MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें

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कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें NCERT अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों में प्रत्येक कार्बन पर संकरण अवस्था ज्ञात कीजिए –
(a) CH2 = C = O
(b) CH3 – CH = CH2
(c) (CH3)2CO
(d) CH2 = CH – CN2
(e) C6H6
उत्तर:
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प्रश्न 2.
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(d) CH2 = C = CH2
(e) CH3NO2
(f) HCONHCH3
उत्तर:
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिकों के आबन्ध रेखा-सूत्र लिखिए –
(a) Isopropyl alcohol
(b) 2, 3-Dimethylbutanal
(c) Heptan – 4 – one.
OH
उत्तर:
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प्रश्न 4.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC में नाम लिखिए –
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उत्तर:
(a) Propylbenzene
(b) 3 – Methylpentanenitrile
(c) 2, 5-Dimethylheptane
(d) 3 – Bromo – 3 – chloroheptane
(e) 3 – Chloropropanal
(f) 2, 2 – Dichloroethanol.

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित यौगिकों में से कौन – सा नाम IUPAC के अनुसार सही है –
(a) 2, 2 – Diethylpentane अथवा 2 – Dimethylpentane
(b) 2, 4, 7 – Trimethyloctane अथवा 2, 5, 7 – Trimethy-loctane
(c) 2 – Chloro – 4 – methylpentane अथवा 4 – Chloro – 2,2 – methylpentane
(d) But – 3 – yn – 1 – ol अथवा But – 4 – 0l – 1 – yne.
उत्तर:
टीप-सर्वप्रथम दिये गए नाम से संरचना बना लें, फिर नियमों के अनुसार नाम दें, यदि वही नाम आता है तो सही है अन्यथा गलत है।
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3-Ethyl-3-methylhexane होना चाहिए, अतः दिया गया नाम गलत है। 2-Dimethylpentane यह गलत है। (यहाँ Dimethyl प्रतिस्थापियों की संख्या दो होनी चाहिए, जो नहीं है।)
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∴ अंकन दायीं तरफ से होना चाहिए था। अत: But – 3 – yn – 1 – ol सही है।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित दो सजातीय श्रेणियों में से प्रत्येक के प्रथम पाँच सजातों के संरचना सूत्र लिखिए –
(a) कार्बोक्सिलिक अम्ल / एल्केनोइक अम्ल
(b) एस्टर
(c) एल्कीन।
उत्तर:
(a) कार्बोक्सिलिक अम्ल / एल्केनोइक अम्ल (Carboxylic acid/Alkanoic acid) –

  • HCOOH
  • CH3COOH
  • CH3 – CH2 – COOH
  • CH3 – CH2 – CH2 – COOH
  • CH3 – CH2 – CH2 – CH2 – COOH

(b) एस्टर (Esters)

  • CH3COOCH3
  • CH2CH2COOCH3
  • CH2CH2COOCH CH3
  • CH2CH2CH2COOCHCH3
  • CH3CH2CH2COOCH2CH2CH3

(c) एल्कीन (Alkenes)

  • CH2 = CH2
  • CH2CH = CH2
  • CH3CH2CH = CH2
  • CH3CH2CH2CH = CH2
  • CH2CH = CHCH2CH2CH3.

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित के संघनित और आबन्ध रेखा-सूत्र लिखिए तथा उनमें यदि क्रियात्मक समूह हो, तो उसे पहचानिए –
(a) 2, 2, 4 – Trimethylpentane
(b) 2 – Hydroxy – 1, 2, 3 – propanetricarboxylic acid
(c) Hexanedial.
उत्तर:
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प्रश्न 8.
निम्नलिखित यौगिकों में क्रियात्मक समूह पहचानिए –
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उत्तर:
(a) क्रियात्मक समूह –

  • – CHO (Aldehyde)
  • – OMe (Ether)
  • – OH (Phenolic)

(b) क्रियात्मक समूह –

  • Amino
  • N, N-Diethylpropanoate,

(c) क्रियात्मक समूह –

1. COCl (Acid chloride)
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(d) क्रियात्मक समूह – एथिलीनिक द्विबन्ध, नाइट्रो।

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प्रश्न 9.
निम्न में कौन अधिक स्थायी है तथा क्यों –
O2NCH2CH2O, CH3CH2O
उत्तर:
– CH3 – CH2O की तुलना में O2N – CH2
CH2O अधिक स्थायी होता है क्योंकि – NO2 समूह – I प्रभाव प्रदर्शित करता है। जिसके कारण ऋणावेश विरल होता है। दूसरी ओर – CH3समूह +I प्रभाव प्रदर्शित करता है, जिसके कारण ऋणावेश सघन हो जाता है। आवेश के विरल हो जाने के कारण आयन का स्थायित्व बढ़ता है जबकि, ऋणावेश के सघन हो जाने के कारण आयन का स्थायित्व घटता है।
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प्रश्न 10.
निकाय से आबन्धित होने पर ऐल्किल समूह इलेक्ट्रॉन दाता की तरह व्यवहार प्रदर्शित क्यों करते हैं ? समझाइए।
उत्तर:
ऐल्किल समूह में कोई एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म नहीं होता है परन्तु 7 – इलेक्ट्रॉन तंत्र से जुड़ने पर अतिसंयुग्मन के कारण इलेक्ट्रॉन दाता के समान व्यवहार करता है। हम इसे टॉलुईन द्वारा दिखाते हैं, जिसमें मेथिल (CH3) समूह एकान्तर स्थितियों में तीन पाई (ooo) इलेक्ट्रॉन सहित बेंजीन वलय से जुड़ा होता है। विभिन्न अनुनादी संरचनाएँ निम्न हैं –
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प्रश्न 11.
निम्नलिखित यौगिकों की अनुनादी संरचना लिखिए तथा इलेक्ट्रॉनों का विस्थापन मुड़े तीरों की सहायता से दर्शाइए –
(a) C6H5 \(\stackrel{\ominus}{\mathbf{C}} \mathbf{H}_{2}\)
(b) C6H5OH
(c) C6H5NO2
(d) C6H5CH = O
(e) CH3 – CH = CH – CH = O
(f) CH3 – CH = CH – \(\stackrel{\ominus}{\mathbf{C}} \mathbf{H}_{2}\)
उत्तर:
(a) C6H5\(\stackrel{\ominus}{\mathbf{C}} \mathbf{H}_{2}\) में
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(b) C6H5OH में
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(c) C6H5NO2 में
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(d) C6H5CH = O में
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(e) CH3 – CH = CH – CH=0 में
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(1) CH3 – CH = CH – \(\stackrel{\ominus}{\mathbf{C}} \mathbf{H}_{2}\) में
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प्रश्न 12.
इलेक्ट्रॉन स्नेही तथा नाभिक स्नेही क्या है ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक-वे अभिकर्मक जो इलेक्ट्रॉन के प्रति बंधुता रखते हैं, इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक कहलाते हैं। सभी धनावेशित आयन या ऐसे उदासीन अणु जो एक या एक से अधिक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण कर सकते हैं। ये उस स्थान पर आक्रमण करते हैं, जहाँ इलेक्ट्रॉन घनत्व उच्च होता है।
धनावेशित इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक – NH4+H3O+, Br+, Ci+,NO2+
उदासीन इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक – BF3,AlCl3,FeCl3

नाभिक स्नेही अभिकर्मक:
वे अभिकर्मक जो नाभिक के द्वारा आकर्षित होते हैं या नाभिक के प्रति बंधुता रखते हैं नाभिक स्नेही अभिकर्मक कहलाते हैं। ये सामान्यतः ऋण आवेशित आयन या ऐसे उदासीन अणु होते हैं, जिनके पास एक या एक से अधिक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं। ये उस स्थान पर आक्रमण करते हैं, जहाँ इलेक्ट्रॉन घनत्व कम होता है।

ऋणावेशित नाभिक स्नेही अभिकर्मक –
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उदासीन नाभिक स्नेही अभिकर्मक –
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प्रश्न 13.
निम्नलिखित समीकरणों में रेखांकित अभिकर्मकों को नाभिक स्नेही तथा इलेक्ट्रॉन स्नेही में वर्गीकृत कीजिए –
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उत्तर:

  • HO → नाभिक स्नेही है।
  • CN → नाभिक स्नेही है।
  • CH3 \(^{\oplus} \mathrm{C} \mathrm{O}\) → इलेक्ट्रॉन स्नेही है।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को वर्गीकृत कीजिए –
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(c) CH3 – CH2 – Br + OH → CH2 = CH2 + H2O + Br
(d) (CH3 )3 C – CH2 OH + HBr → (CH3 )2 CBrCH2 CH3 + H2O.
उत्तर:
(a) नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया।
(b) नाभिक स्नेही योगात्मक अभिक्रिया
(c) विलोपन अभिक्रिया
(d) पुनर्विन्यास के साथ नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित युग्मों में सदस्य-संरचनाओं के मध्य कैसा संबंध है? क्या वे संरचनाएँ संरचनात्मक या ज्यामिति समावयव अथवा अनुनादी संरचनाएँ हैं –
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उत्तर:
(a) संरचनात्मक समावयव (क्रियात्मक समूह की स्थिति में भिन्न)
(b) ज्यामितीय समावयव
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(c) अनुनाद संरचनाएँ (इलेक्ट्रॉनों की स्थिति भिन्न है, परन्तु परमाणुओं की नहीं)।

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प्रश्न 16.
निम्नलिखित आबन्ध विदलनों के लिये इलेक्ट्रॉन विस्थापन को मुड़े तीरों द्वारा दर्शाइए तथा प्रत्येक विदलन को समांश अथवा विषमांश में वर्गीकृत कीजिये। साथ ही निर्मित सक्रिय मध्यवर्ती उत्पादों में मुक्त मूलक, कार्ब-धनायन तथा कार्ब – ऋणायन पहचानिए –
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उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 33आबन्ध विदलन-समांश आबन्ध विदलन। प्राप्त सक्रिय मध्यवर्ती मुक्त मूलक है।
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आबन्ध विदलन-विषमांश आबन्ध विदलन। प्राप्त सक्रिय मध्यवर्ती कार्ब-ऋणायन है।
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आबन्ध विदलन-विषमांश आबन्ध विदलन। प्राप्त सक्रिय मध्यवर्ती कार्ब-धनायन है।
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आबन्ध विदलन-विषमांश आबन्ध विदलन। प्राप्त सक्रिय मध्यवर्ती कार्ब-ऋणायन है।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित कार्बोक्सिलिक अम्लों की अम्लता का सही क्रम, कौन-सा इलेक्ट्रॉन विस्थापन वर्णित करता है ? प्रेरणिक तथा इलेक्ट्रोमेरिक प्रभावों की व्याख्या कीजिए –
(a) Cl3 CCOOH >CI2 CHCOO > CICH2COOH
(b) CH3 – CH2 – COOH>(CH3 )2 CHCOOH> (CH3)3 C – COOH.
उत्तर:
(a) प्रेरणिक प्रभाव:
संतृप्त कार्बन श्रृंखला के छोर पर इलेक्ट्रॉनग्राही या दाता परमाणु उपस्थित हो तब (σ) सिग्मा इलेक्ट्रॉन का बहाव होता है। संतृप्त कार्बन श्रृंखला में यह σ इलेक्ट्रॉन गति प्रेरणिक प्रभाव कहलाता है। प्रेरणिक प्रभाव शृंखला बढ़ने से पहले घटता है। तीन चार कार्बन परमाणु के बाद प्रेरणिक प्रभाव खत्म हो जाता है। प्रेरणिक प्रभाव दो प्रकार का होता है।

1. यदि श्रृंखला के अंत में इलेक्ट्रॉनग्राही परमाणु जुड़ा होता है तब -I प्रेरणिक प्रभाव उत्पन्न होता है।
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-I प्रेरणिक प्रभाव निम्न क्रम में घटता है –
NO,> – CN > – COOH >- F > – Cl>- Br >- I

2. यदि श्रृंखला के अन्त में इलेक्ट्रॉनदाता परमाणु जुड़ा होता है तथा + I प्रेरणिक प्रभाव उत्पन्न होता है।
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यह प्रभाव निम्न क्रम में घटता है –
(CH3)3C – >(CH3)2CH – >CH3 – CH2 – >CH3 – >D > H
यह प्रभाव स्थायी है इस प्रभाव के कारण अणुओं के उच्च क्वथनांक, गलनांक और द्विआघूर्ण ध्रुवण होता है।

(b) इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव-यह एक अस्थायी प्रभाव है। केवल आक्रमणकारी अभिकारकों की उपस्थिति में यह प्रभाव बहुआबंध वाले कार्बनिक यौगिकों में प्रदर्शित होता है, इसमें आक्रमण करने वाले अभिकारक की माँग के कारण बहु-आबंध से बंधित परमाणुओं में एक सहभाजित 7 – इलेक्ट्रॉन युग्म का पूर्ण विस्थापन होता है यह प्रभाव दो प्रकार का होता है।
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+E और -E प्रभाव – यदि बहुआबंध के -इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण उस परमाणु पर होता है, जिससे आक्रमणकारी अभिकर्मक बंधित होता है + E प्रभाव कहलाता है, उदाहरणार्थ
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यदि बहुआबंध के π – इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण उस परमाणु पर होता है, जिससे आक्रमणकारी अभिकर्मक बंधित नहीं होता है, – E प्रभाव कहलाता है।
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प्रश्न 18.
प्रत्येक का एक उदाहरण देते हुए निम्नलिखित प्रक्रमों के सिद्धान्तों का संक्षिप्त विवरण दीजिए –
(a) क्रिस्टलन
(b) आसवन
(c) क्रोमैटोग्राफी।
उत्तर:
(a) क्रिस्टलन:
इस विधि में अशुद्ध यौगिक का शुद्ध क्रिस्टलों में रूपांतरण होता है। यह किसी उचित विलायक में यौगिक तथा अशुद्धि की विलेयताओं में अंतर पर आधारित है। अशुद्ध यौगिक को किसी ऐसे विलायक में घोलते हैं जिससे यौगिक सामान्य ताप पर अल्प विलेय होता है, परन्तु उच्चतर ताप पर यथेस्ट मात्रा में घुल जाता है।

इसके पश्चात् विलयन को इतना सांद्रित करते हैं कि वह लगभग संतृप्त हो जाए। विलयन को ठंडा करने पर शुद्ध पदार्थ क्रिस्टलीय हो जाता है। उदाहरण – आयोडोफॉर्म, एल्कोहॉल के साथ क्रिस्टलित हो जाता है। नैफ्थ्लीन के साथ मिश्रित बेंजोइक अम्ल गर्म जल द्वारा शोधित हो जाता है।

(b) आसवन:
इस विधि में अशुद्ध द्रव को गर्म करके वाष्प में बदलते हैं तथा पुनः वाष्प को ठंडा करके द्रव में बदलते है। यह विधि केवल ऐसे द्रवों के शोधन के लिए उपयुक्त है, जो वायुमण्डलीय दाब पर बिना अपघटित हुए उबलते हैं तथा जिनमें अवाष्पशील अशुद्धियाँ मिली हुई हो। ऐसे दो द्रव, जिनके क्वथनांकों मे पर्याप्त अंतर हो, का पृथक्करण एवं शोधन भी इस विधि द्वारा कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, क्लोरोफॉर्म (क्वथनांक 334 K) तथा ऐनिलीन (क्वथनांक 457 K), आसवन विधि द्वारा सरलतापूर्वक पृथक् किए जाते हैं। उबालने पर, कम क्वथनांक वाले द्रव की वाष्प पहले बनती है, अतः इसे ठंडा करके पहले ग्राही में एकत्रित कर लिया जाता है।

(c) क्रोमैटोग्राफी (वर्णलेखन):
वर्णलेखन, यह मिश्रण के अवयवों के पृथक्करण, शुद्धिकरण तथा पहचान की विधि है। यह मिश्रण के अवयवों के दो प्रावस्था तथा गतिशील प्रावस्था पर विशिष्ट अधिशोषण के सिद्धांत पर आधारित है। स्थिर प्रावस्था ठोस या द्रव हो सकती है जबकि गतिशील प्रावस्था द्रव या गैस होती है।

अधिशोषण वर्णलेखन के प्रकार:

  • स्तंभ वर्णलेखन
  • पतली परत वर्णलेखन
  • वितरण वर्णलेखन।

स्तंभ वर्णलेखन में, स्थिर प्रावस्था ठोस तथा गतिशील प्रावस्था विभिन्न ध्रुवता के विलायकों का मिश्रण होती है। ठोस अधिशोषण को किसी उचित अध्रुवीय विलायक के साथ उपयुक्त लम्बाई की लंबी काँच की नली में लेते हैं। पृथक् तथा शुद्ध करने वाले कार्बनिक मिश्रण के सान्द्र विलयन की कुछ मात्रा को स्तम्भ के ऊपरी भाग में अधिशोषित कर देते हैं। विभिन्न यौगिकों के अधिशोषण की मात्रा के आधार पर उनका पृथक्करण हो जाता है। मिश्रण के अवयवों को अलग-अलग परतों, जिन्हें बैण्ड (क्रोमैटोग्राम) कहते हैं, के रूप में पृथक् कर लेते हैं।

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प्रश्न 19.
ऐसे दो यौगिक, जिनकी विलेयताएँ विलायक S से भिन्न है, को पृथक् करने की विधि की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
दो यौगिक जिनकी घुलनशीलता अलग:
अलग होती है, को प्रभाजी आसवन विधि द्वारा अलग किया जाता है। ऐसे द्रवों के वाष्प इसी तप्त परास में बन जाते हैं तथा साथ-साथ संघनित हो जाते हैं। ऐसी अवस्था में प्रभाजी आसवन का उपयोग किया जाता है। जब गर्म विलयन को ठंडा किया जाता है, तब कम घुलनशील पदार्थ क्रिस्टल के रूप में बाहर आ जाता है, तथा अधिक घुलनशील द्रव में (विलयन) रह जाता है। दोबारा गर्म कर दूसरे का क्रिस्टलन किया जाता है।

प्रश्न 20.
निम्न दाब पर आसवन तथा भाप आसवन में क्या अन्तर है ? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
निम्न दाब पर आसवन:
यह विधि उन कार्बनिक द्रवों के लिए उपयुक्त है, जो अपने क्वथनांक से पूर्ण ताप पर ही अपघटित हो जाते हैं। किसी द्रव का वाष्पदाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर होने पर यह उबलने लगता है। ऐसे द्रवों के पृष्ठ पर कम दाब करके उनके क्वथनांक से कम ताप पर उबाला जाता है। दाब कम करने के लिए जल पम्प अथवा निर्वात् पम्प का प्रयोग करते हैं। साबुन उद्योग में सह-उत्पाद, शेष लाई से ग्लिसरॉल को इस विधि द्वारा पृथक् करते हैं।

भाप आसवन:
यह जल के साथ सहसंघनन की विधि है। यह विधि उन पदार्थों के शोधन के लिए उपयुक्त है जो भाप वाष्पशील हो, परन्तु जल में अमिश्रणीय हो। ऐनिलीन को ऐनिलीन जल मिश्रण से इस विधि द्वारा पृथक करते हैं । इस विधि में कार्बनिक द्रव के वाष्प दाब (P1) तथा जल को वाष्प दाब (P2) का योग वायुमण्डलीय दाब (P) के बराबर होने पर द्रव उबलता है (अर्थात् P = P1 + P2) चूँकि P का मान P से कम है। अतः द्रव अपने क्वथनांक से कम ताप पर ही वाष्पित हो जाता है।

प्रश्न 21.
लैसेग्ने-परीक्षण का रसायन-सिद्धान्त समझाइए।
उत्तर:
लैसेग्ने निष्कर्ष का निर्माण:
सर्वप्रथम कार्बनिक यौगिक को संलयन नलिका में सोडियम धातु के साथ संगलित करते हैं। लाल तप्त नलिका को आसुत जल में तोड़कर गर्म करके, छान लेते हैं। छनित लैसेग्ने निष्कर्ष कहलाता है। यह दिए गए कार्बनिक यौगिक में N, S तथा हैलोजन की पहचान में प्रयुक्त होता है।

नाइट्रोजन का परीक्षण:
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लैसेग्ने निष्कर्ष को फेरस सल्फेट विलयन के साथ गर्म करके सान्द्र H2SO4 के साथ अम्लीकृत करने पर निम्न अभिक्रियाएँ होती हैं –
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गर्म करने पर कुछ Fe2+ आयन Fe3+ आयनों में ऑक्सीकृत हो जाते है।
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प्रशियन ब्लू रंग की उपस्थिति, यौगिक में नाइट्रोजन की उपस्थिति को दर्शाती है।
नाइट्रोजन तथा सल्फर संयुक्त परीक्षण:
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सोडियम थायोसायनेट सोडियम थायोसायनेट रक्त जैसा लाल रंग देता है तथा नाइट्रोजन के परीक्षण की भाँति प्रशियन ब्लू रंग उत्पन्न नहीं होता है, क्योंकि इस क्रिया में मुक्त सायनाइड आयन उपस्थित नहीं होते हैं।
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सल्फर का परीक्षण –
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1. लेड एसीटेड को लैसेग्ने निष्कर्ष में मिलाकर, ऐसीटिक अम्ल के साथ अम्लीकृत करने पर, PbS का काला अवक्षेप प्राप्त होता है।
Na2S + (CH3COO)2 Pb → PbS + 2CH3COONa
2. सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड विलयन को जैसेग्ने निष्कर्ष में मिलाने पर, सोडियम थायोनाइट्रोप्रसाइड बनने के कारण बैंगनी रंग उत्पन्न होता है।
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हैलोजनों का परीक्षण:
यदि लैसेग्ने निष्कर्ष में N तथा S उपस्थित हो तो सर्वप्रथम इसे सान्द्र HNO3 के साथ गर्म करके यौगिक में उपस्थित सोडियम सायनाइट या सोडियम सल्फाइट को अपघटित करते हैं, अन्यथा ये आयन हैलोजन के सिल्वर नाइट्रेट परीक्षण में बाधा उत्पन्न करते हैं।
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विलयन को ठंडा करते हैं तथा इसमें AgNO3 विलयन का कुछ मात्रा डालते हैं तथा निम्न प्रेक्षण देखते हैं –
1. यदि सफेद अवक्षेप (AgCl) प्राप्त होता है जो NH3(aq) में विलेय परन्तु HNO3में अविलेय हो तो कार्बनिक यौगिक में क्लोरीन उपस्थित है।
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2. यदि हल्का पीला अवक्षेप (AgBr) प्राप्त होता है जो अमोनियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में अल्पविलेय हो तो कार्बनिक यौगिक में ब्रोमीन की पुष्टि होती है।
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3. यदि पीला अवक्षेप (Agl) प्राप्त हो जो अमोनियम हाइड्रॉक्साइड में अविलेय हो तो कार्बनिक यौगिक में आयोडिन की पुष्टि होती है।
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प्रश्न 22.
किसी कार्बनिक यौगिक में नाइट्रोजन के आकलन की –
1. ड्यूमा विधि तथा
2. जेल्डॉल विधि के सिद्धान्त की रूप-रेखा प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
1. ड्यूमा विधि से नाइट्रोजन के आकलन:
इस विधि का उपयोग उन सभी कार्बनिक यौगिकों के लिए होता है जो नाइट्रोजन तत्व रखते हैं। इस विधि में नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक यौगिक को कार्बन डाइऑक्साइड के साथ गर्म करने पर नाइट्रोजन मुक्त होती है। कार्बन तथा हाइड्रोजन क्रमशः कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल में परिवर्तित हो जाते हैं।
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माना कार्बनिक यौगिक का द्रव्यमान =M gm
नाइट्रोजन का आयतन = V2 ml
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2. जेल्डॉल विधि से नाइट्रोजन के आकलन:
इस विधि में नाइट्रोजन युक्त यौगिक को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म किया जाता है। फलस्वरूप यौगिक नाइट्रोजन अमोनियम सल्फेट में परिवर्तित हो जाती है। तब प्राप्त अम्लीय मिश्रण को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के आधिक्य के साथ गर्म करने पर अमोनिया मुक्त होती है।

जिसे मानक सल्फ्यूरिक अम्ल विलयन के ज्ञात आयतन में अवशोषित कर लिया जाता है। इसके बाद अवशिष्ट सल्फ्यूरिक अम्ल को क्षार के मानक विलयन द्वारा अनुमापित कर लिया जाता है। अम्ल की प्रारंभिक मात्रा और अभिक्रिया के बाद शेष मात्रा के बीच अंतर से अमोनिया के साथ अभिकृत अम्ल की मात्रा प्राप्त होती है।
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प्रश्न 23.
किसी यौगिक में हैलोजन, सल्फर तथा फॉस्फोरस के आकलन के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
1. हैलोजन का आकलन:
कार्बनिक यौगिक की निश्चित मात्रा को केरियस नली में लेकर सिल्वर नाइट्रेट की उपस्थिति में सधूम नाइट्रिक अम्ल के साथ भट्ठी में गर्म किया जाता है। यौगिक में उपस्थित कार्बन तथा हाइड्रोजन इन परिस्थितियों में क्रमशः कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल में ऑक्सीकृत हो जाते हैं, जबकि हैलोजन संगत सिल्वर हैलाइड AgX में परिवर्तित हो जाता है।
1 मोल AgX = 1 मोल X
mg AgX में हैलोजन का द्रव्यमान
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2. सल्फर का आकलन:
इस विधि में सल्फर को H2SO4 में बदलकर अवक्षेप के रूप में बदलते हैं, जो BaCl2 में संभव है।
C+ 2O → CO2
2H + O → H2O
S + H2O + 3O → H2SO4
H2SO4 + BaCl2 → BaSO4 + 2HCl
BaSO4 अवक्षेप को धोकर सुखाते हैं और S का % ज्ञात करते हैं।
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3. फॉस्फोरस का आकलन:
कार्बनिक यौगिक की एक ज्ञात मात्रा को सधुम नाइट्रिक अम्ल के साथ गर्म करने पर उसमें उपस्थित फॉस्फोरस, फॉस्फोरिक अम्ल में ऑक्सीकृत हो जाता है। इसे अमोनिया तथा अमोनियम मॉलिब्डेट मिलाकर अमोनियम फॉस्फोमॉलिब्डेट (NH4)3 PO12MoO3 के रूप में अवक्षेपित करते हैं। या फॉस्फोरिक अम्ल में मैग्नीशियम मिश्रण मिलाकर Mg2NH4PO4 के रूप में अवक्षेपित किया जा सकता है। जिसके ज्वलन से Mg2P2O7 प्राप्त होता है।
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प्रश्न 24.
पेपर क्रोमैटोग्राफी के सिद्धान्त को समझाइए।
उत्तर:
किसी भी पदार्थ का वितरण दो अलग-अलग प्रावस्थाओं में, जो एक-दूसरे के संपर्क में होती हैं, अलग-अलग होता है। यह वितरण, वितरण नियम का पालन करते हुए होता है। पेपर क्रोमैटोग्राफी इसका उदाहरण है। फिल्टर पेपर के समान अत्यंत महीन सरंध्र पेपर होता है जिसे क्रोमैटोग्राफी पेपर कहा जाता है। यह पेपर स्थिर प्रावस्था प्रदान करता है।

कार्ड बोर्ड यदि इस पेपर के एक सिरे को किसी उपयुक्त विलायक या विलायक के मिश्रण में डुबो दिया जाये तो केशिका क्रिया द्वारा विलायक ऊपर चढ़ने लगता है, यह चलित प्रावस्था होती है। अब कोई पदार्थ इस चलित द्रव प्रावस्था तथा क्रोमैटोग्राफी पेपर जिसमें 6 जल उपस्थित है तथा स्थिर द्रव प्रावस्था निर्मित करता है, इन दो प्रावस्थाओं में विलायक वितरण नियमानुसार वितरित होता है।

मिश्रण में अलग-अलग घटकों का वितरण अलग-अलग होने के कारण घटक अलग – अलग दूरी तय करते हुए ऊपर चढ़ते हैं, इस प्रकार निरंतरता से होने वाले वितरण के तहत हम घटकों का पृथक्करण कर पाते हैं। पेपर क्रोमैटोग्राफी के लिये क्रोमैटोग्राफी पेपर अलग-अलग आकार में लिया जा सकता है। एक फीते के रूप में तथा बेलनाकार आवरण के रूप में लिये जाने वाले पेपर को चित्र में प्रदर्शित किया गया है।

जिन घटकों का पृथक्करण करना है, उनके मिश्रण का एक धब्बा पेपर के एक सिरे में कुछ ऊपर लगाते हैं तथा उस सिरे को उपयुक्त विलायक में डुबाते हैं। कुछ समय पश्चात् हम देखते हैं कि घटक दो प्रावस्थाओं के बीच वितरण के आधार पर ऊपर चढ़कर अलग-अलग दूरी पर पृथक् हो जाते हैं।
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प्रश्न 25.
सोडियम संगलन निष्कर्ष में हैलोजन के परीक्षण के लिए AgNO3 मिलाने से पूर्व नाइट्रिक अम्ल क्यों मिलाया जाता है ?
उत्तर:
यदि कार्बनिक यौगिक में हैलोजन के अतिरिक्त S तथा N उपस्थित हैं तो सोडियम निष्कर्ष में उपस्थित NaCN तथा Na2S, सिल्वर नाइट्रेट के साथ अभिक्रिया करके अवक्षेप देते हैं और हैलोजन के परीक्षण में बाधा उत्पन्न नहीं करते हैं। लेकिन सोडियम निष्कर्ष में सांद्र HNO3 मिलाने से ये NaCN तथा Na2S अपघटित हो जाते हैं और परीक्षण में बाधा उत्पन्न नहीं करते हैं।
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प्रश्न 26.
N, S तथा P के परीक्षण के लिये Na के साथ कार्बनिक यौगिक का संगलन क्यों किया जाता है ?
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक में उपस्थित नाइट्रोजन, सल्फर तथा हैलोजन सहसंयोजी अवस्था में होते हैं। अत: इनकी पहचान करना सरल नहीं है। धातु के साथ संगलन करने पर ये तत्व यूरिया या थायोयूरिया में बदल जाते हैं अर्थात् आयनिक रूप में बदल जाते हैं। आयनिक अवस्था में ये तत्व सरलता से आयनिक अभिक्रियाओं द्वारा पहचान लिये जाते हैं।

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प्रश्न 27.
CaSO4 तथा कपूर के मिश्रण के अवयवों को पृथक् करने के लिए एक उपयुक्त तकनीक बताइए।
उत्तर:
CaSO4 तथा कपूर के मिश्रण को ऊर्ध्वपातन तकनीक द्वारा पृथक् करते हैं क्योंकि कपूर ऊर्ध्वपातन है, जबकि CaSO4 नहीं। अतः मिश्रण को गर्म करने पर कपूर फनल की दीवारों पर एकत्रित होगा तथा CaSO4 क्रूसिबल में ही रह जायेगा।

प्रश्न 28.
भाप आसवन करने पर एक कार्बनिक द्रव अपने क्वथनांक से निम्न ताप पर वाष्पीकृत क्यों हो जाता है ?
उत्तर:
भाप आसवन विधि में, कार्बनिक द्रव तथा जल का मिश्रण कार्बनिक द्रव के वाष्प दाब (P1) तथा जल के वाष्प दाब (P2) के योग के वायुमंडलीय दाब (P) के बराबर हो जाने पर उबलता है, अर्थात् P = P1 + P2 चूँकि P की अपेक्षा P1 निम्न रहता है। अतः कार्बनिक द्रव अपने क्वथनांक से पूर्व ही निम्न ताप पर उबलने लगता है।

प्रश्न 29.
क्या CCl4 AgNO3 के साथ गर्म करने पर AgCl का सफेद अवक्षेप नहीं देता? कारण सहित समझाइए।
उत्तर:
CCl4, AgNO3 विलयन के साथ सफेद अवक्षेप नहीं देगा क्योंकि CCl4 एक सहसंयोजी यौगिक है। यह आयनित नही होता है, जिनके कारण AgCl का अवक्षेप बनने के लिए Cl आयन प्राप्त नहीं होता है।

प्रश्न 30.
किसी कार्बनिक यौगिक में C का आकलन करते समय उत्पन्न CO2 को अवशोषित करने के लिये KOH विलयन का उपयोग क्यों करते हैं ?
उत्तर:
KOH, CO2 गैस को अवशोषित कर K2CO3 (विलेय पदार्थ) में बदल जाता है।
2KOH + CO2 → K2CO3 + H2O(l)

