MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
एक आवृत्तबीजी पुष्प के उन अंगों के नाम बताइए जहाँ नर एवं मादा युग्मकोद्भिद का विकास होता है।
उत्तर
ना युग्मकोद्भिद का विकास पुंकेसर के परागकोष में, परागकण (Pollengrain) के रूप में होता है तथा मादा युग्मकोद्भिद का विकास स्त्रीकेसर (Pistil) के अण्डाशय में बीजाण्ड के अन्दर होता है (भ्रूण कोष (embryo sac) के रूप में)।

प्रश्न 2.
लघुबीजाणुधानी तथा गुरुबीजाणुधानी के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए। इन घटनाओं के दौरान किस प्रकार का कोशिका विभाजन सम्पन्न होता है ? इन दोनों घटनाओं के अंत में बनने वाली संरचनाओं के नाम बताइए।
उत्तर
लघुबीजाणुधानी तथा गुरुबीजाणुधानी में अंतर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 1
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 2

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दावलियों को सही विकासीय क्रम में व्यवस्थित कीजिएपरागकण, बीजाणुजन ऊतक, लघुबीजाणु चतुष्क, परागमातृ कोशिका, नर युग्मक।
उत्तर
उपर्युक्त शब्दावलियों का विकासीय क्रमानुसार सही क्रम निम्न प्रकार से हैंबीजाणुजन ऊतक, परागमातृ कोशिका, लघुबीजाणु चतुष्क, परागकण, नर युग्मक।

प्रश्न 4.
एक प्रारूपी आवृतबीजी बीजाण्ड के भागों का विवरण दिखाते हुए एक स्पष्ट एवं साफसुथरा नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर
बीजाण्ड की संरचना (Structure of ovule)-बीजाण्ड, अण्डाशय की दीवार से एक डण्ठल अथवा वृन्त द्वारा जुड़ा रहता है। इसे बीजाण्डवृन्त (Funicle) कहते हैं। बीजाण्डवृन्त जिस स्थान पर बीजाण्ड के शरीर से जुड़ा रहता है वह स्थान नाभिका (Hilum) कहलाता है। बीजाण्ड का मुख्य भाग बीजाण्ड-काय (Nucellus) कहलाता है। यह भाग पतली भित्ति वाली कोशिकाओं से निर्मित होता है। बीजाण्ड एक द्विस्तरीय अध्यावरण (Integuments) से ढंका रहता है, लेकिन कुछ बीजाण्डों में केवल एक ही अध्यावरण होता है। अध्यावरण बीजाण्डकाय को पूर्णतः नहीं ढंकते, बल्कि कुछ भाग खुला ही रह जाता है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 3
इस स्थान को बीजाण्डद्वार (Micropyle) कहते हैं। बीजाण्डकाय का आधारीय भाग निभाग (Chalaza) कहलाता है, यहीं से अध्यावरण पैदा होते हैं। बीजाण्डद्वार (Female gametophyte) के रूप में भ्रूणपोष (Embryo sac) पाया जाता है। भ्रूणपोष के अण्डद्वारी छोर की ओर तीन केन्द्रक मिलते हैं, इनमें से एक अण्ड-गोल (Egg of oosphere) व दो सहायक कोशिकाएँ (Synergids) बनाती हैं। निभागी छोर पर भ्रूणकोष में तीन प्रतिमुखी कोशिकाएँ (Antipodals) और बीचों- बीच द्वितीयक केन्द्रक (Secondary nucleus) पाया जाता है।

प्रश्न 5.
आप मादा युग्मकोद्भिद के एकबीजाणुज (Monosporic) विकास से क्या समझते हैं ?
उत्तर
बीजाण्ड में जब गुरुबीजाणु जनन की क्रिया होती है अर्थात् जब गुरुबीजाणु मातृ कोशिका का अर्द्धसूत्री विभाजन होता है तो उसमें चार गुरुबीजाणु मातृ कोशिकाएँ बनती हैं, इनमें से ऊपर की तीन गुरुबीजाणु कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं तथा शेष एक सबसे नीचे का गुरुबीजाणु कार्यशील रहता है। यही कार्यशील गुरुबीजाणु मादा युग्मकोद्भिद (भ्रूणकोष) का विकास करता है। इस प्रकार एक अकेले गुरुबीजाणु से भ्रूणकोष . बनने की विधि को एकबीजाणुज विकास (Monosporic development) कहते हैं।

प्रश्न 6.
एक स्पष्ट एवं साफ-सुथरे चित्र के द्वारा परिपक्व मादा युग्मकोद्भिद् के 7-कोशीय, 8न्युक्लियेट (केंद्रक) प्रकृति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
एक प्ररूपी आवृत्तबीजी भ्रूणकोश परिपक्व होने पर 8-न्युक्लिकृत वस्तुतः 7-कोशिकीय होता है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 4

प्रश्न 7.
उन्मील परागणी पुष्पों से क्या तात्पर्य है ? क्या अनुन्मील्य परागणी पुष्पों में पर-परागण सम्पन्न होता है ? अपने उत्तर की तर्क सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर
उन्मील परागणी पुष्प (Chasmogamous flower) सामान्य पुष्पों की तरह हैं जिनमें परागकोष व वर्तिकान अनावृत्त अर्थात् खुले हुए होते हैं। अनुन्मील्य परागणी पुष्प (Cleistogamous flower) कभी न खिलने वाले पुष्प हैं । चूँकि ये पुष्प हमेशा ही बंद रहते हैं । अतः परागकोष व वर्तिकाग्र अनावृत्त नहीं हो पाते हैं। स्पष्ट है, इनमें पर-परागण सम्पन्न नहीं हो सकता, क्योंकि पर-परागण में किसी एक पुष्प के परागकोषों से निकले परागकणों का उसी प्रजाति के किसी दूसरे पौधे पर स्थित पुष्प के वर्तिकान पर स्थानान्तरण आवश्यक होता है। वास्तव में अनुन्मील्यता (Cleistogamy) स्व-परागण सुनिश्चित करने की एक युक्ति है।

प्रश्न 8.
पुष्पों द्वारा स्व-परागण रोकने के लिए विकसित की गई दो कार्यनीति का विवरण दीजिए।
उत्तर
पुष्पीय पादपों ने बहुत सारे ऐसे साधन के उपाय विकसित कर लिए हैं जो स्व-परागण को हतोत्साहित एवं पर-परागण को प्रोत्साहित करते हैं। स्व-परागण को रोकने के लिए एक अन्य साधन है, एकलिंगीय पुष्पों का उत्पादन। अगर एक ही पौधे पर नर तथा मादा दोनों ही पुष्प उपलब्ध हो जैसे-एरंड, मक्का, यह स्व-परागण को रोकता है। स्व-परागण रोकने का एक उपाय है स्व-असामंजस्य। यह एक वंशानुगत प्रक्रम है। उसी पुष्प या उसी पादप के अन्य पुष्प से जहाँ बीजांड के निषेचन को पराग अंकुरण या स्त्रीकेसर में परागनलिका वृद्धि को रोका जाता है।

प्रश्न 9.
स्व-अयोग्यता क्या है ? स्व-अयोग्यता वाली प्रजातियों में स्व-परागण प्रक्रिया बीज की रचना तक क्यों नहीं पहुँच पाती है ?
उत्तर
परागण बिल्कुल सही प्रकार के परागकणों का स्थानांतरण सुनिश्चित नहीं कराता है। प्रायः गलत प्रकार के पराग भी उसी वर्तिकान पर आ पड़ते हैं। स्त्रीकेसर में यह सक्षमता होती है कि वह पराग को पहचान सके कि वह उसी वर्ग के सही प्रकार का पराग (सुयोग्य) है या फिर गलत प्रकार का (अयोग्य) है। यदि पराग सही प्रकार का होता है, स्त्रीकेसर उसे स्वीकार कर लेता है तथा परागण-पश्च घटना के लिए प्रोत्साहित करता है जो कि निषेचन की ओर बढ़ता है। यदि पराग गलत प्रकार का होता है तो स्त्रीकेसर वर्तिकाग्र पर पराग अंकुरण या वर्तिका में पराग नलिका वृद्धि रोककर पराग को अस्वीकार कर देता है। एक स्त्रीकेसर द्वारा पराग के पहचानने की सक्षमता उसकी स्वीकृति या अस्वीकृति द्वारा अनुपालित होती है, जो परागकणों एवं स्त्रीकेसर के बीच निरंतर संवाद का परिणाम है।

प्रश्न 10.
बैगिंग (बोरावस्त्रावरण) या थैली लगाना तकनीक क्या है ? पादप जनन कार्यक्रम में यह कैसे उपयोगी है ?
उत्तर
यह पादप प्रजनन कार्यक्रम की एक प्रमुख विधि है । बैगिंग की प्रक्रिया में मादा जनक के रूप में लिए गए पुष्प को विपुंसन (Emasculation) के बाद बटर पेपर से बनी एक थैली द्वारा बाँध दिया जाता है। यह थैली ग्राह्य वर्तिकाग्र को किसी अवांछित परागकण से परागित नहीं होने देती। वर्तिकान को वांछित परागकण से परागित करने के बाद थैली पुनः बाँध दी जाती है ताकि अन्य कोई परागकण यहाँ न पहुँच सके। बैगिंग चयनित पादप प्रजनन कार्यक्रम की सफलता हेतु आवश्यक है ताकि केवल वांछित संकरण उत्पाद प्राप्त हो सके।

प्रश्न 11.
त्रि-संलयन क्या है ? यह कहाँ और कैसे संपन्न होता है ? त्रि-संलगन में सम्मिलित न्युक्लिआई का नाम बताइए।
उत्तर
एक सहायक कोशिका में प्रवेश करने के पश्चात् पराग नलिका द्वारा सहाय कोशिका के जीवद्रव्य में दो नर युग्मक अवमुक्त किए जाते हैं। इनमें से एक नर युग्मक अण्ड कोशिका की ओर गति करता है और केन्द्रक के साथ संगलित होता है, जिससे युग्मक संलयन पूर्ण होता है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 5
जिसके परिणाम में एक द्विगुणित कोशिका युग्मनज (जाइगोट) की रचना होती है। दूसरी ओर वह संगलित होकर त्रिगुणित (प्राइमरी इंडोस्पर्म न्युक्लियस (PEN)) प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक बनाता है। जैसा कि इसके अन्तर्गत तीन अगुणितक न्युक्ली (केंद्रिकी) सम्मिलित होते हैं । अतः इसे त्रिसंलयन कहते हैं।

प्रश्न 12.
एक निषेचित बीजांड में, युग्मनज प्रसुप्ति के बारे में आप क्या सोचते हैं ?
उत्तर
भ्रूण भ्रूणकोष या पुटी के बीजांडद्वारी सिरे पर विकसित होता है। जहाँ पर युग्मन्ज स्थित होता है। अधिकतर युग्मनज तब विभाजित होते हैं जब कुछ निश्चित सीमा तक भ्रूणपोष विकसित हो जाता है। यह एक प्रकार का अनुकूलन है ताकि विकासशील भ्रूण को सुनिश्चित पोषण प्राप्त हो सके।

प्रश्न 13.
इनमें विभेद कीजिए
(1) बीजपत्राधार और बीजपत्रोपरिक
(2) प्रांकुर चोल तथा मूलांकुर चोल
(3) अध्यावरण व बीज चोल
(4) परिभ्रूण पोष एवं फल भित्ति।
उत्तर
(1) बीजपत्राधार एवं बीजपत्रोपरिक (Hypocotyl and Epicotyl)-
बीजपत्राधार व बीजपत्रोपरिक भ्रूणीय अक्ष के भाग हैं । भ्रूणीय अक्ष का बीजपत्र से जुड़ाव से नीचे का भाग बीज पत्राधार कहलाता है व इसके नीचे के भाग में मूलांकुर स्थित होता है। दूसरी ओर भ्रूणीय अक्ष का बीजपत्र से जुड़ाव से ऊपर का हिस्सा बीजपत्रोपरिक कहलाता है जिसके ऊपर प्रांकुर स्थित होता है।

(2) प्रांकुर चोल व मूलांकुर चोल (Coleoptile and coleorhia)-
एकबीजपत्री पौधों के बीज में प्रांकुर मूलांकुर सुरक्षात्मक आच्छद (Protective sheath) से ढंके रहते हैं। जैसा कि नाम से स्पष्ट है प्रांकुर का यह आच्छद प्रांकुर चोल तथा मूलांकुर का आच्छद मूलांकुर चोल कहलाता है।

(3) अध्यावरण व बीज चोल (Integument and Testa)-
बीजाण्ड के चारों ओर पाये जाने वाले एक या दो सुरक्षात्मक आवरण अध्यावरण कहलाते हैं । निषेचन के बाद जब बीजाण्ड परिपक्व होकर बीज के रूप में परिवर्तित होता है तब यह अध्यावरण बीज चोल कहलाता है।

(4) परिभ्रूणपोष व फलभित्ति (Perisperm and pericarp)-
बीजाण्डकाय (Nucellus) का वह भाग जो बीज बनने के बाद भी भ्रूणपोष के चारों ओर एक पतली परत के रूप में बचा रहता है परिभ्रूणपोष (Perisperm) कहलाता है। स्पष्ट है यह कुछ बीजों में ही पाया जाने वाला भाग है। दूसरी ओर निषेचन के बाद अण्डाशय त्रिस्तरीय फल भित्ति (Pericarp) में बदल जाता है। अत: पेरीकार्प फल से संबंधित है जबकि परिभ्रूणपोष बीज से। परिभ्रूणपोष एकस्तरीय तथा फलभित्ति प्रायः त्रिस्तरीय होती है।

प्रश्न 14.
एक सेब को आभासी फल क्यों कहते हैं ? पुष्प का कौन-सा भाग फल की रचना करता है?
उत्तर
कुछ प्रजातियों में जैसे-सेब, स्ट्राबेरी (रसभरी), अखरोट आदि में फल की रचना में पुष्पासन भी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाता है। इस प्रकार के फलों को आभासी फल कहते हैं। अधिकतर फल केवल अण्डाशय से विकसित होते हैं और उन्हें यथार्थ या वास्तविक फल कहते हैं।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 6

प्रश्न 15.
विपुंसन से क्या तात्पर्य है ? एक पादप प्रजनक कब और क्यों इस तकनीक का प्रयोग करता है?
उत्तर
यदि कोई मादा जनक द्विलिंगी पुष्प धारण करता है तो पराग के प्रस्फुटन से पहले पुष्प कलिका से परागकोश के निष्कासन हेतु एक जोड़ा चिमटी का प्रयोग आवश्यक होता है। इस चरण को विपुंसन कहा जाता है। विपुंसित पुष्पों को उपयुक्त आकार की थैली से आवृत्त किया जाना चाहिए जो सामान्यत: बटर पेपर की बनी होती है। ताकि इसके वर्तिकान को अवांछित परागों से बचाया जा सके। इस प्रक्रम को बैगिंग कहते हैं। यह तकनीक बढ़ियाँ किस्म के पादप प्राप्त करने के लिए व्यापक रूप से व्यापारिक पादप पुष्प उत्पादन करने वाले लोगों द्वारा अपनाई जा रही है।

प्रश्न 16.
यदि कोई व्यक्ति वृद्धिकारकों का प्रयोग करते हुए अनिषेकजनन को प्रेरित करता है तो आप प्रेरित अनिषेकजनन के लिए कौन-सा फल चुनते और क्यों?
उत्तर
यद्यपि अधिकतर प्रजातियों में फल निषेचन का परिणाम होते हैं, लेकिन कुछ ऐसी प्रजातियाँ भी हैं जिनमें बिना निषेचन के फल विकसित होते हैं। ऐसे फलों को अनिषेकजनित फल कहते हैं। इसका एक उदाहरण केला है। अनिषेक फलन को वृद्धि हार्मोन्स के प्रयोग से प्रेरित किया जा सकता है और इस प्रकार के फल बीजरहित होते हैं इसके अन्य उदाहरण हैं-बीजरहित अंगूर, संतरा, नीबू और टमाटर आदि। इस प्रक्रम द्वारा इन फलों तथा सब्जियों का सफलतापूर्वक व्यापारिक स्तर पर उत्पादन किया जा रहा है।

प्रश्न 17.
परागकण भित्ति रचना में टेपीटम की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
परागकण भित्ति रचना की सबसे आंतरिक परत टेपीटम होती है। यह विकासशील परागकणों को पोषण देती है। टेपीटम की कोशिकाएँ सघन जीवद्रव्य (साइटोप्लाज्म) से भरी होती हैं और सामान्यतः एक से अधिक केन्द्रकों से युक्त होती है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 7

प्रश्न 18.
असंगजनन क्या है और इसका क्या महत्व हैं ?
उत्तर
कुछ पुष्पीय पादपों जैसे कि एस्ट्रेर्सिया तथा घासों ने बिना निषेचन के ही बीज पैदा करने की प्रक्रिया विकसित कर ली, जिसे असंगजनन कहते हैं। यदि संकर किस्म के संग्रहीत बीज को बुआई करके प्राप्त किया गया है तो उसकी पादप संतति पृथक्कृत होगी और वह संकर बीज की विशिष्टता को यथावत नहीं रख पाएगा। यदि एक संकर (बीज) असंगजनन से तैयार की जाती है तो संकर संतति में कोई पृथक्करण की विशिष्टताएँ नहीं होगी। इसके बाद किसान प्रतिवर्ष फसल-दर-फसल संकर बीजों का उपयोग जारी रख सकते हैं और उसे प्रतिवर्ष संकर बीजों को खरीदने की जरुरत नहीं पड़ेगी। संकर बीज उद्योग में असंगजनन की महत्ता के कारण दुनिया भर में, विभिन्न प्रयोगशालाओं में असंगजनन की आनुवंशिकता को समझने के लिए शोध और संकर किस्मों में असंगजनित जीन्स को स्थानांतरित करने पर अध्ययन चल रहे हैं। बागवानी एवं कृषि विज्ञान में असंगजनन के बहुत सारे लाभ हैं।

पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
निषेचन क्रिया है
(a) एक नर युग्मक का अण्डाणु से संयोजन
(b) परागकणों का परागकोष से वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण
(c) नर युग्मकों का ध्रुवीय केन्द्रकों से संयोजन
(d) बीजाण्ड से बीज का निर्माण।
उत्तर
(a) एक नर युग्मक का अण्डाणु से संयोजन

प्रश्न 2.
आवृत्तबीजियों में मादा युग्मकोद्भिद होता है
(a) गुरुबीजाणु मातृ कोशिका
(b) बीजाण्ड
(c) भ्रूणकोष
(d) बीजाण्डकाय।
उत्तर
(c) भ्रूणकोष

प्रश्न 3.
जीनिया शब्द प्रदर्शित करता है, पराग के प्रभाव को
(a) कायिक ऊतक पर
(b) जड़ पर
(c) पुष्प पर
(d) भ्रूणपोष पर।
उत्तर
(d) भ्रूणपोष पर।

प्रश्न 4.
यदि पुष्पीय पादप में गुणसूत्रों की द्विगुणित संख्या 12 होती है तब 6 गुणसूत्र उपस्थित होंगे
(a) बीजपत्री कोशिकाओं में
(b) भ्रूणपोष कोशिकाओं में
(c) सहायक कोशिकाओं में
(d) पर्ण कोशिकाओं में।
उत्तर
(c) सहायक कोशिकाओं में

प्रश्न 5.
निषेचन के पश्चात् बीजों के बीजावरण विकसित होते हैं
(a) अध्यावरणों से
(b) भ्रूणकोष से
(c) भ्रूणकोष के परिधीय भाग से
(d) ह्रासित सहायक कोशाओं से।
उत्तर
(a) अध्यावरणों से

प्रश्न 6.
पेरीस्पर्म होता है
(a) अपभ्रष्ट (हासित)द्वितीयक केन्द्रक
(b) अपमिश्रण
(c) अनिषेक फलन
(d) अनिषेक जनन।
उत्तर
(b) अपमिश्रण

प्रश्न 7.
जब बीजाण्डों के बिना निषेचन के अण्डाशय से फल विकसित होता है तो इस क्रिया को कहते
(a) अनिषेक बीजाणुभवन
(b) अपमिश्रण
(c) अनिषेक फलन
(d) अनिषेक जनन।
उत्तर
(c) अनिषेक फलन

प्रश्न 8.
बिना युग्मक के संयोजन के बीजाणदभिद का परिवर्धन कहलाता है
(a) अपमिश्रण
(b) अपबीजाणुता
(c) अपयुग्मकता
(d) परागण
उत्तर
(c) अपयुग्मकता

प्रश्न 9.
एक बीजाण्ड में अर्द्धसूत्री विभाजन होता है
(a) बीजाण्डकाय में
(b) गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में
(c) गुरुबीजाणु में
(d) आर्कीस्पोरियम में।
उत्तर
(b) गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में

प्रश्न 10.
पुष्पी पादपों में नर युग्मक पाय जाते हैं
(a) परागकण में
(b) पुंकेसर में
(c) बीजाण्ड में
(d) उपर्युक्त सभी में।
उत्तर
(a) परागकण में

प्रश्न 11.
परागनली का कार्य है
(a) परागण में सहायता
(b) वर्तिकाग्र की सुरक्षा
(c) नर युग्मक वाहक
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(c) नर युग्मक वाहक

प्रश्न 12.
निभाग पाया जाता है
(a) भ्रूणकोष में
(b) बीजाण्ड में
(c) परागनली में
(d) उपर्युक्त सभी में।
उत्तर
(b) बीजाण्ड में

प्रश्न 13.
एकबीजपत्री में बीजपत्र स्थित होता है
(a) शीर्षस्थ
(b) पार्वीय
(c) आधारीय
(d) किसी भी स्थिति में।
उत्तर
(b) पार्वीय

प्रश्न 14.
सूरजमुखी में पाया जाता है-
(a) स्वपरागण
(b) परपरागण
(c) उपर्युक्त सभी
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(c) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 15.
भ्रूणपोषी केन्द्रक होता है
(a) अगुणित
(b) द्विगुणित
(c) त्रिगुणित
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(b) द्विगुणित

प्रश्न 16.
द्विनिषेचन प्रक्रिया (त्रिगुण संयोजन) की खोज की थी
(a) नवास्चिन ने
(b) ल्यूवेनहॉक ने
(c) स्ट्रॉसबर्गर ने
(d) हॉफमिस्टर ने।
उत्तर
(a) नवास्चिन ने

प्रश्न 17.
वह परागण जिसमें आनुवंशिक रूप से भिन्न परागकण व वर्तिकान परस्पर मिलते हैं, कहलाता (AMU 2012)
(a) सजातपुष्पी परागण
(b) अनुन्मील्य परागण
(c) परनिषेचन
(d) उन्मीलनिमील परागण।
उत्तर
(c) परनिषेचन

प्रश्न 18.
यदि एक पौधे की जड़ की कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या 14 है तो उसकी सहायक कोशिकाओं में कितने गुणसूत्र होंगे ___ (BHU 2012)
(a) 14
(b) 21
(c) 7
(d) 28.
उत्तर
(c) 7

प्रश्न 19.
अपस्थानिक बहुभ्रूणता पायी जाती है (BHU 2012)
(a) पोआ में
(b) ब्रेसिका में
(c) एलियम में
(d) सिट्रस में।
उत्तर
(d) सिट्रस में।

प्रश्न 20.
स्पोरोपॉलिनिन किसके बहुलकीकरण से बनता है ___ (BHU 2012)
(a) वसा एवं फीनॉल के
(b) कैरोटिनॉइड एवं वसा के
(c) वसा एवं एस्टर के
(d) कैरोटिनॉइड एवं एस्टर के।
उत्तर
(a) वसा एवं फीनॉल के

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. बीज में भ्रूणपोष का प्रमुख कार्य ……………….. का संग्रहण होता है।
2. पक्षियों द्वारा होने वाला परागण ………………. कहलाता है।
3. सेब ……………….. फल का उदाहरण है।
4. ऊतक जिसके ऊपर बीजाण्ड लगे होते हैं, उसे ……………….. कहते हैं।
5. सूरजमुखी में ………………. प्रकार के पुंकेसर पाये जाते हैं।
6. पौधों में ……………….. से फल का विकास होता है।
7. मक्का के एक बीजपत्र को ……………….. कहते हैं।
8. ……………… में चतुर्दी/ पुंकेसर पाये जाते हैं।
9. भ्रूणपोषी बीजों में ……………….. पतली होती है।
10. बीजाण्ड में ……………….. से बीजाण्डवृन्त जुड़ा होता है।
11. आवृत्तबीजी पौधों में पुंकेसर नर ……………….. है।
12. टाइफा में ……………….. परागण पाया जाता है।
13. साल्विया में ……………….. परागण होता है।
14. परागकण की बाह्य भित्ति ……………….. कहलाती है।
15. बीज रहित फल बनने की क्रिया को ……………….. कहते हैं।
उत्तर-

  1. भोज्य पदार्थ
  2. आर्निथोफिली
  3. कूटफल
  4. जरायु
  5. सिनजिनेशिवस
  6. अण्डाशय,
  7. स्कुटेलम
  8. सरसों
  9. कोशाभित्ति
  10. नाभिका
  11. जननांग
  12. संयुक्त
  13. कीट
  14. बाह्यचोल,
  15. अनिषेकजनन।

3. सही जोड़ी बनाइए’

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 8
उत्तर
1.(e),2 (d), 3. (b), 4.(a), 5. (c).

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. पुष्प के चार चक्रों के नाम लिखिये।
2. ऐसे पौधे जो अपने जीवन में कई बार पुष्प उत्पन्न करते हैं उनके लिये किस शब्द का उपयोग किया जाता है ?
3. बीज के बाहरी आवरण का नाम लिखिये।
4. चमगादड़ के द्वारा परागित पुष्प का उदाहरण दीजिये।
5. जब बाहादल पुंज तथा दल में अन्तर नहीं होता है तो इसके लिये किस शब्द का उपयोग किया जाता है ?
6. चमगादड़ द्वारा संपन्न होने वाले परागण का नाम लिखिये।
7. निषेचन के बिना फल बनने की क्रिया क्या कहलाती है ?
8. अनिषेकजनन द्वारा किस प्रकार के फल बनते है ?
9. पैराशूट विधि द्वारा प्रकीर्णन का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-

  1. बाह्यदल, दल, पुंकेसर, स्त्रीकेसर,
  2. बहुवर्षीय
  3. बीजचोल
  4. कदम्ब
  5. दलाभ
  6. चिरोप्टेरीफिली
  7. अनिषेकफलन
  8. बीजरहित
  9. ट्राइडेक्स।

पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मादा युग्मकोद्भिद का विकास किस कोशिका में होता है ?
उत्तर
क्रियाशील गुरुबीजाणु मातृ कोशिका द्वारा।

प्रश्न 2.
मादा युग्मकोद्भिद का अन्य नाम बताइये।
उत्तर
भ्रूणकोष (Embryo sac)!

