MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 19 गुप्तकाल एवं उत्तर गुप्तकाल

MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 19 गुप्तकाल एवं उत्तर गुप्तकाल

MP Board Class 6th Social Science Chapter 19 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए –
(अ) गुप्तवंश के प्रमुख शासकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त एवं चन्द्रगुप्त द्वितीय इस वंश के प्रमुख शासक थे।

(ब) समुद्रगुप्त ने किन-किन राज्यों को जीता ?
उत्तर:
समुद्रगुप्त महान् विजेता था। उसने भारत में राजनीतिक एकता स्थापित करने के लिए उत्तर भारत के 9 शक्तिशाली राजाओं को परास्त किया। उसके बाद विन्ध्य पर्वत क्षेत्र के 8 गणराज्यों तथा दक्षिण भारत के 12 राज्यों पर विजय प्राप्त की। सीमावर्ती राजाओं ने भी डर कर मित्रता कर ली। इस तरह उसने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की।

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(स) गुप्तकाल में साम्राज्य को किन-किन भागों में बाँटा गया था ?
उत्तर:
गुप्तकाल में साम्राज्य को प्रान्तों, जिलों, ग्राम में बाँटा गया था। इससे शासन चलाने में सुविधा होती थी।

(द) हर्षवर्धन की विजयों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हर्ष ने पंजाब,. पूर्वी राजस्थान, असम और गंगाघाटी के प्रदेशों को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया। 620 ई. में पुलकेशिन द्वितीय ने हर्ष के विजय अभियान को नर्मदा नदी के किनारे पर रोक दिया। हर्ष के साम्राज्य में मगध, उड़ीसा, पूर्वी बंगाल, गजरात, सौराष्ट्र, मालवा तथा सिन्ध प्रदेश सम्मिलित थे। हर्ष ने जिन राजाओं को हराया था वे सभी हर्ष को कर देते थे और युद्ध के समय उसकी मदद के लिए अपने सैनिक भेजते थे। इस काम के बदले में वे अपने क्षेत्र के राजा बने रहे।

(य) गुप्तकाल के प्रमुख साहित्यकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कालिदास, आचार्य व्यास, गुप्तकाल के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।

(र) चन्द्रगुप्त द्वितीय के द्वारा जीते गये राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
चन्द्रगुप्त द्वितीय ने मालवा, गुजरात, सौपारा, पंजाब की सात नदियों के पार का क्षेत्र, अरब सागर तट, बंगाल, असम हिमालय की तलहटी, दक्षिण में नर्मदा नदी के राज्यों को जीत लिया था।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिए
(अ) गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है, समझाइए।
उत्तर:
गुप्तकाल में व्यापार काफी उन्नत व्यवस्था में था। विदेशी व्यापार भी होता था। प्रजा सुखी और सम्पन्न थी। इस काल में विविध प्रकार की कलाओं का भी विकास हुआ। साहित्य और विज्ञान की उन्नति हुई। इस काल में गणितज्ञों ने दशमलव पद्धति का प्रयोग किया। आर्यभट्ट ने ज्योतिष और खगोलशास्त्र में प्रमुख योगदान दिया। इन सभी कारणों से गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है।

(ब) 300 ई. से 800 ई. तक की राजनैतिक एवं सामाजिक दशा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
इस काल में राजनीतिक दशा सुदृढ़ थी। विशाल साम्राज्य की शासन व्यवस्था चलाने के लिए उसे प्रान्तों, जिलों तथा गाँवों में बाँटा गया था। प्रजा सुखी और सम्पन्न थी। सम्राट न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा ईमानदार, कानून को मानने वाली, सहिष्णु तथा प्रगतिशील थी। समाज जातियों में बँटा हुआ था। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, आदि वर्गों की स्थापना हो चुकी थी। अधिकतर जातियाँ मेलजोल के साथ रहती थीं।

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) चन्द्रगुप्त द्वितीय के पिता …………. थे।
(ख) ………… चीनी यात्री था।
(ग) मेघदूत के रचयिता ………. थे।
(घ) मेहरौली में ………….. स्थित है।
उत्तर:

  • समुद्रगुप्त
  • ह्वेनसांग
  •  कालिदास
  • लोह स्तम्भ।

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प्रश्न 4.
जोड़ी बनाइए –
MP Board Class 6th Social Science Solutions Chapter 19 गुप्तकाल एवं उत्तर गुप्तकाल img 1
उत्तर:
(अ) (v) कवि
(ब) (iii) कालिदास
(स) (ii) चित्रकला शाकुन्तलम्
(द) (i) ज्योतिषी और खगोलशास्त्री
(इ) (iv) नीतिसार

प्रश्न 5.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(अ) मेघदूत के रचयिता थे –
(i) चरक
(ii) वाल्मीकि
(iii) कालिदास
(iv) वात्स्यायन।
उत्तर:
(iii) कालिदास

(ब) सूर्य के सिद्धान्त का सम्बन्ध है –
(i) साहित्य
(ii) गणित
(iii) ज्योतिष
(iv) खगोलशास्त्र।
उत्तर:
(iv) खगोलशास्त्र।

(स) चन्द्रगुप्त द्वितीय ने उपाधि धारण की –
(i) रत्न,
(ii) देवव्रत,
(iii) विक्रमादित्य।
उत्तर:
(iii) विक्रमादित्य।

(द) विषयपति, प्रशासक होता था –
(i) ग्राम का
(ii) जिले का
(iii)प्रान्त का।
उत्तर:
(ii) जिले का

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MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 6 शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 6 शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् (पद्यम्)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 6 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) ध्यानं कथम्, आचरेत? (ध्यान का पालन कैसे करना चाहिए?)
उत्तर:
ध्यानं बकवत् आचरेत। (बगुले के समान एकाग्र मन से ध्यान करना चाहिए।)

(ख) दीपः किं प्रसूयते? (दीपक क्या उत्पन्न करता है?)
उत्तर:
दीपः कञ्जलम् प्रसूयते। (दीपक काजल पैदा करता है।)

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(ग) आहारसमं किं नास्ति? (भोजन के समान क्या नहीं है?)
उत्तर:
आहारसमं सौख्यम् नास्ति। (भोजन के समान सुख नहीं है।)

(घ) सर्व परित्यज्य कम् अनुपालयेत्? (सबको छोड़कर किसका पालन करना चाहिए?)
उत्तर:
सर्व परित्यज्य शरीर अनुपालयेत। (सबको छोड़कर शरीर का पालन करना चाहिए।)

(ङ) चर्वणं कथं कुर्यात? (किस तरह चबाना चाहिए?)
उत्तर:
चर्वणं अजवत् कुर्यात्। (बकरे की तरह चबाना चाहिए।)

प्रश्न 2.
एक वाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) के सुखदुःखयोःकतारं मन्येत्? (किसे सुख-दुख का कर्ता माना जाता है?)
उत्तर:
आत्मानम् सुखदुःखयो कर्तारं मन्यते (सबको सुख दुःख का कर्ता माना जाता है।)

(ख) अन्यैधृत किं-किं न धारयेत्? (दूसरों के द्वारा धारण की गयी, किन-किन वस्तु को धारण नहीं करना चाहिए?)
उत्तर:
अन्यैः धृतम् उपानहौ, वासः च, उपवीतम्, अलङ्कारं स्रजं च न एव धारयेत्। (दूसरों का धारण किया हुआ कपड़ा, जूता, जनेऊ, आभूषण, माला आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए)

(ग) जठराग्नि विवर्धनाय किं करणीयम्? (जठराग्नि को बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?)
उत्तर:
महुः-महुः-अभूरि वारि पिवेत्। (बार-बार थोड़ा-थोड़ा जल पीना चाहिए।

(घ) युक्तेन प्राणायामेव किं भवति? (उचित प्राणायाम से क्या होता है?)
उत्तर:
सर्वरोगक्षय। (सभी रोग दूर होते हैं)

(ङ) कार्य विशुद्धयर्थम् आदौ किं विधीयते? (कार्य की शुद्धता के पहले क्या करना चाहिए?)
उत्तर:
(कार्य विशुद्धयर्थम् आदौ स्नानादौ विधीयते।) (कार्य की शुद्धता के लिए सबसे पहले स्नान करना चाहिए।)

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प्रश्न 3.
अधोलिखित प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) आदौ स्नानं किमर्थं विधीयते? (प्रारम्भ में स्नान क्यों करना चाहिए?)
उत्तर:
आदौ स्नानं कार्य विशुद्धयर्थम् विधीयते। (कार्य के प्रारम्भ में शुद्धता के लिए स्नान करना चाहिए।)

(ख) आचार्याणां मते अन्यत् कर्म किमर्थं न सम्मतम्? (शिक्षकों के मत के अनुसार अन्य कोई कार्य किस तरह सम्मत् नहीं है?)
उत्तर:
आचार्याणां मते सर्वे मलाः प्राणायमैः एव प्रशुष्यन्ति। (सभी विकार प्राणायाम से शुद्ध होते हैं।)

(ग) शरीर किमर्थम् अनुपालयेत्? (शरीर की किस तरह रक्षा करना चाहिए?)
उत्तर:
शरीरस्य प्रणष्टस्य सर्वमेव विनश्यति।।
सर्व परित्यज्य शरीरम् एव अनुपालयेत्।
(सभी का परित्याग कर शरीर की रक्षा करनी चाहिए।)

(घ) नरेण वह्नि विवर्धनाय किं करणीयम्? (व्यक्ति के द्वारा जठराग्नि को बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए?)
उत्तर:
मुहुर्महुर्वारि पिवेद। (बार-बार जल पीना चाहिए।)

प्रश्न 4.
रिक्त स्थानानि पूरयत :
(क) जायते तादृशी प्रजा।
(ख) गजवत् स्नानम् आचरेत्।
(ग) आत्मानमेव मन्येत कर्तारं सुखदुःखयोः।
(घ) शरीरस्य प्रणष्टष्य सर्वमेव विनश्यति।
(ङ) अत्यम्बुपानान्न विपष्यायते अन्नम्।

प्रश्न 5.
युग्ममेलनं कुरुत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 6 शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् img-1
उत्तर:
(क) 4
(ख) 1
(ग) 5
(घ) 3
(ङ) 2

प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षं न इति लिखत-
यथा :
भावशुद्धि-स्नानं बिना युज्यते। – (न)
वह्नि विवर्धनाय मुहुर्मुह वारि पिवेत् – (आम)
(क) उपानहौ अन्यधृतं धारयेत्।
(ख) श्रेयस्करम् मार्ग प्रतिपद्येत।
(ग) अपरीक्ष्य अश्नीयात्।
(घ) अत्यम्बुपानात् अन्नं न विपच्यते।
(ङ) शरीरम् अनुपालयेत्।
उत्तर:
(क) (न)
(ख) (आम)
(ग) (न)
(घ) (आम)
(ङ) (आम)

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प्रश्न 7.
श्लोकपूर्ति कुरुत :
(क) दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते।
यदन्नं भक्षयेन्नित्यं जायते तादृशी प्रजा॥

(ख) शुकवदं भाषणं कुर्याद् बकवद ध्यानमाचरेत।
अजवच्चतत्व कुर्यात् गजवत् स्नानमाचारेत॥

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दागं सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धेः नाम लिखत
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प्रश्न 9.
उदाहरणानुसारं शब्दानां विभक्ति वचनं च लिखत
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प्रश्न 10.
उदाहरणानुसारं क्रियापदानां धातु, लकार, पुरुष च लिखत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 6 शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् img-4

प्रश्न 11.
अव्यवैः वाक्य निर्मार्णं कुरुत-
यथा सः तत्र व गमिष्यति।
(क) बिना
(ख) च
(ग) एव
(घ) अपि
(ङ) अति
उत्तर:
(क) रामः बिना दशरथः न जीयेत।
(ख) दीपकः पंकजः च लिखतिः।
(ग) सः एव पठति।
(घ) अहं अपि गच्छामि।
(ङ) अति सर्वत्र वर्जयेत।

शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

जीवन की सभी क्रियाओं के विधिवत् सम्पादन के लिए स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन बसता है। यहाँ स्वास्थ्य रक्षण से सम्बन्धित वैद्यकीय सुभाषित श्लोक संकलित किए गए हैं।

शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् पाठ का हिन्दी अर्थ

1. नैर्मल्यं भावशुद्धिश्च विना स्नानं न युज्यते।
तस्मात् कार्यविशुद्धयर्थं स्नानमादौ विधीयते॥

शब्दार्थ :
नैर्मल्यं-निर्मलता, स्वच्छता-Fine.clean; कार्य विशुद्धयर्थं कार्य की शुद्धता-For purity of work; के लिए आदौ-सबसे पहले-first. .
हिन्दी अर्थ-बिना स्नान किए भाव की शुद्धि एवं निर्मलता ठीक प्रकार से नहीं होती अतः कार्य के अच्छी तरह पूर्ण होने के लिए सबसे पहले स्नान करना चाहिए।

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2. शुकवद् भाषणं कुर्याद्, बकवद् ध्यानमाचरेत्।
अजवच्चर्वणं कुर्याद्, गजवत्स्नानमाचरेत्॥

शब्दार्थ :
भाषणम्-बोलना-Speech; चर्वणम्-चबाना-Chem कुर्यात्-करना चाहिए-Should do; आचरेत्-आचरण करना चाहिए-Should do good behave;

हिन्दी अर्थ :
तोते के समान मीठा बोलना चाहिए, बगुले के समान ध्यान लगाना चाहिए; बकरी के समान (भोजनादि का) चर्वण करना चाहिए एवं हाथी के समान स्नान करना चाहिए।

3. प्राणायामैरेव सर्वे प्रशुष्यन्ति मला इति।
आचार्याणां तु केषाञ्चिदन्यत्कर्म न सम्मतम्॥

शब्दार्थ :
प्रशुष्यन्ति-पूरी तरह सूख जाते हैं-full dries ; नष्ट हो जाते हैं-Wastes : मला-शरीर अथवा मन को मलिन करने वाले अप-तत्त्व-Wastage of Body; element; प्राणायामैरेव-प्राणायाम से-with yoga; आचार्याणां-शिक्षकों के मतों में-According to teachers; सम्मतम्-मतानुसार-According to.

