MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.4

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.4

प्रश्न 1.
अमीना एक संख्या सोचती है। वह इसमें से के घटाकर परिणाम को 8 से गुणा करती है। अब जो परिणाम मिलता है वह सोची गई संख्या की तिगुनी है। वह सोची गई संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि अमीना संख्या x सोचती हैं।
अब, प्रश्नानुसार,
8(x – \(\frac{5}{2}\)) = 3x
या 8x – 20 = 3x
या 8x – 3x = 20
या 5x = 20
या x = \(\frac{20}{5}\) = 4
या x = 4
अतः अमीना द्वारा सोची गई संख्या = 4

प्रश्न 2.
दो संख्याओं में पहली संख्या दूसरी की पाँच गुनी है। प्रत्येक संख्या में 21 जोड़ने पर पहली संख्या दूसरी की दुगुनी हो जाती है। संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि संख्याएँ x तथा 5x हैं।
अब, प्रश्नानुसार,
या (5x + 21) = 2(x + 21)
या 5x + 21 = 2x + 42
या 5x – 2x = 42 – 21
या 3x = 21
या \(\frac{3x}{3}\) = \(\frac{21}{3}\)
या x = 7
अतः अभीष्ट संख्याएँ 7 व 35 हैं।

प्रश्न 3.
दो अंकों वाली दी गई एक संख्या के अंकों का योग है। इस संख्या के अंकों के स्थान बदलकर प्राप्त संख्या, दी गई संख्या से 27 अधिक है दी गई संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि संख्या का इकाई अंक = x है।
तो दहाई का अंक = (9 – x)
∴ संख्या = 10 (9 – x) + x
= 90 – 10x + x
= 90 – 9x
अंकों के स्थान बदलने पर,
संख्या 10x + (9 – x) = 10x + 9 – x
= 9x + 9
अब, प्रश्नानुसार,
(90 – 9x) + 27 = 9x +9
या 117 – 9x = 9x +9
या – 18x = 9 – 117
या – 18x = – 108
या x = \(\frac{-108}{-18}\) = 6
∴ इकाई का अंक = 6 और दहाई का अंक = 9 – 6 = 3
अतः अभीष्ट संख्या = 36

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प्रश्न 4.
दो अंकों वाली दी गई एक संख्या में एक अंक दूसरे का तीन गुना है। इसके अंकों के स्थान बदलकर प्राप्त संख्या को, दी गई संख्या में जोड़ने पर 88 प्राप्त होता है। दी गई संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि इकाई का अंक = x तथा दहाई का अंक = 3x
संख्या = 10 x 3x + x = 30x + x
= 31x ….. (1)
अंकों के स्थान बदलने पर संख्या
= 10x + 3x = 13x …(2)
अब, प्रश्नानुसार
31x + 13r = 88
या 44x = 88
x = \(\frac{88}{44}\) = 2
x का मान समीकरण (1) में रखने पर,
अभीष्ट संख्या = 31 x 2 = 62

प्रश्न 5.
शोबो की माँ की आयु, शोबो की आयु की छः गुनी है 15 वर्ष बाद शोबो की आयु, उसकी माँ की वर्तमान आयु की एक तिहाई हो जाएगी। उनकी आयु ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि शोबो की वर्तमान आयु = x वर्ष है
तब,शोबो की माँ की आयु = 6x वर्ष
5 वर्ष बाद शोबो की आयु = (x + 5) वर्ष
अब, प्रश्नानुसार,
x = 5 = \(\frac{1}{3}\) x 6x
या 3x + 15 = 6x
या 3x – 6x = – 15
या – 3x = – 15
या = \(\frac{-15}{-3}\) = 5
अतः शोबो की वर्तमान आयु = 5 वर्ष
उसकी माँ की वर्तमान आयु = 6 x 5 = 30 वर्ष

प्रश्न 6.
महूली गाँव में, एक तंग आयताकार भूखण्ड विद्यालय बनाने के लिए सुरक्षित है। इस भूखण्ड की लम्बाई और चौड़ाई में 11 : 4 का अनुपात है। गाँव पंचायत को इस भूखण्ड की बाड़ (fence) कराने में ₹ 100 प्रति मीटर की दर से ₹ 75,000 व्यय करने होंगे। भूखण्ड की माप (dimesion) ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि भूखण्ड की लम्बाई = 11x मीटर
तथा चौड़ाई = 4x मीटर
∴ भूखण्ड का परिमाप = 2 (11x + 4x) मीटर
= 30 मीटर
₹ 100/मी की दर से भूखण्ड की बाड़ कराने में व्यय
= ₹ 100 x 30x
=₹3000x
अब, प्रश्नानुसार,
3000x = 75000
x = \(\frac{75000}{3000}\) = 25
अतः भूखण्ड की लम्बाई = 11 x 25 मीटर
= 275 मीटर
तथा चौड़ाई = 4 x 25 मीटर = 100 मीटर

प्रश्न 7.
हसन स्कूल वर्दी बनाने के लिए दो प्रकार का कपड़ा खरीदता है। इसमें कमीज के कपड़े का भाव ₹ 50 प्रति मीटर तथा पतलून के कपड़े का भाव ₹ 90 प्रति मीटर है। वह कमीज के प्रत्येक 3 मीटर कपड़े के लिए पतलून का 2 मीटर कपड़ा खरीदता है। वह इस कपड़े को क्रमश: 12% तथा 10% लाभ पर बेचकर ₹ 36,600 प्राप्त करता है। उसने पतलून के लिए कितना कपड़ा खरीदा?
हल:
माना कि पतलून के लिए 2x मीटर तथा कमीज के लिए 3x मीटर कपड़ा खरीदा।
पतलून के 2x मीटर कपड़े का क्रय मूल्य = ₹ 90 x 2x
= ₹ 180x
कमीज के 3x मीटर कपड़े का क्रय मूल्य = ₹ 50 x 3x
= ₹ 150x
∵ कमीज के कपड़े पर लाभ = 12%
∴ इसका विक्रय मूल्य = ₹ (150 x \(\frac{112}{100}\))
= ₹ 168x
∵ पतलून के कपड़े पर लाभ = 10%
∴ इसका विक्रय मूल्य = ₹ (180 x \(\frac{110}{100}\))
= ₹ 198x
∴ कुल विक्रय मूल्य = ₹ 168x + ₹ 198x
= ₹ 366x
लेकिन दिया हुआ विक्रय मूल्य ₹ 36,000 है।
∴ 366x = 36600
या x = \(\frac{36600}{366}\) = 100
अतः पतलून के लिए खरीदा गया कपड़ा = 2 x 100 = 200 मीटर

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प्रश्न 8.
हिरणों के एक झुण्ड का आधा भाग मैदान में चर रहा है और शेष का तीन चौथाई पड़ोस में ही खेल-कूद रहा है। शेष बचे 9 हिरण एक तालाब में पानी पी रहे हैं। झुण्ड में हिरणों की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि झुण्ड में हिरणों की संख्या = x है
∴ मैदान में चरने वाले हिरणों की संख्या = \(\frac{x}{2}\)
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.4 img-1
पानी पी रहे हिरणों की संख्या = 9
∴ कुल हिरणों की संख्या = \(\frac{x}{2}\) + \(\frac{3x}{8}\) + 9 =x
या 4x + 3x + 72 = 8x
या 7x + 72 = 8x
या 8x – 7x = 72
x = 72
अतः झुण्ड में हिरणों की संख्या = 72

प्रश्न 9.
दादाजी की आयु अपनी पौत्री की आयु की दस गुनी है। यदि उनकी आयु पौत्री की आयु से 54 वर्ष अधिक है तो उन दोनों की आयु ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि पौत्री की आयु = x वर्ष है।
तब, दादाजी की आयु = 10x वर्ष
अब, प्रश्नानुसार,
10x = x + 54
या 9x = 54
या x = \(\frac{54}{9}\) = 6
अतः पौत्री की आयु = 6 वर्ष तथा दादाजी की आयु = 10 x 6 = 60 वर्ष

प्रश्न 10.
अमन की आयु उसके पुत्र की आयु की तीन गुनी है। 10 वर्ष पहले उसकी आयु पुत्र की आयु की पाँच गुनी थी। दोनों की वर्तमान आयु ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि पुत्र की वर्तमान आयु = x वर्ष है।
तब अमन की आयु = 3x वर्ष
10 वर्ष पहले, पुत्र की आयु = (x – 10) वर्ष
तथा अमन की आयु = (3x – 10) वर्ष
अब, प्रश्नानुसार,
3x – 10 = 5 (x – 10)
या 3x – 10 = 5x – 50
या 3x – 5x = – 50 + 10
या – 2x = – 40
या x = \(\frac{-40}{-2}\) = 20
अतः पुत्र की आयु = 20 वर्ष तथा अमन की आयु = 3 x 20 = 60 वर्ष

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MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 17 चाणक्यनीतिः

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Durva Chapter 17 चाणक्यनीतिः (पद्यम्) (चाणक्यनीतितः)

MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 17 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखिए)।
(क) रविः केन तपते? (सूर्य को कौन तपाता है?)
उत्तर:
सत्येन (सत्य के द्वारा)

(ख) दरिद्रता कया विरानंते? (दरिद्रता किससे सुशोभित होती हैं?)
उत्तर:
धीरतया (धैर्य धारण करने के द्वारा)

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(ग) कर्मानुसारिणी का? (कर्म का अनुसरण कौन करती है?)
उत्तर:
बुद्धिः (बुद्धि)

(घ) केन शर्वरी आह्लादिता? (किससे रात खुश होती है?)
उत्तर:
चन्द्रेण (चन्द्रमा से)

(ङ) कुरूपता कया विराजते? (कुरूपता किससे सुशोभित होती है?)
उत्तर:
शीलतया (सदाचरण से)

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत-(एक वाक्य में उत्तर लिखिए)
(क) वाचा किं न प्रकाशयेत्? (वाणी से क्या प्रकट नहीं करना चाहिए?)
उत्तर:
मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा न प्रकाशयेत्। (मन से सोचे हुए काम को वाणी से प्रकट नहीं करना चाहिए।)

(ख) कैः पुत्राः विविधैः शीलैः नियोज्याः? (किसके द्वारा पुत्रों को विभिन्न सदाचरणों द्वारा लगाना चाहिए?)
उत्तर:
बुधैः पुत्राः विविधैः शीलैः नियोज्याः।। (विद्वानों के द्वारा पुत्र को विभिन्न सदाचरणों द्वारा लगाना चाहिए!)

(ग) कः सर्ववस्तुषु हीनः? (कौन सब वस्तुओं में हीन है?)
उत्तर:
विद्यारत्नेन हीनः सर्ववस्तुषु हीनः। (विद्या रूपी रत्न से हीन सब वस्तुओं में हीन है।)

(घ) कुलीनः दीनोऽपि कान् न त्यजति? (दीन होते हुए भी कुलीन क्या नहीं छोड़ता है?)
उत्तर:
कुलीनः दीनोऽपि शीलगुणान् न त्यजति। (दीन होते हुए भी कुलीन शीलगुणों को नहीं छोड़ते।)

(ङ) छिन्नोऽपि चन्दनतरुः किं न जहाति? (कटने पर भी चन्दन का पेड़ क्या नहीं छोड़ता?)
उत्तर:
छिन्नोऽपि चन्दनतरुः गन्धं न जहाति। (कटने पर भी चन्दन का पेड़ खुशबू नहीं छोड़ता है।)

प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिर-)
(क) सत्येन सर्वं कथं प्रतिष्ठितम् ? (सत्य से सब कैसे स्थित है?)
उत्तर:
पृथ्वी सत्येन धार्यते, रविः सत्येन तपते, वायुः सत्येन वाति। अनेन प्रकारेण सर्वं सत्येन प्रतिष्ठितम्। (सत्य के द्वारा पृथ्वी धारण की जाती है, सूर्य उष्णता प्रदान करता है, वायु बहती है। इस प्रकार सब सत्य के द्वारा ही स्थित है।)

(ख) किमर्थं बुधैः पुत्राः विविधैः शीलैः नियोज्याः? (किसलिए विद्वानों के द्वारा पुत्रों को शील आचरण में लगाना चाहिए?)
उत्तर:
बुधैः पुत्राः विविधैः शीलैः नियोज्या यतो हि शीलसम्पन्नाः नीतिज्ञाः कुलपूजिताः भवन्ति। (विद्वानों के द्वारा पुत्रों को विभिन्न सदाचरणों द्वारा लगाना चाहिए क्योंकि सदाचार से युक्त नीतिशास्त्र के ज्ञाता कुल में पूजे जाते हैं।)

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(ग) पदे-पदे केषां सम्पदः सुः? (कदम-कदम पर किन को खुशियाँ होती हैं?)
उत्तर:
येषां सतां हृदये परोपकरणं जागति, तेषां पदे-पदे सम्पदः स्युः। (जिन सज्जनों के मन में परोपकार की भावना जागृत रहती है, उनके कदम-कदम पर खुशियाँ होती हैं।)

