MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

ऊष्मागतिकी NCERT अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊष्मागतिकी अवस्था फलन एक राशि है –
(a) जो ऊष्मा-परिवर्तनों के लिए प्रयुक्त होती है।
(b) जिसका मान पथ पर निर्भर नहीं करता है।
(c) जो दाब-आयतन कार्य की गणना करने में प्रयुक्त होती है।
(d) जिसका मान केवल ताप पर निर्भर करता है।
उत्तर:
(b) क्योंकि अवस्था फलन केवल प्रारंभिक तथा अंतिम अवस्था पर निर्भर करते है।

प्रश्न 2.
एक प्रक्रम के रुद्धोष्म परिस्थितियों में होने के लिए –
(a) ∆T = 0
(b) ∆P = 0
(c) q = 0
(d) W = 0.
उत्तर:
(c) रुद्धोष्म प्रक्रम में न तो ऊर्जा निकलती है और न ही अवशोषित होती है अतः q= 0.

प्रश्न 3.
सभी तत्वों की एन्थैल्पी उनकी सन्दर्भ-अवस्था में होती है –
(a) इकाई
(b) शून्य
(c) < 0
(d) सभी तत्वों के लिए भिन्न होती है।
उत्तर:
(b) शून्य

प्रश्न 4.
मेथेन के दहन के लिए ∆U° का मान – X kJ mol-1 है। इसके लिए ∆H° का मान होगा –
(a) = ∆H°
(b) > ∆U°
(c) < ∆U°
(d) = 0
उत्तर:
CH2(g)A + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O(l)
∆ng = 1 – 3 = – 2
∆H = ∆U + ∆ngRT = ∆U – 2RT
∆H < ∆U
∴ सही उत्तर (c).

प्रश्न 5.
मेथेन, ग्रेफाइट एवं डाइहाइड्रोजन के लिए 298 K पर दहन एन्थैल्पी के मान क्रमशः -890.3 kJ mol-1 -393.5 kJ mol-1 एवं – 285.8 kJ mol-1 हैं। CH4(g) की विरचन एन्थैल्पी क्या होगी –
(a) – 74.8 kJ mol-1
(b) – 52:27 kJ mol-1
(c) + 74.8 kJ mol-1
(d) +52-26 kJ mol-1
उत्तर:
दिया गया है-
(i) CH4(g) + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O; ∆H = -890.3 kJ mol-1
(ii) C(s) + O2(g) → CO2(g); ∆H = -393.5 kJ mol-1.
(iii) H(s) ) + 5O2(g) → H2O(l); ∆H = -285.8 kJ mol-1.
आवश्यक समीकरण = C(s)+ 2H2(g) → CH4 ; ∆H = ?
समी. (ii) + समी. (iii) x 2 समी. (i) से आवश्यक समीकरण प्राप्त होगा।
∆H = -393.5 + 2 (-285.8) – (-890.3) kJ mol-1
= -74.8 kJ mol-1
सही उत्तर (a).

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प्रश्न 6.
एक अभिक्रिया A + B → C+ D + q के लिए एण्ट्रॉपी परिवर्तन धनात्मक पाया गया है। यह अभिक्रिया सम्भव होगी –
(a) उच्च ताप पर,
(b) केवल निम्न ताप पर
(c) किसी भी ताप पर नहीं
(d) किसी भी ताप पर।।
उत्तर:
AG = AH – TAS, जहाँ AH = -ve, AS = +ve. अत: AG = -ve होगा सभी तापमान पर
∴ उत्तर (d).

प्रश्न 7.
एक प्रक्रम में निकाय द्वारा 701 J ऊष्मा अवशोषित होती है एवं 394 J कार्य किया जाता है। इस प्रक्रम में आन्तरिक ऊर्जा में कितना परिवर्तन होगा?
हल:
प्रश्नानुसार
q = + 701 J ( ऊष्मा अवशोषित होती है, ∴q धनात्मक है।)
W = – 394 J ( निकाय द्वारा कार्य होता है, ∴W ऋणात्मक है।)
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से, आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन,
AU = q+ W = + 701 J + (- 394 J) = + 307 J
अतः निकाय की आंतरिक ऊर्जा में 307 J की वृद्धि होती है।

प्रश्न 8.
एक बम कैलोरीमीटर में NH2CN की अभिक्रिया डाइऑक्सीजन के साथ की गई एवं AU का मान – 742:7 kJ mol – पाया गया (298 K पर)। इस अभिक्रिया के लिए 298 K पर एन्थैल्पी परिवर्तन ज्ञात कीजिए –
NH2CN(s) + \(\frac { 3 }{ 2 }\)O2(g) → N2(g) + CO2(g) + H2O(l)

हल:
NH2CN(s) +\(\frac { 3 }{ 2 }\)O2(g) → N2(g) + CO2(g) + H2O(l)
गैसीय उत्पादों तथा अभिकारकों के मोलों की संख्या का अन्तर –
∆ng = np – nr = 2 – \(\frac { 3 }{ 2 }\) = \(\frac { 1 }{ 2 }\) = 0.5 mol
∆H = ∆U+∆ng RT
∆H = -742.7 kj mol-1 + (0.5 mol x 8:314 × 10-3kJ mol-1 × 298k)
∆H = (- 742.7 kJ + 1238.786 × 10-3kJ) mol-1
= 741-46 kJ mol-1

प्रश्न 9.
60 – 0g ऐल्युमिनियम का ताप 36°C से 55°C करने के लिए कितने किलो जूल ऊष्मा की आवश्यकता होगी ? Al की मोलर ऊष्माधारिता 24Jmol-1K-1 है।
हल:
प्रश्नानुसार,
Al का द्रव्यमान = 60.0g,
Al का मोलर द्रव्यमान = 27g mol-1,
मोलर ऊष्माधारिता,
C = 24Jmol ‘K-1,
∆T= 55°C – 35°C = 20°C या 20K.
∴ ऊष्मा, q = n – C∆T
⇒ q = \(\frac {60 }{ 27 }\) × 24Jmol-1 × 20k,
= 1066.66J = 1.067kJ.

प्रश्न 10.
10.0°C पर 1 मोल जल की बर्फ -10°C पर जमाने पर एन्थैल्पी परिवर्तन की गणना कीजिए।
fusH = 6.03 kJ mol-1 0°C पर,
Cp [H2O(l)] = 75.3 J mol-1K-1,
Cp[H2O(s)] = 36.8 J mol-1K-1

हल:
अभिक्रिया तीन पदों में सम्पन्न होगी:
1. जल का एक मोल 10°C पर 1 मोल जल 0°C पर परिवर्तित होगा।
∆H = n × Cp× ∆T = 1 × 75.3 (-10) = -753 J/mol-1

2. 1 मोल जल 0°C पर 1 मोल बर्फ में बदलेगा 0°C पर।
∆H = ∆गलनH × n = -6.03 kJ/mol-1 = – 6030 J/mol-1

3. 1 मोल बर्फ 0°C पर 1 मोल बर्फ में परिवर्तित होगी -10°C पर।
∆H = n × Cp× ∆T = 1 x 36.8 × (-10) = -368 J/mol-1
∴ ∆HHotel = – 753 – 6030 – 368 = – 7151 J/mol-1

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प्रश्न 11.
कार्बन की कार्बन-डाइऑक्साइड में दहन की एन्थैल्पी -393.5 kJ mol-1कार्बन एवं ऑक्सीजन से 35.2gCO2 बनने पर उत्सर्जित ऊष्मा की गणना कीजिए।
हल:
C(s) + O2(g) → CO2(g);
∆H = 393.5 kJmol-1 1 mol = 44 g
∴ जब 44g CO2 बनता है तब मुक्त होने वाली ऊर्जा की मात्रा = 393.5 kJ mol-1
∴ 35.5g CO2 निर्माण होने पर मुक्त होने वाली ऊर्जा की मात्रा = \(\frac { 393.5 }{ 44 }\) × 35.2 = 314.8 kJ.

प्रश्न 12.
CO(g), CO2(g) N2O(g) एवं N2O4(g) की विरचन एन्थैल्पी क्रमशः -110, -393, 81 एवं 9.7 kJ mol-1 हैं। अभिक्रिया N2O4(g) + 3CO(g) → N2O(g)) + 3CO2(g)) के लिए ∆rH का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
हम जानते हैं कि ∆fH° = ∑∆fक्रियाफल – ∑∆fक्रियाकारक
rH° = [∆fN2O + 3∆fCO2] – [∆fNO(2) + 3∆fCO2]
= [ 81 + 3 (-393)] – [9.7 + 3 (-110)] = -777.7 kJ.

प्रश्न 13.
N2(g) + 3H2(g) → 2NH3(g); ∆fH° = – 92.4kJ mol-1 NH3गैस की मानक विरचन एन्थैल्पी क्या है ?
हल:
दी गई अभिक्रिया है – N2(g) + 3H2(g) → 2NH3(g); ∆rH = -92.4kJ mol-1
fN2 = 0,
fH2 = 0,
fNH3 = x,
rH° = ∑∆fक्रियाफल – ∑∆f क्रियाकारक
= 2∆fNH3 – [∆fN2 + 3∆fH2 >]
= -92.4 = 2x
x = – \(\frac { 3 }{ 2 }\) x 92.4 = – 46.2 kJ mol-1
अर्थात् ∆fNH3  = – 46.2kJ mol-1

प्रश्न 14.
निम्नलिखित आँकड़ों से CH3OH(l) की मानक विरचन एन्थैल्पी ज्ञात कीजिए –

  • CH3OH(l)+\(\frac { 3 }{ 2 }\) O2(g) → CO2(g)) + 2H2O(l); ∆rH° = – 726 kJ mol-1
  • C(ग्रेफाइट ) + O2(g) → CO2(g)); ∆cH° = -393 kJ mol-1
  • H2(g) +\(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g)) → H2O(l); ∆fH° = – 286 kJ mol-1

हल:
मेथेनॉल के निर्माण का आवश्यक समीकरण निम्न है –
C(s)+2H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → CH3OH(l); ∆H°=?

प्रश्नानुसार, मेथेनॉल की दहन एन्थैल्पी
(i) C3OH(l)+\(\frac { 3 }{ 2 }\)O2(g)) → CO2(g)) + 2H2O(l); ∆H° = 726kJ mol-1
1 mol CO2(g) की विरचन एन्थैल्पी

(ii) C(s) + O2(g) → CO2(g); ∆H°=-393 kJ mol-1
2 mol H2O(l); के विरचन की एन्थैल्पी

(iii) H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → H2O(l); ∆H° = -286kJ mol-1
समी. (iii) को 2 से गुणा करने पर,

(iv) 2H2(g) + O2(g)→ 2H2O(l)   ∆H° = -572kJ mol-1
समी. (ii) तथा (iv) को जोड़ने पर,

(v) C(s) +2H2(g)+ 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O(l); ∆H° = – 965 kJ mol-1
समी. (i) का व्युत्क्रम करने पर,

(vi) CO2(g) + 2H2O(l) → CH3OH(l) + \(\frac { 3 }{ 2 }\)O2(g)); ∆H° = 726kJ mol-1
समी. (v) तथा (vi) का योग करने पर,
C(s) + 2H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2(g) → CH3OH(l); ∆H°= -239kJmol-1

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प्रश्न 15.
CCI4(g) → C(g) + 4CI(g) , अभिक्रिया के लिए एन्थैल्पी परिवर्तन ज्ञात कीजिए एवं CCI4 में C – Cl की आबंध एन्थैल्पी की गणना कीजिए।

  1. vap H°(CCl4) = 30.5 kJ mol-1
  2. fH° (CCl4) = -135.5 kJ mol-1
  3. aH° (C) = 715.0 kJ mol-1
  4. aH° (Cl2) = 242 kJ mol-1   (यहाँ∆aH° कणन एन्थैल्पी है)

हल:
प्रश्नानुसार,
(i) CCI4(l)) → CCl4(g); ∆वाष्पन H° =+ 30.5kJmol-1
(ii) C(s)) + 2Cl2) → CCl4(l); ∆H°= – 135.5kJmol-1
(iii) C(s) → C(g) ;  ∆H° =715.0kJmol-1
(iv) Cl2(g) → 2Cl(g); ∆,H° = 242kJ mol-1
समी. (iv) को 2 से गुणा करने पर,
(v) 2Cl2(g) → 4Cl(g); ∆H° = 484.0kJmol-1
समी. (iii) तथा (v) को जोड़ने पर,

(vi) C(s) + 2C2(g) → C(g)+ 4Cl(g); ∆H = 1199kJmol
समी. (i) तथा (ii) का व्युत्क्रम करने पर,

(vii) CCl4(g) → CCl4(l);∆H =-30.5kJmol-1

(viii) CCl4(l) → C(s) + 2Cl2(g); ∆H =+ 135.5kJmol-1
समी. (vi), (vii) तथा (viii) का योग करने पर,
CCl4(g) → C(g) + 4Cl(g) ;∆H =1304kJmol-1
CCl4 में C – Cl आबंध की आबंध एन्थैल्पी = \(\frac { 1304 }{4 }\)= 326 kJ mol-1
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प्रश्न 16.
एक विलगित निकाय के लिए AU = 0, इसके लिए ∆S क्या होगा?
उत्तर:
एक विलगित तंत्र की एण्ट्रॉपी सदैव धनात्मक होती है (∆S > 0) क्योंकि ∆U = U अर्थात् ऊर्जा कारक अभिक्रिया के लिये कोई महत्व नहीं रखता है। स्वतः परिवर्तित के लिये AS को +ve होना चाहिए। उदाहरण के लिये यदि दो गैसें अलग-अलग रखी गयी हैं। तंत्र को पूर्णतः उसके परिवेश में विलगित किया गया है। मिलाने पर ∆S +ve होता है तथा तंत्र में अनियमितता ज्यादा होती है।

प्रश्न 17.
298 K पर अभिक्रिया 2A + B → C के लिए ∆H = 400 kJ mol-1 एवं ∆S = 0.2 kJK mol-1 ∆H एवं ∆S को ताप-विस्तार में स्थिर मानते हुए बताइए कि किस ताप पर अभिक्रिया स्वतः होगी?
हल:
∆H = 400 × 103 J mol-1 ;∆S = 2000 JK-1 mol-1
एक स्वतः प्रवर्तित प्रक्रम ∆G =-ve

∆H – T∆S < 0 या T >\(\frac { ∆H }{∆S }\) या T > \(\frac { 400 x 1000 }{2000 }\) या T >200K
200 K के ऊपर प्रक्रम स्वतः प्रवर्तित होगा।

प्रश्न 18.
अभिक्रिया, 2Cl(g) → Cl(g),के लिए ∆H एवं ∆S के चिन्ह क्या होंगे?
उत्तर:
(i) बंध निर्माण एक ऊष्माक्षेपी क्रिया है।
∴ ∆H = – ve
(ii) कणों की संख्या कम होने पर एण्ट्रॉपी कम होती है।
∴ ∆S = – ve

प्रश्न 19.
अभिक्रिया 2A(g) + B(g) → 2D(g) के लिए ∆U° = -10.5 kJ एवं ∆S° = – 44.1 JK-1 अभिक्रिया के लिए ∆G° की गणना कीजिए और बताइए कि क्या अभिक्रिया स्वतः प्रवर्तित हो सकती है ?
हल:
दी गयी अभिक्रिया के लिए ∆n(g) =2 – (3) = -1,
∆U° = -10.5 kJ,
R = 8:314 x 10-3 kJ,
∆T = 290 K,
∆S° = – 44.1 JK-1 = – 44.1 x 10-3kJ
∆H° = ∆U° + ∆n(g)RT
= -10.5 + (-1) (8.314 × 10-3) (290)
= -10.5 – 2.48

∆H° = -12.98 kJ
∆G° =∆H° – T∆S°
= -12.98 – 298 (-44.1 × 10-3)
= -12.98 + 13.14 = 0.16 kJ

क्योंकि ∆G° धनात्मक है अतः क्रिया स्वतः प्रवर्तित नहीं होगी।

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प्रश्न 20.
300 K ताप पर एक अभिक्रिया के लिए साम्य स्थिरांक 10 है। ∆G° का मान क्या होगा ? R = 8.314 JK-1 mol-1.
हुल:
∆G° = -2.303 RT log K
= -2.303 × 8.314 × 300 × log 10
= – 5744.1 J.

प्रश्न 21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के आधार पर NO(g) के ऊष्मागतिकी स्थायित्व पर टिप्पणी लिखिए –
\(\frac { 1 }{ 2 }\)N2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → NO(g) ; ∆fH° = 90 kJ mol-1
NO(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → NO(g); ∆fH° = – 74 kJ mol-1

उत्तर:
NO(g),NO2की तुलना में कम स्थायी है क्योंकि NO एक ऊष्माशोषी यौगिक है जबकि NO2एक ऊष्माक्षेपी यौगिक है। ऊष्माक्षेपी यौगिक ऊष्माशोषी यौगिकों से अधिक स्थायी होती है।

प्रश्न 22.
जब 1.00 मोल H2O(l)को मानक परिस्थितियों में विरचित किया जाता है, तब परिवेश के एण्ट्रॉपी परिवर्तन की गणना कीजिए।
(∆fH° = -286 kJ mol-1)
हल:
1 mol H2O(l)) के विरचन (निर्माण) में एन्थैल्पी परिवर्तन,
H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g)) → H2O(l);
fH°= -286kJ mol-1

उपर्युक्त अभिक्रिया में उत्सर्जित ऊर्जा, परिवेश द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
अतः
q परिवेश = + 286 kJ mol-1
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= 0.9597 kJ k-1 mol-1
= 959.7 Jk-1 mol-1

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ऊष्मागतिकी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

ऊष्मागतिकी वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
किसी तंत्र को बंद तंत्र कहा जाता है, यदि वह परिवेश के साथ विनिमय करता है –
(a) द्रव्य व ऊर्जा दोनों का
(b) द्रव्य एवं ऊर्जा में से किसी का नहीं
(c) द्रव्य का नहीं केवल ऊर्जा का
(d) ऊर्जा का नहीं केवल द्रव्य का।
उत्तर:
(c) द्रव्य का नहीं केवल ऊर्जा का

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा एन्थैल्पी परिवर्तन सदैव ऋणात्मक होता है –
(a) सम्भवन की एन्थैल्पी
(b) विलयन की एन्थैल्पी
(c) दहन की एन्थैल्पी
(d) जल अपघटन।
उत्तर:
(c) दहन की एन्थैल्पी

प्रश्न 3.
एक बम कैलोरीमीटर द्वारा निम्न का मापन होता है –
(a) ∆H
(b) ∆E
(c) qp
(d) qv.
उत्तर:
(d) qv.

प्रश्न 4.
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार.
(a) ∆ E = q + w
(b) ∆ E = q – W.
(c) ∆ E = q + PV
(d) W = ∆ E – q.
उत्तर:
(a) ∆E = q + w

प्रश्न 5.
यदि गैसीय अभिक्रिया में अभिकारकों एवं उत्पादों के मोलों की संख्या समान हो तो
(a) ∆H = ∆E
(b) ∆H > ∆E
(c) ∆H < ∆E
(d) ∆H = ∆E = 0.
उत्तर:
(a) ∆H = ∆E .

प्रश्न 6.
हेस का नियम संबंधित है –
(a) अभिक्रिया की गति से
(b) साम्य स्थिरांक से
(c) अभिक्रिया ऊष्मा में परिवर्तन से
(d) एक गैस के आयतन पर दाब के प्रभाव से।
उत्तर:
(c) अभिक्रिया ऊष्मा में परिवर्तन से

प्रश्न 7.
जब एक अम्ल की एक क्षार के साथ उदासीनीकरण ऊष्मा का मान 13.7 k cal है, तो
(a) अम्ल तथा क्षार दोनों दुर्बल होंगे
(b) अम्ल तथा क्षार दोनों प्रबल होंगे
(c) अम्ल प्रबल और क्षार दुर्बल होंगे
(d) अम्ल दुर्बल और क्षार प्रबल होंगे।
उत्तर:
(b) अम्ल तथा क्षार दोनों प्रबल होंगे.

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प्रश्न 8.
अभिक्रिया CO2(g) + H2(g) → CO(g) + H2O(g) ;∆H = 80kJ , में उत्पन्न ऊष्मा को
(a) संभवन ऊष्मा कहते हैं
(b) दहन ऊष्मा कहते हैं
(c) उदासीनीकरण ऊष्मा कहते हैं
(d) अभिक्रिया ऊष्मा कहते हैं।
उत्तर:
(d) अभिक्रिया ऊष्मा कहते हैं।

प्रश्न 9.
उदासीनीकरण ऊष्मा का मान किस अभिक्रिया के लिए सबसे कम होगा –
(a) HCl + NaOH
(b) CH3COOH + NH4OH
(c) NH4OH + HCl
(d) NaOH + CH3COOH.
उत्तर:
(b) CH3COOH + NH4OH

प्रश्न 10.
अभिक्रिया C6H6(l)+ \(\frac { 15 }{ 2 }\)O2(g) → 3H2O(l), +6CO2(g)); ∆H = – 3264 kJ mol-1 है, तो 3.9 ग्राम बेन्जीन को वायु में जलाने से उत्पन्न ऊष्मा होगी –
(a) 163.23 kJ
(b) 326.4 kJ
(c) 32.64 kJ
(d) 3.264 kJ.
उत्तर:
(a) 163.23 kJ

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. दहन ऊष्मा∆H का मान सदैव …………. होता है।
  2. उदासीनीकरण ऊष्मा का मान सदैव …………. kJ होता है।
  3.  स्थिर दाब पर किसी तंत्र की सम्पूर्ण ऊष्मा को …………. कहते हैं।
  4. जल का वाष्पीकरण …………. परिवर्तन है।
  5. अभिक्रिया H2 + Cl2 → 2HCl + 44 kcal में सम्भवन ऊष्मा का मान …………. होगा।
  6. प्रक्रम जो तापरोधी होता है …………. कहलाता है।
  7. यदि उत्पादों को पूर्ण ऊष्मा अभिकारकों की पूर्ण ऊष्मा से अधिक होती है तो अभिक्रिया कहलाती है।
  8. नियत दाब पर ऊष्मा परिवर्तन को …………. कहते हैं।
  9. यदि AH का मान ऋणात्मक हो, तो अभिक्रिया …………. होती है।
  10. एक मोल पदार्थ को जलाने पर उत्सर्जित होने वाली ऊष्मा की मात्रा को ………… कहते हैं।

उत्तर:

  1. ऋणात्मक
  2. 57.1 kJ
  3. एन्थैल्पी
  4. ऊष्माशोषी
  5. 22 kcal
  6. रुद्धोष्म
  7. ऊष्माशोषी
  8. एन्थैल्पी
  9. ऊष्माक्षेपी
  10. दहन ऊष्मा।

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प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
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उत्तर:

  1. (c) ऊष्माशोषी
  2. (d) शून्य
  3. (e) एन्थैल्पी
  4. (a) शून्य
  5. (b) आइसोबोरिक

प्रश्न 4.
एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. अवस्था फलन के दो उदाहरण दीजिए।
  2. NaCl, H2O(s)) व NH3(s)) में किसकी एण्ट्रापी का मान अधिक होगा?
  3. ∆G = ∆H – T∆S समीकरण को किसने प्रतिपादित किया ?
  4. ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम का समीकरण लिखिए।
  5. जब बर्फ गलकर पानी में परिवर्तित होता है तब एण्ट्रापी का मान क्या होगा?

उत्तर:

  1. एन्थैल्पी, एण्ट्रॉपी,
  2. NH3
  3. गिब्स हेल्महोल्ट्ज
  4. ∆E = q + W
  5. बढ़ जायेगा।

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ऊष्मागतिकी अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रासायनिक ऊर्जिकी शब्द का अर्थ बताइये।
उत्तर:
रासायनिक ऊर्जिकी के अंतर्गत रासायनिक अभिक्रियाओं के फलस्वरूप होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 2.
298 K पर अभिक्रिया N2O4(g)  ⥨  2NO2(g) के लिए Kp का मान 0.98 है बताइए कि अभिक्रिया स्वतः प्रवर्धित होगी अथवा नहीं ?
उत्तर:
rG° = – 2.303 RT log Kp
Kp = 0.98 अर्थात् Kp < 1
∴ ∆G° का मान धनात्मक होगा। अतः अभिक्रिया स्वतः प्रवर्धित नहीं होगी।

प्रश्न 3.
विस्तीर्ण गुण द्रव्य की मात्रा पर निर्भर करते हैं परन्तु गहन गुण द्रव्य की मात्रा पर निर्भर नहीं करते हैं। बताइए कि निम्नलिखित गुण विस्तीर्ण है अथवा गहन गुण ? द्रव्यमान, आंतरिक ऊर्जा, दाब, ऊष्माधारिता, मोलर ऊष्माधारिता, घनत्व, मोल प्रभाज, विशिष्ट ऊष्मा, ताप तथा मोलरता।
उत्तर:
विस्तीर्ण गुण – द्रव्यमान, आंतरिक ऊर्जा, ऊष्माधारिता।
गहन गुण – दाब, मोलर ऊष्माधारिता, घनत्व, मोल प्रभाज, विशिष्ट ऊष्मा, ताप तथा मोलरता।

प्रश्न 4.
ऊष्माधारिता (Cp) एक विस्तीर्ण गुण है जबकि विशिष्ट ऊष्मा (C) एक गहन गुण है। 1 मोल जल के लिए Cr तथा C में क्या संबंध होगा?
हल:
किया गया कार्य,
W = – Pबाह्य (V2 – V1)
जब – Pबाह्य= 0,
अतः – w = – 0 (5 – 1) = 0
समतापी प्रसार के लिए, ∆U = 0
अतः ∆T = 0.

प्रश्न 5.
तंत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर-ब्रह्माण्ड का वह विशिष्ट भाग जिसे ऊष्मागतिकी के अध्ययन के लिये चुना जाये, तंत्र या निकाय कहलाता है। यदि सम्पूर्ण निकाय के भौतिक गुण या रासायनिक संघटन समान हों तो ऐसे निकाय को समांगी निकाय कहते हैं। जैसे-गैसों का मिश्रण परन्तु यदि निकाय के सभी भागों के भौतिक गुण एवं रासायनिक संघटन भिन्न हों तो यह विषमांगी निकाय कहलाता है। उदाहरण-जल एवं तेल का मिश्रण।

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प्रश्न 6.
प्रक्रम क्या है ? यह कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
ऐसा प्रक्रम जो किसी ऊष्मागतिकी अवस्था में परिवर्तन कराता है तो उसे ऊष्मागतिकी प्रक्रम कहते हैं।
ऊष्मागतिकी प्रक्रम के प्रकार –

  • समतापी प्रक्रम
  • रुद्धोष्म प्रक्रम
  • समदाबी प्रक्रम
  • समआयतनिक प्रक्रम
  • उत्क्रमणीय प्रक्रम
  • अनुत्क्रमणीय प्रक्रम
  • चक्रीय प्रक्रम।

प्रश्न 7.
ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये। अथवा, ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया के लिये ∆H का चिह्न ऋणात्मक होता है, क्यों?
उत्तर:
ऐसी अभिक्रियाएँ जिनमें अभिक्रिया के दौरान ऊष्मा उत्सर्जित होती है, ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। ऐसी अभिक्रियाओं में अभिकारकों की एन्थैल्पी उत्पादों की एन्थैल्पी से अधिक होती है। इसलिये अभिक्रिया के दौरान ऊष्मा का उत्सर्जन होता है, अत: ऐसी अभिक्रियाओं हेतु एन्थैल्पी का मान ऋणात्मक होता है।
2NO(g) → N2(g) + O2(g) ; ∆H = -180.5kJ/mol-1

प्रश्न 8.
विस्तीर्ण एवं गहन गुण को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
1. विस्तीर्ण गुण-निकाय के वे गुण जो पदार्थ की मात्रा पर निर्भर करते हैं, विस्तीर्ण गुण या मात्रात्मक गुण कहलाते हैं।
उदाहरण-द्रव्यमान, आयतन, ऊष्माधारिता।

2. गहन गुण-निकाय के वे गुण जो पदार्थ की मात्रा पर निर्भर नहीं करते हैं, गहन गुण या विशिष्ट गुण कहलाते हैं।
उदाहरण-ताप, दाब, पृष्ठ तनाव, श्यानता।

प्रश्न 9.
ऊष्मागतिकी का शून्य नियम किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
इस नियम को तापीय साम्य का नियम भी कहा जाता है। इस नियम के अनुसार-“दो पिण्ड यदि अलग-अलग किसी तीसरे पिण्ड के तापीय साम्य में हैं तो आपस में भी एक-दूसरे के तापीय साम्य में होंगे।”
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-4

प्रश्न 10.
उदासीनीकरण ऊष्मा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
उदासीनीकरण ऊष्मा निकाय की एन्थैल्पी में वह परिवर्तन है जो किसी अम्ल का एक ग्राम तुल्यांक तनु विलयन में किसी क्षार के एक ग्राम तुल्यांक द्वारा पूर्णतः उदासीन करने पर होता है।
HClaq+ NaOHaq ⥨ NaClaq+ H2O(l); ∆H = -57.1 kJ

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प्रश्न 11.
दुर्बल अम्ल एवं प्रबल क्षार की उदासीनीकरण ऊष्मा का मान प्रबल अम्ल व प्रबल क्षार की उदासीनीकरण ऊष्मा के मान से कम होता है, क्यों?
उत्तर:
दुर्बल अम्ल एवं प्रबल क्षार की उदासीनीकरण ऊष्मा का मान कम होता है क्योंकि निकलने वाली ऊष्मा का कुछ भाग दुर्बल अम्ल या क्षार का पूर्ण वियोजन करने में खर्च हो जाती है। अतः परिणामस्वरूप दुर्बल अम्ल एवं क्षार का प्रबल क्षार या प्रबल अम्ल द्वारा उदासीनीकरण करने पर प्राप्त ऊष्मा का मान प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षार के उदासीनीकरण से प्राप्त ऊर्जा के मान से कम प्राप्त होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-5

प्रश्न 12.
आबन्ध वियोजन ऊर्जा या बंध एन्थैल्पी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी रासायनिक बंध के बनते समय ऊर्जा मुक्त होती है। अत: बंध को तोड़ने हेतु भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। किसी बंध को तोड़ने हेतु आवश्यक ऊर्जा बंध, एन्थैल्पी कहलाती है। अत: वह एन्थैल्पी परिवर्तन है जो गैसीय अणु को परमाणुओं में तोड़ने के लिये आवश्यक है।
HCl(g) → H(g) + Cl(g) ; ∆H = 431kJ/mol-1

प्रश्न 13.
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम क्या है ?
उत्तर:
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को ऊर्जा का संरक्षण नियम भी कहा जाता है। इसके अनुसार, “ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।” माना कि तंत्र की आंतरिक ऊर्जा U1 है, यदि इस तंत्र को व ऊष्मा दी जाये तो तंत्र की आंतरिक ऊर्जा बढ़कर U1 + q हो जायेगी। यदि किया गया कार्य w है तो आंतरिक ऊर्जा बढ़कर U2 के बराबर हो जाती है।
अतः U2 – U1 =q + W
या ∆U = q + W.

प्रश्न 14.
एण्ट्रॉपी को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
एण्ट्रॉपी किसी निकाय की अव्यवस्था या यादृच्छिकता की माप है। कोई निकाय जितना अधिक अव्यवस्थित होगा, उसकी एण्ट्रॉपी का मान उतना ही अधिक होगा। किसी पदार्थ की क्रिस्टलीय ठोस अवस्था में एण्ट्रॉपी का मान न्यूनतम तथा गैसीय अवस्था में एण्ट्रॉपी का मान अधिकतम होता है।

प्रश्न 15.
जल वाष्प, जल तथा बर्फ में किसकी एण्ट्रॉपी अधिक है और क्यों ?
उत्तर:
एण्ट्रॉपी अनियमितता का मापक होती है। ठोस अवस्था में अणु पूर्ण रूप से व्यवस्थित होते हैं, इसलिये इसकी एण्ट्रॉपी न्यूनतम होती है तथा गैस में अणु सभी दिशाओं में अनियमित रूप से गति करते रहते हैं इसलिये एण्ट्रॉपी का मान अधिकतम होता है। अतः
S(बर्फ) < S(जल)) < S(जल वाष्प)

प्रश्न 16.
NaCl, H2O तथा NH3 में किसकी एण्ट्रॉपी अधिकतम होगी और क्यों?
उत्तर:
एण्ट्रॉपी अनियमितता की माप होती है। ठोस अवस्था में अणु पूर्ण रूप से व्यवस्थित होते हैं, इसलिये इसकी एण्ट्रॉपी न्यूनतम होती है। जबकि गैस में अणु सभी दिशाओं में अनियमित गति करते हैं, इसलिये इसकी एण्ट्रॉपी अधिकतम होती है। उपर्युक्त उदाहरण में NaCI ठोस, H2O द्रव तथा NH3गैस है इसलिये NH3 की एण्ट्रॉपी सबसे अधिक तथा NaCl की एण्ट्रॉपी सबसे कम होती है।

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प्रश्न 17.
सिद्ध कीजिए – P∆V = ∆nRT.
उत्तर:
आदर्श गैस समीकरण से,
PV = nRT
यदि प्रारम्भिक अवस्था में गैस का आयतन V1 तथा गैस के मोलों की संख्या n हो तो
PV1 = n1 RT
यदि अंतिम अवस्था में गैस का आयतन V2 तथा गैस के मोलों की संख्या n2 हो तो
PV2 =n2RT
समी. (1) और (2) से,
P(V2 – V1) =(n2 – n1)RT
या P∆V = ∆nRT.

प्रश्न 18.
∆H तथा ∆U में क्या संबंध है ?
उत्तर:
यदि किसी तंत्र की एन्थैल्पी H तथा आंतरिक ऊर्जा U है तो एन्थैल्पी तथा आन्तरिक ऊर्जा में निम्नलिखित संबंध है –
H = U + PV
एन्थैल्पी परिवर्तन हेतु, ∆H = ∆U + P∆V
हम जानते हैं, P∆V = ∆nRT
मान रखने पर, ∆H = ∆U + ∆nRT

प्रश्न 19.
विशिष्ट ऊष्माधारिता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
एक ग्राम पदार्थ का ताप 1 डिग्री वृद्धि हेतु आवश्यक ऊष्मा विशिष्ट ऊष्मा कहलाती है। इसे Cs से दर्शाते हैं।
Cs= \(\frac { C }{ M }\)
जहाँ C = ऊष्माधारिता, Cs = विशिष्ट ऊष्माधारिता, m = पदार्थ का द्रव्यमान। इसकी S.I. इकाई जूल प्रति केल्विन प्रति ग्राम है।

प्रश्न 20.
मोलर ऊष्माधारिता से क्या समझते हैं ?
उत्तर:
किसी पदार्थ के एक मोल का ताप एक डिग्री बढ़ाने हेतु आवश्यक ऊष्मा की मात्रा मोलर ऊष्माधारिता कहलाती है।
मोलर ऊष्माधारिता = \(\frac { C }{∆T×m }\)
जहाँ C = अवशोषित ऊष्मा, ∆T = ताप में वृद्धि, m = आण्विक द्रव्यमान। इसकी SI इकाई जूल प्रति केल्विन प्रति मोल है।

प्रश्न 21.
हेस का नियम लिखिए।
उत्तर:
हेस ने इस नियम का प्रतिपादन सन् 1840 में किया था। इस नियम के अनुसार, “यदि कोई रासायनिक परिवर्तन दो या दो से अधिक विधियों द्वारा या एक या एक से अधिक पदों में किया जाये तो संपूर्ण परिवर्तन में उत्पन्न अथवा अवशोषित ऊष्मा की मात्रा स्थिर रहती है, चाहे वह परिवर्तन किसी भी विधि द्वारा किया गया हो”

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प्रश्न 22.
रुद्धोष्म प्रक्रम क्या है ?
उत्तर:
जब कोई प्रक्रम इस प्रकार कराया जाता है कि निकाय तथा घिराव के बीच किसी प्रकार से ऊष्मा का विनिमय संभव नहीं होता तो इस प्रकार के प्रक्रम को रुद्धोष्म प्रक्रम कहते हैं। इस प्रकार के प्रक्रम प्रायः विलगित निकाय में होते हैं। इस प्रकार के प्रक्रम के लिये dq = 0 होता है।

प्रश्न 23.
मानक संभवन एन्थैल्पी क्या है ?
उत्तर:
मानक अवस्था में अर्थात् 298 K ताप (25°C) और 1 वायुमण्डलीय दाब (760 mm) पर किसी उत्पाद के 1 मोल को उसके अवयवी तत्वों से बनाने में जो एन्थैल्पी परिवर्तन होता है, उसे मानक संभवन की एन्थैल्पी कहते हैं। इसे ∆H°f या ∆f H° से दर्शाते हैं।

प्रश्न 24.
विलयन की एन्थैल्पी क्या है ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
किसी पदार्थ के 1 मोल को विलायक के आधिक्य में पूरी तरह घोलने पर होने वाला ऊष्मा परिवर्तन विलयन की एन्थैल्पी कहलाती है। विलायक के आधिक्य का तात्पर्य यह है कि विलयन बनने के बाद इसमें विलायक की मात्रा मिलाने पर किसी प्रकार का ऊष्मा परिवर्तन न हो। उदाहरण – KCl(s) + aq → KCl(aq); ∆H = + 18.6kJ

प्रश्न 25.
जलयोजन की एन्थैल्पी क्या है ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
जब किसी निर्जलीय लवण का एक मोल जल के कुछ निश्चित संख्या में अणुओं से संयुक्त होकर जलीय लवण बनाता है तो अभिक्रिया में होने वाला ऊष्मा परिवर्तन जलयोजन की एन्थैल्पी कहलाती है। उदाहरण – CuSO4(s) + 5H2O(l) → CuSO4.5H2O; ∆H = -78.2 kJ

प्रश्न 26.
गलन की एन्थैल्पी क्या है ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
गलन की एन्थैल्पी (Heat of fusion):
एक मोल ठोस को उसके गलनांक तथा 1 वायुमण्डलीय दाब पर 1 मोल द्रव में परिवर्तित करने पर होने वाले एन्थैल्पी परिवर्तन को ठोस की गलन ऊष्मा या गलन की एन्थैल्पी कहते हैं। उदाहरण-बर्फ के गलनांक पर 1 मोल बर्फ को 1 मोल जल में परिवर्तित करने के लिए 601 kJ ऊर्जा लगती है।
H2O2 → H2O(l); ∆H = + 6.01kJ
अत: 273 K पर बर्फ की गलन की एन्थैल्पी (ऊष्मा) = 6.01 kJ.

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प्रश्न 27.
एक विलगित निकाय के ∆U = 0, इसके लिए ∆S क्या होगा?
उत्तर:
किसी विलगित निकाय के लिए, ∆U = 0 तथा किसी सतत् प्रक्रम के लिए, एन्ट्रॉपी में कुल परिवर्तन धनात्मक होना चाहिए। उदाहरण के लिए, किसी बंद पात्र, जो कि परिवेश से विलगित है, में दो गैसों A तथा B को विसरित करते हैं। दोनों गैसों A तथा B को एक गतिक विभाजक से पृथक् किया गया है। जब विभाजक हटाया जाता है, तो गैसें आपस में विसरित होने लगती हैं तथा निकाय अधिक अव्यवस्थित हो जाता है। इस प्रक्रम के लिए, ∆S > 0 तथा ∆U = 0.
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-6
अतः T∆S अथवा ∆S > 0.

ऊष्मागतिकी लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊर्जा संरक्षण नियम क्या है? इसका गणितीय व्यंजक भी लिखिए। अथवा, ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम क्या है? इसका गणितीय व्यंजक प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर:
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ऊर्जा संरक्षण का नियम है, इस नियम के अनुसार, “ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।” दूसरे शब्दों में, “जब कभी ऊर्जा की कोई निश्चित मात्रा एक रूप में अदृश्य या विलुप्त होती है तो ऊर्जा की तुल्य मात्रा दूसरे रूप में प्रकट हो जाती है।”

गणितीय व्यंजक:
माना किसी निकाय की आंतरिक ऊर्जा U1 है तथा यह परिपार्श्व से q ऊष्मा ऊर्जा अवशोषित करता है अतः इसकी आंतरिक ऊर्जा बढ़कर U1 + q हो जायेगी। यदि निकाय पर W कार्य किया जाता है तो आंतरिक ऊर्जा बढ़कर U1 + q + W हो जायेगी तथा यह U2 के बराबर है।
U2 = U1 + q + W.
या  U2 – U1 = q+ W
या  ∆U =q + w, (∴ U2 – U1 = ∆U)

प्रश्न 2.
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को कभी ∆E = q – W से दर्शाया जाता है तथा कभीकभी ∆E = q + w से दर्शाया जाता है। क्यों ?
उत्तर:
यदि तंत्र द्वारा घिराव पर कार्य होता है तो तंत्र की कुछ ऊर्जा कार्य करने में प्रयुक्त होती है जिसके कारण तंत्र की आंतरिक ऊर्जा में कमी आती है तथा तंत्र द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है। इस परिस्थिति में ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को ∆E =q – W से दर्शाया जाता है। दूसरी तरफ यदि तंत्र पर घिराव द्वारा कार्य होता है तो किया गया कार्य धनात्मक होता है क्योंकि तंत्र की आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है और इस स्थिति में ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम को ∆E = q + W द्वारा दर्शाया जाता है।

प्रश्न 3.
उत्क्रमणीय प्रक्रम तथा अनुत्क्रमणीय प्रक्रम में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्क्रमणीय प्रक्रम तथा अनुत्क्रमणीय प्रक्रम में अंतर –

उत्क्रमणीय प्रक्रम:

  1. ये प्रक्रम अत्यन्त धीमी गति से संचालित होता हैं। इसमें संचालनकारी एवं विपरीतकारी बल व विपरीतकारी बलों के बीच अंतर अत्यन्त सूक्ष्म होता है।
  2. ये अधिकांशतः सैद्धान्तिक प्रक्रम होते हैं।
  3. इन प्रक्रमों को पूर्ण होने में अधिक समय लगता है।
  4. इन प्रक्रमों में किया गया कार्य अधिकतम होता है।
  5. प्रक्रम के दौरान किसी भी समय साम्यावस्था नष्ट नहीं होती है।

अनुत्क्रमणीय प्रक्रम:

  1. ये प्रक्रम तेजी से घटित होते हैं। इनमें संचालनकारी बल में काफी अंतर होता है।
  2. ये अधिकांशतः वास्तविक व स्वतः प्रवर्तित होते है।
  3. इनको पूर्ण होने में निश्चित समय लगता है।
  4. इन प्रक्रमों में किया गया कार्य अधिकतम नहीं होता है।
  5. प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात् ही साम्यावस्था प्राप्त हो जाती है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के आधार पर NO(g) के ऊष्मागतिकीय स्थायित्व पर टिप्पणी कीजिए –
\(\frac { 1 }{ 2 }\)N2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → NO2(g) ; ∆H° = 90kJ mol-1
NO(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → NO2(g); ∆H° = 74kJmol-1

उत्तर:
NO(g) अस्थायी है, क्योंकि NO का निर्माण एक ऊष्माशोषी प्रक्रम है (अर्थात् ऊष्मा अवशोषित होती है) परन्तु NO2(g) का निर्माण होता है (स्थायी) क्योंकि इसका निर्माण ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है (अर्थात् ऊष्मा उत्सर्जित होती है)। अतः अस्थायी NO(g)स्थायी NO2(g) में परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 5.
साम्यावस्था पर ∆rG तथा ∆rG° में से कौन-सी राशि का मान शून्य होगा?
उत्तर:
rG = ∆rG° + RTInK
साम्यावस्था पर, 0 = ∆G° + RTInK
अथवा ∆rG° = – RTInK
rG° = 0
K के अन्य समस्त मानों के लिए ∆rG° के मान अशून्य होंगे।

प्रश्न 6.
स्थिर आयतन पर किसी विलगित निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
किसी विलगित निकाय की ऊर्जा का ऊष्मा अथवा कार्य के रूप में स्थानान्तरण नहीं होता है। अतः ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से –
∆U =q + W = 0 + 0 = 0.