हिन्दी अर्थ :
प्राणायाम करने से शरीर व मन को दूषित करने वाले अपतत्त्व नष्ट हो जाते हैं। आचार्यों के मतानुसार कोई दूसरा कार्य मन और शरीर की मलिनता को दूर करने के लिए उपयुक्त नहीं है।

4. प्राणायामेन युक्तेन सर्वरोगक्षयो भवेत्।
अयुक्ताभ्यासयोगेन सर्वरोगस्य सम्भवः॥

शब्दार्थ :
युक्तेन-उचित रीति से किए गए-with systemetic; अयुक्त-अनुचित fira À force 75-without systemetic.

हिन्दी अर्थ :
युक्ति युक्त विधि से प्राणायाम करने वाले व्यक्ति के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। अनुचित तरीके से प्राणायाम करने से अनेक रोगों की उत्पति संभव है।

5. अत्यम्बुपानान्न विपच्यतेऽन्न, निरम्बुपानाच्च स एव दोषः।
तस्मान्नरो वह्निविवर्धनाय, मुहुर्मुहुर्वारि पिवेद् भूरि॥

शब्दार्थ :
अम्बु-जल, पानी-Water; पानात-पीने से-by drinking; न विपच्यते-ठीक से पचता नहीं है-Undigest; बहिन विवर्धनाय Digetion; -जठराग्नि (भूख) को बढ़ाने के Farç-hungry to increase.

हिन्दी अर्थ :
अत्यधिक जल पीने से अन्न (भोजन) नहीं पचता। एकदम जल न पीने से भी वही दोष होता है। अतः जठराग्नि (पाचनशक्ति) को बढ़ाने के लिए थोड़ा-थोड़ा जल बार-बार पीना चाहिए।

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6. न रागान्नाप्यविज्ञानात् आहाराकुपयोजयेत्।
परीक्ष्यहितमश्नीयात् देहो ह्याहारसम्भवः॥

शब्दार्थ :
रागात्-जीभ के लालच के वशीभूत होकर-influence of; tongue; अविज्ञानात्-बिना ठीक से जाने-without knowledge; हितम्-हित को-to kind; आहारसम्भवः-सम्भावित आहार-will food.

हिन्दी अर्थ :
पथ्य-अपथ्य का विचार किए बिना जीभ (स्वाद) के वशीभूत होकर , भोजन नहीं करना चाहिए। शरीर का हित देखते हुए ही भोजन करना चाहिए क्योंकि शरीर भोजन पर ही निर्भर होता है।

7. दीपोभक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते।
यदन्नं भद्रयेन्नित्यं जायते तादृशी प्रजा॥

शब्दार्थ :
कज्जलम्-काजल को- to blackness; तादृशी-वैसी ही-like that; भक्षयते-भक्षण करता है-to eat; नित्यम-हमेशा-Always.

हिन्दी अर्थ :
दीपक अंधकार को दूर करता है किन्तु काजल उत्पन्न करता है, (वैसे ही) भक्षण किए गए अन्न की ही प्रकृति के अनुसार संतानें होती हैं।

8. नास्ति क्षुधासमं दुःखं, नास्ति रोगः, क्षुधासमः।
नास्त्याहारसमं सौख्यं, नास्ति क्रोधसमो रिपुः॥

शब्दार्थ :
क्षुधासमम्-भूख के समान like hunger, like appetite; सौख्यम्-सुख-happy; रिपु-शत्रु-enemy.

हिन्दी अर्थ :
भूख के समान कोई दुःख नहीं है और न भूख के समान कोई रोग। भोजन के समान कोई मित्र नहीं है और क्रोध के समान कोई शत्रु नहीं है।.

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9. उपानहौ च वासश्च धृतमन्त्यैर्नधारयेत्।
उपवीतमलङ्कारं स्रजं करकमेव च।।

शब्दार्थ :
उपानहौ-जूते-Shoes; वासश्च -और कपड़े-And Colthes,धृतमन्यै-दूसरी के द्वारा पहने हुए-Put on by another; करकम्-लोटा, कुल्हड़-Bowel; धारयेत्-धारण करना चाहिए-Pun on also.

हिन्दी अनुवाद :
दूसरे का धारण किया हुआ जूता, वस्त्र, जनेऊ, आभूषण, माला और मिट्टी का बना जल पीने का पात्र (कुल्हण) आदि नहीं प्रयोग में लाना चाहिए।

10. आत्मानमेव मन्येत कर्तारं सुखदुःखयोः।
तस्माच्छ्रेयस्करं मागं प्रतिपद्येत नो सेत्।।

शब्दार्थ :
श्रेयस्करम-हितकारी-Profitable; न त्रसेते-नहीं डरना चाहिए-Should not affraid of;सुखदुःखयो-सुख दुख को-to happy sad;मन्यते-मानना चाहिए-Should obey; तस्माद्-उससे-so that.

हिन्दी अनुवाद :
सुख-दुःख का कारक स्वयं को मानना चाहिए। कल्याणकारी मार्ग पर निडर होकर चलना चाहिए।

11. सर्वमेव परित्यज्य शरीरमनपालयेत.
शरीरस्य प्रणष्टस्य सर्वमेव विनश्यति।।

शब्दार्थ :
परित्यज्य-छोड़ कर-except; प्रणष्टस्य-नष्ट हुए का-distroy; अनुपालयत्-पालन करना चाहिए-Should obey.

हिन्दी अनुवाद :
सब कुछ का परित्याग कर शरीर की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि यदि शरीर नष्ट हो गया तो सब कुछ नष्ट हो जाएगा।

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MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.5

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.5

प्रश्न 1.
PQR एक त्रिभुज है जिसका P एक समकोण है। यदि PQ = 10 cm तथा PR = 24 cm तब QR ज्ञात कीजिए।
हल:
समकोण त्रिभुज PQR में पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने पर,
QR2 = PQ2 + PR2
OR2 = (10)2 + (24)2
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.5 image 1
या QR2 = 100 + 576 = 676
या QR2 = (26)2
∴ QR = 26 cm

प्रश्न 2.
ABC एक त्रिभुज है जिसका ∠C एक समकोण है। यदि AB = 25 cm तथा AC = 7 cm तब BC ज्ञात कीजिए।
हल:
समकोण त्रिभुज ABC में पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग करने पर,
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.5 image 2
AC2 + BC2 = AB2
(7)2 + x2 = (25)2
या 49 + x2 = 625
या x2 = 625 – 49 = 576
या x2 = 242 ⇒ x = 24
∴ BC = 24 cm

प्रश्न 3.
दीवार के सहारे उसके पैर कुछ दूरी पर टिका कर 15 m लम्बी एक सीढ़ी भूमि से 12 m ऊँचाई पर स्थित खिड़की तक पहुँच जाती है। दीवार से सीढ़ी के पैर की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि सीढ़ी के पैर दीवार से am की दूरी पर हैं।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.5 image 3

∴ पाइथागोरस प्रमेय से,
a2 + 122 = 152
या a2 + 144 = 225
या a2 = 225 – 144 = 81
शस a2 = (9)2 ⇒ a = 9m
अत: सीढ़ी के पैर की दीवार से अभीष्ट दूरी = 9 m

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में भुजाओं के कौन-से समूह एक समकोण त्रिभुज बना सकते हैं?
(i) 2.5 cm, 6-5 cm,6cm
(ii) 2 cm, 2 cm, 5 cm
(iii) 1.5 cm, 2 cm, 2.5 cm
हल:
(i) माना, त्रिभुज की भुजाएँ x = 2.5 cm, y = 6.5 cm, z = 6 cm हैं।
यहाँ, सबसे बड़ी भुजा की लम्बाई y = 6.5 cm
अब, x2 + z2 = (2.5)2 + (6)2 = 6.25 + 36
= 42.25
तथा, y2 = (6.5)2 = 42.25,
∵ x2 + z2 = y2
अतः दी गई भुजाएँ समकोण त्रिभुज बना सकती हैं और भुजा 6.5 cm के सामने का कोण समकोण होगा।

(ii) माना त्रिभुज की भुजाएँ x = 2 cm, y = 2 cm, z = 5 cm है।
यहाँ, सबसे बड़ी भुजा की लम्बाई z = 5 cm है।
अब, x2 + y2 = (2)2 + (2)2
= 4 + 4 = 8
तथा z2 = (5)2 = 25
अत: अत: दी गई भुजाएँ समकोण त्रिभुज नहीं बना सकती हैं।

(iii) माना, त्रिभुज की भुजाएँ x = 1.5 cm, y = 2 cm और z = 2.5 cm हैं।
यहाँ, सबसे बड़ी भुजा की लम्बाई z = 2.5 cm है।
अब, x2 + y2 = (1.5)2 + (2)2 = 2.25 + 4.00
= 6.25
तथा z2 = (2.5)2 = 6.25,
∵ x2 + y2 = z2
अतः दी गई भुजाएँ समकोण त्रिभुज बना सकती हैं और भुजा 2.5cm के सामने का कोण समकोण होगा।

प्रश्न 5.
एक पेड़ भूमि से 5m की ऊँचाई पर टूट गया है और उसका ऊपरी सिरा भूमि को उसके आधार से 12 m की दूरी पर छूता है। पेड़ की पूरी ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि पेड़ BD बिन्दु C से टूटा है,
इस प्रकार, CD = CA
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अब पाइथागोरस प्रमेय से, ∆ABC में,
AB2 + BC2 = AC2
122 + 52 = AC2
या 144 + 25 = AC2
या AC2 = 169 = 132
या AC = 13 m
अब, पेड़ की ऊँचाई = BD = BC + CD
= BC + AC (∵AC = CD)
= 5 m + 13 m = 18 m
अतः पेड़ की अभीष्ट लम्बाई = 18 m

प्रश्न 6.
त्रिभुज PQR में कोण Q = 25° तथा कोण R = 25° है। अग्रलिखित में कौन-सा कथन सत्य है ?
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.5 image 5

(i) PQ2 + QR = RP
(ii) PQ2 + RP2 = QR2
(iii) RP2 + QR2 = PQ2
हल:
∆PQR में,
∠P + ∠Q + ∠R = 180°
∠P + 25° + 65° = 180°
या ∠P + 90° = 180°
या ∠P = 180° – 90° = 90°
अत: ∆PQR समकोण त्रिभुज है, जिसका कोण P समकोण है।
अब, कर्ण = कोण P के सामने की भुजा = QR पाइथागोरस प्रमेय द्वारा
QR2 = PQ2 + PR2
अतः सम्बन्ध (ii) PQ2 + RP2 = QR2 सत्य है।

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प्रश्न 7.
एक आयत की लम्बाई 40 cm है तथा उसका एक विकर्ण 41 cm है। इसका परिमाप ज्ञात कीजिए।
हल:
आयत की लम्बाई = 40 cm, विकर्ण = 41 cm
माना कि आयत की चौड़ाई = x cm
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.5 image 6

समकोण त्रिभुज BAD से,
AB2 + AD2 = BD2
402 + AD2 = 412
या AD2 = 412 – 402 = 1681 – 1600
= 81 = 92
∴ चौड़ाई x = 9 cm
अब परिमाप = 2 (लम्बाई + चौड़ाई)
= 2 (40 + 9) = 2 × 49 = 98 cm
अत: आयत का परिमाप = 98 cm

प्रश्न 8.
एक समचतुर्भुज के विकर्ण 16 cm तथा 30 cm हैं। इसका परिमाप ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि ABCD एक समचतुर्भुज है, जिसमें AC = 30 cm और BD = 16 cm.

