MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti विविध प्रश्नावली 2

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions विविध प्रश्नावली 2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(क) खान क्या काम करता था?
उत्तर-
खान हींग बेचने का काम करता था।

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(ख) मिसाइलमैन के नाम से कौन प्रसिद्ध है और क्यों?
उत्तर-
मिसाइलमैन के नाम से डॉ. अब्दुल कलाम प्रसिद्ध हैं। वे भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति हैं। उन्होंने ‘अग्नि’ मिसाइल का निर्माण किया।

(ग) सुभाषचन्द्र बोस ने माण्डले जेल से किसको पत्र लिखा था तथा उसमें किस विषय पर चर्चा की थी?
उत्तर-
सुभाषचन्द्र बोस ने माण्डले जेल से एन.सी. केलकर के नाम पत्र लिखा था। उस पत्र में सुभाषचन्द्र बोस ने चर्चा की थी कि इसी जेल में लोकमान्य तिलक ने सुप्रसिद्ध ‘गीता भाष्य’ लिखा था। यहाँ उन्हें छः वर्ष तक रखा गया। लोकमान्य तिलक ने अपने बहुमूल्य जीवन की इस अवधि में कितनी पीड़ा सहन की थी। जेल जीवन में पिछली आदतें छोड़नी पड़ती हैं तथा स्वयं को स्वस्थ और स्फूर्तिवान रखना पड़ता है।

(घ) तात्या कौन थे तथा वे किसके सहयोगी थे?
उत्तर-
तात्या सन् 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी थे और वे झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई के एक सहयोगी थे।

(ङ) हमारे प्रदेश में कौन-कौन से राष्ट्रीय उद्यान हैं?
उत्तर-
हमारे प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान निम्नलिखित हैं

  1. सबसे पहला प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान कान्हा।
  2. बान्धवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान।
  3. माधव राष्ट्रीय उद्यान, शिवपुरी।
  4. सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान, होशंगाबाद जिले का।
  5. संजय राष्ट्रीय उद्यान (हमारे प्रदेश के सीधी जिले और छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिले तक फैला हुआ है।)
  6. इन्दिरा प्रियदर्शिनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान, सिवनी।
  7. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान टाइगर रिजर्व क्षेत्र-पन्ना और छतरपुर जिलों तक फैला हुआ है।
  8. वन विहार राष्ट्रीय उद्यान-हमारे प्रदेश की राजधानी भोपाल में है।
  9. ‘जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान’ जिला मण्डला। इसमें वनस्पति जीवाश्मों को संरक्षित किया गया है।

(च) गौरैया के विषय में पाँच वाक्य लिखिए।
उत्तर-

  1. गौरैया कच्ची मिट्टी की दीवारों के ऊपर डाले गये छप्परों में घास और पत्तों से अपना घोंसला बनाती है।
  2. उसकी आँखें अति सुन्दर और नीलम मणि के समान होती हैं।
  3. गौरैया अति फुर्तीली गति से इधर-उधर फुदकती रहती
  4. कभी मटके की गरदन पर, तो कभी अरगनी पर चहचहाती हुई चंचल गति से इधर-उधर चहकती फिरती है।
  5. गैरैया सर-सर करती हवा में तैरती हुई उठती जल की लहरों के पानी से अपनी प्यास बुझाती है।

(छ) नींव का पत्थर कौन है तथा क्यों?
उत्तर-
नींव का पत्थर मुन्दर है जो महारानी लक्ष्मीबाई की सहेली है। उसने स्वराज्य की स्थापना की भूमि तैयार करने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी।

प्रश्न 2.
किसने किससे कहा
(क) ऐसी बात मत कहो अम्माँ, बेटे को भी क्या कभी माँ से डर हुआ है?
(ख) आज हमें स्वामिभक्त से ज्यादा देशभक्तों की आवश्यकता है।
(ग) स्वराज्य की लड़ाई स्वराज्य मिलने पर ही शान्त हो सकती है।
(घ) राष्ट्रीय उद्यान कौन बनाता है? दीदी।
उत्तर-
(क) हींगवाला खान ने सावित्री से कहा।
(ख) लक्ष्मीबाई ने तांत्या से कहा।
(ग) महारानी लक्ष्मीबाई ने अपने सरदार रामचन्द्र से कहा।
(घ) हरमिन्दर नामक छात्र ने अपनी शिक्षिका श्रीमती सन्ध्या से कहा।

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) सफेद बाघ ………………………………… राष्ट्रीय उद्यान में हैं।
(ख) सबसे तेज दौड़ने वाला प्राणी ………………………………… हमारे देश से पूरी तरह विलुप्त हो गया है।
(ग) डॉ. कलाम फुर्सत के क्षणों में …………………………………” बजाते थे।
(घ) मेरे मटमैले आँगन में …………………………………” गौरैया।
उत्तर-
(क) बान्धवगढ़,
(ख) चीता,
(ग) रुद्रवीणा,
(घ) फुदक रही।

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प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए
(क) पैसों के लिए विदेश नहीं जाऊँगा, भविष्य सँवारने के मोह में देश-सेवा का अवसर हाथ से जाने नहीं दूंगा।
(ख) जो कुछ करना है, उठो ! करो जुट जाओ। जीवन का कोई क्षण, मत व्यर्थ गँवाओ।।
(ग) मोहन-मुख रिस की ये बातें, जसुमति सुन-सुन रीझै।
(घ) मैंने अपना नीड़ बनाया, तिनके-तिनके चुन-चुन।
(ङ) हमारे युवकों को सपने देखने ही चाहिए। सपनों को विचारों में बदलना चाहिए।
उत्तर-
(क) डॉ. अब्दुल कलाम ने देशसेवा के लिए अपने आदर्श को स्पष्ट करते हुए कहा कि वे धन प्राप्त करने की इच्छा से विदेश जाना पसन्द नहीं करते हैं। इस तरह धन एकत्र करना ही भविष्य सँवारना नहीं हो सकता; वह तो एक मोह मात्र ही है। अतः देश की सेवा करने का जो मुझे अवसर प्राप्त हुआ है, उसे मैं अपने हाथ से निकलने नहीं दूंगा।
(ख) जो भी कुछ करना है, उसे तुरन्त कर डालने के लिए संगठित रूप में उठ बैठो और अपने जीवन का कोई भी क्षण व्यर्थ मत गँवाओ। समय बहुत मूल्यवान होता है।
(ग) बालक कृष्ण के मुख से क्रोध भरी इन सभी बातों को सुन-सुनकर माता यशोदा बहुत प्रसन्न होती हैं।
(घ) कवि कहता है कि मैंने भी एक-एक तिनका चुन-चुनकर अपना घोंसला उसी प्रकार बनाया है, जिस प्रकार इस गौरैया ने दीवार के छप्पर में।
(ङ) डॉ. कलाम कहते हैं कि हमारे देश के युवकों को सपने देखने चाहिए। ये सपने वे कल्पनाएँ हैं जिन्हें विचारों का रूप देना है और उन विचारों के अनुसार कार्य करना चाहिए।

प्रश्न 5.
वाक्यों में प्रयोग कीजिए

(क) मुहावरे नींद खुलना, नाक कटना, आँख का तारा, नौ दो ग्यारह होना, श्रीगणेश करना, प्राण मुरझा जाना।
उत्तर –
प्रयोग-

  1. मोहन की नींद अब तो खुल जानी चाहिए, क्योंकि उस की असफलता का कारण उसकी लापरवाही
  2. रामसरन एक इज्जतदार वकील है; उसके लड़के आवारा बन चुके हैं। उनके कारनामों से तो वकील साहब की नाक ही कट गयी है।
  3. आशीष इकलौता पुत्र होने से अपने माँ-बाप की आँखों का तारा है।
  4. सिपाही को आते देख, सड़क पर इकट्ठी भीड़ के लोग नौ दो ग्यारह होने लगे।
  5. हम चाहते हैं कि अपने व्यवसाय का श्रीगणेश अब कर देना चाहिए।
  6. अपनी परीक्षा का परिणाम अच्छा न होने से रवीन्द्र के प्राण मुरझा गये।

(ख) शब्द अन्वेषक, दुश्मन, तलवार, अधिकार, वीरगति, शहीद, वैज्ञानिक।
उत्तर-

  1. विज्ञान के क्षेत्र में अन्वेषक अन्वेषण कर रहे
  2. हमारे देश की सीमाओं पर दुश्मन की गतिविधियाँ देश में अस्थिरता पैदा कर रही हैं।
  3. महाराणा प्रताप की तलवार सूरज की किरणों की भाँति दमकती थी।
  4. हमें अपने अधिकार के साथ-साथ अपने कर्त्तव्य का भी ध्यान रखना चाहिए।
  5. कारगिल युद्ध में भारतीय फौज के अनेक वीर सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की।
  6. देश की आजादी की रक्षा में हुए शहीद सदैव स्मरण किये जायेंगे।
  7. भारतीय वैज्ञानिकों ने उच्चकोटि की खोजें की हैं।

प्रश्न 6.
दिए गये विकल्पों में से सही विकल्प पर (1) (सही) का निशान लगाइए
(क) ‘गुरु-शिष्य’ में समास है
(1) अव्ययीभाव,
(2) बहुब्रीहि,
(3) द्वन्द्व।
उत्तर-
(3) द्वन्द्व,

(ख) ‘समाज’ में ‘इक’ प्रत्यय लगने पर शब्द बनता है
(1) समाजिक,
(2) सामाजिक,
(3) समाजइक।
उत्तर-
(2) सामाजिक,

(ग) ‘परिधान’ शब्द में उपसर्ग है
(1) प,
(2) पर,
(3) परि।
उत्तर-
(3) परि,

(घ) ‘नदी’ शब्द का पर्यायवाची है
(1) सरिता,
(2) गंगा,
(3) आकाश।
उत्तर-
(1) सरिता,

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(ङ) जिस समास में एक पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है, उसका नाम है-
(1) द्विगु,
(2) कर्मधारय,
(3) द्वन्द्व।
उत्तर-
(2) कर्मधारय,

(च) निम्नांकित में से अनुप्रास अलंकार का उदाहरण
(1) मैया, मोहि दाऊ बहुत खिझायो।
(2) दाऊ कबहु न खीझै।
(3) बैठे जाइ मथनिया के ढिंग।
उत्तर-
(1) मैया, मोहि दाऊ बहुत खिझायो,

(छ) आग का तत्सम शब्द है।
(1) अगनी,
(2) अग्नि,
(3) अगन।
उत्तर-
(छ) (2) अग्नि,

(ज) ‘दूध’ का तत्सम शब्द है।
(1) दूध,
(2) दुगध,
(3) दुग्ध।
उत्तर-
(3) दुग्ध।

प्रश्न 7.
(क) निम्नांकित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए

  1. प्रछेपण,
  2. किर्तिमान,
  3. भास्यकार,
  4. सान्तवना,
  5. विस्रान्ती,
  6. साम्प्रदयिक,
  7. विस्वविख्यात
  8. स्वराज।

उत्तर-

  1. प्रक्षेपण,
  2. कीर्तिमान,
  3. भाष्यकार,
  4. सान्त्वना,
  5. विश्रान्ति,
  6. साम्प्रदायिक,
  7. विश्वविख्यात,
  8. स्वराज्य।

(ख) निम्नांकित शब्दों में भेद समझाते हुए एक-एक वाक्य बनाइएपिता-पीता, सुना-सूना, हंस-हँस।
उत्तर-

  1. पिता-पीता पिता ने पुत्र को विद्यालय भेजा। वह रात को दूध पीता था।
  2. सुना-सूना हमने सुना कि वे सूने घर में घुस आये थे।
  3. हंस-हँस उसकी हंस जैसी चाल देखकर हम सब हँस दिये।

प्रश्न 8.
‘अनु’ तथा ‘आ’ उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए
(क) सरण, शासन, करण, चर, क्रम, रूप, गमन।
(ख) रक्षण, गमन, कर्षण, जन्म, चरण, जीवन, रोहण, मरण।
उत्तर-
(क) अनुसरण, अनुशासन, अनुकरण, अनुचर, अनुक्रम, अनुरूप, अनुगमन।
(ख) आरक्षण, आगमन, आकर्षण, आजन्म, आचरण, आजीवन, आरोहण, आमरण।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित वाक्यों में कारक चिह्न की पहचान कर लिखिए कि वह किस कारक का वाक्य है
(क) मध्यप्रदेश देश का अग्रणी प्रान्त है।
(ख) अब्दुल कलाम के लिए दो रास्ते थे।
(ग) राष्ट्रीय उद्यान में खेती करना मना होता है।
(घ) लोकमान्य तिलक ने गीता भाष्य ग्रन्थ का प्रणयन किया।
उत्तर-
(क) सम्बन्ध कारक का,
(ख) सम्प्रदान कारक का।
(ग) अधिकरण कारक का,
(घ) कर्त्ताकारक व सम्बन्ध कारक का।