प्रश्न 3.
बीजाण्ड अपने लिए भोज्य पदार्थ किससे प्राप्त करता है ?
उत्तर
बीजाण्ड अपना भोज्य पदार्थ बीजाण्डासन से प्राप्त करता है।

प्रश्न 4.
अनुन्मील्य पुष्य किसे कहते हैं ? उदाहरण बताइये।
उत्तर
ऐसे द्विलिंगी पुष्प जो कभी नहीं खुलते हैं, वे अनुन्मील्य पुष्प कहलाते हैं, उदाहरण-कोमेलाइना।

प्रश्न 5.
परागकण के बाह्य चोल में पाये जाने वाले कठोर प्रतिरोधक कार्बनिक पदार्थ का नाम बताइये।
उत्तर
स्पोरोपोलेनिन (Sporopollenin)

प्रश्न 6.
वायु परागित पुष्पों के लक्षण बताइये।
उत्तर
प्रायः सफेद रंग, बहुत छोटे तथा परागकण अधिक संख्या में बनते हैं।

प्रश्न 7.
पुष्पीय पादपों में भ्रूणपोष की सूत्रगुणिता क्या होती है ?
उत्तर
त्रिगुणित।

प्रश्न 8.
किसी एक द्विबीजपत्री भ्रूणपोषी बीज का उदाहरण दीजिए।
उत्तर
अरण्ड (Ricinus)।

प्रश्न 9.
कूट या आभासी फलों के दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर
सेब, कटहल।

प्रश्न 10.
उभयलिंगाश्रयी शब्द का अर्थ बताइये।
उत्तर
उभयलिंगाश्रयी (Monoecius) वे पौधे हैं जिन पर एकलिंगी नर व मादा पुष्प अलग-अलग लगे रहते हैं, जैसे-मक्का

पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अनिषेकजनन क्या है ? इसका क्या महत्व है ?
उत्तर
अनिषेकजनन (Parthenogenesis)-प्रजनन की वह विधि है जिसमें अण्ड (Ovum) या मादा युग्मक बिना निषेचन के भ्रूण तथा नये पादपों में विकसित हो जाता है। अध्ययन के दौरान यह देखा गया है कि अनिषेकजनन के लिए परागण का होना अनिवार्य है। यह एक उत्तेजना का कार्य करता है। यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगायरा तथा सोलेनेसी और कम्पोजिटी कुल की कुछ जातियों में इस विधि द्वारा प्रजनन होता है। ऐसा देखा गया है कि इस प्रजनन से बने पौधे सामान्यतः छोटे एवं बन्ध्य होते हैं। कभी-कभी कुछ पौधों में बगैर निषेचन के अण्डाशय सामान्य फल के रूप में विकसित हो जाता है। इस प्रकार से फल निर्माण को अनिषेकफलन (Parthenocarpy) कहते हैं। केला, सेब, अंगूर, नाशपाती, पपीता, अमरूद आदि में प्राकृतिक रूप से अनिषेकफलन पाया जाता है।

प्रश्न 2.
बहुभ्रूणता क्या है ?
उत्तर
बहुभ्रूणता (Polyembryony)-जब एक ही बीज में एक से अधिक भ्रूण पैदा हो जाते हैं तो इस प्रजनन या दशा को बहुभ्रूणता कहते हैं। बहुभ्रूणता नीबू जाति के पौधों में सामान्य रूप से पायी जाती है। कोनीफर्स की कई जातियों में भी यह पायी जाती है, क्योंकि इनके बीजाण्डों में कई स्त्रीधानियाँ पायी जाती हैं। निकोशियाना में बहुभ्रूणता भ्रूण की बाह्य त्वचा के मुकुलन के कारण पैदा होती है। इसके अलावा बहुभ्रूणता की स्थिति धान व गेहूँ में भी पायी जाती है। जब बीजाण्ड में एक से अधिक अण्ड या भ्रूणकोष तथा सभी अण्ड निषेचित हो जाएँ या जाइगोट विभाजित हो जाए तब बहुभ्रूणता की स्थिति पैदा होती है।

प्रश्न 3.
परागकोष की संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर
परागकोष की रचना (Structure of Anther)-परागकोष की अनुप्रस्थ काट को देखने में उसमें पालियाँ दिखाई देती हैं। प्रत्येक पालि में दो कोष्ठ होते हैं जिन्हें परागकोष (Pollensacs) कहते हैं। परागकोष की दोनों पालि योजी (Connective) से जुड़ी रहती हैं । परागकोष के भीतरी स्तर पर पोषक ऊतक होता है जिसे टैपीटम (Tapetum) कहते हैं ।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 9
इनकी कोशिकाएँ वृद्धि करके परागकणों को भोजन प्रदान करती हैं जो अन्त में नष्ट हो जाती हैं। शुरुआत में परागकोष में असंख्य परागजनन कोशिकाएँ (Pollen mother cells) जन्म लेती हैं। ये परागजनन कोशाएँ अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा चार परागकण (Pollen grains) बनाती हैं । इस परागकण में गुणसूत्रों की संख्या आधी रहती है।

प्रश्न 4.
स्व-परागण के लिए आवश्यक चार परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

  1. द्विलैंगिकता (Bisexuality)-जब नर और मादा अंग एक ही पुष्प में उपस्थित रहते हैं तो स्व-परागण की सम्भावनाएँ अधिक बढ़ जाती हैं।
  2. समकालपक्वता (Homogamy)-स्व-परागण के लिए यह भी आवश्यक है कि नर तथा मादा का परिपक्वन लगभग एक ही समय में हो, जैसे-पीली कटैली (Argemone) में।
  3. सवन्त पुष्पता (Cleistogamy)-ऐसे पुष्प परिपक्वन के बाद भी नहीं खुलते, निमोलिक पुष्प कहलाते हैं। जैसे-मूंगफली (Groundnut) आदि में। इन पुष्पों में स्व-परागण अवश्य ही होता है।
  4. पर-परागण की असफलता-कुछ पुष्पों में सामान्यतः पर-परागण ही होता है, परन्तु किसी कारण पर-परागण असफल हो जाये तो इनमें स्व-परागण होता है।

प्रश्न 5.
माइक्रोप्रोपेगेशन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
माइक्रोप्रोपेगेशन (Micropropagation)-यह पादप प्रजनन की आधुनिक विधि है जिसमें मातृ पौधे के थोड़े से ऊतक से हजारों की संख्या में पादपों (Plants) को प्राप्त किया जा सकता है। यह विधि ऊतक तथा कोशिका संवर्धन तकनीक (Tissue and cell culture technique) पर आधारित है। इस विधि में ऊतक के एक छोटे से भाग को पौधे से (जिनका प्रवर्धन करना होता है) अलग कर लेते हैं और उसे पूतिहीन (Aseptic) दशाओं में पोषक माध्यम (Nutrient medium) पर वृद्धि कराते हैं । यह ऊतक विकसित होकर कोशिकाओं के एक गुच्छे के रूप में वृद्धि करता है इसे कैलस (Callus) कहते हैं । इस कैलस को काफी समय तक गुणन हेतु सुरक्षित रखा जा सकता है। इस कैलस का एक छोटा-सा भाग दूसरे पोषक माध्यम पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है जहाँ पर यह छोटे पौधे या पादप के रूप में विभेदित होता है। इस पादप को निकालकर फिर मृदा में लगा देते हैं । इस विधि में कम समय में बहुत अधिक संख्या में मातृ पौधे के ऊतक से पादपों को प्राप्त किया जा सकता है। यह विधि आर्किड्स (Orchids), कार्नेशन्स (Carnations), गुलदाऊदी (Chrysanthemum) एवं एस्पैरेगस (Asparagus) में अधिक सफल हुई है।

प्रश्न 6.
निषेचन किसे कहते हैं ? निषेचन के दौरान परागनलिका का मार्ग नामांकित चित्र द्वारा दर्शाइए।
उत्तर
नर तथा मादा युग्मकों के संयुग्मन को Antipodal cells निषेचन (Fertilization) कहते हैं । यह जैव क्रिया लैंगिक जनन की मुख्य आधारशिला है। इस क्रिया में अगुणित युग्मक मिलकर युग्मनज (Zygote) बनाते हैं जो विकसित होकर पूर्ण जीव बनाता है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 10

प्रश्न 7.
स्व-परागण और पर-परागण में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
स्व-परागण और पर-परागण में अंतर– स्व-परागण (Self-pollination)
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 11

प्रश्न 8.
पर-परागण के कोई चार महत्वों को लिखिए।
अथवा पर-परागण के दो लाभ लिखिए।
उत्तर
पर-परागण के महत्व-

  1. परपरागित पुष्पों की सन्ताने अधिक स्वस्थ तथा पुष्ट होती हैं।
  2. पर-परागण द्वारा उत्पन्न सन्तानों में एक ही जाति के दो विभिन्न पौधों के गुणों का मिश्रण होता है। इनमें नये तथा उपयोगी गुणों के मिलने की संभावना हो जाती है ऐसे पौधे जीवन संघर्ष में अधिक सफल रहते हैं ।
  3. पर-परागित पुष्पों के बीज अधिक समय तक जीवित रहने की क्षमता रखते हैं। इसके द्वारा पौधों की नयी-नयी जातियाँ तैयार की जाती हैं।
  4. बीज अधिक संख्या में बनते हैं तथा फल सुन्दर तथा स्वादिष्ट होते हैं।

पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. स्व-परागण क्या है ? स्व-परागण से होने वाले लाभ एवं हानियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
स्व-परागण (Self pollination)-जब एक ही पुष्प के परागण उसी पुष्प के या उसी पौधे के दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं तो उसे स्वयं परागण कहते हैं। इस परागण के होने के लिए यह अनिवार्य है कि, पौधा द्विलिंगी हो अर्थात् एक ही पौधे पर दोनों लिंगों के जनन अंग बनते हों।
स्व-परागण से लाभ-

  1. परागकणों की अधिक मात्रा में आवश्यकता नहीं होती।
  2. स्व-परागण की क्रिया सहज व सुलभ होती है।
  3. स्व-परागण से बने बीज शुद्ध नस्ल वाले होते हैं ।
  4. पुष्पों को रंग, सुगन्ध तथा मकरन्द स्राव करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
  5. जिन पुष्पों में पर-परागण नहीं होता वहाँ पर स्व-परागण द्वारा निषेचन होता है।

स्व-परागण से हानियाँ-

  1. स्व-परागित पुष्पों में बीज; संख्या में कम, हल्के व छोटे होते हैं।
  2. परागण के बाद उत्पन्न पौधों में अच्छे व स्वस्थ पौधों के गुणों का सम्मिश्रण नहीं हो पाता ।
  3. इस परागण से उत्पन्न पौधों में केवल एक ही पौधे के गुण होते हैं ।
  4. इस परागण से उत्पन्न पौधे दुर्बल व अस्वस्थ होते हैं।
  5. पादप विकास की सम्भावना घटती है।

प्रश्न 2.
द्विनिषेचन किसे कहते हैं ? महत्व लिखिए।
उत्तर
प्रायः सभी आवृत्तबीजीय पौधों में द्वि-निषेचन (Double-fertilization) क्रिया पायी जाती है। सर्वप्रथम इसकी खोज एस. जी. नवाश्चिन (1898) तथा ग्रिगनार्ड (1899) ने लिलियम तथा फ्रिटिलेरिया नामक पौधों में की थी। यह क्रिया संयुग्मन के पश्चात् होती है। भ्रूणकोष के अन्दर दो ध्रुव केन्द्रक आपस में संयुजन कर एक (2x) द्वितीयक केन्द्रक का निर्माण करते हैं। इस द्वितीयक केन्द्रक (2n) से एक नर केन्द्रक (n) संयुजन करता है, चूँकि दो बार संयुजन होता है, अतः इसे द्वि-निषेचन कहते हैं। द्वि-निषेचन के फलस्वरूप त्रिगुणित (3x) गुणसूत्रों वाला प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक बनता है और यह प्रक्रम त्रिःसंयोजन कहलाता है। भ्रूणपोष केन्द्रक से भ्रूणपोष बनता है। भ्रूणपोष बीज का मुख्य भोज्य पदार्थ संग्रह ऊतक होता है, जो भ्रूण के विकास तथा बीजों के अंकुरण के समय काम आता है।

महत्व-

  1. इस क्रिया द्वारा बने बीज और पौधे स्वस्थ होते हैं।
  2. भ्रूणपोष का निर्माण द्विनिषेचन से होता है, जिससे बढ़ते हुए भ्रूण को पोषण प्राप्त होता है।

प्रश्न 3.
भ्रूणपोष का विकास किस प्रकार होता है ?
उत्तर
भ्रूणपोष (Endosperm) बीज का मुख्य भोज्य-पदार्थ संग्रह ऊतक है। इसमें भोजन संगृहीत रहता है, जो भ्रूण के विकास एवं बीज के अंकुरण (Germination) के समय प्रयुक्त होता है । भ्रूणपोष के कारण भ्रूण का उचित परिवर्धन होता है तथा अच्छे स्वस्थ बीज बनते हैं।

विकास के आधार पर भ्रूणपोष निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं –

1. केन्द्रकीय भ्रूणपोष (Nuclear endosperm) –
इस भ्रूणपोष के विकास में भ्रूणपोष केन्द्रक (Endosperm nucleus) बार-बार विभाजन कर स्वतन्त्र रूप से बहुत से केन्द्रक बनाता है जो परिधि पर विन्यसित हो जाते हैं। भ्रूणपोष के मध्य में एक केन्द्रीय रिक्तिका (Central vacuole) बन जाती है। यह रिक्तिका बाद में समाप्त हो जाती है और बहुत से केन्द्रक एवं कोशाद्रव्य इसमें भर जाते हैं । यह बाद में अनेक कोशाओं का निर्माण करते हैं। .

2. कोशीय भ्रूणपोष (Cellular endosperm)-
इस प्रकार के भ्रूणपोष निर्माण में भ्रूणपोष केन्द्रक के प्रत्येक विभाजन के पश्चात् कोशाभित्ति का निर्माण होता है।

3. हेलोबियल भ्रूणपोष (Helobial endosperm)-
यह केन्द्रकीय भ्रूणपोष एवं कोशीय भ्रूणपोष के बीच की अवस्था है। इसमें भ्रूणपोष केन्द्रक के प्रथम विभाजन के बाद कोशाभित्ति निर्मित होती है। बाद में इन दोनों भागों में केन्द्रक विभाजन होता रहता है और भित्ति निर्माण नहीं होता। भ्रूणपोष का विकास भ्रूणपोष केन्द्रक (Endosperm nucleus) से होता है। द्विनिषेचन के फलस्वरूप भ्रूणपोष केन्द्रक बनता है तथा त्रिगुणित (Triploid = 3n) होता है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 12

निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए

1. भ्रूणकोष तथा भ्रूणपोष
2. बीज तथा बीजाण्ड।
उत्तर
1. भ्रूणकोष तथा भ्रूणपोष में अन्तरभ्रूणकोष (Embryo sac)
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 13

2. बीज तथा बीजाण्ड।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 14
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 15

प्रश्न 5.
नर युग्मक जनन क्या है ? पौधों में नर युग्मक जनन क्रिया का वर्णन कीजिए।
अथवा परागकणों के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर
नर युग्मकजनन (Male gametogenesis)-नर युग्मकों के निर्माण को नर युग्मकजनन या लघुबीजाणुजनन कहते हैं। यह क्रिया पुंकेसर के परागकणों द्वारा होती है।परागकणों का विकास-प्रत्येक परागकोष (Anther) दो पालियों तथा प्रत्येक पालि दो-दो कोष्ठों की बनी होती है। प्रत्येक कोष्ठ की कोई एक कोशिका स्पष्ट तथा आकार में बढ़ जाती है जिसे मातृजन कोशिका (Sporogenous mother cell) कहते हैं ।

यह विभाजित होकर दो कोशिकाएँ बना देती हैं, अन्दर की ओर की कोशा को बीजाणुजनन कोशिका (Sporogenous cell) है तथा बाहरी को भित्तीय कोशिका (Parietal cell) कहते हैं। भित्तीय कोशिका बार-बार विभाजित होकर बीजाणुजनन कोशिका को घेरकर चारों तरफ दो या तीन स्तर बना देती हैं। बीजाणुजनन कोशिका भी विभाजित होकर एक समूह बना देती हैं जिनकी कोशिकाएँ पराग मातृ कोशिकाएँ (Pollen mother cells) कहलाती हैं। पराग मातृ कोशिकाओं के चारों ओर स्थित भित्तीय स्तर टैपीटम (Tapetum) कहलाती है और जो परागकणों को पोषण देती है।

यह स्तर बाद में नष्ट हो जाती है। अब पराग मातृकोशिका अर्द्धसूत्री विभाजन के द्वारा चार कोशिका बना देती हैं जो चतुष्टक (Tetrad) के रूप में स्थित होती है। प्रत्येक कोशिका के चारों तरफ बाह्यचोल तथा अन्तः चोल बन जाती है, अब इसे परागकण कहते हैं। . परिपक्व हो जाने के बाद परागकण, परागकोष में भर जाते हैं और स्फुटन के बाद बिखर जाते हैं तथा मादा जनन अंग के वर्तिकाग़ पर-परागण की क्रिया के द्वारा पहुँच जाते हैं।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 16

MP Board Class 12th Biology Solutions

MP Board Class 10th English The Rainbow Solutions Chapter 12 The Pie and the Tart

Are you seeking for the Madhya Pradesh Board Solutions 10th English Chapter 12 The Pie and the Tart Questions and Answers PDF? If yes, then read this entire page. Here, we are giving a direct link to download MP Board Class 10th English Solutions Questions and Answers PDF which contains the chapter wise questions, solutions, and grammar topics. You can also get the shortcuts to solve the grammar related questions on this page.

MP Board Class 10th English The Rainbow Solutions Chapter 12 The Pie and the Tart (Hugh Chesterman)

For the sake of students we have gathered the complete 10th English Chapter 12 The Pie and the Tart Questions and Answers can provided in pdf Pattern. Refer the chapter wise MP Board Class 10th English Solutions Questions and Answers Topics and start the preparation. You can estimate the importance of each chapter, find important English grammar concepts which are having more weightage. Concentrate on the important grammar topics from Madhya Pradesh Board Solutions for 10th English Chapter 12 The Pie and the Tart Questions and Answers PDF, prepare well for the exam.

The Pie and the Tart Textbook Exercises

Students can also download MP Board 10th Model Papers to help you to revise the complete Syllabus and score more marks in your examinations.

The Pie and the Tart Vocabulary

Class 10 English Chapter 12 Question Answers MP Board Question 1.
Choose the appropriate alternatives to complete the sentences given below:
(i) Charity begins at ………… (house, home).
(ii) I claim to be ………….. (first, second) to none in all Paris.
(iii) I’ll get ………………… (odd, even) with him for it one day, mark my words.
(iv) He couldn’t find ………………… (sentences, words) enough to thank me.
(v) We make a pretty pair ………………. (I and you, you and I)
Answer:
(i) home
(ii) second
(iii) even
(iv) words
(v) you and I.

Mp Board Class 10th English Chapter 12 Question 2.
Make sentences with each of the following words and phrases so as to bring out its meaning:
prefer, budge an inch, out of sight, run errands.
Answer:

  1. Prefer—I prefer curd to tea.
  2. Budge an inch—The virtuous people never budge an inch from the righteous path.
  3. Out of sight—He forgot all about his parents when he went out of sight.
  4. Run errands—I am tired of running errands for my boss.

Comprehension

A. Answer the following questions in about 25 words each.

The Pie And The Tart Question Answers MP Board Question 1.
What makes Jean and Pierre a ‘pretty pair’?
Ans.
Jean is dejected. Pierre paces up and ddwn blowing on his fingers. Both are cold due to insufficient clothes. Pierre has worn rags. His tunic is full of holes. Both of them are hungry. These facts make Jean and Pierre a ‘pretty pair’.

Mp Board Class 10 English Chapter 12 Question 2.
Pierre was very much worried about the holes in his tunic. What was Jean concerned about?
Ans.
Pierre’s tunic had twenty-three big holes. They let the wind pass through them. There were other small holes also. He was very much worried about the holes. The holes in his tunic did not interest Jean. He was concerned with his hunger.

Chapter 12 English Class 10 Mp Board Question 3.
What reason did Gaultier give for not giving alms to Pierre? (M.P. Board 2012)
Ans.
Pierre begged alms of Gaultier. Gaultier asked Pierre to go away. He told him that he had got nothing for him. Moreover, his wife was away and he was busy.

The Pie And The Tart Question And Answer MP Board Question 4.
Why did Gaultier not carry the eel pie when he went to dine with the Mayor?
Ans.
Gaultier was going to dine with the Mayor. He longed to take an eel pie with him. But he was a man of position. He would lose his prestige if people saw him carrying an eel-pie through the streets of Paris. Therefore, he did not carry it himself.

The Pie And The Tart Story In Hindi MP Board Question 5.
Gaultier told Marion the way to identify the right messenger. What was it?
Ans.
Gaultier would find a messenger. He would tell the messenger to kiss Marion’s hand while asking for the eel pie. If the messenger kisses her hand, that will be the sign for her to judge that the person is genuine.

Class 10 English Chapter 12  Question 6.
Whom did Marion give the pie to? Why?
Ans.
Pierre, the thug, told Marion that Gaultier had sent him to fetch the eel pie. He also asked her to allow him to kiss her hand. She got sure that the man was genuine. Therefore, she gave the pie to Pierre, the thug.

Class 10 English Chapter 12 Mp Board Question 7.
“Gaspard Gaultier is not the man to be treated like that.’ Why did Gaultier say so?
Ans.
Gaultier’s full name was Gaspard Gaultier. He was a man of position in his own estimation. The Mayor had asked him for dinner but was out. It was the worst dishonour to a royal guest. In extreme dejection he said the words Gaspard Gaultier is not the man to be treated like that .

The Pie And The Tart Class 10 MP Board Question 8.
How did Pierre come to know about the tart?
Ans.
Pierre had come to beg at Gaultier’s door. He was waiting there. He saw a tart. It was on a shelf just outside the kitchen. It might be a juicy, spiced and sugared cranberry tart. He had only one glimpse of it and the vision faded then.

Chapter 12 English Class 10 MP Board Question 9.
Why was Gaultier angry with Marion?
Ans.
Gaultier had gone to dine with the Mayor. But the Mayor had gone out. He returned hungry. A hungry man is an angry man. His wife, Marion told him that she had given the eel-pie to his messenger. But Gaultier had not sent any messenger. Therefore, he got angry with Marion.

Question 10.
How did Pierre escape the ire of Gaultier?
Ans.
Gaultier seized Pierre by the collar but released him on his request. Pierre told that he had overheard the couple’s talk. Therefore, he took the eel pie to the Mayor’s house. The Mayor felt grateful and was hopeful of his presence for dinner. This pleasant message made Pierre escape the ire of Gaultier.

B. Answer the following questions in about 50 words each.

Question 1.
Describe how Jean and Pierre managed to get the pie. (M.P. Board 2017)
Ans.
Pierre and Jean were two thugs of Paris. Both of them are suffering from cold and hunger. Pierre knocks on the cake shop door. He begs for alms. The cake shop owner Gaultier turns him away. Jean also meets the same fate. Jean sits outside on the bench.

Gaultier had to go to dine with the Mayor. Before deporting he told his wife Marion to give the eel pie to a messenger. The messenger could kiss her hand. Jean overheard the couple’s talk. He sent Pierre as the messenger. Pierre touched Marion’s hand and managed to get the pie.

Question 2.
Which was harder to get, the pie or the tart? Why?
Ans.
Pierre got the pie easily when he posed himself as Gaultier’s messenger and kissed Marion’s hand. Then Jean went there to get the tart. He also applied the same trick. However, Gaultier had returned from the Mayor’s place. He gave Jean a sound beating. Jean told him that it was the doing of his friend. Just then Pierre enters. He knocks at the door. Gaultier grabs him with the collar. He requested Gaultier to release his hold. He told him that the Mayor had returned and wanted him over dinner. Gaultier asked him to carry the tart. It was harder to get but he got the tart and slipped away.

Question 3.
‘Greed sometimes lands people in trouble.’ Explain the experience of the greed stricken ‘pretty pair’ and their subsequent landing in trouble with reference to the proverb. (M.P. Board 2016)
Ans.
Both the thugs Jean and Pierre were greedy. Pierre overheard Gaultier and his wife Marion to send the eel pie to the Mayor. He pretended to be the messenger and kissed the lady’s hand as a mark of recognition. However, Gaultier detected the theft when he returned hungry from the Mayor’s place. He started beating Jean. Jean exposed Pierre’s doing. Gaultier seized Pierre by the neck. The greed stricken pretty pair got the due punishment.

Grammar

Clauses
Study the following sentences:

1. If I stop walking. I shall freeze.
2. What I am concerned about is the hollow in my stomach.
3. He did not know what it was to be hungry.
4. Take pity on a poor traveller who has had no food for a week.
5. She won’t give it to you till you have kissed her hand.
6. In the matter of pie which we have just eaten, you will agree that it was a masterpiece.
7. When I was “Waiting at Mr. Gaultier’s door. I saw a tart.” In the above sentences we notice that underlined clauses work as adverb clauses, noun clauses and adjective clauses according to their use in the sentences

See the following table:

S.No.ClauseType
1.If I stop walkingadverb clause
2.What I am concerned aboutnoun clause
3.What it was to be hungrynorm clause
4.Who has had no food for a weekadjective clause
5.Till you have kissed her handadverb clause
6.(a) Which we have just eatenadjective clause
(b) That it was a master piecenoun clause
7.When I was waiting at Mr. Gaultier’s dooradverb clause

Now underline and name the clauses in the following sentences:
1. I know because I counted them this morning.
2. That’s what I said to Judge Gaston when I was pinched last month for begging.
3. He asked me why I did it.
4. You’d better call again when he comes back.
5. I think that I’d better take that eel pie with me.
6. Do you think you could bring it along after me?
7. How will you know if he’s the right one?
8. Jean, who has overheard all the foregoing, sits pondering.
9. Are you ready to do exactly as I tell you?
10. If it doesn’t come off never trust me again.
Ans.

  1. I know because I counted them this morning. (Adverb clause)
  2. That’s what I said to Judge Gastom when I was pinched last month for begging. (Adverb clause)
  3. He asked me why I did it. (Noun clause)
  4. You’d better call again when he comes back. (Adverb clause)
  5. I think that I’d better take that eel-pie with me. (Noun clause)
  6. Do you think you could bring it along after me? (Noun clause)
  7. How will you know if he’s the right one? (Noun clause)
  8. Jean, who has overheard all the foregoing, sits pondering. (Adjective clause)
  9. Are you ready to do exactly as I tell you? (Adverb clause)
  10. If it doesn’t come off never trust me again. (Adverb clause)

Speaking Skill

Examine this poster for the Young Pastry Lovers’ Club. In pairs, role play this telephone conversation/face to face conversation. One of you is a student who wants to get information about the advantages of joining the club. The other is one of the office members who answer the queries.
Young Pastry Lovers’ Club It’s Easy! It’s Fun! Join Today!
Do you love pastry? Do you truly believe that pastry makes everyday a better day? Do images of pastry makes your mouth water?
If you answer YES to any of the above, then you should be a part of the Young Pastry Lovers’ Clubl Who can join the club?
All young pastry lovers between the ages of 14 and 18!
Why should you join the club?

  • You get coupons for free pastries every month.
  • You get a free subscription to the monthly Young Pastry Lovers newsletter which contains pastry jokes, pastry facts, pastry quotes, pastry recipes and more…

To register as a member, all you have to do is to provide your name, address and telephone number and pay the annual fee of Rs. 100/- to any of the office members at the address below:

Young Pastry Lovers Club
44/1, Arera Hills
Bhopal – 4620015
For all enquiries call 2771110

Ans.
Young Pastry Lovers’ Club It’s easy! it’s fun! join today!
Do you love pastry? Do you truly believe that pastry makes everyday a better day? Do images of pastry make your mouth water?
If you answer YES to any of the above, then you should be a part of the Young Pastry Lovers Clubl
Student: Who can join the club?
Office Members: All young pastry lovers between the ages of 14 and 18!
Student: Why should they join the club?
Office Members: They’ll get coupons for free pastries every month.
They’ll get a free subscription to the monthly Young Pastry
Lovers’ newsletter which contains pastry jokes, pastry facts, pastry quotes, pastry recipes and more…
Student: What should they do to register as a member of the club?
Office Members: To register as a member, all you have to do is to provide your name, address and telephone number and pay the annual fee of Rs. 100/- to any of the office members at the address below:

Young Pastry Lovers Club
44/1, Arera Hills
Bhopal – 4620015
For all enquiries call 2771110

Writing Skill

Question 1.
Narrate in your own words, how did Jean manage to get the pie from Marion? (50 words)
Ans.
Jean had gone to Gaultier’s cake shop to beg for alms. His wife Marion sent him away. She said her husband was not there. < Jean kept sitting on the bench. He saw Gaultier going out to dine at the Mayor’s house. He asked his wife to send the eel-pie through a messenger whom he would send and who would kiss her hand.
Jean asked Pierre to act as the messenger. Pierre followed his > instructions and managed to get the pie from Marion.

Question 2.
One must earn one’s living through industry. Write your views. (150 words)
Ans.
We worship God to seek His blessings for success in our life but God helps those who help themselves. In other words success graces only those who work hard and earn their living through industry. Those men who earned their living through industry have left their footprints on the sands of time. They are still remembered with awe and affection. They continue to inspire generations to excel themselves in their chosen field of endeavour. Their deeds appear much larger than life and they become legends in their life-time.

On the other hand, there are people who amass great wealth and luxuries by foul means. They are exposed and arrested and are ‘ considered dishonest. Easy come, easy go-becomes their fate. Their children are spoiled. Honest earning is an ideal earning. It provides us with mental peace and sound health and fearless sleep.

Think It Over

Question 1.
Lighter side of life is brighter side of life. Laughter vents out bitter complaints and makes up for mistakes that would have pained otherwise. But you don’t get a chance to laugh at the mistake committed for the second time. Think and elaborate.
Ans.
Laughter proves to be a great boon for healthy living. If a man happens to commit some mistake he gets desperate and loses all charm for life. He feels repentant. He is afraid of law and the complaints of the people. It would give him unbearable pain. He comes back to his normal self only when he laughs. He sheds away the bitter feelings and makes up for the mistakes. Laughter is the best remedy. It makes the mind and heart light. It also renders life lighter and brighter. Burdens become light and problems vanish when one faces them with laughter.

Question 2.
Laugh, and the whole world laughs with you. Weep, and you weep alone. While there are times when it may not be appropriate to giggle or laugh aloud, your genuine smile is never out of place. Can you think of a time when a smile would have or had made a difference? Write it down.
Ans.
Laughter means an appreciation of beauty. It transports us to the heaven of eternal bliss. It relaxes our body, ennobles our minds and uplifts our souls. It has rightly been called food for soul. Laughter binds human beings. There are many patrons and supporters of a man in cheer. Prosperity gains friends and sympathisers. If you laugh, the whole world laughs with you. Those who are fair weather friends would leave you in the lurch. They would not share your grief. They would enjoy seeing you weep alone. Don’t giggle or laugh aloud at the time of condolence or you will be considered ill-mannered. Even your genuine smile will be judged untimely and awkward. Once I happened to smile in the hospital when I went there to see one of my close relatives. He felt ill at ease and rebuked me for my stupidity. I realized my miskate and vowed not to repeat the same mistake in future.

Things To Do

Make a list of all your strengths and weaknesses. Now try to increase your strengths and lessen your weaknesses one by one. Take help of your parents and teachers.
Ans.
For self-attempt.

The Pie and the Tart Additional Important Questions

A. Read the extracts and answer the questions that follow:

Question 1.
He didn’t know what it was to be hungry. See here, my pretty, this can’t go on. I’m going to knock on every door in this street. And since charity begins at home I shall begin right here, [indicating the cake shop] Yow ‘d better not be seen. Go into the next street and try your luck there. [Jean begins
to go, but Pierre calls him back.] Wait a minute, brother; let’s hear what you can do. (Page 99)

Questions:
(a) The above extract has been taken from the lesson
(i) Refund
(ii) What is Culture?
(iii) The Pie and the Tart
(iv) The Last Leaf

(b) Find the word similar in meaning to ‘beautiful’.
(c) Give adjective form of ‘charity’.
(d) Who didn’t know what it was to be hungry?
Answers:
(a) (iii) The Pie and the Tart
(b) Pretty
(c) Charitable
(d) The judge didn’t know what it was to be hungry.

Question 2.
Its singularity. There should have been two. Listen, my Jean. When I was waiting at M. Gaultier’s door, I saxv a tart. It was on a shelf just outside the kitchen. I think it was a cranberry tart. I was allowed one glimpse of it and the vision faded. But it was a tart to dream about: succulent, spiced, sugared, the very tart to sit affably on a foundation of eel pie. I see no reason why the tart should not be ours. Would not you like to <?o and fetch it? (Page 104)

Questions:
(a) Who has spoken the above words?
(b) What is the meaning of ‘its singularity’?
(c) What was his calculation about the tart?
(d) Find the word from the above extract which means ‘juicy, thick and fleshy.’
Answers:
(a) Pierre has spoken the above words.
(b) Its singularity means two things. It was a single eel pie. It had no match in taste and flavour.
(c) He calculated that it was a cranberry tart.
(d) ‘Succulent’.