हम जानते हैं कि समचतुर्भुज के विकर्ण एक-दूसरे को समकोण पर काटते हैं। (यहाँ ये O पर काटते हैं।)
∠AOB = 90°
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अब समकोण ∆AOB में,
AB2 = 40 + BO2
= 152 + 82
= 225 + 64 = 289
या AB2 = 172 ⇒ AB = 17
∴ समचतुर्भुज का परिमाप = 4 × AB = 4 × 17 cm
= 68 cm

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 143

सोचिए, चर्चा कीजिए एवं लिखिए

प्रश्न 1.
त्रिभुज PQR का कोण P एक समकोण है। इसकी सबसे लम्बी भुजा कौन-सी है?
हल:
∵ शीर्ष P पर कोण 90° बनता है।
∴ समकोण बनाने वाली भुजाएँ PQ और PR हैं।
∴ कर्ण = QR
अत: त्रिभुज की सबसे लम्बी भुजा QR है।

प्रश्न 2.
त्रिभुज ARC का कोण B एक समकोण है। इसकी सबसे लम्बी भुजा कौन-सी है ?
हल:
शीर्ष B पर कोण 90° बनता है।
∴ ∆ABC की समकोण बनाने वाली भुजाएँ AB और BC हैं।
∴ कर्ण = AC
अतः त्रिभुज की सबसे लम्बी भुजा AC है।

प्रश्न 3.
किसी समकोण त्रिभुज में सबसे लम्बी भुजा कौन-सी होती है ?
हल:
समकोण त्रिभुज में सबसे लम्बी भुजा कर्ण होती है।

प्रश्न 4.
किसी आयत में विकर्ण पर बने वर्ग का क्षेत्रफल उसकी लम्बाई तथा चौड़ाई पर बने वर्गों के क्षेत्रफल के योग के बराबर होता है। यह बौधायन का प्रमेय है। इसकी पाइथागोरस गुण से तुलना कीजिए।
हल:
पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार, “समकोण त्रिभुज में कर्ण का वर्ग शेष दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है।” बौधायन ने सुलभ सूत्र में कहा है कि “आयत के कर्ण द्वारा बनाया गया क्षेत्रफल उसकी दोनों भुजाओं के द्वारा बनाये गये क्षेत्रफल के बराबर होता है।”

अब, माना कि आयत की लम्बाई और चौड़ाई क्रमशः a और b है तथा इसका विकर्ण c है। इसलिए विकर्ण पर बने वर्ग का क्षेत्रफल = c × c = c2 तथा आयत की भुजाओं पर बने वर्गों के क्षेत्रफल a2 और b2 हैं।
∴ c2 = a2 + b2 (बौधायन सुलभ सूत्र)
अतः स्पष्ट है कि पूर्व में बौधायन कथन ही वर्तमान में पाइथागोरस प्रमेय है।

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MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 5 सर्वदमनः भरतः

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 5 सर्वदमनः भरतः (नाट्यांशः)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 5 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिख-(एक शब्द में उत्तर दीजिए)
(क) ऋषि जनेन बालस्य नाम किं कृतम्? (ऋषिगणों के द्वारा बालक का नाम क्या रखा गया?)
उत्तर:
सर्वदमनः। (सर्वदमन)

(ख) उटजे कस्य मृत्तिकामयूरः तिष्ठति? (कुटिया में किसका मिट्टी का मयूर था?)
उत्तर:
मार्कण्डेयस्य ऋषिकुमारस्य वर्णचित्रितो। (कुटिया में मार्कण्डेय का मिट्टी का मयूर था।)

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(ग) राजा बालस्य हस्ते के लक्षणम् अपश्यत्? (राजा बालक के हाथ में क्या लक्षण देखता है?)
उत्तर:
चक्रवर्ती। (चक्रवर्ती)।

(घ) रक्षा करण्डकं केन दत्तम्? (रक्षा ताबीज किसके द्वारा दिया गया?)
उत्तर:
भगवता मरीचेन् (ऋषि मरीच के द्वारा ताबीज दिया गया।)

(ङ) एकां वेणी का धृतवती? (एक चोटी किसने धारण की थी?)
उत्तर:
शकुन्तला। (शकुन्तला)

प्रश्न 2.
एक वाक्येन उत्तर लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) बालः सिंहशावकं किम् उक्तवान? (बालक ने सिंह के बच्चे से क्याकहा?)
उत्तर:
जिम्भस्व दंताम् ते गणिष्यामि। (बालक सिंह के बच्चे से बोला रे सिंह जभाई ले, मैं तेरे दांत गिनूंगा।)

(ख) द्वितीया तापसी सवर्दमनं किमर्थ क्रीडनकं दातुमिच्छति? (दूसरी तापसी सर्वदमन को किसलिए खिलौना देने की इच्छा करती है?)
उत्तर:
सिंहशावकम् त्यक्तुम्। (सिंह के बच्चे को छोड़ने के लिए दूसरा खिलौना देना चाहती है)

(ग) तापसी किमर्थम् आश्चर्ये निमग्नाना? (तापसी किसलिए आश्चर्यचकित हो गई?)
उत्तर:
रक्षाकरण्डकम्। (ताबीज के कारण तापसी आश्चर्य-चकित हो गई।)

(घ) राजा स्मृतिः कथम् उपलब्धा? (राजा की मृति किस प्रकार वापस आई।)
उत्तर:
अभिज्ञान दर्शनन (राजा की स्मृति विशेष चिह्न को देखकर आई)।

प्रश्न 3.
अधोलिखत प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत(क) औषधेः विषये तापसी राजानं किं कथयति? (औषधि के संबंध में तापसी को क्या कहती है?)
उत्तर:
पितरौ परित्यज्य सर्पिणी भूत्वा दशति (माता-पिता को छोड़कर यह औषधि सांप बनकर डंसती है।)

(ख) राजा बालस्य स्पर्श कृत्वा कीदृशमऽनुभवति? (राजा पुत्र का स्पर्श करके किस तरह का अनुभव किया?)
उत्तर:
स्वपुत्र मेवा। (राजा बालक का स्पर्श करके अपने पुत्र के समान खुशी का अनुभव किया।)

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(ग) शकुन्तला वीक्ष्य राजा किम् अवोचत्? (शकुन्तला को देखकर राजा ने क्या कहा?)
उत्तर:
मम्-स्मृतिरूपलब्धा शकुन्तलां वीक्ष्य राजा अवोचत्। (शकुन्तला को देखकर राजा ने बस स्मृति की रूपवती मुझे सब कुछ याद आ गया ऐसा कहा।)

प्रश्न 4.
उचितेः शब्दैः रिक्तस्थान पूर्तिं कुरुत
(क) रे सिंहशावक जृम्भस्व दन्तान् ते गणयिष्याभि। (नखान्/दन्ताम्)
(ख) वत्स! मुञ्च बालमृगेन्द्रकम्। (बालमृगेन्द्रकम/क्रीडनकम्)
(ग) रक्षाकरण्डकमस्य मणिबंधे न दृश्यते। (अनुबन्धे/मणिबन्धे)
(घ) कोऽपि पुरुषः मां पुत्रइति आलिङ्गति। (भ्राताइति/पुत्रइति)
(ङ) आर्यपुत्र इदं ते अङ्गलीयकम्। (अङ्गुलीयकम्/वस्त्रम्)

प्रश्न 5.
युग्ममेलनं कुरुत?
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 5 सर्वदमनः भरत img-1

प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम “आम” अशुद्धवाक्यानां समक्ष ‘न’ इति लिखत
यथा :
तेजसः बीजं बालः प्रतिभाति। – (आम्)
बाले चक्रवर्ति लक्षणं नास्ति। – (न)
(क) बालः सिंहशावकेन सह क्रीडति।
(ख) राजा बालं न लालयति।।
(ग) राज्ञः बालस्य च आकृतिः समाना वर्तते।
(घ) अपराजिता औषधिः भगवता कण्वेन दत्ता।
उत्तर:
(क) (आम्)
(ख) (न)
(ग) (न)
(घ) (आम्)

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दानां मूलशब्दं विभक्तिं वचनं च लिखत
उदाहरण, यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 5 सर्वदमनः भरत img-2

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शिगपदानां धातु पुरुषं वचनं लकारं च लिखत
उदाहरणः यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 5 सर्वदमनः भरत img-3

प्रश्न 9.
निम्नलिखितानां प्रकृति प्रत्ययं च पृथक कुरुत
उदाहरण, यथा
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 5 सर्वदमनः भरत img-4

सर्वदमनः भरतः पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

कालिदास सर्वश्रेष्ठ कवि कहे जाते हैं। इनकी उपमा सर्वोत्तम कही जाती है। इनके रघुवंशम् और कुमारसंभवम् दो महाकाव्य, ऋतुसंहार एवं मेघदूत दो खंडकाव्य, विक्रमोर्वशीय, मालविकाग्नि मित्रम् और अभिज्ञानशाकुन्तलम् नामक इनकी तीन नाटक कृतियाँ हैं। उसमें अभिज्ञानशाकुन्तलम् नाटक सबसे अच्छा है। उसी नाटक से प्रस्तुत पाठ उद्धृत है।

सर्वदमनः भरतः पाठ का हिन्दी अर्थ

1. (ततः प्रविशति तापसीभ्यः सह बालः)
बालः :
जृम्भस्व रे सिंहशावकः! जृम्भस्व, दन्तान् ते गणयिष्यामि।

प्रथमाः :
अविनीत! किं नु अपत्यनिर्विशेषाणि सत्त्वानि विप्रकरोषि। हन्त! वर्धत इव ते संरम्भः। स्थाने खलु ऋषिजनेन ‘सर्वदमन’ इति कृतनामधेयोऽसि ।

राजाः :
किं नु खलु बालेऽस्मिन्नौरस इव पुत्रे स्निह्यति मे हृदयम्। (विचिन्त्य) नूनमनपत्यता मां वत्सलयति।

द्वितीयाः :
एषा त्वां केशरिणी लङ्घयिष्यति, यद्यस्याः पुत्रकं न मोक्ष्यसि।

बालः :
(सस्मितम्) अहो! बलीयः खलु भीतोऽस्मि। (इत्यधरं दर्शयति)

राजाः :
(सविस्मयम्)
महतस्तेजसो बीजं बालोऽयं प्रतिभाति मे।
स्फुलिङ्गावस्थया वह्निरेधापेक्ष इव स्थितः॥

प्रथमा-वत्स! मुञ्च बालमृगेन्द्रकम्, अपरं ते क्रीडनकं दास्यामि।

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शब्दार्थ :
जृम्भस्व-जंभाई ले-yawn; गणयिष्यामि-गिनूंगा-will count;जम्भव-जॅम्हाई लो-take yawn; अविनीत-उद्दण्ड-undiciple; संभव-उद्वेग, वेग प्रयास-forcely; उटजे-कुटिया में-in hut; स्निहयति-स्नेह करता है-loves; वत्सलयति-स्नेह पैदा करती है-growing the love; केशरिणी-सिंहनी-lioness; लपयिष्यति-आक्रमण कर देगी-will attack; यद्यस्याः -यदि तु इसके-ifyouit; न मोक्ष्यसि-नहीं छोड़ेगा-not left; भीतोऽस्मि-मैं डर गया हूँ-I am affraid of; महतस्तेजसो-महान व्यक्ति का तेज-Great persons ardour; प्रतिभाति-दिखाई देता है-looks; अपरं-दूसरा-other.

