MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता

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स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
5 × 10-8 कूलॉम तथा – 3× 10-8 कूलॉम के दो आवेश 16 सेमी दूरी पर स्थित हैं। दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के किस बिन्दु पर विद्युत विभव शून्य होगा? अनन्त पर विभव शून्य लीजिए।

COMMON ERRORS

दो विपरीत प्रकृति के आवेशों के कारण वैद्युत विभव केवल एक बिन्दु पर शून्य न होकर दो बिन्दुओं पर शून्य
होता है। पहला बिन्दु दोनों आवेशों के बीच में होगा तथा दूसरा बिन्दु आवेशों से बाहर छोटे परिमाण के आवेश के निकट होगा।

हल :
प्रथम दशा : माना बिन्दु आवेश qA = 5 × 10-8 कूलॉम से दूसरे आवेश की ओर दूरी पर 0 बिन्दु पर विद्युत विभव शून्य है,
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अत: प्रथम आवेश से दूसरे आवेश की ओर 10 सेमी दूरी पर विद्युत विभव शून्य है।
द्वितीय दशा : माना प्रथम आवेश से दूसरे आवेश की ओर r दूरी पर (दूसरे आवेश से बाहर r > 0.16 मीटर) विद्युत विभव शून्य है।
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प्रश्न 2.
10 सेमी भुजा वाले एक सम-षट्भुज के प्रत्येक शीर्ष पर 5 माइक्रोकूलॉम का आवेश है। षट्भुज के केन्द्र पर विभव परिकलित कीजिए।
हल :
प्रत्येक आवेश q = 5 माइक्रोकूलॉम
प्रत्येक आवेश की केन्द्र O से दूरी r = 0.1 मीटर
∴ केन्द्र O पर परिणामी विभव V =\(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}\) = 9 × 109 × 6 × \(\frac{q}{r}\)
= 9 × 109 × 6 × \(\frac{5 \times 10^{-6}}{0.1}\)
= 2.7 × 106 वोल्ट।
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प्रश्न 3.
6 सेमी की दूरी पर अवस्थित दो बिन्दुओं A एवं B पर दो आवेश 2 माइक्रोकूलॉम तथा – 2माइक्रोकूलॉम रखे हैं।
(a) निकाय के सम विभव पृष्ठ की पहचान कीजिए।
(b) इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा क्या है?
हल :
(a) चूँकि दोनों वेश समान परिमाण के परन्तु विपरीत चिह्न के हैं। अतः समविभव पृष्ठ दोना आवेशों को मिलाने वाली रेखा AB के लम्बवत् होगा तथा उसके मध्य-बिन्दु से जाएगा।
(b) विद्युत क्षेत्र की दिशा समविभव पृष्ठ के लम्बवत् धनावेश से ऋणावेश की ओर (AB की दिशा में) होगी।

प्रश्न 4.
12 सेमी त्रिज्या वाले एक गोलीय चालक के पृष्ठ पर 1.6 × 10-7कूलॉम पर आवेश एकसमान रूप से वितरित है।
(a) गोले के अन्दर
(b) गोले के ठीक बाहर
(c) गोले के केन्द्र से 18 सेमी पर अवस्थित, किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र क्या होगा?
हल :
(a) ∵ आवेश चालक के पृष्ठ पर वितरित है; अतः गोले के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।

(b) दिया है : गोले की त्रिज्या R= 0.12 मीटर
गोले. पर आवेश q= 1.6 × 10-7 कूलॉम
∴ गोले के पृष्ठ के ठीक बाहर विद्यत क्षेत्र \(E=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q}{R^{2}}=9 \times 10^{9} \times \frac{1.6 \times 10^{-7}}{0.12 \times 0.12}\)
= 105 न्यूटन कूलॉम-1

(c) बिन्दु की गोले के केन्द्र से दूरी r = 0.18 मीटर
∵ r > R; अतः बिन्दु गोले के पृष्ठ के बाहर है।
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प्रश्न 5.
एक समान्तर पट्टिका संधारित्र, जिसकी पट्टिकाओं के बीच वायु है, की धारिता 8 pF (1 pF = 10-12 फैरड) है। यदि पट्टिकाओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए और इनके बीच के स्थान में 6 पराविद्युतांक का एक पदार्थ भर दिया जाए तो इसकी धारिता क्या होगी?
हल :
दिया है : वायु संधारित्र की धारिता Co = 8 pF = \(\frac{\varepsilon_{0} A}{d}\)
पदार्थ का पराविद्युतांक K = 6
∴ पराविद्युत पदार्थ भरने पर संधारित्र की धारिता
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प्रश्न 6.
9 pF धारिता वाले तीन संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है।
(a) संयोजन की कुल धारिता क्या है?
(b) यदि संयोजन को 120 वोल्ट के संभरण (सप्लाई) से जोड़ दिया जाए, तो प्रत्येक संधारित्र पर क्या विभवान्तर होगा?
स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता । 69
हल :
दिया है : C1 = C2 = C3 = 9 pF
श्रेणी संयोजन का विभवान्तर V = 120 वोल्ट
कुल धारिता = ?
प्रत्येक संधारित्र का विभवान्तर = ?
(a) श्रेणी संयोजन के सूत्र से,
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(b) संयोजन पर कुल आवेश q = CV = 3 × 10-12 × 120 = 360 × 10-12 कूलॉम
श्रेणी संयोजन में प्रत्येक संधारित्र पर इतना ही आवेश होगा।
∴ प्रत्येक संधारित्र का विभवान्तर V1 = V2 = V3 = \(\frac{q}{C_{1}}\)
(∵ सब की धारिताएँ समान हैं)
=\(\frac{360 \times 10^{-12}}{9 \times 10^{-12}}\) = 40 वोल्ट।

अन्य विधि : माना तीनों के विभवान्तर क्रमश: V1, V2 व V3 हैं।
तब, V1+ V2 + V3 = 120
∵ श्रेणी संयोजन में विभवान्तर धारिताओं के व्युत्क्रमानुपाती होते हैं।
∵ तीनों की धारिताएँ समान हैं। अत: विभवान्तर भी समान होंगे।
V3 = V2 = V1
अतः
3V1= 120 ⇒ V1 = 40 वोल्ट
अतः प्रत्येक संधारित्र का विभवान्तर 40 वोल्ट है।

प्रश्न 7.
2 pF, 3 pF और 4 pF धारिता वाले तीन संधारित्र पार्श्वक्रम में जोड़े गए हैं।
(a) संयोजन की कुल धारिता क्या है?
(b) यदि संयोजन को 100 वोल्ट के संभरण से जोड़ दें तो प्रत्येक संधारित्र पर आवेश ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : C1 = 2 pF, C2 = 3 pF, C3 = 4 pF
पार्श्वक्रम का विभवान्तर V = 100 वोल्ट
कुल धारिता = ?, प्रत्येक संधारित्र पर आवेश = ?
(a) पार्श्वक्रम में कुल धारिता C = C1 + C2 + C3 = 2+ 3+ 4 = 9 pF
(b) पार्श्वक्रम में सभी का विभवान्तर संयोजन के विभवान्तर के बराबर होता है।
∴ V1 = V2 = V3 = 100 वोल्ट
प्रथम संधारित्र पर आवेश q1 = C1V1 = 2 × 10-12 × 100 = 2 × 10-10 कूलॉम।
दूसरे संधारित्र पर आवेश q2 = C2V2 = 3 × 10-12 × 100 = 3 × 10-10 कूलॉम।
तीसरे संधारित्र पर आवेश q3 = C3V3 = 4 × 10-12 × 100 = 4 × 10-10 कूलॉम।

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प्रश्न 8.
पट्टिकाओं के बीच वायु वाले समान्तर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल 6x 10-3 मीटर तथा उनके बीच की दूरी 3 मिमी है। संधारित्र की धारिता को परिकलित कीजिए। यदि इस संधारित्र को 100 वोल्ट के संभरण से जोड़ दिया जाए तो संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर कितना आवेश होगा?
हल :
दिया है : प्लेट क्षेत्रफल A = 6 × 10-3 मीटर2, V = 100 वोल्ट,
बीच की दूरी d = 3 मिमी = 3 × 10-3 मीटर
धारिता C = ?, प्रत्येक पट्टी पर आवेश = ?
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संधारित्र पर आवेश q = CV = 17.7 × 10-12 x 100 = 17.7 × 10-10 कूलॉम
∴ एक पट्टी पर आवेश = + 17.7 × 10-10 कूलॉम।
दूसरी पट्टी पर आवेश = – 17.7 × 10-10 कूलॉम।

प्रश्न 9.
प्रश्न 8 में दिए गए संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच यदि 3 मिमी मोटी अभ्रक की एक शीट (पत्तर) (पराविद्युतांक = 6) रख दी जाती है तो स्पष्ट कीजिए कि क्या होगा जब
(a) विभव (वोल्टेज) संभरण जुड़ा ही रहेगा?
(b) संभरण को हटा लिया जाएगा?
हल :
प्रश्न 8 के परिणाम से, V = 100 वोल्ट, q = 18 × 10-10 कूलॉम ।
अब माध्यम का पराविद्युतांक K = 6
पराविद्युत की मोटाई t = 3 मिमी = 3 × 10-3 मीटर
t= d; अतः संधारित्र पूर्णतः परावैद्युत द्वारा भरा है।

EXTRA SHOTS

  • संधारित्र के आवेशित हो जाने के बाद, उसे आवेशित करने वाली बैटरी हटा लेने पर उसकी प्लेटों पर आवेश अपरिवर्तित रहता है।
  • संधारित्र के आवेशित हो जाने के बाद भी बैटरी, संधारित्र से जुड़ी रहे तब उसकी प्लेटों के बीच विभवान्तर नियत रहता है।

∴ संधारित्र की नई धारिता C = KC = 6 × 18 pF [∵ Co = 18pF]
= 108pF

(a) ∵ विभव संभरण जुड़ा हुआ है। अत: संधारित्र का विभवान्तर नियत अर्थात् 100 वोल्ट रहेगा।
संधारित्र पर नया आवेश q = CV = 108 × 10-12 × 100
= 1.08 × 10-8 कूलॉम
अतः इस स्थिति में, C = 108 pF, V = 100 वोल्ट,
q= 1.08 × 10-8 कूलॉम ।

(b) ∵ विभव संभरण हटा लिया गया है। अत: संधारित्र पर आवेश q= 18 × 10-10 कूलॉम नियत रहेगा।
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अतः C = 108 pF, \(V=\frac{50}{3}\) वोल्ट = 16.6 वोल्ट,
q= 1.8 × 10-9 कूलॉम।।

प्रश्न 10.
12 pF का एक संधारित्र 50 वोल्ट की बैटरी से जुड़ा है। संधारित्र में कितनी स्थिर विद्युत ऊर्जा . संचित होगी?
हल :
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प्रश्न 11.
200 वोल्ट संभरण (सप्लाई) से एक 600 pF से संधारित्र को आवेशित किया जाता है। फिर इसको संभरण से वियोजित कर देते हैं तथा एक अन्य 600 pF वाले अनावेशित संधारित्र से जोड़ देते हैं। इस प्रक्रिया में कितनी ऊर्जा का ह्रास होता है?
हल :
दिया है : धारिताएँ C1 = 600 × 10-12F, C2 = 600 × 10-12F
विभवान्तर V1 = 200 वोल्ट, V2 = 0 वोल्ट
प्रक्रिया में ऊर्जा का ह्रास ∆U = ?
∵ आवेश के बाद संभरण को हटा दिया जाता है; अत: निकाय पर कुल आवेश नियत रहेगा।(Note)
माना संधारित्रों को जोड़ने पर उनका उभयनिष्ठ विभव V है,.
q= C1V1+ C2V2 = (C1 + C2)V
600 × 10-12 × 200 + 0 = [600+ 600] × 10-12 × v
∴ \(V=\frac{600 \times 200}{1200}\) वोल्ट
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प्रश्न 12.
मूलबिन्दु पर एक 8 माइक्रोकूलॉम का आवेश अवस्थित है। – 2x 10-9 कूलॉम के एक छोटे से आवेश को बिन्दु P(0, 0, 3 सेमी) से, बिन्दु R (0, 6 सेमी, 9 सेमी) से होकर, बिन्दु Q (0, 4 सेमी, 0) तक ले जाने में किया गया कार्य परिकलित कीजिए।
हल :
मूलबिन्दु पर आवेश Q = 8 × 10-3 कूलॉम
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दूसरा आवेश q= – 2 × 10-9 कूलॉम
∵ स्थिर विद्युत क्षेत्र में किसी आवेश को एक बिन्दु से दूसरी बिन्दु तक ले जाने में | किया जाने वाला कार्य मार्ग के स्थान पर अन्त्य बिन्दुओं पर निर्भर करता है।
∴ आवेश q को बिन्दु P से Q तक ले जाने में किया गया कार्य
w = q (VQO – VP)
यहाँ बिन्दु Q की मूलबिन्दु से दूरी rQ = OQ = 0.04 मीटर
Q(0,4,0) तथा बिन्दु P की मूलबिन्दु से दूरी rP = OP = 0.03 मीटर
∴ मूलबिन्दु पर स्थित आवेश Q के कारण Q व P के बीच विभवान्तर
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प्रश्न 13.
b भुजा वाले एक घन के प्रत्येक शीर्ष पर 4 आवेश है। इस आवेश विन्यास के कारण घन के केन्द्र पर विद्युत विभव तथा विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए।
हल :
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(b) ∵ सभी शीर्षों पर आवेश समान हैं। अत: विपरीत शीर्षों के कारण केन्द्र पर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र परिमाण में बराबर तथा दिशा में विपरीत होंगे।
अतः केन्द्र पर नैट विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।

प्रश्न 14.
1.5 माइक्रोकूलॉम और 2.5 माइक्रोकूलॉम आवेश वाले दो सूक्ष्म गोले 30 सेमी दूर स्थित हैं। (a) दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के मध्य-बिन्दु पर और
(b) मध्य-बिन्दु से होकर जाने वाली रेखा के अभिलम्ब तल में मध्य बिन्दु से 10 सेमी दूर स्थित किसी बिन्दु पर विभव और विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए।
हल :
(a) मध्य-बिन्दु की प्रत्येक आवेश से दूरी rA = rB = 0.15 मीटर
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प्रश्न 15.
आन्तरिक त्रिज्या r1 तथा बाह्य त्रिज्या r2 वाले एक गोलीय चालक खोल (कोश) पर Q आवेश है।
(a) खोल के केन्द्र पर एक आवेश q रखा जाता है। खोल के भीतरी और बाहरी पृष्ठों पर पृष्ठ आवेश घनत्व क्या है?
(b) क्या किसी कोटर (जो आवेशविहीन है) में विद्युत क्षेत्र शून्य होता है, चाहे खोल गोलीय न होकर किसी भी अनियमित आकार का हो? स्पष्ट कीजिए।
हल :
(a) जब चालक को केवल Q आवेश दिया गया है तो यह पूर्णत: चालक के बाह्य पृष्ठ पर रहता है।
हम जानते हैं कि एक चालक के भीतर नैट आवेश शून्य रहता है। अत: खोल के केन्द्र पर 4 आवेश रखने पर, q खोल की भीतरी सतह पर – q आवेश प्रेरित हो जाता है तथा बाहरी सतह पर अतिरिक्त + q आवेश आ जाता है।
अतः भीतरी सतह पर आवेश = – q
बाहरी सतह पर आवेश = Q+q
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(b) हाँ, यदि कोटर आवेशविहीन है तो उसके अन्दर विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।
इसके विपरीत कल्पना करें कि किसी चालक के भीतर एक अनियमित आकृति का आवेशविहीन कोटर है जिसके भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य नहीं है। अब एक ऐसे बन्द लूप पर विचार करें जिसका कुछ भाग कोटर के भीतर क्षेत्र रेखाओं के समान्तर है तथा शेष भाग कोटर से बाहर परन्तु चालक के भीतर है। चूँकि चालक के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य है। अत: यदि एकांक आवेश को इस बन्द लूप के अनुदिश ले जाया जाए तो क्षेत्र द्वारा किया गया नैट कार्य प्राप्त होगा। परन्तु यह स्थिति स्थिर विद्युत क्षेत्र के लिए सत्य नहीं है (बन्द लूप पर नैट कार्य शून्य होता है)। अत: हमारी परिकल्पना कि कोटर के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य नहीं है, गलत है।
अर्थात् चालक के भीतर आवेशविहीन कोटर के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।

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प्रश्न 16.
(a) दर्शाइए कि आवेशित पृष्ठ के एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व पर स्थिर विद्युत क्षेत्र के अभिलम्ब घटक में असांतत्य होता है, जिसे \(\left(\overrightarrow{\mathrm{E}}_{2}-\overrightarrow{\mathrm{E}}_{1}\right) \cdot \hat{\mathrm{n}}=\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}\) द्वारा व्यक्त किया जाता है। जहाँ \(\hat{\mathbf{n}}\) एक बिन्दु पर पृष्ठ के
अभिलम्ब एकांक सदिश है तथा σ उस बिन्दु पर पृष्ठ आवेश घनत्व है \(\hat{\mathbf{n}}\) की दिशा पार्श्व 1 से पार्श्व 2 की ओर
है)। अतः दर्शाइए कि चालक के ठीक बाहर विद्युत क्षेत्र \(\frac{\sigma \hat{\mathbf{n}}}{\varepsilon_{0}}\) है।
(b) दर्शाइए कि आवेशित पृष्ठ के एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व पर स्थिर विद्युत क्षेत्र का स्पर्शीय घटक संतत है।
उत्तर :
(a) माना AB एक आवेशित पृष्ठ है जिस पर पृष्ठीय आवेश घनत्व σ है। पृष्ठ के समीप प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) समान तथा पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की ओर है।
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चित्र में एक बेलनाकार गाउसीय पृष्ठ को प्रदर्शित किया गया है। इस पृष्ठ 2 के वृत्ताकार परिच्छेदों पर अभिलम्ब सदिश \(\hat{\mathbf{n}}_{1} व 1\hat{\mathbf{n}}_{2}\) क्रमशः क्षेत्रों \(\overrightarrow{\mathrm{E}}_{1}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{E}}_{2}\) के समदिश हैं जबकि वक्र पृष्ठ पर अभिलम्ब संगत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}_{3}\) के लम्बवत् हैं। ..
माना प्रत्येक वृत्तीय परिच्छेद का क्षेत्रफल Δ A है तब गाउसीय पृष्ठ से -गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स

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उपर्युक्त समीकरण (2) किसी आवेशित सतह के दोनों ओर स्थित विद्युत क्षेत्रों के बीच सम्बन्ध को व्यक्त करता है।
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अब संलग्न चित्र में प्रदर्शित अनियमित आकृति के आवेशित चालक पर विचार के कीजिए। चालक का सम्पूर्ण आवेश उसकी बाह्य सतह पर फैला है। अत: चालक की। बाह्य सतह एक समविभव पृष्ठ है। आइए हम समीकरण (2) को इस चालक के बाहर विद्युत-क्षेत्र ज्ञात करने के लिए प्रयुक्त करते हैं।
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(b) आवेशित पृष्ठ के एक ओर से दूसरी ओर जाने पर स्थिर विद्युत क्षेत्र का स्पर्श रेखीय घटक सतत (सर्वथा शून्य) होता है, अन्यथा पृष्ठ के विभिन्न बिन्दु अलग-अलग विभवों पर होंगे तथा धनावेश पृष्ठ के अनुदिश उच्च विभव से निम्न विभव के बिन्दुओं की ओर गति करता रहेगा।

प्रश्न 17.
रैखिक आवेश घनत्व λ वाला एक लम्बा आवेशित बेलन एक खोखले समाक्षीय चालक बेलन द्वारा घिरा है। दोनों बेलनों के बीच के स्थान में विद्युत क्षेत्र कितना है?
हल :
दोनों बेलनों के बीच r त्रिज्या तथा l लम्बाई के समाक्षीय बेलनाकार गाउसीय पृष्ठ पर विचार कीजिए।
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सममिति के कारण इस बेलन के वक्र पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) सर्वत्र । समान तथा पृष्ठीय अल्पांश \(d \overrightarrow{\mathrm{A}}\) के समान्तर है जबकि वृत्तीय पृष्ठों पर \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) अल्पांश \(d \overrightarrow{\mathrm{A}}\) के लम्बवत् है। अतः
गाउसीय पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स
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प्रश्न 18.
एक हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन लगभग 0.53 Å दूरी पर परिबद्ध हैं :
(a) निकाय की स्थितिज ऊर्जा का ev में परिकलन कीजिए, जबकि प्रोटॉन व इलेक्ट्रॉन के मध्य से अनन्त दूरी पर स्थितिज ऊर्जा को शून्य माना गया है।
(b) इलेक्ट्रॉन को स्वतन्त्र करने में कितना न्यूनतम कार्य करना पड़ेगा, यदि यह दिया गया है कि इसकी कक्षा में गतिज ऊर्जा (a) में प्राप्त स्थितिज ऊर्जा के परिमाण की आधी है?
(c) यदि स्थितिज ऊर्जा को 1.06 Å पृथक्करण पर शून्य ले लिया जाए तो, उपर्युक्त (a) और (b) के उत्तर
क्या होंगे?
हल : यहाँ q1 = – 1.6 x 10-19 कूलॉम,
q2= + 1.6 x 10-19 कूलॉम
r = 0.53Å = 5.3 x 10-11 मीटर
(a) इलेक्ट्रॉन-प्रोटॉन के निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा
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(b) इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा U = – 27.17 ev
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U’ को शून्य मानने पर r = 0.53 Å दूरी पर स्थितिज ऊर्जा
U” = U – U’ = – 27.2 + 13.6 = – 13.6 ev
जबकि K = 13.6ev
∴ हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा
E= K +U” = 0
अतः इलेक्ट्रॉन को मुक्त करने के लिए आवश्यक कार्य
W = E – U’ = 0- (- 13.6) = 13.6 ev

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प्रश्न 19.
यदि H2 अणु के दो में से एक इलेक्ट्रॉन को हटा दिया जाए तो हमें हाइड्रोजन आण्विक आयन : (H2+) प्राप्त होगा। (H2+) की निम्नतम अवस्था (ground state) में दो प्रोटॉन के बीच दूरी लगभग 1.5A है
और इलेक्ट्रॉन प्रत्येक प्रोटॉन से लगभग 1Å की दूरी पर है। निकाय की स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। स्थितिज ऊर्जा की शून्य स्थिति के चयन का उल्लेख कीजिए।
हल :
प्रत्येक प्रोटॉन का आवेश q1 = q2 = + 1.6 x 10-19 कूलॉम
दोनों के बीच की दूरी r12 = 1.5 Å = 1.5 x 10-10 मीटर
इलेक्ट्रॉन का आवेश q3 = – 1.6 x 10-19 कूलॉम ।
r23 = r31 = 1A = 10-10 मीटर,
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स्थितिज ऊर्जा का शून्य अनन्त पर लिया गया है।

प्रश्न 20.
a और । त्रिज्याओं वाले दो आवेशित चालक गोले एक तार द्वारा एक-दूसरे से जोड़े गए हैं। दोनों गोलों के पृष्ठों पर विद्युत क्षेत्रों में क्या अनुपात है? प्राप्त परिणाम को, यह समझाने में प्रयुक्त कीजिए कि किसी चालक के तीक्ष्ण और नुकीले सिरों पर आवेश घनत्व, चपटे भागों की अपेक्षा अधिक क्यों होता है?
हल :
माना इन गोलों पर आवेश क्रमशः 41 तथा 42 हैं।
:: दोनों गोले चालक तार द्वारा जुड़े हैं। अत: दोनों के पृष्ठीय विभव बराबर होंगे।
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माना किसी आवेशित चालक के दो अलग-अलग भागों की वक्रता त्रिज्याएँ a तथा b हैं। माना चालक का प्रथम भाग दूसरे की तुलना में अधिक नुकीला है तब a यदि इन भागों पर q1 व q2 आवेश संचित हैं तो
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अर्थात् कम वक्रता त्रिज्या वाले भाग (नुकीले भाग) का पृष्ठीय घनत्व अधिक वक्रता त्रिज्या वाले भाग की तुलना में अधिक होगा।

प्रश्न 21.
बिन्दु (0, 0, – a) तथा (0, 0, a) पर दो आवेश क्रमशः -q और +q स्थित हैं।
(a) बिन्दुओं (0, 0, z) और (x, y, 0) पर स्थिर विद्युत विभव क्या है?
(b) मूल बिन्दु से किसी बिन्दु की दूरी r पर विभव की निर्भरता ज्ञात कीजिए, जबकि \(\frac{r}{a}\) >> 1 है।
(c) X-अक्ष पर बिन्दु (5, 0, 0) से बिन्दु (- 7, 0,0) तक एक परीक्षण आवेश को ले जाने में कितना कार्य । करना होगा? यदि परीक्षण आवेश को उन्हीं बिन्दुओं के बीच X-अक्ष से होकर न ले जाएँ तो क्या उत्तर बदल जाएगा?
हल :
दिए गए बिन्दु आवेश एक विद्युत द्विध्रुव बनाते हैं।
आवेशों के बीच की दूरी = 2a
∴ विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण \(\overrightarrow{\mathrm{p}}=q \times 2 \overrightarrow{\mathrm{a}}=2 q \overrightarrow{\mathrm{a}}\)
(a) बिन्दु (0, 0, z) द्विध्रुव की अक्ष पर स्थित है,
∴ इस बिन्दु पर विद्युत विभव \(V=\pm \frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{p}{\left(z^{2}-a^{2}\right)}\)
बिन्दु (x, y, 0) द्विध्रुव के विषुवत तल में स्थित है; अतः इस बिन्दु पर विद्युत विभव शून्य होगा।

(b) द्विध्रुव के कारण किसी बिन्दु पर विद्युत विभव :
माना कोई बिन्दु P, द्विध्रुव के केन्द्र (मूल बिन्दु) से 7 दूरी पर स्थित है। इस बिन्दु की बिन्दु आवेशों +q तथा । q से दूरियाँ क्रमश: r1 तथा r2 हैं।
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तब बिन्दु P पर द्विध्रुव के कारण विद्युत विभव
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(c) बिन्दु P(5, 0, 0) तथा Q(- 7, 0, 0) द्विध्रुव के विषुवत तल में स्थित हैं। अत: इन दोनों बिन्दुओं पर विभव शून्य होगा।
∴ परीक्षण आवेश qo को बिन्दु P से Q तक ले जाने में किया गया कार्य
W = qo [V (Q)- V (P)] = 0 [∵ V (P) = V(Q)= 0]
विद्युत-क्षेत्र एक संरक्षी क्षेत्र है जिसमें किया गया कार्य केवल अन्त्य बिन्दुओं पर निर्भर करता है, न कि मार्ग पर। (Note)
अतः उत्तर में कोई परिवर्तन नहीं आएगा।

प्रश्न 22.
नीचे दिए गए चित्र-2.12 में एक आवेश विन्यास जिसे विद्युत चतुर्युवी कहा जाता है, दर्शाया गया है। चतुर्भुवी के अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु के लिए r पर विभव की. a a . निर्भरता प्राप्त कीजिए जहाँ \(\frac{r}{a}\)>>11 अपने परिणाम की तुलना एक विद्युत द्विध्रुव व विद्युत एकल ध्रुव (अर्थात् किसी एकल आवेश) के लिए प्राप्त परिणामों से कीजिए।
हल :
माना P की विभिन्न आवेशों से दूरियाँ निम्नलिखित हैं –
r-a, r, r+a
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 65
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 34
विद्युत द्विध्रुव के कारण अक्ष पर विभव दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती (\(V \propto \frac{1}{r^{2}}\) ) होता है। एकल ध्रुव के कारण यह दूरी के व्युत्क्रमानुपाती (\(V \propto \frac{1}{r}\) ) होता है। अतः चतुर्भुवी के कारण विभव, विद्युत द्विध्रुव तथा एकल ध्रुव की तुलना में अधिक तेजी से घटता है।

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प्रश्न 23.
एक विद्युत टैक्नीशियन को 1 किलोवोल्ट विभवान्तर के परिपथ में 2 μF संधारित्र की आवश्यकता है। 1 μF के संधारित्र उसे प्रचुर संख्या में उपलब्ध हैं जो 400 वोल्ट से अधिक का विभवान्तर वहन नहीं कर सकते। कोई सम्भव विन्यास सुझाइए जिसमें न्यूनतम संधारित्रों की आवश्यकता हो।
हल :
माना हम प्रत्येक पंक्ति में n संधारित्र जोड़ते हैं तथा ऐसी m पंक्तियों को समान्तर क्रम में जोड़ते हैं। श्रेणीक्रम में, 1 kV = 1000 वोल्ट का विभवान्तर n संधारित्रों में बराबर बॅट जाएगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 35
∵ n न्यूनतम पूर्णांक है। अत: n = 3
प्रत्येक पंक्ति की धारिता = \(\frac{1}{n}\) माइक्रोफैरड होगी।
समान्तर क्रम में जुड़ी ऐसी m पंक्तियों की धारिता
\(\frac{1}{n} +\frac{1}{n} + \frac{1}{n}\) + m पद – = 2μF
⇒ \(\frac{m}{n}\) = 2μF
⇒ m = 2n = 2×3 = 6 ,

∵ हमें 3-3 संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़कर इस प्रकार की 6 पंक्तियाँ बनानी होंगी। अब इन 6 पंक्तियों को समान्तर क्रम में जोड़ना होगा।

प्रश्न 24.
2F वाले एक समान्तर पट्टिका संधारित्र की पट्टिका का क्षेत्रफल क्या है, जबकि पट्टिकाओं का पृथकन 0.5 सेमी है?
हल :
दिया है : d = 0.5 सेमी = 5 x 10 -3मीटर, C = 2F, A = ?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 36
∴ पट्टिका का क्षेत्रफल 1.13x 10° मीटर’ या 1130 किमी है।

प्रश्न 25.
चित्र 2.13 के नेटवर्क (जाल) की तुल्य धारिता प्राप्त कीजिए। 300 वोल्ट संभरण (सप्लाई) के साथ प्रत्येक संधारित्र का आवेश व उसकी वोल्टता ज्ञात कीजिए।
हल :
दिए गए नेटवर्क को चित्र 2.14 की भाँति व्यवस्थित किया जा सकता है

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 37
सर्वप्रथम C2 व C3 श्रेणीक्रम में जुड़े हैं, इनकी तुल्य धारिता
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 66
अब यह 100 pF की धारिता C1 के साथ समान्तर क्रम में जुड़ी है,
अतः तुल्य धारिता = 100 + 100 = 200 pF
पुन: यह 200 pF, C4 के साथ श्रेणीक्रम में जुड़ा है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 39
∵ C4 शेष संयोजन (धारिता 200 pF) के साथ श्रेणीक्रम में जुड़ा है,
अत: C4तथा शेष संयोजन, दोनों पर यही आवेश होगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 40
∴ शेष संयोजन का विभवान्तर V = 300 वोल्ट – 200 वोल्ट = 100 वोल्ट
∵ C1,C2 व C3 के श्रेणी संयोजन से समान्तर क्रम में जुड़ा है,
∴ C1 का विभवान्तर = 100 वोल्ट
तथा C2 व C3 के श्रेणी संयोजन का विभवान्तर = 100 वोल्ट
C1 पर आवेश q1 = C1V1= 100 x 10-12 फैरड x100 वोल्ट
= 10-8 कूलॉम.
∴ C = C3; अतः कुल विभवान्तर 100 V इन पर बराबर-बराबर बंटेगा।
प्रत्येक का विभवान्तर = 50 वोल्ट
प्रत्येक पर आवेश q2 = C2V2= 200 x 10-12
F x 50 वोल्ट = 10-8c

अतः संयोजन की धारिता \(C=\frac{200}{3}\) pF
C1 का विभवान्तर = 100 वोल्ट।
तथा आवेश = 10-8 कूलॉम
C2 का विभवान्तर = 50 वोल्ट ।
तथा आवेश = 10-8 कूलॉम
C3 का विभवान्तर = 50वोल्ट
तथा आवेश = 10-8 कूलॉम
C4 का विभवान्तर = 200 वोल्ट
तथा आवेश = 2 x 10-8 कूलॉम

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प्रश्न 26.
किसी समान्तर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल 90 सेमी2 है और उनके बीच पृथक्न 2.5 मिमी है। 400 वोल्ट संभरण से संधारित्र को आवेशित किया गया है।
(a) संधारित्र कितना स्थिर विद्युत ऊर्जा संचित करता है?
(b) इस ऊर्जा को पट्टिकाओं के बीच स्थिर विद्युत क्षेत्र में संचित समझकर प्रति एकांक आयतन ऊर्जा u ज्ञात कीजिए। इस प्रकार, पट्टिकाओं के बीच विद्युत क्षेत्र E के परिमाण और u में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
हल :
दिया है : A = 90 सेमी2 = 9 x 10-3 मीटर2, d = 2.5 मिमी = 2.5 x 10-3 मीटर V= 400 वोल्ट, U = ?, एकांक आयतन में ऊर्जा u = ?
u व E के बीच सम्बन्ध = ?
(a)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 41
(b)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 42

प्रश्न 27.
एक 4 माइक्रोफैरड के संधारित्र को 200 वोल्ट संभरण (सप्लाई) से आवेशित किया गया है। फिर संभरण से हटाकर इसे एक अन्य अनावेशित 2 माइक्रोफैरड के संधारित्र से जोड़ा जाता है। पहले संधारित्र की कितनी स्थिर विद्युत ऊर्जा का ऊष्मा और विद्युत चुम्बकीय विकिरण के रूप में ह्रास होता है ?
हल :
दिया है : C1 = 4 x 10-6 फैरड, V1 = 200 वोल्ट,
C2= 2 x 10-6 फैरड, V2 = 0 वोल्ट
माना जोड़ने के पश्चात् दोनों का उभयनिष्ठ विभव V है।
∵ जोड़ने से पूर्व संभरण को हटा लिया गया है। अत: कुल आवेश स्थिर रहेगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 43
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 44

प्रश्न 28.
दर्शाइए कि एक समान्तर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर बल का परिमाण \(\frac{1}{2}\)QE है, जहाँ Q.संधारित्र पर आवेश है और E पट्टिकाओं के बीच विद्युत क्षेत्र का परिमाण है। घटक 1/2 के मूल को समझाइए।
हल :
माना दोनों पट्टिकाओं के बीच लगने वाला पारस्परिक आकर्षण बल F है तथा प्लेटों के बीच की दूरी x है। दूरी x में dx की वृद्धि करने पर आकर्षण बल F के विरुद्ध कृत कार्य
dW = F dx         ………………….(1)
∵ प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र E है। अत: संधारित्र के एकांक आयतन में संचित ऊर्जा
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 45
∵ प्लेटों का क्षेत्रफल A व बीच की दूरी x है। अत: संधारित्र की कुल ऊर्जा
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 46
∵ दूरी x में dx की वृद्धि करने पर ऊर्जा में वृद्धि
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 47

घटक \(\frac{1}{2}\) का मूल इस तथ्य में निहित है कि चालक प्लेट के बाहर विद्युत क्षेत्र E तथा प्लेट के भीतर शून्य होता है। अत: औसत विद्युत क्षेत्र \(\frac{E}{2}\) होता है, जिसके विरुद्ध प्लेट को खिसकाया जाता है।

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प्रश्न 29.
दो संकेन्द्री गोलीय चालकों जिनको उपयुक्त विद्युतरोधी आवेश (+q) आलम्बों से उनकी स्थिति में रोका गया है, से मिलकर एक गोलीय संधारित्र बना है (चित्र 2.15)। दर्शाइए कि गोलीय संधारित्र की धारिता C इस प्रकार व्यक्त की जाती है :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 67
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 48
यहाँ r1 और r2 क्रमशः बाहरी तथा भीतरी गोलों की त्रिज्याएँ हैं।
हल :
गोलीय अथवा गोलाकार संधारित्र की धारिता (Capacitance . of Spherical Capacitor) का व्यंजक-माजा गोलीय संधारित्र धातु के आवेश (-q) दो समकेन्द्रीय खोखले गोलों A व B का बना है, जो एक-दूसरे को कहीं भी स्पर्श नहीं करते (चित्र 2.15)। जब गोले A को -q आवेश दिया जाता है तो प्रेरण द्वारा गोले B पर +q आवेश उत्पन्न हो जाता है। चूंकि गोले B का बाहरी तल पृथ्वी से जुड़ा है; अत: गोले B के बाहरी तल पर उत्पन्न -q आवेश पृथ्वी से आने वाले इलेक्ट्रॉनों से निरावेशित हो जाता है। इस प्रकार गोले B के आन्तरिक पृष्ठ पर + q आवेश रह जाता है। माना गोले A की त्रिज्या r2 तथा गोले B की त्रिज्या r1 है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 49
चूँकि गोले के भीतर प्रत्येक बिन्दु पर वही विभव होता है जो कि उसके पृष्ठ पर होता है।
अत: गोले B के अन्दर, +q आवेश के कारण विभव
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 50
चूँकि विभव अदिश राशि है; अत: गोले A पर परिणामी विभव
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 51
गोला B पृथ्वी से जुड़ा होने के कारण इस पर विभव शून्य है। अत: गोले A व B के बीच विभवान्तर
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 52

प्रश्न 30.
एक गोलीय संधारित्र के भीतरी गोले की त्रिज्या 12 सेमी है तथा बाहरी गोले की त्रिज्या 13 सेमी है। बाहरी गोला भू-सम्पर्कित है तथा भीतरी गोले पर 2.5 माइक्रोकूलॉम का आवेश दिया गया है। संकेन्द्री गोलों के बीच के स्थान में 32 पराविधुतांक का द्रव भरा है।
(a) संधारित्र की धारिता ज्ञात कीजिए।
(b) भीतरी गोले का विभव क्या है?
(c) इस संधारित्र की धारिता की तुलना एक 12 सेमी त्रिज्या वाले किसी वियुक्त गोले की धारिता से कीजिए। व्याख्या कीजिए कि गोले की धारिता इतनी कम क्यों है?
हल :
दिया है : r1 = 13 सेमी = 0.13 मीटर, r2 = 12 सेमी = 0.12 मीटर, K = 32, Q = 2.5x 10-6 कूलॉम
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 53

अर्थात् गोलीय संधारित्र की धारिता एकल गोले की धारिता से 416 गुनी अधिक है। इससे यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि एकल चालक के समीप एक अन्य भू-सम्पर्कित चालक रखकर उनके बीच के स्थान में पराविद्युत भरने से धारिता बहुत अधिक बढ़ जाती है।

प्रश्न 31.
सावधानीपूर्वक उत्तर दीजिए :
(a) दो बड़े चालक गोले जिन पर आवेश Q1 और Q2 हैं, एक-दूसरे के समीप लाए जाते हैं। क्या इनके बीच स्थिर विद्युत बल का परिमाण तथ्यत –
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 54
द्वारा दर्शाया जाता है, जहाँ r इनके केन्द्रों के बीच की दूरी है।
(b) यदि कूलॉम के नियम में \(\frac{1}{r^{3}}\) निर्भरता का समावेश (1/r2 के स्थान पर) हो तो क्या गाउस का नियम अभी भी सत्य होगा?
(c) स्थिर विद्युत क्षेत्र विन्यास में एक छोटा परीक्षण आवेश किसी बिन्दु पर विराम में छोड़ा जाता है। क्या यह उस बिन्दु से होकर जाने वाली क्षेत्र रेखा के अनुदिश चलेगा?
(d) इलेक्ट्रॉन द्वारा एक वृत्तीय कक्षा पूरी करने में नाभिक के क्षेत्र द्वारा कितना कार्य किया जाता है? यदि कक्षा दीर्घवृत्ताकार हो तो क्या होगा?
(e) हमें ज्ञात है कि एक आवेशित चालक के पृष्ठ के आर-पार विद्युत क्षेत्र असंतत होता है। क्या वहाँ विद्युत विभव भी असंतत होगा?
(f) किसी एकल चालक की धारिता से आपका क्या अभिप्राय है?
(g) एक सम्भावित उत्तर की कल्पना कीजिए कि पानी का पराविद्युतांक (= 80), अभ्रक के पराविद्युतांक (= 6) से अधिक क्यों होता है?
हल :
(a) यदि दोनों गोले एक-दूसरे से बहुत अधिक दूरी पर होंगे तभी वे बिन्दु आवेशों की भाँति कार्य करेंगे। कूलॉम का नियम केवल बिन्दु आवेशों के लिए सत्य है। अत: गोलों को समीप लाने पर कूलॉम का नियम लागू नहीं होगा।
(b) नहीं, गाउस का नियम केवल तभी तक सत्य है जब तक कि कूलॉम के नियम में निर्भरता (\(\frac{1}{r^{2}}\)) है; अतः कूलॉम के नियम में निर्भरता (\frac{1}{r^{3}}) होने पर गाउस का नियम लागू नहीं होगा।
(c) नहीं, यदि क्षेत्र रेखा एक सरल रेखा है, केवल तभी परीक्षण आवेश क्षेत्र रेखा के अनुदिश चलेगा।
(d) शून्य, स्थिर विद्युत क्षेत्र में बिन्दु आवेश के बन्द वक्र पर चलाने में किया गया कार्य शून्य होता है। यदि वक्र दीर्घवृत्ताकार है तो भी कार्य शून्य होगा।
(e) नहीं, चालकं की पूरी सतह पर विद्युत विभव सतत होता है। (1) एकल चालक की धारिता एक ऐसे संधारित्र की धारिता है, जिसकी दूसरी प्लेट अनन्त पर है।
(g) जल के अणुओं का अपना स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण होता है। अत: जल का पराविद्युतांक उच्च होता है, इसके विपरीत अभ्रक के अणुओं का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है; अत: इसका पराविद्युतांक निम्न होता है।

प्रश्न 32.
एक बेलनाकार संधारित्र में 15 सेमी लम्बाई एवं त्रिज्याएँ 1.5 सेमी तथा 1.4 सेमी के दो समाक्ष बेलन हैं। बाहरी बेलन भू-सम्पर्कित है और भीतरी बेलन को 3.5 माइक्रोकूलॉम का आवेश दिया गया है। निकाय की धारिता और भीतरी बेलन का विभव ज्ञात कीजिए। अन्त्य प्रभाव (अर्थात् सिरों पर क्षेत्र रेखाओं का मुड़ना) की उपेक्षा कर सकते हैं।
हल :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 55

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प्रश्न 33.
पराविधुतांक तथा 107 वोल्ट मीटर-1 की पराविद्युत सामर्थ्य वाले एक पदार्थ से 1 किलोवोल्ट वोल्टता अनुमतांक के समान्तर पट्टिका संधारित्र की अभिकल्पना करनी है। [पराविद्युत सामर्थ्य वह अधिकतम विद्युत क्षेत्र है जिसे कोई पदार्थ बिना भंग हुए अर्थात् आंशिक आयनन द्वारा बिना विद्युत संचरण आरम्भ किए सहन कर सकता है। सुरक्षा की दृष्टि से क्षेत्र को कभी भी पराविद्युत सामर्थ्य के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए।] 50pF धारिता के लिए पट्टिकाओं का कितना न्यूनतम क्षेत्रफल होना चाहिए?
हल :
दिया है : K = 3, पराविद्युत सामर्थ्य = 107 वोल्ट/मीटर,
C = 50 pF, न्यूनतम क्षेत्रफल A = ? V = 1000 वोल्ट
प्लेटों के बीच अधिकतम क्षेत्र Emax = पराविद्युत सामर्थ्य का 10%
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 56

प्रश्न 34.
व्यवस्थात्मकतः निम्नलिखित में संगत समविभव पृष्ठ का वर्णन कीजिए :
(a) Z-दिशा में अचर विद्युत क्षेत्र
(b) एक क्षेत्र जो एकसमान रूप से बढ़ता है, परन्तु एक ही दिशा (मान लीजिए 2-दिशा) में रहता है।
(c) मूलबिन्दु पर कोई एकल धनावेश और
(d) एक समतल में समान दूरी पर समान्तर लम्बे आवेशित तारों से बने एकसमान जाल।
उत्तर :
(a) x-y समतल के समान्तर समतल।
(b) समविभव पृष्ठ x-y समतल के समान्तर होंगे, परन्तु बढ़ते क्षेत्र के साथ, भिन्न-भिन्न नियत विभव वाले समतल एक-दूसरे के समीप होते जाएँगे।
(c) संकेन्द्रीय गोले जिनके केन्द्र मूलबिन्दु पर हैं।
(d) ग्रिड के समीप, समविभव पृष्ठों की आकृति समय के साथ बदलेगी परन्तु ग्रिड से दूर जाने पर समविभव . पृष्ठ ग्रिड (जाल) के अधिकाधिक समान्तर होते जाएँगे।

प्रश्न 35.
किसी वान डे ग्राफ प्रकार के जनित्र में एक गोलीय धातु कोश 15 x 106 वोल्ट का एक इलेक्ट्रोड बनाना है। इलेक्ट्रोड के परिवेश की गैस की पराविद्युत सामर्थ्य 5 x 107 वोल्ट मीटर-1 है। गोलीय कोश की आवश्यक न्यूनतम त्रिज्या क्या है?
हल :
दिया है : गोलीय कोश का विभव V = 15 x 106 वोल्ट
गैस की पराविद्युत सामर्थ्य Emax = 5 x 107 वोल्ट मीटर-1
माना कोश की न्यूनतम त्रिज्या r है, तब
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 57

प्रश्न 36.
r1 त्रिज्या तथा q1 आवेश वाला एक छोटा गोला r2 त्रिज्या और q2 आवेश के गोलीय खोल (कोश) से घिरा है। दर्शाइए यदि q1 धनात्मक है तो (जब दोनों को एक तार द्वारा जोड़ दिया जाता है) आवश्यक रूप से आवेश, गोले से खोल की तरफ ही प्रवाहित होगा, चाहे खोल पर आवेश q2 कुछ भी हो।
हल :
हम जानते हैं कि किसी चालक का सम्पूर्ण आवेश उसके बाह्य पृष्ठ पर रहता है; अत: जैसे ही दोनों गोलों को चालक तार द्वारा जोड़ा जाएगा वैसे ही अन्दर वाले छोटे गोले का सम्पूर्ण आवेश तार से होकर बाहरी खोल की ओर प्रवाहित हो जाएगा, चाहे खोल पर आवेश q2 कुछ भी क्यों न हो।

प्रश्न 37.
निम्न का उत्तर दीजिए :
(a) पृथ्वी के पृष्ठ के सापेक्ष वायुमण्डल की ऊपर परत लगभग 400 किलोवोल्ट पर है, जिसके संगत विद्युतक्षेत्र ऊँचाई बढ़ने के साथ कम होता है। पृथ्वी के पृष्ठ के सापेक्ष विद्युत क्षेत्र लगभग 100 वोल्ट मीटर-1 है। तब फिर जब हम घर से बाहर खुले में जाते हैं तो हमें विद्युत आघात क्यों नहीं लगता? (घर को लोहे का पिंजरा मान लीजिए; अतः उसके अन्दर कोई विद्युत क्षेत्र नहीं है।)
(b) एक व्यक्ति शाम के समय अपने घर के बाहर 2 मीटर ऊँचा अवरोधी पट्ट रखता है जिसके शिखर पर एक 1 मीटर क्षेत्रफल की बड़ी ऐलुमिनियम की चादर है। अगली सुबह वह यदि धातु की चादर को छूता है तो क्या उसे विद्युत आघात लगेगा?
(c) वायु की थोड़ी-सी चालकता के कारण सारे संसार में औसतन वायुमण्डल में विसर्जन धारा 1800 ऐम्पियर मानी जाती है। तब यथासमय वातावरण स्वयं पूर्णतः निरावेशित होकर विद्युत उदासीन क्यों नहीं हो जाता? दूसरे शब्दों में, वातावरण को कौन आवेशित रखता है?
(d) तड़ित के दौरान वातावरण की विद्युत ऊर्जा, ऊर्जा के किन रूपों में क्षयित होती है?
हल :
(a) हमारा शरीर तथा पृथ्वी के समान विभव पर रहने के कारण हमारे शरीर से होकर कोई विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती इसीलिए हमें कोई विद्युत आघात नहीं लगता।
(b) हाँ, पृथ्वी तथा ऐलुमिनियम की चादर मिलकर एक संधारित्र बनाती हैं तथा अवरोधी पट्ट पराविद्युत का कार्य करता है। ऐलुमिनियम की चादर वायुमण्डलीय आवेश के लगातार गिरते रहने से आवेशित होती रहती है और उच्च विभव प्राप्त कर लेती है; अतः जब व्यक्ति इस चादर को छूता है तो उसके शरीर से होकर एक विद्युत धारा प्रवाहित होती है और इस कारण उस व्यक्ति को विद्युत आघात लगेगा।
(c) यद्यपि वायुमण्डल 1800 ऐम्पियर की औसत विसर्जन धारा के कारण लगातार निरावेशित होता रहता है परन्तु साथ ही यह तड़ित तथा झंझावात के कारण यह लगातार आवेशित भी होता रहता है और इन दोनों के बीच एक सन्तुलन बना रहता है जिससे कि वायुमण्डल कभी भी पूर्णत: निरावेशित नहीं हो पाता।
(d) तड़ित के दौरान वातावरण की विद्युत ऊर्जा, प्रकाश उर्जा, ध्वनि ऊर्जा तथा ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में क्षयित होती है।

NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LQ Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
चित्र में दर्शाए अनुसार परिपथ में 4 μF का संधारित्र संयोजित है। बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध 0.5Ω है। संधारित्र की प्लेटों पर आवेश की मात्रा होगी –
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 58
(a) 0
(b) 4 μc
(c) 16 μc
(d) 8 μc
उत्तर :
(d) 8 μc

प्रश्न 2.
किसी एक समान विद्युत क्षेत्र में किसी धनावेशित कण को मुक्त किया जाता है। आवेश की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा
(a) नियत रहती है क्योंकि विद्युत क्षेत्र एकसमान है
(b) बढ़ जाती है क्योंकि आवेश विद्युत क्षेत्र के अनुदिश गति करता है
(c) घट जाती है क्योंकि आवेश विद्युत क्षेत्र के अनुदिश गति करता है
(d) घट जाती है क्योंकि आवेश विद्युत क्षेत्र के विपरीत गति करता है।
उत्तर :
(c) घट जाती है क्योंकि आवेश विद्युत क्षेत्र के अनुदिश गति करता है

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प्रश्न 3.
कुछ आवेशों के एक समूह का कुल योग शून्य नहीं है। इससे अधिक दूरी पर बनने वाले समविभव पृष्ठ होंगे –
(a) गोले
(b) समतल
(c) परवलयज
(d) दीर्घवृत्तज।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 59
उत्तर :
(a) गोले

प्रश्न 4.
कोई समान्तर पट्टिका संधारित्र दो श्रेणीबद्ध परावैद्युत गुटकों से बना है। इनमें चित्र में दर्शाए अनुसार एक गुटके की मोटाई d1 तथा परावैद्युतांक K1 तथा दूसरे गुटके की मोटाई d25 तथा परावैद्युतांक K2 है।* इस व्यवस्था को एक ऐसा परावैद्युत गुटका माना जा सकता है जिसकी d) मोटाई d = (d1 + d2) तथा प्रभावी परावैद्युतांक K है। तब K का मान है –
(a)\(\frac{K_{1} d_{1}+K_{2} d_{2}}{d_{1}+d_{2}}\)
(b)\(\frac{K_{1} d_{1}+K_{2} d_{2}}{K_{1}+K_{2}}\)
(c)\(\frac{K_{1} K_{2}\left(d_{1}+d_{2}\right)}{\left(K_{1} d_{2}+K_{2} d_{1}\right)}\)
(d)\(\frac{2 K_{1} K_{2}}{\left(K_{1}+K_{2}\right)}\)
उत्तर :
(c)\(\frac{K_{1} K_{2}\left(d_{1}+d_{2}\right)}{\left(K_{1} d_{2}+K_{2} d_{1}\right)}\)

स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
R1 तथा R2 त्रिज्याओं (R1 > R2) के दो चालक गोलों पर विचार कीजिए। यदि दोनों गोले समान विभव पर हैं तो छोटे गोले की अपेक्षा बड़े गोले पर अधिक आवेश होता है। उल्लेख कीजिए, छोटे गोले का आवेश घनत्व बड़े गोले की तुलना में अधिक होगा अथवा कम?
उत्तर :
दोनों गोले समान विभव पर हैं। अत: V1 = V2 अथवा
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 60
अत: छोटे गोले (R2 त्रिज्या का) का आवेश पृष्ठ घनत्व, बड़े गोले की तुलना में अधिक होगा।

प्रश्न 2.
मुक्त इलेक्ट्रॉन उच्च विभव के क्षेत्र की ओर गमन करते हैं अथवा निम्न विभव के क्षेत्र की ओर?
उत्तर :
मुक्त इलेक्ट्रॉन उच्च विभव के क्षेत्र की ओर गमन करते हैं। .

