MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन

MP Board Class 10th Social Science Chapter 5 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

मानचित्र पठन एवं अंकन MP Board Class 10th प्रश्न 1.
भारत में मौसम मानचित्रों का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ
(i) 1853 में
(ii) 1947 में
(iii) 1950 में
(iv) 1875 में।
उत्तर:
(iv) 1875 में।

Manchitra Pathan Avn Uncle MP Board Class 10th प्रश्न 2.
भारत में मौसम मानचित्रों का प्रकाशन होता है
(i) कोलकाता से
(ii) दिल्ली से
(iii) पुणे से
(iv) हैदराबाद से।
उत्तर:
(iii) पुणे से

मानचित्र संबंधी प्रश्न Class 10 MP Board प्रश्न 3.
भारतवर्ष में मौसम विभाग विभाजित है
(i) 6 क्षेत्रों में
(ii) 4 क्षेत्रों में
(iii) 5 क्षेत्रों में
(iv) 8 क्षेत्रों में।
उत्तर:
(iii) 5 क्षेत्रों में

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. अन्तर्राष्ट्रीय मौसम संकेतों को 1935 में मौसम विज्ञान संघ द्वारा ………….. में मान्यता दी गयी।
  2. ब्यूफोर्ट ………….. की जल सेना से सम्बन्धित थे।
  3. वायुवेग मापने का नियोजन सर्वप्रथम ………….. किया गया था।

उत्तर:

  1. वारसा (इटली)
  2. ब्रिटिश
  3. 1805

सही जोड़ी मिलाइए
मानचित्र पठन एवं अंकन MP Board Class 10th
उत्तर:

  1. → (ख)
  2. → (क)
  3. → (घ)
  4. → (ग)

MP Board Class 10th Social Science Chapter 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

मानचित्र पठन एवं अंकन In English MP Board Class 10th प्रश्न 1.
नॉट क्या है ?
उत्तर:
नॉट वायु वेग नापने की इकाई, एक नॉट 1.85 किमी. के बराबर होता है। इसका अर्थ है कि वायु की गति 1.85 किमी. प्रति घण्टा है या 1 नॉट = एक समुद्री मील के बराबर होता है।

प्रश्न 2.
भारत में भूकम्पमापी केन्द्र कितने हैं ?
उत्तर:
भारत में 22 भूकम्पमापी केन्द्र हैं।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 5 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मौसम संकेतों से क्या आशय है ?
उत्तर:
मौसम संकेतों का आशय-प्रेक्षण शालाओं से प्राप्त मौसम तत्वों को मानचित्र पर अंकों, चिह्नों या प्रतीकों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। ये अंक, चिह्न या प्रतीक अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होते हैं। इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय मौसम संकेत कहा जाता है। इन संकेतों को 1935 में वारसा (इटली) में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संघ द्वारा मान्यता प्रदान की गयी थी। प्रमुख मौसम संकेत निम्न प्रकार हैं

  1. वायुमापन संकेत
  2. वर्षा मापनी संकेत
  3. मेघाच्छादन संकेत
  4. समुद्री तरंग संकेत।

प्रश्न 2.
मौसम मानचित्र तैयार करने हेतु मौसम सूचनाएँ कैसे एकत्रित की जाती हैं ?
उत्तर:
मौसम मानचित्र तैयार करने हेतु मौसम सूचनाएँ निम्न प्रकार एकत्रित की जाती हैं –

  1. मौसम मानचित्रों को तैयार करने हेतु वेधशालाओं, वायुयानों के पायलटों, गुब्बारों तथा जलयानों से मौसम सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं।
  2. वेधशालाओं में निम्न मौसमी तत्वों की जानकारी एकत्रित की जाती है-तापमान, वर्षा, वायु की गति एवं दिशा आपेक्षिक आर्द्रता, सूर्य प्रकाश की अवधि, समुद्र की दशा, वर्तमान एवं पूर्व मौसम।
  3. मौसम मानचित्रों में मौसम के तत्वों का चिह्नों द्वारा अंकन किया जाता है।
  4. मौसम मानचित्र में सूचनाओं को प्रेषित करने हेतु कूट संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, जिनका विशिष्ट अभिप्राय होता है।
  5. मौसम मानचित्र तैयार करने हेतु मौसमी दशाओं/तत्वों का निरीक्षण एवं अभिलेखन वेधशालाओं में प्रातः 8:30 व सायंकाल 5.30 बजे होता है।

प्रश्न 3.
मौसम मानचित्र में मौसमी दशाओं को कैसे व्यक्त किया जाता है ?
उत्तर:
प्रेक्षण शालाओं से प्राप्त मौसम तत्वों को मानचित्र पर अंकों, चिह्नों या प्रतीकों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। ये अंक, चिह्न या प्रतीक अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होते हैं। इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय मौसम संकेत कहा जाता है।

प्रश्न 4.
दिए गए वायु मापन में संकेत चिह्नों को पहचानिए व उनका नाम व वेग लिखिए –
Manchitra Pathan Avn Uncle MP Board Class 10th
उत्तर:

  1. शान्त
  2. धीर समीर
  3. प्रबल समीर
  4. झंझा
  5. झंझावात।

प्रश्न 5.
दिए गए मेघाच्छादन संकेत चिह्नों को पहचानिए व उनकी मात्रा व स्तर को लिखिए –
मानचित्र संबंधी प्रश्न Class 10 MP Board
उत्तर:

  1. मात्रा 1/8; निम्नस्तर
  2. 1/8; उच्च स्तर
  3. मात्रा 3/8; निम्न स्तर
  4. मात्रा 1/4; निम्न स्तर
  5. मात्रा 7/8; निम्न स्तर
  6. मात्रा 8/8; निम्न स्तर
  7. मात्रा 1/2; उच्च स्तर
  8. मात्रा 5/8; उच्च स्तर
  9. सूर्य प्रकाश; उच्च स्तर

प्रश्न 6.
दिए गए समताप रेखाओं द्वारा निर्मित वायुमण्डलीय दशाओं को पहचानकर लिखिए –
मानचित्र पठन एवं अंकन In English MP Board Class 10th
उत्तर:

  1. चक्रवात, एवं
  2. प्रतिचक्रवात।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मौसम मानचित्र से प्राप्त पूर्वानुमान कहाँ अत्यधिक उपयोगी है ? मौसम मानचित्रों का महत्त्व लिखिए।
अथवा
मौसम मानचित्र की विशेषताएँ लिखिए। (2012)
उत्तर:
मौसम मानचित्रों से प्राप्त पूर्वानुमानों की उपयोगिता-मौसम मानचित्र से प्राप्त पूर्वानुमान नौ संचालन, वायुयान की सुरक्षित उड़ान, प्राकृतिक आपदाओं के दुष्प्रभावों का निरीक्षण करने में, कृषि की उचित देखभाल तथा समुद्रतट पर रहने वाले मछुआरों को समुद्र की दिशा चक्रवात (समुद्री तूफान) से सावधान करने में यह अत्यन्त उपयोगी हैं।

मौसम मानचित्रों का महत्त्व-मौसम मानचित्रों के प्रमुख महत्त्व निम्नलिखित हैं –

  1. मौसम मानचित्रों की सहायता से प्राकृतिक आपदाओं; जैसे–बाढ़, भूकम्प, सूखा आदि के जनजीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का पूर्वानुमान लगता है।
  2. ये मानचित्र नाविकों तथा वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं।
  3. वायुयान चालकों के लिए यह मानचित्र महत्त्वपूर्ण होते हैं।
  4. इन मानचित्रों की सहायता से मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसे समाचार-पत्रों एवं दूरदर्शन के माध्यम से प्रसारित कर अतिवृष्टि, भूकम्प, ओलावृष्टि, तूफान एवं हिमपात जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जन-सामान्य को सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।

प्रश्न 2.
निम्न मौसमी दशाओं को स्पष्ट करने हेतु संकेत बनाइए

  1. कुहरा (2009, 10, 11, 14)
  2. ओला (2009, 11, 13, 14, 16, 17)
  3. सम्पूर्ण मेघाच्छादन (2018)
  4. हिम (2009, 10, 11, 14, 15)
  5. वर्षा (2009, 10, 14, 15, 17)
  6. कुहासा (2013, 16)
  7. धुन्ध (2013, 14, 18)
  8. तड़ित झंझा (2015, 17)
  9. फुहार (2016, 18)

उत्तर:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन 5

प्रश्न 3.
दिए गए मौसम मानचित्र की व्याख्या निम्नलिखित बिन्दुओं पर कीजिए –

  1. चक्रवात व गौण चक्रवात का क्षेत्र
  2. वायुफान का क्षेत्र
  3. प्रतिचक्रवात का क्षेत्र।

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन 6
उत्तर:
(1) चक्रवात व गौण चक्रवात का क्षेत्र-चक्रवात की समदाब रेखाएँ मन्द होती हैं और इसके भीतर अल्पतम दाब होता है। इसीलिए इसको अल्पदाब अवस्था भी कहते हैं। अल्पतम दाब केन्द्र गर्त रेखाओं का प्रतिच्छेदन बिन्दु होता है, इसीलिए बाहर से हवाएँ भीतर की ओर जाती हैं। उत्तरी गोलार्द्ध चक्रवात की वायु वामावर्त दिशा में और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त दिशा में चलती हैं। ये चक्रवात स्थायी वायुदाब के प्रवाह की निश्चित दिशा में आगे बढ़ते हैं। उपर्युक्त मानचित्र में चक्रवात व गौण चक्रवात की स्थिति को 990 मिलीबार व 992 मिलीबार की समदाब रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया गया है जिससे स्पष्ट होता है कि गहरे अवदाब में केन्द्र का वायुदाब बहुत कम होता है और छिछले अवदाब में केन्द्र का वायुदाब थोड़ा ही कम होता है। गहरा अवदाब एक से अधिक समदाब रेखाओं से घिरा होता है और छिछला अवदाब केवल एक समदाब रेखा से घिरा होता है और अन्य समदाब रेखाओं से अंशतः घिरा होता है। छिछले अवदाब में समदाब रेखाएँ दूर-दूर और गहरे अवदाब में निकट-निकट अंकित रहती हैं। इसमें वायुराशि एकत्रित होती है, ऊपर उठती है और ठण्डी होकर बादल तथा वर्षा का रूप ग्रहण करती है।

(2) वायुफान का क्षेत्र-यह एक त्रिभुजाकार उच्चदाब का क्षेत्र होता है। मानचित्र (5.5) में यह 994 मिलीबार की समदाब की रेखा द्वारा प्रदर्शित किया गया है जिससे स्पष्ट होता है इसकी समदाब रेखाएँ वी-आकार की होती हैं, जिनका शीर्ष गोल होता है और अल्पदाब के क्षेत्र की ओर इंगित करता है। इसके मध्य में सबसे अधिक वायुदाब रहता है और शीर्ष तथा किनारे की दाब क्रमशः कम होती जाती है। प्रधान चक्रवात के साथ इसका बढ़ाव आगे होता है। सर्वोच्च दाब बिन्दु और शीर्ष बिन्दु को मिलाने वाली रेखा शिखर रेखा कहलाती है।

(3) प्रतिचक्रवात का क्षेत्र-चक्रवात के विपरीत प्रतिचक्रवात होते हैं। इनके केन्द्र में उच्च दाब का स्थान होता है। इसको उच्चदाब अवस्था भी कहते हैं। मानचित्र (5.5) में इसे 1000 मिलीबार की समदाब रेखा द्वारा प्रदर्शित किया गया है जिससे स्पष्ट होता है कि इसकी समदाब रेखाएँ प्रायः वृत्ताकार होती हैं और हवाओं की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में वामावर्त होती हैं। इसमें केन्द्र से बाहर की ओर वायु चलती है। इसमें दाब प्रवणता कम होती है। प्रतिचक्रवात शक्तिहीन होते हैं और एक ही स्थान पर देर तक रुके रहते हैं।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 5 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय मौसम संकेत को कब और कहाँ मान्यता प्रदान की गई ?
(i) 1945 में दिल्ली में
(ii) 1948 में फ्रांस में
(iii) 1935 में वारसा (इटली) में
(iv) 1955 में जेनेवा में।
उत्तर:
(iii) 1935 में वारसा (इटली) में

प्रश्न 2.
पश्चिमी तट पर वायु वेग है
(i) 5 नॉट के लगभग
(ii) 7 नॉट के लगभग
(iii) 15 नॉट के लगभग
(iv) 10 नॉट के लगभग।
उत्तर:
(iv) 10 नॉट के लगभग।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. मौसम मानचित्र में वायुदाब ………….. में दर्शायी जाती है।
  2. मौसम मानचित्र तैयार करने हेतु मौसम दशाओं एवं तत्वों के निरीक्षण एवं अभिलेखन का केन्द्र ………….. कहलाता है।

उत्तर:

  1. मिलीबार
  2. वेधशाला।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
भारत में मौसम विभाग की स्थापना 1880 ई. में हुई थी।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 2.
मेघ की छाया वृत्तों द्वारा प्रदर्शित की जाती है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3.
मौसम मानचित्र में वायुदाब मिलीबार में दर्शाया जाता है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
वायु वेग नापने की इकाई, एक नॉट 1.85 किमी. के बराबर होता है।
उत्तर:
सत्य।

जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन 7
उत्तर:

  1. → (ख)
  2. → (ग)
  3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में मौसम विभाग की स्थापना किस सोसाइटी के सुझाव पर हुई ?
उत्तर:
एशियाटिक सोसायटी

प्रश्न 2.
मौसम विभाग का.प्रधान कार्यालय कहाँ है ?
उत्तर:
दिल्ली

प्रश्न 3.
भारतीय मानचित्रों में किस ऊँचाई के मेघ दिखाये जाते हैं ?
उत्तर:
निम्न व मध्यम

प्रश्न 4.
वायु वेग नापने की इकाई क्या है ?
उत्तर:
नॉट

प्रश्न 5.
वायु के आकस्मिक प्रचण्ड झोंके जो स्वत: कुछ समय बाद समाप्त हो जाते हैं, को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
झंझा।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रमुख वर्षा संकेत स्पष्ट कीजिए। (2009)
उत्तर:
प्रमुख वर्षा संकेत –
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन 7-1

प्रश्न 2.
झंझा का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
पेड़ की टहनियाँ टूटने लगती हैं और चलना-फिरना कठिन हो जाता है।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 5 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मौसम मानचित्र से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
मौसम मानचित्र-इस प्रकार के मानचित्र जिसमें पृथ्वी के किसी भाग में घटित मौसम सम्बन्धी दशाओं (जैसे-तापमान की स्थिति, वायुदाब, वर्षा, पवन की दिशा एवं वेग, मेघाच्छादन) को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित संकेतों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है, मौसम मानचित्र कहलाते हैं।

प्रश्न 2.
मौसम मानचित्र की व्याख्या के प्रमुख बिन्दु कौन-कौनसे हैं ?
उत्तर:
मौसम मानचित्र की व्याख्या के प्रमुख बिन्दु

  1. प्रस्तावना – दिन, तिथि तथा समय।
  2. तापमान का विचलन – शीत लहर और उष्ण लहर ज्ञात करने में सहायक।
  3. वायुदाब का विचलन –
    • वायुदाब का सामान्य वितरण उच्च व न्यूनदाब क्षेत्र।
    • समदाब रेखाओं की उपनति, वायुदाब की प्रवणता, चक्रवातों की गति।
    • सामान्य वायु दाब से प्रमाण।
  4. वायु दिशा एवं वायु वेग।
  5. वृष्टि-सामान्य से अधिक या कम वर्षा के क्षेत्र, वर्षा की मात्रा।
  6. मेघ-बादल के प्रकार (उच्च व निम्न) तथा मेघाच्छादन या मेघ की प्रकृति तथा मात्रा।
  7. वायुमण्डलीय घटनाएँ-धुन्ध, कोहरा, विद्युत, धूल-आँधी, वज्रघोष, शिलावृष्टि।
  8. समुद्र की दिशा।
  9. भविष्यवाणी-मानचित्रों के आधार पर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रमुख समुद्री तरंग-संकेतक स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समुद्री तरंग-संकेतक समुद्री तरंग की दिशा अक्षरों के रूप में प्रदर्शित की जाती है। प्रमुख समुद्री तरंग संकेतक निम्न प्रकार दर्शाये गये हैं –
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन 8

प्रश्न 2.
प्रमुख वायु मापन संकेतों को स्पष्ट करते हुए उनके प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वायु मापन संकेत
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प्रश्न 3.
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए
1.

  1. कराकोरम पवर्तमाला
  2. सतपुड़ा
  3. अरावली
  4. नीलगिरि।

2. भारत में हिमालय का सर्वोच्च शिखर (माउण्ट एवरेस्ट)।
3. छोटा नागपुर का पठार। (2009, 10, 16, 18)

4.

  1. गंगा (2013, 16)
  2. ब्रह्मपुत्र
  3. कृष्णा
  4. कावेरी
  5. नर्मदा। (2010, 14, 16, 17)

5. सर्वाधिक वर्षा का क्षेत्र (चेरापूँजी/मौसिनराम)। (2018)
6. बंगाल की खाड़ी। (2009, 13)
7. कन्याकुमारी। (2009)
उत्तर:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन 10

प्रश्न 4.
भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाइए –

  1. जूट उत्पादक क्षेत्र
  2. गन्ना उत्पादक क्षेत्र
  3. काली मिट्टी का क्षेत्र या कपास उत्पादक क्षेत्र
  4. चाय उत्पादक क्षेत्र (2009)
  5. रबर उत्पादक क्षेत्र (2012)
  6. चावल उत्पादक क्षेत्र।

उत्तर:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन 11

प्रश्न 5.
भारत के दिए गये मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए
1. कोयला उत्पादक क्षेत्र

2.

  • प्रमुख खनिज तेल उत्पादक क्षेत्र (2009)
  • डिग्बोई (असम) (2012)

3. यूरेनियम उत्पादक क्षेत्र

  • राजस्थान में यूरेनियम (2009)

4. प्राकृतिक गैस उत्पादक क्षेत्र
5. लक्षद्वीप (2010)
6.

  • नाभिकीय ऊर्जा केन्द्र (2013)
  • तारापुर अणु विद्युत गृह। (2016)

उत्तर:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन 12.

प्रश्न 6.
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए
(1)

  1. दिल्ली (2010, 15)
  2. विशाखापट्टनम (2018)
  3. भिलाई
  4. भोपाल
  5. मुम्बई (2009, 11, 15)
  6. चेन्नई (2009, 12, 15)
  7. कोलकाता (2010)

(2) दिल्ली-कोलकाता रेलवे लाइन (2014)

(3)

  1. सान्ताक्रुज
  2. पालम व
  3. दमदम हवाई अड्डा (2009)

(4) अरब सागर (2011, 12, 15)
(5) आगरा से मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग (2012)
(6) थार का मरुस्थल (2015)
(7) चिल्का झील (2011, 16)
(8) कोई दो प्रमख आंतरिक जल परिवहन मार्ग
(9) सीमा सड़क विकास बोर्ड का क्षेत्र।
उत्तर:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन 13

प्रश्न 7.
भारत के मानचित्र में निम्नांकित को दर्शाइए –

  1. शीतकालीन वर्षा का क्षेत्र
  2. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (2017)
  3. भाखड़ा-नंगल बाँध
  4. कच्छ का रन (2013, 18)
  5. कर्क रेखा (2009, 14, 17)
  6. हजीरा-जगदीशपुर गैस पाइप लाइन (2009, 14, 18)
  7. आनन्द-अहमदाबाद दुग्ध पाइप लाइन। (2009)

उत्तर:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 5 मानचित्र पठन एवं अंकन 14

MP Board Class 10th Sanskrit व्याकरण समास-प्रकरण

MP Board Class 10th Sanskrit व्याकरण समास-प्रकरण

‘समसनं समासः’ अर्थात् संक्षेपीकरण को समास कहते हैं। दो या दो से अधिक शब्दों की विभिक्ति हटाकर और उन्हें एक साथ जोड़कर एक शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं। इस प्रकार मिला हुआ पद ‘समस्त पद’ अथवा ‘सामासिक पद’ कहलाता है। जब दो या दो से अधिक शब्दों को इस प्रकार रख दिया जाता है कि उनके आकार (स्वरूप) में कुछ कमी हो जाये और अर्थ पूरा – पूरा निकले तो उसे ‘समास’ कहते हैं।

Samas In Sanskrit MP Board Class 10th जैसे –
रामस्य मन्दिरम् = राममन्दिरम्।
(राम का मन्दिर) = (राममन्दिर)

समास के भेद – समास के छः भेद होते हैं –
Samas In Sanskrit MP Board Class 10th

संस्कृत के एक याचक की उक्ति में इन सभी समासों के नाम आ जाते हैं। यह उक्ति बहुत प्रसिद्ध है –

द्वन्द्वो द्विगुरपि चाहं मद्गेहे नित्यमव्ययीभावः।
तत्पुरुष कर्मधारय येनाहं स्यां बहुब्रीहिः॥

Sanskrit Samas Class 10 MP Board १. अव्ययीभाव समास
परिभाषा – पूर्वपदार्थाप्रधानोऽव्ययीभावः।

जहाँ प्रथम पद प्रधान तथा अव्यय होता है और द्वितीय पद संज्ञावाचक होता है, वहाँ अव्ययीभाव समास होता है।
Sanskrit Samas Class 10 MP Board

Samas In Sanskrit Class 10 MP Board  २. तत्पुरुष समास
परिभाषा – प्रायेण उत्तरपदप्रधानस्तत्पुरुषः।

जिस समास में पूर्वपद द्वितीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति का होता है और उत्तर पद प्रथमा विभक्ति का होता है, वह तत्पुरुष समास होता है।

द्वितीया तत्पुरुष – इसमें पहला पद द्वितीया विभक्ति का होता है और समासावस्था में उसका लोप हो जाता है।
Samas In Sanskrit Class 10 MP Board

तृतीया तत्पुरुष – इसमें पहला पद तृतीया विभक्ति का होता है और समासावस्था में उसका लोप हो जाता है।
Samas Sanskrit Class 10 MP Board

चतुर्थी तत्पुरुष – इसमें पहला पद चतुर्थी विभक्ति का होता है तथा समासावस्था में उसका लोप होता है।
Sanskrit Samas MP Board Class 10th

पञ्चमी तत्पुरुष – इसमें पहला पद पंचमी विभक्ति का होता है तथा समासावस्था में उसका लोप होता है।
समास संस्कृत में कक्षा 10 MP Board

षष्ठी तत्पुरुष – इसमें पहला पद षष्ठी विभक्ति का होता है तथा समासावस्था में उसका लोप होता है।
समास-विग्रह कीजिए Class 10 MP Board
सप्तमी तत्पुरुष – इसमें पहला पद सप्तमी विभक्ति का होता है तथा समासावस्था में उसका लोप होता है।
Samas Class 10 Sanskrit MP Board

नञ् तत्पुरुष – इस समास में निषेधवाचक शब्द (न) का अर्थ प्रकट करने के लिए प्रारम्भ में “अ” अथवा “अन्” जोड़ा जाता है।
Samas Vigrah In Sanskrit Class 10 MP Board

उपपद तत्पुरुष – तत्पुरुष समास में उत्तर पद (अन्तिम शब्द) किसी क्रिया द्वारा बना हुआ (कृदन्त पद) हो तो उसे उपपद तत्पुरुष समास कहते हैं।
Class 10th Sanskrit Samas MP Board

Samas Sanskrit Class 10 MP Board ३. कर्मधारय समास
परिभाषा – प्रायेण स चासौ कर्मधारयः।

जहाँ प्रथम पद विशेषण या उपमान होता है तथा दूसरा पद विशेष या उपमेय होता है, वहाँ कर्मधारय समास होता है।
समास विग्रह कीजिए Class 10 Sanskrit MP Board

Sanskrit Samas MP Board Class 10th ४. द्विगु समास
परिभाषा – संख्यापूर्वो द्विगुः।

जहाँ प्रथम पद संख्यावाची होता है तथा उत्तर पद की विशेषता को प्रकट करता है, वह द्विगु समास होता है।
Class 10 Samas Sanskrit MP Board

समास संस्कृत में कक्षा 10 MP Board ५. बहुव्रीहि समास
परिभाषा – अनन्यपदार्थप्रधानो बहुब्रीहिः।

जहाँ सामासिक पदों से किसी अन्य का बोध होता है, वहाँ बहुब्रीहि समास होता है।
Class 10 Sanskrit Samas MP Board

समास-विग्रह कीजिए Class 10 MP Board ६. द्वन्द्व समास
परिभाषा – उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः।

इस समास में सभी पद प्रधान होते हैं और दो या दो से अधिक संज्ञा शब्द विग्रह की दशा में ‘च’ शब्द से जुड़े रहते है।
Samas In Sanskrit Class 10 Pdf MP Board
Samas In Sanskrit Class 10 Examples MP Board

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु – विकल्पीय प्रश्न

Samas Class 10 Sanskrit MP Board १. ‘वाणहतः’ में समास है
(अ) अव्ययीभाव,
(ब) द्विगु,
(स) बहुब्रीहि,
(द) तत्पुरुष।

Samas Vigrah In Sanskrit Class 10 MP Board २. ‘पितरौ’ में समास है-
(अ) द्विगु,
(ब) द्वन्द्व,
(स) तत्पुरुष,
(द) कर्मधारय।

Class 10th Sanskrit Samas MP Board  ३. ‘राजपुरुषः’ का विग्रह होगा
(अ) राजा पुरुषः,
(ब) राज पुरुषः
(स) राज्ञः पुरुषः,
(द) राज्ञि पुरुषः।

समास विग्रह कीजिए Class 10 Sanskrit MP Board ४. ‘अनादरः’ का विग्रह होगा
(अ) न आदरः,
(ब) अन आदरः,
(स), अ नादरः,
(द) अना दरः

५. जिस समास में पूर्व पद संख्या वाचक हो, उसे कहते हैं
(अ) द्वन्द्व,
(ब) द्विगु,
(स) अव्ययीभाव,
(द) कर्मधारय।
उत्तर –
१. → (द),
२. → (ब),
३. → (स),
४. → (अ),
५. → (ब)

रिक्त स्थान पूर्ति
१. वृक्षपतितः = ………………………….।
२. विद्यालयः = ………………………….।
३. घनश्यामः = ………………………….।
४. रामलक्ष्मणौ = ………………………….।
५. पीताम्बरः = ………………………….।
उत्तर –
१. वृक्षात् पतितः,
२. विद्यायाः आलयः,
३. घन इव श्यामः,
४. रामश्च लक्ष्मणश्च,
५. पीतम् अम्बरं यस्य सः।

सत्य/असत्य
१. बाणहतः में अव्ययीभाव समास है।
२. पञ्चपात्रम् में द्विगु समास है।
३. महापुरुषः में कर्मधारय समास है।
४. असत्यम् में द्विगु समास है।
५. पितरौ में तत्पुरुष समास है।
उत्तर –
१. असत्य,
२. सत्य,
३. सत्य,
४. असत्य,
५. असत्य

♦ जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Sanskrit व्याकरण समास-प्रकरण img 15
उत्तर-
१. → (v)
२. → (i)
३. → (ii)
४. → (iii)
५. → (iv)

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 14 समयस्य सदुपयोगः

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Durva Chapter 14 समयस्य सदुपयोगः (संवादः) (सङ्कलितः)

MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

Mp Board Class 10 Sanskrit Chapter 14 प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखिए)।
(क) देवदुर्लभं किम्? (देवताओं द्वारा दुर्लभ क्या है?)
उत्तर:
मानवशरीरम् (मनुष्य का शरीर)।

(ख) अन्येषां वस्तूनाम् अपेक्षया अधिकः महत्त्वपूर्णः कः? (अन्य वस्तुओं की अपेक्षा क्या अधिक महत्वपूर्ण है?)
उत्तर:
समयः (समय)

(ग) किं परावर्तयितुं न शक्यते? (क्या लौटाया नहीं जा सकता?)
उत्तर:
समयः (समय)

(घ) जनाः समयस्य दुरुपयोगं कतिधा कुर्वन्ति? (लोग समय का दुरुपयोग कितने प्रकार से करते हैं?)
उत्तर:
द्विधा (दो प्रकार से)

(ङ) निष्क्रियाणां भारं वोढुं का नेच्छति? (निष्क्रिय लोगों का भार कौन नहीं उठाना चाहती?)
उत्तर:
कर्मभूमिः (कर्मभूमि)

Class 10 Sanskrit Chapter 14 MP Board प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत-(एक वाक्य में उत्तर लिखिए)
(क) मानवजीवनस्य उन्नत्यै अतिमहत्त्वपूर्णं किं भवति? (मानवजीवन की उन्नति के लिए अधिक महत्वपूर्ण क्या होता है?)
उत्तर:
मानवजीवनस्य उन्नत्यै अतिमहत्त्वपूर्ण समयः भवति।। (मानवजीवन की उन्नति के लिए अधिक महत्त्वपूर्ण समय होता है।)

