MP Board Class 6th Special English Solutions Chapter 2 The Town Child

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MP Board Class 6th Special English Solutions Chapter 2 The Town Child

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The Town Child Text Book Exercise

Word Power

1. Arrange the words and fill in the crossword.

  1. l c u d o
  2. b a l m
  3. o w d s o
  4. e s l c t a
  5. o w m e d a

Class 6 English Chapter 2 Mp Board
Answer:

  1. Cloud
  2. Lamb
  3. Woods
  4. Castle
  5. Meadow

2. Fill in the blanks with the words from the box.
(feet, trams, street, lambs, go, row)

  1. I live in the town
    In a…………. ;
  2. It is crowded with traffic
    And ………… ;
  3. There are buses and motors.
    And ………. ;
  4. I wish there were meadows
    And ………. ;
  5. The houses all wait
    In a ……….. ;
  6. There is smoke everywhere
    That I …………

Answer:

  1. street
  2. feet
  3. trams
  4. lambs
  5. row
  6. go.

Comprehension

Answer these questions:

Class 6 English Chapter 2 The Town Child MP Board Question 1.
Where does the town child live?
Answer:
The town child lives in a town.

The Town Child Poem Questions And Answers MP Board Class 6 Question 2.
Why does he not like his street?
Answer:
He does not like his street for its being too noisy.

The Town Child Is About His Life In The Town MP Board Class 6 Question 3.
What does he wish to have in the town?
Answer:
He wishes to have forest, pastures and lambs in the town.

The Town Child Question Answer MP Board Class 6 Question 4.
What is the one thing that he loves?
Answer:
The only thing that he loves is the sky which is far above.

Class 6th English Chapter 2 The Town Child MP Board Question 5.
Why does he love it?
Answer:
He loves the sky because there is plenty of rooms there not for clouds only but for him also.

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MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत

जीव जगत NCERT प्रश्नोत्तर

जीव जगत में विविधता Class 11 MP Board Chapter 1 प्रश्न 1.
जीवों को वर्गीकृत क्यों करते हैं ?
उत्तर:
जैव-वर्गीकरण का उद्देश्य बड़ी संख्या में ज्ञात पादपों और जन्तुओं को ऐसे वर्गों में व्यवस्थित करना है, कि उन्हें नाम प्रदान किया जा सके एवं अध्ययन में सरलता हो। जीवों को वर्गीकृत करने से निम्नलिखित लाभ हैं –

  1. इसके कारण विश्व के विविध प्रकार, असंख्य जीवों के अध्ययन में सुविधा होती है।
  2. इसके कारण जन्तु पादपों के सम्बन्धों का पता चलता है।
  3. इसके कारण जीवों को पहचानने में सरलता होती है।
  4. जीवों की उत्पत्ति तथा दूसरे जीवों से सम्बन्ध का पता चलता है।
  5. इसके कारण जीवों के विकास के क्रम एवं प्रमाण का पता लगता है।

जीव जगत के प्रश्न उत्तर MP Board Chapter 1 प्रश्न 2.
वर्गीकरण प्रणाली को बार-बार क्यों बदलते हैं ?
उत्तर:
वर्गीकरण प्रणाली को बार-बार बदलने का प्रमुख कारण जैव – विकास है। जीवों में सतत् चलने वाली विकास प्रक्रिया के कारण नई-नई विभिन्न प्रजातियों के पादप एवं जन्तु पहले से मौजूद जीव-विविधता (Bio – diversity) से जुड़ते जाते हैं। इन नवीन जीवों को पहचानकर वर्गीकरण प्रणाली से संबद्ध किया जाता है। विकास के कारण पादप एवं जन्तुओं की जातियाँ (Species) बदलती रहती हैं। अत: इसके कारण प्रचलित वर्गीकरण प्रणाली को परिवर्तित कर जीवों को उनके क्रम में रखना पड़ता है।

Jeev Jagat Mein Vividhta MP Board Chapter 1 प्रश्न 3.
जिन लोगों से प्रायः आप मिलते रहते हैं, आप उन्हें किस आधार पर वर्गीकृत करना पसंद करेंगे?(संकेत-ड्रेस, मातृभाषा, प्रदेश जिसमें वे रहते हैं, आर्थिक स्तर आदि)।
उत्तर:
सबसे पहले हम मातृभाषा के आधार पर अपने से मिलने वाले लोगों का वर्गीकरण करते हैं, उसके पश्चात् प्रदेश जहाँ वह रहता है तथा अन्त में उसकी वेशभूषा, धर्म, जाति, शारीरिक रंगरूप की बनावट, आर्थिक स्थिति के आधार पर हम वर्गीकृत करना पसंद करेंगे।

जीव जगत कक्षा 11 MP Board Chapter 1 प्रश्न 4.
व्यष्टि तथा समष्टि की पहचान से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
व्यष्टि (Individual) तथा समष्टि (Population) की पहचान से वर्तमान के सभी जीवों के परस्पर संबंधों के बारे में जानकारी मिलती है। इसमें हमें समान प्रकार के जीवों तथा अन्य प्रकार के जीवों में समानता तथा विभिन्नता को पहचानने में मदद मिलती है। उदाहरण-आलू की दो विभिन्न जातियाँ (Species) हैं –

जीव जगत में विविधता Class 11 MP Board Chapter 1

Mp Board Solution Class 11 Biology प्रश्न 5.
आम का वैज्ञानिक नाम निम्नलिखित है-इसमें से कौन-सा सही है? मैगिफेरा इंडिका (Mangifera indica) या मैंगिफेरा इंडिका (Mangifera indica)
उत्तर:
आम के वैज्ञानिक नाम को लिखने की सही विधि है-मैगिफेरा इंडिका (Mangifera indica)।

प्रश्न 6.
टैक्सॉन की परिभाषा दीजिए। विभिन्न पदानुक्रम स्तर पर टैक्सा के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
टैक्सॉन (Taxon) जीवों का एक समूह है जो कि किसी भी स्तर की वर्गिकी पदानुक्रम (Hierarchical classification) में पाया जाता है। टैक्सॉन मुख्यत: जीवों के समान लक्षणों पर आधारित होता है।

उदाहरण:
कीट, संघ ऑर्थोपोडा के एक वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। सभी कीटों में एक समान लक्षण तीन जोड़ी युग्मित उपांग पाये जाते हैं। टैक्सा के प्रमुख उदाहरण हैं – जगत, संघ, वर्ग, गण, कुल, जाति एवं वंश। ये सभी टैक्सा (संवर्ग) मिलकर वर्गिकी पदानुक्रम बनाते हैं।

उदाहरण – मनुष्य का टैक्सा (संवर्ग) है –

  1. संघ – कॉर्डेटा
  2. वर्ग – स्तनधारी
  3. गण – प्राइमेट्स
  4. कुल – होमिनिडी
  5. वंश – होमो
  6. जाति – सैपियन्स।

प्रश्न 7.
क्या आप वर्गिकी संवर्ग का सही क्रम पहचान सकते हैं –
(अ) जाति (स्पीशीज) → गण ( ऑर्डर) → संघ (फाइलम) → जगत (किंगडम)
(ब) वंश (जीनस) → जाति → गण → जगत
(स) जाति → वंश → गण → संघ।
उत्तर:
वर्गिकी संवर्ग (Taxonomical categories) का सही क्रम है –
(स) जाति → वंश → गण → संघ।

प्रश्न 8.
जाति शब्द के सभी मानवीय वर्तमान कालिक अर्थों को एकत्र कीजिए। क्या आप अपने शिक्षक से उच्च कोटि के पौधों तथा प्राणियों तथा बैक्टीरिया की स्पीशीज का अर्थ जानने के लिए चर्चा कर सकते हैं ?
उत्तर:
जाति वर्गीकरण की सबसे छोटी इकाई है। मेयर (1942) के अनुसार, “जाति आपस में संकरण या संयोग करने वाले एक समान जीवों का समूह है।” आधुनिक विचारधारा के अनुसार, निम्नलिखित लक्षण वाले जीवों को जाति (Species) कहते हैं –

  1. इनके सदस्यों में अन्तरा प्रजनन की क्षमता पायी जाती है।
  2. इस समूह या आबादी में एक समान जीन पूल (जीन समूह) पाया जाता है।
  3. प्रत्येक जाति में वातावरण के साथ अनुकूलन एवं प्राकृतिक चयन चलता रहता है।
  4. प्रत्येक जाति में जैव विकास के द्वारा नयी जाति पैदा करने की क्षमता पायी जाती है।
  5. प्रत्येक जाति में पृथक्करण के कुछ ऐसे कारक पाये जाते हैं, जो निकट सम्बन्धी जाति के सदस्यों से प्रजनन करने में रुकावट पैदा करते हैं।

मैंगिफेरा इंडिका (आम), सोलेनम ट्यूबरोसम (आलू), तथा पैंथेरा लियो (शेर) उच्चकोटि के पौधे तथा प्राणी के उदाहरण हैं। इन सभी नामों में ” इंडिका, ट्यूबरोसम'” तथा “लियों” जाति संकेत के पद हैं। जबकि पहले शब्द ” मैंगिफेरा’, “सोलेनम” तथा ” पैंथेरा” वंश के नाम हैं और यह टैक्सा अथवा संवर्ग का भी निरुपण करते हैं। प्रत्येक वंश में एक अथवा एक से अधिक जाति के संकेत पद हो सकते हैं जो विभिन्न जीवों जिनमें आकारिकी गुण समान हों को प्रदर्शित करते हैं। उदाहरणार्थ “पैंथेरा” में एक अन्य जाति संकेत पद है जिसे टिग्रिस कहते हैं। सोलेनेम’ वंश में नाइग्रम, मैलान्जेना भी आते हैं। लेकिन बैक्टीरिया को उनके आकार के आधार पर चार वर्ग समूहों में रखा जाता है-गोलाकार, छड़नुमा, कॉमा एवं तर्कुरूपी। अतः इस प्रकार का अर्थ उच्च जीवों के लिए है, बैक्टीरिया के लिए अलग-अलग है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित शब्दों को समझाइए तथा परिभाषित कीजिए –

  1. संघ
  2. वर्ग
  3. कुल
  4. गण
  5. वंश।

उत्तर:
वर्गीकरण की पदानुक्रमी स्तरें:
जीवों का वर्गीकरण करते समय अध्ययन की सुविधा के लिए इन्हें कई छोटे-बड़े समूहों में रखा गया है, जिन्हें संवर्ग या श्रेणी (Category) कहा जाता है। इन संवर्गों का वर्गीकरण में एक निश्चित स्थान होता है और इन्हें इनके गुणों के आधार पर बढ़ते हुए क्रम में रखा जाता है। इसी क्रम को वर्गीकरण का पदानुक्रम (Hierarchy) कहते हैं। इस पदानुक्रम की सबसे छोटी इकाई जाति तथा बड़ी इकाई जगत है। वर्गीकरण में संवर्गों का क्रम निम्नानुसार होता है –

1. जाति:
यह वर्गीकरण की मूल तथा बहुत छोटी इकाई है। वर्गीकरण की इस इकाई में आपस में संकरण करने वाले जीवों के समूह को रखा जाता है जैसे-सभी प्रकार के मानवों को होमो सैपियन्स में रखा जाता है, जबकि वे बाह्य आकार में विविधता प्रदर्शित करते हैं।

2. वंश:
कुछ एक समान गुणों को प्रदर्शित करने वाली जातियों को एक वंश में रखा जाता है, जैसेशेर, बाघ, चीता को एक वंश पैंथेरा में रखा गया है।

3. कुल:
कुछ एक समान गुणों वाले वंशों को एक कुल में रखते हैं। जैसे-सभी दालों का प्रतिनिधित्व करने वाले पादपों को एक कुल पैपीलियोनेसी में रखा जाता है।

4. गण:
एक या कई मिलते-जुलते गुणों वाले कुलों को एक गण में रखा जाता है। जैसे-जन्तुओं के फेलिडी तथा कैनिडी कुल को कार्निवोरा गण में रखा जाता है।

5. वर्ग:
कुछ सर्वश्रेष्ठ गुणों वाले गणों को एक वर्ग में रखा जाता है।

6. संघ:
कुछ सर्वनिष्ठ गुणों वाले वर्गों को एक संघ में रखा जाता है। जैसे-नोटोकॉड, नर्वकॉर्ड तथा गिल की उपस्थिति के कारण मत्स्य, ऐम्फिबिया, सरीसृप, पक्षी एवं स्तनी वर्ग को संघ कॉर्डेटा में रखा जाता है।

7. जगत:
कई सर्वनिष्ठ गुणों वाले संघों को एक जगत में रखा जाता है। उपर्युक्त वर्णित संवर्ग मुख्य संवर्ग हैं, इन्हें आवश्यकतानुसार कई छोटे संवर्गों में भी बाँटा जाता है।

प्रश्न 10.
जीव के वर्गीकरण तथा पहचान में कुंजी किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर:
पादपों एवं जन्तुओं को पहचानने की रूपरेखा कुंजी (Key) है। वर्गिकी की कुंजियाँ विपरीत लक्षणों पर आधारित होती हैं। कुल, वंश और जाति जैसी वर्गिकी की प्रत्येक श्रेणी के लिए अलग अलग वर्गिक की कुंजियों की आवश्यकता होती है। यह अज्ञात जीवों की पहचान के लिए अधिक उपयोगी होती है। कुंजियाँ दो प्रकार की होती हैं –

  1. दोहरे प्रलेखधारी अथवा द्विशाखित (Yolked)
  2. कोष्ठधारी कुंजी (Bracketed key)।

1. द्विशाखित कुंजी:
यह एक अन्य साधन सामग्री है, जिसका प्रयोग समानताओं और असमानताओं पर आधारित होकर पौधों तथा प्राणियों की पहचान में किया जाता है।

2. कोष्ठधारी कुंजी:
यह कुंजी विपर्यायी लक्षणों (Contrasting:characters), जो प्रायः युग्मों के आधार पर होती है। कुंजी दो विपरीत विकल्पों को चुनने को दिखाती है। इसके परिणामस्वरूप एक को मान्यता तथा दूसरे को अमान्य किया जाता है।

कुंजी में प्रत्येक कथन मार्गदर्शन का कार्य करता है। पहचानने के लिए प्रत्येक वर्गिकी संवर्ग जैसे-कुल, वंश, तथा जाति के लिए अलग-अलग वर्गिकी कुंजी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 11.
पौधों तथा प्राणियों के उचित उदाहरण देते हुए वर्गिकी पदानुक्रम का चित्रण कीजिए।
उत्तर:
वर्गीकरण (Classification) एकल सोपान प्रक्रम नहीं है बल्कि इसमें पदानुक्रम (Hierarchy) सोपान होते हैं जिसमें प्रत्येक सोपान पद (Rank) अथवा संवर्ग (Category) को प्रदर्शित करता है। चूंकि संवर्ग समस्त वर्गिकी व्यवस्था है इसलिए इसे वर्गीकरण संवर्ग (Taxonomic categories) कहते हैं और सभी संवर्ग मिलकर वर्गिकी पदानुक्रम (Taxonomic hierarchy) बनाते हैं। प्रत्येक संवर्ग वर्गीकरण की एक इकाई को प्रदर्शित करता है, इसे प्रायः वर्गक या टैक्सॉन (Taxon) कहते हैं।

सभी ज्ञात जीवों के वर्गीकीय अध्ययन से सामान्य संवर्ग जैसे-जगत (Kingdom), संघ (Phylum), वर्ग (Class), गण (Order), कुल (Family), वंश (Genus) तथा जाति (Species) का विकास हुआ। पौधे तथा प्राणियों, दोनों में जाति (Species) सबसे निचले संवर्ग में आती है। किसी भी जीव को विभिन्न संवर्गों में रखने के लिए उनके वर्ग के गुणों का ज्ञान होना आवश्यक है। जाति से लेकर जगत तक विभिन्न वर्गिकी संवर्ग को आरोही क्रम में निम्नानुसार दर्शाया जा सकता है –

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत - 4

उपरोक्त पदानुक्रम अनुसार, जैसे – जैसे हम जाति से जगत की ओर ऊपर जाते हैं वैसे ही समान गुणों में कमी आती जाती है। सबसे नीचे जो टैक्सा होगा, उसके सदस्यों में सबसे अधिक समान गुण होंगे।

तालिका – वर्गिकी संवर्ग सहित कुछ जीव
(Organisms with their Taxanomic Categories)
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत - 5

जीव जगत अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

जीव जगत वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

1. सजीव जब अपने शत्रुओं से बचने के लिए स्वयं को उस परिस्थिति के अनुसार ढाल लेता है, उसे कहते हैं –
(a) अनुकूलन
(b) मिमिक्री
(c) हीमोलॉजी
(d) एनोलॉजी।
उत्तर:
(a) अनुकूलन

2. जीवों में ऊर्जा प्रवाह तथा ऊर्जा के रूपान्तरण में किस नियम का पालन होता है –
(a) सीमित कारक का नियम
(b) ऊष्मागतिक का नियम
(c) लिबिंग्स के न्यूनतता का नियम
(d) बायोजेनिक के नियम।
उत्तर:
(b) ऊष्मागतिक का नियम

