MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 11 हिम-प्रलय (विज्ञान कथा, डॉ. जयन्त नार्लीकर)
हिम-प्रलय पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
हिम-प्रलय लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1:
हिमपात का मुकाबला कौन-कौन से देश नहीं कर सके थे?
उत्तर:
हिमपात का मुकाबला जापान, यूरोप, रूस, कनाडा जैसे प्रगत राष्ट्र नहीं कर सके।
प्रश्न 2.
डॉ. वसंत चिटणीस का कौन-सा सिद्धान्त विश्वविख्यात हुआ?
उत्तर:
डॉ. वसंत चिटणीस का यह सिद्धान्त विश्वविख्यात हुआ-“हिम प्रलय का आगमन-भारतीय वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी!”
प्रश्न 3.
राजीव शाह ने अपनी डायरी में क्या लिखा?
उत्तर:
राजीव शाह ने अपनी डायरी में लिखा:
हिम-प्रलय के आगमन की आशंका किसी को चिंतित नहीं कर रही थी। बंबई को भारत की अस्थायी राजधानी बनाने की बात सरकारी लाल फीताशाही में सिमट कर रह गई थी। “कुछ पराक्रमी राजाओं ने इन्द्र पर चढ़ाई की थी। ऐसी हमारी पौराणिक कथाओं में लिखा है। वही बात आज के आक्रमण को देखकर याद आ रही है। लेकिन क्या आज यह चढ़ाई सफल होगी?”
प्रश्न 4.
आकाश में ऊर्जा का वातावरण बनाना क्यों आवश्यक था?
उत्तर:
आकाश में ऊर्जा का वातावरण बनाना आवश्यक था। यह इसलिए कि प्रक्षेपण अस्त्रों के द्वारा किए जाने वाले विस्फोटों का उपयोग किया जा सके।
प्रश्न 5.
आकाश में अग्निबाणों की सफलता का पता कैसे चला?
उत्तर:
बटन दबाते ही एक के बाद एक अग्निबाण अंतरिक्ष की ओर लपक पड़े। इस बार इन अग्निबाणों का उद्देश्य तापमान पर नियंत्रण पाना था, न कि तापमान या मौसम का पूर्वानुमान बताना। इससे आकाश में अग्निदाणों की सफलता का पता चला।
हिम-प्रलय दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
हिमपात से बचने की डॉ. चिटणीस की क्या योजना थी?
उत्तर:
हिमपात से बचने की डॉ. चिटणीस की यह योजना थी कि हिम-प्रलय प्रतिबंधक उपाय है, वह महंगा है, लेकिन फिर भी उस पर अभी से अमल किया जाना चाहिए।
प्रश्न 2.
डॉ. वसंत चिटणीस ने क्या चेतावनी दी थी?
“अबकी गर्मियों में इस बर्फ को भूलिए नहीं क्योंकि अगली सर्दियाँ इतनी भयंकर होंगी कि बर्फ पिघलने का नाम ही नहीं लेगी। हिम-प्रलय प्रतिबंधक उपाय है, वह महंगा है, लेकिन फिर भी उस पर अभी से अमल कीजिए।”
प्रश्न 3. अन्य वैज्ञानिकों ने डॉ. बसंत की बात पर ध्यान क्यों नहीं दिया?
उत्तर:
कुछ ऐसे वैज्ञानिक भी थे, जो अब भी यह मानते थे कि न तो यह हिम-प्रलय है और न ही उसका प्रारंभ । वसंत चिटणीस का सिद्धान्त उन्हें मान्य नहीं था। उनकी यही धारणा थी कि शीत लहर जैसे आई वैसी चली जाएगी और तापमान सामान्य हो जाएगा। किंतु ठंड की चपेट में आए देशों के गले यह बात उतारना कठिन था।
प्रश्न 4.
डॉ. वसंत को टैलेक्स द्वारा क्या संदेश मिला?
उत्तर:
डॉ. वसंत को टेलैक्स द्वारा यह संदेश मिला:
“आपके कथनानुसार अंटार्कटिक में बर्फ के फैलाव में वृद्धि हुई है और वहाँ के पानी की परत का तापमान भी दो अंश कम पाया गया है। अपने सर्वेक्षण के आधार पर मैं यह कह सकता हूँ कि यह परिवर्तन पिछले दो वर्षों में हुआ है।”
प्रश्न 5.
डॉ. वसंत ने राजीव शाह को कहाँ और क्यों जाने की सलाह दी?
उत्तर:
डॉ. वसंत ने राजीव शाह को अगले साल इंडोनेशिया चले जाने की सलाह दी। यह इसलिए कि भूमध्य रेखा के पास ही बचने की कुछ गुंजाइश है।
हिम-प्रलय भाव-विस्तार/पल्लवन
प्रश्न 1.