हिन्दी अर्थ :
(फिर दो तपस्विनियों के साथ बालक प्रवेश करता है।)

बालक :
जम्भाई ले, अरे सिंहशावक जम्माई ले। मैं तेरे दाँत गिनूँगा।

पहली तपस्विनी :
हे धृष्ट! हमारे द्वारा पुत्रों सदृश पालित इन जीवों को इस तरह क्यों परेशान करता है? हाय! तुम्हारी उद्दण्डता तो दिन-प्रतिदिन बढ़ती-सी जा रही है। ऋषि लोगों ने तुम्हारा नाम ‘सर्वदमन’ ठीक ही रखा है। तू तो किसी से भी भयभीत नहीं होता।

राजा :
(स्वगत) न जाने क्यों मेरे हृदय में इस बालक के प्रति पुत्रवत स्नेह हो रहा है। ठीक ही है, मेरा निःसन्तान होना ही मुझे दूसरे बच्चों में स्नेह उत्पन्न कर रहा है।

दूसरी तपस्विनी :
(बालक से) देख, यदि तू इस सिंह शावक को नहीं छोड़ेगा तो सिंहिनी तुम्हारे ऊपर आक्रमण कर देगी।

बालक :
(मुस्कुराता हुआ) (व्यंग्य रूप से) अहो! तुम्हारे कहने से तो मैं बहुत डर गया हूँ। मुँह बनाता हुआ हँसता है।

राजा :
(विस्मयपूर्वक) यह बालक तो मुझे किसी महान तेजस्वी पुरुष का अंश प्रतीत होता है। यह तो उसी प्रकार है जैसे चिनगारी के रूप में अग्नि। (जिस प्रकार एक चिनगारी काष्ठ के सान्निध्य में आते ही प्रचण्ड रूप धर लेती है, उसी प्रकार यह बालक भी समय पाकर प्रतापी, तेजस्वी एवं महान वीर होगा-ऐसा प्रतीत होता है।)

पहली तापसी :
हे बेटा! तुम सिंह शावक को छोड़ दो। मैं तुम्हें दूसरा खिलौना दूंगा।

2. बालः :
कुत्र! देहिंतत्। (इति हस्तं प्रसारयति)

राजा :
(बालस्य हस्तं दृष्ट्वा) कथं चक्रवर्तिलक्षणमप्यनेन धार्यते?

द्वितीया :
सुव्रते! मुञ्चैननैष शक्यो वाङ्मात्रेण शमयितुम्। तद् गच्छ मदीये उटजे सङ्कोचनस्य ऋषिकुमारस्य वर्णचित्रितो मृत्तिकामयूरतिष्ठति, तमस्योपहर।

प्रथमा :
तथा। (इति निष्क्रान्ता)

बाल :
तावदनेवैव क्रीडिष्यामि। (इति तापसी लोक्य हसति)

राजा :
स्पृह्यामि खलु दुर्ललितायास्मै। (निःश्वस्य)-
आलक्ष्यदन्तमुकुलाननिमित्तहासै
रव्यक्तवर्णरमणीयवचः प्रवृत्तीन।
अङ्काश्रयप्रणयिनस्तनयान् वहन्तो
धन्यास्तदङ्गरजसा कलुषी भवन्ति।।

तापसी-(साङ्गलितर्जनम्) भोः! न मां गणयसिः (पार्श्वमवलोक्य) कोऽत्र ऋषिकुमाराणाम (राजानं दृष्ट्वा) भद्रमुख! एहि तावन्मोचय अनेन दुर्मोक्षहस्तग्रहेण डिम्भकेन बाध्यमानं बालमृगेन्द्रम्।।

राजा :
तथा (इत्युपगम्य सस्मितम्)
अनेन कस्यापि कलाङ्करेण स्पृष्टस्य गात्रे सुखिता ममैवम्।
कां निवृतिं चेतसि तस्य कुर्याद् यस्यायमङ्गात् कृतिनः प्रसूतः॥
तापसी-(उभौं निर्वय) आश्चर्यमाश्चर्यम्।

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शब्दार्थ :
कुत्र-कहां-where; हस्तं-हाथ को-to hand; दृष्ट्वा -देखकर-to look; धार्यते-धारण करता है-put on; सुव्रते-सुव्रत-Subrath namely; मुञ्चै नैष-इसे छोड़ दो-left it; वाङ्मात्रेण-वाणि मात्र से-only by tongue/voice; तमस्योपहर-इसे लेकर दे दो-come with that thing; निष्क्रान्ता-निकल जाते हैं-go out; विलोक्य-देखकर-to look;खलु-निश्चित ही-certainly; दुर्ललितायास्मै-प्यार करने के लिए ललक-for loving; कीडिष्यामि-खेलूंगा-will play; स्पृह्यामि-छूता हूँ-to tuch; प्रवृत्तीन्-प्रवृत्ति-Habit; आलक्ष्य-बिना कारण-without reason; गणयसि-गिनते हो-do count; कोऽत्र-यहां कौन है-who is here?

हिन्दी अर्थ :
बालक :
कहाँ है, मुझे दो-(ऐसा कहकर हाथ फैलाता है)।

राजा :
(बालक के हाथ को देखकर) क्या यह चक्रवर्ती के लक्षणों से युक्त है?

दूसरी तापसी :
सुव्रते! इसे छोड़ दो। यह देखने मात्र से मानने वाला नहीं है। इसलिए मेरी कुटी में रखा हुआ ऋषि कुमार मार्कण्डेय द्वारा बनाया गया मिट्टी का जो मोर है वही लाकर इसे दे दो।
प्रथम तापसी-अच्छा! लाती हूँ। (यह कहकर वह चली जाती है) बालक-तब तक मैं इसी से खेलूँगा। (तापसी की ओर देखकर हँसता है)

राजा :
इस हठीले बालक को देख इससे प्यार करने को मन ललचा रहा है। (निःश्वास लेकर) अकारण ही हँसने से जिसकी दंत पंक्तियाँ दिखाई पड़ रही हैं, तोतली बातें मन को मोह ले रही हैं, जिसे अपने अंक में ले लेने के लिए मन लालायित हो रहा है ऐसे प्राणी भाग्यवान व पुण्यात्मा ही होते हैं जिनके गाद में धूल-धूसरित एवं मलिन ऐसा बालक आकर उनकी गोद को धूत धूसरित करते हैं। (अर्थात् मिट्टी-धूल में खेलते हुए बालक भाग्यवानों की ही गोद में जाकर बैठते हैं और उन्हें भी धूल धूसरित करते हैं।)

तापसी :
(अपनी अंगुलियों से धमकाते हुए) अच्छा! यह मुझे कुछ भी नहीं समझ रहा है। (पीछे की ओर देखकर) यहाँ कौन ऋषि कुमार है? (राजा को देखकर) हे महानुभाव! अपनी बाल-क्रीड़ा द्वारा परेशान किए जाते हुए इस सिंह शावक को इस बालक से छुड़ा दीजिए। मेरे द्वारा यह नहीं छुड़ाया जा सकता क्यों कि इसने शावक को जोर से पकड़ रखा है।

राजा :
अच्छा (ऐसा कहकर हँसते हुए जाते हैं) अन्य किसी के भी कुल का यह अंकुर (दीपक) स्पर्श करने मात्र से जब मेरे हृदय में सुख का संचार करता है तब यह अपने माता-पिता को (जिसने इसे पाला-पोसा है) कितना सुख प्रदान करता होगा? तापसी-(दोनों अवाक् होकर) आश्चर्य है, आश्चर्य है।

3. राजा-आर्ये किमिव।
राजा-आर्ये किमिव।

तापसी :
अस्य बालकस्य असम्बद्धेऽपि भद्रमुखे संवादिनी आकृतिरिति विस्मितास्मि। अपि च धामशीलोऽपि भूत्वा अपरिचितस्यापि ते वचनेन प्रकृतिस्थः संवृत्त।

राजा :
(बालकमुपलालयन्) आर्य! न चेन्मुनिकुमारोऽयम् तत् कोऽस्य व्यपदेशः?

तापसी :
पौरव इति।

राजा :
(स्वगतम्) कथमेकान्वयोऽयमस्माकम्।

तापसी :
(प्रविश्य मयूरहस्ता) सर्वदमन शकुन्तलावण्यं प्रेक्षस्व।

बालः :
(सदृष्टिक्षेपम्) कुत्र वा मम माता?

उभे :
नामसादृश्येन वञ्चितो मातृवत्सलः।

द्वितीया :
वत्स अस्य मृत्तिकामयूरस्य रम्यत्वम् पश्येति भणितोऽसि।

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राजा :
(आत्मगतम्) किंवा शकुन्तलेत्यस्य मातुराख्या। सन्ति पुनर्नामधेयसादृश्यानि।

बालः :
मातः रोचते में एष भद्रमयूरः। (इति क्रीडनकमादत्ते)

प्रथमा :
(विलोक्य सोद्वेगम) अहो रक्षाकरण्डकमस्य मणिबन्धे न दृश्यते।

शब्दार्थ :
आर्ये-आदरणीया-respected; भद्रमुखे-अच्छे मुख वाली-beautiful; आकृतिरिति-ऐसी आकृति-this type of shape; भूत्वा-होकर-done; संवृत्तः-होये-happened; अस्य-इसका-its; कोस्य-यह कौन है-who is this? मयूर हस्ता-हाथ में मोर-peacock in hand;शकुन्तलावण्यं-पक्षी का सुदूर-bird’s beautiful; कुत्र-कहाँ-where; रोचते-अच्छा लगता है-to seems good.

हिन्दी अर्थ :
राजा :
आर्ये! कैसा आश्चर्य!

तापसी :
इस बालक का आप से संबंध न होने पर भी इसका चेहरा आप से बहुत मिलता-जुलता है इसलिए मैं आश्चर्यचकित हो रही हूँ। और भी, यह हठी बालक आप से अपरिचित होने पर भी आपको देख शान्त हो गया।

राजा :
(उस बालक को प्यार करते हैं) यदि यह मुनिकुमार नहीं है तो यह किस कुल-गोत्र का है?

तापसी :
पौरव वंश। राजा-(अपने मन ही मन) क्या यह मेरे वंश का है?

तापसी :
(हाथ में मिट्टी के बने मोर के साथ प्रवेश) सर्वदमन! इस शकुन्त के लावण्य को देख।

बालक :
(इधर-उधर देखकर) मेरी माता कहाँ है?

दोनों :
नाम एक समान होने के कारण बेचारा ठगा गया।

दूसरी तापसी :
पुत्र! इस मिट्टी से बने शकुन्त (मोर) पक्षी की सुंदरता देखो।

राजा :
(मन-ही-मन) क्या इसकी माँ का नाम शकुन्तला है? किन्तु नाम की समानता तो बहुत मिलती है।

बालक :
माँ! यह मोर मुझे अच्छा लग रहा है (ऐसा कह खिलौने को हाथ में ले लेता है।)

पहली तापसी :
(देखते ही उद्वेगपूर्वक) इसके मणिबन्ध में रक्षा-सूत्र नहीं दिखाई दे रहा है? (आर्ये!)

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4. राजाः :
अलमलमावेगने। नन्विदमस्य सिंहशावविमर्दात्परिभ्रष्टम्। (इत्यादातुमिच्छति)

प्रथमाः :
शृणोतु महाराजः एषाऽपराजिता नामौषधिरस्य जातकर्मसमये भगवता मारीचेन दत्ता। एतां किल मातापितरावात्मानं च वर्जयित्वापरो भूमिपतितां न गृह्णाति।

राजाः :
अथ गृह्णाति।

प्रथमाः :
ततस्तं सर्पो भूत्वा दशति।

राजाः :
(सहर्षम् आत्मगतम्) कथमिव सम्पूर्णमपि मे मनोरथंनाभिनन्दामि। (इति। बालं परिष्वजते)

(ततः प्रविशत्येकवेणीधरा शकुन्तला)
राजाः-(शकुन्तलां विलोक्य) अये सेयमत्रभवती शकुन्तला।

बालः :
(मातरमुपेत्य) मातः एष कोऽपि पुरुषो मां पुत्र इत्यालिङ्गति।

राजाः :
प्रिये क्रौर्यमपि मे त्वयि प्रयुक्तमनुकूलपरिणामं संवृत्तम् यदहमिदानीं त्वया प्रत्यभिज्ञातमात्मानं पश्यामि।

शकुन्तलाः :
(नाममुद्रां दृष्ट्वा) आर्यपुत्रं इदं तेऽङ्गलीयकम्।।

राजाः :
अस्मादङ्गलीयोपलम्भात्खलु स्मृतिरूपलब्धा।
(इति निष्क्रान्तः)

शब्दार्थ :
दातुमिच्छति-देने की इच्छा करता है-wish to give;जातकर्मसमये-जात कर्म के समय-ceremonyperformed at the birthofachild; दाता-दिया गया है-given; वर्जयितापरो-छोड़कर दूसरा-expect other; भूमिपतिता-भूमि पर गिरे हुए को-to fallen on the ground; न ग्रहणाति-ग्रहण नहीं करता-does not take; ततस्तं-तब उसे-then it; भूत्वा-होकर -across; सहर्षम्-हर्ष के साथ-with cheer; आत्मगतम्-मन में-in mind; विलोक्य-देखकर-looking; इत्यालिङ्गति-ऐसा आलिंगन करता है-armes; पश्यामि-देखता हूँ-look; त्वया-तुझसे-your.

