MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

ठोसों के यांत्रिक गुण अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 9.1.
4.7 m लम्बे व 3.0 x 10-5 m2अनुप्रस्थ काट के स्टील के तार तथा 3.5 m लंबे व 4.0 x 10-5m2 अनुप्रस्थ काट के ताँबे के तार पर दिए गए समान परिमाण के भारों को लटकाने पर उनकी लंबाइयों में समान वृद्धि होती है। स्टील तथा ताँबे के यंग प्रत्यास्थता गुणांकों में क्या अनुपात है?
उत्तर:
दिया है: स्टील के तार के लिए
तार की लम्बाई, I1 = 4.7 m
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
a1 = 3.0 × 10-5 m2
माना लम्बाई में वृद्धि,
∆I2 = ∆l; F2 = F
माना स्टील व ताँबे के तार के यंग प्रत्यास्थता गुणांक Y1, व Y2 हैं।
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प्रश्न 9.2.
नीचे चित्र में किसी दिए गए पदार्थ के लिए प्रतिबल – विकृति वक्र दर्शाया गया है। इस पदार्थ के लिए –
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(a) यंग प्रत्यास्थता गुणांक तथा –
(b) सन्निकट पराभव सामर्थ्य क्या है?
उत्तर:
(a) ग्राफ पर स्थित बिन्दु P पर विकृति, E = 0.002
प्रतिबल, σ = 150 × 106 न्यूटन/मीटर2
सूत्र यंग प्रत्यास्थता गुणांक, Y = \(\frac{σ}{E}\) से
y = \(\frac { 150\times 10^{ 6 } }{ 0.002 } \)
= 7.5 × 1010 न्यूटन/मीटर2
(b) परास व सामर्थ्य = ग्राफ के उच्चतम बिन्दु के संगत प्रतिबल
= 290 × 106 न्यूटन प्रति मीटर 2

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प्रश्न 9.3.
दो पदार्थों A और R के लिए प्रतिबल-विकृति ग्राफ चित्र में दर्शाए गए हैं।
इन ग्राफों को एक ही पैमाना मानकर खींचा गया है।

  1. किस पदार्थ का यंग प्रत्यास्थता गुणांक अधिक है?
  2. दोनों पदार्थों में कौन अधिक मजबूत है?

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उत्तर:

  1. ∵ पदार्थ A के ग्राफ का ढाल दूसरे ग्राफ की तुलना में अधिक है; अत: पदार्थ A का यंग गुणांक अधिक है।
  2. दोनों ग्राफों पर पराभव बिन्दुओं की ऊँचाई लगभग बराबर है परन्तु पदार्थ A के ग्राफ, पदार्थ B की तुलना में प्लास्टिक क्षेत्र अधिक सुस्पष्ट है; अत: पदार्थ A अधिक मजबूत है।

प्रश्न 9.4.
निम्नलिखित दो कथनों को ध्यान से पढ़िये और कारण सहित बताइये कि वे सत्य हैं या असत्य –

  1. इस्पात की अपेक्षा रबड़ का यंग गुणांक अधिक है;
  2. किसी कुण्डली का तनन उसके अपरूपण गुणांक से निर्धारित होता है।

उत्तर:

  1. असत्य, चूँकि इस्पात व रबड़ से बने एक जैसे तारों में समान विकृति उत्पन्न करने के लिए इस्पात के तार में रबड़ की अपेक्षा अधिक प्रतिबल उत्पन्न होता है। इससे स्पष्ट है कि इस्पात का यंग गुणांक रबड़ से अधिक है।’
  2. सत्य, चूँकि हम किसी कुण्डली या स्प्रिंग को खींचते हैं तो न तो स्प्रिंग निर्माण में लगे तार की लम्बाई में कोई परिवर्तन होता है और न ही उसका आयतन परिवर्तित होता है। स्प्रिंग का केवल रूप बदलता है। अतः स्प्रिंग का तनन उसके अपरूपण गुणांक से निर्धारित होता है।

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प्रश्न 9.5.
0.25 cm व्यास के दो तार, जिनमें एक इस्पात का तथा दूसरा पीतल का है, चित्र के अनुसार भारित है। बिना भार लटकाए इस्पात तथा पीतल के तारों की लम्बाइयाँ क्रमश: 1.5 m तथा 1.0 m हैं। यदि इस्पात तथा पीतल के यंग गुणांक क्रमश: 2.0 × 10 11 Pa तथा 0.91 × 1011 Pa हों तो इस्पात तथा पीतल के तारों में विस्तार की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है: Rs = RB = 0.125 cm
= 1.25 × 10-3 m
Ls = 1.5 m, LB = 1.0 m
Ys = 2.0 × 10 11 Pa,
YB = 0.91 × 10 11 Pa
जहाँ S व B क्रमशः इस्पात
(Steel) तथा पीतल (Brass) को प्रदर्शित करते हैं।
पीतल के तार पर केवल 6.0 kg द्रव्यमान के पिंड का भार लगा है, जबकि इस्पात के तार पर (6.0 + 4.0 = 10.0 kg) का भार लगा है।
∴FB = 6.0 kg × 9.8 Nkg-1 = 58.8 N
FS = 10.0 kg × 9.8 Nkg-1 = 98 N
प्रत्येक का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A = πR2
= 3.14 × (1.25 × 10-3 m)2
= 4.91 × 10-6 m2
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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण img 5a
= 14.96 × 10 -5 m = 0.015 cm

प्रश्न 9.6.
ऐल्युमिनियम के किसी घन के किनारे 10 cm लम्बे हैं। इसकी एक फलक किसी ऊर्ध्वाधर दीवार से कसकर जुड़ी हुई है। इस घन के सम्मुख फलक से 100 kg का एक द्रव्यमान जोड़ दिया गया है। ऐल्युमीनियम का अपरूपण गुणांक 25 GPa है। इस फलक का ऊर्ध्वाधर विस्थापन कितना होगा?
उत्तर:
दिया है:
अपरूपण गुणांक G = 25 GPa
= 25 × 109 Nm-2
बल – आरोपित फलक का क्षेत्रफल A =10 cm × 10 cm = 100 × 10 -4m2
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आरोपित बल
F = 100 kg × 9.8 Nkg-1 = 980 N
माना फलक का ऊर्ध्व विस्थापन = ∆x
जबकि L = 10 cm = 0.1 m
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प्रश्न 9.7.
मृदु इस्पात के चार समरूप खोखले बेलनाकार स्तम्भ 50,000 kg द्रव्यमान के किसी बड़े ढाँचे को आधार दिये हुए हैं। प्रत्येक स्तम्भ की भीतरी तथा बाहरी त्रिज्याएँ क्रमश: 30 तथा 60 cm हैं। भार वितरण को एकसमान मानते हुए प्रत्येक स्तम्भ की संपीडन विकृति की गणना कीजिये।
उत्तर:
दिया है:
आन्तरिक त्रिज्या (भीतरी त्रिज्या)
Rext = 30 सेमी = 0.3 मीटर
बाहरी त्रिज्या, Rext = 60 सेमी = 0.6 मीटर
प्रत्येक स्तम्भ का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A = πR2ext – πR2int
= 3.14 [(0.6)22 – (0.3)2]
= 0.85 मीटर 2
ढाँचे का सम्पूर्ण भार,
W = 50,000 × 9.8
= 4.9 × 10 5 न्यूटन
अतः प्रत्येक स्तम्भ पर भार, F1 = \(\frac{1}{4}\) = 1.225 × 105 न्यूटन
हम जानते हैं कि इस्पात का यंग गुणांक,
Y = 2 × 1011 न्यूटन/मीटर2
सूत्र Y = \(\frac { FL }{ A\Delta L } \)
प्रत्येक स्तम्भ पर संपीडन विकृति
= \(\frac { \Delta L }{ L } \) = \(\frac { F_{ 1 }O }{ AY } \)
= \(\frac { 1.225\times 10^{ 5 } }{ 0.85\times 10^{ 2 }\times 2\times 10^{ 11 } } \)
= 0.72 × 10 -6
चारों स्तम्भों पर संपीडन विकृति
= (0.72 × 10 -6) × 4
= 32.88 × 10 -6

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प्रश्न 9.8.
ताँबे का एक टुकड़ा, जिसका अनुप्रस्थ परिच्छेद 15.2 mm × 19.1 mm का है, 44,500 N बल के तनाव से खींचा जाता है, जिससे केवल प्रत्यास्थ विरूपण उत्पन्न हो। उत्पन्न विकृति की गणना कीजिये।
उत्तर:
दिया है, Y = 1.1 × 1011 Nm-2
A = परिच्छेद क्षेत्रफल
= 15.2 mm × 19.1 mm
= 15.2 × 10-3 m × 19.1 × 10-3 m
बल F = 44500N
परिणामी = विकृति = ?
Y = प्रतिबल/विकृति
या विकृति प्रतिबल/Y = \(\frac{F}{AY}\)
या अनुदैर्ध्य विकृति
= \(\frac { 44500 }{ 15.2\times 19.1\times 10^{ -6 }\times 1.1\times 10^{ 11 } } \)
= 139.34 × 10-3 = 0.139

प्रश्न 9.9.
1.5 cm त्रिज्या का एक इस्पात का केबिल भार उठाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यदि इस्पात के लिए अधिकतम अनुज्ञेय प्रतिबल 108 Nm-2 है तो उस अधिकतम भार की गणना कीजिए जिसे केबिल उठा सकता है।
उत्तर:
दिया है: इस्पात के तार की त्रिज्या, r = 1.5 सेमी
= 1.5 × 10-2 मीटर 2
अधिकतम अनुज्ञेय प्रतिबल × अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
= 10 8 × π × (1.5 × 10 -2)2
= 3.14 × 2.25 × 10 4 न्यूटन

प्रश्न 9.10.
15 kg द्रव्यमान की एक दृढ़ पट्टी को तीन तारों, जिनमें प्रत्येक की लंबाई 2 m है, से सममित लटकाया गया है। सिरों के दोनों तार ताँबे के हैं तथा बीच वाला लोहे का है। तारों के व्यासों के अनुपात निकालिए, प्रत्येक पर तनाव उतना ही रहना चाहिए।
उत्तर:
माना कि ताँबे व लोहे के यंग गुणांक क्रमशः Y1 व Y2 है।
Y1 = 110 × 109 न्यूटन/मीटर2
Y2 = 190 × 109 न्यूटन/मीटर2
माना कि ताँबे व लोहे के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल क्रमश:
a1, व a2 हैं तथा इनके व्यास क्रमश: a1 व d2 हैं।
सूत्र क्षेत्रफल = T (व्यास/2)2 से,
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दिया है:
L = 2 मीटर
माना प्रत्येक तार में उत्पन्न वृद्धि ∆l है तथा प्रत्येक तार में उत्पन्न तनाव F है।
सूत्र Y = प्रतिबल/विकृति से,
ताँबे के तार की विकृति = \(\frac { F/a_{ 1 } }{ Y_{ 2 } } \)
या अनुप्रस्थ परिच्छेद
= \(\frac { 44500 }{ 15.2\times 19.1\times 10^{ -6 }\times 1.1\times 10^{ 11 } } \)
= 139.34 × 10-3 = 0.139

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प्रश्न 9.11.
एक मीटर अतानित लंबाई के इस्पात के तार के एक सिरे से 14.5 kg का द्रव्यमान बाँध कर उसे एक ऊर्ध्वाधर वृत्त में घुमाया जाता है, वृत्त की तली पर उसका कोणीय वेग 2 rev/s है। तार के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल 0.065 cm 2है। तार में विस्तार की गणना कीजिए जब द्रव्यमान अपने पथ के निम्नतम बिंदु पर है।
उत्तर:
निम्नतम बिन्दु पर द्रव्यमान के घूर्णन के कारण तार में उत्पन्न बल,
T – mg = \(\frac { m }{ \omega ^{ 2 } } \)
जहाँ T = तार में तनाव है।
T = mg + \(\frac { m }{ \omega ^{ 2 } } \)
= 14.5 × 9.8 + 14.5 × 1 × (4π)2
= 14.5 (9.8 + 16 × 9.87)
= 14.5 (9.8 + 157.92)
= 2431.94 N
प्रतिबल = \(\frac{T}{A}\) = \(\frac { 2431.94 }{ 65\times 10^{ 7 } } \)
विकृति = \(\frac{∆L}{l}\) = \(\frac{∆L}{l}\) = ∆L
सम्बन्ध
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प्रश्न 9.12.
नीचे दिये गये आँकड़ों से जल के आयतन प्रत्यास्थता गुणांक की गणना कीजिए, प्रारंभिक आयतन = 100.0 L दाब में वृद्धि = 100.0 atm (1 atm = 1.013 × 105 Pa), अंतिम आयतन = 100.5 L। नियत ताप पर जल तथा वायु के आयतन प्रत्यास्थता गुणांकों की तुलना कीजिए। सरलं शब्दों में समझाइये कि यह अनुपात इतना अधिक क्यों है?
उत्तर:
दिया है:
P = 100 वायुमण्डलीय दाब = 100 × 1.013 × 105 Pa (∴1 atm = 1.013 × 105 Pa)
प्रारम्भिक आयतन,
V1 = 100 litre = 100 × 10-3 m-3
अन्तिम आयतन,
V2 = 100.5 litre = 100.5 × 10-3 m-3
आयतन में परिवर्तन = ∆V = V2 – V1
= (100.5 – 100) × 10-3 m-3
= 0.5 × 10-3 m-3
जल का आयतन गुणक = KW = ?
सूत्र KW = \(\frac { P/\Delta V }{ V } \) से
KW = \(\frac { PV }{ \Delta V } \)
= \(\frac { PV }{ \Delta V } \)
= \(\frac { 100\times 1.013\times 10^{ 5 }\times 100\times 10^{ -3 } }{ 0.5\times 10^{ -3 } } \) (∵V = V1
या
KW = 2.026 × 109 Pa
पुनः हम जानते हैं की STP पर वायु का आयतन गुणांक
Kair = 1.0 × 10-4 GPa
= 1 × 10-4 × 109 Pa = 105 Pa
\(\frac { K_{ W } }{ K_{ air } } \) = \(\frac { 2.026\times 10^{ 9 } }{ 10^{ 5 } } \) = 2.026 × 104
= 20260
यहाँ अनुपात बहुत आदिक है अयथार्थ जल का आयतन प्रत्यास्थता वायु की आयतन प्रत्यास्थता से बहुत अधिक है। इसका कारण यह है कि समान दाब द्वारा जल के आयतन में होने वाली कमी, वायु के आयतन में होने वाली कमी की तुलना में नगण्य होती है।

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प्रश्न 9.13.
जल का घनत्व उस गहराई पर, जहाँ दाब 80.0 atm हो, कितना होगा? दिया गया है कि पृष्ठ पर जल का घनत्व 1.03 × 103 kgm-3, जल की संपीडता 45.8 × 10-11 Pa-1 (1 Pa = 1Nm-2)
उत्तर:
दिया है:
P = 80 atm = 80 × 1.013 × 105 Pa
\(\frac { 1 }{ k } \) = 45.8 × 10-11 Pa-1
पृष्ठ पर जल का घनत्व,
ρ = 1.03 × 103 किग्रा प्रति मीटर3
माना दी हुई गहराई पर जल का घनत्व ρ है।
माना M द्रव्यमान के जल के द्वारा पृष्ठ व दी हुई गहराई पर आयतन क्रमश: V व V’ है।
अत:
V = \(\frac { M }{ \rho } \) तथा V’ = \(\frac { M }{ \rho’ } \)
∴ आयतन में परिवर्तन
∆V = V – V’ = M (\(\frac { 1 }{ \rho } -\frac { 1 }{ \rho ^{ ‘ } } \))
∴ आयतनात्मक विकृति
\(\frac { \Delta V }{ V } \) = M(\(\frac { 1 }{ \rho } -\frac { 1 }{ \rho ^{ ‘ } } \)) × \(\frac { \rho }{ M } \) = (1 – \(\frac { \rho }{ \rho ^{ ‘ } } \))
या \(\frac { \Delta V }{ V } \) = (1 – \(\frac { 1.03\times 10^{ 3 } }{ \rho ^{ ‘ } } \))
पुनः हम जानते हैं कि जल का आयतन गुणांक निम्नवत्
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p’ = 1.034 × 103 kgm-3

प्रश्न 9.14.
काँच के स्लेब पर 10 atm का जलीय दाब लगाने पर उसके आयतन में भिन्नात्मक अंतर की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
P = 10 atm = 10 × 1.013 × 105 Pa
सारणी से, काँच के गुटके के लिए,
K = 37 × 109 Nm-2
काँच के गुटके के आयतन में भिन्नात्मक अन्तर
= \(\frac { \Delta V }{ V } \) = ?
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= 0.0274 × 10-3
= 2.74 × 10-5
= 0.0274 × 10-3 % = 0.003 %

प्रश्न 9.15
ताँबे के एक ठोस घन का एक किनारा 10 cm का है। इस पर 7.0 x 106 Pa का जलीय दाब लगाने पर इसके आयतन में संकुचन निकालिए।
उत्तर:
दिया है:
L = 10 cm = 0.1 m
ताँबे का आयतन गुणांक
= 140 × 109 Pa
P = 7 × 106 Pa
ठोस ताँबे के घन में आयतन सम्पीडन
= ∆V = ?
V = L3 = (0.1)3 = 0.001 m3
सूत्र, K = – \(\frac { P }{ \frac { \Delta V }{ V } } \) से
\(\frac { \Delta V }{ V } \) = \(\frac { -PV }{ K } \)
= \(\frac { 7\times 10^{ 6 }\times 0.001 }{ 140\times 10^{ 9 } } \)
= \(\frac { -1 }{ 20 } \) × 10-6m3
= – 0.05 × 10-6 m3 = – 0.05cm3
यहाँ ऋणात्मक चिह्न से स्पष्ट होता है कि आयतन संकुचित होता है।

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प्रश्न 9.16.
1 लीटर जल पर दाब में कितना अन्तर किया जाए कि वह 0.10% सम्पीडित हो जाए।
उत्तर:
दिया है:
V = 1 लीटर
∆V = – 0.10 % of V
= \(\frac { -0.10 }{ 100 } \) × 1 = \(\frac{1}{1000}\) लीटर
माना ∆p = 1 लीटर जल संकुचित करने के लिए आवश्यक दाब
पानी का आयतन प्रसार गुणांक
K = 2.2 × 109 Nm-2
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ठोसों के यांत्रिक गुण अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 9.17.
हीरे के एकल क्रिस्टलों से बनी निहाइयों, जिनकी आकृति चित्र में दिखाई गयी है, का उपयोग अति उच्च दाब के अंतर्गत द्रव्यों के व्यवहार की जाँच के लिए किया जाता है। निहाई के संकीर्ण सिरों पर सपाट फलकों का व्यास 0.50 mm है। यदि निहाई के चौड़े सिरों पर 50.000 N का बल लगा हो तो उसकी नोंक पर दाब ज्ञात कीजिए।
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उत्तर:
दिया है: आरोपित बल, F = 5 × 104 न्यूटन
व्यास, D = 5 × 10-4 मीटर
त्रिज्या, r = \(\frac{D}{2}\) = 2.5 × 10-4
क्षेत्रफल, A = πr2
= \(\frac{22}{7}\) × (2.5 × 10-4)2
नोंक पर दाब, P = ?
सूत्र P = \(\frac{F}{A}\) से,
P = \(\frac { 5\times 10^{ 4 } }{ \frac { 22 }{ 7 } \times (2.5\times 10^{ -4 })^{ 2 } } \)
= 0.225 × 1012Pa
= 2.55 × 1011Pa

प्रश्न 9.18.
1.05 m लंबाई तथा नगण्य द्रव्यमान की एक छड़ को बराबर लंबाई के दो तारों, एक इस्पात का (तार A) तथा दूसरा ऐल्युमीनियम का तार (तार B) द्वारा सिरों से लटका दिया गया है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। A तथा B के तारों के अनुप्रस्थ परिच्छेद के
क्षेत्रफल क्रमशः 1.0 mm2 और 2.0 mm2 हैं। छड़ के किसी बिन्दु से एक द्रव्यमान m को लटका दिया जाए ताकि इस्पात तथा एल्युमीनियम के तारों में (a) समान प्रतिबल तथा (b) समान विकृति उत्पन्न हो।
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उत्तर:
माना कि स्टील तथा एल्युमीनियम के दो तारों क्रमश: A व B की लम्बाई L है।
माना कि A तथा B के अनुप्रस्थ क्षेत्रफल क्रमश: a1 व a2, हैं।
a1 = 1 मिमी2 = (10-3)2 = 10-6 मीटर m2
a2 = 2 मिमी2 = 2 × 10-6 मीटर 2
सारणी से, स्टील के लिए,
Y1 = 2 × 1011 न्यूटन मीटर 2
एल्युमीनियम के लिए,
Y2 = 7 × 1019 न्यूटन मीटर-2 माना तारों के निचले सिरों पर लगाए गए बल F1 व F2 हैं।
(a) A तथा B पर प्रतिबल क्रमश: F1/a1 व F2/a2 हैं। जब दोनों प्रतिबल बराबर हैं, तब
\(\frac { F_{ 1 } }{ a_{ 1 } } \) = \(\frac { F_{ 1 } }{ a_{ 2 } } \) या \(\frac { F_{ 1 } }{ F_{ 2 } } \)
= \(\frac { a_{ 1 } }{ a_{ 2 } } \)
माना कि दोनों छड़ों से x व y दूरी पर लटकाए गए भार mg द्वारा आरोपित बल F1 व F2 हैं। तब
F1x = F2Y
या \(\frac { F_{ 1 } }{ F_{ 2 } } \) = \(\frac{Y}{x}\)
समी० (i) व (ii) से,
\(\frac{y}{x}\) = \(\frac { a_{ 1 } }{ a_{ 2 } } \)
या
x = \(\frac { a_{ 2 } }{ a_{ 1 } } \) y
परन्तु x + y = 1.05 m
y = 1.05 – x
समी० (iii) व (iv) से,
x = \(\frac { a_{ 2 } }{ a_{ 1 } } \) (1.05 – x)
या a1x = 1.05 a2 – xa2
या x (a1 + a2) = 1.05a2
x = \(\frac { 1.05\times 2\times 10^{ -6 } }{ (1+2)\times 10^{ -6 } } \)
x = \(\frac { 1.05\times 2 }{ 3 } \) = 0.70m
y = 1.05 – 70 = 0.35 m
अतः द्रव्यमान m को A (स्टील तार.) से 0.7 मीटर या B (Al) से 0.35 मीटर की दूरी पर लटकाना चाहिए।
सूत्र y = प्रतिबल/विकृति से, विकृति = \(\frac { F_{ 1 }/a_{ 2 } }{ Y_{ 2 } } \)
चूँकि विकृतियाँ समान हैं।
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Y = 1.05 – x = 1.05 – 0.43 = 0.62m
अतः द्रव्यमान m को A से 0.43 मीटर दूरी पर लटकाना चाहिए।

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प्रश्न 9.19
मृदु इस्पात के एक तार, जिसकी लंबाई 1.0 m तथा अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल 0.50 × 10-2 cm2 है, को दो खम्भों के बीच क्षैतिज दिशा में प्रत्यास्थ सीमा के अंदर ही तनित किया जाता है। तार के मध्य बिंदु से 100g का एक द्रव्यमान लटका दिया जाता है। मध्य बिंदु पर अवनमन की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है: 1 = 1 मीटर
क्षेत्रफल: A = 0.5 × 10-2 cm2
= 0.5 × 10-2 × 10-2 × (10-2 m)2
= 0.5 × 10 -6m2
द्रव्यमान:
m = 100 g = 0.1 kg
भार W = mg = 0.1 × 9.8 N
माना तार की त्रिज्या r है।
A = πr2 = 0.5 × 10-6 m2
r2 = \(\frac { 0.5\times 10^{ -6 } }{ \pi } \) m2
स्टील के लिए, y = 2 × 1011 Pa
अवनमन δ = ? = ?
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= 0.051 m = 0.01m

प्रश्न 9.20.
धातु के दो पहियों के सिरों को चार रिवेट से आपस में जोड़ दिया गया है। प्रत्येक रिवेट का व्यास 6 mm है। यदि रिवेट पर अपरूपण प्रतिबल 6.9 × 107 Pa से अधिक नहीं बढ़ना हो तो रिवेट की हुई पट्टी द्वारा आरोपित तनाव का अधिकतम मान कितना होगा? मान लीजिए कि प्रत्येक रिवेट एक चौड़ाई भार वहन करता है।
उत्तर:
माना रिवेट पर w भार लगाया जाता है।
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प्रत्येक रिवेट पर आरोपित बल = \(\frac{w}{4}\)
प्रत्येक रिवेट पर अधिकतम अपरूपण प्रतिबल
= 6.9 × 107 Pa
माना अपरूपण बल प्रत्येक रिवेट के A क्षेत्रफल पर लगाया जाता है।
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माना रिवेट पट्टी द्वारा लगाया गया अधिकतम तनाव wmax है।
अतः
\(\frac { w_{ max } }{ 4A } \) = 6.9 × 107
या wmax = 4A = 6.9 × 107
दिया है:
प्रत्येक रिवेट का व्यास
D = 6 mm = 6 × 10-3
A = \(\frac { \pi D^{ 2 } }{ 4 } \)
= \(\frac { 3.142\times (6\times 10^{ -3 })^{ 2 } }{ 4 } \)
समी० (i) व (ii) से,
Wmax = 4 × \(\frac { 3.142\times 36\times 10^{ -6 } }{ 4 } \) × 6.9 × 10-3
= 7804.73N = 7.8 × 103N

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प्रश्न 9.21.
प्रशांत महासागर में स्थित मैरिना नामक खाई एक स्थान पर पानी की सतह से 11 km नीचे चली जाती है और उस खाई में नीचे तक 0.32 m3 आयतन का इस्पात का एक गोला गिराया जाता है, तो गोले के आयतन में परिवर्तन की गणना करें।खाई के तल पर जल का दाब 1.1 × 108 Pa है और इस्पात का आयतन गुणांक 160 GPa है।
उत्तर:
दिया है: h = 11 km = 11 × 103 m
जल का घनत्व, ρ = 103 kgm-3
खाई के तल पर जल के 11 किमी स्तम्भ द्वारा लगाया गया दाब
P = hpg
= 11 × 103 × 103 × 10 Pa
= 1.1 × 108 Pa
V = 0.32 m3
∆V = ?
जल का आयतन गुणांक = K
= 2.2 × 104
= 2.2 × 104 × 105 Pa
= 2.2 × 109Pa (∴ 1 atm = 105 Pa)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण img 19
= 0.016 m3

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MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ

अपचयोपचय अभिक्रियाएँ NCERT अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित स्पीशीज़ में रेखांकित तत्वों की ऑक्सीकरण संख्या बताइए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 2
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 3

प्रश्न 2.
निम्नलिखित स्पीशीज़ में रेखांकित तत्वों की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात कीजिए –
(a) KI3
(b) H2S4O6
(c) Fe3O4
(d) CH3CH2OH
(e) CH3COOH
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 3.1 या x = 1/3 (I की ऑक्सीकरण संख्या)
व्याख्या: I2 की ऑक्सीकरण संख्या प्रभाज में आती है। इसकी I3 की संरचना द्वारा व्याख्या कर सकते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 4
I का औसत ऑक्सीकरण संख्या = -1/3 यह प्रदर्शित करता है कि परमाणु विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्था में होते हैं। दो I परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या शून्य तथा एक की -1 है इसलिये I3 की -1 होगी।

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 3.2 या x = 2.5 (S की ऑक्सीकरण संख्या)
S की ऑक्सीकरण संख्या प्रभाज में आती है जो प्रदर्शित करता है कि S परमाणु विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 5
इसे निम्न प्रकार से समझा सकते हैं –

  1. यहाँ S – S बंध के बीच कोई इलेक्ट्रॉन का वितरण नहीं है।
  2. दो किनारे की S – परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या +5 है।
  3. दो बीच के S – परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या शून्य है।

औसत ऑक्सीकरण संख्या = \(\frac {5 + 0 + 0 + 5}{ 4 }\) = 2.5

(c) Fe2O2 यह FeO. Fe2O3, का मिश्रण है। Fe की ऑक्सीकरण संख्या +2 और +3 है। अत: औसत ऑक्सीकरण संख्या + 8 / 3 होगी।

(d) CH3CH2OH या C2H6O परम्परागत (conventional) कार्बन की ऑक्सीकरण संख्या = -2 होता है, परन्तु दो कार्बन परमाणु विभिन्न ऑक्सीकरण संख्या प्रदर्शित करते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 6
सभी H- परमाणु का ऑक्सीकरण संख्या +1 है, O की ऑक्सीकरण संख्या = -2, C का CH3 समूह में ऑक्सीकरण संख्या -3 तथा C जो O परमाणु से जुड़ी है,  की ऑक्सीकरण संख्या -1 है।  इस कार्बन पर इलेक्ट्रॉन 2H परमाणु से आते हैं, तथा इलेक्ट्रॉन को O परमाणु ले लेता है और C – C बंध के बीच इलेक्ट्रॉन का वितरण नहीं होता है।
C की औसत ऑक्सीकरण संख्या जो O-परमाणु से जुड़ी है, होगी = -2 + 1 = -1.
कार्बन की औसत ऑक्सीकरण संख्या है- (-3 -1)/2 = -2.

(e) CH3COOH या C2H4O2 में C की परम्परागत ऑक्सीकरण संख्या = 0
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सभी H – परमाणु का ऑक्सीकरण संख्या +1 है तथा 0 परमाणु का – 2 तथा C – परमाणु जो O – परमाणु से जुड़ी हुई है उसकी ऑक्सीकरण संख्या + 3, कार्बन CH3– समूह वाले की ऑक्सीकरण संख्या – 3 है। औसत ऑक्सीकरण संख्या शून्य होगी।

प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए कि निम्नलिखित अभिक्रियाएँ रेडॉक्स अभिक्रियाएँ हैं –
1. CuO(s) + H2(g) →  Cu(s) + H2O(g)
2.  Fe2O3(s) + 3CO(g) → 2Fe(g) + 3CO2(g)
3. 4BCl3(g) + 3LiAlH4(s) → 2B2H6(g)) + 3LiCl(s) + 3AlCl3(s)
4. 2K(s) + F2(g) → 2K+F(s)
5. 4NH3(g) + 5O2(g) → 4NO(g) + 6H2O(g)
उत्तर:
1. Cuo ऑक्सीजन का निष्कासन करके Cu में अपचयित हो जाता है जबकि H2, H2O में ऑक्सीकृत ऑक्सीजन का योग करके होती है। अतः यह एक रेडॉक्स अभिक्रिया है।

2. Fe2O3 ऑक्सीजन का निष्कासन करके Fe में अपचयित हो जाता है। जबकि CO ऑक्सीजन के योग द्वारा CO2 में ऑक्सीकृत हो जाता है। अतः यह एक रेडॉक्स अभिक्रिया है।

3. BCl3, B के चारों तरफ इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ाकर B2H6 में बदल जाता है। अतः BCl3 में B अपचयित हुआ कहलायेगा जबकि Li और AI के चारों ओर इलेक्ट्रॉन घनत्व की कमी होकर LiCl में बदल जाता है अर्थात् Li और Al ऑक्सीकृत हुये कहलायेंगे। अतः यह एक रेडॉक्स अभिक्रिया है।

4. ऑक्सीकरण संख्या परिवर्तन के आधार पर K की ऑक्सीकरण संख्या 0(K में) से +1(KF में) बढ़ती है। दूसरे शब्दों में, K ऑक्सीकृत जबकि F2 अपचयित हुई है। अत: यह एक रेडॉक्स अभिक्रिया है।

5. N की ऑक्सीकरण संख्या -3(NH3 में) से +2(NO में) बढ़ी है तथा O2 की शून्य (O2में) से -2(H2O में) घटी है। दूसरे शब्दों में NH3 ऑक्सीकृत हुई जबकि O2 अपचयित हुई है। अत: यह एक रेडॉक्स अभिक्रिया है।

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प्रश्न 4.
फ्लुओरीन बर्फ से क्रिया करके निम्नानुसार उत्पाद बनाती है –
H2O(s) + F2(g) → HF(g) + HOF(g)
सिद्ध कीजिए कि उक्त अभिक्रिया रेडॉक्स अभिक्रिया है। यदि HOF का ऑक्सीजन परमाणु विषमानुपात में टूटता है तो कौन – सी अभिक्रिया होगी ?
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 8
यहाँ F, HF में अपचयित तथा HOF में ऑक्सीकृत होती है इसलिये ये रेडॉक्स अभिक्रिया है। HOF अस्थायी है तथा अपघटित होकर O2 और HF बनाता है।
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इस अभिक्रिया में HOF की F अपचयित तथा HOF की ऑक्सीजन ऑक्सीकृत हुई है। अत: यह एक रेडॉक्स अभिक्रिया है परन्तु विषमानुपाती अभिक्रिया नहीं है। यदि HOF की ऑक्सीजन विषमानुपातित होती तो ऑक्सीजन तीन ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करती है। यदि हम यह मानते हैं कि ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्था HOF में शून्य है तो उसकी ऑक्सीकरण अवस्था घटकर-2 हो जाती है, HOF H2O में अपचयित होती है और बढ़कर +2 हो जाती है यदि HOF OF2, में ऑक्सीकृत होता है। अतः संभावित अभिक्रिया
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प्रश्न 5.
H2SO5, में सल्फर की, CrO5, में क्रोमियम की तथा NO3 में नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या क्या है? इन स्पीशीज़ की संरचनाएँ बनाइए।
उत्तर:
(i) S की H2SO5 में ऑक्सीकरण संख्या:
परम्परागत विधि के आधार पर S की ऑक्सीकरण संख्या H2SO5 में + 8 आता है जैसा कि नीचे दिखाया गया है –
2(+1) + x + 5(-2)= 0 या x = + 8

यह असंभव है क्योंकि S की अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या 6 से अधिक नहीं हो सकती क्योंकि इसमें छः संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं। रासायनिक बंध विधि द्वारा S की O.N. की गणना कर इसकी इस संयोजकता को नियंत्रित किया जा सकता है।
H2SO5 की संरचना विभिन्न परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या के साथ है –
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अर्थात्, 2(+1) + 3(-2) + x + 2(-1) = 0 या x = +6

(ii) Cr की CrO5 में ऑक्सीकरण संख्या:
परम्परागत विधिनुसार Cr की ऑक्सीकरण संख्या x + 5(-2) = 0 या x = +10 यह असंभव है क्योंकि Cr की अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या 6 से ज्यादा नहीं हो सकती क्योंकि बाहरी कक्षक विन्यास में अधिकतम 6 इलेक्ट्रॉन (3d54s1) होते हैं जो बंध बनने में भाग ले सकते हैं, इस दोष को ऑक्सीकरण संख्या (Cr के) की रासायनिक बंध विधि द्वारा गणना करके हटाया जाता है। CrO5 की संरचना है –
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उपर्युक्त संरचनानुसार Cr की ऑक्सीकरण संख्या की इस तरह गणना कर सकते हैं –
x + 4(-1) + 1(-2)= 0 या x = +6
यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि चार ऑक्सीजन परमाणु परॉक्सी – लिंकेज (ऑक्सीकरण संख्या = -1) और एक ऑक्सीजन द्विबंध द्वारा जुड़ी है उसकी ऑक्सीकरण संख्या = -2

(iii) N की NO3 में ऑक्सीकरण संख्या:
परम्परागत विधिनुसार NO3में N की ऑक्सीकरण संख्या ⇒ x + 3(-2) = -1 या x = + 5. रासायनिक बंध विधि के अनुसार NO3 आयन की संरचना है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 13
अतः नाइट्रोजन का ऑक्सीकरण संख्या x + 3(-2) = -1 या x = +5
अर्थात् N का NO3 में ऑक्सीकरण संख्या परम्परागत विधि या रासायनिक बंध विधि दोनों में समान है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित यौगिकों के सूत्र लिखिए –

  1. मर्करी (II) क्लोराइड
  2. निकिल (II) सल्फेट
  3. टिन (IV) फ्लुओराइड
  4. थैलियम (II) सल्फेट
  5. आयरन (III) सल्फेट
  6. क्रोमियम (III) ऑक्साइड।

उत्तर:

  1. Hg(II)Cl2
  2. Ni(II)SO4
  3. Sn(IV)O2
  4. TI(I)SO4
  5. Fe2(III)(SO4)3
  6. Cr2 (III)O3.

प्रश्न 7.
उन यौगिकों के उदाहरण दीजिए जो कार्बन की -4 से +4 ऑक्सीकरण अवस्था तथा नाइट्रोजन की -3 से +5 ऑक्सीकरण अवस्था को प्रदर्शित करते हैं।
उत्तर:
1. C की परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थायें:
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2. N की परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थायें हैं:
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प्रश्न 8.
SO2 तथा H2O2ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों के समान व्यवहार करते हैं जबकि O3 तथा HNO3, केवल ऑक्सीकारक के समान। ऐसा क्यों ?
उत्तर:
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और हाइड्रोजन परॉक्साइड (H2O2) में S और ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्थायें क्रमश: + 4 और -1 है। अतः घट या बढ़ सकते हैं जब इनके यौगिक रासायनिक क्रिया में भाग लेते हैं। ये ऑक्सीकारक या अपचायक की तरह कार्य कर सकते हैं।
उदाहरण:
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इसी तरह, O3 (ओजोन) में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्था शून्य तथा नाइट्रिक अम्ल में नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण अवस्था +5 है। अर्थात् दोनों में ऑक्सीकरण अवस्था घटती है और उसका मान नहीं बढ़ता ये सिर्फ ऑक्सीकारक की तरह कार्य करते हैं अपचायक की तरह नहीं।
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प्रश्न 9.
निम्नलिखित क्रियाओं को ध्यान से देखिए –
(a) 6CO2(g) + 6H2O(l) → C6H12O6(s) + 6O2(g)
(b) O3(g) + H2O2(l) → H2O(l) + 2O2(g).
उपर्युक्त अभिक्रियाओं को निम्नानुसार लिखना अधिक योग्य है, क्यों ?
(a) 6CO2(g) + 12H2O(l) → C6H12O6(s) + 6H2O(l) + 6O2(g)
(b) O3(g) + H2O(l) → H2O(l) + O2(g) + O2(g).
उत्तर:
(a) प्रकाश संश्लेषण में पानी से O2 मुक्त होता है, CO2 से नहीं। ये रेडियोएक्टिव ट्रेसर विधि द्वारा निश्चित होता है। क्रियाविधि निम्न प्रकार दी जाती है
6CO2(g) + 12H2O*(l) → C6H12O6(aq)+ 6H2O(l) + 6O*2

(b) इस क्रिया की क्रियाविधि निम्न प्रकार दी जा सकती है –
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प्रश्न 10.
AgF2, एक अस्थायी यौगिक है फिर भी यदि यह बनता है तो एक तीव्र ऑक्सीकारक होगा। क्यों?
उत्तर:
Ag47 → 4d105s1
Ag+ → 4d105s0
Ag2+ → 4d95s0

विन्यास दर्शाता है कि Ag+, Ag2+ से ज्यादा स्थायी है इसलिये Ag2+ Ag+ में परिवर्तित हो जाता है तथा यह ऑक्सीकारक की तरह कार्य करती है।
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प्रश्न 11.
जब भी किसी ऑक्सीकारक तथा अपचायक के मध्य अभिक्रिया होती है, तो यदि अपचायक आधिक्य में हो तो निम्नतर ऑक्सीकरण संख्या वाला उत्पाद बनता है जबकि ऑक्सीकारक आधिक्य में हो तो उच्चतर ऑक्सीकरण संख्या वाला उत्पाद बनता है। तीन उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उक्त कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
1.  कार्बन और ऑक्सीजन के बीच होने वाली अभिक्रिया पर विचार करते हैं –
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2. सफेद फॉस्फोरस और Cl2(g) के बीच अभिक्रिया पर विचार करते हैं-
अपचायक + ऑक्सीकारक
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3. सल्फर व ऑक्सीजन के बीच होने वाली क्रिया पर विचार करते हैं-
अपचायक + ऑक्सीकारक
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प्रश्न 12.
निम्नांकित प्रेक्षणों का कारण बताइए –
(a) यद्यपि क्षारीय KMnO4 तथा अम्लीय KMnO4 दोनों ऑक्सीकारक के रूप में प्रयुक्त होते हैं फिर भी टॉलुईन से बेंजोइक अम्ल बनाने के लिए एल्कोहॉलिक KMnO4 ऑक्सीकारक के रूप में लिया जाता है। क्यों ? अभिक्रिया का संतुलित समीकरण लिखिए।
(b) किसी अकार्बनिक मिश्रण में जिसमें क्लोराइड हो, सान्द्रH2SO4 मिलाने पर तीक्ष्ण गंध वाली HCl गैस निकलती है। किन्तु यदि मिश्रण में ब्रोमाइड हो तो ब्रोमीन की लाल वाष्प निकलती है। क्यों?
उत्तर:
(a) टॉलुईन अम्लीय, क्षारीय व उदासीन माध्यम में बेन्जोइक अम्ल में पोटैशियम परमैंग्नेट का उपयोग कर ऑक्सीकृत होती है –
(i) अम्लीय माध्यम में –
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(ii) उदासीन (एल्कोहॉलीय) और क्षारीय माध्यम में से –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 23

टॉलुईन से बेन्जोइक अम्ल निर्माण में उदासीन माध्यम को अम्लीय या क्षारीय माध्यम की तुलना में प्राथमिकता निम्न कारणों से दी जाती है –
उदासीन माध्यम में न तो अम्ल न तो क्षार बाहर से मिलते हैं जो कि निर्माण विधि में दर की निश्चित बचत करती है। ऐल्कोहॉल का यदि विलायक की तरह उपयोग करें तो ये टॉलुईन (अध्रुवीय) और KMnO4 (आयनिक) के बीच समांगी मिश्रण बनने में सहायता करता है। दरअसल ऐल्कोहॉल में अध्रुवीय एल्काइल समूह तथा ध्रुवीय OH समूह होता है।

(b) क्लोराइड जैसे NaCl सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर क्रिया करके हाइड्रोजन क्लोराइड गैस निकालती है। इसकी तीक्ष्ण गंध होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 25
इसी तरह से हाइड्रोजन ब्रोमाइड भी बनाया जा सकता है जब एक ब्रोमाइड को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करते हैं । अर्थात् अम्ल प्रबल ऑक्सीकारक है जो HBr को Br, में ऑक्सीकृत करता है जिससे लाल वाष्प निकलती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 26
HCl(g) पूर्णतः स्थायी है और क्लोरीन में ऑक्सीकृत नहीं होता है सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में ऑक्सीकृत होने वाले, अपचयित होने वाले पदार्थ, ऑक्सीकारक तथा अपचायक की पहचान कीजिए –
(a) 2AgBr(s) + C6H6O2(aq)) → 2Ag(s) + 2HBr(aq) + C6H4O2(aq)
(b) HCHO(l) + 2[Ag(NH3)2]+(aq) + 3OH(aq) → 2Ag(s) + HCOO(aq) + 4NH3(aq) + 2H2O
(c) HCHO(l) + 2Cu2+(aq) + 5OH(aq) → Cu2O(s) + HCOO(aq) + 3H2O(l)
(d) N2H4(l) + 2H2O2(l) → N2(g) + 4H2O(l)
(e) Pb(s) + PbO2(s) + 2H2SO4(aq) → 2PbSO4(s) + 2H2O(l)
उत्तर:
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AgBr अपचयित होता है ऑक्सीकारक की तरह कार्य करता है।
C6H6O2, ऑक्सीकृत होता है एवं अपचायक की तरह कार्य करता है।

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HCHO ऑक्सीकृत होता, अपचायक की तरह कार्य करता है।
[Ag(NH3)2]+ अपचयित होता है एवं ऑक्सीकारक का कार्य करता है।

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 29
Cu2+(हलीय) अपचयित होता है ऑक्सीकारक की तरह कार्य करता है।
HCHO ऑक्सीकृत होता है एवं अपचायक की तरह कार्य करता है।

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H2O2अपचयित हुआ, ऑक्सीकारक की तरह कार्य करता है।
N2H4 ऑक्सीकृत हुआ, अपचायक की तरह कार्य करता है।

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 31
PbO2 अपचयित हुआ, ऑक्सीकारक की तरह कार्य करता है।
Pb ऑक्सीकृत हुआ, अपचायक की तरह कार्य करता है।

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प्रश्न 14.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में एक ही थायोसल्फेट आयन S2\(O \frac{2-}{3}\),आयोडीन तथा ब्रोमीन से अलग-अलग प्रतिक्रिया क्यों करता है –
1. 2S2\(\mathrm{O}_{3(a q)}^{2-}\) + I2(s) → S2\(\mathrm{O}_{6(a q)}^{2-}\)+ 2I(aq)
2. S\(\mathrm{O}_{3(a q)}^{2-}\) + 2Br2(l) + 5H2O(l) → 2S\(\mathrm{O}_{4(a q)}^{2-}\) +4Br(aq) + 10H+4(aq)
उत्तर:
Br2 I2 की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक है यह S2\(O \frac{2-}{3}\) को SO\(O \frac{2-}{4}\) अर्थात् सल्फर की +2 अवस्था से +6 अवस्था में ऑक्सीकृत कर देता है। अतः I2 दुर्बल ऑक्सीकारक है। S2\(O \frac{2-}{3}\) को S4\(O \frac{2-}{6}\) – आयन में ऑक्सीकृत होता है अर्थात् सल्फर की +2 से +2.5 अवस्था में।

प्रश्न 15.
कारण बताओ कि क्यों हैलोजनों में फ्लुओरीन सबसे अच्छा ऑक्सीकारक है जबकि हैलोजन अम्लों में HI सबसे अच्छा अपचायक ?
उत्तर:
अपचयन विभव जितना अधिक होगा उसका ऑक्सीकरण क्षमता उतनी ही अधिक होगी इसलिये ऑक्सीकरण क्षमता निम्न क्रम में घटती है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 776
अतःF2 प्रबल ऑक्सीकारक है। इस बात को इस आधार पर सहारा मिलता है कि F, सभी हैलोजनों को उनके लवण विलयन (आयन) से विस्थापित करती है।
2KCl + F2 → 2KF + Cl, 2KI + F → 2KF + I2यदि अधातु प्रबल ऑक्सीकारक हो तो उसका समरूपी ऐनायन दुर्बल अपचायक होगा। अत: F2प्रबल ऑक्सीकारक है इसलिये F-आयन दुर्बल अपचायक है। HX(या X आयन) की अपचयन क्षमता निम्न क्रम में घटती है –
HI > HBr > HCl > HF
I2दुर्बल ऑक्सीकारक तथा I एक प्रबल अपचायक है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित अभिक्रिया क्यों संभव है –
Xe\(\mathbf{O}_{6}^{4}\) + 2F(aq) + 6H+(aq) → XeO3(aq) + F2(g)+ 3H2O(l)
यौगिक Na4 XeO6(जिसका Xe\(\mathbf{O}_{6}^{4}\) एक भाग है) के बारे में क्या निष्कर्ष निकलता है ? इस अभिक्रिया से K2MnF6 बनाया जा सकता है।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 33

Xe का ऑक्सीकरण संख्या + 8 से + 6 घटता है। यह सिद्ध करता है कि XeO4-6एक ऑक्सीकारक है, ये F को F2 में ऑक्सीकृत करता है। यह अभिक्रिया सिद्ध करती है कि Na4 xeO6 (या Xe\(\mathbf{O}_{6}^{4}\))F2 की तुलना में प्रबल ऑक्सीकारक है।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में Ag+ तथा Cu2+ आयन के व्यवहार के बारे में क्या निष्कर्ष निकाला जा सकता है –
1. H3PO2(aq) + 4AgNO3(aq) + 2H2O(l) → H3PO4(aq) + 4Ag(s) + 4HNO3(aq)
2. H3PO2(aq) + 2CuSO4(s) + 22O(l) → H3PO4(aq) + 2Cu(s) + 2H2SO4(aq)
3. C6H5CHO(l) + 2[Ag(NH3)2 \(\mathrm{I}_{(a q)}^{+}\) + 3OH(aq) → C6H6COO(aq) + 2Ag(s) + 4NH3(aq) + 2H2O(l)
4. C6H5CHO(l) + \($2 \mathrm{Cu}_{(a q)}^{2+}$\) + 5OH(aq) → No change

उत्तर:
(a) H3PO2(aq) + 4AgNO3(aq) + 2H2O(l) → H3PO4(aq) + 4Ag0(s) + 4HNO3(aq)
Ag+ आयन Ag में अपचयित हो जाता है इसलिये Ag+ एक ऑक्सीकारक की तरह कार्य करता है तथा ये H3PO2 को H3PO4 में ऑक्सीकृत करता है।

(b) H3PO2(aq) + 2\(\overset { +2 }{ cu } \)SO4(s) + 22O(l) → H3PO4(aq) + 2Cu(s) + 2H2SO4(aq)
Cu2+ आयन Cu(s) में अपचयित होता है। अत: Cu2+ ऑक्सीकारक की तरह कार्य करता है तथा H3PO2 को H3PO4 में ऑक्सीकृत करता है।

(c) C6H5CHO(l) + 2[\(\overset { +1 }{ ag } \)(NH3)]2+(aq)) + 3OH(aq) → C6H6COO(aq) + 2Ag(s)+ 4NH3(aq) + 2H2O(l)
उपर्युक्त क्रिया में Ag+ आयन Ag(s)अपचयित होता है अर्थात् यह ऑक्सीकारक का कार्य करता है, ये C6H5CHO(l) को CHECOO(aq) में ऑक्सीकृत करता है।

(d) C6H5CHO(l) + 2Cu2+(aq) + 5OH(aq) → कोई परिवर्तन नहीं, यह रेडॉक्स अभिक्रिया नहीं है।

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प्रश्न 18.
आयन इलेक्ट्रॉन विधि से निम्नलिखित रेडॉक्स अभिक्रियाओं को संतुलित कीजिए –
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उत्तर:
(a) पद 1.
अभिक्रिया के लिये ढाँचागत (कंकाल) समीकरण है –
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पद 2.
दोनों अर्द्ध अभिक्रिया लिखने पर,
ऑक्सीकरण अर्द्ध अभिक्रिया-
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अपचयन अर्द्ध अभिक्रिया –
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पद 3.
अर्द्ध अभिक्रिया में परमाणु को संतुलित करने पर,
2I(aq)→ I2(s)
दूसरे समीकरण में इस पद की आवश्यकता नहीं है क्योंकि Mn संतुलित है।

पद 4.
अर्द्ध अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉन योग द्वारा आवेश संतुलित करना –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 77

पद 5.
ऑक्सीजन तथा H परमाणुओं को संतुलित करना –
MnO4(aq) + 3e → MnO2(s) + 2H2O(l))

H परमाणुओं को संतुलित करने के लिये हम 4H+ आयनों को बायें तरफ जोड़ते हैं –
MnO4+ 4H(aq) → MnO2(s) + 2H2O(l)

अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है इसलिये 4H+ आयन के लिये हम 4OH आयनों को समीकरण के दोनों तरफ जोड़ते हैं –
MnO4(aq) + 4H+(aq) + 4OH(aq) → MnO2(s)+ 2H2O(l) + 4OH(aq)

H+ तथा OH आयन पानी बनाते हैं इसलिये परिणामी समीकरण होगा –
MnO4(aq) + 2H2O(aq) + 3e → MnO2(s)) + 4OH(aq)

पद 6.
दोनों अर्द्ध समीकरणों में इलेक्ट्रॉनों को संतुलित करने पर,
2I(aq) → I2(s) ) + 2e ………….(i)
MnO4(aq) + 2H2O(aq) + 3e → MnO2(s) + 4OH(aq) ………….(ii)

संमी. (i) को 3 तथा समी. (ii) को 2 से गुणा कर योग करने पर,
6I(aq) + 2MnO4(aq) + 4H2O(l)→ 3I2(s) + 2MnO2(s) + 8OH(aq)

(b) उपर्युक्त समीकरण के बतायी गई विधि के उपयोग द्वारा ऑक्सीकारक अर्द्ध समीकरण होगा –
SO2(g) + 2H2O(l) → HSO4(aq) + 3H+(aq) + 2e ………….(i)
अपचयन अर्द्ध समीकरण होगा –
MnO4(aq)+ 8H(aq) + 5e → Mn2+(aq) + 5HSO+4(aq) ………….(ii)
समी. (i) को 5 तथा समी. (ii) को 2 से गुणा कर योग करने पर,
2MnO+4(aq)+ 5SO2(g) + 2H2O(l) + H+(aq) → 5HSO4(aq) + 2Mn2+(aq)

(c) ऊपर वर्णित प्रथम पाँच पदों के उपयोग द्वारा ऑक्सीकरण अर्द्ध समीकरण होगा –
Fe2+(aq) → Fe3+(aq) + e ………….(i)
अपचयन अर्द्ध समीकरण होगा –
H2O2(aq) + 2H+(aq) + 2e → 2H2O(l) ………….(ii)
समीकरण (i) को 2 से गुणा करके समीकरण (ii) से जोड़ने पर प्राप्त होता है –
H2O2(aq) + 2Fe2+(aq) + 2H+ → 2Fe3+(aq)+ 2H2O(l)

(d) उपर्युक्त विधि द्वारा वर्णित विधि के 5 पदों के प्रयोग द्वारा संतुलित अर्द्ध अभिक्रिया है –
ऑक्सीकरण अर्द्ध समीकरण –
SO2(g) + 2H2O(l) → SO2-4(aq) + 4H+4(aq) + 2e ………….(i)
अपचयन अर्द्ध समीकरण –
Cr2O2-7(aq)+ 14H(l) + 6e → 2Cr3+(aq) + 7H2O(l) ………….(ii)
समीकरण (i) का 3 से गुणा करके समीकरण (ii) के साथ जोड़ने पर,
Cr2O2-7(aq) + 3SO2(g)+ 2H+(aq) → 2Cr+(s) + 3SO2-4(aq)+ H2O(l).