प्रश्न 7.
ऊष्माधारिता क्या है ? Cp– Cv = R व्यंजक को स्थापित कीजिये।
उत्तर:
ऊष्माधारिता-किसी निकाय का ताप 1°C बढ़ाने के लिये आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को ऊष्माधारिता कहा जाता है। इसकी इकाई जूल प्रति केल्विन है।
Cpएवं Cv में संबंध –
स्थिर आयतन पर ऊष्माधारिता,
Cv = \(\frac { ∆V }{ ∆T }\)v
∆V = Cv∆T = qv
इसी प्रकार स्थिर दाब पर ऊष्माधारिता,
Cp = \(\frac { ∆H }{ ∆T }\)p
∆V = Cp∆T = qp

आदर्श गैस के 1 मोल हेतु,
∆H = ∆V + ∆(PV)
∆H = ∆V + ∆(RT),(∴ PV = RT)
∆H = AV + R∆T

मान रखने पर, Cp∆T = Cv∆T+R∆T
∆T से भाग देने पर,
Cp = CV+R
Cp – CV = R

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प्रश्न 8.
दहन ऊष्मा को समझाइये। इसके उपयोग भी लिखिए।
उत्तर:
दहन ऊष्मा-निश्चित ताप व स्थिर दाब पर किसी यौगिक के 1 मोल की ऑक्सीजन के आधिक्य में पूर्ण दहन करने पर जो ऊर्जा का परिवर्तन होता है, उसे उस यौगिक की दहन ऊष्मा कहते हैं।
उदाहरण – CH4 + 2O2→ CO2 + 2H2O; ∆H = -212kcal
C(s) + O2(g) → CO2(g); ∆H = -94.3kcal
इन अभिक्रियाओं में क्रमश: मेथेन के एक अणु व कार्बन के एक अणु का ऑक्सीजन के साथ पूर्ण दहन होता है। इन अभिक्रियाओं की एन्थैल्पी को दहन की एन्थैल्पी भी कहते हैं। दहन ऊष्मा हमेशा उत्सर्जित होती है।

दहन ऊष्मा के उपयोग:

  • ईंधन का ऊष्मीय मान या कैलोरी मान ज्ञात करने में।
  • यौगिकों की सम्भवन ऊष्मा निर्धारण में।
  • यौगिकों की संरचना निर्धारण में।
  • भोजन के कैलोरी मूल्य के परिकलन में।

प्रश्न 9.
निर्वात् में किसी गैस का प्रसार, मुक्त प्रसार कहलाताहै। यदि किसी आदर्श गैस के IL समतापीय विस्तार द्वारा 5L तक प्रसारित हो जाते हैं, तो किया गया कार्य तथा आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन ज्ञात कीजिए।
हल:
किया गया कार्य, W = – Pबाह्य (V2 – V1)
Pबाह्य = 0,
अतः W= – 0 (5 – 1) = 0
समतापी प्रसार के लिए, ∆U = 0
अतः ∆T = 0
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-7

प्रश्न 10.
किसी सिलेण्डर में बंद आदर्श गैस को चित्रानुसार एकल पद में नियत बाह्य दाब, Pबाह्य द्वारा संपीडित किया जाता है, तो गैस पर किया गया कार्य कितना होगा ? ग्राफ द्वारा समझाइए।
हल:
माना प्रारम्भ में गैस का कुल आयतन Vi तथा सिलेण्डर गैस का दाब P है। एकल पद में बाह्य दाब Pबाह्य द्वारा संपीडित करने पर गैस का अन्तिम आयतन Vf हो जाता है।
अतः आयतन में परिवर्तन, ∆V = (Vf – Vi)
यदि पिस्टन की गति के कारण निकाय पर W कार्य हो, तब। किया गया कार्य,
w = Pबाह्य (-∆V)
w = Pबाह्य (Vf – Vi)
इसे चित्र में अंकित P – V ग्राफ द्वारा ज्ञात कर सकते हैं। किया गया कार्य छायांकित भाग ABVfVi, के बराबर होता है। कार्य का ऋणात्मक मान दर्शाता है कि कार्य निकाय पर किया गया है।

प्रश्न 11.
वाष्पन की ऊष्मा एवं सम्भवन की ऊष्मा को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
वाष्पन की ऊष्मा-द्रव से वाष्प तथा वाष्प से द्रव में परिवर्तन से एन्थैल्पी में होने वाले परिवर्तन को वाष्पन की एन्थैल्पी कहते हैं, या एक मोल द्रव को उसके क्वथनांक तथा एक वायुमण्डलीय दाब पर वाष्प में परिवर्तित करने पर होने वाले एन्थैल्पी परिवर्तन को द्रव की वाष्पीकरण ऊष्मा या वाष्पन की एन्थैल्पी कहते हैं।
उदाहरण – H2O(l) ⥨ H2O(g) ); ∆H = + 40.7kJ
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-8
संभवन ऊष्मा:
एक निश्चित ताप व स्थिर दाब पर किसी यौगिक के एक मोल उत्पाद को उसके अवयवी तत्वों से बनाने में जो एन्थैल्पी परिवर्तन होता है, उसे संभवन की एन्थैल्पी या संभवन की ऊष्मा कहते हैं। इसे ∆Hf से दर्शाते हैं।
C(s) + O2(g) → CO2(g); ∆H = -393.5kJ/mol

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प्रश्न 12.
संलयन की एन्थैल्पी तथा ऊर्ध्वपातन की एन्थैल्पी को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
संलयन की एन्थैल्पी-एक मोल ठोस को उसके गलनांक तथा एक वायुमण्डलीय दाब पर एक मोल द्रव में परिवर्तित करने पर होने वाला एन्थैल्पी परिवर्तन ठोस की गलन ऊष्मा या संलयन की एन्थैल्पी कहलाता है।
H2O(s) ⥨ H2O(l); ∆H = + 6.01kJ

ऊर्ध्वपातन की एन्थैल्पी:
जब एक मोल ठोस अपने गलनांक से कम ताप पर बिना द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए सीधे गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है, तो इस प्रक्रिया में एन्थैल्पी का परिवर्तन, ऊर्ध्वपातन की एन्थैल्पी कहलाता है।
I(s) ⥨  I2(g); ∆H = + 62 . 4kJ

प्रश्न 13.
वाष्पीकरण प्रक्रम में एण्ट्रॉपी में किस प्रकार परिवर्तन होता है ?
उत्तर:
वाष्पीकरण की एण्ट्रॉपी-एक मोल द्रव को उसके क्वथनांक तथा एक वायुमण्डलीय दाब पर वाष्प अवस्था में परिवर्तित करने पर जो एण्ट्रॉपी परिवर्तन होता है, उसे वाष्पीकरण की एण्ट्रॉपी कहते हैं। मान लो स्थिर दाब पर एक मोल द्रव अपने क्वथनांक Tb पर द्रव अवस्था से वाष्प अवस्था में उत्क्रमणीय रूप से परिवर्तित होता है। यदि इस पदार्थ की मोलर वाष्पन ऊष्मा ∆Hवाष्पन हो तो वाष्पन प्रक्रम में एण्ट्रॉपी परिवर्तन ∆Sवाष्पन को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-9
चूँकि∆Hगलनतथा ∆Hवाष्पनदोनों धनात्मक होते हैं। अतः गलन तथा वाष्पन दोनों प्रक्रम में एण्ट्रॉपी में वृद्धि होती है।

प्रश्न 14.
आप किसी आदर्श गैस के संपीडन में किए गए कार्य की गणना किस प्रकार करेंगे जबकि दाब में परिवर्तन अनन्त पदों में किया गया हो?
उत्तर:
जब दाब में परिवर्तन अनन्त पदों में किया गया हो, तो यह एक उत्क्रमणीय प्रक्रम होता है। अत: गैस पर किया गया कार्य छायांकित भाग में दर्शाया गया है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-10

प्रश्न 15.
किसी अभिक्रिया के लिए एन्थैल्पी आरेख संलग्न चित्र में दर्शाया गया है। क्या दिए गए चित्र द्वारा दी गई अभिक्रिया की सततता का निश्चय करना सम्भव है?
उत्तर:
नहीं, एन्थैल्पी किसी अभिक्रिया की द्वारा सततता का विनिश्चय करने वाले कारकों में से एक कारक है, परन्तु यह अकेला कारक नहीं है। इसके लिए अन्य कारकों जैसे – ∆G, ∆S, T के साथ-साथ एन्ट्रॉपी ∆S पर भी विचार किया जाता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-11

प्रश्न 16.
किसी आदर्श गैस की उत्क्रमणीय अभिक्रिया अक्षतथा समतापी प्रक्रम द्वारा (PiVi) से (PfVf) में। अवस्था परिवर्तन होती है। इस प्रसार में किए गए कार्य को ग्राफीय रूप में प्रदर्शित कीजिए। PV ग्राफ की। सहायता से, स्थिर बाह्य दाब Pf के विरुद्ध किए गए कार्य की उपरोक्त कार्य से तुलना कीजिए।
उत्तर:
(i) उत्क्रमणीय कार्य कुल क्षेत्र ABC तथा . BCViVfद्वारा प्रदर्शित है।
(ii) स्थिर दाब P के परितः किया गया कार्य क्षेत्र PfBCViVf द्वारा प्रदर्शित है।
अतः कार्य (i) > कार्य (ii)।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-12

प्रश्न 17.
आन्तरिक ऊर्जा से क्या तात्पर्य है ? क्या इसका वास्तविक मान प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर:
प्रत्येक पदार्थ के अंदर ऊर्जा की कुछ मात्रा निहित रहती है जो उस पदार्थ की रासायनिक प्रकृति, ताप, दाब व आयतन तथा भौतिक अवस्था पर निर्भर करती है। इसे आंतरिक ऊर्जा कहते हैं तथा U से दर्शाते हैं। आंतरिक ऊर्जा विभिन्न प्रकार की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग होती है। जैसे- घूर्णन ऊर्जा (Er), कम्पन ऊर्जा (Ev), स्थानांतरण ऊर्जा (Et), इलेक्ट्रॉनिक ऊर्जा (Ee), नाभिकीय ऊर्जा (En), और अणुओं के बीच उपस्थित आकर्षण बल के कारण उत्पन्न ऊर्जा Ei
अतः U = E e+ En+Et+Er+ Ev+Ei आंतरिक ऊर्जा की अवयवी ऊर्जा जैसे-कम्पन ऊर्जा, घूर्णन ऊर्जा के मान सही-सही प्राप्त नहीं किये जा सकते। अतः पदार्थ की आन्तरिक ऊर्जा के निरपेक्ष मान का सही-सही निर्धारण संभव नहीं है।

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प्रश्न 18.
अभिक्रिया की एन्थैल्पी को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं ?
उत्तर:
किसी अभिक्रिया की एन्थैल्पी निम्न कारकों पर निर्भर करती है –
(1) अभिकारकों व उत्पाद की भौतिक अवस्था:
अभिकारकों व उत्पाद की भौतिक अवस्था एन्थैल्पी को प्रभावित करती है क्योंकि इसमें गुप्त ऊष्मा भी सम्मिलित होती है।

H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g)→ H2O(l)); ∆H = -286kJ
H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g)→ H2O(g)); ∆H = -249kJ

(2) अभिकारक की मात्रा:
अभिकारकों की मात्रा पर भी अभिक्रिया की एन्थैल्पी निर्भर करती है। जैसे – 1 मोल H2 के[ latex]\frac { 1 }{ 2 }[/latex] मोल O2 से अभिक्रिया करने पर 286 kJ ऊष्मा उत्पन्न होती है। 2 मोल में यह मात्रा दो गुनी हो जाती है।

H2(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2(g) → H2O(l); ∆H = – 286kJ
2H2(g) + O2(g) → 2H2O(l); ∆H = -572kJ

(3) अभिकारकों का अपरूपीय रूपान्तरण-एक ही पदार्थ के भिन्न-भिन्न अपरूपों के लिये एन्थैल्पी परिवर्तन अलग-अलग होगा।
Cप्रेफाइट + O2(g) → CO2(g); ∆H = -393.5kJ
Cहीरा + O2(g) → CO2(g); ∆H = -395.4kJ

(4) ताप – अभिक्रिया की एन्थैल्पी ताप पर निर्भर करती है।
25°C पर – H2(g)+ Cl2(g) → 2HCl(g); ∆H = -184.4kJ
75°C पर – H2(g)+ Cl2(g) → 2HCl2(g); ∆H = +184.4kJ

प्रश्न 19.
सिद्ध कीजिए कि स्थिर आयतन पर qv = ∆U.
उत्तर:
जब कोई क्रिया स्थिर आयतन पर करायी जाती है तो तंत्र द्वारा कोई कार्य नहीं होता। अतः W=0.
अतः  ∆U =q+w
मान रखने पर,  ∆U =q
अतः स्थिर आयतन पर जो ऊष्मा अवशोषित होती है वह तंत्र की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि करने के ही काम आती है।
अतः ∆U =q + W =q + P∆V, (W = P∆V) चूँकि क्रिया स्थिर आयतन पर हो रही है इसलिये ∆V = 0 होगा।
मान रखने पर, ∆Uv =qp

प्रश्न 20.
हेस का स्थिर ऊष्मा संकलन नियम के अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर:
हेस का स्थिर ऊष्मा संकलन नियम के अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं –

  1. संभवन की एन्थैल्पी का निर्धारण करने में।
  2. अपरूपीय संक्रमणों की एन्थैल्पी का निर्धारण करने में।
  3. जलयोजन के एन्थैल्पी की गणना करने में।
  4. किसी अभिक्रिया के लिये एन्थैल्पी परिवर्तन ज्ञात करने में।
  5. बंध ऊर्जा के निर्धारण में।
  6. दहन की एन्थैल्पी का निर्धारण करने में।

प्रश्न 21.
किसी ईंधन के कैलोरी मान का क्या अभिप्राय है ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
एक ग्राम भोजन या ईंधन के दहन से कैलोरी या जूल के रूप में उत्पन्न ऊष्मा को भोजन या ईंधन का कैलोरी मान कहते हैं।
C6H12O6(s) + 6O2(g) → 6CO2(g) + 6H2O(g) ; ∆H = -2840kJ
इस अभिक्रिया में 1 मोल ग्लूकोज अर्थात् 180 ग्राम से प्राप्त ऊष्मा = 2840kJ
अतः 1 ग्राम ग्लूकोज से प्राप्त ऊष्मा = \(\frac { 2840 }{ 180 }\) = 15. 78kJ/gm
अतः ग्लूकोज का कैलोरी मान 15.78 kJ/gm है।

ऊष्मागतिकी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए –
∆H = ∆U+P∆V. अथवा, ∆H तथा ∆U में संबंध समझाइए।
उत्तर:
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियमानुसार,
q = ∆U+w,
q = ∆U+ P∆V, (W = P∆V) ……..(1)
एन्थैल्पी के अनुसार,
q= AH ……..(2)
समी, (1) और (2) से,
∆H= ∆U + P∆V ……..(3)
आदर्श गैस समीकरण से,
PV = nRT
माना प्रारम्भिक स्थिति में गैस का आयतन V1तथा गैस के मोलों की संख्या n है, तो
PV1 = n1 RT ……..(4)
माना अंतिम स्थिति में गैस का आयतन V2तथा गैस के मोलों की संख्या n2 है, तो
PV2= n2RT ……..(5)
समी. (5) में से समी. (4) को घटाने पर,
P(V2 – V1) = (n2 – n1) RT या P∆V=∆nRT
समी. (3) में मान रखने पर,
∆H = ∆U + ∆nRT

परिस्थिति:
(1) यदि उत्पाद के मोलों की संख्या अभिकारक के मोलों की संख्या से अधिक है तो ∆n धनात्मक होगा तथा ∆H का मान ∆U से अधिक होगा। अतः ∆H = ∆U + ∆nRT
(2) यदि अभिकारक के मोलों की संख्या उत्पाद के मोलों की संख्या से अधिक हो तो ∆n ऋणात्मक होगा तथा ∆H का मान ∆U से कम होगा। ∆H = ∆U – ∆nRT
(3) यदि अभिकारक के मोलों की संख्या उत्पाद के मोलों की संख्या के बराबर हो तो ∆n = 0. इस परिस्थिति में ∆H = ∆U होगा।

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प्रश्न 2.
सिद्ध कीजिए –
qp = ∆Hp .
अथवा, सिद्ध कीजिए कि स्थिर दाब व स्थिर ताप पर अभिक्रिया की ऊष्मा, निकाय के एन्थैल्पी परिवर्तन के बराबर होता है।
उत्तर:
यदि कोई प्रक्रम स्थिर दाब पर हो रहा है तो तंत्र के आयतन में परिवर्तन होता है। यदि तंत्र द्वारा ऊष्मा का अवशोषण हो रहा है जिसके फलस्वरूप आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि U1 से U2 हो रही है तथा आयतन में वृद्धि V1 से V2 हो रही है तो ऊष्मागतिकी के प्रथम नियमानुसार,
q = ∆U+ W = ∆U+ P∆V (∴W = P∆V)
या q= [U2 – U1] + P(V2 – V1), [U2 – U1 = ∆U, V2 – V1 =∆V]
या q= [U2 – U1] + [PV2 – PV1]
या q= [U2 + PV2] – [U1 + PV1] ……..(1)

आंतरिक ऊर्जा, दाब तथा आयतन अवस्था परिवर्ती गुण हैं इसलिये इनका योग भी अवस्था परिवर्ती गुण होगा, जिसे एन्थैल्पी कहते हैं तथा H से दर्शाते हैं।
U + PV =H
यदि प्रारंभिक स्थिति में आंतरिक ऊर्जा, आयतन तथा एन्थैल्पी क्रमशः U1V1 तथा H1 हो तो.
U1 + PV1 = H1
इसी प्रकार अंतिम स्थिति में यदि आंतरिक ऊर्जा, आयतन तथा एन्थैल्पी क्रमशः U2, V2तथा H2 हो तो
U2 + PV2 = H2
समीकरण (1) में मान रखने पर,
q= H2 – H1 = ∆Hp.

प्रश्न 3.
हेस का स्थिर ऊष्मा संकलन का नियम समझाइये तथा इसे उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 1840 में जी. एच. हेस ने इस नियम का प्रतिपादन किया। इसके अनुसार, “किसी भौतिक अथवा रासायनिक परिवर्तन में एन्थैल्पी परिवर्तन हमेशा समान रहता है, चाहे वह परिवर्तन एक पद में हो या कई पदों में। दूसरे शब्दों में, “किसी अभिक्रिया हेतु एन्थैल्पी परिवर्तन हमेशा स्थिर रहता है तथा यह अभिक्रिया के पथ पर निर्भर नहीं करता है।”

सैद्धांतिक स्पष्टीकरण:
पदार्थ A को उत्पाद x में दो विधियों द्वारा बदला जा सकता है। प्रथम विधि में A को सीधे x में परिवर्तित करने पर मुक्त होने वाली ऊष्मा Q है।
A → x + Q
दूसरी विधि में A को पहले B में, B को C में तथा C को x में बदला जा रहा हो तथा इन पदों में मुक्त होने वाली ऊष्मा क्रमशः q1, q2, q3 हों तो
A → B + q1
B → C + q2
C → x + q3
हेस के नियमानुसार,
Q = q1, q2,q3
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-13

उदाहरण:
C को COq2 में निम्नलिखित दो विधियों द्वारा परिवर्तित किया जा सकता हैप्रथम विधि के अनुसार,
C(s) +Q2(g) → CO2(g) ;
∆H = -393.5kJ/mol

द्वितीय विधि द्वारा,
(a) C(s) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → CO(g) ; ∆H1 = -110.5 kJ/mol
(b) CO(g) + \(\frac { 1 }{ 2 }\)O2(g) → COCO(g) ; ∆H= -283 kJ/mol
(a) और (b) को जोड़ने पर,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-14
∆H = ∆H1 + ∆H2

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प्रश्न 4.
बम-कैलोरीमीटर द्वारा आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन AU के निर्धारण की विधि का निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर वर्णन कीजिए

  1. उपकरण का नामांकित चित्र
  2. विधि का वर्णन
  3. प्रयुक्त सूत्र।

उत्तर:
(1) उपकरण का नामांकित चित्र –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-15

(2) प्रायोगिक निर्धारण:
किसी अभिक्रिया में आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन का मापन बम कैलोरीमीटर द्वारा करते हैं। यह कठोर स्टील का बना होता है तथा उच्च दाब को सहन कर सकता है। स्टील पात्र के भीतरी सतह में Au या Pt की पालिश रहती है जिससे स्टील का ऑक्सीकरण नहीं हो सकता। स्टील के पात्र में भीतर एक Pt कप में पदार्थ की थोड़ी मात्रा ली जाती है। इस कप में विद्युत् तार लगाये जाते हैं जिससे विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर पदार्थ जल जाये।

कप में पदार्थ की अल्प मात्रा लेकर बम कैलोरीमीटर में 20-25 वायुमण्डलीय दाब तक O2 गैस भर लेते हैं तथा बम कैलोरीमीटर को सील कर देते हैं। इसे रुद्धोष्म तंत्र बनाने के लिये ताप रोधित वाटर बाथ में डूबो देते हैं जिसमें भरे हुए जल की मात्रा ज्ञात रहती है। इसमें एक विलोडक तथा एक थर्मामीटर डूबा रहता है। जल का प्रारंभिक ताप नोट कर लेते हैं। विद्युत् स्पार्क उत्पन्न करने से पदार्थ का दहन होता है।

दहन से अत्यन्त ताप द्वारा जलकुण्ड में जल का ताप बढ़ जाता है जिसे नोट कर लिया जाता है। इस तरह ताप में वृद्धि तथा कैलोरीमीटर के जल तुल्यांक के आधार पर अभिक्रिया में उत्पन्न ऊष्मा की गणना कर ली जाती है जो उस अभिक्रिया में आन्तरिक ऊर्जा परिवर्तन ∆U के बराबर होती है।

(3) प्रयुक्त सूत्र:
दहन में उत्पन्न ऊष्मा = कैलोरीमीटर का जल तुल्यांक × ताप में परिवर्तन × जल का विशिष्ट ऊष्माजल तुल्यांक पदार्थ की मात्रा = w gm, पदार्थ का आण्विक द्रव्यमान = m, कैलोरीमीटर का जल तुल्यांक = 2
पदार्थ के दहन से उत्पन्न ऊष्मा = Z×∆t×\(\frac { m }{ w }\)जूल।

प्रश्न 5.
PV कार्य के लिये व्यंजक को व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
यदि किसी सिलेण्डर में भारहीन व घर्षणरहित पिस्टन लगा हो जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है। यदि सिलेण्डर में आदर्श गैस का एक मोल उपस्थित है। गैस का कुल आयतन V तथा दाब P है तथा पिस्टन पर कार्यरत बल F हो तो
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-18
⇒ P = \(\frac { F}{ A }\)
⇒ ∆ × P= F
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-16
यदि पिस्टन पर कार्यरत बल गैस के दाब की तुलना में कम है तो पिस्टन कुछ L दूरी ऊपर की ओर तय करता है। माना यह विस्थापन वा है। इसके फलस्वरूप आयतन में वृद्धि dl हो रही है तो तंत्र द्वारा किया गया कार्य
कार्य = बल × विस्थापन
W = F × dl
F का मान रखने पर,
w = P × A × dl = Pdv, (A×dl = dV)
यदि आयतन में वृद्धि V2 से V1 हो रही है तो कुल कार्य ज्ञात करने के लिये समाकलन करना पड़ता है अतः
चिह्न का प्रयोग:
यदि तंत्र द्वारा घिराव पर कार्य होता है तो किया गया। कार्य ऋणात्मक होता है क्योंकि कार्य करने में तंत्र की आंतरिक ऊर्जा प्रयुक्त होती है जिसके फलस्वरूप आंतरिक ऊर्जा में कमी आती है। यदि घिराव द्वारा तंत्र पर कार्य किया जाता है तो किया गया कार्य धनात्मक होता है क्योंकि तंत्र की आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी-17

प्रश्न 6.
मुक्त ऊर्जा किसे कहते हैं ? इसके लिए गणितीय स्वरूप की व्याख्या कीजिए तथा गिब्स-हैल्महोल्ट्ज समीकरण दीजिए।
उत्तर:
मुक्त ऊर्जा (Free Energy):
इसे ‘G’ द्वारा दर्शाया जाता है। यह एक ऐसा उष्मागति की फलन है जिसकी सहायता से किसी तन्त्र के होने या चलने की सम्भावना और उसकी तात्कालिकता (Spontaneity) का आकलन किया जा सकता है। मुक्त ऊर्जा की परिभाषा निम्न प्रकार से दी जा सकती है – किसी तन्त्र से प्राप्त ऊर्जा की वह मात्रा जिसे उपयोगी काम (Useful Work) में लगाया जा सके तन्त्र की मुक्त ऊर्जा कहलाती है। मुक्त ऊर्जा (G) का गणितीय रूप निम्न प्रकार है –
G = H – TH
H = तन्त्र की एन्थैल्पी, S = तन्त्र की एन्ट्रॉपी, T = तापक्रम।

हम जानते हैं कि H = U + PV
G = (U + PV) – TS
तन्त्र के ऊर्जा परिवर्तन (∆G) को निम्नवत दर्शाया जा सकता है –
AG = ∆U+ ∆(PV) – ∆(TS)
यदि प्रक्रम स्थिर दाब और स्थित ताप हो रहा है तो ∆(PV) को P∆V तथा P∆S को T∆S लिखा जायेगा। अतः ∆G = ∆U + P∆V – T∆S

हम जानते हैं कि स्थिर ताप और स्थिर दाब पर,
∆U+ P∆V = ∆H तब ∆G + P∆H = T∆S
गिब्स के समीकरण G = H – TS को स्थिर ताप पर प्रारम्भिक तथा अन्तिम अवस्थाओं के लिए इस प्रकार लिख सकते हैं कि G1 = H1 – TS1 तथा G2 = H2 – TS2
∆G = ∆G1 = ∆G2
अथवा ∆G = (H2 – TS2) – (H1– TS1)
अथवा ∆G = (H2 – H1) – (TS2 – TS1) = ∆H – T∆S
इस समीकरण को गिब्स-हैल्महोल्ट्ज समीकरण कहते हैं।

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MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 5 संगठन

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 5 संगठन

संगठन Important Questions

संगठन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में कौन-सा अंतरण का तत्व नहीं है –
(a) उत्तरदेयता
(b) अधिकार
(c) उत्तरदायित्व
(d) अनौपचारिक संगठन
उत्तर:
(d) अनौपचारिक संगठन

प्रश्न 2.
कार्य करते हुए अंतःक्रिया में अचानक बना सामाजिक संबंध तंत्र कहलाता है –
(a) औपचारिक संगठन
(b) अनौपचारिक संगठन
(c) विकेन्द्रीकरण
(d) अंतरण।
उत्तर:
(b) अनौपचारिक संगठन

प्रश्न 3.
संगठन को देखा नहीं जा सकता –
(a) प्रबंध के एक कार्य के रूप में
(b) संबंधों के एक ढाँचे के रूप में
(c) एक प्रक्रिया के रूप में
(d) उद्यम वृत्ति के रूप में।
उत्तर:
(d) उद्यम वृत्ति के रूप में।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा संगठन प्रक्रिया का एक चरण नहीं है –
(a) क्रियाओं का विभाजन
(b) कार्य सौंपना
(c) कार्यों एवं विभागों का निर्माण
(d) नेतृत्व प्रदान करना।
उत्तर:
(d) नेतृत्व प्रदान करना।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन संदेशवाहन के अधिकारिक मार्ग का प्रयोग नहीं करता –
(a) औपचारिक संगठन
(b) अनौपचारिक संगठन
(c) कार्यात्मक संगठन
(d) प्रभागीय संगठन
उत्तर:
(b) अनौपचारिक संगठन

प्रश्न 6.
किस संगठन में क्रियाओं को उत्पादों के आधार पर समूहों में बाँटा जाता है –
(a) विकेन्द्रित संगठन
(b) प्रभागीय संगठन
(c) कार्यात्मक संगठन
(d) केन्द्रित संगठन।
उत्तर:
(b) प्रभागीय संगठन

प्रश्न 7.
एक लंबा ढाँचा होता है –
(a) प्रबंध की सिकुड़ी हुई शृंखला
(b) प्रबंध की फैली हुई श्रृंखला
(c) प्रबंध की कोई भी श्रृंखला
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) प्रबंध की सिकुड़ी हुई शृंखला

प्रश्न 8.
उत्पादन रेखा पर आधारित सामूहिक क्रिया अंग है –
(a) अंतरित संगठन का
(b) प्रभागीय संगठन का
(c) कार्यात्मक संगठन का
(d) स्वायत्त शासित संगठन का।
उत्तर:
(b) प्रभागीय संगठन का

प्रश्न 9.
केन्द्रीयकरण से तात्पर्य है –
(a) निर्णय लेने के अधिकारों को सुरक्षित रखना
(b) निर्णय लेने के अधिकारों का बिखराव करना
(c) प्रभागों का लाभ केन्द्र बनाना
(d) नये केन्द्रों अथवा शाखाओं को खोलना।
उत्तर:
(a) निर्णय लेने के अधिकारों को सुरक्षित रखना

प्रश्न10.
प्रबंध के विस्तार से तात्पर्य है –
(a) प्रबंधकों की संख्या में वृद्धि
(b) एक प्रबंधक की नियुक्ति के समय की सीमा जिसके लिये उसे नियुक्ति दी गई है
(c) एक उच्चाधिकारी के अंतर्गत कार्य करने वाले अधीनस्थों की गणना
(d) शीर्ष प्रबंध के सदस्यों की गणना।
उत्तर:
(c) एक उच्चाधिकारी के अंतर्गत कार्य करने वाले अधीनस्थों की गणना

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. अधिकार अंतरण या भारार्पण का आशय …………. सौंपना है।
  2. विकेन्द्रीकरण में …………. के वितरण पर बल दिया जाता है।
  3. विकेन्द्रीकरण अधिकारियों के कार्यभार में …………. करता है।
  4. कार्यात्मक संगठन संरचना की अवधारणा …………. के मस्तिष्क की उपज है।
  5. बैंक …………. संरचना संगठन का उदाहरण है।
  6. संगठन संरचना से आशय संस्था में …………. संबंधों की व्याख्या करने से है।
  7. संस्था को उसके द्वारा उत्पादित वस्तुओं के आधार पर विभक्त करना ……….. संगठन कहलाता है।
  8.  …………. संगठन में अधिकार तथा कर्तव्यों की स्पष्ट व्याख्या की जाती है।

उत्तर:

  1. अधिकार
  2. सत्ता
  3. कमी
  4. टेलर
  5. भौगोलिक
  6. अधिकार कर्तव्य
  7.  संभागीय
  8. औपचारिक।

प्रश्न 3.
एक शब्द या वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. उच्च अधिकारियों द्वारा अधीनस्थों में अपने कार्यों-अधिकारों का वितरण, सीमित रूप से किया जाना क्या कहलाता है ?
  2. संस्था में शीघ्र निर्णयन को प्रोत्साहित करने हेतु क्या अपनाया जाना चाहिए?
  3. ऐसी संस्था जो विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाती है उसे कौन-सा संगठन अपनाना चाहिए ?
  4. किस स्थिति में अधिकारों का हस्तांतरण होता है परन्तु उत्तरदायित्वों का नहीं?
  5. संगठन का वह स्वरूप जो कर्मचारियों के मध्य पारस्परिक संबंध के कारण स्वतः ही विकसित होता है, उसे क्या कहते हैं ?
  6. उस संगठन का नाम बताइए जो नियमों एवं कार्य विधियों पर आधारित है।
  7. संगठनात्मक ढाँचे में किस प्रकार के संबंध को दिखाया जाता है ?
  8. प्रबंध का संगठन का कार्य प्रबंध के किस कार्य के बाद आता है ?
  9. विभागीय संगठन प्रक्रिया का कौन-सा चरण है ?
  10. अनौपचारिक संगठन में सदस्यों में किस प्रकार का संबंध होता है ?

उत्तर:

  1. भारार्पण
  2. विकेंद्रीयकरण
  3. संभागीय संगठन
  4. भारार्पण
  5. अनौपचारिक संगठन
  6. औपचारिक संगठन
  7. अधिकारी व अधीनस्थ संबंध
  8. नियोजन के बाद
  9. दूसरा चरण
  10. मधुर संबंध।

प्रश्न 4.
सत्य या असत्य बताइये

  1.  संगठन की स्थापना निम्न स्तर के प्रबन्ध द्वारा होती है।
  2. संगठन भ्रष्टाचार को जन्म देता है।
  3. अधिकार का भारार्पण दिया जा सकता है।
  4. जवाबदेही का भारार्पण नहीं किया जा सकता है।
  5. संगठन का प्रबन्ध में वही महत्व है जो मानव शरीर में हड्डियों के ढाँचे का होता है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. सत्य।

प्रश्न 5.
सही जोड़ी बनाइये –
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 5 संगठन - 1
उत्तर:

  1. (e)
  2. (a)
  3. (b)
  4. (c)
  5. (d)

संगठन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संगठन के उद्देश्य बतलाइये।
उत्तर:
संगठन के उद्देश्य –

1. उत्पादन में मितव्ययिता – संगठन का प्रमुख उद्देश्य उत्पादन में मितव्ययिता लाना है अर्थात् न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन करना प्रत्येक उपक्रम का उद्देश्य होता है।

2. समय तथा श्रम में बचत – संगठन में श्रेष्ठ मशीनें व यंत्र तथा श्रेष्ठ प्रणाली अपनाई जाती है जिससे कार्य के समय व श्रम में काफी बचत की जाती है। संगठन द्वारा बड़े पैमाने में उत्पादन के लाभ भी लिए जा सकते हैं।

3. श्रम तथा पूँजी में मधुर संबंध – श्रमिकों तथा प्रबंध के बीच मधुर संबंध स्थापित करना भी संगठन का एक उद्देश्य है, इस हेतु कुशल संगठनकर्ता की नियुक्ति कर श्रम व पूँजी के हितों की रक्षा की जाती है।

4. सेवा भावना – वर्तमान सामाजिक चेतना एवं जन जागरण के कारण प्रत्येक व्यवसायी का उद्देश्य “प्रथम सेवा फिर लाभ” हो गया है वैसे भी प्रत्येक व्यवसायी को समाज सेवा कर अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करना चाहिए।

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प्रश्न 2.
संगठन के कोई चार सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संगठन के सिद्धान्त –

1. विशिष्टीकरण का सिद्धान्त प्रत्येक सदस्य की क्रियाएँ विशेष कार्य को पूरा करने तक ही सीमित होनी चाहिए, अर्थात् एक व्यक्ति को एक कार्य सौंपा जाये तो इससे कुशलता में वृद्धि होगी।

2. एकरूपता का सिद्धान्त – प्रत्येक पद से संबंधित अधिकारों तथा उत्तरदायित्वों में एकरूपता होनी चाहिए, परन्तु एक अधिकारी के अधिकार दूसरे से टकराने नहीं चाहिए, इससे संस्था का अनुशासन ढीला होगा और कार्य कुशलतापूर्वक सम्पन्न नहीं हो सकेगा।

3. अपवाद का सिद्धान्त – इस सिद्धान्त का प्रतिपादन प्रो. टेलर वैज्ञानिक प्रबंध के जन्मदाता ने किया था। इस सिद्धान्त के अनुसार दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने के लिये अधीनस्थों को अधिकार दे दिये जाने चाहिए तथा अपवादपूर्ण एवं महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय करने के कार्य को उच्च अधिकारियों पर छोड़ देना चाहिये।

4. सरलता का सिद्धान्त – संगठन का ढाँचा सरल होना चाहिये ताकि प्रत्येक कार्य के निष्पादन में कमसे-कम समय एवं व्यय लगे। सरलता के अभाव में संदेशों के आदान-प्रदान में भी कठिनाई सामने आती हैं तथा कार्य शीघ्रता व सरलता से नहीं हो पाएगा।

प्रश्न 3.
कार्यात्मक संगठन संरचना के गुण/लाभ समझाइये।
उत्तर:
कार्यात्मक संगठन ढाँचे के गुण / लाभ निम्नलिखित हैं

  1. कार्यात्मक संगठन में व्यावसायिक क्रियाओं का विभाजन तर्क संगत होता है।
  2. प्रत्येक विभाग के प्रबन्धक अपने विभाग के कार्य के लिए उत्तरदायी होते हैं।
  3. कार्यात्मक संगठन द्वारा सर्वोच्च प्रबन्ध का उपक्रम पर नियंत्रण रखना आसान हो जाता है।
  4. इस ढाँचे का आधार श्रम विभाजन है अर्थात् प्रबन्धकों को कार्य उनकी योग्यता एवं सूची के अनुसार दिये जाते हैं।

प्रश्न 4.
संगठन के कोई चार लाभ लिखिए।
उत्तर:
संगठन वह तंत्र है, जिसकी सहायता से प्रबंध व्यवसाय का संचालन, समन्वय तथा नियंत्रण करता है। यह प्रबंध की आधारशिला है। संगठन का महत्व निम्नलिखित बातों से स्पष्ट हो जाता है

1. उपक्रम के विकास में सहायक-श्रेष्ठ संगठन के माध्यम से उपक्रम का विकास तेज गति से होने लगता है, बड़े पैमाने के उत्पादन की सफलता के पीछे श्रेष्ठ संगठन का हाथ होता है।

2. समन्वय स्थापित होना-संगठन की सहायता से विभिन्न विभागों, उपविभागों, विभिन्न व्यक्तियों एवं क्रियाओं में उचित समन्वय एवं सामंजस्य स्थापित होता है। जिससे प्रशासन द्वारा निर्धारित नीति का पूर्ण परिपालन संभव होता है।

3. भ्रष्टाचार पर नियंत्रक-स्वस्थ एवं कुशल संगठन भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण करने में भी सफल रहता है, जिससे कर्मचारियों की दक्षता बढ़ती है और उनका मनोबल तथा उत्साह बढ़ता रहता है।

4. मनोबल में वृद्धि-कुशल संगठन से कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि होती है। प्रत्येक व्यक्ति अपने अधिकार, दायित्व तथा कर्तव्य से सुपरिचित रहता है तथा वह उपक्रम की नीतियों व उद्देश्यों को भली-भाँति समझ जाता है।

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प्रश्न 5.
श्रेष्ठ संगठन से प्रशासकीय तथा प्रबंधकीय क्षमता में वृद्धि होती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रशासन द्वारा उपक्रम की नीतियों एवं लक्ष्यों का निर्धारण किया जाता है व इनका क्रियान्वयन प्रबंध द्वारा संगठन के सहयोग से किया जाता है। श्रेष्ठ संगठन में सहयोग, समन्वय, कार्यनिष्ठा व अनुशासन की भावना भरी होती है, जिससे संगठन के मानवीय प्रयासों को एक निश्चित दिशा देकर अधिक सार्थक व प्रभावी बनाया जा सकता है। उपक्रम की क्रियाओं एवं उद्देश्यों को सरलता व शीघ्रता से समय पर पूर्ण कराया जा सकता है। इस प्रकार श्रेष्ठ संगठन से प्रशासकीय व प्रबंधकीय क्षमता में वृद्धि होती है।

प्रश्न 6.
रेखा एवं कर्मचारी संगठन क्या है ? इसकी तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
रेखा एवं कर्मचारी संगठन में काम का विभाजन स्वतंत्र विभागों में किया जाता है तथा उत्तरदायित्व का विभाजन भी लम्बवत् होता है किन्तु कार्यदक्षता तथा सहकारिता को प्रोत्साहन देने के लिए प्रत्येक विभाग में विशेषज्ञ नियुक्त किये जाते हैं, जो परामर्श का कार्य करते हैं।
रेखा व कर्मचारी संगठन की विशेषताएँ

  1. इस संगठन में अधिकार व उत्तरदायित्व ऊपर से नीचे की ओर प्रवाहित होता है।
  2. इस संगठन में योग्य कर्मचारियों को उन्नति के अच्छे अवसर प्राप्त होते हैं।
  3. इसमें सोचने एवं परामर्श देने व करने के कार्य दोनों पृथक्-पृथक् होते हैं।

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प्रश्न 7. रेखा संगठन के दोष लिखिए।
उत्तर:
रेखा संगठन के दोष :

  1. इस संगठन में पक्षपात की आशंका बनी रहती है। इसमें सर्वोच्च अधिकारी अपने अधीनस्थों की नियुक्ति, पदोन्नति आदि में पक्षपात कर सकता है।
  2. आधुनिक उद्योग इतने जटिल व मिश्रित हैं कि एक ही व्यक्ति सारे कार्य दक्षतापूर्वक सम्पन्न नहीं कर सकता है,
  3. विशिष्टीकरण इसमें संभव नहीं है।
  4. दक्ष अधिकारी के बिना विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करना कठिन हो जाता है।
  5. अनुशासन पर अधिक ध्यान देने के कारण इस प्रणाली में तानाशाही की बुराइयाँ आ जाती हैं।
  6. उच्चाधिकारी के गलत निर्णय लेने पर उपक्रम विफल हो सकता है।

प्रश्न 8.
रेखा संगठन के लाभों को समझाइये।
उत्तर:
रेखा संगठन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं

  1. इस संगठन में प्रत्येक सदस्य को अपने उत्तरदायित्व व कर्तव्यों की स्पष्ट जानकारी रहती है।
  2. इस संगठन में निर्णय प्रायः एक व्यक्ति द्वारा लिए जाते हैं, अतः निर्णय सरलतापूर्वक व शीघ्र होते हैं।
  3. विभिन्न विभागों को एक ही व्यक्ति के निर्देशन में कार्य करना होता है, अतः उनमें समन्वय आसानी से किया जा सकता है।
  4. इस संगठन प्रणाली में आवश्यकतानुसार समायोजन भी किया जा सकता है अर्थात् यह लोचपूर्ण है।