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हिन्दी अर्थ :
राजा :
घबराएं नहीं, सिंह शावक के साथ खेलते समय रगड़ से हाथ में बंधा रक्षा-सूत्र नीचे गिर गया (यह कह राजा उसे उठाना चाहता है।)

पहली तपस्विनी :
महाराज! सुनिए। यह अपराजिता नामक दिव्य औषधि (ताबीज) इस बालक के जात कर्म के समय पूज्य कश्यप ऋषि ने इसके हाथ में बाँध दी थी। इसके भूमि पर गिर जाने पर इस बालक के माता-पिता के अलावा किसी दूसरे द्वारा उठाया जाना वर्जित है (अर्थात् इसके माता-पिता के सिवा कोई दूसरा नहीं उठा सकता)।

राजा :
यदि कोई दूसरा उठा ले तो?

पहली तपस्विनी :
तो साँप बनकर यह डस लेता है।

राजा :
(मन में प्रसन्न होते हुए) तब तो मेरा मनोरथ पूर्ण हुआ (बालक को छाती से लगाता है) (तब एक वेणी धारण किए शकुन्तला प्रवेश करती है)।

राजा :
(शकुन्तला को देखकर) अरे, यह तो शकुन्तला ही है।

बालक :
(अपनी माँ के पास जाकर) माँ! ये कौन है जो मुझे बड़े स्नेह से पुत्र कहते हुए गले लगा रहे हैं।

राजा :
प्रिये! मैंने तुम्हारे साथ जो भी प्रतिकूल व्यवहार किया था, उसका परिणाम है कि अब तुम भी मुझे नहीं पहचान रही हो।

शकुन्तला :
आर्य पुत्र! क्या यह वही अंगूठी है?

राजा:
यह वही अँगूठी है जिससे हम स्मृति को उपलब्ध हुए हैं। (ऐसा कह निकल जाते हैं)।

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MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.4

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.4

प्रश्न 1.
निम्न दी गई भुजाओं की मापों से क्या कोई त्रिभुज सम्भव है ?
(i) 2 cm, 3 cm, 5 cm
(ii) 3 cm, 6 cm,7cm
(iii) 6cm, 3 cm, 2 cm.
हल:
(i) ∵ 2 cm + 3 cm = 5 cm और तीसरी भुजा = 5cm
∴ दो भुजाओं की लम्बाइयों का योग = तीसरी भुजाओं की लम्बाई, जो कि असम्भव है।
अतः भुजाओं की इन मापों से त्रिभुज सम्भव नहीं है।

(ii) ∵ 3cm + 6 cm = 9 cm
और 9cm > 7 cm
6cm + 7 cm = 13 cm
और 13 cm > 3 cm
7 cm + 3 cm = 10 cm
और 10 cm > 6cm
अत: भुजाओं की इन मापों से त्रिभुज सम्भव है।

(iii) ∵ 6cm + 3 cm = 9 cm
और 9cm > 2 cm
3 cm + 2 cm = 5 cm
और 5 cm ≠ 6cm
2 cm + 6 cm = 8 cm
और 8 cm > 5 cm
अतः भुजाओं की इन मापों से त्रिभुज सम्भव नहीं है।

प्रश्न 2.
त्रिभुज PQR के अभ्यंतर में कोई बिन्दु O लीजिए। क्या यह सही है कि –
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.4 image 1
(i) OP + OQ > PQ?
(ii) OQ + OR > QR?
(iii) OR + OP > RP?
हल:
∆POR में OP, OQ तथा OR को मिलाया। अत: त्रिभुज के गुण से,
(i) हाँ, OP + OQ > PQ
(ii) हाँ, OQ – OR > QR
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.4 image 2
(iii) हाँ, OR + OP > RP.

प्रश्न 3.
त्रिभुज ABC की एक माध्यिका AM है। बताइये कि क्या AB + BC + CA > 2 AM?
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.4 image 3
(संकेत : ∆ABM तथा ∆AMC की भुजाओं पर विचार कीजिए।)
हल:
चूँकि त्रिभुज की दो भुजाओं की लम्बाइयों का योग तीसरी भुजा की लम्बाई से अधिक होता है।
∴ ∆ABM में, AB + BM > AM …..(i)
इसी प्रकार ∆AMC में, CA + CM > AM …(2)
(1) और (2) को जोड़ने पर,
(AB + BM) + (CA + CM) > AM + AM
या AB – (BM + CM) + CA > 2 AM
अत: AB + BC + CA > 2 AM (∵ BM + MC = BC)

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प्रश्न 4.
ABCD एक चतुर्भुज है। क्या AB + BC + CD + DA > AC + BD?
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.4 image 4
हल:
∵ त्रिभुज की दो भुजाओं की लम्बाइयों का योग तीसरा भुजा की लम्बाई से अधिक होता है।
∴ ∆ABC में, AB + BC > AC …..(1)
∴ ∆ACD में, CD + DA > AC …..(2)
∆ABD में, AB + DA > BD ….(3)
तथा ∆BCD में, BC + CD > BD ….(4)
समीकरण (1), (2), (3) व (4) को जोड़ने पर,
2(AB + BC + CD + DA) > 2(AC + BD)
या AB + BC + CD + DA > AC + BD इति सिद्धम्

प्रश्न 5.
ABCD एक चतुर्भुज है। क्या AB + BC + CD + DA < 2 (AC + BD)?
हल:
∵ किसी त्रिभुज की दो भुजाओं की लम्बाइयों का योग तीसरी भुजा की लम्बाई से अधिक होता है।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.4 image 5
∴ ∆OAB में, OA + OB > AB …..(1)
∆OBC में, OB + OC > BC …..(2)
∆OCD में, OC + OD > CD …..(3)
∆OAD में, OA + OD > AD …(4)
(1), (2), (3) व (4) को जोड़ने पर,
2(OA + OB + OC + OD) > (AB + BC + CD + DA)
या AB + BC + CD + DA < 2 (OA + OB + OC + OD)
या AB + BC + CD + DA < 2 [(OA + OC)+ (OB + OD)]
या AB + BC + CD + DA < 2 (AC + BD) इति सिद्धम्

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प्रश्न 6.
एक त्रिभुज की दो भुजाओं की माप 12 cm तथा 15 cm है। इसकी तीसरी भुजा की माप किन दो मापों के बीच होनी चाहिए?
हल:
चूँकि हम जानते हैं कि किसी त्रिभुज की दो भुजाओं की लम्बाइयों का योग तीसरी भुजा की लम्बाई से अधिक होता है।
∴ 12 cm + 15 cm > तीसरी भुजा
अर्थात् 27 > तीसरी भुजा
या तीसरी भुजा < 27 cm.
साथ ही किन्हीं दो भुजाओं की लम्बाइयों का अन्तर तीसरी भुजा की लम्बाई से कम होता है।
∴ 15 cm – 12 cm < तीसरी भुजा या
या 3 cm < तीसरी भुजा अतः
या 3 cm < तीसरी भुजा < 27 cm.
अतः तीसरी भुजा की लम्बाई 3 cm और 27 cm के बीच में होनी चाहिए।

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 139

सोचिए, चर्चा कीजिए एवं लिखिए

प्रश्न 1.
किसी त्रिभुज में क्या उसके किन्हीं दो कोणों का योग तीसरे कोण से सदैव अधिक होता है ?
हल:
किसी त्रिभुज में उसके किन्हीं दो कोणों का योग सदैव तीसरे कोण से अधिक नहीं होता है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 141-142

प्रयास कीजिए

प्रश्न 1.
निम्न आकृतियों में अज्ञात लम्बाई x ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.4 image 6
हल:
(i) दी हुई आकृति समकोण त्रिभुज है, जिसमें सबसे लम्बी भुजा कर्ण है।
∴ x2 = 32 + 42 (पाइथागोरस प्रमेय से)
या x2 = 9 + 16
या x2 = 25 = 52
∴ x = 5

(ii) दी हुई आकृति समकोण त्रिभुज है।
∴ x2 = 62 + 82 (पाइथागोरस प्रमेय से)
या x2 = 36 + 64
या x2 = 100 = 102
∴ x = 10

(iii) दी हुई आकृति समकोण त्रिभुज है।
∴ x2 = 152 + 82 (पाइथागोरस प्रमेय से)
या x2 = 225 + 64
या x2 = 289 = 172
∴ x = 17 cm

(iv) दी हुई आकृति समकोण त्रिभुज है।
∴ x2 = 242 + 72
या x2 = 576 + 49
या x2 = 625 = 252
∴ x = 25

(v) समकोण त्रिभुज (1) में,
y2 + 122 = 372
या y2 + 144 = 1369
या y2 = 1369 – 144 = 1225
या y2 = 352 ⇒ y = 35
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.4 image 7
समकोण त्रिभुज (2) में,
(x – 7)2 + 122 = 372
या (x – y)2 + 144 = 1369
या (x – 35)2 = 1369 – 144 = 1225
या (x – 35)2 = 352
या x – 35 = 35
x = 35 + 35 = 70

(vi) चित्र से, x2 + 32 = 122
या x2 = 122 – 32 = 144 – 9
या x2 = 135
⇒ x = \(\sqrt { 135 }\)

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 142

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MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.3

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.3

प्रश्न 1.
निम्नांकित आकृतियों में अज्ञात x का मान ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.3 image 1
हल:
∵ त्रिभुज के तीनों अन्त:कोणों का योग 180° (दो समकोण) के बराबर होता है। अतः
(i) x+ 50° + 60° = 180°
या x + 110° = 180°
या x = 180° – 110° = 700
अतः x का अभीष्ट मान = 70°

(ii) x + 90° + 30° = 180°
या x + 120° = 180°
या x = 180° – 120° = 60°
अतः का अभीष्ट मान = 60°

(iii) x + 30° + 110° = 180°
या x + 140° = 180°
या x = 180° – 140° = 40°
अत: x का अभीष्ट मान = 40°

(iv) x + x + 50 = 180°
या 2x + 50° = 180°
या 2x = 180° – 50° = 130°
या x = \(\frac { 180 }{ 3 } \) = 60°
अतः x का अभीष्ट मान = 65°

(v) x + x + x = 180°
या 3x = 180°
या x = \(\frac { 180 }{ 3 } \) = 60°
अतः x का अभीष्ट मान = 60°

(vi) x + 2x + 90° = 180°
या 3x = 180° – 90° = 90°
या x = \(\frac { 90 }{ 3 } \) = 30°
अतः x का अभीष्ट मान = 30°

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प्रश्न 2.
निम्नांकित आकृतियों में अज्ञात x और y का मान ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.3 image 2
हल:
(i) ∵ कोण y और 120° रैखिक युग्म बनाते हैं।
∴ y + 120° = 180°
या y = 180° – 120° = 60°
(∵ त्रिभुज के तीनों अन्तः कोणों का योग = 180°)
अब x + y + 50° = 180°
या x + 60° + 50° = 180°
या x + 110° = 180°
या x = 180° – 110° = 70°
अतः x = 70° और y = 60°

(ii) ∵ कोण y और 80° ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोण हैं,
∴ y = 80°
∵ त्रिभुज के तीनों अन्त:कोणों का योग 180° होता है।
∴ x + y + 50° = 180°
या x + 80° + 50° = 180°
या x + 130° = 180°
या x = 180° – 130° = 50°
अत: x = 50° और y = 80°

(iii) ∵ त्रिभुज के तीनों अन्तः कोणों का योग = 180°
∴ 50° + 60° + y = 180°
या 110° + y = 180°
या y = 180° – 110° = 70°
पुनः कोण x और y रैखिक युग्म बनाते हैं
∴ x + y = 180°
या x + 70° = 180°
या x = 180° – 70° = 110°
अतः x = 110° और y = 70°

(iv) ∵ कोण x और 60° ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोण हैं।
∴ x = 60°
अब, ∵ त्रिभुज के तीनों अन्त:कोणों का योग 180° होता है।
∴ x + 1 + 30° = 180°
या 60 + 1 + 30° = 180°
या y + 90° = 180°
या y = 180° – 90° = 90°
अतः x = 60° और y = 90°

(v) ∵ कोण । और 90° ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोण हैं,
∴ y = 90°
अब, ∵ त्रिभुज के तीनों अन्त:कोणों का योग = 180°
∴ x + x + y = 180°
या 2x + 90° = 180°
या 2x = 180° – 90°
= 90°
⇒ x = \(\frac { 90 }{ 2 } \) =45°
अतः x = 45° और y = 90°

(vi) त्रिभुज का एक अन्त:कोण y है। शेष दो कोण ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोण x के बराबर हैं।
∴ x + x + y = 180°
या 2x + y = 180°
या 2x + x = 180° (∵ ∠x = ∠y)
या 3x = 180°
या x = \(\frac { 180 }{ 3 } \) = 60°
अतः x = 60° और y = 60°