3. बाहरी वातावरण में बदलाव के बाद भी जीवों में उचित आंतरिक अवस्था को बनाए रखना कहलाता है –
(a) एन्थैल्पी
(b) साम्यावस्था
(c) एन्ट्रॉपी
(d) स्थायी अवस्था।
उत्तर:
(b) साम्यावस्था

4. ग्लाइकोजन बहुलक है –
(a) ग्लैक्टोज
(b) ग्लूकोज
(c) फ्रक्टोज
(d) सुक्रोज।
उत्तर:
(b) ग्लूकोज

5. एक ऑर्किड का पुष्य किसी कीट के मादा के समान दिखाई देता है ताकि उसमें परागण क्रिया आसानी से हो सके, यह घटना कहलाती है-
(a) मिमिक्रीम
(b) स्यूडोकॉपुलेशन
(c) स्यूडोपॉलीनेशन
(d) स्यूडोकार्पोनोकाी।
उत्तर:
(a) मिमिक्रीम

6. जीवन की सबसे छोटी इकाई है –
(a) DNA
(b)RNA
(c) कोशिका
(d) प्रोटीन।
उत्तर:
(a) DNA

7. निम्न में से किसे होमियोस्टेसिस या साम्यावस्था कहते हैं –
(a) वातावरण के साथ बदलाव लाना
(b) नियंत्रण में बदलाव
(c) बदलाव का प्रतिरोध करना
(d) पादप एवं जन्तु रस का होम्योपैथी उपयोग।
उत्तर:
(b) नियंत्रण में बदलाव

8. शरीर का तापक्रम किसके द्वारा नियंत्रित होता है –
(a) फेफड़ा, पेशी तथा त्वचा
(b) केवल त्वचा
(c) परिसंचरण तंत्र
(d) कंकाल तंत्र।
उत्तर:
(a) फेफड़ा, पेशी तथा त्वचा

9. पसीना बहने का उद्देश्य होता है –
(a) त्वचा पर उपस्थित जीवाणुओं को मारना
(b) शरीर के ताप का नियमन
(c) अधिक लवण का निष्कासन
(d) अधिक जल का निष्कासन।
उत्तर:
(b) शरीर के ताप का नियमन

10. आयोडीन किसका घटक होता है –
(a) नाइट्रेट रिडक्टेज
(b) थायरॉक्सीन हॉर्मोन्स
(c) TSH हॉर्मोन्स
(d) नाइट्रोजिनेज।
उत्तर:
(b) थायरॉक्सीन हॉर्मोन्स

11. जीवित कोशिकाओं के लिए कौन-सा सही है –
(a) पहले ऊर्जा का स्थानांतरण तब ऊर्जा का रूपान्तरण
(b) पहले ऊर्जा का रूपान्तरण तब स्थानांतरण
(c) दोनों का साथ-साथ होना
(d) दोनों का लगातार होना।
उत्तर:
(d) दोनों का लगातार होना।

12. जीवों के सामान्य लक्षण होते हैं –
(a) कोशिकीय संरचना
(b) उपापचय
(c) श्वसन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

13. जीवों की आधारभूत आवश्यकता होती है –
(a) विकास
(b) क्रम
(c) ऊर्जा
(d) वृद्धि।
उत्तर:
(c) ऊर्जा

14. निम्न में से स्टोरेज पॉलीसैकेराइड है –
(a) सुक्रोज
(b) सेल्युलोज
(c) स्टार्च
(d) स्टार्च एवं ग्लाइकोजन।
उत्तर:
(d) स्टार्च एवं ग्लाइकोजन।

15. जहाँ पर पौधों के नमूने एकत्रित करके रखे जाते हैं, उस स्थान को कहा जाता है –
(a) हरियम
(b) संग्रहालय
(c) वनस्पति उद्यान
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) हरियम

16. जिस स्थान पर जीवित पौधों का संग्रहण किया जाता है, उसे कहा जाता है –
(a) वनस्पति उद्यान
(b) संग्रहालय
(c) हर्बेरियम
(d) जूलॉजिकल पार्क।
उत्तर:
(a) वनस्पति उद्यान

17. जिन स्थानों पर जीवित प्राणी रखे जाते हैं, उसे कहा जाता है –
(a) संग्रहालय
(b) जूलॉजिकल पार्क
(c) वनस्पति उद्यान
(d) हर्बेरियम।
उत्तर:
(b) जूलॉजिकल पार्क

18. जीवधारियों को वैज्ञानिक नाम दिये जाते हैं, क्योंकि –
(a) प्रत्येक तकनीकी ज्ञान की शाखा की अपनी शब्दावली होती है
(b) वैज्ञानिक लोगों पर अपना अमिट प्रभाव डालना चाहते थे
(c) वैज्ञानिक नहीं चाहते थे कि आम आदमी जीव विज्ञान पढ़ सके
(d) बिना किसी संशय के वैज्ञानिकों में विचार-विनिमय हो सके।
उत्तर:
(d) बिना किसी संशय के वैज्ञानिकों में विचार-विनिमय हो सके।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. त्वचा का धूप में काला होना ………….. अनुकूलन है।
  2. जैव संगठन का सूक्ष्मतम जैविक स्तर …………. है।
  3. जीवन का भौतिक आधार …………… है।
  4. समष्टि के कुल जीन समूह को …………… कहते हैं।
  5. वह तंत्र जिसमें पदार्थों का विनिमय वातावरणीय परिवेश से नहीं होता ………….. कहलाता है।
  6. ………….. जीवधारियों के शरीर में होने वाली समस्त क्रियाओं के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराता है।
  7. जीवधारियों में वातावरण के अनुसार परिवर्तित होने की क्रिया …………… कहलाती है।
  8. ………….. पदार्थ की सबसे छोटी इकाई है, जो सबसे छोटी जैविक इकाई का निर्माण करता है।
  9. जीवों के शरीर में पाये जाने वाली समस्त क्रियाओं को सामूहिक रूप से …………… कहते हैं।
  10. जीवों में पाये जाने वाले स्थिर अवस्था को …………… कहते हैं।

उत्तर:

  1. अल्पकालिक
  2. आण्विक स्तर
  3. जीवद्रव्य
  4. जीन पूल
  5. बंद तंत्र
  6. ATP
  7. अनुकूलन
  8. परमाण
  9. उपापचय
  10. साम्यावस्था।

प्रश्न 3.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –

  1. ऊतकों व अंग तंत्रों की कार्यक्षमता में बढ़ती उम्र के कारण होने वाले ह्रास को क्या कहते हैं ?
  2. जैव-संगठन के उच्चतम स्तर का नाम लिखिए।
  3. जीवों में आनुवंशिक अणु किसे कहते हैं ?
  4. वातावरण के परिवर्तन को जीवों द्वारा अनुभव करने की क्षमता को क्या कहते हैं ?
  5. जैव-मण्डल के अपघटक जीवों का नाम दीजिए।

उत्तर:

  1. वयता या जरण
  2. जीव जगत (समष्टि)
  3. D.N.A.
  4. संवेदनशीलता
  5. विषाणु, जीवाणु, कवक (सूक्ष्मजीव)।

प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत -1

उत्तर:

  1. (c) जनन क्रिया न होने से
  2. (d) वृद्धि
  3. (a) स्टार्च व मंड के रूप में संग्रहण
  4. (b) जल

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत -2
उत्तर:

  1. (c) वंश
  2. (e) कुल
  3. (d) गण
  4. (a) जगत
  5. (b) संघ

प्रश्न 5.
सत्य / असत्य बताइये –

  1. पौधे तथा प्राणियों दोनों में जाति (Species) सबसे निचले संवर्ग में आती है।
  2. जीवों के वर्ग जिसमें मौलिक समानता होती है, उसे जाति कहते हैं।
  3. मानव का वैज्ञानिक नाम “मैंगिफेरा इंडिका’ है।
  4. वंश (Genus) समीपस्थ संबंधित जातियों का समूह है।
  5. कुल (Family) के वर्गीकरण का आधार पौधों के कायिक तथा जनन गुण हैं।
  6. वर्ग (Class) संवर्ग में प्राइमेट गण जिसमें बंदर, गोरिल्ला तथा गिब्बन आते हैं।
  7. मानव का वर्ग इंसेक्टा है।
  8. कुंजी में प्रत्येक कथन मार्गदर्शन का कार्य करता है। पहचानने के लिए प्रत्येक वर्गिकी संवर्ग जैसे – कुल, वंश, तथा जाति के लिए अलग, वर्गिकी कुंजी की आवश्यकता होती है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. सत्य
  6. सत्य
  7. असत्य
  8. सत्य।

जीव जगत अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्गीकरण विज्ञान का जनक किसे कहा जाता है?
उत्तर:
कैरोलस लिनीयस (1707 – 1778) को वर्गीकरण विज्ञान का जनक कहा जाता है।

प्रश्न 2.
स्वयंपोषी से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
वे जीव, जो अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, उन्हें स्वयंपोषी जीव कहते हैं। उदाहरण – समस्त हरे पौधे।

प्रश्न 3.
पाँच जगत वर्गीकरण के प्रणेता कौन हैं ?
उत्तर:
पाँच जगत वर्गीकरण के प्रणेता आर. एच. ह्विटैकर (1969) हैं।

प्रश्न 4.
जाति किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मेयर (1942) के अनुसार, “आपस में संकरण करने वाले जीवों के समूह को जाति (Species) कहते हैं।”

प्रश्न 5.
वर्गीकरण की प्राकृतिक पद्धति क्या है ?
उत्तर:
वर्गीकरण वह पद्धति है, जिसमें गुणों के एक विस्तृत समूह को वर्गीकरण का आधार बनाया जाता है।

प्रश्न 6.
वर्गीकरण की कृत्रिम पद्धति क्या है ?
उत्तर:
वर्गीकरण की वह पद्धति जिसमें एक या कुछ गुणों को वर्गीकरण का आधार बनाया जाता है कृत्रिम पद्धति कहलाती है। यह वर्गीकरण की अप्राकृतिक पद्धति है।

प्रश्न 7.
लिनीयस द्वारा लिखित दो पुस्तकों तथा उनके दो योगदानों को लिखिए।
उत्तर:
लिनीयस द्वारा लिखित पुस्तकें –

  • जेनेरा प्लाण्टेरम
  • सिस्टेमा नैचुरी।

लिनीयस के दो प्रमुख योगदा –

  • द्वि – जगत वर्गीकरण को प्रस्तुत करना।
  • जीवों के लिए द्वि – नामकरण पद्धति को प्रस्तुत करना।

प्रश्न 8.
वर्गक एवं संवर्ग को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
वर्गक (Texa):
जीवों के वर्गीकरण में प्रयुक्त विभिन्न समूहों को वर्गक कहते हैं, चाहे वर्गीकरण में इनका स्थान कुछ भी हो, जैसे-शैवाल, कीट, मछली आदि।

संवर्ग या श्रेणी (Category):
वर्गीकरण में प्रयुक्त समूहों की विभिन्न स्तरों को संवर्ग या श्रेणी या वर्गीकरण की इकाई कहते हैं। वर्गीकरण का सबसे छोटा संवर्ग जाति तथा बड़ा संवर्ग जगत है।

जीव जगत लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित जीवों के वैज्ञानिक नाम लिखिए –

  1. प्याज
  2.  मनुष्य
  3. हाथी
  4. फीताकृमि
  5. मेढक
  6. गेहूँ
  7. चावल
  8. सरसों
  9. मटर
  10. आम।

उत्तर:
सामान्य नाम – वैज्ञानिक नाम

  1. प्याज – एलियम सेपा
  2. मनुष्य – होमो सैपियन्स
  3. हाथी – एलिफस इन्डीकस
  4. फीताकृमि – टीनिया सोलियम
  5. मेढक – राना टिग्रिना
  6. गेहूँ – ट्रिटिकम एस्टीवम
  7. चावल – ओराइजा सटाइवा
  8. सरसों – ब्रेसिका कम्पेस्ट्रीस
  9. मटर – पाइसम सटाइवम
  10. ‘आम – मैंगिफेरा इंडिका।

प्रश्न 2.
द्विपद नामकरण पद्धति से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
द्विपद नामकरण पद्धति जीवों के नामकरण की एक ऐसी पद्धति है, जिसमें प्रत्येक जीव का नाम दो शब्दों का होता है। इसका प्रथम शब्द जीव के वंश तथा दूसरा शब्द उसकी जाति को व्यक्त करता है। इस पद्धति का आविष्कार कैरोलस लिनीयस ने किया था। इसमें नाम के अक्षर इटैलिक में छापे जाते हैं या लिखते समय इनके नीचे रेखाएँ खींचते हैं।

प्रथम शब्द का पहला अक्षर कैपिटल लेटर तथा शेष सभी छोटे अक्षरों में ही होते हैं। दूसरे शब्द के सभी अक्षर छोटे अक्षरों में होते हैं। जैसे-मेढक का इस पद्धति में नाम Rana tigrina होता है। इसमें राना वंश तथा टिग्रिनाजाति को प्रदर्शित कर रहा है। यह नाम रखने का अधिकार उस जीव के आविष्कारकर्ता को होता है।

दो जीवों के वैज्ञानिक नाम –
सामान्य नाम – वैज्ञानिक नाम

  1. मेढक – राना टिग्रिना
  2. मनुष्य – होमो सेपियन्स।

प्रश्न 3.
जातिवृत्तीय रेखा को समझाइए।
उत्तर:
किसी एक जाति के विकासात्मक इतिहास को जातिवृत्ति कहते हैं। जातिवृत्ति की विभिन्न जातियों के क्रम को जातिवृत्ति रेखा (Phylogenic – line) कहते हैं। जातिवृत्तीय रेखा किसी जाति विकास के क्रम को प्रदर्शित करती है। जिस प्रकार विकसित जीवों का जीवन एक कोशिका से शुरू होता है, धीरे – धीरे इस कोशिका में परिवर्तन होता रहता है और कुछ समय बाद इसी एक कोशिका से विशालकाय जीव बन जाता है।

ठीक इसी तरहं इस पृथ्वी पर सबसे पहले एककोशिकीय जीव बना। इसके बाद वातावरण के अनुसार, इसमें परिवर्तन होता गया और विविध प्रकार की जातियाँ बनीं। इस प्रकार जातिवृत्तीय रेखा में सबसे पहले मोनेरा जगत के जीव बनें, जिन्होंने विकसित होकर प्रोटिस्टा जगत के जीव बनाए। प्रोटिस्टा जगत के जीवों ने कई दिशाओं में विकसित होकर पादप कवक एवं जन्तु जगतों का निर्माण किया।

जीव जगत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वानस्पतिक उद्यान को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
वानस्पतिक उद्यान मानव द्वारा स्थापित प्राकृतिक स्थल होते हैं जहाँ पर पौधों को जीवित अवस्था में संरक्षित रखा जाता है। यहाँ पर पौधों के विभिन्न प्रजातियों का समुचित प्रबंध किया जाता है। एक आधुनिक वानस्पतिक उद्योग में निम्न प्रकार के पौधे लगाये जाते हैं –

  1. कृषि में उपयोगी पौधे की विभिन्न प्रजातियाँ
  2. औषधीय एवं अन्य महत्व वाले पौधे
  3. विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में पाये जाने वाले पौधे
  4. धर्म ग्रंथों एवं साहित्यों में उल्लेखित पौधे।

वानस्पतिक उद्यान मूलतः जीवित पौधों का एक खुला संग्रह होता है जिससे हमें विभिन्न प्रकार के पौधों के बारे में मूलभूत जानकारियाँ प्राप्त होती हैं।

प्रमुख वानस्पतिक उद्यान:

  1. रॉयल बॉटनिकल गार्डन, किव (इंग्लैंड)
  2. इंडियन बॉटनिकल गार्डन, शिबपुर (कोलकाता)
  3. लॉयड बॉटनिकल गार्डन, दार्जिलिंग
  4. नेशनल बॉटनिकल गार्डन, लखनऊ
  5. वन अनुसंधान संस्थान, वानस्पतिक उद्यान, देहरादून।

MP Board Class 11th Biology Solutions

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 1

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Surbhi विविधप्रश्नावलिः 1

Sanskrit Class 6 Mp Board प्रश्न 1.
एक पदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) रुचिकरा भाषा का अस्ति? (रुचिकर भाषा कौन-सी है?)
उत्तर:
संस्कृतभाषा

(ख) वयं नेत्राभ्याम् किं कुर्मः? (हम सब दोनों नेत्रों से क्या करते हैं?)
उत्तर:
पश्यामः

(ग) मोहनः रात्रौ कदा शयनं करोति? (मोहन रात को कब सोता है?)
उत्तर:
नववादने

(घ) तृणानां मेलनेन किं भवति? (तिनकों के मेल से क्या होता है?)
उत्तर:
रज्जुनिर्माणं।

