव का पद समाप्त कर दिया जायेगा।
  7. 15 अगस्त, 1947 ई. के पश्चात् ब्रिटिश शासन का दोनों राज्यों पर कोई अधिकार तथा नियन्त्रण नहीं रहेगा।
  8. भारतीय रियासतों को भारत अथवा पाकिस्तान दोनों में से किसी भी देश में सम्मिलित होने का अधिकार होगा।
  9. भारत तथा पाकिस्तान दोनों के लिए एक-एक गवर्नर जनरल होगा। गवर्नर जनरल की नियुक्ति उनके मन्त्रिमण्डल के परामर्श से की जायेगी।

प्रश्न 2.
बंगाल विभाजन के पीछे अंग्रेजों के क्या उद्देश्य थे? बंगाल विभाजन का राष्ट्रीय आन्दोलन पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
‘बंग-भंग’ आन्दोलन के प्रभाव लिखिए। (2009)
उत्तर:

बंगाल विभाजन के पीछे अंग्रेजों के निम्नलिखित उद्देश्य थे –

  1. ब्रिटिश सरकार के अनुसार बंगाल विभाजन का प्रमुख उद्देश्य बंगाल के प्रशासन को सुधारना था। लार्ड कर्जन के मत में बंगाल एक विशाल प्रान्त था, अतः समुचित प्रशासनिक संचालन के लिए उसका विभाजन करना आवश्यक था।
  2. बंगाल विभाजन का अन्य उद्देश्य बंगाल की संगठित राजनीतिक भावना को समाप्त करना तथा राष्ट्रीयता के वेग को कम करना था।
  3. इतिहासकारों के अनुसार बंगाल विभाजन का प्रमुख उद्देश्य जनता में फूट डालना था। पूर्वी बंगाल में मुसलमानों का बहुमत तथा पश्चिमी भाग में हिन्दुओं का बहुमत रखना जिससे हिन्दू-मुस्लिम एकता समाप्त हो जाए।

बंग-भंग और स्वदेशी आन्दोलन के प्रभाव

1905 के बंगाल विभाजन के दूरगामी परिणाम सामने आये जिनके कारण भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को एक नई दिशा मिली। इसक प्रमुख प्रभाव इस प्रकार थे –
(1) बंगाल विभाजन से न केवल बंगालियों में रोष उत्पन्न हुआ वरन् सम्पूर्ण राष्ट्र ने इसे अपना अपमान समझा। 16 अक्टूबर, 1905 ई. में बंगाल का विभाजन जब सरकारी रूप में मनाया गया तो राष्ट्रीय नेताओं ने सशक्त शब्दों में इसका विरोध किया। सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने कहा, “बंगाल का विभाजन हमारे ऊपर बम की तरह गिरा। हमने समझा कि हमारा घोर अपमान किया गया है।”

(2) भारतीय जनता ने बंगाल के विभाजन के विरोध में देश भर में अनेक सभाओं का आयोजन किया। सरकार ने भी क्रूरतापूर्वक दमन चक्र चलाया जिसका उत्तर जनता ने विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करके तथा स्वदेशी आन्दोलन चलाकर दिया। स्थान-स्थान पर विदेशी कपड़ों की होली जलायी गयी।

(3) राष्ट्रीय शिक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया तथा सरकारी शिक्षा संस्थाओं का बहिष्कार किया गया। इसके अतिरिक्त स्वतन्त्र राष्ट्रीय शिक्षा संस्थाओं की स्थापना की गयी।

(4) बंगला विरोधी आन्दोलन ने शिक्षा संस्थाओं के अतिरिक्त शिक्षा स्वदेशी उद्योगों की स्थापना के भी प्रयत्न किये जिससे व्यापारिक जनता तथा श्रमिकों में भी राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ।

(5) बंगाल के विभाजन से बौद्धिक वर्ग में जागृति उत्पन्न हुई। कांग्रेस के बुद्धिजीवियों में उग्रता की भावना तीव्र हुई तथा वे पूर्णतया सरकार विरोधी हो गये। लाल-बाल-पाल राष्ट्रीय जन-नेता के रूप में उभरे।

(6) बंगाल के विभाजन के पश्चात् ही कांग्रेस उदारवादियों तथा उग्रराष्ट्रवादियों में विभाजित हो गयी। इसके अतिरिक्त देश में उग्रराष्ट्रवादी आन्दोलन भी प्रारम्भ हो गये। ब्रिटिश शासन के अत्याचारों के विरोध में देश के नवयुवकों ने संगठित होकर क्रांतिकारी गतिविधियाँ प्रारम्भ कर दी।

(7) बंग-भंग विरोधी आन्दोलन को मिले व्यापक जन-समर्थन से ब्रिटिश सरकार घबरा गयी, अतः हिन्दू और मुसलमानों को लड़ाने के लिए मुस्लिम साम्प्रदायिकता को प्रोत्साहन देना आरम्भ कर दिया। अन्य शब्दों में, “फूट डालो तथा राज्य करो” की नीति को प्रारम्भ किया।

(8) बंगाल-विभाजन के विरुद्ध तीव्र प्रतिक्रिया होने के कारण ब्रिटिश सरकार को इसे 1911 ई. में रद्द करना पड़ा जिससे कांग्रेस के उग्रराष्ट्रवादियों की प्रतिष्ठा बढ़ी।

कर्जन के छ: वर्ष के लम्बे शासनकाल में स्वाधीनता आन्दोलन की दिशा वास्तविक रूप में बदल दी।

स्वदेशी आन्दोलन उपनिवेशवाद के विरुद्ध भारतीयों का पहला सशक्त राष्ट्रीय आन्दोलन था। इसी के साथ भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन की नई चेतना का विकास हुआ।

प्रश्न 3.
‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ का वर्णन कीजिए।
अथवा
सविनय अवज्ञा आन्दोलन का क्या अभिप्राय है ? इसके कार्यक्रम एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सन् 1930 ई. में लाहौर में हुए अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता को अपना लक्ष्य घोषित किया और गांधीजी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने का निश्चय किया गया। गांधीजी ने इस आन्दोलन में निम्न प्रमुख कार्यक्रम रखे –

  1. जगह-जगह नमक कानून तोड़कर नमक बनाया जाए।
  2. सरकारी कर्मचारी सरकारी नौकरियाँ को त्याग दें और छात्र सरकारी स्कूल-कॉलेजों का बहिष्कार करें।
  3. विदेशी वस्त्रों को त्याग कर उनकी होली जलायी जाए।
  4. स्त्रियाँ शराब, अफीम और विदेशी कपड़े की दुकानों पर धरना दें।
  5. जनता सरकार को कर न दे।

गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का शुभारम्भ कानून का उल्लंघन कर किया। 12 मार्च, 1930 को गांधीजी ने डाण्डी के लिए प्रस्थान किया और वहाँ 5 अप्रैल को पहँचे। यह घटना ‘डाण्डी-यात्रा’ के नाम से प्रसिद्ध है। मार्ग में जनता ने सत्याग्रहियों का अभूतपूर्व स्वागत किया। वहाँ उन्होंने नमक कानून तोड़ा। इस प्रकार देश में नमक कानून भंग करने का आन्दोलन चल पड़ा। आम जनता ने भी नमक कानून का उल्लंघन किया। यह सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ था। हिन्दुस्तान के सभी भागों में लोगों ने सरकारी कानूनों को भंग करना शुरू किया। स्त्रियों ने भी पर्दा छोड़कर इस आन्दोलन में भाग लिया। किसानों में भी सरकार को कर देने से इन्कार कर दिया। विदेशी कपड़े का बहिष्कार हुआ।

5 मार्च, 1931 को गांधीजी का वायसराय इरविन से समझौता हो गया और गांधीजी ने आन्दोलन स्थगित कर दिया। नवम्बर, 1931 ई. में गांधीजी ने कांग्रेस की ओर से लन्दन में द्वितीय गोलमेल सम्मेलन में भाग लिया और भारत के लिए पूर्ण स्वाधीनता की माँग की, परन्तु ब्रिटिश शासन ने उनकी माँग को स्वीकार नहीं किया। अत: 1932 ई. में कांग्रेस ने गांधीजी के नेतृत्व में पुनः सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया। सरकार ने दमन-चक्र तेज किया। एक लाख से अधिक व्यक्ति गिरफ्तार हुए। 1934 ई. में गांधीजी ने आन्दोलन को समाप्त कर दिया।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन का महत्त्व

यह सत्य है कि असहयोग आन्दोलन की तरह सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी बीच में ही स्थगित कर दिया गया था जिससे जनता में कुछ निराशा फैली, परन्तु इस आन्दोलन ने कांग्रेस की शक्ति को भी बढ़ाया। जनता ने गांधीजी के नेतृत्व में अपार कष्टों को सहन किया तथा उनके आदेशों का पालन आँख मींचकर किया। ब्रिटिश सरकार को भी इस बार गांधीजी के व्यक्तित्व ने प्रभावित किया और वह समझ गयी कि उनके पीछे एक अपार जन बल है। इस आन्दोलन ने गांधीजी को एक विश्वविख्यात राजनीतिज्ञ बना दिया।

प्रश्न 4.
भारत छोड़ो आन्दोलन क्यों प्रारम्भ हुआ ? यह असफल क्यों हुआ ?
अथवा
भारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता के क्या कारण थे? कोई पाँच कारण लिखिए। (2017)
उत्तर:
क्रिप्स मिशन के असफल हो जाने से तथा क्रिप्स के द्वारा कांग्रेस को असफलता के लिए उत्तरदायी ठहराये जाने के कारण भारतीय जनता में अत्यन्त असन्तोष तथा निराशा की भावना उत्पन्न हुई। क्रिप्स मिशन ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ब्रिटिश सरकार साम्प्रदायिकता के पक्ष को लेकर भारत को स्वतन्त्रता प्रदान नहीं करेगी। अन्य शब्दों में क्रिप्स मिशन का उद्देश्य भारत को स्वतन्त्रता प्रदान करना नहीं था, अत: भारत की स्वतन्त्रता के लिए भारत छोड़ो आन्दोलन चलाना आवश्यक हो गया।

आन्दोलन की असफलता के कारण

भारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता के निम्न कारण थे –

  1. संगठन तथा निश्चित योजना का अभाव-भारत छोड़ो आन्दोलन आरम्भ करने से पूर्व महात्मा गांधी ने इसकी कोई स्पष्ट योजना नहीं बनायी थी कि इसे किस प्रकार संचालित किया जायेगा। अन्य शब्दों में किसी भी आन्दोलनकारी को यह ज्ञात नहीं था कि उन्हें क्या करना है ?
  2. ब्रिटिश शासन का शक्तिशाली होना-भारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता का अन्य प्रमुख कारण ब्रिटिश शासन का आन्दोलनकारियों की अपेक्षा अत्यधिक शक्तिशाली होना था। आन्दोलनकारियों के पास धन तथा अस्त्र-शस्त्रों का अभाव था, अतः उन्हें बिन अस्त्र-शस्त्र के पुलिस तथा सेना का सामना करना पड़ता था।
  3. राष्ट्रीय नेताओं को बन्दी बनाया जाना–भारत छोड़ो आन्दोलन के प्रारम्भ होते ही ब्रिटिश सरकार ने प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं को अचानक गिरफ्तार कर लिया था जिससे जनता समुचित मार्ग-दर्शन प्राप्त नहीं कर सकी तथा आन्दोलन को गहरा आघात लगा।
  4. मुस्लिम लीग की राजनीति-मुस्लिम लीग ने मुसलमानों को आन्दोलन से पृथक् रहने का परामर्श दिया जिससे मुसलमानों ने आन्दोलन में भाग नहीं लिया। इससे भी आन्दोलन पर गहरा आघात लगा।
  5. कठोर दमन चक्र-ब्रिटिश शासन ने भारत छोड़ो आन्दोलन का अत्यन्त क्रूरता तथा कठोरता के साथ दमन किया। पुलिस तथा सेना ने लाखों व्यक्तियों को बन्दी बनाया तथा हजारों व्यक्तियों को गोली से भून दिया। महिलाओं को अपमानित किया गया तथा सामूहिक जुर्माने का कर कठोरतापूर्वक वसूल किया गया।
  6. साम्यवादी दल का अलग रहना-साम्यवादी दल ने इस आन्दोलन से अपने को पूर्णतया पृथक् रखा क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध में इंग्लैण्ड तथा रूस दोनों ने मिलकर जर्मनी तथा जापान की फासिस्ट शक्तियों के विरुद्ध संघर्ष किया था। ऐसी दशा में भारतीय कम्युनिस्ट रूस के मित्र ब्रिटेन का विरोध नहीं करना चाहते थे। अतः उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन से अपने को दूर रखा।
  7. राजकीय सेवाओं तथा उच्च वर्गका ब्रिटिश शासन के प्रति निष्ठावान होना-भारत छोड़ो आन्दोलन के समय ब्रिटिश शासन के राजकीय कर्मचारियों तथा पदाधिकारियों ने पूर्णतया वफादारी के साथ इस आन्दोलन को कुचलने में सहयोग दिया था। देशी राजाओं तथा जमींदार वर्ग ने भी इस आन्दोलन का विरोध किया था।

प्रश्न 5.
स्वतन्त्रता आन्दोलन में गांधीजी के योगदान का वर्णन कीजिए।
अथवा
महात्मा गांधी का राष्ट्रीय आन्दोलन में क्या योगदान था ?
उत्तर:
भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में महात्मा गांधी का योगदान भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में महात्मा गांधी का स्थान सर्वोच्च है। गांधीजी ने भारत के स्वाधीनता संघर्ष को अहिंसा व सत्याग्रह के आधार पर चलाया। उनका कहना था कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही स्वराज हासिल किया जा सकता है। अंग्रेजों के प्रति असन्तोष प्रकट करने के लिए उन्होंने असहयोग आन्दोलन और सविनय अवज्ञा आन्दोलन आदि शुरू किये। इन आन्दोलनों ने भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिला दी।

1914 में गांधीजी भारत लौटे और आते ही भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में कूद पड़े। अहमदाबाद में साबरमती के किनारे एक आश्रम की स्थापना की और बिहार के चम्पारन जिले से किसानों की रक्षा के लिए गोरे कोठीवालों के अत्याचारों के विरुद्ध छोटे पैमाने पर सत्याग्रह किया। इसमें उन्हें पर्याप्त सफलता मिली। उन्होंने गाँव-गाँव जाकर लोगों के सामने पराधीन भारत की करुणावस्था का चित्र खींचा और देश के उत्थान हेतु कमर कसने के लिए लोगों को प्रेरित किया। भयभीत जनता को उन्होंने निर्भय बनाया। उन्हीं के प्रयासों से राष्ट्रीय आन्दोलन एक जन-आन्दोलन बन सका।

प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् 1919 ई. में ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट पास किया जिसका उद्देश्य भारतीयों को दबाना था। गांधीजी के आह्वान पर हिन्दू-मुसलमान इस एक्ट के विरोध में एकजुट हो गये। गांधीजी ने खिलाफत आन्दोलन में पूर्ण सहयोग दिया। खिलाफत कमेटी ने भी 31 अगस्त, 1920 को असहयोग आन्दोलन छेड़ दिया। इसके नेतृत्व की बागडोर गांधीजी के हाथों में दे दी गयी। साइमन कमीशन के विरोध में 1930 ई. में सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया गया। 12 मार्च, 1930 को डाण्डी यात्रा से गांधीजी ने दूसरे सविनय अवज्ञा आन्दोलन का सूत्रपात किया। दूसरी गोलमेज परिषद में गांधीजी ने कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया और वहाँ यह दावा किया कि कांग्रेस सम्पूर्ण देश और समस्त हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है।

कांग्रेस ने गांधी के नेतृत्व में बम्बई में 8 अगस्त को ‘भारत छोड़ो’ के ऐतिहासिक प्रस्ताव को पारित किया। गांधीजी ने इस प्रस्ताव पर बोलते हुए भारतीय जनता को ‘करो या मरो’ का सन्देश दिया। 9 अगस्त, 1942 को गांधीजी तथा कार्य-समिति के सभी नेताओं को गिरफ्तार कर किसी अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया। इन आन्दोलनों ने भारत में अंग्रेजी राज्य की नींव हिला दी और अन्त में 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हो गया।

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 16 ग्रामीण अर्थव्यवस्था व राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना-मध्य प्रदेश

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 16 ग्रामीण अर्थव्यवस्था व राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना-मध्य प्रदेश

MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में रोजगार उपलब्ध कराया जाता है
(i) 100 दिवस का
(ii) 150 दिवस का
(iii) 200 दिवस का
(iv) एक वर्ष का।
उत्तर:
(i) 100 दिवस का

प्रश्न 2.
सिंचाई से सम्बन्धित योजना है
(i) निर्मल नीर योजना
(ii) सहस्रधारा योजना
(iii) वन्या उपयोजना
(iv) भूमि शिल्प योजना।
उत्तर:
(i) निर्मल नीर योजना

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना का उद्देश्य ………….. का सृजन करना है।
  2. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के अन्तर्गत उन परिवारों के सदस्यों को काम दिया जाता है जिनके पास ………….. हो।
  3. जॉब कार्ड धारक व्यक्ति को यदि रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा सकता तो उसे ………….. प्रदान किया जाता है।

उत्तर:

  1. रोजगार
  2. जॉब कार्ड
  3. बेरोजगारी भत्ता।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 आत लघु उत्तराय प्रश्न

प्रश्न 1.
केन्द्र सरकार ने काम का अधिकार लागू करने के लिए कौन-सा अधिनियम बनाया है ?
उत्तर:
राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी अधिनियम, 2005।

प्रश्न 2.
राष्टीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के अन्तर्गत किस प्रकार के श्रम का रोजगार दिया जाता है ? (2017)
उत्तर:
अकुशल मानव श्रम।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के अन्तर्गत कुल आवेदकों में से कितनी महिलाओं को लाभ पहुँचाया जाता है ?
उत्तर:
एक-तिहाई महिलाओं को।

प्रश्न 4.
जॉब कार्ड सम्बन्धी शिकायत का समाधान कौन करता है ?
उत्तर:
जॉब कार्ड में किसी भी प्रकार के परिवर्तन करने हेतु ग्राम पंचायत सक्षम होती है।

प्रश्न 5.
आवेदक को न्यूनतम मजदूरी का अतिरिक्त भुगतान कब किया जाता है ?
उत्तर:
5 किमी. की परिधि में रोजगार न होने की स्थिति में जनपद स्तर पर रोजगार प्रदान किया जाता है और तब परिवहन व्यय हेतु आवेदक को न्यूनतम मजदूरी का 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान किया जाता है।

प्रश्न 6.
बेरोजगारी भत्ता किसे दिया जाता है ? (2018)
उत्तर:
काम माँगने के दिन से 15 दिन तक अगर काम न मिले तो आवेदन करने वाले व्यक्ति को बेरोजगारी भत्ता पाने की पात्रता होती है।

प्रश्न 7.
सामुदायिक विकास मूलक कार्यों की किसी एक योजना का नाम बताइए।
उत्तर:
नहर निर्माण हेतु सहस्र धारा योजना।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के उद्देश्य-इस योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. इस योजना का उद्देश्य है ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत् प्रत्येक परिवार के वयस्क व्यक्तियों को जो अकुशल मानव श्रम करने हेतु तैयार हैं, एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध कराना।
  2. ग्रामीण क्षेत्र में स्थायी परिसम्पत्तियों का सृजन करना।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में रोजगार की उपलब्धता के विषय में बताइए।
उत्तर:
योजना में रोजगार की उपलब्धता –

  1. योजना में रोजगार की उपलब्धता ‘प्रथम आओ, प्रथम पाओ’ के सिद्धान्त पर आधारित है। योजना के अन्तर्गत एक वित्तीय वर्ष 100 दिन का रोजगार प्राप्त करने के लिए एक परिवार पात्र होगा।
  2. रोजगार या तो क्षेत्र में पहले से चल रहे रोजगार मूलक कार्यों में दिया जाता है या पंचायत स्तर पर शेल्फ ऑफ प्रोजेक्ट में से कार्य आरम्भ करते हुए दिया जाता है।
  3. रोजगार प्रदान करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि रोजगार आवेदक के निवास के 5 किमी. की परिधि में ही हो।
  4. निःशक्तजनों, अपंग, बुजुर्ग व्यक्ति यदि आवेदन करते हैं तो उनकी योग्यता व दक्षता के अनुसार उन्हें काम दिया जाता है, अर्थात् सभी के लिए रोजगार का प्रावधान है।

प्रश्न 3.
सामुदायिक विकास मूलक कार्य सम्बन्धी योजनाएँ कौन-कौन सी हैं ? बताइए।
उत्तर:
सामुदायिक विकास मूलक सम्बन्धी योजनाएँ
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter ग्रामीण अर्थव्यवस्था व राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना-मध्य प्रदेश 16 2

प्रश्न 4.
जॉब कार्ड क्या है ? उसे कैसे प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर:
जॉब कार्ड (रोजगार पत्र) पंजीयत परिवारों को ग्राम पंचायत द्वारा जारी किया जाता है। इसके अन्तर्गत परिवार के सदस्यों का पूर्ण विवरण होता है। यह रोजगार पत्र जारी होने के दिनांक से 5 वर्ष के लिये वैध होता है एवं प्रत्येक 5 वर्ष की समाप्ति के बाद एक माह के अन्दर ग्राम पंचायत द्वारा नवीनीकृत किया जा सकता है। यह कार्ड बीपीएल सर्वे पर आधारित होता है। जॉब कार्ड में किसी भी प्रकार के परिवर्तन करने हेतु ग्राम पंचायत सक्षम होती है।

प्रश्न 5.
बेरोजगारी भत्ता प्राप्ति की प्रक्रिया बताइए।
उत्तर:
बेरोजगारी भत्ता प्राप्त करने की प्रक्रिया-बेरोजगार व्यक्ति द्वारा काम माँगने के दिन से 15 दिन तक अगर काम न मिले तो आवेदन करने वाले व्यक्ति को बेरोजगारी भत्ता पाने की पात्रता होती है, परन्तु एक परिवार को न्यूनतम दर पर प्रदान की गई मजदूरी तथा बेरोजगारी भत्ते के रूप में प्रदान की गई राशि दोनों का योग 100 दिन की न्यूनतम मजदूरी से अधिक नहीं हो सकता है।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में ग्राम पंचायत की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में ग्राम पंचायत की भूमिका-गाँव में इस योजना को लागू करने में ग्राम पंचायत की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ग्राम पंचायत को निम्नलिखित कार्य करने होते हैं –

  1. परिवारों का पंजीकरण एवं जिन परिवारों का नाम लिखा हुआ है उनको जॉब कार्ड देना।
  2. लोगों द्वारा रोजगार के लिए दिए गए आवेदन पत्र लेना एवं उन्हें काम कहाँ मिलेगा यह जानकारी देना।
  3. ग्रामसभा के फैसले के अनुसार कार्यों के प्रस्ताव तैयार करना।
  4. निर्माण कार्य के एस्टीमेट में मजदूरी, सामग्री एवं अन्य मद में होने वाले अनुमानित खर्चे का उल्लेख करना।
  5. अपने क्षेत्रों में किए जा रहे कार्यों की निगरानी करना।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी से आशय, उद्देश्य एवं विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना से आशय एवं उद्देश्य – ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी की व्यापकता एवं सघनता के निवारण तथा ग्रामीण क्षेत्र में उत्पादक रोजगार बढ़ाने की दृष्टि से सितम्बर 2005 में ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम पारित किया गया। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी कानून का उद्देश्य वर्ष में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराकर गैर कृषि अवधि के दौरान अकुशल ग्रामीणों का गाँव से पलायन रोकना है। इसके अनुसार इच्छुक ग्रामीण परिवारों को रोजगार प्राप्त करने का वैधानिक अधिकार प्राप्त हो गया। इस योजना के मुख्य उद्देश्य अग्रलिखित हैं –

  1. इस योजना का उद्देश्य है ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत प्रत्येक परिवार के वयस्क व्यक्तियों को जो अकुशल मानव श्रम करने हेतु तैयार हैं, एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिवस का रोजगार अकुशल उपलब्ध कराना।
  2. ग्रामीण क्षेत्र में स्थायी परिसम्पत्तियों का सजन करना।

योजना की विशेषताएँ – राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. योजना में रोजगार की उपलब्धता प्रथम आओ, प्रथम पाओ के सिद्धान्त पर आधारित है।
  2. रोजगार प्रदान करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि रोजगार आवेदक के निवास के 5 किमी. की परिधि में ही हो। 5 किमी. की परिधि में रोजगार न होने की स्थिति में जनपद स्तर पर रोजगार प्रदान किया जाता है और तब परिवहन व्यय आदि हेतु आवेदक को न्यूनतम मजदूरी का 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान किया जाता है।
  3. पंजीकृत एवं काम के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों में से कम से कम एक तिहाई महिलाओं को लाभान्वित करने का प्रावधान है।
  4. महिला एवं पुरुषों में मजदूरी भुगतान में कोई भेदभाव नहीं किया जाता। मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक या अधिकतम पाक्षिक आधार पर किया जाता है।
  5. कार्य के दौरान चोट लगने पर बिना पैसे के इलाज और अपंग व मृत्यु होने पर मुआवजे का प्रावधान है।
  6. इस स्कीम के अन्तर्गत किसी ठेकेदार को कार्य करने की इजाजत नहीं है।
  7. योजना में पारदर्शिता एवं आम आदमी की भागीदारी बढ़ाने हेतु सामाजिक अंकेक्षण की व्यवस्था है।
  8. गाँव में काम की देखरेख एवं निगरानी के लिए एक सतर्कता एवं मूल्यांकन समिति होती है। यह समिति काम की निगरानी एवं देखरेख करती है।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना क्या है ? उसका महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना से आशय एवं उद्देश्य – ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी की व्यापकता एवं सघनता के निवारण तथा ग्रामीण क्षेत्र में उत्पादक रोजगार बढ़ाने की दृष्टि से सितम्बर 2005 में ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम पारित किया गया। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी कानून का उद्देश्य वर्ष में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराकर गैर कृषि अवधि के दौरान अकुशल ग्रामीणों का गाँव से पलायन रोकना है। इसके अनुसार इच्छुक ग्रामीण परिवारों को रोजगार प्राप्त करने का वैधानिक अधिकार प्राप्त हो गया। इस योजना के मुख्य उद्देश्य अग्रलिखित हैं –