I. Match the following:
1. Pierre and Jeans – (a) Paris
2. Marion was – (b) a pastrycook
3. Gaultier’s cake shop – (c) twenty-three (wind-letting) holes
4. Pierre’s tunic had – (d) were vagabonds
5. Gaultiere was – (e) Gaultier’s wife.
Ans.
1. (d), 2. (e), 3. (a), 4. (c), 5. (b).

II. Pick up the correct choice:
(i) ‘The/ Pie and the Tart’ is written by:
(a) William Shakespeare
(b) John Milton
(c) Hugh Chesterton
(d) Ben Jonson.
Answers:
(c) (iii) A. It’s this …………. (blasting/blasted) cold..If I stop walking, I shall freeze.
B. We make a ……….. (pretty/comely) pair, you and I.
C. Jean: A …………. (nag/wag) that judge.
D. …………. Pierre: But make it seven days and squint (mildly/slightly).
Ans.
A. blasting
B. pretty
C. wag
D. slightly.

III. Write ‘True’ or ‘False’:
1. Pierre knocked on the cake-shop door and Marion comes to the door.
2. Jean knocked on the cake-shop door and Marion comes to the door.
3. Marion was older than her husband, Gaultier.
4. Marion carried the eel-pie to the Mayor.
Ans.

  1. False
  2. True
  3. False
  4. False.

IV. Fill in the following blanks:
1. The scene is laid outside …………. cake-shop in Paris.
2. Goultier is a man of about …………..
3. Marion was …………. but comely.
4. Madame Gaultier’s …………….is not for every one to kiss.
5. As a carrier of ………… I claim to be second to none in all Pairs.
Ans.

  1. Gaultier’s
  2. fifty
  3. stoutish
  4. hand
  5. eel-pies

B. Short Answer Type Questions (In about 25 words)

Question 1.
Who are discovered at the opening of the scene? In what condition are they?
Ans.
Two thugs named Jean and Pierre are discovered at the opening of the scene. Jean is seated on the bench outside a cake shop in Paris. He is in deep dejection. Pierre is pacing up and down, blowing on his fingers.

Question 2.
Why is Pierre pacing restlessly?
Arts.
It is biting cold. Pierre is seen pacing up and down. He is dying of hunger and cold. He thinks that he will freeze to death in case he stops walking. Walking gives him some warmth (life).

Question 3.
What happened when Pierre was pinched for begging?
Ans.
Pierre was a thug. He was pinched last month for begging. He was produced before a judge. The judge asked Pierre why he was begging. Pierre said, “Well, your honour, I must live and that is not possible without a meal.”

Question 4.
Why did Jean call the judge, a wag?
Ans.
Pierre told the judge that he begged for food which alone could save his life. The judge said that he did not see any necessity for begging. Jean heard Pierre’s words and called the judge, a wag.

5.
What would Pierre do to start begging and why?
Ans.
Pierre would knock at every door in the street for begging. He is sitting outside the cake shop on a bench. So, he would begin knocking at the cake shop. He would do so because he knows the proverb ‘Charity begins at home’.

Question 6.
How would Jean start begging?
Ans.
Jean would assume a mendicant’s voice and attitude. He would say ‘For the love of St. Agatha and all the blessed saints, have pity on a poor miserable who has had no food for three days’. Pierre called it ‘not bad’.

Question 7.
Who was M. Gaultier? What sort of a man was he?
Ans.
M. Gaultier was the owner of the cake shop. He was a man of about fifty. He was content with his lot. He was a stingy fellow. He did not believe in charity. He was also a liar. He had an eel pie and a tart in his shop. His wife was in. Still he said. ‘I have got nothing for you. My wife is away’.

Question 8.
Who was Marion? What sort of a lady was she?
Ans.
Marion was the wife of Gaultier, the owner of the cake shop. She was younger than her husband in age. She was a stoutish but comely woman. She was also a liar and a stingy woman. Her husband was in. She had an eel pie and a tart in the shop. Still she said, “Beggar, go away. My husband is out and I have nothing for you”.

Question 9.
How can you call Gaultier, a bully type of husband?
Ans.
Gaultier called himself a man of position. It was below his dignity to carry an eel-pie through the streets.’ He asked his wife to bring the eel-pie along after him. She was infuriated. She said that it was quite impossible. Then Marion gave the eel-pie to a messenger. At one point Gaultier spoke threateningly, “I believe you have eaten the eel-pie.”

C. Long Answer Type Questions (In about 50 words)

Question 1.
Describe the scene at Gaultier’s house when he returned from the Mayor’s.
Ans.
The Mayor had asked Gaultier to dine with him but he went out and forgot all about it. Gaultier got irritated and felt humiliated. He returned home and asked his wife to give him the eel-pie to eat. His wife, Marion told him that she had given the eel-pie to the messenger sent by him. He got infuriated since he had not sent any messenger. He threatened his wife saying, ‘I believe you have eaten it’. Marion sweared she had not eaten the eel-pie. She called her husband crazy. He got ready to know the truth himself.

Question 2.
How did the two thugs deceive Gaultier and Marion?
Ans.
Gaultier and Marion were husband and wife. They ran a cake- shop. They did not entertain the beggars. They turned them away saying, That they have nothing to give as alms. Gaultier said, ‘My wife is out’ and Morion said, -’My husband is out’. Jean had heard Gaultier saying ‘Give the eel-pie to the messenger who kisses your hand”.

He made Pierre to go as the messenger. He got the eel pie. Pierre had also seen a tart in the shelf. He cooked up a story. He said that the Mayor had returned and wanted Gaultier’s company at dinner. Gaultier gave the tart to the thug. In this way, the two thugs deceived Gaultier and Marion.

The Pie and the Tart Introduction

This is a humorous play in which two thugs named Jean and Pierre manage to rob Gaultier, the owner of a cake shop. Jean and Pierre have nothing to eat or to wear. They are suffering from cold and hunger. So, as soon as they get a chance, they first rob Gaultier and his wife of an eel-pie. Then they manage to take away their tart too.

The Pie and the Tart Summary in English

The scene is laid outside Gaultier’s cake shop in Paris. Jean, a thug, is seated on the Bench in despair. Pierre, another thug, is shown pacing up and down. Both of the thugs are feeling cold and hungry. Pierre feared that he would freeze if he stopped walking. Jean prefers to die sitting down. Pierre was wearing a tunic full of holes. He was once arrested for begging.

Pierre and Jean made a pretty pair. Both were shivering and were hungry. Pierre knocked at the door of the cake shop to beg for alms. Mr. Gaultier turned him away. He said his wife was away and he had got nothing for him. Then Jean knocked at the same door. Marion (Gaultier’s wife) turned him away. She said she had got nothing for him. Besides her husband was away. Jean got hopeless and sat on the bench.

Gaultier came out of the shop. He wanted to go to dine with the Mayor. He asked his wife to send the eel-pie through the messenger. The genuine messenger will kiss her hand. Jean overheard all this. Jean asked Pierre to act as the messenger. He did accordingly and got the eel pie from Marion. He carried the pie and Jean followed him. Soon after Gaultier returned home hungry because the Mayor had gone out. He wanted to eat the eel pie but it had already gone to wrong hands.

Gaultier pounced on his wife. Both went into the shop. After a pause Jean and Pierre returned. They had a hearty repast. Pierre needed one more pie. He had seen a tart on a shelf of the shop. Pierre wished Jean to fetch it. Pierre hid himself. Jean knocked at the door. Marion opened it. Jean told her that Gaultier had sent him to carry the tart. Just then Gaultier stepped out and started beating him. Jean named Pierre as the real culprit. Just then Pierre reached there. Gaultier seized him by the collar. He (Pierre) told Gaultier a false story concerning the Mayor and got the tart. In this way, Gaultier was thugged.

The Pie and the Tart Summary in Hindi

दृश्य पैरिस में गोल्टीयर की केक की दुकान के बाहर का है। निराश मुद्रा में जीन नामक एक ठग बेंच के ऊपर बैठा हुआ है। पाइरे दूसरा ठग, को चहलकदमी करते हुए दिखाया जाता है। दोनों ठगों को ठण्ड और भूख ने परेशान कर रखा है। पाइरे को डर था कि यदि वह चलना बन्द कर देगा तो उसकी कुल्फी जम जाएगी। जीन, बैठे हुए मरना पसन्द करेगा। पाइरे छेदों से भरा हुआ कुर्ता पहने हुए है। भीख मांगने के अपराध में उसे एक बार गिरफ्तार कर लिया गया था।
पाइरे और जीन का सुन्दर जोड़ा था। दोनों काँप रहे थे और भखे थे। पाइरे ने भिक्षा मांगने के लिए केक की दुकान का दरवाजा खटखटाया। मि. गोल्टीयर ने उसे भगा दिया। उसने कहा उसकी पत्नी कहीं गई हुई है और उसे देने के लिए उसके पास कछ नहीं है। फिर जीन ने उसी दरवाजे को खटखटाया। मेरियन (गोल्टीयर की पत्नी) ने उसे भगा दिया। वह बोली उसे देने के लिए उसके पास कुछ नहीं है। इसके अतिरिक्त उसके पति कहीं बाहर गए हुए हैं। जीन निराश हो गया और बेंच के ऊपर बैठ गया।

गोल्टीयर दुकान से बाहर आया। वह महापौर के घर भोजन करने के लिए जाना चाहता था। उसने अपनी पत्नी को बताया कि संदेशवाहक के हाथ ईल-पाई भिजवा दे, असली संदेशवाहक उसका हाथ चूमेगा। जीन ने वह सब कुछ सुन लिया। जीन ने पाइरे से कहा कि वह संदेशवाहक की भूमिका निभाए। उसने आज्ञा का पालन किया और मेरियन से ईल-पाई ले आया। वह पाई ले गया और जीन उसके पीछे-पीछे गया। थोड़ी देर बार गोल्टियर भूखा घर वापिस आ गया क्योंकि महापौर बाहर गए हुए थे। वह ईल पाई खाना चाहता था परन्तु वह गलत हाथों में पहुँच चुकी थी। – गोल्टियर अपनी पत्नी पर बरसा। दोनों दुकान के अन्दर चले गए। थोड़े विराम के बाद जीन और पाइरे लौट आए। उन्होंने भरपेट भोजन किया था।

पाइरे को एक और पाई की जरूरत थी। उसने दुकान की एक अलमारी में उसे देखा था। पाइरे चाहता था कि जीन उसे ले आए। पाइरे छुप गया। जीन ने दरवाजा खटखटाया। मेरियन ने उसे खोला। जीन ने उसे बताया कि गोल्टियर ने उसे टॉर्ट लाने के लिए भेजा है। तभी गोल्टियर बाहर निकल आया और उसे पीटने लगा। जीन ने पाइरे को असली दोषी बताया। ठीक उसी समय पाइरे वहाँ पहुँच गया। गोल्टियर ने उसे कालर से पकड़ लिया। उसने गोल्टियर को महापौर से सम्बन्धित एक झूठी कहानी सुनाई और टॉर्ट ले ली। इस प्रकार गोल्टियर ठगा गया।

The Pie and the Tart Word-Meanings

MP Board Class 10th English The Rainbow Solutions Chapter 12 The Pie and the Tart 1
MP Board Class 10th English The Rainbow Solutions Chapter 12 The Pie and the Tart 2

Some Important Pronunciations

MP Board Class 10th English The Rainbow Solutions Chapter 12 The Pie and the Tart 3

Hope that the above shaped information regarding the Madhya Pradesh Board Solutions for 10th English Chapter 12 The Pie and the Tart Questions and Answers is useful for making your preparation effective. View our website regularly to get other subjects solutions.

MP Board Class 12th English A Voyage Solutions Chapter 8 The Beggar

MP Board Solutions for 12th English Chapter 8 The Beggar Questions and Answers aids you to prepare all the topics in it effectively. You need not worry about the accuracy of the Madhya Pradesh Board Solutions for 12th English as they are given adhering to the latest exam pattern and syllabus guidelines.

You Can Download MP Board Class 12th English Solutions Questions and Answers Notes, Summary, Lessons: Pronunciation, Translation, Word Meanings, Textual Exercises. Enhance your subject knowledge by preparing from the Chapterwise MP Board Solutions for 12th English and clarify your doubts on the corresponding topics.

MP Board Class 12th English A Voyage Solutions Chapter 8 The Beggar (Anton Chekhov)

Kick start your preparation by using our online resource MP Board Solutions for 12th English Chapter 8 The Beggar Questions and Answers. You can even download the Madhya Pradesh Board Class 12th English Solutions Questions and Answers for free of cost through the direct links available on our page. Clear your queries and understand the concept behind them in a simple manner. Simply tap on the concept you wish to prepare in the chapter and go through it.

The Beggar Textbook Exercises

Word Power

A. Refer to a dictionary and find out the meanings of the words given below and use them in sentences of your own:
expelled, scrutinized, indebted, pampered, desperately, assault, disgust, wrath.
Answer:

  • Expfelled-dismissed-Mr Chaudhary was expelled from the party for his indisciplined behaviour.
  • Scrutinized-examined-The case was scurtinized by an expert committee.
  • Indebted-to be in debt, obliged-I feel indebted to him for his prompt help, otherwise I was ruined.
  • Pampered-protected-Your child is over pampered which is not good.
  • Desperately-out of frustration-He killed himself desperately.
  • Assault-insult-I can’t bear the assault on women’s character.
  • Disgust-bore-I was disgusted with his arrogant behaviour.
  • Wrath-anger-He was full of wrath at his friend’s irresponsible act.

B. Complete each of the following sentences given below with a word from the story which is equivalent to the word given in brackets:

1. Ravi was …….. to work in severe cold. (forced)
2. The woodcutter …….. up the heavy log very quickly. (cut)
3. The principal …….. the students for misbehaving in the class. (called)
4. The boy opened the …….. and looked outside. (casement)
5. The juniors …….. the proposal. (opposed)
Answer:

  1. compelled
  2. chopped
  3. summoned
  4. window
  5. protested.

C. Complete the network with words with similar connotation. Add as many bubbles as you can.
The Beggar Class 12
Answer:
(ii) glad—happy, joyful, cheerful, delighted, ecstatic, pleased.
(iii) colleague—mate, friend, ally, aid, helper, partner.
(iv) puzzle—confuse, confound, bewilder, perplex, doubt.
(v) depart—set out, embark, leave, go away, retire, quit.

D. Find words from the text that have the opposite meanings of the following words:
departed, prove, protest, refuse, pleasure, abuse, backward, disinclined, forget.
Answer:
Words – Opposite words from the text

  • departed – appeared
  • prove – disproved
  • protest – defend
  • refuse – consent
  • pleasure – sorrow
  • abuse – prize
  • backward – forward
  • disinclined – inclined
  • forget – remember

Comprehension

A. Choose the correct alternatives and complete the following sentences:

The Beggar Class 12 Question 1.
The beggar actually was a
(a) a lawyer
(b) a schoolmaster
(c) a student
(d) a singer
Answer:
(d) a singer

The Beggar Summary Class 12 Mp Board Question 2.
The beggar confessed to Skvortsov that he begged because-
(a) he was turned out of the Russian Choir
(b) he was scolded by the lawyer
(c) he was caught by the police
(d) he was ashamed of himself.
Answer:
(a) he was turned out of the Russian Choir

The Beggar Class 12 Questions And Answers Question 3.
The beggar agreed to work as-
(a) a factory hand
(b) a billiard marker
(c) a house porter
(d) a wood chopper
Answer:
(d) a wood chopper

The Beggar Actually Was A Class 12 Question 4.
Which adjective does Skvortsov use to describe his cook?
(a) gentle
(b) cross
(c) cool
(d) hot.
Answer:
(b) cross

Question 5.
Who brought about a change in the beggar?
(a) Skvortsov’s colleague
(b) the cook
(c) Skvortsov
(d) none of the above.
Answer:
(b) the cook

B. Answer the following questions in one sentence each:

Question 1.
Why did Skvortsov look askance at the beggar?
Answer:
Skvortsov looked askance at the beggar because he had doubts about him.

Question 2.
What reasons did the beggar give for begging? (in the beginning of the story)
Answer:
The beggar said that he was very hungry for he had not tasted food for three days. So, he needed some money. Neither he has enough money for night lodgings.

Question 3.
Why did the beggar confess that he lied?
Answer:
The beggar confessed that he lied because the narrator threatened him to hand him over to the police.

Question 4.
Why was Skvortsov was angry with the beggar?
Answer:
Skvortsov was angry with the beggar because the beggar was begging in the name of a schoolmaster to earn more sympathy from people.

Question 5.
According to Skvortsov, the beggar couldn’t be a house porter or a factory hand. What reason did he give to support his statement?
Answer:
He gave the reason that the beggar was too gentle for that sort of work.

Question 6.
The beggar says, “It’s rather late for him to be a shopman.” What reason did he give to support his statement?
Answer:
In his view one has to begin from a boy in a trade, so he was not a right choice to be a shopman.

Question 7.
What was the reason that made Skvortsov feel ashamed and sore?
Answer:
Skvortsov felt ashamed and sore at the thought that he had made a pampered, drunken and sick man to do hard rough work in cold.

Question 8.
What made the men with the vans laugh at the beggar?
Answer:
The men with the vans laughed at the beggar for his idleness, feebleness and ragged coat.

Question 9.
What made Skvortsov so happy when he met the beggar at the theatre?
(M.P. Board 2015)
Answer:
The beggar was in a much better position with a considerable income. It made Skvortsov happy.

Question 10.
Why did Olga shed tears over the beggar?
Answer:
Olga shed tears over the beggar because she wanted to bring about a change in the beggar’s soul.

C. Answer the following questions in about 60 to 75 words each:

Question 1.
Why was Lushkov, the beggar compelled to beg?
Answer:
Lushkov was a beggar. When he approached Skvortsov for help, he was caught in an unexpected situation. He told Skvortsov that he was hungry. He had not tasted food for three days. He do not have five-kopeck piece for a night’s lodging. He added that, he was once a schoolmaster in a village and had lost his post because of a conspiracy. He wanted to convince the writer with his plea that he was a victim of false witness. He said that he was out of place for a year and now he had been offered a post in the Kaluga province. However, he had no means for the journey. Hence, he was begging for help.

Question 2.
Why did the beggar get a merciless scolding? (M.P. Board 2012)
Answer:
The beggar while begging approached Skvortsov, the narrator. He began to explain his helplessness and tried to convince him for help. However, the narrator recollected his memory and remembered that was the man who just a day back was begging in the name of an expelled student. This time he was begging in the name of a schoolmaster. He was using the name of a schoolmaster and a student in order to attract more sympathy from people. He was trying to blackmail people emotionally. It made the narrator angry and he scolded him mercilessly and also threatened to hand him over the police.

Question 3.
“I cannot get on without lying,” said the beggar. Why did he say so?
Answer:
The narrator was very angry with the beggar for he was using the name of a student and a village schoolmaster in order to exploit the sentiments of the public. When he scolded him and threatened to call the police, the beggar was scared. He immediately confessed that he was lying. But he said, he had no option other than lying. Whenever he told the truth, no one would believe it. The reality was that he was neither a student nor a schoolmaster but was in a Russian choir and was turned out of it for drunkenness. Truth couldn’t give him food. He was dying of hunger and freezing in cold. So, he was compelled to lying.

Question 4.
How did the beggar defend his act of begging?
Answer:
In the course of his begging, when Lushkov asked Skvortsov for help, he was caught in a wrong box this time. Skvortsov was angry for his begging in the name of a student and a schoolmaster. He scolded him and threatened to send him to jail. Lushkov tried to convince him with his plea but Skvortsov did not agree. Finally, when Skvortsov asked him, why did he not find a job or do labour, Lushkov defended himself by saying that begging was the best option for him.

He said that he couldn’t get manual work. He was too old for being a shopman for trade was to be learnt from the very beginning. He couldn’t get a job of house porter for he was not of that class. He also could not get any job in factory, for doing any work, one must be skilled but he knew nothing. So, he very suitably chose begging.

Question 5.
As soon as the beggar was offered a job, he refused it and made excuses. What were the excuses?
Answer:
Lushkov wanted to convince Skvortsov with his plea that begging was the best and suitable job for him. He said that he was not to get any job. Skvortsov, however offered him a job. As Lushkov was not willing to do labour, he refused it by giving excuses. He said that he won’t get manual work. He couldn’t do shopman’s job or a trade’s job. As he was not of a class of house porter, he won’t get this job. He was not a skilled person, so he can’t do any work. Finally, when Skvortsov gave him the job of wood chopping, he said that it was not a regular one. When Skvortsov asked him to accept it, he had no other way and joined the work.

Question 6.
The author says that the beggar had been taken at his words. Do you agree? Support your answer.
Answer:
There was a long discussion between Skvortsov and Lushkov. Skvortsov was not convinced with the begging of Lushkov. Lushkov had all justifications for his work. Finally, when Lushkov said that no one would give him any job, Skvortsov offered him a job of wood chopping. Lushkov first wanted to refuse it, giving the plea that wood chopping was not regular.

Skvortsov asked him first to accept it, then he may get more and then Lushkov had no option other than accepting this offer. Skvortsov gave him the job. When the day’s work was done, he asked his maid Olga to give Lushkov half a rouble and asked him to come the next day, if he wished. So, the next day, Lushkov came and did the ” job under the supervision of Olga.

Question 7.
In the beginning of the story, Skvortsov was ready to handover the beggar to the police; but in the later part of the story, the author says, “Skvortsov’s wrath had passed off”. What does this indicate about Skvortsov’s character?
Answer:
Skvortsov is a central character in the story The Beggar. He is an advocate by profession in Peterburg. He is a man of ideal character. He believes in reality and prefers work. First, when Lushkov comes to him, Skvortsov looks at him keenly. Very soon, he recognizes that he had seen the man before. He had seen him begging in the name of a student and now he was begging in the name of a schoolmaster. He becomes angry and he scolds him for using such names to exploit public sentiment because one can easily be carried away with such names.

So, he threatens him to send him to jail if he doesn’t tell the truth. Here, he appears to be a rude man but reality is that he has high regards for students , and schoolmasters. He dislikes the act of begging. When Lushkov reveals his reality, Skvortsov offers him job. With his effort, one day, Lushkov comes to a very good position. Skvortsov feels pleasure with Lushkov’s betterment. It shows that Skvortsov is a man of good character.

Question 8.
Olga behaved with the beggar very badly. Was her behaviour real? Justify your answer.
Answer:
Olga is the maid servant of Skvortsov, the advocate. When Skvortsov offers the job of wood chopping to Lushkov, he deputes Olga to observe the work. Olga, as Skvortsov says, is a cross creature. She feels irritated with Lushkov as he is a drunkard. He is always not in proper state of mind. Olga abuses him and talks to him in a rude manner, saying that he is an unlucky fellow with no gladness in life. These words are very hurting, however, she also chops the wood herself and tells Skvortsov that Lushkov had done it. It shows that her rudeness is just to hurt Lushkov, so that he can change himself. Finally, it happened, Lushkov becomes a better person.

Question 9.
Did Skvortsov really succeed in reforming the beggar? Give reasons to support your answer.
Answer:
Skvortsov was a man of perfection. He scolded Lushkov for his begging. He didn’t like Lushkov’s lies in the name of student and schoolmaster for begging. He wanted to reform that man. So, he offered him job with a promise that he would give him regular work. Lushkov, however, came to do wood chopping regularly. It impressed Skvortsov and he sent him to one of his friends for some official work. It changed Lushkov’s life completely. He came to a very good position. Had Skvortsov not helped Lushkov, he would have . been still begging. So, Skvortsov succeeded in reforming the life of a beggar, as at the end of the chapter we come across Lushkov who himself acknowledges the good deeds bestowed on him by Skvortsor and also thanks Olga for changing his inner soul.

Question 10.
“It was the attitude, not the words that brought about a change in the beggar.” Explain.
Answer:
In the course Of assigning a job to Lushkov, Skvortsov gave him the work of wood chopping and he deputed his maid servant, Olga, to supervise the work. Olga was a lady of cross nature. She used to get irritated very soon. When she saw a man, Lushkov, who was not in his proper mental condition, she was irritated. Lushkov was in a drunken state. He was feeble and weak. He was not Working properly. So, Olga began crossing him. She called him unlucky fellow and poor drunkard and said that he was a sorrowful creature and that he would go to hell. Olga’s selfless deeds towards Lushkov, her act of cutting ‘ woods for him gradually brought a change in him. Thus it was Olga’s attitude not Skvortsov’s words which brought a change in beggar.

Question 11.
What moral do you draw from the story?
Answer:
Anton Chekhov’s story The Beggar, presents a fine specimen of a life, which was caught in a wrong trap. It usually happens with a man in real life that he follows an easy going method. Sometimes, he adopts the wrong way of life, being depressed from the world. In this story Lushkov who was once in a Russian choir adopts begging as a means of livelihood. He was expelled from his job for his drunkenness or due to fabrication. However, when Skvortsov offered him a job, he did it.

Later, the words of Olga also put impact on him and Lushkov changed his life. Now, he was in a good position. So, the moral of this story is that one must not give up hopes. One should have a wish to do good. One should make efforts for betterment through right ways. Also, if a person wants to change, society must help him not only through words but by actions too.

Question 12.
Imagine yourself a lawyer and write what you would do if you come across such a person like the beggar.
Answer:
Had I been a lawyer and had got a chance to meet a person like Lushkov, a beggar, I would have done a little different. First, I would have asked him politely, who he was, why he was begging. I would not have scolded him or threatened him to put behind bars. Scolding or threatening might lead him not to tell the truth. So, a sympathetic treatment might expose him. Such a person can be treated compassionately. If compassion doesn’t work, then use any other form of behaviour. I would also have given him work to do.

Grammar:

A. Read the following sentences that are in passive voice:

  1. ………… that the wood had been chopped.
  2. ………….. an old pair of trousers was sent out to him.

The above sentences in passive voice are used without the agent ‘by’ Whenever it is evident who the agent is, it is unnecessary to mention him/her “. in the passive form. It may also not be used when the agent is unknown or when we do not care to name the agent, as ‘The ship was wrecked’.

Now change the following sentences into Passive form, without mentioning the agent:
1. The audience loudly cheered at the Mayor’s speech
2. Somebody cleans the room every day.
3. People don’t use this road very often.
4. They have cancelled the flight because of fog.
5. They are building a new ring road round the city.
Answer:

  1. The Mayor’s speech was cheered loudly.
  2. The room is cleaned every day.
  3. This road is not used very often.
  4. The flight has been cancelled because of fog.
  5. A new ring road is being built round the city.

B. Look at the phrases in bold in the following sentences:

  1. Skvortsov looked at his goloshes of which one was shallow like a shoe.
  2. While the other came high up the leg like a boot.
  3. You reek of vodka like a pothouse!

Notice that in the above sentences a word or phrase has been compared with something else to show that the two things have the same qualities and to make the description more powerful. This is called a simile. Simile is easy to understand. If you see the phrase in example, you will notice that one of the goloshes was shallow like a shoe. It seemed like a shoe while the other seemed like a boot i.e. a long shoe.

Now form smiles by filling the gap with the appropriate words.
1. He walks fast like a
2. Her skin is white like a
3. The bed was hard like an
4. The boy is slow like a
5. He is strong like an
6. It is hard like a
7. The boy is brave like a
8. The dog is hungry like a
9. The night-guards are watchful like a
10. The child is playful like a
Answer:

  1. rabbit
  2. duck
  3. armour
  4. snail
  5. ox
  6. rod
  7. soldier
  8. wolf
  9. dog
  10. squirrel

Speaking Activity

A. ‘Kindness touches the very core of one’s heart’. Discuss the statement with your classmates.
B. Divide the class into groups and arrange a debate on the above topic.
Answer:
A. Do yourself at class level. Some points are given here:

  • Kindness is a bliss of God.
  • It touches one’s core of the heart.
  • It moulds a man and also an animal.
  • It shows one’s depth and gravity.
  • There are various examples of kindness shown.

B. Do at class level.

Writing Activity

Write a short essay on ‘Begging in India’ touching the following points:

  • Causes
  • Effects
  • Remedies.

Answer:
Begging in India is a great curse for us. Everywhere, we come across beggars at footpaths, around religious places, platforms, stations, tourist places, etc. It is a blot for our nation. The cause of begging is the scarcity of proper food and living for the poor people and above all the rising unemployment. Natural disasters lead to poverty. Uncertainty of monsoon cripples our crops. Illiteracy also leads one to adopt this way of living for it is the easiest way, though illegal as the rule provides.

Its effect is very bad. It damages our prestige in the global arena. It leads to the growth of depression. It also leads to growth of crimes in our society. The beggar uses all the possible ways for earning, though all illegal.

The remedies for removing this worst blot have to be firm. A consciousness among people needs to be promoted. One should discourage it. Firm and strict laws should be made and implemented. Beggars should be rehabilitated. They should be engaged in other works. Literacy will help a lot in this direction.

Think It Over

A. Do you think it right to beg in order to gain something?
Think over it.
Answer:
You can extract answer from the above answer.

Things to Do

A. Borrow books from the library and read other stories written by Chekhov.
Answer:
Do yourself.

The Beggar by Anton Chekhov Introduction

The Beggar is a story about a man who was turned out of the Russianchoir for drunkenness. He took to tying and begging but suddenly the man changed his life completely.

The Beggar Summary in English

The story begins with the narrator’s exposition about how he met a strange beggar. One day a beggar approached him and asked for help. The beggar said that he was a schoolmaster and needed some help as he had no money for his journey. He said that he was out of service for a year and now he had been offered a post in the Kaluga province, but he had no fare to travel.