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प्रश्न 19.
क्षारीय माध्यम में निम्नलिखित रेडॉक्स अभिक्रियाओं को आयन-इलेक्ट्रॉन विधि तथा ऑक्सीकरण संख्या विधि से संतुलित कीजिए। क्रियाओं में ऑक्सीकारक तथा अपचायक की पहचान कीजिए –
(a) P4(s) + OH(aq) → PH3(aq) + H2PO2(aq)
(b) NH2H4(l) + ClO3(aq) → NO(g) + Cl(g)
(c) Cl2 O7(g) + H2O2(aq) → ClO2(g) + O2(g) + H+
उत्तर:
(a) ऑक्सीकरण संख्या विधि –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 43
अतः O.N. में कमी या वृद्धि को संतुलित करने के लिये PH, को 1 से तथाHPO, को 3 से गुणा करने पर –
P4(s) + OH(aq) → PH3(s) + 3H2PO2(aq)

क्षारीय माध्यम में ‘O’ तथा ‘H’ को संतुलित करने पर,
P4(s) + 3OH(aq) + 3H2O(g) → PH3(g) + 3H2PO2(aq)

आयन – इलेक्ट्रॉन विधि –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 38

ऑक्सीकरण अर्द्ध में P परमाणु को संतुलित करना –
P4 →4H2 PO2(aq)

O.N. को e जोड़कर संतुलित करना –
P4(s) →4H2PO2 + 4e

8 OH आयन को जोड़कर आवेश संतुलित करना –
P4 + 8OH(aq) → 4H2 PO2 + 4e

‘H’ तथा ‘O’ स्वतः संतुलित हो जाते हैं।
अब अपचयन अर्द्ध P4(s) → PH3(g)
P परमाणु को संतुलित करना P4(s) → 4PH3(g)

e जोड़कर O.N. को संतुलित करना –
P4(s) + 12e → 4PH3(g)

आवेश को OH द्वारा संतुलित करना –
P4(s) + 12e → 4PH3(g) + 12OH(aq)

H2O को जोड़कर ‘O’ को संतुलित करना –
P4(s) + 12e + 12H2O(l) → 4PH3(g) + 12OH(aq)

इलेक्ट्रॉनों की कमी या वृद्धि को समान करने के लिये ऑक्सीकरण अर्द्ध को 3 से गुणा कर संयुक्त करने पर –
4P4(s) + 24OH(aq) + 12H2O(l) → 4PH3(g)+ 12H2PO2(aq) + 12OH(aq)
या
P4(s) +3OH(aq) + 3H2O(l) → PH3(g)+ 3H2PO2(aq)

(b) ऑक्सीकरण संख्या विधि –
N के O.N. में कुल कमी N = 2 x 4 = 8
Cl के O.N. में कुल वृद्धि Cl = 1 x 6 = 6
O.N. को संतुलित करने के लिए N.H, को 3 से तथा ClO3 को 4 से गुणा करने पर –
3N2H4(l) + 4CIO3(aq) → NO(g) + Cl(aq)

N तथा Cl अणु को संतुलित करना –
3N2H4(l) + 4ClO3(aq) → 6NO(g) + 4Cl(aq)

6H2O को जोड़कर O अणु को संतुलित करना –
3N2H4(l) + 4ClO3(aq) → 6NO(g) + 4Cl(aq) + 6H2O(l)
यह ही आवश्यक संतुलित समीकरण है।

आयन-इलेक्ट्रॉन विधि –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 39

N परमाणु को संतुलित करना –
N2H4(l)→ 2NO(g)

O.N. को जोड़कर संतुलित करना –
N2H4(l) → 2NO(g) + 8e

आवेश को OH जोड़कर संतुलित करना –
N2H4(l) + 8OH(aq) → 2NO(g) + 8e

‘O’ परमाणु को संतुलित करना –
N2H4(l) + 8OH(aq) → 2NO(g) + 6H2O2(l) + 8e
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 40

O.N. को इलेक्ट्रॉन जोड़कर संतुलित करना –
CIO3(aq) + 6e → Cl(aq)

आवेश को OH जोड़कर संतुलित करना –
CIO3(aq) + 6e → Cl(aq) + 6OH(aq)

O’ परमाणु को संतुलित करना –
ClO3(aq) + 3H2O(l) + 6e → Cl(aq) + 6OH(aq)

e के कमी या वृद्धि को अपचयन अर्द्ध को 4 से तथा ऑक्सीकरण अर्द्ध को 3 से गुणा कर समान करने पर –
3N2H4(l) + 4ClO3(aq) + 6e → Cl(aq) + 6H2O(l)

(c) ऑक्सीकरण संख्या विधि –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 78
O.N. में कमी व वृद्धि को H2O2 को 4 से गुणा कर संतुलित करने पर –
Cl2O7+ 4H2O2 → ClO2 + O2

दूसरे परमाणुओं को संतुलित करने पर –
Cl2O7(g) + 4H2O2(aq) → 2ClO2O2(aq) + 4O2(g)

आवेश संतुलित करने पर –
Cl2O7(g) + 4H2O2(aq) + 2OH(aq) → 2CIO2(aq) + 4O2(g)

‘H’ संतुलित करने पर –
Cl2O7(g) + 4H2O2(aq) + 2OH(aq) → 2CIO2(aq) + 4O2(g) + 5H2O

आयन-इलेक्ट्रॉन विधि –
ऑक्सीकरण अर्द्ध समीकरण –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 79
2 इलेक्ट्रॉन जोड़कर O.N. को संतुलित करना –
H2O2(aq) → O2(g) + 2e

2OH जोड़कर आवेश को संतुलित करना –
H2O2(aq) + 2OH(aq) → O2(g) + 2e

2H2O जोड़कर ऑक्सीजन अणु को संतुलित करना –
H2O2(aq) + 2OH(aq) → O2(g) + 2H2O(l) + 2e ………(i)

अपचयन अर्द्ध समीकरण –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 80
Cl अणु को संतुलित करना –
Cl2O7(g) → 2ClO2(aq)

8 इलेक्ट्रॉनों को जोड़कर O.N. को संतुलित करना
Cl2O7(g) + 8e → 2ClO2(aq)

6OH जोड़कर आवेश को संतुलित करना –
ClO2O7(g) + 8e → 2CIO2(aq) + 6OH(aq)

3H2O जोड़कर ऑक्सीजन अणु को संतुलित करना –
Cl2O7(g) + 3H2O(l) + 8e → 2CIO2(aq) + 6OH(aq) ………(ii)

संतुलित समीकरण, समीकरण (i) में 4 का गुणा करके और समीकरण (ii) में जोड़कर प्राप्त किया जा सकता है –
Cl2O7(g) + 4H2O2(aq) + 2OH(aq) → 2CIO2(aq)+ 4O2(g) + 5H2O(l)

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प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रिया के बारे में चार सूचनाएँ लिखिए –
(CN)2(g) + 20H(aq) → CN(aq) + CNO(aq) + H2O(l)
उत्तर:

  • यह एक विषमानुपाती अभिक्रिया है।
  • अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में होती है।
  • N का ऑक्सीकरण संख्या (CN)2 में -3 तथा CN में -2 तथा CNO में -5 है।
  • सायनोजन (CN)2 एक साथ CN आयन में अपचयित तथा CNO आयन में ऑक्सीकृत होता है।

प्रश्न 21.
Mn3+ आयन एक अस्थायी आयन है तथा विलयन में विषमानुपाती अपघटन से Mn3+ MnO2 तथा H+ आयन देता है। अभिक्रिया का संतुलित समीकरण लिखिए।
उत्तर:
2Mn3+ + 2H2O → Mn2+ + MnO2 + 4H+

प्रश्न 22.
निम्नलिखित तत्वों पर विचार कीजिए –
Cs, Ne, I, F
उस तत्व की पहचान करो जो –

  • केवल ऋण ऑक्सीकरण अवस्था देता है।
  • जो केवल धन ऑक्सीकरण अवस्था देता है।
  • जो धन तथा ऋण दोनों अवस्थाएँ देता है।
  • जो कोई भी ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करता।

उत्तर:

  • F(-1); यह सर्वाधिक विद्युत्ऋणी तत्व है।
  • Cs(+1); यह सर्वाधिक विद्युत्धनी तत्व है।
  •  I; (-1 से +7)
  • Ne; यह शून्य समूह का तत्व है।

प्रश्न 23.
जल को क्लोरीन से शुद्ध कर पेयजल बनाया जाता है। अधिक क्लोरीन हानिकारक है, उसे SO2 गैस से अभिकत करके अलग किया जाता है। जल में होने वाली इस रेडॉक्स अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 44

प्रश्न 24.
आवर्त तालिका का अवलोकन करते हुए निम्नांकित के उत्तर लिखिए –
(a) ऐसी संभावित अधातुओं को छाँटो जो विषमानुपाती अपघटन देती हैं।
(b) ऐसी तीन धातुओं को छाँटो जो विषमानुपाती अपघटन देती हैं।
उत्तर:
(a) अधातु P4 Cl2 Br2 I2 तथा S8 द्वारा प्रदर्शित विषमानुपाती (अपघटन) अभिक्रियायें हैं –

  • P4(s) + 3OH(aq) + 3H2O(l) → PH3(g) + 3H2PO2(aq)
  • Cl2(aq) + 2OH(aq) → Cl(aq) + CIO(aq) + H2O
  • S8(s) + 12HO(aq) → 4S + 2SO2O2-(aq)+ 6H2O(l)

(b) तीन धातुएँ जो विषमानुपाती अपघटन अभिक्रिया देती हैं –
Cu2+, Ga+ In+

  • 2Cu+(aq)→ Cu++(aq)+ Cu(s)
  • 3Ga+(aq) → Ga3+(aq) + 2Ga(s)
  • 3In+(aq) → In3+(aq) + 2In(s).

प्रश्न 25.
नाइट्रिक अम्ल के निर्माण में (ओस्टवाल्ड विधि) प्रथम पद में अमोनिया का ऑक्सीजन गैस से ऑक्सीकरण होकर नाइट्रिक ऑक्साइड तथा वाष्प बनती है। 10.00 ग्राम अमोनिया तथा 20.00 ग्राम ऑक्सीजन से अधिक से अधिक कितने ग्राम नाइट्रिक ऑक्साइड बनेगी?
हल:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 81
∴ 68 ग्राम NH3 से NO = 120 ग्राम
∴ 10 ग्राम NH3 से NO = \(\frac { 120 × 10 }{68 }\)=17.65 ग्राम
∴ 160 ग्राम ऑक्सीजन से NO = 120 ग्राम
∴ 20 ग्राम ऑक्सीजन से NO = \(\frac { 120 × 20 }{160 }\) = 15 ग्राम

प्रश्न 26.
सारणी में दिये प्रमाणिक इलेक्ट्रोड विभव के उपयोग करते हुये बताइये कि अभिक्रिया संभव है या नहीं –
1. Fe3+(aq) और I(aq)
2.  Ag+(aq और Cu(s)
3. Fe3+(aq) और Br(aq)
4. Ag(s) और Fe3+(aq)
5. Br2(aq) और Fe3+(aq)

उत्तर:
1. Fe3+(aq) + I(aq) → Fe2+(aq) + \(\frac { 1 }{ 2 }\) I2
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 82
मान धनात्मक है अतः अभिक्रिया संभव है।

2. Ag+(aq) + Cu(s) →Ag0+ Cu+2
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 46
मान धनात्मक है अतः अभिक्रिया संभव है।

3. Fe3+(aq) + Br(aq)→ Fe2+(aq) + Br2(गैस)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 47
मान ऋणात्मक है, अतः अभिक्रिया संभव नहीं है।

4.  Ag(s) + Fe3+(aq) → Ag+(aq) + Fe2+(aq)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 48
मान ऋणात्मक है, अतः अभिक्रिया संभव नहीं है।

5. Br2(aq) + 2Fe2+(aq) → 2Fe3+(aq) + 2Br(aq)
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 49
मान धनात्मक है अतः अभिक्रिया संभव है।

प्रश्न 27.
निम्नलिखित प्रत्येक के विद्युत् – अपघटन के उत्पादों की भविष्यवाणी कीजिये –
(a) सिल्वर इलेक्ट्रोड के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
(b) प्लेटिनम इलेक्ट्रोड के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
(c) प्लेटिनम इलेक्ट्रोड के साथ H2SO4 का तनु विलयन
(d) प्लेटिनम इलेक्ट्रोड के साथ CuCI2 का जलीय विलयन।
उत्तर:
(a) कैथोड पर – Ag+ +e →Ag(s)
एनोड पर – Ag → Ag+(aq) + e

(b) कैथोड पर – Ag+ +e →Ag(s)
एनोड पर – 2OH → H2O + \(\frac { 1 }{ 2 }\) O2 + 2e

(c) कैथोड पर – 2H+ + 2e → H2
एनोड पर – 20H → H2O +\(\frac { 1 }{ 2 }\)O2 + 2e

(d) कैथोड पर – Cu+2 + 2e → Cu(s)
एनोड पर – 2Cl → Cl2(g) + 2e.

प्रश्न 28.
निम्नलिखित धातुओं को इस क्रम में व्यवस्थित कीजिये जिसमें वे एक दूसरे को उनके लवणों के विलयनों से विस्थापित करते हैं –
Al, Cu, Fe, Mg और Zn.
उत्तर:
Mg, Zn, Fe, Cu.

प्रश्न 29.
प्रमाणिक इलेक्ट्रोड विभव दिये गये हैं –
K+/ K = -2.93V,
Ag+/ Ag = 0.80V
Hg 2+/ Hg = 0.79V
Mg2+/ Mg = -2.37V,
Cr3+/ Cr = 0.74V
इन धातुओं को उनके बढ़ते अपचयन क्षमता में व्यवस्थित कीजिये।
उत्तर:
अपचयन विभव का कम मान (प्रमाणिक अपचयन विभव का ज्यादा ऋणात्मक होना) होने पर अपचयन क्षमता अधिक होगी –
Ag < Hg

प्रश्न 30.
गैल्वेनिक सेल जिसमें निम्न अभिक्रिया Zn(s) + 2Ag+(aq) → Zn2+(aq) + 2Ag(s) होती है, दर्शाये तथा प्रदर्शित कीजिये –

  • कौन – सा इलेक्ट्रोड ऋण आवेशित है।
  • सेल में धारा को ले जाने वाला है।
  • प्रत्येक इलेक्ट्रोड की अलग-अलग अभिक्रियायें।

उत्तर:

  • Zn(s) |Zn2+(aq)|| Ag+(aq) | Ag(s) एनोड पर ऑक्सीकरण तथा कैथोड पर अपचयन होता है।
  • इलेक्ट्रॉन।
  • Zn(s) → Zn2+ + 2e (एनोड)
    2Ag+(aq) + 2e → 2Ag(s) (कैथोड)।

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अपचयोपचय अभिक्रियाएँ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

अपचयोपचय अभिक्रियाएँ वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
धातुएँ जो डेनियल सेल में प्रयुक्त होती हैं –
(a) N और Cu
(b) Zn और Ag
(c) Ag और Cu
(d) Zn और Cu.
उत्तर:
(d) Zn और Cu.

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा प्रबल अपचायक है –
(a) F
(b) Cr
(c) Br
(d) I.
उत्तर:
(d) I.

प्रश्न 3.
वैद्युत अपघटन में ऑक्सीकरण होता है –
(a) ऐनोड पर
(b) कैथोड पर
(c) दोनों इलेक्ट्रोडों पर
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) ऐनोड पर

प्रश्न 4.
निम्न कथनों में से कौन – सा सही है ? गैल्वेनिक सेल परिवर्तित करता है –
(a) रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में
(b) विद्युत् ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में
(c) धातु को उसकी तत्व अवस्था से संयुक्त अवस्था में
(d) विद्युत् – अपघट्य को व्यक्तिगत आयनों में।
उत्तर:
(a) रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में

प्रश्न 5.
K,MnO में Mn की ऑक्सीकरण संख्या है –
(a) +2
(b) +6
(c) +7
(d) 0.
उत्तर:
(b) +6

प्रश्न 6.
Ni(CO) में Ni की ऑक्सीकरण संख्या है –
(a) 0
(b)+2
(c) +1
(d) -1.
उत्तर:
(a) 0

प्रश्न 7.
नाइट्रोजन की ऑक्सीकरण अवस्था किसमें उच्चतम है –
(a) N3H
(b) NH2OH
(c) N2H4
(d) NH3
उत्तर:
(a) N3H

प्रश्न 8.
K4[Fe (CN)6] में Fe की ऑक्सीकरण अवस्था है –
(a) +2
(b) +6
(c) +3
(d) +4.
उत्तर:
(a) +2

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प्रश्न 9.
H2S2O8, में S की ऑक्सीकरण संख्या है –
(a) +2
(b) +4
(c) +6
(d) 7.
उत्तर:
(c) +6

प्रश्न 10.
किस यौगिक में Cl की ऑक्सीकरण संख्या +1 है –
(a) Cl2O
(b) HCl
(c) ICl
(d) HClO4
उत्तर:
(a) Cl2O

प्रश्न 11.
सबसे आसानी से अपचयित होने वाला हैलोजन है –
(a) F2
(b) Cl2
(c) Br2
(d) I2
उत्तर:
(a) F2

प्रश्न 12.
CCl4 में C की ऑक्सीकरण संख्या है –
(a) +4
(b) -4
(c) +6
(d) -6.
उत्तर:
(a) +4

प्रश्न 13.
ऑक्सीकारक पदार्थ –
(a) इलेक्ट्रॉन ग्राही है
(b) इलेक्ट्रॉन दाता है
(c) प्रोटॉन ग्राही है
(d) न्यूट्रॉन ग्राही है।
उत्तर:
(a) इलेक्ट्रॉन ग्राही है

प्रश्न 14.
अभिक्रिया 3ClO(aq) → ClO3 + 2Cl उदाहरण है –
(a) ऑक्सीकरण
(b) अपचयन
(c) असमानुपातन
(d) विलोपन।
उत्तर:
(c) असमानुपातन

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प्रश्न 15.
S8, S2, F2, H2S में S की ऑक्सीकरण संख्या है –
(a) 0, +1, -2
(b) +2, +1, -2
(c) 0, +1, +2
(d) -2, +1, -2.
उत्तर:
(a) 0, +1, -2

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाली अभिक्रिया ……….. कहलाती है।
  2. वायुमण्डलीय गैसों व नमी द्वारा धातुओं में होने वाला अवांछित परिवर्तन ……….. कहलाता है।
  3. विद्युत् रासायनिक श्रेणी में धातुओं की अपचयन क्षमता ऊपर से नीचे जाने पर ……….. है।
  4. सबसे प्रबल अपचायक तत्व ……….. है।
  5. सेल की साम्यावस्था पर Ecell का मान ……….. होता है।
  6. सोडियम अमलगम में सोडियम की ऑक्सीकरण संख्या ……….. है।
  7. Cr(CO)2 में Cr की ऑक्सीकरण संख्या ……….. है।
  8. SiH4, में Si की ऑक्सीकरण संख्या ……….. है।
  9. OF2, और O2, F2, में O की ऑक्सीकरण संख्या क्रमश ……….. है।
  10. Cu(OCl) Cl में Cl की ऑक्सीकरण संख्या क्रमश ……….. है।

उत्तर:

  1. अपचयन
  2. संक्षारण
  3. घटती
  4. लीथियम
  5. शून्य
  6. शून्य
  7. शून्य
  8. – 4
  9. +2, +1
  10. +1, -1.

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प्रश्न 3.
उचित संबंध जोड़िए –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 1
उत्तर:

  1. (d) लवण सेतु
  2. (f) [Ni (CN)4]2-
  3. (e) एनोड
  4. (a) नर्नस्ट समीकरण
  5. (c) 0.00V
    1. (b) सिल्वर

प्रश्न 4.
एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. लोहा, ताँबे को उसके लवण के विलयन से विस्थापित क्यों करता है ?
  2. Cl2O में क्लोरीन की ऑक्सीकरण अवस्था कितनी है ?
  3. किसी विद्युत् अपघट्य को जल में विलेय करने पर वह आयनों में क्यों विभाजित हो जाता है ?
  4. लवण – सेतु बनाने हेतु KNO3, के संतृप्त विलयन का उपयोग किया जाता है, क्यों ?
  5. SnCl2 + 2FeCl3 → SnCl4 + 2FeCl2, में ऑक्सीकरण कौन – सा यौगिक है ?
  6. XeO3, में Xe की ऑक्सीकरण संख्या कितनी है ?

उत्तर:

  1. क्योंकि लोहे का मानक अपचयन विभव ताँबे के मानक अपचयन विभव से कम है।
  2. +1
  3. क्योंकि जल के कारण आयनों के मध्य स्थिर वैद्युत आकर्षण बल टूट जाता है।
  4. क्योंकि K+ तथा NO3आयनों का वेग लगभग बराबर होता है।
  5. FeCl3
  6. +6.

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अपचयोपचय अभिक्रियाएँ अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऑक्सीकरण प्रक्रम किसे कहते हैं ? रेडॉक्स अभिक्रिया उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
ऑक्सीजन या ऋण विद्युती तत्व का योग या हाइड्रोजन अथवा धन विद्युती तत्व का त्याग ऑक्सीकरण कहलाता है।
2Mg + O2 → 2MgO [ऑक्सीजन का योग]
2FeCl + Cl2 → 2FeCl, [ऋण विद्युती तत्व का योग]
H2S + Cl2 → S + 2HCl [हाइड्रोजन का त्याग]
2KI + H2O2 → 2KOH + I2 [धन विद्युती तत्व का त्याग]

प्रश्न 2.
अपचयन या अवकरण प्रक्रम किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
किसी पदार्थ द्वारा हाइड्रोजन अथवा धन विद्युती तत्व ग्रहण करने की प्रवृत्ति या ऑक्सीजन अथवा ऋण विद्युती तत्व का त्याग करने की प्रक्रिया अपचयन कहलाती है।
CuO + H2 → Cu+H2O[ऑक्सीजन का त्याग]
2FeCl3 + H2S → 2FeCl2 + 2HCl + S [ऋण विद्युती तत्व का त्याग]
C2 + H2 S → 2HCl + S [हाइड्रोजन का योग]
S + Fe → FeS [धन विधुती तत्व का योग]

प्रश्न 3.
AgF2 एक अस्थिर यौगिक है। यदि यह बन जाए, तो यह यौगिक एक अति शक्तिशाली ऑक्सीकारक की भाँति कार्य करता है। क्यों?
उत्तर:
AgF2 में Ag + 2 ऑक्सीकरण अवस्था में है। यह अत्यधिक अस्थायी है यह शीघ्रता से इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर Ag + 1 ऑक्सीकरण अवस्था प्राप्त करता है क्योंकि Ag* में पूर्णतया भरे हुए विन्यास का होता है जो कि अधिक स्थायी है।
Ag2+ + e →Ag+ यही कारण है कि AgF2 एक प्रबल ऑक्सीकारक की भाँति व्यवहार करता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में एक ही अपचायक थायोसल्फेट, आयोडीन तथा ब्रोमीन से अलग-अलग प्रकार से अभिक्रिया क्यों करता है –
2S2O2-3(aq) + I2(s) → S4O2-6(aq) + 2I(aq)
S2O2-3(aq) + 2Br2(l) + 5H2O(l) → 2SO2-4(aq) + 4Br(aq) + 10H+(aq)
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 50
ब्रोमीन, आयोडीन की अपेक्षा प्रबल ऑक्सीकारक है। यह S2O32-की S (+2) कोSO42   (+2) में ऑक्सीकृत करता है। जबकि आयोडीन S2O2-3 में S(+2) को S4O2-6 में S(+2.5) में ऑक्सीकृत कर पाता है। हम देखते हैं कि SO2-4 की अपेक्षा S4O2-6 में S की ऑक्सीकरण संख्या कम है। यही कारण है एक ही अपचायक थायोसल्फेट, आयोडीन तथा ब्रोमीन से अलग – अलग व्यवहार करता है।

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प्रश्न 5.
S4O2-6 की संरचना से स्पष्ट कीजिए सल्फर की ऑक्सीकरण अवस्था (+ 5) है।
उत्तर:
दो केन्द्रीय सल्फर परमाणुओं की ऑक्सीकरण संख्या शून्य है क्योंकि S-S बंध बनाने वाला इलेक्ट्रॉन युग्म केन्द्र में रहेगा। अतः शेष सल्फर परमाणु जो संरचना में (सिरों) पर है उनकी ऑक्सीकरण संख्या (+5) होगी।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 51

प्रश्न 6.
विद्युत् रासायनिक श्रेणी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
विभिन्न तत्वों एवं आयनों को उनके मानक अपचयन विभव के मानों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित करने से जो श्रेणी प्राप्त होती है, उसे विद्युत् रासायनिक श्रेणी कहते हैं।

प्रश्न 7.
लवण सेतु क्या है ? इसके दो कार्य लिखिए।
उत्तर:
किसी विद्युत् अपघट्य जैसे KCl या KNO3 तथा अगर-अगर विलयन की जेली से भरी हुई U आकार की नली को लवण सेतु कहते हैं।
कार्य:

  • यह परिपथ को पूर्ण करता है तथा धारा को प्रवाहित होने देता है।
  • दोनों पात्रों में उपस्थित विलयन की उदासीनता को बनाये रखता है।

प्रश्न 8.
इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण के आधार पर ऑक्सीकरण और अपचयन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त के अनुसार, ऑक्सीकरण प्रक्रम में कोई परमाणु मूलक या आयन एक से अधिक इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है। अर्थात् उसकी धनात्मक ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि होती है या ऋणात्मक ऑक्सीकरण संख्या में कमी आती है। अपचयन प्रक्रिया में कोई परमाणु मूलक या आयन एक से अधिक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है, जिससे उसकी धनात्मक ऑक्सीकरण में कमी या ऋणात्मक ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि होती है।
K – e → K+ ऑक्सीकरण
Cu+2 + 2e → Cu° अपचयन

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प्रश्न 9.
वैद्युत रासायनिक तुल्यांक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी वैद्युत अपघट्य के विलयन में 1 ऐम्पियर की धारा को 1 सेकण्ड तक प्रवाहित करने पर किसी इलेक्ट्रोड पर मुक्त होने वाली पदार्थ की मात्रा वैद्युत रासायनिक तुल्यांक कहलाती है। इसका मात्रक ग्राम / कूलॉम है।

प्रश्न 10.
Zn धातु को CuSO4 के विलयन में रखने पर क्या होता है ? समीकरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
Zn धातु को CuSO4 विलयन में डालने पर जिंक Cu को विस्थापित कर देता है क्योंकि जिंक Cu की तुलना में अधिक क्रियाशील है।
Zn + CuSO4 + ZnSO4 + Cu

प्रश्न 11.
मानक इलेक्ट्रोड विभव से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
जब किसी धातु इलेक्ट्रोड को 298 K ताप पर 1 मोलर सान्द्रण वाले विलयन में रखने पर धातु और विलयन के मध्य जो विभवान्तर उत्पन्न होता है उसे मानक इलेक्ट्रोड विभव कहते हैं। इसे E से दर्शाते हैं। यदि इलेक्ट्रोड गैसीय इलेक्ट्रोड है तो गैस का दाब एक वायुमण्डलीय दाब होना चाहिये।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित धातुओं को उनके लवणों के विलयन में से विस्थापन के क्षमता के क्रम में लिखिए- AI, Cu, Fe, Mn तथा Zn
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 52
E 0अपचायक के अधिक ऋणात्मक मान वाली धातु का ऋणात्मक या धनात्मक E 0अपचायक वाली धातुओं की अपेक्षा प्रबल अपचायक अभिकर्मक है। अत: Mg दी गई सभी धातुओं को उनके लवणों के जलीय विलयन से विस्थापित कर सकती है। AI, Mg के अतिरिक्त सभी धातुओं को उनके लवणों के जलीय विलयन से विस्थापित कर सकती है। Zn, Fe तथा Cu को उनके लवणों के जलीय विलयन से विस्थापित कर सकती है। Fe केवल Cu को उसके लवणों के जलीय विलयन से विस्थापित कर सकती है। अतः धातुओं का लवणों के जलीय विलयन से विस्थापित करने की क्षमता का क्रम निम्न है-Mg, AI, Zn, Fe, Cu.

प्रश्न 13.
निम्नलिखित अभिक्रिया विरंजन की प्रक्रिया को प्रदर्शित करती है। उस स्पीशीज को पहचान कर उसका नाम लिखिए जो पदार्थों को उसकी ऑक्सीकारक प्रवृत्ति के कारण विरंजित करती है।
Cl2(aq) + 2OH(aq) → CIO(aq) + Cl(aq) + H2O(l)
उत्तर:
प्रत्येक तत्व की ऑक्सीकरण संख्या को उसके प्रतीक के ऊपर लिखने पर,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 53
इस क्रिया में Cl की ऑक्सीकरण संख्या 0(Cl2) में बढ़कर 1 (ClO) में हो जाती है। जबकि 0(Cl2) में से घटकर -1 (Cl) हो जाती है। अतः क्लोरीन अपचायक और ऑक्सीकारक दोनों की भाँति व्यवहार करती है। यह एक असमानुपातन अभिक्रिया का उदाहरण है। इस क्रिया में ClO(हाइपोक्लोरेट आयन) अपने ऑक्सीकारक गुण के कारण पदार्थों को विरंजित करती हैं। ClO में, Cl अपनी ऑक्सीकरण संख्या + 1 से 0 अथवा -1 तक घटा सकता है।

प्रश्न 14.
ऑक्सीकारक व अपचायक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
ऑक्सीकारक:
वह अभिकारक जो दूसरे अभिकारक से इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर उसे ऑक्सीकृत कर देता है तथा स्वयं अपचयित हो जाता है ऑक्सीकारक कहलाता है।

अपचायक:
वह अभिकारक जो स्वयं इलेक्ट्रॉन का त्याग कर दूसरे अभिकारक को अपचयित कर देता है तथा स्वयं ऑक्सीकृत होता है, अपचायक कहलाता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 54

प्रश्न 15.
लोहे की एक छड़ को यदि CuSO4 के विलयन में रखा जाये तो ताँबा विस्थापित हो जाता है। परन्तु ताँबे की छड़ को FeSO4 के विलयन में डालने पर लोहा विस्थापित नहीं होता है, क्यों ?
उत्तर:
लोहा कॉपर की तुलना में अत्यधिक क्रियाशील है इसलिये CuSO4 के विलयन में Fe की छड़ रखने पर Fe विलयन में से Cu को प्रतिस्थापित कर देता है।
Fe + CuSO4 → FeSO4 +Cu

लेकिन कम क्रियाशील होने की वजह से Cu, FeSO4 विलयन में से Fe को प्रतिस्थापित नहीं कर पाता है।
Cu + FeSO4 → कोई अभिक्रिया नहीं।

प्रश्न 16.
क्या हम CuSO4के विलयन को रजत के पात्र में रख सकते हैं और क्यों ?
उत्तर:
विद्युत् रासायनिक श्रेणी में रजत Cu के नीचे आता है अर्थात् Ag की क्रियाशीलता Cu से कम है इसलिये Ag, CuSO4 विलयन में Cu को प्रतिस्थापित नहीं करेगा इसलिये रजत के पात्र में CuSO4को रखा जा सकता है।

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प्रश्न 17.
ऑक्सीकरण संख्या किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी तत्व की ऑक्सीकरण संख्या वह संख्या है जो किसी आयन में उपस्थित उस तत्व के परमाणु पर उपस्थित आवेश को दर्शाती है। इसका मान धनात्मक, ऋणात्मक या उदासीन हो सकता है।
उदाहरण – KMnO4 में Mn की ऑक्सीकरण संख्या + 7 है।

प्रश्न 18.
फ्लुओरीन बर्फ से अभिक्रिया करके यह परिवर्तन लाती है –
H2O(s)+ F2(g) → HF(g) + HOF(g) इस अभिक्रिया का रेडॉक्स औचित्य स्थापित कीजिए।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 55
F का ऑक्सीकरण संख्या 0 (F2 में ) से घटकर -1 (HF में ) हो जाता है तथा 0 का ऑक्सीकरण संख्या -2 (H2O में) से बढ़कर + 2 (OF2 में) हो जाती है। अत: F2 का अपचयन तथा H2O का ऑक्सीकरण हो रहा है। अतः यह अभिक्रिया रेडॉक्स अभिक्रिया है।

प्रश्न 19.
MnO42- अम्लीय माध्यम में असमानुपातन अभिक्रिया प्रदर्शित करता है परन्तु MnO42- नहीं करता है। कारण भी दीजिए।
उत्तर:
MnO42- में Mn की ऑक्सीकरण संख्या + 6 है। यह अपनी ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि (+7) या कमी (+ 4, + 3, + 2, 0 तक) कर सकता है। अतः यह अम्लीय माध्यम में असमानुपातन अभिक्रिया प्रदर्शित करता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 56
MnO4 में Mn अपनी उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था (+7) में है। यह अपनी ऑक्सीकरण संख्या में केवल कमी कर सकता है। जिसके कारण यह असमानुपातन अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं कर पाता है।

प्रश्न 20.
निम्न अभिक्रिया में किसका ऑक्सीकरण और किसका अपचयन हो रहा है –
PbS + 4H2O2 → PbSO4 + 4H2O
उत्तर:
इस अभिक्रिया में PbS का PbSO4 में ऑक्सीकरण हो रहा है तथा H2O2 का H2O में अपचयन हो रहा है।

प्रश्न 21.
ऑक्सीकरण संख्या व संयोजकता में क्या अंतर है ?
उत्तर:
ऑक्सीकरण संख्या व संयोजकता में अंतर –

  • ऑक्सीकरण संख्या
  • यह वह संख्या है जो किसी आयन पर उपस्थित आवेश को दर्शाती है।
  • ऑक्सीकरण संख्या धनात्मक, ऋणात्मक होती है इसका मान शून्य भी हो सकता है।
  • इसका मान पूर्णांक में या भिन्नात्मक भी हो सकता है।

संयोजकता

  • इलेक्ट्रॉनों की वह संख्या जिसे कोई दान करता है या ग्रहण करता है।
  • संयोजकता का मान धन या ऋण आवेश रहित होता है।
  • इसका मान सदैव पूर्णांक में होता है।

प्रश्न 22.
विद्युत् रासायनिक श्रेणी में धातुओं की सक्रियता किस क्रम में घटती और बढ़ती है ?
उत्तर:
जिस धातु का मानक अपचयन विभव का मान जितना अधिक ऋणात्मक होता है उसकी इलेक्ट्रॉन त्याग करने की प्रवृत्ति उतनी अधिक होती है तथा वह धातु उतनी अधिक क्रियाशील होती है। इस प्रकार विद्युत् रासायनिक श्रेणी में ऊपर से नीचे आने पर क्रियाशीलता में कमी आती है।

प्रश्न 23.
गैल्वेनिक सेल के लिये E cell का धनात्मक मान क्या दर्शाता है ?
उत्तर:
गैल्वेनिक सेल के Ecell का धनात्मक मान दर्शाता है कि –

  • जिस इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण हो रहा है उसे एनोड की भाँति माना जाये।
  • जिस इलेक्ट्रोड पर अपचयन हो रहा है उसे कैथोड की तरह माना जाये।

प्रश्न 24.
इलेक्ट्रोड विभव क्या है ? इसका मान किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
किसी धातु इलेक्ट्रोड को उनके आयनों के किसी लवण के विलयन के संपर्क में रखने पर धातु तथा विलयन के मध्य उत्पन्न हुआ विभवान्तर इलेक्ट्रोड विभव कहलाता है । इलेक्ट्रोड विभव किसी अर्द्ध सेल में किसी इलेक्ट्रोड द्वारा इलेक्ट्रॉन मुक्त करने या इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति है।

प्रश्न 25.
फ्लुओरीन असमानुपातन अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करता है, क्यों ? ..
उत्तर:
असमानुपातन अभिक्रिया में एक ही स्पीशीज एक साथ ऑक्सीकृत तथा अपचयित होती है। अतः ऐसी रेडॉक्स अभिक्रिया के होने के लिए अभिकारक स्पीशीज में कम से कम तत्व अवश्य होना चाहिए जो कम से कम तीन ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करता हो। अभिकारक स्पीशीज में तत्व मध्यवर्ती ऑक्सीकरण संख्या में होना चाहिए जबकि निम्न और उच्च ऑक्सीकरण अवस्थाएँ क्रमशः अपचयन तथा ऑक्सीकरण के लिए उपलब्ध होनी चाहिए। फ्लुओरीन प्रबलतम ऑक्सीकारक पदार्थ है। यह धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था (संख्या) प्रदर्शित नहीं करता है। यही कारण है कि फ्लुओरीन असमानुपातन अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करता है।

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प्रश्न 26.
उस गैल्वेनिक सेल को चित्रित कीजिए, जिसमें निम्न अभिक्रिया होती है –
Zn(s) + 2Ag+(aq) → Zn2+(aq) + 2Ag(s)
अब बताइए कि –

  1. कौन-सा इलेक्ट्रोड ऋण आवेशित है?
  2. सेल में विद्युत्धारा का वाहक कौन है ?
  3. प्रत्येक इलेक्ट्रोड पर होने वाली अभिक्रियाएँ क्या हैं ?

उत्तर:
गैल्वेनिक सेल –
Zn(s) |Zn2+(aq)| Ag+(aq)| Ag(s)

  1. Zn इलेक्ट्रोड ऋणात्मक आवेशित है। Zn का Zn+2 आयनों में ऑक्सीकरण होता है।
  2. धारा सिल्वर से जिंक इलेक्ट्रोड की ओर बहेगी एवं इलेक्ट्रॉन जिंक से सिल्वर की ओर बहेगा।
  3. इलेक्ट्रोड पर होने वाली अभिक्रिया

कैथोड – Zn → Zn2+ + 2e
एनोड- 2Ag2++2e → 2Ag(s)

प्रश्न 27.
नीचे दिए गए मानक इलेक्ट्रोड विभवों के आधार पर धातुओं को उनकी बढ़ती अपचायक क्षमता के क्रम में लिखिए –
1. K+/K = – 2.93V
2. Ag / Ag = 0 – 80V
3. Hg + /Hg = 0.79V
4. Mg + /Mg = -2:37V
5. Cr+3 /Cr =  – 0.74V.
उत्तर:
मानक इलेक्ट्रोड विभव (E ) का मान जितना कम है, पदार्थ उतना ही प्रबल अपचायक होता है। अतः धातुओं की बढ़ती हुई अपचायक क्षमता का क्रम निम्न है- Ag < Hg < Cr < Mg

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प्रश्न 28.
निम्नलिखित अभिक्रिया क्यों होती है –
XeO4-6(aq) + 2F(aq) +6H+(aq) →XeO3(g)+ F3(g) +3H2O(l). यौगिक Na4Xe06 (जिसका एक भाग XeO4-6(aq) है) के बारे में आप इस अभिक्रिया से क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं ?
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 57
उपर्युक्त अभिक्रिया में Xe की ऑक्सीकरण संख्या +8(XeO4-6(aq) में) से घटकर +6(XeO3 में) होती है तथा F की ऑक्सीकरण संख्या -1 (F में) से बढ़कर 0 (F, में) हो जाती है अतः XeO4-6(aq)या Na XeO6 अपचयित होता है तथा F ऑक्सीकृत होता है। यह अभिक्रिया संभव है क्योंकि Na4XeO6 या XeO4-6(aq)फ्लुओरीन की अपेक्षा प्रबल ऑक्सीकारक है।

प्रश्न 29.
Mgo, Zn0, Cuo और Cao में कौन-सा ऑक्साइड हाइड्रोजन से अपचयित होगा और क्यों?
उत्तर:
Mg, Zn तथा Ca विद्युत् रासायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन की तुलना में अत्यधिक क्रियाशील हैं इसलिये ये हाइड्रोजन द्वारा अपचयित नहीं होंगे। Cu विद्युत् रासायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन के नीचे व्यवस्थित है अर्थात् Cu की क्रियाशीलता हाइड्रोजन से कम है इसलिये CuO हाइड्रोजन द्वारा सरलता से अपचयित हो जाता है।

प्रश्न 30.
Ag, Ba, Mg और Au के E के मान क्रमशः + 0.80, – 2.90, – 2.37 और + 1.42 Volt है, इसमें कौन-सी धातु अम्लों में से हाइड्रोजन को विस्थापित करेगी और कौन-सी नहीं?
उत्तर:
जिन धातुओं के E° के मान ऋणात्मक होते हैं वे हाइड्रोजन की तुलना में अधिक क्रियाशील हैं तथा तनु अम्लों में से हाइड्रोजन को सरलता से विस्थापित कर सकते हैं। इसलिये Ba तथा Mg तनु अम्लों में H2 को प्रतिस्थापित कर सकते हैं। तथा Ag और Au के E° के मान धनात्मक हैं ये हाइड्रोजन की तुलना में कम क्रियाशील हैं इसलिये ये तनु अम्लों में से हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित नहीं कर सकते।।

प्रश्न 31.
विद्युत् रासायनिक सेल की परिभाषा लिखिये। डेनियल सेल की रासायनिक अभिक्रिया दर्शाइये।
उत्तर:
वह पात्र या निकाय जिसमें रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप विद्युत् धारा उत्पन्न होती है विद्युत् रासायनिक सेल कहलाता है। इसमें होने वाली रेडॉक्स अभिक्रिया अप्रत्यक्ष होती है अर्थात् ऑक्सीकरण और अपचयन अभिक्रिया अलग – अलग पात्र में होती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 58
अपचयोपचय अभिक्रियाएँ लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉन विभव को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन विभत्र को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं –

  • धातु की इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति-जिस धातु की इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति जितनी अधिक होगी उसका इलेक्ट्रोड विभव उतना ही अधिक होगा।
  • ताप-विलयन का ताप बढ़ाने पर इलेक्ट्रोड विभव का मान बढ़ता है।
  • विलयन की सान्द्रता-विलयन में धातु आयनों की सान्द्रता अधिक होने पर इलेक्ट्रोड विभव का मान उच्च होता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित की ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात कीजिए –

  1. K2Cr2O7 में Cr की –
  2. KMnO4में Mn की,
  3. Na2S4O6 में S की,
  4. H3PO4 में P की,
  5. K2MnO4 में Mn की,
  6. MnO2 में Mn की।

उत्तर:
(1) K2Cr2O7 में Cr की –
2(+1) + 2x+7(-2)= 0
या 2+ 2 x – 14 = 0
या 2 x = 12
या x = +6

(2) KMnO4में Mn की –
1(+1) +1 x + 4(-2)= 0
या 1 + x – 8 = 0
या x = +7

(3) Na2S4O6 में S की –
2(+1) + 4x +6(-2) = 0
या 2 + 4x – 12 = 0
या 4x = 10
या x = \(\frac { 10 }{ 4 }\) = 2.5

(4) H3PO4 में P की –
3(+1) + 1 x + 4(-2)= 0
3+ x – 8 = 0
x = + 5.

(5) K2MnO4 में Mn की –
(+1 x 2)+ x + (-2 × 4)= 0
2 + x – 8 = 0
x = 8 – 2 = 6.

(6) MnO2 में Mn की।
x + (-2) × 2 = 0
या x – 4 = 0
x = 4.

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प्रश्न 3.
रेडॉक्स अभिक्रिया क्या है ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
ऑक्सीकरण प्रक्रम वह प्रक्रम है जिसमें कोई तत्व एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन दान करता है इसे डी-इलेक्ट्रोनेशन भी कहते हैं। तथा अपचयन वह प्रक्रम है जिसमें कोई तत्व एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है इसे इलेक्ट्रोनेशन भी कहते हैं। इस प्रकार अभिक्रिया के दौरान यदि एक तत्व इलेक्ट्रॉन दान करता है तो दूसरा तत्व इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है अर्थात् किसी भी अभिक्रिया में ऑक्सीकरण तथा अपचयन प्रक्रम एक साथ होते हैं। इसलिये इसे ऑक्सीकरण-अपचयन प्रक्रम या रेडॉक्स अभिक्रिया कहते हैं अत: रेडॉक्स अभिक्रिया वह अभिक्रिया है जिसमें इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण एक अभिकारक से दूसरे अभिकारक तक होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 59

प्रश्न 4.
विद्युत् अपघटनी सेल तथा विद्युत् रासायनिक सेल में अंतर लिखिए।
उत्तर:
विद्युत् अपघटनी सेल तथा विद्युत् रासायनिक सेल में अंतर –
विद्युत् अपघटनी सेल:

  • इसमें विद्युत् ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन होता है।
  • रेडॉक्स अभिक्रिया प्रत्यक्ष विधि द्वारा होती है।
  • लवण सेतु की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
  • एनोड धन ध्रुव तथा कैथोड ऋण ध्रुव होता है।

विद्युत् रासायनिक सेल:

  • इसमें रासायनिक ऊर्जा का विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तन होता है।
  • रेडॉक्स अभिक्रिया अप्रत्यक्ष विधि द्वारा होती है।
  • लवण सेतु की आवश्यकता होती है।
  • एनोड ऋण ध्रुव तथा कैथोड धन ध्रुव होता है।

प्रश्न 5.
विद्युत् रासायनिक श्रेणी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
विद्युत् रासायनिक श्रेणी की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  • वैद्युत रासायनिक श्रेणी में धातुओं की रासायनिक सक्रियता ऊपर से नीचे आने पर घटती है।
  • वैद्युत रासायनिक श्रेणी में अधातुओं की रासायनिक सक्रियता ऊपर से नीचे आने पर बढ़ती है।
  • श्रेणी में मानक अपचयन विभव का ऋणात्मक मान जितना अधिक होगा वह तत्व उतना प्रबल अपचायक होगा।
  • श्रेणी में मानक अपचयन विभव का धनात्मक मान जितना उच्च होगा वह तत्व उतना प्रबल ऑक्सीकारक होगा।
  • श्रेणी में जो तत्व H, से ऊपर व्यवस्थित है वह तनु अम्लों में से सरलता से हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित करती है।
  • श्रेणी में जो तत्व हाइड्रोजन से नीचे व्यवस्थित है वह तनु अम्लों में से हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित नहीं करती है।
  • श्रेणी में ऊपर आने वाले तत्व बाद में आने वाले तत्वों को उनके लवणों के विलयन में से सरलता से प्रतिस्थापित करते हैं।

प्रश्न 6.
ननस्ट समीकरण क्या है ? E और E° में संबंध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी इलेक्ट्रोड का विभव विलयन की सान्द्रता 1M तथा ताप 298 K से किस प्रकार प्रभावित होता है। तथा साधारण परिस्थितियों में ज्ञात किये गये इलेक्ट्रोड विभव और मानक इलेक्ट्रोड विभव के बीच संबंध को स्थापित करने के लिये ननस्ट ने एक समीकरण दिया जिसे ननस्ट समीकरण कहते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 60

प्रश्न 7.
विद्युत् रासायनिक श्रेणी के प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर:
(1) गेल्वनिक सेलों का E.M.E. ज्ञात करना-दो अर्द्ध सेलों से बने हुये किसी गैल्वनिक सेल का मानक विद्युत वाहक बल E° की गणना निम्न सूत्र की सहायता से ज्ञात की जा सकती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 83

(2) रेडॉक्स अभिक्रिया की सम्भावना:
यदि सेल विभव का मान धनात्मक हो, तो रेडॉक्स अभिक्रिया संभव है और यदि सेल विभव का मान ऋणात्मक हो, तो रेडॉक्स अभिक्रिया संभव नहीं होगी।

(3) धातुओं का धन विद्युती गुण;
जो परमाणु अपने बाह्यतम कोश से सबसे सरलता से इलेक्ट्रॉन त्यागते हैं, वह उच्चतम धन विद्युती गुण दर्शाता है। और जो कठिनाई से इलेक्ट्रॉन त्यागते हैं, निम्नतम धन विद्युती गुण दर्शाता है।

(4) धातु की सक्रियता की तुलना:
जिस धातु के E° का ऋणात्मक मान जितना अधिक होगा वह उतनी ही सरलता से इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनाता है अतः E° का ऋणात्मक मान होने पर धातु की क्रियाशीलता व अपचायक गुण अधिक होता है।

(5) ऑक्सीकारक व अपचायक का ज्ञान:
मानक अपचयन इलेक्ट्रोड विभव का ऋणात्मक मान जितना अधिक होगा वह तत्व उतना प्रबल अपचायक होगा तथा मानक अपचयन इलेक्ट्रोड विभव का मान जितना अधिक धनात्मक होगा वह तत्व उतना प्रबल ऑक्सीकारक होगा।

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अपचयोपचय अभिक्रियाएँ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नाइट्रिक अम्ल निर्माण की ओस्टवाल्ड विधि के प्रथम पद में अमोनिया गैस के ऑक्सीजन गैस द्वारा ऑक्सीकरण से नाइट्रिक ऑक्साइड गैस तथा जल वाष्प बनती है। 100 ग्राम अमोनिया 20.0 ग्राम ऑक्सीजन द्वारा नाइट्रिक ऑक्साइड की कितनी अधिकतम मात्रा प्राप्त हो सकती है।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 61
परन्तु O2 की उपलब्ध मात्रा 20.0g है जो कि 10g NH3 से पूर्णतः क्रिया करने के लिए आवश्यक मात्रा (23.5g) से कम है। अत: O2 सीमांत अभिकर्मक है तथा यह उत्पन्न NO की मात्रा को सीमित करता है।

उपर्युक्त संतुलित समीकरण से –
∴ 160 g O2 उत्पन्न होती है = 120g NO से
∴ 1g O2 उत्पन्न होती है = \(\frac { 120 x 1 }{ 160 }\) g NO से
∴ 20 g O2 उत्पन्न होगी = 120 = \(\frac { 120 x 1 x 20 }{ 160 }\) = 15 g NO से।

प्रश्न 2.
मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड क्या है ? यह कैसे बनाया जाता है ?
उत्तर:
मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड:
इसमें प्लैटिनम ब्लैक की पर्त चढ़ी हुई प्लैटिनम की एक पतली पत्ती का इलेक्ट्रोड हाइड्रोजन आयन के 1 मोलर सान्द्रता के विलयन में डुबोकर रखा जाता है। यह काँच की एक नली से ढंका रहता है। नली में से एक वायुमण्डलीय। शुद्ध हाइड्रोजन गैस दाब पर शुद्ध हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करते हैं।

प्लैटिनम या हाइड्रोजन हाइड्रोजन गैस प्लेटिनम तार गैस अवशोषित होती है तथा शीघ्र ही H, गैस HO+ आयनों के काँच का जैकेट मध्य एक साम्य स्थापित हो जाता है। परिस्थिति के अनुसार हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड एनोड तथा कैथोड की तरह कार्य करता है, यदि मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड एनोड की तरह कार्य करता है तो उस पर ऑक्सीकरण होता है और इस पर होने वाली सेल अभिक्रिया
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 62
H2 → 2H2++ 2e
इस सेल अभिक्रिया को निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता है –
Pt, H2(g) (1 atm P) | 2H+ (1M)
यदि मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड कैथोड की तरह कार्य करता है तो उस पर अपचयन होगा और इस पर होने वाली सेल अभिक्रिया
2H+ + 2e → H2
2H+ (1M) / PtH2(g) (latmP)
इस मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड विभव का मान मानक स्थिति में शून्य होता है।

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प्रश्न 3.
ऑक्सीकरण संख्या क्या है ? इसे ज्ञात करने के प्रमुख नियम लिखिए।
उत्तर:
किसी यौगिक या आयन में किसी तत्व के परमाणु पर स्थित धन या ऋण आवेश को उस तत्व की ऑक्सीकरण संख्या कहलाती है।
ऑक्सीकरण संख्या ज्ञात करने के नियम –

  • किसी तत्व की स्वतंत्र अवस्था या मूल अवस्था में ऑक्सीकरण संख्या शून्य होती है।
  • किसी तत्व के एक परमाण्विक आयन की ऑक्सीकरण संख्या उस आयन पर उपस्थित आवेश के बराबर होती है।
  • किसी भी संकुल आयन में + ve और – ve ऑक्सीकरण संख्या का जो अंतर होता है वही उस संकुल आयन पर आवेश होता है।
  • किसी भी उदासीन अणु या यौगिक में धनात्मक तथा ऋणात्मक ऑक्सीकरण संख्या का योग शून्य है।
  • जब दो ऋणविद्युती तत्व आपस में संयोग कर यौगिक बनाते हैं तो प्रबल ऋणविद्युती तत्व ऋणात्मक ऑक्सीकरण संख्या तथा कम ऋणविद्युती तत्व धनात्मक ऑक्सीकरण संख्या दर्शाता है।
  • फ्लुओरीन आवर्त सारणी में सबसे ऋणविद्युती तत्व है इसीलिये F सदैव – 1 ऋणात्मक ऑक्सीकरण संख्या दर्शाता है। जबकि अन्य हैलोजन ऋणात्मक ऑक्सीकरण संख्या के साथ धनात्मक ऑक्सीकरण संख्या भी दर्शाते हैं।
  • जब हाइड्रोजन किसी अधातु के साथ संयोग कर यौगिक बनाता है तो हाइड्रोजन की ऑक्सीकरण संख्या + 1 होती है जब H2 धातु के साथ संयोग कर हाइड्राइड बनाता है तो H2 की ऑक्सीकरण संख्या – 1 होती है।
  • सामान्य यौगिकों में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या – 2 होती है। इस परिस्थिति में इन्हें ऑक्साइड कहते हैं। कुछ यौगिकों में O2
    की ऑक्सीकरण संख्या -1 और –\(\frac { 1 }{ 2 }\) भी संभव है इन्हें परॉक्साइड तथा सुपर ऑक्साइड कहते हैं।

प्रश्न 4.
रेडॉक्स अभिक्रिया के समीकरण को आयन इलेक्ट्रॉन विधि से किस प्रकार संतुलित किया जाता है ? समझाइये।
उत्तर:

  • दिये गये रासायनिक समीकरण में प्रत्येक तत्व की ऑक्सीकरण संख्या को दर्शाते हैं।
  • ऑक्सीकरण संख्या के आधार पर ऑक्सीकरण तथा अपचयन की अभिक्रिया की पहचान करते हैं।
  • ऑक्सीकरण तथा अपचयन के आधार पर रेडॉक्स अभिक्रिया को दो पदों में विभाजित करते हैं।
  • H2 तथा O2 के अतिरिक्त प्रत्येक अन्य तत्वों को अर्द्ध समीकरण में संतुलित करते हैं।
  • ऑक्सीकरण संख्या में परिवर्तन के आधार पर इलेक्ट्रॉन का आदान-प्रदान कर आवेश को संतुलित करते हैं।
  • जिस ओर ऑक्सीजन की कमी हो उस ओर H2O को जोड़कर ऑक्सीजन को संतुलित करते हैं।
  • H2 को संतुलित करने के लिये निम्नलिखित दो पदों का उपयोग करते हैं
    • अम्लीय माध्यम में – यदि अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में हो रही है तो जिस तरफ H2 की कमी हो उस तरफ H आयन जोड़ते हैं।
    • क्षारीय माध्यम में – यदि अभिक्रिया क्षारीय माध्यम में हो रही है तो जिस तरफ H2 की कमी हो उस तरफ H2O तथा दूसरी तरफ OH आयन जोड़ते हैं।
  • दोनों अर्द्ध समीकरण में इलेक्ट्रॉन को संतुलित करने के लिये किसी उपयुक्त संख्या से गुणा करते हैं।
  • दोनों अर्द्ध समीकरण को जोड़कर पूर्ण समीकरण प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित अभिक्रिया से आप कौन-सी सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं –
(CN)2(g) + 2OH2(aq) → CN2(aq) + CNO2(aq) + H2O(l)
उत्तर:
(CN)2(g) + 2OH2(aq) → CN2(aq) + CNO2(aq) + H2O(l)
1. माना (CN)2में C की ऑक्सीकरण संख्या = x
2x + 2(-3) = 0
x = + 3

2. माना CN में C की ऑक्सीकरण संख्या = x
x+ (-3) = -1
x = +2

3. माना CNO में C की ऑक्सीकरण संख्या = x
x+ (-3) + (-2) = -1
x = + 4

MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 63

ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि उपर्युक्त समीकरण से निम्नलिखित सूचनाएँ प्राप्त होती हैं –

  • साइनोजन का साइनाइड आयन (CN) तथा सायनेट आयन (CNO ) में अपघटन क्षारीय माध्यम में होता है।
  • साइनोजन ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों की भाँति व्यवहार करता है।
  • यह समीकरण असमानुपातन अभिक्रिया (रेडॉक्स अभिक्रिया का विशिष्ट प्रकार) का उदाहरण है।
  • साइनोजन (CN)2 को छद्म हैलोजन कहते हैं जबकि CN ,CNO आयनों को छद्म हैलाइड आयन कहते हैं।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित रेडॉक्स अभिक्रिया को आयन इलेक्ट्रॉन विधि द्वारा संतुलित कीजिए –
Cr2O-27 + Fe+2 + H+ → Cr+3 + Fe+3
उत्तर:
(1) प्रत्येक तत्व की ऑक्सीकरण संख्या को दर्शाते हैं।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 64
(2) ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया की पहचान
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 65
(3) अभिक्रिया को दो पदों में विभाजित करते हैं -]
Fe+2 → Fe+3
Cr2O-27 → Cr+3

(4) तत्व को संतुलित करना –
Fe+2 → Fe+3
Cr2O-27 → 2Cr+3

(5) आवेश संतुलित करना –
Fe+2 – 1e →F+3
Cr2O-27 +6e → 2Cr+3

(6) ऑक्सीजन को संतुलित करना –
Fe+2 – 1e → Fe+3
Cr2O-27+6e →2Cr+3 + 7H2O

(7) H2 को संतुलित करना –
Fe+2 – 1e → Fe+3
Cr2O-27 + 6e +14H+ →2Cr+3 + 7H2O

(8) इलेक्ट्रॉन को संतुलित करना –
6Fe+2 – 6e → 6Fe+3
Cr2O-27 +6e+ 14H+ →2Cr+3+ 7H2O

(9) दोनों समीकरण को जोड़ने पर –
6Fe+2 – 6e → 6Fe+3
Cr2O-27 + 6e +14H+ → 2Cr+3 + 7H2O
6Fe+2 + Cr2O-27 + 14H+ →2Cr+3 + 6Fe+3 +7H2O

प्रश्न 7.
Cs, Ne, I और F में ऐसे तत्व की पहचान कीजिए जो –

  1. केवल ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
  2. केवल धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
  3. ऋणात्मक और धनात्मक दोनों ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
  4. न ऋणात्मक और न ही धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।

उत्तर:

  1. F केवल ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है क्योंकि यह सर्वाधिक विद्युत् ऋणात्मक तत्व है।
  2. Cs केवल धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है क्योंकि यह सर्वाधिक विद्युत् धनात्मक तत्व है।
  3. I धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करता है। आयोडीन -1,0,+1,+3,+5 और +7 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करता है। (+3,+5 और +7 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ रिक्त d- कक्षक के कारण प्रदर्शित करता है।)
  4. Ne अक्रिय गैस है, अतः यह न ऋणात्मक और न धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करती है।

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प्रश्न 8.
किसी विलयन में अपचायक/ऑक्सीकारक की क्षमता को ज्ञात करने के लिए किस विधि का प्रयोग करते हैं ? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सर्वप्रथम मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के साथ दी गई स्पीशीज के रेडॉक्स युग्म को युग्मित करके इसके इलेक्ट्रोड विभव का मापन करते हैं। यदि यह धनात्मक होता है तो दी गई स्पीशीज का इलेक्ट्रोड अपचायक की भाँति कार्य करता है तथा यदि यह ऋणात्मक होता है तो दी गई स्पीशीज का इलेक्ट्रोड ऑक्सीकारक की भाँति व्यवहार करता है। इसी विधि से अन्य दी गई स्पीशीज का इलेक्ट्रोड विभव ज्ञात करते हैं। इन मानों की तुलना करते है तथा अपचायक अथवा ऑक्सीकारक के रूप में उनकी आपेक्षिक क्षमता ज्ञात करते हैं।

उदाहरण:
मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड (SHE) को संदर्भ इलेक्ट्रोड की भाँति प्रयोग करके Zn+2 / Zn इलेक्ट्रोड के मानक इलेक्ट्रोड विभव की गणना निम्न प्रकार से करते हैं –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 66
सेल के विद्युत् वाहक बल (emf) का मान 0.76V प्राप्त होता है। (वोल्टामीटर का पाठ्यांक 0.76V है) Zn+2 / Zn युग्म एनोड की भाँति कार्य करता है तथा मानक हाइड्रोजन कैथोड की भाँति कार्य करता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 67