प्रश्न 4.
प्रदत्तशब्दैः रिक्तस्थानानि पूरयत (दिए गए शब्दों से रिक्त स्थान भरिए-)
(गूढम्, सत्ये, धनहीनो, लीलाम्, सविद्यानाम्)
(क) सर्वं …………….. प्रतिष्ठितम्।
मन्त्रेण रक्षयेद् ……………..।
(ग) को विदेशः ……………..।
(घ) …………….. न हीनश्च।
(ङ) वृद्धोऽपि वारणपतिर्न जहाति ………….
उत्तर:
(क) सत्ये
(ख) गूढम्
(ग) सविद्यानाम्
(घ) धनहीनो
(ङ) लीलाम्

प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत-(उचित क्रम से जोडिए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 17 चाणक्यनीतिः img 1
उत्तर:
(क) 3
(ख) 4
(ग) 2
(ड) 1

प्रश्न 6.
शुन्द्रवाक्यानां समक्षम् जाम् अशुद्धवाक्यानां समक्षम् “न” इति तिखत-)
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ लिखिए)
(क) सत्येन वायुः वाति।
(ख) प्रियवादिना कोऽपि न परः।
(ग) कदन्नता उष्णतया न विराजते।
(घ) कर्मायत्तं पुंसां फलम्।
(ड) छिन्नः चन्दनतरुः गन्धं जहाति।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) आम्
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) न।

प्रश्न 7.
अधोलिखितशब्दानां मूलशब्दं विभक्तिं वचनञ्च लिखत
(नीचे लिखे शब्दों के मूलशब्द, विभक्ति और वचन लिखिए)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 17 चाणक्यनीतिः img 2
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 17 चाणक्यनीतिः img 9

प्रश्न 8.
निम्नलिखितक्रियापदानां धातुं लकारं पुरुषं ववनं च लिखत
(नीचे लिखे क्रियापदों के धातु, लकार, पुरुष और वचन लिखिए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 17 चाणक्यनीतिः img 3
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 17 चाणक्यनीतिः img 4

प्रश्न 9.
अधोलिखितपदानां सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम लिखत
(नीचे लिखे पदों के सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम लिखिए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 17 चाणक्यनीतिः img 5
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 17 चाणक्यनीतिः img 6

प्रश्न 10.
अधोलिखितसमासानां विग्रहं कृत्वा समासनाम लिखत
(नीचे लिखे समासों को विग्रह कर समास का नाम लिखिए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 17 चाणक्यनीतिः img 7
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 17 चाणक्यनीतिः img 8

प्रश्न 11.
प्रदत्तश्लोकान्वयस्य पूर्तिं कुरुत
(दिए गए श्लोक का अन्वय पूरा कीजिए-)
बुधैः …………….. विविधैः शीलैः
(यतो हि) …………….. नीतिज्ञाः ……………..भवन्ति।
उत्तर:
बुधैः पुत्रा. विविधैः शीलैः सततं नियोज्याः।
(यतो हि) शीलसम्पन्नाः नीतिज्ञाः कुलपूजिताः भवन्ति।

योग्यताविस्तार –

पाटे समागतान् श्लोकान् कण्ठस्थं कुरुत।
पाठ में आए श्लोकों को कण्ठस्थ करो।

“चाणक्यनीति” इत्यस्मात् पुस्तकात् चित्वा (पाठे समागतान् श्लोकान् विहाय) अन्यान् दशश्लोकान् लिखत।
‘चाणक्यनीति’ पुस्तक से चुनकर अन्य दस श्लोक लिखो।

चाणक्येन विरचितानि अन्यानि पुस्तकानि पठत।
चाणक्य द्वारा रचित अन्य पुस्तकें पढ़ो।

चाणक्येतरदशनीतिश्लोकान् लिखत।।
चाणक्य से अलग दस नीति श्लोक लिखो।

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चाणक्यनीतिः पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ में ‘चाणक्य’ द्वारा रचित नीति से सम्बन्धित कुछ श्लोक दिए गए हैं, जिससे छात्रों को नीति का सम्यक् ज्ञान हो सके। ये श्लोक चाणक्य द्वारा रचित ‘चाणक्यनीतिः’ नामक ग्रन्थ से लिए गए हैं।

चाणक्यनीतिः पाठ का अनुवाद

1. सत्येन धार्यते पृथ्वी सत्येन तपते रविः।
सत्येन वाति वायुश्च सर्वं सत्ये प्रतिष्टितम्॥1॥

अन्वयः :
पृथ्वी सत्येन धार्यते, रविः सत्येन तपते, वायुः सत्येन वाति, सर्वं च सत्ये प्रतिष्ठितम् (अस्ति)।

शब्दार्थाः :
धार्यते-धारण की जाती है-is born (propped); तपते-उष्णता प्रदान करता है-gives heat; वाति-बहता है-blows; प्रतष्ठितम्-स्थित है-is established.

अनुवाद :
धरती सत्य से धारण की जाती है। सूर्य सत्य से तपता है, वायु सत्य से बहती है, सब सत्य में स्थित है। Englisit-The earth, the sun, the wind-all of their props in truth.

2. मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा नैव प्रकाशयेत्।
मन्त्रेण रक्षयेद् गूढं कार्थे चाऽपि नियोजयेत्॥2॥

अन्वयः :
मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा न एव प्रकाशयेत्, गूढं मन्त्रेण रक्षयेत्। कार्ये च अपि नियोजयेत्।

शब्दार्थाः :
वाचा-वाणी के द्वारा-through speech; प्रकाशयेत्-प्रकट करना चाहिए-should beexpressed;गूढम्-गोपनीय-secret;मन्त्रेण-विचारपूर्वक- thoughtfully; नियोजयेत्-लगाना चाहिए-put.

अनुवाद :
मन से सोचे हुए कार्य को वाणी से प्रकट नहीं करना चाहिए। गुप्त को विचारपूर्वक रखना चाहिए। और कार्य में भी लगाना चाहिए।

English :
Don’t express your thoughts with speech. A secret must be preserved and put into action.

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3. पुत्राश्च विविधैः शीलैर्नियोज्याः सततं बुधैः।
नीतिज्ञाः शीलसम्पन्ना भवन्ति कुलपूजिताः॥3॥

अन्वयः :
बुधैः पुत्राः विविधैः शीलैः सततं नियोज्याः। (यतो हि) शीलसम्पन्नाः नीतिज्ञाः कुलपूजिताः भवन्ति।

शब्दार्थाः :
बुधैः-विद्वानों के द्वारा-by the learned; शीलैः-सदाचरणों के द्वारा-through good conduct; कुलपूजिताः-कुल में सम्मानित/जनसाह में पूजित-honoured in family and society.

अनुवाद :
विद्वानों के द्वारा पुत्रों को विभिन्न सदाचरणों के द्वारा निरंतर लगाना चाहिए। क्योंकि सदाचार युक्त नीतिशास्त्र के ज्ञाता कुल में पूजे जाते हैं।

English :
Engage sons in noble conduct. A man of good moral conduct earns respect in family.

4. को हि भारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम्।
को विदेशः सविद्यानांकः परः प्रियवादिनाम्।।4॥

अन्वयः :
हि समर्थानां कः भारः? व्यवसायिनां कि दूरम्? सविद्यानां कः विदेशः? प्रियवादिनां कः पारः? (अर्थात् कोऽपि नास्ति ।)

शब्दार्थाः :
समर्थानाम्-सक्षम लोगों के लिए-for the capable; व्यवसायिनाम्-उद्यमशील लोगों के लिए-for the industrious; परः-शत्रु पराया-enemy.

अनुवाद :
सक्षम लोगों के लिए भार क्या है? उद्यमशील (परिश्रमी) लोगों के लिए दूर क्या है? विद्या से युक्त लोगों के लिए विदेश क्या है ? प्रिय बोलने वालों के लिए कौन पराया है? (अर्थात् कोई भी नहीं।)

English :
The capable, industrious, learned and sweet talkers know no burden, distance, foreign country or enemy respectively.

5. दरिद्रता धीरतया विराजते, कुवस्त्रता शुभ्रतया विराजते।
कदन्नता चोष्णतया विराजते, कुरूपता शीलतया विराजते।।5॥

अन्वयः :
दरिद्रता धीरतया विराजते, कुवस्त्रता शुभ्रतया विराजते, कदन्नता उष्णतया विराजते, कुरुपता च शीलतया विराजते।

शब्दार्थाः :
धीरतया-धैर्य धारण करने से-through patience, forbearance; कदन्नता-निम्न कोटी का अन्न-third-rate foodstuff; विराजते-सुशोभित होता होती है-is adorned.

अनुवाद :
दरिद्रता धैर्य धारण करने से सुशोभित होती है, बुरे वस्त्र स्वच्छता से सुशोभित होते हैं, निम्न कोटि का अन्न ताप से सुशोभित होता है और कुरुपता शील स्वभाव से सुशोभित होती है।

English :
Misery, poverty, cheap clothes, third-rate food items and vulgarity are adorned by forbearance, cleanliness, heat (warmth) and noble conduct respectively.

6. धनहीनो न हीनश्च धनिकः सः सुनिश्चयः।
विद्यारत्नेन यो हीनः सः हीनः सर्ववस्तुषु॥6॥

अन्वयः :
यः धनहीनः सः हीनः न, (अपितु) सः सुनिश्चयः धनिकः, विद्यारत्नेन हीनः सः सर्ववस्तुषु हीनः (अस्ति)।

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शब्दार्था: :
धनहीनः-धन से रहित – one who lacks money; सुनिश्चयः-निश्चयपूर्वक-definitely-by all means; सर्ववस्तुषु-सभी वस्तुओं में-in everything.

अनुवाद :
जो धन से रहित है, वह हीन नहीं है, बल्कि वह निश्चयपूर्वक धनी है। विद्या रूपी रत्न से जो हीन है वह सब वस्तुओं से हीन होता है।

English :
One who is without money is not a destitute. He is otherwise wealthy. He alone is a pauper who is deprived of learning.

7. कर्मायत्तं फलं पुंसां बुद्धिः कर्मानुसारिणी।
तथापि सुधियश्चार्याः सुविचार्यैव कुर्वते॥7॥

अन्वयः :
पुंसां कर्मायत्तं फलम्, बुद्धि, कर्मानुसारिणी, तथापि सुधियः आर्याः च सुविचार्य एव कुर्वते।

शब्दार्थाः :
पुंसाम्-मनुष्यों का-of men; कर्मायत्तम्-कर्म के अनुसार-according to action; सुधियः-विद्वान् लोग-learned people; आर्याः-श्रेष्ठ लोग-noble persons; कुर्वते-करते हैं-do.

अनुवाद :
मनुष्यों को कर्म के अनुसार फल मिलता है, बुद्धि कर्म का अनुसरण करती है। इसीलिए विद्वान और श्रेष्ठ लोग अच्छी प्रकार से विचार करके ही कार्य करते हैं।

English :
Actions are result-oriented-wisdom follows actionwise and noble persons should act thoughtfully.

8. छिन्नोऽपि चन्दनतरुन जहाति गन्धं, वृद्धोऽपि वारणपतिर्न जहाति लीलाम् ।
यन्त्रार्पितो मधुरतां न जहाति चेक्षुः, दीनोऽपि न त्यजति शीलगुणान् कुलीनः॥8॥

अन्वयः :
छिन्नः चन्दनतरुः अपि गन्धं न जहाति, वृद्धः वारणपतिः अपि लीलां न जहाति, यन्त्रार्पितः इक्षुः मधुरतां न जहाति, कुलीनः च दीनः अपि शीलगुणान् न त्यजति।

शब्दार्थाः :
छिन्नः-कटा हुआ-which is cut; जहाति-छोड़ता है-leaves, deserts; यन्त्रार्पितः-यन्त्र (कोल्ह) में डाला गया-put insugar crasher; इक्षुः-गन्ना-sugarcane; शीलगुणान्-सच्चरित्रादि गुणों को-qualities like noble conduct; त्यजति-छोड़ता है-leaves, quits.

अनुवाद :
कटा हुआ चन्दन का वृक्ष भी अपनी सुगन्ध नहीं छोड़ता है। बूढ़ा हाथियों का स्वामी भी खेल नहीं छोड़ता है, यन्त्र (कोल्हू) में डाला गया गन्ना अपनी मधुरता को नहीं छोड़ता। कुलीन और दीन भी अपने सच्चरित्रादि गुणों को नहीं छोड़ता है।

English :
Acut out sandal tree, an old lord of elephants-a sugarcanea noble born and poor fellow do not forsake their fragrance, sportive nature, sweetness and noble qualities respectively.