इस बार की गर्मियाँ उस दीपक की भांति थीं, जो बुझने से पहले एक बार अधिक रोशनी देता है।
उत्तर:
उपर्युक्त वाक्य के द्वारा लेखक ने यह भाव प्रकट करना चाहा है कि अत्यंत भयंकर गर्मी के कारण सारा वातावरण अग्निमय हो जाता है। पृथ्वी की तपन को सूरज का प्रकाश अपनी चरम सीमा पर बढ़ाकर आग की लौ की तरह वातावरण को असह्य बना देता है। इस प्रकार के वातावरण को देखकर ऐसा लगने लगता है कि पूरा वातावरण एक ऐसे दीपक के समान है, जो रोशनी करते-करते बुझ रहा है। लेकिन वह बुझने से पहले अपनी पूरी शक्ति को एक बड़ी लौ के रूप में लगा देता है।
हिम-प्रलय भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ बताते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
चार-चाँद लगाना, नाक रगड़ना, कलेजा काँपना, पसीना छूटना, पाँव पसारना।
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्नलिखित सामासिक शब्दों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए।
हिम-प्रलय, समुद्र-विज्ञान, विश्वविख्यात, दुष्चक्र, वसंत ऋतु, हिमयुग।
उत्तर:
प्रश्न 3.
‘सत्य’ के पूर्व ‘अ’ उपसर्ग जोड़ने से ‘असत्य’ शब्द बनता है। ‘अ’ उपसर्ग से बनने वाले पाँच शब्द पाठ में से छाँटकर लिखिए?
उत्तर:
‘अ’ उपसर्ग से बनने वाले पाँच शब्द –
- अमल
- अस्थायी
- अप्रिय
- अमान्य
- अदावत।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय अलग कीजिए।
वैज्ञानिक, कीर्तिमान, तकनीकी, नैतिकता, भारतीय।
उत्तर:
प्रश्न 5.
पाठ में आए आगत (विदेशी) शब्दों को छाँटकर उनके मानक हिन्दी शब्द रूप लिखिए।
उत्तर:
हिम-प्रलय अपठित गद्यांश
विज्ञान एक दोधारी तलवार है। इसके अनगिनत लाभ हैं तो अनचाही हानियाँ भी। विज्ञान ने एक ओर मनुष्य को तमाम सुविधाएँ दी हैं तो दूसरी ओर उसके मन की शांति छीन ली है। यदि उत्पादन में वृद्धि हुई है तो वहीं मनुष्य के हाथ से काम छीनकर बेरोजगारी भी बढ़ाई है। संसार के निर्माण और ध्वंस की अपार शक्ति विज्ञान के पास है। विज्ञान ने मनुष्य के विवेक पर पर्दा डाल दिया है पर गहराई से देखा जाए तो इसमें दोष विज्ञान का नहीं है। दोप वस्तुतः मनुष्य की बुद्धि का है जो उसकी तृष्णाओं और इच्छाओं को विस्तार देकर विज्ञान का सदुपयोग करने के स्थान पर दुरुपयोग सिखा रही है। यदि विज्ञान विभीषिका से बचाता है तो मनुष्य को अपनी सोच में व्यापक परिवर्तन करना पड़ेगा।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
- इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
- गद्यांश का सार-संक्षेप अपने शब्दों में लिखिए?
- विज्ञान से होने वाली हानियों के लिए कौन दोषी है?
- वैज्ञानिक विभीषिकाओं से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:
1. ‘विज्ञान और मनुष्य’।
2. विज्ञान के दो पहलू हैं-लाभ और हानि। विज्ञान से मनुष्य को अनेक लाभ हैं तो अनेक हानियाँ भी हैं। असल बात यह है कि विज्ञान ने मनुष्य के विवेक पर पर्दा डाल दिया है। इससे मनुष्य विज्ञान का सदुपयोग नहीं, अपितु दुरुपयोग करने लगा है। इससे बचने के लिए उसे अपनी सोच-समझ में बदलाव लाना ही होगा।
3. विज्ञान से होने वाली हानियों के लिए मनुष्य दोषी है।
4. वैज्ञानिक विभीषिका से बचने के लिए मनुष्य को अपनी सोच-समझ में व्यापक बदलाव लाना होगा।
हिम-प्रलय योग्यता विस्तार
प्रश्न 1.
‘ग्रीन हाउस प्रभाव’ के कारण और निदान विषय पर एक चार्ट तैयार कीजिए तथा कक्षा में उसका प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/ अध्यापिका की सहायता से हल करें।
प्रश्न 2.
हिम-प्रलय की तरह जल-प्रलय भी एक वैज्ञानिक संभावना या पृथ्वी पर एक आसन्न संकट है। जल-प्रलय की स्थिति में उसका सामना कैसे किया जा सकता है? इस पृष्ठभूमि पर एक विज्ञान-कथा या फंतासी लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/ अध्यापिका की सहायता से हल करें।
प्रश्न 3.