  1. इस योजना का उद्देश्य है ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत प्रत्येक परिवार के वयस्क व्यक्तियों को जो अकुशल मानव श्रम करने हेतु तैयार हैं, एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिवस का रोजगार अकुशल उपलब्ध कराना।
  2. ग्रामीण क्षेत्र में स्थायी परिसम्पत्तियों का सजन करना।

योजना का महत्त्व – ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार पाने के इच्छुक व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराने वाली नयी संचालित “राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना” एक अनोखी और विशिष्ट प्रकार की योजना है। यह योजना ग्रामीण अंचलों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति करती है; जैसे –

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी, बेरोजगारी एवं भुखमरी की समस्या के समाधान में सहायक है।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को कम करने में सहायक है।
  3. महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में सहायक है।
  4. इस योजना द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोगी परिसम्पत्तियों का निर्माण सम्भव हुआ है। समाज के निम्न आय वर्ग परिवारों की आर्थिक स्थिति के सुधार में सहायक है और उनकी परिसम्पत्तियों में वृद्धि करने में सहायक है।
  5. एक ऐसी ग्रामीण सामाजिक व्यवस्था विकसित करने में सहायक है जो शक्ति सन्तुलन समता पर आधारित होगी।

इस प्रकार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना ग्रामीण विकास एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुधार की दिशा में एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कदम है।

प्रश्न 3.
सामाजिक अंकेक्षण का आशय एवं महत्त्व बताइए।
उत्तर:
सामाजिक अंकेक्षण का आशय – अंकेक्षण किसी भी कार्य या योजना की सफलता के लिए एक महत्त्वपूर्ण बिन्दु होता है। अंकेक्षण वह प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा कराए गए कार्यों का एवं उस पर किए गए व्यय वितरण की जाँच की जाती है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के सामाजिक अंकेक्षण के अन्तर्गत, विभिन्न स्तरों पर किये गये कार्यों, भुगतानों के विवरण, कार्य में कार्यरत् श्रमिकों की संख्या एवं सामग्री का विवरण या ब्यौरा सम्मिलित होता है।

सामाजिक अंकेक्षण का महत्त्व – योजना के सफल क्रियान्वयन की दिशा में अंकेक्षण अत्यन्त आवश्यक प्रक्रिया है। यही योजना को उसके अन्तिम लक्ष्य तक खींचकर ले जाता है सामाजिक अंकेक्षण का महत्त्व अग्रानुसार है –
(1) जागरूक बनाने में सहायक-सामाजिक अंकेक्षण लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने में सहायक होता है व उन्हें उनके अधिकारों का उपयोग करने में सक्षम बनाता है।

(2) योजना को प्रभावशाली बनाने में सहायक एवं महत्त्वपूर्ण-योजना के प्रभावी क्रियान्वयन में सामाजिक अंकेक्षण की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। अंकेक्षण के कारण कार्यकर्ता में कार्य को ठीक से एवं समय पर पूरा करने की सजगता रहती है जिससे कार्य को सही ढंग से निर्धारित अवधि में पूरा कर दिखाने का एक उत्साह बना रहता है व योजना का क्रियान्वयन उचित ढंग से होने लगता है।

(3) आम नागरिकों की भागीदारी में सहायक-सामाजिक अंकेक्षण से योजना में आम लोगों की भागीदारी भी बढ़ती है। इसमें लक्षित समूह के साथ समूह चर्चा एवं व्यक्तिगत साक्षात्कार के द्वारा योजना के क्रियान्वयन का विवरण प्राप्त करने का प्रावधान है। इस प्रकार सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया इस प्रकार रखी गई है कि योजना में आम ग्रामीण नागरिकों की भागीदारी बढ़ जाती है और वे योजना के प्रति सजग व सतर्क हो जाते हैं।

(4) योजना की पारदर्शिता में सहायक-पारदर्शिता से आशय है कि योजना के सम्पूर्ण तथ्यों की जानकारी सभी को हो, कोई बात जनता से छिपी न रहे। पारदर्शिता के कारण जो कुछ होता है वह जनता के समक्ष खुली किताब के रूप में होता है।

(5) अनियमितताओं को नियन्त्रित करने में सहायक-अंकेक्षण का सर्वाधिक महत्त्व योजना के उचित क्रियान्वयन एवं अनियमितताओं को नियन्त्रित करने में है। समय-समय पर इनका अंकेक्षण होने से कार्यकर्ताओं को मजदूरों की संख्या, कार्य एवं कार्य के प्रकार, कार्यों पर किए गए व्यय राशि का सम्पूर्ण विवरण रखना पड़ता है, जिनकी अंकेक्षण के माध्यम से जाँच की जाती है। जाँच में खरा उतरना यह कर्ता-धर्ताओं की जिम्मेदारी होती है। अत: योजना का लाभ जिसे मिलना चाहिए, उसी को मिलता है। इससे योजना सफल होती है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में शिकायत निपटारे हेतु विभिन्न स्तरों पर की गई व्यवस्था को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में शिकायत निपटारे हेतु निम्न समितियों की व्यवस्था की गई –

शिकायत निपटारे की समितियाँ – पंचायत स्तर पर इस योजना में हर स्तर पर शिकायत निपटारे की व्यवस्था है। हर स्तर पर अर्थात् ग्राम पंचायत से जिला स्तर तक शिकायत पुस्तिका रखी जाती है, कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत इस पुस्तिका में दर्ज करा सकता है। हर छह माह में ग्रामसभा किए गए कार्यों की जाँच पड़ताल करती है। कोई अव्यवस्था होने पर ग्रामसभा प्रस्ताव पास कर अनुविभागीय अधिकारी (एस. डी. एम.) को भेजती है। शिकायत प्राप्त होने पर अनुविभागीय अधिकारी जाँच समिति का गठन करता है। समिति में उसी पंचायत का एक पंच जो निर्माण एवं विकास समिति का सदस्य न हो, जनपद का सब-इंजीनियर व अनुविभागीय अधिकारी द्वारा नामांकित एक सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य के रूप में शामिल होता है। इस पंचायत क्षेत्र के जनपद सदस्य और सम्बन्धित विभाग के ब्लॉक स्तरीय अधिकारी भी समिति में रहते हैं। जाँच की रिपोर्ट मिलने के बाद उसे सचिव द्वारा ग्रामसभा में पढ़कर सुनाया जाता है। यदि ग्रामसभा तय करती है तो प्रकरण अनुविभागीय अधिकारी द्वारा समाप्त किया जा सकता है। यदि ग्रामसभा मानती है कि गड़बड़ी हुई है तो वह अनुविभागीय अधिकारी को कार्यवाही की अनुशंसा करती है। अनुविभागीय अधिकारी द्वारा पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40, 89, 92 या 100 के तहत कानूनी कार्यवाही की जाती है।

जनपद स्तर पर या कार्यक्रम अधिकारी (सीईओ जनपद पंचायत) की शिकायत पाई जाने पर जिला कार्यक्रम समन्वयक (कलेक्टर) जाँच समिति गठित करता है। जाँच समिति अपनी रिपोर्ट जिला कार्यक्रम समन्वयक को देती है और कोई कर्मचारी दोषी पाए जाने पर जिला कार्यक्रम समन्वयक स्वयं अनुशासनात्मक कार्यवाही करता है या सम्बन्धित विभाग को रिपोर्ट भेजता है।

जिला पंचायत स्तर पर जिला कार्यक्रम समन्वयक (कलेक्टर) या अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समन्वयक जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के विरुद्ध शिकायत प्राप्त होने पर सम्भाग आयुक्त एक जाँच समिति का गठन करता है। सम्बन्धित व्यक्ति के दोषी पाए जाने पर संभाग आयुक्त स्वयं अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हैं या सम्बन्धित विभाग के समक्ष अधिकारी को भेजते हैं।

राज्य स्तर पर शिकायतों का निपटारा मध्य प्रदेश राज्य रोजगार गारण्टी परिषद् करता है।

क्रियान्वयन एजेन्सी के विरुद्ध शिकायत जिला कार्यक्रम समन्वयक कलेक्टर एक समिति का गठन करते हैं। जाँच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने पर कलेक्टर जाँच रिपोर्ट पर यथोचित कार्यवाही करते हैं। शासकीय अधिकारी या कर्मचारी के दोषी पाये जाने पर कार्यवाही हेतु संभाग आयुक्त सम्बन्धित विभाग को भेजते हैं। साथ ही एक प्रति अपने मत सहित प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को भेजते हैं। मजदूरी न मिलने पर मस्टर रोल में गड़बड़ी की शिकायत को पहले हल किया जाता है। इन शिकायतों को 15 दिन के अन्दर निपटाए जाने का नियम है। यदि गम्भीर वित्तीय पैसे के सम्बन्ध में भ्रष्टाचार पाया जाता है, तो सम्बन्धित थाने में एफ. आई. आर. दर्ज कराई जाती है। शिकायत पर की गई कार्यवाही की जानकारी तत्काल प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विभाग को भेजी जाती है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान है –
(i) 20 प्रतिशत
(ii) 22 प्रतिशत
(iii) 28 प्रतिशत
(iv) 40 प्रतिशत
उत्तर:
(ii) 22 प्रतिशत

प्रश्न 2.
नंदन फलोद्यान योजना सम्बन्धित है –
(i) वृक्षारोपण से
(ii) सिंचाई सुविधा से
(iii) बागवानी बागान से
(iv) भूमि सुधार से।
उत्तर:
(iii) बागवानी बागान से

प्रश्न 3.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या का कितना प्रतिशत भाग गाँव में निवास करता है ?
(i) 65.8 प्रतिशत
(ii) 54.8 प्रतिशत
(iii) 60.0 प्रतिशत
(iv) 68.8 प्रतिशत।
उत्तर:
(iv) 68.8 प्रतिशत।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. विगत तीन दशकों (1973-2003) के दौरान सेवा क्षेत्र का योगदान लगभग ……………….. गुना बढ़ गया है।
  2. कृषि श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी अधिनियम ……………….. के अन्तर्गत निर्धारित अधिसूचित मजदूरी पाने का हक है।

उत्तर:

  1. ग्यारह
  2. 1948

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
1973 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 30 प्रतिशत था।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के अन्तर्गत एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन का रोजगार प्राप्त करने के लिए एक परिवार पात्र होगा।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3.
जॉब कार्ड बीपीएल सर्वे पर आधारित होता है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना राज्य सरकार ने प्रारम्भ की है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5.
शैल-पर्ण योजना जल संरक्षण एवं संवर्धन से सम्बन्धित है।
उत्तर:
सत्य

जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter ग्रामीण अर्थव्यवस्था व राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना-मध्य प्रदेश 16 1
उत्तर:

  1. → (ग)
  2. → (क)
  3. → (घ)
  4. → (ङ)
  5. → (ख)

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एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना किस सिद्धान्त पर आधारित है ?
उत्तर:
प्रथम आओ, प्रथम पाओ

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में परिवहन व्यय का कितना अतिरिक्त भुगतान किया जाता है।
उत्तर:
10 प्रतिशत

प्रश्न 3.
जॉब कार्ड किस सर्वे पर आधारित होता है ?
उत्तर:
बीपीएल सर्वे

प्रश्न 4.
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम की किस धारा के अन्तर्गत राज्य योजना आयोग का गठन किया गया है ?
उत्तर:
धारा 4(1)

MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
न्यूनतम मजदूरी क्या है ?
उत्तर:
किसी क्षेत्र के सम्बन्ध में न्यूनतम मजदूरी से आशय कृषि श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 की धारा 3 के अधीन राज्य सरकार द्वारा नियत मजदूरी से है, जो उस क्षेत्र में लागू है।

प्रश्न 2.
कार्यक्रम अधिकारी से क्या आशय है ?
उत्तर:
कार्यक्रम अधिकारी से आशय स्कीम को कार्यान्वित करने के लिए धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त किसी अधिकारी से होता है।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रोजगार गारण्टी योजना के तहत मजदूरों को काम के समय क्या सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं ?
उत्तर:
रोजगार गारण्टी योजना में काम के समय सुविधाएँ – रोजगार गारण्टी योजना के तहत मजदूरों को काम के समय निम्न सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं –

  1. पीने का साफ जल और आराम के लिए छाया की व्यवस्था।
  2. काम कर रही महिलाओं के साथ 6 वर्ष से कम आयु के अगर 5 या अधिक बच्चे हों तो उनकी देखभाल के लिए अलग से एक महिला को काम सौंपा जाना प्रावधानित है।
  3. काम के दौरान अगर किसी मजदूर को चोट लग जाती है तो उसे पूरे इलाज की सुविधा व पूरी तरह से अपंग हो जाने या किसी की मृत्यु होने पर नियमानुसार मुआवजा देने का प्रावधान है।

प्रश्न 2.
बेरोजगारी भत्ते की माँग कब नहीं की जा सकती है ?
उत्तर:
रोजगार की माँग करने वाला व्यक्ति यदि योजना के अन्तर्गत दिए गए कार्य को नहीं करता है एवं सूचना मिलने के 15 दिवस की भीतर कार्यस्थल पर उपस्थित नहीं होता है और क्रियान्वयन एजेंसी की अनुमति के बिना निरन्तर एक सप्ताह या उससे अधिक या पूरे माह में एक सप्ताह से अधिक अनुपस्थित रहता है तो ऐसे व्यक्ति अधिनियम के तहत तीन माह तक बेरोजगारी भत्ते की माँग नहीं कर सकते हैं।

प्रश्न 3.
“ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास ही भारत का सच्चा विकास है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की 68.85 प्रतिशत जनसंख्या गाँव में निवास करती है। इसीलिए ग्रामीण जीवन इतना समृद्ध होना चाहिए कि लोगों को ग्रामीण क्षेत्र में ही रोजगार उपलब्ध हो सके, जिससे लोगों को गाँव के बाहर जाने की आवश्यकता न पड़े। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध हों जिससे अन्य भौतिक और सामाजिक बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ, जिससे पलायन की मजबूरी वाले कारणों पर काबू पाया जा सके।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के अन्तर्गत कौन व्यक्ति रोजगार प्राप्त करने के पात्र होंगे ?
अथवा
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना में काम पाने की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना में काम पाने की प्रक्रिया-योजना के अन्तर्गत एक पंजीकृत परिवार के समस्त वयस्क व्यक्ति जो रोजगार प्राप्त करने के लिए आवेदन प्रस्तुत करते हैं, 100 दिवस की सीमा के अन्तर्गत रोजगार प्राप्त करने हेतु पात्र होंगे। इसके लिए

  1. परिवार को ग्राम पंचायत क्षेत्र का स्थानीय निवासी होना आवश्यक है।
  2. स्थानीय ग्राम पंचायत में परिवार को पंजीकृत कराया जाना आवश्यक होगा।
  3. ग्राम पंचायत से परिवार का जॉब कार्ड प्राप्त करना होगा।
  4. जॉब कार्ड के आधार पर अकुशल मानव श्रम करने हेतु आवेदन देना होगा।
  5. अकुशल मानव श्रम करने के लिए तत्पर

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्रामीण परिवारों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है ? इन समस्याओं के सन्दर्भ में अपने सुझाव दीजिए।
अथवा
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए बताइए कि इसके कारण ग्रामीण परिवारों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर:
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी का स्वरूप-भारतीय अर्थव्यवस्था में विगत तीन दशकों (1973-2003) में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। वर्ष 1973 में जहाँ सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान 45 प्रतिशत के करीब था व इस क्षेत्र से 75 प्रतिशत व्यक्तियों को रोजगार मिला हुआ था, “वर्ष 2012 में कृषि क्षेत्र का योगदान घटकर 14.1 प्रतिशत ही रह गया है। किन्तु कृषि क्षेत्र में अभी भी 58.2 प्रतिशत व्यक्ति रोजगार में लगे हुए हैं।” इससे स्पष्ट है कि कृषि क्षेत्र में कार्यरत् व्यक्ति आवश्यकता से अधिक हैं। इनमें से यदि कुछ लोगों को अन्यत्र रोजगार से जोड़ा जाए तो भी कृषि उत्पादन प्रभावित नहीं होगा। यह स्थिति हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी के स्वरूप को बताती है, जिससे प्रच्छन्न बेरोजगारी, आंशिक बेरोजगारी और अल्प बेरोजगारी की समस्याएँ व्याप्त हैं। इन समस्याओं के कारण ग्रामीण परिवारों को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है

  1. रोजगार के व्याप्त साधनों की कमी और कृषि में आवश्यकता से अधिक व्यक्तियों के लिप्त रहने के कारण ग्रामीण क्षेत्र में श्रम का उचित मूल्य नहीं मिलता है। इससे ग्रामीण परिवार गरीबी एवं भूख जैसी समस्याओं से जूझते रहते हैं।
  2. स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध न होने के कारण अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रोजगार ग्रामीण लोगों को शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करने के लिए विवश होना पड़ता है, जिनसे अनेक सामाजिक व आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  3. रोजगार के सीमित अवसर होने के कारण ग्रामीण परिवार की महिलाओं के श्रम का उचित मूल्यांकन और दोहन भी नहीं हो पाता है।
  4. ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के सीमित अवसर होने के कारण ग्रामीण परिवार आर्थिक रूप से असुरक्षित रहते हैं।
  5. आजीविका के लिए मूलभूत सुविधाओं में कमी के कारण भी रोजगार के नये अवसर विकसित नहीं होते हैं। इससे परिवारों का जीवन स्तर भी सुधर नहीं पाता है।

सुझाव – उपर्युक्त समस्याओं के समाधान के लिए सबसे पहली आवश्यकता है कि ग्रामीण परिवारों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाए। इसके लिए सुज्ञात तरीका माँग पर राहत कार्य रोजगार उपलब्ध कराने के प्रबन्ध करना है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र आजीविका के स्थाई स्रोत विकसित किये जाएँ। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम इन्हीं उद्देश्यों के आधार पर निर्मित किया गया है।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु कौन-कौन से कार्य निर्धारित किए गए हैं ?
उत्तर:
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के अन्तर्गत कराए जाने वाले कार्य – राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु कुछ कार्य निर्धारित किए गए हैं। इस अधिनियम में इन कार्यों को कराने का प्रावधान है

  1. जल संवर्धन एवं संरक्षण।
  2. सूखा रोकने हेतु वनरोपण/वृक्षारोपण।
  3. सिंचाई हेतु नहरें, लघु एवं मध्यम सिंचाई कार्य।
  4. अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों या गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों या भूमि सुधार के हिताधिकारियों या भारत सरकार की इन्दिरा आवास योजना के अधीन हिताधिकारियों की स्वयं की गृहस्थी भूमि के लिए सिंचाई प्रसुविधा, बागवानी बागान और भूमि विकास प्रसुविधा का उपबन्ध
  5. परम्परागत जल स्त्रोत संरचनाओं का पुनरुत्थान।
  6. भूमि का विकास।
  7. बाढ़ नियन्त्रण, जल जमाव क्षेत्रों में जल निकासी।
  8. 12 मीसा ग्रामीण पहुँच मार्ग।
  9. केन्द्र शासन द्वारा राज्य शासन के परामर्श से अधिसूचित अन्य कोई कार्य।

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 11 Important Events of the Post Independent India

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 11 Important Events of the Post Independent India

MP Board Class 10th Social Science Text Book Exercise

Objective Type Questions

Question 1.
Multiple Choice Questions:
(Choose the correct answer from the following)

Question (a)
War between India and China was fought on?
(a) 11th July, 1962
(b) 20th October, 1962
(c) 20th August, 1964
(d) 11th July, 1965.
Answer:
(b) 20th October, 1962

Question (b)
The reason of war of 1965 between India and Pakistan was?
(a) The area of Rann of Kutchab
(b) Azad Kashmir
(c) Jaisalmer of Rajasthan
(d) Bengal.
Answer:
(a) The area of Rann of Kutchab

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Question (c)
Lacs of refugees came to India from?
(a) Sri Lanka
(b) Bangladesh
(c) Pakistan
(d) China.
Answer:
(b) Bangladesh

Fill in the blanks:

  1. Special status has been given to the State of Jammu and Kashmir under Article ……………………. of the Constitution of India.
  2. The war between China and Japan started in the year ……………………….
  3. After the Indo – Pak war of 1971 …………………….. country was formed.
  4. National Emergency has been declared (in India) ……………………. times so far.

Answer:

  1. 370
  2. 1937
  3. Bangladesh
  4. four.

Question 3.
Match the columns:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 11 Important Events of the Post Independent India img 1
Answer:

  1. (e)
  2. (d)
  3. (b)
  4. (a)
  5. (c)

MP Board Class 10th Social Science Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Name the missiles prepared by India?
Answer:
Prithvi, Trishul, Naage, Akash, Agni.

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Question 2.
For the solution of Kashmir problem, team of which five countries was constituted by the Security Council of the United Nations Organisation?
Answer:
Czechoslovakia, Argentina, America, Columbia and Belgium.

MP Board Class 10th Social Science Short Answer Type Questions

Question 1.
Write why government of India asked Pakistan to stop/ block the entry of Kabailies? (MP Board 2012)
Answer:
The Prime Minister of India Pandit Jawaharlal Nehru assured that the people of Kashmir will decide through plebiscite, with whom (India or Pakistan) they want to merge. After the war is over and peace is resorted in Kashmir. In the beginning, Pakistan didn’t make any official statement with regard to Kahsmir therefore Government of India requested to stop the Kabailies from infiltrating.

When it was event that Pakistan Government itself is helping the Kabailies, then on the advice of Lord Mountbatten, the Governor General Government of India lodged a complaint in the Security Council that the Kabailies, with the help of Pakistan has attacked Kashmir, which is a part of India. This has posed a danger to the international peace and security

Question 2.
What were the effects of Indo – China war?
Or
Write the effect of Indo – China war? (MP Board 2009, 2011)
Or
Write any four consequences of Indo – China war? (MP Board 2009, 2010)
Answer:
Short Term and Long – term Effects of Indo – China War:

  1. The relations between the two countries strained.
  2. A large area of the Indian Territory went in the hands of China.
  3. India’s international image and Non – aligned policy were harmed.
  4. In the foreign policy of India Realism was considered better than idealism.
  5. There was improvement in the Indo – American relations.

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Question 3.
What were the conditions laid down for the Tashkant Agreement?
Or
Write the conditions of Tashkant Agreement? (MP Board 2009, 2011)
Or
Write the main conditions laid down for the Tashkand Agreement? (MP Board 2009)
Answer:
Important conditions of this agreement were as follows:

  1. Both the countries agreed to build harmonious relations like good neighbours.
  2. Both parties agreed to call back their armies and restore the positions as it was before 5th August, 1965. Both the parties will abide by the conditions of cease – fire.
  3. Both parties agreed to abstain from interfering in the internal matter of each other, discourage publicity against each other and restore diplomatic relations.

Besides, it was also agreed that relations between both the countries in the field of economic, commercial and cultural sectors shall be made cordial.

MP Board Class 10th Social Science Long Answer Type Questions

Question 1.
Why China declared one – sided cease – fire (end of war) in the Indo – China war? (MP Board 2011, 2013)
Answer:
The differences between India and China cropped up on the ‘Tibet Issue’. India was ready to accept the right of China over Tibet but wanted that a sovereign Government be set up there. Ignoring India’s wishes China started Army action in Tibet on 25 October, 1950. India opposed this action of China. In March 1958, opposition started in Tibet against China. The revolutionaries had the support of Dalai Lama.

When China tried to supress the movement by Tibetans Dalai Lama had to leave Tibet. India allowed Dalai Lama to stay in India, as a result of which cold war started between the two – countries; with this China started raising the border issue. India again tried to normalize relations on the basis of Panchsheel principles.

The Prime Ministers of India and China had a meeting in Delhi to sort out the border issue. Thereafter a series of meeting were held between the two countries but China attacked the NEFA area (Eastern Sector of Indo – China border) in September 1962. The Afro – Asian countries offered certain suggestions in the Colombo conference in December 1962 in respect of the Indo-China War. India agreed to these suggestions principally.

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Question 2.
What is Kashmir Problem? Describe in detail? (MP Board 2009, 2010)
Answer:
The Kashmir problem is the most complex problem between India and Pakistan. After independence two new nations emerged and other native states were given the liberty to merge either with India or Pakistan or remain independent. Most states merged with either India or Pakistan.

Kashmir, situated on the North West border of India is between the borders of both the countries viz. India and Pakistan. The king of Jammu and Kashmir decided to retain the independent status of his state. Raja Hari Singh thought that if he accedes to Pakistan it will be an injustice to the Hindu population of Jammu and Baudh population of Ladakh and if it merges with India it will be an injustice to the Muslim population of Kashmir.

Jawaharlal Nehru wanted to honour his commitment for plebiscite but Pakistan, violating the conditions laid down by the United Nations Organisation, did not remove its troops from the occupied territory (So called Azad Kashmir). The Kabailies also continued living there. Therefore, it was possible to conduct plebiscite. Pakistan did not want to withdraw from Kashmir, rather it staked its claim over Kashmir which was under the control of India.

On 6th February, 1954 the Kashmir Assembly passed a resolution to merge the state of Jammu and Kashmir in the Indian Union. Government of India made an amendment in the Constitution on 14th May and accorded special status to Jammu and Kashmir under Article 370 of the Constitution.

On 26th January, 1957 the Constitution of Jammu – Kashmir was amended and the state became an integral part of Indian Union. After this Pakistan constantly tried to raise Kashmir problem and create instability there. Pakistan raised the issue in the Security Council and put forth the demand for plebiscite.