प्रश्न 9.
अपनी अभिक्रियाओं में SO2 और हाइड्रोजन परॉक्साइड ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों के रूप में क्रिया करते हैं, जबकि ओजोन तथा HNO3 केवल ऑक्सीकारक के रूप में ही क्यों?
उत्तर:
1. SO2 में S की ऑक्सीकरण संख्या +4 है। इसकी न्यूनतम ऑक्सीकरण संख्या-2 तथा अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या +6 हो सकती है। अत: SO2 में S अपनी ऑक्सीकरण संख्या को घटा तथा बढ़ा दोनों सकता है, इसी कारण SO2 ऑक्सीकारक और अपचायक दोनों की भाँति व्यवहार कर सकता है।

2. H2O2 में 0 की ऑक्सीकरण संख्या -1 है। इसकी न्यूनतम ऑक्सीकरण संख्या – 2 तथा अधिकतम ऑक्सीकरण संख्या ऑक्सीजन की(O2F2 तथा OF2 में क्रमशः +1 तथा +2 भी संभव है) अतः H2O2 में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या को घटा तथा बढ़ा भी सकता है। अत: HO2 ऑक्सीकारक एवं अपचायक दोनों की भाँति व्यवहार कर सकता है।

3. O3 में ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण संख्या शून्य है। यह अपनी ऑक्सीकरण संख्या में वृद्धि नहीं कर पाता है। यह केवल ऑक्सीकरण संख्या शून्य से -1 तथा –2 तक घटा सकता है। अत: O3 (ओजोन)केवल ऑक्सीकारक की भाँति व्यवहार कर सकता है।

4. HNO3 में, N की ऑक्सीकरण संख्या +5 है जो कि अधिकतम है। अत: HNO3 में N की ऑक्सीकरण संख्या में केवल कमी ही हो सकती है। अतः केवल ऑक्सीकारक की भाँति व्यवहार कर सकता है।

प्रश्न 10.
उन यौगिकों की सूची तैयार कीजिए जिसमें कार्बन -4 से +4 तक की तथा नाइट्रोजन -3 से +5 तक की ऑक्सीकरण अवस्था में होता है।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 68

प्रश्न 11.
अभिक्रिया देते हुए सिद्ध कीजिए कि हैलोजनों में फ्लुओरीन श्रेष्ठ ऑक्सीकारक तथा हाइड्रोहैलिक यौगिकों में हाइड्रो आयोडिक अम्ल (HI) श्रेष्ठ अपचायक है।
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 69

हैलोजन का मानक अपचयन विभव धनात्मक होता है तथा फ्लुओरीन से आयोडीन तक क्रमशः घटता है। अत: हैलोजन प्रबल ऑक्सीकारक अभिकर्मक की भाँति व्यवहार करते हैं तथा उनकी ऑक्सीकारक क्षमता फ्लुओरीन से आयोडीन तक घटती जाती है। फ्लुओरीन प्रबलतम ऑक्सीकारक अभिकर्मक है। यह अन्य हैलाइड आयनों को विलयन या शुष्क अवस्था में संगत हैलोजन में ऑक्सीकृत कर देता है।
F2 + 2X F + X2 (X = CI,Br,I)

सामान्य रूप से, निम्न परमाणु संख्या वाली हैलोजन उच्च परमाणु संख्या वाली हैलोजन के हैलाइड आयन को ऑक्सीकृत कर देती है।
हैलाइड आयन, Xअथवा HX अणु जब किसी ऑक्सीकारक के साथ क्रिया करता है तो यह ऑक्सीकारक पदार्थ को अपचयित कर देता है तथा स्वयं X2 अणु में अपचयित हो जाता है। X आयन की इलेक्ट्रॉन त्यागकर X2 अणु बनाने की प्रवृत्ति F से I आयन तक क्रमशः बढ़ती है। X आयनों अथवा HX अणुओं की यह अपचायक क्षमता F से I आयनों अथवा HF से HI अणुओं तक क्रमशः बढ़ती है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 70
प्रबलतम अपचायक → दुर्बलतम अपचायक
2HF + H2SO4 → कोई क्रिया नहीं
HCl भी H2SO4 के साथ क्रिया नहीं करता है।

किन्तु 2HI + H2SO4 → SO2 +2H2O + I2
HBr भी इसी प्रकार क्रिया करता है।

HF या F आयन एक दुर्बल अपचायक है। यह इतना दुर्बल अपचायक है कि यह अत्यधिक प्रबल ऑक्सीकारक पदार्थ जैसे – H2SO4R को भी अपचयित नहीं कर पाता है। जबकि HI या I आयन प्रबल ऑक्सीकारक पदार्थों को अपचयित करते हैं तथा स्वयं I2 में ऑक्सीकृत हो जाते हैं। यही कारण है कि HI श्रेष्ठ अपचायक है।

प्रश्न 12.
मानक इलेक्ट्रोड विभव के मानों के आधार पर बताइये कि निम्नलिखित में से कौन-सी अभिक्रियाएँ संभव होगी
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 71
1. Cu+Zn2+ → Cu2+ + Zn
2. Mg + Fe2+ → Mg 2+ + Fe
3. Br2 + 2Cl → Cl2 + 2Br
4. Fe+ Cd 2+ → Cd + Fe 2+
उत्तर:
1. Cu + Zn2+ → Cu2+ + Zn
दी गई सेल अभिक्रिया में Cu, Cu2+ में ऑक्सीकृत होता है। अत: Cu2+/ Cu युग्म एनोड की भाँति कार्य करते है तथा Zn2+/ Zn युग्म कैथोड की भाँति कार्य करेगा।
E0cell = E0cathod – E0Anode
E0cell = -0. 76 – (+0.34) = -1.1v
E0cell का मान ऋणात्मक यह प्रदर्शित करता है कि यह क्रिया संभव नहीं है।

2. Mg + Fe2+ → Mg2+ + Fe
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 72
Mg, Mg 2+ में ऑक्सीकृत होगा अतः एनोड का कार्य Mg2+ / Mg करेगा।
Fe2+ Fe में अपचयित होगा अतः कैथोड का कार्य Fe2+ / Fe युग्म करेगा।
E0cell = E0cathod – E0Anode
E0cell = -0. 74 – (-2.37) = +1.63v
E0सेल का धनात्मक मान प्रदर्शित करता है कि यह अभिक्रिया होगी।

3. Br2 + 2Cl → Cl2 + 2Br
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 73
सेल क्रिया में Cl, Cl2 में ऑक्सीकृत होता है अत: Cl/ Cl2 युग्म एनोड की भाँति एवं Br2 Br में अपचयित होता है अत: Br/ Br2 युग्म कैथोड की भाँति कार्य करेगा।
E0cell = E0 कैथोड – E0 एनोड 
E0cell = +1. 08 – (+1.36) = +0.28v
E0सेल का मान ऋणात्मक होना यह दर्शाता है कि यह अभिक्रिया नहीं होगी।

4. Fe+ Cd 2+ → Cd + Fe 2+
इसमें Fe, Fe2+ में ऑक्सीकृत होता है अत: Fe2+/ Fe एनोड और Cd2+,Cd में अपचयित होता है अतः Cd2+ / Cd युग्म कैथोड की भाँति कार्य करेगा।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 8 अपचयोपचय अभिक्रियाएँ - 74
E0सेल= E0 कैथोड  = E0 एनोड
E0सेल = -0.44 – (-0.74) = + 0.30v
E0सेल का मान धनात्मक है अत: यह अभिक्रिया संभव है।

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MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 4 रहिमन विलास

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 4 रहिमन विलास (कविता, रहीम)

रहिमन विलास पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

रहिमन विलास लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आँखों से बहने वाले आँसू क्या व्यक्त कर देते हैं? (M.P. 2010)
उत्तर:
आँखों से बहने वाले आँसू मनुष्य के मन का दुख व्यक्त कर देते हैं।

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प्रश्न 2.
बिन पानी के कौन महत्त्वहीन हो जाते हैं? (M.P. 2009)
उत्तर:
बिन पानी के मोती, मनुष्य और चून महत्त्वहीन हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
कवि ने सच्चा मित्र किसे कहा है? (M.P. 2011)
उत्तर:
कवि में सच्चा मित्र उसे कहा है, जो संकटकाल या विषम परिस्थिति में भी मित्र के साथ रहता है।

प्रश्न 4.
छोटों के प्रति बड़ों का क्या कर्तव्य है?
उत्तर:
छोटों के प्रति बड़ों का कर्तव्य है कि वे छोटों के उपद्रव (गलतियों) को क्षमा कर दें।

प्रश्न 5.
कवि ने जीवन की सार्थकता के संबंध में क्या कहा है?
उत्तर:
कवि ने कहा है कि जीवन की सार्थकता देने के भाव में ही है।

रहिमन विलास दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समुद्र के जल की अपेक्षा कुएँ के जल की प्रशंसा क्यों की है? (M.P. 2010; 2012)
उत्तर:
कुएँ के जल को पीकर प्यासे की प्यास बुझती है। उसके हृदय को संतोष का अनुभव होता है जबकि समुद्र के जल से प्यासा प्यास नहीं बुझा पाता है। वह प्यासा ही रह जाता है। अतः कुएँ का जल संतोषदायक है इसीलिए उसकी प्रशंसा की है।

प्रश्न 2.
कुशलता की कामना कब निष्फल हो जाती है?
उत्तर:
कुशलता की कामना उस समय निष्फल हो जाती है, जब मनुष्य कुसंगति में पड़ जाता है। कुसंगति के कारण मनुष्य की कुशलता में बाधा उत्पन्न होती है। कुसंगत और कुशलता दोनों साथ-साथ नहीं हो सकते।

प्रश्न 3.
कवि रहीम ने किसे समझाना उचित नहीं माना है?
उत्तर:
कवि रहीम ने ऐसे व्यक्ति को समझाना उचित नहीं माना है, जो रात-दिन, सोते-जागते अनकही अर्थात् बिना सर-पैर की निरर्थक बातें करता रहता है।

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प्रश्न 4.
कवि मोतियों के हार के माध्यम से क्या संदेश देना चाहता है? (M.P. 2009)
उत्तर:
कवि मोतियों के हार के माध्यम से संदेश देना चाहता है कि श्रेष्ठ लोगों अथवा अपने लोगों के रूठ जाने पर उन्हें बार-बार मना लेना चाहिए। प्रेम से साथ रहने पर ही शोभा होती है।

प्रश्न 5.
रहीम ने धन को महत्त्व क्यों दिया है?
उत्तर:
रहीम ने धन को इसलिए महत्त्व दिया है क्योंकि धन से मित्र बनते हैं। धन में ही मित्र बनाने की शक्ति होती है। निर्धन के कम मित्र बनते हैं।

प्रश्न 6.
“लोग भरम हम पै.धरें, याते नीचे नैन”क्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस पंक्ति का आशय है-लोग भ्रमवश रहीम को दाता मानकर उनकी जय-जयकार करते हैं। इसी कारण कवि के मन में संकोच उत्पन्न होता है। उसे लज्जा आती है कि देने वाला तो ईश्वर है। मैं तो एक साधारण व्यक्ति हूँ। यह सोचकर ही दान देने वाले कवि रहीम सदा अपनी आँखें नीची किए रहते हैं।

रहिमन विलास भाव-पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-पल्लवन कीजिए।

प्रश्न 1.
“जाहि निकारो गेह ते, कस न भेद कहि देई।”
उत्तर:
जब किसी को घर से निकाला जाएगा, तो वह घर का भेद दूसरों से क्यों नहीं कहेगा। इस प्रकार घर के सारे भेद दूसरों तक पहुँच जाएँगे। घर का भेदी कभी अच्छा नहीं होता। जब तक वह घर में रहता है तो सारे भेद घर तक सीमित रहते हैं, लेकिन उसको घर से निकालते ही सारे भेद दूसरों तक पहुँच जाते हैं। रामायण में रावण अपने छोटे भाई विभीषण को लंका से निकाल देता है। विभीषण घर से निकाले जाने के बाद राम से आ मिलता है। उसी ने राम को लंका के सारे भेद तथा रावण की मृत्यु का रहस्य भी बता दिया, इसी से जनता में कहावत भी प्रचलित है-घर का भेदी लंका ढावै।

प्रश्न 2.
“खग मृग बसत आरोग्य वन, हरि अनाथ के नाथ।” (M.P. 2011)
उत्तर:
समस्त पशु और पक्षी वन में प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं। वन में उन्हें शुद्ध जल और वायु मिलती है। वे साफ पानी पीते हैं और शुद्ध साँस लेते हैं। वन के ही फल-फूल और पत्तियाँ खाकर अपना पेट भरते हैं। वे कभी रोगग्रसित नहीं होते। सदा निरोग रहते हैं। उन्हें औषधियों की आवश्यकता नहीं होती। प्राकृतिक जीवन स्वास्थ्यवर्धक होता है। वन में कोई चिकित्सक नहीं होता। उनके स्वास्थ्य की रक्षा तो ईश्वर ही करता है। अतः स्वस्थ व निरोग रहने के लिए प्राकृतिक वातावरण से ज्यादा से ज्यादा जुड़े रहना चाहिए।

रहिमन विलास भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के हिंदी मानक रूप लिखिएछिमा, गेह, माखन, मीत, रावन।
उत्तर:
क्षमा, गृह, मक्खन, मित्र, रावण।

प्रश्न 2.
समानार्थी शब्दों की सही जोड़ियाँ बनाइए –

  • खग – कमल
  • उदधि – जल
  • अंबु – समुद्र
  • अंबुज – पक्षी

उत्तर :

  • खग – पक्षी
  • उदधि – समुद्र
  • अंबु – जल
  • अंबुज – कमल

प्रश्न 3.
उदाहरण के अनुसार दिए गए शब्द युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
दिन-दीन:
आज का दिन सुहावना है।
दीन व्यक्ति दया का पात्र है।
कुल-कूल, अंक-अंक, हंस-हँस, वात-बात, खल-खाल।
उत्तर:

  • कुल – ऊँचे कुल में जन्म लेने से ही मनुष्य उच्च नहीं बन जाता।
    कूल – यमुना कूल पर मेला लगा हुआ है।
  • अंक – प्रसन्नता से उसने मुझो अंक में भर लिया।
    अंक – अंक से अंक मिलाकर एक बड़ी विषम संख्या बनाओ।
  • हंस – पक्षियों का राजा होता है।
    हँस – उसने मेरी बात हँस कर उड़ा दी।
  • वात – वह वात रोग से पीड़ित है।
    बात – वह बात करने योग्य नहीं है।
  • खल – खल के साथ न मित्रता अच्छी होती है और न शत्रुता।
    खाल – पशुओं की तो खाल भी काम में आ जाती है।

रहिमन विलास योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
नीति से संबंधित काव्य लिखने वाले कवियों के चित्रों को संकलन कर उनके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 2.
अन्य कवियों के नीति सम्बन्धी दोहों का संकलन कीजिए।
उत्तर:
छात्र अपने विद्यालय के पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर स्वयं संकलन करें।

प्रश्न 3.
यदि आपके पड़ोस में कोई कवि हिंदी में काव्य रचना करता हो तो उससे रचना प्राप्त कर पढ़िए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
यदि आपके कुटुम्बीजन आपसे रूठ गए हों तो आप क्या करेंगे? लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

रहिमन विलास परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर –

प्रश्न 1.
आरोग्य बनाने की शक्ति होती है –
(क) नगरीय जीवन में
(ख) प्राकृतिक जीवन में
(ग) ग्रामीण जीवन में
(घ) कृत्रिम जीवन में
उत्तर:
(ख) प्राकृतिक जीवन में।

प्रश्न 2.
कुसंग से कौन-सी अभिलाषा पूरी नहीं होती –
(क) धन-संपत्ति प्राप्ति की
(ख) सुख-शांति प्राप्ति की
(ग) कुशलता प्राप्ति की
(घ) ईश्वर प्राप्ति की
उत्तर:
(ग) कुशलता प्राप्ति की।

प्रश्न 3.
‘देनहार कोउ और है’ के द्वारा संकेत किया गया है – (M.P. 2009)
(क) ईश्वर की ओर
(ख) सम्राट अकबर की ओर
(ग) जनता की ओर
(घ) संसार की ओर
उत्तर:
(क) ईश्वर की ओर।

प्रश्न 4.
रहीम ने किसके जल को धन्य कहा है –
(क) समुद्र के
(ख) तालाब के
(ग) नदी के
(घ) कुएँ के
उत्तर:
(घ) कुएँ के।

प्रश्न 5.
घर की बात घर में ही रखने का संकेत निम्नलिखित दोहे में किया है –
(क) रहिमन अँसुआ नैन गरि
(ख) देनहार कोउ और है
(ग) तौ ही लो जीवो भलो
(घ) छिमा बड़ेन को चाहिए
उत्तर:
(क) रहिमन अँसुआ नैन ढरि।

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प्रश्न 6.
खग मृग बसत आरोग बन, हरि अनाथ के नाथ में अलंकार है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) दृष्टांत अलंकार
उत्तर:
(घ) दृष्टांत अलंकार।

प्रश्न 7.
रहिमन अंबुज अंबु बिनु में प्रयुक्त अलंकार कौन-सा है?
(क) रूपक अलंकार
(ख) वक्रोक्ति अलंकार
(ग) उदाहरण अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर:
(घ) अनुप्रास अलंकार।

प्रश्न 8.
सूर्य भी रक्षा नहीं कर सकता किसकी?
(क) जलहीन कमल की
(ख) कर्महीन व्यक्ति की
(ग) कुसंगी व्यक्ति की
(घ) धोखेबाज मित्र की
उत्तर:
(क) जलहीन कमल की।

प्रश्न 9.
श्रेष्ठ मनुष्यों की समानता की गई है –
(क) मोतियों से
(ख) फूलों से
(ग) सीपियों से
(घ) रत्नों से
उत्तर:
(क) मोतियों से।

प्रश्न 10.
बड़े लोगों के व्यक्तित्व शोभा होती है –
(क) दया
(ख) क्षमा
(ग) उत्पात
(घ) अभिमान
उत्तर:
(ख) क्षमा।

प्रश्न 11.
‘देनहार कोउ और है’ के द्वारा रहीमदास ने संकेत किया है – (M.P. 2009)
(क) ईश्वर की ओर
(ख) सम्राट की ओर
(ग) जनता की ओर
(घ) संसार की ओर
उत्तर:
(क) ईश्वर की ओर।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर करें –

  1. खग-मृग बसत ……… हरि अनाथ के नाथ। (नंदनवन, आरोग्यवन)
  2. महिमा घटी समुद्र की ………. वस्यो पड़ोस। (राक्षस, रावन)
  3. रहीम का पूरा नाम ………. था। (अर्द्धरहीम खानखाना, रहीमदास)
  4. रहीम का जन्म सन् ………. में हुआ था। (1556 ई, 1456 ई.)
  5. रहीम की मृत्यु सन् ………. में हुई। (1620 ई०, 1626 ई०)

उत्तर:

  1. आरोग्य वन
  2. रावन
  3. अर्दुरहीम खानखाना
  4. 1556 ई.
  5. 1626 ई०

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III. निम्नलिखित कथनों में सत्य असत्य छाँटिए – (M.P.2009)

  1. आँखों से बहने वाले आँसू सुख व्यक्त कर देते हैं।
  2. मथते-मथते दही और मठा एक हो जाते हैं।
  3. समुद्र के जल से कुएँ का जल श्रेष्ठ है।
  4. धन में मित्र बनाने की शक्ति नहीं होती है।
  5. भगवान अनाथ के नाथ हैं।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 4 रहिमन विलास img-1
उत्तर:

(i) (ङ)
(ii) (ग)
(iii) (घ)
(iv) (ख)
(v) (क)

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
कौन निरोग रहते हैं?
उत्तर:
पशु-पक्षी निरोग रहते हैं।

प्रश्न 2.
समुद्र और कुएँ में से किसका जल धन्य है?
उत्तर:
कुएँ का।

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प्रश्न 3.
समुद्र की महिमा क्यों घटी?
उत्तर:
समुद्र की महिमा पड़ोस में रावण के होने से घटी।

प्रश्न 4.
बिनु पानी के कौन महत्त्वहीन हो जाते हैं? (M.P.2009)
उत्तर:
मोती, मनुष्य और चूना।

प्रश्न 5.
कवि ने सच्चा मित्र किसे कहा है?
उत्तर:
संकट के समय सहायता करने वाले को।

रहिमन विलास लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अनेक इलाज करने पर भी व्याधि साथ क्यों नहीं छोड़ती?
उत्तर:
क्योंकि आज के युग में मनुष्य प्राकृतिक वातावरण को छोड़कर कृत्रिम वातावरण में रहना ज्यादा पसंद करता है। इसलिए अनेक इलाज करते हुए भी व्याधि मनुष्य का साथ नहीं छोड़ती।

प्रश्न 2.
मन के दुख को कौन व्यक्त कर देते हैं?
उत्तर:
आँख से निकले आँसू मन के दुख को व्यक्त कर देते हैं।

प्रश्न 3.
‘टूटे सुजन मनाइए, जौ टूटें सौ बार’ में कवि ने किस बात पर बल दिया है?
उत्तर:
इसमें कवि ने इस बात पर बल दिया है कि सज्जनों (श्रेष्ठ व्यक्तियों) तथा अपने आत्मीयजनों के रूठ जाने पर उन्हें बार-बार मनाना चाहिए।

प्रश्न 4.
समुद्र की महिमा किसके कारण घटी?
उत्तर:
समुद्र की महिमा कुसंग के कारण घटी। उसके पड़ोस में अन्यायी और अहंकारी रावण के बसने (रहने) के कारण ही समुद्र को बँधना पड़ा।

प्रश्न 5.
पशु-पक्षी क्यों निरोग रहते हैं?
उत्तर:
पशु-पक्षी निरोग रहते हैं, क्योंकि उनके स्वामी स्वयं ईश्वर हैं तथा वे प्राकृतिक वातावरण के बीच रहते हैं।

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प्रश्न 6.
अपने लोगों के नाराज होने पर हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
अपने लोगों के नाराज होने पर हमें उन्हें मना लेना चाहिए।

प्रश्न 7.
इस संसार में जीवित रहना कब अनुचित है?
उत्तर:
इस संसार में जीवित रहना तब अनुचित है, जब देने का भाव धीमा पड़ने लगता है या समाप्त होने लगता है।

रहिमन विलास दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आत्मसम्मान की रक्षा क्यों की जानी चाहिए?
उत्तर:
मनुष्य को अपने आत्मसम्मान की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि सम्मान के बिना समाज में व्यक्ति का कोई महत्त्व नहीं रहता। सम्मानहीन होने पर मनुष्य का महत्त्व समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 2.
अच्छे मित्र की क्या पहचान है?
उत्तर:
अच्छे मित्र की पहचान यह है कि विपत्ति के समय भी अपने मित्र का साथ नहीं छोड़ता। वह विपत्ति में अपने मित्र का साथ देता है। जबकि अन्य उसका साथ छोड़कर चले जाते हैं।

प्रश्न 3.
रहीम ने कुएँ और समुद्र में से किसके जल को धन्य कहा है और क्यों? (M.P. 2010, 2012)
उत्तर:
रहीम ने कुएँ और समुद्र में से कुएँ के जल को धन्य कहा है क्योंकि यद्यपि कुआँ आकार में छोटा होता है लेकिन प्यासा व्यक्ति उसके जल को पीकर हृदय में तृप्ति का अनुभव करता है जबकि सेमुद्र आकार में विशाल होता है, परंतु व्यक्ति उसका जल पीकर प्यास नहीं बुझा पाता। वह प्यासा ही रह जाता है।

प्रश्न 4.
कवि मोतियों के हार के माध्यम से क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर:
कवि मोतियों के हार के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि जिस प्रकार कीमती मोतियों का हार टूट जाता है, तो उसे फिर दूसरे धागे में गूंथकर पहनने योग्य बना लिया जाता है, ठीक उसी प्रकार सच्चे मित्रों से, सज्जनों से सम्बन्ध-विच्छेद हो जाने पर उन्हें मनाने का प्रयास करना चाहिए।

प्रश्न 5.
कवि की दृष्टि में धन का महत्त्व क्यों है?
उत्तर:
कवि की दृष्टि में धन का महत्त्व इसलिए है कि धन में बड़ी शक्ति होती है। उससे मित्र बनते हैं। इस प्रकार धन के बिना मित्र भी नहीं बनते हैं। इसलिए धन ही बहुत उपयोगी है।

रहिमन विलास कवि-परिचय

प्रश्न 1.
कवि रहीम का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
कवि रहीम का जन्म लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में सन् 1556 ई० में हुआ था। पाँच वर्ष की आयु में इनके पिता की मृत्यु हो गई। इनका पालन-पोषण सम्राट अकबर की देख-रेख में हुआ। इनकी कार्यक्षमता से प्रभावित होकर अकबर ने 1572 ई० इन्हें पाटननगर की जागीर और सन् 1576 ई० में गुजरात विजय के बाद गुजरात की सूबेदारी प्रदान की। सन् 1579 ई० में इन्हें ‘मीरअर्ज’ का पद दिया गया। सन् 1583 ई० में इन्होंने जब गुजरात के उपद्रव का दमन किया, तब सम्राट अकबर ने प्रसन्न होकर इन्हें ‘खानखाना’ की उपाधि से नवाजा और पाँच हज़ारी का मनसब बना दिया। सन् 1589 ई० में इन्हें ‘वकील’ की पदवी से सम्मानित किया गया। सन् 1626 ई० में इनका निधन हो गया।

साहित्यिक विशेषताएँ;
रहीम, सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे। वे अरबी, तुर्की, फारसी, संस्कृत और हिंदी के अच्छे ज्ञाता थे, हिन्दुओं के परिचित थे। शास्त्र, लोक संस्कृति और लोक व्यवहार में उन्हें दक्षता प्राप्त थी। वे.कलम के साथ-साथ तलवार के धनी भी थे। वे कवि, योद्धा और दानवीर थे। उनके व्यक्तित्व और काव्य में उदारता, सच्चरित्रता, सहजता और विनम्रता के गुण थे। उनके काव्य का मुख्य विषय श्रृंगार, नीति और भक्ति है। उनकी नीति और शृंगार परक रचनाएँ दरबारी वातावरण के अनुकूल थीं। उन्होंने अपने जीवन के उतार-चढ़ावों से प्राप्त भावों और विचारों को बड़ी सहजता से अपने काव्य में प्रस्तुत किया है।

रचनाएँ:
उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं – ‘दोहावली’, ‘नगर शोभा’, ‘बरवै नायिका भेद’ और ‘शृंगार सोरण’।

भाषा-शैली:
रहीम ने अरबी, फारसी के विद्वान होते हुए भी ब्रज और अवधी में काव्य रचना की। अवधी भाषा में लिखा गया ‘बरवै नायिका भेद’ उनका सर्वोत्तम ग्रंथ है। उन्होंने दोहा, सोरठा शैली को अपनाया। इनके नीति पर लिखे दोहे बहुत प्रसिद्ध हैं।

महत्त्व:
मुसलमान होते हुए ब्रज और अवधी भाषा में काव्य-रचना करने के कारण हिंदी साहित्य में इन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

रहिमन विलासपाठ का सारांश

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प्रश्न 1.
रहीम के दोहों का सार संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
रहीम द्वारा रचित नीतिगत दोहे व्यावहारिक पक्ष से संबंधित हैं। पहले दोहे में बताया गया है कि प्राकृतिक जीवन आरोग्यवर्द्धक है। दूसरे दोहे में संदेश दिया गया है कि तृप्ति प्रदान करने वाली वस्तु ही महत्त्वपूर्ण होती है। तीसरे दोहे में संदेश दिया गया है कि कुसंग से बदनामी होती। चौथे दोहे के अनुसार घर का भेदी कभी अच्छा नहीं होता। पाँचवें दोहे में कहा गया है कि संपत्ति में मित्र बनाने की क्षमता होती है।

छठे दोहे में अनुचित बातें करने वाले व्यक्ति को ठीक नहीं बताया गया है। सातवें दोहे में ईश्वर को दानी कहा गया है। आठवें दोहे में बड़े लोगों के व्यक्तित्व की शोभा को क्षमा कहा गया है। नौवें दोहे में सज्जनों के प्रेम व्यवहार की महिमा का वर्णन किया गया है। दसवें दोहे में आत्मसम्मान के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। ग्यारहवें दोहे में सच्चे मित्र की पहचान बताई गई है। सच्चा मित्र वही है, जो विपत्ति में भी सहयोग देता है। इस प्रकार कवि ने अपने दोहों में सत्संगति, मित्रता, सज्जनता आदि के महत्त्व को दर्शाया है।

रहिमन विलास संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
रहिमन बह भेषज करत, व्याधि न छाँड़त साथ।
खग मृग बसत आरोग्य बन, हरि अनाथ के नाथ॥ (M.P. 2011)

शब्दार्थ:

  • बहु – विभिन्न प्रकार की।
  • भेषज – औषधि, दवाई।
  • व्याधि – रोग।
  • खग – पक्षी।
  • मृगं – हिरण।
  • बसत – रहते हैं।
  • आरोग्य – निरोग।
  • हरि – ईश्वर।
  • नाथ – स्वामी।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा कवि रहीम द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। इस दोहे में रहीम प्राकृतिक वातावरण में रहने के महत्त्व को बताते हुए कहते हैं –

व्याख्या:
रहीमजी जीवन के व्यावहारिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि मनुष्य अनेक प्रकार की दवाइयों का प्रयोग स्वस्थ रहने के लिए करता है; फिर भी वह अस्वस्थ ही रहता है। रोग साथ नहीं छोड़ते हैं। पक्षी, हिरण आदि पशु-पक्षी वन में रहते हैं। वे सदा निरोग रहते हैं। रोग उनके निकट नहीं आते; क्योंकि उन अनाथों के स्वामी स्वयं ईश्वर हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि प्राकृतिक वातावरण में रहने से स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। अतः मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए प्राकृतिक वातावरण में रहना चाहिए।

विशेष:

  1. कवि ने मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए प्राकृतिक वातावरण में रहने का परामर्श दिया है।
  2. अवधी भाषा का प्रयोग हुआ है।
  3. बहु भेषज, व्याधि, खग, मृग, हीर आदि तत्सम शब्द हैं।
  4. दोहा, छंद का प्रयोग हुआ है।
  5. दृष्टांत अलंकार है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
इस दोहे में कवि ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
इस दोहे में कवि ने प्राकृतिक वातावरण में रहने का संदेश दिया है; क्योंकि ऐसा करने से स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। अतः मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए प्रकृति के निकट रहना चाहिए।

प्रश्न (ii)
पशु-पक्षी बीमार क्यों नहीं पड़ते हैं?
उत्तर:
पशु-पक्षी बीमार इसलिए नहीं पड़ते हैं कि वे प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं। इससे वे सदा निरोग रहते हैं।

प्रश्न (iii)
मनुष्य इतनी दवाइयों के सेवन के बाद भी रोगी क्यों बना रहता है?
उत्तर:
मनुष्य इतनी अधिक दवाइयों के सेवने के बाद भी रोगी बना रहता है; क्योंकि वह प्राकृतिक वातावरण से दूर रहता है।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
इस दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
इस दोहे का भाव-सौंदर्य यह है कि प्राकृतिक वातावरण में रहने से आरोग्य में वृद्धि होती है। इसलिए मनुष्य को प्राकृतिक वातावरण में रहना चाहिए। पशु-पक्षी प्राकृतिक वातावरण में रहने के कारण स्वस्थ रहते हैं, जबकि मनुष्य कृत्रिम वातावरण में रहता है और बीमार रहता है। बहुत अधिक दवाइयों के सेवन पर भी बीमारियाँ उसका पीछा नहीं छोड़तीं।

प्रश्न (ii)
इस दोहे का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिल्प-सौंदर्य:
कवि ने मनुष्य को निरोग रहने के लिए प्राकृतिक वातावरण में रहने का परामर्श दिया है। यह दोहा अवधी भाषा और तत्सम शब्दों से युक्त है। दृष्टांत अलंकार का प्रयोग हुआ है। गेयता का गुण है। दोहा छंद है।

प्रश्न 2.
धन रहीम जल कूप को, लघु जिय पियत अपाय।
उदधि बड़ाई कौन है, जगत् पिआसो जाय॥ (Page 2)

शब्दार्थ:

  • धन – धन्य।
  • कूप – कुआँ।
  • लघु – छोटा।
  • पियत – पीकर।
  • अपाय – तृप्त।
  • उदधि – समुद्र।
  • जगत् – संसार, दुनिया।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीमजी द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। रहीमजी कहते हैं कि छोटा होने से किसी का महत्त्व कम नहीं हो जाता। मनुष्य को तृप्ति प्रदान करने वाली वस्तु ही महत्त्वपूर्ण होती है।

व्याख्या:
रहीमजी कह रहे हैं कि एक छोटे-से कुएँ का जल धन्य है क्योंकि उस छोटे आकार के कुएँ का जल पीने से प्राणी अपनी प्यास बुझाकर संतुष्ट हो जाते हैं। इसलिए उसका अपना महत्त्व है। इसके विपरीत सागर चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, वह संसार की प्यास नहीं बुझा पाता है। इसलिए उसका कोई महत्त्व नहीं है। इस प्रकार जो दूसरों के काम आता है, वही बड़ा होता है। संतुष्ट करने वाली वस्तु ही महत्त्वपूर्ण होती है। अतः बड़े समुद्र की अपेक्षा छोटे कुएँ के जल का अधिक महत्त्व है।

विशेष:

  1. प्यासे को तृप्ति प्रदान करने वाले कुएँ का महत्त्व समुद्र से अधिक है।
  2. उदधि बड़ाई कौन में कथन की भंगिमा दर्शनीय है।
  3. अवधी भाषा है। दोहा, छंद है।
  4. वक्रोति और दृष्टांत अलंकार है।
  5. नीतिं संबंधी बातों को अत्यंत सहजता से कहां गया है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
कवि ने कुएँ के जल को धन्य क्यों कहा है?
उत्तर:
कवि ने कुएँ के जल को धन्य कहा है, क्योंकि उसके जल को पीने से प्यासा तृप्त हो जाता है।

प्रश्न (ii)
सागर और कुएँ में से बड़ा कौन है?
उत्तर:
सागर और कुएँ में आकार की दृष्टि से सागर बड़ा है किंतु महत्त्व और उपयोगिता की दृष्टिं से कुआँ बड़ा है। जो दूसरों के काम आता है, वही बड़ा होता है। कुएँ का जल पीने से प्यासा संतोष का अनुभव करता है इसलिए कुआँ बना है।

प्रश्न (iii)
सागर बड़ा होने पर भी व्यक्ति की प्यास क्यों नहीं बुझा पाता?
उत्तर:
सागर बड़ा होता है। उसमें अथाह जल होता है, किंतु उसका जल खारा होता है और उस खारे जल से प्यास नहीं वुझाई जा सकती।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
कवि ने इसमें बताया है कि छोटा होने से कोई कम महत्त्वपूर्ण नहीं हो जाता। कुआँ छोटे आकार का होता है, किंतु उसका जल पीने से प्यासे को संतोष का अनुभव होता है। अतः सागर की तुलना में कुएँ का महत्त्व अधिक है।

प्रश्न (ii)
काव्यांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्यासे को संतोष का अनुभव करने वाले कुएँ का महत्त्व सागर से अधिक है। ‘उदधि-बड़ाई कौन’ में कथन की भंगिमा देखने योग्य है। वक्रोति और दृष्टांत अलंकार है। अवधी भाषा है। दोहा, छंद है। नीति संबंधी बात को अत्यंत सहजता से व्यक्त किया गया है। पद में गेयता का गुण है।

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प्रश्न 3.
बसि कुसंग चाहत कुसल, यह रहीम जिय सोस।
महिमा घटी समुद्र की, रावन बस्यो परोस॥ (Page 16) (M.P. 2010)

शब्दार्थ:

  • बसि – बसना, रहना।
  • कुसंग – बुरी संगति।
  • कुसल – हित चाहना, कुशलता चाहना।
  • जिय – हृदय।
  • सोस – अफसोस।
  • महिमा – गर्व।
  • रावन – रावण।
  • परोस – पड़ोस में।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीमजी द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। इसमें कवि ने कुसंगति के प्रभाव का वर्णन किया है। उनका कहना है कि कुसंग से यश में वृद्धि नहीं होती।

व्याख्या:
रहीमजी कहते हैं कि मनुष्य, दुर्जन लोगों की संगति करता है। वह बुरे लोगों के साथ रहने पर भी हृदय से अपनी कुशलता चाहता है, यह बड़े अफसोस अर्थात् दुख की बात है। लंका में रावण के रहने के कारण ही समुद्र की महिमा कम हुई; अर्थात् दुराचारी रावण के पास बसने पर ही समुद्र का बड़प्पन घटा। लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र में पुल बनाया गया। कहने का भाव यह है कि कुसंग से यश में वृद्धि नहीं होती, अपितु यश कम होता है। अतः कुसंगति से बचना चाहिए।

विशेष:

  1. कुसंगति के प्रभाव का वर्णन किया गया है।
  2. दोहा, छंद है और अवधी भाषा है।
  3. दृष्टांत अलंकार का प्रयोग किया गया है।
  4. नीति-रीति की बात को अत्यंत सहजता से व्यक्त करने की क्षमता देखने योग्य है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत दोहे में किसके प्रभाव का वर्णन किया गया है?
उत्तर:
प्रस्तुत दोहे में कुसंगति के प्रभाव का वर्णन किया गया है। कुसंग के प्रभाव से यश में वृद्धि नहीं होती है।

प्रश्न (ii)
कवि ने किस बात पर दुख व्यक्त किया है?
उत्तर:
कवि इस बात पर दुख व्यक्त किया है कि मनुष्य बुरे लोगों की संगति करता है और हृदय से अपनी कुशलता चाहता है, जो असंभव है।

प्रश्न (iii)
रावण के पड़ोस में बसने का दंड किसे भोगना पड़ा था?
उत्तर:
रावण के पड़ोस में लसने का दंड समुद्र को भोगना पड़ा था। श्रीराम ने लंका पर आक्रमण के लिए समुद्र में पुल बनाया था।

प्रश्न (iv)
कवि ने किससे बचने का परामर्श दिया है?
उत्तर:
कवि ने कुसंगति से बचने का परामर्श दिया है।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
मनुष्य को कुसंगति से बचना चाहिए, क्योंकि कुसंग में रहने से व्यक्ति के यश में कमी आती है। बुरे लोगों के साथ रहने वाले का कल्याण नहीं हो सकता। रावण के पड़ोस में रहने से समुद्र को दंड भुगतना पड़ा।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत दोहे का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि ने कुसंगति के प्रभाव का वर्णन किया है। दृष्टांत अलंकार है। नीति-रीति की बात को अत्यंत सहज ढंग से व्यक्त किया है। गेयता का गुण है। अवधी भापाहै।

प्रश्न 4.
रहिमन अँसुआ नैन ढरि, जिय दुख प्रगट करेइ।
जाहि निकारो गेह ते, कस न भेद कहि देइ॥ (Page 16)

शब्दार्थ:

  • अँसुआ – आँसू।
  • नैन – नेत्र, आँखें।
  • ढर – दुलकंकर।
  • जिय – हृदय।
  • गेह – गृह, घर।
  • कस – क्यों।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीमजी द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। रहीमजी ने इस दोहे में आँसुओं के द्वारा मन का दुख प्रकट होने की बात से घर की बात घर के अंदर ही रखने का संदेश दिया है। घर का भेदी कभी अच्छा नहीं होता।

व्याख्या:
रहीमजी कहते हैं कि जिस प्रकार आँखों से आँसू निकलकर व्यक्ति के हृदय की पीड़ा को (दुख को) व्यक्त कर देते हैं। उसी प्रकार जब किसी को घर से निकाला जाता है, तो वह अपने घर के भेद को दूसरों को बता देता है।

विशेष:

  1. रामकथा में रावण द्वारा अपने छोटे भाई विभीषण को लंका से निकाल देने के प्रसंग की ओर संकेत किया गया है। विभीपण ने ही राम को लंका के सारे भेद और राटण की मृत्यु का भेद बताया था। इसी कारण यह कहावत प्रचलित हो गई-घर का भेदी लंका ढाए।
  2. दोहा, छंद है। अवधी भाषा है।
  3. नीति संबंधी बात को अत्यंत सहजता से व्यक्त करने की क्षमता दर्शनीय है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत दोहे में कवि ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
प्रस्तुत दोहे में कवि ने आँसुओं को आँखों में रोकने का संदेश देकर घर की बात घर में ही रखने का संदेश दिया है। घर का भेदी कभी अच्छा नहीं होता।

प्रश्न (ii)
इस दोहे में किस प्रसंग की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर:
इस दोहे में कवि ने रावण द्वारा विभीषण को घर से निकाल देने के प्रसंग की ओर संकेत किया है।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
कवि ने आँसुओं को आँखों में ही रोकने का परामर्श दिया है; क्योंकि जिस प्रकार आँखों के आँसू हृदय की वेदना को प्रदर्शित करते हैं उसी प्रकार घर से निकाला हुआ व्यक्ति घर की गोपनीय बातें दूसरों के समक्ष प्रकट कर देता है, इसलिए घर का भेदी कभी अच्छा नहीं होता।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत काव्यांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिल्प-सौंदर्य:
‘घर का भेदी लंका ढाए’ कहावत को चरितार्थ किया गया है। नीति संबंधी बातों को अत्यंत सहजता,से व्यक्त करने की क्षमता दर्शनीय है। गेयता का गुण है। दोहा, छंद है और अवधी भाषा है। रामायण के प्रसंग का सदुपयोग किया गया है।

प्रश्न 5.
जब लगि वित्त न आपने, तब लगि मित्र न कोय।
रहिमन अंबुज अंबु बिनु, रवि नाहिन हित होय॥ (Page 16)

शब्दार्थ:

  • लगि – तक।
  • वित्त – धन।
  • कोय – कोई भी।
  • अंबुज – कमल।
  • अंबु – पानी।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीमजी द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। इस दोहे में कवि ने कहा है कि धन में ही मित्र बनाने की शक्ति होती है, किंतु क्या सभी मित्र, मित्रता की कसौटी पर खरे उतरते हैं ऐसा संभव नहीं।

व्याख्या:
रहीमजी कहते हैं कि जब तक व्यक्ति के पास न नहीं होता, तब तक कोई मित्र नहीं होता। अर्थात् जब व्यक्ति के पास धन आता है, तो अनेक लोग उसके मित्र बन जाते हैं, परंतु सभी मित्र, मित्रता पर खरे नहीं उतरते। जिस. प्रकार कमल पानी में उत्पन्न होता है किंतु पानी के बिना कमल उत्पन्न नहीं होता। पानी के बिना सूर्य भी उसकी भलाई नहीं कर सकता; अर्थात् जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी नहीं कर पाता। उसी प्रकार धनहीन का कोई मित्र नहीं होता।

विशेष:

  1. कवि ने धन के महत्त्व को प्रतिपादित किया है। उसे मित्र बनाने में सहायक बताया है।
  2. दोहा, छंद है। अवधी भाषा है।
  3. अंबुज अंबु, हित होय में अनुप्रास अलंकार है।
  4. दृष्टांत अलंकार का सुंदर प्रयोग किया गया है।
  5. नीति संबंधी बातों को अत्यंत सहजता से कह देने की क्षमता देखने योग्य है।
  6. साम्यभाव पंक्तियाँ:
    रहिमन संपति के सगे, बनत बहत बहरीत।
    विपत कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत॥

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
कवि ने मित्र बनाने की शक्ति किसमें बताई है?
उत्तर:
कवि ने मित्र बनाने की शक्ति धन में बताई है क्योंकि धन आने पर मित्र बन जाते हैं। धन की महत्ता को प्रतिपादित किया गया है।

प्रश्न (ii)
जलहीन कमल की रक्षा कौन और क्यों नहीं कर पाता?
उत्तर:
कमल जल में उत्पन्न होता है, किंतु पानी के बिना कमल की रक्षा सूर्य भी नहीं कर पाता। ऐसा इसलिए कि जल ही कमल का जीवन है। वह तो पानी के बिना कमल मुरझाकर समाप्त हो जाएगा।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोतर

प्रश्न (i)
दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
कवि ने धन के महत्त्व को स्पष्ट किया है। व्यक्ति के पास धन आने पर अनेक मित्र बन जाते हैं, किंतु हर मित्र मित्रता की कसौटी पर खरा नहीं उतरता। धनविहीन व्यक्ति का कोई मित्र नहीं होता। जलहीन कमल की तो सूर्य भी रक्षा नहीं कर सकता।

प्रश्न (ii)
काव्यांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिल्प-सौंदर्य:
कवि ने धन के महत्त्व को प्रतिपादित किया है। अंवुज, अंबु, हित होय में अनुप्रास अलंकार है। दृष्टांत अलंकार का सुंदर प्रयोग किया गया है। अवधी भाषा है। दोहा, छंद है। नीति संबंधी बातों को अत्यंत सहजता से प्रकट किया गया है।

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प्रश्न 6.
अन कीन्ही बातें करै, सोवंत जागै जोय।
ताहि सिखाय जगायबो, रहिमन उचित न होय ॥ (Page 16)

शब्दार्थ:

  • अन कीन्ही – बिना कही हुई, बिना मतलब की, निरर्थक बातें।
  • सोवत-जागै – सोते-जागते हुए।
  • जोय – देखता है (जानता है)।
  • सिखाय – सिखाना।
  • जगायबो – सोते से उठाना, जागने को प्रेरित करना।
  • होय – होता है।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीमजी द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। रहीमजी कहते हैं कि सोते-जागते हुए निरर्थक बातें करने वाला व्यक्ति को समझाना उचित नहीं है। यही नीति सम्मत बात उन्होंने इस दोहे में व्यक्त की है।

व्याख्या:
रहीमजी कहते हैं कि जो व्यक्ति सोते और जागते हुए अनकही अर्थात् निरर्थक बातें करता है, उस व्यक्ति को समझाना उचित नहीं होता है; क्योंकि ऐसे व्यक्ति को किसी भी प्रकार से समझाया नहीं जा सकता है।

विशेष:

  1. निरर्थक बातें करने वाले व्यक्ति को समझाना मुश्किल है। यह बात कवि ने इस दोहे में व्यक्त की है।
  2. दोहा, छंद है। अवधी भाषा है।
  3. ‘जागे-जोय’ में अनुप्रास अलंकार है।
  4. नीति सम्मत बात को अत्यंत सहजता से अभिव्यक्ति दी गई है।

काव्यांश पर आधा विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
कवि कैसे व्यक्ति को समझाना उचित नहीं समझता?
उत्तर:
कवि सोते-जागते, बिना सर-पैर की निरर्थक बातें करने वाले व्यक्ति को समझाना उचित नहीं मानता; क्योंकि ऐसे व्यक्ति को समझाना बड़ा कठिन होता है।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
कवि ने नीति संबंधी विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि सोते-जागते हुए निरर्थक बातें करने वाले व्यक्ति को समझाना सच में ही कठिन है।

प्रश्न (ii)
दोहे का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिल्प-सौंदर्य:
नीति संबंधी गंभीर बातों को सहजता से व्यक्त किया गया है। ‘जागे-जोय’ में अनुप्रास अलंकार है। अवधी भाषा है। दोहा, छंद है। गेयता है।

प्रश्न 7.
देनहार कोउ और है, भेजत सो दिन-रैन।
लोग भरम हम पै धरै, याते नीचे नैन॥ (Page 16) (M.P. 2012)

शब्दार्थ:

  • देनहार – देने वाला।
  • कोउ – कोई।
  • और है – दूसरा है।
  • भेजत – भेजता है।
  • दिन-रैन – दिन-रात।
  • भरम – संदेह।
  • याते – इसी कारण।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीमजी द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। रहीमजी बड़े दानी थे। वे गरीबों को दान देते रहते थे। लोग भ्रमवश यह समझते थे कि रहीमजी ही देते हैं। इसी कारण उनकी आँखें सदा झुकी रहती थीं।

व्याख्या:
रहीमजी कहते हैं कि धन-संपत्ति देने वाला कोई दूसरा है; अर्थात् ईश्वर ही धन-संपत्ति देने वाले हैं और वह रात-दिन देते ही रहते हैं। रहीम उस धन-संपत्ति को दान में बाँटते रहते हैं। दान प्राप्त करने वाले भ्रमवश यह समझते हैं कि रहीमजी ही हमें देने वाले हैं। इसी कारण उनके नेत्र सदा नीचे झुके रहते हैं अर्थात् उनको ही अपना सब कुछ मानते थे।

विशेष:

  1. कवि ने अपनी आँखें झुके रहने का कारण स्पष्ट किया है। वह ईश्वर को ही देने वाला मानता है।
  2. दोहा, छंद है। अवधी भाषा है।
  3. ‘नीचे. नैन’ में अनुप्रास अलंकार है।
  4. दोहे में गेयता का गुण विद्यमान है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
रहीमजी ने ‘देनहार कोउ और है’ के द्वारा किसकी ओर संकेत किया है?
उत्तर:
रहीमजी ने इसके द्वारा ईश्वर की ओर संकेत किया है। उनके अनुसार धन-सम्पत्ति देने वाले ईश्वर हैं, जो दिन-रात देते रहते हैं।

प्रश्न (ii)
रहीमजी के नेत्र नीचे क्यों झुके रहते थे?
उत्तर:
रहीमजी गरीबों को दान देते रहते थे। दान प्राप्त करने वाले भ्रमवश यह समझते थे कि रहीम ही हमें देने वाले हैं इसीलिए उनके नेत्र झुके रहते थे।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
रहीमजी दानी थे। वे गरीबों को दान देते रहते थे। उनका मानना था कि ईश्वर ही देने वाले हैं, जबकि दान लेने वाले यह समझते थे कि रहीमजी ही दे रहे हैं। इस शर्म से उनके नेत्र झके रहते हैं।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत दोहे का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि ने आँखें झुके रहने का कारण स्पष्ट किया है। ‘नीचे नैन’ में अनुप्रास अलंकार है। दोहा, छंद है। अवधी भाषा है। सरल भाषा में कवि ने गंभीर भावों को व्यक्त किया है।

प्रश्न 8.
छिमा बड़ेन को चाहिए, छोटन को उत्पात।
का रहीम हरि को घट्यो, जो भृगु मारी लात॥ (Page 17)

शब्दार्थ:

  • छिमा – क्षमा करना।
  • बड़ेन – बड़े लोग।
  • छोटन – छोटे लोगों।
  • उत्पात – उपद्रव, ऊधम।
  • का – क्या।
  • घट्यो – कम हो गया।
  • हरि – भगवान विष्णु।
  • भृगु – एक षि जो ब्रह्मा के पुत्र माने जाते हैं।
  • लात – पैर।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीमजी द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। कवि ने बड़े लोगों की क्षमा करने की प्रवृत्ति को ही उनके व्यक्तित्व की शोभा बताया –

व्याख्या:
रहीमजी कहते हैं कि बड़े लोगों के व्यक्तित्व की शोभा क्षमा से होती है, और छोटों अर्थात् बच्चों की ऊधम (उपद्रव) करने में होती है। बड़े लोगों को छोटों के उपद्रव को क्षमा कर देना चाहिए। इसमें उनका बड़प्पन है। इसमें उनकी शोभा है। रहीमजी कहते हैं कि भगवान विष्णु की कौन-सी कीर्ति कम हो गई जब भृगु ऋषि ने उन पर पैर से आघात किया। भृगु ऋषि भगवान विष्णु से छोटे थे, उनके ऊधम (गलती) भगवान ने उन्हें क्षमा कर दिया क्योंकि बड़े लोगों को क्षमा ही शोभा देती है।

विशेष:

  1. बड़े लोगों को छोटों को क्षमा करना ही शोभा देता है। यही भाव व्यक्त किया गया है।
  2. दोहा, छंद है। अवधी भाषा है।
  3. नीति संबंधी बातों को सहजता से कहने की क्षमता दर्शनीय है।
  4. उदाहरण अलंकार है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
बड़े, लोगों के व्यक्तित्व की शोभा किससे होती है?
उत्तर:
बड़े लोगों के व्यक्तित्व की शोभा छोटे के उपद्रव को क्षमा करने से ही होती है।

प्रश्न (ii)
छोटों के प्रति बड़ों का क्या कर्तव्य है?
उत्तर:
छोटों के प्रति बड़ों का कर्तव्य है कि वे उनके ऊधम (गलती) को क्षमा कर दें। उनकी बातों को गंभीरता से न लें।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
बड़े लोगों को छोटों को क्षमा करना ही शोभा देता है। यही उनके व्यक्तित्व की शोभा है और यही उनका कर्तव्य है।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत दोहे का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि ने बड़े सहज ढंग से बड़ों के प्रति कर्तव्य को समझाया है। उदाहरण अलंकार है। दोहा, छंद है। अवधी भाषा है। गेयता का गुण है।

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प्रश्न 9.
टूटे सुजन मनाइए, जौ टूटे सौ बार।
रहिमन फिरि-फिरि पोइए, टूटे मुक्ताहार॥ (Page 17)

शब्दार्थ:

  • सुजन – स्वजन (अच्छे लोग)।
  • पोइए – पिरोइए (पिरोते हैं)।
  • मुक्ताहार – मोतियों का हार।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीमजी द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। इस दोहे में रहीम ने सज्जनों तथा अपने लोगों के रूठ जाने पर बार-बार मनाने पखल दिया है।

व्याख्या:
रहीमजी कहते हैं कि जिस प्रकार मोतियों के हार के टूट जाने पर मोतियों को फेंका नहीं जाता, बल्कि उन्हें बार-बार धागे में पिरोकर फिर से हार बना लिया जाता है, उसी प्रकारं श्रेष्ठ लोगों तथा अपने लोगों (कुटुम्बी, संबंधी, मित्र आदि) के रूठने या नाराज होने पर उन्हें हर बार मना लेना चाहिए। क्योंकि वे ही हमारे मार्गदर्शक तथा सुख-दुख के साथी होते हैं।

विशेष:

  1. बहुत सादा और सरल तरीके से लोक-व्यवहार की नीति को व्यक्त किया गया है।
  2. ‘सुजन’ में श्लेष अलंकार है।
  3. श्रेष्ठ मनुष्यों की मोतियों से उपमां सुंदर है। यहाँ उपमा अलंकार है। ‘फिरि-फिरि’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  4. दोहा, छंद है। अवधी भाषा है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
कवि ने सज्जनों के प्रेम की क्या विशेषता बताई है?
उत्तर:
कवि ने सज्जनों के प्रेम की यह विशेषता बताई है कि उनका प्रेम टूटकर भी जुड़ जाता है।

प्रश्न (ii)
रहीमजी ने मनुष्य को क्या सलाह दी है?
उत्तर:
रहीमजी ने मनुष्य को सलाह दी है कि सज्जनों तथा अपने लोगों के रूट जाने पर उन्हें बार-बार मना लेना चाहिए।

प्रश्न (iii)
कवि ने सज्जनों के प्रेम की तुलना किससे और क्यों की है?
उत्तर:
कवि ने सज्जनों के प्रेम की तुलना मोतियों के हार से की है। जिस प्रकार मोतियों के हार के टूटने पर मोती फेंके नहीं जाते, उन्हें बार-बार धागे में पिरोकर फिर से हार बना लिया जाता है, उसी प्रकार श्रेष्ठ तथा अपने लोगों को नाराज होने पर मना लेना चाहिए।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
रहीम ने सज्जनों तथा अपने कुटुंबी, संवंधी, मित्र आदि के नाराज होने पर उन्हें बार-बार मना लेने की सलाह दी है; क्योंकि सज्जनों का प्रेम टूटकर भी जुड़ जाता है।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत दोहे का शिल्प-सौंदर्य लिखिए।
उत्तर:
‘सुजन’ में श्लेष अलंकार है। श्रेष्ट व्यक्तियों का मोतियों से उपमा सुंदर है। उपमा अलंकार है। ‘फिरि-फिरि’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। दोहा, छंद है। अवधी भाषा है। गेयता का गुण है।

प्रश्न 10.
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती मानुष चून॥ (Page 17)

शब्दार्थ:

  • पानी – चमक, सम्मान, जल।
  • सून – सूना।
  • मानुष – मनुष्य।
  • चून – चूना।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीमजी द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। इस दोहे में रहीम ने कहा है कि व्यक्ति को अपना आत्मसम्मान सदैव बनाए रखना चाहिए।

व्याख्या:
रहीमजी ने यहाँ पानी की तुलना चभक, सम्मान तथा जल से की है। पानी के बिना सब सूना है। पानी के बिना मोती, मनुष्य तथा चूना किसी काम के नहीं हैं। बिना चमक के मोती की कोई कीमत नहीं। चमकहीन माती को कोई नहीं पूछता। बिना सम्मान के मनुष्य जीवन का कोई महत्त्व नहीं है तथा बिना पानी के चूने का उपयोग नहीं किया जा सकता। अतः मनुष्य को सदा अपना आत्मसम्मान बनाए रखना चाहिए। सम्मानरहित मनुष्य का समाज में कोई महत्त्व नहीं होता।

विशेष:

  1. बहुत सहज ढंग से कवि ने आत्मसम्मान के महत्त्व को व्यक्त किया है।
  2. ‘पानी’ में श्लेष अलंकार है।
  3. ‘सब सून, मोती मानुष’ में अनुप्रास अलंकार है।
  4. दोहा, छंद है। अवधी भाषा है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत दोहे में कवि ने मनुष्य को क्या संदेश दिया?
उत्तर:
प्रस्तुत दोहे में कवि ने मनुष्य को सदैव आत्मसम्मान बनाए रखने का संदेश दिया है; क्योंकि आत्मसम्मान रहित मनुष्य का समाज में कोई महत्त्व नहीं रह जाता। बिना आत्मसम्मान के मुनष्य समाज में नहीं जी सकता है।

प्रश्न (ii)
मोती, मनुष्य और चून के संबंध में पानी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पानी का प्रयोग तीन अर्थों में प्रयोग किया गया है। मोती के संबंध में, आत्मसम्मान और चूने के संबंध में जल, मोती चमक के अभाव में, मनुष्य आत्मसम्मान के बिना तथा जल के बिना चूना अपना महत्त्व खो देते हैं। तीनों के लिए पानी का बड़ा महत्त्व है।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
मनुष्य को अपना आत्मसम्मान सदैव बनाए रखना चाहिए। आत्मसम्मान के बिना मनुष्य का समाज में वैसे ही महत्त्व घट जाता है, जिस प्रकार चमक के अभाव में मोती का और पानी के बिना चूने का। ये तीनों पानी के बिना व्यर्थ हैं।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत दोहे का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिल्प-सौंदर्य:
कवि ने अत्यंत सहज ढंग से आत्मसम्मान के महत्त्व को स्पष्ट किया है। ‘पानी’ में श्लेष अलंकार है। ‘सव सून, मोती मानुष’ में अनुप्रास अलंकार है। दोहा, छंद है। अवधी भाषा है। गेयता का गुण है। मुक्तक शैली है।

प्रश्न 11.
मथत-मथत माखन रहै, दही मही बिलगाय।
रहिमान सोई मीत है, भीर परे ठहराय॥ (Page 17)

शब्दार्थ:

  • मथत-मथत – मथ-मथकर।
  • मही – छाछ, मट्ठा, गोरस।
  • बिलगाय – अलग करना।
  • सोई – वही।
  • मीत – मित्र।
  • भीर – संकटकाल में।
  • ठहराय – ठहरता है।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीमजी द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। इस दोहे में रहीम सच्चे मित्र की पहचान बता रहे हैं।

व्याख्या:
रहीमजी कहते हैं कि जिस प्रकार दही को मथ-मथकर छाछ या मट्ठे में से मक्खन निकालकर अलग कर लिया जाता है, उसी प्रकार अनेक मित्रों के मध्य सच्चे मित्र की अलग पहचान हो जाती है। जो मित्र संकट के समय मित्र के साथ खड़ा रहता है, उसका साथ नहीं छोड़ता, वही सच्चा मित्र होता है।

विशेष:

  1. कवि ने अत्यंत सहज ढंग से सच्चे मित्र की पहचान बताई है।
  2. मथत-मथत में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  3. ‘मथत-मथत माखन’ में अनुप्रास अलंकार है।
  4. दोहा, छंद है। अवधी भाषा है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
कवि ने सच्चे मित्र की क्या पहचान बताई है?
उत्तर:
कवि ने सच्चे मित्र की यह पहचान बताई है कि सच्चा मित्र संकट के समय में भी मित्र के साथ खड़ा रहता है। संकट में मित्र को छोड़कर नहीं जाता है।

प्रश्न (ii)
सच्चे मित्र की तलना किससे की गई है?
उत्तर:
सच्चे मित्र की तुलना मक्खन से की गई है। जिस प्रकार दही को मथकर उसके बीच से मक्खन निकाल लिया जाता है, उसी प्रकार मित्रों के मध्य से सच्चे मित्र की भी अलग पहचान हो जाती है।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य-दोहे में सच्चे मित्र की पहचान बताई गई है। सच्चा मित्र वही होता है जो संकट के समय में भी मित्र को नहीं छोड़ता, मित्र के साथ खड़ा रहता है।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत दोहे का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि ने अत्यंत सहज ढंग से सच्चे मित्र की पहचान बताई है। ‘मथत-मथत’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। ‘मथत-मथत माखन’ में अनुप्रास अलंकार है। दोहा, छंद है। अवधी भाषा है। गेयता का गुण है।

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प्रश्न 12.
तौ ही लौ जीबोभलौ, दीबो होय न धीम।
जग में रहिबो कुचित गति, उचित न होय रहीम॥ (Page 17)

शब्दार्थ:

  • तों ही – जब तक ही।
  • जीबो -ज ीवित रहना।
  • भलौ – अच्छा है।
  • दीबो – देने की क्रिया या भाव।
  • धीम – धीमा, लुप्त।
  • जग – दुनिया, संसार।
  • कुचित – अनुचित।
  • होय – होता है।

प्रसंग:
प्रस्तुत दोहा रहीमजी द्वारा रचित ‘रहिमन-विलास’ से लिया गया है। इस दोहे में कवि ने जीवन की सार्थकता के संबंध में उचित-अनुचित को स्पष्ट किया है।

व्याख्या:
रहीमजी कहते हैं कि इस संसार में जीवित रहना तभी तक सार्थक रहता है जब तक देने का भाव बना रहता है। देने का भाव धीमा पड़ने या लुप्त हो जाने पर जीवित रहना अनुचित है। क्योंकि देने के भाव में ही जीवन की सार्थकता छिपी रहती है।

विशेष:

  1. कवि ने अपने जीवन अनुभव को बड़ी सरलता से व्यक्त किया है।
  2. जीवन की सार्थकता देते रहने में ही है।
  3. दोहा, छंद है। अवधी भाषा है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
इस संसार में जीवित रहना कब तक उचित है?
उत्तर:
इस संसार में जीवित रहना तभी तक सार्थक रहता है जब तक व्यक्ति में देने का भाव बना रहता है। देने का भाव धीमा पड़ने या लुप्त हो जाने पर जीवित रहना अनुचित है। क्योंकि बिना इसके जीवन जीना पशु के जीवन जीने के समान है।

प्रश्न (ii)
जीवन की सार्थकता किसमें है?
उत्तर:
जीवन की सार्थकता देने के भाव में है, लेने के भाव में नहीं है।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (iii)
प्रस्तत दोहे का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
इस दोहे में कवि ने जीवित रहने की सार्थकता तभी तक बताई है जब तक व्यक्ति में देने का भाव बना रहे। देने का भाव समाप्त होने पर जीवित रहना अनुचित है।

प्रश्न (iii)
प्रस्तुत दोहे का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिल्प-सौंदर्य:
कवि ने अपने जीवन के अनुभव को बड़ी सरलता से व्यक्त किया है। सरल अवधी भाषा है। दोहा, छंद है। गेयता का गुण है। मुक्तक शैली है।

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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 8.1.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आप किसी आवेश का वैद्युत बलों से परिरक्षण उस आवेश को किसी खोखले चालक के भीतर रखकर कर सकते हैं। क्या आप किसी पिंड का परिरक्षण, निकट में रखे पदार्थ के गुरुत्वीय प्रभाव से, उसे खोखले गोले में रखकर अथवा किसी अन्य साधनों द्वारा कर सकते हैं?