प्रश्न 9.
कार्यात्मक संगठन प्रभागीय संगठन से किस प्रकार असमानता रखता है ?
उत्तर:
संगठनात्मक ढाँचा (Organisational structure)- संगठनात्मक ढाँचा संगठन में विभिन्न पदों के बीच अधिकार और उत्तरदायित्व संबंध प्रदर्शित करता है और साथ ही स्पष्ट करता है कि कौन किसको रिपोर्ट करेगा। हर्ले (Hurley) के अनुसार, “संगठन ढाँचे, एक संस्था में विभिन्न पदों एवं उन पदों पर काम करने वाले व्यक्तियों के मध्य संबंधों के स्वरूप होते हैं ।” संगठन ढाँचे को प्रायः संगठन चार्ट पर प्रदर्शित किया जाता है। संगठन ढाँचे के दो रूप हैं-

  1. कार्यात्मक ढाँचा तथा
  2.  प्रभागीय ढाँचा।

प्रश्न 10.
औपचारिक संगठन तथा अनौपचारिक संगठन किस प्रकार आपस में संबंधित हैं?
उत्तर:
अनौपचारिक संगठन और औपचारिक संगठन में संबंध (Relation between formal organization and informal organization)- अनौपचारिक संगठन औपचारिक संगठन का एक अंग होता है। औपचारिक संगठन के अंदर सदस्य अपने कार्यों को एक-दूसरे के सहयोग से पूरा करते हैं। वे एक-दूसरे से बातचीत करते हैं। इससे उनमें मैत्रीपूर्ण संबंध बन जाते हैं। मित्रता के आधार पर सामाजिक समूह का एक संजाल (Network) बन जाता है।

इस संजाल को अनौपचारिक संगठन कहते हैं। इस प्रकार औपचारिक संगठन अनौपचारिक संगठनों को जन्म देते हैं। अनौपचारिक संगठन के अंदर काम करने वाले सदस्यों के बीच सामाजिक संबंधों की एक व्यवस्था होती है। औपचारिक ढाँचे के अंदर ही अनौपचारिक संगठन की उत्पत्ति होती है।

औपचारिक संगठन में अनौपचारिक संगठन की उत्पत्ति के कई आधार होते हैं- जैसे समान रूचि, भाषा, संस्कृति आदि। ये संगठन पूर्व-नियोजित नहीं होते। ये लोगों की आवश्यकताओं और संस्था के वातावरण के अनुसार स्वतः ही बन जाते हैं।

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प्रश्न 11.
केंद्रीयकरण और विकेंद्रीयकरण की अवधारणा अधिकार अंतरण की अवधारणा से संबंधित है। कैसे?
उत्तर:
अधिकारों के केंद्रीयकरण से अभिप्राय उच्च प्रबंध स्तरों पर अधिकारों के संकेद्रण (Centralization) से है। यहाँ अधिकांश निर्णय उच्च स्तर के प्रबंधकों के द्वारा लिए जाते हैं। अधीनस्थ प्रबंधको के द्वारा निर्देशों के अनुसार करते हैं। इसके विपरीत अधिकार विकेंद्रीयकरण से अभिप्राय केवल केंद्रीय बिंदुओं पर ही प्रयोग किये जा सकने वाले अधिकारों को छोड़कर शेष सभी अधिकारों को व्यवस्थित रूप से निम्न स्तरों को सौंपने से है।

केंद्रीयकरण और विकेंद्रीकरण की दोनों अवधारणाएँ अधिकार अंतरण की अवधारणा से संबंधित हैं। जब अधिकार अधीनस्थों को हस्तांतरण नहीं हो जाते और सारे अधिकार उच्च प्रबंध पर संकेद्रित हैं, तब केंद्रीयकरण कहलायेगा और जब अधिकारों का अंतरण अधीनस्थों को किया जाता है तब विकेंद्रीयकरण की स्थिति उत्पन्न होती है।

प्रश्न 12.
अनौपचारिक संगठन औपचारिक संगठन की किस प्रकार सहायता करता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनौपचारिक संगठन का जन्म औपचारिक संगठन से होता है, जब व्यक्ति अधिकारिक तौर पर बतलाई गई भूमिकाओं से परे आपस में मेल-मिलाप से कार्य करते हैं। जब कर्मचारी सगंठन की ओर नहीं धकेला जा सकता बल्कि वे मैत्रीपूर्ण व सहयोगपूर्ण विचारों से एक ग्रुप बनाने की ओर झुकते हैं। यह उनके आपसी हितों की अनुरूपता को प्रकट करता है।

ऐसे समूहों का प्रयोग संगठन की उन्नति तथा सहयोग के लिए किया जा सकता है। ऐसे समूह उपयोगी तथा कर्मचारियों एवं उच्चाधिकारियों के मध्य झगड़े सुलझाने का कार्य अनौपचारिक संप्रेषण के द्वारा भली-भाँति किया जा सकता है। प्रबंधकों को औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों प्रकार के संगठनों का युक्ति पूर्ण उपयोग करना चाहिए ताकि संगठन का कार्य सुगमतापूर्वक चल सके। औपचारिक संगठन को यदि भली-भाँति नियंत्रित किया जाए तो औपचारिक संगठन के द्वारा बनाये गये उद्देश्यों की प्राप्ति में अनौपचारिक संगठन अत्यंत उपयोगी है।

प्रश्न 13.
केंद्रीयकरण एवं विकेंद्रीयकरण में अंतर्भेद कीजिए।
उत्तर:
बहुत से संगठनों में सभी निर्णयों को लेने में शीर्ष प्रबंध की मुख्य भूमिका होती है जबकि अन्य संगठनों में यह अधिकार प्रबंध के निम्नतम स्तर को भी दिया जाता है। जिन उपक्रमों में निर्णय लेने का अधिकार केवल शीर्ष स्तरीय प्रबंध को ही होता है वे केंद्रीकृत संगठन कहलाते हैं। जबकि उन संगठनों में जहाँ इस प्रकार के निर्णयों को लेने में निम्न स्तर तक के प्रबंध को भागीदार बनाया जाता है, विकेंद्रीकृत संगठन कहते हैं।

विकेंद्रीयकरण से तात्पर्य उस विधि से है जिसमें निर्णय लेने का उत्तरदायित्व सोपानिक क्रम में विभिन्न स्तरों में विभाजित किया जाता है। सरल शब्दों में विकेंद्रीयकरण का अर्थ संगठन के प्रत्येक स्तर पर अधिकार अंतरण करना होता है। निर्णय लेने का अधिकार निम्नतम स्तर तक के प्रबंध को दिया जाता है जहाँ पर वास्तविक रूप में कार्य होना है। दूसरे शब्दों में निर्णय लेने का अधिकार आदेश की श्रृंखला में नीचे तक दिया जाता है।

केंद्रीयकरण (Centralization) – जिस संगठन में निर्णय लेने का अधिकार केवल उच्चस्तरीय प्रबंधन को ही होता है तो वह संगठन केंद्रीकृत कहलाता है। कोई भी संस्था कभी भी न तो पूर्णरूपेण केंद्रीकृत हो सकती है और न विकेंद्रीकृत। जब कोई संस्था आकार तथा जटिलताओं की ओर अग्रसर होती है तो यह देखा गया है · कि वे संस्थाएँ निर्णयों में विकेंद्रीयकरण को अपनाती हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि बड़ी-बड़ी संस्थाओं में जहाँ कर्मचारियों को प्रत्यक्ष तथा अतिनिकट से कार्य संचालन में आल्पित किया जाता है उनका ज्ञान तथा अनुभव उन उच्चस्तरीय प्रबंधकों से कहीं अधिक होता है जो संस्थान से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए होते हैं।

श्रेष्ठ नियंत्रण (Best control)- विकेंद्रीयकरण से प्रत्येक स्तर पर कार्य निष्पादन के मूल्यांकन का अवसर मिलता है जिससे प्रत्येक विभाग व्यक्तिगत रूप से उसके परिणामों के लिए जवाबदेह बनाया जा सकता है। संगठन के उद्देश्यों की उपलब्धि किस सीमा तक हुई या समस्त उद्देश्यों को प्राप्त करने में प्रत्येक विभाग कितना सफल हो सका इसका भी निर्धारण किया जा सकता है। सभी स्तरों से प्रतिपुष्टि द्वारा भिन्नताओं का विश्लेषण करने तथा सुधारने में सहायता मिलती है। विकेंद्रीयकरण में निष्पादन की जवाबदेही एक बड़ी चुनौती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए संतुलन अंक कार्ड तथा प्रबंध सूचना विधि।

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प्रश्न 14.
विकेंद्रीयकरण के महत्व लिखिए।
उत्तर:
एक संगठन निम्न कारणों से विकेंद्रीयकरण होना पसंद करता है

1. उच्च अधिकारियों की अत्यधिक कार्यभार से मुक्ति (More capacity utilization)विकेंद्रीयकरण के अतंर्गत दैनिक प्रबंधकीय कार्यों को अधीनस्थों को सौंप दिया जाता है। इसके फलस्वरूप उच्च प्रबंधकों के पास पर्याप्त समय बचता है जिसका प्रयोग वे नियोजन, समन्वय, नीति निर्धारण, नियंत्रण आदि में कर सकते हैं।

2. विभिन्नीकरण में सुविधा (Ease to expansion)- इस बात से इंकार नहीं किया जाता कि एक व्यक्ति का नियंत्रण सर्वश्रेष्ठ होता है लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है। सीमा का अभिप्राय व्यवसाय के आकार से है अर्थात् जब तक व्यवसाय का आकार छोटा है उच्च स्तर पर सभी अधिकारियों को केंद्रित करके व्यवसाय को कुशलतापूर्वक चलाया जा सकता है लेकिन जब उसमें उत्पादन की जाने वाली वस्तुओं की मात्रा अधिक हो जाती है तब केंद्रीय नियंत्रण से काम नहीं चल सकता क्योंकि अकेला व्यक्ति सभी वस्तुओं की समस्याओं की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दे सकता।

3. प्रबंधकीय विकास (Managerial development)- विकेंद्रीयकरण का अभिप्राय है निम्नतम स्तर के प्रबंधकों को भी अपने कार्यों के संबंध में निर्णय लेने के अधिकार होना। इस प्रकार निर्णय लेने के अवसर प्राप्त होने से सभी स्तरों के प्रबंधकों के ज्ञान एवं अनुभव में वृद्धि होती है और इस प्रकार कहा जा सकता है कि यह व्यवस्था प्रशिक्षण का काम करती है।

4. कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि (Increase in employees morale)- विकेंद्रीयकरण के कारण प्रबंध में कर्मचारियों की भागीदारी बढ़ती है। इससे संस्था में उनकी पहचान बनती है। जब संस्था में किसी व्यक्ति की पहचान बने अथवा उसका महत्व बढ़े तो उसके मनोबल में वृद्धि होना स्वाभाविक है। मनोबल में वृद्धि होने से वे अपनी इकाई की सफलता के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने से भी नहीं घबराते।

प्रश्न 15.
औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
औपचारिक संगठन एवं अनौपचारिक संगठन में अन्तर:
औपचारिक संगठन

  1. इसका निर्माण किसी योजना को पूरा करने के लिए विचार-विमर्श करके किया जाता है। होता है।
  2. इसे किसी तकनीकी उद्देश्य को पूरा करने के उद्देश्य से बनाया जाता है।
  3. इसका आकार बड़ा हो सकता है।
  4. इसमें सत्ता का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर होता है।

अनौपचारिक संगठन

  1. इसका निर्माण स्वतः ही सामाजिक संबंधों द्वारा
  2. इसका निर्माण सामाजिक संतोष प्राप्त करने
  3. यह प्रायः छोटे आकार का होता है।
  4. इसमें सत्ता का प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर होता है।

प्रश्न 16.
औपचारिक संगठन से क्या आशय है ? इसकी कोई चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
औपचारिक संगठन – इसका आशय एक ऐसे संगठन से है जिसमें प्रत्येक स्तर के प्रबन्धकों के अधिकारों, कर्तव्यों तथा दायित्वों की स्पष्ट सीमा निर्धारित होती है। इस संगठन को संगठनात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रबंध द्वारा बनाया जाता है।

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प्रश्न 17.
अनौपचारिक संगठन किसे कहते हैं ? विशेषताओं सहित बताइए।
उत्तर:
अनौपचारिक संगठन से अभिप्राय ऐसे संगठन से है जिसकी स्थापना जानबूझकर नहीं की जाती अपितु, अनायास ही सामान्य हितों, संबंध, रुचियों तथा धर्म के कारण हो जाती है।
अर्ल. पी. स्ट्रांग के अनुसार, “अनौपचारिक संगठन एक ऐसी सामाजिक संरचना है जिसका निर्माण व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है।”
अनौपचारिक संगठन की विशेषताएँ- इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं.

1. निर्माण स्वतः-इसका निर्माण जानबूझकर नहीं किया जाता बल्कि व्यक्तियों के आपसी संबंधों तथा रुचियों के आधार पर स्वयं हो जाता है।

2. व्यक्तिगत संगठन-व्यक्तिगत संगठन से अभिप्राय है कि इसमें व्यक्तियों की भावनाओं को ध्यान में रखा जाता है, उन पर किसी भी बात को थोपा नहीं जाता।

3. अधिकार-इसमें अधिकार व्यक्ति से जुड़े रहते हैं तथा उनका प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर या समतल रूप में चलता है।

4. स्थायित्व का अभाव-इसमें जब तक व्यक्ति एक समूह में है तभी तक वह संगठन है जब व्यक्ति अलग होता है तो संगठन समाप्त हो जाता है। इसमें स्थायित्व का अभाव रहता है।

प्रश्न 18.
अधिकार अन्तरण या भारार्पण से क्या तात्पर्य है ? इसके प्रमुख तत्वों ( प्रक्रिया) को समझाइए।
उत्तर:
अधिकार अंतरण से आशय, अधीनस्थों को निश्चित सीमा के अन्तर्गत कार्य करने का केवल अधिकार देना है। अधिकार अंतरण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसकी आवश्यकता उस समय उत्पन्न होती है जब एक प्रबंधक के पास कार्यभार अधिक होने के कारण वह सभी कार्यों का अधीनस्थों में विभाजन करता है। अतः उसे अधिकार अंतरण का सहारा लेना पड़ता है। जब कुछ कार्यों का निष्पादन करने के लिए दूसरे व्यक्तियों को अधिकृत किया जाता है तो इसे अधिकार अंतरण कहते हैं।
विभिन्न विद्वानों ने अधिकार अंतरण को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है

  1. एफ. जी. मूरे, “अधिकार अंतरण से अभिप्राय दूसरे लोगों को कार्य सौंपना और उसे करने के लिए अधिकार देना है।”
  2. मैस्कॉन, “अधिकार अंतरण किसी व्यक्ति को कार्य तथा सत्ता सौंपना है, जो उनके लिए दायित्व ग्रहण करता है।”

अधिकार अंतरण के तत्व-अधिकार अंतरण के पाँच तत्व हैं

1. कार्यभार सौंपना – अधिकार अंतरण प्रक्रिया का पहला कदम कार्यभार सौंपा जाना है क्योंकि कोई भी अधिकारी इतना सक्षम नहीं होता कि वह अपना सारा कार्य स्वयं पूरा कर ले इसलिए अपने कार्य का सफलतापूर्वक निष्पादन करने के लिए वह अपने कार्य का विभाजन करता है, विभाजन के समय अधीनस्थों कीयोग्यता एवं कुशलता का ध्यान में रखा जाना अत्यंत आवश्यक होता है।

2. अधिकार प्रदान करना-कार्य का सफलतापूर्वक निष्पादन करने हेतु अधिकार सौंपे जाते हैं क्योंकि . जब तक अधीनस्थों को अधिकार प्रदान नहीं किए जाएँगे तब तक कार्यभार सौंपना अर्थहीन होता है। अतः कार्य को पूरा करने के लिए अधिकार सौंपे जाने चाहिए।

3. प्रत्यायोजन की स्वीकृति-जिस व्यक्ति को कार्य दिया गया है वह उस कार्य को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है। यदि अधिकार अंतरण स्वीकार नहीं किया जाता तो प्रत्यायोजक प्रबन्धक किसी अन्य अधीनस्थ व्यक्ति को कार्य सौंपने की कार्यवाही करेगा। इसलिए प्रत्यायोजन की स्वीकृति अत्यंत आवश्यक होती है।

4. जवाबदेही निर्धारित करना-जवाबदेही, अधीनस्थों को सही ढंग से कार्य करने के लिए जिम्मेदार ठहराता है, प्रत्येक अधीनस्थ केवल उस अधिकारी के समक्ष ही जवाबदेह होता है जिससे उसे कार्य करने के अधिकार प्राप्त होते हैं।

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प्रश्न 19.
विकेन्द्रीयकरण से क्या तात्पर्य है ? विकेन्द्रीयकरण के कौन-कौन से लाभ होते हैं ?
उत्तर:
विकेन्द्रीयकरण से तात्पर्य है, निर्णय लेने के अधिकार को संगठन के निम्न स्तर पर पहुँचाना है। विकेन्द्रीयकरण, अधिकार अंतरण का ही विस्तृत रूप है। जब किसी उच्च अधिकारी के द्वारा अपने अधीनस्थों को अपेक्षाकृत अधिक भाग में अधिकारों का भारार्पण किया जाता है, तो यह विकेन्द्रीयकरण कहलाता है। इसके अंतर्गत केवल ऐसे अधिकार जो उच्च अधिकारियों के लिए सुरक्षित रखना जरुरी है, को छोड़कर शेष सभी अधिकार अधीनस्थों को स्थाई रूप से सौंप दिए जाते हैं।
विकेन्द्रीयकरण के लाभ-विकेन्द्रीकरण के लाभों को निम्न बातों से स्पष्ट किया जा सकता है

1. उच्च अधिकारियों का कार्य भार कम होना-विकेन्द्रीयकरण की सहायता से उच्च अधिकारियों के कार्यभार में बहुत कमी आ जाती है, वे अपना पूरा ध्यान महत्वपूर्ण कार्यों में लगा सकते हैं उन्हें छोटे-छोटे कार्यों में उलझना नहीं पड़ता है, जिस कारण व्यावसायिक उपक्रम उच्च अधिकारियों की योग्यता, कुशलता तथा विवेक का अधिकारिक लाभ उठा सकते हैं।

2. विविधीकरण की सुविधा-विकेन्द्रीयकरण में विविधीकरण की पर्याप्त सुविधा होती है क्योंकि अलग-अलग क्रियाओं के लिए अलग-अलग अध्यक्षों की नियुक्ति की जा सकती है।

3. अनौपचारिक संबंधों का विकास-विकेन्द्रीयकरण के द्वारा अनौपचारिक संबंधों का विकास होता है।

4. अभिप्रेरण-विकेन्द्रीयकरण के द्वारा कर्मचारियों को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार होता है जिससे वह बेहतर परिणाम लाने के लिए अभिप्रेरित होते हैं।।

प्रश्न 20.
कार्यात्मक संगठन तथा प्रभागीय संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कार्यात्मक संगठन तथा प्रभागीय संगठन में अन्तर –

प्रश्न 21.
औपचारिक संगठन के लाभ तथा दोषों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
औपचारिक संगठन के लाभ (Advantages of Formal Organisation)

1. व्यवस्थित कार्यवाही (Systematic Working)-इस ढाँचे का परिणाम एक संगठन की व्यवस्थित और सरल कार्यवाही होता है।

2. संगठनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति (Achievement of Organisational Objectives)-इस ढाँचे को संगठनात्मक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए स्थापित किया जाता है।

3. कार्य का दोहराव नहीं (No Overlapping of Work)-औपचारिक संगठनात्मक ढाँचे में विभिन्न विभागों और कर्मचारियों के बीच कार्य व्यवस्थित ढंग से विभाजित होता है। इसलिए कार्य के दोहराव का कोई अवसर नहीं होता है।

4. समन्वय (Coordination)-इस ढाँचे का परिणाम विभिन्न विभागों की क्रियाओं को समन्वित करना होता है।

औपचारिक संगठन के दोष (Disadvantages of Formal Organization)

1. कार्य में देरी (Delay in Action) – सोपान श्रृंखला और आदेश श्रृंखला का अनुसरण करते समय कार्यों में देरी हो जाती है।

2. कर्मचारियों की सामाजिक आवश्यकताओं की अवहेलना करता है (Ignores Social Needs of Employees)-यह ढाँचा कर्मचारियों की सामाजिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकता को महत्व नहीं देता ‘जिससे कर्मचारियों के अभिप्रेरण में कमी हो सकती है।

3. केवल कार्य पर बल (Emphasis on Work Only) – यह ढाँचा केवल कार्य को महत्व देता है इसमें मानवीय संबंधों, सृजनात्मकता, प्रतिभाओं इत्यादि को महत्व नहीं दिया जाता है।

प्रश्न 22.
विकेंद्रीयकरण एवं भारार्पण में अंतर लिखिए।
उत्तर:
विकेंद्रीयकरण एवं भारार्पण में अंतर
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 5 संगठन - 4

प्रश्न 23.
अधिकार अंतरण तथा विकेन्द्रीयकरण में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अधिकार अंतरण तथा विकेन्द्रीयकरण में अंतर

अधिकार अंतरण

  1. उच्च अधिकारी के द्वारा सत्ता का अधीनस्थों को हस्तांतरण, अधिकार अंतरण कहलाता है। करण कहलाता है।
  2. इसमें अंतिम उत्तरदायित्व अधिकार सौंपने उत्तरदायित्व कावाले का ही होता है अर्थात् इसमें उत्तर भी हस्तांतरण हो जाता है।दायित्व का हस्तांतरण नहीं होता।
  3. यह सभी संस्थाओं के लिए आवश्यक होता है क्योंकि अधीनस्थों से काम लेने के लिए उन्हें अधिकार देना पड़ता है।
  4. अधिकार अंतरण, विकेन्द्रीयकरण पर नहीं होता।

विकेन्द्रीयकरण

  1. पूरे संगठन में सत्ता का फैलाव करना विकेन्द्रीय
  2. इसमें अधिकार के साथ-ही-साथ
  3. विकेन्द्रीयकरण प्रत्येक संस्था के लिए आवश्यक नहीं है।
  4. विकेन्द्रीयकरण, अधिकार अंतरण के बिना संभव आधारित नहीं होता है।

प्रश्न 24.
अधिकार एवं उत्तरदायित्व में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अधिकार एवं उत्तरदायित्व में अन्तर –

अधिकार

  1. अधिकार का अर्थ है, निर्णय लेने की शक्ति।
  2. अधिकार वह शक्ति है जो अधीनस्थों के कर्तव्य को पूरा करने से है।
  3. अधिकार का प्रत्यायोजन किया जा सकता है।
  4. अधिकार, संस्था में औपचारिक पद के कारण उत्पन्न होता है।

उत्तरदायित्व

  1. उत्तरदायित्व का अर्थ है, सौंपे गये कार्य को सही
  2. उत्तरदायित्व का आशय किसी व्यक्ति द्वारा अपने व्यवहार को प्रभावित करती है।
  3. उत्तरदायित्व दूसरों को सौंपे जा सकते हैं।
  4. उत्तरदायित्व, उच्चाधिकारी अधीनस्थ सम्बन्ध से उत्पन्न होता है।

प्रश्न 25.
प्रभावी भारार्पण की अनिवार्य अपेक्षाओं को समझाइए।
उत्तर:
प्रभावी भारार्पण की अनिवार्य अपेक्षाएँ – अधिकार सौंपने की व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए निम्नांकित निर्देशों का पालन करना चाहिए

1. अधिकार और दायित्वों की स्पष्ट सीमा – अधीनस्थों को जो कार्य सौंपे जाएँ तो उन्हें यह पूरी तरह मालूम होना चाहिए कि उनके दायित्व तथा अधिकारों का क्षेत्र क्या है तथा उनकी सीमा कहाँ तक है।

2. अधिकार और दायित्वों की स्पष्ट व्याख्या – अधीनस्थों को स्पष्ट रूप से यह ज्ञान होना चाहिए कि उन्हें क्या करना है तथा सौंपे गए कार्य के लिए कितने अधिकार दिये गये हैं तथा उनसे किस प्रकार के कार्य की आशा की जाती है।

3. उचित नियन्त्रण – अधिकार सौंपने की व्यवस्था के पश्चात् भी वरिष्ठ अधिकारी का उत्तरदायित्व समाप्त नहीं होता। इसलिए उच्च अधिकारियों को अपने अधीनस्थों के कार्यों पर उचित नियंत्रण रखना चाहिए।

4. योग्य व्यक्ति का चयन – अधिकार हमेशा योग्य व्यक्ति को ही सौंपने चाहिए तभी सौंपा गया कार्य सही ढंग से पूर्ण होता है।

प्रश्न 26.
संगठन के उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
किसी भी व्यावसायिक एवं औद्योगिक इकाई में संगठन के निम्नलिखित उद्देश्य होते हैं…

1. उत्पादन में मितव्ययिता (Economy in production) संगठन का प्रमुख उद्देश्य, उत्पादन में मितव्ययिता लाना है, अर्थात् न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन करना प्रत्येक उपक्रम का उद्देश्य होता है, यहाँ यह ध्यान रखना है कि न्यूनतम लागत के साथ-साथ वस्तु की गुणवत्ता (Quality) व मात्रा (Quantity) में गिरावट नहीं आनी चाहिये।

2. समय व श्रम में बचत (Saving in time and labour)-संगठन में श्रेष्ठ मशीनें व यंत्र तथा श्रेष्ठ प्रणाली अपनाई जाती है जिससे कार्य के समय व श्रम में काफी बचत हो जाती है, संगठन द्वारा बड़े पैमाने में उत्पादन के लाभ भी लिये जा सकते हैं।

3. श्रम व पूँजी में मधुर सम्बन्ध (Cordial relations between labour and capital)- श्रमिकों व प्रबन्ध के बीच मधुर सम्बन्ध स्थापित करना भी संगठन का एक उद्देश्य है, इस हेतु कुशल संगठनकर्ता की नियुक्ति कर श्रम व पूँजी के हितों की रक्षा की जाती है।

4. सेवा भावना (Spirit of service) वर्तमान सामाजिक चेतना एवं जन-जागरण के कारण प्रत्येक व्यवसायी का उद्देश्य ‘प्रथम सेवा फिर लाभ’ हो गया है वैसे भी प्रत्येक व्यवसायी को समाज सेवा कर अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन करना चाहिये। इसलिये वर्तमान में प्रत्येक संगठन चाहे वह आर्थिक हो या अनार्थिक सभी का उद्देश्य सेवा करना होता है।

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प्रश्न 27.
संगठन प्रक्रिया का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
उत्तर:
संगठन के निर्माण के प्रमुख चरण

1. उद्देश्यों की स्थापना-संगठन के साथ उद्देश्यों का होना अति आवश्यक है। संगठन के उद्देश्यों में उन कार्यों की स्पष्ट व्याख्या होनी चाहिए जिनके कारण संगठन की संरचना की जाती है।

2. क्रियाओं का निर्धारण-संगठन का दूसरा कदम क्रियाओं का निर्धारण एवं उनका विभाजन करना होता है। कार्यों को उपकार्यों में विभाजित कर प्रत्येक कार्य की स्पष्ट व्याख्या करनी चाहिए।

3. क्रियाओं का वर्गीकरण-तृतीय चरण में क्रियाओं का वर्गीकरण किया जाता है। इस हेतु विभिन्न क्रियाओं को अलग-अलग समूह में बाँट दिया जाता है। जैसे-क्रय, विक्रय, विज्ञापन, निरीक्षण, उत्पादन, मजदूरी, वेतन आदि।

4. कार्य का विभाजन-इसके अन्तर्गत सही कार्य के लिए सही व्यक्ति के सिद्धान्त के अनुसार कार्य विभाजन किया जाता है। साथ ही कर्मचारियों की जिम्मेदारी भी निश्चित की जाती है।

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प्रश्न 28.
विकेन्द्रीयकरण के उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
विकेन्द्रीयकरण के निम्न उद्देश्य होते हैं

1.शीर्ष स्तर पर कार्यभार में कमी-सामान्यतः निर्णय उच्च प्रबन्धक या शीर्ष स्तर पर लिये जाते हैं। संगठन का विस्तार होने पर शीर्ष स्तर का कार्य और बढ़ जाता है अतः इस कार्यभार को कम करने के लिये विकेन्द्रीयकरण किया जाता है। इससे शीर्ष अधिकारियों का कार्यभार कम होगा और वे अति महत्वपूर्ण कार्यों के लिये अच्छा निर्णय ले सकते हैं।

2. प्रजातान्त्रिक व्यवस्था के लाभ प्राप्त करने के लिये-विकेन्द्रीयकरण से अधिकारों का फैलाव छोटे-छोटे स्तर तक हो जाता है इससे प्रजातान्त्रिक व्यवस्था के समस्त लाभ सभी वर्ग को प्राप्त होते हैं।

3. कार्यों के शीघ्र निष्पादन के लिये-उच्चाधिकारियों के अधिक कार्यों को कम कर दिया जाये तो वे अपने कार्यों को ठीक ढंग से व शीघ्र उसका निपटारा कर सकते हैं इसी के साथ प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के लिये प्रत्येक स्तर पर अधिकारों का होना आवश्यक है इससे कार्य शीघ्र पूर्ण किये जा सकते हैं।

4.सर्वांगीण विकास-विकेन्द्रीयकरण से शीर्ष स्तर एवं निम्न स्तर के समस्त अधिकारियों को अधिकार प्राप्त होने से उन्हें अपने विकास का पूर्ण अवसर प्राप्त होता है। इसमें पूर्ण कार्यक्षमता से कार्य निष्पादित किये जा सकते हैं। अतः संगठन के सर्वांगीण विकास के लिये भी विकेन्द्रीयकरण आवश्यक है।

प्रश्न 29.
अनौपचारिक संगठन के विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अनौपचारिक संगठन में सामान्यतः निम्न विशेषतायें होती हैं

  1. इन संगठनों को बनाया नहीं जाता अपितु विशेष परिस्थितियों के कारण ये बन जाते हैं।
  2. इन संगठनों के समान उद्देश्य होते हैं।
  3. ये अस्थायी होते हैं कभी भी संगठन समाप्त हो जाते हैं।
  4. इनका अपना कोई चार्ट, विधान या मैन्यूवल नहीं होता अपितु सामान्य परम्परा ही इनके कानून होते हैं।
  5. ये संगठन व्यक्तिगत सम्बन्धों पर आधारित होते हैं।
  6. ये वैध एवं अवैध दोनों हो सकते हैं ।
  7. इसमें अधिकार एवं सत्ता को ऊपर से नीचे समर्पित किया जाता है।

प्रश्न 30.
संगठन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

1. दो या दो से अधिक व्यक्ति का होना-एक व्यक्ति अपने आपको संगठन नहीं कह सकता। अतः संगठन हेतु कम से कम दो व्यक्तियों का होना अति आवश्यक है। अधिकतम संख्या पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है।

2. निश्चित उद्देश्य का होना-संगठन में निश्चित उद्देश्य का होना अति आवश्यक है, बिना उद्देश्य के व्यक्तियों का समूह, संगठन नहीं हो सकता। जैसे कि किसी स्थान पर एक हजार लोग बिना उद्देश्य के एकत्र हैं तब वह संगठन न होकर मात्र भीड़ (Crowd) होगी।

3. लक्ष्य का पूर्व निर्धारित होना- संगठन के लिये यह आवश्यक है कि लक्ष्य या उद्देश्य पूर्व निर्धारित हो, लक्ष्य की प्राप्ति के लिये ही संगठन बनाया जाता है। अत: संगठन के पूर्व लक्ष्य (Targets) निर्धारित होना चाहिये।

4. व्यक्तियों का समूह होना-पशु-पक्षी या अन्य प्राणियों का समूह संगठन नहीं हो सकता। संगठन केवल व्यक्तियों का ही हो सकता है। यद्यपि फर्म या कम्पनियों के भी विधान द्वारा व्यक्ति (Person) कहा गया है, किन्तु ये सब कृत्रिम (Artificial) व्यक्ति हैं इसलिये 4 या 14 कम्पनियों का एक साथ कार्य करने को समूह (Group) कहेंगे संगठन नहीं।

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प्रश्न 31.
संगठन के किन्हीं चार सिद्धांतों को संक्षिप्त रूप में समझाइए।
उत्तर:
संगठन के सिद्धांत (Principles of Organization)

1.सोपानिक सिद्धांत (Principle of scalar chain)- कौन व्यक्ति किस प्रबंधक की अधीनस्थता में काम करेगा और किससे आदेश लेगा इस बात का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति इस आदेश श्रृंखला का उल्लंघन न करे।

2.अपवाद का सिद्धांत (Principle of exception)- प्रत्येक अधीनस्थ को इतने अधिकार दिये जायें कि वह दैनिक कार्यों को स्वयं निपटा सके। केवल असाधारण मामले ही अधीक्षक के पास आने चाहिए। इस प्रकार प्रबंधक का समय अधिक महत्वपूर्ण मामलों के लिए सुरक्षित रहता है।

3. लोच का सिद्धांत (Principle of flexibility)- संगठन में पर्याप्त लोच होनी चाहिए ताकि इसमें परिस्थितियों व समय के अनुसार आसानी से परिवर्तन किये जा सकें।

4. अधिकार एवं दायित्व (Rights and responsibility)- संगठन के प्रत्येक सदस्य को उसके अधिकार व दायित्व साथ-साथ दिये जाने चाहिए। अधिकार व दायित्व में तालमेल के बिना कोई भी व्यक्ति कुशलतापूर्वक कार्य नहीं कर पायेगा। अधीनस्थों को पर्याप्त अधिकार सौंपे जाने चाहिए।

प्रश्न 32.
रेखा एवं रेखा तथा कर्मचारी संगठन में अंतर लिखिए।
उत्तर:
रेखा एवं रेखा तथा कर्मचारी संगठन में अन्तर
(Difference between Line and Line and Staff Organization)
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 5 संगठन - 5

प्रश्न 33.
अधिकार, उत्तरदायित्व तथा उत्तरदेयता/जवाबदेही में तुलना करें।
अथवा
अधिकार प्रत्यायोजन के तत्वों में तुलना करें।
उत्तर:
अधिकार, उत्तरदायित्व एवं उत्तरदेयता में अंतर
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 5 संगठन - 2

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 10 भुगतान संतुलन

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 10 भुगतान संतुलन

भुगतान संतुलन Important Questions

भुगतान संतुलन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न (a)
भुगतान शेष की संरचना में निम्नलिखित में कौन – से खाते सम्मिलित होते हैं –
(a) चालू खाता
(b) पूँजी खाता
(c) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) और (b) दोनों

प्रश्न (b)
व्यापार सन्तुलन का अर्थ होता है –
(a) पूँजी के लेन – देन से
(b) वस्तुओं के आयात व निर्यात से
(c) कुल क्रेडिट तथा डेबिट से
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(b) वस्तुओं के आयात व निर्यात से

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प्रश्न (c)
भुगतान शेष की संरचना में निम्नलिखित में कौन – से खाते सम्मिलित होते हैं –
(a) चालू खाता
(b) पूँजी खाता
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न (d)
प्रतिकूल भुगतान सन्तुलन में सुधार का उपाय है –
(a) मुद्रा अवमूल्यन
(b) आयात प्रतिस्थापन
(c) विनिमय नियंत्रण
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न (e)
विदेशी विनिमय दर का निर्धारण होता है –
(a) विदेशी करेंसी की माँग द्वारा
(b) विदेशी करेंसी की पूर्ति द्वारा
(c) विदेशी विनिमय बाजार में माँग एवं पूर्ति द्वारा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) विदेशी विनिमय बाजार में माँग एवं पूर्ति द्वारा

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प्रश्न (f)
विदेशी विनिमय बाजार के रूप हैं –
(a) हाजिर या चालू बाजार
(b) वायदा बाजार
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. ब्रेटन वुड्स प्रणाली को ……………………….. सीमा प्रणाली भी कहा जाता है।
  2. विदेशी विनिमय दर एवं विदेशी विनिमय की पूर्ति में ………………………….. संबंध होता है।
  3. अवमूल्यन से देश की मुद्रा की विनिमय क्रयशक्ति ………………………….. हो जाती है।
  4. व्यापार संतुलन में केवल …………………………… मदों को शामिल किया जाता है।
  5. भुगतान – संतुलन सदैव ………………………….. में रहता है।
  6. एक देश की मुद्रा का दूसरे देश की मुद्रा में व्यक्ति मूल्य ………………………….. कहलाता है।

उत्तर:

  1. समंजनीय
  2. सीधा
  3. कम
  4. दृश्य
  5. संतुलन
  6. विनिमय दर।

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प्रश्न 3.
सत्य /असत्य बताइये –

  1. व्यापार संतुलन में दृश्य मदों तथा अदृश्य मदों दोनों का समावेश किया जाता है।
  2. व्यापार संतुलन भुगतान संतुलन का एक अंग है।
  3. अवमूल्यन की घोषणा सरकार द्वारा की जाती है।
  4. भुगतान संतुलन सदैव सन्तुलित रहता है।
  5. निर्यात प्रोत्साहन हेतु अवमूल्यन का सहारा लिया जाता है।
  6. विकासशील देशों में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या का आर्थिक विकास पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
  7. भुगतान संतुलन करने का एक उपाय निर्यात प्रोत्साहन भी है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. सत्य
  6. असत्य
  7. असत्य।

प्रश्न 4.
सही जोड़ियाँ बनाइये –

उत्तर:

  1. (b)
  2. (c)
  3. (a)
  4. (e)
  5. (d).

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प्रश्न 5.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिये –

  1. नई व्यापार नीति की घोषणा किस सन में की गई?
  2. भारतीय रुपये के अवमूल्यन से भारतीयों के आयात कैसे हो जायेंगे?
  3. दीर्घकाल में आयात किसका भुगतान करते हैं?
  4. पूँजी खाते से किस बात का ज्ञान होता है?
  5. एक देश की मुद्रा का दूसरे देश की मुद्रा में व्यक्त मूल्य क्या कहलाता है?