प्रश्न 31.
लेड ऐसीटेट परीक्षण द्वारा S परीक्षण करते समय अम्ल के स्थान पर H2SO4 प्रयुक्त करना सलाह योग्य नहीं है। कारण बताइए।
उत्तर:
यदि H2SO4 का प्रयोग करते हैं तो लेड ऐसीटेट स्वयं H2SO4 के साथ क्रिया करके लेड सल्फेट का सफेद अवक्षेप देता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 139अत: PbSO4 का सफेद अवक्षेप सल्फर के निम्नलिखित परीक्षण को प्रभावित करेगा –
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परन्तु यदि ऐसिटिक अम्ल का प्रयोग किया जाये तो लेड ऐसीटेट के साथ क्रिया नहीं करता है, जिसके कारण यह परीक्षण में बाधा उत्पन्न नहीं करता है।

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प्रश्न 32.
एक कार्बनिक यौगिक में 69% कार्बन एवं 4.8% हाइड्रोजन पाया जाता है तथा शेष ऑक्सीजन होता है। CO2 तथा उत्पादित जल के भारों की गणना कीजिए जब इस यौगिक का 0.20 g पूर्ण दहन में आरोपित किया जाता है।
हल:
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प्रश्न 33.
0. 50 g कार्बनिक यौगिक को जेल्डॉलीकृत किया गया है। उत्पन्न अमोनिया को 1 N H2SO4 के 50 cm3में प्रवाहित किया गया। अवशेषी अम्ल को N/2 NaOH विलयन के 60 cm3 की आवश्यकता होती है। यौगिक में नाइट्रोजन की प्रतिशत गणना कीजिए।
हल:
लिए गए अम्ल का आयतन = 50 mL – 0.5 M H2SO4
= 25 mL 1.0 M H2SO4
अम्ल की अधिकता को उदासीन करने में प्रयुक्त क्षार का आयतन
= 60 mL 0.5 M NaOH
= 30 mL 1.0 M NaOH
H2SO4 + 2NaOH + Na2SO4 + 2H2O
1 मोल H2SO 1 मोल NaOH
30 mL 1.0 M NaO H = 15 mL 1.OM H2SO4
अमोनिया द्वारा प्रयुक्त अम्ल का आयतन = 25 – 15 = 10mL
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प्रश्न 34.
केरियस आकलन में 0.3780g कार्बनिक क्लोरो यौगिक से 0-5740g सिल्वर क्लोराइड प्राप्त हुआ। यौगिक में Cl की % ज्ञात कीजिए।
हल:
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प्रश्न 35.
केरियस विधि द्वारा सल्फर के आकलन में 0.468 g सल्फर युक्त कार्बनिक यौगिक से 0.668g BaSO प्राप्त हुआ। दिये गये कार्बन यौगिक में सल्फर के % की गणना कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार, दिए गए कार्बनिक यौगिक का द्रव्यमान = 0.468g
उत्पन्न BasO4 का द्रव्यमान = 0.668g
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प्रश्न 36.
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 66
कार्बनिक यौगिक में C2 – C3आबन्ध किन संकरित कक्षकों के युग्म से निर्मित होता है ?
उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 67
C2 – C3 आबन्ध sp2 – sp3 संकरित कक्षकों के युग्म से निर्मित होता है।

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प्रश्न 37.
किसी कार्बनिक यौगिक में लैसेग्ने परीक्षण द्वारा नाइट्रोजन की जाँच में प्रशियन ब्लू रंग किसके कारण प्राप्त होता है ?
उत्तर;
Fe4 [Fe(CN)6]3यौगिक बनने के कारण।

प्रश्न 38.
निम्नलिखित कार्ब-धनायनों में से कौन-सा सबसे अधिक स्थायी है –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 138
उत्तर:
(b) (CH3)3 \($C$ \) (तृतीयक कार्ब-धनायन होने के कारण)।

प्रश्न 39.
कार्बनिक यौगिकों के पृथक्करण और शोधन की सर्वोत्तम तथा आधुनिकतम तकनीक कौन-सी है
(a) क्रिस्टलन
(b) आसवन
(c) ऊर्ध्वपातन
(d) क्रोमैटोग्राफी।
उत्तर:
(d) क्रोमैटोग्राफी।

प्रश्न 40.
CH3 – CH2I + KOH(aq) → CH3CH2OH + KI अभिक्रिया को नीचे दिये गये प्रकार में,वर्गीकृत कीजिए –
(a) इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन
(b) नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन
(c) विलोपन
(d) संकलन।
उत्तर:
(b) नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया।

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कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
1. एलिचक्रीय यौगिक है –
(a) ऐरोमैटिक यौगिक
(b) ऐलिफैटिक यौगिक
(c) विषमचक्रीय यौगिक
(d) ऐलिफैटिक चक्रीय यौगिक।
उत्तर:
(d) ऐलिफैटिक चक्रीय यौगिक।

2. एल्काइन का सामान्य सूत्र है –
(a) CnH2n+2
(b) CnH2n+1
(c)CnH2n
(d) CnH2n-2
उत्तर:
(d) CnH2n-2

3. IUPAC पद्धति से (CHF). CH – CH = CH – CH3 का नाम होगा –
(a) 2 – मेथिल पेन्टा – 3 – ईन
(b) 4 – मेथिल पेन्टा – 2 – ईन
(c) 2 – आइसो प्रोपिल प्रोप -1- ईन
(d) 3 – आइसो प्रोपिल प्रोप – 2 – ईन।
उत्तर:
(b) 4 – मेथिल पेन्टा – 2 – ईन

4. कार्बनिक यौगिकों का मुख्य स्रोत है –
(a) कोलतार
(b) पेट्रोलियम
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

5. ऐल्कोहॉल का सामान्य सूत्र है –
(a) CnH2n+2
(b) CnH2n+1.OH
(c) CnH2n-2
(d) CnH2n
उत्तर:
(b) CnH2n+1OH.

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6. निम्नलिखित यौगिक परस्पर किस प्रकार की समावयवता प्रदर्शित करते हैं –
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 1
(a) केवल क्रियात्मक समूह
(b) केवल श्रृंखला
(c) स्थिति तथा श्रृंखला
(d) केवल स्थिति।
उत्तर:
(b) केवल श्रृंखला

7. निम्नलिखित में से कौन एक कार्बएनायन का उदाहरण है –
(a) CH3
(b) \($$: \mathrm{CH}_{3}$$\)
(c) \($\stackrel{\oplus}{\mathrm{C}} \mathrm{H}_{3}$\)
(d) CH3
उत्तर:
(b) \($$: \mathrm{CH}_{3}$$\)

8. किरेल अणु उनको कहते हैं –
(a) जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नहीं होते हैं
(b) जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित होते हैं
(c) जो ज्यामिति समावयवता दर्शाते हैं
(d) जो स्थायी अणु होते हैं।
उत्तर:
(a) जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नहीं होते हैं

9. निम्न में से किसमें तीनों समूह -I प्रभाव प्रदर्शित करते हैं –
(a) -NO2 , -Br, -CH3
(b) -I, -NO2, -C2H5
(c) – Cl, – C2H5, – CH3
(d) -F, -NO2, -C6H5.
उत्तर:
(d) -F, -NO2, -C6H5

10. नाभिकस्नेही का उदाहरण निम्न में से है –
(a) F आयन
(b) H2O+ आयन
(c) Cl परमाणु .
(d) एनीलीन हाइड्रोक्लोराइड।
उत्तर:
(a) F आयन

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11. निम्नलिखित में से कौन-सा यौगिक ज्यामितीय समावयवी रूपों में पाया जा सकता है –
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उत्तर:
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 129

12. एक पदार्थ का एक से अधिक ठोस रूपान्तरों में अस्तित्व रखना ……………. जाना जाता है –
(a) बहुरूपता
(b) समाकृतिकता
(c) अपरूपता
(d) प्रतिबिम्बरूपता।
उत्तर:
(a) बहुरूपता

13. Cl.CH2CH2COOH की संरचना वाले यौगिक का नाम है –
(a) 3 – क्लोरोप्रोपेनोइक अम्ल
(b) 2 – क्लोरोप्रोपेनोइक अम्ल
(c) 2 – क्लोरोएथेनोइक अम्ल
(d) क्लोरोसक्सिनिक अम्ल।
उत्तर:
(a) 3 – क्लोरोप्रोपेनोइक अम्ल

14. आइसोब्यूटिल क्लोराइड का संरचना सूत्र है –
(a) CH3CH2CH2CH2Cl
(b) (CH3)2CH.CH2Cl
(c) CH3CH2CHCl.CH3
(d) (CH3)3C – Cl.
उत्तर:
(c) CH3CH2CHCl.CH3

15. CnH2n सामान्य सूत्र है –
(a) ऐल्केन्स का
(b) ऐल्कीन्स का
(c) ऐल्काइन्स का
(d) ऐरीन्स का।
उत्तर:
(b) ऐल्कीन्स का

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16. कार्बन टेट्राक्लोराइड में बन्ध कोण है लगभग –
(a) 90°
(b) 109°
(c) 120°
(d) 180°
उत्तर:
(b) 109°

17. (CH3)2CH – O – CH2 – CH2 – CH3 का नाम है –
(a) आइसोप्रोपिल प्रोपिल ईथर
(b) डाइप्रोपिल ईथर
(c) डाइआइसो प्रोपिल ईथर
(d) आइसोप्रोपिल प्रोपिलकीटोन।
उत्तर:
(a) आइसोप्रोपिल प्रोपिल ईथर

18. कैल्सियम कार्बाइड पर जल की क्रिया द्वारा यह गैस उत्पन्न होती है –
(a) मेथेन
(b) एथेन
(c) एथिलीन
(d) ऐसीटिलीन।
उत्तर:
(d) ऐसीटिलीन।

19. बेयर अभिकर्मक है –
(a) क्षारीय KMnO4
(b) अमोनियामय AgNO3
(c) अमोनियामय CuSO4
(d) अप्लीय CaSO4
उत्तर:
(a) क्षारीय KMnO4

20. Cl3C.CH2CHO सूत्र वाले यौगिक का IUPAC नाम है –
(a) 3, 3, 3-ट्राइक्लोरोप्रोपेनल
(b) 1,1, 1-ट्राइक्लोरोप्रोपेनल
(c) 2, 2, 2-ट्राइक्लोरोप्रोपेनल
(d) क्लोरल।
उत्तर:
(a) 3, 3, 3-ट्राइक्लोरोप्रोपेनल

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21. त्रिविम समावयवी भिन्न होते हैं –
(a) विन्यास में
(b) संरूपण में
(c) ये भिन्न नहीं होते
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) विन्यास में

22. CH3– CH – (OH) – COOH प्रदर्शित करता है –
(a) ज्यामितीय समावयवता
(b) प्रकाशीय समावयवता
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) प्रकाशीय समावयवता

23. नाइट्रो एथेन निम्न में से एक प्रकार की समावयवता है –
(a) मध्यावयवता
(b) प्रकाश सक्रियता
(c) चलावयवता
(d) स्थान समावयवता।
उत्तर:
(c) चलावयवता

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. फ्रिऑन कार्बनिक पदार्थ जिसका उपयोग वायु प्रशीतकों तथा रेफ्रीजरेटर्स में होता है का रासायनिक नाम ……………. एवं संरचना सूत्र ……………… होगा।
  2. दो पदार्थों को पृथक् करने की प्रभाजी क्रिस्टलन विधि ……………. के अन्तर पर निर्भर करती है।
  3. कार्बनिक यौगिक में उपस्थित हैलोजन की मात्रा ज्ञात करते हैं उसे ……………… में बदलकर।
  4. एक पदार्थ में 80% कार्बन तथा 20% हाइड्रोजन है तो उसका सूत्र ………………. होगा।
  5. मार्श गैस में मुख्यतः ……………. गैस होती है।
  6. ‘भिन्न-भिन्न अवशोषण दर से अलग किए गये पदार्थ का प्रक्रम ……………. कहलाता है।
  7. जेल्डॉल विधि का प्रयोग ……………. तल के आकलन में होता है।
  8. दो पदार्थों के मिश्रण का पृथक्करण ……………. पर निर्भर करता है।
  9. o-नाइट्रोफिनॉल और p-नाइट्रोफिनॉल के मिश्रण का पृथक्करण ……………. से होता है।
  10. ग्लिसरीन के क्वथनांक पर वियोजन होता है, यह शुद्धिकरण ……………. से होता है।

उत्तर:

  1. डाइफ्लुओरो – डाइक्लोरो मेथेन, CF2Cl2
  2. विलायक
  3. सिल्वर हैलाइड
  4. C2H6.
  5. मेथेन
  6. इल्युशन
  7. नाइट्रोजन
  8.  विलेयता
  9. भाप आसवन
  10. निम्न दाब आसवन

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प्रश्न 3.
उचित संबंध जोडिए –
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उत्तर:

    1. (h) CH4
    2. (g) CH3 – COOH
    3. (b) CH3 – CH2 – OH
    4. (c) HCHO
    5. (i) CHI3
    6. (j) CH3 – CN
    7. (d) CH3NC
    8. MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 3

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  1. (a) (CH3)3 – C – OH

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प्रश्न 4.
एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. CH3 – CH2 CHCl – CH3 का रासायनिक नाम है …………..।
  2. KMnO4 और KOH का मिश्रण कहलाता है।
  3. सिरका का IUPAC नाम है।
  4. अन्न एल्कोहॉल का IUPAC नाम है।
  5. CaSO4 युक्त मिश्रण में कपूर को अलग किया जाता है।
  6. नैफ्थेलीन का शुद्धिकरण होता है।
  7. कॉलम क्रोमैटोग्राफी द्वारा शुद्धिकरण होता है क्योंकि –
  8. पेट्रोलियम का शुद्धिकरण होता है।
  9. बेलस्टाइन परीक्षण का प्रयोग होता है।
  10. मुक्त मूलक आबंधन के किस प्रकार के विदलन से बनते हैं।

उत्तर:

  1. आइसो ब्यूटिल क्लोराइड
  2. बेयर अभिकर्मक
  3. एथेनोइक अम्ल
  4. एथेनॉल
  5. ऊर्ध्वपातन
  6. ऊर्ध्वपातन
  7. अलग-अलग अवशोषण
  8. प्रभाजी आसवन
  9. हैलोजन परीक्षण में
  10. समांश विदलन से।

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कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समावयवता किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
वे यौगिक जिनके अणुसूत्र समान होते हैं लेकिन संरचना सूत्र भिन्न-भिन्न होते हैं ये एक-दूसरे के समावयवी कहलाते हैं तथा इस गुण को समावयवता कहते हैं। उदाहरण – एथिल ऐल्कोहॉल C2H5OH और डाइमेथिल ईथर के अणुसूत्र C2H6O समान हैं, लेकिन इनके संरचना सूत्र में भिन्नता है इसलिये ये एक-दूसरे के समावयवी हैं।

प्रश्न 2.
स्थान समावयवता को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
इस प्रकार की समावयवता तब होती है जब प्रतिस्थापी मूलक या क्रियात्मक समूह या द्विबंध या त्रिबंध की भिन्न-भिन्न स्थितियाँ हों अर्थात् भिन्न-भिन्न C पर जुड़े हों।
उदाहरण:
C3H8O
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प्रश्न 3.
C3H6O अणुसूत्र वाले दो क्रियात्मक समावयवी यौगिकों के संरचना सूत्र और प्रचलित नाम लिखिये।
उत्तर:
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प्रश्न 4.
पेण्टेन के समावयवी लिखिये तथा उपस्थित समावयवता का नाम लिखिये।
अथवा
एल्केन में किस प्रकार की समावयवता होती है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
एल्केन सामान्यतः शृंखला समावयवता दर्शाते हैं, उदाहरण के रूप में – C5H12 में शृंखला समावयवता होती है, इसके तीन समावयवी बनते हैं-
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प्रश्न 5.
एल्काइन में श्रृंखला एवं स्थिति समावयवता को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
एल्काइन शृंखला एवं स्थिति समावयवंता दर्शाते हैं।
1. श्रृंखला समावयवता –
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2. स्थिति समावयवता –
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प्रश्न 6.
एरीन में कौन-सी समावयवता पायी जाती है ? उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
एरीन में स्थान समावयवता होती है।
उदाहरण –
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प्रश्न 7.
निम्नलिखित यौगिकों के संरचना सूत्र दिये गये हैं। इनमें पायी जाने वाली समावयवता के नाम लिखिये
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उत्तर:

  1. क्रियात्मक समावयवता
  2. मध्यावयवता
  3. चलावयवता।

प्रश्न 8.
कार्बनिक यौगिकों में C व H के आकलन की विधि का नाम लिखिये।
उत्तर:
कार्बनिक यौगिकों में C व H के आकलन के लिये लीबिग विधि का प्रयोग करते हैं।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित मिश्रणों को शुद्ध करने की विधि का नाम लिखिये –

  1. अशुद्ध नैफ्थेलीन
  2. दो वाष्पशील द्रव
  3. आयोडीन व NaCl
  4. बेंजीन एवं टॉलुईन।

उत्तर:

  1. अशुद्ध नैफ्थेलीन – ऊर्ध्वपातन
  2. दो वाष्पशील द्रव – प्रभाजी आसवन
  3. आयोडीन व NaCl – ऊर्ध्वपातन
  4. बेंजीन एवं टॉलुईन – प्रभाजी आसवन।

प्रश्न 10.
कार्बनिक यौगिकों के शोधन में प्रयुक्त होने वाली विधियों के नाम लिखिये।
उत्तर:

  • ठोस पदार्थ के लिये प्रयुक्त होने वाली विधि – साधारण क्रिस्टलन, प्रभाजी क्रिस्टलन, ऊर्ध्वपातन तथा विलायकों द्वारा निष्कर्षण।
  • द्रव पदार्थ के लिये प्रयुक्त होने वाली विधि – साधारण आसवन, प्रभाजी आसवन, निर्वात आसवन, भाप आसवन इत्यादि।

प्रश्न 11.
क्रोमैटोग्राफी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी मिश्रण के विभिन्न अवयवों को किसी अधिशोषक पर अधिशोषित होने की शक्ति में भिन्नता के आधार पर स्थिर व चलायमान प्रावस्थाओं में वितरित कर पृथक करने की प्रक्रिया क्रोमैटोग्राफी कहलाती है।

प्रश्न 12.
यदि कोई कार्बनिक पदार्थ बहुत थोड़ी मात्रा में दिया गया है तो उसकी शुद्धता की जाँच किस प्रकार की जाती है ?
उत्तर:
यदि कोई पदार्थ बहुत कम मात्रा में दिया गया है तो उसकी शुद्धता उसके गलनांक या क्वथनांक को ज्ञात करके की जा सकती है या फिर शुद्धता का परीक्षण स्तम्भ क्रोमैटोग्राफी से करते हैं यदि एक बैण्ड प्राप्त होता है तो यौगिक शुद्ध होगा और यदि एक से अधिक बैण्ड प्राप्त होते हैं तो यौगिक अशुद्ध होगा।

प्रश्न 13.
अधिशोषण वर्णलेखी प्रक्रम का कार्बनिक यौगिकों के शोधन में क्या उपयोग है ? लिखिये।
उत्तर:
अधिशोषण वर्णलेखी प्रक्रम का उपयोग विशेषतः विटामिन और हॉर्मोन्स जैसे – जटिल यौगिकों के पृथक्करण में होता है तथा इसका उपयोग पदार्थों की शुद्धता का परीक्षण करने में होता है।

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प्रश्न 14.
कार्बनिक यौगिक में हैलोजन का सिल्वर नाइट्रेट परीक्षण करते समय HNO3 मिलाते हैं, क्यों?
उत्तर:
यदि कार्बनिक यौगिक में हैलोजन के अतिरिक्त S तथा N उपस्थित हैं तो सोडियम निष्कर्ष में उपस्थित NaCN तथा Na2S, सिल्वर नाइट्रेट के साथ अभिक्रिया करके अवक्षेप देते हैं और हैलोजन के परीक्षण में बाधा उत्पन्न नहीं करते हैं। लेकिन सोडियम निष्कर्ष में सान्द्र HNO3 मिलाने से ये NaCN तथा Nags अपघटित हो जाते हैं और परीक्षण में बाधा उत्पन्न नहीं करते हैं।
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प्रश्न 15.
नाइट्रोजन का परीक्षण करते समय FeCl3 का विलयन मिलाने पर रक्त लाल रंग का श्वेत अवक्षेप आता है। क्यों?
उत्तर:
नाइट्रोजन का परीक्षण करते समय FeCl3 मिलाने पर लाल रंग का उत्पन्न होना कार्बनिक यौगिक मैं N तथा S दोनों की उपस्थिति को दर्शाता है। क्योंकि सोडियम निष्कर्ष बनाते समय कार्बनिक यौगिक में उपस्थित N एवं S सोडियम के साथ अभिक्रिया करके सोडियम सल्फोसायनाइड बनाते हैं जो FeCl3 के साथ अभिक्रिया करके फैरिक सल्फोसायनाइड का रक्त लाल रंग का विलयन देते हैं।
Na + C + N + S →NaSCN
NaSCN + FeCl3 → Fe(CNS)3 + 3NaCl

प्रश्न 16.
आयतनात्मक विधि द्वारा किस प्रकार के यौगिकों के आण्विक द्रव्यमान को ज्ञात किया जा सकता है ?
उत्तर:
आयतनात्मक विधि द्वारा अम्लीय या क्षारीय गुण दर्शाने वाले यौगिक सूचक की उपस्थिति में मानक क्षार या मानक अम्ल द्वारा अनुमापन किया जाता है तथा अनुमापन द्वारा उनके तुल्यांकी भार को ज्ञात कर लेते हैं। मानक अम्ल या क्षार उनके तुल्यांकी भार को एक लीटर में विलेय करके बनाये जाते हैं। अम्ल या क्षार का आण्विक द्रव्यमान = तुल्यांकी द्रव्यमान × अम्लता या क्षारकता।

प्रश्न 17.
कार्बनिक यौगिकों के तत्वों के परीक्षण हेतु सोडियम निष्कर्ष क्यों बनाया जाता है ?
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक सहसंयोजी प्रकृति के होने के कारण सरलता से आयनित नहीं होते हैं। जिसके कारण इनमें उपस्थित तत्वों का परीक्षण सरलता से नहीं किया जा सकता है। सोडियम एक अत्यन्त क्रियाशील धातु है जो कार्बनिक यौगिक में उपस्थित तत्वों के साथ संयोग करके सोडियम यौगिक बनाता है जो प्रबल आयनिक होते हैं और सरलता से आयनित हो जाते हैं इसलिये तत्वों का परीक्षण सरलता से किया जा सकता है।

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प्रश्न 18.
सोडियम निष्कर्ष में ब्रोमीन या आयोडीन का परीक्षण करने के लिये क्लोरोफॉर्म या CCI, क्यों मिलाया जाता है ?
उत्तर:
सोडियम निष्कर्ष को तनु HNO3 से उदासीन करके CHCl3 या CCl4 तथा क्लोरीन जल डालते हैं। क्लोरीन सोडियम निष्कर्ष में उपस्थित ब्रोमीन या आयोडीन को विस्थापित कर देता है, जो CHCl3 या CCl4 में विलेय होकर भूरा या बैंगनी रंग प्रदान करता है।

प्रश्न 19.
कार्बनिक यौगिक में कार्बन तथा हाइड्रोजन का परीक्षण किस प्रकार करते हैं ?
उत्तर:
परखनली में शुष्क CuO के साथ कार्बनिक यौगिक को लेकर गर्म करते हैं निकलने वाली CO2 गैस चूने के पानी को दूधिया कर देती है जबकि जल वाष्प बूंदों के रूप में संघनित हो जाती है। इस निर्जल CuSO4 द्वारा अवशोषित होने के कारण उसे नीला कर देती है।
C + 2 Cuo → CO2 + 2Cu
2H + CuO → H2O + Cu
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प्रश्न 20.
किसी कार्बनिक यौगिकों के शुद्धता परीक्षण की मिश्रित गलनांक विधि से क्या समझते हो?
उत्तर:
पूर्णरूप से मिले हुये दो पदार्थों के मिश्रण को मिश्रित गलनांक कहते हैं। इस विधि में पदार्थ की शुद्धता की जाँच करने के लिये दिये गये पदार्थ को विशुद्ध पदार्थ की समान मात्रा के साथ मिश्रित करके मिश्रण का गलनांक ज्ञात करते हैं। यदि मिश्रण का गलनांक शुद्ध पदार्थ के गलनांक के समान है तो दिया गया पदार्थ शुद्ध है।

प्रश्न 21.
दो भिन्न क्वथनांक वाले द्रवों का पृथक्करण किस प्रकार किया जा सकता है ?
उत्तर:
दो द्रव जिनके क्वथनांक में अंतर हो का पृथक्करण प्रभाजी आसवन विधि द्वारा करते हैं। अधिक वाष्पशील यौगिक पहले वाष्पित होता है तथा इसकी वाष्प प्रभाजी स्तम्भ से आगे बढ़कर संघनित्र में से प्रवाहित होने पर द्रवित होकर ग्राही में एकत्रित हो जाती है जबकि कम वाष्पशील पदार्थ की वाष्प प्रभाजी स्तम्भ में संघनित होकर वापस फ्लास्क में आ जाती है।

प्रश्न 22.
मूलानुपाती सूत्र क्या है ?
उत्तर:
वह रासायनिक सूत्र जो यौगिक में उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं का सरलतम अनुपात दर्शाता है, मूलानुपाती सूत्र कहलाता है। उदाहरण- ग्लूकोस का मूलानुपाती सूत्र CH2O है।

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प्रश्न 23.
अणुसूत्र क्या है ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
वह रासायनिक सूत्र जो यौगिक में उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की वास्तविक संख्या को दर्शाता है, अणुसूत्र कहलाता है। उदाहरण- ग्लूकोस का अणुसूत्र C6 o H12O6 है।
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प्रश्न 24.
विषम चक्रीय यौगिक किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
इस श्रेणी में वे चक्रीय यौगिक होते हैं जिनके चक्र में कार्बन परमाणु के अतिरिक्त एक या एक से अधिक बहु संयोजक परमाणु जैसे-नाइट्रोजन, सल्फर, ऑक्सीजन इत्यादि होते हैं।

  • पिरीडीन C5 H5 N,
  • C4 H4 O प्यूरेन
  • थायोफिन C4 H4 S.

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प्रश्न 25.
समचक्रीय यौगिक किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
इस श्रेणी में कार्बनिक यौगिक होते हैं जिनके चक्र में केवल कार्बन परमाणु होते हैं। समचक्रीय यौगिक दो प्रकार के होते हैं

  • एरोमैटिक यौगिक
  • एलीसाइक्लिक यौगिक।

उदाहरण:
एरोमैटिक यौगिक –
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एलीसाइक्लिक यौगिक –
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प्रश्न 26.
क्रियात्मक समूह किसे कहते हैं?
उत्तर:
सामान्यतः कार्बनिक यौगिक दो भागों से मिलकर बना होता है –

  • मूलक
  • क्रियात्मक समूह।

क्रियात्मक समूह – किसी कार्बनिक यौगिक का वह भाग जो उसके रासायनिक गुणों का निर्धारण करता है, क्रियात्मक समूह कहलाता है।
उदाहरण – C2H2 – OH में OH क्रियात्मक समूह है।

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प्रश्न 27.
एल्डिहाइड श्रेणी का सामान्य सूत्र, अणुसूत्र लिखिये तथा प्रथम सजातों का साधारण नाम व IUPAC नाम लिखिये।
उत्तर:
1. सामान्य सूत्र – R – CHO
2. अणुसूत्र – Cn H2nO
3. H – CHO – फॉर्मेल्डिहाइड – Methanal
CH3 – CHO – एसीटैल्डिहाइड – Ethanal

कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सल्फर के लेड ऐसीटेट द्वारा परीक्षण में सोडियम संगलन निष्कर्ष को ऐसीटिक अम्ल द्वारा उदासीन किया जाता है, न कि सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा, क्यों?
उत्तर;
यदि H2SO4 का प्रयोग करते हैं तो लेड ऐसीटेट स्वयं H2SO4 के साथ क्रिया करके लेंड सल्फेट का सफेद अवक्षेप देता है।
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अत: PbSO4 का सफेद अवक्षेप सल्फर के निम्नलिखित परीक्षण को प्रभावित करेगा।
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परन्तु यदि ऐसीटिक अम्ल का प्रयोग किया जाये तो लेड ऐसीटेट के साथ क्रिया नहीं करता है, जिसके कारण यह परीक्षण में बाधा उत्पन्न नहीं करता है।

प्रश्न 2.
किसी कार्बनिक यौगिक में कार्बन का आकलन करते समय उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के लिए पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड विलयन का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर:
CO2 की प्रकृति थोड़ी अम्लीय होती है। अत: यह प्रबल क्षार KOH के साथ क्रिया करके K2CO3 बनाती है। जिसकी सहायता से प्राप्त CO2 कार्बनिक यौगिक में कार्बन की प्रतिशत मात्रा ज्ञात कर ली जाती है।
2KOH + CO2 →K2CO3 + H2O
KOH वाली U – ट्यूब के भार में वृद्धि के फलस्वरूप उत्पन्न CO2 का भार ज्ञात करते हैं। प्राप्त CO2 के भार से कार्बनिक यौगिक में उपस्थित कार्बन की प्रतिशत मात्रा निम्न प्रकार से ज्ञात करते हैं।
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प्रश्न 3.
इलेक्ट्रॉनस्नेही तथा नाभिकस्नेही अभिकर्मक में अंतर लिखिये।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनस्नेही तथा नाभिकस्नेही अभिकर्मक में अंतर –

इलेक्ट्रॉनस्नेही अभिकर्मक:

  • इलेक्ट्रॉन न्यून होता है।
  • सामान्यतः संयोजी कोश में इलेक्ट्रॉन होते हैं।
  • ये धन विद्युती आयन होते हैं।
  • उदासीन अणु जिनके अष्टक अपूर्ण होते हैं ये इलेक्ट्रॉन युग्म ग्राही होते हैं।
  • लुईस अम्ल होते हैं।
  • ये अणु के उस स्थान पर आक्रमण करते इलेक्ट्रॉन घनत्व न्यूनतम होता है।

नाभिकस्नेही अभिकर्मक:

  • अधिक इलेक्ट्रॉन रखते हैं।
  • सामान्यतः संयोजी कोश में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं। 109°28
  • ये ऋण विद्युती आयन होते हैं।
  • ये इलेक्ट्रॉन युग्म दाता होते हैं।
  • लुईस क्षार होते हैं।
  • ये उस स्थान पर आक्रमण करते हैं जहाँ हैं जहाँ इलेक्ट्रॉन घनत्व अधिकतम होता है।

प्रश्न 4.
कार्बन परमाणु की संयोजकता संबंधी वाण्ट हॉफ तथा लेवेल का नियम समझाइये।
उत्तर:
कार्बन का परमाणु क्रमांक 6 है। इसका सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 4 है। इस प्रकार इसके संयोजी कोश में 4 इलेक्ट्रॉन हैं इसलिये इसकी संयोजकता 4 है। वाण्ट हॉफ तथा लेवेल के अनुसार, कार्बन सामान्यत: sp3 संकरित होता है इसलिये इसकी संरचना समचतुष्फलकीय होती है। जिसमें कार्बन केन्द्र में स्थित रहता है तथा इसकी चारों संयोजकता चतुष्फलकीय संरचना के चारों कोनों में स्थित है और दो संयोजकताओं के बीच बंध कोण 109° 28′ होता है।

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प्रश्न 5.
कार्बन केवल सहसंयोजी यौगिक बनाता है, क्यों?
उत्तर:
कार्बन का परमाणु क्रमांक 6 है इसके संयोजी कोश में 4 इलेक्ट्रॉन हैं। इसे अष्टक पूर्ण करने के लिये4अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता है।अतःकार्बन 4 इलेक्ट्रॉन या तो दान कर सकता है या ग्रहण कर सकता है या 4 इलेक्ट्रॉन का साझा कर सकता है लेकिन कार्बन के छोटे आकार के कारण इसकी आयनन ऊर्जा व इलेक्ट्रॉन बंधुता अत्यधिक उच्च होती है। अतः कार्बन का 4 इलेक्ट्रॉन का दान करना या ग्रहण करना संभव नहीं है, अतः कार्बन अपना अष्टक पूर्ण करने के लिये केवल अन्य परमाणुओं के साथ इलेक्ट्रॉन का साझा कर सकता है इसलिये वह केवल सहसंयोजी यौगिक बनाता है।
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प्रश्न 6.
क्या कारण है कि कार्बन बहुत अधिक संख्या में यौगिक बनाता है ?
अथवा
कार्बन की अद्वितीय प्रकृति को समझाइये।
उत्तर:
कार्बनिक यौगिकों के अधिकता में पाये जाने के निम्नलिखित कारण हैं –
1. श्रृंखलन – किसी तत्व के दो या दो से अधिक परमाणुओं का सहसंयोजक बंध द्वारा श्रृंखला बनाने की प्रवृति को श्रृंखलन कहते हैं। कार्बन परमाणु में श्रृंखलन की प्रवृत्ति सबसे अधिक होती है।

2. कार्बन – कार्बन परमाणु के मध्य प्रबल बंध – कार्बन परमाणु का आकार अत्यन्त छोटा है। इससे कार्बन परमाणु के अर्धपूर्ण कक्षकों का अतिव्यापन अत्यधिक सरलता से अधिक सीमा में हो सकता है जिसके फलस्वरूप कार्बन-कार्बन के बीच बना बंध अत्यधिक दृढ़ तथा प्रबल होता है।

3. बहु आबंध बनाने की प्रवृत्ति – कार्बन परमाणु अपने छोटे आकार के कारण अन्य परमाणु जैसे C, H, O, N के साथ सरलता से संयोग कर द्विबंध या त्रिबंध बना सकता है।

4. समावयवता – जब दो या दो से अधिक यौगिकों के अणुसूत्र समान हो लेकिन उनके संरचना सूत्र में भिन्नता हो तो ऐसे यौगिकों को समावयवी कहते हैं तथा इस गुण को समावयवता कहते हैं। यह गुण कार्बन में अधिकतम है। इन्हीं उपर्युक्त गुणों के कारण कार्बन बहुत अधिक संख्या में यौगिकों का निर्माण करती है।

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प्रश्न 7.
कार्बनिक तथा अकार्बनिक यौगिक में अंतर लिखिये।
उत्तर:
कार्बनिक तथा अकार्बनिक यौगिक में अंतर –

कार्बनिक यौगिक:

  • कार्बन तथा कुछ अन्य तत्व जैसे – H, O, N, S, P इत्यादि के संयोग से बनते हैं।
  • ये सहसंयोजी यौगिक होते हैं।
  • ये वैद्युत अपघट्य नहीं हैं।
  • इनके गलनांक और क्वथनांक कम होते हैं
  • ये जल में अविलेय परन्तु कार्बनिक विलायकों में विलेय हैं।
  • ये समावयवता दर्शाते हैं।
  • इनकी अभिक्रियायें आण्विक तथा जटिल होती हैं तथा धीमी गति से होती हैं।

अकार्बनिक यौगिक:.