(b) पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाले छोटे अन्तरिक्षयान में बैठा कोई अन्तरिक्ष यात्री गुरुत्व बल का संसूचन नहीं कर सकता। यदि पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाला अन्तरिक्ष स्टेशन आकार में बड़ा है, तब क्या वह गुरुत्व बल के संसूचन की आशा कर सकता है?

(c) यदि आप पृथ्वी पर सूर्य के कारण गुरुत्वीय बल की तुलना पृथ्वी पर चन्द्रमा के कारण गुरुत्व बल से करें, तो आप यह पाएँगे कि सूर्य का खिंचाव चन्द्रमा के खिंचाव की तुलना में अधिक है (इसकी जाँच आप स्वयं आगामी अभ्यासों में दिए गए आँकड़ों की सहायता से कर सकते हैं।) तथापि चन्द्रमा के खिंचाव का ज्वारीय प्रभाव सूर्य के ज्वारीय प्रभाव से अधिक है। क्यों?
उत्तर:
(a) नहीं।
(b) हाँ, यदि अंतरिक्ष यान का आकार उसके लिए इतना अधिक हो कि वह गुरुत्वीय त्वरण (g) के परिवर्तन का संसूचण कर सके।
(c) ज्वारीय प्रभाव दूरी के घन के व्युत्क्रमानुपाती होता है तथा इस अर्थ में यह उन बलों से भिन्न है जो दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होते हैं।

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प्रश्न 8.2.
सही विकल्प का चयन कीजिए:

  1. बढ़ती तुंगता के साथ गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता
  2. बढ़ती गहराई के साथ (पृथ्वी को एकसमान घनत्व को गोला मानकर) गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता है।
  3. गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी के द्रव्यमान/पिंड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।
  4. पृथ्वी के केन्द्र से r 2 तथा r 1 दूरियों के दो बिन्दुओं के बीच स्थितिज ऊर्जा – अन्तर के लिए सूत्र – GMm (1/r2 – 1/r2 ) सूत्र mg(r2 – r1 ) से अधिक/कम यथार्थ है।

उत्तर:

  1. घटता है।
  2. घटता है।
  3. पिंड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।
  4. अधिक।

प्रश्न 8.3.
मान लीजिए एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य के परितः पृथ्वी की तुलना में दो गुनी चाल से गति करता है, तब पृथ्वी की कक्षा की तुलना में इसका कक्षीय आमाप क्या है?
उत्तर:
माना कक्षीय आमाप क्रमशः TE व Tp हैं।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 1
अर्थात् ग्रह का आमाप पृथ्वी से 0.63 गुना छोटा है।

प्रश्न 8.4.
बृहस्पति के एक उपग्रह, आयो (lo), की कक्षीय अवधि 1.769 दिन तथा कक्षा की त्रिज्या 4.22 x 108 m है। यह दर्शाइए कि बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 1/1000 गुना है।
उत्तर:
दिया है –
सूर्य का द्रव्यमान = Ms = 2 x 1030 kg
बृहस्पति के उपग्रह का आवर्त काल = T = 1.769 दिन
= 1.769 × 24 × 3600s
= 15.2841 × 104s बृहस्पति के चारों ओर उपग्रह की त्रिज्या
= r = 4.22 × 108m
G = 6.67 × 10-11 Nm2kg-2
माना बृहस्पति का द्रव्यमान MJ, है।
MJ = \(\frac{1}{1000}\) Ms सिद्ध करने के लिए
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 2
अतः बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग (1/1000) गुना है।

प्रश्न 8.5.
मान लीजिए कि हमारी आकाशगंगा में एक सौर द्रव्यमान के 2.5 x 1011 तारे हैं। मंदाकिनीय केन्द्र से 50,000 1y दूरी पर स्थित कोई तारा अपनी एक परिक्रमा पूरी करने में कितना समय लेगा? आकाशगंगा का व्यास 105 ly लीजिए।
उत्तर:
एक सौर द्रव्यमान = 2 × 1030kg
एक प्रकाश वर्ष = 9.46 × 1015 m
माना M = आकाश गंगा में तारे का द्रव्यमान
= 2.5 × 1011 × 2 × 1030kg
= 5 × 1041kg
तारे की कक्षा की त्रिज्या = r = मंदाकिनी के केन्द्र से तारे की दूरी
= 50,000 प्रकाश वर्ष
= 50,000 × 9.46 × 1015m
G = 6.67 × 10-11Nm2kg-2
एक आवृत्ति काल = T
आकाशगंगा का व्यास = 105 प्रकाश वर्ष
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 3
= 3.55 × 108 yrs.

प्रश्न 8.6.
सही विकल्प का चयन कीजिए:

  1. यदि स्थितिज ऊर्जा का शून्य अनन्त पर है,तो कक्षा में परिक्रमा करते किसी उपग्रह की कुल ऊर्जा इसकी गतिज/स्थितिज ऊर्जा का ऋणात्मक है।
  2. कक्षा में परिक्रमा करने वाले किसी उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा समान ऊँचाई (जितनी उपग्रह की है) के किसी स्थिर पिंड को पृथ्वी के प्रभाव से बाहर प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा से अधिक/कम होती है।

उत्तर:

  1. गतिज ऊर्जा
  2. कम होती है।

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प्रश्न 8.7.
क्या किसी पिंड की पृथ्वी से पलायन चाल –

  1. पिंड के द्रव्यमान
  2. प्रक्षेपण बिन्दु की अवस्थिति
  3. प्रक्षेपण की दिशा
  4. पिंड के प्रमोचन की अवस्थिति की ऊँचाई पर निर्भर करती है।

उत्तर:

  1. नहीं
  2. नहीं
  3. नहीं
  4. हाँ।

प्रश्न 8.8.
कोई धूमकेत सूर्य की परिक्रमा अत्यधिक दीर्घवृत्तीय कक्षा में कर रहा है। क्या अपनी कक्षा में धूमकेतु की शुरू से अन्त तक –

  1. रैखिक चाल
  2. कोणीय चाल
  3. कोणीय संवेग
  4. गतिज ऊर्जा
  5. स्थितिज ऊर्जा
  6. कुल ऊर्जा नियत रहती है। सूर्य के अति निकट आने पर धूमकेतु के द्रव्यमान में हास को नगण्य मानिये।

उत्तर:

  1. नहीं
  2. नहीं
  3. हाँ
  4. नहीं
  5. नहीं
  6. हाँ।

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प्रश्न 8.9.
निम्नलिखित में से कौन से लक्षण अन्तरिक्ष में अन्तरिक्ष यात्री के लिए दुःखदायी हो सकते हैं?
(a) पैरों में सूजन
(b) चेहरे पर सूजन
(c) सिरदर्द
(d) दिक्विन्यास समस्या।
उत्तर:
(b), (c) व (d):

प्रश्न 8.10.
एक समान द्रव्यमान घनत्व की अर्धगोलीय खोलों द्वारा परिभाषित ढोल के पृष्ठ के केन्द्र पर गुरुत्वीय तीव्रता की दिशा [देखिए चित्र]

  1. a
  2. b
  3. c
  4. 0 में किस तीर द्वारा दर्शायी जाएगी?

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 4
उत्तर:
गोलों को पूरा करने पर, केन्द्र C पर नेट तीव्रता शून्य होगी। इसका तात्पर्य है कि केन्द्र C पर दोनों अर्धगोलों के कारण तीव्रताएँ परस्पर विपरीत व बराबर होंगी। अर्थात् दिशा (iii)C द्वारा व्यक्त होगी।

प्रश्न 8.11.
उपरोक्त समस्या में किसी यादृच्छिक बिन्दु P पर गुरुत्वीय तीव्रता किस तीर –

  1. d
  2. e
  3. f
  4. g द्वारा व्यक्त की जाएगी?

उत्तर:
2. (e) द्वारा व्यक्त होगी।

प्रश्न 8.12.
पृथ्वी से किसी रॉकेट को सूर्य की ओर दागा गया है। पृथ्वी के केन्द्र से किस दूरी पर रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है? सूर्य का द्रव्यमान = 2 × 1030 kg, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 x 1024 kg। अन्य ग्रहों आदि के प्रभावों की उपेक्षा कीजिए (कक्षीय त्रिज्या = 1.5 × 1011 m)
उत्तर:
माना पृथ्वी के केन्द्र से r दूरी पर सूर्य व पृथ्वी के कारण गुरुत्वाकर्षण बल बिन्दु P पर है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 5
अतः रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है।
माना सूर्य से पृथ्वी से बीच की दूरी = पृथ्वी की त्रिज्या
सूर्य का द्रव्यमान, Ms = 2 × 1030 किग्रा
पृथ्वी का द्रव्यमान Me = 6 × 1024 किग्रा
x = 1.5 × 1011मीटर
माना रॉकेट का द्रव्यमान m है।
बिन्दु P पर, सूर्य व रॉकेट के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल = पृथ्वी व रॉकेट के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 6
या = 2.6 x 108 m पृथ्वी से

प्रश्न 8.13.
आप सूर्य को कैसे तोलेंगे, अर्थात् उसके द्रव्यमान का आंकलन कैसे करेंगे? सूर्य के परितः पृथ्वी की कक्षा की औसत त्रिज्या 15 x 108 km है।
उत्तर:
हम जानते हैं कि पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर 1.5 1011 मीटर त्रिज्या की कक्षा में घूमती है। पृथ्वी एक चक्कर 365 दिनों में पूरा करती है।
दिया है : पृथ्वी की त्रिज्या = R = 1.5 × 1011मीटर
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी और पृथ्वी का आवर्तकाल, T = 365 दिन = 365 × 24 × 60 × 60 से०,
G = 6.67 × 1011 न्यूटन – मीटर2 प्रति किग्रा2
जहाँ M = सूर्य का द्रव्यमान है = ?
हम जानते हैं कि
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 7
जहाँ. Ms = सूर्य का द्रव्यमान है।

प्रश्न 8.14.
एक शनि वर्ष एक पृथ्वी – वर्ष का 29.5 गुना है। यदि पृथ्वी सूर्य से 15 × 108 km दूरी पर है, तो शनि सूर्य से कितनी दूरी पर है?
उत्तर:
केप्लर के नियम से,
i.e., T2 ∞ R3
∴शनि के लिए T2s ∝ R3s
समी० (i) को (ii) से भाग देने पर,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 8
दिया है:
Ts = 29.5Te या \(\frac { T_{ s } }{ T_{ e } } \) = 29.5
सूर्य से पृथ्वी की दूरी = Re = 1.5 × 108 km
सूर्य से शनि की दूरी = Rs
∴ समी० (iii) व (iv) से,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 9
= 1.43 × 109 किमी

प्रश्न 8.15.
पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 63N है। पृथ्वी की त्रिज्या की आधी ऊँचाई पर पृथ्वी के कारण इस वस्तु पर गुरुत्वीय बल कितना है?
उत्तर:
पृथ्वी के पृष्ठ से ऊँचाई = h = \(\frac{R}{2}\)
जहाँ R = पृथ्वी की त्रिज्या है।
हम जानते हैं कि gh = g (1 + \(\frac{h}{R}\))2
दिया है: h = \(\frac{R}{2}\)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 10
माना m = वस्तु का द्रव्यमान है
माना पृथ्वी के पृष्ठ व hऊँचाई पर भार क्रमश: W व Wh हैं।
अतः w = mg = 63 N दिया है।
तथा
Wh = mgh
= m × \(\frac{4}{9}\)g = \(\frac{4}{9}\)mg
= \(\frac{4}{9}\) × 63 = 28N
∴Wh = 28N

प्रश्न 8.16.
यह मानते हुए कि पृथ्वी एकसमान घनत्व का एक गोला है तथा इसके पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 250 N है, यह ज्ञात कीजिए कि पृथ्वी के केन्द्र की ओर आधी दूरी पर इस वस्तु का भार क्या होगा?
उत्तर:
माना कि पृथ्वी के पृष्ठ तथा पृथ्वी के पृष्ठ से d दूरी पर गुरुत्व के कारण त्वरण क्रमशः g व gd हैं।
माना कि पृथ्वी के पृष्ठ तथा पृथ्वी के पृष्ठ से d दूरी पर भार क्रमश: W व Wd है।
∴W = mg = 250 N … (i)
तथा Wd = mgd …. (ii)
हम जानते हैं कि gd = g (1 – \(\frac{d}{R}\)) … (iii)
दिया है: d = \(\frac{R}{2}\)
जहाँ R = पृथ्वी की त्रिज्या … (iv)
∴समी० (iii) व (iv) से,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 11
∴पृथ्वी के केन्द्र से आधी दूरी पर वस्तु पर वस्तु का भार
= 125 N

प्रश्न 8.17.
पृथ्वी के पृष्ठ से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर कोई रॉकेट 5 kms-1 की चाल से दागा जाता है। पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट पृथ्वी से कितनी दूरी तक जाएगा? पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 × 1024 kg पृथ्वी की माध्य त्रिज्या = 6.4 x 106 m तथा
G = 6.67 x 10-11 Nm2kg-22
उत्तर:
माना रॉकेट की प्रारम्भिक चाल v है रॉकेट की पृथ्वी से h ऊँचाई पर वेग शून्य है।
माना रॉकेट का द्रव्यमान m है तथा पृथ्वी के पृष्ठ पर इसकी सम्पूर्ण ऊर्जा .
K.E. + P.E. = \(\frac{1}{2}\)mv2 – \(\frac{GMm}{R}\)
जहाँ M = पृथ्वी का द्रव्यमान
R = पृथ्वी की त्रिज्या
G = सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक उच्चतम बिन्दु पर K.E. =0
तथा P.E = \(\frac{- GMm}{R + h}\)
h ऊँचाई पर रॉकेट की सम्पूर्ण ऊर्जा
= K.E. + P.E. = 0 + P.E. = P.E.
= \(\frac { GM_{ m } }{ R+h } \)
ऊर्जा संरक्षण के नियम से,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 12
दिया है:
v = 5 kms-1 = 5000 ms-1
दिया है: R = 6.4 x 106 m
समी० (iv) में दिया मान रखने पर,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 13
∴पृथ्वी के केन्द्र से दूरी
= R + h = 6.4 x 106 + 1.6 x 106
= 8.0 x 106 मीटर।

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प्रश्न 8.18.
पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी प्रक्षेप्य की पलायन चाल 11.2 kms-1 है। किसी वस्तु को इस चाल की तीन गुनी चाल से प्रक्षेपित किया जाता है। पृथ्वीसे अत्यधिक दूर जाने पर इस वस्तु की चाल क्या होगी? सूर्य तथा अन्य ग्रहों की उपस्थिति की उपेक्षा कीजिए।
उत्तर:
माना वस्तु की प्रारम्भिक व अन्तिम चाल v व v है।
माना वस्तु का द्रव्यमान m है।
वस्तु की प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा
= \(\frac{1}{2}\) mv2
वस्तु की स्थितिज ऊर्जा (पृथ्वी की सतह पर)
= \(\frac{-GMm}{R}\)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 14
जहाँ M व R क्रमशः पृथ्वी के द्रव्यमान व त्रिज्या हैं। वस्तु की अन्तिम स्थितिज ऊर्जा (अनन्त पर) = 0
वस्तु की अन्तिम गतिज ऊर्जा (अनन्त पर) = \(\frac{1}{2}\) mv2
ऊर्जा संरक्षण के नियम से,
प्रा० गतिज ऊर्जा + प्रा० PE = अन्तिम (KE + PE)
या \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac{GMm}{R}\) = \(\frac{1}{2}\) mv2 + 0
या \(\frac{1}{2}\) mv2 = \(\frac{1}{2}\)mv2 – \(\frac{-GMm}{R}\)
Also Let ve = escape velocity
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 15
= 31.7 kms-1

प्रश्न 8.19.
कोई उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से 400 km ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। इस उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने में कितनी ऊर्जा खर्च होगी? उपग्रह का द्रव्यमान = 200 kg; पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 × 1024 kg; पृथ्वी की त्रिज्या = 6.4 x 106m तथा G = 6.67 x 10-11 Nm2kg-2
उत्तर:
माना पृथ्वी का द्रव्यमान व त्रिज्या क्रमश: M व R
माना पृथ्वी पृष्ठ से Lऊँचाई पर उपग्रह का द्रव्यमान है।
h ऊँचाई पर कक्ष में वेग = कक्षीय वेग = y
कक्ष में उपग्रह की KE = \(\frac{1}{2}\) mv2 ऊँचाई पर उपग्रह की स्थितिज ऊर्जा
= \(\frac { GM_{ m } }{ R+h } \)
अतः चक्रण करते उपग्रह की सम्पूर्ण ऊर्जा (KE + PE)
= \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac { GM_{ m } }{ R+h } \)
= \(\frac{1}{2}\) m (\(\frac{GM}{R + h}\))
(∴h ऊँचाई पर कक्षीय वेग = \(\sqrt { \frac { GM }{ R+h } } \))
= – \(\frac{1}{2}\) \(\frac{GMm}{R + h}\)
उपग्रह को पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण से बाहर भेजने के लिए इसकी गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा शून्य होगी तथा इसकी गतिज ऊर्जा भी शून्य होगी।
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर भेजने पर उपग्रह की अन्तिम ऊर्जा = 0
Rऊँचाई पर चक्रण करती वस्तु की ऊर्जा + दी गई ऊर्जा = 0 (ऊर्जा संरक्षण के नियम से)
उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर भेजने के लिए दी गई ऊर्जा
= E = – चक्रण करते उपग्रह की ऊर्जा
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 16
दिया है h = 400 km
= 400 × 103 m, R = 6400 × 103m,
G = 6.67 × 1024 Nm2kg-2
M = 6 × 1024 kg. m = 200 kg
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 17
= 5.885 × 109J

प्रश्न 8.20.
दो तारे, जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान (2 × 1030 kg) के बराबर है, एक दूसरे की ओर सम्मुख टक्कर के लिए आ रहे हैं। जब वे 109 km की दूरी पर हैं तब इनकी चाल उपेक्षणीय है। ये तारे किस चाल से टकराएंगे? प्रत्येक तारे की त्रिज्या 104 km है। यह मानिए कि टकराने के पूर्व तक तारों में कोई विरूपण नहीं होता (G के ज्ञात मान का उपयोग कीजिए)।
उत्तर:
दिया है: प्रत्येक तारे का द्रव्यमान
M = 2 × 1030 किग्रा
दोनों तारों के मध्य प्रा० दूरी,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 18
r = 109 किमी = 1012 मीटर
प्रत्येक तारे का आकार = त्रिज्या
= r = 104 किमी = 107 मीटर
माना दोनों तारे एक दूसरे से टकराते हैं। माना दोनों तारे की प्रा० चाल u है।
r दूरी पर रखे एक तारे की दूसरे के सापेक्ष स्थितिज ऊर्जा
PE = \(-\frac { Gm_{ 1 }m_{ 2 } }{ r } \) = – \(\frac { GM_{ m } }{ r } \)
7 दूरी पर KE = 0 [∴u = 0]
सम्पूर्ण प्रा० ऊर्जा
KE + PE = 0 – \(\frac { GM^{ 2 } }{ r } \) = \(\frac { – GM^{ 2 } }{ r } \) … (i)
माना दोनों तारों के केन्द्र ।’ दूरी पर जब दोनों तारे एकदम टकराने वाले होते हैं = 2R
संघट्ट के बाद दोनों तारों की KE
= \(\frac{1}{2}\) Mv2 + \(\frac{1}{2}\) Mv2
= Mv2
संघट्ट के समय दोनों तारों की
PE = \([latex]\frac { -GMM }{ r^{ ‘ } } \) = \(\frac { -GM^{ 2 } }{ 2R } \)
ऊर्जा संरक्षण के नियम से
सम्पूर्ण प्रा० ऊर्जा = अन्तिम (ICE + IPE) या
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 19

प्रश्न 8.21.
दो भारी गोले जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 100 kg, त्रिज्या 0.10 m है किसी क्षैतिज मेज पर एक दूसरे से 1.0 m दूरी पर स्थित हैं। दोनों गोलों के केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर गुरुत्वीय बल तथा विभव क्या है? क्या इस बिन्दु पर रखा कोई पिंड संतुलन में होगा? यदि हाँ, तो यह सन्तुलन स्थायी होगा अथवा अस्थायी?
उत्तर:
माना दोनों गोले क्रमश: A व B बिन्दु पर रखे गए हैं। दोनों गोलों के बीच की दूरी = r = AB = 1 मीटर
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 20
AB का मध्य बिन्दु 0 = AB × \(\frac{1}{2}\)
= \(\frac{1}{2}\) × 1m = 0.5m
AO = OB
= \(\frac{1}{2}\) × 1m = 0.5m
प्रत्येक गोले का द्रव्यमान = M = 100 kg
माना कि 0 बिन्दु पर रखी प्रत्येक वस्तु का द्रव्यमान = m हम जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण बल,
F = \(\frac { GMm }{ d^{ 2 } } \)
माना A व b के कारण 0 पर बल क्रमश: FA व FB हैं। अतः
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 21
ये दोनों विपरीत दिशा में लगते हैं।
अतः 0 पर परिणामी बल = 0
इसका तात्पर्य यह है कि बिन्दु पर रखी वस्तु पर कोई बल नहीं लगता है। अतः यह वस्तु सन्तुलन में है। लेकिन यह सन्तुलन अस्थिर है चूँकि A व B में सूक्ष्म विस्थापन से भी सन्तुलन बदला जाता है।
पुनः हम जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण विभव,
= \(-\frac { GM }{ d } \)
माना A व B बिन्दुओं पर रखे गोलों पर 0 के कारण गुरुत्वाकर्षण विभव क्रमश: VA व VB है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 22
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 22a

अतः मध्यबिन्दु पर रखी वस्तु अस्थिर सन्तुलन में होती है।

गुरुत्वाकर्षण अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 8.22.
जैसा कि आपने इस अध्याय में सीखा है कि कोई तुल्यकाली उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से लगभग 36,000 km ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस उपग्रह के निर्धारित स्थल पर पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण विभव क्या है? (अनन्त पर स्थितिज ऊर्जा शुन्य लीजिए।) पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 × 1024 k; पृथ्वी की त्रिज्या = 6400 km.
उत्तर:
दिया है: ME = 6 × 1024 किग्रा
RE = 6400 किमी = 6.4 x 106 मीटर
हम जानते हैं कि गुरुत्वीय विभव
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 23
= – 9.4 x 106 जूल प्रति किग्रा

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प्रश्न 8.23.
सूर्य के द्रव्यमान से 2.5 गुने द्रव्यमान का कोई तारा 12 km आमाप से निपात होकर 1.2 परिक्रमण प्रति सेकण्ड से घूर्णन कर रहा है। (इसी प्रकार के संहत तारे को न्यूट्रॉन तारा कहते हैं कुछ प्रेक्षित तारकीय पिंड, जिन्हें पल्सार कहते हैं, इसी श्रेणी में आते हैं।) इसके विषुवत् वृत्त पर रखा कोई पिंड, गुरुत्व बल के कारण, क्या इसके पृष्ठ से चिपका रहेगा? (सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg)
उत्तर:
तारे से चिपके तारकीय पिंड के लिए, तीर का गुरुत्वाकर्षण बल अभिकेन्द्र बल के बराबर या अधिक होगा। इस दशा में अभिकेन्द्र बल, गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक नहीं होगा तथा पिंड नहीं उड़ेगा।
mg ≥ m \(\frac { v^{ 2 } }{ r } \)
या
g > \(\frac { v^{ 2 } }{ r } \)
या g ≥ ac
जहाँ ac = \(\frac { v^{ 2 } }{ r } \) अभिकेन्द्रीय त्वरण
अतः तारे से तारकीय पिंड से चिपकने के लिये, गुरुत्व के कारण तारे पर त्वरण 2 अभिकेन्द्रीय त्वरण
दिया है:
r = 12 km = 12 x 103 m
आवृत्ति v = 1.5 rps
w = 2πv = 21 x 1.5 = 3π rads-1 अभिकेन्द्रीय त्वरण,
ac = \(\frac { v^{ 2 } }{ r } \) = rω2
= 12 × 103 × (3π)2
= 12 × 103 × 9 × 9.87
= 1065.96 × 103 ms-2
= 1.1 × 106

पुनः हम जानते हैं कि तारे पर गुरुत्व के कारण त्वरण निम्नवत् है –
g = \(\frac { GM }{ r^{ 2 } } \)
दिया है: M = सूर्य के द्वयमान का 2.5 गुना
= 2.5 × 2 × 1030 kg
(∴ सूर्य के द्वयमान = 2 × 1030 kg
= 5 × 1030
r = 12km
G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg-2
g = \(\frac { 6.67\times 10^{ -11 }\times 5\times 10^{ 30 } }{ (12000)^{ 2 } } \)
= 0.2316 × 1013 ms-2
= 23.16 × 1011 ms-2
= 2.3 × 1012 ms-2
समीकरण (i)  व  (iv) से
अतः पिंड तारे से चिपका रहेगा। … (iv)

प्रश्न 8.24.
कोई अन्तरिक्षयान मंगल पर ठहरा हुआ है। इस अन्तरिक्षयान पर कितनी ऊर्जा खर्च की जाए कि इसे सौरमण्डल से बाहर धकेला जा सके। अन्तरिक्षयान का द्रव्यमान = 1000 kg; सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 मंगल का द्रव्यमान = 6.4 x 1023 kg; मंगल की त्रिज्या = 3395 km; मंगल की कक्षा की त्रिज्या = 2.28 x 108 km तथा G = 6.67 x 10-11 Nm2kg-2
उत्तर:
G = 6.67 x 10-11 Nm2 kg-2
माना कि सूर्य के सापेक्ष मंगल का द्रव्यमान व त्रिज्या क्रमश: M व R है।
दिया है: सूर्य का द्रव्यमान M = 2 x 1030 kg
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 26
व्यक्ति की सूर्य के चारों ओर त्रिज्या,
= R = 2.28 x 108 km
मंगल की त्रिज्या = R’ = 3395 km
मंगल का द्रव्यमान = M’ = 6.4 x 1023 kg
सौरमण्डल का द्रव्यमान m = 1000 किग्रा
सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के कारण अन्तरिक्षयान की स्थितिज ऊर्जा
= \(\frac{-GMm}{R}\)
मंगल के गुरुत्वाकर्षण के कारण सौरमण्डल की स्थितिज ऊर्जा
= \(\frac { -GM^{ ‘ }m }{ R^{ ‘ } } \)
मंगल के पृष्ठ पर अन्तरिक्षयान की सम्पूर्ण स्थितिज ऊर्जा
= \(\frac{-GMm}{R}\) – \(\frac{-GMm}{R}\)
चूँकि अन्तरिक्षयान की KE शून्य है
∴अन्तरिक्षयान की सम्पूर्ण ऊर्जा
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 27
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 27a

अन्तरिक्षयान को सौरमण्डल से बाहर करने के लिए, इसकी गतिज ऊर्जा इतनी बढ़ानी चाहिए जिससे इस ऊर्जा का मान, मंगल के पृष्ठ पर ऊर्जा के समान हो जाए।
अभीष्ट ऊर्जा = — (अन्तरिक्षयान की सम्पूर्ण ऊर्जा)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 28

प्रश्न 8.25.
किसी रॉकेट को मंगल के पृष्ठ से 2 kms-1 की चाल से ऊर्ध्वाधर ऊपर दागा जाता है। यदि मंगल के वातावरणीय प्रतिरोध के कारण इसकी 20% आरंभिक ऊर्जा नष्ट हो जाती है, तो मंगल के पृष्ठ पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट मंगल से कितनी दूरी तक जाएगा? मंगल का द्रव्यमान = 6.4 x 1023 kg; मंगल की त्रिज्या = 3395 km तथा G = 6.67 x 10-11 Nm2kg-2
उत्तर:
माना रॉकेट का द्रव्यमान m है।
दिया है:
मंगल का द्रव्यमान, M = 6.4 x 1023 किग्रा
मंगल की त्रिज्या, R = 3395 किमी
गुरुत्वाकर्षण नियतांक G = 6.67 x 10-11 न्यूटन – मीटर2 प्रति किग्रा2
माना कि रॉकेट मंगल से h ऊँचाई तक पहुँचता है।
माना कि मंगल के पृष्ठ से रॉकेट को प्रारम्भिक चाल v से छोड़ा जाता है।
रॉकेट की प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\) mv2
व रॉकेट की प्रारम्भिक स्थितिज ऊर्जा = \(\frac { -GMm }{ R } \)
रॉकेट की सम्पूर्ण प्रा० ऊर्जा = K.E. + P.E.
= \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac { -GMm }{ R } \)
चूँकि h ऊँचाई पर 20% ऊर्जा नष्ट हो जाती है जबकि 80% ऊर्जा संचित रहती है।
संचित ऊर्जा = \(\frac{80}{100}\) x \(\frac{1}{2}\)mv2
सम्पूर्ण उपलब्ध प्रा० ऊर्जा,
= \(\frac{4}{5}\)\(\frac{1}{2}\)mv2 – \(\frac { -GMm }{ R } \)
= 0.4 mv2 – \(\frac { -GMm }{ R + h} \)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण img 29

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MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 2 नर से नारायण

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 2 नर से नारायण (निबन्ध, बाबू गुलाबराय)

नर से नारायण पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

नर से नारायण लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
त्राहि-त्राहि क्यों मची हुई थी? (M.P. 2009, 2012)
उत्तर:
अवर्षा के कारण सूखे की स्थिति हो गई थी, इसीलिए त्राहि-त्राहि मची हुई थी।

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प्रश्न 2.
बच्चे क्यों प्रसन्न थे?
उत्तर:
लेखक के घर के पीछे वर्षा का पानी भर गया था और बच्चे उस घर की गंगा में कागज की नावें तैराने के कारण प्रसन्न थे।

प्रश्न 3.
लेखक ने किन परिस्थितियों में स्वयं को नारायण कहा है?
उत्तर:
नारायण का निवास स्थान जल में है और उसका घर भी वर्षा के कारण जल में डूबा हुआ था, ऐसी स्थिति में लेखक स्वयं को नारायण समझने लगा था।

प्रश्न 4.
लेखक ने अपने को अनंत का उपासक क्यों कहा है?
उत्तर:
लेखक सीमाओं को क्षुद्र समझता था अतः उसने अपने घर के चारों ओर दीवार नहीं बनाई थी। इसी कारण उसने स्वयं को अनंत का उपासक कहा है।

प्रश्न 5.
बाईबल के किस आदर्श का उल्लेख किया है?
उत्तर:
दान गुप्त होना चाहिए। एक हाथ से दान देते समय दूसरे हाथ को भी पता नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 6.
नाइग्राफाल सा किसे कहा गया है?
उत्तर:
रोशनदानों से तहखाने में गिरते पानी को नाइग्रा फाल कहा गया है।

नर से नारायण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्षा न होने के कारण लेखक ने अपनी वेदना को किस प्रकार व्यक्त किया है?
उत्तर:
ज्वार की पत्तियाँ ऐंठ-ऐंठकर बत्तियाँ बन गई थीं और नए छोटे-छोटे पौधे मुरझाने को विवश हो रहे थे। वर्षा न होने के कारण लेखक निराश था क्योंकि उसकी गाढ़ी कमाई के बीस रुपये बरबाद हो रहे थे क्योंकि इन रुपयों से उसने खेत में चरी बो रखी थी। वर्षा नहीं होने के कारण वे भी मुरझाने लगे थे।

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प्रश्न 2.
भीषण गर्मी के बाद प्रथम वर्षा के सुखद प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भीषण गर्मी के बाद प्रथम वर्षा की बूंदों से मनुष्य का मन प्रसन्न हो उठता है। वह वर्षा की छोटी-छोटी बूंदों के सुख देने वाले शीतल स्पर्श से पुलकित हो जाता है। सड़कें धुलकर साफ़-सुथरी और चिकनी हो जाती हैं। चारों ओर प्रकृति की छटा दर्शनीय हो जाती है। खेतों में हरियाली छा जाती है।

प्रश्न 3.
‘दिग्दाहों से धूम उठे या जलधर उठे क्षितिज तट के’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भीषण गर्मी के कारण दिशाओं के जलने के कारण धुआँ उठा अर्थात् क्षितिज के किनारों पर बादल उठे। लेखक इस बात का निर्णय नहीं कर पा रहा है कि क्षितिज पर भीषण गर्मी से जलने के कारण धुआँ उठ रहा है या क्षितिज से बादल उठ रहे हैं।

प्रश्न 4.
लेखक का आनंद आशंका में क्यों बदल गया? (M.P. 2011)
उत्तर:
लेखक का आनंद आशंका में इसलिए बदल गया क्योंकि उसके मकान के पीछे एक फुट पानी भर गया था और वह धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा था। पानी बढ़ने के साथ-साथ लेखक की आशंका भी बढ़ती जा रही थी।

प्रश्न 5.
जब बिजली चली गई तब लेखक को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना है? (M.P. 2011)
उत्तर:
बिजली के गुल हो जाने पर चारों तरफ घुप अँधेरा हो गया। सारा घर गहन अंधकार में डूब गया। हाथ को हाथ सुझाई नहीं देता था। सर से सर टकराने की स्थिति आ गई। लालटेन ढूँढ़ी गई तो उसमें तेल नहीं था। घर में माचिस तक न मिली। एक टूटी-फूटी टॉर्च भी थी जिसे ढूँढ़ना कठिन था। रोशनदानों से तहखाने में पानी गिर रहा था। जैसे-तैसे दीपक जलाया गया लेकिन वह तेज हवा के कारण बुझ गया। लेखक के नौकर पड़ोस से लालटेन माँगकर लाए। इस प्रकार जैसे ही रोशनी की व्यवस्था हुई सब लोग घर के भीतर बैठ गए।

प्रश्न 6.
बाढ़-पीड़ितों की सहायता किस प्रकार की गई?
उत्तर:
बाढ़-पीड़ितों को शिक्षण संस्थाओं में आश्रय दिया गया। लोगों ने अन्न, वस्त्रादि देकर उनकी प्राथमिक आवश्यकताएँ पूरी की। उनके घरों के पास वाढ़ के पानी को निकाला गया और मिट्टी डाली गई।

नर से नारायण भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव विस्तार कीजिए –

प्रश्न 1.
‘नारासु अयनं यस्य सः नारायणः’।
उत्तर:
जिसका घर नार (जल) में हो वही नारायण है। नारायण पोषण करने वाले हैं। वर्षा का जल सृष्टि का पोषणकर्ता है। नारायण का घर समुद्र में है जहाँ चारों ओर पानी ही पानी है। वर्षा से उत्पन्न जलभराव के कारण लेखक के घर के चारों ओर पानी भर गया है इसलिए वह बिना किसी करनी के ही स्वयं को नारायण समझने लगा।

प्रश्न 2.
दियासलाई ज्योतिस्वरूप परमात्मा बन गई।
उत्तर:
एकाएक बिजली के गुल होने से गहन अंधकार छा गया। अंधकार में दियासलाई को ढूँढ़ा गया। लेकिन अँधेरे में दियासलाई का मिलना एक टेढ़ी खीर थी। दियासलाई का मिलना ऐसा था जैसे ज्योतिस्वरूप एवं ज्योतिस्रोत ईश्वर का मिलना। इस प्रकार दियासलाई का मिलना परमात्मा के मिलने के समान हो गया था। उस समय घरवालों के लिए दियासलाई ज्योतिस्वरूप परमात्मा के समान बन गई थी।

नर से नारायण भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित का समास-विग्रह कर समास का नाम लिखिए –
मन-मयूर, श्रेय-प्रेय, चिंताग्रस्त, नयनाभिराम, जल-प्लावन, सायंकाल, जीव-दया, सुमनवर्षा, जलबाधा, स्नेहशून्य।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 2 नर से नारायण img-1

प्रश्न 2.
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
अंक, अर्थ, उत्तर, गुरु, फल।
उदाहरणः

  1. स्नेह-शून्य दीपक कब तक जल पाएगा?
  2. दीनों के प्रति स्नेह-शून्य व्यवहार मत करो।

उत्तर:

  • अंक – इस नाटक में कुल पाँच अंक हैं। बच्चे को रोता देख माँ ने उसे अंक में उठा लिया। रमेश ने परीक्षा में बहुत कम अंक प्राप्त किए हैं।
  • अर्थ – भाई-भाई के बीच में बोलने का तुम्हारा अर्थ क्या है? आजकल तो अर्थ के बिना कोई नहीं पूछता।
  • उत्तर – हिमालय पर्वत उत्तर दिशा में है। मैंने उत्तर लिख दिया है।
  • गुरु – बच्चो! गुरुजी की आज्ञा का पालन करो। मजदूरनी गुरु हथौड़ा हाथ में लिये पत्थर तोड़ रही है।
  • फल – बुरे कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है। आम का फल बड़ा रसीला होता है।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए –
तन-मन, श्रेय-प्रेय, हँसता-खेलता, टूटी-फूटी, बचा-खुचा।
उत्तर:

  • तन-मन – मैंने उस असहाय बीमार की तन-मन से सेवा की।
  • श्रेय-प्रेय – लेखक आनंद और कर्त्तव्यं तथा श्रेय-प्रेय का समन्वय करने कॉलेज भी गया।
  • हँसता-खेलता – बच्चा हँसता-खेलता ही प्रिय लगता है।
  • टूटी-फूटी – अंग्रेज टूटी-फूटी हिंदी में भी बात कर लेते हैं।
  • बचा-खुचा – नौकर ने बचा-खुचा खाना भिखारी को दे दिया।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित भिन्नार्थी शब्दों के पृथक-पृथक वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
वात-बात, वन-बन, अपेक्षा-उपेक्षा, चिंता-चिता, ओर-और, तरणी-तरणि, सुत-सूत, क्षात्र-छात्र। (M.P. 2010)
उत्तर:

  • वात – वह वात रोग से पीड़ित है।
    बात – रोगी से अधिक बात मत कीजिए।
  • वन – राम वन गए।
    बन – बात बन गई है।
  • अपेक्षा – सोहन से परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने की अपेक्षा की जाती है।
    उपेक्षा – हमें अपने माता-पिता की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
  • चिंता – पुत्र को बीमार देखकर माँ का मनचिंता से अनायास भर उठा।
    चिता – चिता की अग्नि धधक उठी।
  • ओर – सूर्य पूर्व दिशा की ओर से उगता है।
    और – धर्म और कर्म ही मनुष्य के साथ जाते हैं।
  • तरणी – भक्ति रूपी तरणी से भवसागर पार किया जा सकता है।
    तरणि – तरणि का तेज देखते ही बनता है! (M.P. 2010)
  • सुत – मेरा ही सुत मुझे आँखें दिखा रहा है।
    सूत – गाँधीजी सूत कातते थे। (M.P. 2010)
  • क्षात्र – क्षात्र को खुला मत छोड़ना।
    छात्र – यह छात्र बहुत परिश्रमी है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
कान में भनक पड़ना, त्राहि-त्राहि मचना, दो-चार आँसू बहाना, घर फूंक तमाशा देखना, भगीरथ प्रयत्न करना।
उत्तर:

  • कान में भनक पड़ना – (निंदा, बुराई अथवा षड्यंत्र की बात सुनने में आना) आतंकी योजना की कान में भनक पड़ने ही पुलिस सजग हो गई।
  • त्राहि-त्राहि मचना – (हाहाकार होना) महँगाई से सारे देश में त्राहि-त्राहि मची हुई है। (M.P. 2009)
  • दो-चार आँसू बहाना – (दख प्रकट करना) महँगाई के नाम पर नेतागण दो-चार आँसू बहा लेते हैं।
  • घर फूंक तमाशा देखना – (हानि उठाकर प्रसन्न होना) दीपावली पर पटाखे चलाना घर फूंक तमाशा देखने के बराबर है।
  • भगीरथ प्रयत्न करना – (अत्यधिक प्रयास करना) आई.ए.एस. बनने के लिए भगीरथ प्रयत्न करना पड़ता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित लोकोक्तियों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –

  1. का वर्षा जब कृषि सुखानी।
  2. सिमिटि-सिमिटि जल भरहिं तलाबा।

उत्तर:

  1. जब आतंकवादी शहर में विस्फोट करने में सफल हो गए तब पुलिस पहुँची। टीक ही कहा गया है-का वर्षा जब कृषि सुखानी।
  2. लेखक के घर के चारों ओर सिमिटि-सिमिटि जब भरहिं तलाबा वाली कहावत चरितार्थ हो रही थी।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार रूपांतरित कीजिए –

  1. बच्चे भी घर की गंगाजी में कागज की नावें तैराकर खुश हो रहे थे। (संयुक्त वाक्य)
  2. मेरी सौंदर्योपासना अविचलित रही, क्योंकि ऐसा कई बार हो चुका था। (सरल वाक्य)
  3. सुबह उठकर जलप्लावन का व्यापक एवं भयंकर दृश्य देखा। (मिश्र वाक्य)

उत्तर:

  1. बच्चे भी घर की गंगाजी में कागज की नावें तैरा रहे थे और खुश हो रहे थे।
  2. ऐसा कई बार होने के कारण मेरी सौंदर्योपासना अविचलित रही।
  3. जो सुबह उठकर जलप्लावन का दृश्य देखा, वह व्यापक एवं भयंकर था।
    या
    जब सुबह उठा तब जलप्लावन का व्यापक एवं भयंकर दृश्य देखा।

नर से नारायण योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
यदि आपके गाँव या नगर में बाढ़ आ जाए तो आप बाढ़ पीड़ितों के लिए क्या-क्या उपाय करेंगे? लिपिबद्ध कीजिए।
उत्तर:
यदि हमारे गाँव या नगर में बाढ़ आ जाए तो हम बाढ़ पीड़ितों को उस गाँव या नगर के सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाएँगे और उनकी अन्न, वस्त्र और औषधियों से खूब सहायता करेंगे। उनके घरों के पास से पानी निकालने में प्रशासन की सहायता करेंगे। उनके पशुओं के लिए चारे का प्रबंध करेंगे। पशुओं को भी सुरक्षित स्थानों पर ले जाएँगे।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त कर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
बाढ़, भूकंप, सूखा आदि प्राकृतिक आपदाएँ हैं। छात्र इनके संबंध में स्वयं जानकारी प्राप्त कर चर्चा करें।

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प्रश्न 3.
‘वर्षा-ऋतु’ अथवा ‘जल ही जीवन है’ विषय पर 150 शब्दों में निबंध लिखिए। (M.P. 2011)
उत्तर:
छात्र स्वयं लिखें। निबन्ध खण्ड में देखें।

नर से नारायण परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर –

प्रश्न 1.
‘नर से नारायण’ निबंध का लेखक कौन है?
(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ख) आचार्य रामचंद्र शुक्ल
(ग) बाबू गुलाबराय
(घ) आचार्य नरेंद्र देव
उत्तर:
(ग) बाबू गुलाबराय।

प्रश्न 2.
निबंध में किस ऋतु के प्रभाव का वर्णन किया गया है?
(क) ग्रीष्म ऋतु
(ख) वर्षा ऋतु
(ग) वसंत ऋतु
(घ) शरद ऋतु
उत्तर:
(ख) वर्षा ऋतु।

प्रश्न 3.
स्वयं को नारायण कौन समझने लगा?
(क) बनर्जी साहब
(ख) रणधीर जी
(ग) मंगलदेव जी
(घ) लेखक बाबू गुलाबराय
उत्तर:
(घ) लेखक बाबू गुलाबराय।

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प्रश्न 4.
लेखक ने बनर्जी साहब का निमंत्रण कब स्वीकार किया? (M.P. 2009)
(क) जब बिजली गुल हो गई
(ख) जब बरामदे और शयनागार का फर्श बैठ गया
(ग) जब तहखाने में साँप आ गया
(घ) जब उनका घर जलमग्न हो गया
उत्तर:
(ख) जब बरामदे और शयनागार का फर्श बैठ गया।

प्रश्न 5.
लेखक ने किस काम को संदल घिसने की भाँति सरदर्द वाला बताया है?
(क) लालटेन ढूँढ़ने के काम को
(ख) दियासलाई ढूँढ़ने के काम को
(ग) टॉर्च ढूँढ़ने के काम को
(घ) दीपक जलाने के काम को
उत्तर:
(ग) टॉर्च ढूँढ़ने के काम को।

प्रश्न 6.
लेखक ने अपने किस पड़ोसी की व्यवहारकुशलता की प्रशंसा की है?
(क) बनर्जी साहब की
(ख) मंगलदेव की
(ग) काछी-कुम्हार की
(घ) रणधीर की
उत्तर:
(क) बनर्जी साहब की

प्रश्न 7.
लेखक ने वरुण-रस किसे कहा है?
(क) वर्षा के जल को
(ख) कुएँ के पानी को
(ग) तालाब के जल को
(घ) समुद्र के जल को
उत्तर:
(क) वर्षा के जल को।

प्रश्न 8.
लेखक ने किस रस के लौकिक अनुभव की पुनरावृत्ति न कराने की प्रार्थनकी?
(क) रौद्र रस की
(ख) करुण रस की
(ग) शांत रस की
(घ) वरुण रस की
उत्तर:
(घ) वरुण रस की।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें –

  1. ‘नर से नारायण’ निबन्ध के लेखक ………. हैं। (गुलाबराय रामचन्द्र शुक्ल) (M.P. 2009)
  2. लेखक गुलाबराय ……… के भूतपूर्व सदस्य थे। (जीव-दया प्रचारिणी सभा/महासभा)
  3. ………. के महीने में पानी की त्राहि-त्राहि मची हुई थी। (अगस्त सितम्बर)
  4. लेखक के माली का नाम ………. था। (रविदेव/मंगलदेव)
  5. लेखक के पड़ोसी का नाम ……… था। (श्री बनर्जी साहब/श्री चटर्जी साहब)

उत्तर:

  1. गुलाबराय
  2. जीवन-दया प्रचारिणी सभा
  3. सितम्बर
  4. मंगलदेव
  5. श्री बनर्जी साहब।

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III. निम्नलिखित कथन के लिए सही विकल्प चुनिए –

प्रश्न 1.
‘नर से नारायण’ निबन्ध में लेखक ने बीस रुपये किस पर खर्च किए थे?
(क) लालटेन खरीदने में
(ख) फसल बोने में
(ग) तहखाने का रोशनदान बनवाने में
(घ) माली से पौधे लगवाने में
उत्तर:
(ख) फसल बोने में

IV. निम्नलिखित कथनों में सत्य असत्य छाँटिए –

  1. ‘नर से नारायण’ शीर्षक निबन्ध की भाषा संस्कृत प्रधान है।
  2. लेखक को अपने तहखाने के रोशनदानों पर काफी गर्व था।
  3. बिजली गुल होते ही सभी घर से बाहर निकल पड़े।
  4. लालटेन में तेल भरा हुआ था।
  5. लेखक वर्षा के सौंदर्य रूप से अधिक प्रभावित था।
  6. ‘नर से नारायण’ निबंध लेखक बाबू गुलाबराय हैं। (M.P. 2012)

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. सत्य
  6. सत्य।

V. निम्न के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 2 नर से नारायण img-2
उत्तर:

(क) (iii)
(ख) (i)
(ग) (v)
(घ) (ii)
(ङ) (iv)

VI. निम्न प्रश्नों के एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
श्री बनर्जी साहब कौन थे?
उत्तर:
श्री बनर्जी साहब लेखक गुलाबराय के पड़ोसी थे।

प्रश्न 2.
त्राहि-त्राहि क्यों मची हुई थी? (M.P. Board 2009)
उत्तर:
अवर्षा की स्थिति के कारण त्राहि-त्राहि मची हुई थी।

प्रश्न 3.
लेखक ने खेत में क्या बो रखी थी?
उत्तर:
लेखक ने खेत में चरी बो रखी थी।

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प्रश्न 4.
लेखक को कहाँ पर आश्रय मिला था?
उत्तर:
लेखक को जैन बोर्डिंग में आश्रय मिला था।

प्रश्न 5.
लेखक को तहखाने के रोशनदानों पर क्यों गर्व था?
उत्तर:
क्योंकि लेखक सायंकाल को भी वहाँ बैठकर लिख-पढ़ सकता था।

नर से नारायण लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक पहले किस स्थिति से दुखी था?
उत्तर:
लेखक पहले अवर्षा की स्थिति से दुखी था।

प्रश्न 2.
गरीब किसानों की भस्म करने वाली आहों का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
गरीब किसानों की भस्म करने वाली आहों के प्रभाव से आकाश में बादल – बनते दिखाई देने लगे।

प्रश्न 3.
लेखक को स्फूर्ति क्यों आई और उसने क्या किया?
उत्तर:
वर्षा के कारण लेखक के शरीर में स्फूर्ति आई और वह लिखने बैठ गया।

प्रश्न 4.
लेखक ने बेरोजगारी की समस्या पर क्या चुटकी ली है?
उत्तर:
लेखक ने बेरोजगारी की समस्या पर चुटकी लेते हुए कहा है कि आजकल के युग में बेकारों की अर्जियों से दफ्तर बन जाते हैं।

प्रश्न 5.
अगस्त्य ऋषि का यांत्रिक अवतार किसे कहा गया है?
उत्तर:
फायर बिग्रेड को अगस्त्य ऋषि का यांत्रिक अवतार कहा गया है।

प्रश्न 6.
त्राहि-त्राहि क्यों मची हुई थी? (M.P. 2009)
उत्तर:
सितम्बर महीने तक बारीश न होने से त्राहि-त्राहि मची हुई थी।

प्रश्न 7.
लेखक को तहखाने में बने रोशनदानों पर क्यों गर्व था?
उत्तर:
लेखक को तहखाने में बने रोशनदानों पर इसलिए गर्व था कि उनसे प्रकाश के साथ-साथ वायु का भी आर-पार संचार होता था।

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प्रश्न 8.
लेखक को जल-बाधा से कितने दिन बाद मुक्ति मिली?
उत्तर:
लेखक को पूरे सप्ताह अर्थात् सात दिन बाद जल-बाधा से मुक्ति मिली।

नर से नारायण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक ने वर्षा के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद कैसे लिया?
उत्तर:
लेखक ने वर्षा के दौरान कमरे से बाहर जाकर मेघाच्छादित गगन मंडल की शोभा निहारकर, बगीचे में जाकर शेफाली के गिरते फूलों को देखते हुए तथा धोए-धोए पत्तों वाली हरित-ललित-यौवनभरी लहलहाती लताओं के सौंदर्य का अपने नेत्रों से पान करके प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया।

प्रश्न 2.
लेखक के मकान को वर्षा ने क्या-क्या हानि पहुँचाई?
उत्तर:
लेखक के मकान के तहखाने में पानी भर गया। कमरों तथा बरामदे के फर्श बैठ गए और भैंस बाँधने का छप्पर जलमग्न हो गया। उसके मकान के चारों ओर पानी भर गया।