The narrator, Skvortsov, a lawyer by profession at Peterburg was filled with doubt because he had seen that man somewhere before. So, he scolded him for begging in the name of a schoolmaster and threatened him to hand him over to the police. Then the beggar exposed himself and said that once he was a musician in the Russian choir but he was turned out for drunkenness. Now he was workless.

The narrator offered him help if he agreed to work. The beggar agreed. The narrator assigned him the job of wood-chopping. He asked his maid Olga to take work from him. Olga was a lady of cross behaviour. She offered an axe to the beggar. As the beggar was not behaving properly because of his drunken stage, Olga was irritated. She got annoyed with the man and abused him but extended her hand and the wood was chopped. After an hour she said to the lawyer that the work was finished. The lawyer asked her to give him half a rouble and also asked her to ask him to come the next day if he wished for wood-chopping. The beggar came next day and again did the same thing and got half a rouble for it. Olga was deputed to watch over his work.

Later, Skvortsov was impressed with his sober behaviour. He liked him for his inclination to work. He offered him one rouble. Then he sent him to one of his friends for some good official job. Lushkov, as his name was, then went away. Two years passed. One day, Skvortsov saw a man at a ticket office of a theatre paying for his ticket. He recognised him. It was Lushkov. He was happy to know that Lushkov was now in a good position in a Notary’s office and earned thirty-five roubles.

Skvortsov was delighted that it was his effort that turned a beggar to such a good position. But Lushkov said that it was all due to Olga who did that. He said that Olga never let him chop wood. She did it herself but everyday all the time, she used to muse for him. She used to say to him, “You unlucky fellow! you have no gladness in this world, and in the next you will burn in hell, poor drunkard! You poor sorrowful creature!” This all changed Lushkov’s Life and he was so affected that he left drinking and changed himself. He was highly obliged to her because whatever she did, it was all for his better future. Then, Lushkov went away as the bell had rung.

The Beggar Summary in Hindi

The Beggar एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसे एक रूसी संगीत मंडली से उसके नशे की लत क कारण निकाल दिया गया था। उसने झूठ बोलना और भीख माँगने का पेशा अपना लिया था लेकिन अचानक उसे एक ऐसा आदमी मिला जिसने उसके जीवन को पूरी तरह बदल दिया। कहानी की शुरुआत होती है कहानीकार के उस खुलासे से जब वह बताता है कि कैसे उसकी मुलाकात एक अजीब भिखारी से हुई। एक दिन एक भिखारी उसके पास आया और उससे मदद माँगी। भिखारी ने कहा कि वह एक स्कूली शिक्षक था और उसे कुछ मदद की ज़रूरत थी क्योंकि उसकी यात्रा के लिए उसके पास पैसे नहीं थे।

उसने कहा कि एक साल से वह नौकरी से बाहर था और अब उसे Kaluga प्रान्त में जगह दी गई है। लेकिन उसके पास वहाँ जाने के लिए किराये का पैसा नहीं था। कथाकार Skvortsov, जो Perterburg में पेशे से वकील था, को संदेह हुआ क्योंकि उसने पहले कहीं उसे देखा था। इसलिए उसने एक स्कूली शिक्षक के नाम पर भीख माँगने के लिए उसे डाँटा और पुलिस के हवाले करने की धमकी दी। तब उस भिखारी ने अपनी असलियत बताई और कहा कि पहले कभी वह एक रूसी संगीत मंडली में गायक था लेकिन उसके नशेबाजी के कारण उसे निकाल दिया गया था। अब वह बेकार था।

कथाकार ने उसे काम देने के लिए कहा अगर वह तैयार हो तो। भिखारी तैयार हो गया। कथाकार ने उसे लकड़ी काटने का काम दिया और अपनी नौकरानी Olga को उससे काम लेने को कहा। Olga एक चिड़चिड़े स्वभाव की महिला थी। उसने भिखारी को कुल्हाड़ी दी। भिखारी नशे के कारण ठीक से व्यवहार नहीं कर रहा था। Olga चिढ़ गई। वह गुस्से में थी और उसने उसे गालियाँ दी। फिर भी उसने लकड़ी काटने में उसका हाथ बटाया। एक घंटे बाद उसने वकील से कहा कि काम समाप्त हो गया। वकील ने उससे उसे आधा रूबल दे देने को कहा और यह भी कहा उसे अगले दिन भी आने को कह दे यदि वह चाहे तो। भिखारी अगले दिन भी आया और वही किया और इसके लिए उसे आधा रूयल मिला। Olga को उसके काम की देखरेख के लिए कहा गया था।

बाद में Skvortsov उसके मृदु व्यवहार से प्रभावित हुआ। उसने उसके काम के प्रति लगाव को पसंद किया। उसने उसे एक रूबल दिया। फिर उसने उसे अपने एक दोस्त के पास कुछ अच्छे ऑफिशियल काम के लिए भेजा। Lushkov जैसा उसका नाम था तब चला गया। दो वर्ष बीत गये। एक दिन Skvortsov ने एक थियेटर की टिकट खिड़की पर एक व्यक्ति को टिकट खरीदते देखा। उसने उसे पहचान लिया। वह Lushkov था। वह बहुत खुश हुआ कि Lushkov अब एक नोटरी के कार्यालय में अच्छी स्थिति में था और पैंतीस रूबल कमाता था। Skvortsov आनन्दित हो रहा था कि उसके प्रभाव से एक भिखारी इतनी अच्छी स्थिति में पहुँच गया। लेकिन Lushkov ने उसे बताया कि यह सब Olga के कारण हुआ जिसने यह सब किया।

उसने बताया कि Olga ने कभी उसे लकड़ी काटने नहीं दिया। उसने खुद यह सब किया। लेकिन प्रतिदिन हर समय उसे कोसती रहती थी। वह कहा करती थी, “कसे अभागे हो तुम! इस संसार में तुम्हारे लिए कोई खुशी नहीं है और तुम नरक में जाओगे भिखारी, नशेबाज, बेचारा इंसान।” इस सभी ने Lushkov के जीवन को बदल दिया और वह इतना प्रभावित हुआ कि उसने नशा करना छोड़ दिया और पूरी तरह अपने को बदल लिया। वह उसके प्रति काफ़ी आभारी था क्योकि उसने जो कुछ भी किया, उसके बेहतर जीवन के लिए किया। फिर Lushkov चला गया क्योंकि घंटी बज चुकी थी।

The Beggar Word MeaningsMP Board Class 12th English A Voyage Solutions Chapter 8 The Beggar img 5MP Board Class 12th English A Voyage Solutions Chapter 8 The Beggar img 4

The Beggar Important Pronunciations

MP Board Class 12th English A Voyage Solutions Chapter 8 The Beggar img 3

The Beggar Passages for Comprehension

Read the passages given below and answer the questions that follow:

1. “Kind Sir, be so good as to notice a poor, hungry man?; I have not tasted food for three days. I have not a five-kopeck piece for a night’s lodging. I swear by God! For five years, I was a village schoolmaster and lost my post through the intrigues of the Zemstvo. I was the victim of false witness. I have been out of place for a year now.” Skvortsov, a Peterburg lawyer, looked at the speaker’s tattered dark blue overcoat, at his muddy, drunken eyes, at the red patches on his cheeks, and it seemed to him that he had seen the man before. (Page 58)

Questions:
(i) Who is addressed to as “Sir” in the first line?
(ii) What was the profession of the beggar? Why did he lose his job?
(iii) Make noun of the word ‘drunken
(iv) Find a word from the passage which means same as ‘old and torn’.
Answers:
(i) Mr. Skvortsov is addressed to as “Sir” in the first line.
(ii) The beggar was a village schoolmaster. He lost his job through the intrigues of his colleague and false witness.
(iii) ‘Drunkard’ is the noun for the word ‘drunken’.
(iv) ‘Tattered’ means same as ‘old and torn’.

2. Skvortsov flew into a rage and gave the beggar a merciless scolding. The ragged fellow’s insolent lying aroused his disgust and aversion, was an offence against what he, Skvortsov, loved and prized in himself: kindliness, a feeling heart, sympathy for the unhappy. By his lying, by his treacherous assault upon compassion, the individual had, as it were, defiled the charity which he liked to give to the poof with no misgivings in his heart. The beggar at first defended himself, protested with oaths, then he sank into silence and hung his head, overcome with shame. (Page 59)

Questions:
(i) How did Skvortsov behave with the beggar?
(if) Find a word from the above passage which is opposite in meaning to ‘kind’.
(iii) Give a word similar in meaning to ‘hate’.
(iv) Make adjective of ‘charity’.
Answers:
(i) Skvortsov flew into a rage and gave the beggar a merciless scolding.
(it) ‘Merciless’ is opposite in meaning to ‘kind’.
(iii) ‘Aversion’ has similar meaning to ‘hate’.
(iv) ‘Charitable’ is adjective of ‘charity’.

3. Then he saw the pseudo-schoolmaster and pseudo-student seat himself on a block of wood, and, leaning his red cheeks upon his fists, sink into thought. The cook flung an axe at his feet, spat angrily on the ground, and, judging by the expression of her lips, began abusing him. The beggar drew a log of wood towards him irresolutely, set it up between his feet, and diffidently drew the axe cross it. The log toppled and fell over. The beggar drew it towards him, breathed on his frozen hands, and again drew the axe along it as cautiously as though he were afraid of its hitting his golosh or chopping off his fingers. The log fell over again. (Page 60)

Questions:
(i) Why is he is referred to as ‘pseudo-schoolmaster’ and ‘pseudo-student’?
(if) Give noun form of the word ‘angrily’.
(iii) Find a word from the above passage which is similar in meaning to ‘cutting’.
(iv) Find a word from the passage which means opposite to ‘carelessly’.
Answers:
(i) He is referred to as ‘pseudo-schoolmaster’ and ‘pseudo-student’ because he was begging using the name of schoolmaster and student. He was neither of them.
(ii) ‘Anger’ is the noun form of the word ‘angrily’.
(iii) ‘Chopping’ has similar meaning to ‘cutting’.
(iv) ‘Cautiously’ means opposite to ‘carelessly’.

4.”Why, it was like this. I used to come to you to chop wood and she would begin: ‘Ah, you drunkard! You God-forsaken man! And yet death does not take you!’ and then she would sit opposite me, lamenting, looking into my face and wailing: ‘You unlucky fellow! You have no gladness in this world, and in the next you will burn in hell, poor drunkard! You poor sorrowful creature!’ and she always went on in that style, you know.

How often she upset herself and how many tears she shed over me, I can’t tell you. But what affected me most she chopped the wood for me! Do you know, sir, I never chopped a single log for you—she did it all! How it was she saved me, how it was I changed, looking at her, and gave up drinking. I can’t explain. I only know that what she said and the noble way she behaved brought about a change in my soul, and I shall never forget it. It’s time to go up, though, they are just going to ring the bell.” (Page 61)

Questions:
(i) How did the maid servant behave with the beggar? Why?
(ii) Give the noun form of ‘explain’.
(iii) Give a word which has the opposite meaning to ‘unlucky’.
(iv) Find a word from the passage which means the same as ‘crying with pain’.
Answers:
(i) The maid showed dual expressions. On his arrival, she used to abuse and curse him and then she used to lament on his poor conditions. She also made efforts to prick his consciousness by chopping the woods herself. This brought a change in beggar.
(ii) ‘Explanation is the noun form of ‘explain’.
(iii) ‘Fortunate’ is opposite in meaning to ‘unlucky’.
(iv) Wailing in the word having same in meaning to ‘crying with pain’.

We believe the information shared regarding MP Board Solutions for 12th English Chapter 8 The Beggar Questions and Answers as far as our knowledge is concerned is true and reliable. In case of any queries or suggestions do leave us your feedback and our team will guide you at the soonest possibility. Bookmark our site to avail latest updates on several state board Solutions at your fingertips.

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 गीता का मर्म

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 गीता का मर्म

गीता का मर्म बोध प्रश्न

Mp Board Class 8 Hindi Chapter 22 प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए
उत्तर
विशाल = विस्तृत, बड़ा; मर्मज्ञ ज्ञाता, जानकार; महास्य = महत्व प्रवचन = उपदेशः कटिलता कपटता, चालाकी; वाचालता = बातूनीपन; प्रयास = कोशिश, प्रयत्न; प्रपंच = पाखंड, नाटक; युक्तियुक्त = तर्कपूर्ण; धृष्टता = अशिष्टता, उइंडता; प्रकांड = महान, सर्वश्रेष्ठ; मर्म = सूक्ष्म अर्थ, रहस्य; तारतम्य = क्रम; लिप्सा = लालसा, इच्छा; मन्तव्य = विचार; पार्थ = अर्जुन का एक नाम; मध्यस्थता = बीच-बचाव; चित्त = मन; व्यापक = विशाल; शमन- नाश, शान्त; शास्त्र = पुस्तक, धर्मग्रन्थ; धर्मक्षेत्र = धर्मभूमि।

Class 8 Hindi Chapter 22 Mp Board प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए
(क) राजा ने मंत्रियों के समक्ष कौन-सी इच्छा प्रकट की?
उत्तर
राजा ने मंत्रियों के समक्ष गीता का ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा प्रकट की।

(ख) राजा की घोषणा सुनकर उनके पास कौन-कौन आने लगे?
उत्तर
राजा की घोषणा सुनकर दूर-दूर से बड़े-बड़े विद्वान, पण्डित, ज्ञानीजन राजा के पास आने लगे।

(ग) गौवर्ण राजा के पास क्यों आया था?
उत्तर
गौवर्ण राजा को गीता का मर्म समझाने के लिए राजा के पास आया था।

(घ) गीता में कुल कितने श्लोक हैं ?
उत्तर
गीता में कुल सात सौ श्लोक हैं।

(ङ) राजा के मन में कौन-सी कुटिलता समाई हुई थी?
उत्तर
राजा के मन में आधा राज्य न देने का लोभ व कुटिलता समाई हुई थी।

(च) दूसरों को उपदेश देने का अधिकारी कौन हो सकता है?
उत्तर
दूसरों को उपदेश देने का अधिकारी वही है जो स्वयं उस पर आचरण करता हो।

(छ) विद्या से हममें कौन-कौन से गुण आते हैं ?
उत्तर
विद्या से हममें विनम्रता आती है और व्यक्ति शालीन बन जाता है। मन शान्त हो जाता है, चित्त एकाग्र हो जाता है और तृष्णाओं का शमन होता है।

Class 8 Hindi Chapter 22 प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए
(क) राजा आनन्द पाल ने अपने मंत्रियों से क्या कहा और क्यों ?
उत्तर
एक बार राजा आनन्द पाल के मन में गीता का ज्ञान अर्जित करने की कामना उत्पन्न हुई, उन्होंने तत्काल अपने मंत्रियों से कहा कि वे श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं। अतः पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी जाये कि जो कोई भी विद्वानजन राजा को पूर्णरूप से गीता को समझा देगा, उसे राजा अपने राज्य का आधा हिस्सा प्रदान करेगा। मंत्रियों ने भी राजा के आदेशानुसार पूरे राज्य के समस्त नगरों तथा गाँवों में तथा राज्य के बाहर भी ढिंढोरा पिटवाकर यह घोषणा करवा दी कि राजा गीता का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं। अत: जो कोई भी राजा को पूर्ण रूप से गीता समझा देगा, उसे राजा द्वारा आधा राज्य उपहार स्वरूप प्रदान किया जायेगा।

(ख) गौवर्ण ने राजा को गीता का मर्म समझाने के लिए क्या प्रयास किया ?
उत्तर
गौवर्ण नाम के एक प्रकाण्ड विद्वान ने जब राजा की घोषणा सुनी तो उसने राजा को गीता का मर्म समझाने की ठानी। वह राजा के पास आया और बोला कि वह उन्हें गीता समझायेगा। राजा के ना-नुकर करने पर उसने राजा से एक अवसर प्रदान करने की प्रार्थना की। राजा द्वारा अनुमति प्रदान करने के उपरांत गौवर्ण ने राजा को गीता के एक-एक शब्द, पद, अक्षर व श्लोक का अर्थ व्याख्या सहित समझाया। धर्मक्षेत्रे कुरूक्षेत्रे …” से प्रारम्भ कर यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः’ तक पूरे सात सौ श्लोक राजा को लगभग कण्ठस्थ करा दिए। ‘

(ग) महायोगी विशाख ने दोनों की मध्यस्थता करते हुए क्या कहा?
उत्तर
महायोगी विशाख ने दोनों की मध्यस्थता करते हुए सर्वप्रथम राजा आनन्दपाल से पूछा “राजन्, क्या आप गीता को समझे?” राजा ने कहा-“तपोनिधि ! नहीं, मैं कुछ भी नहीं समझा।” फिर उन्होंने गौवर्ण से पूछा-“श्रीमान् ! आपने राजन् को गीता अच्छी तरह से समझा दी क्या ?” गौवर्ण ने कहा-“हाँ, मुनिवर । एक-एक शब्द, पद व अक्षर की व्याख्या करके समझाया है।” महायोगी विशाख गौवर्ण से बोले-“सच तो यह है कि आपने स्वयं ही गीता का मर्म नहीं समझा अन्यथा आप आधे राज्य के लोभ के कारण इस प्रपंच में नहीं पड़ते क्योंकि गीता तो निष्काम कर्म करने की शिक्षा देती है, फल प्राप्ति की आशा से कर्म करने की नहीं । राजन् ने भी अर्थ नहीं समझा है, अन्यथा विद्वानों का मान-सम्मान करने वाले राजा का व्यवहार इस प्रकार का नहीं होता। वास्तव में दूसरे को उपदेश देने का अधिकारी वही है जो स्वयं उस पर आचरण करता हो। ज्ञान या स्वाध्याय का अर्थ हमें स्वयं को जानना है।

विद्याग्रहण करने के बाद भी जिसने स्वयं को न जाना वह उसी व्यक्ति के समान है जिसके पास नक्शा तो है पर मार्ग नहीं सूझता। ज्ञान हमें रास्ता बताता है। इससे हमारी विचार शक्ति बढ़ती है और देखने की शक्ति व्यापक हो जाती है तथा मनन करने की शक्ति में वृद्धि हो जाती है। हम किसी परिणाम पर युक्तियुक्त ढंग से पहुँचने का प्रयत्न करते हैं। विद्या से विनम्रता आती है और व्यक्ति शालीन बन जाता है। मन शान्त हो जाता है, चित्त एकाग्र हो जाता है और तृष्णाओं का शमन होता है। मात्र विषयों को जानना ही सच्चा ज्ञान नहीं है, पढ़े हुए को चरित्र में डालना ही सच्चा ज्ञान है।

(घ) अर्जुन ने इन्द्र से अपनी विद्या का उपयोग किन-किन के लिए करने को कहा था ?
उत्तर
अर्जुन ने इन्द्र से अपनी विद्या का उपयोग सत्य व न्याय की रक्षा करने, दुष्टों का दमन करने, असहायों की सहायता करने, नारी की रक्षा करने, निर्बल को सबल बनाने तथा धर्म की रक्षा करने के लिए कहा था।

(ङ) राजा आनन्दपाल के मन में किस प्रसंग को सुनकर हलचल मची और क्यों?
उत्तर
जब महायोगी विशाख के मुँह से राजा आनन्दपाल ने अर्जुन और इन्द्र से सम्बन्धित प्रसंग सुना तो उसके मन में हलचल मच गई। उन्हें लगा कि राजा के रूप में उनका कार्य जन कल्याण होना चाहिए, राज भोग की लिप्सा नहीं। उनके मन में वैराग्य भाव जाग्रत हो गया। उन्होंने अपना सम्पूर्ण राजपाट गीता का मर्म.सुनाने वाले पंडित गौवर्ण को देने की इच्छा व्यक्त की। उधर महाज्ञानी गौवर्ण सोचने लगे कि मैं तो पंडित हूँ, राज भोग अथवा आधे राज्य का लालच मेरे आत्मकल्याण के लिए उचित नहीं। उनके मन में भी विरक्ति पैदा हो गई और वे भी राज-पाट के मोह से मुक्त हो गए।

(च) इस कहानी से आज का विद्यार्थी क्या सीख ले सकता है ? अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर
इस कहानी से आज का विद्यार्थी यह सीख ग्रहण कर सकता है कि उसे सच्ची, अर्थपूर्ण एवं सही शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। साथ ही उसे यह भी स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि शिक्षा मात्र धनोपार्जन तथा यश प्राप्ति का साधन नहीं है वरन् इसका उपयोग मानव कल्याण के लिए होना चाहिए। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि यदि विद्यार्थी अपने द्वारा अर्जित ज्ञान (शिक्षा) को अपने चरित्र में भी डाल लेता है तो वह और अधिक सार्थक हो सकता है। साथ ही इस कहानी के द्वारा विद्यार्थियों को यह भी संदेश दिया गया है कि उन्हें लोभ और लालच से सदैव बचना चाहिए।

गीता का मार्ग Mp Board Class 8 प्रश्न 4.
किसने, किससे कहा?
(क)”मुझे गीता का ज्ञान प्राप्त करना है।”
उत्तर
राजा आनन्दपाल ने अपने मंत्रियों से कहा।

(ख)”राजन आप लोभवश ऐसा कह रहे हैं।”
उत्तर
गौवर्ण ने राजा आनन्दपाल से कहा।

(ग) “आप अपने दिए हुए वचन से पीछे हट रहे हैं।”
उत्तर
गौवर्ण ने राजा आनन्दपाल से कहा।

(घ) “धृष्टता क्षमा करें देव। विजय, यश और राज्य भोगने के लिए मैंने धनुर्विद्या प्राप्त नहीं की है।”
उत्तर
अर्जुन ने इन्द्र से कहा।

(ङ) “आप दोनों ही गीता के मर्म को भली-भाँति समझ गए हैं।”
उत्तर
महायोगी विशाख ने राजा आनन्दपाल एवं गौवर्ण दोनों से कहा।

गीता का मर्म भाषा-अध्ययन

गीता के प्रश्न उत्तर Mp Board Class 8 प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए और उन्हें अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
मर्मज्ञ, ढिंढोरा, महात्म्य, प्रकाण्ड, धनुर्विद्या, स्वाध्याय, तृष्णा ।
उत्तर
विद्यार्थी उपर्युक्त शब्दों को ठीक-ठीक पढ़कर उनका | शुद्ध उच्चारण करने का अभ्यास करें।
वाक्य प्रयोग-

  1. आर्यभट्ट ज्योतिष विद्या के भी मर्मज्ञ थे।
  2. राजा ने अपने राज्य में यह ढिंढोरा पिटवा दिया कि पूर्णमासी को एक विशाल दंगल का आयोजन होगा।
  3. हिन्दू धर्म में गौ-दान का बहुत महात्म्य बताया गया है।
  4. कालिदास संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे।
  5. अर्जुन धनुर्विद्या में सर्वाधिक निपुण योद्धा थे।
  6. विद्यार्थी को स्वाध्याय अवश्य करना चाहिए।
  7. मनुष्य को कभी भी पराये धन एवं वैभव की तृष्णा नहीं करनी चाहिए।

प्रश्न 2.
‘वाचाल’शब्द में ता’ प्रत्यय लगाकर नया शब्द ‘वाचालता’ और ‘सत्य’ में ‘अ’ उपसर्ग लगाकर ‘असत्य’
नया शब्द बना है। इसी प्रकार ‘ता’ प्रत्यय और ‘अ’ उपसर्ग लगाकर चार-चार शब्द लिखिए
उत्तर
‘ता’ प्रत्यय से बने शब्द – ‘अ’ उपसर्ग से बने शब्द
(1) आतुर + ता = आतुरता – (1) अ + नाथ = अनाथ
(2) कामुक + ता = कामुकता – (2) अ + धर्म = अधर्म
(3) दृढ़ + ता = दृढ़ता – (3) अ+ ज्ञात = अज्ञात
(4) महान + ता = महानता – (4) अ+ ज्ञानी = अज्ञानी

प्रश्न 3
निम्नलिखित सामासिक पदों का समास विग्रह करते हुए उनमें निहित समास पहचानकर लिखिए
महापण्डित, मान-सम्मान, यथोचित, लोभवश, महाराज, देवलोक, तपोनिधि।
उत्तर
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 गीता का मर्म 1
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 गीता का मर्म 2

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद कीजिए और सन्धि का प्रकार भी लिखिए
सम्मान, स्वागत, उत्थान, निराश, परोपकार।।
उत्तर
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 गीता का मर्म 3

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वर्ग पहेली में से राजा, इन्द्र, नारी और धनुष के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द खोजकर लिखिए
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 गीता का मर्म 4
उत्तर
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 गीता का मर्म 5
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 गीता का मर्म 6

प्रश्न 6.
उदाहरण के अनुसार ‘नहीं’,’मत’ और ‘न’ का – प्रयोग हुए निषेधवाचक वाक्य (दो-दो) लिखिए।
उत्तर
(क) ‘नहीं’ का प्रयोग
उदाहरण- मेरी समझ में कुछ नहीं आया।

  1. उसने मुझसे कुछ नहीं कहा।
  2. वह मेरे लिए उपहार नहीं लाया।

(ख) ‘मत’ का प्रयोग
उदाहरण-कक्षा में शोर मत करो।

  1. वहाँ मत बैठो।
  2. सड़क के बीचों-बीच मत चलो।

(ग) ‘न’ का प्रयोग
उदाहरण-आप इधर न बैठे।

  1. आप इधर न थूकें।
  2. कृपया मुझे अनावश्यक सलाह न दें।

प्रश्न 7.
अर्थ के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों के भेद – उनके सामने लिखिए
उत्तर
MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 22 गीता का मर्म 7

गीता का मर्म परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

(1) “सच तो यह है कि आपने स्वयं ही गीता का मर्म नहीं समझा अन्यथा आप आधे राज्य के लोभ के कारण इस प्रपंच में नहीं पड़ते क्योंकि गीता तो निष्काम कर्म करने की शिक्षा देती है, फल प्राप्ति की आशा से कर्म करने की नहीं। राजन् ने भी अर्थ नहीं समझा है, अन्यथा विद्वानों का मान-सम्मान करने वाले राजा का व्यवहार इस प्रकार का नहीं होता। वास्तव में दूसरे को उपदेश देने का अधिकारी वही है जो स्वयं उस पर आचरण करता हो। ज्ञान या स्वाध्याय का अर्थ हमें स्वयं को जानना है। विद्याग्रहण करने के बाद भी जिसने स्वयं को न जाना वह उसी व्यक्ति के समान है जिसके पास नक्शा तो है पर’मार्ग नहीं सूझता। ज्ञान हमें रास्ता बताता है। इससे हमारी विचार शक्ति बढ़ती है और देखने की शक्ति व्यापक हो जाती है तथा मनन करने की शक्ति में वृद्धि हो जाती है। हम किसी परिणाम पर युक्तियुक्त ढंग से पहुँचने का प्रयत्न करते हैं। विद्या से विनम्रता आती है और व्यक्ति शालीन बन जाता है। मन शान्त हो जाता है, चित्त एकाग्न हो जाता है और तृष्णाओं का शमन होता है। मात्र विषयों को जानना ही सच्चा ज्ञान नहीं है, पढ़े हुए को चरित्र में डालना ही सच्चा ज्ञान है।”

शब्दार्थ-मर्म = अर्थ, सार; प्रपंच = पाखंड, नाटक; निष्काम = बिना स्वार्थ; व्यापक = दीर्घ; युक्तियुक्त = तर्कपूर्ण; शालीन = सभ्य; तृष्णा = इच्छा; शमन शांत ।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक भाषा-भारती’ के पाठ ‘ गीता का मम’ से अवतरित है।

प्रसंग-इस गद्यांश में गीता के गूढ़ रहस्य को बहुत ही । सरल शब्दों में समझाया गया है।

व्याख्या-महायोगी विशाख गौवर्ण को सम्बोधित करते हुए – कहते हैं कि गीता के विद्वान होने के बाद भी गौवर्ण गीता-सार को स्वयं ही नहीं समझ पाये। आधा राज्य प्राप्त करने के स्वार्थ के चलते उन्होंने राजा को गीता समझाने की ठानी थी, जबकि गीता तो निस्वार्थ भाव से कर्म करने की सीख देती है। दूसरी ओर राजा, जो ज्ञानी लोगों का सदैव आदर-सत्कार करता था, वह भी । मीता के ज्ञान को किंचित मात्र भी ग्रहण नहीं कर सका। वास्तवमें, वही व्यक्ति दूसरों को सीख प्रदान कर सकता है, जो स्वयं उस सीख पर अमल करता हो। ज्ञान प्राप्ति का प्रमुख उद्देश्य व्यक्ति के लिए स्वयं को जानना होना चाहिए। ज्ञान हमें हमारे ।

गंतव्य तक का रास्ता सुझाता है। ज्ञान से हमारी विचार शक्ति, दृष्टिकोण एवं मनन करने की शक्ति बढ़ती है। यह ज्ञान ही है कि. । जिसके चलते हम किसी समस्या के समाधान हेतु तर्कपूर्ण ढंग से सोच पाते हैं। विद्या व्यक्ति के अन्दर समस्त उच्च मानवीय गुणों; यथा-विनम्रता, शालीनता इत्यादि को समाहित करती है और उसके मन को शान्त एवं चित्त को एकाग्र कर उसकी समस्त इच्छाओं को शान्त करती है। वास्तव में, ज्ञान का सही अर्थ विभिन्न विषयों का अध्ययन करना ही नहीं है अपितु अर्जित ज्ञान को चरित्र में ढालकर जीवन को उच्चता की ओर ले जाना है।

MP Board Class 8th Hindi Solutions

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 7 नीति के दोहे

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 7 नीति के दोहे

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 7 पाठ का अभ्यास

नीति के दोहे बोध प्रश्न

Niti Ke Dohe Class 7th MP Board प्रश्न 1.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(क) कवि के अनुसार अति कहाँ-कहाँ वर्जित है ?
उत्तर
कवि के अनुसार अति हर जगह वर्जित है।

(ख) कबीर के अनुसार निन्दक को निकट रखने से क्या लाभ हैं?
उत्तर
कबीर के अनुसार निन्दक को पास रखने से हमारे सभी दोष दूर हो जाते हैं।

(ग) ‘एकै साधे सब सधे से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर
‘एकै साधे सब सधे’ से तात्पर्य है कि किसी एक की मानने से सभी मन जाते हैं अर्थात् किसी आधार को साधकर रखने से सभी आधार स्वयं ही सध जाते हैं।

(घ) कवि तुलसीदास ने ‘काया’ और ‘मन’ की तुलना किससे की है?
उत्तर
कवि तुलसीदास ने ‘काया’ की तुलना खेत से और ‘मन’ की तुलना किसान से की है ?