Mp Board Class 6th Sanskrit Solution प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिंखो)
(क) स्वदेशे कः पूज्यते? (अपने देश में किसकी पूजा होती है?)
उत्तर:
स्वदेशे राजा पूज्यते। (स्वदेश में राजा की पूजा होती है।)

(ख) मोहनः कदा क्रीडति? (मोहन कब खेलता है?)
उत्तर:
मोहनः सायंकाले क्रीडति। (मोहन सायंकाल खेलता है।)

(ग) वयं कया जिघ्रामः? (हम किससे सूंघते हैं?)
उत्तर:
वयं नासिकया जिघ्रामः। (हम नाक से सूंघते हैं।)

(घ) वृक्षः कैः शोभते? (वृक्ष किससे शोभा पाता है?)
उत्तर:
पर्णैः, पुष्पैः, फलैः, शाखाभिः च वृक्ष शोभते। (पत्तों, फूलों, फलों और शाखाओं से वृक्ष शोभा पाता है।)

संस्कृत सुरभि कक्षा 6 प्रश्न 3.
कोष्ठकशब्दैः अधोलिखितप्रश्नानां उत्तरं लिखत (कोष्ठक के शब्दों से निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो)
(एतौ, ते, चटके, सः, ताः, नदी)
(क) कः पठति? – (कौन पढ़ता है?)
(ख) कौ धावतः? –  (कौन दो दौड़ते हैं?)
(ग) के रक्षन्ति? – (कौन रक्षा करते हैं?)
(घ) के कूजतः? – (कौन दो कूजती हैं?)
(ङ) का प्रवहति? – (कौन बहती है?)
(च) काः भ्रमन्ति? – (कौन घूमते हैं?)
उत्तर:
(क) सः पठति। – (वह पढ़ता है।)
(ख) एतौ धावतः। – (ये दोनों दौड़ते हैं।)
(ग) ताः रक्षन्ति। – (ये सब रक्षा करती हैं।)
(घ) चटके कूजतः। – (दो चिड़ियाँ कूजती हैं।)
(ङ) नदी प्रवहति। – (नदी बहती है।)
(च) ते भ्रमन्ति। – (वे सब घूमते हैं।)

Mp Board Solution Class 6 Sanskrit प्रश्न 4.
श्लोकान् पूरयत (श्लोकों की पूर्ति करो)
(क) विदेशेषु धनं विद्या, …………….।
………….. , शीलं सर्वत्र वै धनम्॥
(ख) विद्वत्वं च नृपत्वं च, ………..।
………… , विद्वान सर्वत्र पूज्यते।
(ग) विद्या ददाति विनयं …………….।
पात्रत्वाद् धनमाप्नोति …………….॥
(घ) अलसस्य कुतो विद्या, …………….।
अधनस्य कुतो मित्रम्, …………
उत्तर:
(क) विदेशेषु धनं विद्या, व्यसनेषु धनं मतिः।
परलोके धनं धर्मः, शीलं सर्वत्र वै धनम्॥
(ख) विद्वत्वं च नृपत्वं च, नैव तुल्यं कदाचन।
स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ॥
(ग) विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद् धनमाप्नोति, धनाद् धर्मः ततः सुखम्॥
(घ) अलसस्य कुतो विद्या, अविद्यस्य कुतो धनम्।
अधनस्य कुतो मित्रम्, अमित्रस्य कुतो सुखम्॥

Mp Board Class 6 Sanskrit Solution प्रश्न 5.
उचितशब्देनं रिक्त स्थानं पूरयत(उचित शब्दों से रिक्त स्थानों को पूरा करो)
(क) चतस्त्रः …………….। (बालिकाः/बालकाः/गृहाणि)
(ख) त्रीणि ……………। (छात्राः/फलानि/मयूराः)
(ग) अष्ट ……………। (पत्रम्/लते/भवनानि)
उत्तर:
(क) बालिकाः,
(ख) फलानि,
(ग) भवनानि।

Class 6th Sanskrit Mp Board प्रश्न 6.
उचितं मेलयत (उचित मिलान कराओ)
Sanskrit Class 6 Mp Board
उत्तर:
(क) → 4
(ख) → 1
(ग) → 2
(घ) → 3

Class 6th Mp Board Sanskrit प्रश्न 7.
निम्नलिखितशब्दानां तृतीयाविभक्तेः रूपाणि लिखत (निम्नलिखित शब्दों के तृतीया विभक्ति के रूप लिखो)
(क) घट
(ख) हस्त
(ग) नासिका
(घ) शाखा
(ङ) पुष्प
(च) चक्र।
उत्तर:
तृतीया विभक्ति-
Mp Board Class 6th Sanskrit Solution

Mp Board Solution Class 6th Sanskrit प्रश्न 8.
उचितं मेलयत (उचित का मिलान करो)(अ)
संस्कृत सुरभि कक्षा 6
उत्तर:
(क) → 5
(ख) → 4
(ग) → 3
(घ) → 7
(ङ) → 1
(च) → 9
(छ) → 6
(ज) → 1
(झ) → 8

Class 6 Sanskrit Mp Board Solution प्रश्न 9.
उचितं मेलयत (उचित का मिलान करो)
Mp Board Solution Class 6 Sanskrit
उत्तर:
(क) → 9
(ख) → 5
(ग) → 7
(घ) → 6
(ङ) → 8
(च) → 4
(छ) → 2
(ज) → 3
(झ) →1

प्रश्न 10.
अन्वयपूर्तिम् कुरुत (अन्वय की पूर्ति करो)
(क) कुरूपाणां…………. विद्या, ………….. धनं (विद्या) तथा, निर्बलानाम् बलं ………… , अतः………… साधनीया।
(ख) विदेशेषु…….. धनं, व्यसनेषु मतिः………….. । परलोके………… धनं………… सर्वत्र वै धनम्।
उत्तर:
(क) रूपं, निर्धनानां, विद्या, प्रयत्नतः।
(ख) विद्या, धनं, धर्मः, शीलं।

प्रश्न 11.
वर्णमालानुसारं क्रमेण स्थापयत (वर्णमाला के अनुसार क्रम स्थापित कीजिए)
ऊर्णाः, बकः, औषधम्, हलम्, सरः, मयूरः, रथः, आम्रम्, घटः, कमलम्।
उत्तर:
आम्रम्, ऊर्णाः, औषधम्, कमलम्, घटः, बकः, मयूरः, रथः, सरः, हलम्।

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 10 परिचयः

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 10 परिचयः

MP Board Class 6th Sanskrit Chapter 10 अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) चन्द्रः कासां भूषणम् अस्ति? (चन्द्रमा किनका आभूषण है?)
उत्तर:
चन्द्रः ताराणां भूषणम् अस्ति? (चन्द्रमा तारों का आभूषण है।)

(ख) संस्कृतस्य पठने केषां रुचिः अस्ति? (संस्कृत पढ़ने में किसकी रुचि है?)
उत्तर:
संस्कृतस्य पठने छात्राणाम् रुचिः अस्ति। (संस्कृत के पढ़ने में छात्रों की रुचिः है।)

(ग) अवधेशः कस्य अग्रजः अस्ति? (अवधेश किसका बड़ा भाई है?)
उत्तर:
अवधेशः गिरीशस्य अग्रजः अस्ति। (अवधेशः गिरीश का बड़ा भाई है।)

(घ) विद्यालस्य पुरतः किम् अस्ति? (विद्यालय के सामने क्या है?)
उत्तर:
विद्यालयस्य पुरतः उद्यानम् अस्ति। (विद्यालय के सामने उद्यान है।)

(ङ) भवतः/भवत्याः नाम किम्? (आपका नाम क्या है?)
उत्तर:
मम नाम कविता। (मेरा नाम कविता है।)

प्रश्न 2.
षष्ठीविभक्ति योजयित्वा रिक्तस्थानं पूरयत (षष्ठी विभक्ति जोड़कर रिक्त स्थान को पूरा करो)
(क) ………….. नाम अविनाशः। (आचार्य)
(ख) ………….. आचार्यः अविनाशः। (कविता-गिरीश)
(ग) ………… पदानि मधुराणि। (संस्कृतभाषा)
(घ) संस्कृतं ………….. भाषा। (शास्त्र)
(ङ) गिरीशस्य ……….. नाम अञ्जना अस्ति। (जननी)
उत्तर:
(क) आचार्यस्य
(ख) कवितायाः गिरीशस्य
(ग) संस्कृतभाषायाः
(घ) शास्त्रस्य
(ङ) जनन्याः।

प्रश्न 3.
चित्रं पश्यत। सम्बन्धवाचकवाक्यानि पठत (चित्र को देखो। सम्बन्ध वाचक वाक्यों को पढ़ो)
MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 10 परिचयः 1

  • विश्वामित्रस्य शिष्यः। (विश्वामित्र के शिष्य)
  • दशरथस्य पुत्रः। (दशरथ के पुत्र)
  • रावण-कुम्भकर्णयोः संहारकः। (रावण कुम्भकर्ण के संहारक)
  • भरत-लक्ष्मण-शत्रुजानाम् अग्रजः। (भरत-लक्ष्मण-शत्रुघ्न के बड़े भाई।)
  • ‘सीतायाः पतिः। (सीता के पति)
  • अयोध्यायाः नृपः। (अयोध्या के राजा)
  • अहल्या-शबर्यो:मोक्षदायकः। (अहिल्या और शबरी को श्री रामः मुक्ति देने वाले)
  • ‘कौशल्या-सुमित्राकैकय्यीनां पुत्रः। (कौशल्या-सुमित्रा -कैकेई के पुत्र)

प्रश्न 4.
चित्रं दृष्ट्वा सम्बन्धवाचकवाक्यानि लिखत। (चित्र को देखकर सम्बन्धवाचक वाक्यों को लिखो)
यथा-
श्रीकृष्णः वसुदेवस्य पुत्रः।
जैसे-श्रीकृष्ण वसुदेव के पुत्र हैं।
उत्तर:

  1. इदम् श्रीकृष्णस्य चित्रम्।
    (यह श्रीकृष्ण का चित्र है।)
  2. तस्य हस्तयोः मुरलिका उपशोभते।
    (उनके हाथों में मुरली सुशोभित है।)
  3. सः तस्या वादने निरतः।
    (वह उसको बजाने में संलग्न है।)
  4. श्रीकृष्णस्य पार्वे एका धेनुः स्थितः अस्ति।
    (श्रीकृष्ण की बगल में एक धेनु (गाय) खड़ी है।)
  5. सा श्रीकृष्णस्य पादे लिलीहता अस्ति।
    (वह श्रीकृष्ण के दोनों पैरों को चाट रही है।)

प्रश्न 5.
योग्यरूपं चित्वा रिक्तस्थानं पूरयत (उचित रूप चुनकर खाली स्थान भरो)
(क) शिवः …………. पतिः। (पार्वत्याः/पार्वतीनाम्)
(ख) हस्तः ……… अङ्गम्। (शरीरेण/शरीरस्य)
(ग) तत् मम ……….. गृहम्। (मित्रम्/मित्रस्य)
(घ) भोपालनगरं ……… राजधानी। (मध्यप्रदेशस्य/मध्या प्रदेशेन)
(ङ) वयं ………. अध्ययनम् इच्छामः। (भारतीयविद्याम्/भारतीयविद्यायाः)
उत्तर:
(क) पार्वत्याः
(ख) शरीरस्य
(ग) मित्रस्य
(घ) मध्यप्रदेशस्य
(ङ) भारतीयविद्यायाः।

प्रश्न 6.
रिक्तस्थानानि पूरयित्वा परिचयं लिखत (रिक्त स्थानों को पूरा करके परिचय लिखो)
(क) अहं ……….. पुत्रः।
(ख) अहं ……….. भगिनी/भ्राता।
(ग) सा ………… माता।
(घ) तस्याः नाम ………..।
उत्तर:
(क) राकेशः।
(ख) अवधेशस्य।
(ग) मम।
(घ) अञ्जना।

परिचय :

  1. अहं (गिरीश:) मम पितुः पुत्रः अस्मि। (मैं (गिरीश) अपने पिता का पुत्र हूँ।)
  2. अवधेशस्य भ्रातस्य अहम् अनुजः अस्मि। (अवधेश भाई का मैं अनुज हूँ।)
  3. मम माताः अञ्जना एकः साध्वी महिला। (मेरी माता अञ्जना एक साध्वी महिला है।)
  4. सा मम पितुः राकेशस्य पत्नी अस्ति। (वह मेरे पिता राकेश की पत्नी है।)
  5. मम भगिन्याः नाम मालिनी इति। (मेरी बहन का नाम मालिनी है।)
  6. आनन्द: मम मातुल: मम मातुः भ्राता भवति। (आनन्द मेरा मामा मेरी माता का भाई है।)
  7. शशाङ्क: मम अनुजः। (शशाङ्क मेरा अनुज है।)

प्रश्न 7.
कोष्ठकात् सर्वनामपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत (कोष्ठक से सर्वनाम पद चुनकर खाली स्थानों को भरो)
(तस्य, तेषाम्, तयोः, तासाम्, तस्याः)
(क) सः श्रावणः। …………. माता पूर्णिमा।
(ख) सा दीक्षा। ………… अनुजः श्रवणः।
(ग) तौ भगिनीभ्रातरौ। ……….. पिता नारायणः।
(घ) ते भ्रमणार्थं काशीम् अगच्छन्। ……….. गृहं ग्वालियरनगरे अस्ति।
(ङ) दीक्षा बालिकाभिः सह गायति। ……….. गीतं मधुरम् अस्ति।
उत्तर:
(क) तस्य
(ख) तस्याः
(ग) तयोः
(घ) तेषाम्
(ङ) तेषाम्।

योग्यताविस्तारः
अधोलिखितवाक्यानि पठत (निम्नलिखित वाक्यों को पढ़ो)-
MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 10 परिचयः 2
नोट :
वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ें। शुद्ध उच्चारण का ध्यान रखते हुए उनके विभक्ति विग्रह पर विशेष ध्यान दें।

परिचयः हिन्दी अनुवाद

आचार्यः :
सर्वेषां स्वागतम्। मम नाम अविनाशः। भवतः नाम किम्?

गिरीश: :
मम नाम गिरीशः।

आचार्य: :
भवत्याः नाम किम्? कविता-मम नाम कविता।

आचार्यः :
गिरीश! तव परिवारस्य परिचयं वद।

गिरीश: :
मम जनन्याः नाम अञ्जना। जनकस्य नाम राकेशः।
अग्रजस्य नाम अवधेशः। अनुजस्य नाम शशाङ्कः। भगिन्याः नाम मालिनी। मातुलस्य नाम आनन्दः।

आचार्यः :
कविते! तव विद्यालयस्य परिचयं कथय।

कविता :
मम विद्यालयस्य नाम स्वामिविवेकानन्दविद्यालयः अस्ति। अयं नगरस्य मध्ये स्थितः अस्ति। एतस्य पुरतः उद्यानम् अस्ति। पृष्ठतः क्रीडाङ्गणम् अस्ति। क्रीडाङ्गणस्य वामतः मन्दिरे स्तः। दक्षिणतः भवनानि सन्ति।

अनुवाद :
आचार्य :
सभी का स्वागत है। मेरा नाम अविनाश है। आपका नाम क्या है?

गिरीश: :
मेरा नाम गिरीश है। आचार्य:-आपका नाम क्या है?