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 184

प्रयास कीजिए

प्रश्न 1.
एक त्रिभुज के दो कोण 30° तथा 80° हैं। इस त्रिभुज का तीसरा कोण ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि तीसरा कोण x है,
∵ त्रिभुज के तीनों अन्त:कोणों का योग = 180°
∴ 30° + 80° + x = 180°
या 110° + x = 180°
या x = 180° – 110° = 70°
अतः त्रिभुज का तीसरा कोण = 70°

प्रश्न 2.
किसी त्रिभुज का एक कोण 80° तथा शेष दोनों कोण बराबर हैं। बराबर कोणों में प्रत्येक कोण की माप ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि बराबर कोणों में प्रत्येक कोण x है।
∵ त्रिभुज के तीनों अन्तः कोणों का योग 180° होता है।
∴ x + x + 80° = 180°
या 2x + 80° = 180°
या 2x = 180° – 80° = 100°
या x = \(\frac { 100 }{ 2 } \) = 50°
अत: बराबर कोणों में प्रत्येक कोण = 50°

प्रश्न 3.
किन्हीं त्रिभुज के तीनों कोणों में 1 : 2 : 1 का अनुपात है। त्रिभुज के तीनों कोण ज्ञात कीजिए। त्रिभुज का दोनों प्रकार से वर्गीकरण भी कीजिए।
हल:
माना कि त्रिभुज के कोण x, 2x व x हैं।
∴ x + 2x + x = 180°
या 4x = 180°
या x = \(\frac { 180 }{ 4 } \) = 45°
त्रिभुज के कोण x = 45° तथा 2x = 2 × 45° = 90°
अत: त्रिभुज के कोण 45°, 90° और 45° हैं।
अतः त्रिभुज समकोण त्रिभुज है तथा यह समद्विबाहु त्रिभुज भी है।

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सोचिए, चर्चा कीजिए एवं लिखिए

प्रश्न 1.
क्या कोई ऐसा त्रिभुज सम्भव है जिसके दो कोण समकोण हों ?
हल:
नहीं, ऐसा त्रिभुज सम्भव नहीं हैं जिसके दो कोण समकोण हों क्योंकि त्रिभुज के तीनों अन्तः कोणों का योग 180° होता है।

प्रश्न 2.
क्या कोई ऐसा त्रिभुज सम्भव नहीं है जिसमें दो | कोण अधिक कोण हों ?
हल:
नहीं, ऐसा त्रिभुज सम्भव नहीं है, जिसमें दो कोण अधिक कोण हों। यहाँ इस स्थिति में त्रिभुज के तीनों कोणों का योग दो समकोण से अधिक हो जाएगा।

प्रश्न 3.
क्या कोई ऐसा त्रिभुज सम्भव है जिसमें दो – कोण न्यून कोण हों ?
हल:
हाँ, ऐसा त्रिभुज सम्भव है जिसमें दो न्यून कोण हों।

प्रश्न 4.
क्या कोई ऐसा त्रिभुज सम्भव है जिसमें तीनों कोण 60° से अधिक हों ?
हल:
नहीं, ऐसा त्रिभुज सम्भव नहीं है जिसमें सभी तीनों कोण 60° से अधिक हों। इस स्थिति में त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° से अधिक हो जाएगा, लेकिन यह 180° के बराबर होना चाहिए।

प्रश्न 5.
क्या कोई ऐसा त्रिभुज सम्भव है जिसमें तीनों कोण 60° के हो ?
हल:
हाँ, ऐसा त्रिभुज सम्भव है जिसमें तीनों कोण 60° के हों।

प्रश्न 6.
क्या कोई ऐसा त्रिभुज सम्भव है। जिसमें तीनों कोण 60° से कम हों ?
हल:
नहीं, ऐसा त्रिभुज सम्भव नहीं है जिसमें तीनों कोण 60° से कम हों। ऐसी स्थिति में त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° से कम होगा जबकि यह 180° होना चाहिए।

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 135-136

प्रयास कीजिए

प्रश्न 1.
प्रत्येक आकृति में कोण x का मान ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.3 image 3
हल:
(i) आकृति समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें दो भुजाएँ समान हैं और समान भुजाओं के सामने के कोण समान होते हैं।
∴ अभीष्ट कोण x = 40°

(ii) आकृति समकोण समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसकी दो भुजाएँ समान हैं और समान भुजाओं के सामने के कोण समान होते हैं।
अतः दूसरी समान भुजा के सामने का कोण 45° है।
चूँकि हम जानते हैं कि त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180° होता है। अतः
x + 45° + 45° = 180°
या x + 90° = 180°
या x = 180° – 90° = 90°
∴ अभीष्ट कोण x = 90°

(iii) आकृति में त्रिभुज की दो भुजाएँ समान हैं और समान भुजाओं के सामने के कोण समान होते हैं,
∴ अभीष्ट कोण x = 50°

(iv) आकृति में त्रिभुज की दो भुजाएँ समान हैं और समान भुजाओं के सामने के कोण समान होते हैं।
∴ आधार का दूसरा कोण = x.
अब, त्रिभुज के तीनों कोणों का योग = 180°
∴ x + x + 100° = 180°
या 2x + 100° = 180°
या 2x = 180° – 100°
= 80°
∴ अभीष्ट कोण x = \(\frac { 80 }{ 2 } \) = 40°

(v) आकृति में दो भुजाएँ समान हैं तथा एक कोण समकोण है और समान भुजाओं के सामने के कोण समान होते हैं।
∴ दूसरा कोण = x
∵ त्रिभुज के तीनों अन्त: कोणों का योग = 180°
∴ x + x + 90° = 180°
या 2x = 180° – 90° = 90°
∴ अभीष्ट कोण x = \(\frac { 90 }{ 2 } \) = 45°

(vi) आकृति में त्रिभुज की दो भुजाएँ समान हैं और त्रिभुज में समान भुजाओं के सामने के कोण समान होते हैं।
∴ दूसरा कोण भी x होगा।
∵ त्रिभुज के तीनों कोणों का योग = 180°
∴ x + x + 40° = 180°
या 2x + 40° = 180°
या 2x = 180° – 40° = 140°
∴ अभीष्ट कोण x = \(\frac { 140 }{ 2 } \) = 70°

(vii) आकृति में त्रिभुज की दो भुजाएँ समान हैं और त्रिभुज में समान भुजाओं के सामने के कोण समान होते हैं।
∴ दूसरा आधार का कोण = x
∵ दूसरा आधार कोण x और 120° रैखिक युग्म बनाते हैं।
∴ x + 120° = 180°
∴ अभीष्ट कोण x = 180° – 120°
= 60°

(viii) आकृति में त्रिभुज की दो भुजाएँ समान हैं और त्रिभुज में समान भुजाओं के सामने के कोण समान होते हैं।
∴ दूसरा आधार का कोण = x
चूँकि सम्मुख अत: कोणों का योग = बाह्य कोण
∴ x + x = 110°
या 2x = 110°
∴ अभीष्ट कोण x = \(\frac { 110 }{ 2 } \) = 55°

(ix) आकृति में त्रिभुज की दो भुजाएँ समान हैं और त्रिभुज में समान भुजाओं के सामने के कोण समान होते हैं।
∴ दूसरा आधार का कोण = x
साथ ही, ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोण x और 30° बराबर हैं।
∴ अभीष्ट कोण x = 30°

प्रश्न 2.
प्रत्येक आकृति में x तथा y के मान ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.3 image 4
हल:
(i) आकृति में त्रिभुज की दो भुजाएँ समान हैं।
∴ समान भुजाओं के सामने के कोण समान हैं।
चूँकि एक आधार का कोण = y
∴ दूसरा आधार का कोण = y
अब, दूसरा आधार कोण y और 120° रैखिक युग्म बनाते हैं।
∴ y + 120° = 180°
या y = 180° – 120° = 60°
अब, त्रिभुज के तीनों अन्तः कोणों का योग = 180°
∴ x + y + y = 180°
या x + 2y = 180°
या x + 2 × 60° = 180°
या x = 180° – 120° = 60
अतः, x = 60° और y = 60°

(ii) आकृति में त्रिभुज की दो भुजाएँ समान हैं।
∴ समान भुजाओं के सामने के कोण समान हैं।
∵ समान कोणों में एक कोण x है, अतः दूसरा कोण = x साथ ही, त्रिभुज समकोण त्रिभुज है
∴ तीसरा कोण = 90°
अब, त्रिभुज के तीनों अन्त:कोणों का योग = 180°
∴ x + x + 90° = 180°
या 2x + 90° = 180°
या 2x = 180° – 90° = 90°
या x = \(\frac { 90 }{ 2 } \) = 45°
अब, दूसरा कोण x और रैखिक युग्म बनाते हैं।
∴ x + y = 180°
या 45° + y = 180°
∴ y = 180° – 45° = 135°
अतः x = 45° और y = 135°

(iii) आकृति में त्रिभुज की दो भुजाएँ समान हैं।
∴ समान भुजाओं के सामने के कोण समान हैं।
समान कोण में एक कोण x है।
अतः दूसरा आधार कोण = x
त्रिभुज का तीसरा कोण = ऊर्ध्वाधर सम्मुख कोण
= 92°
अब, त्रिभुज के तीनों अन्त:कोणों का योग = 180°
∴ x + x + 92° = 180°
या 2x + 92° = 180°
या 2x = 180° – 92° = 88°
या x = \(\frac { 88 }{ 2 } \) = 44°
अब, दूसरा आधार कोण x और y रैखिक युग्म बनाते हैं।
∴ x + y = 180°
या 44° + y = 180°
या y = 180° – 44° = 136°
अतः x = 44° और y = 136°

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 137

प्रश्न 1.
अपनी अभ्यास-पुस्तिका में कोई तीन त्रिभुज, जैसे – ∆ABC, ∆PQR और ∆XYZ बनाइए। अपने पैमाने की सहायता से इन त्रिभुजों की भुजाओं को मापकर, एक तालिका के रूप में निम्न प्रकार से लिखिए
हल:
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.3 image 5
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.3 image 6
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 138-139

MP Board Class 7th Maths Solutions

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1

प्रश्न 1.
यहाँ पर कुछ आकृतियाँ दी गई हैं।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 img-1
प्रत्येक का वर्गीकरण निम्नलिखित आधार पर कीजिए –
(a) साधारण वक्र
(b) साधारण बन्द वक्र
(c) बहुभुज
(d) उत्तल बहुभुज
(e) अवतल बहुभुज।
उत्तर:
(a) साधारण वक्र – (i), (ii), (v), (vi) और (vii)
(b) साधारण बन्द वक्र – (i), (ii), (v), (vi) और (vii)
(c) बहुभुज – (i), (ii) और (iv)
(d) उत्तल बहुभुज – (ii)
(e) अवतल बहुभुज – (i) और (iv)

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रत्येक में कितने विकर्ण हैं?
(a) एक उत्तल चतुर्भुज
(b) एक समषड्भुज
(c) एक त्रिभुज।
उत्तर:
(a) 2, (b) 9, (c) 0 (कोई विकर्ण नहीं)।

प्रश्न 3
उत्तल चतुर्भुज के कोणों के मापों का योगफल क्या है? यदि चतुर्भुज, उत्तल न हो तो क्या यह गुण लागू होगा? (एक चतुर्भुज बनाइए जो उत्तल न हो और प्रयास कीजिए।)
उत्तर:
उत्तल चतुर्भुज के कोणों के मापों का योगफल 360° है। हाँ, यह गुण लागू होगा यदि चतुर्भुज उत्तल न हो।

प्रश्न 4.
तालिका की जाँच कीजिए (प्रत्येक आकृति को त्रिभुजों में बाँटिए और कोणों का योगफल ज्ञात कीजिए):
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 img-2
एक बहुभुज के कोणों के योग के बारे में आप क्या कह सकते हैं जिसकी भुजाओं की संख्या निम्नलिखित हो?
(a) 7
(b) 8
(c) 10
(d) n.
हल:
दी हुई तालिका से स्पष्ट है कि n भुजा वाले बहुभुज के कोणों का योग (n – 2) x 180° होगा।
(a) n = 7
∴ 7 भुजाओं वाले बहुभुज के कोणों का योग
= (7 – 2) x 180°
= 5 x 180° = 900°

(b) n = 8
∴ 8 भुजाओं वाले बहुभुज के कोणों का योग
= (8 – 2) x 180°
= 6 x 180° = 1080°

(c) n = 10
∴ 10 भुजाओं वाले बहुभुज के कोणों का योग = (10 – 2) x 180°
= 8 x 180° = 1440°

(d) यदि किसी बहुभुज में n भुजाएँ हों तो बनने वाले त्रिभुजों की संख्या (n – 2) होगी।
∴ त्रिभुज के तीनों अन्तः कोणों का योग = 180°
∴ n भुजा वाले बहुभुज के कोणों का योग = (n – 2) x 180°