उत्तर:

  1. 1991
  2. महँगे
  3. निर्यात का
  4. अंतर्राष्ट्रीय विनियोग व ऋणग्रस्तता का
  5. विनिमय दर।

भुगतान संतुलन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थिर विनिमय दर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
स्थिर विनिमय दर से तात्पर्य उस दर से है जो अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में स्थिर बनी रहती है। सन् 1944 में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना के साथ एवं विश्वव्यापी मंदी एवं स्वर्णमान, के पतन के परिणामस्वरूप विनिमय दरों में स्थिरता की प्रवृत्ति बढ़ी। इस दर को अधिकीलित दर भी कहा जाता है। इसे निम्न चित्र से स्पष्ट किया जा सकता हैइस विनिमय दर व्यवस्था में दर का निर्धारण सरकार के द्वारा किया जाता है।
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प्रश्न 2.
लोचपूर्ण विनिमय दर क्या है?
उत्तर:
लोचपूर्ण विनिमय दर वह दर है जो केन्द्रीय बैंक के हस्तक्षेप के बिना विदेशी विनिमय की माँग और पूर्ति में साम्य स्थापित करती है। जिस बिन्दु पर विदेशी विनिमय की माँग एवं पूर्ति की शक्तियों के द्वारा दर निर्धारित हो वह साम्य या लोचपूर्ण विनिमय दर कहलाती है।
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प्रश्न 3.
भुगतान संतुलन से क्या आशय है? भारत के भुगतान संतुलन की प्रतिकूलता के तीन कारण लिखिए?
अथवा
भुगतान शेष में असंतुलन का कारण लिखिए?
उत्तर:
भुगतान संतुलन का अर्थ:
भुगतान संतुलन से आशय, किसी देश – विशेष की वस्तुओं के आयातों एवं निर्यातों तथा उनके मूल्यों के संपूर्ण विवरण से होता है। सामान्यतः विभिन्न देशों के बीच विभिन्न वस्तुओं के आयात – निर्यात के अतिरिक्त अन्य प्रकार के भी लेन – देन होते हैं, जैसे – बीमा, जहाजी किराया, बैंकों का शुल्क, ब्याज, लाभ, पूँजी का स्थानांतरण सेवाओं का पुरस्कार इत्यादि। भारत में भुगतान संतुलन की प्रतिकूलता के कारण-भारत में भुगतान संतुलन के प्रतिकूल होने के तीन कारण निम्नलिखित हैं –

1. पेट्रोलियम पदार्थों के आयात में वृद्धि:
तेल उत्पादक देश अपने पेट्रोलियम पदार्थों के मल्य प्रतिवर्ष बढ़ाते रहते हैं। साथ – ही – साथ देश में पेट्रोलियम पदार्थों की खपत बढ़ी है जिससे भारी मात्रा में इनका आयात किया गया है।

2. आशा के अनुरूप निर्यातों में वृद्धि न होना:
भारत में भुगतान संतुलन के प्रतिकूल होने का एक कारण निर्यातों का आशानुरूप न बढ़ना है।

3. बढ़ती हुई जनसंख्या:
भारत की जनसंख्या वृद्धि के कारण आयातों में वृद्धि हुई है। तथा घरेलू उपभोग के बढ़ जाने के कारण निर्यातों में कमी आई है जिससे भारत की भुगतान संतुलन में प्रतिकूलता आई है।

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प्रश्न 4.
भारत में भुगतान संतुलन को सुधारने हेतु चार उपाय बताइए?
उत्तर:
भारत में भुगतान संतुलन को सुधारने के उपाय इस प्रकार हैं –

1. निर्यात को प्रोत्साहन:
सरकार को निर्यात को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि निर्यात बढ़ सके इसके लिए –

  1. निर्यात करों में कमी की जानी चाहिए
  2. देश में उद्योगों को आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए
  3. विदेशों में वस्तुओं के लिए प्रचार व विज्ञापन किया जाना चाहिए।

2. आयात में कमी:
भारत को अपने आयात में कमी लानी चाहिए। इसके लिए आयात करों में वृद्धि की जानी चाहिए)जिससे आयातिक वस्तु महँगी हो जाए और माँग में कमी आए।

3. विदेशी ऋणों का प्रयोग:
भुगतान संतुलन की प्रतिकूलता को दूर करने के लिए विदेशी ऋणों का भी प्रयोग किया जा सकता है)। वास्तव में यह कुछ समय के लिए इस समस्या का समाधान तो कर देता है लेकिन बाद में भुगतानों को अदा करते समय कठिनाई होती है।

4. विनिमय नियंत्रण:
भुगतान संतुलन को ठीक करने के लिए विनिमय नियंत्रण भी एक अच्छा मार्ग है। इससे आयात घटते हैं एवं निर्यात बढ़ते हैं।

प्रश्न 5.
स्थिर विनिमय – दर के पक्ष – विपक्ष में दो – दो तर्क दीजिए?
उत्तर:
स्थिर विनिमय दर से आशय:
जब विनिमय – दर का निर्धारण सरकार के द्वारा किया जाता है तो उसे स्थिर विनिमय दर कहते हैं।

स्थिर विनिमय – दर के पक्ष में तर्क:
स्थिर विनिमय – दर के पक्ष में निम्नांकित तर्क दिये जा सकते हैं –

1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन:
स्थिर विनिमयदर के अंतर्गत आयातकर्ता एवं निर्यातकर्ता को इस बात की जानकारी रहती है कि कितना भुगतान करना है तथा कितना भुगतान प्राप्त होगा।

2. विनिमय व्यवस्था:
यदि देश में विनिमय – दर स्थिर है तो सट्टेबाजी जैसी प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन नहीं मिलता है तथा सरकार विनिमय नियंत्रण तथा प्रबंध व्यवस्थाओं से मुक्त हो जाती है।

3. निर्यातक देशों के लिए आवश्यक जिन देशों को राष्ट्रीय आय का अधिकांश भाग निर्यातों से ही प्राप्त होता है उनके लिये विनिमय दर में स्थायित्व अत्यधिक आवश्यक है।

4. पूँजी निर्माण:
विदेशी विनिमय दर में स्थिरता के फलस्वरूप देश में आंतरिक कीमत स्तर पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है। पूँजी निर्माण की दर बढ़ती है तथा देश का आर्थिक विकास होता है।

स्थिर विनिमय – दर के विपक्ष में तर्क:
स्थिर विनिमय – दर के विपक्ष में निम्नांकित तर्क दिए जाते हैं –

1. आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव:
स्थिर विनिमय – दर का प्राथमिक उद्देश्य इसमें स्थिरता को बनाये रखना होता है और राष्ट्रीय आय, रोजगार नीति, मूल्य – स्तर जैसे राष्ट्रीय उद्देश्यों को गौण मान लिया जाता है।

2. भ्रष्टाचार:
स्थिर विनिमय – दर को बनाये रखने के लिए देश में अनेक नियंत्रण लगाये जाते हैं। नियंत्रण अधिक होने पर भ्रष्टाचार फैलने के अवसर बढ़ जाते हैं।

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प्रश्न 6.
व्यापार संतुलन एवं भुगतान संतुलन में अन्तर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
व्यापार संतुलन एवं भुगतान संतुलन में अन्तर –

व्यापार संतुलन

  1. व्यापार संतुलन में आयात – निर्यात की जाने वाली दृश्य मदों को ही शामिल किया जाता है।
  2. व्यापार संतुलन, भुगतान संतुलन का एक भाग है।
  3. किसी देश का व्यापार संतुलन पक्ष में न होना कोई अधिक चिन्ता का विषय नहीं है।
  4. व्यापार संतुलन अनुकूल या प्रतिकूल हो सकता है।
  5. व्यापार की दृष्टि से व्यापार संतुलन का महत्व कम होता है।

भुगतान संतुलन:

  1. भुगतान संतुलन में दृश्य मदों के साथ – साथ अदृश्य मदों को ही शामिल किया जाता है।
  2. भुगतान संतुलन की धारणा अधिक व्यापक होती है।
  3. यदि भुगतान संतुलन पक्ष में नहीं है तो यह चिन्ता का विषय है।
  4. भुगतान संतुलन सदा ही संतुलित रहता है।
  5. भुगतान संतुलन का महत्व अधिक होता है।

प्रश्न 7.
अवमूल्यन और मूल्यह्रास में अंतर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
अधिकीलित विनिमय प्रणाली में जब सरकार के द्वारा विनिमय दर में वृद्धि की जाती है तो इसे मुद्रा का अवमूल्यन कहा जाता है। अवमूल्यन तब होता है जब देश स्थिर विनिमय दर प्रणाली को ग्रहण करता है। दूसरी ओर, बाजार माँग एवं पूर्ति शक्तियों के प्रभाव से बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के देश की मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है तो इसे मूल्यह्रास कहते हैं, मूल्यह्रास तब होता है जब देश नम्य विनिमय दर प्रणाली अथवा तिरती विनियम दर प्रणाली को ग्रहण करता है।

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प्रश्न 8.
जब M = 60 + 0.06 Y हो, तो आयात की सीमांत प्रवृत्ति क्या होगी? आयात की सीमांत प्रवृत्ति और समस्त माँग फलन में क्या संबंध है?
उत्तर:
दिया है,
M = 60 + 0. 60 Y
∵ M = \(\bar { M } \) + mY
∴ m = 0.06
\(\bar { M } \) > 0 स्वायत्त घटक है। 0 < m < 1
यहाँ m आयात की सीमांत प्रवृत्ति है। सीमांत प्रवृत्ति का मान 1 से कम तथा शून्य से अधिक होता है। आय का एक अतिरिक्त रुपया आयात खर्च करने से प्राप्त अनुपात है। यह सीमांत प्रवृत्ति के सादृश्य होता है। आयात की सीमांत प्रवृत्ति और समस्त माँग में धनात्मक संबंध पाया जाता है।

प्रश्न 9.
व्याख्या कीजिए कि – G – T = (Sg – I) – (X – M)?
उत्तर:
G – T = (Sg – I) – (X – M)
यहाँ, G = सरकारी व्यय, T = कर, G – T = निवल सरकारी व्यय, Sg = सरकार की बचत, I = निवेश, Sg – I = निवल बचतें, x = निर्यात, M= आयात, X – M = व्यापार संतुलन। यह दिया गया समीकरण सही है, चूँकि यह स्पष्ट करता है कि निवल सरकारी व्यय, निवल सरकारी बचतों और व्यापार संतुलन के समान है।

प्रश्न 10.
क्या चालू पूँजीगत घाटा खतरे का संकेत होगा? व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
चालू पूँजीगत घाटा खतरे का संकेत होगा या नहीं। इस संदर्भ में तर्क दिया जाता है कि जब किसी देश में चालू पूँजीगत घाटा होता है तो बचत कम हो रही होती है, निवेश बढ़ोत्तरी हो रही होती है अथवा बजट घाटे में वृद्धि हो रही होती है। देश के दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य के बारे में चिन्ता का कारण तब होता है जब चालू पूँजीगत घाटे से बचत कम होती है और बजटीय घाटा अधिक होता है। घाटे से उच्च निजी उपभोग अथवा सरकारी उपभोग प्रतिबिंबित होता है।

इन स्थितियों में देश के पूँजी स्टॉक में तेजी से वृद्धि नहीं होगी जिससे पर्याप्त संवृद्धि हो सके और ऋण अदायगी की जा सके। परंतु यदि चालू पूँजीगत घाटे से निवेश में वृद्धि प्रतिबिंबित हो तो चिन्ता का कोई कारण नहीं होता है क्योंकि इससे पूँजी स्टॉक का अधिक तीव्रता से निर्माण होगा और भविष्य में निर्गत में वृद्धि होगी। अतः संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि यदि किसी देश में ऋण की नई निधि से ब्याज दर की अपेक्षा विकास दर अधिक होती है तो चालू पूँजीगत घाटे से किसी प्रकार के खतरे का संकेत नहीं होता।

प्रश्न 11.
संतुलित व्यापार शेष और चालू खाता संतुलन में अंतर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
संतुलित व्यापार शेष:

  1. आयात एवं निर्यात के संतुलन को संतुलित व्यापार व्यापार शेष कहा जाता है।
  2. यह एक संकुचित धारणा है।
  3. इमसें केवल भौतिक वस्तुओं के आयात निर्यात को ही शामिल किया जाता है।

चालू खाता संतुलन:

  1. व्यापार शेष, सेवाओं के आयात व निर्यात शेष तथा हस्तांतरण भुगतान शेष के योग को चालू खाता संतुलन कहते हैं।
  2. यह एक संकुचित धारणा है।
  3. भौतिक वस्तुओं के निर्यात – आयात के साथ – साथ सेवाओं व हस्तांतरण भुगतान के लेन – देन को भी इसमें शामिल किया जाता है।

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प्रश्न 12.
यदि देश B से देश A में मुदा स्फीति ऊँची हो और दोनों देशों में विनिमय दर स्थिर हो, तो दोनों देशों के व्यापार शेष का क्या होगा?
उत्तर:
यदि देश ‘B’ से देश ‘A’ में मुद्रा स्फीति की दर ऊँची हो और दोनों देशों में विनिमय दर स्थिर हो, तो देश ‘A’ में व्यापार शेष घाटा होगा और देश B में व्यापार शेष आधिक्य होगा। ऐसी स्थिति में देश B से देश A को वस्तुओं का आयात करना लाभप्रद होगा। परिणामस्वरूप देश A अधिक वस्तुओं का अधिक मात्रा में आयात करेगा और देश B को कम मात्रा में वस्तुओं का निर्यात करेगा।अत: देश A के सामने व्यापार शेष घाटे की समस्या उत्पन्न होगी। दूसरी ओर देश B देश A से कम मात्रा में वस्तुओं का आयात करेगा। अतः देश B का व्यापार शेष धनात्मक होगा।

भुगतान संतुलन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भुगतान संतुलन की मदों का उल्लेख कीजिए?
उत्तर:
किसी देश का भुगतान संतुलन उसके समस्त विदेशी लेन – देन तथा लेनदारियों – देनदारियों का विवरण होता है। इसके बाँयी ओर सभी लेनदारियाँ तथा दाँयी ओर देनदारियाँ प्रदर्शित की जाती हैं बाँयी ओर की मदों एवं दाँयी ओर के मदों के अंदर के स्वरूप से भुगतान संतुलन का स्वरूप स्पष्ट हो जाता है। भुगतान संतुलन के विवरण में सम्मिलित विभिन्न मदों का वर्गीकरण लीग ऑफ नेशन्स ने दो मुख्य शीर्षकों के अंतर्गत किया था और अधिकांश देश इसी आधार पर भुगतान संतुलन का विवरण तैयार करते हैं। भुगतान संतुलन का प्रथम शीर्षक चालू खाता होता है और दूसरा शीर्षक पूँजी खाता होता है।

  1. चालू खाता: चालू खाते में दृश्य और अदृश्य मदें सम्मिलित होती हैं।
  2. पूँजी खाता: इसमें विदेशी पूँजी के विनियोग तथा ऋण की राशियों को दिखाया जाता है।

प्रश्न 2.
पूँजी खाते में शामिल मदों को बताइए?
उत्तर:
पूँजी खाते में शामिल प्रमुख मदें निम्नलिखित हैं –

  1. बैंकिंग पूँजी का प्रवाह: बैंकिंग पूँजी का अंतरप्रवाह देश के लिए प्राप्ति पक्ष तथा बाह्य प्रवाह भुगतान पक्ष में गिना जाता है, लेकिन बैंकिंग पूँजी में केन्द्रीय बैंक को शामिल नहीं किया जाता हैं।
  2. निजी ऋण: देश के निजी क्षेत्र द्वारा विदेशों से प्राप्त ऋण, भुगतान संतुलन खाते के लेनदारी पक्ष तथा उनके ऋण भुगतानों को लेनदारी पक्ष में गिना जाता है।
  3. विदेशी निवेश: विदेशी निवेश में दो प्रकार के निवेश आते हैं –
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश:
    • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से तात्पर्य विदेशों में परिसम्पत्तियाँ खरीदना है तथा उन पर नियंत्रण रखना है।
    • पोर्टफोलियो निवेश:
  4. इस निवेश में विदेशों में परिसम्पत्तियाँ खरीदी जाती हैं परन्तु उस पर नियंत्रण नहीं होता है।
  5. सरकारी पूँजी का लेन – देन:

इसमें निम्नलिखित मदें शामिल हैं –

  1. ऋण
  2. ऋणों का भुगतान
  3. मिश्रित
  4. कोष एवं मौद्रिक सोना।

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प्रश्न 3.
विदेशी विनिमय – दर को प्रभावित करने वाले तत्वों को लिखिए?(कोई चार)
अथवा
विदेशी विनिमय – दर के उतार – चढ़ाव के पाँच कारण समझाइए?
उत्तर:
विदेशी विनिमय – दर को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्व निम्न हैं –

1. आयात एवं निर्यात में परिवर्तन:
यदि देश के निर्यात, आयात से अधिक हैं तो देश की मुद्रा की माँग बढ़ेगी और विदेशी विनिमय:
दर देश के पक्ष में होगा इसके विपरीत देश में आयात, निर्यात की तुलना में अधिक है तो विदेशी मुद्रा की माँग बढ़ेगी और विदेशी विनिमय दर देश के विपक्ष में होगा या प्रतिकूल होगा।

2. बैंकिंग संबंधी प्रभाव:
यदि व्यापारिक बैंक विदेशी बैंक पर बड़ी मात्रा में बैंकर्स ड्रॉफ्ट तथा अन्य प्रकार के साख-पत्र जारी करता है, तो इससे विदेशी विनिमय की मांग बढ़ जायेगी इसके विपरीत अगर विदेशी बैंक देश के बैंकों पर साख – पत्र जारी करती है तो देशी मुद्रा की मांग बढ़ेगी और विनिमय-दर देश के पक्ष में हो जाती है।

3. कीमतों में परिवर्तन:
दो देशों में किसी एक देश में सापेक्षिक दृष्टि से कीमत के परिवर्तन के परिणामस्वरूप विनिमय-दर परिवर्तित हो जाती है। जैसे – भारत में कीमत बढ़ जाती है, जबकि जर्मनी में कीमत में परिवर्तन नहीं होता है। अतः जर्मनी को भारत की वस्तुएँ महँगी पड़ने लगेंगी और वे यहाँ से कम वस्तुएँ मँगायेंगे। इसके विपरीत भारत को जर्मनी की वस्तुएँ सस्ती पड़ेंगी और वहाँ से आयात करने लगेंगी।

4. पूँजी का आगमन:
जिस देश में विदेशी पूँजी आती है उस देश की मुद्रा की मांग बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप विदेशी विनिमय दर उस देश के पक्ष में हो जाती है। इसके विपरीत पूँजी देश से विदेश में जाती है तो विदेशी मुद्रा की माँग बढ़ जाती है। जिससे विनिमय दर देश के विपक्ष में हो जाती है।

प्रश्न 4
दृश्य आयात – निर्यात तथा अदृश्य आयात – निर्यात को समझाइये?
उत्तर:
दृश्य आयात – निर्यात:
दृश्य आयात – निर्यात के अंतर्गत उन वस्तुओं के आयात – निर्यात को शामिल किया जाता है जिनका बंदरगाह में रखे गये रजिस्टर में लेखा – जोखा रखा जाता है। इसे देखकर वर्षभर में किए गए आयातों एवं निर्यातों के मूल्य प्राप्त किये जा सकते हैं। इसलिए इसे दृश्य मदें कहा जाता है। इसमें केवल वस्तुओं के आयात – निर्यात को ही शामिल किया जाता है।

अदृश्य आयात – निर्यात:
अदृश्य आयात – निर्यात के अंतर्गत सेवाओं के आदान – प्रदान को शामिल किया जाता है। ये सेवाएँ हैं – बैंकिंग, बीमा, शिपिंग आदि जिनका बंदरगाहों पर लेखा – जोखा नहीं रखा जाता है। इस प्रकार अदृश्य मदों में सेवाओं एवं पूँजी के आयात – निर्यात को शामिल किया जाता है।

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प्रश्न 5.
लोचपूर्ण विनिमय – दर किसे कहते हैं? इसके पक्ष – विपक्ष में दो – दो तर्क दीजिए?
उत्तर:
लोचपूर्ण विनिमय – दर का अर्थ:
जब विनिमय दर का निर्धारण विदेशी मुद्रा बाजार में करेंसियों की माँग एवं पूर्ति के द्वारा निर्धारित किया जाता है तो उसे लोचपूर्ण विनिमय – दर कहते हैं।

लोचपूर्ण विनिमय – दर के पक्ष में तर्क:
लोचपूर्ण विनिमय दर के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जाते हैं –

1. भुगतान संतुलन में साम्य:
लोचपूर्ण विनिमय दर की दशा में अन्य राष्ट्रीय हितों, जैसे-राष्ट्रीय आय, मूल्य स्तर आदि की उपेक्षा किये बिना भुगतान-संतुलन में साम्य स्थापित करना संभव होता है।

2. अधिमूल्यन एवं अवमूल्यन:
लोचपूर्ण विनिमय दर होने पर अपने देश की मुद्रा को विदेशी मुद्रा की तुलना में आसानी से बढ़ाया या घटाया जा सकता है। इससे अर्थव्यवस्था में साम्य बनाये रखना संभव होता है।

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प्रश्न 6.
मान लीजिए C = 100 + 0.75 YD, I = 500, G = 750, कर आय का 20 प्रतिशत है, x = 150, M = 100 + 0.2Y तो संतुलन आय, बजट घाटा अथवा आधिक्य और व्यापार घाटा अथवा आधिक्य की गणना कीजिए?
उत्तर:
C = 100 + 0.75 YD जहाँ C = 100, C = 0.75, I = 500, G = 750, X = 150, M = 100 + 0.2Y
कर आय (t) = 20%
आय
(Y) = C + C (1 – 1) Y + l + G + (X – M)
Y = 100 + 0.75 (1 – 0.2) Y + 500 +750 + (150 – 100 – 0 – 2Y)
Y = 100 + 0.75(0.8) Y+ 500 + 750 + 150 – 100 – 0 – 2Y
Y = 100 + 0.6 Y + 1300 – 0.2 Y = 1400 + 0.4 Y
Y – 0.4 Y = 1400
0.6 Y = 1400
Y = \(\frac{1400}{0.6}\)
= 2333
बजट घाटा = सरकारी व्यय कर (G) – कर
= 750 – 2333 का 20% = 750 – 467 = 283
M = 100 + 0.2 Y = 100 + 0.2(2333)
= 100 + 467 = 567
व्यापार घाटा = M – X = 567 – 150 = 417.

MP Board Class 12th Economics Important Questions

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Important Questions

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न (a)
सार्वजनिक बजट की अवधि होती है –
(a) 5 वर्ष
(b) 2 वर्ष
(c) 1 वर्ष
(d) 10 वर्ष।
उत्तर:
(c) 1 वर्ष

प्रश्न (b)
संसद में बजट पेश करता है –
(a) प्रधानमंत्री
(b) गृहमंत्री
(c) वित्तमंत्री
(d) रक्षामंत्री।
उत्तर:
(c) वित्तमंत्री

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प्रश्न (c)
लोकसभा में बजट पर भाषण दिया जाता है –
(a) राष्ट्रपति द्वारा
(b) प्रधानमंत्री द्वारा
(c) वित्तमंत्री द्वारा
(d) गृहमंत्री द्वारा।
उत्तर:
(c) वित्तमंत्री द्वारा

प्रश्न (d)
वृत्ति कर लगाया जाता है –
(a) केन्द्र सरकार द्वारा
(b) राज्य सरकार द्वारा
(c) नगर निगम द्वारा
(d) ग्राम पंचायत द्वारा।
उत्तर:
(b) राज्य सरकार द्वारा

प्रश्न (e)
प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत निम्नलिखित में किसे शामिल किया जाता है –
(a) आयकर
(b) उपहार कर
(c) और (b) दोनों
(d) उत्पाद कर।
उत्तर:
(c) और (b) दोनों

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प्रश्न (f)
भारत में एक रुपया का नोट कौन जारी करता है –
(a) भारतीय रिजर्व बैंक
(b) भारत सरकार का वित्त मंत्रालय
(c) भारतीय स्टेट बैंक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) भारत सरकार का वित्त मंत्रालय

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. …………………………… एक सरकारी दस्तावेज है जिसमें सरकार के आय एवं व्यय का ब्यौरा होता है।
  2. आयकर एक ……………………………… कर है।
  3. ……………………………… कर वस्तुओं के मौद्रिक मूल्यों के आधार पर लगाये जाते हैं।
  4. सेवाकर ……………………………… सरकार द्वारा लगाया जाता है।
  5. …………………………….. का बजट आजकल अच्छा बजट माना जाता है।
  6. केन्द्रीय सरकार का बजट ……………………………… माह के अंतिम दिन प्रस्तुत किया जाता है।
  7. वित्त विधेयक में …………………………….. संबंधी प्रस्ताव होते हैं।

उत्तर:

  1. बजट
  2. प्रत्यक्ष
  3. मूल्यानुसार
  4. केन्द्रीय
  5. घाटे
  6. फरवरी
  7. कर।

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प्रश्न 3.
सत्य /असत्य बताइये –

  1. घाटे का बजट एक अच्छा बजट नहीं माना जाता है।
  2. विद्युत् शुल्क राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है।
  3. बजट भाषण वित्तमंत्री द्वारा दिया जाता है।
  4. केन्द्रीय शुल्क प्रत्यक्ष कर है।
  5. ब्याज भुगतान योजनागत मद है।
  6. मंदी के समय आधिक्य का बजट बनाया जाता है।
  7. भारत का रेल बजट सामान्य बजट में शामिल नहीं होता।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. असत्य
  6. सत्य
  7. सत्य।

प्रश्न 4.
सही जोड़ियाँ बनाइये –
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 1
उत्तर:

  1. (b)
  2. (d)
  3. (a)
  4. (e)
  5. (c).

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प्रश्न 5.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिये –

  1. अतिरेक बजट का अर्थ लिखिए?
  2. शिक्षा का व्यय कैसा व्यय माना जाता है?
  3. प्रतिवर्ष वित्तमंत्री द्वारा प्रस्तुत देश के बजट को कौन पारित करता है?
  4. सरकार द्वारा जुलाई 2017 से कौन – सा कर लगाया गया है?
  5. सरकार बजट कितने वर्ष के लिए बनाती है?
  6. जी. एस. टी. का पूरा नाम बताइए?
  7. भू – राजस्व कर किसके द्वारा लगाया जाता है?
  8. बजट को किस योजना की संज्ञा दी जाती है?

उत्तर:

  1. आय अधिक एवं व्यय कम
  2. विकासात्मक
  3. संसद
  4. जी. एस. टी.
  5. एक वर्ष
  6. वस्तु एवं सेवा कर
  7. राज्य सरकार द्वारा
  8. सरकार की मास्टर वित्तीय योजना।

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सरकारी बजट से क्या आशय है? यह कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
एक वित्तीय वर्ष के दौरान मदों के अनुसार, अनुमानित प्राप्तियों एवं व्ययों को दिखाया जाता है। भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक माना जाता है। केन्द्र सरकार के वार्षिक वित्तीय विवरण को ‘संघीय बजट’ कहा जाता है। बजट दो प्रकार के होते हैं – राजस्व बजट तथा, पूँजीगत बजट।

प्रश्न 2.
प्राथमिक घाटा किसे कहते हैं? यह क्या दर्शाता है?
उत्तर:
प्राथमिक घाटा:
राजकोषीय घाटे से ब्याज भुगतान की राशि को घटाकर प्राथमिक घाटे की गणना कर सकते हैं, यह राजकोषीय घाटा तथा ब्याज भुगतान का अंतर होता है। प्राथमिक घाटा ब्याज अदायगी रहित राजकोषीय घाटे को पूरा करने हेतु सरकार की ऋण संबंधी जरूरतों को दर्शाता है।

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प्रश्न 3.
कर क्या है?
उत्तर:
वह अनिवार्य भुगतान जो करदाताओं द्वारा सरकार को किया जाता है तथा जिसके बदले करदाता किसी प्रत्यक्ष लाभ की आशा नहीं करते हैं उसे कर कहते हैं, जैसे – आयकर, संपत्ति कर, उत्पाद कर, आयात शुल्क, निर्यात शुल्क आदि।

प्रश्न 4.
बजट घाटा क्या है?
उत्तर:
बजट घाटा:
बजटीय से आशय सरकार के कुल व्यय का कुल प्राप्तियों से अधिक होना है। अन्य शब्दों में, सरकार की राजस्व एवं पूँजीगत प्राप्तियों का योग जब राजस्व एवं पूँजीगत व्ययों के योग से कम होता है,तो उसे बजटीय घाटा कहा जाता है।

प्रश्न 5.
पूरक बजट से क्या आशय है?
उत्तर:
पूरक बजट:
जब सरकार के किसी विभाग का बजट में स्वीकृत धनराशि से काम नहीं चलता है तो इस स्थिति में अतिरिक्त माँगों को पूरा करने के लिए लोकसभा में एक और बजट प्रस्तुत करके स्वीकृति ली जाती है। इसी को पूरक बजट कहते हैं।

प्रश्न 6.
शून्य प्राथमिक घाटा क्या है?
उत्तर:
जब सरकार को केवल ब्याज के दायित्वों को पूरा करने के लिए ऋण लेना पड़ता है, तो इसे शून्य प्राथमिक घाटा कहते हैं।

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प्रश्न 7.
लेखा अनुदान से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लेखा अनुदान:
यदि किसी वर्ष बजट 1 अप्रैल से पूर्व पारित नहीं हो पाता है, तो 1 अप्रैल से बजट पारित होने की तिथि तक की अवधि के लिए सरकार अपने व्ययों को पूरा करने के लिए संसद से लेखा अनुदान के आधार पर स्वीकृति ले लेती है।

प्रश्न 8.
कर वंचन क्या है?
उत्तर:
बिना कर का भुगतान किए कर से मुक्त होना कर वंचन कहलाता है।

प्रश्न 9.
बचत पूर्ण बजट क्या है?
उत्तर:
बचत पूर्ण बजट:
वह बजट, जिसमें कुल आय में से कुल व्यय कम होता है, उसे बचतपूर्ण बजट कहते हैं।

प्रश्न 10.
संतुलित बजट क्या है?
उत्तर:
संतुलित बजट:
वह बजट, जिसमें कुल आय तथा कुल व्यय बराबर होते हैं, वह संतुलित बजट कहलाता है।

प्रश्न 11.
कर गुणक का सूत्र लिखिए?
उत्तर:
कर गुणक = \(\frac{ – C}{1 – C}\)

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प्रश्न 12.
ऋण जाल से क्या आशय है?
उत्तर:
सामान्यतः विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ अपनी विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए विदेशों से ऋण प्राप्त करती हैं। फलतः विकासशील देशों पर विदेशी ऋणों के साथ-साथ ऋण ब्याज का भी भार बढ़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप ऋणों को चुकाने के लिए इन्हें पुनः ऋण लेना पड़ता है। अतः ये देश एक स्थान से ऋण ‘ लेकर दूसरे स्थान पर चुकाते रहते हैं। इस तरह से देश उत्तरोत्तर ऋण प्राप्त कर ऋण चक्र में फँसते चले जाते हैं। इंसी को ऋण जाल कहा जाता है।

प्रश्न 13.
राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा में संबंध बताइए?
उत्तर:
राजस्व घाटा एवं राजकोषीय घाटा में संबंध:
राजस्व घाटा तथा राजकोषीय घाटा दोनों में ही राजस्व व्यय तथा राजस्व प्राप्तियाँ सम्मिलित होती हैं। चूँकि
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ + गैर – ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ।

प्रश्न 14.
सार्वजनिक वस्तु सरकार के द्वारा ही प्रदान की जानी चाहिए, क्यों? व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
सार्वजनिक वस्तुएँ:
राष्ट्रीय सुरक्षा, सड़कें, लोक प्रशासन आदि वस्तुओं एवं सेवाओं को सार्वजनिक वस्तु कहा जाता है। सार्वजनिक वस्तुएँ सरकार द्वारा प्रदान की जानी चाहिए, क्योंकि –

  1. सार्वजनिक वस्तुओं का लाभ केवल एक व्यक्ति तक सीमित न होकर सभी को मिलना चाहिए।
  2. ये वस्तुएँ प्रतिस्पर्धात्मक नहीं होती हैं।
  3. सार्वजनिक वस्तु के उपयोग से किसी को भी वंचित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 15.
सरकारी घाटे और सरकारी ऋण – ग्रहण में क्या संबंध है? व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
सरकारी घाटे की पूर्ति हेतु वित्त व्यवस्था के रूप में ऋण:
ग्रहण किया जाता है इस प्रकार सरकारी घाटे एवं ऋण – ग्रहण में धनात्मक संबंध पाया जाता है अतः जब सरकारी घाटा कम होता है तो ऋण – ग्रहण में भी कमी आती है अत: विपरीत परिस्थिति में घाटे में वृद्धि के साथ – साथ ऋण – ग्रहण भी बढ़ती है।

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प्रश्न 16.
बजट के घाटे संबंधी अवधारणा को स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
घाटे का बजट:
जब बजट में सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक आय की तुलना में अधिक का दिखाया जाता है तो उसे घाटे का बजट कहा जाता है।

घाटे का बजट:
अनुमानित सार्वजनिक आय < अनुमानित सार्वजनिक व्यय।

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आय प्राप्ति के साधन बताइए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय का अर्ध:
सार्वजनिक आय से तात्पर्य, सरकार की उन सभी मौद्रिक प्राप्तियों से है, जो सरकारी व्यय के लिए आवश्यक है।

सरकार की आय प्राप्ति के साधन –

  1. चालू आय प्राप्तियाँ: जैसे – कर, फीस, सरकारी उद्यमों की आय इत्यादि।
  2. पूँजीगत प्राप्तियाँ: जैसे – सार्वजनिक ऋण, सरकारी अनुदान, घाटे की वित्तीय व्यवस्था आदि।

चालू आय प्राप्तियाँ:
चालू आय प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती हैं –

  1. कर आय प्राप्तियाँ
  2. गैर – कर आय प्राप्तियाँ।

प्रश्न 2.
प्रगतिशील कर एवं प्रतिगामी कर में अन्तर बताइये?
उत्तर:
प्रगतिशील कर एवं प्रतिगामी कर में अन्तर:
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 2

प्रश्न 3.
पूँजीगत प्राप्तियों एवं राजस्व प्राप्तियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
पूँजीगत प्राप्तियों एवं राजस्व प्राप्तियों में अन्तर:

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 3

प्रश्न 4.
बचत का बजट, संतुलित बजट एवं घाटे का बजट पर संक्षिप्त नोट लिखिए?
उत्तर:
बचत का बजट:
जब बजट में वर्ष की अनुमानित आय अनुमानित व्यय की तुलना में अधिक हो तो ऐसे बजट को बचत का बजट कहा जाता है। बचत का बजट सरकार की वित्तीय सुदृढ़ता का परिचायक होता है, फिर भी ऐसा बजट जनता में अच्छा नहीं माना जाता।

संतुलित बजट:
संतुलित बजट उस बजट को कहते हैं जिसमें सरकार की वर्ष की अनुमानित आय अनुमानित व्यय के बराबर हो। इस बजट को साधनों की सीमा में रहने का बजट कहा गया है। इस बजट या नीति का लगभग कोई भी सरकार समर्थन नहीं करती।

घाटे का बजट:
घाटे का बजट वह स्थिति है जब सरकार का अनुमानित व्यय, चालू वर्ष में उसकी अनुमानित आय से अधिक हो। ऐसा बजट जनता हिवार्थ बजट माना जाता है। कई सरकारें ऐसा बजट जानबूझकर तैयार करती हैं।

प्रश्न 5.
सरकारी बजट क्या होता है? बजट के तीन उद्देश्य बताइये?
उत्तर:
एक वित्तीय वर्ष में सरकार की प्रत्याशित आय एवं प्रत्याशित ब्यौरा जो 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के अनुमानों को प्रगट करता है। जिसमें गतवर्ष की उपलब्धियों एवं कमियों का प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया जाता है। सरल शब्दों में, एक वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित आय एवं अनुमानित व्यय का विवरण ही सरकारी बजट कहलाता है। इसके निम्न उद्देश्य होते हैं –

  • आर्थिक स्थिरता बनाये रखना।
  • उपलब्ध संसाधनों का कुशलतम आबंटन एवं विदोहन।
  • आय एवं संपत्ति का पुनः वितरण।
  • सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंधन।

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प्रश्न 6.
बजट द्वारा आय की असमानताओं को कैसे दूर किया जा सकता है?
अथवा
आयु की असमानता को दूर करने में सरकारी बजट की क्या भूमिका है? समझाइये?
उत्तर:
आय की असमानता को दूर करने का उद्देश्य आय के समान प्रतिमान स्थापित कर धनिकों पर अधिक करारोपण कर उसे निर्धनों के कल्याण पर खर्च करना, अमीर व्यक्तियों पर अधिक कर लगाने का उद्देश्य उनकी प्रयोज्य आय को कम करना है। निर्धनों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें आय एवं संपत्ति के मायनों में अन्य लोगों की बराबरी पर लाना है। इसके लिये प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर धनिकों पर लगाकर वह राजस्व प्राप्त किया जाता है जिससे आय की असमानता दूर हो सके।

प्रश्न 7.
सरकारी बजट से आर्थिक स्थिरता कैसे प्राप्त की जा सकती है? संक्षेप में समझाइये?
उत्तर:
सरकार बजट के माध्यम से करारोपण, आर्थिक सहायता एवं सार्वजनिक व्ययों के माध्यम से समग्र माँग एवं समग्र पूर्ति को नियंत्रित कर मुद्रा स्फीति एवं मुद्रा संकुचन की स्थिति पर नजर रखती है, जिससे देश में आर्थिक स्थिरता प्राप्त की जा सके। सामान्यतया आर्थिक स्थिरता मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण, व्ययों में कमी, करों में वृद्धि करती है इससे कीमतों पर नियंत्रण स्थापित हो जाता है और मुद्रा संकुचन के समय व्ययों में वृद्धि एवं करों में कमी करके कीमतों को नियंत्रित कर आर्थिक स्थिरता को प्राप्त करती है।

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प्रश्न 8.
संसाधनों के कुशल आबंटन में सरकार का क्या दृष्टिकोण ( भूमिका) होता है? समझाइये?
उत्तर:
देश में उपलब्ध संसाधनों के कुशल आबंटन में सरकार प्रथमतः प्राथमिकताएँ निधारत करती हैं एवं उनके अनुरूप सामाजिक, आर्थिक एवं संतुलित विकास बजट का उद्देश्य होता है। सरकार द्वारा इसके लिये वांछनीय एवं आवश्यक वस्तुओं पर आर्थिक सहायता दी जा सकती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, भोजन, वस्त्र आदि पर आबंटन निःशुल्क उपलब्ध कराकर आर्थिक सहायता प्रदान करती है। सरकार द्वारा ऐसी अवांछनीय एवं हानिकारक वस्तुओं पर अधिक कर लगाकर आपूर्ति में कमी करके इन वस्तुओं को अधिक महँगा बनाकर संसाधनों का कुशलतम प्रयोग एवं आबंटन किया जाता है।

प्रश्न 9.
सार्वजनिक व्यय के चार प्रकार लिखिए?
उत्तर:
सार्वजनिक व्यय के प्रकार:
सार्वजनिक व्यय के निम्नलिखित प्रकार हैं –

1. विकासात्मक व्यय:
विकासात्मक व्यय वह व्यय है जो आर्थिक विकास तथा सामाजिक कल्याण के लिए किया जाता है । इसके अंतर्गत शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, कृषि, परिवहन, सड़कों, नहरों इत्यादि पर किया गया व्यय विकासात्मक व्यय होता है।

2. गैर – विकासात्मक व्यय:
गैर – विकासात्मक व्यय, वह व्यय है जो सरकार के प्रशासन की सुरक्षा, कानून व्यवस्था आदि पर खर्च किया जाता है। इसके अंतर्गत कर्मचारियों का वेतन, सेना, पुलिस, जेल व्यवस्था ऋण पर ब्याज आदि पर किया गया व्यय गैर – विकासात्मक व्यय होता है।

3. योजना व्यय:
योजना व्यय में वह व्यय शामिल किया जाता है जो वर्तमान आर्थिक योजना के अंतर्गत क्रियान्वित कार्यों पर सरकार द्वारा किया जाता है। जैसे – कृषि, बिजली, उद्योग, परिवहन, संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि पर किया जाने वाला व्यय।

4. गैर – योजना व्यय:
गैर – योजना व्यय में वे सभी व्यय आते हैं जो वर्तमान योजना से संबंधित नहीं हैं। इसके अंतर्गत ब्याज का भुगतान, रियायतें, सुरक्षा कर पर खर्च पुलिस, पेंशन इत्यादि व्यय शामिल हैं।

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प्रश 10.
प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर के बीच अंतर स्पष्ट कीजिये?
उत्तर:
प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर में अन्तर –
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 4

प्रश्न 11.
राजस्व व्यय एवं पूँजीगत व्यय में अंतर स्पष्ट कीजिये?
उत्तर:
राजस्व व्यय एवं पूँजीगत व्यय में अन्तर:
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 5

प्रश्न 12.
विकासात्मक व्यय एवं गैर – विकासात्मक व्यय में अन्तर स्पष्ट कीजिये?
उत्तर:
विकासात्मक व्यय एवं गैर – विकासात्मक व्यय में अन्तर –
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 6

प्रश्न 13.
बजट का अर्थ एवं इसकी तीन विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर:
बजट का अर्थ:
बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द ‘Bougette’ से हुई है, जिसका अर्थ होता है छोटा चमड़े का थैला (Bag) अथवा बटुआ (Purse Money Bag) है। इंग्लैण्ड में राजकोष का चान्सलर प्रत्येक वर्ष लोकसभा में आर्थिक प्रस्ताव एक चमड़े के बैग में लेकर आया करता था। इस प्रकार बजट सरकार के आय एवं व्यय का ब्यौरा होता है, अर्थात् बजट एक दस्तावेज है, जिसमें सरकार के वार्षिक राजस्व और व्यय का अनुमान होता है। जॉनसन के अनुसार “एक राजकीय बजट आने वाले समय अर्थात् प्रायः एक वर्ष में राज्य के अनुमानित आय-व्ययों का विवरण है।”

बजट की विशेषताएँ:

  1. विवरण: बजट एक विवरण होता है जिसमें व्यय एवं आय का ब्यौरा लिखा जाता है। यह विस्तृत रूप से दिया जाता है जिससे पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।
  2. निश्चित अवधि से पूर्व: इस विवरण को एक निश्चित अवधि से पूर्व बनाया जाना आवश्यक होता है।
  3. साधनों का ब्यौरा: बजट में आगामी समय में प्राप्त किये जाने वाले उद्देश्यों के लिए अपनाये जाने वाले साधनों का ब्यौरा दिया जाता है।
  4. संतुलित बजट: बजट में संतुलन होना वित्तीय स्थायित्व की विशेषता है किन्तु परिस्थिति के अनुरूप अतिरेक बजट एवं घाटे के बजट बनाये जा सकते हैं।

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प्रश्न 14.
बजट के उद्देश्यों को लिखिए?
उत्तर:
सरकार बजट के माध्यम से निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये प्रयास करती है –

1. संसाधनों का पुनः आबंटन:
कई बार बाहरी शक्तियाँ संसाधनों के कुशलतम आबंटन में विफल रहती है। सरकार बजट के माध्यम से राष्ट्र के संसाधनों को सामाजिक व आर्थिक हितों के अनुरूप पुनः आबंटित करने का प्रयास करती है।

2. आय एवं सम्पत्ति का पुनः वितरण:
सरकार बजट के माध्यम से देश में आय एवं सम्पत्ति की विषमताओं को कम करने के लिए उनके पुनः वितरण का प्रयास करती है। इसके लिए सरकार अमीरों पर ऊँचे कर लगाकर निर्धन वर्ग के लोगों के कल्याण पर व्यय करती है।

3. आर्थिक स्थिरता:
सरकारी बजट का एक उद्देश्य देश में आर्थिक स्थिरता बनाए रखना भी है। सरकार मूल्यों में उतार – चढ़ाव रोकने और अर्थव्यवस्था में आय व रोजगार के ऊँचे स्तर से प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करती है।

4. सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंध:
सरकार सार्वजनिक उद्यमों के माध्यम से व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करती है। कुछ उद्योग जैसे-रेलवे, विद्युत् उत्पादन आदि ऐसे हैं जिन पर सरकारी एकाधिकार सामाजिक कल्याण की दृष्टि से आवश्यक माना जाता है।

प्रश्न 15.
क्या सार्वजनिक ऋण बोझ बनता है? व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
सरकार द्वारा घाटे के व्यय को पूरा करने हेतु जनता से ऋण लिया जाता है जिसे सार्वजनिक ऋण कहा जाता है। यह ऋण बॉण्ड आदि के रूप में जनता को निर्गमित किये जाते हैं। जिससे जनता द्वारा खरीदकर सरकार को ऋण दिया जाता है। किन्तु इस प्रकार के ऋणों का भुगतान सरकार द्वारा अधिक लंबी अवधि में किया जाता है। जिससे इस प्रकार का ऋण भावी पीढ़ी पर भार होते हैं।

प्रश्न 16.
वस्तु एवं सेवा कर (GST) से आप क्या समझते हैं? पुरानी कर व्यवस्था के मुकाबले KdST व्यवस्था कितनी श्रेष्ठ है? इसकी श्रेणियों की व्याख्या कीजिये?
उत्तर:
वस्तु एवं सेवा कर या जी.एस.टी. (GST) भारत सरकार की नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जो 11 जुलाई, 2017 से लागू की गई यह कर वस्तु एवं सेवा कर, उत्पाद को सेवा प्रदायकों से सीधे ही वस्तु एवं सेवाओं की पूर्ति पर लगाया गया एकल व्यापक अप्रत्यक्ष कर है। यह एक ही प्रकार की वस्तुओं/सेवाओं पर एक ही दर वाला पूरे भारत में लागू कर है।

पुरानी कर व्यवस्था के मुकाबले GST –

  1. पुरानी कर व्यवस्था के स्थान पर GST में एक टैक्स वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
  2. GST से टैक्स का ढांचा सरल हो जाएगा।
  3. GST से समय व पैसे दोनों की बचत होगी।
  4. पुरानी टैक्स व्यवस्था के मुकाबले GST से विकास की दर तेजी से बढ़ेगी।
  5. किन्तु पुरानी टैक्स व्यवस्था की तुलना में कुछ समय तक GST से महँगाई दर में वृद्धि की आशंका बनी रहेगी।
  6. वस्तुओं एवं सेवा कर के लिए GST Act, UTGST Act और SGST Acts पारित किये गये।

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प्रश्न 17.
आय प्राप्ति के साधन बताइए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय का अर्थ:
सार्वजनिक आय.से तात्पर्य, सरकार की उन सभी मौद्रिक प्राप्तियों से है, जो सरकारी व्यय के लिए आवश्यक है।
सरकार की आय प्राप्ति के साधन –

  1. चालू आय प्राप्तियाँ: जैसे – कर, फीस, सरकारी उद्यमों की आय इत्यादि।
  2. पूँजीगत प्राप्तियाँ: जैसे – सार्वजनिक ऋण, सरकारी अनुदान, घाटे की वित्तीय व्यवस्था आदि।
  3. चालू आय प्राप्तियाँ: चालू आय प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती हैं
    • कर आय प्राप्तियाँ
    • गैर – कर आय प्राप्तियाँ।

प्रश्न 18.
हम मान लेते हैं कि C = 70 + 0.70 YD, I = 90, G = 100, T = 0 – 10Y

(a) संतुलन आय ज्ञात कीजिए।
(b) संतुलन आय पर कर राजस्व क्या है? क्या सरकार का बजट संतुलित बजट है?

उत्तर:
(a) Y = \(\frac{1}{1 – 0.70}\) (70 + 90 + 100)
या
Y = \(\frac{1}{0.30}\) (260)
= \(\frac{260}{0.30}\)
= 866.66

(b) संतुलन आय पर कर राजस्व (T) = 0.10 Y = 0.10 (866.66) = 86.66.