प्रश्न 3.
समान आवेश वाले दो निकटवर्ती चालकों के बीच क्या कोई विभवान्तर हो सकता है?
उत्तर :
हाँ, यदि चालकों का आमाप भिन्न-भिन्न हों तब समान आवेश होते हुए भी उनके बीच विभवान्तर हो सकता है।

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प्रश्न 4.
कोई परीक्षण आवेश q किसी बिन्दु आवेश Q के विद्युत क्षेत्र में दो भिन्न बन्द पथों पर गमन करता है (चित्रानुसार )। पहला पथ विद्युत क्षेत्र की रेखाओं के अनुदिश तथा लम्बवत् कोई भाग है। दूसरा पथ एक आयताकार पाश है जिसका क्षेत्रफल पहले पाश के बराबर है। इन दोनों प्रकरणों में किए गए कार्य की तुलना कीजिए।
उत्तर :
वैद्युत बल एक संरक्षी बल है, अत: इसके अन्तर्गत बन्द पथ में किया है गया कार्य दोनों स्थितियों में शून्य होगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 61

स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच कोई परावैद्युत है तथा यह संधारित्र किसी दिष्ट स्रोत से संयोजित है। अब बैटरी को हटाया जाता है और फिर परावैद्युत को हटा दिया जाता है। यह उल्लेख कीजिए कि ऐसा करने पर संधारित्र की धारिता उसमें संचित ऊर्जा, विद्युत क्षेत्र, संचित आवेश तथा वोल्टता में वृद्धि होगी, कमी होगी अथवा नियत रहेगी?
उत्तर :
संधारित्र की पट्टिकाओं से संयोजित दिष्ट स्रोत (बैटरी) को हटा लेने पर संधारित्र की प्लेटों पर आवेश नियत रहेगा।
संधारित्र की प्लेटों के बीच से परावैद्युत को हटा लेने पर उसकी धारिता कम हो जाएगी।
संधारित्र में संचित ऊर्जा \(E=\frac{\sigma}{\varepsilon_{0} K}\), धारिता C घट जाने के कारण अधिक हो जाएगी।
प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र \(V=\frac{q}{C}\), परावैद्युत हटा लेने पर बढ़ जाएगा।
प्लेटों के बीच वोल्टता \(V=\frac{q}{C}\), धारिता कम हो जाने के कारण (या V = E.d के अनुसार) बढ़ जाएगी।

स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता विस्तृत उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
R तथा 2R त्रिज्याओं के दो धातु के गोलों के पृष्ठीय आवेश घनत्व समान हैं। इन्हें सम्पर्क में लाकर पृथक कर दिया जाता है। इन दोनों पर नए पृष्ठीय आवेश घनत्व क्या होंगे?
हल :
धातु के गोलों पर आवेश q1 = σ 4πR2 तथा
q2 = σ4π(2R2)
4(σ4πR2) = 4q1
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता img 62
चालकों को परस्पर सम्पर्क में रखने पर, उन पर आवेशों का पुनर्वितरण उनकी धारिताओं के अनुपात में होता है। अतः

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MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Important Questions

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न (a)
सार्वजनिक बजट की अवधि होती है –
(a) 5 वर्ष
(b) 2 वर्ष
(c) 1 वर्ष
(d) 10 वर्ष।
उत्तर:
(c) 1 वर्ष

प्रश्न (b)
संसद में बजट पेश करता है –
(a) प्रधानमंत्री
(b) गृहमंत्री
(c) वित्तमंत्री
(d) रक्षामंत्री।
उत्तर:
(c) वित्तमंत्री

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प्रश्न (c)
लोकसभा में बजट पर भाषण दिया जाता है –
(a) राष्ट्रपति द्वारा
(b) प्रधानमंत्री द्वारा
(c) वित्तमंत्री द्वारा
(d) गृहमंत्री द्वारा।
उत्तर:
(c) वित्तमंत्री द्वारा

प्रश्न (d)
वृत्ति कर लगाया जाता है –
(a) केन्द्र सरकार द्वारा
(b) राज्य सरकार द्वारा
(c) नगर निगम द्वारा
(d) ग्राम पंचायत द्वारा।
उत्तर:
(b) राज्य सरकार द्वारा

प्रश्न (e)
प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत निम्नलिखित में किसे शामिल किया जाता है –
(a) आयकर
(b) उपहार कर
(c) और (b) दोनों
(d) उत्पाद कर।
उत्तर:
(c) और (b) दोनों

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प्रश्न (f)
भारत में एक रुपया का नोट कौन जारी करता है –
(a) भारतीय रिजर्व बैंक
(b) भारत सरकार का वित्त मंत्रालय
(c) भारतीय स्टेट बैंक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) भारत सरकार का वित्त मंत्रालय

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. …………………………… एक सरकारी दस्तावेज है जिसमें सरकार के आय एवं व्यय का ब्यौरा होता है।
  2. आयकर एक ……………………………… कर है।
  3. ……………………………… कर वस्तुओं के मौद्रिक मूल्यों के आधार पर लगाये जाते हैं।
  4. सेवाकर ……………………………… सरकार द्वारा लगाया जाता है।
  5. …………………………….. का बजट आजकल अच्छा बजट माना जाता है।
  6. केन्द्रीय सरकार का बजट ……………………………… माह के अंतिम दिन प्रस्तुत किया जाता है।
  7. वित्त विधेयक में …………………………….. संबंधी प्रस्ताव होते हैं।

उत्तर:

  1. बजट
  2. प्रत्यक्ष
  3. मूल्यानुसार
  4. केन्द्रीय
  5. घाटे
  6. फरवरी
  7. कर।

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प्रश्न 3.
सत्य /असत्य बताइये –

  1. घाटे का बजट एक अच्छा बजट नहीं माना जाता है।
  2. विद्युत् शुल्क राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है।
  3. बजट भाषण वित्तमंत्री द्वारा दिया जाता है।
  4. केन्द्रीय शुल्क प्रत्यक्ष कर है।
  5. ब्याज भुगतान योजनागत मद है।
  6. मंदी के समय आधिक्य का बजट बनाया जाता है।
  7. भारत का रेल बजट सामान्य बजट में शामिल नहीं होता।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. असत्य
  6. सत्य
  7. सत्य।

प्रश्न 4.
सही जोड़ियाँ बनाइये –
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 1
उत्तर:

  1. (b)
  2. (d)
  3. (a)
  4. (e)
  5. (c).

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प्रश्न 5.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिये –

  1. अतिरेक बजट का अर्थ लिखिए?
  2. शिक्षा का व्यय कैसा व्यय माना जाता है?
  3. प्रतिवर्ष वित्तमंत्री द्वारा प्रस्तुत देश के बजट को कौन पारित करता है?
  4. सरकार द्वारा जुलाई 2017 से कौन – सा कर लगाया गया है?
  5. सरकार बजट कितने वर्ष के लिए बनाती है?
  6. जी. एस. टी. का पूरा नाम बताइए?
  7. भू – राजस्व कर किसके द्वारा लगाया जाता है?
  8. बजट को किस योजना की संज्ञा दी जाती है?

उत्तर:

  1. आय अधिक एवं व्यय कम
  2. विकासात्मक
  3. संसद
  4. जी. एस. टी.
  5. एक वर्ष
  6. वस्तु एवं सेवा कर
  7. राज्य सरकार द्वारा
  8. सरकार की मास्टर वित्तीय योजना।

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सरकारी बजट से क्या आशय है? यह कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
एक वित्तीय वर्ष के दौरान मदों के अनुसार, अनुमानित प्राप्तियों एवं व्ययों को दिखाया जाता है। भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक माना जाता है। केन्द्र सरकार के वार्षिक वित्तीय विवरण को ‘संघीय बजट’ कहा जाता है। बजट दो प्रकार के होते हैं – राजस्व बजट तथा, पूँजीगत बजट।

प्रश्न 2.
प्राथमिक घाटा किसे कहते हैं? यह क्या दर्शाता है?
उत्तर:
प्राथमिक घाटा:
राजकोषीय घाटे से ब्याज भुगतान की राशि को घटाकर प्राथमिक घाटे की गणना कर सकते हैं, यह राजकोषीय घाटा तथा ब्याज भुगतान का अंतर होता है। प्राथमिक घाटा ब्याज अदायगी रहित राजकोषीय घाटे को पूरा करने हेतु सरकार की ऋण संबंधी जरूरतों को दर्शाता है।

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प्रश्न 3.
कर क्या है?
उत्तर:
वह अनिवार्य भुगतान जो करदाताओं द्वारा सरकार को किया जाता है तथा जिसके बदले करदाता किसी प्रत्यक्ष लाभ की आशा नहीं करते हैं उसे कर कहते हैं, जैसे – आयकर, संपत्ति कर, उत्पाद कर, आयात शुल्क, निर्यात शुल्क आदि।

प्रश्न 4.
बजट घाटा क्या है?
उत्तर:
बजट घाटा:
बजटीय से आशय सरकार के कुल व्यय का कुल प्राप्तियों से अधिक होना है। अन्य शब्दों में, सरकार की राजस्व एवं पूँजीगत प्राप्तियों का योग जब राजस्व एवं पूँजीगत व्ययों के योग से कम होता है,तो उसे बजटीय घाटा कहा जाता है।

प्रश्न 5.
पूरक बजट से क्या आशय है?
उत्तर:
पूरक बजट:
जब सरकार के किसी विभाग का बजट में स्वीकृत धनराशि से काम नहीं चलता है तो इस स्थिति में अतिरिक्त माँगों को पूरा करने के लिए लोकसभा में एक और बजट प्रस्तुत करके स्वीकृति ली जाती है। इसी को पूरक बजट कहते हैं।

प्रश्न 6.
शून्य प्राथमिक घाटा क्या है?
उत्तर:
जब सरकार को केवल ब्याज के दायित्वों को पूरा करने के लिए ऋण लेना पड़ता है, तो इसे शून्य प्राथमिक घाटा कहते हैं।

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प्रश्न 7.
लेखा अनुदान से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लेखा अनुदान:
यदि किसी वर्ष बजट 1 अप्रैल से पूर्व पारित नहीं हो पाता है, तो 1 अप्रैल से बजट पारित होने की तिथि तक की अवधि के लिए सरकार अपने व्ययों को पूरा करने के लिए संसद से लेखा अनुदान के आधार पर स्वीकृति ले लेती है।

प्रश्न 8.
कर वंचन क्या है?
उत्तर:
बिना कर का भुगतान किए कर से मुक्त होना कर वंचन कहलाता है।

प्रश्न 9.
बचत पूर्ण बजट क्या है?
उत्तर:
बचत पूर्ण बजट:
वह बजट, जिसमें कुल आय में से कुल व्यय कम होता है, उसे बचतपूर्ण बजट कहते हैं।

प्रश्न 10.
संतुलित बजट क्या है?
उत्तर:
संतुलित बजट:
वह बजट, जिसमें कुल आय तथा कुल व्यय बराबर होते हैं, वह संतुलित बजट कहलाता है।

प्रश्न 11.
कर गुणक का सूत्र लिखिए?
उत्तर:
कर गुणक = \(\frac{ – C}{1 – C}\)

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प्रश्न 12.
ऋण जाल से क्या आशय है?
उत्तर:
सामान्यतः विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ अपनी विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए विदेशों से ऋण प्राप्त करती हैं। फलतः विकासशील देशों पर विदेशी ऋणों के साथ-साथ ऋण ब्याज का भी भार बढ़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप ऋणों को चुकाने के लिए इन्हें पुनः ऋण लेना पड़ता है। अतः ये देश एक स्थान से ऋण ‘ लेकर दूसरे स्थान पर चुकाते रहते हैं। इस तरह से देश उत्तरोत्तर ऋण प्राप्त कर ऋण चक्र में फँसते चले जाते हैं। इंसी को ऋण जाल कहा जाता है।

प्रश्न 13.
राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा में संबंध बताइए?
उत्तर:
राजस्व घाटा एवं राजकोषीय घाटा में संबंध:
राजस्व घाटा तथा राजकोषीय घाटा दोनों में ही राजस्व व्यय तथा राजस्व प्राप्तियाँ सम्मिलित होती हैं। चूँकि
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ + गैर – ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ।

प्रश्न 14.
सार्वजनिक वस्तु सरकार के द्वारा ही प्रदान की जानी चाहिए, क्यों? व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
सार्वजनिक वस्तुएँ:
राष्ट्रीय सुरक्षा, सड़कें, लोक प्रशासन आदि वस्तुओं एवं सेवाओं को सार्वजनिक वस्तु कहा जाता है। सार्वजनिक वस्तुएँ सरकार द्वारा प्रदान की जानी चाहिए, क्योंकि –

  1. सार्वजनिक वस्तुओं का लाभ केवल एक व्यक्ति तक सीमित न होकर सभी को मिलना चाहिए।
  2. ये वस्तुएँ प्रतिस्पर्धात्मक नहीं होती हैं।
  3. सार्वजनिक वस्तु के उपयोग से किसी को भी वंचित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 15.
सरकारी घाटे और सरकारी ऋण – ग्रहण में क्या संबंध है? व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
सरकारी घाटे की पूर्ति हेतु वित्त व्यवस्था के रूप में ऋण:
ग्रहण किया जाता है इस प्रकार सरकारी घाटे एवं ऋण – ग्रहण में धनात्मक संबंध पाया जाता है अतः जब सरकारी घाटा कम होता है तो ऋण – ग्रहण में भी कमी आती है अत: विपरीत परिस्थिति में घाटे में वृद्धि के साथ – साथ ऋण – ग्रहण भी बढ़ती है।

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प्रश्न 16.
बजट के घाटे संबंधी अवधारणा को स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
घाटे का बजट:
जब बजट में सार्वजनिक व्यय, सार्वजनिक आय की तुलना में अधिक का दिखाया जाता है तो उसे घाटे का बजट कहा जाता है।

घाटे का बजट:
अनुमानित सार्वजनिक आय < अनुमानित सार्वजनिक व्यय।

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आय प्राप्ति के साधन बताइए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय का अर्ध:
सार्वजनिक आय से तात्पर्य, सरकार की उन सभी मौद्रिक प्राप्तियों से है, जो सरकारी व्यय के लिए आवश्यक है।

सरकार की आय प्राप्ति के साधन –

  1. चालू आय प्राप्तियाँ: जैसे – कर, फीस, सरकारी उद्यमों की आय इत्यादि।
  2. पूँजीगत प्राप्तियाँ: जैसे – सार्वजनिक ऋण, सरकारी अनुदान, घाटे की वित्तीय व्यवस्था आदि।

चालू आय प्राप्तियाँ:
चालू आय प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती हैं –

  1. कर आय प्राप्तियाँ
  2. गैर – कर आय प्राप्तियाँ।

प्रश्न 2.
प्रगतिशील कर एवं प्रतिगामी कर में अन्तर बताइये?
उत्तर:
प्रगतिशील कर एवं प्रतिगामी कर में अन्तर:
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 2

प्रश्न 3.
पूँजीगत प्राप्तियों एवं राजस्व प्राप्तियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
पूँजीगत प्राप्तियों एवं राजस्व प्राप्तियों में अन्तर:

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 3

प्रश्न 4.
बचत का बजट, संतुलित बजट एवं घाटे का बजट पर संक्षिप्त नोट लिखिए?
उत्तर:
बचत का बजट:
जब बजट में वर्ष की अनुमानित आय अनुमानित व्यय की तुलना में अधिक हो तो ऐसे बजट को बचत का बजट कहा जाता है। बचत का बजट सरकार की वित्तीय सुदृढ़ता का परिचायक होता है, फिर भी ऐसा बजट जनता में अच्छा नहीं माना जाता।

संतुलित बजट:
संतुलित बजट उस बजट को कहते हैं जिसमें सरकार की वर्ष की अनुमानित आय अनुमानित व्यय के बराबर हो। इस बजट को साधनों की सीमा में रहने का बजट कहा गया है। इस बजट या नीति का लगभग कोई भी सरकार समर्थन नहीं करती।

घाटे का बजट:
घाटे का बजट वह स्थिति है जब सरकार का अनुमानित व्यय, चालू वर्ष में उसकी अनुमानित आय से अधिक हो। ऐसा बजट जनता हिवार्थ बजट माना जाता है। कई सरकारें ऐसा बजट जानबूझकर तैयार करती हैं।

प्रश्न 5.
सरकारी बजट क्या होता है? बजट के तीन उद्देश्य बताइये?
उत्तर:
एक वित्तीय वर्ष में सरकार की प्रत्याशित आय एवं प्रत्याशित ब्यौरा जो 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के अनुमानों को प्रगट करता है। जिसमें गतवर्ष की उपलब्धियों एवं कमियों का प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया जाता है। सरल शब्दों में, एक वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित आय एवं अनुमानित व्यय का विवरण ही सरकारी बजट कहलाता है। इसके निम्न उद्देश्य होते हैं –

  • आर्थिक स्थिरता बनाये रखना।
  • उपलब्ध संसाधनों का कुशलतम आबंटन एवं विदोहन।
  • आय एवं संपत्ति का पुनः वितरण।
  • सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंधन।

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प्रश्न 6.
बजट द्वारा आय की असमानताओं को कैसे दूर किया जा सकता है?
अथवा
आयु की असमानता को दूर करने में सरकारी बजट की क्या भूमिका है? समझाइये?
उत्तर:
आय की असमानता को दूर करने का उद्देश्य आय के समान प्रतिमान स्थापित कर धनिकों पर अधिक करारोपण कर उसे निर्धनों के कल्याण पर खर्च करना, अमीर व्यक्तियों पर अधिक कर लगाने का उद्देश्य उनकी प्रयोज्य आय को कम करना है। निर्धनों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें आय एवं संपत्ति के मायनों में अन्य लोगों की बराबरी पर लाना है। इसके लिये प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर धनिकों पर लगाकर वह राजस्व प्राप्त किया जाता है जिससे आय की असमानता दूर हो सके।

प्रश्न 7.
सरकारी बजट से आर्थिक स्थिरता कैसे प्राप्त की जा सकती है? संक्षेप में समझाइये?
उत्तर:
सरकार बजट के माध्यम से करारोपण, आर्थिक सहायता एवं सार्वजनिक व्ययों के माध्यम से समग्र माँग एवं समग्र पूर्ति को नियंत्रित कर मुद्रा स्फीति एवं मुद्रा संकुचन की स्थिति पर नजर रखती है, जिससे देश में आर्थिक स्थिरता प्राप्त की जा सके। सामान्यतया आर्थिक स्थिरता मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण, व्ययों में कमी, करों में वृद्धि करती है इससे कीमतों पर नियंत्रण स्थापित हो जाता है और मुद्रा संकुचन के समय व्ययों में वृद्धि एवं करों में कमी करके कीमतों को नियंत्रित कर आर्थिक स्थिरता को प्राप्त करती है।

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प्रश्न 8.
संसाधनों के कुशल आबंटन में सरकार का क्या दृष्टिकोण ( भूमिका) होता है? समझाइये?
उत्तर:
देश में उपलब्ध संसाधनों के कुशल आबंटन में सरकार प्रथमतः प्राथमिकताएँ निधारत करती हैं एवं उनके अनुरूप सामाजिक, आर्थिक एवं संतुलित विकास बजट का उद्देश्य होता है। सरकार द्वारा इसके लिये वांछनीय एवं आवश्यक वस्तुओं पर आर्थिक सहायता दी जा सकती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, भोजन, वस्त्र आदि पर आबंटन निःशुल्क उपलब्ध कराकर आर्थिक सहायता प्रदान करती है। सरकार द्वारा ऐसी अवांछनीय एवं हानिकारक वस्तुओं पर अधिक कर लगाकर आपूर्ति में कमी करके इन वस्तुओं को अधिक महँगा बनाकर संसाधनों का कुशलतम प्रयोग एवं आबंटन किया जाता है।

प्रश्न 9.
सार्वजनिक व्यय के चार प्रकार लिखिए?
उत्तर:
सार्वजनिक व्यय के प्रकार:
सार्वजनिक व्यय के निम्नलिखित प्रकार हैं –

1. विकासात्मक व्यय:
विकासात्मक व्यय वह व्यय है जो आर्थिक विकास तथा सामाजिक कल्याण के लिए किया जाता है । इसके अंतर्गत शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, कृषि, परिवहन, सड़कों, नहरों इत्यादि पर किया गया व्यय विकासात्मक व्यय होता है।

2. गैर – विकासात्मक व्यय:
गैर – विकासात्मक व्यय, वह व्यय है जो सरकार के प्रशासन की सुरक्षा, कानून व्यवस्था आदि पर खर्च किया जाता है। इसके अंतर्गत कर्मचारियों का वेतन, सेना, पुलिस, जेल व्यवस्था ऋण पर ब्याज आदि पर किया गया व्यय गैर – विकासात्मक व्यय होता है।

3. योजना व्यय:
योजना व्यय में वह व्यय शामिल किया जाता है जो वर्तमान आर्थिक योजना के अंतर्गत क्रियान्वित कार्यों पर सरकार द्वारा किया जाता है। जैसे – कृषि, बिजली, उद्योग, परिवहन, संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि पर किया जाने वाला व्यय।

4. गैर – योजना व्यय:
गैर – योजना व्यय में वे सभी व्यय आते हैं जो वर्तमान योजना से संबंधित नहीं हैं। इसके अंतर्गत ब्याज का भुगतान, रियायतें, सुरक्षा कर पर खर्च पुलिस, पेंशन इत्यादि व्यय शामिल हैं।

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प्रश 10.
प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर के बीच अंतर स्पष्ट कीजिये?
उत्तर:
प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर में अन्तर –
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 4

प्रश्न 11.
राजस्व व्यय एवं पूँजीगत व्यय में अंतर स्पष्ट कीजिये?
उत्तर:
राजस्व व्यय एवं पूँजीगत व्यय में अन्तर:
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प्रश्न 12.
विकासात्मक व्यय एवं गैर – विकासात्मक व्यय में अन्तर स्पष्ट कीजिये?
उत्तर:
विकासात्मक व्यय एवं गैर – विकासात्मक व्यय में अन्तर –
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प्रश्न 13.
बजट का अर्थ एवं इसकी तीन विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर:
बजट का अर्थ:
बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द ‘Bougette’ से हुई है, जिसका अर्थ होता है छोटा चमड़े का थैला (Bag) अथवा बटुआ (Purse Money Bag) है। इंग्लैण्ड में राजकोष का चान्सलर प्रत्येक वर्ष लोकसभा में आर्थिक प्रस्ताव एक चमड़े के बैग में लेकर आया करता था। इस प्रकार बजट सरकार के आय एवं व्यय का ब्यौरा होता है, अर्थात् बजट एक दस्तावेज है, जिसमें सरकार के वार्षिक राजस्व और व्यय का अनुमान होता है। जॉनसन के अनुसार “एक राजकीय बजट आने वाले समय अर्थात् प्रायः एक वर्ष में राज्य के अनुमानित आय-व्ययों का विवरण है।”

बजट की विशेषताएँ:

  1. विवरण: बजट एक विवरण होता है जिसमें व्यय एवं आय का ब्यौरा लिखा जाता है। यह विस्तृत रूप से दिया जाता है जिससे पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके।
  2. निश्चित अवधि से पूर्व: इस विवरण को एक निश्चित अवधि से पूर्व बनाया जाना आवश्यक होता है।
  3. साधनों का ब्यौरा: बजट में आगामी समय में प्राप्त किये जाने वाले उद्देश्यों के लिए अपनाये जाने वाले साधनों का ब्यौरा दिया जाता है।
  4. संतुलित बजट: बजट में संतुलन होना वित्तीय स्थायित्व की विशेषता है किन्तु परिस्थिति के अनुरूप अतिरेक बजट एवं घाटे के बजट बनाये जा सकते हैं।

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प्रश्न 14.
बजट के उद्देश्यों को लिखिए?
उत्तर:
सरकार बजट के माध्यम से निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये प्रयास करती है –

1. संसाधनों का पुनः आबंटन:
कई बार बाहरी शक्तियाँ संसाधनों के कुशलतम आबंटन में विफल रहती है। सरकार बजट के माध्यम से राष्ट्र के संसाधनों को सामाजिक व आर्थिक हितों के अनुरूप पुनः आबंटित करने का प्रयास करती है।

2. आय एवं सम्पत्ति का पुनः वितरण:
सरकार बजट के माध्यम से देश में आय एवं सम्पत्ति की विषमताओं को कम करने के लिए उनके पुनः वितरण का प्रयास करती है। इसके लिए सरकार अमीरों पर ऊँचे कर लगाकर निर्धन वर्ग के लोगों के कल्याण पर व्यय करती है।

3. आर्थिक स्थिरता:
सरकारी बजट का एक उद्देश्य देश में आर्थिक स्थिरता बनाए रखना भी है। सरकार मूल्यों में उतार – चढ़ाव रोकने और अर्थव्यवस्था में आय व रोजगार के ऊँचे स्तर से प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करती है।

4. सार्वजनिक उद्यमों का प्रबंध:
सरकार सार्वजनिक उद्यमों के माध्यम से व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन करती है। कुछ उद्योग जैसे-रेलवे, विद्युत् उत्पादन आदि ऐसे हैं जिन पर सरकारी एकाधिकार सामाजिक कल्याण की दृष्टि से आवश्यक माना जाता है।

प्रश्न 15.
क्या सार्वजनिक ऋण बोझ बनता है? व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
सरकार द्वारा घाटे के व्यय को पूरा करने हेतु जनता से ऋण लिया जाता है जिसे सार्वजनिक ऋण कहा जाता है। यह ऋण बॉण्ड आदि के रूप में जनता को निर्गमित किये जाते हैं। जिससे जनता द्वारा खरीदकर सरकार को ऋण दिया जाता है। किन्तु इस प्रकार के ऋणों का भुगतान सरकार द्वारा अधिक लंबी अवधि में किया जाता है। जिससे इस प्रकार का ऋण भावी पीढ़ी पर भार होते हैं।

प्रश्न 16.
वस्तु एवं सेवा कर (GST) से आप क्या समझते हैं? पुरानी कर व्यवस्था के मुकाबले KdST व्यवस्था कितनी श्रेष्ठ है? इसकी श्रेणियों की व्याख्या कीजिये?
उत्तर:
वस्तु एवं सेवा कर या जी.एस.टी. (GST) भारत सरकार की नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है जो 11 जुलाई, 2017 से लागू की गई यह कर वस्तु एवं सेवा कर, उत्पाद को सेवा प्रदायकों से सीधे ही वस्तु एवं सेवाओं की पूर्ति पर लगाया गया एकल व्यापक अप्रत्यक्ष कर है। यह एक ही प्रकार की वस्तुओं/सेवाओं पर एक ही दर वाला पूरे भारत में लागू कर है।

पुरानी कर व्यवस्था के मुकाबले GST –

  1. पुरानी कर व्यवस्था के स्थान पर GST में एक टैक्स वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
  2. GST से टैक्स का ढांचा सरल हो जाएगा।
  3. GST से समय व पैसे दोनों की बचत होगी।
  4. पुरानी टैक्स व्यवस्था के मुकाबले GST से विकास की दर तेजी से बढ़ेगी।
  5. किन्तु पुरानी टैक्स व्यवस्था की तुलना में कुछ समय तक GST से महँगाई दर में वृद्धि की आशंका बनी रहेगी।
  6. वस्तुओं एवं सेवा कर के लिए GST Act, UTGST Act और SGST Acts पारित किये गये।

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प्रश्न 17.
आय प्राप्ति के साधन बताइए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय का अर्थ:
सार्वजनिक आय.से तात्पर्य, सरकार की उन सभी मौद्रिक प्राप्तियों से है, जो सरकारी व्यय के लिए आवश्यक है।
सरकार की आय प्राप्ति के साधन –

  1. चालू आय प्राप्तियाँ: जैसे – कर, फीस, सरकारी उद्यमों की आय इत्यादि।
  2. पूँजीगत प्राप्तियाँ: जैसे – सार्वजनिक ऋण, सरकारी अनुदान, घाटे की वित्तीय व्यवस्था आदि।
  3. चालू आय प्राप्तियाँ: चालू आय प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती हैं
    • कर आय प्राप्तियाँ
    • गैर – कर आय प्राप्तियाँ।

प्रश्न 18.
हम मान लेते हैं कि C = 70 + 0.70 YD, I = 90, G = 100, T = 0 – 10Y

(a) संतुलन आय ज्ञात कीजिए।
(b) संतुलन आय पर कर राजस्व क्या है? क्या सरकार का बजट संतुलित बजट है?

उत्तर:
(a) Y = \(\frac{1}{1 – 0.70}\) (70 + 90 + 100)
या
Y = \(\frac{1}{0.30}\) (260)
= \(\frac{260}{0.30}\)
= 866.66

(b) संतुलन आय पर कर राजस्व (T) = 0.10 Y = 0.10 (866.66) = 86.66.

प्रश्न 19.
मान लीजिए कि एक विशेष अर्थव्यवस्था में निवेश 200 के बराबर है, सरकार के क्रय की मात्रा 150 है, निवल कर (अर्थात् एकमुश्त कर से अंतरण को घटाने पर) 100 है और उपभोग C = 100 + 0.75 Y दिया हुआ है, तो –

(a) संतुलन आय का स्तर क्या है?
(b) सरकारी व्यय गुणक और कर गुणक के मानों की गणना करें?
(c) यदि सरकार के व्यय में 200 की बढ़ोतरी होती है, तो संतुलन आय में क्या परिवर्तन होगा?

उत्तर:

(a) सूत्र,
संतुलन आय
Y = \(\frac{1}{1 – C}\)
दिया है, C = 0.75, C = 100, T – TR = 100, I = 200, G = 150
इसलिए cT + c\(\bar { T } \)R = 0.75 x 100 = 75
सूत्र में मान रखने पर,
Y = (100 – 75 + 200 + 150)
Y = \(\frac{1}{0.25}\)(375), Y = 4 x 375 = 1,500

(b) सरकारी व्यय गुणक
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 9 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 7

(c) यदि सरकार के व्यय में 200 की वृद्धि हो जाये थो संतुलन आध की गणना –
सूत्र –
संतुलन आध (Y) = \(\frac{1}{1 – C}\) (\(\bar { C } \) – (\(\bar { C } \) – cT + c\(\bar { T } \)R + I + G)
दिया है, C = 0.75, \(\bar { C } \) = 100, I = 200, G = 150 + 200 + 350, T – \(\bar { T } \)R = 100
अतः cT – c \(\bar { T } \)R = 0.75 x 100 = 7.5
मान रकने पर,
संतुलन आय (Y) = \(\frac{1}{1 – 0.75}\) (100 – 75 + 200 + 350)
या
Y = \(\frac{1}{0.25}\)(575) = 4 x 575 = 2,300.

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प्रश्न 20.
एक ऐसी अर्थव्यवस्था पर विचार कीजिए, जिसमें निम्नलिखित फलन हैं –
C = 20 + 0 – 80 Y, I = 30,G = 50, TR = 100

(a) आय का संतुलन स्तर और मॉडल में स्वायत्त व्यय गुणक ज्ञात कीजिए?
(b) यदि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होती है, तो संतुलन आय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(c) यदि एकमुश्त कर 30 जोड़ दिया जाए, जिससे सरकार के क्रय में बढ़ोतरी का भुगतान किया जा सके, तो संतुलन आय में किस प्रकार का परिवर्तन होगा?

उत्तर:

(a) सूत्र
संतुलन आय
Y = \(\frac{1}{1 – C}\) (\(\bar { C } \) – cT + c\(\bar { T } \)R + I + G)
दिया है, C = 0.80, C = 20, I = 30, G = 50, TR = 100,
मान रखने पर,
Y = \(\frac{1}{1 – 0.80}\) (20 – 0.30 (0) + 0.80(100) + 30 + 50)
या
Y = \(\frac{1}{0.20}\) (20 – 0 + 80 + 30 + 50)
या
Y = \(\frac{1}{0.20}\) (180) = 5 x 180 = 900
स्वायत्त व्यय गुणक (\(\frac ({ \triangle Y }{ \triangle G }) \) = (\(\frac{1}{1 – C}\))
या
{ \triangle Y }{ \triangle G } = \(\frac{1}{1 – 0.80}\) = \(\frac{1}{0.20}\) = 5

(b) सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होने पर संतुलन आय पर प्रभाव –
सन्तुलन आय में परिवर्तन (∆Y) = \(\frac{1}{1 – C}\) ∆G
∆Y = \(\frac{1}{1 – 0.80}\) x 30 = \(\frac{1}{0.20}\) x 30 = 5 x 30 = 150
अतः
नई संतुलन आय = 900 + 150 = 1,050
अतः स्पष्ट है कि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होने से संतुलन आय 150 बढ़कर 1,050 हो जाएगी।

(c) यदि एकमुश्त कर 30 जोड़ दिया जाए तो संतुलन आय में परिवर्तन –
संतुलन आय में परिवर्तन (∆Y) = \(\frac{- C}{1 – C}\) ∆G
∆Y = \(\frac{- 0.80}{1 – 0.80}\) x 30 = \(\frac{- 0.80}{0.20}\) x 30 = – 4 x 30 = 1 – 120
अतः
नई संतुलन आय = 900 – 120 = 780
अतः स्पष्ट है कि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होने से संतुलन आय 120 बढ़कर 780 हो जाएगी।

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प्रश्न 21.
उपर्युक्त प्रश्न अंतरण में 10 की वृद्धि और एकमुश्त करों में 10 की वृद्धि का निर्गत पर पड़ने वाले प्रभाव की गणना कीजिए? दोनों प्रभावों की तुलना कीजिए?
उत्तर:
अन्तरण में 10 की वृद्धि करने पर निर्गत पर प्रभावसन्तुलन आय
(Y) = \(\frac{1}{1 – C}\) (\(\bar { C } \) – cT + c\(\bar { T } \)R + I + G)
दिया है,
C = 0.80, \(\bar { C } \) = 20, I = 30,G = 50, TR = 100 + 10 = 110
मान रखने पर,
Y = \(\frac{1}{1 – 0.80}\) (20 – 0.80 (0) + 0.80 (110) + 30 + 50)
या
Y = \(\frac{1}{0.20}\) (20 – 8 + 80 + 30 + 50)
= 5 x 172 = 860.
अत: उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि जब अन्तरण में 10 की वृद्धि की गयी तो निर्गत (Y) बढ़कर 940 हो गया तथा जब एकमुश्त कर में 10 की वृद्धि की गई तो निर्गत (Y) घटकर 860 रह गया। निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि अन्तरण में वृद्धि निर्गत को बढ़ा रही है तथा एकमुश्त करों में वृद्धि निर्गत को घटा रही है।

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बजट के प्रकारों को समझाइए?
उत्तर:
बजट के प्रकार:
बजट के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं –

1. केन्द्रीय बजट और राज्य बजट:
केन्द्रीय बजट केन्द्रीय सरकार तैयार करती है जो केन्द्रीय सरकार के द्वारा अनुमानित प्राप्तियों और प्रस्तावित खर्चों तथा भुगतानों का विस्तृत वर्णन करता है, जैसे – रेल बजट।
राज्य बजट – राज्य बजट राज्य सरकारें तैयार करती हैं, जैसे-छ. ग. सरकार का बजट, उ. प्र. सरकार का बजट इत्यादि।

2. राजस्व बजट तथा पूँजीगत बजट:
आजकल बजट को दो भागों में बाँटा जाता है –

  1. राजस्व बजट तथा
  2. पूँजीगत बजट।

राजस्व बजट में कर राजस्व और गैर – कर राजस्व प्राप्तियाँ और इस राजस्व से संबंधित खर्च सम्मिलित हैं। इसके विपरीत, पूँजीगत बजट के अंतर्गत सरकार की पूँजीगत प्राप्तियाँ और पूँजीगत खर्चे आते हैं। इसके अंतर्गत आते हैं – बाजार से उधार, विदेशी ऋण और अन्य पार्टियों से लिया गया अग्रिम धन।

3. योजना बजट और गैर:
योजना बजट-योजना बजट एक दस्तावेज है, जो केन्द्रीय योजना में सम्मिलित परियोजनाओं, कार्यक्रमों और अन्य योजनाओं के लिए बजट संबंधी प्रावधान प्रस्तुत करता है। जैसेकृषि और उससे संबंधित विवरण प्रस्तुत करना है। जबकि गैर – योजना बजट का संबंध योजना खर्च के अतिरिक्त होता है।

4. मुख्य बजट और अनुपूरक बजट:
मुख्य बजट सरकार के द्वारा संपूर्ण वर्ष के लिए प्रस्तुत अनुमानित प्राप्तियों और खर्च का एक वित्तीय वार्षिक विवरण है। जबकि अनुपूरक बजट, वह बजट है जो किसी देश की सरकार के द्वारा युद्ध, भूकम्प, बाढ़ जैसे आपातकालीन परिस्थितियों में संसद में प्रस्तुत किया जाता है।

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प्रश्न 2.
भारत में बजट निर्माण की प्रक्रिया बताइए?
उत्तर:
भारत में बजट बनाने की प्रक्रिया निम्नलिखित है –

1. बजट की तैयारी:
बजट बनाने से पूर्व बजट की तैयारी की जाती है। वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों से अनुमानित आय – व्यय के लेखे माँगता है। भारत में संघीय शासन व्यवस्था होने के कारण राज्यों व केन्द्र के अलग – अलग बजट होते हैं।

2. बजट पेश करना:
बजट बन जाने के बाद उसे राज्यसभा व संसद के द्वारा पारित किया जाता है। जब तक बजट स्वीकृत नहीं हो जाता, यह प्रभावी नहीं माना जाता है। लोकसभा द्वारा बजट का पारित होना अनिवार्य है।

3. सामान्य बहंस:
वित्त मंत्री द्वारा पूरा भाषण पढ़ लेने के पश्चात् भाषण के लिए बहस का दिन अलग से तय कर दिया जाता है, जिस पर पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों द्वारा सामान्य रूप से चर्चा की जाती है।

4. मतदान:
बजट पर सामान्य बहस हो जाने के बाद विभिन्न विभागों के मंत्री अपने-अपने विभागों के लिए अनुदान की माँग रखते हैं और इन पर अलग-अलग बहस होती है। कुछ मदें ऐसी होती हैं जिनके व्यय पर सदस्य सन्तुष्ट नहीं होने तथा अनुदान की माँगों में कटौती लाने का प्रस्ताव भी पेश किया जाता है। यदि वित्तमंत्री के स्पष्टीकरण से सदस्य सन्तुष्ट न हों तो वे उस पर मतदान करा सकते हैं। जब माँगों पर वोटिंग समाप्त हो जाती है तब केन्द्र में राष्ट्रपति और राज्यों में राज्यपाल की स्वीकृति ली जाती है।

5. विनियोग विधेयक:
बजट की मांगों पर बहस के पश्चात् विनियोग विधेयक रखा जाता है, जिसमें करों के लगने के सभी प्रस्ताव होते हैं। नये कर लगाने तथा वर्तमान करों की दरों में वृद्धि करने के प्रस्तावों पर बहस होती है। जब लोकसभा में वित्त विधेयक पारित हो जाता है, तब उसे स्वीकृति के लिए राज्यसभा में भेज दिया जाता है।

6. कटौती प्रस्ताव:
माँग में कमी करने के उद्देश्य से सदस्यों द्वारा कटौती प्रस्ताव रखे जाते हैं, जो कि तीन प्रकार के होते हैं –

  1. पूर्ति को मना करना
  2. नाममात्र की कटौती
  3. मितव्ययिता की कटौती।

यदि सरकार इस पर सन्तुष्ट है तो कटौती प्रस्ताव वापस ले लिया जाता है। यदि वह सन्तोषप्रद नहीं है, तो प्रस्ताव को विभाजन के लिए रख दिया जाता है जो कि बहुमत द्वारा ही निश्चित किया जाता है। यदि सरकार विभाजन पर हार जाती है तो उसका परिणाम मंत्री को इस्तीफा देना होता है।

7. पूरक बजट:
आपातकालीन परिस्थितियों में वित्तमंत्री द्वारा लोकसभा में पूरक बजट भी संसद द्वारा स्वीकृत व्ययों को पूर्ण करने के लिए रखा जाता है। इसमें व्ययों को पूर्ण करने के उद्देश्य से नवीन करों को लगाने के प्रस्ताव रखे जाते हैं। यह कर स्वीकृति प्राप्त होने के उपरान्त ही लगाये जाते हैं।

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प्रश्न 3.
सार्वजनिक आय के कर-साधन आय का उल्लेख कीजिए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय के कर-साधन आय निम्नलिखित हैं –

1. कर:
कर एक अनिवार्य अंशदान है जिसे जनता या उत्पादक को सरकार के बनाये कर कानूनी नियम के अनुसार चुकाना पड़ता है। सरकार के द्वारा इस कर या अंशदान के बदले किसी प्रकार की सेवा प्रदान नहीं की जाती। यदि कोई व्यक्ति सरकार द्वारा लगाये गए कर को देने से मना कर देता है तो उसे कानूनी दण्ड मिलता है।

2. करों के प्रकार:
करों के निम्नलिखित प्रकार हैं –

  1. प्रगतिशील कर: आय वृद्धि के साथ – साथ कर की दर में भी वृद्धि होती जाती है तो उसे प्रगतिशील कर कहा जाता है।
  2. अनुपाती कर: अनुपाती कर उसे कहते हैं जो सभी व्यक्तियों पर समान दर से लगाई जाती है।
  3. प्रतिगामी कर: प्रतिगामी कर के अनुसार अधिक आय वाले व्यक्तियों पर कर की दर कम तथा कम आय वाले व्यक्तियों पर ऊँची दर से कर लगाई जाती है।
  4. प्रत्यक्ष कर: जिस कर का कराघात तथा करापात एक ही व्यक्ति पर पड़ता है उसे प्रत्यक्ष कर कहा जाता है।

प्रश्न 4.
सार्वजनिक आय के गैर – कर साधन आय का उल्लेख कीजिए?
उत्तर:
सार्वजनिक आय के मुख्य गैर – कर साधन निम्नांकित हैं –
(I) फीस, लाइसेंस तथा परमिट – सरकार की गैर – कर आय का एक मुख्य साधन शुल्क (फीस), लाइसेंस तथा परमिट से प्राप्त आय है –

1. शुल्क:
सरकार द्वारा व्यक्तियों को प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए दिया गया भुगतान शुल्क कहलाता है। सैलिंगमैन के अनुसार, “शुल्क उस भुगतान को कहते हैं जो सरकार को उसके द्वारा मुख्यतः जनहित में बार – बार की जाने वाली सेवा की लागत के रूप में किया जाता है तथा जिससे शुल्क देने वाले को एक विशेष लाभ पहुँचता है। इसको मापा जा सकता है।”
उदाहरणार्थ – भूमि की रजिस्ट्रेशन फीस, जन्म तथा मृत्यु के रजिस्ट्रेशन की फीस, पासपोर्ट की फीस, कोर्ट फीस आदि।

2. लाइसेंस तथा परमिट:
व्यक्तियों को कुछ कार्य करने की अनुमति देने के लिए उनसे जो भुगतान लिया जाता है, उसे लाइसेंस या परमिट फीस कहा जाता है। जैसे-ड्राइविंग लाइसेंस, आयात लाइसेंस।

(II) एसचीट:
एसचीट से तात्पर्य, सरकार की उस आय से है जो उन लोगों की सम्पत्ति से प्राप्त होती है जिनकी मृत्यु बिना किसी कानूनी उत्तराधिकारी को नियुक्त किये हो जाती है। इस सम्पत्ति को लावारिस सम्पत्ति कहते हैं। लावारिस सम्पत्ति पर सरकार का अधिकार होता है।

(III) विशेष आंकन:
सरकार की गैर – कर आय का एक साधन विशेष – आंकन है। विशेष – आंकन वह भुगतान है जो सरकारी कार्यों के फलस्वरूप किसी सम्पत्ति में सुधार होने या उसके मूल्य में वृद्धि होने के कारण उसके मालिकों द्वारा सरकार को किया जाता है।

(IV) जुर्माना व जब्ती:
जुर्माने तथा जब्ती वे भुगतान हैं, जो कानून तोड़ने पर आर्थिक दण्ड के रूप में कानून तोड़ने वाले व्यक्ति द्वारा सरकार को देना पड़ता है। इनका मुख्य उद्देश्य आय प्राप्त करना नहीं होता। उनका उद्देश्य लोगों को कानून पालन करने के लिए मजबूर करना होता है।

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प्रश्न 5.
मान लीजिए कि एक विशेष अर्थव्यवस्था में निवेश 200 के बराबर है, सरकार के क्रय की मात्रा 150 है, निवल कर (अर्थात् एकमुश्त कर से अंतरण को घटाने पर) 100 है और उपभोग C = 100 + 0 – 75Y दिया हुआ है, तो (a) संतुलन आय का स्तर क्या है? (b) सरकारी व्यय गुणक और कर गुणक के मानों की गणना करें? (c) यदि सरकार के व्यय में 200 की बढ़ोतरी होती है, तो संतुलन आय में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
(a) सूत्र, संतुलन आय Y = \(\frac{1}{1 – C}\) (\(\bar { C } \) – cT + c (\(\bar { T } \)R + I + G)
दिया है,
C = 0.75,
(\(\bar { C } \) =100,
I = 100, I = 200, G = 150 + 200 + 350, T – (\(\bar { T } \) = 100
अत:
cT – c (\(\bar { T } \)R = 0.75 x 100 = 75
मान रकने पर,
संतुलन आय (Y) = \(\frac{1}{0.75}\) (100 – 75 + 200 + 350)
या
Y = \(\frac{1}{0.25}\) (575) = 4 x 575 = 2,300.