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प्रश्न 5.
समबहुभुज क्या है? एक समबहुभुज का नाम बताइए जिसमें –

  1. 3 भुजाएँ
  2. 4 भुजाएँ
  3. 6 भुजाएँ हों।

उत्तर:
समबहुभुज:
एक ऐसा बहुभुज जिसकी भुजाएँ बराबर हों तथा अन्त:कोणों के माप भी समान हों, समबहुभुज कहलाता है। समबहुभुज के बहिष्कोण भी समान होते हैं।

समबहुभुज जिसमें –

  1. 3 भुजाएँ हैं-समबाहु त्रिभुज
  2. 4 भुजाएँ हैं-वर्ग
  3. 6 भुजाएँ हैं-समषड्भुज।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आकृतियों में x (कोण की माप) ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 img-3
हल:
(a) चूँकि चतुर्भुज के चारों अन्त:कोणों का योग 360° होता है।
∴ x + 120° + 130° + 50° = 360°
या x + 300° = 360°
या x = 360° – 300° = 60°

(b) चूँकि चतुर्भुज के चारों अन्तःकोणों का योग 360° होता है।
∴ x + 70° + 60° + 90° = 360°
या x + 220° = 360°
या x = 360° – 220° = 140°

(c) दी हुई आकृति में पाँच भुजाएँ हैं। अर्थात् n = 5
∴ आकृति में, कोणों का योग = (x – 2) x 180°
= (5 – 2) x 180°
= 3 x 180° = 540°
अतः आकृति से स्पष्ट है,
m∠1+ 60° = 180°
m∠1 = 180° – 60° = 120° (सरल कोण)
और m∠2 + 70° = 180° (रेखीय युग्म)
या m∠2 = 180° – 70° = 110°
∴ m∠1 + m∠2 + x + 30° + x = 540°
या 120° + 110° + 2x + 30° = 540°
या 2x + 260° = 540°
या 2x = 540° – 260° = 280°
या x = \(\frac{280°}{2}\) = 140°

(d) चूँकि आकृति में 5 भुजाएँ हैं अर्थात् n = 5
∴ आकृति के कोणों का योग = (n – 2) x 180°
= (5 – 2) x 180°
= 3 x 180° = 540°
∴ x + x + x + x + x = 540°
या 5x = 540°
या x= \(\frac{540°}{5}\) = 108° उत्तर

प्रश्न 7.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 img-4
(a) x + y + z ज्ञात कीजिए।
(b) x + y + z + w ज्ञात कीजिए।
हल:
(a) ∵ त्रिभुज के तीनों अन्त:कोणों के योग की माप = 180°
∴ m∠1 + 30° + 90° = 180°
या m∠1 + 120° = 180°
या m∠1 = 180° – 120° = 60°
तथा x + 90° = 180° (रेखीय युग्म)
x = 180° – 90° = 90° ……(1)
y + m∠1 = 180° (रेखीय युग्म)
या y + 60° = 180°
या y= 180° – 60° = 120°……(2)
तथा z + 30° = 180° (रेखीय युग्म)
या z = 180° – 30° = 150° ……(3)
समीकरण (1), (2) व (3) को जोड़ने पर,
x + y + z = 90° + 120° + 150°
= 360°

(b) ∵ चतुर्भुज के अन्त:कोणों का योग = 360°
∴ m∠1 + 120° + 80° + 60° = 360°
या m∠1 + 260° = 360°
या m∠1 = 360° – 260° = 100°
या x + 120° = 180° (रेखीय युग्म)
∴ x = 180° – 120° = 60° ……(1)
y+ 80° = 180° (रेखीय युग्म)
या y = 180° – 80° = 100° …….(2)
z + 60° = 180° (रेखीय युग्म)
या z = 180° – 60° = 120° …….(3)
m∠1 + w= 180° (रेखीय युग्म)
w= 180° – m∠1
= 180° – 100° = 80° …(4)
समीकरण (1), (2), (3) व (4) को जोड़ने पर, हम प्राप्त करते हैं।
x + y + z + w= 60° + 100° + 120° + 80°
या x + y + z + w= 360°

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 47

प्रयास कीजिए (क्रमांक 3.1)

प्रश्न 1.
एक समषड्भुज लीजिए (आकृति 3.15):
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 img-5
(i) बाह्य कोणों x, y, z, p, q तथा r के मापों का योग क्या है?
(ii) क्या x = y = z = p = q = r हैं? क्यों?
(iii) प्रत्येक का माप क्या है?

(a) बाह्य कोण
(b) अन्तःकोण।
(iv) इस क्रियाकलाप को निम्नलिखित के लिए दोहराएँ –
(a) एक समअष्टभुज
(b) एक सम 20 भुज।
हल:
(i) माना कि समषड्भुज ABCDEF की भुजाओं को क्रमशः बढ़ाया गया है जिससे कि बाह्य कोण x, y, z, p, q तथा r बनते हैं।
क्योंकि बाह्य कोण x और अन्त: कोण ∠a रेखीय युग्म बनाते हैं। रेखीय युग्म के कोणों का योग = 180°
x + ∠a = 180°
इसी प्रकार, y + ∠a= 180°
z + ∠a= 180°
p + ∠a = 180°
q + ∠a = 180°
r + ∠a = 180°
दोनों ओर के कोणों को जोड़ने पर, हम प्राप्त करते हैं –
x + y + z + p + q + r + ∠a + ∠a + ∠a + ∠a + ∠a + ∠a = 1080°
या x + y + z + p + q + r + (6 – 2) x 180° = 1080°
∴ x + y + z + p +q+r + 720° = 1080°
या x + y + z + p + q + r = 1080 – 720 = 360°
अतः बाह्य कोणों के मापों का योग = 360°

(ii) हाँ, x = y=z = p = q = r क्योंकि प्रत्येक (180° – a) के बराबर है।

(iii) समषड्भुज के लिए –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 img-6
(iv) (a) सम अष्टभुज की स्थिति में, n = 8, तब
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 img-7

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MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.2

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.2

प्रश्न 1.
निम्न आकृतियों में अज्ञात बाह्य कोण x का मान ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.2 image 1
हल:
(i) अन्तः सम्मुख कोण = 50° व 70°
∵ बाह्य कोण = दो अन्तः सम्मुख कोणों का योग
∴ x = 50° + 70° = 120°

(ii) ∵ अन्तः सम्मुख कोण = 65° व 45°
∴ बाह्य कोण x = 65° + 45° = 110°

(iii) ∵ अन्तः सम्मुख कोण = 30° व 40°
∴ बाह्य कोण x = 30° + 40° = 70°

(iv) ∵ अन्तः सम्मुख कोण = 60° व 60°
∴ ‘बाह्य कोण x = 60° + 60° = 120°

(v) ∵ अन्तः सम्मुख कोण = 50° व 50°
∴ बाह्य कोण x = 50° + 50° = 100°

(vi) ∵ बाह्य सम्मुख कोण = 30° व 60°
∴ बाह्य कोण x = 30° + 60° = 90°

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प्रश्न 2.
निम्न आकृतियों में अज्ञात कोणx का मान ज्ञात कीजिए –
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.2 image 2
हल:
∵ सम्मुख अन्त: कोणों का योग = बाह्य कोण
(i) ∵ बाह्य कोण = 115°
एक सम्मुख अन्त:कोण = 50°
∴ x + 50° = 115°
या x = 1150 – 50°
= 65°

(ii) ∵ बाह्य कोण = 100%,
एक सम्मुख अन्त:कोण = 70°
∴ x + 70° = 100°
या x = 100 – 70°
= 30°

(iii) ∵ बाह्य कोण = 125°,
एक सम्मुख अन्त:कोण = 90°
∴ x + 90° = 125°
या x = 125° – 90°
= 35°

(iv) ∵ बाह्य कोण = 120°
एक सम्मुख अन्त:कोण = 60°
x + 60° = 120°
या x = 120° – 60°
= 60°

(v) ∵ बाह्य कोण = 80°
एक सम्मुख अन्त:कोण = 30°
∴ x + 30° = 80°
या x = 80°- 30°
= 50°

(vi) ∵ बाह्य कोण = 75°,
एक सम्मुख अन्तः कोण = 35°
∴ x + 35° = 75°
या x = 75°- 35°
= 40°

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MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1

प्रश्न 1.
∆PQR में भुजा \(\overline{Q R}\) का मध्य-बिन्दु D है
\(\overline{P M}\) ….है।
PD….है।
क्या QM= MR ?
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1 image 1
हल:
\(\overline{P M}\), शीर्षलम्ब है।
\(\overline{P D}\), माध्यिका है।
नहीं, QM ≠ MR, क्योंकि QR का मध्य-बिन्दु M नहीं है।

प्रश्न 2.
निम्न के लिए अनुमान से आकृति खींचिए :
(a) ∆ABC में, BE एक माध्यिका है।
(b) ∆PQR में, PQ और PR त्रिभुज के शीर्षलम्ब हैं।
(c) ∆XYZ में, YL एक शीर्षलम्ब उसके बहिर्भाग में है।
हल:
(a) संलग्न चित्र में, BE,∆ABC की माध्यिका है।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1 image 2

(b) समकोण ∆PQR में, PQ तथा PR त्रिभुज के शीर्षलम्ब हैं।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1 image 3

(c) संलग्न चित्र में, YL, ∆XYZ का शीर्षलम्ब है।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1 image 4

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प्रश्न 3.
आकृति खींचकर पुष्टि कीजिए कि एक समद्विबाहु त्रिभुज में शीर्षलम्ब व माध्यिकाएँ एक ही रेखाखण्ड हो सकता है।
हल:
माना कि ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है, जिसकी भुजा AB = AC
त्रिभुज की माध्यिका AM खींची। अब चाँद की सहायता से ∠AMC को मापते हैं।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1 image 5
मापने पर, ∠AMC = 90°
∴ AM ⊥ BC
अत: ∆ABC की, अत: \(\overline{A M}\) माध्यिका और शीर्षलम्ब दोनों ही है।

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
एक त्रिभुज ABC खींचिए और इसकी एक भुजा \(\overline{B C}\) को एक ओर बढ़ाइए चित्र (i)]। शीर्ष C पर बने कोण ACD पर ध्यान दीजिए। यह कोण ∆ABC के बर्हिभाग में स्थित है। हम इसे ∆ABC के शीर्ष पर बना एक बाह्य कोण कहते हैं।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1 image 6
स्पष्ट है कि ∠BCA तथा ∠ACD परस्पर संलग्न कोण हैं। त्रिभुज के शेष दो कोण, ∠A तथा ∠B बाह्य कोण ACD के दो सम्मुख अन्त:कोण या दूरस्थ अन्तःकोण कहलाते हैं। अब काटकर या अक्स (Trace copy) लेकर ∠A तथा ∠B एक-दूसरे के संलग्न मिलाकर ∠ACD पर रखिए जैसा कि चित्र (ii) में दिखाया गया है। क्या वे दोनों कोण ACD को पूर्णतया आच्छादित करते हैं ? क्या आप कह सकते हैं,
m∠ACD = m∠A + m∠B?
हल:
हाँ, वे दोनों कोण ACD को पूर्णतया आच्छादित करते हैं।
हाँ, m∠ACD = m∠A + m∠B

प्रश्न 2.
छात्र इस क्रियाकलाप को स्वयं करें।
पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 130

सोचिए, चर्चा कीजिए एवं लिखिए

प्रश्न 1.
एक त्रिभुज के लिए बाह्य कोण भिन्न-भिन्न प्रकार से बनाये जा सकते हैं। इनमें से तीन भिन्न प्रकार के दिखाए गए हैं।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1 image 7

इनके अतिरिक्त तीन और प्रकार से भी बाह्य कोण बबनाये जा सकते हैं। इन्हें भी अनुमान से बनाइए।
हल:
तीन अन्य प्रकार से बने बाह्य कोण –
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1 image 8

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
किसी त्रिभुज के एक शीर्ष पर बने दोनों बाह्य कोण क्या परस्पर समान होते हैं ?
हल:
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1 image 9
हाँ ∆ABC की भुजा AC व BC को आगे बढ़ाने पर हमें क्रमश: ∠BCP व ∠ACQ प्राप्त होते हैं जो कि शीर्षाभिमुख हैं।
∴ ∠BCP = ∠ACQ
∴ त्रिभुज के प्रत्येक शीर्ष पर एक बाह्य कोणों का एक युग्म होगा जो आपस में समान होंगे।

प्रश्न 3.
किसी त्रिभुज के एक बाह्य कोण और उसके संलग्न अन्तःकोण के योग के बारे में आप क्या कह सकते हैं?
हल:
एक त्रिभुज के एक बाह्य कोण और उसका संलग्न कोण रैखिक युग्म बनाते हैं।
∴ बाह्य कोण + अन्त: कोण = 180°