  • ये यौगिक सभी तत्वों द्वारा बनाये जाते हैं।
  • अधिकांश अकार्बनिक यौगिक वैद्युत संयोजी होते हैं। लेकिन कुछ यौगिक सहसंयोजी तथा उपसहसंयोजी भी होते हैं।
  • ये वैद्युत अपघट्य हैं।
  • इनके गलनांक और क्वथनांक उच्च होते हैं।
  • ये जल में विलेय परन्तु कार्बनिक विलायकों में अविलेय है।
  • ये समावयवता नहीं दर्शाते हैं।
  • इनकी अभिक्रियायें आयनिक होती हैं तथा तीव्र गति से होती हैं।

प्रश्न 8.
सजातीय श्रेणी किसे कहते हैं ? इसकी विशेषतायें लिखिये।
उत्तर:
कार्बनिक यौगिकों की वह श्रेणी जिसमें सदस्यों में समान क्रियात्मक समूह उपस्थित हो तथा जिसके दो क्रमागत सदस्यों के अणुओं में CH2 का अंतर हो, सजातीय श्रेणी कहलाती है।
विशेषतायें –

  • सजातीय श्रेणी के सदस्यों को एक सामान्य सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।
  • श्रेणी के दो क्रमागत सदस्यों के अणुसूत्र में CH2 का अंतर होता है।
  • श्रेणी के दो क्रमागत सदस्यों के अणुभार में 14 का अंतर होता है।
  • श्रेणी के सभी सदस्यों को समान रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा बनाया जा सकता है।
  • श्रेणी के सभी सदस्यों के रासायनिक गुणों में समानता होती है।

प्रश्न 9.
कार्बनिक यौगिकों में प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक और चतुर्थक कार्बन क्या होते हैं ?
उत्तर:
प्राथमिक कार्बन – किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित वह कार्बन परमाणु जो अधिकतम एक कार्बन परमाणु से जुड़ा है, प्राथमिक कार्बन या 1°C कार्बन कहलाता है। द्वितीयक कार्बन – किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित वह कार्बन जो दो कार्बन परमाणु से जुड़ा है। द्वितीयक या 2°C कार्बन कहलाता है। बृतीयक कार्बन – किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित वह कार्बन जो तीन अन्य कार्बन परमाणु से जुड़ा हो तृतीयक कार्बन या 3°C कहलाता है। चतुर्थक कार्बन – किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित वह कार्बन जो अन्य 4 कार्बन परमाणु से जुड़ा हो चतुर्थक कार्बन कहलाता है।
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जहाँ p = प्राथमिक, s = द्वितीयक, t = तृतीयक, q= चतुर्थक।

प्रश्न 10.
अमोनियम क्लोराइड तथा सोडियम क्लोराइड के मिश्रण को पृथक् करने की विधि समझाइये।
अथवा
नैफ्थेलीन तथा नमक के मिश्रण को पृथक् करने की विधि को समझाइये।
उत्तर:
नौसादर (अमोनियम क्लोराइड) या नैफ्थेलीन तथा NaCl के मिश्रण को ऊर्ध्वपातन विधि द्वारा पृथक् करते हैं। इस मिश्रण को एक चीनी की प्याली में लेकर छिद्र युक्त फिल्टर पेपर से ढंक देते हैं तथा फनल की नली में रूई या ऊन भरकर फिल्टर पेपर के ऊपर उल्टा करके रख देते हैं तथा इसे बालू ऊष्मक पर रखकर धीरे-धीरे गर्म करते हैं। NH4Cl या नैफ्थेलीन ऊर्ध्वपातित होकर फिल्टर पेपर के छिद्रों से गुजरकर फनल की दीवारों के ठण्डे भाग में जमा हो जाते हैं जहाँ से इन्हें पृथक कर लेते हैं तथा नमक (NaCl) प्याली में शेष रह जाता है।

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प्रश्न 11.
किसी कार्बनिक यौगिक में नाइट्रोजन का परीक्षण लैसग्ने विधि द्वारा कैसे किया जाता है ?
उत्तर:
नाइट्रोजन के परीक्षण की लैसग्ने विधि-कार्बनिक पदार्थ के सोडियम निष्कर्ष में थोड़ा-सा NaOH मिलाकर FeSO4 का ताजा बना विलयन मिलाकर गर्म करने पर Fe (OH)2 का हरा अवक्षेप बनता है। इसे ठण्डा कर सान्द्र HCl मिलाया जाता है। जिसमें हरा अवक्षेप विलेय हो जाता है फिर FeCl3 विलयन मिलाते हैं। नीला या हरा अवक्षेप प्राप्त हो तो यौगिक में नाइट्रोजन उपस्थित है।
Na + C + N → NaCN
Fe (OH)2 + 6 NaCN → Na4 [Fe(CN)6] + 2NaOH
3Na4 [Fe (CN)6] + 4 FeCl3 → Fe4 [ Fe (CN)6 ]3(नीला अवक्षेप) + 12NaCl

प्रश्न 12.
किसी कार्बनिक यौगिक में सल्फर का परीक्षण किस प्रकार किया जाता है ?.
उत्तर:
1. सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड:
सोडियम निष्कर्ष में सोडियम नाइट्रो साइड की कुछ बूंदें मिलाने पर यदि बैंगनी रंग प्राप्त हो तो सल्फर उपस्थित होगा।
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2. लेड एसीटेट परीक्षण सोडियम निष्कर्ष में एसीटिक अम्ल मिलाकर लेड एसीटेट मिलाने पर यदि काला अवक्षेप प्राप्त होता है तो कार्बनिक यौगिक में सल्फर उपस्थित है।
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प्रश्न 13.
भाप आसवन किन यौगिकों के लिये उपयोगी है, सचित्र समझाइये।
उत्तर:
वे कार्बनिक यौगिक जो जल में अविलेय लेकिन भाप में वाष्पशील रूप में विलेय होते हैं, उनका शोधन भाप आसवन विधि द्वारा किया जाता है। अशुद्ध पदार्थ को एक गोल पेंदी वाले फ्लास्क में लेकर थोड़ासा जल मिलाते हैं। और इसे बालू ऊष्मक पर रखकर 90°C ताप पर गर्म करते हैं, तथा इसे वाष्प उत्पादक प्लास्क से जोड़कर इसमें वाष्प प्रवाहित करते है।

जो मिश्रण से वाष्पशील पदार्थ को अपने में विलेय करके वाष्प रूप में रहती है। इस वाष्प और वाष्पशील द्रव को संघनित से गुजार कर संघनित्र कर ग्राही में एकत्रित कर लेते हैं। यदि यौगिक अविलेय ठोस है तो उसे छानकर पृथक् कर लेते हैं और अविलेय द्रव है तो पृथक्कारी कीप की सहायता से छानकर पृथक् कर लेते हैं। एनिलीन तथा सुगन्धित तेलों का आसवन इस विधि द्वारा किया जाता है।
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प्रश्न 14.
निर्वात् आसवन या कम दाब पर आसवन का सिद्धांत क्या है ? चित्र सहित समझाइये।
उत्तर:
ऐसे कार्बनिक यौगिक जो अपने क्वथनांक या उसके पूर्व ही गर्म करने पर अपघटित हो जाते हैं उनका शोधन निर्वात् आसवन द्वारा किया जाता है। ग्राही में निर्वात् पम्प द्वारा आंशिक निर्वात उत्पन्न करते हैं जिससे आसवन फ्लास्क में दाब कम हो जाता है। और द्रव अपने क्वथनांक से पूर्व ही उबलने लगता है। ग्लिसरॉल का शोधन इस विधि द्वारा करते हैं।
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प्रश्न 15.
कार्बनिक यौगिक में उपस्थित हैलोजन का परीक्षण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर:
AgNO3 परीक्षण-सोडियम निष्कर्ष में तनु HNO3 तथा AgNO3 मिलाने पर श्वेत अवक्षेप आये जो AgCl का होता है यदि श्वेत अवक्षेप NH4Cl के आधिक्य में विलेय हो तो कार्बनिक यौगिक में Cl उपस्थित होगा। सोडियम निष्कर्ष में तनु HNO3 तथा AgNO3 मिलाने पर हल्का पीला या गाढ़ा पीला अवक्षेप आये तो ब्रोमीन तथा आयोडीन उपस्थित होगा AgBr का हल्का पीला अवक्षेप NH4OH के आधिक्य में अल्प विलेय तथा AgI का गाढ़ा पीला अवक्षेप NH4OH के आधिक्य में अविलेय होगा।
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प्रश्न 16.
कार्बनिक पदार्थ में उपस्थित सल्फर के आकलन की केरियस विधि का चित्र सहित वर्णन कीजिये।
उत्तर:
केरियस विधि:
सल्फर युक्त कार्बनिक यौगिक की निश्चित मात्रा को सधूम HNO3 के साथ गर्म करने पर सल्फर केरियस H3SO4 में ऑक्सीकृत हो जाता है। अभिक्रिया पूर्ण होने पर नली नली को ठण्डा करके H2SO4 को बीकर में लेकर आसुत जल से धोकर लोहे की इसमें BaCl2 विलयन की उचित मात्रा मिलाने पर BaSO4काश्वेत अवक्षेप आता है जिसे छानकर सुखा लेते हैं तथा इसका भार ज्ञात कर लेते हैं।
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प्रश्न 17.
किसी कार्बनिक यौगिक हैलोजन का आकलन किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर:
केरियस विधि;
कार्बनिक यौगिक की – निश्चित मात्रा को सधूम HNO3 तथा AgNO4 के साथ एक। बंद नली में उच्च ताप पर गर्म करते हैं। केरियस नली इस प्रकार हैलोजन सिल्वर हैलाइड में परिवर्तित हो  लोहे की नली जाता है। इस प्रकार प्राप्त Agx अवक्षेप को धोकर सुखाकर तौल लेते हैं। इसद्रव्यमान की सहायता से हैलोजन की प्रतिशत कार्बनिक पदार्थ मात्रा ज्ञात कर लेते हैं।
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प्रश्न 18.
जेल्डॉल विधि द्वारा नाइट्रोजन का आकलन करने का सिद्धांत समझाइये।
उत्तर:
जेल्डॉल विधि का सिद्धांत:
जब नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक पदार्थ की ज्ञात मात्रा लेकर उसे सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करते हैं तो कार्बनिक यौगिक में उपस्थित नाइट्रोजन, अमोनियम सल्फेट में परिवर्तित हो जाती है। इसे NaOH के साथ गर्म करने पर NH3 गैस बनती है। इस NH3 गैस को मानक अम्ल जैसे H2SO4 के ज्ञात आयतन में अवशोषित कर लेते हैं । प्रयोग के पश्चात् H2SO4 का मानक क्षार के साथ अनुमापन कर अमोनिया की बची मात्रा का परिकलन कर लेते हैं। इस मात्रा से कार्बनिक पदार्थ में नाइट्रोजन की % मात्रा को ज्ञात किया जा सकता है।
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प्रश्न 19.
यौगिकों के शोधन की आसवन विधि को चित्र सहित समझाइये।
उत्तर:
किसी द्रव या ठोस पदार्थ को वाष्प में बदलकर दूसरे स्थान पर भेजकर उसे फिर से ठण्डा कर ठोस या द्रव अवस्था में प्राप्त करने की क्रिया को आसवन कहते हैं। आसवन अनेक प्रकार के होते हैं

  • साधारण आसवन
  • प्रभाजी आसवन
  • निर्वात आसवन
  • भाप आसवन।

साधारण आसवन:
यदि किसी द्रव में अवाष्पशील पदार्थों की अशुद्धि हो तो इस विधि का उपयोग किया जाता है। इस विधि द्वारा ऐसे द्रवों को पृथक् किया जाता है जिनके क्वथनांक में 30-40°C का अंतर है। मिश्रण को गर्म करने पर शुद्ध द्रव की वाष्प प्राप्त होती है जो संघनित्र द्वारा ठण्डी होकर ग्राही में एकत्रित हो जाती है तथा अशुद्धियाँ आसवन फ्लास्क में रह जाती हैं।
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प्रश्न 20.
अधिशोषण क्रोमैटोग्राफी का सिद्धांत क्या है ? समझाइये।
उत्तर:
किसी मिश्रण के विभिन्न अवयवों की विलायक पथक्करण निरंतर इल्यूजन किसी अधिशोषक पर अधिशोषित होने की शक्ति में भिन्नता। होने के सिद्धांत पर यह विधि आधारित है। इसलिये जब एक काँच की नली में भरे हुये अधिशोषक पर किसी मिश्रण के विलयन कोडालकर नीचे बहने दियाजायेतोअधिशोषक शक्ति में भिन्नता होने के कारण मिश्रण के विभिन्न अवयव अधिशोषक में अलग-अलग स्थान पर अधिशोषित हो जाते हैं । जिनकी अधिशोषित होने की प्रवृत्ति अधिक होती है वे पहले अधिशोषित होते हैं तथा जिनकी अधिशोषित होने – की प्रवृत्ति कम होती है वे बाद में अधिशोषित होते हैं। इसे क्रोमैटोग्राफ कहा जाता है।
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प्रश्न 21.
श्रृंखला समावयवता तथा क्रियात्मक समावयवता को उदाहरण सहित समझाइये। प्रथम घटक
उत्तर:
श्रृंखला समावयवता:
जब दो या दो से अधिक यौगिकों के अणुसूत्र समान हों लेकिन श्रृंखला में कार्बन परमाणुओं के व्यवस्थित होने के क्रम में भिन्नता हो तो इन यौगिकों को श्रृंखला समावयवी तथा इस गुण को श्रृंखला समावयवता कहते हैं।
उदाहरण –
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क्रियात्मक समावयवता:
जब दो या दो से अधिक यौगिकों के अणुसूत्र समान हों लेकिन उनमें उपस्थित क्रियात्मक समूह भिन्न-भिन्न हों तो ऐसे यौगिक क्रियात्मक समावयवी तथा इस समावयवता को क्रियात्मक समावयवता कहते हैं।
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प्रश्न 22.
निम्नलिखित के संघनित और आबंध-रेखा-सूत्र लिखिए तथा उनमें यदि कोई क्रियात्मक समूह हो, तो उसे पहचानिए
(a) 2,2,4-ट्राइमेथिलपेन्टेन
(b) 2,- हाइड्रॉक्सी-1, 2, 3- प्रोपेनट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल
(c) हेक्सेनडाऐल।
उत्तर:
संघनित और आबंध रेखा-सूत्र लिखने के लिए सर्वप्रथम दिए गए यौगिकों का संरचनात्मक सूत्र लिखते हैं –
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प्रश्न 23.
कार्बऋणायन या कार्बेनियन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
कार्बेनियन:
वह ऋणावेशित आयन जिसमें ऋण आवेश C पर होता है, कार्बेनियन आयन कहलाता है। इनमें C के संयोजी कोश में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं। जिसमें तीन बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म के रूप में तथा एक एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म के रूप में होता है।

वर्गीकरण:
प्राथमिक कार्बेनियन आयन – यदि ऋण आवेश प्राथमिक C पर होता है।
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द्वितीयक कार्बेनियन आयन-ऋण आवेश द्वितीयक C पर होता है।
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तृतीयक कार्बेनियन आयन-ऋण आवेश तृतीयक C पर होता है।
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स्थायित्व:
कार्बेनियन आयन में C पर उपस्थित ऋण आवेश में वृद्धि होने पर स्थायित्व में कमी आती है। एल्किल मूलकों की संख्या में वृद्धि करने पर स्थायित्व में कमी आती है।
CH5 > 1° > 2° > 3°
संरचना:
इसमें कार्बन sp3 संकरित अवस्था में होता है, तीन आबंधी इलेक्ट्रॉन युग्म तथा एक एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म होता है।
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प्रश्न 24.
मध्यावयवता तथा चलावयवता समावयवता को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
मध्यावयवता:
जब दो या दो से अधिक यौगिकों के अणुसूत्र समान हों उनमें उपस्थित क्रियात्मक समूह भी समान हो लेकिन उनसे जुड़े एल्किल मूलक में भिन्नता हो तो इस प्रकार उत्पन्न समावयवता को मध्यावयवता कहते हैं।
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चलावयवता:
यह एक विशेष प्रकार की क्रियात्मक समावयवता है जिसमें दोनों समावयवी साम्य अवस्था में होते हैं तथा सरलता से एक-दूसरे में परिवर्तित हो जाते हैं। इस प्रकार की समावयवता तब उत्पन्न होती है। जब हाइड्रोजन या एल्किल समूह द्विबंध या त्रिबंध के दोनों तरफ दोलन करता है।
द्विक प्रणाली:
हाइड्रोजन का दोलन दो बहुसंयोजी परमाणु के मध्य होता है।
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त्रिक प्रणाली – हाइड्रोजन का दोलन तीन बहुसंयोजी परमाणुओं के मध्य होता है।
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प्रश्न 25.
निम्नलिखित यौगिकों के आबंध-रेखा-सूत्र लिखिएआइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल, 2, 3 – डाइमेथिल ब्यूटेनल, हेप्टेन – 4 – ओन।
उत्तर:
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प्रश्न 26.
प्रेरणिक प्रभाव किसे कहते हैं ? इसके क्या उपयोग हैं ?
उत्तर:
जब सहसंयोजी बंध दो भिन्न तत्वों के परमाणुओं के मध्य बनता है तो साझे के इलेक्ट्रॉन दोनों परमाणुओं या नाभिकों के मध्य में न रहकर अत्यधिक ऋण विद्युती तत्व की ओर विस्थापित हो जाता है जिससे अधिक ऋण विद्युती समूह पर आंशिक ऋण आवेश तथा कम ऋण विद्युती समूह पर आंशिक धन आवेश आ जाता है। इस पर σ बंध के इलेक्ट्रॉनों का अधिक ऋण विद्युती समूह की तरफ विस्थापन प्रेरणिक प्रभाव कहलाता है। परमाणुओं की श्रृंखला में ध्रुवीय सहसंयोजक बंध की उपस्थिति के कारण इलेक्ट्रॉन विस्थापन प्रक्रिया प्रेरणिक प्रभाव कहलाता है। प्रेरणिक प्रभाव को बीच में बाणान युक्त डैश से दर्शाते हैं।
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प्रेरणिक प्रभाव के प्रकार –
1.ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव – वे परमाणु या समूह जो हाइड्रोजन की तुलना में अधिक ऋण विद्युती होते हैं इलेक्ट्रॉन आकर्षी या इलेक्ट्रॉन ग्राही समूह होते हैं। इनका प्रेरणिक प्रभाव ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव कहलाता है।
+NR3 > \(\stackrel{+}{\mathrm{N}} \mathrm{R}_{2}\) > – \(\stackrel{+}{\mathrm{N}} \mathrm{H}_{3}\), > – NO3 > – SO2R> – CN > – COOH > – F> – Cl> – Br> – I> – OH> – C6H5.

धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव:
ऐसे परमाणु जिनकी इलेक्ट्रॉन बंधुता हाइड्रोजन की तुलना में कम होती है इलेक्ट्रॉन निर्मोची कहलाता है। ये धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव दर्शाते हैं।
O>COO>(CH3)2C > (CH3)2 CH > CH3 CH2 > CH3H .
अनुप्रयोग:

  • वसीय अम्लों की प्रबलता की तुलना
  • एमीनों के क्षारकीय गुण
  • द्विध्रुव आघूर्ण की उपस्थिति।

प्रश्न 27.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए –
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उत्तर:
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प्रश्न 28.
इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव क्या है ? इस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
यह एक अस्थायी प्रभाव है जो अभिक्रिया के समय केवल किसी अभिकर्मक की उपस्थिति में कार्य करता है। किसी आक्रमणकारी समूह की उपस्थिति में 1 बंध के इलेक्ट्रॉनों का पूर्ण रूप से अधिक ऋण विद्युती समूह की ओर होने वाला विस्थापन इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव कहलाता है। लेकिन जैसे ही आक्रमणकारी समूह को हटाया जाता है। अणु वापिस अपनी मूल स्थिति में आ जाता है। इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव को
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एक मुड़े हुये तीर द्वारा व्यक्त करते हैं। जो उस स्थान से शुरू होता है जहाँ से इलेक्ट्रॉन जाते हैं और उस स्थान पर समाप्त होता है जहाँ पर इलेक्ट्रॉन आते हैं।

धनात्मक इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव:
इसमें 7 इलेक्ट्रॉन युग्म का स्थानान्तरण अणु की मुख्य संरचना के किसी एक छोर पर स्थित परमाणु से अणु के मुख्य भाग की ओर होता है।
उदाहरण – F, CI, Br, I,- 0 -, NR2,NR

ऋणात्मक इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव:
इलेक्ट्रॉन युग्म का स्थानान्तरण अणु की मुख्य संरचना से बाहर की ओर होता है।
उदाहरण – = N, = O = CR2 = S इत्यादि।
अनुप्रयोग –

  • एल्कीन या एल्काइन पर हैलोजन की योगात्मक अभिक्रिया।
  • कार्बोनिक यौगिकों की नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया।

प्रश्न 29.
प्रेरणिक प्रभाव तथा इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव में अंतर लिखिए।
उत्तर:
प्रेरणिक प्रभाव तथा इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव में अंतर –
प्रेरणिक प्रभाव:

  • यह एक स्थायी प्रभाव है।
  • यह प्रभाव σ बंध के इलेक्ट्रॉनों के विस्थापन के कारण उत्पन्न होता है।
  • आंशिक धन आवेश तथा आंशिक ऋण आवेश उत्पन्न होता है।
  • इसके कारण प्रतिस्थापन अभिक्रिया होती है।
  • अणु में सदैव उपस्थित रहता है।

इलेक्ट्रोमेरिक प्रभाव:

  • यह एक अस्थायी प्रभाव है।
  • यह प्रभाव π बंध के इलेक्ट्रॉनों के विस्थापन के कारण उत्पन्न होता है।
  • पूर्ण धन आवेश तथा पूर्ण ऋण आवेश होता है।
  • इसके कारण योगात्मक अभिक्रियायें होती हैं।
  • यह प्रभाव अभिक्रिया के दौरान आक्रमणकारी समूह की उपस्थिति में उत्पन्न होता है।

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प्रश्न 30.
क्रियात्मक समूह उपस्थित होने पर यौगिकों के नामकरण करने के नियम को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
नामकरण के नियम –

  • उस कार्बन श्रृंखला का चयन मुख्य श्रृंखला के रूप में करते हैं जिसमें क्रियात्मक समूह उपस्थित हों।
  • यदि क्रियात्मक समूह में कार्बन उपस्थित हो तो उसे मुख्य श्रृंखला में गिना जाता है।
  • श्रृंखला का क्रमांकन उस सिरे से प्रारम्भ करते हैं जहाँ से क्रियात्मक समूह सिरे के ज्यादा पास है।
  • नामकरण करते समय पहले प्रतिस्थापी समूह का नाम लिखा जाता है बाद में मुख्य क्रियात्मक समूह का।
  • यदि शृंखला में एक से अधिक क्रियात्मक समूह उपस्थित हो तो वरीयता के आधार पर क्रियात्मक समूह का चयन किया जाता है। फिर प्रतिस्थापी समूह के नाम से पहले मुख्य क्रियात्मक समूह को छोड़कर अन्य क्रियात्मक समूह की स्थिति दर्शाकर उनके नाम लिखते हैं।

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प्रश्न 31.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम व सूत्र दीजिये

  1. आयोडोफॉर्म
  2. सिरका
  3. फॉर्मिक अम्ल
  4. मार्शगैस
  5. एसीटोन
  6. ग्लाइकॉल
  7. डाईमेथिल ईथर
  8. फॉर्मेल्डिहाइड
  9. मेथिल सायनाइड।

उत्तर:
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प्रश्न 32.
निम्नलिखित यौगिकों के संरचना सूत्र लिखिए –

  1. 3,3,-डाइमिथाइलपेण्टीन
  2. 4-मेथिलहेक्सेन-2ऑल
  3. 1,2डाइब्रोमोएथेन
  4. नाइट्रोमेथेन
  5. 4-मेथिल-3 हाइड्रॉक्सी पेन्टेन।

उत्तर:
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प्रश्न 33.
एलीफैटिक तथा एरोमैटिक यौगिक में अंतर लिखिये।
उत्तर:
एलीफैटिक तथा एरोमैटिक यौगिक में अंतर –

एलीफैटिक यौगिक:

  • ये खुली श्रृंखला वाले यौगिक होते हैं।
  • इनमें प्रायः C – C बंध पाया जाता है।
  • ये अधिक क्रियाशील होते हैं।
  • हैलोजनीकरण, नाइट्रीकरण, सल्फोनीकरण सरलता से नहीं होता।
  • इनकी दहन ऊष्मा अधिक होती है।
  • इनके – OH मूलक उदासीन होते हैं।
  • इनके मूलक क्षारीय होते हैं।

एरोमैटिक यौगिक:

  • ये बंद श्रृंखला वाले यौगिक होते हैं।
  • इनके चक्र में एकान्तर क्रम में एकल व द्विबंध होते हैं।
  • ये कम क्रियाशील होते हैं।
  • हैलोजनीकरण, नाइट्रीकरण, सल्फोनीकरण सरलता से होता है।
  • इनकी दहन ऊष्मा कम होती है।
  • इनके हाइड्रॉक्सी यौगिक अम्लीय गुण दर्शाते हैं।
  • इनके मूलक अम्लीय होते हैं।

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प्रश्न 34.
अनुनाद प्रभाव क्या है ? इसके अनुप्रयोग लिखिये।
उत्तर:
यह प्रभाव संयुग्मी निकाय जिनमें एकल बंध व द्विबंध एकान्तर क्रम में उपस्थित हो उनमें होता है। अनुनाद के कारण निकाय के किसी एक भाग से इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह दूसरे भाग की ओर होता है जिससे अलगअलग इलेक्ट्रॉन घनत्व के केन्द्र बन जाते हैं, इस घटना को अनुनाद प्रभाव या मेसोमेरिक प्रभाव कहते हैं। यह एक स्थायी प्रभाव है।

ऋणात्मक मेसोमेरिक प्रभाव:
इलेक्ट्रॉन युग्म का स्थानान्तरण जब परमाणु या समूह की ओर होता है तो इसे – M प्रभाव कहते हैं।
उदाहरण – – NO2, – CHO, – SO3H, > C = O.
धनात्मक मेसोमेरिक प्रभाव-इलेक्ट्रॉन युग्म का स्थानान्तरण जब परमाणु या समूह से दूर की ओर होता है तो उसे +M प्रभाव कहते हैं।
उदाहरण – – OH – OR, – SH, – SR, – NH2, – Cl, – Br
अनुप्रयोग –

  • बेंजीन की संरचना निर्धारण में।
  • द्विध्रुव आघूर्ण की व्याख्या में।
  • अम्ल व क्षार की सामर्थ्य का स्पष्टीकरण।
  • संयुग्मी योगात्मक अभिक्रिया।

प्रश्न 35.
प्रतिस्थापन अभिक्रिया किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
वे अभिक्रियाएँ जिनमें अभिकारक अणु के किसी परमाणु या समूह का अभिकर्मक के किसी परमाणु या समूह द्वारा प्रतिस्थापन होता है, उसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया (Substitution reaction) कहते हैं।
उदाहरण –
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इसमें मीथेन के H परमाणु का CI परमाणु द्वारा प्रतिस्थापन हुआ है।
(ii) CH3CH2 – OH + PCl5 → CH3CH2Cl + POCl3 + HCl
इस अभिक्रिया में एल्कोहॉल का – OH समूह – Cl के द्वारा प्रतिस्थापित हुआ है।

कार्बनिक रसायन : कुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
(a) IUPAC नामकरण संबंधी नियम क्या है ?
(b) IUPAC नाम दिया हो तो संरचना सूत्र किस प्रकार लिखा जाता है ?
उत्तर:
(a) IUPAC नामकरण के नियम – किसी यौगिक का IUPAC नामकरण निम्नलिखित नियमों के अनुसार करते हैं –

  • सर्वाधिक लम्बी कार्बन श्रृंखला का चयन
  • वरीय कार्बन श्रृंखला का चयन
  • श्रृंखला में कार्बन परमाणुओं का क्रमांकन
  • प्रतिस्थापियों की स्थितियों का न्यूनतम योग नियम
  • प्रतिस्थापियों का अंग्रेजी वर्णमाला क्रम में नामोल्लेख
  • प्रतिस्थापियों के नामों की संख्या सूचक पूर्वलग्न
  • सम-स्थित प्रतिस्थापियों का स्थान क्रमांकन
  • यौगिक में क्रियात्मक समूह, द्विबंध या त्रिबंध उपस्थित है तो प्रतिस्थापियों की तुलना में वरीयता।

(b) संरचना सूत्र लिखना – कार्बनिक यौगिक के IUPAC नाम ज्ञात होने पर संरचना सूत्र लिखते समय निम्न बिन्दुओं का ध्यान में रखा जाना आवश्यक है –

  • सर्वप्रथम कार्बनिक यौगिक के IUPAC नाम से मुख्य श्रृंखला लिखते हैं।
  • श्रृंखला के किसी भी सिरे से कार्बन श्रृंखला का क्रमांकन करते हैं।
  • अनुलग्न के आधार पर मुख्य क्रियात्मक समूह को उसकी स्थिति के अनुसार दर्शाते हैं।
  • यदि ene तथा yne शब्द का प्रयोग हुआ है तो स्थिति के अनुसार द्विबंध और त्रिबंध को दर्शाते हैं।
  • पूर्वलग्न के आधार पर अन्य क्रियात्मक समूह को उनकी स्थिति के आधार पर दर्शाते हैं।
  • कार्बन की संयोजकता को पूर्ण करने के लिये हाइड्रोजन जोड़ते हैं।

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प्रश्न 2.
कार्बनिक यौगिक में उपस्थित नाइट्रोज न के आकलन की जेल्डॉल विधि का वर्णन निम्न शीर्षक में कीजिए –
1. सिद्धांत
2. चित्र
3. रासायनिक समीकरण
4. अवलोकन तथा गणना।
उत्तर:
जेल्डॉल विधि का सिद्धांत:
जब नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक पदार्थ की ज्ञात मात्रा लेकर उसे सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करते हैं तो कार्बनिक यौगिक में उपस्थित नाइट्रोजन, अमोनियम सल्फेट में परिवर्तित हो जाती है। इसे NaOH के साथ गर्म करने पर NH3 गैस बनती है। इस NH3 गैस को मानक अम्ल जैसे H2SO4 के ज्ञात आयतन में अवशोषित कर लेते हैं । प्रयोग के पश्चात् H2SO4 का मानक क्षार के साथ अनुमापन कर अमोनिया की बची मात्रा का परिकलन कर लेते हैं। इस मात्रा से कार्बनिक पदार्थ में नाइट्रोजन की % मात्रा को ज्ञात किया जा सकता है।
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अवलोकन एवं गणना – माना कि:

  • कार्बनिक यौगिक का द्रव्यमान = W gm
  • अमोनिया द्वारा उदासीन किये गये अम्ल का आयतन = Vml
  • अमोनिया द्वारा उदासीन किये गये अम्ल की नार्मलता = N

N नार्मल अम्ल के Vml = N नार्मल अमोनिया में Vml
∴ IN अमोनिया विलयन के 1000 ml में = 17 gm NH3 है या 14 gm N2 है।
1 ….. “….. Vml में नाइट्रोजन = \(\frac { 14 }{ 1000 }\) × Vgm
∴ N नार्मल अमोनिया विलयन के Vml में नाइट्रोजन = \(\frac { 14 }{ 1000 }\) × V × Ngm
Wgm पदार्थ में =\(\frac { 14 × V × N }{ 1000 }\) gm नाइट्रोजन है।
∴ ….. “….. 100 gm = \(\frac { 14 × V × N }{ 1000 }\) × \(\frac { 100 }{ W }\)
नाइट्रोजन का % = \(\frac { 14 × V × N }{ W }\)

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प्रश्न 3.
यौगिकों के आणविक द्रव्यमान ज्ञात करने की विक्टर मेयर विधि को चित्र सहित समझाइये।
उत्तर:
सिद्धांत:
इस विधि द्वारा वाष्पशील पदार्थों के आणविक द्रव्यमान ज्ञात किये जा सकते हैं। किसी वाष्पशील यौगिक की ज्ञात मात्रा को विक्टर नली में वाष्पित करने पर यौगिक की वाष्प अपने आयतन के बराबर वायु को विस्थापित करती है। वाष्पित वायु का आयतन तथा कमरे के ताप को नोट कर लेते हैं तथा गैस समीकरण की सहायता से इस आयतन को S.T.P. पर शुष्क वायु के आयतन में बदल लेते हैं। इस आयतन तथा यौगिक के द्रव्यमान से यौगिक की वाष्प घनत्व तथा आणविक द्रव्यमान की गणना की जा सकती है।

उपकरण:

  • ताँबे का बना हुआ बाहरी जैकेट
  • विक्टर मेयर नली जिसमें काँच की पार्श्व नली लगी होती है
  • अंशाकित सिलेण्डर
  • हॉफमैन बॉटल।

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गणना:
माना कि कार्बनिक यौगिक का द्रव्यमान = Wgm, विस्थापित वायु का आयतन = Vml, वायुमण्डलीय दाब = P mm, कमरे का ताप = t°C या t + 273 K, t°C पर जलीय तनाव = t, शुष्क वायु का दाब = p – f, S. T. P. पर वाष्प का आयतन

प्रायोगिक अवस्था में:
P1 = p – f, V1 = Vml, T1 = t + 273
S. T. P. पर – P2 = 760, V2 = ? T2 = 273 K
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S.T.P. पर V2 ml वाष्प W gm पदार्थ से प्राप्त होती है।
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प्रश्न 4.
कार्बनिक यौगिक के शोधन की स्तम्भ क्रोमैटोग्राफी विधि को समझाइये।
उत्तर:
सिद्धांत:
किसी मिश्रण के विभिन्न अवयवों को किसी अधिशोषक पर अधिशोषित होने की क्षमता या शक्ति में भिन्नता होती है। अधिशोषण के आधार पर किसी मिश्रण में उपस्थित अवयवों को पृथक् करने –

(1) अधिशोषक स्तम्भ बनाना:
ब्यूरेट के समान एक लंबी नली में अधिशोषक पदार्थ जैसे – एलूमिना, जिप्सम, सिलिका जैल में से किसी एक का उचित विलायक में पेस्ट बनाकर नली में भर देते हैं। जब अधिशोषक जम जाता है तब विलायक को थोड़ी देर के लिये बहने दिया जाता है। पेस्ट बनाते समय उसी विलायक का प्रयोग करते हैं जिसमें पृथक्करण किये जाने वाले मिश्रण को विलेय किया जाता है।

(2) अधिशोषण प्रक्रम:
जिस पदार्थ या मिश्रण को अधिशोषित करना होता है उसे विलायक की अल्प मात्रा में विलेय करते हैं। इसके लिये अध्रुवीय विलायक जैसे बेंजीन, ईथर इत्यादि का उपयोग करते हैं। इस विलयन को अधिशोषक स्तम्भ से गुजरने दिया जाता है। मिश्रण का वह अवयव जो अधिक प्रबलता से अधिशोषित होता है वह इस स्तम्भ में सबसे ऊपर एक बैंड बनाता है तथा जो घटक सबसे कम अधिशोषित होता है वह सबसे बाद में बैंड बनाता है। इस प्रकार विभिन्न घटक इस अधिशोषक स्तम्भ में विभिन्न स्थानों पर अधिशोषित होकर भिन्नभिन्न रंगों की पट्टियाँ बनाते हैं।

निक्षालन:
इस पद में पदार्थ का अधिशोषण हो चुकने के बाद निक्षालक विलायक स्तम्भ में डालकर धीरे-धीरे नीचे की ओर बहने देते हैं तथा बहकर निकले हुए द्रव विलयनों को इकट्ठा करते जाते हैं । विलायकों को बढ़ती हुई ध्रुवता के क्रम में प्रयुक्त करते हैं। ये विलायक एक के बाद एक क्रम में डाले जाते हैं।

वह अवयव जो सबसे कम अधिशोषित होता है वह सबसे कम ध्रुवता वाले विलायक द्वारा निक्षालित होता है तथा जो सबसे अधिक अधिशोषित होता है वह अधिक ध्रुवता वाले विलायक द्वारा निक्षालित होता है। फिर इन विलायकों से इन अवयवों को आसवन विधि द्वारा पृथक् कर लिया जाता है।

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प्रश्न 5.
कार्बनिक क्षार के अणुभार ज्ञात करने की क्लोरोप्लेटिनेट विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सिद्धांत:
क्लोरोप्लेटिनिक अम्ल से कार्बनिक क्षार संयोग करके सामान्य सूत्र B2H2PtCl6 के अघुलनशील पदार्थ बनाते हैं। B क्षार के तुल्यांक को दर्शाता है। इस प्लेटिनम लवण में ज्वलन के पश्चात् धात्विक प्लेटीनम प्राप्त होता है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 124
प्लेटीनम लवण एवं धात्विक प्लेटीनम दोनों के अलग-अलग भार होने पर क्षार का अणुभार ज्ञात कर लेते हैं।

विधि:
कार्बनिक क्षार को पहले तनु HCl से अभिकृत करके विलेय हाइड्रोक्लोराइड प्राप्त कर लिया जाता है। इसमें प्लेटीनिक क्लोराइड को मिलाकर क्षार के लवण को क्लोरोप्लेटीनेट के रूप में प्राप्त कर लेते हैं। इसे धोकर सुखा लेते हैं। ज्ञात मात्रा को प्लेटीनम क्रूसीबल में लेकर गर्म करने के पश्चात् प्लेटीनम को क्रूसीबल में शेष पदार्थ के रूप में प्राप्त कर लेते हैं। इससे क्षार का तुल्यांक भार ज्ञात कर लेते हैं।

गणना:
क्षार का तुल्यांक भार =E
प्लेटीनम लवण का भार = Wgm
प्लेटीनम का भार = xgm
B2H2PtCl6 का अणुभार = 2E + 2 + 195 + 213 = 2 E + 410
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 125

प्रश्न 6.
कार्बनिक यौगिक में नाइट्रोजन निर्धारण की ड्यूमा की विधि का सिद्धांत बताकर विवरण दीजिये।
उत्तर:
ड्यूमा विधि:
किसी नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक पदार्थ की निश्चित मात्रा को क्यूप्रिक ऑक्साइड के साथ CO2 के वायुमण्डल में दहन कराने पर C, H, S क्रमश: CO2H2O व SO2 में ऑक्सीकृत हो जाते हैं। नाइट्रोजन मुक्त अवस्था में प्राप्त होती है तथा साथ में नाइट्रोजन के ऑक्साइड कुछ मात्रा में बनते हैं।
C + 2CuO → CO2 + 2Cu
2H + CuO → H2O + Cu
नाइट्रोजन + CuO → N + नाइट्रोजन के ऑक्साइड

गैसीय मिश्रण को Cu की जाली पर प्रवाहित करने पर नाइट्रोजन के ऑक्साइड नाइट्रोजन में अपचयित हो जाते हैं। मुक्त नाइट्रोजन को HOH से भरे नाइट्रोमीटर में एकत्रित कर लेते हैं। HOH विलयन CO2, SO2, व H2O को अवशोषित कर लेती है। नाइट्रोमीटर में वायुमण्डलीय दाब व ताप पर N2 का आयतन ज्ञात कर इसे S.T.P. में परिवर्तित करके उससे नाइट्रोजन की प्रतिशत मात्रा ज्ञात कर लेते हैं।

अवलोकन व गणना:
कार्बनिक यौगिक का द्रव्यमान = Wgm, नाइट्रोजन का आयतन = Vml, कमरे का ताप = t°C, वायुमण्डल का दाब = p mm, t°C ताप पर जलीय तनाव = f.

सामान्य ताप पर:
P1 = (p – f), V1 = Vml, T1 = t + 273
S. T. P. पर – P2 = 760 mm, V2 = ? T2 = 0 + 273,
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 127

22, 400 ml S.T.P. पर N2 का द्रव्यमान 28gm है।
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 12 कार्बनिक रसायनकुछ आधारभूत सिद्धान्त तथा तकनीकें - 128

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MP Board Class 12th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 5 नैनो टेक्नोलॉजी

MP Board Class 12th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 5 नैनो टेक्नोलॉजी (वैज्ञानिक निबंध, संकलित)

नैनो टेक्नोलॉजी अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नैनो टेक्नोलॉजी क्या है? इसके क्षेत्र-विस्तार के बारे में सम्भावनाएँ बतलाइए। (2011, 14)
उत्तर:
नैनो टेक्नोलॉजी एक अतिसूक्ष्म दुनिया है, जिसका दायरा एक मीटर के अरबवें हिस्से अथवा उससे भी छोटा है। वास्तव में नैनो’ शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द नैनों से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है-बौना अथवा सूक्ष्म। यह नाम जापान के वैज्ञानिक नौरिया तानीगूगूची ने 1976 में दिया। नैनो टेक्नोलॉजी एक इकाई है जो एक मीटर के अरबवें हिस्से के बराबर होती है। आश्चर्यजनक बात यह है कि यह टेक्नोलॉजी जितनी अधिक सूक्ष्म है,उतनी ही विशाल सम्भावनाएँ यह अपने आप में समेटे हुए है। वर्तमान में नैनो टेक्नोलॉजी चिकित्सा के क्षेत्र से लेकर उद्योगों तक में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रही है। यद्यपि भारतीय बाजारों में नैनो उत्पादों की संख्या अत्यन्त कम है,मगर वह दिन दूर नहीं जब भारत में भी नैनो टेक्नोलॉजी जनित उत्पादों का बोलबाला होगा। वर्तमान में भारतीय विशेषज्ञ भी इस क्षेत्र में शोध करने में रत हैं। स्पष्ट है कि भविष्य में नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र विस्तार की सम्भावनाएँ असीम हैं।

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प्रश्न 2.
‘नैनोडोमेन’ की निर्माण प्रक्रिया समझाते हुए उसके आश्चर्यजनक परिणाम लिखिए। (2009)
उत्तर:
नैनो टेक्नोलॉजी एक इकाई है जिसका मान 1 मीटर के अरबवें हिस्से के बराबर होता है। एक से लेकर सौ नैनोमीटर को ‘नैनोडोमेन’ कहा जाता है। नैनो टेक्नोलॉजी के तहत मेटेरियल का आकार छोटा करके उसे नैनोडोमेन’ बना लिया जाता है। ऐसा करने पर उस पदार्थ के विभिन्न गुण; जैसे-इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल,थर्मल व ऑप्टीकल इत्यादि हर स्तर पर बदलना शुरू हो जाते हैं। यह एक नवीन विज्ञान है जो बेहद आश्चर्यचकित परिणाम प्रदान करता है। जब अणु और परमाणु नैनो क्षेत्र को प्रभावित करते हैं तो इनमें नवीन परिवर्तन होना प्रारम्भ हो जाते हैं। ये परिवर्तन अद्भुत होते हैं, जिसमें वस्तु के मूल गुण तक बदल जाते हैं।

प्रश्न 3.
नैनो मेटेरियल किसे कहते हैं? नैनो मेटेरियल तैयार करने की दो पद्धतियाँ कौन-कौन सी हैं? (2015)
उत्तर:
नैनो टेक्नोलॉजी के तहत मेटेरियल के आकार को छोटा करके उसे नैनोडोमेन में बदल लिया जाता है। इस प्रक्रिया में मेटेरियल के विभिन्न गुण; जैसे-इलेक्ट्रिकल,मैकेनिकल, थर्मल व ऑप्टीकल इत्यादि हर स्तर पर बदलने लगते हैं। इन परिवर्तनों से अत्यन्त आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं। जैसे-जैसे परमाणु का आकार छोटा होता जाता है, उसके अन्दर दूसरी धातुओं व पदार्थों से आपसी प्रतिक्रिया की क्षमता बढ़ती जाती है। इस विशेषता का उपयोग करके नैनो मेटेरियल से एकदम नया उत्पाद सरलता से तैयार किया जा सकता है।

नैनो मेटेरियल को तैयार करने के लिए सदैव दो पद्धतियों को उपयोग में लाया जाता है-प्रथम, बड़े से छोटा करने की पद्धति और द्वितीय, छोटे से बड़ा करने की पद्धति। इन पद्धतियों से एक आश्चर्यचकित कर देने वाला नैनो मेटेरियल तैयार किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
चिकित्सा क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी की उपयोगिता बताइए। (2009)
उत्तर:
वर्तमान में नैनो टेक्नोलॉजी दुनिया भर में अपनी विशेषताओं और उपयोगिताओं के कारण अत्यन्त तेजी से लोकप्रिय हो रही है। वैसे तो नैनो टेक्नोलॉजी की उपयोगिताओं का क्षेत्र प्रसार अनन्त एवं असीम है, किन्तु वर्तमान में इसका सर्वाधिक प्रभाव चिकित्सा के क्षेत्र में ही देखने को मिल रहा है। वैज्ञानिक इस प्रौद्योगिकी का उपयोग कर ‘गोल्ड पार्टिकल बैक्टीरिया ट्यूमर सेल्स’ का निर्माण कर रहे हैं,जो कैंसर की संमूची प्रक्रिया को ही परिवर्तित करने में सक्षम होंगे। इससे ट्यूमर के खतरनाक तत्व को समाप्त कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त विशेषज्ञ कलाई में पहन सकने योग्य एक ऐसी कलाई घड़ी के रूप में नैनो टेक्नोलॉजी आधारित युक्ति का विकास करने में प्रयत्नशील हैं, जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर की कई बीमारियों का समय रहते पता लगा पायेंगे।

प्रश्न 5.
“सुपर कम्प्यूटर नैनो टेक्नोलॉजी का ही परिणाम है।” समझाइए।
उत्तर:
वर्तमान युग प्रौद्योगिकी एवं कम्प्यूटर का युग है। आज कम्प्यूटर हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन के मध्य इतना घुल-मिल गये हैं कि इनके बिना अब जीवन की कल्पना करना भी आसान नहीं है। कम्प्यूटर की चर्चा चलते ही एक बड़े से घनाभाकार डिब्बे की आकृति मानस-पटल पर अंकित हो उठती है। एक समय था जब कम्प्यूटर अपनी शैशवावस्था में था। उसका आकार काफी बड़ा और उसकी क्षमता सीमित थी। किन्तु नैनो टेक्नोलॉजी के आगमन ने कम्प्यूटर की तो मानो काया ही पलट कर रख दी है। नैनो टेक्नोलॉजी के उपयोग से जहाँ कम्प्यूटर के आकार को छोटा किया जाना सम्भव हो सका है, वहीं उसकी तमाम क्षमताओं में आश्चर्यजनक बढ़ोत्तरी की जा सकती है। कम्प्यूटर के क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी के प्रभावी दखल का सबसे ज्वलंत उदाहरण है-‘सुपर कम्प्यूटर’ वास्तव में,सुपर कम्प्यूटर इस नैनो टेक्नोलॉजी का ही परिणाम है। पलभर में अरबों गणनाएँ त्रुटिरहित सम्पन्न कर देना, मैमोरी इतनी विशाल कि असंख्य आँकड़े समा जायें इत्यादि विशेषताएँ सुपर कम्प्यूटर में नैनो टेक्नोलॉजी के उपयोग से ही सम्भव हो सकी हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित क्षेत्रों में नैनो टेक्नोलॉजी की उपयोगिता बतलाइए
(1) पेंट
(2) कपड़ा
(3) जल-शोधन,
(4) टी. वी डिस्प्ले।
उत्तर:
जीवन से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में नैनो टेक्नोलॉजी की उपयोगिता अब सर्वविदित है। कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में इस नवीन क्रान्तिकारी प्रौद्योगिकी के उपयोग की चर्चा निम्नवत् की जा सकती है-
(1) पेंट उद्योग में :
पेंट उद्योग के क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी अपनी पैठ बनाती जा रही है, जैसे-टिटेनियम डाइ-ऑक्साइड पेंट। यदि इस पेंट को नैनो मेटेरियल बनाकर अन्य पेंट में मिला दिया जाये तो उसकी चमक और अन्य गुण बढ़ जाते हैं। इस प्रकार निर्मित पेंट का जीवन अन्य सामान्य पेंट की तुलना में काफी अधिक होता है।

(2) कपड़ा उद्योग में :
कपड़ा उद्योग में भी नैनो टेक्नोलॉजी अपना प्रभाव एवं उपयोगिता सिद्ध कर रही है। इस चमत्कारी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ‘नैनोबेस्ड क्लॉथ’ बनाए जा रहे हैं,जो व्यक्ति के पसीने को सरलता से सोख लेते हैं। साथ ही, इस तकनीक से बना कपड़ा उपलब्ध अन्य कपड़ों की तुलना में अधिक टिकाऊ होता है।

(3) जल-शोधन में :
नैनो टेक्नोलॉजी रूपी वरदान का उपयोग जल-शोधन के क्षेत्र में भी किया जा सकता है। भारत जैसे विकासशील देश में जहाँ तीन-चौथाई जनसंख्या को शुद्ध पेयजल तक उपलब्ध नहीं है, इस प्रौद्योगिकी का उपयोग किसी ‘देव-वरदान’ से कम सिद्ध नहीं होगा। इस नवीन प्रौद्योगिकी के माध्यम से जल में मौजूद एवं स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक ऑर्सेनिक तत्त्व को समाप्त कर दिया जाता है अथवा एकत्र कर जल से पृथक् कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में नैनो मिनरल, नैनो गोल्ड, नैनो सिल्वर व नाइट्रेट इत्यादि नैनो उत्पादों का प्रयोग किया जाता है।

(4) टी. वी. डिस्ले में :
नैनो टेक्नोलॉजी के आम जनजीवन में उपयोग का सबसे सुन्दर उदाहरण है टी.वी. डिस्प्ले का क्षेत्र। टेलीविजन पर दिखाई देने वाली तस्वीर की ‘ब्राइटनेस’ व ‘कंट्रास्ट’ को बेहतर बनाने के लिए इस प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में नैनो फास्टर मेटेरियल का उपयोग किया जाता है, जिससे टी.वी. की ‘पिक्चर क्वालिटी काफी उन्नत हो जाती है। वास्तव में, नैनो टेक्नोलॉजी एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसे एक नये युग का सूत्रपात माना जा सकता है।

प्रश्न 7.
भारत में नैनो टेक्नोलॉजी के शिक्षण-प्रशिक्षण की उपलब्धता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
यदि वर्तमान में भारत में नैनो टेक्नोलॉजी के प्रचार-प्रसार और उपयोग की बात की जाये तो नैनो टेक्नोलॉजी के शिक्षण-प्रशिक्षण में अभी बहुत कम निजी व सरकारी संस्थान आगे आए हैं। वर्तमान में, इस प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित मात्र एम. टेक. नैनो टेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम ही देश में उपलब्ध है, जिसके लिए निर्धारित योग्यता इंजीनियरिंग की डिग्री अथवा भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान या जैव प्रौद्योगिकी के साथ स्नातकोत्तर डिग्री अनिवार्य है। एम. टेक.के इस कोर्स की कुल अवधि दो वर्ष है, जिसमें प्रशिक्षुओं को छ: माह का प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है।

आशा है कि जिस प्रकार यह प्रौद्योगिकी दनिया-भर में तेजी से अपने पैर पसार रही है. भारत में भी जल्दी ही विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में इससे सम्बन्धित अनेक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने लगेंगे।

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नैनो टेक्नोलॉजी अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किस वैज्ञानिक युक्ति की सहायता से वैज्ञानिक पहली बार अणु व परमाणु को देख पाए?
उत्तर:
जर्मन वैज्ञानिक गार्ड विनिग व स्विट्जरलैंड के हैनरिच रारेर के संयुक्त प्रयास से तैयार ‘स्कैनिंग टानलिंग माइक्रोस्कोप’ की सहायता से वैज्ञानिक पहली बार अणु व परमाणु को देख पाए।

प्रश्न 2.
एक नैनो मीटर मानव बाल के कौन-से हिस्से के बराबर होता है?
उत्तर:
एक नैनो मीटर का आकार ‘मानव बाल के 50 हजारवें’ हिस्से के बराबर होता है।

नैनो टेक्नोलॉजी पाठ का सारांश

संकलित वैज्ञानिक निबन्ध, ‘नैनो टेक्नोलॉजी’ में वर्तमान में चल रहे वैज्ञानिक युग में एक नये एवं क्रान्तिकारी युग के सूत्रपात की अवधारणा और सम्भावना की बात कही गई है।

‘नैनो’ शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द ‘नैनों’ से हुई है, जिसका अर्थ है-‘बौना’ या ‘सूक्ष्म’। यह नाम जापान के वैज्ञानिक नौरिया तानीगूगूची ने वर्ष 1976 में दिया था । वास्तव में, नैनो टेक्नोलॉजी एक इकाई है जो एक मीटर के अरब हिस्से के बराबर होती है। एक से लेकर सौ नैनोमीटर को ‘नैनोडोमेन’ कहा जाता है।

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी को एक नए युग के सूत्रपात के रूप में देखा जा रहा है। नैनो टेक्नोलॉजी की दुनिया अति सूक्ष्म है। अद्भुत बात यह है कि जितनी अधिक यह सूक्ष्म है उतनी ही अधिक सम्भावनाएँ इसमें निहित हैं। नैनो टेक्नोलॉजी के तहत मेटेरियल का आकार छोटा करके उसे ‘नैनोडोमेन’ बना लिया जाता है। ऐसा करने पर उस पदार्थ के विभिन्न गुण; जैसे-इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, थर्मल व ऑप्टीकल, हर स्तर पर बदल जाते हैं। नैनो उत्पाद बेहद हल्के,छोटे,मजबूत,पारदर्शी एवं अपने मूल मेटेरियल से पूरी तरह से भिन्न होते हैं।

वर्तमान प्रौद्योगिकी के इस युग में नैनो टेक्नोलॉजी का क्षेत्र असीम है और इसके विस्तार की सम्भावनाएँ भी अनन्त हैं। आज नैनो टेक्नोलॉजी चिकित्सा क्षेत्र से लेकर उद्योगों तक कहीं-न-कहीं अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। भारत में भी इसका उपयोग और विस्तार अत्यन्त तेजी से हो रहा है।

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MP Board Class 12th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 4 मेरे जीवन के कुछ चित्र

MP Board Class 12th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 4 मेरे जीवन के कुछ चित्र (आत्मकथा, डॉ. रामकुमार वर्मा)

मेरे जीवन के कुछ चित्र अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
डॉ. रामकुमार वर्मा सबसे पहले अपनी माता का स्मरण क्यों करते हैं? उनकी माता की दिनचर्या लिखिए।
उत्तर:
अपने अतीत के झरोखों में झाँकते समय डॉ.रामकुमार वर्मा के मन-मस्तिष्क में जो सबसे पहली तस्वीर उभरती है वह है उनकी पूज्यनीय एवं प्रातः स्मरणीय माताजी राजरानी देवी की डॉ. वर्मा अपनी माताजी का बहुत आदर और सम्मान करते थे। उनकी माँ एक उच्च कोटि की संगीतज्ञ एवं काव्य-ज्ञान से परिपूर्ण थीं। उन्हीं की प्रेरणा,स्नेह,मार्गदर्शन और आशीर्वाद से वे कविता-लेखन के क्षेत्र में कदम रख सके थे, अत: डॉ.वर्मा अपनी माँ में न सिर्फ करुणामयी माँ का रूप देखते थे, अपितु एक गुरु का बिम्ब भी उन्हें अपनी माँ में दिखाई देता था। अत: डॉ. रामकुमार वर्मा सवसे पहले अपनी माता का स्मरण किया करते थे।

डॉ.रामकुमार वर्मा की माँ एक कुशल संगीतज्ञ एवं कला प्रेमी महिला थीं। उनके कण्ठ में अद्भुत मिठास थी। वे सुबह-सवेरे जल्दी उठकर शौच इत्यादि से निवृत्त हो राग विभास के स्वरों ‘भोर भयो जागह रघुनन्दन’ का तन्मयता से गान करती थीं। परिवार के अन्य सभी लोग उनके कोकिल कण्ठ को सुनने के लिए उनके पास एकत्रित हो जाते थे। ये नियम उनका प्रतिदिन का था। प्रातःकाल गान के पश्चात् ही वे अन्य आवश्यक कार्यों को सम्पादित किया करती थीं।”

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प्रश्न 2.
बचपन में लेखक किस पात्र के अभिनय के विशेषज्ञ थे? इस अभिनय का प्रभाव उन पर कितने समय तक बना रहा?
उत्तर:
बचपन से ही लेखक को कुश्ती लड़ने,नाटक करने, अभिनय करने और पढ़ने का बहुत शौक था। वैसे तो लेखक ने नाटकों में कई पात्रों का अभिनय किया था, किन्तु ‘श्रीकृष्ण’ का अभिनय करने में उन्हें दक्षता प्राप्त थी और वे उसके विशेषज्ञ माने जाते थे। ‘श्रीकृष्ण’ का अभिनय करने के लिए उनके गुरुजन उन्हें शहर के बाहर भी लेकर जाते थे। कई लोग तो उन्हें ‘श्रीकृष्ण’ कहकर ही पुकारने लगे थे।

श्रीकृष्ण’ के अभिनय का लेखक पर प्रभाव पूरे बचपन भर बना रहा। इस पात्र के अतिरिक्त उन्हें किसी अन्य चरित्र का अभिनय करने में आनन्द प्राप्त नहीं होता था। जैसे-जैसे लेखक ने बाल्यावस्था से किशोरावस्था में प्रवेश किया ‘श्रीकृष्ण’ का अभिनय छूटता गया, क्योंकि अब वे बड़े हो गये थे।

प्रश्न 3.
नागपंचमी के दिन घटित अखाड़े की घटना का वर्णन अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
बचपन से ही लेखक को कुश्ती लड़ने, नाटक करने, अभिनय करने और पढ़ने इत्यादि का बहुत शौक था। साथ ही,लेखक इनकी प्रतियोगिताओं में भी भाग लेने के लिए सदैव ही उत्सुक रहते थे। एक बार बचपन में लेखक अपने पिताजी के साथ तमाशा देखने के लिए गये। वह नागपंचमी का दिन था। अखाड़े में कुश्ती की प्रतियोगिता चल रही थी। दूर-दूर से कई पहलवान कुश्ती के मैदान में अपना-अपना भाग्य परखने के लिए डटे थे। प्रतियोगिता के दौरान एक पहलवान सबको ‘चित्त’ करता गया और ‘फुल्लम’ (सर्व विजयी) घोषित हुआ। दम्भ के मारे वह पहलवान अखाड़े की मिट्टी को शरीर पर मलते हुए ताल ठोंककर किसी को भी उसका मुकाबला करने के लिए खुली चुनौती देने लगा। लेखक अपने पिताजी के साथ ये सब देख रहे थे।

उनसे यूँ चुनौती से दूर भाग जाना गवारा न हुआ। उन्होंने आव देखा न ताव और उस ‘फुल्लम’ की चुनौती को स्वीकार करते हुए कुश्ती के लिए ललकार दिया। दोनों पहलवानों ने अखाड़े की मिट्टी में अपने-अपने हाथ मले और बोल बजरंग’ के उद्घोष के साथ भिड़ गये। मात्र 5 मिनट से भी कम समय में वह ‘फुल्लम’ पहलवान ‘फुस्स’ हो धरती की धूल चाट रहा था और लेखक के चेहरे पर विजयी आभा तैर रही थी। तालियों की करतल ध्वनि के मध्य लेखक को शेरवानी और नकद पुरस्कार उपहारस्वरूप दिये गये जो लेखक ने प्राप्त करके उदारता के साथ उसी ‘फुल्लम’ पहलवान को प्रदान कर दिये।

प्रश्न 4.
माँ ने रामकुमार वर्मा को पढ़ाई के सम्बन्ध में क्या निर्देश दिए थे? (2010)
उत्तर:
डॉ. रामकुमार वर्मा की माँ एक सुशिक्षित एवं सुसंस्कृत महिला थीं। वे अपने बच्चों में भी शिक्षा के उच्च संस्कार प्रदान करना चाहती थीं। यह उन्हीं के मार्गदर्शन और सीख का फल था कि डॉ.रामकुमार वर्मा कभी अनुत्तीर्ण नहीं हुए, बल्कि वे सदैव ‘डिवीजन’ से उत्तीर्ण होते रहे। पढ़ाई के सम्बन्ध में निर्देशित करते हुए उनकी माँ ने उनसे कहा था कि पढ़ाई में उन्हें पहले दर्जे का ध्यान रखना चाहिए। अपने लक्ष्य के प्रति उसी एकाग्रता एवं समर्पण के साथ प्रयत्नशील रहना चाहिए जिस प्रकार महाभारत काल में अर्जुन ने चिड़िया की केवल आँख पर अपना ध्यान रखा था।

प्रश्न 5.
लेखक ने स्कूल जाना क्यों छोड़ा?
उत्तर:
लेखक जब अपनी किशोरावस्था से युवावस्था में प्रवेश कर रहे थे तब देश में स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष अपने चरम पर था। महात्मा गाँधीजी के आह्वान पर देशभर में असहयोग आन्दोलन चलाया जा रहा था। लेखक ने भी इस असहयोग आन्दोलन में भाग लिया। सन् 1921 में जब नागपुर में आयोजित कांग्रेस के सम्मेलन में असहयोग-आन्दोलन का प्रस्ताव पारित हुआ तो लेखक ने मन-ही-मन स्कूल छोड़ने का प्रण कर लिया। लेखक नरसिंहपुर में रहते थे और उनके पिताजी मंडला (सी.पी) में ‘ऐक्स्ट्रा असिस्टेंट कमिश्नर’ थे। उस समय लेखक कक्षा 10 में पढ़ते थे और उन्हें 6 रुपये का वजीफा भी मिलता था। अपने प्रण को पूरा करते हुए लेखक ने स्कूल छोड़ दिया। यह समाचार सुनकर उनके पिताजी ने उन्हें भविष्य के स्वप्न दिखाते हुए पुनः स्कूल जाने के लिए कहा,किन्तु लेखक नहीं माने। पिताजी उनसे रुष्ट हो गये और बेंत से उन्हें दण्ड भी दिया। लेखक ने 72 घण्टे तक उपवास रखा और अपने स्कूल न जाने के निर्णय पर अडिग रहे।

प्रश्न 6.
लेखक ने ‘देश-सेवा’ कविता किन परिस्थितियों में लिखी और उसका क्या परिणाम हुआ? (2016)
उत्तर:
उन दिनों देश-भर में असहयोग आन्दोलन की गूंज थी। बच्चे, बड़े, स्त्री-पुरुष सभी बढ़-चढ़कर उस आन्दोलन में भाग ले रहे थे। गाँधीजी के नेतृत्व में समूचा राष्ट्र मानो एक साथ उठ खड़ा हुआ था। उन दिनों जुलूस राष्ट्रीय झण्डे को लेकर निकलते थे और गाने के लिए नए-नए गीतों की आवश्यकता पड़ती थी। उसी समय देश-सेवा’ कविता के लिए कानपुर के श्री बेनीमाधव खन्ना की 51 रुपये के नकद पुरस्कार वाली घोषणा निकली। लेखक के पिताजी ने लेखक से कहलवाया; “छोटे गाँधीजी से कहो देश-सेवा पर कविता लिखें।” लेखक ने पिताजी की आज्ञा को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए कविता लिखने की ठान ली। उन्होंने बिना किसी को बतलाए कविता लिखकर भेज दी। तीन माह बाद सूचना मिली कि लेखक की भेजी गई कविता को सर्वोत्तम आँका गया है और उन्हें 51 रुपये का पुरस्कार प्रेषित किया जा रहा है। यूँ कविता चयन की बात सुनकर प्रसन्न माताजी ने लेखक पर अभिमान जताते हुए कहा था, “मुझे गर्व है कि मेरा एक बेटा देश-सेवा में तन-मन से काम कर रहा है” और लेखक के पिताजी ने प्रसन्न होकर लेखक के लिए एक कोट बनवाया था।

मेरे जीवन के कुछ चित्र अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक डॉ. रामकुमार वर्मा के लिए ‘देव पुरस्कार’ से भी अधिक मूल्यवान क्या था?
उत्तर:
लेखक की माताजी संगीतज्ञ एवं काव्य-ज्ञान से पूर्ण थीं। वे उषा-काल में उठकर ‘भोर भयो जागहु रघुनन्दन’ गातीं और लेखक से भी गाने के लिए कहतीं। ठीक गाने पर लेखक को एक जलेबी अधिक का पुरस्कार मिलता था जो लेखक के लिए किसी ‘देव पुरस्कार’ से भी अधिक मूल्यवान था।

प्रश्न 2.
बचपन में लेखक डॉ. रामकुमार वर्मा की विशेष रुचि क्या थीं?
उत्तर:
लेखक को बचपन से ही ‘प्रतियोगिता’ विशेष प्रिय रही। कुश्ती लड़ने, नाटक करने, अभिनय करने और पढ़ने में लेखक की विशेष रुचि रही।

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मेरे जीवन के कुछ चित्र पाठ का सारांश

सुप्रसिद्ध कहानीकार ‘डॉ. रामकुमार वर्मा द्वारा लिखित प्रस्तुत आत्मकथा ‘मेरे जीवन के कुछ चित्र’ में लेखक ने अपने बचपन एवं प्रियजनों से सम्बन्धित अतीत की कुछ घटनाओं का सुन्दर एवं सजीव वर्णन किया है।

लेखक के अनुसार उनके जीवन में उनकी माँ का स्थान सर्वोपरि है। उनकी माता का नाम राजरानी देवी था। वे एक उच्च कोटि की संगीतज्ञ थीं और उन्हें काव्य-ज्ञान भी खूब था। वे प्रात:काल जल्दी उठकर राग विभास में गान करतीं और परिवार के सभी लोग सुध-बुध खोकर तन्मयता से उनके गान को सुना करते थे। उन्हीं की प्रेरणा एवं प्रभाव से लेखक कविता-लेखन के क्षेत्र में प्रविष्ट हुए। बचपन से ही लेखक को कुश्ती लड़ने, नाटक खेलने, अभिनय करने और पढ़ने इत्यादि में गहन रुचि थी। किशोरावस्था में एक बार लेखक ने अपने से कहीं अधिक बलशाली प्रतिद्वन्द्वी को कुश्ती में हराकर पुरस्कार जीता था। अभिनय की यदि बात की जाये तो लेखक श्रीकृष्ण’ के अभिनय के विशेषज्ञ थे। श्रीकृष्ण के अभिनय में उन्होंने बहुत-से पुरस्कार अर्जित किये थे।

लेखक पढ़ने में भी काफी होशियार थे। वे सदैव ‘डिवीजन’ में ही उत्तीर्ण हुआ करते थे। माँ की प्रेरणा पर वे सदैव लक्ष्य पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करते और उसे पाकर ही साँस लेते थे। लेखक ने अपने जीवन की प्रथम कविता स्वयं-प्रेरणा से एक छोटी-सी तुकबन्दी के रूप में लिखी थी। युवावस्था में लेखक ने असहयोग आन्दोलन में भाग लिया और विरोधस्वरूप स्कूल छोड़ दिया। एक बार पिताजी के कहने पर लेखक ने देश-सेवा पर एक कविता लिखी और 51 रुपये का नकद पुरस्कार अर्जित कर अपने माता-पिता को गौरवान्वित किया। समाचार के साथ-साथ अपने बचपन की यादों से जुड़ी ये कहानियाँ अब लेखक के मस्तिष्क से निकलती जा रही हैं।

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MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 4 Reproductive Health

MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 4 Reproductive Health

Reproductive Health Important Questions

Reproductive Health Objective Type Questions

Question 1.
Choose the correct answers:

Question 1.
The gestation period in human female is :
(a) 30 days
(b) 200 days
(c) 250 days
(d) 270-280 days.
Answer:
(d) 270-280 days.