MP Board Class 12th Economics Important Questions

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग

MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग

मुद्रा एवं बैंकिंग Important Questions

मुद्रा एवं बैंकिंग वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न (a)
निम्नलिखित में किसके अनुसार “मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करे” –
(a) हार्टले विदर्स
(b) हाटे
(c) प्रो. थामस
(d) कीन्स।
उत्तर:
(a) हार्टले विदर्स

प्रश्न (b)
मुद्रा का कार्य है –
(a) विनिमय का माध्यम
(b) मूल्य का मापक
(c) मूल्य का संचय
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

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प्रश्न (c)
मुद्रा की पूर्ति से हमारा आशय है –
(a) बैंक में जमा राशि
(b) जनता के पास उपलब्ध रुपये
(c) डाकघर में जमा बचत खाते की राशि
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न (d)
सेण्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया क्या है –
(a) व्यापारिक बैंक
(b) केन्द्रीय बैंक
(c) निजी बैंक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) व्यापारिक बैंक

प्रश्न (e)
किस विधि से हम बैंक से मुद्रा निकाल सकते हैं –
(a) आहरण पत्र
(b) चेक
(c) ए.टी.एम.
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

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प्रश्न (f)
भारतीय बैंकिंग प्रणाली का संरक्षक कौन है –
(a) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(b) स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया
(c) यूनिट ट्रस्ट ऑफ इण्डिया
(d) भारतीय जीवन बीमा निगम।
उत्तर:
(a) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया

प्रश्न (g)
नरसिम्हम समिति का संबंध निम्नलिखित में किसने है –
(a) कर सुधार
(b) बैंकिंग सुधार
(c) कृषि सुधार
(d) आधारभूत संरचना सुधार।
उत्तर:
(b) बैंकिंग सुधार

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. भारत के केन्द्रीय बैंक का नाम ………………………………… है।
  2. बैंक दर को ……………………………… दर के नाम से भी जाना जाता है।
  3. साख सृजन में बैंक ………………………………. जमाएँ उत्पन्न करते हैं।
  4. जब CRR घटता है तब साख सृजन ………………………………… होता है।
  5. स्थगित भुगतान की माप मुद्रा का ……………………………. कार्य है।
  6. विनिमयं का माध्यम मुद्रा का ………………………………. कार्य है।
  7. मुद्रा के स्थैतिक एवं गत्यात्मक कार्यों का विभाजन …………………………….. ने किया।

उत्तर:

  1. रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
  2. पुनर्कटौती
  3. व्युत्पन्न
  4. अधिक
  5. द्वितीयक
  6. प्राथमिक
  7. पाल

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प्रश्न 3.
सत्य /असत्य बताइये –

  1. दैनिक लेन – देन को पूरा करने के लिए मुद्रा की आवश्यकता होती है।
  2. सावधानी उद्देश्य के लिए मुद्रा की माँग आय के साथ सीधे अनुपात में परिवर्तित होती है।
  3. भारतीय रिजर्व बैंक जनता को ऋण देता है।
  4. ‘भारत में व्यापारिक बैंक भी भारतीय रिजर्व बैंक की भाँति नोट निर्गमन का कार्य करते हैं।
  5. विश्वसनीय मुद्रा में चेक भी शामिल है।
  6. भारतीय रिजर्व बैंक किसी अचल सम्पत्ति का स्वामी नहीं बन सकता।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. सत्य
  6. सत्य।

प्रश्न 4.
सही जोड़ियाँ बनाइये –
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग img 1
उत्तर:

  1. (c)
  2. (a)
  3. (d)
  4. (e)
  5. (b).

प्रश्न 5.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिये –

  1. कृषकों को दीर्घकालीन ऋण देने वाली बैंक का नाम बताइए?
  2. व्यापार चक्र मुद्रा का कौन – सा दोष है?
  3. तरल कोषानुपात बढ़ाने से मुद्रा की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
  4. “बैंक केवल द्रव्य जुटाने वाली संस्था ही नहीं है, वरन् ये द्रव्य के सृजनकर्ता भी हैं।” किसने कहा है?
  5. कागजी मुद्रा निर्गमन का अधिकार किसे होता है?
  6. नाबार्ड की स्थापना कब की गयी?

उत्तर:

  1. कृषि व ग्रामीण विकास बैंक
  2. आर्थिक
  3. घटेगी
  4. शेयर्स
  5. केन्द्रीय बैंक को
  6. 1982 में।

मुद्रा एवं बैंकिंग लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“मुद्रा एक अच्छी सेविका है, किन्तु बुरी स्वामिनी है”? स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
मुद्रा हमारे जीवन की समस्त क्रियाओं पर इस तरह छा गयी है कि मुद्रा हमारे अधीन न रहकर हम ही मुद्रा के अधीन हो गये हैं। यह हमारी आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए एक साधन मात्र है, किन्तु आज मुद्रा ही हमारे जीवन का लक्ष्य बन गया है। हमारे जीवन की सुख शान्ति का एकमात्र आधार आज मुद्रा बन गयी है। अत: यह कहना पड़ रहा है कि मुद्रा आज हमारी सेविका नहीं, बल्कि स्वामिनी बन गयी है।

प्रश्न 2.
केन्द्रीय बैंक किसे कहते हैं?
अथवा
केंद्रीय बैंक को परिभाषित कीजिए?
उत्तर:
केन्द्रीय बैंक का अर्थ – किसी देश का केन्द्रीय बैंक उस देश की सर्वोच्च वित्तीय संस्था होती है। यह देश का शिखर बैंक होता है। देश के अन्य बैंक इसी के नियंत्रण में कार्य करते हैं। इस बैंक को नोट निर्गमन करने का एकाधिकार प्राप्त है। यह बैंक अर्थव्यवस्था में मुद्रा की पूर्ति एवं साख को नियंत्रित करता है। रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया भारत का केन्द्रीय बैंक है जिसका प्रधान कार्यालय मुम्बई में है। केण्ट के अनुसार, “केन्द्रीय बैंक वह संस्था है, जिसे सामान्य सार्वजनिक हित में मुद्रा की मात्रा के विस्तार एवं संकुचन का उत्तरदायित्व दे दिया गया हो।”

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प्रश्न 3.
खातों का समाशोधन, निपटारा तथा स्थानान्तरण केन्द्रीय बैंक द्वारा किस तरह किया जाता है?
उत्तर:
केन्द्रीय बैंक एक समाशोधन गृह के रूप में ऐसी व्यवस्था करता है कि विभिन्न बैंकों के पारस्परिक लेन – देन अथवा एक – दूसरे पर लिखे गये चेकों के भुगतान का निपटारा केवल खातों में आवश्यक परिवर्तन द्वारा किया जा सके। केन्द्रीय बैंक के माध्यम से बैंकों को इस प्रकार के पारस्परिक लेन – देन का निपटारा करने में बहुत सुविधा होती है। केन्द्रीय बैंक में सब सदस्य बैंकों के खाते खुले रहते हैं तथा इन खातों में रकम का स्थानान्तरण कर देने से बिना नगद भुगतान किये अथवा बहुत कम मात्रा में नगद देकर लेन – देन का हिसाव हो जाता है।

प्रश्न 4.
व्यापारिक बैंकों के दो लाभ एवं दो दोष बताइए?
उत्तर:
व्यापारिक बैंकों के लाभ – व्यापारिक बैंकों के दो लाभ निम्नलिखित हैं –
1. बचतों का उत्पादन कार्यों में प्रयोग:
बैंक देश की छोटी एवं बड़ी बचतों को संगृहीत करते हैं। परिणामस्वरूप समाज के पास जो अनावश्यक राशि रहती है, वह वित्तीय कार्यों में विनियोग की जाती है तथा दूसरी ओर व्यापार, उद्योग, वाणिज्य की आवश्यकताओं (वित्तीय आवश्यकताएँ) की पूर्ति होती हैं। इससे अर्थव्यवस्था का संतुलित विकास होता है।

2. भुगतान में सुविधा:
बैंक के कारण चेकों द्वारा भुगतान करना आसान व सरल हो गया है। चेकों द्वारा न तो रुपयों को गिनने की आवश्यकता न असुरक्षा की स्थिति। विदेशी भुगतानों में भी यात्री चेक, साख-पत्रों और विदेशी विनिमय का प्रयोग किया जाता है।
व्यापारिक बैंकों के दोष:

व्यापारिक बैंकों के दो दोष निम्नलिखित हैं –

1. पूँजी जमाओं का कम होना:
पश्चिमी देशों की तुलना में हमारे देश में जमा पूँजी कम है। अमेरिका में प्रति व्यक्ति जमाएँ ₹ 2923 है जबकि भारत में केवल ₹ 321 है इसका कारण है कि पश्चिमी देशों की तुलना में हमारे देश की प्रति व्यक्ति आय कम है।

2. बैंकिंग आदत का कम होना:
हमारे देश में बैंकों में बचत जमा करने की लोगों में आदत कम है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्ति अपनी बचत को बैंकों में जमा करने की अपेक्षा गाड़कर रखना अधिक अच्छा मानते हैं।

प्रश्न 5.
केन्द्रीय बैंक एवं व्यापारिक बैंक में अंतर लिखिए?
उत्तर:
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग img 2

प्रश्न 6.
भारत में मुद्रा पूर्ति की वैकल्पिक परिभाषा क्या है?
अथवा
भारत में मुद्रा पूर्ति की अवधारणा को समझाइये?
उत्तर:
भारत में मुद्रा की पूर्ति की अवधारणा निम्न है –
M1 = जनता के पास चलन मुद्रा एवं जनता की बैंकों में माँग जमाएँ।
M2 = M1 + डाकघर बचत बैंकों में बचत निक्षेप।
M3 = M2 + बैंकों की शुद्ध समयावधि निक्षेप।
M4 = M3 + डाकघर संगठनों के पास कुल जमा निक्षेप।
यहाँ पर स्पष्ट किया जाता है कि MA मुद्रा की पूर्ति की समग्र अवधारणा है।

प्रश्न 7.
मुद्रा की सट्टा माँग और ब्याज की दर में विपरीत संबंध होता है ऐसा क्यों? समझाइये?
उत्तर:
सट्टा (परिकल्पना) कार्य के लिये मुद्रा की माँग का तात्पर्य है मुद्रा को नगदी रूप में अपने पास रखने की अवसर लागत ब्याज दर है। उदाहरण के लिये, एक समय में एक व्यक्ति उसके पास उपलब्ध मुद्रा का उपयोग यदि सटटा कार्य के लिये करता है तो उसे उसी मुद्रा के किसी अन्य कार्य में विनियोग से प्राप्त ब्याज की राशि को त्यागना होगा। यही नगद रखने की कीमत कही जा सकती है। माँग के नियम के अनुसार, कीमत बढ़ने पर माँगी गई मात्रा कम हो जाती है एवं कीमत घटने पर माँगी गई मात्रा बढ़ जाती है। ब्याज की दर के बढ़ने पर सटटा उद्देश्य के लिये माँगी गई मात्रा कम होगी एवं इसके विपरीत होने पर बढ़ेगी। अतः सट्टा की माँग एवं ब्याज दर में विपरीत संबंध है।

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प्रश्न 8.
भारतीय रिजर्व बैंक को अंतिम ऋणदाता क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
देश का केन्द्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक है। केन्द्रीय बैंक संकट की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को सुरक्षात्मक गारंटी प्रदान करता है। बैंकों को उसकी माँग जमाओं के आहरणकर्ताओं को भुगतान सामर्थ्य बनाये रखने के लिये सदैव तैयार रहना पड़ता है। केन्द्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण प्रदान करके उनको वित्तीय संकट से उबारता है। इस प्रकार भारतीय रिजर्व बैंक, बैंकों के लिये अंतिम ऋणदाता बनकर उन्हें वित्तीय संकट से बचाता है एवं दिवालिया होने से भी बचाता है।

प्रश्न 9.
मान लीजिए कि एक बंध – पत्र दो वर्षों के बाद ₹ 500 के वादे का वहन करता है, तत्काल कोई प्रतिफल प्राप्त नहीं होता है। यदि ब्याज की दर 5% वार्षिक है, तो बंध – पत्र की कीमत क्या होगी?
उत्तर:
बंध – पत्र की कीमत –
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग img 3

प्रश्न 10.
तरलता पाश क्या है?
अथवा
तरलता पाश क्या है?
रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
वह स्थिति जिसमें ब्याज दरें अपने न्यूनतम स्तर पर होती है तथा मुद्रा की पूर्ति बढ़ाने पर भी जब ब्याज दरों में कमी नहीं आती, वह स्थिर रहती है, तो यह स्थिति तरलता पाश कहलाती है। इस चित्र में बिन्दु के पश्चात् मुद्रा पूर्ति बढ़ाने पर भी ब्याज दर और अधिक नहीं गिरती। बिन्दु A और B के मध्य की स्थिति तरलता पाश कहलाती है।
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग img 4

प्रश्न 11.
वस्तु – विनिमय प्रणाली क्या है? इसकी क्या कमियाँ हैं?
उत्तर:
वस्तु – विनिमय प्रणाली:
वस्तुओं का वस्तुओं से होने वाला प्रत्यक्ष विनिमय ही वस्तु विनिमय प्रणाली कहलाता है।
वस्तु – विनिमय प्रणाली की कमियाँ या कठिनाइयाँ – वस्तु विनिमय प्रणाली की मुख्य कमियाँ या कठिनाइयाँ निम्नलिखित हैं –

1. दोहरे संयोग का अभाव:
वस्तु विनिमय हेतु ऐसे दो पक्षों का होना आवश्यक था, जिसके पास एक – दूसरे को देने के लिए आवश्यक वस्तु हो तथा बदले में वे एक – दूसरे की वस्तु को लेने के लिए तैयार हों। ऐसे दो पक्षों का मिलना काफी कठिन होता था।

2. विभाजकता का अभाव:
कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनमें विभाजन के गुण का अभाव पाया जाता है। ऐसे में या तो एक पक्ष को हानि उठानी पड़ती है या फिर विनिमय ही नहीं हो सकता है।

3. सर्वमान्य मापक का अभाव:
वस्तु – विनिमय प्रणाली में सर्वमान्य मूल्य मापक का अभाव था। इस स्थिति में यह निर्णय करना कठिन होता था कि एक वस्तु के बदले में दूसरी वस्तु की कितनी मात्रा दी जाए।

4. धन संग्रह एवं हस्तान्तरण में कठिनाई:
वस्तु विनिमय के समय में क्रय मूल्य का संचय वस्तुओं के रूप में ही किया जा सकता था। जबकि कुछ वस्तुएँ इनमें शीघ्र नष्ट होने वाली भी होती थी, वहीं मूल्य का हस्तान्तरण भी वस्तु विनिमय में कठिन था क्योंकि उस समय भुगतान वस्तुओं में ही होता था।

5. भावी भुगतानों में कठिनाई-वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं का मूल्य निश्चित नहीं था तथा भविष्य में किस वस्तु का क्या मूल्य होगा यह भी नहीं कहा जा सकता था।

6. सेवाओं के विनिमय में कठिनाई-वस्तुओं के विनिमय की अपेक्षा सेवाओं का विनिमय वस्तु विनिमय प्रणाली में अधिक कठिन काम था। एक अध्यापक की सेवाएँ लेने के बदले में उसे कितना भुगतान किया जाए? इसका उत्तर मिलना संभव नहीं था।

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प्रश्न 12.
संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग क्या है? किसी निर्धारित समयावधि में संव्यवहार मूल्य से यह किस प्रकार सम्बन्धित है?
उत्तर:
जीवनयापन के दैनिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की जाने वाली मुद्रा की माँग संव्यवहार माँग कहलाती है। इसे लेन – देन के लिए मुद्रा की माँग भी कहा जाता है। संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग व्यक्ति और फर्म दोनों के द्वारा किया जाता है। संव्यवहार माँग का कारण यह है कि वेतन तो एक निश्चित समय के पश्चात् मिलता है लेकिन व्यय दैनिक रूप से किये जाते हैं। संव्यवहार माँग कितनी होगी यह व्यक्ति की आय पर निर्भर है। किसी निर्धारित समयावधि में अर्थव्यवस्था में संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग संव्यवहार की कुल मात्रा का एक भाग होता है। अतः इसे निम्नांकित प्रकार रखा जा सकता है –
Mdr = K.T
यहाँ, MdT = संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग
T = एक इकाई समयावधि में किये कुल संव्यवहार का मूल्य
K = धनात्मक अंश।
अर्थव्यवस्था में की जाने वाली संव्यवहार के लिए कुल माँग सकल घरेलू उत्पाद तथा मूल्य स्तर से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित होती है।

मुद्रा एवं बैंकिंग दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मुंद्रा स्टॉक तथा मुद्रा प्रवाह में अंतर बताइए?
उत्तर:
मुद्रा स्टॉक:
किसी एक समय बिन्दु में अर्थव्यवस्था में मुद्रा की जितनी मात्रा चलन में होती है उसे स्टॉक कहते हैं। उदाहरण के लिए ,देश में किसी निश्चित तिथि पर मुद्रा चलन के रूप में 1000 करोड़ रुपये है तो यह मुद्रा का स्टॉक कहलायेगा।

मुद्रा प्रवाह:
जब मुद्रा की पूर्ति किसी समय अवधि में देखी जाती है तब उसे मुद्रा का प्रवाह कहते हैं। मुद्रा के प्रवाह को ज्ञात करने के लिये एक निश्चित समय – अवधि में मुद्रा की चलन मात्रा को उसकी औसत चलन – गति से गुणा कर दिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि मुद्रा का स्टॉक 1000 करोड़ रुपये है और 1 वर्ष में मुद्रा की औसत – चलन गति 12 है तो मुद्रा का प्रवाह होगा 1000 x 12 = ₹ 12000 करोड़।।

प्रश्न 2.
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के पाँच कार्यों को संक्षेप में लिखिए?
उत्तर:
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –
1. नोट निर्गमन:
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया अधिनियम के अन्तर्गत रिजर्व बैंक को नोट निर्गमन का एकाधिकार प्राप्त है। यह बैंक 2, 5, 10, 20, 50, 100, 500 एवं ₹ 2000 के नोट निर्गमन कर सकती है। जिसके लिये न्यूनतम कोष पद्धति को अपनाया जाता है।

2. साख नियमन:
रिजर्व बैंक दर, खुले बाजार की क्रियाएँ, नगद कोषों के अनुपात में परिवर्तन, तरल कोषों में परिवर्तन, चयनात्मक साख नियंत्रण, बिल बाजार योजना, बहुमुखी ब्याज दरें नैतिक दबाव की आदि के माध्यम से किया जा सकता है।

3. सरकारी बैंकर, प्रतिनिधि एवं सलाहकार:
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया भारत सरकार एवं राज्य सरकारों के बैंकर, प्रतिनिधि व सलाहकार का कार्य करता है तथा सरकारों की समस्त आय अपने पास जमा करता है, व्ययों का भुगतान करता है एवं ऋणों की व्यवस्था करता है।

4. बैंकों का बैंक:
रिजर्व बैंक को बैंक के नियमन का अधिकार है। कोई भी नया बैंक रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना स्थापित नहीं हो सकता है और न पुराना बैंक अपनी शाखाएँ ही खोल सकता है।

5. देश के विदेशी विनिमय कोषों का संरक्षण:
पत्र मुद्रा के निर्गमन के लिए केन्द्रीय बैंक आरंभ से ही अपने पास धात्विकं कोष रखता था। बाद में स्वर्ण विन्य मान अपनाये जाने पर अनेक देशों के केन्द्रीय बैंक विदेशी विनिमय के कोषों के आधार पर भी मुद्रा का निर्गमन करने लगे। केन्द्रीय बैंक विदेशी विनिमय दर पर नियंत्रण रखता है।

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प्रश्न 3.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साख नियंत्रण उपायों को संक्षेप में समझाइये? (कोई पाँच)
अथवा
भारतीय रिजर्व बैंक साख का नियंत्रण कैसे करता है? वर्णन कीजिए?
उत्तर:
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख साख नियंत्रण उपाय निम्नलिखित हैं –

1. बैंक दर:
जिस दर पर रिजर्व बैंक अन्य व्यापारिक बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों के आधार पर ऋण देता है तथा उनके प्रथम श्रेणी के बिलों को भुनाता है, उसे बैंक दर कहते हैं रिजर्व बैंक उक्त दर में समय – समय पर परिवर्तन कर साख नियंत्रण करता है।

2. खुले बाजार की क्रियाएँ:
खुले बाजार की क्रियाओं से तात्पर्य, सरकारी प्रतिभूतियों व प्रथम श्रेणी के बिलों व प्रतिज्ञा पत्रों आदि के क्रय – विक्रय से है। रिजर्व बैंक इन क्रियाओं से मुद्रा की मात्रा में कमी या वृद्धि करता है।

3. परिवर्तनशील नकद कोषानुपात:
प्रत्येक अनुसूचित बैंकों को रिजर्व बैंक के पास अपनी जमाओं का एक न्यूनतम निर्धारित प्रतिशत जमा करना पड़ता है। इस प्रतिशत में परिवर्तन करके रिजर्व बैंक साख को नियंत्रित करता है।

4. तरल कोषानुपात:
रिजर्व बैंक तरल कोषानुपात की मात्रा में परिवर्तन करके भी साख को नियंत्रण करता है।

5. चयनात्मक साख नियंत्रण:
रिजर्व बैंक को अधिकार है कि वह ऋणों की मात्रा व दिशा का नियमन करे। इसी को चयनात्मक नियंत्रण कहते हैं।

प्रश्न 4.
व्यापारिक बैंकों के दोषों को दूर करने के लिए कोई पाँच उपाय बताइए?
उत्तर:
व्यापारिक बैंकों के दोषों को दूर करने हेतु उपाय – भारतीय व्यापारिक बैंकों के दोषों को दूर करने हेतु निम्नांकित उपाय हैं –

  1. व्यापारिक बैंकों के संतुलित विकास के लिए इनकी नई शाखाएँ पिछड़े एवं ग्रामीण क्षेत्र में खोली जाये।
  2. पूँजी की कमी को दूर करने के लिए बैंकों द्वारा जमा योजना को आकर्षक बनाया जाना चाहिए।
  3. व्यापारिक बैंकों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा इन पर लगाये जाने वाले करों में छूट प्रदान की जानी चाहिए।
  4. बैंकों की कार्यकुशलता में वृद्धि हेतु आवश्यक है कि प्रशिक्षित एवं कुशल कर्मचारियों की नियुक्ति की जाये।
  5. देश में बैंकिंग संबंधी शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए।

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प्रश्न 5.
वाणिज्यिक बैंक के कार्यों का वर्णन कीजिये?
उत्तर:
वाणिज्यिक बैंकों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं –

1. जमाएँ स्वीकार करना:
बैंकों का महत्वपूर्ण कार्य आम जनता से जमाएँ स्वीकार करना है। लोगों की बचतों को जमा करना बैंकों का प्रमुख कार्य है। यह कार्य बैंकों में बचत खाता, चालू खाता, आवर्ती जमा खाता, सावधि निक्षेप खाता खोलकर किया जाता है। इन खातों में रुपया निकलवाने की सुविधा एवं जमा अवधि के आधार पर अलग – अलग ब्याज दर प्रचलित होती है जिसके आधार पर ग्राहकों को ब्याज दिया जाता है।

2. ऋण देना:
बैंकों का दूसरा कार्य आम जनता, व्यापारियों, उद्योगपतियों, उचनिचों को आवश्यकता पड़ने पर ऋण प्रदान करना है। यह कार्य बैंक अपनी जमा राशि का एक भाग निश्चित सुरक्षाकोष में रखकर शेष राशि को उधार देता है। बैंक को ऋण देने से ब्याज की प्राप्ति होती है जो बैंकों की आय का साधन है साधारणतया बैंक नगद साख, माँग उधार, अल्पावधि ऋण, अधिविकर्ष, विनिमय बिलों की कटौती करके ऋण प्रदान करता हैं।

3. एजेन्सी संबंधी कार्य:
बैंक अपने ग्राहकों को एजेन्सी संबंधी सेवायें भी प्रदान करते हैं। इन सेवाओं में निम्न सेवायें महत्वपूर्ण हैं –

  1. नगद कोषों का हस्तांतरण
  2. ग्राहकों के लिये कंपनी अंशों एवं ऋणपत्रों की खरीद एवं बिक्री
  3. लाभांश, चैक, आदि का संग्रह करना
  4. आयकर संबंधी एवं निवेश संबंधी परामर्श देना
  5. लाकर्स में बहुमूल्य संपत्तियों के दस्तावेजों एवं सोने – चाँदी को सुरक्षित रखना, ग्रह संपत्ति एवं शिक्षा के साथ उपभोक्ता ऋण प्रदान करना। वर्तमान में बैंक सामाजिक दायित्व की प्रतिपूर्ति के तहत् पर्यावरण संरक्षण एवं नगद विहीन प्रणाली को बढ़ाने के लिये कार्य कर रहे हैं।

प्रश्न 6.
मुद्रा के प्रमुख कार्य कौन – से हैं? वस्तु विनिमय प्रणाली की कमियों को मुद्रा किस प्रकार दूर करती है?
उत्तर:
मुद्रा के प्रमुख चार कार्य होते हैं – माध्यम, मापक, मानक और भंडार।

1. विनिमय का माध्यम:
मुद्रा को सामान्य स्वीकृति का विशेष गुण प्राप्त होता है। इसके कारण यह क्रयशक्ति के रूप में बिना किसी व्यवधान या बाधा के उपयोग में लाई जाती है। मौद्रिक विनिमय में मुद्रा से बेहतर विनिमय का कोई माध्यम नहीं है। वस्तु विनिमय की दोहरे संयोग की समस्या को मुद्रा ने हल कर दिया है।

2. मूल्य का मापक:
मुद्रा को मूल्य का सबसे बेहतर मापक माना गया है। मुद्रा एक लेखा इकाई के रूप में मूल्य को मापने का कार्य सरलतापूर्वक कर लेती है। प्रत्येक वस्तु को उसकी लेखा इकाई जैसे – मीटर, किलो, दूरी आदि में मापा जा सकता है। यह कार्य मुद्रा द्वारा संपन्न किया जाता है। वस्तु विनिमय की इस समस्या को मुद्रा ने हल कर दिया है।

3. मूल्य का मानक:
मुद्रा को मूल्य के मानक इकाई का भी गुण प्राप्त होता है। मुद्रा की क्रयशक्ति के आधार पर चूँकि मुद्रा का एक मानक स्तर होता है। अतः स्थगित भुगतानों के मानक इकाई के रूप में मुद्रा यह कार्य आसानी से संपन्न कर लेती है। यद्यपि मुद्रा के मूल्य में भी उतार – चढ़ाव होते हैं परन्तु फिर भी उसकी क्रयशक्ति को एक मानक स्तर प्राप्त होता है। इससे न तो देनदार को हानि होती है और न ही लेनदार को।

4. मूल्य का भंडार:
मुद्रा में संचय की क्षमता का गुण विद्यमान होता है। इससे मूल्य का संचय आसानी के साथ किया जा सकता है। इसका महत्वपूर्ण कारण यह है कि मुद्रा में क्रयशक्ति अन्य वस्तुओं की अपेक्षा स्थिर रहती है। मुद्रा में शीघ्र नष्ट होने का भय नहीं रहता है। इसका संचय करने के लिये विशेष और अधिक स्थान की आवश्यकता नहीं होती है। मूल्य का संचय भविष्य की आवश्यकताओं के लिये भी किया जा सकता है।

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प्रश्न 7.
व्यावसायिक बैंक के कार्यों का वर्णन कीजिए?
उत्तर:
व्यावसायिक बैंक के कार्य निम्नलिखित हैं –
1. जनता से जमाएँ स्वीकार करना:
व्यापारिक बैंक तीन प्रकार की जमाएँ जनता से स्वीकार करता है –

  1. चालू खाते में जमाएँ स्वीकार करना
  2. सावधि जमा खाते में जमाएँ स्वीकार करना
  3. बचत बैंक खाते में जमाएँ स्वीकार करना।

2. ऋण एवं अग्रिम प्रदान करना:
व्यापारिक बैंक निम्नलिखित प्रकार के ऋण एवं अग्रिम जनता को प्रदान करता है –

  1. नकद साख
  2. माँग ऋण
  3. अल्पकालीन ऋण आदि।

3. बैंक के अभिकर्ता के रूप में कार्य:
व्यापारिक बैंक निम्नलिखित कार्य अभिकर्ता के रूप में करता हैं।

  1. फंड्स का हस्तांतरण
  2. फंड्स का संग्रह
  3. विभिन्न मदों का भुगतान
  4. लाभांश का संग्रह
  5. संपत्ति का ट्रस्टी एवं कार्यपालक आदि।
    • विदेशी व्यापार को वित्त प्रदान करना।
    • तरलता की आपूर्ति करना।।
    • सामान्य उपयोगी सेवाएं प्रदान करना।

प्रश्न 8.
मुद्रा गुणक क्या है? गुणक का मूल्य क्या निर्धारित करता है?
उत्तर:
मुद्रा गुणक को मुद्रा स्टॉक तथा हाइ पावर्ड मनी (आधार मुद्रा) के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
MP Board Class 12th Economics Important Questions Unit 8 मुद्रा एवं बैंकिंग img 5
= \(\frac{M}{H}\)
मुद्रा गुणक का मूल्य सामान्यतः 1 से अधिक होता है।
मुद्रा गुणक ज्ञात करने की विधि –
मुद्रा की आपूर्ति = मुद्रा + जमाएँ
M = Cu + DD
= (1 + Cdr) DD
Cdr = Cu/DD
माना सरकार की ट्रेजरी जमाएँ शून्य हैं –
आधार मुद्रा = जनता के पास मुद्रा + व्यापारिक बैंकों के आरक्षित कोष बैंकों के आरक्षित कोष में नकद कोष तथा व्यापरिक बैंकों की RBI के साथ जमाएँ शमिल की जाती हैं।
H = Cu + R = Cdr DD + rdr DD
= (Cdr + rdr) DD.
मुद्रा गुणक = M/H
= \(\frac{(1 + Cdr)DD}{(Cdr + rdr)DD}\)
= \(\frac{1 + Cdr}{Cdr + rdr}\)
इसका मूल्य इकाई से अधिक होगा क्योंकि rdr का मान 1 से कम होता है।
अतः 1 + Cdr > Cdr + rdr

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प्रश्न 9.
भारतीय रिजर्व बैंक एक केन्द्रीय बैंक के रूप में मुद्रा एवं साख का नियंत्रण करने के लिये किन मौद्रिक उपायों को अपनाता है? समझाइये?
उत्तर:
भारतीय रिजर्व बैंक देश के केन्द्रीय बैंक के रूप में मुद्रा एवं साख का नियमन एवं नियंत्रण करता है। केन्द्रीय बैंक की अपनी मौद्रिक नीति होती है जिसके तहत् रिजर्व बैंक दो प्रकार के उपकरणों को अपनाता है –

  1. मात्रात्मक उपकरण (उपाय) एवं –
  2. गुणात्मक उपकरण (उपाय)। सारांश में मात्रात्मक उपाय देश में साख की मात्रा के विस्तार एवं संकुचन अथवा वृद्धि एवं कमी को प्रभावित करते हैं जबकि गुणात्मक उपाय साख की दिशा को संसूचित करते हैं।

(I) मात्रात्मक उपाय (उपकरण):
केन्द्रीय बैंक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक निम्न मात्रात्मक उपाय अपनाता है। ये उपाय साख की उपलब्ध कुल मात्रा को प्रभावित करते हैं –

1.  बैंक दर (Bank rate):
इस दर का अभिप्राय उस दर से है जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपने प्रथम श्रेणी बिलों की पुनर्कटौती करके भारतीय रिजर्व बैंक से अल्पकालीन ऋण प्राप्त करते हैं। इसे रेपो दर भी कहा जाता है। मंदी के समय बैंक दर में कमी करके साख का विस्तार किया जा सकता है तो स्फीतिक काल या तेजी काल में बैंक दर में वृद्धि करके साख का संकुचन किया जा सकता है।

2. खुले बाजार की क्रियाएँ (Open market operations):
इस उपाय के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय करता है। इन क्रियाओं को ही खुले बाजार की क्रियाएँ कहा जाता है। जब अर्थव्यवस्था में साख का स्फीतिकारी दबाव होता है तो वह प्रतिभूतियों को बेचकर नकदी को वापस प्राप्त कर लेता है एवं इससे बैंकों की ऋण देने की क्षमता कम हो जाती है। इसके विपरीत होने पर प्रतिभूतियाँ खरीदकर नगदी को अर्थव्यवस्था में फैला देता है।

3. नगद आरक्षित अनुपात (Cash reserve ratio):
प्रत्येक वाणिज्यिक बैंक को अपनी जमाओं का एक न्यूनतम प्रतिशत कानूनी रूप से रिजर्व बैंक के पास रखना होता है। इस दर को केन्द्रीय बैंक द्वारा निर्धारित किया जाता है। जब अर्थव्यवस्था में स्फीतिककारी दबाव हो तो यह दर बढ़ा दी जाती है एवं संकुचनात्मक स्थिति हो, तो यह अनुपात या दर घटा दी जाती है, जिससे अर्थव्यवस्था में साख निर्माण क्षमता को बढ़ाया जा सके।

4. वैधानिक तरलता अनुपात (Statutory liquidity ratio):
वाणिज्यिक बैंकों की कुल जमाओं का एक न्यूनतम प्रतिशत तरल परिसंपत्तियों के लिये दैनिक आधार पर रखना होता है जिससे कि बैंक जमाकर्ताओं की नगदी की माँग को पूरा कर सकें। स्फीतिककारी स्थिति में इस अनुपात में वृद्धि करके साख को नियंत्रित किया जाता है एवं संकुचनात्मक स्थिति में इस अनुपात में कमी करके साख का विस्तार किया जाता है। इस उपाय से बैंकों की साख सृजन करने की क्षमता को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।

(II) गुणात्मक उपाय:
भारतीय रिजर्व बैंक निम्न गुणात्मक उपायों को अपनाकर साख की दिशा को प्रभावित करता है, मात्रा को नहीं।

1. सीमान्त आवश्यकता:
इस उपाय के अन्तर्गत बैंक ग्राहक को उपलब्ध कराये जा रहे ऋण के विरुद्ध प्रतिभूति जमानत के तौर पर रखता है। बैंक रखी गई जमानत (संपत्ति) के मूल्य की तुलना में कम ऋण प्रदाय करता है ताकि ऋण अदायगी न हो पाने की स्थिति में उसके रोकीकरण से अपने ऋण की प्रतिपूर्ति कर लेता है। इससे साख के प्रवाह को एक दिशा प्राप्त होती है।

2. साख की राशनिंग:
जब साख की मात्रा का कोटा विविध वाणिज्यिक क्रियाओं के लिये निश्चित कर दिया जाता है तो इसे राशनिंग कहते हैं। बैंक ऋण देते समय इस कोटे को ध्यान में रखती है और निश्चित कोटे के अंश से अधिक ऋण प्रदान नहीं करती है।

3. नैतिक प्रभाव:
केन्द्रीय बैंक अपने सदस्य बैंकों पर नैतिक प्रभाव डालकर भी साख के विस्तार या संकुचन के लिये सहमत कर सकता है। केन्द्रीय बैंक चूँकि बैंकों का बैंक भी कहलाता है, अत: वह नैतिक प्रभाव से बैंकों को साख नियंत्रण के लिये सहमत कर लेता है। इस प्रकार भारतीय रिजर्व बैंक मात्रात्मक एवं गुणात्मक उपाय अपनाकर मुद्रा एवं साख का नियमन एवं नियंत्रण करता है।

MP Board Class 12th Economics Important Questions

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था

 संचार व्यवस्था  NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
व्योम तरंगों के उपयोग द्वारा क्षितिज के पार संचार के लिए निम्नलिखित आवृत्तियों में से कौन-सी आवृत्ति उपयुक्त रहेगी?
(a) 10 किलोहर्ट्स
(b) 10 मेगाहर्ट्स
(c) 1 गीगाहर्ट्स
(d) 1000 गीगाहर्ट्स।
उत्तर
(b) 10 मेगाहर्ट्स।
3 मेगाहर्ट्स से 30 मेगाहर्ट्स आवृत्ति तक की तरंगें व्योम तरंगों की श्रेणी में आती हैं। इससे उच्च आवृत्ति की तरंगें (जैसे-1 गीगाहर्ट्स, 1000 गीगाहर्ट्स) आयन-मण्डल को भेदकर पार निकल जाती हैं, जबकि 10 किलोहर्ट्स आवृत्ति की तरंगें ऐन्टिना की ऊँचाई अधिक होने के कारण उपयोगी नहीं हैं।

प्रश्न 2.
UHF परिसर की आवृत्तियों का प्रसारण प्रायः किसके द्वारा होता है?
(a) भू-तरंगें
(b) व्योम तरंगें
(c) पृष्ठीय तरंगें
(d) आकाश तरंगें।
उत्तर
(d) आकाश तरंगें।
UHF परिसर में प्रसारण आकाश तरंगों द्वारा ही होता है।

प्रश्न 3.
अंकीय सिग्नल :
(i) मानों का संतत समुच्चय प्रदान नहीं करते
(ii) मानों को विविक्त चरणों के रूप में निरूपित करते हैं
(iii) द्विआधारी पद्धति का उपयोग करते हैं ।
(iv) दशमलव के साथ द्विआधारी पद्धति का भी उपयोग करते हैं।
उपर्युक्त प्रकथनों में कौन-से सत्य हैं?
(a) केवल (i) तथा (ii)
(b) केवल (ii) तथा (iii)
(c) (i), (ii) तथा (iii) परन्तु (iv) नहीं
(d) (i), (ii), (iii) तथा (iv) सभी।
उत्तर
(c).
अंकीय सिग्नल द्विआधारी पद्धति (अंकों 0 तथा 1) का उपयोग करते हैं। अत: मानों का सतत समुच्चय प्रदान करने के स्थान पर उन्हें विविक्त चरणों में निरूपित करते हैं।

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प्रश्न 4.
दृष्टिरेखीय संचार के लिए क्या यह आवश्यक है कि प्रेषक ऐन्टीना की ऊँचाई अभिग्राही ऐन्टीना की ऊँचाई के बराबर हो? कोई TV प्रेषक ऐन्टीना 81 मीटर ऊँचा है। यदि अभिग्राही ऐन्टिना भूस्तर पर है तो यह कितने क्षेत्र में सेवाएँ प्रदान करेगा?
उत्तर
नहीं, दृष्टिरेखीय संचार हेतु प्रेषक ऐन्टिना की ऊँचाई अभिग्राही ऐन्टिना की ऊँचाई के बराबर होना आवश्यक नहीं है। दिया है,
प्रेषक ऐन्टिना की ऊँचाई hT = 81 मीटर .
अभिग्राही ऐन्टिना की ऊँचाई hR = 0
पृथ्वी की त्रिज्या R= 6.4×106 मीटर
माना इस ऐन्टिना से d त्रिज्या के वृत्त में सेवाएँ प्राप्त की जा सकती हैं, तब
d = \(d=\sqrt{2 h_{T} R}+\sqrt{2 h_{R} R}=\sqrt{2 \times 81 \times 6.4 \times 10^{6}}+0\)
यदि ऐन्टिना A क्षेत्रफल में सेवाएँ प्रदान कर सकता है तो
A= πd2 = 3.14 × 2 x 81 × 6.4 × 106 मीटर 2
= 3255.55 किमी2

प्रश्न 5.
12 वोल्ट शिखर वोल्टता की वाहक तरंग का उपयोग किसी संदेश सिग्नल के प्रेषण के लिए किया गया है। मॉडुलन सूचकांक 75% के लिए मॉडुलक सिग्नल की शिखर वोल्टता कितनी होनी चाहिए?
हल :
वाहक तरंग की शिखर वोल्टता Ec = 12 वोल्ट
मॉडुलन सूचकांक μ = 75%
यदि मॉडुलक सिग्नल की शिखर वोल्टता Em है तो
मॉडुलन सूचकांक \(\frac{E_{m}}{E_{c}}\) x 100 = 75
Em = \(\frac { 75 }{ 100 }\)xEc = \(\frac { 3 }{ 4 }\) x 12 = 9 वोल्ट
अत: मॉडुलक सिग्नल की शिखर वोल्टता = 9 वोल्ट।

प्रश्न 6.
चित्र-15.1 में दर्शाए अनुसार कोई मॉडुलक सिग्नलं वर्ग तरंग है। .
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 1
दिया गया है कि वाहक तरंग c(t) = 2sin (8 π t) वोल्ट

  1. आयाम मॉडुलित तरंग रूप आलेखित कीजिए।
  2. मॉडुलन सूचकांक क्या है?