प्रश्न 3.
बाढ़ का प्रभाव किन-किन स्थानों पर हुआ?
उत्तर:
बाढ़ का प्रभाव लेखक के मकान और उसके पड़ोसियों पर भी पड़ा। जेल के पास नाव चलने की नौबत आ गई। सेंट जोंस गर्ल्स स्कूल जलमग्न हो गया। गाँव के गाँव जलमग्न हो गए। काफी लोगों की मृत्यु हो गई। जो लोग घर से बाहर गए थे उनके लिए लौटना मुश्किल हो गया। आगरा फोर्ट के पास सड़क फट गई। बिजली के खंभे उखड़ गए। इस प्रकार कई स्थान बाढ़ की चपेट में बुरी तरह आ गए।

प्रश्न 4.
लेखक स्वयं को कब नारायण समझने लगा था?
उत्तर:
लेखक यह जानता था कि जल ही नारायण का निवास स्थान है। चूंकि अत्यधिक वर्षा के कारण उसके घर के चारों ओर तथा तहखाने में पानी भर गया था। इस दशा को देखकर वह स्वयं को नारायण समझने लगा था।

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प्रश्न 5.
लेखक अपने घर को मनु की नौका क्यों समझ रहा था?
उत्तर:
चूँकि बारिश बहुत हुई थी। उससे लेखक के घर के चारों ओर पानी भर गया। इससे सारा घर क्षतिग्रस्त हो गया था। इस टूटे-फूटे और जल में डूबते हुए अपने घर को देखकर लेखक उसे मनु की नौका समझ रहा था।

नर से नारायण लेखक-परिचय

प्रश्न 1.
बाबू गुलाबराय का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
बाबू गुलाबराय हिंदी के प्रसिद्ध समालोचक एवं निबंधकार थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा नगर में सन् 1888 ई० में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुई जो काफी सुदृढ़ और नियमित थी। बाद में वे आगरा विश्वविद्यालय के छात्र हो गए और वहाँ से उन्होंने दर्शनशास्त्र में एम.ए. करने के बाद एल.एल.बी. की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद वे छतरपुर के महाराज के निजी सचिव के रूप में कार्य करते रहे। इसके बाद आप एक रियासत के दीवान रहे और इस पद पर कुशलतापूर्वक कार्य किया।

महाराज के निधन के पश्चात् आप आगरा के सेंट जॉन्स कॉलेज में अध्यापन-कार्य करने लगे। आपने आगरा से निकलने वाले ‘साहित्य-संदेश’ के संपादक के रूप में कार्य करते हुए अपने चिंतन की प्रखरता और गंभीरता से साहित्य जगत् में अपना विशिष्ट स्थान बनाया था। उनकी विशिष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए आगरा विश्वविद्यालय ने इन्हें डी-लिट. की मानद उपाधि से सम्मानित किया था। इनका निधन 13 अप्रैल, सन् 1963 ई० में आगरा में हुआ।

साहित्यिक विशेषताएँ:
बाबू गुलाबराय का साहित्य विविधताओं से भरा हुआ है। उनकी रचनाओं में तर्कपूर्ण विश्लेषण के साथ-साथ भारतीय सिद्धांतों की सूक्ष्म विवेचना मिलती है। उन्होंने धर्म, दर्शन एवं साहित्य से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण विषयों पर निबंध लिखे हैं। उनके निबंध वर्णनात्मक, विवेचनात्मक और भावात्मक होने के साथ-साथ मनोवैज्ञानिकता से भरपूर हैं। उनके निबंधों में गंभीरता के साथ-साथ व्यंग्य और विनोद का पुट भी मिलता है। उनकी रचनाओं में एक विचित्र रस है जो पाठक और श्रोता को बाँधे रखता है। वे द्विवेदी युग के एक सशक्त एवं परिपक्व गद्यकार हैं। द्विवेदी युग में ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में गंभीर विवेचन करने वाले विद्वानों में आपका सर्वोच्च स्थान है।

रचनाएँ:
बाबू गुलाबराय ने गद्य-साहित्य की अनेक विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है। उनकी रचनाओं में मुख्य हैं –

  • काव्य-शास्त्र – नवरस, सिद्धांत और अध्ययन, काव्य के रूप, हिंदी नाट्य-विमर्श।
  • साहित्य का इतिहास – हिंदी साहित्य का सुबोध इतिहास।
  • आलोचना – अध्ययन और आस्वाद, हिंदी काव्य-विमर्श।
  • निबंध-संकलन – फिर निराश क्यों, मेरे निबंध, मनोवैज्ञानिक निबंध, जीवन-रश्मियाँ, व्यंग्य-ठलुआ क्लब, डॉक्टर साहब।
  • जीवनीपरक – मेरी असफलताएँ।

भाषा-शैली:
आपकी भाषा-शैली सरल, सुबोध एवं व्यावहारिक है। आपने गंभीर विषयों में संस्कृत प्रधान भाषा का प्रयोग किया है। उन्होंने अपनी रचनाओं में अरबी, फारसी, अंग्रेजी का प्रयोग किया है। मुहावरों और कहावतों के सटीक प्रयोग करने में आप सिद्धहस्त हैं।

महत्त्व:
हिंदी गद्य साहित्य में बाबू गुलाबराय का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने गद्य साहित्य की अनेक विधाओं की रचना कर, सशक्त और परिपक्व गद्यकार के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने हिंदी आलोचना और निबंध के क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान कर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है।

‘नर से नारायण’ पाठ का सारांश ।

प्रश्न 2.
बाबू गुलाबराय द्वारा लिखित निबंध ‘नर से नारायण’ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
इस निबंध की विषय-वस्तु ‘वर्षा’ केंद्रित है किंतु निबंधकार ने अपने आत्मगत विस्तार में अनेक विषयों का स्पर्श किया है। निबंध के प्रारंभ में अवर्षा की स्थिति से प्रभावित प्रकृति की ओर संकेत किया गया है, और बाद में अति वर्षा के कारण घर-गृहस्थी पर पड़ने वाले प्रभाव को व्यक्त किया है। सितंबर महीने में सब तरफ पानी का अभाव था लेकिन लेखक ने बीस रुपये व्यय करके खेत में चरी बो दी।

पानी की कमी के कारण चरी के नए पौधे सूखने लगे। खैर, किसानों की आह से आकाश में बादल उमड़ने-घुमड़ने लगे। आकाश में बादल का छाना क्या था, लेखक का मन प्रफुल्लित हो उठा। वह उनकी उपयोगिता की अपेक्षा उनके सौंदर्य से अधिक प्रभावित हुआ। वह घर से बाहर निकलकर वर्षा की छोटी-छोटी बूंदों का आनंद लेता हुआ इधर-उधर घूमने लगा। वर्षा की छटा और खेती के फलने-फूलने के उत्साह से भरा वह घर लौटा।

वर्षा में भीगने के कारण शरीर में स्फूर्ति का संचार हुआ और उससे प्रेरित होकर वह फौरन लिखने बैठ गया। कभी बाहर जाकर बादलों से घिरे आकाश का सौंदर्य निहारता तो कभी बगीचे में उगे शेफानी के फूलों ओर लताओं के सौंदर्य पर निगाह डालता। सचमुच वह बहुत प्रसन्न था। वर्षा लगातार हो रही थी। बहुत जल्दी घर के पीछे की ओर एक फुट पानी भर गया था, परंतु लेखक के लिए यह चिंता का विषय नहीं था। लेकिन जब घर के चारों ओर पानी भर गया तो उसके मन में आशंका उत्पन्न हो गई कि पानी के तालाब में कहीं बाढ़ आ गई तो? शीघ्र ही पास की जमीन का पानी लेखक की जमीन में आ गया।

पानी थोड़ी देर में रोशनदानों के मुँह तक पहुँच गया और पानी घर के अंदर गिरने लगा। लेखक को अपने घर के तहखाने के रोशनदानों पर बड़ा गर्व था। वह सभी आने वाले के सामने तहखाने में आर-पार वायु संचार की व्यवस्था का और टूटी-फूटी शान और स्वास्थ्य-विज्ञान संबंधी ज्ञान का प्रदर्शन करता था। इन्हीं रोशनदानों से तहखाने में पानी के झरने गिरने लगे। वर्षा के इस दौर में बिजली चली गई। चारों ओर घुप अंधकार हो गया। हाथ को हाथ नहीं सूझता था। लालटेन की खोज होने लगी। अँधेरे के कारण घर में दियासलाई मिलनी भी मुश्किल थी। जैसे-तैसे तेलरहि लालटेन मिली। एक टूटी-फूटी टॉर्च थी किंतु उसे ढूँढ़ना कठिन था। लेखक को लगा कि सेलरों से गिरते निर्झर उसकी मूर्खता की घोषणा कर रहे हों। घर के नौकर पड़ोस से लालटेन ले आए और हम सब शांतिपूर्वक घर में बैठ गए।

अभी तक लेखक को कोई खास चिंता नहीं थी। थोड़ी देर में पास के कमरे से आवाज आई, ‘चलियो’ नौकर ने चिल्लाकर कहा, ‘बाबूजी उधर ही रहना’, जमीन बैठ गई थी तथा फर्श के पत्थर आपस में सर से सर मिलाकर खड़े हो गए थे। भैंस का छप्पर भी तालाब बन चुका था। लेखक के पड़ोसी ने उनसे कहा कि कोई तकलीफ हो तो इधर आ जाना। थोड़ी देर में बरामदे और शयन कक्ष का फर्श भी बैट गया। बाद में पड़ोसी के घर में शरण ली। उन्होंने भैंस को भी अपने यहाँ आश्रय दिया। रात वहीं गुज़री। सुबह जब लेखक उठा तो उसे बाढ़ का भयंकर दृश्य दिखाई दिया। लेखक करुण हास्य के साथ जल-प्रवाह देखने लगा और स्वयं को कामायनी का मन ही नहीं नारायण समझने लगा। इस प्रकार लेखक बिना किए ही नर से नारायण बन गया।

उस दिन लेखक को सभी की सहानुभूति मिली। वर्षा के बाद घर से पानी निकालने का प्रयास असफल हो गया। अगले फायर ब्रिगेड ने पानी निकालने का असफल प्र किया। पाँचवें दिन इंजन लगाकर पानी निकाला गया। कोठी के चारों ओर मिट्टी डाली गई। इस प्रकार पूरे एक सप्ताह बाद जल-बाधा दूर हुई। – लेखक के घर का ही यह हाल नहीं था अपितु कई स्थानों पर ऐसा ही दृश्य दिखाई दे रहा था। बाढ़ में गाँव के गाँव जलमग्न हो गए। अनेक लोग मौत के शिकार हो गए। जो लोग घर से बाहर गए हुए थे उनको घर लौटना मुश्किल हो गया। सड़कें टूट गईं, पुल बह गए। सभी शिक्षा संस्थाओं में बाढ़-पीड़ितों को आश्रय दिया गया। सभी बाढ़-पीड़ितों की सहायता कर रहे थे। लेखक के परिवार को भी जैन बोर्डिंग में आश्रय मिला। लेखक ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह इस बाढ़ की पुनरावृत्ति न कराए।

नर से नारायण संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

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प्रश्न 1.
सितंबर के महीने में, पानी की त्राहि-त्राहि मची हुई थी। मैंने भी धर्म-पालन के लिए पास के एक खेत में चरी बो रखी थी। ज्वार की पत्तियाँ ऐंठ-ऐंठकर बत्तियाँ बन गई थीं। मैं भी जीव-दया प्रचारिणी सभा का भूतपूर्व मेम्बर होने के नाते नौनिहाल, किंतु अब तन-मन मुाए हुए नव-उम्र पौधों की बेकसी पर और अपनी गाढ़ी कमाई के बीस रुपयों की बरबादी पर दो-चार आँसू बहा देता। लेकिन उनसे होता क्या? यदि वे रीतिकालीन काव्यों की विरहिणी गोपिकाओं के समान भी होते, जिनसे कि समुद्र का पानी खारा हो गया था, तो भी वे खारा होने के कारण सिंचाई का काम न देते। खैर, फिर भी गरीब किसानों की सार को भस्म करने वाली आहों के बादल बनते दिखाई दिए, ‘दिग्दाहों से धूम उठे या जलधर उठे क्षितिज तट के।

ऐसा मालूम होने लगा कि अब दीनदयाल के कान में भनक पड़ी और शायद यह न कहना पड़े ‘का वर्षा जब कृषि सुखानी’। ‘धूम-धुआँरे कारे कजरारे’ श्याम घनों को देखकर मेरा। मन-मयूर नृत्य करने लगा। बादलों की उपयोगिता की अपेक्षा मैं उनके सौन्दर्य से अधिक प्रभावित होता हूँ। बाहर घूमता फिरा, नन्हीं-नन्हीं बूंदों के सुखद शीतल स्पर्श से पुलकित हुआ। आनंद और कर्त्तव्य तथा श्रेय-प्रेय का समन्वय करने कॉलेज भी गया। यद्यपि मेरी सदा छुट्टी-सी रहती है तो भी वर्षा के कारण कॉलेज बंद हो जाने से बालकपन के संस्कारोंवश प्रसन्नता का अनुभव किया। धुली-धुलाई सड़कों की स्निग्ध चमकीली छटा तथा चारों ओर के नयनाभिराम छायावादी आर्द्र सौंदर्य का आस्वादन करता हुआ हँसता-खेलता, खेती की ओर हर्ष-पूर्ण दृष्टिपात करता हुआ उमंगभरे हृदय के साथ घर लौटा। (Page 5)

शब्दार्थ:

  • त्राहि-त्राहि करना – किसी आपदा के समय रक्षा के लिए प्रार्थना करना, गुहार लगाना।
  • जीव-दया – जीवों पर दया करना।
  • बेबसी – विवशता।
  • गाढ़ी कमाई – परिश्रम की कमाई।
  • आँसू बहाना – दुख व्यक्त करना।
  • विरहिणी – वियोगिनी।
  • सार – किसी पदार्थ का मुख्य या मूल भाग।
  • दिग्दाह – दिशाओं का जलना।
  • जलघर – बादल।
  • क्षितिज – वह काल्पनिक रेखा जहाँ पृथ्वी और आकाश मिलते प्रतीत होते हैं।
  • दीनदयाल – ईश्वर, भगवान।
  • कान में भनक पड़ना – जानकारी होना।
  • का वर्षा जब कृषि सुखानी – खेती सूखने पर वर्षा होने का क्या लाभ।
  • श्याम घन – काले बादल।
  • पुलकित – आनंदित होना, प्रसन्न होना।
  • छटा – शोभा।
  • उमंग – उत्साह।
  • स्निग्ध – चिकनी।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश बाबू गुलाबराय द्वारा लिखित निबंध ‘नर से नारायण’ से उद्धृत है। इस पद में लेखक ने अवर्षा की स्थिति से प्रभावित प्रकृति की ओर संकेत किया है। बाद में आकाश में बादल छा जाते हैं। लेखक प्रफुल्लित हो जाता है। अपनी मनःस्थिति का वर्णन करते हुए वह कहता है –

व्याख्या:
सितंबर महीने तक वर्षा न होने के कारण पानी की कमी के कारण सभी इंद्रदेवता से सूखे से रक्षा करने के लिए गुहार लगा रहे थे। लेखक कहता है कि उसने भी धर्म का पालन करने के लिए पास के एक खेत में चरी बो रखी थी। पानी की कमी के कारण खेत में खड़ी ज्वार के पौधों की पत्तियाँ सूखकर, ऐंठकर बत्तियों-सी बन गई थीं। अर्थात् ज्वार की फसल सूखकर नष्ट हो रही थी। लेखक जीवों पर दया करने का प्रचार करने वाली संस्था का भूतपूर्व नौजवान सदस्य था। किंतु अब सूखे की स्थिति के कारण खेत में उत्पन्न नए-नए पौधों के तन-मन से मुरझाते जाने की विवशता और अपनी मेहनत से कमाये गए बीस रुपयों के बरबाद होते चले जाने पर आँसू बहाकर दुख व्यक्त कर रहा था।

अर्थात् लेखक ने अपनी मेहनत की कमाई के बीस रुपयों से चरी के बीज खेत में बोए थे। उनमें अंकुर फूटकर पौंधे बन गए थे किंतु पानी के अभाव के कारण चरी के वे नए पौधे सूखने लगे थे। लेखक को अपने बीस रुपये बरबाद होने का दुख हो रहा था। परंतु उसके दुख व्यक्त करने से कुछ होने वाला नहीं था। यदि उसके आँसू रीतिकालीन काव्यों की वियोगिनी नायिकाओं की भाँति भी होते, जिनके आँसुओं के कारण समुद्र का पानी खारा हो गया था, तो भी आँसुओं के खारा होने के कारण सिंचाई के काम न आते। इस प्रकार रीतिकालीन कवियों ने वियोगिनी नायिकाओं के आँसुओं का बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन किया है। उनके आँसुओं के समुद्र में मिलने के कारण समुद्र का पानी खारा हो गया था।

फिर भी गरीब किसानों की किसी पदार्थ को भस्म करने वाली आहों (कराहने की आवाज) से आकाश में बादल छाते दिखाई पड़ने लगे। उन किसानों की आहों से दिशाओं के जलने से धुआँ उठा या क्षितिज के किनारे बादल उठे, यह निश्चित नहीं हो रहा था। लेकिन आकाश में उठे बादलों को देखकर ऐसा लगता था कि दीन-दुखियों पर दया करने वाले ईश्वर के कानों में अब उनकी आवाज पहुँच गई है और संभवतः यह न कहना पड़ेगा कि कृषि (खेती) सूखने पर वर्षा होने का क्या लाभ? निस्संदेह काले बादलों को देखकर लगता था कि अब वर्षा होगी और खेती सूखने से बच जाएगी। लेखक कहता है कि आकाश में काजल के समान काले-काले बादलों को उमड़ते-घुमड़ते देखकर उसका मन प्रसन्नता से झूम उठा।

वह बादलों की उपयोगिता के स्थान पर उनकी सुंदरता से अधिक प्रभावित होता है। वह वर्षा की छोटी-छोटी बूंदों का आनंद लेते हुए घर से बाहर निकल पड़ता है। घूमते-फिरते बूंदों के सुख देने वाले ठंडे स्पर्श से प्रसन्न हो उठा। आनंद और कर्त्तव्य तथा श्रेय-प्रेय का समन्वय करने के लिए वर्षा में ही कॉलेज भी चला गया। यह बात अलग है कि उसकी तो सदा छुट्टी ही रहती है तब भी वर्षा में कॉलेज बंद हो जाने के कारण बालकपन के संस्कारों के कारण प्रसन्नता का अनुभव किया।

अर्थात् जैसे बालकपन में वर्षा के कारण स्कूल बंद होने पर आनंद का, प्रसन्नता का अनुभव होता था उसी प्रकार अब कॉलेज के बंद होने पर प्रसन्नता का अनुभव हुआ। वर्षा के कारण धुलकर साफ़-सुथरी हुई सड़कों की चमकीली शोभा तथा प्रकृति में चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य का रसपान करता हुआ तथा हँसता-खेलता हुआ, खेतों की ओर प्रसन्नतापूर्वक देखता हुआ, उत्साहभरे हृदय से वापस आया।

विशेष:

  1. इन पंक्तियों में लेखक ने अवर्षा के प्रभाव का वर्णन किया है। बाद में वर्षा होने के प्रभाव को व्यक्त किया है। वर्षा के प्राकृतिक सौंदर्य का आकर्षक चित्रण किया गया है।
  2. भाषा संस्कृत प्रधान है।
  3. शैली वर्णनात्मक एवं आत्मनिष्ठ है।
  4. मुहावरों और लोकोक्तियों के कारण गद्यांश आकर्षक बन पड़ा है।
  5. लोकोक्तियों के प्रयोग से सजीवता आ गई है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
लेखक ने किस धर्म-पालन की बात की है?
उत्तर:
लेखक ने खेती करने के धर्म-पालन की बात की है। धर्म-पालन के लिए उसने खेत में चरी बोई थी।

प्रश्न (ii)
ज्वार की पत्तियाँ ऐंठ-ऐंठकर बत्तियाँ क्यों बन गई थीं?
उत्तर:
पानी की कमी के कारण ज्वार की पत्तियाँ ऐंठकर बत्तियाँ बन गई थीं।

प्रश्न (iii)
किसानों की आहों का क्या प्रभाव हुआ?
उत्तर:
किसानों की आहों का यह असर हुआ कि आकाश में बादल उमड़ने-घुमड़ने लगे।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
लेखक किंस संस्था का भूतपूर्व सदस्य था?
उत्तर:
लेखक जीव-दया प्रचारिणी सभा का भूतपूर्व सदस्य था।

प्रश्न (ii)
आँसुओं का पानी कैसा होता है?
उत्तर:
आँसुओं का पानी खारा होता है। इस कारण सिंचाई के काम नहीं आ सकता।

प्रश्न (iii)
लेखक बादलों के किस रूप से प्रभावित होता है?
उत्तर:
लेखक बादलों के सौंदर्य रूप से अधिक प्रभावित होता है।

प्रश्न 2.
मैं अपने तहखाने के रोशनदानों पर गर्व किया करता था कि मैं उनके कारण सायंकाल को भी वहाँ बैठकर लिख-पढ़ सकता था। जो महाशय मेरा मकान देखने की कृपा करते, उनसे मैं आर-पार वायु संचार की तारीफ बड़ी प्रसन्नता के साथ करता था, क्योंकि उससे मुझे अपनी टूटी-फूटी शान और स्वास्थ्य-विज्ञान संबंधी ज्ञान के प्रदर्शन का मौका मिल जाता। सौंदर्यप्रिय होते हुए भी तहखाने के झरनों के पुष्ट मांसल सौंदर्य का आस्वादन न कर सका। यदि घर फूंक तमाशा भी देखना चाहता तो नामुमकिन हो गया था।

एक साथ बिजली ठप्प हो गई। घर फूंक तमाशा देखने वाले को कम से कम प्रकाश की तो जरूरत नहीं होती। यहाँ तो पूर्व जन्म के पापों के उदय होने के कारण ‘असूर्या नाम ते लोकाः अन्धेन तमसावृताः’ का दृश्य. उपस्थित हो गया। घनी कालिमा बिना स्तर-स्तर जमे ही पीन होने लगी। सूची-भेद्य अंधकार का साम्राज्य हो गया। हाथ को हाथ नहीं सूझता था। बाइबिल के आदर्श दानी की भाँति दायाँ हाथ बाएँ हाथ की बात नहीं जान सकता था। सर से सर टकराने की नौबत आ गई थी। लालटेन की पुकार होने लगी। (Pages 5-6)

शब्दार्थ:

  • तहखाना – जमीन के नीचे बना हुआ कमरा।
  • गर्व – घमंड, अभिमान।
  • तारीफ़ – प्रशंसा।
  • मांसल – मांस से भरा हुआ, पुष्ट।
  • आस्वादन – स्वाद लेना।
  • नामुमकिन – असंभव।
  • पीन-भरा – पूरा, स्थूल।
  • नौबत – स्थिति।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश बाबू गुलाबराय द्वारा लिखित निबंध ‘नर से नारायण’ से लिया गया है। लेखक अपनी कोठी में बने तहखाने का वर्णन करने के साथ-साथ, वर्षा के प्रभाव का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या:
लेखक कहता है कि कोठी में जमीन के अंदर बने कमरे (तहखाने) के रोशनदानों पर उसे बड़ा घमंड था, क्योंकि इन रोशनदानों से रोशनी के साथ-साथ वायु का आवागमन निरंतर होता रहता था। इन्हीं रोशनदानों के कारण वह तहखाने में बैठकर शाम को भी लेखन-कार्य कर सकता था। जो भी व्यक्ति लेखक का मकान देखने आता, लेखक उन्हें अपने तहखाने को दिखाता और उसमें वायु के आने-जाने के लिए बने रोशनदानों की बड़ाई करता। वायु संचार की व्यवस्था बताता। इसके कारण लेखक को अपनी झूठी शान और स्वास्थ्य-विज्ञान संबंधी अपनी शान का दिखावा करने का अवसर मिलता था।

लेखक कहता है कि वह सौंदर्यप्रिय होते हुए भी तहखाने के रोशनदानों से तहखाने के अंदर गिरने वाले बाढ़ के पानी के झरनों के मांस से भरे हुए अर्थात् पुष्ट सौंदर्य के स्वाद का आनंद नहीं ले सका। परंतु यदि वह हानि उठाकर प्रसन्न होना चाहता तो भी यह असंभव हो गया था। अर्थात् तहखाने में रोशनदानों से बाढ़ का पानी भर गया था, अतः उसमें गिरने वाले बाढ़ के पानी के झरनों के सौंदर्य का आनंद लेना संभव नहीं था।

हानि उठाकर प्रसन्न होने के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है क्योंकि अंधकार में सौंदर्य को नहीं देखा जा सकता। यहाँ तो स्थिति यह हो गई थी कि पिछले जन्म के पापों के कारण असूर्या के नाम लेने मात्र से ही जैसे संसार में अंधकार फैल जाता है, उसी प्रकार पूरे मकान में बिजली चली जाने के कारण अंधकार फैल जाने का दृश्य उपस्थित हो गया था।

अँधेरे के कारण हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। बाइबिल में वर्णित दानी की तरह दायाँ हाथ बाएँ हाथ की बात नहीं जान सकता था। अर्थात् बाइबिल में कहा गया है. कि दान देते समय एक हाथ दूसरे हाथ की बात न जान पाए, वही श्रेष्ठ दान होता है। अंधकार के कारण घर के सदस्यों के बीच परस्पर टकराने की स्थिति आ गई थी। कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। ऐसी स्थिति में लालटेन की तलाश होने लगी।

विशेष:

  1. लेखक ने मकान में बने तहखाने के हवा और प्रकाशयुक्त होने का वर्णन करने के साथ-साथ उसमें बने रोशनदानों से बाढ़ का पानी अंदर घुसने का वर्णन किया है।
  2. बिजली जाने की स्थिति का वर्णन किया है।
  3. भाषा संस्कृत प्रधान है।
  4. मुहावरों और लोकोक्तियों का सटीक प्रयोग किया गया है।
  5. वर्णनात्मक शैली के साथ-साथ उदाहरण शैली प्रयुक्त है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
लेखक को किस पर और क्यों गर्व था?
उत्तर:
लेखक को तहखाने में बने रोशनदानों पर बड़ा गर्व था क्योंकि उनसे प्रकाश के साथ-साथ वायु का आर-पार संचार होता था।

प्रश्न (ii)
तहखाने के झरने किसे कहा गया है?
उत्तर:
तहखाने के रोशनदानों से उसके अंदर गिरते बाढ़ के पानी की धाराओं को तहखाने के झरने कहा गया है।

प्रश्न (iii)
‘हाथ को हाथ न सूझना’ मुहावरे का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गहन अंधकार होना।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
तहखाने में अंधकार क्यों हो गया था?
उत्तर:
बिजली गुल हो जाने के कारण तहखाने में क्या पूरे घर में अंधकार हो गया था।

प्रश्न (ii)
किसको प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती?
उत्तर:
घर फूंककर तमाशा देखने वाले को प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न (iii)
लालटेन की पुकार क्यों होने लगी?
उत्तर:
बिजली गुल होने के कारण गहनं अंधकार हो गया, किसी को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, इसलिए लालटेन की पुकार होने लगी।

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प्रश्न 3.
मैं अपने हाल को नूह की किश्ती या मनु की नौका समझ रहा था। उस समय तक भी, चिंता की प्रथम रेखा मेरे ललाट के प्रांगण में खेलती हुई नहीं दिखाई दी, किंतु थोड़ी ही देर में पास के कमरे से ‘चलियो’ की आवाज आई। मेरे बाग के माली श्री मंगलदेव जी मेरे मंगल-विधान में सदा दत्तचित्त रहते थेचिल्ला उठे, ‘बाबू जी उधर ही रहना।’ मैं समझा कहीं से साँप आ गया। खैर, यह भी सही। मेरे दूसरे चाकर देव श्री रणधीर जी ने बड़ी धीरतापूर्वक कहा कि कुछ नहीं, जमीन बैठ गई है। बड़े आदमियों की भाँति उसकी बात भी आधी सच थी।

जमीन बैठी थी और फर्श के पत्थर आपस में सर से सर मिलाकर खड़े हो गए थे, मानो वे सचेत होकर मेरे परित्राण का उपाय सोच रहे हों। उसी समय मेरी गुर्विणी महिषी (भैंस) की, जिसको कलियुग के व्यास जी ने अपनी कविता से अमर कर दिया है, समस्या मेरे सामने आई। उसका छप्पर भी तालाब बन चुका था। उस पर भी एक त्रिपाल डालकर उसे दरवाजे पर खड़ा किया। बहुत कोशिश करने पर . भी बरामदे में पैर न रखा, शायद वह जानती थी कि उसका भी फर्श धसकेगा। (Page 6) (M.P 2009)

शब्दार्थ:

  • नूह – आदम से दसवीं पीढ़ी में पैदा हुए एक पैगंबर (जिनके समय में एक ऐसा तूफान आया था कि सारी सृष्टि जलमग्न हो गई थी। उस समय अपने परिवार तथा जानवरों के एक-एक जोड़े के साथ स्वनिर्मित नौका में बैठाकर इन्होंने सबके प्राण बचाए थे और उन्हीं से पुनः सृष्टि चली।
  • मनु – ब्रह्म के मानस पुत्र आदि प्रजापति।
  • किश्ती – नौका।
  • ललाट – माथा।
  • चाकर – नौकर, सेवक।
  • परित्राण – रक्षा।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश बाबू गुलाबराय द्वारा लिखित निबंध ‘नर से नारायण’ से लिया गया है। इन पंक्तियों में अति बारिश के कारण लेखक के मकान पर होने वाले प्रभाव का वर्णन किया गया है। वर्षा ने उसके घर को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है।

व्याख्या:
वर्षा की अधिकता के कारण लेखक के मकान के चारों ओर पानी भर गया और पूरा घर जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गया। कहीं फर्श टूट गया तो कहीं जमीन धंस गई। लेखक स्वयं को इस स्थिति में अपने जलमग्न घर को नूह की नौका अथवा मनु की नौका समझ रहा था। नूह और मनु ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने जल प्रलय की स्थिति में नौका में बैठकर अपने प्राण बचाए थे और उन्हीं से सृष्टि चली थी। जब तक घर चारों ओर से जलमग्न हो रहा था तब तक लेखक के माथे पर चिंता की एक भी रेखा दिखाई नहीं दी थी, किंतु जब पास के कमरे से चलियो’ की आवाज आई तो वह चिंतित हो उठा।

उसके बाग की देखभाल करने वाले माली मंगलदेव जी जो उसके हित के लिए सदैव दत्तचित्त होकर काम में लगे रहते थे, उन्होंने चिल्लाकर कहा, “बाबूजी उधर ही रहना।” लेखक को कुछ स्पष्ट समझ नहीं आया। उसे लगा कि कोई साँप आ गया होगा, जिसके कारण मंगलदेव ने उधर आने से मना किया होगा। लेखक ने सोचा, चलो यह भी होना था। उनके दूसरे सेवक जिसका नाम रणधीर था, अपने नाम को सार्थक करते हुए बड़े धैर्य के साथ कहा कि कुछ नहीं हुआ, केवल जमीन बैठ गई है। लेखक कहता है जिस प्रकार बड़े आदमियों की बात आधी ही सच होती है, उसी प्रकार मेरे नौकर की बात भी आधी सच थी। जमीन तो धंसी ही थी उसके साथ फर्श भी बैठ गया था। फर्श के पत्थर उखड़कर एक-दूसरे के किनारे से मिलकर खड़े हो गए।

अर्थात् फर्श भी टूट-फूट गया था। फर्श के खड़े हुए पत्थर ऐसे प्रतीत होते थे, मानो वे खड़े होकर लेखक की रक्षा का उपाय सोच रहे हों। उसी समय लेखक की गुणवंती भैंस, जिसको कलयुग के व्यासजी ने अपनी कविताओं का विषय बनाकर अमर बना दिया है, की समस्या उसके सामने उत्पन्न हो गई। भैंस को जिस छप्पर में बाँधा जाता था वह छप्पर भी अतिवर्षा से तालाब बन गया। अतः भैंस पर एक त्रिपाल डालकर घर के दरवाजे पर खड़ा किया गया। उसे बरामदे में बाँधने का बहुत प्रयत्न किया गया, परंतु उसने बरामदे में पैर नहीं रखा। संभवतः वह जानती थी कि उसका फर्श भी नीचे धंस जाएगा। बाद में बरामदे का फर्श भी बैठ गया।

विशेष:

  1. लेखक ने अतिवर्षा के कारण क्षतिग्रस्त हुए मकान की दुर्दशा का वर्णन किया है। नूह और मनु जैसे पौराणिक पात्रों की ओर संकेत किया गया है।
  2. भाषा संस्कृत प्रधान है।
  3. मुहावरों का सटीक प्रयोग हुआ है।
  4. वर्णनात्मक और उदाहरण शैली है।
  5. व्यंग्यात्मकता का समावेश है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
लेखक के ललाट पर किस समय तक चिंता की प्रथम रेखा नहींदिखाई दी।
उत्तर:
जब लेखक का पूरा मकान बाढ़ के पानी में घिरता रहा, तब तक उसके ललाट पर चिंता की एक रेखा नहीं दिखाई दी।

प्रश्न (ii)
लेखक ने स्वयं के हाल को नूह की किश्ती या मनु की नौका क्यों समझता रहा था?
उत्तर:
प्रलयकाल में जब सारी पृथ्वी जलमग्न हो गई थी तो नूह अथवा मनु ने नाव में बैठकर जल-प्रवाह से अपने प्राणों की रक्षा की थी। लेखक भी जिस हाल में बैठा था, उसे ही प्राणों की रक्षा करने वाली नौका समझ रहा था।

प्रश्न (iii)
माली मंगलदेव के चिल्लाने का लेखन ने क्या अर्थ निकाला?
उत्तर:
माली मंगलदेव के चिल्लाने का लेखक ने अर्थ निकाला कि कोई साँप आ गया होगा।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
लेखक ने अपने नौकर रणधीर की किस बात पर व्यंग्य किया है?
उत्तर:
लेखक ने रणधीर द्वारा बड़े धैर्य के साथ कही गई इस बात पर व्यंग्य किया है कि कुछ नहीं हुआ, जमीन बैठ गई है। अर्थात् नौकर की दृष्टि में जमीन बैठना कोई बड़ी बात नहीं थी।

प्रश्न (ii)
कलियुग का व्यास किसे कहा गया है?
उत्तर:
कलियुग का व्यास आजकल के कवियों को कहा गया है।

प्रश्न (iii)
लेखक के सामने भैंस की क्या समस्या आई?
उत्तर:
भैंस को जिस छप्पर में रखा जाता था, वह भी जलमग्न होकर तालाब बन गया था। अब लेखक के सामने भैंस को बचाने की समस्या उत्पन्न हो गई।

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प्रश्न 4.
मेरे एक पड़ोसी श्री बनर्जी साहब अपनी व्यवहार-कुशलता की दिव्य दृष्टि से मेरा भविष्य देख चुके थे। वे शाम को ही कह गए थे कि यदि कोई तकलीफ ही तो उनका मकान मेरे ‘डिसपोजल’ पर है। उस समय तो मैंने उनका सहानुभूतिपूर्ण निमंत्रण स्वीकार नहीं किया था, किंतु जब मेरे घर के सामने भी पानी बहने लगा और मेरा मकान प्रायद्वीप बन गया, बरामदे और शयनागार का भी फर्श बैठ गया और उनकी टाइलें मेरे बैठते हुए दिल की समता करने लगी तब जल्दी से मैंने बनर्जी साहब का निमंत्रण स्वीकार किया।

मकान में ताला लगाकर उनका द्वार खटखटाया। उन्होंने मुझे, मेरे नौकर तथा मेरी भैंस को अपने यहाँ आश्रय दिया। चिंता-ग्रस्त मनुष्य को जितनी निद्रा आ सकती है, उतनी ही नहीं उससे कुछ अधिक निद्रा मुझे आई, क्योंकि कोठी के लिए तो मैंने कड़ा जी कर मन में सोच लिया था, ‘इदन्न मम, इदं वरुणाय।’ निद्रा भंग करने की यदि कोई बात थी तो पड़ोस के सज्जनों और सज्जनाओं की करुण पुकार थी। मेरी भैंस तो सुरक्षित थी किंतु गरीब लोगों के जानवर चिल्ला रहे थे। बहुत कोशिश करने पर भी मैं उनकी कुछ सहायता न कर सका। अंधकार और जल के कारण ‘समुझ परहिं नहि पंथ’ की बात हो रही थी। (Page 6)

शब्दार्थ:

  • व्यवहार-कुशलता – आचरण की निपुणता।
  • दिव्य दृष्टि – सूक्ष्म दृष्टि, आंतरिक दृष्टि।
  • डिसपोजल – व्यवस्था, प्रबंध, अधिकार।
  • प्रायद्वीप – पानी से चारों ओर से घिरी भूमि।
  • निद्रा – नींद।
  • शयनागार – शयन कक्ष।
  • समता – समानता।
  • करुण – दयनीय।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश बाबू गुलाबराय द्वारा लिखित निबंध ‘नर से नारायण’ से लिया गया है। लेखक का मकान बाढ़ के पानी से घिर गया था। कहीं जमीन धंस गई थी । तो कहीं फर्श बैठ गया था। उनके पड़ोसी बनर्जी ने लेखक से किसी भी तकलीफ में अपने घर में आश्रय लेने का प्रस्ताव रखा था। अंत में लेखक के परिवार को उनके घर में शरण लेनी पड़ी। इसी घटना का वर्णन उपर्युक्त पंक्तियों में किया गया है।

व्याख्या:
मेरे एक पड़ोसी श्री बनर्जी साहब अपनी आचार निपुणता की आंतरिक दृष्टि से मेरा भविष्य देख चुके थे। अर्थात् बनर्जी साहब लेखक के मकान की क्षतिग्रस्त स्थिति का अनुमान लगा चुके थे। इसीलिए एक पड़ोसी के नाते लेखक के घर आकर कह गए थे कि यदि कोई कठिनाई हो तो उनके घर का प्रयोग कर सकते हैं। उनका मकान लेखक के लिए प्रस्तुत है। उस समय तो लेखक ने उनका सहानुभूति से भरा निमंत्रण ठुकरा दिया था परंतु जब लेखक के घर के सामने भी पानी बहने लगा और उसके घर के चारों ओर पानी भरने से उसका घर प्रायद्वीप जैसा बन गया, उसके रहने, बैठने और सोने के लिए कोई स्थान नहीं रहा तब उसके निराश हृदय ने शीघ्रता से अपने पड़ोसी का निमंत्रण स्वीकार कर लिया।

वह अपने मकान में ताला लगाकर पड़ोसी के घर परिवार सहित पहुँचा और उनका दरवाजा खटखटाया। पड़ोसी ने लेखक और उनके सेवकों और उनकी भैंस को शरण दी। चिंता में डूबे मनुष्य को जितनी नींद आ सकती है, उससे अधिक नींद लेखक को आई क्योंकि उन्होंने अपनी कोठी के संबंध में अपना मन दृढ़ कर सोच लिया था कि यह मेरा नहीं है, यह इंद्र का है। लेखक कहता है कि यदि नींद भंग होने या करने की कोई बात अथवा कारण था तो पड़ोस में काछी और कुम्हार स्त्री-पुरुष की करुण पुकार थी। लेखक की भैंस तो सुरक्षित थी किंतु उन गरीब लोगों के जानवर डूबने के भय से चिल्ला रहे थे। लेखक कहता है कि मैं प्रयास करने के बाद भी उनकी जरा भी मदद नहीं कर पाया। अंधकार और पानी के भर जाने के कारण दूसरों के लिए कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था।

विशेष:

  1. लेखक ने अपने पड़ोसी की व्यवहार-कुशलता का परिचय दिया है। पड़ोसी ने लेखक को अपने घर में आश्रय देकर अच्छे पड़ोसी होने का कर्त्तव्य निभाया है।
  2. भाषा संस्कृत प्रधान है। संस्कृत के पूरे-पूरे वाक्य का भी प्रयोग किया गया है। भाषा में अंग्रेजी शब्द ‘डिसपोजल’ का भी प्रयोग हुआ है।
  3. भाषा में मुहावरों का भी सटीक प्रयोग हुआ है।
  4. वर्णनात्मक और उद्धरणात्मक शैली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
बनर्जी साहब लेखक का क्या भविष्य देख चके थे?
उत्तर:
वे लेखक के घर की स्थिति देखकर अनुमान लगा चुके थे कि उन्हें भविष्य में कष्ट होने वाला है।

प्रश्न (ii)
बनर्जी ने लेखक के सामने क्या प्रस्ताव रखा?
उत्तर:
लेखक के सामने बनर्जी ने प्रस्ताव रखा कि बाढ़ के प्रकोप से बचने के लिए वे सपरिवार उसके घर में आश्रय ले सकते हैं।

प्रश्न (iii)
लेखक ने अपने पड़ोसी बनर्जी के घर में आश्रय क्यों लिया?
उत्तर:
लेखक का घर पानी से घिर गया था। उसके तहखाने में पानी भर गया था तथा बरामदे और शयन कक्ष का फर्श बैठ गया था। उनके सुरक्षित रहने के लिए कोई स्थान नहीं बचा था। इसलिए लेखक ने पड़ोसी के घर में आश्रय लिया था।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
लेखक के पड़ोसी कौन थे?
उत्तर:
लेखक के पड़ोसी श्री बनर्जी साहब थे।

प्रश्न (ii)
पड़ोसी के घर में लेखक को कैसी नींद आई?
उत्तर:
पड़ोसी के घर में लेखक को चिंता में डूबे व्यक्ति से कुछ अधिक नींद आई।

प्रश्न (iii)
लेखक ने नींद भंग करने के क्या कारण बत 7 हैं?
उत्तर:
लेखक ने गरीब काछी-कुम्हारों की स्त्री-पुरुषों की क प पुकार और उनके जानवरों के चिल्लाने की आवाजों को नींद भंग करने के कारण बताए हैं।

MP Board Class 12th Hindi Solutions

MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 20 भू का त्रास हरो

MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 20 भू का त्रास हरो (कविता, रामधारी सिंह ‘दिनकर’)

भू का त्रास हरो पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

भू का त्रास हरो लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि के अनुसार राजाओं से भी पूज्य कौन है?
उत्तर:
कवि के अनुसार राजाओं से भी पूज्य कवि, कलाकार और ज्ञानीजन हैं।

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प्रश्न 2.
कविता में नृप समाज का उल्लेख किस रूप में हुआ है?
उत्तर:
कविता में नृप-समाज का उल्लेख मदांध शासक के रूप में हुआ है।

प्रश्न 3.
कवि ज्ञानियों को क्या धारण करने का उपदेश देता है?
उत्तर:
कवि ज्ञानियों को मदांध शासकों को सबक सिखाने के लिए तलवार धारण करने का उपदेश देता है।

भू का त्रास हरो दीर्घउत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि का भोगी भूप से क्या आशय है?
उत्तर:
कवि का भोगी नृप से आशय है ऐसे अविचारी, विलासी और मदांध शासक से जो प्रजा की भलाई के लिए कुछ नहीं करता है। केवल तलवार की ताकत से अपनी सत्ता को सुरक्षित रखता है।

प्रश्न 2.
कवि ने अविचारी नृप समाज के साथ कैसा व्यवहार करने के लिए प्रेरित किया है?
उत्तर:
कवि ने अविचारी नृप समाज के साथ कठोरतापूर्ण व्यवहार करने के लिए प्रेरित किया है। उसने उसको सबक सिखाने के लिए ज्ञानीजनों को यहाँ तक प्रेरित किया है कि जरूरत पड़े तो उन्हें तलवार भी उठाने से तनिक संकोच नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 3.
‘आग में पड़ी धरती’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आग में पड़ी धरती’ से कवि का तात्पर्य है-चारों ओर फैली अव्यवस्था, अजराकता, अभाव, अशान्ति, अमानवता और असुरक्षा का फैलता दूषित वातावरण। इस प्रकार के वातावरण का निकट भविष्य में कोई सुधार का उपाय दिखाई नहीं दे रहा है। इसलिए कवि ने ज्ञानियों को तलवार धारण कर सभी प्रकार के अन्याय और अत्याचार को समाप्त करने के लिए प्रेरित किया है। ऐसा इसलिए कि संसार को उनसे ही यह आशा है और वे इसके लिए सक्षम और समर्थ हैं।

भू का त्रास हरो भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न.

  1. ‘जब तक भोगी भूप प्रजाओं के नेता कहलाएँगे’ का भाव पल्लवन कीजिए।
  2. ‘भूप समझता नहीं और कुछ छोड़ खड्ग भाषा को’ इस पंक्ति का अपने शब्दों में विस्तार कीजिए।
  3. निम्नांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए(क) “रोक-टोक से नहीं सुनेगा…..वह तुम त्रास हरो।”

उत्तर:
1. “जब तक भोगी भूप प्रजाओं के नेता कहलाएँगे” का भाव यह है कि जब तक अविचारी और विलासी शासक प्रजाहित में कार्य नहीं करेगा, तब तक कवियों, कलाकारों और ज्ञानियों को मान-सम्मान प्राप्त नहीं होगा। चारों ओर अत्याचार और दुखद वातावरण बना रहेगा। उससे जीवन खतरे में पड़ जाएगा।

2. “भूप समझता नहीं और कुछ छोड़ खड्ग की भाषा’ इस काव्य-पंक्ति के द्वारा कवि ने यह कहना चाहा है कि सत्ता से मदान्ध शासक निश्चित रूप से अविचारी और विलासी होता है। वह प्रजाहित में कुछ भी नहीं करता है। वह तो केवल तलवार की ताकत से ही अपनी सत्ता को सुरक्षित रखता है और इसी को ही महत्त्व देता है। फलस्वरूप वह कवियों, कलाकारों और ज्ञानियों का अनादर करता है। इस प्रकार वह किसी की अच्छी बात नहीं सुनता है। उसे तो केवल ज्ञानीजन ही तलवार उठाकर सबक सिखा सकते हैं।

3. ‘रोक-टोक से नहीं सुनेगा…..वह तुम त्रास हरो।”
व्याख्या:
सुख-सुविधाओं में डूबा हुआ और सत्ता के मद से अंधा बना हुआ शासक वर्ग ज्ञानीजनों की सीख पर किसी प्रकार का ध्यान नहीं देता है। दुखी प्रजा के विरोध करने पर भी यह अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आता है। इसलिए यह तो वास्तव में विचारहीन है। यह सत्ता के मद से इतना अंधा हो चुका होता है कि गर्दन काटनेवाली कुल्हाड़ी ही इसके सुधार का एकमात्र उपाय है। यह इसलिए भी इसका ही पात्र है। कवि का पुनः कहना है कि वह इसीलिए ज्ञानीजनों से अब कह रहा है कि ऐसे मदान्ध शासकों को सबक सिखाने के लिए उन्हें तलवार भी उठानी पड़े तो इसके लिए उन्हें हमेशा तैयार रहना चाहिए। इस तरह इस धरती पर फैले हुए दुख-अभाव को जो कोई भी हर न सका, उसे हरने के लिए उन्हें हर प्रकार से कमर कस लेनी चाहिए।

भू का त्रास हरो भाषा अध्ययन

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प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए –
(क) कविता की रचना करने वाला
(ख) विज्ञान में विशेष निपुण
(ग) कलाओं का सृजन करने वाला
(घ) अभिमान करने वाला।’
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 20 भू का त्रास हरो img-1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द अनेकार्थी हैं, इन शब्दों के विभिन्न अर्थ दर्शाने वाले वाक्य बनाओ –
कनक, पद, पक्ष, विधि।
उत्तर:

  • कनक – धतूरा, सोना
  • पद – पैर, ओहदा
  • पक्ष – पन्द्रह दिन का समय, पंख
  • विधि – कानून, ढंग।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद कर सन्धि का नाम लिखिएउज्ज्वल, मदान्ध, निष्ठुर, उद्धार।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 20 भू का त्रास हरो img-2

भू का त्रास हरो योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
आप अपना आदर्श किसे मानते हैं? अपने आदर्श के प्रमुख गुणों को लिखिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

प्रश्न 2.
यदि आपको अपने जीवन में समाज का नेतृत्व करने का अवसर प्राप्त होता है तो आप क्या-क्या कार्य करेंगे, लिखिए?
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

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प्रश्न 3.
एक आदर्श नेता में आप किन-किन गुणों को देखना चाहते हैं, सूची बनाइए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

भू का त्रास हरो परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

भू का त्रास हरो लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जनता के हितों की अनदेखी कौन करता है?
उत्तर:
जनता के हितों की अनदेखी अविचारी और मदांध शासक करता है।

प्रश्न 2. अपमान सहकर भी मानवता की कौन चिन्ता करता है?
उत्तर:
अपमान सहकर मानवता की चिन्ता कवि, कलाकार और ज्ञानी करते हैं।

प्रश्न 3.
आज के कवि, कलाकार और ज्ञानी किस तरह का जीवन जीने के लिए मजबूर हैं?
उत्तर:
आजकल के कवि, कलाकार और ज्ञानी भोजन-वस्त्र से हीन, अपमानित और दीनता का जीवन जीने के लिए मजबूर हैं।

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प्रश्न 4.
‘भू का त्रास’ आज तक कोई क्यों नहीं हर सका?
उत्तर:
भू का त्रास’ आज तक कोई नहीं हर सका, क्योंकि मदान्ध और अविचारी शासक का विरोध कर उसे सबक सिखाने वाला कोई नहीं है।

भू का त्रास हरो दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संसार किन विभूतियों को नहीं पहचान रहा है और क्यों?
उत्तर:
संसार कवि, कलाकार और ज्ञानीजन रूपी विभूतियों को नहीं पहचान रहा है। यह इसलिए कि इन विभूतियों से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण वह अविचारी और मदान्ध शासकों को मान रहा है। उसका ऐसा मानने के पीछे यह कारण है कि मदांध शासक अपनी मदान्धता के फलस्वरूप और किसी को कुछ भी नहीं समझता है।

प्रश्न 2.
‘ज्ञानियों खड्ग धरो’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘ज्ञानियों खड्ग धरो’ का आशय है-कवि, कलाकार और ज्ञानी ही जनता के हितों की अनदेखी करने वाले अविचारी और विलासी मदान्ध शासकों को भली-भांति समझता है। वह जानता है कि यह शासक केवल तलवार की ताकत से अपनी सत्ता को सुरक्षित रखता है। ऐसे शासक को वही सबक सिखा सकता है। इसलिए जब कभी ऐसी जरूरत पड़े तो उसे तलवार उठाने से भी संकोच नहीं करना चाहिए। उससे ही संसार को इस प्रकार की अपेक्षा है और वह इसके लिए समर्थ है। ऐसा करके ही वह नीति विमुख राजसत्ता को सही रास्ते पर ला सकता है।

प्रश्न 3.
‘भू का त्रास हरो’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में अविचारी और विलासी शासकों की भर्त्सना की गई है। जो शासक प्रजाहित में कार्य नहीं करता है और केवल तलवार की ताकत से अपनी सत्ता को सुरक्षित रखता है, ऐसे शासक का प्रतिकार उज्ज्वल चरित्र वाले कवि, कलाकार एवं ज्ञानीजन ही कर सकते हैं। सत्ता के मद में डूबे हुए शासक अपने जीवन-दर्शन को केवल शब्द सुनकर ही नहीं बदल सकते हैं। अतः उन्हें सबक सिखाने के लिए ज्ञानवान व्यक्तियों को तलवार भी उठाना पड़े तो इसके लिए उन्हें सदैव तैयार रहना चाहिए। संसार तभी सुख का अनुभव कर सकेगा जब समाज चरित्रवान कवि, कलाकारों और ज्ञानियों को इन मदांध शासकों से अधिक महत्त्वपूर्ण मानेगा। नीति विमुख राजसत्ता को समाज का बौद्धिक और कलाकार वर्ग ही मार्ग पर लाने में समर्थ है।

भू का त्रास हरो लेखक-परिचय

प्रश्न 1.
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का संक्षित जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन परिचय-श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म बिहार राज्य के मुंगेर जिला के सिमरिया नामक गाँव में 30 सितम्बर, 1908 को एक किसान परिवार में हुआ था। बचपन में ही पिता का साया उठ जाने के बाद आपकी विधवा माँ ने आपकी शिक्षा को आगे बढ़ाया। मोकामाघाट से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करके आपने पटना विश्वविद्यालय से सन् 1932 में बी.ए. ऑनर्स की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। आप में बचपन से ही कविता के अंकुर फूट पड़े थे। यही कारण है कि आपने मिडिल स्कूल में पढ़ते समय ‘बीरबाला’ और हाईस्कूल में अध्ययन करते समय ‘प्रणभंग’ काव्यों की रचना की थी।

मोकामा में एक वर्ष तक प्रधानाचार्य रहने के बाद आप सन् 1934 में सब-रजिस्ट्रार हो गए। इसके बाद आप सन् 1943 में ब्रिटिश सरकार के युद्ध-प्रचार विभाग में निर्देशक के पद पर रहे। सन् 1952 से सन् 1963 तक आप राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होकर राज्यसभा के सदस्य रहे। सन् 1964 में आप भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। इसके बाद ‘दिनकर’ जी भारत सरकार के गृह-विभाग में हिन्दी-समिति के सलाहकार के रूप में कार्य करते रहे। इसके बाद आप आकाशवाणी के निदेशक के पद पर भी रहे। इस तरह से ‘दिनकर’ जी कई वर्षों तक हिन्दी के प्रचार-प्रसार में लगे रहे। दिनकर जी का साहित्यिक-मूल्यांकन करते हुए उन्हें विभिन्न प्रकार की उपाधियों-पुरस्कारों से समय-समय पर अलंकृत-पुरस्कृत किया जाता रहा। 24 अप्रैल, 1974 ई. को हिन्दी का यह ‘दिनकर’ सदा के लिए अस्त हो गया।

रचनाएँ:
‘दिनकर’ मुख्य रूप से कवि तो थे ही लेकिन उनका गद्य-साहित्य पर भी बेजोड़ अधिकार रहा। उनकी निम्नलिखित रचनाएँ हैं –

1. महाकाव्य:

  • कुरुक्षेत्र,
  • उर्वशी।

2. खण्डकाव्य:

  • प्रणभंग,
  • रश्मिरथी।

3. काव्य:

  • बारदोली-विजय
  • द्वन्द्वगीत
  • रसवंती
  • रेणुका
  • हुंकार
  • दिल्ली
  • नीलकुसुम
  • इतिहास के आँसू
  • नीम के पत्ते
  • सिपी और शंख
  • परशुराम की प्रतिज्ञा
  • सामधेनी, और
  • कलिंग-विजय।

4. गद्य-साहित्य:

  • मिट्टी की
  • संस्कृति के चार अध्याय
  • पंत, प्रसाद, गुप्त
  • हिन्दी साहित्य की भूमिका
  • अर्द्धनारीश्वर।

5. आलोचना:

  • शुद्ध कविता की खोज में आदि।

महत्त्व:
कविवर ‘दिनकर’ का महत्त्व निस्संदेह है। वह काव्य, दर्शन, चिन्तन और राष्ट्र की दृष्टि से निश्चय ही उपयोगी सिद्ध हुआ है और होता रहेगा। उन परवर्ती रचनाकारों को ‘दिनकर’ जी विशेष रूप से मिल के पत्थर का काम करेंगे, जो प्रगतिवादी चेतना के आग्रही हैं। इस प्रकार ‘दिनकर’ का महत्त्व हमारे समाज और राष्ट्र के लिए सदैव प्रेरक रूप में बना रहेगा।

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भू का त्रास हरो पाठ का सारांश

प्रश्न 1.
श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ विरचित कविता ‘भू का त्रास हरो’ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
श्री रामधारी सिंह-विरचित कविता में भोगी-विलासी राजनेताओं और शासकों की निन्दा की गई है। दूसरी ओर ज्ञान, तप और त्याग की उपेक्षा के प्रति चिंता व्यक्त की गई है। कवि इस प्रकार के तथ्यों पर प्रकाश डालना चाहा है। इस विषय में कवि का कहना है कि जब तक भोगी-विलासी और कुविचारी शासक प्रजा के नेता बने रहेंगे, तब तक ज्ञान, त्याग और तप का महत्त्वांकन नहीं होगा। भोजन-वस्त्र से हीन, दीन-हीन जीवन जीने वाले, हर प्रकार से उपेक्षा और अपमान का चूंट पीकर मानवता की चिन्ता करने वाले, कवि; पंडित, विज्ञान के जानकार, कलाकार, ज्ञानी और पवित्र-चरित्र का स्वाभिमान रखनेवाले की पहचान संसार जब तक नहीं करेगा, वह राजनेताओं-शासकों से भी अधिक उन्हें जब तक नहीं पूज्य मानेगा, तब तक यह धरती आग में पड़ी हुई अकुलाती रहेगी।

लाख कोशिश के बावजूद वह दुखों से निजात नहीं पाएगी। ऐसा इसलिए राजनेता और शासक तो केवल तलवार की ही भाषा समझते हैं। वह किसी प्रकार की रोक-टोक से नहीं रुकने वाला है। ऐसा इसलिए कि यह समाज ही अविचारी और मुर्ख है। यह तो अपनी कुल्हाड़ी से किसी की गर्दन काटने में बड़ा ही निष्ठुर (कठोर) है। यह बहुत मदान्ध है। इसलिए तो मैं ज्ञानियों से यह कहना चाहता हूँ कि अब तुम ज्ञानोपदेश बंद करके अपने हाथ में तलवार ले लो। अब तक इस धरती के जिस दुख को किसी से नहीं दूर किया, उसे अब तुम दूर कर दो।

भू का त्रास हरो संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
जब तक भोगी भूप प्रजाओं के नेता कहलायेंगे,
ज्ञान, त्याग, तप नहीं श्रेष्ठता का जब तक पद पायेंगे।
अशन-वसन से हीन, दीनता में जीवन धरनेवाले,
सहकर भी अपमान मनुजता की चिन्ता करनेवाले,

शब्दार्थ:

  • भोगी – सुख सुविधाओं में डूबे हुए।
  • भूप – राजा (राजनेता व प्रशासक)।
  • अशन-वसन – भोजन और वस्त्र।
  • दीनता – अभाव, गरीबी।
  • धरनेवाले – धारण करने वाले।
  • मनुजता – मनुष्यता।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सामान्य हिन्दी भाग-1’ में संकलित और महाकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा विरचित कविता ‘भू का त्रास हरो’ शीर्षक से उद्धृत है। इसमें कवि ने कुविचारी और सुख-सुविधाओं में डूबे हुए राजाओं (आजकल के राजनेताओं और प्रशासकों) के प्रति अपना क्रोध प्रकट करते हुए कहा है कि –

व्याख्या:
चूँकि आजकल भोगी-विलासी और सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं में डूबे हुए राजनेता और प्रशासक अधिक हो रहे हैं। इससे देश की जनता की नाना प्रकार की दुर्दशा हो रही है। इससे देश की स्थिति बिगड़ गई है। इसलिए यह ध्यान देने की बात है कि जब तक देश में इस प्रकार के भोगी-विलासी और अनेक प्रकार के सुख-सुविधाओं में डूबे हुए लोग जनता के नेता और प्रशासक बने रहेंगे, तब तक ज्ञान, त्याग और तप को न सम्मान मिलेगा और न महत्त्व।

भोजन-वस्त्र से हीन अर्थात् दाने-दाने को मोहताज और फटे-मैले कपड़ों से तन ढकने के लिए मजबूर, दीनता-हीनता की जिन्दगी जीने वाली तथा हर प्रकार की उपेक्षा-अपमान के घूट को पी-पीकर मानवता की रक्षा के लिए अड़ी हुई जनता की ओर ऐसे भोगी-विलासी राजनेताओं-प्रशासकों का ध्यान बिल्कुल जाता नहीं है। ऐसा इसलिए कि वे सुख-सुविधाओं में पड़कर इतने मदांध हो जाते हैं कि उन्हें सच्चाई दिखाई ही नहीं देती है।

विशेष:

  1. भाषा में ओज है।
  2. तत्सम शब्दावली है।
  3. प्रगतिवादी चेतना है।
  4. ‘त्याग तप’ और ‘अशन-घसन’ में अनुप्रास अलंकार है।
  5. यह अंश प्रेरक और भाववर्द्धक है।

पद्यांश पर आधारित सौन्दर्य-बोध संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न

  1. प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य लिखिए।

उत्तर:

1. प्रस्तुत पद्यांश में भोगी-विलासी राजनेताओं-प्रशासकों के कारण ज्ञानी और त्यागी व्यक्तियों की हो रही उपेक्षा का उल्लेख धारदार शब्दों के द्वारा हुआ है। तुकान्त शब्दावली और कथन को स्पष्टता प्रदान करने वाली भाषा निश्चय ही प्रभावशाली है। ‘त्याग-तप’ और ‘अशन-वसन’ में अनुप्रास अलंकार का चमत्कार है तो शैली ओजस्वी

2. प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य अद्भुत है। भोगी राजनेताओं-प्रशासकों की वास्तविकता को व्यक्त करने वाले भाव बिना किसी लाग-लपेट के हैं। इसीलिए विश्वसनीय हैं। विश्वसनीय होने के कारण हृदयस्पर्शी बन गए हैं।

पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न

  1. भोगी राजनेता-प्रशासक किसके श्रेष्ठता के बोधक हैं?
  2. आजकल राजनेताओं-प्रशासकों के दोष क्या हैं?

