MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

प्रश्न 1.
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। प्रत्येक कथन को परिभाषा या प्रयोग किए गए गुण द्वारा पूरा कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-1

  1. AD = …..
  2. ∠DCB = …..
  3. OC = …..
  4. m∠DAB + m∠CDA = …..

हल:

  1. AD = BC; (सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।)
  2. ∠DCB = ∠DAB; (सम्मुख कोण बराबर होते हैं।)
  3. OC = OA; (विकर्ण परस्पर समद्विभाजित करते हैं।)
  4. m∠DAB + m∠CDA = 180°; तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अन्तः कोण, क्योंकि \(\overline { AB } \) || \(\overline { CD } \).

प्रश्न 2.
निम्न समान्तर चतुर्भुजों में अज्ञात x, y, z के मानों को ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-2
हल:
(i) समान्तर चतुर्भुज के किन्हीं दो आसन्न कोणों का योग 180° होता है, इसलिए,
x + 100° = 180°
या x = 180° – 100° = 80°
x + y = 180°
या y = 180° – x = 180 – 80°
= 100°
y + z = 180°
या 100° + z = 180°
या z = 180° – 100° = 80°
यहाँ, x = 80°, y= 100° और 2 = 80°

(ii) चूँकि ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है, अतः AB || DC ओर AD = BC
अब, AB || DC और तिर्यक रेखा BC इन्हें प्रतिच्छेद करती है।
∴ z = y (∵ एकान्तर कोण बराबर होते हैं।)
और AD || BC और तिर्यक रेखा इन्हें काटती हैं।
∴ z =x (∵ संगत कोण बराबर होते हैं।)
∴ x = y =z
चूँकि समान्तर चतुर्भुज के किन्हीं दो संगत कोणों का योग = 180°
अतः y + 50° = 180°
y = 180° – 50° = 130°
इस प्रकार x = y = z = 130°

(iii) आकृति से स्पष्ट है कि,
x = 90°
∆DOC में, हम प्राप्त करते हैं,
∠DOC + ∠OCD + ∠CDO = 180°
या x + 30° + y = 180°
या 90° + 30° + y = 180°
या 120° + y = 180°
y = 180° – 120° = 60°
अब, समान्तर चतुर्भुज ABCD में, AB || DC और BD इन्हें प्रतिच्छेद करती है।
∴ z = y (एकान्तर कोण है)
z = 60° (∵ y = 60°)
अतः x = 90°, y = 60 और z = 60

(iv) ∵ ∠A + ∠B = 180° ⇒ x + 80° = 180°
या x = 180° – 80° = 100°
∠A + ∠D = 180° ⇒ x + y = 180°
y = 180° – x = 180° – 100° =80
∠D + ∠C = 180°
या y + ∠C = 180°
या 80° + ∠C = 180°
अब ∠C = 180 – 80 = 100°
∠C + z = 180°
100° + z = 180°
z = 180° – 100° = 80°
अतः x = 100°, y = 80° और z = 80°

(v) ∵ समान्तर चतुर्भुज में सम्मुख कोण बराबर माप के होते हैं।
इसलिए, y = 112°
∆ACD से,
x + y + 40° = 180°
x + 112° + 40° = 180°
x = 180° – 152° = 28°
समान्तर चतुर्भुज ABCD में, AB || DC और तिर्यक रेखा AC इन्हें प्रतिच्छेद करती है।
∴ z = x (एकान्तर कोण हैं।)
∴ z = 28°
अतः x = 28°
y= 112
z = 28°

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प्रश्न 3.
क्या एक चतुर्भुज ABCD समान्तर चतुर्भुज हो सकता है, यदि –

  1. ∠D + ∠B = 180° ?
  2. AB = DC = 8cm, AD = 4cm और BC = 4.4cm?
  3. ∠A = 70° और ∠C = 65°

हल:

  1. ∠D + ∠B = 180° समान्तर चतुर्भुज हो सकता है, परन्तु यह आवश्यक नहीं है।
  2. AB = DC = 8 cm, AD = 4 cm, BC = 4.4 cm. यह समान्तर चतुर्भुज नहीं हो सकता है।
    समान्तर चतुर्भुज में सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं, परन्तु यहाँ AD ≠ BC.
  3. ∠A = 70° और ∠C = 65°
    समान्तर चतुर्भुज नहीं हो सकता है। समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं, परन्तु यहाँ ∠A ≠∠C.

प्रश्न 4.
एक चतुर्भुज की कच्ची (Rough) आकृति खींचिए जो समान्तर चतुर्भुज न हो परन्तु जिसके दो सम्मुख कोणों की माप बराबर हो।
हल:
चतुर्भुज की कच्ची आकृति जो समान्तर चतुर्भुज नहीं है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-3
यहाँ, ∠A = ∠C, उदाहरण-पतंग आकृति का चतुर्भुज।

प्रश्न 5.
किसी समान्तर चतुर्भुज के दो आसन्न कोणों का अनुपात 3 : 2 है। समान्तर चतुर्भुज के सभी कोणों की माप ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि दो आसन्न कोण ∠A और ∠B हैं, जो 3 : 2 के अनुपात में हैं।
∴ ∠A = 3x
∠B = 2x
∴ समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोण सम्पूरक होते हैं।
∠A + ∠B = 180°
या 3x + 2x = 180°
या 5x= 180°
या x = \(\frac{180°}{5}\) = 36°
∴ ∠A = 3 x 36° = 108°
और ∠B = 2 x 36° = 72°
∴ समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
∴ ∠C = ∠A = 108° और ∠D = ∠B = 72°
अत: ∠A = 108°, ∠B = 72°, ∠C = 108°, ∠D = 72°

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प्रश्न 6.
किसी समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोणों की माप बराबर है। समान्तर चतुर्भुज के सभी कोणों की माप ज्ञात कीजिए।
हल:
मानाकि समान्तर चतुर्भुज ABCD के दो आसन्न कोण A और B में प्रत्येक की माप x है।
∴ समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोण सम्पूरक होते हैं।
∠A + ∠B = 180°
या x + x = 180°
या 2x = 180°
∴ x = \(\frac{180°}{2}\) = 90°
अर्थात् ∠A= ∠B = 90°
चूँकि समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
∠C = ∠A = 90°
∠D = ∠B = 90°
अतः ∠A = ∠B = ∠C = ∠D = 90°

प्रश्न 7.
संलग्न आकृति HOPE एक समान्तर चतुर्भुज है। x,और कोणों की माप ज्ञात कीजिए। ज्ञात करने में प्रयोग किए गए गुणों को बताइए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-4
हल:
∴ HOPE एक समान्तर चतुर्भुज है।
∴ HE || OP और HO || EP
अब HE || OP और HO तिर्यक रेखा इन्हें काटती है।
∠EHO = ∠POX
(∵ संगत कोण बराबर होते हैं)
∴ 40° + z = 70°
या z = 70° – 40° = 30°
पुनः HE ||OP और तिर्यक रेखा इन्हें काटती है।
∠OPH = ∠EHP (∴ एकान्तर कोण बराबर होते हैं)
∴ y = 40°
∴ समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
∴ ∠HEP = ∠HOP
या x = 180° – ∠POX
या x = 180° – 70° = 110°
अतः x = 110°, y= 40°, z = 30°

प्रश्न 8.
निम्न आकृतियाँ GUNS और RUNS समान्तर चतुर्भुज है। x तथा y ज्ञात कीजिए (लम्बाई cm में है)।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-5
हल:
(i) ∴ चतुर्भुज GUNS समान्तर चतुर्भुज है। इसलिए इसकी सम्मुख भुजाएँ बराबर होंगी।
∴ 3x = 18
या x = \(\frac{18}{3}\) = 6 cm
ओर 3y – 1 = 26
या 3y = 26 + 1 = 27
या y = \(\frac{27}{3}\) = 9 cm
अतः x = 6 cm और y = 9 cm

(ii) ∴ समान्तर चतुर्भुज में विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
∴ OR = ON
अर्थात् 16 = x + y ……(1)
और OU = OS
अर्थात् y + 7= 20 ……(2)

समीकरण (2) से,
y = 20 – 7 = 13
समीकरण (1) में, y = 13 रखने पर, हम प्राप्त करते हैं।
16 = x + 13
या x = 16 – 13 = 3
अतः x = 3 cm और y = 13 cm

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प्रश्न 9.
दी हुई आकृति में RISK तथा CLUE दोनों समान्तर चतुर्भुज हैं, x का मान ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-6
हल:
समान्तर चतुर्भुज RISK से,
∠RIS = ∠RKS = 120°
(∴ सम्मुख कोण बराबर होते हैं)
और ∠RIS + ∠SIC = 180° (रेखीय युग्म)
या ∠SIC = 180° – 120° = 60° = ∠OIC
समान्तर चतुर्भुज CLUS से,
CE || LU और ICL इन्हें प्रतिच्छेद करती हैं।
∠OCI = ∠ULC (∴ संगत कोण है)
∠OCI = 70°
अब, ∆OLC से,
∠OIC + ∠OCI + ∠IOC = 180°
या 60° + 70° + ∠IOC = 180°
∠IOC = 180° – 130° = 50°
x = ∠IOC = 50°
(∴ शीर्षाभिमुख कोण हैं।)

प्रश्न 10.
बताइए कैसे यह आकृति एक समलम्ब है। इसकी कौन-सी दो भुजाएँ समान्तर हैं?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-7
हल:
∴ ∠MLK + ∠NML = 180°
अर्थात् ये सम्पूरक कोणों का युग्म हैं।
अतः KL || NM
अतः KLMN एक समलम्ब है। .

प्रश्न 11.
संलग्न आकृति में m∠C ज्ञात कीजिए यदि AB || DC है।
हल:
∵ AB || DC और तिर्यक रेखा BC इन्हें प्रतिच्छेद करती है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-8
∠B + ∠C = 180°
या 120° + ∠C = 180°
∠C = 180° – 120° = 60°
अतः m∠C = 60°

प्रश्न 12.
संलग्न आकृति में ∠P तथा ∠S की माप ज्ञात कीजिए यदि \(\overline { SP } \) || \(\overline { RQ } \) (यदि आप m∠R ज्ञात करते हैं, तो क्या m∠P को ज्ञात करने की एक से अधिक विधि है?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-9
हल:
∴ \(\overline { SP } \) || \(\overline { RQ } \) और PQ एक तिर्यक रेखा है जो P और Q पर काटती है।
∠P + ∠Q = 180°
(∵ अंत:कोणों का योग = 180°)
या ∠P + 130° = 180°
∠P = 180° – 130° = 50°
पुनः \(\overline { SP } \) || \(\overline { RQ } \) और SR एक तिर्यक रेखा है जो इन्हें S और R पर काटती है।
∴ ∠S + ∠R = 180°
या∠S + 90° = 180°
या ∠S = 180° – 90° = 90°
हाँ, हम m∠P को दूसरी विधि से भी ज्ञात कर सकते हैं।
m∠P + m∠Q + m∠R + m∠S = 360°
या m∠P + 130° + 90° + 90° = 360°
या m∠P + 310° = 360°
या m∠P = 360° – 310° = 50°

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 57

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
समचतुर्भुज की एक प्रतिलिपि लीजिए। पेपर को मोड़कर जाँच कीजिए कि क्या प्रतिच्छेदी बिन्दु प्रत्येक विकर्ण का मध्य बिन्दु है। आप एक सेट स्क्वेयर के किनारे का उपयोग करके जाँच कर सकते हैं कि वे एक दूसरे को समकोण पर प्रतिच्छेद करते हैं।
हल:
हाँ, प्रतिच्छेदी बिन्दु प्रत्येक विकर्ण का मध्य बिन्दु है। सेट स्क्वे यर का उपयोग करने पर हम पाते हैं कि समचतुर्भुज के विकर्ण समकोण पर प्रतिच्छेद करते हैं।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-10

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 58

एक आयत

प्रश्न 1.
आयत एक समान्तर चतुर्भुज है जिसके सभीकोण समान माप के होते हैं। इस परिभाषा का पूर्ण अर्थ क्या है? इसकी चर्चा अपने मित्रों के साथ कीजिए। यदि आयत समकोणिक हो तो प्रत्येक कोण की माप क्या होगी?
हल:
आयत एक समान्तर चतुर्भुज है जो समकोणिक होता है। आयत का प्रत्येक कोण समकोण होता है। इसकी सम्मुख भुजाएँ समान लम्बाई की होती हैं तथा इसके विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
माना कि आयत के प्रत्येक कोण की माप =x° है।
तब 4x° = 360°
इसलिए x° = \(\frac{360°}{4}\) = 90°
अतः आयत का प्रत्येक कोण 90° का होता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 60

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
एक वर्गाकारशीट PQRS (आकृति : 3.39) लीजिए। दोनों विकर्णों के अनुदिश तह (fold) लगाइए क्या उनके मध्य बिन्दु समान ही हैं?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-11
सेट स्क्वेयर का उपयोग करके जाँच कीजिए, क्या o पर बना कोण 90° का है? यह ऊपर बताए गुणधर्म को सिद्ध करता है।
हल:
हाँ, दोनों विकर्णों के मध्य बिन्दु समान हैं। हाँ, ‘o’ पर बना कोण 90° का है। हाँ, यह वर्ग के गुणधर्म को सिद्ध करता है कि –

  1. वर्ग की सभी भुजाएँ समान लम्बाई की होती है।
  2. विकर्ण समान लम्बाई के होते हैं तथा एक-दूसरे को समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।

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MP Board Class 6th Social Science Solutions विविध प्रश्नावली 2

MP Board Class 6th Social Science Solutions विविध प्रश्नावली 2

प्रश्न I.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए –
(1) ताम्राश्मकाल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऐसा समय जब ताँबे एवं पत्थर के औजार साथ-साथ प्रयोग किये जाते थे। ताम्राश्मकाल या पाषाण काल कहते हैं।

(2) सिन्धु घाटी सभ्यता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
हड़प्पा सभ्यता को सिन्धु घाटी की सभ्यता भी कहते हैं।

(3) हड़प्पा सभ्यता की नगरीय विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
हड़प्पा सभ्यता की सबसे प्रमुख विशेषता उसकी – नगर योजना प्रणाली थी। नगर अधिकतर दो अथवा तीन भागों में बँटे थे। सबसे सुरक्षित स्थान किला या दुर्ग कहलाता था। यहाँ उच्च वर्ग का परिवार रहता होगा। मध्यम व निचले भाग में मध्यम वर्ग व निम्न वर्ग का निवास था। इन नगरों में सड़कें पूरी सीधी थीं जो एक-दूसरे को लम्बवत् काटती थीं। हड़प्पा सभ्यता के नगरों में कोठार (अनाज भरने के गोदाम) का महत्वपूर्ण स्थान था।

मोहनजोदड़ो का सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल विशाल स्नानागार है। यह 11 88 मीटर लम्बा, 7.01 मी चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा है। इसके दोनों सिरों पर तल तक सीढ़ियाँ बनी हैं। पास में कपड़े बदलने के कक्ष हैं। स्नानागार का फर्श पक्की ईंटों का बना है। पास के एक कमरे में बड़ा-सा कुआँ बना है। सम्भवतः यह स्नानागार किसी धार्मिक अनुष्ठान सम्बन्धी स्नान के लिए बना होगा। इसके अलावा भी हर छोटे-बड़े मकान में आँगन (प्रांगण) और स्नानागार होता था।

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(4) हड़प्पा सभ्यता की जीवनदायिनी नदी का नाम लिखिए।
उत्तर:
सिन्धु नदी।

(5) हड़प्पा सभ्यता की शिल्प व तकनीकी ज्ञान की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
हड़प्पा सभ्यता कांस्य युग की सभ्यता थी। हड़प्पा सभ्यता के लोग कांसा बनाना जानते थे। खुदाई से प्राप्त वस्तुओं के आधार पर पता चलता है कि इस सभ्यता के लोगों ने धातुओं के गलाने, ढालने और सम्मिश्रण की कला में विशेष उन्नति की थी। बर्तन बनाने, खिलौने बनाने और मोहरों के निर्माण में ये लोग पारंगत थे। खुदाई में मिली कांसे की नर्तकी उनकी मूर्तिकला का सुन्दर नमूना है। स्पष्ट है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग शिल्प व तकनीकी ज्ञान में बहुत आगे थे।

(6) जनपद और महाजनपद में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य के बसने का एक क्षेत्र जनपद कहलाता है जबकि बड़े जनपद महाजनपद कहलाते हैं।

(7) 600 ई. पू. में मध्य प्रदेश में कौन-कौन से जनपदथे?
उत्तर:
अवन्ति एवं चेदि।

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(8) वैदिककालीन लोगों के खानपान के बारे में लिखिए।
उत्तर:
वैदिक काल में लोग चावल, गेहूँ के आटे व दालों से बने पकवान खाते थे। दूध, मक्खन, घी, फल, सब्जियाँ, माँस तथा सुरा का प्रयोग भी किया जाता था।

(9) वैदिककाल के प्रारम्भ में औजार किस धातु के बनाये जाते थे ? उत्तर वैदिकल काल में इनमें क्या अन्तर आया था ?
उत्तर:
प्रारम्भ में केवल ताँबे के औजार बनाये जाते थे। उत्तर वैदिक काल में ये लौह धातु से बनने लगे।

(10) श्रेणी किसे कहा जाता था ?
उत्तर:
एक ही पेशे से जुड़े संगठन के लोगों को श्रेणी कहा जाता था।

(11) चन्द्रगुप्त मौर्य से पराजित होने के बाद सेल्युकस ने क्या किया ?
उत्तर:
सेल्युकस ने अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से कर दिया।

(12) मध्य प्रदेश में किस स्थान पर चार सिंहों वाला अशोक का स्तम्भ मिला है ?
उत्तर:
सांची से।

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(13) सम्राट अशोक उज्जैन में कितने वर्ष रहा ?
उत्तर:
सम्राट अशोक 12 वर्ष उज्जैन में अवन्ति का गवर्नर रहा।

(14) ग्राम शिक्षा समिति के कार्य लिखिए।
उत्तर:
इस समिति का कार्य गाँव में बच्चों की प्रारम्भिक शिक्षा व स्कूल की व्यवस्था करना है।

(15) अनुसूचित जनजाति से आशय लिखिए।
उत्तर:
जनजातियों की अनुसूची प्रत्येक राज्य के संविधान में होने से इन्हें अनुसूचित जनजाति कहते हैं।

(16) राष्ट्रध्वज की लम्बाई और चौड़ाई का अनुपात बताइए?
उत्तर:
3 : 2 अनुपात है।

(17) भारत के राष्ट्रीय पशु का नाम लिखिए।
उत्तर:
बाघ।

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(18) भारत में अधिकांश वर्षा कौन-से महीनों में होती है?
उत्तर:
भारत में अधिकांश वर्षा केवल चार महीनों जून, जुलाई, अगस्त व सितम्बर में होती है।

(19) शीतकाल में भारत के कौन-से राज्य में वर्षा होती है ?
उत्तर:
शीतकाल में भारत के तमिलनाडु राज्य में वर्षा होती है।

(20) भारत के पूर्व एवं पश्चिम दिशा में कौन-कौन से देश हैं ?
उत्तर:
भारत के पूर्व दिशा में बांग्लादेश और म्यांमार तथा पश्चिम दिशा में पाकिस्तान और अफगानिस्तान देश हैं।

(21) भारत की उत्तर दिशा में कौन-सा पर्वत है ?
उत्तर:
भारत की उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत है।

प्रश्न II.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए
(1) मगध साम्राज्य का विस्तार किन-किन कारणों से हुआ ? लिखिए।
उत्तर:
मगध साम्राज्य के विस्तार के कारण निम्नलिखित हैं –

  • मगध क्षेत्र की भूमि उपजाऊ थी।
  • मगध क्षेत्र में लोह के पर्याप्त भण्डार थे, इससे सेना को हथियार बनाने में मदद मिली।
  • गंगा नदी में नौकाओं से व्यापार होता था। अत: व्यापारी भी दूर-दूर तक आते-जाते थे।

(2) हड़प्पा सभ्यता से आशय बताते हुए इस सभ्यता के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हड़प्पा सभ्यता-सिन्धु घाटी की सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता कहते हैं। यह एक शहरी सभ्यता थी। पतन के कारण-

हड़प्पा के पतन के कारण निम्नलिखित हैं –

  • भूकम्प आने के कारण सम्भवतः सिंधु नदी का मार्ग बदल गया होगा और हड़प्पा सभ्यता के नगर भूस्खलन से जमीन में दब गये होंगे।
  • सम्भवतया आर्यों के आक्रमण ने इस सभ्यता को नष्ट कर दिया होगा।
  • बढ़ते हुए रेगिस्तान के कारण इस सभ्यता का पतन हो गया होगा।
  • सिंधु नदी की बाढ़ से इस सभ्यता का अन्त हो गया होगा।

(3) वैदिक काल के सामाजिक व आर्थिक जीवन का वर्णन करो।
उत्तर:
वैदिक काल में समाज चार वर्गों में बँटा हुआ था –

  • ब्राह्मण
  • क्षत्रिय
  • वैश्य, और
  • शूद्र

वर्ण का आधार कर्म था। ब्राह्मणों का कार्य यज्ञ करना और बालकों को वेद मन्त्रों की शिक्षा देना था। क्षत्रिय शक्तिशाली होने के कारण समाज के वर्गों की रक्षा करते थे। खेती, व्यापार एवं शिल्पकारी वैश्य वर्ग के कार्य थे। शूद्र नीच समझे जाते थे। उनका कार्य अन्य वर्ण के लोगों की सेवा करना था।

वैदिक काल के लोगों का आर्थिक जीवन कृषि, कला, हस्तशिल्प और व्यापार पर केन्द्रित था। खेती के लिए बैलों और साँड़ों का उपयोग किया जाता था। पशुओं में गाय का महत्त्वपूर्ण स्थान था। बर्तन, कपड़ा, धातु के निर्माण का काम मुख्य व्यवसाय थे। दूर-दूर तक व्यापार होता था। उस समय उपयोग किए जाने वाले सिक्कों को निष्क कहते थे।

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(4) मगध साम्राज्य के आर्थिक, राजनैतिक व धार्मिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आर्थिक जीवन-इस काल में आर्थिक व्यवस्था काफी उन्नत किस्म की थी। गंगा नदी में नौकाओं से व्यापार होता था, अत: बंदरगाहों से व्यापारी काफी दूर-दूर तक व्यापार करने के लिए जाते थे। व्यापारियों से माल की बिक्री पर चुंगी वसूली जाती थी। इस काल के सिक्के पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। ये प्रायः ताँबे तथा चाँदी के होते थे। इन्हें आहत या ठप्पे लगे (पंचमार्क) सिक्के कहा जाता था। राजनैतिक जीवन-इस काल में राजा का पद बहुत शक्तिशाली हो गया था।

वह अपने राज्य का प्रशासन आमात्य (मंत्री), पुरोहित (धर्मगुरु), संग्रहत्री (कोषाध्यक्ष), बलिसाधक (कर वसूलने वाला), शौल्किक (चुंगी वसूलने वाला), सेनापति आदि के द्वारा चलाता था। उसे परामर्श देने के लिए परिषद होती थी जिसके सदस्य ब्राह्मण रहते थे। धार्मिक जीवन-इस काल में धार्मिक कर्मकाण्ड और खर्चीले यज्ञों से लोग विमुख हो रहे थे, लेकिन दो नये धर्मों का उदय हुआ था, इनमें से एक बौद्ध धर्म है और दूसरा जैन धर्म है।