9. एकेनाऽपि सुपुत्रेण विद्यायुक्तेन साधुना।
आह्लादितं कुलं सर्वं यथा चन्द्रेण शर्वरी॥9॥

अन्वयः :
एकेन सुपुत्रेण विद्यायुक्तेन साधुना अपि सर्वं कुलम् आह्लादितं, यथा चन्द्रेण शर्वरी (आहलाद्यते)।

शब्दार्थाः :
सुपुत्रेण-सद्गुणी पुत्र के द्वारा-by son of noble qualities; आहुलादितम्-प्रसन्न किया गया-delighted; शर्वरी-रात्रि-night.

अनुवाद :
एक सुपुत्र के द्वारा, विद्या से युक्त के द्वारा तथा सज्जन के द्वारा भी पूरा कुल आनन्दिा किया जाता है, जैसे चन्द्रमा के द्वारा रात को।

English :
A worthy, educated and noble son delights the entire family-The moon also does the same by lighting the night.

10. परोपकरणं येषां जागर्ति हृदये सताम्।
नश्यन्ति विपदस्तेषां सम्पदः स्युः पदे पदे।।10॥

अन्वयः :
येषां सतां हृदये परोपकरणं जागर्ति तेषां विपदः नश्यन्ति, पदे पदे सम्पदः स्युः।

शब्दार्थाः :
परोपकरणम्-दूसरों का भला करना-doing good to others; विपदः-विपत्तियाँ-difficulties; पदे-पदे-कदम-कदम पर-at every step; स्युः-हों-be.

अनुवाद :
जिन सज्जनों के हृदय में दूसरों का भला करने की भावना जागृत रहती है, उनकी विपत्तियाँ नष्ट हो जाती हैं और कदम-कदम पर खुशियाँ होती हैं।

English :
The gentlemen who have a feeling of others’ welfare are rid of difficulties and seek pleasure at every step.

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MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 5 सौरमण्डल में हमारी पृथ्वी

MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 5 सौरमण्डल में हमारी पृथ्वी

MP Board Class 6th Social Science Chapter 5 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

(अ) पाठ्य पुस्तक पृष्ठ संख्या 21 – 22 पर दी गई तालिका का अध्ययन कर लिखिए:
1. सौर परिवार का मुखिया …………… है।
2. ग्रह जिस पर पूर्ण जीवन है …………….. है।
3. सूर्य के सबसे निकट वाला ग्रह …………. है।
4. पीले रंग का सबसे बड़ा ग्रह ……………….. है।
5. पृथ्वी ग्रह का उपग्रह
उत्तर:
1. सूर्य
2. पृथ्वी
3. बुध
4. बृहस्पति
5. चन्द्रमा।

(ब) नीचे दी गई सारणी में उपयुक्त जानकारी भरें:
उत्तर:
MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 5 सौरमण्डल में हमारी पृथ्वी

MP Board Class 6th Social Science Chapter 5 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए –
(अ) सूर्य में ऊर्जा कैसे पैदा होती है ?
उत्तर:
सूर्य कई ज्वलनशील गैसों का जलता हुआ पिण्ड है जिसमें हाइड्रोजन, हीलियम आदि प्रमुख हैं जो निरन्तर जलती रहती है। इनसे ही सूर्य में ऊर्जा उत्पन्न होती है।

(ब) पृथ्वी के तीन परिमण्डल कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
पृथ्वी के तीन परिमण्डल हैं-वायुमण्डल, जलमण्डल और स्थलमण्डल।

(स) सूर्य के महत्त्व को समझाइए।
उत्तर:
सूर्य ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। यह सभी ग्रहों और उपग्रहों का प्रमुख है। सभी इसकी परिक्रमा करते हैं और इसके ही प्रकाश से प्रकाशित होते हैं। यदि सूर्य न हो तो हम किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना नहीं कर सकते।

(द) सौरमण्डल के ग्रहों के नाम लिखिए।
उत्तर:
ग्रह संख्या में आठ हैं जिनके नाम निम्नलिखित हैं-बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस (अरुण), और नेपच्यून (वरुण)।

(य) ग्रह एवं तारे में क्या अन्तर है ? लिखिए।
उत्तर:
तारा और ग्रह में अन्तर:

  • तारों की अपनी ऊष्मा होती है और वे अपने ही प्रकाश से चमकते हैं, जबकि ग्रह सूर्य के प्रकाश से चमकते हैं।
  • तारों की चमक स्थिर नहीं होती, जबकि ग्रहों की चमक स्थिर रहती है।
  • आकाश में तारे स्थिर रहते हैं, जबकि ग्रह अपना स्थान बदलते रहते हैं।

(र) कौन-सी गैस हमारी जीवन रक्षक है ?
उत्तर:
ओजोन गैस हमारी जीवन रक्षक है। वायुमण्डल में स्थित ओजोन गैस की परत सूर्य की पराबैंगनी जैसी घातक किरणों से हमारी रक्षा करती है। यदि ओजोन परत नहीं होती तो सारे जीव और वनस्पति नष्ट हो जाते।

(ल) पृथ्वी पर पाई जाने वाली तीन महत्त्वपूर्ण गैसों के नाम लिखिए। इनमें जीवनदायिनी गैस कौन-कौन सी है ?
उत्तर:
पृथ्वी पर पाई जाने वाली तीन महत्त्वपूर्ण गैसें हैं-ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कार्बन डाइ-ऑक्साइड। इनमें से ऑक्सीजन गैस जीवनदायिनी है।

(व) ग्रह एवं उपग्रह में अन्तर बताइए।
उत्तर:
ग्रह और उपग्रह में अन्तर –

  • ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं, जबकि उपग्रह अपने ग्रहों की परिक्रमा करते हैं।
  • सौरमण्डल में ग्रहों की संख्या आठ है, जबकि उपग्रह संख्या में 44 हैं।
  • उपग्रहों की तुलना में ग्रह आकार में बड़े होते हैं।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए
(अ) सौरमण्डल किसे कहते हैं ? सौरमण्डल के ग्रहों को चित्र सहित नामांकित कीजिए।
उत्तर:
सूर्य, सभी ग्रहों और उपग्रहों से मिलकर सौरमण्डल बना होता है। इसी ‘सौरमण्डल’ को सौर परिवार भी कहते हैं।

सौरमण्डल के ग्रहों का चित्र सहित वर्णन –
(1) सूर्य-सूर्य का अपना ही प्रकाश और गर्मी होती है। यह एक तारा है। सभी ग्रह सूर्य की ही आकर्षण शक्ति से एक-दूसरे से बँधे रहते हैं और सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सभी ग्रहों तथा उपग्रहों को ऊष्मा व प्रकाश सूर्य से ही मिलता है।

(2) ग्रह – ग्रह संख्या में आठ होते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  • बुध – बुध सूर्य के सबसे अधिक पास का ग्रह है। इसका कोई उपग्रह नहीं है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 88 दिन का समय लगता है।
  • शुक्र – इसका कोई उपग्रह नहीं होता तथा आकार में पृथ्वी के बराबर होता है। यह 225 दिन में सूर्य की परिक्रमा करता है।
  • पृथ्वी – इसका उपग्रह चन्द्रमा होता है। सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 365 7 दिन का समय लगता है। इस ग्रह पर जीवन पाए जाने के कारण इसे जीवित ग्रह भी कहते हैं।
  • मंगल – इसके दो उपग्रह हैं। यह 687 दिन में सूर्य की परिक्रमा पूरी कर लेता है।
  • बृहस्पति – यह सभी ग्रहों में बड़ा है। इसके 12 उपग्रह हैं। सूर्य की परिक्रमा यह 11 वर्ष 9 महीने में पूरी करता है।
  • शनि – इसके 20 उपग्रह हैं। सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 29 वर्ष 5 माह का समय लगता है। यह सौरमण्डल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
  • अरुण (यूरेनस) – यह सूर्य की परिक्रमा 84 वर्ष में पूरी करता है।
  • वरुण (नेपच्यून) – इसके 8 उपग्रह हैं। यह 165 वर्ष में सूर्य की परिक्रमा करता है।

MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 5 सौरमण्डल में हमारी पृथ्वी img 2

(ब) पृथ्वी एक अनोखा व जीवित ग्रह कैसे है ? समझाइए।
उत्तर:
पृथ्वी सौरमण्डल का एक महत्त्वपूर्ण सदस्य है। सौर मण्डल ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्माण्ड में केवल पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन पाया जाता है। इसलिए इसे अनोखा और जीवित ग्रह कहते हैं।

निम्नलिखित कारणों से भी यह अनोखा व जीवित ग्रह है –

  • पृथ्वी पर जल ठोस, तरल और गैसीय अवस्था में मिलता है। यहाँ जल की उपलब्धता से जीवन का विकास हुआ है।
  • पृथ्वी पर जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है जो किसी भी प्रकार के जीवन के लिए आवश्यक है।
  • पृथ्वी पर वायुमण्डल, जलमण्डल और स्थलमण्डल का विस्तार है, तीनों का आपस में उचित सन्तुलन बना हुआ है। इसके अलावा पृथ्वी पर 12-12 घण्टे वाले दिन रात की आदर्श अवधि भी यहाँ जीवन के विकास में सहायक है।

(स) प्राकृतिक व कृत्रिम उपग्रह किसे कहते हैं ? पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वे आकाशीय पिण्ड जो अपने ग्रहों की परिक्रमा करने के साथ सूर्य की परिक्रमा भी करते हैं प्राकृतिक उपग्रह कहलाते हैं जबकि मानव द्वारा निर्मित छोटे और अस्थायी ग्रह कृत्रिम उपग्रह कहलाते हैं। पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा है। यह आकार में पृथ्वी का 1 / 4 है। पृथ्वी से इसकी औसत दूरी 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है। यह पृथ्वी की परिक्रमा 30 दिनों में पूरी करता है। यह सूर्य से प्रकाशित होता है।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रत्येक वाक्य का एक-एक पारिभाषिक शब्द बताइए
(अ) सारे पदार्थों, सारी आकाशगंगाओं, सारी ऊर्जा तथा अन्तरिक्ष का अन्तहीन समूह।
उत्तर:
ब्रह्माण्ड

(ब) वह दूरी जिसे प्रकाश तीन लाख किमी प्रति सेकण्ड के वेग से एक वर्ष में तय करता है।
उत्तर:
प्रकाश वर्ष

(स) तारों भरे आकाश में बादलों जैसी दूधिया पट्टी।
उत्तर:
आकाश गंगा

(द) मंगल और बृहस्पति के बीच सौरमण्डल में छोटे-छोटे असंख्य पिण्डों की पट्टी।
उत्तर:
क्षुद्र ग्रह।

प्रश्न 4.
सही जोड़ी बनाइएअ –
MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 5 सौरमण्डल में हमारी पृथ्वी img 3
उत्तर:
(अ) (iv) प्रोक्सिमा सेन्चुरी
(ब) (v) बृहस्पति
(स) (ii) चन्द्रमा
(द) (iii) वरुण
(य) (i) बुध

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.3

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.3

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प्रश्न 1.
निम्न समीकरणों को हल कीजिए और अपने उत्तर की जाँच कीजिए –
1. 3x = 2x + 18
2. 5t – 3 = 3t – 5
3. 5x + 9 = 5 + 3x
4. 4z + 3 = 6 + 2z
5. 2x – 1 = 14 – x
6. 8x + 4 = 3(x – 1) + 7
7. x = \(\frac{4}{5}\) (x + 10)
8. \(\frac{2x}{3}\) + 1 = \(\frac{7x}{15}\) +3
9. 2y + \(\frac{5}{3}\) = – y
10. 3m = 5m – \(\frac{8}{5}\)
हल:
1. 3x = 2x + 18
⇒ 3x – 2x = 18
(2x को बायीं ओर पक्षान्तर करने पर)
⇒ x = 18
जाँच: समीकरण में x = 18 रखने पर,
बायाँ पक्ष = 3x = 3 x 18 = 54
दायाँ पक्ष = 2x + 18 = 2 x 18 + 18
= 36 + 18 = 24
अतः x = 18 के लिए, बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष।

2. 2t – 3 = 3t – 5 – 3 को दायीं ओर तथा
-3 को बायीं ओर पक्षान्तर करने पर,
∴ 5t – 3t = – 5 + 3
2t = – 2
दोनों ओर 2 से भाग करने पर,
\(\frac{2t}{2}\) = \(\frac{-2}{2}\)
या t = – 1
जाँच: समीकरण में t = – 1 रखने पर,
बायाँ पक्ष = 5t – 3 = 5(-1) – 3 = – 5 – 3 = – 8
दायाँ पक्ष = 3t – 5 = 3(-1) – 5 = – 3 – 5 = – 8
अतः t = – 1 के लिए, बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष

3. 5x + 9 = 5 + 3x
या 5x – 3x = 5 – 9
(3x को बायीं ओर 9 को दायीं ओर पक्षान्तर करने पर)
या 2x = – 4
या \(\frac{2x}{2}\) = \(\frac{-4}{2}\)
(दोनों पक्षों को 2 से भाग करने पर)
या x = – 2
जाँच: समीकरण में x = – 2 रखने पर,
बायाँ पक्ष = 5x + 9= 5 (-2) +9 = – 10 + 9 = – 1
दायाँ पक्ष = 5 + 3x = 5 + 3 x (-2)= 5 – 6 = – 1
अतः x = – 2 के लिए, बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष।