MP Board Solutions

(ङ) ‘संत हंस गुन गहहि पय’ से कवि का क्या आशय
उत्तर
उपर्युक्त सुक्ति में कवि यह बताना चाहता है कि संत उस हंस के समान है जो जल (दोष) को छोड़कर दूध (गुण) को ग्रहण कर लेता है।

(च) कवि वृन्द ने सज्जन पुरुष के स्वभाव की क्या विशेषता बताई है ?
उत्तर
कवि वृन्द के अनुसार सज्जन पुरुष कभी भी, किन्हीं भी परिस्थितियों में अपनी सज्जनता का त्याग नहीं करते

(छ) भरपूर वर्षा कब होती है?
उत्तर
जब कलसे (कलश) का पानी गर्म हो, चिड़िया धूल में नहाए तथा चींटी अण्डा लेकर चले तो भरपूर वर्षा होने की सम्भावना होती है।

(ज) चने की अच्छी खेती किस प्रकार की मिट्टी में होती है ?
उत्तर
चने की अच्छी खेती ढेलेदार मिट्टी में होती है।

Niti Ke Dohe In Hindi Class 7 MP Board प्रश्न 2.
नीचे लिखे चार-चार विकल्पों में से सही विकल्प को छाँटकर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(क) कवि के अनुसार कुल्हाड़ी को ……. सुगन्धित करता है।
(1) फूल
(2) चन्दन
(3) हवा
(4) भौरा।
उत्तर
(2) चन्दन

(ख) रहिमन ……. कब कहै, लाख टका मेरो मोल।
(1) चाँदी
(2) लोहा
(3) सोना
(4) हीरा।
उत्तर
(4) हीरा।

(ग) तुलसीदास ने सन्त को….. के समान कहा है।
(1) कौआ
(2) हंस
(3) बगुला
(4) कोयल।
उत्तर
(2) हंस

MP Board Solutions

(घ) कवि के अनुसार …….. बिना साबुन के स्वभाव को साफ करता है।
(1) रिश्तेदार
(2) पड़ोसी
(3) मित्र
(4) निंदक।
उत्तर
(4) निंदक

(ङ) घाघ और भड्डरी की कहावतों के अनुसार धूल में ………. नहाती है।
(1) चिड़िया
(2) मोरनी
(3) कोयल
(4) मुर्गी।
उत्तर
(1) चिड़िया

(च) गेहूँ की अच्छी खेती ……… होती है।
(1) पीली मिट्टी में
(2) काली मिट्टी में
(3) ढेले वाली मिट्टी में
(4) मैदे के समान बारीक मिट्टी में।
उत्तर
(4) मैदे के समान बारीक मिट्टी में।

MP Board Solutions

Niti Ke Dohe Class 7 MP Board प्रश्न 3.
निम्नांकित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए
(क) करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताय।
बोया पेड़ बबूल का, अम्ब कहाँ से खाय॥

(ख) करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत-जात तें, सिल पर परत निसान।
उत्तर
‘परीक्षोपयोगी पद्यांशों की व्याख्या’ नामक शीर्षक देखें।

भाषा भारती कक्षा 7 पाठ 7 MP Board प्रश्न 4.
निम्नांकित भावों के लिए दोहों में से उचित पंक्ति छाँटकर लिखिए
(क) महान पुरुष अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करते।
उत्तर
बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोलें बोल॥

(ख) अधिक बोलना व अधिक चुप रहना अच्छा नहीं होता।
उत्तर
अति का भला न बोलना अति की भली न चूप॥

भाषा अध्ययन

नीति के दोहे Class 7 MP Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए
पछताय, सुभाय, चूप, काज, पोहिये, मोल, आस, नास, पौन, रसरी, निसान, सजनता, बरखा, घर, खेत।
उत्तर
शब्द
Niti Ke Dohe Class 7th MP Board

नीति के दोहे प्रश्न उत्तर MP Board प्रश्न 2.
निम्नलिखित के दो-दो पर्यायवाची शब्द लखिए
पेड़, पवन, पानी, सरोवर, फूल, नदी, पक्षी।
उत्तर
Niti Ke Dohe In Hindi Class 7 MP Board

Mp Board Class 7th Hindi Chapter 7 प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के सामने दिए गए उनके अर्थ मिलाइए
Niti Ke Dohe Class 7 MP Board
उत्तर
(1)→ (घ), (2)→ (ङ), (3)→ (क), (4)→ (ख), (5)→ (ग)

MP Board Solutions

नीति के दोहे कबीर

1. यह ऐसा संसार है, जैसा सेमल फूल।
दिन दस के ब्यौहार को, झूठे रंगि न भूल॥

शब्दार्थ-व्यौहार = व्यवहार; रंगि = रंग।

सन्दर्भ-प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के ‘नीति के दोहे’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कबीर हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में कबीर ने मनुष्य को नाशवान संसार से सावधान किया है।

व्याख्या-कबीर मनुष्य को समझाते हुए कहते हैं कि यह संसार सेमल के फूल के समान क्षणिक है। जिस प्रकार सेमल का फूल देखने में तो सुन्दर लगता है, किन्तु सारहीन होता है, शीघ्र ही नष्ट हो जाता है; उसी प्रकार यह संसार सुहावना लगता है, किन्तु उसका यह आकर्षक रूप क्षणिक है। इसलिए मनुष्य को संसार के थोड़े दिन के इस चमत्कार की चकाचौंध के भ्रम से बचना चाहिए।

2. करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताय।
बोया पेड़ बबूल का, अम्ब कहाँ से खाय।।

शब्दार्थ-पछताय- पछताना; अम्ब-आम। सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में कबीर ने करने से पूर्व सोचने के लिए कहा है।

व्याख्या-कबीर कहते हैं कि मनुष्य को किसी के प्रति कोई भी काम करने से पहले अच्छी तरह विचार कर लेना चाहिए। गलत काम करने पर प्राप्त परिणाम को देखकर बाद में पछताना मूर्खता है। वे कहते हैं कि यदि तुम कड़वा बबूल बोओगे तो बदले में कड़वा फल ही पैदा होगा। आम की कल्पना अथवा उम्मीद भी करना बेमानी है। अर्थात् प्रत्येक मनुष्य अपनी करनी के अनुसार ही फल प्राप्त करता है।

3. निन्दक नियरे राखिए, आँगन कुटी छबाय।
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करै सुभाय॥

शब्दार्थ-निन्दक- निन्दा करने वाला; नियरे = पास में; कुटी = कुटिया; निर्मल = साफ, स्वच्छ; सुभाय = स्वभाव।

वृन्द के दोहे Class 7 MP Board सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में निन्दा करने वाले को मित्र बनाने की बात कही गई है।

व्याख्या-कबीर कहते हैं कि मनुष्य को सदैव अपनी निन्दा करने वाले का स्वागत करना चाहिए और उसे अपने पास रखना चाहिए। वास्तव में, निन्दा करने वाला व्यक्ति बिना पानी और साबुन के तुम्हारे व्यवहार में से तुम्हारे दोषों को दूर कर तुम्हारे स्वभाव को स्वच्छ और कोमल बना सकता है।

MP Board Solutions

4. अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप।

शब्दार्थ-अति = अधिक; चूप = चुप।। सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में कबीर ने किसी भी चीज की अति को गलत बताया है।

व्याख्या-कबीर कहते हैं कि मनुष्य को सामान्य एवं सन्तुलित व्यवहार करना चाहिए। जिस प्रकार पानी की आवश्यकता प्रत्येक जीवधारी को होती है, किन्तु आवश्यकता से अधिक अथवा अत्यधिक वर्षा से प्रलयकारी बाढ़ आ जाती है, जरूरत से ज्यादा धूप भी मनुष्य और पेड़-पौधों को झुलसाने लगती है, ज्यादा बोलना भी मूर्खता की निशानी माना जाता है तथा समय पर न बोलना अर्थात् अत्यधिक चुप्पी भी नुकसानदेह होती है। ठीक इसी प्रकार मनुष्य को किसी भी कार्य में ‘अति’ से बचना चाहिए।

नीति के दोहे रहीम

1. तरुवर फल नहीं खात हैं, सरवर पियहिन पान।
कहि रहीम परकाज हित, सम्पत्ति संचहि सुजान।॥

शब्दार्थ-तरुवर = वृक्ष; सरवर = तालाब; पान = जल; परकाज-दूसरों का कार्य संचहि- इकट्ठा करना।

सन्दर्भ-प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के ‘नीति के दोहे’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता रहीम हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में रहीम ने सज्जन पुरुषों की तुलना । वृक्ष व तालाब से की है।

व्याख्या-रहीम कहते हैं कि असंख्य मीठे व सरस फलों से लदे वृक्ष अपने फल को स्वयं नहीं खाते हैं और न ही अथाह जल को स्वयं में समेटे तालाब अपना पानी स्वयं पीता है। वे सदैव औरों का ही भला करते हैं। ठीक उसी प्रकार, सज्जन लोग दूसरों के कार्यों को पूरा करने के लिए अर्थात् परोपकार हेतु धन एकत्रित करते हैं।

2. एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहिं सीचिबो फूले फलै अघाय॥

शब्दार्थ-मूलहिं – जड़ को; सींचिबो = सींचना।

Niti Ke Dohe Question Answer MP Board  सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में रहीम ने ‘मूल’ की महत्ता पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या-रहीम कहते हैं कि जिस प्रकार वृक्ष के मात्र एक स्थान-मूल (जड़) को सींचने से पूरा पेड़ फलता-फूलता है, ठीक उसी प्रकार मनुष्य को किसी एक मूल (आधार) को साधना चाहिए। एक मूल के साधने पर सब अपने आप ही सध जाते हैं अर्थात् सब कुछ प्राप्त हो जाता है। इसके विपरीत सबको साधने की हालत में सब कुछ चला जाता है अर्थात् कोई भी कार्य नहीं बनता।

3. बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोलैं बोल।
रहिमन हीरा कब कहैं, लाख टका मेरो मोल॥

शब्दार्थ-बडाई प्रशंसा: टका-मद्रा। सन्दर्भ-पूर्व की तरह। ।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में रहीम ने मनुष्य को बड़बोलेपन से बचने की सलाह दी है।

व्याख्या-रहीम कहते हैं कि जिस प्रकार हीरा अमूल्य रल होते हुए भी अपने मूल्य का आकलन स्वयं नहीं करता, बल्कि सामान्य पत्थरों की भाँति पड़ा रहता है, ठीक उसी प्रकार महान् व्यक्ति भी कभी भी ऊँचे बोल नहीं बोलता और न ही स्वयं ही अपनी प्रशंसा में ऊँची-ऊँची बातें बनाता है।

नीति के दोहे तुलसीदास

1. तुलसी काया खेत है, मनसा भयो किसान।
पाप, पुण्य दोऊ बीज हैं, बुवै सो लुनै निदान॥

शब्दार्थ-काया = शरीर; दोऊ = दोनों।

सन्दर्थ-प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा भारती’ के ‘नीति के दोहे’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता तुलसीदास हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास ने ‘जैसा बोओगे वैसा काटोंगे’ कहावत पर बल दिया है।

व्याख्या-तुलसीदास जी कहते हैं कि मानव का शरीर किसान की उपजाऊ भूमि अर्थात् खेत के समान है तथा उसका मन स्वयं एक मेहनतकश किसान है। पाप और पुण्य दो बीज है जिन्हें अपने विवेक के अनुसार किसान को अपने खेत में बोना । है। यदि वह पाप का बीज बोयेगा तो प्राप्त होने वाली फसल
अनिष्टकारी होगी किन्तु यदि वह पुण्य के बीज अपने खेत में बोयेगा तो कड़े परिश्रम से प्राप्त फसल अत्यन्त शुभकारी होगी। अब यह मनुष्य के स्वयं के हाथ में है कि वह कैसा फल प्राप्त करना चाहता है।

MP Board Solutions

2. मिथ्या माहुर सज्जनहि, खलहि गरल सम साँच।
तुलसी छुअत पराइ ज्यों, पारद पावक आँच॥

शब्दार्थ-मिथ्या = असत्य; माहुर = विष, गरल = विष; पारद = पारा।

Neeti Ke Dohe Class 7 MP Board सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास जी ने सज्जन और दर्जन ‘ के स्वभाव का वर्णन किया है।

व्याख्या-तुलसीदास जी कहते हैं कि सज्जन लोगों के लिए असत्य विष के समान है, जबकि दुर्जन व्यक्ति के लिए । सत्य विष के समान कष्टदायक है। ये दोनों इनके स्पर्श मात्र से ठीक वैसे ही दूर हो जाते हैं जिस प्रकार आग की ऊष्मा पाकर | पारा हो जाता है। कहने का ताल्पर्य यह है कि सज्जन से झूठ और
दुर्जन से सत्य सदैव दूर ही रहते हैं।

3. जड़ चेतन गुन दोष मय, बिस्व कीन्ह करतार।
संत हंस गुन गहहिं पय, परिहरि वारि विकार।

शब्दार्थ-गुन = गुण। पय = दूध।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास जी ने भगवान द्वारा रचित संसार को गुणों और दोषों से युक्त बताया है।

व्याख्या-तुलसीदास जी कहते हैं कि ईश्वर द्वारा रचित इस संसार में गुण और दोष समान रूप से व्याप्त हैं। यहाँ के जड़ और चेतन जीव गुणों और दोषों दोनों से युक्त हैं, परन्तु सज्जन – लोग हंस की तरह जलरूपी बुराई को छोड़कर, दूध (गुण) को ग्रहण कर लेते हैं।

MP Board Solutions

नीति के दोहे वृनीति के दोहे

1. विद्या-धन उद्यम बिना, कहाँ जु पावै कौन।
बिना डुलाए ना मिले, ज्यों पंखा को पौन॥

शब्दार्थ-उद्यम – परिश्रम; पौन – पवन।

सन्दर्भ-प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के ‘नीति के दोहे’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कविवर वृन्द हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में परिश्रम के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।

व्याख्या-वृन्द कहते हैं कि जिस प्रकार गर्मी के समय में बिना पंखे को घुमाये (परिश्रम किए) उसकी हवा का आनन्द नहीं लिया जा सकता है, ठीक उसी प्रकार विद्या रूपी धन को बिना परिश्रम किये प्राप्त नहीं किया जा सकता है। अर्थात् प्रत्येक मनुष्य को अभीष्ट की प्राप्ति हेतु अथक मेहनत करनी चाहिए।

2. करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रंसरी आवत-जात तें, सिल पर परत निसान।।

शब्दार्थ-जड़मति = मूर्ख; सुजान = चतुर; रसरी = रस्सी; सिल- पत्थर।
सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में कवि ने निरन्तर अभ्यास के चमत्कारिक परिणामों के बारे में बताया है।

व्याख्या-कविवर वृन्द कहते हैं कि जिस प्रकार मामूली रस्सी के कुएँ के पत्थर पर निरन्तर आने-जाने (ऊपर-नीचे होने) से पत्थर तक घिसने लगता है अर्थात् उस पर निशान पड़ जाते हैं, ठीक उसी प्रकार लगातार अभ्यास करने से मूर्ख से मूर्ख मनुष्य भी चतुर व गुणी बन सकता है। अतः मनुष्य को किसी भी कार्य में वांछित सफलता की प्राप्ति के लिए सतत् प्रयास और निरन्तर अभ्यास करते रहना चाहिए।

3. सज्जन तजत न सजनता, कीन्हेषु दोष अपार।
ज्यों चन्दन छेदै तऊ सुरभित करै कुठार॥

शब्दार्थ-तजत = छोड़ना; कुठार = कुल्हाड़ी।

सन्दर्भ- पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में कवि ने सज्जन लोगों के सज्जनता न छोड़ने के गुण का वर्णन किया है।

व्याख्या-कविवर वृन्द कहते हैं कि सज्जन लोग कभी भी अपनी सज्जनता नहीं त्यागते चाहे उनके प्रति कैसा भी कठोरतम् व्यवहार ही क्यूँ न किया जाए। ऐसे लोगों का स्वभाव चन्दन के उस वृक्ष के समान होता है जो उसको काटने वाली कुल्हाड़ी के दोषों को क्षमा करके उसे भी अपनी सुगन्ध से सुगन्धित कर देता है।

MP Board Solutions

नीति के दोहे घाघ और भड्डरी
(मौसम और कृषि सम्बन्धी कहावतें)

1. कलसे पानी गरम हो, चिड़िया न्हावें धूर।
अण्डा लै चींटी चले, तो बरखा भरपूर॥

शब्दार्थ-कलसे = पानी भरने का पात्र, कलशा; न्हावै – नहाना; धूर-धूल;, बरखा – वर्षा।

सन्दर्भ-प्रस्तुत कहावत हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के ‘नीति के दोहे’ नामक पाठ से ली गई है। इसके रचयिता घाघ और भड्डरी हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में प्रकृति में होने वाले परिवर्तनों को भौंपकर भविष्य के मौसम की सम्भावना को आंका जा सकता है।

व्याख्या-प्रस्तुत कहावत में कहा गया है कि जब कल्से का पानी गरम हो, चिड़िया धूल में नहाए और चीटी अण्डा लेकर चले तो भरपूर वर्षा होने की सम्भावना रहती है।

2. मैदे गेहूँ, ढेले चना।

शब्दार्थ-ठेले – ढेलेदार मिट्टी।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-किस प्रकार की मिट्टी में कौन-सी फसल बोई जाए, इसका वर्णन अत्यन्त सरल शब्दों में किया गया है।

व्याख्या-इस कहावत में कहा गया है कि मैदे की तरह बारीक मिट्टी में गेहूँ और ढेलेदार मिट्टी में चने की फसल बोने से पैदावार अच्छी होती है।

नीति के दोहे शब्दकोश

मिथ्या = झूठा, असत्य; करि = करना; अति = अधिक, ज्यादा; निंदक = बुराई करने वाला; निर्मल = स्वच्छ, साफ; तरुवर = पेड़; सरवर = सरोवर, तालाब; पान = पीना, एक विशेष प्रकार का पत्ता या बेल; पर दूसरा, पंख; संचहि – इकट्ठा करना; पोहिए = पिरोना; सुजान = समझदार, सज्जन, सयाना; गरल = विष, जहर; वशीकरण = वश में करना; तज – त्यागना; पातक = पाप, अपराध; पौन = पवन, तीन-चौथाई; उद्यम = उद्योग, परिश्रम; डुलाए = झूला झुलाना; जड़मति = मूर्ख, बुद्धिहीन; सिल = पत्थर; सुरभित – सुगन्धित; कुठार = कुल्हाड़ी; वारि = जल; पय = दूध; गहहिं = ग्रहण करना।

MP Board Class 7th Hindi Solutions

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 13 समय नहीं मिला

In this article, we will share MP Board Class 10th Hindi Book Solutions Chapter 13 समय नहीं मिला (श्रीमन्नारायण अग्रवाल) Pdf, These solutions are solved subject experts from latest edition books.

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 13 समय नहीं मिला (श्रीमन्नारायण अग्रवाल)

समय नहीं मिला पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

समय नहीं मिला लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Mp Board Class 10th Hindi Chapter 13 प्रश्न 1.
समय न मिलने का बहाना कैसे लोग करते हैं?
उत्तर
समय न मिलने का बहाना ज्यादातर वे लोग करते हैं, जो कछ नहीं करते हैं और उनकी टालमटोल करने की आदत पड़ जाती है।

Chapter 13 Hindi Class 10 Mp Board प्रश्न 2.
समय के संबंध में अंग्रेजी की मशहूर कहावत कौन-सी है?
उत्तर
समय के संबंध में अंग्रेजी की मशहूर कहावत ‘समय धन’ है।

Vasanti Hindi Book Class 10 MP Board प्रश्न 3.
मालवीय जी द्वारा आयोजित सम्मेलन सफल क्यों न हो सका?
उत्तर
मालवीय जी द्वारा आयोजित सम्मेलन सफल न हो सका। उसका खास कारण तो ब्रिटिश सरकार के राजनैतिक दाँवपेंच ही थे। पर एक बात की ओर भी हमारा ध्यान गए बिना न रहा। सम्मेलन में शरीक होने के लिए नेता निश्चित समय पर ही आया करते थे, पर मालवीय जी की अनुपस्थिति के कारण वे थोड़ी देर राह देखकर तितर-बितर हो जाते थे। उन्हें खबर मिलती कि अभी मालवीय जी के आने में दो घण्टे की देर है। समय की इस गैर-पाबंदी के कारण मैंने कई नेताओं को हताश व परेशान होते देखा। कई लोग तो निराश होकर बीच ही में सम्मेलन का कार्य छोड़ कर चले गए।

Class 10 Hindi Chapter 13 Mp Board प्रश्न 4.
लेखक ने किन लोगों को मुबारकबाद देना चाहा है?
उत्तर
लेखक ने उन लोगों को मुबारकबाद देना चाहा है, जो अपने समय का पूरा फायदा उठाते हैं और एक मिनट भी बरबाद नहीं करते हैं।

Vasanti Hindi Book Class 10 Solutions Mp Board प्रश्न 5.
सुबह जल्दी उठने से क्या लाभ होता है?
उत्तर
सुबह जल्दी उठने से अनेक लाभ होते हैं। इससे समय की काफी बचत होती है। दिन भर स्फूर्ति का अनुभव होता रहता है।

Class 10th Hindi Vasanti MP Board प्रश्न 6.
लेखक ने बड़ा व्यक्ति किसे कहा है?
उत्तर
लेखक ने बहुत व्यस्त रहने वाले व्यक्ति को बड़ा व्यक्ति कहा है।

समय नहीं मिला दीर्य-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Class 10 Hindi Book Vasanti MP Board प्रश्न 1.
‘वक्त सबके लिए बराबर है’ पंक्ति को लेखक ने किन उदाहरणों से समझाया है?
उत्तर
‘वक्त सबके लिए बराबर है’ पंक्ति को लेखक ने बैंक और शेयर बाजार के उदाहरणों से समझाया है। वह इस तरह अगर बैंक जवाब दे दें तो एक करोड़पति मिनटों में गरीब और भिखमँगा भी बन सकता है, लेकिन कुदरत का इन्तजाम नहीं बिगड़ता। समय के सागर में शेयर बाजार की तरह दिन में कितने ही बार ज्वार-भाटा नहीं आता। धन की दुनिया में अमीर-गरीब बादशाह-कंगाल का फ़र्क है। पर खुशकिस्मती से समय के साम्राज्य में ऊँच-नीच का भेदभाव नहीं है।

 

Mp Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 2.
सभा-सम्मेलनों में समय के संबंध में क्या देखा जाता है?
उत्तर
समय की तत्परता के संबंध में सभी सूबों की कहानी करीब एक-सी है। मीटिंग का समय पर शुरू होना हमेशा अपवाद रहा करता है, नियम नहीं। उड़ीसा में तो कई जगह मुकर्रर किए गए वक्त से दो घण्टे बाद मीटिंग शुरू करने का रिवाज ही पड़ गया है। वक्त बताते हुए भी मीटिंग बुलाने वाले, मीटिंग में आने वाले सभी सज्जन यही मानकर चलते हैं कि अगर चार बजे का समय दिया है तो मीटिंग छः बजे शुरू होगी। उसके बाद भले ही हो. पर छः के पहले नहीं।

Class 10 Hindi Vasanti MP Board प्रश्न 3.
किसी भी बैठक का समय पर आरंभ हो जाना अपवाद क्यों रहा है?
उत्तर
किसी भी बैठक का समय पर आरंभ हो जाना अपवाद ही रहा है। यह इसलिए कि देर से बैठक शुरू करने का रिवाज ही पड़ गया है।

Hindi Class 10 Mp Board प्रश्न 4.
लेखक ने विदेशों में समय की बरबादी के क्या उदाहरण दिए हैं?
उत्तर
इंग्लैण्ड व यूरोप के दूसरे देशों में भी समय की बरबादी दिल खोलकर की जाती है। वहाँ की सभाएँ वक्त पर होती हैं और लोग समय के पाबंद भी हैं। लेकिन अगर सिनेमा व थियेटर के टिकट लेने के लिए लंबी-लंबी कतारों का दृश्य आप देखें तो हैरान होंगे कि जो लोग इतने व्यस्त दिखते हैं और सड़कों पर भी दौड़-दौड़ कर चलते हैं, वे इन कतारों में दो-दो, तीन-तीन घण्टे लगातार किस तरह खड़े रहते हैं और केवल यही राह देखते रहते हैं कि कब टिकट घर की खिड़की खुले। इन , कतारों में जवान, बूढ़े, स्त्री, पुरुष सभी रहते हैं, कभी-कभी तीन घण्टे खड़े रहने के बाद भी थियेटर में जगह न रहने के कारण कुछ लोगों का वापस जाना पड़ता है।

Class 10 Hindi Mp Board प्रश्न 5.
जीवन में समय की पाबंदी के साथ-साथ कुछ लचक रखना भी जरूरी क्यों हैं?
उत्तर
जीवन में समय की पाबंदी के साथ-साथ कुछ लचक रखना भी जरूरी है। यह इसलिए कि इसके बिना कोई भी व्यक्ति अपना और अपने घरवालों का जीवन सुखी नहीं बना सकेगा। इससे वह चिड़चिड़ा और नाराज रहने लगेगा।

समय नहीं मिला भाषा-अनुशीलन

Class 10th Hindi Mp Board Solution प्रश्न 1.
संधि-विच्छेद कर संघि का नाम लिखिए।
सज्जन, सदुपयोग, सम्मेलन, विद्यार्थी, मनोविकार।
उत्तर
Mp Board Class 10th Hindi Chapter 13

प्रश्न 2.
समास-विग्रह कर प्रकार लिखिए
यवा-समय, अस्त-व्यस्त, ऊँच-नीच, अर्वव्यवस्था, पंचतंत्र, गजानन।
उत्तर
Chapter 13 Hindi Class 10 Mp Board

प्रश्न 3.
ख्याल, सिनेमा जैसे अनेक आगत शब्द इस पाठ में आए हैं। ऐसे अन्य आगत शब्दों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर
उत्तर, अक्सर, काफी, बेशुमार, फैशन, डाकघर, बहाना, मशहूर, मुकाबला, लालसा आदि।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए
देश, आदमी, सुबह, लालसा, राह।
उत्तर
देश – वतन, राष्ट्र
आदमी – मनुष्य, मानव
सुबह – सबेरा, प्रातः
लालसा – अभिलाषा, इच्छा
राह – मार्ग, रास्ता।

प्रश्न 5.
वाक्यों में प्रयोग कीजिए
टाल मटोल करना, तितर-बितर होना, राह देखना, मशीन बन जाना।
उत्तर
मुहावरे – वाक्य-प्रयोग
टालमटोल – आलसी मनुष्य टालमटोल करते रहते हैं।
तितर-बितर होना – घबड़ाहट में सारा सामान तितर-बितर हो गया।
राह देखना – वह देर तक अपने साथी की राह देखता रहा।
मशीन बन जाना – आज विज्ञान के युग में मनुष्य का मशीन बन जाना कोई आश्चर्य नहीं है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्य को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए
गोपाल कल आएगा।
(क) निषेधवाचक
(ख) प्रश्नवाचक
(ग) विस्मयादिवाचक
(घ) संदेहवाचक।
उत्तर
गोपाल कल आएगा।
(क) निषेधवाचक – गोपाल कल नहीं आएगा।
(ख) प्रश्नवाचक – क्या गोपाल कल आएगा?
(ग) विस्मयादिवाचक – अहा! गोपाल कल आएगा!
(घ) संदेहवाचक – शायद गोपाल कल आएगा।

समय नहीं मिला योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
समय का पालन करने वाले जिन महापुरुषों के नाम आप जानते हैं, उनकी सूची बनाइए।

प्रश्न 2.
समय का दुरुपयोग करने वाले लोगों को क्या-क्या दुष्परिणाम भोगने पड़ते हैं? संक्षिप्त लेख लिखिए।

प्रश्न 3.
समय की नियमितता से संबंधित अनुभवों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

समय नहीं मिला परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘समय नहीं मिला’ निबंध का प्रतिपाय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
लेखक ने इस व्यंग्यात्मक लेख में समय का महत्त्व समझाने का प्रयास किया है। लेखक का मानना है कि समय के साथ चलना. जीवन को नियमित बनाना. हर कार्य को गंभीरता से समझना, उसे भली-भाँति पूरा करना आदि बातें जीवन की सफलता के लिए बहुत आवश्यक हैं। इन्हें लेखक ने विविध उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया है। लेखक ने यह भी बताने का प्रयास किया है कि समय का महत्त्व न समझने वाले बहुत पीछे रह जाते हैं। समाज में उनका सम्मान भी सुरक्षित नहीं रहता। समयाभाव का बहाना बनाने वाले जीवन लक्ष्य तक नहीं पहुँचते। प्रस्तुत पाठ में लेखक ने दिनचर्या की अनियमितता और बहाना बनाने की आदत से बचने का संदेश दिया है।

प्रश्न 2.
समय पर किसी का जवाब न मिलने पर लेखक क्या समझ लेता है?
उत्तर
समय पर किसी का जवाब न मिलने पर लेखक यह समझ लेता है कि शायद डाकघर की कुछ गलती से पत्र ही देर से पहुँचा या न भी पहुँचा हो। या फिर महाशयजी का जीवन ही अस्त-व्यस्त और ढीला होगा। वे पत्र पढ़कर कहीं इधर-उधर डाल देते होंगे और या फिर उन्हें जवाब देने का ख्याल अक्सर नहीं रहता होगा या उत्तर देने के वक्त पत्र ही नहीं मिलता होगा।