उत्तर:

  1. भोगी राजनेता-प्रशासक ज्ञान, त्याग और तप की श्रेष्ठता के पद के बोधक हैं।
  2. आजकल राजनेताओं-प्रशासकों के दोष हैं कि वे अनेक प्रकार के भोग-विलास और अनेक प्रकार की सुख सुविधाओं में पड़े हुए रहते हैं।

प्रश्न 2.
कवि, कोविंद, विज्ञान-विशारद, कलाकार, पंडित, ज्ञानी,
कनक नहीं, कल्पना, ज्ञान, उज्ज्वल चरित्र के अभिमानी,
इन विभूतियों को जब तक संसार नहीं पहचानेगा,
राजाओं से अधिक पूज्य जब तक न इन्हें वह मानेगा,
तब तक पड़ी आग में धरती, इसी तरह, अकुलायेगी,
चाहे जो भी करे, दुखों से छूट नहीं वह पायेगी।
थकी जीभ समझाकर, गहरी लगी ठेस अभिलाषा को,
भूप समझता नहीं और कुछ छोड़ खड्ग की भाषा को।

शब्दार्थ:

  • कोविद – जानकार, पंडित, विशेषज्ञ।
  • विज्ञान-विशारद – विज्ञान के जानकार।
  • कनक – सोना।
  • विभूति – दिव्य, अलौकिक शक्ति।
  • ठेस – हृदय पर लगी चोट।
  • अभिलाषा – इच्छा।
  • खड्ग – तलवार।

प्रसंग:
पूर्ववत्। इसमें कवि ने महान चरित्रों के अनादर करने से होने वाली दुखद स्थिति पर प्रकाश डाला है। इस विषय में कवि का कहना है कि –

व्याख्या:
आजकल देश की दशा राजनेताओं और प्रशासकों के भोग-विलास और अनेक प्रकार की सुख-सुविधाओं में डूबे रहने के कारण बड़ी दुखद और चिन्ताजनक हो गई है। वह यह कि इनके कारण कवि, विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, कलाकार, पंडित और ज्ञानी धनवान न होते हुए स्वच्छंद चिंतन करने वाले ज्ञान और पवित्र चरित्र के अभिमानी हैं। कहने का भाव यह है कि कवि, विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, कलाकार, पंडित और ज्ञानी किसी प्रकार के धन-वैभव की परवाह न करते हुए अपने ज्ञान और पवित्र चरित्र का स्वाभिमान रखते हैं। इस प्रकार की अलौकिक शक्तियों की पहचान संसार नहीं करेगा, और जब तक इन्हें वह सुविधा-भोगी राजनेताओं और प्रशासकों से अधिक सम्मानित नहीं करेगा, तब तक यह धरती आग में पड़ी हुई अकुलाती ही रहेगी।

कहने का भाव यह है कि कवि, पंडित, विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, कलाकार और ज्ञानी जनों का महत्त्व आज जिस तरह से घट रहा है, उस तरह से इस धरती (संसार) का सुख-चैन समाप्त होता जा रहा है। इसलिए चाहे कोई कुछ भी करे, इस धरती (संसार) को वह दुखों से निजात नहीं दिला सकता है। मान-सम्मान की अभिलाषा रखने वाले महाविभूतियों के हृदय पर उस समय गहरी चोट लगती है, जब सत्ता के मद में डूबे हुए शासक को समझा-समझाकर उनकी वाणी थक जाती है, लेकिन वे उनकी बातों पर तनिक भी ध्यान नहीं देते हैं। यह इसलिए सत्ता और सुख-सुविधाभोगी प्रशासक और कुछ नहीं समझता है। वह तो तलवार की ताकत से ही अपनी सत्ता को सुरक्षित रखना जानता-समझता है।

विशेष:

  1. भाषा में तीव्रता है।
  2. तत्सम शब्दावली है।
  3. मुहावरों (आग में पड़ना, जी.भटकना, ठेस लगना और तलवार की भाषा समझना) के प्रयोग सटीक हैं।
  4. वीर रस का संचार है।
  5. ‘कवि कोविद’ और ‘विज्ञान विशारद’ में अनुप्रास अलंकार है।
  6. भावात्मक शैली है।

पद्यांश पर आधारित सौन्दर्य-बोध संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
  3. आज कौन किससे निरादृत हो रहा है और क्यों?

उत्तर:

1. प्रस्तुत गद्यांश में भोगी सत्ताधारियों के कारण निरादर को प्राप्त होने वाली विभूतियों के उल्लेख हैं। इसके साथ ही धरती की दुखद दशा के दोषी सत्ताधारियों के प्रति सीधा आक्रोश के भी स्वर हैं। इस प्रकार प्रस्तुत हुए इस पद्यांश के कथन को सीधी और सपाट भाषा के माध्यम से दर्शाने का प्रयास काबिलेतारीफ है। अनुप्रास अलंकार (कवि कोविद, और विज्ञान विशारद) के चमत्कार और वीर रस के संचार से प्रस्तुत पद्यांश की शैली ऐसी भावात्मक है, जो अधिक हृदयस्पर्शी और प्रेरक होकर अपना अनूठा प्रभाव दिखा रही है।

2. प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य यथार्थपूर्ण कथन की सजीवता और विश्वसनीयता से अधिक रोचक सिद्ध हो रहा है। भावों की तीव्रता, क्रमबद्धता और प्रासंगिकता की एक त्रिवेणी प्रवाहित हुई है, जो सरस, मर्मस्पर्शी और उत्साहवर्द्धक के रूप में फलित है। फलस्वरूप इसकी सार्थकता देखते ही बनती है।

3. आज कवि, कोविद, विज्ञान-विशारद, कलाकार, पंडित व ज्ञानी, जैसी विभूतियाँ सत्ता के मद में डूबे हुए और सुविधाभोगी शासकों से निरादृत हो रही है। यह इसलिए कि सत्ताधारी प्रशासक उनके हित-अनहित की कुछ भी चिन्ता नहीं करता है।

पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. धरती दुखों से छुटकारा कब पाएगी?
  2. ‘भूप समझता नहीं कुछ खड्ग की भाषा’ का आशय क्या है?

उत्तर:

  1. धरती दुखों से छुटकारा तब पाएगी जब संसार उज्ज्वल चरित्र वाले कवि, कलाकार और ज्ञानीजनों का मान-सम्मान भोगी प्रशासकों से बढ़कर करेगा।
  2. ‘भूप समझता नहीं और कुछ खड्ग की भाषा’ का आशय है-भोगी शासक केवल तलवार की ताकत से अपने को सुरक्षित रखता है।

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प्रश्न 3.
रोक-टोक से नहीं सुनेगा, नृप-समाज अविचारी है,
ग्रीवाहार निष्ठुर कुठार का यह मदान्ध अधिकारी है।
इसीलिए तो मैं कहता हूँ, अरे ज्ञानियो खड्ग धरो,
हर न सका जिसको कोई भी, भू का यह तुम त्रास हरो।

शब्दार्थ:

  • नृप-समाज – राजा समाज अर्थात् सत्ताधारी वर्ग।
  • अविचारी – विचारहीन।
  • ग्रीवाहार – गर्दन काटने वाला।
  • कुठार – कुल्हाड़ी।
  • मदान्ध – मद से अंधा।
  • खड्ग – तलवार।

प्रसंग:
पूर्ववत्। इसमें कवि ने भोगी शासकों को सब सिखाने ज्ञानियों को तलवार उठाने का सुझाव दिया है। इस विषय में कवि का कहना है कि

व्याख्या:
सुख-सुविधाओं में डूबा हुआ और सत्ता के मद से अंधा बना हुआ शासक वर्ग ज्ञानीजनों की सीख पर किसी प्रकार का ध्यान नहीं देता है। दुखी प्रजा के विरोध करने पर भी यह अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आता है। इसलिए यह तो वास्तव में विचारहीन है। यह सत्ता के मद से इतना अंधा हो चुका होता है कि गर्दन काटनेवाली कुल्हाड़ी ही इसके सुधार का एकमात्र उपाय है।

यह इसलिए भी इसका ही पात्र है। कवि का पुनः कहना है कि वह इसीलिए ज्ञानीजनों से अब कह रहा है कि ऐसे मदान्ध शासकों को सबक सिखाने के लिए उन्हें तलवार भी उठानी पड़े तो इसके लिए उन्हें हमेशा तैयार रहना चाहिए। इस तरह इस धरती पर फैले हुए दुख-अभाव को जो कोई भी हर न सका, उसे हरने के लिए उन्हें हर प्रकार से कमर कस लेनी चाहिए।

विशेष:

  1. सत्ता के मद में डूबे हुए शासक वर्ग की कड़ी निंदा की गई है।
  2. भाषा में गति और ओज है।
  3. प्रगतिवादी चेतना है।
  4. ‘दुख हरना’ मुहावरे का सार्थक प्रयोग है।
  5. वीर रस का संचार हैं।

पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौन्दर्य लिखिए।
  3. उपर्युक्त पद्यांश में सत्ताधारी वर्ग के किन दुर्गुणों का उल्लेख हुआ है?

उत्तर:

1. प्रस्तुत पद्यांश में सत्ताधारी के अवगुणों को समाप्त करने के लिए ज्ञानीजनों को तलवार धारण करने की सीख दी गई है। इसकी प्रस्तुति के लिए आया हुआ अनुप्रास अलंकार ‘रोक-टोक’ और ‘ग्रीवाहार निष्ठुर’ का चमत्कार प्रसंगानुसार है। वीर रस के संचार से भाषा में न केवल ताजगी आई है अपितु उत्साहवर्द्धकता नामक विशेषता भी जुड़ गई है। तत्सम शब्दों का चयन और उनकी उपयुक्तता कवि की अद्भुत प्रतिभा को व्यक्त कर रही है।

2. प्रस्तुत पद्यांश की भाव-योजना अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली है। सत्ता के मद में डूबे हुए शासक वर्ग के प्रमुख दुर्गुणों को तेज और संजीव भावों के द्वारा प्रस्तुत करना निश्चय ही अनूठा है। इस प्रकार इस पद्यांश के भावों में क्रमबद्धता और प्रासंगिकता दोनों ही ऐसी विशेषताएँ हैं, जो मन को छू लेती हैं।

3. उपर्युक्त पद्यांश में सत्ताधारी वर्ग के दो दुर्गुणों का उल्लेख हुआ है-विचारहीनता और मदान्धता।

पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. ज्ञानियों को तलवार उठाने के लिए कवि क्यों कहता है?
  2. ‘भू का त्रास’ क्या है?

उत्तर:

1. ज्ञानियों को तलवार उठाने के लिए कवि कहता है। यह इसलिए कि सत्ता के मद में डूबे हुए शासक तलवार की ही ताकत से अपनी सत्ता को सुरक्षित – रखता है। इसलिए वह तलवार की ही भाषा को समझता है। फलस्वरूप ऐसे शासक को सबक सिखाने के लिए ज्ञानियों को तलवार भी उठानी पड़े तो इसके लिए इन्हें तैयार रहना चाहिए।

2. भू का त्रास’ यह है कि चरित्रवान कवियों, कलाकारों और ज्ञानियों से कहीं अधिक सत्ता से मदांध शासकों को महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे इस धरती पर अनेक प्रकार के दुख, अशान्ति और असुरक्षा का वातावरण फैलता जा रहा है।

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MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 19 अथ काटना कुत्ते का भइया जी को

MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 19 अथ काटना कुत्ते का भइया जी को (व्यंग्य, डॉ. गंगा प्रसाद गुप्त बरसैंया)

अथ काटना कुत्ते का भइया जी को पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर

अथ काटना कुत्ते का भइया जी को लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार कौन-से प्रसंग आत्मीयता को प्रमाणित करते हैं?
उत्तर:
लेखक के अनुसार सुख-दुख के प्रसंग आत्मीयता को प्रमाणित करते हैं।

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प्रश्न 2.
कुत्ता काटने की घटना का वर्णन श्रोतागण भइया जी से किस-किस प्रकार सुनते हैं?
उत्तर:
कुत्ता काटने की घटना का वर्णन श्रोतागण भइया जी से इस प्रकार सुनते हैं –

भइया ने खचाखच भरे दरबार में अपना फटा कुरता और पाजामा तथा मलहम-पट्टी लगे हाथ-पाँव और कंधों को प्रदर्शित करते हुए सबकी जिज्ञासा-शांति के लिए बताया कि रात के अंधेरे में वह जब टॉर्च लेकर एक सामाजिक कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने जा रहे थे, तभी निर्धन परिवार के एक कुत्ते ने उन्हें काट लिया। वह कुत्ता कैसे पीछे से उन पर झपटा, कैसे उन्होंने दुतकारा, कैसे वे भागे, कैसे गिरे, फिर उठकर कुत्ते का मुकाबला कैसे किया और कहाँ-कहाँ कुत्ते ने काटा इस सबका पूरे अभिनय के साथ सविस्तार वर्णन जब भइया जी ने किया तो स्वाभाविक है कि सहानुभूति प्रदर्शकों ने भरे गले में अपनी आत्मीय वेदना व्यक्त की।

प्रश्न 3.
‘घर में इन्हीं की झंझट क्या कम है कि एक और मुसीबत मोल ले ली जाए।’ किसके द्वारा कहा गया वाक्य है?
उत्तर:
घर में इन्हीं की झंझट क्या कम है कि एक और मुसीबत मोल ले ली जाए।’ यह वाक्य भइया जी की धर्मपत्नी द्वारा कहा गया है।

लघु उत्तरीय प्रश्न दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कुत्ते के काटने पर भइया जी को उनके शुभचिन्तकों ने किस तरह के सुझाव दिए?
उत्तर:
कुत्ते के काटने पर भइया जी को उनके शुभचिन्तकों ने निम्नलिखित तरह के सुझाव दिए –

  1. कुत्ता यदि पालतू है तो उसके मालिक के विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट करना चाहिए।
  2. कुत्ते को दस दिन तक अपने घर में बाँधकर वॉच करना चाहिए।
  3. भइया जी को दस कुएं झंकवा दिए जाएं।
  4. भइया जी को तीन हजार रुपए का एक इंजेक्शन लगवा देना चाहिए।
  5. भइया जी की झाड़-फूंक करवा ली जाए।

प्रश्न 2.
कुत्ते की उस मानसिक स्थिति का वर्णन कीजिए, जिससे उत्तेजित होकर उसने भइया जी को काटने का निश्चय किया।
उत्तर:
भइया जी अपने स्वभाव के अनुरूप झकाझक कपड़ों में थे ऊपर से कुत्ते पर टॉर्च की रोशनी मारी। कुत्ते को लगा कि मुझ निर्धन बस्ती के कुत्ते को यह संपन्न व्यक्ति अपनी चमक और रोशनी से चकाचौंध करना चाहता है। मेरा मालिक दिनभर परिश्रम कर पसीने से लथपथ फेटे, मैले-कुचैले कपड़ों पर आता है और इनके कपड़ों पर एक दाग भी नहीं? हम दर-दर की ठोकरें खाएँ और ये तथा इनके कुत्ते मालपुए खाएँ। गाड़ियों में घूमें।

झकाझक कपड़ों की शान बघारें। आदमी-आदमी तथा कुत्ते-कुत्ते में भेद पैदा करें। उसके भीतर की अपमान की व्यथा, आक्रोश की आग बनकर भड़क उठी और जैसे ही भइया जी उधर से निकले कि उसने आक्रमण करके कुरता-पाजामा को तार-तार कर दिया। हाथ-पाँव, कंधों को दाँत और नाखूनों से खरोंच डाला मानो घोषित कर दिया कि अवसर मिलते ही हम अपने अपमान का बदला लेने से नहीं चूकेंगे। निर्धन बस्ती का यह कुंत्ता एक दिन संपन्न बस्ती में अपना झण्डा अवश्य गाड़ेगा।

प्रश्न 3.
प्रस्तुत व्यंग्य के माध्यम से लेखक साहित्यकारों को क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर:
प्रस्तुत व्यंग्य के माध्यम से लेखक साहित्यकारों को यह संदेश देना चाहता है कि –

  1. वे सत्ता और समर्थकों का गायक न बनें।
  2. वे पैसे के पीछे न भागें और दीन-हीन शोषितों की बिरादरी की तरह रहें।
  3. वे पद, पुरस्कार और सम्मान की ओर भागकर अपने को पथभ्रष्ट न करें।
  4. वे सत्यमार्ग पर चलकर साहित्य-रचनाधर्म का पालन करें।
  5. वे जरूरतमंदों और शोषितों के साथ बनकर समाज की विसंगतियों पर प्रहार करें।

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प्रश्न 4.
“आजकल साहित्यकार सत्ता और समर्थों का गायक बनकर सम्मान और पैसे के पीछे भाग रहा है।” इन पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
“आजकल साहित्यकार सत्ता और समर्थों का गायक बनकर सम्मान और पैसे के पीछे भाग रहा है।”

उपर्युक्त पंक्तियों में निहित व्यंग्य यह है कि आज का साहित्यकार साहित्य-रचना के सत्यमार्ग को छोड़ चुका है। वह सुख-सुविधाओं के पीछे भाग रहा है। राजनेताओं, अधिकारियों और धनपतियों को देवता-भागवत के रूप में देख-समझ रहा है। फिर उनकी प्रशंसा, स्तुति और यशगान करने में ही वह रात-दिन लगा रहता है। यह इसलिए ऐसा करके ही वह सुख-सुविधामय जीवन बिता सकता है। वह यह अच्छी तरह से जानता है कि सत् साहित्य की रचना करके उसे कुछ नहीं मिलनेवाला है-न पद, न सम्मान और न पुरस्कार। उसे कुछ भी सुख-सुविधाएँ भी नसीब नहीं हो सकती हैं, बल्कि उसे तो शोषण, उपेक्षा और अभावों का शिकार होना पड़ेगा। इस प्रकार आजकल का साहित्यकार, साहित्यकार न होकर सत्ता और अधिकारियों का चापलूस, पिछलग्गू और उपासक पुजारी बनकर रह गया है जो हर प्रकार निंदनीय और हेय है।

अथ काटना कुत्ते का भइया जी को भाव विस्तार/पल्लवन

प्रश्न.

  1. हिन्दुस्तान में दूसरों की समस्या या तकलीफ दूर करने के लिए हर व्यक्ति ज्ञानी होता है।
  2. कुत्ते का मालिक तो कुत्ते से भी ज्यादा खतरनाक है।

उत्तर:
1. उपर्युक्त वाक्य के द्वारा यह भाव प्रकट करने का प्रयास किया गया . है कि हमारे देश की बात और देशों की अपेक्षा अलग है। यहाँ के लोग अपनी चिन्ता कम करते हैं, दूसरों की अधिक करते हैं। यही कारण है कि एक जब दूसरे को दुखी या परेशान देखता है, तो वह उसके दुख और परेशानी को दूर करने के लिए हर प्रकार के सुझाव देने लगता है। उस पर अपने ज्ञान भंडार को उड़ेल देता है। उस समय वह अपनी समस्या या तकलीफ को एकदम भूल जाता है, मानो उसे कुछ भी तकलीफ नहीं है।

इस प्रकार वह किसी को किसी समस्या या तकलीफ में पड़े हुए देखकर दूसरा बिना बुलाए उसके पास पहुँचकर अपने ज्ञान और सुझाव की झड़ी लगाने लगता है, मानो उस समय उसे और कोई काम नहीं है। ऐसे लोग बिन बुलाए मेहमान की तरह स्वयं को अधिक महत्त्वपूर्ण मान लेते हैं। हकीकत यह होती है कि जब ऐसे लोग समस्या त्रस्त होने पर अपने होश तक खो देते हैं।

2. उपर्युक्त वाक्य के द्वारा यह व्यंग्य-भाव प्रकट करने का प्रयास किया गया है कि भ्रष्ट नौकर-कर्मचारी के अधिकारी और शासक भी कम भ्रष्ट नहीं होते हैं, अपितु वे तो अपने अधीन काम करने वालों से कई गुना भ्रष्ट होते हैं। उन्हीं के असाधारण बड़े भ्रष्टाचार से उनके अधीन काम करने वालों का भ्रष्टाचार करने की न केवल सीख मिलती है, अपितु उससे उनका हौसला भी बुलंद होता है। इससे वे कुछ भी उल्टा-सीधा करने से तनिक न डरते हैं और न संकोच ही करते हैं। वे भलीभांति जानते हैं कि वे किसी का भक्षक बन भी जाएँ तो उसका कोई भी बाल बाँका नहीं कर सकेगा। क्योंकि उसका रक्षक इस प्रकार सबल है ही। इस प्रकार ‘कुत्ते का मालिक तो कुत्ते से ज्यादा खतरनाक’ इस व्यंग्य वाक्य के द्वारा लेखक ने आधुनिक भ्रष्ट कर्मचारियों और उनके भ्रष्ट अधिकारियों पर करारा व्यंग्य प्रहार किया है।

अथ काटना कुत्ते का भइया जी को भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
पाठ में आए अंग्रेजी भाषा के शब्दों की सूची बनाएँ और उनके हिन्दी अर्थ लिखें।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 19 अथ काटना कुत्ते का भइया जी को img-1

प्रश्न 2.
‘अन्त’ शब्द का अर्थ है समाप्ति और ‘अन्त्य’ का अर्थ है, अन्तिम। ये शब्द समोच्चारित भिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं। ऐसे ही अन्य शब्द लिखकर उनके अर्थ लिखिए।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 19 अथ काटना कुत्ते का भइया जी को img-2

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद करें तथा संबंधित शब्दों में आई संधि का नाम भी लिखें –
सहानुभूति, चतुरेश, शिशिरानंद।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 19 अथ काटना कुत्ते का भइया जी को img-3

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में आए समास का नाम लिखें –
तर्क-वितर्क, कुशल-क्षेम, कुरता-पाजामा, दीन-हीन।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 19 अथ काटना कुत्ते का भइया जी को img-4

प्रश्न 5.
‘लायक’ शब्द में ‘ना’ उपसर्ग का प्रयोग करके उसका विपरीत शब्द ‘नालायक’ बनता है। इसी प्रकार अन्य उपसर्गों का प्रयोग करके विपरीत अर्थ वाले दस शब्द बनाइए।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 19 अथ काटना कुत्ते का भइया जी को img-5

अथ काटना कुत्ते का भइया जी को योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
मध्यप्रदेश से संबंधित चार व्यंग्य लेखकों का संक्षिप्त परिचय संकलित करें।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

प्रश्न 2.
अपने साथ घटित ऐसी ही किसी अन्य घटना का वर्णन हास्य-व्यंग्य शैली में कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

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प्रश्न 3.
प्रस्तुत व्यंग्य, प्रसिद्ध हिन्दी मासिक पत्रिका ‘कादम्बिनी’ से साभार लिया है। यह पत्रिका दिल्ली से प्रकाशित होती है। मध्यप्रदेश से प्रकाशित होने वाली हिन्दी भाषा के समाचार पत्र-पत्रिकाओं की जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

प्रश्न 4.
विभिन्न समाचार पत्रों में सप्ताहिक कॉलम में व्यंग्य प्रकाशित होते रहते हैं, ऐसे व्यंग्य को पढ़ें तथा संकलित कर व्यंग्य लिखने का प्रयास करें।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

अथ काटना कुत्ते का भइया जी को परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अथ काटना कुत्ते का भइया जी को लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भइया जी ने भी कुत्ते काटने की खबर क्यों फैला दी?
उत्तर:
भइया जी ने भी कुत्ते काटने की खबर फैला दी। यह इसलिए कि –

  1. लोग उनसे यह शिकायत न कर सकें कि उन्हें खबर ही नहीं मिली।
  2. भइया जी स्वयं खबर लेने-देने में गहरी दिलचस्पी लेते थे।

प्रश्न 2.
आजकल आत्मीयता और सहानुभूति कैसे प्रकट की जाती है?
उत्तर:
आजकल आत्मीयता और सहानुभूति दो मिनट की दरबार में हाजिरी, फिर प्रशंसा और समर्पण के दो बनावटी शब्दों के द्वारा प्रकट की जाती है।

प्रश्न 3.
भइया जी कुत्ता काटने का समाचार अखबारों में क्यों छपवाना चाहते थे?
उत्तर:
भइया जी कुत्ता काटने का समाचार अखबारों में छपवाना चाहते थे। यह इसलिए कि इस मौके को भुनाकर अपनी महानता और लोकप्रियता को और बढ़ाना चाहते थे।

प्रश्न 4.
अंत में सभी किस बात पर एकमत हुए?
उत्तर:
अंत में सभी इस बात पर एकमत हुए. कि दस दिन तक कुत्ते पर नजर . रखी जाए। तब तक झाड़-फूंक करवा ली जाए और कुएँ भी ऑकवा लिये जाएँ।

अथ काटना कुत्ते का भइया जी को दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भइया जी के प्रति सहानुभूति और आत्मीयता प्रदर्शित करने वालों में कौन लोग शामिल थे?
उत्तर:
भइया जी के यहाँ सहानुभूति और आत्मीयता प्रदर्शित करने वालों का ताँता लगा था। वे लोग भी शामिल हैं, जो पहले ही सुनकर हँसी उड़ा चुके थे। वे इस प्रकार कहते थे, अच्छा हुआ, कुत्ते ने काट लिया बुड्ढे को। वहाँ कुत्ते के पास क्या करने गए थे? घर बैठे चैन नहीं तो कुत्ते तो काटेंगे ही। कुछ ऐसे लोग भी भइया जी के दरबार में सबसे अलग पंक्ति में मौजूद थे-जो बाहर दुखी और भीतर से प्रसन्न हैं। दरबार में भांति-भांति के प्रश्न और भांति-भांति के उत्तर।

अलग-अलग प्रकार की बातें, सुझाव और अपनी ओर आकर्षित करने के तरीके। भइया जी सभी के केंद्र बने हुए थे। वे सभी को देखते-पहचानते और न आने वालों के बारे में भीतर-ही-भीतर सोचते-समझते और हिसाब लगाते हुए सभी के प्रश्नों, जिज्ञासाओं, आशंकाओं, सुझावों का समाधान कर रहे थे। उनसे उस समय बार-बार लगभग वही-वही प्रश्न क्रमशः आने वालों द्वारा किए जाते हैं और भइया जी वही-वही उत्तर ग्रामोफोन के रिकॉर्ड की तरह दोहरा रहे थे।

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प्रश्न 2.
सहानुभूति प्रदर्शकों ने कब भरे गले से अपनी आत्मीय वेदना व्यक्त की?
उत्तर:
सहानुभूति प्रदर्शकों ने तब भरे गले से अपनी आत्मीय वेदना व्यक्त की जब भइया जी ने खचाखच भरे दरबार में अपना फटा कुरता और पाजामा तथा मलहम-पट्टी लगे हाथ-पाँव और कंधों को प्रदर्शित किया फिर सबकी जिज्ञासा-शांति के लिए बताया कि रात के अंधेरे में वह जब टॉर्च लेकर एक सामाजिक कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने जा रहे थे, तभी निर्धन परिवार के एक कुत्ते ने उन्हें काट लिया। उस समय वह कुत्ता कैसे पीछे से उन पर झपटा, कैसे उन्होंने दुतकारा, कैसे वे भागे, कैसे गिरे, फिर उठकर कुत्ते का मुकाबला कैसे किया और कहाँ-कहाँ कुत्ते ने काटा। इन सबका वे पूरे अभिनय के साथ सविस्तार वर्णन किए।

प्रश्न 3.
भइया जी पर किस प्रकार संवेदनाओं की झड़ी लग रही थी?
उत्तर:
भइया जी पर संवेदनाओं की झड़ी लग रही थी और वे उनमें पूरी तरह डूबे जा रहे थे, जैसे उनका प्रशस्ति-गान किया जा रहा हो। उस समय कई लोग कुरता-पाजामा और भइया जी के विभिन्न अंगों को छूकर ऐसे देख रहे थे जैसे किसी कीमती रत्न की परख कर रहे हों। कुछ लोग यह पूछ रहे थे कि कुत्ता पालतू है या सड़क छाप? किस रंग का है? काला या सफेद। उसे इंजेक्शन लगा है या नहीं? जिस दिन कुत्ते ने काटा उस दिन कौन-सा दिन था? रविवार या बुधवार तो नहीं था? ऐसा इसलिए कि हर दिन का अपना अलग असर होता है। भइया जी ने उन सभी के उत्तर दिए। अंत में धीरे-धीरे आगे की कार्यवाही और चिकित्सा पर बात आ गई।

प्रश्न 4.
‘अथ काटना कुत्ते का भइया जी को’ व्यंग्य का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर:
कुत्ते द्वारा काटे जाने की सामान्य-सी घटना के द्वारा लेखक ने समाज में व्याप्त विसंगतियों और असमानताओं पर गहरा प्रहार किया है। सहानुभूति और संवेदना प्रदर्शन के दिखावटी रूप, परामर्श देने के खोखले उतावलेपन और आत्म-विज्ञापन हेतु ज्ञान की झड़ी लगाने पर लेखक ने तिलमिलाने वाले व्यंग्य की सर्जना की है। सामाजिक स्तर पर फैली हई असमानताओं से उत्पन्न आक्रोश की सार्थक अभिव्यक्ति दी है। इसके लिए लेखक ने कुत्ते की विवेकशीलता को रेखांकित करके व्यंग्य की धार को और ही अधिक तीखा बना दिया है।

अथ काटना कुत्ते का भइया जी को लेखक-परिचय

प्रश्न 1.
डॉ. गंगा प्रसाद गुप्त ‘बरसैंया’ का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
डॉ. गंगा प्रसाद गुप्त का जन्म उत्तर-प्रदेश के बांदा जिला के भौंरी में 6 फरवरी, 1937 को हुआ था। उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अध्यापन से जीविकोपार्जन का कार्य आरंभ किया। इस सिलसिले में उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग में अध्यापन कार्य कई वर्षों तक किया। इस प्रकार कार्य करते हए उन्होंने अपनी योग्यता और प्रतिभा के बल पर प्राचार्य पद को प्राप्त कर लिया। इस पद पर कुछ समय तक कार्य करते हुए वे सेवानिवृत्त हो गए। इस समय वे स्वतंत्र लेखन कर अपनी योग्यता और क्षमता का परिचय दे रहे हैं।

रचनाएँ:
हिन्दी साहित्य में निबंध और निबंधकार’, ‘हिन्दी के प्रमुख एकांकी और एकांकीकार’, ‘छत्तीसगढ़ का साहित्य और साहित्यकार’, ‘आधुनिक काव्य : संदर्भ और प्रकृति’, ‘रस-विलास’, ‘वीर-विलास’, ‘सुदामा चरित’, ‘चिन्तन-अनुचिन्तन’, ‘बुन्देलखण्ड के अज्ञात रचनाकार’ ‘अरमान वर पाने का’, ‘निंदक नियरे राखिए’ आदि डॉ. गुप्त की प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ हैं।

महत्त्व:
गुप्त जी ने समीक्षा, व्यंग्य, काव्य आदि विधाओं में लेखन किया है। दुर्लभ पांडुलिपियों के प्रकाशन के साथ अज्ञात रचनाकारों को केन्द्र बनाकर डॉ. गुप्त ने लगातार शोध-कार्य किया है। गंगा प्रसाद गुप्त की भाषा सहज है, लोक बोलियों के शब्दों का प्रयोग उनके प्रवाह को संप्रेषणीय बना देता है। साहित्य के क्षेत्र में उनके द्वारा दिए योगदान के लिए अनेक संस्थाओं के साथ-साथ महामहिम पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा द्वारा उनको ‘साहित्य श्री’ से सम्मानित किया गया है।

अथ काटना कुत्ते का भइया जी को पाठ का सारांश

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प्रश्न 1.
डॉ. गंगा प्रसाद गुप्त-लिखित व्यंग्य ‘अथ काटना कुत्ते भइया जी को’ के सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
डॉ. गंगा प्रसाद गुप्त-लिखित व्यंग्य ‘अथ काटना कुत्ते का भइया जी को’ एक ऐसा व्यंग्यात्मक निबंध है जिसमें सामाजिक विडम्बनाओं पर कड़ा प्रहार किया गया है। इस व्यंग्य का सारांश इस प्रकार है… जब भइया जी को कुत्ते ने काटा तो यह खबर चारों ओर आग की तरफ फैल गई। जहाँ नहीं पहुँची, वहाँ भइया जी ने स्वये पहुँचा दी। खबर पाते ही लोगों की सहानुभूति भइया जी के प्रति होने लगी।

भइया जी के यहाँ दोनों ही प्रकार के लोगों का जमघट लग गया-बाहर से दुखी और भीतर से प्रसन्न लोगों का जमघट और दूसरी ओर उनके प्रति सचमुच में दुख प्रकट करने वालों का जमघट आए हुए लोग अपने-अपने अलग-अलग सुझाव दे रहे थे। भंइया जी सभी के प्रश्नों, जिज्ञासाओं, आशंकाओं और सुझावों का समाधान कर रहे थे। यों तो सबके भाव और सबके विचार अलग-अलग थे। भइया जी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

भइया जी के दरबार में किसी प्रकार के तर्क-वितर्क की इजाजत नहीं। वह जो कहें, उसे सुनिए और उसे मानिए। भइया जी की हार्दिक इच्छा है कि इस घटना को अखबारों में छपवा दिया जाए, जिससे कुछ अधिकारी और कुछ नेता आकर उन्हें धन्य करें। उससे वह शानपूर्वक कह सकें कि अमुक-अमुक उन्हें देखने आए थे। ऐसा इसलिए कि रोज-रोज कुत्ता किसी को नहीं काटता है। और जब काट ही लिया है तो उसे पूरी तरह भुनाया जाए। तभी तो अपनी महानता और लोकप्रियता का कुछ पता लग सकता है। लोगों की जमघट के बीच भइया जी.फटा कुरता-पाजामा और मरहम पट्टी लगे हाथ-पाँव और कंधों को दिखाते हुए आपबीती सुना रहे थे-रात के अंधेरे में एक टार्च लिये हुए वह एक कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने जा रहे हो।

उसी समय उन्हें एक गरीब परिवार के कुत्ते ने काट लिया। उसने उन पर कैसे आक्रमण किया, वे उससे बचने के लिए क्या-क्या किए। फिर कुत्ते ने उन्हें कैसे काटा और कहाँ-कहाँ काटा, इन बातों को वे पूरे अभिनय के साथ बता रहे थे। उसे सुनकर सभी की सहानुभूति दिखाई देने लगी। फिर संवेदनाओं की ऐसा धारा उमड़ पड़ी कि भइया. उसमें कुछ देर तक बहते रहे। कोई उनके कुरते-पाजामे को रत्न की तरह परख रहा था तो कोई पूछ रहा था कि कुत्ता पालतू था या सड़क छाप। उसका रंग कैसा था। उसे इंजेक्शन लगा था या नहीं, उस दिन कौन-सा दिन था। कहीं रविवार या बुधवार. तो नहीं था। – भइया जी ने सबको एक-एक करके बतलाया। किसी ने सुझाव दिया कि अगर कुत्ता : पालतू है तो उसके मालिक के विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट करनी चाहिए।

किसी ने उसे यह कहकर चुप करा दिया कि कुत्ते का मालिक तो कुत्ते से भी अधिक खतरनाक है। तीसरे ने कहा कि कुत्ते को दस दिन तक अपने घर में बाँधकर ‘वाच’ करना चाहिए। माता जी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि घर में इन्हीं की झंझट अधिक है। घर में बक-बक करने से अच्छा है, ये खुद ही जाकर उसे रोज देख-आया. करेंगे। इसी प्रकार भइया जी को चौदह इंजेक्शन लगवाने, दस कुएँ झाँकने, तीन हजार का एक इंजेक्शन लगवाने, झाड़-फूंक करवाने आदि उपाय बताए गए।

भइयाजी को कुत्ते ने क्यों काटा? इस पर विचार करें तो यह अनुमाम लगाया जा सकता है कि भइया जी लकलक कपड़ों में थे। उन्होंने टार्च की रोशनी कुत्ते पर मारी होगी। कुत्ता भड़क गया होगा कि उसका मालिक दिन-भर खून-पसीना बहाकर फटे-मैले-कुचैले कपड़े पहनता है और ये इस तरह चमकते कपड़े। वे दर-दर की ठोकरें खाते हैं और इनके कुत्ते मालपुए। इसे सोचकर उस कुत्ते ने भइया जी को काट लियां होगा। लेखक का सुझाव है कि उसके साहित्यकार बंधु पद, पुरस्कार और सम्मान की ओर भागकर अपना पथ भ्रष्ट न करें। वे समाज की विडम्बनाओं पर कड़ा प्रहार कर कुत्तों से बचने की कोशिश करें।

पुनश्च अभी-अभी पता चला है कि भइया जी की माता जी का प्रिय कुत्ता पीलू पर किसी बाहरी कुत्ते ने ईष्यावश जब आक्रमण कर दिया तो पीलूं डर से दुम दबा कर घर के भीतर घुस गया। लेकिन माता जी को उस बाहरी कुत्ते ने काट लिया। अब वह भी झाड़-फूंक आदि के चक्कर में भइया जी की बराबरी कर रही हैं। इसलिए भइया जी की बिरादरी के भाई-बहनो! अब सावधान हो जाओ। जमाना करवटें बदल रहा है।

अथ काटना कुत्ते का भइया जी को संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
सुख-दुख के प्रसंग ही आत्मीयता प्रमाणित करने के सबसे अनुकूल सार्वजनिक अवसर होते हैं। वह जमाना गया जब भीतर-ही-भीतर आत्मीयता, स्नेह और श्रद्धा की भावना रखी जाती थी। अब तो बाहर का महत्त्व है। भीतर का क्या भरोसा? भीतर कुछ, बाहर कुछ। इसीलिए आजकल बाहर मैदान में सामने खड़ा करके, लिखवाकर प्रमाणित किया जाता है कि आपके भीतर श्रद्धा, आस्था और आत्मीयता है अथवा नहीं। भीतर की भावना छाती फाड़कर दिखानी पड़ती है। बाहर के लिए दो मिनट की दरबार में हाजिरी, फिर प्रशंसा तथा समर्पण के दो बनावटी शब्द ही पर्याप्त होते हैं।

शब्दार्थ:

  • आत्मीयता – अपनापन।
  • समर्पण – भेंट।
  • पर्याप्त – अधिक।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी सामान्य भाग-1’ में संकलित तथा गंगा प्रसाद गुप्त ‘बरसैंया’-लिखित व्यंग्य ‘अथ काटना कुत्ते का भइया जी को’ शीर्षक से उद्धृत है। इसमें लेखक ने आजकल के दिखावटी भावों पर व्यंग्य प्रहार किया है। इस विषय में लेखक का कहना है कि –

व्याख्या:
किसी के प्रति अपनापन या निकट का भाव प्रकट करने के कुछ खास मौके होते हैं। इस प्रकार के मौके व्यक्तिगत तौर पर होते हैं और सार्वजनिक तौर पर भी। यहाँ यह ध्यान देने की बात है कि व्यक्तिगत तौर की अपेक्षा सार्वजनिक तौर पर प्रकट किए जाने वाले अपनापन के भावों को अधिक खुलकर सामने रखने का मौका बहुत अधिक मिल जाता है। इस प्रकार जमाना पहले नहीं था। पहले तो लोगबाग किसी के प्रति अपनापन के भावों को खुलकर या सबके सामने नहीं प्रकट करते थे। वे तो उसे अपने भीतर-ही-भीतर से धीरे-धीरे प्रकट करते थे। इस प्रकार के अपनापन के भाव कई प्रकार के होते थे, जैसे श्रद्धा के भाव, प्रेम और दुलार के भाव, श्रद्धा और विश्वास के भाव आदि।

लेखक आजकल के बदलते हुए समय में किसी के प्रति अपनापन, श्रद्धा, आस्था, विश्वास, स्नेह आदि के भावों को प्रकट करने के तौर-तरीके बदल गए हैं। इस प्रकार के भावों को प्रकट करना अब आंतरिक कम होकर बाहरी अधिक हो गया है। आजकल की आत्मीयता सार्वजनिक रूप में प्रकट करना आवश्यक हो गया है। यह आत्मीयता व्यक्तिगत आत्मीयता से कहीं आसान होती है। आंतरिक आत्मीयता को प्रकट करने में बड़ी दिक्कत होती है, क्योंकि यह हृदय से निकलकर बाहर आती है, जबकि वाहरी आत्मीयता थोड़ी-सी भेंट और थोड़ी-सी मुलाकात के समय कुछ ही शब्दों में प्रकट हो जाती है। इस प्रकार इसके लिए बनावटी शब्द ही समुचित होते हैं।

विशेष:

  1. भाषा सरल शब्दों की है।
  2. दिखावटी अपनापन पर व्यंग्य प्रहार है।
  3. व्यंग्यात्मक शैली है।
  4. भाव रोचक हैं।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. आत्मीयता कब प्रकट की जानी चाहिए?
  2. पहले की आत्मीयता कैसी होती थी?

उत्तर:

  1. आत्मीयता सुख-दुख के प्रसंग पर सार्वजनिक मौके आने पर ही प्रकट की जानी चाहिए।
  2. पहले की आत्मीयता सच्ची और भीतर-ही-भीतर होती थी।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. बदले हुए जमाने में आत्मीयता कैसी हो रही है?
  2. आजकल आत्मीयता किस प्रकार प्रकट की जाती है?

उत्तर:

  1. बदले हुए जमाने में आत्मीयता भी बदलती जा रही है। अब वह आंतरिक न होकर बाहरी हो गई है।
  2. आजकल आत्मीयता दो मिनट के दरबार में हाजिरी लगाने के बाद चापलूसी और भेंट के कुछ बनावटी शब्दों के द्वारा प्रकट की जाती है।

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प्रश्न 2.
भइया जी की हार्दिक इच्छा है कि यह समाचार अखबारों में भी छप जाए और कुछ नेता और अधिकारी भी आकर उन्हें धन्य करें, ताकि वह शान से बतला सकें कि कौन-कौन देखने आए थे। आखिर कुत्ता रोज-रोज तो किसी को काटता नहीं। अब जब काट ही लिया है, तो उसे पूरी तरह से भुनाया जाए। इससे महत्ता और लोकप्रियता का भी अनुमान लग जाता है।

शब्दार्थ:

  • भुनाया जाए – फायदा उठाया जाए।
  • लोकप्रियता – सर्वप्रियता।
  • महत्ता – महत्त्व।

प्रसंग:
पूर्ववत्। इसमें लेखक ने भइया जी को आजकल के अवसरवादी नेताओं की सोच-समझ के रूप में प्रस्तुत किया है। इस विषय में लेखक का कहना है कि –

व्याख्या:
भइया जी को कुत्ते ने काट लिया तो उन्हें अनेक प्रकार की इच्छाएँ . जोर मारने लगीं। उन इच्छाओं में एक हार्दिक इच्छा यह भी जोर मार रही थी कि कुत्ता काटने का समाचार आस-पास के लोगबाग तो जान ही गए हैं दूर-दूर के भी लोग इसे जान जाएँ, इसके लिए एक अच्छा तरीका यह भी हो सकता है कि इसे अखबारों में छपने के लिए दे दिया जाए। इससे यह खबर साधारण-से-साधारण लोग तो जान ही जाएँगे। उनके अतिरिक्त कुछ छोटे-बड़े नेता, समाजसेवी और छोटे-बड़े अधिकारी भी जान जाएँगे। फिर वे उनके पास आएँगे और उनके प्रति अपनी सहानुभूति और आत्मीयता को सबके सामने प्रकट करेंगे।

इससे वे बड़ी शान से सिर उठाकर सबसे कह सकेंगे कि कौन-कौन नेता और अधिकारी उनकी खैरियत पूछने आए थे। इस तरह इस मौके का क्यों न फायदा उठाया जाए! ऐसा इसलिए कि कुत्ता रोज-रोज तो नहीं काटता है। आज.काट लिया है, तो उसके बहाने लोगों की सहानुभूति और आत्मीयता को क्यों न बटोर लिया जाए। इससे जो महत्त्व, लोकप्रियता और जन-सम्पर्क प्राप्त होंगे वे शायद कभी फिर मिले। ऐसा इसलिए कि यह मौका बार-बार नहीं मिलता है और यह सबको नसीब भी नहीं होता है।

विशेष:

  1. भाषा में ताजगी और ओज है।
  2. व्यंग्य प्रहार की तीव्रता है।
  3. अवसरवादी लोगों पर व्यंग्य किया गया है।
  4. मुहावरों (शान से बतलाना, धन्य करना) के प्रयोग यथा स्थान हैं।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. ‘कछ नेता और अधिकारी आकर धन्य करें’ का आशय क्या है?
  2. भइया जी को हार्दिक इच्छा क्यों हुई?

उत्तर:

  1. ‘कुछ नेता और अधिकारी आकर धन्य करें’ का आशय है कि उन्हें साधारण लोग ही नहीं अपितु बड़े-बड़े अधिकारी भी जानते हैं। उनके आने से उनके प्रति बहुत बड़ी आत्मीयता प्रकट की जाएगी।
  2. भइया जी को हार्दिक इच्छा हुई। यह इसलिए कि उन्हें ऐसा लगा कि इस हार्दिक इच्छा को कार्य रूप देने से उनका कद और बढ़ जाएगा।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. ‘आखिर कुत्ता रोज-रोज तो किसी को काटता नहीं’ का व्यंग्यार्थ लिखिए।
  2. अब जब काट ही लिया है, तो उसे पूरी तरह भुनाया जाए।’ का मुख्य भाव बताइए।

उत्तर:

  1. ‘आखिर कुत्ता रोज-रोज तो किसी को काटता नहीं।’ का व्यंग्यार्थ है-‘रोज-रोज तो आत्मीयता और सहानुभूति बटोरने के लिए मुसीबत नहीं आती है।
  2. ‘अब जब काट ही लिया है तो उसे पूरी तरह से भुनाया जाए।’ का मुख्य भाव है-जब मुसीबत आ ही गई है तो उसका फायदा लोगों से सहानुभूति प्राप्त करके उठा लिया जाए। न जाने यह मौका फिर कभी आएगा या नहीं।

प्रश्न 3.
प्रश्न उठता है कि आखिर भाइया जी को कुत्ते ने क्यों काटा होगा? असल में भइया जी अपने स्वभाव के अनुरूप झकाझक कपड़ों में थे। ऊपर से कत्ते पर टॉर्च की रोशनी मारी। कुत्ते को लगा कि मुझ निर्धन बस्ती के कुत्ते को यह संपन्न व्यक्ति अपनी चमक और रोशनी से चकाचौंध करना चाहता है। मेरा मालिक दिनभर परिश्रम कर पसीने से लथपथ फटे-मैले-कुचले कपड़ों में आता है और इनके कपड़ों पर एक दाग भी नहीं।

हम दर-दर की ठोकरें खायें और ये तथा इनके कुत्ते मालपुए खाएँ। गाड़ियों में घूमें। झकाझक कपड़ों की शान बघारें। आदमी-आदमी तथा कुत्ते-कुत्ते में भेद पैदा करें। उसके भीतर की अपमान की व्यथा आक्रोश की आग बनकर भड़क उठी और जैसे ही भइया जी उधर से निकले तो उसने आक्रमण करके कुरता-पाजामा को तार-तार कर दिया। हाथ-पाँव, कंधों को दाँत और नाखूनों से खरोंच डाला मानो घोषित कर दिया कि अवसर मिलते ही हम अपने अपमान का बदला लेने से नहीं चूकेंगे। निर्धन बस्ती का यह कुत्ता एक दिन संपन्न बस्ती में अपना झण्डा अवश्य गाड़ेगा।

शब्दार्थ:

  • झकाझक – चमकते-दमकते।
  • संपन्न – सुखी।
  • शान बखारे – बड़प्पन दिखाएँ।
  • व्यथा – कष्ट, दुख, पीड़ा।
  • तार-तार करना – टुकड़े-टुकड़े करना।
  • खरोंच डाला – नोंच डाला।

प्रसंग:
पूर्ववत्। इसमें लेखक अमीरी-गरीबी में भेद रखने वालों पर कुत्ते के माध्यम से व्यंग्य प्रहार किया है। भइया जी को कुत्ते ने क्यों काटा इसे व्यंग्यात्मक रूप में प्रस्तुत करते हुए लेखक का कहना है कि –

व्याख्या:
यों तो कुत्ते किसी-न-किसी को काटते हैं और अलग-अलग कारणों से काटते हैं, लेकिन भइया जी को कुत्ता ने काय है तो किन कारणों से, यह एक विचारणीय प्रश्न है। इस विषय में सोचने-समझने पर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जिस समय भइया जी को कुत्ते ने काटा, उस समय वे हमेशा की ही तरह चमकते-दमकते कपड़े पहने हुए थे। चूंकि उस समय अंधेरा था। इसलिए वे टार्च की रोशनी किए हुए एक कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने जा रहे थे। इसी दौरान उनके टार्च की रोशनी सामने एक कुत्ते पर पड़ी।

उस रोशनी से वह कुत्ता भड़क उठा। उसे क्रोध आ गया होगा कि यह सम्पन्न और चमक-दमक वाला आदमी गरीब बस्ती में रहने वाले कुत्ते पर अपनी शान दिखा रहा है। उसका मालिक दिन-भर खून-पसीना बहाने पर भी हमेशा फटा-पुराना और गंदे कपड़ों में रहता है। इसलिए उसके यहाँ रहकर हम इधर-उधर भटकते रहते हैं। फिर भी हमें भरपेट भोजन नसीब नहीं होता है। लेकिन इनके कुत्तों की तो मौज ही मौज है। ये मालपुए खाते रहते हैं। अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर अपने मालिक के साथ गाड़ियों में इधर-उधर मस्ती छानते रहते हैं।

भइया जी को काटने वाले कुत्ते को इस बात पर भी क्रोध आया कि क्या इस प्रकार के आदमी को चाहिए कि आदमी आदमी के प्रति भेदभाव करे और कुत्ता कुत्ते के प्रति भेदभाव रखे। यह तो सचमुच अपनी जाति और बिरादरी के प्रति अत्याचार और अन्याय है। यह तो किसी समझदार प्राणी के लिए बर्दाश्त से बाहर है। इस प्रकार की बातों से वह कुत्ता उत्तेजित हो गया होगा। अपनी उस उत्तेजना का शिकार उसने भइया जी को बनाया। उसने उन्हें देखते ही उन पर ताबड़तोड़ काटना शुरू कर दिया।

उसने उनके चमकते-दमकते कुरते-पाजामे को काट-नोचकर तार-तार कर दिया। उनके हाथ, पैर और कंधे अपने नुकीले दातों और तेज नाखूनों से काट-नोंच डाला। ऐसा करके उसने यह साबित कर दिया कि वह और उसकी गरीब बिरादरी किसी से होने वाले अपमान को नहीं सहन करेंगे। जैसे ही कोई मौका मिलेगा, वे उस अपमान का बदला लेकर ही रहेंगे। इस तरह उसे विश्वास है कि निर्धन बस्ती का होकर भी वह अपनी विजय-पताका धनी बस्ती में कभी-न-कभी अवश्य फहराकर ही रहेगा।

विशेष:

  1. कथन रोचक और सरस है।
  2. व्यंग्यपूर्ण वाक्य-गठन है।
  3. उर्दू-हिन्दी की मिश्रित शब्दावली है।
  4. मुहावरों (दर-दर की ठोकरें खाना, शान बघारना, भड़क उठना, तार-तार कर देना और झण्डा गाड़ना) के प्रयोग सार्थक हैं।
  5. साधन-सम्पन्न व्यक्तियों द्वारा अमीरी-गरीबी में भेद करने के प्रयासों पर तीखा व्यंग्य प्रहार किया है।
  6. व्यंग्यात्मक शैली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. ‘भइया जी को कुत्ते ने क्यों काटा होगा?’ लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
  2. भइया जी को कुत्ते के काटने का मुख्य कारण क्या रहा होगा?

उत्तर:
1. ‘भइया जी को कुत्ते ने क्यों काटा होगा? ऐसा लेखक ने इसलिए कहा है कि भइया सज्जन, बुजुर्ग और विद्वान हैं। वे चींटी तक से डरते हैं। इसलिए जब उन्हें कुत्ते ने काटा तो उसकी कोई बहुत बड़ी खास वजह होगी। उसके बारे में अवश्य सोच-विचार या अनुमान लगाया जाना चाहिए।

2. भइया जी को कुत्ते के काटने को मुख्य कारण रहा होगा कि उस कुत्ते को यह लगा कि यह संपन्न आदमी अपनी शान-शौकत से निर्धन बस्ती के उस कुत्ते को अपमानित करना चाहता है।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. कुत्ते ने भइया जी पर किस तरह का आक्रमण किया?
  2. कुत्ते ने भइया जी को काटकर क्या संदेश दिया?