America, Britain and France supported Pakistan’s stand but India opposed it. Soviet Russia, friend of India opposed it by using its special power of ‘Veto’ and set at a naught to the issue. In 1962, Pakistan again raised the issue but Soviet Union again used its special right of Veto. All the Governments which came in power in Pakistan tried to keep this issue alive, where as for India it a question of self – respect.

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Question 3.
Write the effects of Indo – Pak war of 1965?
Or
Write the consequence of Indo – Pak war of 1965? (MP Board 2009, 2011, 2012, 2013)
Answer:
To prevent the infiltrators for Pakistan, war opened between the two countries on 25th August, 1965. Pakistan army could attack and took possession of Akhnoor area. Pak Airforce also launched an aerial attack on Amritsar. Therefore to suppress the Pakistan army India attacked the Punjab area of Pakistan from three sides and the Indian * forces headed toward Lahore. This was such an undeclared war where both the armies fought on the eastern borders.

Cease – fire:
With the intervention of United Nations Organisations there was cease fire on 23 September, 1965. At the time of cease fire Indian Army had captured about 740 kilometres area of Pakistan and about 240 square kilometre are of India was in possession of Pakistan.
In 1965 War India won; following were the effects of this war:

  1. Pakistan wanted to solve Kashmir issue by wars but could not succeed.
  2. Pakistan believed that the Muslim, population of Kashmir will side with Pakistan but such thing did not happen. India proved that the base of secularism in the country is strong.
  3. The moral of the people of India and Indian Army was very high and Indian Army fought with indigenous weapons.
  4. The role of the United Nation’s in the Indo – Pak war was important. The United Nation’s succeeded in its efforts to restore peace because America and Russia both extended their valuable support to the United Nations.
  5. For Pakistan this war proved fatal; the defeat in the war proved that the army dictatorship has not been effective.

Project Work

Question 1.
Write in chronological order the wars between India and Pakistan?
Answer:
1965, 1967, 1971, 1998.

Question 2.
Please collect the pictures and informations about soldiers who laid their lives for the Nation (Martyrs) in the Indo – China and Indo – Pak wars, with the help of your teacher and colleagues?
Answer:
Do yourself with the help of your teacher.

MP Board Class 10th Social Science Additional Important Questions

Objective Type Questions

Question 1.
Multiple Choice Questions:
(Choose the correct answer from the following)

Question (a)
The first Indo – China war took place in the year of?
(a) 1960
(b) 1962
(c) 1966
(d) 1971.
Answer:
(b) 1962

Question (b)
Article 370 is related to?
(a) Pakistan
(b) India
(c) Kashmir
(d) Baluchistan.
Answer:
(c) Kashmir

MP Board Solutions

Question (c)
Name the Indian Prime Minister during the agreement of Tashkant?
(a) Jawaharlal Nehru
(b) Lai Bahadur Shastri
(c) Smt. Indira Gandhi
(d) Moraji Desai.
Answer:
(b) Lai Bahadur Shastri

Question (d)
Emergency was declared in India on?
(a) 25th June, 1975
(b) 25th June, 1972
(c) 30th June, 1977
(b) 30th June, 1978
Answer:
(a) 25th June, 1975

Question 2.
Fill in the blanks:

  1. General Niyagi surrendered before the Indian General ……………………….
  2. ………………. was the father of Indian Atomic Energy Programme.
  3. …………………. was formed as the Nuclear Proliferation Ban Treaty in 1985.
  4. Pokhran Atomic test was conducted in ………………………

Answer:

  1. Jagjit Singh
  2. Homi Jahangir Bhabha
  3. NPT
  4. 11 May, 1998.

Question 3.
True and False type questions:

  1. The formation of Bangladesh was result due to the Indo – Pak war of 1998.
  2. Japan – China war began in the year of 1960.
  3. The President of Awami League was Muziburrahman.
  4. The 1971 Indo – Pak war was continued for 14 days.

Answer:

  1. False
  2. False
  3. True
  4. True

Question 4.
Match the Column:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 11 Important Events of the Post Independent India img 2

Answer:

  1. (d)
  2. (a)
  3. (b)
  4. (c)

Answer in One – Two Words or One Sentence

Question 1.
In which year, the Delhi conference of Tanchsheel’was held? How many nations did attend it?
Answer:
The Delhi conference of ‘Panchsheel’ was held on April 10, 1955. Fourteen nations attended it.

Question 2.
When did China attack India?
Answer:
China attacked India in 1962.

Question 3.
When did Indira Gandhi conclude a peaceful nuclear test in Pokham?
Answer:
In 1977.

Question 4.
Expand P.T.B.T.?
Answer:
Partial Moscow Atomic Test Ban Treaty.

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Question 5.
Expand NPBT?
Answer:
Nuclear Proliferation Ban Treaty.

Question 6.
Expand C.T.B.T?
Answer:
Comprehensive Atomic Test Ban Treaty.

MP Board Class 10th Social Science Very Short Answer Type Questions

Question 1.
By whom and for whom the term ‘Panchsheel’ was propagated firstly?
Answer:
The term ‘Panchsheel’ was firstly used by Mahatma Buddha. It was a word which laid stress on the purity of the behaviour of individuals.

Question 2.
Name the pioneers of Indian Atomic Programme?
Answer:
The Atomic Energy and Research Programmes related .with it have been carried out under the able guidance of eminent scientists of India like. Dr. Homi Bhabha, Dr. Vikram Sahabhai, Raja Ramanna and A.P.J. Abdul Kalam Azad.

Question 3.
How many countries have already conducted nuclear tests?
Answer:
Prior to this five countries viz, America, Soviet Russia, Britain, France and China had already conducted nuclear tests. Now India also became nuclear country of the Nuclear tests of 1998.

MP Board Class 10th Social Science Short Answer Type Questions

Question 1.
What were the main principles of ‘Panchsheel’?
Answer:

  1. All the nations respect the sovereignty and the territorial integrity of each other.
  2. No nation would invade each other and would avoid trespassing in any country.
  3. No nation would interfere in the internal matters, i.e., economic and political policies of any other nation.
  4. Each nation would behave with the other nations on the basis of equal status.
  5. All the nations would believe in the principles of peaceful co – existence.

Question 2.
How many organisations were set up to ban atomic weapons?
Answer:
Three organisations have been set up at the international level to check proliferation of atomic weapons. Partial Moscow Atomic Test Ban Treaty (P.T.B.T.) 1963, Nuclear Proliferation Ban Treaty (N.P.B.T.) 1985, and Comprehensive Atomic Test Ban Treaty (C.T.B.T.) 1996, India has always been for an International Organisation which will be extensive, universal and objective but India found that the above proposals appeared to be discriminatory and therefore, has not signed them.

MP Board Solutions

Question 3.
Write any four causes responsible for defeat of Pakistan in Indo – Pak War of 1971? (MP Board. 2009)
Or
What were the main causes of Pakishtan’s defeat in War of 1971 between India and Pakistan? (MP Board 2009.)
Answer:
Following were the main reasons of defect of Pakistan:

  1. From point of view of Army strength it was week.
  2. Pakistan’s moral side was weak.
  3. Pakistan had adopted a discrimination policy against East Pakistan which resulted into a mass struggle.
  4. Due to great distance between Eest and West Pakistan, the Pak – Army could not easily reach.

Question 4.
Exaplain the principles of Indian Atomic Policy? (MP Board 2009)
Answer:
The Atomic Policy of India can be understood in the context of the basic principles of its foreign policy. The three fundamental principles of the foreign policy of India are national security, economic development and world situation. Besides these, India believes in peaceful coexistence, friendly relations with all nations, international peace and cordial relations. The aim of security and development of the country, and also to see that a sense of mutual cooperation, understanding and peace prevail in the world.

MP Board Class 10th Social Science Long Short Answer Type Questions

Question 1.
Write the stages of development of Indian Nuclear Programme?
Answer:
The Atomic policy of India has been influenced by it social and economic base. Right after the acheivment of independence India has been making efforts in the direction of putting to use the atomic energy for peaceful purposes. Atomic Energy Act 1948 and Atomic Energy Commission were the pioneering steps in this direction.

The technological advancement in the direction of atomic energy development was made with the setting up of Tata Institute 1945, and Bhabha Atomic Energy Centre 1957. In the year 1956 Apsara Research Reactor was set up and in the year 196j9 the Trarpur Atomic Energy Centre was established; this was the first centre for commercial use.

Other atomic energy centres set up in India are at Tarapur (Maharashtra), Kota (Rajasthan), Kalpakam (Tamilnadu), Narora (Uttar Pradesh), Kakrapar (Gujarat) and Kaiga. India had achieved the technology of atomic energy development. Taking out atomic fuel, to separate it and convert it into Uranium, making fuel out of its, production of heavy water, manufacture reactor, development of all the processes of the fuel and waste management, in all these processes India had achieved competence.

Atomic energy is a boon when put to peaceful purposes. Atomic energy is being put to us in the sectors of agriculture, treatment, – industry etc., Atomic explosions are made use of for construction of canals, dams and mines. In 1977 Indira Gandhi conducted a peaceful nuclear test in Pokharan (Rajasthan). This test was not carried out with the intention of obtaining weapons.

Between 1977 to 1980 India was firm on its policy of not making atomic weapon. In her second term she adopted the policy of wait and watch. In this reference, the ‘Integrated guided missile programme’ is most important. The eminent scientist A.P.J. Abdul Kalam (former Presiderft of India) was made the Chairman of this programme.

Under the programme, the missiles India made are: Prithvi, Trishul, Naage, Akash and Agni, Brahmoss. On 11th May, 1998 India conducted three continuous tests underground in Pokhran. Two of them were underground and low intensity and one temperature nuclear explosion.

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Question 2.
Write the consequeunces of 1971 Indo – Pak War? (MP Board 2009)
Or
Write important effects of 1971 Indo – Pak War? (MP Board 2009, 2013)
Or
Describe the important effects of 1971 Indo – Pak war?
Answer:
Important effects of 1971 Indo – Pak war were as follows:

1. Bangladesh was formed.

2. A reduction in the area, population and strength of Pakistan.

3. The defeat after the 1965 and 1971 war had a demoralising effect on Pakistan.

4. India could understand the America is no longer a well wisher of Pakistan, and India intensified its friendly relations with Russia.

5. This war was also an indirect set – back for America and China who have sympathies for Pakistan.

6. At the time of the Indo – Pak war all the political parties set aside their mutual differences and the problem of Bangladesh Liberation became a national issue.

7. It had a great impact on the internal politics of Pakistan; People wanted Yahya Khan to resign. Demonstrations were held in Pakistan because of the defeat. Yahya Khan had to resign and Zulfikar Ali Bhutto came in to power who got many problems along with the powers.

8. The divided public opinion, divided mind set and divided leadership all were unfortunate for the country. Bangladesh came into being as a sequel to the Indo – Pak wav of 1971. When people of East Bengal revolted against the Pakistani rule, India’s sympathy was for the Bangla freedom fighters.

9. India strongly opposed the cruel suppression of these freedom fighter by the military dictator of Pakistan. Frightened by the genocide by Pakistan many refugees from East Bangal came to India. India arranged for their stay, food etc., and imparted training to the soldiers.

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Question 3.
What are the main situations for emergency? When and why was it declared in India? (MP Board 2009, 2012)
Or
Discuss the emergency rule in India since independence?
Answer:
Emergency in India:
After independence India had to face many problems. Looking to the needs of such emergent conditions the founding fathers of constitution gave such powers to the Central Government that it can take effective measures in the time of emergency.

Certain emergency provisions have been made in the constitution of India so that it can use those powers to ensure that the security, integrity and unity of the country is not jeopardised; powers have been given to the President of India to declare emergency in the country under emergent conditions, (on the advice of the Prime Minister). Normally these are three situation under which emergency can be declared:

  1. National emergency
  2. Failure of constitutional machinery in the state.
  3. Financial emergency.

National Emergency:
The President of India is satisfied that such conditions prevail in the country; that the security of the whole country or a part of these of is in danger; Failure of Constitutional Machinery: When the President is satisfied on the basis of the Report of the Governor of a state or through any other source that is not possible to run the state as per the constitutional provisions; It is commonly known as President’s Rule.

Financial Emergency:
If the President is satisfied that, there is financial crises, there is implemented financial emergency. Some of the main emergency in India were:

  1. National emergence was declared in India thrice, so far; During Chinese aggression from 26th October, 1962 to 10th January, 1968.
  2. Pakistan aggression from 3rd December, 1971 to 21st March, 1977.
  3. Emergency was declared on 25th June, 1975 due to internal disturbances.
  4. Failure of constitutional machinery in a particular state such emergency (and President’s rule in that state) was declared many times in states.
  5. Emergency was declared in 1998 during Kargil war in May.

The fundamental rights of citizens are affected when emergency is declared. It also, affects the autonomy and freedom to the states. The powers of the Central Government increase. The Center acquires the right to prepare in Law in a subject subjects incorporated in the State list. The Center gives directions to the states. On the basis of the report of the Governor, the President declares such emergency. Many times such decision (President’s Rule in a state) has become cause of controversy.

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 Economic System

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 Economic System

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 Text book Exercises

Objective Type Questions

Question 1.
Multiple Choice Questions
(Choose the correct answer from the following)

Question (i)
In capitalist economy the factors are owned by –
(a) Government
(b) private individuals
(c) Both of them
(d) None of them.
Answer:
(b) private individuals

Question (ii)
In capitalism the economic forces are operated by –
(a) Democracy
(b) Price mechanism
(c) Monarchy
(d) All of the above.
Answer:
(c) Monarchy

Question (iii)
In socialism consumer’s sovereignty –
(a) Increases
(b) Remains stable
(c) Is not affected
(d) Ends.
Answer:
(a) Increases

Question (iv)
Lack of individual freedom is found in –
(a) capitalism
(b) mixed economy
(c) socialism
(d) all of above.
Answer:
(c) socialism

Question (v)
Which system is adopted in the Indian economy –
(a) Capitalist economy
(b) Socialist system
(c) Mixed economy
(d) None of above.
Answer:
(c) mixed economy

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Question 2.
Fill in the blanks:

  1. In capitalism the means of production are owned by ……………….
  2. …………….. is considered the father of socialism.
  3. The joint sector is operated by the both government and …………….. together
  4. In socialism the factors of production are owned by ………………..
  5. …………….. is adopted in India.

Answer:

  1. private individual
  2. Karl Marx
  3. public sector
  4. government or society
  5. Mixed econbmy.

Question 3.
Match the coloumn:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 Economic System img 1

Answer:

1. (c)
2. (a)
3. (b)

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 Very Short Answer Type Questions

Question 1.
By which mechanism the economic system is operated in capitalism?
Answer:
The Capitalist economy is operated by Price mechanism.

Question 2.
Who owns the factors of production in socialism?
Answer:
Society.

Question 3.
Mixed economy is a mixture of which two systems?
Answer:
Capitalistic and Socialistic.

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Question 4.
Which system is adopted in India?
Answer:
Mixed economic system.

Question 5.
Who owns the factors of production in mixed economy?
Answer:
Public and private sector.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 Short Answer Type Questions

Question 1.
What is capitalism and socialism? Write.
Answer:
Capitalism:
The economic system of society which had been emerging in Europe from the 15th century is called capitalism. Under this system, the instruments and the means by which goods are produced are owned by private individuals and the production is carried out for making profit.

Socialism:
An economic system in which the government owns the means of production.

Question 2.
State the characteristics of capitalism?
Answer:
The following characteristics of capitalism are:

  1. Factors of production are owned by the individuals.
  2. Economic activities are carried out with the sole motive of project.
  3. Producers are to choose occupation of their own choice.
  4. Consumers are free to commodities of their choice.
  5. Economic decisions are taken on the basis of price.

MP Board Solutions

Question 3.
What do you mean by mixed economy? State the merits of mixed economy.
Answer:
Mixed economy is such an economic system in which public and private both the sectors work together. The role of both the sectors in the economy is determined in such a way that the welfare of all the classes of the society increases significantly.

The two merits are as such:
1. Reduction in economic inequalities:
In this system to reduce economic inequalities the government receives income by imposing tax on rich and spend the obtained income to make facilities available for poor people. Due to this the inequalities in the distribution of wealth remains under control in the society.

2. Industrial peace and social security:
In mixed economy several laws are made keeping in mind the interests of the labourers. Minimum wages, working conditions, and working hours are decided by the government.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 Long Answer Type Questions

Question 1.
Give the meaning of economic system? Write its characteristics.
Or
What is the meaning of economic system? Write its characteristics. (MP Board 2009)
Answer:
The system which operates the economic activities of a country is called economic system. All the decisions related to the economy are taken by this system as determined by the society. Such as what commodities are to be produced, how to be produced, for whom to be produced etc. On the basis of these decisions only, consumption, production, exchange and distribution are determined in the economy. The day – to – day life of the people of the country depends upon these decisions defined as below

Prof. A. J. Brown – ‘Economic system is a medium by which people get their living’.

Prof. M Gotalic – ‘Economic system is a study of those ways of complicated human relationship by which the limited means are used to satisfy several private and public needs.’

Thus, economic system is meant by that institutional structure under which human life is conducted. This is an expanded concept and its form changes with the time and situations.

Following are the main characteristics of an economic system:

  1. The chief objective of an economic system is to solve the economic problems.
  2. The main problems of an economy are what should be produced, for whom should be produced and how should be produced.
  3. The means to satisfy human wants in the economy are available in limited quantity.
  4. To satisfy the human needs the methods of utilise of factors are selected by the economic system.
  5. Economic system is a group of institution.
  6. The economic system is related to a country or group of countries.
  7. The economic system is always changing in nature.

Question 2.
State the meaning of capitalism and write its features?
Or
Explain any five features of socialism? (MP Board 2009)
Answer:
An economy where in individuals are free to earn, own and control their earnings without government interference is called capitalistic economy.

Characteristics of Capitalist Economy:
1. Private ownership on means of production:
The chief characteristic of capitalist economic system is the ownership of private people on the means of production. Thus in capitalist economy individuals have the right to earn money and to spend it according to their desire.

2. Economic freedom:
In capitalist economy there is freedom to choose any occupation and to run it. Consumers have also freedom to choose goods according to their interest and habit.

3. Profit motive:
Profit motive holds highest place in this system. Therefore profit is called the heart of the capitalist system. All the activities in this system are operated to earn profit. The main aim of entrepreneurs is to maximise their profit.

4. Based on exploitation:
There are two classes in capitalist system such as capitalists class and labour class. The capitalist class pays very little wages to maximise their profit. Therefore it is said that the capitalist economic system is based on exploitation.

5. Price mechanism: The price of the commodity is determined by the free inferaction of the forces of demand and supply. The government does not interfere in the determination of price.

MP Board Solutions

Question 3.
What is mixed economy? Write its charecteristics. (MP Board 2009, 2011)
Answer:
Mixed economy is a system in which public and private both the sectors works together. The role of both the sectors is the economy is determined in such a way that the welfare of all the classes of the society increases significantly.

Main features of mixed economy:
1. Co – existence of public and private sectors:
The significant feature of mixed economy is the co – existence of public and private sectors. The functions are clearly divided between these two sectors.

2. Democratic system:
In the mixed economy all the decision such as division of economic activities between private and public sectors, determination of policies aims and objectives, distribution of resources etc., are taken by the public representatives. Thus mixed economy is conducted by democratic method and the tendencies of monopoly and dictatorship are not found in it.

3. Economic planning:
Economic planning is adopted for the economic development. Under this, the government decides physical and financial aims for the public sector and private sector. Both the sectors function to fulfil their fixed aims.

4. Control over price mechanism:
In mixed economy public welfare the government controls the direction of price mechanism through its price policy. In this system price mechanism acts in a limit.

5. Profit motive:
The role of private sector is very important in a mixed economy. The private sector operates its economic activities with the objective of earning profit. The means of production are also allotted on the basis of profit.

Question 4.
Explain the merits and demerits of capitalism?
Or
Write demerits of capatalism. (MP Board 2009, 2011)
Answer:
Merits of capitalism:
Following are the merits found in capitalist system.

1. Automatic system:
In this system there does not exist any government intervention. All the economic activities are governed on the basis of ‘Price Mechanism’ or market forces. Therefore this system is called automatic system.

2. Increase in production and income:
A rapid progress has been registered in the western countries through capitalist system. These countries have developed rapidly in the greed of profit motive and private property. In this system the desire to complete improves the standard of techniques of production. As a result in the capitalist system the production and income both increase rapidly.

3. Changing nature:
The capitalism has a merit of functioning according to the situation. The government has to change its policies and programmes according to the situations. The industrial policy, agricultural policy, trade policy, labour policy are always changing according to the situations but the capitalist system is operated by its fundamental feature as to earn profit.

4. Individual freedom:
In this system an individual can choose any occupation desired by him. Consumers also can choose the goods according to their liking. There exists full freedom to earn and spend the income. In brief under capitalism there is complete freedom regarding economic activities.

Demerits of capitalist economy:
1. Disparity in income and wealth:
The greatest demerit of the capitalist economy is the centralization of wealth in the hands of few people of the country whereas maximum people spend their lives in poverty and unemployment. This increases disparity in income and wealth.

2. Birth of class conflict:
In this system of capitalism clashes occur between the capitalist class and labour class. Thereby strikes, lock – out and distinctions are seen in the economy. Thus, class conflicts germinates in the society.

3. Economic instability:
The capitalist economy system is operated by price mechanism. There exists no central authority to control the economy. As a result the situation of inflation and depression is created in the economy. Thus, unstability occurs and trade cycles become active in the economy.

4. Unemployment:
The capitalist class uses machines to increase his profit. Due to this the demand for labour falls and unemployment increases. In the state of depression or deflation the problem of unemployment becomes tremendous.

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Question 5.
What is a socialistic economic system? Explain its characteristic.
Answer:
Prof. Dicknson has written, “socialism is such an economic system of the society in which the material means of production are owned by the society and which is operated by the representatives of whole the society and the institutions responsible to the community according to a general plan. All members of the community being entitled to benifit from the results of such socialised planned production on the basis of equal right.”

Characteristics of socialism:
Following are the main characteristics of socialism:

1. Collective ownership of means of production:
In a socialistic economic system the factors of production are used for the social welfare. In this system the individual profit motive is zero. As in this system the factors of production are owned by the government or the society, therefore in this system there is no possibility of exploitation and the social welfare increases.

2. Economic planning:
The socialist system is a planned system. Central planning has an important place in it. All the decisions regarding production are taken by the Central Planning authority. This results in rapid development.

3. Economic equality:
In this system all the factors of production are controlled by the state and the factors are used in the interest of the society. In this system individual profit has no space. As a result economic equality is found in the society.

4. End of exploitation:
In the socialist economic system production and distribution are owned and controlled by the government, therefore question of exploitation does not arise. The labourers are paid properly for their labour. The labourers own have partnership in the production, and sufficient shares from the profit are given to them. So in this system exploitation comes to an end.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 Additional Important Questions

Objective Type Questions

Question 1.
Multiple Choice Questions
(Choose the correct answer from the following)

Question (i)
End of monopoly is possible only in –
(a) Capitalism
(b) Socialism
(c) Mixed economy
(d) Dictatorship.
Answer:
(b) Socialism

Question (ii)
Individual freedom does not exist in –
(a) Capitalism
(b) Socialism
(c) Democracy
(d) Oligocrucy.
Answer:
(b) Socialism

Question (iii)
Social Security is the reality of –
(a) Socialist
(b) Capitalists
(c) Mixed economists
(d) Diarchy.
Answer:
(c) Mixed economists

Question (iv)
Fear of nationalisation is the demerit of –
(a) Mixed economy
(b) Socialist economy
(c) Capitalist economy
(d) Democratic economy.
Answer:
(a) Mixed economy

Question 2.
Fill in the blanks:

  1. People who have capacity to purchase the goods is called the system of ……………..
  2. Market economy is the synonyms of ……………..
  3. Indian economy is based on the system of ………………

Answer:

  1. Capitalism
  2. Capitalistic economy
  3. Mixed economy

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Question 3.
True and False type questions:

  1. Social paraulism is the reality of capitalism.
  2. Labour is needed for living in socialism.
  3. Human welfare is neglected in socialistic economy.
  4. Das Capital is the book of Lenin.

Answer:

  1. True
  2. True
  3. False
  4. False.

Question 4.
Match the following:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 20 Economic System img 2
Answer:

1. (d)
2. (a)
3. (b)
4. (c).

Answer in One – Two Words or One Sentence:

Question 1.
What are the challenges of mixed economy?
Answer:
Poverty unemployment and inflation.

Question 2.
What is capital?
Answer:
Capital is that part of money which a capitalist or an industrialist invests for setting up some industry/factory (or mill) for producing different goods or articles.

Question 3.
What is mixed economy?
Answer:
An economy, wherein both public and private sectors coexit is known as mixed economy.

Question 4.
What is capitalistic economy?
Answer:
An economy, wherein individuals are free to earn, own and control their earnings without government interference is known as capitalistic economy.

Question 5.
What is socialistic economy?
Answer:
An economy which is owned, managed and controlled by the government is known as socialistic economy.

Question 6.
What is the capitalist economy called?
Answer:
Capitalist economy is also known as free market economy.

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Question 7.
What is the other name of socialist economy?
Answer:
Centrally planned economy.

Question 8.
Mention three examples of capitalist economy?
Answer:
United States of America, United Kingdom and Japan.

Question 9.
What is meant by the policy of protection?
Answer:
It means giving some Special protection to the newborn industries just to save them from the stiff competition.

Question 10.
What do you mean by the term ‘individualism’?
Answer:
It means that individual is supreme and the state and society exist only for his welfare. Minimum restriction should be put in his ways. Only in a free atmosphere he can show his best.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 Very Short Answer Type Questions

Question 1.
What is the meaning of “Laissez Faire”?
Answer:
Laissez Faire is a theory of economics which favours a policy of non-interference in the sphere of industry and business. Adam Smith outlined this theory in 1776. He supported the idea that the Government should neither impose any taxes on imports nor pass any law to regulate the trade and commerce within the country.

