MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित चतुर्भुजों की रचना कीजिए –
(i) चतुर्भुज ABCD जिसमें –

  • AB = 4.5 cm
  • BC = 55 cm
  • CD = 4 cm
  • AD = 6 cm
  • AC = 7 cm है।

(ii) चतुर्भुज JUMP जिसमें –

  • JU = 3.5 cm
  • UM = 4 cm
  • MP =5cm
  • PJ =4.5 cm
  • PU = 6.5 cm है।

(iii) समान्तर चतुर्भुज MORE जिसमें –

  • OR = 6 cm
  • EO = 7.5 cm
  • MO = 7.5 cm है।

(iv) समचतुर्भुज BEST जिसमें

  • BE = 4.5 cm
  • ET= 6 cm

हल:
(i) रचना के चरण –

    1. सर्वप्रथम रेखाखण्ड AC = 7 cm बनाया।
    2. A को केन्द्र मानकर AB = 4.5 cm त्रिज्या लेकर एक चाप लगाया तथा C को केन्द्र मानकर CB = 5.5 cm त्रिज्या लेकर चाप लगाया जो पहले चाप को बिन्दु B पर काटता है।
      MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1 img-1
  1. पुनः A व C को केन्द्र मानकर AD = 6 cm तथा CD = 4cm के चाप लगाए जो AC के विपरीत D बिन्दु पर काटते हैं।
  2. AB, BC, CD तथा AD को मिलाया।

इस प्रकार बनी आकृति ABCD अभीष्ट चतुर्भुज है।

(ii) रचना के चरण –

  1. सर्वप्रथम रेखाखण्ड PU = 6.5 cm बनाया।
  2. P व U को केन्द्र मानकर क्रमशः PM = 5 cm तथा UM = 4 cm त्रिज्या लेकर चाप लगाए जो M बिन्दु पर काटते हैं।
    MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1 img-2
  3. पुनः P और U को केन्द्र मानकर PJ = 4.5 cm तथा UJ = 3.5 cm त्रिज्याएँ लेकर PU के विपरीत चाप लगाए जो J बिन्दु पर काटते हैं।
  4. PM, UM, PJ तथा UJ को मिलाया।
  5. इस प्रकार बनी आकृति JUMP अभीष्ट चतुर्भुज है।

(iii) रचना के चरण –

  1. सर्वप्रथम रेखाखण्ड OR = 6 cm बनाया।
  2. 0 व R को केन्द्र मानकर OE = RE = 7.5 सेमी. त्रिज्याएँ लेकर चाप लगाए जो E बिन्दु पर काटते हैं।
  3. E व 0 को केन्द्र मानकर क्रमश: EM = 6 cm तथा OM = 7.5 cm के चाप लगाए जो M बिन्दु पर काटते हैं।
  4. OE, RE, EM तथा OM को मिलाया।
  5. इस प्रकार बनी आकृति MORE अभीष्ट समान्तर चतुर्भुज है।

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1 img-3

(iv) रचना के चरण –

  1. सर्वप्रथम रेखाखण्ड BE = 4.5 cm बनाया।
  2. B व E बिन्दु को केन्द्र मानकर क्रमश: BT = 4.5 cm तथा ET = 6 cm त्रिज्याएँ लेकर चाप लगाए जो T बिन्दु पर काटते हैं।
    MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1 img-4
  3. पुनः T व E को केन्द्र मानकर TS = ES = 4.5 cm त्रिज्याएँ लेकर चाप लगाए जो S बिन्दु पर काटते हैं।
  4. BT, ET, TS तथा ES को मिलाया।
  5. इस प्रकार बनी आकृति BEST अभीष्ट समचतुर्भुज है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 68

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए (क्रमांक 4.3)

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प्रश्न 1.
उपर्युक्त उदाहरण 2 में क्या हम पहले AABD खींचकर चतुर्थ बिन्दु C को ज्ञात करके चतुर्भुज की रचना कर सकते हैं?
उत्तर:
हम जानते हैं कि किसी त्रिभुज की रचना के लिए कोई भी तीन मापें होनी चाहिए। लेकिन ∆ABD के लिए केवल दो मापें AD और BD दी हुई हैं। अतः चतुर्भुज की रचना नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 2.
क्या आप एक चतुर्भुज PQRS की रचना कर सकते हैं जिसमें PQ = 3 cm, RS = 3 cm, PS = 7.5 cm, PR = 8 cm और SQ = 4 cm है? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
हम चतुर्भुज PQRS की रचना नहीं कर सकते हैं। क्योंकि ∆QSP की रचना नहीं की जा सकती है।

यहाँ दो भुजाओं SQ + QP ≯  SP अर्थात् 4 cm + 3 cm ≯  7.5 अतः चतुर्भुज PQRS की रचना सम्भव नहीं है। SQ = 4 cm की रेखा चतुर्भुज के लिए सम्भव नहीं है।

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MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 5 हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य (अ) राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति (ब) लोकतन्त्र एवं नागरिक

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 5 हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य (अ) राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति (ब) लोकतन्त्र एवं नागरिक

MP Board Class 8th Social Science Chapter 5 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य है –
(क) लोकतन्त्र
(ख) राजतन्त्र
(ग) साम्राज्यवाद
(घ) तानाशाही
उत्तर:
(क) लोकतन्त्र

(2) “हम विश्व में सर्वत्र शान्ति चाहते हैं” किसने कहा था?
(क) सरदार वल्लभ भाई पटेल
(ख) पंडित जवाहर लाल नेहरू
(ग) लाल बहादुर शास्त्री
(घ) महात्मा गाँधी
उत्तर:
(ख) पंडित जवाहरलाल नेहरू

(3) निशस्त्रीकरण क्यों आवश्यक है?
(क) विश्व शान्ति की स्थापना के लिए
(ख) युद्ध के लिए
(ग) सरकार बनाने के लिए
(घ) परमाणु शस्त्रों के लिए
उत्तर:
(क) विश्व शान्ति की स्थापना के लिए

(4) जाति व धर्म के आधार पर मतदान लोकतन्त्र को –
(क) शक्तिशाली बनाता है
(ख) कमजोर बनाता है,
(ग) हमारे अधिकार सुरक्षित करता है
(घ) उपर्युक्त तीनों
उत्तर:
(ख) कमजोर बनाता है

(5) वयस्क मताधिकार के लिए आयु निर्धारित है –
(क) 14 वर्ष
(ख) 18 वर्ष
(ग) 21 वर्ष
(घ) 25 वर्ष
उत्तर:
(ख) 18 वर्ष

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) संविधान में कुल ……….. मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई है।
(2) लोकतन्त्र ……… का शासन होता है।
(3) पंथ निरपेक्षता में ……….. की स्वतन्त्रता रहती है।
(4) गुट निरपेक्षता का अर्थ है सैनिक संगठनों से ………. रहना।
(5) लोकतन्त्र का मुख्य तत्व …………. समानता और है।
उत्तर:
(1) 6
(2) जनता
(3) अपने पंथ और उपासना
(4) अलग
(5) स्वतन्त्रता, बन्धुत्व

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
(1) स्वतन्त्रता के प्रकार बताइए।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वतन्त्रता, नागरिक स्वतन्त्रता, राजनीतिक स्वतन्त्रता, आर्थिक एवं सामाजिक स्वतन्त्रता और धार्मिक स्वतन्त्रता आदि स्वतन्त्रता के प्रकार हैं।

(2) समानता का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
नागरिकों के सम्पूर्ण विकास के लिए राज्य द्वारा समान अवसर उपलब्ध करवाना समानता है।

(3) अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऐसा लोकतन्त्र जहाँ जनता अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करके भेजती है, उसे अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र कहते हैं। भारत में अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र है।

(4) लोकतन्त्र में प्रत्येक नागरिक को साक्षर क्यों होना चाहिए?
उत्तर:
लोकतन्त्र में प्रत्येक नागरिक जागरूक और साक्षर होना चाहिए ताकि वह अपने मत का उचित प्रयोग कर सके।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 5 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 4.
(1) वयस्क मताधिकार का अर्थ लिखिए
उत्तर:
जहाँ पर वयस्क व्यक्ति को मत देने का अधिकार प्राप्त हो उसे वयस्क मताधिकार कहते हैं। हमारे देश में 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेने वाले हर नागरिक को मत देने का अधिकार प्राप्त है। यह मताधिकार का सबसे अधिक प्रचलित सिद्धान्त है।

(2) हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
हमारा देश प्रजातान्त्रिक देश है। अतः हमारे लक्ष्य हैं-लोकतन्त्र, पंथनिरपेक्षता, राष्ट्रीय एकता, स्वतन्त्रता, समानता, । सामाजिक समरसता, अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सहयोग।

(3) न्याय का वास्तविक अर्थ लिखिए।
उत्तर:
न्याय उस सामाजिक स्थिति को कहते हैं जिसमें व्यक्ति के पारस्परिक सम्बन्धों की उचित व्यवस्था की जाती है, जिससे समाज में व्यक्ति के अधिकार सुरक्षित रहें। न्याय की धारणा सत्य और नैतिकता के रूप में भी समझी जाती है।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 5.
(1) हमें अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सहयोगकी आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर:
विज्ञान ने संसार को आज समेटकर रख दिया है। विश्व के किसी भी कोने में होने वाली घटना का प्रभाव आज सम्पूर्ण विश्व के लोगों पर पड़ता है। अतः हम भी केवल तभी शान्ति से रह सकेंगे जब विश्व भर में शान्ति होगी और हम अपने सम्पूर्ण संसाधनों को तभी जनता के हित एवं विकास में लगा सकेंगे जब देश में शान्ति रहने का विश्वास हो। विश्व का लगभग हर एक भाग दूसरे से भौगोलिक रूप से भिन्न है तथा उसकी अपनी विशेषताएँ हैं। अतः विश्व के प्रायः सभी देशों को अपनी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिये किसी न किसी तरह एक-दूसरे पर निर्भर करना पड़ता है और इस प्रकार हम आपसी सहयोग द्वारा ही अपने जीवन का आनन्द उठा पाते हैं।

(2) लोकतन्त्र की सफलता के लिए आवश्यक शर्ते कौन-सी हैं ?
उत्तर:
लोकतन्त्र की सफलता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है –
1. शिक्षित जनता:
लोकतन्त्र में जनसामान्य राजनीतिक प्रक्रिया में सहभागी रहता है। जब तक जनसामान्य राजनीतिक प्रश्नों को भलीभाँति नहीं समझेगा। तब तक उसकी सहभागिता न तो प्रभावशाली होगी और न अर्थपूर्ण रहेगी। इसके लिये जनता का शिक्षित होना बहुत आवश्यक है। अत: जनता का शिक्षित होना लोकतन्त्र की पहली आवश्यकता है।

2. राजनैतिक जागरूकता:
लोकतन्त्र में नागरिकों में राजनीतिक प्रश्नों और मुद्दों की जानकारी होनी चाहिए तथा उन मुद्दों पर राजनीतिक दृष्टि से विचार करने की क्षमता होनी चाहिए। नागरिकों की विवेकशीलता के अभाव में प्रजातन्त्र, भीड़तन्त्र में बदल जाता है।

3. स्वतन्त्र प्रेस:
लोकतन्त्र की सफलता के लिए स्वतन्त्र प्रेस का होना आवश्यक है। नागरिकों की स्वतन्त्रता का सरकार द्वारा अतिक्रमण न हो इसके लिये स्वतन्त्र प्रेस का होना अनिवार्य है। स्वतन्त्र प्रेस सरकार के दबाव में आये बिना जनता की माँगों को सरकार के सामने रखती है। अतः प्रेस को प्रजातन्त्र का चौथा स्तम्भ कहा गया है।

4. सामाजिक और आर्थिक समानता:
समाज में जब तक ऊँच-नीच, गरीब-अमीर और छुआछूत आदि के भेदभाव रहेंगे, लोकतन्त्र अच्छी तरह से कार्य नहीं कर सकता। इसी प्रकार, धनिकों का धन और गरीबों की गरीबी लोकतन्त्र को नष्ट कर देगी। अतः लोकतन्त्र की सफलता के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता आवश्यक है।

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MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 3 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 3 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष

MP Board Class 8th Social Science Chapter 3 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
(1) कौन-सा विद्रोह आदिवासी विद्रोह नहीं था ?
(क) वेल्लोर विद्रोह
(ख) भील विद्रोह
(ग) संथाल विद्रोह
(घ) मुण्डा विद्रोह
उत्तर:
(क) वेल्लोर विद्रोह

(2) सन् 1857 ई. के स्वतन्त्रता संग्राम में निम्नलिखित में से किसने भाग नहीं लिया ?
(क) रानी लक्ष्मीबाई
(ख) तात्या टोपे
(ग) बहादुरशाह जफर
(घ) दिलीप सिंह
उत्तर:
(घ) दिलीपसिंह,

(3) अंग्रेजों की किस नीति के कारण भीलों ने विद्रोह किया था ?
(क) उद्योग नीति
(ख) कृषि नीति
(ग) धार्मिक नीति
(घ) राज्य में हस्तक्षेप
उत्तर:
(ख) कृषि नीति।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
(1) संन्यासी विद्रोह का उल्लेख किस पुस्तक में मिलता है ?
उत्तर:
संन्यासी विद्रोह का उल्लेख बंकिमचन्द्र चटर्जी की पुस्तक ‘आनन्द मठ’ में मिलता है।

(2) संथाल विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था ?
उत्तर:
संथाल विद्रोह का नेतृत्व नेता सीदो तथा कान्हू ने किया था।