कविता :
मेरा नाम कविता है।

आचार्य :
हे गिरीश! अपने परिवार का परिचय बतलाओ।

गिरीश :
मेरी माता का नाम अञ्जना है। पिता का नाम राकेश है। बड़े भाई का नाम अवधेश है। छोटे भाई का नाम शशाङ्क है। बहन का नाम मालिनी है। मामा का नाम आनन्द है।

आचार्य :
हे कविता! अपने विद्यालय का परिचय बतलाओ।

कविता :
मेरे विद्यालय का नाम स्वामी विवेकानन्द विद्यालय है। यह नगर के बीच में स्थित है। इसके सामने उद्यान (बगीचा) है। पीछे खेल का मैदान है। खेल के मैदान के बाईं तरफ दो मन्दिर हैं। दक्षिण की ओर भवन (बने) हुए हैं।

आचार्य: :
गिरीश! षष्ठवर्गस्य संस्कृतपुस्तकम् आनय। संस्कृतभाषायाः पदानि मधुराणि सन्ति। एषा वेदानाम्, उपनिषदां,शास्त्राणां च भाषा अस्ति रामायण महाभारतयोः कथा संस्कृते लिखिता अस्ति।

छात्रा: :
महोदय! संस्कृतभाषायाः पठने अस्माकंरुचिः अस्ति। वयं एतस्याः अध्ययनम् इच्छामः।

आचार्य: :
आम्! सर्वेषां शिष्याणाम् इच्छानुसारं संस्कृतं पाठयामि।-
ताराणां भूषणं चन्द्रः नारीणां भूषणं पतिः।
पृथिव्याः भूषणं राजा विद्या सर्वस्य भूषणम्॥

अनुवाद :
आचार्य-हे गिरीश! कक्षा छः की संस्कृत की पुस्तक लाओ। संस्कृत भाषा के शब्द मधुर होते हैं। यह वेदों की, उपनिषदों की और शास्त्रों की भाषा है। रामायण और महाभारत की कथा संस्कृत में लिखी हुई है।

छात्रा :
महोदय! संस्कृत भाषा को पढ़ने में हमारी रुचि है। हम सभी इसके अध्ययन की इच्छा करते हैं।

आचार्य :
हाँ! सभी शिष्यों की इच्छा के अनुसार संस्कृत पढ़ाता हूँ।

“तारों का आभूषण चन्द्रमा होता है, स्त्रियों का आभूषण पति होता है। पृथ्वी का आभूषण राजा होता है, परन्तु विद्या तो सभी का आभूषण होती है।”

परिचयः शब्दार्थाः

परिवारस्य = परिवार का। जनन्याः = माता का। जनकस्य = पिता का। अग्रजस्य = बड़े भाई का। अनुजस्य = छोटे भाई का। मातुलस्य = मामा का। क्रीडाङ्गणस्य = खेल के मैदान का। ताराणाम् = तारों का। भूषणम् = आभूषण। नारीणाम् = नारियों का। पृथिव्याः = भूमि का। सर्वस्य = सभी का। पुरतः = आगे। पृष्ठतः = पीछे। वामतः = बाईं ओर। दक्षिणतः = दाईं ओर।

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Chapter 12 रामचरितम्

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 12 रामचरितम्

MP Board Class 6th Sanskrit Chapter 12 अभ्यासः

Mp Board Class 6 Sanskrit Chapter 12 प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) दशरथस्य कति पुत्राः आसन्? (दशरथ के कितने पुत्र थे?)
उत्तर:
चत्वारः (चार)

(ख) चतुर्णा राजपुत्राणां विवाहः कुत्र अभवत्? (चारों राजपुत्रों का विवाह कहाँ हुआ?)
उत्तर:
मिथिलायां (मिथिला में)

(ग) सीतान्वेषणाय को वने अभ्रमताम्? (सीता की खोज करने के लिए कौन वन में घूमते रहे?)
उत्तर:
रामलक्ष्मणौ (राम और लक्ष्मण)।

Class 6 Sanskrit Chapter 12 MP Board प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) अयोध्यानगरी कस्मिन् प्रदेशे अस्ति? (अयोध्यानगरी किस प्रदेश में है?)
उत्तर:
अयोध्यानगरी उत्तर प्रदेशे अस्ति। (अयोध्या नगरी उत्तर प्रदेश में है।)

(ख) रामलक्ष्मणौ कः स्वस्य आश्रमम् अनयत्? (राम-लक्ष्मण को कौन अपने आश्रम ले गया?)
उत्तर:
रामलक्ष्मणौ विश्वामित्रः स्वस्य आश्रमम् अनयत्। (राम-लक्ष्मण को विश्वामित्र अपने आश्रम को ले गये।)

(ग) सीतायाः विवाहः केन सह अभवत्? (सीता का विवाह किसके साथ हुआ?)
उत्तर:
सीतायाः विवाहः रामेण सह अभवत्। (सीता का विवाह राम के साथ हुआ।)

(घ) वानराः कुत्र सेतुनिर्माणम् अकुर्वन्? (वानरों ने कहाँ पुल का निर्माण किया?)
उत्तर:
वानराः सागरे सेतुनिर्माणम् अकुर्वन्। (वानरों ने समुद्र पर पुल का निर्माण किया।)

(ङ) आदिकवि कः अस्ति? (आदिकवि कौन हैं?)
उत्तर:
आदिकवि: वाल्मीकिः अस्ति। (आदि कवि वाल्मीकि हैं।)

Class 6 Sanskrit Chapter 12 Question Answer MP Board प्रश्न 3.
रिक्तस्थानानि पूरयत (रिक्त स्थानों को भरो)
(क) सीतायाः विवाहः ……….. सह अभवत्।
(ख) रावणः ………. कपटेन अहरत्।
(ग) वानराः ………. सेतुनिर्माणम् अकुर्वन्।
(घ) ………….. राक्षसराजः रावणः युद्धे हतः।
(ङ) ………… रामचरितं रामायणे महाकाव्ये अवर्णयत्।
उत्तर:
(क) रामेण
(ख) सीतां
(ग) सागरे
(घ) रामेण
(ङ) आदिकवि: वाल्मीकिः।

प्रश्न 4.
रिक्तस्थानानि पूरयत (रिक्त स्थानों को भरो)
Mp Board Class 6 Sanskrit Chapter 12

प्रश्न 5.
रिक्तस्थानानि पूरयत (रिक्त स्थानों को भरो)
Class 6 Sanskrit Chapter 12 MP Board

प्रश्न 6.
पाठे आगतान् लङ्लकारप्रयोगान् सूचीबद्धं कृत्वा लिखत (पाठ में आये हुए लङ् लकार के प्रयोगों को सूचीबद्ध करके लिखो)
उत्तर:
लङ् लकार के प्रयोगों की सूची-

  1. अकरोत्
  2. आसन्
  3. अनयत्
  4. अशिक्षत्
  5. अभवत्
  6. अगच्छत्
  7. अगच्छताम्
  8. अवसन्
  9. अहरत्
  10. अभ्रमताम्
  11. अपश्यत्
  12. अकुर्वन्
  13. अकरोत्
  14. हतः
  15. प्रत्यागच्छन्
  16. अभवन्
  17. अवर्णयत्।

योग्यताविस्तारः

चिह्नाङ्कितपदानां स्थाने लङ्लकारस्य प्रयोगं कृत्वा भूतकाले कथां लिखत (रेखांकित शब्दों के स्थान पर लङ्लकार का प्रयोग करके भूतकाल में कथा लिखो)-
एकः काकः अस्ति। काकः कुतश्चित् एकां रोटिका प्राप्नोति। काकं शृगालः पश्यति। रोटकां चोरयामिति उपायं चिन्तयति। सः काकस्य समीपं गच्छति। वदति च “भवान् मधुरं गायति इति श्रुतवान्, कृपया एकवारं गायतु” इति। काकः चिन्तयति “एषः दुष्टः मम रोटिकां चोरयितुं चिन्तयति इति।” सः रोटिकां पादस्य अधः स्थापयति। ‘काँव् काँ’ इति गायति। रोटिका अधःन पतति। शृगालः खिन्नः सन्ततः गच्छति। काकः रोटिका खादति प्रसन्नः भवति च।
उत्तर:
एकः काकः आसीत्। काक: कुतश्चित् एकां रोटिकां अवाप्नोत्। काकं शृगालः अपश्यत्। रोटिकाम् चोरयामिति उपायं । अचिन्तयत्। सः काकस्य समीपं अगच्छत्। वदति च ‘भवान् मधुरं गायति इति श्रुतवान्, कृपया एकवारं गायतु’, इति। काकः अचिन्तयत् “एषः दुष्टः मम रोटिकां चोरयितुं चिन्तयति इति।” रोटिकां पादस्य अधः अस्थापयत्। ‘काँ-काँव्’ इति अगयात्। रोटिका अधः न अपतत्। शृगालः खिन्नः सन् ततः अगच्छत्। काकः रोटिकां अखादत् प्रसन्नः अभवत् च।

रूपान्तर :
एक कौआ था। कौए ने कहीं से एक रोटी प्राप्त कर ली। कौए को गीदड़ ने देख लिया रोटी को चुराता हूँ-ऐसा उपाय सोचा। वह कौए के पास गया। और बोलता है-“आप मधुर गाते हो” ऐसा सुना है। कृपा करके एक बार गाओ। कौए ने सोचा! “यह दुष्ट मेरी रोटी को चुराने की सोच रहा है।” रोटी को पैर के नीचे रख लिया। “काँव-काँव इस तरह गाने लगा। रोटी नीचे नहीं गिरी। गीदड़ दुखी होकर वहाँ से चला गया। कौए ने रोटी को खा लिया और प्रसन्न हो गया।

रामचरितम् हिन्दी अनुवाद

उत्तरप्रदेशे अयोध्या नाम नगरी अस्ति। तस्यां पुरा दशरथनृपः राज्यम् अकरोत्। तस्य चत्वारः पुत्राः आसन्रामः,लक्ष्मणः, भरतः,शत्रुघ्नः च। विश्वामित्रः, रामलक्ष्मणौ स्वस्य आश्रमम् अनयत्। विश्वामित्रः तौशस्त्रविद्यांअशिक्षयत्। तदनन्तरं मिथिलायां चतुर्णाम् राजपुत्राणां विवाहः अभवत्। जनकसुतायाः सीतायाः विवाहः रामेण सह अभवत्।

दशरथस्य आज्ञया रामः राज्यं त्यक्त्वा वनम् अगच्छत्। पत्नी सीता, अनुजः लक्ष्मणः च तेन सह अगच्छतम्। ते ऋषिभिः सह वने अवसन्। तत्र राक्षसराजः रावणः सीतां कपटेन अहरत्।

अनुवाद :
उत्तर प्रदेश में अयोध्या नामक नगरी है। उसमें प्राचीनकाल में दशरथ राजा राज्य करते थे। उनके चार पुत्र थे-राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को अपने आश्रम को ले गये। विश्वामित्र ने उन दोनों को शस्त्रविद्या सिखलायी। उसके बाद मिथिला में चारों ही राजपुत्रों का विवाह हो गया। जनक की पुत्री सीता का विवाह राम के साथ हुआ।

दशरथ की आज्ञा से राज्य को त्यागकर राम वन को चले गये। (उनकी) पत्नी सीता तथा अनुज (छोटा भाई) लक्ष्मण उनके साथ (वन को) चले गये। वे सभी ऋषियों के साथ वन में रहते थे। वहाँ राक्षसराज रावण ने कपटपूर्वक सीता का हरण कर लिया।

सीतान्वेषणाय रामलक्ष्मणौ वने अभ्रमताम्। तौ वालेः राज्यं किष्किन्धाम् अगच्छताम्। राजा सुग्रीवः तयोः मित्रम् अभवत्। वायुपुत्रः हनुमान् सागरपारं गत्वा लङ्कायां सीताम् अपश्यत्। वानराः सागरे सेतुनिर्माणम् अकुर्वन्। रामस्य वानरसेना राक्षससेनया सह युद्धम् अकरोत्। रामेण राक्षस राजः रावणः युद्धे हतः। रामः, सीता, लक्ष्मणः च अयोध्यां प्रत्यागच्छन्। तत्र रामः न्यायेन प्रजापालनम् अकरोत्। तस्य राज्ये सर्वे सुखिनः अभवत्। आदिकविः वाल्मीकिः रामचरितं रामायणे महाकाव्ये अवर्णयत्।

अनुवाद :
सीता की खोज करने के लिए राम और लक्ष्मण वन में घूमते रहे। वे दोनों राजा बाली के राज्य किष्किन्धा को गये। राजा सुग्रीव उन दोनों का मित्र हो गया। पवनपुत्र हनुमान ने समुद्र के पार जाकर लङ्का में सीता को देखा। वानरों ने समुद्र पर सेतु (पुल) का निर्माण किया। राम की वानर सेना ने राक्षस सेना के साथ युद्ध किया। राम के द्वारा राक्षस राज रावण युद्ध में मार दिया गया। राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटकर आ गये। वहाँ राम ने न्यायपूर्वक प्रजा का पालन किया। उनके राज्य में सभी सुखी रहे। आदिकवि वाल्मीकि ने राम के चरित्र को रामायण महाकाव्य में वर्णन किया।

रामचरितम् शब्दार्थाः

पुरा = प्राचीन समय में। नृपः = राजा। चत्वारः = चार स्वाश्रमम् = अपने आश्रम को। त्यक्त्वा = त्यागकर अभ्रमताम् = घूमे। सीतान्वेषणाय = सीता को ढूँढ़ने के लिए। आदिकविः = पहला कवि। कपटेन = छल से। प्रत्यागच्छन् = वापस आए। सेतुनिर्माणम् = पुल का निर्माण। अवर्णयत् = वर्णन किया।

MP Board Class 6th Sanskrit Solutions

MP Board Class 12th Hindi Swati Solutions पद्य Chapter 4 नीति-काव्य

MP Board Class 12th Hindi Swati Solutions पद्य Chapter 4 नीति-काव्य

नीति-काव्य अभ्यास

नीति-काव्य अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कबीर ने किसकी संगति करने के लिए कहा है? (2009, 14)
उत्तर:
कबीर ने साधु पुरुष की संगति करने को कहा है। सत्पुरुषों की संगति करने से सन्मार्ग पर चलने लगते हैं जिससे लोक-परलोक सुधरते हैं।

प्रश्न 2.
नाव में पानी भर जाने पर सयानों का क्या कर्त्तव्य है? (2015)
उत्तर:
नाव में पानी भर जाने पर सयानों का काम यह है कि उस पानी को बाहर निकालें और अपनी नाव को डूबने से बचाएँ।

प्रश्न 3.
कबीर के अनुसार शरीर रूपी घड़े की विशेषता बताइए। (2016)
उत्तर:
कबीर के अनुसार मानव शरीर मिट्टी के कच्चे घड़े के समान है.जो पानी पडने से टूट जाएगा और हाथ में कुछ भी नहीं बचेगा।’

प्रश्न 4.
बुरे आदमी द्वारा बुराई त्याग देने का खरे व्यक्तियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
बुरे व्यक्ति द्वारा बुराई त्याग देने पर भी खरे व्यक्तियों को उस पर उत्पात करने की शंका बनी रहती है।

प्रश्न 5.
बड़प्पन प्राप्त करने के लिए केवल नाम ही काफी नहीं है। यह बात बिहारी ने किस उदाहरण के द्वारा कही है?
उत्तर:
बिहारी धतूरे का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि बड़प्पन प्राप्त करने के लिए केवल नाम ही काफी नहीं है अपितु गुण भी आवश्यक हैं। वे कहते हैं कि धतूरे को ‘कनक’ (सोना) भी कहा जाता है, किन्तु उससे गहना नहीं गढ़ा जा सकता है।

नीति-काव्य लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मिट्टी कुम्हार को क्या सीख देती है?
उत्तर:
मिट्टी कुम्हार को यह सीख देती है कि आज तू मुझे पैरों के नीचे रौंद कर प्रसन्न हो रहा है। कल वह समय आयेगा जब मैं तुझे अपने नीचे रौंदूंगी। कहने का तात्पर्य है कि मृत्यु के बाद मनुष्य का मिट्टी का चोला मिट्टी में ही मिल जाता है।

प्रश्न 2.
कबीर ने शब्द की क्या महिमा बताई है? (2009, 12, 17)
उत्तर:
कबीर ने कहा है कि संसार में शब्द की बड़ी महिमा है। शब्द को सावधानी के साथ मुँह से बाहर निकालना चाहिए। यद्यपि शब्द के हाथ-पैर नहीं होते, लेकिन एक तरफ तो मधुर शब्द औषधि का काम करता है और दूसरी ओर असावधानी से बोला गया कठोर शब्द श्रोता के शरीर में घाव कर देता है।

प्रश्न 3.
एक ही वस्तु किसी को सुन्दर और किसी को कुरूप क्यों नजर आती है? (2009, 11, 13)
उत्तर:
बिहारी के अनुसार कोई चीज सुन्दर या असुन्दर नहीं है। हमारे मन की जितनी चाहत जिस वस्तु या इन्सान की तरफ होगी वह उतना ही सुन्दर दिखाई देगा। मन की भावना ही किसी चीज को सुन्दर या असुन्दर बनाकर दिखा देती है। कहते हैं-‘जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि’।

प्रश्न 4.
संपत्ति रूपी जल के निरन्तर बढ़ने से मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
सम्पत्ति रूपी जल के निरन्तर बढ़ने से वही खतरा रहता है,जो एक नाव में जल के बढ़ जाने से रहता है। नाव में यदि पानी भरने लगे तो वह पानी उसे डबा देता है। अतः नाव में बैठने वाले लोगों का कर्तव्य है कि उस पानी को बाहर निकालें। ठीक इसी प्रकार घर में बढ़ती हुई सम्पत्ति को दान आदि परोपकारी कार्यों में खर्च करना चाहिए ताकि हम नष्ट होने के संकट से बचे रहें।

प्रश्न 5.
क्षणिक आदर प्राप्त कर आत्म प्रशंसारत व्यक्तियों का अंत क्या होता है?
उत्तर:
क्षणिक आदर प्राप्त कर आत्म प्रशंसारत व्यक्ति थोड़े समय के लिए तो प्रसन्न हो जाते हैं परन्तु कुछ समय के बाद उनकी प्रसन्नता गायब हो जाती है, क्योंकि समाज में उनका आदर समाप्त हो जाता है। श्राद्ध पक्ष में कौए को सादर बुला-बुलाकर भोजन कराया जाता है, लेकिन श्राद्ध पक्ष के बाद उसे कोई नहीं पूछता। यही हालत आत्म प्रशंसारत व्यक्ति की होती है, क्योंकि उसकी पूछ भी थोड़े समय के लिए ही होती है।