प्रश्न 10.
नीचे कुछ अनुच्छेद दिए गए हैं, उनमें विराम चिन्ह नहीं हैं। इनमें यथास्थान विराम चिन्ह लगाकर पुनः लिखिए
(क) मेरे देखते-देखते क्या से क्या हो गया जूही झाँसी कालपी ग्वालियर कहाँ से कहाँ पहुँच गई।
(ख) जब खान ने हींग तौलकर पुड़िया बनाकर सावित्री के सामने रख दी तब सब से छोटे बच्चे ने पुड़िया उठाकर खान के पास फेंकते हुए कहा ले जाओ हमें नहीं लेना है चलो माँ भीतर चलो।
(ग) बान्धवगढ़ उमरिया जिले में स्थित है उमरिया के अलावा रीवा, शहडोल, जबलपुर और कटनी नगरों से भी यहाँ के लिए बसें मिलती हैं।
उत्तर-
(क) मेरे देखते-देखते, क्या से क्या हो गया जूही? झाँसी, कालपी, ग्वालियर कहाँ से कहाँ पहुँच गई?
(ख) जब खान ने हींग तौलकर, पुड़िया बनाकर सावित्री के सामने रख दी, तब सबसे छोटे बच्चे ने पुड़िया उठाकर खान के पास फेंकते हुए कहा, “ले जाओ, हमें नहीं लेना है।” चलो, माँ भीतर चलो।
(ग) बान्धवगढ़ उमरिया जिले में स्थित है। उमरिया के अलावा रीवा, शहडोल, जबलपुर और कटनी नगरों से भी यहाँ के लिए बसें मिलती हैं।

प्रश्न 11.
आगे दी गई वर्ग पहली में मुहावरे छिपे हैं, उन्हें ढूँढ़िए तथा लिखिए
उत्तर-

  • खून पसीना एक करना,
  • अन्धे की लाठी,
  • चल बसना,
  • आँखें खुलना,
  • कान भरना,
  • नाक में दम करना,
  • आँखें बिछाना,
  • मुँह की खाना,
  • जहर उगलना,
  • मुँह छिपाना,
  • नाक कट जाना,
  • भौं चढ़ाना।

प्रश्न 12.
सही जोड़ी मिलाइए।
(क) जिसके आने की तिथि मालूम न हो। – (1) लम्बोदर (गणेश)
(ख) जिसके दस आनन हैं। – (2) साक्षर
(ग) जो बहुत बोलता है। – (3) संगीतज्ञ
(घ) जो पढ़ना-लिखना जानता है। – (4) अतिथि
(ङ) जो संगीत जानता है। – (5) वाचाल
(च) जिसका उदर लम्बा है। – (6) दशानन (रावण)
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उत्तर-
(क) → 4,
(ख) → 6,
(ग) → 5,
(घ) → 2,
(ङ) → 3,
(च) → 1

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प्रश्न 13.
अपने शब्दों में लिखिए
(क) क्या संघर्ष करने से सफलता मिलती है?
उत्तर-
हाँ, संघर्ष करने से सफलता अवश्य मिलती है।

(ख) डॉ. अब्दुल कलाम का जीवन आपको क्या प्रेरणा देता है?
उत्तर-
अपने विचारों को क्रिया में बदलने, आशावान बनने, वचनबद्धता का गुण विकसित करने की प्रेरणा मिलती है।

(ग) आपने कोई दर्शनीय स्थान तो अवश्य देखा होगा, उस रोचक यात्रा का वर्णन लिखिए।
उत्तर-
‘निबन्ध’ शीर्षक में ‘दर्शनीय स्थल की मेरी रोचक । यात्रा’ को देखें।

(घ) आपको कौन-सी कविता अच्छी लगती है, कारण सहित लिखिए।
उत्तर-
मुझे ‘गौरैया’ कविता अच्छी लगती है। इसकी भाषा सरल, सरस और समझ में आने वाली है। प्रकृति का चित्रण सरल भाषा शैली में किया गया है। कवि ने अन्त में अपने दार्शनिक दृष्टिकोण को भी स्पष्ट कर दिया है।

प्रश्न 14.
100 शब्दों में निबन्ध लिखिए-
(क) मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान।
(ख) विज्ञान और जीवन।
उत्तर-
(क) ‘मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान’ तथा
(ख) ‘विज्ञान और जीवन’ को ‘निबन्ध’ अध्याय के अन्तर्गत देखें।

प्रश्न 15.
अपने विद्यालय के प्रधान अध्यापक को मामा की शादी में जाने हेतु अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर-
‘प्रार्थना-पत्र’ अध्याय में में देखिए।

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MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.3

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.3

Question 1.
Find the number of lines of symmetry in each of the following shapes. How will you check your answers?
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Solution:
(a) Number of lines of symmetry = 4.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.3 2

(b) Number of lines of symmetry = 1.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.3 3

(c) Number of lines of symmetry = 2.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.3 4

(d) Number of lines of symmetry = 2.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.3 5

(e) Number of lines of symmetry = 1.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.3 6

(f) Number of lines of symmetry = 2.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.3 7

Question 2.
Copy the following drawing on squared paper. Complete each one of them such that the resulting figure has two dotted lines as two lines of symmetry.
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Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.3 9

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Question 3.
In each figure alongside, a letter of the alphabet is shown along with a vertical line. Take the mirror image of the letter in the given line. Find which letters look the same after reflection (i.e. which letters look the same in the image) and which do not. Can you guess why?
Try for O E M N P H L T S V X
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.3 10
Solution:
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Letters which look the same after reflection are A, O, M, H, T, V, X and which do not look the same after reflection are B, E, N, P, L, S.

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MP Board Class 8th Special Hindi निबन्ध लेखन

MP Board Class 8th Special Hindi निबन्ध लेखन

1. विज्ञान के चमत्कार

रूपरेखा

  • प्रस्तावना
  • विज्ञान के आविष्कार
  • विज्ञान से लाभ-हानि
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
आकाश में चमकने वाली बिजली, चमचमाता हुआ सूर्य तथा तारों का टिमटिमाना, बर्फीली पर्वत शृंखलाएँ इत्यादि को देखकर मानव मन में इन्हें जानने एवं समझने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है। यही जिज्ञासा विज्ञान को जन्म देती है।

2. विज्ञान के आविष्कार-
आज विज्ञान के बल पर व्यक्ति चन्द्रमा पर पहुँच चुका है, समुद्र की गहराइयों को नाप चुका है, हिमालय की चोटी पर पहुँच चुका है। आज वैज्ञानिक खोजों ने व्यक्ति के जीवन में अभूतपूर्व चमत्कार ला दिया है। जो यात्रा पहले हम महीनों-सालों में पूर्ण करते थे, वही अब घण्टों में पूर्ण हो जाती है। आज हमारे पास यात्रा के लिए रेलगाड़ी, बसें तथा हवाई जहाज उपलब्ध हैं। इनसे हमारे समय की बचत हुई है तथा यात्रा सुगम एवं आरामदायक हो गयी है। विज्ञान ने लंगड़े को पैर एवं अन्धों को आँखें प्रदान की हैं। विभिन्न प्रकार की मशीनों का आविष्कार करके भूखों को रोटी दी है।

आज टेलीफोन से हम हजारों मील दूर बैठे हुए व्यक्ति से आसानी से बातचीत कर सकते हैं। टेलीविजन द्वारा पर्वतों एवं देश-विदेश के विभिन्न दृश्यों का अवलोकन करते हैं। ज्ञानवर्द्धक प्रोग्राम देखकर हम अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं। आज चन्द्रमा के दृश्य एवं ध्वनियाँ पृथ्वी पर लायी जा चुकी हैं। अन्य नक्षत्रों से भी सम्बन्ध स्थापित हो चुका है। बिजली के आविष्कार ने मानव को बहुत-सी सुविधाएँ प्रदान की हैं। जैसे-ए. सी. से गर्मियों में भी सर्दियों जैसी ठण्डक मिल जाती है, वाशिंग मशीन से बिना श्रम के मिनटों में कपड़े धुल जाते हैं, रूम हीटर से सर्दियों में कमरा गर्म हो जाता है, बड़े-बड़े कारखाने भी इसी बिजली से चलते हैं। विभिन्न प्रकार की औषधियों की खोज करके अनेक असाध्य बीमारियों का इलाज सम्भव हो गया है। शल्य चिकित्सा से ऑपरेशन करने में मदद मिली है। प्लास्टिक सर्जरी से व्यक्ति को सुन्दरता प्रदान की जा सकती है।

छापेखानों से हजारों पुस्तके छपकर निकलती हैं जो हमें विभिन्न प्रकार का ज्ञान प्रदान करती हैं। विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री एवं वस्त्र कारखानों द्वारा उत्पादित किए जा रहे हैं। कृषि क्षेत्र में विभिन्न रासायनिक खादों ने पैदावार में वृद्धि की है तथा खेती करने के अनेक नये तरीके विज्ञान ने ईजाद किए हैं। अब बैलों एवं हल से खेत न जोतकर, ट्रैक्टर से जोते जाते हैं। कीटनाशक औषधियाँ भी खेत की रक्षा करने बहुत लाभप्रद सिद्ध हुई हैं। परमाणु शक्ति की खोज से इस धरा पर स्वर्गीय सुख लाया जा सकता है; उसका प्रयोग सृजन के लिए किया जाए। यदि विध्वंस के लिए किया जाएगा तो महाविनाश का कारण बन जाएगा। मिसाइलों, टैंकों, लड़ाकू विमान तथा हाइड्रोजन बमों ने दुनिया को विनाश के तट पर लाकर खड़ा कर दिया है।

3. विज्ञान से हानि-
लाभ-विज्ञान से उद्योग-धन्धों में विकास हुआ है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। यातायात के साधनों से दूरियाँ समाप्त हो गयी हैं। नवीन औषधियों ने मानव को दीर्घ जीवन प्रदान किया है। मनोरंजन के विभिन्न साधनों ने मानव को नवीन उत्साह एवं उमंग प्रदान करके उनके जीवन में व्याप्त नीरसता को समाप्त किया है।

विज्ञान ने दूसरी ओर व्यक्ति को अकर्मण्य बना दिया है। मशीनों के निर्माण ने बेरोजगारी की समस्या को उत्पन्न कर दिया है। विस्फोटक पदार्थों एवं कल-कारखानों ने वायु को प्रदूषित कर दिया है। मनुष्य अधिक स्वार्थी हो गया है तथा वह आलसी होकर अकर्मण्य हो गया है। वह तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर धन प्राप्ति के लिए छटपटा रहा है।

4. उपसंहार-
विज्ञान मानव के लिए महान् वरदान सिद्ध हो सकता है यदि हम उसका सृजनात्मक कार्यों के लिए प्रयोग करें। भगवान् हमें सद्बुद्धि दे कि हम विज्ञान के आविष्कारों का प्रयोग मानव के हित के लिए करें। तभी विश्व के कण-कण से सुख-शान्ति एवं मंगल की ऐसी धारा प्रवाहित होगी, जिसमें स्नान करके सम्पूर्ण मानव जाति सुख-चैन तथा सन्तोष का अनुभव करेगी।

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2. कोई महापुरुष (महात्मा गाँधी) 

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • जीवन परिचय
  • बैरिस्टरी पास करने का निर्णय
  • दक्षिण अफ्रीका में जाना
  • नेटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना
  • राजनीति में प्रवेश
  • जनता का आन्दोलन
  • दूसरा विश्व युद्ध
  • भयानक उपद्रव
  • गाँधी जी के चारित्रिक गुण
  • कुशल लेखक
  • मृत्यु,
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
पृथ्वी पर जब अनाचार, अत्याचार एवं अन्याय का दौर प्रारम्भ होता है तब पृथ्वी के भार को हल्का करने
के लिए एवं मानव कल्याण के लिए महापुरुषों का आविर्भाव होता है। बीसीं शताब्दी में जिन महापुरुषों ने भारत के गौरव में चार चाँद लगाए: उनमें महात्मा गाँधी एवं रवीन्द्रनाथ ठाकुर के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। राजनीति के क्षेत्र में ही नहीं अपितु नैतिक एवं धार्मिक क्षेत्र में भी गाँधी जी की अपूर्व देन है।

2. जीवन परिचय-
महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। इनके पिता करमचन्द थे। इनकी जाति गाँधी थी। इन्होंने अपनी बचपन की आँखें 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबन्दर में खोली थीं। शुरू की शिक्षा-दीक्षा पोरबन्दर में ही ग्रहण की। गाँधी जी की माता बहुत ही साधु स्वभाव 1 की धर्मपरायण महिला थीं जिसका गाँधी जी के जीवन पर । व्यापक प्रभाव पड़ा। इनके पिता राजकोट रियासत के दीवान । पद पर प्रतिष्ठित थे। पिता की यह इच्छा थी कि उनका पुत्र ! पढ़-लिखकर एक योग्य व्यक्ति बने।

3.बैरिस्टरी पास करने का निर्णय-
उन दिनों में बैरिस्टरी पास करके वकालत करना एक उत्तम व्यवसाय माना जाता था। माता पुत्र को विदेश में भेजने के पक्ष में नहीं थी। गाँधी जी ने माता से आज्ञा लेने के लिए प्रतिज्ञा ली, “विदेश में शराब, माँस
और अनाचार से दूर रहूँगा।” गाँधी जी ने इस प्रतिज्ञा का अक्षरश: पालन किया। वकालत का व्यवसाय प्रारम्भ-इंग्लैण्ड से बैरिस्टर की उपाधि ग्रहण करके गाँधी जी ने भारत भूमि पर पदार्पण किया तथा वकालत का व्यवसाय करना प्रारम्भ कर दिया। इस पेशे में झूठ बोले बिना काम नहीं चल सकता, गाँधी जी सत्य पथ के राही थे अत: इस पेशे में वह असफल ही सिद्ध हुए।

