MP Board Class 7th Social Science Solutions विविध प्रश्नावली 1
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) भारत में मध्यकाल का आरम्भ माना जाता है –
(अ) तेरहवीं शताब्दी से
(ब) सातवीं शताब्दी से
(स) आठवीं शताब्दी से
(द) बारहवीं शताब्दी से।
उत्तर:
(स) आठवीं शताब्दी से
(2) तंजौर के प्रसिद्ध राजराजेश्वर मन्दिर का निर्माण करवाया था –
(अ) राजराज प्रथम
(ब) राजेन्द्र प्रथम
(स) कृष्ण प्रथम
(द) कृष्ण द्वितीय।
उत्तर:
(अ) राजराज प्रथम
(3) संविधान निर्माण सभा के अध्यक्ष थे –
(अ) डा. हरीसिंह गौर
(ब) डा. भीमराव अम्बेडक
(स) डा. राजेन्द्र प्रसाद
(द) पं. जवाहरलाल नेहरू
उत्तर:
(स) डा. राजेन्द्र प्रसाद,
(4) राज्यसभा में सदस्यों की कुल संख्या है –
(अ) 238
(ब) 250
(स) 230
(द) 260
उत्तर:
(ब) 250
(5) दिन और रात बराबर होते हैं –
(अ) 21 मार्च व 25 सितम्बर को
(ब) 21 जून व 22 दिसम्बर को
(स) 25 दिसम्बर व 25 जून को
(द) इनमें से किसी तिथि पर नहीं
उत्तर:
(द) इनमें से किसी तिथि पर नहीं
(6) वायुमण्डल में कितने प्रतिशत ऑक्सीजन गैस पाई जाती है?
(अ) 78%
(ब) 21%
(स) 28%
(द) 71%
उत्तर:
(ब) 21%
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) व्यापार के माध्यम से भारत का ………….. निरन्तर सम्पर्क बना रहा।
(2) ……………. ने प्रसिद्ध ग्रन्थ रामायण की रचना तमिल भाषा में की।
(3) मध्य प्रदेश की राजधानी का प्राचीन नाम …………… था।
(4) भारतीय संविधान लिखित एवं …………. संविधान
(5) पृथ्वी का अक्ष अपने तल से ……………. अंश का कोण बनाता है।
उत्तर:
(1) अरबों
(2) कंबन
(3) भोजपाल
(4) निर्मित
(5) 66,00
प्रश्न 3.
निम्नलिखित की सही जोड़ियाँ बनाइए –
उत्तर:
(1) (b) उत्तर रामचरित
(2) (a) गीत गोविन्द
(3) (d) सिद्धान्त शिरोमणि
(4) (c) जीवन रक्षक गैस
प्रश्न 4.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए –
(1) चौहान वंश के प्रमुख शासकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
चौहान वंश के प्रमुख शासक अजयराज चौहान एवं पृथ्वीराज चौहान थे।
(2) चोलकालीन आर्थिक व्यवस्था की कोई तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
चोलकालीन आर्थिक व्यवस्था की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- चोल साम्राज्य में जन-जीवन बहुत सम्पन्न था।
- कृषि तथा व्यापार उन्नत अवस्था में थे।
- राज्य की आय के प्रमुख स्रोत भूमिकर तथा व्यापार कर थे।
(3) “पंथ निरपेक्षता” से क्या आशय है ? लिखिए।
उत्तर:
‘पंथ निरपेक्षता’ भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता है। इसके अनुसार राज्य की दृष्टि से सभी धर्म समान हैं और राज्य के द्वारा विभिन्न धर्मावलम्बियों में कोई मतभेद नहीं किया जाता है। राज्य किसी भी धर्म के लिए पक्षपातपूर्ण कार्य व हस्तक्षेप नहीं करेगा।
(4) राज्यसभा सदस्य होने के लिए कोई तीन आवश्यक अर्हताएँ लिखिए।
उत्तर:
राज्यसभा सदस्य होने के लिए तीन आवश्यक अर्हताएँ निम्न हैं –
- उसकी आयु 30 वर्ष या उससे अधिक हो।
- वह भारत का नागरिक हो तथा मतदाता सूची में उसका नाम हो।
- वह न्यायालय द्वारा पागल, दिवालिया घोषित न हो।
(5) क्षोभ अथवा परिवर्तन मण्डल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
क्षोभमण्डल, वायुमण्डल की एक परत है। ध्रुवों पर। इसकी ऊँचाई 8 किमी तथा विषुवत् वृत्त पर 18 किमी तक है। इस परत में जल वाष्प व धूल के कण पाए जाते हैं। इसमें मौसम सम्बन्धी सभी घटनाएँ घटित होती हैं। इस परत में सभी प्रकार का जीवन पाया जाता है। इसमें ऊँचाई बढ़ने पर प्रति 165 मीटर ऊँचाई के साथ 1°C की दर से तापमान घटता है।
(6) पृथ्वी के अक्ष से क्या आशय है ?