(5) सामुदायिक विकास और जनसहयोग के आपसी सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
समुदाय के विकास के लिए स्थानीय लोगों की भागीदारी बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह ग्रामीण और शहरी समुदाय दोनों के लिए उपयुक्त है। ऐसा इसलिए आवश्यक है क्योंकि वे अपनी परिस्थितियों से परिचित हैं और स्थानीय जरूरतों को भली-भाँति समझते हैं। यह उनके स्वयं के हित में है कि वे एक साथ मिलकर अपनी समस्याओं का हल निकालें।

जैसे क्षेत्र में पेयजल या शिक्षा या अस्पताल जैसी मूल एवं मानवीय व्यवस्थाएँ नहीं हैं तो वे उसके लिए उचित तथा वैकल्पिक उपाय करें। वे अपनी समस्याओं को स्वयं सुलझा सकें तथा किसी पर आश्रित न रहें। इस प्रकार लोगों में आत्मनिर्भरता की भावना का विकास होगा।

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(6) भारत को प्राकृतिक विभागों में बाँटिए तथा किसी एक प्राकृतिक विभाग का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उत्तर के विशाल मैदान की विशेषताएँ –

  • उत्तर का विशाल मैदान बहुत उपजाऊ है।
  • इस मैदान में सिन्धु, गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र नदियाँ बहती हैं।
  • यहाँ जनसंख्या अधिक पाई जाती है।
  • इस मैदान के पश्चिम में थार का मरुस्थल है।

भारत को निम्नलिखित पाँच प्राकृतिक भागों में बाँटा जा सकता है –

  • उत्तर का पर्वतीय भाग
  • उत्तर का विशाल मैदान
  • दक्षिण का पठार
  • पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट
  • तटीय मैदान एवं द्वीप समूह।

(7) भारत की जलवायु की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय जलवायु की प्रमुख विशेषताएँ –

  • भारत की जलवायु पूर्णतः मानसूनी है।
  • अधिकांश वर्षा मात्र चार माह जून से सितम्बर में होती है।
  • उत्तरी भारत में तापान्तर अधिक तथा दक्षिणी भागों में कम पाया जाता है।
  • भारत में बाढ़ और सूखा एक साथ होता है।
  • वर्षा का वितरण बहुत ही असमान है कहीं बहुत ज्यादा तो कहीं बहुत कम होती है।
  • जलवायु सम्पूर्ण भारतीय जन-जीवन को प्रभावित करती है।
  • देश के भीतरी भागों में महाद्वीप और तटीय भागों में सम जलवायु दशाएँ पाई जाती हैं।

मानसून के पूर्व तथा उसके बाद चक्रवात आते हैं। जाड़े की ऋतु में भी चक्रवात आते हैं। ये चक्रवात वर्षा लाते हैं।

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प्रश्न III.
बहुविकल्पीय प्रश्न –
1. हड़प्पा सभ्यता के लोगों को किस धातु का ज्ञान नहीं था ?
(अ) सोना
(ब) चाँदी
(स) ताँबा
(द) लोहा।
उत्तर:
(द) लोहा।

2. मध्य प्रदेश के किस स्थल की खुदाई से हड़प्पा सभ्यता की मुहर (सील) मिली है ?
(अ) महेश्वर
(ब) नागदा
(स) कुतवार
(द) कायथा।
उत्तर:
(द) कायथा।

3. अवन्ति महाजनपद का शासक था –
(अ) बिम्बिसार
(ब) अजातशत्रु
(स) उदयन
(द) प्रद्योत।
उत्तर:
(द) प्रद्योत।

4. पंचमार्क (ठप्पे लगे सिक्के) का प्रचलन था –
(अ) हड़प्पा काल में
(ब) जनपद व महाजनपद काल में
(स) वैदिक काल में
(द) पाषाण काल में।
उत्तर:
(ब) जनपद व महाजनपद काल में

5. जन, गण, मन …………. है।
(अ) राष्ट्रीय गीत
(ब) राष्ट्रीय गान
(स) प्रादेशिक गीत
(द) राष्ट्रीय प्रतीक।
उत्तर:
(ब) राष्ट्रीय गान

6. भील किस वर्ग में आते हैं ?
(अ) अनुसूचित जाति
(ब) अनुसूचित जनजाति
(स) अन्य पिछड़ा वर्ग
(द) सामान्य।
उत्तर:
(ब) अनुसूचित जनजाति

7. भारत एशिया के किस भाग में स्थित है ?
(अ) पूर्व
(ब) पश्चिम
(स) उत्तर
(द) दक्षिण।
उत्तर:
(द) दक्षिण।

8. भारत के दक्षिण में स्थित है –
(अ) नेपाल
(ब) पाकिस्तान
(स) बांग्लादेश
(द) श्रीलंका।
उत्तर:
(द) श्रीलंका।

9. सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान किस राज्य में स्थित है?
(अ) असम
(ब) मेघालय
(स) अरुणाचल प्रदेश
(द) त्रिपुरा।
उत्तर:
(ब) मेघालय

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प्रश्न IV.
खाली स्थान की पूर्ति कीजिए –
1. सिन्धु घाटी की सभ्यता को ………….. सभ्यता भी कहते
2. हड़प्पा सभ्यता के ताम्राश्म काल को …………. युग भी कहते हैं।
3. अजातशत्रु के बाद मगध की गद्दी पर ………… बैठा।
4. उज्जैन का प्राचीन नाम ………… था।
5. नन्द वंश का संस्थापक ………… था।
6. शिशुनाग ………… प्रदेश का शासक था।
7. जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर ………..थे।
8. गौतम बुद्ध के बचपन का नाम ……….. था।
9. ……….. युद्ध के बाद अशोक का हृदय परिवर्तन हुआ।
10. ‘इंडिका’ पुस्तक के लेखक ………….. हैं।
11. शुंग वंश की स्थापना ………… ने की।
12. क्षेत्रफल की दृष्टि से संसार में भारत का स्थान …………
13. अण्डमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी ………….. है।
14. भारत की जलवायु …………. है।
उत्तर:

  1. हड़प्पा
  2. ताम्र-पाषाण
  3. उदयन
  4. अवन्ति
  5. नन्दिबर्धन
  6. काशी
  7. वर्धमान महावीर
  8. सिद्धार्थ
  9. कलिंग
  10. मैगस्थनीज
  11. पुष्यमित्र शुंग
  12. सातवाँ
  13. पोर्ट ब्लेयर
  14. मानसूनी।

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प्रश्न V.
असमान को अलग करिए –
1. दजला फरात, सिन्धु, नील, कालीबंगा।
2. लोथल, कालीबंगा, धौलाबीरा, भोपाल।
3. ऋषि, श्रेष्ठी, मुखिया, पुलिस।
4. ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय, सुनार।
5. भारत, अवन्ति, मगध, कौशल।
6. काशी, वत्स, अंग, अजातशत्रु।
7. भील, भगोरिया, सहरिया, पिठौरा।
8. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, अगरतला, पंजाब।
9. हिमाद्रि, हिमाचल, अरावली, शिवालिक।
उत्तर:

  1. कालीबंगा
  2. भोपाल
  3. पुलिस
  4. सुनार
  5. भारत
  6. अजातशत्रु
  7. पिठौरा
  8. अगरतला
  9. हिमाचल।

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MP Board Class 6th Social Science Solutions विविध प्रश्नावली 3

MP Board Class 6th Social Science Solutions विविध प्रश्नावली 3

MP Board Class 6th Social Science विविध प्रश्नावली 3 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न I.
(1) मौर्य वंश का अन्तिम शासक कौन था ?
उत्तर:
मौर्य वंश का अन्तिम शासक बृहद्रथ था।

(2) संगम साहित्य से आशय बताइए।
उत्तर:
दक्षिण में तीसरी कवि परिषद् की रचनाएँ संगम साहित्य कहलाती हैं।

(3) महाबलीपुरम के रथ मंदिरों का निर्माण किस वंश के राजाओं ने कराया ?
उत्तर:
पल्लव वंश के राजाओं ने कराया था।

(4) अलवार किसके उपासक थे ?
उत्तर:
अलवार विष्णु के उपासक थे।

(5) पल्लव वंश के दो शासकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
नर सिंह वर्मन प्रथम और महेन्द्र वर्मन प्रथम।

(6) पुलकेशिन द्वितीय कहाँ का राजा था ?
उत्तर:
पुलकेशिन द्वितीय वातापी का राजा था।

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(7) फाह्यान कौन था ? वह किसके शासन काल में भारत आया था ?
उत्तर:
फाह्यान एक विदेशी यात्री था। वह चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में भारत आया था।

(8) थाईलैण्ड का प्राचीन नाम बताइए।
उत्तर:
श्याम।

(9) नगर पंचायत का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कौन होता है ?
उत्तर:
मुख्य नगरपालिका अधिकारी।

(10) नगर पालिका के सदस्यों को क्या कहा जाता है ?
उत्तर:
नगर पालिका के सदस्यों को पार्षद कहा जाता है।

(11) जिला पंचायत के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर:

  • ग्राम पंचायत के कार्यों की देख-रेख।
  • जिले के सरकारी विभागों में समन्वय।

(12) दीवानी और फौजदारी मुकदमे में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
जमीन-जायदाद, रुपये-पैसे आदि लेन-देन सम्बन्धी विवाद दीवानी मामले कहलाते हैं। इनकी सुनवाई दीवानी न्यायालयों में होती है। चोरी, मारपीट, हत्या आदि मामले फौजदारी मामले कहलाते हैं। इनकी सुनवाई फौजदारी न्यायालयों में होती है।

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(13) मध्य प्रदेश का उच्च न्यायालय कहाँ स्थित है ?
उत्तर:
जबलपुर।

(14) मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय की खंडपीठ किन दो शहरों में स्थित है ?
उत्तर:
ग्वालियर और इन्दौर।

(15) रबी फसल और खरीफ फसल में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
रबी की फसल अक्टूबर में बोकर अप्रैल में काटी जाती है जबकि खरीफ की फसल जुलाई में बोकर अक्टूबर में काटी जाती है।

(16) रेशेदार फसल से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
रेशेदार फसलें वे हैं जिनमें रेशे होते हैं, जैसे-कपास और जूट।

(17) शक्ति के साधन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जिन संसाधनों से ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, उन्हें शक्ति के साधन कहते हैं।

(18) भारत के पड़ोसी देशों को जोड़ने वाले प्रमुख मार्ग बताइए।
उत्तर:
दिल्ली, लाहौर, कोलकाता, बांग्लादेश।

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(19) बन्दरगाह से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
बंदरगाह समुद्र तट पर बने ऐसे स्थान होते हैं जहाँ से बड़ी-बड़ी नौकाओं तथा जलयानों द्वारा माल और यात्रियों को लाने ले जाने का कार्य किया जाता है।

(20) ह्वेनसांग ने भारत के विषय में क्या लिखा है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा विवरण में तत्कालीन राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा आर्थिक स्थिति का वर्णन किया है।

(21) पुलकेशिन द्वितीय ने किसको हराया था ?
उत्तर:
हर्षवर्धन को।

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MP Board Class 6th Social Science विविध प्रश्नावली 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न II.
(1) हर्षवर्धन की विजयों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हर्ष ने पंजाब,. पूर्वी राजस्थान, असम और गंगाघाटी के प्रदेशों को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया। 620 ई. में पुलकेशिन द्वितीय ने हर्ष के विजय अभियान को नर्मदा नदी के किनारे पर रोक दिया। हर्ष के साम्राज्य में मगध, उड़ीसा, पूर्वी बंगाल, गजरात, सौराष्ट्र, मालवा तथा सिन्ध प्रदेश सम्मिलित थे। हर्ष ने जिन राजाओं को हराया था वे सभी हर्ष को कर देते थे और युद्ध के समय उसकी मदद के लिए अपने सैनिक भेजते थे। इस काम के बदले में वे अपने क्षेत्र के राजा बने रहे।

(2) टिप्पणी लिखिए –
(अ) भारत का पश्चिमी देशों से सम्बन्ध
(ब) भारत का अरब देशों से सम्बन्ध
(स) भारत का मध्य एशिया से सम्बन्ध
(द) भारत का चीन से सम्बन्ध।
उत्तर:
(अ) भारत का पश्चिम देशों से सम्बन्ध – ईसा से लगभग 2000 वर्ष पूर्व से ही भारत के पश्चिम से सम्बन्ध थे। भारत का मिस्र व मेसोपोटामिया के साथ सम्बन्ध था। ईसा से 600 वर्ष पूर्व से ही भारत के फारस, यूनान व रोम से सम्बन्ध थे। रोम में भारत से बढ़ते आयात से तत्कालीन इतिहासकार प्लीनी १पी चिन्तित था।

(ब) भारत का अरब देशों से सम्बन्ध – अरब देशों और भारत के सम्बन्ध अति प्राचीन रहे हैं। अरब ने भारत से अंक पद्धति तथा दशमलव प्रणाली का ज्ञान पाया। कालान्तर में अरबों ने भारत व यूरोप के बीच के स्थल मार्ग पर कब्जा कर लिया। इस प्रकार वे भारत व यूरोप के बीच एक कड़ी बन गये।

(स) भारत का मध्य एशिया से सम्बन्ध – प्राचीन गांधार प्रदेश, जिसे आज अफगानिस्तान कहते हैं, मध्य एशिया में ही है। यह प्रदेश बौद्ध धर्म व कला का बड़ा केन्द्र था। बुद्ध की प्राचीनतम प्रतिमाएँ यहीं बनी हैं। सम्राट अशोक ने अपने धर्म प्रचारकों को मध्य एशिया में ही भेजा था।

(द) भारत का चीन से सम्बन्ध – चीन में बौद्ध धर्म भारत से ही गया था। भारत की यात्रा अनेक चीनी विद्वानों ने की। इनमें चीनी यात्री फाह्यान छः वर्षों तक भारत में रहा। चीन रेशम का मुख्य उत्पादक रहा, रेशम मार्ग से भारतीय व्यापारी भी व्यापार करते थे।

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(3) त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ? ग्राम पंचायत तथा जिला पंचायत के गठन बताइए।
उत्तर:
ग्राम स्तर पर (1) ग्राम पंचायत, विकास खण्ड स्तर पर (2) जनपद पंचायत तथा जिला स्तर पर (3) जिला पंचायतें गठित की गई हैं। इन्हीं तीन स्तरों में स्थापित व्यवस्था को त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था के नाम से जाना जाता है। कम-से-कम एक हजार की आबादी वाले प्रत्येक गाँव में एक ग्राम पंचायत का गठन किया जाता है। यदि किसी गाँव की आबादी एक हजार से कम है तो एक से अधिक गाँवों को मिलाकर एक ग्राम पंचायत बना दी जाती है।

ग्राम पंचायत में 10 से 20 तक सदस्य (पंच) होते हैं जिनका चुनाव गाँव की जनता करती है। चुनाव करने के लिए पंचायत क्षेत्र को जनसंख्या के आधार पर कुछ वार्डों में बाँट दिया जाता है तथा प्रत्येक वार्ड से एक सदस्य (पंच) का चुनाव होता है। इन वार्डों को पंचायत वार्ड कहते हैं। वार्ड के लोग वोट देकर पंच तथा सरपंच चुन लेते हैं। सबसे अधिक वोट पाने वाला व्यक्ति ही पंच तथा सरपंच (प्रधान) बनता है।

(4) नगर पालिका का गठन कहाँ व कैसे होता है ? समझाइए।
उत्तर:
नगर पंचायत का गठन-पाँच हजार से 20 हजार तक की आबादी वाले नगरों की व्यवस्था एवं देखभाल के लिए नगर पंचायतों का निर्माण किया जाता है।
नगर पंचायत निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनती है –

  • निर्वाचित सदस्य निर्वाचित सदस्यों को पार्षद कहते हैं। पार्षद का चुनाव नगर के मतदाताओं द्वारा बहुमत के आधार पर किया जाता है। नगरों को छोटे – छोटे कई वार्डों में बाँट दिया जाता है तथा प्रत्येक वार्ड से एक सदस्य चुना जाता है।
  • अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष – अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता करती है तथा उपाध्यक्ष का चुनाव निर्वाचित पार्षदों द्वारा पार्षदों के बीच में से किया जाता है।
  • विशिष्ट सदस्य – विशिष्ट सदस्यों को एल्डरमैन भी कहते हैं। इनका चुनाव निर्वाचित सदस्यों द्वारा ऐसे व्यक्तियों में से किया जाता है जो योग्य एवं अनुभवी हों।
  • मुख्य नगरपालिका अधिकारी – यह सरकार द्वारा नियुक्त मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है।

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(5) नगर निगम का गठन समझाइए।
उत्तर:
नगर निगम का गठन-जिन नगरों की जनसंख्या एक लाख से अधिक होती है, वहाँ नगर निगम का गठन किया जाता है। बड़े शहरों के क्षेत्र को छोटे-छोटे भागों में बाँटकर पार्षदों का चुनाव किया जाता है।

नगर निगम निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनता है –

  • निर्वाचित सदस्य – नगर निगम में चुने हुए सदस्यों की संख्या 50 से 150 तक होती है। नगरों को छोटे-छोटे कई वार्डों में बाँट दिया जाता है तथा प्रत्येक वार्ड से एक सदस्य चुना जाता है।
  • अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष – नगर निगम के अध्यक्ष को ‘महापौर’ अथवा ‘मेयर’ कहते हैं जिसका चुनाव सीधे जनता करती है। नगर निगम में एक उपाध्यक्ष की भी व्यवस्था है जिसे ‘उपमहापौर’ कहते हैं, जिसका चुनाव निर्वाचित पार्षदों द्वारा किया जाता है।
  • विशिष्ट सदस्य – नगर निगम के निर्वाचित सदस्य कुछ अनुभवी, विशिष्ट लोगों को एल्डरमैन के रूप में चुनते हैं। ___(iv) मुख्य प्रशासनिक अधिकारी-यह सरकार द्वारा नियुक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा या राज्य प्रशासनिक सेवा का वरिष्ठ अधिकारी होता है। इसे निगम आयुक्त कहते हैं।

(6) भारत को प्रमुख प्राकृतिक वनस्पति विभागों में बाँटिए तथा किसी एक विभाग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में पाँच प्रकार की वनस्पति पाई जाती हैं –

  • उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन
  • उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन
  • कंटीले वन तथा झाड़ियाँ
  • ज्वारीय वन
  • पर्वतीय वन

(i) उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन – यह वन पश्चिम बंगाल के मैदानों, उड़ीसा, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में पाये जाते हैं। इन वनों के वृक्षों की ऊँचाई अधिक होती है। ये वन घने होते हैं और सदैव हरे-भरे रहते हैं। आबनूस, महोगनी, रोजवुड, बाँस, ताड़, रबर यहाँ के मुख्य वृक्ष हैं।

(ii) ज्वारीय वन – समुद्र तट के सहारे नदियों के डेल्टाओं में ज्वारीय वन पाये जाते हैं। सुन्दर वन इसका सबसे बड़ा क्षेत्र है। ये वन पश्चिम बंगाल में गंगा के मुहाने पर पाये जाते हैं। मैंग्रोव और सुन्दरी यहाँ के मुख्य वृक्ष हैं।

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(7) टिप्पणी लिखिए –
(अ) उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन।
(ब) ज्वारीय वन।
उत्तर:
(अ) उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन – हमारे देश में ये वन पश्चिमी घाट के पूर्वी ढालों पर प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्वी भागों में शिवालिक पहाड़ियों पर मिलते हैं। इन वनों के वृक्ष मध्यम ऊँचाई के होते हैं। इन वनों में सागौन, साल, शीशम, चन्दन आदि के वृक्ष मिलते हैं।

(ब) ज्वारीय वन – समुद्र तट के सहारे नदियों के डेल्टाओं में ज्वारीय वन पाये जाते हैं। सुन्दर वन इसका सबसे बड़ा क्षेत्र है। ये वन पश्चिम बंगाल में गंगा के मुहाने पर पाये जाते हैं। मैंग्रोव और सुन्दरी यहाँ के मुख्य वृक्ष हैं।

(8) भारत में पाये जाने वाले खनिजों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख खनिज पदार्थ लोहा, मैंगनीज, बॉक्साइट, ताँबा, अभ्रक, सोना, चाँदी हैं।

(9) भारतीय जनसंख्या की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित –

  • व्यावसायिक भिन्नता
  • स्त्री-पुरुष अनुपात में अन्तर
  • आयु संरचना
  • साक्षरता स्तर,
  • ग्रामीण व नगरीय विभिन्नता,
  • सांस्कृतिक भिन्नता।

ग्रामीण व नगरीय विभिन्नता-भारत गाँवों का देश है यहाँ लगभग 5 लाख गाँव हैं और कुल आबादी का तीन चौथाई भाग अर्थात् 68.8 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में रहती है। 31-2 प्रतिशत जनसंख्या नगरों में बसती है जहाँ के अधिकतर व्यक्ति कृषि के अतिरिक्त सेवा कार्य, उद्योग, व्यापार, परिवहन आदि से जीविका चलाते हैं।

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MP Board Class 6th Social Science बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न III.
1.  शक शासकों ने अपनी राजधानी बनाई थी –
(अ) दिल्ली
(ब) उज्जैन
(स) अजमेर
(द) भोपाल।
उत्तर:
(ब) उज्जैन

2. हर्षचरित के लेखक थे –
(अ) हर्षवर्द्धन
(ब) ह्वेनसांग
(स) बाणभट्ट
(द) कालिदास।
उत्तर:
(अ) हर्षवर्द्धन

3.  भुक्ति कहा जाता था –
(अ) प्रान्त
(ब) जिला
(स) नगर
(द) ग्राम।
उत्तर:
(अ) प्रान्त

4.  बाघ की गुफा में बने चित्र किस काल की चित्रकला का उदाहरण हैं ?
(अ) कुषाण काल
(ब) गुप्त काल
(स) हड़प्पा काल
(द) वैदिक काल।
उत्तर:
(ब) गुप्त काल

5.  जिले का सर्वोच्च अधिकारी होता है –
(अ) जिला पुलिस अधीक्षक
(ब) जिला शिक्षा अधिकारी
(स) कलैक्टर
(द) जिला परियोजना अधिकारी।
उत्तर:
(स) कलैक्टर

6.  भारत में पहला आधुनिक लौह इस्पात कारखाना स्थापित हुआ था –
(अ) भिलाई
(ब) राउरकेला
(स) विशाखापट्टनम
(द) कुल्टी।
उत्तर:
(द) कुल्टी।

7.  भारत में पहला सीमेण्ट कारखाना स्थापित हुआ था –
(अ) मध्य प्रदेश
(ब) बिहार
(स) उत्तर प्रदेश
(द) तमिलनाडु।
उत्तर:
(द) तमिलनाडु।

8.  कोयला उत्पादन में संसार में भारत का स्थान है –
(अ) पहला
(ब) तीसरा
(स) पाँचवाँ
(द) दूसरा।
उत्तर:
(स) पाँचवाँ