4. दक्षिणी अफ्रीका में जाना-
एक बार गाँधी जी को । एक मुकदमे की पैरवी की वजह से दक्षिणी अफ्रीका जाना पड़ा। दक्षिणी अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के साथ बहुत – ही अमानवीय व्यवहार किया जाता था। वे उस बुरे व्यवहार
को कर्मगति समझकर सहन कर लेते थे। एक बार गाँधी जी से अदालत में पगड़ी उतारने को कहा। गाँधी जी ने अदालत से बाहर आना स्वीकार किया परन्तु पगड़ी को सिर से नहीं उतारा।

5. नेटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना-
गाँधी जी ने 1894 में इण्डियन नेटाल कांग्रेस की स्थापना की। इस संस्था ने भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। देशवासियों को दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों की दुर्दशा से अवगत कराया। दक्षिण अफ्रीका में रहकर गाँधी जी ने सत्याग्रह एवं असहयोग की नवीन नीति से सरकार का विरोध करना प्रारम्भ कर दिया। गाँधी जी तथा जनरल स्मट्स में समझौते के आधार पर भारतीयों को बहुत से अधिकार मिले। इससे उनके मन-मानस में आशा का संचार हुआ।

6. राजनीति में प्रवेश-
सन् 1915 में गाँधी जी ने भारत की राजनीति में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया। भारत को स्वतन्त्र कराने के लिए उन्होंने सत्य एवं अहिंसा को अस्त्र-शस्त्र के रूप में प्रयोग किया। इसी मध्य चौरी-चौरा नामक गाँव में सत्याग्रह के मध्य हिंसक घटना घटित हो गई। अहिंसा के उपासक गाँधी जी ने सत्याग्रह को तब तक के लिए स्थगित कर दिया जब तक अहिंसा का अनुपालन न हो। 1930 में पुनः सत्याग्रह प्रारम्भ हुआ जिससे गोरी सरकार को गाँधी जी के समक्ष घुटने टेकने पड़े। लन्दन में समझौते के निमित्त एक गोलमेज सभा आमन्त्रित की गई किन्तु यह व्यर्थ प्रमाणित हुई। गाँधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया। ..

7. जनता का आन्दोलन-
गाँधी जी ने आजादी के आन्दोलन को जनता के आन्दोलन का रूप दे दिया। उनके नेतृत्व में मजदूर एवं कृषक स्वाधीनता के संघर्ष में भाग लेने के लिए सहर्ष तैयार हो गए। अंग्रेजों ने अपनी कूटनीति से अछूतों को चुनाव से अलग कर दिया। गाँधी जी का सन् 1930 से 1939 तक का समय रचनात्मक कार्यों में व्यतीत हुआ।

8. दूसरा विश्व युद्ध-
सन् 1939 में दूसरा विश्व युद्ध छिड़ गया। गाँधी जी ने प्रथम विश्व युद्ध में कुछ आशा लेकर अंग्रेजों की भरपूर सहायता की लेकिन युद्ध के बाद अंग्रेजों का भारतीयों के प्रति रुख और भी कठोर हो गया। इसी हेत द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों की तब तक सहायता न करने की ठान ली जब तक वे अपने बोरी-बिस्तर बाँधकर देश को आजाद नहीं कर देते।

9. भयानक उपद्रव-
देश के बँटवारे के फलस्वरूप भयानक उपद्रव हुए। हिंसा तथा मारकाट का दौर चला। गाँधी जी ने शान्ति स्थापना का भरसक प्रयास किया। दंगा रोकने के लिए आमरण अनशन का व्रत लिया।

10. गाँधी जी के चारित्रिक गुण-
गाँधी जी का मनोबल असाधारण था। वे प्राणों की कीमत पर भी सत्य की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। वे सत्य तथा अहिंसा के पुजारी थे। वे व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ राजनीति में भी सत्य एवं अहिंसा के प्रयोग के प्रबल समर्थक थे। वे जीवन एवं राजनीति को जुड़ा हुआ स्वीकारते थे। राजनीति के अलावा गाँधी जी ने देशवासियों का सभी क्षेत्रों में मार्गदर्शन किया। कंगाल एवं रोगियों की सेवा में उनका अधिकांश समय व्यतीत होता था।

11. कुशल लेखक-
गाँधी जी एक कुशल लेखक भी थे। उन्होंने ‘हरिजन एवं हरिजन सेवक’ नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया। ‘यंग इण्डिया’ नामक पत्र भी निकाला। 12. मृत्यु-साम्प्रदायिकता मानव को विकारग्रस्त कर देती है। ऐसे ही एक विकृत नाथूराम विनायक गोडसे ने 30 जनवरी, सन् 1948 की शाम को प्रार्थना सभा में आते ही गाँधी जी पर गोलियाँ चला दी। हत्यारे को हाथ जोड़कर नमस्ते करते हुए गाँधी पंच’ – में विलीन हो गए।

13. उपसंहार-
महात्मा गाँधी युगपुरुष थे। धर्म, नैतिकता, राजनीति एवं आध्यात्मिकता के क्षेत्र में उनकी देनों
को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। गाँधी जी ने अन्धकार में भटकते हुए भारतीयों को प्रकाश के दर्शन कराए। सत्य एवं अहिंसा का एक ऐसा अमोघ अस्त्र उन्होंने समस्त विश्व को प्रदान किया जिसकी आज के हिंसा एवं मारकाट के दौर से गुजर रहे विश्व को महान् आवश्यकता है।महादेवी वर्मा की गाँधी जी के प्रति कही गई निम्नलिखित पंक्तियाँ देखिए

“हे धरा के अमर सुत ! तुमको अशेष प्रणाम।
जीवन के सहस्त्र प्रणाम, मानव के अनन्त प्रणाम।।”

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3. पुस्तकालय का महत्व

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना,
  • पुस्तकालय से अभिप्राय
  • भारत में पुस्तकालयों की परम्परा
  • पुस्तकालयों के प्रकार
  • पुस्तकालय से लाभ
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
मानव स्वभाव से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है। बाल्यावस्था से ही उसकी यह प्रवृत्ति हमें देखने को मिलती है। उदाहरणस्वरूप बच्चा किसी भी खिलौने को लेता है, तो उसे तोड़कर यह जानना चाहता है कि इसके अन्दर क्या छिपा है ? यह कैसे बनाया गया है ? हर व्यक्ति की इतनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं होती कि वह अपनी ज्ञान पिपासा शान्त करने के लिए मनचाही पुस्तक ले सके। पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है, जहाँ पहुँचकर व्यक्ति अपनी ज्ञान-पिपासा को विभिन्न पुस्तकें पढ़कर शान्त कर सकता है।

2. पुस्तकालय से अभिप्राय-
जहाँ पुस्तकों को विषयानुसार सुव्यवस्थित ढंग से रखा जाता है। उस स्थान को पुस्तकालय कहते हैं। यहाँ पाठकों के पढ़ने के लिए बैठने की अच्छी व्यवस्था होती है।

3. भारत में पुस्तकालयों की परम्परा-
भारत का इतिहास इस बात का साक्षी है कि पुस्तकालय भारत में प्राचीन समय से चले आ रहे हैं। तक्षशिला और नालन्दा विश्वविद्यालयों में उच्चकोटि के शासकों ने भी कई उच्चस्तरीय पुस्तकालयों की स्थापना की।

4. पुस्तकालयों के प्रकार-
पुस्तकालय अनेक प्रकार के होते हैं। कुछ पुस्तकालय स्कूल व कॉलेजों में  होते हैं, जहाँ विद्यार्थियों को उपयोगी पुस्तकें तथा अन्य पुस्तकें भी उपलब्ध होती हैं। दूसरे प्रकार के पुस्तकालय निजी पुस्तकालय होते हैं, जहाँ व्यक्ति अपनी रुचि के अनुकूल पुस्तकें इकट्ठी करता है। विदेशों में अपेक्षाकृत हमारे देश से अधिक निजी पुस्तकालय हैं। तीसरी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक पुस्तकालय हैं।

इनमें पुस्तकें अधिक संख्या में रहती हैं। इनकी संख्या अधिक है। इसके साथ ही वाचनालय होते हैं जहाँ छात्रोपयोगी पुस्तकें संग्रहीत रहती हैं। यहाँ विदेशी उच्चस्तरीय पत्र-पत्रिकाएँ भी उपलब्ध रहती हैं। एक निश्चित धनराशि देकर इसका सदस्य बना जा सकता है एवं इससे लाभ ग्रहण किया जा सकता है। ये पुस्तकालय सामाजिक संस्थाओं और शासन द्वारा चलाये जाते

5. पुस्तकालय से लाभ-
मानव मस्तिष्क की भूख मिटाने के लिए पुस्तकें ही भोजन का कार्य करती हैं। पुस्तकें ही हमें इतिहास, धर्म, समाज एवं दर्शन इत्यादि का ज्ञान कराती हैं। पुस्तकालय से हमें अतीतकाल एवं वर्तमान काल का ज्ञान मिलता है तथा भविष्य में उन्नति के शिखर पर पहुँचने का मार्ग भी प्रशस्त होता है। खाली दिमाग शैतान का घर होता है। इससे बचने के लिए पुस्तकालय ही सर्वश्रेष्ठ मनोरंजन का साधन है।

6. उपसंहार-
पुस्तकालय का देश के विकास एवं समृद्धि में बहुत बड़ा योगदान होता है। इसलिए इमें पुस्तकालय एवं पुस्तकों की तन-मन-धन से रक्षा करना चाहिए। पुस्तकालय ज्ञान का उद्गम स्रोत है। यह एक ज्ञान रूपी मन्दिर है, जहाँ पहुँचकर व्यक्ति को निर्मल ज्ञान की प्राप्ति होती है। पुस्तकालय एक ऐसी ज्ञान की गंगा है, जिसमें अवगाहन करके व्यक्ति का हृदय निर्मल एवं बुद्धि विकसित होती है।

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4. किसी मेले का वर्णन

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • भारत मेला प्रधान देश
  • मेला जाने का प्रस्ताव पारित
  • मेले में पहुँचना
  • घाट तथा मन्दिरों का मनोहारी दृश्य
  • मेले की चहल-पहल
  • एक आयोजन
  • मेले की व्यवस्था
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
विश्व के हर देश में मेलों का आर्योजन किया जाता रहा है। मेला मनुष्य को शारीरिक एवं मानसिक थकान को मिटाकर एक नवीन उत्साह एवं आनन्द प्रदान करता है। हजारों की संख्या में लोग यहाँ एकत्रित होते हैं। इसलिए यह एक-दूसरे से मिलने एवं पारस्परिक स्नेह एवं सौहार्द्र प्रकट करने का अति उत्तम स्थल है।

2. भारत मेला प्रधान देश-
भारत एक धर्म प्रधान देश है। यहाँ विभिन्न तीर्थ स्थलों पर समय-समय पर मेलों का आयोजन होता रहता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् राष्ट्रीय मेले भी लगने लगे हैं। त्यौहारों पर भी मेले लगते रहते हैं।

3. मेला जाने का प्रस्ताव पारित-
यमुना के किनारे आगरा से करीब तीस मील दूर बटेश्वर है। यहाँ हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को बहुत बड़ा मेला आयोजित होता है। प्रमुख रूप से यह पशुओं को खरीदने एवं बेचने का मेला है। साथ ही मनुष्य को आकर्षित करने के लिए भी इसमें अनेक झूले एवं मनोहारी आयोजन किए जाते हैं। मैंने भी अपने मित्रों के साथ दीपावली के पश्चात् बटेश्वर जाने का मन बना लिया।

4. मेले में पहुँचना-
हम आगरा से टैक्सी करके बटेश्वर के लिए रवाना हो गये। मार्ग में खेतों एवं गाँवों की हरियाली एवं प्राकृतिक सौन्दर्य को देखकर हृदय खुशी से भर गया और एक नवीन ताजगी एवं स्फूर्ति का हमारे भीतर संचार हुआ। हमें सीधे टैक्सी वाले ने मेले पर छोड़ दिया। यह बटेश्वर भगवान शिव का पवित्र तीर्थ है। यहाँ पहुँचकर तीर्थ के प्रभाव से हमारा हृदय पावन भावों से ओत-प्रोत हो गया और हमने प्रतिदिन एक अच्छा कार्य करने का संकल्प लिया।

5. घाट तथा मन्दिरों का मनोहारी दृश्य-
शाम को मित्र के घर पर भोजन करके यमुना किनारे टहलने गये। पूर्णिमा के – चाँद का प्रतिबिम्ब पानी में बहुत सुन्दर छटा बिखेर रहा था। चारों ओर दूधिया उजाला फैल रहा था तथा यमुना शान्त भाव से । कल-कल करती हुई आगे बहती जा रही थी।

चन्द्रमा की चाँदनी पड़ने से सभी मन्दिर संगमरमर जैसे श्वेत दिखाई पड़ रहे थे जिन्हें देखकर मन में एक अलौकिक शान्ति – की अनुभूति हो रही थी तथा सात्विक भावनाएँ मन में हिलोरें ले रही थीं। वास्तव में, जिस अभूतपूर्व आनन्द की उपलब्धि तीर्थों 1 में होती है, वैसी आनन्दानुभूति अन्यत्र कहाँ।।