4. 4z + 3 = 6 + 2z
या 4z – 2z = 6 – 3
(3 को दायीं ओर और 6 को बायीं ओर पक्षान्तर करने पर)
या 2z = 3
या \(\frac{2z}{2}\) = \(\frac{3}{2}\)
(दोनों पक्षों को 2 से भाग करने पर)
या x = \(\frac{3}{2}\)
जाँच: समीकरण में z = 3/2 रखने पर,
बायाँ पक्ष = 4z + 3 = 4 x \(\frac{3}{2}\) + 3 = 6 + 3 = 9
दायाँ पक्ष = 6 + 2x = 6 + 2 x \(\frac{3}{2}\) = 6 + 3 = 9.
अतः z = 3/2 के लिए, बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष।

5. 2x – 1 = 14 – x
2x + x = 14+1
(-1 को दायीं ओर तथा –x को बायीं ओर पक्षान्तर करने पर)
या 3x = 15
या \(\frac{3x}{3}\) = \(\frac{15}{3}\)
(दोनों पक्षों को 3 से भाग करने पर)
या x = 5
जाँच: समीकरण में x = 5 रखने पर,
बायाँ पक्ष = 2x – 1 = 2 x 5 – 1 = 10 – 1 = 9
दायाँ पक्ष = 14 – x = 14 – 5 = 9
अतः x = 5 के लिए, बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष।

6. 8x+ 4 = 3(x – 1) + 7
या 8x + 4 = 3x – 3 + 7
या 8x + 4 = 3x + 4
या 8x – 3x = 4 – 4
(3x को बायीं ओर और 4 को दायीं ओर पक्षान्तर करने पर)
या 5x = 0 ⇒ \(\frac{5x}{5}\) = \(\frac{0}{5}\)
(दोनों ओर 5 से भाग करने पर)
या x = 0
जाँच: समीकरण में x = 0 रखने पर,
बायाँ पक्ष = 8x + 4 = 0 = 8 x 0 + 4 = 0 + 4 =4
दायाँ पक्ष = 3(x – 1) + 7 = 3(0 – 1) + 7 = – 3 + 7 = 4
अतः x = 0 के लिए, बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष।

7. x = \(\frac{4}{5}\) (x + 10)
या 5x = 4(x + 10)
(दोनों ओर 5 से गुणा करने पर)
या 5x = 4x + 40
या 5x – 4x = 40
(4x का पक्षान्तर करने पर)
या x = 40
जाँच: समीकरण में x = 40 रखने पर,
बायाँ पक्ष = x = 40
दायाँ पक्ष = \(\frac{4}{5}\) (x + 10) = \(\frac{4}{5}\)(40 + 10) = \(\frac{4×5}{+5}\) = 40
अतः x = 40 के लिए, बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष।

8. \(\frac{2x}{3}\) + 1 = \(\frac{7x}{15}\) + 3
दोनों पक्षों को 15 से गुणा करने पर,
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.3 img-1
या 10x + 15 = 7x + 45
या 10x – 7x = 45 – 15
(7x तथा 15 को पक्षान्तर करने पर)
या 3x = 30
या \(\frac{3x}{3}\) = \(\frac{30}{3}\)
(दोनों ओर 3 से भाग करने पर)
या x = 10
जाँच: समीकरण में x = 10 रखने पर,
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.3 img-2
अत: x = 10 के लिए, बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष।

9. 2y + \(\frac{5}{3}\) = \(\frac{26}{3}\) – y
या 2y + y = \(\frac{26}{3}\) – \(\frac{5}{3}\)
(\(\frac{5}{3}\) तथा – y को पक्षान्तर करने पर)
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.3 img-3
(दोनों ओर 3 से भाग करने पर)
या y = \(\frac{7}{3}\)
जाँच: समीकरण में y = \(\frac{7}{3}\) रखने पर
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.3 img-4
अतः y = \(\frac{7}{3}\) के लिए, बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष।

10. 3m = 5 – \(\frac{8}{5}\)
या 3m – 5m = \(-\frac{8}{5}\)
(5m को पक्षान्तर करने पर) – 2m = – 3
या – 2m = \(-\frac{8}{5}\)
या \(\frac{-2m}{-2}\) = \(\frac{-8}{5(-2)}\)
(दोनों ओर – 2 भाग करने पर)
या m = \(\frac{4}{5}\)
जाँच: समीकरण में m = \(\frac{4}{5}\) रखने पर,
बायाँ पक्ष = 3m = 3 x \(\frac{4}{5}\) = \(\frac{12}{5}\)
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.3 img-5
अतः m = \(\frac{4}{5}\) के लिए, बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष।

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MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 4 पारस्परिक निर्भरता

MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 4 पारस्परिक निर्भरता

MP Board Class 6th Social Science Chapter 4 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गाँव और शहरों द्वारा उत्पादित / तैयार वस्तुओं की सूची बनाइए।
उत्तर
MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 4 पारस्परिक निर्भरता img 1

MP Board Class 6th Social Science Chapter 4 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए
(1) प्राचीन काल में मनुष्य की आवश्यकताएँ कैसी थीं?
उत्तर:
प्राचीन काल में मनुष्य की आवश्यकताएँ बहुत सीमित थीं। इनकी पूर्ति वह स्वयं कर लेता था।

(2) मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ क्या हैं ?
उत्तर:
भोजन, कपड़ा, आवास मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं।

(3) अनाज, सब्जी व फल कहाँ उत्पादित होते हैं ?
उत्तर:
अनाज, सब्जी व फल अधिकतर गाँवों में उत्पादित होते हैं।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए
(अ) पारस्परिक निर्भरता किसे कहते हैं ? बताइए।
उत्तर:
किसी कार्य अथवा आवश्यकता के लिए एक-दूसरे पर निर्भर होना पारस्परिक निर्भरता कहलाता है। जैसे-शहर के लोग गाँव के लोगों द्वारा उत्पादित वस्तुएँ (अनाज, सब्जियाँ, फल आदि) के लिए गाँवों पर निर्भर रहते हैं, इसी प्रकार गाँव के लोग भी शहर में स्थापित कारखानों में बनी वस्तुओं के लिए उन पर निर्भर रहते हैं।

(ब) पारस्परिक निर्भरता की आवश्यकता क्यों पड़ती है ? दो देशों के मध्य पारस्परिक निर्भरता को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
अपनी आवश्यकताओं एवं रुचियों की पूर्ति के लिए व्यक्ति को पारस्परिक निर्भरता की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार किसी एक देश में सभी आवश्यकता की चीजें उपलब्ध नहीं होती या कम मात्रा में होती हैं, इसलिए उन्हें दूसरे देशों से मँगाना पड़ता है। हम भारत का ही उदाहरण लें तो यहाँ पेट्रोलियम पदार्थ (पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल), सेना के उपयोग के लिए आधुनिक उपकरण, हथियार आदि दूसरे देशों से मँगाये जाते हैं। भारत से मसाले, चाय, सीमेण्ट, तैयार कपड़े आदि दूसरे देशों को भेजे जाते हैं।

(स) नागरिक जीवन में परस्पर निर्भरता का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
सामाजिक जीवन आपसी सहयोग पर निर्भर करता है। सभी नागरिक एक साथ मिलकर रहते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं। इससे सामाजिक जीवन बेहतर और सुविधाजनक हो जाता है। यही नागरिक जीवन में परस्पर निर्भरता का महत्त्व है।

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प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(अ) हमारा नागरिक जीवन परस्पर ………….. और …………. पर निर्भर करता है।
(ब) एक क्षेत्र में सभी तरह की ………… नहीं उगायी जातीं।
उत्तर:
(अ) सहयोग, कर्त्तव्य पालन
(ब) फसलें।

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MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 2 आदिमानव

MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 2 आदिमानव

MP Board Class 6th Social Science Chapter 2 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पाठ्य पुस्तक पृष्ठ संख्या 6 पर दिये गये देखो और नीचे बनी तालिका को भरो।
उत्तर:
MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 2 आदिमानव img 1

MP Board Class 6th Social Science Chapter 2 अभ्यास प्रश्न

1. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर लिखिए –
(अ) आदिमानव अपने औजार किससे बनाता था ?
उत्तर:
आदिमानव पत्थरों, लकड़ी तथा जानवरों की हड्डियों और सींगों से हथियार बनाता था। पत्थरों के हथियार अधिकतर चकमक पत्थरों से बनाए जाते थे। इन हथियारों में पत्थरों से बने हथौड़े, कुल्हाड़ियाँ तथा वसूले प्रमुख थे। आरम्भ में हथियार को बिना मूठ तथा हत्थे के ही काम में लाया जाता था। बाद में लकड़ी के हत्थों में बाँधकर इनका प्रयोग किया जाने लगा। आगे चलकर जब मनुष्य ने धातु की खोज कर ली तो वह धातु के हथियार बनाना भी सीख गया।

(ब) आदिमानव पत्थर के औजार किस-किस काम में लाते थे ?
उत्तर:
आदिमानव पत्थरों के औजारों का उपयोग जानवरों का शिकार करने, माँस काटने, लकड़ी काटने, कन्दमूल खोदने आदि के लिए करता था।

(स) मध्यप्रदेश के किन-किन जिलों में शैलचित्र मिलते हैं ?
उत्तर:
मध्यप्रदेश के रायसेन, होशंगाबाद, मन्दसौर आदि जिलों में शैलचित्र मिलते हैं।

(द) आदिमानव जानवरों से अपनी रक्षा किस तरह करता था ?
उत्तर:
सर्वप्रथम आदिमानव जानवरों से अपनी रक्षा करने के लिए पेड़ों पर रहता था। जब आदिमानव ने आग जलाना सीख लिया तब वह आग जलाकर जानवरों से रक्षा करने लगा। क्योंकि उसने जान लिया था कि जानवर आग से डरते हैं।

(य) आग की खोज कैसे हुई ? इससे आदिमानव को क्या लाभ हुए ?
उत्तर:
अनुमान है कि दो चकमक पत्थरों के आपस में टकराने से आग की चिंगारियाँ निकलीं जिससे पास ही पड़ी हुई पत्तियाँ जलने लगीं। इससे आदिमानव आग जलाना सीख गया। इस प्रकार आग की खोज संयोग से हुई। आदिमानव ने जब चकमक पत्थर की सहायता से आग जलाना सीख लिया तो वह रात के समय गुफा में आग जलाकर जंगली जानवरों से अपनी रक्षा करने लगा। उसने उजाला करना सीख लिया। आग में वह माँस भूनकर खाने लगा। इस प्रकार आग से उसे अनेक लाभ हुए।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए –
(अ) मानव का क्रमिक विकास बताइए।
उत्तर:
लाखों साल पहले इस पृथ्वी पर मानव का जन्म हुआ था। पहले मानव दोनों हाथों और दोनों पैरों पर चलता था और जंगलों में रहता था। वह पेड़ों की जड़ और फूल-पत्तियाँ खाता था। कुछ छोटे जानवरों को मारकर भी वह खा जाता था। धीरे-धीरे यह वानर जैसा मानव विकास करता गया और वह अपने शरीर को सन्तुलित कर दो पैरों पर चलने लगा।

अपने दोनों हाथों से उसने खोदने, पकड़ने और उठाने का काम सीख लिया। शारीरिक परिवर्तनों के साथ उसके सोचने-समझने की शक्ति भी विकसित होने लगी। वह अपनी मूलभूत जरूरतों जैसे भोजन, आवास और सुरक्षा के बारे में सोचने लगा। वह भोजन इकट्ठा करने लगा और उसने पत्थर के औजार भी बना लिए। इस प्रकार मानव का विकास होता गया। यहाँ तक का उसके विकास का युग पुरा पाषाण युग कहलाता है।

आगे चलकर उसने आग जलाना सीख लिया। वह माँस को भूनकर खाने लगा और आग से ही प्रकाश प्राप्त करने लगा। आदिमानव के विकास का यह युग मध्य पाषाण युग कहलाता है। धीरे-धीरे आदि मानव ने पशुपालन और कृषि करना सीख लिया। इससे उसका भोजन के लिए भटकना बन्द हो गया। उसने पहिये की खोज की और वह निरन्तर प्रगति करता गया। उसका यह विकास का युग नव पाषाण युग कहलाता है। यही मानव का क्रमिक विकास है।