(ख) के अप्रयोजनं गृहे गृहे अटन्ति? (कौन बिना कारण घर-घर भटकते हैं?)
उत्तर:
ये जनाः समयस्य दुरुपयोगं कुर्वन्ति ते अप्रयोजनं गृहे-गृहे अटन्ति। (जो लोग समय का दुरुपयोग करते हैं, वे बिना कारण घर-घर में भटकते हैं।)

(ग) प्रकृतिरपि किं शिक्षयति? (प्रकृति भी क्या सिखाती है?)
उत्तर:
प्रकृतिरपि समयस्य पालनं, कार्यपरायणताम् एव उपदिशति। (प्रकृति भी समय का पालन और कार्यपरायणता का ही उपदेश देती है।)

(घ) कीदृशाः छात्राः उच्चनागरिकाः अभवन्? (कैसे छात्र उच्चनागरिक हुए?
उत्तर:
वे छात्राः क्षणं क्षणं संयोज्य विद्याध्ययने समयस्य सदुपयोगं कृतवन्तः ते उच्चनागरिकाः अभवन्।
(जो छात्र पल-पल जोड़कर विद्याध्ययन में समय का सदुपयोग करते थे, वे उच्चनागरिक बने।)

(ङ) अस्माभिः किं कर्त्तव्यः? (हमारा क्या कर्त्तव्य है?)
उत्तर:
अस्माभिः कर्त्तव्यः यत् आलस्यं विहाय सर्वदैव समयस्य सदुपयोगः कर्त्तव्यः।
(हमें चाहिए कि आलस छोड़कर हमेशा समय का सदुपयोग करें)

कक्षा 10 संस्कृत पाठ 14 MP Board प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए)।
(क) जनाः समयस्य दुरुपयोगं कथं कुर्वन्ति? (लोग समय का दुरुपयोग कैसे करते हैं?)
उत्तर:
जनाः समयस्य दुरुपयोगं द्विधा कुर्वन्ति-व्यर्थयापनेन अकार्यकरणेन वा।

(लोग दो प्रकार से समय का दुरुपयोग करते हैं-व्यर्थ में बिताने से और न करने योग्य कार्य को करने से।)

(ख) केषां जन्य निरर्थकं भवति? (किनका जन्म निरर्थक होता है?)
उत्तर:
ये न अध्ययनं कुर्वन्ति न धर्मम् आचरन्ति न धनम् उपार्जयन्ति न वा मुक्तये प्रयासं कुर्वन्ति तेषां जन्म निरर्थकः भवति।

(जो न अध्ययन करते हैं, न धर्म पर चलते हैं, न धन कमाते हैं और न मुक्ति का प्रयास करते हैं, उनका जीवन निरर्थक होता है।)

(ग) के जनाः सर्वत्र तिरस्कृताः भवन्ति? (कौन लोग सब जगह तिरस्कृत होते हैं?)
उत्तर:
ये समयस्य दुरुपयोगं कुर्वन्ति, ते सर्वत्र तिरस्कृताः भवन्ति। (जो समय का दुरुपयोग करते हैं, वे सब जगह तिरस्कृत होते हैं।)

Sanskrit Class 10 Chapter 14 Mp Board प्रश्न 4.
प्रदत्तशब्दैः रिक्तस्थानानि पूरयत (दिए गए शब्दों से रिक्त स्थान भरिए-)
(निष्क्रियाणां, समयः, कार्य, सहयोगम्, तनयं)
(क) अन्येषां वस्तूनाम अपेक्षया अधिकः महत्त्वपूर्णः वर्तते।
उत्तर:
समयः।

(ख) कर्मभूमिः ………………. भारं वोढुम् नेच्छति।
उत्तर:
निष्क्रियाणां।

(ग) पितरौ अपि एतादृशं ………………. नाभिनन्दतः।
उत्तर:
तनयं।

(घ) ………………. वा साधयामि।
उत्तर:
कार्य।

(ङ) सर्वे एव तेषां ………………. इच्छन्ति
उत्तर:
सहयोगम्।

Mp Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत-(उचित क्रम से मिलाइए-)
संस्कृत के प्रश्न उत्तर कक्षा 10 MP Board
उत्तर:
(क) 3
(ख) 4
(ग) 1
(घ) 5
(ङ) 2

Sanskrit Chapter 14 Class 10 Mp Board प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं “न” इति लिखत
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ लिखिए)
(क) अस्माभिः समयस्य सदुपयोगः कर्त्तव्यः।
(ख) परिश्रमः अस्माकं जीवनस्य उन्नत्यै भवति।
(ग) मानवशरीरं देवदुर्लभं नास्ति।
(घ) भगवान् शङ्कराचार्यः अहोरात्रं परिश्रमं कृतवान्।
(ङ) कार्यकालमतिपातयेत्।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) आम्
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) न

Chapter 14 Sanskrit Class 10 प्रश्न 7.
अधोलिखितशब्दानां मूलशब्दं विभक्तिं वचनञ्च लिखत
(नीचे लिखे शब्दों के मूलशब्द, विभक्ति और वचन लिखिए)
Mp Board Class 10 Sanskrit
उत्तर:
Sanskrit Class 10 Mp Board

Class 10 Sanskrit Chapter 14 Mp Board प्रश्न 8.
अधोलिखितपदानां सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम लिखत
(नीचे लिखे पदों के सन्धि-विच्छेद कर सन्धि का नाम लिखिए-)
Sanskrit Samay Class 10 MP Board
उत्तर:
Sanskrit 10th Class Mp Board

Class 10 Sanskrit Mp Board प्रश्न 9.
अधोलिखितपदानां समासविग्रहं कृत्वा समासनाम लिखत
(नीचे लिखे पदों के विग्रह कर समास का नाम लिखिए)
Chapter 14 Hindi Class 10 Mp Board
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 14 समयस्य सदुपयोगः img 7

Samay In Sanskrit Class 10 MP Board प्रश्न 10.
रेखाङ्कितपदानाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(रखाङ्कित पदों के आधार पर प्रश्न बनाइए-)
(क) समयः अधिकमहत्त्वपूर्णः अस्ति। (समय अधिक महत्त्वपूर्ण है।)
उत्तर:
(क) कः अधिकमहत्त्वपूर्णः अस्ति? (क्या अधिक महत्त्वपूर्ण है?)

(ख) केचिज्जनाः समयस्य दुरुपयोगं कुर्वन्ति। (कुछ लोग समय का दुरुपयोग करते हैं)
उत्तर:
कोचेज्जनाः कस्य दुरुपयोगं कुर्वन्ति? (कुछ लोग किसका दुरुपयोग करते हैं?)

(ग) पितरौ तनयं नाभिनन्दतः। (माता-पिता पुत्र से खुश नहीं होते)
उत्तर:
कौ तनयं नाभिनन्दतः? (कौन पुत्र से खुश नहीं होते?)

(घ) सर्वे एव तेषां सहयोगमिच्छन्ति। (सभी उनका सहयोग करना चाहते हैं।
उत्तर:
सर्वे एव केषां सहयोगमिच्छन्ति? (सभी किनका सहयोग करना चाहते हैं?)

(ङ) एकमपि क्षणं व्यर्थं न यापनीयम्। (एक भी क्षण व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए)
उत्तर:
(एकमपि किं व्यर्थं न यापनीयम्?) (एक भी क्या व्यर्थं नहीं गँवाना चाहिए?)

योग्यताविस्तारः –

ये महापुरुषाः समयस्य सदुपयोगं कृत्वा देशहिताय समाजहिताय धर्महिताय वा कार्याणि कृतवन्तः तेषां नामानि अन्विष्य लिखत।
जो महापुरुष समय का सदुपयोग करके देश, धर्म व समाज के हित के लिए कार्य करते थे उनके नाम ढूँढ़कर लिखो।

एवमेव मानवजीवनोपयोगिविषयोपरि संवादलेखनं कुरुत।
ऐसे ही मानव जीवन के उपयोगी विषय पर संवाद लिखो।

समयस्य सदुपयोगः पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ में संवाद के माध्यम से समय के महत्त्व के विषय में चर्चा की गई है। आचार्य छात्रों को समय का सदुपयोग करने की शिक्षा दे रहे हैं, जिससे वे समय का महत्त्व जानकर उन्नति कर सकें।

समयस्य सदुपयोगः पाठ का अनुवाद

1. आचार्यः-छात्राः! मानवजीवनस्य उन्नत्यै अतिमहत्त्वपूर्णं किं भवति?
छात्राः-परिश्रमः, अध्ययन, परोपकारः, समयः इत्यादयः।

आचार्यः :
आम् मानवजीवनस्य उन्नत्यै विभिन्नानि महत्त्वपूर्णाङ्गानि सन्ति किन्तु तेषु समयस्य सदुपयोगः अर्थात् सत्सु कार्येषु उपयोगः महत्वपूर्णः वर्तते।

छात्राः कथम् एतत्?

आचार्यः :
समयो हि अन्येषां वस्तूनाम् अपेक्षया अधिकः महत्त्वपूर्णः अधिकश्च मूल्यवान वर्तते। अन्यानि वस्तूनि विनष्टानि पुनरपि लब्धुं शक्यते; परं समयो विनष्टो न केनापि उपायेन पुनः परावर्तयितुं शक्यन्ते यस्य आयुषो यावान् अंशः निरर्थकः गतः सः गतः एव।

शब्दार्थाः :
उन्नत्यौ-उन्नति के लिए-for progress; सत्सु-अच्छे में-in noble; विनष्टानि-नष्ट होने पर-on being wasted; लब्धुम्-प्राप्त करने योग्य-attainable; परावर्तयितुम्-लौटाने के लिए-io return, revive.

अनुवाद :
आचार्य-छात्रो! मानवजीवन की उन्नति के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण क्या होता है?

सभी छात्र-परिश्रम, अध्ययन, परोपकार, समय आदि।

आचार्य :
हाँ, मानव जीवन की उन्नति के लिए विभिन्न महत्त्वपूर्ण अङ्ग हैं, लेकिन उनमें समय का सदुपयोग अर्थात् अच्छे कार्यों में उपयोग महत्त्वपूर्ण है।

सभी छात्र-यह कैसे?

आचार्य :
समय ही अन्य वस्तुओं की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण और अधिक मूल्यवान है। अन्य सभी वस्तुएँ नष्ट होने पर फिर प्राप्त करने योग्य हो सकती हैं, परन्तु समय नष्ट होने पर किसी भी उपाय से फिर लौटाया नहीं जा सकता। जिसकी आयु का जो अंश बेकार हो गया वह गया ही!

English :
Besides labour, study and welfare of others, time is of great importance-Cannot be regained by any means on being lost like other objects.

Time once gone (wasted) is gone (wasted) for ever.

2. छात्राः-जनाः समयस्य दुरुपयोगं कथं कथं कुर्वन्ति?

आचार्यः :
जनाः द्विधा समयस्य दुरुपयोगं कुर्वन्ति-व्यर्थयापनेन अकार्यकरणेन च। अनेके जनाः कार्यसम्पादने समर्था अपि निरर्थकं समयं यापयन्ति। इतो भ्रमन्ति ततो भ्रमन्ति अप्रयोजनं गृहे गृहे अटन्ति। न ते स्वार्थाय एव किञ्चित् कार्यं कुर्वन्ति न वा परार्थाय एव । देवदुर्लभमिदं मानवशरीरं लब्ध्वापि ये न अध्ययनं कुर्वन्ति न धर्मम् आचरन्ति न धनम् उपार्जयन्ति न वा मुक्तये प्रयासं कुर्वन्ति तेषां जन्म निरर्थकं भवति तथा इयं कर्मभूमिः एतादृशानां निष्क्रियाणां भारं वोढुं नेच्छति।।

छात्राः-आचार्य! ये जनाः जीवने समयस्य सदुपयोगं न कुर्वन्ति ते को क्षतिम् अनुभवन्ति?

शब्दार्थाः :
द्विधा-दो प्रकार से-in two ways; यापनेन-बिताने से-by spending; अटन्ति-घूमते हैं-wander; परार्थाय-दूसरे के लिए-for others; उपार्जयन्ति-कमाते हैं-earn; वोढुम्-ढोने के लिए-to bear; क्षतिम्-नुकसान-harm.

अनुवाद :
सभी छात्र-लोग समय का दुरुपयोग कैसे-कैसे करते हैं?

आचार्यः :
लोग दो प्रकार से समय का दुरुपयोग करते हैं-व्यर्थ में बिताने से और न करने योग्य कार्य करने से। बहुत से लोग कार्य करने में समर्थ होते हुए भी बेकार में समय बिताते हैं। इधर घूमते हैं, उधर घूमते हैं, बिना किसी कारण घर-घर घूमते (भटकते) हैं। न तो वे अपने लिए ही कुछ करते हैं और न ही दूसरों के लिए। देवताओं द्वारा भी दुर्लभ इस मानव शरीर को प्राप्त करके भी ये सब न अध्ययन करते हैं, न धर्म का आचरण करते हैं, न धन कमाते हैं और न ही मुक्ति के लिए प्रयास करते हैं। उनका जन्म निरर्थक होता है और यह कर्मभूमि ऐसे लोगों का भार ढोने की इच्छा नहीं करती।

सभी छात्र-आचार्य! जो लोग जीवन में समय का सदुपयोग नहीं करते उन्हें क्या नुकसान होते हैं?

English :
Some people wander from place to place aimlessly. Some waste time in useless pursuits-do nothing fruitful for self or others-useless birth-mother earth doesn’t desire to bear their burden such people suffer a lot.

3. आचार्यः-ईदृशान् जनान् केऽपि न रोचयन्ति न वा कश्चित् आश्रयमेव दातुमिच्छति। स यत्रैव गच्छति ततः एव बहिष्क्रियते सर्वत्र च तिरस्कृतो भवति। किमधिंक पितरौ अपि एतादृशं तनयं नाभिनन्दतः का पुनरन्येषां बन्धुबान्धवानां वार्ता।

छात्राः-आचार्य! ये जनाः जीवने समयस्य सदुपयोगं कुर्वन्ति तेषां जीवनं कथं भवति?

आचार्यः :
ये जनाः कदापि समयस्य दुरुपयोगं न कुर्वन्ति सदैव कार्यसंलग्नाः तिष्ठन्ति न च परिश्रमात् आत्मानं गोपयन्ति तेषां सुखेन दुर्वाहो भवति। ते यत्रैव गच्छन्ति तत्रैव सादरं रक्ष्यन्ते गृहे बहिश्च सर्वत्रैव समानरूपेण अभिनन्द्यन्ते। सर्वे एवं तेषां सहयोगमिच्छन्ति। तादृशाः एव च कर्मवीराः जनाः समाजे सर्वत्र समाद्रियन्ते श्रेष्ठपदं च लभन्ते।

छात्राः-आचार्य! समयस्य सदुपयोगः जनाः काम् उन्नतिं प्राप्नुवन्ति?

शब्दार्थाः :
ईदृशान्-ऐसे-such; तनयम्-पुत्र को-son; गोपयन्ति-छिपाते हैं-hide; दुर्वाहो-ढोने में कठिन-difficulty in bearing; तादृशाः-वैसे-such.

अनुवाद :
आचार्य-ऐसे लोग किसी को भी अच्छे नहीं लगते और न कोई आश्रय ही देना चाहता है। वह जहाँ भी जाता है वहीं से निकाला जाता है और सब जगह उसका तिरस्कार होता है। अधिक क्या, माता-पिता भी ऐसे पुत्र से खुश नहीं होते, तो फिर अन्य बन्धु-बान्धवों की क्या बात।

सभी छात्र-आचार्य! जो लोग जीवन में समय का सदुपयोग करते हैं, उनका जीवन कैसा होता है?

आचार्य :
जो लोग कभी समय का दुरुपयोग नहीं करते, सदा ही कार्य में लगे रहते हैं और परिश्रम से जी नहीं चुराते उनका सुख ढोने में कठिन (बहुत ज्यादा) होता है। वे जहाँ भी जाते हैं, वहीं उनकी आदरपूर्वक रक्षा होती है। घर में और बाहर सब ओर समान रूप से अभिन्नदन होता है। सभी उनका सहयोग करना चाहते हैं। और वैसे ही कर्मवीर लोग समाज में सब जगह आदर पाते हैं और श्रेष्ठपद प्राप्त करते हैं।

सभी छात्र-आचार्य! समय के सदुपयोग से लोग कौन-सी उन्नति प्राप्त करते हैं?

English :
Nobody likes or lodges them-insulted everywhere. Others utilise time-busy themselves, in laborious deeds-never shirk work-get respect everywhere-greeted equally–held in high position-such people make progress.

4. आचार्यः :
शृण्वन्तु-अद्यावधि ये ये महापुरुषाः जगति प्रसिद्धाः अभवन् तेषां जीवनचरित्रस्य अध्ययनेन ज्ञायते यत् ते बाल्यकालादेव अहोरात्रं कर्मपरायणा आसन् एकमपि क्षणं निरर्थकं नहि नीतवन्तः। “कार्यं वा साधेयम् देहं वा पातेयम्” इत्येव तेषां लक्ष्यं बभूव। एतस्मात् एव कारणात् अद्यापि गृहे गृहे तेषां गौरवगाथा गीयते आदर्शपुरषाश्च मन्यन्ते। यदि भगवान् शङ्कराचार्यः अहोरात्रं परिश्रमं न अकरिष्यत् समस्तेऽपि भारते दिवानिशं न अभ्रमिष्यत्, स्थले स्थले विरोधिनां सिद्धान्तंन अखण्डयिष्यत् तर्हि पुनः भारते वैदिकधर्मस्य प्रचारः न अभविष्यत्। गान्धिसुभाषचन्द्र-चन्द्रशेखरादयः भारतीयाः कठिनपरिश्रमेण समयस्य सदुपयोगं कृत्वा गौराङ्गजनान् देशात् बहिः कृतवन्तः स्वराजं च प्राप्तवन्तः तथा च ये छात्राः क्षणं क्षणं संयोज्य विद्याध्ययने समयस्य सदुपयोगं कृतवन्तः ते एव विद्वान्सः उच्चनागरिकाः, अधिकारिणः वा अभवन्।

छात्राः-आचार्य! प्रकृतिरपि किं समयस्य पालनं शिक्षयति?

शब्दार्थाः :
अद्यावधि-आज तक-uptil today; पातेयम्-गिराना-make to fall (die); दिवानिशम-दिन रात-day and night; अखण्डयिष्यत्-खण्डन न किया होता-abrogated; गौराङ्ग-गोरे लोग, अंग्रेज-Englishmen.

अनुवाद :
आचार्यः-सुनो-आज तक जो महापुरुष, जगत में प्रसिद्ध हुए हैं, उनके जीवन चरित्र के अध्ययन से पता चलता है कि ये बचपन से ही दिन-रात कर्मपरायण थे, एक भी क्षण बेकार नहीं जाने दिया। “या कार्य सिद्ध करो या शरीर का पतन” यही उनका लक्ष्य था। इसी कारण से आज भी घर-घर में उनकी गौरवगाथा गाई जाती है और वे आदर्श पुरुष माने जाते हैं। यदि भगवान् शङ्कराचार्य दिन-रात परिश्रम न करते, पूरे भारत में दिन-रात न घूमते, जगह-जगह पर विरोधी सिद्धान्तों का खण्डन न करते, तो भारत में फिर से वैदिक धर्म का प्रचार नहीं होता। गाँधी, सुभाषचन्द्र, चन्द्रशेखर आदि भारतीयों ने कठिन परिश्रम से समय का सदुपयोग करके अंग्रेजों को देश से बाहर किया और स्वराज्य प्राप्त किया। और जिन छात्रों ने क्षण-क्षण जोड़कर विद्याध्ययन में समय का सदुपयोग किया, वे ही विद्वान, उच्च नागरिक और अधिकारी हुए।

छात्रः-आचार्य! क्या प्रकृति भी समय का पालन करना सिखाती है?

English :
World renowned noble persons never wasted a single second-believed in ‘do or die’-are known as ideals. Shankaracharya preached Vedic religion by abrogating opposing principles,-Subhash, Gandhi, Chandrashekhar made the Britishers Quit India and obtained self rule–such people became good citizens who utilised every second of time.

5. आचार्यः-आम् ‘प्रकृतिरपि समयस्य पालनं, कार्यपरायणताम् एव उपदिशति निरन्तरम्’। प्रकृतौ यावन्तः पदार्थाः सृष्टाः सन्ति ते सर्वेऽपि अहोरात्रं कार्यसंलग्ना एव दृश्यन्ते। सूर्य-चन्द्राभ्याम् आरभ्य कीट-पतङ्ग-पिपीलिका-पर्यन्तं सर्वेऽपि स्व स्व व्यापारे व्यापृताः विलोक्यन्ते। अतः प्रकृत्या अपि इयमेव शिक्षा दीयते यत् नहि केनापि समयस्य अनुपयोगः कर्त्तव्यः इति।

अतः अस्माभिः आलस्यं विहाय सर्वदैव समयस्य सदुपयोगः कर्त्तव्यः न तु कदाचित् एकमपि क्षणं व्यर्थं यापनीयम्। यथोक्तम् –

“न कार्यकालमतिपातयेत्”।

शब्दार्थाः :
पिपीलिका-चींटी-ant; व्यापृताः-व्यस्त-busy; आपनीयम्-बिताना चाहिए-should be spent, अतिपातयेत-नष्ट करें-waste.

अनुवाद :
सभी छात्र-आचार्य! प्रकृति भी क्या समय के पालन की शिक्षा देती है?

आचार्य :
हाँ, ‘प्रकृति भी समय के पालन और कार्यपरायणता का सदा ही उपदेश देती रहती है।” प्रकृति में जितने भी पदार्थ बने हैं, वे सभी दिन-रात कार्य में लगे हुए दिखाई देते हैं। सूर्य-चन्द्रमा से लेकर कीड़े-पतंगे चींटी तक सभी अपने-अपने काम में व्यस्त दिखाई देते हैं। इसलिए प्रकृति से यही शिक्षा मिलती है कि किसी के द्वारा भी समय का अनुपयोग नहीं करना चाहिए।

अतः हमें भी आलस छोड़कर सदैव समय का सदुपयोग करना चाहिए, न कि कभी एक भी क्षण व्यर्थ में बिताना चाहिए। जैसे कि कहा है

काम का समय नष्ट नहीं करना चाहिए।

English :
Nature also gives lessons of honouring time and devotion to duty-All objects of nature are-always engaged inward no object of nature teaches misuse of time. Never waste time meant for work.

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions

MP Board Class 10th Sanskrit व्याकरण प्रत्यय-प्रकरण

MP Board Class 10th Sanskrit व्याकरण प्रत्यय-प्रकरण

प्रत्यय की परिभाषा-यः शब्दः धातोः प्रातिपदिकस्य वा अन्ते संयुज्य विशेषार्थस्य बोधं कारयति सः प्रत्ययः।

Pratyay In Sanskrit Class 10 MP Board अथवा

धातूनां प्रातिपदिकानां च अन्ते ये प्रयुज्यन्ते ते प्रत्ययाः।

अर्थात् किसी धातु अथवा शब्द के बाद में किसी विशेष अर्थ को प्रकट करने के लिए जो शब्दांश जोड़ा जाता है, उसे प्रत्यय कहते हैं।

जैसे-
बालकः गच्छति।
बालकः पठति।

उपरोक्त दो वाक्यों को प्रत्यय के प्रयोग से एक वाक्य बना सकते हैं।

बालकः गत्वा पठति।

प्रत्यय के भेद-प्रत्ययों से बनने वाले शब्दों को निम्नलिखित छ: वर्गों में विभक्त किया जाता है

Pratyay Class 10 MP Board
१. सुबन्त
सुप् आदि २१ प्रत्ययों के योग से संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि के शब्द रूप बनते हैं। जैसे-रामः, सीता आदि।

Pratyay Sanskrit Class 10 MP Board २. तिङन्त
तिङ आदि १८ प्रत्ययों के योग से क्रिया पदों (धातु रूपों) का निर्माण होता है। जैसे-पठति, गच्छति आदि।

प्रकृति-प्रत्यय संस्कृत Class 10 MP Board ३. समासान्त –
समास करने के बाद समस्त पद के अन्त में कप, टच आदि प्रत्यय जुड़ते हैं। समास के अन्त में जुड़ने के कारण इन प्रत्ययों को समासान्त कहते हैं।

जैसे-
महाराजः,,सपत्नीकः आदि।

Sanskrit Pratyay Class 10 MP Board ४. कृदन्त
जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि बनाने के लिए धातुओं के साथ जोड़े जाते हैं, वे कृत् प्रत्यय कहे जाते हैं और कृत् प्रत्यय से बने हुए शब्दों को कृदन्त कहते हैं।
जैसे-
क्त, क्तवतु, तव्यत्, अनीयर्, क्त्वा, ल्यप्, तुमुन्, शतृ, शानच्, क्तिन् इत्यादि।

❖ क्त

  • पठ् + क्तः = पठितः – (पढ़ा हुआ)
  • गम् + क्तः = गतः – (गया हुआ)
  • हस् + क्तः = हसितः – (हँसा हुआ)
  • दृश + क्तः = दृष्टः – (देखा हुआ)

❖ क्तवतु

  • पठ् + क्तवतु = पठितवान् – (पढ़ा)
  • गम् + क्तवतु = गतवान् – (गया)
  • कृ + क्तवतु = कृतवान् – (करा)
  • क्रीड् + क्तवतु = क्रीडितवान् – (खेला)

❖ तव्यत्

  • पठ् + तव्यत् = पठितव्यम् – (पढ़ने योग्य)
  • खाद् + तव्यत् = खादितव्यम् – (खाने योग्य)
  • गम् + तव्यत् = गन्तव्यम् – (जाने योग्य)
  • लिख् + तव्यत् = लेखितव्यम् – (लिखने योग्य)
  • अनीयर । पठ् + अनीयर् = पठनीयम् – (पढ़ने योग्य)
  • चल् + अनीयर् = चलनीयम् – (चलने योग्य)
  • कृ + अनीयर् = करणीयम् – (करने योग्य)
  • क्रीड् + अनीयर् = क्रीडनीयम् – (खेलने योग्य)
  • क्त्वा पठ् + क्त्वा = पठित्वा – (पढ़कर)
  • क्रीड् + क्त्वा = क्रीडित्वा

❖ (खेलकर)

  • गम् + क्त्वा = गत्वा – (जाकर)
  • पा + क्त्वा = पीत्वा – (पीकर)
  • ल्यप् प्र + दा + ल्यप् = प्रदाय – (देकर)
  • आ + गम् + ल्यप् = आगम्य/आगत्य – (आकर)
  • प्र + नम् + ल्यप् = प्रणम्य – (प्रणाम करके)
  • वि + हस् + ल्यप् = विहस्य – (हँसकर)

❖ तुमुन्

  • पठ् + तुमुन् = पठितुम् – (पढ़ने के लिए)
  • गम् + तुमुन् = गन्तुम् – (जाने के लिए)
  • श्रु + तुमुन् = श्रोतुम् – (सुनेन के लिए)
  • हस् + तुमुन् = हसितुम् – (हँसने के लिए)

❖ शतृ

  • पठ् + शतृ = पठन् – (पढ़ते हुए)
  • गम् + शतृ = गच्छन् – (जाते हुए)
  • कृ + शतृ = कुर्वन् – (करते हुए)
  • क्रीड् + शतृ = क्रीडन् – (खेलते हुए)

❖ शानच

  • सेव् + शानच् = सेवमानः – (सेवा करता हुआ)
  • लभ् + शानच् = लभमानः – (प्राप्त करता हुआ)
  • वृध् + शानच् = वर्धमानः – (बढ़ता हुआ)
  • कम्प, + शानच् = कम्पमानः – (काँपता हुआ)

❖ क्तिन्

  • भू + क्तिन् = भूतिः – (ऐश्वर्य)
  • गम् + क्तिन् = गतिः – (गति)
  • स्तु + क्तिन् = स्तुतिः – (स्तुति)

प्रत्यय संस्कृत व्याकरण 10 MP Board  ५. तद्धितान्त
जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्दों में जोड़े जाते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं और तद्धित प्रत्ययों के बने हुए शब्दों को तद्धितान्त कहते हैं। जैसे-मतुप्, इनि इत्यादि।

❖ मतुप

  • विद्या + मतुप् = विद्यावान् – (विद्या वाला)
  • शक्ति + मतुप् = शक्तिवान् – (शक्ति वाला)
  • गुण + मतुप् = गुणवान् – (गुण वाला)
  • धन + मतुप् = धनवान् – (धन वाला)

❖ इनि (इन्)