Question 2.
Mention the types of economy based upon ownership?
Answer:

  1. Capitalistic economy.
  2. Socialistic economy.
  3. Mixed economy.

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Question 3.
What is the basic difference of the capitalism, socialism and mixed economic system?
Answer:
Three types of economic systems are mainly found in the world such as capitalism, socialism and mixed economy. The basic difference between these three systems is who is the owner of the factors of production and how these factors are used.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 Short Answer Type Questions

Question 1.
What is capital economic system?
Answer:
In several countries of the world as America, England, France, Italy, Japan, Australia the capitalist economy exists. Capitalist economy is known by several names, as market economy, laissez fair or open economy, unplanned economy etc. Capitalism has been defined in many ways. According to Prof. Loucks and Hoots, ‘Capitalism is a system of economic organisation featured by the private ownership and the use for private profit of man made and nature made capital.’

Question 2.
State briefly the main features of socialist economy?
Answer:
Features of socialist economy:

  1. Government is the sole producer of goods and services.
  2. All properties belong to the government.
  3. Economic decision are taken by the central planning authority.
  4. Prices of good and services are determined by the government.

Question 3.
What are the merits and demerits of socialism?
Answer:
Merits of Socialism:

  1. Elimination of class struggle.
  2. Better allocation of resources.
  3. Reduction in inequalities of income.
  4. Economic stability.

Demerits of Socialism:

  1. Loss of efficiency and productivity.
  2. Burden of administration.
  3. Loss of consumer’s preferences.
  4. Loss of incentives.

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Question 4.
What are the merits and demertis of mixed economy?
Answer:
Merits of Mixed Economy:

  1. Social welfare and economic equalities.
  2. Efficient use of resources and rapid economic development.
  3. Private property.
  4. Freedom.

Demerits of Mixed Economy:

  1. Instability.
  2. Economic fluctuations.
  3. Inefficient operations.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 20 Long Answer Type Questions

Question 1.
Describe the merits and demerits of socialism in detail?
Answer:
Merits of socialist economic system:
Following are the main merits of a socialist economy system.

1. Optimum utilization of resource:
Due to the central planning in socialist system the optimum use of the factors of production becomes possible. The resources, by planning are shifted from the areas of less productivity to the areas having more productivity. Along with this the economic activities of the different sectors of the economy are coordinated. It makes the utilization of factors optimum.

2. Economic stability:
Due to central planning in socialist system between the areas of consumption and production both mutual coordination is found. Therefore the situation of excessive production or less production does not exist. As a result of this economic stability is maintained in the economy.

3. Economic equality:
In the socialistic system there is no place for private property, laws of inheritance and tendency of earning profit. Property and factors are owned by the state. The job is given to people with their ability and efficiency. So economic equality is found in it.

4. End of class conflict:
Due to the ownership of the government on the factors of production in socialism, division of society on the basis of property and wealth is not found. In it, there exists only one class i.e. labour class. Therefore there is no possibility of class conflict.

Demerits of socialism:
Following are the main demerits of socialism:

1. End of consumer’s sovereignty:
In socialist system a consumer cannot consume things of his choice. Under this system a consumer has to consume only those goods and only in that quantity, which the state provides them. Therefore, consumer’s sovereignty ends in the society.

2. Centralization of power:
In the socialist economic system powers are centralised because all the economic activities are conducted by the government. The orders of the government are implimented at all levels. Therefore in this system the power is centralized completely in the hands of government, and there is no space left for individual freedom.

3. Lack of motivation for production work:
In socialism all the production work is controlled by the government and individual freedom has no place in it. In such a situation the labours are not motivated to do more work. It does not motivate for new inventions, research work and techniques of production.

4. Lack of individual freedom:
In socialist economy all the important functions such as quantity of production, basis of distribution, prices of the commodities, etc. are done by the government. In this system there is no place for desire of an individual.

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Question 2.
Discuss the merits and demerits of mixed economy in detail?
Answer:
Merits of mixed economy:
Following are the main merits of mixed economy:

1. Rapid economic growth:
In this system private and public both the sectors work together and try to increase the growth rate of the economy. The resources are allocated in optimum proportion to the various sections of economy by adopting economic planning. In this way the rate of economic development is increased by the optimum utilization of the resources.

2. Check on centralization and monopoly:
In a mixed economy private and public both the sectors are under the complete control of the government. The government controls the activities of’private sector, keeping in the mind the social interest of the society. Along with this efforts are made to terminate monopoly by nationalizing the areas necessary for public welfare.

3. Presence of freedom and motivation:
In the mixed economy the producers and individuals’ get motivated for work due to the rights of personal profit and ownership. In this system consumers have enough freedom to earn their income and to spend it.

4. Increase in Social Welfare:
In this system total economy is controlled and directed, by the government keeping in the mind the objective of social welfare. The government itself operates welfare policies.

Demerits of mixed economy:
Following are the main demerits of mixed economy.

1. Inefficiency:
In mixed  economy the demerits of capitalism and socialism both exist. In this system neither planning mechanism can work properly nor market mechanism can be activated. This spreads inefficiency in the economy.

2. No encouragement to private sector:
In this system government gives more importance to public sector. As a result the private sector is neglected. Government policies and officers also are not in favour of private sector. Therefore the private sector do not develop properly.

3. Inflow of foreign capital:
The government invites foreign capital for the expansion of public sector. This increases the influence of foreign powers. Foreign powers influence the political system of the country also.

4. Lack of practicability:
In mixed economy private and public sectors both work together. Thereby the policies, which are beneficial to one sector, may be harmful to the other sector. Due to lack of co – ordination private and public sectors compete with each other. As a result this affect the economy inversely.

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 11 स्वातंत्र्योत्तर भारत की प्रमुख घटनाएँ

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 11 स्वातंत्र्योत्तर भारत की प्रमुख घटनाएँ

MP Board Class 10th Social Science Chapter 11 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 11 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प.चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
भारत और चीन युद्ध कब हुआ था ? (2014)
(i) 11 जुलाई, 1962
(ii) 20 अक्टूबर, 1962
(iii) 20 अगस्त, 1964
(iv) 11 जुलाई, 19651
उत्तर:
(ii) 20 अक्टूबर, 1962

प्रश्न 2.
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का कारण क्या था ?
(i) कच्छ का रणक्षेत्र
(ii) आजाद कश्मीर
(iii) राजस्थान का जैसलमेर
(iv) भारत पर जासूसी।
उत्तर:
(i) कच्छ का रणक्षेत्र

प्रश्न 3.
लाखों शरणार्थी भारत में आए
(i) श्रीलंका से
(ii) बांग्लादेश से
(iii) पाकिस्तान से
(iv) चीन से।
उत्तर:
(ii) बांग्लादेश से

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. भारतीय संविधान में अनुच्छेद ……………. के अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया है।
  2. चीन और जापान युद्ध सन् ……………. में शुरू हुआ था।
  3. 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद ……………. देश का निर्माण हुआ।
  4. राष्ट्रीय आपातकाल अब तक ……………. बार घोषित हो चुका है।

उत्तर:

  1. 370
  2. 1937
  3. बांग्लादेश
  4. तीन।

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 11 स्वातंत्र्योत्तर भारत की प्रमुख घटनाएँ 1
उत्तर:

  1. → (ङ)
  2. → (घ)
  3. → (ख)
  4. → (क)
  5. → (ग)

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 11 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत ने जिन प्रक्षेपास्त्रों को बनाया है, उनके नाम लिखें।
उत्तर:
भारत ने जिन प्रमुख प्रक्षेपास्त्रों का विकास किया उनमें प्रमुख हैं – ‘पृथ्वी’, ‘त्रिशूल’, ‘नाग’, ‘आकाश’।

प्रश्न 2.
संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् ने कश्मीर समस्या समाधान के लिए किन पाँच देशों का दल बनाया था ? लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् ने इस समस्या के समाधान के लिए पाँच राष्ट्रों चैकोस्लावाकिया, अर्जेण्टाइना, अमेरिका, कोलम्बिया और बेल्जियम के सदस्यों का एक दल बनाया। इस दल को मौके पर जाकर . स्थिति का अवलोकन करना था और समझौते का मार्ग ढूँढ़ना था।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 11 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार से कबाइलियों का मार्ग बन्द करने को क्यों कहा था ? लिखिए। (2017)
अथवा
महाराजा हरिसिंह ने भारत सरकार से सहायता कब और क्यों माँगी थी? (2012, 16)
उत्तर:
कश्मीर भारत की उत्तर – पश्चिम सीमा पर स्थित होने के कारण भारत और पाकिस्तान दोनों को जोड़ता है। 22 अक्टूबर, 1947 को उत्तर-पश्चिम सीमा प्रान्त के कबाइलियों और अनेक पाकिस्तानियों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। पाकिस्तान कश्मीर को अपने में मिलाना चाहता था। अतः उसने अपनी सीमाओं पर सेना को इकट्ठा कर चार दिनों के भीतर ही हमला कर आक्रमणकारी श्रीनगर से 25 मील दूर बारामूला तक आ पहुँचे। कश्मीर के शासक (राजा हरिसिंह) ने आक्रमणकारियों से अपने राज्य को बचाने के लिए भारत सरकार से सैनिक सहायता माँगी, साथ ही कश्मीर को भारत में सम्मिलित करने की प्रार्थना की।

प्रारम्भ में पाकिस्तान सरकार ने अधिकाधिक रूप से कश्मीर के बारे में कोई मत व्यक्त नहीं किया था। अतः भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार से कबाइलियों का मार्ग बन्द करने को कहा, परन्तु जब इस बात के प्रमाण मिलने लगे कि पाकिस्तान सरकार कबाइलियों की सहायता कर रही है तो गवर्नर जनरल लॉर्ड माउण्टबेटन की सलाह पर जनवरी 1948 में भारत सरकार ने सुरक्षा परिषद् में शिकायत की।

प्रश्न 2.
भारत और चीन युद्ध के क्या परिणाम हुए ? लिखिए। (2009, 10, 11, 14, 15, 18)
उत्तर:
भारत-चीन युद्ध के परिणाम – भारत-चीन युद्ध के निम्नलिखित निकटवर्ती व दूरगामी परिणाम सामने आये

  1. भारत-चीन सम्बन्ध तनावपूर्ण हो गये।
  2. भारत की अन्तर्राष्ट्रीय छवि एवं गुटनिरपेक्ष नीति को धक्का लगा।
  3. भारत के भू-भाग का एक बड़ा भाग चीन के कब्जे में चला गया।
  4. चीन-पाकिस्तान में नवीन सम्बन्ध स्थापित हुए।
  5. भारतीय विदेशी नीति में आदर्शवाद के स्थान पर व्यावहारिकता और यथार्थवाद को स्थान मिला।
  6. भारत-अमेरिका के सम्बन्धों में सुधार हुआ।

प्रश्न 3.
ताशकन्द समझौते की शर्ते लिखिए। (2009, 11, 14, 15)
अथवा
ताशकन्द समझौता क्या है ? इसकी शर्तों का उल्लेख कीजिए। (2010,17)
उत्तर:
ताशकन्द समझौता – सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध विराम के बावजूद युद्ध क्षेत्रों में झड़पें बन्द नहीं हुई थीं। इस स्थिति को समाप्त करने के लिए सोवियत संघ ने विशेष रुचि ली सोवियत संघ ने दोनों पक्षों को वार्ता के लिए ताशकन्द आमन्त्रित किया। 4 जनवरी, 1966 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खाँ तथा भारत के प्रधानमन्त्री लालबहादुर शास्त्री के मध्य ताशकन्द में वार्ता आरम्भ हुई। अन्तत: 10 जनवरी, 1966 को ऐतिहासिक ताशकन्द समझौते पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किये।

ताशकन्द समझौते की शर्ते

इस समझौते की महत्त्वपूर्ण शर्ते निम्नलिखित थीं –

  1. दोनों पक्षों ने अच्छे पड़ोसियों जैसे सम्बन्ध निर्माण करने पर सहमति व्यक्त की।
  2. दोनों पक्षों ने यह सहमति व्यक्त की कि वे 5 अगस्त, 1965 के पूर्व जिस स्थिति में थे वहाँ अपनी सेनाओं को वापस बुला लेंगे। दोनों पक्ष युद्धविराम की शर्तों का पालन करेंगे।
  3. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, एक-दूसरे के विरुद्ध प्रचार को रोकने तथा पुनः राजनयिक सम्बन्धों की स्थापना का निर्णय लिया।

इसके अन्तर्गत आर्थिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक सम्बन्धों को मधुर बनाने पर भी सहमति व्यक्त की गयी।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 11 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत-चीन युद्ध में एकतरफा युद्धविराम की घोषणा चीन ने क्यों की ? वर्णन कीजिए। (2011, 13, 16)
उत्तर:
चीन के साथ भारत के अत्यन्त प्राचीन सम्बन्ध रहे हैं। भारत और चीन के मध्य तिब्बत को लेकर की स्थिति उत्पन्न हुई। भारत तिब्बत पर चीन के अधिकार को स्वीकार करने को तैयार था परन्तु वहाँ एक स्वायत्त शासन स्थापित करने का पक्षधर भी था। चीन ने भारत की मंशा को अनदेखा करते हुए 25 अक्टूबर, 1950 को तिब्बत पर सैनिक कार्यवाही शुरू कर दी। भारत ने चीन की इस कार्यवाही का विरोध किया। मार्च 1958 में तिब्बत में चीन के विरुद्ध विद्रोह शुरू हो गया। विद्रोहियों को दलाईलामा का समर्थन प्राप्त था। जब चीन ने विद्रोह को कुचलने का प्रयास किया तो दलाईनामा को तिब्बत छोड़कर भागना पड़ा। दलाईनामा को भारत ने शरण दी जिससे दोनों राष्ट्रों के मध्य ‘शीत युद्ध’ शुरू हो गया। इसक साथ ही चीन ने सीमा विवाद शुरू कर दिया। सन् 1960 में भारत और चीन के प्रधानमनी दिल्ली में सीमा विवाद पर बात करने के लिए मिले लेकिन 8 सितम्बर, 1962 को चीन ने भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र अर्थात् भारतीय ने नेफा क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया। चीनी फौजों ने 20 अक्टूबर, 1962 को भारत-चीन सीमा पर तैनात भारतीय फौजों पर आक्रमण कर दिया।

अक्टूबर 1962 का युद्ध कोई आकस्मिक घटनाक्रम नहीं था। यह सब उन घटनाओं की चरम परिणति. थी जो तिब्बत संकट को देखने के बाद आईं। चीन द्वारा मैकमोहन रेखा को अस्वीकार किया गया और यह आक्रमण लद्दाख के अक्साई चीन और पूर्व में नेफा (वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश) में व्यापक पैमाने पर हुआ। इस दौरान युद्ध-विराम के सुझाव अवश्य सामने आए किन्तु कोई समझौता नहीं हो सका। चीन ने एकतरफा युद्ध-विराम की घोषणा की।

चीन द्वारा एकतरफा युद्ध-विराम की घोषणा के कारण

भारत – चीन युद्ध की पृष्ठभूमि का अध्ययन करने पर कुछ बातें सामने आती हैं। जैसे— चीन द्वारा भारत पर अचानक आक्रमण क्यों किया गया ? युद्ध में भारत को पराजय क्यों मिली ? और चीन द्वारा एकतरफा युद्ध-विराम की घोषणा क्यों की गई ? विद्वानों ने उक्त घटनाओं पर विचारमंथन करने के बाद निम्न विचार प्रस्तुत किये –

  1. चीन अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहता था।
  2. चीन भारत को अपमानित करना चाहता था।
  3. चीन की नीति विस्तारवादी थी।
  4. चीन विश्व में अपनी आर्थिक व राजनैतिक सर्वोच्चता दर्शाना चाहता था।
  5. चीन भारतीय गुटनिरपेक्षता की नीति को गलत साबित करना चाहता था।
  6. युद्धविराम की घोषणा करके चीन विश्व समुदाय का समर्थन प्राप्त करना चाहता था।

प्रश्न 2.
कश्मीर समस्या क्या है ? विस्तार से समझाइए। (2009, 10, 14, 18)
उत्तर:
कश्मीर समस्या

कश्मीर की समस्या भारत और पाकिस्तान के मध्य सबसे जटिल समस्या है। स्वतन्त्रता के पश्चात् दो नये राज्य बने, तो देशी रियासतों को स्वतन्त्रता प्रदान की गई कि वह अपनी इच्छानुसार भारत या पाकिस्तान में विलय हो सकती हैं या स्वतन्त्र रह सकती हैं। अधिकांश रियासतें भारत या पाकिस्तान में मिल गईं।

कश्मीर के राजा हरीसिंह ने अपनी रियासत जम्मू-कश्मीर को स्वतन्त्र रखने का निर्णय लिया। राजा हरीसिंह का विचार था कि कश्मीर यदि पाकिस्तान में मिलता है तो जम्मू की हिन्दू जनता और लद्दाख की बौद्ध जनता के साथ अन्याय होगा और यदि वह भारत में मिलता है तो मुस्लिम जनता के साथ अन्याय होगा। अत: उसने यथास्थिति बनाये रखी और विलय के विषय पर तत्काल कोई निर्णय नहीं लिया।

संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयास – संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने इस समस्या के समाधान के लिए पाँच राष्ट्रों चेकोस्लावाकिया, अर्जेण्टाइना, अमेरिका, कोलम्बिया और बेल्जियम के सदस्यों का एक दल बनाया, इस दल को मौके पर जाकर स्थित का अवलोकन करना था और समझौते का मार्ग ढूँढ़ना था। दल ने मौके पर जाकर स्थिति का अध्ययन किया तथा अपनी रिपोर्ट में निम्न बातों का उल्लेख किया

  1. पाकिस्तान अपनी सेनाएँ कश्मीर से हटाए तथा कबाइलियों और ऐसे लोगों को जो कश्मीर के निवासी नहीं हैं, वहाँ से हटाने का प्रयास करें।
  2. जब पाकिस्तान उपर्युक्त शर्तों को पूर्ण कर लेगा तब आयोग के निर्देशों पर भारत भी अपनी सेनाओं का अधिकांश भाग वहाँ से हटा ले।
  3. अन्तिम समझौता होने तक युद्धविराम की स्थिति रहेगी और भारत कश्मीर में स्थानीय अधिकारियों के सहयोग के लिए उतनी ही सेनाएँ रखेगा जितनी कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक होगा।

जनमत संग्रह के प्रयास – रिपोर्ट के आधार पर दोनों पक्षों में लम्बी वार्ता के बाद 1 जनवरी, 1949 को युद्धविराम के लिए सहमत हो गए। कश्मीर के विलय का निर्णय जनमत संग्रह के आधार पर होना था। संयुक्त राष्ट्र संघ ने जनमत संग्रह की शर्तों को पूर्ण करने के लिए एक अमेरिका अधिकारी को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया। प्रशासक ने भारत एवं पाकिस्तान से जनमत संग्रह के आधार पर चर्चा की परन्तु उसका कोई परिणाम नहीं निकला अतः उसने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।

पाकिस्तान की अमेरिका से सन्धि – पाकिस्तान कश्मीर को छोड़ना नहीं चाहता था बल्कि उसका दावा भारत के नियन्त्रण में स्थित कश्मीर पर भी था। अत: उसने अपनी सैनिक शक्ति में वृद्धि की तथा शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका से सन्धि कर अपना पक्ष मजबूत बनाने का प्रयास किया। पाकिस्तान ने सन् 1954 में अमेरिका से सन्धि की और सन् 1955 में वह ‘सेण्टो’ नामक संगठन का सदस्य भी बन गया। इसका सदस्य बनने से उसे अमेरिका की सहानुभूति प्राप्त हुई। इसके बदले उसे कुछ सामरिक अड्डे भी प्राप्त हुए। इन परिस्थितियों में पं. नेहरू ने कश्मीर नीति में परिवर्तन किया। उन्होंने जब तक पाकिस्तान अपनी सेना नहीं हटा लेता तब तक जनमत संग्रह से मना किया। कश्मीर के प्रश्न पर सोवियत संघ ने भारत का समर्थन किया। इस समर्थन से भारत की स्थिति मजबूत हो गयी।

भारत द्वारा जम्मू – कश्मीर को विशेष दर्जा-6 फरवरी, 1954 को कश्मीर की विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर जम्मू-कश्मीर राज्य का विलय भारत में करने की सहमति प्रदान की। भारत सरकार ने 14 मई, 1954 को संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 370 के अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किया। 26 जनवरी, 1957 को जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू हो गया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर भारतीय संघ का एक अभिन्न अंग बन गया।

इसके बाद पाकिस्तान निरन्तर कश्मीर का प्रश्न उठाकर वहाँ राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने का प्रयास करता रहा है। पाकिस्तान ने इस मामले को सुरक्षा परिषद् में उठाकर जनमत संग्रह की माँग की। पाकिस्तान को इस प्रश्न पर अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का समर्थन प्राप्त रहा परन्तु भारत ने इसका विरोध किया। भारत की मित्रता सोवियत संघ के साथ भी थी। अतः सोवियत संघ ने विशेषाधिकार का प्रयोग कर मामले को ठण्डा किया। सन् 1962 में पाकिस्तान ने कश्मीर में पुन: जनमत संग्रह की माँग उठायी परन्तु पुनः सोवियत संघ ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग किया।

पाकिस्तान में जितनी सरकारें आयी हैं वे कश्मीर के मुद्दे को जीवन्त रखने का प्रयास करती हैं जबकि भारत के लिए यह मुद्दा उसकी अखण्डता एवं सम्मान का प्रश्न है।

प्रश्न 3.
सन् 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के परिणाम लिखिए। (2009, 11, 12, 13, 15, 17)
उत्तर:
भारत में पाकिस्तानी घुसपैठियों को रोकने के लिए 25 अगस्त, 1965 से दोनों पक्षों की सेनाओं में सीधी लड़ाई आरम्भ हुई। छम्ब-जूरिया क्षेत्र से पाकिस्तान आसानी से आक्रमण कर सकता था। अतः पाकिस्तानी सेनाओं ने आक्रमण किया और अखनूर पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तान ने वायुसेना से अमृतसर पर हमला किया। अतः भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तानी सेना के दबाव को कम करने के लिए पाकिस्तान के पंजाब प्रदेश पर तीन तरफ से आक्रमण किया। भारतीय सेनाएँ लाहौर की ओर बढ़ीं। यह एक ऐसा अघोषित युद्ध था जिसमें दोनों पक्ष पूर्वी सीमान्त पर पूरी शक्ति के साथ लड़े।

23 सितम्बर, 1965 को संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप से युद्ध हुआ। भारतीय सेना युद्धविराम के समय तक पाकिस्तान के 740 वर्गमील क्षेत्र पर अधिकार कर चुकी थी और पाकिस्तान के कब्जे में 240 वर्गमील के लगभग भारतीय क्षेत्र था।

युद्ध के परिणाम – सन् 1965 के युद्ध में भारत को पाकिस्तान पर विजय प्राप्त हुई थी। इस युद्ध के अंग्रलिखित परिणाम हुए –

  1. पाकिस्तान कश्मीर समस्या का समाधान युद्ध द्वारा करना चाहता था। उसने युद्ध का मार्ग अपनाया परन्तु उसकी मनोकामना पूरी नहीं हुई।
  2. पाकिस्तान यह सोचता था कि कश्मीर की मुस्लिम जनता उसका साथ देगी, परन्तु ऐसा नहीं हुआ। भारत ने यह सिद्ध किया कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता का आधार अत्यन्त मजबूत है।
  3. पाकिस्तान इस भ्रम में था कि युद्ध के समय चीन उसका साथ देगा, परन्तु ऐसा नहीं हुआ।
  4. युद्ध के दौरान भारतीय जनता तथा सैनिकों का मनोबल ऊँचा रहा। भारतीय सेना के अधिकांश हथियार स्वदेशी थे।
  5. भारत-पाकिस्तान के युद्ध में संयुक्त राष्ट्र संघ की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। संयुक्त राष्ट्र संघ को सफलता इसलिए मिली क्योंकि सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपूर्व सहयोग दिया था।
  6. पाकिस्तान के लिए यह युद्ध घातक सिद्ध हुआ। युद्ध में पराजय ने उसकी सैनिक तानाशाही के खोखलेपन को सिद्ध कर दिया।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 11 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 11 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू हुआ
(i) 15 अगस्त, 1947
(ii) 15 अगस्त, 1949
(iii) 26 जनवरी, 1957
(iv) 26 जनवरी, 19581
उत्तर:
(iii) 26 जनवरी, 1957

प्रश्न 2.
ताशकन्द समझौते के समय भारत के प्रधानमन्त्री थे
(i) जवाहरलाल नेहरू
(ii) लालबहादुर शास्त्री
(iii) इन्दिरा गांधी
(iv) राजीव गांधी
उत्तर:
(ii) लालबहादुर शास्त्री

प्रश्न 3.
भारत में आपातकाल लागू हुआ था
(i) 25 जून, 1975
(ii) 25 जून, 1972
(iii) 30 जून, 1977
(iv) 30 जून, 1978
उत्तर:
(i) 25 जून, 1975

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. कश्मीर के राजा ………. ने अपनी रियासत जम्मू-कश्मीर को स्वतन्त्र रखने का निर्णय लिया।
  2. दलाईलामा को भारत सरकार ने शरण दी जिससे दोनों देशों के मध्य ………. शुरू हो गया।
  3. 1971 का युद्ध भारत और पाकिस्तान के मध्य ………. दिन तक चला।

उत्तर:

  1. हरीसिंह
  2. शीत युद्ध
  3. 14

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
कश्मीर भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा पर स्थित है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
ताशकन्द समझौता भारत और चीन के मध्य हुआ था। (2016)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
सन् 1931 में जापान द्वारा मंचूरिया पर आक्रमण किया गया।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
परमाणु ऊर्जा रेडियोधर्मी तत्वों के विखण्डन से प्राप्त होती है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
परमाणु प्रसार को रोकने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पाँच संगठनों की स्थापना की गई है।
उत्तर:
असत्य

जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 11 स्वातंत्र्योत्तर भारत की प्रमुख घटनाएँ 2
उत्तर:

  1. → (ख)
  2. → (ग)
  3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
भारत और पाकिस्तान के मध्य सबसे अधिक उलझी हुई समस्या है।
उत्तर:
कश्मीर समस्या

प्रश्न 2.
4 जनवरी, 1966 को राष्ट्रपति अयूब खाँ तथा लालबहादुर शास्त्री के मध्य कौन-सी वार्ता आरम्भ हुई ?
उत्तर:
ताशकन्द वार्ता

प्रश्न 3.
वित्तीय संकट के कारण भारत में आपातकाल कितनी बार लगाया गया है ?
उत्तर:
कभी नहीं

प्रश्न 4.
तारापुर परमाणु शक्ति केन्द्र की स्थापना किस वर्ष में की गई ?
उत्तर:
वर्ष 1969 में

प्रश्न 5.
जम्मू-कश्मीर को किस अनुच्छेद के अन्तर्गत विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है ? (2017)
उत्तर:
अनुच्छेद 370

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 11 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जम्मू-कश्मीर भारतीय संघ का एक अभिन्न अंग किस प्रकार बना ?
उत्तर:
6 फरवरी, 1954 को कश्मीर विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर जम्मू-कश्मीर-राज्य का विलय भारत में करने की सहमति प्रदान की। भारत सरकार ने 14 मई, 1954 को संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 370 के अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किया। 26 जनवरी, 1957 को जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू हो गया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर भारतीय संघ का एक अभिन्न अंग बन गया।

प्रश्न 2.
सी. टी. बी. टी. क्या है ?
उत्तर:
सी. टी. बी. टी. अर्थात् ‘परमाणु परीक्षण निषेध सन्धि’, विश्व भर में किये जाने वाले सभी प्रकार के परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाने के उद्देश्य से लायी गयी सन्धि या समझौता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 11 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की विदेशी नीति की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारत की विदेश नीति की प्रमुख विशेषताएँ- भारत की विदेशी नीति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. भारत ने शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व के सिद्धान्त में विश्वास करते हुए विश्वशान्ति बनाये रखने के लिए हर सम्भव सहयोग देने की नीति का पालन किया है।
  2. भारत साम्राज्यीय एवं प्रजातीय विभेद का विरोध करता है और पिछड़े राष्ट्रों की सहायता करने को तत्पर रहता है।
  3. भारत संयुक्त राष्ट्र संघ तथा उससे सम्बन्धित अन्य संस्थाओं का समर्थन करता है तथा उनसे सहयोग करता है।

प्रश्न 2.
सन् 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की पराजय के प्रमुख बताइए। (2009)
अथवा
सन् 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान की पराजय के कारण लिखिए। (2009, 14)
उत्तर:
सन् 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की पराजय के प्रमुख कारण-पाकिस्तान की पराजय के प्रमुख कारण अग्रलिखित थे –

  1. पाकिस्तान सैनिक दृष्टि से भारत से कमजोर था।
  2. पाकिस्तान का नैतिक पक्ष दुर्बल था। पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान के साथ जो भेदभावपूर्ण नीति अपनायी थी, उसके परिणामस्वरूप वहाँ जन-आन्दोलन आरम्भ हुआ। बंगाली अपनी स्वतन्त्रता के लिए युद्ध लड़ रहे थे।
  3. पाकिस्तान की सैनिक तानाशाही लोकतान्त्रिक प्रणाली की उपेक्षा कर रही थी। यह उपेक्षा उसके लिए हानिकारक साबित हुई।
  4. पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के मध्य दूरी के कारण पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान तक सहजता से नहीं पहुँच सकता था। समुद्री मार्ग की भारतीय नौसेना ने घेराबन्दी कर ली थी अत: उसकी सेना को आपूर्ति बन्द हो गयी।
  5. पाकिस्तान के अत्याचारों से पीड़ित होकर लाखों की संख्या में शरणार्थी भारत आये। इस कारण भारत को पाकिस्तान के मामले में हस्तक्षेप का अवसर मिला।

प्रश्न 3.
आपातकाल क्या है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत को उसके समक्ष मौजूद अनेक समस्याओं का सामना युद्धस्तर पर करना पड़ा। इसी बात को ध्यान में रखकर संविधान निर्माताओं ने केन्द्र सरकार को इस प्रकार की शक्तियाँ प्रदान की जिसमें वह संकटकाल में उत्पन्न स्थितियों का सामना प्रभावशाली ढंग से कर सके। देश की सुरक्षा, एकता तथा अखण्डता को बनाए रखने के लिए भारत के संविधान में कुछ आपातकालीन प्रावधान किये गये हैं। भारत के संविधान में भारत के राष्ट्रपति की आपातकालीन (संकटकालीन) स्थितियों से निपटने के लिए विशेष शक्तियाँ प्रदान की गई हैं।

प्रश्न 4.
भारत में आपातकाल की घोषणा कौन करता है तथा वह कितने प्रकार की होती है ? (2012, 15)
उत्तर:
सामान्यतः आपातकालीन तीन प्रकार के होते हैं जिनकी घोषणा राष्ट्रपति केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल के लिखित परामर्श पर कर सकता है –
(1) राष्ट्रीय आपातकाल – भारत के राष्ट्रपति यदि सन्तुष्ट हो जाये कि स्थिति बहुत कठिन है तथा भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा खतरे में है। युद्ध या बाहरी आक्रमण या क्षेत्र के अन्तर्गत सशस्त्र विद्रोह के कारण विकट समस्या हो सकती है। तब ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर राष्ट्रपति मन्त्रिमण्डल की लिखित अनुशंसा पर आपातकाल की घोषणा कर सकता है।

(2) राज्य में संवैधानिकतन्त्र की विफलता से उत्पन्न आपातकाल – राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट पर या किसी अन्य प्रकार से सन्तुष्ट हो जाए कि वहाँ राज्य का शासन विधिपूर्वक चलाया नहीं जा सकता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर संवैधानिक तन्त्र की विफलता को रोकने का प्रयास करता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे राष्ट्रपति शासन कहते हैं।

(3) वित्तीय संकट – यदि राष्ट्रपति सन्तुष्ट हो जाए कि भारत या इसके किसी भाग की वित्तीय स्थिति या साख को खतरा है तो वित्तीय संकट की घोषणा कर सकता है।

प्रश्न 5.
भारत में आपातकाल कब और कितनी बार घोषित किया गया ? (2018)
उत्तर:
आपातकाल की घोषणाएँ-राष्ट्रीय आपातकाल भारत में अब तक तीन बार घोषित किया गया है –

  1. चीन द्वारा आक्रमण करने पर 26 अक्टूबर, 1962 से 10 जनवरी 1968 तक।
  2. पाकिस्तान द्वारा आक्रमण के कारण 3 दिसम्बर, 1971 से 21 मार्च, 1977 तक तथा आन्तरिक उपद्रव की आशंका के आधार पर 25 जून, 1975 को भारत में आपातकाल घोषित किया गया।
  3. राज्य में संवैधानिक तन्त्र की विफलता से उत्पन्न आपातकाल की घोषणा का प्रयोग अनेक बार हुआ है।

वित्तीय संकट के कारण भारत में अभी तक कभी भी आपातकाल नहीं लगाया गया है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 11 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सन् 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के परिणाम लिखिए। (2016, 18)
अथवा
सन् 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का वर्णन कीजिए। (2013)
उत्तर:
सन् 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध चौदह दिन तक चला। पाकिस्तान के लिए यह युद्ध बड़ा मँहगा सिद्ध हुआ। उसे अपने देश के एक विशाल अंग पूर्वी पाकिस्तान से हाथ धोना पड़ा। पूर्वी पाकिस्तान अब बांग्लादेश के रूप में एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका था। सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध के महत्त्वपूर्ण परिणाम निम्नलिखित रहे –

  1. बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
  2. पाकिस्तान की जनसंख्या शक्ति और क्षेत्रफल कम हुआ।
  3. सन् 1965 के पश्चात् सन् 1971 में पुनः हार ने पाकिस्तान का मनोबल तोड़ दिया।
  4. इस युद्ध ने पाकिस्तान से सहानुभूति रखने वाले राष्ट्र अमेरिका और चीन के हौसलों और महत्वाकांक्षा की पराजय हुई।
  5. भारत को यह समझ में आ गया कि अमेरिका उसका शुभचिन्तक नहीं है। अतः भारत ने सोवियत संघ के साथ मित्रता बढ़ाई।
  6. भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय देश के विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने सारे मतभेद भुला दिये। बांग्लादेश की स्वतन्त्रता एक राष्ट्रीय प्रश्न बन गया था।
  7. इन बातों का पाकिस्तान की आन्तरिक राजनीति पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। जनता ने राष्ट्रपति याहियाँ खाँ से त्यागपत्र की माँग की। पराजय के कारण पाकिस्तान में प्रदर्शन हुए। याहियाँ खाँ को त्यागपत्र देना पड़ा। उनके स्थान पर जुल्फिकार अली भुट्टो ने पद ग्रहण किया, जिन्हें विरासत में कई समस्याएँ मिलीं। विभक्त जनमत, विभक्त मनोस्थिति और विभाजित नेतृत्व वाला पाकिस्तान नियति के चक्र में बुरी तरह फंस गया।

प्रश्न 2.
भारत-बांग्लादेश सम्बन्धों पर एक विस्तृत लेख लिखिए। (2009, 17)
उत्तर:
भारत – बांग्लादेश सम्बन्ध

सन् 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की परिणति के रूप में बांग्लादेश का उदय हुआ। जब पूर्वी बंगाल और पाकिस्तानी शासक के विरुद्ध विद्रोह हुआ तब भारत की सहानुभूति बांग्ला स्वतन्त्रता सेनानियों के प्रति रही। पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह ने जब इन विद्रोहियों का क्रूरता के साथ दमन किया तब भारत ने इसका कड़ा विरोध किया। पाकिस्तान द्वारा किये गये नरसंहार से भयभीत होकर पूर्वी बंगाल के अनेक शरणार्थी भारत में आ गये। भारत ने इनके भोजन-आवास की व्यवस्था की और साथ ही बांग्लादेश की मक्ति वाहिनी के जक को प्रशिक्षित किया। इससे बांग्ला शरणार्थियों का आजादी प्राप्त करने के लिए उत्साह बढ़ा।

(1) स्वतन्त्र बांग्लादेश की घोषणा – 26 मार्च, 1971 को शेख मुजीब के नेतृत्व में स्वतन्त्र बांग्लादेश की घोषणा गुप्त रेडियो से की गई। इसके साथ ही पश्चिमी पाकिस्तान का दमनचक्र शुरू हुआ। अन्ततः 17 अप्रैल, 1971 को बांग्लादेश में स्वतन्त्र प्रभुसत्ता सम्पन्न गणतन्त्र की घोषणा की गई और विश्व की सरकारों से मान्यता प्रदान करने का आग्रह किया। मुक्ति संघर्ष के दौरान लगभग एक करोड़ बांग्लादेशी शरणार्थी भारत में आ गये थे। इसका सीधा प्रभाव भारत की सुरक्षा व एकता-अखण्डता पर पड़ रहा था। बांग्लादेश की समस्या के समाधान के लिए भारत की तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने कई पश्चिमी राष्ट्रों की यात्रा की किन्तु उन्हें पूर्णतः सफलता नहीं मिली। अन्ततः 3 दिसम्बर, 1971 को भारत-पाकिस्तान के मध्य युद्ध शुरू हो गया।

(2) बांग्लादेश को मान्यता – बांग्लादेश के तात्कालिक विदेशी मन्त्री के अनुरोध पर भारत ने 6 दिसम्बर, 1971 को बांग्लादेश को मान्यता प्रदान कर दी। 8 दिसम्बर, 1971 को ही बांग्लादेश ने हुसैन अली को भारत में अपना प्रथम राजदूत नियुक्त कर दिया।

(3) भारत-बांग्लादेश की प्रथम सन्धि-10 दिसम्बर, 1971 को भारत के साथ बांग्लादेश की प्रथम सन्धि हुई। इस सन्धि में भारत सैनिक और आर्थिक आधार पर स्वतन्त्र बांग्लादेश के पुनर्निर्माण के लिए तैयार हुआ। सन् 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के पराजित होते ही बांग्लादेश की सरकार ढाका में स्थापित की गई। भारत और अन्तर्राष्ट्रीय जनमत के समक्ष घुटने टेकते हुए पाकिस्तान को 8 जनवरी, 1971 को अवामी लीग नेता शेख मुजीबुर्रहमान को रिहा करने पर बाध्य होना पड़ा। रिहाई के बाद शेख ने भारत के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।

(4) भारत-बांग्लादेश की द्वितीय सन्धि – बांग्लादेश को एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से भारत-बांग्लादेश की द्वितीय सन्धि हुई। भारत ने बांग्लादेश की आर्थिक, आन्तरिक व बाह्य समस्याओं के समाधान की जिम्मेदारी ली। भारत और भूटान के बाद एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश के पूर्वी जर्मनी, नेपाल, बर्मा (म्यांमार), पश्चिमी यूरोपीय देश, मलेशिया, इण्डोनेशिया आदि देशों ने भी मान्यता दे दी। जनवरी 1972 में काहिरा में अफ्रेशियाई देशों का एकता सम्मेलन हुआ जिसमें बांग्लादेश को स्थायी सदस्य बनवाने में एक बार फिर भारत ने अपना बड़प्पन दिखाया। भारत ने बांग्लादेश के साथ व्यापार और सांस्कृतिक समझौते भी किये। 9 अगस्त, 1972 को भारत ने बांग्लादेश को संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य राष्ट्र के रूप में मान्यता दिये जाने को समर्थन किया परन्तु चीन द्वारा वीटो पावर से इस कार्य में भारत को सफलता नहीं मिली।

प्रश्न 3.
भारत का आणविक शक्ति के रूप में विकास किस प्रकार हुआ? वर्णन कीजिए। (2013, 16)
अथवा
भारत की परमाणु नीति के सिद्धान्तों को समझाइए। (2009)
अथवा
आणविक शक्ति की पाँच उपयोगिताएँ एवं एक महत्व लिखिए। (2012)
[संकेत : ‘परमाणु ऊर्जा के उपयोग’ शीर्षक देखें।]
उत्तर:
भारत की आणविक शक्ति

(1) परमाणु ऊर्जा की प्राप्ति-परमाणु ऊर्जा रेडियोधर्मी तत्वों के विखण्डन से प्राप्त की जाती है। इस ऊर्जा से विद्युत बनायी जाती है। यूरेनियम, यूरियम, प्लूटोनियम आदि प्रमुख रेडियोधर्मी तत्व हैं। इन तत्वों में भारी मात्रा में ऊर्जा छिपी है। एक अनुमान के अनुसार, एक किलो यूरेनियम से जितनी ऊर्जा प्राप्त होती है उतनी 27,000 टन कोयले से प्राप्त की जाती है। यूरेनियम बहुत मूल्यवान तत्व है।

(2) परमाणु ऊर्जा के प्रमुख केन्द्र-परमाणु ऊर्जा के विकास के क्षेत्र में टाटा संस्थान-1945 तथा भाभा परमाणु ऊर्जा केन्द्र सन् 1957 की स्थापना से परमाणु तकनीकी का विकास हुआ। सन् 1956 में अप्सरा शोध रिएक्टर की स्थापना हुई और सन् 1969 में तारापुर परमाणु शक्ति केन्द्र की स्थापना के बाद यह भारत का पहला व्यावसायिक रियेक्टर केन्द्र बना। भारत ने तारापुर (महाराष्ट्र), कोटा (राजस्थान), कलपक्कम (तमिलनाडु), नरौरा (उत्तर प्रदेश), काकरपारा (गुजरात) एवं गा में परमाणु ऊर्जा केन्द्र स्थापित किए हैं।

परमाणु ऊर्जा के उपयोग – परमाणु ऊर्जा का उपयोग शान्तिपूर्ण एवं विकास कार्यों के लिए वरदान स्वरूप है। कृषि, चिकित्सा, उद्योग आदि क्षेत्रों में इसका उपयोग हो रहा है। नहरों, बाँधों तथा खानों के निर्माण के लिए परमाणु विस्फोटों का प्रयोग किया जा रहा है। साथ ही इसका उपयोग विध्वंसक, शस्त्रों के निर्माण में भी किया जाता है जो कि अनुचित है।

पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों की कमी से निपटने के लिए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की बड़ी भूमिका है। मुम्बई में विद्युत उत्पादन परमाणु रिएक्टरों के माध्यम से किया जा रहा है।

भारत की परमाणु नीति – भारत की परमाणु नीति को उसकी विदेशी नीति के मूल सिद्धान्तों के सन्दर्भ में समझा जा सकता है। भारत की विदेशी नीति के तीन मूलभूत सिद्धान्त हैं-राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और विश्व व्यवस्था। इसके अतिरिक्त भारत उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद, रंगभेद का विरोध करते हुए परस्पर सहअस्तित्व, सभी राष्ट्रों से मित्रता एवं अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सद्भाव की नीति में विश्वास रखता है। भारत की परमाणु नीति का लक्ष्य अपनी सुरक्षा एवं विकास को सुनिश्चित करना है और यह भी ध्यान में रखना है कि एक ऐसे विश्व की स्थापना हो, जो सहयोग, सद्भाव और शान्ति पर आधारित हो। भारत के प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने परमाणु बम न बनाने के संकल्प को अनेक अवसरों पर दोहराया। श्रीमती इन्दिरा गांधी ने देश की रक्षा को अति महत्त्वपूर्ण विषय मानते हुए परमाणु नीति पर पुनर्विचार की बात कही। 1974 में इन्दिरा गांधी ने पोखरण (राजस्थान) में ‘शान्तिपूर्ण परमाणु परीक्षण किया।

सन् 1980 के दशक के परमाणु नीति-सन् 1980 के दशक से प्रक्षेपास्त्रों के विकास के कारण भारत की परमाणु नीति में प्रमुख परिवर्तन आया। इस सन्दर्भ में सन् 1983 में प्रारम्भ की गयी ‘एकीकृत निर्देशित प्रक्षेपास्त्र योजना’ अति महत्त्वपूर्ण है। प्रसिद्ध वैज्ञानिक ए. पी. जे. अब्दुल कलाम इस योजना के अध्यक्ष बनाये गये। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत भारत ने जिन प्रक्षेपास्त्रों का विकास किया वे ‘पृथ्वी’, ‘त्रिशूल’, ‘नाग’ तथा ‘आकाश’ हैं।

परमाणु प्रसार रोकने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तीन संगठनों की स्थापना हुई-आंशिक मास्को परमाणु परीक्षण निषेध सन्धि (पी. टी. बी. टी.) 1963, परमाणु अप्रसार संधि (एन. पी. टी.) 1968 तथा व्यापक परमाणु परीक्षण निषेध सन्धि (सी. टी. बी. टी.)1996।

सन् 1990 के दशक के परमाणु नीति-सन् 1990 के दशक से भारत की परमाणु नीति में मोड़ आया क्योंकि विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ कि पाकिस्तान ने परमाणु बम तैयार कर लिया है। अपनी रक्षा को मजबूत बनाने, उसमें आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश के दबावों से बचने के लिए परमाणु परीक्षण किये जाने पर विचार किया गया। 11 मई, 1998 को भारत ने तीन भूमिगत परमाणु परीक्षण लगातार एक के बाद एक पोखरण में किये। परमाणु परीक्षण सम्पन्न हो जाने के पश्चात् प्रधानमन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी ने घोषित किया कि “हम एक बड़े बम की क्षमता वाले” राष्ट्र बन गये हैं। परन्तु प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि परमाणु हथियारों का उपयोग हम किसी देश के विरुद्ध नहीं करेंगे वरन् अपनी आत्मरक्षा के लिए करेंगे।

वास्तव में भारत ने आणविक परीक्षण इसलिए किये क्योंकि भारत की सीमाओं के निकट परमाणु अस्त्र क्षमता एवं प्रक्षेपास्त्रों की मौजूदगी थी। अत: भारत को अपनी सुरक्षा मजबूत बनाने के लिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों में राजनैतिक एवं कूटनीतिक रूप से दबाव बढ़ाना आवश्यक था परन्तु भारत आरम्भ से ही शान्तिदूत रहा है और उसने आणविक शक्ति दूसरों पर अपनी प्रभुता स्थापित करने तथा दूसरे राष्ट्रों के मामलों में हस्तक्षेप प्राप्त करने के लिए नहीं की है।

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 18 अर्थव्यवस्था : सेवा क्षेत्र एवं अधोसंरचना

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 18 अर्थव्यवस्था : सेवा क्षेत्र एवं अधोसंरचना

MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 वास्तानिष्ट प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था विकसित होती है, राष्ट्रीय आय में तृतीयक क्षेत्र का अंश
(i) बढ़ता जाता है
(ii) घटता जाता है
(iii) बढ़ता है तत्पश्चात् घटता है
(iv) घटता है तत्पश्चात् बढ़ता है।
उत्तर:
(i) बढ़ता जाता है

प्रश्न 2.
बाजार के विस्तार में सहायक होते हैं
(i) परिवहन के साधन
(ii) संचार के साधन
(iii) बैंक एवं वित्तीय संस्थाएँ
(iv) उक्त सभी।
उत्तर:
(iv) उक्त सभी।

प्रश्न 3.
कृषि क्षेत्र निम्न में सम्मिलित है – (2009, 15)
(i) प्राथमिक
(ii) द्वितीयक
(iii) तृतीयक
(iv) द्वितीयक एवं तृतीयक दोनों।
उत्तर:
(i) प्राथमिक

प्रश्न 4.
सेवा क्षेत्र रोजगार प्रदान करता है –
(i) प्रत्यक्ष रूप से
(ii) अप्रत्यक्ष रूप से
(iii) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूप से
(iv) इनमें में से कोई नहीं।
उत्तर:
(iii) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूप से

प्रश्न 5.
सेवा क्षेत्र के निरन्तर विकास का कारण है –
(i) सरकारी हस्तक्षेप
(ii) कृषि एवं उद्योगों का विकास
(iii) सोच में परिवर्तन
(iv) उक्त सभी।
उत्तर:
(iv) उक्त सभी।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. अर्थव्यवस्था का ……………… क्षेत्रों में विभाजन किया गया है। (2009, 13)
  2. सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था का ……………… क्षेत्र होता है। (2010)
  3. वर्ष 2005-06 में सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान ……………… प्रतिशत था।
  4. शिक्षा एवं स्वास्थ्य ……………… अधोसंरचना के अंग हैं। (2009, 14, 16, 18)
  5. ऊर्जा आयोग का गठन मार्च ……………… में किया गया।

उत्तर:

  1. तीन
  2. तृतीयक
  3. 52.4
  4. सामाजिक
  5. 1981

सही जोड़ी बनाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 18 अर्थव्यवस्था : सेवा क्षेत्र एवं अधोसंरचना
उत्तर:

  1. → (ख)
  2. → (ग)
  3. → (क)
  4. → (ङ)
  5. → (घ)

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
देश की कुल जनसंख्या का वह भाग; जो प्रत्यक्ष रूप से उत्पादक क्रियाओं में सहयोग करता है, क्या कहलाता है ?
उत्तर:
द्वितीयक क्षेत्र।

प्रश्न 2.
कार्यशील जनसंख्या का व्यावसायिक वितरण का प्रतिशत किस प्रकार का रहता है ?
उत्तर:
कार्यशील जनसंख्या का व्यावसायिक वितरण का प्रतिशत बढ़ता रहता है।

प्रश्न 3.
अर्थव्यवस्था के उस क्षेत्र का नाम बताइए जो कृषि एवं उद्योग के संचालन में सहायता पहुँचाता है। (2018)
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्र कृषि एवं उद्योग के संचालन में सहायता पहुँचाता है।

प्रश्न 4.
डॉक्टर, शिक्षक, नाई, धोबी, वकील आदि की सेवाएँ किस प्रकार के कार्यक्षेत्र में आती हैं? (2009)
उत्तर:
डॉक्टर, शिक्षक, नाई, धोबी, वकील आदि की सेवाएँ तृतीयक क्षेत्र के अन्तर्गत आती हैं।

प्रश्न 5.
सेवा क्षेत्र क्या है ? (2015, 17)
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियों से वस्तुओं के स्थान पर सेवाओं का सृजन होता है। अत: इसे सेवा ‘क्षेत्र भी कहा जाता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र एवं राष्ट्रीय आय में क्या सम्बन्ध है ? लिखिए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र एवं राष्ट्रीय आय में सम्बन्ध-एक राष्ट्र की राष्ट्रीय आय या सकल घरेलू उत्पाद (जी. डी. पी.) की गणना के लिए उस राष्ट्र के प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों को आधार माना जाता है। इसके लिए सबसे पहले इन तीनों क्षेत्रों से प्राप्त उत्पादन के मौद्रिक मूल्य की गणना की जाती है। तदुपरान्त इन अलग-अलग क्षेत्रों से प्राप्त मौद्रिक मूल्य को जोड़ा जाता है। इस प्रकार देश का सकल घरेलू उत्पाद (जी. डी. पी.) या राष्ट्रीय आय के आँकड़े प्राप्त हो जाते हैं।

अनुभव यह बताता है कि आर्थिक विकास के साथ-साथ जहाँ प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों से प्राप्त आय में वृद्धि होती है, वहीं इनके तुलनात्मक योगदान में भी परिवर्तन होता है। यह देखा गया है कि जैसे-जैसे किसी राष्ट्र में आर्थिक विकास होता है; वैसे-वैसे कुल राष्ट्रीय आय में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान क्रमशः कम होता जाता है तथा तृतीयक या सेवा क्षेत्र का योगदान बढ़ता जाता है।