उत्तर:

  1. कुत्ते ने भइया जी पर बुरी तरह से आक्रमण किया। उसने उन पर आक्रमण करके उनके कुरता-पाजामा को तार-तार कर दिया। यही नहीं, उनके हाथ-पैर और कंधे को अपने दांतों और नाखूनों से काट-खरोंच डाला।
  2. कुत्ते ने भइया जी को काटकर यह संदेश दिया कि करीब अपने अपमान का बदला अमीरों से भी लेने में नहीं चुकते हैं।

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प्रश्न 4.
आजकल साहित्यकार सत्ता और समर्थकों का गायक बनकर सम्मान और पैसे के पीछे भाग रहा है। दीन-हीन शोषितों की बिरादरी का यह रचनाकार सुखभोगी बनकर भ्रष्ट हो रहा है। अतः इसे सचेत कर सही मार्ग पर लाना जरूरी है। मुझे भइया जी को कुत्ते द्वारा काटे जाने का कारण और समाधान मिल गया। मैं कुत्तों की ओर से अपने साहित्यकार बंधुओं को आगाह करता हूँ कि वे पद, पुरस्कार और सम्मान की ओर भागकर अपने को पथभ्रष्ट न करें। सत्यमार्ग पर चलें। जरूरतमंदों और शोषितों के साथी बनकर समाज की विसंगतियों पर प्रहार करें अन्यथा उन्हें कुत्तों के प्रहार से नहीं बचाया जा सकता। झाड़-फूंक और इंजेक्शन भी उनकी रक्षा नहीं कर सकेंगे।

शब्दार्थ:

  • गायक – गाने वाला।
  • आगाह – सावधान।
  • विसंगतियों – विषमताओं, विडम्बनाओं।
  • प्रहार – चोट।

प्रसंग:
पूर्ववत्। इसमें लेखक ने यह बतलाने का प्रयास किया है कि वर्तमान समय में किस प्रकार साहित्यकार अपने साहित्य निर्माण की दिशा से भटककर पदलोलुप बन रहा है। इस विषय में लेखक का कहना है कि –

व्याख्या:
वर्तमान समय में साहित्यकार साहित्य-रचना छोड़कर सत्ताधारियों और सत्ता के समर्थकों की चापलूसी कर रहा है। इस चापलूसी के पीछे उसका एकमात्र उद्देश्य यही है कि उसे कोई पद-सम्मान मिल जाए। उसे पहले से अधिक साधन और सुविधा प्राप्त हो जाए। हालाँकि वह दीन-हीन और शोषित होने के साथ उपेक्षित है। लेकिन वह अपनी इस दुर्दशा को भूलकर मिली हुई सुख-सुविधा से साहित्य-रचना के सत्यमार्ग से भटक रहा है। उसे लगभग भूल चुका है। इसलिए अब यह आवश्यक लेखक का पुनः कहना है कि उससे यह अच्छी तरह से समझ में आ गया है कि भझ्या जी को कुत्ते ने क्यों काटा था और उसका इलाज क्या है।

इसलिए अपने साहित्यकार प्रेमियों-बंधुओं को इस बात के लिए सावधान करना चाहता हूँ कि वे अपने साहित्य-रचना के सत्यमार्ग का परित्याग कर पदलोलुप और सुविधाभोगी बनने से बाज आएँ। सत्य साहित्य-रचना में ही व्यस्त रहें। यही नहीं, जो शोषित और उपेक्षित हैं, उनके प्रति सहानुभूति रखें। उनका सच्चा साथी बनकर सामाजिक भेदभावों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए कमर कस लें। अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो उन्हें सामाजिक कुत्तों के काटने से नहीं बचाया जा सकता है और न ही उन्हें इससे बचने का कोई मौका ही दिया जा सकता है। यह भी ध्यान रहे कि सामाजिक कुत्तों के काटने का कोई इलाज भी नहीं होता है, न झाड़-फूंक और न इंजेक्शन ही।

विशेष:

  1. भाषा सरल शब्दों की है।
  2. शैली व्यंग्यात्मक है।
  3. मुहावरों (पीछे भागना, भ्रष्ट होना व आगाह करना) के प्रयोग यथास्थान हुए हैं।
  4. पदलोलुप और सुविधाभोगी पथभ्रष्ट साहित्य पर सीधा व्यंग्य प्रहार किया गया है।
  5. व्यंजना शब्द-शक्ति है।
  6. यह अंश मर्मस्पशी है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. आजकल के साहित्यकार क्या हो रहे हैं?
  2. आजकल के साहित्यकारों के प्रति लेखक का कौन-सा भाव प्रकट हुआ है?

उत्तर:

  1. आजकल के साहित्यकार पदलोलुप और सुविधाभोगी हो रहे हैं।
  2. आजकल के साहित्यकारों के प्रति लेखक का आत्मीय भाव प्रकट हुआ है।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. आजकल के साहित्यकारों को सही मार्ग पर लाना क्यों जरूरी है?
  2. आजकल के साहित्यकारों को लेखक ने क्या सुझाव दिया है?

उत्तर:

  1. आजकल के साहित्यकारों को सही मार्ग पर लाना जरूरी है। यह इसलिए कि वे साहित्य रचना के सत्यमार्ग को छोड़ सुखभोगी और पदलोलुप बन रहे हैं।
  2. आजकल के साहित्यकारों को लेखक ने सुझाव दिया है कि वे जरूरतमंदों और शोषितों के साथी बनकर समाज की विसंगतियों पर प्रहार करें।

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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

कणों के निकाय तथा घूर्णी गति अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 7.1.
एक समान द्रव्यमान घनत्व के निम्नलिखित पिंडों में प्रत्येक के द्रव्यमान केंद्र की अवस्थिति लिखिए:

  1. गोला
  2. सिलिंडर
  3. छल्ला तथा
  4. घन।

क्या किसी पिंड का द्रव्यमान केंद्र आवश्यक रूप से उस पिंड के भीतर स्थित होता है?
उत्तर:

  1. गोला
  2. सिलिंडर
  3. छल्ला व
  4. घन.

चारों का द्रव्यमान केन्द्र उनका ज्यामितीय केन्द्र होता है। नहीं, जहाँ कोई पदार्थ नहीं है। जैसे वलय, खोखले सिलिंडर व खोखले गोले में द्रव्यमान केन्द्र पिंड के बाहर भी हो सकता है।

प्रश्न 7.2.
HCI अणु में दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच पृथकन लगभग 1.27 Å (1Å = 10-10 m) है। इस अणु के द्रव्यमान केंद्र की लगभग अवस्थिति ज्ञात कीजिए। यह ज्ञात है कि क्लोरीन का परमाणु हाइड्रोजन के परमाणु की तुलना में 35.5 गुना भारी होता है तथा किसी परमाणु का समस्त द्रव्यमान उसके नाभिक पर केंद्रित होता है।
उत्तर:
माना द्रव्यमान केन्द्र H परमाणु से x दूरी पर है। माना हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान, m1 = m
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 1
तथा क्लोरीन परमाणु का द्रव्यमान m2 = 35.5 m
माना द्रव्यमान केन्द्र (मूलबिन्दु) के सापेक्ष H व C1 \(\vec { r } \) 1 व \(\vec { r } \) 2 दूरी पर है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 2
= 1.235
= 1.24 Å
अर्थात् द्रव्यमान केन्द्र H – परमाणु से 1.24 A की दूरी पर Cl परमाणु की ओर है।

प्रश्न 7.3.
कोई बच्चा किसी चिकने क्षैतिज फर्श पर एकसमान चाल v से गतिमान किसी लंबी ट्राली के एक सिरे पर बैठा है। यदि बच्चा खड़ा होकर ट्राली पर किसी भी प्रकार से दौड़ने लगता है, तब निकाय (ट्राली + बच्चा) के द्रव्यमान केंद्र की चाल क्या है?
उत्तर:
प्रश्नानुसार, ट्राली एक चिकने क्षैतिज फर्श पर गति कर रही है। इसलिए फर्श के चिकना होने के कारण निकाय पर क्षैतिज दिशा में कोई बाह्य बल नहीं लगता है। परन्तु जब बच्चा दौड़ता है तब बच्चे द्वारा ट्राली पर व ट्राली द्वारा बच्चे पर लगाए गए दोनों ही बल आन्तरिक बल होते हैं।
∴ \(\overrightarrow { F_{ ext } } \) = 0
संवेग संरक्षण के नियमानुसार M \(\overrightarrow { V_{ cm } } \) = नियतांक
∴ \(\overrightarrow { V_{ cm } } \) = नियतांक
अतः द्रव्यमान केन्द्र की स्थित चाल होगी।

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प्रश्न 7.4.
दर्शाइये कि a एवं b के बीच बने त्रिभुज का क्षेत्रफल axb के परिमाण का आधा है।
उत्तर:
माना ∆AOB की संलग्न भुजाओं के सदिश \(\overrightarrow { a } \) व \(\overrightarrow { b } \) है।
∴ < AOB = θ
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तथा माना त्रिभुज की ऊँचाई h है।
∴h = AC
समकोण ∆OCA में,
sin θ = \(\frac{AC}{OA}\)
या Ac = OA sin θ
h = b sin θ
हम जानते हैं कि त्रिभुज. AOB का क्षेत्रफल
= \(\frac{1}{2}\) × आधार × ऊँचाई
= \(\frac{1}{2}\) × OB × AC = \(\frac{1}{2}\) × a × b
= \(\frac{1}{2}\) × a × b sin θ
= \(\frac{1}{2}\) ab sin θ
पुनः सदिश गुणन के नियम से
\(\overrightarrow { a } \) × \(\overrightarrow { b } \) = ab sin θ \(\hat { n } \)
या |\(\overrightarrow { a } \) × \(\overrightarrow { b } \)| = |ab sin θ \(\hat { n } \)|
= ab sin θ [∴|\(\hat { n } \)| = 1]
∴समी० (ii) व (iii) से,
∆AOB का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) |\(\overrightarrow { a } \) × \(\overrightarrow { b }\)|
= \(\frac{1}{2}\) \(\overrightarrow { a } \) × \(\overrightarrow { b } \) का परिमाणा

प्रश्न 7.5.
दर्शाइये कि a.(b × c) का परिमाण तीन सदिशों a, b एवं c से बने समान्तर षट्फलक के आयतन के बराबर है।
उत्तर:
माना OABCDEFG एक समान्तर षट्फलक है जिसकी भुजाएँ क्रमश: OA, OC व OE हैं।
माना कि
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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 4a
जहाँ h = a cos θ = \(\overrightarrow { a } \) के शीर्ष द्वारा समचतुर्भुज OABC पर डाला गया लम्ब EE’ है = सदिश a की ऊँचाई।
पुनः माना V = समषट्फलक OABC = DEFG का आयतन है।
∴ V = तल OABC का क्षेत्रफल x OABC तल पर E से अभिलम्ब
= S × h
समी० (i) व (ii) से,
v = \(\overrightarrow { a } \) . (\(\overrightarrow { b } \) × \(\overrightarrow { c } \))

प्रश्न 7.6.
एक कण, जिसके स्थिति सदिश के x, y, z अक्षों के अनुदिश अवयव क्रमशः x, y, हैं, और रेखीय संवेग सदिश P के अवयव px, Py, Pz, हैं, के कोणीय संवेग 1 के अक्षों के अनुदिश अवयव ज्ञात कीजिए। दर्शाइये, कि यदि कण केवल x – y तल में ही गतिमान हो तो कोणीय संवेग का केवल :-अवयव ही होता है।
उत्तर:
माना OX, OY तथा OZ तीन परस्पर लम्बवत् अक्ष हैं। माना x – y तल में स्थिति सदिश
\(\overrightarrow { O } \)P = \(\overrightarrow { r } \) एक बिन्दु P है।
माना रेखीय संवेग \(\overrightarrow { P } \) का \(\hat { r } \) से कोण θ है व कोणीय संवेग \(\overrightarrow { L } \) है।
∴\(\overrightarrow { L } \) = \(\hat { r } \) × \(\hat { p } \)
यह एक संवेग राशि है जिसकी दिशा दाएँ हाथ के नियम से दी जा सकती है। चूँकि \(\hat { r } \) व \(\hat { p } \) तल OXY में हैं। अतः
\(\overrightarrow { r } \) = x\(\hat { i } \) + y\(\hat { j } \) + z\(\hat { k } \)
तथा
\(\overrightarrow { P } \) = px\(\hat { i } \) + py\(\hat { j } \) + pz\(\hat { k } \)
∴समी० (i) व (ii) से,
\(\overrightarrow { L } \) = (x\(\hat { i } \) + y\(\hat { j } \) + z\(\hat { k } \) ) ×
(px\(\hat { i } \) + py\(\hat { j } \) + pz\(\hat { k } \))
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 5
Px P, P.
तुलना करने पर,
Lx, = yPz – zPy
Ly, = zpx – xPz
Lz = xpy – yPx
समी० (iii) से, x, y व z – अक्षों के अनुदिश – के अभीष्ट घटक प्राप्त होते हैं।
हम जानते हैं कि xy – तल में गतिमान कण पर लगने वाला बलाघूर्ण
iz =xFy, – yFz.
जहाँ \(\hat { i } \)z = xy तल में गतिमान गण – अक्ष के अनुदिश लगने वाले बलाघूर्ण का घटक है।
माना xy – तल में \(\overrightarrow { v } \) वेग से गतिमान कण का द्रव्यमान = m इस वेग के vx, व vy, घटक क्रमश: x व – दिशा में हैं।
न्यूटन के गति के दूसरे समी० से,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 6
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 6a
अतः समीकरण (vii) से यह निष्कर्ष निकलता है, कि. xy – तल में गतिमान कण का कोणीय वेग (\(\overrightarrow { L } \)) का केवल एक घटक अर्थात् z – अक्ष के अनुदिश है।

प्रश्न 7.7.
दो कण जिनमें से प्रत्येक का द्रव्यमान m एवं चाल v है d दूरी पर, समान्तर रेखाओं के अनुदिश, विपरीत दिशाओं में चल रहे हैं। दर्शाइये कि इस द्विकण निकाय का सदिश कोणीय संवेग समान रहता है, चाहे हम जिस बिन्दु के परितः कोणीय संवेग लें।
उत्तर:
माना दूरी पर दो समान्तर रेखाओं के अनुदिश गतिमान प्रत्येक कण का द्रव्यमान m है।
माना v प्रत्येक कण विपरीत दिशा में चाल है। माना कि क्षण t व कण P1 व P2, बिन्दुओं पर हैं।
अब इन दोनों कणों द्वारा बनाए गए निकाय का किसी बिन्दु 0 के परितः कोणीय संवेग ज्ञात करते हैं। माना प्रत्येक कण का कोणीय संवेग \(\overrightarrow { L } \) 1 व \(\overrightarrow { L } \)2 है।
∴ \(\overrightarrow { L } \)1 = \(\overrightarrow { r } \)1 × m \(\overrightarrow { v } \) व \(\overrightarrow { L } \)2 = \(\overrightarrow { r } \)2 × m \(\overrightarrow { v } \)
माना कि निकाय का कोणीय संवेग \(\overrightarrow { L } \) है।
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1. जहाँ θ1 व θ2, क्रमश: \(\overrightarrow { r } \)1, \(\overrightarrow { v } \) व \(\overrightarrow { r } \)2, (-\(\overrightarrow { v } \)) के बीच कोण हैं। (चित्र)।
चूँकि कण की स्थिति समय के सापेक्ष परिवर्तित होती है।
अतः \(\overrightarrow { v } \) की दिशा समान रेखा में होगी तथा OM – ON = r2 sin θ2, व ON =r2 sin 6 नियत रहेगा।
पुनः OM – ON = d = MN
∴ r1 sin θ1 – r2 sin θ2 = d

2. समी० (i) व (ii) से,
L = mvd
\(\overrightarrow { L } \) की दिशा भी \(\overrightarrow { r } \) व \(\overrightarrow { v } \) के तल के लम्बवत् होती है। जोकि कागज के तल में होगी। यह दिशा समय के साथ अपरिवर्तित रहती है।
अर्थात् \(\overrightarrow { L } \) परिमाण व दिशा में समान रहता है।

प्रश्न 7.8.
w भार की एक असमांग छड़ को, उपेक्षणीय भार वाली दो डोरियों से चित्र में दर्शाये अनुसार लटका कर विरामावस्था में रखा गया है। डोरियों द्वारा ऊर्ध्वाधर से बने कोण क्रमश: 36.9° एवं 53.1° हैं। छड़ 2 m लम्बाई की है। छड़ के बाएँ सिरे से इसके गुरुत्व केन्द्र की दूरी d ज्ञात कीजिए।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 8
उत्तर:
माना एक समान छड़ AB का भार W, है। यह छड़ दो डोरियों OA व 0 B से लटकायी गई है। ऊर्ध्वाधर से OA छड़ से 36.9° व 0 B छड़ से 53.1° कोण पर है।
<OAA’ = 90° – 36.9° = 53.1°
इसी प्रकार, <O’BB’ = 36.9°
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 9
AB – 2M, AC = d मीटर
माना डोरी OA व O’B में तनाव क्रमश: T1, व T2, है। यहाँ वियोजित घटक चित्रानुसार होंगे।
चूँकि छड़ विराम में है, अत: A’ B’ अक्ष के अनुदिश व लम्बवत् लगने वाले बलों का सदिश योग शून्य है। अतः
– T1, cos 53.1° + T2 cos 36.9° = 0 … (i)
तथा T1 sin 53.1° + T2, sin 36.9° – W = 0 … (ii)
A के परितः बलाघूर्ण लेने पर व बलाघूर्णों के योग का शून्य रखने पर –
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प्रश्न 7.9.
एक कार का भाग 1800 kg है। इसकी अगली और पिछली धुरियों के बीच की दूरी 1.8 m है। इसका गुरुत्व केन्द्र, अगली धुरी से 1.05 m पीछे है। समतल धरती द्वारा इसके प्रत्येक अगले और पिछले पहियों पर लगने वाले बल की गणना कीजिए।
उत्तर:
माना आगे के पहिए का द्रव्यमान = m ग्राम
∴ (900 – m) kg = प्रत्येक पहिए का द्रव्यमान
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 12
∴m × 1.05 = (900 – m) × 0.75
या 1.8m = 900 × 0.75
या m = 375 kg
∴ 900 – m = 525 kg
आगे के प्रत्येक पहिये का भार,
w1 = mg = 375 × 9.8 = 3675 न्यूटन
पीछे के प्रत्येक पहिये का भार,
W2 = 525 × 9.8 = 5145 न्यूटन
पृथ्वी द्वारा पहिये पर आरोपित बल = पृथ्वी की प्रतिक्रिया
= W1 = 3675 न्यूटन
इसी प्रकार, प्रत्येक पीछे के पहिये पर पृथ्वी द्वारा आरोपित बल = पृथ्वी की प्रतिक्रिया
w2 = 5145 न्यूटन

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प्रश्न 7.10.

  1. किसी गोले का, इसके किसी व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण 2MR2/5 है, जहाँ M गोले का द्रव्यमान एवं R इसकी त्रिज्या है। गोले पर खींची गई स्पर्श रेखा के परितः इसका जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
  2. M द्रव्यमान एवं R त्रिज्या वाली किसी डिस्क का इसके किसी व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण MR2/4 है। डिस्क के लम्बवत् इसकी कोर से गुजरने वाली अक्ष के परितः इस चकती का जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।

उत्तर:

1. माना व्यास AB के परित: R त्रिज्या के गोले का जड़त्व आघूर्ण IAB है। जबकि गोले का द्रव्यमान m है।
IAB = \(\frac{1}{2}\) MR2
माना गोले के व्यास AB के समान्तर स्पर्शी CD है।
∴समान्तर x – अक्षों की प्रमेय से,
स्पर्श रेखा के परितः गोले का जड़त्व आघूर्ण
ICD = IAB + MR2
= \(\frac{2}{5}\) MR2 + MR2
= \(\frac{7}{5}\) MR2
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 13

2. माना M द्रव्यमान तथा Rत्रिज्या के गोले के दो कास AB व CD हैं। माना चकती के लम्बवत् इसके द्रव्यमान केन्द्र 0 से गुजरने वाली अक्ष EF है।

चकती के लम्बवत् अक्ष DG है जोकि चकती की परिधि पर स्थित बिन्दु D से गुजरती है।
अर्थात् DG, EF के समान्तर है। माना चकती का EF अक्ष के परित: जड़त्व आघूर्ण IEF है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 14
∴ लम्बवत् अक्षों की प्रमेय से,
IEE = IAB + ICD
= \(\frac { MR^{ 2 } }{ 4 } \) + \(\frac { MR^{ 2 } }{ 4 } \) = \(\frac { MR^{ 2 } }{ 2 } \)
∴समान्तर अक्षों की प्रमेय से,
IDG = IEF + MR2
= \(\frac{1}{2}\) MR2 + MR2 = \(\frac{3}{2}\) 2

प्रश्न 7.11.
समान द्रव्यमान और त्रिज्या के एक खोखले बेलन और एक ठोस गोले पर समान परिमाण के बल आघूर्ण लगाये गये हैं। बेलन अपनी सामान्य सममित अक्ष के परितः घूम सकता है और गोला अपने केन्द्र से गुजरने वाली किसी अक्ष के परितः। एक दिये गये समय के बाद दोनों में कौन अधिक कोणीय चाल प्राप्त कर लेगा?
उत्तर:
माना खोखले बेलन व ठोस गोले के द्रव्यमान व त्रिज्या क्रमश: M व R हैं।
माना खोखले बेलन का सममित के परित: जड़त्व आघूर्ण L1, है तथा ठोस गोले का केन्द्र के परितः जड़त्व आघूर्ण I2, है।
∴I1 = MR2
[I = \(\frac{1}{2}\) (R12 + R22 ~ MR2R 2 ~ R1 ~ R1)
तथा I2 = \(\frac{2}{5}\) MR2
माना प्रत्येक पर लगाया गया बलापूर्ण \(\hat { k } \)  है। माना a, व a, क्रमश: बेलन व गोले पर कोणीय त्वरण हैं।
∴\(\hat { i } \) = I1α1 = I2α2
∴\(\frac { \alpha _{ 1 } }{ \alpha _{ 2 } } \) = \(\frac { I_{ 2 } }{ I_{ 1 } } \) = \(\frac{2}{5}\)
∴ α2 = 2.5 α1
माना ω1, व ω2, किसी क्षण t पर बेलन व गोले की कोणीय चाल है।
∴ω1 = ω0 + α1t व
ω2 = ω0 + α2t
= ω0 + 2.5 α1t
समी० (iv) व (v) से
ω2 > ω1
अर्थात् गोले की कोणीय चाल बेलन से अधिक होगी।

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प्रश्न 7.12.
20 kg द्रव्यमान का कोई ठोस सिलिंडर अपने अक्ष के परितः 100 rad s-1 की कोणीय चाल से घूर्णन कर रहा है। सिलिंडर की त्रिज्या 0.25 m है। सिलिंडर के घूर्णन से संबद्ध गतिज ऊर्जा क्या है? सिलिंडर का अपने अक्ष के परितः कोणीय संवेग का परिमाण क्या है?
उत्तर:
दिया है:
m = 20 किग्रा
R = 0.25 मीटर
ω = 100 रेडियन प्रति सेकण्ड
माना बेलन की अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण I है
तब
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 15

प्रश्न 7.13.
(a) कोई बच्चा किसी घूर्णिका (घूर्णीमंच) पर अपनी दोनों भुजाओं को बाहर की ओर फैलाकर खड़ा है। घूर्णिका को 40 rev/min की कोणीय चाल से घूर्णन कराया जाता है। यदि बच्चा अपने हाथों को वापस सिकोड़ कर अपना जड़त्व आघूर्ण अपने प्रारंभिक जड़त्व आघूर्ण का 2/5 गुना कर लेता है, तो इस स्थिति में उसकी कोणीय चाल क्या होगी? यह मानिए कि घूर्णिका की घूर्णन गति घर्षणरहित है।

(b) यह दर्शाइए कि बच्चे की घूर्णन की नयी गतिज ऊर्जा उसकी आरंभिक घूर्णन की गतिज ऊर्जा से अधिक है। आप गतिज ऊर्जा में हुई इस वृद्धि की व्याख्या किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:

(a) माना बच्चे का प्रारम्भिक व अन्तिम जड़त्व आघूर्ण क्रमशः I1 व I2 है।
अतः
∴I2 = \(\frac{2}{5}\) I1 दिया है।
V1 = 40 rev/min = \(\frac{40}{60}\) rev/min
V2 = ?
∴ω1 = 2 πv1
माना बच्चे को बाहर की ओर हाथ फैलाकर व सिकोड़कर घूर्णीय चाल क्रमश: ω1 व ω2 है। रेखीय संवेग संरक्षण के नियम से,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 16

(b) घूर्णन की प्रा० गतिज ऊर्जा =
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 17
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 17a
स्पष्ट है कि हाथ सिकोड़कर बच्चे की घूर्णन गतिज ऊर्जा, घूर्णन की प्रा० गतिज ऊर्जा से \(\frac{5}{2}\) गुना अधिक है।
अन्तिम स्थिति में गतिज ऊर्जा में वृद्धि, बच्चे की आन्तरिक ऊर्जा के कारण होती है।

प्रश्न 7.14.
3 kg द्रव्यमान तथा 40 cm त्रिज्या के किसी खोखले सिलिंडर पर कोई नगण्य द्रव्यमान की रस्सी लपेटी गई है। यदि रस्सी को 30 N बल से खींचा जाए तो सिलिंडर का कोणीय त्वरण क्या होगा? रस्सी का रैखिक त्वरण क्या है? यह मानिए कि इस प्रकरण में कोई फिसलन नहीं है।
उत्तर:
दिया है: बेलन का द्रव्यमान,
M = 3 kg
बेलन की त्रिज्या R = 0.4 m
स्पर्शरेखीय बल F = 30 N
α = ?
α = ?
माना खोखले बेलन का अक्ष के परितः जड़त्व घूर्णन है। अतः
τ = FR = 30 × 0.4 = 12NM
∴α = \(\frac { \tau }{ 1 } [latex] = [latex]\frac{12}{0.48}\) = 25 rads-2
∴α = Rα = 0.4 × 25

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प्रश्न 7.15.
किसी घूर्णक (रोटर) की 200 rads-1 की एकसमान कोणीय चाल बनाए रखने के लिए एक इंजन द्वारा 180 Nm का बल आघूर्ण प्रेषित करना आवश्यक होता है। इंजन के लिए आवश्यक शक्ति ज्ञात कीजिए। (नोट : घर्षण की अनुपस्थिति में एकसमान कोणीय वेग होने में यह समाविष्ट है कि बल का आघूर्णशून्य है। व्यवहार में लगाए गए बल आघूर्ण की आवश्यकता घर्षणी बल आघूर्ण को निरस्त करने के लिए होती है।) यह मानिए कि इंजन की दक्षता 100% है।
उत्तर:
दिया है:
ω = 200 रेडियन प्रति सेकण्ड
τ =180 न्यूटन मीटर
P = ?
सम्बन्ध P = τw से,
P = 180 × 200 = 36000 वॉट
= 36 किलो वॉट

प्रश्न 7.16.
R त्रिज्या वाली समांग डिस्क से R/2 त्रिज्या का एक वृत्ताकार भाग काट कर निकाल दिया गया है। इस प्रकार बने वृत्ताकार सुराख का केन्द्र मूल डिस्क के केन्द्र से R/2 दूरी पर है। अवशिष्ट डिस्क के गुरुत्व केन्द्र की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रारम्भिक चकती की त्रिज्या = R
काटकर अलग की गई चकती की त्रिज्या = \(\frac{R}{2}\)
माना A व a चकतियों के क्षे० हैं।
अतः A = π(\(\frac{R}{2}\))2 = \(\frac { \pi R^{ 2 } }{ 4 } \)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 18

यहाँ 0 प्रारम्भिक चकती का केन्द्र है।
तथा 01 अलग किए गए गोल भाग का केन्द्र है।
व 02, बचे हुए भाग का केन्द्र है।
ρ = डिस्क का प्रति एकांक क्षेत्रफल द्रव्यमान है।
माना m, व m वास्तविक चकती व अलग किए गए चकती के द्रव्यमान है।
अतः
m1 = ρA = πR2ρ
तथा m = ρa = \(\frac { \pi R^{ 2 } }{ 4 } \) ρ
माना शेष बचे भाग का द्रव्यमान m है।
अतः m2 = m1 – m
= πR2ρ – \(\frac { \pi R^{ 2 } }{ 4 } \) = \(\frac{3}{4}\) πR2ρ
माना मूल बिन्दु 0 है।
माना Rcm बचे भाग का द्रव्यमान केन्द्र है।
अतः
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 19
दिया है: x1 = 001, OA – 0,
A = R – \(\frac { R }{ 2 } \) = \(\frac{R}{2}\)
m = \(\frac{π}{4}\) R2ρ
m2 = \(\frac{3}{4}\) πR2ρ
x2 = OO1, OA – O1
A = R – \(\frac{R}{2}\) = \(\frac{R}{2}\)
m = \(\frac{π}{4}\) R2ρ
m2 = \(\frac{3}{4}\) R2ρ
x2 = OO2
समी० (i) व (ii) से,
O = mx1 + m2m2x2
या x2 = \(-\frac { mx_{ 1 } }{ m_{ 2 } } \)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 20
ऋणात्मक चिह्न यह व्यक्त करता है कि बचे भाग का द्रव्यमान केन्द्र 0 से बाईं ओर है जोकि कटे भाग के केन्द्र के विपरीत ओर है।

प्रश्न 7.17.
एक मीटर छड़ के केन्द्र के नीचे क्षुर-धार रखने पर वह इस पर संतुलित हो जाती है जब दो सिक्के, जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 5g है, 12.0 cm के चिह्न पर एक के ऊपर एक रखे जाते हैं तो छड़ 45.0 cm चिह्न पर संतुलित हो जाती है। मीटर छड़ का द्रव्यमान क्या है?
उत्तर:
माना m ग्राम = द्रव्यमान/छड़ की ल० सेमी
माना m मीटर का कुल द्रव्यमान व m = 100 ग्राम है।
जब मीटर केन्द्र पर सन्तुलित होता है, तब प्रत्येक भाग का द्रव्यमान = 50 मी/ग्राम
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 21
माना 12 सेमी चिह्न पर रखे दो सिक्कों का द्रव्यमान m2 है।
m2 = 5 × 2 = 10 ग्राम
द्रव्यमान केन्द्र = 45 सेमी के चिह्न पर (बिन्दु A)
चूँकि छड़ी सन्तुलन में है। अतः बिन्दु A के परितः अलग – अलग द्रव्यमानों का आघूर्ण समान है।
∴ 12m × 39 + 10 × 33 + 33m × \(\frac{33}{2}\)
= 55m × \(\frac{55}{2}\)
या \(\frac { (55)^{ 2 } }{ 2 } \) m – \(\frac { (33)^{ 2 } }{ 2 } \)m – 12 × 39m = 330
या (3025 – 1089 – 936) m = 330 × 2 = 660
या 1000m = 660
या m = 0.66 ग्राम

प्रश्न 7.18.
एक ठोस गोला, भिन्न नति के दो आनत तलों पर एक ही ऊँचाई से लुढ़कने दिया जाता है।

(a) क्या वह दोनों बार समान चाल से तली में पहुँचेगा?
(b) क्या उसको एक तल पर लुढ़कने में दूसरे से अधिक समय लगेगा?
(c) यदि हाँ, तो किस पर और क्यों?

उत्तर:
माना तल – 1 पर निम्न बिन्दु से शिखर तक चली दूरी व झुकाव क्रमश: I1 व θ2 है।
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 22
तथा तल – 2 पर निम्न बिन्दु से शिखर तक चली दूरी व झुकाव क्रमश: I2, व θ2 है।
∴sin θ1 > sin θ2
या \(\frac { sin\theta _{ 1 } }{ sin\theta _{ 2 } } \) > 1
प्रत्येक झुके तल की ऊँचाई,
λ = I1 sin θ1 = I2 sin θ2, (a) है।
तल के शिखर पर, गोले में केवल स्थितिज ऊर्जा होगी। i. e., PE = mgh
जहाँ m = गोले का द्रव्यमान है।
जब गोला शिखर से निम्न बिन्दु तक लुढ़कता है, तो स्थितिज
ऊर्जा, रैखिक ऊर्जा (\(\frac { 1 }{ 2 } I\omega ^{ 2 }\)) गतिज ऊपरिवर्तित हो जाती है। जहाँ I गोले का जड़त्वाघूर्ण है।
माना तल के निम्न बिन्दु पर रेखीय वेग v व कोणीय चाल ω है।
माना v 1 व 2 क्रमश: दोनों तलों (1 व 2) पर निम्न बिन्दु पर रेखीय वेग है।
अतः
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image tul
जहाँ K घूर्णन त्रिज्या है।
समी० (ii) व (iii) से स्पष्ट है कि प्रत्येक स्थिति में गोला निम्न बिन्दु पर समान वेग से लौटता है।

(b) हाँ, यह तल – 1 पर तल – 2 से अधिक समय लेगा। यह समय कम झुकाव वाले तल के लिए अधिक होगा।
व्याख्या: माना तल – 1 व तल – 2 पर फिसलने में लिया गया समय क्रमशः t1, व t2 है।
ठोस गोले के लिए,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image tul a
हम जानते हैं कि, झुके तल पर वस्तु का त्वरण निम्न है –
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image tul b
जहाँ θ = झुकाव
माना झुके तल – 1 व 2 पर गोले के त्वरण क्रमशः a<sub>1</sub> व a<sub>2</sub>
अतः
a1 = \(\frac { gsin\theta _{ 1 } }{ 7/5 } \)
= \(\frac{5}{7}\) g sin θ<sub>2</sub>
पुनः माना तल 1 व 2 पर फिसलने का समय क्रमश: t1 व t2 है।
अतः
सूत्र S = ut + \(\frac{1}{2}\)at से,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image tul c
समय t, झुकाव कोण θ पर निर्भर करता है। अतः झुकाव कोण जितना कम होगा, गोला लुढ़कने में उतना ही अधिक समय लेगा।

प्रश्न 7.19.
2 m त्रिज्या के एक वलय (छल्ले) का भार 100 kg है। यह एक क्षैतिज फर्श पर इस प्रकार लोटनिक गति करता है कि इसके द्रव्यमान केन्द्र की चाल 20 cm/s हो। इसको रोकने के लिए कितना कार्य करना होगा?
उत्तर:
दिया है:
r = 2 मीटर
m = 100 किग्रा
द्रव्यमान केन्द्र का वेग,
v = 20 cms-1
= 0.20 मीटर/सेकण्ड
रोकने में व्यय कार्य = ?
माना वलय का कोणीय वेग ω है। अतः
ω = \(\frac{v}{r}\) = \(\frac{0.20}{2}\) = 0.10 सेकण्ड/से०
माना वलय का केन्द्र से गुजरती व तल के लम्बवत् अक्ष के परितः जड़त्वाघूर्णन I है।
I = mr2 = 100 × (2)2 = 400 kgm2
वलय की सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा = वलय की घूर्णन गतिज ऊर्जा + वलय की रेखीय गतिज ऊर्जा
या
E = \(\frac{1}{2}\) Iω2 + \(\frac{1}{2}\) mv2
या E = \(\frac{1}{2}\) × 400 × (0.10)2 + \(\frac{1}{2}\) × 100 × (0.20)2
= 200 × \(\frac{1}{100}\) + 2J
= 2 + 2 + 4J.
∴ कार्य ऊर्जा प्रमेय से,
रोकने में व्यय कार्य = वलय की सम्पूर्ण KE
= 4 जूल

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प्रश्न 7.20.
ऑक्सीजन अणु का द्रव्यमान 5.30 x 10-26 kg है तथा इसके केन्द्र से होकर गुजरने वाली और इसके दोनों परमाणुओं को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण 194 x 10-46 kg m2है। मान लीजिए कि गैस के ऐसे अणु की औसत चाल 500 m/s है और इसकेपूर्णन की गतिज ऊर्जा, स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा की दो तिहाई है। अणु का औसत कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है: ऑक्सीजन अणु का द्रव्यमान
m = 5.30 x 10-26 किग्रा
ऑक्सीजन अणु का जड़त्वाघूर्णन
I = 1.94 x 10-46 किग्रा – मीटर
अणु का मध्य वेग v = 500 ms-1
औसत कोणीय चाल ω = ?
प्रश्नानुसार, घूर्णन की गतिज ऊर्जा,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 23

प्रश्न 7.21.
एक बेलन 30° कोण बनाते आनत तल पर लुढ़कता हुआ ऊपर चढ़ता है। आनत तल की तली में बेलन के द्रव्यमान केन्द्र की चाल 5 m/s है।

  1. आनत तल पर बेलन कितना ऊपर जायेगा?
  2. वापस तली तक लौट आने में इसे कितना समय लगेगा?

उत्तर:
दिया है: θ =30°
तलों में बेलन के द्रव्यमान केन्द्र की चाल, u = 5 मीटर/सेकण्ड

1. आनत तल पर लुढ़कते बेलन का त्वरण = – a
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 24
= 3.83 मीटर

2. माना तली तक आने में बेलन को T समय लगता है।
∴T = 2t जहाँ t आने या जाने का समय है।
∴\(\frac { gsin\theta }{ 1+\frac { K^{ 2 } }{ R^{ 2 } } } \) = \(\frac{9.8}{3}\) मीटर/से2
s = 3.83 मीटर
दिया है: प्रा० वेग = 0
∴सूत्र s = ut + \(\frac{1}{2}\) at2से,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 25
∴T = 2 x 1.53 = 3.06s = 3.0s

प्रश्न 7.22.
जैसा चित्र में दिखाया गया है, एक खड़ी होने वाली सीढ़ी के दो पक्षों BA और CA की लम्बाई 1.6 m है और इनको A पर कब्जा लगा कर जोड़ा गया है। इन्हें ठीक बीच में 0.5 m लम्बी रस्सी DE द्वारा बाँधा गया है। सीढ़ी BA के । अनुदिश B से 1.2 m की दूरी पर स्थित बिन्दु F से 40 kg का एक भार लटकाया गया है। यह मानते हुए कि फर्श घर्षण रहित है और सीढ़ी का भार उपेक्षणीय है, रस्सी में तनाव और सीढ़ी पर फर्श द्वारा लगाया गया बल ज्ञात कीजिए।(g = 9.8 m/s2 लीजिए) (संकेत : सीढ़ी के दोनों ओर के संतुलन पर अलगअलग विचार कीजिए)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 26
उत्तर:
दिया है: AB = AC = 1.6 मीटर
DE = 0.5 मीटर
AD = DB = AE = EC = \(\frac{1.6}{2}\) = 0.8 मीटर
BF = 1.2 मीटर
AF = 0.4 मीटर
माना रस्सी में तनाव = T
फर्श द्वारा सीढ़ी पर बिन्दु B व C पर आरोपित बल
= N’B Nc = ?
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 27
W = 40 kg wt = 40 x 9.8 N = 392 N
माना = A’ = DE का मध्य बिन्दु
∴DA’ = \(\frac{5}{2}\) = 2.5 m,
DF = 125 m
चित्र में स्पष्ट है कि,
NB = Nc = W = 392 N
माना सीढ़ी AB व AC अलग-अलग सन्तुलन में है। A के परितः विभिन्न बलों का आघूर्ण लेने पर
NB x BC’ = W x DF + T x AA’ (AB सीढ़ी के लिए)
या NB x AB cosθ
= W x 0.125 + T x 0.8 sin θ
इसी सीढ़ी AC के लिए,
Nc x CC’ = T x AA’ या
Nc x AC cos θ = T x 0.8 sin θ
∆DEF’ में,
cos θ = \(\frac{DF}{DF}\) = \(\frac{0.125}{0.4}\)
= 0.3125 = cos θ 72.8°
∴θ = 72.8′
∴sin θ = 0.9553
tan θ = 3.2305
∴समी० (ii) व (iv) से,
NB × 1.6 × 0.392 × 0.125 + T × 0.8 × 0.9553
या 0.5 NB = 225 N
या \(\frac{1}{2}\)
∴Nc = NB – 98
= 225 – 98 = 147 N
∴समी० (vi) व (viii) से,
0.5 x \(\frac{147}{0.764}\) = 96.2N

प्रश्न 7.23.
कोई व्यक्ति एक घूमते हुए प्लेटफॉर्म पर खड़ा है। उसने अपनी दोनों बाहें फैला रखी हैं और उनमें से प्रत्येक में 5 kg भार पकड़ रखा है। प्लेटफॉर्म का कोणीय चाल 30 rev/min है। फिर वह व्यक्ति बाहों को अपने शरीर के पास ले आता है जिससे घूर्णन अक्ष से प्रत्येक भार की दूरी 90 cm से बदल कर 20 cm हो जाती है। प्लेटफॉर्म सहित व्यक्ति के जड़त्व आघूर्ण का मान 7.6 kg m2 ले सकते हैं।

  1. उसका नया कोणीय वेग क्या है? (घर्षण की उपेक्षा कीजिए)
  2. क्या इस प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित होती है? यदि नहीं, तो इसमें परिवर्तन का स्त्रोत क्या है?

उत्तर:
दिया है: प्रत्येक हाथ में द्रव्यमान = 5 किग्रा
r1 = 90 cm = 0.90 मीटर
r2 = 20 cm = 0.20 मीटर
आदमी तथा प्लेटफॉर्म का जड़त्व आघूर्ण,
I = 7.6 kgm2
माना r1 व r2 दूरी पर जड़त्वाघूर्ण क्रमश: ।’1 व I’2 है।
तब सूत्र I = mr2 से,
I’1 = 2m × r12
= 2 × 5 × (0.9)2
= 8.1 kgm2
तथा I’2 = 2m × r22
= 2 × 5 × (0.2)2
= 0.4kgm2
माना, r1 व r2 दूरी पर निकाय (व्यक्ति + भार + प्लेटफॉर्म) का जड़त्वाघूर्ण क्रमशः
I1 व I है।
तब –
I1 = I’1 + I = 8.1+7.6 = 15.7 kgm2
तथा I2 = I’2I
= 0.4 + 7.6 = 8.0 kgm2
v1 = 30 rpm = \(\frac{30}{60}\) = \(\frac{1}{2}\)ps
ω1 = 2πv1 = 2π × \(\frac{1}{2}\) = πrads-1
माना r2 दूरी पर नवीन कोणीय चाल ω2, है।
∴कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से,
या I1ω1 = I2ω2
15.7 × π = 8 × ω2
या ω2 = 15.7 \(\frac{π}{8}\)
= 1.9625 π rads -1
∴कोणीय आवृत्ति v2 निम्न है –
v2 = \(\frac { \omega _{ 2 } }{ 2\pi } \) = \(\frac{1.9625}{2π}\) × πrps
= \(\frac{1.9625}{2}\) × 60rpm
= 58.875rpm = 58.9 rpm = 59 rpm
नहीं, यहाँ गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं होगी? चूँकि घूर्णनी गति में कोणीय संवेग संरक्षित रहता है।
अत: यह आवश्यक नहीं है कि घूर्णनी गतिज ऊर्जा भी संरक्षित रहे जिसे निम्न रूप में समझाया जा सकता है –
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 28
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 28a
अर्थात् के घटने पर घूर्णनी KE बढ़ती है। KE में यह परिवर्तन (i.e., वृद्धि) वस्तु के जड़त्वाचूर्ण को कम करने में व्यक्ति द्वारा किए गए कार्य के व्यय होने के कारण होता है।

प्रश्न 7.24.
10g द्रव्यमान और 500 m/s चाल वाली बन्दूक की गोली एक दरवाजे के ठीक केन्द्र में टकराकर उसमें अंतःस्थापित हो जाती है। दरवाजा 1.0 m चौड़ा है और इसका द्रव्यमान 12 kg है। इसके एक सिरे पर कब्जे लगे हैं और यह इनसे गुजरती एक ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः लगभग बिना घर्षण के घूम सकता है। गोली के दरवाजे में अंत:स्थापन के ठीक बाद इसका कोणीय वेग ज्ञात कीजिए। (संकेत : एक सिरे से गुजरती ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः दरवाजे का जड़त्व – आघूर्ण ML2/3है)
उत्तर:
दिया है: गोली का द्रव्यमान
m =10g = 0.01 किग्रा
गोली का वेग v = 500 मीटर/से०
दरवाजे की चौ० b = 1.0 मीटर
दरवाजे का द्र० M = 12 किग्रा
कोणीय चाल ω = ?
ऊर्जा संरक्षण के नियम से,
\(\frac{1}{2}\) mv2 = \(\frac{1}{2}\) Iω2
माना कब्जे वाली भुजा के परित: जड़त्वाघूर्ण है।
∴I = \(\frac{1}{3}\)(M + m)(\(\frac{b}{2}\))2
(∴द्रव्यमान केन्द्र से दूरी = \(\frac{b}{2}\) तथा गोली दरवाजे में है।)
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 29
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 29a
= 49.98 रेडियन/सेकंड

प्रश्न 7.25.
दो चक्रिकाएँ जिनके अपने – अपने अक्षों (चक्रिका के अभिलंबवत् तथा चक्रिका के केंद्र से गुजरने वाले) के परितः जड़त्व आघूर्ण I2 तथा I2 हैं और जो, ω1 तथा ω2 कोणीय चालों से घूर्णन कर रही है, को उनके घूर्णन अक्ष संपाती करके आमने – सामने लाया जाता है?

(a) इस दो चक्रिका निकाय की कोणीय चाल क्या है?
(b) यह दर्शाइए कि इस संयोजित निकाय की गतिज ऊर्जा दोनों चक्रिकाओं की आरंभिक गतिज ऊर्जाओं के योग से कम है। ऊर्जा में हुई इस हानि की आप कैसे व्याख्या करेंगे? ω1 ≠ ω2 लीजिए।

उत्तर:
माना I1 व I2 जड़त्व आघूर्ण वाली चकतियों की कोणीय चाल क्रमशः , ω1 व ω2, है। सम्पर्क में लाने पर दोनों चकतियों के निकाय का जड़त्व आघूर्ण I1 + I2 होगा।।
माना = पूरे निकाय की कोणीय चाल है।

(a) ∴ दोनों चकतियों के कुल प्रा० कोणीय संवेग,
L1 = I1ω1 + I2ω2
संयुक्त निकाय का कुल अन्तिम कोणीय संवेग,
L2 = (I1 + I2
कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 30
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 30a
अतः E1 – E2 > 0 या E1 > E2
या E2 > E1 अर्थात् पूरे निकाय की घूर्णनी गतिज ऊर्जा दोनों चकतियों की प्रारम्भिक ऊर्जाओं के योग से कम है।
अतः दो चकतियों को सम्पर्क में लाने पर, गतिज ऊर्जा में कमी आती है। यह कमी दोनों चक्रिकाओं की सम्पर्कित सतहों के बीच घर्षण के बल के कारण होती है।

प्रश्न 7.26.
(a) लम्बवत् अक्षों के प्रमेय की उपपत्ति करें। [संकेत (x, y) तल के लम्बवत् मूल बिन्दु से गुजरती अक्ष से किसी बिन्दु x – y की दूरी का वर्ग (x2 + y2) है]
(b) समांतर अक्षों के प्रमेय की उपपत्ति करें (संकेत: यदि द्रव्यमान केन्द्र को मूल बिन्दु ले लिया जाये तो Σmiri = 0)
उत्तर:
(a) समकोणिक (लम्ब) अक्षों की प्रमेयकिसी समतल पटल को उसके तल में ली गई दो परस्पर लम्बवत् अक्षों Ox तथा OY के परित: जड़त्व आघूर्णों का योग इन अक्षों के कटान बिन्दु 0 में को जाने वाली तथा पटल के तल के लम्बवत् अक्ष OZ के परितः जड़त्व आघूर्ण के बराबर होता है। पटल का अक्ष Oz के परितः जड़त्व आघूर्ण
Iz = Iz + Iy
जहाँ Iz तथा Iy पटल का क्रमश: अक्ष OX तथा OY के परितः जड़त्व आघूर्ण है।
सिद्ध करना – माना एक पटल है जिसके तल में दो परस्पर लम्बवत् अक्षं Ox तथा OY ली गई हैं अक्ष OZ पटल के तल के अभिलम्बवत् है तथा Ox व OY के कटान बिन्दु०से गुजरती है।
माना अक्ष OZ से r दूरी पर m द्रव्यमान का एक कण P है। इस कण का अक्ष OZ के परितः जड़त्व आघूर्ण mr2 होगा। अतः पूरे पटल का अक्ष OZ के परित: जड़त्व आघूर्ण
Iz = Σmr2
लेकिन r2 = x2 + y2
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 31
जहाँ x व y कण भी क्रमशः अक्षों OY व Ox से दूरियाँ हैं।
∴I2 = Σm(x2 + y2)
= Σmx2 + Σmy2
लेकिन Ix = Σmx2 तथा Iy = Σmy2
अतः Iz = Iz + Iy

(b) समान्तर अक्षों की प्रमेय – किसी पिंड का किसी अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण (I) उस पिंड के द्रव्यमान केन्द्र में को जाने वाली समान्तर अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण (Icm) तथा पिंड के द्रव्यमान व दोनों अक्षों के बीच की लम्बवत् दूरी के वर्ग के गुणनफल के योग के बराबर होता है।
I = Icm + Ma2
जहाँ M पिंड का द्रव्यमान है तथा a दोनों अक्षों के बीच लम्बवत् दूरी है।
सिद्ध करना – माना एक समतल पटल है जिसका द्रव्यमान केन्द्र C है। माना पटल का पटल के तल में स्थित अक्ष AB के परितः जड़त्व आघूर्ण 1 है तथा इसके द्रव्यमान केन्द्र C से गुजरने वाली समान्तर अक्ष EF के परितः जड़त्व आघूर्ण Icm है। माना AB तथा EF अक्षों के बीच लम्बवत् दूरी a है।
माना EF अक्ष से दूरी पर m द्रव्यमान का एक कण Pहै। P की AB से दूरी (r + a) होगी।
P का AB के परितः जड़त्व आघूर्ण m (r + a)2 होगा।
अतः पूरे पटल का AB अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 32
I = Σm(r+a)2
= Σm(r2 + a2 + 2ar)
I = Σmr2 + Σma2 + 2aΣmr
लेकिन I cm = Σmr2
तथा a2Σm = a2M
तथा Σmr = 0 क्योंकि किसी पटल के समस्त कणों का पटल के द्रव्यमान केन्द्र में से गुजरने वाली अक्ष के परितः आघूर्णी का योग शून्य होता है। अतः
I = Icm + Ma2

प्रश्न 7.27.
सूत्र v2 = \(\frac { 2gh }{ (1+k^{ 2 }/R^{ 2 }) } \)को गतिकीय दृष्टि (अर्थात् बलों तथा बल आघूर्णों के विचार) से व्युत्पन्न कीजिए। जहाँ v लोटनिक गति करते पिंड (वलय, डिस्क, बेलन या गोला) का आनत तल की तली में वेग है।आनत तल पर वह ऊँचाई है जहाँ से पिंड गति प्रारंभ करता है। सममित अक्ष के परितः पिंड की घूर्णन त्रिज्या है और R पिंड की त्रिज्या है।
उत्तर:
माना M व R क्रमश: गोलीय पिंड के द्रव्यमान व त्रिज्या है, यह एक ऐसे आनत तल पर A बिन्दु पर रखा गया है जिसका क्षैतिज से झुकाव θ है।
∴ इस पिंड में A बिन्दु पर पूर्णत: स्थितिज ऊर्जा होगी।
E = mgh
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 33
जब यह पिंड तल पर फिसलना प्रारम्भ करता है, पिंड द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष (i.e., c) से गुजरता है जो कि तल के समान्तर है। इसके भार व भार के घटक के कारण घूर्णनी गति नहीं होती है चूँकि इसकी क्रिया रेखा C से गुजरती है। इस प्रकार पिंड पर लगने वाला सम्पूर्ण बलाघूर्ण शून्य होगा। घर्षण बलाघूर्ण अर्थात् घूर्णन के कारण बल लगता है।
∴τ = FR
घूर्णन करते पिंड की सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा (E) में रैखिक गतिज ऊर्जा (Kt व घूर्णनी गतिज ऊर्जा (Kr) होती है।
i.e., E = K1+ Kr
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 34
तथा y = Rω = घूर्णन करते पिंड का रैखिक वेग
जहाँ ω कोणीय वेग है।
पिंड का जड़त्व आघूर्ण, I = \(\frac{1}{2}\)mK2 जहाँ K = घूर्णन त्रिज्या।
माना पृष्ठ सतह खुरदरी है तथा पिंड बिना फिसले ही घूर्णन करता है। बिन्दु B पर, पिंड में दोनों रैखिक व घूर्णनी गतिज ऊर्जाएँ होती हैं। बिन्दु B पर सम्पूर्ण ऊर्जा समी० (iii) के अनुसार होगी।
ऊर्जा संरक्षण के नियम से, बिन्दु A पर स्थितिज ऊर्जा = बिन्दु B पर सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 35

प्रश्न 7.28.
अपने अक्ष पर ω0 कोणीय चाल से घूर्णन करने वाली किसी चक्रिका को धीरे से (स्थानान्तरीय धक्का दिए बिना) किसी पूर्णतः घर्षणरहित मेज पर रखा जाता है। चक्रिका की त्रिज्या R है। चित्र में दर्शाई चक्रिका के बिन्दुओं. A, B तथा C पर रैखिक वेग क्या हैं? क्या यह चक्रिका चित्र में दर्शाई दिशा में लोटनिक गति करेगी?
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 36
उत्तर:
चक्रिका व मेज के मध्य घर्षण बल शून्य है। इस कारण चक्रिका लोटनिक गति नहीं कर पाएगी व मेज के एक ही बिन्दु B के सम्पर्क में रहते हुए अपनी अक्ष के परितः घूर्णनी गति करती रहेगी।
दिया है: बिन्दु A की अक्ष से दूरी R है।
अतः बिन्दु A पर रैखिक वेग, VA = Rω0 (तीर की दिशा में)
तथा बिन्दु B पर रैखिक वेग, VB = Rω0 (तीर की विपरीत दिशा में)
चूँकि बिन्दु C की अक्ष से दूरी \(\frac{R}{2}\)
अतः बिन्दु C पर रैखिक वेग vc = \(\frac{R}{2}\)ω0
(क्षैतिजत: बाईं ओर से दाईं ओर को) अर्थात् चक्रिका लोटनिक गति नहीं करेगी।

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प्रश्न 7.29.
स्पष्ट कीजिए कि चित्र (प्रश्न 7.28) में अंकित दिशा में चक्रिका की लोटनिक गति के लिए घर्षण होना आवश्यक क्यों है?

  1. B पर घर्षण बल की दिशा तथा परिशुद्ध लुढ़कन आरंभ होने से पूर्व घर्षणी बल आघूर्ण की दिशा क्या है?
  2. परिशुद्ध लोटनिक गति आरंभ होने के पश्चात् घर्षण बल क्या है?

उत्तर:

1. बिन्दु B पर घर्षण बल B के वेग का विरोध करता है। अतः घर्षण बल तीर की दिशा में होगा। घर्षण बल आघूर्ण के कार्य करने की दिशा इस प्रकार है कि वह कोणीय गति का विरोध करता है। ω0 व τ दोनों ही कागज के पृष्ठ के अभिलम्बवत् कार्य करते हैं। इनमें ω0 कागज के पृष्ठ के अंतर्मुखी व र कागज के पृष्ठ के बहिर्मुखी है।

2. घर्षण बल सम्पर्क – बिन्दु B के वेग को कम कर देता है। जब यह वेग शून्य होता है तो चक्रिका की लोटन गति आदर्श सुनिश्चित हो जाती है। एक बार ऐसा हो जाने पर घर्षण बल का मान शून्य हो जाता है।

प्रश्न 7.30.
10 cm त्रिज्या की कोई ठोस चक्रिका तथा इतनी ही त्रिज्या का कोई छल्ला किसी क्षैतिज मेज पर एक ही क्षण 10π rads-1 की कोणीय चाल से रखे जाते हैं। इनमें से कौन पहले लोटनिक गति आरंभ कर देगा। गतिज घर्षण गुणांक µ k = 0.21
उत्तर:
दिया है: छल्ले तथा ठोस चक्रिका की त्रिज्या,
R = 10 सेमी = 0.1 मीटर
µk = 0.2
छल्ले का जड़त्व आघूर्ण = MR2 …. (i)
ठोस चक्रिका का जड़त्व आघूर्ण = \(\frac{1}{2}\) mR2 … (ii)
प्रा० कोणीय वेग = ω0 = 10π रेडियन/सेकण्ड
घर्षण बल के कारण गति होती है तथा घर्षण के कारण द्रव्यमान केन्द्र त्वरित होता है। छल्ला शून्य प्रारम्भिक वेग से चलता है। प्रारम्भिक कोणीय वेग 00 में मन्दन घर्षण बलाघूर्ण के कारण होता है।
हम जानते हैं कि µkN = ma
या µkmg = m
या a = µkg
तथा बलाघूर्ण τ = -Iα
= FR = µkmgR
जहाँ R = चकती या वलय की त्रिज्या
ऋणात्मक चिह्न प्रदर्शित करता है कि मन्दन बलाघूर्ण है। यहाँ u = 0
∴v = u + at से
v = at or a = \(\frac{v}{t}\)
समी० (iii) से a = µkg
या \(\frac{v}{t}\) = µkg
या v = µkgt’ (चकती के लिए)
समी० (iv) से
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 37
माना छल्ले की t समय व चकती की t’ समय बाद कोणीय वेग
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 38
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 38-a
R = 0.1 m, ω = 10m rads-1, µ = 0.2
समी० (x) व (xi) में रखने पर,
g = 9.8 ms-2
∴t = \(\frac { 0.1\times 10\pi }{ 3\times 0.2\times 9.8 } \) = 0.8s
तथा t’ = \(\frac { 0.1\times 10\pi }{ 3\times 0.2\times 9.8 } \) = 0.53s
अत: समी० (xii) व (xiii) से स्पष्ट है कि t’ < t अर्थात् चकती पहले फिसलना प्रारम्भ करेगी।

प्रश्न 7.31.
10 kg द्रव्यमान तथा 15 cm त्रिज्या का कोई सिलिंडर किसी 30° झुकाव के समतल पर परिशुद्धत: लोटनिक गति कर रहा है। स्थैतिक घर्षण गुणांक = 0.25

  1. सिलिंडर पर कितना घर्षण बल कार्यरत है?
  2. लोटन की अवधि में घर्षण के विरुद्ध कितना कार्य किया जाता है?
  3. यदि समतल के झुकाव में वृद्धि कर दी जाए तो के किस मान पर सिलिंडर परिशुद्धतः लोटनिक गति करने की बजाय फिसलना आरंभ कर देगा?