Question 2.
In population growth curve the early phase is also called as :
(a) Exponential phase
(b) Stationary phase
(c) Lag period
(d) None of these.
Answer:
(c) Lag period

Question 3.
Removal of fallopian tube in human female is called :
(a) Vesectomy
(b) Tubectomy
(c) Ovaritectomy
(d) Castration.
Answer:
(b) Tubectomy

Question 4.
The cause of population explosion in large cities is : (MP 2009 Set A)
(a) Chances of education
(b) Available facilities
(c) Sources of income
(d) All of these.
Answer:
(d) All of these.

Question 5.
Population density is more in : (MP 2009 Set B)
(a) USA
(b) India
(c) China
(d) Japan.
Answer:
(b) India

Question 6.
Ratio of death rate and birth rate percentage is called : (MP 2016)
(a) Organic index
(b) Demography
(c) Population density
(d) Total population.
Answer:
(a) Organic index

Question 7.
Which of the following is the best solution of population problem in India :
(a) Conservation of natural resources
(b) Growth of medicinal fascility
(c) Decreasing in birth rate
(d) Increasing in food product.
Answer:
(c) Decreasing in birth rate

Question 8.
In which state has less population density :
(a) Manipur
(b) Rajasthan
(c) Meghalaya
(d) Arunachal pradesh.
Answer:
(d) Arunachal pradesh.

Question 9.
Meaning of test tube-baby, when child :
(a) Produce from unfertilized egg
(b) Developed in test-tube
(c) Developed by tissue culture
(d) Fertilization of ovum to out side the body then transplant in uterus.
Answer:
(d) Fertilization of ovum to out side the body then transplant in uterus.

Question 10.
Study of human population growth is :
(a) Anthropology
(b) Sociology
(c) Demography
(d) Geography.
Answer:
(c) Demography

Question 11.
Amniocentesis is used for determining :
(a) Heart disease
(b) Brain disease
(c) Hereditary disease of embryo
(d) All of these.
Answer:
(c) Hereditary disease of embryo

Question 12.
Amniocentesis is the withdrawal of amniotic fluid in :
(a) Menopause
(b) Lactation
(c) Gastation
(d) Pregnancy.
Answer:
(d) Pregnancy.

Question 2.
Fill in the blanks :

  1. Statisitical study of population is called ………………
  2. According to Malthus population grows ……………… whereas the means of its subsistinance grows ………………
  3. According to census 2001, the population of India was ………………
  4. The entry and exit of member in any population is called ………………
  5. Cutting and ligating ends of segments of vas deferense is called ………………
  6. The testing of sex of embryo is done by ………………
  7. Immigration ……………… the population.
  8. Study of differences in foetus is called ………………
  9. Theory of population growth was given by ………………

Answer:

  1. Demography
  2. Geometrically Arithmatically
  3. 1,02,70,15,247
  4. Migration
  5. Vasectomy
  6. Amniocentesis
  7. Increases
  8. Teratology
  9. Malthus.

Question 3.
Match the followings :
I.
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 4 Reproductive Health Important Questions 1
Answer:

  1. (b)
  2. (d)
  3. (a)
  4. (c)
  5. (e).

II.
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 4 Reproductive Health Important Questions 2
Answer:

  1. (d)
  2. (e)
  3. (c)
  4. (b)
  5. (a).

Question 4.
Write the answer in one word/senteces :

  1. Give the full name of IUCD.
  2. Write a disease which is transmitted by sexual contact.
  3. Write the full name of ZIFT.
  4. Name the method in which cutting and binding of spermatic duct in male.
  5. What is the name of the study of population?
  6. World population day celebrated on.
  7. Name the process in which implantation of embryo in fallopian tube.
  8. Name the stage of life which is called puberty.
  9. Name the disease caused by HIV.
  10. Who gave the human population growth theory?
  11. Write the name of technique in which testing of amniotic fluid to find out the sex and disorders of the foetus.
  12. Name the technique by which found the AIDS.
  13. Write the lull name of GIFT.
  14. Name the technique in which removal of a segment of oviduct.

Answer:

  1. Intrauterine Contraceptive Device
  2. Gonorrhoea
  3. Zygote Intrafallopian Transfer
  4. Vasectomy
  5. Demography
  6. 11 July
  7. Actopic pregnancy
  8. 13 to 18 years
  9. AIDS
  10. T.R.Malthus
  11. Amniocentesis
  12. ELISA test
  13. Gamete Intrafaillopian Transfer
  14. Tubectomy.

Reproductive Health Important Questions Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Write one benefit of condom.
Answer:
Condom provides protection from Sexually Transmitted Diseases (STDs).

Question 2.
What is the name of contraceptive pill which is taken only in once in a week?
Answer:
“Saheli.”

Question 3.
Write the full form of IUCD.
Answer:
Intra Uterine Contraceptive Device.

Question 4.
Write the full form of STDs.
Answer:
Sexually Transmitted Diseases.

Question 5.
What is the legal age for marriage of male and female in India?
Answer:
For male 21 Years and for female 18 years.

Question 6.
Write the name of two STDs which are spread through infected blood.
Answer:
AIDS, Hepatitis – B.

Question 7.
Write the name of two diseases which are caused by sexual contact.
Answer:
Gonorrhoea, Syphilis.

Question 8.
Write the full form of HIV and AIDS.
Answer:
HIV : Human Immunodeficiency Virus.
AIDS : Acquired Immune Deficiency Syndrome.

Question 9.
Write the full form of ZIFT.
Answer:
Zygote Intrafallopian Transfer.

Question 10.
What is the process for surgical sterilization in males called?
Answer:
Vasectomy.

Reproductive Health Short Answer Type Questions

Question 1.
Explain the following :

  1. Tubectomy
  2. Vasectomy.

Answer:
1. Tubectomy:
The surgical removal of a segment of oviduct and then ligating the cut end is called tubectomy. It is applied in females to check the pregnancy.

2. Vasectomy:
Surgical cutting and ligating ends of segments of vas deferens is called vasectomy.

Question 2.
What is amniocentesis? Write its effects and two advantages.
Answer:
Amniocentesis:
It is prenatal diagnostic technique in which amniotic fluid of uterus is isolated by a surgical needle and foetus cells are cultured on a culture medium and chromosomes are examined.

This technique is used to understand the following things or Advantages:

  1. Chromosomal abnormalities like that of Down’s syndrome, Philadelphia syndrome and Edward’s syndrome.
  2. Metabolic disorders like that of PKV, Cretinism, Alkaptonuria, etc.
  3. Sex of the embryo can be examined by this technique.

Effects of amniocentesis:
Due to this type of test, the female embryos are being eradicated. This leads into the decrease in number of females which may cause a serious problem.

Question 3.
Explain the social causes of human population growth.
Answer:
Social causes of human population growth rate are:

  1. Illiteracy in society.
  2. Low level of society.
  3. Various orthodox tradition like son leads to progeny.
  4. Social barriers.
  5. Early child marriage presuming that after mid-age marriage reproductive capacity degenerates.
  6. Social backwardness.
  7. Social set – up that “Putra Ratan se Moksh milta hai”.

Question 4.
What do you think about the significance of reproductive health in a society?
Answer:
Significance of reproductive health in a society are:

  1. Control over the transmission of STDs.
  2. Less death due to reproduction related diseases, like AIDS, cancer of reproductive tract.
  3. Control in population explosion.
  4. Not only this reproductive health of men and women affectsthe health of the next generation.

Question 5.
Suggest the aspects of reproductive health which need to be given special attention in the present scenario.
Answer:
Special attention need to be given to the following aspects:

  1. Introduction of sex education in school that to helps in eradicating myths and misconceptions regarding sex – related aspects.
  2. Proper information about reproductive organs, safe and hygienic sexual practices and Sexually Transmitted Diseases.
  3. Awareness of problems due to uncontrolled population growth, social evils like sex abuse and sex – related crimes etc.
  4. Strong infrastructural facilities, professional expertise and material support to provide medical assistance and care to people in reproduction related problems.
  5. Educating people about available birth control options, care of pregnant mothers, postnatal care of mother and child, importance of breast feeding, equal opportunities for the male and female child.

Question 6.
Is sex education necessary in schools. Why?
Answer:
Yes, sex education is necessary in schools because:

  1. It will provide proper information about reproductive organs, adolescence, safe, hygienic sexual practices and Sexually Transmitted Diseases (STDs).
  2. It will provide right information to avoid myths and misconceptions about sex related queries.

Question 7.
Do you think that reproductive health in our country has improved in the past 50 years? If yes, mention some such areas of improvement.
Answer:
Yes, reproductive health in our country has improved in the last 50 years.

Some areas of improvement are:

  1. Better awareness about sex-related matters.
  2. Increased number of medically assisted deliveries and better post-natal care of child and mother leading to decreased maternal and infant mortality rates.
  3. Increased number of couples with small families.
  4. Better direction and cure of STDs and overall increased medical facilities for all sex – related problems.

Question 8.
What are the suggested reasons of population explosion?
Answer:
The situation where population exceeds productive capacity is known as popu-lation explosion. In nature, the amount of resources are limited hence, if the population increases in the present rate and increasing beyond the limit, they (Resources) would get exhausted.

Reasons of population explosion : Following are the reasons of population explosion:

  1. Increasing birth rate.
  2. Decreasing death rate.
  3. Higher rate of reproduction.
  4. Medical services have brought down mortality due to fatal diseases and epidemics.
  5. Lack of predator in the civilized world today, the only predator of man is man himself.

Question 9.
Is the use of contraceptives justified? Give reasons.
Answer:
Yes, use of contraceptive is justified because it helps to control the rapid growth of human population. It will also help in preventing unwanted pregnancies and STDs. Contraceptive also help in controlling the population growth rate.

Question 10.
Removal of gonads can not be considered as a contraceptive option, why?
Answer:
Removal of gonads not only stops the production of gametes but will also stop the secretions of various important hormones, which are important for bodily func¬tions. This method is irreversible and thus, can not be considered as a contraceptive method.

Question 11.
Amniocentesis for sex determination is banned in our country. Is this ban necessary? Comment.
Answer:
Yes, the ban is necessary because amniocentesis is misused for determining the sex of the foetus and then aborting the child if it is a female. This process is illegal as it causes harm to the foetus as well as mother it can also disturb the sex ratio.

Question 12.
What is test – tube baby?
Answer:
In some cases, a woman is unable to have a normal fertilization to bear the child. In such cases, test – tube technique may be successful. In this technique, the unfertilized eggs of such woman is isolated in aseptic condition and fertilized it in test – tube by the sperms of her husband. The fertilized egg or blastocyst can be maintained in vitro till it gets 32 celled stage. It can be implanted in the uterus of the female. The female remains under the supervision of doctor till completion of gestation period of 280 days. The baby produced in such a way is called a test – tube baby.

Question 13.
What is GIFT? Explain in brief.
Answer:
GIFT (Gametes Intrafallopian Transfer): It is a latest technique to produce a child. In this technique, the gametes are kept separately in a catheter and injected directly into the fallopian tube of the woman using laproscopy. Thus, in this case, fertilization occurs inside the body of woman. Prior to injection of gametes, the mother would be given hormones for about a week to stimulate follicle formation. This causes development of several eggs i.e., super ovulation. The first GIFT in India was done in Mumbai and twins were born in August, 1990.

Reproductive Health Long Answer Type Questions

Question 1.
Suggest some methods to assist infertile couples to have children.
Answer:
If the couples are enable birth the children and corrections are not possible, the couples could be assisted to have children through certain special techniques, com¬monly known as Assisted Reproductive Technologies (ART). Some methods are given as:

(1) In Vitro Fertilization (IVF):
In this method, ova from the female and the sperm from the male are collected and induced to form zygote under stimulated conditions in the laboratory. This process is called In Vitro Fertilization (IVF). Some method given as follows:

1. Zygote Intrafallopian Transfer (ZIFT):
The zygote or early embryo with up to 8 blastomeres is transferred into the fallopian tube.

2. Intra Uterine Transfer (IUT):
Embryo with more than 8 blastomeres is trans – ferred into the uterus in females who cannot conceive embryos formed by fusion of gametes in another female are transfered.

3. Test – tube baby:
In this method, ova from the donor (female) and sperm from the donor (male) are collected and are induced to form zygote under stimulated conditions in the laboratory. The zygote could then be transferred into the fallopian tube and embryos transferred intc the uterus, to complete its further development. The child bom from this method is called test-tube baby.

(2) Gamete Intrafallopian Transfer (GIFT):
It is the transfer of an ovum collected from a donor into the fallopian tube of another female who cannot produce one, but can provide suitable environment for fertilization and further development of the embryo.

(3) Intra Cytoplasmic Sperm Injection (ICSI):
It is a procedure to form an embryo in the laboratory by directly injecting the sperm into an ovum.

(4) Artificial Insemination (AI):
In this method, the semen collected either from the husband or a healthy donor is artificially introduced into the vegina or into the uterus (Intra Uterine Insemination, IUI). This technique is used in cases where the male is unable to inseminate sperms in the female reproductive tract or due to very low sperm counts in the ejaculation.

(5) Host Mothering:
In this process, the embryo is transferred from the biological mother to a surrogate mother. The embryo then develops till it is fully developed or partially developed. It is then transferred to the biological mother or into any other. This technique is useful for females in which embryo forms but is not able to develop.

Question 2.
What are the measures one has to take to prevent from contracting STDs?
Answer:
STDs can be prevented by the following methods:

  1. Avoid sex with unknown partners/multiple partners.
  2. Always use condoms during coitus.
  3. Always contact a qualified doctor for any doubt in early stage of infection and get complete treatment if diagnosed with disease.

Question 3.
State True/False with explanation.

Question (a)
Abortion could happen spontaneously too. (True/False)
Answer:
False, Abortion does not happen under normal conditions. It happens accidently or under the will of Parents.

Question (b)
Infertility is defined as the inability to produce a viable offspring and is always due to abnormalities/defects in the female partner. (True/False)
Answer:
False, Sterility always does not occur due to female. Sometimes males are also responsible for this.

Question (c)
Complete lactation could help as a natural method of contraception. (True/False)
Answer:
True, Menstrual cycle does not occur after parturition which can act as natural contraception but this method is functional for a period of six months from parturition.

Question (d)
Creating awareness about sex related aspects is an effective method to im-prove reproductive health of the people. (True/False)
Answer:
True, this creates better reproductive health among people.

Question 4.
Correct the following statements:

Question (a)
Surgical methods of contraception prevent gamete formation.
Answer:
It prevents the transportation of gametes not their formation.

Question (b)
All sexually transmitted diseases are completely curable.
Answer:
Hepatitis – B and AIDS are not curable.

Question (c)
Oral pills are very popular contraceptives among the rural women.
Answer:
Oral pills are not popular among rural women. They require sex education.

Question (d)
In E.T. techniques, embryos are always transferred into the uterus.
Answer:
In E.T. techniques, 8 – celled blastomere is transferred into the fallopian tube. While more than 8 – celled blastomere is transferred into the uterus.

MP Board Class 12th Biology Important Questions

MP Board Class 11th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 11 समय का मोल

MP Board Class 11th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 11 समय का मोल

समय का मोल अभ्यास प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

प्रश्न 1.
लेखक ने यौवन को जीवन का मक्खन क्यों कहा है?
उत्तर:
लेखक का कथन है कि यदि व्यक्ति इस उम्र में अपने समय का सदुपयोग रचनात्मक कार्यों में करता है तो उसका परिणाम निश्चित ही अच्छा प्राप्त होता है जो जीवन के अन्य पड़ावों में प्राप्त नहीं हो पाता है। अतः लेखक ने इसको जीवन का मक्खन कहा है।

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प्रश्न 2.
लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि “शिखर के बजाए तलहटी में ही जीवन कट जाएगा?”
उत्तर:
यदि व्यक्ति ने अपने जीवन काल के सबसे ऊर्जावान समय जवानी को मनोरंजन, अवकाश और व्यसनों आदि में व्यर्थ व्यतीत कर दिया और वह जागरूक नहीं हो पाया कि यह समय तो सर्वश्रेष्ठ उपयोग में लेने का था तो निश्चित ही वह सफलता के शिखर को छूने से वंचित रह जायेगा। इसीलिए लेखक का कथन है कि “शिखर के बजाए तलहटी में ही जीवन कट जाएगा।”

प्रश्न 3.
“हम पसीने की कमाई खर्च करके विष खरीदते हैं।” इस पंक्ति से लेखक का क्या आशय है?
उत्तर:
लेखक का आशय है मनोरंजन जीवन के महत्त्व को कम करने वाला रह गया है। जब मन दुःखी हो, अवसादग्रस्त या थका हो तभी मनोरंजन की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार बिना भूख लगे खाने से कष्ट हो जाता है, उसी प्रकार मन को रंजन में लगा देने का भी परिणाम अच्छा नहीं आता, मन भटक जाता है, प्रमादी हो जाता है। आज जिस प्रकार रंजन हो रहा है वह तो मन तक पहुँचता ही नहीं। अखबार, मैंगजीनों का चटपटापन जीवन में प्रतिदिन धीमे विष की तरह मन को दूषित करता है। अत: लेखक का कथन है कि हम मनोरंजन पर पसीने की कमाई खर्च करके विष खरीदते हैं।

प्रश्न 4.
प्रबंधन के गुरु की बात जीवन को किस प्रकार सार्थक बनाती है?
उत्तर:
प्रबंधन गुरु का कहना है कि प्रत्येक कार्य को उसके परिणाम को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए। परिणाम ही जीवन का लक्ष्य बनता है और उसी के अनुसार व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। यही बात जीवन को सार्थक बनाती है।

प्रश्न 5.
जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए?
उत्तर:
जीवन का लक्ष्य ‘घटिया विषय से दूरी और सर्वश्रेष्ठ का चुनाव’ होना चाहिए। सत्संगति पाकर व्यक्ति का जीवन स्वयं श्रेष्ठता को प्राप्त कर लेता है जैसे कि “जो कुछ गंधी दे नहीं, तो भी वास सुवास।”

प्रश्न 6.
व्यक्तित्व का विकास कैसे होता है?
उत्तर:
जीवन का लक्ष्य कार्य का परिणाम होता है और उसी के अनुरूप मन में चेतना की जागृति हो जाती है और उसी तरह के व्यक्तित्व का निर्माण हो जाता है।

समय का मोल अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवन मूल्यों का कार्य क्या है?
उत्तर:
जीवन मूल्यों का प्रमुख कार्य जीवन का मूल्य बनाए रखना है।

प्रश्न 2.
लेखक ने जवानी को क्या कहा है?
उत्तर:
लेखक ने जवानी को जीवन का मक्खन कहा है।

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समय का मोल पाठ का सारांश

प्रस्तावना :
लेखक व्यक्ति को समय के मूल्य को समझने के लिए प्रेरित कर रहा है। यदि व्यक्ति समय के मूल्य को स्वयं नहीं समझ सका तो कोई दूसरा उसे नहीं समझायेगा और उसका पूरा जीवन व्यर्थ ही निकल जायेगा। अतः जीवन का मुख्य कार्य समय के मूल्य को समझना ही है।

समय के मूल्य की समझ आवश्यक :
आज व्यक्ति को सोचने की आवश्यकता है कि वह जिस मार्ग पर जा रहा है, उसकी मंजिल कहाँ है? समय कम है, मार्ग भटकने पर उसे मार्ग दर्शन किससे मिलेगा? क्योंकि मार्ग की दिशा पूछने में भी अपने आप में शर्म महसूस करता है।

समय के मूल्य को जानने के लिए कार्य के उद्देश्य को नहीं भूलना होगा। हम घर से जिस कार्य को करने निकले हैं, उसे पूरा न करके व्यर्थ की बातों में दोस्तों के साथ समय व्यर्थ न गवाएँ। हमें याद रहे कि हमें दुकान से क्या खरीदना है? टी. वी. चलाने के बाद टी. वी. में क्या देखना है? अच्छे और बुरे, आवश्यक और अनावश्यक, लाभ और हानि के बीच भेद को पहचानना होगा। यदि इस भेद को न जानकर हमने समय गँवा दिया और हम अपने कार्य पूर्ण नहीं कर पाये तो यह स्पष्ट है कि हमें समय की कीमत का अहसास नहीं है।

समय का सदुपयोग :
हम कहते हैं, जवानी जीवन का मक्खन है। जो इस उम्र में कार्य करते हैं, उसी का फल हमें पूरी उम्र व्यतीत करने के लिए मिल जाता है। परन्तु हमें याद रखना है कि इसका एक-एक क्षण कीमती है, व्यर्थ में एक क्षण भी नष्ट न होने पाये।

यदि हमने जवानी को मनोरंजन बना दिया, अवकाश का समय मान लिया और हम जागरूक नहीं हुए कि यह तो तपस्या का समय है, सफलता के शिखर को छूने का समय है तो निश्चित है कि हम जीवन के सर्वश्रेष्ठ काल का उपयोग नहीं कर पायेंगे।

हमें मनोरंजन के सही अर्थ को समझना होगा। जब मन दुःखी होता है, अवसादग्रस्त या थका होता है, तब मनोरंजन की आवश्यकता होती है। आज का मनोरंजन जीवन के महत्व को कम करने वाला रह गया है। हमें चिन्तनशील विषय पढ़ने-देखने में अच्छे नहीं लगते। सिनेमा, फैशन आदि ऐसे विषय नहीं हैं कि जिन पर घण्टों चर्चा की जाए। अखबार, मैगजीनों का चटपटापन धीमे विष की भाँति मन को दूषित कर रहा है। हमें समय का सदुपयोग करना ही होगा तभी हम जीवन के लक्ष्य को पा सकेंगे।

संकल्प :
आज हमें संकल्प करना ही होगा कि हम अनावश्यक कुछ नहीं करेंगे। समय का रचनात्मक कार्यों में ही उपयोग करेंगे। समय लौटकर नहीं आता। समय ही तो जीवन है। यह हमें हमेशा याद रखना होगा। कार्य का परिणाम ही जीवन का लक्ष्य होता है और इसको हम तभी प्राप्त कर सकते हैं जब हम अच्छे लोगों के सामीप्य में आयें और सार्थक करें-
महाजनस्य संसर्गः कस्य नोन्नति कारकः।

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MP Board Class 11th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 10 प्रेरक प्रसंग

MP Board Class 11th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 10 प्रेरक प्रसंग

प्रेरक प्रसंग अभ्यास प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

प्रश्न 1.
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ ने वृद्धा को अपनी रॉयल्टी के सारे पैसे किस भाव से दिये थे? (2010)
उत्तर:
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ ने वृद्धा भिखारिन को अपनी रॉयल्टी के सारे पैसे इस भाव से दिये थे कि वह फिर कभी भी भीख नहीं माँगेगी। वह इस राशि से कोई भी धन्धा कर लेगी। उसने ऐसा संकल्प लेते हुए कहा। ‘निराला’ जी ने उस बुढ़िया भिखारिन को एक सौ चार रुपये जो रॉयल्टी के मिले थे, वे सब उसे दे दिए और स्वयं खाली हाथ इक्के में बैठकर महादेवी के घर की ओर चल पड़े। इक्के का किराया भी महादेवी ने चुकाया।

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प्रश्न 2.
‘गरीबों का मसीहा’ कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है? (2008)
उत्तर:
‘गरीबों का मसीहा’ कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि इस समस्त मानव समाज में गरीबी और अमीरी की विषमता को दूर करने के लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए। जिससे हमारे बीच धनवान् और निर्धन का भेद मिट जाये। कोई भी व्यक्ति गरीब न रहे। इस गरीबी के कारण न जाने कितने इस मनुष्य समाज में अपराध किये जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपनी भूख मिटाने के लिए भीख माँगने को अपना धन्धा न बनाये। तब ही ‘गरीबों का मसीहा’ का उद्देश्य सफल हो सकेगा। अन्यथा गरीबी में धनवान् बनकर मसीहा कोई भी नहीं बन सकता। उस व्यक्ति को त्याग करना पड़ता है, परिश्रम करना पड़ता है। परिश्रम से प्राप्त धन गरीबों में वितरित किया जाये, तभी गरीबों का मसीहा स्वयं को सिद्ध कर सकता है। मसीहा कभी भी अपने साथी मनुष्यों की गरीबी को देख नहीं सकता। गरीबी में मसीहा को तो गरीब बनकर ही जीना पड़ता है क्योंकि उनकी गरीबी, उनकी दरिद्रता उनसे (मसीहा से) देखी कहाँ जाती है?