6. मेले की चहल-पहल-
सभी लोगों ने सर्वप्रथम यमुना । में ब्रह्म मुहूर्त से ही कार्तिक पूर्णिमा का पुण्य-लाभ लेने के लिए स्नान करना आरम्भ कर दिया। बच्चों एवं किशोरों को पानी में किलोल करना बहुत ही अच्छा लग रहा था। स्नानोपरान्त सभी 1 ने भगवान शंकर के मन्दिर में जाकर पूजा-अर्चना की। चारों ओर का वातावरण भगवान की स्तुति एवं घण्टों की आवाज से आपूरित हो गया।

कहीं मिठाइयों की तो कहीं चाट-पकौड़ी की दुकानें थीं। जहाँ लोग अपनी रुचिनुसार चीजें खाकर अपनी जिह्वा का आनन्द ले रहे थे। कहीं बच्चे गुब्बारे एवं खिलौने के लिए हठ कर रहे थे। स्त्रियों की टोलियाँ भजन गाती हुई जा रही थीं। सुबह दस बजे से पशु भी बिकने के लिये लाये जाने लगे; जैसे-गाय, भैंस, बकरी, ऊँट तथा बैल इत्यादि।

दूसरी तरफ चरखी तथा विभिन्न प्रकार के झूले थे जो बच्चों तथा बड़ों सभी को समान रूप से आकर्षित कर रहे थे। कहीं जोकर नाना प्रकार की क्रिया-कलापों द्वारा सबको हँसा रहे थे। पुरुष स्त्री का वेश बनाकर नाच दिखाकर पैसे अर्जित कर रहे थे।

7.एक आयोजन-
एक तरफ मुशायरा तथा कवि सम्मेलन का आयोजन चल रहा था। कवि नीरज प्रेम रस की कविताओं का गान कर रहे थे जिससे हृदय में प्रेम भावना उद्वेलित हो रही थी। काका हाथरसी अपनी कविताओं से चारों ओर हास्य रस की पिचकारी चला रहे थे, जिसमें भीगकर सभी श्रोता हँस रहे थे। कहीं वीर रस में देश-प्रेम की कविताएँ हो रही थीं जो हृदय में देश-प्रेम की भावनाओं को पुष्ट एवं सुदृढ़ कर रही थीं।

8. मेले की व्यवस्था-
मेले में पुलिस का अच्छा प्रबन्ध था जिससे जेबकतरे किसी को हानि नहीं पहुँचा सकें। मेले में एक तरफ उद्घोषणा का प्रबन्ध था जिससे अगर कोई बच्चा मेले में अपने परिवारीजनों से बिछुड़ जाता है, तो वहाँ माइक पर आवाज लगाकर कह दिया जाता था कि अमुक का बच्चा यहाँ है उसके घर वाले आकर ले जायें। मेले में सफाई की व्यवस्था अच्छी थी तथा खाने की चीजों के अच्छे स्तर का विशेष ध्यान रखा गया था।

9. उपसंहार-
मेले सभी प्रियजनों एवं मित्रों को एक स्थान पर मिलाने का कार्य करते हैं जिससे सब एक-दूसरे के हाल-चाल से अवगत हो जाते हैं। आयोजकों को मेले से आर्थिक लाभ भी होता है, ये सभी का मनोरंजन करते हैं। ये हमारी संस्कृति का परिचय कराते हैं। इसलिए जिला परिषद् को इसकी उत्तम व्यवस्था का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सरकार को भी विभिन्न मेलों का आयोजन करके सभी का उत्साहवर्धन करना चाहिए।

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5. राष्ट्रीय पर्व : स्वतन्त्रता दिवस

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • स्वतन्त्रता दिवस की महत्ता
  • नाना प्रकार के आयोजन
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना
भारत उत्सव प्रधान देश है। हमारे देश में अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन होते रहते हैं किन्तु ये त्यौहार प्रान्त, धर्म एवं जाति तक के दायरे में रहते हैं

जिस त्यौहार को समस्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता है उसे राष्ट्रीय पर्व कहते हैं। सन् 1947 में हमारे देश ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर आजादी की स्वच्छन्द हवा में पहली साँस ली थी। इतनी कुर्बानियों एवं संघर्षों से मिली आजादी के परम हर्षोल्लास के दिवस पर हमारा देश 15 अगस्त के दिन राष्ट्रीय पर्व का आयोजन करता है।

2. स्वतन्त्रता दिवस की महत्ता-
इस स्वतन्त्रता दिवस की प्राप्ति के लिए हमारे देश के न जाने कितने सपूतों ने अंग्रेजों के कोड़े खाए। कारागार में बन्दी रहे तथा न जाने कितने वीर शहीद अपनी माँ की गोद सूनी करके, अपनी पत्नी की माँग का सिन्दूर पोंछकर अपनी बहन एवं भाइयों एवं बच्चों को रोता-बिलखता छोड़कर भारत माता को स्वतन्त्र कराने के लिए हँसते-हंसते फाँसी के तख्ते पर झूल गये। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अहिंसा आन्दोलन

चलाकर अंग्रेज सरकार के छक्के छुड़ा दिए। दूसरी ओर गरम दल के सुभाषचन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, शहीद भगतसिंह इत्यादि द्वारा देश की स्वतन्त्रता के लिए किया गया बलिदान अमिट एवं अविस्मरणीय है। 14 अगस्त, 1947 की आधी रात को देश के स्वतन्त्र होने की घोषणा कर दी गयी थी। 15 अगस्त, 1947 को हमारे देश की आजादी का तिरंगा दिल्ली के लाल किले पर फहराया गया था। समस्त देश एवं देशवासी प्रसन्नता से झूम उठे थे।

3. नाना प्रकार के आयोजन-
इस दिन सभी कॉलेज, कार्यालय इत्यादि में छुट्टी रहती है। सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। बहुत से लोग अपने घरों के ऊपर भी तिरंगा फहरा देते हैं। जुलूस आदि निकलते हैं। सार्वजनिक सभाओं का आयोजन किया जाता है। रात में रोशनी की सजावट की जाती है। प्रत्येक वर्ष प्रधानमन्त्री दिल्ली के लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं। तीनों (जल, थल, नभ) सेनाएँ एवं स्कूली छात्र-छात्राएँ एवं एन. सी. सी. कैडेट राष्ट्रीय ध्वज को अपनी सलामी देते हैं। तत्पश्चात् प्रधानमन्त्री राष्ट्र के नाम सन्देश देते

स्कूल, विद्यालय एवं कॉलेजों में ध्वजारोहण के पश्चात् प्रधानाचार्य अपने भाषण द्वारा छात्र-छात्राओं को हृदय में देश प्रेम एवं उसके प्रति उनके कर्तव्यों का ज्ञान कराते हैं। उसके पश्चात् मिठाई बाँटी जाती है। प्रभातकालीन फेरी लगायी जाती है। स्कूलों में बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं।

4. उपसंहार-
इस प्रकार शहीदों की शहादत से मिली स्वतन्त्रता का हमें दुरुपयोग न करके उसे सदैव स्थायी बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए। देश में भाई-चारे एवं प्रेम की भावना को विकसित एवं कायम रखते हुए, देश की अखण्डता एवं स्वतन्त्रता को सुरक्षित बनाये रखते हुए, सत्य, प्रेम, अहिंसा की त्रिवेणी प्रवाहित करनी चाहिए जिससे हमारी भारत माता एवं उसके सभी निवासी सुख, प्रेम एवं शान्ति के सागर में अवगाहन करते हुए देश को विकास के मार्ग पर अग्रसर करते हुए विश्व के समक्ष एक मिसाल प्रस्तुत कर सके।

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6. दीपावली

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • दीपावली का इतिहास एवं महत्ता
  • मनाने का तरीका
  • लाभ-हानि
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
आज व्यक्ति दैनिक कार्यों में इतना व्यस्त है कि सारे दिन के परिश्रम के फलस्वरूप वह कुछ स्वस्थ मनोरंजन की अपेक्षा करता है। इसलिए हमारे यहाँ त्यौहारों को धूमधाम से मनाने की परम्परा चली आ रही है। जैसे-दशहरा, रक्षाबन्धन, होली एवं दीपावली। इनमें से प्रमुख त्यौहार है-दीपावली। ये अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। यह अन्धकार पर प्रकाश की विजय है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। यह कार्तिक अमावस्या के दिन मनायी जाती है। दीपक प्रकाश एवं ज्ञान का प्रतीक माना गया है। यह अन्धकार में प्रकाश फैलाता है। इस दिन सभी लोग अपने घरों के अन्दर एवं बाहर दीपक जलाते हैं।

2. दीपावली का इतिहास एवं महत्ता-
इसी दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्ष पश्चात् अयोध्या में लंका पर विजय प्राप्त करके आये थे। अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इसी यादगार में दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ प्रतिवर्ष मनाया जाता है। दीपावली से पहले विजयादशमी के दिन राम ने रावण का वध करके विजयश्री प्राप्त की थी। इसी प्रकार एक दूसरी कथा है द्वापर युग की। इस युग में नरकासुर नामक राजा ने अनेक राजाओं को पराजित करके उनकी कन्याओं को बन्दी बना लिया था। उनकी करुण पुकार सुनकर भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन कार्तिक अमावस्या को उन कन्याओं को बन्दीगृह से मुक्त कराया था। एक और कथा राजा बलि से सम्बन्धित है कि भगवान राजा बलि की परीक्षा लेने के लिए बामन अवतार लेकर आये थे।

राजा बलि की दानशीलता देखकर भगवान विष्णु ने सभी को यह आदेश दिया कि दीप जलाकर उत्सव मनाया करो। इसी दिन समुद्र मन्थन से माँ लक्ष्मी उत्पन्न हुई थीं। इसके अलावा माँ महाकाली ने रक्त बीज का वध करके एवं राक्षसों का खून पीने के उपरान्त जब माँ रोष में आ गईं तो दीपक प्रज्ज्वलित करके उनकी पूजा की गयी थी। तब से ही बंगाली लोग माता महाकाली की पूजा धूमधाम से करते हैं। जैनियों के भगवान महावीर स्वामी का महानिर्वाण भी इसी दिन का है। स्वामी दयानन्द भी आज ही के दिन ब्रह्मलीन हुए थे। स्वामी रामतीर्थ का जन्म एवं मरण भी इसी दिन का है। पुराने समय से व्यापारी विदेशों में व्यापार कर धन अर्जित

करके इसी दिन घर लौटकर अत्यन्त हर्षोल्लास सहित इस उत्सव को मनाकर लक्ष्मी पूजन करते थे।
दीपावली हमारा सांस्कृतिक त्यौहार है। वर्षा के उपरान्त सब जगह मच्छर एवं गन्दगी हो जाती है। दीपावली के बहाने घरों में पुताई हो जाती है। सफाई से मच्छर भाग जाते हैं। दीपकों के जलने से वातावरण शुद्ध हो जाता है। नयी फसल बोने की खुशी में कृषक इसे उल्लासपूर्वक मनाते हैं।

3. मनाने का तरीका-
दीपावली का प्रारम्भ धनतेरस से हो जाता है। इसी दिन सभी हिन्दू चाहे वे धनी हों अथवा निर्धन अपनी सामर्थ्य के अनुसार बर्तन खरीदते हैं। दूसरे दिन नरक चौदस होती है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। बड़ी दीपावली के दिन रात्रि को धन की लक्ष्मी एवं विघ्न विनाशक भगवान गणेश का पूजन किया जाता है।

मान्यता है कि पूरी रात श्री लक्ष्मी गणेश के सामने दीप जलते रहने से खूब धन घर में आता है। रात्रि को सब अपने घरों में दीप जलाकर प्रकाश करते हैं। रात को बच्चे-बड़े पटाखे एवं आतिशबाजी जलाते हैं तथा बच्चे फुलझड़ियाँ छुड़ाकर खुशी मनाते हैं। दूसरे दिन पड़वा को गोवर्धन की पूजा होती है। अन्नकूट की सब्जी बनायी जाती है। द्वितीया को भैया दौज मनायी जाती है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों को टीका करती हैं और भाई उन्हें भेंट देते हैं। इस दिन सभी नये कपड़े पहनते हैं।

4. लाभ-हानि-
बरसात की सारी गन्दगी एवं प्रदूषण का सफाया हो जाता है। सफाई होने से रोग के कीटाणु समाप्त हो जाते हैं लेकिन कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं। यह सारे संकटों का कारण है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को इससे बचकर रहना चाहिए।

5. उपसंहार-
यह त्यौहार अच्छाई की बुराई पर विजय है। भगवान राम ने स्वयं अपने श्रीमुख से कहा है कि
“सखा धर्ममय रस रथ जाके, जीतन सकै न कतहुँ रिपु
ताके॥”
इसी आधार पर सैन्य बल रहित, रथ रहित एवं शस्त्र रहित भगवान राम ने सर्वशक्तिसम्पन्न रावण पर विजय प्राप्त की थी। इन बातों से हमें यह शिक्षा लेनी चाहिए कि हमें कर्तव्यों का पालन करते हुए सही मार्ग पर चलते रहना चाहिए।

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7. विद्यालय का वार्षिकोत्सव 

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • तैयारियाँ
  • उत्सव के कार्यक्रम
  • उपसंहार

