MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 हंसिनी की भविष्यवाणी (लोककथा, मनमोहन मदारिया)

हंसिनी की भविष्यवाणी पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

हंसिनी की भविष्यवाणी लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मंत्री ने राजा को क्या सलाह दी?
उत्तर:
मंत्री ने निस्संतान राजा को किसी होनहार बालक को गोद लेने की सलाह दी।

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प्रश्न 2.
राजा का चुनाव करना क्यों आवश्यक था? (M.P. 2011)
उत्तर:
राजा की मृत्यु हो गई थी। राजकाज चलाने वाला कोई नहीं था। इसलिए राजा का चुनाव करना आवश्यक था।

प्रश्न 3.
मंत्री जी सरोवर किनारे क्यों जाते थे?
उत्तर:
मंत्रीजी को जब कोई गहरी बात सोचनी होती थी तो वे सरोवर के किनारे चले जाते थे।

प्रश्न 4.
हंसिनी ने प्रजा को राज स्थापित करने का कौन-सा उपाय बताया?
उत्तर:
जिसका देश है, उसी प्रजा को राजकाज सौंपने का उपाय हंसिनी ने बताया।

हंसिनी की भविष्यवाणी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मंत्री जी क्यों उदास थे?
उत्तर:
देश के राजा निसंतान चल बसे थे। तब राजा किसे चुना जाए, इसी फिक्र में मंत्रीजी उदास थे।

प्रश्न 2.
मंत्री जी ने देश का राजा चुनने की समस्या, किस प्रकार हल की?
उत्तर:
मंत्री ने एक विचारसभा की स्थापना की। उसमें तीन सौ आदमी थे। ये आदमी प्रजा ने चुने थे। एक लाख आबादी में से एक आदमी चुना गया था। इस विचारसभा में जाने-माने व्यक्ति थे। तीन सौ आदमियों ने अपना एक नेता चुना। वह देश का मुखिया हुआ। उसने विचार सभा में से चार आदमी और चुन लिए वे सब मिलकर देश का राजकाज चलाने लगे। इक्त मकार मंत्रीजी ने देश का राजा चुनने की समस्या हल कर ली।

प्रश्न 3.
नए ढंग के राज्य से क्या लाभ हुआ?
उत्तर:
नए ढंग के राज्य से देश का राजकाज ठीक ढंग से चलने लगा। यह प्रजा के लिए बड़ा हितकारी हुआ। प्रजा पहले से भी अधिक सुखी और धनी हो गई। जिसका देश था, उसी को राज्य मिल गया।

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प्रश्न 4.
किसने किससे कहा?

  1. ‘भगवान नहीं चाहते कि इस देश के सिंहासन पर मेरे वंश का राज रहे।’
  2. अरे! तुझे नहीं मालूम? देश के राजा नहीं रहे।
  3. हाँ, यही न्याय की बात है। मंत्री जी को चाहिए कि वह प्रजा के हाथ में राज-काज सौंप दें।
  4. अरे तूने सुना, अपने देश में प्रजा का ही राज कायम हो गया है?

उत्तर:

  1. राजा ने मंत्री से कहा।
  2. हंस ने हंसिनी से कहा।
  3. हंसिनी ने हंस से कहा।
  4. हस ने हंसिनी से कहा।

हंसिनी की भविष्यवाणी भाव-विस्तार पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथनों का भाव-विस्तार कीजिए –

प्रश्न 1.
मैं भगवान की मरजी के खिलाफ काम नहीं करना चाहता।
उत्तर:
देश के राजा के कोई संतान नहीं थी। राजा बूढ़ा हो चला था। मंत्रीजी ने उसे किसी होनहार बालक को गोद लेने की सलाह दी ताकि उनके बाद उसे राजा बनाया जा सके। इस पर राजा ने कहा कि मैं भगवान की इच्छा के विरुद्ध कोई कार्य नहीं करूँगा, क्योंकि यदि भगवान यह चाहता कि उसके वंश का राज कायम रहे तो भगवान उसे संतान अवश्य देते।

किन्तु भावान नहीं चाहते कि देश पर उसका वंश राज करे इसलिए उन्होंने मुझे निस्संतान रखो। भगवान की इच्छा के विरुद्ध कार्य करना सर्वथा अनुचित होता है। उसकी इच्छा के विरुद्ध कार्य करने से मन अशांत रहता है। हानि होने का अंदेशा बना रहता है। ईश्वर की मरजी के विरुद्ध कार्य करना धर्म के विरुद्ध है। अतः ईश्वर की मरजी के बिना कार्य नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 2.
‘आखिरी वक्त तो मुझ से एक न्याय का काम हुआ? ईश्वर दूसरे देश बालों को भी ऐसी ही समझ दे।’
उत्तर:
राजा के मंत्री पद पर कार्य करते हुए, राजा की आज्ञा का पालन करते हुए प्रजा के हित अवहेलना करके, प्रजा पर अत्याचार और अन्याय किए। उनके हितों का बिलकुल ध्यान नहीं रखा परंतु जीवन के अंतिम समय में जिस प्रजा का देश है, उसी को उसका राज सौंपकर मैंने एक तो न्याय का काम किया है। जैसे इस देश में प्रजा का राज स्थापित हुआ है, ऐसी समझ भगवान दूसरे देश वालों को भी दे। दूसरे शब्दों में, दूसरे देशों में भी प्रजातंत्र की स्थापना हो।