नीति-काव्य दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कबीर कुसंग के दुष्प्रभाव को किन-किन उदाहरणों से स्पष्ट करते हैं? लिखिए।
उत्तर:
कुसंग का दुष्प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है और उसे सुमार्ग से हटाकर कुमार्ग पर ले जाता है। कुसंग में एक अजीब आकर्षण होता है जो मनुष्य को अपनी ओर खींच लेता है। लोभ, मोह, कुसंग का साथ देते हैं और काम न करके धन-मान प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा नए लोगों को अपने जाल में फंसाती है। कबीरदास जी ने बताया है कि कुसंग उस पत्थर के समान है जो उस पर बैठने वाले को पानी में डुबो देता है,क्योंकि पत्थर स्वयं भी तैरने के गुण से रहित है। इसी प्रकार, कुसंग मनुष्य को संसार रूपी सागर में डुबो देता है। एक सुस्पष्ट और उत्कृष्ट उदाहरण कविवर कबीर स्वाति नक्षत्र की बूंद का देते हैं जो सुसंग यानी सीप से मिलकर मोती बन जाती है,केले पर गिरकर कपूर बन जाती है और वही निर्मल बूंद कुसंग यानो साँप के मुँह में गिरती है तो विष बन जाती है। किसी का संग करने से पूर्व पानी की वह बूंद निर्मल और पवित्र थी, लेकिन जैसा साथ उसको मिला तदानुसार वह परिवर्तित हो गई। इसीलिए साधु-सज्जन कहते हैं कि संसार में संग का प्रभाव ही मनुष्य की उन्नति और अवनति का कारण होता है। अतः मनुष्य को सावधानीपूर्वक कुसंग से बचना चाहिए।

प्रश्न 2.
देहधारी होने के कौन-कौन से गुण हैं?
उत्तर:
एक समय देव, दानव और मानव अपने पिता ब्रह्मा के पास गए और उनसे प्रार्थना की कि वे उपदेश दें। ब्रह्माजी ने उन तीनों से एक ही अक्षर ‘द’ कहा। फिर उन्होंने तीनों से ‘द’ का अभिप्राय पूछा। देव ने कहा ‘द’ का तात्पर्य है ‘दमन करना’ यानी अपनी इन्द्रियों का दमन करना। बलवान असुर बोला कि ‘द’ का तात्पर्य है ‘दया करना’ फिर अपनी बारी आने पर मनुष्य ने कहा- ‘द’ का अभिप्राय है ‘दान करना’,सुनकर पिता बोले- ‘साधु ! साधु !’ इससे स्पष्ट है कि देहधारी मनुष्य को दान और परोपकार करना चाहिए। यदि धन नहीं है तो शरीर और मन से दुःखी लोगों की सहायता करें। दधीच मुनि ने अपना शरीर देकर उसकी हड्डियाँ इन्द्र को दान की थीं।

संसार में मानव का शरीर ही ऐसा साधन है जिससे हम दीन-दुखियों को दान दे सकते हैं और अन्य प्रकार से उसका उपकार कर सकते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है-“देह धरे कर यह फलु भाई। भजिय राम सब काम बिहाई।” उनका तात्पर्य अपना कर्त्तव्य छोड़ कर भजन करने से नहीं है। उनका कहना है कि फालतू काम छोड़कर निरन्तर ईश्वर का भजन करिए तभी देह धारण करना सार्थक है। यही देह ऐसी है जिससे हम ईश्वर स्मरण करते हुए परोपकारी जीवन व्यतीत कर सकते हैं। ईश्वर, धर्म और मानव के लिए किया गया कोई भी शुभ कार्य दान की श्रेणी में ही आएगा। भूखे को अन्न देना, वस्त्रहीन को वस्त्र देना, बीमार को दवाइयाँ देना, संकट में किसी की रक्षा करना आदि यह सभी उत्तम दान हैं।

प्रश्न 3.
‘नदिया जल कोयला भई’ से कबीर का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वैसे नदी में न तो आग लगती है न ही वह जलकर कोयला ही बनती है। यहाँ कबीर ने गूढ़ रहस्यवाद को लिया है कि शरीर से जब प्राण निकल जाते हैं तो उसे निस्सार समझ कर जला दिया जाता है। आत्मा अजर और अमर है, लेकिन उसका आधार शरीर है। बिना शरीर के आत्मा संसार में न तो रह सकती है, न ही कुछ काम कर सकती है। जिस प्रकार नदी में जल से ही उसका जीवन है उसी प्रकार आत्मा से ही शरीर में जीवन है, कार्य शक्ति है। आत्मा के शरीर से निकल जाने पर शरीर को जला दिया जाता है।

प्रश्न 4.
नर और नल नीर की तुलना कर बिहारी क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर:
नर और नल नीर की तुलना के माध्यम से कविवर बिहारी लाल यह कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार पानी का जल जितना नीचा होकर चलेगा उतना ही ऊँचा पानी फेक सकता है, उसी प्रकार जितना नम्र होकर मनुष्य चलेगा उतना ही ऊँचा स्थान वह प्राप्त करेगा। संसार में जो महान् होता है वही नम्रता का व्यवहार करता है। कठोर बोलने वाले को लोग नीच ही कहते हैं। नम्रता मनुष्य का वह आभूषण है जो उसकी महानता में चार चाँद लगा देता है। अतः मनुष्य को अपनी बोली में मधुरता और आचरण में नम्रता लानी चाहिए। ये दोनों गुण उसे उन्नति के शिखर तक ले जाते हैं। वृक्ष पर लगे हुए पके फल भी नीचे की ओर झुक जाते हैं ताकि लोग उन्हें तोड़ लें। नम्रता एक श्रेष्ठ गुण है जो महानता की पराकाष्ठा तक जाता है।

प्रश्न 5.
‘सभी समानता में ही शोभा पाते हैं।’ बिहारी ने किन उदाहरणों से इस कथन की पुष्टि की है?
उत्तर:
सभी वस्तुएँ समानता में या उचित स्थान पर ही शोभा पाती हैं। गलत स्थान पर रख देने से उस वस्तु की सुन्दरता नष्ट हो जाती है। समान आयु,समान स्तर,समान वैभव,समान बल और समान सौन्दर्य वाले व्यक्ति ही साथ-साथ बैठे हुए शोभा पाते हैं। बिहारी ने कहा है कि अंजन नेत्रों में शोभा पाता है और पान की लाली होठों पर ही शोभा पाती है। इस उदाहरण के द्वारा बिहारी ने यह बताया है कि समान स्तर और समान गुणों वाली वस्तुएँ ही साथ-साथ होने पर शोभा पाती हैं। असमान व्यक्तित्व वाले लोग समाज में एक स्थान पर बैठे हुए शोभा नहीं पाते। एक बलवान व्यक्ति के पास निर्बल व्यक्ति बिठा दें या सुन्दर व्यक्ति के पास असुन्दर व्यक्ति बिठा दें तो देखने वालों को अच्छा नहीं लगेगा। असमान वस्तुओं को हमारे नेत्र पहचान लेते हैं और उन्हें उतना सम्मान नहीं देते जितना समान वस्तुओं को मिलने पर देते हैं।

 

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए
(i) तिल समान तो………….अठारह हाथ।
(ii) को कहि सकै बड़ेन………. फूल।
(iii) मरतु प्यास पिंजरा…………की बेर।
(iv) अति अगाधु अति………..जाकी प्यास बुझाइ।
उत्तर:
(i) संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ कबीरदास जी रहस्यवाद की ओर आकर्षित हुए हैं और आत्मा को परमात्मा से जोड़ना चाहते हैं।

व्याख्या :
कबीरदास जी उल्टी बात कहते हुए बताते हैं कि हृदय में जीवन रूपी नदी सूख गई है। ज्ञान रूपी समुद्र में विषय,मोह-माया की आग लग गई है और मछली रूपी आत्मा,शरीर से निकल गई है। हे कबीर ! अब तो उठ और जाग।

संसार में माया रूपी गाय बड़ी सूक्ष्म है ओर उसकी उत्पत्ति (बछड़ा) बहुत विशाल है। माया रूपी गाय से मटकी भर-भर कर दूध दुह लिया यानि अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति कर ली। उसकी कामना रूपी पूँछ अठारह हाथ (बहुत लम्बी) की है। माया बड़ी सूक्ष्म है, लेकिन उसका संसार विशाल है, जो असत्य होते हुए भी सत्य का भान कराता है और हमारी अनेक सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति करता है। फिर भी हमारी तृष्णा (इच्छा) शेष रह जाती है।

(ii) संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ कवि ने यह स्पष्ट किया है कि बड़े लोगों की बड़ी भूल देखकर भी कोई कुछ नहीं कहता।

व्याख्या :
कविवर बिहारीलाल कहते हैं बड़ों से उनकी बड़ी भूल को देखकर भी कोई कुछ नहीं कहता। ईश्वर ने इतने सुन्दर गुलाब के फूलों की डाल पर काँटे लगा दिए हैं। अर्थात् काँटे और गुलाब का क्या संग है।

(iii) संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ समय के फेर के बारे में बताया है।

व्याख्या :
कविवर बिहारी कहते हैं कि संसार में समय का ही महत्व अधिक है। कवि उदाहरण देते हुए कहते हैं कि असमय के चलते तोता पिंजड़े में प्यासा मरता रहता है और दूसरी ओर कौए का सुसमय चल रहा है कि कनागतों के समय उसे आदर देकर बुलाते हैं और खाना खिलाते हैं। यह अच्छे और बुरे समय की बात है।

(iv) संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि अनेक प्रतीकों के माध्यम से इस तथ्य को स्पष्ट करता है जहाँ जिसकी आवश्यकता पूर्ण हो जाती है उसके लिए वही व्यक्ति महान है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि नदी, कुआँ, सरोवर या बावड़ी चाहे गहरी हो या उथली जो भी जिसकी प्यास बुझा देता है तो उस तृषित के लिए तो वही सागर के समान है। कहने का तात्पर्य है कि संसार में जो कोई किसी की आवश्यकता की पूर्ति कर देता है उसके लिए वही महान् व्यक्तित्व है।

नीति-काव्य काव्य सौन्दर्य

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम रूप लिखिए
कुसंग, अज्ञ, अभ्यस्त,उदात्त।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Swati Solutions पद्य Chapter 4 नीति-काव्य img-1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तद्भव शब्दों को तत्सम में बदलिए
पाथर, औगुन, सनमानु, मच्छी, काग।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Swati Solutions पद्य Chapter 4 नीति-काव्य img-2

प्रश्न 3.
निम्नलिखित छंदों की मात्राएँ गिनकर छंद की पहचान कीजिए
(1) समै समै सुन्दर सबै, रूप कुरूप न कोय।
मन की रुचि जेती जिते, तिन तेती रुचि होय।।
उत्तर:
दोहा चार चरण का मात्रिक छन्द है। इसके प्रत्येक पंक्ति में 24 मात्राएँ होती हैं। पहले एवं तीसरे चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं और दूसरे एवं चौथे चरणों में 11-11 मात्राएँ होती हैं दूसरे एवं चौथे चरण के अन्त में लघु होता है।
MP Board Class 12th Hindi Swati Solutions पद्य Chapter 4 नीति-काव्य img-3

(2) को कहि सकै बड़ेन सौं, लखें बड़ी यै भूल।
दीने दई गुलाब की, उनि डारनि वे फूल ।।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Swati Solutions पद्य Chapter 4 नीति-काव्य img-4
कविवर बिहारीलाल कहते हैं बड़ों से उनकी बड़ी भूल को देखकर भी कोई कुछ नहीं कहता। ईश्वर ने इतने सुन्दर गुलाब के फूलों की डाल पर काँटे लगा दिए हैं। अर्थात् काँटे और गुलाब का क्या संग है।

प्रश्न 4.
बिहारी के दोहों में से माधुर्य गुणयुक्त दोहे छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
समै समै सुन्दर सबै, रूप कुरूप न कोय।
मन की रुचि जेती जिते,तिन तेती रुचि होय॥
सोहतु संगु समान सौं, यहै कहै सबु लोगु।
पान-पीक ओठनु बनै, काजर नैननु जोगु ॥

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार छाँटकर लिखिए
अति अगाधु अति औधरौ, नदी, कूप, सरु बाइ।
सो ताको, सागरु जहाँ जाकी, प्यासु बुझाइ।
उत्तर:
प्रस्तुत दोहे में प्रथम पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है और नदी,कूप,सरु,बावड़ी की उपमा सागर से दी गई है अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

प्रश्न 6.
‘कबीर की साखियों में उलटबाँसियों का प्रयोग हुआ है’ इस कथन की पुष्टि हेतु उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
उदाहरण देखिए-
नदिया जल कोयला भई, समुन्दर लागी आग।
मच्छी बिरछा चढ़ि गई, उठ कबीरा जाग॥
तिल समान तो गाय है,बछड़ा नौ-नौ हाथ।
मटकी भरि-भरि दुहि लिया,पूँछ अठारह हाथ॥

प्रश्न 7.
यमक तथा श्लेष अलंकारों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
(i) यमक
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाइ।
बा खाए बोराइ जग, बा पाये बौराइ ॥

(ii) श्लेष
चिरजीवौ जोरी जुरै क्यों न सनेह गम्भीर।
को घटि ये वृष भानुजा ने हलधर के वीर ॥

प्रश्न 8.
व्याज स्तुति तथा व्याज निन्दा अलंकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्याज स्तुति-जब कथन में देखने और सुनने पर निन्दा-सी जान पड़े, किन्तु वास्तव में प्रशंसा हो,वहाँ व्याजस्तुति अलंकार होता है। जैसे-
गंगा क्यों टेड़ी चलती हो, दुष्टों को शिव कर देती हो।

व्याज निन्दा-जहाँ कथन में स्तुति का आभास हो,किन्तु वास्तव में निन्दा हो, वहाँ व्याज निन्दा अलंकार होता है। जैसे-
राम साधु, तुम साधु सुजाना। राम मातु भलि मैं पहिचाना।

अमृतवाणी भाव सारांश

‘अमृतवाणी’ नामक कविता के रचयिता ‘कबीरदास हैं। इसमें कवि ने संगति, उपदेश, विचार,वाणी और विपर्यय का वर्णन बड़े ही सहज और अनूठे ढंग से किया है।

कबीर के काव्य में अनेक स्थलों पर नीतिपरक कथन सहजता से मिल जाते हैं। नीति कथनों का सीधा सम्बन्ध जीवनानुभवों से है। कबीर के पास गहरे जीवन अनुभक थे। इसी कारण उनके नीति कथन मार्मिक बन पड़े हैं। कबीर ने अपने दोहों में सत्संगति, शिक्षा और उपदेश के महत्व को प्रतिपादित किया है। विभिन्न उपमाओं के माध्यम से सत्संग और कुसंग के भेद को कबीर ने गहराई से प्रदर्शित किया है। ‘विचार’ के अन्तर्गत उन्होंने परिस्थितियों के परिवर्तन की ओर संकेत किया है। शक्तिशाली को कभी भी अपनी शक्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए। ‘वाणी’ के अन्तर्गत कबीर ने वाणी संयम को जीवन की उपलब्धि माना है। उनकी ‘उलटवासियाँ’ भी जीवन के रहस्यमय अनुभवों को व्यक्त करती हैं।

अमृतवाणी संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

(1) संगति
कबिरा संगति साधु की, जो करि जाने कोय।
सकल बिरछ चन्दन भये, बाँस न चन्दन होय॥
कबीर कुसंग न कीजिए, पाथर जल न तिराय।
कदली सीप भुजंग मुख, एक बूंद तिर भाय ।। (2013)

शब्दार्थ :
संगति = साथ; साधु = सज्जन; करि = करे; कोय = कोई व्यक्ति; सकल = सभी; बिरछ = वृक्ष; कुसंग = बुरे लोगों का साथ; पाथर = पत्थर; तिराय = तैरता है; कदली = केला; भुजंग = सर्प।

संदर्भ :
प्रस्तुत साखी कविवर कबीरदास की ‘अमृतवाणी’ नामक साखियों से उद्धृत की गई हैं।

प्रसंग :
इन साखियों में कबीर ने सत्संग की महिमा और कुसंग की बुराई का वर्णन उदाहरण देकर किया है।

व्याख्या :
सन्त कबीर कहते हैं जो व्यक्ति सत्संगति के महत्व को समझता है वही उसका लाभ उठा पाता है। जैसे वन में चन्दन की सुगन्ध प्राप्त कर आस-पास के वृक्ष सुगन्धित होकर चन्दन की सदृश्यता को प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन बाँस अपने स्वभाव के कारण उसकी सुगन्ध ग्रहण नहीं कर पाता और सूखा बाँस ही रहता है। इसी प्रकार,साधु के गुणों को वे ही लोग ग्रहण करेंगे जो उसके पास रहते हों और प्रेम करते हों और जो साधु से द्वेष करते हैं, वे साधु के गुणों को ग्रहण करने के अधिकारी भी नहीं बन पाते। कबीर अपनी दूसरी साखी में कहते हैं कि मनुष्य को संसार में कुसंग से बचना चाहिए।