9.  बन्दरगाह है –
(अ) चेन्नई
(ब) दिल्ली
(स) भोपाल
(द) महाबलेश्वर।
उत्तर:
(अ) चेन्नई

10.  भारत में रेलमार्गों के जोन की संख्या है –
(अ) 7
(ब)8
(स) 9
(द) 10.
उत्तर:
(स) 9

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प्रश्न IV.
असमान छाँटिए –
1. कुषाण, नाग, चेर, कण्व।
2. मेघदूत, रघुवंश, अभिज्ञान शाकुन्तलम्, नीतिसार।
3. जावा, यवद्वीप, इण्डोनेशिया, बर्मा।
4. चन्द्रगुप्त प्रथम, चन्द्रगुप्त द्वितीय, राघवेन्द्र गुप्त, समुद्रगुप्त।
5. ग्राम पंचायत, राज्य पंचायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत।
6. सागौन, शीशम, नारियल, साल।
7. कीकर, बबूल, जलकुम्भी, नागफनी।
8. आलू, तिल, सरसों, मूंगफली।
9. चेन्नई, भोपाल, कोलकाता, मुम्बई।
उत्तर:

  1. चेर
  2. नीतिसार
  3. इण्डोनेशिया
  4. राघवेन्द्र गुप्त
  5. राज्य पंचायत
  6. नारियल
  7. जलकुम्भी
  8. आलू
  9. भोपाल।

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प्रश्न V.
खाली स्थान की पूर्ति कीजिए1. शुंग वंश का अन्तिम शासक …….. था।
2. साँची के स्तूप के तोरणद्वार का निर्माण ………….. के काल में हुआ था।
3. ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि ………….. को मिली थी।
4. ‘स्वर्ण युग ………… काल को कहा जाता था।
5. रघुवंश के रचयिता ………… थे।
6. चीनी यात्री ह्वेनसांग ………… के काल में भारत आया था।
7. नालन्दा वर्तमान में ………… राज्य में स्थित है।
8. चीनी भाषा में बौद्ध ग्रन्थों का अनुवाद सर्वप्रथम ………….. ने किया।
9. ईसाई धर्म के संस्थापक …………. थे।
10. प्राचीन काल में ईरान ………….. कहलाता था।
11. ‘अविस्ता-ए-जेंद’ नामक धार्मिक उपदेशों का संग्रह ……….. धर्म से सम्बन्धित है।
12. सरपंच …………… पंचायत का मुखिया होता है।
13. पार्षद बनने की न्यूनतम आयु ………….. वर्ष होती है।
14. ककड़ी, खरबूजा, तरबूज …………… की फसलें हैं।
15. मध्यप्रदेश का जनसंख्या घनत्व …………. व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
उत्तर:

  1. देवभूति
  2. हर्ष
  3. चन्द्रगुप्त
  4. गुप्त काल
  5. कालिदास
  6. हर्षवर्धन
  7. बिहार
  8. कश्यप मातंग
  9. ईसा
  10. फारस
  11. फारसी
  12. ग्राम
  13. 18
  14. जायद
  15. 2361

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MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1

प्रश्न 1.
निम्न कथनों को पूरा कीजिए :
(a) दो रेखाखण्ड सर्वांगसम होते हैं यदि …….. ।
(b) दो सर्वांगसम कोणों में से एक की माप 70° है, दूसरे कोण की माप …….. है।
(c) जब हम ∠A = ∠B लिखते हैं, हमारा वास्तव में अर्थ होता है ……… ।
उत्तर:
(a) इनकी लम्बाइयाँ समान हों।
(b)70°
(c) m ∠A = m∠B

प्रश्न 2.
वास्तविक जीवन से सम्बन्धित सर्वांगसम आकारों के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
उदाहरण – समान मान के दो नोट, एक ही ताले की दो चाबियाँ।

प्रश्न 3.
यदि सुमेलन ABC ↔ FED के अंतर्गत ∆ARC ≅ ∆FED तो त्रिभुजों के सभी संगत सर्वांगसम भागों को लिखिए।
उत्तर:
∆ABC तथा ∆FED के संगत सर्वांगसम भाग
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 1 a

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प्रश्न 4.
यदि ∆DEF ≅ ∆BCA हो, तो ∆BCA के उन भागों को लिखिए जो निम्न के संगत हों :
(i) ∠E
(ii) \(\overline{E F}\)
(iii) ∠F
(iv) \(\overline{D F}\)
उत्तर:
∵ ∆DEF ≅ ∆BCA
∴ (i) ∠E ↔∠C
(ii) \(\overline{E F}\) ↔ \(\overline{C A}\)
(iii) ∠F ↔ ∠A
(iv) \(\overline{D F}\) ↔ \(\overline{B A}\)

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 152-153

प्रयास कीजिए

प्रश्न 1.
संलग्न आकृति में त्रिभुजों की भुजाओं की लम्बाइयाँ दर्शाई गई हैं। S.S.S. सर्वांगसमता के प्रतिबन्ध का प्रयोग करके बताइए कि कौन-कौन से त्रिभुज-युग्म सर्वांगसम हैं। सर्वांगसमता की स्थिति में उत्तर को सांकेतिक रूप में लिखिए।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 1 b
हल:
(i) ∆ABC और ∆POR में,
AB = 1.5 cm, PQ = 1.5 cm, ∴ AB = PQ
BC = 2.5 cm, QR = 2.5 cm, ∴ BC = QR
AC = 2-2 cm, PR = 2-2 cm, ∴ AC = PR
चूँकि ∆ABC की तीन भुजाएँ ∆PQR की तीन भुजाओं के बराबर हैं। अत: दोनों त्रिभुज सर्वांगसम हैं। (S.S.S. सर्वांगसमता)
साथ ही, A ↔ P, B ↔ Q और C ↔ R
∴ ∆ABC ≅ ∆PQR

(ii) ∆DEF और ∆LMN में,
DE = 3.2 cm, MN = 3-2 cm, ∴ DE = MN
DF = 3.5 cm, LN = 3.5cm, ∴ DF = LN
EF = 3 cm, LM = 3 cm, ∴ EF = LM
चूँकि ∆DEF की तीन भुजाएँ ∆LMN की तीन भुजाओं के बराबर हैं। अत: दोनों त्रिभुज सर्वांगसम हैं। (S.S.S. सर्वांगसमता)
साथ ही, D ↔ N, E ↔ M, और F ↔ L
∴ ∆DEF ≅ ∆NML

(iii) ∆ABC और ∆POR में,
AC = 5 cm, PR = 5 cm, ∴ AC = PR
BC = 4 cm, PQ = 4 cm, ∴ BC = PQ
AB = 2 cm, QR = 2.5 cm, ∴ BC ≠ PQ
चूँकि, AB ≠ QR, अत: ∆ABC और ∆PQR सर्वांगसम नहीं हैं।

(iv) ∆ABD और ∆ADC में,
AB = 3.5 cm, AC = 3.5 cm, ∴ AB = AC
BD = 2.5 cm, CD = 2.5 cm, ∴ BD = CD
AD = AD (उभयनिष्ठ है)
चूँकि ∆ABD की तीन भुजाएँ ∆ADC की तीन भुजाओं के बराबर हैं। अत: दोनों त्रिभुज सर्वांगसम हैं (S.S.S सर्वांगसमता)।
साथ ही, A ↔ A, B ↔ C और D ↔ D
∆ABD ≅ ∆ACD

प्रश्न 2.
संलग्न आकृति में AB = AC और D, \(\overline{B C}\) का मध्य-बिन्दु है।
(i) ∆ADB और ∆ADC में बराबर भागों के तीन युग्म बताइए।
(ii) क्या ∆ADB ≅ ∆ADC है ? कारण दीजिए।
(iii) क्या ∠B = ∠C है? क्यों?
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 2
हल:
यहाँ, AB = AC और D, \(\overline{B C}\) का मध्य बिन्दु है
अर्थात् BD = DC
(i) ∆ABD तथा ∆ADC से, बराबर भागों के तीन युग्म
AB = AC (दिया हुआ है)
AD = AD (उमयनिष्ठ है)
BD = DC (∵ D,CB का मध्य बिन्दु है)

(ii) ∆ABD की तीन भुजाएँ ∆ADC की तीन भुजाओं के बराबर हैं।
अतः सर्वांगसमता के S.S.S प्रतिबन्ध से,
∆ABD और ∆ADC सर्वांगसम हैं
और A ↔ A, B ↔ C, D ↔ D
∴ ∆ADB ≅ ∆ADC.

(iii) ∵ ∆ABC ≅ ∆ADC
∴ उनके संगत भाग बराबर हैं।
अर्थात् B ↔ C या ∠B = ∠C.

प्रश्न 3.
संलग्न आकृति में AC = BD और AD = BC हैं। निम्नलिखित कथनों में कौन-सा कथन सत्य है ?
(i) ∆ABC ≅ ∆ABD
(ii) ∆ABC ≅ ∆BAD
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 3

हल:
यहाँ AC = BD और AD = BC
(i) ∆ABC तथा ∆ABD में,
AB = AB (सही है)
BC = BD (सही नहीं है)
CA = DA (सही नहीं हैं)
अत: हम ∆ABC = ∆ABD नहीं लिख सकते।

(ii) ∆ABC तथा ∆BAD में,
AB = AB (उभयनिष्ठ)
BC = AD (दिया है)
CA = BD (दिया हैं)
यहाँ S.S.S. सर्वांगसमता है।
अत: ≅ABC ≅ ∆BAD लिख सकते हैं।
अतः
(i) ∴ ∆ABC ≅ ∆ABD असत्य है।
(ii) ∆ABC ≅ ∆BAD सत्य है।

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सोचिए, चर्चा कीजिए एवं लिखिए

प्रश्न 1.
ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = AC है।
∆ABC की एक अक्स प्रतिलिपि लीजिए और इसे भी ∆ABC का नाम दीजिए।
(i) ABC और ∆ACB में बराबर भागों के तीन युग्म बताइए।
(ii) क्या ∆ABC ≅ ∆ACB है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
(iii) क्या ∠B = ∠C है? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 4

हल:
∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है
जिसमें AB = AC, BC = CB तथा AC = AB.

(i) अब ∆ABC और ∆ACB में, बराबर भागों के तीन
युग्म – BC = BC (उभयनिष्ठ है)
AB = AC (दिया हुआ है)
AC = AB (रचना से)
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 5

(ii) हाँ, ∆ABC = ∆ACB.
क्योंकि ∆ABC की तीनों भुजाएँ ∆ACB की तीनों भुजाओं के बराबर हैं और A ↔ A, B ↔ C,C ↔ B.

(iii) हाँ, ∠B = ∠C ∴ B ↔ C

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 156 – 157

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
∆DEF की भुजाओं \(\overline{D E}\) और \(\overline{E F}\) का अंतर्गत कोण कौन-सा है?
उत्तर:
∆DEF में, भुजाओं \(\overline{D E}\) और \(\overline{E F}\) के अंतर्गत कोण, ∠DEF है।

प्रश्न 2.
S.A.S. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध का उपयोग करके आप ∆POR ≅ ∆FED स्थापित करना चाहते हैं। यह दिया गया है कि PQ = FE और RP = DF है। सर्वांगसमता को स्थापित करने के लिए अन्य किस तथ्य या सूचना की आवश्यकता होगी?
हल:
∆PQR ≅ ∆FED (सर्वांगसमता के प्रतिबन्ध S.A.S. के अनुसार)
PQ = FE और RP = DF (दिया है)
अन्य तथ्य और सूचना :
चूँकि S.A.S. प्रतिबन्ध के अन्तर्गत भुजाओं PQ और RP तथा FE और DF के बीच बने कोण भी बराबर होना चाहिए।
∴ ∠P = ∠F

प्रश्न 3.
संलग्न आकृति में त्रिभुजों के युग्मों में कुछ भागों की माप अंकित की गई है। S.A.S. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध का उपयोग करके, इनमें वे युग्म छाँटिए जो सर्वांगसम हैं। सर्वांगसम त्रिभुजों की स्थिति में उन्हें सांकेतिक रूप में भी लिखिए।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 6
हल:
(i) ∆ABC और ∆DEF में,
यहाँ, AB = DE = 2.5 cm
AC = DF = 2.8 cm
∠A = 80°,∠D = 70°
∴ ∠A ≠ ∠D
∴ ∆ABC और ∆DEF सर्वांगसम नहीं है।

(ii) ∆ABC और ∆POR में,
यहाँ AC = PR = 2.5 cm
BC = PQ = 3 cm
∠C = ∠P = 35°
∴ ∆ABC की दो भुजाएँ और उनके अंतर्गत कोण ∆POR की दो संगत भुजाओं और उनके अंतर्गत कोण के बराबर हैं।
अतः दोनों त्रिभुज सर्वांगसमता के S.A.S प्रतिबन्ध के आधार पर सर्वांगसम हैं।
साथ ही C ↔ P A ↔ R और B ↔ Q
∴ ∆ABC ≅ ∆RQP

(iii) ∆DEF तथा ∆PQR में,
यहाँ, EF = QR = 3 cm
DF = PQ = 3.5 cm
भुजाओं के अंतर्गत कोण ∠F = ∠Q = 40°
∴ ∆DEF की दो भुजाएँ और उनके अन्तर्गत कोण ∆PQR की दो संगत भुजाओं और उनके अन्तर्गत कोण के बराबर हैं।

अतः दोनों त्रिभुज सर्वांगसमता के S.A.S. प्रतिबन्ध के आधार पर सवांगसम हैं।
साथ ही, F ↔ Q.D ↔ P और E ↔ R
∴ ∆DEF ≅ ∆PRQ

(iv) ∆PQR और ∆RSP में,
PQ = R = 3.5 cm
PR = PR (उभयनिष्ठ है)
अंतर्गत कोण ∠QPR = ∠PRS = 30°
अत: ∆PQR की दो भुजाएँ और उनके अन्तर्गत कोण ∆RSP की दो संगत भुजाओं और उनके अन्तर्गत बीच के कोण के बराबर हैं।
अतः दोनों त्रिभुज सर्वांगसमता के प्रतिबन्ध S.A.S. के आधार पर सर्वांगसम हैं
साथ ही, P ↔ R, Q ↔ S
∴ ∆PQR ≅ ∆RSP

प्रश्न 4.
संलग्न आकृति में \(\overline{A B}\) और \(\overline{C D}\) एक दूसरे को O पर समद्विभाजित करते हैं।
(i) दोनों त्रिभुज AOC और BOD में बराबर भागों के तीन युग्मों को बताइए।
(ii) निम्न कथनों में से कौन-सा कथन सत्य है?
(a) ∆AOC ≅ ∆DOB
(b) ∆AOC ≅ ∆BOD
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 7

हल:
∵ \(\overline{A B}\) और \(\overline{C D}\) एक दूसरे को O पर समद्विभाजित करते हैं।
∴ AO = BO और CO = DO
साथ ही ऊर्ध्वाधर सम्मुख ∠AOC = ∠BOD
(i) ∆MOC तथा ∆BOD में, बराबर भागों के तीन युग्म –
AO = BO और CO = DO
∠AOC = ∠BOD

(ii) उपर्युक्त सम्बन्धों के आधार पर ∆AOC की दो भुजाएँ और उनके अन्तर्गत कोण ∆BOD की दो संगत भुजाओं और उनके अन्तर्गत कोण के बराबर हैं।
अत: सर्वांगसमता के गुण S.A.S. के आधार पर दोनों त्रिभुज सर्वांगसम हैं।
साथ ही,O ↔ O,A ↔ B, और C ↔ D
∴ ∆AOC ≅ ∆BOD
(a) कथन ∆AOC ≅ ∆DOB असत्य है।
(b) कथन ∆AOC ≅ ∆BOD सत्य है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 158

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
∆MNP में कोणों M तथा N के अंतर्गत भुजा क्या है ?
उत्तर:
∆MNP में कोणों M तथा N के अंतर्गत भुजा MN है।

प्रश्न 2.
A.S.A. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध का उपयोग करके आप ∆DEF ≅ ∆MNP स्थापित करना चाहते हैं। आपको दिया गया है कि ∠D = ∠M और ∠F = ∠P। इस सर्वांगसमता को स्थापित करने के लिए और कौन-कौन से तथ्य की आवश्यकता है ? (खाका आकृति बनाकर कोशिश कीजिए।)
हल:
∆DEF ≅ ∆MNP स्थापित करने के लिए A.S.A. सर्वांगसमता के प्रतिबन्ध के लिए हमें आवश्यकता होगी-भुजाएँ जिनसे ∠D और ∠F बनते हैं तथा समान भुजाएँ जिनसे ∠M और ∠P बनते हैं।
अर्थात् हमें आवश्यकता होगी \(\overline{D F}\) = \(\overline{M P}\)
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 8

प्रश्न 3.
संलग्न आकृति में, त्रिभुज के कुछ भागों की माप अंकित की गई है। A.S.A. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध का उपयोग करके बताइए कौन-से त्रिभुजों के युग्म सर्वांगसम हैं। सर्वांगसमता की स्थिति में, उत्तर को सांकेतिक रूप में लिखिए।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 9

हल:
(i) ∆ABC और ∆DEF में,
AB = EF = 3.5 cm,
∠A = ∠F = 40°
और ∠B = ∠E = 60°.
∴ A.S.A. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध से ये दो त्रिभुज सर्वांगसम हैं। साथ ही, A ↔ F,B ↔ E और C ↔ D
∴ ∆ABC ≅ ∆FED

(ii) ∆POR और ∆DEF में,
∆POR में, ∠P = 180° – (90° + 50°) = 40°
इसी प्रकार ∆DEF में, ∠F = 180° – (90° + 50°) = 40°
अब, PR = 3.3 cm, EF = 3.5 cm ∴ PR ≠ EF
∠R = ∠E = 50° और ∠P = ∠F = 40° ∴ ∠P = ∠F
∴ A.S.A. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध से त्रिभुज सर्वांगसम नहीं है।

(iii) ∆PQR और ∆LMN में,
RQ = LN = 6 cm, ∠R = ∠L = 60° और ∠Q = ∠N = 30° ∴ A.S.A. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध से ये दो त्रिभुज सर्वांगसम हैं
साथ ही, R ↔ L, Q ↔ N और P ↔ M
∴ ∆PQR ≅ ∆MNL

(iv) ∆ABC और ∆ABD में,
AB = AB (उभयनिष्ठ हैं),
∠BAC = ∠DBA = 30°
∠BAD = 45° + 30° = 75°
∠ABC = ∠45° + 30° = 75°
∴ A.S.A. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध से ये दो त्रिभुज सर्वांगसम हैं।
साथ ही, A ↔ B, D ↔ C
∴ ∆ABC ≅ ∆BAD.

प्रश्न 4.
दो त्रिभुजों के कुछ भागों की निम्न माप दी गई है। A.S.A. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध का उपयोग करके जाँचिए कि क्या ये दो त्रिभुज सर्वांगसम हैं या नहीं। सर्वांगसमता की स्थिति में उत्तर को सांकेतिक रूप में भी लिखिए।
∆DEF ∆PQR
(i) ∠D = 60°, ∠F = 80°, ∠Q = 60°, ∠R = 80°,
DF = 5 cm QR = 5 cm
(ii) ∠D = 60°, ∠F = 80°, ∠Q = 60°, ∠R = 80°,
DF = 6 cm, P = 6 cm
(iii) ∠E = 80°, ∠F = 30°, ∠P = 80°, PQ = 5 cm
EF = 5 cm, ∠R = 30°
हल:
(i) ∆DEF और ∆PQR में,
∠D = ∠Q = 60°, ∠F = ∠R = 80°
अन्तर्गत भुजा DF = अन्तर्गत भुजा QR = 5 cm
A.S.A. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध से ये दो त्रिभुज सर्वांगसम हैं।
साथ ही, D ↔ Q. F ↔ R. और E ↔ P
∴ ∆DEF = ∆QPR

(ii) यहाँ ∆DEF तक ∆PQR में समान कोणों के बीच की भुजाएँ DF व QR समान नहीं हैं।
∴ दिए गये त्रिभुज सर्वांगसम नहीं हैं।

(iii) यहाँ ∆DEF तक ∆PQR में समान कोणों के बीच की भुजाएँ EF व PR समान नहीं हैं।
∴ दिए गये त्रिभुज सर्वांगसम नहीं हैं।

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प्रश्न 5.
संलग्न आकृति में किरण AZ, ∠DAB तथा ∠DCB को समद्विभाजित करती है।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 10

(i) त्रिभुज BAC और DAC में बराबर भागों के तीन युग्म बताइए।
(ii) क्या ∆BACE ≅ ∆DAC है ? कारण दीजिए।
(iii) क्या AB = AD है ? अपने उत्तर का उचित कारण दीजिए।
(iv) क्या CD = CB है? कारण दीजिए।
हल:
(i) ∵ AC, ∠DAB और ∠DCB का समद्विभाजक है।
∠DAC = ∠BAC
और ∠DCA = ∠BCA
अब, ∆BAC और ∆DAC में, बराबर भागों के युग्म हैं –
AC = AC (उभयनिष्ठ)
∠DAC = ∠BAC (AC समद्विभाजक है)
∠DCA = ∠BCA (AC समद्विभाजक है)

(ii) उपर्युक्त सम्बन्धों से, ये दो त्रिभुज सर्वांगसम हैं (A.S.A. सर्वांगसमता)
साथ ही, A ↔ A, C ↔ C और D ↔ B
∴ ∆BAC ≅ ∆DAC

(iii) ∴ ∆BAC ≅ ∆DAC
∴ संगत भाग बराबर हैं।
अर्थात् AB = AD

(iv) ∴ C ↔ C और A ↔ A तथा AC = AC
अर्थात् ∆BAC ≅ ∆DAC
∴ संगत भाग बराबर हैं,
अर्थात् CD = CB

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 160-161

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
संलग्न आकृति में त्रिभुजों के कुछ भागों की माप दी गई है। R.H.S. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध का उपयोग करके बताइए कि कौन-कौन से त्रिभुज युग्म सर्वांगसम हैं। सर्वांगसम त्रिभुजों की स्थिति में उन्हें सांकेतिक रूप में लिखिए।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 11
हल:
(i) समकोण ∆PQR तथा समकोण ∆DEF में,
कर्ण PR = कर्ण DF = 6 cm
भुजा PQ = 3 cm ≠ भुजा DE = 2.5 cm
∴ ∆POR और ∆DEF सर्वांगसम नहीं हैं।

(ii) समकोण ∆ABC और समकोण ∆ABD में, कर्ण AB = कर्ण BA = 3.5 cm (उभयनिष्ठ) भुजा AC = भुजा BD = 2 cm तथा ∠C = ∠D = 90°
∴ समकोण त्रिभुजों की R.H.S. सर्वांगसमता के गुण के अनुसार त्रिभुज सर्वांगसम हैं।
साथ ही, A ↔ B, B ↔ A, C ↔ D
∴ ∆ABD ≅ ∆BAC

(iii) समकोण ∆ABC और समकोण ∆ADC में,
कर्ण AC = कर्ण AC (उभयनिष्ठ)
भुजा AD = भुजा AB = 3.6 cm
तथा ∠B = ∠D = 90°
∴ समकोण त्रिभुजों की R.H.S. सर्वांगसमता के गुण के अनुसार त्रिभुज सर्वांगसम हैं।
साथ ही, A ↔ A,C ↔ C,B ↔ D
∆ABC ≅ ∆ADC

(iv) समकोण ∆PQS और समकोण ∆PRS में,
कर्ण PQ = कर्ण PR = 3 cm
भुजा PS = भुजा PS (उभयनिष्ठ)
तथा ∠PSQ तथा ∠PSR = 90°
∴ समकोण त्रिभुजों की R.H.S. सर्वांगसमता के गुण के अनुसार त्रिभुज सर्वांगसम हैं।
साथ ही P ↔ P, S ↔ S, Q ↔ R
∆PQS ≅ ∆PRS.