उत्तर:
दिया है:
m = 10 kg, R = 0.15 m, θ = 30°, µk = 0.25
1. बेलन पर लगने वाला घर्षण बल –
F = \(\frac{1}{3}\) mg sinθ
= \(\frac{1}{3}\) × 10 × 9.8 × sin 30° = 16.3 न्यूटन

2. चूंकि परिशुद्ध लोटनिक गति में, सम्पर्क बिन्दु पर कोई सरकन गति नहीं है। इसलिए घर्षण बल के विरुद्ध कृत कार्य, w = 0 है।

3. लोटनिक गति के लिए,
\(\frac{F}{R}\) = \(\frac{1}{3}\) tan θ ≤ µs
∴ tan θ = 3 ≤ µs
= 3 × 0.25 = 0.75
∴θ = tan-1(0.75)
= 37°

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प्रश्न 7.32.
नीचे दिए गए प्रत्येक प्रकथन को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा कारण सहित उत्तर दीजिए कि इनमें से कौन – सा सत्य है और कौन – सा असत्य है –

  1. लोटनिक गति करते समय घर्षण बल उसी दिशा में कार्यरत होता है जिस दिशा में पिंड का द्रव्यमान केंद्र गति करता है।
  2. लोटनिक गति करते समय संपर्क बिंदु की तात्क्षणिक चाल शून्य होती है।
  3. लोटनिक गति करते समय संपर्क बिन्दु का तात्क्षणिक त्वरण शून्य होता है।
  4. परिशुद्ध लोटनिक गति के लिए घर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
  5. किसी पूर्णतः घर्षणरहित आनत समतल पर नीचे की ओर गति करते पहिए की गति फिसलन गति (लोटनिक गति नहीं) होगी।

उत्तर:

  1. सत्य, चूँकि स्थानान्तरीय गति घर्षण बल के कारण ही उत्पन्न होती है। इसी बल के कारण पिंड का द्रव्यमान आगे की ओर बढ़ता है।
  2. सत्य, चूँकि लोटनिक गति, सम्पर्क बिन्दु पर सी गति 1 के समाप्त होने पर प्रारम्भ होती है। इस प्रकार परिशुद्ध लोटनिक । गति में सम्पर्क बिन्दु की तात्क्षणिक चाल शून्य होती है।
  3. असत्य चूँकि घूर्णन गति के कारण, सम्पर्क बिन्दु की गति में अभिकेन्द्र त्वरण अवश्य ही विद्यमान होता है।
  4. सत्य चूँकि परिशुद्ध लोटनिक गति में सम्पर्क बिन्दु पर कोई सरकन नहीं होता है। इस कारण घर्षण बल के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
  5. सत्य, घर्षण के न होने पर आनत तल पर छोड़े गए पहिए का आनत तल के साथ सम्पर्क बिन्दु विरामावस्था में नहीं रहेगा बल्कि पहिए के भार के अधीन माना तल के अनुदिश फिसलता जाएगा। इस कारण यह गति लोटनिक न होकर विशुद्ध सरकन गति होगी।

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प्रश्न 7.33.
कणों के किसी निकाय की गति को इसके द्रव्यमान केन्द्र की गति और द्रव्यमान केन्द्र के परितः गति में अलग – अलग करके विचार करना।
दर्शाइये कि –
(a) P = p’i + miV
जहाँ pi (mi द्रव्यमान वाले) i – वें कण का संवेग है, और p’i = miv’i, ध्यान दें कि , द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष i – वें कण का वेग है। द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा का उपयोग करके यह भी सिद्ध कीजिए कि Σp’i = 0

(b) K = K’ + \(\frac { 1 }{ 2 }\) Mv2
K कणों के निकाय की कुल गति ऊर्जा, K’ = निकाय की कुल गतिज ऊर्जा जबकि कणों की गतिज ऊर्जा द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष ली जाये। MV2/2 संपूर्ण निकाय के (अर्थात् निकाय के द्रव्यमान केन्द्र के)स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा है। इस परिणाम का उपयोग भाग 7.14 में किया गया है।

(c) L = L’ + R x MV
जहाँ L’ = Σr’i, x P’i, द्रव्यमान के परितः निकाय का कोणीय संवेग है जिसकी गणना में वेग द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष मापे गये हैं। याद कीजिए r’ = ri – R; शेष सभी चिह्न अध्याय में प्रयुक्त विभिन्न राशियों के मानक चिह्न हैं। ध्यान दें कि L’ द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय का कोणीय संवेग एवं MRx Vइसके द्रव्यमान केन्द्र का कोणीय संवेग है।

MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 39

(जहाँ ‘ द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय पर लगने वाले सभी बाह्य बल आघूर्ण हैं।)
[संकेत : द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा एवं न्यूटन के गति के तृतीय नियम का उपयोग कीजिए। यह मान लीजिए कि किन्हीं दो कणों के बीच के आन्तरिक बल उनको मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करते हैं।]
उत्तर:
(a) माना कि m1m2 …mn, दृढ़ पिंड की रचना करने वाले कणों के द्रव्यमान हैं तथा मूल बिन्दु 0 (0, 0) के सापेक्ष इन कणों के स्थिति सदिश क्रमश: \(\vec { r } \)1\(\vec { r } \)2…..\(\vec { r } \)n हैं।
माना कि मूल बिन्दु के सापेक्ष द्रव्यमान केन्द्र (G) की स्थिति
सदिश \(\vec { R } \) व द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष अलग – अलग कणों की स्थिति क्रमश: \(\vec { r } \)1,\(\vec { r } \)2 …. \(\vec { r } \)n हैं।
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MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 40a
जहाँ \(\overrightarrow { p } _{ i }\) = mi \(\overrightarrow { v } _{ i }\) = i वे कण का मूल बिन्दु के सापेक्ष रेखीय संवेग है।
\(\overrightarrow { p } _{ i }\) = mi \(\overrightarrow { v } _{ i }\) = i वें कण का द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष रेखिक संवेग
परन्तु द्रव्यमान केन्द्र के परितः कणों के आघूर्ण का सदिश योग शून्य होता है।

(b) किसी निकाय की गतिज ऊर्जा में रैखिक गतिज ऊर्जा | (K) व घूर्णनी गतिज ऊर्जा (K’ ) होती है। i.e., द्रव्यमान केन्द्र की गति की गतिज ऊर्जा (\(\frac{1}{2}\)mv2) व कणों के निकाय के द्रव्यमान केन्द्र के परित: घूर्णनी गति की गतिज ऊर्जा (K’) होता है। अतः निकाय की कुल ऊर्जा निम्नवत् होगी –
k = \(\frac{1}{2}\)mv2 + Iω2
= \(\frac{1}{2}\)mv2 + K’ = K’ + \(\frac{1}{2}\)mv2

(c) समी० (i) के बाईं ओर \(\vec { ri } \) का सदिश गुणन लेने पर,
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 41
(d) माना कि कणों के निकाय पर बलाघूर्ण लगाया जाता है।
माना कि कण के लिए \(\vec { L } \) के घटक Lx, Ly, व Lz क्रमशः x, y व z अक्षों के अनुदिश हैं। माना कि px, py. व pz, इसके रैखिक संवेग के घटक हैं।
Lz = xpy – ypx
Lx = ypz – zpy
Ly = zpx – xpz
MP Board Class 11th Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति image 41a

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MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 18 ‘विप्लव-गान’

MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 18 ‘विप्लव-गान’ (कविता, बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’)

विप्लव-गान पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

विप्लव-गान लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि की तान से कौन भस्मसात् हो रहे हैं?
उत्तर:
कवि की तान से पहाड़ भस्मसात हो रहे हैं।

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प्रश्न 2.
किस वस्तु को कवि विष में बदलने की बात करता है?
उत्तर:
माता की छाती के अमृतमय दूध को कवि विष में बदलने की बात करता है।

प्रश्न 3.
विश्वम्भर की वीणा का विश्लेषण क्या है?
उत्तर:
विश्वम्भर की वीणा का विश्लेषण पोषक है।

विप्लव-गान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विप्लव-गायन से क्या तात्पर्य है? कवि ने विप्लव के कौन से लक्षण गिनाए हैं?
उत्तर:
विप्लव-गायन से तात्पर्य है-अंध-विचारों और जीर्ण-शीर्ण सामाजिक मान्यताओं को समाप्त करने की प्रेरणा देना। कवि ने विप्लव के अनेक लक्षण गिनाए हैं, जैसे-प्राणों के लाले पड़ जाना, त्राहि-त्राहि मच जाना, नाश-सत्यानाश का धुआँधार छा जाना, आग बरसना, बादल जल जाना, पहाड़ का राख में मिल जाना, आकाश की छाती का फट जाना, तारों का खण्ड-खण्ड होना, कायरता का काँपना, रूढ़ियों का समाप्त होना, अंध-विचारों का अंत होना, सामाजिक बन्धनों का टुकड़े-टुकड़े हो जाना, संसार का भरण-पोषण करने वाली ईश्वर की वीणा का मौन हो जाना, भगवान के सिंहासन का थर्राना, चारों ओर नाश-नाश और महानाश ही की ध्वनि सुनाई देना, प्रलयंकारी दृश्य उपस्थित हो जाना आदि।

प्रश्न 2.
कवि किन-किन रूढ़ियों को समाप्त करना चाहता है?
उत्तर:
कवि परम्परागत जीर्ण-शीर्ण मान्यताओं और सभी प्रकार की भज्ञानता – व मूढ़ तथा अन्धविचारों की रूढ़ियों को समाप्त करना चाहता है।

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प्रश्न 3.
नए सृजन के लिए ध्वंस की आवश्यकता क्या है? इस कथन के आधार पर कवि द्वारा वर्णित तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नए सजन के लिए ध्वंस की आवश्यकता है –

  1. युग की जीर्ण-शीर्ण परम्परागत मान्यताओं को समाप्त करके उनके स्थान पर नई और स्वस्थ मान्यताओं को अंकुरित किया जा सके।
  2. पाप-पुण्य के सद्सद्भावों की परख की जा सके।
  3. कायरता काँप उठे और चले आ रहे अंध मूढ़ विचार समाप्त हो जाएँ।
  4. लीक पर चलने की परम्परा समाप्त हो।
  5. नियमों-उपनियमों के बंधन टुकड़े-टुकड़े हो जाएँ।

विप्लव-गान भाव विस्तार/पल्लवन

प्रश्न.

  1. 1. “प्रलयंकारी आँख खुल जाए’ से तात्पर्य क्या है?
  2. 2. “अंधे मूढ़ विचारों की वह अचल शिला विचलित हो जाए” में कवि क्या संदेश देना चाहता है?
  3. 3. “कायरता काँपे, गतानुगति विगलित हो जाए” का भाव पल्लवन कीजिए।
  4. 4. व्याख्या कीजिए?
    “नियम और उपनियमों ……… प्रांगण में घहराए।”

उत्तर:

1. “प्रलयंकारी आँख खुल जाए” से तात्पर्य है-सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रलयंकारी, क्रान्ति का आना बेहद जरूरी है। उससे ही आमूलचूल अपेक्षित परिवर्तन सम्भव है।

2. “अंधे मूढ़ विचारों की वह अचल शिला विचलित हो जाए” में कवि यह संदेश देना चाहता है कि साधारण नहीं अपितु परम्परागत रूढ़ियाँ प्रलयंकारी क्रान्ति. से ही जड़ समेत हो जाएँगी।

3. “कायरता काँपे, गतानुगति विचलित हो जाए।”
उपर्युक्त काव्यांश के द्वारा कवि ने यह भाव प्रस्तुत करना चाहा है कि अभूतपूर्व और प्रलयंकारी क्रान्ति के आने से चारों ओर उथल-पुथल मच जाता है। चारों ओर . ताजगी, नयापन और उमंग का वातावरण फैलने लगता है। इस प्रकार के वातावरण में निठल्लापन, आलस्य, उदासी, निराशा आदि विकास की बाधाएँ दूर भाग जाती हैं। इसके साथ ही चले आते हुए अंधे मूढ़ विचार और परम्परागत सामाजिक नियम-उपनियम दरकिनार होने लगते हैं। इस प्रकार की क्रान्ति सचमुच में युगों की अपेक्षाओं और आशाओं के अनुरूप खरी उतरती है।

4. व्याख्या
“नियमों और उपनियमों के….प्रागंण में घहराए।”
व्याख्या:
हे कवि! तुम्हारी ऐसा ज्ञान हो जिसे सुनकर सभी प्रकार के सामाजिक बंधन, चाहे वे किसी छोटे-छोटे नियमों से बँधे हों या बड़े-बड़े नियमों से बँधे, वे एक-एक करके खण्ड-खण्ड हो जाएँ। इसे देखकर संत का भरण-पोषण करने वाले ईश्वर की पोषण करने वाली वीणा के तार मौन हो जाएँ। इसी प्रकार महाशिव का शान्ति दण्ड टूटकर बिखर जाए और उनका सिंहासन काँप उठे। उनका पोषण करने वाला श्वासोच्छवास संसार के प्रांगण (आँगन) में घहराने लगे। फिर पूरी तरह से नाश-नाश और महानाश ही की भयंकर ध्वनि गूंज उठे। इस तरह चारों ओर ऐसा भयानक दृश्य उपस्थित हो जाए, मानो प्रलयंकारी आँखें खुल गई हों।

विप्लव-गान भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
पाप-पुण्य दो विरोधी शब्दों की जोड़ी है, इसी आधार पर पोषक, नाश, कायरता, दाएँ शब्दों की जोड़ी बनाइए
उत्तर:
शब्द
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 18 'विप्लव-गान' img-1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखिए –
आँखों का पानी सूखना, धूल उड़ना, प्राणों के लाले पड़ना, छाती फटना, तारे टूटना।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 18 'विप्लव-गान' img-2

विप्लव-गान योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
“नवीन” जी की इस कविता से मिलती-जुलती किसी अन्य कवि की कोई कविता खोजकर उसे विद्यालय के प्रदर्शन बोर्ड पर प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

प्रश्न 2.
कभी आपने आँधी-तूफान का सामना किया हो तो उसका अनुभव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

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प्रश्न 3.
“नवीन” जी का सम्बन्ध उज्जैन से रहा है, हिन्दी के किन-किन साहित्यकारों का सम्बन्ध उज्जैन से रहा, उसे खोजिए और उसे सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

विप्लव-गान परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विप्लव-गान लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि की तान से आकाश में क्या छा जाता है?
उत्तर:
कवि की तान से आकाश में त्राहि-त्राहि का स्वर छा जाता है।

प्रश्न 2.
कवि किसे विचलित होने की बात करता है?
उत्तर:
कवि अंध मूढ़ विचारों की अचल शिला विचलित होने की बात करता है।

प्रश्न 3.
कवि किसकी आँखें खुल जाने की बात करता है?
उत्तर:
कवि नाश! नाश! हो महानाश!! की प्रलयंकारी आँखें खुल जाने की बात करता है।

विप्लव-गान दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि किससे क्या करने के लिए कहता है और क्यों?
उत्तर:

  1. कवि ने कवि से अपनी क्रान्तिकारी कविता की तान सुनाने के लिए कहता है। यह इसलिए कि वह उसे क्रान्ति का सूत्रधार मानता है।
  2. उसकी कविता के गीत युग-परिवर्तन की शक्ति रखते हैं।
  3. उसके गीतों में निर्माण और विनाश की स्थिति को दर्शाने की सामर्थ्य है।
  4. उसमें काव्य-रचना का वह गुण-प्रतिभा है, जो युगों बाद किसी कवि में दिखाई देती है।
  5. वह कवि की विचारधारा के ही समान नवीनता का समर्थक और पुरातनता का घोर विरोधी है।

प्रश्न 2.
प्रस्तुत कविता में प्रकृति के किन-किन रूपों का चित्रण हुआ है?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में प्रकृति के अनेक भीषण और ध्वंसकारी रूपों का चित्रण हुआ है ; जैसे-आकाश में त्राहि-त्राहि का भयंकर शोर सुनाई पड़ना, बादलों का जल उठना, पहाड़ों का राख में मिल जाना, आकाश की छाती फट जाना, तारों का खण्ड-खण्ड हो जाना, अंतरिक्ष में नाश करने वाली ध्वनि का मँडराना, शान्ति दण्ड धारण करने वाले शिव के शान्ति दण्ड का टूट जाना और उनके सिंहासन का थर्रा जाना आदि।

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प्रश्न 3.
प्रस्तुत कविता के मुख्य भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कवि को सम्बोधित इस कविता में रचनाकार ने कवि को क्रान्ति का सूत्रधार मानते हुए उसे परम्परागत और जीर्ण-शीर्ण समाज को ध्वंस करने के लिए विप्लव-गान के माध्यम से प्रेरित किया है। कवि के गीतों में युग-परिवतन की शक्ति छिपी रहती है। यही नहीं वह अपने गीतों में प्रलय की प्रेरणाएँ भी छिपाए रहता है। इस कविता में कवि ने एक ओर ध्वंस की और दूसरी ओर सृजन की सामर्थ्य को अपनी कविता में केन्द्रीभूत किया है। इसके माध्यम से कवि ने जागृति का गान गाया। इस कविता के रचयिता ने कवि के गीतों और अंध विचारों को समाप्तकरने के लिए आह्वान किया है।

साथ ही गीतों की तान छेड़ने एवं कायरता से परिपूर्ण भावों का उन्मूलन करने के लिए अपनी क्रान्ति भावना का प्रसार करने की प्रेरणा दी है। इस कविता के रचनाकार ने इस कविता में शान्ति के मार्ग से हटकर क्रान्ति का प्रलयकारी आह्वान किया है। इस कविता में प्रकृत की भीषण और ध्वंसकारी छवियों का चित्रण है। इस प्रकार कवि इस गीत में थर्रा देने वाला परिदृश्य निर्मित करने में सफल है।

विप्लव-गान कवि-परिचय

प्रश्न 1.
‘बालकृष्ण शर्मा’ नवीन का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य के महत्त्व पर प्रकाश डालिए?
उत्तर:
जीवन-परिचय:
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ का जन्म शाजापुर जिला तहसील के भयाना नामक गाँव में 8 दिसम्बर, 1897 को हुआ था। उनकी आरम्भिक शिक्षा शाजापुर में ही हुई। वहाँ से मिडिल उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने उज्जैन के माधव कॉलेज में प्रवेश लिया। कॉलेज की शिक्षा समाप्त करके वे माखनलाल चतुर्वेदी और मैथिलीशरण गुप्त के सम्पर्क में आ गए। इसके बाद कानपुर में तत्कालीन महान पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी के आश्रय में रहकर क्राइस्ट चर्च कॉलेज में पढ़ाने लगे। उसी समय वे गाँधीजी के प्रभाव में आ गए। फिर वे उनके सत्याग्रह में कूद पड़े। इससे वे राजनीति में मैदान मारने लगे। उनका निधन 29 अप्रैल, 1960 को हुआ।

रचनाएँ:
‘नवीन’ जी की प्रमुख रचनाएँ कुंकुम, रश्मि रेखा, अपलक, क्वासि, विनोबा, स्तवन, प्राणार्पण हैं। आपने ‘प्रताप’ और ‘प्रभा’ नामक राष्ट्रीय धारा को आगे बढ़ाने वाली पत्रिका का वर्षों तक सम्पादन किया।

महत्त्व:
‘नवीन’ जी का भारतीय संविधान निर्मात्री परिषद के सदस्य के रूप में हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार करवाने में आपका बड़ा योगदान रहा। ‘नवीन’ जी स्वभाव से उदार, फक्कड़, आवेशी किन्तु मस्त तबियत के व्यक्ति थे।

विप्लव-गान पाठ का सारांश

प्रश्न 1.
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’-विरचित कविता ‘विप्लव-गानं’ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए?
उत्तर:
बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’-विरचित कवितां ‘विप्लव गान’ क्रान्ति का स्वर फूंकने वाली कविता है। इस कविता का सारांश इस प्रकार है –

कवि ने कवि को संबोधित करते हुए उसे क्रान्ति का अग्रदूत बताकर समाज में उलट-फेर कर देने के लिए आह्वान किया है। कवि को उत्साहित करते हुए कह रहा है-वह ऐसी गीतों की रचना कर गुमगुनाए कि प्राणों के लाले पड़ जाएँ, नाश और सत्यानाश का धुआँधार संसार में छा जाए। भस्मसात सब कुछ हो जाए, पाप-पुण्य का भेद मिट जाए, आकाश का वक्षस्थल फट जाए, तारे टूक-टूक हो जाएँ, कायरता काँपने लगे, रूढ़ियाँ समाप्त हो जाएँ, अन्धविश्वास की अटलता डगमगा जाए, अन्तरिक्ष में नाश करने वाली बिजली की तड़क होने लगे, नियमों-उपनियमों के सामाजिक बंधन टूट जाएँ, विश्वम्भर की पोषक की वीणा के.तार चुप हो जाएँ, शान्ति का दण्ड टूट जाए, शंकर का सिंहासन काँप उठे और चारों ओर नाश-नाश और महानाश की प्रलयंकारी दृश्य उपस्थित हो जाए।

संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या विप्लव-गान

प्रश्न 1.
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ-जिससे उथल-पुथल मच जाए,
एक हिलोर इधर से आए-एक हिलोर उधर से आए।
प्राणों के लाले पड़ जाएँ, त्राहि त्राहि रव नभ में छाए,
नाश और सत्यानाशों का धुआँधार जग में छा जाए,
बरसे आग, जलद जल जाए, भस्मसात भूधर हो जाएँ
पाप-पुण्य सदसद्भावों की, धूल उड़ उठे दाएँ-बाएँ
नभ का वक्ष-स्थल फट जाए, तारे टूक-टूक हो जाएँ
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए।

शब्दार्थ:

  • उथल-पुथल – परिवर्तन।
  • तान – स्वर, लय।
  • प्राणों के लाले पड़ जाना – (मुहावरा) जान खतरे में पड़ जाना।
  • रव – ध्वनि।
  • नभ – आकाश।
  • जग – संसार।
  • जलद – बादल।
  • भस्मसात – राख में मिल जाना।
  • भूधर – पहाड़।
  • वक्षस्थल – छाती।
  • टूट-टूक – टुकड़े-टुकड़े।

प्रसंग:
यह पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक’ हिन्दी सामान्य भाग-1′ में संकलित और बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’-विरचित ‘विप्लव-गान’ शीर्षक कविता से उद्धत है। इसमें कवि ने कवि को सम्बोधित करते हुए उसे महान क्रान्तिकारी कविता की रचना करने के लिए समुत्साहित किया है। इस विषय में कवि ने कवि को सम्बोधित करते हए कहा है कि –

व्याख्या:
हे कवि, तुम कुछ ऐसी श्रेष्ठ और अद्भुत व बेजोड़ काव्य की रचना करके उसकी तान छेड़ों कि उसे सुनकर चारों ओर अपूर्व परिवर्तन क्रान्ति आ जाए। उससे क्रान्ति की हिलोरें कभी इधर से तो कभी उधर से आने लगें। इस प्रकार तुम अपनी कविता की ऐसी-ऐसी तान सुनाओ कि प्राणों के सब ओर लाले पड़ जाएँ और हाहाकार धरती से आकाश तक मचने लगे। चारों ओर भयंकर दृश्य ऐसे होने लगे कि नाश और सत्यानाश का धुआँधार हर जगह छा जाए। आग इस प्रकार बरसने लगे कि बादल खाक हो जाए और पहाड़ राख में मिल जाए। कभी इधर तो कभी उधर पाप-पुण्य के सत्य और असत्य भरे भावों की धूल-बंक्डर उड़ने लगे। आकाश की छाती फटने लगे और तारे खण्ड-खण्ड होने लगें। इस प्रकार हे कवि! तुम कुछ ऐसी तान छेड़ों की चारों और अपूर्व परिवर्तन (क्रान्ति) आ जाए।

विशेष:

  1. भाषा में ओज है और प्रवाह है।
  2. क्रान्तिकारी स्वर है।
  3. मुहावरेदार शैली है।
  4. वीर रस का संचार है।
  5. पुनरुक्ति प्रकाश (त्राहि-त्राहि) और मानवीकरण अलंकार (नभ का वक्षस्थल) है।

पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न

  1. प्रस्तुत पयांश का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
  3. कवि कवि को किस रूप में देखना चाहता हैं?

उत्तर:
1. प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने क़वि को एक अभूतपूर्व तान छेड़ने के लिए कहा है, जससे चारों ओर महान उथल-पुथल मच जाए। इसे चित्रित करने के लिए प्रयुक्त हुए भाव बड़े ही सशक्त और ओजस्वी हैं। उनके अनुसार भाषा का चयन भी कम प्रभावशाली नहीं है। भावों को हृदयस्पर्शी बनाने वाली मुहावरेदार शैली का प्रयोग अधिक सुन्दर रूप में है। बिम्ब, प्रतीक और योजना भावों के अनुसार आकर्षक हैं।

2. प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य सरल किन्तु अद्भुत है। भावों की ओजस्विता में क्रमबद्धता, प्रवाहमयता और सरसता है। रोचकता के साथ-साथ भावोत्पादकता इसकी सर्वप्रधान विशेषता है। कुछ तान सुनाने के कथ्य को उथल-पुथल मचा देने वाले भावों की योजना निश्चय ही चमत्कार उत्पन्न कर रही है।

3. कवि कवि को क्रान्ति के सूत्रधार के रूप में देखना चाहता है।

पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
प्रश्न

  1. कवि और कविता का नाम लिखिए।
  2. कवि की तान से मचने वाले उथल-पुथल किस प्रकार के हैं?
  3. यह उथल-पुथल किस तरह से होनी चाहिए?

उत्तर:

  1. कवि-बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ कविता-विप्लवगान।
  2. कवि की तान से मचने वाला उथल-पुथल प्रलयंकारी है।
  3. यह उथल-पुथल निरन्तर और चारों ओर से होना चाहिए।

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प्रश्न 2.
माता की छाती का अमृतमय पय कालकूट हो जाए,
आँखों का पानी सूखे, वे शोणित की घुटें हो जाए,
एक ओर कायरता काँपे, गतानुगति विगलित हो जाए,
अन्धे मूढ़ विचारों की वह, अचल शिला विचलित हो जाए,
और दूसरी ओर कँपा देने वाला गर्जन उठ धाए,
अन्तरिक्ष में एक उसी नाशक तर्जन की ध्वनि मँडराए,
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए।

शब्दार्थ:

  • पय – दूध।
  • कालकूट – जहर।
  • शोणित – खून।
  • गतानुगति – लीक पर चलना, पिछलग्गू होना, रूढ़िवादी होना।
  • विगलित – पिघलना, समाप्त होना।
  • मूढ़ – मूर्ख।
  • अचल – निश्चल, स्थिर, जो गतिमाम न हो।
  • शिला – विशाल पत्थर।
  • तर्जन – तड़कना।

प्रसंग: पूर्ववत्!

व्याख्या:
हे कवि! तुम ऐसी तान छेड़ो कि जिसे सुनकर चारों ओर सब कुछ उलट-पुलट हो जाए। माता का अमृतमय दूध भले जहूर हो जाए। आँखों का पानी सूखकर भले ही इनकी चूट में बदल जाए। इसके बावजूद तुम्हारी तान ऐसी हो कि उससे कायरता काँप उठे। सभी प्रकार की रूढ़ियाँ समाप्त हो जाएँ। अंधविश्वास और मूर्खतापूर्ण विचारों की अटल और स्थिर विशाल पत्थर विचलित हो जाए। दूसरी ओर कँपकँपी पैदा कर देने वाला गर्जन होने लगे। यही नहीं, अंतरिक्ष में भी उसी प्रकार का नाश करने वाला तर्जन की ध्वनि मँडराते लगे। हे कवि! इस प्रकार की उथल-पुथल मचाने वाली तान अब तुम जल्द ही छेड़ दो।

विशेष:

  1. भाषा में प्रभाव है और आज है।
  2. शैली ‘भावात्मक है।
  3. भयानक रस का संचार है।
  4. ‘गतानुगति विगलित’ में अनुप्रास अलंकार है।
  5. बिम्ब, प्रतीक और योजना यथास्थान हैं।

पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
प्रश्न

  1. प्रस्तुत पद्यांश का काव्य-सौन्दर्य लिखिए।
  2. प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रस्तुत पद्यांश का मुख्य भावं क्या है?

उत्तर:

1. प्रस्तुत पद्यांश में क्रान्तिकारी परिवर्तन की भयानकता को चित्रित करने का प्रयास किया गया है। इसके लिए प्रस्तुत हुए भावों की योजना प्रभावशाली रूप में है। चूंकि कथ्य भयानक परिवर्तन का है, फलस्वरूप तदनुरूप भाषा-शैली को अपनाया गया है। शब्द-योजना उच्चस्तरीय तत्सम शब्द की है।

2. प्रस्तुत पद्यांश में साधारण क्रान्तिकारी परिवर्तन की नहीं, अपितु भयानक क्रान्तिकारी परिवर्तन की भाव-योजना प्रस्तुत की गई है। यह प्रस्तुति बहुत ही ओजमयी, प्रवाहमयी और उत्साहमयी है। इसमें निरन्तरता, क्रमबद्धता, विविधता और मुख्यता जैसी अद्भुत विशेषताएँ हैं। फलस्वरूप यह अधिक रोचक और आकर्षक बमै गई है।

3. प्रस्तुत पद्यांश का मुख्य भाव है-भयानक और विविधतापूर्ण क्रान्तिकारी दृश्य का हृदयस्पर्शी चित्रण करना।

पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. कवि और कविता का नाम लिखिए।
  2. प्रस्तुत पद्यांश में मुख्य रूप से किस पर बल दिया गया है?

उत्तर:

  1. कवि-बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ कविता-‘विप्लव गान’
  2. प्रस्तुत पद्यांश में मुख्य रूप से सामाजिक रूढ़ियों और अन्ध-विश्वासों को समाप्त करने पर बल दिया गया है।

प्रश्न 3.
नियम और उपनियमों के ये बन्धन टूक-ट्रक हो जाएँ,
विश्वम्भर की पोषक वीणा के सब तार मूक हो जाएँ,
शान्ति-दण्ड टूटे-उस महारुद्र का सिंहासन थर्राए
उसकी पोषक श्वासोच्छवास, विश्व के प्रागंण में घहराए,
नाश! नाश!! हो महानाश!!! की प्रलयंकारी आँख खुल जाए,
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए!!

शब्दार्थ:

  • टूक-टूक – टुकड़े-टुकड़े।
  • विश्वम्भर – संसार का पालन-पोषण करने वाला, ईश्वर।
  • मूक – मौन, चुप।
  • महारुद्र – भगवान शंकर।
  • प्रांगण – आँगन, सहन।

प्रसंग – पूर्ववत्।

व्याख्या:
हे कवि! तुम्हारी ऐसा ज्ञान हो जिसे सुनकर सभी प्रकार के सामाजिक बंधन, चाहे वे किसी छोटे-छोटे नियमों से बँधे हों या बड़े-बड़े नियमों से बँधे, वे एक-एक करके खण्ड-खण्ड हो जाएँ। इसे देखकर संत का भरण-पोषण करने वाले ईश्वर की पोषण करने वाली वीणा के तार मौन हो जाएँ। इसी प्रकार महाशिव का शान्ति दण्ड टूटकर बिखर जाए और उनका सिंहासन काँप उठे। उनका पोषण करने वाला श्वासोच्छवास संसार के प्रांगण (आँगन) में घहराने लगे। फिर पूरी तरह से नाश-नाश
और महानाश ही की भयंकर ध्वनि गूंज उठे। इस तरह चारों ओर ऐसा भयानक दृश्य उपस्थित हो जाए, मानो प्रलयंकारी आँखें खुल गई हों।

विशेष:

  1. भाषा धारदार है।
  2. उच्चस्तरीय तत्सम शब्दों की प्रधानता हैं।
  3. शैली चित्रमयी है।
  4. भयानक रस का संचार है।
  5. क्रान्तिकारी स्वर है।
  6. सामाजिक परिवर्तन का आग्रह है।

पद्यांश पर आधारित काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
  3. ‘शान्ति दण्ड टूटे, उस महारुद्र का सिंहासन थर्राए।’ से कवि का क्या आशय है?

उत्तर:

1. प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने सभी प्रकार के सामाजिक बंधनों को तोड़ने के लिए समूल क्रान्तिकारी परिवर्तन का उल्लेख किया है। इसके लिए कवि प्रतीकात्मक और दृष्टान्त शैली के द्वारा जो चित्र खींचा है, वह न केवल आकर्षक है, अपितु भाववर्द्धक भी है। चूँकि भयानक और अपूर्व क्रान्तिकारी परिवर्तन का विषय है। इसलिए इसे नपे-तुले, ठोस और सटीक शब्द को परोसकर भयानक रस से रोचक बना दिया गया है।

2. प्रस्तुत पद्यांश के भावों की प्रस्तुति विषयानुसार है। भयानक और अपूर्व क्रान्तिकारी परिवर्तन को चित्रांकित करने के लिए भावों की योजना प्रसंगानुसार है। उपयुक्तता और सटीकता को लिए हुए ये भाव क्रमानुसार और कथ्यानुसार हैं। कुल मिलाकर प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य देखते ही बनता है।

3. ‘शान्ति दण्ड टूटे, उस महारुद्र का सिंहासन थर्राए’ से कवि का आशय है-क्रान्ति का स्वरूप प्रलयंकारी हो जिससे वह असम्भव को सम्भव कर सके।

पद्यांश पर आधारित विषयवस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. कवि और कविता का नाम लिखिए।
  2. प्रस्तुत पद्यांश में किसका चित्रण हुआ है?

उत्तर:

  1. कवि-बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ कविता-‘विप्लव गान’।
  2. प्रस्तुत पद्यांश में प्रकृति के भीषण और ध्वंसकारी स्वरूपों का चित्रण हुआ है।

MP Board Class 11th Hindi Solutions

MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 भगत जी

MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 भगत जी (कहानी, रामकुमार ‘भ्रमर’)

भगत जी पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर

भगत जी लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कहानीकार ने भगत जी को किन दुर्बलताओं से ऊँचा कहा है?
उत्तर:
कहानीकार ने भगत जी को मानवोचित दुर्बलताओं से ऊँचा कहा है।

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प्रश्न 2.
भगत जी पढ़े-लिखे लोगों से क्यों अच्छे थे?
उत्तर:
भगत जी पढ़े-लिखे लोगों से अच्छे थे, क्योंकि वे उनसे अधिक समझदारी और बुद्धिमानी से बात करते थे।

प्रश्न 3.
कुंभाराम, भगत जी को नास्तिक क्यों समझता था?
उत्तर:
कुंभाराम के साथ भगत जी मन्दिर नहीं गए थे। इसलिए वह उन्हें नास्तिक समझता था।

प्रश्न 4.
भगत जी मन्दिर क्यों नहीं गए थे?
उत्तर:
भगत जी को बीमार दीना की दवा लेने शहर जाना था। इसलिए वे मन्दिर नहीं गए।

प्रश्न 5.
कहानी का शीर्षक ‘भगत जी’ क्यों रखा गया है?
उत्तर:
कहानी का शीर्षक ‘भगत जी’ रखा गया है। वह इसलिए कि इसमें भगत जी के ही चरित्र को उभारा गया है।

भगत जी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भगत जी का गाँववालों के साथ किस तरह का व्यवहार था?
उत्तर:
भगत जी का गाँववालों के साथ अपनापन, आत्मीय, भाईचारा, सहानुभूति, सदाशयता और मानवीयता का व्यवहार था।

प्रश्न 2.
भगत जी का नाम भगत जी क्यों पड़ा?
उत्तर:
भगत जी.का नाम भगत जी पड़ा। यह इसलिए कि वे नाम के भगत जी नहीं, बल्कि इन्सानियत के भगत थे।

प्रश्न 3.
मानव-सेवा ही सच्ची ईश्वर-सेवा है। ‘कथावस्तु के आधार पर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
‘मानवीय-सेवा’ ईश्वर की सच्ची सेवा है। ऐसा इसलिए कि ईश्वर दीन-दुखियों की सेवा और सहायता करने से प्रसन्न होता है। उसे दिखावटी पूजा-पाठ पसन्द नहीं। उसे यह तो कतई पसन्द नहीं कि दीन-दुखियों की सहायता और सेवा न करके कोई उसकी पूजा-भक्ति करे। ऐसा इसलिए कि इस तरह की पूजा-भक्ति सच्ची नहीं कही जा सकती है। इसके विपरीत मानव-सेवा करना ईश्वर सेवा है। इससे चारों ओर सुख और शान्ति होती है।

प्रश्न 4.
भगत जी के चरित्र की कौन-कौन-सी विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
भगत जी के चरित्र की कई विशेषताएँ थीं ; जैसे-मानवीयता, सदाशयतापरोपकारिता, आत्मीयता, सरलता, निष्कपटता, कर्मठता, कर्तव्यपरायणता-सहनशीलता निराभिमानी आदि।

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प्रश्न 5.
कुंभाराम स्वयं को आस्तिक क्यों मानता था?
उत्तर:
कुंभाराम स्वयं को आस्तिक मानता था। यह इसलिए कि –

  1. उसने मन्दिर बनवा दिया था।
  2. वह रोज स्नान करके मन्दिर जाता था और रास्ते में चिल्ला-चिल्लाकर श्लोक पढ़ता जाता था।
  3. उसने अपने गले में तुलसी, रुद्राक्ष और अनेक मालाएँ डाल रखी थीं। 4. उसने अपने माथे पर त्रिपुंड लगा रखी थी।

भगत जी भाव विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.

  1. पतझर के बूढ़े पेड़ की तरह कृशकाय।
  2. बसन्त के पहले दिन जैसे खिलती लजीली मुस्कान।
  3. अटकी पर कौन भगत नहीं हो जाता।

उत्तर:

1. पतझर से पेड़-पौधों के रूप फीके पड़ जाते हैं। उनका स्वरूप खोखला और शक्तिहीन दिखाई देने लगता है। उन्हें देखने से लगता है कि उनके बचपन और जवानी के दिन बीत गए हैं। अब वे वृद्धावस्था में आ गए हैं। फलस्वरूप उनमें कोई आकर्षण और सौन्दर्य नहीं रह गया है।

2. बसन्त को ऋतुराज भी कहा जाता हैं। इसका अर्थ है-ऋतुओं का राजा। बसन्त के आते ही मौसम सुहावना होने लगता है। धूप मधुर और सरसता में डूबकी लगाने लगती है। वह खिलती हुई युवती की तरह अपने आकर्षण को बढ़ाने लगती है। उसे देखने से ऐसा लगता है मानो कोई सुन्दर युवती लज्जा से भरी हुई मधुर मुस्कान बिखेर रही है।

3. सच्चा भगत बनना आसान नहीं है। यह इसलिए कि इसमें ऐसी-ऐसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जो कभी किसी को भी विचलित कर देने वाली होती हैं। लेकिन जो सच्चा भगत होता है, वह किसी भी कठिनाई का सामना करते हुए अपने जीवनोद्देश्य पर निरन्तर बढ़ता चला जाता है। इस प्रकार कहने-सुनने में भगत बनना तो आसान है। लेकिन होना वास्तव में इतना ही कठिन है। जीवन की उलझनों और जीवन के दायित्वों से पीछा छुड़ाते के लिए तो लोग भगत बन जाते हैं। यह किसी के लिए आसान है।

भगत जी भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित लोकोक्ति/मुह्मवरों का अर्थ लिखकर वाक्य बनाओ –
आग की तरह भभक उठना, शर्म से सिर झुकाना, आगे नाथ न पीछे पगहा।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 भगत जी img-1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करो –
दानवता, भोलापन, मानवता, समझदारी, गहराई, मानसिक।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 भगत जी img-2

प्रश्न 3.
पाठ में आए देशज शब्दों को छाँटकर उनके मानक रूप लिखिए।
उत्तर;
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 भगत जी img-3

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखिए।

  1. भगतजी दुर्बलताओं से मनावोचित उठे हुए थे।
  2. भगत जी सबिमझदार बुद्धिमतीपूर्ण बातें करते हैं।
  3. भगत जी ने एक गाय पाल रखी है।
  4. पश्चाताप और ग्लानि से उसका अवरुद्ध कण्ठ रुद्ध हो गया।

उत्तर:

  1. भगत जी मानवोचित दुर्बलताओं से उठे हुए थे।
  2. भगत जी समझदारी और बुद्धिमत्तापूर्ण बातें करते हैं।
  3. भगत जी ने एक गाय पाल रखी है।
  4. पश्चाताप और ग्लानि से उसका कण्ठ अवरुद्ध हो गया।

भगत जी योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
कहानी का नाट्य रूपांतरण कर वार्षिक उत्सव में अभिनय करें।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्न छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल कर।

प्रश्न 2.
आपके आस-पास के वातावरण से कहानी के प्रमुख पात्र के व्यक्तित्व का व्यक्ति खोजिए, और उसके चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्न छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल कर।

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प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में प्रचलित कहावतों को संगृहीत कर उसे सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्न छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल कर।

भगत जी परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

भगत जी लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भगत जी का किसमें अगला नाम है?
उत्तर:
भगत जी का सौ फीसदी गौतम, गाँधी की लिस्ट’ में अगला नाम है।

प्रश्न 2.
भगत जी को क्या चाह है?
उत्तर:
भगत जी को चाह है-खिले गुलाब की नाजुक पंखुड़ियों जैसे हँसते-खेलते बच्चों की।

प्रश्न 3.
भगत जी किससे परेशान रहे?
उत्तर:
भगत जी से जब कुंभाराम ने मन्दिर चलने के लिए कहा, तो उसके उत्तर में उन्होंने कहा था-मैंने कौन पाप किए हैं? वे अपनी इस बात के व्यंग्य नहीं समझ पाने से कई दिनों तक परेशान रहे।

प्रश्न 4.
कुंभाराम के नास्तिक कहने पर भगत जी ने क्या कहा?
उत्तर:
कुंभाराम के नास्तिक कहने पर भगतजी ने उससे कहा-“तुम मुझे नास्तिक इसलिए समझते हो, कुंभाराम कि तुम्हारी तरह मेरे माथे पर चंदन और गले में मालाएँ नहीं हैं। करें।

भगत जी दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भगत जी की चाह और उत्कण्ठा क्या है और क्यों?
उत्तर:
भगत जी की चाह है, खिले गुलाब की नाजुक पंखुड़ियाँ जैसे हँसते-खेलते बच्चों की। गाँव की नदी और बदरंग बस्ती में काले और बदरंग बच्चों के बीच रहने की। उन्हें उत्कण्ठा है-हरी-भरी लहलहाती धरती की शान्ति की। यह सब इसलिए कि वे उनमें उतने ही खुश हैं, जितना खुश भोर का सूरज दिखाई देता है।

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प्रश्न 2.
भगत जी कुंभाराम के कहने पर मन्दिर जाने में क्यों असमर्थ थे?
उत्तर:
भगत जी कुंभाराम के कहने पर मन्दिर जाने में असमर्थ थे। यह इसलिए कि उस समय उनके हाथ में केवल दूध का एक गिलास था। वे उसे मन्नू के घर देने जा रहे थे। उसका बच्चा बीमार था। वह अपनी गरीबी के कारण बच्चे को दूध नहीं पिला सकता था। उस दिन उन्हें दीना की दवा लेने ईक्कीस मील चलकर शहर भी जाना था। अगर वे नहीं जाते तो शायद दीना मर जाता। फिर उसके बाल-बच्चों का क्या होता!

प्रश्न 3.
‘भगत जी’ कहानी के केन्द्रीय भावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रामकुमार ‘भ्रमर’-लिखित ‘भगत जी’ कहानी मानवता के विस्तार एवं प्रसार की कहानी है, जिसमें भगत जी के जीवन के माध्यम से मानव-मूल्यों को स्थापित किया गया है। भगत जी का चरित्र साधारणता में असाधारणता का बोध कराता है जिसमें आत्मीयता के साथ मानवीयता जीवित है। रचनाकार ने रोचक एवं सटीक शब्दों में भगतजी के व्यक्तित्व, कार्य व्यवहार एवं सदाशयता की चर्चा की है। भगत जी इन्सानियत की कीमत पर मान-मर्यादा की चिन्ता नहीं करते, उन्हें ज्ञानी होने का दर्प नहीं, सबके दुख को अपना दुःख मानकर पीड़ा का अनुभव करना वह अपना कर्त्तव्य समझते हैं। वे दीन-दुखी की दवा लेने इक्कीस मील चलकर शहर जाते हैं। कहानी में वे नाम के भगत जी नहीं वरन इन्सानियत के भगत दिखाई देते हैं।

भगत जी लेखक परिचय

प्रश्न 1.
राम कुमार ‘भ्रमर’ का संक्षित जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
श्री रामकुमार ‘भ्रमर’ का जन्म मध्य-प्रदेश के ग्वालियर जिले में 2.फरवरी, 1938.को हुआ था। आरंभिक शिक्षा समाप्ति के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त कर वे लेखन के क्षेत्र में कूद पड़े। आरंभ में उन्होंने पत्रकारिता लेखन में अपने को लगाया। इसके बाद 1969 से. उन्होंने स्वतंत्र लेखन के क्षेत्र में प्रवेश किया।

रचनाएं:
‘भ्रमर’ जी ऐसे रचनाकार हैं जिन्होंने गद्य की प्रायः सभी विधाओं में लिखा है-कहानी, उपन्यास, नाटक, व्यंग्य संस्मरण, रेखाचित्र आदि। परन्तु इसमें उनका कथाकार का रूप प्रधानं है। ‘भ्रमर’ जी ने महाभारत तथा श्रीकृष्ण के जीवन को अपने साहित्य-सृजन का विषय बनाया जो क्रमशः 12 तथा 10 खण्डीय उपन्यासों के रूप में प्रकाशित हुए हैं। भ्रमर जी की अन्य प्रमुख रचनाएँ कच्ची-पक्की दीवारें, सेतुकथा, फौलाद का आदमी आदि हैं। ..

महत्त्व:
‘भ्रमर’ जी की रचनाएं बहुमुखी हैं। उनमें राष्ट्रीयता के साथ सांस्कृतिक, सामाजिक और मानवता के स्वर प्रखर रूप में हैं। उनमें आधुनिक मूल्यों के साथ-साथ अतीत कालीन मूल्यों को व्याख्यायित करने की पूरी क्षमता दिखाई देती है। अपनी असाधारण साहित्यिक देन के फलस्वरूप उन्हें अनेक प्रकार से पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है। उन्हें उत्तर-प्रदेश शासन द्वारा लगातार दो बार ‘अखिल भारतीय प्रेमचन्द पुरस्कार’ प्रदान किया गया है। उनकी अनेक-अनेक कहानियों और उपन्यासों पर कई फिल्में बन चुकी हैं। इसी प्रकार कई प्रकार के धारावाहिक भी समय-समय पर प्रसारित किए जा चुके हैं। संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि ‘भ्रमर’ जी हिन्दी साहित्य के अधिक सम्मानित व प्रतिष्ठित रचनाकार हैं।

भगत जी पाठ का सारांश

प्रश्न 1.
रामकुमार ‘भ्रमर’ लिखित कहानी ‘भगत’ जी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
रामकुमारं ‘भ्रमर’ लिखित कहानी ‘भगत जी’ मानवता को चित्रित करने वाली एक सामाजिक कहानी है। इस कहानी का सारांश इस प्रकार है –

भगत जी गाँधी, गौतम या ईसा मसीह की तरह घर-घर के आदर्श चित्र तो नहीं थे, फिर भी उनका नाम और महत्त्व अपने आस-पास में कम नहीं था। वे चमत्कारी पैगम्बर न होकर मानवता के जीते-जागते प्रमाण थे। इस प्रकार वे न अधिक शिक्षित थे और न कोई महान लेखक ही। फिर भी काफी विद्वान और समझदार थे। वे नेता-अभिनेता तो नहीं थे लेकिन धरती और धरती के धन बच्चे उन्हें बेहद प्रिय थे। इस प्रकार के अद्भुत गुणों के कारण वे भगत जी के नाम से प्रसिद्ध हो गए। कुंभाराम ठेकेदार ने गाँव में एक मन्दिर और धर्मशाला बनवाया था।

वह स्नान करके मन्दिर जाते समय नारे लगा रहे सत्तारूढ़ दल के विरोधियों की तरह जोर-जोर से श्लोक पढ़ता था। एक दिन भगत जी को सामने देखा तो उसने उन्हें मन्दिर चलने के लिए कहा। भगत जी ने कहा, “मैंने कौन पाप किए हैं?” लेकिन वे अपनी इस बात के व्यंग्य नहीं समझ पाए। कुंभाराम की नाराजगी को दूर करने के लिए उन्होंने उससे बात की तो उसने कह दिया कि वे नास्तिक हैं। भगत जी ने उसे समझाया कि वे उसे इसलिए नास्तिक लग रहे हैं कि उसकी तरह उनके माथे पर चन्दन और गले में मालाएँ नहीं हैं। इसे सुनकर उसने उन्हें वहाँ से चले जाने के लिए कहा तो उन्होंने उसे मनाने की कोशिश की।

फिर उसके पूछने पर उन्होंने उसे बतलाया कि वे उस दिन मन्दिर जाने के लिए इसलिए मना किए थे कि उन्हें गरीब दीना की दवा लेने इक्कीस मील चलकर शहर जाना था। अगर वह मर जाता तो उसके बाल-बच्चों का क्या होता। इक्कीस मील पैदल की ही तो बात थी। इसे सुनकर कुंभाराम बहुत लज्जित हुआ। उसे लगा कि वह मन्दिर पहुँचकर। ईश्वर की मूरत की जगह भगत जी को देख रहा है। पश्चाताप और ग्लानि से वह कुछ नहीं बोल पाया। उधर भगत जी उससे कह रहे थे-“तुम मेरे मन्दिर न जाने पर नाराज हो गए? चलो, मैं अभी मन्दिर चलता हूँ। चलो न।” उन्होंने कुंभाराम का हाथ पकड़कर खींचा, लेकिन वह तो बुत की तरह चुप था।

भगत जी संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
भगत जी न तो अधिक पढ़े थे, न उन्होंने कोई पुस्तक ही लिखी और न उन्होंने मानवता और दानवता की फिलासफी पर किसी चौराहे पर कोई लेक्चर ही दिया। इसके बावजूद भगत जी कई पढ़े-लिखे लोगों से अच्छे हैं, और अन्य लोगों से अधिक समझदारी और बुद्धिमत्तापूर्ण बातें करते हैं।

शब्दार्थ:

  • फिलासफी – दर्शनशास्त्र।
  • लेक्चर – भाषण।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी सामान्य भाग-1’ में संकलित और श्री रामकुमार ‘भ्रमर’-लिखित कहानी ‘भगत जी’ से उद्धृत है। इसमें लेखक ने कहानी के सर्वमुख पात्र भगत जी का महत्त्वांकन करते हुए कहा है कि –

व्याख्या:
भगत जी की अनेक विशेषताएँ थीं। वे देखने में साधारण होते हुए भी असाधारण थे। उन्होंने कोई उच्च स्तरीय शिक्षा नहीं प्राप्त की। उन्होंने कोई पुस्तकीय लेखन-कार्य नहीं किया। यह भी कि वे बहुत बड़े दार्शनिक और विचारक भी नहीं थे। फलस्वरूप उन्होंने बड़ी-बड़ी सभाओं में किसी प्रकार के दार्शनिक या सामाजिक-धार्मिक ही कोई विचार व्यक्त किए थे। ऐसा होने के बावजूद भगत जी किसी प्रकार के शिक्षित लोगों से महान और श्रेष्ठ थे। यही नहीं, उनमें समझदारी, बुद्धिमानी और दुनियादारी अनुमान से कहीं अधिक बढ़कर थी।

विशेष:

  1. भगत जी की असाधारण विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।
  2. प्रचलित तत्सम और अंग्रेजी के प्रचलित शब्द हैं।
  3. शैली वर्णनात्मक है।
  4. यह अंश प्रेरक रूप में है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. भगत जी की क्या विशेषता है?
  2. भगतजी औरों से क्यों श्रेष्ठ हैं?

उत्तर:

  1. भगत जी अशिक्षित होने के बावजूद अधिक ज्ञानी थे।
  2. भगत जी औरों से कहीं अधिक व्यावहारिक हैं?

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न (i)
भगत की उपर्युक्त विशेषताएँ किस प्रकार की हैं?
उत्तर:
भगत जी की उपर्युक्त विशेषताएँ प्रेरक रूप में हैं।

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प्रश्न 2.
कुंभाराम का सिर शर्म से झुक गया। उसे लगा कि वह मन्दिर में पहुँच गया है और ईश्वर की मूरत की जगह भगत जी को देख रहा है। पश्चाताप और ग्लानि से उसका कण्ठ अवरुद्ध हो गया। भगत जी कहे जा रहे थे, “तुम मेरे मन्दिर न जाने पर नाराज हो गए? चलो, मैं अभी मन्दिर चलता हूँ। चलो न!” उन्होंने कुंभाराम का हाथ पकड़कर खींचा, पर कुंभाराम बुत की तरह मौन था।

शब्दार्थ:

  • मूरत – मूर्ति।
  • ग्लानि – दुख।
  • अवरुद्ध – रुकना।
  • बुत – प्रतिमा, मूर्ति।

प्रसंग:
पूर्ववत। इसमें उस समय का उल्लेख किया गया है। जब भगत जी ने कुंभाराम से मन्दिर न जाने का कारण बतलाया। उससे चकित हुए कुंभाराम की दशा का चित्रांकन करते हुए लेखक ने कहा है कि –

व्याख्या:
मन्दिर न जाने का कारण जब भगत जी ने कुंभाराम को बतलाया तो उसने हैरान होते हुए कहा कि इतनी ठण्ड में वे दीना की दवा लेने इक्कीस मील चलकर शहर गए। उसे सुनकर भगत जी ने मुस्कराते हुए उससे कहा कि क्या हुआ? अरे, अगर दीना मर जाता तो उसके बाल-बच्चों का क्या होता? इक्कीस मील पैदल की ही तो बात थी। भगत जी की उन बातों को सुनकर कुंभाराम बहुत लज्जित हुआ। उसे उस समय यह अनुभव हुआ कि वह और कहीं नहीं, अपितु मन्दिर में ही खड़ा है और मन्दिर में वह भगवान की मूर्ति को नहीं; अपितु उनके स्थान पर भगत जी के ही दर्शन कर रहा है।

इससे उसे बहुत बड़ा पश्चाताप हुआ और ग्लानि भी। इससे उसका कण्ठ न खुल सका। दूसरी ओर भगत जी अपने पवित्र भावों में बहे जा रहे थे और कहे जा रहे थे कि वह उनके मन्दिर न जाने से नाराज हो गया है, तो कोई चिन्ता की बात नहीं। उसकी नाराजगी दूर करने के लिए वे अभी उसके साथ मन्दिर चलने के लिए तैयार हैं। इसलिए वह अब देर न करे। अभी-अभी वह उनके साथ चले। इस प्रकार भावुक होकर के भगत जी ने कुंभाराम का हाथ पकड़ तो लिया था लेकिन कुंभाराम मूर्ति की तरह चुपचाप रहा।

विशेष:

  1. भाषा में प्रवाह है।
  2. सम्पूर्ण कथन मर्मस्पर्शी है।
  3. भक्ति रस का प्रवाह है।
  4. भावात्मक और चित्रात्मक शैली है।
  5. बुत से कुंभाराम की उपमा दिए जाने से उपमा अलंकार है।
  6. वह अंश प्रेरक रूप में है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर .
प्रश्न

  1. कुंभाराम का सिर शर्म से क्यों झुक गया?
  2. वह भगत जी को ईश्वर की मूर्ति के रूप में क्यों देख रहा था?

उत्तर:

  1. कुंभाराम का सिर शर्म से झुक गया। यह इसलिए कि वह भगत जी की मानवता और परोपकारिता के अद्भुत गुणों से अनजान था। वह उन्हें केवल नास्तिक समझता था और अपना विरोधी।
  2. वह भगत जी को ईश्वर की मूर्ति के रूप में देख रहा था। यह इसलिए कि वह एक ऐसे महान आत्मा के रूप में दिखाई दे रहे थे, जो ईश्वर के बहुत करीब पहुँच चुकी है।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न

  1. कुंभाराम बुत की तरह क्यों मौन था?
  2. उपर्युक्त गद्यांश से भगत जी का कौन-सा चरित्र उभरकर आया है?

उत्तर:

1. कुंभाराम बुत की तरह मौन था। यह इसलिए कि वह भगत जी के मानवीय गुणों को न पहचान उन्हें हेय और नास्तिक समझ लिया था। जब उनके मानवीय गुण-चरित्र से वह परिचित हुआ, तब उसे भारी पश्चाताप और ग्लानि हुई। इससे उसकी बोलती बन्द हो गई।

2. उपर्युक्त गद्यांश से भगत जी का आत्मीय और मानवीय चरित्र उभरकर आया है।

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