1. प्रस्तावना-
उत्सव मनुष्य के हृदय की खुशी को व्यक्त करते हैं। आज मानव दैनिक कार्यों में बुरी तरह जुटा हुआ है।उसे जीवन बोझ स्वरूप लगने लगता है। मानव उत्सवों में भाग लेकर जिन्दगी की परेशानियों से कुछ समय के लिए छुटकारा प्राप्त कर सकता है। जीवन में रस का संचार होता है।

2. तैयारियाँ-
हमारे विद्यालय में वार्षिकोत्सव की तैयारियाँ करीब एक सप्ताह पूर्व प्रारम्भ हो जाती हैं। विद्यालय भवन को रंग-रोगन तथा पुताई करके बहुत ही आकर्षक बनाया गया। मुख्य द्वार को रंग-बिरंगी झण्डियों तथा झालरों से सजाया गया। कहीं ऊँची कूद का अभ्यास हो रहा था तो कहीं दौड़ का। नाटक, कविता तथा वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेने वाले जी जान से तैयारियों में जुटे हुए थे। अध्यापकगण भी छात्रों के उत्साह को बढ़ा रहे थे।

3. उत्सव के कार्यक्रम-
पहले दिन मुख्य अतिथि के पधारने पर प्रधानाचार्य ने उनका जोशीला स्वागत किया। सम्मानपूर्वक उन्हें मंच पर ले जाकर फूलमाला पहनाई गई। सभी ने ताली बजाकर प्रसन्नता प्रकट की। छात्रों ने नाटक, कविता, भाषण तथा खेलकूद में अपने करतब दिखाए। डॉक्टर रामकुमार द्वारा लिखित एकांकी ‘दीपदान’ अभिनीत किया गया। इसको छात्रों ने इतनी कुशलता के साथ प्रदर्शित किया कि पन्ना धाय के बलिदान के प्रति करुणा तथा बलिदान का सागर हिलोरें लेने लगा।

मुख्य अतिथि ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच पुरस्कार वितरित किए। प्रधानाचार्य ने विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट पढ़कर सुनाई। सभी ने विद्यालय की उन्नति पर गौरव का अनुभव किया। अन्त में मुख्य अतिथि ने भाषण दिया। उन्होंने विद्यालय की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।

4. उपसंहार-
विद्यालय के वार्षिकोत्सव के चार दिन बहुत ही जोश तथा खुशी से बीते। अब जब कभी उन दिनों की याद आती है तो मन आनन्द तथा उमंग से भर जाता है। वास्तव में, विद्यालय के वार्षिकोत्सव छात्रों में हेल-मेल तथा भाईचारे का बीज बोते हैं तथा प्रेम का विस्तार करते हैं। इससे विद्यालय का गौरव बढ़ता है।

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8. गणतन्त्र दिवस (राष्ट्रीय पर्व)

रूपरेखा

  • प्रस्तावना
  • गणतन्त्र दिवस का इतिहास
  • भारतीय गणतन्त्र दिवस
  • गणतन्त्र दिवस का महत्त्व व उपयोगिता
  • गणतन्त्र दिवस का सन्देश
  • उपसंहार

1. प्रस्तावना-
एक पक्षी सोने के पिंजरे में सम्पूर्ण खानपान की सुविधाओं से युक्त होकर भी पराधीनता का जीवन बिताने को बेबस होता है। अपने अन्नदाता के संकेतों पर वह विविध कार्य करता है। स्वच्छन्द उड़ान का सपना देखता है। उसकी आत्मा में एक अजीब पीड़ादायक तड़प उठती है। यही तड़पन थी जो सन् 1857 ई. में प्रथम स्वतन्त्रता संघर्ष में परिवर्तित हो गई थी।

2. गणतन्त्र दिवस का इतिहास-
प्रथम स्वतन्त्रता संघर्ष सन् 1857 ई. में बर्बर अंग्रेज शासकों ने कुचल दिया। यह दबी हुई आग सुलगती हुई बाल गंगाधर तिलक की सिंह गर्जना में ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’ फूट पड़ी। महात्मा गाँधी राजनैतिक रंगमंच पर प्रकट हुए। जवाहरलाल नेहरू ने राजसी

वैभव त्यागा और स्वतन्त्रता की साधना की धूनी रमा ली। कांग्रेस |दल ने रावी तट पर एक सभा में पूर्ण स्वराज की माँग करडाली। जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में 26 जनवरी, 1930 की अन्धेरी रात्रि में तिरंगे तले कांग्रेस का अधिवेशन सम्पन्न हआ। नेहरू के साथ सभी सदस्यों ने अपने लक्ष्य की घोषणा की कि

“आज से हमारा लक्ष्य है-पूर्ण स्वराज।” सत्याग्रह चले, बर्बर विदेशी शासकों के हौसले पस्त होने लगे। हमारे क्रान्तिकारियों के बलिदानों से परन्तु विजय हुई सत्य की, अहिंसा की, स्वतन्त्रता के दीवारों की ओर अमर बलिदानियों की और 15 अगस्त, सन् 1947 ई. को भारत ने स्वतन्त्र वायुमण्डल में साँस ली। लाल किले के लहराते तिरंगे ने प्रेरणा दी अभी संघर्ष बाकी है। संविधान बना। भारत को सार्वभौम सत्ता सम्पन्न गणराज्य घोषित करते हुए 26 जनवरी, सन् 1950 ई. के पवित्र दिन हमारा संविधान लागू हुआ।

3. भारतीय गणतन्त्र दिवस-
भारत ने 26 जनवरी, 1950 ई. को अपने द्वारा निर्मित संविधान के अनुरूप शासन चलाने की स्वतन्त्रता प्राप्त की। संविधान में जनता के द्वारा चुने प्रतिनिधियों द्वारा देश का शासन चलाने की व्यवस्था की गयी। विभिन्न राज्यों में जनता के प्रतिनिधियों की सरकार होगी और उन राज्यों का समूह भारत राष्ट्र निर्माण करेगा। 26 जनवरी को भारत में गणतन्त्रात्मक शासन व्यवस्था लागू हुई थी, इसलिए इस पवित्र दिन को गणतन्त्र दिवस कहा जाता है।

4. गणतन्त्र दिवस का महत्त्व व उपयोगिता-
यह दिवस भारतीय स्वतन्त्रता के दीवाने अमर शहीदों की स्मृति दिलाता है। राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करती विभिन्न झाँकियाँ जन-जन के मन को स्पर्श करती हैं। राष्ट्रपति का सन्देश राष्ट्र निर्माण में लगे रहने की प्रेरणा देता है। प्रत्येक नगर, प्रत्येक गाँव में यह दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। प्रभात फेरियाँ निकलती हैं। ध्वजारोहण होता है। भाषण होते हैं। भारतीय स्वतन्त्रता और उसकी अखण्डता की शपथ दिलायी जाती है।

5. गणतन्त्र दिवस का सन्देश-हमारा गणतन्त्र दिवस प्रत्येक वर्ष प्रगति का नया सन्देश लेकर आता है। इसके सन्देश को 26 जनवरी के उदित होते सूर्य की प्रथम किरण के साथ ही लहरों पर थिरकते, तैरते सभी के द्वारा जल, थल और नभ में सर्वत्र स्वर लहरियों में सुना जाता है। भारत के प्रत्येक नागरिक की अन्तरात्मा में भारत की रक्षा का सन्देश, उसकी अखण्डता का सन्देश और उसकी स्वाधीनता का सन्देश सुनायी पड़ता है।

6. उपसंहार-
गणतन्त्र दिवस का पवित्र राष्ट्रीय पर्व हमें देश पर अपने प्राण न्यौछावर करने की प्रेरणा देता है। यह प्रतिज्ञा का दिवस है। हमारे हृदय में इस दिन एक ही स्वर गूंजता रहता
“जिएँ तो सदा इसी के लिए यही अभिमान रहे यह हर्ष। निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष।”

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9. खेलों का महत्व

रूपरेखा-

  • प्रस्तावना
  • मन और मस्तिष्क से खेल का सम्बन्ध
  • खेल का महत्त्व
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
कहा जाता है कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।” यदि मनुष्य अपना सम्पूर्ण विकास करना चाहता है तो उसके शरीर का स्वस्थ होना अति आवश्यक है। शरीर को स्वस्थ बनाने में खेलों का विशेष योगदान है। खेल स्वास्थ्य का सर्वोत्तम साधन हैं। उत्तम स्वास्थ्य की कुंजी है।

2. मन और मस्तिष्क से खेल का सम्बन्ध-
खेल का सम्बन्ध मनुष्य के मन और मस्तिष्क से होता है। खिलाड़ी अपनी रुचि के अनुसार ही खेल चुनता है। रुचि जब तृप्त होती है, रुचि के अनुकूल जब मनुष्य को कार्य करने का अवसर प्राप्त होता है, तब ये रुचियाँ उसके आत्मविकास में सहायक होती हैं। इसी प्रकार खेल का सम्बन्ध आत्मा से होता है।

दिनभर के मानसिक श्रम के बाद खेलना मनुष्य के लिए आवश्यक है। केवल एक ही प्रकार का कार्य करते रहने से, मानसिक श्रम करते रहने से मस्तिष्क रुक जाता है। शरीर भी थकान और उदासीनता अनुभव करता है। यदि व्यक्ति खेल के मैदान पर नहीं उतरता है तो वह व्यक्ति भोजन के बाद केवल निद्रा में निमग्न हो जायेगा। मानसिक कार्य करने की क्षमता समाप्त होती जायेगी। प्रात:काल जब वह सोकर उठेगा तो नई ताजगी और उत्साह का अभाव ही पाएगा।

वास्तविकता यह है कि खेल में जिसकी रुचि नहीं है, उस व्यक्ति का जीवन उदासीन और निराश रहता है। इसके विपरीत जिस व्यक्ति की खेल में रुचि है, वह सदैव प्रसन्न रहता है। वह जीवन में आने वाले संघर्षों तथा उतार-चढ़ावों से भयभीत न होकर उनका डटकर सामना करता है।

3. खेल का महत्त्व-
खेल एक ओर मनोरंजन का अच्छा साधन है तो दूसरी ओर समय के सदुपयोग का सबसे उत्तम तरीका। मनोरंजन का जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। मनोरंजन से मनुष्य की थकान और उदासीनता दूर होती है। इसलिए मनुष्य मनोविनोद को जीवन में अपनाता है। खेल के मैदान में खिलाड़ी, दिनभर की थकान, चिन्ता इत्यादि को भूल जाता है। खेल के मैदान पर उसका मन निर्मल हो जाता है।

इसके विपरीत जिन व्यक्तियों को खेल में रुचि नहीं है, वे अपना अमूल्य समय, व्यर्थ में ही नष्ट करते हैं। खेल के मैदान में मनुष्य अपने समय का सदुपयोग करता है। खेल के मैदान पर व्यक्ति में सहयोग और मित्रता की सामाजिक भावना का उदय होता है, जिसकी जीवन में पग-पग पर आवश्यकता पड़ती है और जिससे जीवन सजता है, सँवरता है और निखरता है।

इसे ही खिलाड़ी भावना’ कहा गया है। खेल के मैदान पर व्यक्ति एक-दूसरे के शत्रु रहकर भी मित्रता का व्यवहार करते हैं। आपस में उनमें प्रेम और सद्भाव रहता है। उनमें सहयोग और सहानुभूति की भावना कूट-कूटकर भरी होती है। खेलने से अनुशासन का गुण विकसित होता है। खेल से जीवन में संघर्ष करने की भावना पैदा हो जाती है जिसे हम ‘खिलाड़ी प्रवृत्ति’ कहते हैं। इस प्रकार,खेलों से अनुशासन, एकता, साहस तथा धैर्य की शिक्षा मिलती है। खिलाड़ी के ये गुण ही, उसके भावी जीवन का निर्माण करते हैं।

व्यावहारिक जीवन में भी खेल का बहुत महत्त्व है। छात्र जीवन में खेल के कारण छात्र लोकप्रिय हो जाता है। सभी लोगों के प्रेम का पात्र बन जाता है। शिक्षा के पूर्ण होने पर वह जीवन क्षेत्र में उतरता है और किसी पद का प्रत्याशी बनता है। तब खेल उसके निर्वाचन की कसौटी सिद्ध होता है। खिलाड़ी जहाँ भी जाते हैं, सफलता पाते हैं और नौकरियों में उन्हें प्राथमिकता मिलती है।

4. उपसंहार-
खेल और ज्ञान का उचित सम्बन्ध होने पर ही व्यक्तित्व का सन्तुलित विकास हो सकेगा और वह अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकेगा।

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10. शिक्षक

रूपरेखा

  • प्रस्तावना
  • आदर्श शिक्षक
  • उपसंहार।

1. प्रस्तावना-
प्राचीनकाल से ही शिक्षक को राष्ट्रनिर्माता के रूप में सम्मान प्राप्त होता रहा है। शिक्षकों के शब्द विद्यार्थियों के लिए कानून के समान होते थे। वे उनके कथन का पालन हर स्थिति में किया करते थे। शिक्षक भी अपने सारे जीवन को शिष्यों, समाज और राष्ट्र के सनिर्माण में लगा देते थे। आज शिक्षा पद्धति ने शिक्षक को वेतनभोगी बना दिया है। वह एक कर्मचारी है। शिक्षक विद्यादानी न होकर नौकरी करने वाला साधारण व्यक्ति बन गया है। वह राजनीति की गन्दगी में फंस गया है। उसमें बुरी प्रवृत्तियाँ पनप गयी हैं। वह आदर्शों और । यथार्थ से दूर भटक गया है।