प्रश्न 2.
R.H.S. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध से ∆ABC ≅ ∆RPO स्थापित करना है। यदि यह दिया गया हो कि ∠B = ∠P = 90° और AB = RP है, तो अन्य किस और सूचना की आवश्यकता है ?
हल:
R.H.S. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध द्वारा ∠ABC ≅ ∠RPO स्थापित करने के लिए हमें कर्ण AC = कर्ण RQ को समान करने की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 3.
संलग्न आकृति में, BD और CE, ∆ABC के शीर्षलम्ब हैं और BD = CE.
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 12
(i) ∆CBD और ∆BCE में, बराबर भागों के तीन युग्म बताइए।
(ii) क्या ∠CBD ≅ ∠BCE है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
(iii) क्या ∆DCB = ∆EBC है ? क्यों या क्यों नहीं?
हल:
(i) ∆CBD और ∆BCE में बराबर भागों के तीन युग्म –
कर्ण BC = कर्ण BC (उभयनिष्ठ)
भुजा BD = भुजा CE
∠BEC = ∠BDC = प्रत्येक 90°

(ii)∴∠D = ∠E, CB = BC तथा BD = CE
अत: RHS सर्वांगसमता से
हाँ, ∆CBD ≅ ∆BCE,

(iii)∴ ∆CBD ≅ ∆BCE
∴ उनके संगत भाग बराबर हैं।
अब, हाँ, ∠DCB = ∠EBC

प्रश्न 4.
∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = AC और AD इसका शीर्ष लम्ब है।
(i) ∆ADB और ∆ADC में, बराबर भागों के-तीन युग्म बताइए।
(ii) क्या ∆ADB ≅ ∆ADC है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
(iii) क्या ∠B = ∠C है ? क्यों या क्यों नहीं ?
(iv) क्या BD = CD है? क्यों या क्यों नहीं?
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.1 image 13

हल:
(i) ∆ADB और ∆ADC में, बराबर भागों के तीन युग्म हैं –
AD = AD (उभयनिष्ठ)
कर्ण AB = कर्ण AC
∠ADB = ∠ADC (प्रत्येक 90°)

(ii) ∴ AB = AC, AD = AD, D ↔ D
अब, हाँ, ∆ADB ≅ ∆ADC

(iii) हाँ, ∠B = ∠C
∴ ∆ADB ≅ ∆ADC
∴ संगत भाग समान हैं, ∴ ∠B = ∠C

(iv) साथ ही, हाँ, \(\overline{B D}\) = \(\overline{C D}\)
∆ADB ≅ ∆ADC, ∴ संगत भाग समान हैं
∴ \(\overline{B D}\) = \(\overline{C D}\)

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MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 10 नीतिश्लोकाः

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 10 नीतिश्लोकाः (पद्यम्)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 10 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपेदन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) जनपदस्यार्थे कं त्यजत्? (जनपद के लिए किसका त्याग कर देना चाहिए?)
उत्तर:
ग्राम। (ग्राम का)।

(ख) विपदि किम् आवश्यकम्? (विपत्ति में क्या आवश्यक है?)
उत्तर:
धैर्यं। (धैर्य का)।

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(ग) मित्राणि रिपवः च कथं जायन्ते? (मित्र और शत्रु किससे उत्पन्न होते हैं?)
उत्तर:
व्यवहारेण। (व्यवहार द्वारा)।

(घ) सतसङ्गतिः पापं किं करोति? (अच्छी संगति पाप को क्या करती है?)
उत्तर:
अपाकरम्। (दूर करती है)।

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) कस्यार्थे एकं त्यजेत्? (किसके लिए एक का त्याग कर देना चाहिए?)
उत्तर:
कुलस्यार्थे एकं त्येजत्। (कुल के लिए एक का त्याग कर देना चाहिए।)

(ख) सदसि किम् अपेक्षते? (सभा में क्या अच्छा लगता है?)
उत्तर:
सदसि वाक्पटुता अपेक्षते। (सभा में वाणी या चातुर्य अच्छा लगता है।)

(ग) पापात् कः निवारयति? (पाप से निवारण कौन करता है?)
उत्तर:
पापात् सन्मित्रः निवारयति। (पाप से अच्छा मित्र निवारण करता है।)

(घ) धियः जाड्यं का हरतिः? (बुद्धि की जड़ता को कौन दूर करते हैं?)
उत्तर:
धियः जाड्य सतसंगति हरतिः। (बुद्धि की जड़ता अच्छी संगति से दूर होती है।)

प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) महात्मनां किं किं प्रकृतिसिद्धं भवति? (महात्मा जन कौन-कौन से कार्यों में सिद्ध होते हैं?)
उत्तर:
महात्मनां विपदि धैर्यम्, अभ्युदये क्षमा, सदसि वाक्पटुता आदयः प्रकृतिसिद्धं भवति। (महात्माजन विपत्ति में धैर्य, अभ्युदय में क्षमा, सभा में वाक्पटुता आदि कार्यों के लिए सिद्ध होते हैं।)

MP Board Solutions

(ख) बान्धवः कः अस्ति? (बान्धव कौन हैं?)
उत्तर:
उत्सवे व्यसने, दुर्भिक्षे, राष्ट्रविप्लवे, राजद्वारे, श्मशाने च यः तिष्ठति सः बान्धवः अस्ति। (उत्सव में, आपत्ति में, दुर्भिक्ष में, राष्ट्र में विद्रोह होने पर, राज-दरबार और श्मशान में जो साथ देता है वही बन्धु है।)

(ग) सन्मित्रलक्षणं किम्? (अच्छे मित्र का क्या लक्षण है?)
उत्तर:
सन्मित्रलक्षणं पापात् निवारयति, हिताय योजयति, गुह्यं निगृहति, गुणान प्रकटी करोति च। (अच्छा मित्र पाप से रोकता है हित में लगाता है, गुप्त बात को छुपाता है और गुणों को प्रकट करता है।)

(घ) सत्सङ्गतिः पुंसां किं करोति? (अच्छी संगति पुरुष का क्या करती है?)
उत्तर:
सत्सङ्गतिः पुंसां धियः जाड्यं हरति, वाचि सत्यं सिञ्चयति, भावोन्नति दिशति आदयः करोति। (अच्छी संगति पुरुष की जड़ता को दूर करती है, वाणी को सत्य से सींचती है, भावों में उन्नति देती है, इस तरह से अनेक कार्य करती है।)

प्रश्न 4.
रिक्तस्थानानि पूरयत-
(क) व्यवहारेण हि मित्राणि जायन्ते रिपवस्तथा।
(ख) आत्मार्थे पृथिवीं त्यजेत्
(ग) गुह्यं निगृहति गुणान्प्रकटी करोति।
(घ) दिक्षु तनोति कीर्तिम्।।
(ङ) राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति सः बान्धवः।

प्रश्न 5.
युग्ममेलनं कुरुत-
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 10 नीतिश्लोका img-1

प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-
यथा अभ्यागतः सर्वस्य गुरुः भवति। – (आम्)
दीर्घसूत्रता उत्तमः गुणः – (न)
(क) यत्र सम्मानः न भवति तत्र गन्तव्यम्।
(ख) आलस्यं परिवर्जनीयम्।
(ग) दुर्जने विश्वासः करणीय।
(घ) सत्सङ्गतिः मानोन्नतिं दिशति।
(ङ) सन्मित्रं गुणन्प्रकटीकरोति।
उत्तर:
(क) (न)
(ख) (आम्)
(ग) (न)
(घ) (आम्)
(ङ) (आम्)

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प्रश्न 7.
श्लोकपूर्तिं कुरुत-
(क) षडदोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।
निद्रांतन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।
(ख) उत्सवे व्यसने चैव, दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः॥

प्रश्न 8.
सन्धिविच्छेदं कुरुत-
उदाहरणं यथा-
सर्वस्याभ्यागतः सर्वस्य + अभ्यागतः
विद्यागमः विद्या + आगमः
पतिरेकः पतिः + एकः
सन्मित्रम् सत् + मित्रम्
कश्चित् कः + चित्
पापान्निवारयति पापात् + निवारयति।

प्रश्न 9.
उदाहरणानुसारं शब्दानां मूलशब्दं विभक्तिं वचनं च लिखत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 10 नीतिश्लोका img-2

प्रश्न 10.
निम्नलिखित वाक्यानि शुद्धं कुरुत(क) ते पठति।
(ख) सः गच्छसि।
(ग) त्वं खेलामि।
(घ) यूयं लिखन्ति।
(ङ) अहं वदति।
(च) वयं चलामि।
उत्तर:
(क) ते पठन्ति।
(ख) सः गच्छति।
(ग) त्वं खेलसि।
(घ) यूयं लिखथ।
(ङ) अहं वदामि।
(च) वयं चलामः।

प्रश्न 11.
निम्नलिखितक्रियापदानि भूतकाले परिवर्तयत
उदाहरणम् :
करोति – अकरोत्।
तनोति – अतनोत्।
जहाति – अजहत्।
ददाति – अददत्।
सिञ्चति – असिञ्चत्।
दिशति – अदिशत्।
तिष्ठति – अतिष्ठत्।

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नीतिश्लोकाः पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य :

सव्यवहार की शिक्षा ही नीति है। विद्वानों ने श्लोक के माध्यम से नियम अनुशासन, सदाचार, स्वास्थ्य-रक्षण, समाज-रक्षण, देश-रक्षण की शिक्षा प्रदान किया है। ऐसे श्लोक ही नीति श्लोक कहे जाते हैं। विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन के लिए ही यहाँ नीति श्लोक प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

नीतिश्लोकाः पाठ का हिन्दी अर्थ

1. यस्मिन्देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवः।
न च विद्यागमः कश्चित् तं देशं परिवर्जयेत्॥

शब्दार्थ :
बान्धव-कुटुम्बी जन-Family person; यस्मिन्देशे-जिस देश में-In that country.

हिन्दी अर्थ :
जिस देश में सम्मान न हो, आजीविका का साधन न हो, जहाँ स्वजन न हों और न ही विद्यार्जन की व्यवस्था हो, ऐसे देश का परित्याग कर देना चाहिए।

2. षड्दोषाः पुरुषेणेह हातव्य भूतिमिच्छता।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता॥

शब्दार्य :
षड्दोषा-छह प्रकार के दोष-six types of default; हातव्या-छोड़ देना चाहिए-Should leave; दीर्घसूत्रता-दीर्घसूत्रता-Long theory.

हिन्दी अर्थ :
पुरुष के अपने कल्याण के लिए इस छः दोषों को छोड़ देना चाहिए-निद्रा, अर्धनिद्रा भय, क्रोध, आलस्य एवं किसी भी कार्य को देर से करना।

3. त्यजेदेकं कुलस्यार्थे ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजत्।
ग्रामं जनपदस्यार्थे आत्मार्थे पृथिवीं त्यजेत्॥

शब्दार्थ :
कुलस्यार्थे-वंश के लिए-Family race; आत्मार्थे-परम तत्त्व के लिए-for great element.

हिन्दी अर्थ :
कुल (खानदान) के लिए एक व्यक्ति का त्याग कर देना चाहिए। गाँव के लिए कुल को त्याग देना चाहिए, जनपद के लिए ग्राम का त्याग कर देना चाहिए। परम तत्त्व की प्राप्ति के लिए संसार का त्याग कर देना चाहिए।

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4. विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा,
सदसि बाक्पटुता युधि विक्रमः।
यशास चाभिरुचिर्व्यसनं श्रुतौ,
प्रकृतिसिद्धमिदं हि महात्मनाम्।।

शब्दार्थ:
विपदि-आपत्ति में-In object; अभ्युदये-उन्नति में-In progress; वाक्पटुता-वाणी की चतुरता-Clever of voice; श्रुतौ-वेद शास्त्र-Medical books.

हिन्दी अर्थ :
विपत्ति में धैर्य रखना, अभ्युदय में क्षमा भाव, किसी सभा आदि में वाक्पटुता, युद्ध के समय वीरता, यश में रुचि, वेद-शास्त्र के अध्ययन का व्यसनमहात्माओं की सहज प्रवृत्ति होती है।

5. न कश्चित्कस्यचिन्मित्रं न कश्चित्कस्यचिद्रिपुः।
व्यवहारेण हि मित्राणि जायन्ते रिपवस्तथा॥

शब्दार्थ :
कस्यचित्-किसी का-any other; जायन्ते-हो जाते हैं-to become.

हिन्दी अर्थ :
न कोई किसी का मित्र होता है और न ही कोई किसी का शत्रु। व्यवहार करने पर ही शत्रु एवं मित्र की पहचान हो पाती है।

6. उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः॥

शब्दार्थ :
राष्ट्रविप्लवे-राष्ट्र में विद्रोह होने पर-On the time of civil war; व्यसने-आपत्ति में-in objective; दुर्भिक्ष-अकाल में-in bad time.

हिन्दी अर्थ :
उत्सव में, व्यसन में, अकाल में, राष्ट्र में विद्रोह होने पर राजा के दरबार में और श्मशान यात्रा में जो साथी होता है, वही बंधु कहा जाता है।

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7. दुर्जनः प्रियवादी च नैतद्विश्वासकारणम्।
मधु तिष्ठति जिह्वाग्रे हृदि हालाहलं विषम्॥

शब्दार्थ :
प्रियवादी-प्रिय बोलने वाला-Sweet tongue; जिह्वाग्रे-जिवा के अन्त भाग में-tip of tounge; तिष्ठति-रहता है-Lives; हालाहलं-विष-Position.

हिन्दी अर्थ :
दुर्जन व्यक्ति का प्रिय बोलना विश्वास का कारण नहीं हो सकता क्योंकि ऐसे लोगों की जिहा के अग्रभाग पर मधु होता है किन्तु हृदय में हलाहल विष भरा होता है।

8. पापान्निवारयति योजयते हिताय,
गुहयं निगृहति गुणान्प्रकटी करोति।
आपदगतं च न जहाति ददाति काले,
सन्मित्र लक्षणमिदं प्रवदन्तिं सन्तः।।

शब्दार्थ :
निवारयति-दूर करता है-far always; हिताय-हित के लिए-for benefit; योजयते-जोड़ता है-to connect; निगृहति-छिपाता है-Hidden; प्रकटी करोति-प्रकट करता है-Appears; आपद्गतं-विपत्ति काल में-In bad time; ददाति-देता है-gives; इदं-इस तरह-this types; सन्मित्रलक्षण-अच्छे मित्र के द्वारा-for good friends; प्रवदन्ति-कहते हैं-Says.

हिन्दी अर्थ :
संतों ने सुहृद (अच्छे मित्र) के लक्षण इस प्रकार कहे हैं-जो पापों का निवारण करने वाला हो, जो सर्वदा हित करने वाला हो, गोपनीयता को नष्ट नहीं करता, सदैव सद्गुणों को ही प्रकट करता है, आपत्ति-विपत्ति में साथ नहीं छोड़ता-वही सच्चा मित्र होता है।

9. जाड्यं धियो हरति सिञ्चति वाचि सत्यम्
मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति।
चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिम्।
सत्सङ्गतिः कथय किन्न करोति पुंसाम्॥

शब्दार्थ :
धियः जाड्यं-बुद्धि की जड़ता को-rust of wisdom; अपाकरोति-दूर करती है-for always; प्रसादयति-प्रसन्न करती है-to happy; सिंचति-सींचती है-to waters; मानोन्नति-मान और उन्नति-honour and development; दिशति-देती है-gives; तनोति-चलाती है-runs; कथन-कहिए-Say; सत्सङ्गति-अच्छी संगति-good company; किं न-क्या नहीं-what is not; करोति-करती है-does.

हिन्दी अर्थ :
सद् संगति मस्तिष्क की जड़ता को दूर करती है, वाणी सत्य का अनुसरण करती है जिससे सम्मान यश मिलता है, उन्नति होती है, पाप नष्ट होता है, मन (सदैव) प्रसन्न रहता है और दिग्-दिगंत तक कीर्ति फैलती है। इस तरह सत्संगति मनुष्य को सब कुछ प्रदान करती है।

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MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 9 पितृभक्तः श्रवणकुमारः

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 9 पितृभक्तः श्रवणकुमारः (संवादः)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 9 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) पितृभक्तः कः आसीत्? (पितृभक्त कौन था?)
उत्तर:
श्रवण कुमारः। (पितृभक्त श्रवण कुमार था।)

(ख) श्रवणः जलार्थं कुत्र गतः? (श्रवण जल लेने कहाँ गया?)
उत्तर:
तमसा तीरे। (श्रवण जल लेने तमसा तीर गया।)

(ग) शब्दवेधि-बाण-विद्यायां निपुणः कः? (शब्दभेदी बाण चलाने में निपुण कौन था?)
उत्तर:
दशरथः। (शब्दभेदी बाण चलाने में निपुण दशरथ था।)

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(घ) श्रवणकुमारः किमर्थं प्रख्यातः? (श्रवण कुमार किसलिये प्रसिद्ध हुआ?)
उत्तर:
पितृभक्तिः। (श्रवण कुमार पितृभक्ति के लिए प्रसिद्ध हुआ।)

प्रश्न 2.
एक वाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) प्रवणस्य पितरौ कीदृशौ आस्ताम्? (श्रवण के माता-पिता कैसे थे?)
उत्तर:
श्रवणस्य पितरौ जन्मान्धौ आस्ताम्। (श्रवण के माता-पिता जन्म से अन्धे थे।)

(ख) श्रवणः पित्रोः तीर्थाटनं कथमकारयत्? (श्रवण कुमार अपने माता-पिता को तीर्थयात्रा किससे कराया?)
उत्तर:
श्रवणः पित्रोः तीर्थाटनं विहङ्गिकायाम् कारयत्। (श्रवण कुमार अपने माता-पिता को काँवर से तीर्थयात्रा कराया।)

(ग) दशरथः किमर्थं वनं गतवान्? (दशरथ वन किसलिये गये?)
उत्तर:
दशरथः आखेटम् दनं गतवान्। (दशरथ आखेट के लिये वन गये।)

प्रश्न 3.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत.
(क) वाणविद्धस्य श्रवणस्य कः अभिलाषः आसीत्? (बाण से बिंधे हुये श्रवण कुमार की क्या अभिलाषा थी?)
उत्तर:
बाणविद्धस्य श्रवणस्य अभिलाषः यत ममपित्रोः जलं व्यवस्थां कृत्वा अद्यारभ्य भवान् कदापि निरपराधिनां जन्तूनां हिंसनं मा करोतु। (बाण से बिंधे हुये श्रवण कुमार की अभिलाषा थी कि मेरे माता-पिता के लिये जल की व्यवस्था करें और भविष्य में किसी भी निरपराध प्राणियों की हिंसा न करें।)

(ख) श्रवणस्य वृत्तं ज्ञात्वा पित्रोः का दशा सजाता? (श्रवण कुमार के वृत्तांत को जानकर उनके माता-पिता की क्या दशा हुई?)
उत्तर:
श्रवणस्य वृत्तं ज्ञात्वा पित्रोः वज्रपातः इव सजाता। (श्रवण कुमार के वृत्तांत को जानकर उनके माता-पिता दुःखी हुये।)

(ग) श्रवणस्य पितरौ कं शापं दत्तवन्तौ? (श्रवण के माता-पिता किसको श्राप दिये?)
उत्तर:
श्रवणस्य पितरौ दशरथं शापं दत्तवन्तौ। (श्रवण के माता-पिता दशरथ को श्राप दिये।)

प्रश्न 4.
यथायोग्यं योजयत-
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 9 पितृभक्तः श्रवणकुमार img-1

प्रश्न 5.
अधोलिखित वाक्यानां शुद्धरूपाणि लिखत
(क) श्रवणकुमारः पितरौ भक्त सन्ति।
उत्तर:
श्रवण कुमार पितरौ भक्तः अस्ति।

(ख) दशरथः वने गतवान्।
उत्तर:
दशरथः वने गतः।

(ग) पितरौ अन्धः आस्ताम्।
उत्तर:
पितरौ अन्धौ आस्ताम्।

(घ) श्रवणः जगतीतलं प्रसिद्धम्।
उत्तर:
श्रवणः जगतीतले प्रसिद्धम्।

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प्रश्न 6.
कोष्ठकस्यौ शब्दैः वाक्यानि रचयत
(क) श्रवणः शान्तनु पुत्रः अस्ति।
(ख) दशरथः अयोध्यायाः राजा आसीत्।
(ग) भवान् सवज्ञः अस्ति।
(घ) अहम् संस्कृतं पठामि।
(ङ) मम विद्यालये षोडश अध्यापकाः सन्ति

प्रश्न 7.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं “न” इति लिखत
(क) श्रवणकुमारः पितरौ भक्तः आसीत्।
(ख) माता-पितरौ अन्धौ न आस्ताम्
(ग) एषा कथा कलियुगस्य अस्ति।
(घ) दशरथः महाराजः आसीत्।
(ङ) श्रवणः तमसातीरं न गतवान्
उत्तर:
(क) आम्
(ख) न
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) न

प्रश्न 8.
उचित विकल्पेन वाक्यानि पूरयत
(क) पितरौ पिपसितौ आस्ताम्। (बुभुक्षितौ/पिपासितौ)
(ख) श्रवण वारिम् आनेतुं तमसा तीरम् आगतः। (वारि/वारिम)
(ग) दशरथः वाण विद्यायां अतिनिपुणः आसीत्। (शस्त्र/वाण)

प्रश्न 9.
सन्धिविच्छेदं कुरुत
(क) तीर्थाटनाय
तीर्थम् + आटनाय

(ख) नरेन्द्रः
नर + इन्द्रः

(ग) जन्मान्धौ
जन्म + अन्धौ

(घ) किञ्च
किम् + च

प्रश्न 10.
समुचितेन अक्षरेण रिक्तस्थानपर्तिं कुरुत
(क) श्र व ण कु मा रः
(ख) म हा रा. जः द श र थः
(ग) वा ण वि द्या यां

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पितृभक्तः श्रवणकुमारः पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

संस्कृत साहित्य में नीतिपरक, आचार का बोध कराने वाली अनेक कथाएं हैं। जैसे सती सावित्री की पति-भक्ति, श्री रामचन्द्र की पितृभक्ति, एकलव्य की गुरु-भक्ति इत्यादि कथाएं बहुत प्रसिद्ध हैं। इस पाठ में श्रवण कुमार द्वारा माता-पिता की सेवा का वर्णन किया गया है।

पितृभक्तः श्रवणकुमारः पाठ का हिन्दी अर्थ

1. आचार्यः-ईशभक्तिः गुरुभक्तिः मातापितृभक्तिश्च भारतीयसंस्कृतेः मूलम्। अद्य वयम् मातापितृभक्तिविषये विमृशामः। नरेन्द्र! मातापितृभक्तिविषये त्वं किंजानासि? नरेन्द्रः-गुरुवर्य! श्रूयते श्रवणकुमारः मातापितृभक्तः आसीत् इत्येव जानामि नाधिकम्। आचार्यः-शृणोतु श्रवणस्य पितरौ वृद्धौ जन्मान्धौ चास्ताम्।। भरतः-गुरुदेव! श्रवणस्य पित्रोः नाम किम् ? श्रवणेन किञ्च कृतम्? आचार्यः-श्रवणस्य मातुः नाम भाग्यवती पितुः नाम शान्तनुः च आस्ताम्।

शब्दार्थ:
श्रूयते-सुना जाता है-Is listent नाधिकम्-अधिक नहीं-Not much; शृणोतु-सुनो-Listen; श्रवण-श्रवण के द्वारा-Through Shrawan; कृतम्-किया-Did;

हिन्दी अर्थ:
आचार्य-ईश्वर की भक्ति, गुरुभक्ति, माता-पिता की भक्ति भारतीय संस्कृति की मूल हैं। आज हम माता-पिता की भक्ति के विषय में विचार करेंगे। नरेन्द्र! मातृ-पितृ भक्ति के विषय में तुम क्या जानते हो?