(ब) मानव खेती करना और पशुपालन करना कैसे सीखा ? विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
नव पाषाण युग से पहले आदिमानव भोजन की तलाश में यहाँ-वहाँ घूमता रहता था। नव पाषाण काल में उसने पशुपालन और खेती करने के प्रारम्भिक तरीकों की खोज कर ली थी। इसी कारण आदिमानव का भोजन की तलाश में यहाँ-वहाँ घूमना कम हो गया था। आदिमानव को यह समझ में आ गया था कि मानव और पशु – पक्षियों द्वारा फेंके हुए फलों के बीजों से नए पौधे उग आते हैं, यही खेती करने की कला उसकी एक महत्वपूर्ण खोज थी।

वह यह भी जान गया था कि शिकार के साथ – साथ पशुपालन उसके लिए महत्वपूर्ण है। वह अनेक पशुओं को पालने लगा था और उनसे काम भी लेने लगा था। शिकार करने में कुत्ते, खेती करने में बैल, दूध प्राप्त करने के लिए गाय, भैंस, बकरी, माँस प्राप्त करने के लिए बकरा, सवारी के लिए बैल, भैंसा, ऊँट, घोड़े का वह उपयोग करना सीख गया था।

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टिप्पणी लिखिए
प्रश्न 3.
(अ) आग की खोज।
उत्तर:
आग के बारे में मनुष्य को पहले कोई जानकारी नहीं थी। यद्यपि यह कहना कठिन है कि आग की खोज किस प्रकार हुई किन्तु यह अनुमान लगाया जाता है कि जब उसने पहली बार जंगल में सूखी लकड़ियों को आपस में तेज रगड़ खाकर आग लगते हुए एवं पत्थरों के औजारों के निर्माण के दौरान दो पत्थरों के आपस में टकराने से चिंगारियों को निकलते देखा होगा तो उसे आग का ज्ञान हुआ होगा। तब पहली बार मानव ने पत्थरों को आपस में टकराकर आग उत्पन्न की होगी। आग की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

(ब) पहिए की खोज एवं उपयोग
उत्तर:
मानव की उन्नति में पहिए की खोज का महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसा अनुमान है कि पेड़ के तने को लुढ़कते हुए देखकर आदिमानव के मन में पहिए के निर्माण का विचार आया होगा। यह खोज उसके जीवनयापन के लिए वरदान साबित हुई। पहिए का उपयोग उसने निम्नलिखित कार्यों के लिए किया –

  • चाक से मिट्टी के बर्तन बनाने में।
  • भारी चीज को एक जगह से दूसरी जगह लाने ले जाने में।
  • गहराई से पानी खींचने में।
  • पशुओं द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी के निर्माण में।

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MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 3 परिवार एवं समाज

MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 3 परिवार एवं समाज

MP Board Class 6th Social Science Chapter 3 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए –
(अ) परिवार की इकाई क्या है?
उत्तर:
व्यक्ति परिवार की इकाई है।

(ब) समाज में व्यक्ति अपनी पहचान कैसे बनाता है?
उत्तर:
समाज में रहकर व्यक्ति राजनेता, धर्म प्रचारक, शिक्षक, डॉक्टर, जज, कृषक, श्रमिक आदि पदों पर रहकर विभिन्न कार्य करता है और समाज में अपनी पहचान बनाता है।

(स) बच्चे का प्रथम गुरु किसे माना गया है?
उत्तर:
बच्चे को प्रथम शिक्षा परिवार में माता से ही प्राप्त होती है इसलिए माता को प्रथम गुरु माना गया है।

(द) आपके परिवार में कितने सदस्य हैं ?
उत्तर:
इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी स्वयं लिखें।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए
(अ) एकल परिवार और संयुक्त परिवार से आप क्या समझते हैं? आपका परिवार आपकी कौन-कौन सी आवश्यकताएँ पूरी करता है? सूची बनाइए।
उत्तर:
जिस परिवार में पति-पत्नी उनके पुत्र-पुत्रियाँ होते हैं वे एकल परिवार कहलाते हैं जबकि संयुक्त परिवार में पति-पत्नी, पुत्र-पुत्रियों के अलावा दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि भी शामिल होते हैं। परिवार में रहकर व्यक्ति अपनी समस्त मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करता है जिनमें प्रमुख हैं भोजन, वस्त्र, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा।

(ब) समाज कैसे बनता है ? आप समाज की किन-किन बुराइयों पर नियन्त्रण लगाना चाहते हैं ? लिखिए।
उत्तर:
समाजशास्त्रियों ने समाज को सामाजिक सम्बन्धों का जाल माना है। कई परिवारों से मिलकर समाज का निर्माण होता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए वह परिवार और समाज दोनों से जुड़कर रहता है। हम समाज की कम आयु में विवाह, अधिक बच्चों का जन्म, बच्चों को प्रारम्भिक एवं अनिवार्य  शिक्षा न दिलाना जैसी बुराइयों पर नियन्त्रण लगाना चाहते हैं।

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प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(अ) अपने शिशुओं की जिम्मेदारी …………… सहज रूप से स्वीकारते हैं।
(ब) छोटे परिवारों को ………… माना गया है।
(स) परिवार की इकाई ………… होती है।
(द) समाज की इकाई ……….. होती है।
उत्तर:
(अ) माता – पिता
(ब) आदर्श परिवार
(स) व्यक्ति
(द) परिवार

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.2

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.2

प्रश्न 1.
अगर आपको किसी संख्या से \(\frac{1}{2}\) घटाने और परिणम को \(\frac{1}{2}\) से गुणा करने पर \(\frac{1}{8}\) प्राप्त होता है तो वह संख्या क्या है?
हल:
मानाकि अभीष्ट संख्या x है।
अब, प्रश्नानुसार,
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.2 img-1
∴ अभीष्ट संख्या: \(\frac{3}{4}\)

प्रश्न 2.
एक आयताकार तरण ताल (swimming pool) की लम्बाई उसकी चौड़ाई के दुगुने से 2 मीटर अधिक है। यदि इसका परिमाप 154 मीटर है तो इसकी लम्बाई व चौड़ाई ज्ञात कीजिए।
हल:
मानाकि तरण ताल की चौड़ाई x मीटर है,
तब इसकी लम्बाई = (2x + 2) मीटर
परिमाप = 2 x (लम्बाई + चौड़ाई)
=2 x (2x + 2 + x)
= 2 x (3x + 2)
= 6x + 4
अब, प्रश्नानुसार
6x + 4 = 154
या 6x = 154 – 4 = 150
या x = \(\frac{150}{6}\) = 25
लम्बाई = (2 x 25 + 2) मीटर
= 52 मीटर
और चौड़ाई = 25 मीटर

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प्रश्न 3.
एक समद्विबाहु त्रिभुज का आधार \(\frac{4}{3}\) cm तथा उसका परिमाप 4 \(\frac{2}{15}\) cm है। उसकी दो बराबर भुजाओं की माप ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि समद्विबाहु त्रिभुज की प्रत्येक बराबर भुजा की माप x सेमी है। अतः इसका परिमाप = (x + x + \(\frac{4}{3}\)) सेमी
= (2x + \(\frac{4}{3}\))
सेमी
परन्तु, प्रश्नानुसार,
2x + \(\frac{4}{3}\) = 4 \(\frac{4}{3}\) = 4\(\frac{2}{15}\) = \(\frac{62}{15}\)
या 30x + 20 = 62
या 30x = 62 – 20 = 42
या x = \(\frac{42}{30}\) = \(\frac{7}{5}\)
या x = 1\(\frac{2}{5}\) सेमी
∴ समद्विबाहु त्रिभुज की बराबर भुजाओं में प्रत्येक भुजा की माप = 1\(\frac{2}{5}\) सेमी

प्रश्न 4.
दो संख्याओं का योग 95 है। यदि एक संख्या दूसरी से 15 अधिक है तो दोनों संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि दो संख्याएँ x तथा x + 15 हैं।
तब x + (x + 15) = 95
या 2x + 15 = 95
दोनों ओर से 15 घटाने पर,
∴ 2x + 15 – 15 = 95 – 15
या 2x = 80
या x = 40
अतः एक संख्या 40 और दूसरी संख्या 40 + 15 = 55

प्रश्न 5.
दो संख्याओं में अनुपात 5 : 3 है। यदि उनमें अन्तर 18 है तो संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि संख्याएँ 5x व 3x हैं।
अब, प्रश्नानुसार,
5x – 3x = 18
या 2x = 18
या x = \(\frac{18}{2}\) = 9
∴ संख्याएँ 5x = 5 x 9 = 45 तथा 3x = 3 x 9 = 27
अतः अभीष्ट संख्याएँ = 45 तथा 27

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प्रश्न 6.
तीन लगातार पूर्णांकों का योग 51 है। पूर्णांक ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि तीन लगातार पूर्णांक x, (x + 1) और (x + 2) हैं।
अब, प्रश्नानुसार,
x + (x + 1) + (x + 2) =51
या 3x + 3 = 51
या 3x = 51 – 3 = 48
या x = \(\frac{48}{3}\) = 16
अतः अभीष्ट पूर्णांक 16, 17 व 18 हैं।

प्रश्न 7.
8 के तीन लगातार गुणजों का योग 888 है। गुणजों को ज्ञात कीजिए?
हल:
माना कि तीन लगातार गुणज 8x, 8 (x + 1) व 8 (x + 2) हैं।
अब, प्रश्नानुसार,
8x + 8 (x + 1) + 8 (x + 2) = 888
या 24x + 24 = 888
या 24x = 888 – 24 = 864
या x = \(\frac{864}{24}\) = 36
अतः तीन लगातार गुणज 8 x 36, 8 (36 + 1) व 8 (36 + 2)
अर्थात् अभीष्ट तीन लगातार गुणज = 288, 296 व 304 हैं।

प्रश्न 8.
तीन लगातार पूर्णांक बढ़ते क्रम में लेकर उन्हें क्रमश: 2, 3 तथा 4 से गुणा कर योग करने पर योगफल 74 प्राप्त होता है। तीनों पूर्णांक ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि तीन लगातार पूर्णांक x, (x + 1) और (x + 2) हैं।
अब, प्रश्नानुसार,
2 × x + 3 (x + 1)+4 x (x + 2) = 74
या 2x + 3x + 3 + 4x + 8 = 74
या 9x + 11 = 74
या 9x = 74 – 11
या 9x = 63
या x = \(\frac{63}{9}\) = 7
अतः तीन अभीष्ट लगातार पूर्णांक = 7,8 व 9 हैं।

प्रश्न 9.
राहुल और हारून की वर्तमान आयु में अनुपात 5 : 7 है। 4 वर्ष बाद उनकी आयु का योग 56 वर्ष हो जाएगा। उनकी वर्तमान आयु क्या है?
हल:
माना कि राहुल की वर्तमान आयु = 5x वर्ष है
हारून की वर्तमान आयु = 7x वर्ष
चार वर्ष बाद राहुल की आयु (5x + 4) वर्ष
चार वर्ष बाद हारून की आयु = (7x + 4) वर्ष
अब, प्रश्नानुसार,
5x + 4 + 7x + 4 = 56
12x + 8= 56
8 को दायें पक्ष में पक्षान्तर करने पर,
12x = 56 – 8
या 12x = 48
या x = \(\frac{48}{12}\) = 4
∴ राहुल की आयु = 5 x 4 = 20 वर्ष
तथा हारून की आयु = 7 x 4 = 28 वर्ष

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प्रश्न 10.
किसी कक्षा में बालक और बालिकाओं की संख्याओं में अनुपात 7 : 5 है। यदि बालकों की संख्या बालिकाओं की संख्या से 8 अधिक है तो कक्षा में कुल कितने विद्यार्थी हैं?
हल:
मानाकि कक्षा में बालकों की संख्या = 7x
तथा बालिकाओं की संख्या = 5x
अब, प्रश्नानुसार,
या 7x = 5x + 8
या 7x – 5x = 8
या 2x = 8
x = \(\frac{8}{2}\) = 4
∴ बालकों की संख्या = 7 x 4 = 28
और बालिकाओं की संख्या = 5 x 4 = 20
अतः विद्यार्थियों की कुल संख्या = 28 + 20 = 48

प्रश्न 11.
बाइचुंग के पिताजी उसके दादा जी से 26 वर्ष छोटे हैं और उससे 29 वर्ष बड़े हैं। यदि उन तीनों की आयु का योग 135 वर्ष है तो उनकी आयु अलग-अलग ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि बाइचुंग की आयु = x वर्ष है
बायुचुंग के पिताजी की आयु = (x + 29) वर्ष
बाइचुंग के दादा जी की आयु = [(x + 29) + 26] वर्ष
= (x + 55) वर्ष
अब, प्रश्नानुसार,
x + (x + 29) + (x + 55) = 135
या 3x + 84 = 135
या 3x = 135 – 84
या 3x = 51
या x = \(\frac{51}{3}\) = 17
∴ बाइचुंग की आयु = 17 वर्ष,
उसके पिता की आयु = 17 + 29 = 46 वर्ष, तथा
उसके दादा जी की आयु = 17 + 55 = 72 वर्ष।