2. आदर्श शिक्षक-
शिक्षक समाज की बुद्धि है। वह अपने ज्ञान से समाजगत अन्धकार को मिटाता है। वह अपने विषय का ज्ञाता होता है। वह स्वयं अध्ययन और अध्यापन में व्यस्त रहता है। आदर्श शिक्षक नवीनतम् खोजों और शोधों की जानकारी अपने शिष्यों को देता है। उन्हें राष्ट्रीयता के मन्त्र से प्रभावित करता है। वह समयबद्ध कार्यों को पूरा करता है। समय का पालन करके समय को व्यर्थ नहीं गंवाता। वह सदैव ध्यान रखता है कि समय बहुत कीमती धन है जिसकी बचत करके नए ज्ञान की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।
एक शिक्षक का उद्देश्य अपने अन्दर निर्मलता और निष्पक्षता लाकर सभी छात्रों की भलाई करना होता है। एक अच्छा शिक्षक कभी भी धनवान और सामर्थ्यवान शिष्यों के प्रति पक्षपात नहीं करता। उनका रहन-सहन सादा होता है। सादा जीवन और उच्च विचार ही उसकी जीवन शैली होती है।”

3. उपसंहार-
आदर्श शिक्षक अपनी धनराशि को अच्छे | साहित्य और पुस्तकों पर खर्च करता है। उसकी बोली में मिठास होती है। वेशभूषा सादा होती है। सही अर्थों में ऐसा शिक्षक राष्ट्रनिर्माता होता है। वह भावी पीढ़ी का निर्माण करता है। वह मानवता का रक्षक व पालक कहा जा सकता है। मानव हित ही उसका सिद्धान्त होता है। वह परमब्रह्म के पद से पुकारा जाने वाला गुरु सबके कल्याण का काम करता हुआ यशस्वी जीवन जीता है।

MP Board Class 8th Hindi Solutions

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2

Question 1.
Find the number of lines of symmetry for each of the following shapes:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 1
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 2
Solution:
(a)
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 3
Lines of symmetry are AB, CD, EF and GH.
∴ Number of lines of symmetry = 4

(b)
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 4
Lines of symmetry are AB, CD, EF and GH.
∴ Number of lines of symmetry = 4

(c)
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 5
Lines of symmetry are AB, CD, EF and GH.
∴ Number of lines of symmetry = 4

(d)
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 6
Lines of symmetry is AB.
∴ Number of lines of symmetry = 1

(e)
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 7
Lines of symmetry are AB, CD, EF, GH, IJ and KL.
∴ Number of lines of symmetry = 6

(f)
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 8
Lines of symmetry are AB, CD, EF, GH, IJ and KL.
∴ Number of lines of symmetry = 6
(g) No lines of symmetry.
(h) No lines of symmetry.
(i)
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 9
Lines of symmetry are AB, CD, EF, GH and IJ.
∴ Number of lines of symmetry = 5

Question 2.
Copy the triangle in each of the following figures on squared paper. In each case, draw the line(s) of symmetry, if any and identify the type of triangle. (Some of you may like to trace the figures and try paper-folding first!)
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 10
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 11

Question 3.
Complete the following table.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 12
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 13
Solution
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 14
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 15

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2

Question 4.
Can you draw a triangle which has
(a) exactly one line of symmetry?
(b) exactly two lines of symmetry?
(c) exactly three lines of symmetry?
(d) no lines of symmetry?
Sketch a rough figure in each case.
Solution:
(a) Yes, an isosceles triangle has one line of symmetry
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 16

(b) No, triangle cannot be formed which has exactly two lines of symmetry.
(c) Yes, equilateral triangle has three lines of symmetry.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 17
(d) Yes, scalene triangle has no lines of symmetry.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 18

Question 5.
On a squared paper, sketch the following:
(a) A triangle with a horizontal line of symmetry but no vertical line of symmetry.
(b) A quadrilateral with both horizontal and vertical lines of symmetry.
(c) A quadrilateral with a horizontal line of symmetry but no vertical line of symmetry.
(d) A hexagon with exactly two lines of symmetry.
(e) A hexagon with six lines of symmetry.
(Hint: It will be helpful if you first draw the lines of symmetry and then complete the figures.)
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 19
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 20

Question 6.
Trace each figure and draw the lines of symmetry, if any:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 21
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 22
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 23

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2

Question7.
Consider the letters of English alphabets, A to Z. List among them the letters which have
(a) vertical lines of symmetry (like A)
(b) horizontal lines of symmetry (like B)
(c) no lines of symmetry (like Q)
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 24
Solution:
(a) The letters which have vertical lines of symmetry are A, H, I, M, O, T, U, V, W, X, Y.
(b) The letters which have horizontal lines of symmetry are B, C, D, E, H, I, K, O, X.
(c) The letters which have no line of symmetry are F, G, J, L, N, P, Q, R, S, Z

Question 8.
Given here are figures of a few folded sheets and designs drawn about the fold. In each case, draw a rough diagram of the complete figure that would be seen when the design is cut off.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 25
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.2 26

MP Board Class 6th Maths Solutions

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti विविध प्रश्नावली 1

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions विविध प्रश्नावली 1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ एवं प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए-

(क) “यह तो होता ही है कि जब बड़े काम किए जाते हैं,
उनमें कामयाबी भी होती है, नाकामयाबी भी होती है,
मगर हम सब शरीक रहें, कामयाबी की
खुशी में भी और नाकामयाबी के दुःख में भी।”

(ख) “मैं दुनिया को बता देना चाहता हूँ कि हिन्दुओं
के रस्मों-रिवाज मुसलमान के लिए भी उतने ही
प्यारे और पाक हैं जितने उनके लिए। तुम भूलते
हो कि हम सब एक परवरदिगार की औलाद

(ग) “सांस्कृतिक ऐतिहासिक दृष्टि से सम्पन्न यह
हमारा मध्य प्रदेश, लघुभारत कहा जाता है। मध्य
प्रदेश के वैभव की मिठास यहाँ के निवासियों के
हृदय में रची बसी है।”

उत्तर-
(क) नेहरू जी अपने सहयोगियों के संग के दिनों को स्मरण करते हुए लिखते हैं कि जब बड़े उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु प्रयास किये जाते हैं तो उनमें सफलता तो प्राप्त होती ही है, कभी-कभी असफलता भी हाथ लगती है। मगर निराशा के इस क्षण में तथा सफलता की स्थिति में खुशी के पलों में हमें सदैव संग रहना चाहिए।

(ख) हुमायूँ अपने सेनापति को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हिन्दुओं और मुसलमानों में कोई अन्तर नहीं है। सब के सब उस एक मालिक की सन्तान हैं जिसने उन्हें बनाया है। आज मैं इस पूरे संसार के सामने यह सिद्ध करना चाहता हूँ कि हिन्दुओं के सभी रीति-रिवाज और परम्पराएँ एक मुसलमान के लिए भी समान रूप से प्रिय और पवित्र हैं।

(ग) मध्यप्रदेश में विभिन्न धर्मों, रीति-रिवाजों व मान्यताओं के लोग परस्पर भाईचारे और सद्भाव से निवास करते हैं। यहाँ भारत के अन्य सभी प्रदेशों में मनाये जाने वाले पारम्परिक तीज-त्यौहार मनाये जाते हैं। अतः सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक रूप से समृद्ध मध्य प्रदेश को लघु भारत कहना ठीक ही है। मध्यप्रदेश के गौरवशाली अतीत की मिठास इस प्रदेश | के निवासियों के मन में आज भी विद्यमान है तथा जिसे उनके व्यवहार से महसूस किया जा सकता है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित दोहों का भावार्थ लिखिए-

(क) “निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय
बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करै सुभाय।”

(ख) “विद्या धन उद्यम बिना, कहौ जु पावै कौन,
बिना डुलाए न मिले, ज्यों पंखा को पौन।”

उत्तर-
कबीर कहते हैं कि मनुष्य को सदैव अपनी निन्दा करने वाले का स्वागत करना चाहिए और उसे अपने पास रखना चाहिए। वास्तव में, निन्दा करने वाला व्यक्ति बिना पानी और साबुन के तुम्हारे व्यवहार में से तुम्हारे दोषों को दूर कर तुम्हारे स्वभाव को स्वच्छ और कोमल बना सकता है।

वृन्द कहते हैं कि जिस प्रकार गर्मी के समय में बिना पंखे को घुमाये (परिश्रम किए) उसकी हवा का आनन्द नहीं लिया जा सकता है, ठीक उसी प्रकार विद्या रूपी धन को बिना परिश्रम किये प्राप्त नहीं किया जा सकता है। अर्थात् प्रत्येक मनुष्य को अभीष्ट की प्राप्ति हेतु अथक् मेहनत करनी चाहिए।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) दीपू का घर में रौब क्यों नहीं था?
उत्तर-
दीपू घर में सबसे छोटा था। अतः उसका घर में रौब नहीं था।

(ख) नेहरू जी ने किन जंजीरों को तोड़ने के लिए कहा
उत्तर-
नेहरूजी ने पुरानी रीति और रस्मों की उन जंजीरों को तोड़ने का आह्वान किया है जो हिन्दुस्तान को आगे बढ़ने से रोकती हैं, देशवासियों में फूट डालती हैं, बेशुमार लोगों को दबाये रखती हैं और जो शरीर और आत्मा के विकास के मार्ग को अवरुद्ध करती हैं।

(ग) विक्रमादित्य के नवरत्नों में से किन्हीं तीन के नाम – लिखिए।
उत्तर-
कालिदास, वराहमिहिर, वाणभट्ट।

(घ) विक्रमादित्य के चरित्र के कोई चार गुण लिखिए।
उत्तर-
विक्रमादित्य अपनी न्यायप्रियता, बुद्धिमत्ता, विवेकपूर्ण निर्णय और प्रजापालन आदि के लिए इतिहास में अमर हैं।

(ङ) भोपाल के दर्शनीय स्थल कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
भोपाल के दर्शनीय स्थलों में भारत-भवन, मानव संग्रहालय, बिड़ला मन्दिर, ताज-उल-मस्जिद, वन-विहार आदि = प्रमुख हैं।

(य) “राखी वह शीतल प्रलेप है, जो सारे घाव भर देता है।” यह कथन किसने व किससे कहा?
उत्तर-
यह कथन रानी कर्मवती ने जवाहर बाई से कहा।

प्रश्न 4.
कोष्ठक में दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) दीपू को …………………………… पर विश्वास था। (नानी/चाची/दादी)
(ख) …………………………… भारत का हृदय स्थल है। (उत्तर प्रदेश/बिहार/मध्यप्रदेश)
(ग) शिवपुरी में …………………………… राष्ट्रीय उद्यान है। (जवाजी/माधव)
(घ) …………………………… नदी मध्यप्रदेश की जीवन रेखा मानी जाती है। (गंगा/जमुना/नर्मदा)
(ङ) हीरों की खानों के लिए …………………………… विश्व में प्रसिद्ध (सतना/पन्ना/छतरपुर)
उत्तर-
(क) दादी,
(ख) मध्यप्रदेश
(ग) माधव,
(घ) नर्मदा,
(ङ) पन्ना।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर, सही विकल्प चुनकर लिखिए
(अ) नेहरूजी ने अपनी भस्म कहाँ बिखेरने की इच्छा व्यक्त की थी?
(क) नदियों में
(ख) खेतों में
(ग) पर्वतों पर
(घ) समुद्र में।
उत्तर-
(ख) खेतों में,

(ब) दीपू कौन-सी कक्षा में पड़ता था?
(क) तीसरी
(ख) चौथी
(ग) पाँचवीं
(घ) पहली।
उत्तर-
(ख) चौथी,

(स) तानसेन और बैजूबावरा की संगीत स्पर्धा कहाँ हुई थी?
(क) ओरछा
(ख) ग्वालियर
(ग) आगरा
(घ) दिल्ली।
उत्तर-
(ख) ग्वालियर,

(द) कर्मवती कहाँ की महारानी थी?
(क) झाँसी
(ख) मेवाड़
(ग) गढ़ मण्डला
(घ) इन्दौर।
उत्तर-
(ख) मेवाड़।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) हमारे मन में किनके प्रति दया की भावना होनी चाहिए?
उत्तर-
हमारे मन में दीन-दुखी जीवों के प्रति दया की भावना होनी चाहिए।

(ख) भरहुत और साँची क्यों प्रसिद्ध हैं?
उत्तर-
भरहुत अपनी प्राचीनतम स्थापत्य कला के लिए तथा साँची बौद्ध स्तूपों के लिए प्रसिद्ध है।

(ग) मध्यप्रदेश की किन्हीं तीन बोलियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मध्यप्रदेश की तीन बोलियाँ-बुन्देली, मालवी और निमाड़ी हैं।

(घ) कर्मवती ने राखी को वरदान क्यों कहा है?
उत्तर-
राखी सारे बैर-भावों को दूर कर देती है। साथ ही इसे पहनकर प्रत्येक भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। अतः कर्मवती ने इसे वरदान की संज्ञा दी है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित की सही जोड़ियाँ बनाइए
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti विविध प्रश्नावली 1 1
उत्तर-
(क) → (3), (ख) → (1), (ग) → (4), (घ) → (2).