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हल
1. चित्र से स्पष्ट है कि 0 ≤ t ≤ 0.5 सेकण्ड
m(t) = 1 वोल्ट
cm(t) = [Ac + m(t)] sin (8 π t)= 3 sin 8 π t [∵Ac = 2 वोल्ट]
0.5 सेकण्ड ≤ t ≤ 1.0 सेकण्ड
m(t) = – 1 वोल्ट
cm (t) = [Ac + m (t)] sin (8 π t) = 1 sin (8 π t)
1.0 सेकण्ड ≤ t ≤ 1.5 सेकण्ड
m(t) = 1
cm (t) = [Ac + m(t)] sin(8 π t)= 3 sin (8 π t)
तथा इसी प्रकार 1.5 सेकण्ड ≤ t ≤ 2.0 सेकण्ड
cm (t) = 1 sin (8 π t)
अत: मॉडुलित तरंग को निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 2
वाहक तरंग की कोणीय आवृत्ति ωc= 8π
∵ \(T_{c}=\frac{2 \pi}{\omega_{c}}=\frac{1}{4}\) 1 सेकण्ड
∵ 1 सेकण्ड में वाहक तरंग के चार दोलन पूरे होंगे।
इनमें से प्रथम 2 दोलन (t= 0 से t = 0.5 सेकण्ड तक) तरंग cm (t) = 3 sin 8 π t के होंगे तथा अगले दो दोलन Cm (t) = 1 sin 8 π t के होंगे।
इसी प्रकार के दोलन अगले 1 सेकण्ड में होंगे।

इस आधार पर मॉडुलित तरंग रूप निम्नलिखित है
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 3

2. वाहक तरंग की शिखर वोल्टता Ec = 2 वोल्ट
मॉडुलक तरंग की शिखर वोल्टता Em = 1 वोल्ट
मॉडुलन सूचकांक μ = \(\frac { Em }{ Em }\) = \(\frac { 1 }{ 2 }\) = 0.5
अथवा
μ = \(\frac { Em }{ Em }\) x 100% = 0.5 x 100% = 50%

प्रश्न 7.
किसी मॉडुलित तरंग का अधिकतम आयाम 10 वोल्ट तथा न्यूनतम आयाम 2 वोल्ट पाया जाता है। मॉडुलन । सूचकांक u का मान निश्चित कीजिए।
यदि न्यूनतम आयाम शून्य वोल्ट हो तो मॉडुलन सूचकांक क्या होगा?
हल :
दिया है, मॉडुलित तरंग का अधिकतम आयाम Emax = 10 वोल्ट, न्यूनतम आयाम Emin = 2 वोल्ट
यदि वाहक तरंग तथा मॉडुलक तरंग के आयाम क्रमश: Ec व Em हैं तो
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 4

प्रश्न 8.
आर्थिक कारणों से किसी AM तरंग का केवल ऊपरी पार्श्व बैण्ड ही प्रेषित किया जाता है, परन्तु ग्राही स्टेशन पर वाहक तरंग उत्पन्न करने की सुविधा होती है। यह दर्शाइए कि यदि कोई ऐसी युक्ति उपलब्ध हो जो दो सिग्नलों की गुणा कर सके तो ग्राही स्टेशन पर मॉडुलक सिग्नल की पुनःप्राप्ति सम्भव है।
उत्तर
माना उच्च आवृत्ति वाहक तरंग निम्नलिखित है
c(t)= Ac cos ωct
माना आयाम मॉडुलित तरंग का केवल उच्च पार्श्व बैण्ड ही प्रेषित किया जाता है तब संसूचन के बाद अभिग्राही पर उपलब्ध सिग्नल
m(t) = A1 cos (ωc + ωm)t
उक्त दोनों की गुणा करने पर,
cm (t) = AcA1 cos ωc t cos (ωc + ωm)t
= \(\frac{A_{c} A_{1}}{2}\) [cos (2ωc + ωm) t+ cos ωmt]

इस सिग्नल को निम्न आवृत्ति फिल्टर से पास करने पर यह फिल्टर उच्च आवृत्ति घटक = \(\frac{A_{c} A_{1}}{2}\) cos (2ωc + ωm) t को रोक देगा तथा निम्न आवृत्ति घटक \(\frac{A_{c} A_{1}}{2}\) cosωmt को गुजरने देगा। इस प्रकार हमें मॉडुलक सिग्नल पुनः प्राप्त हो जाएगा।

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संचार व्यवस्था बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
तीन तरंगें A, B और C जिनकी आवृत्तियाँ क्रमशः 1600 किलोहर्ट्स, 5 मेगाहर्ट्स और 60 मेगाहर्ट्स हैं, एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजी जानी हैं। निम्न में से कौन-सा संचार का सर्वोपयुक्त ढंग है
(a) A को आकाश तरंग के रूप में तथा B और C को व्योम तरंगों के रूप में भेजा जाए
(b) A को भू तरंग, B को व्योम तरंग तथा C को आकाश तरंग के रूप में भेजा जाए
(c) B और C को भू तरंग, तथा A को व्योम तरंग के रूप में भेजा जाए
(d) B को भू तरंग तथा A और C को आकाश तरंग के रूप में भेजा जाए।
उत्तर
(b) A को भू तरंग, B को व्योम तरंग तथा C को आकाश तरंग के रूप में भेजा जाए

प्रश्न 2.
एक 100 मीटर लम्बा एन्टेना 500 मीटर ऊँची इमारत पर लगा है। यह संयोजन 2 तरंगदैर्घ्य की तरंगों के लिए एक संचरण टावर (transmission tower) बन जाएगा जहाँ 2 है
(a) ~ 400 मीटर
(b) ~ 25 मीटर
(c) ~150 मीटर
(d) ~ 2400 मीटर।
उत्तर
(a) ~ 400 मीटर

प्रश्न 3.
3 किलोहर्ट्स आवृत्ति का एक वाक् सिग्नल, 1 मेगाहर्ट्स आवृत्ति के एक वाहक सिग्नल को आयाम मॉडुलीकरण द्वारा मॉडुलित करने के लिए प्रयुक्त किया गया है। पार्श्व बैण्डों की आवृत्तियाँ होंगी
(a) 1.003 मेगाहर्ट्स व 0:997 मेगाहर्ट्स
(b) 3001 किलोहर्ट्स व 2997 किलोह
(c) 1003 किलोहर्ट्स व 1000 किलोहर्ट्स
(d) 1 मेगाहर्ट्स व 0.997 मेगाहर्ट्स।
उत्तर
(a) 1.003 मेगाहर्ट्स व 0:997 मेगाहर्ट्स

प्रश्न 4.
cm आवृत्ति के एक सन्देश सिग्नल को, आयाम मॉडुलित (AM) तरंग प्राप्त करने के लिए, आवृत्ति की एक वाहक तरंग पर आरोपित (superposed) किया गया है। AM तरंग की आवृत्ति होगी
(a) ωm
(b) ωc
(c) \(\frac{\omega_{c}+\omega_{m}}{2}\)
(d) \(\frac{\omega_{c}-\omega_{m}}{2}\)
उत्तर
(b) ωc

प्रश्न 5.
एक पुरुष की वाणी, मॉडुलीकरण व प्रेषण के पश्चात्, ग्राही को महिला की वाणी की भाँति सुनाई देती (प्रतीत होती) …… है। इसका कारण है
(a) अनुपयुक्त मॉडुलन सूचकांक का चुनाव(0 < m < 1 चुना गया)
(b) आवर्धकों के लिए अनुपयुक्त बैण्ड-चौड़ाई का चुनाव
(c) वाहक तरंगों की आवृत्ति का अनुपयुक्त चुनाव
(d) संचरण में ऊर्जा ह्रास।
उत्तर
(b) आवर्धकों के लिए अनुपयुक्त बैण्ड-चौड़ाई का चुनाव

प्रश्न 6.
एक मूल संचार प्रक्रम में होता है
(A) प्रेषक
(B) सूचना स्रोत
(C) सूचना का उपयोग करने वाला
(D) चैनल
(E) ग्राही।
निम्नलिखित में कौन वह सही क्रम प्रदान करता है जिसमें ये एक मूल संचार प्रक्रम में व्यवस्थित होते हैं
(a) ABCDE
(b) BADEC
(c) BDACE
(d) BEADC.
उत्तर
(b) BADEC .

प्रश्न 7.
आयाम मॉडुलित तरंगों के गणितीय व्यंजक की पहचान कीजिए
(a) Ac sin [{ωc + k1Vm (t)} t + Φ]
(b) Ac sin {ωct + Φ + k2Vm (t)}
(c) { Ac + k2Vm (t)} sin (ωct+Φ)
(d) AcVm(t) sin (ωct+Φ).
उत्तर
(c) { Ac + k2Vm (t)} sin (ωct+Φ)

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संचार व्यवस्था अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में किसमें अनुरूप (analog) सिग्नल तथा किसमें अंकीय (digital) सिग्नल उत्पन्न होते हैं?

  1. एक कम्पित स्वरित्र द्विभुज
  2. सितार के कम्पित तार की सुस्वर ध्वनि
  3. प्रकाश स्पन्द
  4. NAND गेट (द्वार) का निर्गत।

उत्तर

  1. अनुरूप (analog)
  2. अनुरूप (analog)
  3. अंकीय (digital)
  4. अंकीय (digital)।

प्रश्न 2.
क्या व्योम तरंगें, 60 मेगाहर्ट्स आवृत्ति के (टी०वी०) सिग्नलों को प्रेषित करने के लिए उपयुक्त होंगी?
उत्तर
नहीं, क्योंकि 30 मेगाह से अधिक आवृत्ति की तरंगें, आयनमण्डल द्वारा परावर्तित न होकर पारगमित हो जाती हैं।

प्रश्न 3.
दो तरंगें तथा B जिनकी आवृत्तियाँ 2 मेगाहर्ट्स और 3 मेगाहर्ट हैं, एक ही दिशा में, व्योम तरंग के द्वारा संचरित करने के लिए विकीर्णित की जाती हैं। इनमें से कौन-सी आयनमण्डल से पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के पूर्व अधिक दूरी तय कर सकती है?
उत्तर
3 मेगाहर्ट्स की अधिक आवृत्ति की तरंग के लिए वायुमण्डल का अपवर्तनांक अधिक होता है। अत: अधिक आवृत्ति की तरंग के लिए अपवर्तन कोण कम होगा अर्थात् यह तरंग अपने मार्ग से कम मुड़ेगी और पूर्ण आन्तरिक परावर्तन से पूर्व अधिक दूरी तय करेगी।

प्रश्न 4.
आयाम मॉडुलन हेतु, 1 मेगाहर्ट्स आवृत्ति की वाहक तरंगों का उत्पादन करने के लिए आवश्यक, एक समस्वरित आवर्धक परिपथ के LC गुणनफल की गणना कीजिए। · हल :
समस्वरित आवर्धक परिपथ के लिए f= \(\frac{1}{2 \pi \sqrt{L C}}\)
\(\begin{aligned} 1 \times 10^{6} &=\frac{1}{2 \pi \sqrt{L C}} \\ \sqrt{L C} &=\frac{1}{2 \pi \times 10^{6}} \end{aligned}\)
\(L C=\frac{1}{4 \pi^{2} \times 10^{12}}\)

प्रश्न 5.
किसी चैनल से संचरण पर, आयाम मॉडुलित (AM) सिग्नल में, आवृत्ति मॉडुलित सिग्नल (FM) से अधिक रव क्यों होता है?
उत्तर
आयाम मॉडुलन में, वाहक तरंगों के तात्कालिक विभव मान में मॉडुलक तरंग विभव के अनुरूप परिवर्तन किया जाता है। सम्प्रेषण में नॉयज सिग्नल (रव) भी जुड़ जाते हैं तथा ग्राही के लिए मॉडुलेटिंग सिग्नल के एक भाग की भाँति ही कार्य करता है। आवृत्ति मॉडुलन में वाहक तरंगों की आवृत्ति में मॉडुलक तरंग विभव के तात्कालिक मान के अनुरूप परिवर्तन किया जाता है। यह प्रक्रम केवल मॉडुलन स्तर पर होता है; सिग्नल के संचरण के समय नहीं। अत: आवृत्ति मॉडुलित सिग्नल में अधिक नॉयज सिग्नल (रव) नहीं होता है।

संचार व्यवस्था आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
एक दूरदर्शन संचरण टावर ऐन्टिना 20 मीटर की ऊँचाई पर है। इससे कितने क्षेत्र में संकेत प्राप्त हो सकेंगेयदिग्राही एन्टिना

  1. भूतल पर ही,
  2. भूतल से 25 मीटर ऊँचाई पर हो
  3. प्रथम स्थिति के सापेक्ष द्वितीय स्थिति में इसमें होने वाली प्रतिशत वृद्धि का परिकलन कीजिए।

हल
1. h = 20 मीटर
संकेत प्राप्त करने वाले क्षेत्र की त्रिज्या
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 5
संकेत से आच्छादित क्षेत्रफल (A) = πd2
= 3.14x (16)2 किमी2= 3.14×256
= 803.84 किमी2

2.

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 6
= (16+17.9) किमी  33.9 किमी
संकेत से आच्छादित क्षेत्रफल (A’) = πd2= 3.14 × (33.9)2 किमी2
= 3608.52 किमी2

3.  क्षेत्रफल में % वृद्धि = \(\frac { A’ – A }{ A }\)x100%
\(\frac { 3608.52 – 803.84 }{ 803.84 }\) x100 = 348.9%

प्रश्न 2.
आयनमण्डल की एक विशेष परत से परिवर्तित होने वाली व्योम तरंगों की अधिकतम आवृत्ति fmax = 9(Nmax)1/2 पायी जाती है, जहाँ Nmax उस आयनमण्डल की परत में अधिकतम इलेक्ट्रॉन घनत्व है। किसी दिन यह प्रेक्षण किया गया 5 मेगाहर्ट्स से अधिक आवृत्ति के सिग्नल आयनमण्डल को F, परत से परावर्तित होकर प्राप्त नहीं होते हैं जबकि 8 मेगाहर्ट्स से अधिक आवृत्ति के सिग्नल आयनमण्डल को F2 परत से परावर्तन के द्वारा प्राप्त नहीं होते हैं। उस दिन F1 तथा Fपरतों के अधिकतम इलेक्ट्रॉन घनत्व की गणना कीजिए।
हल :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 15 संचार व्यवस्था img 7

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MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र

वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र NCERT पाठ्यपुस्तक के अध्याय में पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वायु में एक-दूसरे से 30 सेमी दूरी पर रखे दो छोटे आवेशित गोलों पर क्रमशः 2 × 10-7 कूलॉम तथा 3 × 10-7 कूलॉम आवेश हैं। उनके बीच कितना बल है?
हल :
दिया है, गोलों पर आवेश q1 = 2 × 10-7 कूलॉम, q2 = 3 × 10-7 कूलॉम
तथा दूरी r = 30 सेमी = 0.3 मीटर
कूलॉम के नियम से,
गोलों के बीच कार्यरत वैद्यत बल F = \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q_{1} q_{2}}{r^{2}}=9 \times 10^{9} \times \frac{2 \times 10^{2} \times 8 \times 10^{7}}{(0.3)^{2}}\)
= 6 × 10-3 न्यूटन।

प्रश्न 2.
0.4माइक्रोकूलॉम आवेश के किसी छोटे गोले पर अन्य छोटे आवेशित गोले के कारण वायु में 0.2 न्यूटन बल लगता है। यदि दूसरे गोले पर 0.8माइक्रोकूलॉम आवेश हो तो
(a) दोनों गोलों के बीच कितनी दूरी है?
(b) दूसरे गोले पर पहले गोले के कारण कितना बल लगता है?
हल :
(a) दिया है, गोलों पर आवेश q1 = 0.4 माइक्रोकूलॉम = 4 × 10-7 कूलॉम,
q2 = 0.8 माइक्रोकूलॉम = 8 × 10-7 कूलॉम
पहले गोले पर दूसरे गोले के कारण बल F12 = 0.2 न्यूटन
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 1
⇒ r = 3 x 4 x 10-2 मीटर = 12 सेमी ·
∴ गोलों के बीच दूरी = 12 सेमी।

(b) क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम से, दूसरे गोले पर पहले के कारण बल F21 = F12 = 0.2 न्यूटन।

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प्रश्न 3.
जाँच द्वारा सुनिश्चित कीजिए कि \(\frac{k e^{2}}{G m_{e} m_{p}}\) विमाहीन है। भौतिक नियतांकों की सारणी देखकर इस अनुपात का मान ज्ञात कीजिए। यह अनुपात क्या बताता है?
हल :
k की विमाएँ = [ML3A-2T-4] तथा G की विमाएँ = [M-1L3T-2]
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 2
अतः राशि \(\frac{k e^{2}}{G m_{e} m_{p}}\) विमाहीन है।

आंकिक भाग का हल :
k = 9 x 109 न्यूटन-मीटर 2 /कूलॉम2
e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
G = 6.67 x 10-11 न्यूटन-मीटर/किग्रा,
me = 9.1 x 10-31 किग्रा तथा mp = 1.66 x 10-27 किग्रा
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 3
अत: यह राशि एक इलेक्ट्रॉन तथा एक प्रोटॉन के बीच लगने वाले स्थिर विद्युत बल तथा गुरुत्वीय बल के अनुपात को प्रदर्शित करती है। ___यह अनुपात बताता है कि इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन के बीच विद्युत बल गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में अधिक शक्तिशाली है।

प्रश्न 4.
(a) “किसी वस्तु का विद्युत आवेश क्वाण्टीकृत है।” इस प्रकथन से क्या तात्पर्य है?
(b) स्थूल अथवा बड़े पैमाने पर विद्युत आवेशों से व्यवहार करते समय हम विद्युत आवेश के क्वाण्टमीकरण की उपेक्षा कैसे कर सकते हैं?
उत्तर :
(a) किसी वस्तु का आवेश क्वाण्टीकृत है, इस कथन का तात्पर्य यह है कि हम किसी वस्तु पर आवेश एक न्यूनतम आवेश (इलेक्ट्रॉनिक आवेश e) के सरल गुणक के रूप में ही हो सकता है। अत: किसी आवेशित वस्तु पर आवेश
q= ± ne
जहाँ n = 1, 2, 3, ……….. तथा e = 1.6x 10-19 कूलॉम

(b) स्थूल अथवा बड़े पैमाने पर आवेशों से व्यवहार करते समय आवेश के क्वाण्टीकरण का कोई महत्त्व नहीं होता और इसकी उपेक्षा की जा सकती है। इसका कारण यह है कि बड़े पैमाने पर व्यवहार में आने वाले आवेश मूल आवेश की तुलना में बहुत बड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, 1 माइक्रोकूलॉम आवेश में लगभग 1013 मूल आवेश सम्मिलित हैं। ऐसी अवस्था में आवेश को सतत मानकर व्यवहार किया जा सकता है।

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प्रश्न 5.
जब काँच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ते हैं तो दोनों पर आवेश आ जाता है। इसी प्रकार की परिघटना का वस्तुओं के अन्य युग्मों में भी प्रेक्षण किया जाता है। स्पष्ट कीजिए कि यह प्रेक्षण आवेश संरक्षण नियम से किस प्रकार सामंजस्य रखता है?
उत्तर :
घर्षण द्वारा आवेशन की घटनाएँ आवेश संरक्षण नियम के साथ पूर्ण सामंजस्य रखती हैं। जब इस प्रकार की किसी घटना में दो उदासीन वस्तुओं को रगड़ा जाता है तो दोनों वस्तुएँ आवेशित हो जाती हैं। घर्षण से पूर्व दोनों वस्तुएँ उदासीन होती हैं अर्थात् उनका कुल आवेश शून्य होता है। इस प्रकार के सभी प्रेक्षणों में सदैव यह पाया गया है कि एक वस्तु पर जितना धनावेश आता है, दूसरी वस्तु पर उतना ही ऋणावेश आता है। इस प्रकार घर्षण द्वारा आवेशन के बाद भी दोनों वस्तुओं का नेट आवेश शून्य ही बना रहता है।

प्रश्न 6.
चार बिन्दु आवेश qA = 2 माइक्रोकूलॉम, qB = – 5 माइक्रोकूलॉम, qC = 2 माइक्रोकूलॉम तथा qD = – 5माइक्रोकूलॉम, 10 सेमी भुजा के किसी वर्ग ABCD के शीर्षों पर अवस्थित हैं। वर्ग के केन्द्र पर रखे 1 माइक्रोकूलॉम आवेश पर लगने वाला बल कितना है?
हल :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 4
शीर्षों A व C पर रखे आवेश बराबर तथा सजातीय हैं अतः इनके कारण केन्द्र पर रखे आवेश पर लगे
बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O A}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O C}\) परिमाण में बराबर व दिशा में विपरीत हैं। अत: एक-दूसरे को निरस्त करेंगे।
अर्थात् \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O A}+\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O C}=0\)

इसी प्रकार शीर्षों B व D पर रखे आवेश बराबर व सजातीय हैं। अत: +2 माइक्रो इनके कारण केन्द्र पर रखे आवेश पर बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O B}\) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{O D}\) परिमाण में कलाम बराबर व दिशा में विपरीत हैं। अत: ये भी एक-दूसरे को निरस्त करेंगे।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 5
अर्थात् परिणामी बल शून्य है।

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प्रश्न 7.
(a) स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखा एक सतत वक्र होती है अर्थात् कोई क्षेत्र रेखा एकाएक नहीं टूट सकती। क्यों?
(b) स्पष्ट कीजिए कि दो क्षेत्र रेखाएँ कभी-भी एक-दूसरे का प्रतिच्छेदन क्यों नहीं करतीं?
उत्तर :
(a) विद्युत क्षेत्र रेखा वह वक्र है जिसके प्रत्येक बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है। ये क्षेत्र रेखाएँ सतत वक्र होती हैं अर्थात् किसी बिन्दु पर एकाएक नहीं टूट सकतीं, अन्यथा उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की कोई दिशा ही नहीं होगी, जो असम्भव है।
(b) दो विद्युत क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेदित नहीं कर सकतीं; क्योंकि इस स्थिति में कटान बिन्दु पर दो स्पर्श रेखाएँ खींची जाएँगी जो उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दो दिशाएँ प्रदर्शित करेंगी जो असम्भव है।

प्रश्न 8.
दो बिन्दु आवेश qA = 3 माइक्रोकूलॉम तथा qB = -3 माइक्रोकूलॉम निर्वात में एक-दूसरे से 20 सेमी दूरी पर स्थित हैं।
(a) दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा AB के मध्य-बिन्दु O पर विद्युत क्षेत्र कितना है?
(b) यदि 1.5 ×10-9 कूलॉम परिमाण का कोई ऋणात्मक परीक्षण आवेश इस बिन्दु पर रखा जाए तो यह परीक्षण आवेश कितने बल का अनुभव करेगा?
हल :
(a) आवेश qA धनात्मक तथा qB ऋणात्मक है; अत: मध्य-बिन्दु O पर qA व qB दोनों के कारण विद्युत क्षेत्र की दिशा O से B की ओर होगी।
अत: मध्य-बिन्दु पर विद्युत-क्षेत्र की तीव्रता
E = EA + EB = 9 × 109 × \(\frac{q}{(O A)^{2}}\)
+ 9 × 109 × \(\frac{q}{(O B)^{2}}\) [जहाँ q = | qA| = | qB|]
= 9 × 109 \(\left[\frac{3 \times 10^{-6}}{0.1}+\frac{3 \times 10^{-6}}{0.1}\right]\)
= 5.4 × 105 न्यूटन/कूलॉम। (AB दिशा में)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 6

(b) मध्य-बिन्दु O पर रखे गए Q = – 1.5 × 10-9 कूलॉम के आवेश पर बल
F = QE = 1.5 × 10-9 × 5.4 × 10-9
= 8.1- 10-4 न्यूटन। (OA दिशा में)

प्रश्न 9.
किसी निकाय में दो आवेश qA = 2.5 x 10-7 कूलॉम तथा qB = – 2.5 x 10-7 कूलॉम क्रमशः दो बिन्दुओं A (0, 0, – 15 सेमी) तथा B (0, 0, + 15 सेमी) पर अवस्थित हैं। निकाय का कुल आवेश तथा विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण क्या है?
हल :
निकाय का कुल आवेश
q = qA + qB = 0
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 7
(∴ दोनों आवेश परिमाण में बराबर व विपरीत चिह्न के हैं)
आवेशों के बीच की दूरी 2 a = AB = \(\sqrt{\left[(0-0)^{2}+(0-0)^{2}+(15+15)^{2}\right]}\)= 30 सेमी
ya  2a = 0.3 मीटर
∴ विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण p= qA × 2 a = 2.5 × 10-7Cx 0.3 मीटर
= 7.5 × 10-8 कूलॉम-मीटर।
इसकी दिशा बिन्दु B से A की ओर है।

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प्रश्न 10.
4 × 10-9 कूलॉम-मीटर द्विध्रुव आघूर्ण का कोई विद्युत द्विध्रुव 5 × 104 न्यूटन कूलॉम-1 परिमाण के किसी एकसमान विद्युत क्षेत्र की दिशा से 30° पर संरेखित है। द्विध्रुव पर कार्यरत बल आघूर्ण का परिमाण परिकलित कीजिए।
हल :
दिया है, द्विध्रुव आघूर्ण p = 4 × 10-9 कूलॉम-मीटर, विद्युत क्षेत्र E= 5 × 104 न्यूटन कूलॉम-1, θ = 30° द्विध्रुव पर कार्यरत बल आघूर्ण t = pE sin θ = 4 × 10-9 × 5 × 104 × \(\frac{1}{2}\) = = 10-4 न्यूटन-मीटर।

प्रश्न 11.
ऊन से रगड़े जाने पर कोई पॉलीथीन का टुकड़ा 3 × 10-7 कूलॉम के ऋणावेश से आवेशित पाया
गया।
(a) स्थानान्तरित (किस पदार्थ से किस पदार्थ में ) इलेक्ट्रॉनों की संख्या आकलित कीजिए। (b) क्या ऊन से पॉलीथीन में संहति का स्थानान्तरण भी होता है?
हल :
(a) टुकड़े पर आवेश q = 3 × 10-7 कूलॉम
q = ne से,
n = \(\frac{q}{e}=\frac{3 \times 10^{-7}}{1.6 \times 10^{-19}} \)
= 1.875 × 1012
∵ पॉलीथीन का टुकड़ा ऋणावेशित है। अत: 1.875 × 1012 इलेक्ट्रॉन ऊन से पॉलीथीन पर स्थानान्तरित हुए हैं।

(b) हाँ, संहति का भी स्थानान्तरण होता है।
∵ एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान me = 9.1 × 10-31 किग्रा
∴ ऊन से पॉलीथीन में स्थानान्तरित संहति m = nme = 1.875 × 1012 × 9.1 × 10-31
= 1.7 × 10-18 किग्रा।

प्रश्न 12.
(a) दो विद्युतरोधी आवेशित ताँबे के गोलों A तथा B के केन्द्रों के बीच की दूरी 50 सेमी है। यदि दोनों गोलों पर पृथक्-पृथक् आवेश 6.5 × 10-7कूलॉम हैं तो इनमें पारस्परिक स्थिर विद्युत प्रतिकर्षण बल कितना है? गोलों के बीच की दूरी की तुलना में गोलों A तथा B की त्रिज्याएँ नगण्य हैं।
(b) यदि प्रत्येक गोले पर आवेश की मात्रा दो गुनी तथा गोलों के बीच की दूरी आधी कर दी जाए तो प्रत्येक गोले पर कितना बल लगेगा?
हल :
(a) दिया है, गोलों पर आवेश q1 = q2 = 6.5 x 10-7 कूलॉम
∵ बीच की दूरी r = 50 सेमी = 0.5 मीटर
∴ बीच की दूरी की तुलना में गोलों की त्रिज्याएँ नगण्य हैं। अत: गोले बिन्दु आवेश की भाँति व्यवहार करेंगे।
गोलों के बीच प्रतिकर्षण बल F = \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q_{1} q_{2}}{r^{2}}\)
= 9 × 109 × \(\frac{6.5 \times 10^{-7} \times 6.5 \times 10^{-7}}{(0.5)^{2}}\)
= 1.521 × 10-2 न्यूटन।

(b)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 8
अतः प्रत्येक गोले पर बल = 16 × 1.521 × 10-2
= 0.24 न्यूटन।

प्रश्न 13.
मान लीजिए प्रश्न 12 में गोले A तथा B साइज में सर्वसम हैं तथा इसी साइज का कोई तीसरा अनावेशित गोला पहले तो पहले गोले के सम्पर्क, तत्पश्चात् दूसरे गोले के सम्पर्क में लाकर, अन्त में दोनों से ही हटा लिया जाता है। अब A तथा B के बीच नया प्रतिकर्षण बल कितना है?
हल :
माना प्रारम्भ में प्रत्येक गोले ‘A’ व ‘B’ पर अलग-अलग q आवेश है। (q = 6.5 × 10-7 कूलॉम)
माना तीसरा अनावेशित गोला C है।
∵ गोले A व C समान आकार के हैं। अतः परस्पर स्पर्श कराने पर ये कुल आवेश (qA + qC = q+ 0) को आधा-आधा बाँट लेंगे।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 9

प्रश्न 14.
चित्र 1.4 में किसी ,एकसमान स्थिर विद्युत क्षेत्र में तीन आवेशित कणों के पथचिह्न (tracks) दर्शाए गए हैं। तीनों आवेशों के चिह्न लिखिए। इनमें से किस कण का आवेश-संहति अनुपात (\(\frac{\boldsymbol{q}}{m}\)) अधिकतम है?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 10
उत्तर :
किसी विद्युत क्षेत्र में क्षेत्र के लम्बवत् गतिमान आवेशित कण का पाश्विक विस्थापन
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 11
जहाँ x कणों द्वारा विद्युत क्षेत्र के लम्ब दिशा में तय दूरी तथा Vx, X-अक्ष की दिशा में वेग है। यदि सभी कण विद्युत क्षेत्र में समान वेग Vx से प्रवेश करते हैं तो
y ∝ \(\frac{\boldsymbol{q}}{m}\)
(∵ विद्युत क्षेत्र की लम्बाई x सबके लिए समान है)
∵कण (3) का विक्षेप सर्वाधिक है। अत: इसके लिए \(\frac{\boldsymbol{q}}{m}\) का मान सर्वाधिक होगा।

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प्रश्न 15.
एकसमान विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{E}}=3 \times 10^{3} \hat{\mathbf{i}}\) न्यूटन कूलॉम पर विचार कीजिए।
(a) इस क्षेत्र का 10 सेमी भुजा के वर्ग के उस पार्श्व से जिसका तल y-z तल के समान्तर है, गुजरने वाला फ्लक्स क्या है?
(b) इसी वर्ग से गुजरने वाला फ्लक्स कितना है यदि इसके तल का अभिलम्ब X-अक्ष से 60° का कोण बनाता है?
हल :
दिया है, \(\overrightarrow{\mathbf{E}}=3 \times 10^{3} \hat{\mathbf{i}}\) न्यूटन/कूलॉम
(a) वर्ग की भुजा = 10 सेमी = 0.1 मीटर
∴ वर्ग का क्षेत्रफल ΔS = (0.1)2 मीटर2 ⇒ ∆S = 0.01 मीटर2
∵ वर्ग का तल Y-z समतल के समान्तर है।
अत: इस पर अभिलम्ब इकाई सदिश \(\hat{n}=\hat{i}\) होगा।
∴ \(\Delta \overrightarrow{\mathrm{S}}=0.01 \hat{\mathrm{i}}\) मीटर 2
∴ वर्ग के फलक से गुजरने वाला फ्लक्स \(\phi_{E}=\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \Delta \overrightarrow{\mathrm{S}}=\left(3 \times 10^{3} \hat{\mathrm{i}}\right) \cdot(0.01 \hat{\mathrm{i}})\)
= 30 न्यूटन-मीटर/कूलॉम।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 12

(b) ∵ विद्युत-क्षेत्र X-अक्ष के अनुदिश है तथा वर्ग पर अभिलम्ब X-अक्ष से 60° का कोण बनाता है,
∴ \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{n}}\) के बीच का कोण 60° होगा।
∴ वर्ग से गुजरने वाला फ्लक्स \(\phi_{E}=\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \Delta \overrightarrow{\mathrm{S}}=E \Delta S \cos 60^{\circ}\)
= (3 x 103न्यूटन/कूलॉम) × (0.01 मीटर) × \(\frac{1}{2}\)
= 15 न्यूटन-मीटर2 / कूलॉम।

प्रश्न 16.
प्रश्न 15 में दिए गए एकसमान विद्युत क्षेत्र का 20 सेमी भुजा के किसी घन से (जो इस प्रकार अभिविन्यासित है कि उसके फलक निर्देशांक तलों के समान्तर हैं) कितना नेट फ्लक्स गुजरेगा?
हल :
एक घन के 6 फलक होंगे। इनमें से दो फलक Y-Z समतल के, दो Z-X समतल के तथा दो X-Y समतल के समान्तर होंगे।
∵ विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}=3 \times 10^{3} \hat{\mathrm{i}}\) न्यूटन/कूलॉम X-अक्ष के अनुदिश है। अतः यह Z-X तथा X-Y समतलों के समान्तर फलकों के समान्तर होगा।
∴ इन चारों फलकों से गुजरने वाला फ्लक्स शून्य होगा।
∴ विद्युत क्षेत्र एकसमान है। अत: Y-Z समतल के समान्तर फलकों में से जितना फ्लक्स एक फलक से अन्दर प्रविष्ट होगा उतना ही फ्लक्स दूसरे फलक से बाहर आएगा।
अत: घन से गुजरने वाला नेट फ्लक्स शून्य होगा।

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प्रश्न 17.
किसी काले बॉक्स के पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र की सावधानीपूर्वक ली गई माप यह संकेत देती है कि बॉक्स के पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स 8.0 x 103 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम है।
(a) बॉक्स के भीतर नेट आवेश कितना है?
(b) यदि बॉक्स के पृष्ठ से नेट बहिर्मुखी फ्लक्स शून्य है तो आप यह निष्कर्ष निकालेंगे कि बॉक्स के भीतर . कोई आवेश नहीं है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
हल :
(a) गाउस प्रमेय से, \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
∴ \(q=\varepsilon_{0} \phi_{E}\) = 8.854 x 10-12 x 8.0 x 103 = 7.08 x 10-8 कूलॉम
∴ बॉक्स के भीतर स्थित आवेश 0.071 माइक्रोकूलॉम है।

(b) गाउस प्रमेय से, \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
⇒ \(q=\varepsilon_{0} \phi_{E}\)
∵ \(\phi_{E}=0\) (∴ बॉक्स के भीतर नेट आवेश q= 0)
अतः इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि बॉक्स के भीतर नेट आवेश शून्य है यद्यपि उसके भीतर विभिन्न आवेश हो सकते हैं।

प्रश्न 18.
चित्र 1.6 में दर्शाए अनुसार 10 सेमी भुजा के किसी वर्ग के केन्द्र से ठीक 5 सेमी ऊँचाई पर कोई + 10 माइक्रोकूलॉम का आवेश रखा है। इस वर्ग से गुजरने वाले 5 सेमी विद्युत फ्लक्स का परिमाण क्या है?
हल :
एक ऐसे घन की कल्पना कीजिए, जिसका केन्द्र वह बिन्दु है, जिस पर आवेश रखा है तथा जिसका एक फलक. दिया गया वर्ग है।
गाउस के प्रमेय से,
घन के पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स
= \(\frac{1}{\varepsilon_{0}}\) x घन के भीतर कुल आवेश = \(\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
∵ घन के सभी 6 फलक केन्द्र के सापेक्ष समान स्थिति में हैं,
∴ प्रत्येक फलक से गुजरने वाला फ्लक्स
ΦE = \(\frac{1}{6} \times \frac{q}{\varepsilon_{0}}=\frac{10 \times 10^{-6}}{6 \times 8.854 \times 10^{-12}}\)
= 1.88 x 105 न्यूटन-मीटर2/कलॉम।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 13

प्रश्न 19.
2.0 माइक्रोकूलॉम का कोई बिन्दु आवेश किसी किनारे पर 9.0 सेमी किनारे वाले किसी घनीय गाउसीय पृष्ठ के केन्द्र पर स्थित है। पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स क्या है?
हल :
गाउस के प्रमेय से,
घन के पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स ΦE= \(\frac{1}{\varepsilon_{0}}\) घन के भीतर स्थित कुल आवेश
∵ यहाँ घन के भीतर स्थित आवेश q = 2.0 माइक्रोकूलॉम
ΦE = \(\frac{1}{8.854 \times 10^{-12}} \) x 2.0 x 10-6
= 2. 26 x 105 न्यूटन-मीटर2 / कूलॉम।

प्रश्न 20.
किसी बिन्दु आवेश के कारण, उस बिन्दु को केन्द्र मानकर खींचे गए 10 सेमी त्रिज्या के गोलीय गाउसीय पृष्ठ पर विद्युत फ्लक्स -1.0 x 103 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम है। (a) यदि गाउसीय पृष्ठ की त्रिज्या दो गुनी कर दी जाए तो पृष्ठ से कितना फ्लक्स गुजरेगा? (b) बिन्दु आवेश का मान क्या है?
हल : (a) गाउस प्रमेय के अनुसार किसी बन्द पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स, पृष्ठ के भीतर स्थित नेट आवेश पर निर्भर करता है न कि पृष्ठ के आकार पर।
∵ त्रिज्या दोगुनी करने पर भी पृष्ठ के भीतर स्थित नेट आवेश वही बना रहता है। अतः पृष्ठ से अभी भी उतना ही फ्लक्स – 1.0 x 103 न्यूटन मीटर2/कूलॉम गुजरेगा।

(b) सूत्र \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}} \) से,
गोलीय पृष्ठ के केन्द्र पर रखा बिन्दु आवेश \(q=\varepsilon_{0} \phi_{E}\)
= 8.854 x 10-12 x (-1.0 x 103)
= – 8.854 x 10-9 कूलॉम।

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प्रश्न 21.
10 सेमी त्रिज्या के चालक गोले पर अज्ञात परिमाण का आवेश है। यदि गोले के केन्द्र से 20 सेमी दूरी पर विद्युत क्षेत्र 1.5 × 103 न्यूटन/कूलॉम त्रिज्यतः अन्तर्मुखी (radially inward) है तो गोले पर नेट आवेश कितना है?
हल :
गोले के केन्द्र को केन्द्र मानते हुए 20 सेमी त्रिज्या का गाउसीय गोलीय पृष्ठ खींचा। इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र E = 1.5 × 103 न्यूटन/कूलॉम (अन्तर्मुखी है)

MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 14
माना इस पृष्ठ के किसी बिन्दु पर एक सूक्ष्म अल्पांश \(\overrightarrow{d \mathrm{A}}=d A \hat{\mathrm{n}} \) लिया।
तब \(\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot d \overrightarrow{\mathrm{A}}\) = E.dA cos 180° = – E.dA
∴ पृष्ठ से गुजरने वाला कुल फ्लक्स
\(\phi_{E}=\oint_{A} \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot d \overrightarrow{\mathrm{A}}=-\oint_{A} E \cdot d A=-E \oint_{A} d A\)
= – EA = – E [4π × (0.2)2] [∵ A = 4 πr2]
परन्तु गाउस प्रमेय से, कई = \(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
जहाँ q = गाउसीय पृष्ठ के भीतर नेट आवेश = चालक गोले पर कुल आवेश
∴ \(\frac{q}{\varepsilon_{0}}\) = – E [4 π × (0.2)2]
∴ चालक गोले पर आवेश q = – ε0E × 4π × (0.2)2
= – 8.854 × 10-12 × 1.5×103 × 4 × 3.14 × (0.2)2
= – 6.67 × 10-9 कूलॉम
= – 6.67 नैनोकूलॉम।

प्रश्न, 22.
2.4 मीटर व्यास के एकसमान आवेशित चालक गोले का पृष्ठीय आवेश घनत्व 80.0 माइक्रोकूलॉम/मीटर है।
(a) गोले पर आवेश ज्ञात कीजिए।
(b) गोले के पृष्ठ से निर्गत कुल विद्युत फ्लक्स क्या है?
हल :
(a) ∵ गोला एकसमान रूप से आवेशित है,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 15
∴ गोले पर आवेश q = 4πr2σ
= 4 × 3.14 × (1.2 मीटर)2 × 80.0 माइक्रो कूलॉम/मीटर2
= 1447 माइक्रोकूलॉम
= 1.45 × 10-3 कूलॉम।

(b) गोले के पृष्ठ से निर्गत फ्लक्स
\(\phi_{E}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}=\frac{1.45 \times 10^{-3}}{8.854 \times 10^{-12}}\)
= 1.6 × 108 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम।

प्रश्न 23.
कोई अनन्त रैखिक आवेश 2 सेमी दूरी पर 9 × 104 न्यूटन/कूलॉम विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है। रैखिक आवेश घनत्व ज्ञात कीजिए।
हल :
रैखिक आवेश घनत्व 2 के कारण दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
\(E=\frac{\lambda}{2 \pi \varepsilon_{0} r}\) [∴= 2πε0rE]
यहाँ r = 2 सेमी = 2 × 10-2 मीटर, E = 9 × 104 न्यूटन/कूलॉम
∴ रेखीय आवेश घनत्व λ= 2 × \(\frac{22}{7}\) × 8.854 × 10-12 × 2 × 10-2 × 9 × 104
= 1.0 × 10-7 कूलॉम-मीटर-1
= 10 माइक्रोकुलॉम/मीटर।

प्रश्न 24.
दो बड़ी, पतली धातु की प्लेटें एक-दूसरे के समानान्तर एवं निकट हैं। इनके भीतरी फलकों पर, प्लेटों के पृष्ठीय आवेश घनत्वों के चिह्न विपरीत हैं तथा इनका परिमाण 17.0 × 10-22 कूलॉम/मीटर है। (a) पहली प्लेट के बाह्य क्षेत्र में, (b) दूसरी प्लेट के बाह्य क्षेत्र में तथा (e) प्लेटों के बीच में विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{E}}\) का परिमाण परिकलित कीजिए।
हल :
दिया है, प्रत्येक प्लेट पर पृष्ठीय आवेश घनत्व
σ = 17.0x 10-22 कूलॉम/मीटर2
प्रत्येक एकल प्लेट के कारण प्लेट के समीप किसी बिन्दु पर क्षेत्र E = E2 =
(a) व (b) प्लेटों के बाह्य क्षेत्रों में E1 व E2 परस्पर विपरीत हैं (देखें चित्र)। अत: बाह्य क्षेत्रों में नेट विद्युत-क्षेत्र की तीव्रता E = E1 – E2 = 0 शून्य होगी।
(c) प्लेटों के बीच के स्थान में E1 व E2 दोनों एक ही दिशा में होंगे।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 16
∴ नेट विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = E1 + E2 = \(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}+\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\)
E = \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}=\frac{17.0 \times 10^{-22}}{8.854 \times 10^{-12}}\)
= 1.92 x 10-10 न्यूटन/कूलॉम।
विद्युत क्षेत्र की दिशा प्लेटों के लम्बवत् धन से ऋण प्लेट की ओर होगी।

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प्रश्न 25.
मिलिकन तेल बूंद प्रयोग में 2.55 x 104 न्यूटन/कूलॉम के नियत विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में 12 इलेक्ट्रॉन ‘ आधिक्य की कोई तेल बूंद स्थिर रखी जाती है। तेल का घनत्व 1. 26 ग्राम सेमी-3 है। बूँद की त्रिज्या का आकलन कीजिए। (g= 9.81 मीटर सेकण्ड-2,e = 1.6 x 10-19 कूलॉम)।
हल :
माना बूंद की त्रिज्या r है, तब
बूंद का द्रव्यमान \(m=\frac{4}{3} \pi r^{3} \rho\)
तथा बूंद पर आवेश q = ne
सन्तुलन की अवस्था में, द का भार (mg) = विद्युत बल (qE)
या \(\frac{4}{3} \pi r^{3} \rho \times g=n e E\)
∴ \(r^{3}=\frac{3 n e E}{4 \pi \rho g}\)
यहाँ n = 12,p = 1.26 ग्राम सेमी-3 = 1.26 x 103 किग्रा-मीटर-3, e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
E = 2.55 x 104 न्यूटन/कूलॉम, g = 9.81 मीटर/सेकण्ड2
∴ \(r^{3}=\frac{3 \times 12 \times 1.6 \times 10^{-19} \times 2.55 \times 10^{4}}{4 \times 3.14 \times 1.26 \times 10^{3} \times 9.81}\)
= 946 x 10 -21मीटर3
∴ बूंद की त्रिज्या r = (946 x 10-21 मीटर 3)1/3 = 9.81 x 10-7 मीटर = 9.81 x 10-4 मिमी।

प्रश्न 26.
चित्र-1.9 में दर्शाए गए वक्रों में से कौन सम्भावित स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित नहीं करते?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 17
उत्तर :
केवल चित्र (c) सम्भावित स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित करता है।
(a) विद्युत क्षेत्र रेखाएँ सदैव चालक पृष्ठ के लम्बवत् होती हैं, इस चित्र में रेखाएँ चालक पृष्ठ के लम्बवत् नहीं
(b) क्षेत्र रेखाओं को ऋणावेश से धनावेश की ओर जाते दिखाया गया है जो कि सही नहीं है।
(d) क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को काट रही हैं जो कि सही नहीं है।
(e) क्षेत्र रेखाएँ बन्द वक्रों के रूप में प्रदर्शित की गई हैं जो कि सही नहीं है।

EXTRA SHOTS

  • वैद्युत बल रेखाएँ किसी चालक के पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर लम्बवत् होती हैं।
  • वैद्युत बल रेखाएँ धनावेश से प्रारम्भ होकर ऋणावेश पर समाप्त होती हैं। |
  • वैद्युत बल रेखाएँ कभी बन्द वक्र नहीं बनाती हैं।

प्रश्न 27.
दिकस्थान के किसी क्षेत्र में, विद्युत क्षेत्र सभी जगह Zदिशा के अनुदिश है। परन्तु विद्युत क्षेत्र का परिमाण नियत नहीं है, इसमें एकसमान रूप से Z-दिशा के अनुदिश 105 न्यूटन कूलॉम-1 प्रति मीटर की दर से वृद्धि होती है। वह निकाय जिसका ऋणात्मक Z-दिशा में कुल द्विध्रुव आघूर्ण 10-7 कूलॉम-मीटर के बराबर है, कितना बल तथा बल-आघूर्ण अनुभव करता है?
हल :
प्रश्नानुसार, द्विध्रुव-Z-अक्ष के अनुदिश संरेखित है;
अतः
Px = 0, Py = 0, pz = – 10-7 कूलॉम-मीटर
\(\frac{\partial E}{\partial x}\)=0,\(\frac{\partial E}{\partial y}\)= 0,\(\frac{\partial E}{\partial z}\)=105न्यूटन कूलॉम-1 मीटर-1
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 18
= 0+ 0+ (-10-7) x 105
→ F = – 0.01 न्यूटन।  (ऋण Z-अक्ष की दिशा में)
∵ विद्युत क्षेत्र Z-अक्ष के अनुदिश है तथा \(\overrightarrow{\mathrm{p}}\), -Z-अक्ष के अनुदिश है; अत: θ = 180°
∴ बल-आघूर्ण t = pE sin 180° = 0