(3) वहाबी आन्दोलन के प्रवर्तक कौन थे ?
उत्तर:
रायबरेली के सैय्यद अहमद वहाबी आन्दोलन के प्रवर्तक थे।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 3 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
(1) कोल विद्रोह कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर:
कोल विद्रोह 1831 ई. के आस-पास सिंहभूमि, राँची, पलामू, हजारी बाग, मानभूमि आदि स्थानों पर हुआ था।

(2) भारत के उन क्षेत्रों का नाम बताइए जहाँ सन् 1857 ई. का आन्दोलन काफी व्यापक था ?
उत्तर?:
1857 ई. का आन्दोलन दिल्ली, अवध, रुहेलखण्ड, बुन्देलखण्ड, इलाहाबाद के आस-पास के इलाकों, आगरा, मेरठ और पश्चिमी बिहार में काफी व्यापक और भयंकर था।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 4.
(1) संथाल विद्रोह का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आदिवासियों द्वारा कम्पनी शासन के विरुद्ध किए गए विद्रोह में सबसे सशक्त विद्रोह संथालों का था। भागलपुर से लेकर राजमहल के बीच का क्षेत्र दामन-ए-कोह के नाम से जाना जाता था। यह संथाल बहुल क्षेत्र था। संथालों ने भूमिकर अधिकारियों के दुर्व्यवहार के विरुद्ध विद्रोह किया। यह विद्रोह संथाल नेता सीदो तथा कान्हू के नेतृत्व में आरम्भ हुआ। इन्होंने अपने क्षेत्रों में कम्पनी के शासन के अन्त की घोषणा कर दी। एक कड़े संघर्ष के बाद 1856 ई. में ही इस विद्रोह को दबाया जा सका।

(2) सेना के भारतीय सिपाहियों में असन्तोष फैलने के क्या कारण थे ?
उत्तर:
सेना के भारतीय सिपाहियों में असन्तोष फैलने के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे –

  • ब्रिटिश फौज में भारतीय सिपाहियों की तरक्की की कोई भी गुंजाइश नहीं थी।
  • फौज के सभी उच्च पद अंग्रेज अफसरों के लिए सुरक्षित थे। .
  • भारतीय सैनिकों एवं अंग्रेज सैनिकों की आमदनी में अत्यधिक अन्तर था।
  • अंग्रेज भारतीय सैनिकों को हेय दृष्टि से देखते थे।
  • उस समय चर्बी वाले कारतूसों से हिन्दू और मुसलमान सैनिकों की धार्मिक भावनाओं को बड़ा आघात पहुँचा।
  • सैनिकों के इन कारतूसों के प्रयोग करने से मना करने पर उन्हें कठोर और लम्बी सजा दे दी गई यहाँ तक कि मंगल पांडे को मार डाला गया।

(3) सन् 1857 ई. के आन्दोलन की असफलता के मुख्य कारण क्या थे ?
उत्तर:
सन् 1857 ई. के आन्दोलन की असफलता के मुख्य कारण निम्नलिखित थे –

  • तत्कालीन भारत में राजनैतिक चेतना की कमी एवं एकता का अभाव।
  • आन्दोलनकारियों द्वारा मुगल बादशाह को भारत का सम्राट मान लेना।
  •  विभिन्न आन्दोलनकारियों में एकजुटता एवं आपसी तालमेल का अभाव।
  • ब्रिटिश शासन के प्रति सब जगह तीव्र असन्तोष का अभाव एवं कुछ लोगों द्वारा शासन का साथ देना।
  • विद्रोह का नेतृत्व राजाओं और जमींदारों के हाथों में होना।
  • ब्रिटिश शासन के पास बेहतर हथियार, सेना एवं संचार व्यवस्था का होना आदि।

(4) टिप्पणी लिखिए –
(1) संन्यासी विद्रोह
(2) वहाबी आन्दोलन।
उत्तर:
(1) संन्यासी विद्रोह – नागरिक विद्रोह में महत्वपूर्ण बंगाल के संन्यासियों का विद्रोह था। 1770 ई. में बंगाल में पड़े अकाल ने वहाँ की जनता को कंगाल कर दिया था। अंग्रेजी सरकार की उदासीनता, आर्थिक लूट और तीर्थ स्थानों पर लगे प्रतिबन्धों ने सदैव से शान्त संन्यासियों को भी विद्रोह करने पर विवश कर दिया। उन्होंने आम जनता के साथ मिलकर सरकार की कोठियों, बस्तियों और किलों पर आक्रमण कर दिया। कम्पनी सरकार के गवर्नर वारेन हेस्टिंग्ज के अथक प्रयास के बाद ही संन्यासी विद्रोह को शान्त किया जा सका। संन्यासी विद्रोह का उल्लेख बंकिमचन्द्र चटर्जी ने अपनी पुस्तक ‘आनन्द मठ’ में किया है।

(2) वहाबी आन्दोलन – अंग्रेजी प्रभुसत्ता को सबसे गहरी चुनौती वहाबी आन्दोलन से मिली। वहाबी आन्दोलन 19वीं शताब्दी के चौथे दशक से सातवें दशक तक चला। रायबरेली के सैय्यद अहमद वहाबी इसके प्रवर्तक थे। वह इस्लाम में किसी है भी तरह के परिवर्तन और सुधारों के विरुद्ध थे। सैय्यद अहमद ने पंजाब में सिक्ख राज्य के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और 1849 में पंजाब पर कम्पनी के अधिकार से वहाबी आन्दोलन अंग्रेजों के विरुद्ध हो गया।

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MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 2 ब्रिटिश प्रशासन, नीतियाँ और प्रभाव

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 2 ब्रिटिश प्रशासन, नीतियाँ और प्रभाव

MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) ब्रिटिश संसद ने रेग्यूलेटिंग एक्ट कब पारित किया था?
(क) 1750 ई.
(ख) 1773 ई.
(ग) 1857 ई.
(घ) 1940 ई.
उत्तर:
(ख) 1773 ई.

(2) एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना कब हुई थी ?
(क) 1784 ई. में
(ख) 1790 ई. में
(ग) 1801 ई. में
(घ) 1901 ई. में
उत्तर:
(क) 1784 ई.

(3) सन् 1793 ई. में स्थाई बन्दोबस्त व्यवस्था किसके द्वारा लागू की गई थी?
(क) विलियम पिट के द्वारा
(ख) राबर्ट क्लाइव के द्वारा
(ग) वारेन हेस्टिंग्ज के द्वारा
(घ) लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा
उत्तर:
(घ) लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा

(4) सन् 1813 ई. में कौन-सा एक्ट पारित किया गया ?
(क) चार्टर एक्ट
(ख) पिट इण्डिया एक्ट
(ग) रेग्यूलेटिंग एक्ट
(घ) सिविल सर्विस एक्ट
उत्तर:
(क) चार्टर एक्ट

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) क्लाइव ने निजामत का कार्य ……………. पर छोड़ दिया था।
(2) सन् 1772 ई. में …………… बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया गया था।
(3) भारत में सिविल सर्विस की स्थापना …………….. ने की थी।
(4) रैयतवाड़ी व्यवस्था सर्वप्रथम ……………… और बम्बई (मुम्बई) में शुरू की गई।
(5) आधुनिक डाकतार (संचार) व्यवस्था को ………………. ने शुरू किया था।
उत्तर:

  1. बंगाल के नवाब
  2. वारेन हेस्टिंग्ज को
  3. लॉर्ड कार्नवालिस
  4. चेन्नई
  5. डलहौजी।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
(1) भूमिकर वसूल करने के लिए कम्पनी द्वारा किसे नियुक्त किया गया था ?
उत्तर:
भूमिकर वसूल करने के लिए कम्पनी द्वारा जमींदारों को नियुक्त किया गया था।

(2) कॉर्नवालिस द्वारा किये गये सुधारों को किस पुस्तक में संग्रहीत किया गया है ?
उत्तर:
कॉर्नवालिस द्वारा किये गये सुधारों को कॉर्नवालिस संहिता’ नामक पुस्तक में संग्रहीत किया गया है।

(3) किसान का भूमि पर अधिकार किस व्यवस्था के अन्तर्गत समाप्त कर दिया गया था ?
उत्तर:
महालवाड़ी व्यवस्था के अन्तर्गत किसान का भूमि पर से अधिकार समाप्त कर दिया गया था।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 4.
(1) दोहरी शासन व्यवस्था का बंगाल की जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
बंगाल के नवाब के पास शासन का सम्पूर्ण दायित्व था, परन्तु उसके पास न तो शक्ति थी और न ही धन था। कम्पनी के पास सेना और कोष दोनों थे, किन्तु शासन और सुरक्षा के प्रति उसकी जिम्मेदारी नहीं थी। परिणामस्वरूप बंगाल की दोहरी शासन व्यवस्था ने बंगाल की जनता को अपार कष्टों में डाल दिया।

(2) रेग्यूलेटिंग एक्ट के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
कम्पनी की गतिविधियों पर नियन्त्रण रखने के लिए ब्रिटिश संसद ने सन् 1773 ई. में रेग्यूलेटिंग एक्ट पारित किया।
इस एक्ट के दो प्रमुख उद्देश्य थे –

  • कम्पनी के संगठन के दोषों को दूर करना, और
  • भारत में कम्पनी के शासन के दोषों का निराकरण करना।

(3) पिट इण्डिया एक्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर:
इस एक्ट ने कम्पनी के मामलों और भारत में उसके प्रशासन पर ब्रिटिश सरकार को अधिकाधिक नियन्त्रण का अधिकार दे दिया था। इस एक्ट की विशेष बात यह थी कि इसके द्वारा भारत में कम्पनी के आक्रामक युद्धों को नियन्त्रित कर दिया तथा गवर्नर जनरल एक शासक की भूमिका में आ गया था। इस एक्ट में कहा गया कि भारत में साम्राज्य का विस्तार इस राष्ट्र की इच्छा, सम्मान तथा नीति के विरुद्ध है।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 5.
(1) ब्रिटिश शासन की आर्थिक नीतियों का भारतीय उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा ? समझाइए।
उत्तर:
भारतमें कम्पनीकीआर्थिकनीतियों के कारणव्यापारवाणिज्य, उद्योग-धन्धों तथा भू-राजस्व प्रणाली और कृषि व्यवस्था में अनेक बदलाव आये थे। अंग्रेजों ने अपने हितों में जो नीतियाँ अपनाई थीं, उनसे भारतीय अर्थव्यवस्था का परम्परागत ढाँचा चरमरा गया। भारतीय कृषि, उद्योग तथा व्यापार पर ब्रिटिश शासन की आर्थिक नीतियों का अत्यन्त बुरा प्रभाव पड़ा।

(2) स्थाई बंदोबस्त से क्या तात्पर्य है ? उसके क्या दुष्परिणाम हुए ?
उत्तर:
इस व्यवस्था में जींदारों को भू-स्वामी मान लिया गया। भूमि पर उनका वंशानुगत अधिकार हो गया था। चेन्नई और मुम्बई क्षेत्र में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की गई। इसमें भूमि जोतने वाले को भू – स्वामी माना गया। इनसे कम्पनी सीधे कर लेती थी। लगान न देने पर किसानों का भूमि पर से अधिकार समाप्त कर दिया जाता था। इस व्यवस्था से कृषि का उत्पादन बहुत घट गया, किसानों पर अत्याचार बढ़ गए, किन्तु सरकारी राजस्व में भारी वृद्धि हुई। इसके चलते कुटीर उद्योग, दस्तकार और शिल्पकार पतन के गर्त में चले गये।

(3) 18वीं सदी में भारतीय समाज में कौन-कौन सी कुरीतियाँ व्याप्त थीं एवं सरकार द्वारा उनके सुधार हेतु क्या प्रयास किए गए ?
उत्तर:
18वीं सदी में भारतीय समाज में कन्यावध की कुप्रथा कुछ क्षेत्रों में प्रचलित थी। कन्या को जन्म लेते ही मार दिया जाता था। इन कुरीतियों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने अनेक कानूनों का निर्माण किया। भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति भी दयनीय थी। पर्दा प्रथा, बाल विवाह, सती प्रथा, स्त्री अशिक्षा आदि के कारण स्त्रियों की स्थिति शोचनीय होती गई। सरकार ने सन् 1829 ई. के एक कानून द्वारा सती प्रथा पर रोक लगाई समाज में दास प्रथा के रूप में एक अन्य कुरीति पनप रही थी। गरीबी के कारण लोग अपने बच्चों को बेचने पर विवश थे। सरकार ने सन् 1843 ई. में कानून बनाकर दास प्रथा पर रोक लगाई

(4) ब्रिटिश प्रशासन द्वारा शिक्षा व्यवस्था में क्या सुधार किए गए और उसके क्या परिणाम हुए ?
उत्तर:
ब्रिटिश प्रशासन द्वारा आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में अपने स्तर पर शुरूआत की गई। कुछ भारतीयों ने इस प्रयास में उनका सहयोग भी किया। सन् 1781 ई. में कलकत्ता मदरसा की स्थापना की गई। इसमें अरबी और फारसी की शिक्षा दी जाती थी। इसी क्रम में सन् 1784 ई. में सर विलियम जोंस ने एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना की। इसके माध्यम से प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्ययन के लिए महत्त्वपूर्ण प्रयास किए गए। सन् 1791 ई. में वाराणसी में हिन्दू विधि (कानून) और दर्शन के लिए संस्कृत कॉलेज की स्थापना की गई।