नरेन्द्र :
गुरुवर! सुना है कि श्रवण कुमार माता-पिता भक्त थे। इतना ही जानता हूँ, इससे अधिक नहीं।

आचार्य :
सुना है, श्रवण कुमार के माता-पिता वृद्ध और जन्मांध थे। भरत-गुरुदेव! श्रवण के पिता का नाम क्या था? श्रवण ने क्या किया?

आचार्य :
श्रवण के माता का नाम भाग्यवती, पिता का नाम शान्तनु था।

2. श्रवणः मातरं पितरं च विहङ्गिकायाम् उपवेश्य स्वस्कन्धे तां धृत्वा तीर्थाटनन् अकारयत्। सः वनात् वनान्तरे भ्रमन् तमसानद्याः तीरं समागतः। संयोगात् अयोध्यायः नृपः दशरथः आखेटं कुर्वन् सैनिकैः वियुक्तः मार्गात् भ्रष्टः तत्रैव वनमागतः। तदैव श्रवणः पित्रोः पिपासाशमनार्थं वारि आनेतुं तमसा तीरं जगाम। जलग्रहणकाले जलपात्रात् समुत्पन्नां ध्वनिं श्रुत्वा दशरथः “कश्चित् जन्तुः जलं पिबन् अस्ति” इति अनुमीय शब्दलक्ष्यं कृत्वा त्वरितमेव बाणम् अमुञ्चत्।।

शिष्याः :
(साश्चर्यम्) तदा किमभवत्?

आचार्यः :
शृण्वन्तु! श्रवणकुमारस्य हृदये संलग्नः सः शरः तस्य मर्मभेदनम् अकरोत्। तदा जन्तोः स्थाने मानववाणीं श्रुत्वा दशरथः त्वरितमेव तत्रागतः। तत्र बाणविद्धं श्रवणं दृष्ट्वा दुखितः अभवत्। स तमुत्थाय तस्य परिचयम् पृष्टवान्।

शिष्याः :
श्रवणेन किं कथितम्?

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आचार्यः :
स्वपरिचयं दत्वा तेन कथिम-राजन् मम मृत्योः किमपि दुःखं नास्ति। परन्तु मम पितरौ वृद्धौ अन्धौ च स्तः। इदानीं तौ पिपासितौ। अतः भवान् शीघ्रं गत्वा तौ जलं पाययतु। तदा दशरथः अवदत्-वत्स! अन्यः कस्ते अभिलाषः? श्रवणः अवदत्ममपित्रोः व्यवस्थां कृत्वा अद्यारभ्य भवान् कदापि निरपराधिनां जन्तूनां हिंसनं मा करोतु इत्युक्त्वा श्रवणः स्वप्राणान् अत्यजत्।

महेशः :
ततः किमभवत?

शब्दार्थ :
विहङ्गिका-काँवर-Reg/var, kavar; स्वकन्धे-अपने कंधे पर-On his shoulder; अत्रांतरे-इसके बाद-After it; समागतः-आया-Come; संयोगात्-संयोग से-By co-incidence; आखेटं-शिकार को-To hunting; जगाम्-गया-Went; आनेतुम-लाने के लिए-For bringing: श्रुत्वा-सुनकर-Listen; कश्चित्-कोई-Any; पिवन्-पीने के लिए-For drinking: कृत्वा-करके-Done; बाणम्-बाण को-To arrow; साश्चर्यम्-आश्चर्य के साथ-With wonder; अकरोत्-किया-Did; तत्रागतः-वहाँ आया-Come there; अमुत्थाय-उसे उठाकर-Lift it; किमपि-कुछ भी-Also, Some; करोतु-करो-Do; इत्युक्त्वा-ऐसा कहकर-As said; स्वप्राणान् अत्यजत्-अपने प्राणों को छोड़ दिया-Left own life.

हिन्दी अर्थ :
श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता को कांवर में बैठाकर अपने कंधे पर ढोते हुए तीर्थाटन कराया। वह एक वन से दूसरे वन का भ्रमण करते हुए तमसा नदी के तट पर पहुँचे । संयोग वश अयोध्या के राजा दशरथ शिकार करते हुए सैनिकों से बिछुड़ मार्ग भूलकर उस वन में आ पहुँचे। तभी श्रवण कुमार माता-पिता की प्यास शान्त करने के लिए जल लेने तमसा के तट पर पहुँचे। जल लेते समय जल पात्र से निकलने वाली ध्वनि सुनकर-संभवतः कोई जानवर जल पी रहा है, ऐसा अनुमान कर शब्द का लक्ष्य कर बाण को छोड़ दिया।

शिष्य :
(आश्चर्य से) तब क्या हुआ?

आचार्य :
सुनो! श्रवण कुमार के हृदय में लगे तीर ने उसका मर्मभेद दिया। कष्ट के कारण मुँह से निकली मनुष्य की आवाज सुन राजा दशरथ तत्काल वहाँ आ गए। तब वाण से घायल श्रवण को देख कर बहुत दुःखी हुए और उसे उठाते हुए उन्होंने परिचय पूछा।

शिष :
तब श्रवण ने क्या कहा?

आचार्य :
तब उसने अपना परिचय देते हुए (राजा दशरथ से) कहा-महाराज! मुझे अपनी मृत्यु से कोई दुःख नहीं है किन्तु मेरे माता-पिता अंधे हैं और इस समय बहुत प्यासे हैं अतः आप उन्हें शीघ्र जाकर जल पिलाएँ। तब दशरथ बोले-पुत्र! तुम्हारी इच्छा क्या है?

श्रवण बोले :
(मेरी अभिलाषा यह है कि) आप मेरे माता-पिता की व्यवस्था करें और आज के बाद फिर कभी निरपराध जन्तुओं की हत्या न करें… ऐसा कहते हुए श्रवण ने अपने प्राण त्याग दिए।

महेश :
तब क्या हुआ?

3. आचार्यः-ततः दशरथः पात्रे जलं गृहीत्वा श्रवणस्य पित्रोः समीपं गतः। तौ पिपासया आकुलो श्रवणम् आह्वयन्तौ कस्यापि आगमनसङ्केतं प्राप्य “वत्स श्रवण” इति अवोचताम्। दशरथः शनैः शनैः तयोः समीपं गत्वा अब्रवीत् गृह्यताम् जलम्।

अयं शब्दः श्रवणस्य नास्ति इति विचार्य तौ अपृच्छताम् को भवान् अस्मभ्यं जलम् प्रयच्छति? तदा राजा नितरां लज्जितः दुःखितश्च सर्वं वृत्तान्तम् अश्रावयत् । तच्छ्रुत्वा तयोः उपरि वज्रपातः इव सञ्जातः। वृद्धावस्था अन्धता, वने निवासः, एकः पुत्रः, तस्यापि अकस्मात् बाणेन मृत्युः इत्यादि व्याकुलो भूत्वा विलपन्तौ, राजानम् अकथयताम्-तव कारणात् एव पुत्र-शोकेन पीडितौ आवाम् इदानीम् प्राणान् परित्यजावः, अतः त्वमपि पुत्रशोकेन प्राणान् परित्यक्ष्यसि इति राजा शप्तः। रामस्य वनगमनकाले तच्छापवशात् पुत्रशोकेन दशरथोऽपि दिवङ्गतः।

छात्राः :
आचार्य! वयं ज्ञातवन्तः यत् वस्तुतः श्रवणः पितृभक्तः आसीत्। एतदर्थं तस्य नाम जगतीतले प्रसिद्धम्।

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शब्दार्थ :
कस्यपि-किसी का भी-Any person; अवोचताम्-सोचा-Thought; अब्रवीत्-बोला-Spoke; ग्रहताम्-ग्रहण करो-Take,do Accept; अप्रक्ष्यताम्-पूछे-Asked; कोभवान्-आप कौन हैं?-Who are you; अस्मभ्यम्-हम दोनों को-We both; प्रयच्छति-दे रहे हो-You are giving; नितराम्-बहुत अधिक-Very much; अश्रावयत्-सुनाया-Told; तत्श्रुत्वा-उसे सुनकर-To listen him; अकथयताम्-कहा/सुनाया-Said/Listened; कारणात्-कारण से-For reason; त्वमपि-तुम भी-You also; परित्यक्षसि-परित्याग करोगे-Will left; वनगमन काले-वनवास के समय-In forest time; दिवगंतः-दिवंगत हुए-Didéd; ज्ञातवंतः-मालूम हुआ-Known; जगतितले-संसार में-In world; प्रसिद्धम-प्रसिद्ध-Famous; एतदर्थ-उसके-His;

हिन्दी अर्थ :
आचार्य-इसके बाद दशरथ जलपात्र में जल लेकर श्रवण के पिता के निकट गए। प्यास से व्याकुल श्रवण के पिता उसके आगमन की आहट पाकर ‘वत्स श्रवण’ इस प्रकार बोले। दशरथ धीरे-धीरे उनके समीप जाकर बोले-इस जल को ग्रहण करे।

यह शब्द श्रवण का नहीं है, ऐसा विचार कर उन्होंने (श्रवण के माता-पिता ने) उनसे पूछा-आप कौन हैं जो मुझे जल दे रहे हैं। तब राजा अत्यन्त दुखित एवं लज्जित होकर सब बातें बताईं। ऐसा सुनकर (श्रवण के माता-पिता पर) वज्रपात-सा हुआ। वृद्धावस्था में अंधा हो जाना, वन में निवास, एक ही पुत्र उसकी भी बाण लगने से अकस्मात् मृत्यु से व्याकुल होकर विलाप करते हुए राजा से बोले-तुम्हारे कारण ही पुत्र-शोक से पीड़ित होकर हम दोनों मृत्यु को प्राप्त होने वाले हैं अतः तुम भी पुत्रशोक में ही प्राण त्याग करोगे-ऐसा राजा को शाप दिया। उसी शाप के कारण राम के वन-गमन के समय राजा दशरथ पुत्र-शोक में प्राण त्याग किए।

विद्यार्थी गण :
गुरु जी! हमें ज्ञात हुआ कि वास्तव में श्रवण पित्र-भक्त थे। इसी कारण उनका नाम पृथ्वी लोक में प्रसिद्ध है।

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MP Board Class 6th Social Science Solutions विविध प्रश्नावली 1

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प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए –
(1) इतिहास से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
प्राचीन महत्त्वपूर्ण घटनाओं का लेखा-जोखा इतिहास है –

(2) इतिहास जानने के कोई चार स्रोत बताओ।
उत्तर:
इतिहास जानने के मुख्य स्रोत हैं – पाषाण उपकरण, जीवाश्म, मिट्टी के बर्तन, शिलालेख, सिक्के, हथियार, मन्दिर, महल, मस्जिद, भोजपत्र, ताम्रपत्र, ताड़पत्र, पुरातत्त्व तथा इतिहास की पुस्तकें आदि।

(3) शिलालेख किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पत्थरों पर खोदकर लिखी गई बातों को शिलालेख कहते हैं।

(4) भोजपत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर:
भोजपत्र एक विशेष प्रकार के वृक्ष की छाल होती है जिस पर प्राचीन काल में लिखा जाता था।

(5) अभिलेख क्या होता है ?
उत्तर:
इतिहास की लिखित जानकारी प्रदान करने वाली सभी वस्तुएँ; जैसे-पुस्तकें, लेख, ताम्रपत्र, शिलालेख, स्तम्भ लेख आदि को अभिलेख कहा जाता है।

(6) आदिमानव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
हजारों वर्ष पुराने मानव को आदिमानव कहते हैं।

(7) आदिमानव जंगली जानवरों से अपना बचाव कैसे करते थे ?
उत्तर:
सर्वप्रथम आदिमानव जानवरों से अपनी रक्षा करने के लिए पेड़ों पर रहता था। जब आदिमानव ने आग जलाना सीख लिया तब वह आग जलाकर जानवरों से रक्षा करने लगा। क्योंकि उसने जान लिया था कि जानवर आग से डरते हैं।

(8) आदिमानव के युग को पाषाण युग क्यों कहा जाता
उत्तर:
पत्थरों के औजारों के स्वरूप के आधार पर इसे पाषाण युग कहा गया।

(9) पाषाण युग को कितने भागों में बाँटा गया है ? नाम लिखिए।
उत्तर:
पाषाण युग को तीन भागों में बाँटा गया है –

  • पुरा पाषाण युग
  • मध्य पाषाण युग
  • नव पाषाण युग।

(10) आग की खोज कैसे हुई होगी ? लिखिए।
उत्तर:
आग के बारे में मनुष्य को पहले कोई जानकारी नहीं थी। यद्यपि यह कहना कठिन है कि आग की खोज किस प्रकार हुई किन्तु यह अनुमान लगाया जाता है कि जब उसने पहली बार जंगल में सूखी लकड़ियों को आपस में तेज रगड़ खाकर आग लगते हुए एवं पत्थरों के औजारों के निर्माण के दौरान दो पत्थरों के आपस में टकराने से चिंगारियों को निकलते देखा होगा तो उसे आग का ज्ञान हुआ होगा। तब पहली बार मानव ने पत्थरों को आपस में टकराकर आग उत्पन्न की होगी। आग की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

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(11) आदिमानव के लिए उपयोगी पशु कौन-कौन से थे?
उत्तर:
कुत्ता, बैल, गाय, भैंस, बकरी, भेड़ आदि आदिमानव के लिए उपयोगी पशु थे।

(12) पहिए की खोज मानव के लिए कैसे वरदान साबित हुई ?
उत्तर:
मानव की उन्नति में पहिए की खोज का महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसा अनुमान है कि पेड़ के तने को लुढ़कते हुए देखकर आदिमानव के मन में पहिए के निर्माण का विचार आया होगा। यह खोज उसके जीवनयापन के लिए वरदान साबित हुई। पहिए का उपयोग उसने निम्नलिखित कार्यों के लिए किया –

  • चाक से मिट्टी के बर्तन बनाने में।
  • भारी चीज को एक जगह से दूसरी जगह लाने ले जाने में।
  • गहराई से पानी खींचने में।
  • पशुओं द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी के निर्माण में।

(13) आदिमानव एक स्थान से दूसरे स्थान पर क्यों घूमता रहता था ?
उत्तर:
भोजन की खोज में।

(14) किसी व्यक्ति के लिए परिवार का क्या महत्त्व होता है ? .
उत्तर:
व्यक्ति परिवार की इकाई है। व्यक्ति को परिवार में रहकर ही सब कुछ सीखने व आगे बढ़ने का मौका मिलता है।

(15) समाज की इकाई क्या है ?
उत्तर:
समाज की इकाई परिवार है।

(16) उन्नत समाज की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  • उन्नत समाज की विशेषताएँ –
  • शिक्षा का प्रचार-प्रसार,
  • सामाजिक जागरूकता।

(17) पारस्परिक निर्भरता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
किसी कार्य अथवा आवश्यकता के लिए एक-दूसरे पर निर्भर होना पारस्परिक निर्भरता कहलाता है। जैसे-शहर के लोग गाँव के लोगों द्वारा उत्पादित वस्तुएँ (अनाज, सब्जियाँ, फल आदि) के लिए गाँवों पर निर्भर रहते हैं, इसी प्रकार गाँव के लोग भी शहर में स्थापित कारखानों में बनी वस्तुओं के लिए उन पर निर्भर रहते हैं।

(18) दो देशों के बीच पारस्परिक निर्भरता को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
अपनी आवश्यकताओं एवं रुचियों की पूर्ति के लिए व्यक्ति को पारस्परिक निर्भरता की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार किसी एक देश में सभी आवश्यकता की चीजें उपलब्ध नहीं होती या कम मात्रा में होती हैं, इसलिए उन्हें दूसरे देशों से मँगाना पड़ता है। हम भारत का ही उदाहरण लें तो यहाँ पेट्रोलियम पदार्थ (पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल), सेना के उपयोग के लिए आधुनिक उपकरण, हथियार आदि दूसरे देशों से मँगाये जाते हैं। भारत से मसाले, चाय, सीमेण्ट, तैयार कपड़े आदि दूसरे देशों को भेजे जाते हैं।

(19) सौरमण्डल में कितने ग्रह हैं ? कौन-सा ग्रह जीवित ग्रह है ?
उत्तर:
सौरमण्डल में नौ ग्रह हैं। पृथ्वी जीवित ग्रह है।

(20) सौरमण्डल के मुखिया का नाम लिखिए।
उत्तर:
सूर्य।

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(21) पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर कितने दिनों में लगाती है?
उत्तर:
3657 दिनों में।

(22) सूर्य के सबसे पास एवं सबसे दूर के ग्रह का नाम लिखिए।
उत्तर:
सबसे पास बुध ग्रह व सबसे दूर यम (प्लूटो) है।

(23) चन्द्रमा किसका उपग्रह है ?
उत्तर:
चन्द्रमा पृथ्वी का उपग्रह है।

(24) लाल ग्रह किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मंगल को लाल ग्रह कहते हैं।

(25) प्रकाश वर्ष किसे कहते हैं ?
उत्तर:
प्रकाश वर्ष वह दूरी है जिसे प्रकाश 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकण्ड के वेग से एक वर्ष में तय करता है।

(26) अक्षांश एवं देशान्तर रेखा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
भूमध्य रेखा के समानान्तर खींचे हुए वृत्तों या आड़ी रेखाओं को अक्षांश रेखाएँ कहते हैं। प्रमुख अक्षांश रेखाएँ हैं-विषुवत् रेखा, कर्क रेखा, मकर रेखा।ग्लोब पर उत्तर से दक्षिण की ओर खींची गई खड़ी रेखाएँ देशान्तर रेखाएँ कहलाती हैं। मानचित्र में ये रेखाएँ उत्तर से दक्षिण में सीधी खिंची होती हैं। प्रमुख देशान्तर रेखा का नाम प्रधान मध्याह्न रेखा है।

(27) ग्लोब क्या है ?
उत्तर:
पृथ्वी का प्रतिरूप या नमूना दिखाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले गोले को ग्लोब कहा जाता है।

(28) मानचित्र किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल या उसके किसी भाग को किसी चपटी सतह पर पैमाने के अनुसार दिखाने वाले चित्र को मानचित्र कहते हैं।

(29) पृथ्वी पर कुल कितने महाद्वीप व कितने महासागर हैं ? नाम लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वी पर सात महाद्वीप-उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, एशिया, यूरोप, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, अन्टार्कटिका महाद्वीप हैं। चार महासागर-प्रशांत, अटलांटिक, हिन्द व आर्कटिक हैं।

(30) ग्लोब पर अक्षांश और देशान्तर रेखाएँ क्यों खींची गई हैं ?
उत्तर:
किसी स्थान की ठीक-ठीक स्थिति दर्शाने के लिए ये रेखाएँ खींची गई हैं।

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(31) भारत के मध्य से कौन-सी अक्षांश रेखा गुजरती है ?
उत्तर:
भारत के मध्य कर्क रेखा गुजरती है।

(32) भारत किस गोलार्द्ध में स्थित है ?
उत्तर:
भारत उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है।

(33) सबसे बड़ी अक्षांश रेखा को किस नाम से जानते हैं?
उत्तर:
विषुवत् रेखा।

(34) प्रधान मध्याह्न रेखा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
प्रमुख देशान्तर रेखा को प्रधान मध्याह्न रेखा भी कहते हैं।

(35) 23 1° दक्षिणी अक्षांश रेखा को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर:
मकर रेखा।

(36) अक्षांश और देशान्तर रेखाओं में क्या अन्तर है ? कोई तीन लिखिए।
उत्तर:
अक्षांश और देशान्तर रेखाओं में अन्तर –

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(37) पृथ्वी पर कितने परिमण्डल हैं ? नाम लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वी पर तीन परिमण्डल हैं – स्थलमण्डल, जलमण्डल और वायुमण्डल।

(38) पृथ्वी पर कितने प्रतिशत जल भाग है ?
उत्तर:
पृथ्वी पर 71 प्रतिशत जल भाग है।

(39) स्थलमण्डल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पृथ्वी का वह समस्त भू-भाग जो कठोर और नरम शैलों से बना है, स्थलमण्डल कहलाता है।

(40) जलमण्डल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पृथ्वी का वह भाग जो जल से ढका है, जलमण्डल कहलाता है।

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(41) वायुमण्डल में सबसे अधिक कौन-सी गैस मिलती है?
उत्तर:
वायुमण्डल में सर्वाधिक नाइट्रोजन गैस 78.1 प्रतिशत मिलती है।

(42) पर्वत और पठार में अन्तर बताइए।
उत्तर:
पर्वत अपने आस-पास के क्षेत्र से बहुत ऊँचे भाग होते हैं, जबकि पठार सामान्य रूप से उठे हुए भाग होते हैं। इनकी सतह समतल होती है।

(43) द्वीप किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वह छोटा भूखण्ड जिसके चारों ओर जल हो, द्वीप कहलाता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए
(1) इतिहास से आप क्या समझते हैं ? इतिहास जानने के कौन-कौन से साधन हैं ?
उत्तर:
‘संस्कृत’ भाषा में इति + ह + आस से मिलकर इतिहास शब्द बना है जिसका अर्थ होता है जो ऐसा (घटा) था। अर्थात् भूतकाल में घटित घटनाओं या उससे सम्बन्धित व्यक्तिों का विवरण इतिहास है।

इतिहास जानने के साधन:
इतिहास जानने के मुख्य स्रोत हैं – पाषाण उपकरण, जीवाश्म, मिट्टी के बर्तन, शिलालेख, सिक्के, हथियार, मन्दिर, महल, मस्जिद, भोजपत्र, ताम्रपत्र, ताड़पत्र, पुरातत्त्व तथा इतिहास की पुस्तकें आदि।

(2) आदिमानव ने खेती करना तथा पशुपालन कैसे प्रारम्भ किया ? समझाइए।
उत्तर:
नव पाषाण युग से पहले आदिमानव भोजन की तलाश में यहाँ-वहाँ घूमता रहता था। नव पाषाण काल में उसने पशुपालन और खेती करने के प्रारम्भिक तरीकों की खोज कर ली थी। इसी कारण आदिमानव का भोजन की तलाश में यहाँ-वहाँ घूमना कम हो गया था। आदिमानव को यह समझ में आ गया था कि मानव और पशु – पक्षियों द्वारा फेंके हुए फलों के बीजों से नए पौधे उग आते हैं, यही खेती करने की कला उसकी एक महत्वपूर्ण खोज थी।