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दों को वाक्य में प्रयोग कीजिए-
वैमनस्य, तोपखाना, पश्चाताप, वरदान, आज्ञापालन, पिटारा।
उत्तर-
(क) वैमनस्य-हमें वैमनस्य की भावना से बचना चाहिए।
(ख) तोपखाना-अंग्रेजों की सेना में कई समृद्ध तोपखाना थे।
(ग) पश्चाताप-उसे अपनी गलती पर बाद में काफी पश्चाताप हुआ।
(घ) वरदान-अच्छी शिक्षा देना वरदान के समान है।
(ङ) आज्ञापालन-राम अपने पिता दशरथ के आज्ञापालन में सहर्ष वनवास को चले गये।
(च) पिटारा-जादूगर के जादू के पिटारे में बहुत से खेल हैं।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए-
सस्कृति, प्रतिविम्व, परयटक, वेभव, स्त्रजन, हसना, प्रान।
उत्तर-
अशुद्ध शब्द शुद्ध शब्द
सस्कृति – संस्कृति
प्रतिविम्व – प्रतिबिम्ब
परयटक – पर्यटक
वेभव – वैभव
स्त्रजन – सृजन
हसना – हँसना
प्रान – प्राण

प्रश्न 10.
निम्नलिखित वाक्यों को कोष्ठक में दिए निर्देशानुसार बदलिए
(क) मामाजी वाराणसी पहुँचे। (निषेधात्मक)
(ख) राम ने गंगा में डुबकी लगाई। (प्रश्नवाचक)
(ग) क्या लड़का कपड़े लेकर भाग गया? (साधारण वाक्य)
(घ) आपने यह क्या कर डाला? (विस्मयादिबोधक)
उत्तर-
(क) मामाजी वाराणसी नहीं पहुँचे।
(ख) क्या राम ने गंगा में डुबकी लगाई?
(ग) लड़का कपड़े लेकर भाग गया।
(घ) अरे ! आपने यह क्या कर डाला।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए-
राखी, धागा, भाई, पताका, सपूत, शत्रु, लड़की।
उत्तर-
एकवचन – बहुवचन
राखी – राखियाँ
धागा – धागे
भाई – भाइयों
पताका – पताकाओं
सपूत – सपूतों
शत्रु – शत्रुओं
लड़की – लड़कियाँ

प्रश्न 12.
निम्नलिखित सामासिक पदों में तत्पुरुष समास छाँटिए
सेनापति, माता-पिता, चौराहा, यथाशक्ति,वीरव्रत, महारानी, रसोईघर।
उत्तर-
सेनापति, वीरव्रत, रसोईघर।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित शब्दों में से हिन्दी, अंग्रेजी तथा उर्दू के शब्द छाँटकर तालिका में लिखिए-
दोस्त, टॉफी, कक्षा, बस्ता, ट्रिप, बेवकूफ, बारह, कार्तिक, मजबूर, तरकीब, कीर्तन, रेडियो, पक्ष।
उत्तर-
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti विविध प्रश्नावली 1 2

प्रश्न 14.
निम्नलिखित गद्यांश में विराम चिह्नों का उचित प्रयोग कीजिए-
मैं मुन्ना आपने पहचाना नहीं मुझे हाँ मुन्ना भूल गये आप मामाजी खैर कोई बात नहीं इतने साल भी तो हो गये तुम यहाँ कैसे
उत्तर-
मैं मुन्ना, आपने पहचाना नहीं मुझे? हाँ मुन्ना। भूल गये आप मामाजी? खैर, कोई बात नहीं। इतने साल भी तो हो गये। तुम यहाँ कैसे?

प्रश्न 15.
नीचे दिए गए उपसर्ग’योग’ शब्द में लगाकर नए शब्द बनाइए-
प्र, वि, अभि, उप, सह, सु।
उत्तर-

  • प्र + योग = प्रयोग,
  • वि + योग = वियोग,
  • अभि + योग = अभियोग,
  • उप + योग = उपयोग,
  • सह + योग = सहयोग,
  • सु + योग = सुयोग।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित शब्दों के हिन्दी शब्द लिखिए-
खिदमत, सौगात, पैगाम, मुताबिक, हिफाजत, कुर्बानी, खौफ।
उत्तर-

  • उर्दू शब्द – हिन्दी शब्द
  • खिदमत – आवभगत
  • सौगात – उपहार
  • पैगाम – सन्देश
  • मुताबिक – अनुसार
  • हिफाजत – सुरक्षा
  • कुर्बानी – बलिदान
  • खौफ – डर

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प्रश्न 17.
“दादी की घड़ी” पाठ का सारांश लिखिए।
उत्तर-
दादी ने दीपू को अपने और करीब लाते हुए प्यार से समझाया कि भला तकिया भी कहीं बोलता है जो दूसरों को जगा देगा ? वास्तव में असली अलार्म तो मनुष्य का दिल होता है। जब कभी हमें अवश्य एवं निश्चित समय पर सुबह उठना होता है, तो वह हमारा दिल ही है, जो हमें अभीष्ट समय पर अपने आप उठा देता है। अलार्म घड़ी की आवाज को तो हम चाहें तो बन्द भी कर सकते हैं, किन्तु दिल की आवाज को बन्द नहीं किया जा सकता है। यह तो हमें उठाकर ही शान्त होती है। दिलरूपी घड़ी का रहस्य जानकर दीपू प्रसन्न हुआ।

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MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.6

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.6

Question 1.
Find the HCF of the following numbers :
(a) 18, 48
(c) 18, 60
(e) 36, 84
(g) 70, 105, 175
(i) 18,54,81
Solution:
(a) The prime factorisation of 18 and
48 are; 18 = 2 × 3 × 3
48 = 2 × 2 × 2 × 2 × 3
∴ HCF (18, 48) = 2 × 3 = 6

(b) The prime factorisation of 30 and 42 are; 30 = 2 × 3 × 5
42 = 2 × 3 × 7
∴ HCF (30, 42) = 2 * 3 = 6

(c) The prime factorisation of 18 and 60 are; 18 = 2 × 3 × 3
60 = 2 × 2 × 3 × 5
∴ HCF (18, 60) = 2 × 3 = 6

(d) The prime factorisation of 27 and 63 are; 27 = 3 × 3 × 3
63 = 3 × 3 × 7
HCF (27, 63) = 3 × 3 = 9

(e) The prime factorisation of 36 and 84 are; 36 = 2 × 2 × 3 × 3
84 = 2 × 2 × 3 × 7
HCF (36, 84) = 2 × 2 × 3 = 12

(f) The prime factorisation of 34 and 102 are; 34 = 2 × 17
102 = 2 × 3 × 17
HCF (34, 102) = 2 × 17 = 34

(g) The prime factorisation of 70, 105 and 175 are; 70 = 2 × 5 × 7
105 = 3 × 5 × 7
175 = 5 × 5 × 7
HCF (70, 105, 175) = 5 × 7 = 35

(h) The prime factorisation of 91, 112 and 49 are; 91 = 7 × 13
112 = 2 × 2 × 2 × 2 × 7
49 = 7 × 7
∴ HCF (91, 112, 49) = 7

(i) The prime factorisation of 18, 54 and 81 are; 18 = 2 × 3 × 3
54 = 2 × 3 × 3 × 3
81 = 3 × 3 × 3 × 3
HCF (18, 54, 81) = 3 × 3 = 9

(j) The prime factorisation of 12, 45 and 75 are; 12 = 2 × 2 × 3
45 = 3 × 3 × 5
75 = 3 × 5 × 5
∴ HCF (12, 45, 75) = 3

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.6

Question 2.
What is the HCF of two consecutive
(a) numbers?
(b) even numbers?
(c) odd numbers?
Solution:
(a) HCF of two consecutive numbers is 1.
(b) HCF of two consecutive even numbers is 2.
(c) HCF of two consecutive odd numbers is 1.

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.6

Question 3.
HCF of co-prime numbers 4 and 15 was found as follows by factorisation :
4 = 2 × 2 and 15 = 3 × 5 since there is no common prime factor, so HCF of 4 and 15 is 0. Is the answer correct? If not, what is the correct HCF?
Solution:
No. The correct HCF of 4 and 15 is 1.

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MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1

Question 1.
List any four symmetrical objects from your home or school.
Solution:
Notebook. Blackboard, Glass, Inkpot.

Question 2.
For the given figure, which one is the mirror line, l1, or l2?
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 1
Solution:
l2 is the mirror line as both sides of the line are symmetric.

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1

Question 3.
Identify the shapes given below. Check whether they are symmetric or not. Draw the line of symmetry as well.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 2
Solution:
(a) Symmetric
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 3

(b) Symmetric
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 4

(c) Not Symmetric
(d) Symmetric
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 5

(e) Symmetric
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 6

(f) Symmetric
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 7

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1

Question 4.
Copy the following on a squared paper. A square paper is what you would have used in your arithmetic notebook in earlier classes. Then complete them such that the dotted line is the line of symmetry.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 8
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 9
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 10
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 11

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1

Question 5.
In thefigure, l is the line of symmetry. Complete the diagram to make it symmetric.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 12
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 13

Question 6.
In the figure, l is the line of symmetry. Draw the image of the triangle and complete the diagram so that it becomes symmetric.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 14
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 13 Symmetry Ex 13.1 15

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MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.5

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.5

Question 1.
Which of the following statements are true?
(a) If a number is divisible by 3, it must be divisible by 9.
(b) If a number is divisible by 9, it must be divisible by 3.
(c) A number is divisible by 18, if it is divisible by both 3 and 6.
(d) If a number is divisible by 9 and 10 both, then it must be divisible by 90.
(e) If two numbers are co-primes, at least one of them must be prime.
(f) All numbers which are divisible by 4 must also be divisible by 8.
(g) All numbers which are divisible by 8 must also be divisible by 4.
(h) If a number exactly divides two numbers separately, it must exactly divide their sum.
(i) If a number exactly divides the sum of two numbers, it must exactly divide the two numbers separately.
Solution:
Statements (b), (d), (g) and (h) are true.

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.5

Question 2.
Here are two different factor trees for 60. Write the missing numbers.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.5 1
Solution:
Factors of 60 are 1, 2, 3, 4, 5, 6,10,12,15, 20, 30, 60.
(a) Since 6 = 2 × 3 and 10 = 5 × 2
∴ The missing numbers are 3 and 2.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.5 2

(b) Since, 60 = 30 × 2, 30 = 10 × 3, and 10 = 5 × 2
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.5 3

Question 4.
Write the greatest 4-digit number and express it in terms of its prime factors.
Solution:
The greatest four digit number is 9999.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.5 4

Question 5.
Write the smallest 5-digit number and express it in the form of its prime factors.
Solution:
The smallest five digit number is 10000.
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.5 5

Question 6.
Find all the prime factors of 1729 and arrange them in ascending order. Now state the relation, if any; between two consecutive prime factors.
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 3 Playing With Numbers Ex 3.5 6
∴ 1729 = 7 × 13 × 19.
The difference of two consecutive prime factors is 6. (∵ 13 – 7 = 6 and 19 – 13 = 6)

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Question 7.
The product of three consecutive numbers is always divisible by 6. Verify this statement with the help of some examples.
Solution:
Among the three consecutive numbers, there must be atleast one even number and one multiple of 3. Thus, the product must be divisible by 6.
For example :
(i) 2 × 3 × 4 = 24
(ii) 4 × 5 × 6 = 120,
where both 24 and 120 are divisible by 6.

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Question 8.
The sum of two consecutive odd numbers is divisible by 4. Verify this statement with the help of some examples.
Solution:
The sum of two consecutive odd numbers is divisible by 4.
For example : 3 + 5 = 8 and 8 is divisible by 4.
5 + 7 = 12 and 12 is divisible by 4.
7 + 9 = 16 and 16 is divisible by 4.
9 + 11 = 20 and 20 is divisible by 4.

Question 9.
In which of the following expressions, prime factorisation has been done?
(a) 24 = 2 × 3 × 4
(b) 56 = 7 × 2 × 2 × 2
(c) 70 = 2 × 5 × 7
(d) 54 = 2 × 3 × 9
Solution:
In expressions (b) and (c), prime factorisation has been done.

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Question 10.
Determine if 25110 is divisible by 45.
[Hint: 5 and 9 are co-prime numbers. Test the divisibility of the number by 5 and 9],
Solution:
The prime factorisation of 45 = 5 × 9
25110 is divisible by 5 as ‘0’ is at its unit place.
25110 is divisible by 9 as sum of digits (i.e., 9) is divisible by 9.
Therefore, the number 25110 must be divisible by 5 × 9 = 45

Question 11.
18 is divisible by both 2 and 3. It is also divisible by 2 × 3 = 6. Similarly, a number is divisible by both 4 and 6. Can we say that the number must also be divisible by 4 × 6 = 24? If not, give an example to justify your answer.
Solution:
No. The number 12 is divisible by both 6 and 4, but 12 is not divisible by 24.
∴ A number divisible by both 4 and ( may or may not be divisible by 4 × 6 = 24.

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Question 12.
I am the smallest number, having four different prime factors. Can you find me?
Solution:
Since, 2 × 3 × 5 × 7 = 210
∴ 210 is the smallest number, having 4
different prime factors i.e., 2, 3, 5 and 7.