  • मान + इनि = मानी (मानिन्) – (मान वाला)
  • धन + ‘इनि = धनी (धनिन्) – (धन वाला)
  • ज्ञान + इनि = ज्ञानी (ज्ञानिन्) – (ज्ञान वाला)
  • गुण + इनि = गुणी (गुणिन्) – (गुण वाला)

❖ ठक (इक)

  • समाज + ठक् = सामाजिकः – (समाज से सम्बन्धित)
  • इतिहास + ठक् = ऐतिहासिक: – (इतिहास से सम्बन्धित)
  • धर्म + ठक् = धार्मिकः – (धर्म से सम्बन्धित)

❖ त्व

  • मनुष्य + त्व = मनुष्यत्वम् – (मुनष्यपन या मनुष्य का कर्म)
  • विद्वस् + त्व = विद्वत्त्वम् – (विद्वान का भाव या कर्म)
  • लघु + त्व = लघुत्वम् – (छोटापन)
  • गुरु + त्व = गुरुत्वम् – (बड़प्पन)

❖ त्रल

  • बहु + ल् = बहुत्र – (बहुत जगह)
  • सर्व + त्रल् = सर्वत्र – (बहुत जगह)
  • यद् + त्रल् = यत्र – (जहाँ)
  • तद् + त्रल् = तत्र – (वहाँ)

Pratyay Class 10 Sanskrit MP Board ६. स्त्री-प्रत्ययान्त
शब्दों को स्त्रीलिंग वाची बनाने के लिए टाप, ङीष्, ङीप्, आदि प्रत्ययों का प्रयोग होता है। इन प्रत्ययों से बनने वाले शब्दों E को स्त्री-प्रत्ययान्त कहते हैं। जैसे-रमा, उमा, अजा आदि।

❖ टाप

  • बालक + टाप् = बालिका – (लड़की)
  • अज + टाप् = अजा – (बकरी)
  • कोकिल+ टाप् = कोकिला – (कोयल)
  • अश्व + टाप् = अश्वा – (घोड़ी)

❖ ङीप्

  • स्वामिन्+ ङीप् = स्वामिनी – (मालकिन)
  • देव + ङीप् = देवी – (देवी)
  • कुमार + ङीप् = कुमारी – (कुमारी)
  • किशोर + ङीप् = किशोरी – (किशोरी)
  • ङीष गौर + ङीष् = गौरी – (गौरी)
  • सुन्दर + ङीष् = सुन्दरी – (सुन्दरी)
  • नर्तक + ङीष् = नर्तकी – (नर्तकी)

❖ डीन्

  • नर + ङीन् = नारी – (नारी)
  • ब्राह्मण + ङीन् = ब्राह्मणी – (ब्राह्मणी)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय

Prakriti Pratyay In Sanskrit Class 10 MP Board प्रश्न १.
पठ् + तव्यत्: ” ……………………… ” होता है।
(अ) पठनीयम्,
(ब) पठिव्य,
(स) पठित्वा,
(द) पठितव्यम्।
उत्तर-
(द) पठितव्यम्।

२. हस + शत = ………………………” होगा।
(अ) हसन्,
(ब) हसमान्,
(स) हसथ,
(द) हसामि।
उत्तर-
(अ) हसन्,

३. ‘कथितः’ को पृथक करने पर होगा
(अ) कथ् + तव्यत्,
(ब) कथ् + क्त,
(स) कथ् + क्त्वा,
(द) कथ् + शतृ।
उत्तर-
(ब) कथ् + क्त,

४. ‘कृ + तुमुन्’ को मिलाने पर होगा
(अ) कर्तुम्,
(ब) कर्तम्,
(स) कुर्तुम्,
(द) कतुम्।
उत्तर-
(अ) कर्तुम्,

५. ‘आगम्य’ में प्रकृति-प्रत्यय हैं
(अ) आ + गम्य + ल्यपु,
(ब) आ + गम् + ल्यप्,
(स) आ + गय + ल्यप्,
(द) आ + ल्यप् + गम्।
उत्तर-
(ब) आ + गम् + ल्यप्,

रिक्त स्थान पूर्ति-

१. बाल + टाप् = ………………………………
२. जि + तुमुन् = ………………………………।
३. वध् + शानच् = ………………………………।
४. गम् + क्त = ………………………………।
५. दृश् + अनीयर् = ………………………………
उत्तर-
१. बालिका,
२. जेतुम्,
३. वर्धमानः,
४. गतः,
५. दर्शनीयम्।

Prakriti Pratyay Class 10 MP Board सत्य/असत्य-

१. पठितव्यम्’ में शानच् प्रत्यय है।
२. ‘गत्वा’ में क्त्वा प्रत्यय है।
३. विद्यवान्’ में शानच् प्रत्यय है।
४. ‘श्रीमान्’ में मतुप् प्रत्यय है।
५. ‘सर्वत्र’ में त्रल् प्रत्यय है।
उत्तर-
१. असत्य,
२. सत्य,
३. असत्य,
४. सत्य,
५. सत्य।

जोड़ी मिलाइए-
Class 10 Sanskrit Pratyay MP Board
उत्तर-
१. → (iv)
२. → (i)
३. → (v)
४. → (ii)
५. → (iii)

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 4 गेहूँ और गुलाब

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 4 गेहूँ और गुलाब (निबन्ध, रामवृक्ष बेनीपुरी)

गेहूँ और गुलाब अभ्यास

बोध प्रश्न

गेहूँ और गुलाब अति लघु उत्तरीय प्रश्न

गेहूं और गुलाब MP Board Class 10th Hindi प्रश्न 1.
पृथ्वी पर मानव अपने साथ क्या लेकर आया है?
उत्तर:
पृथ्वी पर मानव अपने साथ भूख और प्यास लेकर आया है।

गेहूं और गुलाब पाठ के प्रश्न उत्तर MP Board Class 10th Hindi प्रश्न 2.
मानव को मानव किसने बनाया?
उत्तर:
मानव को मानव गुलाब ने बनाया।

गेहूं और गुलाब निबंध का सारांश MP Board Class 10th Hindi  प्रश्न 3.
मानव जीवन सुखी और आनन्दित कब होता
उत्तर:
मानव जीवन सुखी और आनन्दित तब होता है जब वह गेहूँ और गुलाब में सन्तुलन बना कर रखता है।

गेहूं और गुलाब निबंध MP Board Class 10th Hindi प्रश्न 4.
गुलाब किसका प्रतीक बन गया है?
उत्तर:
गुलाब विलासिता, भ्रष्टाचार, गन्दगी और गलीच का प्रतीक बन गया है।

प्रश्न 5.
आज का मानव किस परम्परा से प्रभावित है?
उत्तर:
आंज का मानव शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले साधनों की प्रचुरता से प्रभावित हो रहा है।

प्रश्न 6.
कामनाओं को स्थूल वासनाओं के क्षेत्र से ऊपर उठाकर हमारी प्रवृत्ति किस ओर होनी चाहिए ?
उत्तर:
कामनाओं को स्थूल वासनाओं के क्षेत्र से ऊपर उठाकर सूक्ष्म भावनाओं की ओर प्रवृत्त होना चाहिए।

गेहूँ और गुलाब लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गेहूँ और गुलाब से मानव को क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
गेहूँ से मानव के शरीर की पुष्टि होती है और गुलाब से मानव के मानस की तृप्ति होती है।

प्रश्न 2.
मनुष्य पशु से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
मनुष्य के शरीर में पेट का स्थान नीचे है और हृदय तथा मस्तिष्क ऊपर। पशुओं के शरीर में पेट और मानस समानान्तर रेखा में होते हैं।

प्रश्न 3.
विज्ञान ने गेहूँ के बारे में क्या बतलाया है?
उत्तर:
विज्ञान ने गेहूँ के बारे में बताया है कि पृथ्वी और आकाश के कुछ तत्त्व एक विशेष प्रक्रिया से पौधों की बालियों में संगृहीत होकर गेहूँ बन जाते हैं।

प्रश्न 4.
गेहूँ और मानव शरीर का क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
गेहूँ और मानव शरीर का परस्पर घनिष्ठ सम्बन्ध है। गेहूँ खाकर ही मानव अपनी चिरबुभुक्षा को शान्त करता है।

प्रश्न 5.
वृत्तियों को वश में करने के लिए मनोविज्ञान के कौन-से उपाय बताये हैं?
उत्तर:
वृत्तियों को वश में करने के लिए मनोविज्ञान ने दो उपाय बताये हैं-

  1. इन्द्रियों का संयम और
  2. वृत्तियों का उन्नयन।

प्रश्न 6.
लेखक के अनुसार शुभ दिन का स्वरूप कैसा होगा?
उत्तर:
लेखक के अनुसार शुभ दिन तब होगा जब हम स्थूल शारीरिक आवश्यकताओं की जंजीर तोड़कर सूक्ष्म मानव जगत् के लिए नया लोक बसायेंगे।

गेहूँ और गुलाब दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘गेहूँ और गुलाब’ में लेखक सन्तुलन स्थापित करना क्यों चाहते हैं?
उत्तर:
गेहूँ और गुलाब में लेखक सन्तुलन स्थापित करना इसलिए चाहते हैं कि ताकि वह सुखी सानन्द रहे।

प्रश्न 2.
वृत्तियों के उन्नयन का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वृत्तियों के उन्नयन का आशय यह है कि हम कामनाओं को स्थूल वासनाओं के क्षेत्र से ऊपर उठाकर सूक्ष्म भावनाओं की ओर प्रवृत्त कराएँ।

प्रश्न 3.
उसके श्रम के साथ संगीत बँधा हुआ था और संगीत के साथ श्रम’-इस पंक्ति का भाव विस्तार कीजिए।
उत्तर:
इस पंक्ति का भाव यह है कि जब तक मानव के जीवन में गेहूँ और गुलाब का सन्तुलन रहा तब तक कमाता हुआ गाता था और गाता हुआ कमाता था। इस प्रकार श्रम और संगीत दोनों एक साथ मिले हुए थे।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अंश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(अ) मानव शरीर में पेट …………..रेखा में नहीं है।
उत्तर:
लेखक श्री बेनीपुरी जी कहते हैं कि मानव और पशु की शारीरिक रचना में अन्तर है। मानव की शारीरिक रचना में उसके पेट का स्थान नीचे है, पेट के ऊपर हृदय का और हृदय से भी ऊपर मस्तिष्क का स्थान होता है। पशुओं के समान उसका पेट और मानस समानान्तर रेखा में नहीं है। जिस दिन मानव सीधा तनकर खड़ा हो गया उसी दिन मानस (मस्तिष्क) ने उसके पेट पर विजय प्राप्त कर ली।

प्रश्न 5.
रामवृक्ष बेनीपुरी की भाषा-शैली पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
श्री रामवृक्ष बेनीपुरी ने अपने निबन्धों में एक विशेष प्रकार की अलंकृत भाषा का प्रयोग किया है। आपकी भाषा में सूत्रात्मकता है। एक सूत्र के रूप में आप किसी बात को कह देते हैं। आपकी शैली भावुकता प्रधान है। भाषा में आपने शब्द चित्रों को अत्यन्त सजीव बना दिया है। आपके निबन्धों में विचारों की गम्भीर अभिव्यक्ति देखने को मिलती है। साथ ही उसमें उपदेशात्मकता भी आ गयी है।

गेहूँ और गुलाब भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
पाठ में आये हुए इन सामासिक शब्दों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए
उत्तर:

  1. सौन्दर्य-बोध = सौन्दर्य का बोध = तत्पुरुष समास।
  2. मन-मोर = मन का मोर = तत्पुरुष समास।
  3. गृह-युद्ध = गृह का युद्ध = तत्पुरुष समास।
  4. कीट-पतंग = कीट और पतंग = द्वन्द्व समास।
  5. इन्द्र-धनुष = इन्द्र का धनुष = तत्पुरुष समास।

प्रश्न 2.
दिये गये शब्दों से वाक्य बनाइए
उत्तर:

  1. कच्चा-कुम्हार कच्चा घड़ा तैयार कर रहा है।
  2. शारीरिक-गेहूँ शारीरिक जरूरतों को पूरा करता है।
  3. मानसिक-गुलाब मानसिक स्तर को व्यक्त करता है।
  4. भ्रष्टाचार-शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति में कभी-कभी मानव भ्रष्टाचार की राह भी अपना लेता है।

गेहूँ बनाम गुलाब महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

गेहूँ और गुलाब बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘गेहूँ बनाम गुलाब’ निबन्ध के लेखक हैं-
(क) सरदार पूर्णसिंह
(ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
(ग) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
(घ) अज्ञेय।
उत्तर:
(ख) रामवृक्ष बेनीपुरी

प्रश्न 2.
‘गेहूँ और गुलाब’ निबन्ध है-
(क) ललित
(ख) विचारात्मक
(ग) वर्णनात्मक
(घ) राजनीतिक।
उत्तर:
(क) ललित

प्रश्न 3.
गेहूँ और गुलाब किस बात के प्रतीक हैं?
(क) श्रम का
(ख) एक से शरीर पुष्ट होता है और दूसरे से मन प्रफुल्लित होता है
(ग) विलासिता का
(घ) भौतिकता एवं सौन्दर्य बोध।
उत्तर:
(घ) भौतिकता एवं सौन्दर्य बोध।

प्रश्न 4.
प्रथम संगीत का स्वर किस समय गूंजा?
(क) पक्षियों के द्वारा
(ख) पशुओं के द्वारा
(ग) गेहूँ के ऊखल में कूटने पर
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) गेहूँ के ऊखल में कूटने पर

प्रश्न 5.
‘गेहूँ और गुलाब’ निबन्ध में गेहूँ किसका प्रतीक है? (2011)
(क) अमीरी का
(ख) गरीब का
(ग) श्रमिक का
(घ) विलासी का।
उत्तर:
(क) अमीरी का

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. गेहूँ और गुलाब में हम फिर एक बार ………… स्थापित करें।
  2. मानव शरीर में पेट का स्थान …………… है।
  3. विलासिता शरीर को नष्ट करती है और …………..को भी।
  4. इन्द्रधनुष ने उसके हृदय को भी इन्द्रधनुषी रंगों में ………… दिया।
  5. मानव पृथ्वी पर आया …………. लेकर, क्षुधा लेकर।

उत्तर:

  1. सन्तुलन
  2. नीचे
  3. धन
  4. रंग
  5. भूख।

सत्य/असत्य

  1. गेहूँ बड़ा या गुलाब? हम क्या चाहते हैं-पुष्ट शरीर या तृप्त मानस?
  2. ‘गुलाब’ मनुष्य की मानसिक तृप्ति और सौन्दर्य बोध का प्रतीक है। (2009)
  3. गेहूँ मनुष्य की भूख एवं शारीरिक आवश्यकता का प्रतीक है। (2009, 12, 15)
  4. क्या प्रचुरता मानव को सुख और शान्ति नहीं दे सकती है?
  5. मानव के जीवन में जब तक गेहूँ और गुलाब का सन्तुलन रहा वह सुखी रहा,सानन्द रहा।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 4 गेहूँ और गुलाब img-1
उत्तर:
1. → (ख)
2. → (ङ)
3. → (घ)
4. → (ग)
5. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. गुलाब की दुनिया कैसी दुनिया है?
  2. गेहूँ आज किसका प्रतीक है?
  3. मानव शरीर में पेट का स्थान कहाँ है?
  4. उसका साँवला दिन में गायें चराता था,रास रचता था। किसके लिए प्रयोग किया है?
  5. गुलाब आज किसका प्रतीक बन गया है?

उत्तर:

  1. रंगों की दुनिया
  2. आर्थिक और राजनीतिक सम्पन्नता का
  3. नीचे
  4. कृष्ण
  5. विलासिता का, भ्रष्टाचार का, गन्दगी और गलीज का।

गेहूँ और गुलाब पाठ सारांश

‘गेहूँ और गुलाब’ रामवृक्ष बेनीपुरी का प्रसिद्ध एवं प्रतीकात्मक निबन्ध है।

इस निबन्ध में लेखक ने गेहूँ को भौतिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रगति का प्रतीक माना है तथा गुलाब को मानसिक एवं सांस्कृतिक प्रगति का मानव प्राचीन काल से ही सौन्दर्य प्रेमी रहा है। गुलाब के प्रति मानव का विशेष आकर्षण रहा है क्योंकि यह सुन्दर पुष्प होने के साथ-साथ उपयोगी भी है। सुगन्ध के लिए भी गुलाब का महत्त्व है।

गेहूँ का प्रयोग हम भोजन के रूप में करते हैं। गुलाब को खुशबू के लिए प्रयोग करते हैं व सूंघते भी हैं। एक से पेट भरता है, तो दूसरे से व्यक्ति को मानसिक सन्तुष्टि मिलती है। मानव ने अथक् परिश्रम करके गेहूँ का उत्पादन किया। इसी प्रकार से गुलाब की भी खेती की। इस प्रकार मनुष्य ने गुलाब और गेहूँ में सन्तुलन बनाये रखने का प्रयत्न किया है।

भौतिक सुख और सुविधाओं से मनुष्य को स्थायी सुख और शान्ति प्राप्त नहीं हो सकती है। ये सब तो दिखावा और छलावा है लेकिन मानव इन सुख-सुविधाओं के पीछे निरन्तर दौड़ रहा है। इसी कारण मनुष्य में स्वार्थवश मानवता के स्थान पर दानवता बढ़ती जा रही है। ये सब प्रवृत्ति समाज के हित में नहीं है। अतः ऐसा प्रयत्न करना चाहिए जिससे मानसिक संस्कार विकसित हों अर्थात् गेहूँ पर गुलाब की और शरीर पर मन की जीत हो जाय।

अब गेहूँ की दुनिया समाप्त हो रही है। गुलाब की दुनिया विकसित होती जा रही है। अतः विज्ञान और मानव दोनों को सचेष्ट रहना चाहिए अन्यथा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का विनाश निश्चित है।

गेहूँ और गुलाब संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

(1) मानव को मानव बनाया गुलाब ने। मानव, मानव तब बना, जब उसने शरीर की आवश्यकताओं पर मानसिक वृत्तियों को तरजीह दी।

कठिन शब्दार्थ :
मानसिक वृत्तियों = मन की भावनाओं। तरजीह दी = महत्त्व दिया।

सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश ‘गेहूँ और गुलाब’ शीर्षक निबन्ध से लिया गया है। इसके लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी जी हैं।

प्रसंग :
लेखक ने इस अंश में यह बताया है कि जहाँ गेहूँ शरीर की आवश्यकताओं के लिए जरूरी है, वहीं गुलाब मानसिक वृत्तियों के लिए जरूरी है।

व्याख्या :
लेखक श्री रामवृक्ष बेनीपुरी कहते हैं कि गेहूँ मनुष्य की शारीरिक आवश्यकताओं अर्थात्, भूख आदि के लिए जहाँ आवश्यक है, वहीं गुलाब मानसिक सभ्यता को पनपाता है। अतः पूर्ण मानव बनने के लिए हमें गेहूँ और गुलाब दोनों चाहिए।

विशेष :

  1. मानवीय सभ्यता के लिए गुलाब जैसी उच्च भावनाओं की भी आवश्यकता है।
  2. भाषा भावानुकूल।

(2) मानव शरीर में पेट का स्थान नीचे है, हृदय का ऊपर और मस्तिष्क का सबसे ऊपर। पशुओं की तरह उसका पेट और मानस समानान्तर रेखा में नहीं है। जिस दिन सीधे तनकर खड़ा हुआ, मानस ने उसके पेट पर विजय की घोषणा की।

कठिन शब्दार्थ :
समानान्तर = एक सीध में। मानस = मनुष्य।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
इस अंश में लेखक ने मानव और पशुओं की शारीरिक बनावट के अन्तर को समझाया है।

व्याख्या :
लेखक श्री बेनीपुरी जी कहते हैं कि मानव और पशु की शारीरिक रचना में अन्तर है। मानव की शारीरिक रचना में उसके पेट का स्थान नीचे है, पेट के ऊपर हृदय का और हृदय से भी ऊपर मस्तिष्क का स्थान होता है। पशुओं के समान उसका पेट और मानस समानान्तर रेखा में नहीं है। जिस दिन मानव सीधा तनकर खड़ा हो गया उसी दिन मानस (मस्तिष्क) ने उसके पेट पर विजय प्राप्त कर ली।

विशेष :

  1. लेखक पशु और मानव के अन्तर को बताते हुए कह रहा है कि दोनों में मुख्य अन्तर है कि जहाँ पशु में शारीरिक आवश्यकताओं को प्राप्त करने की इच्छा होती है, वहीं मानव में उच्च विचारों को प्राप्त करने की इच्छा होती है।
  2. भाषा भावानुकूल।

(3) जब तक मानव के जीवन में गेहूँ और गुलाब का सन्तुलन रहा, वह सुखी रहा, सानन्द रहा।

कठिन शब्दार्थ :
सानन्द = आनन्दपूर्वक।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
लेखक बताना चाहता है कि मानव जीवन में गेहूँ और गुलाब का सन्तुलन बहुत आवश्यक है। इन दोनों में सन्तुलन न रहने पर मानव सुखी नहीं रह सकता है।

व्याख्या :
लेखक कहता है कि जब तक मानव जीवन में गेहूँ और गुलाब में सन्तुलन बना रहेगा, तभी तक मानव सुखी और सानन्द रहेगा। जैसे ही दोनों का सन्तुलन बिमड़ेगा मानव जीवन नरक बन जायेगा।

विशेष :
लेखक ने गेहूँ और गुलाब के सन्तुलन पर जोर दिया है।

(4) कैसा वह शुभ दिन होगा, जब हम स्थूल शारीरिक आवश्यकताओं की जंजीर तोड़कर सूक्ष्म मानव जगत का नया लोक बसाएँगे।

कठिन शब्दार्थ :
स्थूल = दिखाई देने वाला। सूक्ष्म = प्रत्यक्ष न दिखाई देने वाला।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
इसमें लेखक ने स्थूल शारीरिक आवश्यकताओं – की तुलना में सूक्ष्म मानव जगत को महत्त्व दिया है।

व्याख्या :
लेखक बेनीपुरी जी कहते हैं कि मानव जीवन में तभी खुशहाली एवं आनन्द की प्राप्ति होगी जब हम शारीरिक आवश्यकताओं की जंजीर को तोड़कर सूक्ष्म मानव जगत का नया लोकं बसाएँगे।

विशेष :

  1. इस अंश में लेखक ने सूक्ष्म मानव जगत का – महत्त्व बताया है।
  2. भाषा भावानुकूल।

MP Board Class 10th Hindi Solutions

MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 6 The New Player in the Team

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The New Player in the Team Textual Exercises

Word Power

A. Match the following words with their meanings.
(सुमेलित कीजिए)

The New Player In The Team MP Board Class 10th
Answer:
1. → (e)
2. → (c)
3. → (d)
4. → (b)
5. → (a)

B. Use the following words in sentences of your own.
(निम्न शब्दों के वाक्य बनाइए)
Answer:
1. coach
A coach trains his team to play well.

2. court
Rohan filed a case in the court against Ajay for stealing his gold.

3. yearn
I yearn to lead a life of solitude in the country away from stress.

4. prejudge
It is not fair to prejudge the capability of a player.

C. Fill in the blanks spaces by using the word coming in the text.
(रिक्त स्थान भरो)

  1. It was just a matter of ………… practice. (vigorous/rigorous)
  2. This gave a massive ………… to her confidence. (boost/boast)
  3. I will never again ………… people; I hope you can forgive me. (prejudge/prelude)
  4. Even the ………… remarks from the teammates only made her more resolute. (severe/snide)

Answer:

  1. rigorous
  2. boost
  3. prejudge
  4. snide.

How Much Have I Understood?

A. Answer these questions. (One or two sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए।)

The New Player In The Team MP Board Class 10th Question 1.
Why was Mamta’s selection in the school team a surprise to everyone?
(व्हाय वॉज़ ममताज़ सलेक्शन इन द स्कूल टीम अ सरप्राइज़ availah?)
ममता का स्कूल की टीम में चुनाव सबके लिए आश्चर्यजनक क्यों था?
Answer:
Mamta’s selection in the school team was a surprise to everyone because she had joined the school only a month before and had never played basketball before.
(ममताज़ सलेक्शन इन द स्कूल टीम वॉज़ अ सरप्राइज़ टू ‘एव्रीवन बिकॉज शी हैड जॉइन्ड द स्कूल ओनलि अ मन्थ बिफोर एण्ड हैड नेवर प्लेड बास्केटबॉल बिफोर।)
ममता का स्कूल की टीम में चुनाव सबके लिए आश्चर्यजनक था क्योंकि वह विद्यालय में एक माह पूर्व ही आई थी व उसने बास्केटबॉल पहले कभी नहीं खेली थी।

Class 10 English Chapter 6 The New Player In The Team MP Board Question 2.
What qualities did the coach notice in Mamta?
(व्हॉट क्वालिटीज़ डिड द कोच नोटिस इन ममता?)
कोच ने ममता में कौन-से गुण देखे?
Answer:
The coach noticed that Mamta’s passes were good and she was also physically fitter than anyone else.
(द कोच नोटिस्ड् दैट ममताज़ पासेस वर गुड एण्ड शी वॉज़ ऑल्सो फिज़िकली फिटर दैन एनीवन एल्स।)
कोच ने देखा कि ममता गेंद को बहुत अच्छी तरह दूसरे खिलाड़ी की तरफ बढ़ाती थी तथा वह शारीरिक रूप से दूसरी खिलाड़ियों से स्वस्थ थी।

The New Player In The Team Class 10 MP Board Question 3.
How did her classmates behave with her?
(हाउ डिड हर क्लासमेट्स बिहेव विद हर?)
उसके सहपाठियों का उसके साथ कैसा व्यवहार था?
Answer:
Mamta’s classmates treated her as an unwelcome guest who was too low in status by their standards.
(ममताज़ क्लासमेट्स ट्रीटेड हर एज़ एन अनवेलकम गैस्ट हू वॉज़ टू लो इन स्टेटस बाइ देयर स्टैण्डर्ड्स।)
ममता की सहपाठी उससे एक अनचाहे मेहमान की तरह व्यवहार करती थीं जो उनके दर्जे से बहुत नीची थी।

The New Player In The Team Question Answer MP Board Class 10th Question 4.
Why did the girls refuse to make Mamta their friend?
(व्हाय डिड द गर्ल्स रिफ्यूज़ टू मेक ममता देयर फ्रेन्ड्?)
लड़कियों ने ममता से दोस्ती करने से इंकार क्यों कर दिया?
Answer:
The girls refused to make Mamta their friend because she came from a small town and was not rich.
(द गर्ल्स रिफ्यूज्ड टू मेक ममता देयर फ्रेन्ड् बिकॉज़ शी कम फ्रॉम अ स्मॉल टाउन एण्ड वॉज़ नॉट रिच।)
लड़कियों ने ममता से दोस्ती करने से इंकार कर दिया क्योंकि वह एक छोटे कस्बे से आई थी व अमीर नहीं थी।

Blossom Class 6 Solutions MP Board Class 10th Question 5.
What was the challenge before Mamta?
(व्हॉट वॉज़ द चैलेन्ज बिफोर ममता?)
ममता के समक्ष क्या चुनौती थी?
Answer:
The challenge before Mamta was to win the trophy in the inter-school basketball championship that year.
(द चैलेन्ज बिफोर ममता वॉज़ टू विन द ट्रॉफी इन द इन्टर-स्कूल बास्केटबॉल चैम्पियनशिप दैट ईयर।)
ममता के समक्ष उस वर्ष की अन्तर-विद्यालय बास्केटबॉल प्रतियोगिता जीतने की चुनौती थी।

Mp Board Class 10 English Chapter 6 Question 6.
Which remark of the coach touched Mamta?
(व्हिच रिमार्क ऑफ द कोच टच्ड् ममता?)
कोच की कौन-सी टिप्पणी ममता के दिल को छू गई?
Answer:
The coach made the remark to Reema that they have not been able to win the trophy since she started playing but may be that year they would win because of Mamta. This touched Mamta.
(द कोच मेड द रिमार्क टू रीमा दैट दे हैव नॉट बीन एबल टू विन द ट्रॉफी सिन्स शी स्टार्टेड प्लेईंग बट मे बी दैट ईयर दे वुड विन बिकॉज़ ऑफ ममता। दिस टच्ड् ममता।)
कोच ने रीमा से कहा कि वे तब से ट्रॉफी नहीं जीत पाये जब से उसने खेलना शुरू किया है पर हो सकता है कि उस वर्ष वे ममता के कारण ट्रॉफी जीतें। यह बात ममता को छू गई।