वह यह भी जान गया था कि शिकार के साथ – साथ पशुपालन उसके लिए महत्वपूर्ण है। वह अनेक पशुओं को पालने लगा था और उनसे काम भी लेने लगा था। शिकार करने में कुत्ते, खेती करने में बैल, दूध प्राप्त करने के लिए गाय, भैंस, बकरी, माँस प्राप्त करने के लिए बकरा, सवारी के लिए बैल, भैंसा, ऊँट, घोड़े का वह उपयोग करना सीख गया था।

(3) समाज क्या है एवं समाज किन-किन बुराइयों पर नियन्त्रण लगा सकता है ?
उत्तर:
समाजशास्त्रियों ने समाज को सामाजिक सम्बन्धों का जाल माना है। कई परिवारों से मिलकर समाज का निर्माण होता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए वह परिवार और समाज दोनों से जुड़कर रहता है। हम समाज की कम आयु में विवाह, अधिक बच्चों का जन्म, बच्चों को प्रारम्भिक एवं अनिवार्य  शिक्षा न दिलाना जैसी बुराइयों पर नियन्त्रण लगाना चाहते हैं।

(4) गाँव व शहर एक-दूसरे पर निर्भर हैं, इसे समझाते हुए गाँव द्वारा उत्पादित वस्तुओं व शहर द्वारा उत्पादित वस्तुओं। के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
शहर के लोग गाँव के लोगों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के लिए गाँवों पर निर्भर रहते हैं। इसी प्रकार गाँव के लोग भी शहर में स्थापित कारखानों में बनी वस्तुओं के लिए उन पर निर्भर रहते हैं। गाँव द्वारा उत्पादित वस्तुएँ हैं-अनाज, दालें, सब्जियाँ, – गुड़, फल आदि। शहर द्वारा उत्पादित वस्तुएँ हैं – कृषि उपकरण; दवाएँ, शक्कर, कागज आदि।

(5) परस्पर निर्भरता क्या है ? नागरिक जीवन में परस्पर निर्भरता का क्या महत्व है ?
उत्तर:
किसी कार्य अथवा आवश्यकता के लिए एक-दूसरे पर निर्भर होना पारस्परिक निर्भरता कहलाता है। जैसे-शहर के लोग गाँव के लोगों द्वारा उत्पादित वस्तुएँ (अनाज, सब्जियाँ, फल आदि) के लिए गाँवों पर निर्भर रहते हैं, इसी प्रकार गाँव के लोग भी शहर में स्थापित कारखानों में बनी वस्तुओं के लिए उन पर निर्भर रहते हैं। सामाजिक जीवन आपसी सहयोग पर निर्भर करता है। सभी नागरिक एक साथ मिलकर रहते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं। इससे सामाजिक जीवन बेहतर और सुविधाजनक हो जाता है। यही नागरिक जीवन में परस्पर निर्भरता का महत्त्व है।

(6) सौरमण्डल किसे कहते हैं ? पृथ्वी सौरमण्डल का एक अनोखा ग्रह क्यों कहलाता है ?
उत्तर:
सौरमण्डल के ग्रहों का चित्र सहित वर्णन –
(1) सूर्य-सूर्य का अपना ही प्रकाश और गर्मी होती है। यह एक तारा है। सभी ग्रह सूर्य की ही आकर्षण शक्ति से एक-दूसरे से बँधे रहते हैं और सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सभी ग्रहों तथा उपग्रहों को ऊष्मा व प्रकाश सूर्य से ही मिलता है।

(2) ग्रह – ग्रह संख्या में आठ होते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  • बुध – बुध सूर्य के सबसे अधिक पास का ग्रह है। इसका कोई उपग्रह नहीं है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 88 दिन का समय लगता है।
  • शुक्र – इसका कोई उपग्रह नहीं होता तथा आकार में पृथ्वी के बराबर होता है। यह 225 दिन में सूर्य की परिक्रमा करता है।
  • पृथ्वी – इसका उपग्रह चन्द्रमा होता है। सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 365 7 दिन का समय लगता है। इस ग्रह पर जीवन पाए
  • जाने के कारण इसे जीवित ग्रह भी कहते हैं।
  • मंगल – इसके दो उपग्रह हैं। यह 687 दिन में सूर्य की परिक्रमा पूरी कर लेता है।
  • बृहस्पति – यह सभी ग्रहों में बड़ा है। इसके 12 उपग्रह हैं। सूर्य की परिक्रमा यह 11 वर्ष 9 महीने में पूरी करता है।
  • शनि – इसके 20 उपग्रह हैं। सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 29 वर्ष 5 माह का समय लगता है। यह सौरमण्डल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
  • अरुण (यूरेनस) – यह सूर्य की परिक्रमा 84 वर्ष में पूरी करता है।
  • वरुण (नेपच्यून) – इसके 8 उपग्रह हैं। यह 165 वर्ष में सूर्य की परिक्रमा करता है।

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पृथ्वी सौरमण्डल का एक महत्त्वपूर्ण सदस्य है। सौर मण्डल ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्माण्ड में केवल पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन पाया जाता है। इसलिए इसे अनोखा और जीवित ग्रह कहते हैं।

निम्नलिखित कारणों से भी यह अनोखा व जीवित ग्रह है –

  • पृथ्वी पर जल ठोस, तरल और गैसीय अवस्था में मिलता है। यहाँ जल की उपलब्धता से जीवन का विकास हुआ है।
  • पृथ्वी पर जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है जो किसी भी प्रकार के जीवन के लिए आवश्यक है।
  • पृथ्वी पर वायुमण्डल, जलमण्डल और स्थलमण्डल का विस्तार है, तीनों का आपस में उचित सन्तुलन बना हुआ है। इसके अलावा
  • पृथ्वी पर 12-12 घण्टे वाले दिन रात की आदर्श अवधि भी यहाँ जीवन के विकास में सहायक है।

(7) सौरमण्डल का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) सूर्य-सूर्य का अपना ही प्रकाश और गर्मी होती है। यह एक तारा है। सभी ग्रह सूर्य की ही आकर्षण शक्ति से एक-दूसरे से बँधे रहते हैं और सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सभी ग्रहों तथा उपग्रहों को ऊष्मा व प्रकाश सूर्य से ही मिलता है।

(2) ग्रह – ग्रह संख्या में आठ होते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  • बुध – बुध सूर्य के सबसे अधिक पास का ग्रह है। इसका कोई उपग्रह नहीं है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 88 दिन का समय लगता है।
  • शुक्र – इसका कोई उपग्रह नहीं होता तथा आकार में पृथ्वी के बराबर होता है। यह 225 दिन में सूर्य की परिक्रमा करता है।
  • पृथ्वी – इसका उपग्रह चन्द्रमा होता है। सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 365 7 दिन का समय लगता है। इस ग्रह पर जीवन पाए जाने के कारण इसे जीवित ग्रह भी कहते हैं।
  • मंगल – इसके दो उपग्रह हैं। यह 687 दिन में सूर्य की परिक्रमा पूरी कर लेता है।
  • बृहस्पति – यह सभी ग्रहों में बड़ा है। इसके 12 उपग्रह हैं। सूर्य की परिक्रमा यह 11 वर्ष 9 महीने में पूरी करता है।
  • शनि – इसके 20 उपग्रह हैं। सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 29 वर्ष 5 माह का समय लगता है। यह सौरमण्डल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
  • अरुण (यूरेनस) – यह सूर्य की परिक्रमा 84 वर्ष में पूरी करता है।
  • वरुण (नेपच्यून) – इसके 8 उपग्रह हैं। यह 165 वर्ष में सूर्य की परिक्रमा करता है।

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(8) ग्लोब किसे कहते हैं ? ग्लोब से हमें क्या-क्या जानकारी मिलती है ?
उत्तर:
पृथ्वी का प्रतिरूप या नमूना दिखाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले गोले को ग्लोब कहा जाता है।

(ब) ग्लोब से हमें क्या-क्या जानकारियाँ प्राप्त होती हैं ? कोई पाँच लिखिए।
उत्तर:

पृथ्वी का आकार तथा महाद्वीपों व महासागरों के आकार व विस्तार का ज्ञान प्राप्त होता है।

  • दिन व रात होने की जानकारी प्राप्त होती है।
  • पृथ्वी की गतियों का ज्ञान होता है।
  • अक्षांश एवं देशांश रेखाओं की स्थिति का ज्ञान होता है।
  • जल और थल के वितरण की जानकारी भी मिलती है।

(9) मानचित्र पढ़ने के लिए किन-किन बातों का जानना आवश्यक है ? लिखिए।
उत्तर:
मानचित्र पढ़ने के लिए शीर्षक, दिशा, रूढ़ चिन्ह और मापक के विषय में जानना आवश्यक होता है।

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) शिलाओं पर अंकित चित्रों को ……… कहते हैं।
(2) पत्थर पर अंकित (खुदी हुई) बातों को ……….. कहते
(3) हमारा नागरिक जीवन परस्पर ………… और …….. पर निर्भर करता है।
(4) ग्रह एवं उपग्रह ……….. से प्रकाशित होते हैं।
(5) हमारी पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह ………. है।
(6) मनुष्य द्वारा निर्मित छोटे और अस्थायी ग्रह को ……….. कहते हैं।
(7) पृथ्वी पर फैले विशाल जल भाग को ………. कहते हैं।
(8) पृथ्वी का आकार ……….. है।
(9) ग्लोब पर ……….. रंग सबसे अधिक दिखाई देता है।
(10) पृथ्वी के ऊपरी छोर के बिन्दु को ध्रुव और दक्षिणी छोर के अन्तिम बिन्दु को ……… ध्रुव कहते हैं।
(11) देशान्तर रेखाएँ ………….. वृत्त होती हैं।
(12) पृथ्वी अपने अक्ष पर ……….. झुकी है।
(13) पृथ्वी के …………. प्रतिशत भाग पर भूमि है।
(14) चारों ओर जल से घिरे भूखंड को ………… कहते हैं।
(15) पृथ्वी पर गैसों का आवरण ……….. कहलाता है।
उत्तर:

  1. शैल चित्र
  2. शिलालेख
  3. सहयोग, कर्त्तव्य पालन
  4. सूर्य
  5. चन्द्रमा
  6. कृत्रिम उपग्रह
  7. जलमण्डल
  8. गोलाकार
  9. नीला
  10. उत्तरी, दक्षिणी
  11. अर्द्ध
  12. 23°
  13. 29
  14. द्वीप
  15. वायुमण्डल।

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प्रश्न 4.
सही विकल्प चुनिए –
(अ) निम्न में से कौन इतिहास जानने का स्रोत है ?
(i) पानी
(ii) पेड़
(iii) मिट्टी के बर्तन
(iv) पेन
उत्तर:
(iii) मिट्टी के बर्तन

(ब) आदिमानव भोजन कैसे प्राप्त करता था ?
(i) खेती करके
(ii) कन्दमूल व फल-फूल इकट्ठा करके
(iii) समुद्र से
(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ii) कन्दमूल व फल-फूल इकट्ठा करके

(स) निम्न में से कौन-सी बात समाज की विशेषता नहीं है?
(i) खान-पान
(ii) रक्त-सम्बन्ध
(iii) रहन-सहन
(iv) रीति-रिवाज
उत्तर:
(ii) रक्त-सम्बन्ध

(द) हमारी मूलभूत आवश्यकता नहीं है –
(i) भोजन
(ii) कपड़ा
(iii) बिजली
(iv) आवास
उत्तर:
(iii) बिजली

(य) निम्न में से कौन तारा है?
(i) सूर्य
(ii) चन्द्रमा
(iii) पृथ्वी
(iv) मंगल।
उत्तर:
(i) सूर्य

(र) सभी आकाशगंगाएँ व सारी ऊर्जा जिस अन्तहीन आकाश में व्याप्त हैं, उसे कहते हैं –
(i) सौरमण्डल
(ii) सूर्य
(iii) ब्रह्माण्ड
(iv) आकाशगंगा
उत्तर:
(iii) ब्रह्माण्ड

(ल) जीवित ग्रह कहा जाता है –
(i) चन्द्रमा
(ii) पृथ्वी
(iii) बुध
(iv) मंगल
उत्तर:
(ii) पृथ्वी

(व) लाल रंग का ग्रह है –
(i) पृथ्वी
(ii) मंगल
(iii) वृहस्पति
(iv) बुध
उत्तर:
(ii) मंगल

(ब) जीवन रक्षक गैस है –
(i) ऑक्सीजन
(ii) नाइट्रोजन
(iii) हीलियम
(iv) ओजोन
उत्तर:
(i) ऑक्सीजन

(भ) जिस रात चन्द्रमा पूरा दिखाई देता है, वह रात होती है –
(i) अष्टमी
(ii) अमावस्या
(iii) पूर्णिमा
(iv) एकादशी
उत्तर:
(iii) पूर्णिमा

(म) पृथ्वी का सबसे निकटतम आकाशीय पिण्ड है –
(i) सूर्य
(ii) बुध
(iii) चन्द्रमा
(iv) शुक्र
उत्तर:
(iii) चन्द्रमा

(ज) पृथ्वी जैसी आकृति का मॉडल कहलाता है –
(i) मानचित्र
(ii) मापक
(iii) ग्लोब
(iv) चन्द्रमा
उत्तर:
(iii) ग्लोब

(प) पृथ्वी पर महाद्वीपों की संख्या है –
(i) 4
(ii) 5
(iii) 7
(iv) 6
उत्तर:
(iii) 7

(फ) अक्षांश रेखाओं की विशेषता है –
(i) अर्धवृत्त
(i) समान लम्बाई
(iii) पूर्ण वृत्त
(iv) खड़ी रेखाएँ
उत्तर:
(iii) पूर्ण वृत्त

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से असमान शब्द को छाँटिए –
प्रश्न 5. (क)
(i) पुरा पाषाण
(ii) कृष्ण पाषाण
(iii) मध्य पाषाण
(iv) नव पाषाण
उत्तर:
(ii) कृष्ण पाषाण

प्रश्न 5. (ख)
(i) गाय
(ii) भैंस
(iii) बाघ
(iv) बकरी
उत्तर:
(iii) बाघ

प्रश्न 5. (ग)
(i) शैलचित्र
(ii) वृत्त चित्र
(iii) गुहा चित्र
(iv) भित्ति चित्र
उत्तर:
(ii) वृत्त चित्र

प्रश्न 5. (घ)
(i) परिवार
(ii) समुदाय
(iii) विवाह
(iv) समाज
उत्तर:
(iii) विवाह

प्रश्न 5. (ङ)
(i) पेट्रोल
(ii) कपड़े
(iii) डीजल
(iv) मिट्टी का
उत्तर:
(ii) कपड़े

प्रश्न 5. (च)
(i) फसल
(ii) अनाज
(iii) भोजन
(iv) उपज
उत्तर:
(iii) भोजन

प्रश्न 5. (छ)
(i) बुध
(ii) शुक्र
(iii) मंगल
(iv) चन्द्रमा
उत्तर:
(iv) चन्द्रमा

प्रश्न 5. (ज)
(i) आर्यभट्ट
(ii) रोहिणी
(iii) चन्द्रमा
(iv) भास्कर
उत्तर:
(iii) चन्द्रमा

प्रश्न 5. (झ)
(i) एशिया
(ii) अफ्रीका
(iii) प्रशान्त महासागर
(iv) उत्तरी अमेरिका
उत्तर:
(iii) प्रशान्त महासागर

प्रश्न 5. (ञ)
(i) कर्क रेखा
(ii) भूमध्य रेखा
(iii) मकर रेखा
(iv) ग्रीन विच रेखा
उत्तर:
(iv) ग्रीन विच रेखा

प्रश्न 5. (त)
(i) स्थल मण्डल
(ii) जैव मण्डल
(iii) वायुमण्डल
(iv) सौरमण्डल
उत्तर:
(iv) सौरमण्डल

प्रश्न 5. (थ)
(i) पर्वत
(ii) सागर
(iii) पठार
(iv) मैदान
उत्तर:
(ii) सागर

प्रश्न 5. (व)
(i) नाइट्रोजन
(ii) ऑक्सीजन
(iii) जल वाष्प
(iv) कार्बन डाइ-ऑक्साइड
उत्तर:
(iii) जल वाष्प

प्रश्न 6.
सही जोड़ी मिलाइए –

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उत्तर:

  • (व) वायुमण्डल
  • (य) अक्षांश
  • (र) देशान्तर
  • (ब) पृथ्वी
  • (भ) ग्लोब
  • (ल) बृहस्पति
  • (म) परस्पर निर्भरता
  • (अ) परिवार
  • (द) पाषाण काल
  • (स) शिलालेख

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MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्तिः

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्तिः (वर्णनात्मकः)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 8 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक पद में उत्तर लिखो)
(क) अष्टमूर्तिः कुत्र प्रतिष्ठापिता अस्ति। (अष्टमूर्ति कहाँ स्थित है?)
उत्तर:
दसपुर (दसपुर (मंदसौर))

(ख) कति शैवप्रतिमाः प्रसिद्धाः सन्ति। (कितनी शिव प्रतिमा प्रसिद्ध हैं?)
उत्तर:
त्रिनः। (तीन)

(ग) पूर्वमुखे कः रसः विद्यते? (पूर्व दिशा के मुख में कौन-सा रस विद्यमान है?)
उत्तर:
शान्तरसः। (शान्त रस)

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(घ) कस्यमुखस्य शिला लोहितवर्णा वर्तते? (किस मुख वाली शिला लाल रंग की है?)
उत्तर:
पश्चिमुखस्य। (पश्चिम मुख की)।

(ङ) कश्मिन मुखे शिवः अट्टहासं कुर्वन इव प्रतिभाति? (किस मुख में शिव अट्टहास करते दिखाई देते हैं?)
उत्तर:
उत्तरदिशः। (उत्तर दिशा)

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) अष्टमूर्तिः भक्तैः कस्मिन ईशवीये दृष्टा? (अष्टमूर्ति भक्तों ने किस ईशवी में देखी?)
उत्तर:
अष्टमूर्तिः भक्तैः 1940 ईशवीये दृष्टा। (अष्टमूर्ति भक्तों ने 1940 ईशवी में देखी।)

(ख) वरस्य शृङ्गार मनोरमत्वं कस्मिन मुखे उल्लिखितम्? (वर के श्रृंगार का मनोहर वर्णन किस मुख में उल्लिखित है।)
उत्तर:
वरस्य शृंगार मनोरम भावं दक्षिण मुखे उल्लिखितम्। (वर के श्रृंगार का मनोहर वर्णन दक्षिण मुखे उल्लिखित है।)

(ग) ऐतिहासिकैः अर्धनारीश्वरस्य कः कालः निर्धारितः? (ऐतिहासिकों द्वारा अर्धनारीश्वर का कौन-सा काल निर्धारित किया गया है?)
उत्तर:
ऐतिहासिकैः अर्धनारीश्वरस्य चतुर्थदशः शताब्दे कालः निर्धारितः।। (ऐतिहासिकों ने अर्धनारीश्वर का काल चौदहवीं शताब्दी निर्धारित की है।)

(घ) अष्टमूर्तिः इदानीं केन नाम्ना प्रख्याता? (अष्टमूर्ति इस समय किस नाम से प्रसिद्ध हैं?)
उत्तर:
अष्टमूर्तिः इदानी पशुपतिनाथः नाम्ना प्रख्याता। (अष्टमूर्ति इस समय पशुपतिनाथ इस नाम से प्रसिद्ध है।)

प्रश्न 3.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत। (नीचे लिखे हुए प्रश्नों के उत्तर लिखो)
(क) मूर्तेः पश्चिमे मुखे वैशिष्ट्यं किम्? (मूर्ति के पश्चिम मुख की क्या विशेषता है?)
उत्तर:
मूर्तेः पश्चिम मुखे वैशिष्ट्यं प्रलयंकारी शिव।। (मूर्ति के पश्चिम मुख में प्रलंयकारी शिव को दिखाया गया है)

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(ख) काः तिस्रः शैव प्रतिमाः प्रसिद्धः? (कौन-सी तीन शिव प्रतिमा प्रसिद्ध हैं?)
उत्तर:
अर्धनारीश्वरः, ऐलीफैण्टायाः त्रिमूर्ति, चिदम्बरस्य नटराज तिस्रः शैवप्रतिमाः प्रसिद्धाः। (अर्धनारीश्वर, ऐलीफैण्टा की त्रिमूर्ति, व चिदम्बर की नटराज मूर्ति ये तीन शिव प्रतिमा प्रसिद्ध हैं।)

(ग) दशपुर कुत्र अस्ति? अधुना केन नाम्ना प्रसिद्धम्? (दशपुर कहाँ स्थित है? वर्तमान में यह किस नाम से प्रसिद्ध है?)
उत्तर:
दशपुरं मध्यप्रदेशस्य पश्चिम भागे मालवाञ्चले शिवनानधास्तीरे अस्ति। अधुना मंदसौर नाम्ना प्रसिद्धम्। (दशपुर मध्य प्रदेश के पश्चिम भाग में मालवाञ्चल में शिवना नदी के किनारे स्थित है। वर्तमान में यह मंदसौर नाम से प्रसिद्ध है।)

(घ) अष्टमूर्तेः उत्तर मुखे कीदृशं वैशिष्ट्यं विद्यते? (अष्टमूर्ति का उत्तर मुख क्या विशेषता बतलाता है।)
उत्तर:
अष्टमूर्तेः उत्तर मुखे आनंदतत्त्व युक्ता वैशिष्ट्यं विद्यते। (अष्टमूर्ति का उत्तर मुख आनंद तत्त्व से युक्त होने की विशेषता बताता है।)

प्रश्न 4.
रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) पूर्वमुखे शान्तरसविशिष्टः शिवसमाधिः विद्यते।
(ख) अष्टमुखाङ्कितं लिङ्गम् अष्टमूर्तिः इति नाम्ना ज्ञायते।।
(ग) अद्यावधि शैवप्रतिमाः केवलं तिस्रः प्रसिद्धाः।
(घ) लघु सर्पद्वयं प्रतीकरूपेण उत्कीर्णीतम्।

प्रश्न 5.
युग्ममेलनं कुरुत-
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प्रश्न 6.
अवायैः वाक्यनिर्माणं कुरुत-
अधुना – दशपुरम् अधुना मन्दसौरम् इति नाम्ना प्रख्यातम् अस्ति।
इदानीम् – इदानीः सः विद्यालयं गच्छति।
यथा – सः यथा एव आगच्छतिर्तदा अहं गमिष्यामि।
तथा – यथा नृपः तथा प्रजाः।
तत्र – तत्र कोऽपि न विद्यते।
अपि – सः अपि गमिष्यसि।
अत्र – अत्र वृक्षाः सन्ति।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दानां संधिविच्छेद कृत्वा सन्धेः नाम लिखत
उदाहरणम् :
विद्यार्थी-विद्या+अर्थी = विद्यार्थी।
(क) उभावपि
उत्तर:
उभौ+अपि = अयादि स्वर

(ख) अत्रैव
उत्तर:
अत्र+एव = वृद्धि स्वर

(ग) सर्वे
उत्तर:
सः+एव – विसर्ग = वृद्धि स्वर संधि

(घ) नास्ति
उत्तर:
न+अस्ति = दीर्घ स्वर

(ङ) अत्रास्ति
उत्तर:
अत्र+अस्ति = दीर्घ स्वर।

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प्रश्न 8.
उदाहरणानुसारं क्रियापदानां वचन परिवर्तनं कुरुत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्ति img-2

प्रश्न 9.
निम्नलिखितपदानां समास विग्रहं कृत्वा। समासस्य नाम लिखत
उदाहरणं यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्ति img-3

प्रश्न 10.
निम्नलिखित मूलशब्दं विभक्तिं वचनं च लिखत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्ति img-4

प्रश्न 11.
निम्नलिखितानां शब्दानां धातुं प्रत्ययं च पृथक् कुरुत
उदाहरणं यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 8 दशपुरीया अष्टमूर्ति img-5

दशपुरीया अष्टमूर्तिः पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

मध्य प्रदेश के मालव अंचल में स्थित मंदसौर नगर के पुरातात्त्विक महत्त्व से हम लोग पूर्ण भिज्ञ हैं। यहाँ स्थित आठ मुखों वाली भगवान शिव की लिंग प्रतिमा अद्भुत एवं अनुपम है। प्रस्तुत पाठ डॉ. रामचन्द्र तिवारी द्वारा प्रणीत है। धर्म, दर्शन एवं पुरातत्त्व में इनका अभिनिवेश होने के कारण ‘अद्वितीय अष्टमूर्ति’ नामक पुस्तक आपने लिखी। इसकी मूर्तियाँ ही पाठ की विशेषता हैं।

दशपुरीया अष्टमूर्तिः पाठ का हिन्दी अर्थ

मध्यप्रदेशस्य पश्चिमे भागे मालवाञ्चले शिवनानद्यास्तीरे दशपुरं नाम नगरमस्ति। दशपुरम् अधुना मन्दसौरम इति नाम्मा प्रख्यातमस्ति। एतस्य दशपुरस्य वर्णनम् महाकविकालिदासेनापि स्वकीये ग्रन्थे मेघदूते कृतम्। अत्रैव शिवनानयास्तीरे भगवतः शिवस्य विशालमन्दिरमस्ति। अत्र स्थितम् अष्टमुखाकितं शिव लिङ्गम् अष्टमूर्तिः इति लिखितम् । इदानीं सैव पशुपतिनाथः इति नाम्ना दशपुरे प्रख्यातः।

शब्दार्थ :
अधुना-इस समय-This time; स्वकीये-स्वयं के-by self; इसका-its; लिखतम्-लिखित-Written; इदानीं-इस समय-this time.