प्रश्न 28.
(a) किसी चालक A, जिसमें चित्र 1.10 (a) में दर्शाए अनुसार कोई कोटर/गुहा (Cavity) है, को Q आवेश दिया गया है। यह दर्शाइए कि समस्त आवेश चालक के बाह्य पृष्ठ पर प्रतीत होना चाहिए।
(b) कोई अन्य चालक B जिस पर आवेश q है, को कोटर/गुहा (Cavity) में इस प्रकार धंसा दिया जाता है कि चालक B चालक A से विद्युतरोधी रहे। यह दर्शाइए कि चालक A के बाह्य पृष्ठ पर कुल आवेश Q+ q है चित्र-1.10 है [चित्र 1.10 (b)]।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 19
(c) किसी सुग्राही उपकरण को उसके पर्यावरण के प्रबल स्थिर विद्युत क्षेत्रों से परिरक्षित किया जाना है। सम्भावित उपाय लिखिए।
उत्तर :
(a) हम एक ऐसी गाउसीय सतह की कल्पना करते हैं जो पूर्णतया चालक के भीतर स्थित है तथा चालक के बाह्य पृष्ठ के अत्यन्त समीप है।
∵ चालक के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है; अत: इस गाउसीय सतह से गुजरने वाला नेट विद्युत फ्लक्स शून्य होगा।
तब गाउस प्रमेय से, q= ६0Φ = ६00 = 0
अर्थात् सतह के भीतर आवेश शून्य होगा।
अतः चालक का सम्पूर्ण आवेश उसके बाह्य पृष्ठ पर होगा।

(b) दिया है, चालक A पर कुल आवेश = Q
चालक B पर कुल आवेश = q
माना चालक A में बनी कोटर के पृष्ठ पर q1 आवेश है तथा चालक A के बाह्य पृष्ठ पर Q1 आवेश है। अब चालक A पर कुल आवेश
Q1 + q1 = Q……………….(1)
पुनः एक ऐसे गाउसीय पृष्ठ की कल्पना कीजिए जो पूर्णतः चालक ‘A’ के भीतर स्थित है परन्तु इसके बाह्य पृष्ठ . अत्यन्त समीप है।
∵ चालक के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य होता है; अत: इस पृष्ठ से गुजरने वाला कुल फ्लक्स शून्य होगा। अत: इस गाउसीय पृष्ठ के भीतर कुल आवेश = 0
अर्थात्
q1 + q = 0 ⇒ q1 = – q
∴ समीकरण (1) से, Q1 – q= Q
∴ चालक A के बाह्य पृष्ठ पर कुल आवेश Q1 = Q + q होगा।

(c) खोखले बन्द चालक के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य होता है। अत: किसी सुग्राही उपकरण को पर्यावरण के प्रबल स्थिर विद्युत-क्षेत्रों से परिरक्षित करने के लिए उसे खोखले बन्द चालक के भीतर रखना चाहिए।

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प्रश्न 29.
किसी खोखले आवेशित चालक में उसके पृष्ठ पर कोई छिद्र बनाया गया है। यह दर्शाइए कि छिद्र में विद्युत क्षेत्र \(\left(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\right) \hat{\mathbf{n}}\) है, जहाँ \(\hat{\mathbf{n}}\) अभिलम्बवत् दिशा में बहिर्मुखी एकांक सदिश है तथा छिद्र के निकट पृष्ठीय आवेश घनत्व है।
उत्तर :
माना किसी खोखले चालक को कुछ धनावेश दिया गया है, जो तुरन्त ही उसके पृष्ठ पर समान रूप से वितरित हो जाता है। माना आवेश का पृष्ठ घनत्व σ है।
चालक के पृष्ठ के किसी अवयव dA पर विचार कीजिए। स्पष्ट है कि इस क्षेत्रफल अवयव पर उपस्थित आवेश की मात्रा q = σdA होगी। माना इस क्षेत्रफल अवयव के अत्यन्त समीप चालक के पृष्ठ के बाहर तथा अन्दर दो बिन्दु क्रमशः P तथा Q हैं। चूँकि बिन्दु P पृष्ठ के समीप है; अत: चालक के कारण बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}\) पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की ओर होगी। माना बिन्दु P पर अवयव dA तथा शेष चालक के कारण विद्युत-क्षेत्र की तीव्रताएँ क्रमश: E1 व E2 हैं, तब स्पष्टतया E1 व E2 दोनों पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की ओर होंगी तथा परिणामी तीव्रता E, E1 व E2 के योग के बराबर होगी।
अतः E1 + E2 = \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}\)

चूँकि बिन्दु Q क्षेत्रफल अवयव dA के अत्यन्त समीप परन्तु P के विपरीत ओर है; अत: इस अवयव के कारण बिन्दु Q पर क्षेत्र की तीव्रता E1 के बराबर परन्तु दिशा में विपरीत होगी, जबकि शेष चालक के कारण Q पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E2 के बराबर तथा उसी की दिशा में होगी। चूँकि बिन्दु Q चालक के अन्दर है; अतः बिन्दु Q पर परिणामी तीव्रता शून्य होगी।

अतः बिन्दु Q पर परिणामी तीव्रता E2 – E1 = 0 अथवा E1 = E2 [∵ बिन्दु Q पर E1 व E2 के विपरीत हैं।
समीकरण (1) से,
E1 = E2 = \(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\)
अतः शेष चालक के कारण बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
E2 = \(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\)

अब यदि बिन्दु P पर एक छिद्र (Hole) कर दिया जाए तो क्षेत्र अवयव dA तथा इसके कारण आन्तरिक बिन्दु Q पर विद्युत क्षेत्र E1 दोनों समाप्त हो जाएंगे।
तब विद्युत क्षेत्र E2 छिद्र के किसी बिन्दु पर केवल शेष चालक के कारण शेष रहेगा।
अतः छिद्र पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
\(\overrightarrow{\mathrm{E}}=\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}} \hat{\mathrm{n}}\)
जहाँ \(\hat{\mathbf{n}}\) छिद्र पर बहिर्मुखी दिशा में एकांक सदिश है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 20

प्रश्न 30.
गाउस नियम का उपयोग किए बिना किसी एकसमान रैखिक आवेश घनत्व 2 के लम्बे पतले तार के कारण विद्युत क्षेत्र के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
एकसमान रैखिक आवेश घनत्व वाले लम्बे पतले तार के कारण विद्युत क्षेत्र — माना एक लम्बे सीधे धनावेशित तार का एकसमान रैखिक आवेश घनत्व λ है। हमें इस तार के कारण किसी बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 21
बिन्दु P से तार पर लम्ब PO खींचा। तार पर बिन्दु O से x दूरी पर एक O सूक्ष्म अवयव AB= dx लिया।
∵ रैखिक आवेश घनत्व = λ
∴ अवयव dx पर आवेश की मात्रा dq = λdx
इस अवयव dx के कारण बिन्दु P पर
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता dE =\(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{d q}{(A P)^{2}}\) (AP दिशा में)
माना ∠OPA = θ तथा OP=r
विद्युत क्षेत्र dE को OP के अनुदिश तथा OP के लम्बवत् दिशा में वियोजित करने पर,
OP के लम्बवत् दिशा में वियोजित घटक = dE sin θ व OP के अनुदिश दिशा में वियोजित घटक = dE cos θ
∴ तार लम्बा है तथा बिन्दु 0 के दोनों ओर जाता है। अतः एक ओर के प्रत्येक अवयव dx के संगत दूसरी ओर भी एक अन्य अवयव dx अवश्य ही ऐसा होगा कि इन दोनों के कारण OP के लम्ब दिशा में विद्युत-क्षेत्र के वियोजित घटक परस्पर निरस्त करेंगे जबकि OP की दिशा में वियोजित घटक परस्पर जुड़ जाएंगे।

अतः पूरे तार के कारण बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
E = Σ dE cos θ
परन्तु cos θ = \(\frac{O P}{A P}\)
तथा AP2 = OP2 + 0A2
⇒ AP = (r2 + x2)1/2
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 22

x= r tan θ रखने पर,
dx = r. sec2 θ dθ
x = -∞ ⇒ θ = \(-\frac{\pi}{2}\)
व x = +∞ ⇒ θ = \(\frac{\pi}{2}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 23

क्षेत्र की दिशा तार के लम्बवत् तथा तार से परे होगी। यदि तार ऋणावेशित है तो क्षेत्र की दिशा तार की ओर होगी।

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प्रश्न 31.
अब ऐसा विश्वास किया जाता है कि स्वयं प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन (जो सामान्य द्रव्य के नाभिकों का निर्माण करते हैं) और अधिक मूल इकाइयों जिन्हें क्वार्क कहते हैं, के बने हैं। प्रत्येक प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन तीन क्वार्को से मिलकर बनता है। दो प्रकार के क्वार्क होते हैं : ‘अप’ क्वार्क (u द्वारा निर्दिष्ट) जिन पर (+\(\frac{2}{3}\)) e आवेश तथा ‘डाउन’ क्वार्क (d द्वारा निर्दिष्ट) जिन पर (-\(\frac{1}{3}\)) आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन से मिलकर सामान्य द्रव्य बनाते हैं। (कुछ अन्य प्रकार के क्वार्क भी पाए गए हैं जो भिन्न असामान्य प्रकार का द्रव्य बनाते हैं।) प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के सम्भावित क्वार्क संघटन सुझाइए।
उत्तर :
दिया है, u = +\(\frac{2}{3}\)e तथा d =-\(\frac{1}{3}\)e
∵ प्रोटॉन पर आवेश = +e
⇒+\(\frac{2}{3}\)e + \(\frac{2}{3}\)e – \(\frac{1}{e}\)= +e
या u + u + d = +e
अतः प्रोटॉन 2u क्वार्क तथा 1d क्वार्क से मिलकर बना है।

COMMON ERRORS

• आवेश के क्वाण्टीकरण के अनुसार किसी वस्तु पर न्यूनतम आवेश इलेक्ट्रॉनिक आवेश (e) है। परन्तु प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन; क्वार्क से मिलकर बने होते हैं। अत: यह स्पष्ट समझ लेना आवश्यक है कि क्वार्क स्वतन्त्र रूप में नहीं पाया जाता है। अत: किसी वस्तु पर न्यूनतम आवेश में ही हो सकता है।

∵ न्यूट्रॉन पर आवेश = 0
⇒ +\(\frac{2}{3}\)e+\(\frac{1}{3}\)e-\(\frac{1}{3}\)e = 0
या u+u+d = 0
अत: न्यूट्रॉन एक u क्वार्क तथा 2d क्वार्क से मिलकर बना है।

प्रश्न 32.
(a) किसी यादृच्छिक स्थिर विद्युत क्षेत्र विन्यास पर विचार कीजिए। इस विन्यास की किसी शून्य-विक्षेप स्थिति (null-point अर्थात् जहाँ \(\overrightarrow{\mathbf{E}}=0\)) पर कोई छोटा परीक्षण आवेश रखा गया है। यह दर्शाइए कि परीक्षण आवेश का सन्तुलन आवश्यक रूप से अस्थायी है।
(b) इस परिणाम का समान परिमाण तथा चिह्नों के दो आवेशों (जो एक-दूसरे से किसी दूरी पर रखे हैं) के सरल विन्यास के लिए सत्यापन कीजिए।
उत्तर :
(a) माना शून्य विक्षेप स्थिति में रखे परीक्षण आवेश का सन्तुलन स्थायी है। अब यदि परीक्षण आवेश को सन्तुलन की स्थिति से थोड़ा-सा विस्थापित किया जाए तो आवेश पर एक प्रत्यानयन बल लगना चाहिए जो आवेश को वापस सन्तुलन की ओर ले जाए। इसका यह अर्थ हुआ कि उस स्थान पर शून्य विक्षेप बिन्दु की ओर जाने वाली क्षेत्र रेखाएँ होनी चाहिए। जबकि स्थिर विद्युत क्षेत्र रेखाएँ कभी भी शून्य विक्षेप बिन्दु तक नहीं पहुँचतीं। अत: हमारी यह परिकल्पना कि परीक्षण आवेश का सन्तुलन स्थायी है, गलत है। यह निश्चित रूप से अस्थायी सन्तुलन है।

(b) माना दो बिन्दु आवेश (प्रत्येक + q) परस्पर 2a दूरी पर रखे हैं। एक बिन्दु आवेश – Q इनके मध्य-बिन्दु पर रखा है।
बिन्दु आवेशों + q,+q के कारण – Q पर कार्यरत बल बराबर तथा विपरीत होने के कारण बिन्दु आवेश – Q सन्तुलन की स्थिति में रहेगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 24
अब यदि – Q आवेश को x दूरी B की ओर विस्थापित कर दें तो इस पर कार्यरत बल
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 25

स्पष्ट है कि FPB > FPA अतः कण पर नेट बल PB दिशा में लगेगा जो कण को सन्तुलन की स्थिति से दूर ले जाएगा। अतः कण का मध्य-बिन्दु C पर सन्तुलन अस्थायी है।

प्रश्न 33.
प्रारम्भ में X-अक्ष के अनुदिश υx चाल से गति करता हुआ, दो आवेशित प्लेटों के मध्य क्षेत्र में m द्रव्यमान तथा -q आवेश का एक कण प्रवेश करता है (चित्र-1.14 में कण 1 के समान)। प्लेटों की लम्बाई L है। इन दोनों प्लेटों के बीच एकसमान विद्युत क्षेत्र E बनाए रखा जाता है। दर्शाइए कि प्लेट के अन्तिम किनारे पर कण का ऊर्ध्वाधर विक्षेप \(\frac{q E L^{2}}{\left(2 m v_{x}^{2}\right)}\) है।
अथवा एक आवेशित कण किसी एकसमान विद्युत क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् दिशा में गति करता हुआ प्रवेश करता है। दिखाइए कि क्षेत्र के भीतर इस कण का गमन पथ परवलयाकार होगा।
उत्तर :
एकसमान विद्युत क्षेत्र में आवेशित कण (इलेक्ट्रॉन) का गमन-पथ-जब कण का प्रारम्भिक वेग विद्युत क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् है-माना धातु की दो समान्तर प्लेटें जिन पर विपरीत आवेश हैं, एक-दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित हैं। इन प्लेटों के बीच के स्थान में विद्युत-क्षेत्र एकसमान है। माना ऊपरी प्लेट धनावेशित है, जबकि नीचे की ।। प्लेट ऋणावेशित है। अतः विद्युत क्षेत्र E कागज के तल में नीचे की ओर दिष्ट होगा [चित्र-1.14]।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 26
माना कोई कण जिस पर आवेश -q है तथा जो X-अक्ष के अनुदिश गतिमान है, υx वेग से विद्युत क्षेत्र E में प्रवेश करता है। चूँकि विद्युत क्षेत्र Y-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में नीचे की ओर है। अतः कण पर Y-अक्ष के अनुदिश लगने वाला बल Fy= qE
कण पर X-अक्ष के अनुदिश कोई बल कार्य नहीं करेगा।
माना कण का द्रव्यमान m है, तब इस बल के कारण कण की गति में उत्पन्न त्वरण \(a_{y}=\frac{F_{y}}{m}=\frac{q E}{m}\)
चूँकि कण का X-अक्ष के अनुदिश प्रारम्भिक वेग υx तथा त्वरण शून्य है। अत: X-अक्ष के अनुदिश t सेकण्ड में चली गई दूरी
x = υxt ………….(1)
चूँकि कण का Y-अक्ष के अनुदिश प्रारम्भिक वेग शून्य तथा त्वरण ay है। अत: Y-अक्ष के अनुदिश t सेकण्ड में चली गई दूरी
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 27
यह समीकरण y = cx2 के समरूप है तथा परवलय को प्रकट करती है। अत: विद्युत क्षेत्र में अभिलम्बवत् प्रवेश करने वाले आवेशित कण का गमन-पथ परवलयाकार होता है।
माना कण प्लेटों के बीच के क्षेत्र को बिन्दु A(x, y) पर छोड़ता है, तब
बिन्दु A के लिए x = L (∵ प्लेटों की लम्बाई = L)
पथ के समीकरण में मान रखने पर,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 28

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प्रश्न 34.
प्रश्न 33 में वर्णित कण की इलेक्ट्रॉन के रूप में कल्पना कीजिए जिसको υx = 2.0 x 106 मीटर सेकण्ड-1 के साथ प्रक्षेपित किया गया है। यदि 0.5 सेमी की दूरी पर रखी प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र E का मान 9.1x 102 न्यूटन/कूलॉम हो तो ऊपरी प्लेट पर इलेक्ट्रॉन कहाँ टकराएगा?
(|e|= 1.6 x 10-19 कूलॉम, me = 9.1 x 10-31 किग्रा)
हल :
सूत्र y = \(\frac{q E}{2 m v_{x}^{2}})\)x2 से, x2 =(\(\frac{2 m v_{x}^{2}}{q E})\)y
यहाँ E = 9.1 x 102 न्यूटन/कूलॉम, q = e = 1.6x 10-19 कूलॉम,
m= me = 9.1 x 10-31 किग्रा
υx = 2.0 x 106 मीटर सेकण्ड-1
तथा y = \(\frac{0.5}{2}\) सेमी =\(\frac{0.005}{2}\) मीटर
मान रखने पर,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 29
∴ x = 1.12 x 10-2 मीटर = 1.12 सेमी
अत: इलेक्ट्रॉन ऊपरी प्लेट से 1.12 सेमी दूरी पर टकराएगा।
यहाँ यह माना गया है कि इलेक्ट्रॉन प्लेटों के बीच के स्थान में ठीक बीच में प्रवेश करता है। अतः प्लेट से टकराते समय इसका ऊर्ध्वाधर विक्षेप y = \(\frac{0.5}{2}\) सेमी लिया गया है।

वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र NCERT भौतिक विज्ञान प्रश्न प्रदर्शिका (Physics Exemplar LQ Problems) पुस्तक से चयनित महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के हल

वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र  बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. एक बिन्दु आवेश +q किसी वियुक्तं चालक तल से d दूरी पर स्थित है। तल के दूसरी ओर के बिन्दु P पर क्षेत्र की दिशा –
(a) तल के लम्बवत् तथा तल से दूर की ओर है
(b) तल के लम्बवत् परन्तु तल की ओर है
(c) बिन्दु आवेश से दूर की ओर दिष्ट है ।
(d) अरीयतः बिन्दु आवेश की ओर है।
उत्तर :
(a) तल के लम्बवत् तथा तल से दूर की ओर है

2. कोई अर्धगोला एकसमान धनावेशित है। गोले के केन्द्र से परे इसके किसी व्यास पर स्थित बिन्दु पर जो केन्द्र से दूर है, विद्युत क्षेत्र की दिशा –
(a) इस व्यास के लम्बवत् है
(b) इस व्यास के समान्तर है
(c) इस व्यास की ओर किसी कोण पर झुकी है
(d) इस व्यास से दूर किसी कोण पर झुकी है।
उत्तर :
(a) इस व्यास के लम्बवत् है

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3. चित्र में विद्यत क्षेत्र रेखाएँ दर्शायी गई हैं जिनमें एक वैद्युत द्विध्रुव P चित्र में दर्शाए अनुसार रखा है। निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है –
(a) द्विध्रुव किसी बल का अनुभव नहीं करेगा
(b) द्विध्रुव दायीं ओर किसी बल का अनुभव करेगा
(c) द्विध्रुव बायीं ओर किसी बल का अनुभव करेगा
(d) द्विध्रुव ऊपर की ओर किसी बल का अनुभव करेगा।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 30
उत्तर :
(c) द्विध्रुव बायीं ओर किसी बल का अनुभव करेगा

4. नीचे दिए गए चित्रों में पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स –
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 31

(a) चित्र (iv) में सर्वाधिक है
(b) चित्र (iii) में सर्वाधिक है
(c) चित्र (ii) में चित्र (iii) के समान है, परन्तु चित्र (iv) से कम है
(d) सभी चित्रों में समान है।
उत्तर :
(d) सभी चित्रों में समान है।

वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी यादृच्छिक पृष्ठ में कोई द्विध्रुव परिबद्ध है। इस पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फ्लक्स कितना है?
उत्तर :
यादृच्छिक पृष्ठ द्वारा घिरा कुल आवेश (Σq) = q + (-q) = 0, अत: पृष्ठ से गुजरने वाला विद्युत फलक्स + Φ = \(\frac{1}{\varepsilon_{0}} \Sigma q\) = 0

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प्रश्न 2.
किसी धातु के गोलीय खोल की भीतरी त्रिज्या R, तथा बाहरी त्रिज्या R, है। इस खोल की गोलीय गुहिका के केन्द्र पर कोई आवेश Q रखा है। खोल के (i) भीतरी पृष्ठ तथा (ii) बाहरी पृष्ठ पर, पृष्ठीय आवेश-घनत्व क्या होगा?
उत्तर :
गोलीय गुहिका के केन्द्र पर रखे आवेश Q के कारण गोलीय खोल के भीतरी पृष्ठ पर – Q आवेश तथा बाहरी पृष्ठ पर +Q आवेश प्रेरित होगा।
(i) भीतरी पृष्ठ पर पृष्ठीय आवेश घनत्व = –\(\frac{Q}{4 \pi R_{1}^{2}}\)
(ii) बाहरी पृष्ठ पर पृष्ठीय आवेश घनत्व = +\(\frac{Q}{4 \pi R_{2}^{2}}\)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 32

प्रश्न 3.
किसी एकसमान आवेशित खोखले सिलिण्डर के लिए विद्युत क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 33
उत्तर :
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 34

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प्रश्न 4.
किसी a लम्बाई के घन के फलकों से गुजरने वाला फ्लक्स कितना होगा यदि आवेश स्थित हो –
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 35
(a) A पर जो घन का एक कोना है।
(b) B पर जो किसी कोर का मध्य-बिन्दु है।
(c) C पर जो धन के किसी फलक का केन्द्र है।।
(d) D पर जो B तथा C का मध्य-बिन्दु है।
उत्तर :
(a) यदि 4-4 घन के ब्लॉक ऊपर नीचे रखे हों तथा आवेश q उनके मध्य शीर्ष A पर हो तब दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स = \(\phi_{E}=\frac{1}{8} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)

(b) बिन्दु B, चार घनों के ब्लॉक में सममित रूप से स्थित होगा। अतः दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स \(\phi_{E}=\frac{1}{4} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)

(c) बिन्दु C, दो घनों के ब्लॉक में सममित रूप से स्थित होगा। अतः दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला
फ्लक्स = \(\phi_{E}=\frac{1}{2} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)

(d) बिन्दु D भी दो घनों के ब्लॉक में सममित रूप से स्थित होगा अतः दिए गए घन के फलकों से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स = \(\phi_{E}=\frac{1}{2} \cdot \frac{q}{\varepsilon_{0}}\)

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वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र आंकिक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
दो आवेशों q तथा -3q को X-अक्ष पर ‘d’ दूरी के पृथकन के साथ रखा गया है। तीसरे आवेश 2q को कहाँ रखा जाए ताकि यह कोई बल अनुभव न करे?
हल : माना 2q आवेश को X-अक्ष पर q आवेश से x दूरी पर, आवेशों से बाहर रखने पर वह कोई बल अनुभव नहीं करता है।
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 36
अत: 2q आवेश के लिए,
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 37

प्रश्न 2.
पाँच आवेश, जिनमें प्रत्येक q है, ‘a’ भुजा के किसी नियमित पंचभुज के कोनों पर रखे गए हैं –
(a) इस पंचभुज के केन्द्र O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा?
(b) यदि किसी एक कोने (जैसे A) से आवेश को हटा दिया जाए तो O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा?
(c) यदि A पर आवेश को – १ द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो O पर विद्युत क्षेत्र कितना होगा?
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 38
उत्तर :
(a) सममिति के कारण पंचभुज के केन्द्र O पर परिणामी विद्युत क्षेत्र शून्य होगा।

(b) केन्द्र 0 पर परिणामी विद्युत क्षेत्र E = 0
∴ कोने A पर स्थित आवेश q के कारण विद्युत क्षेत्र + शेष चार कोनों पर स्थित आवेशों के कारण विद्युत क्षेत्र = 0
अथवा शेष चार कोनों पर स्थित आवेशों के कारण विद्युत क्षेत्र = – (कोने A पर स्थित आवेश q के कारण विद्युत क्षेत्र)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 39

(c) बिन्दु A पर आवेश को – q द्वारा प्रतिस्थापित कर देने पर केन्द्र O पर विद्युत क्षेत्र = (-q आवेश के कारण केन्द्र 0 पर विद्युत क्षेत्र) + (शेष चार कोनों पर स्थित आवेशों के कारण केन्द्र O पर विद्युत क्षेत्र)
MP Board Class 12th Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र img 40

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MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 3 प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 3 प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण

प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण Important Questions

प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए-

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन -सी व्यावसायिक पर्यावरण की विशेषता नहीं है –
(a) शहरीकरण
(b) कर्मचारी
(c) तुलनात्मकता
(d) अनिवार्यता।
उत्तर:
(b) कर्मचारी

प्रश्न 2.
निम्न में कौन -व्यावसायिक पर्यावरण का सर्वश्रेष्ठ द्योतक है –
(a) पहचान करना
(b) निष्पादन में सुधार
(c) हो रहे परिवर्तनों का सामना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 3.
निम्न में कौन -सा सामाजिक पर्यावरण का उदाहरण है –
(a) अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति
(b) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
(c) देश की संरचना
(d) परिवार का गठन
उत्तर:
(d) परिवार का गठन

प्रश्न 4.
उदारीकरण का अर्थ है –
(a) अर्थव्यवस्थाओं के बीच एकात्मकता
(b) सरकारी बाध्यता एवं संशोधन में कमी
(c) योजनाबद्ध विनिवेश नीति
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) सरकारी बाध्यता एवं संशोधन में कमी

प्रश्न 5.
जनसंख्या के आकार एवं वितरण को माना जाता है –
(a) टेक्नॉलॉजीकल परिवेश का अंग
(b) कानूनी परिवेश का अंग
(c) राजनैतिक परिवेश का अंग
(d) सामाजिक परिवेश का अंग
उत्तर:
(d) सामाजिक परिवेश का अंग

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. आधुनिक टेक्नॉलॉजी अर्थव्यवस्था के शीघ्र विकास में …………. होती है।
  2. प्रथम पंचवर्षीय योजना …………. से प्रारंभ की गई थी।
  3. भारत में नये आर्थिक सुधारों का प्रारंभ …………… से किया गया।
  4. व्यवसाय के ……………………. घटक नियंत्रणीय होते हैं।
  5. भारत में …………………..आर्थिक प्रणाली को अपनाया गया है।
  6. अंतर्राष्ट्रीय परिवेश सदैव ………….. रहता है।
  7. कानूनी परिवेश का संबंध सरकार द्वारा पारित ………. से होता है।

उत्तर:

  1. सहायक
  2. 1 अप्रैल 1951
  3. सन् 1991
  4. आंतरिक
  5. मिश्रित
  6. परिवर्तनशील
  7. अधिनियम।

प्रश्न 3.
एक शब्द या वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. वैश्वीकरण का क्या अर्थ है ?
  2. लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए बनाई गई नीति को क्या कहते हैं ?
  3. विदेश नीति, किस व्यावसायिक वातावरण का घटक है ?
  4. EPCG स्कीम का पूरा नाम क्या है ?
  5. निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु स्थापित व्यावसायिक क्षेत्र को क्या कहते हैं ?

उत्तर:

  1. विश्व की अर्थव्यवस्थाओं का एकीकरण
  2. रोजगार नीति
  3. राजनैतिक
  4. निर्यात संवर्द्धन सामान योजना
  5. निर्यात संवर्द्धन नीति।

प्रश्न 4.
सत्य या असत्य बताइये-

  1. उदारीकरण भारत में व्यवसाय तथा उद्योग को प्रभावित करने में असफल रहा है।
  2. आर्थिक सामाजिक तथा राजनीतिक परिस्थितियाँ व्यावसायिक वातावरण का निर्माण करती हैं।
  3. वैश्वीकरण ने भारत में व्यवसाय तथा उद्योग को प्रभावित किया है। ।
  4. बाहरी घटक व्यावसायिक वातावरण को प्रभावित नहीं करते।
  5. सरकारी नीति में परिवर्तनों का व्यवसाय तथा उद्योग पर प्रभाव नहीं पड़ता है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. असत्य।

प्रश्न 5.
सही जोड़ी बनाइये-
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 3 प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण - 1

प्रबंध एवं व्यावसायिक वातावरण अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यावसायिक वातावरण के संदर्भ में LPG का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
L- Liberalisation उदारीकरण
P- Privatisation निजीकरण
G- Globalisation वैश्वीकरण

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प्रश्न 2.
फेरा (FERA) तथा फेमा (FEMA) का पूरा नाम लिखिए।भारत में नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत किस नियम को समाप्त करके FEMA लागू किया गया ?
उत्तर:
FERA – Foreign Exchange Regulation Act
FEMA – Foreign Exchange Management Act.
भारत में नई औद्योगिक नीति के अंतर्गत FERA को समाप्त करके FEMA लागू किया गया।

प्रश्न 3.
व्यष्टि (सूक्ष्म) तथा समष्टि (व्यापक) वातावरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
व्यष्टि (सूक्ष्म) वातावरण-इसका अभिप्राय उस पर्यावरण या वातावरण से है जिसके अंतर्गत उन घटकों को सम्मिलित किया जाता है जिनका व्यवसाय के साथ नजदीकी संबंध होता है।

समष्टि (व्यापक) वातावरण-इसका अभिप्राय उस वातावरण से है जिसके अंतर्गत उन घटकों को सम्मिलत किया जाता है जिनका व्यवसाय के साथ दूर का संबंध होता है।

प्रश्न 4.
सामान्य तथा विशिष्ट पर्यावरण में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्य तथा विशिष्ट पर्यावरण में अंतर-

सामान्य पर्यावरण

  1. सामान्य पर्यावरण वह है जो फर्मों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
  2. इसमें सामान्य शक्तियाँ शामिल होती हैं।
  3. इसके घटक हैं-सामाजिक पर्यावरण, राजनैतिक पर्यावरण l

विशिष्ट पर्यावरण

  1. विशिष्ट पर्यावरण उस पर्यावरण को कहते हैं। जो फर्मों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
  2. इसमें विशिष्ट शक्तियाँ शामिल होती हैं।
  3. इसके घटक हैं-ग्राहक, जनता, पूर्तिकर्ता,विपणन मध्यस्थ आदि।

प्रश्न 5.
भारत सरकार को नई आर्थिक नीति किन कारणों से अपनानी पड़ी?
उत्तर:
भारत को नई आर्थिक नीति को अपनाने के निम्न कारण थे –

  1. राजकोषीय संकट
  2. आंतरिक ऋण में वृद्धि
  3. मुद्रा स्फीति में वृद्धि
  4. विदेशी विनिमय संचय में गिरावट
  5. रुपये के मूल्य में कमी
  6. नकारात्मक भुगतान संतुलन
  7. भारतीय रिजर्व बैंक तथा भारतीय स्टेट बैंक द्वारा सोना बंधक रखना।

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प्रश्न 6.
भारतीय कानूनी पर्यावरण के कोई तीन उदाहरण दीजिए जिन्होंने व्यवसाय को प्रभावित किया है।
उत्तर:
भारतीय कानूनी पर्यावरण ने व्यवसाय को निम्न प्रकार से प्रभावित किया है

  1. नशा संबंधी उत्पाद का विज्ञापन करना प्रतिबंधित है।
  2. उद्योगों की लाइसेंस से मुक्ति की नीति।
  3. तम्बाकू उत्पादों पर वैधानिक चेतावनी होना आवश्यक है।

प्रश्न 7.
उन्नत तकनीकी में किन-किन बातों पर जोर दिया जाता है ?
उत्तर:
उन्नत तकनीकी में निम्न बातों पर जोर दिया जाता है

  1. वैज्ञानिक शोध
  2. नव-प्रवर्तन
  3. आविष्कार
  4. सुधार
  5. नव-प्रवर्तन का प्रसार।

प्रश्न 8.
सन् 1991 के पश्चात् भारत के आर्थिक परिवेश में जो परिवर्तन हुए उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
सन् 1991 के पश्चात् भारत के आर्थिक परिवेश में जो परिवर्तन हुए उनके नाम निम्न हैं

  1. आधुनिकीकरण
  2. निजीकरण
  3. वैश्वीकरण
  4. उदारीकरण।

प्रश्न 9.
भारत में नई आर्थिक नीति को अपनाये जाने के क्या कारण थे?
उत्तर:
भारत में नई आर्थिक नीति को अपनाये जाने के निम्न कारण थे

  1. विदेशी विनिमय की कमी
  2. उच्च सरकारी घाटा
  3. बढ़ती हुई कीमतें
  4. आन्तरिक ऋण में वृद्धि
  5. विदेशी व्यापार में गिरावट।

प्रश्न 10.
1956 की औद्योगिक नीति में उद्योगों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया था ?
उत्तर:
1956 की औद्योगिक नीति को तीन वर्गों में बाँटा गया था

  1. प्रथम वर्ग-प्रथम वर्ग में वे उद्योग रखे गये थे, जिनका विकास केवल राज्य द्वारा होता है।
  2. द्वितीय वर्ग-इस वर्ग में वे उद्योग रखे गये थे जो राज्यों के स्वामित्व में चले जाएँगे तथा भविष्य में नये कारखानों की स्थापना राज्य द्वारा ही की जायेगी।-
  3. तृतीय वर्ग-तृतीय वर्ग में शेष उद्योग रखे गये थे। ये उद्योग मुख्य रूप से उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करने वाले उद्योग थे।

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प्रश्न 11.
नई आर्थिक नीति में किन-किन उद्योगों के लिये लाइसेंस लेना अनिवार्य है ?
उत्तर:
नई आर्थिक नीति में, वर्तमान में छः उद्योगों के लिये लाइसेंस लेना अनिवार्य है जो कि निम्नांकित हैं-

  1. खतरनाक रसायन
  2. सिगरेट
  3. ड्रग्स एवं फार्मास्युटिकल्स
  4. एल्कोहॉलिक पेय
  5. प्रतिरक्षा उपकरण
  6. औद्योगिक विस्फोटक।

प्रश्न 12.
भारत की चार आर्थिक नीतियों के नाम बताइये।
उत्तर:
भारत की चार आर्थिक नीतियाँ निम्न हैं

  1. आयात-निर्यात नीति
  2. रोजगार नीति
  3. औद्योगिक नीति
  4. कृषि नीति
  5. विदेशी विनियोग नीति
  6. कर नीति।

प्रश्न 13.
सन् 1991 के पश्चात् भारत के आर्थिक परिवेश की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सन् 1991 के पश्चात्, भारत के आर्थिक परिवेश में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। सरकार ने व्यवसाय तथा उद्योग से संबंधित नीतियों में अनेक परिवर्तन किये, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं

  1. नई औद्योगिक नीति की घोषणा- उद्योगों को लाइसेंस मुक्त कर विभिन्न उद्योगों के लिए पूँजी की सीमा समाप्त कर दी गई।
  2. नई व्यापार नीति-व्यापार में न्यूनतम प्रतिबंध, न्यूनतम प्रशासनिक नियम नियंत्रण सुनिश्चित किया गया।
  3. पूँजी बाजार में सुधार-भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की स्थापना।
  4. राजकोषीय नीति में सुधार-सार्वजनिक व्ययों पर नियंत्रण तथा सभी राज्यों में ‘वैट ‘ योजना लागू करना।

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प्रश्न 14.
नवीन मौद्रिक नीति पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
उदारीकरण करने तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ाने के लिये सरकार द्वारा मौद्रिक नीति में सुधार करने हेतु नरसिंहम समिति गठित की गई जिसमें निम्न सिफारिशें पेश की गई

  1. ब्याज दरों का निर्धारण स्वतंत्र रूप से किया जाये अर्थात् इसमें रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप न हो।
  2. बैंकिंग पद्धति की संरचना नये ढंग से की जाये।
  3. बैंकों को अधिक स्वतंत्रता प्रदान की जाये।

प्रश्न 15.
व्यावसायिक वातावरण से आपका क्या आशय है ?
उत्तर:
व्यावसायिक वातावरण दो शब्दों का संयोजन है। व्यावसायिक शब्द का अर्थ है व्यवसाय से संबंधित तथा वातावरण का अर्थ है वे समस्त बाह्य शक्तियाँ जिनका प्रभाव व्यवसाय के संचालन पर पड़ता है। व्यावसायिक वातावरण सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, कानूनी तथा तकनीकी घटकों का मिश्रण है।

प्रश्न 16.
व्यावसायिक उद्यमों के लिए अपने पर्यावरण को समझना क्यों महत्वपूर्ण है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक पर्यावरण से आशय सभी व्यक्ति, संस्थाओं तथा अन्य शक्तियों से है जो व्यावसायिक संगठन को प्रभावित करते हैं। जैसे-सरकारी नीतियाँ, तकनीकी परिवर्तन, सामाजिक तथा राजनैतिक परिस्थितियाँ। व्यवसाय के प्रबंधकों को अपने पर्यावरण को समझना इसलिए आवश्यक है क्योंकि वे बाहरी शक्तियों को पहचानकर उनसे अपना बचाव कर सकें। निम्नलिखित कारणों से भी व्यावसायिक उपक्रम के लिए अपने आसपास के पर्यावरण को समझना आवश्यक होता है

  1. भविष्य के लिए मार्ग को निर्धारित करने में सहायक
  2. प्रतियोगिता का सामना करने के लिए,
  3. तेजी से हो रहे परिवर्तनों से सुरक्षा के लिए
  4. अवसरों की पहचान करना।

प्रश्न 17.
व्यावसायिक वातावरण के विभिन्न आयाम लिखिए।
उत्तर:
व्यावसायिक वातावरण के आयाम निम्न हैं

  1. जनसंख्या संबंधी परिवेश
  2. भौतिक परिवेश
  3. आर्थिक परिवेश
  4. सामाजिक परिवेश।

प्रश्न 18.
वैश्वीकरण के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण के दो उद्देश्य निम्न हैं

  1. अकुशलता को दूर करना-उद्योगों तथा फर्मों की अकुशलता को दूर करना वैश्वीकरण का प्रमुख उद्देश्य है।
  2. उत्पादकता में वृद्धि-अल्पविकसित राष्ट्रों में संसाधनों के आबंटन में सुधार लाना है, इसमें पूँजी उत्पाद अनुपात कम होगा और श्रम की उत्पादकता बढ़ेगी।

प्रश्न 19.
व्यवसाय के आंतरिक वातावरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक वातावरण के वे घटक जिनका निर्धारण संस्था द्वारा होता है उसे आंतरिक घटक (वातावरण) कहते हैं। ये घटक नियंत्रणीय होते हैं जिनका व्यवसाय पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है एवं इनमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है। ये घटक इस प्रकार हैं

  1. व्यवसाय की नीतियाँ, नियम व योजनाएँ
  2. व्यवसाय के उद्देश्य, लक्ष्य एवं दृष्टिकोण
  3. व्यवसाय की उत्पादन प्रणाली
  4. व्यवसाय के साधन, संसाधन ।

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प्रश्न 20.
व्यवसाय के सामाजिक वातावरण को समझाइये।
उत्तर:
सामाजिक वातावरण का आशय समाज में होने वाली समस्त गतिविधियों से है। इन गतिविधियों में सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी सम्मिलित हैं। व्यवसाय की समस्त गतिविधियाँ व क्रियायें समाज के अन्दर ही की जाती है अर्थात् व्यवसाय भी एक सामाजिक कार्य है। समाज में जाति, धर्म, लिंग, परिवार, समूह आदि से सम्बन्धित क्रियायें होती हैं। इन समस्त क्रियाओं का प्रभाव व्यवसाय पर पड़ता है। अर्थात् सामाजिक वातावरण का प्रभाव व्यावसायिक परिस्थितियों पर अवश्य पड़ता है। सामाजिक वातावरण के प्रमुख घटक निम्न हैं जिनसे व्यावसायिक वातावरण प्रभावित होता है

  1. परिवार की संरचना एवं भूमिका
  2. समाज में जाति एवं वर्ग व्यवस्था

प्रश्न 21.
व्यवसाय के वैधानिक नियामक पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
कानून विधान या नियमावली सर्वशक्तिमान होते हैं इनके अनुसार कार्य न करने पर व्यक्ति दण्ड का भागी होता है। इसलिये वैधानिक नियमों का व्यवसाय पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। व्यवसाय के संचालन के लिये सुरक्षा व अधिकारों से रक्षा आवश्यक है जो केवल वैधानिक नियमों से ही हो सकती है। वैधानिक वातावरण से व्यवसाय को संरक्षण मिलता है । वैधानिक वातावरण का क्षेत्र काफी विस्तृत हो रहा है तथा सम्पूर्ण आर्थिक जगत पर इससे नियन्त्रण रखा जा सकता है। वैधानिक वातावरण का निर्माण करने वाले या घटक जो व्यवसाय को प्रभावित करते हैं, वे निम्नानुसार हैं

  1. संवैधानिक प्रावधान
  2. व्यापारिक सन्नियम
  3. आर्थिक सन्नियम
  4. श्रम सन्नियम।

प्रश्न 22.
बाह्य वातावरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
किसी वातावरण में ऐसे घटक या तत्त्व जिनका अर्थ (मुद्रा) से सम्बन्ध नहीं रहता है और वे व्यवसाय के बाहर की परिस्थितियाँ निर्मित करते हैं, उन्हें अनार्थिक बाह्य वातावरण के नाम से जाना जाता है। ये अनार्थिक या गैर आर्थिक घटक निम्न होते हैं

  1. राजनैतिक वातावरण
  2. सामाजिक वातावरण
  3. वैधानिक वातावरण
  4. भौतिक वातावरण
  5. शैक्षिक वातावरण
  6. नैतिक वातावरण
  7. सांस्कृतिक वातावरण
  8. अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण
  9. ऐतिहासिक वातावरण
  10. तकनीकी वातावरण।

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 2 प्रबंध के सिद्धान्त

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 2 प्रबंध के सिद्धान्त

प्रबंध के सिद्धान्त Important Questions

प्रबंध के सिद्धान्त अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“मानसिक क्रांति” से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
कर्मचारी वर्ग तथा प्रबंधकों की मानसिकता में परिवर्तन होना ही मानसिक क्रान्ति है। इसके लिए यह जरूरी है कि दोनों वर्ग परम्परागत उत्पादन विधियों के स्थान पर नवीन वैज्ञानिक विधियों का उपयोग समझे व उन्हें अपनाये। प्रबंधक श्रमिकों में विश्वास रखे तथा उनके हितों का बराबर ध्यान रखे। श्रमिकों को प्रबंधकों के प्रति निष्ठावान होकर सामूहिक हित के लिए कार्य करना चाहिए।

उद्योगपति को यह स्वीकार करना चाहिए कि श्रमिक वस्तु नहीं है अपितु मनुष्य है और इसलिए उसकी भावनाओं, अपेक्षाओं तथा आवश्यकताओं का पूरा-पूरा सम्मान किया जाना चाहिए। श्रमिकों को भी समझना चाहिए कि वे संस्था के हैं तथा संस्था उन सबकी। इस प्रकार सभी के मन में उपक्रम के हित में क्रान्ति जागृत होगी।

प्रश्न 2.
प्रबंध के सिद्धांत से क्या आशय है ?
उत्तर:
प्रबंध के क्षेत्र में प्रभावी प्रबंध तथा इसकी सफलता हेतु कुछ मान्यताओं के आधार पर कार्य किये जाते हैं, जिन्हें प्रबंध के मार्गदर्शक कहते हैं। प्रबंध हेतु बनाये गये ये मार्गदर्शक ही प्रबंध के सिद्धांत हैं।

प्रश्न 3.
फेयोल के पहल शक्ति के सिद्धांत को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पहल शक्ति का सिद्धांत-पहल करने का आशय प्रत्येक कर्मचारी व अधिकारियों को सतत् नई-नई योजना व कार्य के लिए लगातार प्रयास करना है। अतः प्रबन्ध के प्रत्येक स्तर पर अधिकारियों को निरन्तर नई योजना व कार्य अपनाने का प्रयास करने हेतु आवश्यक अधिकार दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 4.
प्रबन्ध के सिद्धान्त की उत्पत्ति कैसे होती है ?
अथवा
प्रबन्धकीय सिद्धान्तों की उत्पत्ति कैसे होती हैं ?
उत्तर:
प्रबन्ध के सिद्धान्त की उत्पत्ति के दो चरण निम्नलिखित है

  1. गंभीर अवलोकन- जब कर्मचारी कार्य करते हैं तब वे कार्य करते समय उन्हें गहनता से अवलोकन करते हैं तथा वे विभिन्न प्रबन्धकीय निर्णयों पर कर्मचारियों की प्रतिक्रिया लिखते हैं।
  2. प्रयोग- बार-बार प्रयोग में लाए गए निर्णयों कथनों को कर्मचारियों के विभिन्न समूहों के साथ विभिन्न संगठनों में जाँचे जाते हैं।

प्रश्न 5.
समता का सिद्धांत क्या है ?
उत्तर:
हेनरी फेयोल के अनुसार संस्था में प्रत्येक कर्मचारी न्याय, सहानुभूति और समानता के व्यवहार की अपेक्षा रखता है, अतः संस्था के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रबंधक को श्रमिकों व कर्मचारियों के साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए।

प्रश्न 6.
श्रम विभाजन से कार्यक्षमता किस प्रकार विकसित होती है ?
उत्तर:
हेनरी फेयोल के अनुसार, किसी भी उपक्रम में समान क्षमता वाले कर्मचारी नहीं होते हैं, अतः कर्मचारी व मजदूरों को उनकी कार्यक्षमता व रुचि के अनुरूप कार्य सौंपना चाहिए तथा श्रमिकों को विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत करना चाहिए। ऐसा करने से वे स्वयं अभिप्रेरित होकर कार्य करते हैं तथा उनकी कार्यक्षमता का विकास होता है।

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प्रश्न 7.
आदेश की एकता के सिद्धांत तथा निर्देश की एकता के सिद्धांत में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आदेश की एकता का सिद्धांत तथा निर्देश की एकता का सिद्धांत में अंतर।

आदेश की एकता का सिद्धांत

  1. यह सिद्धांत अधीनस्थ के ऊपर एकात्मक नियंत्रण संभव बनाता है।
  2. यह सिद्धांत अधिकारी और अधीनस्थ के संबंध को मजबूत करता है।

निर्देश की एकता का सिद्धांत

  1. यह सिद्धांत कार्यों में विशिष्टीकरण तथा योजनाओं के एकीकरण में सहायता करता है।
  2. यह सिद्धांत योजनाओं के एकीकरण में सहायता करता है।

प्रश्न 8.
विकेन्द्रीयकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
जब उपक्रमों में निर्णय लेने का अधिकार उच्च प्रबंधकों के पास होता है तो इसे विकेन्द्रीयकरण की स्थिति कहते हैं, इसके विपरीत जब निर्णय लेने के अधिकार अधीनस्थों को बाँट दिये जाते हैं, तो उसे विकेन्द्रीयकरण कहते हैं । प्रबंध शास्त्री हेनरी फेयोल के अनुसार केन्द्रीयकरण तथा विकेन्द्रीयकरण दोनों संतुलित मात्रा में उपक्रम में होना चाहिए।

प्रश्न 9.
प्रमापीकरण सिद्धांत क्या है ?
उत्तर:
एफ. डब्ल्यू. टेलर के अनुसार, कम लागत पर उत्तम वस्तुओं के निर्माण के लिए आवश्यक है कि प्रमाप अर्थात् सर्वोत्तम का निर्धारण किया जाये। श्रमिकों से निश्चित प्रमाप की वस्तु, उपकरण, कच्चा माल, कार्य की दशाएँ प्रमापित विधि के अनुसार ही कार्य कराना चाहिए।

प्रश्न 10.
हेनरी फेयोल का निर्देश की एकरूपता का सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर:
हेनरी फेयोल का निर्देश की एकरूपता का सिद्धान्त के अनुसार कर्मचारी को आदेश एक ही अधिकारी से मिलना चाहिए, क्योंकि अनेक अधिकारी के आदेश भी अलग-अलग हो तो ऐसी दशा में कर्मचारी किस आदेश का पालन करे यह दुविधा की स्थिति होती है, अत प्रत्येक कर्मचारी को चाहे वह किसी भी स्तर का क्यों न हो आदेश एक ही अधिकारी से मिलना चाहिए।

प्रश्न 11.
श्रेष्ठ प्रबन्ध के लिए वैज्ञानिक चयन एवं प्रशिक्षण आवश्यक है। समझाइये।
उत्तर:
कर्मचारियों का उचित चुनाव ही वैज्ञानिक चयन है। टेलर का मत है कि कार्य के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से उपयुक्त व्यक्ति का चुनाव किया जाना चाहिए। चयन पश्चात् कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाना है, क्योंकि जब तक कर्मचारी पूर्णत प्रशिक्षित नहीं होगा तब तक वह पूर्ण दक्षता से कार्य नहीं कर सकता है।

प्रश्न 12.
टेलर की आठ नेता वाली योजना क्या है ?
उत्तर:
एफ. डब्ल्यू. टेलर ने उपक्रम हेतु क्रियात्मक संगठन प्रणाली का सुझाव दिया। इसमें एक कार्य पर आठ नियंत्रकों का नियंत्रण व पर्यवेक्षण होता है। इस संगठन को आठ नेता वाली योजना कहते हैं । ये नेता निम्नानुसार हैं-

  1. टोली नायक
  2. गति नायक
  3. निरीक्षक
  4. मरम्मत नायक
  5. कार्यक्रम लिपिक
  6. संकेत कार्ड लिपिक
  7. समय तथा पारिश्रमिक लिपिक
  8. अनुशासन अधिकारी।

प्रश्न 13.
“मैं” और “हम” का सिद्धांत क्या है ?
उत्तर:
हेनरी फेयोल के इस सिद्धांत के अनुसार पूँजीपतियों और श्रमिकों को ‘मैं’ के स्थान पर ‘हम’ के सिद्धांत को अमल में लाना चाहिए, क्योंकि मैं घमण्ड का और हम सहयोग का दर्पण है, दोनों पक्षों को आपसी सहयोग व सहकारिता की भावना के साथ कार्य करना चाहिए।-

प्रश्न 14.
टेलर के कार्यानुमान का सिद्धांत’ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कार्यानुमान का सिद्धांत (Principal of task idea)-टेलर के अनुसार प्रत्येक कार्य को प्रारंभ करने के पूर्व उस कार्य के संबंध में पूर्वानुमान (Forecasting) लगा लेना चाहिए, जैसे-कार्य करने में कितना समय लगेगा, इस पर अनुमानित व्यय कितना होगा, कार्य के दौरान क्या-क्या परेशानियाँ आ सकती हैं ?