प्रश्न 19.
मान लीजिए कि एक विशेष अर्थव्यवस्था में निवेश 200 के बराबर है, सरकार के क्रय की मात्रा 150 है, निवल कर (अर्थात् एकमुश्त कर से अंतरण को घटाने पर) 100 है और उपभोग C = 100 + 0.75 Y दिया हुआ है, तो –

(a) संतुलन आय का स्तर क्या है?
(b) सरकारी व्यय गुणक और कर गुणक के मानों की गणना करें?
(c) यदि सरकार के व्यय में 200 की बढ़ोतरी होती है, तो संतुलन आय में क्या परिवर्तन होगा?

उत्तर:

(a) सूत्र,
संतुलन आय
Y = \(\frac{1}{1 – C}\)
दिया है, C = 0.75, C = 100, T – TR = 100, I = 200, G = 150
इसलिए cT + c\(\bar { T } \)R = 0.75 x 100 = 75
सूत्र में मान रखने पर,
Y = (100 – 75 + 200 + 150)
Y = \(\frac{1}{0.25}\)(375), Y = 4 x 375 = 1,500

(b) सरकारी व्यय गुणक
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 7

(c) यदि सरकार के व्यय में 200 की वृद्धि हो जाये थो संतुलन आध की गणना –
सूत्र –
संतुलन आध (Y) = \(\frac{1}{1 – C}\) (\(\bar { C } \) – (\(\bar { C } \) – cT + c\(\bar { T } \)R + I + G)
दिया है, C = 0.75, \(\bar { C } \) = 100, I = 200, G = 150 + 200 + 350, T – \(\bar { T } \)R = 100
अतः cT – c \(\bar { T } \)R = 0.75 x 100 = 7.5
मान रकने पर,
संतुलन आय (Y) = \(\frac{1}{1 – 0.75}\) (100 – 75 + 200 + 350)
या
Y = \(\frac{1}{0.25}\)(575) = 4 x 575 = 2,300.

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प्रश्न 20.
एक ऐसी अर्थव्यवस्था पर विचार कीजिए, जिसमें निम्नलिखित फलन हैं –
C = 20 + 0 – 80 Y, I = 30,G = 50, TR = 100

(a) आय का संतुलन स्तर और मॉडल में स्वायत्त व्यय गुणक ज्ञात कीजिए?
(b) यदि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होती है, तो संतुलन आय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(c) यदि एकमुश्त कर 30 जोड़ दिया जाए, जिससे सरकार के क्रय में बढ़ोतरी का भुगतान किया जा सके, तो संतुलन आय में किस प्रकार का परिवर्तन होगा?

उत्तर:

(a) सूत्र
संतुलन आय
Y = \(\frac{1}{1 – C}\) (\(\bar { C } \) – cT + c\(\bar { T } \)R + I + G)
दिया है, C = 0.80, C = 20, I = 30, G = 50, TR = 100,
मान रखने पर,
Y = \(\frac{1}{1 – 0.80}\) (20 – 0.30 (0) + 0.80(100) + 30 + 50)
या
Y = \(\frac{1}{0.20}\) (20 – 0 + 80 + 30 + 50)
या
Y = \(\frac{1}{0.20}\) (180) = 5 x 180 = 900
स्वायत्त व्यय गुणक (\(\frac ({ \triangle Y }{ \triangle G }) \) = (\(\frac{1}{1 – C}\))
या
{ \triangle Y }{ \triangle G } = \(\frac{1}{1 – 0.80}\) = \(\frac{1}{0.20}\) = 5

(b) सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होने पर संतुलन आय पर प्रभाव –
सन्तुलन आय में परिवर्तन (∆Y) = \(\frac{1}{1 – C}\) ∆G
∆Y = \(\frac{1}{1 – 0.80}\) x 30 = \(\frac{1}{0.20}\) x 30 = 5 x 30 = 150
अतः
नई संतुलन आय = 900 + 150 = 1,050
अतः स्पष्ट है कि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होने से संतुलन आय 150 बढ़कर 1,050 हो जाएगी।

(c) यदि एकमुश्त कर 30 जोड़ दिया जाए तो संतुलन आय में परिवर्तन –
संतुलन आय में परिवर्तन (∆Y) = \(\frac{- C}{1 – C}\) ∆G
∆Y = \(\frac{- 0.80}{1 – 0.80}\) x 30 = \(\frac{- 0.80}{0.20}\) x 30 = – 4 x 30 = 1 – 120
अतः
नई संतुलन आय = 900 – 120 = 780
अतः स्पष्ट है कि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होने से संतुलन आय 120 बढ़कर 780 हो जाएगी।

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प्रश्न 21.
उपर्युक्त प्रश्न अंतरण में 10 की वृद्धि और एकमुश्त करों में 10 की वृद्धि का निर्गत पर पड़ने वाले प्रभाव की गणना कीजिए? दोनों प्रभावों की तुलना कीजिए?
उत्तर:
अन्तरण में 10 की वृद्धि करने पर निर्गत पर प्रभावसन्तुलन आय
(Y) = \(\frac{1}{1 – C}\) (\(\bar { C } \) – cT + c\(\bar { T } \)R + I + G)
दिया है,
C = 0.80, \(\bar { C } \) = 20, I = 30,G = 50, TR = 100 + 10 = 110
मान रखने पर,
Y = \(\frac{1}{1 – 0.80}\) (20 – 0.80 (0) + 0.80 (110) + 30 + 50)
या
Y = \(\frac{1}{0.20}\) (20 – 8 + 80 + 30 + 50)
= 5 x 172 = 860.
अत: उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि जब अन्तरण में 10 की वृद्धि की गयी तो निर्गत (Y) बढ़कर 940 हो गया तथा जब एकमुश्त कर में 10 की वृद्धि की गई तो निर्गत (Y) घटकर 860 रह गया। निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि अन्तरण में वृद्धि निर्गत को बढ़ा रही है तथा एकमुश्त करों में वृद्धि निर्गत को घटा रही है।

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बजट के प्रकारों को समझाइए?
उत्तर:
बजट के प्रकार:
बजट के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं –

1. केन्द्रीय बजट और राज्य बजट:
केन्द्रीय बजट केन्द्रीय सरकार तैयार करती है जो केन्द्रीय सरकार के द्वारा अनुमानित प्राप्तियों और प्रस्तावित खर्चों तथा भुगतानों का विस्तृत वर्णन करता है, जैसे – रेल बजट।
राज्य बजट – राज्य बजट राज्य सरकारें तैयार करती हैं, जैसे-छ. ग. सरकार का बजट, उ. प्र. सरकार का बजट इत्यादि।

2. राजस्व बजट तथा पूँजीगत बजट:
आजकल बजट को दो भागों में बाँटा जाता है –

  1. राजस्व बजट तथा
  2. पूँजीगत बजट।

राजस्व बजट में कर राजस्व और गैर – कर राजस्व प्राप्तियाँ और इस राजस्व से संबंधित खर्च सम्मिलित हैं। इसके विपरीत, पूँजीगत बजट के अंतर्गत सरकार की पूँजीगत प्राप्तियाँ और पूँजीगत खर्चे आते हैं। इसके अंतर्गत आते हैं – बाजार से उधार, विदेशी ऋण और अन्य पार्टियों से लिया गया अग्रिम धन।

3. योजना बजट और गैर:
योजना बजट-योजना बजट एक दस्तावेज है, जो केन्द्रीय योजना में सम्मिलित परियोजनाओं, कार्यक्रमों और अन्य योजनाओं के लिए बजट संबंधी प्रावधान प्रस्तुत करता है। जैसेकृषि और उससे संबंधित विवरण प्रस्तुत करना है। जबकि गैर – योजना बजट का संबंध योजना खर्च के अतिरिक्त होता है।

4. मुख्य बजट और अनुपूरक बजट:
मुख्य बजट सरकार के द्वारा संपूर्ण वर्ष के लिए प्रस्तुत अनुमानित प्राप्तियों और खर्च का एक वित्तीय वार्षिक विवरण है। जबकि अनुपूरक बजट, वह बजट है जो किसी देश की सरकार के द्वारा युद्ध, भूकम्प, बाढ़ जैसे आपातकालीन परिस्थितियों में संसद में प्रस्तुत किया जाता है।

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प्रश्न 2.
भारत में बजट निर्माण की प्रक्रिया बताइए?
उत्तर:
भारत में बजट बनाने की प्रक्रिया निम्नलिखित है –

1. बजट की तैयारी:
बजट बनाने से पूर्व बजट की तैयारी की जाती है। वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों से अनुमानित आय – व्यय के लेखे माँगता है। भारत में संघीय शासन व्यवस्था होने के कारण राज्यों व केन्द्र के अलग – अलग बजट होते हैं।

2. बजट पेश करना:
बजट बन जाने के बाद उसे राज्यसभा व संसद के द्वारा पारित किया जाता है। जब तक बजट स्वीकृत नहीं हो जाता, यह प्रभावी नहीं माना जाता है। लोकसभा द्वारा बजट का पारित होना अनिवार्य है।

3. सामान्य बहंस:
वित्त मंत्री द्वारा पूरा भाषण पढ़ लेने के पश्चात् भाषण के लिए बहस का दिन अलग से तय कर दिया जाता है, जिस पर पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों द्वारा सामान्य रूप से चर्चा की जाती है।

4. मतदान:
बजट पर सामान्य बहस हो जाने के बाद विभिन्न विभागों के मंत्री अपने-अपने विभागों के लिए अनुदान की माँग रखते हैं और इन पर अलग-अलग बहस होती है। कुछ मदें ऐसी होती हैं जिनके व्यय पर सदस्य सन्तुष्ट नहीं होने तथा अनुदान की माँगों में कटौती लाने का प्रस्ताव भी पेश किया जाता है। यदि वित्तमंत्री के स्पष्टीकरण से सदस्य सन्तुष्ट न हों तो वे उस पर मतदान करा सकते हैं। जब माँगों पर वोटिंग समाप्त हो जाती है तब केन्द्र में राष्ट्रपति और राज्यों में राज्यपाल की स्वीकृति ली जाती है।

5. विनियोग विधेयक:
बजट की मांगों पर बहस के पश्चात् विनियोग विधेयक रखा जाता है, जिसमें करों के लगने के सभी प्रस्ताव होते हैं। नये कर लगाने तथा वर्तमान करों की दरों में वृद्धि करने के प्रस्तावों पर बहस होती है। जब लोकसभा में वित्त विधेयक पारित हो जाता है, तब उसे स्वीकृति के लिए राज्यसभा में भेज दिया जाता है।

6. कटौती प्रस्ताव:
माँग में कमी करने के उद्देश्य से सदस्यों द्वारा कटौती प्रस्ताव रखे जाते हैं, जो कि तीन प्रकार के होते हैं –

  1. पूर्ति को मना करना
  2. नाममात्र की कटौती
  3. मितव्ययिता की कटौती।

यदि सरकार इस पर सन्तुष्ट है तो कटौती प्रस्ताव वापस ले लिया जाता है। यदि वह सन्तोषप्रद नहीं है, तो प्रस्ताव को विभाजन के लिए रख दिया जाता है जो कि बहुमत द्वारा ही निश्चित किया जाता है। यदि सरकार विभाजन पर हार जाती है तो उसका परिणाम मंत्री को इस्तीफा देना होता है।

7. पूरक बजट:
आपातकालीन परिस्थितियों में वित्तमंत्री द्वारा लोकसभा में पूरक बजट भी संसद द्वारा स्वीकृत व्ययों को पूर्ण करने के लिए रखा जाता है। इसमें व्ययों को पूर्ण करने के उद्देश्य से नवीन करों को लगाने के प्रस्ताव रखे जाते हैं। यह कर स्वीकृति प्राप्त होने के उपरान्त ही लगाये जाते हैं।

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प्रश्न 3.
सार्वजनिक आय के कर-साधन आय का उल्लेख कीजिए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय के कर-साधन आय निम्नलिखित हैं –

1. कर:
कर एक अनिवार्य अंशदान है जिसे जनता या उत्पादक को सरकार के बनाये कर कानूनी नियम के अनुसार चुकाना पड़ता है। सरकार के द्वारा इस कर या अंशदान के बदले किसी प्रकार की सेवा प्रदान नहीं की जाती। यदि कोई व्यक्ति सरकार द्वारा लगाये गए कर को देने से मना कर देता है तो उसे कानूनी दण्ड मिलता है।

2. करों के प्रकार:
करों के निम्नलिखित प्रकार हैं –

  1. प्रगतिशील कर: आय वृद्धि के साथ – साथ कर की दर में भी वृद्धि होती जाती है तो उसे प्रगतिशील कर कहा जाता है।
  2. अनुपाती कर: अनुपाती कर उसे कहते हैं जो सभी व्यक्तियों पर समान दर से लगाई जाती है।
  3. प्रतिगामी कर: प्रतिगामी कर के अनुसार अधिक आय वाले व्यक्तियों पर कर की दर कम तथा कम आय वाले व्यक्तियों पर ऊँची दर से कर लगाई जाती है।
  4. प्रत्यक्ष कर: जिस कर का कराघात तथा करापात एक ही व्यक्ति पर पड़ता है उसे प्रत्यक्ष कर कहा जाता है।

प्रश्न 4.
सार्वजनिक आय के गैर – कर साधन आय का उल्लेख कीजिए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय के मुख्य गैर – कर साधन निम्नांकित हैं –
(I) फीस, लाइसेंस तथा परमिट – सरकार की गैर – कर आय का एक मुख्य साधन शुल्क (फीस), लाइसेंस तथा परमिट से प्राप्त आय है –

1. शुल्क:
सरकार द्वारा व्यक्तियों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए दिया गया भुगतान शुल्क कहलाता है। सैलिंगमैन के अनुसार, “शुल्क उस भुगतान को कहते हैं जो सरकार को उसके द्वारा मुख्यतः जनहित में बार – बार की जाने वाली सेवा की लागत के रूप में किया जाता है तथा जिससे शुल्क देने वाले को एक विशेष लाभ पहुँचता है। इसको मापा जा सकता है।”
उदाहरणार्थ – भूमि की रजिस्ट्रेशन फीस, जन्म तथा मृत्यु के रजिस्ट्रेशन की फीस, पासपोर्ट की फीस, कोर्ट फीस आदि।

2. लाइसेंस तथा परमिट:
व्यक्तियों को कुछ कार्य करने की अनुमति देने के लिए उनसे जो भुगतान लिया जाता है, उसे लाइसेंस या परमिट फीस कहा जाता है। जैसे-ड्राइविंग लाइसेंस, आयात लाइसेंस।

(II) एसचीट:
एसचीट से तात्पर्य, सरकार की उस आय से है जो उन लोगों की सम्पत्ति से प्राप्त होती है जिनकी मृत्यु बिना किसी कानूनी उत्तराधिकारी को नियुक्त किये हो जाती है। इस सम्पत्ति को लावारिस सम्पत्ति कहते हैं। लावारिस सम्पत्ति पर सरकार का अधिकार होता है।

(III) विशेष आंकन:
सरकार की गैर – कर आय का एक साधन विशेष – आंकन है। विशेष – आंकन वह भुगतान है जो सरकारी कार्यों के फलस्वरूप किसी सम्पत्ति में सुधार होने या उसके मूल्य में वृद्धि होने के कारण उसके मालिकों द्वारा सरकार को किया जाता है।

(IV) जुर्माना व जब्ती:
जुर्माने तथा जब्ती वे भुगतान हैं, जो कानून तोड़ने पर आर्थिक दण्ड के रूप में कानून तोड़ने वाले व्यक्ति द्वारा सरकार को देना पड़ता है। इनका मुख्य उद्देश्य आय प्राप्त करना नहीं होता। उनका उद्देश्य लोगों को कानून पालन करने के लिए मजबूर करना होता है।

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प्रश्न 5.
मान लीजिए कि एक विशेष अर्थव्यवस्था में निवेश 200 के बराबर है, सरकार के क्रय की मात्रा 150 है, निवल कर (अर्थात् एकमुश्त कर से अंतरण को घटाने पर) 100 है और उपभोग C = 100 + 0 – 75Y दिया हुआ है, तो (a) संतुलन आय का स्तर क्या है? (b) सरकारी व्यय गुणक और कर गुणक के मानों की गणना करें? (c) यदि सरकार के व्यय में 200 की बढ़ोतरी होती है, तो संतुलन आय में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
(a) सूत्र, संतुलन आय Y = \(\frac{1}{1 – C}\) (\(\bar { C } \) – cT + c (\(\bar { T } \)R + I + G)
दिया है,
C = 0.75,
(\(\bar { C } \) =100,
I = 100, I = 200, G = 150 + 200 + 350, T – (\(\bar { T } \) = 100
अत:
cT – c (\(\bar { T } \)R = 0.75 x 100 = 75
मान रकने पर,
संतुलन आय (Y) = \(\frac{1}{0.75}\) (100 – 75 + 200 + 350)
या
Y = \(\frac{1}{0.25}\) (575) = 4 x 575 = 2,300.

MP Board Class 12th Economics Important Questions

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग

मुद्रा एवं बैंकिंग Important Questions

मुद्रा एवं बैंकिंग वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न (a)
निम्नलिखित में किसके अनुसार “मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करे” –
(a) हार्टले विदर्स
(b) हाटे
(c) प्रो. थामस
(d) कीन्स।
उत्तर:
(a) हार्टले विदर्स

प्रश्न (b)
मुद्रा का कार्य है –
(a) विनिमय का माध्यम
(b) मूल्य का मापक
(c) मूल्य का संचय
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

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प्रश्न (c)
मुद्रा की पूर्ति से हमारा आशय है –
(a) बैंक में जमा राशि
(b) जनता के पास उपलब्ध रुपये
(c) डाकघर में जमा बचत खाते की राशि
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न (d)
सेण्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया क्या है –
(a) व्यापारिक बैंक
(b) केन्द्रीय बैंक
(c) निजी बैंक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) व्यापारिक बैंक

प्रश्न (e)
किस विधि से हम बैंक से मुद्रा निकाल सकते हैं –
(a) आहरण पत्र
(b) चेक
(c) ए.टी.एम.
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

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प्रश्न (f)
भारतीय बैंकिंग प्रणाली का संरक्षक कौन है –
(a) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(b) स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया
(c) यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया
(d) भारतीय जीवन बीमा निगम।
उत्तर:
(a) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया

प्रश्न (g)
नरसिम्हम समिति का संबंध निम्नलिखित में किसने है –
(a) कर सुधार
(b) बैंकिंग सुधार
(c) कृषि सुधार
(d) आधारभूत संरचना सुधार।
उत्तर:
(b) बैंकिंग सुधार

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. भारत के केन्द्रीय बैंक का नाम ………………………………… है।
  2. बैंक दर को ……………………………… दर के नाम से भी जाना जाता है।
  3. साख सृजन में बैंक ………………………………. जमाएँ उत्पन्न करते हैं।
  4. जब CRR घटता है तब साख सृजन ………………………………… होता है।
  5. स्थगित भुगतान की माप मुद्रा का ……………………………. कार्य है।
  6. विनिमयं का माध्यम मुद्रा का ………………………………. कार्य है।
  7. मुद्रा के स्थैतिक एवं गत्यात्मक कार्यों का विभाजन …………………………….. ने किया।

उत्तर:

  1. रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
  2. पुनर्कटौती
  3. व्युत्पन्न
  4. अधिक
  5. द्वितीयक
  6. प्राथमिक
  7. पाल

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प्रश्न 3.
सत्य /असत्य बताइये –

  1. दैनिक लेन – देन को पूरा करने के लिए मुद्रा की आवश्यकता होती है।
  2. सावधानी उद्देश्य के लिए मुद्रा की माँग आय के साथ सीधे अनुपात में परिवर्तित होती है।
  3. भारतीय रिजर्व बैंक जनता को ऋण देता है।
  4. ‘भारत में व्यापारिक बैंक भी भारतीय रिजर्व बैंक की भाँति नोट निर्गमन का कार्य करते हैं।
  5. विश्वसनीय मुद्रा में चेक भी शामिल है।
  6. भारतीय रिजर्व बैंक किसी अचल सम्पत्ति का स्वामी नहीं बन सकता।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. सत्य
  6. सत्य।

प्रश्न 4.
सही जोड़ियाँ बनाइये –
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग img 1
उत्तर:

  1. (c)
  2. (a)
  3. (d)
  4. (e)
  5. (b).

प्रश्न 5.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिये –

  1. कृषकों को दीर्घकालीन ऋण देने वाली बैंक का नाम बताइए?
  2. व्यापार चक्र मुद्रा का कौन – सा दोष है?
  3. तरल कोषानुपात बढ़ाने से मुद्रा की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
  4. “बैंक केवल द्रव्य जुटाने वाली संस्था ही नहीं है, वरन् ये द्रव्य के सृजनकर्ता भी हैं।” किसने कहा है?
  5. कागजी मुद्रा निर्गमन का अधिकार किसे होता है?
  6. नाबार्ड की स्थापना कब की गयी?

उत्तर:

  1. कृषि व ग्रामीण विकास बैंक
  2. आर्थिक
  3. घटेगी
  4. शेयर्स
  5. केन्द्रीय बैंक को
  6. 1982 में।

मुद्रा एवं बैंकिंग लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“मुद्रा एक अच्छी सेविका है, किन्तु बुरी स्वामिनी है”? स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
मुद्रा हमारे जीवन की समस्त क्रियाओं पर इस तरह छा गयी है कि मुद्रा हमारे अधीन न रहकर हम ही मुद्रा के अधीन हो गये हैं। यह हमारी आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए एक साधन मात्र है, किन्तु आज मुद्रा ही हमारे जीवन का लक्ष्य बन गया है। हमारे जीवन की सुख शान्ति का एकमात्र आधार आज मुद्रा बन गयी है। अत: यह कहना पड़ रहा है कि मुद्रा आज हमारी सेविका नहीं, बल्कि स्वामिनी बन गयी है।

प्रश्न 2.
केन्द्रीय बैंक किसे कहते हैं?
अथवा
केंद्रीय बैंक को परिभाषित कीजिए?
उत्तर:
केन्द्रीय बैंक का अर्थ – किसी देश का केन्द्रीय बैंक उस देश की सर्वोच्च वित्तीय संस्था होती है। यह देश का शिखर बैंक होता है। देश के अन्य बैंक इसी के नियंत्रण में कार्य करते हैं। इस बैंक को नोट निर्गमन करने का एकाधिकार प्राप्त है। यह बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पूर्ति एवं साख को नियंत्रित करता है। रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया भारत का केन्द्रीय बैंक है जिसका प्रधान कार्यालय मुम्बई में है। केण्ट के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक वह संस्था है, जिसे सामान्य सार्वजनिक हित में मुद्रा की मात्रा के विस्तार एवं संकुचन का उत्तरदायित्व दे दिया गया हो।”

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प्रश्न 3.
खातों का समाशोधन, निपटारा तथा स्थानान्तरण केन्द्रीय बैंक द्वारा किस तरह किया जाता है?
उत्तर:
केन्द्रीय बैंक एक समाशोधन गृह के रूप में ऐसी व्यवस्था करता है कि विभिन्न बैंकों के पारस्परिक लेन – देन अथवा एक – दूसरे पर लिखे गये चेकों के भुगतान का निपटारा केवल खातों में आवश्यक परिवर्तन द्वारा किया जा सके। केन्द्रीय बैंक के माध्यम से बैंकों को इस प्रकार के पारस्परिक लेन – देन का निपटारा करने में बहुत सुविधा होती है। केन्द्रीय बैंक में सब सदस्य बैंकों के खाते खुले रहते हैं तथा इन खातों में रकम का स्थानान्तरण कर देने से बिना नगद भुगतान किये अथवा बहुत कम मात्रा में नगद देकर लेन – देन का हिसाव हो जाता है।

प्रश्न 4.
व्यापारिक बैंकों के दो लाभ एवं दो दोष बताइए?
उत्तर:
व्यापारिक बैंकों के लाभ – व्यापारिक बैंकों के दो लाभ निम्नलिखित हैं –
1. बचतों का उत्पादन कार्यों में प्रयोग:
बैंक देश की छोटी एवं बड़ी बचतों को संगृहीत करते हैं। परिणामस्वरूप समाज के पास जो अनावश्यक राशि रहती है, वह वित्तीय कार्यों में विनियोग की जाती है तथा दूसरी ओर व्यापार, उद्योग, वाणिज्य की आवश्यकताओं (वित्तीय आवश्यकताएँ) की पूर्ति होती हैं। इससे अर्थव्यवस्था का संतुलित विकास होता है।

2. भुगतान में सुविधा:
बैंक के कारण चेकों द्वारा भुगतान करना आसान व सरल हो गया है। चेकों द्वारा न तो रुपयों को गिनने की आवश्यकता न असुरक्षा की स्थिति। विदेशी भुगतानों में भी यात्री चेक, साख-पत्रों और विदेशी विनिमय का प्रयोग किया जाता है।
व्यापारिक बैंकों के दोष:

व्यापारिक बैंकों के दो दोष निम्नलिखित हैं –

1. पूँजी जमाओं का कम होना:
पश्चिमी देशों की तुलना में हमारे देश में जमा पूँजी कम है। अमेरिका में प्रति व्यक्ति जमाएँ ₹ 2923 है जबकि भारत में केवल ₹ 321 है इसका कारण है कि पश्चिमी देशों की तुलना में हमारे देश की प्रति व्यक्ति आय कम है।

2. बैंकिंग आदत का कम होना:
हमारे देश में बैंकों में बचत जमा करने की लोगों में आदत कम है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्ति अपनी बचत को बैंकों में जमा करने की अपेक्षा गाड़कर रखना अधिक अच्छा मानते हैं।

प्रश्न 5.
केन्द्रीय बैंक एवं व्यापारिक बैंक में अंतर लिखिए?
उत्तर:
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग img 2

प्रश्न 6.
भारत में मुद्रा पूर्ति की वैकल्पिक परिभाषा क्या है?
अथवा
भारत में मुद्रा पूर्ति की अवधारणा को समझाइये?
उत्तर:
भारत में मुद्रा की पूर्ति की अवधारणा निम्न है –
M1 = जनता के पास चलन मुद्रा एवं जनता की बैंकों में माँग जमाएँ।
M2 = M1 + डाकघर बचत बैंकों में बचत निक्षेप।
M3 = M2 + बैंकों की शुद्ध समयावधि निक्षेप।
M4 = M3 + डाकघर संगठनों के पास कुल जमा निक्षेप।
यहाँ पर स्पष्ट किया जाता है कि MA मुद्रा की पूर्ति की समग्र अवधारणा है।

प्रश्न 7.
मुद्रा की सट्टा माँग और ब्याज की दर में विपरीत संबंध होता है ऐसा क्यों? समझाइये?
उत्तर:
सट्टा (परिकल्पना) कार्य के लिये मुद्रा की माँग का तात्पर्य है मुद्रा को नगदी रूप में अपने पास रखने की अवसर लागत ब्याज दर है। उदाहरण के लिये, एक समय में एक व्यक्ति उसके पास उपलब्ध मुद्रा का उपयोग यदि सटटा कार्य के लिये करता है तो उसे उसी मुद्रा के किसी अन्य कार्य में विनियोग से प्राप्त ब्याज की राशि को त्यागना होगा। यही नगद रखने की कीमत कही जा सकती है। माँग के नियम के अनुसार, कीमत बढ़ने पर माँगी गई मात्रा कम हो जाती है एवं कीमत घटने पर माँगी गई मात्रा बढ़ जाती है। ब्याज की दर के बढ़ने पर सटटा उद्देश्य के लिये माँगी गई मात्रा कम होगी एवं इसके विपरीत होने पर बढ़ेगी। अतः सट्टा की माँग एवं ब्याज दर में विपरीत संबंध है।

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प्रश्न 8.
भारतीय रिजर्व बैंक को अंतिम ऋणदाता क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
देश का केन्द्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक है। केन्द्रीय बैंक संकट की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को सुरक्षात्मक गारंटी प्रदान करता है। बैंकों को उसकी माँग जमाओं के आहरणकर्ताओं को भुगतान सामर्थ्य बनाये रखने के लिये सदैव तैयार रहना पड़ता है। केन्द्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण प्रदान करके उनको वित्तीय संकट से उबारता है। इस प्रकार भारतीय रिजर्व बैंक, बैंकों के लिये अंतिम ऋणदाता बनकर उन्हें वित्तीय संकट से बचाता है एवं दिवालिया होने से भी बचाता है।

प्रश्न 9.
मान लीजिए कि एक बंध – पत्र दो वर्षों के बाद ₹ 500 के वादे का वहन करता है, तत्काल कोई प्रतिफल प्राप्त नहीं होता है। यदि ब्याज की दर 5% वार्षिक है, तो बंध – पत्र की कीमत क्या होगी?
उत्तर:
बंध – पत्र की कीमत –
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग img 3

प्रश्न 10.
तरलता पाश क्या है?
अथवा
तरलता पाश क्या है?
रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
वह स्थिति जिसमें ब्याज दरें अपने न्यूनतम स्तर पर होती है तथा मुद्रा की पूर्ति बढ़ाने पर भी जब ब्याज दरों में कमी नहीं आती, वह स्थिर रहती है, तो यह स्थिति तरलता पाश कहलाती है। इस चित्र में बिन्दु के पश्चात् मुद्रा पूर्ति बढ़ाने पर भी ब्याज दर और अधिक नहीं गिरती। बिन्दु A और B के मध्य की स्थिति तरलता पाश कहलाती है।
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग img 4

प्रश्न 11.
वस्तु – विनिमय प्रणाली क्या है? इसकी क्या कमियाँ हैं?
उत्तर:
वस्तु – विनिमय प्रणाली:
वस्तुओं का वस्तुओं से होने वाला प्रत्यक्ष विनिमय ही वस्तु विनिमय प्रणाली कहलाता है।
वस्तु – विनिमय प्रणाली की कमियाँ या कठिनाइयाँ – वस्तु विनिमय प्रणाली की मुख्य कमियाँ या कठिनाइयाँ निम्नलिखित हैं –

1. दोहरे संयोग का अभाव:
वस्तु विनिमय हेतु ऐसे दो पक्षों का होना आवश्यक था, जिसके पास एक – दूसरे को देने के लिए आवश्यक वस्तु हो तथा बदले में वे एक – दूसरे की वस्तु को लेने के लिए तैयार हों। ऐसे दो पक्षों का मिलना काफी कठिन होता था।

2. विभाजकता का अभाव:
कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनमें विभाजन के गुण का अभाव पाया जाता है। ऐसे में या तो एक पक्ष को हानि उठानी पड़ती है या फिर विनिमय ही नहीं हो सकता है।

3. सर्वमान्य मापक का अभाव:
वस्तु – विनिमय प्रणाली में सर्वमान्य मूल्य मापक का अभाव था। इस स्थिति में यह निर्णय करना कठिन होता था कि एक वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु की कितनी मात्रा दी जाए।

4. धन संग्रह एवं हस्तान्तरण में कठिनाई:
वस्तु विनिमय के समय में क्रय मूल्य का संचय वस्तुओं के रूप में ही किया जा सकता था। जबकि कुछ वस्तुएँ इनमें शीघ्र नष्ट होने वाली भी होती थी, वहीं मूल्य का हस्तान्तरण भी वस्तु विनिमय में कठिन था क्योंकि उस समय भुगतान वस्तुओं में ही होता था।

5. भावी भुगतानों में कठिनाई-वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं का मूल्य निश्चित नहीं था तथा भविष्य में किस वस्तु का क्या मूल्य होगा यह भी नहीं कहा जा सकता था।

6. सेवाओं के विनिमय में कठिनाई-वस्तुओं के विनिमय की अपेक्षा सेवाओं का विनिमय वस्तु विनिमय प्रणाली में अधिक कठिन काम था। एक अध्यापक की सेवाएँ लेने के बदले में उसे कितना भुगतान किया जाए? इसका उत्तर मिलना संभव नहीं था।

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प्रश्न 12.
संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग क्या है? किसी निर्धारित समयावधि में संव्यवहार मूल्य से यह किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर:
जीवनयापन के दैनिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की जाने वाली मुद्रा की माँग संव्यवहार माँग कहलाती है। इसे लेन – देन के लिए मुद्रा की माँग भी कहा जाता है। संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग व्यक्ति और फर्म दोनों के द्वारा किया जाता है। संव्यवहार माँग का कारण यह है कि वेतन तो एक निश्चित समय के पश्चात् मिलता है लेकिन व्यय दैनिक रूप से किये जाते हैं। संव्यवहार माँग कितनी होगी यह व्यक्ति की आय पर निर्भर है। किसी निर्धारित समयावधि में अर्थव्यवस्था में संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग संव्यवहार की कुल मात्रा का एक भाग होता है। अतः इसे निम्नांकित प्रकार रखा जा सकता है –
Mdr = K.T
यहाँ, MdT = संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग
T = एक इकाई समयावधि में किये कुल संव्यवहार का मूल्य
K = धनात्मक अंश।
अर्थव्यवस्था में की जाने वाली संव्यवहार के लिए कुल माँग सकल घरेलू उत्पाद तथा मूल्य स्तर से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित होती है।

मुद्रा एवं बैंकिंग दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मुंद्रा स्टॉक तथा मुद्रा प्रवाह में अंतर बताइए?
उत्तर:
मुद्रा स्टॉक:
किसी एक समय बिन्दु में अर्थव्यवस्था में मुद्रा की जितनी मात्रा चलन में होती है उसे स्टॉक कहते हैं। उदाहरण के लिए ,देश में किसी निश्चित तिथि पर मुद्रा चलन के रूप में 1000 करोड़ रुपये है तो यह मुद्रा का स्टॉक कहलायेगा।

मुद्रा प्रवाह:
जब मुद्रा की पूर्ति किसी समय अवधि में देखी जाती है तब उसे मुद्रा का प्रवाह कहते हैं। मुद्रा के प्रवाह को ज्ञात करने के लिये एक निश्चित समय – अवधि में मुद्रा की चलन मात्रा को उसकी औसत चलन – गति से गुणा कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि मुद्रा का स्टॉक 1000 करोड़ रुपये है और 1 वर्ष में मुद्रा की औसत – चलन गति 12 है तो मुद्रा का प्रवाह होगा 1000 x 12 = ₹ 12000 करोड़।।

प्रश्न 2.
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के पाँच कार्यों को संक्षेप में लिखिए?
उत्तर:
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –
1. नोट निर्गमन:
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया अधिनियम के अन्तर्गत रिजर्व बैंक को नोट निर्गमन का एकाधिकार प्राप्त है। यह बैंक 2, 5, 10, 20, 50, 100, 500 एवं ₹ 2000 के नोट निर्गमन कर सकती है। जिसके लिये न्यूनतम कोष पद्धति को अपनाया जाता है।

2. साख नियमन:
रिजर्व बैंक दर, खुले बाजार की क्रियाएँ, नगद कोषों के अनुपात में परिवर्तन, तरल कोषों में परिवर्तन, चयनात्मक साख नियंत्रण, बिल बाजार योजना, बहुमुखी ब्याज दरें नैतिक दबाव की आदि के माध्यम से किया जा सकता है।

3. सरकारी बैंकर, प्रतिनिधि एवं सलाहकार:
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया भारत सरकार एवं राज्य सरकारों के बैंकर, प्रतिनिधि व सलाहकार का कार्य करता है तथा सरकारों की समस्त आय अपने पास जमा करता है, व्ययों का भुगतान करता है एवं ऋणों की व्यवस्था करता है।

4. बैंकों का बैंक:
रिजर्व बैंक को बैंक के नियमन का अधिकार है। कोई भी नया बैंक रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना स्थापित नहीं हो सकता है और न पुराना बैंक अपनी शाखाएँ ही खोल सकता है।

5. देश के विदेशी विनिमय कोषों का संरक्षण:
पत्र मुद्रा के निर्गमन के लिए केन्द्रीय बैंक आरंभ से ही अपने पास धात्विकं कोष रखता था। बाद में स्वर्ण विन्य मान अपनाये जाने पर अनेक देशों के केन्द्रीय बैंक विदेशी विनिमय के कोषों के आधार पर भी मुद्रा का निर्गमन करने लगे। केन्द्रीय बैंक विदेशी विनिमय दर पर नियंत्रण रखता है।

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प्रश्न 3.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साख नियंत्रण उपायों को संक्षेप में समझाइये? (कोई पाँच)
अथवा
भारतीय रिजर्व बैंक साख का नियंत्रण कैसे करता है? वर्णन कीजिए?
उत्तर:
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख साख नियंत्रण उपाय निम्नलिखित हैं –

1. बैंक दर:
जिस दर पर रिजर्व बैंक अन्य व्यापारिक बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों के आधार पर ऋण देता है तथा उनके प्रथम श्रेणी के बिलों को भुनाता है, उसे बैंक दर कहते हैं रिजर्व बैंक उक्त दर में समय – समय पर परिवर्तन कर साख नियंत्रण करता है।

2. खुले बाजार की क्रियाएँ:
खुले बाजार की क्रियाओं से तात्पर्य, सरकारी प्रतिभूतियों व प्रथम श्रेणी के बिलों व प्रतिज्ञा पत्रों आदि के क्रय – विक्रय से है। रिजर्व बैंक इन क्रियाओं से मुद्रा की मात्रा में कमी या वृद्धि करता है।

3. परिवर्तनशील नकद कोषानुपात:
प्रत्येक अनुसूचित बैंकों को रिजर्व बैंक के पास अपनी जमाओं का एक न्यूनतम निर्धारित प्रतिशत जमा करना पड़ता है। इस प्रतिशत में परिवर्तन करके रिजर्व बैंक साख को नियंत्रित करता है।

4. तरल कोषानुपात:
रिजर्व बैंक तरल कोषानुपात की मात्रा में परिवर्तन करके भी साख को नियंत्रण करता है।

5. चयनात्मक साख नियंत्रण:
रिजर्व बैंक को अधिकार है कि वह ऋणों की मात्रा व दिशा का नियमन करे। इसी को चयनात्मक नियंत्रण कहते हैं।

प्रश्न 4.
व्यापारिक बैंकों के दोषों को दूर करने के लिए कोई पाँच उपाय बताइए?
उत्तर:
व्यापारिक बैंकों के दोषों को दूर करने हेतु उपाय – भारतीय व्यापारिक बैंकों के दोषों को दूर करने हेतु निम्नांकित उपाय हैं –

  1. व्यापारिक बैंकों के संतुलित विकास के लिए इनकी नई शाखाएँ पिछड़े एवं ग्रामीण क्षेत्र में खोली जाये।
  2. पूँजी की कमी को दूर करने के लिए बैंकों द्वारा जमा योजना को आकर्षक बनाया जाना चाहिए।
  3. व्यापारिक बैंकों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा इन पर लगाये जाने वाले करों में छूट प्रदान की जानी चाहिए।
  4. बैंकों की कार्यकुशलता में वृद्धि हेतु आवश्यक है कि प्रशिक्षित एवं कुशल कर्मचारियों की नियुक्ति की जाये।
  5. देश में बैंकिंग संबंधी शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए।

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प्रश्न 5.
वाणिज्यिक बैंक के कार्यों का वर्णन कीजिये?
उत्तर:
वाणिज्यिक बैंकों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –

1. जमाएँ स्वीकार करना:
बैंकों का महत्वपूर्ण कार्य आम जनता से जमाएँ स्वीकार करना है। लोगों की बचतों को जमा करना बैंकों का प्रमुख कार्य है। यह कार्य बैंकों में बचत खाता, चालू खाता, आवर्ती जमा खाता, सावधि निक्षेप खाता खोलकर किया जाता है। इन खातों में रुपया निकलवाने की सुविधा एवं जमा अवधि के आधार पर अलग – अलग ब्याज दर प्रचलित होती है जिसके आधार पर ग्राहकों को ब्याज दिया जाता है।

2. ऋण देना:
बैंकों का दूसरा कार्य आम जनता, व्यापारियों, उद्योगपतियों, उचनिचों को आवश्यकता पड़ने पर ऋण प्रदान करना है। यह कार्य बैंक अपनी जमा राशि का एक भाग निश्चित सुरक्षाकोष में रखकर शेष राशि को उधार देता है। बैंक को ऋण देने से ब्याज की प्राप्ति होती है जो बैंकों की आय का साधन है साधारणतया बैंक नगद साख, माँग उधार, अल्पावधि ऋण, अधिविकर्ष, विनिमय बिलों की कटौती करके ऋण प्रदान करता हैं।

3. एजेन्सी संबंधी कार्य:
बैंक अपने ग्राहकों को एजेन्सी संबंधी सेवायें भी प्रदान करते हैं। इन सेवाओं में निम्न सेवायें महत्वपूर्ण हैं –

  1. नगद कोषों का हस्तांतरण
  2. ग्राहकों के लिये कंपनी अंशों एवं ऋणपत्रों की खरीद एवं बिक्री
  3. लाभांश, चैक, आदि का संग्रह करना
  4. आयकर संबंधी एवं निवेश संबंधी परामर्श देना
  5. लाकर्स में बहुमूल्य संपत्तियों के दस्तावेजों एवं सोने – चाँदी को सुरक्षित रखना, ग्रह संपत्ति एवं शिक्षा के साथ उपभोक्ता ऋण प्रदान करना। वर्तमान में बैंक सामाजिक दायित्व की प्रतिपूर्ति के तहत् पर्यावरण संरक्षण एवं नगद विहीन प्रणाली को बढ़ाने के लिये कार्य कर रहे हैं।

प्रश्न 6.
मुद्रा के प्रमुख कार्य कौन – से हैं? वस्तु विनिमय प्रणाली की कमियों को मुद्रा किस प्रकार दूर करती है?
उत्तर:
मुद्रा के प्रमुख चार कार्य होते हैं – माध्यम, मापक, मानक और भंडार।

1. विनिमय का माध्यम:
मुद्रा को सामान्य स्वीकृति का विशेष गुण प्राप्त होता है। इसके कारण यह क्रयशक्ति के रूप में बिना किसी व्यवधान या बाधा के उपयोग में लाई जाती है। मौद्रिक विनिमय में मुद्रा से बेहतर विनिमय का कोई माध्यम नहीं है। वस्तु विनिमय की दोहरे संयोग की समस्या को मुद्रा ने हल कर दिया है।

2. मूल्य का मापक:
मुद्रा को मूल्य का सबसे बेहतर मापक माना गया है। मुद्रा एक लेखा इकाई के रूप में मूल्य को मापने का कार्य सरलतापूर्वक कर लेती है। प्रत्येक वस्तु को उसकी लेखा इकाई जैसे – मीटर, किलो, दूरी आदि में मापा जा सकता है। यह कार्य मुद्रा द्वारा संपन्न किया जाता है। वस्तु विनिमय की इस समस्या को मुद्रा ने हल कर दिया है।

3. मूल्य का मानक:
मुद्रा को मूल्य के मानक इकाई का भी गुण प्राप्त होता है। मुद्रा की क्रयशक्ति के आधार पर चूँकि मुद्रा का एक मानक स्तर होता है। अतः स्थगित भुगतानों के मानक इकाई के रूप में मुद्रा यह कार्य आसानी से संपन्न कर लेती है। यद्यपि मुद्रा के मूल्य में भी उतार – चढ़ाव होते हैं परन्तु फिर भी उसकी क्रयशक्ति को एक मानक स्तर प्राप्त होता है। इससे न तो देनदार को हानि होती है और न ही लेनदार को।