प्रश्न 3.
आपके मतानुसार निराला जी का रॉयल्टी के सारे पैसे देने का निर्णय सही था या गलत, कारण सहित बताइए।
उत्तर:
हमारा मत है कि निराला जी द्वारा रॉयल्टी के सारे पैसे वृद्धा भिखारिन को दिया जाने का निर्णय गलत था। इसके सन्दर्भ में निम्नलिखित कारण स्पष्ट रूप से दिये जा रहे हैं-
(1) ‘निराला’ जी ने अपनी रॉयल्टी के सारे रुपये (एक सौ चार) भीख माँगने वाली वृद्धा को इस संकल्प के साथ दिये कि वह फिर कभी भी भीख नहीं माँगेगी। वह उन रुपयों से कोई धन्धा कर लेगी।

अब यहाँ यह विचार करना है कि वह बूढ़ी भिखारिन कौन-सा कार्य कर सकती है जिससे उसका स्वयं का भरण-पोषण हो सके। उस वृद्ध अवस्था में उसके हाथ-पैर चलते नहीं हैं, निश्चय ही वह कोई भी कार्य नहीं कर पायेगी। रॉयल्टी के दिये गये रुपयों को अपनी निकम्मी सन्तान के ऊपर ही खर्च कर डालेगी और उन पैसों को खर्च कर देने के उपरान्त भीख माँगने के लिए सड़क के किनारे फिर बैठ जायेगी।

(2) उस वृद्धा से उन रुपयों को उसकी सन्तान छीन लेगी और उस वृद्धा को पुनः भीख माँगने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

(3) प्रायः देखा गया है कि इन भिखारिन बनी औरतों पर कोई अभाव नहीं होता। वे भीख माँगने की आदत से मजबूर हो जाती हैं और बदस्तूर भीख माँगती रहती हैं।

(4) ऐसे भिखारी अपने भीख माँगने के स्थान को बदल देते हैं लेकिन अपने भीख माँगने के धन्धे को नहीं बदलते।

(5) मैंने खुद ऐसे भिखारियों को देखा है, जो भीख न माँगने का वायदा करते रहे हैं; परन्तु उन्होंने अपने इस काम को नहीं छोड़ा है। इस भीख माँगने को उन्होंने अपना व्यवसाय बना रखा है। वे अपने असली रूप को भिखारी के वेश में बदल देते हैं और समाज के लोगों को निर्धनता के होने का स्वांग करते हुए प्रदर्शित करते हैं।

(6) इन भिखारी बने लोगों को किसी भी तरह के रोजगार से लगाने की आपकी चेष्टा अवश्य विफल होगी। इसके कारण हैं-एक तो वे काम न करने की आदत में ढल गये हैं। दूसरे वे जहाँ भी रोजगार प्राप्त करने जाते हैं, वहाँ से चोरी करके भाग जाते हैं, या काम पर लौटकर नहीं आते।

इस तरह इन भीख माँगने वाले लोगों ने पूरे भारतीय समाज को कलंकित किया हुआ है। अतः मेरा मत तो यही है कि निराला द्वारा दिया गया रॉयल्टी का पैसा व्यर्थ गया। उनका निर्णय परिस्थितियों के प्रतिकूल था, अव्यावहारिक था। इस दिए गये दान का कोई सुफल प्राप्त होने का नहीं दिखता।

प्रश्न 4.
“अर्थोपार्जन मेरा ध्येय नहीं है। गरीबी मेरी शान है।” इस कथन के भाव अपने शब्दों में लिखिए। (2016)
उत्तर:
“अर्थोपार्जन मेरा ध्येय नहीं है। गरीबी मेरी शान है।” इस कथन को स्पष्ट करते हुए यह कहा जा सकता है कि जहाँ तक धन कमाने का प्रश्न है, धन तो कमाया जा सकता है। लेकिन धन को कमाने के उपाय कैसे होंगे, इन अपनाये गये उपायों का स्वरूप कैसा होगा इसका निर्धारण करना महत्त्वपूर्ण बात है।

श्री बालमुकुन्द गुप्त ‘भारत-मित्र’ नामक दैनिक मित्र के सम्पादक हैं। उनकी साख एक ईमानदार एवं परिश्रमी सम्पादक की है। लोग उनके सच्चे सम्पादकत्व में बेईमानी अथवा भ्रष्टता की दुर्गन्ध होने का विश्वास नहीं करते। अतः अपने परिष्कृत एवं परिमार्जित सम्पादकत्व की गरिमा को उन्होंने अपने सदाचार और परिश्रम से सुरक्षित किया है। वे धन कमाने का ध्येय बनाते तो कोई भी गलत आचरण का उपयोग करके धन अर्जित कर सकते थे, लेकिन अपने स्थापित आदर्शों के परिपालन के लिए उन्होंने गरीबी में जीवनयापन करना उचित समझा। यह निर्धनता कोई ऐसी खराब अवस्था नहीं होती जिससे व्यक्ति व्यथित होकर गलत आचरण करे। ईमानदारी से परिपूर्ण एवं सच्ची लगन से किये गये परिश्रम से उस निर्धनता को दूर किया जा सकता है और वह व्यक्ति समाज में शानदार और इज्जतदार व्यक्ति का सम्मान पा सकता है।

गरीबी में अच्छे-अच्छे महान् कार्यों का सम्पादन करते हुए लोगों को देखा है। उन्होंने अपने आदर्शों का पालन किया है। वे समाज के लिए बड़े ही उपयोगी सिद्ध हुए हैं।

श्री बालमुकुन्द जी गुप्त ने इस गरीबी को अपना प्राण और शान के रूप में धारण किया है, वरण किया है, स्वीकार किया है क्योंकि वे समाज के लोगों से अपने आपको अलग प्रदर्शित करते हुए जीवित रहना नहीं चाहते। भारत का आम नागरिक गरीब है। सम्पादक जी अपने पत्र में अपने इस ईमानदार पेशे से लोगों को सच्ची सूचना देकर उन्हें गुमराह करना नहीं चाहते। एक सम्पादक समाज और देश का सजग प्रहरी होता है। देश के प्रत्येक नागरिक को सही दिशा निर्दिष्ट करता है। उन्हें इंगित करता है कि उचित मार्ग क्या है? सच्ची घटना क्या है? वे चाहते तो कितना ही मनमाना धन अर्जित कर सकते, केवल अपने आदर्श को छोड़कर, सिद्धान्तों में परिवर्तन करके। उनमें इस बात की चाहना है, एक ललक है कि आम नागरिक के दुःख-दर्द को एक सम्पादक समझे और अनुभव करे। यही अनुभव उनके साहित्य को सप्राणता प्रदान करते हैं। अत: गरीबी की अनुभूति समाज के स्तर पर, उसके सतही रूप में गहरी अनुभूति देती है जो व्यक्ति की शान के रूप में उसके चरित्र को उभारकर रखती है।

प्रश्न 5.
“बालमुकुन्द जी भारत के एक आम नागरिक का जीवन जीना चाहते थे।” इस कहानी के आधार पर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्री बालमुकुन्द गुप्त ‘भारत-मित्र’ जैसे प्रतिष्ठित अखबार के सम्पादक हैं। वे फटेहाली का जीवन जी रहे हैं। वे बहत सस्ते और कम कीमत के वस्त्र पहनते हैं और अपने घर के सभी सदस्यों को मितव्ययिता से जीवन बिताने की सुशिक्षा देते हैं। वे फिजूलखर्ची को अच्छी आदत नहीं मानते हैं। धन को तो किसी भी तरह कमाया जा सकता है, लेकिन फिजूलखर्ची से उसका उपयोग अच्छे रूप में नहीं किया जा सकता, ऐसा उनका मत है।

वे जो भी सिद्धान्त या आदर्श स्थापित करते हैं, या उनको प्रस्तावित करते हैं, वे सबसे पहले अपने ऊपर, अपने परिवार के सदस्यों के ऊपर व्यवहार में लाये जाते हैं। इसका एक कारण है, वह है एक सजग सम्पादक जो अपने परिवेश अपने समाज और देश (राष्ट्र) की नीति और रीति से जुड़ा रहता है। इसके विपरीत चलने पर वह अपने आम नागरिक होने के सिद्धान्त का कोरा ढिंढोरा ही पीटता रहता है।

एक सम्पादक का उत्तरदायित्व होता है आम नागरिक के दुःख-दर्द को समझने का, उन दुःख-दर्दी में अनुभूतिपरक सहयोग का। इन सभी दशाओं में एक सुयोग, सफल और सच्चा सम्पादक वही है जो आम नागरिक को कम से कम परिस्थिति के अनुसार उचित मार्ग निर्देशन देकर सहयोग करे। यही अनुभव सम्पादकीय साहित्य में संजीवनी घोलते हैं और सम्पूर्ण समाज को सचेष्ट और क्रियाशील बनाते हैं। वे एक सच्चे नागरिक के रूप में उभर कर आते हैं तथा राष्ट्र रूपी भवन की ऊँचाइयों को प्राप्त करने के लिए मजबूत स्तम्भ सिद्ध होते हैं।

आम नागरिक का जीवन किसी भी व्यक्ति को चाहे वह साहित्यकार हो या समाज सेवी हो या संस्थागत कर्मचारी-उन सभी का यह सद्कर्त्तव्य होता है कि वे अपने आचरण से, व्यवहार से, लोगों को सच्ची दिशा इंगित करते चलें। अन्याय के कुमार्ग से बचते हुए सन्मार्ग के पथिक होकर वास्तविकताओं को स्वीकारते हुए विकास पथ का अनुसरण करें। आम नागरिक का जीवन इन सभी सामाजिक संस्थानों के सेवकों के आचरण-व्यवहार से प्रभावित होता है। आम नागरिक वस्तुतः गरीबी, साधनहीनता, अशिक्षा के अभिशाप से संतृप्त है, तो फिर बताइये बालमुकुन्द गुप्त जैसे सचेष्ट, सजग सम्पादक स्वयं किस तरह आम नागरिक से अलग प्रभाव से प्रभावित हों। अशिक्षा को मिटाने का उनका ध्येय पूर्ण हो सकेगा, लोग गरीबी से मुक्ति पायेंगे, उनकी समृद्धि के साधन जुटाये जायेंगे-केवल उन्हें सुदिशा, इंगित की जाए। उन्हें सच्ची और सही सूचना प्रदान की जाये।

सही दिशा निर्दिष्ट करना, सच्ची, सही सूचना देना एक सम्पादक का सद्धर्म है। अतः अन्याय से बचकर न्यायमार्ग का अनुसरण करके ही आम आदमी (नागरिक) का जीवन जीवित रहा जा सकता है।

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प्रेरक प्रसंग अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि ‘निराला’ के अनुसार मानवता कहाँ से आती है?
उत्तर:
कवि ‘निराला’ के अनुसार मानवता हृदय की विशालता से आती है, भौतिक सम्पन्नता से नहीं।

प्रश्न 2.
‘गुप्त जी’ का पूरा नाम क्या था? वह किस अखबार के सम्पादक थे?
उत्तर:
‘गुप्त जी’ का पूरा नाम श्री बालमुकुन्द गुप्त था। वह भारत मित्र’ नामक हिन्दी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक थे।

प्रेरक प्रसंग पाठ का सारांश

1. गरीबों का मसीहा पाठ का सारांश

प्रस्तावना-ईश्वर की सृष्टि में विषमता :
निर्धनता सिर पर चढ़कर बोलती है। इस संसार में कोई धनवान है, तो कोई निर्धन। कोई कुछ भी काम नहीं करता फिर भी मौज की जिन्दगी जीता है और कोई दिन-रात परिश्रम करते-करते दो जून की रोटी को तरसता है। परिस्थितियों से समझौता, उसकी लाचारी है। इस संसार में यह विषमता कब तक चलती रहेगी, इसका उत्तर किसी के पास भी नहीं है।

सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ :
गरीबों के मसीहा-निराला जी कई दिनों से उपवास कर रहे थे और पैदल भी चले जा रहे थे। वे दुनिया से दीनता, गरीबी को मिटाने सम्बन्धी विचारों जिससे इक्का ताँगा कर लेते। वे गरीबों के मसीहा थे। अत: उन्हें भी गरीब बनकर जीना है। वे गरीबों की दरिद्रता देख नहीं सकते थे। स्वयं मौज मारे, दूसरे भाई भूखे नंगे रहे, ऐसा वे स्वप्न में

भिखारिन की सहायता :
वे भूखे थे, लीडर प्रेस-दारागंज चले जा रहे थे। सोचते थे कि प्रेस से रॉयल्टी के कुछ पैसे मिलें, तो वे अपनी भूख मिटाएँ। रॉयल्टी के 104 रुपये प्राप्त हुए; इक्के पर सवार हो लिए और अपनी मुँह बोली बहन महादेवी के घर पहुँचने ही वाले थे कि एक करुण पुकार उनके कानों में पड़ी, तो इक्का रुकवाया, स्वयं उतरे और सड़क किनारे बैठी भिखारिन के पास जा पहुंचे। उनके हृदय में करुणा जाग गई, बोले माँ! हमारे रहते तुम्हें भीख माँगनी पड़ती है, ऐसा नहीं हो सकता।

भीख न माँगने का संकल्प :
बुढ़िया ने अपने कमजोर स्वर में कहा कि मैं बुढ़ापे की कमजोरी में कुछ कर नहीं सकती। सन्तान ने दूध से निकाली मक्खी की तरह मुझे फेंक दिया है। विवशता से भीख माँगकर खाती हूँ। कवि ने कहा कि एक रुपया दूं तो कब तक भीख नहीं माँगोगी। यदि पाँच रुपये दूं तो कब तक ? बुढ़िया ने उत्तर दिया एक दिन और पाँच दिन क्रमशः

इस पर कवि निराला ने कहा कि यदि एक सौ चार रुपये दे दिये जाएँ तो कब तक भीख नहीं माँगनी पड़ेगी? बुढ़िया का उत्तर था कभी नहीं। वह कोई धन्धा कर लेगी। इसका संकल्प उस बुढ़िया ने ले लिया।

उपसंहार :
निराला जी, खाली जेब ही महादेवी के घर पहुँचे और इक्के का भाड़ा भी महादेवी को देना पड़ा क्योंकि उनके पास फूटी कौड़ी भी नहीं थी। उनकी आत्मा आज भी दहाड़ मारती हुई कहती है कि मानवता हृदय की विशालता से आती है; भौतिक सम्पन्नता से नहीं।

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2. आदर्शवादी बिक नहीं सकता पाठ का सारांश

प्रस्तावना :
श्री बालमुकुन्द गुप्त ‘भारत-मित्र’ जैसे प्रतिष्ठित अखबार के सम्पादक थे। उनके दरवाजे को किसी ने खटखटाया। अन्दर कमरे में नीचे फर्श पर दरी बिछाकर बैठे हुए श्रीगुप्त जी चौकी पर कागज रखकर लिख रहे थे। तब उन्होंने छोटे पुत्र को आवाज दी और कहा, “देखना बेटा! कौन आये हैं?”

छोटे बेटे ने दरवाजा खोला और एक सज्जन अन्दर प्रविष्ट हुए। गुप्त जी उन्हें देखकर खड़े हो गये और पूछा कि हे मित्र! बहुत दिन बाद दिखाई दिए हो, आजकल कहाँ हो और क्या कर रहे हो?

आगन्तुक पुराने मित्र :
जो सज्जन आये हुए थे, वे गुप्तजी के पुराने मित्र थे। भारत-मित्र’ हिन्दी दैनिक के सम्पादक श्री बालमुकुन्द गुप्त की कमीज पीछे दीवार पर खूटी पर टंगी हुई थी। वह कमीज बहुत हल्के और सस्ते कपड़े की सिली हुई थी। गुप्त जी मोटी निब वाली सस्ते दामों वाली कलम से लिख रहे थे।

आगन्तुक महोदय ने सभी वस्तुओं को, घर के वातावरण को बड़ी बारीकी से देखा। सज्जन अपने मन्तव्य की बात कहना ही चाहते थे कि गुप्त के ज्येष्ठ पुत्र ने कमरे में प्रवेश किया और बाजार से खरीद कर लाई गई दो कमीजों को अपने पिताजी श्री गुप्त जी के सामने रखा।

मितव्ययिता की सीख :
गुप्त जी ने कहा कि कमीज तो अच्छी है लेकिन है कितने की? बेटे ने कमीज का मूल्य बताया चार रुपये ! गुप्त जी को विस्मय हुआ और आपत्ति के स्वर में कहा कि कमीज को इतना महँगा क्यों खरीदा? इतने रुपये में तो घर के सभी सदस्यों के लिए कपड़े बन सकते थे। इसी बीच आगन्तुक महादेय ने कहा कि गुप्त जी बच्चे हैं, “यदि वे इस समय नहीं खायेंगे, नहीं पीयेंगे और नहीं पहनेंगे, तो फिर ये कब खाएँगे और पहनेंगे।”

फिजूलखर्ची को रोकना :
गुप्तजी ने कहा- यह तो सरासर फिजूलखर्ची है। महँगे कपड़े पहनने की सामर्थ्य हमारे परिवार में नहीं है। रह जाती है बात खाने-पीने की उम्र का सम्बन्ध भी मितव्ययिता से होना चाहिए। मितव्ययिता भी इसी समय सीखनी है।

धन की कमी की पूर्ति :
आगन्तुक महोदय बोले कि धन की कमी से होने वाली कठिनाई को तो मैं दूर करे देता हूँ। मैं इसलिए ही तो आपके पास आया हूँ। इतना कहते ही आगन्तुक मित्र महोदय ने पाँच हजार रुपये उनकी चौकी पर रख दिये।

विस्मय :
गुप्त जी यह देखकर चौंक पड़े और लगा कि उनके शरीर पर सैकड़ों साँप और बिच्छू रेंग गये हों। विस्मय से फटे नेत्र वाले गुप्त जी ने यह देखते हुए कहा-क्या मतलब?

दो धनवानों के बीच मुकद्दमा :
आपको विहित है कि यहाँ की फौजदारी की अदालत में दो धनवान व्यक्तियों के बीच मुकद्दमा चल रहा है। दोनों पक्षों से सम्बन्धित सनसनीपूर्ण विवरणों द्वारा अपने पत्र के माध्यम से उनका समर्थन करें, तो उन लोगों को लाभ मिल सकता है। इसी के लिए उनकी ओर से आपके पास भेंट लेकर आया हूँ।

गरीबी मेरी शान है :
गुप्त जी ने धीरे से लेकिन गम्भीर स्वर में कहा-‘मित्र ! तुम गलत समझते हो। अगर धन कमाना ही मेरा ध्येय रहा होता; तो आप जो अभी चारों ओर घूर-चूर कर देख रहे थे और मेरी गरीबी पर आश्चर्य कर रहे थे। वह नहीं होता। गरीबी मेरी शान है। मैंने अपनी इच्छा से ही इसका (गरीबी का) वरण किया है। इसका कारण यह है कि मैं आम नागरिक से एक होकर जीवन जीना चाहता हूँ। उसके दुःख-दर्द को समझने की और अनुभव करने की ललक है। यही अनुभव मेरे साहित्य को प्राण देते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो गरीबी मेरे प्राण हैं। यह भी अन्याय की खातिर कदापि सम्भव नहीं।”

उपसंहार :
गरीबी की गरिमा का गान सुनकर बेचारे मित्र महोदय, अपना रुपया उठाकर चलते बने और गुप्त जी पुनः लेखन में व्यस्त हो गये।

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MP Board Class 11th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 9 इत्यादि

MP Board Class 11th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 9 इत्यादि

इत्यादि अभ्यास प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

प्रश्न 1.
‘इत्यादि’ शब्द का जन्म कब हुआ था? इसके माता-पिता के विषय में भी जानकारी दीजिए। (2017)
उत्तर:
‘इत्यादि’ के जन्म का सन्, संवत्, दिन की जानकारी ‘इत्यादि’ को भी नहीं है। लेकिन यह तो कहा जा सकता है कि जब शब्द का महा अकाल पड़ा था, तो उस समय ‘इत्यादि’ का जन्म हुआ था। इसकी माता का नाम ‘इति’ और पिता का नाम ‘आदि’ है। इसकी माता अविकृत ‘अव्यय’ घराने की है। इसके लिए यह थोड़े गौरव की बात नहीं है क्योंकि भगवान् फणीन्द्र की कृपा से ‘अव्यय’ वंश वाले प्रतापी महाराज ‘प्रत्यय’ के कभी आधीन नहीं हुए। वे सदा स्वाधीनता से विचरते आये हैं।

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प्रश्न 2.
ज्योतिषियों ने ‘इत्यादि’ के विषय में क्या भविष्य फल बतलाया था?
उत्तर :
जब ‘इत्यादि’ एक बालक था, तब इसके माँ-बाप ने एक ज्योतिषी से इसके अदृष्ट ‘भविष्य’ का फल पूछा। उन्होंने कहा था कि यह लड़का (इत्यादि) विख्यात और परोपकारी होगा। अपने समाज में यह सबका प्यारा बनेगा। परन्तु इसमें दोष है तो बस इतना ही कि यह कुँवारा ही रहेगा। विवाह न होने से इसके बाल-बच्चे नहीं होंगे। यह सुनकर माँ-बाप को पहले तो थोड़ा दुःख हुआ। पर क्या किया जाय ? होनहार ही यह था।

प्रश्न 3.
‘इत्यादि’ में सबसे अच्छा गुण क्या है? स्पष्ट कीजिए। (2014)
उत्तर:
‘इत्यादि’ में सबसे अच्छा गुण है कि क्या राजा, क्या रंक, क्या पण्डित, क्या मूर्ख, किसी के भी घर आने-जाने में ‘इत्यादि’ को कोई संकोच नहीं होता है और अपनी मानहानि नहीं समझता। अन्य शब्दों में यह गुण नहीं है। वे बुलाने पर भी कहीं जाने-आने में बड़ा गर्व करते हैं। बहुत आदर चाहते हैं जाने पर सम्मान का स्थान न पाने पर रूठकर उठ भागते हैं। इत्यादि में यह बात नहीं है। इसी से यह शब्द सबका प्यारा है।।

प्रश्न 4.
कठिनाई के समय इत्यादि’ शब्द वक्ता की किस प्रकार सहायता करता है?
उत्तर:
कठिनाई का समय वक्ता पर उस समय होता है जब वे किसी विषय को जानते नहीं, या भाषण के मध्य किसी बात को भूल जाते हैं। ऐसी दशा में उनकी सहायता करना या उनके मान की रक्षा करना ‘इत्यादि’ का ही काम होता है। वे उस दशा में भूली हुई शब्दावली को अपनी स्मृति में पुनः लाने का प्रयास करते हैं परन्तु उसे स्मरण नहीं कर पा रहे, तो उस दशा में वे महोदय पसीना-पसीना हो जाते हैं, चिन्ता के समुद्र में डूबने की नौबत आ जाती है, तब ‘इत्यादि’ शब्द ही उनकी नैया पार कराने को आगे आता है। ‘इत्यादि’ का यह परोपकारी स्वरूप है। इस शब्द को बुलाने की जरूरत नहीं, वह बिना बुलाए, उन महोदय की सहायता के लिए तैयार रहता है।

प्रश्न 5.
“भिन्न-भिन्न भाषाओं के शब्द भण्डार में ‘इत्यादि’ का नाम भिन्न-भिन्न है।” उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
आजकल ‘इत्यादि’ का महत्त्व बढ़ता जा रहा है, क्योंकि लोगों के पास शब्द की दरिद्रता बढ़ गयी है। अतः ‘इत्यादि’ का सम्मान बढ़ जाना स्वाभाविक है। अतः आजकल ‘इत्यादि’ ही इत्यादि है। इत्यादि का सम्मान, शब्द समाज में किसी शब्द का नहीं है। होगा भी तो कोई विरला ही। सम्मान और आदर जो बढ़ा है उसके साथ इत्यादि’ के नामों की संख्या भी बढ़ रही है। आजकल ऐसे अनेक नाम हैं-भिन्न-भिन्न भाषाओं के ‘शब्द समाज’ में इत्यादि का नाम भी भिन्न-भिन्न है। ‘इत्यादि’ का पहनावा भी भिन्न-भिन्न है-अत: जैसा देश वैसा ही वेश बनाकर इत्यादि सभी जगह विचरण करता है। स्थान कोई भी हो ‘इत्यादि’ शब्द विलायत के पार्लियामेन्ट में, महासभा में भी यह शब्द ‘इत्यादि’ भिन्न रूप में लोगों की सहायता के लिए बैठा है। भिन्न रूप में इत्यादि का बगैरह-बगैरह, इत्यलम् (संस्कृत में) आदि इसके अन्य रूप और उदाहरण हैं।

इत्यादि अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘इत्यादि’ शब्द इत्यादि क्यों कहलाया?
उत्तर:
‘इत्यादि’ शब्द इसके दो जनक शब्दों ‘इति’ और ‘आदि’ से मिलकर बना है। अतः इसे इत्यादि कहा जाता है।

प्रश्न 2.
‘इत्यादि’ शब्द क्या-क्या कार्य करता है?
उत्तर:
‘इत्यादि’ शब्द मूर्ख को पंडित बनाता है, जिसे युक्ति नहीं सूझती उसे युक्ति सुझाता है। लेखक को यदि भाव प्रकट करने की भाषा नहीं जुटती तो भाषा जुटाता है। कवि को उपमा बताता है, इत्यादि-इत्यादि।

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इत्यादि पाठ का सारांश

प्रस्तावना :
‘इत्यादि’ शब्द का प्रयोग बड़े सम्मान के साथ वक्ता (भाषण देने वाले) और लेखक दोनों ही करते रहे हैं। सभा का आयोजन किया जा रहा हो, अथवा किसी सोसाइटी में किसी विषय पर भाषण दिया जा रहा हो या वार्ता का आयोजन किया जा रहा हो, तो वहाँ वक्ता महोदय ‘इत्यादि’ का प्रयोग करने से नहीं चूकते।

लेखक अनेक पुस्तकों का सृजन करता है, वक्ता अनेक तरह के भाषण देता है लेकिन इन दोनों में से कोई भी ‘इत्यादि’ शब्द की व्युत्पत्ति कैसे हुई, इस पर कोई भी वार्ता या सूत्र लिखना नहीं चाहता। वक्ता भी अपने वार्तालाप के दौरान ‘इत्यादि’ का प्रयोग तो करता है लेकिन उसकी निष्पत्ति और सृजन के ऊपर कुछ भी बताने से बचता है। ‘इत्यादि’ शब्द अपने आप ही अपनी प्रशंसा करने से हिचकता है और यह बात स्पष्ट होती है कि ‘इत्यादि’ का प्रयोग वे ही लोग ज्यादातर करते हैं जिनके पास अपनी बात स्पष्ट करने के लिए शब्दों की कमी होती है या उन्हें शाब्दिक दुनिया की दरिद्रता भोगनी पड़ रही है।

‘इत्यादि की व्युत्पत्ति :
‘इत्यादि’ शब्द की व्युत्पत्ति किस समय हुई इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है। वक्ता या लेखक अपनी भावना या अपने विचार व्यक्त करना चाहता है, लेकिन उस भाव को व्यक्त करने को उसके पास कोई शब्द न हो, तो उस स्थिति में ‘इत्यादि’ शब्द का प्रयोग करता है, बस, यही वह अवसर या क्षण होता है, तब ‘इत्यादि’ शब्द का जन्म होता है। इत्यादि का विग्रह-इति और आदि होता है। ‘इति’ अव्यय है और ‘आदि’ प्रत्यय । अतः इत्यादि में अव्यय और प्रत्यय का योग है जो अपने प्राकृत रूप में मिलकर अपना नया शब्द व्युत्पन्न करते हैं और उसका अर्थ भी फिर एक ही होता है। ‘इत्यादि’ शब्द का अर्थ इति और आदि दोनों के मेल से है। प्रत्येक के अलग-अलग रूप से नहीं। इत्यादि से आगे और भी फिर कुछ भी नहीं कहा जाता। तात्पर्य यह है कि इति और आदि दोनों मिलकर ‘इत्यादि’ बनते हैं लेकिन फिर इससे आगे बढ़कर कुछ भी नहीं।

प्राचीनकाल में इत्यादि का प्रयोग :
पुराने जमाने में इत्यादि का प्रयोग बहुत कम होता था, अतः ‘इत्यादि’ इतना प्रचलित नहीं था, जितना आजकल। इसका कारण था कि लोगों के पास शब्द भण्डार की कमी नहीं थी। वे लोग बुद्धिमान थे, उनके पास शब्दों की दरिद्रता नहीं थी। अब लोग चाहे विदेशों की पार्लियामेन्ट हो, या अपने ही देश की कोई भी पार्टी हो-राजनैतिक, सामाजिक अथवा अन्य कोई। उसके जितने भी सदस्य होते हैं, वे धड़ाधड़ इत्यादि का प्रयोग बेहिचक करते हैं क्योंकि उनके पास तत्सम्बन्धी शब्दावली का अभाव है। विद्वान हो, मूर्ख हो, सभी की जीभ पर ‘इत्यादि’ विराजमान हो रहा है। गरीब हो धनवान् हो-सबकी यही दशा है। इसका अर्थ है लोग इत्यादि से प्यार करते हैं।

‘इत्यादि’ बड़ा सहायक :
‘इत्यादि’ शब्द का प्रयोग करते ही आगे कुछ भी बोलने, स्पष्टता देने या लिखने की आवश्यकता नहीं होती है। लेखक या वक्ता प्राचीन ग्रन्थकारों, विद्वानों, धर्मवेत्ता और दार्शनिकों के नाम यदि भूल जाता है तो कुछ के आगे ‘इत्यादि’ प्रयोग करके थोड़े समय में अपनी बात कहकर समाप्त कर देता है। इसके पीछे यदि बात है, तो उन लेखकों की विद्वानों की या वक्ताओं की अल्पज्ञता।

आलोचक-समालोचक :
किसी भी कृति में यदि कोई थोड़ा भी दोष हो तो आलोचक उस रचना की धज्जियाँ उड़ाकर उसको प्रचलन से अदृश्य करा सकता है। परन्तु एक समालोचक बुराइयों और अच्छाइयों के दौर में बीच का रास्ता निकालकर उस कृति को लोगों में प्रसिद्धि दिला सकता है। समालोचक या आलोचक अपनी स्वार्थपरता के वशीभूत होकर किसी भी कृति को श्रेष्ठ घोषित कर देते हैं।

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MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction

MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction

Human Reproduction Important Questions

Human Reproduction Objective Type Questions

Question 1.
Choose the correct answers:

Question 1.
The number of chromosome in human cell will be :
(a) 23
(b) 46
(c) 92
(d) 22
Answer:
(b) 46

Question 2.
The hormone estrogen is secreted by :
(a) Corpus luteum
(b) Graafian follicle
(c) Uterus
(d) Vagina.
Answer:
(b) Graafian follicle

Question 3.
The copulatory organ in female human being is :
(a) Fallopian tube
(b) Uterus
(c) Clitoris
(d) Vagina.
Answer:
(c) Clitoris

Question 4.
The gestation period in rabbit is about :
(a) 27 days
(b) 22 – 30 days
(c) 45 days
(d) 28 days.
Answer:
(b) 22 – 30 days

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Question 5.
Hormone secreted during delivery is:
(a) Progesterone
(b) Thyroxine
(c) Relaxin
(d) Glucocorticoid.
Answer:
(c) Relaxin

Question 6.
Blastopore is formed in :
(a) Gastrula
(b) Blastula
(c) Morula
(d) Nurmula
Answer:
(a) Gastrula

Question 7.
Number of parents involved in asexual reproduction is :
(a) Many
(b) Three
(c) Two
(d) One
Answer:
(d) One

Question 8.
Sertoli cells are found in :
(a) Kidney
(b) Ovary
(c) Liver
(d) Testis.
Answer:
(d) Testis.

Question 9.
Which two are found in human semen in more quantity :
(a) Ribos and potassium
(b) Fructose and calcium
(c) Glucose and calcium
(d) DNA and testosteron.
Answer:
(b) Fructose and calcium

Question 10.
Which part of the fallopian tube is nearest to ovary :
(a) Ampula
(b) Isthmus
(c) Infundibulum
(d) DNA and testosteron.
Answer:
(c) Infundibulum

Question 11.
In ovarian cycle of human ovulation is starts from :
(a) 1st day
(b) 5th day
(c) 14th day
(d) 28th day.
Answer:
(c) 14th day

Question 12.
Which hormone controls the sperm formation :
(a) ADH
(b) FSH
(c) LH
(d) STH.
Answer:
(b) FSH

Question 13.
Which is responsible for movement of sperm :
(a) Cilia
(b) Flagella
(c) Basal body
(d) Nucleosome.
Answer:
(b) Flagella

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Question 14.
Sperms are mature in :
(a) In oviduct
(b) In epididymis
(c) In vagina
(d) All of the above
Answer:
(b) In epididymis

Question 15.
Seminiferous tubules are found in :
(a) In testis
(b) In ovary
(c) In kidney
(d) In lungs.
Answer:
(a) In testis

Question 2.
Fill in the blanks :

  1. The nature of semen is ………………
  2. The male sex hormone testosterone is produced by ……………… in testis.
  3. The structure between placenta and foetus is called ………………
  4. Human being are ……………… breeders.
  5. The site of fertilization and implantation in human female is ……………… and ………………
  6. After ……………… year growth does not occur in girls.
  7. ……………… hormone is secreted during child birth.
  8. Segments of testis is consist of ……………… tubules.
  9. Testis starts the secretion of ……………… hormone at puberty.
  10. The process of fertilization is occurs in ……………… tube.
  11. ……………… provides the nutrition to embryo.
  12. ……………… hormones are secreted by graafian follicle.

Answer:

  1. Alkaline
  2. Leyding cells
  3. Umblical cord
  4. Continuous
  5. Oviducts, uterus
  6. 14
  7. Relaxin
  8. Seminiferous tubules
  9. Testosteron
  10. Follopean tube
  11. Placenta
  12. Estrogen and Progesteron.

Question 3.
Match the followings:
I.
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 1
Answer:

  1. (e)
  2. (d)
  3. (a)
  4. (c)
  5. (b).

II.
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 2
Answer:

  1. (b)
  2. (c)
  3. (d)
  4. (e)
  5. (a).

Question 4.
Write the answer in one word/sentences:

  1. How many sperms will be produced from 24 spermatocytes during spermatogenesis?
  2. Where does fertilization takes place in mammals?
  3. How many polar bodies are formed during the formation of one gamete?
  4. How many polar bodies are formed during the formation of ovum during oogenesis?
  5. Write the name of three layers of gastrula.
  6. Spermatogenesis is the example of.
  7. How many germ layers are found in gastrula stage?
  8. Write the duration of gastation period in human cases.
  9. How many autosomes are found in human sperm?
  10. Name the process in which formation and maturation of ova.
  11. Name the main store house of sperms.
  12. Skeletal muscle is originated by these layer.
  13. Name the process in which zygote starts dividing by specific mitotic divisions.
  14. In which month body hair developed in embryo.

Answer:

  1. 1.96
  2. Fallopian tube
  3. 2
  4. 3
  5. Ectoderm, Mesoderm and Endoderm
  6. Male gamete formation
  7. Three
  8. 280 days
  9. 22
  10. Oogenesis
  11. Epididymis
  12. Ectoderm
  13. Cleavage
  14. Fourth month.

Human Reproduction Very Short Answer Type Questions

Question 1.
After fertilization, how many days are needed for the birth of human child?
Answer:
280 days (9 months and 10 days).

Question 2.
To produce the new organisms of their own kind is called by a term, name it.
Answer:
Reproduction.

Question 3.
By which name, the reproduction happens by means of fusion of two different gametes?
Answer:
Sexual reproduction.

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Question 4.
Which gametogenesis goes on till life span in human beings after attaining puberty?
Answer:
Spermatogenesis.

Question 5.
The stoppage of menstrual cycle in a 50 yrs. old female is known as.
Answer:
Menopause.

Question 6.
What is pregnancy?
Answer: The time period between fertilization to the birth of child is called pregnancy.

Question 7.
Where is carpora cavernosa found?
Answer:
Carpora cavernosa is found in penis.

Question 8.
What is the gestation period in elephant, dog and cat?
Answer:
Elephant 641 days, dog 58 – 68 days, cat 63 days.

Question 9.
Name the hormone that relaxes pubic symphysis during parturition.
Answer:
Relaxin hormone.

Human Reproduction Short Answer Type Questions

Question 1.
Why testes are found outside the abdominal cavity in males?
Answer:
In male, one pair of testes are found in the scrotum or scrotal sac, which are situated outside the abdomen. Temperature of this scrotum is always 2°C less than the body temperature, which is suitable for formation and growth of sperm, otherwise spermatogenesis will not occur. Therefore, testes are situated outside the abdomen in man.

Question 2.
What will happen if leydig cells of testis in males are destroyed?
Answer:
The endocrine cells of the testis are the leydig cells, they are situated in between the seminiferous tubules. Leydig cells secrete the male sex hormones androgens. Testes secrete four types of androgens:

  1. Testosterone
  2. Androsterone
  3. Epiandosterone and
  4. Dihydroepiandrosterone.

Out of these male sex hormone is testosterone.