उन्हें कैसे हल किया जायेगा आदि। कार्य के दौरान सामान्य दशायें रहने पर कार्य का प्रमाप (Standard) निर्धारित कर लेना चाहिए। यही कार्यानुमान (कार्य का अनुमान) का सिद्धांत है।

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प्रश्न 15.
टेलर द्वारा प्रतिपादित गति अध्ययन को समझाइए। –
उत्तर:
गति अध्ययन (Motion study) किसी कार्य को करने के लिए श्रेष्ठ विधि कौन-सी होगी, इसे पता करना गति अध्ययन (Motion or Speed study) कहलाता है। इस अध्ययन के द्वारा किसी कार्य को करने की गति ज्ञात की जाती है, इस अध्ययन हेतु टेलर एक ऐसे स्थान पर बैठ गये जहाँ से वे सभी श्रमिकों की हरकतों को देख सकें।

प्रश्न 16.
प्रबन्ध के सिद्धान्त सामान्य दिशा-निर्देश हैं। समझाइये।
उत्तर:
प्रबन्ध के सिद्धान्त सामान्य-दिशा-निर्देश होते हैं ये भौतिक एवं रसायन शास्त्रों के सिद्धान्तों की तरह कठोर नहीं होते और न ही पूर्ण रूप से खरे उतरते हैं। इसे सभी परिस्थितियों में आँख मूंद कर लागू नहीं किये जा सकते। प्रबन्ध के सिद्धान्तों का प्रयोग संगठन की प्रकृति और स्थिति पर निर्भर करता है। प्रबन्धक को संगठन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए संगठन की प्रकृति और आकार के अनुसार इन सिद्धान्तों को लागू करना चाहिए।

प्रश्न 17.
वैज्ञानिक प्रबंध के जन्मदाता कौन थे, उनकी मृत्यु कब तथा कहाँ हुई ?
उत्तर:
वैज्ञानिक प्रबंध के जन्मदाता एफ.डब्ल्यू. टेलर थे। उनकी मृत्यु सन् 1915 में फिलाडेल्फिया में हुई।

प्रश्न 18.
फेयोल ने व्यावसायिक कार्यों को कितने भागों में बाँटा ?
उत्तर:
फेयोल ने व्यावसायिक कार्यों को छ: भागों में बाँटा-

  1. तकनीकी कार्य
  2. वाणिज्यिक कार्य
  3. वित्तीय कार्य
  4. सुरक्षात्मक कार्य
  5. लेखा संबंधी कार्य
  6. प्रबंधकीय कार्य।

प्रश्न 19.
समय अध्ययन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
समय अध्ययन (Time Study) अलफोर्ड तथा बीटी के अनुसार, “किसी कार्य को करने में उपयोग किए जाने वाली विधियों व उपकरणों का वैज्ञानिक विश्लेषण करना, उस कार्य को करने के सर्वश्रेष्ठ तरीके के व्यावहारिक तथ्यों का विकास करना तथा आवश्यक समय का निर्धारण करना, समय अध्ययन कहलाता है।” किसी भी उत्पादन क्रिया को करने में लगने वाले समय की जाँच एवं उसका रिकार्ड करना ही समय अध्ययन कहलाता है।

प्रश्न 20.
थकान अध्ययन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
थकान अध्ययन (Fatigue Study)-थकान और श्रमिक की कार्य क्षमता का आपस में घनिष्ठ संबंध है। इसलिए टेलर ने प्रत्येक क्रिया को सूक्ष्म दृष्टि से अध्ययन करके यह मालूम किया कि श्रमिक लगातार काम करने से थक जाता है और शेष बचे समय में उसकी कार्यक्षमता गिर जाती है। टेलर ने थकान अध्ययन से मालूम किया कि श्रमिक को थकान कब और कैसे होती है तथा उसे कैसे दूर किया जाए ? थकान को दूर करने के लिए समय-समय पर आराम की उचित व्यवस्था होनी चाहिए तथा कार्य की प्रवृत्ति में परिवर्तन करना चाहिए। जैसे शारीरिक कार्य करने वालों को मानसिक कार्य दिया जाए तथा मानसिक कार्य करने वालों को शारीरिक कार्य दिया जाए।

प्रबंध के सिद्धान्त लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फेयोल द्वारा प्रतिपादित प्रबन्ध के 14 सिद्धान्तों के नाम लिखिए।
उत्तर:
फेयोल द्वारा प्रतिपादित प्रबंध के सिद्धांत निम्नलिखित हैं

  1. श्रम विभाजन का सिद्धान्त।
  2. अधिकार तथा उत्तरदायित्व का सिद्धान्त।
  3. अनुशासन का सिद्धान्त।
  4. आदेश की एकता।
  5. निर्देश की एकता।
  6. सामूहिक हितों की प्राथमिकता का सिद्धान्त।
  7. कर्मचारियों के पारिश्रमिक का सिद्धान्त।
  8. केन्द्रीयकरण का सिद्धान्त।
  9. व्यवस्था का सिद्धान्त।
  10. समता का सिद्धान्त ।
  11. स्थायित्व का सिद्धान्त।
  12. पहल शक्ति का सिद्धान्त।
  13. संपर्क श्रृंखला/ सोपान श्रृंखला का सिद्धान्त।
  14. सहयोग एवं सहकारिता का सिद्धान्त।

प्रश्न 2.
समय अध्ययन और गति अध्ययन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समय अध्ययन और गति अध्ययन में अन्तर-
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 2 प्रबंध के सिद्धान्त image - 2

प्रश्न 3.
वैज्ञानिक प्रबंध का श्रमिकों द्वारा विरोध क्यों किया जाता है ? कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर:
वैज्ञानिक प्रबंध का सबसे अधिक विरोध श्रमिकों द्वारा किया गया, जिसके निम्न कारण हैं

  1. कार्य में वृद्धि-वैज्ञानिक प्रबंध को अपनाने से श्रमिकों की कार्यक्षमता बढ़ाना आवश्यक हो गया, जिससे श्रमिकों पर कार्य का बोझ बढ़ गया। कार्य का बोझ बढ़ जाने से श्रमिकों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने से श्रमिकों ने वैज्ञानिक प्रबंध का भारी विरोध किया।
  2. कठोर नियंत्रण-वैज्ञानिक प्रबंध के अन्तर्गत आठ नेता वाले संगठन को अपनाने से श्रमिकों पर एक साथ अनेक लोगों का नियंत्रण रहता है, जिसे श्रमिक पसंद नहीं करते हैं।
  3. बेकारी का भय-वैज्ञानिक प्रबंध में मशीनों का कार्य बढ़ जाने से श्रमिकों में बेकारी का भय बना रहता है, अतः वे इसका विरोध करते हैं।
  4. श्रमिकों का शोषण-वैज्ञानिक प्रबंध में कार्य अधिक होने से उत्पादन में वृद्धि जिस मात्रा में होती है, उस मात्रा में श्रमिकों की मजदूरी नहीं बढ़ाई जाती है।

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प्रश्न 4.
टेलर व फेयोल के प्रबंध संबंधी दृष्टिकोणों में प्रमुख समानताएँ बताइए।
उत्तर:
टेलर एवं फेयोल के दृष्टिकोणों में समानताएँ

  1. दोनों प्रबन्धकीय दशाओं में सुधार लाना चाहते थे।
  2. दोनों मानवीय दृष्टिकोण के प्रबल समर्थक थे।
  3. दोनों ने पूर्वानुमान तथा नियोजन को विशेष महत्त्व दिया।
  4. दोनों समकालीन 1841 ई. से 1925 ई. तक प्रबंध विशेषज्ञ थे।
  5. दोनों ने प्रबंध को अर्जित प्रतिभा के रूप में स्वीकार किया।

प्रश्न 5.
औद्योगिक संगठन में उत्पादन की कुशलता में वृद्धि के लिए कई सिद्धांत (वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांत) टेलर ने विकसित किए हैं, उन सिद्धांतों को समझाइए।
उत्तर:
टेलर द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धान्त निम्न हैं-
1. आधुनिक यंत्र व उपकरणों का सिद्धांत- उत्पादन के दौरान आधुनिक एवं उन्नत यंत्र तथा उपकरणों का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि उन्नत यंत्र से उत्पादन लागत कम एवं उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है एवं उत्पादन समय की बचत होती है।

2. प्रमापीकरण का सिद्धांत- इस सिद्धांत के अंतर्गत एक निश्चित व प्रमाप की वस्तु, उपकरण, कच्चा माल व कार्य की दशायें तथा प्रमापित विधि श्रमिकों को दी जाती है। जिससे श्रेष्ठ वस्तु कम लागत पर उत्पादित हो सके।

3. आदर्श लागत लेखा प्रणाली का सिद्धांत-यह सिद्धांत उन्नत व आदर्श लेखाकर्म प्रणाली के उपयोग को प्रोत्साहित करता है चूँकि आदर्श लेखा प्रणाली में योग्य व अनुभवी व कुशल लेखापालों की सेवाएँ ली जाती हैं।

प्रश्न 6.
टेलर एवं फेयोल के प्रबंध सम्बन्धी सिद्धान्तों की प्रमुख असमानताएँ बताइये।
उत्तर:
टेलर एवं फेयोल के सिद्धान्तों की असमानताएँ

  1. टेलर का अध्ययन केन्द्र श्रमिक था, जबकि फेयोल का अध्ययन केन्द्र प्रबंध था।
  2. टेलर के सिद्धान्त वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धान्त थे, जबकि फेयोल के सिद्धान्त प्रशासन के सिद्धान्त माने जाते थे।
  3. टेलर का प्रयोग बिन्दु कारखाना था जबकि फेयोल का प्रयोग बिन्दु प्रशासन था।
  4. टेलर ने उपक्रम हेतु क्रियात्मक संगठन को उचित ठहराया, जबकि फेयोल ने आदेश की एकता को उचित ठहराया।
  5. टेलर का अध्ययन तथा योगदान निम्न स्तर से उच्च स्तर था,जबकि फेयोल का अध्ययन तथा योगदान प्रारम्भ से ही उच्च स्तर रहा और उन्होंने अपने सिद्धान्तों में आदेश,निर्देश, अधिकार आदि शब्दों का प्रयोग किया।
  6. टेलर को कारखाना विशेषज्ञ माना जाता है, तो फेयोल को प्रबंध विशेषज्ञ माना जाता है।
  7. वर्तमान में टेलर के सिद्धान्त व्यवहार में दिखाई नहीं पड़ते, जबकि फेयोल के सिद्धान्त आज भी अनेक उपक्रमों में लागू किये गये हैं।

प्रश्न 7.
“टेलर तथा फेयोल के कार्य एक-दूसरे के पूरक हैं।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एफ. डब्ल्यू. टेलर को वैज्ञानिक प्रबंध का जनक एवं हेनरी फेयोल को औद्योगिक प्रबंध के आधुनिक सिद्धान्त का पिता’ कहा जाता है। दोनों समकालीन थे। टेलर (जन्म 1856) और फेयोल (जन्म 1841) प्रबंध के क्षेत्र में दोनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यद्यपि दोनों के विचार एवं कार्य प्रणाली में अन्तर है, जैसे टेलर ने श्रमिकों की कार्यक्षमता को बढ़ाने को सिद्धान्त का आधार बनाया है तो फेयोल ने प्रबंध के कार्यों को, टेलर ने इंजीनियरिंग पक्ष पर जोर दिया है जबकि फेयोल ने प्रशासन के कार्यों पर, फिर भी दोनों के कार्यों में विरोध नहीं है वे एक-दूसरे के पूरक हैं।

दोनों ने प्रबंध के एक-एक पक्ष को लिया है। दोनों के विचारों को मिला देने से प्रबंध एवं प्रशासन सम्बन्धी विचार पूर्ण हो जाते हैं। इसीलिए उर्विक का कथन है कि, “टेलर तथा फेयोल ने कार्य काफी सीमा तक एक-दूसरे के पूरक थे। दोनों ने ही यह अनुभव किया कि प्रबंध के समस्त स्तरों पर कर्मचारियों तथा उनके प्रबंध की समस्या औद्योगिक सफलता की आधारशिला है। इस समस्या के समाधान हेतु दोनों ही ने वैज्ञानिक विधियों के उपयोग पर बल दिया।” टेलर को ‘वैज्ञानिक प्रबंध का जनक’ और फेयोल को प्रशासन के सिद्धान्त का जनक’ कहा जाता है। प्रबंध एवं प्रशासन मूल में एक हैं, अतः थियो हेमन का यह कथन उचित है कि “दोनों विद्वानों की विचारधारा में विरोधाभास ढूँढना व्यर्थ है।” दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।

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प्रश्न 8.
प्रबंध के सिद्धांतों का महत्व तीन बिंदुओं में समझाइए।
उत्तर:
प्रबंध के सिद्धांतों से प्रबंधकीय कार्यों में सुधार होता है। सिद्धांत ही प्रबंध के कार्य को मार्गदर्शन एवं दिशा प्रदान करते हैं। प्रबंध के सिद्धांत निम्न हैं

1. कार्यक्षमता में वृद्धि-प्रबंध के सिद्धांत के अनुसार कार्य करने से प्रबंधकों, फोरमेन व कर्मचारियों की कार्य कुशलता तथा क्षमता में वृद्धि होती है। सिद्धांतों के आधार पर श्रेष्ठ ढंग से कार्य किया जा सकता है।

2. प्रशिक्षण में सहायक-सिद्धांतों से कोई भी कार्य सुनिश्चित प्रक्रिया व विधि से सम्पन्न होता है। ये सिद्धांत प्रशिक्षण में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। सिद्धांतों के आधार पर प्रशिक्षण नियमबद्ध हो जाता है। प्रबंध को व प्रशिक्षण दाताओं के लिए ये सिद्धांत बहुत सहायक सिद्ध हुए हैं।

3. प्रबंध का विस्तृत ज्ञान-सिद्धांतों के माध्यम से ही प्रबंध को परिभाषित किया जा सकता है। प्रबंध क्या है इसका विस्तृत ज्ञान केवल इसके सिद्धांतों के अध्ययन से ही प्राप्त किया जा सकता है। सिद्धांतों के आधार पर प्रबंध की प्रकृति को बताया जा सकता है। इन सिद्धांतों से प्रबंधकीय ज्ञान में काफी वृद्धि होती है।

4. अनुसंधान में सुविधा-प्रबंध के क्षेत्र में अनुसंधान करते समय प्रबंध के सिद्धांत अत्यधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होते हैं। इनसे कर्मचारियों, श्रमिकों की वस्तु स्थिति ज्ञात की जाती है।

प्रश्न 9.
प्रबंधकीय सिद्धान्त तथा प्रबंधकीय तकनीक में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रबंधकीय सिद्धान्त तथा प्रबंधकीय तकनीक में अंतर
प्रबंधकीय तकनीक

  1. प्रबंधकीय सिद्धान्त लचीले होते हैं।
  2. प्रबंधकीय सिद्धान्त, प्रबंधकीय कार्यों के लिए बनाई जाती हैं।

प्रबंधकीय तकनीक

  1. प्रबंधकीय तकनीक, सिद्धांतों की अपेक्षा कम लचीला होता है।
  2. प्रबंधकीय तकनीकें, वे पद्धतियाँ और कार्य लिए दिशा-निर्देश होते हैं।

प्रश्न 10.
प्रबंध के सिद्धान्तों की उत्पत्ति कैसे होती है ?
उत्तर:
प्रबंध के सिद्धान्त निम्नलिखित दो चरणों में बनाए जाते हैं

  1. गहन अवलोकन–प्रत्येक व्यवसाय में प्रबन्धकों के समक्ष कार्य के दौरान कई समस्याएँ आती हैं। ऐसे में प्रबंधक कार्य के समय कर्मचारियों का अवलोकन करते हैं तथा उनकी प्रतिक्रियाएँ देखते हैं । घटनाओं के ऐसे अवलोकन के आधार पर सिद्धान्त बनाये जाते हैं।
  2. बार-बार किये गये प्रयोग-इस विधि में बार-बार की जाने वाली प्रतिक्रिया को विभिन्न संगठनों में अलग-अलग कर्मचारियों पर प्रयोग किया जाता है। एक जैसे परिणाम प्राप्त होने पर यह सिद्धान्त का रूप ले लेता है।

प्रश्न 11.
एस्प्रिट डी कार्स (Esprit De Corps) के सिद्धान्त को समझाइए।
उत्तर:
एस्प्रिट डी कार्स का अर्थ है, “संघ ही शक्ति है” इस सिद्धान्त के अनुसार, प्रत्येक कर्मचारी को स्वयं को टीम का सदस्य मानना चाहिए तथा समूह या टीम के लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए। प्रबंध को कर्मचारियों के बीच सहयोग की भावना का विकास करना चाहिए। इस सिद्धान्त को मानने से सामूहिक लक्ष्य की प्राप्ति होती है।

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प्रश्न 12.
उचित मजदूरी का निर्धारण करते समय किन-किन बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
उचित मजदूरों का निर्धारण करते समय निम्नांकित बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए

  1. संस्था की वित्तीय स्थिति।
  2. सरकार का न्यूनतम मजदूरी अधिनियम।
  3. प्रतियोगियों द्वारा भुगतान की जाने वाली मजदूरी और बोनस।

प्रश्न 13.
प्रबंधकीय सिद्धान्त किस प्रकार प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाते हैं ? उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
प्रबंधकीय सिद्धान्त व्यक्तिगत पूर्वाग्रह और पक्षपात को निरूत्साहित करके, प्रशासन को और अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। ये सिद्धान्त वस्तुनिष्ठता और वैज्ञानिक निर्णयों को बढ़ावा देते हैं।

उदाहरण के लिए आदेश की एकता का सिद्धान्त तथा निर्देश की एकता का सिद्धान्त संगठन की क्रमबद्ध और सरल कार्यवाही का नेतृत्व करते हैं। आदेश की एकता अधिक अधिकारियों की व्याकुलता को टालता है। निर्देश की एकता सामान्य दिशा में सभी कर्मचारियों के प्रयासों को एकीकृत करता है। इसी प्रकार सोपान श्रृंखला सूचना का प्रवाह व्यवस्थित रूप से करता है। ये सभी सिद्धान्त निश्चित रूप से प्रभावी और कुशल प्रशासन लाते हैं।

प्रश्न 14.
वैज्ञानिक प्रबंध की उन तकनीकों की पहचान कीजिए जिन्हें निम्न कथनों द्वारा विवेचित किया गया है

  1. जब कई विशेषज्ञ प्रत्येक श्रमिक का पर्यवेक्षण करते हैं।
  2. किसी कार्य को करने का सर्वोत्तम उपाय जानना होता है।
  3. श्रमिकों को दी जाने वाली अलग-अलग मजदूरी।
  4. जब सामग्री, मशीनों, उपकरणों, कार्यविधियों तथा कार्यदशाओं में उचित शोध के पश्चात् समानता लाई जाती है।
  5. एक निर्धारित कार्य को पूरा करने में लगने वाले प्रमाप समय को निर्धारित किया जाना होता है।
  6. प्रतियोगिता से सहकारिता की ओर एक-दूसरे के संबंध में श्रमिकों तथा प्रबंधकों की मनोवृत्ति बदलती है।

उत्तर:

  1. क्रियात्मक फोरमैनशिप।
  2. विधि अध्ययन ।
  3. विभेदात्मक कार्य मजदूरी प्रणाली।
  4. कार्य का मानकीकरण।
  5. समय अध्ययन।
  6. मानसिक क्रांति।

प्रश्न 15.
आदेश की एकता तथा कार्यात्मक फोरमैनशिप में क्या अंतर है ?
उत्तर:
आदेश की एकता तथा कार्यात्मक फोरमैनशिप में अंतर-
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प्रश्न 16.
प्रबंधकीय सिद्धान्त तथा शुद्ध विज्ञान के सिद्धान्त की तुलना कीजिए।
उत्तर:
प्रबंधकीय सिद्धान्त तथा शुद्ध विज्ञान के सिद्धान्त की तुलना-
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 2 प्रबंध के सिद्धान्त image - 5
प्रश्न 17.
जब एक सेल्समैन को दो उच्च अधिकारियों से आदेश मिलते हैं तो इसके क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर:
जब एक सेल्समैन को दो उच्च अधिकारियों से आदेश प्राप्त हो तो निम्नलिखित दुष्परिणाम हो सकते हैं

  1. सेल्समैन के दिमाग में शक पैदा हो सकता है।
  2. वह कार्य से बचने का अवसर ढूँढता है।
  3. दोनों अधिकारियों के मध्य मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं ।
  4. अनुशासन बनाए रखना कठिन हो सकता है।

प्रश्न 18.
यह देखा गया कि एक संगठन में “प्रचलित स्थिति, व्यवस्था के सिद्धान्त के उल्लंघन के कारण है।” प्रचलित स्थिति क्या हो सकती है ?
उत्तर;
व्यवस्था के सिद्धान्त के उल्लंघन के कारण संस्था में निम्नलिखित स्थितियाँ हो सकती हैं

  1. आवश्यकता के समय आवश्यक सामग्री उपलब्ध नहीं होगी। सामग्री की तलाश में उनका काफी समय तथा ऊर्जा व्यर्थ हो जाएगा।
  2. अव्यवस्थाएँ बढ़ती जा सकती हैं।
  3. दुर्घटनाओं की संभावना में वृद्धिहोगी।

प्रश्न 19.
फोरमैनशिप के अन्तर्गत उन अधिकारियों के नाम बताइए जो निम्नलिखित कार्य करते हैं-

  1. उत्पादित वस्तुओं की किस्म की जाँच करना और प्रमापित किस्म से मिलान करके अंतर का पता लगाना और विपरीत अंतर आने पर सुधारात्मक कार्यवाही करना।
  2. यह देखना कि सभी श्रमिक अपना-अपना कार्य निर्धारित गति से कर रहे हैं।
  3. यह निश्चित करना कि किसी विशेष कार्य को पूरा करने का क्रम क्या होगा?
  4. मशीनों और औजारों को काम करने योग्य हालत में बनाए रखना।
  5. एक विशेष विधि में कार्य करने के लिए निर्देश देना।
  6. यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक कार्य व्यवस्थित ढंग से हो रहा है।

उत्तर;

  1. निरीक्षक
  2. गति नायक
  3. कार्य मार्ग लिपिक
  4. मरम्मत नायक
  5. संकेत कार्ड लिपिक
  6. अनुशासन अधिकारी।

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प्रबंध के सिद्धान्त दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वैज्ञानिक प्रबन्ध के लाभ अथवा गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैज्ञानिक प्रबन्ध के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं

1. उत्पादन में वृद्धि-वैज्ञानिक प्रबन्ध के द्वारा व्यवसाय की उत्पादन क्रिया में कुशलता, कर्मचारियों की कार्यकुशलता में वृद्धि एवं अन्य क्षेत्रों का उचित प्रबन्ध करके उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है।-

2. कम लागत-वैज्ञानिक प्रबन्ध के द्वारा उत्पादन के विभिन्न साधनों का कुशलतम प्रयोग करके एवं नई नीतियों का निर्माण कर उत्पादन लागत में कमी लायी जाती है।-

3. प्रमापीकरण-वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत उत्पादन रीतियाँ, मशीन एवं सामग्री और श्रम तथा उत्पादन की जाने वाली वस्तु का प्रमाप निर्धारित कर दिये जाते हैं। हर, प्रमाप का हर सम्भव पालन करके उत्पादन उत्तम किस्म का प्राप्त होता है।-

4. लाभ में वृद्धि-वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत कार्यकुशलता में वृद्धि एवं क्षय अपव्ययों में कमी कर लागत पर नियंत्रण कर उत्पादन लागत में कमी की जाती है, एवं अधिकतम लाभ कमाने की चेष्टा की जाती है।-

5. समाज को लाभ-वैज्ञानिक प्रबंध से समाज में रोजगार के अवसर में वृद्धि होती है जिससे लोगों को श्रेष्ठ वस्तुएँ प्राप्त होती हैं तथा जीवन स्तर में वृद्धि होती है।-

प्रश्न 2.
वैज्ञानिक प्रबंध से क्या आशय है ? इसकी विशेषताएँ भी बताइए।
उत्तर:
वैज्ञानिक प्रबंध का आशय-वैज्ञानिक प्रबंध से तात्पर्य प्रबंध के रूढ़िवादी तरीकों के स्थान पर तर्कसंगत आधुनिक तरीकों को अपनाने से है। एफ.डब्ल्यू. टेलर वैज्ञानिक प्रबंध के जनक माने जाते हैं।
वैज्ञानिक प्रबंध की विशेषताएँ-उपरोक्त परिभाषाओं की विवेचना करने पर वैज्ञानिक प्रबन्ध की निम्न विशेषताएँ बताई जा सकती हैं

  1. वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत कार्य के निश्चित उद्देश्य होते हैं।
  2. निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सुनिश्चित योजना होती है।
  3. वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत कर्मचारियों में पारस्परिक सहयोग आवश्यक है।
  4. न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन का लक्ष्य लेकर कार्य किया जाता है।
  5. सम्पूर्ण कार्य सहकारिता की भावना से सम्पादित किया जाता है।
  6. वैज्ञानिक नियंत्रण प्रणाली अपनाई जाती है।

प्रश्न 3.
वैज्ञानिक प्रबंध की तकनीकों को समझाइए।
उत्तर:
वैज्ञानिक प्रबंध की तकनीकें

1. समय अध्ययन-यह तकनीक कार्य के दौरान लगने वाले मानक समय का निर्धारण करती है।

2. गति अध्ययन-इसमें कार्य के दौरान कर्मचारियों की गतियों का अध्ययन किया जाता है ताकि उनकी अनावश्यक गतियों को रोका जा सके।

3. थकान अध्ययन-यह अध्ययन कार्य को पूरा करने में आराम हेतु मध्यान्तर के समय विस्तार तथा बारम्बारता को तय करता है। थकान को कम करने के लिए कार्य के दौरान नियमित रूप से अन्तर होना आवश्यक होता है।

4. कार्य पद्धतियाँ (कार्यविधि) अध्ययन-यह कार्य को करने की विधियों से संबंधित होता है। इसमें संयंत्र अभिविन्यास, उत्पाद रचना, सामग्री हस्तगन तथा कार्य प्रक्रिया का गहन अध्ययन किया जाता है ताकि सामग्री को लाने व ले जाने एवं रखने की दूरी तथा लागत में कमी आये।

5. कार्य का मानकीकरण एवं सरलीकरण- कार्य के मानकीकरण का आशय मानक उपकरणों, विधियों, प्रक्रियाओं को अपनाने तथा आकार, प्रकार, गुण, वचन, मापों आदि को निर्धारित करने से है।

इससे संसाधन की बर्बादी रुकती है तथा गुणवत्ता में वृद्धि होती है साथ ही मानवीय थकान कम हो जाती है। कार्य के सरलीकरण का आशय उत्पाद की एक रेखा के अनावश्यक आयामों तथा किस्मों को कम करने से है।

प्रश्न 4.
टेलर के वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांतों को समझाइए।
उत्तर:
टेलर द्वारा प्रतिपादित प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं

1. कार्य संबंधी अनुमान-इसके अन्तर्गत इस बात का सावधानीपूर्वक अनुमान लगाना चाहिए कि एक श्रमिक उपयुक्त परिस्थितियों में कितना कार्य कर सकता है, इस अनुमान के बिना यह मालूम नहीं किया जा सकता है कि श्रमिक प्रमापित उत्पादन से कम कार्य करते हैं या अधिक।

2. उत्तम सामग्री की व्यवस्था कारखाने में प्रयोग किये जाने वाले कच्चे माल का प्रभाव श्रमिक की कार्यक्षमता पर पड़ता है। अतः कच्चा माल अच्छी किस्म का होना चाहिए, जिससे उत्पादन की मात्रा में वृद्धि हो तथा उत्पादन लागत में कमी आए।

3. अपवाद का सिद्धान्त-टेलर का मानना है कि संस्था के सभी कार्य सामान्य परिस्थितियों में अधीनस्थों द्वारा ही किये जाने चाहिए। केवल अपवाद की स्थिति में ही प्रबन्धकों को रोजमर्रा के कार्यों में हस्तक्षेप करना चाहिए।

4. नियोजन का सिद्धान्त-इस सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक कार्य पूर्व निर्धारित नियोजन के अनुसार ही किया जाना चाहिए तथा प्रत्येक कार्य को योजना बनाकर करना चाहिए।

5. कर्मचारियों के वैज्ञानिक चयन व प्रशिक्षण का सिद्धान्त-इस सिद्धान्त के अनुसार, कर्मचारियों का उचित चयन होना चाहिए, अर्थात् कार्य के अनुरूप व्यक्तियों का चयन होना चाहिए, जो अकुशल कर्मचारी हैं, उन्हें आवश्यकता पड़ने पर प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

प्रश्न 5.
हेनरी फेयोल द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों को समझाइये।
उत्तर:
हेनरी फेयोल द्वारा प्रतिपादित प्रबंध के सिद्धान्त निम्न हैं

1. श्रम-विभाजन का सिद्धान्त-विशिष्टीकरण के आधार पर श्रम-विभाजन करना एक अच्छे प्रबंध की आवश्यकता है, चूंकि किसी भी उपक्रम में समान क्षमता वाले कर्मचारी नहीं होते हैं, अत: कर्मचारी तथा मजदरों को उनकी कार्यक्षमता के अनुरूप कार्य का युक्तिसंगत विभाजन करना चाहिए। इस हेतु श्रमिकों को विभिन्न वर्गों में वर्गीकृत करना चाहिए, इस सिद्धान्त का पालन करने से कर्मचारियों की कार्यदक्षता में वृद्धि होती है।

2. अधिकार तथा दायित्व का सिद्धान्त-अधिकार एवं दायित्व एक गाड़ी के दो पहियों के समान हैं अर्थात् अधिकार दायित्व तथा दायित्व अधिकार के अनुरूप होना चाहिए अर्थात् जो व्यक्ति दायित्व स्वीकार करें उसे अधिकार अवश्य देना चाहिए, जिससे वह अधिकारों द्वारा श्रेष्ठ कार्य करवा सके।

3. अनुशासन का सिद्धान्त जहाँ अनुशासन नहीं वहाँ कुछ भी नहीं, अत- श्रेष्ठ कार्य एवं परिणामों की आशा नहीं करनी चाहिए। अनुशासन हो इस हेतु आवश्यक नियम, कानून तथा दण्ड का स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए।

4. आदेश की एकता का सिद्धान्त- इस सिद्धान्त के अन्तर्गत कर्मचारी को आदेश एक ही अधिकारी से मिलना चाहिए, क्योंकि अनेक अधिकारी के आदेश भी अलग-अलग होंगे। ऐसी दशा में कर्मचारी किस आदेश का पालन करे? यह दुविधा की स्थिति होती है, अतः प्रत्येक कर्मचारी को चाहे वह किसी भी स्तर का क्यों न हो, आदेश एक ही अधिकारी से मिलना चाहिए।

5. निर्देश की एकता का सिद्धान्त-कार्य के दौरान कर्मचारी को किसी एक ही निर्देशक से निर्देश मिलना चाहिए ताकि उस निर्देश का पूर्ण रूप से पालन किया जा सके। एक से अधिक निर्देश की स्थिति में कार्य में रुकावट आती है।

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प्रश्न 6.
प्रबंध के सिद्धान्तों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रबन्ध में विज्ञान एवं कला के गुण विद्यमान हैं इसीलिये प्रबन्ध को कला एवं विज्ञान कहा गया है। प्रबन्ध के सिद्धान्त अन्य भौतिक एवं रसायन शास्त्र के सिद्धान्तों की भाँति स्थिर व निश्चित नहीं होते। प्रबन्ध के सिद्धान्तों की प्रकृति को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है

1. सिद्धान्तों की सार्वभौमिकता (Universality of principles)-प्रबन्ध के सिद्धान्त प्रत्येक संगठन, समूह व स्थान पर समान रूप से लागू होते हैं चाहे वह सरकारी संगठन या संस्था हो या व्यावसायिक संगठन हो। इसीलिये हेनरी फेयोल ने प्रबन्ध के सिद्धांतों की सार्वभौमिकता पर बल दिया है।

2. सिद्धान्त गत्यात्मक प्रकृति के (Dynamic nature of principles)-प्रबन्ध के सिद्धान्त गत्यात्मक व लोचपूर्ण होते हैं। इनके सिद्धान्त अन्य भौतिक व रसायन तथा गणित शास्त्र की तरह स्थिर नहीं होते । कारण एवं प्रभाव से प्रबन्ध के सिद्धान्त बदल जाते हैं। प्रबन्ध के महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त जो कभी महत्त्वपूर्ण थे वे आज सामाजिक परिवर्तन के कारण परिवर्तित हो गए हैं।

3. मानवीय व्यवहार पर केन्द्रित (Concentrated on human behavior)-प्रबन्ध मानवीय व्यवहार से पूर्णतः सम्बन्धित है। प्रबन्ध के आसपास या प्रबन्ध स्वयं मनुष्य से सम्बन्धित होता है। किसी भी संगठन में मनुष्य की भूमिकायें महत्त्वपूर्ण होती हैं अत- मानवीय व्यवहार जिस प्रकृति व प्रवृत्ति का होगा उसी के अनुरूप व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावशील होंगी। इस प्रकार प्रबन्ध पूर्णत- मानवीय व्यवहारों पर केन्द्रित होता है।

4. प्रबन्ध के सिद्धान्त सापेक्ष होते हैं (Relative principles)-प्रबन्ध के सिद्धान्त सापेक्ष (Relative) होते हैं न कि निरपेक्ष (Absolute) अर्थात् किसी संगठन की आवश्यकतानुसार इन सिद्धान्तों को लागू किया जाता है। इन्हें लागू करना आवश्यक नहीं है। प्रत्येक संगठन, समाज, संस्था की प्रकृति भिन्न-भिन्न होती है। अतः इसी भिन्नता के कारण संस्था या संगठन के अनुकूल सिद्धान्तों को अपनाया जा सकता है।

5. समान महत्त्व (Equal importance)-प्रबन्ध के समस्त सिद्धांतों का महत्त्व एकसमान है। किन्तु यह सत्य है कि कुछ सिद्धान्त यदि किसी संगठन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, तो कुछ सिद्धान्त अन्य संगठन के लिये महत्त्वपूर्ण होंगे। किन्तु प्रत्येक संगठन में इन सिद्धान्तों की भूमिका कुछ न कुछ अवश्य रहती है।

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life

Chemistry in Everyday Life NCERT Intext Exercises

Question 1.
Sleeping pills are recommended by doctors to the patients suffering from sleeplessness but it is not advisable to take its doses without consultation with the doctor. Why ?
Answer:
Sleeping pills contain drugs that may be tranquilizers or anti-depressant. They affect the nervous system, relieve anxiety, stress, irritability or excitement. But they should strictly be used under the supervision of a doctor. If not, the uncontrolled and overdose can cause harm to the body and mind because in higher doses, these drugs act as poisons.

Question 2.
With reference to which classification has the statement, “ranitidine is an antacid” been given ?
Answer:
This statement refers to the classification of drugs according to pharmacological effects of the drugs because any drug which is used to neutralise the excess acid present in the stomach will be called an antacid and ranitidine prevents the interaction of histamine with the receptors present in the stomach wall. Histamine stimulates the secretion of pepsin and HCl in the stomach.

Question 3.
Why do we require artificial sweetening agents ?
Answer:
To reduce calorie intake and to protect teeth from decaying, we need artificial sweeteners.

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Question 4.
Write the chemical equation for preparing sodium soap from glyceryl oleate and glyceryl palmitate. Structural formulae of these compounds are given below:
(i) (C15H31COO)3C3H5 – Glyceryl palmitate
(ii) (C17H32COO)3C3H5 – Glyceryl oleate
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 1

Question 5.
Following type of non-ionic detergents are present in liquid detergents, emulsifying agents and wetting agents. Label the hydrophilic and hydrophobic parts in the molecule. Identify the functional group(s) present in the molecule.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 2
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 3

Chemistry in Everyday Life NCERT Text-Book Exercises

Question 1.
Why do we need to classify drugs in different ways ?
Answer:
Drugs have been classified in different ways depending

  • upon their pharma – cological effect
  • upon their action on a particular biochemical process
  • on the basis of their chemical structure
  • on the basis of molecular targets.

For example, classification of the drugs based on pharmacological effect is useful for doctors. The classification of drugs based on molecular targets is the most useful classification for medicinal chemists. Thus, drugs are classified in different ways to serve different purposes.

Question 2.
Explain the term, target molecules or drug targets as used in medicinal chemistry.
Answer:
Drugs taken by a patient interact with macro molecules such as proteins, carbo – hydrates, lipids and nucleic acids and these are called drug targets. These macro molecules  or drug targets are known to perform several role in the body.The drugs are designed to interact with specific targets so that these have least chances of effecting the other targets. This minimises the side effects and localises the action of the drug.

Question 3.
Name the macro molecules that are chosen as drug targets.
Answer:
The macro molecules that are chosen as drug targets are carbohydrates, proteins, lipids and nucleic acids.

Question 4.
Why should not medicines be taken without consulting doctors ?
Answer:
The drugs or medicines have side effects also. These side effects arise because the drug may bind to more than one type of receptor. Further their wrong choice and over dose can cause havoc and even may cause death. Therefore, it is must that the medicines should not be given without consulting doctors.

Question 5.
Define the term chemotherapy.
Answer:
The branch of chemistry which deals with the treatment of diseases using chemicals is called chemotherapy.

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Question 6.
Which forces are involved in holding the drugs to the active site of enzymes ?
Answer:
The forces holding drugs to the active sites of enzymes are hydrogen bonding, ionic bonding, dipole-dipole interactions or van derwaals’ forces.

Question 7.
While antacids and anti-allergic drugs interfere with the function of histamines, why do these not interfere with the function of each other ?
Answer:
They do not interfere with the functioning of each other because they work on different receptors in the body. Secretion of histamine causes allergy and acidity while antacid removes only acidity.

Question 8.
Low level of nor – adrenaline is the cause of depression. What type of drugs I are needed to cure this problem ? Name two drugs.
Answer:
Nor-adrenaline induces a feeling of well being and helps in changing the mood. If the level of nor adrenaline is low, then the signal sending activity of the hormone becomes low and the person suffers from depression. In such cases, the patient needs anti depressant drugs which inhibit the enzymes which catalyses the degradation of nor adrena-line. The common drugs used as anti-depressant are iproniazid and phenelzine.

Question 9.
What is meant by the term ‘broad spectrum antibiotics’ ? Explain.
Answer:
The range of bacteria’s or other micro-organisms that are affected by a certain antibiotic is expressed as its spectrum of action. The term broad spectrum antibiotics means an antibiotic which kills or inhibits a  wide range of Gram-negative and Gram-positive bacteria.

Question 10.
How do antiseptics differ from disinfectants ? Give one example of each
Answer:
1. Antiseptics are applied to living tissues such as wounds, cuts etc. to kill or prevent the growth of micro – organisms.
Example:
0-2% phenol, tincture iodine, dettol etc.

2. Disinfectants are applied to inanimate (or nonliving) objects such as floors, instrution Disinfectants are applied to inanimate (or nonliving) objects such as floors, instru-ments, drainage system etc.
Example:
1% solution of phenol, chlorine (0-2 to 0-4 ppm) SO2 in low concentration.

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Question 11.
Why are cimetidine and ranitidine better antacids than sodium hydrogen-carbonate or magnesium or aluminium hydroxide ?
Answer:
Antacids NaHCO3, Mg(OH)2 or Al(OH)3 neutralize the excess acid produced in the stomach but their prolonged use can cause the production of excess acid in the stomach, which is harmful and may result in ulcers. It means these drugs control only symptoms. Cimetidine and ranitidine work without such side effect (because they control the cause) as they prevent interaction of histamine with the receptors of the stomach wall as histamine stimulates the secretion of acid. Thus, these are better antacids than, NaHCO3, Mg(OH)2 or Al(OH)3.

Question 12.
Name a substance which can be used as an antiseptic as well as disinfectant.
Answer:
Phenol is a substance which can be used as an antiseptic (0 – 2% solution) as well as disinfectant (1% solution).

Question 13.
What are the main constituents of dettol ?
Answer:
Dettol is a mixture of chloroxylenol and terpineol.

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Question 14.
What is tincture of iodine ? What is its use ?
Answer:
In Chemistry, a tincture is a solution that has alcohol as its solvent. Tincture iodine is 2 – 3% solution of iodine in alcohol-water mixture. It is applied on wounds to either kill or prevent the growth of micro organisms.

Question 15.
What are food preservatives ?
Answer:
Chemical substances which are used to protect the food against bacteria, yeasts and moulds are called food preservatives e.g., sodium metabisulphite, sodium benzoate.

Question 16.
Why is use of aspartame limited to cold foods and soft drinks ?
Answer:
Use of aspartame is limited to cold foods and soft drinks because it is unstable at cooking temperature.

Question 17.
What are artificial sweetening agents ? Give two examples.
Answer:
Artificial sweetening agents are the substances produced wholly or partially by chemical synthesis, which are added to food to impart sweet taste.
Example:

  • Sucrose
  • Saccharin.

Question 18.
Name the sweetening agent used in the preparation of sweets for a diabetic patient.
Answer:
Any artificial sweetening agents such as saccharin, aspartame or alitame may be added.

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Question 19.
What problem arises in using alitame as artificial sweetener ?
Answer:
Alitame is a high potency artificial sweetener, which has 2000 times sweeteners value in Comparison to cane sugar. Thus, the control of sweetness of food is difficult while using it.

Question 20.
How are synthetic detergents better than soaps ?
Answer:

  • Soaps cannot be used in hard water but detergents can be used.
  • Soaps cannot be used in acidic water but detergents can be used.

Question 21.
Explain the following terms with suitable examples
(a) Cationic detergents
(b) Anionic detergents and
(c) Non-ionic detergents.
Answer:
(a) Cationic detergents are those which have cationic hydrophilic group. These are mostly acetates, chlorides or bromides of quaternary ammonium salts. For example cetyltrimethyl ammonium chloride.
[CH3(CH2)15 N(CH3)3]+Çl

(b) Anionic detergents are those which have anionic hydrophilic group. These are of two types:
(i) Sodium alkyl sulphate e.g., sodium lauryl sulphate CH3(CH2)10CH2OSO3Na+
(ii) Sodium alkyl benzene sulphonate e.g., sodium 4-(l-dodecyl) benzene sulpho- nate (SDS)

(c) Non-ionic or neutral detergents are esters of high molecular mass alcohols as in fatty acids. For example, polyethylene glycol stearate.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 4

(c) Non-ionic or neutral detergents are esters of high molecular mass alcohols as in fatty acids. For example, polyethylene glycol stearate.
CH3(CH2)16COO(CH2CH2O)nCH2CH2OH
Polyethylene glycol stearate.