प्रश्न 2.
अर्थव्यवस्था के प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र को उदाहरण की सहायता से समझाइए।
अथवा
प्राथमिक क्षेत्र को उदाहरण देकर समझाइए। (2015)
अथवा
अर्थव्यवस्था के द्वितीयक क्षेत्र को उदाहरण की सहायता से समझाइए। (2014, 16, 18)
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्र – प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से आधारित गतिविधियों को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है। उदाहरण के लिए कृषि को लिया जा सकता है। फसलों के उत्पादन के लिए मुख्यतः प्राकृतिक कारकों; जैसे-मृदा, वर्षा, सूर्य का प्रकाश, वायु आदि पर निर्भर रहना पड़ता है। अतः कृषि उपज एक प्राकृतिक उत्पाद है। इसी प्रकार वन, पशुपालन, खनिज आदि को भी प्राथमिक क्षेत्र के अन्तर्गत लिया जाता है।

द्वितीयक क्षेत्र – इस क्षेत्र की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए लोहे से मशीन बनाना या कपास से कपड़ा बनाना आदि यह प्राथमिक गतिविधियों के बाद अगला कदम है। इस क्षेत्र में वस्तुएँ सीधे प्रकृति से उत्पादित नहीं होती हैं, वरन् उन्हें मानवीय क्रियाओं के द्वारा निर्मित किया जाता है। ये क्रियाएँ किसी कारखाने या घर में हो सकती हैं। चूँकि यह क्षेत्र क्रमशः सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के उद्योगों से जुड़ा हुआ है इसीलिए इसे औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है।

प्रश्न 3.
सेवा क्षेत्र के कृषि एवं राष्ट्रीय आय में योगदान की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सेवा क्षेत्र का कषि में योगदान – किसानों की प्राकतिक आपदाओं से बचाने का कार्य भी सेवा क्षेत्र द्वारा किया जाता है। वर्षा बीमा योजना, फसल बीमा योजना, कृषि आय बीमा योजना तथा राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना आदि के द्वारा कृषि उपज की अनिश्चितता एवं जोखिक को दूर किया जाता है। साथ ही सेवा क्षेत्र किसानों को उन्नत खाद, बीज आदि के क्रय हेतु पूँजी प्रदान कर उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है। इस प्रकार सेवा क्षेत्र कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में सहयोग करता है।

राष्ट्रीय आय में योगदान – आज शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण सभी में सेवा क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। यही कारण है कि राष्ट्रीय आय का आधे से अधिक भाग अब सेवा क्षेत्र से प्राप्त हो रहा है। राष्ट्र के आर्थिक विकास के साथ सेवा क्षेत्र की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, इसीलिए राष्ट्रीय आय में सेवा क्षेत्र का योगदान निरन्तर बढ़ रहा है।

प्रश्न 4.
भारत में सेवा क्षेत्र के विकास के कोई चार कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में सेवा क्षेत्र के विकास के कारण भारत में सेवा क्षेत्र के विकास के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
(1) सेवाओं का विस्तार – स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद देश में पंचवर्षीय योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया। इससे देश में अनेक सेवाएँ; जैसे-चिकित्सालय, शैक्षणिक संस्थाएँ, डाक एवं तार, परिवहन, बैंक, बीमा कम्पनी, स्थानीय संस्थाएँ, सुरक्षा सेवाएँ, न्याय व्यवस्था आदि का विस्तार हुआ। परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में इनकी भागीदारी तेजी से बढ़ी है।

(2) प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों का विस्तार – देश में प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों का पिछले वर्षों में तेजी से विस्तार हुआ है। औद्योगिक क्रान्ति के साथ-साथ देश में कृषि क्षेत्र में हरित क्रान्ति सफल रही। इससे परिवहन, व्यापार, भण्डारण, बैंकिंग जैसी सेवाओं की माँग में वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप देश में इन सेवाओं का तेजी से विस्तार हुआ।

(3) उपभोग में वृद्धि – आय में वृद्धि के साथ-साथ उपभोग में भी वृद्धि होने लगती है। आय में वृद्धि होने पर व्यक्ति निजी अस्पताल, महँगे स्कूल, वाहनों का प्रयोग एवं आधुनिक नई-नई वस्तुओं को खरीदने पर अधिक खर्च करने लगता है। फलतः देश में सेवा क्षेत्र की भागीदारी में तीव्रता से वृद्धि हुई है।

(4) सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित वस्तुओं का प्रयोग – पिछले कुछ वर्षों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित अनेक नई-नई सेवाएँ जीवन के लिए आवश्यक बन गयी हैं। ट्यूबलाइट, टेलीविजन, केबिल कनेक्शन, मोबाइल फोन, मोटर गाड़ियाँ, स्कूटर, मोटर साइकिल, कम्प्यूटर, इण्टरनेट, कालसेण्टर आदि ने भारत में उपभोक्ता वस्तुओं के बाजार को बहुत विस्तृत कर दिया है। फलतः सेवा क्षेत्र की भागीदारी बढ़ी है।

(5) वैश्वीकरण का प्रभाव – वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप भारतीयों पर पश्चिमी देशों का प्रभाव पड़ा है और उनकी सोच में परिवर्तन आया है। हर व्यक्ति सारी सुख-सुविधाएँ प्राप्त करना चाहता है। अतः बैंक, बीमा, पर्यटन, परिवहन, होटल आदि सभी प्रकार की सेवाओं की माँग बहुत बढ़ गई है। परिणामस्वरूप सेवा क्षेत्र के योगदान में तेजी से वृद्धि हुई है।

प्रश्न 5.
अधोसंरचना के प्रकारों का वर्णन कीजिए। (2014, 16, 18)
उत्तर:
अधोसंरचना से आशय उन सुविधाओं, क्रियाओं तथा सेवाओं से है, जो उत्पादन के अन्य क्षेत्रों के संचालन तथा विकास एवं दैनिक जीवन में सहायक होती हैं।

अधोसंरचना के प्रकार – अधोसंरचना को दो भागों में बाँटा गया है –

(1) आर्थिक अधोसंरचना – अधोसंरचना जो मुख्यतः शक्ति, यातायात एवं दूर संचार से सम्बन्धित होती है, को आर्थिक संरचना कहा जाता है। रेल, सड़क, बन्दरगाह, हवाई अड्डे, बाँध, विद्युत केन्द्र आदि को आर्थिक संरचना के अन्तर्गत रखा जाता है। आर्थिक विकास में इनका महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसीलिए इन्हें बुनियादी आर्थिक सुविधाएँ भी कहा जाता है।

(2) सामाजिक अधोसंरचना – सामाजिक अधोसंरचना मानव संसाधन का विकास करने एवं मानव पूँजी निर्माण करने में सहायक होती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा आदि इसके अंग होते हैं। इनसे समाज को कुशल, निपुण एवं स्वस्थ जनशक्ति प्राप्त होती है। इससे कार्यक्षमता बढ़ती है जिससे प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र में उत्पादन तेजी से बढ़ता है। परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास होता है।

प्रश्न 6.
भारतीय सेवाओं का विश्व में क्या योगदान है ? लिखिए।
उत्तर:
भारतीय सेवाओं का विश्व में योगदान – भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र के विकास का यह परिणाम है कि आज भारत विश्व के विभिन्न राष्ट्रों को कई प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध करा रहा है। भारतीय सेवाओं के विश्व में योगदान को सरलता से अग्रलिखित तथ्यों द्वारा समझा जा सकता है –

(1) कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर सेवाएँ – भारत ने पिछले कुछ वर्षों में कम्प्यूटर के क्षेत्र में काफी प्रगति की है। बंगलुरु, हैदराबाद, पूना एवं मुम्बई कम्प्यूटर के प्रमुख केन्द्र हैं जहाँ निर्यात हेतु बड़ी संख्या में सॉफ्टवेयर तैयार किए जाते हैं। भारत से सॉफ्टवेयर का निर्यात विश्व के अनेक राष्ट्रों में किया जाता है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी जैसे विकसित राष्ट्रों में भारतीय कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर विशेष लोकप्रिय है।

(2) संचार सेवाएँ – संचार सेवाओं के क्षेत्र में भी भारत विकसित राष्ट्रों के समकक्ष है और दूरसंचार सेवाओं का निर्यात करके विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है। भारत अनेक राष्ट्रों को दूर संचार सेवाओं के विकास हेतु सहयोग दे रहा है। मालदीप के डिजिटल चा का भारत द्वारा आधुनिकीकरण किया गया है तथा एक दूर संवेदी इकाई की स्थापना की गई है। नेपाल में दूरसंचार सेवाओं के लिए “यूनाइटेड टेलीकॉम” के नाम से संयुक्त कम्पनी का गठन किया गया है।

(3) बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाएँ – 30 जून, 2010 तक भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के 16 एवं निजी क्षेत्र की 6 बैकों ने 52 राष्ट्रों में अपनी शाखाएँ खोली हैं। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, बैंक ऑफ बड़ौदा एवं बैंक ऑफ इण्डिया प्रमुख हैं। इस प्रकार बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाओं से भी लाभ हो रहा है।

(4) तकनीकी एवं परामर्श सेवाएँ –  भारत ने अनेक क्षेत्रों में तकनीकी एवं प्रबन्धकीय कुशलता भी प्राप्त की है। फलत: भारत अनेक विकासशील एवं पिछड़े राष्ट्रों को रेलवे लाइन के निर्माण, सड़क निर्माण, कारखानों के निर्माण में तकनीकी एवं परामर्श सेवाएँ दे रहा है।

प्रश्न 7.
ऊर्जा एवं परिवहन के महत्व की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ऊर्जा का महत्व – किसी भी राष्ट्र का आर्थिक विकास उपलब्ध ऊर्जा के साधनों पर निर्भर करता है। कारण यह है कि कृषि, उद्योग, खनिज, परिवहन आदि सभी क्षेत्रों में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा के विभिन्न स्रोत हैं-विद्युत, कोयला, प्राकृतिक तेल एवं गैस आदि। इन सभी में सबसे अधिक महत्व विद्युत का है।

परिवहन का महत्व – परिवहन के सभी साधनों ने मिलकर सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक क्रान्ति पैदा की है। इन साधनों का जीवन के हर क्षेत्र में विशेष महत्व है।

  1. इन साधनों से हम आसानी से कम समय में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते हैं।
  2. औद्योगिक कच्चे माल को उनके प्राप्ति स्थल से औद्योगिक केन्द्रों तक तथा औद्योगिक केन्द्रों से तैयार माल को बाजारों और उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं।
  3. इन साधनों के द्वारा उपभोक्ता वस्तुएँ बाजारों तथा उपभोक्ताओं तक शीघ्रता से पहुँचाई जाती हैं।
  4. देश के विभिन्न क्षेत्रों में अशान्ति, सूखा, बाढ़, महामारियों आदि की स्थिति उत्पन्न होने पर तत्काल सहायता पहुँचाने में यातायात के साधन मददगार होते हैं।
  5. यातायात के साधनों के विकास से देश के विभिन्न भागों के बीच भाईचारा व प्रेम बढ़ा है। इससे राष्ट्रीय एकता मजबूत होती है तथा आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अर्थव्यवस्था को क्षेत्रों में बाँटने की आवश्यकता क्यों होती है ? अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र किसी भी राष्ट्र की जनशक्ति अपने जीवन-यापन हेतु विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में लगी रहती है। कोई खेती करता है तो कोई कारखाने में लगा रहता है या व्यापार करता है। इन गतिविधियों से ही उसे आय प्राप्त होती है। अतः अर्थव्यवस्था को भली-भाँति समझने के लिए यह आवश्यक है कि उन क्षेत्रों का अध्ययन किया जाए जिनमें देश की जनशक्ति कार्यरत् है।

किसी भी अर्थव्यवस्था को ठीक से समझने के लिए उसे तीन क्षेत्रों में बाँटा जाता है। इन क्षेत्रों का विस्तृत विवरण अग्र प्रकार है –

(1) प्राथमिक क्षेत्र-प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से आधारित गतिविधियों को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है। उदाहरण के लिए कृषि को लिया जा सकता है। फसलों को उत्पादित करने के लिए मुख्यतः प्राकृतिक कारकों; जैसे-मृदा, वर्षा, सूर्य प्रकाश, वायु आदि पर निर्भर रहना पड़ता है। अतः कृषि उपज एक प्राकृतिक उत्पाद है। इसी प्रकार वन, पशुपालन, खनिज आदि को भी प्राथमिक क्षेत्र के अन्तर्गत लिया जाता है।

यहाँ यह प्रश्न उठता है कि इन गतिविधियों को प्राथमिक क्यों कहा जाता है ? कारण यह है कि प्राथमिक क्षेत्र उन सभी उत्पादों का आधार है, जिन्हें हम बाद में निर्मित करते हैं। उदाहरण के लिए, कच्चे लोहे का उपयोग इस्पात कारखाने में होता है और उससे विभिन्न प्रकार की मशीनों का निर्माण होता है। अधिकांश प्राकृतिक उत्पाद कृषि, पशुपालन, मछली पालन, वन एवं खनिज से प्राप्त होते हैं, अतः इस क्षेत्र को कृषि एवं सहायक क्षेत्र भी कहते हैं। संक्षेप में कहा जा सकता है कि जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं तो इसे प्राथमिक क्षेत्र की गतिविधियाँ कहा जाता है।

(2) द्वितीयक क्षेत्र – इस क्षेत्र की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। उदाहरण के लिए लोहे से मशीन बनाना या कपास से कपड़ा बनाना आदि यह प्राथमिक गतिविधियों के बाद अगला कदम है। इस क्षेत्र में वस्तुएँ सीधे प्रकृति से उत्पादित नहीं होती हैं, वरन् उन्हें मानवीय क्रियाओं के द्वारा निर्मित किया जाता है। ये क्रियाएँ किसी कारखाने या घर में हो सकती हैं। चूँकि यह क्षेत्र क्रमशः सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के उद्योगों से जुड़ा हुआ है इसीलिए इसे औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है।

(3) तृतीयक या सेवा क्षेत्र – इस क्षेत्र की गतिविधियाँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र से भिन्न होती हैं। तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ स्वत: वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती, वरन् उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग करती हैं। उदाहरण के लिए प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं फुटकर बाजारों में बेचने के लिए रेल या ट्रक द्वारा परिवहन की आवश्यकता पड़ती है। प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों में उत्पादन करने के लिए बैंकों से ऋण लेने की आवश्यकता होती है। उत्पादन एवं व्यापार में सुविधा के लिए टेलीफोन, इण्टरनेट, पोस्ट ऑफिस, कोरियर आदि की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंक व्यापार आदि से सम्बन्धित गतिविधियाँ तृतीयक क्षेत्र में आती हैं। चूँकि, तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियों से वस्तुओं के स्थान पर सेवाओं का सृजन होता है, अतः इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है।

प्रश्न 2.
एक आय घटक के रूप में सेवा क्षेत्र का महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सेवा क्षेत्र का महत्व-आय के घटक के रूप में

उत्पादन के तीनों क्षेत्र राष्ट्रीय आय के सृजन में योगदान करते हैं। पहले सेवा क्षेत्र का योगदान बहुत कम था किन्तु आय एवं रोजगार दोनों ही दृष्टिकोणों से आज परिस्थितियाँ बदल गई हैं, आर्थिक विकास के साथ-साथ ही सेवा क्षेत्र का महत्व भी बढ़ गया है। जहाँ सन् 1951 में सेवा क्षेत्र का योगदान 28 प्रतिशत था जो वर्ष 2014-15 में 58.3 प्रतिशत हो गया।”

रोजगार और आय के घटक के रूप में इस क्षेत्र का महत्व निम्न प्रकार समझा जा सकता है –

(1) रोजगार के अवसर-सेवा क्षेत्र लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूपों में रोजगार प्रदान करता है। उदाहरण के लिये, “भारतीय रेलवे में कुल 14 लाख कर्मचारी नियोजित हैं।” 2 यह संख्या देश में किसी भी अन्य उपक्रम की तुलना में अधिक है। रोजगार के अवसर जुटाने में परिवहन, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी बैंक, शैक्षणिक संस्थाएँ, स्वास्थ्य सेवाएँ, पर्यटन एवं होटल व्यवसाय का योगदान बहुत अधिक है। इस प्रकार सेवा क्षेत्र बेरोजगारी दूर करने एवं लोगों की आय बढ़ाने में सहायक होता है।

(2) उत्पादन में वृद्धि-सेवा क्षेत्र कम लागत पर एवं कम समय में अधिक उत्पादन करने एवं गुणवत्ता में वृद्धि करने में भी सहायक होता है। यह क्षेत्र दो प्रकार से सहायता पहुँचाता है-एक तो कुशल प्रशिक्षण एवं स्वस्थ श्रमिक उपलब्ध कराकर उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाता है। दूसरा, कुशलता एवं कार्यक्षमता में वृद्धि से उत्पादन एवं आय में वृद्धि करता है।

(3) औद्योगिक विकास में सहायक-बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाएँ साख का सृजन करती हैं और सभी प्रकार के उद्योगों के लिए पूँजी की पूर्ति करती हैं, फिर चाहे वित्त की अल्पकालिक आवश्यकता हो या मध्यकालिक या दीर्घकालिक उद्योगों की स्थापना से लेकर बाजार तक वस्तुएँ पहुँचाने एवं विज्ञापन करने हेतु

  • आर्थिक समीक्षा 2015-16; पृष्ठ 156.
  • आर्थिक समीक्षा 2007-08, पृष्ठ 218.

सभी व्यवस्थाएँ सेवा क्षेत्र द्वारा की जाती है। संक्षेप में, सेवा क्षेत्र पूँजी सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति कर औद्योगिक विकास में सहायक होता है।

(4) बाजार के विस्तार में सहायक – सेवा क्षेत्र प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र के उत्पादों के बाजार का विस्तार करने में सहायक होता है। परिवहन की सुविधा से माल एवं यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। संचार के साधनों द्वारा व्यापारिक सौदे तय किये जाते हैं या होटल बुक किया जाता है। इससे सभी प्रकार की गतिविधियाँ सरल हो जाती हैं।

(5) कृषि के विकास में सहायक – किसानों की प्राकतिक आपदाओं से बचाने का कार्य भी सेवा क्षेत्र द्वारा किया जाता है। वर्षा बीमा योजना, फसल बीमा योजना, कृषि आय बीमा योजना तथा राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना आदि के द्वारा कृषि उपज की अनिश्चितता एवं जोखिक को दूर किया जाता है। साथ ही सेवा क्षेत्र किसानों को उन्नत खाद, बीज आदि के क्रय हेतु पूँजी प्रदान कर उत्पादन बढ़ाने में सहायक होता है। इस प्रकार सेवा क्षेत्र कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में सहयोग करता है।

(6) राष्ट्रीय आय में योगदान – आज शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण सभी में सेवा क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। यही कारण है कि राष्ट्रीय आय का आधे से अधिक भाग अब सेवा क्षेत्र से प्राप्त हो रहा है। राष्ट्र के आर्थिक विकास के साथ सेवा क्षेत्र की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, इसीलिए राष्ट्रीय आय में सेवा क्षेत्र का योगदान निरन्तर बढ़ रहा है।

(7) विदेशी मुद्रा का अर्जन-पिछले कुछ वर्षों से सेवाओं के निर्यात से भी बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की प्राप्ति हो रही है। जहाजरानी एवं हवाई सेवाओं के साथ-साथ पर्यटन एवं वित्तीय सेवाओं से भी हमें विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। हाल ही के वर्षों में कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर, कॉल सेन्टर, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्रों में भी काफी विकास हुआ और अब इन सेवाओं से भी विदेशी मुद्रा प्राप्त हो रही है।

प्रश्न 3.
सेवा क्षेत्र का आशय स्पष्ट कीजिए तथा सेवा क्षेत्र के महत्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सेवा क्षेत्र का आशय

सेवा क्षेत्र या तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र से भिन्न होती हैं। सेवा क्षेत्र की गतिविधियाँ स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करतीं, वरन् उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग करती हैं। उदाहरणार्थ, प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक एवं फुटकर बाजारों में बेचने के लिए रेल या ट्रक द्वारा परिवहन करने की आवश्यकता पड़ती है। उद्योगों से बने हुए माल को रखने के लिए गोदामों की आवश्यकता होती है। प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों में उत्पादन करने के लिए बैंकों से ऋण लेने की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार परिवहन, भण्डारण, संचार, बैंक, व्यापार आदि से सम्बन्धित गतिविधियाँ तृतीयक क्षेत्र में आती हैं। इन गतिविधियों के विस्तार से ही आर्थिक विकास को गति मिलती है। चूँकि तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियों से वस्तुओं के स्थान पर सेवाओं का सृजन होता है, अतः इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है।

अर्थव्यवस्था में कुछ ऐसी सेवाएँ भी होती हैं जो वस्तुओं के उत्पादन में प्रत्यक्ष योगदान न देकर अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करती हैं। उदाहरण के लिए शिक्षक, डॉक्टर, वकील, लेखाकर्मी, प्रशासनिक आदि की सेवाओं को लिया जा सकता है। धोबी, नाई एवं मोची की सेवाएँ भी महत्वपूर्ण होती हैं। वर्तमान समय में सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित सेवाएँ जैसे इण्टरनेट, कैफे, ए. टी. एम. बूथ, कॉल सेन्टर, सॉफ्टवेयर निर्माण आदि
का भी उत्पादन की गतिविधियों में महत्वपूर्ण स्थान है।

सेवा क्षेत्र के महत्व – उत्पादन के तीनों क्षेत्र राष्ट्रीय आय के सृजन में योगदान करते हैं। पहले सेवा क्षेत्र का योगदान बहुत कम था किन्तु आय एवं रोजगार दोनों ही दृष्टिकोणों से आज परिस्थितियाँ बदल गई हैं, आर्थिक विकास के साथ-साथ ही सेवा क्षेत्र का महत्व भी बढ़ गया है। जहाँ सन् 1951 में सेवा क्षेत्र का योगदान 28 प्रतिशत था जो वर्ष 2014-15 में 58.3 प्रतिशत हो गया।”

प्रश्न 4.
अधोसंरचना का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके अंगों के विषय में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
अधोसंरचना का अर्थ

अधोसंरचना या आधारभूत संरचना, जैसा कि इसका नाम है, यह उत्पादन के प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों के विकास हेतु आधार प्रदान करती है। किसी भी राष्ट्र की प्रगति कृषि एवं उद्योगों के विकास पर निर्भर है किन्तु स्वयं कृषि उत्पादन के लिए ऊर्जा, वित्त, परिवहन आदि साधनों की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार उद्योगों में उत्पादन के लिए मशीनरी, प्रबन्ध, ऊर्जा, बैंक, बीमा, परिवहन आदि साधनों की आवश्यकता होती है। ये सभी सुविधाएँ एवं सेवाएँ सम्मिलित रूप से आधारभूत संरचना कहलाती हैं। इस प्रकार अधोसंरचना से आशय उन सुविधाओं, क्रियाओं तथा सेवाओं से है, जो उत्पादन के अन्य क्षेत्रों के संचालन तथा विकास एवं दैनिक जीवन में सहायक होती हैं।

अधोसंरचना के अंग

अधोसंरचना के प्रमुख अंग निम्न प्रकार हैं –

(1) ऊर्जा – किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा के साधनों की आवश्यकता होती है। उद्योग एवं कारखानों ऊर्जा द्वारा ही संचालित होते हैं। ऊर्जा की आवश्यकता परिवहन के क्षेत्र में भी होती है। आधुनिक औद्योगिक युग में शक्ति के साधन ही किसी देश की आर्थिक प्रगति का सूचक होते हैं।

ऊर्जा के विभिन्न स्रोत हैं; जैसे-विद्युत, कोयला, प्राकृतिक तेल एवं गैस आदि। इन सभी स्रोतों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण विद्युत का है। विद्युत का उत्पादन तीन प्रमुख स्रोतों से होता है; यथा-जल विद्युत, तापीय विद्युत एवं अणु विद्युत। जल विद्युत के अन्तर्गत नदियों पर बाँध बनाकर विद्युत का उत्पादन किया जाता है। तापीय विद्युत में कोयले का उपयोग होता है। अणु विद्युत में यूरेनियम एवं थोरियम का प्रयोग होता है।

भारत में लगभग 80 प्रतिशत विद्युत का उत्पादन ताप विद्युत से होता है जो मुख्यतः कोयले पर आधारित है। भारत में अनुमानत: 21 करोड़ टन कोयले के भण्डार हैं किन्तु यहाँ के कोयले में राख की मात्रा अधिक होती है। अतः अच्छे किस्म के कोयले का आयात ऑस्ट्रेलिया से किया जाता है। कायले का उपयोग विद्युत उत्पादन के अलावा इस्पात कारखानों, रेलवे एवं ईंटों को पकाने में होता है। प्राकृतिक तेल एवं गैस का भी उर्जा में महत्त्वपूर्ण स्थान है। किन्तु भारत को कुल आवश्यकता का लगभग 80 प्रतिशत प्राकृतिक तेल एवं पेट्रोल का आयात करना पड़ता है।

(2) परिवहन – किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में परिवहन का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। परिवहन का महत्त्व आर्थिक एवं सामाजिक दोनों दृष्टिकोणों से होता है। भारत में परिवहन का विकास मुख्य रूप से व्यापारिक एवं प्रशासनिक सुविधाओं के दृष्टिकोण से किया गया था किन्तु स्वतन्त्रता के बाद पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान परिवहन का विस्तार सम्पूर्ण आर्थिक विकास को ध्यान में रखकर किया गया है। देश में परिवहन के साधनों के विकास को निम्न प्रकार से स्पष्ट कर सकते हैं

  1. रेल परिवहन
  2. सड़क परिवहन

(3) संचार – भारत में संचार व्यवस्था विश्व में सबसे बड़ी है। सर्वप्रथम देश में संचार सेवा की शुरूआत सन् 1837 में हुई किन्तु इन सेवाओं का विस्तार स्वतन्त्रता के बाद ही हुआ है। वर्ष 1991 से प्रारम्भ हुए आर्थिक सुधारों ने दूरसंचार सेवाओं में क्रान्तिकारी परिवर्तन किए। निजी क्षेत्र की भागीदारी ने इस क्षेत्र को अभूतपूर्व विस्तार दिया। जून 2015 तक देश में टेलीफोनों की संख्या 1007.4 मिलियन हो गई। मोबाइल सेट्स अब शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी बहुत लोकप्रिय हो गये हैं।

दूरसंचार सेवाओं के विस्तार के परिणामस्वरूप भारत अब ज्ञान आधारित समाज की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इण्टरनेट एवं ब्रॉडबैण्ड ग्राहकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। कम्प्यूटरों एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रचार-प्रसार ने डाक प्रणाली को भी आधुनिक बना दिया है। भारत ने उपग्रह प्रणाली विकसित कर ली है। इसका प्रयोग दूरसंचार के साथ-साथ मौसम की जानकारी, दूरदर्शन, आकाशवाणी आदि कार्यों में किया जाता है।

(4) बैंकिंग, बीमा एवं वित्त – तीव्र आर्थिक विकास के लिए बैंकिंग, बीमा एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं का महत्त्वपूर्ण स्थान है। वर्ष 1969 में प्रमुख बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद से ही देश में व्यापारिक बैंकों ने अभूतपूर्व प्रगति की है। वर्ष 2015 तक सभी सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की शाखाएँ बढ़कर लगभग 1,31,750 हजार हो गई हैं। इसके साथ ही देश में निजी क्षेत्र में भी अनेक व्यापारिक बैंक एवं वित्तीय संस्थाएँ कार्यरत् हैं। ये संस्थाएँ उद्योग एवं व्यापार के साथ-साथ घरेलू उपयोग हेतु व्यक्तिगत ऋण उपलब्ध कराती हैं। देश में सहकारी बैंकिंग व्यवस्था का भी तेजी से विस्तार हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी साख समितियाँ कृषि विकास हेतु ऋण उपलब्ध कराती हैं।

(5) शिक्षा एवं स्वास्थ्य – विकसित देशों का अनुभव यह दर्शाता है कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी सामाजिक अधोसंरचना के अभाव में आर्थिक विकास सम्भव नहीं है। पिछड़े एवं विकासशील देशों में संसाधनों के अभाव के कारण शिक्षा, प्रशिक्षण एवं स्वास्थ्य आदि पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है। भारत में भी इन सुविधाओं का विस्तार स्वतन्त्रता के बाद पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान हुआ है। भारत में प्रारम्भ से ही ‘सभी के लिए शिक्षा’ को केन्द्र में रखकर शिक्षा के विस्तार के विभिन्न कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया गया है। स्वतन्त्रता के बाद से ही सभी स्तर की शैक्षणिक संस्थाओं का तीव्र गति से विस्तार हुआ है। वर्तमान में देश में कुल 8.47 लाख प्राथमिक शालाएँ, 4.25 लाख माध्यमिक शालाएँ एवं 1.93 लाख उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं। इसके साथ देश में 3,694 व्यावसायिक शिक्षा संस्थान एवं 757 विश्वविद्यालय हैं। देश में शैक्षणिक संस्थाओं के विस्तार के कारण साक्षरता दर 2011 में 74 प्रतिशत हो गई जो 1951 में 18.33 प्रतिशत थी।
1 भारत 2016, पृष्ठ 222.