Question 7.
How did the fighter in Mamta come out?
(हाउ डिड द फाईटर इन ममता कम आऊट?)
ममता के अन्दर लड़ने की इच्छा कैसे उत्पन्न हुई?
Answer:
The snide remarks made by her teammates brought out the fighter in Mamta.
(द स्नाइड रिमार्क्स मेड बाइ हर टीममेट्स ब्रॉट आऊट द फाईटर इन ममता।)
ममता की साथी खिलाड़ियों द्वारा कहे गये कटु शब्दों ने ममता के अन्दर लड़ने की इच्छा जाग्रत की।

Question 8.
What made Mamta win the race?
(व्हॉट मेड ममता विन द रेस?)
ममता ने रेस किस वजह से जीती?
Answer:
Mamta’s concentration and rigorous practice made her win the race.
(ममताज़ कन्सन्ट्रेशन एण्ड रिगोरस प्रेक्टिस मेड हर विन द रेस।)
ममता की एकाग्रता व लगातार अभ्यास ने उसे दौड़ जिताई।

Question 9.
How was Mamta able to change her image in school?
(हाउ वॉज़ ममता एबल टू चेन्ज हर इमेज इन स्कूल?)
ममता ने स्कूल में अपनी छवि कैसे बदली?
Answer:
Mamta was able to change her image in school by winning the race.
(ममता वॉज़ एबल टू चेन्ज हर इमेज इन स्कूल बाइ विनिंग द रेस।)
ममता ने दौड़ में जीतकर विद्यालय में अपनी छवि बदली।

Question 10.
Why did the girls not hope to win the competition?
(व्हाय डिड द गर्ल्स नॉट होप ट्र विन द कॉम्पटिशन?)
लड़कियों को प्रतियोगिता में जीत की उम्मीद क्यों नहीं थी?
Answer:
The girls did not hope to win the competition because Mamta was made the captain of the team and she had never played basketball before.
(द गर्ल्स डिड नॉट होप टू विन द कॉम्पटिशन: बिकॉज़ ममता वॉज़ मेड द कैप्टेन ऑफ द टीम एण्ड शी हैड नेवर प्लेड बास्केटबॉल बिफोर।)
लड़कियों को प्रतियोगिता में जीतने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि ममता को टीम का कप्तान बना दिया गया था व उसने पहले कभी बास्केटबॉल नहीं खेली थी।

B. Answer these questions. (Three or four sentences)
(निम्न प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में दीजिए।)

Question 1.
Why was Mamta ill-treated by her classmates?
(व्हाय वॉज़ ममता इल-ट्रीटेड बाइ हर क्लासमेट्स्?)
ममता की सहपाठी उसके साथ दुर्व्यवहार क्यों करती थीं?
Answer:
Mamta came from a small town and school. She was also not from a rich family like other girls so her classmates ill-treated her. They thought she was too low in status by their standards.
(ममता केम फ्रॉम अं स्मॉल टाउन एण्ड स्कूल। शी वॉज़ ऑल्सो नॉट फ्रॉम अ रिच फैमिली लाइक अदर गर्ल्स सो हर क्लासमेट्स् इल-ट्रीटेड हर। दे थॉट शी वॉज़ टू लो इन स्टेटस बाइ देयर स्टैण्डर्ड्स।)
ममता एक छोटे कस्बे व छोटे स्कूल से आई थी। वह दूसरी लड़कियों की तरह समृद्ध परिवार से भी नहीं थी इसीलिए उसकी सहपाठियाँ उससे दुव्यवहार करती थीं। वे सोचती थीं कि वह उनके दर्जे से बहुत नीची थी।

Question 2.
How did the coach support Mamta?
(हाउ डिड द कोच सपोर्ट ममता?)
कोच ने ममता की किस प्रकार सहायता की?
Answer:
The coach supported Mamta by showing his confidence in her. He said that she had good passes and was physically fitter than anyone else in the team. He also remarked that may be that year they may win the trophy. because of her.
(द कोंच सपोर्टेड ममता बाइ शोइंग हिज़ कॉन्फिडेन्स इन हर। ही सेड दैट शी हैड गुड पासेस एण्ड वॉज़ फिजिकली फिटर दैन एनीवन एल्स इन द टीम। ही ऑल्सो रिमार्ड दैट मे बी दैट ईयर दे मे विन द ट्रॉफी बिकॉज़ ऑफ हर।)
कोच ने ममता में अपना विश्वास दिखाकर उसका समर्थन किया। उन्होंने कहा कि उसकी गेंद फेंकने की क्षमता अच्छी थी और वह बाकी सभी खिलाड़ियों से शारीरिक रूप से ज्यादा सक्षम थी। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि वे उस वर्ष उसी की वजह से ट्रॉफी जीतें।

Question 3.
How did Mamta’s team make history?
(हाउ डिड ममताज़ टीम मेक हिस्ट्री?)
ममता की टीम ने इतिहास कैसे रचा?
Answer:
Mamta’s team made history by reaching the finals in the competition for the first time and winning it too.
(ममताज़ टीम मेड हिस्ट्री बाइ रीचिंग द फाइनल्स इन द कॉम्पटिशन फॉर द फर्स्ट टाइम एण्ड विनिंग इट टू।)
ममता की टीम ने प्रतियोगिता के अन्तिम चरण में पहली बार पहुँचकर व उसे जीतकर इतिहास रचा।

Question 4.
What made Mamta a good basketball player?
(व्हॉट मेड ममता अ गुड बास्केटबॉल प्लेयर?)
ममता एक अच्छी बास्केटबॉल की खिलाड़ी कैसे बनी?
Answer:
Mamta’s daily practice and firm determination made her a good basketball player. She was good in passes and could easily grab the ball because of her height. She was also good at offence and defence.
(ममताज़ डेली प्रेक्टिस एण्ड फर्म डिटर्मिनेशन मेड हर अ गुड बास्केटबॉल प्लेयर। शी वॉज़.गुड इन पासेज़ एण्ड कुड ईज़िली ग्रैब द बॉल बिकॉज़ ऑफ हर हाईट। शी वॉज़ ऑल्सो गुड एट ऑफेन्स एण्ड डिफेन्स।)
ममता के रोज के अभ्यास व दृढ़ निश्चय ने उसे एक अच्छा बास्केटबॉल खिलाड़ी बना दिया। वह अपनी ऊँचाई के कारण गेंद फेंकने व लपकने में माहिर थी। वह बचाव व आक्रमण में भी अच्छी थी।

Question 5.
If you had been a coach, how would you have treated Mamta?
(इफ यू हैड बीन अ कोच, हाउ वुड यू हैव ट्रीटेड ममता?)
अगर तुम कोच होते तो तुम ममता के साथ किस प्रकार का व्यवहार करते?
Answer:
If I had been a coach, I would have behaved the same way as Mamta’s coach. A coach should show confidence in the player and be encouraging and supporting like her coach was.
(इफ आइ हैड बीन अ कोच, आइ वुड हैव बिहेव्ड द सेम वे एज़ ममताज़ कोच। अ कोच शुड शो कॉन्फिडेन्स इन द प्लेयर एण्ड बी एंकरेजिंग एण्ड सपोर्टिग लाइक हर कोच वॉज़।)
अगर मैं कोच होता तो मैंने ममता के कोच की तरह ही व्यवहार किया होता। एक कोच को खिलाड़ी में विश्वास होना चाहिए व उसे प्रोत्साहन व समर्थन देना चाहिए।

Question 6.
What were the qualities that helped Mamta become indispensible for the team?
(व्हॉट वर् द क्वॉलिटीज़ दैड. हैल्प्ड् ममता बिकम इन्डिस्पेंसेब्ल फॉर द टीम?)
ममता के कौन-से गुणों ने उसे टीम का जरूरी हिस्सा बना दिया?
Answer:
Mamta’s determination and hard work made her indispensable for the team. She put all her attention and concentration on her practice and goal to succeed.
(ममताज़ डिटर्मिनेशन एण्ड हार्ड वर्क मेड हर इन्डिस्पेन्सेबल फॉर द टीम। शी पुट ऑल हर अटेन्शन एण्ड कन्सन्ट्रेशन ऑन हर प्रैक्टिस एण्ड गोल टू सक्सीड।)
ममता के दृढ़ निश्चय व कड़ी मेहनत ने उसे टीम का अभिन्न अंग बना दिया। उसने अपना सारा ध्यान व एकाग्रता अपने अभ्यास व लक्ष्य पर लगा दिया।

Language Practice

A. Make meaningful sentences from the given table and write them in your note book.
(दी गई तालिका से वाक्य बनाओ।)
Answer:

  1. We couldn’t hear clearly what you said.
  2. Neelam could play piano, when she was four.
  3. The child couldn’t lift the box as it was. heavy.
  4. I can speak Sanskrit very well.
  5. You can’t understand anything what happened.

B. Fill in the blanks with may/might/can/could/ must.
(रिक्त स्थान भरो)

  1. My brother is very strong. He ………… lift 80 kg of weight.
  2. The student said, “Sir, ……….. I drink some water, please?”
  3. When I was ten, I ………… not ride a bicycle.
  4. It’s the Independence Day. tomorrow. Every one of you ……….. be here at 7 a.m. sharp.
  5. Don’t touch the box. It ………… have a bomb inside.

Answer:

  1. can
  2. May
  3. could
  4. must
  5. might.

C. Change the sentences given below using ‘may’.
(दिए गये वाक्यों में ‘may’ का उपयोग करो)

1. Perhaps the manager is busy.
Answer:
The manager may be busy.

2. Perhaps he does not want to see me.
Answer:
He may not want to see me.

3. Perhaps Golu is not working today.
Answer:
Golu may not be working today.

4. Perhaps Anuj is walking on the road.
Answer:
Anuj may be walking on the road.

Listening Time

A. The teacher will read out the words and the students will repeat them.
(निम्न शब्दों को दोहराओ।)
Answer:
MP Board Class 10th General English The Spring Blossom Solutions Chapter 6 The New Player in the Team 2

B. Your teacher will read out the information given in the book to you. Listen to it carefully and complete the grid. (Prepare the grid in your copy. Then do the exercise.)
(दी गई सूचना द्वारा निम्न तालिका को पूरा करिए।)
Answer:
Class 10 English Chapter 6 The New Player In The Team MP Board

Speaking Time

Imagine that you are going to spend two weeks at Pachmarhi for a state level sports meet. What will you need for the trip? Here is the list. Choose your items and tell them to the whole class.
(पचमढ़ी जाने के लिए तुम क्या-क्या ले जाना चाहोगे?)
Answer:
Students can do themselves.
(छात्र स्वयं करें।)

Writing Time

You are Jyotsna of class X of School of Excellence, Narshinghpur. You are the perfect of your school. Draft a notice in not more than 50 words informing the students about the career counselling programme and request the interested students to get themselves registered with you.
(विद्याथियों के लिए सूचना लिखो)
Answer:
Notice
20 Dec., 20….
Career Counselling Programme :
School is going to organize a career counselling programme on 25 Dec., 20….. Those who want to attend the programme should get their names registered by 15 Dec., 20… with me.

Jyotsna
Class X
School of Excellence

Things to do

Make a list of the players of Indian women’s hockey team and men’s cricket team. Do they include any players from M.P.? If yes, give their names and other information.
(भारतीय महिला हॉकी टीम व पुरुष क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के नाम लिखिए व अगर उनमें से कोई मध्य प्रदेश का है तो उसके विषय में सूचना दीजिए)
Answer:
Students can do themselves.
(छात्र स्वयं करें।)

The New Player in the Team Difficult Word Meanings 

The New Player In The Team Class 10 MP Board

The New Player in the Team Summary, Pronunciation & Translation

“Mamta, I want you to start practising your game seriously from today. I am taking you in the basketball team.”

These words of the basketball coach surprised everyone. Selections had been going on for the school’s basketball team, and the coach had chosen Mamta, who had joined the school only a month before.

Mamta could not believe her ears. She wanted to play basketball since she joined the school, but none of the girls in her class was ready to teach her. In fact, some of the girls in the team even laughed at her when they heard that the previous school in which she had studied did not even have a basketball court.

(“ममता, आई वॉण्ट यू टू स्टार्ट प्रैक्टिसिंग यॉर गेम सीरियसली’फ्रॉम टुडे आई ऐम टैकिंग यू इन द बास्केटबॉल टीम.”

दीज वर्ड्स ऑफ द बास्केटबॉल कोच सरप्राईज्ड एवरीवन सिलेक्शन्स हैड बीन गोइंग ऑन फॉर द स्कूल्स बास्केटबॉल टीम, ऐण्ड द कोच हैड चोज़न ममता, हू हैड जॉइन्ड द स्कूल ओनली अ मन्थ बिफोर.

ममता कुड नॉट बिलीव हर ईअर्स. शी वॉण्टिड टू प्ले बास्केटबॉल सिन्स शी जॉइन्ड द स्कूल, बट नन ऑफ द गर्ल्स इन हर क्लास वॉज़ रेडी टू टीच हर. इन फैक्ट, सम ऑफ द गर्ल्स इन द टीम ईवन लाफ्ड ऐट हर व्हेन दे हर्ड दैट द प्रीवियस स्कूल इन व्हिच शी हैड स्टडीड डिड नॉट ईवन हैव अ बास्केटबॉल कोर्ट.)

अनुवाद :
“ममता मैं चाहता हूँ कि तुम आज से अपने खेल का गम्भीरता से अभ्यास करना आरम्भ करो। मैं तुम्हें बास्केटबॉल की टीम में ले रहा हूँ।”

बॉस्केटबॉल प्रशिक्षक के इन शब्दों ने सभी को आश्चर्य में डाल दिया। विद्यालय की बास्केटबॉल टीम का चयन चल रहा था और प्रशिक्षक ने ममता को चुना था जिसे अभी केवल एक महीना ही हुआ था विद्यालय में प्रवेश लिए।

ममता को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। जब से उसने विद्यालय में प्रवेश लिया था वह तब से ही बॉस्केटबॉल खेलना चाहती थी परन्तु उसकी कक्षा की कोई भी लड़की उसको सिखाने को तैयार नहीं थी। सच तो यह है कि बॉस्केटबॉल टीम की कुछ लड़कियों ने उसकी हँसी उड़ाई थी जब उन्होंने यह सुना था कि ममता पर्व में जिस विद्यालय में पढ़ती थी वहाँ बॉस्केटबॉल कोर्ट (बॉस्केटबॉल खेलने का मैदान) तक नहीं था।

Mamta had been studying in a small school in the nearby town till then, as her parents could not afford to send her to any of the public schools in the city. It was only because of the scholarship she had won from a trust that it had been possible for her to join this reputed convent school. Being away from home, in a hostel, she yearned for some friends, but till now most of the girls had refused to accept a small-town girl as their friend. Most of the girls in the school came from rich families. They treated her as an unwelcome guest who was too low in status by their standards.

“Sir, she has never played basketball before. How can you take her in the team ?” their captain, Saba complained.

“Don’t be mean, Saba. There is always a first time for every one. Can’t you see how good her passes are? And physically she is fitter than any of you,” the physical education teachers admonished Saba.

(ममता हैड बीन स्टडीईंग’इन अ स्मॉल स्कूल इन द नीयरबाई टाऊन टिल दैन, ऐज़ हर पेरेण्ट्स कुड नॉट अफोर्ड टू सेण्ड हर टू एनी ऑफ द पब्लिक स्कूल्स इन द सिटी इट वॉज़ ओनली बिकॉज़ ऑफ द स्कॉलरशिप शी हैड वन फ्रॉम अ ट्रस्ट दैट इट हैड बीन पॉसिबल फॉर हर टू जॉइन दिस रिप्यूटेड कॉन्वेण्ट स्कूल. बीइंग अवे फ्रॉम होम, इन अ हॉस्टल, शी यर्नड फॉर सम फ्रेण्ड्स, बट टिल नाऊ मोस्ट ऑफ द गर्ल्स हैड रिफ्यूज्ड टू एक्सेप्ट अ स्मॉल-टाऊन गर्ल ऐज़ देयर फ्रेण्ड. मोस्ट ऑफ द गर्ल्स इन द स्कूल केम फ्रॉम रिच फैमिलीज़. दे ट्रीटिड हर ऐज़ ऐन अनवेल्कम गेस्ट हू वॉज़ टू लो इन स्टेटस बाई देयर स्टैण्डर्ड्स

“सर, शी हैज़ नैवर प्लेड बास्केटबॉल बिफोर. हाऊ कैन यू टेक हर इन द टीम?” देयर कैप्टेन, सबा कम्प्लेन्ड.

“डोण्ट (डू नॉट) बी मीन, सबा. देयर इज़ ऑल्वेज़ अ फर्स्ट टाईम फॉर एवरी वन. काण्ट यू सी हाऊ गुड हर पासेस आर ? ऐण्ड फिजिकली शी इज़ फिटर दैन एनी ऑफ यू.” द फिजिकल एजुकेशन टीचर एडमॉनिश्ड सबा.)

अनुवाद :
ममता पूर्व में पास के कस्बे के एक छोटे विद्यालय में पढ़ती थी क्योंकि उसके माँ-बाप किसी बड़े विद्यालय में भेजने का खर्चा नहीं उठा सकते थे। वह तो क्योंकि उसने अभी एक धर्मार्थ न्यास द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति जीती जिसके कारण उसका इस प्रतिष्ठित अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में प्रवेश सम्भव हो पाया। अपने घर से दूर, छात्रावास में रहने के कारण उसकी प्रबल इच्छा थी कि कुछ मित्र (सहेलियाँ) हों परन्तु अभी तक ज्यादातर लड़कियों ने छोटे से कस्बे से आई हुई लड़की को मित्र के रूप में स्वीकार करने से इन्कार कर दिया था। इस विद्यालय में पढ़ने वाली अधिकतर लड़कियाँ बेहद सम्पन्न परिवारों से थीं। वे सब उसके साथ एक अनचाहे, बिन बुलाए मेहमान की तरह बर्ताव करती थीं जो कि उनकी हैसियत से बहुत नीचे थी।

“सर इसने पहले कभी बॉस्केटबॉल नहीं खेला। आप उसे टीम में कैसे ले सकते हैं?” टीम की कप्तान सबा ने विरोध किया।

“तुच्छ न बनो, सबा। सभी के लिए हमेशा कभी तो प्रथम प्रयास होता है। क्या तुम्हें दिखाई नहीं देता कि वो कितनी अच्छी तरह से पास (गेंद को अपने साथी खिलाड़ी को देना) देती है? और शारीरिक रूप से वह तुम सब से ज्यादा स्वस्थ है।” शारीरिक शिक्षा अध्यापक ने सबा को झिड़क दिया।)

“Oh, no! Now we can forget all about winning the trophy in the inter-school basketball championship this year,” grumbled Reema, the vice-captain of the team.

The other girls in her group also made faces to show their displeasure. What these girls did not know was that if anyone told Mamta she could not do a certain thing, she accepted it as a challenge and never rested till she had proved them wrong.

The coach had heard Reema and said, “Have you been able to win the trophy even once since you started playing? Maybe this year you will at last win because of Mamta.”

Mamta was touched by that remark. She silently thanked the coach for his support and made up her mind to be so good at the game that the team would feel incomplete without her.

(“ओह, नो! नाऊ वी कैन फॉरगेट ऑल अबाऊट विनिंग द ट्रॉफी इन द इण्टर-स्कूल बॉस्केटबॉल चैम्पियनशिप दिस यीअर,” ग्रम्बल्ड रीमा, द वाईस-कैप्टेन ऑफ द टीम द अदर गर्ल्स इन हर ग्रुप ऑल्सो मेड फेसेस टू शो देयर डिसप्लेज़र व्हॉट दीज़ गर्ल्स डिड नॉट नो वॉज़ दैट इफ एनीवन टोल्ड ममता शी कुड नॉट डू अ सर्टन थिंग, शी एक्सेप्टिड इट ऐज़ अ चैलेन्ज ऐण्ड नेवर रेस्टेड टिल शी हैड प्रूव्ड दैम रॉन्ग

द कोच हैड हर्ड रीमा ऐण्ड सेड,“हैव यू बीन एबल टू विन द ट्रॉफी ईवन वन्स सिन्स यू स्टार्टिड प्लेइंग? मेबी दिस यीअर यू विल ऐट लास्ट विन बिकॉज़ ऑफ ममता.”

ममता वॉज़ टच्ड बाई दैट रिमार्क. शी साइलेण्टली थैक्ड द कोच फॉर हिज़ सपोर्ट ऐण्ट मेड अप हर माईण्ड टू बी सो गुड ऐट द गेम दैट द टीम वुड फील इनकम्प्लीट विदाऊट हर.)

अनुवाद :
“ओ नहीं! अब तो हमें इस वर्ष अन्तर-विद्यालयी बॉस्केटबॉल प्रतियोगिता जीतने की बात को भूल जाना चाहिए।” टीम की उप-कप्तान रीमा बड़बड़ाई।

उनके दल की अन्य लड़कियों ने भी मुँह बनाकर अपनी अप्रसन्नता प्रकट की। किन्तु इन लड़कियों को यह नहीं पता था कि यदि ममता को कोई यह बोल देता था कि वह कोई काम नहीं कर सकती तो ममता उसे एक चुनौती की तरह लेती थी और तब तक शान्त नहीं बैठती थी जब तक कि उन्हें गलत न साबित कर दे।

प्रशिक्षक ने रीमा की बात सुन ली थी, उन्होंने कहा “क्या तुम एक बार भी यह प्रतियोगिता जीत पाई हो जब से तुमने खेलना शुरू किया है? शायद इस वर्ष आखिरकार जीतो ममता के कारण।”

प्रशिक्षक की बात ने ममता को छू लिया। उसने मन ही मन उनको समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और यह दृढ़ निश्चय किया कि वह इस खेल में इतनी कुशल होकर दिखाएगी कि उसके बिना टीम खुद को अधूरा महसूस करने लगे।

She thought of the famous words that her mother often repeated to her, ‘Practice makes a man perfect’. So she started using all her free time in practising basketball. She was thankful that the coach was helping her in every way. She kept perfecting her passes and her techniques with firm determination. Even the snide remarks from the teammates made her more resolute.

Like the time when she dropped a pass and Hema said, “Do you have butter fingers that you cannot even hold the ball properly?” or when Reema said, “Don’t try to act nice on the court. It won’t get you anywhere. You have to be a fighter to play this game and always be on the offensive. Delicate girls like you have no place on the court.” Little did the girls realize that these remarks really bought out the fighter in her.

(शी थॉट ऑफ द फेमस, वर्ड्स दैट हर मदर ऑफन रिपीटिड टू हर, ‘प्रैक्टिस मेक्स अ मैन परफेक्ट,’ सो शी स्टार्टिड यूजिंग ऑल हर फ्री टाईम इन प्रैक्टिसिंग बॉस्केटबॉल शी वॉज़ बैंकफुल दैट द कोच वॉज़ हेल्पिंग हर इन एवरी वे शी केप्ट परफेक्टिंग हर पासिस ऐण्ड हर टेक्नीक्स विद फर्म डिटरमिनेशन. ईवन द स्नाईड रिमार्क्स फ्रॉम द टीममेट्स मेड हर मोर रिज़ोल्यूट.

लाईक द टाईम व्हेन शी ड्रॉप्ड अ पास ऐण्ड हेमा सेड, “डू यू हैव बटर फिंगर्स दैट यू कैननॉट ईवन होल्ड द बॉल प्रॉपर्ली?” और व्हेन रीमा सेड, “डोण्ट ट्राई टू ऐक्ट नाईस ऑन द कोर्ट   इट वोण्ट (वुडनॉट) गैट यू एनीव्हेयर. यू हैव टू बी अ फाईटर टू प्ले दिस गेम ऐण्ड ऑल्वेज़ बी ऑन द ऑफेन्सिव. डेलिकेट गर्ल्स लाईक यू हैव नो प्लेस ऑन द कोर्ट.” लिटल डिड द गर्ल्स रियलाईज़ दैट दीज़ रिमार्क्स रीयली ब्रॉट आऊट द फाईटर इन हर.)

अनुवाद :
ममता को अपनी माँ के शब्द जो वह अक्सर कहती थीं याद आए “अभ्यास व्यक्ति को निपुण बनाता है।” इसलिए ममता अपना सारा खाली समय बॉस्केटबॉल के अभ्यास में लगाने लगी। वह कृतज्ञ थी कि उसके प्रशिक्षक उसकी हर प्रकार से सहायता कर रहे थे। वह दृढ़ निश्चय के साथ पास (गेंद को साथी खिलाड़ी को देना) देने की कला व अपने खेल कौशल को निखारने में लगी रही। साथी खिलाड़ियों की व्यंग्यात्मक टिप्पणियों ने उसके संकल्प को और दृढ़ कर दिया।

जैसे कि जब एक बार वह साथी खिलाड़ी द्वारा गेंद देने पर उसे पकड़ नहीं पाई तो हेमा ने कहा “क्या तुम्हारी ऊँगलियाँ मक्खन की हैं जो तुम गेंद तक नहीं पकड़ पाती ठीक से ?” अथवा जब रीमा ने कहा, “कोर्ट पर भली बनने की कोशिश मत करो। यह तुम्हें कहीं नहीं ले जा सकता। इस खेल को खेलने के लिए तुम्हें लड़ाका (योद्धा) बनना पड़ेगा और हमेशा आक्रामक रहना पड़ेगा। तुम जैसी नाजुक लड़कियों की इस खेल के मैदान पर कोई जगह नहीं है।” उन लड़कियों को ज़रा भी अन्दाज़ा नहीं था कि ऐसी टिप्पणियों ने सच में ही उसके अन्दर के योद्धा को जगा दिया था।

One month later, the school organized the annual sports meet. Mamta wanted to participate in the 400 metre race. She was a fast runner. She used to walk long distances in her town. That had helped her develop strong leg muscles and good stamina. On top of that she was also tall for her age. She would be competing against the school champion, who had been winning the race for the past three years. Most girls laughed at her wish to win the race. After all, Mamta had never before participated in a race. But she believed in herself. She knew she could run well. It was just a matter of rigorous practice. And she wanted to win for a very strong reason. She felt that winning against the school champion would also help her somehow in her basketball game. So she started concentrating on her speed when she exercised in the morning.

(वन मन्थ लेटर, द स्कूल ऑर्गनाईज्ड द ऐनुअल स्पोर्ट्स मीट ममता वॉण्टिड. टू पार्टिसिपेट इन द फोर हन्ड्रेड मीटर रेस. शी वॉज़ अ फास्ट रनर. शी यूज्ड.टू वॉक लॉन्ग डिस्टेन्सिस इन हर टाऊन. दैट हैड हेल्पड् हर डेवलप स्ट्रॉन्ग लेग मसल्स ऐण्ड गुड स्टैमिना. ऑन टॉप ऑफ दैट शी वॉज़ ऑल्सो टॉल फार हर एज. शी वुड बी कम्पीटिंग अगेन्स्ट द स्कूल चैम्पियन, हू हैड बीन विनिंग द रेस फॉर द पास्ट थ्री यीअर्स मोस्ट गर्ल्स लाफ्ड ऐट हर विश टू विन द रेस. आफ्टर ऑल ममता हैड नेवर बिफोर पार्टिसिपेटिड इन अ रेस. बट शी बिलीव्ड इन हरसेल्फ. शी नियू शी कुड रन वेल. इट वॉज़ जस्ट अ मैटर ऑफ रिगरस प्रैक्टिस. ऐण्ड शी वाण्टिड टू विन फॉर अ वेरी स्ट्रॉन्ग रीज़न शी फेल्ट दैट विनिंग अगेन्स्ट द स्कूल चैम्पियन वुड ऑल्सो हेल्प हर समहाऊ इन हर बॉस्केटबॉल गेम. सो शी स्टार्टिड कन्सनट्रेटिंग ऑन हर स्पीड व्हेन शी एक्सरसाईज्ड इन द मॉर्निंग.)

अनुवाद :
एक महीने पश्चात विद्यालय में वार्षिक खेलकूद आयोजित किए गए। ममता चार सौ मीटर की दौड़ में प्रतिभाग करना चाहती थी। वह एक तेज धावक थी। अपने कस्बे में वह काफी दूर तक पैदल चला करती थीं। इस कारण उसके पैर की माँसपेशियाँ बहुत मजबूत हो गई थी और सहनशक्ति भी बहुत अच्छी हो गई थी और फिर वह काफी लम्बी थी उसकी उम्र को देखते हुए। उसे अपने विद्यालय के विजेता के खिलाफ दौड़ना था जो पिछले तीन वर्षों से यह दौड़ जीतती आ रही थी। लगभग सभी लड़कियाँ उसकी इस दौड़ को जीतने की इच्छा पर हँसी। आखिर ममता ने इससे पहले किसी दौड़ प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया था। परन्तु उसे स्वयं पर भरोसा था। उसे पता था कि वह अच्छा दौड़ सकती है। उसे सिर्फ कठिन. अभ्यास करना था। और वह यह दौड़ एक बहुत विशिष्ट कारण से जीतना चाहती थी। उसको लग रहा था कि विद्यालय के विजेता के खिलाफ जीतने से बॉस्केटबॉल के खेल में भी मदद मिलेगी। इसलिए उसने दौड़ने की गति पर ध्यान देना शुरू कर दिया जब वह सुबह व्यायाम करती थी।

The day of the race downed. It turned out to be a close race. Towards the end Mamta caught up with the champion. Her eyes were fixed at the finishing line. Like Arjuna in the Mahabharata aiming at the fish’s eye, Mamta too could see nothing else. And in the end she did win, though by a couple of seconds only. It was so unexpected that there was a moment’s silence all around as she crossed the finishing line. Even the judges on the field were surprised that someone looking so frail and delicate could run so fast. There was a lot of excitement on the field before Mamta was announced the winner.