Functions of Testosterone:

  1. Testosterone stimulates testes to descend into the scrotum in embryos.
  2. It helps in the development of secondary sexual characters.
  3. Stimulates spermatogenesis.

If leydig cells are removed from the body of males, then the above mentioned functions will stop.

Question 3.
Describe the structure of human egg.
Or
Draw neat well – labelled diagram of human ovum which is ready for fertilization.
Answer:
The egg of human being is rounded and non – motile. It lacks yolk and contains a large Cytoplasm Zona pellucida. amount of cytoplasm. A nucleus (haploid) is present in the centre of egg. Whole egg is covered by a translucent and non – cellular membrane known as zona pellucida. The zona pellucida is irregularly covered by follicle cells. This layer is called as corona radiata. The cells of corona radiata are disintegrated before fertilization.
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 3

Question 4.
What is menstrual cycle ? Which hormones regulate menstrual cycle?
Answer:
The reproductive cycle in the female primates is called menstrual cycle. The uterus linings becomes thick and spongy to receive fertilised egg. If the egg is not fertilised, this lining is not needed any longer so, it slowly breaks and comes out through vagina along with blood and mucus. This is called menstruation. It is repeated at an average interval of about 28/29 days.

Following hormones regulate this cycle:

  1. Gonadotropin
  2. Estrogen
  3. Luteinizing hormone
  4. Follicular stimulating hormone
  5. Progesterone

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Question 5.
What is parturition? Which hormones are involved in induction of parturition?
Answer:
The process of delivery of the foetus (child birth) at the end of the pregnancy is called parturition. The signals for parturition originate from the fully developed foetus and the placenta which trigger the release of oxytocin from the maternal pitutary. Oxytocin acts on the uterine muscles and induces stronger uterine contractions leading to expulsion of the baby. Relaxin hormone released by the ovary widens the vagina to facilitate birth.

Following hormones are involved in induction of parturition:

  1. Cortisol
  2. Estrogen
  3. Oxytocin.

Question 6.
In our society the women are often blamed for giving birth to daughters. Can you explain why this is not correct?
Answer:
Women are blamed for giving birth to daughters. This is wrong because sex of the baby is determined by the sperm that can have either X or Y – chromosome. Women have only one type of chromosome (X) in all the ova.

  1. If the sperm having X-chromosome fertillises the ovum (X), the resulting zygote (XX) will become a female.
  2. If the sperm having Y-chromosome fertillises the ovum (X), the resulting zygote (XY) will become a male.

Question 7.
How many eggs are released by a human ovary in a month? How many eggs do you think would have been released if the mother gave birth to identical twins? Would your answer change if the twins born were fraternal?
Answer:
Only one egg is released by a human (female) ovary in a month. Only one egg is released if the mother gave birth to identical twins. Yes, two or more eggs are released in case fraternal twins are born.

Question 8.
Name the hormones involved in regulation of spermatogenesis.
Answer:
The hormones involved in regulation of spermatogenesis are:

  1. Gonadotropin releasing hormone
  2. Luteinizing hormone (LH)
  3. Follicle stimulating hormone and
  4. Testosterone.

Question 9.
Define spermiogenesis and spermiation.
Answer:
Spermiogenesis:
The process involving transformation of spermatid into spermatozoa is called spermiogenesis.

Spermiation:
After spermiogenesis, sperm heads became embedded in the sertoli cells and are finally released from the seminiferous tubules by the process called spermiation.

Question 10.
Give composition of seminal plasma.
Answer:
Composition of seminal plasma : Fructose, calcium ion, some enzymes prostaglandins.

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Question 11.
Draw a labelled diagram of male reproductive system.
Answer:
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 4

Question 12.
Draw a labelled diagram of female reproductive system.
Answer:
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 5

Question 13.
Write two major functions each of testis and ovary.
Answer:
Functions of Testis:

  1. Production of sperms by seminiferous tubules.
  2. Production of male sex hormone, testosterone by leydig cells.

Functions of Ovary:

  1. Production of ova (eggs).
  2. Production of female sex hormones, estrogen and progesterone.

Question 14.
Explain menarchy or menopause.
Answer:
Menopause:
In every human female, puberty period starts from 12 – 13 yrs of age to 45 – 50 yrs of the age. During this period except pregnancy at every interval of a month during 26th day to 28th day. If pregnancy does not occur then the internal wall of the uterus secretes out mucilaginous liquid along with blood. Secretion continues for 3 – 4 days called menses. As it comes at definite period so, it is called menstruation cycle. At the age of 40 – 50 yrs. menses stop and females reach to a stage called menopause. Ability of pregnancy also stops after attaining menopause.

Question 15.
Draw a well labelled diagram of the T.S. of human testis.
Answer:
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 6

Question 16.
What is the position of fallopian tubule in female reproductive organs? What are their significance?
Answer:
Fallopian tubules are a pair of small muscular tubes, one each on either side of the uterus. These tubules extend from the vicinity of the ovary to the ovary. Each tubule is about 10 cm in length. The free end of each tube lies near the ovary of its side. This end is funnel shaped and fimbriated. It is called ostium and infundibulum. Infundibulum opens in the abdominal cavity by means of abdominal ostium. The fallopian tubule is kept in position by a mesentery which is attached to the uterus.

Significance or Functions of Fallopian Tubes:

  1. By their lashing movement of the cilia present in the lining of infundibulum and nearby area help in pulling the released ovum into fallopian tube.
  2. Passage of ovum into uterus is aided by muscular movement of fallopian tube as well as beating of cilia present in the lining layer of tube.
  3. Fertilization of ovum mostly takes place in the ampulla part of fallopian tube.

Question 17.
Draw a labelled diagram of a section through ovary.
Answer:
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 7

Question 18.
Draw a labelled diagram of a graafian follicle.
Answer:
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 8

Question 19.
Write the functions of the following :

  1. Corpus luteum
  2. Endometrium
  3. Acrosome
  4. Sperm tail
  5. Fimbriae

Answer:
The functions of the following:

1. Corpus luteum secretes large amount of progesterone which is essential for the maintenance of endometrium of the uterus.

2. Endometrium is necessary for the implantation of the fertillised ovum, for contributing towards making of placenta and other events of pregnancy.

3. Acrosome is filled with enzymes that help in dissolving the outer cover of the ovum and entry of sperm nucleus.

4. Sperm tail facilitates motility of the sperm essential for reaching the ovum to fertilise it.

5. Fimbriae are finger – like projections at the mouth of fallopian tubules that help in collection of the ovum after ovulation.

Human Reproduction Long Answer Type Question

Question 1.
Describe the structure of a seminiferous tubules.
Answer:
Seminiferous tubules are highly coiled tubes, which are lined on the inside by:
1. Male germ cells called spematogonia that undergo meiotic division to form sperm cells.
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 9

2. Sertoli cells provide nutrition and molecular signals to the germ cells.

Question 2.
What is spermatogenesis? Briefly describe the process of spermatogenesis.
Answer:
Spermatogenesis:
Formation of sperms in the testis is called as spermatogenesis. It involves in the following steps:

1. Multiplication phase:
In this phase, sperm cells are formed in testes. The inner layer of seminiferous tubules of testes is formed of germinal epithelium. Some of these cells called primary germ cells divide mitotically into spermatogonia which become separated in the germinal layer. Other cells of this layer serve as nutrition for the dividing cells.

2. Growth phase:
In this phase, spermatogonia starts growing, absorbing nutrient substances. These large cells are called primary spermatocytes.

3. Maturation phase:
It is a very important phase. Primary spermatocytes divide twice. The first division is meiotic due to which the number of chromosomes is reduced to half. In this process, primary spermatocyte divides into two halves which are known as secondary spermatocytes. The second division is mitotic and no change takes place in the number of chromosomes. Thus, from two secondary spermatocytes four spermatids are formed. In this manner from one primary spermatocyte four spermatids are formed. These spermatids change into sperm cells of spermatozoa by a process called metamorphosis.
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 10

Question 3.
Draw a labelled diagram of human sperm and explain its defferent parts.
Answer:
Structure of sperm:
A mature sperm is a delicate microscopic, motile structure. A typi¬cal mammalian sperm consists of the following three parts:

  1. Head
  2. Middle piece and
  3. Tail.

1. Head:
Head is knob like terminal part of the sperm. It is composed of a large nucleus and an acrosome. At the time of entry of the sperm into egg acrosome secretes spermlysin which dissolve the egg membrane and thus facilitates entry of sperm into the egg or ovum.

2. Middle piece:
It is short and lies between head and tail. It contains two granules called the proximal and distal centrioles in front side and towards posterior side cylindrical middle part of sperm. It is considered as the power house of sperm as it contains compact mass of mitochondria, which provides energy for metabolism and movement of sperm.
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 11
3. Tail:
It is situated on posterior part of sperm. It moves with the help of axial filament. The posterior part of the tail is called as end piece and it is not covered by membrane.

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Question 4.
What are the major functions of male accessory ducts and glands?
Answer:
The main functions of male accessory ducts and glands are as follows:

  1. Rete testis : They transport sperms from seminiferous tubule to vas efferentia.
  2. Vas efferentia : Transports sperms to epdidymis.

Question 5.
Describe oogenesis with suitable diagram.
Or
Explain the different phases of oogenesis with ray diagram.
Or
What is oogenesis? Describe its various phases.
Answer:
The process of formation of ova from oogonia in the ovaries is called oogenesis. It consists of three phases:

  1. Multiplication phase
  2. Growth phase and
  3. Maturation phase.

1. Multiplication phase:
The primordial germ cells divide by mitosis to produce oogonia. These oogonia divide by repeated mitotic divisions forming clusters of oogonia called ovigerous cords. These lie close to germinal epithelium. When oogonia stop dividing they are called oocytes. In each cluster of oocytes only one enters to the growth phase and is known as primary oocyte, while the remaining oocytes form follicle cells and provide nourishment to the developing ovum, the primary oocyte.

2. Growth phase:
Growth phase of primary oocyte is very long. It varies from a few days to many years. It takes about 6 – 14 days in hen after ovulation, but three years in frog and in women all the oocytes are present at the time of birth but no one grows till the attainment of puberty, i.e., 12 – 14 years. However afterwards they grow one by one. During growth phase, following changes occur:

(i) Increase in size:
The primary oocyte increases many folds. For example, primary oocyte of the frog in the beginning has a diameter of about 50μ and on maturation it is about 1000μ to 2000μ. In man also on maturation oocyte increases in size about 7 times. The size increases due to the accumulation of reserve food like proteins and fats in the form of yolk. Due to heavy weight it is usually concentrated towards and lower portion of the egg forming vegetative pole. The portion of the cytoplasm with egg pronucleus remains often separated from the yolk and occurs towards the upper portion of the egg forming animal pole.

(ii) Number of mitochondria increases and in certain cases (birds, amphibia) they are concentrated in the same places to form mitochondrial clouds.

(iii) Increase the amount of ER and activity of golgi complex.

(iv) Synthesis of yolk or Vitellogenesis:
Chemically, yolk is a lipoprotein composed of protein, phospholipids and neutral fats along with little quantity of glycogen. The yolk is synthesized in the liver of female in soluble form and is transported through circulation to the follicle cells surrounding maturing ovum. From follicle cells it is absorbed by the ovum and is deposited in the form of yolk granules and platelets in the ooplasm. The mitochondria and golgi complex are said to be responsible for the conversion of soluble yolk into insoluble granules or platelets.

(v) Formation of thin vitelline membrane around the oocyte.

(vi) Increase the size of nucleus:
Due to the increase in the amount of DNA, nuclear sap and number of nucleoli, nucleus increases in size.

(vii) Gene amplification:
In growth phase the nucleolar genes which code for ribosomal RNA and are located in the nucleolar organizer region multiply to facilitate rapid synthesis of ribosomal RNA. This multiplication of genes without mitosis is known as gene amplification or redundancy.

3. Maturation phase:
In this phase, the nucleus of oocyte undergoes two maturation divisions. The first division is meiotic, as a result two haploid (n) cells are produced. In this division, cytokinesis is unequal, the large daughter cell with almost entire cytoplasm and yolk forms the secondary oocyte. While the smaller one with haploid nucleus (n) and almost without cytoplasm forms the first polar body which is given off from the surface of oocyte at the animal pole. The secondary oocyte with haploid number of chromosomes undergoes second maturation division or second meiotic division (it is meiotic division).
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 12
This division is also unequal the large one containing yolk is called ovum and small cell is the second polar body. The first polar body may also divide thus, producing total three bodies which degenerate soon. So, as a result of oogenesis only one functional ovum is formed from a primary oocyte. In most of the vertebrates, the first meiotic division occurs with the commencement of the growth phase, and second maturation division occurs when egg is activated by the entry of sperm.

Question 6.
Describe the structure of ovary.
Answer:
These are a pair of female gonads or primary sex organs lying one on each side of uterus. Ovary is attached to abdominal wall as well as utems by means of ligaments. It is surrounded by a fold of peritoneum named mesovarium. Ovary is internally differentiated into four parts : Germinal epithelium, tunica albuginea, cortex and medulla.

Germinal epithelium is the outermost layer of cuboidal to flattened cells. Germinal epithelium is followed by a sheath of condensed connective tissues which is termed as tunica albuginea. It is followed b.y cortex. The central part of ovary contains medulla. A large number of groups of specialized cells are present in the cortex which are termed as ovarian follicles. These follicles are found in four developmental stages.

1. Incipient follicle:
The central part of these follicles contains a large cell which is covered by many smaller cells.

2. Primary follicle:
These follicles are developed from incipient follicles.

3. Vascular follicle:
It is formed from primary follicles. The oocyte of these follicle is covered by a many layered thick wall.

4. Graafian follicle:
Mature ovarian follicle is termed as graafian follicle. It is covered by two sheaths derived from cortex. The follicle contains a single oocyte. A group of follicular cells surrounds the oocyte or ovum. It is called cumulus ovaricus. Another group produces membrane granulosa. Oocyte has two noncellular membranes, inner vitelline membrane and outer zona pellucida.
Note:
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 7

Question 7.
Describe the process of fertilization and give its significance.
Answer:
Fertilization:
Fertilization is the fusion of male and female gametes to produce a single diploid cell, called zygote. Fertilization in human female takes place in fallopian tube. In a sexual mating or coitus the male ejaculates semen into the vaginal passage of the female using the copulatory organ, the penis. In a single coitus as many as 200 million sperms are introduced into the female genital tract but out of this huge number of sperms only one is destined to fuse with the ovum, provided the fallopian tube lodges of fully developed secondary oocyte.

Sperms travel through the vaginal passage and enter the uterus through the cervix. They travel further through the uterus and finally enter the fallopian tube.The vaginal passage is highly acidic to prevent any bacterial infection but this acidic medium is not suitable for the survival of sperms. Many sperms die on the way. The liquid medium of the semen is alkaline which can neutralize the acidity of vagina to some extend and keep the sperms alive and active. The sperms move with the speed of 1-5 to 3 mm per minute.
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 13
The ovum gets surrounded by a large number of sperms but usually only one fuses with the ovum. The sperm penetrates the ovum using certain chemical substances of enzymatic nature.These chemicals are called spermlysins which are present in the acrosome. Certain receptors on the cell surface of the ovum enable the sperms to penetrate the wall of ovum. The ovum is surrounded by follicle cells.

These cells are joined together by a glue like substance known as mucopolysaccharide, an acid, called hyaluronic acid. The sperm produces spermlysin, known as hyaluronidase. The over all changes in a sperm before the fertilization is called capacitation. The hyaluronidase enzyme facilitates the sperm to pen-etrate through the corona radiata (follicle cells), zona pellucida and the plasma membrane of ovum. The nucleus and the cytoplasmic components get inside the ovum, leaving the tail outside. The entry of sperm stimulates the ovum and the signal is transmitted to the egg surface incapacitating all the other cells surrounding the ovum.

Nucleus of sperm move towards the nucleus of ovum and they fuses with each other to form zygote. It takes 2 – 2\(\frac { 1 }{ 2 }\) hours to complete fertilization process. Once the ovum has been fertilized a barrier forms around it that normally prevents other sperms from entering. Now fertilized egg reaches to the uterus and within seven days of fertilization it is transplanted to the wall of the uterus.

Significance of Fertilization:

  1. Egg becomes active after entry of sperm and completes its second maturation division.
  2. Formation of fertilization membrane prevent entry of other sperms in the ovum. In human this membrane is not formed.
  3. It restores the diploid number (2n) of chromosomes in the zygote.
  4. It combines characters of male and female resulting in the introduction of varia-tions. These variations make the offspring better equipped for struggle against environmental conditions to ensure the existence.
  5. The ovum is stimulated to cleavage.
  6. After fertilization ovum rotate inside the membrane.
  7. Ovum do not contain centriole and obtain it from sperm during this process thus zygote continuously divides.
  8. It is necessary for the egg to attain maturity.

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Question 8.
Describe development of embryo up to the formation of three germ layer. Give the names of organs formed by three germ layer.
Or
Define cleavage. Describe the changes that occur in embryo till gastrulation.
Answer:
The term cleavage refers to a series of rapid mitotic divisions of the zygote following fertilization forming a many celled blastula. Following are the various steps of embryonic development in human up to the formation of three germ layer:

1. Formation of morula:
The fertilized zygote divides. It undergoes successive quick mitotic cell divisions called cleavage. First cleavage is holoblastic, unequal and meridional. It divides the oyum completely into two unequal blastomeres. The plane of cleavage passes
through animal vegetal axis, i.e., it is meridional. Large blastomere divides little earlier than the small one giving a transitional three cell stage.

As a result of further cleavages, a solid mass of mulberry shaped embryo is formed called morula. Morula is of the size of zygote but consists of 32 cells. These cells are of two types , The outer layer of smaller cells around, inner larger cells. Within 72 hours of fertilization, morula reaches the uterus.
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2. Formation of blastula:
Transformation of morula into a blastula starts by the rearrangement of blastomeres. This leads to the formation of a central cavity inside the morula. The outer cells of morula absorb the nutritive fluid secreted by the uterine mu¬cous membrane and transform into trophoblast. The fluid absorbed by these cells collects in the central cavity called biastocoel. This cavity separates the trophoblast from the inner mass of larger cells except on one side and is termed blastocyst. The inner cell mass is pushed to one pole as a small knob. This knob gives rise to the embryo and is termed as embryonal knob.

3. Formation of gastrula:
In this embryonic stage development of three germ layer occurs. In this stage morphogenic movement of cells of embryo occurs, as a result of this three germ layers are formed. A cavity develops at the centre called as archenteron which opens outside through blastopore.

4. Formation of three germ layers:
MP Board Class 12th Biology Important Questions Chapter 3 Human Reproduction 15

Formation of endoderm:
The enlargement of blastodermic vesicle is followed by the separation of few cells from the inner cell mass. These cells push out from the blastocoel to become the initial cells of the innermost layer of gastrula, the pattern of a tube within a tube. The inner tube is called primitive gut. It is differentiated into gut tract which is within the body and a yolk sac that communicates with the gut of the embryo. The remaining cells of the inner cell mass are organized to form the embryonic disc.

Formation of mesoderm:
After the formation of endoderm an increased rate of cell proliferation takes place at the caudal end of the embryonic disc. This results in the localised increase in the thickness of the disc. These cells subsequently get detached from the embryonic disc and get organized to a well demarcated mesodermal layer.

Formation of ectoderm:
After the formation of endoderm and mesoderm, the remaining cells of the embryonic disc arrange themselves in a layer to form ectoderm.

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Question 9.
Write differences between spermatogenesis and oogenesis.
Answer:
Differences between Spermatogenesis and Oogenesis:

Spermatogenesis:

  • Sperms are produced by this process.
  • In this process primary spermatocytes are formed by maturation of germinal epithelium cells.
  • Primary spermatocyte divides to form four spermatids.
  • There is equal division.
  • Large number of sperms are formed by this process.

Oogenesis:

  • Ovums are produced by this process.
  • In this process primary oocytes are formed by maturation of germinal epithelium.
  • Primary oocytes divides to form one ovum and three polar bodies.
  • There is unequal division.
  • Less number of ovums are formed by this process.

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MP Board Class 11th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 8 काठमाण्डू दर्शन

MP Board Class 11th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 8 काठमाण्डू दर्शन

काठमाण्डू दर्शन अभ्यास प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

प्रश्न 1.
हिमालय के विषय में लेखक के विचार लिखिए।
उत्तर:
भारत से नेपाल की हवाई यात्रा गोरखपुर से सीमा पार करके हिमालय की तराई का प्रदेश शुरू होता है। यह प्रदेश वृक्षों का घना प्रदेश है। वृक्षों से ढंके वन लहराते समुद्र का दृश्य प्रस्तुत करते हैं।

हिमालय की श्रेणियाँ प्रबल आकर्षण की बिन्दु थीं। हिमालय को नगाधिराज हिमालय भी कहा जाता है। इससे भारत की अनेक पुराकथाएँ और उदात्त कल्पनाएँ जुड़ी हुई हैं। कालिदास, प्रसाद, पन्त और दिनकर के अनेक काव्य-विम्ब लेखक की चेतना में अनायास ही उद्बुद्ध होने लगे।

कालिदास ने तो हिमालय को पृथ्वी का मानदण्ड कह दिया। जो उनकी कल्पना के विराट स्वरूप का दिग्दर्शन है। हिमालय का सम्बन्ध शंकर भगवान से है, अतः इन प्रसंगों को कालिदास ने आनन्द-कल्पना के अंग बनाकर भव्य प्रस्तुति की है अपने ग्रन्थों में। कवि ने अपनी भक्ति के फूल इस हिमालय के सैकड़ों-हजारों बिम्बों के प्रति अर्पित किए हैं। परमश्रद्धेय जयशंकर प्रसाद जी ने तो हिमालय को प्रलय के बाद आर्विभूत प्रथम रचना के रूप में चित्रित किया है। हिमालय अपने उत्तुंग शिखरों से सुमण्डित दिगन्तव्यापी कलेवर से संयुक्त होने से उसकी प्रलय समाधि अभी भी भंग नहीं हुई है।

प्रकृति के कोमल चित्रों को उभारने वाले पंत जैसे महान् प्रकृति कवि के भव्य चित्र लेखक के मानस पटल पर अंकित होने लगे। कालिदास की अमर कृति ‘कुमार सम्भव’ के उदात्त कोमल प्रसंग चलचित्र के समान लेखक के मन में फेरी लगाने लगे। इस हिमालय के किसी प्रान्तर की निमृत गुफाओं में उमा ने शंकर को वरण करने की अभिलाषा से तपस्या की होगी। सम्भवतः यहीं कहीं निकटवर्ती कैलाश पर्वत के किसी शिखर पर त्रिनेत्र (शंकर) ने अपने तीसरे नेत्र की प्रचण्ड अग्नि शिखाओं से कामदेव को भस्म किया होगा।

इसी बीच लेखक को अपनी मातृभूमि, भारत के सीमा सम्बन्धी संकटों की स्मृति कौंधने लगी और महाकवि ‘दिनकर’ की ओजस्वी वाणी उसके कानों में इस प्रकार गूंजने लगी-

“जिसके द्वारों पर खड़ा क्रान्त,
सीमापति! तूने की पुकार,
पद दलित इसे करना पीछे,
पहले ले मेरा सिर उतार।”

हिमालय पर्वत को पर्वतों का राजा कहते हैं। नग का अर्थ पर्वत होता है, अतः इसे नगाधिराज भी सम्बोधित करते हैं। लेखक अपने नाम के साथ भी हिमालय का सम्बन्ध जोड़ता है-नगेन्द्र-नग + इन्द्र = पर्वतों का राजा। लेखक की कल्पना में हिमालय देवभूमि, देवात्मा, नगाधिराज, पृथ्वी का मानदण्ड न जाने कितने रूपों और नामों से सम्बोधित किए जाते हुए विराजमान हैं।

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प्रश्न 2.
नेपाल में लेखक के ठहरने की क्या व्यवस्था थी? संक्षिप्त में लिखिए।
उत्तर:
नेपाल में ठहरने की व्यवस्था विश्वविद्यालय की ओर से होटल में की गई थी। किन्तु लेखक के मित्र ने इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया। लेखक से उसके मित्र महोदय ने आग्रह किया कि वे उसके (मित्र के) घर पर ही चलें। वहाँ ठहरें। मित्र के आग्रह से लेखक ने उसके घर पर ही ठहरना स्वीकार किया। लेखक महोदय मित्र के घर पहुँच गए। चाय पीते-पीते सन्ध्या हो गई। अतः शहर में ही घूमने का कार्यक्रम बनाया। काठमाण्डू-नया शहर और पुराना शहर-दो भागों में अवस्थित है। इस तरह अन्य बहुत सी बातें करते हुए रात्रिकाल को विश्राम किया। दूसरे दिन दर्शनीय स्थलों के देखने के लिए निश्चित किया। मित्र के आवास पर निवास चित्ताकर्षक और प्रसन्नता देने वाला रहा।

प्रश्न 3.
काठमाण्डू भ्रमण के बाद लेखक के अनुभव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
काठमाण्डू में काष्ठमण्डप शहर के मध्यभाग में स्थित है। यह काष्ठमण्डप महावृक्ष के काष्ठ से निर्मित है। शुरू में यह यात्रियों का विश्राम गृह था। धीरे-धीरे देव भावना का समावेश हो जाने पर देवस्थान बन गया। इसमें कोई भी शिल्प सौन्दर्य नहीं है। कृष्ण मंदिर बागमती नदी के पास नगर से कुछ मील की दूरी पर है। यह मंदिर दो हजार वर्ष पुराना है। इसके निर्माण में चूने का प्रयोग नहीं किया गया है। वास्तुकला का अद्भुत चमत्कार है। स्वयंभूनाथ का मंदिर पर्वत खण्ड के विराट् भूभाग पर स्थित है। इसके विग्रह में चारों ओर आँखें लगी हैं जो चतुर्दिक दृकपात करती हैं और नगर को सुरक्षा देती हैं।

काठमाण्डू दर्शन और भ्रमण के बाद लेखक का अनुभव है कि भारत और नेपाल दोनों देश सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से अति समृद्ध देश हैं। यह शैव, शाक्त और बौद्ध धर्मों का केन्द्र रहा है। बौद्ध, शाक्त और शैव-हिन्दू धर्म के विशिष्ट सम्प्रदाय हैं। नेपाल विश्व में एक ही हिन्दू राज्य है। यह न तो भारत की तरह धर्मनिरपेक्ष हैं और न पाकिस्तान की तरह धर्म प्रतिबद्ध। नेपाल इस बात का प्रमाण है कि हिन्दू धर्म को उसके सहज उदार रूप में स्वीकार कर लेने के बाद धर्म निरपेक्षता उतनी अनिवार्य नहीं रहती। अनेक हिन्दू-प्रथाएँ जो आज भारत में विलुप्त हैं, वे आज भी वहाँ की व्यावहारिक संस्कृति का अंग हैं। नेपाल और भारत के सम्बन्ध अत्यन्त आत्मीय तथा सौहार्द्रपूर्ण हैं-संस्कृति और धर्म की समानता चिरकाल से दोनों राष्ट्रों को स्नेहबन्ध पान में बाँधे हुए है।

प्रश्न 4.
भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन के समय लेखक ने क्या-क्या देखा? लिखिए।
उत्तर:
सन् 1967 ई. के मार्च की नौवीं तारीख थी। उस दिन लेखक का जन्मदिन था तथा महाशिव रात्रि का पर्व भी था। अतः रात्रि को भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन का कार्यक्रम बनाया गया। लेखक अपने मित्र के सहयोग से मन्दिर परिसर में गाड़ी से पहुँच सका। मंदिर के प्रांगण में नंगे पैर ही प्रवेश करना था, वहाँ कीचड़ थी, अतः मोजे पहनने की सुविधा नहीं थी। साधारण रूप से लेखक को जाड़े की रात्रि में यह सब कष्ट साध्य तो था ही लेकिन अब तो वहाँ लेखक के लिए कोई अन्य गति भी नहीं थी। लेखक से मित्र श्रद्धालु बोला-भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर में किसी बात का भी डर नहीं है। लेखक और उनके मित्र महोदय धक्के-मुक्के खाते देव-विग्रह के पास पहुँच ही गए। वहाँ प्रत्येक श्रद्धालु अपनी श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान को प्रणाम कर रहा था और आगे बढ़ रहा था। वहाँ अधिक समय तक रुकने की कोई सम्भावना नहीं थी।

लेखक ने देखा कि भगवान पशुपतिनाथ के मन्दिर के परिसर में भक्तों की अपार भीड़ सभी दिशाओं से उमड़ पड़ रही थी। मन्दिर के चारों ओर दूर-दूर तक तीर्थयात्रियों के तम्बू लगे हुए थे। यात्रियों की सुविधा के लिए दुकाने भी सजी हुई थीं जिनसे यात्रीजन अपनी आवश्यक वस्तुएँ खरीद सकते थे।

प्रश्न 5.
नेपाल के ‘त्रिभुवन विश्वविद्यालय’ का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
नेपाल का त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू से कई मील दूर कीर्तिपुर नामक उपनगर में बन रहा है। इसका केवल प्रशासनिक खंड व दीक्षांत भवन बन चुके थे। विज्ञान विभाग की इमारतें बन रही थीं। विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार पर नागर अक्षरों में त्रिभुवन विश्वविद्यालय लिखा हुआ है और दीर्घा के भीतर सामने की दीवार पर नेपाली भाषा में उसकी स्थापना का संक्षिप्त इतिवृत्त दिया हुआ है। विश्वविद्यालय परिदृश्य अत्यन्त भव्य है। वह विशाल भूखण्ड, जिस पर विश्वविद्यालय स्थित है, पर्वतमाला से घिरा हुआ अर्द्धचन्द्राकार है।

निर्माण कार्य पूरा होने पर त्रिभुवन विश्वविद्यालय का परिवेश प्राकृतिक और मानवीय कला के संयोग से एक अपूर्व गरिमा से मण्डित हो जाएगा। विश्वविद्यालय की स्थापना सन् 1960 ई. में हुई थी। इसके अन्तर्गत कला, सामाजिक विज्ञान और भौतिक विज्ञान के प्रायः सभी प्रमुख विभाग और देश के विभिन्न भागों में स्थापित 35-36 स्नातक विद्यालय हैं। विभिन्न विषयों के लिए नेपाल के सुयोग्य नागरिकों के अतिरिक्त, भारत और अमरीका आदि के विशेषज्ञ विद्वानों की नियुक्ति की जाती है।

भारत सहयोग-संस्थान की ओर से 20-25 भारतीय प्राध्यापक वहाँ भिन्न-भिन्न विभागों में कार्य कर रहे हैं। हिन्दी विभाग में एक आचार्य (प्रोफेसर) एक उपाचार्य (रीडर) तथा कई प्राध्यापक हैं। नेपाल के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होने के कारण हिन्दी और संस्कृत में वहाँ के छात्रों की विशेष रुचि है। कुलपति महादेय के अनुरोध पर मैंने पाठ्यक्रम और शोध व्यवस्था आदि के विषय में हिन्दी विभाग के सहयोगी-बन्धुओं से विचार-विनिमय किया और तुलनात्मक अनुसंधान पर विशेष बल देने पर परामर्श किया। नेपाल के प्राचीन ग्रंथागारों में अपार सामग्री भरी पड़ी है। वह प्रायः संस्कृत और पालि भाषा में है। परन्तु मैथिली हिन्दी के ग्रंथों का भी संग्रह काफी है। उनका सम्पादन और प्रकाशन निश्चय ही उपयोगी होगा।

काठमाण्डू दर्शन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नेपाल किन-किन धर्मों का केन्द्र रहा है?
उत्तर:
नेपाल शैव, शाक्त और बौद्ध धर्मों का केन्द्र रहा है।

प्रश्न 2.
नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर:
नेपाल के कीर्तिपुर नामक उपनगर में बने त्रिभुवन विश्वविद्यालय की स्थापना सन् 1960 में हुई थी।

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काठमाण्डू दर्शन पाठ का सारांश

प्रस्तावना :
भारत की राजधानी दिल्ली से नेपाल की यात्रा मुश्किल से तीन घण्टे की है। यह यात्रा फॉकर फ्रेण्डशिप विमान से करनी थी। लेखक के परिवार और अन्तरंग वृत्त में थोड़ी सी हलचल मच गई। थोड़ी सी उत्तेजना भी उत्पन्न हुई।

व्यवस्था :
नेपाल में उस समय शीत ऋतु होने के कारण गर्म कपड़ों के विषय में परिवार के सदस्यों ने बहुत चर्चा की। मेरा ओवरकोट पुराना था। लोगों ने नए ओवरकोट को खरीदने का प्रस्ताव रखा। समय का अभाव था, अतः फिर अगले मौसम तक इसकी खरीद टल गई।