कुसंग उस पत्थर के समान है जो स्वयं तो पानी (संसार) में डूबता ही है और बैठने वाले को भी डुबो देता है अर्थात् नष्ट कर देता है। संसार में जैसा संग करोगे वैसा ही फल मिलेगा। सुन्दर प्रतीकों को माध्यम से कितनी मधुर व सरल भाषा में कबीर समझाते हैं कि स्वाति नक्षत्र की बूंद तो एक है लेकिन वह केले के ऊपर गिरती है तो कपूर बन जाती है,सीपी के मुँह में गिरती है तो मोती बन जाती है और वही बूंद यदि सर्प के मुंह में गिरती है तो विष बन जाती है। अर्थात् सम्पर्क के गुण के साथ समाहित होकर तीन प्रकार का फल प्राप्त करती है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. सत्संग के लाभ और कुसंग की हानि बड़े सरल,सुन्दर ढंग से दृष्टान्त के माध्यम से समझाई हैं।
  2. भाषा-सधुक्कड़ी परन्तु सरल।
  3. रस-शान्त।
  4. छन्द-दोहा।
  5. अलंकार-अनुप्रास, दृष्टान्त।

(2) उपदेश
देह धरे का गुन यही, देह देह कछु देह।
बहुरि न देही पाइये, अबकी देह सुदेह।।
जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम।
दोऊ हाथ उलीचिये, यही सयानो काम॥

शब्दार्थ :
देह = शरीर; देह = देना; बहुरि = आगे फिर; सुदेह = अच्छा शरीर (मानव चोला)।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ कबीरदास जी शरीर के जन्म लेने का श्रेय दान करना बताते हैं। दूसरी साखी में कबीर ने बताया है कि घर में सम्पत्ति के बढ़ जाने पर खूब दान करना चाहिए।

व्याख्या :
कबीरदास जी परमार्थ की बात कहते हैं कि हे मनुष्य ! तुझे मानव का श्रेष्ठ शरीर प्राप्त हुआ है इसलिए इसको धारण करने का फल यही है कि इस देह से जितना दान कर सके उतना दान कर ले। इस शरीर के शान्त (मृत्यु) हो जाने पर फिर यह शरीर मिलेगा यह निश्चित नहीं। यही शरीर (मानव शरीर) सर्वश्रेष्ठ हैं जिसमें कर्म करने की शक्ति और विचार करने के लिए बुद्धि है। अतः इस सुदेह से (उत्तम शरीर) से ही दान कर ले पता नहीं फिर तुझे दान करने का अवसर प्राप्त हो या न हो।

कबीर कहते हैं कि घर में यदि धन अधिक बढ़ जाय तो मनुष्य को उसे दान करना चाहिए या सत्कर्म में लगाना चाहिए। उदाहरण देते हए कबीर मनुष्य को सचेत करते हैं कि जिस प्रकार नाव में पानी भर जाने पर उसे दोनों हाथों से बाहर निकाल देना चाहिए ताकि नाव डूबने से बची रहे,उसी प्रकार,घर में बढ़ा हुआ धन सत्कर्म व दान में खर्च नहीं किया तो वह अपने साथ-साथ धन के स्वामी को भी ले डूबता है अर्थात् नष्ट कर देता है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. इस साखी में दान की श्रेष्ठता को उजागर किया है।
  2. भाषा सधुक्कड़ी होते हुए भी मधुर और उपदेशपरक है।
  3. अनुप्रास,पुनरुक्तिप्रकाश, दृष्टान्त अलंकार।

(3) विचार
माटी कहे कुम्हार से, क्या तू रौदै मोहि।
एक दिन ऐसा होयगा, मैं रौंदोंगी तोहि।।
यह तन काँचा कुंभ है, लिये फिरै थे साथ।
टपका लागा फुटि गया, कछू न आया हाथ।। (2011, 12)

शब्दार्थ :
माटी = मिट्टी; कुम्हार = जो मिट्टी के बर्तन बनाता है; रौदे = पैरों के नीचे कुचलना; तन = शरीर; काँचा = कच्चा; कुंभ = घड़ा; टपका – पानी की बूंदें; फुटि = टूट गया; कछू = कुछ भी।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियों में कबीरदास जी ने संसार और शरीर की नश्वरता पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। मनुष्य का शरीर क्षणभंगुर है।

व्याख्या :
कबीरदास जी कुम्हार को संकेत करते हुए अपना विचार प्रस्तुत करते हैं कि मिट्टी कुम्हार से कहती है कि हे कुम्हार ! तू इस समय मुझे अपने पैरों के नीचे डाल कर रौंद रहा है,लेकिन एक दिन ऐसा आएगा जब मैं तुझे रौंदूंगी। शरीर की मृत्यु हो जाने पर यह शरीर पाँच तत्वों में मिल जाता है। कहने में यही आता है कि मिट्टी का शरीर मिट्टी में मिल गया।

कबीरदास जी कहते हैं कि यह शरीर कच्चे घड़े के समान है जिसे हम साथ-साथ लिए चलते हैं। वर्षा के जल के पड़ने से यह गीला होकर टूट जायेगा और हमारे हाथ कुछ भी नहीं रहेगा। शरीर के अर्थ में मृत्यु रूपी वर्षा इसको तोड़ देगी फिर इस निस्सार शरीर का संकेतमात्र भी हमारे पास नहीं बचेगा। अतः मनुष्य को इस नाशवान शरीर का अभिमान न करते हुए हरि स्मरण करके और दान करके इसे सार्थक बनाना चाहिए।

काव्य सौन्दर्य :

  1. जन साधारण की भाषा लेकिन सरल और मधुर।
  2. उपमा एवं अनुप्रास अलंकार की छटा।
  3. शान्त रस।

(4) वाणी
शब्द सम्हारे बोलिए, शब्द के हाथ न पाँव।
एक शब्द औषधि करे, एक शब्द करे घाव॥
जिभ्या जिन बस में करी-तिन बस कियो जहान।
नहिं तो औगुन उपजै, कहि सब सन्त सुजान।।

शब्दार्थ :
शब्द = बोली; सम्हारे = सावधानी से; औषधि = दवा का काम करता है; घाव = घायल कर देता है; जिभ्या = जीभ; बस = नियन्त्रण में; तिन = उनने; जहान = संसार; औगुन = बुराई; सुजान = सज्जन।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ कवि वाणी के महत्व को प्रतिपादित करते हैं।

व्याख्या :
कबीरदास जी कहते हैं कि अपने मुख से शब्द सावधानी से निकालना चाहिए। इसके हाथ पैर तो होते नहीं हैं पर वह हम लोगों से ही अपने अनुरूप कार्य सिद्ध करा लेता है। एक शब्द तो मधुरता लिए हुए होता है जो औषधि का कार्य करता है और दूसरा शब्द कठोरता लिए होता है जो सुनने वाले के शरीर में घाव कर देता है।

कबीरदास जी पुनः स्पष्ट करते हैं कि जिन लोगों ने अपनी जिह्वा को वश में कर लिया है उन्होंने संसार को ही वश में कर लिया है। यदि जिह्वा किसी के वश में नहीं है तो वह अनेक बुराइयों को जन्म देती है। ऐसा सभी साधुजन कहते हैं। कहने का तात्पर्य है कि मीठी बोली से संसार अपना बन जाता है और कर्कश वाणी से शत्रुता, द्वेष और घृणा के भाव जाग्रत होते हैं।

काव्य सौन्दर्य :

  1. भाषा सधुक्कड़ी है परन्तु सधी हुई और नीतिपरक है।
  2. अनुप्रास अलंकार।
  3. छन्द-दोहा।
  4. शान्त रस।

(5) विपर्यय (उलटबाँसियाँ)
नदिया जल कोयला भई, समुन्दर लागी आग।
मच्छी बिरछा चढ़ि गई, उठ कबीरा जाग।
तिल समान तो गाय है, बछड़ा नौ-नौ हाथ।
मटकी भरि भरि दुहि लिया, पूँछ अठारह हाथ॥

शब्दार्थ :
नदिया = नदी; जल = जलकर; समुन्दर = समुद्र; मच्छी = मछली; बिरछा = वृक्ष; मटकी = मटका; दुहि = दूध दुहना।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ कबीरदास जी रहस्यवाद की ओर आकर्षित हुए हैं और आत्मा को परमात्मा से जोड़ना चाहते हैं।

व्याख्या :
कबीरदास जी उल्टी बात कहते हुए बताते हैं कि हृदय में जीवन रूपी नदी सूख गई है। ज्ञान रूपी समुद्र में विषय,मोह-माया की आग लग गई है और मछली रूपी आत्मा,शरीर से निकल गई है। हे कबीर ! अब तो उठ और जाग।

संसार में माया रूपी गाय बड़ी सूक्ष्म है ओर उसकी उत्पत्ति (बछड़ा) बहुत विशाल है। माया रूपी गाय से मटकी भर-भर कर दूध दुह लिया यानि अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति कर ली। उसकी कामना रूपी पूँछ अठारह हाथ (बहुत लम्बी) की है। माया बड़ी सूक्ष्म है, लेकिन उसका संसार विशाल है, जो असत्य होते हुए भी सत्य का भान कराता है और हमारी अनेक सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति करता है। फिर भी हमारी तृष्णा (इच्छा) शेष रह जाती है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. भाषा सधुक्कड़ी है।
  2. उलटबाँसियाँ सुन्दर कथ्य हैं।
  3. पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार।
  4. प्रतीकों का सुन्दर प्रयोग है।

दोहे भाव सारांश

संकलित ‘दोहे’ कविवर ‘बिहारी लाल’ ने लिखे हैं। इनमें नीतिपरक बातें बड़े ही सरल और मार्मिक शब्दों में बताई गई हैं।

बिहारी सतसई’ के नीतिपरक दोहों ने जीवन व्यवहार के अनेक पक्ष रखे हैं। संकलित दोहों में सुन्दरता की सापेक्षता को ही स्वीकार किया है। समय के फेर से सज्जन भी विपत्ति में पड़ जाते हैं और दुर्जनों को सम्मान मिलने लगता है, अपने गुणों से ही व्यक्ति महान् बनता है। मनुष्य की विनम्रता ही उसे बड़ा बनाती है। समान संग होने पर ही शोभा बढ़ती है। बड़ों की भूल-भूल नहीं मानी जाती। धन बढ़ने पर संयम रखना चाहिए। यदि दुर्जन अपनी दुर्जनता छोड़ देता है तो उसे अनिष्ट की आशंका बढ़ जाती है। अवसर मिलने पर थोड़े समय तक ही सम्मान मिल सकता है। जिस जल से व्यक्ति की प्यास बुझती है, उसके लिए वही महत्वपूर्ण होता है। इन्हीं नीति के सिद्धान्तों को बिहारी ने अनेक रूपकों और उत्प्रेक्षाओं के माध्यम से व्यक्त किया है।

दोहे संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

समै-समै सुन्दर सबै, रूप कुरूप न कोय।
मन की रुचि जेती जितै, तिन तेती रुचि होय ॥1॥

शब्दार्थ:
समै-समै = समय-समय पर;सबै = सभी; कोय = कोई कुरूप = बदसूरत; रुचि = पसंद; जेती = जितनी; जितै = जिस तरफ; तिन = उसमें; तेती = उतनी ही।

संदर्भ :
प्रस्तुत दोहा कविवर बिहारी द्वारा रचित दोहों से उद्धृत है।

प्रसंग :
इस दोहे में कवि ने सुन्दरता का मुख्य स्रोत मन को बताया है।

व्याख्या :
कवि बिहारी कहते हैं कि समय-समय पर सभी सुन्दर होते हैं। सुन्दर-असुन्दर जैसा कुछ भी नहीं होता। हमारा मन जिसको भी पसंद कर लेता है उसमें उतनी ही रुचि हो जाती है अर्थात् वह वस्तु या स्त्री-पुरुष उतना ही सुन्दर दिखता है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. सशक्त ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है।
  2. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग सुन्दर है।

मरतु प्यास पिंजरा पर्यो, सुआ दिनन के फेर।
आदरु दै दै बोलियतु, बायस बलि की बेर ॥2॥

शब्दार्थ :
मरतु = मरता है; सुआ = तोता; बोलियतु = बुलाते हैं; बायस = कौआ; बलि की बेर = खाना खिलाते हैं।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ समय के फेर के बारे में बताया है।

व्याख्या :
कविवर बिहारी कहते हैं कि संसार में समय का ही महत्व अधिक है। कवि उदाहरण देते हुए कहते हैं कि असमय के चलते तोता पिंजड़े में प्यासा मरता रहता है और दूसरी ओर कौए का सुसमय चल रहा है कि कनागतों के समय उसे आदर देकर बुलाते हैं और खाना खिलाते हैं। यह अच्छे और बुरे समय की बात है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. संसार में समय ही महत्वपूर्ण है।
  2. अनुप्रास अलंकार की छटा दृष्टव्य है।

बड़े न हूजे गुननि बिन, बिरद बड़ाई पाय।
कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ौ न जाय ॥3॥ (2011, 17)

शब्दार्थ :
हूजे = होते हैं; बिरद = नाम; कनक = सोना; गढ़ौ = बनाना।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ कवि बिहारी ने बताया है कि बिना गुणों के कोई बड़ा नहीं हो सकता।

व्याख्या :
कवि कहता है कि बिना गुणों के सिर्फ नाम का यश प्राप्त करके कोई बड़ा नहीं बन जाता है जैसे धतूरे को कनक (सोना) भी कहते हैं, लेकिन उससे गहना नहीं गढ़ा जा सकता। संसार में यह प्रसिद्ध कहावत है कि बिना गुणों के कोई महान् नहीं बन सकता।

काव्य सौन्दर्य :

  1. प्रसिद्ध उक्ति को दर्शाया गया है।
  2. दोहा छन्द है।
  3. अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय है।

नर की अरु नल नीर की, गति एकै करि जोय।
जेतो नीचो है चले, तेतो ऊँचो होय ॥4॥

शब्दार्थ :
नर = मनुष्य; अरु = और; नीर = पानी; गति = चाल; जेतो = जितना; है = होकर; तेतो = उतना ही।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ कवि ने मनुष्य की नम्रता को महत्व दिया है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि नल और नर की चाल एक सी होती है। जितना नीचे वह चलेगा उतना ही ऊँचा उठेगा। अर्थात् पानी का नल जितना नीचा होकर चलेगा उतना ही ऊँचा पानी पहुँचेगा। इसी प्रकार, मनुष्य जितनी नम्रता का व्यवहार करेगा समाज में उतना ही सम्मान प्राप्त करेगा।

काव्य सौन्दर्य :

  1. दोहा छन्द के अनुरूप ब्रजभाषा का प्रयोग।
  2. एक सिद्धान्त का प्रतिपादन हुआ है।
  3. अनुप्रास अलंकार की छटा।

सोहतु संगु समान सौं, यहै कहै सबु लोग।
पान-पीक ओठनु बनै, काजर नैननु जोगु ॥5॥

शब्दार्थ :
सोहतु = शोभित होता है; संगु = साथ; ओठनु = होठों पर; काजर = काजल; जोगु = योग।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ कवि ने बताया है कि साथ समान लोगों में ही शोभा देता है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि सब लोग यही कहते हैं कि समान स्थिति वाले लोगों का साथ ही शोभा देता है, जैसे पान का लाल रंग होठों पर शोभित होता है और काजल दोनों नेत्रों में ही शोभा पाता है। असमान वस्तु या लोग शोभा को प्राप्त नहीं होते और न ही आकर्षक होते हैं।

काव्य सौन्दर्य :

  1. ब्रजभाषा का सुन्दर प्रयोग हुआ है।
  2. एक उक्ति को उजागर किया गया है।
  3. दोहा छन्द का प्रयोग।

को कहि सकै बड़ेन सों, लखें बड़ी यै भूल।
दीने दई गुलाब की, उनि डारनि वे फूल। ॥6॥

शब्दार्थ :
बड़ेन सौं = बड़े लोगों से; लखें = देखकर; जरनि = डालों पर; उनि = उन।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ कवि ने यह स्पष्ट किया है कि बड़े लोगों की बड़ी भूल देखकर भी कोई कुछ नहीं कहता।

व्याख्या :
कविवर बिहारीलाल कहते हैं बड़ों से उनकी बड़ी भूल को देखकर भी कोई कुछ नहीं कहता। ईश्वर ने इतने सुन्दर गुलाब के फूलों की डाल पर काँटे लगा दिए हैं। अर्थात् काँटे और गुलाब का क्या संग है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. ब्रजभाषा का प्रयोग।
  2. दोहा छन्द।

बढ़त बढ़त संपति-सलिलु, मन सरोजु बढ़ि जाइ।
घटत-घटत सुन फिर घटै, बरु समूल कुम्हिलाइ ।।7।।