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MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti महत्त्वपूर्ण पाठों के सारांश

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions महत्त्वपूर्ण पाठों के सारांश

1. आत्मविश्वास

जीवन में सफलता प्राप्त करने का एक शक्तिशाली मन्त्र है-आत्मविश्वास। जीवन के प्रत्येक पग पर हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वही मनुष्य जीवन में सफलता प्राप्त करता है, जिसे अपनी शक्ति एवं प्रयासों में पूर्ण विश्वास होता है।

अपने सद्प्रयासों और शक्तियों में विश्वास ही हमारे विरोध आत्महीनता, कायरता और कुसंस्कार उसकी शक्ति और मनोबल को आधा करके असफलता की ओर ले जाते हैं। मनुष्य में परिस्थितिजन्य भय उसे आत्मविश्वासहीन कर देता है। अपनी क्षमता पर विश्वास हमारे लिए सफलता को निश्चित करता है। केवल इस शर्त पर कि हमारे अन्दर अपनी क्षमता और सफलता में अखण्ड विश्वास हो। हमारे अन्दर भय, शंका और अधीरता से विश्वास डिग जाता है।

मनुष्य को सदैव ऐसे व्यक्तियों की संगति से दूर रहना वे सदैव असफल होने के भय से आक्रान्त रहते हैं। अपने आत्मगौरव और आत्मविश्वास की भावना को खण्डित होने से बचाए रखना चाहिए। मनुष्य किसी भी काम को हाथ में लेने से यह अनुभव करता है कि वह अवश्य सफल होगा, तो इससे बड़ा मन्त्र कोई नहीं है। जो व्यक्ति सफलता और विजय प्राप्त करने के प्रतिकूल (विरुद्ध) भाव रखता है, उसे सफलता कभी भी मिल ही नहीं सकती।

मनुष्य के विचार श्रेष्ठ हैं, सफलता के हैं, सौभाग्य के हैं, तो उसे सफलता, सौभाग्य और श्रेष्ठता आगे ही बढ़ाती जायेगी। निराश और निष्क्रिय व्यक्ति निठल्ले बैठकर सफल और श्रेष्ठ कार्य करने वाले व्यक्तियों को कोसते रहते हैं। हमारे सद्प्रयास सदैव सुख के द्वार को खोलते रहते हैं। खतरों से खेलने वाले व्यक्तियों के गले में ही विजयमाला पड़ती है।

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2. प्राण जाएँ पर वृक्ष न जाएँ

प्रस्तुत पाठ में पर्यावरण की रक्षा का महत्व समझाया गया है। पर्यावरण की शुद्धता को बनाए रखने में पेड़ों का बड़ा महत्व है। पेड़ों में अपने जैसा ही जीव होता है। अत: उनकी सुरक्षा अपने प्राण देकर भी करनी चाहिए। यही इस पाठ का मूल भाव है। साथ ही पर्यावरण की रक्षा के प्रति छात्रों में जागरूकता पैदा करना इस पाठ का मूल ध्येय है।

सम्पूर्ण विश्व चिन्ता में डूबा हुआ है क्योंकि वृक्षों की लगातार कटाई ने पर्यावरण को बिगाड़ दिया है। इसलिए सभी देशों की सरकारों ने वृक्षों के काटने पर रोक लगा दी है। आज से 500 वर्ष पूर्व सन् 1485 ई. में भगवान जम्भेश्वर ने विश्नोई समाज की स्थापना की। उन्होंने 29 नियमों का पालन करने का उपदेश दिया। इन्हीं नियमों में से वृक्षों की रक्षा और सभी जीवों पर दया करना एक मुख्य नियम था। इस नियम का पालन करना ही विश्नोई समाज की आन, बान, शान व पहचान है।

अमृतादेवी विश्नोई ने तथा 362 अन्य विश्नोइयों ने वृक्षों को काटे जाने से बचाने के लिए अपने आपको शहीद कर दिया। जोधपुर के राजा अभय सिंह ने अपने महल के निर्माण के लिए खेजड़ली गाँव से पेड़ काटकर लाने का आदेश अपने सिपाहियों को दे दिया। उन्होंने वहाँ जाकर विश्नोइयों के विरोध को अनदेखा कर दिया। अनेक विश्नोई पेड़ों से लिपट गए। वे पेड़ों को काटने से बचाने के लिए अपना बलिदान देने को तत्पर हो गए। वे नारा लगा रहे थे, “सिर साँटे पर रूख रहे।” अमृता देवी के बलिदान से प्रेरित 362 विश्नोई नर-नारी स्वयं कट गए पर एक भी वृक्ष नहीं कटने दिया।

इस समाचार को सुनकर राजा अभयसिंह दुःखी हुए और खेजड़ली ग्राम आए। अपनी सेना के कुकृत्य के लिए क्षमा माँगी। ताम्रपत्र पर आज्ञा जारी की गई कि कोई भी व्यक्ति पेड़ नहीं काटेगा। यदि काटेगा तो वह राजदण्ड का भागी होगा। इसी तरह हरिणों की रक्षा के लिए अनेक विश्नोइयों ने अपना बलिदान कर दिया। सन् 1996 के अक्टूबर महीने में राजस्थान के चुरू जिले में हरिणों की रक्षा करते हुए श्री निहालचन्द विश्नोई शहीद हो गए। भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरान्त शौर्यचक्र से सम्मानित किया। गैर-सैनिक निहालचन्द को यह सम्मान प्राप्त हुआ। मूक हरिण भी अपने रक्षकों को अच्छी तरह पहचानते हैं। विश्नोइयों के आगे-पीछे हरिण बकरियों की तरह घूमते हैं।

वृक्षों और जीवों की रक्षा करने का संकल्प तथा नए वृक्ष लगाने और उनकी रक्षा करना ही शहीद विश्नोइयों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धा होगी।

भारत सरकार ने शहीद अमृता देवी तथा 362 अन्य शहीदों की स्मृति में राष्ट्रीय पर्यावरण पुरस्कार प्रस्तावित किए हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने वन सम्वर्द्धन के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत अथवा किसी भी संस्था को एक लाख रुपये का पुरस्कार प्रस्तावित किया है। साथ ही अमृता देवी विश्नोई के नाम से दो व्यक्तिगत पुरस्कार भी चलाए हैं। ये सभी पुरस्कार उसे दिए जाते हैं जो वन सम्बर्द्धन और जीव रक्षा में उत्कृष्ट कार्य करता है।

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3. पथिक से

एक पथिक अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर उस दिशा में आगे बढ़ता है लेकिन लक्ष्य प्राप्ति का मार्ग अनेक बाधाओं रूपी काँटों से भरा होता है। इसके अतिरिक्त लक्ष्य मार्ग में – अनेक आकर्षक वस्तुएँ भी होती हैं, जिन्हें हम प्रकृति के विविध उपादान कह सकते हैं। इन उपादानों में सुहावने दृश्य, नदियाँ, झरने, पहाड़ और वन उस पथिक को आकर्षित कर सकते हैं। उनका सौन्दर्य एकदम अनुपम होता है। इस सौन्दर्य से प्रभावित होकर वह यात्री (पथिक) यात्रा-पथ पर आगे बढ़ने की अपेक्षा रुक जाता है।

साधारण यात्रा की जो दशा होती है, वही दशा जीवन-यात्रा की भी होती है। सांसारिक समस्याएँ मनुष्य को अपने कर्त्तव्य से विमुख बना देती हैं। दुःख, शोक और हताशा उसे कर्त्तव्य के प्रति उदासीन कर देते हैं। कवि डॉ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ – अपनी इस कविता के माध्यम से जीवन-पथ के बने पथिक को : सचेत करते हैं और सद्परामर्श भी देते हैं कि इन सभी बाधाओं का साहस से और स्व-विवेक शक्ति से सामना करना चाहिए। इस प्रकार निरन्तर ही अपने कर्तव्य मार्ग पर आगे ही आगे बढ़ते 1 जाना चाहिए। अपनी कल्पनाओं को साकार करते जाना चाहिए।

जीवन-पथ की विफलताएँ तुम्हें अपने मार्ग से भटका न दें। उस विफलता के समय में अपने लोग भी पराये हो जाते हैं। घोर निराशा छा सकती है। उस अकेले पथिक को उचित मार्ग से – भटकाकर हताश न कर दें।
रणक्षेत्र की ओर जाने वाले जीवन-पथ पर अग्रसर होने की रणभेरी बज चुकी है अर्थात् कर्त्तव्य पालन का समुचित समय आगे आ चुका है। इस अवसर पर प्रेम और आकर्षण का कुमकुम तुम्हें कर्त्तव्य से विमुख न बना दे और अपने मार्ग से विमुख मत हो जाना। असमंजस की दशा में अपने कर्तव्य-पथ से मत भटक जाना। यही कविता का सार है।

4. युद्ध-गीता

राम को केन्द्र में रखकर अनेक ग्रन्थों की रचना की गई है। इन कविताओं में आदि कवि वाल्मीकि सबसे पहले हैं। कालिदास और भवभूति भी इसी परम्परा के पालन करने वाले कवि रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने भी ‘रामचरितमानस’, ‘कवितावली, ‘गीतावली’ आदि ग्रन्थों की रचना करके इसी परम्परा का पालन किया है। इसके सन्दर्भ में यह बात कही जा सकती है कि भूत, भविष्य और वर्तमान तथा देशकाल की सभी सीमाएँ समाप्त हो जाती हैं।

देखिए, लंका-युद्ध श्रीराम और रावण के बीच लड़ा जा रहा है। रावण युद्ध करने के लिए अपने रथ पर आरूढ़ होकर चला आ रहा है। उसकी सेना भी शक्तिशाली है और विशाल है। उसके युद्ध सम्बन्धी साधन भी अपार हैं। दूसरे उसने युद्ध की तैयारी भी ठीक तरह से की हुई है।

विभीषण राम का मित्र है। वह अपने भाई रावण की दोषपूर्ण नीतियों के कारण उससे विमुख होकर राम से आ मिला है। वह मन में बहुत अधिक आशंकित है और विचार करता है कि राम के पास ऐसे कोई भी साधन नहीं हैं, जिनकी सहायता से वे रावण को पराजित कर पायेंगे। अपनी इस शंका को संशय को, विभीषण राम के सम्मुख रखता है। राम भी उसकी शंकाओं का समाधान करते हैं।

वे कहते हैं कि धर्म के कुछ आधारभूत तत्व होते हैं; ये तत्व हैं-शौर्य, धैर्य, सत्य, शील, साहस, यम-नियम, दम, दया तथा परोपकार। धर्म के इन आधारभूत तत्वों का सन्दर्भ देते हुए श्रीराम कहते हैं कि सद्गुण रूपी धर्मरथ पर चढ़कर ही हम अपने आन्तरिक और बाहरी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। तुलसीदास द्वारा राम के मुख से वर्णित धर्मरथ के रूपक को श्रीमद्भगवद्गीता के युद्ध सूत्रों द्वारा भी प्रतिपादित किया गया है। राम के धर्मरथ के उपांग-शौर्य और धैर्य (दो पहिए), सत्य और शील (ध्वजा-पताका), बल, विवेक, दम, परोपकार (चार घोड़े), क्षमा, दया, समता रस्से (डोरी), ईशभजन (सारथी), वैराग्य, सन्तोष, दान, बुद्धि, विज्ञान [युद्ध के हथियार (आयुध)], निर्मल और अचलमन (तरकश) हैं। यम-नियम और संयम (बाण) हैं।

ब्राह्मणों और गुरुओं की पूजा ही (कवच) है। कौरवों की विशाल सेना, युद्ध सामग्री आदि को देखकर अर्जुन भी अपनी आशंकाओं को भगवान श्रीकृष्ण के सम्मुख कहते हैं। श्रीकृष्ण उस कायर बने अर्जुन को अपने कौशल से । उत्साहित कर देते हैं और युद्ध में विजयी होते हैं। ठीक इसी तरह राम भी विभीषण को आश्वस्त कर देते हैं कि वे (राम) अवश्य । ही रावण पर विजय प्राप्त कर सकेंगे।

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MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question 1.
Construct the right angled ∆PQR, where m ∠Q = 90°, QR = 8 cm and PR 10 cm.
Solution:
Steps of Construction :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.3 1
1. Draw a line segment QR = 8 cm.
2. Draw ∠RQX = 90°.
3. .With centre R and radius 10 cm (= PR = Hypotenuse), draw an arc to intersect ray QX at P.
4. Join PR.
Then, PQR is the required right angled triangle.

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5

Question 2.
Construct a right-angled triangle whose hypotenuse is 6 cm long and one of the legs is 4 cm long.
Solution:
Steps of Construction :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 2
1. Draw a line segment QR of length 4 cm.
2. Draw ∠QRX = 90°.
3. With Q as centre and radius 6 cm (= hypotenuse) draw an arc intersecting QX at P.
4. Join PQ.
Then, PQR is the required right-angled triangle.

Question 3.
Construct an isosceles right-angled triangle ABC, where m ∠ACB = 90° and AC = 6 cm.
Solution:
Steps of Construction :
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 10 Practical Geometry Ex 10.5 3
1. Draw a line segment BC = 6 cm.
2. At C, draw an angle BCX = 90°
3. From ray CX, cut off CA = 6 cm.
4. Join AB.
Then, ABC is the required an isosceles right-angled triangle.

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