उत्तर:
पृथ्वी के मध्य में उत्तरीय ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव से गुजरने वाली धुरी पृथ्वी का अक्ष कहलाती है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 ° झुकी हुई है।
(7) ऋतु परिवर्तन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वर्ष की वह अवधि जिसमें मौसम सम्बन्धी दशाएँ लगभग समान होती हैं और जो पृथ्वी अक्ष पर झुकाव और उसके द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने के परिणामस्वरूप बनती हैं, उसे ऋतु कहते हैं। ऋतुओं का क्रम से बदलना ऋतु परिवर्तन कहलाता है। इसका मूल आधार ताप है।
(8) सूर्य जब मकर रेखा पर होता है तो भारत में कौन-सी ऋतु होती है ?
उत्तर:
सूर्य जब मकर रेखा पर होता है तब उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य की किरणें पड़ती हैं जिससे वहाँ का तापमान कम रहता है। भारत उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है, इसलिए भारत में शीत ऋतु होती है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए
(1) पूर्व मध्यकाल के आरम्भ में भारत की राजनैतिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पूर्व मध्यकाल के आरम्भ में भारत अनेक छोटे:
छोटे राज्यों में बँटा हुआ था, जिनमें राज्य विस्तार के लिए संघर्ष चलते रहते थे। दक्षिण भारत में सबसे शक्तिशाली चोल राज्य था। आरम्भ में इनका राज्य कोरोमण्डल और मद्रास (चैन्नई) तक था। नवीं शताब्दी में चोल नरेशों ने पांड्य राजाओं से तंजौर जीतकर उसे अपनी राजधानी बनाया।
इन्होंने व्यवस्थित शासन प्रबन्ध के लिए साम्राज्य को कई इकाइयों में विभाजित किया, आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ की और साहित्य तथा स्थापत्य कला को संरक्षण दिया। उनकी सामुद्रिक शक्ति बहुत बढ़ी हुई थी। चोल नरेश राजेन्द्र प्रथम ने सन् 1025 ई. में मलाया तथा सुमात्रा द्वीपों पर विजय प्राप्त की। चोल राज्य के व्यापारिक सम्बन्ध चीन तथा दक्षिण एशिया के अन्य देशों से थे।
(2) पल्लव वंश की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
पल्लव वंश की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं –
- पल्लवों का शासन प्रबन्ध सुव्यवस्थित था।
- इनके शासन काल में शिक्षा, साहित्य एवं कला की उन्नति हुई।
- यहाँ की स्थानीय भाषा तमिल थी, जिसमें उत्तम साहित्य की रचना हुई।
- अधिकांश पल्लव राजा भगवान शिव के भक्त थे तथा हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार अधिक था।
- पल्लवों ने काँची के धर्मराज व कैलाशनाथ मन्दिर तथा महाबलीपुरम् में समुद्र तट पर चट्टान को काटकर रथ मन्दिर बनवाया।
(3) स्वतन्त्रता का अधिकार के अन्तर्गत हमें प्राप्त स्वतन्त्रताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता के अधिकार के अन्तर्गत हमें निम्न स्वतन्त्रताएँ प्राप्त हैं –
- विचार व्यक्त करने की स्वतन्त्रता – भारत के सभी नागरिकों को विचार व्यक्त करने, भाषण देने, अपने तथा दूसरे व्यक्तियों के विचारों को जानने और प्रचार करने, समाचार-पत्र में लेख आदि लिखने की स्वतन्त्रता है।
- सम्मेलन करने की स्वतन्त्रता – हमें अपने विचारों को समझाने के लिए सभा करने तथा जुलूस निकालने की स्वतन्त्रता है। लेकिन जुलूस शान्तिपूर्ण होना चाहिए। वे सभी व्यक्ति जो किसी बात पर एक समान विचार रखते हों, अपने अधिकारों के लिए इकट्ठे होकर संगठन बना सकते हैं।
- भ्रमण की स्वतन्त्रता – भारत के सभी नागरिकों को बिना किसी विशेष अधिकार पत्र के देश में कहीं भी आने-जाने की स्वतन्त्रता है।
- निवास एवं बसने की स्वतन्त्रता – भारत के सभी नागरिकों को अपनी इच्छानुसार अस्थायी या स्थायी रूप से भारत के किसी भी स्थान पर बसने एवं निवास करने की स्वतन्त्रता एवं अधिकार है।
- व्यापार एवं व्यवसाय की स्वतन्त्रता – प्रत्येक नागरिक को कानूनी सीमा में रहकर अपनी इच्छानुसार कार्य तथा व्यवसाय करने की स्वतन्त्रता है।
- जीवन तथा व्यक्तिगत स्वतन्त्रता-समस्त अधिकारों का महत्व केवल तब तक है जब तक कि व्यक्ति सुरक्षित एवं जीवित है। संविधान के अनुसार व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध कहीं नहीं ले जाया जा सकता है। संविधान जीवन व सुरक्षा का अधिकार प्रदान करता है।