शब्दार्थ :
बढ़त = बढ़ते हुए; संपति-सलिलु = सम्पत्ति रूपी कमल; समूल = जड़ सहित; कुम्हिलाइ = मुरझा जाता है; बरु = चाहे।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ बिहारी ने सम्पत्ति के साथ मन के बढ़ने का तथ्य प्रकाशित किया है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि सम्पत्ति रूपी जल के बढ़ते जाने पर मन रूपी कमल भी साथ-साथ बढ़ता जाता है, लेकिन सम्पत्ति रूपी जल के घटने पर मन रूपी कमल घटता नहीं है चाहे जड़ समेत मुरझा जाय। अर्थात् धन के बढ़ने पर मनुष्य का मन हर बात में ऊँचा हो जाता है,लेकिन धन की कमी आने पर मन के अहंकार या बड़प्पन में कमी नहीं आती चाहे वह नष्ट होने को मजबूर क्यों नहीं हो जाय।

काव्य सौन्दर्य :

  1. ब्रजभाषा में सुन्दर उक्ति का प्रकाश।
  2. पुनरुक्तिप्रकाश व रूपक अलंकार की छटा।

बुरौ बुराई जौ तजै, तौ चितु खरौ डरातु ।
ज्यौं निकलंकु मयंकु लखि, गनै लोग उतपातु ॥8॥

शब्दार्थ :
तजै = छोड़ देता है; चितु = मन;खरौ = सच्चा; डरातु = डरता है; निकलंकु = निष्कलंक; लखि = देखकर; उतपातु = उपद्रव, अशांति।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहे में यह तथ्य उद्घाटित किया गया है कि कोई बुरा व्यक्ति बुराई छोड़ भी दे तो भी लोग उस पर शंका करते हैं।

व्याख्या :
दुर्जन यदि अपनी दुर्जनता का परित्याग कर भी देता है, तब भी सच्चे लोग (सज्जन) उस पर शंका करते रहते हैं। उदाहरण के लिए, निष्कलंक चन्द्रमा को देखकर भी लोग किसी उत्पात की आशंका से ग्रस्त रहते हैं।

काव्य सौन्दर्य :

  1. दोहा छन्द में प्रसिद्ध उक्ति का निरूपण।
  2. अनुप्रास अलंकार की छटा दृष्टव्य है।
  3. विषयानुकूल भावाभिव्यक्ति करने में समर्थ भाषा का प्रयोग हुआ है।

दिन दस आदरु पाइकै, करि लै आपु बखानु।
जौ लगि काग ! सराधपखु, तौ लगि तौ सनमानु ।।9॥

शब्दार्थ :
आदरु = सम्मान; पाइकै = पाकर; बखानु = बड़ाई करना; जौ लगि = जब तक; सराध पखु = सराध पक्ष,कनागत (श्राद्ध पक्ष के 15 दिन); तौ लगि = तभी तक; सनमानु = सम्मान।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
प्रस्तुत दोहे में कवि बिहारी ने इस तथ्य को उजागर किया है कि थोड़े दिनों के सम्मान को पाकर अभिमान नहीं करना चाहिए।

व्याख्या :
कवि काग को संकेत करते हुए उन लोगों से कहता है जो थोड़े दिनों के सम्मान को प्राप्त कर अपनी प्रशंसा स्वयं करने लगते हैं। कवि कहता है-हे काग ! दस दिन आदर प्राप्त करके अपनी प्रशंसा खूब कर ले, लेकिन इस बात को भी ध्यान में रख कि जब तक श्राद्ध पक्ष है तब तक ही तेरा सम्मान है। उसके बाद तुझे कोई नहीं पूछेगा। श्राद्ध पक्ष (कनागत के 15 दिन) में कौए को भोजन कराने से वह खाना श्राद्ध करने वाले परिवार की मृतात्मा को प्राप्त होता है, हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. श्राद्ध पक्ष की लोक प्रचलित मान्यता को उजागर किया है।
  2. दोहा छन्द विधान उत्तम है।
  3. अनुप्रास अलंकार की छटा।

अति अगाधु, अति औथरौ, नदी, कूप, सरु बाइ।
सो ताकौ सागरु, जहाँ जाकी प्यासु बुझाइ ॥10॥

शब्दार्थ :
अगाधु = अथाह; औथरौ = उथला; सरु = सरोवर; बाइ = बावड़ी; सागरु = समुद्र,महान व्यक्तित्व।

संदर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि अनेक प्रतीकों के माध्यम से इस तथ्य को स्पष्ट करता है जहाँ जिसकी आवश्यकता पूर्ण हो जाती है उसके लिए वही व्यक्ति महान है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि नदी, कुआँ, सरोवर या बावड़ी चाहे गहरी हो या उथली जो भी जिसकी प्यास बुझा देता है तो उस तृषित के लिए तो वही सागर के समान है। कहने का तात्पर्य है कि संसार में जो कोई किसी की आवश्यकता की पूर्ति कर देता है उसके लिए वही महान् व्यक्तित्व है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. ब्रजभाषा में दोहा छन्द में लिखा गया है।
  2. अनुप्रास अलंकार की छटा शोभित है।
  3. लोक प्रचलित शब्दों का प्रयोग काव्य में मधुरता ले आया है।

MP Board Class 12th Hindi Solutions

MP Board Class 6th Special English Solutions Chapter 11 Rain in Summer

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Rain in Summer Text Book Exercise

Word Power

1. Match the column ‘A’ with ‘B’.
Rain In Summer Question Answers Class 6 MP Board
Answer:
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Comprehension

Answer these questions.

Class 6 English Chapter 11 Rain In Summer MP Board Question 1.
Why does the poet welcome rain?
Answer:
The poet welcomes rain because he has got tired of the dust and heat of summer.

Class 6 English Chapter 11 MP Board Question 2.
What is meant by ‘clatters along the roof?
Answer:
Clatters along the roof means the sound of hoofs when the horses run swiftly on the ground.

Rain In Summer Poem Questions And Answers Class 6 MP Board Question 3.
Why does the rain water have to struggle to come out of the spout?
Answer:
The spout is overflowing with water. Therefore, the rain water has to struggle for coming out of the spout.

Rain In Summer Class 6 MP Board Question 4.
How does the rainwater flow down the gutter?
Answer:
When the rain water swiftly comes into the gutter, it makes a sound of roaring like a broad and mighty river.

Rain in Summer Word Meanings

Fiery – as hot as fire, तपती हुई। Broad – wide, चौड़ी, Narrow – of lesser width, तंग। Clatters – jingles, झनझनाना, Gushes – comes out, निकलना, Struggles – make an effort, संघर्ष करना। pout – pipe, मोरी, Tide – flow of water, बहाव।

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MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 21 सूक्तयः

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Durva Chapter 21 सूक्तयः (स्फुट) (सङ्कलिताः)

MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 21 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

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कक्षा 10 संस्कृत पाठ 21 MP Board प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखिए)।
(क) पठतो किं नास्ति? (पढ़ते हुए का क्या नहीं है?)
उत्तर:
मूर्खत्वम् (मूर्खता)

(ख) देवतानां दैवतं का? (देवताओं का देवता कौन है?)
उत्तर:
माता (माता)

(ग) नभसि क्षिप्तः पङ्क कुत्र पतति? (आकाश पर फेंका हुआ कीचड़ कहाँ गिरता है?)
उत्तर:
मूर्द्धनि (सिर पर)

(घ) प्राणैः कण्ठगतैरपि किं कर्त्तव्यः? (प्राणों के कण्ठ में पहुंचने पर भी क्या करना चाहिए?)
उत्तर:
परोपकारः (परोपकार)

(ङ) केन सर्वं जगद्विजीयते? (किसके द्वारा सारा जगत जीता जाता है।)
उत्तर:
जितक्रोधेन (क्रोध को जीतने वाले के द्वारा)

Mp Board Class 10th Sanskrit Chapter 21 प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत-(एक वाक्य में उत्तर लिखिए-)
(क) कः धीरः? (कौन धीर है?)
उत्तर:
यस्य प्रज्ञा आपदि स्फुरति सः एव धीरः। (जिसकी बुद्धि आपत्ति में सर्जित (कार्यशील) होती है, वही धीर है।)

(ख) वाग्मिता का? (वाक्पटुता क्या है?)
उत्तर:
मितं च सारं च वयः हि वाग्मिता। (थोड़ा और संक्षेप में बोलना वाक्पटुता है।)

(ग) जनाः कदा शिष्टाः भवन्ति? (लोग कब शिष्ट होते हैं?)
उत्तर:
परोपदेशवेलायां जनाः शिष्टाः भवन्ति। (दूसरों के उपदेश के समय लोग शिष्ट होते हैं।)

(घ) सन्तः किं कुर्वाणाः प्रतिक्रियां न अवेक्षन्ते? (सज्जन लोग क्या करते हुए बदला नहीं देखते?)
उत्तर:
सन्तः परार्थं कुर्वाणाः प्रतिक्रियां न अवेक्षन्ते। (सज्जन लोग परोपकार करते हुए बदला नहीं देखते।)

(ङ) मानी किं सहते? (सम्मान वाले लोग क्या सहन करते हैं?)
उत्तर:
मानी विपत्सहस्रं सहते।। (सम्मान वाले लोग हजारों मुश्किलें सह सकते हैं।)

Mp Board Class 10 Sanskrit Chapter 21 प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए)
(क) कः स्वयं भ्रमति? (कौन स्वयं घूमता है?)
उत्तर:
यस्य निश्चयः स्वधियः नास्ति सः स्वयं भ्रमति। (जिसका फैंसला अपनी बुद्धि का नहीं होता वह खुद घूमता है।)

(ख) कः कस्मात् क्रूरतरः? (कौन किससे अधिक क्रूर है?)
उत्तर:
खलः सात् क्रूरतरः। (दुष्ट व्यक्ति साँप से अधिक भयंकर है।)

(ग) मतिमान नरः किं करोति? (बुद्धिमान व्यक्ति क्या करता है?)
उत्तर:
मतिमान् नरः स्वल्पस्य कृते भूरिं न नाशयेत्। (बुद्धिमान् लोग थोड़े के लिए अधिक को नष्ट नहीं करते।)

Class 10 Sanskrit Chapter 21 MP Board प्रश्न 4.
प्रदत्तशब्दैः सूक्तिपूर्तिं कुरुत (दिए गए शब्दों से सूक्ति की पूर्ति करो।)
(लघुत्वं, स्वल्पस्य, जितक्रोधेन, स्फुरति, निश्चयो)
(क) न …………… कृते भूरि नाशयेन्मतिमान् नरः।
(ख) …………… सर्वं हि जगदेतद्विजीयते।
(ग) परसदननिविष्टः को …………… न याति।
(घ) स्वधियो …………… नास्ति यस्य स भ्रमति स्वयम्।
(ङ) आपदि …………… प्रज्ञा यस्य धीरः स एव हि।
उत्तर:
(क) स्वल्पस्य
(ख) जितक्रोधेन
(ग) लघुत्वं
(घ) निश्चयो
(ङ) स्फुरति।

Sukti Sanskrit Class 10 MP Board प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत (उचित क्रम से जोडिए)
कक्षा 10 संस्कृत पाठ 21 MP Board
उत्तर:
(क) 5
(ख) 4
(ग) 2
(घ) 1
(ङ) 3

Sanskrit Class 10 Chapter 21 Mp Board प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘न’ इति लिखत
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ तथा अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ लिखिए-)
(क) धीरपुरुषाणां प्रज्ञा आपदि स्फुरति।
(ख) स्वर्णकांस्ययोः ध्वनिः सममेव भवति।
(ग) खलसर्पयोः मध्ये सर्पः क्रूरतरः अस्ति।
(घ) माता देवतानां दैवतम् नास्ति।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) न
(ग) न
(घ) न

Class 10th Sanskrit Chapter 21 MP Board प्रश्न 7.
अधोलिखितपदानां समासविग्रहं कृत्वा समासनाम लिखत
(नीचे लिखे पदों के समास विग्रह करके समास का नाम लिखिए-)
(क) परोपकारः
(ख) जितक्रोधेन
(ग) कण्ठगतैः
(घ) स्वधियः
(ङ) परार्थम्
उत्तर:
Mp Board Class 10th Sanskrit Chapter 21

Class 10 Sanskrit Sukti MP Board  प्रश्न 8.
उदाहरणानुसारं पर्यायशब्दान् लिखत
(उदाहरण के अनुसार पर्यायवाची शब्द लिखिए-)
यथा- मितम् – स्वल्पम्
(क) सुवर्णे
(ख) देवतानाम्
(ग) प्रज्ञा
(घ) सर्पः
(ङ) सन्तः
उत्तर:
(क) सवर्णे – कनके
(ख) देवतानाम् – सुराणाम्
(ग) प्रज्ञा – धीः
(घ) सर्पः – भुजङ्गः
(ङ) सन्तः – सज्जनाः

Sukti Sanskrit Class 10 Pdf MP Board प्रश्न 9.
विलोमशब्दान् लिखत- (विलोमशब्द लिखिए)
यथा- खलः – साधुः
(क) धीरः
(ख) सारम्
(ग) शिष्टाः
(घ) स्वल्पस्य
(ङ) क्रूरः
उत्तर:
(क) धीरः – अधीरः
(ख) सारम् – विस्तारम्
(ग) शिष्टाः – अशिष्टाः
(घ) स्वल्पस्य – अधिकस्य
(ङ) क्रूर – अक्रूरः, नम्रः, सौम्यः

सूक्ति सुधा संस्कृत 10th भाषाभ्यास MP Board प्रश्न 10.
रेखाकितपदान्याधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत (रखाङ्कित पदों के आधार पर प्रश्न बनाइए-)
(क) सर्वे शिष्टाः भवन्ति। (सब शिष्ट होते हैं।)
(ख) पङ्क पतति। (कीचड़ गिरता है।)
(ग) सर्पः क्रूरः भवति। (साँप क्रूर होता है।)
(घ) माता देवतानां दैवतम् भवति। (माता देवताओं का देवता होती है।)
(ङ) खलः सात् क्रूरतरः भवति? (दुष्ट व्यक्ति किससे अधिक क्रूर है?)
उत्तर:
(क) के शिष्टाः भवन्ति? (कौन शिष्ट होते हैं?)
(ख) कः पतति? (क्या गिरता है?)
(ग) कः क्रूरः भवति? (कौन भयानव. होता है?)
(घ) का देवतानां दैवतम् भवति? (कौन देवताओं का देवता है?)
(ङ) खलः कस्मात् क्रूरतरः भवति? (दुष्ट व्यक्ति किससे अधिक क्रूर है?)

योग्यताविस्तार –

पाठे आगताः सूक्तीः विहाय दशसूक्तीः चित्वा लिखत।
(पाठ में आई सूक्तियों को छोड़कर दरा सूक्तियाँ चुनकर लिखिए।)

सूक्तीः कण्ठस्थं कुरुत।
सूक्तियों को कण्ठस्थ कीजिए।

सूक्तयः पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ में कुछ सूक्तियाँ दी गई हैं, जिनसे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का ज्ञान तथा सदाचारण की प्रेरणा प्राप्त होती है। इन सूक्तियों में कम अक्षरों के द्वारा रहस्थमय और गंभीर विषय सरल रूप में समझाए गए हैं। थोड़े प्रयत्न से तत्त्व को बोध कराने में इनका अनुपम योगदान है। इसलिए हमें इन्हें पढ़ना चाहिए और उनका अनुसरण करना चाहिए।

सूक्तयः पाठ का अनुवाद

1. पठतो नास्ति मूर्खत्वम

शब्दार्थाः :
नास्ति (न + अस्ति)-नहीं हैं- does not exist; मूर्खत्वम्-मूर्खत्वfoolishness.

Suktaya Sanskrit Class 10 MP Board अनुवाद :
पढ़ने वाले का मूर्खत्व नहीं है।

English :
A studious fellow does not remain foolish.

2. मितं च सारं च वचो हि वग्मिता

शब्दार्थाः :
मितम्-थोड़ा- little; सारम्:-संक्षेप-brief; वाग्मिता-बोलने की चतुरता/वाक्पटुता-wisdom in speech.

10th Class Sanskrit Sukti MP Board अनुवाद :
थोड़ा और संक्षेप में बोलना ही वाक्पटुता है।

English :
Brevity (Brief expression) is the soul of wit (sign of wisdom.)

3. न सुवर्णे ध्वनिस्तादृग् यादृक्कांस्ये प्रजायते।

शब्दार्थाः :
सुवर्णे-सोने में-in Gold; तादृक्-वैसी-such; यादृक्-जैसी- as; प्रजायते-होती है-is produced.

Class 10 Sanskrit Suktiyan MP Board अनुवाद :
सोने (स्वर्ण) में वैसी आवाज़ नहीं होती, जैसी कांसे में होती है।

English :
Gold is not as resounding (resonant) as bronze.