स्वतन्त्रता के पश्चात् सरकार ने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार पर विशेष जोर दिया है। देश में मलेरिया, तपेदिक, कुष्ठ रोग, एड्स, कैंसर और मानसिक विकृतियों जैसी बीमारियों को नियन्त्रित करने के विभिन्न कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जा रहा है। सन् 1951 में प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या केवल 725 थी जो बढ़कर वर्ष 2005 में 1.72 लाख हो गई। आधुनिक पद्धतियों के डॉक्टरों की संख्या इस अवधि में 0.62 लाख से बढ़कर 6.65 लाख हो गई है। देश में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार से जीवन प्रत्याशा में तीव्रता से वृद्धि हुई है। वर्ष 1951 में पुरुषों व महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 32.5 व 31.7 वर्ष थी जो 2012 में बढ़कर 65-4 व 68.8 वर्ष हो गई है।

(6) विदेशी व्यापार – वर्ष 2006 में जारी विश्व बैंक रिपोर्ट के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की 12वीं बड़ी अर्थव्यवस्था हो गई है। अर्थव्यवस्था के विकास में कृषि तथा उद्योगों के साथ-साथ आन्तरिक एवं विदेशी व्यापार का भी विशेष महत्त्व है। पिछले कुछ वर्षों में भारत का विदेशी व्यापार तीव्रता से बढ़ा है। वर्ष 2014-15 में ₹ 27,37,087 करोड़ का आयात एवं ₹ 18,96,348 करोड़ का निर्यात किया गया है। भारत मुख्य रूप से पेट्रोलियम पदार्थ, खाद्य तेल, रासायनिक पदार्थ, मशीनरी आदि का आयात करता है। इसके साथ ही खनिज पदार्थ, रत्न एवं आभूषण, सिले हुए वस्त्र, मछली, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर आदि का निर्यात करता है। भारत का विदेशी व्यापार मुख्यत: अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी एवं रूस से होता है।

प्रश्न 5.
शिक्षा एवं स्वास्थ्य का आर्थिक विकास में क्या योगदान है ? लिखिए।
उत्तर:
शिक्षा का योगदान-शिक्षा मानव के दृष्टिकोण को व्यापक बनाती है। शिक्षा के माध्यम से मनुष्य के नैतिक, बौद्धिक, मानसिक तथा शारीरिक गुणों का विकास किया जाता है। किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास में शिक्षा का उल्लेखनीय योगदान होता है। यद्यपि शिक्षा किसी स्थूल वस्तु का उत्पादन नहीं करती, किन्तु यह लोगों को उत्पादन कार्य के लिए अधिक कुशल बनाती है। इससे लोगों के ज्ञान में वृद्धि होती है जिससे उत्पादकता बढ़ती है। अतः शिक्षा पर निवेश से हमें उसी प्रकार के मूर्त आर्थिक परिणाम प्राप्त होते हैं जिस प्रकार एक कारखाने के निर्माण में निवेश करने से प्राप्त होते हैं। विभिन्न ग्रामीण के समाधान, जनसंख्या वृद्धि दर को कम करने, रूढ़ियुक्त होने तथा विश्व को वैज्ञानिक एवं तार्किक दृष्टिकोण से देखने व समझने के लिए भी शिक्षा अनिवार्य है। अतः किसी भी समाज में व्यापक व सूक्ष्म आर्थिक परिवर्तन लाने का सर्वाधिक सशक्त माध्यम शिक्षा है।

स्वास्थ्य का योगदान – स्वास्थ्य और व्यक्ति का विकास किसी भी राष्ट्र के सामाजिक एवं आर्थिक विकास का विभिन्न अंग होता है। स्वास्थ्य से मनुष्य की शारीरिक क्षमता का विकास होता है। स्वास्थ्य का सम्बन्ध मात्र रोग निवारण से न होकर शारीरिक एवं मानसिक सुख तथा कल्याण से है। देश की स्वस्थ जनंसख्या ही उत्पादन कार्य में प्रभावकारी भूमिका निभा सकती है। व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता एवं इच्छा पर स्वास्थ्य का प्रभाव पड़ता है और यह उत्पादकता को प्रभावित करती है। श्रमिक जब शारीरिक दृष्टि से कमजोर होगा या स्वस्थ नहीं होगा तब वह उत्पादन कार्य ठीक प्रकार से नहीं कर पायेगा और राष्ट्रीय उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए स्वास्थ्य सुविधाओं को अनिवार्य माना गया है।

प्रश्न 6.
भारत में सेवा क्षेत्र के विस्तार के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में सेवा क्षेत्र का विस्तार होने के कारण
भारतीय अर्थव्यवस्था के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि पिछले छः दशकों में यद्यपि सभी क्षेत्रों के उत्पादन में वृद्धि हुई है लेकिन तृतीयक क्षेत्र या सेवा क्षेत्र की भागीदारी सबसे अधिक रही। अब सेवा क्षेत्र राष्ट्र में सबसे बड़े उत्पादक एवं आय सृजक क्षेत्र के रूप में उभरा है। भारत में सेवा क्षेत्र के योगदान में तेजी से हुई। वृद्धि के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  1. सेवाओं का विस्तार।
  2. प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों का विस्तार।
  3. उपभोग में वृद्धि।
  4. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित वस्तुओं का प्रयोग।
  5. वैश्वीकरण का प्रभाव।

[नोट: विस्तृत विवेचन के लिए लघु उत्तरीय प्रश्न 4 का उत्तर देखें।]
1 आर्थिक समीक्षा 2015-16,A-99.

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय

प्रश्न 1.
‘स्वर्णिम चतुर्भुज’ का सम्बन्ध है –
(i) यातायात से
(ii) विज्ञान से
(iii) कृषि से
(iv) उद्योग से।
उत्तर:
(i) यातायात से

प्रश्न 2. (2012)
प्राथमिक क्षेत्र की गतिविधि है –
(i) गन्ने से शक्कर बनाना
(ii) मकान निर्माण
(iii) बैंकिंग
(iv) मछली पकड़ना।
उत्तर:
(iv) मछली पकड़ना।

प्रश्न 3.
भारत में रेल सेवा आरम्भ हुई (2015)
(i) 1853 ई. में
(ii) 1854 ई. में
(iii) 1856 ई. में
(iv) 1857 ई. में।
उत्तर:
(i) 1853 ई. में

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. ………………. क्षेत्र में प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण के द्वारा अनेक उपयोगी रूपों में परिवर्तित किया जाता है।
  2. रेल, सड़क और वायु परिवहन ………………. क्षेत्र में आते हैं।
  3. संचार सेवा की शुरुआत सन् ………………. में हुई ।

उत्तर:

  1. द्वितीयक
  2. तृतीयक
  3. 1837

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
अर्थव्यवस्था का तीन क्षेत्रों में विभाजन किया गया है। (2011)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था का तृतीयक क्षेत्र होता है। (2018)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3.
वर्ष 2005-06 में सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 52.4 प्रतिशत था। (2011)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
शिक्षा एवं स्वास्थ्य सामाजिक अधोरचना के अंग हैं। (2011)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
ऊर्जा आयोग का गठन मार्च, 1985 में किया गया। (2011)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 6.
कृषि प्राथमिक क्षेत्र के अन्तर्गत आती है। (2009, 17)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 7.
विकसित देशों के अधिकांश जनसंख्या प्राथमिक क्षेत्र से जुड़ी रहती है। (2012)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 8.
शिक्षक, डॉक्टर, वकील की सेवाएँ उत्पादन में प्रत्यक्ष रूप से योगदान देती हैं। (2012)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 9.
औद्योगिक क्षेत्र को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है। (2013)
उत्तर:
असत्य।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘अधोसंरचना’ किसे कहते हैं ? (2017)
उत्तर:
वे सुविधाएँ एवं क्रियाएँ जो उत्पादन के कार्यों में सहायक होती हैं, को अधोसंरचना कहा जाता है; जैसे-ऊर्जा; परिवहन के साधन, बाँध, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ आदि।

प्रश्न 2.
ज्ञान आधारित समाज किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वह समाज जिसमें सभी क्रियाएँ उपलब्ध ज्ञान के आधार पर संरचना होती हैं। दूरसंचार तकनीक के विस्तार से ज्ञान आधारित समाज की धारणा का विकास हुआ है।

प्रश्न 3.
‘दूरसंवेदी इकाई’ से क्या आशय है ?
उत्तर:
उपग्रहों के माध्यम से संचालित संचार सेवाएँ, भू-जल स्तर मापना, खनिज व पेट्रोलियम पदार्थों का पता लगाना, नक्शा तैयार करना, गुप्त जानकारियाँ आदि सेवाओं का क्रियान्वयन दूरसंवेदी इकाई के द्वारा होता है।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक आधारिक संरचना व आर्थिक आधारिक संरचना में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक आधारिक संरचना व आर्थिक आधारिक संरचना में अन्तर

सामाजिक आधारिक संरचना

  1. शिक्षा, प्रशिक्षण, शोध, स्वास्थ्य तथा आवास आदि सामाजिक संरचनाओं के घटक हैं।
  2. इन संरचनाओं का उद्देश्य मानव तथा उसके वातावरण को सुधारना है।
  3. ये संरचनाएँ प्रबन्धक, इंजीनियर आदि उपलब्ध कराती हैं।
  4. ये संरचनाएँ अर्थव्यवस्था को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
  5. ये आर्थिक संरचनाओं का आधार हैं।

आर्थिक आधारिक संरचना

  1. परिवहन, संचार, ऊर्जा तथा वित्तीय संस्थाएँ आर्थिक संरचना के घटक हैं।
  2. ये संरचनाएँ कृषि तथा औद्योगिक क्षेत्र की उत्पादकता में वृद्धि लाने वाला वातावरण तैयार करती हैं।
  3. ये संरचनाएँ व्यापार तथा उद्योग की बाधाओं को दूर करती हैं।
  4. ये संरचनाएँ अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
  5. ये सामाजिक संरचनाओं को विकसित करती हैं।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 18 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रेल परिवहन, सड़क परिवहन एवं जल परिवहन को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
रेल परिवहन – भारत में माल एवं सवारी की ढुलाई के लिए परिवहन का सबसे सुविधाजनक व सस्ता साधन रेलवे है। रेलवे का शुभारम्भ सन् 1853 में हुआ था जब प्रथम रेल बम्बई (मुम्बई) से थाणे तक चलाई गई। इसके बाद देश में रेलमार्गों का चहुंमुखी विकास हुआ। अब तक देश में कुल 66,030 किलोमीटर रेलमार्ग का निर्माण किया गया। फलतः अब भारतीय रेलवे एशिया की सबसे बड़ी एवं विश्व के दूसरे स्थान की रेल प्रणाली हो गयी है।

सड़क परिवहन – भारत एक गाँवों का देश है। अत: ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाने तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने की दृष्टि से सड़कों का महत्वपूर्ण स्थान है। देश में कुल 52.32 लाख किमी. लम्बी सड़कें हैं। वर्तमान में अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएँ क्रियान्वित की जा रही हैं जिनमें स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क योजना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सड़कों के तेजी से विस्तार के लिए निजी क्षेत्र को भी अब सड़कों के निर्माण कार्य में शामिल कर लिया गया है।

जल परिवहन – भारत की जल परिवहन प्रणाली दो प्रकार की है-प्रथम. आन्तरिक जल परिवहन व द्वितीय तटीय जल परिवहन आन्तरिक जल परिवहन गहरी नदियों एवं नहरों में होता है। इसमें नाव तथा स्टीमरों का प्रयोग होता है।

भारत का समुद्रतट 7517 किमी लम्बा है और इस पर 13 बड़े एवं 200 छोटे बन्दरगाह हैं। भारत का मुख्य विदेशी व्यापार बड़े बन्दरगाहों द्वारा होता है।
1 भारत 2017, पृष्ठ 735.

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 10 स्वतन्त्रता आन्दोलन में मध्य प्रदेश का योगदान

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 10 स्वतन्त्रता आन्दोलन में मध्य प्रदेश का योगदान

MP Board Class 10th Social Science Chapter 10 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 10 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
मध्य प्रदेश के किस स्वतन्त्रता सेनानी को राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ है ?
(i) डॉ. शंकरदयाल शर्मा
(ii) पं. सुन्दरलाल
(iii) पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र
(iv) पं. शम्भूनाथ शुक्ल
उत्तर:
(i) डॉ. शंकरदयाल शर्मा

प्रश्न 2.
भोपाल के विश्वविद्यालय का नाम किस स्वतन्त्रता सेनानी के नाम पर रखा गया है ?
(i) सेठ गोविन्ददास
(ii) बरकतउल्ला
(iii) हरीसिंह गौड़
(iv) रानी दुर्गावती।
उत्तर:
(ii) बरकतउल्ला

प्रश्न 3.
झण्डा सत्याग्रह मध्य प्रदेश के किस शहर से शुरू हुआ था ?
(i) इन्दौर
(ii) सागर
(iii) जबलपुर
(iv) भोपाल।
उत्तर:
(iii) जबलपुर

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. ग्राम ढीमरपुरा में हरिशंकर ब्रह्मचारी के नाम से ……………….. ने निवास किया था।
  2. रानी अवन्तीबाई ……………….. जिले के रामगढ़ की रानी थीं।
  3. रानी लक्ष्मीबाई ने ……………….. की मदद से ग्वालियर पर अधिकार किया था।

उत्तर:

  1. चन्द्रशेखर आजाद
  2. मण्डला
  3. तात्या टोपे।

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 10 स्वतन्त्रता आन्दोलन में मध्य प्रदेश का योगदान 1
उत्तर:

  1. → (घ)
  2. → (क)
  3. → (ख)
  4. → (ग)

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 10 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चन्द्रशेखर आजाद का जन्म कहाँ हुआ था ? उत्तर- चन्द्रशेखर आजाद का जन्म मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाभरा ग्राम में हुआ। प्रश्न 2. मध्य प्रदेश में स्थापित संस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान अनेक संस्थाओं ने आन्दोलन की गतिविधियों में संलग्न रहते हुए रचनात्मक कार्य भी किये। इनमें प्रमुख थे- ‘गुरुकुल’ 1929 (सतना), ‘हिन्दुस्तानी सेवा दल’ 1931, ‘चरखा संघ’ (रीवा), ‘ग्वालियर राज्य सेवा संघ’ तथा ‘हरिजन सेवक संघ’ 1935 (ग्वालियर), ‘लोक सेवा संघ’ 1939(खरगोन), ‘ग्राम सेवा कुटीर’ 1935(सेंधवा), ‘सेवा समिति’ (बेतूल), सेवामण्डल’ (रतलाम), ‘ज्ञान प्रकाश मण्डल’ (इन्दौर) आदि।

प्रश्न 3.
आजाद हिन्द फौज के किस सेनानी का सम्बन्ध शिवपुरी जिले से था ?
उत्तर:
कर्नल गुरुबक्श सिंह ढिल्लन जिन पर आजाद हिन्द फौज में कार्य करने के कारण अभियोग चला था, मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के निवासी थे।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 10 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय चेतना की जागृति हेतु प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्रों के नाम लिखिए। (2012, 15, 18)
उत्तर:
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय चेतना की वृद्धि के लिए अनेक कारकों का सहयोग रहा, जिसमें समाचार-पत्रों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। उस समय ऐसे अनेक समाचार-पत्र प्रकाशित हुए, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की अन्यायी एवं दमनकारी नीति से जनता को आन्दोलन के लिए प्रेरित किया। इनमें प्रमुख थे-‘कर्मवीर’, ‘अंकुश’, ‘सुबोध सिन्धु’ (खण्डवा), न्याय सुधा’ (हरदा), ‘आर्य वैभव’ (बुरहानपुर), ‘लोकमत’ (जबलपुर), ‘प्रजामण्डल पत्रिका’ (इन्दौर), ‘सरस्वती विलास’ (जबलपुर), साप्ताहिक आवाज’ एवं ‘सुबह वतन’ (भोपाल) आदि । ब्रिटिश शासन के प्रतिबन्धों के कारण जब समाचार-पत्र प्रकाशित नहीं हो सके, गुप्त रूप से बुलेटिन एवं परचों ने जनजागृति का कार्य किया।

प्रश्न 2.
असहयोग आन्दोलन में मध्य प्रदेश की जनता ने अपना सहयोग किस प्रकार दिया ? (2016)
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन में मध्य प्रदेश की जनता ने शराबबन्दी, तिलक स्वराज्य फण्ड, विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार, सरकारी शिक्षण संस्थाओं का त्याग कर राष्ट्रीय शिक्षा संस्थाओं की स्थापना, हथकरघा उद्योग की स्थापना जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में अपना योगदान दिया। वकीलों ने वकालत त्याग दी। जो वकील न्यायालय जाना चाहते थे, उन्होंने गांधी टोपी पहनकर न्यायालयों में प्रवेश किया। जिला समितियों ने शासकीय आज्ञाओं की अवहेलना कर भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराये जिससे लोगों की भय एवं अधीनता की मनोवृत्ति दूर हुई। इस आन्दोलन के समय साम्प्रदायिक सद्भावना की अभूतपूर्व मिसालें यहाँ देखने को मिली।

भोपाल, ग्वालियर, इन्दौर जैसी बड़ी-बड़ी रियासतों के अतिरिक्त छोटी रियासतों में भी असहयोग अन्दोलन के समय उत्साह दिखाई दिया। इस अवसर पर महात्मा गांधी जी ने छिन्दवाड़ा, जबलपुर, खण्डवा, सिवनी का दौरा कर जनता में अभूतपूर्व चेतना का संचार किया।

प्रश्न 3.
जंगल सत्याग्रह क्या था ? लिखिए। (2013)
उत्तर:
जंगल सत्याग्रह-सन् 1930 में जब महात्मा गांधी ने दाण्डी मार्च कर नमक सत्याग्रह शुरू किया था, तब सिवनी के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दुर्गाशंकर मेहता के नेतृत्व में जंगल सत्याग्रह चलाया। सिवनी से 9-10 मील दूर सरकारी चन्दन बगीचों के जंगलों में घास काटकर यह सत्याग्रह किया जा रहा था। इसी सिलसिले में 9 अक्टूबर, 1930 की सिवनी जिले के ग्राम दुरिया में सत्याग्रह की तारीख निश्चित हुई। पुलिस दरोगा ओर रेंजर ने सत्याग्रहियों का समर्थन करने आये जनसम्प्रदाय के साथ बहुत अभद्र व्यवहार किया जिससे जनता उत्तेजित हो उठी। सिवनी के डिप्टी कमिश्नर के इस हुक्म पर कि ‘टीच देम ए लेसन’, पुलिस ने गोली चला दी। घटनास्थल पर ही तीन आदिवासी महिलाएँ व एक पुरुष शहीद हो गए। इस घटना से मध्य प्रदेश के गिरिजन समुदाय में भी स्वतन्त्रता की ज्योति प्रज्ज्वलित होने का पुष्ट प्रमाण मिलता है। इन शहीदों के शवों को भी उनके परिवारीजनों को अन्तिम संस्कार के लिए नहीं दिया गया।

प्रश्न 4.
झण्डा सत्याग्रह किस प्रकार हुआ? वर्णन कीजिए। (2016)
अथवा
झण्डा सत्याग्रह को संक्षेप में लिखिए। (2017)
उत्तर:
झण्डा सत्याग्रह-राष्ट्रीय ध्वज किसी राष्ट्र की सम्प्रभुता, अस्मिता और गौरव का प्रतीक होता है। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दिनों में चरखायुक्त तिरंगे झण्डे को यह सम्मान प्राप्त रहा है। 1923 में इस ध्वज की आन-बान-शान को लेकर ऐसा प्रसंग आया जिसमें न केवल राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्पूर्ण राष्ट्र की श्रद्धा में वृद्धि हुई वरन् अंग्रेजी हुकूमत तक को उसे मान्य करने पर विवश होना पड़ा। इतिहास के इस स्वर्णिम अध्याय को ‘झण्डा सत्याग्रह’ के नाम से जाना जाता है। असहयोग आन्दोलन की तैयारी के लिए गठित कांग्रेस की समिति जबलपुर आई, जिसके नेता हकील अजमल खाँ थे। जबलपुर कांग्रेस कमेटी ने तय किया कि खाँ साहब को अभिनन्दन पत्र भेंट किया जायेगा और जबलपुर नगरपालिका भवन पर राष्ट्रीय तिरंगा झण्डा फहराया जायेगा। इससे ब्रिटिश डिप्टी कमिश्नर भड़क उठा। उसने पुलिस को तिरंगे झण्डे को उतारने व पैरों से कुचलने का हुक्म दिया जिसका परिणाम तीव्र जनाक्रोश के रूप में फूटा और आन्दोलन प्रारम्भ हो गया। विदेशी हुकूमत की अपमानजनक कार्यवाही के विरोध में पं. सुन्दरलाल, सुभद्रा कुमारी चौहान, नाथूराम मोदी, नरसिंहदास अग्रवाल आदि स्वयंसेवकों ने झण्डे के साथ जुलूस निकाला। पुलिस द्वारा सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। झण्डा सत्याग्रहियों की पहली टोली के पश्चात् दूसरी टोली ने जिसमें प्रेमचन्द, सीताराम जाधव, टोडरमल आदि थे, टाउन हॉल पर झण्डा फहरा दिया। यह आन्दोलन नागपुर तथा देश के अन्य भागों में फैला था।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 10 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 के संग्राम में मध्य प्रदेश क्षेत्र से सम्बन्धित सेनानियों के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1957 ई. की क्रान्ति में मध्य प्रदेश के सेनानियों का योगदान-1857 ई. की क्रान्ति का प्रारम्भ मध्य प्रदेश में महाकौशल क्षेत्र से उस समय हुआ जब एक भारतीय सैनिक ने अंग्रेजी सेना के एक अधिकारी पर प्राणघातक हमला किया था। इसके पश्चात् इस क्रान्ति का प्रारम्भ ग्वालियर, इन्दौर, भोपाल, सागर, जबलपुर, होशंगाबाद आदि में भी हुआ। मध्य प्रदेश में 1857 ई. की क्रान्ति में प्रमुख योगदान देने वाले क्रान्तिकारी तात्या टोपे, महारानी लक्ष्मीबाई, अवन्तीबाई, राणा बख्तावर सिंह, शहीद नारायण सिंह तथा ठाकुर रणमत सिंह आदि थे।

1857 ई. के क्रान्तिकारियों में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई तथा तात्या टोपे का नाम विशेष उल्लेखनीय है। रानी लक्ष्मीबाई ने देशभक्त सैनिकों का नेतृत्व करते हुए ब्रिटिश सैनिकों को भयभीत कर दिया। झाँसी हाथ से निकल जाने पर लक्ष्मीबाई अपने साथी तात्या टोपे की सहायता से ग्वालियर पर अधिकार करने में सफल हुईं। उन्होंने बड़े उत्साह से ग्वालियर की जनता को जागृत किया। जब ब्रिटिश सेना ने उनके किले को घेर लिया तो वे बड़े उत्साह से अपनी सेना का संचालन करती हुईं, युद्ध क्षेत्र में उतर पड़ीं, परन्तु ब्रिटिश सेना के आघात से वे घायल हो गईं और उनका स्वर्गवास हो गया। उनके समान ही तात्या टोपे ने भी ब्रिटिश सेनाओं से युद्ध किया परन्तु एक विश्वासघाती षड्यन्त्र के कारण अंग्रेजों ने उन्हें बन्दी बनाकर फाँसी पर लटका दिया।