Question 22.
What are bio-degradable and non-biodegra-dable detergents ? Give one example of each.
Answer:
Bio-degradable detergents are degraded by bacteria. In them, hydrocarbon chain is unbranded. They do not cause water pollution and are bitter. Example: Sodium lauryl sulphate.

Non-biodegradable detergents possess highly branched hydrocarbon chain so bacteria cannot degrade them easily. They cause water pollution. Example: Sodium 4-(l, 3, 5, 7-tetramethyl-actyl) benzene sulphonate.

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Question 23.
Why do soaps not work in hard water ?
Answer:
Hard water contains calcium and magnesium salts. Therefore, in hard water, soaps get precipitated as insoluble calcium and magnesium soaps which being insoluble stick to the cloth as gummy mass and blocks the ability of soap to move oil or grease from the cloth.

Question 24.
Can you use soaps and synthetic detergents to check the hardness of water ?
Answer:
Soaps can be used to check the hardness of water as they give insoluble precipitates of calcium and magnesium soaps in hard water but synthetic detergents do not give precipitate, so they can not check the hardness of water.

Question 25.
Explain the cleansing action of soaps.
Answer:
Cleaning action of soaps:
Cleaning action of soap and detergents are based on miceller activity. Soaps are sodium salt of higher fatty acids e.g., sodium stearate which ionises as:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 21
The anionic head of stearate ion (- COO) is hydrophilic and hence has great affinity for water. The hydrocarbon part is hydrophobic and has great affinity for oil, grease etc.

When soap dissolves in water the anions (C17H35COO) form micelle encapsulating oil or grease inside. These micelles are removed by rinsing with water. Thus the main function of soap is to convert oily and greasy dirt to colloidal particles by forming an emulsion. Soaps therefore, act as emulsifying agents. This mechanism of cleaning is also applicable to synthetic detergents like sodium lauryl sulphate CH3(CH2)11 SO4 Na+. Repulsion of similar charge -COO or -SO4 covering each oil (grease) micelle prevents them to come together. Thus oil or grease remains in the suspension.

Question 26.
If water contains dissolved calcium hydrogen carbonate, out of soaps and synthetic detergents which one will you use for cleaning clothes ?
Answer:
Calcium bicarbonate makes water hard. Soap will give precipitate with this hard water and therefore, cannot be used for cleaning clothes. On the other hand, a synthetic detergents does not give precipitate in hard water because its calcium salt is also soluble in water. Therefore, synthetic detergents can be used for cleaning clothes in hard water.

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Question 27.
Label the hydrophilic and hydrophobic parts in the following compounds:
(a) CH3(CH2)10CH2OSO3Na+
(b) CH3(CH2)15\(\overset { + }{ N } \)(CH3)3\(\overset { – }{ Br } \)
(c) CH3(CH2)16COO(CH2CH2O)nCH2CH2OH
Answer:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 5

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Chemistry in Everyday Life Other Important Exercises

Chemistry in Everyday Life Objective Type Questions

Question 1.
Choose the correct answer:

Question 1.
Which isomer of cyclohexane hexachloride is a strong insecticide:
(a) α
(b) β
(c) γ
(d) δ
Answer:
(c) γ

Question 2.
Denatured spirit is specially used:
(a) In medicine
(b) In fuel
(c) In varnish
(d) In propellant.
Answer:
(a) In medicine

Question 3.
Which of the following is not an example of analgesic:
(a) Phenacetin
(b) Paracetamol
(c) Chloramphenicol
(d) Morphine.
Answer:
(c) Chloramphenicol

Question 4.
Which of the following medicine was discovered by Alexander Fleming:
(a) Penicillin
(b) Streptomycin
(c) Chloromycetin
(d) Aspirin.
Answer:
(a) Penicillin

Quention 5.
Which medicine is used for the treatment of tuberculosis:
(a) Penicillin
(b) Streptomycin
(c) Chloromycetin
(d) Sulphadiazine.
Answer:
(b) Streptomycin

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Question 6.
Which medicine is used for the treatement of T.B.:
(a) Pencillin
(b) Aspirin
(c) Chloramphenicol
(d) Streptomycin.
Answer:
(d) Streptomycin.

Question 7.
Saccharin is times sweeter than sugarcane:
(a) 10
(b) 600
(c) 4000
(d) 40.
Answer:
(b) 600

Question 8.
The chemical substance extracted from Rauvolfia serpentina is:
(a) Aspirin
(b) Quinone
(c) Bithionol
(d) Reserpine.
Answer:
(d) Reserpine.

Question 9.
Compound which is used both as an antipyretic as well as analgesic is:
(a) Phenacetin
(b) Sulpha drug
(c) Paracetamol
(d) Aspirin.
Answer:
(d) Aspirin.

Question 10.
Which of the following group expresses maximum number of detergent:
(a) Cationic
(b) Anionic
(c) Non-ionic
(d) Hydrophobic.
Answer:
(b) Anionic

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Question 11.
Which of the following is a tranquillizer:
(a) Seconol
(b) Streptomycin
(c) Morphine
(d) Phenacetin.
Answer:
(a) Seconol

Question 12.
Which of the following is not an antibiotic:
(a) Terramycin
(b) Chloromycetin
(c) Morphine Salol is
(d) D-Penicillin.
Answer:
(c) Morphine Salol is

Question 13.
Salol is used as:
(a) Antipyretic
(b) Antipyretic
(c) (a) And (b) both
(d) None of these
Answer:
(c) (a) And (b) both

Question 14.
Chloroquine is an example of:
(a) Antipyretic
(b) Antimalarial
(c) Antibacterial
(d) Antituberculor.
Answer:
(b) Antimalarial

Question 15.
Which of the following is a broad spectrum antibiotic:
(a) Streptomycin
(b) Penicillin
(c) Ampicillin
(d) Chioramphenicol.
Answer:
(d) Chioramphenicol.

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Question 16.
Which of the following is not an antibiotic:
(a) Terramycin
(b) Chioromycetin
(c) Morphine
(d) Penicillamine.
Answer:
(c) Morphine

Quesrtion 17.
Veronal is used as:
(a) Anaesthetic
(b) Sedative
(c) Antiseptic
(d) None of these.
Answer:
(b) Sedative

Question 18.
Which of the following ¡s a hypnotic:
(a) Lurninol
(b) Salol
(c) Catechol
(d) Phenol.
Answer:
(a) Lurninol

Question 19.
Pheromones are secreted by:
(a) Endocrine glands
(b) Stomach
(c) Exocrine glands
(d) Sex glands.
Answer:
(c) Exocrine glands

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Question 2.
Fill in the blanks:

  1. Oil of …………. is used as medicine.
  2. Sodium benzoate and potassium metabisulphate are good ………….
  3. Sodium dodecyl benzene sulphonate and sodium lauryl sarcosinate are important ………….
  4. Iodine is a strong ………….
  5. Example of a tranquilizer medicine is ………….
  6. …………. is obtained from cinchona bark.
  7. Chloroquine is a …………. medicine.
  8. …………. is known as father of surgery.
  9. Alexander Fleming discovered …………. antibiotic medicine.
  10. Substance which reduces the acidity of stomach is called ………….

Answer:

  1. Cinnamon
  2. Preservative
  3. Detergent
  4. Antiseptic
  5. Seconal
  6. Quinine
  7. Antimalarial
  8. Sushrut
  9. Penicillin
  10. Antacid.

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Question 3.
Match the following:
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 6
Answer:

  1. (e) Antipyretic.
  2. (c) Tranquillizer
  3. (b) Antibiotic
  4. (a) Anaesthetic
  5. (d) Antiseptic

Question 4.
Answer in one word / sentence:

  1. What are pain reliever medicine called ?
  2. Write name of two analgesic.
  3. Name a suitable chemical for excessive tension and mental disorders.
  4. Streptomycin medicine is used for the treatment of which disease ?
  5. Why are antifertility drugs used ?

Answer:

  1. Analgesic
  2. Aspirin and Morphine
  3. Equanil
  4. Malaria
  5. For birth control or control of reproductive ability

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Chemistry in Everyday Life Short Answer Type Questions

Question 1.
What are germicides ?
Answer:
Germicides are substances which possess the power to destroy germs. Sulphur compounds, mercury com-pounds (mercuric iodide) and phenolic compounds are usedas germicides. Sulphur compounds in soap protect the skin from pimples, dandruff and skin infection. Phenolic compounds are mostly used as germicides. Cresyclic acid which is a mix-ture of m-cresol and p-cresol is mixed in soap as a germicide.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 7

Question 2.
Write the structure of chloramphenicol and state its use.
Answer:
Chloramphenicol is an effective antibiotic. It is mainly used in typhoid, fever, diarrhoea, cough, meningitis and urinary diseases.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 8

Question 3.
What do you understand by antipyretics ?
Answer:
These are used to lower down the body temperature in high fever. These drugs are used both as antipyretic and as analgesic, e.g., aspirin (acetylsalicylic acid), parace-tamol (4-acetamido phenol), phenacetin (4-ethoxy acetanilide), analgin, etc.

Question 4.
What are Antibiotics ? Write name of any two antibiotics.
Answer:
Antibiotics:
are chemical substances which are. produced by micro-organisms like; bacteria, fungi, actinomycetes and destroy some other micro-organisms are like, virus, ricketsia or obstruct their growth. Example : Penicillin, Streptomycin etc.

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Question 5.
What is Immune system ? How does it develop ?
Answer:
For the destruction of bacteria or antigen in our body, lymphocytes are devel-oped which are known as Immune. These are a specific type of white blood cells. These prepare and release a special type of protein called globulin to destroy the poison. These proteins destroy the attacking virus, bacteria and poisonous substances. Lymphocyte bind the antigen and themselves divide fast by which immunization increase and effect of anti-gen is destroyed.

Question 6.
What are antiseptics ?
Answer:
Antiseptics:
An antiseptic kills the bacteria or prevents the multiplication of bacteria. These also prevent pus formation. Antiseptics do not harm living tissues. Tincture iodine, phenol (0-2%), dettol, chloroxylenol, etc. are applied on skin and bactrim, septran, etc. are taken orally as pills. Bad odour coming out of the wounds due to bacterial decomposition on the body or in the mouth are also reduced by the use of antiseptics.

For such purposes, antiseptics are usually incorporated in face-powder, breath purifiers, deodorants, etc. to reduce the inten-sity of bad odour. Neem soaps containing the extract of neem seeds are also used as antiseptic soaps. Dettol is a mixture of chloroxylenol and terpineol in a suitable solvent is commonly used antiseptic. Bithionol antiseptic is added to soap to provide antiseptic properties to it. Tincture iodine is 2-3% solution of iodine in alcohol and water.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 9

Question 7.
What do you mean by Antibiotics ? Name the first antibiotic.
Answer:
Chemical substances which are produced by mirco-organism and are used to destroy other micro-organism, are called antibiotics. These chemicals checks the life cycle of bacteria and stop reproduction resulting in release from disease. Antibiotics are almost specific for kinds of illness.

The first antibiotic penicillin was discovered by Alexander Fleming in 1928. He was awarded Nobel prize in 1945 for this important discovery. General formula of penicillin is C9H11N2O4S – R. It is a narrow spectrum drug and used in bronchitis, pneumonia, sore throat and abcesses. Before administration, tolerance has to be tested.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 10
By changing the group R, different penicillin are prepared.

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Question 8.
Write name and formula of some Antipyretic medicines.
Answer:
Antipyretic:
Chemicals used to reduce the body temperature during fever are called antipyretics. These effect the central nervous system of the body. Like paracetamol. Some chemicals function both as antipyretic as well as analgesic like: Aspirin, Paracetamol, Analgin etc. use of these produce sweat and cool the body. Chemical formula of common
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 16 Chemistry in Everyday Life - 11

Question 9.
Give definition of antihistamine drug with name and uses.
Answer:
These are amines which controls the allergy effect produced by histamines. Histamine is found in all body tissue and is also released in allergic conditions due to which allergic responses such as tissue inflammation, asthma, itching etc. are introduced in the body. Drugs which prevent the production of histamine and fight against the allergy effects are called antihistamines.
Example:
(i) Entergon:
It is used in strong allergic conditions.
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(ii) Benadryl

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Question 10.
What are the main differences between soap and detergents ? Ans. Differences between Soap and Detergents :
Soap:

  • Soaps are sodium salts of higher fatty acids.
  • These cannot be used with hard water.
  • Their aqueous solution is alkaline in nature.
  • These contain oil and are not good cleansing agent.
  • These cannot be used for soft and delicate cloth.

Detergents:

  • Detergents are sodium salt of alkyl benzene sulphonate.
  • These can be used with hard water.
  • Their aqueous solution is neutral in nature.
  • These do not contain oil and are better cleansing agent.
  • These can be used for soft and delicate cloth.

Question 11.
Explain each with an example.
(A) Antibiotics
(B) Analgesic (Pain Killer).
Answer:
(A) Antibiotics:
Chemical substance which are produced by micro-organism and used to destroy micro-organism are called antibiotics. These are of two types:

  • Broad spectrum Antibiotic:
    Example: Tetracycline, chloramphenicol, Penicil-lin.
  • Narrow Spectrum Antibiotic :
    Example : Niastatin, Penicillin antibiotic medi-cines are used for the treatment of typhoid, whooping cough, Pneumonia.

(B) Analgesic:
Drugs which give relief from pain or reduced pain are called analge-sics. Types and Examples:

  • Narcotics: Morphine, Codeine.
  • Non-Narcotics: Aspirin, Analgin, Paracetamol.

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Question 12.
What is preservative ? Give the name and formula of any two preserva-tives.
Answer:
A preservative is defined as “A substance added to food, capable of retarding the growth of micro-organism which deteriorate the food within no time’’. The preservative may be natural compounds such as sugars, salt, acids, etc. as well as they may be synthetic i.e. Sodium benzoate.
Example:

  • Vinegar or acetic acid : CH3 COOH
  • Sodium benzoate: C6H5COONa.

Chemistry in Everyday Life Long Answer Type Questions

Question 1.
Write short notes on:

  1. Antifertility drugs
  2. Detergents
  3. Antacids
  4. Sedatives
  5. Sulpha drugs.

Answer:
1. Antifertility drugs:
Drugs which are used to check pregnancy in women are called antifertility drugs. Actually, these drugs control the female menstrual cycle and ovulation. The antifertility agent in these drugs are steroids and these drugs are used in the form of oral pills. A mixture of synthetic estrogen and progesterone derivative are used as birth control pill. These are more effective than the natural hormone. Ethynylestradiol and norethindrone are the content of common contraceptive pills.
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2. Detergents:
Unsaturated hydrocarbon of ethylene type containing 10 to 18 carbon atoms on treatment with sulphuric acid forms organic acid. Sodium salt of organic acid have moisture absorbing and purification property. This compound is called synthetic detergent. Example: Sodium w-dodecyl benzene sulphonate, Sodium n – dodecyl sulphate.

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CH3 – (CH2)10 – CH2 – SO4Na+
Sodium n-dodecyl sulphate

Synthetic detergents have two parts:

  • A long chain of hydrocarbon which is hydrophobic (Water repellent).
  • Small ionic chain is hydrophilic (Water attracting).

Ionic chain is generally of sulphonate (SO3Na) or sodium sulphate (SO4Na). Detergents are surface active compounds which decreases surface tension of water. When these compounds are dissolved in water they scatter dirt particles leaving the surface clean.

Properties of detergents:
Detergents are superior to soap.
1. Detergents can be used in hard as well as soft water because they do not form insoluble salt with calcium and magnesium ions of hard water while soap cannot be used in hard water.

2. Aqueous solution of detergent is neutral. Therefore, detergents can clean soft fibres without damaging them. Soap solution is alkaline due to hydrolysis and is harmful for washing soft fibres.

Uses of detergents:
Detergensts act as cleansing agent. Like soap it can be used for cleaning cotton, woollen, silky and synthetic fibre cloth and for cleaning other domestic items.

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3. Antacids:
Substance which remove the excess acid in the stomach and raise the pH to appropriate level are called antacid Calcium carbonate, Sodium bicarbonate, Magnesium hydroxide or Aluminium hydroxide is used in the form of aqueous suspension or tablets to treats hyperacidity. These substances react with excess hydrochloride acid and neutralizes it partially. Nowadays Omeparazole and Lansoparazole are prescribed as antacids.
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4. Sedatives:
These are given to those patients who are violent and mentally agitated.
Example:

  • Equanil
  • Barbituric acid.

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5. Sulpha drugs:
Like antibiotics, sulpha drugs are used to kill micro-organism. These are prepared in laboratory. Sulphadiazine, sulphanilamide, sulphathiazole, sulpha guanidine, etc. are important sulpha drugs.

Question 2.
Write notes on the following:

  • Tranquillizers and Hypnotics
  • Antidepressant.

Answer:
(i) Tranquillizers:
Tranquillizers are the chemical substances which affect higher centers of central nervous systems and reduce anxiety and tension. Tranquillizers are also called psycho-therapeutic drugs. These drugs make the patient passive temporarily so that emotional distress or depression is reduced. The patient restores confidence. These drugs if taken for long-time make the person habitual. Luminal, Barbituric acid, seconal, equanil, etc. are the drugs of this class. These are components of sleeping pills.
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(ii) Anti-depression:
These are given to patient for boosting their morals in the stage of acute depressions. Some mood elevator drugs are vitellin, methadone, cocaine, etc. These act on the central nervous system. Person becomes healthy by its use and develop confidence. These should be taken by the advice of doctor. Tophrenil is one such medicine. The amphetemin group of medicine help to upraise the mental level. Its com-mon example is benzedine.
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Question 3.
Give one example of Acidic dye and Basic dye.
Answer:
Acidic dye: In these, acidic group like phenolic, sulphonic (SO3H) are in the form of sodium salts. These colour animal fibre like wool, silk etc. Example: orange I and II.
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  • Acidic dye: Methyl orange , Methyl red.
  • Basic dye: Malachite green, Aniline yellow.

Question 4.
Write example of the following chemicals:

  1. Two Analgesics
  2. Two Antiseptic
  3. Two Antiseptic chemical
  4. Two Anti-biotic
  5. Two Anaesthetic
  6. Two Sulpha drug
  7. Two Rocket propellant
  8. Two use of chloramphenicol antibiotic.

Answer:

  1. Two Analgesic: (i) Morphine, (ii) Aspirin.
  2. Two Antiseptic: (i) Dettol, (ii) Bithional.
  3. Two antiseptic chemical: (i) Boric acid, (ii) Gention violet.
  4. Two Antibiotic: (i) Terramycin, (ii) Streptomycin.
  5. Two Anaesthetic: (i) Cyclopropane, (ii) Pelledyne.
  6. Two sulpha drug: (i) Sulphonide, (ii) Sulphadyne.
  7. Two rocket propellant: (i) Polyurethane, (ii) Ammonium perchlorate.
  8. Two use of chloramphenicol antibiotic: (i) In Typhiod, (ii) High fever and diarrhoea.

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MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 13 Entrepreneurship Development

MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 13 Entrepreneurship Development

Entrepreneurship Development Important Questions

Entrepreneurship Development Objective Type Questions

Question 1.
Choose the correct answers :

Question 1.
Entrepreneur takes :
(a) Risk n
(b) High risk
(c) Low risk
(d)Normal and fixed risk.
Answer:
(d)Normal and fixed risk.

Question 2.
Out of it which is not a work of entrepreneur :
(a) Taking risk
(b) Provision of capital
(c) Both (a) and (b)
(d) Day today business (undertaking)
Answer:
(d) Day today business (undertaking)

Question 3.
Out of it which does not discriminate entrepreneur and management:
(a) Entrepreneur search business but managers run them
(b) Entrepreneur are the owner of their own business and manager employee.
(c) Entrepreneur earns profit but managers get salary
(d) Entrepreneur is one time work while management is a continuous process.
Answer:
(d) Entrepreneur is one time work while management is a continuous process.

Question 4.
Chamber of commerce provides services at:
(a) Urban level
(b) State and national level
(c) International level
(d) All the above levels.
Answer:

Question 5.
Out of it which business is not related to successful entrepreneurship :
(a) Research and development
(b) Daily business of life
(c) Continuous newness
(d) Production according to the customers need.
Answer:
(b) Daily business of life

Question 6.
In India entrepreneur development programmer:
(a) Necessary
(b) Not necessary
(c) Waste of money
(d) Waste of time.
Answer:
(a) Necessary

Question 7.
Entrepreneur development programmer provides:
(a) Unemployment
(b) Employment
(c) Cheating
(d) Corruption.
Answer:
(b) Employment

Question 8.
Entrepreneurship:
(a) Takes birth (b) Is made
(c) Both (a) and (b)
(d) All the above.
Answer:
(c) Both (a) and (b)

Question 9.
Indian entrepreneur developmental organization is situated in :
(a) Ahmadabad
(b) Mumbai
(c) Delhi
(d) Chennai.
Answer:
(a) Ahmadabad

Question 10.
Future of entrepreneur in India is :
(a) Dark
(b) Bright
(c) Difficulty
(d) None of these.
Answer:
(b) Bright

Question 11.
Indian investment centre was established in :
(a) Indian government.
(b) By Madhya Pradesh government.
(c) Maharashtra government
(d) By Gujrat government.
Answer:
(b) By Madhya Pradesh government.

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Question 2.
Fill in the blanks :

  1. Establishment of entrepreneur development organization was done by __________government.
  2. Social and economic development of a nation is the result of __________
  3. __________ provides financial help to entrepreneurs.
  4. Entrepreneur is a process depended on __________

Answer:

  1. Gujrat
  2. Entrepreneur
  3. ICICI
  4. Knowledge.

Question 3.
Write true or false :

  1. In India the speed of entrepreneur development is fast.
  2. Entrepreneur development organization is situated in Ahmadabad.
  3. In India there is need of entrepreneur development programme.
  4. Money and time spend on entrepreneur development is a waste of money and time.
  5. Entrepreneur Is bomb and are made.

Answer:

  1. False
  2. True
  3. True
  4. False
  5. True.

Question 4.
Write answer in one word/sentence :

  1. Write the name of any one poverty eradication programme.
  2. What do you mean by entrepreneur ?
  3. “Entrepreneur is a creative process”. Explain.
  4. “Entrepreneur is creating confusion theoritically”.
  5. In promotion which functions come ?
  6. Entrepreneur is not a Science nor art but knowledge is its base. Who said it.

Answer:

  1. Jawahar Rozgar Yojana
  2. Entrepreneur is one efficiency
  3. Pro. Shumpitar
  4. William Bemol
  5. New technique
  6. Peter. F. Drucke’r.

Question 5.
Match the columns :
MP Board Class 12th Business Studies Important Questions Chapter 13 Entrepreneurship Development image - 1
Entrepreneurship Development Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Why is entrepreneur called the axis of economic progress ?
Answer:
Entrepreneur is called the axis of economic progress because economic development of a nation takes place due to important activities of entrepreneurs only.

Question 2.
Write the characteristics of entrepreneurship.
Answer:
Following are the characteristics :

  1. Knowledge base : Entrepreneurship is a knowledge based process. Without knowledge entrepreneur cannot be earned and without experience entrepreneur cannot do any process.
  2. Creative process : Nature of entrepreneur is creative. In organization always creative work is done. By creative thinking always efferts are made to increase quality.

Question 3.
Write the main objectives of entrepreneurial development.
Answer:
The main objectives of entrepreneurial development are as follows :

  1. To identify and train potential entrepreneurs.
  2. Helps in imparting basic managerial understanding.
  3. To industrialize rural and backward areas.
  4. To generate self employment for the educated unemployment youth.
  5. To improve managerial skills of entrepreneur.
  6. To develop necessary knowledge and skills amongst the participants.
  7. To develop an atmosphere of regional balanced development.

Question 4.
What do you mean by SIDO ?
Answer:
Small Industries Development Organization (SIDO): This was established by the central government in 1954. This organization is rendering its valuable services throughout the country with 27 Small Industries Services Institutes, 31 Branch Institutes, 3 8 Expansion Centres, 4 Regional Observation Centres, 20 Local Observation Centres etc. It is called SIDO in short. SIDO has also established Womens’ Cell for development of women entrepreneurs.

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Question 5.
“Entrepreneurship is an internal motivation.” Explain.
Answer:
Entrepreneurship encourages a person to discover, new business opportunities and to implement innovative ideas in practical business life. Entrepreneurship is an internal component not an external component. It helps to bring changes in mentality of persons as it is based on education. A person becomes an entrepreneur by gaining education and experience.

Question 6.
What are the functions of All India Small Industries Board ?
Answer:
All India Small Industries Board : This Board was established in 1954 as an Advisory Committee of the central government. This Board takes decisions regarding policies and programmes for establishment and development of small industries. A central minister is ex-officio chairman of the Board with representatives from central and state governments.

Question 7.
What do you mean by entrepreneur values ?
Answer:
Those values by which determines the personality of entrepreneurs are called values of entrepreneur. On the basis of values of persons one can judge their behaviour and on the basis of individuals judgement of organization can be done. Development of values of personality is that he should respect others and should be honest to others. Due to it personality is developed. Values play important role in family only. Faith is developed among the members of family and various families form sound.

Question 8.
“Entrepreneurship is a professional activity”. Explain.
Answer:
In any business enterprise, it is essential to discover new market, take spontaneous decisions have different leadership and to bring changes in nature of work. Thus like other professions (Law, Medical, Engineering etc.) entrepreneurship. The nature of entrepreneurship is also a profession can be developed like managerial efficiency with the help of education and training.

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Question 9.
“Entrepreneurship arises due to environment.” Explain.
Answer:
The success of entrepreneurial development depends much on environmental factors. Entrepreneur makes plans from political, social, economical and legal environment and takes risk to bring some innovations. This entrepreneurship arises due to environment.

Question 10
What do you mean by entrepreneur motivation ?
Answer:
Those continuous activities which motivates the employees to work at all levels of organization is called entrepreneur motivation.

MP Board Class 12 Business Studies Important Questions

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर

ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर

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प्रश्न 1.
निम्न को प्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक एल्कोहॉल में वर्गीकृत कीजिये
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 1
उत्तर-

  1. 3°.

प्रश्न 2.
उपरोक्त उदाहरण में एलिलिक एल्कोहॉल की पहचान कीजिये।
उत्तर
एलिलिक एल्कोहॉल,
(ii) तथा (vi) है।

प्रश्न 3.
निम्न यौगिकों के नाम IUPAC पद्धतिनुसार कीजिये
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 2
उत्तर

  1. 3-क्लोरोमेथिल-2-आइसोप्रोपिलपेन्टेन-1-ऑल ।
  2. 2, 5-डाइमेथिलहेक्सेन-1, 3-डाइऑल
  3. 3-ब्रोमोसाइक्लोहेक्सन-1-ऑल
  4. हेक्स-1-ईन-3-ऑल
  5. 2-ब्रोमो-3 मेथिलब्यूट-2-ईन-1-ऑल ।

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प्रश्न 4.
दर्शाइए कि किस प्रकार निम्न एल्कोहॉल मेथेनल पर उपयुक्त ग्रिगनार्ड अभिकर्मक की क्रिया द्वारा बनाये जाते हैं –
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उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 4

प्रश्न 5.
निम्न अभिक्रिया के उत्पाद की संरचना बनाइये –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 5
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 6
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प्रश्न 6.
प्रत्येक संभावित उत्पाद की संरचना दीजिये जब निम्न एल्कोहॉल क्रिया करती है
(a) HCI -ZnCl2
(b) HBr तथा
(c) SOCl2के साथ-

  1. ब्यूटेन-1-ऑल,
  2. 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल।

उत्तर
(a) HCl + ZnCl2 के साथ (ल्यूकास अभिकर्मक)-ब्यूटेन-1-ऑल (1° एल्कोहॉल) कमरे के ताप पर ल्यूकास अभिकर्मक के साथ क्रिया नहीं करते जबकि गंदलापन उत्पन्न होता है केवल गरम करने पर, परन्तु 2-मिथाइल ब्यूटेन-2-ऑल (3° एल्कोहॉल) ल्यूकास अभिकर्मक के साथ कमरे के ताप पर तुरन्त गंदलापन देता है।
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(b) HBr के साथ-दोनों ऐल्कोहॉल HBr के साथ क्रिया द्वारा संगत एल्किल ब्रोमाइड देता है।
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(c) SOCl2 के साथ – दोनों ऐल्कोहॉल SOCl2 के साथ क्रिया द्वारा संगत एल्किल क्लोराइड देता है।
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प्रश्न 7.
निम्न की अम्ल उत्प्रेरित निर्जलीकरण पर बनने वाले प्रमुख उत्पाद की भविष्यवाणी कीजिये

  1. 1-मेथिलसाइक्लोहेक्सेनॉल तथा
  2. ब्यूटेन-1-ऑल।

उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 11

प्रश्न 8.
फिनॉल की तुलना में ऑर्थो तथा पैरानाइट्रोफिनॉल ज्यादा अम्लीय है। संगत् फिनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनायें बनाइये।
उत्तर
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p-नाइट्रो फिनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ
प्रतिस्थापी फिनॉल में इलेक्ट्रॉन निकालने वाले समूह (—R प्रभाव) जैसे – NO2समूह की उपस्थिति के कारण फिनॉल का अम्लीय स्वभाव बढ़ जाता है। आर्थो तथा पैरा-नाइट्रोफिनॉक्साइड आयन ज्यादा स्थायी है (बॉक्स में दिखाई गई अतिरिक्त अनुनादी संरचना के कारण) क्योंकि फिनॉल की तुलना में ऋणात्मक आवेश का फिनॉक्साइड आयन पर प्रभावी विस्थापनीकरण होता है। अतः ०, तथा p-नाइट्रोफिनॉल, फिनॉल से ज्यादा अम्लीय होते हैं।

प्रश्न 9.
निम्न अभिक्रियाओं में शामिल समीकरण लिखिये

  1. रीमर-टीमैन अभिक्रिया,
  2. कोल्बे अभिक्रिया।

उत्तर
1. रीमर-टीमैन अभिक्रिया (Reimer-Tiemann reaction) – क्षार NaOH की उपस्थिति में फीनॉल का उपचार क्लोरोफॉर्म के साथ करके अम्लीकृत किये जाने पर -CHO समूह मुख्यत: ऑर्थो स्थान पर प्रवेश करता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 13

2. कोल्बे अभिक्रिया (Kolbe reaction)- जब CO2 प्रवाहित करते हुए सोडियम फिनॉक्साइड को गर्म किया जाता है तब कार्बोक्सीकरण प्रक्रिया होती है। p-हाइड्रॉक्सी बेंजोइक अम्ल की सूक्ष्म मात्रा के साथ मुख्य क्रियाफल के रूप में 0-हाइड्रॉक्सी- बेंजोइक अम्ल (सैलिसिलिक अम्ल) का निर्माण होता है।
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प्रश्न 10.
2-एथॉक्सी-3 मिथाइल पेन्टेन की विलियमसन संश्लेषण क्रिया लिखिये। एथेनॉल तथा 3-मिथाइल पेन्टन-2-ऑल से शुरू करते हुये।।
उत्तर
विलियमसन संश्लेषण में एल्काइल हैलाइड (19) की अभिक्रिया सोडियम एल्कॉक्साइड से कराने पर ईथर Sn2 क्रियाविधि द्वारा प्राप्त होता है। अतः एल्काइल हैलाइड एथेनॉल तथा 3-मिथाइल पेन्टेन-2ऑल के एल्कॉक्साइड आयन से प्राप्त होता है। सम्पूर्ण क्रिया निम्न है
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प्रश्न 11.
1-मिथॉक्सी-4 नाइट्रोबेंजीन को बनाने के लिये निम्न में से कौन-से उपयुक्त अभिकारकों के सेट हैं और क्यों?
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 17
उत्तर
रासायनिक रूप से दोनों सेट संभावित हैं। सेट (A) में Br समूह इलेक्ट्रॉन निकालने वाले समूह-NO2 समूह के कारण सक्रिय हो जाते हैं। अत: CH3ONa का नाभिकस्नेही आक्रमण के बाद NaBr का विलोपन होने से इच्छित ईथर प्राप्त होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 18
सेट (B) में मिथाइल ब्रोमाइड पर 4-नाइट्रोफिनॉक्साइड आयन का नाभिकस्नेही आक्रमण जैसा उत्पाद देगा।
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प्रश्न 12.
निम्न अभिक्रिया के उत्पाद की भविष्यवाणी कीजिये
(i) CH3-CH2 – CH2-O-CH3+HBr→
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उत्तर
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ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 23
उत्तर

  1. 2, 2, 4 ट्राइमेथिल पेन्टेन-3-ऑल
  2. 5-एथिलहेप्टेन-2, 4 डाइऑल
  3. ब्यूटेन-2, 3, डाइऑल
  4. प्रोपेन-1, 2, 3 ट्राइऑल
  5. 2-मेथिलफिनॉल
  6. 4-मेथिलफिनॉल
  7. 2, 5-डाइमेथिलफिनॉल
  8. 2, 6-डाइमेथिलफिनॉल
  9. 1-मेथॉक्सी-2-मेथिल-प्रोपेन
  10. एथॉक्सीबेंजीन
  11. 1-फिनॉक्सीहेप्टेन
  12. 2-एथॉक्सीब्यूटेन।

प्रश्न 2.
यौगिकों की संरचना बनाइये जिनके IUPAC नाम निम्न है

  1. 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल
  2. 1-फिनाइल प्रोपेन-2-ऑल
  3. 3, 5 डाइमेथिलहेक्सेन-1, 3, 5 ट्राइऑल .
  4. 2, 3-डाइएथिलफिनॉल
  5. 1-एथॉक्सीप्रोपेन
  6. 2-एथॉक्सी-3-मेथिलपेन्टेन
  7. साइक्लोहेक्सिल मिथेनॉल
  8. 3-साइक्लोहेक्सिल पेन्टेन-3-ऑल
  9. साइक्लोपेन्ट-3-ईन-1-ऑल
  10. 4-क्लोरो-3-एथिल ब्यूटेन-1-ऑल।

उत्तर
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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 25
प्रश्न 3.
अणुसूत्र C5H12O के सभी संभावी समावयवी ऐल्कोहॉलों की संरचना तथा उनके IUPAC नाम बताइये।
उत्तर
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प्रश्न 4.
समझाइये क्यों प्रोपेनॉल का क्वथनांक हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन की तुलना में ज्यादा होता है ?
उत्तर
ब्यूटेन में अणु आपस में दुर्बल वाण्डर-वाल्स आकर्षण बल द्वारा जुड़े होते हैं जबकि प्रोपेनॉल में ये आपस में प्रबल अन्तराणुक हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़े होते हैं
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 28
अतः प्रोपेनॉल का क्वथनांक ब्यूटेन से ज्यादा होता है।

प्रश्न 5.
ऐल्कोहॉल संगत हाइड्रोकार्बन की तुलना में पानी में ज्यादा घुलनशील होते हैं। समझाइये। क्यों?
उत्तर
ऐल्कोहॉल पानी के साथ हाइड्रोजन बंध बनाता तथा पानी के अणुओं के मध्य उपस्थित H-बंध को तोड़ता है। अतः ये पानी में घुलनशील होते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 29
दूसरी तरफ हाइड्रोकार्बन पानी के साथ हाइड्रोजन बंध नहीं बनाते इसलिये पानी में अघुलनशील होते हैं।

प्रश्न 6.
हाइड्रोबोरेशन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया से क्या समझते हैं ? इसे उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर
डाइबोरेन की एल्कीन से योगात्मक अभिक्रिया द्वारा ट्राइएल्किल बोरेन्स का निर्माण हकोता है जिसका एल्किलाइन हाइड्रोजन परॉक्साइड से ऑक्सीकरण करने पर एल्कोहॉल प्राप्त होता है। इस क्रिया को हाइड्रोबोरेशन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 30
इस प्रक्रिया में प्राप्त ऐल्कोहॉल, मार्कोनिकॉफ नियम के विपरीत जल के एल्कीन पर प्रत्यक्ष योग से बनते हैं।

प्रश्न 7.
अणुसूत्र C7H8O के मोनोहाइड्रिक फिनॉल की संरचना व IUPAC नाम दीजिये।
उत्तर
तीन समावयवी हैं
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प्रश्न 8.
आर्थो व पैरा-नाइट्रोफिनॉल के मिश्रण का पृथक्करण भाप-आसवन द्वारा करते समय समावयवी का नाम बताइये जो भाप आसवित होगा, उसका कारण दीजिये।
उत्तर
0-नाइट्रोफिनॉल भाप अस्थिर (Steam volatile) होता है जबकि p-नाइट्रोफिनॉल नहीं। 0-नाइट्रोफिनॉल में अन्तरा-आण्विक (Intermolecular) H-बंध पाया जाता है । इस कारण इसका क्वथनांक p-नाइट्रोफिनॉल से कम होता है । इसलिए यह भाप स्थिर होता है तथा इसके अशुओं के बीच अन्तः आण्विक H-बंध पाया जाता है। (संरचना के लिए पाठ्यपुस्तक देखें)।

गलनांक, क्वथनांक एवं विलेयता पर प्रतिस्थापियों का प्रभाव यह होता है कि o-हाइड्रॉक्सी व्युत्पन्नों में, अंत:अणुक (Intramolecular) हाइड्रोजन बंधन के कारण गलनांक एवं क्वथनांक निम्न होते हैं अतः ये जल में अविलेय या बहुत कम विलेय होते हैं।

इस प्रकार p-नाइट्रोफीनॉल की अपेक्षा o-नाइट्रोफीनॉल कम विलेय एवं निम्न गलनांक तथा क्वथनांक वाला होता है।
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p-समावयवी की अपेक्षा o-नाइट्रोफीनॉल के अधिक वाष्पशील होने का भी यही कारण होता है।

प्रश्न 9.
क्यूमीन से फिनॉल बनाने की विधि के लिये समीकरण दीजिये।
उत्तर
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प्रश्न 10.
क्लोरोबेंजीन से फिनॉल बनाने की रसायनिक अभिक्रिया दीजिये।
उत्तर
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प्रश्न 11.
एथीन के जलयोजन से एथेनॉल प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिये.
उत्तर
किसी भी अम्ल की उपस्थित में एथीन पर जल का प्रत्यक्ष योग नहीं होता है। अप्रत्यक्ष रूप से एथीन को पहले सान्द्र H2SO4 में से कमरे के ताप पर गुजारा जाता है तो एथिल हाइड्रोजन सल्फेट का निर्माण होता है, जो जल के साथ गर्म करने पर अपघटित होकर एल्कोहॉल बनाता है।
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पद – I – हाइड्रोनियम आयन (H3O+) के इलेक्ट्रोफिलिक आक्रमण द्वारा एल्कीन के प्रोटीनीकरण से कार्बोकेटायन का निर्माण होता है।
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पद – II – कार्बोकेटायन पर यूक्लियोफिलिक आक्रमण द्वारा प्रोटीनीकृत एल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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पद – III- अप्रोटीनीकृत (loss of proton) से एल्कोहॉल का निर्माण होता है। आयन (H3O+) के इलेक्ट्रोफिलिक आक्रमण द्वारा एल्कीन के प्रोटीनीकरण से कार्बोकेटायन का निर्माण होता है।
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प्रश्न 12.
आपको बेंजीन, सान्द्र H2SO4 तथा NaOH दिया गया है। इन अभिकर्मकों से फिनॉल बनाने के लिये समीकरण लिखिये।
उत्तर
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प्रश्न 13.
प्रदर्शित कीजिये किस प्रकार आप संश्लेषित करेंगे

  1. 1-फिनाइल एथेनॉल उपयुक्त एल्कीन से
  2. एक एल्किल हैलाइड का उपयोग करते हुये SN2 अभिक्रिया द्वारा साइक्लोहेक्सिल मेथेनॉल।
  3. उपयुक्त एल्किल हैलाइड के उपयोग द्वारा पेन्ट-1-ऑल।

उत्तर
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प्रश्न 14.
दो अभिक्रिया दीजिये जो फिनॉल का अम्लीय स्वभाव दर्शाये फिनॉल की अम्लीयता की तुलना एथेनॉल से कीजिये।
उत्तर
फिनॉल के अम्लीय स्वभाव को प्रदर्शित करने वाली अभिक्रियाएँ
1. सोडियम के साथ अभिक्रिया- फिनॉल, सोडियम के साथ क्रिया द्वारा H, गैस देता है।
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2. NaOH के साथ क्रिया- NaOH में घोलने पर फिनॉल सोडियम फिनॉक्साइड तथा पानी देता है।
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फिनॉल एथेनॉल से ज्यादा अम्लीय है इसका कारण यह है कि फिनॉल से एक प्रोटॉन निकलने के बाद बना फिनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लेता है (संरचना के लिये फिनॉल का अम्लीय स्वभाव पाठ्यपुस्तक में देखें) जबकि एथेनॉल से एक प्रोटॉन निकलने के बाद बना एथॉक्साइड आयन में ऐसा नहीं होता है।

प्रश्न 15.
समझाइये क्यों ऑर्थो-नाइट्रोफिनॉल आर्थो-मिथॉक्सी-फिनॉल से ज्यादा अम्लीय होता है ?
उत्तर
NO2 समूह पर प्रबल -R तथा -1 प्रभाव के कारण OH बंध में इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है। अतः प्रोटॉन का त्यागना आसान हो जाता है।
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-1 प्रभाव के कारण –OH बंध पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है तथा इसके कारण प्रोटॉन का निकलना आसान हो जाता है।
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-R प्रभाव के कारण ऑक्सीजन परमाणु पर धनात्मक आवेश आता है, जिससे प्रोट्रॉन को मुक्त करना आसान हो जाता है।
इसके अलावा 0-नाइट्रोफिनॉक्साइड, जो प्रोटॉन के निष्कासन के बाद बनता है तथा अनुनाद द्वारा स्थायी हो जाता है।
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0-नाइट्रोफिनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायी हो जाते है । अत: 0-नाइट्रोफिनॉल एक प्रबल अम्ल है। दूसरी तरफ …- OCH3 समूह पर + R प्रभाव के कारण O – H बंध पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता हैं इससे प्रोटॉन का निष्कासन कठिन हो जाता है।
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दूसरी संरचनाएँ दो ऋणात्मक आवेश एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं तथा o-मिथॉक्सीफिनॉक्साइड आयन अस्थायी हो जाता है। अत: यह 0-नाइट्रोफिनॉल से कम अम्लीय होता है।

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प्रश्न 16.
समझाइये कि बेंजीन रिंग पर जुड़ी कार्बन पर जुड़ा- OH समूह उसको इलेक्ट्रोस्नेही प्रतिस्थापन के लिये सक्रियित करता है।
उत्तर
इलेक्ट्रोफाइल के आक्रमण के दौरान -OH समूह बेंजीन रिंग पर + प्रभाव उत्पन्न करता है। इस कारण, रिंग पर इलेक्ट्रॉन घनत्व मुख्यतः ऑर्थो तथा पैरा स्थिति पर बढ़ जाता है, जिससे इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन मुख्यतः आर्थो तथा पैरा स्थिति पर होता है । (अनुनादी संरचना के लिये फिनॉल की अम्लीय स्वभाव NCERT पाठ्य-पुस्तक में देखें)।

प्रश्न 17.
निम्न अभिक्रियाओं पर समीकरण दीजिये

  1. प्रोपेन-1-ऑल का क्षारीय KMnO4 विलयन द्वारा ऑक्सीकरण।
  2. फिनॉल के साथ CS2 एवं Br, में
  3. फिनॉल के तनु HNO3 के साथ
  4. फिनॉल की क्लोरोफॉर्म के साथ जलीय NaOH की उपस्थिति में क्रिया।

उत्तर
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प्रश्न 18.
निम्न को उदाहरण सहित समझाइये –

  1. कोल्बे अभिक्रिया
  2. रीमर-टीमेन अभिक्रिया
  3. विलियमसन-ईथर संश्लेषण
  4. असममित ईथर।

उत्तर-
1. एवं

2.
1. रीमर-टीमैन अभिक्रिया (Reimer-Tiemann reaction) – क्षार NaOH की उपस्थिति में फीनॉल का उपचार क्लोरोफॉर्म के साथ करके अम्लीकृत किये जाने पर -CHO समूह मुख्यत: ऑर्थो स्थान पर प्रवेश करता है।
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2. कोल्बे अभिक्रिया (Kolbe reaction)- जब CO2 प्रवाहित करते हुए सोडियम फिनॉक्साइड को गर्म किया जाता है तब कार्बोक्सीकरण प्रक्रिया होती है। p-हाइड्रॉक्सी बेंजोइक अम्ल की सूक्ष्म मात्रा के साथ मुख्य क्रियाफल के रूप में 0-हाइड्रॉक्सी- बेंजोइक अम्ल (सैलिसिलिक अम्ल) का निर्माण होता है।
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3. विलियमसन-ईथर संश्लेषण-एल्किल हैलाइड तथा सोडियम एल्कॉक्साइड के बीच क्रिया होकर ईथर बनते हैं। यह एक नाभिक-स्नेही अभिक्रिया है जिसमें एल्कॉक्साइड आयन से हैलाइड आयन का विस्थापन होता है।
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4. असममित ईथर (Asymmetric Ether)-असममित ईथर वे ईथर होते हैं जिनमें ऑक्सीजन अणु के दोनों ओर दो अलग-अलग समूह जुड़े होते हैं एवं कार्बन के अणु समान होते हैं।
उदाहरण-एथिल मेथिल ईथर (CH3-0-CH2CH3)|

प्रश्न 19.
एथेनॉल के अम्लीय निर्जलीकरण से एथीन बनाने की क्रियाविधि लिखिये।
उत्तर
एथेन बनाने के लिए एथेनॉल का अम्लीय डीहाइड्रेशन क्रिया के निम्न पद हैं
पद 1- एथिल ऑक्सोनियम आयन के निर्माण के लिए एथेनॉल का प्रोटॉनीकरण
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पद 2-कार्बोकेटायन का निर्माण (दर निर्धारक पद)
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पद 3-एथेन बनाने के लिए प्रोटॉन का निष्कासन (Elimination)
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पद 1 में अवशोषित अम्ल पद 3 में मुक्त होते हैं । एथेन के निर्माण के बाद संतुलन को आगे की दिशा में बदलने के लिए इसे हटा दिया जाता है।

प्रश्न 20.
निम्न परिवर्तन किस प्रकार किये जाते हैं –

  1. प्रोपीन → प्रोपेन-2-ऑल
  2. बेन्जॉइल क्लोराइड → बेन्जॉइल एल्कोहॉल
  3. एथिल मैग्नीशियम क्लोराइड → प्रोपेन-1- ऑल
  4. मिथाइल मैग्नीशियम ब्रोमाइड → 2-मिथाइल प्रोपेन-2-ऑल

उत्तर
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प्रश्न 21.
निम्न अभिक्रिया में प्रयोग किये जाने वाले अभिकर्मक का नाम बताइये –

  • प्राथमिक ऐल्कोहॉल का कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकरण
  • प्राथमिक ऐल्कोहॉल का एल्डिहाइड में ऑक्सीकरण
  • फिनॉल का 2, 4, 6 ट्राइब्रोमोफिनॉल में ब्रोमीनीकरण
  • बेन्जॉइल एल्कोहॉल को बेन्जोइक अम्ल में।
  • प्रोपेन-2-ऑल को प्रोपीन में निर्जलीकरण
  • ब्यूटेन-2-ऑन को ब्यूटेन-2-ऑल में।

उत्तर

  • अम्लीकृत K2Cr2O7 या उदासीन, अम्लीय या क्षारीय KMnOA
  • पिरिडिनियम क्लोरोक्रोमेट (PCC)CH2CI2 में या 573K पर Cu
  • ब्रोमीन जल (Br2)H2O
  • अम्लीकृत या क्षारीय KMnO4
  • सान्द्र H2SO4, 443 K पर या 85% फॉस्फोरिक अम्ल, 443K पर
  • Ni / H2 T NaBH4 या LiAlH4.