इसी तरह सन् 1800 ई. में कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की गई। सरकार द्वारा खोले गए कुछ स्कूलों में अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया। धीरे-धीरे शिक्षा का प्रसार भारत में बढ़ता गया। अंग्रेजी के सम्पर्क में आने से भारतीय आधुनिक शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान, स्वतन्त्रता, समानता, जनतन्त्र, राष्ट्रीयता, विशिष्ट क्रान्तियाँ और आधुनिक विचारों के सम्पर्क में आने से उनमें जागृति पैदा हुई।

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MP Board Class 8th General Hindi निबन्ध लेखन

MP Board Class 8th General Hindi निबन्ध लेखन

विज्ञान के चमत्कार

प्रस्तावना-अनेक वर्षों से विज्ञान निरंतर उन्नति कर रहा है। विज्ञान का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। रामायण काल में भी पुष्पक विमान, अग्नि बाण, ब्रह्मास्त्र आदि ऐसे साधन थे; जिनके मुकाबले अभी भी विज्ञान पीछे है। वैसे 19वीं एवं 20वीं सदी में विज्ञान में नवीन आविष्कार हुए और आज हम विज्ञान से इतने संबद्ध हो चुके हैं कि इसके बिना हमारा जीवन ही अधूरा रह जाएगा।

आधुनिक युग का विज्ञान-आधुनिक युग के विज्ञान को देखा जाए, तो इसे हम आविष्कारों के युग की संज्ञा दे सकते हैं। सुई से हवाई जहाज़ तक के निर्माण में हमें विज्ञान की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। विज्ञान ने मानव में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है। भाप, बिजली एवं अणु शक्ति को वश में करने वाला मानव आज वैभव की चरम सीमा पर आरूढ़ है। तेज़ गति से चलने वाले वाहन, समुद्री जहाज़ एवं आकाश में वायुवेग से चलने वाले हवाई जहाज़, चंद्रलोक की यात्रा करने वाला रॉकेट आदि कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने प्रकृति पर मानव की विजय का उज्जवल दृष्टांत प्रस्तुत किया है।

संचार साधनों में वृद्धि-विज्ञान ने हमारे जीवन में तार, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा और ग्रामोफोन आदि ने हमारे जीवन में अनेक सुविधाएँ प्रदान की हैं। इन सुविधाओं की कल्पना हमारे पूर्वजों के लिए कठिन थी।

विज्ञान वरदान के रूप में-हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। इसी प्रकार विज्ञान के भी दो पहलू हैं। यदि हम विज्ञान के लाभकारी परिणामों पर दृष्टिपात करें, तो हम पायेंगे कि यह हमारे लिए ईश्वरीय वरदान है। प्रारंभ में मनुष्यों का अधिकांश समय उदर पूर्ति हेतु ही व्यतीत हो जाता था, परंतु आज के वैज्ञानिक युग में व्यक्ति के पास इतने अधिक काम और समय की कमी रहती है कि वह अपना काम बिना विज्ञान की सहायता के कर भी नहीं सकता। बड़ी-बड़ी मशीनों की सहायता से दिन भर का काम घंटों में निपटा लिया जाता है। मशीनीकरण से कीमती समय की बचत हो जाती है तथा कम समय में अधिक उत्पादन कर हम अपना एवं अपने देश का आर्थिक विकास संभव बनाते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि विज्ञान मनुष्य को ईश्वरीय वरदान के रूप में प्राप्त है। इसमें किंचित् मात्रा भी संदेह भी नहीं कि विज्ञान हमारे जीवन का एक अमूल्य अंश है।

विज्ञान अभिशाप के रूप में-जिस प्रकार घोड़े की लगाम पकड़ कर हम घोड़े को सही मार्ग पर चलने को विवश करते हैं, उसी प्रकार विज्ञान भी हमारे हाथ की कठपुतली है। इसका उपयोग यदि निर्माण कार्यों में किया जाए, तो हमारे लिए वरदान है। वहीं यदि इसका प्रयोग अनुचित साधन के रूप में किया जाए, तो यह सर्वनाश का प्रबल प्रतीक बन सकती है, जैसे हिरोशिमा व नागासाकी का भयंकर विस्फोट विज्ञान के अभिशाप का एक सशक्त उदाहरण है।

प्रथम एवं द्वितीय विश्व-युद्ध के मध्य जन-धन का जितना विनाश विज्ञान के द्वारा हुआ, उतना विकास हम जीवनपर्यंत नहीं कर सकते। 40 साल बाद भी वहाँ इसका कुपरिणाम दिखाई दे जाता है। छोटा-सा उदाहरण बिजली को ही लें। वही बिजली बल्ब में जलकर घर के अंधकार को दूर करती है, तो असावधानीवश बिजली के करेंट द्वारा व्यक्ति मृत्यु के मुख में जाकर कुल के दीपक को बुझा कर विज्ञान के दुष्परिणामों को उजागर करता है।

उपसंहार-विज्ञान हमारे लिए वरदान भी है, और अभिशाप भी। हमें चाहिए कि विज्ञान का उपयोग विध्वंसात्मक रूप से न करके रचनात्मक रूप से करें। मानव विज्ञान का स्वामी है अतः उस पर अंकुश लगाए रहें, ताकि विज्ञान द्वारा होने वाले सर्वनाश से बचा जा सके। अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि मनुष्य विज्ञान का उपयोग विध्वंसात्मक रूप से न कर सृजनात्मक रूप से करे, जिससे आसानी से इक्कीसवीं शताब्दी में पदार्पण करें।
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धार्मिक त्योहार : दीपावली

प्रस्तावना-भारतीय त्योहारों में दशहरा, दीपावली, रक्षाबंधन, होली, विजयादशमी आदि का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसमें दीपावली अपने ढंग का एक अनोखा त्योहार है। इस दिन लोग अपनी प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए दीपकों द्वारा सारे संसार को प्रकाशित करते हैं। इसीलिए इस त्योहार का नाम दीपावली पड़ा।

ऐतिहासिक महत्त्व-इस त्योहार के साथ अनेक ऐतिहासिक एवं धार्मिक गाथायें जुड़ी हुई हैं। ऐसी जनश्रुति है कि भगवान् श्रीराम, रावण पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् इसी दिन अयोध्या वापस आए थे। अयोध्यावासियों ने उनका दीपों द्वारा स्वागत किया था। कुछ पौराणिक गाथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने इसी दिन नरकासुर का वध कर खुशियाँ मनाई थीं। दीपावली के मनाने का सामाजिक कारण भी है। वैदिककाल में जब फसल काटकर धान्य घर पर आ जाता था, तो किसान इसे बड़े प्रेम से अपने इष्ट देव को अर्पित करता था, यज्ञ होते थे तथा रात्रि में दीपों के प्रकाश से सारा वातावरण प्रकाशमय हो जाता था। वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसका महत्त्व है। बरसात में गंदे पानी के कारण हानिकर कीड़े उत्पन्न हो जाते हैं। दीपों को जलाकर उन्हें भस्म कर दिया जाता है।

पूर्व तैयारी-दीपावली से कई दिन पूर्व तैयारी आरंभ हो जाती है। लोग अपने घरों की लिपाई-पुताई करवाते हैं एवं घरों को रंगीन चित्रों द्वारा सजाते हैं। पुताई से मच्छर, मक्खी एवं अन्य हानिकारक जीव नष्ट हो जाते हैं और कई तरह की बीमारियाँ होने से लोग बचे रहते हैं। कच्चे मकानों की मरम्मत भी इसी समय की जाती है तथा सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।

पंच दिवसीय कार्यक्रम-यह त्योहार पाँच दिनों का होता है। इस त्योहार का आरंभ कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से होता है। यह दिन धन तेरस के नाम से मनाया जाता है। लोग नये बर्तन एवं वस्त्र आदि का क्रय करते हैं। दूसरे दिन नरक चतुर्दशी का आयोजन होता है। तीसरे दिन दीपावली का मुख्य आयोजन होता है। लोग शाम के समय लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती आदि का पूजन कर दीपकों द्वारा घरों को प्रकाशित करते हैं। चौथे दिन गोवर्धन पूजा एवं पाँचवें दिन भाई दूज या यम द्वितीया के साथ इस त्योहार का समापन होता है।

दीपावली का पूजन-कार्तिक मास की अमावस्या को व्यापारी अपने बहीखातों का पूजन करते हैं तथा इष्ट मित्रों सहित लक्ष्मी जी का पूजन कर प्रसाद वितरण करते हैं। लक्ष्मी पूजन के उपरांत रात्रि में चारों ओर दीपकों का प्रकाश जगमगा उठता है। नगरों में दियों के स्थान पर मोमबत्तियों एवं बिजली की झालरों द्वारा प्रकाश किया जाता है। आतिशबाजी एवं पटाखों की ध्वनि से सारा आकाश गूंज उठता है। बालक-बालिकाएँ उमंग के साथ नया वस्त्र धारण कर प्रसाद वितरण एवं मिठाइयों का वितरण करते हैं। कुछ लोग रात में जुआ भी खेलते हैं, परंतु यह बुरी बात है। जुआ का दुष्परिणाम हम महाभारत में स्पष्ट रूप से देख चुके हैं, अतः इस आयोजन से हमें बचना चाहिए। बच्चों को खील, मिठाई, आतिशबाजी आदि की प्रसन्नता प्रदान करते हैं। इस दिन चारों ओर एक अनोखी छटा रहती है। चलह-पहल एवं प्रकाश से सारा वातावरण आनान्दित रहता है।

लाभ-हानि-इस त्योहार से जहाँ हमें लाभ होते हैं, वहीं नुकसान भी होते हैं। आतिशबाजी में जलकर लोग प्राण तक गंवा बैठते हैं, एवं जुए में कई घर बरबाद हो जाते हैं।

उपसंहार-यह हमारा धार्मिक त्योहार है। इसे उचित रूप से मनाया जाना चाहिए। इस दिन हमें शुभ मार्ग पर चलने की शपथ लेनी चाहिए। बुरे मार्ग पर चलने से अपने को बचाना चाहिए। आतिशबाजी आदि पर अधिक पैसा व्यय नहीं करना चाहिए।

महापुरुषों की जीवनी : महात्मा गांधी

प्रस्तावना-महात्मा गांधी हमारे देश के महान् नेताओं में अपना प्रमुख स्थान रखते हैं। सारा राष्ट्र उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ और ‘बापू’ के नाम से जानता है। आपका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। आपने अहिंसा और सत्याग्रह के बल पर भारत को स्वतंत्र कराने का बीड़ा उठाया था। विश्व इतिहास में आपका नाम सदैव सम्मान के साथ लिया जाता रहेगा।

जन्म-महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। आप के. पिता का नाम करमचंद था और वे राजकोट के राजा के दीवान थे। आपकी माता का नाम पुतलीबाई था। आपकी माता धार्मिक एवं सती साध्वी महिला थीं। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव महात्मा गाँधी पर आजीवन रहा।

शिक्षा-दीक्षा-महात्मा गाँधी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई। मैट्रिक तक का अध्ययन आपने स्थानीय विद्यालयों में ही किया। तेरह वर्ष की अवस्था में आपका विवाह सुयोग्य कस्तूरबा के साथ हुआ। तदनंतर आप कानूनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए विलायत गए। वहाँ से बैरिस्टरी की परीक्षा पास कर आप स्वदेश वापस आ गए। आपने अपना वकालत का पेशा बंबई नगर में आरंभ किया। कुछ विशेष मुकद्दमों के मामले में आपको पैरवी करने के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। दक्षिण अफ्रीका में हो रहे भारतीयों पर अत्याचार को देखकर गाँधी जी का मन परिवर्तित हो गया और वे वकालत का धंधा छोड़कर राष्ट्रीय सेवा में संलग्न हो गए।

आंदोलनों का आरंभ-सन 1915 में जब महात्मा गाँधी आफ्रीका से भारत आए, तो यहाँ अंग्रेजों का दमन-चक्र अपनी चरम स्थिति पर था। रोलट एक्ट जैसा काला कानून भारत में संरक्षण पा रहा था। सन् 1919 में घटित जलियांवाला बांग हत्याकाण्ड से सारा देश क्षुब्ध था। इन सारी परिस्थितियों का अवलोकन कर महात्मा गाँधी के हृदय में शांत किंतु क्रांतिकारी परिवर्तन आया। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन की बागडोर अपने हाथों में ले ली तथा इतिहास में एक नए युग का आरंभ हुआ।

गांधी युग का आरंभ-सन् 1920 में महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन आरंभ किया। भारतीय जनता ने इनका अपूर्व सहयोग दिया और लाखों लोग विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार में कूद पड़े। अंग्रेज़ों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लोगों ने सरकारी कार्यालयों की होली जलाई। शासकीय संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्र इस आंदोलन में कूद पड़े। परिणामस्वरूप भारतीय स्वतंत्रता के प्रति एक नए वातावरण का निर्माण हुआ।

सन् 1928 में ‘साइमन कमीशन’ भारत आया। गाँधी जी ने इस कमीशन का भी बहिष्कार किया। इस आंदोलन में भी उन्हें जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ। उन्होंने इस बीच देश को उचित नेतृत्व प्रदान किया।

सन् 1930 में महात्मा गाँधी ने नमक-कर के विरोध में नामक आंदोलन का संचालन किया। उनके साथ असंख्य भारतीय दाण्डी पहुँचे और वहाँ नमक बनाकर कानून को तोड़ा।