(द डे ऑफ द रेस डॉन्ड. इट टर्ड आऊट टू बी अ क्लोज़ रेस. टुवर्ड्स द एण्ड ममता कॉट अप विद द चैम्पियन. हर आईज़ वर फिक्सड ऐट द फिनिशिंग लाईन. लाईक अर्जुन इन द महाभारत एमिंग ऐट द फिशिश आई, ममता टू कुड सी नथिंग एल्स ऐण्ड इन द एण्ड शी डिड विन, दो बाई अ कपल ऑफ सेकण्ड्स ओनली इट वॉज़ सो अनएक्सपेक्टिड दैट देयर वॉज़ अ मोमेण्ट्स साईलेन्स ऑल अराऊण्ड ऐज शी क्रॉस्ड द फिनिशिंग लाईन. ईवन द जजिस ऑन द फील्ड वर सरप्राईज्ड दैट समवन लकिंग सो फ्रेल ऐण्ड डेलिकेट कड रन सो फास्ट. देअर वॉज अ लॉट ऑफ एक्साईटमेण्ट ऑन द फील्ड बिफोर ममता वॉज़ अनाउन्सड द विनर.)

अनुवाद :
प्रतियोगिता का दिन आ पहुँचा। वह एक बहुत प्रतिद्वन्द्वितापूर्ण दौड़ साबित हुई। दौड़ के आखिर में ममता विजेता के बराबर आ गई। उसकी दृष्टि समाप्ति रेखा पर जमी हुई थी। जिस,प्रकार महाभारत में अर्जुन की दृष्टि मछली पर स्थिर थी, उसी प्रकार ममता को भी और कुछ नजर नहीं आ रहा था। आखिरकार ममता जीत ही गई अपितु महज कुछ क्षणों से। यह कुछ ऐसा अप्रत्याशित था कि कुछ पलों के लिए सब तरफ सन्नाटा सा छा गया जब ममता ने समाप्ति रेखा पार की। यहाँ तक कि मैदान पर मौजूद निर्णायक भी इस बात से हैरान थे कि इतनी कमजोर दुबली-पतली नाजुक सी दिखने वाली लड़की इतना तेज़ दौड़ सकती है। मैदान पर काफी उत्तेजना व हलचल थी ममता को विजेता घोषित किए जाने से पहले।

The previous year’s champion showed that she was a true sportsperson; she hugged Mamta and congratulated her. Then, as Mamta received her prize, she also got a standing ovation. It had taken Mamta just a few moments on the field to become a celebrity. The race changed Mamta’s image in the school. She became very popular and even her teammates were now less hostile towards her. This gave a massive boost to her confidence. Now Mamta wanted to play a major role in the match and win the inter-school trophy for her school more than anything else.

(द प्रीवियस यीअर्स चैम्पियन शोड दैट शी वॉज़ अ ट्र स्पोर्ट्सपर्सन; शी हग्ड ममता ऐण्ड कांग्रैचुलेटिड हर. देन, ऐज़ ममता रिसीव्ड हर प्राईज़, शी ऑल्सो गॉट अ स्टैण्डिग ओवेशन इट हैड टेकिन ममता जस्ट अ फ्यू मोमेण्ट्स ऑन द फील्ड टु बिकम अ सेलिब्रिटी द रेस चेन्ज्ड ममतास इमेज इन द स्कूल शी बिकेम वेरी पॉपुलर ऐण्ड ईवन हर टीममेट्स वर नाऊ लेस हॉस्टाईल टुवर्ड्स हर दिस गेव अ मैसिव बूस्ट टू हर कॉन्फिडेन्स नाऊ ममता वाण्टिड टू प्ले अ मेजर रोल इन द मैच ऐण्ड विन द इण्टर-स्कूल ट्रॉफी फॉर हर स्कूल मोर दैन एनीथिंग एल्स.)

अनुवाद :
पिछले वर्ष की विजेता ने दिखाया कि वह सच में एक खिलाड़ी है; उसने ममता को गले लगाया और बधाई दी। फिर जब ममता को पुरस्कार दिया गया तो सभी उपस्थित जनों ने खड़े होकर तालियाँ बजाई और उसके प्रति अपना सम्मान प्रकट किया। बस कुछ ही पल लगे थे ममता को मैदान पर एक ख्याति प्राप्त व्यक्ति होने में। दौड़ ने ममता की छवि बदल दी। वह काफी लोकप्रिय हो गई यहाँ तक कि उसकी टीम की साथी खिलाड़ियों का बर्ताव भी अब पहले जैसा नहीं था। इसने ममता के आत्मविश्वास को ज़बरदस्त बढ़ावा दिया। अब ममता बॉस्केटबॉल के मैच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहती थी और किसी भी चीज़ से अधिक अपने विद्यालय के लिए अन्तर-विद्यालयी प्रतियोगिता जीतना चाहती थी।

She kept practising hard. She proved to be excellent with passes and good at offence and defence. Being a fast runner, she could easily dodge her opponents and it sometimes looked as if she was flying with the ball. Before anyone could catch up with her, she would have reached the basket. And her shots too were perfect most of the time.

Finally, the inter-school basketball competition started. In all, ten teams were participating in the competition. Mamta’s school had never before even reached the semi-finals. So this year the girls were desperate to win.

(शी केप्ट प्रैक्टिसिंग हार्ड शी प्रव्ड टू बी एक्सिलेण्ट विद पासिस ऐण्ड गुड ऐट ऑफेन्स ऐण्ड डिफेन्स बीईंग अ फास्ट रनर, शी कुड ईज़िली डॉज हर ऑपोनेण्ट्स ऐण्ड इट समटाईम्स लुक्ड ऐज इफ शी वॉज़ फ्लाइंग विद द बॉल बिफोर एनीवन कुड कैच अप विद हर, शी वुड हैव रीच्ड द बॉस्केट ऐण्ड हर शॉट्स टू वर परफेक्ट मोस्ट ऑफ द टाईम।

फाईनली, द इण्टर-स्कूल बॉस्केटबॉल कम्पिटीशन स्टार्टिड इन ऑल, टेन टीम्स वर पार्टिसिपेटिंग इन द कम्पिटीशन. ममतास स्कूल हैड नेवर बिफोर ईवन रीच्ड.द सेमी-फाइनल्स सो दिस यीअर द गर्ल्स वर डेस्परेट ट्र विन.)

अनुवाद :
वह कठिन अभ्यास में लगी रही। वह पास देने व लेने में बेहतरीन साबित हो रही थी तथा खेल के आक्रामक एवं रक्षात्मक दोनों पहलुओं में बहुत अच्छी हो गई थी। बहुत तेज धावक होने के कारण वह बहुत आसानी से प्रतिद्वन्द्वी को छका लेती थी और कई बार तो यह भी लगता था जैसे वह गेंद के साथ उड़ सी रही है। इससे पहले कि कोई उस तक पहुँच पाए वह प्रतिद्वन्द्वी टीम की बॉस्केट तक पहुँच जाती थी। और उसके शॉट (गेंद को बॉस्केट के अन्दर डालने के लिए फेंकना) भी अब अचूक होने लगे थे।

आखिरकार अन्तर-विद्यालयी बॉस्केटबॉल प्रतियोगिता आरम्भ हुई। कुल दस टीमें प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर रही थीं। ममता का विद्यालय इससे पहले कभी इस प्रतियोगिता के सेमी-फाइनल चरण (अन्तिम चरण से पूर्व का चरण) तक नहीं पहुँच पाया था। इसलिए इस वर्ष सभी लड़कियाँ किसी भी तरह से जीतना चाहती थीं।

Their team went up to the finals. Mamta had a big role in the team reaching the finals. Her shots never missed and being five feet six inches tall, she could easily pass the ball to whoever she wished to, and grab it easily when it was meant for someone else. With every game they won, her teammates respected her more than before. Without her, they would have found it very difficult to reach the finals.

In the finals, they were up against the city champions. The game finished with equal points for both the teams. So both the teams got three free shots each. The opponents were able to score only one shot out of three. From her team, Mamta was chosen to hook the ball. She had to score at least two baskets to win. All eyes were fixed on her.

(देयर टीम वेण्ट अप टू द फाइनल्स. ममता हैड अ बिग रोल इन द टीम रीचिंग द फाइनल्स हर शॉट्स नेवर मिस्ड ऐण्ड बीईंग फाईव फीट सिक्स इन्चिस टॉल, शी कुड ईज़िली पास द बॉल टू हूएवर शी विश्ड टू, ऐण्ड ग्रैब इट ईजिली व्हेन इट वॉज़ मेण्ट फॉर समवन एल्स विद एवरी गेम दे वन, हर टीममेट्स रिस्पेक्टिड हर मोर दैन बिफोर विदाऊट हर, दे वुड हैव फाउण्ड इट वेरी डिफिकल्ट टू रीच द फाईनल्स

इन द फाइनल्स दे वर अप अगेन्स्ट द सिटी चैम्पियन्स द गेम फिनिश्ड विद ईक्वल पॉईन्ट्स फॉर बोथ द टीम्स सो बोथ द टीम्स गॉट थ्री फ्री शॉट्स ईच द ऑपोनेण्ट्स वर एबल टू स्कोर ओनली वन शॉट आऊट ऑफ थ्री. फ्रॉम हर टीम, ममता वॉज़ चोजन टू हुक द बॉल शी हैड टू स्कोर ऐट लीस्ट टू बॉस्केट्स टू विन. ऑल आईज़ वर फिक्स्ड ऑन हर.)

अनुवाद :
उनकी टीम फाइनल तक पहुँच गई। टीम के फाइनल तक पहुँचने में ममता की बहुत बड़ी भूमिका थी। उसके शॉट (बॉस्केट की तरफ फेंकी गई गेंद) कभी खाली नहीं गए और पाँच फुट छह इन्च की लम्बाई के कारण वह बहुत आसानी से किसी को भी पास दे सकती थी और किसी अन्य के लिए जाती गेंद को बीच में ही लपक सकती थी। हर जीत के साथ उसकी टीम की साथी खिलाड़ियों के मन में उसके प्रति सम्मान बढ़ता जा रहा था। उसके बिना उनकी टीम के लिए फाइनल तक पहुँच पाना बहुत ही मुश्किल था।

फाइनल में उनका सामना शहर की विजेता टीम से था। खेल के अन्त में दोनों टीमों के बराबर अंक थे। इसलिए दोनों टीमों को तीन फ्री शॉट (बॉस्केटबॉल के खेल में एक विशेष स्थान पर खड़े होकर गेंद को बॉस्केट की तरफ उछालना) मिले। प्रतिद्वन्द्वी टीम तीन में से केवल एक बार गेंद को बॉस्केट में डाल पाई। ममता की टीम की तरफ से ममता को फ्री शॉट लेने के लिए चुना गया। उसे तीन में से कम-से-कम दो बार गेंद को बॉस्केट में डालना था जीतने के लिए। सभी की दृष्टि उस पर लगी थी।

She bounced the ball nervously, knowing fully well the responsibility she carried on her shoulders. Suddenly, she remembered Reema’s words the day she was chosen for the team. ‘Now we can forget all about winning the trophy in the inter-school basketball championship this year. Those words set her on fire again. This was her chance to show everyone how wrong they were. She made her shot, and it was a perfect basket. There was a loud applause from the audience. Both the teams were again equal.

But could she do it again? There was deafening silence in the field in anticipation of her shot. It was as if no one even dared to breathe. Mamta bent her legs, raised the ball into position, and at last took the shot. She felt tears streaming down her face as the ball looped through the basket and bounced on the ground. Their team had made history. They had been participating in the competition for long, but it was the first time that they had reached the finals and had won it too.

(शी बाऊन्स्ड द बॉल नर्वसली, नोईंग फुली वेल द रिस्पॉन्सिबिलिटी शी कैरिड ऑन हर शोल्डर्स सडनली, शी रिमेम्बर्ड रीमाज़ वर्ड्स द डे शी वॉज़ चोज़न फॉर द टीमः ‘नाऊ वी कैन फॉरगेट ऑल अबाऊट विनिंग द ट्रॉफी इन द इण्टर-स्कूल बास्केटबॉल चैम्पियनशिप दिस यीअर. ‘दोज़ वर्ड्स सेट हर ऑन फायर अगेन दिस वॉज़ हर चान्स टू शो एवरीवन हाऊ रॉन्ग दे वर. शी मेड हर शॉट, ऐण्ड इट वॉज़ अ परफेक्ट बास्केट. देयर वॉज़ अ लाऊड अपलॉज़ फ्रॉम द ऑडियन्स बोथ द टीम्स वर अगेन ईक्वल.

बट कुड शी डू इट अगेन? देयर वॉज़ डेफनिंग साइलेन्स इन द फील्ड इन एन्टिसिपेशन ऑफ हर शॉट. इट वॉज़ ऐज़ इफ नो वन ईवन डेअर्ड टू ब्रीद. ममता बेण्ट हर लेग्ज, रेज्ड द बॉल इन्टू पोज़िशन, ऐण्ड ऐट लास्ट टुक द शॉट शी फेल्ट टीयर्स स्ट्रीमिंग डाऊन हर फेस ऐज द बॉल लूप्ड धू द बास्केट ऐण्ड बाऊन्स्ड ऑन द ग्राउण्ड देयर टीम हैड मेड हिस्ट्री. दे हैड बीन पार्टिसिपेटिंग इन द कम्पिटिशन फॉर लॉन्ग, बट इट वॉज़ द फर्स्ट टाईम दे हैड रीच्ड द फाइनल्स ऐण्ड वन इट टू.)

अनवाद :
यह बखूबी जानते हुए कि उसके कंधों पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी थी वह थोड़ी घबराई अवस्था में गेंद को ज़मीन पर टप्पा खिलाने लगी। अचानक उसे रीमा के कहे हुए शब्द याद आ गए जो उसने उस दिन कहे थे जिस दिन ममता को टीम में चुना गया था, “अब हमें इस वर्ष अन्तर-विद्यालयी बॉस्केटबॉल प्रतियोगिता जीतने की बात को भूल जाना चाहिए।” वो शब्द याद आते ही उसकी घबराहट दूर हो गई और उसे अपना संकल्प याद आ गया। यही मौका था उसके लिए सबको यह दिखाने के लिए कि कितने गलत थे वे। उसने गेंद को बॉस्केट की तरफ उछाला और गेंद सीधे बॉस्केट में चली गई। दर्शकों ने तुमुल हर्षध्वनि के साथ उसके प्रयास को सराहा। दोनों टीमें फिर से बराबर हो गईं।

पर क्या वह फिर से यह कर पाएगी ? उसके अगले प्रयास की प्रत्याशा में वहाँ ऐसा सन्नाटा पसर गया मानो सब गूंगे हो गए हों। ऐसा लगा रहा था जैसे सभी साँस तक लेने से डर रहे हों। ममता ने अपने पैरों को हल्का सा मोड़ा, गेंद को ऊपर उठा कर सही स्थिति में लाई, और आखिरकार उसने गेंद को बॉस्केट की तरफ उछाल दिया। जैसे ही गेंद बॉस्केट के अन्दर से निकलकर ज़मीन पर आ कर गिरी ममता को अपने चेहरे पर बहते हुए आँसुओं का अहसास हुआ। उनकी टीम ने इतिहास रचा था। उनकी टीम इस प्रतियोगिता में काफी वर्षों से प्रतिभाग कर रही थी, परन्तु यह पहली बार था कि उनकी टीम फाइनल में पहुँची और जीत भी गई।

Mamta’s teammates came running from all around and hugged her. Everyone was shouting and dancing at the same time. There was cheering all around.

In the noise she heard Saba say, “I will never again prejudge people; I hope you can forgive me.”

Reema too joined Saba and apologized to Mamta.

Mamta clasped their hands and said, “Finally, I feel as if I belong here.”

Just then their coach came forward to ‘congratulate them. “Mamta, you did not let me down. Thank you,” he said.

“No, sir, I should be thanking you. Had you not shown faith in me the day you chose me, I would never have even learnt the game,” Mamta said, wiping her tears of happiness.

She had really become indispensable for the team, all because of her determination and hardwork.

(ममताज़ टीममेट्स केम रनिंग फ्रॉम ऑल अराऊण्ड ऐण्ड हग्ड हर. एवरीवन वॉज़ शाऊटिंग ऐण्ड डान्सिंग ऐट द सेम टाईम. देयर वॉज़ चीयरिंग ऑल अराऊण्ड.

इन द नॉईज़ शी हर्ड सबा से, “आई विल नेवर अगेन प्रीजज पीपल; आई होप यू कैन फारगिव मी.”

रीमा टू जॉईन्ड सबा ऐण्ड अपॉलोजाईज्ड टू ममता ममता क्लैस्पड देयर हैण्ड्स ऐण्ड सेड, “फाइनली, आई फील ऐज़ इफ आई बिलॉन्ग हीयर.”

जस्ट देन देयर कोच केम फॉरवर्ड टू काँग्रैचुलेट दैम. “ममता, यू डिड नॉट लैट मी डाऊन बैंक यू.” ही सेड.

“नो, सर, आई शुड बी बैंकिंग यू. हैड यू नॉट शोन फेथ इन मी द डे यू चोज़ मी, आई वुड नेवर हैव ईवन लर्ट द गेम.” ममता सेड वाईपिंग हर टीयर्स ऑफ हैप्पिनैस.

शी हैड रीयली बिकम इनडिस्पेन्सेबल फॉर द टीम ऑल बिकॉज़ ऑफ हर डिटरमिनेशन ऐण्ड हार्डवर्क.)

अनुवाद :
ममता की टीम की साथी खिलाड़ी सब तरफ से दौड़ती हुई आयीं और उसे गले लगा लिया। सभी लोग एक ही समय में खुशी से चिल्ला रहे थे और नृत्य भी कर रहे थे। सब तरफ आनन्द का माहौल था।

उसी शोर में उसने सबा को कहते सुना “मैं फिर कभी किसी के लिए पूर्वधारणा नहीं बनाऊँगी; आशा है तुम मुझे क्षमा कर सकोगी।”

सबा की ही तरह रीमा ने भी ममता से क्षमा याचना की। ममता ने उनके हाथों को भींचते हुए कहा, “आखिरकार आज मुझे ऐसा अनुभव हो रहा है कि मैं भी तुम में से ही हूँ।” ठीक तभी उनके प्रशिक्षक आगे आए उनको बधाई देने। उन्होंने कहा “ममता, तुमने मेरी इज्जत रख ली और मुझे नीचा नहीं देखने दिया। धन्यवाद।”

“नहीं सर (अध्यापक महोदय) मुझे आपको धन्यवाद देना चाहिए। अगर आपने उस दिन मुझ पर भरोसा नहीं जताया होता मुझे चुनकर, तो मैं यह खेल कभी सीख ही नहीं पाती।” ममता ने अपने खुशी के आँसुओं को पोंछते कहा।

वह अपने दृढ़ निश्चय एवं कठोर परिश्रम से अपनी टीम के लिए अपरिहार्य बन चुकी थी।

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MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions पद्य Chapter 3 प्रेम और सौन्दर्य

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions पद्य Chapter 3 प्रेम और सौन्दर्य

प्रेम और सौन्दर्य अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रेम और सौन्दर्य अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण के हृदय में किसकी माला शोभा पा रही है?
उत्तर:
श्रीकृष्ण के हृदय में गुंजाओं की माला शोभा पा रही है।

प्रश्न 2.
गोपाल के कुंडलों की आकृति कैसी है?
उत्तर:
गोपाल के कुंडलों की आकृति मछली जैसी है।

प्रश्न 3.
श्रद्धा का गायन-स्वर किस तरह का है?
उत्तर:
श्रद्धा का गायन-स्वर मधुकरी (भ्रामरी) जैसा है।

प्रश्न 4.
‘मधुर विश्रांत और एकान्त जगत का सुलझा हुआ रहस्य’-सम्बोधन किसके लिए है?
उत्तर:
यह सम्बोधन मनु के लिए है। श्रद्धा कहती है कि तुम्हें देखकर ऐसा लगता है मानो तुमने संसार के रहस्य को सुलझा लिया है, इसलिए तुम निश्चित होकर बैठे हो।

प्रश्न 5.
माथे पर लगे टीके की तुलना किससे की है?
उत्तर:
माथे पर लगे टीके की तुलना सूर्य से की गयी है।

प्रेम और सौन्दर्य लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गोपाल के गले में पड़ी गुंजों की माला की तुलना किससे की गई है?
उत्तर:
गोपाल के गले में पड़ी गुंजों की माला की तुलना दावानल की ज्वाला से की गई है।

प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण के ललाट पर टीका की समानता किससे की गई है?
उत्तर:
श्रीकृष्ण के ललाट पर शोभित टीके की समानता सूर्य से की गयी है।

प्रश्न 3.
मनु को हर्ष मिश्रित झटका-सा क्यों लगा?
उत्तर:
श्रद्धा की वाणी सुनते ही मनु को एक हर्ष मिश्रित झटका लगा और वे मोहित होकर यह देखने लगे कि यह संगीत से मधुर वचन कौन कह रहा है।

प्रेम और सौन्दर्य दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पीताम्बरधारी श्रीकृष्ण के सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्याम वर्ण पर पीताम्बर धारण किए हुए श्रीकृष्ण का स्लौन्दर्य ऐसा लग रहा है मानो नीलमणि के पर्वत पर प्रात:कालीन सूर्य की किरणें पड़ रही हैं।

प्रश्न 2.
‘सरतरु की मनु सिन्धु में,लसति सपल्लव डार’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नायक कहता है कि इस नायिका का झिलमिली नामक आभूषण अपार चमक के साथ झीने पट में झलक रहा है। उसे देखकर ऐसा लगता है मानो कल्प वृक्ष की पत्तों सहित डाल समुद्र में विलास कर रही है।

प्रश्न 3.
अरुण रवि मण्डल उनको भेद दिखाई देता हो, छवि धाम का भावार्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहता है कि श्रद्धा का मुख ऐसा सुन्दर दिखाई दे रहा था जैसे सूर्य अस्त होने से पहले छिप गया हो परन्तु जब लाल सूर्य उन नीले मेघों को चीर कर दिखाई देता है तो वह अत्यन्त सुन्दर दिखाई देता है। श्रद्धा के मुख का सौन्दर्य वैसा ही था।

प्रश्न 4.
अधोलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
(अ) तो पै वारौ उरबसी …………. खै उरबसी समान।
उत्तर:
हे चतुर राधिका! सुन, तू तो इतनी सुन्दर है कि तुझ पर मैं इन्द्र की अप्सरा उर्वशी को भी न्योछावर कर दूँ। हे राधा! तू तो मोहन के उर (हृदय) में उरबसी आभूषण के समान बसी हुई है। अतः दूसरों की बात सुनकर तुम मौन धारण मत करो।

(ब) हृदय की अनुकृति ………….. सौरभ संयुक्त।
उत्तर:
पूर्ववत्।
व्याख्या-कवि कहता है कि मनु ने वह सुन्दर दृश्य देखा जो नेत्रों को जादू के समान मोहित कर देने वाला था। श्रद्धा उस समय फूलों की शोभा से युक्त लता के समान लग रही थी। श्रद्धा चाँदनी से घिरे हुए काले बादल के समान लग रही थी। श्रद्धा ने नीली खाल का वस्त्र पहन रखा था इस कारण वह बादल के समान दिखाई दे रही थी। किन्तु उसकी शारीरिक कान्ति उसके परिधान के बाहर भी जगमगा रही थी। श्रद्धा हृदय की भी उदार थी और उसी के अनुरूप वह देखने में उदार लग रही थी, उसका कद लम्बा था और उससे स्वच्छन्दता झलक रही थी। वायु के झोंकों में वह ऐसी लगती थी मानो बसन्त की वायु से हिलता हुआ कोई छोटा साल का पेड़ हो और वह सुगन्धि में डूबा हो।

प्रेम और सौन्दर्य काव्य सौन्दर्य

प्रश्न 1.
अधोलिखित काव्यांश में अलंकार पहचान कर लिखिए
(अ) धस्यौ मनो हियगढ़ समरू ड्योढ़ी लसत निसान।’
(ब) ‘विश्व की करुण कामना मूर्ति’।।
उत्तर:
(अ) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ब) रूपक अलंकार।

प्रश्न 2.
फिरि-फिरि चित त ही रहतु, टुटी लाज की लाव।
अंग-अंग छवि झऔर में, भयो भौंर की नाव।”
में छन्द पहचान कर उसके लक्षण लिखिए।
उत्तर:
इसमें दोहा छन्द है जिसका लक्षण इस प्रकार है-
दोहा-लक्षण-दोहा चार चरण का मात्रिक छन्द है। इसकी प्रत्येक पंक्ति में 24 मात्राएँ होती हैं। पहले तथा तीसरे चरणों में 13-13 मात्राएँ और दूसरे तथा चौथे चरणों में 11-11 मात्राएँ। होती हैं।

प्रश्न 3.
संयोग श्रृंगार का एक उदाहरण रस के विभिन्न: अंगों सहित लिखिए।
उत्तर:
संयोग शृंगार :
जहाँ प्रेमी-प्रेमिका की संयोग दशा में प्रेम का अंकन, माधुर्यमय वार्ता, स्पर्श, दर्शन आदि का वर्णन हो वहाँ संयोग श्रृंगार होता है। इसमें स्थायी भाव-रति, विभाव-प्रेमी-प्रेमिका, अनुभाव-परिहास, कटाक्ष, स्पर्श, आलिंगन आदि तथा संचारी भाव-हर्ष, उत्सुकता, मद आदि होते हैं।

अंगों सहित उदाहरण :
“जा दिन ते वह नन्द को छोहरा, या वन धेनु चराई गयी है। मोहिनी ताननि गोधन, गावत, बेनु बजाइ रिझाइ गयौ है।। वा दिन सो कछु टोना सो कै, रसखानि हियै में समाइ गयौ है। कोऊन काहू की कानि करै, सिगरो, ब्रज वीर, बिकाई गयौ है।”

स्पष्टीकरण :
यहाँ पर आश्रय गोपियाँ तथा आलम्बन श्रीकृष्ण हैं। वन में गाय चराना, वंशी बजाना, गाना आदि उद्दीपन हैं। मोहित होना, लोक लज्जा न मानना आदि अनुभाव हैं। ‘स्मृति’ | संचारी भाव है। इस प्रकार रति स्थायी भाव संयोग-शृंगार में परिणत हुआ है।

प्रश्न 4.
वियोग श्रृंगार को परिभाषित करते हुए उदाहरण रस के अंगों सहित लिखिए।
उत्तर:
वियोग श्रृंगार-जहाँ प्रेमी-प्रेमिका की वियोग दशा में प्रेम का अंकन, विरह वेदना का सरस वर्णन हो वहाँ वियोग श्रृंगार होता है। इसे विप्रलम्भ श्रृंगार भी कहते हैं। इसमें स्थायी भाव-रति, विभाव-प्रेमी-प्रेमिका, अनुभाव-प्रस्वेद, अश्रु, कम्पन, रुदन आदि तथा संचारी भाव-स्मृति, विषाद, आवेग,आदि होते हैं।

अंगों सहित उदाहरण :
“ऊधौ मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं।
वृन्दावन गोकुल वन उपवन, सघन कुंज की छाहीं।
प्रात समय माता जसुमति अरु, नन्द देख सुख पावत।
माखन रोटी दह्यौ सजायौ, अति हित साथ खवावत।
गोपी ग्वाल बाल संग खेलत, सब दिन हँसत सिरात॥”

स्पष्टीकरण :
इसमें आश्रय श्रीकृष्ण तथा आलम्बन गोकुल की वस्तुएँ, नन्द किशोर आदि हैं। वृन्दावन, वन उपवन, रोटी, दही आदि उद्दीपन हैं। आँसू मलिनता आदि अनुभाव हैं। स्मृति संचारी भाव है तथा रति स्थायी भाव है।

प्रेम और सौन्दर्य महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण के हृदय पर किसकी माला शोभा पा रही है?
(क) मणियों की
(ख) मोतियों की
(ग) गुंजों की
(घ) फूलों की।
उत्तर:
(ग) गुंजों की