हिन्दी अर्थ :
मध्य प्रदेश के पश्चिम भाग मालवांचल में शिवना नदी के किनारे स्थिति दशपुर नामक नगर है। दशपुर का आधुनिक नाम मन्दसौर प्रसिद्ध है। इस दशपुर का वर्णन महाकवि कालिदास ने भी स्वरचित ग्रन्थ मेघदूत में किया है। यहीं पर शिवना नदी के किनारे भगवान शिव का विशाल मन्दिर है। इसमें स्थित अष्टमुखी लिंग प्रतिमा है-ऐसा लिखा गया है। इस समय वही मन्दिर पशुपति नाथ नाम से प्रसिद्ध है।

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2. शैवदर्शनदृष्ट्या शैवकलादृष्ट्या च दशपुरीया अष्टमूर्तिः शैवमूर्तिषु अद्वितीया अस्ति। अद्यावधि शैवप्रतिमाः केवलं तिस्रः प्रसिद्धाः सन्ति। प्रथमा-प्रथमशताब्धाः मथुरायाः अर्धनारीश्वरः, द्वितीया अष्टमशताब्धाः, एलीफैण्टायाः त्रिमूर्ति। तृतीया दशमशताब्याः, चिदम्बरस्य नटराजः। शेषाणि लिङ्गानि। तामु तादृशी कला, दर्शनं वा नास्ति यथा दशपुरे वर्तमानायाः अष्टमूर्ती। वस्तुतः सा अनुपमा, अतिशायिनी शैव प्रतिमा अस्ति। अष्ट मुखानि प्रायः ‘सप्त फिट’ मानात्मके उत्तुङ्गे विशाले नीललोहिते पाषाणलिङ्गे उट्टङ्कितानि सन्ति।

शब्दार्थ :
अष्टमुखाङ्कितम्-उत्कीर्ण आठ मुख वाली-Carve of eight mouth; नीललोहिते-नीले व रक्तवर्ण से युक्त-with blue & Red Colour; पाषाणलिङ्गे-पत्थर के लिङ्ग पर-on the stone statue; अर्धनारीश्वर-अर्धनारीश्वर-(शिव पार्वती का रूप)-the fame of Shiva and Parvati.

हिन्दी अर्थ :
शैव दर्शन की दृष्टि से, शैव कला की दृष्टि से दशपुर की अष्टमूर्ति शिव मूर्ति अद्वितीय है। आज तक शिव की केवल तीन ही प्रतिमाएँ प्रसिद्ध हैं। मथुरा स्थित प्रथम शताब्दी की अर्धनारीश्वर की मूर्ति, आठवीं शताब्दी की एलीटो की त्रिमूर्ति और तीसरी, दशम शताब्दी की चिदम्बरम् की नटराज मूर्ति। शेष सभी शिवलिंग हैं। उनमें वेसी कला दृष्टिगोचर नहीं होती जैसी दशपुर की वर्तमान अष्टमूर्ति में। वस्तुतः यह शिव की मूर्ति अनुपम एवं अद्वितीय है। यह अष्टमुख लिंग मूर्ति सात फुट ऊँचे विशाल गुलाबी-नीले पाषाण खण्ड पर उकेरा गया है।

3. अस्याः मूर्तेः केवलं चतुर्मुखानि एव पूर्णतया लिङ्गमथ्ये निर्मितानि सन्ति, ततोऽधः चतुर्मुखानि केवलम् अशित एव निर्मितानि सन्ति। वैदेशिकानाम् आक्रमणवशात् एषा मूर्तिः रक्षणार्थम् अर्धनिर्मिता एव शिवनागर्भे (ईशवीये चतुर्दशाब्दे) गोपिता, कालेन नदी प्रवाहात् प्रकटिता एषा मूर्तिः 1940 ईशवीये वर्षे भक्तैः दृष्टा, तटे प्रतिष्ठापिता च। अस्या निर्मितानि मुखानि अतीव सुन्दराणि जीवनतत्त्वस्य व्यञ्जकानि च सन्ति।

शब्दार्थ :
ततोऽध-इससे नीचे-below its; गोपिता-छिपा दी गई-is hidden; प्रकटिता-प्रकट हुआ-appeared; जीवनतत्त्वस्य-जीवन के तत्त्व का-factor of life.

हिन्दी अर्थ :
इस मूर्ति के मात्र चार मुख ही पूर्णरूपेण लिंग के मध्य ही निर्मित हैं। उसके नीचे चारमुख केवल अर्धांश में ही निर्मित है। विदेशियों के आक्रमण के कारण इस मूर्ति की रक्षा के लिए अर्धमूर्ति शिवना के गर्भ में चौदहवीं शताब्दी में द्विपादी गई। समायानुसार नदी के प्रवाह के कारण यह मूर्ति बाहर निकल आई। सन् 1940 ई. में भक्तों ने इसे देखकर नदी के तट पर स्थापित कर दिया। इस मूर्ति के मुख बहुत सुंदर हैं जो जीवन के तथ्य को व्यक्त करते हैं।

4. दक्षिणमुखशिल्पे विवाहमण्डपस्थस्य वरस्य शृङ्गारमनोरमत्वं दृश्यते। तत्रैव शीर्षे केशकलापे षोडशीचन्द्र कला शोभते च। अत्रैवमुखे शुचिस्मितत्वं मधुरस्मितत्वं च अवलोकनीयम् । अत्र भयङ्कराः सर्पाः न उत्कीर्णाः, केवलं लघु सर्पद्वयं प्रतीकरूपेण उत्कीर्णितं वर्तते। पूर्व मुखे शान्तरस विशिष्टः शिवसमाधिः व्यज्यते। अस्मिन् केशकिरीटे रुद्राक्षमालयोः रेखाद्वयं निबद्धम् अस्य! मध्यमणिः तिलक रूपेण उपनिबद्धः। अत्र ग्रीवायां सर्पमाला, मन्दारमाला च शोभते।

शब्दार्थ :
स्मितत्वम्-मुस्कुराहट-Smile; मध्यमणि-बीच की मणि-between very precious stone; दृश्यते-दिखाई देता है-Looks; तत्रैव-वहाँ-there; अवलोकनीयम्-देखने को-for Look; उत्कीर्ण-उत्कीर्ण-Carve, scratch; तिलक रूपेण-तिलक के रूप में-in the form of auspious mark; उपनिबद्ध-बंधी हुई-to tie on for head;

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हिन्दी अर्थ :
मूर्ति की दक्षिण मुख की रचना विवाह मण्डप में बैठे श्रृंगार युक्त दूल्हे जैसी दिखाई देती है। उमसें सबसे ऊपर बालों के मध्य चन्द्रमा की सोलहवीं कला सुशोभित हो रही है। इस मुख की पवित्र मुस्कान ही देखने योग्य है। इस मूर्ति में भयंकर सर्प उत्कीर्ण नहीं किए गए हैं। केवल दो छोटे सर्प ही प्रतीक रूप में उत्कीर्ण हैं। मूर्ति के पूर्व मुख से शान्ति रस की विशिष्टता से युक्त शिव के समाधिस्थ होने का भाव व्यक्त होता है। इस मूर्ति में बालों की जटा में रुद्राक्ष की दो मालाएँ दो रेखाओं के रूप में दर्शित होती हैं। इसके बीच की मणि तिलक के समान दृष्टिगोचर होती है। इस मूर्ति में गले के साँप की माला और मंदार की माला शोभित हो रही है।

5. पश्चिममुखे प्रलयङ्करः शिवः रुद्ररूपेण व्यज्यते। अस्यैव मुखस्य सम्पूर्णा शिला केवलं लोहितवर्णा वर्तते। अत्र तादृशी नीलिमा श्वेतधारा वा न दृश्यते यादृशी मुखान्तरेषु। सुखे तृतीयनेत्रं सुस्पष्टम् अवलोक्यते। उग्रक्रोधेन मुखं विकृतम् उत्कीर्णम् । अस्मिन्नेव मुखे ऊँकार उल्लिखितः। ॐकारादेव उदयः, प्रलयश्च उभावपि भवतः इति शिल्पस्य दर्शनम्। उत्तरमुखे आनन्दतत्त्वस्य व्यञ्जना विद्यते। अस्मिन् भगवान विजयामत्त अट्टहासं कुर्वन इव प्रतिभाति। अत्र कपोलौ उत्फुल्लौ, अधरोष्ठौ स्फुटौ, नेत्रौ निमीलिते, शिथिलाः विकीर्णाः मूर्धजाः च सुस्पष्टं दृश्यन्ते। अर्धनिर्मितेषु अधोऽङ्कितेषुमुखेणु प्रथमे विद्यार्विभावःद्वितीये उद्योगार्थिभावः चतुर्थे च अर्थार्थभावः च विद्भिः सम्भाव्यन्ते। वस्तुतः दशपुरीया अष्टमूर्तिः कलासौन्दर्यदृष्ट्या दार्शनिकदृष्ट्या च सर्वासु शैवप्रतिमासु अद्वितीय उत्कृष्टा दर्शनीया च अस्ति।

शब्दार्थ :
प्रलयङ्कर-प्रलय करने वाला-disasterer; लोहितवर्णा-लाल रंग की-Red coloured; निलिमाश्वेतधारा-नीली अथवा सफेद धारा-Blue or white stream; उदयः प्रलयश्च-रचना एवं विनाश-Creation & disaster; उभावपि-दोनों ही-both; विजयामत्त-भांग के नशे में मस्त-to become fortic some with Bhang (hemp leaves); अट्टहासम-जोरों से हँसना-Laughing in a loud voice; विकिर्णाः-फैले हुए-Spread; रुद्ररूपेण-क्रोध के रूप में-in the form of Anger.

हिन्दी अर्थ :
मूर्ति के पश्चिम मुख से शिव का प्रलयंकर रुद्र रूप प्रकट होता है। इस मुख की सम्पूर्ण शिला लोहित वर्ण की है। यहाँ नील-श्वेत वर्ण की धारा नहीं दिखाई देती जैसी दूसरे मुख से। इस मूर्ति में शिव की तीसरी आँख स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। अत्यधिक क्रोध को व्यक्त करने के लिए मूर्ति के मुख को विकृत रूप में उत्कीर्ण किया गया है। इसी मूर्ति के मुख में ओंकार लिखा गया है। इसी ओंकार से ही उदय और प्रलय दोनों होता है-ऐसा शिल्पकारों ने इस मूर्ति में दिखाने का प्रयत्न किया है।

मूर्ति के उत्तर मुख में आनन्द तत्त्व की अभिव्यंजना की गई है। इसमें भगवान शिव भाँग के नशे में मत्त अट्टहास करते दिखाई देते हैं। यहाँ उनका गाल फूला हुआ दिखाई देता है, ओठ विकसित एवं आँखें मुंदी (अलसाई हई), सिर के बाल ढीले बिखरे हुए साफ-साफ दिखाई देते हैं। अर्ध निर्मित नीचे के मुखों में पहले मुँह पर ब्रह्मचारी (विद्यार्थी) का भाव, दूसरे में धर्मशील होने का भाव, तीसरे में उद्योगी होने का भाव एवं चौथे मुखसे अर्थार्थी होने का भाव दिखाई देता है।

वास्तव में दशपुर की यह अष्टमूर्ति कला, सौन्दर्य एवं दार्शनिक दृष्टि से सभी शैव मूर्तियों में उत्कृष्ट एवं दर्शनीय है।

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आकृतियों में x का मान ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-1
हल:
(a) सभी बाह्य कोणों की कुल माप = 360°
∴ x + 125° + 125° = 360°
या x + 250° = 360°
या x = 360° – 250° = 110°

(b) x + 90° + 60° + 90° + 70° = 360°
या x + 310° = 360°
या x = 360° – 310° = 50°

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प्रश्न 2.
एक समबहुभुज के प्रत्येक बाह्य कोण का माप ज्ञात कीजिए जिसकी –
(i) 9 भुजाएँ
(ii) 15 भुजाएँ हों।
हल:
(i) ∴ प्रत्येक बाह्य कोण = \(\frac{360°}{n}\); यहाँ n = 9
∴ प्रत्येक बाह्य कोण = \(\frac{360°}{9}\) = 40°

(ii) यहाँ, n = 15
∴ प्रत्येक बाह्य कोण = \(\frac{360°}{15}\) = 24°

प्रश्न 3.
एक समबहुभुज की कितनी भुजाएँ होंगी यदि एक बाह्य कोण का मान 24° हो?
हल:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-2

प्रश्न 4.
एक समबहुभुज की भुजाओं की संख्या ज्ञात कीजिए यदि इसका प्रत्येक अन्तःकोण 165° का हो।
हल:
माना कि समबहुभुज की भुजाओं की संख्या = n है।
तब, इसका प्रत्येक अन्त: कोण = \(\frac{(n-2)x180°}{n}\)
अब, प्रश्नानुसार, \(\frac{(n-2)x180°}{n}\) = 165°
या 180°n – 360° = 165°n
या 180°n – 165°n = 360°
या 15°n = 360°
या n = \(\frac{360°}{15}\) = 24
n = 24
अतः समबहुभुज में 24 भुजाएँ होंगी।

प्रश्न 5.
(a) क्या ऐसा समबहुभुज सम्भव है जिसके प्रत्येक बाह्य कोण का माप 22° हो?
(b) क्या यह किसी समबहुभुज का अन्तःकोण हो सकता है? क्यों?
हल:
(a) ∴ समबहुभुज की भुजाओं की संख्या
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-3
∴ ऐसा समबहुभुज सम्भव नहीं है, जिसके प्रत्येक बाह्य कोण की माप 22° हो।

(b) यदि अन्त: कोण 22° हो, तो बाह्य कोण = 180° – 22° = 158°
लेकिन 360° ÷ 158 पूर्णतः विभाजित नहीं है। इसलिए समबहुभुज सम्भव नहीं है।
अत: 22° किसी समबहुभुज का अन्त:कोण नहीं हो सकता है।

प्रश्न 6.
(a) किसी समबहुभुज में कम से कम कितने अंश का अन्तःकोण सम्भव है? क्यों?
(b) किसी समबहुभुज में अधिक से अधिक कितने अंश का बाह्य कोण सम्भव है ?
हल:
(a) समबाहु त्रिभुज कम से कम 3 भुजाओं का समबहुभुज है जिसके प्रत्येक अन्त:कोण की माप 60° होती है। अतः किसी समबहुभुज में कम से कम 60° का अन्त:कोण सम्भव है।

(b) ∴ किसी समबहुभुज के लिए कम से कम अन्त:कोण की माप = 60°
∴ अधिकतम बाह्य कोण की माप = 180° – 60° = 120°

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 115

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
समान सर्वांगसम त्रिभुजों से कटे हुए भाग लीजिए जिनकी भुजाएँ3 cm,4cm, 5 cm हैं। इन्हें व्यवस्थित कीजिए जैसा कि आकृति में दर्शाया गया है (आकृति : 13.17)।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-4
आपको एक समलम्ब प्राप्त होता है। (निरीक्षण कीजिए)। यहाँ पर कौन-सी भुजाएँ समान्तर हैं? क्या असमान्तर भुजाएँ बराबर माप की होनी चाहिए? इन समान त्रिभुजों के समूह का उपयोग कर आप दो और समलम्ब प्राप्त कर सकते हैं। उनको ढूँढ़िए और उनकी आकृतियों की चर्चा कीजिए।
हल:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-5
∠DEC = ∠ECB = 90°
DE || BC तथा DE = BC = 3 cm
और EB = DC = 5 cm
∴ ∠BCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
इसलिए AB || DC
अत: ABCD एक समलम्ब है।
असमान्तर भुजाएँ AD और BC हैं। यह आवश्यक नहीं है कि असमान्तर भुजाएँ बराबर माप की हों।
दो अन्य समलम्ब ABCD एवं PQRS निम्नवत हैं –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-6

प्रश्न 2.
अपने तथा अपने मित्रों के ज्यामितीय बॉक्स से चार सेट स्क्वेयर लीजिए। इन्हें अलग-अलग संख्याओं में उपयोग कर साथ-साथ रखिए और अलग-अलग किस्म के समलम्ब प्राप्त कीजिए।
क्या आपने ऊपर किए गए अपने किसी निरीक्षण में कोई समद्विबाहु समलम्ब प्राप्त किया है?
हल:
हमने ज्यामितीय बॉक्स से चार सेटस्क्वेयर लेकर निम्न समलम्ब प्राप्त किए हैं –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-7
हाँ, हमने निरीक्षण में समद्विबाहु समलम्ब प्राप्त किया है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 50

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
एक मोटे कागज की शीट लीजिए। इसे दोहरा मोड़िए। दो अलग-अलग लम्बाई वाले रेखाखण्डों को खींचिए। इन रेखाखण्डों के अनुदिश काटकर खोलिए। आपको एक पतंग की आकृति प्राप्त होती है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-8
क्या पतंग में कोई सममित रेखा है?

पतंग को दोनों विकर्णों पर मोड़िए। सेट स्क्वेयर के उपयोग से जाँचिए कि क्या वे एक-दूसरे को समकोण पर काटते हैं। क्या विकर्ण बराबर लम्बाई के हैं?

जाँचिए (पेपर को मोड़ने या मापने द्वारा) कि क्या विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं?

पतंग के एक कोण को एक विकर्ण के अनुदिश विपरीत मोड़ने पर बराबर माप वाले कोणों को जाँचिए।

विकर्ण पर पड़ी तह का निरीक्षण कीजिए क्या यह दर्शाता है कि विकर्ण एक कोण समद्विभाजक होता है?

अपनी जानकारी को साथियों में बाँटिए और सूची बनाइए। इन परिणामों का सारांश अध्याय में कहीं पर आपके लिए दिया गया है।

हल:
हाँ, पतंग में एक सममित रेखा (AC) है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-9
संलग्न आकृति में विकर्ण बिन्दुवत् रेखाओं AC तथा BD द्वारा दर्शाए गए हैं। हाँ, विकर्ण एक-दूसरे को समकोण पर काटते हैं। विकर्ण बराबर लम्बाई के नहीं है।
विकर्ण AC विकर्ण BD को समद्विभाजित करता है।
m∠1 = m∠2 और m∠3 = m∠4 हाँ, यह दर्शाता है कि विकर्ण एक समद्विभाजक होता है।
समान्तर चतुर्भुज:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-10

प्रश्न 2.
इन आकृतियों का अध्ययन कीजिए और अपने शब्दों में बताने का प्रयास कीजिए कि समान्तर चतुर्भुज क्या है? अपने निष्कर्ष अपने मित्रों के साथ बाँटिए।
हल:
समान्तर चतुर्भुज एक चतुर्भुज होता है जिसकी सम्मुख भुजाएँ समान्तर होती हैं। समान्तर चतुर्भुज में –

  1. सम्मुख भुजाएँ समान्तर होती हैं।
  2. सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।
  3. सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
  4. विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
  5. आसन्न कोण सम्पूरक होते हैं।

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 51

समान्तर चतुर्भुज के अवयव

प्रश्न 1.
क्या \(\overline { BC } \) और \(\overline { CD } \) आसन्न भुजाएँ हैं? दो और आसन्न भुजाओं के युग्मों को ढूँढ़ने का प्रयास कीजिए।
हल:
हाँ, \(\overline { BC } \) और \(\overline { CD } \) आसन्न भुजाएँ हैं।
आसन्न भुजाओं के दो अन्य युग्म – \(\overline { CD } \) और \(\overline { DA } \) तथा \(\overline { DA } \) और \(\overline { AB } \).

प्रश्न 2.
समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोणों के दूसरे युग्मों की पहचान कीजिए।
हल:
समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोणों के दूसरे युग्म – ∠C और ∠D तथा ∠D और ∠A.