प्रश्न 12.
15 वर्ष बाद रवि की आयु उसकी वर्तमान आयु से चार गुनी हो जाएगी। रवि की वर्तमान आयु क्या है?
हल:
माना कि रवि की वर्तमान आयु = x वर्ष है।
∴ 15 वर्ष बाद रवि की आयु = x + 15 वर्ष
अब, प्रश्नानुसार,
x + 15 = 4x
या 4x = x + 15
या 4x – x = 15
या 3x = 15
या x = \(\frac{15}{3}\) = 5
अतः रवि की वर्तमान आयु = 5 वर्ष।

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प्रश्न 13.
एक परिमेय संख्या को \(\frac{5}{2}\) से गुणा कर \(\frac{2}{3}\) जोड़ने पर – \(\frac{7}{12}\) प्राप्त होता है। वह संख्या क्या है?
हल:
माना कि संख्या = x
अब, प्रश्नानुसार,
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 2 एक चर वाले रैखिक समीकरण Ex 2.2 img-2
अत: अभीष्ट परिमेय संख्या = \(-\frac{1}{2}\)

प्रश्न 14.
लक्ष्मी एक बैंक में खजांची है। उसके पास नगदी के रूप में ₹ 100, ₹ 50, ₹ 10 वाले नोट हैं। उनकी संख्या में क्रमशः 2 : 3 : 5 का अनुपात है और उनका कुल मूल्य ₹4,00,000 है। उसके पास प्रत्येक प्रकार के कितने-कितने नोट हैं ?
हल:
माना कि ₹ 100, ₹ 50 तथा ₹ 10 वाले नोटों की संख्या क्रमश: 2x, 3x व 5x है।
₹ 100 वाले नोटों से कुल नगदी = 2x × 100 = ₹ 200x
₹ 50 वाले नोटों से कुल नगदी = 3x × 50 = ₹ 150x
₹ 10 वाले नोटों से कुल नगदी = 5x × 10 = ₹ 50x
अब, प्रश्नानुसार,
कुलधन = 200x + 150x + 50x = ₹ 4,00,000
∴ 200x + 150x + 50x = 4,00,000
या 400x = 400000
या x =\(\frac{4,00,000}{1000}\)
या x = 1000
अतः ₹ 100 के नोटों की संख्या = 2 x 1000 = 2000
₹ 50 के नोटों की संख्या = 3 x 1000 = 3000
₹ 10 के नोटों की संख्या = 5 x 1000 = 5000

प्रश्न 15.
मेरे पास ₹ 300 मूल्य के ₹ 1,₹ 2 और ₹ 5 वाले सिक्के हैं। ₹ 2 वाले सिक्कों की संख्या ₹ 5 वाले सिक्कों की संख्या की तिगुनी है और सिक्कों की कुल संख्या 160 है। मेरे पास प्रत्येक प्रकार के कितने-कितने सिक्के हैं
हल:
माना कि ₹ 5 वाले सिक्कों की संख्या =x
₹ 2 वाले सिक्कों की संख्या = 3x
और ₹ 1 वाले सिक्कों की संख्या = 160 – (x + 3x)
= 160 – 4x
अब, ₹ 5 वाले सिक्कों का मूल्य = 5 × x = ₹ 5x
₹ 2 वाले सिक्कों का मूल्य = 2 × 3x = ₹ 6x
₹ 1 वाले सिक्कों का मूल्य = 1 × (160 – 4x)
= ₹ (160 – 4x)
अब, प्रश्नानुसार
कुल धन = 5x + 6x + (160 – 4x) = ₹ 300
∴ 5x + 6x + 160 – 4x = 300
या 7x = 300 – 160 = 140
या x = \(\frac{140}{7}\) = 20
∴ ₹ 5 के सिक्कों की संख्या = 20
₹ 2 के सिक्कों की संख्या = 3 x 20 = 60
और ₹ 1 के सिक्कों की संख्या = 160 – (20 + 60) = 80

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प्रश्न 16.
एक निबन्ध प्रतियोगिता में आयोजकों ने तय किया कि प्रत्येक विजेता को ₹ 100 और विजेता को छोड़कर प्रत्येक प्रतिभागी को ₹ 25 पुरस्कार के रूप में दिए जाएँगे। यदि पुरस्कारों में बाँटी गई राशि ₹ 3,000 थी तो । कुल विजेताओं की संख्या ज्ञात कीजिए जबकि कुल 63 प्रतिभागी थे।
हल:
माना कि विजेताओं की संख्या = x है।
∴ शेष प्रतिभागियों की संख्या = (63 – x)
विजेताओं की दी गई धनराशि = 100 x x = ₹ 100x
प्रतिभागियों को बाँटी गई धनराशि = ₹ (63 – x) x 25
∴ कुल बाँटी गई धनराशि = 100x + 25 (63 – x)
= ₹ 3,000
∴ 100x + 25 (63 –x) = 3,000
या 4x + (63 –x) = 120
या 3x + 63 = 120
या 3x = 120 – 63 = 57
या x = \(\frac{57}{3}\) = 19
विजेताओं की संख्या = 19

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MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 1 इतिहास जानने के स्रोत

MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 1 इतिहास जानने के स्रोत

MP Board Class 6th Social Science Chapter 11 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(अ) इतिहास जानने के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
इतिहास जानने के मुख्य स्रोत हैं – पाषाण उपकरण, जीवाश्म, मिट्टी के बर्तन, शिलालेख, सिक्के, हथियार, मन्दिर, महल, मस्जिद, भोजपत्र, ताम्रपत्र, ताड़पत्र, पुरातत्त्व तथा इतिहास की पुस्तकें आदि।

(ब) शैलचित्र क्या होते हैं व मध्यप्रदेश में वे कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
बहुत पहले लोग जब लिखना-पढ़ना नहीं जानते थे तब वे अपनी बात चित्र बनाकर कहते थे। खोज करने पर पता चला है कि ऐसे चित्र आदिमानव बनाया करते थे। आदि मानव काल में चित्र पहाड़ों की गुफाओं में बनाए जाते थे। इसलिए इस काल के चित्रों को शैलचित्र कहते हैं। मध्यप्रदेश में भोपाल के पास भीमबेटका के शैलचित्र आदिमानव काल के ही हैं। भीमबेटका विश्व का सबसे बड़ा शैलचित्र स्थल है।

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(स) भोजपत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर:
भोजपत्र एक विशेष प्रकार के वृक्ष की छाल होती है जिस पर प्राचीन काल में लिखा जाता था।

(द) इतिहास का अध्ययन क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
इतिहास से हमें पुरानी बातों की जानकारी मिलती है। पहले लोगों का जीवन कैसा था तथा वे किस प्रकार रहते थे, उन्होंने आग जलाना कैसे सीखा, पहिए की खोज कब हुई ? ये सब बातें हम इतिहास से ही सीख सकते हैं। इतिहास को पढ़ने से हमें अपनी सभ्यता व संस्कृति की जानकारी मिलती है। इतिहास हमें राजा-महाराजा से लेकर जन-साधारण तक की जानकारी देता है। इतिहास से अनेक बातें सीखकर ही हम लगातार उन्नति कर सकते हैं।

(य) ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा हमें क्यों करनी चाहिए?
उत्तर:
ऐतिहासिक धरोहर हमें अपने अतीत, अपनी सभ्यता तथा संस्कृति की जानकारी देती है, इसलिए हमें इसकी सुरक्षा करनी चाहिए।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(अ) ह्वेनसांग और फाह्यान …………….. यात्री थे।
(ब) भीमबेटका की खोज ……………… ने की थी।
(स) पुरानी वस्तुओं / स्थलों की खोज करने व उनके बारे में सही तथ्यों का पता लगाने वाले को ………….. कहते हैं।
उत्तर:
(अ) चीनी,
(ब) पद्मश्री डॉ. वि. श्री. वाकणकर
(स) पुरातत्त्ववेत्ता।

प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनकर लिखिए।
(अ) ताम्रपत्र लिखे जाते हैं –
(i) पत्थरों पर,
(ii) ताँबे के पत्तरों पर
(iii) वृक्ष की छाल पर।
उत्तर:
(ii) ताँबे के पत्तरों पर

(ब) शिलालेख कहा जाता है –
(i) पत्थरों पर खोद कर लिखी जानकारी
(ii) किताबों में लिखी जानकारी
(iii) भोजपत्र पर लिखी जानकारी
उत्तर:
(i) पत्थरों पर खोद कर लिखी जानकारी

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(स) स्थापत्य कला से हमें ज्ञान होता है –
(i) भवनों का
(ii) चित्रों का
(iii) औजारों का।
उत्तर:
(i) भवनों का

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MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 13 महाभारते विज्ञानम्

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Durva Chapter 13 महाभारते विज्ञानम् (गद्यम्) (सङ्कलितम्)

MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 13 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखिए)।
(क) महाभारतस्य प्रणयनं केन कृतम्? (महाभारत की रचना किसने की?)
उत्तर:
वेदव्यासेन (वेदव्यास के द्वारा)

(ख) जलं बिना किं न सम्भवम्? (जल के बिना क्या सम्भव नहीं?)
उत्तर:
जीवनम् (जीवन)

(ग) खगोलशास्त्रं कस्मिन् क्षेत्र प्रसिद्धम्? (खगोलशास्त्र किस क्षेत्र में प्रसिद्ध है?)
उत्तर:
कालगणनाक्षेत्रे (कालगणना के क्षेत्र में)

(घ) राजप्रासादादीनां निर्माणे कस्य उपयोगः भवति स्म? (राजमहल आदि के निर्माण में किसका उपयोग होता था?)
उत्तर:
अयसः (लोहे का)

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(ङ) केन दर्शनेन सूक्ष्मवस्तु बृहद् इव भासते? (किसके द्वारा देखने से छोटी वस्तु बड़ी लगती थी?)
उत्तर:
काचकेन (शीशे से)

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत-(एक वाक्य में उत्तर लिखिए-)
(क) शिष्यान् कथं परीक्षेत? (शियों की कैसे परीक्षा ली जानी चाहिए?)
उत्तर:
यथा शुद्धं कनकं तापच्छेदनिघर्षणैः परीक्ष्येत तथा शिष्यान् परीक्षेत।

(जैसे शुद्ध सोने को तपाकर, काटकर और घिसकर परखा जाता है वैसे ही शिष्यों की परीक्षा ली जानी चाहिए।)

(ख) आभरणस्वरूपेण कयोः उपयोगिता महाभारते वर्णितम्? (आभूषण रूप में किन की उपयोगिता महाभारत में वर्णित है?)
उत्तर:
आभरणस्वरूपेण सुवर्णरजतयोः उपयोगिता महाभारते वर्णितम्। (आभूषण के रूप में सोने और चाँदी का उपयोग महाभारत में वर्णित है।)

(ग) जनाः सुगन्धद्रव्याणां निर्माणार्थं कस्य उपयोगः कुर्वन्ति स्म? (लोग सुगन्ध द्रव्यों को बनाने के लिए किसका उपयोग करते थे?)
उत्तर:
जनाः सुगन्ध द्रव्याणां निर्माणार्थं पुष्पाणां तैलस्य उपयोगः कुर्वन्ति स्म। (लोग सुगन्धित द्रव्यों को बनाने के लिए फूलों के तेल का उपयोग करते थे।)

(घ) वेदव्यासेन महाभारतस्य प्रणयनं किमर्थं कृतम्? (वेदव्यास के द्वारा महाभारत को रचना किस लिए की गई?)
उत्तर:
वेदव्यासेन महाभारतस्य प्रणयनं लोकोपकाराय कृतम्। (वेदव्यास ने महाभारत की रचना लोकोपकार के लिए की।)

(ङ) महाभारतं कस्याः परिचायकग्रन्थः? (महाभारत किसका परिचायक ग्रन्थ है?)
उत्तर:
महाभारतं भारतीयसनातन वैदिक संस्कृतेः परिचायक ग्रन्थः। (महाभारत भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति का परिचायक ग्रन्थ है।)

प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-(नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-)
(क) मानवस्य स्वभावः कः? (मानव का स्वभाव क्या है?)
उत्तर:
मानवस्य स्वभावः अयम् अस्ति यत् सः लज्जया स्वकीयं नश्वरम् अपि शरीरम् वस्त्रेण आच्छादितुम् इच्छति। (मानव का स्वभाव है कि वह लज्जा ने अपने नश्वर शरीर को भी वस्त्र से ढंकना चाहता है।)

(ख) रसायनशास्त्रविषये व्यासदेवः किं कथयति? (रसायनशास्त्र के विषय में व्यासदेव क्या कहते हैं?)
उत्तर:
रसायन शास्त्र विषये व्यासदेवः कथयति यत्-रसायन विदः सुप्रयुक्त रसायनाः च एव जरया भग्नाः दृश्यन्ते, उतमैः नागैः नगा इव।