प्रश्न 3.
समय धन से कहीं अधिक अहम् चीज है कैसे?
उत्तर
समय धन से कहीं अधिक अहम चीज़ है। यह इसलिए कि हम अधिकसे-अधिक मेहनत करके बहुत धन कमा सकते हैं। लेकिन हजार परिश्रम करने पर भी हम चौबीस घण्टों में एक भी मिनट नहीं बढ़ा सकते हैं। इस प्रकार की बहुमूल्य चीज का सामना धन से नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों के लिए दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. श्रीमन्नारायण अग्रवाल आर्थिक सिद्धान्तों के विशेषज्ञ थे।
1. समाजवादी
2. गाँधीवादी
3. राजनीतिक
4. आध्यात्मिक।
उत्तर
2. गाँधीवादी

2. श्रीमन्नारायण अग्रवाल की रचना है
1. मानव
2. मानव और दानव
3. अभिनव मानव
4. आदि मानव
उत्तर
1. मानव

3. श्रीमन्नारायण का जन्म कहाँ हुआ था
1. वाराणसी में
2. इलाहाबाद में
3. मैनपुरी में
4. उन्नाव में।
उत्तर
3. मैनपुरी में

4. श्रीमन्नारायण का जन्म किस सन में हुआ था
1. 1900 में
2. 1901 में
3. 1910 में
4. 1912 में।
उत्तर
4. 1912 में।

5. श्रीमन्नारायण सम्पादक थे।
1. सबकी बोली के
2. सरस्वती के
3. राष्ट्रभाषा प्रचार के
4. सबकी बोली’ और ‘राष्ट्रभाषा प्रचार’ के।
उत्तर
4. सबकी बोली’ और ‘राष्ट्रभाषा प्रचार’ के।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्दों के चयन से कीजिए
1. ज्यादातर लोगों की ………….. आदत ही पड़ जाती है। (बहाना बनाने की, टालमटोल करने की)
2. बड़े लोगों का व्यवहार भी बहुत ………….. रहता है। (व्यस्त, व्यवस्थित)
3. समय न मिलने का बहाना अक्सर अपनी …………… को ढाँकने के लिए किया जाता है। (मजबूरी, कमजोरी)
4. अंग्रेजी की मशहूर कहावत है-‘समय …………… है’। (बलवान, धन)
5. धन से कहीं अधिक अहम् चीज है। (बुद्धि, समय)
उत्तर

  1. टालमटोल
  2. व्यवस्थित
  3. कमजोरी
  4. धन
  5. समय

प्रश्न 6.
सही जोड़ी का मिलान किजिए
छोटे-छोटे सवाल – रामचंद्र शुक्ल
उत्साह – मीराबाई
रोटी का राग – तुलसीदास
वर्षा गीत – श्रीमन्नारायण अग्रवाल
विनय पत्रिका – दुष्यंत कुमार।
उत्तर
छोटे-छोटे सवाल – दुष्यंत कुमार
उत्साह – रामचंद्र शुक्ल
रोटी का राग – श्रीमन्नारायण अग्रवाल
वर्षा गीत – मीराबाई
विनय पत्रिका – तुलसीदास।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए।
1. बड़े लोगों का जीवन नियमित रहता है।
2. जो व्यक्ति खतों का जवाब देरी से देता है, वह इसी कारण बड़ा हो जाता है।
3. वक्त के लिए सब बराबर हैं।
4. ज्यादातर लोग कुछ नहीं करते हैं।
5. 1930 में मालवीय जी ने प्रयाग में ‘एकता सम्मेलन’ बुलाया था।
उत्तर

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. असत्य

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए
1. अधिकांश लोग क्या करते हैं?
2. अपनी कमजोरी को ढाँकने के लिए क्या न मिलने का बहाना किया जाता है?
3. किसका अपमान करके कोई बड़ा आदमी न बन सका है और न बन सकेगा?
4. मालवीय जी ने ‘एकता सम्मेलन’ कब बुलाया था?
5. सुबह जल्दी उठकर हम दिनभर क्या महसूस करेगे?
उत्तर

  1. टालमटोल
  2. समय
  3. समय का
  4. 1932 में
  5. स्फूर्ति ।

समय नहीं मिला लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किस तरह की बातें लोगों को सुननी पड़ती हैं?
उत्तर
‘मुझे आपका काम याद था, पर क्या करूँ, बिल्कुल समय ही नहीं मिला। क्षमा करें।…कल इसी वक्त आ जाइये। समय निकालने की जरूर कोशिश करूँगा।’ कुछ इसी तरह की बातें लोगों को सननी पड़ती हैं।

प्रश्न 2.
लेखक का बड़े लोगों के बारे में क्या अनुभव है?
उत्तर
लेखक का बड़े लोगों के बारे में अनुभव है कि जो लोग सचमुच बड़े हैं और बहुत व्यस्त रहते हैं उनका पत्र-व्यवहार भी बहुत व्यवस्थित रहता है। उनका जीवन नियमित रहता है और वे रोज का काम उसी समय निपटा देते हैं।

प्रश्न 3.
लेखक किसकी तारीफ़ करता है?
उत्तर
लेखक उन लोगों की तारीफ़ करता है, जो खुशदिल रहकर दूसरों को भी खुशदिल रखें। उससे वह अपने-आप समय का जितना उपयोग कर सकें, उतना ही वह काबिलेतारीफ़ है।

प्रश्न 4.
लेखक के मुबारकबाद का पात्र कौन है?
उत्तर
लेखक के मुबारकबाद का पात्र वह है, जो अपने-आप समय का पूरा फायदा उठाता है और एक मिनट भी बरबाद नहीं करता है।

समय नहीं मिला लेखक-परिचय

जीवन-परिचय-श्रीमन्नारायण अग्रवाल गाँधीवादी चिंतकों-विचारकों में प्रमुख हैं। आपका जन्म उत्तर-प्रदेश के मैनपुरी जिलान्तर्गत हआ था। आपकी आरंभिक शिक्षा कलकत्ता में हुई। इसके बाद आपने अपनी उच्च शिक्षा के लिए प्रयाग विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। वहीं से आपने उच्च शिक्षा प्राप्त करके आजीविका के लिए नौकरी कर ली। इस दृष्टि से आप ‘सबकी बोली’ और ‘राष्ट्र-भाषा-प्रचार’ के भी संपादक रहे। यही नहीं, आप लगातार अनेक वर्षों तक राष्ट्र भाषा-प्रचार समिति, वर्धा के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी अहं भूमिका निभाते थे। रचनाएँ-श्रीमन्नारायण अग्रवाल का गद्य और पद्य दोनों पर अधिकार रहा है। उनकी रचनाएँ इस प्रकार हैं

काव्य-संग्रह-‘सेगाँव का संत’, ‘रोटी का राग’ तथा ‘मानव’

भाषा-शैली-श्रीमन्नारायण अग्रवाल की साहित्यिक धारा अधिक सरल और सपाट शब्दों की है। उसमें बहुप्रचलित शब्दों की भरमार है। इस प्रकार के शब्दों से निर्मित भाषा के अर्थ सहज रूप से प्रकट हो जाते हैं। इनसे बने हुए वाक्य बोधगम्य हैं। श्रीमन्नारायण अग्रवाल की शैली में विविधता है। कहीं तो वह पत्रकारिता के छाँव तले पनपती है और कहीं तो अध्यापन के अधीन होकर सरकती है। इस प्रकार आपकी शैली एक पत्रकार की शैली के साथ-साथ एक अध्यापक आचार्य की शैली है। इस प्रकार की शैलियों से विषय-वस्तु का प्रतिपादन अच्छी तरह से हुआ है।

साहित्य में स्थान-श्रीमन्नारायण का हिन्दी गद्य-पद्य दोनों ही विधाओं के रचनाकारों में उल्लेखनीय स्थान है। यह सर्वविदित है कि साहित्य के प्रति इनका अनुराग शुरू से ही रहा है। गाँधीवादी दृष्टिकोण को रेखांकित करने वाले प्रमुख साहित्यकारों में से आप एक हैं।

समय नहीं मिला निबंध का सारांश

प्रस्तुत निबंध ‘समय नहीं मिला’ एक व्यंग्यात्मक निबंध है। इसमें लेखक ने समय को समझाने का प्रयास किया है। लेखक के अनुसार अधिकांश लोग समय पर न मिलने का प्रयत्न करते हैं। अपनी टालमटोल आदत से व्यस्तता का बहाना बनाकर करते हैं। इसी प्रकार पत्रों का उत्तर देने में भी अधिकांश लोग अपनी व्यस्तता का बहाना बनाकर अपनी टालमटोल की आदत से बाज नहीं आते हैं, जो हो, समय न मिलने का बहाना प्रायः अपनी कमजोरी और अनियमितता को ढाँकने के लिए किया जाता है। लेकिन समय का अपमान करके आज तक न कोई बड़ा बन सका है और न कोई बन सकेगा। समय धन है। यों तो हम अधिक मेहनत करके अधिक-से-अधिक धन तो कमा सकते हैं लेकिन वक्त को न तो बढ़ा सकते हैं और न घटा ही सकते हैं। धन की दुनिया में अमीर-गरीब बादशाह-कंगाल का फर्क है लेकिन समय के साम्राज्य में ऊँच-नीच का भेदभाव नहीं है। समय के लिए सब बराबर हैं। फिर भी हम समय का महत्त्व नहीं समझ पाते।

लेखक समय की पूरी-पूरी पाबंदी करने वालों को मुबारक बाद देते हुए यह सलाह दे रहा है कि अगर आप केवल सुबह ही जल्दी उठना शुरू कर दें, तो आप काफी समय बचा लेंगे। फिर दिन भर आप स्फूर्ति का अनुभव करेंगे। लेकिन ध्यान रहे कि आप कहीं मशीन की तरह न बन जाएँ। घड़ी के ठोके के साथ अपनी जिंदगी की ताल न बैठा लें। अगर आपने अपने कार्यक्रम में जरा भी लचक न रखी। उसमें भिन्नता की गुंजाइश न रही हो तो भी आप अपना और अपने घरवालों का जीवन सुखी न बना सकेंगे। फलस्वरूप आपका मिजाज भी चिड़चिड़ा हो जाएगा। अपना समय बर्बाद करने वालों पर आप नाराज होना शुरू कर देंगे। अंततः यह कहना है कि खुशदिल रहकर और दूसरों को भी निभाकर आप अपने समय का जितना अधिक और अच्छा उपयोग कर सकें, उतनी आपकी प्रशंसा है। और कृपया आज से किसी से न कहें ‘मुझे समय नहीं मिला।

समय नहीं मिला संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

(1) जहाँ वक्त बढ़ाया नहीं जा सकता, वहाँ लाख कोशिश करने पर वह घटाया भी नहीं जा सकता। आजकल की विचित्र अर्थव्यवस्था में हमारे धन की कीमत रोज घट बढ़ सकती है। अगर बैंक जवाब दे दें तो एक करोड़पति मिनटों में गरीब और भिखमंगा भी बन सकता है, किंतु कुदरत का इन्तजाम नहीं बिगड़ता। समय के सागर में शेयर बाजार की तरह दिन में कितने ही बार ज्वार-भाटा नहीं आता। धन की दुनिया में अमीर-गरीब बादशाह-कंगाल का फर्क है। पर खुशकिस्मती से समय के साम्राज्य में ऊँच-नीच का भेद-भाव नहीं है। वक्त के लिए सब बराबर हैं, उसमें आदर्श लोकतंत्र है। फिर भी हम उसका महत्त्व नहीं समझते।

शब्दार्थ-कुदरत-ईश्वर ।ज्वार-भाटा-उतार-चढ़ाव,। खुशकिस्मती-सौभाग्य।

संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पस्तक ‘हिंदी सामान्य’ 10वीं में संकलित लेखक श्रीमन्नारायण अग्रवाल लिखित व्यंग्यात्मक निबंध ‘समय नहीं मिला’ से है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने ‘समय पर किसी का कोई अधिकार नहीं होता है’ इसे समझाते हुए कहा है कि

व्याख्या-आज के इस विज्ञान युग में भले ही सब कुछ सम्भव हो सकता है, लेकिन समय को न तो बढ़ाया जा सकता है और न घटाया ही जा सकता है। जहाँ तक आज की अर्थव्यवस्था का प्रश्न है तो यह भी कहा जा सकता है कि हम अपने मन की कीमत जब चाहे घटा-बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई बैंक किसी करोड़पति को मदद करना बंद कर दे, तो उसे चंद मिनटों में गरीब और भिखमंगा होने में देर नहीं लगेगी। लेकिन जो ईश्वरीय विधान है, वह इससे अलग है। वह अपना प्रबंध अपने ढंग से बनाए रखता है। इस प्रकार समय का उतार-चढ़ाव ज्वार-भाटा या शेयर बाजार की तरह गिरता-उठता नहीं है। इस प्रकार समय की तुलना धन से नहीं की जा सकती है। यह इसलिए कि धन के संसार में अमीरी-गरीबी का भेदभाव भरा होता है। लेकिन समय का संसार इससे कहीं अलग ही होता है। वहाँ तो किसी प्रकार का कोई भेदभाव होता ही नहीं है। वहाँ तो सब एक समान हैं। वहाँ एक आदर्श लोकतंत्र है। अफ़सोस की बात है कि हम यह सब कुछ जानते हुए समय के महत्त्व नहीं समझ पाते हैं।

विशेष-

  1. समय के महत्त्व को बतलाया गया है।
  2. भाषा-शैली में प्रवाह है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वक्त की क्या विशेषता है?
उत्तर
वक्त की यह विशेषता होती है कि उसे न तो हम घटा सकते हैं और न बढ़ा ही सकते हैं।

प्रश्न 2.
धन और समय की दुनिया में क्या फर्क है?
उत्तर
धन की दुनिया और समय की दुनिया में बहुत फर्क है। धन की दुनिया में अमीरी-गरीबी का भेद होता है, जबकि समय की दुनिया में सब बराबर होते हैं।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का मुख्य भाव लिखिए।
उत्तर
उपर्युक्त गद्यांश के द्वारा लेखक ने यह भाव प्रकट करना चाहा है कि समय को घटाया और बढ़ाया नहीं जा सकता है। इसकी तुलना धन से नहीं की जा सकती है। यह इसलिए कि धन की दुनिया में अमीरी-गरीबी का भेदभाव होता है, जबकि समय की दुनिया में सब बराबर होते हैं। अफसोस यह है कि हम समय की कीमत जानते हुए उसके महत्व को नहीं समझते हैं।

2. पर मेहरबानी करके आप कहीं मशीन की तरह भी न बन जाएँ। घड़ी के ठोके के साथ अपनी जिंदगी की ताल न बैठा लें। अगर अपने कार्यक्रम में आपने जरा भी लचक न रखी और उसमें भिन्नता की गुंजाइश न रही हो तो भी आप अपना और अपने घरवालों का जीवन सुखी न बना सकेंगे। फिर तो शायद आपका मिजाज भी चिड़चिड़ा हो जाएगा और आप दूसरों पर, जो अपना समय जरा भी बर्बाद करते हैं, नाराज होना शुरू कर देंगे।

शब्दार्च-ताल-मेल । लचक-सरस। मिजाज़-दिमाग।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने समय के सदुपयोग के तरीके पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि

व्याख्या-आप समय का सदुपयोग अवश्य करें। लेकिन इससे पहले आप यह जान लें कि यह किस तरह होना चाहिए। आपके लिए यह सुझाव है कि आप कृपया समय का सदुपयोग मशीन की तरह न करें। दूसरे शब्दों में, यह कि आप समय के सदुपयोगी मशीन न बन जाएँ। यही नहीं आप अपनी जिंदगी के ताल घड़ी के ठोके के साथ न बैठा लें। यह ध्यान रहे कि आप अपने कार्यक्रम में लचक रखें। अगर आपने ऐसा नहीं किया और उसमें कोई फर्क की संभावना न रखी तो आप न केवल अपना ही, अपितु अपने घर-परिवार के जीवन को दुखमय ही बनायेंगे। फलस्वरूप आपका मिजाज चिड़चिड़ा हो जाए तो, इसमें कोई आश्चर्य नहीं। इससे जो अपना समय बर्बाद करते हैं, उन पर अपनी नाराजगी दिखाना शरू कर देंगे।

विशेष

  1. समय के सदुपयोग के तौर-तरीके पर प्रकाश डाला गया है।
  2. यह अंश ज्ञानवर्द्धक है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मशीन की तरह न बनने की क्यों सीख दी गई है?
उत्तर
मशीन की तरह न बनने की सीख दी गई है। यह इसलिए कि इससे अपना और अपने घरवालों का जीवन सुखी नहीं बन सकता है।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गयांश का मुख्य भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त गद्यांश के द्वारा लेखक का कहना है कि हमें मशीन की तरह बनकर समय का सदुपयोग नहीं करना चाहिए। इसमें लचक न रखने से घर-परिवार का सुख-चैन समाप्त हो जायेगा। मिजाज चिड़चिड़ा हो जाएगा और नाराज होने की आदत पड़ जाती है।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 10 कोई नहीं पराया

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 10 कोई नहीं पराया

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

Koi Nahi Paraya Poem Summary In Hindi MP Board Class 6th प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए
1. घर – (क) मनुजत्व
2. देश – (ख) पांति
3. जाति – (ग) काल
4. देवत्व – (घ) संसार
उत्तर
1. (घ), 2. (ग), 3. (ख), 4. (क)

कोई नहीं पराया कविता के प्रश्न उत्तर MP Board Class 6th प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. कहीं रहे कैसे भी मुझको प्यार यह…….है। (इंसान/भगवान)
2. ……..डाल का पीछे पहले उपवन का श्रृंगार है। (शूल/फूल)
3. मेरी धरती सौ-सौ स्वर्गों से ज्यादा…..है। (सुकुमार/कठोर)
4. कोई नहीं पराया……सारा संसार है। (मेरा घर/मेरा परिवार)
उत्तर
1. इंसान
2.फूल
3. सुकुमार
4. मेरा घर।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 10 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

Koi Nahi Paraya Question Answers MP Board Class 6th प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए

(क) कवि ने घर किसे कहा है?
उत्तर
कवि ने पूरे संसार को घर कहा है।

(ख) कवि को किस बात का अभिमान है?
उत्तर
कवि को मानवता पर अभिमान है।

(ग) कवि ने अपना आराध्य किसे माना है?
उत्तर
कवि ने आदमी को अपना आराध्य माना है।

(घ) धरती किससे भी ज्यादा सुकुमार है?
उत्तर
धरती स्वर्ग की सुखद कहानियों से भी सुकुमार

(ङ) ‘कोई नहीं पराया’ कविता का मूल भाव क्या है?
उत्तर
‘कोई नहीं पराया’ का मूल भाव है-बसुधैव कुटुम्बकम।

MP Board Class 6th Hindi Sugam Bharti Chapter 10 लघु उत्तरीय प्रश्न

Koi Nahi Paraya Poem Question Answers MP Board Class 6th प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए

(क) कवि ने अपने धर्म को स्याही और शब्दों का गुलाम क्यों नहीं माना?
उत्तर
कवि ने अपने धर्म को स्याही और शब्दों का गुलाम इसलिए नहीं माना है क्योंकि वह स्वतंत्र है। वह किसी धर्म या जाति से बंधा हुआ नहीं है। उसका सिर्फ एक ही धर्म है और वह है मानवता का धर्म।

(ख) देशकाल को जंग लगी जंजीर क्यों कहा गया है?
उत्तर
कवि बसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करता है। वह किसी जाति या धर्म से बंधा नहीं है। वह स्वतंत्र है। उसके विचार स्वतंत्र हैं। उसे मानवता से प्यार है।

(ग) घट-घट में राम कहकर कवि कौन-सा भाव व्यक्त करना चाहता है?
उत्तर
कवि के कहने का तात्पर्य है कि प्यार सबसे बड़ी चीज है। उसे लोगों में बांटना श्रेष्टकर है। अगर प्यार है, तो सभी जगह भगवान है। प्यार नहीं तो कुछ भी नहीं।

(घ) ‘जियो और जीने दो’ के लिए कवि क्या बांटने को कहता है?
उत्तर
‘जियो और जीने दो’ का सिद्धांत तभी वास्तविक रूप में परिवर्तित हो सकता है, जब हम सभी मिलकर एक-दूसरे में प्यार बांटेंगे। बिना प्यार के मानवता का कोई अस्तित्व नहीं है।

(ङ) ‘मानवता का मार्ग सर्वश्रेष्ठ है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मानवता हम इंसानों का परम धर्म है। अगर हम एक दूसरे से मिलकर न रहें, एक-दूसरे के सुख-दुःख में शामिल न हों तो हम आदमी के रूप में जानवर हैं। अतः हमें ऐसा रास्ता अपनाना चाहिए जिस पर चलकर हम सही मायने में मानव बनें।

भाषा की बात

Koi Nahi Paraya Question Answer MP Board Class 6th प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
आराध्य, भीड़, स्वीकार, मंदिर, शृंगार, स्वर्ग, सुकुमार।
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

Koi Nahi Paraya Poem Bhavarth MP Board Class 6th प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए
सियाही, अभीमान, कहानीया, इनसान, शुल।
उत्तर
स्याही, अभिमान, कहानियाँ, इंसान, शूल

Koi Nahi Paraya Poem Explanation In Hindi MP Board Class 6th प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए
जाति-पांति, घट-घट, आराध्य, ऊँची-नीची
उत्तर
जाति-पांति-हमें जाति-पांति में विश्वास नहीं रखना चाहिए।
घट-घट-कहते हैं घट-घट में भगवान वास करते हैं। आराध्य-मीराबाई के आराध्य देव श्री कृष्ण थे
ऊँची-नीची-जीवन में हर ऊँची-नीची बातों का सामंजस्य सीखना चाहिए।

Koi Nahi Paraya Poem MP Board Class 6th प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थी शब्द लिखिए
ऊँची, अपना, शूल, स्वीकार, शुभ, न्याय, पूर्ण।
उत्तर
ऊँची – नीची
अपना – पराया
शूल – फूल
स्वीकार – अस्वीकार
शुभ – अशुभ
न्याय – अन्याय
पूर्ण – अपूर्ण

प्रश्न 8.
उचित शब्द लगाकर खाली स्थान भरिए
1. हरीश ने गमलों में……लगवाए। (पौधा/पौधे)
2. सर्दी की…….लम्बी होती हैं। (रात/राते)
3. राजा दशरथ की तीन…….थीं। (रानी/रानियाँ)
4. इस…….में मेरी कहानी छपी है। (पुस्तक पुस्तकों)
उत्तर
1 .पौधे
2. रातें
3. रानियाँ
4. पुस्तकों

प्रश्न 9.
वाक्यों के सामने दिए गए सर्वनामों के उपयुक्त रूप लगाकर वाक्य पूरे कीजिए
1. कल…….तबियत ठीक नहीं थी। (मैं)
2. उन्होंने कहा, “ये सब…..मित्र हैं।” (हम)
3. उसने…….को बुला लिया होगा। (कोई)
4. अनुराग को बुलाओ…….बाजार भेजना है। (वह)
5. दरी को पड़ी रहने दो…….मत उठाओ। (यह)
उत्तर
1. मेरी
2. हमारे
3. किसी
4. उसे
5. उसे।

कोई नहीं पराया प्रसंग सहित व्याख्या

1. कहीं रहे, कैसे भी, मुझको प्यारा यह इंसान है,
मुझको अपनी मानवता पर बहुत-बहुत अभिमान है।
अरे नहीं देवत्व, मुझे तो भाता है मनुजत्व ही,
और छोड़ कर प्यारा नहीं स्वीकार सकल अमरत्व भी।
मुझे सुनाओ तुम न स्वर्ग-सुख की सुकुमार कहानियाँ,
मेरी धरती, सौ-सौ स्वगों से ज्यादा सुकुमार है
कोई नहीं पराया, मेरा घर संसार है।

शब्दार्थ-अभिमान = गर्व । सकल=सम्पूर्ण । सुकुमार = कोमल। पराया = दूसरा।

प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित कविता ‘कोई नहीं पराया’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने बताया है कि उसके लिए कोई पराया नहीं है।

व्याख्या-कवि कहता है कि उसे सभी इंसानों से प्यार है। उसे अपनी मानवता पर गर्व है। उसे देवत्व नहीं बल्कि मनुजत्व अच्छा लगता है। उसे केवल प्यार चाहिए। प्यार के अलावा वह किसी चीज की इच्छा नहीं रखता है। उसे स्वर्ग की अच्छी अच्छी कहानियाँ भी नहीं भाती क्योंकि उसकी धरती के आगे सैकड़ों स्वर्ग भी कुछ मायने नहीं रखते।

विशेष

  • कविता में मानवता पर विशेष बल दिया गया है।
  • शब्दों का प्रयोग सुगम और बोधगम्य है।

2. मैं सिखलाता हूँ कि जियो और जीने दो संसार को,
जितना ज्यादा बांट सको तुम, बांटो अपने प्यार को।
हंसो इस तरह, हंसे तुम्हारे साथ दलित यह धूल भी,
चलो इस तरह कुचल न जाए पग से कोई शूल भी।
सुख न तुम्हारा सुख केवल, जग का भी उसमें भाग है,
फूल डाल का पीछे, पहले उपवन का श्रृंगार है।
कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार है।

शब्दार्थ- दलित= नीचे गिर हुआ। शूल=कांटा । उपवन=बगीचा। शृंगार=शोभा।

प्रसंग-पूर्ववत्

व्याख्या-कवि कहता है कि प्यार बांटने की चीज होती है। उसे जितना चाहो बांटों। हंसो तो खुलकर ऐसे हंसो कि जमीन की धूल भी तुम्हारे साथ हंस पड़े। ऐसे चलो कि राह में कोई कांटा भी न कुचले तुम्हारे पैरों से। फूल पूरे बगीचे की शोभा बढ़ाता है। कवि के लिए सारी दुनिया ही उसका घर है। उसे सभी से प्यार है।

विशेष

  • कविता का मुख्य बिंदु है-जियो और जीने दो।
  • कविता में जिन शब्दों का प्रयोग हुआ है। वे सभी सुगम और बोधगम्य है।

MP Board Class 6th Hindi Solutions

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 14 शबरी

In this article, we will share MP Board Class 10th Hindi Book Solutions Chapter 14 शबरी (डॉ. प्रेम भारती) Pdf, These solutions are solved subject experts from latest edition books.

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 14 शबरी (डॉ. प्रेम भारती)

शबरी  पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

शबरी लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Chapter 14 Hindi Class 10 Mp Board प्रश्न 1.
शबरी की कुटिया में कौन आया?
उत्तर
शबरी की कुटिया में राम-लक्ष्मण आये।

Hindi Mp Board Class 10  प्रश्न 2.
स्वागत का सुविधान से क्या आशय है?
उत्तर
स्वागत का सुविधान से आशय है-स्वागतहित हेतु उपयुक्त भौतिक संसाधन का होना।

Hindi Class 10 Mp Board प्रश्न 3.
द्विजगण क्या सुनाते हैं और क्यों?
उत्तर
द्विजगण शाखोच्चार सुनाते हैं क्योंकि उस समय वहाँ राम-लक्ष्मण उपस्थित थे।

Class 10 Hindi Chapter 14 Mp Board प्रश्न 4.
शबरी का किस भाव को देखकर श्रीराम हँस पड़े?
उत्तर
शबरी के मन की विहलता को देखकर श्रीराम हँस पड़े?