4. मूल्य का भंडार:
मुद्रा में संचय की क्षमता का गुण विद्यमान होता है। इससे मूल्य का संचय आसानी के साथ किया जा सकता है। इसका महत्वपूर्ण कारण यह है कि मुद्रा में क्रयशक्ति अन्य वस्तुओं की अपेक्षा स्थिर रहती है। मुद्रा में शीघ्र नष्ट होने का भय नहीं रहता है। इसका संचय करने के लिये विशेष और अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं होती है। मूल्य का संचय भविष्य की आवश्यकताओं के लिये भी किया जा सकता है।

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प्रश्न 7.
व्यावसायिक बैंक के कार्यों का वर्णन कीजिए?
उत्तर:
व्यावसायिक बैंक के कार्य निम्नलिखित हैं –
1. जनता से जमाएँ स्वीकार करना:
व्यापारिक बैंक तीन प्रकार की जमाएँ जनता से स्वीकार करता है –

  1. चालू खाते में जमाएँ स्वीकार करना
  2. सावधि जमा खाते में जमाएँ स्वीकार करना
  3. बचत बैंक खाते में जमाएँ स्वीकार करना।

2. ऋण एवं अग्रिम प्रदान करना:
व्यापारिक बैंक निम्नलिखित प्रकार के ऋण एवं अग्रिम जनता को प्रदान करता है –

  1. नकद साख
  2. माँग ऋण
  3. अल्पकालीन ऋण आदि।

3. बैंक के अभिकर्ता के रूप में कार्य:
व्यापारिक बैंक निम्नलिखित कार्य अभिकर्ता के रूप में करता हैं।

  1. फंड्स का हस्तांतरण
  2. फंड्स का संग्रह
  3. विभिन्न मदों का भुगतान
  4. लाभांश का संग्रह
  5. संपत्ति का ट्रस्टी एवं कार्यपालक आदि।
    • विदेशी व्यापार को वित्त प्रदान करना।
    • तरलता की आपूर्ति करना।।
    • सामान्य उपयोगी सेवाएं प्रदान करना।

प्रश्न 8.
मुद्रा गुणक क्या है? गुणक का मूल्य क्या निर्धारित करता है?
उत्तर:
मुद्रा गुणक को मुद्रा स्टॉक तथा हाइ पावर्ड मनी (आधार मुद्रा) के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग img 5
= \(\frac{M}{H}\)
मुद्रा गुणक का मूल्य सामान्यतः 1 से अधिक होता है।
मुद्रा गुणक ज्ञात करने की विधि –
मुद्रा की आपूर्ति = मुद्रा + जमाएँ
M = Cu + DD
= (1 + Cdr) DD
Cdr = Cu/DD
माना सरकार की ट्रेजरी जमाएँ शून्य हैं –
आधार मुद्रा = जनता के पास मुद्रा + व्यापारिक बैंकों के आरक्षित कोष बैंकों के आरक्षित कोष में नकद कोष तथा व्यापरिक बैंकों की RBI के साथ जमाएँ शमिल की जाती हैं।
H = Cu + R = Cdr DD + rdr DD
= (Cdr + rdr) DD.
मुद्रा गुणक = M/H
= \(\frac{(1 + Cdr)DD}{(Cdr + rdr)DD}\)
= \(\frac{1 + Cdr}{Cdr + rdr}\)
इसका मूल्य इकाई से अधिक होगा क्योंकि rdr का मान 1 से कम होता है।
अतः 1 + Cdr > Cdr + rdr

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प्रश्न 9.
भारतीय रिजर्व बैंक एक केन्द्रीय बैंक के रूप में मुद्रा एवं साख का नियंत्रण करने के लिये किन मौद्रिक उपायों को अपनाता है? समझाइये?
उत्तर:
भारतीय रिजर्व बैंक देश के केन्द्रीय बैंक के रूप में मुद्रा एवं साख का नियमन एवं नियंत्रण करता है। केन्द्रीय बैंक की अपनी मौद्रिक नीति होती है जिसके तहत् रिजर्व बैंक दो प्रकार के उपकरणों को अपनाता है –

  1. मात्रात्मक उपकरण (उपाय) एवं –
  2. गुणात्मक उपकरण (उपाय)। सारांश में मात्रात्मक उपाय देश में साख की मात्रा के विस्तार एवं संकुचन अथवा वृद्धि एवं कमी को प्रभावित करते हैं जबकि गुणात्मक उपाय साख की दिशा को संसूचित करते हैं।

(I) मात्रात्मक उपाय (उपकरण):
केन्द्रीय बैंक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक निम्न मात्रात्मक उपाय अपनाता है। ये उपाय साख की उपलब्ध कुल मात्रा को प्रभावित करते हैं –

1.  बैंक दर (Bank rate):
इस दर का अभिप्राय उस दर से है जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपने प्रथम श्रेणी बिलों की पुनर्कटौती करके भारतीय रिजर्व बैंक से अल्पकालीन ऋण प्राप्त करते हैं। इसे रेपो दर भी कहा जाता है। मंदी के समय बैंक दर में कमी करके साख का विस्तार किया जा सकता है तो स्फीतिक काल या तेजी काल में बैंक दर में वृद्धि करके साख का संकुचन किया जा सकता है।

2. खुले बाजार की क्रियाएँ (Open market operations):
इस उपाय के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करता है। इन क्रियाओं को ही खुले बाजार की क्रियाएँ कहा जाता है। जब अर्थव्यवस्था में साख का स्फीतिकारी दबाव होता है तो वह प्रतिभूतियों को बेचकर नकदी को वापस प्राप्त कर लेता है एवं इससे बैंकों की ऋण देने की क्षमता कम हो जाती है। इसके विपरीत होने पर प्रतिभूतियाँ खरीदकर नगदी को अर्थव्यवस्था में फैला देता है।

3. नगद आरक्षित अनुपात (Cash reserve ratio):
प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक को अपनी जमाओं का एक न्यूनतम प्रतिशत कानूनी रूप से रिजर्व बैंक के पास रखना होता है। इस दर को केन्द्रीय बैंक द्वारा निर्धारित किया जाता है। जब अर्थव्यवस्था में स्फीतिककारी दबाव हो तो यह दर बढ़ा दी जाती है एवं संकुचनात्मक स्थिति हो, तो यह अनुपात या दर घटा दी जाती है, जिससे अर्थव्यवस्था में साख निर्माण क्षमता को बढ़ाया जा सके।

4. वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory liquidity ratio):
वाणिज्यिक बैंकों की कुल जमाओं का एक न्यूनतम प्रतिशत तरल परिसंपत्तियों के लिये दैनिक आधार पर रखना होता है जिससे कि बैंक जमाकर्ताओं की नगदी की माँग को पूरा कर सकें। स्फीतिककारी स्थिति में इस अनुपात में वृद्धि करके साख को नियंत्रित किया जाता है एवं संकुचनात्मक स्थिति में इस अनुपात में कमी करके साख का विस्तार किया जाता है। इस उपाय से बैंकों की साख सृजन करने की क्षमता को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।

(II) गुणात्मक उपाय:
भारतीय रिजर्व बैंक निम्न गुणात्मक उपायों को अपनाकर साख की दिशा को प्रभावित करता है, मात्रा को नहीं।

1. सीमान्त आवश्यकता:
इस उपाय के अन्तर्गत बैंक ग्राहक को उपलब्ध कराये जा रहे ऋण के विरुद्ध प्रतिभूति जमानत के तौर पर रखता है। बैंक रखी गई जमानत (संपत्ति) के मूल्य की तुलना में कम ऋण प्रदाय करता है ताकि ऋण अदायगी न हो पाने की स्थिति में उसके रोकीकरण से अपने ऋण की प्रतिपूर्ति कर लेता है। इससे साख के प्रवाह को एक दिशा प्राप्त होती है।

2. साख की राशनिंग:
जब साख की मात्रा का कोटा विविध वाणिज्यिक क्रियाओं के लिये निश्चित कर दिया जाता है तो इसे राशनिंग कहते हैं। बैंक ऋण देते समय इस कोटे को ध्यान में रखती है और निश्चित कोटे के अंश से अधिक ऋण प्रदान नहीं करती है।

3. नैतिक प्रभाव:
केन्द्रीय बैंक अपने सदस्य बैंकों पर नैतिक प्रभाव डालकर भी साख के विस्तार या संकुचन के लिये सहमत कर सकता है। केन्द्रीय बैंक चूँकि बैंकों का बैंक भी कहलाता है, अत: वह नैतिक प्रभाव से बैंकों को साख नियंत्रण के लिये सहमत कर लेता है। इस प्रकार भारतीय रिजर्व बैंक मात्रात्मक एवं गुणात्मक उपाय अपनाकर मुद्रा एवं साख का नियमन एवं नियंत्रण करता है।

MP Board Class 12th Economics Important Questions

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 3 प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 3 प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण

प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण Important Questions

प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए-

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन -सी व्यावसायिक पर्यावरण की विशेषता नहीं है –
(a) शहरीकरण
(b) कर्मचारी
(c) तुलनात्मकता
(d) अनिवार्यता।
उत्तर:
(b) कर्मचारी

प्रश्न 2.
निम्न में कौन -व्यावसायिक पर्यावरण का सर्वश्रेष्ठ द्योतक है –
(a) पहचान करना
(b) निष्पादन में सुधार
(c) हो रहे परिवर्तनों का सामना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
निम्न में कौन -सा सामाजिक पर्यावरण का उदाहरण है –
(a) अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति
(b) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
(c) देश की संरचना
(d) परिवार का गठन
उत्तर:
(d) परिवार का गठन

प्रश्न 4.
उदारीकरण का अर्थ है –
(a) अर्थव्यवस्थाओं के बीच एकात्मकता
(b) सरकारी बाध्यता एवं संशोधन में कमी
(c) योजनाबद्ध विनिवेश नीति
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) सरकारी बाध्यता एवं संशोधन में कमी

प्रश्न 5.
जनसंख्या के आकार एवं वितरण को माना जाता है –
(a) टेक्नॉलॉजीकल परिवेश का अंग
(b) कानूनी परिवेश का अंग
(c) राजनैतिक परिवेश का अंग
(d) सामाजिक परिवेश का अंग
उत्तर:
(d) सामाजिक परिवेश का अंग

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. आधुनिक टेक्नॉलॉजी अर्थव्यवस्था के शीघ्र विकास में …………. होती है।
  2. प्रथम पंचवर्षीय योजना …………. से प्रारंभ की गई थी।
  3. भारत में नये आर्थिक सुधारों का प्रारंभ …………… से किया गया।
  4. व्यवसाय के ……………………. घटक नियंत्रणीय होते हैं।
  5. भारत में …………………..आर्थिक प्रणाली को अपनाया गया है।
  6. अंतर्राष्ट्रीय परिवेश सदैव ………….. रहता है।
  7. कानूनी परिवेश का संबंध सरकार द्वारा पारित ………. से होता है।

उत्तर:

  1. सहायक
  2. 1 अप्रैल 1951
  3. सन् 1991
  4. आंतरिक
  5. मिश्रित
  6. परिवर्तनशील
  7. अधिनियम।

प्रश्न 3.
एक शब्द या वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. वैश्वीकरण का क्या अर्थ है ?
  2. लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई नीति को क्या कहते हैं ?
  3. विदेश नीति, किस व्यावसायिक वातावरण का घटक है ?
  4. EPCG स्कीम का पूरा नाम क्या है ?
  5. निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु स्थापित व्यावसायिक क्षेत्र को क्या कहते हैं ?

उत्तर:

  1. विश्व की अर्थव्यवस्थाओं का एकीकरण
  2. रोजगार नीति
  3. राजनैतिक
  4. निर्यात संवर्द्धन सामान योजना
  5. निर्यात संवर्द्धन नीति।

प्रश्न 4.
सत्य या असत्य बताइये-

  1. उदारीकरण भारत में व्यवसाय तथा उद्योग को प्रभावित करने में असफल रहा है।
  2. आर्थिक सामाजिक तथा राजनीतिक परिस्थितियाँ व्यावसायिक वातावरण का निर्माण करती हैं।
  3. वैश्वीकरण ने भारत में व्यवसाय तथा उद्योग को प्रभावित किया है। ।
  4. बाहरी घटक व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित नहीं करते।
  5. सरकारी नीति में परिवर्तनों का व्यवसाय तथा उद्योग पर प्रभाव नहीं पड़ता है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. असत्य।

प्रश्न 5.
सही जोड़ी बनाइये-
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 3 प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण - 1

प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यावसायिक वातावरण के संदर्भ में LPG का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
L- Liberalisation उदारीकरण
P- Privatisation निजीकरण
G- Globalisation वैश्वीकरण

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प्रश्न 2.
फेरा (FERA) तथा फेमा (FEMA) का पूरा नाम लिखिए।भारत में नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत किस नियम को समाप्त करके FEMA लागू किया गया ?
उत्तर:
FERA – Foreign Exchange Regulation Act
FEMA – Foreign Exchange Management Act.
भारत में नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत FERA को समाप्त करके FEMA लागू किया गया।

प्रश्न 3.
व्यष्टि (सूक्ष्म) तथा समष्टि (व्यापक) वातावरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
व्यष्टि (सूक्ष्म) वातावरण-इसका अभिप्राय उस पर्यावरण या वातावरण से है जिसके अंतर्गत उन घटकों को सम्मिलित किया जाता है जिनका व्यवसाय के साथ नजदीकी संबंध होता है।

समष्टि (व्यापक) वातावरण-इसका अभिप्राय उस वातावरण से है जिसके अंतर्गत उन घटकों को सम्मिलत किया जाता है जिनका व्यवसाय के साथ दूर का संबंध होता है।

प्रश्न 4.
सामान्य तथा विशिष्ट पर्यावरण में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्य तथा विशिष्ट पर्यावरण में अंतर-

सामान्य पर्यावरण

  1. सामान्य पर्यावरण वह है जो फर्मों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
  2. इसमें सामान्य शक्तियाँ शामिल होती हैं।
  3. इसके घटक हैं-सामाजिक पर्यावरण, राजनैतिक पर्यावरण l

विशिष्ट पर्यावरण

  1. विशिष्ट पर्यावरण उस पर्यावरण को कहते हैं। जो फर्मों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
  2. इसमें विशिष्ट शक्तियाँ शामिल होती हैं।
  3. इसके घटक हैं-ग्राहक, जनता, पूर्तिकर्ता,विपणन मध्यस्थ आदि।

प्रश्न 5.
भारत सरकार को नई आर्थिक नीति किन कारणों से अपनानी पड़ी?
उत्तर:
भारत को नई आर्थिक नीति को अपनाने के निम्न कारण थे –

  1. राजकोषीय संकट
  2. आंतरिक ऋण में वृद्धि
  3. मुद्रा स्फीति में वृद्धि
  4. विदेशी विनिमय संचय में गिरावट
  5. रुपये के मूल्य में कमी
  6. नकारात्मक भुगतान संतुलन
  7. भारतीय रिजर्व बैंक तथा भारतीय स्टेट बैंक द्वारा सोना बंधक रखना।

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प्रश्न 6.
भारतीय कानूनी पर्यावरण के कोई तीन उदाहरण दीजिए जिन्होंने व्यवसाय को प्रभावित किया है।
उत्तर:
भारतीय कानूनी पर्यावरण ने व्यवसाय को निम्न प्रकार से प्रभावित किया है

  1. नशा संबंधी उत्पाद का विज्ञापन करना प्रतिबंधित है।
  2. उद्योगों की लाइसेंस से मुक्ति की नीति।
  3. तम्बाकू उत्पादों पर वैधानिक चेतावनी होना आवश्यक है।

प्रश्न 7.
उन्नत तकनीकी में किन-किन बातों पर जोर दिया जाता है ?
उत्तर:
उन्नत तकनीकी में निम्न बातों पर जोर दिया जाता है

  1. वैज्ञानिक शोध
  2. नव-प्रवर्तन
  3. आविष्कार
  4. सुधार
  5. नव-प्रवर्तन का प्रसार।

प्रश्न 8.
सन् 1991 के पश्चात् भारत के आर्थिक परिवेश में जो परिवर्तन हुए उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
सन् 1991 के पश्चात् भारत के आर्थिक परिवेश में जो परिवर्तन हुए उनके नाम निम्न हैं

  1. आधुनिकीकरण
  2. निजीकरण
  3. वैश्वीकरण
  4. उदारीकरण।

प्रश्न 9.
भारत में नई आर्थिक नीति को अपनाये जाने के क्या कारण थे?
उत्तर:
भारत में नई आर्थिक नीति को अपनाये जाने के निम्न कारण थे

  1. विदेशी विनिमय की कमी
  2. उच्च सरकारी घाटा
  3. बढ़ती हुई कीमतें
  4. आन्तरिक ऋण में वृद्धि
  5. विदेशी व्यापार में गिरावट।

प्रश्न 10.
1956 की औद्योगिक नीति में उद्योगों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया था ?
उत्तर:
1956 की औद्योगिक नीति को तीन वर्गों में बाँटा गया था

  1. प्रथम वर्ग-प्रथम वर्ग में वे उद्योग रखे गये थे, जिनका विकास केवल राज्य द्वारा होता है।
  2. द्वितीय वर्ग-इस वर्ग में वे उद्योग रखे गये थे जो राज्यों के स्वामित्व में चले जाएँगे तथा भविष्य में नये कारखानों की स्थापना राज्य द्वारा ही की जायेगी।-
  3. तृतीय वर्ग-तृतीय वर्ग में शेष उद्योग रखे गये थे। ये उद्योग मुख्य रूप से उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करने वाले उद्योग थे।

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प्रश्न 11.
नई आर्थिक नीति में किन-किन उद्योगों के लिये लाइसेंस लेना अनिवार्य है ?
उत्तर:
नई आर्थिक नीति में, वर्तमान में छः उद्योगों के लिये लाइसेंस लेना अनिवार्य है जो कि निम्नांकित हैं-

  1. खतरनाक रसायन
  2. सिगरेट
  3. ड्रग्स एवं फार्मास्युटिकल्स
  4. एल्कोहॉलिक पेय
  5. प्रतिरक्षा उपकरण
  6. औद्योगिक विस्फोटक।

प्रश्न 12.
भारत की चार आर्थिक नीतियों के नाम बताइये।
उत्तर:
भारत की चार आर्थिक नीतियाँ निम्न हैं

  1. आयात-निर्यात नीति
  2. रोजगार नीति
  3. औद्योगिक नीति
  4. कृषि नीति
  5. विदेशी विनियोग नीति
  6. कर नीति।

प्रश्न 13.
सन् 1991 के पश्चात् भारत के आर्थिक परिवेश की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सन् 1991 के पश्चात्, भारत के आर्थिक परिवेश में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। सरकार ने व्यवसाय तथा उद्योग से संबंधित नीतियों में अनेक परिवर्तन किये, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं

  1. नई औद्योगिक नीति की घोषणा- उद्योगों को लाइसेंस मुक्त कर विभिन्न उद्योगों के लिए पूँजी की सीमा समाप्त कर दी गई।
  2. नई व्यापार नीति-व्यापार में न्यूनतम प्रतिबंध, न्यूनतम प्रशासनिक नियम नियंत्रण सुनिश्चित किया गया।
  3. पूँजी बाजार में सुधार-भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की स्थापना।
  4. राजकोषीय नीति में सुधार-सार्वजनिक व्ययों पर नियंत्रण तथा सभी राज्यों में ‘वैट ‘ योजना लागू करना।

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प्रश्न 14.
नवीन मौद्रिक नीति पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
उदारीकरण करने तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ाने के लिये सरकार द्वारा मौद्रिक नीति में सुधार करने हेतु नरसिंहम समिति गठित की गई जिसमें निम्न सिफारिशें पेश की गई

  1. ब्याज दरों का निर्धारण स्वतंत्र रूप से किया जाये अर्थात् इसमें रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप न हो।
  2. बैंकिंग पद्धति की संरचना नये ढंग से की जाये।
  3. बैंकों को अधिक स्वतंत्रता प्रदान की जाये।

प्रश्न 15.
व्यावसायिक वातावरण से आपका क्या आशय है ?
उत्तर:
व्यावसायिक वातावरण दो शब्दों का संयोजन है। व्यावसायिक शब्द का अर्थ है व्यवसाय से संबंधित तथा वातावरण का अर्थ है वे समस्त बाह्य शक्तियाँ जिनका प्रभाव व्यवसाय के संचालन पर पड़ता है। व्यावसायिक वातावरण सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, कानूनी तथा तकनीकी घटकों का मिश्रण है।

प्रश्न 16.
व्यावसायिक उद्यमों के लिए अपने पर्यावरण को समझना क्यों महत्वपूर्ण है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक पर्यावरण से आशय सभी व्यक्ति, संस्थाओं तथा अन्य शक्तियों से है जो व्यावसायिक संगठन को प्रभावित करते हैं। जैसे-सरकारी नीतियाँ, तकनीकी परिवर्तन, सामाजिक तथा राजनैतिक परिस्थितियाँ। व्यवसाय के प्रबंधकों को अपने पर्यावरण को समझना इसलिए आवश्यक है क्योंकि वे बाहरी शक्तियों को पहचानकर उनसे अपना बचाव कर सकें। निम्नलिखित कारणों से भी व्यावसायिक उपक्रम के लिए अपने आसपास के पर्यावरण को समझना आवश्यक होता है

  1. भविष्य के लिए मार्ग को निर्धारित करने में सहायक
  2. प्रतियोगिता का सामना करने के लिए,
  3. तेजी से हो रहे परिवर्तनों से सुरक्षा के लिए
  4. अवसरों की पहचान करना।

प्रश्न 17.
व्यावसायिक वातावरण के विभिन्न आयाम लिखिए।
उत्तर:
व्यावसायिक वातावरण के आयाम निम्न हैं

  1. जनसंख्या संबंधी परिवेश
  2. भौतिक परिवेश
  3. आर्थिक परिवेश
  4. सामाजिक परिवेश।

प्रश्न 18.
वैश्वीकरण के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के दो उद्देश्य निम्न हैं

  1. अकुशलता को दूर करना-उद्योगों तथा फर्मों की अकुशलता को दूर करना वैश्वीकरण का प्रमुख उद्देश्य है।
  2. उत्पादकता में वृद्धि-अल्पविकसित राष्ट्रों में संसाधनों के आबंटन में सुधार लाना है, इसमें पूँजी उत्पाद अनुपात कम होगा और श्रम की उत्पादकता बढ़ेगी।

प्रश्न 19.
व्यवसाय के आंतरिक वातावरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक वातावरण के वे घटक जिनका निर्धारण संस्था द्वारा होता है उसे आंतरिक घटक (वातावरण) कहते हैं। ये घटक नियंत्रणीय होते हैं जिनका व्यवसाय पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है एवं इनमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है। ये घटक इस प्रकार हैं

  1. व्यवसाय की नीतियाँ, नियम व योजनाएँ
  2. व्यवसाय के उद्देश्य, लक्ष्य एवं दृष्टिकोण
  3. व्यवसाय की उत्पादन प्रणाली
  4. व्यवसाय के साधन, संसाधन ।

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प्रश्न 20.
व्यवसाय के सामाजिक वातावरण को समझाइये।
उत्तर:
सामाजिक वातावरण का आशय समाज में होने वाली समस्त गतिविधियों से है। इन गतिविधियों में सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी सम्मिलित हैं। व्यवसाय की समस्त गतिविधियाँ व क्रियायें समाज के अन्दर ही की जाती है अर्थात् व्यवसाय भी एक सामाजिक कार्य है। समाज में जाति, धर्म, लिंग, परिवार, समूह आदि से सम्बन्धित क्रियायें होती हैं। इन समस्त क्रियाओं का प्रभाव व्यवसाय पर पड़ता है। अर्थात् सामाजिक वातावरण का प्रभाव व्यावसायिक परिस्थितियों पर अवश्य पड़ता है। सामाजिक वातावरण के प्रमुख घटक निम्न हैं जिनसे व्यावसायिक वातावरण प्रभावित होता है

  1. परिवार की संरचना एवं भूमिका
  2. समाज में जाति एवं वर्ग व्यवस्था

प्रश्न 21.
व्यवसाय के वैधानिक नियामक पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
कानून विधान या नियमावली सर्वशक्तिमान होते हैं इनके अनुसार कार्य न करने पर व्यक्ति दण्ड का भागी होता है। इसलिये वैधानिक नियमों का व्यवसाय पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। व्यवसाय के संचालन के लिये सुरक्षा व अधिकारों से रक्षा आवश्यक है जो केवल वैधानिक नियमों से ही हो सकती है। वैधानिक वातावरण से व्यवसाय को संरक्षण मिलता है । वैधानिक वातावरण का क्षेत्र काफी विस्तृत हो रहा है तथा सम्पूर्ण आर्थिक जगत पर इससे नियन्त्रण रखा जा सकता है। वैधानिक वातावरण का निर्माण करने वाले या घटक जो व्यवसाय को प्रभावित करते हैं, वे निम्नानुसार हैं

  1. संवैधानिक प्रावधान
  2. व्यापारिक सन्नियम
  3. आर्थिक सन्नियम
  4. श्रम सन्नियम।

प्रश्न 22.
बाह्य वातावरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
किसी वातावरण में ऐसे घटक या तत्त्व जिनका अर्थ (मुद्रा) से सम्बन्ध नहीं रहता है और वे व्यवसाय के बाहर की परिस्थितियाँ निर्मित करते हैं, उन्हें अनार्थिक बाह्य वातावरण के नाम से जाना जाता है। ये अनार्थिक या गैर आर्थिक घटक निम्न होते हैं

  1. राजनैतिक वातावरण
  2. सामाजिक वातावरण
  3. वैधानिक वातावरण
  4. भौतिक वातावरण
  5. शैक्षिक वातावरण
  6. नैतिक वातावरण
  7. सांस्कृतिक वातावरण
  8. अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण
  9. ऐतिहासिक वातावरण
  10. तकनीकी वातावरण।

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 2 प्रबंध के सिद्धान्त

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 2 प्रबंध के सिद्धान्त

प्रबंध के सिद्धान्त Important Questions

प्रबंध के सिद्धान्त अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“मानसिक क्रांति” से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
कर्मचारी वर्ग तथा प्रबंधकों की मानसिकता में परिवर्तन होना ही मानसिक क्रान्ति है। इसके लिए यह जरूरी है कि दोनों वर्ग परम्परागत उत्पादन विधियों के स्थान पर नवीन वैज्ञानिक विधियों का उपयोग समझे व उन्हें अपनाये। प्रबंधक श्रमिकों में विश्वास रखे तथा उनके हितों का बराबर ध्यान रखे। श्रमिकों को प्रबंधकों के प्रति निष्ठावान होकर सामूहिक हित के लिए कार्य करना चाहिए।

उद्योगपति को यह स्वीकार करना चाहिए कि श्रमिक वस्तु नहीं है अपितु मनुष्य है और इसलिए उसकी भावनाओं, अपेक्षाओं तथा आवश्यकताओं का पूरा-पूरा सम्मान किया जाना चाहिए। श्रमिकों को भी समझना चाहिए कि वे संस्था के हैं तथा संस्था उन सबकी। इस प्रकार सभी के मन में उपक्रम के हित में क्रान्ति जागृत होगी।

प्रश्न 2.
प्रबंध के सिद्धांत से क्या आशय है ?
उत्तर:
प्रबंध के क्षेत्र में प्रभावी प्रबंध तथा इसकी सफलता हेतु कुछ मान्यताओं के आधार पर कार्य किये जाते हैं, जिन्हें प्रबंध के मार्गदर्शक कहते हैं। प्रबंध हेतु बनाये गये ये मार्गदर्शक ही प्रबंध के सिद्धांत हैं।

प्रश्न 3.
फेयोल के पहल शक्ति के सिद्धांत को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पहल शक्ति का सिद्धांत-पहल करने का आशय प्रत्येक कर्मचारी व अधिकारियों को सतत् नई-नई योजना व कार्य के लिए लगातार प्रयास करना है। अतः प्रबन्ध के प्रत्येक स्तर पर अधिकारियों को निरन्तर नई योजना व कार्य अपनाने का प्रयास करने हेतु आवश्यक अधिकार दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 4.
प्रबन्ध के सिद्धान्त की उत्पत्ति कैसे होती है ?
अथवा
प्रबन्धकीय सिद्धान्तों की उत्पत्ति कैसे होती हैं ?
उत्तर:
प्रबन्ध के सिद्धान्त की उत्पत्ति के दो चरण निम्नलिखित है

  1. गंभीर अवलोकन- जब कर्मचारी कार्य करते हैं तब वे कार्य करते समय उन्हें गहनता से अवलोकन करते हैं तथा वे विभिन्न प्रबन्धकीय निर्णयों पर कर्मचारियों की प्रतिक्रिया लिखते हैं।
  2. प्रयोग- बार-बार प्रयोग में लाए गए निर्णयों कथनों को कर्मचारियों के विभिन्न समूहों के साथ विभिन्न संगठनों में जाँचे जाते हैं।

प्रश्न 5.
समता का सिद्धांत क्या है ?
उत्तर:
हेनरी फेयोल के अनुसार संस्था में प्रत्येक कर्मचारी न्याय, सहानुभूति और समानता के व्यवहार की अपेक्षा रखता है, अतः संस्था के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रबंधक को श्रमिकों व कर्मचारियों के साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए।

प्रश्न 6.
श्रम विभाजन से कार्यक्षमता किस प्रकार विकसित होती है ?
उत्तर:
हेनरी फेयोल के अनुसार, किसी भी उपक्रम में समान क्षमता वाले कर्मचारी नहीं होते हैं, अतः कर्मचारी व मजदूरों को उनकी कार्यक्षमता व रुचि के अनुरूप कार्य सौंपना चाहिए तथा श्रमिकों को विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत करना चाहिए। ऐसा करने से वे स्वयं अभिप्रेरित होकर कार्य करते हैं तथा उनकी कार्यक्षमता का विकास होता है।

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प्रश्न 7.
आदेश की एकता के सिद्धांत तथा निर्देश की एकता के सिद्धांत में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आदेश की एकता का सिद्धांत तथा निर्देश की एकता का सिद्धांत में अंतर।

आदेश की एकता का सिद्धांत

  1. यह सिद्धांत अधीनस्थ के ऊपर एकात्मक नियंत्रण संभव बनाता है।
  2. यह सिद्धांत अधिकारी और अधीनस्थ के संबंध को मजबूत करता है।

निर्देश की एकता का सिद्धांत

  1. यह सिद्धांत कार्यों में विशिष्टीकरण तथा योजनाओं के एकीकरण में सहायता करता है।
  2. यह सिद्धांत योजनाओं के एकीकरण में सहायता करता है।

प्रश्न 8.
विकेन्द्रीयकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
जब उपक्रमों में निर्णय लेने का अधिकार उच्च प्रबंधकों के पास होता है तो इसे विकेन्द्रीयकरण की स्थिति कहते हैं, इसके विपरीत जब निर्णय लेने के अधिकार अधीनस्थों को बाँट दिये जाते हैं, तो उसे विकेन्द्रीयकरण कहते हैं । प्रबंध शास्त्री हेनरी फेयोल के अनुसार केन्द्रीयकरण तथा विकेन्द्रीयकरण दोनों संतुलित मात्रा में उपक्रम में होना चाहिए।

प्रश्न 9.
प्रमापीकरण सिद्धांत क्या है ?
उत्तर:
एफ. डब्ल्यू. टेलर के अनुसार, कम लागत पर उत्तम वस्तुओं के निर्माण के लिए आवश्यक है कि प्रमाप अर्थात् सर्वोत्तम का निर्धारण किया जाये। श्रमिकों से निश्चित प्रमाप की वस्तु, उपकरण, कच्चा माल, कार्य की दशाएँ प्रमापित विधि के अनुसार ही कार्य कराना चाहिए।

प्रश्न 10.
हेनरी फेयोल का निर्देश की एकरूपता का सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर:
हेनरी फेयोल का निर्देश की एकरूपता का सिद्धान्त के अनुसार कर्मचारी को आदेश एक ही अधिकारी से मिलना चाहिए, क्योंकि अनेक अधिकारी के आदेश भी अलग-अलग हो तो ऐसी दशा में कर्मचारी किस आदेश का पालन करे यह दुविधा की स्थिति होती है, अत प्रत्येक कर्मचारी को चाहे वह किसी भी स्तर का क्यों न हो आदेश एक ही अधिकारी से मिलना चाहिए।

प्रश्न 11.
श्रेष्ठ प्रबन्ध के लिए वैज्ञानिक चयन एवं प्रशिक्षण आवश्यक है। समझाइये।
उत्तर:
कर्मचारियों का उचित चुनाव ही वैज्ञानिक चयन है। टेलर का मत है कि कार्य के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से उपयुक्त व्यक्ति का चुनाव किया जाना चाहिए। चयन पश्चात् कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाना है, क्योंकि जब तक कर्मचारी पूर्णत प्रशिक्षित नहीं होगा तब तक वह पूर्ण दक्षता से कार्य नहीं कर सकता है।

प्रश्न 12.
टेलर की आठ नेता वाली योजना क्या है ?
उत्तर:
एफ. डब्ल्यू. टेलर ने उपक्रम हेतु क्रियात्मक संगठन प्रणाली का सुझाव दिया। इसमें एक कार्य पर आठ नियंत्रकों का नियंत्रण व पर्यवेक्षण होता है। इस संगठन को आठ नेता वाली योजना कहते हैं । ये नेता निम्नानुसार हैं-

  1. टोली नायक
  2. गति नायक
  3. निरीक्षक
  4. मरम्मत नायक
  5. कार्यक्रम लिपिक
  6. संकेत कार्ड लिपिक
  7. समय तथा पारिश्रमिक लिपिक
  8. अनुशासन अधिकारी।

प्रश्न 13.
“मैं” और “हम” का सिद्धांत क्या है ?
उत्तर:
हेनरी फेयोल के इस सिद्धांत के अनुसार पूँजीपतियों और श्रमिकों को ‘मैं’ के स्थान पर ‘हम’ के सिद्धांत को अमल में लाना चाहिए, क्योंकि मैं घमण्ड का और हम सहयोग का दर्पण है, दोनों पक्षों को आपसी सहयोग व सहकारिता की भावना के साथ कार्य करना चाहिए।-

प्रश्न 14.
टेलर के कार्यानुमान का सिद्धांत’ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कार्यानुमान का सिद्धांत (Principal of task idea)-टेलर के अनुसार प्रत्येक कार्य को प्रारंभ करने के पूर्व उस कार्य के संबंध में पूर्वानुमान (Forecasting) लगा लेना चाहिए, जैसे-कार्य करने में कितना समय लगेगा, इस पर अनुमानित व्यय कितना होगा, कार्य के दौरान क्या-क्या परेशानियाँ आ सकती हैं ?

उन्हें कैसे हल किया जायेगा आदि। कार्य के दौरान सामान्य दशायें रहने पर कार्य का प्रमाप (Standard) निर्धारित कर लेना चाहिए। यही कार्यानुमान (कार्य का अनुमान) का सिद्धांत है।

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प्रश्न 15.
टेलर द्वारा प्रतिपादित गति अध्ययन को समझाइए। –
उत्तर:
गति अध्ययन (Motion study) किसी कार्य को करने के लिए श्रेष्ठ विधि कौन-सी होगी, इसे पता करना गति अध्ययन (Motion or Speed study) कहलाता है। इस अध्ययन के द्वारा किसी कार्य को करने की गति ज्ञात की जाती है, इस अध्ययन हेतु टेलर एक ऐसे स्थान पर बैठ गये जहाँ से वे सभी श्रमिकों की हरकतों को देख सकें।

प्रश्न 16.
प्रबन्ध के सिद्धान्त सामान्य दिशा-निर्देश हैं। समझाइये।
उत्तर:
प्रबन्ध के सिद्धान्त सामान्य-दिशा-निर्देश होते हैं ये भौतिक एवं रसायन शास्त्रों के सिद्धान्तों की तरह कठोर नहीं होते और न ही पूर्ण रूप से खरे उतरते हैं। इसे सभी परिस्थितियों में आँख मूंद कर लागू नहीं किये जा सकते। प्रबन्ध के सिद्धान्तों का प्रयोग संगठन की प्रकृति और स्थिति पर निर्भर करता है। प्रबन्धक को संगठन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए संगठन की प्रकृति और आकार के अनुसार इन सिद्धान्तों को लागू करना चाहिए।

प्रश्न 17.
वैज्ञानिक प्रबंध के जन्मदाता कौन थे, उनकी मृत्यु कब तथा कहाँ हुई ?
उत्तर:
वैज्ञानिक प्रबंध के जन्मदाता एफ.डब्ल्यू. टेलर थे। उनकी मृत्यु सन् 1915 में फिलाडेल्फिया में हुई।

प्रश्न 18.
फेयोल ने व्यावसायिक कार्यों को कितने भागों में बाँटा ?
उत्तर:
फेयोल ने व्यावसायिक कार्यों को छ: भागों में बाँटा-

  1. तकनीकी कार्य
  2. वाणिज्यिक कार्य
  3. वित्तीय कार्य
  4. सुरक्षात्मक कार्य
  5. लेखा संबंधी कार्य
  6. प्रबंधकीय कार्य।

प्रश्न 19.
समय अध्ययन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
समय अध्ययन (Time Study) अलफोर्ड तथा बीटी के अनुसार, “किसी कार्य को करने में उपयोग किए जाने वाली विधियों व उपकरणों का वैज्ञानिक विश्लेषण करना, उस कार्य को करने के सर्वश्रेष्ठ तरीके के व्यावहारिक तथ्यों का विकास करना तथा आवश्यक समय का निर्धारण करना, समय अध्ययन कहलाता है।” किसी भी उत्पादन क्रिया को करने में लगने वाले समय की जाँच एवं उसका रिकार्ड करना ही समय अध्ययन कहलाता है।

प्रश्न 20.
थकान अध्ययन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
थकान अध्ययन (Fatigue Study)-थकान और श्रमिक की कार्य क्षमता का आपस में घनिष्ठ संबंध है। इसलिए टेलर ने प्रत्येक क्रिया को सूक्ष्म दृष्टि से अध्ययन करके यह मालूम किया कि श्रमिक लगातार काम करने से थक जाता है और शेष बचे समय में उसकी कार्यक्षमता गिर जाती है। टेलर ने थकान अध्ययन से मालूम किया कि श्रमिक को थकान कब और कैसे होती है तथा उसे कैसे दूर किया जाए ? थकान को दूर करने के लिए समय-समय पर आराम की उचित व्यवस्था होनी चाहिए तथा कार्य की प्रवृत्ति में परिवर्तन करना चाहिए। जैसे शारीरिक कार्य करने वालों को मानसिक कार्य दिया जाए तथा मानसिक कार्य करने वालों को शारीरिक कार्य दिया जाए।

प्रबंध के सिद्धान्त लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फेयोल द्वारा प्रतिपादित प्रबन्ध के 14 सिद्धान्तों के नाम लिखिए।
उत्तर:
फेयोल द्वारा प्रतिपादित प्रबंध के सिद्धांत निम्नलिखित हैं

  1. श्रम विभाजन का सिद्धान्त।
  2. अधिकार तथा उत्तरदायित्व का सिद्धान्त।
  3. अनुशासन का सिद्धान्त।
  4. आदेश की एकता।
  5. निर्देश की एकता।
  6. सामूहिक हितों की प्राथमिकता का सिद्धान्त।
  7. कर्मचारियों के पारिश्रमिक का सिद्धान्त।
  8. केन्द्रीयकरण का सिद्धान्त।
  9. व्यवस्था का सिद्धान्त।
  10. समता का सिद्धान्त ।
  11. स्थायित्व का सिद्धान्त।
  12. पहल शक्ति का सिद्धान्त।
  13. संपर्क श्रृंखला/ सोपान श्रृंखला का सिद्धान्त।
  14. सहयोग एवं सहकारिता का सिद्धान्त।

प्रश्न 2.
समय अध्ययन और गति अध्ययन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समय अध्ययन और गति अध्ययन में अन्तर-
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 2 प्रबंध के सिद्धान्त image - 2

प्रश्न 3.
वैज्ञानिक प्रबंध का श्रमिकों द्वारा विरोध क्यों किया जाता है ? कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर:
वैज्ञानिक प्रबंध का सबसे अधिक विरोध श्रमिकों द्वारा किया गया, जिसके निम्न कारण हैं

  1. कार्य में वृद्धि-वैज्ञानिक प्रबंध को अपनाने से श्रमिकों की कार्यक्षमता बढ़ाना आवश्यक हो गया, जिससे श्रमिकों पर कार्य का बोझ बढ़ गया। कार्य का बोझ बढ़ जाने से श्रमिकों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने से श्रमिकों ने वैज्ञानिक प्रबंध का भारी विरोध किया।
  2. कठोर नियंत्रण-वैज्ञानिक प्रबंध के अन्तर्गत आठ नेता वाले संगठन को अपनाने से श्रमिकों पर एक साथ अनेक लोगों का नियंत्रण रहता है, जिसे श्रमिक पसंद नहीं करते हैं।
  3. बेकारी का भय-वैज्ञानिक प्रबंध में मशीनों का कार्य बढ़ जाने से श्रमिकों में बेकारी का भय बना रहता है, अतः वे इसका विरोध करते हैं।
  4. श्रमिकों का शोषण-वैज्ञानिक प्रबंध में कार्य अधिक होने से उत्पादन में वृद्धि जिस मात्रा में होती है, उस मात्रा में श्रमिकों की मजदूरी नहीं बढ़ाई जाती है।

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प्रश्न 4.
टेलर व फेयोल के प्रबंध संबंधी दृष्टिकोणों में प्रमुख समानताएँ बताइए।
उत्तर:
टेलर एवं फेयोल के दृष्टिकोणों में समानताएँ

  1. दोनों प्रबन्धकीय दशाओं में सुधार लाना चाहते थे।
  2. दोनों मानवीय दृष्टिकोण के प्रबल समर्थक थे।
  3. दोनों ने पूर्वानुमान तथा नियोजन को विशेष महत्त्व दिया।
  4. दोनों समकालीन 1841 ई. से 1925 ई. तक प्रबंध विशेषज्ञ थे।
  5. दोनों ने प्रबंध को अर्जित प्रतिभा के रूप में स्वीकार किया।

प्रश्न 5.
औद्योगिक संगठन में उत्पादन की कुशलता में वृद्धि के लिए कई सिद्धांत (वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत) टेलर ने विकसित किए हैं, उन सिद्धांतों को समझाइए।
उत्तर:
टेलर द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धान्त निम्न हैं-
1. आधुनिक यंत्र व उपकरणों का सिद्धांत- उत्पादन के दौरान आधुनिक एवं उन्नत यंत्र तथा उपकरणों का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि उन्नत यंत्र से उत्पादन लागत कम एवं उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है एवं उत्पादन समय की बचत होती है।

2. प्रमापीकरण का सिद्धांत- इस सिद्धांत के अंतर्गत एक निश्चित व प्रमाप की वस्तु, उपकरण, कच्चा माल व कार्य की दशायें तथा प्रमापित विधि श्रमिकों को दी जाती है। जिससे श्रेष्ठ वस्तु कम लागत पर उत्पादित हो सके।