4. परसदननिविष्टः को लघुत्वं न याति।

शब्दार्थाः :
परसदननिविष्ट-दूसरे के सदन (घर)-Sitting in others’ house; लघुत्वम्-छोटेपन का-lowliness; याति-जाता (प्राप्त होता) है।

Sukti Class 10 Sanskrit MP Board अनुवाद :
दूसरे के घर में बैठा हुआ (वैठने पर) कौन छोटा नहीं हो जाता। दूसरे के घर पर गया हुआ अथवा कौन घटिया नहीं समझा जाता है।

English :
One loses dignity by visiting others’ places or who does not become low on entering others’ houses?

5. परोपदेशवेलायां शिष्टाः सर्वे भवन्ति वै।

शब्दार्थाः :
वेलायाम्-समय पर-at the time of; वैः-निश्चयपूर्वक-really; शिष्टाः-अच्छे आचरण वाला-of noble conduct (supreme).

Suktayaha Class 10 Sanskrit Meaning MP Board  अनुवाद :
दूसरों के उपदेश के समय हम सब सदाचरण वाले बन जाते हैं।

English :
Everyone is a good adviser while advising others.

6. माता किल मनुष्याणां देवतानां च दैवतम्।

शब्दार्थाः :
किल-निश्चयपूर्वक-virtually; दैवतम्-देवता-god.

सूक्ति — सुधा संस्कृत 10th MP Board अनुवाद :
मनुष्यों की माता निश्चित रूप से देवताओं के देवता के समान है।

English :
One’s mother is the supreme god/goddess (like the mother of gods/goddesses)

7. आपदि स्फुरति प्रज्ञा यस्य धीरः स एवहि

शब्दार्थाः :
आपदि-मुसीबत में-introuble; स्फुरति-फड़कती है/सर्जित होती (क्रियाशील होती) है- throbs; प्रज्ञाः-बुद्धि, ज्ञान-Wisdom (cool).

Mp Board Class 10th Hindi Chapter 21 अनुवाद :
आपत्ति में जिसका ज्ञान सर्जित होता (दमकता) है, वही धैर्यवान् है।

English :
One who (does not lose) wisdom/during troubles alone is considered forbearing retains contentment is more than a kingdom.

8. पको हि नभसि क्षिप्तः क्षेप्तुः पतति मूर्द्धनि।

शब्दार्थाः :
पक-कीचड़-mud; नभसि-आकाश पर-towards the sky; क्षिप्तः-फेंका गया-thrown; क्षेप्तु-फेंकने वाले के-thrower’s; मूर्द्धनि-सिर पर-on the head.

Class 10 Sanskrit Mp Board अनुवाद :
आकाश पर फेंका गया कीचड़ सिर पर ही गिरता है।

English :
Puff not against the wind.

9. परोपकारः कर्त्तव्य प्राणैः कण्ठगतैरपि।

शब्दार्थाः :
प्राणैः-प्राणों से-with life (breath); कण्टगतैः-कण्ठ में अटके हुए (मरते दम तक)-sticking in the throat.

अनुवाद :
कण्ठ में पहुँचे हुए प्राणों से भी परोपकार करना चाहिए। (मरते दम तक परोपकार करना चाहिए।)

English :
Do good until there is the last breath.

10. न स्वल्पस्य कृते भूरि नाशयेन्मतिमान् नरः।

शब्दार्थाः :
स्वल्पस्य-थोड़े का-of little; भूरि-अधिक-much; नाशयेत्ः-नष्ट करें-sacrifice.

अनुवाद :
बुद्धिमान लोग थोड़े के लिए अधिक को नष्ट न करें।

English :
Quit not certainty for hope.

11. जितक्रोधेन सर्वं हि जगदेतद्विजीयते।

शब्दार्थाः :
जितक्रोधेन-क्रोध को जीतने से-To conquer anger; विजीयते-जीता जाता है-is conquered.

अनुवाद :
क्रोध को जीतने से इस संसार में सबको जीता जाता है।

English :
Control anger and you will control the entire world.

12. सन्तः परार्थं कुर्वाणा नावेक्षन्ते प्रतिक्रियाम्।

शब्दार्थाः :
परार्थम्-दूसरों की भलाई-welfare of others; कुर्वाणा-करते हुए-doing; नावेक्षन्तेः-नहीं देखते हैं-do not count; प्रतिक्रिया-बदला-reaction.

अनुवाद :
सज्जन लोग दूसरों के लिए भलाई का कार्य करते हुए उसकी प्रतिक्रिया (बदला) नहीं देखते हैं।

English :
Do good and forget.

13. सहते विपत्सहस्त्रं मानी नैवापमानलेशमपि।

शब्दार्थाः :
सहते-सहन करते हैं-bears; विपत्सहस्त्रम्-हजारो मुश्किलें-thousands of troubles; लेशमपिः-थोड़ा-सा भी-evena bit;मानी-सम्मानीय लोग-Menof honour (respectable persons).

अनुवाद :
सम्मानीय लोग हजारों मुश्किलें सहन करते हैं। पर थोड़ा-सा भी अपमान नहीं (सह सकते हैं)।

English :
Men of honour might undergo a series of troubles. However, they do not tolerate even a bit of insult.

14. सर्पः क्रूरः खलः क्रूरः सात्क्रूरतरः खलः।

शब्दार्थाः :
क्रूरः-भयंकर-crooked, fearful;खलः-दुष्ट व्यक्ति-wicked (vicious) fellow.

अनुवाद :
साँप भयंकर होता है, दुष्ट व्यक्ति भी भयंकर होता है। साँप से दुष्ट व्यक्ति अधिक भयंकर होता है।

English :
Both of the serpent and the wicked person are dreadful. However, the wicked person is more dreadful than the serpent.

15. स्वधियो निश्चयो नास्ति यस्य स भ्रमति स्वयम्।

शब्दार्थाः :
स्वधियः-अपनी बुद्धि का-of own mind; भ्रमति-घूमता है-wanders.

अनुवाद :
जिसका निश्चय (फैसला) अपनी बुद्धि का नहीं होता, वह खुद घूमता (भटकता) रहता है।

English-One who lacks independent decision, wavers around.

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions

MP Board Class 8th Special English Solutions Chapter 21 Work is Worship

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MP Board Class 8th Special English Solutions Chapter 21 Work is Worship

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Work is Worship Textual Exercise

(B) Listen to the poem carefully and write the words from the poem that rhyme with the words given below:
Answers:
only – holy
bye – Thy
but – shut
killer – tiller
row – brow
run – sun
oil – toil
bones – stones
some – come.

Word Power

(A) Rearrange the jumpled letters to form meaningful words from the poem.
Example: sprwoih = worship

  1. ntemla – m_____
  2. rgnemta – g_____
  3. ermpahkta – p_____
  4. cnesine – i_____
  5. tedsain – s_____

Answer:

  1. mantle
  2. garment
  3. pathmaker
  4. incense
  5. stained.

(B) Choose the correct words and re-write the following paragraph:
Answer:
Our Principal is a man of principles and a great scholar. He meets some of the students and teachers himself once a week to ensure regular teaching.

Comprehension

A. Answer the following questions.

Class 8 English Chapter 21 Work Is Worship Question 1.
What does the poet want us to leave and why?
Answer:
The poet wants us to leave chanting and singing and telling of beads because we can’t find god by doing this.

Work Is Worship Questions And Answers MP Board Class 8th Question 2.
What does the poet mean by ‘Open Thine eyes’?
Answer:
The poet means to say that we should understand the fact that if we want to please god we must work hard in sun and shower.

Work Is Worship Poem MP Board Class 8th Question 3.
‘Thy God is not before thee’. Where can we find Him according to the poet?
Answer:
We can find God where the tiller works in the hard ground and where the path-maker breaks stones.

Work Is Worship Poem Questions And Answers MP Board Class 8th Question 4.
What, according to the poet, is the ultimate aim of man?
Answer:
According to the poet the ultimate aim of man is to do his duty assigned to him.

Work Is Worship Poem Summary In English Class 8 Question 5.
What message does the poet want to convey, through this poem?
Answer:
Work is Worship.

B. Explain the following lines:
Whom dost thou worship in this
lonely dark corner of a temple
with doors all shut? Open thine
eyes and see thy God is not before thee!
Answer:
The poet asks us to whom we worship in the lonely, dark corner of the temple with all doors shut. The poet says to us to open our eyes and see that there is no god before us.

2. Read the following lines and answer the questions that follow:
“Put off thy holy mantle and even like Him come down on the dusty soil!”

(a) Who is the speaker?
(b) Who is he asking to put off the holy mantle?
(c) Who does ‘Him’ refer to?

Answer:

(a) The poet is the speaker.
(b) He is asking those who keep themselves busy in chanting and singing and telling of beads to put off the holy mantle.
(c) ‘Him’ refers to God.

Let’s Read

Read the following story carefully:

Once a woman was standing in the balcony of her home. She was holding her baby in her arms.

As she was looking below, the baby slipped out of her hands. Down below there was heavy traffic on the road. Buses, trucks, cars and scooters were passing by. The mother ran down for help. She cried and cried but could not find her baby anywhere.

People on the road wondered, “Where did the baby go?” They asked her to report to the police.

A truck carrying cushions and pillows stopped near a shop. A baby’s cry came from the back of the truck. The baby was lying on the topmost cushion, sucking its thumb.

“Look, a baby here!” shouted the truck driver “How did he get in?” everyone wondered. Soon the baby was handed over to the police. The police took the baby to its mother. The mother was over joyed and she thanked the police.

Who saved the baby’s life, the truck driver or the police? Surely, it was the unseen hand of God.

We should always have faith in God and His goodness.

1. Now answer the questions:

a. Where was the woman standing?
b. What made the people wonder?
c. How was the baby saved?
d. Who saved the baby’s life?
e. Who guards us from dangers?

Answers:

a. The woman was standing in the balcony of her home.
b. The woman was holding her baby in her arms. Suddenly the baby slipped out of her hands. This made the people wonder.
c. The baby fell on the cushions, loaded on a truck. Thus he was not injured and was saved luckily.
d. It was the unseen hand of God that saved the baby’s life.
e. God guards us from dangers.

II. Fill in the blanks with suitable words, choosing from these given below:
police, over joyed, slipped, topmost cushion

  1. The baby _____ out of the mother’s hand.
  2. People asked the woman to report to the _____.
  3. The baby was lying on the _____.
  4. The mother was _____ and she thanked the police.

Answers:

  1. slipped
  2. police
  3. topmost cushion
  4. overjoyed

III. Say whether the following statements are True or False:

  1. Once a woman was sitting in the balcony of her home. ( )
  2. There was no traffic on the road. ( )
  3. The baby was lying on the topmust cushion and sucking its thumb. ( )
  4. The police took the baby to its father. ( )

Answers:

  1. False
  2. False
  3. True
  4. False.

Let’s write

Use the information given to write a brief note about Rabindranath Tagore.

Rabindranath Tagore – born in the year 1861 (Kolkata)
— eminent Bengali poet, essayist, composer and fiction writer
— his best known work is Gitanjali, a volume of spiritual poetry
— Won Nobel prize for literature in 1913
— in 1919, established a university named Vishwa Bharathi
Answer:
Rabindranath Tagore was born in the year 1861 in Kolkata. He was an eminent Bengali poet, essayist, composer and fiction writer. His best known work is Gitanjali, a volume of spiritual poetry. He won the Nobel prize for literature in 1913. He established a university named Vishwa Bharathi in 1919.

Work is Worship Word Meanings

Page – 187: Chanting – singing or shouting the same words again and again – मंत्रोच्चार करना। Shower – rain – वर्ष। Mantle – a loose piece of clothing without sleeves – ढीला – ढाला कपड़ा। Meditation – the practice of thinking deeply in silence – चिंतन। Incense – लोबान,धूप। Tattered – old and torn in bad condition – फटा – चिथड़ा। Toil – work very hard – कड़ी मेहनत करना। Sweat – perspiration – पसीना। Thee – you – तुम।

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Words, Words, Words Text Book Exercise

Read and Learn

Class 7 English Chapter 13 Question Answer MP Board

Comprehension

Answer the following Questions:

Class 7 English Chapter 13 Question Answer MP Board Question 1.
Who greeted Anand first?
Answer:
Ravi greeted Anand First.

Class 7 English Chapter 13 MP Board Question 2.
How did Anand look?
Answer:
Anand looked very cross with himself.

Class 7th English Chapter 13 MP Board Question 3.
What did Anand’s neighbour say to him?
Answer:
Anand’s neighbour said to him that his blood was boiling.

Mp Board Class 7th English Chapter 13 Question 4.
What did the neighbour really mean?
Answer:
The neighbour really meant that he was angry with himself.

English Chapter 13 MP Board Question 5.
What words and phrases did Anand fail to understand?
Answer:
The words and phrases which Anand failed to understand are = Cross, boiling of blood, get, novel.

Word Power

A. Complete the word puzzle with the help of clues given:
Class 7 English Chapter 13 MP Board
English Word Meaning For Class 7 MP Board Chapter 13 Clues:
Across :
2. to state a problem
4. to welcome
7. a prize
8. a big and dangerous wild animal

Word Meaning Class 7 MP Board Chapter 13 Down :
1. to grow
3. a book with a long story
5. the red liquid that flows inside our body
6. To have the same opinion.
Answer:
Class 7th English Chapter 13 MP Board

B. Fill in, the blank spaces choosing the correct words from those given below:
(understand, curse, cross, greet, cultivate)

  1. As soon as we meet someone we should ………… him.
  2. One should …………… a river Carefully.
  3. Ravi could not …………. what the neighbour meant.
  4. The farmers work hard and ………….. crops.
  5. It is not good to ……….. others.

Answer:

  1. greet
  2. cross
  3. understand
  4. cultivate
  5. curse.

C. Match the words in Column (A) with their meanings given in Column (B)
Mp Board Class 7th English Chapter 13
Answer:
1. → (f)
2. → (k)
3. → (i)
4. → (j)
5. → (b)
6. → (c)
7. → (a)
8. → (e)
9. → (h)
10. → (g)
11. → (d)

Grammar is Use

A. May is used in two ways –
to express possibility
to seek permission
Examples:
1. We may go tomorrow or the day after (possibility)
2. May I come in, sir? (permission)

Now read the following sentences and write in the whether the use of may in them shows possibility or permission:

  1. It may rain today.
  2. May I go to play cricket today?
  3. He may ask you some more questions.
  4. I may not be able to play.
  5. Sir, may I go home now?
  6. You may go to your teacher but I am sure he won’t allow you.
  7. he may not allow you to play in the team
  8. May I go to see a movie with my friends?

Answer:

  1. possibility
  2. permission
  3. possibility
  4. possibility
  5. permission
  6. possibility
  7. possibility
  8. permission.

B. Write ten meaningful sentences using this table:
English Chapter 13 MP Board
Answer:

  1. It is a pity that he is late.
  2. It is certain that anybody can cultivate good habits.
  3. It is not surprising that he didn’t see me greeting him.
  4. It is true that a word can be used in different ways.
  5. It is possible that he is late.
  6. It is certain that he was angry.
  7. It is not true that Ravi gets novel ideas.
  8. It is not surprising that a word can be used in different ways.
  9. It is a pity that he didn’t see me.
  10. It is true that anybody can cultivate good habits.

C. Use a word as noun and verb in two separate sentences.
Example 1.
Cross : Cross is a symbol for Red Cross Society.
Cross : Cross the road only at the zebra crossing.

  1. people (n), people (v)
  2. reward (n), reward (v)
  3. curse (n), curse (v)
  4. boil (n), boil (v)

Answer:

  1. Why are so many people standing there?
    Our village in peopled by farmers.
  2. The principal gave me a reward.
    Honesty is rewarded sooner or later.
  3. Durvara’s curse did not going in vain.
    She cursed her neighbour in foul language.
  4. Don’t leave the tea on the boil for long.
    The water is boiling inside the kettle.

Let’s Talk

Talk to your partner and get answers to these questions. Ask him/her to repeat the exercise.

Word Meaning English To Hindi For Class 7 MP Board Chapter 13 Question 1.
Do you know how to use a dictionary?
Answer:
Yes, I know how to use a dictionary.

Class 7 English Chapter 13 Word Meaning MP Board  Question 2.
What do you normally use your dictionary for?
Answer:
I normally use the dictionary to know the meanings of the words.

Class 7th English Chapter 13 Questions MP Board Question 3.
What other things you can look for in a dictionary?
Answer:
We can also look for pronunciation, grammar and origin of the words in a dictionary. (pronunciation grammar, origin of the words)

Questions of the partner:

Question 1.
Do you know how to drive a scooter?
Answer:
Yes, I do.

Question 2.
Do you always go to school on your scooter?
Answer:
No, I go there on my scooter twice a week.

Question 3.
When did you buy a scooter?
Answer:
I bought it only last year.

Let’s Write

Write a message to your friend that as you didn’t attend the school today and you want him to send the homework for English given by the teacher.
Answer:
Do Yourself.

Let’s Do It

Sit in pairs and pick up the new words from the lesson, arrange them in alphabetical order, see their meanings from the glossary.
Answer:
Class-room Activity

Words, Words, Words Word Meaning 

English Word Meaning For Class 7 MP Board Chapter 13

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