(4) कानून निर्माण की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
किसी विषय पर कानून बनाने से पूर्व मन्त्रिपरिषद् एक प्रस्ताव तैयार करती है जिसे विधेयक कहते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं –
- साधारण विधेयक
- वित्त विधेयक।
1. विधेयक का प्रथम वाचन – सभापति की अनुमति से मन्त्रिपरिषद् का कोई सदस्य या सांसद सदन में विधेयक प्रस्तुत करता है। इस विधेयक का शीर्षक विधेयक प्रस्तुत करने वाले सदस्य द्वारा पढ़ा जाता है। इस प्रस्ताव की प्रति सभी सदस्यों को दे दी जाती है। इस प्रस्ताव का केन्द्रीय सरकार के शासकीय गजट में प्रकाशन होता है। इस विधेयक पर बहस नहीं होती है।
2. विधेयक का दूसरा वाचन – इस समय विधेयक पर विचार – विमर्श होता है। सरकार एवं विपक्ष द्वारा इस विधेयक की उपयोगिता या अनुपयोगिता पर बहस होती है। विधेयक के प्रत्येक बिन्दु एवं मुद्दों तथा निहित सिद्धान्तों पर परिचर्चा होती है। विधेयक में संशोधन के प्रस्ताव रखे जाते हैं। विधेयक में संशोधन हेतु बहुमत के आधार पर निर्णय होता है।
3. विधेयक का तृतीय वाचन – द्वितीय वाचन के बाद विधेयक का प्रारूप निश्चित हो जाता है। इस वाचन के समय संशोधन सहित तैयार विधेयक को स्वीकृत किए जाने हेतु एक प्रस्ताव विधेयक के प्रस्तावक द्वारा सदन में रखा जाता है। इस समय विधेयक में संशोधन नहीं किए जाते। सदन विधेयक को स्वीकार अथवा अस्वीकार भी कर सकता है। विधेयक पर मतदान के बाद यह क्रिया पूर्ण हो जाती है।
4. विधेयक के स्वीकृत हो जाने पर इसे दूसरे सदन में स्वीकृति हेतु भेजा जाता है। दूसरे सदन में भी विधेयक का प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वाचन होता है। यदि विधेयक दूसरे सदन में स्वीकृत हो जाता है तो इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाता है। इस कानून का सरकार के राजकीय गजट में प्रकाशन किया जाता है।
(5) वायुमण्डल के संघटन को समझाइए।
उत्तर:
पृथ्वी के चारों ओर फैली हुई वायु अनेक गैसों का मिश्रण है। इनमें नाइट्रोजन 78%, ऑक्सीजन 21% तथा 1% आर्गन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, हीलियम तथा ओजोन गैसें पाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ मात्रा में जल वाष्प, धुआँ, धूल के कण आदि मौजूद रहते हैं। ऑक्सीजन ‘जीवनदायिनी’ तथा | ओजोन ‘जीवनरक्षक’ गैस है। नाइट्रोजन वनस्पति के विकास में सहायक है। हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से पानी बनता है। कार्बन डाइऑक्साइड और जल पेड़-पौधों के लिए आवश्यक है।
(6) स्थायी पवनों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्थायी पवनें तीन प्रकार की होती हैं –
(i) व्यापारिक पवनें – प्राचीन काल में व्यापारी पालयुक्त जलयानों के संचालन में इन पवनों का उपयोग करते थे। ये पवनें ! पृथ्वी के दोनों गोलार्डों में पूरे वर्ष नियमित रूप से चलती हैं। उत्तरी। गोलार्द्ध में ये पवनें उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर चलती हैं।
(ii) पछुवा पवनें – ये पवनें दोनों गोलार्डों में वर्ष भर निश्चित दिशा में उच्च वायुदाब से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की ओर चलती। हैं। ये उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर – पूर्व की ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर चलती हैं।
(iii) ध्रुवीय पवनें – ये पवनें दोनों गोलार्डों में ध्रुवीय उच्च दाब की पेटियों से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की पेटियों की ओर चलती हैं। उत्तरी गोलार्डों में ये उत्तर-पूर्व से दक्षिण – पश्चिम की ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण-पूर्व से उत्तर-पश्चिम की ओर होती हैं। ध्रुवों से चलने के कारण ये हवाएँ ठण्डी और शुष्क होती हैं।
(7) पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन किस प्रकार होता है ? चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
ऋतुओं का क्रम से बदलना ऋतु परिवर्तन कहलाता है। ऋतु परिवर्तन का मूल आधार ताप है। पृथ्वी को ताप सूर्य से प्राप्त होता है। सूर्य की परिक्रमा और अपने अक्ष पर 23, झुकी होने के कारण पृथ्वी को मिलने वाली ताप की मात्रा बदलती रहती है। इससे पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन होता है।