प्रश्न 2.
श्रीकृष्ण के कानों में किस प्रकार के कुण्डल सुशोभित हैं?
(क) मकर की आकृति के
(ख) मछलियों की आकृति के
(ग) भौरों की आकृति के
(घ) हिरणों की आकृति के।
उत्तर:
(ख) मछलियों की आकृति के

प्रश्न 3.
प्रसादजी ने श्रद्धा सर्ग में किस प्रकार का चित्रण किया है?
(क) मनु और श्रद्धा के प्रेम का
(ख) प्रकृति का चित्रण
(ग) नारी सौन्दर्य का
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
सृष्टि में प्रलय के पश्चात् मनु ने सबसे पहले किसको देखा?
(क) पर्वतों को
(ख) वायु के झोंके
(ग) वृक्षों को
(घ) श्रद्धा को।
उत्तर:
(घ) श्रद्धा को।

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. सोहत ओढ़े पीतु पटु स्याम ………… गात।
  2. गोपाल के गले में ………… माला थी।
  3. नील परिधान बीच सुकुमार खुल रहा मृदुल …………. अंग।
  4. श्रद्धा के अपूर्व सौन्दर्य को देख ………… आकर्षित होते हैं।

उत्तर:

  1. सलौने
  2. गुंजों
  3. अधखिला
  4. मनु।

सत्य/असत्य

  1. बिहारी के दोहों में राधा-कृष्ण के प्रेम का सुन्दर वर्णन है।
  2. ‘कामायनी’ आधुनिक काल का श्रेष्ठ महाकाव्य है। (2009)
  3. ‘नील घनशावक से सुकुमार सुधा भरने को विधु के पास’ पंक्ति प्रसाद की लहर’ कविता की है।
  4. प्रलयकाल के बाद जब मनु अकेले रह जाते हैं तब उन्हें श्रद्धा के दर्शन होते हैं।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य।

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions पद्य Chapter 3 प्रेम और सौन्दर्य img-1
उत्तर:
1. → (घ)
2. → (ग)
3. → (क)
4. → (ख)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. बिहारी के काव्य में किस रस की प्रधानता है?
  2. प्राचीन काल में कवि राजाओं के दरबार में रहकर उनकी प्रशंसा में कविता क्यों करते थे?
  3. श्रद्धा की मधुर वाणी सुनकर किसकी समाधि भंग हुई?
  4. श्रीकृष्ण के हृदय पर किसकी माला शोभा पा रही है? (2009)

उत्तर:

  1. श्रृंगार रस
  2. जीविकोपार्जन के लिए
  3. मनु की
  4. गुंजों की।

सौन्दर्य-बोध भाव सारांश

रीतिकालीन कवि बिहारीजी ने श्रीकृष्ण की वेश-भूषा एवं सुन्दर छवि का वर्णन किया है। उनका पीताम्बर प्रात:काल की पीली धूप की भाँति सुशोभित है। श्रीकृष्ण का सौन्दर्य इतना अपूर्व है कि कोई भी कवि उनके अलौकिक सौन्दर्य के वर्णन में सफल नहीं हो सकता। श्रीकृष्ण के मस्तक पर लगा लाल रंग का टीका सूर्यमण्डल में प्रवेश करके उनके सौन्दर्य में चार-चाँद लगा रहा है।

श्रीकृष्ण के हृदय में राधा निवास करती हैं। उनका सौन्दर्य उर्वशी अप्सरा से भी अधिक है। नायिका का मन नायक के प्रेम के कारण सांसारिक कार्यों में नहीं लगता है। उसका चंचल मन नायक के ध्यान में निमग्न रहता है। नायिका को अपने चारों ओर नायक श्रीकृष्ण की छवि दिखाई देती रहती है।

प्रेम और सौन्दर्य संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

सोहत औ. पीतु पटु, स्याम सलौने गात।
मनौं नीलमनि-सैल पर, आतपु परयौ प्रभात॥ (1)

शब्दार्थ :
सोहत = शोभा दे रहा है। सलौने = सुन्दर चमकीले। गात = शरीर। सैल = पर्वत। आतपु = घाम, धूप।

सन्दर्भ :
प्रस्तुत दोहा बिहारी द्वारा रचित ‘सौन्दर्य-बोध’ शीर्षक से लिया गया है।

प्रसंग :
यहाँ पर पीताम्बरधारी श्यामसुन्दर श्रीकृष्ण के स्वरूप का मोहक अंकन किया गया है।

व्याख्या :
कविवर बिहारी कहते हैं कि नायक के श्याम सलौने शरीर पर पीला वस्त्र ओढ़ने से ऐसा लगता है मानो नीलमणि के,पर्वत पर प्रात:कालीन धूप पड़ रही हो।

विशेष :

  1. इस दोहे में नायक के शारीरिक सौन्दर्य का वर्णन हुआ है।
  2. छेकानुप्रास एवं उत्प्रेक्षा अलंकारों का प्रयोग।
  3. दोहा छन्द।

सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजनु की माल।
बाहिर लसति मनौ पिए, दावानल की ज्वाल॥ (2)

शब्दार्थ :
उर = वक्षस्थल पर। गुंजनु की माल = गुंजा रत्नों की माला। लसति = शोभित हो रही है। दावानल = जंगल की आग।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
नायिका ने गुंजों के कुंज में नायक से मिलने का वायदा किया था पर किसी कारण वह वहाँ न पहुँच सकी इससे नायक दुःखित हो जाता है। इसी भाव को यहाँ व्यक्त किया गया है।

व्याख्या :
नायिका अपनी सखी से जो उसके वृत्तांत से परिचित है, कहती है कि श्रीकृष्ण के हृदय पर गुंज माला मुझे ऐसी लगती है मानो उस कुंज में मुझे न पाकर इनको जो दुःखरूपी दावानल का पान करना पड़ा, उसी की ज्वाला बाहर निकल रही है, इसे देखकर मेरी आँखों को बड़ा ताप होता है।

विशेष :

  1. गुरुजनों के मध्य नायिका अपनी बात को संकेतों के माध्यम से कहना चाहती है।
  2. अनुप्रास एवं उत्प्रेक्षा अलंकारों का प्रयोग।
  3. छन्द दोहा।

लिखन बैठि जाकी सबी, गहि-गहि गरव गरूर।
भए न केते जगत के, चतुर चितेरे कूर॥ (3)

शब्दार्थ :
सबी (सबीह) = यथार्थ चित्र। गरव गरूर = घमण्ड के साथ। केते = कितने। जगत = संसार के। चितेरे = चित्र बनाने वाले। कूर = विदलित, बुरी तरह विकृत।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
इस दोहे में नायिका की सखी नायक से उसके। क्षण-क्षण पर बढ़ते हुए यौवन तथा शरीर की कान्ति की प्रशंसा कर रही है।

व्याख्या :
नायिका की सखी नायक से कह रही है कि भला मैं बेचारी उस नायिका की प्रतिक्षण विकसित होती हुई शोभा। का वर्णन कैसे कर सकती हूँ? उसका यथार्थ चित्र लिखने के लिए घमण्ड में भर-भरकर बैठे जगत के कितने चतुर मूढ़ मति (क्रूर) नहीं हुए।

विशेष :

  1. नायिका के शरीर की, प्रतिक्षण बदलती रूप छवि का वर्णन किया गया है।
  2. सबी’ (सबीह) अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ यथार्थ चित्र से है।
  3. गहि-गहि में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।

मकराकृति गोपाल कैं, सोहत कुंडल कान।
धस्यो मनौ हियगढ़ समरु, ड्योढ़ी लसत निसान॥ (4)

शब्दार्थ :
मकराकृति = मछली की आकृति के। सोहत = शोभा देते हैं। धस्यौ = धस गया, अपने अधिकार में किया। हियगढ़ = हृदय रूपी गढ़ में। लसत = शोभा दे रहे हैं। निसान = ध्वजा।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
सखी द्वारा नायिका का वर्णन करने पर नायक के ऊपर। जो कामदेव का प्रभाव पड़ा है, उसी का वर्णन यहाँ किया गया है।

व्याख्या :
हे सखी। गोपाल के कानों में मछली की आकृति के कुंडल ऐसे सुशोभित हैं, मानो हृदय रूपी गढ़ (किले) पर कामदेव ने विजय प्राप्त कर ली है। इसी कारण उसके ध्वज मकान की ड्योढ़ी पर फहरा रहे हैं।

विशेष :

  1. नायक पर कामदेव के प्रभाव का वर्णन किया गया है।
  2. दूसरी पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार।
  3. शृंगार रस का वर्णन।

नीको लसत लिलार पर, टीको जरित जराय।
छविहिं बढ़वत रवि मनौ, ससि मंडल में आय॥ (5)

शब्दार्थ :
नीको= अच्छा। लसत= शोभा देता है। लिलार पर = माथे पर। जरित जराय = जड़ा हुआ। रवि = सूर्य ससि = चन्द्रमा। टीको = माथे पर पहनने वाला आभूषण।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
नायिका के जड़ाऊ टीके को माथे पर देखकर उससे रीझकर नायक कहता है।

व्याख्या :
नायक कहता है कि उसके ललाट पर जड़ाऊ काम से जड़ा हुआ टीका ऐसा अच्छा लग रहा है मानो चन्द्र-मंडल में आकर सूर्य उसकी छवि बढ़ा रहा हो।

विशेष :

  1. माथे पर पहने हुए टीके की शोभा का वर्णन
  2. द्वितीय पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार।
  3. शृंगार रस।

झीनैं पट मैं झिलमिली, झलकति ओप अपार।
सुरतरु की मनु सिंधु में, लसति सपल्लव डार।। (6)

शब्दार्थ :
ओप = चमक। सुरतरु = देवताओं का वृक्ष अर्थात् कल्पवृक्ष। लसति = शोभित होती है। सपल्लव = पत्तों सहित। डार = डाल।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
झीने पट में फूटकर निकली हुई नायिका के शरीर की झलक पर रीझकर नायक कहता है।

व्याख्या :
नायक कहता है ओहो! इसकी झिलमिली (एक प्रकार का कानों में पहने जाने वाला आभूषण) अपार चमक के साथ झीने पट में झलक रही है। मानो कल्प वृक्ष की पत्तों सहित डाल समुद्र में विलास कर रही हो।

विशेष :

  1. झीने पट में झिलमिली की झलक का सुन्दर वर्णन है।
  2. दूसरी पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार।
  3. शृंगार रस।

त्यौं-त्यौं प्यासेई रहत, ज्यौं-ज्यौं पियत अघाई।
सगुन सलोने रूप की, जुन चख तृषा बुझाई॥ (7)

शब्दार्थ :
प्यासेई रहत = प्यास नहीं बुझती है। अघाई = छककर पीने पर भी। चख = नेत्र। तृषा = प्यास।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
नायिका नायक को बार-बार देखती है फिर भी उसकी प्यास नहीं बुझती है, इसी का यहाँ वर्णन है।

व्याख्या :
नायिका कहती है कि मेरे प्यासे नेत्र ज्यों-ज्यों उस सगुन सलोने रूप को अघाकर पीते हैं त्यों-त्यों ही वे प्यासे बने रहते हैं क्योंकि सगुन एवं सलोने (खारे) पानी से आँखों की प्यास बुझती नहीं है अपितु बढ़ती ही जाती है।

विशेष :

  1. इसमें कवि ने यह भाव प्रकट किया है कि जैसे खारे पानी से प्यास तृप्त नहीं होती है उसी तरह नायक के सलोने रूप को देखने की इच्छा भी पूरी नहीं होती है।
  2. चख-तृषा में रूपक।
  3. श्रृंगार रस।

तो पर वारौं उरबसी, सुनि राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी है, उरबसी समान॥ (8)

शब्दार्थ :
उरबसी = उर्वशी नामक अप्सरा। सुजान = चतुर। उरबसी = हृदय में बस गयी है। उरबसी = हृदय पर पहनने का आभूषण।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
जब राधिका जी ने यह सुना कि श्रीकृष्ण किसी अन्य नायिका से प्रेम करने लगे हैं तो उन्होंने मौन धारण कर लिया है। सखी इसी मौन को छुड़ाने के निमित्त कहती है

व्याख्या :
हे चतुर राधिका! सुन, तू तो इतनी सुन्दर है कि तुझ पर मैं इन्द्र की अप्सरा उर्वशी को भी न्योछावर कर दूँ। हे राधा! तू तो मोहन के उर (हृदय) में उरबसी आभूषण के समान बसी हुई है। अतः दूसरों की बात सुनकर तुम मौन धारण मत करो।

विशेष :

  1. नायिका के मौन को छुड़ाने का प्रयास है।
  2. उरबसी’ में श्लेष, उरबसी-उरबसी में यमक अलंकार।
  3. शृंगार रस।

फिरि-फिरि चित उत ही रहतु, टूटी लाज की लाव।
अंग-अंग-छवि-झौर में, भयो भौर की नाव॥ (9)

शब्दार्थ :
लाव = नाव बाँधने की रस्सी। लाज की लाव = लज्जा रूपी लाव। झौर = झूमर (झुंड) भौंर = भँवर।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
इस दोहे में नायिका अपनी सखी से अपनी स्नेह दशा का वर्णन करती है।

व्याख्या :
हे सखी! नायक के अंग-प्रत्यंग की छवि के झूमर में फँसकर मेरा चित्त (मन) भँवर में पड़ी हुई नाव जैसा बनकर, बार-बार घूमकर पुनः उसी अर्थात् नायक की ओर ही लगा रहता है। वह किसी दूसरी तरफ नहीं जाता है क्योंकि उसकी लज्जारूपी रस्सी टूट गई है।

विशेष :

  1. नायक के प्रति विशेष आकर्षण ने उसकी लोक-लज्जा को मिटा दिया है।
  2. फिरि-फिरि, अंग-अंग में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार, सम्पूर्ण में अनुप्रास।
  3. शृंगार रस।

जहाँ-जहाँ ठाढ़ौ लख्यौ, स्याम सुभग-सिरमौरू।
उनहूँ बिन छिन गहि रहतु, दृगनु अजौं वह ठौरू॥ (10)

शब्दार्थ :
लख्यौ = देखा। सुभग = भाग्यवानों का। सिरमौरू = शिरोमणि। अजौं = अब भी। ठौरू = स्थान।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
श्रीकृष्ण के गोकुल से मथुरा चले जाने पर ब्रजबालाएँ आपस में जो वार्तालाप कर रही हैं, उसी का यहाँ वर्णन है।

व्याख्या :
ब्रज की युवतियाँ परस्पर कह रही हैं कि जिन-जिन स्थानों पर हमने प्यारे श्रीकृष्ण को खड़ा देखा था उन स्थानों में उनके कारण ऐसी सुन्दरता आ गई है कि उनके यहाँ न रहने पर भी हमारे नेत्रों को ऐसे प्रिय लगते हैं कि हम अब भी अपने आपको श्याम सुन्दर के संग पाती हैं।

विशेष :

  1. सुभग सिरमौरु का अर्थ सुन्दर पुरुषों में शिरोमणि (श्रीकृष्ण) के लिए आया है।
  2. श्रीकृष्ण के अलौकिक प्रभाव की छटा।
  3. जहाँ-जहाँ में पुनरुक्ति, स्याम सुभग-सिरमौर में अनुप्रास अलंकार।

श्रद्धा भाव सारांश

जयशंकर प्रसाद ने श्रद्धा तथा मनु की प्राचीन कथा के माध्यम से मानव मन की तर्क प्रधान बुद्धि का अंकन किया है।

श्रद्धा मनु से प्रश्न करती है आप कौन हैं जो इस एकान्त स्थान को अपनी आभा से आलोकित किये हो? संसार रूपी सागर की लहरों के समीप इस निर्जन स्थान पर मौन होकर क्यों बैठे हो?

आपको देखकर ऐसा आभास होता है कि आपने दुनिया के रहस्य का निदान कर लिया है। आप करुणा की सजल मूर्ति हो। मनु ने श्रद्धा के अपूर्व सौन्दर्य को निहारा। वह उनके नेत्रों को उलझाने वाला सुन्दर माया-जाल था। श्रद्धा का शरीर पुष्पों से आच्छादित कोमल लता के समान अथवा बादलों के मध्य चन्द्र की चाँदनी जैसा दृष्टिगोचर हो रहा था।

श्रद्धा का शरीर बसन्त की शीतल-मन्द-सुगन्धित वायु से झूमते हुए सुरभित शाल के लघु वृक्ष की भाँति सुशोभित हो रहा था। श्रद्धा की केशराशि उसके कंधों तक पीछे की ओर बिखरी हुई थी। बालों की आभा उसके मुखमण्डल की शोभा को और भी अधिक बढ़ा रही थी। श्रद्धा की मुस्कान कोमल कली पर उगते हुए सूर्य की उज्ज्वल किरण अलसाई होने के कारण सुन्दर लग रही थी।

श्रद्धा की सुन्दरता इस प्रकार दृष्टिगोचर हो रही थी मानो पुष्पों का वन लेकर मन्द-मन्द बहती हुई वायु उसके आँचल को सुगन्ध से परिपूर्ण करके कृतज्ञता ज्ञापन कर रही हो।

श्रद्धा संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

(1) “कौन तुम? संसृति-जलनिधि तीर-तरंगों से फेंकी मणि एक,
कर रहे निर्जन का चुपचाप प्रभा की धारा से अभिषेक?
मधुर विश्रांत और एकांत-जगत का सुलझा हुआ रहस्य,
एक करुणामय सुन्दर मौन और चंचल मन का आलस्य।”

शब्दार्थ :
संसृति = संसार। जलनिधि = सागर। निर्जन = एकान्त। प्रभा = कान्ति। अभिषेक = तिलक करना, सुशोभित करना। मधुर = आकर्षक। विश्रांत = थके हुए। . सन्दर्भ-प्रस्तुत छन्द महाकवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘कामायनी’ महाकाव्य के ‘श्रद्धा’ सर्ग से लिया गया है।

प्रसंग :
इस छन्द में प्रलय काल के पश्चात् श्रद्धा का मनु से साक्षात्कार होता है। श्रद्धा मनु से पूछती है।

व्याख्या :
श्रद्धा मनु से पूछती है कि तुम कौन हो? जिस प्रकार सागर की लहरों द्वारा किनारे पर फेंकी गई मणि सूनेपन को अपनी ज्योति से सुशोभित करती है, उसी प्रकार तुम भी इस संसार रूपी सागर के किनारे बैठे हुए मणि के समान इस एकान्त स्थान को अपनी कान्ति से सुशोभित कर रहे हो। तुम्हारा रूप मधुर है, तुम थके हुए से प्रतीत हो रहे हो और इस एकान्त सूने स्थान पर बैठे हो। तुम्हें देखकर ऐसा लगता है मानो तुमने संसार के रहस्य को सुलझा लिया है इसलिए तुम यहाँ निश्चित होकर बैठे हो। तुम्हारे मुख पर करुणा भी है और तुम्हारा मौन बड़ा आकर्षक प्रतीत होता है। तुम्हारी यह शान्ति सदैव चंचल रहने वाले मन की शिथिलता के समान है।

विशेष :

  1. कविता का आरम्भ नाटकीय ढंग से होता है।
  2. रूपक एवं उपमा अलंकार का प्रयोग।
  3. श्रृंगार रस।

(2) सुना यह मनु ने मधु गुंजार मधुकरी-सा जब सानन्द,
किए मुख नीचा कमल समान प्रथम कवि का ज्यों सुन्दर छन्द,
एक झिटका-सा लगा सहर्ष, निरखने लगे लुटे से कौन,
गा रहा यह सुन्दर संगीत? कुतूहल रहन सका फिर मौन।

शब्दार्थ :
मधु-गुंजार = मनोहर शब्द। मधुकरी = भँवरी। सानन्द = आनन्द सहित। झिटका = झटका।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
कवि कहता है कि उस समय मनु नीचे झुके हुए कमल के समान अपना मुख नीचा किए बैठे थे। उन्होंने भँवरी की गुंजार के समान श्रद्धा की यह मधुर वाणी बड़े हर्ष से सुनी। उस समय वे अकेले थे; किसी अन्य की मधुर वाणी सुनकर उनका प्रसन्न होना स्वाभाविक था। श्रद्धा द्वारा कहे गये ये शब्द मनु के लिए आदि कवि वाल्मीकि के प्रथम सुन्दर छन्द के समान थे।

वाल्मीकि कवि के प्रथम छन्द में करुणा का भाव समाया हुआ था। इधर श्रद्धा के वचनों में भी करुणा है। श्रद्धा की वाणी सुनते ही मनु को एक झटका-सा लगा और वे मोहित होकर यह देखने लगे कि कौन यह संगीत से मधुर वचन कह रहा है? जब मनु ने श्रद्धा को अपने सामने देखा तो कुतूहल के कारण वह शान्त न रह सके।

विशेष :

  1. आदि कवि वाल्मीकि के मुख से जो प्रथम छन्द निकला था, उसमें करुणा मौजूद थी।
  2. अनुप्रास एवं उपमा अलंकार का प्रयोग।
  3. भाषा खड़ी बोली।

(3) और देखा वह सुन्दर दृश्य नयन का इन्द्रजाल अभिराम,
कुसुम-वैभव में लता समान चन्द्रिका से लिपटा घनश्याम।
हृदय की अनुकृति बाह्य उदार एक लम्बी काया उन्मुक्त,
मधु-पवन, क्रीड़ित ज्यों शिशु साल, सुशोभित हो सौरभ-संयुक्त।

शब्दार्थ :
इन्द्रजाल = जादू। अभिराम = सुन्दर। कुसुम-वैभव = फलों का ऐश्वर्य। चन्द्रिका = चाँदनी। घनश्याम = काला बादल। अनुकृति = अनुरूप। बाह्य = देखने में। उन्मुक्त = स्वछंद। मधु-पवन = बसन्त की वाय शिशु-साल = साल का छोटा वृक्ष। सौरभ-संयुक्त = सुगन्धि से युक्त।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
कवि कहता है कि मनु ने वह सुन्दर दृश्य देखा जो नेत्रों को जादू के समान मोहित कर देने वाला था। श्रद्धा उस समय फूलों की शोभा से युक्त लता के समान लग रही थी। श्रद्धा चाँदनी से घिरे हुए काले बादल के समान लग रही थी। श्रद्धा ने नीली खाल का वस्त्र पहन रखा था इस कारण वह बादल के समान दिखाई दे रही थी। किन्तु उसकी शारीरिक कान्ति उसके परिधान के बाहर भी जगमगा रही थी। श्रद्धा हृदय की भी उदार थी और उसी के अनुरूप वह देखने में उदार लग रही थी, उसका कद लम्बा था और उससे स्वच्छन्दता झलक रही थी। वायु के झोंकों में वह ऐसी लगती थी मानो बसन्त की वायु से हिलता हुआ कोई छोटा साल का पेड़ हो और वह सुगन्धि में डूबा हो।

विशेष :

  1. श्रद्धा के अनुपम सौन्दर्य का वर्णन।
  2. उपमा तथा उत्प्रेक्षा अलंकार।
  3. भाषा-खड़ी बोली।

(4) मसूण, गांधार देश के नील रोम वाले मेषों के चर्म,
ढंक रहे थे उसका वपु कांत बन रहा था वह कोमल वर्म।
नील परिधान बीच सुकुमार खुला रहा मृदुल अधखुला
अंग, खिला हो ज्यों बिजली का फूल मेघवन बीच गुलाबी रंग।

शब्दार्थ :
मसृण = चिकने। गांधार देश = कंधार देश (अफगानिस्तान देश वर्तमान में)। रोम = रोयें। मेष = मेंढ़ा। चर्म = खाल। वपु = शरीर। कान्त = सुन्दर। वर्म = आवरण। परिधान = वस्त्र। मृदुल = कोमल।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
कवि कहता है कि कंधार देश के रोयें वाले मेंढ़ों की कोमल खाल से उसका सुन्दर शरीर ढका हुआ था। वही खाल (चमड़ा) उसका कोमल आवरण (वस्त्र) बन रहा था।
उस नीले आवरण के बीच से उसका कोमल अंग दिखाई दे रहा था। ऐसा लग रहा था मानो मेघ-वन के बीच में गुलाबी रंग का बिजली का फूल खिला हो।

विशेष :

  1. श्रद्धा की वेशभूषा और सुन्दरता का वर्णन है।
  2. उपमा तथा उत्प्रेक्षा अलंकार।
  3. भाषा-खीड़ी बोली।

(5) आज, वह मुख! पश्चिम के व्योम बीच जब घिरते हों घनश्याम,
अरुण रवि-मण्डल उनको भेद दिखाई देता हो छविधाम।
या कि, नव इंद्रनील लघु शृंग फोड़कर धधक रही हो कांत,
एक लघु ज्वालामुखी अचेत माधवी रजनी में अश्रान्त।

शब्दार्थ :
व्योम= आकाश। अरुणलाल। रवि-मण्डल = सूर्य मण्डल। छविधाम = सुन्दर। इन्द्रनील = नीलम। लघु श्रृंग = छोटी चोटी। माधवी रजनी = बसन्त की रात। अश्रान्त = निरन्तर।
सन्दर्भ एवं प्रसंग-पूर्ववत्।
व्याख्या-कवि कहता है कि आह! वह मुख बहुत ही। सुन्दर था। सन्ध्या के समय पश्चिम दिशा में जब काले बादल आ जाते हैं और सूर्य अस्त होने से पहले छिप जाता है किन्तु जब
लाल सूर्य उन मेघों को चीर कर दिखाई देता है तो वह अत्यन्त सुन्दर दिखाई देता है। श्रद्धा के मुख का सौन्दर्य भी वैसा ही था।
श्रद्धा के मुख की सुन्दरता का वर्णन करते हुए आगे कवि। कहता है कि नीलम की नन्ही-सी चोटी हो और बसन्त ऋतु की मधुर रात्रि में एक छोटा-सा ज्वालामुखी उस नीलम की चोटी
को फोड़कर धधक रहा हो तो जैसी उसकी शोभा होगी, वैसी ही। शोभा श्रद्धा के मुख की थी।

विशेष :

  1. श्रद्धा द्वारा पहना गया वस्त्र नीला है इस कारण नीले मेघों के बीच सूर्य की कल्पना की गई है।
  2. नीलम की चोटी कल्पना भी इसी नीले आवरण के कारण की गयी है।
  3. उत्प्रेक्षा अलंकार।

(6) घिर रहे थे घुघराले बाल अंस अवलम्बित मुख के पास,
नील घनशावक से सुकुमार सुधा भरने को विधु के पास।
और उस मुख पर वह मुसकान। रक्त किसलय पर ले विश्राम,
अरुण की एक किरण अम्लान अधिक अलसाई हो अभिराम।

शब्दार्थ :
अंस. = कंधा। अवलम्बित = सहारे। घन-शावक = बादल के बच्चे। सुधा = अमृत। विधु = चन्द्रमा। रक्त किसलय = लाल कोंपल। अरुण = सूर्य। अम्लान = कान्तिमान। अभिराम = सुन्दर।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
श्रद्धा के मुख के पास उसके कंधे पर धुंघराले बाल बिखरे हुए थे। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था मानो मेघों के बालक अर्थात् छोटे बादल चन्द्रमा के पास अमृत भरने को आये हों और श्रद्धा के मुख पर मुस्कराहट ऐसी शोभा दे रही थी मानो कोई सूर्य की कान्तिमान किरण लाल कोंपलों पर विश्राम करके अलसा रही हो।

विशेष :

  1. श्रद्धा के बाल नीले मेघों के समान हैं और मुख = चन्द्रमा के समान, अतः उत्प्रेक्षा अलंकार।
  2. श्रद्धा के ओंठ लाल कोंपल के समान हैं और मुस्कराहट सूर्य की किरण के समान। अतः उत्प्रेक्षा।
  3. श्रृंगार रस।

(7) नित्य-यौवन छवि से ही दीप्त विश्व की करुण कामना मूर्ति,
स्पर्श के आकर्षण से पूर्ण प्रकट करती ज्यों जड़ में स्फूर्ति।
उषा की पहिली लेखा कांत, माधुरी से भींगी भर मोद,
मद भरी जैसे उठे सलज्ज भोर की तारक-द्युति की गोद॥

शब्दार्थ :
यौवन की छवि = यौवन की शोभा। दीप्ति = शोभित। करुण = दयावान। कामना मूर्ति = इच्छा की मूर्ति। स्पर्श-पूर्ण = श्रद्धा को देखकर उसे स्पर्श करने की इच्छा होती थी। स्फूर्ति = चेतना। लेखा कांत = सुन्दर किरण। माधुरी = सुषमा। मोद = हर्ष। मदभरी = मस्ती से भरी हुई। भोर = प्रात:काल। तारक द्युति की गोद = तारों की शोभा की छाया में।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
कवि कहता है कि श्रद्धा अनन्त यौवन की शोभा से दीप्त थी। वह संसार भर की सदय इच्छा की मूर्ति थी। उसे देखकर उसे स्पर्श करने की तीव्र इच्छा उत्पन्न होती थी। ऐसा लगता था मानो उसका सौन्दर्य जड़ वस्तुओं में भी चेतना भर देता था।