3. आदर्श लागत लेखा प्रणाली का सिद्धांत-यह सिद्धांत उन्नत व आदर्श लेखाकर्म प्रणाली के उपयोग को प्रोत्साहित करता है चूँकि आदर्श लेखा प्रणाली में योग्य व अनुभवी व कुशल लेखापालों की सेवाएँ ली जाती हैं।

प्रश्न 6.
टेलर एवं फेयोल के प्रबंध सम्बन्धी सिद्धान्तों की प्रमुख असमानताएँ बताइये।
उत्तर:
टेलर एवं फेयोल के सिद्धान्तों की असमानताएँ

  1. टेलर का अध्ययन केन्द्र श्रमिक था, जबकि फेयोल का अध्ययन केन्द्र प्रबंध था।
  2. टेलर के सिद्धान्त वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धान्त थे, जबकि फेयोल के सिद्धान्त प्रशासन के सिद्धान्त माने जाते थे।
  3. टेलर का प्रयोग बिन्दु कारखाना था जबकि फेयोल का प्रयोग बिन्दु प्रशासन था।
  4. टेलर ने उपक्रम हेतु क्रियात्मक संगठन को उचित ठहराया, जबकि फेयोल ने आदेश की एकता को उचित ठहराया।
  5. टेलर का अध्ययन तथा योगदान निम्न स्तर से उच्च स्तर था,जबकि फेयोल का अध्ययन तथा योगदान प्रारम्भ से ही उच्च स्तर रहा और उन्होंने अपने सिद्धान्तों में आदेश,निर्देश, अधिकार आदि शब्दों का प्रयोग किया।
  6. टेलर को कारखाना विशेषज्ञ माना जाता है, तो फेयोल को प्रबंध विशेषज्ञ माना जाता है।
  7. वर्तमान में टेलर के सिद्धान्त व्यवहार में दिखाई नहीं पड़ते, जबकि फेयोल के सिद्धान्त आज भी अनेक उपक्रमों में लागू किये गये हैं।

प्रश्न 7.
“टेलर तथा फेयोल के कार्य एक-दूसरे के पूरक हैं।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एफ. डब्ल्यू. टेलर को वैज्ञानिक प्रबंध का जनक एवं हेनरी फेयोल को औद्योगिक प्रबंध के आधुनिक सिद्धान्त का पिता’ कहा जाता है। दोनों समकालीन थे। टेलर (जन्म 1856) और फेयोल (जन्म 1841) प्रबंध के क्षेत्र में दोनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यद्यपि दोनों के विचार एवं कार्य प्रणाली में अन्तर है, जैसे टेलर ने श्रमिकों की कार्यक्षमता को बढ़ाने को सिद्धान्त का आधार बनाया है तो फेयोल ने प्रबंध के कार्यों को, टेलर ने इंजीनियरिंग पक्ष पर जोर दिया है जबकि फेयोल ने प्रशासन के कार्यों पर, फिर भी दोनों के कार्यों में विरोध नहीं है वे एक-दूसरे के पूरक हैं।

दोनों ने प्रबंध के एक-एक पक्ष को लिया है। दोनों के विचारों को मिला देने से प्रबंध एवं प्रशासन सम्बन्धी विचार पूर्ण हो जाते हैं। इसीलिए उर्विक का कथन है कि, “टेलर तथा फेयोल ने कार्य काफी सीमा तक एक-दूसरे के पूरक थे। दोनों ने ही यह अनुभव किया कि प्रबंध के समस्त स्तरों पर कर्मचारियों तथा उनके प्रबंध की समस्या औद्योगिक सफलता की आधारशिला है। इस समस्या के समाधान हेतु दोनों ही ने वैज्ञानिक विधियों के उपयोग पर बल दिया।” टेलर को ‘वैज्ञानिक प्रबंध का जनक’ और फेयोल को प्रशासन के सिद्धान्त का जनक’ कहा जाता है। प्रबंध एवं प्रशासन मूल में एक हैं, अतः थियो हेमन का यह कथन उचित है कि “दोनों विद्वानों की विचारधारा में विरोधाभास ढूँढना व्यर्थ है।” दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

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प्रश्न 8.
प्रबंध के सिद्धांतों का महत्व तीन बिंदुओं में समझाइए।
उत्तर:
प्रबंध के सिद्धांतों से प्रबंधकीय कार्यों में सुधार होता है। सिद्धांत ही प्रबंध के कार्य को मार्गदर्शन एवं दिशा प्रदान करते हैं। प्रबंध के सिद्धांत निम्न हैं

1. कार्यक्षमता में वृद्धि-प्रबंध के सिद्धांत के अनुसार कार्य करने से प्रबंधकों, फोरमेन व कर्मचारियों की कार्य कुशलता तथा क्षमता में वृद्धि होती है। सिद्धांतों के आधार पर श्रेष्ठ ढंग से कार्य किया जा सकता है।

2. प्रशिक्षण में सहायक-सिद्धांतों से कोई भी कार्य सुनिश्चित प्रक्रिया व विधि से सम्पन्न होता है। ये सिद्धांत प्रशिक्षण में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। सिद्धांतों के आधार पर प्रशिक्षण नियमबद्ध हो जाता है। प्रबंध को व प्रशिक्षण दाताओं के लिए ये सिद्धांत बहुत सहायक सिद्ध हुए हैं।

3. प्रबंध का विस्तृत ज्ञान-सिद्धांतों के माध्यम से ही प्रबंध को परिभाषित किया जा सकता है। प्रबंध क्या है इसका विस्तृत ज्ञान केवल इसके सिद्धांतों के अध्ययन से ही प्राप्त किया जा सकता है। सिद्धांतों के आधार पर प्रबंध की प्रकृति को बताया जा सकता है। इन सिद्धांतों से प्रबंधकीय ज्ञान में काफी वृद्धि होती है।

4. अनुसंधान में सुविधा-प्रबंध के क्षेत्र में अनुसंधान करते समय प्रबंध के सिद्धांत अत्यधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होते हैं। इनसे कर्मचारियों, श्रमिकों की वस्तु स्थिति ज्ञात की जाती है।

प्रश्न 9.
प्रबंधकीय सिद्धान्त तथा प्रबंधकीय तकनीक में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रबंधकीय सिद्धान्त तथा प्रबंधकीय तकनीक में अंतर
प्रबंधकीय तकनीक

  1. प्रबंधकीय सिद्धान्त लचीले होते हैं।
  2. प्रबंधकीय सिद्धान्त, प्रबंधकीय कार्यों के लिए बनाई जाती हैं।

प्रबंधकीय तकनीक

  1. प्रबंधकीय तकनीक, सिद्धांतों की अपेक्षा कम लचीला होता है।
  2. प्रबंधकीय तकनीकें, वे पद्धतियाँ और कार्य लिए दिशा-निर्देश होते हैं।

प्रश्न 10.
प्रबंध के सिद्धान्तों की उत्पत्ति कैसे होती है ?
उत्तर:
प्रबंध के सिद्धान्त निम्नलिखित दो चरणों में बनाए जाते हैं

  1. गहन अवलोकन–प्रत्येक व्यवसाय में प्रबन्धकों के समक्ष कार्य के दौरान कई समस्याएँ आती हैं। ऐसे में प्रबंधक कार्य के समय कर्मचारियों का अवलोकन करते हैं तथा उनकी प्रतिक्रियाएँ देखते हैं । घटनाओं के ऐसे अवलोकन के आधार पर सिद्धान्त बनाये जाते हैं।
  2. बार-बार किये गये प्रयोग-इस विधि में बार-बार की जाने वाली प्रतिक्रिया को विभिन्न संगठनों में अलग-अलग कर्मचारियों पर प्रयोग किया जाता है। एक जैसे परिणाम प्राप्त होने पर यह सिद्धान्त का रूप ले लेता है।

प्रश्न 11.
एस्प्रिट डी कार्स (Esprit De Corps) के सिद्धान्त को समझाइए।
उत्तर:
एस्प्रिट डी कार्स का अर्थ है, “संघ ही शक्ति है” इस सिद्धान्त के अनुसार, प्रत्येक कर्मचारी को स्वयं को टीम का सदस्य मानना चाहिए तथा समूह या टीम के लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए। प्रबंध को कर्मचारियों के बीच सहयोग की भावना का विकास करना चाहिए। इस सिद्धान्त को मानने से सामूहिक लक्ष्य की प्राप्ति होती है।

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प्रश्न 12.
उचित मजदूरी का निर्धारण करते समय किन-किन बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
उचित मजदूरों का निर्धारण करते समय निम्नांकित बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए

  1. संस्था की वित्तीय स्थिति।
  2. सरकार का न्यूनतम मजदूरी अधिनियम।
  3. प्रतियोगियों द्वारा भुगतान की जाने वाली मजदूरी और बोनस।

प्रश्न 13.
प्रबंधकीय सिद्धान्त किस प्रकार प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाते हैं ? उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
प्रबंधकीय सिद्धान्त व्यक्तिगत पूर्वाग्रह और पक्षपात को निरूत्साहित करके, प्रशासन को और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। ये सिद्धान्त वस्तुनिष्ठता और वैज्ञानिक निर्णयों को बढ़ावा देते हैं।

उदाहरण के लिए आदेश की एकता का सिद्धान्त तथा निर्देश की एकता का सिद्धान्त संगठन की क्रमबद्ध और सरल कार्यवाही का नेतृत्व करते हैं। आदेश की एकता अधिक अधिकारियों की व्याकुलता को टालता है। निर्देश की एकता सामान्य दिशा में सभी कर्मचारियों के प्रयासों को एकीकृत करता है। इसी प्रकार सोपान श्रृंखला सूचना का प्रवाह व्यवस्थित रूप से करता है। ये सभी सिद्धान्त निश्चित रूप से प्रभावी और कुशल प्रशासन लाते हैं।

प्रश्न 14.
वैज्ञानिक प्रबंध की उन तकनीकों की पहचान कीजिए जिन्हें निम्न कथनों द्वारा विवेचित किया गया है

  1. जब कई विशेषज्ञ प्रत्येक श्रमिक का पर्यवेक्षण करते हैं।
  2. किसी कार्य को करने का सर्वोत्तम उपाय जानना होता है।
  3. श्रमिकों को दी जाने वाली अलग-अलग मजदूरी।
  4. जब सामग्री, मशीनों, उपकरणों, कार्यविधियों तथा कार्यदशाओं में उचित शोध के पश्चात् समानता लाई जाती है।
  5. एक निर्धारित कार्य को पूरा करने में लगने वाले प्रमाप समय को निर्धारित किया जाना होता है।
  6. प्रतियोगिता से सहकारिता की ओर एक-दूसरे के संबंध में श्रमिकों तथा प्रबंधकों की मनोवृत्ति बदलती है।

उत्तर:

  1. क्रियात्मक फोरमैनशिप।
  2. विधि अध्ययन ।
  3. विभेदात्मक कार्य मजदूरी प्रणाली।
  4. कार्य का मानकीकरण।
  5. समय अध्ययन।
  6. मानसिक क्रांति।

प्रश्न 15.
आदेश की एकता तथा कार्यात्मक फोरमैनशिप में क्या अंतर है ?
उत्तर:
आदेश की एकता तथा कार्यात्मक फोरमैनशिप में अंतर-
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 2 प्रबंध के सिद्धान्त image - 4

प्रश्न 16.
प्रबंधकीय सिद्धान्त तथा शुद्ध विज्ञान के सिद्धान्त की तुलना कीजिए।
उत्तर:
प्रबंधकीय सिद्धान्त तथा शुद्ध विज्ञान के सिद्धान्त की तुलना-
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 2 प्रबंध के सिद्धान्त image - 5
प्रश्न 17.
जब एक सेल्समैन को दो उच्च अधिकारियों से आदेश मिलते हैं तो इसके क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर:
जब एक सेल्समैन को दो उच्च अधिकारियों से आदेश प्राप्त हो तो निम्नलिखित दुष्परिणाम हो सकते हैं

  1. सेल्समैन के दिमाग में शक पैदा हो सकता है।
  2. वह कार्य से बचने का अवसर ढूँढता है।
  3. दोनों अधिकारियों के मध्य मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं ।
  4. अनुशासन बनाए रखना कठिन हो सकता है।

प्रश्न 18.
यह देखा गया कि एक संगठन में “प्रचलित स्थिति, व्यवस्था के सिद्धान्त के उल्लंघन के कारण है।” प्रचलित स्थिति क्या हो सकती है ?
उत्तर;
व्यवस्था के सिद्धान्त के उल्लंघन के कारण संस्था में निम्नलिखित स्थितियाँ हो सकती हैं

  1. आवश्यकता के समय आवश्यक सामग्री उपलब्ध नहीं होगी। सामग्री की तलाश में उनका काफी समय तथा ऊर्जा व्यर्थ हो जाएगा।
  2. अव्यवस्थाएँ बढ़ती जा सकती हैं।
  3. दुर्घटनाओं की संभावना में वृद्धिहोगी।

प्रश्न 19.
फोरमैनशिप के अन्तर्गत उन अधिकारियों के नाम बताइए जो निम्नलिखित कार्य करते हैं-

  1. उत्पादित वस्तुओं की किस्म की जाँच करना और प्रमापित किस्म से मिलान करके अंतर का पता लगाना और विपरीत अंतर आने पर सुधारात्मक कार्यवाही करना।
  2. यह देखना कि सभी श्रमिक अपना-अपना कार्य निर्धारित गति से कर रहे हैं।
  3. यह निश्चित करना कि किसी विशेष कार्य को पूरा करने का क्रम क्या होगा?
  4. मशीनों और औजारों को काम करने योग्य हालत में बनाए रखना।
  5. एक विशेष विधि में कार्य करने के लिए निर्देश देना।
  6. यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक कार्य व्यवस्थित ढंग से हो रहा है।

उत्तर;

  1. निरीक्षक
  2. गति नायक
  3. कार्य मार्ग लिपिक
  4. मरम्मत नायक
  5. संकेत कार्ड लिपिक
  6. अनुशासन अधिकारी।

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प्रबंध के सिद्धान्त दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वैज्ञानिक प्रबन्ध के लाभ अथवा गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैज्ञानिक प्रबन्ध के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं

1. उत्पादन में वृद्धि-वैज्ञानिक प्रबन्ध के द्वारा व्यवसाय की उत्पादन क्रिया में कुशलता, कर्मचारियों की कार्यकुशलता में वृद्धि एवं अन्य क्षेत्रों का उचित प्रबन्ध करके उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।-

2. कम लागत-वैज्ञानिक प्रबन्ध के द्वारा उत्पादन के विभिन्न साधनों का कुशलतम प्रयोग करके एवं नई नीतियों का निर्माण कर उत्पादन लागत में कमी लायी जाती है।-

3. प्रमापीकरण-वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत उत्पादन रीतियाँ, मशीन एवं सामग्री और श्रम तथा उत्पादन की जाने वाली वस्तु का प्रमाप निर्धारित कर दिये जाते हैं। हर, प्रमाप का हर सम्भव पालन करके उत्पादन उत्तम किस्म का प्राप्त होता है।-

4. लाभ में वृद्धि-वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत कार्यकुशलता में वृद्धि एवं क्षय अपव्ययों में कमी कर लागत पर नियंत्रण कर उत्पादन लागत में कमी की जाती है, एवं अधिकतम लाभ कमाने की चेष्टा की जाती है।-

5. समाज को लाभ-वैज्ञानिक प्रबंध से समाज में रोजगार के अवसर में वृद्धि होती है जिससे लोगों को श्रेष्ठ वस्तुएँ प्राप्त होती हैं तथा जीवन स्तर में वृद्धि होती है।-

प्रश्न 2.
वैज्ञानिक प्रबंध से क्या आशय है ? इसकी विशेषताएँ भी बताइए।
उत्तर:
वैज्ञानिक प्रबंध का आशय-वैज्ञानिक प्रबंध से तात्पर्य प्रबंध के रूढ़िवादी तरीकों के स्थान पर तर्कसंगत आधुनिक तरीकों को अपनाने से है। एफ.डब्ल्यू. टेलर वैज्ञानिक प्रबंध के जनक माने जाते हैं।
वैज्ञानिक प्रबंध की विशेषताएँ-उपरोक्त परिभाषाओं की विवेचना करने पर वैज्ञानिक प्रबन्ध की निम्न विशेषताएँ बताई जा सकती हैं

  1. वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत कार्य के निश्चित उद्देश्य होते हैं।
  2. निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सुनिश्चित योजना होती है।
  3. वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत कर्मचारियों में पारस्परिक सहयोग आवश्यक है।
  4. न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन का लक्ष्य लेकर कार्य किया जाता है।
  5. सम्पूर्ण कार्य सहकारिता की भावना से सम्पादित किया जाता है।
  6. वैज्ञानिक नियंत्रण प्रणाली अपनाई जाती है।

प्रश्न 3.
वैज्ञानिक प्रबंध की तकनीकों को समझाइए।
उत्तर:
वैज्ञानिक प्रबंध की तकनीकें

1. समय अध्ययन-यह तकनीक कार्य के दौरान लगने वाले मानक समय का निर्धारण करती है।

2. गति अध्ययन-इसमें कार्य के दौरान कर्मचारियों की गतियों का अध्ययन किया जाता है ताकि उनकी अनावश्यक गतियों को रोका जा सके।

3. थकान अध्ययन-यह अध्ययन कार्य को पूरा करने में आराम हेतु मध्यान्तर के समय विस्तार तथा बारम्बारता को तय करता है। थकान को कम करने के लिए कार्य के दौरान नियमित रूप से अन्तर होना आवश्यक होता है।

4. कार्य पद्धतियाँ (कार्यविधि) अध्ययन-यह कार्य को करने की विधियों से संबंधित होता है। इसमें संयंत्र अभिविन्यास, उत्पाद रचना, सामग्री हस्तगन तथा कार्य प्रक्रिया का गहन अध्ययन किया जाता है ताकि सामग्री को लाने व ले जाने एवं रखने की दूरी तथा लागत में कमी आये।

5. कार्य का मानकीकरण एवं सरलीकरण- कार्य के मानकीकरण का आशय मानक उपकरणों, विधियों, प्रक्रियाओं को अपनाने तथा आकार, प्रकार, गुण, वचन, मापों आदि को निर्धारित करने से है।

इससे संसाधन की बर्बादी रुकती है तथा गुणवत्ता में वृद्धि होती है साथ ही मानवीय थकान कम हो जाती है। कार्य के सरलीकरण का आशय उत्पाद की एक रेखा के अनावश्यक आयामों तथा किस्मों को कम करने से है।

प्रश्न 4.
टेलर के वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांतों को समझाइए।
उत्तर:
टेलर द्वारा प्रतिपादित प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं

1. कार्य संबंधी अनुमान-इसके अन्तर्गत इस बात का सावधानीपूर्वक अनुमान लगाना चाहिए कि एक श्रमिक उपयुक्त परिस्थितियों में कितना कार्य कर सकता है, इस अनुमान के बिना यह मालूम नहीं किया जा सकता है कि श्रमिक प्रमापित उत्पादन से कम कार्य करते हैं या अधिक।

2. उत्तम सामग्री की व्यवस्था कारखाने में प्रयोग किये जाने वाले कच्चे माल का प्रभाव श्रमिक की कार्यक्षमता पर पड़ता है। अतः कच्चा माल अच्छी किस्म का होना चाहिए, जिससे उत्पादन की मात्रा में वृद्धि हो तथा उत्पादन लागत में कमी आए।

3. अपवाद का सिद्धान्त-टेलर का मानना है कि संस्था के सभी कार्य सामान्य परिस्थितियों में अधीनस्थों द्वारा ही किये जाने चाहिए। केवल अपवाद की स्थिति में ही प्रबन्धकों को रोजमर्रा के कार्यों में हस्तक्षेप करना चाहिए।

4. नियोजन का सिद्धान्त-इस सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक कार्य पूर्व निर्धारित नियोजन के अनुसार ही किया जाना चाहिए तथा प्रत्येक कार्य को योजना बनाकर करना चाहिए।

5. कर्मचारियों के वैज्ञानिक चयन व प्रशिक्षण का सिद्धान्त-इस सिद्धान्त के अनुसार, कर्मचारियों का उचित चयन होना चाहिए, अर्थात् कार्य के अनुरूप व्यक्तियों का चयन होना चाहिए, जो अकुशल कर्मचारी हैं, उन्हें आवश्यकता पड़ने पर प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

प्रश्न 5.
हेनरी फेयोल द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों को समझाइये।
उत्तर:
हेनरी फेयोल द्वारा प्रतिपादित प्रबंध के सिद्धान्त निम्न हैं

1. श्रम-विभाजन का सिद्धान्त-विशिष्टीकरण के आधार पर श्रम-विभाजन करना एक अच्छे प्रबंध की आवश्यकता है, चूंकि किसी भी उपक्रम में समान क्षमता वाले कर्मचारी नहीं होते हैं, अत: कर्मचारी तथा मजदरों को उनकी कार्यक्षमता के अनुरूप कार्य का युक्तिसंगत विभाजन करना चाहिए। इस हेतु श्रमिकों को विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत करना चाहिए, इस सिद्धान्त का पालन करने से कर्मचारियों की कार्यदक्षता में वृद्धि होती है।

2. अधिकार तथा दायित्व का सिद्धान्त-अधिकार एवं दायित्व एक गाड़ी के दो पहियों के समान हैं अर्थात् अधिकार दायित्व तथा दायित्व अधिकार के अनुरूप होना चाहिए अर्थात् जो व्यक्ति दायित्व स्वीकार करें उसे अधिकार अवश्य देना चाहिए, जिससे वह अधिकारों द्वारा श्रेष्ठ कार्य करवा सके।

3. अनुशासन का सिद्धान्त जहाँ अनुशासन नहीं वहाँ कुछ भी नहीं, अत- श्रेष्ठ कार्य एवं परिणामों की आशा नहीं करनी चाहिए। अनुशासन हो इस हेतु आवश्यक नियम, कानून तथा दण्ड का स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए।

4. आदेश की एकता का सिद्धान्त- इस सिद्धान्त के अन्तर्गत कर्मचारी को आदेश एक ही अधिकारी से मिलना चाहिए, क्योंकि अनेक अधिकारी के आदेश भी अलग-अलग होंगे। ऐसी दशा में कर्मचारी किस आदेश का पालन करे? यह दुविधा की स्थिति होती है, अतः प्रत्येक कर्मचारी को चाहे वह किसी भी स्तर का क्यों न हो, आदेश एक ही अधिकारी से मिलना चाहिए।

5. निर्देश की एकता का सिद्धान्त-कार्य के दौरान कर्मचारी को किसी एक ही निर्देशक से निर्देश मिलना चाहिए ताकि उस निर्देश का पूर्ण रूप से पालन किया जा सके। एक से अधिक निर्देश की स्थिति में कार्य में रुकावट आती है।

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प्रश्न 6.
प्रबंध के सिद्धान्तों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रबन्ध में विज्ञान एवं कला के गुण विद्यमान हैं इसीलिये प्रबन्ध को कला एवं विज्ञान कहा गया है। प्रबन्ध के सिद्धान्त अन्य भौतिक एवं रसायन शास्त्र के सिद्धान्तों की भाँति स्थिर व निश्चित नहीं होते। प्रबन्ध के सिद्धान्तों की प्रकृति को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

1. सिद्धान्तों की सार्वभौमिकता (Universality of principles)-प्रबन्ध के सिद्धान्त प्रत्येक संगठन, समूह व स्थान पर समान रूप से लागू होते हैं चाहे वह सरकारी संगठन या संस्था हो या व्यावसायिक संगठन हो। इसीलिये हेनरी फेयोल ने प्रबन्ध के सिद्धांतों की सार्वभौमिकता पर बल दिया है।

2. सिद्धान्त गत्यात्मक प्रकृति के (Dynamic nature of principles)-प्रबन्ध के सिद्धान्त गत्यात्मक व लोचपूर्ण होते हैं। इनके सिद्धान्त अन्य भौतिक व रसायन तथा गणित शास्त्र की तरह स्थिर नहीं होते । कारण एवं प्रभाव से प्रबन्ध के सिद्धान्त बदल जाते हैं। प्रबन्ध के महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त जो कभी महत्त्वपूर्ण थे वे आज सामाजिक परिवर्तन के कारण परिवर्तित हो गए हैं।

3. मानवीय व्यवहार पर केन्द्रित (Concentrated on human behavior)-प्रबन्ध मानवीय व्यवहार से पूर्णतः सम्बन्धित है। प्रबन्ध के आसपास या प्रबन्ध स्वयं मनुष्य से सम्बन्धित होता है। किसी भी संगठन में मनुष्य की भूमिकायें महत्त्वपूर्ण होती हैं अत- मानवीय व्यवहार जिस प्रकृति व प्रवृत्ति का होगा उसी के अनुरूप व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावशील होंगी। इस प्रकार प्रबन्ध पूर्णत- मानवीय व्यवहारों पर केन्द्रित होता है।

4. प्रबन्ध के सिद्धान्त सापेक्ष होते हैं (Relative principles)-प्रबन्ध के सिद्धान्त सापेक्ष (Relative) होते हैं न कि निरपेक्ष (Absolute) अर्थात् किसी संगठन की आवश्यकतानुसार इन सिद्धान्तों को लागू किया जाता है। इन्हें लागू करना आवश्यक नहीं है। प्रत्येक संगठन, समाज, संस्था की प्रकृति भिन्न-भिन्न होती है। अतः इसी भिन्नता के कारण संस्था या संगठन के अनुकूल सिद्धान्तों को अपनाया जा सकता है।

5. समान महत्त्व (Equal importance)-प्रबन्ध के समस्त सिद्धांतों का महत्त्व एकसमान है। किन्तु यह सत्य है कि कुछ सिद्धान्त यदि किसी संगठन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, तो कुछ सिद्धान्त अन्य संगठन के लिये महत्त्वपूर्ण होंगे। किन्तु प्रत्येक संगठन में इन सिद्धान्तों की भूमिका कुछ न कुछ अवश्य रहती है।

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life

Chemistry in Everyday Life NCERT Intext Exercises

Question 1.
Sleeping pills are recommended by doctors to the patients suffering from sleeplessness but it is not advisable to take its doses without consultation with the doctor. Why ?
Answer:
Sleeping pills contain drugs that may be tranquilizers or anti-depressant. They affect the nervous system, relieve anxiety, stress, irritability or excitement. But they should strictly be used under the supervision of a doctor. If not, the uncontrolled and overdose can cause harm to the body and mind because in higher doses, these drugs act as poisons.

Question 2.
With reference to which classification has the statement, “ranitidine is an antacid” been given ?
Answer:
This statement refers to the classification of drugs according to pharmacological effects of the drugs because any drug which is used to neutralise the excess acid present in the stomach will be called an antacid and ranitidine prevents the interaction of histamine with the receptors present in the stomach wall. Histamine stimulates the secretion of pepsin and HCl in the stomach.

Question 3.
Why do we require artificial sweetening agents ?
Answer:
To reduce calorie intake and to protect teeth from decaying, we need artificial sweeteners.

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Question 4.
Write the chemical equation for preparing sodium soap from glyceryl oleate and glyceryl palmitate. Structural formulae of these compounds are given below:
(i) (C15H31COO)3C3H5 – Glyceryl palmitate
(ii) (C17H32COO)3C3H5 – Glyceryl oleate
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 1

Question 5.
Following type of non-ionic detergents are present in liquid detergents, emulsifying agents and wetting agents. Label the hydrophilic and hydrophobic parts in the molecule. Identify the functional group(s) present in the molecule.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 2
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 3

Chemistry in Everyday Life NCERT Text-Book Exercises

Question 1.
Why do we need to classify drugs in different ways ?
Answer:
Drugs have been classified in different ways depending

  • upon their pharma – cological effect
  • upon their action on a particular biochemical process
  • on the basis of their chemical structure
  • on the basis of molecular targets.

For example, classification of the drugs based on pharmacological effect is useful for doctors. The classification of drugs based on molecular targets is the most useful classification for medicinal chemists. Thus, drugs are classified in different ways to serve different purposes.

Question 2.
Explain the term, target molecules or drug targets as used in medicinal chemistry.
Answer:
Drugs taken by a patient interact with macro molecules such as proteins, carbo – hydrates, lipids and nucleic acids and these are called drug targets. These macro molecules  or drug targets are known to perform several role in the body.The drugs are designed to interact with specific targets so that these have least chances of effecting the other targets. This minimises the side effects and localises the action of the drug.

Question 3.
Name the macro molecules that are chosen as drug targets.
Answer:
The macro molecules that are chosen as drug targets are carbohydrates, proteins, lipids and nucleic acids.

Question 4.
Why should not medicines be taken without consulting doctors ?
Answer:
The drugs or medicines have side effects also. These side effects arise because the drug may bind to more than one type of receptor. Further their wrong choice and over dose can cause havoc and even may cause death. Therefore, it is must that the medicines should not be given without consulting doctors.

Question 5.
Define the term chemotherapy.
Answer:
The branch of chemistry which deals with the treatment of diseases using chemicals is called chemotherapy.

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Question 6.
Which forces are involved in holding the drugs to the active site of enzymes ?
Answer:
The forces holding drugs to the active sites of enzymes are hydrogen bonding, ionic bonding, dipole-dipole interactions or van derwaals’ forces.

Question 7.
While antacids and anti-allergic drugs interfere with the function of histamines, why do these not interfere with the function of each other ?
Answer:
They do not interfere with the functioning of each other because they work on different receptors in the body. Secretion of histamine causes allergy and acidity while antacid removes only acidity.

Question 8.
Low level of nor – adrenaline is the cause of depression. What type of drugs I are needed to cure this problem ? Name two drugs.
Answer:
Nor-adrenaline induces a feeling of well being and helps in changing the mood. If the level of nor adrenaline is low, then the signal sending activity of the hormone becomes low and the person suffers from depression. In such cases, the patient needs anti depressant drugs which inhibit the enzymes which catalyses the degradation of nor adrena-line. The common drugs used as anti-depressant are iproniazid and phenelzine.

Question 9.
What is meant by the term ‘broad spectrum antibiotics’ ? Explain.
Answer:
The range of bacteria’s or other micro-organisms that are affected by a certain antibiotic is expressed as its spectrum of action. The term broad spectrum antibiotics means an antibiotic which kills or inhibits a  wide range of Gram-negative and Gram-positive bacteria.

Question 10.
How do antiseptics differ from disinfectants ? Give one example of each
Answer:
1. Antiseptics are applied to living tissues such as wounds, cuts etc. to kill or prevent the growth of micro – organisms.
Example:
0-2% phenol, tincture iodine, dettol etc.

2. Disinfectants are applied to inanimate (or nonliving) objects such as floors, instrution Disinfectants are applied to inanimate (or nonliving) objects such as floors, instru-ments, drainage system etc.
Example:
1% solution of phenol, chlorine (0-2 to 0-4 ppm) SO2 in low concentration.

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Question 11.
Why are cimetidine and ranitidine better antacids than sodium hydrogen-carbonate or magnesium or aluminium hydroxide ?
Answer:
Antacids NaHCO3, Mg(OH)2 or Al(OH)3 neutralize the excess acid produced in the stomach but their prolonged use can cause the production of excess acid in the stomach, which is harmful and may result in ulcers. It means these drugs control only symptoms. Cimetidine and ranitidine work without such side effect (because they control the cause) as they prevent interaction of histamine with the receptors of the stomach wall as histamine stimulates the secretion of acid. Thus, these are better antacids than, NaHCO3, Mg(OH)2 or Al(OH)3.

Question 12.
Name a substance which can be used as an antiseptic as well as disinfectant.
Answer:
Phenol is a substance which can be used as an antiseptic (0 – 2% solution) as well as disinfectant (1% solution).

Question 13.
What are the main constituents of dettol ?
Answer:
Dettol is a mixture of chloroxylenol and terpineol.

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Question 14.
What is tincture of iodine ? What is its use ?
Answer:
In Chemistry, a tincture is a solution that has alcohol as its solvent. Tincture iodine is 2 – 3% solution of iodine in alcohol-water mixture. It is applied on wounds to either kill or prevent the growth of micro organisms.

Question 15.
What are food preservatives ?
Answer:
Chemical substances which are used to protect the food against bacteria, yeasts and moulds are called food preservatives e.g., sodium metabisulphite, sodium benzoate.

Question 16.
Why is use of aspartame limited to cold foods and soft drinks ?
Answer:
Use of aspartame is limited to cold foods and soft drinks because it is unstable at cooking temperature.

Question 17.
What are artificial sweetening agents ? Give two examples.
Answer:
Artificial sweetening agents are the substances produced wholly or partially by chemical synthesis, which are added to food to impart sweet taste.
Example:

  • Sucrose
  • Saccharin.

Question 18.
Name the sweetening agent used in the preparation of sweets for a diabetic patient.
Answer:
Any artificial sweetening agents such as saccharin, aspartame or alitame may be added.

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Question 19.
What problem arises in using alitame as artificial sweetener ?
Answer:
Alitame is a high potency artificial sweetener, which has 2000 times sweeteners value in Comparison to cane sugar. Thus, the control of sweetness of food is difficult while using it.

Question 20.
How are synthetic detergents better than soaps ?
Answer:

  • Soaps cannot be used in hard water but detergents can be used.
  • Soaps cannot be used in acidic water but detergents can be used.

Question 21.
Explain the following terms with suitable examples
(a) Cationic detergents
(b) Anionic detergents and
(c) Non-ionic detergents.
Answer:
(a) Cationic detergents are those which have cationic hydrophilic group. These are mostly acetates, chlorides or bromides of quaternary ammonium salts. For example cetyltrimethyl ammonium chloride.
[CH3(CH2)15 N(CH3)3]+Çl

(b) Anionic detergents are those which have anionic hydrophilic group. These are of two types:
(i) Sodium alkyl sulphate e.g., sodium lauryl sulphate CH3(CH2)10CH2OSO3Na+
(ii) Sodium alkyl benzene sulphonate e.g., sodium 4-(l-dodecyl) benzene sulpho- nate (SDS)

(c) Non-ionic or neutral detergents are esters of high molecular mass alcohols as in fatty acids. For example, polyethylene glycol stearate.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 4

(c) Non-ionic or neutral detergents are esters of high molecular mass alcohols as in fatty acids. For example, polyethylene glycol stearate.
CH3(CH2)16COO(CH2CH2O)nCH2CH2OH
Polyethylene glycol stearate.

Question 22.
What are bio-degradable and non-biodegra-dable detergents ? Give one example of each.
Answer:
Bio-degradable detergents are degraded by bacteria. In them, hydrocarbon chain is unbranded. They do not cause water pollution and are bitter. Example: Sodium lauryl sulphate.

Non-biodegradable detergents possess highly branched hydrocarbon chain so bacteria cannot degrade them easily. They cause water pollution. Example: Sodium 4-(l, 3, 5, 7-tetramethyl-actyl) benzene sulphonate.

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Question 23.
Why do soaps not work in hard water ?
Answer:
Hard water contains calcium and magnesium salts. Therefore, in hard water, soaps get precipitated as insoluble calcium and magnesium soaps which being insoluble stick to the cloth as gummy mass and blocks the ability of soap to move oil or grease from the cloth.

Question 24.
Can you use soaps and synthetic detergents to check the hardness of water ?
Answer:
Soaps can be used to check the hardness of water as they give insoluble precipitates of calcium and magnesium soaps in hard water but synthetic detergents do not give precipitate, so they can not check the hardness of water.

Question 25.
Explain the cleansing action of soaps.
Answer:
Cleaning action of soaps:
Cleaning action of soap and detergents are based on miceller activity. Soaps are sodium salt of higher fatty acids e.g., sodium stearate which ionises as:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 21
The anionic head of stearate ion (- COO) is hydrophilic and hence has great affinity for water. The hydrocarbon part is hydrophobic and has great affinity for oil, grease etc.

When soap dissolves in water the anions (C17H35COO) form micelle encapsulating oil or grease inside. These micelles are removed by rinsing with water. Thus the main function of soap is to convert oily and greasy dirt to colloidal particles by forming an emulsion. Soaps therefore, act as emulsifying agents. This mechanism of cleaning is also applicable to synthetic detergents like sodium lauryl sulphate CH3(CH2)11 SO4 Na+. Repulsion of similar charge -COO or -SO4 covering each oil (grease) micelle prevents them to come together. Thus oil or grease remains in the suspension.

Question 26.
If water contains dissolved calcium hydrogen carbonate, out of soaps and synthetic detergents which one will you use for cleaning clothes ?
Answer:
Calcium bicarbonate makes water hard. Soap will give precipitate with this hard water and therefore, cannot be used for cleaning clothes. On the other hand, a synthetic detergents does not give precipitate in hard water because its calcium salt is also soluble in water. Therefore, synthetic detergents can be used for cleaning clothes in hard water.

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Question 27.
Label the hydrophilic and hydrophobic parts in the following compounds:
(a) CH3(CH2)10CH2OSO3Na+
(b) CH3(CH2)15\(\overset { + }{ N } \)(CH3)3\(\overset { – }{ Br } \)
(c) CH3(CH2)16COO(CH2CH2O)nCH2CH2OH
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 5

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Chemistry in Everyday Life Other Important Exercises

Chemistry in Everyday Life Objective Type Questions

Question 1.
Choose the correct answer:

Question 1.
Which isomer of cyclohexane hexachloride is a strong insecticide:
(a) α
(b) β
(c) γ
(d) δ
Answer:
(c) γ

Question 2.
Denatured spirit is specially used:
(a) In medicine
(b) In fuel
(c) In varnish
(d) In propellant.
Answer:
(a) In medicine

Question 3.
Which of the following is not an example of analgesic:
(a) Phenacetin
(b) Paracetamol
(c) Chloramphenicol
(d) Morphine.
Answer:
(c) Chloramphenicol

Question 4.
Which of the following medicine was discovered by Alexander Fleming:
(a) Penicillin
(b) Streptomycin
(c) Chloromycetin
(d) Aspirin.
Answer:
(a) Penicillin

Quention 5.
Which medicine is used for the treatment of tuberculosis:
(a) Penicillin
(b) Streptomycin
(c) Chloromycetin
(d) Sulphadiazine.
Answer:
(b) Streptomycin

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Question 6.
Which medicine is used for the treatement of T.B.:
(a) Pencillin
(b) Aspirin
(c) Chloramphenicol
(d) Streptomycin.
Answer:
(d) Streptomycin.

Question 7.
Saccharin is times sweeter than sugarcane:
(a) 10
(b) 600
(c) 4000
(d) 40.
Answer:
(b) 600

Question 8.
The chemical substance extracted from Rauvolfia serpentina is:
(a) Aspirin
(b) Quinone
(c) Bithionol
(d) Reserpine.
Answer:
(d) Reserpine.

Question 9.
Compound which is used both as an antipyretic as well as analgesic is:
(a) Phenacetin
(b) Sulpha drug
(c) Paracetamol
(d) Aspirin.
Answer:
(d) Aspirin.

Question 10.
Which of the following group expresses maximum number of detergent:
(a) Cationic
(b) Anionic
(c) Non-ionic
(d) Hydrophobic.
Answer:
(b) Anionic

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Question 11.
Which of the following is a tranquillizer:
(a) Seconol
(b) Streptomycin
(c) Morphine
(d) Phenacetin.
Answer:
(a) Seconol

Question 12.
Which of the following is not an antibiotic:
(a) Terramycin
(b) Chloromycetin
(c) Morphine Salol is
(d) D-Penicillin.
Answer:
(c) Morphine Salol is

Question 13.
Salol is used as:
(a) Antipyretic
(b) Antipyretic
(c) (a) And (b) both
(d) None of these
Answer:
(c) (a) And (b) both

Question 14.
Chloroquine is an example of:
(a) Antipyretic
(b) Antimalarial
(c) Antibacterial
(d) Antituberculor.
Answer:
(b) Antimalarial

Question 15.
Which of the following is a broad spectrum antibiotic:
(a) Streptomycin
(b) Penicillin
(c) Ampicillin
(d) Chioramphenicol.
Answer:
(d) Chioramphenicol.

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Question 16.
Which of the following is not an antibiotic:
(a) Terramycin
(b) Chioromycetin
(c) Morphine
(d) Penicillamine.
Answer:
(c) Morphine

Quesrtion 17.
Veronal is used as:
(a) Anaesthetic
(b) Sedative
(c) Antiseptic
(d) None of these.
Answer:
(b) Sedative

Question 18.
Which of the following ¡s a hypnotic:
(a) Lurninol
(b) Salol
(c) Catechol
(d) Phenol.
Answer:
(a) Lurninol

Question 19.
Pheromones are secreted by:
(a) Endocrine glands
(b) Stomach
(c) Exocrine glands
(d) Sex glands.
Answer:
(c) Exocrine glands

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Question 2.
Fill in the blanks:

  1. Oil of …………. is used as medicine.
  2. Sodium benzoate and potassium metabisulphate are good ………….
  3. Sodium dodecyl benzene sulphonate and sodium lauryl sarcosinate are important ………….
  4. Iodine is a strong ………….
  5. Example of a tranquilizer medicine is ………….
  6. …………. is obtained from cinchona bark.
  7. Chloroquine is a …………. medicine.
  8. …………. is known as father of surgery.
  9. Alexander Fleming discovered …………. antibiotic medicine.
  10. Substance which reduces the acidity of stomach is called ………….

Answer:

  1. Cinnamon
  2. Preservative
  3. Detergent
  4. Antiseptic
  5. Seconal
  6. Quinine
  7. Antimalarial
  8. Sushrut
  9. Penicillin
  10. Antacid.

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Question 3.
Match the following:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 6
Answer:

  1. (e) Antipyretic.
  2. (c) Tranquillizer
  3. (b) Antibiotic
  4. (a) Anaesthetic
  5. (d) Antiseptic

Question 4.
Answer in one word / sentence:

  1. What are pain reliever medicine called ?
  2. Write name of two analgesic.
  3. Name a suitable chemical for excessive tension and mental disorders.
  4. Streptomycin medicine is used for the treatment of which disease ?
  5. Why are antifertility drugs used ?

Answer:

  1. Analgesic
  2. Aspirin and Morphine
  3. Equanil
  4. Malaria
  5. For birth control or control of reproductive ability

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Chemistry in Everyday Life Short Answer Type Questions

Question 1.
What are germicides ?
Answer:
Germicides are substances which possess the power to destroy germs. Sulphur compounds, mercury com-pounds (mercuric iodide) and phenolic compounds are usedas germicides. Sulphur compounds in soap protect the skin from pimples, dandruff and skin infection. Phenolic compounds are mostly used as germicides. Cresyclic acid which is a mix-ture of m-cresol and p-cresol is mixed in soap as a germicide.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 7

Question 2.
Write the structure of chloramphenicol and state its use.
Answer:
Chloramphenicol is an effective antibiotic. It is mainly used in typhoid, fever, diarrhoea, cough, meningitis and urinary diseases.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 8

Question 3.
What do you understand by antipyretics ?
Answer:
These are used to lower down the body temperature in high fever. These drugs are used both as antipyretic and as analgesic, e.g., aspirin (acetylsalicylic acid), parace-tamol (4-acetamido phenol), phenacetin (4-ethoxy acetanilide), analgin, etc.