भारत छोड़ो आंदोलन का श्री गणेश-द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के साथ ही 1942 में गाँधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का श्री गणेश कर दिया। महात्मा गांधी के अनुसार यह उनकी अन्तिम लड़ाई थी। इस आन्दोलन में गाँधी जी तथा अनेक भारतीय गाँधी नेता और असंख्य आंदोलनकारी देश की विभिन्न जेलों में गिरफ्तार हुए। अंत में अंग्रेजों को इस आंदोलन के सम्मुख झुकना पड़ा एवं 15 अगस्त, 1947 को भारत पूर्ण रूप से आजाद हो गया।

अंतिम यात्रा-बापू के पूजा करने हेतु जाते समय नाथूराम गोडसे नामक एक युवक ने 30 जनवरी, 1948 को उन्हें गोली मार दी, जिसके कारण बापू ‘हे राम!’ कहकर चिर निद्रा में लीन हो गए। भारत में सर्वत्र शोक की लहर व्याप्त हो गयी। एक युग का सूर्य क्षण भर में अस्त हो गया। बापू मरकर भी अपने यशस्वी शरीर से अमर हो गए।

उपसंहार-बापू का नाम भारतीयों में तब तक आदर के साथ लिया जाता रहेगा, जब तक एक-एक भारतवासी के हृदय में देश-प्रेम है। उनका नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। हम बापू के कार्यों का स्मरण कर धन्य हो जाते है।
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विद्यार्थी जीवन और अनुशासन

प्रस्तावना-अनुशासन देश का आधार स्तंभ है और विद्यार्थी के लिए इसकी अत्यंत आवश्यकता होती है। अनुशासन शब्द अनु और शासन शब्दों से मिलकर बना है। अनु का अर्थ पीछे चलना एवं शासन से तात्पर्य आज्ञा पालन अर्थात् किसी आदेश के अनुसार चलना ही अनुशासन है। जब तक बालक घर की चारदीवारी में रहता है, तब तक वह माँ-बाप के अनुशासन में रहता है।

अनुशासन का महत्त्व-बालक जो कुछ अपनी छात्रावस्था में गुण ग्रहण करता है और क्षमता प्राप्त करता है, वह उसकी सम्पत्ति बन जाती है। इस सम्पत्ति का लाभ वह जीवन पर्यंत उठाता रहता है। विद्यार्थी का जीवन समाज एवं देश की अमूल्य निधि होता है। समाज एवं देश की उन्नति मात्र विद्यार्थियों पर ही निर्भर है। यही आगे चलकर देश के कर्णधार बनते हैं।

अनुशासन को हम सफलता के मार्ग का सोपान मान सकते हैं। अनुशासन जीवन को उन्नत बनाने का मूल मंत्र है। अनुशासन से बालकों को अपने माता-पिता, गुरु एवं बड़े, लोगों का स्नेह प्राप्त होता है। स्नेह बालक के जीवन के भावी विकास में सहायक सिद्ध होता है। यह स्नेह जिस बालक को जितना प्राप्त होता है, उसका उतना ही चारित्रिक विकास संभव होता है। अनुशासन से बालक के विकास के स्मस्त मार्ग खुल जाते हैं। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का तात्पर्य है-‘विद्यार्थी का अपने से बड़ों की आज्ञा का पालन’। बालक को बड़ों की आज्ञा के विपरीत कोई काम नहीं करता चाहिए। क्योंकि माता-पिता, गुरु एवं परिजन ही उसके वास्तविक शुभचिंतक होते हैं; ये उसे कभी बुरे मार्ग पर जाने की सलाह नहीं देंगे। विद्यार्थी के अनुशासन का तात्पर्य यह भी है कि उसे समय से उठना, समय से सोना, खेलना, पढ़ना, पाठशाला जाना, गृह-कार्य करना, घर के काम आना आदि समयबद्ध तरीके से करना चाहिए। अर्थात् जीवन में उसे समय की कीमत का ध्यान करना चाहिए।

जो विद्यार्थी अपने अध्यापकों की आज्ञा का पालन कर समय से पढ़ते-लिखते और खेलते हैं, वे परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर उत्तीर्ण होते हैं और उनका भविष्य सुखद एवं उज्जवल बनता है।

अनुशासन के प्रकार-अनुशासन को हम दो वर्गों में विभक्त कर सकते हैं। प्रथम आंतरिक अनुशासन एवं द्वितीय बाह्य अनुशासन। आन्तरिक अनुशासन में विद्यार्थी अपने शरीर, मन एवं बुद्धि पर पूर्ण नियन्त्रण रखता है, जबकि बाह्य अनुशासन भय या लोभ वश किया जाता है। आत्म-अनुशासित व्यक्ति ही अपने जीवन में महान् बन सकता है। दुनिया में जितने भी महान् व्यक्तित्व हुए हैं, आत्म-अनुशासित ही थे। जबकि बाह्य अनुशासन बालकों को डरपोक एवं रिश्वतखोर बनाता है। यह हमारे जीवन के लिए हानिकर हो सकता है।

अनुशासनहीनता के दुष्परिवास-आजकल के विद्यार्थियों में अनुशासन का अभाव है। वे अपने माता-पिता एवं गुरुओं की आज्ञा का कम ही पालन करते हैं। स्कूल, कॉलेजों में हड़ताल, आंदोलन, परीक्षा में नकल आदि की गंदी प्रवृत्तियाँ उनमें पनपने लगती हैं। ये उनके लिए घातक है। विद्यार्थियों को इन बुराइयों से बचना चाहिए, क्योंकि इनसे उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। जिससे समाज में बेकारी एवं अव्यवस्था फैल जाती है।

उपसंहार-विद्यार्थी के जीवन के पूर्ण विकास के लिए अनुशासन का विशेष महत्त्व है। अनुशासित व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपना मानसिक संतुलन बनाए रखता है। सभी लोग अनुशासन प्रिय व्यक्ति पर विश्वास करते हैं। दायित्व का कार्य करने में ऐसे व्यक्ति पूर्ण सक्षम होते हैं। अनुशासन से हमारा जीवन सुंदर बनता है। सुंदर जीवन सभी सुखों का आधार होता है तथा सुखी जीवन स्वस्थ मानसिकता का निर्माण करता है। अतः विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का विशेष महत्त्व है।

स्वतंत्रता दिवस : 15 अगस्त

प्रस्तावना-15 अगस्त, 1947 का दिन हम भारतवासियों के लिए एक अविस्मरणीय दिन रहेगा। इस दिन को इतिहास कभी भुला नहीं सकता। सदियों की गुलामी के बाद आज ही के दिन हम भारवासी आजाद हुए थे। सब ने शांति एवं सुख का अनुभव किया था। इस दिन का प्रभाव कुछ अद्भुत यादें संजोए हुए आया था। लोग जब सोए तो परतंत्र थे; परंतु जब प्रातः उनकी आँख खुली, तो वे पूर्ण स्वतंत्र नागरिक थे। यह हमारे लिए एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय त्योहार है।

अनेक बलिदान-भारत सदियों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। आजादी प्राप्ति के लिए अनेक लोगों को अपनी कुर्बानी देनी पडी। अनेक वीरों की गाथाएँ इस आजादी के साथ जड़ी हुई हैं। देश की आजादी के लिए लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने हमें नारा दिया ‘स्वाधीनता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और इसे लेकर ही रहेंगे, इस हेतु उन्होंने महाराष्ट्र में गणेशोत्सव एवं शिवाजी उत्सव का आयोजन किया, जिसकी आड़ में लोगों में स्वतंत्रता में चिनगारी फॅकी। लाला लाजपत राय ने लाठियों के वार सहकार भी अपना आंदोलन बंद न किया। उनका कहना था कि “मेरी पीठ पर पड़ा एक-एक लाठी का प्रहार अंग्रेजों के कफन में कील का काम करेगा।” वास्तव में हुआ भी ऐसा ही। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने क्रांतिकारी नारा दिया ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।’ उनका कहना था कि बिना आत्म-बलिदान के आजादी प्राप्त करना असंभव है।

स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी का योगदान-महात्मा गाँधी का राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक विशेष महत्त्व था। वे अहिंसा एवं सत्याग्रह पर विश्वास करते रहे। वे सन् 1928 से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कूदे और अंत तक अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आंदोलन करते रहे। इन्होंने अहिंसा को अपना सबसे बड़ा अस्त्र बनाया। इन्होंने देश के लोगों को अहिंसा के बल पर आज़ादी प्राप्ति हेतु प्रेरित किया। महात्मा गाँधी के सत्य, अहिंसा एवं त्याग सम्मुख अंग्रेजों को नत मस्तक होना पड़ा। फलस्वरूप 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हुआ। नेहरू परिवार का योगदान भी आजादी के लिए अविस्मरणीय रहेगा। पं. मोतीलाल नेहरू, पं. जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गाँधी आदि ने आज़ादी पाने के लिए अनेक प्रयत्न किए। इन्हें कई बार जेल यात्राएं भी करनी पड़ीं एवं न जाने कितनी यातनाओं का सामना करना पड़ा। पं. जवाहरलाल नेहरू ने सन 1929 में लाहौर में रावी नदी के तट पर भारत को पूर्ण स्वतंत्र कराने की पहली ऐतिहासिक घोषणा की। इन्होंने निरंतर अठारह वर्ष तक अंग्रेजों के साथ संघर्ष किया। अंततः अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा और हम आजाद हुए।

विविध आयोजन-यह उत्सव भारत के प्रत्येक ग्राम, नगर एवं शहर में बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। शालाओं में आज के दिन विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज फहराकर राष्ट्रगीत गाया जाता है एवं सारा वातावरण उल्लासमय रहता है। विदेशों में रहने वाले भारतीय भी अपना राष्ट्रीय पर्व सोल्लास मानते हैं। दिल्ली के लाल किले एवं अन्य प्रमुख स्थलों पर तिरंगा झंडा लहराया जाता है एवं विभिन्न शालाओं में प्रभात फेरियों का आयोजन किया जाता है।

उपसंहार-15 अगस्त के दिन हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि देश की अखंडता, एकता और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हर भारतवासी समान रूप से समर्थ है। यह त्योहार हमें देश-भक्ति की प्रेरणा देता है। तथा अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सफलता की प्रेरणा प्रदान करता है। यह हमारे लिए एक महान् राष्ट्रीय पर्व है।
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किसी खेल का वर्णन
(मेरी शाला का हॉकी मैच)

खेल विद्यार्थियों के लिए स्फूर्तिदायक टॉनिक का कार्य करते हैं। अतः स्कूलों में विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन होता रहता है। इनमें प्रमुख हैं-हॉकी, फुटबॉल वालीबॉल, कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट आदि। मेरे विद्यालय में एक हॉकी टीम भी है। एक दिन मेरे स्कूल एवं आदर्श बुनियादी शाला में हॉकी मैच खेलने का निर्णय लिया गया। दोनों ही टीमें अपने-अपने क्षेत्र में एक से बढ़कर एक थीं। यह फाइनल मैच था अतः सभी खेल प्रेमियों की दृष्टि इसी खेल पर अड़ी थी। आखिर वह शुभ घड़ी आ ही गयी, जब दोनों टीमें आमने-सामने आकर अपने कौशल का प्रदर्शन करने के लिए तैयार थीं। .. मैच का आयोजन स्टेडियम ग्राउंड में किया गया। लोग पहले से ही आकर वहाँ काफी संख्या में बैठ चुके थे। हमारे स्कूल के छात्र भी जुलूस के रूप में स्टेडियम ग्राउंड पहुंचे। हम लोगों में उत्साह का अपार सागर हिलोरें ले रहा था।

दोनों टीमें आमने-सामने आयीं। निश्चित समय पर खेल आरंभ हुआ। सीटी बजते ही टीम के बालकों में उत्साह का संचार हो गया। शालेय छात्रों ने भी हाथ हिलाकर अपने-अपने दल वालों का हौसला बुलंद किया। खेल आरंभ हुआ। खिलाड़ी गेंद के पीछे-पीछे भागने लगे और दर्शकों की आँखें साथ-ही-साथ दौड़ने लगीं। खिलाड़ियों का प्रदर्शन काफी उत्तम था। इनकी कार्य कुशलता पर लोगों के मुँह से स्वतः ही ‘वाह-वाह’ की ध्वनि निकल जाती थी। तालियों की गड़गड़ाहट से सारा आकाश बीच-बीच में निनादित हो जाया करता था। खेल बड़े उत्तम तरीके से चल रहा था। दोनों टीमें अपने लिए अवसर खोज रही थीं। परंतु यह काम इतना आसान न था। खेल का लगभग आधा समय समाप्त हो गया परंतु किसी भी टीम को अभी तक कोई सफलता प्राप्त न हो सकी। निर्णायक महोदय ने सीटी बजाई और दोनों टीमों ने खेल बंद कर दिया। आराम करने के लिए अवकाश हो गया। प्राचार्य महोदय ने खिलाड़ियों को फल आदि खिलाकर आवश्यक नियमों से उन्हें अवगत कराया।

अवकाश का समय समाप्त हुआ। पुनः निर्णायक की सीटी सुनाई दी और खिलाड़ी दूने उत्साह में भर कर मैदान की ओर लपके। इस बार खिलाड़ियों ने आक्रामक रुख अपनाया। – ऐसा लगता था जैसे खिलाड़ी गेंद के साथ उड़े जा रहे हों। दर्शकों का उत्साह भी दुगुना हो रहा था। बच्चे बीच-बीच में शोरगल भी मचा रहे थे, परंतु इससे खेल में कोई व्यावधान नहीं पड़ रहा था।