पासपोर्ट आदि का बन्धन नेपाल यात्रा के लिए बाधक नहीं था। भारत और नेपाल की निकटता परस्पर सद्भाव और सहयोग के कारण दोनों देशों के नागरिकों को यह सुविधाएँ प्राप्त हैं।सीमा शुल्क विभाग बहुत सतर्क है। इसकी ओर से तलाशी पूरी-पूरी तरह ली जाती है। सीमा शुल्क के लिए अधिकारी महोदय के सौजन्य से वापस आने और जाने में सुविधा मिल गई क्योंकि वे अधिकारी महोदय मेरे पूर्व छात्र थे।

नेपाल के लिए उड़ान-फॉकर फ्रण्डशिप विमान से पूर्वाह्न 11:30 बजे यह उड़ान शुरू हुई। लगभग डेढ़ घण्टे में हम लोग गोरखपुर की सीमा पार कर हिमालय की तराई में पहुँच गए। सारा वन प्रदेश था जो घने वृक्षों से ढंका हुआ था। चारों ओर हरीतिमा का समुद्र हिलोरें मार रहा था। घने होने से अन्धकारमय वन प्रदेश लेखक ने जीवन में पहली बार देखा। हिमालय के दर्शन हुए। कालिदास, जयशंकर प्रसाद, पन्त और दिनकर द्वारा निर्मित इसके विविध बिम्ब मेरी चेतना में उभरने लगे। दिनकर ने तो सीमा संकट को समाप्त करने के लिए ओजस्वी वाणी में कहा-

“जिसके द्वारों पर खड़ा क्रान्त,
सीमापति! तूने की पुकार,
पद दलित इसे करना पीछे,
पहले ले मेरा सिर उतार …।”

लेखक का नामकरण :
लेखक का नाम इनके पितामह ने नागों के उपासक नगाइच वंश से सम्बन्धित होने के कारण नागेन्द्र रखा जो बाद में नगेन्द्र (पर्वतों का राजा) हो गया। मेरे अन्दर शब्द-अर्थ का सौन्दर्य जागृत हो गया। अत: नगेन्द्र ही अधिक उपयुक्त लगा। अब हमारे विमान की परछाईं पर्वत पर इस तरह लग रही थी मानो किसी देवमन्दिर के रजत-शिखर पर छोटा सा पतंगा मंडरा रहा है। कल्पना और यथार्थ का भेद इस तरह ज्ञात हो रहा था।

काठमाण्डू :
एक अर्द्धवृत्ताकार घाटी-नेपाल राज्य में प्रवेश कर पर्वत श्रेणियों को पार करते ही विमान काठमाण्डू घाटी में उतरने लगा। लेखक कुर्सी पेटी बाँधकर हवाई अड्डे पर उतरने को तैयार हो गया। यह हवाई अड्डा मध्यम श्रेणी का है। हिमालय के पर्वत शिखरों की पृष्ठभूमि में उड़ते हुए विमान को देखकर पुराणों में वर्णित देव-गन्धर्वो के विमानों का स्मरण हो आया। इसी तरह उड़ते होंगे। काठमाण्डू शहर एक अर्द्धवृत्ताकार घाटी में स्थित है। विश्वविद्यालय की ओर से होटल में ठहरने की व्यवस्था को मेरे मित्र ने रद्द कर दिया और मैं उन मित्र महोदय के आग्रह पर उनके घर चला गया। नेपाल पर्यटकों का स्वर्ग कहा जाता है। मित्र महोदय ने वहाँ के दर्शनीय स्थलों के देखने की तालिका तैयार कर ली।

काठमाण्डू :
एक रंगीन पहाड़ी शहर-काठमाण्डू एक रंगीन पहाड़ी शहर है जिसमें नए और पुराने का अनमोल मिश्रण है। शहर का नया भाग आधुनिक ढंग का बना हुआ है। इसमें दूतावास की एवं पाश्चात्य उपयोगी वास्तुकला की इमारते हैं। सड़कें पक्की और साफ हैं। काठमाण्डू के पुराने हिस्से में स्थानीय लोगों के मकान हैं जिनका निर्माण लकड़ी और मिट्टी से किया गया है। पत्थर का प्रयोग बहुत कम किया गया है। सम्पन्न व्यक्तियों के विशेषकर राणा परिवार के सदस्यों के भवन सामन्तीय ढंग के हैं। उनके चारों ओर प्राचीर है और भीतर पहाड़ी शैली के गढ़ीनुमा मकान हैं। इनमें एक प्रकार के अनगढ़ पौरुष का आभास मिलता है। राजमहल में नई और पुरानी वास्तु शैली का मिश्रण है। बाहर की प्राचीर जहाँ पुराने ढंग की है, वहीं भीतर के भवन नए ढंग के नये साज सामान से लैस हैं।

सरकारी भवन :
सरकारी भवनों का निर्माण नए ढंग से किया गया है। परन्तु प्रधानमंत्री तथा मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य वहाँ नहीं रहते। वे अपने खानदानी मकानों में ही रहते हैं।

शहर का पुराना भाग बहुत साफ-सुथरा नहीं है। वहाँ का वातावरण और परिवेश उत्तर प्रदेश के उत्तर-पूर्वी शहरों का सा है।

काठमाण्डू के बाजार :
काठमांडू के बाजार में विचित्रता है, रंगीनगी है। सुदूर पूर्व एशिया, चीन भारत और अब अमेरिका का माल यहाँ विदेशी कीमत पर मिलता है। नेपाल की रंग-बिरंगी चीजें बाजार के आकर्षण को बढ़ा देती हैं। खाने-पीने की चीजें वहाँ बहुत महँगी हैं।

नगर के विशेष स्थान पर चौक और चौराहों पर-महाराजाधिराज महेन्द्र व महारानी के चित्र लगे हुए हैं। इन चित्रों के नीचे संस्कृतनिष्ठ नेपाली भाषा में देवनागरी अक्षरों में हिन्दू राजभक्ति परम्परानुसार राजदम्पत्ति की मंगल प्रशस्तियाँ अंकित हैं। वहाँ सभी जगह-मार्गों, हाटों, प्रशासनिक इमारतों पर नेपाली भाषा का ही प्रयोग किया गया है। कहीं पर भी ‘अन्तर्राष्ट्रीय भाषा’ का प्रयोग नहीं किया गया है।

नेपाल के प्रमुख स्थान :
समय का अभाव होने के कारण मुख्य रूप से तीन प्रमुख स्थानों को देखने का कार्यक्रम बन सका-(1) नगर में स्थित काष्ठमंडप, (2) स्वयंभूनाथ और (3) पाटन का कृष्ण मंदिर।

काष्ठमंडप शहर के मध्यभाग में अवस्थित है। इसका रूप और आकार पगोडा के समान है। सम्पूर्ण मण्डप एक ही महावृक्ष के काष्ठ से निर्मित है। काठमांडू काष्ठ मंडप का ही तद्भव है।

स्वयंभूनाथ का मंदिर एक पर्वत खण्ड के ऊपर विराट् भूमिका पर स्थित है। इस मंदिर का प्रमुख आकर्षण है–स्वर्णपत्र से मंडित भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा। इस प्रतिमा में चारों ओर दो-दो आँखें लगी हैं जो मानो एक चिर सजग प्रहरी हो और चतुर्दिक दृक्पात करता हुआ नगर की रक्षा कर रहा हो।

पाटन के कृष्ण मंदिर को देखने के लिए बागमती नदी पार करके कुछ मील दूर जाना पड़ता है। पाटन नगर एक छोटा सा उपनगर है। जहाँ हर जगह छोटे-छोटे मन्दिर या मूर्ति गृह बने हैं। यह कृष्ण मंदिर प्रायः दो हजार वर्ष पुराना है। इसके निर्माण में चूने का प्रयोग नहीं हुआ है। वास्तुकला का यह अद्भुत चमत्कार है जो बिना चूने के इतना मजबूत बना है।

नेपाल-विश्व में एकमात्र हिन्दू राज्य :
नेपाल विश्व में एकमात्र हिन्दू राज्य है। वह भारत वर्ष की भाँति धर्म निरपेक्ष राज्य नहीं है और न पाकिस्तान की तरह धर्म प्रतिबद्ध। नेपाल सदा से ही शैव, शाक्त और बौद्ध धर्मों का केन्द्र रहा है।

भारत और नेपाल के सम्बन्ध :
भारत में विलुप्त अनेक हिन्दू-प्रथाएँ, आज भी वहाँ की व्यावहारिक संस्कृति का अंग हैं। नेपाल और भारत के सम्बन्ध अत्यन्त आत्मीय तथा सौहार्द्रपूर्ण हैं-संस्कृति और धर्म की समानता चिरकाल से दोनों राष्ट्रों को स्नेह बन्धन में बाँधे हुए है।

भगवान पशुपति नाथ के दर्शन :
रात्रि में भगवान पशुपति नाथ के दर्शन के लिए गए। यह शिवरात्रि का पर्व था। संयोग से उस दिन 09 मार्च थी जो लेखक का जन्मदिन था। भक्तों की अपार भीड़ उमड़ रही थी। मंदिर के प्रांगण में नंगे पाँव प्रवेश किया। थोड़ा कष्ट उठाते हुए देव विग्रह के समीप पहुँचे। भगवान को प्रणाम किया।

दस मार्च :
लेखक को 10 मार्च के दिन नेपाल में भारतीय राजदूत श्री श्रीमन्नारायण से मिलना था। वैदेशिक शिष्टाचार के अनुसार उनसे मिला।

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त्रिभुवन विश्वविद्यालय :
वहाँ से विश्वविद्यालय की नई इमारत की ओर चल दिया। यह इमारत काठमाण्डू से कई मील दूर कीर्तिपुर नामक उपनगर में है। विश्वविद्यालय का नाम ‘त्रिभुवन विश्वविद्यालय’ है। इसकी दीर्घा में इसका संक्षिप्त इतिवृत्त दिया हुआ है। जो नेपाली 389 भाषा में है। यह विश्वविद्यालय भव्य आकर्षक विशाल भूमि खण्ड पर स्थित है। पर्वतमाला से घिरा हुआ अर्धचन्द्राकार है। यहाँ प्रकृति और मानव कृति का अद्भुत संयोग है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1960 ई. में हुई थी।

विश्वविद्यालय का विस्तार :
इस विश्वविद्यालय में-कला, सामाजिक विज्ञान और भौतिक विज्ञान के प्रायः सभी प्रमुख विभाग हैं और देश के विभिन्न भागों में स्थापित 35-36 स्नातक विद्यालय हैं।

विभिन्न विषयों के अध्यापक :
विभिन्न विषयों के अध्यापन के लिए नेपाल के सुयोग्य नागरिकों के अतिरिक्त भारत और अमेरिका आदि के विशेषज्ञ विद्वानों की नियुक्ति की जाती है। भारत सहयोग संस्थान की ओर से 20-25 भारतीय प्राध्यापक वहाँ विभिन्न विभागों में कार्य कर रहे हैं। हिन्दी विभागों में एक आचार्य (प्रोफेसर), एक उपाचार्य (रीडर) तथा कई प्राध्यापक हैं। नेपाली भाषा के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होने के कारण हिन्दी और संस्कृत में वहाँ के छात्रों में विशेष रुचि है।

प्राचीन ग्रंथागारों में अपार सामग्री भरी पड़ी है। वह सामग्री प्रायः संस्कृत और पालि भाषा में है। इसके साथ ही मैथिली हिन्दी का काफी संग्रह है। इन सबका सम्पादन और प्रकाशन निश्चय ही बहुत उपयोगी होगा।

उपसंहार :
अब लेखक के लौटने का दिन 11 मार्च, 1967 था। मध्याह्न में नेपाल-विमान-सेवा से हवाई जहाज से दिल्ली लौटना था। अतः 10.30 बजे हम लोग हवाई अड्डे के लिए चल दिए। यूरोप से कोई विशेष अतिथि नेपाल आ रहे थे। अतः हवाई अड्डे के मार्ग जल्दी बंद हो गए। हमारे विमान में अभी दो-तीन घण्टे का विलम्ब था। हवाई जहाज के आने पर मैंने अपने अतिथेय बन्धुओं से विदा ली। अपरिचित प्रदेश में उनके कारण सभी तरह की सुख-सुविधा रही। यह विमान भी फॉकर फ्रेण्डशिप था। यहाँ सारी सूचनाएँ नेपाली भाषा में दी जाती हैं। समय से लेखक पालम पर उतर गया। उन्हें लेने के लिए बच्चे और परिवार के सदस्य वहाँ पहले से ही खड़े हुए थे। दिल्ली जनपथ से ही उनकी अभिलषित चीजें खरीदकर र्दी क्योंकि नेपाल से कोई भी वस्तु खरीदकर लाई नहीं जा सकती थी।

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MP Board Class 11th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 7 सरजू भैया

MP Board Class 11th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 7 सरजू भैया

सरजू भैया अभ्यास प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

प्रश्न 1.
सरजू भैया के व्यक्तित्व का संक्षिप्त परिचय लिखिए।
उत्तर:
प्रस्तावना-सरजू भैया की गिनती गाँव के सबसे लम्बे और दुबले आदमियों में हो सकती है। उनका रंग साँवला है। बगुले की सी लम्बी-लम्बी टाँगों जैसी लम्बी बाहें। कमर में धोती पहनते हैं, कंधे पर अंगोछा डाले रहते हैं। जब वे खड़े होते हैं तब, आप उनकी पसलियों की हड्डियाँ गिन लीजिए। नाक खड़ी सी और लम्बी। सघन भर्दै। उनकी आँखें बड़ी-बड़ी हैं जो कोटर में धंसी सी लगती हैं। गाल पिचके से हैं। अंग-अंग की शिराएँ उभरी हुई हैं। कभी-कभी मालूम होता है मानो ये नसें नहीं, उनके शरीर को किसी ने पतली डोरों से जकड़ रखा है।

सरजू की सूरत :
उनको देखने से तो उनकी तस्वीर निस्संदेह किसी भुखमरे, मनहूस आदमी की मालूम होती है। परन्तु ऐसा है भी कि नहीं? सरजू भैया लेखक के गाँव के चन्द जिन्दादिल लोगों में से हैं। बड़े मिलनसार, मजाकिया और हँसोड़ हैं।

दिल खोलकर हँसना :
वे जब दिल खोलकर हँसते हैं, तो शरीर भर में जो सबसे छोटी चीजें उन्हें मिली हैं, वे उनके पंक्तिबद्ध छोटे-छोटे दाँत हैं। तब वे बेतहाशा चमक पड़ते हैं। अंग-अंग हिलने-डुलने लगते हैं, जैसे मानो हर अंग हँस रहा हो। सरजू भैया के पास इतनी सम्पत्ति है कि वह खुद या अपने परिवार का ही पेट नहीं भर सकते वरन् आगत-अतिथि की सेवा पूजा भी मजे से कर सकते हैं। तो फिर यह हड्डियों का ढाँचा क्यों? के जवाब में एक पुरानी कहावत पेश करूँगा-काजी दुबले क्यों-शहर के अंदेशे से।

उपसंहार :
अब सरजू भैया की जो हालत है, वह स्वयं अपने कारण नहीं, दूसरों के चलते है। पराये उपकार के चलते उन्होंने सिर्फ अपना यह शरीर सुखा लिया है, बल्कि अपनी सम्पत्ति की भी कुछ कम हानि नहीं की है।

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प्रश्न 2.
सरजू भैया क्या व्यवसाय करते थे? वे अपने व्यवसाय में सफल क्यों नहीं हो सके?
उत्तर:
सरजू भैया के पास खेतीबाड़ी थी, रुपये और गल्ले का अच्छा लेन-देन था। परिवार बड़ा नहीं था और न खर्चीला। लेकिन सरजू के पिता के मरते ही सरजू भैया ने लेन-देन चौपट किया। बाढ़ ने खेती बर्बाद कर दी और भूकम्प ने मकान का सत्यानाश कर दिया। उनका लेन-देन बहुत अच्छा था। खेती को भी सम्हाला जा सकता था। घर भी खड़ा किया जा सकता था। किन्तु सरजू भैया लेन-देन का काम नहीं सम्हाल सकते थे। इसके भी कुछ कारण थे; जिससे सरजू भैया ने इन कामों में रुचि नहीं दिखाई।

“लेन-देन, जिसे नग्न शब्दों में सूदखोरी कहिए, चाहता है, आदमी अपने आदमीपन को खो दे, वह जोंक, खटमल नहीं, चीलर बन जाए। काली जोंक और लाल खटमल का स्वतंत्र अस्तित्व है। हम उनका खून चूसना महसूस करते हैं; हम उनमें अपना खून प्रत्यक्ष पाते हैं और देखते हैं। लेकिन चीलर? गंदे कपड़े में, उन्हीं सा काला कुचैला रंग लिए वह चीलर चुपचाप पड़ा रहता है और हमारे खून को इस तरह धीरे-धीरे चूसता है और तुरन्त उसे अपने रंग में बदल देता है कि उसका चूसना हम जल्द अनुभव नहीं कर सकते और अनुभव करते भी हैं, तो जरा सी सुगबुगी या ज्यादा से ज्यादा चुनमुनी मात्र और अनुभव करके भी उसे पकड़ पाने के लिए तो कोई खुर्दबीन चाहिए।”

इस तरह सूद पर दिए धन का सूद प्राप्त करने के लिए सरजू भैया चीलर नहीं बन सकते थे। उनके इस लम्बे शरीर में जो हृदय मिला है, वह शरीर के ही परिमाण में है अर्थात वे बड़े दिलदार हैं। जो भी दुखिया आया, अपनी विपदा बताई; उसे देवता सा दे दिया और वसूलने के समय जब वह आँखों में आँसू लाकर गिड़गिड़ाया, तो देवता की ही तरह पसीज गए। सूद कौन? कुछ दिन में मूलधन भी शून्य में परिवर्तित हो गया।

बाढ़ और भूकम्प ने उनके खेत और घर को बर्बाद किया जरूर, लेनिक सरजू भैया, लेखक का यकीन है, आज फटेहाली से बहुत कुछ बचे रहते, यदि लेन-देन के बाद भी इन दोनों की तरफ भी पूरा ध्यान दिए होते। यह नहीं कि वह जी चुराने वाले या आलसी और बोदा (कमजोर) गृहस्थ हैं। नहीं, ठीक इसके खिलाफ-चतुर, फुर्तीला और कामकाजी आदमी है। लेकिन करें तो क्या? उन्हें दूसरे के काम से ही कहाँ फुर्सत मिलती है।

यदि किसी का बच्चा बीमार होता है, तो वैद्य बुलाने जायेगा सरजू भैया। बाजार से किसी को सौदा खरीदना है, तो कौन जाएगा-सिवाय सरजू भैया के। किसी भी छोटे से लेकर बड़े काम तक करवाने की जिम्मेदारी है तो सरजू भैया की। इस तरह सरजू भैया ने अपनी खेती को चौपट किया हुआ है। अच्छा भोजन न मिलने से इनकी कमर झुक गई है। चाहे दिन का कोई समय हो, या रात्रि का आधा भाग, फिर भी वहाँ के लोग अपने काम के लिए बुलाएँगे सरजू भैया को। सरजू भैया का दरवाजा हर किसी के लिए चौबीसों घण्टे खुला रहता है। सरजू भैया नर-रल हैं। उनकी भलमनसाहत को कोई भी नहीं ध्यान देता है। सभी उसे सीधा समझकर ठगने की कोशिश करते हैं। इस तरह बहुत से कारण थे जिनकी वजह से वे व्यवसाय में सफल नहीं हुए।

प्रश्न 3.
सूदखोर किस तरह दूसरों का शोषण करते हैं? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
सूदखोर दूसरों का खूब शोषण करते हैं। उनमें आदमीपन तो रहता ही नहीं। सूदखोर तो जोंक, खटमल नहीं, चीलर बन जाता है। काली जोंक और लाल खटमल अपना स्वतंत्र अस्तित्व बना लेते हैं, क्योंकि जब उनके द्वारा हमारा खून चूसा जाता है, तो हम उनके अन्दर अपना ही रक्त चूसा हुआ पाते हैं। लेकिन चीलर? गन्दे कपड़े में, उन्हीं सा काला कुचैला रंग लिए वह चीलर चुपचाप पड़ा रहता है और हमारे ही रक्त को धीरे-धीरे चूसता रहता है। तुरन्त ही उस चूसे गए खून को अपने रंग में मिला लेता है और अपने रंग में बदल देता है। चीलर के द्वारा चूसा जाना बहुत जल्दी अनुभव नहीं कर पाते। इसी तरह सूदखोर पैसा कमाता है और शोषण करता है।

प्रश्न 4.
“सादगी, सरल स्वभाव और सहज भोलापन ग्रामीणों की विशेषता है।” सरजू भैया पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2014)
उत्तर:
सरजू भैया लेखक के गाँव के रहने वाले हैं। उनमें सरलता है, सादगी है और सहज भोलापन है। यही सरजू भैया भारतीय ग्रामीणों की इन विशेषताओं को अपने अन्दर सँजोए हुए हैं। वे सदैव दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं। उनका हृदय विशाल है, उनके विचार भी विस्तृत और उदार हैं। ग्रामीणों की किसी भी आवश्यकता के काम को पूरा करने के लिए चौबीस घण्टे उनका द्वार खुला रहता है।

सरजू भैया यद्यपि शरीर से कमजोर दीखते हैं लेकिन उनमें आत्मिक साहस भरा पड़ा है। बीमार के लिए वैद्य लाकर, किसी की सहायता के लिए बाजार से उसकी आवश्यकता की वस्तुओं को लाकर, बाहर से आई खबर को प्रत्येक घर में पहुँचाकर, किसी के भी काम के लिए उन पर समय ही समय था। लोग उनके सीधेपन का फायदा उठाते और उन्हें ठगने की कोशिश भी करते।

ग्रामीण व्यक्ति सूदखोरों के चंगुल में बहुत जल्दी फंस जाते हैं। सरजू भैया के आधार पर स्पष्ट होता है कि सादगी, सरल स्वभाव और सहज भोलापन ग्रामीणों की विशेषता है।”

प्रश्न 5.
“दूसरों की सहायता करना, सरजू भैया का स्वभाव था” इस सन्दर्भ में बताइए कि सरजू भैया किस प्रकार दूसरों की,सहायता करते थे?
उत्तर:
सरजू भैया का स्वभाव था दूसरों की सहायता करने का। वे चौबीसों घण्टे अपने गाँव के सभी लोगों की सहायता में लगे रहते थे। वे अपने किसी भी काम को देखते नहीं थे। यदि उन्होंने अपना काम किया होता, अपनी खेतीबाड़ी, अनाज व पैसे के लेन-देन को थोड़ा भी समय निकालकर देखा होता तो अवश्य ही उनकी आर्थिक दशा ठीक रही होती। कृषि कार्य के लिए थोड़ा बहुत समय दिया होता तो धान्य आदि की कमी नहीं होती। उनका घर भी नष्ट नहीं होता। लेकिन वे अपने स्वभाव और आदत से लाचार थे कि वे अपने किसी भी काम को नहीं देखते थे। दूसरे लोगों (अपने गाँववासियों) की सहायता में तत्परता से लगे रहते। लोग उन्हें उनके सीधेपन और सहायता की भावना वाला होने से, मूर्ख समझते थे।

लेखक के अनुसार, वे गाँव के किसी भी बीमार व्यक्ति के उपचार के लिए वैद्य को लेकर आते थे। किसी को किसी चीज की आवश्यकता है, सौदा खरीद कर लाना है, तो सरजू भैया बाजार जाता और उनके लिए उस इच्छित वस्तु को लाकर देता। गाँव के किसी रिश्तेदार की बीमारी आदि की सूचना देने और लेने यदि किसी को भेजा जाना है, तो वह है सरजू भैया। इन सभी बातों के पीछे है सरजू भैया का तेजगति से चलना और दूसरे लोगों की सहायता करने की प्रवृत्ति।

गाँव का कोई सज्जन किसी की जमीन, मकान आदि को यदि खरीदता है, तो उसकी शिनाख्त सरजू भैया ही करता है। गाँव में किसी के यहाँ विवाह हो रहा है, यज्ञ आदि का आयोजन है तो समझिए इस सब की जिम्मेदारी सरजू भैया की होती है। बहुत ही अस्त-व्यस्त दिखते रहते हैं। गाँव में किसी के यहाँ कोई मृत्यु होती है, तो भी समय कोई भी हो, इसके लिए भी आवश्यक सामग्री, जैसे कफन आदि खरीदकर लाने का उत्तरदायित्व सरजू भैया का ही रहता है।

इस प्रकार गाँव के लोगों का सारा उत्तरदायित्व अपने सिर पर लेकर सरजू भैया उनकी सहायता करते थे।

प्रश्न 6.
सरजू भैया को सूदखोर ने किस प्रकार ठग लिया था? संक्षिप्त में लिखिए। (2011)
उत्तर:
सरजू भैया अपने सीधेपन से ठगे गए। वे एक दिन एक सूदखोर के चंगुल में इस तरह फंस गए कि लेखक ने सरजू भैया के पास जो रुपये थे; उन्हें अपने काम में लगा लिए। कुछ दिन बाद उन्हें धन की जरूरत पड़ी होगी। संकोचवश लेखक से धन माँग नहीं सके। वे अपनी आवश्यकता की अधिकता के कारण एक सूदखोर के पास चले गए। यह सूदखोर कोई अन्य नहीं था, यह वही था जो पहले इनसे कर्ज लिया करता था। यह सूदखोर तरह-तरह के काम करता रहता है, उनके कारण यह अब धन्ना सेठ बन गया है। उसने इन्हें (सरजू भैया को) धन दे दिया। लेकिन जैसे ही वे चलने लगे तो उसने (धन्ना सेठ बने सूदखोर) कहा, “आपके पास से रुपये जायेंगे कहाँ? लेकिन कोई सबूत तो चाहिए ही।” सरजू भैया ने कहा “क्या सबूत? मैं तैयार हूँ।” उस समय तक सरजू भैया रुपये बाँध चुके थे। उन्हें खोलकर लौटाया नहीं जा सकता था। और न सरजू भैया उसकी (सूदखोर की) माँग को नामंजूर कर सकते थे। सूदखोर ने कहा- नहीं, नहीं, कुछ नहीं-कागज पर सिर्फ निशान बना दीजिए। आपसे बाजाब्ता है नोट क्या कराया जाए?”

सरजू भैया ने बमभोला की तरह कजरौटे से अंगूठा बोर कर कागज पर चिपढ़ा दिया और चले आए, मानो किसी आधुनिक एंटोनियो ने किसी कलजुगी शाइलॉक के हाथ में अपने को गिरवी कर दिया। अब वह कहने लगा कि रुपये जल्दी लौटा दो, अन्यथा नालिश कर दूंगा और नालिश कितने की करेगा, कौन ठिकाना।” यह तो सरजू भैया की बेचारगी बोल रही थी। लेखक उनके मुख की ओर आश्चर्य से देख रहा था। लेखक ने कहा-“आपने ऐसी गलती क्यों कर दी” लेकिन इसके अलावा, उनके पास इसका जबाव क्या दे सकते थे। बस यह कि “क्या करूँ रुपये बाँध चुका था।” इस प्रकार सूरज भैया को सूदखोर ने ठग लिया था।

सरजू भैया अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी का सरजू भैया से क्या सम्बन्ध था?
उत्तर:
लेखक का सरजू भैया से कोई खून का रिश्ता न था। वास्तव में सरजू भैया का सगा छोटा भाई जाता रहा। लेखक ने उन्हें अपना बड़ा भाई मान लिया और स्वयं उनके छोटे भाई बन गये।

प्रश्न 2.
सरजू भैया का खेत और घर कैसे बर्बाद हो गये?
उत्तर:
बाढ़ और भूकम्प ने सरजू भैया के खेत और घर बर्बाद कर दिये थे।

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सरजू भैया पाठ का सारांश

प्रस्तावना-पात्र-परिचय :
सरजू भैया लेखक के पड़ोसी हैं। सरजू भैया अपनी माँ का बड़ा बेटा है। लेखक इकलौते ठहरे। परन्तु सरजू भैया का छोटा भाई नहीं रहा, अतः लेखक उन्हें अपना बड़ा भाई मानता है और स्वयं को उनका छोटा भाई।।

शारीरिक बनावट :
सरजू भैया गाँव भर में सबसे लम्बे और दुबले व्यक्ति हैं। उनका रंग साँवला है। बगुले की टाँगों जैसी लम्बी बाँहें, उनकी पसलियों को एक-एक करके गिना जा सकता है। नाक लम्बी और खड़ी हुई। घनी भवॆ, बड़ी-बड़ी आँखें, परन्तु कोटरों में फंसी हुई। गाल पिचके हुए। अंग-अंग की शिराएँ उभरी हुई। वे नसें ऐसी लगती हैं, मानो उनके शरीर को पतली डोरों से जकड़ रखा है।

पहनावा :
सरजू भैया धोती पहनते हैं। कंधे पर अंगोछा डाले रहते हैं। खड़े होने पर ऐसा प्रतीत होता था कि लकड़ियों पर कपड़ों को टाँग दिया गया है।

स्वभाव :
ऊपर से देखने में उनकी तस्वीर निःसन्देह ही किसी मनहूस भुखमरे व्यक्ति की जैसी लगती है। परन्तु सरजू भैया गाँवभर में जिन्दा-दिल आदमी है, वे मिलनसार, मजाकिया और हँसोड़ हैं। अतिथि का सत्कार करने वाले व्यक्ति हैं।

आर्थिक दशा :
सरजू भैया ने परोपकार करते रहने से शरीर सुखा लिया और अपनी सम्पत्ति भी इसी कारण बरबाद कर डाली। इनके पिता गाँव के अच्छे किसान गिने जाते थे। अच्छा, सुन्दर मकान था, अच्छी खासी बैठक थी। लेकिन सरजू भैया की तो यह राम मढैया है। पिता का कारोबार खेती और लेन-देन का कामकाज़। उनके मरने के बाद सरजू ने लेन-देन चौपट कर दिया। बाढ़ ने खेती और भूकम्प ने मकान आदि सब कुछ नष्ट कर दिया। सरजू चाहते तो सब कुछ ठीक हो सकता था। लेकिन सरजू ………।

सरजू के लिए सूदखोरी का काम आदमीपन को खो देने वाला था। यह काम काली जौक, लाल खटमल और चीलर बने लोगों का है।

सरजू भैया चीलर नहीं बन सकते। उनका हृदय बड़ा है। उसने विपदा में सब लोगों को पैसा देकर सहायता की। सूद की बात दूर, किसी ने इन्हें मूल तक नहीं लौटाया। सरजू भैया आज फटेहाली से गुजर रहे हैं। इसका कारण उनका आलसी होना या काम से जी चुराना नहीं है, वरन् वह तो फुर्तीले और कामकाजी व्यक्ति हैं उन्हें अपने कामों के लिए दूसरों के काम से फुरसत कहाँ?

परोपकार की भावना :
सरजू भैया एकदम परोपकारी हैं। गाँव के किसी भी व्यक्ति का कोई भी काम हो-किसी तरह का कार्य हो सकता है, लेकिन सरजू भैया सभी गाँववासियों की सहायता के लिए तैयार रहते हैं। अपना चाहे कोई भी काम क्यों न पड़ा रहे, लेकिन दूसरों की सहायता में सरजू भैया सबसे आगे। परोपकार और सेवा के लिए तो उनके घर का दरवाजा हर समय खुला रहता था। यही गुण सरजू भैया को दूसरे आदमियों से अलग करता है। इसलिए वे सबके द्वारा वंदनीय और पूजनीय हैं। उनका सीधापन देखकर लोग उन्हें ठगते हैं। लोग उन्हें झंझटों में डालकर मजा लेते हैं।

सरजू भैया का तड़पना :
एक दिन सरजू भैया बहुत भयभीत और तड़पते आये। गाँव का एक चालाक और बेईमान आदमी सरजू भैया पर नालिश करने जा रहा है। यदि समय पर उसे पैसे दे दिए जाएँ, तो वह नालिश नहीं करेगा। दूसरे यदि वह रुपये नहीं देता है तो नालिश कर देगा। लेखक ने उसे धन दिया और इन्हें सूदखोर से मुक्त कराया। ऐसी घटनाएँ पनपती रहती हैं। लेखक भी रात भर सो नहीं सका, यह सोचते हुए कि लोग बड़े कृतघ्न होते हैं। सरजू भैया रूपी किसी आधुनिक एन्टोनियों ने किसी कलयुगी शाइलॉक के हाथ में स्वयं अपनी जिन्दगी को गिरबी रख दिया हो, ऐसी दशा हो रही थी।

उपसंहार :
सरजू भैया जैसे अनगिनत लोग होते हैं जो दूसरों की खातिर स्वयं को परेशानी में डाल लेते हैं।

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