हंसिनी की भविष्यवाणी भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए – (M.P. 2009)

  1. स्वर्ग सिधार जाना।
  2. कानों में भनक पड़ना।
  3. हँसी खेल न होना।

उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 हंसिनी की भविष्यवाणी img-1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
साधारण, बूढ़ा, हित, आसान, मालिक, धनी।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 हंसिनी की भविष्यवाणी img-2

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का समास-विग्रह कर नाम लिखिए –
राज-सिंहासन, राज-काज, हित-अनहित, हंस-हंसिनी, नील गगन, यथा शक्ति।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 हंसिनी की भविष्यवाणी img-3

प्रश्न 4.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर यथास्थान विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए – (M.P. 2012)
मंत्री को फिक्र हुई अब कौन राज काज संभाले कौन राजा बने ऐसा चतुर आदमी कहाँ मिले कैसे मिले मंत्री को कुछ सूझ नहीं रहा था क्या करें राजा का चुनाव साधारण काम तो नहीं राजभर की जनता के हित-अनहित का सवाल था कहीं किसी गलत आदमी को राजा चुन बैठे तो राज बरबाद हो सकता था मंत्री को यह सवाल नामुमकिन जान पड़ने लगा?
उत्तर:
मंत्री को फिक्र हुई, अब कौन राज काज सँभाले? कौन राजा बने? ऐसा चतुर आदमी कहाँ मिले, कैसे मिले? मंत्री को कुछ सूझ नहीं रहा था। क्या करें? राजा का चुनाव साधारण काम तो नहीं? राजभर की जनता के हित-अनहित का सवाल था। कहीं किसी गलत को राजा चुन बैठे, तो राज बरबाद हो सकता था। मंत्री को यह सवाल नामुमकिन जान पड़ने लगा।

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प्रश्न 5.
उदाहरण के अनुसार ‘तंत्र’ शब्द जोड़कर चार नए शब्द बनाइए –
प्रजा + तंत्र = प्रजातंत्र
उत्तर:

  1. स्व + तंत्र = स्वतंत्र
  2. राज + तंत्र = राजतंत्र
  3. पर + तंत्र = परतंत्र
  4. लोक + तंत्र = लोकतंत्र

हंसिनी की भविष्यवाणी योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
हंस और हंसिनी की लोककथा बाल-सभा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
अपने परिवेश में प्रचलित किसी लोक कथा की जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
पशु-पक्षियों के वार्तालाप से प्राप्त बोल कथाओं का संकलन कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
हमारे देश में भी प्रजातंत्र है। लोक सभा और विधान सभा के सदस्यों की संख्या पता कीजिए और उनके अधिभारों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

हंसिनी की भविष्यवाणी परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1.
मंत्री ने राजा को सलाह दी कि –
(क) वह किसी बालक को गोद ले लें।
(ख) वह किसी बालक को अपना उत्तराधिकारी बना दें।
(ग) वह किसी मंत्री को राजकाज सौंप दें।
(घ) वह किसी को भी अपना राजसिंहासन न सौंपें ।
उत्तर:
(क) वह किसी बालक को गोद ले लें।

प्रश्न 2.
मंत्री ने राजा को किसी बालक को गोद लेने की सलाह दी, क्योंकि –
(क) राजा बूढ़े हो गए थे
(ख) राजा निस्संतान थे
(ग) राजा के केवल लड़की थी
(घ) राजा को दूसरे राजा से खतराथा
उत्तर:
(ख) राजा निस्संतान थे।

प्रश्न 3.
राजा का चुनाव साधारण काम नहीं था क्योंकि –
(क) मंत्री को अपना पद जाने का सवाल था
(ख) जनता के हित-अहित का सवाल था
(ग) राज्य की रक्षा का सवाल था
(घ) राजा के परिवार का सवाल था।
उत्तर:
(ख) जनता के हित-अहित का सवाल था।

प्रश्न 4.
बातचीत की आवाज आ रही थी –
(क) महल के पीछे से
(ख) सरोवर के किनारे से
(ग) सरोवर के बीच से
(घ) सरोवर के पेड़ों के पीछे से
उत्तर:
(ग) सरोवर के बीच से।

प्रश्न 5.
वाह! यह छोटी-सी बात कैसे हुई? किसने कहा?
(क) मंत्री ने
(ख) राजा ने
(ग) हंसिनी ने
(घ) हंस ने
उत्तर:
(घ) हंस ने।