खेल समाप्त होने में कुछ ही देर थी, परंतु अभी किसी भी टीम को कोई सफलता प्राप्त न हो सकी थी। हमारी शाला के विद्यार्थियों ने आक्रामक रुख अपनाया और उन्हें एक पेनाल्टी कॉर्नर मिला। बस क्या था, टीम के कप्तान ने रेखा पर गेंद रख कर इस प्रकार कुशल प्रहार किया कि गेंद गोल पोस्ट के भीतर हो गयी। सारा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट एवं बच्चों के शोरगुल से गूंज उठा। प्रतिद्वंद्वी टीम के हौसले पस्त हो गए। इसी बीच एक और पेनाल्टी कॉर्नर मिला और अगले ही हिट में गेंद पुनः गोल पोस्ट में प्रविष्ट हो गयी। पुनः तालियों की गड़गड़ाहट से सारा आकाश गूंज उठा। अगले ही क्षण सीटी बज उठी और निर्णायक ने हमारे विद्यालय को 2 गोल से विजयी घोषित किया। प्राचार्य जी ने पुरस्कार वितरण किया और अगले दिन की छुटी भी घोषित की। हम सभी प्रसन्नतापूर्वक अपने घर आ गए।

उपसंहार-खेलों का नियम ही एक पक्ष को जय तथा दूसरे को पराजय है। हमें जय या पराजय को उतना महत्त्वपूर्ण नहीं मानना चाहिए जितना महत्त्वपूर्ण कौशल को माना जाता
है। हमें पराजय के पश्चात् भी अपने मार्ग से विचलित नहीं __ होना चाहिए, सफलता अवश्य ही हमारे कदमों तले आ गिरेगी,
इसमें संदेह उन्हीं है।

बाल दिवस

हमारे विद्यालय में प्रतिवर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस का आयोजन किया जाता है। बाल दिवस पूज्य चाचा नेहरू का जन्मदिवस है। चाचा नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे स्वतंत्रता संग्राम के महान् सेनानी थे। उन्होंने अपने देश की आजादी के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। अपने जीवन _ के अनेक अमूल्य वर्ष देश की सेवा में बिताए। अनेक वर्षों तक विदेशी शासकों ने उन्हें जेल में बंद रखा। उन्होंने साहस नहीं छोड़ा और देशवासियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे।

पं. नेहरू बच्चों के प्रिय नेता थे। बच्चे उन्हें प्यार से ‘चाचा’ कहकर संबोधित करते थे। उन्होंने देश में बच्चों के लिए शिक्षा सुविधाओं का विस्तार कराया। उनके अच्छे भविष्य के लिए अनेक योजनाएँ आरंभ की। वे कहा करते थे ‘कि आज के बच्चे ही कल के नागरिक बनेंगे। यदि आज उनकी अच्छी देखभाल की जाएगी तो आगे आने वाले समय में वे अच्छे डॉक्टर, इंजीनियर, सैनिक, विद्वान, लेखक और वैज्ञानिक बनेंगे।’ इसी कारण उन्होंने बाल कल्याण की अनेक योजनाएँ बनाईं। अनेक नगरों में बालघर और मनोरंजन केंद्र बनवाए। प्रतिवर्ष बाल दिवस पर डाक टिकटों का प्रचलन किया। बालकों के लिए अनेक प्रतियोगिताएँ आरंभ कराईं। वे देश-विदेश में जहाँ भी जाते बच्चे उन्हें घेर लेते थे। उनके जन्मदिवस को भारत में बाल-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हमारे विद्यालय में प्रतिवर्ष बाल-दिवस के अवसर पर बाल मेले का आयोजन किया जाता है। बच्चे अपनी छोटी-छोटी दुकानें लगाते हैं। विभिन्न प्रकार की विक्रय योग्य वस्तुएँ अपने हाथ से तैयार करते हैं। बच्चों के माता-पिता और मित्र उस अवसर पर खरीददारी करते हैं। सारे विद्यालय को अच्छी प्रकार सजाया जाता है। विद्यालय को झंडियों, चित्रों और रंगों की सहायता से आकर्षक रूप दिया जाता है। – बाल दिवस के अवसर पर खेल-कूद प्रतियोगिता और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। बच्चे मंच पर आकर नाटक, गीत, कविता, नृत्य और फैंसी ड्रेस शो का प्रदर्शन करते हैं। सहगान, बाँसुरी वादन का कार्यक्रम दर्शकों का मन मोह लेता है। तत्पश्चात् सफल और अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कार वितरण किए जाते हैं। बच्चों को मिठाई का भी वितरण किया जाता है। इस प्रकार दिवस विद्यालय का एक प्रमुख उत्सव बन जाता है।
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अगर मैं प्रधानमंत्री होता

किसी आजाद मुल्क का नागरिक अपनी योग्यताओं का विस्तार करके अपनी आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है, वह कोई भी पद, स्थान या अवस्था को प्राप्त कर सकता है, उसको ऐसा होने का अधिकार उसका संविधान प्रदान करता है। भारत जैसे विशाल राष्ट्र में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पद को प्राप्त करना यों तो आकाश कुसुम तोड़ने के समान है फिर भी ‘जहाँ चाह वहाँ राह’ के अनुसार यहाँ का अत्यंत सामान्य नागरिक भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बन सकता है। लालबहादुर शास्त्री और ज्ञानी जैलसिंह इसके प्रमाण हैं।

यहाँ प्रतिपाद्य विषय का उल्लेख प्रस्तुत है कि ‘अगर मैं प्रधानमंत्री होता’ तो क्या करता? में यह भली-भाँति जानता हूँ कि प्रधानमंत्री का पद अत्यंत विशिष्ट और महान् उत्तरदायित्वपूर्ण पद है। इसकी गरिमा और महानता को बनाए रखने में किसी एक सामान्य और भावुक व्यक्ति के लिए संभव नहीं है फिर मैं महत्त्वाकांक्षी हूँ और अगर मैं प्रधानमंत्री बन गया तो निश्चय समूचे राष्ट्र की काया पलट कर दूंगा। मैं क्या-क्या राष्ट्रोत्थान के लिए कदम उठाऊँगा, उसे मैं प्रस्तुत करना पहला कर्तव्य मानता हूँ जिससे मैं लगातार इस पद पर बना रहूँ।

सबसे पहले शिक्षा-नीति में आमूल चूल परिवर्तन लाऊँगा। मुझे सुविज्ञात है कि हमारी कोई स्थायी शिक्षा-नीति नहीं है जिससे शिक्षा का स्तर दिनोंदिन गिरता जा रहा है, यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण से हम शिक्षा के क्षेत्र में बहुत. पीछे हैं, बेरोजगारी की जो आज विभीषिका आज के शिक्षित युवकों को त्रस्त कर रही है, उनका मुख्य कारण हमारी बुनियादी शिक्षा की कमजोरी, प्राचीन काल की गुरु-शिष्य परंपरा की गुरुकुल परिपाटी की शुरुआत नये सिरे से करके धर्म और राजनीति के समन्वय से आधुनिक शिक्षा का सूत्रपात कराना चाहूँगा। राष्ट्र को बाह्य शक्तियों के आक्रमण का खतरा आज भी बना हुआ है। हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा अभी अपेक्षित रूप में नहीं है। इसके लिए अत्याधुनिक युद्ध के उपकरणों का आयात बढ़ाना होगा। मैं खुले आम न्यूक्लीयर विस्फोट का उपयोग सृजनात्मक कार्यों के लिए ही करना चाहूँगा। मैं किसी प्रकार ढुलमुल राजनीति का शिकार नहीं बनूँगा अगर कोई राष्ट्र हमारे राष्ट्र की ओर आँख उठाकर देखें तो मैं उसका मुँहतोड़ जवाब देने में संकोच नहीं करूंगा। मैं अपने वीर सैनिकों का उत्साहवर्द्धन करते हुए उनके जीवन को अत्यधिक संपन्न और खुशहाल बनाने के लिए उन्हें पूरी समुचित सुविधाएँ प्रदान कराऊँगा जिससे वे राष्ट्र की आन-मान पर न्योछावर होने में पीछे नहीं हटेंगे।

हमारे देश की खाद्य समस्या सर्वाधिक जटिल और दुखद समस्या है। कृषि प्रधान राष्ट्र होने के बावजूद यहाँ खाद्य संकट हमेशा मँडराया करता है। इसको ध्यान में रखते हुए मैं नवीनतम कृषि यंत्रों, उपकरणों और रासायनिक खादों और सिंचाई के विभिन्न साधनों के द्वारा कृषि-दशा की दयनीय स्थिति को सबल बनाऊँगा। देश की जो बंजर और बेकार भूमि है उसका पूर्ण उपयोग कृषि के लिए करवाते हुए कृषकों को एक-से-एक बढ़कर उन्नतिशील बीज उपलब्ध कराके उनकी अपेक्षित सहायता सुलभ कराऊँगा।

यदि मैं प्रधानमंत्री हँगा तो देश में फैलती हई राजनीतिक अस्थिरता पर कड़ा अंकुश लगाकर दलों के दलदल को रोक दूंगा। राष्ट्र को पतन की ओर ले जाने वाली राजनीतिक अस्थिरता के फलस्वरूप प्रतिदिन होने वाले आंदोलनों, काम-रोको और विरोध दिवस बंद को समाप्त करने के लिए पूरा प्रयास करूँगा। देश में गिरती हुई अर्थव्यवस्था के कारण मुद्रा प्रसार पर रोक लगाना अपना मैं प्रमुख कर्त्तव्य समझूगा। उत्पादन, उपभोग और विनियम की व्यवस्था को पूरी तरह से बदलकर देश को आर्थिक दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व प्रदान कराऊँगा।

देश को विकलांग करने वाले तत्त्वों, जैसे-मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार ही नव अवगुणों की जड़ है। इसको जड़मूल से समाप्त करने के लिए अपराधी तत्त्वों को कड़ी-से-कड़ी सजा दिलाकर समस्त वातावरण को शिष्ट और स्वच्छ व्यवहारों से भरने की मेरी सबल कोशिश होगी। यहीं आज धर्म और जाति को लेकर तो साम्प्रदायिकता फैलाई जा रही है वह राष्ट्र को पराधीनता की ओर ढकेलने के ही अर्थ में हैं, इसलिए ऐसी राष्ट्र विरोधी शक्तियों को आज दंड की सजा देने के लिए मैं सबसे संसद के दोनों सदनों से अधिक-से-अधिक मतों से इस प्रस्ताव को पारित करा करके राष्ट्रपति से सिफारिश करके संविधान में परिवर्तन के बाद एक विशेष अधिनियम जारी कराऊंगा जिससे विदेशी हाथ अपना बटोर सकें।

संक्षेप में यही कहना चाहता हूँ कि यदि मैं प्रधानमंत्री हूँगा तो राष्ट्र और समाज के कल्याण और पूरे उत्थान के लिए मैं एड़ी-चोटी का प्रयास करके प्रधानमंत्रियों की परम्परा और इतिहास में अपना सबसे अधिक लोकापेक्षित नाम स्थापित करूँगा। भारत को सोने की चिड़िया बनाने वाला यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो कथनी और करनी को साकार कर देता।

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MP Board Class 8th Hindi पत्र-लेखन

MP Board Class 8th Hindi पत्र-लेखन

पिता जी को पत्र

भोपाल
दिनांक ………………………………

आदरणीय पिता जी,
सादर चरण स्पर्श!

आपका पत्र प्राप्त हुआ। समाचार ज्ञात हुआ। माता जी की तबीयत में सुधार का समाचार सुनकर प्रसन्नता हुई। मेरी शाला प्रारंभ हो चुकी है। आप पुस्तकों के लिए 100 रु. भेजने की व्यवस्था करें। छोटे भाई-बहिनों को प्यार एवं दादा-दादी, काका-काकी को चरण स्पर्श। माता जी के लिए ध्यान लगा रहता है।

आपका आज्ञाकारी पुत्र
दिनेश गोस्वामी

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मित्र को पत्र

सागर
दिनांक ………………………………

प्रिय मित्र दिलीप,
सादर अभिवादन्

पत्र प्राप्त कर समाचार ज्ञात किया। आवश्यक कार्य में व्यस्त होने के कारण प्रश्नोत्तर में विलंब हुआ। तिमाही परीक्षा की तैयारी चल रही है। आशा है तुम भी मन लगाकर विद्याध्ययन कर रहे होगे। इस बार भी से इतना परिश्रम करो कि अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करो। इसी आशा से साथ शेष अगले पत्र में।

तुम्हारा मित्र
देवाशीश मिश्र

अस्वस्थता के कारण छुट्टी के लिए आवेदन-पत्र

सेवा में,
माननीय प्रधानाध्यापक महोदय,
शासकीय माध्यमिक शाला, बालाघाट।

विषय : अस्वस्थता के कारण छुट्टी हेतु आवेदन।

महोदय,
नम्र निवेदन है कि मुझे अचानक बुखार आ जाने के कारण मैं शाला आने में असमर्थ हूँ। साथ ही डाक्टर ने पूर्ण आराम करने की सलाह दी है। अतः आप मुझे तीन दिन के लिए. अवकाश देने की कृपा करें। गृहकार्य मैं स्वस्थ होने पर पूरा कर लूँगा। धन्यवाद।

आपका प्रिय शिष्य
प्रदीप बक्शी
7वीं ‘अ’

दिनांक ………………………………

बहिन की शादी के लिए अवकाश हेतु

सेवा में,
माननीय प्राचार्य महोदय,
शासकीय बालक उ.मा. शाला, सिवनी।

महोदय,
निवेदन है कि मेरी बड़ी बहिन उषा का शुभ-विवाह 3-3-20.. को संपन्न होना निश्चित हुआ है। मेरा इस विवाह में सम्मिलित होना अत्यंत आवश्यक है, अतः आप मुझे एक मार्च 20.. से एक सप्ताह का अवकाश देने की कृपा करें। कष्ट के लिए क्षमा!