प्रश्न 22.
एथेनॉल का क्वथनांक मिथॉक्सीमेथेन की तुलना में उच्च होने का कारण दीजिये।
उत्तर
एथेनॉल का क्वथनांक मिथॉक्सीमेथेन की तुलना में उच्च इसलिये होता है क्योंकि एथेनॉल की अणुओं के बीच प्रबल अन्तः आण्विक हाइड्रोजन बंध उपस्थित होने के कारण अणु संगुणित रूप में होते हैं। जबकि मिथॉक्सी ईथर में इस प्रकार का H-बंध नहीं होता है।
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प्रश्न 23.
निम्न ईथर के IUPAC नाम दीजिये
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उत्तर

  1. 1-एथॉक्सी-2-मेथिल प्रोपेन
  2. 2-क्लोरो-1-मेथॉक्सी एथेन
  3. 4-नाइट्रोएनीसॉल
  4. 1-मेथॉक्सी प्रोपेन
  5. 1-एथॉक्सी-4, 4-डाइमेथिल साइक्लोहेक्सेन
  6. एथॉक्सी बेंजीन ।

प्रश्न 24.
विलियमसन संश्लेषण द्वारा निम्न ईथरों को बनाने के लिए अभिकर्मक का नाम तथा समीकरण लिखिये

  1. 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
  2. एथॉक्सीबेंजीन
  3. 2-मेथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
  4. 1-मेथॉक्सीएथेन।

उत्तर
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प्रश्न 25.
निश्चित प्रकार के ईथरों को बनाने की विलियमसन संश्लेषण की सीमाओं को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर
विलियमसन संश्लेषण विधि की सीमाएँ
1. यदि एल्किल हैलाइड प्राथमिक हो तो अच्छा परिणाम निकलता है। यदि द्वितीयक व तृतीयक हैलाइड हो, तो प्रतिस्थापन की जगह विलोपन होता है । यदि तृतीयक हैलाइड का प्रयोग करें तो केवल एल्कीन ही बनता है ईथर नहीं । उदाहरण-CH3ONa के साथ (CH3)3 C-Br की क्रिया में 2-मेथिल प्रोपीन (आइसोक्यूटीन) बनेगा।
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ऐसा इसलिये होता है क्योंकि ऐल्कॉक्साइड केवल न्यूक्लियो-फाइल ही नहीं अपितु प्रबल क्षार भी होता है। अतः एल्किल हैलाइड की क्रिया द्वारा विलोपन क्रिया करते हैं । अतः एथिल तृतीयक ब्यूटिल ईथर बनाने के लिये हमें एथिल हैलाइड तथा सोडियम तृतीयक ब्यूटॉक्साइड उपयोग करना चाहिये।
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2. एरिल हैलाइड तथा विनाइल ईथर को सबस्टेट की तरह ऐरोमैटिक एलिफैटिक ईथर बनाने में नहीं होता है क्योंकि ऐरिल हैलाइड तथा विनाइल हैलाइड न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन के प्रति कम सक्रिय होते हैं।
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प्रश्न 26.
प्रोपेन-1 ऑल से 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन किस प्रकार बनायेंगे, इस अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिये।
उत्तर
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(b) इसे प्रोपेन-1-ऑल के निर्जलीकरण द्वारा बनाया जाता है।
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प्रश्न 27.
द्वितीयक व तृतीयक एल्कोहॉल के अम्ल-निर्जलीकरण द्वारा ईथर का बनना एक उपयुक्त विधि नहीं है, कारण दीजिये।
उत्तर
1° एल्कोहॉल प्रोटोनीकृत होता है फिर दूसरा अणु उस पर आक्रमण करता है। अभिक्रिया SN2 होती है।
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2° तथा 3° भी प्रोटोनीकृत होता है परन्तु दूसरा एल्कोहॉल अणु त्रिविम बाधा के कारण उस पर आक्रमण नहीं करता है। इसलिये प्रोटोनीकृत एल्कोहॉल पानी का एक अणु निकालकर स्थायी 2′ या 3° कार्बोकेटायन बनाता है, जो एक प्रोटॉन निकालकर एल्कीन बनाने को प्राथमिकता देता है।
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इसी प्रकार, 3° ऐल्कोहॉल आइसोब्यूटीन बनाता है।
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प्रश्न 28.
निम्न के साथ हाइड्रोजन आयोडाइड के अभिक्रिया का समीकरण लिखिये

  1. 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
  2. मेथॉक्सीबेंजीन तथा
  3. बेन्जॉइल एथिल ईथर।

उत्तर
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प्रश्न 29.
इस कथन को समझाइये कि एरिल-एल्किल ईथर में

  1. एल्कॉक्सी समूह बेंजीन रिंग को इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के लिये सक्रिय करता है तथा
  2. ये नये आने वाले प्रतिस्थापी को ऑर्थो, पैरा स्थिति पर जाने के लिये निर्देशित करता है।

उत्तर
एरिल एल्किल ईथर में +R-प्रभाव के कारण एल्कॉक्सी समूह में इलेक्ट्रॉन घनत्व बेंजीन रिंग पर बढ़ता है। एल्कॉक्सी समूह ऑर्थो, पैरा दिशात्मक होता है तथा बेंजीन रिंग को इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के प्रति फीनॉल के समान सक्रिय करता है।
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इन संरचनाओं में 0, p पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है जिससे नया आने वाला इलेक्ट्रोफाइल (+ आवेश स्पिीशीज) 0, p पर जाता है।

प्रश्न 30.
HI की मेथॉक्सीमेथेन के साथ क्रिया की क्रियाविधि लिखिये।
उत्तर
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प्रोटोनीकृत ईथर पर I आयन द्वारा SN2आक्रमण होता है तथा मेथिल आयोडाइड तथा मेथिल ऐल्कोहॉल का मिश्रण बनता है। परन्तु यदि HI अधिकता में लिया जाता है तो (ii) में बना मेथिल एल्कोहॉल भी निम्न क्रियाविधि द्वारा मेथिल आयोडाइड में बदल जाता है।
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प्रश्न 31.
निम्न अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिये –

  1. फ्रीडल-क्राफ्ट अभिक्रिया एनीसॉल एल्किलीकरण।
  2. एनीसॉल का नाइट्रीकरण
  3. एनीसॉल का एथेनोइक अम्ल माध्यम में ब्रोमीनीकरण
  4. एनीसॉल का फ्रीडल-क्रॉफ्ट एसिलीकरण।

उत्तर
1. फ्रीडल-क्रॉफ्ट अभिक्रिया-एनिसॉल में फ्रीडल-क्रॉफ्ट अभिक्रिया अर्थात् एल्किल या एरिल समूह 0, p स्थिति पर एल्किल या एरिल हैलाइड की निर्जल AICI (लूईस अम्ल) एक उत्प्रेरक की उपस्थिति में प्रवेश करता है
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2. एनीसॉल का नाइट्रीकरण-नाइट्रीकरण पर ()-तथा p-नाइट्रो एनिसॉल बनता है। OCH;
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3. एनीसॉल का एथेनोइक अम्ल माध्यम में ब्रोमीनीकरण-एनिसॉल में ब्रोमीनीकरण CH3COOH में बने Br, द्वारा होता (आयरन-III ब्रोमाइड उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में) है तथा पैरा-समावयवी 90% बनता है। OCH3
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4. एनीसॉल का फ्रीडल-क्रॉफ्ट एसिलीकरण
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प्रश्न 32.
दर्शाइये कि आप किस प्रकार निम्न ऐल्कोहॉलों का उपयुक्त एल्कीनों से संश्लेषण करेंगे
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उत्तर
1. ऐल्कोहॉल निर्जलीकरण पर एल्कीन देते हैं जो एल्कीन बनते हैं वो जल के ! अणु के योग होने पर अपेक्षित ऐल्कोहॉल देते हैं। पानी का योग मारकोनीकॉफ नियमानुसार होता है। जब एल्कीन के निर्जलीकरण द्वारा दो एल्कीन बनते हैं तो देखना पड़ता है कि कौन-सा एल्कीन अपेक्षित ऐल्कोहॉल देगा।
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दोनों एल्कीन, जल के एक अणु से योग करके अपेक्षित एल्कोहॉल देंगे।
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2. यह दो एल्कीन बनाते हैं। ये जल के एक अणु के योग द्वारा अपेक्षित ऐल्कोहॉल देते हैं।
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3.

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पेन्ट-1 ईन पर जल के अणु का योग अपेक्षित एल्कोहॉल देगा। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है किOH समूह द्विबंध से जुड़ी उस C परमाणु पर जायेगा जिसमें कम संख्या हाइड्रोजन परमाणु हो । पेन्ट-2-ऑन की स्थिति में दोनों द्विबंध रखने वाले कार्बन पर एक-एक हाइड्रोजन उपस्थित है,। अत: यह एल्कीन पेन्टेन-2-ऑल तथा पेन्टेन-3-ऑल देगा।

4.

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2-मेथिल साइक्लोहेक्सिल ब्यूट-2-ईन पर जल के अणु के योग द्वारा अपेक्षित एल्कोहॉल देगा, -OH समूह द्विबंध से जुड़ी उस कार्बन परमाणु पर जायेगा जिसमें H-परमाणु की संख्या कम है।

प्रश्न 33.
जब 3-मेथिल ब्यूटेन-2-ऑल की क्रिया HBr से करायी जाती है, तो निम्न क्रिया होती है
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(संकेत-पद II में बने द्वितीयक कार्बोकेटायन में पुनर्विन्यास द्वारा ज्यादा स्थायी नृतीयक कार्बोकेटायन हाइड्राइड आयन के 3-कार्बन परमाणु से स्थानान्तरण द्वारा बनते हैं।)
उत्तर
ऐल्कोहॉल पहले प्रोटोनीकृत होता है फिर जल का एक अणु निकलकर कार्बोकेटायन बनाता है
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अब 2° कार्बोकेटायन पुनव्यविस्थत होकर ज्यादा स्थायी तृतीयक कार्बोकेटायन Cपर निकटवर्ती कार्बन से एक — H परमाणु के निगमन द्वारा बनता है। इसे 1, 2 विस्थापन (शिफ्ट) कहते हैं। इसके बाद Br का योग होता है
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ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
सोडियम, ऐल्कोहॉल में सुगमता से विलेय हो जाता है, क्योंकि
(a) ऐल्कोहॉल, जल की अपेक्षा अधिक घनत्व वाला है
(b) ऐल्कोहॉल, जल की अपेक्षा हल्का है
(c) ऐल्कोहॉल उदासीन है
(d) ऐल्कोहॉल उभयधर्मी है।
उत्तर
(d) ऐल्कोहॉल उभयधर्मी है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित चार यौगिकों में सर्वाधिक अम्लीय है
(a) फीनॉल
(b) O- नाइट्रोफीमॉल
(c) p-नाइट्रोफीनॉल
(d) m- नाइट्रोफीनॉल।
उत्तर
(c) p-नाइट्रोफीनॉल

प्रश्न 3.
फीनॉल से सैलिसिल्डिहाइड बनाने के लिए अभिक्रिया है
(a) रोजेनमुण्ड अभिक्रिया
(b) फ्रीडल-क्रॉफ्ट अभिक्रिया
(c) रीमर-टीमैन अभिक्रिया
(d) न्यूक्लियोफिलिक अभिक्रिया।
उत्तर
(c) रीमर-टीमैन अभिक्रिया

प्रश्न 4.
प्रोपेनॉल-2 को प्रोपेनोन में परिवर्तित करने वाला सर्वाधिक प्रभावी अभिकर्मक है
(a) LiAIH4
(b) Cu/300°C
(c) CO2
(d) K2Cr207.
उत्तर
(b) Cu/300°C

प्रश्न 5.
कार्बोलिक अम्ल है
(a) फीनॉल
(b) फेनिल बेंजोएट
(c) फेनिल एसीटेट
(d) मेथिल सैलिसिलेट।
उत्तर
(a) फीनॉल

प्रश्न 6.
कौन-सा यौगिक विन्टर ग्रीन के तेल के रूप में जाना जाता है
(a) फेनिल बेंजोएट
(b) फेनिल सैलिसिलेट
(c) फेनिल एसीटेट
(d) सैलाल।
उत्तर
(d) सैलाल।

प्रश्न 7.
ल्यूकास अभिकर्मक की क्रिया किसके साथ तीव्रतम होती है
(a) (CH3)3-C-OH
(b) (CH3)2CHOH
(c) CH3-(CH2)2OH
(d) CH3-CH2OH.
उत्तर
(a) (CH3)3-C-OH

प्रश्न 8.
कम ताप पर CS2 में, फोनॉल Br2 के साथ क्रिया करके देता है
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उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर - 91

प्रश्न 9.
तप्त Al2O3 पर एथेनॉल की वाष्प प्रवाहित करने पर कौन-सा यौगिक प्राप्त होता है
(a) एथिल ईथर
(b) ऐसीटोन
(c) ऐसिटैल्डिहाइड
(d) एथेन।
उत्तर
(a) एथिल ईथर

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प्रश्न 10.
कौन-सा यौगिक एस्प्रिन है
(a) एसिटिल सैलिसिलिक अम्ल
(b) सैलिसिलिक अम्ल
(c) एसिटामाइड
(d) सैलिसिल एमाइड।
उत्तर
(a) एसिटिल सैलिसिलिक अम्ल

प्रश्न 11.
निम्न यौगिक थैलिक अम्ल से क्रिया करके अम्ल क्षार सूचक देता है
(a) क्लोरोबेंजीन
(b) फीनॉल
(c) ऐल्कोहॉल
(d) ईथर ।
उत्तर
(b) फीनॉल

प्रश्न 12.
बैकेलाइट बनता है, जब फीनॉल निम्न के साथ संघनित होता है
(a) HCHO
(b) CH3CHO
(c) C2H5CHO
(d) CH3COCH2.
उत्तर
(a) HCHO

प्रश्न 13.
निश्चेतक के रूप में प्रयुक्त होता है
(a) CH3OH
(b) C2H5OH
(c) CH3-CHO
(d) (C2H5)2O
उत्तर
(d) (C2H5)2O

प्रश्न 14.
ल्यूकास अभिकर्मक है
(a) सान्द्र HCl
(b) सान्द्र H2SO4
(c) निर्जल ZnCl2
(d) सान्द्र HCl और निर्जल ZnCl2 I
उत्तर
(d) सान्द्र HCl और निर्जल ZnCl2 I

प्रश्न 15.
निम्नलिखित द्वारा ईथर तथा ऐल्कोहॉल में विभेद कर सकते हैं
(a) Na के साथ क्रिया
(b) PCl5 से क्रिया
(c) 2, 4 डाइनाइट्रो फेनिल हाइड्रेजीन से क्रिया
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(a) Na के साथ क्रिया

प्रश्न 16.
शराब को विषैला बनाने के लिये प्रयुक्त किया जाता है
(a) मेथिल एल्काहाल
(b) एथिल ऐल्कोहॉल
(c) ग्लिसरीन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(a) मेथिल एल्काहाल

प्रश्न 17.
लीबरमैन नाइट्रोसो परीक्षण देता है
(a) C6H5OH
(b) CH3-OH
(c) C2H5-OH
(d) CH3-O-CH3.
उत्तर
(a) C6H5OH

प्रश्न 18.
ल्यूकास अभिकर्मक द्वारा किसका परीक्षण किया जाता है
(a) फीनॉल
(b) ईथर
(c) ऐल्डिहाइड
(d) ऐल्कोहॉल।
उत्तर
(d) ऐल्कोहॉल।

प्रश्न 19.
ऐल्कोहॉल, जल में विलेय होते हैं इसका प्रमुख कारण है
(a) O-H बंध
(b) हाइड्रोजन बन्ध
(c) सहसंयोजक बन्ध
(d) वैद्युत संयोजकता।
उत्तर
(b) हाइड्रोजन बन्ध

प्रश्न 20.
ऐथिल ऐल्कोहॉल को विरंजक चूर्ण के साथ गर्म करने पर बनता है
(a) डाइ-एथिल ईथर
(b) फीनॉल
(c) क्लोरोबेन्जीन
(d) क्लोरोफॉर्म।
उत्तर
(d) क्लोरोफॉर्म।

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. ईथर का सामान्य सूत्र ……… है।
  2. फीनॉल की कोल्बे-श्मिट अभिक्रिया का मुख्य उत्पाद ……… है।
  3. फीनॉल का हाइड्रोजनीकरण करने पर ……… देता है।
  4. ऐल्कोहॉल, I2 और क्षार के साथ क्रिया करके ……… का पीला अवक्षेप देता है।
  5. फीनॉल के 2n चूर्ण के साथ गर्म करने पर ……… देता है।
  6. फॉर्मेल्डिहाइड को ……… के साथ गर्म करने पर बैकलाइट बनता है।
  7. डाइएथिल ईथर ……… के रूप में प्रयुक्त होता है।
  8. RX को NaOR के साथ गर्म करने पर ROR बनता है। इस अभिक्रिया का नाम ……… है।
  9. ऐल्कोहॉल ……… है, जबकि फीनॉल ……… प्रकृति का होता है।
  10. ऐल्कोहॉल को सान्द्र H2SO4 के साथ 160-170°C पर गर्म करने पर ……… बनता है।
  11. ऐथिल ऐल्कोहॉल के निर्जलीकरण से ……… तथा ……… प्राप्त किया जाता है।
  12. रेक्टिफाइड स्पिरिट ………% ऐल्कोहॉल तथा ……… जल का मिश्रण होता है।

उत्तर-

  1. CnH2n+2.0
  2. सैलिसिलिक अम्ल
  3. साइक्लो हेक्सेनॉल
  4. आयोडोफॉर्म (CH3J)
  5. बेंजीन
  6. फीनॉल
  7. निश्चेतक
  8. विलियमसन संश्लेषण
  9. उदासीन, अम्लीय
  10. ऐल्कीन
  11. इथिलीन, डाइ एथिल ईथर
  12. 95.5%, 4.5% |

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3. उचित संबंध जोडिए’
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उत्तर-

  1. (f)
  2. (d)
  3. (e)
  4. (g)
  5. (b)
  6. (a)
  7. (j)
  8. (c)
  9. (h)
  10. (i).

4. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए

  1. डाइएथिल ईथर Na से क्रिया नहीं करता, क्यों?
  2. ईथर में लगी आग जल द्वारा नहीं बुझायी जा सकती, क्यों? ।
  3. ईथर को जलाने पर बनता है।
  4. मॉल्टोज को ग्लूकोज में परिवर्तित करने वाले एन्जाइम का नाम लिखिए।
  5. सल्फ्यू रिक ईथर को कहते हैं।
  6. ईथर की HI के साथ अभिक्रिया का उपयोग किसके निर्धारण में होता है ?
  7. CS2 की उपस्थिति में Br2, फीनॉल से क्रिया करके बनाता है।
  8. विक्टर मेयर विधि में 1° ऐल्कोहॉल क्षार के साथ कौन-सा रंग देता है ?
  9. फोनॉल, थैलिक ऐनहाइड्राइड के साथ H2SO4 की उपस्थिति में बनाता है।
  10. किण्वन अभिक्रिया में कौन-सी गैस प्राप्त होती है ?
  11. उस प्राथमिक एल्कोहॉल का नाम बताइए जो आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है।
  12. क्षार NaOH की उपस्थिति में फीनॉल की अभिक्रिया क्लोरोफॉर्म के साथ कराने पर सैलिसि ल्डिहाइड प्राप्त होता है, यह अभिक्रिया कहलाती है।

उत्तर

  1. अम्लीय H परमाणु नहीं है,
  2. जल से हल्का और अविलेय,
  3. CO2 और H2O
  4. मॉल्टेज,
  5. डाइएथिल ईथर,
  6. ऐल्कॉक्सी (जीसल),
  7. 0- और p-ब्रोमो फीनॉल,
  8. लाल,
  9. फिनॉल्पथैलीन,
  10. CO2,
  11. C2H5-OH (एथेनॉल),
  12. राइमर-टीमैन अभिक्रिया।

ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ईथर की जल में विलेयता साधारण नमक का संतृप्त विलयन मिलाने से कम क्यों हो जाती है ? समझाइए।
उत्तर
ईथर की जल में विलेयता साधारण नमक के संतृप्त विलयन की उपस्थिति में कम होने का प्रमुख कारण ईथर का एक दुर्बल ध्रुवीय (Weak polar) यौगिक होना है।

नमक का संतृप्त विलयन ईथर की ध्रुवीयता को कम करता है तथा Na और Cr आयन जल के अणुओं को अपनी ओर अधिक आकर्षित करते हैं, जिससे ईथर की विलेयता जल के अणुओं के कम सम्पर्क में आने के कारण घट जाती है।
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प्रश्न 2.
परिशुद्ध ऐल्कोहॉल क्या है ? इसे कैसे बनाया जाता है ?
उत्तर
100% एथेनॉल को परिशुद्ध (विशुद्ध) ऐल्कोहॉल कहते हैं। परिशोधित स्पिरिट में बेंजीन मिलाकर प्रभाजी आसवन करते हैं। 64.8% पर जल 7.4%, ऐल्कोहॉल 18.5% और बेंजीन 74.1% का स्थिर क्वथनांकी (Azeotropic) मिश्रण आसवित होता है। जल के दूर हो जाने के बाद 68:2°C पर ऐल्कोहॉल (32-4%) व बेंजीन (67.6%) का द्विअंगी मिश्रण आसवित होता है। जब सम्पूर्ण बेंजीन निकल जाती है तो 78-1°C पर विशुद्ध ऐल्कोहॉल आसवित होता है। इसमें 100% ऐल्कोहॉल होता है।

प्रश्न 3.
स्टार्च से एथिल ऐल्कोहॉल बनाने की विधि का समीकरण दीजिए एवं एन्जाइमों के नाम लिखिए।
उत्तर
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एन्जाइम-

  • डायस्टेज
  • माल्टेज
  • जाइमेज। .

प्रश्न 4.
ल्युकास अभिकर्मक क्या हैं ? इससे प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉल की पहचान किस प्रकार करेंगे? वर्णन कीजिए।
उत्तर
निर्जल ZnCl2 तथा सान्द्र HCl का मिश्रण ल्युकास अभिकर्मक कहलाता है।
1. तृतीयक ऐल्कोहॉल- सामान्य ताप पर यदि ऐल्कोहॉल में ल्युकास अभिकर्मक मिलाने से तुरंत एल्किल क्लोराइड्स का सफेद तेलीय अवक्षेप बनता है तो ऐल्कोहॉल, तृतीयक ऐल्कोहॉल होगा।

2.द्वितीयक ऐल्कोहॉल- सामान्य ताप पर यदि ऐल्कोहॉल में ल्युकास अभिकर्मक मिलाने से 5 मिनट पश्चात् सफेद तेलीय एल्किल क्लोराइड का अवक्षेप प्राप्त होता है, तो ऐल्कोहॉल द्वितीयक ऐल्कोहॉल होगा।

3. प्राथमिक ऐल्कोहॉल- सामान्य ताप पर यदि ऐल्कोहॉल ल्युकास अभिकर्मक के साथ कोई अभिक्रिया नहीं दर्शाता, तो प्राथमिक ऐल्कोहॉल होगा।

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प्रश्न 5.
ऐल्कोहॉलों के क्वथनांक ईथरों की तुलना में उच्च होते हैं, क्यों?
अथवा, C2H5OH तथा CH3OCH3 दोनों का अणु सूत्र C2H6O है, किन्तु ऐल्कोहॉल का क्वथनांक 78.4°C तथा ईथर का क्वथनांक -240°C है। कारण समझाइए।
उत्तर
एथिल ऐल्कोहॉल में उसके अनेक अणु आपस में H-बन्ध द्वारा संगुणित (जुड़े) रहते हैं। इस प्रकार के अणुओं को वाष्पित करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ईथर के अणु एकल अवस्था में ही रहते हैं। अतः इसका क्वथनांक कम होता है।
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प्रश्न 6.
मेथिलेटेड स्प्रिट या विकृतीकृत ऐल्कोहॉल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
मेथिलेटेड स्प्रिट (Methylated Spirit)- परिशोधित स्प्रिट में मेथिल ऐल्कोहॉल और अन्य विषैले पदार्थ जैसे- पिरिडीन, रबर, थिनर, पेट्रोलियम, नेफ्था आदि मिलाकर विकृत कर दिया जाता है, तब इसे मेथिलेटेड स्प्रिट या विकृतीकृत ऐल्कोहॉल कहते हैं। इसका उपयोग स्प्रिट वार्निश बनाने के लिए किया जाता हैं। इससे शराब के रूप में एथेनॉल का दुरुपयोग रुक जाता है।

प्रश्न 7.
भाप अंगार गैस से CHJOH का निर्माण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर
भाप अंगार गैस से मेथिल ऐल्कोहॉल का निर्माण जल-वाष्प के रक्त-तप्त कोयले पर प्रवाहित करने पर कार्बन मोनो-ऑक्साइड और हाइड्रोजन गैस का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे (Water gas) भाप अंगार गैस कहते हैं।
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जल गैस में हाइड्रोजन गैस 2 : 1 के अनुपात में मिलाकर मिश्रण को 200 वायुमण्डलीय दाब पर 300°C ताप पर Cu, Zn व Cr के Oxides (उत्प्रेरक) पर प्रवाहित करने पर मेथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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प्रश्न 8.
निम्नांकित परिवर्तनों के रासायनिक समीकरण दीजिए

  1. एथेनॉल से डाईएथिल ईथर
  2. डाईएथिल ईथर से एथेनॉल
  3. एथेनॉल से एथिल एसीटेट
  4. ग्लूकोज से एथेनॉल।

उत्तर
1. एथेनॉल से डाईएथिल ईथर-
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2. डाईएथिल ईथर से एथेनॉल
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3. एथेनॉल से एथिल एसीटेट
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4. ग्लूकोज से एथेनॉल
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प्रश्न 9.
फीनॉल और ऐल्कोहॉल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा, सारिणी बनाकर फीनॉल एवं ऐल्कोहॉल में कोई छः अन्तर कीजिए तथा फीनॉल से सम्बन्धित लीबरमान अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर
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लीबरमान क्रिया- फीनॉल में सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की कुछ बूंदें और थोड़ा सोडियम नाइट्राइट मिलाने से पहले गहरा नीला रंग उत्पन्न होता है। इसमें जल मिलाने पर रंग लाल हो जाता है तथा क्षारीय करने पर लाल रंग पुनः नीले रंग में बदल जाता है।

प्रश्न 10.
शुद्ध फीनॉलरंगहीन ठोस होता है, परन्तु कुछ समय पश्चात् वह गुलाबी रंग देता है, क्यों ? अथवा, ऑक्सीजन की उपस्थिति में फीनॉल किस रंग का होता है ? अभिक्रिया सहित समझाइए।
उत्तर
फीनॉल वायु के सम्पर्क में आने पर गुलाबी रंग का हो जाता है, क्योंकि वह वायु की 0, से ऑक्सीकृत होकर क्विनोन बनाता है
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यह क्विनोन पुनः फोनॉल के दो अणु के साथ हाइड्रोजन बंध द्वारा जुड़ जाता है जिससे गुलाबी रंग का फिनोक्विनोन बनता है।
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प्रश्न 11.
फीनॉल की फेरिक क्लोराइड से क्रिया बताइए।
उत्तर
फीनॉल की जाँच उदासीन FeCl3 द्वारा भी की जाती है। फीनॉल, उदासीन FeCl3 मिलाने पर एक जटिल लवण का निर्माण करते हुए बैंगनी रंग देता है।
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प्रश्न 12.
ऐल्कोहॉल का क्वथनांक संगत ऐल्केन की अपेक्षा उच्च होता है, क्यों?
उत्तर
लगभग समान अणुभार वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉलों के क्वथनांक बहुत उच्च होते हैं। यह अंतराणुक हाइड्रोजन बंध के कारण होता है। ऐल्कोहॉल अणु हाइड्रोजन बंधों द्वारा संगुणित होते हैं जिनकी ऊर्जा लगभग 5 से 10 कि. कैलोरी मोल-होती है। अतः इन अणुओं के पृथक्करण हेतु अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो क्वथनांक में वृद्धि करते हैं । हाइड्रोकार्बन जो हाइड्रोजन बंध नहीं बनाते हैं उनके क्वथनांक सामान्यतः ऐल्कोहॉलों की अपेक्षा कम होते हैं।

प्रश्न 13.
एथिल ऐल्कोहॉल और फीनॉल दोनों में -OH समूह उपस्थित है ? क्या कारण है कि फीनॉल अम्लीय तथा ऐल्कोहॉल क्षारीय प्रभाव का है ?
अथवा, एथिल ऐल्कोहॉल तथा फीनॉल दोनों में OH समूह उपस्थित रहता है। क्या कारण है कि फीनॉल अम्लीय और ऐल्कोहॉल उदासीन प्रकृति का होता है ?
अथवा, फीनॉल के अम्लीय व्यवहार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
फीनॉल ऐल्कोहॉल की अपेक्षा प्रबल अम्लीय होते हैं, यह सम्भवत: मेसोमेरिक प्रभाव के कारण होता है। फोनॉल अग्रांकित रूपों का अनुनादी संकर है
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अनुनाद के कारण ऑक्सीजन परमाणु धन आवेश प्राप्त कर लेता है, जिससे यह 0-H बन्ध के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है और प्रोटॉन की मुक्ति सहज हो जाती है।
प्रोटॉन के मुक्त होने के बाद फीनॉक्साइड आयन बनता है, जो कि अनुनाद के कारण स्थायित्व प्राप्त कर लेता है।

चूँकि ऐल्कोहॉल में अनुनाद सम्भव नहीं होता है, इसलिए इसका हाइड्रोजन परमाणु ऑक्सीजन के साथ प्रबलता से जकड़ा रहता है । ऐल्कोहॉल इस कारण लगभग उदासीन यौगिक अथवा एक अत्यन्त दुर्बल अम्ल के समान व्यवहार प्रदर्शित करता है।
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प्रश्न 14.
प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक ऐल्कोहॉलों में विभिन्नता दर्शाने वाली विक्टर मेयर विधि लिखिए।
उत्तर
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प्रश्न 15.
विलियमसन की अविरल ईथरीकरण विधि क्या है ? क्या यह अविरल विधि है ? कारण दीजिए एवं विधि का नामांकित चित्र बनाइये।
अथवा, डाइएथिल ईथर बनाने की प्रयोगशाला विधि का नामांकित चित्र बनाइए एवं संबन्धित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर
विलियमसन की अविरल ईथरीकरण विधि-एथिल ऐल्कोहॉल और सान्द्र H2SO4 के मिश्रण को 410 K पर गरम करके बनाया जाता है।
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इस अभिक्रिया में (ii) पद में H2SO4 पुनः – ऐल्कोहॉल उत्पन्न हो जाता है, जो C2H5OH से पद (i) के अनुसार क्रिया करके उसे पुनः ईथर में बदलता है। इस प्रकार यह क्रिया आगे चलती रहती है। इस कारण इस विधि को अविरल ईथरीकरण की विधि कहते हैं।
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वास्तव में यह विधि निरन्तर नहीं है, क्योंकि H2SO4 का SO4 में विघटन हो जाता है तथा कुछ समय बाद H2SO4 के तनु हो जाने पर अभिक्रिया चित्र-ईथर बनाने की प्रयोगशाला विधि मंद हो जाती है तथा H2SO4 की अधिक मात्रा बाद में मिलानी पड़ती है।

प्रश्न 16.
किण्वन पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
किण्वन-जटिल कार्बनिक यौगिकों का एन्जाइम उत्प्रेरक की उपस्थिति में मन्द गति से सरल कार्बनिक यौगिकों में अपघटित होने की क्रिया को किण्वन कहते हैं । यीस्ट एक अच्छा किण्वक है, यह एक जीवित पदार्थ है, जिसमें एन्जाइम उपस्थित होते हैं। इसमें माल्टेज, जाइमेज, इनवर्टेज़ आदि एन्जाइम पाये जाते हैं।
किण्वन द्वारा ग्लूकोज में यीस्ट मिलाने पर एथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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किण्वन की अनुकूल परिस्थितियाँ

  • अनुकूल ताप-25-35°C के बीच होता है।
  • अन्य पदार्थ-कुछ कार्बनिक लवण जैसे-अमोनियम सल्फेट या अमोनियम नाइट्रेट किण्वक के आहार का कार्य करते हैं।
  • सान्द्रण-विलयन तनु हो (सान्द्रता 8-10%)।
  • वायु संचार-यह क्रिया वायु की उपस्थिति में होती है।

प्रश्न 17.

  1. फीनॉल को बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड से किस प्रकार प्राप्त करेंगे?
  2. डाइएथिल ईथर की HI अम्ल के साथ क्या क्रिया होती है ?

उत्तर
1. फीनॉल बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड के जलीय विलयन का भाप आसवन करके बनाया जाता है। N2C1
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2. सान्द्र HI के साथ डाइएथिल ईथर को गर्म करने पर एक अणु एथिल आयोडाइड का तथा एक अणु एथिल एल्कोहॉल बनता है।
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प्रश्न 18.
ऐसी दो अभिक्रियाएँ दीजिए जिनसे फोनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित होती हो, फीनॉल की अम्लता की तुलना एथेनॉल से कीजिए।
उत्तर
फीनॉल का अम्लीय गुण निम्न अभिक्रियाओं द्वारा दर्शाया जाता है
(क)
1. सक्रिय धातुओं से क्रिया (Na, K, Mg आदि)
हाइड्रोजन गैस का उत्पन्न होना।
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2. जलीय NaOH से क्रियाएँफीनॉल दुर्बल अम्ल की भाँति कार्य करता है जो NaOIl को उदासीन करता है। OH

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(ख) फोनॉल की अम्लता से एथेनॉल के साथ तुलना
C2H5OH + NaOH – कोई क्रिया नहीं
लेकिन फोनॉल NaOH से क्रिया दर्शाता है जो एथेनॉल की तुलना में प्रबल अम्लता दर्शाता है।
एथेनॉल और फीनॉल का आयनीकरण निम्न है
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फीनॉल और फोनॉक्साइड आयन संकरण अवस्था दर्शाता संकरण से फोनॉक्साइड आयन स्थायित्व ग्रहण करता है।

दूसरी ओर एथॉक्साइड आयन व एथेनॉल संकरण अवस्था नहीं दर्शाते अर्थात् एथॉक्साइड आयन में ऑक्सीजन पर ऋणात्मक आवेश उपस्थित रहता है। जबकि फीनॉक्साइड आयन में आवेश विस्थापित होता रहता है।

एथेनॉल का मान PKa मान 15:9 है जबकि फीनॉल के लिए PKa का मान 10.0 है। अतः फोनॉल, एथेनॉल की तुलना में कई गुना अधिक अम्लीय है।

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ऐल्कोहॉल, फीनॉल तथा ईथर दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऐल्कोहॉल में निर्जलीकरण की क्रियाविधि समझाइये।
उत्तर
ऐल्कोहाल का निर्जलीकरण-एथिल ऐल्कोहॉल को सान्द्र H2SO4 के आधिक्य में गर्म करने पर ऐल्कोहाल से जल के अणु निकलने से एल्कीन बनता है।
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क्रियाविधि-H2SO4 द्वारा ऐल्कोहाल का प्रोटॉनीकरण
1.
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2. जल का विलोपन
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3. क्षार (बाइसल्फेट आयन) द्वारा प्रोटॉन के रूप में हाइड्रोजन का निकलना
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निर्मित कार्बो केटायन (I) का स्थायित्व निर्जलीकरण की सरलता निर्धारित करता है एवं कार्बो केटायन के स्थायित्व का क्रम निम्न है
CH3 < C2H5 < आइसोप्रोपिल < तृतीयक ब्यूटिल

प्रश्न 2.
शीरे से एथिल ऐल्कोहॉल कैसे प्राप्त करते हैं ? संक्षेप में समझाइए एवं क्रिया का समीकरण दीजिए।
अथवा, शीरा क्या है ? किण्वन विधि द्वारा ऐल्कोहॉल कैसे बनाया जाता है ? समझाइये।
उत्तर
गन्ने के रस से शक्कर के क्रिस्टल पृथक् कर लेने के पश्चात् पीले गाढ़े रंग का चासनी जैसा द्रव बचता है, जिसे शीरा (molasses) कहते हैं। शीरे से ऐल्कोहॉल का निर्माण निम्नलिखित पदों में किया जाता है

1. तनुकरण- शीरे में जल मिलाकर 8-10% तनु करते हैं और इसमें थोड़ी मात्रा में अमोनियम सल्फेट, अमोनियम और फॉस्फेट, सल्फ्यूरिक अम्ल मिला दिये जाते हैं।

2. किण्वन- उक्त विलयन में यीस्ट (लगभग 5%) मिला दिया जाता है। मिश्रण को 2-3 दिन के लिए 25-30°C ताप पर रख देते हैं। कुछ समय पश्चात् वायु प्रवाहित करते हैं । यीस्ट में उपस्थित एन्जाइमों की उत्प्रेरक क्रियाओं द्वारा एथेनॉल बन जाता है।
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प्राप्त किण्वन द्रव को वाश (Wash) कहते हैं, जिसमें 6-10% C2H5OH तथा शेष जल और अन्य अशुद्धियाँ होती हैं।

3. आसवन- वाश का आसवन कॉफे भभके में किया जाता है। इसमें दो स्तम्भ होते हैं-विश्लेषक (analyser) तथा परिशोधक (rectifier) जो एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं।

वाश को एक सर्पिलाकार नली द्वारा परिशोधक में से प्रवाहित करते हैं । प्राप्त गर्म वाष्प को विश्लेषक के ऊपरी भाग से मन्द गति से गिराते हैं। विश्लेषक में ऊपर की ओर जा रही भाप नीचे की ओर आ रहे वाश के सम्पर्क मे आती है तथा उसमें ऐल्कोहॉल को वाष्पित करती है । ऐल्काहाल का क्वथनांक 78.3°C ह । अतः यह वाष्प में आगे बढ़ता जाता है। इन वाष्पों को संघनित करने से लगभग 90% ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
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4. परिशोधन- वाश का परिशोधन प्रभाजी आसवन से करते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को कैसे परिवर्तित करेंगे

  1. मेथेनॉल से एथेनॉल
  2. एथेनॉल से मेथेनॉल।

उत्तर
1. मेथेनॉल से एथेनॉल
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2. एथेनॉल से मेथेनॉल
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प्रश्न 4.
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्कोहॉल में विभेद की ऑक्सीकरण एवं विहाइड्रोजनीकरण विधि को समझाइये।
उत्तर
1. ऑक्सीकरण विधि-इसे निम्न सारिणी द्वारा दर्शा सकते हैं
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2. विहाइड्रोजनीकरण (Dehydrogenation) परीक्षण-जब ऐल्कोहॉल की वाष्पों को अपचयित एवं गर्म ताँबे पर 300°C पर प्रवाहित किया जाता है तब विभिन्न ऐल्कोहॉल से भिन्न-भिन्न क्रियाफल प्राप्त होते हैं।
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प्रश्न 5.
फीनॉल से निम्न कैसे प्राप्त करोगे-(समीकरण दीजिए)

  1. 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोफीनॉल,
  2. 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफीनॉल,
  3. बेंजीन,
  4. आर्थो एवं पैरा-क्रिसॉल,
  5. ट्राइब्रोमो फीनॉल,
  6. पिक्रिक अम्ल,
  7. ऐनिलीन,
  8. फीनॉल्पथैलीन,
  9. p-क्रिसॉल।

उत्तर
फीनॉल से निम्न को बनाना
1. 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोफीनॉलOH
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2. 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफीनॉल
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3. बेंजीन
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4. 0-एवं p – क्रिसॉल
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5. फीनॉल से ट्राइब्रोमोफीनॉल- फीनॉल की जलीय ब्रोमीन के साथ क्रिया कराने पर ट्राइब्रोमोफोनॉल बनता है।
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6. फीनॉल से पिक्रिक अम्ल
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7. फीनॉल से ऎनिलीन
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8. फीनॉल से फीनॉल्फ्थै लीन-फीनॉल की सान्द्र H2SO4 अम्ल की उपस्थिति में थैलिक ऐनहाइड्राइड के साथ गर्म करने पर फीनॉल्पथैलीन बनती है, जो क्षार के साथ लाल रंग देती है। अत: इसका उपयोग अनुमापन में सूचक (indicator) के रूप में किया जाता है।
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9. फीनॉल से पैरा-क्रिसॉल-फीनॉल की निर्जल AICI3 की उपस्थिति में मेथिल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया करने पर p- क्रिसॉल मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है और अल्प मात्रा में o- क्रिसॉल भी बनता है। इस अभिक्रिया को फ्रीडल-क्राफ्ट अभिक्रिया कहते हैं।
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प्रश्न 6.
निम्नांकित परिवर्तनों के रासायनिक समीकरण दीजिये

  1. ऐथेनॉल से डाइएथिल ईथर,
  2. डाइएथिल ईथरसे ऐथेनॉल,
  3. ऐथेनॉल से एथिल ऐसीटेट,
  4. ग्लूकोज से ऐथेनॉल।

उत्तर
परिवर्तनों के रासायनिक समीकरण
1. ऐथेनॉल से डाइएथिल ईथर –
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2. डाइएथिल ईथर से ऐथेनॉल
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3. ऐथेनॉल से एथिल ऐसीटेट
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4. ग्लूकोज से ऐथेनॉल
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प्रश्न 7.
लकड़ी के भंजक आसवन से मेथिल ऐल्कोहॉल का निर्माण की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर
लकड़ी का 400°C पर भंजक आसवन (अर्थात् वायु की उपस्थिति में गर्म करने पर) करने पर उत्पन्न होने वाली वाष्पों को संघनित्र में प्रवाहित करते हैं तथा कुछ गैसें द्रवित हो जाती हैं। यह द्रव दो परतें बनाती हैं। नीचे काष्ठ तार (Wood tar) होता है और ऊपर अम्लीय व भूरे रंग की एक परत होती है, जिसे पायरो लिग्नियस अम्ल कहते हैं। इसमें जल के अतिरिक्त ऐसीटिक अम्ल (8-10%), मेथेनॉल (2-4%) और ऐसीटोन (0-5) होता है।

पाइरो लिग्नियस अम्ल से शुद्ध मेथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त करना-पाइरो लिग्नियस अम्ल को एक ताँबे के पात्र में गर्म करते हैं और वाष्प को उबलते हुए चूने के पानी में प्रवाहित करते हैं । ऐसीटिक अम्ल अवाष्पशील कैल्सियम ऐसीटेट के रूप में पृथक् हो जाता है। इस पर H2SO4 की क्रिया से CH3COOH प्राप्त करते हैं।
2CH3COOH + Ca(OH)2 →(CH3COO)2 Ca+2H2 O
(CH3COO)2 Ca + H2S04→+2CH3.COOH + CaSO4

बिना शोषित हुए गैसों को संघनित्र के द्वारा द्रवित कर लिया जाता है। इसमें मेथिल ऐल्कोहॉल व ऐसीटोन होता है, जिसका प्रभाजी आसवन करके ऐसीटोन (56°C) व मेथिल ऐल्कोहॉलं (65°C) को अलग-अलग प्राप्त कर लेते हैं।

मेथिल ऐल्कोहॉल का शोधन- अशुद्ध मेथिल ऐल्कोहॉल में निर्जल CaCl2 मिलाते हैं, जिससे CaCl2.4CH3OH सूत्र का एक क्रिस्टलीय यौगिक (कैल्सियम क्लोराइड टेट्रा मेथेनॉल) प्राप्त होता है, इसे पृथक् करके जल के साथ उबालते हैं और आसवन करते हैं। मेथिल ऐल्कोहॉल का जलीय विलयन आसवित होता है। इसे बिना बुझा चूना (CaO) पर सुखाकर पुनः आसवित करने पर 65°C पर शुद्ध मेथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।

प्रश्न 8.
फीनॉल बनाने के तीन विधियों का समीकरण दीजिए।
उत्तर
फीनॉल बनाने की विधियाँ
1. बेंजीन डाइएजोनियम लवणों का जल-अपघटन-एरोमैटिक प्राथमिक एमीन (एनिलीन) को नाइट्रस अम्ल (NaNO2 + HCI) के साथ 0-5°C ताप पर बेंजीन डाइएजोनियम लवण बनता है। इस लवण के जलीय विलयन को उबालने पर फीनॉल प्राप्त होता है।
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2. सोडियम बेंजीन सल्फोनेट के क्षारीय गलन- सोडियम बेंजीन सल्फोनेट को NaOH के साथ संगलित करने पर सोडियम फीनॉक्साइड बनता है जिसे अम्लीकृत करने पर फीनॉल बनता है।
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3. रेशिग विधि- बेंजीन की HCl अम्ल और वायु के मिश्रण के साथ Cu उत्प्ररेक की उपस्थिति में 230°C ताप पर गर्म करने पर क्लोरो बेंजीन बनता है। फिर इसका जल-अपघटन करने पर फीनॉल बनता है।
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