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प्रश्न 6.
‘अब दूसरे देशों में भी ऐसा ही राज कायम होगा’ में किस राज की बात की गई है?
(क) तानाशाही राज की
(ख) राजा के राज की
(ग) प्रजा के राज की
(घ) स्वतंत्र राज की
उत्तर:
(ग) प्रजा के राज की।

प्रश्न 7.
हंसिनी ने क्या भविष्यवाणी की?
(क) दूसरे देशों में प्रजातंत्र कायम होने की
(ख) दूसरे देशों में राजतंत्र कायम होने की
(ग) दूसरे देशों में परतंत्र कायम होने की
(घ) दूसरे देशों में भीड़तंत्र कायम होने की।
उत्तर:
(क) दूसरे देशों में प्रजातंत्र कायम होने की।

प्रश्न 8.
मंत्री ने इस तरह व्यवस्था बनाई कि –
(क) प्रजातंत्र का प्रारंभ हुआ
(ख) राजा का चुनाव करना आसान हो गया
(ग) राज्य में राजतंत्र पुनःस्थापित हो गया
(घ) मंत्री आसानी से राजा बन गया
उत्तर:
(क) प्रजातंत्र का प्रारंभ हुआ।

प्रश्न 9.
मंत्री को कुछ सूझ नहीं रहा था क्योंकि –
(क) राजा का चुनाव साधारण काम नहीं था
(ख) उसको अपना पद जाने का भय था
(ग) उसे किसी और के पदासीन होने की आशंका थी
(घ) उसे राज्य से निर्वासित होने का डर सता रहा था।
उत्तर:
(क) राजा का चुनाव साधारण काम नहीं था।

II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर कीजिए –

  1. ‘हंसिनी की भविष्यवाणी’ ………. है। (लोककथा/वेदकथा)
  2. ‘हंसिनी की भविष्यवाणी’ के लेखक हैं ……….। (उदयशंकर भट्ट/मनमोहन मदारिया)
  3. ………. का मालिक तो प्रजा ही है। (राज/राजा)
  4. जिसका यह देश है, उसको ही इसका ………. सँभालने दिया जाए। (शासन/राजकाज)
  5. मनमोहन मदारिया का साहित्य ………. है। (समाजोपयोगी बालोपयोगी)

उत्तर:

  1. लोककथा
  2. मनमोहन मदारिया
  3. राज
  4. राजकाज
  5. समाजोपयोगी।

III. निम्नलिखित कथनों में सत्य/असत्य छाँटिए –

  1. राजा ने कहा, “भगवान नहीं चाहते कि इस देश के राजसिंहासन पर दूसरे वंश का राज रहे।”
  2. मंत्री ने कहा, “राजन्! आप किसी होनहार बालक को गोद ले लें।”
  3. मंत्रीजी राजकाज से छुटकारा नहीं चाहते थे।
  4. किसी गलत आदमी के राजा बनने से राज बरबाद हो सकता था।
  5. देश में प्रजा के राज को राजतंत्र कहते हैं।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. असत्य।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 हंसिनी की भविष्यवाणी img-4
उत्तर:

(i) (ङ)
(ii) (ग)
(iii) (घ)
(iv) (ख)
(v) (क)।

V. निम्नलिखित प्रश्नों में प्रत्येक प्रश्न का उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
मंत्री ने राजा को अपना वारिस चुनने की सलाह क्यों दी?
उत्तर:
मंत्री ने राजा को अपना वारिस चुनने की सलाह इसलिए दी कि वह बुड्ढा हो गया था।

प्रश्न 2.
राजा का चुनाव क्या नहीं था?
उत्तर:
राजा का चुनाव साधारण काम नहीं था।

प्रश्न 3.
मंत्री ने किसकी बात कान लगाकर सुनी?
उत्तर:
मंत्री ने हंस और हंसिनी की वात कान लगाकर सुनी।

प्रश्न 4.
हंस ने न्याय की क्या बात कही?
उत्तर:
हंस ने यह न्याय की बात कही, “देश की असल मालिक तो प्रजा है, देश उसका ही है।”

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प्रश्न 5.
मंत्री ने संतोष की साँस क्यों ली?’
उत्तर:
मंत्री ने संतोष की साँस ली; क्योंकि आखिरी वक्त में उससे एक न्याय का काम हुआ था।

हंसिनी की भविष्यवाणी लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मंत्री ने बूढ़े राजा को किसी बालक को गोद लेने की सलाह क्यों दी?
उत्तर:
बूढ़े राजा निस्संतान थे। मंत्री ने राजा को किसी बालक को गोद लेने की सलाह इसलिए दी, ताकि उनके बाद उस बालक को राजकाज दिया जा सके।

प्रश्न 2.
राजा ने बालक को गोद लेने से इनकार क्यों कर दिया?
उत्तर:
राजा समझता था किसी बालक को गोद लेना भगवान की मरजी के खिलाफ होगा।

प्रश्न 3.
मंत्री राजकाज से छुटकारा क्यों पाना चाहता था?
उत्तर:
मंत्री राजकाज से छुटकारा पाना चाहता था; क्योंकि मंत्री बहुत बूढ़ा हो गया था।

प्रश्न 4.
सरोवर में हंस-हंसिनी किस संबंध में बातें कर रहे थे?
उत्तर:
सरोवर में हंस-हंसिनी मंत्री और देश के राजकाज के संबंध में बातें कर रहे थे।

प्रश्न 5.
हंसिनी ने राजकाज किसे सौंपने का सुझाव दिया?
उत्तर:
हंसिनी ने देश की असल मालिक प्रजा को राजकाज सौंपने का सुझाव दिया।

प्रश्न 6.
मंत्रीजी ने राज की किस पद्धति का आरंभ किया? उसे किस नाम से : जाना जाता है?
उत्तर:
मंत्रीजी द्वारा प्रारंभ की गई राज-पद्धति को प्रजातंत्र के नाम से जाना जाता है।

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प्रश्न 7.
राजा क्या था?
उत्तर:
राजा बूढ़ा और निस्संतान था।

प्रश्न 8.
मंत्री की चिंता कैसे दूर हुई?
उत्तर:
मंत्री की चिन्ता हंस-हंसिनी के परस्पर बातचीत को सुनने से दूर हुई।

प्रश्न 9.
दूसरे देशों में भी किस ढंग का राज्य फैला?
उत्तर:
दूसरे देशों में भी प्रजातंत्र का राज्य फैला।

प्रश्न 10.
हंसिनी ने राजकाज किसे सौंपने का सुझाव दिया? (M.P. 2009)
उत्तर:
हंसिनी ने राजकाज प्रजा को सौंपने का सुझाव दिया।

हंसिनी की भविष्यवाणी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राजा ने किसी बालक को गोद न लेने के लिए क्या तर्क दिए?
उत्तर:
राजा ने किसी बालक को गोद न लेने के लिए निम्नलिखित तर्क दिए –

  1. भगवान नहीं चाहते कि देश के राजसिंहासन पर मेरे वंश का राज रहे।
  2. मैं भगवान की मर्जी के खिलाफ कुछ नहीं करूँगा। मैं भगवान की मरजी के खिलाफ कुछ नहीं करना चाहता।

प्रश्न 2.
हंसिनी ने राजा चुनने के प्रश्न को कैसे हल कर दिया?
उत्तर:
हंसिनी ने राजा चुनने के प्रश्न को बड़ी सरलता से हल कर दिया। उसने – हंस से कहा कि जो देश का असली मालिक है, उसे राजकाज सौंप दो। देश की असली मालिक प्रजा है और प्रजा को ही उसका राजकाज सौंप देना चाहिए।

प्रश्न 3.
हंसिनी ने राजकाज प्रजा को सौंपने की क्या योजना बताई? (M.P. 2012)
उत्तर:
हंसिनी ने राजकाज प्रजा को सौंपने की निम्नलिखित योजना बताई-प्रजा अपने में से कुछ व्यक्तियों को चुन ले। वे प्रजा की ओर से राजकाज सँभाले। उन व्यक्तियों में से एक मुखिया चुन लें और वह मुखिया चार-पाँच व्यक्तियों को चुन ले। वे सब मिलकर काम करें। यदि ठीक काम न करें तो प्रजा उन्हें हटाकर दूसरे आदमी चुन लें।

प्रश्न 4.
मंत्री की क्या परेशानी थी?
उत्तर:
मंत्री की यह परेशानी थी कि वह राजा का चुनाव कैसे करे, क्योंकि राजा का चुनाव आसान काम नहीं था। यह पूरे देश की जनता के हित-अनहित का प्रश्न था, इसके लिए उसने कुछ चतुर-सयाने लोगों से सलाह ली। लेकिन किसी ने सही सलाह नहीं दी थी। गलत आदमी को राजा बनाने से पूरा देश बरबाद हो सकता था।

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प्रश्न 5.
विचार-सभा बनने से क्या हुआ?
उत्तर:
विचार-सभा बनने से देश में नए ढंग का राज होने लगा। इससे प्रजा को बहुत अधिक लाभ हुआ। प्रजा पहले कभी उतनी सुखी और धनी नहीं रही थी, जितनी इस नए ढंग के राज में सुखी रही।

हंसिनी की भविष्यवाणी लेखक-परिचय

प्रश्न 1.
मनमोहन मदारिया का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
समाज-कल्याण से निरंतर रूप से जुड़े मनमोहन मदारिया का जन्म मध्य प्रदेश के बोहानी नरसिंहपुर गाँव में 3 सितंबर, 1929 को हुआ। आपने बी.एस.सी., एम.ए. और एल.एल.बी. तक शिक्षा प्राप्त की। उसके उपरान्त आप दैनिक अखबारों में संपादक के कार्य से जुड़े। विज्ञान और साहित्य की समझ और पत्रकारिता की समझ के कारण ही आप साहित्य-सृजन की ओर मुड़ पड़े। साहित्य-सृजन के क्षेत्र में आपने कहानी, उपन्यास, संस्मरण, व्यंग्य और बालोपयोगी साहित्य की रचना की। आपने मध्य प्रदेश शासन के समाज-कल्याण विभाग से अवकाश ग्रहण किया। आज भी आप साहित्य-सृजन के क्षेत्र में सक्रिय हैं।

साहित्यिक विशेषताएँ:
मदनमोहनजी ने अपनी साहित्य रचनाओं में अपने विचार, अनुभव और समकालीन सोच में सामंजस्य को स्थान दिया है। यह सामंजस्य उनकी रचनाओं से स्पष्ट झलकता है। जमीन से जुड़ाव और सामाजिक समस्याओं से साक्षात्कार ने उनकी रचनात्मकता को व्यापक फलक प्रदान किया है। यही कारण है कि उन्होंने विविध विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई है।

रचनाएँ:

  • कहानी-संकलन – एक वासंती रात, समुद्र के किनारे।
  • उपन्यास – चार दीवारी, मिसेज लाल।
  • संस्मरण-संग्रह – वे सहचर आत्मा के।
  • व्यंग्य-संग्रह – मेरी प्रिय व्यंग्य रचनाएँ।
  • एकांकी-संग्रह – सूरज की धूप।
  • बालोपयोगी साहित्य – गुदड़ी का लाल (उपन्यास), आज की लोककथाएँ, बाल, कथाएँ आदि।

भाषा-शैली:
मनमोहन मदारिया की भाषा-शैली सहज, सरल, प्रांजल खड़ी बोली है। उनकी भाषा में उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग भी हुआ है। उनकी भाषा में व्यंग्य के छींटे भी हैं। बालोपयोगी साहित्य की भाषा सहज और स्वाभाविक है। वे नवसाक्षरों हेतु उपयोगी साहित्य-सृजन में सिद्धहस्त हैं। समाज कल्याण विभाग से संबद्धता और संपादन कार्य ने उन्हें समाजोपयोगी सृजन का विस्तृत क्षेत्र प्रदान किया है।

हंसिनी की भविष्यवाणी पाठ का सारांश

प्रश्न 1.
‘हंसिनी की भविष्यवाणी’ कहानी का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
मनमोहन मदारिया ने इस कहानी में लोककथा शैली को अपनाते हुए प्रजातंत्र शासन-पद्धति की प्रारंभिक अवधारणा को एक कल्पना कथा के द्वारा प्रस्तुत किया है। कहानी का सार इस प्रकार है –

एक देश के राजा को कोई संतान नहीं थी। उस बूढ़े राजा को मन्त्री ने किसी योग्य बालक को गोद लेने की सलाह दी परंतु राजा ने इस सलाह को यह कहकर मानने से इनकार कर दिया कि भगवान नहीं चाहते कि इस देश के राजसिंहासन, पर मेरे वंश का राज रहे। मैं भगवान की इच्छा के विपरीत कार्य नहीं करना चाहता। कुछ समय बाद राजा की मृत्यु हो गई। मंत्रीजी बड़े चिंतित हुए कि अब राज-काज कौन चलाये। कौन राजा बने? वह स्वयं भी बहुत वृद्ध थे। वे मरने से पहले किसी चतुर आदमी के हाथ में राज-काज सौंपना चाहते थे।

उन्होंने कई लोगों की सलाह ली, पर कोई ठीक से राय नहीं दे सका। – एक दिन मंत्रीजी महल के पीछे सरोवर के किनारे टहल रहे थे और नया राजा चुनने के संबंध में सोच रहे थे कि वह समस्या अचानक सुलझ गई। सरोवर के किनारे टहलते हुए उन्हें हंस-हंसिनी की बातें सुनाई पड़ीं जो मंत्रीजी और नया राजा चुनने के संबंध में ही बातें कर रहे थे। हंसिनी ने सुझाव दिया कि जिसका राज-काज है, उसे ही सँभालने दिया जाए। हंस ने कहा, देश की असल मालिक तो प्रजा है, देश उसका ही है। हंसिनी ने कहा-न्याय की बात तो यही है कि मंत्रीजी को राजकाज प्रजा को सौंप देना चाहिए। इसके बाद हंसिनी ने प्रजा को राज-काज सौंपने की सारी प्रक्रिया समझाई।

हंसिनी की बातों को सुनकर मंत्रीजी को उपाय सूझ गया। उन्होंने एक विचार-सभा स्थापित की। उसमें तीन सौ आदमी थे। वे देश की तीन करोड़ जनता द्वारा चुने गए थे। उनमें से एक आदमी को नेता चुना गया। वह देश का मुखिया हुआ। उस मुखिया ने विचार-सभा में से चार आदमी और चुन लिए। वे मिलकर राजकाज चलाने लगे। यह बंदोबस्त प्रजा के लिए बड़ा हितकारी हुआ ! प्रजा नए ढंग के राज में पहले से अधिक धनी और सुखी हुई।

पुराने मंत्री अपने महल में आराम से रहने लगे। एक दिन जब मंत्रीजी सरोवर की ओर विहार के लिए गए तो उन्होंने हंस-हंसिनी को बातें करते सुना। हंस हंसिनी से कह रहा था कि अपने देश में प्रजा का ही राज स्थापित हो गया है। हंसिनी ने कहा, इसमें आश्चर्य की क्या बात है? आज नहीं तो कल यह तो डोने वाला ही था। अब दूसरे देशों में भी ऐसा ही राज कायम होगा। हंस ने कहा, भगवान करे, तेरी बात सच हों। मंत्री ने उनकी बातें सुनकर संतोष की साँस ली और मन ही मन कहा, चलो आखिरी वक्त में मुझसे एक न्याय का काम हुआ। आगे चलकर हंसिनी की भविष्यवाणी सच हुई। दूसरे देशों में भी उस ढंग का राज फैला। इस प्रकार के प्रशासन को आज प्रजातंत्र के नाम से जाना जाता है।

हंसिनी की भविष्यवाणी संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

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प्रश्न 1.
कुछ दिनों बाद राजा चल बसा। मंत्रीजी को फिक्र हुई, अब कौन राज-काज सँभाले? कौन राजा बने? वह खुद बहुत बूढ़े थे। राज-काज से अब वह भी छुटकारा चाहते थे। मगर इसके पहले किसी चतुर आदमी के हाथ में वह राज-काज सौंप देना चाहते थे। ऐसा चतुर आदमी आखिर कहाँ मिले, कैसे मिले? मंत्री इसी सोच में थे। उन्होंने कुछ चतुर-सयाने लोगों से सलाह ली पर कोई ठीक राय न दे सका। मंत्री सब तरफ से निराश हो गए। कुछ सूझ नहीं रहा था, क्या करें? राजा का चुनाव साधारण काम तो था नहीं राज्यभर की जनता के हित-अनहित का सवाल था। कहीं किसी गलत आदमी को राजा चुन बैठे तो राज बरबाद हो सकता था। मंत्री को यह सवाल नामुमकिन जान पड़ने लगा। (Pages 80-81)

शब्दार्थ:

  • चल बसा – मृत्यु होना।
  • फ्रिक – चिंता।
  • चतुर – चालाक, योग्य।
  • सयाने – समझदार।
  • राय – सलाह।
  • बरबाद – समाप्त।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश मनमोहन मदारिया द्वारा रचित कहानी ‘हंसिनी की भविष्यवाणी’ से उद्धृत है। इस गद्यांश में मंत्री नए राजा के चुनाव को लेकर चिंतित है। उसके सामने नए राजा का चुनाव करना एक समस्या बन गया है। इस पर प्रकाश डालते हुए लेखक ने कहा है –

व्याख्या:
कुछ समय के बाद बूढ़े निस्संतान राजा की मृत्यु हो गई। संतानहीन होने के कारण उसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। उसकी मृत्यु के बाद मंत्री को चिंता हुई कि अब राज्य का कार्य कौन सँभालेगा? कौन राजा बने? मंत्री स्वयं भी बहुत बूढ़ा हो गया था। वह राजकार्य चलाने में असमर्थ था। मंत्री तो स्वयं अब राजकार्य से मुक्त होना चाहता था। मंत्री राजकार्य से मुक्ति पाने से पहले किसी योग्य व्यक्ति को राजकाज दे देना चाहता था। उन्हें इस बात की चिंता हो रही थी कि ऐसा योग्य व्यक्ति उन्हें कहाँ मिलेगा। उसे कहाँ खोजा जाए और कैसे खोजा जाए। मंत्रीजी इसी सोच-विचार में लगे हुए थे। उन्होंने राज्य के कुछ योग्य और समझदार लोगों से इस संबंध में विचार-विमर्श किया। किंतु कोई भी उचित सलाह नहीं दे सका।

मंत्री सब ओर से निराश हो गया। उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि क्या करें और कैसे राजा का चुनाव करें। राजा का चुनाव करना कोई साधारण काम नहीं था। राजा के चुनाव के साथ राज्य की समूची जनता की भलाई और बुराई का प्रश्न जुड़ा था। यदि योग्य व्यक्ति राजा बना, तो वह जनता की भलाई, उसके कल्याण के लिए कार्य करेगा और यदि राजा अयोग्य चुना गया, तो जनता पर अन्याय, अत्याचार करेगा। मंत्री को डर था कि यदि उसने राजा के रूप में गलत व्यक्ति का चुनाव कर दिया, तो सारा राज्य नष्ट हो जाएगा। मंत्री को योग्य राजा चुनने के प्रश्न का उत्तर मिलना असंभव लग रहा था। उसे लगने लगा था कि योग्य राजा का चुनाव करना अत्यंत मुश्किल है।

विशेष:

  1. मंत्री की चिंता को व्यक्त किया गया है।
  2. विचारात्मक शैली है।
  3. सरल, सुबोध खड़ी बोली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
मंत्री को क्यों चिंता सता रही थी?
उत्तर:
राजा की मृत्यु हो चुकी थी। राज्य का मंत्री इसलिए चिंतित था कि राजा निःसंतान था। उसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। मंत्री को चिंता सता रही थी कि वह अब किसे राजा बनाए, जो राज्य का कार्यभार सँभाल सके।

प्रश्न (ii)
मंत्री स्वयं राजा क्यों नहीं बनना चाहता था?
उत्तर:
मंत्री ईमानदार और स्वामिभक्त था। दूसरे वह बहुत बूढ़ा हो चुका था। समस्त राज-काज संलना उसके बस का नहीं था। मंत्री स्वयं राजकाज से छुटकारा चाहता था इसलिए वह स्वयं राजा नहीं बनना चाहता था।

प्रश्न (iii)
मंत्री ने राजा चुनने के लिए क्या प्रयास किया?
उत्तर:
मंत्री ने योग्य व्यक्ति को राजा चुनने के लिए राज्य के योग्य और समझदार व्यक्तियों से विचार-विमर्श किया किन्तु कोई भी उन्हें उचित सलाह नहीं दे सका।

प्रश्न (iv)
राजा का चुनाव साधारण काम क्यों नहीं था?
उत्तर:
राजा का चुनाव साधारण काम नहीं था, क्योंकि इसके साथ राज्य की प्रजा के हित-अहित का प्रश्न जुड़ा था। राज्य की सुरक्षा का भी प्रश्न था । अयोग्य व्यक्ति राजा बन जाए, तो राज्य बरबाद हो सकता था।

गद्य पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
मंत्री कैसा राजा ढूँढना चाहता था और क्यों?
उत्तर:
मंत्री राज्य के लिए योग्य व्यक्ति ढूँढना चाहता था, क्योंकि वह चाहता था कि यदि योग्य व्यक्ति राजा बना, तो वह राज्य की प्रजा के हितों का ध्यान रखेगा और राज्य भी सुरक्षित रहेगा।

प्रश्न (ii)
मंत्री सब तरफ से निराश क्यों हो गया?
उत्तर:
मंत्री चतुर व्यक्ति के हाथ में सारा राजकाज सौंप देना चाहते थे। उसने योग्य व्यक्ति की खोज के लिए राज्य के विद्वानों से विचार-विमर्श किया किंतु कोई भी व्यक्ति उचित सलाह नहीं दे सका। इसलिए मंत्री निराश हो गया।

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प्रश्न 2.
हंस-हंसिनी की इन बातों से मंत्री को राह सूझ गई। उनकी एक बड़ी फिक्र मिट गई। उन्होंने हंस-हंसिनी की बातों के मुताबिक काम किया। देश में एक विचारसभा कायम की गई। उसमें तीन सौ आदमी थे। ये आदमी प्रजा ने चुने थे। देश की आबादी तीन करोड़ थी। एक लाख आबादी में से एक आदमी चुना गया था। इस तरह विचारसभा में प्रजा के जाने-माने आदमी थे। विचारसभा के तीन सौ आदमियों ने अपना एक नेता चुना।

वह आदमी देश का मुखिया हुआ, उसने ही पुराने राजा का काम सँभाला। अपनी मदद के लिए उसने विचारसभा में से ही चार आदमी और चुन लिए। वे पाँच लोग मिल-जुलकर राज-काज चलाने लगे। उनके कामों पर विचारसभा की निगरानी रहती थी। विचारसभा राज चलाने के कानून भी बनाती थी। इस तरह देश में नएं ढंग से राज होने लगा। यह बंदोबस्त प्रजा के लिए बड़ा हितकारी हुआ। प्रजा पहले कभी उतनी सुखी और धनी नहीं रही थी जितनी इस नए ढंग के राज में सुखी रही। (Page 82)

शब्दार्थ:

  • राह सूझना – रास्ता दिखाई देना।
  • फ्रिक – चिंता।
  • मुताबिक – के अनुसार।
  • कायम – स्थापना, स्थापित करना।
  • आबादी – जनसंख्या।
  • जाने-माने – प्रसिद्ध, योग्य।
  • निगरानी – देख-रेख।
  • बंदोबस्त – व्यवस्था।
  • हितकारी – कल्याणकारी।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश मनमोहन मदारिया द्वारा रचित कहानी ‘हंसिनी की भविष्यवाणी’ से उद्धृत है। इस गद्यांश से प्रजातंत्र पद्धति की प्रारंभिक अवधारणा को प्रस्तुत करने के साथ-साथ उसके सफल होने का भी वर्णन किया गया है।