आपका आज्ञाकारी शिष्य
सुरेश वाधवा
7वीं ‘स’

दिनांक ………………………………

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शिक्षा शुल्क माफी हेतु आवेदन-पत्र

प्रति,
माननीय प्रधानाध्यापक महोदय, शासकीय मिडिल स्कूल, रायसेन।
विषय : शिक्षण शुल्क माफ करने हेतु निवेदन।

महोदय,
मैं अति निर्धन छात्र हूँ। मेरे पिता जी की आर्थिक स्थिति काफी गिरी हुई है तथा वे मुझे पढ़ाने में असमर्थ हैं। यदि आप मेरा शिक्षण शुल्क माफ कर दें, तो मेरा अंधकारमय भविष्य उज्जवल बन सकता है।

कृपया शिक्षण शुल्क माफ करके मुझ पर महती कृपा करें।

निवेदक
राकेश रस्तौगी
सातवीं ‘स’

दिनांक ………………………………

स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र हेतु आवेदन

प्रति,
माननीय प्राचार्य महोदय,
शासकीय मॉडल स्कूल, जबलपुर
विषय : ट्रांस्फर सर्टिफिकेट हेतु आवेदन-पत्र।

महोदय,
मैं आपकी शाला की कक्षा सातवीं ‘अ’ का छात्र हूँ। मेरे पिता जी का ट्रांस्फर इंदौर हो गया है। मुझे इस कारण यहाँ पढ़ने में असुविधा हो रही है। अतः आप मुझे ट्रांस्फर सर्टिफिकेट प्रदान करने की व्यवस्था करें। धन्यवाद!

आपका शिष्य,
मनोहर कश्यप
कक्षा सातवीं ‘अ’

दिनांक ………………………………

पुस्तकें मंगवाने हेतु पत्र

प्रति,

दिनांक ………………………………, रीवा
व्यवस्थापक महोदय
कमल प्रकाशन ………………………………

महोदय,
नीचे लिखी पुस्तकें आप पत्र मिलते ही V.P.P. द्वारा भेजने की व्यवस्था करें। पैकेट पाते ही मैं उन्हें छुड़ा लूँगा। पुस्तकें इस प्रकार हैं-
1. बाल भारती भाग 7 2 प्रति
2. कमल विज्ञान (कक्षा सातवीं के लिए) 2 प्रति
3. कमल गणित VII 3 प्रति
4. कमल गाइड VII 3 प्रति

कृपया पुस्तकें नीचे लिखे पते पर भेजें। मेरा पता-

राम स्वरूप भारती
C/o सीता राम भारती,
बस स्टैण्ड रोड, रीवा (म. प्र.)

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अग्नि-पीड़ितों की सहायता हेतु पत्र

प्रति,
आदरणीय जिलाध्यक्ष महोदय,
भोपाल।

विषय : अग्नि-पीड़ितों की तुरंत सहायता।
मान्यवर,
हमारे ग्राम में गत दिवस गेहूँ के एक खलिहान में आग लगने से आस-पास के अनेक किसानों की गेहूँ की गंजियाँ आग में स्वाहा हो गयीं। हम गरीब किसान दाने-दाने के लिए तरस रहे हैं। अतः श्रीमान् जी से प्रार्थना है कि हम अग्नि-पीड़ितों की तुरंत सहायता की जाए, ताकि हम अपने बाल-बच्चों का पालन-पोषण कर सकें। साथ ही यहाँ पर कोई राहत कार्य खोल दिया जाए, ताकि हम अपनी आजीविका कमा सकें। आशा एवं धन्यवाद सहित,

हम हैं पीड़ित किसान
(ग्राम के बीस किसानों के हस्ताक्षर)

दिनांक ………………………………

ग्राम ………………………………
जिला-भोपाल।

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Intext Questions

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Intext Questions

MP Board Class 8th Maths Chapter 4 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 64

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
क्या एक अद्वितीय चतुर्भुज की रचना के लिए कोई भी पाँच माप (भुजाओं और कोणों की) पर्याप्त हैं?
उत्तर:
हाँ, किसी भी अद्वितीय चतुर्भुज की रचना के लिए कोई भी पाँच माप पर्याप्त हो सकती हैं।

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए (क्रमांक 4.1) –

प्रश्न 1.
अरशद के पास एक चतुर्भुज ABCD की पाँच माप हैं। ये माप AB = 5 cm, ∠A = 50°, AC = 4 cm, BD = 5 cm और AD = 6 cm हैं। क्या वह इन मापों से एक अद्वितीय चतुर्भुज बना सकता है? अपने उत्तर के कारण दीजिए।
उत्तर:
दी गई मापों से चतुर्भुज ABCD नहीं बन सकता है। कारण निम्न हैं –

  1. विकर्ण AC =4 cm लेने पर ∆ABC की रचना सम्भव है परन्तु ∆ACD की रचना सम्भव नहीं है। अतः चतुर्भुज ABCD नहीं बन सकता है।
  2. विकर्ण BD = 5 cm लेने पर AABD एवं ABCD सम्भव नहीं है। अतः चतुर्भुज ABCD बनना असम्भव है।

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 66

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए (क्रमांक 4.2) –

प्रश्न 1.
हमने देखा कि एक चतुर्भुज की पाँच मापों से एक अद्वितीय चतुर्भुज की रचना की जा सकती है। क्या आप सोचते हैं कि चतुर्भुज की किन्हीं पाँच मापों से ऐसी रचना की जा सकती है?
उत्तर:
हाँ, एक अद्वितीय चतुर्भुज की रचना करने के लिए पाँच मापों का होना आवश्यक है। परन्तु इन मापों का अद्वितीय होना भी आवश्यक है। अद्वितीय चतुर्भुज की रचना के लिए निम्न मापों का होना आवश्यक है –

  1. चारों भुजाएँ और एक विकर्ण।
  2. दो विकर्ण और तीन भुजाएँ।
  3. दो आसन्न भुजाएँ और तीन कोण।
  4. तीन भुजाएँ और उनके बीच के दो कोण।
  5. अन्य विशिष्ट गुण।

प्रश्न 2.
क्या आप एक समान्तर चतुर्भुज BATS की रचना कर सकते हैं जिसमें BA = 5 cm, AT = 6 cm और AS = 6.5 cm हो? क्यों?
उत्तर:
हाँ, इन मापों से समान्तर चतुर्भुज BATS की रचना की जा सकती है। इन मापों से ∆BAS और ∆SAT की रचना करके समान्तर चतुर्भुज BATS की रचना की जा सकती है।

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प्रश्न 3.
क्या आप एक समचतुर्भुज (Rhombus) ZEAL की रचना कर सकते हैं जिसमें ZE = 3.5 cm विकर्ण EL= 5 cm है ? क्यों ?
उत्तर:
हाँ, दी गई मापों से सम-चतुर्भुज ZEAL की रचना कर सकते हैं। समचतुर्भुज की रचना ∆ZEL तथा ∆LEA की रचना करके की जा सकती है।

प्रश्न 4.
एक विद्यार्थी चतुर्भुज PLAY की रचना करने का प्रयास करता है जिसमें PL = 3 cm, LA = 4 cm, AY = 4.5 cm, PY = 2 cm और LY = 6 cm है, परन्तु वह इसकी रचना नहीं कर सका। कारण बताइए।
हल:
चतुर्भुज PLAY की रचना करने के लिए इसे दो त्रिभुजों ∆PLY तथा ∆LAY में विभाजित किया। दी हुई मापों से ∆LAY की रचना की। ∆PLY की रचना दी गई मापों से असम्भव है, क्योंकि PL + PY < LY अर्थात् 3 + 2 < 6 अतः ∆PLY की रचना सम्भव नहीं है। अत: चतुर्भुज PLAY को दो त्रिभुजों में विभाजित नहीं किया जा सकता। इसलिए चतुर्भुज PLAY की रचना नहीं की जा सकती है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Intext Questions img-1

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.4

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.4

प्रश्न 1.
बताइए कथन सत्य है या असत्य –

  1. सभी आयत वर्ग होते हैं।
  2. सभी समचतुर्भुज समान्तर चतुर्भुज होते हैं।
  3. सभी वर्ग समचतुर्भुज और आयत भी होते हैं।
  4. सभी वर्ग समान्तर चतुर्भुज नहीं होते।
  5. सभी पतंगें समचतुर्भुज होती हैं।
  6. सभी समचतुर्भुज पतंग होते हैं।
  7. सभी समान्तर चतुर्भुज समलम्ब होते हैं।
  8. सभी वर्ग समलम्ब होते हैं।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. असत्य
  6. सत्य
  7. सत्य
  8. सत्य।

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प्रश्न 2.
उन सभी चतुर्भुजों की पहचान कीजिए जिनमें –

  1. चारों भुजाएँ बराबर लम्बाई की हों।
  2. चार समकोण हों।

उत्तर:

  1. ऐसे चतुर्भुज जिनकी चारों भुजाएँ समान लम्बाई की हों, वर्ग और समचतुर्भुज हैं।
  2. चतुर्भुज जिनमें चार समकोण हों-वर्ग और आयत।

प्रश्न 3.
बताइए कैसे एक वर्ग –

  1. एक चतुर्भुज
  2. एक समान्तर चतुर्भुज
  3. एक समचतुर्भुज
  4. एक आयत है।

उत्तर:

  1. एक वर्ग में चार भुजाएँ होती हैं; इसलिए यह एक चतुर्भुज है;
  2. एक वर्ग की सम्मुख भुजाएँ समान्तर होती हैं; इसलिए यह एक समान्तर चतुर्भुज है।
  3. वर्ग एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज होता है जिसकी सभी भुजाएँ बराबर होती हैं; इसलिए यह एक समचतुर्भुज है।
  4. वर्ग एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज होता है; जिसके सभी कोण समकोण होते हैं; इसलिए यह एक आयत है।

प्रश्न 4.
एक चतुर्भुज का नाम बताइए जिसके विकर्ण –

  1. एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
  2. एक दूसरे पर लम्ब समद्विभाजक हों।
  3. बराबर हों।

उत्तर:

  1. एक चतुर्भुज जिसके विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं-समान्तर चतुर्भुज; समचतुर्भुज; वर्ग और आयत।
  2. एक चतुर्भुज जिसके विकर्ण एक दूसरे पर लम्ब समद्विभाजक होते हैं समचतुर्भुज; वर्ग।
  3. एक चतुर्भुज जिसके विकर्ण बराबर होते हैं-वर्ग; आयत।

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प्रश्न 5.
बताइए एक आयत उत्तल चतुर्भुज कैसे हैं?
उत्तर:
एक आयत उत्तल चतुर्भुज है क्योंकि –

  1. इसके प्रत्येक कोण की माप 180° से कम है।
  2. इसके दोनों विकर्ण अभ्यंतर में होते हैं। अतः आयत उत्तल चतुर्भुज है।

प्रश्न 6.
ABC एक समकोण त्रिभुज है और ‘o’समकोण की सम्मुख भुजा का मध्य बिन्दु है। बताइए कैसे ‘o’ बिन्दु A, B तथा C से समान दूरी पर स्थित है। (बिन्दुओं से चिह्नित अतिरिक्त भुजाएँ आपकी सहायता के लिए खींची गई हैं)।
हल:
BO को D तक इस प्रकार आगे बढ़ाते हैं कि BO = OD.
AD और DC को मिलाया।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.4 img-1
अब ABCD एक आयत है। आयत ABCD में विकर्ण AC और BD बराबर हैं तथा एक-दूसरे को बिन्दु o पर प्रतिच्छेद करते हैं।
\(\overline { AB } \) || \(\overline { BC } \);\(\overline { AB } \) || \(\overline { DC } \)
तथा OA = OC
और OB = OD
परन्तु AC = BD
∴ OA = OB = OC
अतः बिन्दु o; A, B तथा C से समान दूरी पर है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 61

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए –

प्रश्न 1.
एक राजमिस्त्री एक पत्थर की पट्टी बनाता है। वह इसे आयताकार बनाना चाहता है। कितने अलग-अलग तरीकों से यह विश्वास हो सकता है कि यह आयताकार है?
उत्तर:
राजमिस्त्री को पत्थर की पट्टी को आयताकार बनाने के लिए निम्न प्रकार विश्वास हो सकता है –

  1. पट्टी की आमने-सामने के किनारे बराबर हों।
  2. विकर्ण बराबर हों।
  3. प्रत्येक कोण 90° का हो।

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प्रश्न 2.
वर्ग को आयत के रूप में परिभाषित किया गया था जिसकी सभी भुजाएँ बराबर होती हैं। क्या हम इसे समचतुर्भुज के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जिसके कोण बराबर माप के हों? इस विचार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हम वर्ग को समचतुर्भुज के रूप में परिभाषित नहीं कर सकते जब तक कि इसके विकर्ण बराबर नहीं होते और प्रत्येक कोण समकोण नहीं हो।

प्रश्न 3.
क्या एक समलम्ब के सभी कोण बराबर माप के हो सकते हैं? क्या इसकी सभी भुजाएँ बराबर हो सकती हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. समलम्ब के सभी कोण बराबर माप के हो सकते हैं जबकि सम्मुख भुजाएँ समान्तर हों। लेकिन समलम्ब में भुजा का एक युग्म ही समान्तर होता है।

2. समलम्ब की सभी भुजाएँ बराबर नहीं हो सकती जब तक कि सम्मुख भुजाएँ समान्तर न हो जाएँ। लेकिन समलम्ब एक ऐसा चतुर्भुज है जिसमें भुजाओं का एक युग्म ही समान्तर होता है।

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

प्रश्न 1.
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। प्रत्येक कथन को परिभाषा या प्रयोग किए गए गुण द्वारा पूरा कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-1

  1. AD = …..
  2. ∠DCB = …..
  3. OC = …..
  4. m∠DAB + m∠CDA = …..

हल:

  1. AD = BC; (सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।)
  2. ∠DCB = ∠DAB; (सम्मुख कोण बराबर होते हैं।)
  3. OC = OA; (विकर्ण परस्पर समद्विभाजित करते हैं।)
  4. m∠DAB + m∠CDA = 180°; तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अन्तः कोण, क्योंकि \(\overline { AB } \) || \(\overline { CD } \).