वासंती हिंदी सामान्य कक्षा 10 Pdf Mp Board प्रश्न 5.
शबरी ने राम-लक्ष्मण को खाने के लिए क्या दिए?
उत्तर
शबरी ने राम-लक्ष्मण को खाने के लिए मीठे-मीठे बेर दिए।

शबरी  दीर्घ-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Mp Board Class 10th Hindi प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता में श्रीराम की छवि का वर्णन किस रूप में किया गया है?
उत्तर
प्रस्तुत कविता में श्रीराम की सरस, सरल और भक्तवत्सल छवि का वर्णन किया गया है।

Vasanti Hindi Book Class 10 Solutions Mp Board प्रश्न 2.
राम-लक्ष्मण को अपनी कुटिया पर आया हुआ देखकर शबरी की दशा कैसी हो गई?
उत्तर
राम-लक्ष्मण को अपनी कुटिया पर आया हुआ देखकर शबरी की दशा विह्वल (गदगद) हो गई।

Mp Board Solution Class 10 प्रश्न 3.
शबरी ने श्रीराम-लक्ष्मण का सत्कार कैसे किया?
उत्तर
शबरी ने श्रीराम-लक्ष्मण का सत्कार उन्हें मीठे-मीठे बेर खिलाकर किया।

Mp Board Class 10 Hindi Solutions प्रश्न 4.
‘किंतु आज जो तृप्ति…कहा नहीं जाता।’ इस पंक्ति का केंद्रीय भाव लिखिए।
उत्तर
‘किंतु आज जो तृप्ति…कहा नहीं जाता।’
उपर्युक्त पंक्ति के द्वारा कवि ने श्रीराम की भक्तवत्सलता को चित्रित किया है। इसके द्वारा उसने यह सुस्पष्ट करना चाहा है कि श्रीराम दीनबंधु हैं। वे थोडी-सी भी भक्ति से रीझ जाते हैं।

शबरी  भाषा-अनुशीलन

Class 10th Hindi Mp Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के समास विग्रह कीजिए
कमल-नयन, जड़-चेतन, कृपा-सिंधु, बनमाली।
उत्तर
शब्द – समास-विग्रह
कमल-नयन – कमल के समान नयन
जड़-चेतन – जड़ और चेतन
कृपा-सिन्धु – कृपा का सिन्धु
वनमाली – वन का माली।

Vasanti Hindi Book Class 10 Mp Board प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए
गगन, कमल, जननी, दृग, वसंत।
उत्तर
शब्द – पर्यायवाची शब्द
गगन – आकाश आसमान
कमल – नीरज, जलज
दृग – आँख, नेत्र
वसंत – ऋतुराज, ऋतुपति।

Mp Board Solution Class 10th Hindi प्रश्न 3.
कविता में ‘भोजन-भोजन’, ‘बेर-बेर’ जैसे पुनरुक्त शब्दों का प्रयोग हुआ है। पाठ में आए इसी प्रकार के पुनरुक्त शब्दों को छाँटिए।
उत्तर
‘पुनि-पुनि’, ‘चुन-चुन’, ‘नहीं-नहीं’, ‘युगों-युगों’, ‘खाते-खाते’ और ‘ला-ला’

प्रश्न 4.
“बेर-बेर में इन बेरों की
शबरी करता मृदुल सराह।” इन पंक्ति में बेर शब्द के कौन-कौन से अर्थ निकल रहे हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपयुक्त में ‘बेर’ शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं

  1. बेर = एक फल, और
  2. बेर = देर।

शबरी  योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
श्रीराम अपनी बन-यात्रा में सामाजिक समरसता के भाव को प्रकट करने वाले किन-किन पात्रों से मिले? खोजकर लिखिए।

प्रश्न 2. ‘शबरी-प्रसंग’ का नाट्य रूपांतरण कर विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

शबरी  परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘शबरी’ कविता में कवि ने किन नयी उदभावनाओं को प्रकट किया है?
उत्तर
‘शवरी’ कविता में कविवर डॉ. प्रेम भारती की लोकप्रिय कृति ‘शबरी’ से उद्धृत है। ‘शबरी’ के प्रख्यात पौराणिक प्रसंग में कवि ने कतिपय मौलिक और एकदम नयी उद्भावनाओं को प्रकट किया है। शबरी का हृदय श्रीराम के स्वागत हेतु प्रफुल्लता से परिपूर्ण हो उठता है। कवि ने शबरी के हृदय की उदारता और वात्सल्यता को संपूर्ण वन-प्रांतर तक विस्तारित कर दिया है। उन्होंने शबरी के भीतर जागते द्वंद्व का चित्रण करते हुए उसकी स्वाभाविक आत्म-गरिमा का एक साथ चित्रण किया है।

प्रश्न 2.
शबरी का मन विहल (आत्म-विभोर) क्यों हो गया?
उत्तर
शबरी का मन विह्वल (आत्म-विभोर) हो गया। यह इसलिए उसकी कुटिया पर स्वयं राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ आए थे। दूसरी बात यह है कि श्रीराम का रूप-सौंदर्य अनोखा था। वे साँवले थे। सोने के समान उनका शरीर चमक रहा था। उनकी आँखें कमल के समान थीं। उनके सिर पर सुंदर जटा-मुकुट था। वे धनुष-बाण और तरकश लिये हुए थे। इस प्रकार अपनी शारीरिक सुंदरता से अत्यधिक मन को मोह रहे थे।

प्रश्न 3.
‘शबरी’ कविता के माध्यम से कवि ने कौन-सा संदेश प्रकट किया है?
उत्तर
‘शबरी’ कविता के माध्यम से कवि ने यह संदेश प्रकट करना चाहा है कि यद्यपि श्रीराम के स्वागतहित शबरी के पास उपयुक्त भौतिक संसाधन नहीं है, किंतु प्रेम से भरा हृदय तो है। कवि ने इस प्रसंग में राम की आँखों में आँसुओं की छलछलाहट लाकर उसे एक नाम स्मृति विधान प्रदान किया है। श्रीराम के आह्लाद उनकी तृप्ति और प्रेम प्रबलता को कवि ने प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। इस प्रकार कवि ने प्रस्तुत कविता में शबरी और राम के मिलन के माध्यम से कवि ने वनवासी बंधुओं के साथ राम की अनुरक्ति का चित्रण कर सामाजिक समरसता के संदेश को प्रकट किया है।

प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्दों के चयन से कीजिए।
1. राम ………….. से पता लगाते हुए शबरी की कुटिया पर आए। . (वनवासियों, मुनियों)
2. स्वागत के ………….. वहाँ था। (सुविधान, अविधान)
3. सूर्य आकाश का …………… लिए हुए खड़ा था। (दीप, प्रकाश)
4. द्विजगण …………… सुना रहे थे। (वेदोच्चार, शोस्त्रोच्चार)
5. श्रीराम के सिर पर …………… मुकुट थे। (स्वर्ण, जटा)
उत्तर
1. मुनियों
2. सुविधान
3. दीप
4. शाखोच्चार
5. जटा

प्रश्न 5.
दिए गए कथनों के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. डॉ. प्रेम भारती का जन्म हुआ था
1. उत्तर-प्रदेश में
2. आन्ध्र-प्रदेश में
3. मध्य-प्रदेश में
4. हिमाचल प्रदेश में।
उत्तर
3. मध्य-प्रदेश में

2. डॉ. प्रेम भारती ने पी-एच. डी. की
1. लघु पत्रिकाओं पर
2. कहानियों पर
3. उपन्यासों पर
4. कविताओं पर।
उत्तर
1. लघु पत्रिकाओं पर

3. डॉ. प्रेम भारती इस समय सदस्य हैं
1. मध्य-प्रदेश शिक्षा मण्डल के
2. राज्य स्तरीय साधारण सभा के
3.कार्यकारिणी मध्य-प्रदेश सर्वशिक्षा अभियान के
4. उपर्युक्त दोनों के।
उत्तर
4. उपर्युक्त दोनों के।

4. डॉ. प्रेम भारती पैदा हुए थे.
1.1930 में
2. 1932 में
3. 1933 में
4. 1931 में।
उत्तर
3. 1933 में

5. डॉ. प्रेम भारती की कृतियों में स्वर है
1. समाजवादी
2. अध्यात्मवादी
3. व्यक्तिवादी
4. मानवतावादी
उत्तर

प्रश्न 6.
सही जोड़ी का मिलान किजिए।
जलते हुए वन का वंसत – आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी
भगवान महावीर – तुलसीदास
साहित्य लहरी – दुष्यंत कुमार
कवितावली – डॉ. प्रेम भारती
कालिदास की समालोचना – सूरदास।
उत्तर
जलते हुए वन का वंसत – दुष्यंत कुमार
भगवान महावीर – डॉ. प्रेम भारती
साहित्य लहरी – सूरदास
कवितावली – तुलसीदास
कालिदास की समालोचना – आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए।
1. शबरी राम की अकचक देख रही थी।
2. राम ने शबरी के द्वारा दिए हुए राजभोग को खाया।
3. शबरी की कुटिया पर राम आये।
4. शबरी के प्रति राम की भक्तवत्सल धारा बहने लगी थी।
5. राम ने कहा कि वे इस कुटिया पर आकर आयोध्या को भूल गए हैं।
उत्तर

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. सत्य।

प्रश्न 6.
एक शब्द में उत्तर दीजिए।
1. श्रीराम के रूप-सौंदर्य को देखकर कौन सब भूल गया था?
2. किसके फूल अलक्षित थे?
3. शबरी की कुटिया कहाँ थी?
4. राम को कुटिया का वातावरण कैसा लगा?
5. राम शबरी की बेर खाकर क्या हो गए?
उत्तर

  1. जड़-चेतन
  2. तारों के
  3. दण्डकवन में
  4. घर-सा
  5. अघा गए।

शबरी  लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
राम शबरी की कुटिया तक कैसे आए?
उत्तर
राम शबरी की कुटिया तक मुनियों से पता लगाकर आए।’

प्रश्न 2.
शबरी को आत्मविभोर हुए देखकर राम ने क्या किया?
उत्तर
शबरी को आत्मविभोर हुए देखकर राम हँस दिए।

प्रश्न 3.
शबरी ने किस पर क्या रखी।
उत्तर
शबरी ने बेल-पत्र पर राम-लक्ष्मण के लिए थोड़े बेर रखे।

प्रश्न 4.
अन्त में श्रीराम ने शबरी से क्या कहा?
उत्तर
अंत में श्रीराम ने शबरी से कहा कि आज सचमुच में इस कुटिया पर मनुष्य के सभी प्रकार के विषाद मिट गए।

शबरी  कवि-परिचय

जीवन-परिचय-मध्य-प्रदेश के हिन्दी रचनाकारों में डॉ. प्रेम भारती अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। आपका जन्म 14 मार्च, 1933 को मध्य-प्रदेश के (राजगढ़-व्यावरा) के खुजनेर कस्बे में हुआ था। आपने अपनी आरंभिक शिक्षा समाप्ति के बाद विक्रम विश्वविद्यालय से हिन्दी, और अर्थशास्त्र में एम.ए. और एम.एड. करने के बाद लघु पत्रिकाओं पर केंद्रित विषय पर पीएच.डी. किया है।

रचनाएँ-डॉ. प्रेम भारती की रचनाएँ निम्नलिखित हैं

‘शबरी’, ‘तुलसी के राम’, ‘वीरांगना दुर्गावती’, ‘भगवान महावीर’, ‘बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ और समास भारत के आधार स्तंभ।
भावपक्ष-डॉ. प्रेमभारती का साहित्य में भावपक्ष और कलापक्ष दोनों ही समान रूप से अलंकृत-मण्डित है। जहाँ तक आपके भावपक्ष का प्रश्न है, वहाँ तक आपका साहित्य अधिक सरस और रोचक है। इस दृष्टि से आपके काव्य का भावपक्षीय विशेषताओं में मानवतावादी स्वर की प्रधानता, सामाजिक समरसता और निश्छल कर्म की चेतना है। यही नहीं उसमें राष्ट्रीय गौरव की सुंदर झाँकी दिखाई देती है।

कलापक्ष-डॉ. भारती का कलापक्ष में उनकी आत्माभिव्यक्ति को प्रस्तुत करने वाली सटीक, संयत और अनुकूल भाषा-शैली है। अपनी सहज, सरल और आत्मकथन में काव्य-मूल्यों की रक्षा करते हुए डॉ. भारती ने साहित्य के शिल्प-सौंदर्य को हृदयस्पर्शी रूप में प्रस्तुत किया है। शिल्प-सौंदर्य को पुष्ट और प्रभावशाली बनाने के लिए आए हुए बिंब, प्रतीक-योजना बहुत ही सटीक और आकर्षक हैं।

साहित्य में स्थान-डॉ. प्रेम भारती का हिंदी साहित्य के महान रचनाकारों में चर्चित स्थान है। आपके लेखन में भारतीय मूल्य तत्त्वों का समावेश है। अध्यात्म, शिक्षा तथा साहित्य के अनेक आयामों को अभिव्यक्त करने वाले डॉ. भारती ने अपने साहित्य में भारतीय संस्कृति और इतिहास के उज्ज्वल चरित्रों को अपने काव्य में प्रस्तुत किया है।

शबरी  कविता का सारांश

प्रस्तुत कविता ‘शबरी’ डॉ. प्रेम भारती की चर्चित काव्य-रचना ‘शबरी’ से ली गई है। इसमें शबरी को पौराणिक संदर्भ में प्रस्तुत करते हुए उसे नये भाव-चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। कवि के अनुसार मुनियों से पता लगाते हुए श्री राय शबरी की कुटिया पर आए तो शबरी के पास उनके स्वागत के लिए उपयुक्त भौतिक साधन मौजूद नहीं थे। श्री राय के रूप-सौंदर्य को देखकर जड़-चेतन उसी में खो गए थे। सूर्य, तारे आदि उनकी आरती उतार रहे थे। द्विजगण शाखोच्चार सुना रहे थे। शबरी उन्हें चकित होकर देख रही थी। वह घबड़ा गई कि वह श्रीराम के लिए वंदना गीत क्या सुनाए। उसे इस तरह देखकर राम-लक्ष्मण हँसने लगे। फिर उसने श्रीराम के चरण को पकड़कर उन्हें बार-बार देखने लगी।

इसके बाद वह राम और लक्ष्मण को मीठे बेरों को चुन-चुनकर प्रेमपूर्वक उन्हें खाने के लिए देने लगी। फिर वह श्रीराम से कहने लगी-भगवन्! अनजाने में जो अपराध हुआ उसे क्षमा करें। आपको बेर भेंट करने की मेरी साध तो युगों-युगों से थी। श्रीराम को बेर चखने में राजभोग की तरह आनंद आ रहा था। इसलिए वे बार-बार उससे खाने के लिए बेर माँगने लगे थे। इस प्रकार राम-लक्ष्मण ने अमृत के समान शबरी के बेर को चखे। श्रीराम ने शबरी से कहा कि आज मुझे यहाँ पर बहुत बड़ीतृप्ति मिली है। इसलिए मैं यह कह रहा हूँ कि इस कुटिया पर मनुष्य को होने वाले सभी प्रकार के विषाद मिट जाएं।

शबरी  संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या

1. और सत्य ही राम वहाँ पर,
पता लगाते मुनिगण से।
शबरी की कुटिया तक आये,
प्रेम रूप के मधुवन से॥

स्वागत का सुविधान वहाँ था,
स्वयं प्रकृति का उपमागार।
जड़ चेतन सब भूल गया था,
देख प्रभु का रूप-प्रसार॥

पीत पाँबड़े पड़े हुए थे,
वृक्ष के मधु बंदनवार ।
उससे चल कर ही कौशल-सुत,
आये. वे कुटिया के द्वार।

खड़ा गगन का दीपं स्वयं ही,
लिये सूर्य की ज्योति महान।
ताराओं के पुष्प अलक्षित,
धूप-आरती का भगवान।।

द्विजगण शाखोच्चार, सुनाते,
शुभागमन में रघुवर के।
शबरी अकचक देख रही थी,
आज उन्हें जी भर-भर के।

शब्दार्च-मधुवन-उद्यान, बगीचा। सुविधान-संदर व्यवस्था। उपमागार-समानता या तुलना का भण्डार । पीत-पाँवड़े, पीले पैर । कौशल-सुत-दशरथ-पुत्र । अलक्षित-अक्षात, अदृश्य।

संदर्भ-प्रस्तुत पयांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी सामान्य 10वीं में संकलित कवि डॉ. प्रेम भारती विरचित कविता ‘शबरी’ से है।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने शबरी की कटिया पर श्रीराम के पहँचने और वहाँ के वातावरण का चित्र खींचते हुए कहा है कि

व्याख्या-मुनिगण से पता लगाते हुए श्रीराम शबरी की कुटिया पर आ गए। यों तो वहाँ पर उनके स्वागत की अच्छी व्यवस्था नहीं थी, फिर भी आकाश सूर्य की ज्योति को लिए हुए दीपक के समान स्वयं खड़ा था। तारों के अदृश्य फूल खिले हुए थे। धूप आरती स्वरूप थी। द्विजगण उस समय शाखोच्चार सुना रहे थे। यह सब कुछ शबरी चकित होकर देख रही थी।

विशेष-

  1. शबरी की कुटिया के आस-पास का प्रकृति-चित्रण है।
  2. सारा चित्रण मनमोहक है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर
(क) भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश के भाव-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश की भाव-योजना सरल किंतु स्वाभाविक है। वन-प्रदेश के वातावरण को सटीक और अनुकूल रूप में ढालने का प्रयास प्रशंसनीय है। इस प्रकार मूल पद्यांश का भाव-सौंदर्य आकर्षक और रोचक बन गया है।

(ख) शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश की शिल्प-योजना भावों पर आधारित है। भाषा की शब्दावली तत्सम, तद्भव और देशज शब्दों से पुष्ट हुई है। शैली वर्णनात्मक, भावात्मक और चित्रात्मक तीनों ही है। प्रतीकों का यथास्थान होना आकर्षक बन गया है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का मुख्य भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश के द्वारा कवि ने शबरी की कुटिया पर श्रीराम के पहुँचने के उल्लेख से भक्त, भक्ति और भगवान के.विषय में प्रकाश डालना चाहा है। इससे भगवान राम की कृपालुता को उजागर कर कवि ने अपनी भक्ति-भावना प्रकट की है।

2. स्याम स्वर्ण तन कमल नयन थे,
जटा-मुकुट सिर पर अभिराम।
धनुष-बाण तरकश को धारे,
सुंदरता के कोटि ललाम।

दीर्घ नेत्र, कर सुभाग सलोने,
हाँ ये ही हैं अवध-भुवाल ।
लेशमात्र संदेह नहीं है,
आज हुई मैं अरे निहाल।

बंदन में क्या गीत सुनाऊँ,
कहाँ आरती का सामान।
उसकी मन विहलता पा कर,
हँसे तभी सानुज भगवान।

वाणी थी अवरुद्ध प्रेम में,
परम शांत थी हर्ष विभोर।
चरण पकड़ कर निरख रही थी,
पुनि-पुनि कृपा सिंधु की ओर।।

मृगच्छला का आसन देती,
शुद्ध स्वच्छ तब दोनों को,
और भोग हित बेर भेंट को,
लगी देखने कोनों को।

शब्दार्थ-स्याम-साँवला । स्वर्ण-सोना। तन-शरीर । नयन-आँख । अभिराम-सुंदर। कोटि-करोड़। दीर्घ नेत्र-बड़ी आँखें। सुभग-सुंदर। कर-हाथ । अवध-भुवाल-अयोध्या के राजकुमार। लेशमात्र-थोड़ा-सा। विहलता-व्याकुलता। अवरुद्ध-बंद। पुनि-पुनि-फिर-फिर।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने श्रीराम के अद्भुत रूप-सौंदर्य का चित्रांकन करते हुए कहा है कि

व्याख्या-श्रीराम का शरीर सोने के समान और साँवला था। उनकी आँखें कमल सी थीं, उनके सिर पर जटाओं का मुकुट शोभा दे रहा था। वे धनुष-बाण और तरकश को लिये करोड़ों सुंदरता को लजा रहे थे। उनकी आँखें बड़ी-बड़ी थीं। वे ही अयोध्या के राजकुमार हैं। उस समय शबरी यह नहीं समझ पा रही थी कि श्रीराम के स्वागत में कौन-सा गीत सुनाए। कहाँ आरती उतारे। उसे व्याकुल देखकर श्रीराम हँसने लगे। शबरी कुछ नहीं बोल पा रही थी। वह तो केवल श्रीराम के चरणों को निरख रही थी। वह उन्हें मृगछाला का आसन देकर राम और लक्ष्मण को बेर भेंट करने लगी थी।

विशेष

  1. भाषा में गति है।
  2. शैली वर्णनात्मक है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश की भावधारा सरस और प्रवाहयुक्त है। उसमें ओज, प्रभाव, गति, और क्रम है। श्रीराम के रूप-सौंदर्य का चित्रण आकर्षक है, तो शबरी की भक्ति की स्थिरता कम सराहनीय नहीं है।

(ख) शिल्प-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश की शिल्प-योजना सटीक भाषा और शैली की है। भाषा की शब्दावली में एकरूपता नहीं है, अपितु विविधता है। दूसरे शब्दों में भाषा के लिए प्रयुक्त हुए शब्द स्वरूप तत्सम, तद्भव और देशज तीनों ही हैं। शैली वर्णनात्मक और चित्रात्मक दोनों ही है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश में कवि ने एक ओर श्रीराम की शारीरिक संदरता के अद्भुत पक्ष को रखा है, तो दूसरी ओर शबरी की उनके प्रति भक्ति-भावना को दर्शाया है। ये दोनों ही पक्ष बड़े ही सटीक और उपयुक्त रूप में हैं। यही कवि का लक्ष्य है, जिसमें उसे सफलता मिली है।

3. उनसे चुन चुन कर जो मीठे
बेर नित्य वह लाई थी,
बड़े प्रेम से उनकों देने,
मन ही मन ललचाई थी।

कभी सोचती राज-भोग को,
किंतु अरे लेते हैं वे ।
नहीं-नहीं बनवासी होकर,
कंद मूल लेते हैं वे॥

अरे बेर में बेर न होवे,
स्वामी को थोड़ा अवकाश।
शीघ्र चलूँ मैं कुटिया में से,
आतुरता में देखे पास।

कहने लगी-‘क्षमा हो भगवान,
हुआ आगम में जो अपराध।
बेर भेंट को भोजन लाई,
युगों-युगों से मेरी साध’।

केल-पत्र पर दोनों को ही,
थोड़े उसने बेर रखे।
भक्त बछल ने खूब प्रेम से,
तभी उन्हें सानंद चखे॥

शब्दार्व-नित्य-रोज। आतुरता-उत्सुकता संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने शबरी की श्रीराम के प्रति प्रदर्शित भक्ति-भावना का चित्र खींचते हुए कहा है कि

व्याख्या-शबरी ने चुन-चुनकर मीठी-मीठी बेर श्रीराम को देने के लिए मन-ही-मन खुश होने लगी। वह यह सोचती और प्रयास करती कि श्रीराम राज-भोग को लेते रहे हैं तो वनवासी होकर कंदमूल को भी ले लेते हैं। इसलिए उन्हें बेर मिलने में कोई देर नहीं होनी चाहिए। यही सोच-समझकर वह अपनी कुटिया में आकर श्री राम से कहने लगी-भगवन् ! मुझसे अनजाने में जो अपराध हुआ है, उसे आप क्षमा कर दें। मैंने अपने युगों की साध को पूरा करने के लिए आपको ये बेर भेंट की। इस प्रकार कहकर शबरी ने केले के पत्ते पर राम-लक्ष्मण को थोड़ी-सी बेर रख दी। भक्तवत्सल भगवान् राम ने उन्हें बड़े आनंद के साथ खाया।

विशेष-

  1. शबरी की भक्ति भावना पर सीधा प्रकाश है।
  2. श्रीराम की भक्तवत्सलता को सामने लाया गया है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश की भावधारा सरस और स्वाभाविक है। शबरी की भक्तिभावना को इस दृष्टि से देखा जा सकता है। संपूर्ण मन को छू लेने वाले हैं, तो हृदय को जगा देने वाले भी हैं।

(ख) शिल्प-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौंदर्य सहज बिंबों, प्रतीकों व योजनाओं पर आधारित होने का फलस्वरूप मन को छू रहा है। भक्ति रस का सुंदर संचार है जिसे तुकांत शब्दावली से पुष्ट करने का प्रयास किया गया है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश का प्रतिपाय लिखिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश में शबरी की भक्तिभावना को कवि ने समर्पित रूप में चित्रित किया है। दूसरे श्रीराम की भक्त-वत्सलता को आदर्शस्वरूप में अंकित किया गया है। कवि के ये दोनों प्रयास प्रेरक रूप में हैं, जो कवि का मुख्य अभिप्राय कहा जा सकता है।

4. आज उन्हें कुछ वर्ष बाद पुनि,
माता की सुधि घिर आई।
प्रेममयी जननी ही मानों,
भोजन ले कानन आई।

परम स्वाद आनंद उन्हें जो
राज-भोग में मिलता था।
उससे भी बढ़कर बेरों में,
स्वयं रसाम्बुज खिलता था।

स्मृति-बादल प्रेम अश्रु में,
प्रकट हुए दृग में आ कर!
शबरी काँप उठी यह देख
पूछ उसी हो भय बाहर।

‘क्या अच्छा हे नाथ न लगता,
बेर आप को यह वन का।’
‘चिंतित मत हो माता शबरी,
यह तो है जीवन तन का॥

‘फिर क्यों नाथ अश्रु को लाये,’
हँस कर कहते रघुराई।
‘तेरे बेरों के सुस्वादु से,
याद मुझे माँ की आई।

शब्दार्य-सुधि-याद। जननी-माता। कानन-जंगल। स्मृति-याद । दृग-आँख। अश्रु-आँसू।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने श्रीराम का शबरी द्वारा दी गई बेर को आनंदपूर्वक खाने का उल्लेख करते हुए कहा है कि

व्याख्या-श्रीराम को कुछ वर्षों बाद अपनी माता की याद ताजी हो आई। उस प्रेममयी माँ की ही याद ने मानो भोजन लेकर जंगल में आ गई। शबरी द्वारा दी गई बेरों को खाते हुए श्रीराम को राज-भोग के समान सुख और आनंद आ रहा था। इससे उनके प्रेमाश्रु छलकने लगे थे। उन्हें देखकर शबरी भयभीत हो गई थी। उसने श्रीराम से कहा कि क्या यह अच्छा होता कि आपका वनवास जल्दी ही समाप्त हो जाता। इसे सुनकर श्रीराम ने उसे संतुष्ट और निश्चिंत करते हुए कहा कि यह चिंतित न होवे; क्योंकि यही जीवन तन की स्थिति होती है। फिर उन्होंने कहा कि उसके सुस्वादिष्ट बेरों को खाने से उन्हें अपनी माता द्वारा राजभोग खिलाने की याद ताजी हो आई।

विशेष-

  1. श्रीराम के सहज और मधुर स्वभाव का चित्रण है।
  2. भाषा-शैली बोधगम्य है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश के भाव-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश की भाव-रूपरेखा सहज और बोधगम्य है। भाव-धारा में न केवल गति है, अपितु क्रमबद्धता भी है। ये भाव स्वाभाविक हैं। इसके साथ ही चित्ताकर्षक और मन को मोह लेने वाले हैं।

(ख) शिल्प-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश का शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश में प्रयुक्त हुई भाषा अधिक सरल और सपाट है। सामाजिक और अलंकृत शब्दावली इसके विशेष आकर्षण हैं। लय और संगीत का पुट देकर भक्तिरस में प्रवाहित करने का कवि प्रयास प्रशंसनीय है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश के द्वारा कवि ने श्रीराम के सहज स्वभाव का चित्रण आकर्षक रूप में किया है। उनके स्वभाव को कवि ने विश्वसनीय रूप में प्रस्तुत किया है। इसके साथ ही कवि ने शबरी की भक्ति-भावना को भी कवि ने सहज ही रूप दिया है। शबरी की अनन्य भक्ति-भावना से श्रीराम की भक्तवत्सलता को छलकाना मुख्य रूप से कवि का यह प्रयास सफल कहा जा सकता है।

5. भोजन-भोजन सभी एक है,
किंतु वही है वर भोजन।
जहाँ प्रेम की धारा बहती,
और शांति का आयोजन।।

बेर-बेर मैं इन बेरों की,
शबरी करता मृदुल सराह।
और बेर मुझको दो सत्वर,
खाते-खाते बढ़ती चाह॥

इस कुटिया के द्वारा सभी में,
राज मार्ग को भूला हूँ।
गृह-सा वातावरण देखकर,
नववसंत सा फूला हूँ॥

बेर-बेर देती है शबरी,
बेर-बेर ही उनको बेर।
तो भी रघुवर बेर-बेर ही,
कहते हैं लाने को बेर॥

वह भी राघव को ला-ला कर,
खिला रही थी उन्हें हुलास ।
वन माली की सेवा करती,
पूर्ण भक्ति का पा विश्वास।

शब्दार्थ-वर-श्रेष्ठ। आयोजन-प्रबंध। मृदुल-कोमल। सराह-सराहना। सत्वर-निरंतर। चाह-इच्छा। राघव-श्रीराम।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने शबरी द्वारा श्रीराम को किस प्रकार बेर खिलायी जा रही थी, इसका चित्र इस प्रकार खींचते हुए कहा है कि

व्याख्या-यों तो भोजन तो भोजन होता है। लेकिन कौन-सा भोजन श्रेष्ठ है। इसे यों कहा जा सकता है कि जिस भोजन में प्रेम की धारा बहती है और जहाँ शांति का आयोजन होता है। वही भोजन श्रेष्ठ है। इसलिए शबरी द्वारा दी जा रही प्रेमरसीले बेरों को प्रशंसा करते श्रीराम चख रहे थे। उन्हें खाने से उनकी चाह बढ़ रही थी। वे इस प्रकार शबरी की कुटिया के द्वार के सामने सभी राजमार्ग को भूल चुके थे। उन्हें तो वहाँ का वातावरण घर के वातावरण की तरह ही नए वसंत के समान मन को छूने वाला लग रहा था। उन्हें इस प्रकार देखकर शबरी बार-बार बेर चखने के लिए दे रही थी। उधर श्रीराम उन्हें बहुत जल्दी-जल्दी चख-चखकर और बेर लाने के लिए कहने लगे थे। उनके आदेश के अनुसार शबरी उन्हें बड़े ही प्रेमपूर्वक बेर लाकर खिला रही थी। इस प्रकार वह श्रीराम के प्रति अपनी सच्ची भक्ति-भावना समर्पित कर रही थी।

विशेष

  1. श्रीराम की भक्तवत्सलता का स्पष्ट चित्रण है।
  2. भाषा-शैली वर्णनात्मक और चित्रात्मक दोनों ही है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश की भाव-धारा सहज रूप में है। श्रीराम की भक्त-वत्सलता का जहाँ निखरा हुआ रूप यहाँ प्रस्तुत हुआ है। वहीं शबरी की अनन्य और समर्पित भक्तिधारा पूरे प्रवाह में है। इस प्रकार ये दोनों चित्र मन को गदगद कर रहे हैं।

(ख) शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश का शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौंदर्य तत्सम, तद्भव और देशज शब्दों से निर्मित भाषा और भावात्मक-चित्रण शैली से मण्डित है। पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार और उपमा अलंकार के योग आकर्षक हैं। भक्ति रस से पूरा पद्यांश उमड़ रहा है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का मुख्य भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का मुख्य भाव श्रीराम की भक्तवत्सलता और शबरी की समर्पित भक्ति-भावना को प्रकट करने का है। इसे कवि ने अपनी विशेषता का परिचय देते हुए प्रस्तुत किया है। कवि की यह प्रस्तुति प्रेरक रूप में है।

6. तभी लखन से बोले भ्राता,
“लेहु बेर यह मीठा चाख ।
लो यह है उससे भी अच्छा,”
पुनः बन्यु को देते, भाख॥

दोनों ने ही सुधा समाने,
खाये बेर उदर भर के।
रामचंद्र तब शबरी से यों,
बोले मुदित बदन करके।।

“मुनियों के आश्रम होता मैं,
दण्डक वन में आया हूँ।
अमित भाँति के सत्कारों से,
मैं परितृप्त अपाया हूँ”।

किंतु आज जो तृप्ति यहाँ पर,
मुझे मिली है, हे! माता।
नयन मौन हैं, कण्ठ अलेखा,
कुछ भी कहा नहीं जाता।

देकर उसे प्रेरक बनाने का प्रयास किया है। इसके लिए कवि ने भाव और शिल्प के सौंदर्य को ऊँचाई देना उपयुक्त समझा है। हम देखते हैं कि कवि का यह प्रयास सफल और प्रभावशाली है।

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 16 साँची

In this article, we will share MP Board Class 8th Hindi Book Solutions Chapter 16 साँची Pdf, These solutions are solved subject experts from the latest edition books.