Question 4.
What are Antibiotics ? Write name of any two antibiotics.
Answer:
Antibiotics:
are chemical substances which are. produced by micro-organisms like; bacteria, fungi, actinomycetes and destroy some other micro-organisms are like, virus, ricketsia or obstruct their growth. Example : Penicillin, Streptomycin etc.

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Question 5.
What is Immune system ? How does it develop ?
Answer:
For the destruction of bacteria or antigen in our body, lymphocytes are devel-oped which are known as Immune. These are a specific type of white blood cells. These prepare and release a special type of protein called globulin to destroy the poison. These proteins destroy the attacking virus, bacteria and poisonous substances. Lymphocyte bind the antigen and themselves divide fast by which immunization increase and effect of anti-gen is destroyed.

Question 6.
What are antiseptics ?
Answer:
Antiseptics:
An antiseptic kills the bacteria or prevents the multiplication of bacteria. These also prevent pus formation. Antiseptics do not harm living tissues. Tincture iodine, phenol (0-2%), dettol, chloroxylenol, etc. are applied on skin and bactrim, septran, etc. are taken orally as pills. Bad odour coming out of the wounds due to bacterial decomposition on the body or in the mouth are also reduced by the use of antiseptics.

For such purposes, antiseptics are usually incorporated in face-powder, breath purifiers, deodorants, etc. to reduce the inten-sity of bad odour. Neem soaps containing the extract of neem seeds are also used as antiseptic soaps. Dettol is a mixture of chloroxylenol and terpineol in a suitable solvent is commonly used antiseptic. Bithionol antiseptic is added to soap to provide antiseptic properties to it. Tincture iodine is 2-3% solution of iodine in alcohol and water.
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Question 7.
What do you mean by Antibiotics ? Name the first antibiotic.
Answer:
Chemical substances which are produced by mirco-organism and are used to destroy other micro-organism, are called antibiotics. These chemicals checks the life cycle of bacteria and stop reproduction resulting in release from disease. Antibiotics are almost specific for kinds of illness.

The first antibiotic penicillin was discovered by Alexander Fleming in 1928. He was awarded Nobel prize in 1945 for this important discovery. General formula of penicillin is C9H11N2O4S – R. It is a narrow spectrum drug and used in bronchitis, pneumonia, sore throat and abcesses. Before administration, tolerance has to be tested.
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By changing the group R, different penicillin are prepared.

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Question 8.
Write name and formula of some Antipyretic medicines.
Answer:
Antipyretic:
Chemicals used to reduce the body temperature during fever are called antipyretics. These effect the central nervous system of the body. Like paracetamol. Some chemicals function both as antipyretic as well as analgesic like: Aspirin, Paracetamol, Analgin etc. use of these produce sweat and cool the body. Chemical formula of common
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Question 9.
Give definition of antihistamine drug with name and uses.
Answer:
These are amines which controls the allergy effect produced by histamines. Histamine is found in all body tissue and is also released in allergic conditions due to which allergic responses such as tissue inflammation, asthma, itching etc. are introduced in the body. Drugs which prevent the production of histamine and fight against the allergy effects are called antihistamines.
Example:
(i) Entergon:
It is used in strong allergic conditions.
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(ii) Benadryl

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Question 10.
What are the main differences between soap and detergents ? Ans. Differences between Soap and Detergents :
Soap:

  • Soaps are sodium salts of higher fatty acids.
  • These cannot be used with hard water.
  • Their aqueous solution is alkaline in nature.
  • These contain oil and are not good cleansing agent.
  • These cannot be used for soft and delicate cloth.

Detergents:

  • Detergents are sodium salt of alkyl benzene sulphonate.
  • These can be used with hard water.
  • Their aqueous solution is neutral in nature.
  • These do not contain oil and are better cleansing agent.
  • These can be used for soft and delicate cloth.

Question 11.
Explain each with an example.
(A) Antibiotics
(B) Analgesic (Pain Killer).
Answer:
(A) Antibiotics:
Chemical substance which are produced by micro-organism and used to destroy micro-organism are called antibiotics. These are of two types:

  • Broad spectrum Antibiotic:
    Example: Tetracycline, chloramphenicol, Penicil-lin.
  • Narrow Spectrum Antibiotic :
    Example : Niastatin, Penicillin antibiotic medi-cines are used for the treatment of typhoid, whooping cough, Pneumonia.

(B) Analgesic:
Drugs which give relief from pain or reduced pain are called analge-sics. Types and Examples:

  • Narcotics: Morphine, Codeine.
  • Non-Narcotics: Aspirin, Analgin, Paracetamol.

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Question 12.
What is preservative ? Give the name and formula of any two preserva-tives.
Answer:
A preservative is defined as “A substance added to food, capable of retarding the growth of micro-organism which deteriorate the food within no time’’. The preservative may be natural compounds such as sugars, salt, acids, etc. as well as they may be synthetic i.e. Sodium benzoate.
Example:

  • Vinegar or acetic acid : CH3 COOH
  • Sodium benzoate: C6H5COONa.

Chemistry in Everyday Life Long Answer Type Questions

Question 1.
Write short notes on:

  1. Antifertility drugs
  2. Detergents
  3. Antacids
  4. Sedatives
  5. Sulpha drugs.

Answer:
1. Antifertility drugs:
Drugs which are used to check pregnancy in women are called antifertility drugs. Actually, these drugs control the female menstrual cycle and ovulation. The antifertility agent in these drugs are steroids and these drugs are used in the form of oral pills. A mixture of synthetic estrogen and progesterone derivative are used as birth control pill. These are more effective than the natural hormone. Ethynylestradiol and norethindrone are the content of common contraceptive pills.
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2. Detergents:
Unsaturated hydrocarbon of ethylene type containing 10 to 18 carbon atoms on treatment with sulphuric acid forms organic acid. Sodium salt of organic acid have moisture absorbing and purification property. This compound is called synthetic detergent. Example: Sodium w-dodecyl benzene sulphonate, Sodium n – dodecyl sulphate.

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CH3 – (CH2)10 – CH2 – SO4Na+
Sodium n-dodecyl sulphate

Synthetic detergents have two parts:

  • A long chain of hydrocarbon which is hydrophobic (Water repellent).
  • Small ionic chain is hydrophilic (Water attracting).

Ionic chain is generally of sulphonate (SO3Na) or sodium sulphate (SO4Na). Detergents are surface active compounds which decreases surface tension of water. When these compounds are dissolved in water they scatter dirt particles leaving the surface clean.

Properties of detergents:
Detergents are superior to soap.
1. Detergents can be used in hard as well as soft water because they do not form insoluble salt with calcium and magnesium ions of hard water while soap cannot be used in hard water.

2. Aqueous solution of detergent is neutral. Therefore, detergents can clean soft fibres without damaging them. Soap solution is alkaline due to hydrolysis and is harmful for washing soft fibres.

Uses of detergents:
Detergensts act as cleansing agent. Like soap it can be used for cleaning cotton, woollen, silky and synthetic fibre cloth and for cleaning other domestic items.

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3. Antacids:
Substance which remove the excess acid in the stomach and raise the pH to appropriate level are called antacid Calcium carbonate, Sodium bicarbonate, Magnesium hydroxide or Aluminium hydroxide is used in the form of aqueous suspension or tablets to treats hyperacidity. These substances react with excess hydrochloride acid and neutralizes it partially. Nowadays Omeparazole and Lansoparazole are prescribed as antacids.
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4. Sedatives:
These are given to those patients who are violent and mentally agitated.
Example:

  • Equanil
  • Barbituric acid.

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5. Sulpha drugs:
Like antibiotics, sulpha drugs are used to kill micro-organism. These are prepared in laboratory. Sulphadiazine, sulphanilamide, sulphathiazole, sulpha guanidine, etc. are important sulpha drugs.

Question 2.
Write notes on the following:

  • Tranquillizers and Hypnotics
  • Antidepressant.

Answer:
(i) Tranquillizers:
Tranquillizers are the chemical substances which affect higher centers of central nervous systems and reduce anxiety and tension. Tranquillizers are also called psycho-therapeutic drugs. These drugs make the patient passive temporarily so that emotional distress or depression is reduced. The patient restores confidence. These drugs if taken for long-time make the person habitual. Luminal, Barbituric acid, seconal, equanil, etc. are the drugs of this class. These are components of sleeping pills.
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(ii) Anti-depression:
These are given to patient for boosting their morals in the stage of acute depressions. Some mood elevator drugs are vitellin, methadone, cocaine, etc. These act on the central nervous system. Person becomes healthy by its use and develop confidence. These should be taken by the advice of doctor. Tophrenil is one such medicine. The amphetemin group of medicine help to upraise the mental level. Its com-mon example is benzedine.
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Question 3.
Give one example of Acidic dye and Basic dye.
Answer:
Acidic dye: In these, acidic group like phenolic, sulphonic (SO3H) are in the form of sodium salts. These colour animal fibre like wool, silk etc. Example: orange I and II.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 20

  • Acidic dye: Methyl orange , Methyl red.
  • Basic dye: Malachite green, Aniline yellow.

Question 4.
Write example of the following chemicals:

  1. Two Analgesics
  2. Two Antiseptic
  3. Two Antiseptic chemical
  4. Two Anti-biotic
  5. Two Anaesthetic
  6. Two Sulpha drug
  7. Two Rocket propellant
  8. Two use of chloramphenicol antibiotic.

Answer:

  1. Two Analgesic: (i) Morphine, (ii) Aspirin.
  2. Two Antiseptic: (i) Dettol, (ii) Bithional.
  3. Two antiseptic chemical: (i) Boric acid, (ii) Gention violet.
  4. Two Antibiotic: (i) Terramycin, (ii) Streptomycin.
  5. Two Anaesthetic: (i) Cyclopropane, (ii) Pelledyne.
  6. Two sulpha drug: (i) Sulphonide, (ii) Sulphadyne.
  7. Two rocket propellant: (i) Polyurethane, (ii) Ammonium perchlorate.
  8. Two use of chloramphenicol antibiotic: (i) In Typhiod, (ii) High fever and diarrhoea.

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MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 13 Entrepreneurship Development

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 13 Entrepreneurship Development

Entrepreneurship Development Important Questions

Entrepreneurship Development Objective Type Questions

Question 1.
Choose the correct answers :

Question 1.
Entrepreneur takes :
(a) Risk n
(b) High risk
(c) Low risk
(d)Normal and fixed risk.
Answer:
(d)Normal and fixed risk.

Question 2.
Out of it which is not a work of entrepreneur :
(a) Taking risk
(b) Provision of capital
(c) Both (a) and (b)
(d) Day today business (undertaking)
Answer:
(d) Day today business (undertaking)

Question 3.
Out of it which does not discriminate entrepreneur and management:
(a) Entrepreneur search business but managers run them
(b) Entrepreneur are the owner of their own business and manager employee.
(c) Entrepreneur earns profit but managers get salary
(d) Entrepreneur is one time work while management is a continuous process.
Answer:
(d) Entrepreneur is one time work while management is a continuous process.

Question 4.
Chamber of commerce provides services at:
(a) Urban level
(b) State and national level
(c) International level
(d) All the above levels.
Answer:

Question 5.
Out of it which business is not related to successful entrepreneurship :
(a) Research and development
(b) Daily business of life
(c) Continuous newness
(d) Production according to the customers need.
Answer:
(b) Daily business of life

Question 6.
In India entrepreneur development programmer:
(a) Necessary
(b) Not necessary
(c) Waste of money
(d) Waste of time.
Answer:
(a) Necessary

Question 7.
Entrepreneur development programmer provides:
(a) Unemployment
(b) Employment
(c) Cheating
(d) Corruption.
Answer:
(b) Employment

Question 8.
Entrepreneurship:
(a) Takes birth (b) Is made
(c) Both (a) and (b)
(d) All the above.
Answer:
(c) Both (a) and (b)

Question 9.
Indian entrepreneur developmental organization is situated in :
(a) Ahmadabad
(b) Mumbai
(c) Delhi
(d) Chennai.
Answer:
(a) Ahmadabad

Question 10.
Future of entrepreneur in India is :
(a) Dark
(b) Bright
(c) Difficulty
(d) None of these.
Answer:
(b) Bright

Question 11.
Indian investment centre was established in :
(a) Indian government.
(b) By Madhya Pradesh government.
(c) Maharashtra government
(d) By Gujrat government.
Answer:
(b) By Madhya Pradesh government.

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Question 2.
Fill in the blanks :

  1. Establishment of entrepreneur development organization was done by __________government.
  2. Social and economic development of a nation is the result of __________
  3. __________ provides financial help to entrepreneurs.
  4. Entrepreneur is a process depended on __________

Answer:

  1. Gujrat
  2. Entrepreneur
  3. ICICI
  4. Knowledge.

Question 3.
Write true or false :

  1. In India the speed of entrepreneur development is fast.
  2. Entrepreneur development organization is situated in Ahmadabad.
  3. In India there is need of entrepreneur development programme.
  4. Money and time spend on entrepreneur development is a waste of money and time.
  5. Entrepreneur Is bomb and are made.

Answer:

  1. False
  2. True
  3. True
  4. False
  5. True.

Question 4.
Write answer in one word/sentence :

  1. Write the name of any one poverty eradication programme.
  2. What do you mean by entrepreneur ?
  3. “Entrepreneur is a creative process”. Explain.
  4. “Entrepreneur is creating confusion theoritically”.
  5. In promotion which functions come ?
  6. Entrepreneur is not a Science nor art but knowledge is its base. Who said it.

Answer:

  1. Jawahar Rozgar Yojana
  2. Entrepreneur is one efficiency
  3. Pro. Shumpitar
  4. William Bemol
  5. New technique
  6. Peter. F. Drucke’r.

Question 5.
Match the columns :
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 13 Entrepreneurship Development image - 1
Entrepreneurship Development Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Why is entrepreneur called the axis of economic progress ?
Answer:
Entrepreneur is called the axis of economic progress because economic development of a nation takes place due to important activities of entrepreneurs only.

Question 2.
Write the characteristics of entrepreneurship.
Answer:
Following are the characteristics :

  1. Knowledge base : Entrepreneurship is a knowledge based process. Without knowledge entrepreneur cannot be earned and without experience entrepreneur cannot do any process.
  2. Creative process : Nature of entrepreneur is creative. In organization always creative work is done. By creative thinking always efferts are made to increase quality.

Question 3.
Write the main objectives of entrepreneurial development.
Answer:
The main objectives of entrepreneurial development are as follows :

  1. To identify and train potential entrepreneurs.
  2. Helps in imparting basic managerial understanding.
  3. To industrialize rural and backward areas.
  4. To generate self employment for the educated unemployment youth.
  5. To improve managerial skills of entrepreneur.
  6. To develop necessary knowledge and skills amongst the participants.
  7. To develop an atmosphere of regional balanced development.

Question 4.
What do you mean by SIDO ?
Answer:
Small Industries Development Organization (SIDO): This was established by the central government in 1954. This organization is rendering its valuable services throughout the country with 27 Small Industries Services Institutes, 31 Branch Institutes, 3 8 Expansion Centres, 4 Regional Observation Centres, 20 Local Observation Centres etc. It is called SIDO in short. SIDO has also established Womens’ Cell for development of women entrepreneurs.

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Question 5.
“Entrepreneurship is an internal motivation.” Explain.
Answer:
Entrepreneurship encourages a person to discover, new business opportunities and to implement innovative ideas in practical business life. Entrepreneurship is an internal component not an external component. It helps to bring changes in mentality of persons as it is based on education. A person becomes an entrepreneur by gaining education and experience.

Question 6.
What are the functions of All India Small Industries Board ?
Answer:
All India Small Industries Board : This Board was established in 1954 as an Advisory Committee of the central government. This Board takes decisions regarding policies and programmes for establishment and development of small industries. A central minister is ex-officio chairman of the Board with representatives from central and state governments.

Question 7.
What do you mean by entrepreneur values ?
Answer:
Those values by which determines the personality of entrepreneurs are called values of entrepreneur. On the basis of values of persons one can judge their behaviour and on the basis of individuals judgement of organization can be done. Development of values of personality is that he should respect others and should be honest to others. Due to it personality is developed. Values play important role in family only. Faith is developed among the members of family and various families form sound.

Question 8.
“Entrepreneurship is a professional activity”. Explain.
Answer:
In any business enterprise, it is essential to discover new market, take spontaneous decisions have different leadership and to bring changes in nature of work. Thus like other professions (Law, Medical, Engineering etc.) entrepreneurship. The nature of entrepreneurship is also a profession can be developed like managerial efficiency with the help of education and training.

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Question 9.
“Entrepreneurship arises due to environment.” Explain.
Answer:
The success of entrepreneurial development depends much on environmental factors. Entrepreneur makes plans from political, social, economical and legal environment and takes risk to bring some innovations. This entrepreneurship arises due to environment.

Question 10
What do you mean by entrepreneur motivation ?
Answer:
Those continuous activities which motivates the employees to work at all levels of organization is called entrepreneur motivation.

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 12 Consumer Protection

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 12 Consumer Protection

Consumer Protection Important Questions

Consumer Protection Very Short Answer Type Questions

Question 1.
When is consumer’s right day is celebrated ?
Answer:
On 15th March consumer’s rights day is celebrated.

Question 2.
Ahmad wants to buy a press (iron). As a aw are consumer how can he convince you about the quality of press ?
Answer:
Ahmad should check I.S.I. mark while purchasing press.

Question 3.
Reeta wants to purchase one packet of juice. She is an aware customer. How can she connived ?
Answer:
Reeta should see F.RO. mark.

Question 4.
Amrit has complained against ‘Amrit Volvo Limited’ in state commission. But he was not satisfied with orders of it. Tell where Amrit can complaint against the commission.
Answer:
Amrit can appeal in the National Commission.

Question 5.
Anjana wants to purchase a golden ring, what she should see on the ring to check quality of ring ?
Answer:
She should see Halmark.

Question 6.
What role does “the right to be heard” play for a consumer ?
Answer:
According to this right if any misbehavior or michchief is done with consumer then he can appeal to the court and has right that his complaint to be heard. The consumers right to be heard includes legal hearing to get redress.

Question 7.
Why is consumer protection important for a consumer ? Give one reason.
Answer:
Consumer protection is important for the protection of unfair practices of producers and sellers.

Question 8.
Write the names of two right under the consumer protection act of 1986.
Answer:

  1. Right to safety
  2. Right to be informed.

Question 9.
Where is the international organisation set up for standardization ?
Answer:
At the international level the organisation (ISO) was set up in Geneva.

Question 10.
W’hat is Eco-mark scheme ?
Answer:
This scheme has been introduced by the ministry of environment and forest. It signifies that the products fulfill the environmental norms. This scheme is useful for toilet soap, detergents, paints, packaging material, food products, edible oil, etc.

Question 11.
What do you mean by Lok Adalat ?
Answer:
Lok Adalat are those centers where aggrieved parties can approach directly with their grievances. Lok Adalat give patient hearing discuss the issue and give their decision on spot. It is economical and effective system.

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Question 12.
What do you mean by public support ?
Answer:
Business needs public support, without it no other business can run successfully. Business needs financial support by time to time like financial institution, banks, government employees, customer etc. Business had provide better quality of product to the society. If we exploit the public it means we destroy our self. We need people to purchase our goods.

Question 13.
What sort of precautions should be observed by consumers ?
Answer:
Consumers must take following precautions :

  1. Must acquire all the informations regarding goods purchased or service choosed.
  2. Consumer must know name of article, name of manufacturer, instructions of its use etc.
  3. Consumer must assure himself about the safety of the product.

Question 14.
What do you mean by public relation ?
Answer:
Public relation means to maintain relation among various people. Newspapers, government press are the sources of it.

Question 15.
What do you mean by consumer ?
Answer:
Under the consumer protection Act 1986 consumer means any person who for consumption purpose: .

  1. Buys goods on deferred payment
  2. Hires any service for payment
  3. Hires any service on deferred payment.

Question 16.
State any two problems of consumer.
Answer:
Two Problems of consumers are as follows :

  1. Adulteration of foods (Use of unpermitted colour)
  2. Sales of medicines after expiry date.

Question 17.
What do you mean by redressal forum ?
Answer:
Three tier grievances redressal machinery or forum is established through consumer forum.

  1. District forum
  2. State commission
  3. National commission.

Question 18.
Who can be the president of district forum ?
Answer:
The president of consumer forum can be the officiating or retired judge.

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Question 19.
Who can appeal before the court for complaint ?
Answer:
Following can complaint:

  1. A consumer.
  2. A recognized consumer organisor.
  3. A consumer or more than one consumer.
  4. Central government.
  5. State government.

Consumer Protection Short Answer Type Questions

Question 1.
Explain the importance of consumer protection.
Answer:
Importance of consumer protection :

  1. Providing legal protection to customers
  2. Unorganized consumers
  3. ignorance of consumers
  4. To protect from exploitation
  5. Help in the growth of business
  6. Social responsibility of business to protect the interest of owners and other
  7. Makes aware of consumers about their rights
  8. Speedy disposal of complaints
  9. Protection from pollution.

Question 2.
Explain the different rights of consumers.
Answer:
he rights of consumers are as follows :

  1. Right to safety
  2. Right to be informed
  3. Right to be heard
  4. Right to receive goods at competitive price
  5. Right to be released
  6. Right to consumer education
  7. Right to consideration
  8. Right to healthy environment.

Question 3.
Discuss the ways and means of consumer protection in India.
Answer:
The following ways and means are popular for consumer protection in India :

1. Lok Adalat: Lok Adalat is a place where aggrieved parties can approach directly with their grievances. It gives patient hearing, discuss the issue and give their decision on the spot. It is effective, economic and fast.

2. Public Interest Litigation : It refers to the system which provide legal representation to the poors, consumers, minorities and other weaker groups who are not in a position seek legal remedy of their own public interest litigation can be filled either by aggrieved person or any other person who belongs to weaker group.

3. Consumer Welfare Fund: This fond has been established for promoting the welfare of consumer.

4. Redressal Forums and Consumer Protection Councils: The Consumer Protection Act, 1986; a three tier judicial machinery has been established to settle consumer disputes :

  1. District forum
  2. State commission
  3. National commission.

It provide simple, speedy and economical redressal of consumers disputes.

Question 4.
Explain the importance of non-government organisations (NGOs) for consumer protection.
Answer:
The importance of NGOs in the field of consumer protection are as follows :

  1. Generates consumers awareness and provides education to consumers.
  2. Organises protests against hording and adulteration.
  3. Filing suit on behalf of consumers when needed.
  4. Collecting various information and data related with products and using this for consumer protection.
  5. Helping government in activities related with consumer protection.

Question 5.
Explain the importance of consumer protection on the point of view of business.
Answer:

1. Satisfaction and welfare of consumers: Consumer protection is important because it ensures to satisfy the needs of consumers and their welfare.

2. Key to survival and growth of business : A business can survive and grow only when it aims at safeguarding the interests of shareholders in general and consumers in particular.

3. Goodwill and image : For building favorable image and goodwill a business undertaking is expected to supply right product of right quality in right quantity at right time and right place to the consumers.

4. Creating and retaining consumers : Customer is the soul of business. A business without customer is meaningless like a body without soul. The main motto of a business must be creating and retaining customers. It is possible only when the customers are satisfied in all respects. .

Question 6.
What do you mean by consumer’s right or rights of consumer ?
Answer:
The consumers of America are more attentive and aware than consumers of India. Compared to India the consumers of America are having more rights and their complaints are settled immediately. President Kennedy laid more stress over consumer rights. He supported the following rights :

  1. Right to safety.
  2. Right to choice.
  3. Right to be informed.
  4. Right to be heard.

Other rights have been also given to consumers. For consumer protection International Organization of Consumer Union have been set up.

Question 7.
Who can file a complaint in a consumer court ?
Answer:
A complaint can be made by :

  1. Any consumer.
  2. Any registered consumer’s association.
  3. The Central Government or any State Government.
  4. One or more consumers, on behalf of numerous consumers having the same interest.
  5. A legal heir or representative of a deceased consumer.

Question 8.
What kind of cases can be filed in a state commission ?
Answer:
A complaint can be made to the appropriate state commission when the value of the goods and services, along with compensation claim exceed 20 lakes but does not exceed 1 crore. The appeals against the orders of a district form can also be filed before the state
commission.

Question 9.
Explain the ways of consumer protection.
Answer:
The consumer protect act has provided three tier judicial machinery for redressing the grievances of consumers.
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 12 Consumer Protection image - 1
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Question 10.
What is consumer education ? What is the need of consumer education ?
Answer:
It is considered that the consumer is the king of the market. But in the present day consumers are exploited by producers and sellers. They create an illusion in the minds of the consumers through advertisement, publicity and propaganda, so protect the interest of the consumers, consumer education or consumerism has become the need of the hour. Consumerism is an organised social and environmental force which aims at protecting the interest of consumers at large by organizing, writing and awakening the consumers.
Need of consumer educations : The main objectives of consumer education are as under:

  1. Awareness about the quality of the product
  2. Protection of consumers
  3. Information about prices
  4. Restriction on exploitation of consumers
  5. Awareness of rights
  6. Development of consumer organisation
  7. Ability to buy appropriate goods
  8. Abstaining from buying harmful products
  9. To get compensation in case of cheating by sellers
  10. To make complaint about the grievances.

Question 11.
What are the salient features of Consumer Protection Act 1986 ?
Answer:
It is the duty of the government to ensure protection to consumers of the country. The government of India has passed various acts for protecting consumer’s interest. The consumer protection act 1986 is one of the most important acts. The salient features of this act are :

  1. This act covers all goods and services. It is a comprehensive act.
  2. This act does not nullify the provisions of other acts passed for consumer’s protection. It is complementary to all those acts which have been passed in the past.
  3. This act provides for establishing consumer forums, at central as well as state level. The main motto of such forums is to

protect consumer’s interest and extend consumer’s right.

Question 12.
How can you say that the scope of consumer protection in wide ?
Answer:
Following points are in support of the answer :

  1. It gives information to the consumer’s right and responsibility.
  2. It assist consumers to remove their complaint.
  3. It provides legal protection to the consumer.
  4. It is applicable to all the goods and services.
  5. In it all the private and public organisations are

Question 13.
What are the responsibilities of a consumers ?
Answer:
A consumer must be aware about these responsibilities while purchasing, using and consuming goods and services.

  1. Consumer must be aware of all their rights.
  2. Consumer must be careful while purchasing a product.
  3. He should file complaint for the redressal of genuine grievance.
  4. Consumer must buy a standardized goods.
  5. He should ask for a cash memo on purchase of goods and services.

Question 14.
Explain the responsibilities of business towards consumers.
Answer:
The responsibilities of business toward consumers are as follows :

  1. The sell product at reasonable prices
  2. To sell quality products
  3. To settle complaints of consumers
  4. To sell products of high standard and certified by Indian Standards Institute
  5. Not to be misleading advertisements
  6. Proper packaging of products
  7. To collect information about needs, interest, etc. of consumers
  8. To provide after sales services.

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Question 15.
Write the characteristics of district forum.
Answer:
District Consumer Forum:

1. Establishment: According to consumer protection act, state government can set up one or more district fortifier in each district.

2. Composition: It consists of a president and two other members one of which must be a woman.

3. Term : Every member shall hold office for a term of 5 years or up to the age of 65 years, whichever is earlier and shall not be eligible for reappointment.

4. Jurisdiction : It has jurisdiction to entertain complaints where the value of goods and services and compensation does not exceed Rs. 20 lakhs.

Question 16.
What precautions should be taken by consumer while purchasing goods ?
Answer:
Consumers should keep in mind few things while purchasing products. They are as follows:

1. Consumer should be cautious : Consumer should be cautious while purchasing products. He should insist on getting informations like quantity, quality, price of product, etc.

2. Consumer should exercise his rights : Consumer must be aware of all his rights and must use those rights while purchasing the products and services from sellers.

3. Filing complaint for redressal : Consumers should make the complaints to the authority for genuine grievances. The consumer should be prepared to take action to enforce fair and just demands.

4. Consumer must be aware of misleading advertisements : Through advertisements the seller provides various information about product to consumer, consumers should not believe on these advertisements. He should compare the actual product usage with advertisement. If there is anything false than it should be reported to concerned authorities.

5. Consumer should not compromise on quality : He should never compromise on quality. Whenever he is purchasing products he should look for quality marks on products like ISI, Agmark, Woolmark, FPO, etc., printed on them.

Question 17.
What do you mean by standardization of products ?
Answer:
Standardization of products : These are done to assure the quality of products. The ISI stamp on goods is placed by the Bureau of Indian standards. This caters to industrial and consumer goods. These goods can be trusted to confirm to specific standards. Agmark is meant for agricultural products.

At the international level the international organization for standardization (ISO) located in Geneva sets common standards. The FAO and WHO provide food standards.

Question 18.
What do you mean by legislation concerning consumer rights ?
Answer;
Legislation concerning consumer rights : The consumer protection act 1986 provides for consumer disputes redressal at the state and national level. With the help of this law the agencies can solve grievances in a speedy, simple and inexpensive manner. A separate department of consumer affairs was set up at the state and central government. A three tier system of consumer courts at the National, State and District levels were set up. These agencies have done good work by handling lakhs of cases.

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Question 19.
What do you mean by unfair trade practice ? Give some example of it.
Answer:
In unfair means of trade practice a trader adopt the defective and harmful methods to earn profit.
Example :

  1. To provide wrong information about the product.
  2. Not to follow the fixed standards.
  3. Black marketing hording.
  4. Sell products on high rate.

Question 20.
What do you mean by indian standard beauro Write any two activites of it
Answer:
It was established in 1986.
Major activities :

  1. To establish quality of goods and services
  2. To standardize goods under VIS standardization.

Question 21.
What do you mean by Malpractices ?
In order to earn more and more profites the seller perform more profites practices like selling defective and substandard goods, charging exhorbitant prices, negligence as to the safety standard etc. Thus, to protect consumers from these business malpractices consumer protection is essential.

Question 22.
What do you mean by Moral jurisdiction ?
Answer :
Moral Justification: It is the moral duty and responsibility of business to protect the consumers. The sellers should not perform activities like adulteration, black marketing, hoarding, profiteering, etc. By doing so they can discharge their moral responsibility.

Question 23.
Explain the importance of consumer protection from the point of view of business.
Answer:
A business can not survive without paying attention on protection the consumers interest and adequately satisfying them. This is important because of the following reasons:

1. Long term interest of business : Business firms should aim at long term profit maximisation through customer satisfaction, Satisfied customers not only lead to repeat sales but also provide good feedback to prospective customers and thus help in increasing the customer base of business.

2. Business uses Society’s Resources : Business organization uses resources which belong to the society, thus they have .a responsibility to supply such products and render such services which are in public interest.

3. Social responsibility : A business has social responsibility towards various interest groups. Business organizations make money by selling goods and providing services to consumers. Thus, consumers form an important group among the many stakeholders of business and like other stakeholders, their interest has to be well taken care of.

4. Moral justification : The moral duty of any business is to take care of consumer’s interest and securing them from exploitation. Thus, a business must avoid insecure loss, exploitation and unfair trade practices like defective and unsafe products, adulteration, false and misleading advertising hoarding, black marketing etc.

5. Government intervention : A business engaging in any form of exploration time trade practices would invite government intervention or action. Thus, it is advisable that business organization voluntarily resort to such practices, where the customers need and interests will be taken care of.

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Question 24.
“Though laws and acts are there still consumers are exploited.” Why ?
Or
”Why there is need of consumer protection ? Write any four causes.
Answer:
The importance of consumer protection are as follows :

1. Consumer’s Ignorance: Today every person is limited to his own work and services and is not interested in other informations that’s why consumer is ignorant about the products which he consumes. Thus, due to this ignorance they are exploited by the sellers and became a poppet. So it becomes necessary that they should be educated about their rights.

2. Social Responsibility : Every person whether he is a trader or an officer first of all is the member of society. As a member of society he is having some responsibilities and duties but every person runs away from responsibilities and works for earning more profits by any means. Thus, consumer protection is necessary to make them aware of their social responsibility.

3. Unorganised Consumers: In India generally the consumers are unorganised because they belong to different castes, religions and sections of society. Due to lack of unity and organization among consumers the sellers make advantage of it. Thus, consumer protection is necessary to make the consumers organised.

4. Settlement of Consumers Disputes : Due to the continuous exploitation of consumers by the sellers they files the complaints to the concerned departments or forums.

These disputes should be settled speedily so that consumers should have faith on law and order. In order to solve the disputes of consumers various acts specially consumer protection act has been enacted.

5. Makes Consumer Aware: Due to continuous exploitation of consumers, consumer protection act 1986 was passed. Thus, consumer have been granted some rights according to the provisions of this act, consumer protection is necessary to make consumers aware about these rights.

Consumer Protection Long Answer Type Questions

Question 1.
Explain in brief any four responsibilities of consumer to safeguard their intrest.
Answer:
The six responsibilites of consumer to safeguard their interest are as follows :

1. To exercise his right properly : Every customer should be well aware of his rights. The consumer who knows these right properly should also make other consumer aware of these rights who are either less informed or ill informed.

2. Taking precautions : Taking proper precaution without taking shelter of legal action is also a responsibility of consumer. It is also a way of protection.

3. Filling complaint for redressal: The consumer should invariably file complaint to the appropriate authority for redressal of genious grievances. He should raise his voice and protest against all sorts of exploitation by trade and industry.

4. Quality and quantity consciousness : The consumer should always make it a point to buy such product which have always quality certification such as ISI, FPO, ISO etc.

5. Escaping misleading advertisement : The consumer should see that he is not tempted by ingenious and misleading advertisement with overstated claim of product and services.

6. Taking cash memo : In case goods are purchase in cash, the consumer should compel the dealer to give cash memo and if goods are purchased on credit basis their bill of purchase must be demanded.

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Question 2.
What are various ways in which the objective of consumer protection can be achieved ? Explain the role of consumer organizations and NGOs in this regard ?
Answer:
There are various ways in which the objective of consumer protection can be achieved:

(i) Self regulation by business : Socially responsible firms follow ethical standards and practices in dealing with their customers. Many firms have set up their customer service and grievance cells to redress the problems and grievance of their consumers.

(ii) Business associations : The associations of trade, commerce and business like federation of India Chambers of Commerce of India (FICCI) and conference of Indian Industries (CII) have laid their code of conduct which lays down for their members the guidelines in their dealing with the customers.

(iii) Consumer awareness : A consumer, who is well informed about his rights and the reliefs, would be in a position to raise his voice against any unfair trade practices or exploitation:

(iv) Consumer Organization : Consumer originations plays an important protecting role in educating consumers about their rights and them. These organizations can force business firms to avoid malpractices and exploitation of consumers.

(v) Government: The government can protect the interests of the consumers by enacting various legislations. The legal framework in India encompasses various legislation which provide protection to consumer, the most important of these regulations is the Consumer Protection Act, 1986. The Act provided for a three-tier machinery at the District, State and National levels for redressal of consumer grievance.

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Question 3.
Explain the role of consumer organizations and NGO in protecting and promoting consumer’s interest.
Answer:
Consumer organization and NGOs perform several functions for the protection and promotion of interest of consumers. In India, these associations are performing lots of functions some of them are :

  1. Education the general public about consumer rights by organizing training programmers, seminars and workshops.
  2. Publishing periodicals and other publications to impart knowledge about consumer problems, legal reporting, reliefs available and other matters of interest.
  3. Carrying out comparative testing of consumer products in accredited laboratories to test relative qualities of competing brands of publishing the test results for the benefit of consumers.
  4. Encouraging consumers to strongly protest and take an action against unscrupulous, exploitation and unfair trade practices of sellers.
  5. Providing legal assistance to consumers by providing aid, legal advice etc. in seeking legal remedy.
  6. Filling complaints in appropriate consumers courts on behalf of the consumers.
  7. Taking an initiative in filling cases in consumers court in the interest of the general public, not for any individual.

Question 4.
What are the rights of consumer in India ?
Answer:
Following are the rights of the consumer under the act of 1986 :

(1) Right to Safety : The consumer has a right to be protected against goods and services which are hazardous to life, e.g., sometimes we purchased the food items of low quality which causes severe problems. Thus, in this case, we should purchased good quality and FPO labelled products.

(2) Right to be informed : The consumer has a right to have complete information about the product, which he intends to buy including its ingredients, date of manufacture, price, quantity, directions for use etc. Under the legal framework of India manufactures have to provide such information on the package and label of the product.

(3) Right to Choose : The consumer has the freedom to choose from a variety of products. The marketers should offer a wide variety of products and allow the consumer to make a choice and choose the product which is most suitable.

(4) Right to be Heard : The consumer has a right to file a complaint and to be heard in case of dissatisfaction with a good or a service. It is because of this reason that many enlightened business firms have set up their own consumer service and grievance cells.

(5) Right to Seek Redressal: The consumer Protection Act provides a number product, of reliefs to the removal of defect consumer including replacement of the in the product, compensation paid for any loss or injury suffered by the consumer etc.

(6) Right to Consumer Education : The consumer has a right to acquire knowledge about products. He should be aware about his rights and the reliefs available to him in case of a product service falling short of his expectations many consumer organisation and some enlightened businesses are taking an active part in educating consumers in this respect.

Question 5.
Enumerate the various Acts passed by the Government of India which help in protecting the consumer’s interest ?
Answer:
The Indian legal framework consists of a number of regulations which provide protection to consumers. Some of these regulations are as under:

(1) The Consumer Protection Act, 1986 : The Act provides safeguard to consumers against defective goods, deficient services, unfair trade practices etc.

(2) The Contract Act, 1982 : The Act lays down the conditions in which the promises made by parties to a contract will be binding on each other.

(3) The Sale of Goods Act, 1930 : The Act provides some safeguards and reliefs to the buyers of the goods in case, the goods purchased do not comply with express or implied conditions or warranties.

(4) Essential Commodities Act, 1955 : The Act alms at controlling, production, supply, distribution and price of essential commodities.

(5) The Agricultural produce Act, 1937 : The Act prescribes grade standards for agricultural commodities and livestock products.

(6) The Prevention of Food Adulteration Act, 1954 : The Act aims to check adulteration of foods articles and ensure their purity, so as to maintain public health.

(7) The Standards of Weights and Measures act, 1976 : It provides protection to consumers against the malpractice of under-weight or under-measure.

(8) The Trade Marks Act, 1999 : The Act prevents the use of fraudulent marks on products and thus provides protection to the consumers against such products.

(9) The Competition Act, 2002 : The Act provides protection to the consumers in case 01 practices adopted by business firms which hamper competition in the market.

(10) The Bureau of Indian Standard Act, 1986 : The bureau has two major activities : Formulation of quality standards for goods and their certification through the BIS certification scheme. The bureau has also set up a grievance cell, where consumers can make a complaint about quality of products carrying the ISI mark.

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Question 6.
Explain the redressal mechanism available to consumers under the Consumer Protection Act 1986.
Answer:
For the redressal of consumer grievances, the Consumer Protection Act provides for setting up of a three-tier enforcement machinery at the District, State and the National levels.

(i) District Forum: A complaint can be made to the appropriate District Forum when the value of goods or services, along with the compensation claimed, does not exceed 20 lakhs. In case the aggrieved party is not satisfied with the order of the District Forum, he can appeal before the State Commission within 30 days.

(ii) State Commission : A complaint can be made to the appropriate State Commission when the value of the goods or services, along with the compensation claimed, exceeds 20 lakhs but does not exceed 1 crore. The appeals against the orders of District Forum can also be filed before the State Commission. In case the party is not satisfied with the order of the State Commission, he can appeal before the National Commission within 30 days of the passing of the order by State Commission.

(iii) National Commission : A complaint can be made to the National Commission when the value of the goods or services, along with the compensation claimed exceeds 1 crore. The appeals against the orders of a State Commission can also be filed before the National Commission. An order passed by the National Commission in a matter of its original justification is appealable before the supreme court. This means that only those appeals, where the value of goods + services in question, along with the compensation claimed, exceeded I crore and where the aggrieved party was not satisfied with the order of the National Commission, can be taken to the Supreme Court of India.

What are the responsibilities of a consumer ?
Answer:
A consumer should keep in mind the following responsibilities while purchasing, using and consuming goods and services :

  1. (1) Be aware about various goods and services available in the market, so that an intelligent and wise choice can be made.
  2. (2) Buy only standardised goods as they provide quality assurance. Thus, look for ISI mark on electrical goods. FPO mark on food products and Hallmark on jewellary etc.
  3. (3) Learn about the risks associated with products and services.
  4. (4) Read labels carefully, so as to have information about prices, weight, manufacturing and expiry dates etc.
  5. (5) Assert yourself to get a fair deal.
  6. (6) Be honest in your dealings. Choose only from legal goods and services.
  7. (7) Ask for a cash-memo on purchase of goods and services. This would serve as a proof of the purchase made.
  8. (8) File a complaint in an appropriate consumer forum in case of a shortcoming in the quality of goods purchased or services availed.
  9. (9) Form consumer societies which would play an active part in educating consumers and safeguarding their interests.
  10. (10) Respect the environment, avoid waste, littering and contributing to pollution.

Question 8.
Explain how the complaint shall be made to the district forum ?
Answer:
Manner in which complaint shall be to made to the district forum : A complaint in relation to any goods sold or delivered or against services should be filed by the consumer. It can be filed by any recognized consumer association or by the central or state government.

One copy is send to the opposite party, directing him to give his version of the case within a period of 30 days when the opposite party on receipts of the complaint referred to him, denies the allegations contained in the complaint or fails to take any action. He represents his case within the time given by the district forum, the district forum shall proceed to settle the consumers dispute.

After following the procedure, examining the statements of the complaint, the opposite party and witness of both, the district forum passes necessary orders and relief if any. The district forum is authorized to pass order to remove the defect points out to replace the goods with new goods, to pay the compensation.

Any person aggrieved by an order made by the district forum may prefer an appeal against such order to the state commission with the date of 30 days.

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Question 9.
Explanation some measures for the protection of consumer by Indian government.
Answer:
Following are the measures taken by Indian government:

(1) Lok Adalat: Lok Adalat are those centers where aggrieved parties can approach directly with their grievances. Lok Adalat give patient hearing discuss the issue and give their decision on spot. It is economical and effective system.

(2) Filling Petition for the Public Welfare : Under it legal actions are taken for the protection of those people who don’t have any representatives. In this disputes poor, environment, minorities, etc. are included.

(3) Eco friendly products : Environment and forest ministry has started Eco mark plans. Under it a big pot of mud is the mark which is used for such products which are eco friendly. In the beginning some goods like soaps, detergents, packaging material, food materials etc. are included in there products. These goods are not harmful for environment.

(4) Consumer protection council: Under the consumers act 1986 one legal mechanism was formed on 3 tier level under it all the exploitations of consumers are settled. State governments established consumer protection councils for the settlement of disputes.

(5) Giving award for fighting against consumer exploitation : For the encouragement of youths, some awards are given to those who fight against consumer exploitation.

(6) Publicity measures : 15th March is celebrated as world consumer day. In 1955 in New Delhi a function was held in which publicity measures were taken. On television every week programmed are organized. Short films are also made in favor of it.

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions