MP Board Class 7th Social Science Solutions Chapter 13 मुगल साम्राज्य की स्थापना एवं उत्कर्ष

MP Board Class 7th Social Science Chapter 13 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) पानीपत का प्रथम युद्ध किसके बीच हुआ था ?
(अ) अकबर और शेरशाह के बीच
(ब) बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच
(स) हुमायूँ और शेरशाह के बीच
(द) बैरम खाँ और हेम् के बीच।
उत्तर:
(ब) बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच

(2) मुगल साम्राज्य का संस्थापक किसे माना जाता
(अ) हुमायूँ
(ब) अकबर
(स) शेरशाह
(द) बाबर।
उत्तर:
(द) बाबर

(3) खानवा का युद्ध हुआ था
(अ) 1526 ई. में
(ब) 1556 ई. में
(स) 1527 ई. में
(द) 1529 ई. में।
उत्तर:
(स) 1527 ई. में।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(1) बाबर द्वारा लिखी आत्मकथा का नाम ……………. है।
(2) पानीपत का द्वितीय युद्ध सन् ………. में हुआ था।
(3) अकबर का संरक्षक ………. को बनाया गया था।
(4) शेरशाह के बचपन का नाम ………था।
(5) घाघरा का युद्ध बाबर व ………. के बीच हुआ था।
उत्तर:
(1) तुजुक-ए-बाबरी (बाबरनामा)
(2) 1556 ई.
(3) बैरमखौं
(4) फरीद
(5) अफगानों।

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MP Board Class 7th Social Science Chapter 13 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
(1) शेरशाह द्वारा जीर्णोद्धार की गई सड़क का नाम लिखिए।
उत्तर:
शेरशाह ने कलकत्ता से पेशावर को जोड़ने वाले राजमार्ग ग्रॉन्ड ट्रंक रोड का जीर्णोद्धार कराया।

(2) हुमायूँ को पुत्ररत्न की प्राप्ति कब और कहाँ हुई ?
उत्तर:
हुमायूँ को पुत्ररत्न की प्राप्ति सन् 1542 ई. में अमरकोट (सिंध) के हिन्दू राजा वीरसाल के महल में हुई।

(3) हल्दीघाटी का युद्ध कब और किसके मध्य हुआ ?
उत्तर:
हल्दीघाटी का युद्ध सन् 1576 ई. में मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप और मुगल सेना के बीच हुआ।

(4) अकबर के राज्य में आय के प्रमुख साधन क्या थे?
उत्तर:
अकबर के राज्य में आय के दो प्रमुख साधन थे –

  • भूमि का लगान, और
  • व्यापार पर कर।

(5) अकबर के नौ रत्नों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अकबर के नौ रत्न –

  • अबुल फजल (विद्वान व सलाहकार)
  • राजा मानसिंह (अनुभवी सेनापति)
  • राजा टोडरमल (प्रसिद्ध भूमि सुधारक)
  • तानसेन (संगीतकार)
  • बीरबल (चतुर विद्वान)
  • हकीम हुक्काम (राजवैद्य)
  • अब्दुल रहीम खानखाना (कवि)
  • फैजी (कवि और दार्शनिक), और
  • मुल्ला दो प्याजा (मनोरंजनकर्ता) थे।

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MP Board Class 7th Social Science Chapter 13 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 4.
(1) शेरशाह की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शेरशाह की शासन व्यवस्था –
1. केन्द्रीय शासन-केन्द्रीय शासन का सबसे बड़ा अधिकारी स्वयं सम्राट था। उसकी सहायता के लिए अनेक अधिकारी व कर्मचारी होते थे। वह एक उदार शासक था। उसकी दण्ड व्यवस्था कठोर थी। हिन्दुओं के साथ उसका व्यवहार अच्छा था।

2. जिले का शासन – शासन की सुविधा के लिए शेरशाह ने अपने समस्त साम्राज्य को अनेक सरकारों (जिलों) में विभाजित किया, जिन्हें पुनः परगनों में विभाजित किया गया। सरकारों और परगनों के अधिकारियों को समय-समय पर स्थानान्तरित किया जाता था।

3. सैनिक प्रशासन – शेरशाह ने एक विशाल एवं शक्तिशाली सेना का संगठन किया जिसमें पैदल सिपाही, घुड़सवार, तोपखाना व हाथी चार विभाग थे। सैनिकों को नकद वेतन दिया जाता था तथा उनका हुलिया एक रजिस्टर में दर्ज किया जाता था। घोड़ों को दागने की प्रथा प्रचलित थी।

4. भूमि प्रबन्ध – शेरशाह ने भूमि की नाप कराकर उसे उपज के अनुसार बाँट दिया गया था। किसानों से उपज का चौथाई भाग लगान के रूप में वसूल किया जाता था।

5. न्यायव्यवस्था – सम्राट न्याय विभाग का सर्वोच्च अधिकारी था। वह न्याय में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करता था। साम्राज्य के विभिन्न भागों में काजियों की नियुक्ति की गई।

6. जनता की भलाई के कार्य-शिक्षा के क्षेत्र में उसने मदरसों का निर्माण कराया। उसने यात्रियों की सुविधा के लिए कुँओं और सरायों की व्यवस्था की। अनेक सड़कें बनवाईं तथा उनके किनारे छायादार वृक्ष लगवाए। आज की ग्राण्ड ट्रंक रोड (शेरशाह सूरी मार्ग) उसी की देन है।

(2) अकबर द्वारा निर्मित इमारतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अकबर के काल में फारसी और ईरानी शैलियों के समन्वय से भवन बनाए गए। अकबर ने इलाहाबाद, आगरा तथा लाहौर में किले बनवाए तथा आगरा के निकट फतेहपुर सीकरी नामक शहर बसाया तथा वहाँ सुन्दर इमारतें बनवाई गईं जिनमें दीवान-ए-आम, दीवान – ए – खास, जोधाबाई का महल, बीरबल का महल, जामा मस्जिद, शेख सलीम चिश्ती की दरगाह व बुलन्द दरवाजा उल्लेखनीय हैं।

(3) अकबर की राजपूत नीति को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
अकबर ने साम्राज्य का विस्तार करने के प्रयत्नों से यह समझ लिया कि हिन्दुओं के सहयोग से ही साम्राज्य को स्थिरता प्राप्त होगी। अतः उसने राजपूतों की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया, उनसे वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया। अपने अधीन राजपूत राजाओं से उसने उदारतापूर्ण व्यवहार किया और उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई। राज्य के उच्च पदों पर राजपूतों की नियुक्ति की। अकबर की इस नीति से कुछ राजा आश्वस्त होकर मुगलों की सेवा में आ गए। परिणामस्वरूप मुगल शासन को अनेक वीर राजपूत मिल गए।

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