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 52

इन्हें कीजिए

दो समान समान्तर चतुर्भुज के कटे हुए भाग ABCD तथा A’ B’ C’ D’ लीजिए। इनकी संगत भुजाएँ समान हैं।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-11

प्रश्न 1.
AB को DC के ऊपर रखिए। क्या वे एक-दूसरे को पूर्णतया ढकती हैं? अब आप \(\overline { AB } \) और \(\overline { DC } \) की लम्बाई के बारे में क्या कह सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, \(\overline { A’B’ } \) एवं \(\overline { D’C’ } \) एक-दूसरे को पूर्णतया ढकती हैं। \(\overline { AB } \) तथा \(\overline { DC } \) की लम्बाई बराबर हैं।

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प्रश्न 2.
इसी प्रकार AD और BC की लम्बाई की जाँच कीजिए। आप क्या पाते हैं?
उत्तर:
हम पाते हैं कि AD और BC की लम्बाई समान है। अतः हम कह सकते हैं कि समान्तर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं।

प्रयास कीजिए (क्रमांक 3.2)

प्रश्न 1.
30° – 60° – 90° कोणों वाले दो समान सेट स्क्वेयर लीजिए। अब इन्हें आपस में इस प्रकार मिलाकर रखिए जिससे एक समान्तर चतुर्भुज बन जाए। क्या यह ऊपर बताए गए गुण की पुष्टि करने में आपकी सहायता करता है?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-12
उत्तर:
हाँ, यह ऊपर बताए गए समान्तर चतुर्भुज के गुणं की पुष्टि करने में सहायता करता है। अर्थात् समान्तर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ बराबर माप की होती हैं।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 53

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
क्या यह कोण A तथा कोण C के मापों के बारे में आपको कुछ बताता है? कोण B तथा D के मापों के लिए जाँच कीजिए। अपने निष्कर्ष की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हाँ, यह कोण A तथा कोण C के बारे में बताता है कि कोण A तथा कोण C बराबर माप के हैं। कोण B तथा कोण D भी बराबर माप के हैं।
निष्कर्ष:
समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर माप के होते हैं।

समान्तर चतुर्भुज के कोण

प्रयास कीजिए (क्रमांक 3.3)

प्रश्न 1.
30° – 60° – 90° कोणों वाले दो समान सेट स्क्वे यर लेकर पहले की तरहही एक समान्तर चतुर्भुज बनाइए। क्या प्राप्त आकृति ऊपर बताए गुण की पुष्टि करने में आपकी सहायता करती है?
उत्तर
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-13
हाँ, प्राप्त आकृति यह पुष्टि करने में हमारी सहायता करती है कि समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर माप के होते हैं।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 54

प्रश्न 1.
आकृति से दो और सम्पूरक कोणों के युग्म की पहचान कीजिए।
उत्तर:
सम्पूरक कोणों के युग्म – ∠B तथा ∠C और ∠C तथा ∠D।

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए

प्रश्न 1.
m∠R = m∠N = 70°; दर्शाने के उपरान्त क्या आप किसी अन्य विधि से m∠I और m∠G को ज्ञात कर सकते हैं?
हल:
समान्तर चतुर्भुज IRGN में, m∠R = m∠N
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-14
∴ RG || IN और RI एक तिर्यक रेखा है जो उन्हें क्रमशः R तथा I पर प्रतिच्छेद करती है।
इसलिए, ∴ ∠R + ∠I = 180°
(अन्तः सम्मुख कोण हैं)
70° + ∠I= 180°
I = 180° – 70° = 110°
पुनः RI || GN और RG तिर्यक रेखा इन्हें क्रमशः R तथा G पर प्रतिच्छेद करती है।
इसलिए ∠R + ∠G = 180°
70 + ∠G= 180° – 70° = 110°
अतः ∠I = ∠G.

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 55

समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
समान्तर चतुर्भुज (माना ABCD) का एक कटा हुआ भाग लीजिए। माना इसके विकर्ण \(\overline { AB } \) और \(\overline { DB } \) एक दूसरे को ‘o’ पर प्रतिच्छेद करते हैं।

C को A पर रखकर एक तह (Fold) के द्वारा \(\overline { AC } \) का मध्य बिन्दु ज्ञात कीजिए। क्या मध्य बिन्दु o ही है? क्या यह दर्शाता है कि विकर्ण DB विकण AC को मध्य बिन्दु o पर समद्विभाजित करता है? अपने मित्रों के साथ इसकी चर्चा कीजिए। इस क्रियाकलाप को यह ज्ञात करने के लिए दोहराएँ कि \(\overline { DB } \) का मध्य बिन्दु कहाँ पर स्थित होगा?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-15
हल:
तह करने पर हम देखते हैं कि बिन्दु C बिन्दु A पर पड़ता है। स्पष्ट है कि \(\overline { AC } \) का मध्य बिन्दु o ही है।
यह दर्शाता है कि विकर्ण \(\overline { DB } \), विकर्ण \(\overline { AC } \) को समद्विभाजित करता है।
\(\overline { DB } \) का मध्य बिन्दु o पर ही होगा।
अतः समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
उत्तर

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MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत्

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत् (कथा)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 7 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एक पदेन उत्तरं लिखत् (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) पर्कटीवृक्षः कुत्र अस्ति? (पाकर का वृक्ष कहां पर है?)
उत्तर:
पर्कटीवृक्षः गृध्रकूटनामि अस्ति। (गृध्रकूट नामक स्थान में)

(ख) पक्षिशावकं भक्षितुं कः आगतः? (पक्षी के बच्चे को खाने के लिए कौन आया?)
उत्तर:
पक्षिशावकं भक्षितुं मार्जारः आगतः। (बिल्ली)

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(ग) विश्वासस्य मार्जारः कुत्र स्थितः? (विश्वास की बिल्ली कहां थी?)
उत्तर:
विश्वासस्य मार्जारः तस्फूटते स्थितः। (उसके कोटर में)

(घ) पक्षिशावकान् खादित्वा मार्जारः कुत्र गतः? (पक्षी के बच्चे को खाकर बिलाव कहां गया?)
उत्तर:
पक्षिशावकान् खादित्वा मार्जारः कोटरान्नि सृत्य बहिः प्रलायतिः। (कोटर से बाहर चला गया।)

(ङ) गृध्रः केः हतः? (गिद्ध ने किनको मारा?)
उत्तर:
गृधः पक्षिभि हतः। (पक्षियों को)

(च) कस्यदोषेण गृध्रः हतः? (किसके दोष के कारण गिद्ध मारा गया?)
उत्तर:
मार्जारस्य हि दोषेण। (बिल्ली के दोष के कारण)

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखिए)
(क) जरद्गवनामा गृध्रः कुत्र वसति? (जदर्गव नाम का गिद्ध कहां रहता था?)
उत्तर:
जरद्गवनामा गृध्रः पर्कटीवृक्षः वसति। (जरद्गव नाम का गिद्ध पाकर के वृक्ष में रहता था।)

(ख) जनः वध्यः पूज्यः वा कथं भवति? (लोगों का वध व पूजा कैसे होती थी?)
उत्तर:
जनः वध्यः पूज्यः वा कर्मणा भवति। (लोगों का वध व पूजा कर्म से होती थी।)।

(ग) कस्मै वासो न देयः? (किसको निवास करने नहीं देना चाहिए?)
उत्तर:
आज्ञात् कुलशीलस्य वासो न देयः। (अज्ञात और जिसके कुल का ज्ञान न हो ऐसे लोगों को निवास नहीं देना चाहिए।)

(घ) पञ्चतन्त्रस्य रचनाकारः कः? (पञ्चतन्त्र के रचनाकार कौन हैं?)
उत्तर:
पञ्चतन्त्रस्य रचनाकार विष्णु शर्मा आसीत। (पंचतन्त्र के रचयिता विष्णु शर्मा थे।)

प्रश्न 3.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) पंचतन्त्र कानि पञ्चतन्त्राणि? (पंचतन्त्र में कौन-कौन से पांच तंत्र हैं?)
उत्तर:
पञ्चतंत्रे लब्धप्राणभः, मित्रभेद, मित्रलाभः, काकोलकी अपरिक्षित कारक इति पंचतन्त्राणि। (पंचतंत्र में लब्ध प्राणसा, मित्र-भेद, मित्र-प्राप्ति, काकोलुकीयम अपरिक्षित कारक नाम के पांच तंत्र हैं, (पुस्तकें हैं)

(ख) मार्जारः गृधं कथं विश्वासस्य तरुकोटरे स्थितः? (बिल्ली ने गिद्ध को किस विश्वास के साथ वृक्ष के कोटर में रहने दिया?)
उत्तर:
मार्जारः गृधं अहिंसा परमो धर्मः विश्वासस्य तरु कोटरे स्थितः। (बिल्ली ने गिद्ध को अहिंसा परम धर्म है-इस विश्वास के साथ रहने दिया।)

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(ग) कोटरे निवसन मार्जारः किं करोति स्म? (कोटर में निवास करते हुए बिल्ली क्या करती थी?)
उत्तर:
कोटरे पक्षीशावकामअभक्षयत करोति स्म? (कोटरे में निवास करते हुए बिल्ली पक्षियों के बच्चों को खाती थी।)

(घ) अस्या कथायाः सारः कः? (इस कथा का सार क्या है?)
उत्तर:
अस्या कथायाः सारः अस्ति-अज्ञात् कुलशीलस्य वासो न देयः। (इस कथा का सार है-अज्ञात एवं जिनके कुल का ज्ञान न हो ऐसे व्यक्ति को आश्रय नहीं देना चाहिए।)

प्रश्न 4.
प्रदत्तैः शब्देः रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) गृध्रकूटनाम्नि पर्वते पर्कटीवृक्षः अस्ति। (पर्वते/गृहे)
(ख) वृक्षस्य कोटरे जरद्गवनामा गृध्रः प्रतिवसित। (सिद्धः/गृध्रः)
(ग) मार्जारः प्रतिदिनम् पक्षिशावकम् खादति। (पशुशावकम् पक्षिशावकम्)
(घ) गृध्रः पक्षिशावकान् रक्षति। (रक्षति/भक्षति)
(ङ) पक्षिभिः गृध्रः हतः। (मार्जारः/गृध्रः)

प्रश्न 5.
युग्मेलनं कुरुत-
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत् img-1

प्रश्न 6.
कोष्ठकात् उचितपदं चित्वा रेखाङ्गितपदै प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(कैः, कस्य, के, कम्, केन)
उदाहरणं यथा :
अज्ञातः अविश्वसनीयः भवति।
कः अविश्वसनीयः भवति?
(अ) मार्जारस्य दोषेण गृध्रः हतः।
उत्तर:
कस्य दोषेण गृध्रः हतः?

(ब) पक्षिभिः जरद्गवः हतः।
उत्तर:
कैः जरद्गवः हतः?

(स) व्यवहारेण जनः पूज्यः भवति।
उत्तर:
केन जनः पूज्यः भवति?

(द) गृध्रः मार्जारम् उक्तवान्।
उत्तर:
गृध्रः कम् उक्तवान्?

(ङ) पक्षिणः दुःखेन विलापं कृतवन्तः।
उत्तर:
के दुःखेन विलापं कृतवन्तः?

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प्रश्न 7.
विपरीतार्थशब्दानां मेलनं कुरुत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत् img-2

प्रश्न 8.
उदाहरणानुसारं धातुं प्रत्ययं च पृथक कुरुत
उदाहरण-
दृष्ट्वा – दृश + क्त्वा
(क) हन्तव्यः
(ख) हतः
(ग) भक्षितुम्
(स) परिज्ञाय
(द) श्रोतुम्
(ङ) श्रुत्वा
उत्तर:
(क) हन्तव्यः – हन् + तव्यत्
(ख) हतः – हन् + क्त
(ग) भक्षितुम् – भक्ष् + तुमुन्
(स) परिज्ञाय – परि + ज्ञा + ल्यप्
(द) श्रोतुम् – श्रु + तुमुन्
(ङ) श्रुत्वा – श्रु + क्त्वा

प्रश्न 9.
उदाहरणानुसारं वर्तमानकालिक क्रियापदानां कालपरिवर्तनं कुरुत
उत्तर:
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत् img-3

प्रश्न 10.
निम्नलिखितानि अव्ययानि प्रयुज्य वाक्यानि स्वयत
यदि-यदि पुस्तकम् अस्ति तर्हि पठतु।
उत्तर:
सदा – सदा भूपेन्द्र पटेलः पठति तदा दुर्गेशः लिखति।
कदा – त्वम् कदा विद्यालयं गच्छसि।
अथ – अथ राम कथा श्रावयामि।
एव – अहम् एव गच्छामि।
इति – इति सः भोपालुपरम् अगच्छत्।
अपि – अहम् अपि छात्रः अस्मि।
अत्र – अत्र उत्कृष्ट विद्यालयः अस्ति।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित शब्दानां द्विवचन बहुवचनं च लिखत
उदाहरणं यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 7 सुविज्ञातमेव विश्वसेत् img-4

सुविज्ञातमेव विश्वसेत् पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

कथाएँ प्रायः उपदेशपरक होती हैं। इनमें सरल, रोचक एवं विनोदप्रिय शैली में जीवनोपयोगी विचार व्यक्त किए गए हैं। संस्कृत साहित्य में कथा साहित्य की बहुत दीर्घ परंपरा रही है। संस्कृत कथाकारों में मूर्धन्य नारायण पंडित ने बालकों को शिक्षा के उद्देश्य से हितोपदेश की रचना की। प्रस्तुत पाठ भी हितोपदेश से ही संकलित किया गया है।

सुविज्ञातमेव विश्वसेत् पाठ का हिन्दी अर्थ

1. अस्ति भागीरथीतीरे गृध्रकूटनाम्नि पर्वते महान पर्कटीवृक्षः। तस्य कोटरे दैवदुर्विपाकाद्गलितनस्व-नयने जरद्गवनामा गृध्रः प्रतिवसति। अथ कृपया तज्जीवनाय तवृक्षवासिनः पक्षिणः स्वाहारात् किञ्चित्-किञ्चिदुद्धृत्य ददति। तेन असौ जीवति। अथ कदाचिद् दीर्घकर्णनामा मार्जारः पक्षिशावकान्भक्षितुं तत्रागतः। ततस्तमायान्तं दृष्ट्रवा पक्षिशावकैर्भयार्तेः कोलाहलः कृतः। तच्छ्रुत्वा जरद्गवेनोक्तम्-कोऽयमायाति! दीर्घकर्णो गृध्रमवलोक्य सभयमाह-“हा हतोऽस्मि’ अधुनास्य सन्निधाने पलायितुमक्षमः।

तद्यथा भवितव्यं तद्भवतु। तावविश्वासमुत्पाद्यास्य समीपं गच्छामि। इत्यालोच्योपसृत्याब्रवीत-आर्य! त्वामभिवन्दे। गृध्रोऽवदत्-कस्त्वम्? सोऽवदत्-मार्जारोऽहम्। गृध्रो ब्रूते-दूरमपसर। नो चेत् हन्तव्योऽसि मया। मार्जारोऽवदत्-श्रूयतां तावद्स्मद्वचनम्। ततो यद्यहं व ध्यस्तदा हन्तव्यः यतः

जातिमात्रेण किं कश्चित् हन्यते पूज्यते क्वचित्।
व्यवहारं परिज्ञाय वध्यः पूज्योऽथवा भवेत् ॥

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शब्दार्थ :
पर्कटीवृक्षः-पाकड़ का वृक्ष-Tree of Pakar; दैवदुर्विपाकात्-दुर्भाग्य से-Unfortunatly; किञ्चिदुधृत्य-थोड़ा-थोड़ा निकालकर-To take out of few; निरामिषाशी-मांस का भक्षण न करने वाला-Vegitarian; विद्यावयोवृद्धभ्यो-विद्या और अवस्था में बड़ी से-Knowledge and age an old; वीतरागेणेदम्-विषय वासना को छोड़ने के बाद-After living enjoyment of object of sense; चान्द्रायणव्रतम्-एक प्रकार का व्रत-The fast of karvachouth; कोलाहलः-कलरव-Noise; श्रूयतां-सुनिए-Hello; हन्तव्य-मारना चाहिए-Should kill; निते-गानना चाहिए-Should agree; परिज्ञाय-जानकार-Knowledge.

हिन्दी का अर्थ :
भागीरथी नदी के तट पर स्थित गृद्धकूट नामक पर्वत पर एक विशाल पाकड़ का वृक्ष है। उस (वृक्ष) के कोटर में जरद्गव नामक एक गृद्ध रहता था जिसके दैव गति से नख आदि गल गए थे और आँखों से अंधा था। अतः उसके जीवन के रक्षार्थ उस वृक्ष पर रहने वाले पशु-पक्षी दया वश अपने आहार से थोड़ा-थोड़ा बचाकर उसे भी दे देते थे जिससे वह जीवित था। एक बार दीर्घकर्णनामक बिलाव पक्षियों के भक्षण के उद्देश्य से वहाँ आया। उस बिलाव को वहां आया देख पक्षि-शावकों ने भयभीत होकर कोलाहल किया। उसे सुन जरद्गव बोला-यह कौन आ रहा है? दीर्घकर्ण गद्ध को देख भयभीत होकर बोला-हा!

अब तो मैं मारा गया? अब तो इसके सामने से भागने में भी अक्षम हूँ। तब भी जो होगा देखा जाएगा-ऐसा विश्वास मन में भरकर उसके समीप गया और बोला-आर्य! मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ। गृद्ध ने कहा-तुम कौन हो? वह बोला-में बिलाव हूँ। गिद्ध बोला-दूर हटो अन्यथा तुम मेरे द्वारा मारे जाओगे। बिलाव बोला-मेरी दो बातें सुन लीजिए। उसके बाद यदि मैं मारने योग्य हूँ तो मार डालिए क्योंकि जाति मात्र से ही कोई मारने या पूजने योग्य नहीं हो जाता बल्कि व्यवहार के कारण मारने या पूजने योग्य होता है।

2. गृध्रो ब्रूते-ब्रूहि किमर्थमागतोऽसि? सोऽवदत्-अहमत्र गङ्गतीरे नित्यस्नायी निरामिषाशी ब्रह्मचारी चान्द्रायण व्रतमाचरंस्तिष्ठामि। “यूयं धर्मज्ञानरता विश्वासभूमयः” इति पक्षिणः सर्वे सर्वदा ममाग्रे प्रस्तुवन्ति। अतो भवद्भ्यो विद्यावयोवृद्धेभ्यो धर्म श्रोतुमिहागतः। भवन्तश्चैतादृशा धर्मज्ञा यन्मामतिथि हन्तुमुद्यताः। गृहस्थ धर्मश्चैषःयदि वा धजं नास्ति तदा प्रीतिवचसात्यतिथिः पूज्य एव।

शब्दार्थ :
किमर्थं-किस लिए-For what; अहम् अत्र-मैं यहाँ-I here; तिष्ठामि-करूँगा-Will do; हन्तुमुद्यताः-मारने के लिए तैयार-Ready to kill.

हिन्दी अर्थ :
गृद्ध बोला-बोलो, किस अर्थ से यहाँ आए हो? तब वह बोला-यहाँ मैं गंगा के तट पर आकर नित्य स्नान करता हूँ, निरामिष हूँ और ब्रह्मचर्य धारण किए हुए चान्द्रायण व्रत का अनुष्ठान करता हूँ। आप धर्म के ज्ञान से परिपूर्ण हो और विश्वास करने योग्य हो-ऐसा सभी पक्षी मेरे समक्ष आकर बोलते हैं। आप विद्या में पारंगत एवं आयु में भी बड़े हैं, धर्म-चर्चा सुनने आपके यहाँ आया हूँ। किन्तु इतना धर्म मर्मज्ञ होने पर भी मुझे मार डालने के लिए उद्यत हैं। गृहस्थ धर्म तो यह है कि अतिथि सेवा करने के लिए धन न होने पर प्रेम पूर्ण वचन से भी अतिथि की सेवा होती है।

3. गृध्रोऽवदत्-“मार्जारो हि मांसरुचिः।” पक्षिशावकाश्चात्र निवसन्ति तेनाहत्मेवं ब्रवीमि। तत्छ्रुत्वा मार्जारो भूमिं स्पृष्ट्वा कर्णौ स्पृशति ब्रूते च-मया धर्मशास्त्रं श्रुत्वा वीतरागेणेदं दुष्करं व्रतं चान्द्रायणमध्यवसितम्। परस्परं विवदमानानामपि धर्मशास्त्राणाम् “अहिंसा परमो धर्मः!” इत्यत्रैकमत्यम्।

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शब्दार्थ :
अवदत्-बोले-Spoke; तेनाहमेवं-इससे मैं इस प्रकार-I am for this, that; वीतरागेणेदं-राग आदि चले गए हों-Attachtment and aversion has gone; चान्द्रायणमध्यवसितम्-चन्द्रायण व्रत का अनुष्ठान-worship of Chandrayan fast; इत्यत्रैकमत्यम्-एक मत है-For one aim.

हिन्दी अर्थ :
तब गृद्ध बोला-बिलाव की रुचि मांस में होती है और यहाँ पक्षियों के बच्चे रहते हैं इसलिए मैंने ऐसा कहा। यह सुनकर बिलाव पृथ्वी का स्पर्श कर कानों को पकड़ता हुआ बोला-मैं धर्मशास्त्र का श्रवण करते हुए वीतराग होकर इस दुष्कर चान्द्रायण व्रत का अनुष्ठान कर रहा हूँ। परस्पर विवाद मानने वालों में भी धर्मशास्त्र कहते हैं-अहिंसा ही परम धर्म है।

4. एवं विश्वास्य स मार्जारस्तरुकोटरे स्थितः। ततो दिनेषु गच्छत्सु पक्षिशावकानाक्रम्य कोटरमानीय प्रत्यहं खादति। येषामपत्यानि खादितानि तैः शोकातैर्विलपद्भिरितस्ततो जिज्ञासा समारब्धा। तत्परिज्ञाय मार्जारः कोटरान्निः सृत्य बहिः पलायितः। पश्चात्पक्षिभिरितस्ततो निरूपयद्भिः तत्र तरु कोतरे शावकास्थीति प्राप्तानि। अनन्तरं ते ऊचुः-“अनेनैव जरद्गवेनास्माकं शावकाः खादिताः” इति सर्वैः पक्षिभिनिश्चित्य गृध्रो व्यापादितः अतोऽहं ब्रीवीमि –
अज्ञातकुलशीलस्य वासो देयो न कस्यचित्।
मार्जारस्य हि दोषेण हतो गृध्रो जरद्गवः॥

शब्दार्थ :
मार्जारस्तकोटरे-विलाव वृक्ष की कोटर में-Cat in the hole of tree; गच्छसु-जाने लगा-To going; निसृत्य-बाहर निकलकर-After get out; पलायितः-भागा-Run; प्राप्तानि-प्राप्त किया-Received; अनेनैव-एक तरह-Like that; व्यापादितः-मर गए-Death; अज्ञातकुलशीलस्य-जिसका कुल व शील ज्ञात नहीं-Who has no knowledge of family & nature; जरद्गवः-जरद्गव ने-Jaradgavaney.

हिन्दी अर्थ :
इस तरह गृद्ध को विश्वास में लेकर वह बिलाव वृक्ष के कोटर में रहने लगा। फिर कुछ दिन बीतने पर पक्षि शावकों को बिलाव खा गया था वे पक्षी शोक के कारण विलाप करते हुए अपने बच्चों को ढूँढ़ने लगे। यह जान बिलाव कोटर से निकलकर भाग गया। पक्षियों द्वारा इधर-उधर अच्छी तरह ढूँढ़े जाने पर उस वृक्ष के कोटर में शावकों की अस्थियां मिलीं तब वे बोले-इस गृद्ध ने ही हमारे बच्चों को खाया-ऐसा निश्चय कर सभी पक्षियों ने गृद्ध को मार डाला। इसीलिए मैं कहता

जिसके चरित्र एवं कुल की जानकारी न हो, उसे कभी भी अपने पास नहीं रखना चाहिए क्योंकि इसी भूल के कारण बिलाव के कर्मों का फल जरद्गव को भोगना पड़ा।

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