प्रश्न 2.
निम्न समान्तर चतुर्भुजों में अज्ञात x, y, z के मानों को ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-2
हल:
(i) समान्तर चतुर्भुज के किन्हीं दो आसन्न कोणों का योग 180° होता है, इसलिए,
x + 100° = 180°
या x = 180° – 100° = 80°
x + y = 180°
या y = 180° – x = 180 – 80°
= 100°
y + z = 180°
या 100° + z = 180°
या z = 180° – 100° = 80°
यहाँ, x = 80°, y= 100° और 2 = 80°

(ii) चूँकि ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है, अतः AB || DC ओर AD = BC
अब, AB || DC और तिर्यक रेखा BC इन्हें प्रतिच्छेद करती है।
∴ z = y (∵ एकान्तर कोण बराबर होते हैं।)
और AD || BC और तिर्यक रेखा इन्हें काटती हैं।
∴ z =x (∵ संगत कोण बराबर होते हैं।)
∴ x = y =z
चूँकि समान्तर चतुर्भुज के किन्हीं दो संगत कोणों का योग = 180°
अतः y + 50° = 180°
y = 180° – 50° = 130°
इस प्रकार x = y = z = 130°

(iii) आकृति से स्पष्ट है कि,
x = 90°
∆DOC में, हम प्राप्त करते हैं,
∠DOC + ∠OCD + ∠CDO = 180°
या x + 30° + y = 180°
या 90° + 30° + y = 180°
या 120° + y = 180°
y = 180° – 120° = 60°
अब, समान्तर चतुर्भुज ABCD में, AB || DC और BD इन्हें प्रतिच्छेद करती है।
∴ z = y (एकान्तर कोण है)
z = 60° (∵ y = 60°)
अतः x = 90°, y = 60 और z = 60

(iv) ∵ ∠A + ∠B = 180° ⇒ x + 80° = 180°
या x = 180° – 80° = 100°
∠A + ∠D = 180° ⇒ x + y = 180°
y = 180° – x = 180° – 100° =80
∠D + ∠C = 180°
या y + ∠C = 180°
या 80° + ∠C = 180°
अब ∠C = 180 – 80 = 100°
∠C + z = 180°
100° + z = 180°
z = 180° – 100° = 80°
अतः x = 100°, y = 80° और z = 80°

(v) ∵ समान्तर चतुर्भुज में सम्मुख कोण बराबर माप के होते हैं।
इसलिए, y = 112°
∆ACD से,
x + y + 40° = 180°
x + 112° + 40° = 180°
x = 180° – 152° = 28°
समान्तर चतुर्भुज ABCD में, AB || DC और तिर्यक रेखा AC इन्हें प्रतिच्छेद करती है।
∴ z = x (एकान्तर कोण हैं।)
∴ z = 28°
अतः x = 28°
y= 112
z = 28°

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प्रश्न 3.
क्या एक चतुर्भुज ABCD समान्तर चतुर्भुज हो सकता है, यदि –

  1. ∠D + ∠B = 180° ?
  2. AB = DC = 8cm, AD = 4cm और BC = 4.4cm?
  3. ∠A = 70° और ∠C = 65°

हल:

  1. ∠D + ∠B = 180° समान्तर चतुर्भुज हो सकता है, परन्तु यह आवश्यक नहीं है।
  2. AB = DC = 8 cm, AD = 4 cm, BC = 4.4 cm. यह समान्तर चतुर्भुज नहीं हो सकता है।
    समान्तर चतुर्भुज में सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं, परन्तु यहाँ AD ≠ BC.
  3. ∠A = 70° और ∠C = 65°
    समान्तर चतुर्भुज नहीं हो सकता है। समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं, परन्तु यहाँ ∠A ≠∠C.

प्रश्न 4.
एक चतुर्भुज की कच्ची (Rough) आकृति खींचिए जो समान्तर चतुर्भुज न हो परन्तु जिसके दो सम्मुख कोणों की माप बराबर हो।
हल:
चतुर्भुज की कच्ची आकृति जो समान्तर चतुर्भुज नहीं है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-3
यहाँ, ∠A = ∠C, उदाहरण-पतंग आकृति का चतुर्भुज।

प्रश्न 5.
किसी समान्तर चतुर्भुज के दो आसन्न कोणों का अनुपात 3 : 2 है। समान्तर चतुर्भुज के सभी कोणों की माप ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि दो आसन्न कोण ∠A और ∠B हैं, जो 3 : 2 के अनुपात में हैं।
∴ ∠A = 3x
∠B = 2x
∴ समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोण सम्पूरक होते हैं।
∠A + ∠B = 180°
या 3x + 2x = 180°
या 5x= 180°
या x = \(\frac{180°}{5}\) = 36°
∴ ∠A = 3 x 36° = 108°
और ∠B = 2 x 36° = 72°
∴ समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
∴ ∠C = ∠A = 108° और ∠D = ∠B = 72°
अत: ∠A = 108°, ∠B = 72°, ∠C = 108°, ∠D = 72°

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प्रश्न 6.
किसी समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोणों की माप बराबर है। समान्तर चतुर्भुज के सभी कोणों की माप ज्ञात कीजिए।
हल:
मानाकि समान्तर चतुर्भुज ABCD के दो आसन्न कोण A और B में प्रत्येक की माप x है।
∴ समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोण सम्पूरक होते हैं।
∠A + ∠B = 180°
या x + x = 180°
या 2x = 180°
∴ x = \(\frac{180°}{2}\) = 90°
अर्थात् ∠A= ∠B = 90°
चूँकि समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
∠C = ∠A = 90°
∠D = ∠B = 90°
अतः ∠A = ∠B = ∠C = ∠D = 90°

प्रश्न 7.
संलग्न आकृति HOPE एक समान्तर चतुर्भुज है। x,और कोणों की माप ज्ञात कीजिए। ज्ञात करने में प्रयोग किए गए गुणों को बताइए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-4
हल:
∴ HOPE एक समान्तर चतुर्भुज है।
∴ HE || OP और HO || EP
अब HE || OP और HO तिर्यक रेखा इन्हें काटती है।
∠EHO = ∠POX
(∵ संगत कोण बराबर होते हैं)
∴ 40° + z = 70°
या z = 70° – 40° = 30°
पुनः HE ||OP और तिर्यक रेखा इन्हें काटती है।
∠OPH = ∠EHP (∴ एकान्तर कोण बराबर होते हैं)
∴ y = 40°
∴ समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
∴ ∠HEP = ∠HOP
या x = 180° – ∠POX
या x = 180° – 70° = 110°
अतः x = 110°, y= 40°, z = 30°

प्रश्न 8.
निम्न आकृतियाँ GUNS और RUNS समान्तर चतुर्भुज है। x तथा y ज्ञात कीजिए (लम्बाई cm में है)।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-5
हल:
(i) ∴ चतुर्भुज GUNS समान्तर चतुर्भुज है। इसलिए इसकी सम्मुख भुजाएँ बराबर होंगी।
∴ 3x = 18
या x = \(\frac{18}{3}\) = 6 cm
ओर 3y – 1 = 26
या 3y = 26 + 1 = 27
या y = \(\frac{27}{3}\) = 9 cm
अतः x = 6 cm और y = 9 cm

(ii) ∴ समान्तर चतुर्भुज में विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
∴ OR = ON
अर्थात् 16 = x + y ……(1)
और OU = OS
अर्थात् y + 7= 20 ……(2)

समीकरण (2) से,
y = 20 – 7 = 13
समीकरण (1) में, y = 13 रखने पर, हम प्राप्त करते हैं।
16 = x + 13
या x = 16 – 13 = 3
अतः x = 3 cm और y = 13 cm

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प्रश्न 9.
दी हुई आकृति में RISK तथा CLUE दोनों समान्तर चतुर्भुज हैं, x का मान ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-6
हल:
समान्तर चतुर्भुज RISK से,
∠RIS = ∠RKS = 120°
(∴ सम्मुख कोण बराबर होते हैं)
और ∠RIS + ∠SIC = 180° (रेखीय युग्म)
या ∠SIC = 180° – 120° = 60° = ∠OIC
समान्तर चतुर्भुज CLUS से,
CE || LU और ICL इन्हें प्रतिच्छेद करती हैं।
∠OCI = ∠ULC (∴ संगत कोण है)
∠OCI = 70°
अब, ∆OLC से,
∠OIC + ∠OCI + ∠IOC = 180°
या 60° + 70° + ∠IOC = 180°
∠IOC = 180° – 130° = 50°
x = ∠IOC = 50°
(∴ शीर्षाभिमुख कोण हैं।)

प्रश्न 10.
बताइए कैसे यह आकृति एक समलम्ब है। इसकी कौन-सी दो भुजाएँ समान्तर हैं?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-7
हल:
∴ ∠MLK + ∠NML = 180°
अर्थात् ये सम्पूरक कोणों का युग्म हैं।
अतः KL || NM
अतः KLMN एक समलम्ब है। .

प्रश्न 11.
संलग्न आकृति में m∠C ज्ञात कीजिए यदि AB || DC है।
हल:
∵ AB || DC और तिर्यक रेखा BC इन्हें प्रतिच्छेद करती है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-8
∠B + ∠C = 180°
या 120° + ∠C = 180°
∠C = 180° – 120° = 60°
अतः m∠C = 60°

प्रश्न 12.
संलग्न आकृति में ∠P तथा ∠S की माप ज्ञात कीजिए यदि \(\overline { SP } \) || \(\overline { RQ } \) (यदि आप m∠R ज्ञात करते हैं, तो क्या m∠P को ज्ञात करने की एक से अधिक विधि है?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-9
हल:
∴ \(\overline { SP } \) || \(\overline { RQ } \) और PQ एक तिर्यक रेखा है जो P और Q पर काटती है।
∠P + ∠Q = 180°
(∵ अंत:कोणों का योग = 180°)
या ∠P + 130° = 180°
∠P = 180° – 130° = 50°
पुनः \(\overline { SP } \) || \(\overline { RQ } \) और SR एक तिर्यक रेखा है जो इन्हें S और R पर काटती है।
∴ ∠S + ∠R = 180°
या∠S + 90° = 180°
या ∠S = 180° – 90° = 90°
हाँ, हम m∠P को दूसरी विधि से भी ज्ञात कर सकते हैं।
m∠P + m∠Q + m∠R + m∠S = 360°
या m∠P + 130° + 90° + 90° = 360°
या m∠P + 310° = 360°
या m∠P = 360° – 310° = 50°

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 57

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
समचतुर्भुज की एक प्रतिलिपि लीजिए। पेपर को मोड़कर जाँच कीजिए कि क्या प्रतिच्छेदी बिन्दु प्रत्येक विकर्ण का मध्य बिन्दु है। आप एक सेट स्क्वेयर के किनारे का उपयोग करके जाँच कर सकते हैं कि वे एक दूसरे को समकोण पर प्रतिच्छेद करते हैं।
हल:
हाँ, प्रतिच्छेदी बिन्दु प्रत्येक विकर्ण का मध्य बिन्दु है। सेट स्क्वे यर का उपयोग करने पर हम पाते हैं कि समचतुर्भुज के विकर्ण समकोण पर प्रतिच्छेद करते हैं।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-10

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 58

एक आयत

प्रश्न 1.
आयत एक समान्तर चतुर्भुज है जिसके सभीकोण समान माप के होते हैं। इस परिभाषा का पूर्ण अर्थ क्या है? इसकी चर्चा अपने मित्रों के साथ कीजिए। यदि आयत समकोणिक हो तो प्रत्येक कोण की माप क्या होगी?
हल:
आयत एक समान्तर चतुर्भुज है जो समकोणिक होता है। आयत का प्रत्येक कोण समकोण होता है। इसकी सम्मुख भुजाएँ समान लम्बाई की होती हैं तथा इसके विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
माना कि आयत के प्रत्येक कोण की माप =x° है।
तब 4x° = 360°
इसलिए x° = \(\frac{360°}{4}\) = 90°
अतः आयत का प्रत्येक कोण 90° का होता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 60

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
एक वर्गाकारशीट PQRS (आकृति : 3.39) लीजिए। दोनों विकर्णों के अनुदिश तह (fold) लगाइए क्या उनके मध्य बिन्दु समान ही हैं?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 img-11
सेट स्क्वेयर का उपयोग करके जाँच कीजिए, क्या o पर बना कोण 90° का है? यह ऊपर बताए गुणधर्म को सिद्ध करता है।
हल:
हाँ, दोनों विकर्णों के मध्य बिन्दु समान हैं। हाँ, ‘o’ पर बना कोण 90° का है। हाँ, यह वर्ग के गुणधर्म को सिद्ध करता है कि –