सोचिए, चर्चा कीजिए एवं लिखिए

प्रश्न 1.
प्रत्येक दशा में अन्तः सम्मुख कोणों के बारे में आप क्या कह सकते हैं, जबकि बाह्य कोण है –
(i) एक समकोण
(ii) एक अधिककोण
(iii) एक न्यूनकोण।
हल:
(i) प्रत्येक अन्तः सम्मुख कोण न्यून कोण होगा।
(ii) कम-से-कम एक अन्तः सम्मुख कोण न्यूनकोण होना चाहिए।
(iii) प्रत्येक अन्तः सम्मुख कोण न्यून कोण होगा।

प्रश्न 2.
क्या किसी त्रिभुज का कोई बाह्य कोण एक सरल कोण भी हो सकता है?
हल:
नहीं, किसी त्रिभुज का कोई बाह्य कोण सरल कोण नहीं हो सकता, क्योंकि अन्तः कोण शून्य नहीं हो सकते हैं।

प्रयास कीजिए

प्रश्न 1.
किसी त्रिभुज में एक बाह्य कोण की माप 70° है और उसके अन्तः सम्मुख कोणों में से एक की माप 25° है। दूसरे अन्तः सम्मुख कोण की माप ज्ञात कीजिए।
हल:
बाह्य कोण = 70°, अन्तः सम्मुख कोण = 25°
माना कि दूसरा अन्तः सम्मुख कोण = x°

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 131

अत: दोनों अन्तः सम्मुख कोणों का योग = बाह्य कोण
∴ x° + 250 = 70°
या x° = 70° – 25° = 45°

प्रश्न 2.
किसी त्रिभुज के दो अन्तः सम्मुख कोणों की माप 60° तथा 80° है। उसके बाह्य कोण की माप ज्ञात कीजिए।
हल:
अन्तः सम्मुख कोण = 60° व 80°
∵ बाह्य कोण = दो सम्मुख अन्त:कोणों का योग
∴ बाह्य कोण = 60° + 80° = 140°

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
क्या इस चित्र में कोई त्रुटि है? टिप्पणी करें।
हल:
हम जानते हैं कि किसी त्रिभुज का बाह्य कोण अपने दोनों सम्मुख अन्त:कोणों के योग के बराबर होता है।
यहाँ प्रत्येक अन्त:कोण 50° है और बाह्य कोण भी 50° है।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज और उसके गुण Ex 6.1 image 10
∴ इन मापों से त्रिभुज नहीं बन सकता है।
(∵ 50° ≠ 50° + 50°)

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions

MP Board Class 8th Maths Chapter 3 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 41

प्रश्न 1.
निम्न आकृतियों का सुमेलन कीजिए (ध्यान रखिए! एक आकृति का एक से अधिक आकृतियों से सुमेलन हो सकता है):
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-1
अपने मित्रों से इस मिलान की तुलना कीजिए। क्या वे सहमत हैं?
उत्तर:

  1. → (c)
  2. → (b)
  3. → (a)
  4. → (b)

हाँ, वे सहमत हैं।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 42

MP Board Solutions

प्रश्न 1.
कुछ और बहुभुजों के उदाहरण देने का प्रयास कीजिए तथा कुछ और ऐसे उदाहरण दीजिए जो बहुभुज न हों।
उत्तर:
(i) बहुभुज
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-2
(ii) बहुभुज नहीं हैं –
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-3

प्रश्न 2.
एक बहुभुज की एक कच्ची (Rough) आकृति खींचिए और उसकी भुजाओं और शीर्षों की पहचान कीजिए।
हल:
रेखाखण्ड जो बहुभुज बनाते हैं, बहुभुज की भुजाएँ कहलाती हैं तथा रेखाखण्ड परस्पर जहाँ मिलते हैं, बहुभुज के शीर्ष कहलाते हैं। संलग्न आकृति में, AB, BC, CD, DE, EF, तथा FA बहुभुज की भुजाएँ हैं तथा A, B, C, D, E और F शीर्ष हैं।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-4

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 42-43

विकर्ण

प्रश्न 1.
क्या आप संलग्न आकृतियों में प्रत्येक विकर्ण का नाम दे सकते हैं? क्या PQ एक विकर्ण है? LN के बारे में आप क्या कह सकते हैं?
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-5
हल:
किसी बहुभुज का विकर्ण उसके किन्हीं दो शीर्षों को जोड़ने से प्राप्त होता है।
चित्र (i) में, विकर्ण PR तथा QS हैं।
चित्र (ii) में, विकर्ण AC, AD, BD, BE और CE हैं।
चित्र (iii) में, विकर्ण KM और LN हैं। उत्तर
चित्र (i) में PQ विकर्ण नहीं है।
चित्र में (iii) LN विकर्ण है।

प्रश्न 2.
क्या बहिर्भाग की परिसीमा होती है?
उत्तर:
नहीं, बहिर्भाग की कोई परिसीमा नहीं होती है।

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उत्तल और अवतल बहुभुज

प्रश्न 1.
क्या आप बता सकते हैं कि इस प्रकार के बहुभुज एक-दूसरे से अलग क्यों हैं? जो बहुभुज उत्तल होते हैं उनके विकर्णों का कोई भी भाग बहिर्भाग में नहीं होता है। क्या यह अवतल बहुभुजों के लिए भी सत्य होता है? दी गई आकृतियों का अध्ययन कीजिए। तदुपरान्त अपने शब्दों में उत्तल बहुभुज तथा अवतल बहुभुज समझाने का प्रयास कीजिए। प्रत्येक प्रकार की दो आकृतियाँ बनाइए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-6
उत्तर:
इस प्रकार के बहुभुज एक-दूसरे से अलग इसलिए हैं क्योंकि इन बहुभुजों में कुछ उत्तल बहुभुज हैं ([आकृति (i)] तथा कुछ अवतल बहुभुज हैं [आकृति (ii)]। उत्तल बहुभुजों में उनके विकर्णों का कोई भाग बहिर्भाग में नहीं होता है। यह अवतल बहुभुजों के लिए सत्य नहीं हैं। उत्तल बहुभुज वे बहुभुज होते हैं जिनके शीर्ष बाहर की ओर होते हैं तथा उनके विकर्ण अभ्यंतर में होते हैं। अवतल बहुभुज के शीर्ष अन्दर की ओर होते हैं तथा उनके विकर्ण बहिर्भाग में हो सकते हैं।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-7

सम तथा विषम बहुभुज

प्रश्न 1.
क्या एक आयत एक समबहुभुज है?
उत्तर:
नहीं, एक आयत एक समबहुभुज नहीं है। क्योंकि यह समकोणिक तो है परन्तु समभुज नहीं है।

प्रश्न 2.
क्या एक समबाहुत्रिभुज समबहुभुज है? क्यों?
उत्तर:
हाँ, एक समबाहु त्रिभुज समबहुभुज है। क्योंकि समबाहु त्रिभुज में भुजाएँ तथा कोण बराबर माप के होते हैं।

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 44

प्रश्न 1.
क्या आपने किसी ऐसे चतुर्भुज के बारे में पढ़ा है जो समभुज तो हो परन्तु समकोणिक न हो?
उत्तर:
हाँ, ऐसा चतुर्भुज सम चतुर्भुज है।

प्रश्न 2.
क्या कोई ऐसा त्रिभुज है जो समभुज तो हो परन्तु समकोणिक न हो?
उत्तर:
नहीं, ऐसा कोई त्रिभुज नहीं है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 44-45

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
कोई एक चतुर्भुज, माना ABCD लीजिए (संलग्न चित्र 3.7)। एक विकर्ण खींचकर इसे दो त्रिभुजों में बाँटिए। आप छः कोण 1, 2, 3, 4, 5 और 6 प्राप्त करते हैं।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-8
त्रिभुज के कोण-योग वाले गुणधर्म का उपयोग कीजिए और तर्क कीजिए कि कैसे ∠A, ∠B, ∠C तथा ZD के मापों का योगफल 180° + 180° = 360° हो जाता है।
हल:
माना कि ABCD एक चतुर्भुज है और AC इसका एक विकर्ण है।
स्पष्ट है कि
∠1 + ∠4 = ∠A
तथा ∠2 + ∠5 = ∠C
∴ त्रिभुज के तीनों कोणों के मापों का योग 180° होता है। अत: ∆ABC से,
∠4 + ∠5 + ∠B = 180° …..(1)
∆ACD से,
∠1 + ∠2 + ∠D = 180° …..(2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर, हम प्राप्त करते हैं।
∠4 + ∠5 + ∠B + ∠1 + ∠2 + ∠D = 180° + 180°
या (∠1 + ∠4) + ∠B + (∠2 + ∠5) + ∠D = 360°
या ∠A+ ∠B + ∠C+ ∠D = 360°
अतः ∠A+ ∠B + ∠C+ ∠D = 360°

प्रश्न 2.
किसी चतुर्भुज ABCD, की गत्ते वाली चार सर्वांगसम प्रतिलिपियाँ लीजिए जिनके कोण दर्शाए गए हैं। [आकृति 3.8 (i)]। इन प्रतिलिपियों को इस प्रकार से व्यवस्थित कीजिए जिसमें ∠1, ∠2, ∠3, ∠4 एक ही बिन्दु पर मिलें जैसा कि आकृति 3.8 (ii) में है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-9
आप ∠1, ∠2, ∠3 तथा ∠4 के योगफल के बारे में क्या कह सकते हैं?
हल:
किसी चतुर्भुज ABCD के लिए,
m∠1 + m∠2 + m∠3 + m∠4 = 360°
अतः एक चतुर्भुज के चारों कोणों के मापों का योगफल 360° होता है।

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प्रश्न 3.
चतुर्भुज ABCD पर पुनः विचार कीजिए (चित्र 3.9)। माना इसके अभ्यंतर में कोई बिन्दु P स्थित है। P को शीर्षों A, B, C तथा D से जोड़िए। आकृति में ∆PAB पर विचार कीजिए। हम देखते हैं कि x=180° – m∠2 – m∠3 ; इसी प्रकार APBC, से y = 180° – m∠4 – m∠5;
∆PCD से z = 180° – m∠6 – m∠7; और
∆PDA से w = 180° – m∠8 – m∠1.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-10
इसका उपयोग करके कुल माप m∠1 + m∠2 + …… + m∠8 ज्ञात कीजिए। क्या यह आपको परिणाम तक पहुँचाने में सहायता करता है? याद रखिए ∠x + ∠y + ∠z + ∠w = 360° है।
हल:
क्योंकि त्रिभुज के तीनों कोणों के मापों का योग 180° होता है;
अतः x = 180° – m∠2 – m∠3 …… (1)
y = 180° – m∠4 – m∠5 ….. (2)
z = 180° – m∠6 – m∠7 …… (3)
w = 180° – m∠8 – m∠1 …… (4)
समीकरण (1), (2), (3) एवं (4) को जोड़ने पर, हम प्राप्त करते हैं –
x + y + z + w = 720° – ∠1 + ∠2 + ∠3 + ∠4 + ∠5 + ∠6 + ∠7 + ∠8
लेकिन x + y + z +w = 360°
360° = 720° – ∠1 + ∠2 + ∠3 + ∠4 + ∠5 + ∠6 + ∠7+ ∠8
= 720° – (∠A + ∠B + ∠C + ∠D)
या ∠1 + ∠2 + ∠3 + ∠4 + ∠5 + ∠6 + ∠7 + ∠8 = 720° – 360° = 360°
हाँ, यह हमें सहायता करता है कि चतुर्भुज के कोणों के मापों का योग 360° होता है।

प्रश्न 4.
ये सभी चतुर्भुज उत्तल (convex) चतुर्भुज थे। यदि चतुर्भुज उत्तल नहीं होते तो क्या होता ? चतुर्भुज ABCD पर विचार कीजिए।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-11
इसे दो त्रिभुजों में बाँटिए और अन्तःकोणों का योगफल ज्ञात कीजिए (चित्र : 3.10)।
हल:
चतुर्भुज ABCD के विकर्ण BD को मिलाया।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Intext Questions img-12
त्रिभुज के कोण-योग गुणधर्म से,
∆ABD से, m∠1 + m∠2 + m∠3 = 180° …(1)
∆BCD से, m∠4 + m∠5 + m∠6 = 180° …(2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर,
m∠1 + m∠2 + m∠3 + m∠4 + m∠5 + m∠6 = 180° + 180°
या m∠1 + (m∠2 + m∠6) + m∠5 + m∠3 + m∠4 = 360°
या ∠A + ∠B + ∠C + ∠D = 360°
अतः चतुर्भुज के अन्त:कोणों का योग = 360°

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