व्याख्या:
हंस-हंसिनी के पारस्परिक वार्तालाप को सुनकर राजा की खोज के लिए मंत्री को रास्ता समझ में आ गया। उसकी एक बहुत बड़ी चिंता समाप्त हो गई। मंत्री ने हंस-हंसिनी की बातों के अनुसार प्रजा का राज्य प्रजा को सौंपने का कार्य आरंभ कर दिया। उन्होंने देश में एक विचारसभा की स्थापना की। उस विधारसभा में तीन सौ व्यक्ति थे। ये तीन सौ व्यक्ति प्रजा ने स्वयं चुने थे। देश की कुल जनसंख्या तीन करोड़ थी। इस प्रकार एक लाख की जनसंख्या में से एक आदमी चुना गया था। दूसरे शब्दों में, विचारसभा का गठन प्रजा ने अपने चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा किया। विचारसभा के सदस्यों की संख्या जनसंख्या पर आधारित थी।

एक लाख व्यक्तियों का एक प्रतिनिधि था। विचारसभा के तीन सौ आदमियों ने अपना एक नेता चुना। वह नेता देश का मुखिया हुआ। उस मुखिया ने ही पुराने राजा का कार्य सँभाल लिया। उसने अपनी सहायता के लिए विचारसभा से ही चार व्यक्तियों का चुनाव कर लिया। वे पाँच लोग मिल-जुलकर राज्य का राजकाज चलाने लगे। उनके द्वारा किए गए और किए जाने वाले सभी काम पर विचारसभा देख-रेख करती थी।

विचारसभा ही देश का प्रशासन सुचारु रूप से चलाने के नियम-उपनियम बनाती थी। इस प्रकार देश में नई शासन-व्यवस्था से राज होने लगा। यह शासन-व्यवस्था देश की प्रजा के लिए बड़ा कल्याणकारी सिद्ध हुआ। इस शासन-व्यवस्था के कारण प्रजा पहले की अपेक्षा अधिक सुखी और धनी थी। इस नए ढंग की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में प्रजा अत्यंत सुखी रही।

विशेष:

  1. प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था की प्रारंभिक अवधारणा को प्रस्तुत किया गया है।
  2. विचारात्मक शैली है।
  3. भाषा सहज, सरल, उर्दू शब्दों से युक्त खड़ी बोली है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
हंस-हंसिनी की बातों से मंत्री को कौन-सी राह सूझ गई?
उत्तर:
मंत्रीजी देश के लिए योग्य राजा चुनने की चिंता से ग्रस्त थे। उसे राजा के योग्य व्यक्ति नहीं मिल रहा था। हंस-हंसिनी की पारस्परिक बातों से मंत्री को रास्ता मिल गया कि देश की असली मालिक प्रजा है और प्रजा को देश का राजकाज सौंप देना चाहिए। यही न्याय है।

प्रश्न (ii)
मंत्री ने देश की प्रजा को राजकाज सौंपने के लिए क्या किया?
उत्तर:
मंत्री ने देश में एक विचारसभा की स्थापना की। उसमें जनसंख्या के आधार पर जनता को एक प्रतिनिधि चुनकर भेजने को कहा। प्रजा ने अपने तीन सौ प्रतिनिधि चुनकर भेजे। ये सभी देश के जाने-माने व्यक्ति थे। विचारसभा के आदमियों ने अपना एक मुखिया चुना। मुखिया ने उन आदमियों में से चार आदमी चुन लिए। मंत्री ने मुखिया को सारा राजकाज सौंप दिया। वे सब मिलकर राजकाज चलाने लगे।

प्रश्न (iii)
नए ढंग की व्यवस्था से क्या फल हुआ?
उत्तर:
नए ढंग की व्यवस्था से राज में प्रजा का बहुत.हित हुआ। राज में सुख और शांति का वातावरण बना। प्रजा पहले राज की तुलना में अधिक धनी और सुखी हुई।

गद्य पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
मंत्री ने किसके मुताबिक कार्य किया और क्यों?
उत्तर:
मंत्री ने हंस-हंसिनी की बातों के मुताबिक कार्य किया क्योंकि उसे देश ‘ की असली मालिक प्रजा को राजकाज सौंपने की बात उचित लगी।

प्रश्न (ii)
पुराने राजा का कार्य किसने सँभाला?
उत्तर:
पुराने राजा का काम विचारसभा में तीन सौ आदमियों द्वारा अपना नेता चुने गए व्यक्ति ने सँभाला।

प्रश्न (iii)
विचारसभा क्या-क्या कार्य करती थी?
उत्तर:
विचारसभा मुखिया उसके सहयोगी के कामों पर निगरानी रखती थी। वह राज चलाने के लिए कानून बनाती थी।

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