  1. वर्ग की सभी भुजाएँ समान लम्बाई की होती है।
  2. विकर्ण समान लम्बाई के होते हैं तथा एक-दूसरे को समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आकृतियों में x का मान ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-1
हल:
(a) सभी बाह्य कोणों की कुल माप = 360°
∴ x + 125° + 125° = 360°
या x + 250° = 360°
या x = 360° – 250° = 110°

(b) x + 90° + 60° + 90° + 70° = 360°
या x + 310° = 360°
या x = 360° – 310° = 50°

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प्रश्न 2.
एक समबहुभुज के प्रत्येक बाह्य कोण का माप ज्ञात कीजिए जिसकी –
(i) 9 भुजाएँ
(ii) 15 भुजाएँ हों।
हल:
(i) ∴ प्रत्येक बाह्य कोण = \(\frac{360°}{n}\); यहाँ n = 9
∴ प्रत्येक बाह्य कोण = \(\frac{360°}{9}\) = 40°

(ii) यहाँ, n = 15
∴ प्रत्येक बाह्य कोण = \(\frac{360°}{15}\) = 24°

प्रश्न 3.
एक समबहुभुज की कितनी भुजाएँ होंगी यदि एक बाह्य कोण का मान 24° हो?
हल:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-2

प्रश्न 4.
एक समबहुभुज की भुजाओं की संख्या ज्ञात कीजिए यदि इसका प्रत्येक अन्तःकोण 165° का हो।
हल:
माना कि समबहुभुज की भुजाओं की संख्या = n है।
तब, इसका प्रत्येक अन्त: कोण = \(\frac{(n-2)x180°}{n}\)
अब, प्रश्नानुसार, \(\frac{(n-2)x180°}{n}\) = 165°
या 180°n – 360° = 165°n
या 180°n – 165°n = 360°
या 15°n = 360°
या n = \(\frac{360°}{15}\) = 24
n = 24
अतः समबहुभुज में 24 भुजाएँ होंगी।

प्रश्न 5.
(a) क्या ऐसा समबहुभुज सम्भव है जिसके प्रत्येक बाह्य कोण का माप 22° हो?
(b) क्या यह किसी समबहुभुज का अन्तःकोण हो सकता है? क्यों?
हल:
(a) ∴ समबहुभुज की भुजाओं की संख्या
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-3
∴ ऐसा समबहुभुज सम्भव नहीं है, जिसके प्रत्येक बाह्य कोण की माप 22° हो।

(b) यदि अन्त: कोण 22° हो, तो बाह्य कोण = 180° – 22° = 158°
लेकिन 360° ÷ 158 पूर्णतः विभाजित नहीं है। इसलिए समबहुभुज सम्भव नहीं है।
अत: 22° किसी समबहुभुज का अन्त:कोण नहीं हो सकता है।

प्रश्न 6.
(a) किसी समबहुभुज में कम से कम कितने अंश का अन्तःकोण सम्भव है? क्यों?
(b) किसी समबहुभुज में अधिक से अधिक कितने अंश का बाह्य कोण सम्भव है ?
हल:
(a) समबाहु त्रिभुज कम से कम 3 भुजाओं का समबहुभुज है जिसके प्रत्येक अन्त:कोण की माप 60° होती है। अतः किसी समबहुभुज में कम से कम 60° का अन्त:कोण सम्भव है।

(b) ∴ किसी समबहुभुज के लिए कम से कम अन्त:कोण की माप = 60°
∴ अधिकतम बाह्य कोण की माप = 180° – 60° = 120°

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 115

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
समान सर्वांगसम त्रिभुजों से कटे हुए भाग लीजिए जिनकी भुजाएँ3 cm,4cm, 5 cm हैं। इन्हें व्यवस्थित कीजिए जैसा कि आकृति में दर्शाया गया है (आकृति : 13.17)।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-4
आपको एक समलम्ब प्राप्त होता है। (निरीक्षण कीजिए)। यहाँ पर कौन-सी भुजाएँ समान्तर हैं? क्या असमान्तर भुजाएँ बराबर माप की होनी चाहिए? इन समान त्रिभुजों के समूह का उपयोग कर आप दो और समलम्ब प्राप्त कर सकते हैं। उनको ढूँढ़िए और उनकी आकृतियों की चर्चा कीजिए।
हल:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-5
∠DEC = ∠ECB = 90°
DE || BC तथा DE = BC = 3 cm
और EB = DC = 5 cm
∴ ∠BCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
इसलिए AB || DC
अत: ABCD एक समलम्ब है।
असमान्तर भुजाएँ AD और BC हैं। यह आवश्यक नहीं है कि असमान्तर भुजाएँ बराबर माप की हों।
दो अन्य समलम्ब ABCD एवं PQRS निम्नवत हैं –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-6

प्रश्न 2.
अपने तथा अपने मित्रों के ज्यामितीय बॉक्स से चार सेट स्क्वेयर लीजिए। इन्हें अलग-अलग संख्याओं में उपयोग कर साथ-साथ रखिए और अलग-अलग किस्म के समलम्ब प्राप्त कीजिए।
क्या आपने ऊपर किए गए अपने किसी निरीक्षण में कोई समद्विबाहु समलम्ब प्राप्त किया है?
हल:
हमने ज्यामितीय बॉक्स से चार सेटस्क्वेयर लेकर निम्न समलम्ब प्राप्त किए हैं –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-7
हाँ, हमने निरीक्षण में समद्विबाहु समलम्ब प्राप्त किया है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 50

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
एक मोटे कागज की शीट लीजिए। इसे दोहरा मोड़िए। दो अलग-अलग लम्बाई वाले रेखाखण्डों को खींचिए। इन रेखाखण्डों के अनुदिश काटकर खोलिए। आपको एक पतंग की आकृति प्राप्त होती है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-8
क्या पतंग में कोई सममित रेखा है?

पतंग को दोनों विकर्णों पर मोड़िए। सेट स्क्वेयर के उपयोग से जाँचिए कि क्या वे एक-दूसरे को समकोण पर काटते हैं। क्या विकर्ण बराबर लम्बाई के हैं?

जाँचिए (पेपर को मोड़ने या मापने द्वारा) कि क्या विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं?

पतंग के एक कोण को एक विकर्ण के अनुदिश विपरीत मोड़ने पर बराबर माप वाले कोणों को जाँचिए।

विकर्ण पर पड़ी तह का निरीक्षण कीजिए क्या यह दर्शाता है कि विकर्ण एक कोण समद्विभाजक होता है?

अपनी जानकारी को साथियों में बाँटिए और सूची बनाइए। इन परिणामों का सारांश अध्याय में कहीं पर आपके लिए दिया गया है।

हल:
हाँ, पतंग में एक सममित रेखा (AC) है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-9
संलग्न आकृति में विकर्ण बिन्दुवत् रेखाओं AC तथा BD द्वारा दर्शाए गए हैं। हाँ, विकर्ण एक-दूसरे को समकोण पर काटते हैं। विकर्ण बराबर लम्बाई के नहीं है।
विकर्ण AC विकर्ण BD को समद्विभाजित करता है।
m∠1 = m∠2 और m∠3 = m∠4 हाँ, यह दर्शाता है कि विकर्ण एक समद्विभाजक होता है।
समान्तर चतुर्भुज:
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-10

प्रश्न 2.
इन आकृतियों का अध्ययन कीजिए और अपने शब्दों में बताने का प्रयास कीजिए कि समान्तर चतुर्भुज क्या है? अपने निष्कर्ष अपने मित्रों के साथ बाँटिए।
हल:
समान्तर चतुर्भुज एक चतुर्भुज होता है जिसकी सम्मुख भुजाएँ समान्तर होती हैं। समान्तर चतुर्भुज में –

  1. सम्मुख भुजाएँ समान्तर होती हैं।
  2. सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।
  3. सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
  4. विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
  5. आसन्न कोण सम्पूरक होते हैं।

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 51

समान्तर चतुर्भुज के अवयव

प्रश्न 1.
क्या \(\overline { BC } \) और \(\overline { CD } \) आसन्न भुजाएँ हैं? दो और आसन्न भुजाओं के युग्मों को ढूँढ़ने का प्रयास कीजिए।
हल:
हाँ, \(\overline { BC } \) और \(\overline { CD } \) आसन्न भुजाएँ हैं।
आसन्न भुजाओं के दो अन्य युग्म – \(\overline { CD } \) और \(\overline { DA } \) तथा \(\overline { DA } \) और \(\overline { AB } \).

प्रश्न 2.
समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोणों के दूसरे युग्मों की पहचान कीजिए।
हल:
समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोणों के दूसरे युग्म – ∠C और ∠D तथा ∠D और ∠A.

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 52

इन्हें कीजिए

दो समान समान्तर चतुर्भुज के कटे हुए भाग ABCD तथा A’ B’ C’ D’ लीजिए। इनकी संगत भुजाएँ समान हैं।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-11

प्रश्न 1.
AB को DC के ऊपर रखिए। क्या वे एक-दूसरे को पूर्णतया ढकती हैं? अब आप \(\overline { AB } \) और \(\overline { DC } \) की लम्बाई के बारे में क्या कह सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, \(\overline { A’B’ } \) एवं \(\overline { D’C’ } \) एक-दूसरे को पूर्णतया ढकती हैं। \(\overline { AB } \) तथा \(\overline { DC } \) की लम्बाई बराबर हैं।

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प्रश्न 2.
इसी प्रकार AD और BC की लम्बाई की जाँच कीजिए। आप क्या पाते हैं?
उत्तर:
हम पाते हैं कि AD और BC की लम्बाई समान है। अतः हम कह सकते हैं कि समान्तर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं।

प्रयास कीजिए (क्रमांक 3.2)

प्रश्न 1.
30° – 60° – 90° कोणों वाले दो समान सेट स्क्वेयर लीजिए। अब इन्हें आपस में इस प्रकार मिलाकर रखिए जिससे एक समान्तर चतुर्भुज बन जाए। क्या यह ऊपर बताए गए गुण की पुष्टि करने में आपकी सहायता करता है?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-12
उत्तर:
हाँ, यह ऊपर बताए गए समान्तर चतुर्भुज के गुणं की पुष्टि करने में सहायता करता है। अर्थात् समान्तर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ बराबर माप की होती हैं।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 53

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
क्या यह कोण A तथा कोण C के मापों के बारे में आपको कुछ बताता है? कोण B तथा D के मापों के लिए जाँच कीजिए। अपने निष्कर्ष की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हाँ, यह कोण A तथा कोण C के बारे में बताता है कि कोण A तथा कोण C बराबर माप के हैं। कोण B तथा कोण D भी बराबर माप के हैं।
निष्कर्ष:
समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर माप के होते हैं।

समान्तर चतुर्भुज के कोण

प्रयास कीजिए (क्रमांक 3.3)

प्रश्न 1.
30° – 60° – 90° कोणों वाले दो समान सेट स्क्वे यर लेकर पहले की तरहही एक समान्तर चतुर्भुज बनाइए। क्या प्राप्त आकृति ऊपर बताए गुण की पुष्टि करने में आपकी सहायता करती है?
उत्तर
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-13
हाँ, प्राप्त आकृति यह पुष्टि करने में हमारी सहायता करती है कि समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर माप के होते हैं।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 54

प्रश्न 1.
आकृति से दो और सम्पूरक कोणों के युग्म की पहचान कीजिए।
उत्तर:
सम्पूरक कोणों के युग्म – ∠B तथा ∠C और ∠C तथा ∠D।

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए

प्रश्न 1.
m∠R = m∠N = 70°; दर्शाने के उपरान्त क्या आप किसी अन्य विधि से m∠I और m∠G को ज्ञात कर सकते हैं?
हल:
समान्तर चतुर्भुज IRGN में, m∠R = m∠N
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-14
∴ RG || IN और RI एक तिर्यक रेखा है जो उन्हें क्रमशः R तथा I पर प्रतिच्छेद करती है।
इसलिए, ∴ ∠R + ∠I = 180°
(अन्तः सम्मुख कोण हैं)
70° + ∠I= 180°
I = 180° – 70° = 110°
पुनः RI || GN और RG तिर्यक रेखा इन्हें क्रमशः R तथा G पर प्रतिच्छेद करती है।
इसलिए ∠R + ∠G = 180°
70 + ∠G= 180° – 70° = 110°
अतः ∠I = ∠G.

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 55

समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
समान्तर चतुर्भुज (माना ABCD) का एक कटा हुआ भाग लीजिए। माना इसके विकर्ण \(\overline { AB } \) और \(\overline { DB } \) एक दूसरे को ‘o’ पर प्रतिच्छेद करते हैं।

C को A पर रखकर एक तह (Fold) के द्वारा \(\overline { AC } \) का मध्य बिन्दु ज्ञात कीजिए। क्या मध्य बिन्दु o ही है? क्या यह दर्शाता है कि विकर्ण DB विकण AC को मध्य बिन्दु o पर समद्विभाजित करता है? अपने मित्रों के साथ इसकी चर्चा कीजिए। इस क्रियाकलाप को यह ज्ञात करने के लिए दोहराएँ कि \(\overline { DB } \) का मध्य बिन्दु कहाँ पर स्थित होगा?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 img-15
हल:
तह करने पर हम देखते हैं कि बिन्दु C बिन्दु A पर पड़ता है। स्पष्ट है कि \(\overline { AC } \) का मध्य बिन्दु o ही है।
यह दर्शाता है कि विकर्ण \(\overline { DB } \), विकर्ण \(\overline { AC } \) को समद्विभाजित करता है।
\(\overline { DB } \) का मध्य बिन्दु o पर ही होगा।
अतः समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
उत्तर

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