श्रद्धा उषा की पहली सुन्दर किरण के समान है। उसमें माधुर्य, आनन्द, मस्ती एवं लज्जा है। जिस प्रकार उषा की प्रथम किरण अन्धकार को दूर करती हुई निकल जाती है उसी प्रकार श्रद्धा के दर्शन से मनु के हृदय में छाया निराशा का अंधकार भी दूर होने लगा।

विशेष :

  1. उषा की प्रथम किरण का मानवीकरण है।
  2. श्रद्धा को पाकर मनु की निराशा कुछ कम होने लगी है।
  3. उपमा एवं उत्प्रेक्षा अलंकार।

(8) कुसुम कानन अंचल में मंद-पवन प्रेरित सौरभ साकार,
रचित-परमाणु-पराग-शरीर, खड़ा हो, ले मधु का आधार।
और पड़ती हो उस पर शुभ्र नवल मधु राका मन की साथ,
हँसी का मद विह्वल प्रतिबिम्ब मधुरिमा खेला सदृश अबाध।

शब्दार्थ :
कानन-अंचल = जंगल के बीच। मंद-पवन = धीरे-धीरे चलने वाली वायु। सौरभ साकार = सुगन्धि की साकार मूर्ति। परमाणु – पराग = पराग के परमाणु। मधु = पुष्प रस। शुभ्र = स्वच्छ। नवल = नवीन। मधु राका = बसन्त की पूर्णिमा। मद विह्वल = मस्ती से भरी हुई। मधुरिमा खेला सदृश अबाध = हँसी में अक्षय माधुर्य भरा है।

सन्दर्भ एवं प्रसंग :
पूर्ववत्।

व्याख्या :
कवि कहता है कि श्रद्धा फूलों से भरे हुए वन के बीच सौरभ की मूर्ति के समान दिखाई देती है, जिससे मन्द पवन खेल रहा है। वह सौरभ की मूर्ति फलों के पराग के परमाणुओं से बनी है। इस पराग निर्मित मूर्ति पर मन की कामना रूपी नवीन बसन्त की पूर्णिमा की चाँदनी पड़ रही हो तो जैसी शोभा होगी, वैसी ही शोभा श्रद्धा की हो रही थी। उस समय श्रद्धा की मस्त हँसी निरन्तर माधुर्य से खेला करती थी।

विशेष :

  1. श्रद्धा को पराग के परमाणुओं से निर्मित मूर्ति के समान दिखाकर उसके अनुपम सौन्दर्य का वर्णन किया है।
  2. उपमा अलंकार, अनुप्रास की छटा।
  3. शृंगार रस।

MP Board Class 10th Hindi Solutions

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 12 हँसिए और स्वस्थ रहिए

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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 12 हँसिए और स्वस्थ रहिए (संकलित)

हँसिए और स्वस्थ रहिए पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

हँसिए और स्वस्थ लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Class 10 Hindi Chapter 12 Mp Board प्रश्न 1.
हास्य से कौन-सा हार्मोन्स सावित होता है?
उत्तर
हास्य से कोरेलामिन्स हार्मोन्स होता है।

Hindi Class 10 Chapter 12 Question Answer MP Board प्रश्न 2.
तनाव के कारण कौन-कौन से रोग उत्पन्न होते हैं?
उत्तर
तनाव के कारण उच्च रक्तचाप, सिरदर्द, पेप्टिक अल्सर, हृदय रोग आदि उत्पन्न होते हैं।

क्लास 10th हिंदी बुक MP Board प्रश्न 3.
देर तक हँसते रहने से मनुष्य का चेहरा लाल क्यों हो जाता है?
उत्तर
देर तक हँसते रहने से रक्तवाहिनी नलिकाओं पर रक्त हृदय तक पहुँचने से मार्ग में कई जगह रुकता है। इसलिए देर तक हँसते रहने से मनुष्य का चेहरा लाल हो जाता है।

Hindi Vasanti Class 10 MP Board प्रश्न 4.
डॉ. कटारिया ने कितने प्रकार के हास्य-व्यायाम ईजाद किए हैं?
उत्तर
डॉ. कटारिया ने लगभग 30 प्रकार के हास्य व्यायाम ईजाद किए हैं।

Mp Board Hindi Class 10th प्रश्न 5.
दीर्घ जीवन के मुख्य सूत्र क्या हैं?
उत्तर
मुस्कराना, हँसना, खिलखिलाकर ठहाके लगाना, शारीरिक स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन का स्वर्णिम सूत्र हैं।

Kaksha Dasvin Hindi MP Board Class 10th प्रश्न 6.
मुक्त हास्य से क्या-क्या लाभ हैं?
उत्तर
मुक्त हास्य से अनेक लाभ हैं। इससे परस्पर निकटता आती है। आत्मीयता के बंधन प्रगाढ़ बनते हैं और तनावों से मक्ति मिल जाती है।

हँसिए और स्वस्थ रहिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

क्लास 10th हिंदी MP Board प्रश्न 1.
अति व्यस्तता ने मानव-जीवन को किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर
खिलखिलाहटों की खनकती गूंज इन दिनों कहीं खो-सी गई है। कृत्रिम सभ्यता ने मनुष्य की नींद व चैन हराम करके रख दिया है। अपनी अस्त-व्यस्तता में उसे किसी चीज के लिए फुरसत नहीं है। अगर फुरसत मिलती भी है, तो सिर्फ तनाव, चिंता एवं उद्विग्नता के लिए इसकी परिणति यह है कि शरीर भाँति-भाँति के रोगों से ग्रसित और मन तरह-तरह के शारीरिक विकारों से व्यथित है।

Class 10th Subject Hindi MP Board प्रश्न 2.
हँसी का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर
हँसी का स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। इससे चेहरे की काँति बढ़ती है। शरीर का संतुलन ठीक होता है साथ ही पित्त का शमन होता है जो कि एसिडिटी का प्रमुख कारण है। इस तरह ठहाकों भरी हँसी से अस्त रोग का स्वयमेव खात्मा हो जाता है।

प्रश्न 3.
प्रसन्न व्यक्ति की ओर लोग क्यों आकर्षित होते हैं?
उत्तर
प्रसन्नचित्त व्यक्ति को देखकर लोग प्रसन्न होते हैं, उसकी ओर आकर्षित होते हैं, उसकी मैत्री प्राप्त करना चाहते हैं। प्रसन्नता एक आध्यात्मिक वृत्ति है, एक दैवी चेतना है। इसका आश्रय ग्रहण करने वाले के सारे शोक-संताप भाग जाते हैं। प्रमुदित मन और प्रसन्नचित्त व्यक्ति के पास बैठकर लोग अपना दुःख-दर्द भूल जाते हैं, सुख और सन्तोष का अनुभव करते हैं। मुदितात्मा व्यक्ति देवदूत होता है, संसार का कलुष दूर करने वाला होता है।

प्रश्न 4.
‘खिलता मानव-जीवन का भीषण अभिशाप है’ कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
प्रस्तुत कथन अप्रसन्न, उदास और खिन्न रहने वाले व्यक्ति के प्रति है। इसके द्वारा लेखक ने यह स्पष्ट करना चाहा है कि इस प्रकार के व्यक्ति की सारी शक्तियाँ कमजोर पड़ जाती हैं। वे विषाद (शोक) उत्पन्न करने वाली स्थिति में एक ऐसी तपन उत्पन्न कर देती हैं कि उससे जीवन के सारे उपयोगी जल जाते हैं। फलस्वरूप जीवन भयंकर अभिशाप में बदल जाता है।

प्रश्न 5.
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मुस्कुराना क्यों आवश्यक है?
उत्तर
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मुस्कुराना आवश्यक है। यह इसलिए कि इससे बात कहकर सामने वाले व्यक्ति को हम जितना प्रभावित कर सकते हैं, उतना अन्य किसी उपाय से नहीं। मुस्कान में एक प्रकार का सम्मोहन होता है, जिसकी तुलना और किसी से नहीं की जा सकती है।

हँसिए और स्वस्थ रहिए भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव, और आगत शब्दों को छाँटकर लिखिए
नींद, अनुसंधान, हँसी, माइग्रेन, राहत, सन्तुलन, विध्वंसक, अनुशासन, फुरसत।
उत्तर
तत्सम शब्द – अनुसंधान, सन्तुलन, विध्वसंक, अनुसंधान
तद्भव शब्द – नींद, हँसी
आगत शब्द – माइग्रेन, राहत, फुरसत।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित संधियों का विग्रह कीजिए
स्वासोच्छवास, विषादोत्पादक, विरोधाभास, मुदितात्मक।
उत्तर
संघि – विग्रह
स्वासोच्छवास – श्वास + उछ्वास
विषादोत्पादक – विषाद + उत्पादक
विरोधाभास – विरोध + आभास
मुदितात्मक – मुदित + आत्मक।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों को पहचानकर सही निशान लगाइए
(क) मुस्कान में एक प्रकार का सम्मोहन होता है, जिसकी समानता किसी अन्य से नहीं की जा सकती है। (मिश्र वाक्य/संयुक्त वाक्य)
(ख) हँसने से मस्तिष्क को उत्प्रेरणा मिलती है। (सरल वाक्य/संयुक्त वाक्य)
(ग) प्रसन्नचित्त व्यक्ति की ओर लोग आकर्षित होते हैं और उसकी मैत्री प्राप्त करना चाहते थे। (संयुक्त वाक्य/मिश्र वाक्य)
(घ) शिवेश काल भोपाल नहीं जाएगा। (निषेघवाचक वाक्य/प्रश्नवाचक वाक्य)
(ङ) ईश्वर करें, आप शीघ्र स्वस्थ हो जाएँ। (संकेतवाचक वाक्य/इच्छावाचक वाक्य)
उत्तर
(क) मिश्रवाक्य
(ख) सरल वाक्य
(ग) संयुक्त वाक्य
(घ) निषेधवाचक वाक्य
(ङ) इच्छावाचक वाक्य

हँसिए और स्वस्थ रहिए योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1. अपने हमउम्र साथियों का एक ‘हास्य-क्लब’ तैयार कीजिए और प्रतिदिन कुछ समय हास्य-व्यायाम कीजिए।
प्रश्न 2. दूरदर्शन और आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले हास्य कार्यक्रमों को देखिए और सुनिए।
प्रश्न 3. हास्य पत्र-पत्रिकाएँ एवं अन्य कार्टून चित्र-कथाओं को पढ़िए।
उत्तर
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

हँसिए और स्वस्थ रहिए परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘हँसिए और स्वस्थ रहिए’ निबंध का प्रतिपाय लिखिए।
उत्तर
‘हँसिए और स्वस्थ रहिए’ निबंध हँसी के महत्त्व और प्रभाव को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है-लेखक का मानना है कि हँसी मनुष्य के लिए वरदान है। बुद्धि, विद्या, स्वास्थ्य, प्रसन्नता और सामाजिक आबाद हँसी के माध्यम से सहज ही उपलब्ध हो जाते हैं। इस निबंध में हँसी के बहुआयामी लाभों को प्रकट किया गया है। लेखक की वैज्ञानिक दृष्टि इस निबंध में अधिक उपयोगी है। इसलिए हँसी के महत्त्व को वैज्ञानिक आलोक में प्रकट किया गया है। हँसने से शरीर की काँति बढ़ती है। इसके द्वारा अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है। हँसी मस्तिष्क को उत्प्रेरणा देती है। यह एक थेरेपी है, इस थेरेपी के स्रोत प्राचीन भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा विज्ञान में भी प्राप्त होते हैं। आज जब हम अनेक तनावों के बीच जी रहे हैं, तब हँसी हमारे लिए सर्वसुलभ महाऔषधि है। इसलिए आजकल हास्य क्लब भी बनाए जाते हैं। जीवन का आनंद पाने के लिए हँसना जरूरी है। इस तरह यह निबंध रुचिकर हो गया है और हँसी के अनेक पक्षों को प्रकट करने में समर्थ और सफल है।

प्रश्न 2.
हँसी से मानसिक और शारीरिक तनाव किस प्रकार दूर होते हैं?
उत्तर
प्रतिदिन चार-पाँच किलोमीटर दौड़ने से जो व्यायाम होता है, और उससे जो शारीरिक क्षमता बढ़ती है, उतनी ही हँसी से बढ़ती है। हँसने से स्नायुओं को अपने-आप व्यायाम करने का अवसर मिलता है। इससे शारीरिक और मानसिक तनाव दूर हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
स्वयं हँसने और औरों को हँसाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर
स्वयं हँसने और औरों को हँसाने के अनेक लाभ हैं। इस तरह मुस्कुराना, हँसना, खिलखिलाकर ठहाके लगाना, शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन का स्वर्णिम सूत्र है। हँसने का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है इसकी संक्रामकता। यदि हम हँसते हैं तो सारा जग हँसने लगता है। एक साथ हँसने से संबंधों की मलिनताएँ, दुर्भावनाएँ आदि घुल जाती हैं व आपसी संबंध अधिक सरस, विश्वसनीय व सुदृढ़ ‘ बनते हैं। जो कि सामाजिक जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। हँसने के लाभ अनेक हैं, लेकिन इनका यथार्थ परिचय तभी मिल सकता है जब अपने जीवन का यही एक सूत्र हो, खूब हँसेंगे औरों को भी हँसाएँगे। देखते-देखते तनाव कम होता जाएगा एवं दुनिया और रंगीन जीने योग्य नजर आएगी।

प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्दों के चयन से कीजिए
1. तनाव से मुक्ति ………….. संभव हैं। (औषधि से, हँसी की गूंज से)
2. हँसने से चेहरे की ………….. बढ़ती है। (लालिमा, काँति)
3. हँसती-हँसाती जिन्दगी तमाम रोगों की …………… दवा है। (अचूक, बड़ी)
4. मुस्कान में एक प्रकार का …………… होता है। (बल, सम्मोहन)
5. एक पुस्तक में लिखा है-‘नाराज होइए तो …………….. कर। (गंभीर हो, मुस्कुरा)
उत्तर
1-हँसी की गूंज से
2. काँति
3. अचूक
4. सम्मोहन
5. मुस्कुरा।

प्रश्न 5.
दिए गए कथनों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए।

1. डॉक्टर कटारिया हँसोड़ कल्ब खोल चुके हैं
1. 100
2. 102
3. 150
4. 200
उत्तर
3. 150

2. आज रोगों का कारण तनाव है
1. 60 प्रतिशत
2. 50 प्रतिशत
3. 75 प्रतिशत
4. 100 प्रतिशत
उत्तर
1. 60 प्रतिशत

3. हँसने से राहत मिलती है
1. पित्त से
2. अपच से
3. भूल से
4. चिंता से।
उत्तर
1. पित्त से

4. झूले की आवाज निकालकर हँसना होता है
1. सिंह हास में
2. कपोत हास में
3. हिंडोल हास में
4. किसी में नहीं।
उत्तर
3. हिंडोल हास में

5. खिन्नता मानव जीवन का है
1. बर्बादी
2. रोड़ा
3. अभिशाप
4. बंधन।
उत्तर
(3) अभिशाप।

प्रश्न 6.
सही जोड़ी का मिलान कीजिए।
उर्वशी – नरेंद्र शर्मा
चिंतामणि – डॉ. रामकुमार बेहार
बस्तर अरण्यक – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
हिम किरीटनी – रामचंद्र शुक्ल
प्रवासी के गीत – माखन लाल चतुर्वेदी
उत्तर
उर्वशी – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
चिंतामणि – रामचंद्र शुक्ल बस्तर
अरण्यक – डॉ. रामकुमार बेहार हिम
किरीटनी – माखनलाल चतुर्वेदी
प्रवासी के गीत – नरेंद्र शर्मा।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए।
1. डॉक्टर कटारिया विदेशी डॉक्टर हैं।
2. डॉक्टर कटारिया ने हँसोड़ क्लब बनाया है।
3. खिन्न रहने वाले व्यक्ति की सारी शक्तियाँ शिथिल हो जाती हैं।
4. हँसने से पेट पर पड़ने वाला दबाव बढ़ जाता है।
5. भोजन करते समय रोने वाले व्यक्ति की भूख बढ़ जाती है।
उत्तर
1. असत्य
2. सत्य
3. सत्य
4. असत्य
5. असत्य।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित कथनों का उत्तर एक शब्द में दीजिए
1. किसने हास्य व्यायाम ईजाद किए हैं?
2. डॉ. कटारिया क्या खोल चुके हैं?
3. स्विट्जरलैण्ड और अमेरिका में किसको सराहा गया? .
4. हम हँसते हैं तो कौन हँसने लगता है?
5. अपनी ओर ध्यान दिलाने के लिए हम क्या करें?
उत्तर
1. डॉ. कटारिया ने
2. हँसोड़ क्लब
3. डॉ. कटारिया को
4. संसार
5. मुस्कुरायें।

हँसिए और स्वस्थ रहिए लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
हँसने का सबसे बड़ा लाभ क्या है?
उत्तर
हँसने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे हम जीवन का एक सूत्र मानकर खूब हँसें। दूसरों को भी हँसायें। इससे देखते-देखते तनाव कम हो जाएगा। सारी दुनिया और रंगीन जीने योग्य दिखाई देगी।

प्रश्न 2.
मानव-प्रकृति के वैज्ञानिकों का क्या मानना है?
उत्तर
मानव-प्रकृति के मर्मज्ञों का मानना है कि समस्या का शाश्वत निदान तभी संभव है जबकि मनुष्य तनावमुक्त हो सके और यह किसी औषधि से नहीं हँसी की गूंज से संभव है। ठहाकों भरी हँसी-खिलखिलाहटों की मधुर गूंज और आनंद बिखेरती मुस्कान, इन सभी समस्याओं की अचूक औषधि है।

प्रश्न 3.
किन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है?
उत्तर
ऐसे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जो लोग अधिक तनावग्रस्त होते हैं।

प्रश्न 4.
विभिन्न अनुसंधानों से वैज्ञानिकों ने क्या निष्कर्ष निकाला है?
उत्तर
विभिन्न अनुसंधानों से वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि हँसने से मस्तिष्क को अप्रेरणा मिलती है।

प्रश्न 5.
कौन व्यक्ति कभी स्वस्थ नहीं रह सकता है?
उत्तर
जो व्यक्ति घर के एक कोने में चारपाई पर पड़ा है। कोई उसकी ओर ध्यान नहीं देता। भोजन वस्त्रों की उसे कमी नहीं है। सब कुछ समय से मिल जाता है, पर उसकी बात कोई सुनता नहीं, कोई मानता नहीं। ऐसा व्यक्ति कभी स्वस्थ नहीं रह सकता है।

हँसिए और स्वस्थ रहिए कविता का सारांश

प्रस्तुत निबंध में निबंधकार ने आज के तनावग्रस्त माहौल पर चिंता व्यक्त किया है। इससे छुटकारा पाने के लिए हँसी की गूंज को आवश्यक बतलायां है। उसका यह मानना है कि इससे सभी प्रकार की मानसिक और शारीरिक समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। इसके प्रभाव और महत्त्व को केवल आज के ही वैज्ञानिक नहीं, अपितु प्राचीन ऋषिगण भी स्वीकारते रहे हैं। उनके अनुसार हास्य से लाभ-ही-लाभ हैं। इससे चेहरे की काँति बढ़ती है और शरीर का संतुलन ठीक रहता है। यही नहीं इससे पित्त का शमन भी हो जाता है। अम्ल रोग भी अपने-आप खत्म हो जाता है। हँसने से भोजन शीघ्र पचता है। हँसने से मस्तिष्क को उत्प्रेरणा मिलती है। हँसने से स्नायुओं को अपने-आप व्यायाम करने का अवसर मिलता है। इससे शारीरिक व मानसिक तनाव दूर होता है। इस प्रकार मुस्कराना, हँसना, खिलखिलाकर ठहाके लगाना, शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और दीर्घायु जीवन का स्वर्णिम सूत्र है। सामाजिक जीवन में सफलता का मार्ग एक साथ हँसने से प्रशस्त होता है। उससे मलिनताएँ, दुर्भावनाएँ आदि दूर हो जाती हैं।

प्रसन्न व्यक्ति को सभी चाहते हैं। उसके साथ होने से सारे शोक-संताप दूर हो जाते हैं। इसके विपरीत अप्रसन्न, उदास और खिन्न रहने वाले व्यक्ति की सारी शक्तियाँ ढीली हो जाती हैं। इसलिए यदि आप व्यापारी, वक्ता, अध्यापक, उपदेशक, अधिकारी, या कर्मचारी जो कुछ भी हों, आप चाहते हैं कि आपकी ओर ध्यान दिया जाए, तो आप मुस्कराकर सामने वाले व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं, उतना अन्य किसी उपाय से नहीं। इसलिए आप कितने भी व्यस्त क्यों न हों. अपनी पत्नी-बच्चों के साथ हँसने-खिलखिलाने का बहाना अवश्य ढूँढ़ लें। इससे कुछ क्षण आत्मीयता के बँधनों को प्रगाढ़ बनाएं। यही नहीं ‘तनावों से मुक्ति प्रदान करके परिवार को स्वस्थ बनाए रखेगा।

हँसिए और स्वस्थ रहिए संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

(1) प्रसन्नचित्त व्यक्ति को देखकर लोग प्रसन्न होते हैं, उसकी ओर आकर्षित होते हैं, उसकी मैत्री प्राप्त करना चाहते हैं। प्रसन्नता एक आध्यात्मिक वृत्ति है, एक दैवी चेतना है। इसका आश्रय ग्रहण करने वाले के सारे शोक-संताप भाग जाते हैं। प्रमुदित मन और प्रसन्नचित्त व्यक्ति के पास बैठकर लोग अपना दुःख-दर्द भूल जाते हैं, सुख और संतोष का अनुभव करते हैं। मुदितात्मा व्यक्ति देवदूत होता है, संसार का कलुष दूर करने वाला होता है।

शब्दार्च-मैत्री-मित्रता। आध्यात्मिक-अध्यात्म से संबंधित, अथवा अध्यात्मक की। वृत्ति-चेतना। आश्रय-छाया। प्रमुदित-प्रसन्न। संताप-कष्ट। कलुष-दोष।

संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ 10वीं में संकलित ‘हँसिए और स्वस्थ रहिए’ शीर्षक से है।

प्रसंग-इसमें लेखक ने प्रसन्नचित्त व्यक्ति की विशेषता को बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या-प्रसन्न हुए व्यक्ति का प्रभाव सुखद और आनन्ददायक होता है। उसे देखकर लोग सुख और सन्तोष का अनुभव करते हैं। उसकी ओर लोगबाग ध्यान देते हैं। उसके साथ रहना चाहते हैं। उसके प्रति सहयोग और मित्रता चाहते हैं। इस प्रकार प्रसन्नता एक आध्यात्मिक चेतना है। एक ईश्वरीय चेतना है। इस प्रकार के व्यक्ति के संपर्क या संगति में आने से बहुत बड़ा चमत्कार होता है। फलस्वरूप हर प्रकार के शोक-कष्ट दूर हो जाते हैं। प्रसन्नचित्त व्यक्ति का मन बड़ा प्रभावशाली होता है। प्रसन्न रहने वाले व्यक्ति के पास रहने वाले लोग-बाग अपने सारे अभाव और परेशानियों से निजात पा लेते हैं। इससे वे सुख, आनन्द और संतोष का अनुभव करने लगते हैं। प्रसन्नचित्त व्यक्ति ईश्वरीय दूत के समान होता है, जो संसार के लोगों के दोषों और कमियों को दूर करने के लिए इस संसार में आता है।

विशेष-

  1. प्रसन्नचित्त व्यक्ति की विशेषता प्रभावशाली रूप में है।
  2. भाव सरल और सुस्पष्ट हैं।

अर्यग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रसन्नचित्त व्यक्ति की क्या विशेषता होती है?
उत्तर
प्रसन्नचित्त व्यक्ति की बहुत बड़ी विशेषता होती है। उसे देखकर लोगबाग प्रसन्नता से झूम उठते हैं। उसकी ओर लटू होकर उसे दोस्ती करने की चाह करने लगते हैं।

प्रश्न 2.
प्रसन्नचित्त व्यक्ति का दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर
प्रसन्नचित्त व्यक्ति का दूसरों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उस प्रभाव से उसके संपर्क में आने वाले लोगों के दुख-अभाव छू मंतर हो जाते हैं। उन्हें सुख और आनंद के हिलोरें आने लगते हैं। इस प्रकार प्रसन्नचित्त व्यक्ति दूसरे के दोषों को दूर करने वाला देवदूत के समान होता है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गयांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त गद्यांश में लेखक प्रसन्नचित्त व्यक्ति की असाधारण विशेषता को बहलाने का प्रयास किया है। इसके माध्यम से उसने यह स्पष्ट करना चाहा है कि प्रसन्नचित्त दूसरों को आकर्षित करके अपनी संगति में रख लेता है। फिर वह एक देवदूत के समान उनके कष्टों, अभावों और दोषों को दूर करने लगता है।

2. अप्रसन्न, उदास तथा खिन्न रहने वाले व्यक्ति की सारी शक्तियाँ शिथिल हो जाती हैं। विषादोत्पादक स्थिति में एक ऐसी तपन होती है, जो मानवजीवन के सारे उपयोगी तत्त्वों को जला डालती है। खिन्नता मानव जीवन का भीषण अभिशाप है। यह.जीती-जागती नरक की भयानक ज्वाला की भाँति मनुष्य को दीन-हीन, दुःखी और दद्धि बनाकर रख देती है। जिसके चेहरे पर मुस्कान नहीं, हँसी नहीं, प्रसन्नता नहीं, कोई भी उसके पास बैठना, उसे याद करना, उसके संपर्क में रहना पसंद नहीं करता। हर आदमी उससे दूर भागता है, जिससे उसका जीवन एकाकीपन के भार से दबकर दुरुह बन जाता है।

शब्दार्च-खिन्न-दुखी। शिथिल-ढीली, कमजोर । विषादोत्पादक-शोक को उत्पन्न करने वाली। तपन-पीड़ा, गर्मी, जलन । भीषण-भयानका अभिशाप-लांक्षन, बड़ा दोष। दुरूह-कठिन।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने अप्रसन्न और उदास रहने वाले व्यक्तियों की अनुपयोगिता को बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या-हमेशा अप्रसन्न, उदास और दुखी रहने वाला व्यक्ति की कार्यक्षमता बड़ी कमजोर होती है। फलस्वरूप उससे शोक उत्पन्न करने वाली ही दशाएँ सामने आती हैं। ये एक तपन के समान होती हैं। फलस्वरूप जीवन की अच्छाइयाँ और उपयोगी स्वरूप इनसे जल-जलकर समाप्त होने लगते हैं। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि दुखी रहना मानव की अच्छाई नहीं अपितु एक बहुत बड़ा दोष है। एक ऐसा बड़ा दोष है, जिससे मनुष्य का जीवन नरक की भयानक ज्वाला की तरह दीन-हीन, दुखी और अभावों से भरकर रह जाता है। इस प्रकार की स्थिति में कहीं भी हँसी, मुस्कान, प्रसन्नता के चिह बिलकुल नहीं दिखाई देते हैं। फिर ऐसी स्थिति में पड़े हुए व्यक्ति के पास रहना व उसे महत्त्व देना भला कौन चाहेगा? अर्थात् कोई भी नहीं। उससे तो सभी नफ़रत करने लगते हैं। इससे वह समाज में अकेला रह जाता है। उस अकेलापन के बोझ की नीचे वह दबकर रह जाता है।

विशेष-

  1. अप्रसन्न व्यक्ति के दुष्प्रभाव को सामने रखा गया है।
  2. संपूर्ण कथन स्वाभाविक और विश्वसनीय है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अप्रसन्न व्यक्ति की क्या विशेषता होती है?
उत्तर
अप्रसन्न व्यक्ति की शक्तियाँ कमजोर और मन्द होती हैं। फलस्वरूप वे जीवन को दुखद अभिशापग्रस्त बना डालती हैं।

प्रश्न 2.
अप्रसन्न व्यक्ति के क्या-क्या दुष्प्रभाव होते हैं?
उत्तर
अप्रसन्न व्यक्ति के अनेक दुष्प्रभाव होते हैं। कोई उसके पास न तो बैठना चाहता है और न उसे कोई याद ही करना चाहता है। इस प्रकार सभी उससे दूर ही रहना चाहते हैं। इस तरह वह समाज में अकेला रह जाता है।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर

प्रश्न उपर्युक्त गद्यांश का मुख्य भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त गद्यांश में अप्रसन्न, उदास और खिन्न व्यक्तियों की विशेषता बतलाते हुए उनके दुष्प्रभाव को सामने रखा गया है। इसके माध्यम से लेखक ने ऐसे व्यक्तियों की निंदा करते हुए इनसे दूर रहने का संकेत भी किया है।

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 17 Money and Finance System

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MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 17 Money and Finance System

MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 Text book Exercises

Objective Type Questions

Mp Board Class 10th Social Science Chapter 17 Question 1.
Multiple Choice Questions
(Choose the correct answer from the following)

Chapter 17 Social Science Class 10 Question (i)
The primary function of money is –
(a) Medium of exchange
(b) Storage of value
(c) Standard of deferred payments
(d) All of above
Answer:
(a) Medium of exchange

Money And Financial System Class 10 Question (ii)
The Sahukars have an important role in –
(a) Industrial finance
(b) Finance for development
(c) Agricultural finance
(d) None of above
Answer:
(c) Agricultural finance

Class 10 Social Science Chapter 17 Question (iii)
The main function of Foreign Exchange Banks is –
(a) To accept deposits
(b) To lend money
(c) Exchange of money
(d) All of above
Answer:
(d) All of above

Mp Board Class 10th Social Science Solution In English Question 2.
Fill in the blanks:

  1. To satisfy the wants by exchanging one commodity with another commodity is called ………….. system.
  2. In a financial system the financial institutions provide ………….. to other needy persons by taking money on credit.
  3. The maximum number of members in a self help group is …………..
  4. The industrial banks provide short term and long term ………….. to industries.
  5. The saving banks collect the ………….. of public.