(रसायन शास्त्र के विषय में व्यासदेव कहते हैं कि रसायन शास्त्र के जानकारों को उत्तम सापों द्वारा पर्वत के सभान ठीक प्रकार से प्रयुक्त रसायन पुराने होने के कारण व्यर्थ दिखाई देते हैं।)

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(ग) भौतिकशास्त्रे अतीव प्रसिद्धः कः विचारः? (भौतिकशास्त्र में बहुत प्रसिद्ध विचार क्या है?)
उत्तर:
भौतिकशास्त्रे अतीव प्रसिद्धः विचारः यत् “वस्तूनाम् अन्यसापेक्षं चलनम्” इति। (भौतिकशास्त्र का अधिक प्रसिद्ध विचार है कि ‘वस्तुएँ अन्यों के साथ चलती हैं।”)

प्रश्न 4.
यथायोग्यं योजयत-(उचित क्रम से जोडिए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 13 महाभारते विज्ञानम् img 1
उत्तर:
(क) 2
(ख) 3
(ग) 1
(घ) 5
(ङ) 4

प्रश्न 5.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं “न” इति लिखत
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ लिखिए-)
(क) महाभारते सर्षपतैलस्य बहुशः उल्लेखो वर्तते।
(ख) राजरोगाणां शमनाय पञ्चसप्तविविधा चिकित्सा करणीया।
(ग) महाभारतं लक्षैकपद्यात्मकं महाकाव्यम् अस्ति।
(घ) यत् महाभारते अस्ति तदन्यत्र नास्ति।
(ङ) वस्तूनाम् अन्यसापेक्षं चलनम् भौतिकशास्त्रस्य सिद्धान्तः।।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) न
(ग) आम्
(घ) न
(ङ) आम्।

प्रश्न 6.
अधोलिखितशब्दानां विभक्तिं वचनञ्च लिखत
(नीचे लिखे शब्दों की विभक्ति और वचन लिखिए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 13 महाभारते विज्ञानम् img 2
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 13 महाभारते विज्ञानम् img 3

प्रश्न 7.
अधोलिखतपदानां धातुं लकारं वचनं च लिखत
(नीचे लिखे पदों के धातु, लकार और वचन लिखिए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 13 महाभारते विज्ञानम् img 4
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 13 महाभारते विज्ञानम् img 5

प्रश्न 8.
अधोलिखितशब्दानां सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम लिखत
(नीचे लिखे पदों के सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम लिखिए-)
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 13 महाभारते विज्ञानम् img 6
उत्तर:
MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 13 महाभारते विज्ञानम् img 7

प्रश्न 9.
अधोलिखितपदानां पर्यायवाचिशब्दान् लिखत
(नीचे लिखे शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए-)
यथा- जलम् – वारि
(क) वेदव्यासः
(ख) कालः
(ग) सुवर्णम्
(घ) मनुष्यः
उत्तर:
(क) वेदव्यासः – कृष्णद्वैपायनः
(ख) कालः – समयः
(ग) सुवर्णम् – कनकम्
(घ) मनुष्यः – मानवः

प्रश्न 10.
अधोलिखितव्ययानां वाक्यप्रयोगं कुरुत
(नीचे लिखे अव्ययों के वाक्य बनाइए)
यथा- अत्र – अहम् अत्र अस्मि
(क) अपि
(ख) इदानीम्
(ग) बिना
(घ) यथा
(ङ) एव
उत्तर:
(क) अपि – अहम् अपि गच्छामि ।(मैं भी जाती हूँ।)
(ख) इदानीम् – इदानीम् शयनं कुरु। (अब सो जाओ।)
(ग) बिना – त्वाम् विना अहम् न गमिष्यामि। (तुम्हारे बिना मैं नहीं जाऊँगी।)
(घ) यथा – यथा करिष्यति तथा प्राप्तं करिष्यति। (जैसा करोगे वैसा पाओगे।)
(ङ) एव – रामः एव प्रथमम् आगमिष्यति। (राम ही प्रथम आएगा।)

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योग्यताविस्तार –

कृष्णद्वैपायनवेदव्यासविषये निबन्धो लिखत।
कृष्णद्वैपायनवेदव्यास जी के विषय पर निबन्ध लिखो।

महाभारते कति पर्वाणि सन्ति तेषां नामानि लिखत।
महाभारत में कितने पर्व है, नाम लिखो।

महाभारते विज्ञानम् पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ में श्री वेदव्यास जी द्वारा रचित ‘महाभारत’ के विषय पर चर्चा की गई है तथा इस ग्रन्थ की वैज्ञानिक दृष्टि से व्याख्या की गई है, जिससे यह पता चलता है कि महाभारत में विज्ञान के सभी विषय-भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, खगोलशास्त्र, कृषि सम्बन्धी व्यवस्था, वैद्यशास्त्र, लौहशास्त्र आदि अनेक विषय सम्मिलित हैं।

महाभारते विज्ञानम् पाठ का अनुवाद

1. भारतीयसनातनवैदिकसंस्कृतेः परिचायकः, आकरग्रन्थः ‘श्रीमन्महाभारतम्। यस्य प्रणयनं भगवता वेदव्यासेन लोकोपकाराय कृतम् अस्ति। एतस्य महत्ताविषये स्वयमेव कृष्णद्वैपायनोमुनिः प्रकाशयति –
“धर्मे चार्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ।
यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित्।।”

‘महाभारतम्’ न केवलं विश्वकोशत्वेन विद्यते पुराणेतिहासादीनाम् अपित्वत्र वैज्ञानिकदृष्टया भौतिकशास्त्र-खगोलशास्त्र-कृषि-जलबन्ध-जलसेचनादिव्यवस्था-रसायनशास्त्र वैद्यकशास्त्र-लौहशास्त्र-वस्त्रनिर्माण-शस्त्रास्त्रनिर्माणञ्चालन-विधिरित्यादयः बहवः विषयाः ज्ञान-विज्ञानोपेताः वर्णिताः सन्ति। तेषु केचनविषयाः अत्र उदाह्रियन्ते

अन्वयः :
(धर्मे चार्थे …………… तत् वचित्) हे भरतर्षभ! धर्मे च, अर्थे च, कामे च, मोक्षे च यद् इह अस्ति, तद् अन्यत्र (अस्ति), यद् इह न अस्ति, तत् क्वचित् न (अस्ति)

शब्दार्थाः :
परिचायकः-परिचय कराने वाला-Introducer; आकरग्रन्थः-खान रूपी ग्रन्ध-Storehouse; प्रणयनम्-लिखना-writing, composition; इह-यहाँ (इस संसार में)-here (in this world); क्वचित्-कहीं-somewhere; न क्वचित्-कहीं नहीं-nowhere

अनुवाद :
भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति का परिचय कराने वाला खान रूपी ग्रन्थ ‘श्रीमन्महाभारत’ है। जिसकी रचना भगवान वेदव्यास के द्वारा लोकोपकार के लिए की गई है। इसकी महानता के विषय में स्वयं ही कृष्णद्वैपायन मुनि प्रकाशित करते हैं। हे भरतर्षभ! धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में जो यहाँ है, वह सब जगह है, जो यहाँ नहीं है, वह कहीं नहीं है।

‘महाभारत’ न केवल विश्वकोश के रूप में पुराण-इतिहास आदि है, बल्कि यहाँ वैज्ञानिक दृष्टि से भौतिकशास्त्र, खगोलशास्त्र, कृषि, जलबन्ध, जलसेचन आदि व्यवस्थाएँ, रसायनशास्त्र, वैद्यकशास्त्र, लौहशास्त्र, वस्त्रनिर्माण, अस्त्र-शस्त्र निर्माण तथा सञ्चालन की विधि आदि बहुत से विषय ज्ञान और विज्ञान से युक्त वर्णित हैं। उनमें से कुछ पियों के यहाँ उदाहरण दिए जा रहे हैं –

English :
Mahabharat-introducer of vedic culture-Enshrines knowledge of religion, wealth, love and redemption-encyclopediafull of scientific knowledge-full of knowledge and wisdom.

2. भौतिकशास्त्रम्-‘वस्तूनाम् अन्यसापेक्षं चलनम्’ इत्येषः विचारः भौतिकशास्त्रे अतीव प्रसिद्धः। महतः आश्चर्यस्य विषयोऽयम् अस्ति यत् इमं मतं भगवान बादरायणः संस्थापयति महाभारते –
“चलं यथा दृष्टिपथं परैति सूक्ष्म महद्पमिवाभिभाति।
स्वपमालोचयते च रूपं परं तथा बुद्धिपथं परैति॥”

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अस्य पद्यस्य प्रथमे पादे तेन स एव विचारः प्रकटितः अस्ति। अत्रैव अन्यौ अपि द्वौ भौतिकशास्त्रसम्बद्धौ विचारौ कथितौ स्तः। तौ च-‘काचकेन दर्शनेन सूक्ष्मम् अपि वस्तु बृहद् इव भासते’ इति स्वच्छे दर्पणे वस्तुनः रूपस्य तादृशमेव प्रतिबिम्बं दृश्यते’ इति च।

अन्वयः :
(चलं यथा दृष्टि …………. बुद्धिपथं परैति॥’)
यथा चलं दृष्टिपथं परैति, सूक्ष्म महद् रूपम् इव अभिभाति, रूपं स्वरूपं च आलोचयते, तथा परं बुद्धिपथं परैति॥

शब्दार्थाः :
संस्थापयति-स्थापित करता है-establishes-sets up; अभिभाति-दिखाई देता है-Appears;आलोचयते-दिखलाता है-shows, displays; परैति-आती है-comes.
अनुवाद-भौतिकशास्त्रम्-‘वस्तुएं दूसरों पर निर्भर होकर चलती हैं’ यह विचार भौतिक शास्त्र में बहुत प्रसिद्ध है। अधिक आश्चर्य की बात यह है कि यही मत भगवान बादरायण ने महाभारत में स्थापित किया है-

जिस प्रकार चलते हुए दृष्टिपथ पर आती हुई, छोटी वस्तु बड़े के समान दिखाई देती है, वैसे ही दूसरे की बुद्धिपथ पर आई हुई वस्तु का रूप और स्वरूप दिखाई पड़ता है। इस पद्य के प्रथम पाद में उसके द्वारा वही विचार प्रकट किया गया है। यहीं और भी दो भौतिक शास्त्र संबंधी विचारों को कहा गया है। वे हैं-“शीशे में देखने से छोटी सी वस्तु भी बहुत बड़ी लगती है” और “साफ शीशे में वस्तु के रूप की वैसी ही परछाई दिखाई देती है’।

English :
Physics: Material depends on other items for motionsame principle found in Mahabharata-Lens enlarge the size of an object-Clear glass reflects the original shape of the objects.

3. खगोलशास्त्रम्-कालगणनाक्षेत्रे भारतीयं खगोलशास्त्रं विश्वस्मिन् प्रसिद्धम् अस्ति। खगोलस्य भावार्थः भवति यद् आकाशः अपि पृथिवीव गोलः अस्ति। महाभारते तु, विपलं ‘सेकेण्ड’ इति आङ्ग्लीयनाम्ना प्रसिद्धम्, इत्यस्यापि विभागः कृतः दृश्यते।
यथा –
“काष्ठा निमेषा दश पञ्च चैव त्रिशत्तु काष्ठा गणयेत् कलां ताम्।
त्रिंशत्कलाश्चापि भवेन्मुहूर्तो भागः कतायाः दशमश्च यः स्यात्॥

एवमेव सूर्यचन्द्रग्रहणविषयिण्याः खगोलीयघटनायाः वर्णनम् अपि महाभारतकारः करोति।

अन्वयः :
(काष्ठा निमेषा ……………….. यः स्यात्।)

दशः काष्ठाः निमेषाः पञ्च च एव त्रिंशत् तु काष्ठा तां कलां गणयेत् मूहूर्तो भागः त्रिंशत् कलाः च अपि भवेत् यः कलायाः दशमः च स्यात्।

शब्दार्थाः :
विपलम्-क्षण-Moment; आङ्ग्लीयनाम्ना-अंग्रेजी नाम से-by English name; काष्ठा-18 निमेष की संख्या-number of 18 moments; निमेषा-नेत्रों की पलक गिरने का समय-blinking (winking) time of eyes.

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अनुवाद :
खगोलशास्त्रम्-कालगणना के क्षेत्र में भारतीय खगोल शास्त्र इस विश्व में प्रसिद्ध है। खगोल का भावार्थ होता है कि आकाश भी पृथिवी की तरह गोल है। महाभारत में तो, क्षण ‘सैकेण्ड’ इस अंग्रेजी नाम से प्रसिद्ध है, इसके भी छोटे-छोटे भाग किए हुए दिखते हैं। जैसे

दस काष्ठा (18 निमेष का एक काष्ठा), निमेष पाँच ही है, तो 30 काष्ठा, उसको एक कला (खण्ड) गिनते हैं। और एक क्षण का भाग भी 30 कलाएँ होती हैं, जो कला का दसवां भाग होती हैं।

इस प्रकार ही सूर्य और चन्द्र ग्रहण के विषयों का, तथा खगोलीय घटनाओं का वर्णन भी महाभारत लिखने वाला करता है।

English :
Geography-Measurement of time-sky also round like earth-parts of seconds mentioned in Mahabharata. Kashtha, Kala and Muharta are mentioned in Mahabharata. Divisions of Kala.