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solution Chapter 16 साँची

प्रश्न अभ्यास
अनुभव विस्तार

Class 8 Hindi Chapter 16 Mp Board प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(क) सही जोड़ी बनाइए
सुगम भारती क्लास 8 MP Board
उत्तर
(अ) 4, (ब) 1, (स) 2, (द) 3

(ख) सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(अ) साँची अपने ……………….के लिए विश्व प्रसिद्ध है। (आश्रम, बौद्ध स्तूप)
(ब) साँची ……………….जिले में स्थित है।(भोपाल, रायसेन)
(स) स्तूप क्रमांक 3 में भगवान बुद्ध के प्रमुख शिष्यों के अवशेष रखे गए थे। (दो, चार)
(द) साँची के निकट का सुविधा एक प्रमुख रेलवे स्टेशन ……………है। (इटारसी, विदिशा)
उत्तर
(अ) बौद्ध,
(ब) रायसेन
(स) दो
(द) विदिशा।

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Mp Board Class 8 Hindi Chapter 16 प्रश्न 2.
(क) साँची कहाँ पर स्थित है?
(ब) बौद्ध धर्म के प्रवर्तक कौन हैं?
(स) साँची के स्तूप का आकार किस प्रकार का है? ।
(द) बौद्ध धर्म विश्व के किन-किन देशों में प्रचलित है?
(ई) साँची क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर
(अ) साँची मध्य-प्रदेश के रायसेन जिला में स्थित है।
(ब) बौद्ध धर्म के प्रर्वत्तक महात्मा बुद्ध हैं।
(स) साँची के स्तूप का आकार गुम्बदनुमा है।
(द) बौद्ध धर्म भारत, चीन, जापान, मंगोलिया, तिब्बत, म्यांमार, कम्बोडिया आदि देशों में प्रचलित है।
(इ) साँची अपने स्तूपों, विहारों, मंदिरों और तोरणद्वारों के लिए प्रसिद्ध है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Sugam Bharti Class 8 MP Board प्रश्न 3.
(अ)
साँची के स्तूपों का मुख्य आकर्षण क्या
उत्तर
साँची के स्तूपों का मुख्य आकर्षण है कि यह एक विशाल अर्द्ध गोलाकार गुम्बद है। इसके चारों ओर अलंकृत परिक्रमा पथ है जिसमें प्रवेश के लिए चार तोरण द्वार बनाए गए हैं। ये तोरण द्वार कला और स्थापत्य के उत्कृष्ट नमूने हैं। इन पर भगवान बुद्ध के जीवन को जीवन को प्रतीक रूप में उत्कीर्ण किया गया है। इसके अलावा कई जातक कथाएँ भी उत्कीर्ण हैं।

(ब)
साँची के संग्रहालय में क्या संग्रहीत हैं?
उत्तर
संग्रहालय में अनेक पुरातत्त्व महत्त्व की वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं। जो साँची तथा इसके आस-पास के स्थानों की खुदाई में मिली हैं। यहाँ अनेक मूर्तियों तथा मंदिरों के भग्नावशेष व कलाकृतियाँ हैं। इनमें अशोक स्तंभ का सिंह चिन तथा बौद्ध भिक्षुओं द्वारा उपयोग किये जाने वाले पात्र देखते ही बनते हैं। यह साँची के उत्खनन में प्राप्त हुए हैं। संग्रहालय में साँची और उसके पास स्थित सतधारा की खुदाई और खोज के समय के कई चित्र लगे हैं। इनसे पता चलता है कि इन स्तूपों को संरक्षित रखने में कितना परिश्रम और कौशल लगा है।

(स)
स्तूप क्रमांक 1 की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर
स्तूप क्रमांक 1 विश्व प्रसिद्ध स्तूप है। इसमें प्रवेश के लिए जो चार तोरण द्वार बनाए गए हैं, वे कला और स्थापस्थ के श्रेष्ठ उदाहरण हैं। यही नहीं इसके चारों ओर अलंकृत परिक्रमा-पथ है।

(द)
साँची के इतिहास से जुड़ी प्रसिद्ध किंवदंतियाँ कौन-कौन-सी हैं?
उत्तर
साँची के इतिहास से जुड़ी प्रसिद्ध किंवदंतियाँ दो हैं

  • युवराज वसंतारा ने धर्म और दया के लिए अपना सर्वस्व दान कर दिया था।
  • भगवान बुद्ध ने अपने पूर्व जन्म में वानरराज के रूप में अपने दल की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था।

(ई)
साँची के स्तूप का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर
साँची का स्तूप विश्व प्रसिद्ध है। यह विश्व के धरोहरों में से एक है। यह अपने स्तूपों, विहारों, भंदिरों, स्तंभों तथा तोरणद्वारों के लिए प्रसिद्ध है।

भाषा की बात

Mp Board Solution Class 8 Hindi Chapter 16 प्रश्न 1.
बोलिए और लिखिएकम्बोडिया, संग्रहालय, भग्नावशेष, कलाकृतियाँ, उत्खनन,
मंजूषा।
उत्तर
कम्बोडिया, संग्रहालय, भग्नावशेष, कलाकृतियाँ, उत्खनन, मंजूषा।

Class 8 Hindi Sugam Bharti MP Board प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से सही शब्द पहचानकर खाली स्थान में लिखिए
पर्यटक, पयर्टक, परयटक ……..
मंजूसा, मंजुशा, मंजूषा ……………
विहार, बिहार, बीहार ………………
उत्कीरन, उत्कीर्ण, उतकिर्ण ………….
उत्तर-
पर्यटक, मंजूषा, विहार, उत्कीर्ण।

Hindi Sugam Bharti Class 8 Solutions MP Board प्रश्न 3.
‘सतधारा’ शब्द में ‘सत’ के साथ ‘धारा’ लगाकर नया शब्द ‘सतधारा’ बना है। इसी प्रकार ‘धारा’ लगाकर निम्नलिखित शब्दों से नए शब्द बनाइए
Hindi Class 8 Sugam Bharti MP Board
उत्तर

Mp Board Class 8th Hindi Solution

प्रमुख गणेशों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ

1. बौद्ध धर्म भारत का ही नहीं बल्कि संसार के अनेक देशों चीन, जापान, मंगोलिया, तिब्बत, नेपाल, म्यांमार, कम्बोडिया आदि का प्रमुख धर्म है। साँची का बौद्ध स्तूप विश्व धरोहरों में से एक है। बौद्धधर्म के प्रवक भगवान गौतम बुद्ध हैं। साँची प्राचीन काल में बौद्ध धर्म का प्रमुख केन्द्र था। साँची अपने स्तूपों, बिहारों, मंदिरों, स्तंभों तथा तोरणद्वारों के लिए प्रसिद्ध

शब्दार्थ
स्तूप-शिखर ।

प्रवर्तक
स्थापक। तोरणद्वारों-किसी घर या नगर का बाहरी द्वार, जिस पर सजावट की गई हो।

संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) भाग-8 के पाठ-16 ‘साँची’ से ली गई हैं।

प्रसंग – एस्तुत पंक्तियों में लेखक ने बौद्ध धर्म का महत्त्व बतलाते हुए कहा है कि

Sugam Bharti Class 8 Hindi MP Board व्याख्या
बौद्ध धर्म न केवल हमारे ही देश का एक महान और प्रमुख धर्म है, अपितु यह तो संसार के कई देशों का भी एक प्रमुख और बड़ा धर्म है। इस प्रकार के देश चीन, जापान, मंगालिया, तिब्बत, नेपाल, म्यांमार, कम्बोडिया आदि अधिक उल्लेखनीय हैं। संसार के बौद्ध स्तूपों में साँची का बौद्ध स्तूप भी बहुत प्रसिद्ध है। यह हम सभी जानते हैं कि महात्मा गौतम युद्ध ही बौद्ध धर्म के प्रर्वत्तक हैं। साँची बहुत पुराने सार से की बोद्ध धर्म में सुख बंन्द्रों में से एक था। वह अपने शिखरों, हारों, मंदिरों ओर स्तम्भों एवं तोरण द्वारा के लिए प्रसिद्ध है।

MP Board Class 10th Sanskrit निबन्ध-लेखन प्रकरण

MP Board Class 10th Sanskrit निबन्ध-लेखन प्रकरण

१. सदाचारः
(आचारः परमो धर्म:/आचारस्य महत्त्वम्)

अस्माकं भारतीया संस्कृतिः आचार-प्रधाना अस्ति। आचारः द्विविधः भवति-दुराचारः सदाचारः च। सताम् आचारः सदाचारः इत्युच्यते। सज्जनाः विद्वांसो च यथा आचरन्ति तथैव आचरणं। सदाचारो भवति। सज्जनाः स्वकीयानि इन्द्रियाणि वशे कृत्वा सर्वैः सह शिष्टतापूर्वकं व्यवहारं कुर्वन्ति। ते सत्यं वदन्ति, मातुः पितुः गुरुजनां वृद्धानां ज्येष्ठानां च आदरं कुर्वन्ति, तेषाम् आज्ञां पालयन्ति, सत्कर्मणि प्रवृत्ता भवन्ति।

Students can also download MP Board 10th Model Papers to help you to revise the complete Syllabus and score more marks in your examinations.

जनस्य समाजस्य राष्ट्रस्य च उन्नत्यै सदाचारस्य महती आवश्यकता वर्तते। सदाचारस्याभ्यासो बाल्यकालादेव भवति। सदाचारेण बुद्धिः वर्तते नरः धार्मिकः, शिष्टो, विनीतो, बुद्धिमान् च भवति। संसारे सदाचारस्यैव महत्त्वं दृश्यते। ये सदाचारिणः भवन्ति, ते एव सर्वत्र आदरं लभन्ते। यस्मिन् देशे जनाः सदाचारिणो भवन्ति तस्यैव सर्वतः उन्नतिर्भवति। अतएव महार्षिभिः “आचारः परमो धर्मः” इत्युच्यते। सदाचारी जनः परदारेषुमातृवत् परधनेषु लोष्ठवत्, सर्वभूतेषु च आत्मवत् पश्यति। सदाचारीजनस्य शीलम् एव परमं भूषणम् अस्ति। हिन्दी अनुवाद- सदाचार (आचार परम धर्म है/आचार का महत्व) हमारी भारतीय संस्कृति आचार (व्यवहार) प्रधान है। आचार दो प्रकार का होता है-दुराचार और सदाचार। सज्जनों का आचार, सदाचार’ कहा जाता है। सज्जन और विद्वान जैसा व्यवहार करते हैं वैसा ही आचरण सदाचार होता है। सज्जन अपनी इन्द्रियों को वश में करके सभी के साथ शिष्टतापूर्वक व्यवहार करते हैं। वे सत्य बोलते हैं, माता, पिता, गुरुजन, वृद्धों और बड़ों का आदर करते हैं, उनकी आज्ञा का पालन करते हैं, अच्छे कार्यों में लगते हैं। – व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की उन्नति के लिए सदाचार की बहुत आवश्यकता है। सदाचार की आदत बचपन से ही होती है। सदाचार से बुद्धि बढ़ती है, मनुष्य धार्मिक, सभ्य, नम्र और बुद्धिमान होता है। संसार में सदाचार का ही महत्व दिखाई देता है। जो सदाचारी होते हैं, वे ही सब जगह सम्मान पाते हैं। जिस देश में लोग सदाचारी होते हैं उसकी ही सब प्रकार से उन्नति होती है। इसलिए ही महर्षियों के द्वारा “आचार परम धर्म है” यह कहा गया है। सदाचारी व्यक्ति दूसरे की स्त्रियों को माता के समान, दूसरे के धन को मिट्टी के ढेले के समान और सभी प्राणियों को अपने समान देखता है। सदाचारी व्यक्ति का व्यवहार ही सबसे बड़ा आभूषण होता है।

Sanskrit Nibandh 10th Class MP Board २. महाकवि कालिदासः
(मम प्रियः कविः)

महाकविः कालिदासः मम प्रियः कविः अस्ति। सः संस्कृत भाषायाः श्रेष्ठतमः कविः अस्ति। यादृशः रस-प्रवाहः कालिदासस्य काव्येषु विद्यते तादृशः अन्यत्र नास्ति। सः कविकुलशिरोमणिः अस्ति। कालिदासेन त्राणीनाटकानि, (मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् च) द्वे महाकाव्ये (रघुवंशम् कुमारसम्भव च) द्वि गीतिकाव्ये (मेघदूतम् ऋतुसंहारम् च) च रचितानि।

कालिदासस्य लोकप्रियतायाः कारणं तस्य प्रसादगुणयुक्ता ललिता शैली अस्ति। कालिदासस्य प्रकृतिचित्रणं अतीवरम्यम् अस्ति। चरित्रचित्रणे कालिदासः अतीव पटुः अस्ति।

कालिदासः महाराजविक्रमादित्यस्य सभाकविः आसीत्। अनुमीयते यत्तस्य जन्मभूमिः उज्जीयनी आसीत्। मेघदूते उज्जयिन्याः भव्यं वर्णनं विद्यते। कालिदासस्य कृतिषु कृत्रिमतायाः अभावः अस्ति। कालिदासस्य उपमा प्रयोगः अपूर्वः अतः साधूच्यते-‘उपमा कालिदासस्य।’ हिन्दी अनुवाद- महाकवि कालिदास (मेरा प्रिय कवि) महाकवि कालिदास मेरे प्रिय कवि हैं। वह संस्कृत भाषा के श्रेष्ठतम् कवि हैं। जैसा रस का प्रवाह कालिदास के काव्यों में है वैसा दूसरे स्थान पर नहीं है। यह कवियों के कुल के शिरोमणि हैं। कालिदास ने तीन नाटक (मालविकाग्निमित्र, विक्रमोर्वशीय और अभिज्ञानशाकुन्तलम्) दो महाकाव्य (रघुवंश और कुमारसम्भव) और दो गीतिकाव्य रचे हैं। ___कालिदास की लोकप्रियता का कारण उनकी प्रसादगुण युक्त ललित शैली है। कालिदास का प्रकृति चित्रण बहुत सुन्दर है। चरित्र-चित्रण में कालिदास बहुत चतुर हैं। .. … कालिदास महाराज विक्रमादित्य के सभाकवि थे। माना जाता है कि इनकी जन्मभूमि उज्जयिनी थी। मेघदूत में उज्जयिनी का भव्य वर्णन है। कालिदास की रचनाओं में कृत्रिमता का अभाव है। कालिदास की उपमा का प्रयोग अनोखा है। इसलिए ठीक ही कहा गया है कि-“उपमा कालिदास की (सर्वश्रेष्ठ है)।”

मम प्रिय कवि कालिदास संस्कृत निबंध MP Board ३. विद्या-महिमा
(विद्याधनं सर्वधन-प्रधानम्/विद्या ददाति विनयम्/विद्या विहीनः – पशुः/विद्या सर्वस्य भूषणम्)

कस्यापि विषयस्य सम्यग् ज्ञानं यया भवति या विद्या कथ्यते।

अतः विद्यया एव मनुष्यः सत्य-असत्यं च जानाति। विद्या विनयं ददाति। पुरुषः विनयात् पात्रताम् आयाति। पात्रतया सः धनं प्राप्नोति, धनेन धर्म, धर्मेण च सुखं लभते। एतेन कारणेन सुखस्य आधारः विद्या एव अस्ति। . विद्या धनंव्यये कृते वृद्धिमायाति परन्तु संचये कृते क्षयमायाति। अतः विद्या अपूर्वं धनमस्ति। इदम् धनं चौरः हत्तुं न शक्नोति भ्राता विभाजयितुं न समर्थोऽअस्ति। विद्यावान् पुरुषः सर्वत्र उच्च स्थान प्राप्नोति। राजा केवलं स्वदेशेपूज्यते परन्तु विद्वान् सर्वत्र पूज्यते। विद्या अज्ञानस्य तिमिरं दूरीकरोति ज्ञानस्य प्रकाशं प्रसारयति च।

विद्या एव जगति मनुष्यस्य उन्नतिं करोति। विद्या एव कीर्तिं धनं च ददाति। विद्या वस्तुतः कल्पलता इव विद्यते। विदेशगमने विद्या परमसहायिका भवति। यस्य समीपे विद्या नास्ति सः नेत्रयुक्तः अपि अन्धः एव। विद्या माता इव रक्षति पिता इव हिते नियुङ्क्ते। हिन्दी अनुवाद- विद्या-महिमा (विद्या धन सभी धनों में प्रधान है/विद्या विनय देती है/विद्यो से विहीन पशु है/विद्या सभी का आभूषण है) – किसी भी विषय का उचित ज्ञान विद्या से होता है। अतः विद्या से ही मनुष्य सत्य और असत्य को जानता है। विद्या विनय देती है। पुरुष में विनय से पात्रता आती है। पात्रता से वह धन पाता है, धन से धर्म और धर्म से सुख प्राप्त करता है। इस कारण से सुख का आधार विद्या ही है। – विद्या धन व्यय करने पर वृद्धि को प्राप्त होता है किन्तु संचय करने पर कम होता जाता है। इसलिए विद्या धन अद्भुत धन है। इस धन को चोर चुरा नहीं सकता और भाई विभाजित नहीं कर सकता। विद्यावान् पुरुष सर्वत्र ऊँचा स्थान प्राप्त करता है। राजा केवल अपने देश में ही पूजा जाता है, किन्तु विद्वान् की पूजा (आदर) सर्वत्र होती है। विद्या अज्ञान के अन्धकार को दूर करती है तथा ज्ञान का प्रकाश. फैलाती है।

विद्या ही संसार में मनुष्य की उन्नति करती है। विद्या ही कीर्ति और धन देती है। विद्या वास्तव में कल्पलता के समान है। विदेश जाने पर विद्या परम सहायिका है। जिसके पास विद्या नहीं है वह आँखों वाला होता हुआ भी अन्धा ही है। विद्या माता के समान रक्षा करती है और पिता के समान हित के कार्यों में लगाती है।

मम प्रिय कवी संस्कृत निबंध MP Board ४. दीपावलिः

भारतवर्षे अनेके उत्सवाः भवन्ति। तेषु उत्सवेषु दीपावलिः एकः मुख्यः धार्मिकः उत्सवः अस्ति। दीपावलिः कार्तिकमासे कृष्णपक्षे अमावस्यायां भवति। मनुष्याः गृहाणि सुधया अङ्गनं च गोमयेन लिम्पन्ति। जनाः रात्रौ तैलैः वर्तिकाभिः च पूर्णान् दीपान् प्रज्वालयन्ति। ते धनदेव्याः लक्ष्म्याः पूजनं कुर्वन्ति। दीपैः नगरं प्रकाशितं भवति। बालाः बहुप्रकारकैः सफोटकैः मनोविनोदयन्ति। दीपावलीसमये वणिजोऽपि स्वान् आपणान् बहुविधं सज्जयन्ति। विद्युद्दीपकानां प्रकाशः आपणेषु नितरां शोभते। नानाविधानि वस्तूनि क्रयविक्रयार्थं प्रसारितानि भवन्ति। अयं कालः नात्युष्णो नाप्यतिशीतो भवति। तेन मोदन्तेऽस्मिन् महोत्सवे नराः नार्यश्च।

Anuched Lekhan In Sanskrit For Class 10 MP Board हिन्दी अनुवाद- दीपावली
भारतवर्ष में अनेकों उत्सव होते हैं। उन उत्सवों में दीपावली एक मुख्य धार्मिक उत्सव है। दीपावली कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में अमावस्या को होती है। मनुष्य घरों को सफेदी से और आँगन को गोबर से लीपते हैं। लोग रात में तेल और बत्तियों से भरे दीपकों को जलाते हैं। वे धन की देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं। दीपकों के द्वारा नगर प्रकाशित होता है। बच्चे अनेक प्रकार पटाखों से मनोरंजन करते हैं। दीपावली के समय व्यापारी भी अपनी दुकानों को अनेक प्रकार से सजाते हैं। बिजली के बल्बों की रोशनी बाजारों में बहुत शोभित होती है। अनेकों प्रकार की वस्तुएँ क्रय-विक्रय के लिए सजी होती हैं। यह समय न अधिक गर्म और न अधिक ठण्डा होता है। उससे स्त्री-पुरुष इस उत्सव में प्रसन्न होते हैं।

Sanskrit Nibandh Class 10th MP Board ५. अस्माकं देशः

भारतवर्षः अस्माकं देशः अस्ति। अस्य भूमिः विविधरत्नानां जननी अस्ति। अस्य प्राकृतिकी शोभा अनुपमा अस्ति। हिमालयः अस्य प्रहरी अस्ति। एषः उत्तरे मुकुटमणिः इव शोभते। सागरः। अस्य चरणौ प्रक्षालयति। अनेकाः पवित्रतमाः नद्यः अत्र वहन्ति। गङ्गा, गोदावरी, सरस्वती, यमुना प्रभृतयः नद्यः अस्य शोभां वर्द्धयति। अथं देशः सर्वासां विद्यानां केन्द्रम् अस्ति। अयं अनेकप्रदेशेषु विभक्त। अत्र विविधधर्मावलम्बिनः सम्प्रदायिनः जनाः निवसन्ति। अस्य संस्कृतिः धर्मपरम्परा च श्रेष्ठा अस्ति। अयं भू-स्वर्गः अपि वर्तते। ईश्वरस्य अवताराः अस्मिन् देशे सञ्जाताः। सङ्कटकाले वयं क्षुद्रभेदान् परित्यज्य देशहितं चिन्तयामः।

विशालं भूमण्डलं व्याप्य अयं देशः एशियामहाद्वीपस्य अन्यतमः राष्ट्रः सञ्जताः।
वयं सदा स्वराष्ट्रस्य रक्षां कर्तुम् उद्यताः स्याम।
कथितमस्ति-“जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।”

हिन्दी अनुवाद- हमारा देश
भारतवर्ष हमारा देश है। इसकी भूमि विभिन्न रत्नों की जननी है। इसकी प्राकृतिक शोभा अनुपम है। हिमालय इसका प्रहरी है। यह उत्तर में मुकुटमणि के समान सुशोभित होता है। सागर इसके चरणों को धोता है। अनेको पवित्र नदियाँ यहाँ बहती हैं। गंगा, गोदावरी, सरस्वती तथा यमुना नदियाँ इसकी शोभा बढ़ाती हैं। यह देश सभी विद्याओं का केन्द्र है। यह अनेक प्रदेशों में विभक्त है। यहाँ अनेक धर्मों तथा सम्प्रदाय के लोग निवास करते हैं। इसकी संस्कृति और धर्म, परम्परा श्रेष्ठ है। यह पृथ्वी का स्वर्ग भी है। ईश्वर के अवतार इसी देश में हुए। संकट के समय हम छोटी-छोटी बातों को छोड़कर देश का हित सोचें। विशाल भूमि से परिपूर्ण यह देश एशिया महाद्वीप का एक राष्ट्र हो गया है। हम सदा अपने राष्ट्र की रक्षा करने के लिए तैयार हों। कहा गया है-“जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है।”

मम प्रिय कवि In Sanskrit MP Board ६. विद्यार्थी जीवनम्

छात्रजीवनमेव मानवजीवनस्य प्रभातवेला आधारशिला च वर्तते। समस्तजीवनस्य विकासस्य हासस्य वा कारणम् एतज्जीवनमेवास्ति। वस्तुतः विद्यार्थिजीवनं साधनामयं जीवनम्। अध्ययनं परमं तप उच्यते।

छात्रजीवने परिश्रमस्य महती आवश्यकता वर्तते। यः छात्रः आलस्यं त्यक्त्वा परिश्रमेण विद्याध्ययन करोति स एव साफल्यं लभते। अतएव छात्रैः प्रातःकाले ब्रह्ममुहूर्ते एव उत्थातव्यम्। कस्मैचित् कालाय भ्रमणाये अनिवार्यम्। ततः प्रतिनिवृत्य स्नानसन्ध्योपासनादिकं विधाय अध्ययनं कर्त्तव्यम्। तदान्तरं च लघुसात्विक भोजनं दुग्ध च महीत्वा विद्यालयं गन्तव्यम्। तत्र गत्वा गुरून् नत्वा अध्ययनं कर्त्तव्यम्। छात्रैः असत्यवादं न कदापि कर्त्तव्यम्।

छात्रजीवनं पूर्णतः अनुशासनबद्धं भवति। विद्यार्थिजीवने एव समस्तानां मानवोचितगुणानां विकास भवति। छात्र एव राष्ट्रस्ययानुपमा निधिरस्ति। अतः छात्राणां शारीरिकं चारित्रिकंच विकासं अत्यन्तानिवार्यम् विद्यार्थिजीवनमेव सम्पूर्णााँमिजीवनस्य आधारशिला। अतः तेषां सम्यक् रक्षणं, पोषणम् च कर्त्तव्यम्।

हिन्दी अनुवाद- विद्यार्थी जीवन
छात्र जीवन ही मानव की प्रभातवेला और आधारशिला है। समस्त जीवन के विकास या ह्रास का कारण यही जीवन है। वास्तव में विद्यार्थी जीवन साधनामय जीवन है। अध्ययन सबसे बड़ा तप कहा गया है।

छात्र जीवन में परिश्रम की बहुत आवश्यकता है। जो छात्र आलस्य को छोड़कर परिश्रम से विद्या का अध्ययन करता है वह ही सफलता पाता है। इसलिए ही छात्रों को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त। में ही उठना चाहिए। कुछ समय के लिए घूमना भी अनिवार्य है।

वहाँ से लौटकर स्नान, सन्ध्या उपासना आदि करके अध्ययन करना चाहिए। उसके बाद थोड़ा-सा भोजन और दूध पीकर विद्यालय जाना चाहिए। वहाँ जाकर गुरुजनों को प्रणाम करके अध्ययन करना चाहिए। छात्रों को झूठ कभी नहीं बोलना चाहिए।

अत्र जीवन पूर्णरूप से अनुशासनबद्ध होता है। विद्यार्थी जीवन में ही समस्त मानवोचित गुणों का विकास होता है। छात्र ही राष्ट्र की अनुपम निधि है। इसलिए छात्रों का शारीरिक और चारित्रिक विकास अत्यन्त आवश्यक है। विद्यार्थी जीवन ही सम्पूर्ण आगे के जीवन की आधारशिला है। इसलिए उनकी अच्छी तरह से रक्षा और पोषण करना चाहिए।

Kalidas Nibandh In Sanskrit For Class 10 MP Board ७. सत्सङ्गति।

ये मनसा सद् विचारयन्ति, वचसा सद् वदन्ति वपुषा च सद् आचरन्ति ते सज्जनाः कथ्यन्ते। सतां सज्जनानां सङ्गतिः ‘सत्सङ्गतिः’ कथ्यते। ये सज्जनाः साधवः पवित्र-आत्मानाः सन्ति, तेषां संगत्या मनुष्यः, सज्जनः साधुः शिष्टश्व भवति। ये दुर्जनाः सन्ति तेषां संगत्या मनुष्यो दुर्जनो भवति, पतनं विनाशं च प्राप्नोति। मनुष्यस्योपरि सङ्गतेः महान् प्रभावो भवति। यादृशैः पुरुषैः सह सः निवसति, तादृशः एव स भवति। तथा चोक्तम्

“संसर्गजा दोषगुणा भवन्ति।”
सज्जानानां संगत्या मनुष्य उन्नतिं प्राप्नोति। तस्य विद्या कीर्तिश्च वर्धते। सङ्गत्याः प्रबलः प्रभावो वर्तते। बालकस्य कोमलं शरीरम् अपरिपक्वं च मस्तिष्कं भवति। सः यादृशैः बालकैः सह पठति, क्रीडति, गच्छति तादृशः एव जायते। अत एव विद्यायशोबलसुखवृद्धये सत्सङ्गः करणीयः।

Essay On Madhya Pradesh In Sanskrit MP Board हिन्दी अनुवाद- सत्संगति
जो मन से अच्छा सोचते हैं, वाणी से अच्छा बोलते हैं और शरीर से अच्छा आचरण करते हैं, वे सज्जन कहे जाते हैं। सज्जनों की संगति सत्संगति’ कही जाती है। जो सज्जन, साधु और पवित्र आत्मा वाले होते हैं, उनकी संगति से मनुष्य सज्जन, साधु और शिष्ट होता है। जो दुर्जन हैं उनकी संगति से मनुष्य दुर्ग होता है और उसका पतन और विनाश होता है। मनुष्य के ऊपर संगति का बड़ा प्रभाव होता है। जैसे मनुष्यों के साथ वह रहता है, वैसा ही हो जाता है। कहा गया है

“दोष और गुण साथ में रहने से होते हैं।”
सज्जनों की संगति से मनुष्य उन्नति प्राप्त करता है। उसकी विद्या और कीर्ति बढ़ती है। संगति का बहुत प्रभाव होता है। बालक का कोमल शरीर और कच्चा मस्तिष्क होता है। वह जैसे बालकों के साथ पढ़ता है, खेलता है, जाता है, वैसा ही हो जाता है। इसलिए ही विद्या, यश, बल और सुख की वृद्धि के लिए सत्संग करना चाहिए।

MP Board Class 10th Sanskrit Solutions