Answer:

  1. Barter
  2. Money
  3. Twenty
  4. Loan
  5. Money

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17 Very Short Answer Type Questions

Mp Board Solution Class 10 Social Science Question 1.
What was the main problem of Barter System?
Answer:
The main problem of barter system is:

  1. Fact of double coincidence
  2. Lack of divisibility
  3. Unnecessary wastage of time energy

Mp Board Solution Class 10th Social Science Question 2.
In which part of India is the ‘Chit Fund’ very popular?
Answer:
It is much popular in the villages of Southern India. There it runs in both the forms organised and unorganised. It is a sort of saving plan found in India. The members of these chit funds are made in a fixed number.

Mp Board Solution Class 10 Question 3.
What are the major difference between banks and non-banking institutions?
Answer:
Banks means Commercial banks which are scheduled under the provision of Reserve Bank of India while non-banking institutions work under private sector.

Mp Board Class 8 Social Science Solution Chapter 17 Question 4.
What is the term of loan given by Land Development Banks to farmers?
Answer:
Land Development Banks provide loan to the farmers as long term basis for the period of 15-20 years.

Mp Board Solution Class 10th Question 5.
What is the short name of the National Bank for Agricultural and Rural Development.
Answer:
NABARD.

10th Class Social 17th Lesson Question 6.
Which bank does the function of issuing notes in country?
Answer:
Reserve Bank of India.

Mp Board Solution.Com Class 10 Question 7.
In which state of the country the first mobile bank was established?
Answer:
Madhya Pradesh district Khargone.

Class 10th Mp Board Solution Question 8.
Is ICICI bank a public sector bank or private sector bank?
Answer:
ICICI is a bank of a private sector.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17 Short Answers Type Questions

Money And Credit Class 10 Pdf Question 1.
Which goods were used as money in ancient times?
Answer:
Metals, animals, foodgrains and cloths etc. were used as money is ancient times. These important goods are valuable to the business point of view either domestic or regional level.

Class 10th Mp Board Solution Social Science Question 2.
State the demerits of Sahukar system?
Answer:
The Sahukars play an important role in agricultural financing today. The Sahukars fulfil about 25 per cent requirements of agro financing. They also have a bad name apart from being popular. The main reason for this is their defective system of functioning in which

  1. High rate of interest.
  2. Advance interest.
  3. Manipulation in calerlation facts are included. Therefore the government has kept control over the Sahukars even then they have got an important role in rural areas.

Question 3.
Define money?
Answer:
According to Prof. Marshall, “Money includes all those commodities which in particular time or place undoubtedly can be accepted as consideration for goods and services as means of deferred payments.” According to Prof. Ely: “Money is that commodity which as a means of exchange can be freely transferred and ordinarily acceptable as a means of final payment of debts.”

Question 4.
What are commercial banks?
Answer:
The banks which arrange short – term loan for commercial purpose are called commercial banks. State Bank of India and its subsidiary banks are such types of banks.

Question 5.
What is meant by the finance system?
Answer:
People in their daily life need money to fulfil their daily requirements. Similarly, money is required for implementing different types of work related to industries, business and agriculture. To fulfil these requirements people, business man and farmers everyone has to take loan.

In the same way when we have income more than our need we need financing institutions to save that money safely and to earn profit from that Thus the financing institutions keeps our surplus income or saving as deposits and lend it, known as financing system. Thus the process of keeping balance between demand and supply of wealth or capital in the economy is called financing system.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17 Long Answer Type Questions

Question 1.
Write an article on the development of money?
Answer:
In ancient time the man too could not produce all the commodities of his requirement. Therefore, he started to exchange the goods produced by him with goods produced by other person. It is known as Barter System of exchange. This system of Barter prevailed for a long time. Several difficulties of Barter System arose with time. The major problem of this system was availability of such a person who could accept the commodity produced by a person and could make available the commodity required by him. So such goods were discovered which could be accepted by all.

In the beginning cow, goat, fish bones, skin of animals, ivory etc. were accepted as a unit of money. But this system also brought many difficulties with it. So this system inspired the use of metals. As a result the use of metal started in the form of coins, which solved many problems. The kings and emperors fixed the weight, size, colour and shape of the coin to keep check on forgery. These coins were certified by the government through stamping. Gold, silver, copper, etc. metals were extensively used as coins.

The difficulties of metallic currency arose with the time. As a result along with the development of banking system, paper, currency was also developed.Expansion of paper currency took place in various ways, such as written certificates, representative paper currency, convertible paper currency, inconvertible paper currency, etc. The development of credit money, in the form of cheque, hundi, drafts etc. took place with development of Central Bank and Commercial Bank. At present credit cards and A.T.M cards are prevailing in the form of plastic currency.

Question 2.
What are Self – Help Groups? What may be the objectives of its formation? (MP Board 2009)
Or
Write any four aims of Self – Help Groups. (MP Board 2009)
Answer:
Self – Help Group is a voluntary organisation of poor people. These groups are formed for the solutions of their problems by mutual co – operation. This group motivates it members for small savings. These savings are deposited in banks. The account of bank in which the amount is deposited is on name of the group. Generally the maximum number of members of a group is 20.

Generally the members of a group are those people who do not have any approach to the financial institutions such as bank etc. Therefore the group teaches its members that method of saving which is an appropriate method for satisfying their needs. The group makes small loans easily available to its members on lower rate of interest. These groups have played an important role in the field of empow¬ering women.

Objectives of the Formation of Self – Help Group:
Following may be the objective of formation of any Self – Help Groups:

  1. To develop the feeling of working together unitedly.
  2. To develop the habit of saving for better future among the members.
  3. To create the opportunity of self-employment by lending money to members.
  4. To develop the feeling of self-reliance in its members.
  5. To develop awareness towards the subjects like health, nutrition, education, domestic violence.
  6. To conduct welfare activities with the help of government, loans and other self – service institutions.

Question 3.
Which financial institutions are found in India? Explain.
Answer:
The following financial institutions are found in India:
Banks:
Under the financial institutions banks have special importance in the modern age. Generally banks are known as the institutions which deposit the money of people and lend money to the needy people. Today all the major economic activities are done by the means of banks. Along with the exchange of money, construction of credit is also a function of bank.

Bank such as State Bank of India, The Allahabad Bank, Canara Bank, Bank of India etc. are functioning under public sector in India.Several banks were established under private sector after the year 1991. For example, ICICI Bank, HDFC Bank, UTI Bank, Indus Bank etc. are the banks of private sector.

Insurance Companies:
Insurance is a system to provide security against the consequences of risks. Commodities, services and business activities are also insured along with human lives. Insurance companies invest the obtained amount of money in different productive works which leads to economic growth.

Sahukar (Indigeneous Banks):
Sahukar or Mahajan is that fellow who provides loan to his customers from time to time. Sahukars are two types:

  1. Farmers Sahukars or Zamindars.
  2. Commercial Sahukars:

Farmer Sahukars are those persons who mainly do farming but being rich they do the job of lending money as a secondary business. Commercial Sahukars are those whose chief business is only lending money.

Zamindars:
In the year 1793, Lord Cornwallis started this system in Bengal Zamindars were the big landlords. Their work was the collection of revenue from the farmers. They collected the revenue from the peasents and gave it to the government. Zamindars provided loan to the farmers whenever required to fulfil their needs. The rate of interest on loans provided by them to the farmers used tot .be very high. The conditions of loans provided by them were alfeo very strict.

Question 4.
What are the main types of banks? Write.
Answer:
Types of Banks are as follows:
Commercial Banks:
Commercial Banks are those type of banks which imafeke arrangements for short term loans for commercial purposes. These banks do some other banking functions also other than accepting the deposits of people and providing loans to them.

Industrial Banks:
The institutions which make arrangements of medium and long term loans for industries are called industrial banks. Apart from providing loans to the industries from themselves these banks also help them to seek capital from other resources.

Foreign Exchange Banks:
Institutions which exchange foreign currencies and make arrangements of foreign exchange for foreign trade are called Foreign Exchange Banks. These banks set up their branches in foreign countries, which make the exchange of foreign currencies simple and easy.

Agricultural Banks:
Agricultural system is different from trade and industries. Therefore its loan-related needs are different from trade and industries. This is the reason due to which agricultural banks have been established to fulfil the needs of farmers. Following L banks are fulfilling the requirement of agricultural finances:

  1. Agricultural Cooperative Banks.
  2. Land Development Banks.
  3. Regional Rural Banks.

National Bank for Agriculture and Rural Development:
National Bank for Agriculture and Rural Development was established on 12th July, 1982 for the purpose of making the loans available for development of agriculture. Briefly is called NABARD. It functions as the apex bank in the structure of credit in the rural areas.

Central Bank:
The central bank is the supreme institution of the banking system of any country. It has no direct relation with the people. The minting of the currency of the country is done by this bank only. It is the banker of the government. It maintains the record of all types of accounts of the government and whenever needed provides loan to the government also. It is ‘Bank of the Banks’.

International Bank:
Those banks are included in international banks, which have been established to solve the international economic problems and to provide economic help to their member countries. In this direction two institutions namely World Bank and International Monetary Fund were set up in 1945.

Question 5.
Describe the main functions of money?
Or
Write the main functions of Money (MP Board 2009)
Or
What is Money? Write its main functions? (MP Board 2009)
Answer:
The money performs several functions in the economy. The main functions of money are as follows:

1. Medium of Exchange:
The goods and services are brought and sold through money. The producer gets money by selling his commodity and then he
purchases his required goods through this obtained money.

2. Measure of Value:
At present value of every commodity and service is measured by money. Prices of all commodities and services in the market are expressed in terms of money only. It is an important function of money.

3. Transfer of Purchasing Power:
Money can be transported from one place to another. In the state of purchasing commodities from another place, the payment of its price can be done through money or bank draft, cheque, money order etc. Rupees can be transferred easily from one place to another through banks.

4. Store of Purchasing Power:
According to his nature, man saves money to deal with major crisis. Now saving for future through medium of money has become, very easy. Storing of purchase power by depositing money in banks or post offices has become very common now.

Along with this the process of lending and taking loans has become very easy now. A consumer obtains maximum satisfaction and a producer increase the quantity of his product through money only. In brief, money does several important functions in human life.

Question 6.
Discuss about the institutions which provide loan to agriculture?
Answer:
The institutions which provide loan facility to agriculture are as follows:

1. Agricultural Cooperative Banks:
This bank provides the facility of short-term loans to farmers at low rate of interest. In India the cooperative banks have three-tier structure. At the lowest village level are the Primary cooperative societies. Above these societies are district Central Cooperative banks which provide loans to these societies on demand.

Above these Central Banks are State Cooperative Banks. The State Cooperative Bank meet the loan requirements of District Central Cooperative Banks. Whenever State Cooperative Banks, need loans then National Agricultural Rural Development Bank which is also called NABARD helps them.

2. Land Development Bank:
Land Development Banks provide long term loans to farmers. These banks provide loans for a period of 15 – 20 years at a low rate of interest for land reform, for digging wells and tube wells, to purchase agricultural equipments, tractors etc. As these banks provide loans on the security of land so these banks are advantageous for the big farmers.

3. Regional Rural Banks:
The Regional rural banks were set up in 1975. These banks were set up with the main objective of providing banking facilities to the people of distant rural areas. These banks provide loans to small and marginal farmers, agricultural labourers, rural artisans, small entrepreneurs. On 30th June, 2005, 14,484 branches of regional rural banks were running in the country.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 16 Additional Important Questions

Objective Type Questions

Question 1.
Multiple Choice Questions:
(Choose the correct answer from the following)

Question (i)
In latin Language money was known of – (MP board, 2012)
(a) Moneta
(b) Goddess Juno
(c) Pecunia
(d) Pecus
Answer:
(a) Moneta

Question (ii)
ATM means
(a) All Time Money
(b) Any Time Money
(c) Altogether Time of Money
(d) Automatic Teller Machohe
Answer:
(b) Any Time Money

Question (iii)
Which of the following institutions is the open body at various finance institution.
(a) SBI
(b) RBI
(c) NABARD
(d) CBI
Answer:
(c) NABARD

Question (iv)
Which of the following bank is called the Bank of Banks?
(a) Central Bank of India
(b) State Bank of India
(c) Reserve Bank of India
(d) Bank of Baroda
Answer:
(c) Reserve Bank of India

Question 2.
Fill in the blanks:

  1. There are ……………. banks were nationalised in 1969.
  2. The head of Rural Bank of Bangladesh is …………….
  3. ……………. are the backbone of Bangladesh’s Rural Bank.
  4. ATM has made the banking function very …………….

Answer:

  1. 14
  2. Mohammad Yunus
  3. Self Help Groups
  4. Convenient

Question 3.
True and False type questions:

  1. Mahajans were the indigenous source of rural areas in ancient India.
  2. Thfe Central Bank of India is Reserve Bank of India.
  3. The second time nationalisation of banks in India was completed in the year of 1991.
  4. The mobile bank running in M.P. is called Laxmi Vahini.

Answer:

  1. True
  2. True
  3. False
  4. True

Question 4.
Match the Column:
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 17 Money and Finance System img 1

Answer:

1. (b)
2. (d)
3. (c)
4. (a)

Answer in One – Two Words or One Sentence

Question 1.
Name the four important functions of money?
Answer:
Money is a matter of function for a medium, a measure, a standard and a store.

Question 2.
Mention the kinds of metallic money?
Answer:
Metallic money is classified as:

  1. Standard money
  2. Token money

Question 3.
Which system is adopted in the Indian economy?
Answer:
Barter System

Question 4.
Write the full form of ATM?
Answer:
Any Time Money

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17  Very Short Answers Type Questions

Question 1.
What is ATM?
Answer:
A.T.M. (Any Time Money):
As it is clear by its name, A.T.M. is a system in which money can be withdrawn at any time. The A.T.M. is made of plastic and consists of a metal chip, on which all the details related to bank accounts are entered. A.T.M. has made the banking function very easy and convenient.

Question 2.
What do you mean by Laxmi Vahini?
Answer:
A mobile bank has been set up in the district of Khargone of Madhya Pradesh. This institution named ’Laxmi Vahini’ functions mobiling in a van. The capital of this institution is Rs. One crore and it provides various types of banking facilities available to villages by going from village – to – village.

Question 3.
Name the metallic money?
Answer:
Consumption goods, such as grocery, salts, fish, animals, capital goods and jwellery and gems such as shells, valuable metal are known as metallic money.

Question 4.
What do you mean by NABARD?
Answer:
The full name of NABARD is National Bank for Agriculture and Rural Development. This institution fulfils the loans given by the Land Development Banks, Cooperative Banks and Commercial Banks, etc. for tire development of agriculture and rural areas. It is supreme institution related to rural and agricultural credits.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17 Short Answers Type Questions

Question 1.
Discuss briefly the Rural Bank of Bangladesh.
Answer:
A solid process of rural bank have been developed in Bangladesh through Self-help Groups. There are 60 lakh people under debt in these banks who are spread in 40,000 villages of Bangladesh. This programme was started by Mohammad Yunus in 1970. These rural banks have significantly contributed for the fulfilment of loan related needs of poors. Mohammed Yunus was honoured Nobel Prize in 2006 for the same work.

Question 2.
What are the secondary functions of money?
Answer:
The secondary functions of money are as under:

1. Basis for deferred payment:
Money has made it possible and convinent that the payment of dues can be made of a later date in future.

2. Store of exchange value:
After the introduction of money it has been very convinent to accumulate income and wealth to meet future requirements.

MP Board Class 10th Social Science Chapter 17 Long Answer Type Questions

Question 1.
What is paper money? Give its kinds.
Answer:
Paper money or currency notes, printed on paper are issued by the government and legally acceptable within the country. It has the face value only and accepted at the printed face value
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 17 Money and Finance System img 2
1. Representative Paper Money:
This paper money represents cent percent gold, silver and standard coins kept in reserve against their issue.

2. Convertible Paper Money:
Under this issue of notes the government promises to pay on demand the face value of notes in terms of real value i.e. gold silver and standard coins. Generally proportionate reserve is maintained on issue of convertible paper money in the form of gold silver and government documents. In India notes worth Rs. 2, 5, 10, 20, 50, 100 and Rs. 500 are convertible paper money. It is issued by Reserve Bank of India.

3. Inconvertible Paper Money:
The government does not promise to repay back the face value in metallic terms of real/value. In our country one rupee note is non – convertible paper money. It is issued by Secretary, Ministry of Finance.

4. Fiat Money:
It is also known as emergency money issued by the government to meet the emergency requirement of funds. Behind this issue metallic reserve is not kept.

Question 2.
Explain various methods of extending loan by banks?
Answer:
The bank adopts the following methods for advancing loans:
1. Granting Loans:
The main function of the bank is to lend money at rates higher titan the rate of deposit. The excess interest earned by the bank is its profit. These loans are granted on the security and surety.

2. By Allowing an Overdraft:
Customers having current account in the bank are provided the facility to draw from the bank more than their deposit as per arrangement with the bank only reputed and trustworthy customers are granted this facility. The bank charges interest on overdraft.

3. Cash Credit:
Under this method the borrower opens on account with the bank. The bank sanctions the loan and credits the amount in borrower’s name. He withdraws money as and when required. After the period of loan in over the borrower returns the money with interest. This is the method of granting loans.

4. Discounting Bills:
The bank advances loans on the security of bills and hundies, the practice is known as discounting of the bill. The bank charge interest for the period between the discounting of the bill to the due date of the bill. This is the safest method of advancing loan because the bill bears the security of both the drawee and drawer.

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 3 शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक-सुश्रुत

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 3 शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक-सुश्रुत (आलेख, डॉ. यतीश अग्रवाल)

शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक-सुश्रुत अभ्यास

आलेख

प्रश्न 1.
‘सुश्रुत संहिता’ का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
उत्तर:
सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा, दंत चिकित्सा और अस्थि चिकित्सा का वर्णन मिलता है। सुश्रुत संहिता में 101 यन्त्रों का वर्णन है। इन यन्त्रों के नाम पक्षियों व पशुओं के नाम पर दिये गये हैं; जैसे-सिंहमुख, गृध्रमुख, मक्रमुख आदि। ये यन्त्र आधुनिक यन्त्रों की भाँति उपयोगी थे। इसके अतिरिक्त 20 और भी शल्य यन्त्रों का वर्णन है। इनके नाम हैं-मंडलाय, कर पत्र, मुद्रिका, बृहिमुख। ये औजार लोहे और चाँदी से बने होते थे। इनमें जंग न लगे, अतः उसकी सुरक्षा के लिए लकड़ियों के बने डिब्बों में इन औजारों को रखा जाता था। टाँके लगाने के लिए रेशमी धागों का प्रयोग किया जाता था। एक विशेष प्रकार की सुई का प्रयोग टाँके लगाने के लिए होता था। सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा की अनेक प्रकार की जानकारी दी गई है।

प्रश्न 2.
मानव शरीर के भीतरी अंगों की बनावट की जानकारी प्राप्त करने की सुश्रुत युगीन पद्धति का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
उत्तर:
सुश्रुत युगीन पद्धति में मानव शरीर के अंगों की जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्होंने एक अनोखी विधि खोज निकाली। पहले मृत शरीर को किसी भारी वस्तु से बाँधकर एक छोटी नहर में डाल दिया जाता था। एक सप्ताह के बाद बाहरी त्वचा और ऊतक फूल जाते थे, इसके बाद झाड़ियों और लताओं के बने बड़े-बड़े बुशों द्वारा उन्हें शरीर से अलग कर दिया जाता था। इससे शरीर के आन्तरिक अंगों की रचना स्पष्ट हो जाती थी।

सुश्रुत संहिता में अभ्यास करने के लिए तरबूज,ककड़ी,करेला आदि सब्जियों पर कई-कई दिन तक परीक्षण किया जाता था। टाँका लगाने के लिए कपड़ों और चमड़े पर सिलाई करके प्रशिक्षण दिया जाता है।

प्रश्न 3.
सुश्रुत संहिता के अनुसार शल्य चिकित्सा का प्रशिक्षण किस प्रकार दिया जाता था?
उत्तर:
सुश्रुत संहिता के अनुसार शल्य चिकित्सा का प्रशिक्षण विशेष प्रकार से दिया जाता था। शल्य कला का प्रारम्भिक प्रशिक्षण देने के लिए शिष्यों को कन्द-मूल, फल-फूल, पेड़-पौधों की लताओं,पानी से भरी मशकों,चिकनी मिट्टी के ढाँचों और मलमल से बने मानव पुतलों पर प्रतिदिन अभ्यास कार्य कराया जाता था। चीरा लगाने के लिए कई-कई दिन तक विभिन्न प्रकार की सब्जियों पर अभ्यास करना पड़ता था। अभ्यास के लिए विभिन्न फल व सब्जियों को प्रयोग करते थे।

अभ्यास के दौरान कमल के फूल की डण्डी शिरा (रक्तवाहिनी) बन जाती जिस प्रकार से कपड़ा सिला जाता है, उसी प्रकार से कपड़े या चमड़े पर टॉका लगाना सिखाया जाता था। पट्टी बाँधना सिखाने के लिए मानव पुतलों का सहारा लिया जाता था।

प्रश्न 4.
सुश्रुत को शल्य चिकित्सा के अतिरिक्त अन्य किन रोगों की महत्त्वपूर्ण जानकारी थी? (2016)
उत्तर:
सुश्रुत मूलतः शल्य चिकित्सक थे,लेकिन उन्होंने क्षयरोग, कुष्ठ रोग,मधुमेह, हृदय रोग, एन्जाइना और विटामिन सी की कमी से होने वाले स्कर्वी रोग की महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।

प्रश्न 5.
सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा की कौन-कौन सी विधियों का वर्णन किया गया है? (2010, 14)
उत्तर:
सुश्रुत संहिता में शल्य क्रिया की विस्तृत जानकारी दी गयी है। इसमें कुल 120 अध्याय हैं और इनको छः भागों में बाँटा गया है-सूत्रस्थान, निदानस्थान, शरीरस्थान, चिकित्सास्थान, कल्पस्थान और उत्तरस्थान सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा की विधियों की महत्त्वपूर्ण जानकारी है। इसके अतिरिक्त शल्य यन्त्रों का भी वर्णन है। दुर्घटनाओं में अथवा अस्त्र-शस्त्र के वार से फट गई आँतों के दो किनारों को एक-दूसरे से कैसे जोड़ा जाये, इसके लिए भी उन्होंने एक अनोखी तकनीक खोज निकाली। सुश्रुत-संहिता में शल्य चिकित्सा के लगभग हर महत्त्वपूर्ण पहलू पर विस्तृत जानकारी दी गई है; जैसे आपरेशन के बाद क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए, रोगी का आहार कैसा हो। घाव भर जाये, इसके लिए कौन-कौन सी औषधि देनी चाहिए आदि।

प्रश्न 6.
महर्षि सुश्रुत के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर:
प्राचीनकाल में वाराणसी में गंगा के किनारे एक आयुर्वेद की पाठशाला थी। इस पाठशाला के आचार्य थे महर्षि सुश्रुत शल्य चिकित्सक के रूप में उनका यश दूर-दूर तक सम्पूर्ण दिशाओं में व्याप्त था।

वे काशी के राजा दिवोदास के शिष्य थे। सुश्रुत के प्रारम्भिक जीवन के विषय में अधिक जानकारी नहीं मिलती। उनके विषय में केवल इतनी जानकारी मिलती है कि उनके पिता का नाम विश्वामित्र था। उनका सारा जीवन गंगा नदी के तट पर गंगा की पावन लहरों के मध्य बीता था। बड़ा होने के बाद सुश्रुत का समय काशी के राजा तथा महान चिकित्साशास्त्री दिवोदास की देख-रेख में व्यतीत हुआ। वे अपने समय के अद्वितीय शल्य चिकित्सक हुए।

सुश्रुत ने अपने जीवन के बहुमूल्य क्षणों को शल्य चिकित्सा की नई तकनीकें खोजने के लिए उपयोग किया। प्राचीन भारत के चिकित्सक, चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में बहुत आगे थे।

प्रश्न 7.
भारतीय चिकित्सा विज्ञान का ‘स्वर्णयुग’ किसे कहा जाता है और क्यों?
उत्तर:
भारत के इतिहास में ईसा से 600 वर्ष पूर्व और सन् 1000 ई. तक का युग चिकित्सा विज्ञान का स्वर्ण युग माना जाता है क्योंकि अत्रेय, जीवक, चरक और वाग्भट्ट जैसे अनेक चिकित्साशास्त्रियों ने इसी युग में भारत की पवित्र धरती पर जन्म लेकर इस भूमि को सार्थक किया।

काशी,नालंदा और तक्षशिला आदि विद्यालयों में दूर-दूर से शिक्षार्थी आते और चिकित्सा विज्ञान में सिद्धहस्त होकर मानव कल्याण की प्रतिज्ञा करते । इस प्रकार वे अपना और अपने देश का नाम करते थे।

चिकित्सा, विज्ञान के कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यूनानी चिकित्सा पद्धति भारतीय चिकित्सा पद्धति पर आधारित है। इसी कारण इस युग को चिकित्सा विज्ञान का स्वर्णयुग माना जाता है।

शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक-सुश्रुत महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक-सुश्रुत बहु-विकल्पीय प्रश्न 

प्रश्न 1.
महर्षि सुश्रुत विख्यात थे
(क) शिक्षण के लिए
(ख) शल्य चिकित्सा के लिए
(ग) सामाजिक सुधार के लिए
(घ) उपर्युक्त सभी के लिए।
उत्तर:
(ख) शल्य चिकित्सा के लिए

प्रश्न 2.
सुश्रुत संहिता में कुल मिलाकर अध्याय हैं-
(क) 100 अध्याय
(ख) 75 अध्याय
(ग) 61 अध्याय
(घ) 120 अध्याय।
उत्तर:
(घ) 120 अध्याय।

प्रश्न 3.
प्राचीनकाल में पट्टी का ज्ञान सिखाने के लिए प्रयोग किया जाता था
(क) मानव पुतलों का
(ख) जानवरों का
(ग) जीवित मनुष्यों का
(घ) पक्षियों का।
उत्तर:
(क) मानव पुतलों का

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. दिवोदास को भगवान ………… का अवतार कहा जाता था।
  2. शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक ………….. हैं। (2009)
  3. सुश्रुत संहिता में …………. का वर्णन,प्रमुखतः मिलता है। (2011)

उत्तर:

  1. धन्वंतरी
  2. आचार्य सुश्रुत
  3. शल्य चिकित्सा।

सत्य/असत्य

  1. काशी नगरी सदा से ही शिक्षा का बड़ा केन्द्र रही है।
  2. शल्य चिकित्सा के जनक सुश्रुत हैं। (2018)
  3. प्राचीन भारत के चिकित्सकों को औषधि विज्ञान की व्यापक जानकारी नहीं थी।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य।

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 3 शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक-सुश्रुत img-1
उत्तर:
1. → (ग)
2. → (ख)
3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. सुश्रुत के द्वारा लिखे गये ग्रन्थ का क्या नाम है?
  2. चीर-फाड़ के द्वारा की जाने वाली चिकित्सा को क्या कहते हैं।
  3. विटामिन सी की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है?
  4. शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक हैं। (2010)

उत्तर:

  1. सुश्रुत संहिता
  2. शल्य चिकित्सा
  3. स्कर्वी
  4. सुश्रुत।

MP Board Class 10th Hindi Solutions