Solar and lunar eclipses also mentioned in Mahabharata.

4. कृषि-जलबन्ध-जलसेचनादिव्यवस्था-‘जलमेव जीवनम्’ इत्युक्त्या सिद्धयति यत् जलं बिना जीवनं कथमपि न सम्भवम्। जलं न भविष्यति चेत्तदा धान्योत्पत्तिः कथं भविष्यति? अतः जलबन्धपूर्वकं विशालजलराशिं सकलय्य तस्य सम्यक् रूपेण सेचनादि व्यवस्था करणीया। एतदर्थं सत्यवतीसुतः महाभारते उल्लिखति –
“क्षेत्रं हि रसवत् शुद्धं कर्षकेणोपपादितम्।
ऋते वर्ष न कौन्तेय!, जातु निर्वतयेत् फलम्।

तत्र वै पौरुषं ब्रूयुः आसेकं यत्नकारितम्। सस्यानां जलसेचनाय नदीषु जलबन्धाः स्थापयितुम अपि निर्दिशति।।

श्लोक का अन्वयः :
(क्षेत्रं हि रसवत् …………. निर्वर्तयेत् फलम्।।)
हि कर्षकेण उपपादितं क्षेत्रं रसवत् शुद्धम् कौन्तेय। वर्षम् ऋते न जातु फलं निवर्तयेत्।

शब्दार्थाः :
सङ्कलय्य-एकत्रित करके-storing; कर्षकेण-किसान के द्वारा-by the farmer; उपपादितम्-उत्पादित-produce; ऋते-बिना-without; आसेकम्-गीला करना-to nmoisten; सस्यानाम्-फसलों की-of crops/foodgrains;

अनुवाद :
कृषि-जलबन्ध (बाँध)-जल सेचन सिंचाई आदि की व्यवस्था-‘जल ही जीवन है’ यह कहकर सिद्ध होता है कि जल के बिना जीवन किसी भी प्रकार से सम्भव नहीं है। यदि जल नहीं होगा तो धान आदि की उत्पत्ति कैसे होगी? इसलिए बाँध बनाने से पहले बहुत सारा जल एकत्रित कर उसकी ठीक प्रकार से सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए। इसलिए सत्यवती पुत्र ने महाभारत में उल्लेख किया है कि हे कौन्तेय किसानों के द्वारा उत्पादित क्षेत्र रसवान् और शुद्ध है। पर वर्षा के बिना उनके फल नहीं हो पाएँगे।

तब उनके द्वारा मेहनत के साथ जल देने का (गीला रखने का प्रयत्न करने को भी कहना चाहिए। फसलों की जल से सिंचाई के लिए नदियों पर बाँध बनाने का भी निर्देश दिया है।

English :
Agriculture, dams and irrigation-water is life-source of agricultural produce-dams or rivers for irrigation-rain water a must for irrigation.

5. रसायनशास्त्रम्-महाभारतकाले रसायनशास्त्रस्य पर्याप्तः विकासः अभवत्। तस्माद् एव औषधिविज्ञानं, धातुशास्त्रं च विकसितम्। व्यासदेवः कथयति –
‘रसायनविदश्चैव सुप्रयुक्तरसायनाः।
दृश्यन्ते जरया भग्ना नगा नागैरिवोत्तमैः॥’

नानाविधानां सुगन्धद्रव्याणां निर्माणार्थं पुष्पाणां तैलस्य च उपयोगः तदानीन्तनाः जनाः कुर्वन्ति स्म। तिल-सर्षपतैलस्य बहुशः उल्लेखो वर्तते।

अन्वयः :
(रसायनविदश्चैव ………… इवोत्तमैः) रसानविदः, सप्रयक्तरसायनाः च एव जरया भग्ना दृश्यन्ते, उतमैः नागैः नगा इव।

शब्दार्थाः :
पर्याप्तः-काफी-enough, sufficient; सुप्रयुक्त-ठीक प्रकार प्रयोग किए गए-well utilised ; भग्ना-टूटा हुआ, व्यर्थ-broken, useless; दृश्यन्ते-दिखाई देते हैं-appear; तदानीन्तनाः-उस समय के-of those times; सर्षप-सरसों-mustard.

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अनुवाद :
रसायनशास्त्र-महाभारत के समय में रसायनशास्त्र का काफी विकास हुआ। वहीं से औषध विज्ञान और धातु शास्त्र का विकास हुआ। व्यासदेव कहते हैं

‘रसायनशास्त्र के जानकार को उत्तम साँपों के द्वारा पर्वत के समान अच्छे प्रकार से प्रयोग किए गए रसायन पुराने होने के कारण व्यर्थ दिखाई देते हैं।

अनेक प्रकार के सुगन्धित द्रव्यों को बनाने के लिए फूलों के तेल का उपयोग उस समय के लोग करते थे। तिल और सरसों के तेल का बहुत उल्लेख है।

English :
Chemistry, medical service and metallurgy are offshoot of Chemistry.

Sap of plants was used to produce scent. Sesamum and mustard oil is widely mentioned.

6. वैद्यकशास्त्रम्-मनुष्य सदा नीरोगः भवेत्। अत एव स्वस्थशरीरार्थं बहवः उपायाः वर्णिताः सन्ति। वैद्यकशास्त्रम् आरोग्यशास्त्रम् अपि कथ्यते। स्वास्थ्यघातकाः ये राजरोगादयः सन्ति। तेषां सर्वथा शमनाय द्विसप्ततिविधाः चिकित्साः करणीयाः। उल्लेख एवं विधः विद्यते –
‘द्वासप्ततिविधा चैव शरीरस्य प्रतिक्रिया।
देशजातिकुलानां च धर्माः समनुवर्णिताः ॥7॥

शान्तिपर्वणि59’ श्लोक का अन्वयः-(द्वासप्तति ………… समानुवर्णिताः॥)

शरीरस्य प्रतिक्रिया द्वासप्ततिविधा च एव। देश, जाति, कुलानां च धर्माः समनुवर्णिताः (सन्ति)

शब्दार्थाः :
घातका-नष्ट करने वाले-destroyers;शमनाय-शान्ति/रोकने के लिए-to pacify; द्विसप्ततिविधाः-72 प्रकार की-of 72 types.

अनुवाद :
वैद्यशास्त्र-मनुष्य सदा नीरोगी रहे। इसलिए स्वस्थ शरीर के लिए बहुत से उपायों का वर्णन है। वैद्यशास्त्र को आरोग्यशास्त्र भी कहते हैं। जो स्वास्थ्य को नष्ट करने वाले राजरोग आदि है। उनकी हमेशा की शान्ति के लिए 72 इलाज करने चाहिएं। उनका उल्लेख इस प्रकार है-

‘शरीर की प्रतिक्रिया बहत्तर (72) प्रकार की ही है। देश, जाति और कुलों के धर्म का इसमें वर्णन हैं।’

English :
Medical science-Science of healthy living-72 treatments are known to cure diseases. Physical process-of 72 types-according to location (climate) race, and nature of families.

7. लौहशास्त्रम्-वयं जानीमः यत् सुवर्ण, रजतं, ताळं, सीसं, नपुः, अयः इति नाम्ना धातवः प्रसिद्धाः सन्ति। आभग्णस्वरूपेण, क्रयविक्रयव्यवहारसाधनत्वेन च सुवर्णरजतयोः उपयोगिता महाभारते वर्णिता अस्ति। राजप्रासादादीनां निर्माणे अयसः उपयोगः भवति स्म। सुवर्णस्य अग्नौ तापनेन शुद्धीकरणक्रमः तदानीन्तनस्य व्यवहारस्य प्रमाणम् उपस्थापयति –
‘यथा हि कनकं शुद्धं तापच्छेदनिघर्षणैः।
परीक्ष्येत तथा शिष्यान ईक्षेत्शीलगुणदिभिः॥४६॥शान्तिपर्वणि329

श्लोक का अन्वयः :
(यथा हि कनकं ………… शीतगुणादिभिः।।)
यथा हि शुद्धं कनकं तापच्छेद निघर्षणैः परीक्ष्येत तथा शिष्यान् शीलगुणादिभिः ईक्षेत्॥

शब्दार्थाः :
त्रपुः-रांगा-tin pewter; आभरण-आभूषण-ornament; अयः-लोहा -iron; राजप्रासादादिनाम्-राजमहल आदि के-of royal palaces etc; तापनेन-तपाने से-heating; तापच्छेदनिघर्षणैः-तपाकर, काटकर; घिसकर-heating, cutting and rubbing; परीक्ष्येत-परीक्षा करनी चाहिए-to be tested; ईक्षेत्-देखना चाहिए-to be seen.

अनुवाद :
लोहशास्त्र-हम जानते हैं कि सोना, चाँदी, ताँबा, सीसा, राँगा, लोहा आदि धातुएं संसार में प्रसिद्ध हैं। आभूषण बनाने में तथा खरीदने-बेचने के व्यवहार के साधन में सोना और चाँदी का उपयंग महाभारत में वर्णित है। राजमहल आदि के निर्माण में लोहे का प्रयोग होता था। सोने को अग्नि में तपा कर शुद्धीकरण का क्रम उस समय के व्यवहार का प्रमाण स्थापित करता है

‘जैसे शुद्ध सोना तपा कर, काट कर और घिसकर परखा जाता है, वैसे ही शिष्यों के शीलगुण आदि भी देखने चाहिएं।’

English :
Various metals-Silver and Gold were used in making ornaments and as means of exchange-Iron was very useful as building material. Gold was purified by heating in fire-It was tested in fire, by cutting and rubbing

8. वस्त्रनिर्माणम्-मानवस्य स्वभावोऽयम् अस्ति, यत् सा लज्जया चकीयं नश्वरम् अपि शरीरं वस्त्रेण आच्छादितुम् इच्छति। वैदिककालाद् एव वस्त्रनिर्माण-परम्परा वर्तते। महाभारते ऊर्ण-कापसि-कौशेयादिवस्त्राणां निर्माणस्य, तत्र तु स्वापेक्षितस्य वर्णस्य संयोजनस्प च वर्णनं मिलति।
यथा –
“यादृशेन हि वर्णेन भाव्यते शुक्लमम्बरम्।
तादृशं कुरुते रुपम् एतदेवमवेहि में॥५॥ शान्तिपर्वणणि २६३”

अनेन ज्ञायते यद् इदं लक्षैकपद्यात्मकं महाकाव्यं महाभारतं एकतः पुरुषार्थचतुष्टयप्रकाशकं वर्तते, ततो अपि अधिकं ज्ञानविज्ञानयोः वैशा च समुपदिशति।

श्लोक का अन्वयः :
(यादृशेन हि ………… एतदेवमवेहि मे॥) हि यादृशेन वर्णेन शुक्लम् अम्बरं भाव्यते तादृशं रूपं कुरुते, एतद् एवम् एव मे (मतम्) अवेहि।

शब्दार्थाः :
आच्छादितुम्-ढंकने के लिए-to cover, to hide;कौशेयम्-रेशमी-silken; संयोजनस्य-मिलाने का-mixing; स्वापेक्षितस्य-अपनी अपेक्षा, इच्छा के-at sweet will; अम्बरम्-वस्त्र-clothes; वैशधम्-विस्तार पूर्वक-in detail; समुपदिशति-ठीक प्रकार सेinstruct; अवेहि-उपदेश करता है- advises.

अनुवाद :
वस्त्रनिर्माण-मानव का यह स्वभाव है कि वह लज्जा से अपने नश्वर शरीर को वस्त्र से ढंकने की इच्छा करता है। वैदिक काल से ही वस्त्र बनाने की परम्परा है। महाभारत में ऊन, कपास, रेशम आदि के वस्त्रों के निर्माण का और उनमें अपनी इच्छा के रंग मिलाने का वर्णन मिलता है। जैसे –

‘जैसे रंग से सफेद वस्त्र सुन्दर लगता है, वैसे ही रूप हो जाता है। यह ऐसे ही मेरा ‘विचार’ है।

इससे ज्ञात होता है कि यह एक लाख पद्यों वाला महाकाव्य ‘महाभारत’ एक ओर चार प्रकार के पुरुषार्थों का प्रकाशक है, इससे भी अधिक ज्ञान और विज्ञान, के विषयों का ठीक प्रकार से उपदेश करता है।

English :
Cloth manufacturing (texturing cloth manufacturing prevalent through the ages-coloured woollen, cotton and silken clothes were manufactured in the period of Mahabharata.

Mahabharata deals with four types of manliness. It also deals with topics of knowledge and science.

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