प्रश्न 2.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन व भारत छोड़ो आन्दोलन का मध्य प्रदेश पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
सविनय अवज्ञा आन्दोलन का मध्य प्रदेश पर क्या प्रभाव पड़ा ? (2015)
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन

अप्रैल 1930 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश में सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ हुआ। 6 अप्रैल को जिस दिन गांधी जी ने दाण्डी में नमक कानून को तोड़ा, उसी दिन मध्य प्रदेश में आन्दोलन फैल गया। जबलपुर में सेठ गोविन्द दास और द्वारिका प्रसाद मिश्र के नेतृत्व में प्रदर्शन हुए। 8 अप्रैल को सीहोर, मण्डला, कटनी और दमोह में जुलूस निकले। मध्य प्रदेश में ऐसा कोई भी स्थान नहीं था जहाँ जनता ने सत्याग्रह में भाग न लिया हो। मध्य प्रदेश में जंगल कानून की अवज्ञा हुई। जंगल सत्याग्रह में आदिवासियों और ग्रामीण जनता ने तो खुलकर भाग लिया। पुलिस ने जंगल सत्याग्रहियों पर गोली चलायी। रियासतों की जनता ने भी गांधी द्वारा निर्देशित कार्यक्रम के अनुसार कानूनों की अवज्ञा की। नवयुवकों ने शिक्षा संस्थाओं को छोड़ दिया। सरकारी कर्मचारियों ने नौकरियाँ छोड़ दीं। स्त्रियों ने शराब की दुकानों पर धरने दिये। जैसे-जैसे आन्दोलन का विस्तार हुआ, सरकार ने दमन तीव्रता से किया, परन्तु इस आन्दोलन की महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि सरकार द्वारा आन्दोलन को दबाने के लिए हर सम्भव प्रयास करने के बावजूद सविनय अवज्ञा आन्दोलन का उत्साह कम नहीं हुआ।

14 जुलाई, 1933 को गांधीजी के निर्देश का सामूहिक सत्याग्रह बन्द हो गया। उसके पश्चात् व्यक्तिगत सत्याग्रह चलता रहा। मध्य प्रदेश के अनेक सेनानी सत्याग्रह करते रहे। आन्दोलन से प्रभावित अन्य स्थानों पर भी सरकार ने अनेक लोगों को बन्दी बनाया, लाठीचार्ज किया और आन्दोलन को कुचलने का प्रयास किया। उसके पश्चात् 1942 तक पूरे मध्य प्रदेश में रचनात्मक कार्य हुए तथा अलग-अलग घटनाओं ने राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रभावित किया।

भारत छोड़ो आन्दोलन

अगस्त 1942 में देश के राजनीतिक रंगमंच पर ‘भारत छोड़ो’ नामक ऐतिहासिक आन्दोलन की शुरुआत हुई। 8 अगस्त को भारत छोड़ो प्रस्ताव मुम्बई में होने वाली अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने पारित किया। 9 अगस्त को गांधीजी सहित सारे बड़े नेता बन्दी बनाये जा चुके थे। ऐसी स्थिति में रविशंकर शुक्ल, द्वारिकाप्रसाद मिश्र सहित सारे बड़े दमन के नग्न ताण्डव का सामना करने के लिए अपने प्रदेश वापस लौट आये। सम्पूर्ण मध्य प्रदेश में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध रोष की लहर फैल गयी थी और जनता अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध उठ खड़ी हुई। स्कूल-कॉलेज तथा कारखाने हड़तालों के कारण बन्द हो गये। जगह-जगह जुलूस निकाले गये और प्रदर्शन हुए। सरकार ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए सख्ती से काम लिया लेकिन जनता का उत्साह ठण्डा नहीं हुआ। उन्होंने ब्रिटिश गुलामी से मुक्ति पाने का संकल्प किया था। अतः आन्दोलन अधिक तीव्र हो गया। कई स्थानों पर पुलिस थाने, डाकखाने व रेलवे स्टेशन जला दिये। टेलीफोन के तार काट डाले गये और रेल की लाइनें उखाड़ दी गयीं। कुछ स्थानों पर आन्दोलनकारियों ने शहरों और कस्बों पर भी अधिकार कर लिया था जिससे अंग्रेजी सत्ता डगमगाने लगी थी।

अंग्रेजी सरकार ने आन्दोलन को दबाने का हरसम्भव प्रयास किया। प्रेस की स्वतन्त्रता समाप्त कर दी गयी, आन्दोलनकारियों से जेलें भर दी गयीं और निहत्थी जनता पर गोलियाँ बरसाई गयीं जिससे हजारों लोग जान से मारे गये। विद्रोही जनता को अनेक प्रकार की यातनाएँ दी गयीं। अन्त में सरकार इस आन्दोलन को दबाने में सफल हो गयी। यह सत्य है कि ब्रिटिश सरकार ने भारत छोड़ो आन्दोलन को निर्ममता से कुचल दिया था परन्तु इस आन्दोलन ने मध्य प्रदेश की जनता में जनजागृति उत्पन्न कर दी थी।

प्रश्न 3.
टिप्पणी लिखिए

(क) बरकतुल्लाह भोपाली
(ख) चन्द्रशेखर आजाद
(ग) कुँवर चैनसिंह
(घ) टंट्या भील
(ङ) वीरांगना अवन्तीबाई
(च) ठाकुर रणमत सिंह।

उत्तर:
(क) बरकतुल्लाह भोपाली
मोहम्मद बरकतुल्लाह भोपाली ने विदेशों में रहकर स्वतन्त्रता के लिए निरन्तर संघर्ष किया। काबुल में स्थापित की गई भारत की अन्तरिम सरकार (सन् 1915) में उन्हें प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया। मोहम्मद बरकतुल्लाह भोपाली ने अपने बेजोड़ साहस, देशभक्ति की अमिट लगन के साथ देश की आजादी के लिए कार्य किये। अमेरिका, जापान, काबुल में आजादी के संघर्ष में उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही।

(ख) चन्द्रशेखर आजाद
चन्द्रशेखर आजाद का जन्म मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाभरा ग्राम में हुआ। वे 14 वर्ष की अल्प में असहयोग आन्दोलन से जुड़े। गिरफ्तार होने पर अदालत में उन्होंने अपना नाम आजाद’, पिता का नाम ‘स्वतन्त्रता’ और घर का पता ‘जेलखाना’ बताया। तभी से चन्द्रशेखर के नाम के साथ ‘आजाद’ जुड़ गया।

क्रान्तिकारी विचारधारा के कारण वे लम्बे समय तक गांधीजी के मार्ग पर नहीं चल सके, वे क्रान्तिकारी श्रीगुप्त के सम्पर्क में आए और तदनन्तर पं. रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में उन्होंने युग की महान क्रान्तिकारी घटना काकोरी काण्ड’ में हिस्सा लिया। जब पुलिस ने आजाद का पीछा किया तो वे बचकर निकल गए।

उत्तर भारत की पुलिस आजाद के पीछे पड़ी हुई थी। दल के साथी विश्वासघात कर चुके थे, जिससे वे चिन्तित और क्षुब्ध थे। आजाद बचते-छिपते इलाहाबाद जा पहुँचे। 27 फरवरी, 1931 को वे अल्फ्रेड पार्क में बैठे हुए थे। दिन के दस बज रहे थे कि पुलिस ने उन्हें घेर लिया। दोनों ओर से गोलियाँ चलने लगीं। आजाद ने पुलिस के छक्के छुड़ा दिए और जब उनकी पिस्तौल में एक गोली बची थी तब उसे अपनी कनपटी पर दागकर शहीद हो गए।

(ग) कुँवर चैनसिंह
नरसिंहगढ़ के राजकुमार चैनसिंह को अंग्रेजों की सीहोर छावनी के पोलिटिकल एजेण्ट मैडाक ने अपमानित किया। इस पर चैनसिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष छेड़ दिया। सीहोर के वर्तमान तहसील चौराहे पर चैनसिंह तथा अंग्रेजों के बीच सन् 1824 में भीषण लड़ाई हुई। अपने मुट्ठीभर वीर साथियों सहित अंग्रेजी सेना से मुकाबला करते हुए चैनसिंह सीहोर के दशहरा बाग वाले मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए।

(घ) टंट्या भील
1857 के महासमर के बाद मध्य प्रदेश के पश्चिमी निमाड़ में टंट्या भील ब्रिटिश सरकार के लिए आतंक . का पर्याय था। उसके साथी दोपिया और बिजनिया भी उसकी क्रान्तिकारी गतिविधियों में सहभागी थे। वर्षों तक जनजीवन में घुले-मिले रहकर गुप्त ढंग से क्रान्तिकारी कार्यवाहियों को अन्जाम दिया उन्होंने ब्रिटिश सरकार को हिला दिया था। धोखे और षड्यन्त्रपूर्वक अंग्रेजों ने टंट्या को गिरफ्तार किया और उन्हें फाँसी पर लटका दिया। भीलों के बीच आज भी ट्टया प्रेरणास्वरूप मौजूद हैं।

(ङ) वीरांगना अवन्तीबाई
रानी अवन्तीबाई (राजा लक्ष्मण सिंह की पत्नी) रामगढ़ में एक अत्यन्त योग्य एवं कुशल महिला थीं जो अपने पुत्र के नाम पर राज्य का योग्य प्रबन्धन व संचालन कर सकती थी। लेकिन उस समय अंग्रेजों की हड़प नीति चरम सीमा पर थी। रानी ने अपना विरोध प्रकट करते हुए रामगढ़ से अंग्रेजों द्वारा नियुक्त अधिकारी को निकाल भगाया और अपने राज्य का शासनसूत्र अपने हाथ में ले लिया। साथ ही उन्होंने जिले के ठाकुरों और मालगुजारों से समर्थन हेतु सम्पर्क स्थापित किया। आस-पास के अनेक जमींदारों ने उन्हें सहायता देने का वचन दिया।

रानी सैनिक वस्त्र व तलवार धारण कर स्वयं अपने सैनिकों का रणक्षेत्र में नेतृत्व करती थी। अप्रैल 1858 में अंग्रेजों की सेना ने रामगढ़ पर दोनों ओर से आक्रमण किया, इस कारण रानी अपनी सेना सहित पास के जंगल में चली गई। वहाँ से रानी अंग्रेजों पर निरन्तर आक्रमण करती रहीं, परन्तु इनमें से एक आक्रमण घातक सिद्ध हुआ। जब उन्होंने देखा कि वह घिर गईं और उनका पकड़ा जाना निश्चित है तो उन्होंने वीरांगनाओं की गौरवशाली परम्परा के अनुरूप बन्दी होने की अपेक्षा मृत्यु को श्रेष्ठतर समझा और क्षणमात्र में अपने घोड़े से उतरकर अपने अंगरक्षक के हाथ से तलवार छीनकर उसे अपनी छाती में घोंप कर हँसते-हँसते मातृभूमि के लिए बलिदान दे दिया।

(च) ठाकुर रणमत सिंह
1857 में सतना जिले के मनकहरी गाँव के निवासी ठाकुर रणमत सिंह ने भी अंग्रेजों से जमकर संघर्ष किया। पोलिटिकल एजेण्ट की गतिविधियों से क्षुब्ध होकर ठाकुर रणमत सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध झण्डा उठाया, उन्होंने अपने साथियों के साथ चित्रकूट के जंगल में सैन्य संगठन का कार्य कर नागौद की अंग्रेज रेजीडेन्सी पर हमला कर दिया। वहाँ के रेजीमेण्ट भाग खड़े हुए। कुछ समय बाद नौगाँव छावनी पर भी धावा बोला एवं बरोधा में अंग्रेज सेना की एक टुकड़ी का सफाया कर डाला। ठाकुर रणमत सिंह पर 2,000 रु. का पुरस्कार घोषित किया गया। लम्बे समय तक अंग्रेजों से संघर्ष करने के पश्चात् जब रणमत सिंह अपने मित्र के घर विश्राम कर रहे थे, तब धोखे से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 1859 में फाँसी पर चढ़ा दिया गया।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 10 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 10 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चरणपादुका गोलीकाण्ड हुआ था
(i) 10 जनवरी, 1895
(ii) 14 जनवरी, 1931
(iii) 25 जनवरी, 1934
(iv) 14 फरवरी, 1938
उत्तर:
(ii) 14 जनवरी, 1931

प्रश्न 2.
राज्य प्रजामण्डल का गठन कब किया गया ?
(i) सन् 1943 में
(ii) 1941 में
(iii) सन् 1935 में
(iv) सन् 1932 में
उत्तर:
(i) सन् 1943 में

प्रश्न 3.
गुरिल्ला पद्धलि से अंग्रेजों से युद्ध किया
(i) राजा लक्ष्मन सिंह ने
(ii) बख्तावर सिंह ने
(iii) तात्या टोपे ने
(iv) गंजन सिंह कोरकू ने
उत्तर:
(iii) तात्या टोपे ने

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. मध्य प्रदेश के पश्चिमी निमाड़ में ……………… ब्रिटिश सरकार के लिए आतंक का पर्याय था।
  2. कर्नल गुरुबक्श सिंह ढिल्लन मध्य प्रदेश के ………………. जिले के निवासी थे।

उत्तर:

  1. टंट्या भील
  2. शिवपुरी।

सत्य/असत्य

प्रश्न  1.
रानी लक्ष्मीबाई का शहीद स्थल झाँसी में है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न  2.
राजा बख्तावर को इन्दौर में फाँसी दी गई।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न  3.
झण्डा आन्दोलन नागपुर तथा देश के अन्य भागों में फैल गया।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न  4.
चरणपादुका गोलीकाण्ड को मध्य प्रदेश का जलियाँवाला बाग के नाम से भी जाना जाता है। (2012)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न  5.
टंट्या भील ब्रिटिश सरकार के लिए आतंक का पर्याय था। (2013)
उत्तर:
सत्य

जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 10 स्वतन्त्रता आन्दोलन में मध्य प्रदेश का योगदान 2
उत्तर:

  1. → (ख)
  2. → (ग)
  3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
म. प्र. का ‘जलियाँवाला बाग’ किसे कहा जाता है ? (2009)
उत्तर:
चरणपादुका गोलीकाण्ड

प्रश्न 2.
मण्डला जिले के रामगढ़ की रानी का नाम लिखिए। (2009)
उत्तर:
रानी अवन्तीबाई

प्रश्न 3.
ठाकुर रणमत सिंह मध्य प्रदेश के किस जिले से सम्बन्धित थे ?
उत्तर:
सतना

प्रश्न 4.
भीलों के बीच आज भी प्रेरणास्वरूप याद किया जाता है ?
उत्तर:
टंट्या भील

प्रश्न 5.
चन्द्रशेखर आजाद की क्रान्तिकारी गतिविधियों का केन्द्र कौन-सा स्थान था ?
उत्तर:
नगर ओरछा

प्रश्न 6.
चन्द्रशेखर आजाद का जन्म कहाँ हुआ था? (2009, 13)
उत्तर:
मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाभरा ग्राम में।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 10 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय आन्दोलन किन स्थानों में अत्यधिक सक्रिय रहा ?
उत्तर:
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय आन्दोलन इन्दौर, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, रतलाम, धार तथा शिवपुरी स्थानों पर अत्यधिक सक्रिय रहा।

प्रश्न 2.
मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
तात्या टोपे, महारानी लक्ष्मीबाई, रानी अवन्तीबाई, राणा बख्ताबर सिंह, वीर नारायण तथा ठाकुर रणमत सिंह मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख नेता थे।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 10 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
घोड़ा-डोंगरी का जंगल सत्याग्रह की प्रमुख घटनाएँ बताइए।
उत्तर:
घोड़ा-डोंगरी का जंगल सत्याग्रह-आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिला स्वतन्त्रता आन्दोलन का प्रमुख केन्द्र रहा है और यहाँ के वनवासियों ने पराधीनता के विरुद्ध संघर्ष किया। सन् 1930 के जंगल सत्याग्रह के समय बैतूल के आदिवासी समुदाय ने आन्दोलन की मशाल थाम ली। शाहपुर के समीप बंजारी ढाल का गंजन सिंह कोरकू आदिवासियों का नेता था। जब पुलिस गंजन सिंह को गिरफ्तार करने बंजारी ढाल पहुँची तो आदिवासियों ने प्रबल प्रतिरोध खड़ा कर दिया। आदिवासियों पर पुलिस ने गोलियाँ बरसाईं, जिसमें कोमा गोंड घटनास्थल पर ही शहीद हो गया। गंजन सिंह पुलिस का घेरा तोड़कर निकल गया। उधर जम्बाड़ा में पुलिस की गिरफ्त से आदिवासियों को मुक्त कराने के लिए एकजुट भीड़ पर पुलिस के बर्बर बल प्रयोग में राम तथा मकडू गोंड शहीद हो गये।

प्रश्न 2.
चरणपादुका गोलीकाण्ड को बताइए।
उत्तर:
चरणपादुका गोलीकाण्ड-14 जनवरी, 1931 को मकर संक्रान्ति के दिन छतरपुर रियासत में उर्मिल नदी के किनारे चरणपादुका में स्वतन्त्रता सेनानियों की एक विशाल सभा चल रही थी। बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए थे। नौगाँव स्थित अंग्रेज पोलिटिकल एजेण्ट के हुक्म पर बिना किसी चेतावनी के भीड़ पर अन्धाधुन्ध गोलियाँ चला दी गई, जिसमें अनेक लोग मारे गये। मध्य प्रदेश का जलियाँवाला बाग कहे जाने वाले इस लोमहर्षक काण्ड में सरकार ने छः स्वतन्त्रता सेनानी-सेठ सुन्दरलाल, धरमदास खिरवा, चिरकू, हलके कुर्मी, रामलाल कुर्मी और रघुराज सिंह का पुलिस गोली से शहीद होना स्वीकारा।।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय आन्दोलन के समय मध्य प्रदेश की शासन व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय आन्दोलन के समय मध्य प्रदेश की शासन व्यवस्था-राष्ट्रीय आन्दोलन के समय मध्य प्रदेश दो प्रकार की शासन व्यवस्थाओं से संचालित रहा। जबलपुर, मण्डला, सागर, बैतूल, छिन्दवाड़ा, होशंगाबाद, खण्डवा और इनसे जुड़े हुए क्षेत्र सीधे ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत थे। ये क्षेत्र मध्य प्रान्त के अंग थे। ब्रिटिश शासन के अधीन इन क्षेत्रों में जनता अत्यधिक कष्ट में थी और राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के बाद इन स्थानों पर इसकी शाखाओं की स्थापना हुई। अतः राष्ट्रीय आन्दोलन में इन स्थानों पर अधिक सक्रियता दिखायी दी। वर्तमान मध्य प्रदेश के शेष भाग में देशी रियासतों का शासन था। इन्दौर, ग्वालियर, रीवा, देवास, भोपाल आदि अनेक स्थानों की देशी रियासतें अंग्रेजों के संरक्षण में थीं। 1857 की क्रान्ति के पश्चात् अंग्रेजों ने देशी रियासतों के शासकों के प्रति नरम नीति अपनायी। इसके अतिरिक्त रियासतों की जनता रियासती शासन व्यवस्था से अपेक्षाकृत सन्तुष्ट थी। अतः रियासतों में राष्ट्रीय आन्दोलन से सम्बन्धित गतिविधियाँ अपेक्षाकृत मन्द गति में रहीं।

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MP Board Class 10th Social Science Chapter 10 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय आन्दोलन किन स्थानों पर अधिक सक्रिय रहा ? एक लेख लिखिए।
उत्तर:
मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय आन्दोलन के मुख्य केन्द्र

जबलपुर – स्वाधीनता आन्दोलन में जबलपुर का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा। राबर्टसन कॉलेज के छात्र चिदम्बरम् पिल्लई तथा उसके साथियों ने यहाँ क्रान्तिकारी दल का संगठन किया। पिल्लई इतिहास प्रसिद्ध ‘कामा गाटा मारू’ काण्ड से सम्बन्धित थे। सन् 1916 एवं सन् 1917 में लोकमान्य तिलक जबलपुर आये थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी 1921 में जबलपुर आगमन हुआ। जबलपुर के नागरिकों ने स्वराजनिधि कोष के लिए 20,000 रुपये की धनराशि भेंट की थी। झण्डा सत्याग्रह का प्रारम्भ जबलपुर से ही हुआ था। नमक सत्याग्रह के समय सेठ गोविन्ददास व पण्डित द्वारिका प्रसाद ने जबलपुर में नमक का कानून तोड़ा। सन् 1942 के आन्दोलन में भी जबलपुर में हड़ताल की गई और जुलूस निकाले गए। सन् 1945 में जबलपुर में स्थित भारतीय सिगनल कोर के जवानों ने मुम्बई की रॉयल इण्डियन नेवी के विद्रोह की सहानुभूति के पक्ष में हड़ताल की और अपनी बैरकें छोड़कर बड़ा जुलूस निकाला।

इन्दौर – 20वीं शताब्दी के आरम्भ में राजनीतिक चेतना का नया दौर इन्दौर में शुरू हुआ। 1907 में ज्ञान प्रकाश मण्डल स्थापित किया गया, जिसमें राष्ट्रीय विचारों के प्रचार का काम प्रारम्भ किया। सन् 1918 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन का अधिवेशन गांधीजी की अध्यक्षता में इन्दौर में हुआ। गांधीजी की यात्रा से इन्दौर में राष्ट्रीय विचारों को बल मिला। कांग्रेस की शाखा की स्थापना इन्दौर में सन् 1920 में हुई। इन्दौर में स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग का प्रचार हुआ। कन्हैयालाल खादीवाला ने इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारत छोड़ो आन्दोलन में भी इन्दौर की जनता ने पूरे जोश के साथ भाग लिया। बड़ी संख्या में प्रजामण्डल, मजदूर संघ, कांग्रेस तथा महिला संगठनों के देशभक्त जेलों में बन्द रहे। जनता ने उग्र संघर्ष किया। सितम्बर 1947 में इन्दौर में उत्तरदायी शासन स्थापित हुआ।

भोपाल – सन् 1934 में भोपाल में राजनैतिक गतिविधियाँ आरम्भ हुईं। इसी वर्ष शाकिर अली खान ने ‘सुबहे वतन’ उर्दू साप्ताहिक और भोपाल राज्य की हिन्दू सभा ने ‘प्रजा पुकार’ हिन्दी साप्ताहिक निकाले। सन् 1938 में भोपाल के हिन्दू और मुसलमान नेताओं से मिलकर प्रजामण्डल की स्थापना की। सन् 1939 में गांधीजी भोपाल आये थे। सन् 1946 में प्रजामण्डल एवं भोपाल नवाब के बीच समझौता हो गया। सन् 1946 में ही भोपाल नगर में विलीनीकरण के समर्थन में जोर-शोर से आन्दोलन प्रारम्भ हुआ।

मास्टर लाल सिंह, डॉ. शंकरदयाल शर्मा, सूरजमल जैन, प्रेम श्रीवास्तव आदि की गिरफ्तारियाँ हुईं। इस आन्दोलन में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। शासन ने भारी यातनाएँ दीं। अत्याचारों के विरोध में 22 दिनों तक बाजारों में पूर्ण हड़ताल रही। बरेली, सीहोर, उदयपुरा आदि तहसीलों में आन्दोलन आग की तरह फैल गया। उदयपुरा तहसील में बोरासघाट में लोमहर्षक गोलीकाण्ड हुआ जिसमें चार वीर नवयुवक शहीद हो गये। इस घटना से तहलका मच गया। मन्त्रिमण्डल को भंग कर दिया गया। नवाब से चार माह वार्ता चलने के पश्चात् 1 जून, 1946 को भोपाल रियासत केन्द्र में विलीन हो गई।

विन्ध्य क्षेत्र – विन्ध्य क्षेत्र में रीवा राज्य राष्ट्रीय आन्दोलन में सबसे आगे रहा। सन् 1920 के कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन के पश्चात् बघेल खण्ड में कांग्रेस के संगठन का कार्य शुरू हुआ सविनय अवज्ञा आन्दोलन के समय रीवा के राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किये गये। सन् 1943 में राज्य प्रजामण्डल का गठन हुआ और छतरपुर में कार्यालय की स्थापना की गई भारत स्वतन्त्र होने के पश्चात् विन्ध्य क्षेत्र की रियासतों ने केन्द्रीय सरकार में विलीन होने के संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये।

ग्वालियर – ग्वालियर तो क्रान्तिकारियों का गढ़ था। सन् 1930 में ग्वालियर में विदेशी वस्त्र बहिष्कार संस्था बनायी गयी। विदेशों से हथियार प्राप्त कर क्रान्तिकारियों तक पहुँचाने के सम्बन्ध में सन् 1932 में ग्वालियर-गोवा षड्यन्त्र काण्ड हुआ इसमें बालकृष्ण शर्मा, गिरधारी सिंह, रामचन्द्र सरबटे, स्टीफन जोसेफ को दण्डित किया गया। सन् 1937 में राजनैतिक कारणों के लिए ग्वालियर राज्य सार्वजनिक सभा ने कार्य प्रारम्भ किया। सन् 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन का सार्वजनिक सभा ने समर्थन किया तथा विशाल प्रदर्शनी और हड़तालें कीं।

उपर्युक्त मुख्य स्थानों के अतिरिक्त अनेक छोटे-छोटे नगरों और कस्बों में राष्ट्रीय आन्दोलन तीव्रता से फैला जिनमें प्रमुख निम्न हैं-धमतरी, मण्डला, दमोह, नरसिंहपुर, झाबुआ, धार, मन्दसौर, भानपुर, छिन्दवाड़ा, सागर, ओरछा, रतलाम, विदिशा आदि।