पिछले दस वर्षों में भारत में कौन-कौन-सी बड़ी प्राकृतिक आपदाएँ आई हैं उनको वर्ष के क्रमानुसार सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/ अध्यापिका की सहायता से हल करें।
हिम-प्रलय परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
हिम-प्रलय लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
डॉ. वसंत चिटणीस के हर वक्तव्य, हर टिप्पणी को महत्त्व क्यों प्राप्त हो गया?
उत्तर:
डॉ. वसंत चिटणीस के हर वक्तव्य, हर टिप्पणी को महत्त्व प्राप्त हो गया। यह इसलिए कि सभी ने उनकी बात मान ली। सामान्य आदमी भी उनकी बातों का महत्त्व समझ रहा था।
प्रश्न 2.
डॉ. वसंत की चेतावनी लोगों को खोखली क्यों लगी?
उत्तर:
डॉ. वसंत की यह चेतावनी लोगों को खोखली लगी क्योंकि अप्रैल में वसंत ऋतु का आगमन ठीक समय पर हुआ था और जून-जुलाई में पृथ्वी की तपन बढ़ाने के लिए सूर्य-प्रकाश अपनी चरम सीमा पर था। सभी लोग मानकर चल रहे थे कि पिछली सर्दियाँ भले ही भयानक रही हों, लेकिन अब फिर वही हाल नहीं होगा।
प्रश्न 3.
डॉ. चिटणीस ने अपनी दराज से क्या निकाला?
उत्तर:
डॉ. चिटणीस ने अपनी दराज से एक टंकलिखित लेख निकाला, जिसका शीर्षक था-‘अभियान : इन्द्र पर आक्रमण’।
प्रश्न 4.
क्या इन्द्र पर आक्रमण सफल होगा? इस प्रश्न का उत्तर कब मिलने लगा था?
उत्तर:
सितम्बर में इस प्रश्न का उत्तर मिलने लगा था। उत्तरी हिन्दुस्तान में जमीन की बर्फ पिघलने लगी। फ्लोरिडा से कैलिफोर्निया के बीच की जमीन बर्फ के सफेद बुरखे से धीरे-धीरे झाँक रही थी। आखिर बर्फ पिघलने लगी थी।
हिम-प्रलय दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
नवंबर माह में क्या घटना घटी?
उत्तर:
बंबईवालों ने 2 नवंबर को एक बहुत बड़ा अभूतपूर्व दृश्य देखा। वह यह कि आकाश में पूरे दिन पक्षी उड़ते रहे। वे वायुसेना की किसी कवायद की तरह बहुत ही अनुशासन में उड़ रहे थे। हर रोज की तरह उस दिन कौए गायब हो रहे थे। वे सभी पक्षी दक्षिण की ओर जा रहे थे। 4 नवंबर को अंतरिक्ष में स्थिर अनेक उपग्रहों ने संदेश देने शुरू कर दिए थे कि पृथ्वी के आस-पास वायुमंडल में हिमपात के आसार नजर आ रहे हैं। अगले चौबीस घंटों में जगह-जगह बर्फ गिरने की संभावना है। इससे पहले पक्षियों को खतरे का अंदाज हो चुका था। वे भूमध्य रेखा तक सुरक्षित पहुँच चुके थे।
प्रश्न 2.
हिमपात ने होम्स के विचार किस प्रकार बदल डाले थे?
उत्तर:
हिमपात ने होम्स के विचार भी बदल डाले थे। वरना राजीव की इस सूचना को वे तुरन्त अमान्य कर देते। वसंत चिटणीस तीन-चार सालों से जिस हिमप्रलय की पूर्व सूचना दे रहे थे, वह तो आन खड़ा था। इसलिए इससे बचने का उनके पास यदि उपाय है तो उस पर विचार होना ही चाहिए। होम्स ने बात मान ली और दो ही दिन बाद राजीव शाह को लेकर होम्स बांडुंग गए। लेकिन क्या हम वास्तव में इस विपदा पर विजय पा सकेंगे? उनके मन में अभी भी थोड़ी शंका थी।
प्रश्न 3.
डॉ. वसंत चिटणीस की दूसरी क्या सताने लगी थी?
उत्तर:
प्रकृति और इंसान के बीच छिड़े युद्ध में इंसान की जीत हुई थी, लेकिन अब उसे अनेक समस्याओं का सामना करना था। बर्फ पिघलने से ‘न भूतो न भविष्यति’ बाढ़ आने वाली थी। पृथ्वी की जनसंख्या आधी हो चुकी थी। अनेक बहुमूल्य चीजें इसी आक्रमण में नष्ट हो गई थीं। इस एकता का परिचय इंसान ने इंद्र पर आक्रमण के दौरान दिया था, क्या?
प्रश्न 4.
‘हिम-प्रलय’ विज्ञान-कथा के द्वारा लेखक क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर:
इस विज्ञान कथा में प्रकृति असन्तुलन से उत्पन्न समस्या को आधार बनाया गया है। प्राकृतिक आपदाएँ कभी भी, किसी भी देश पर आ सकती हैं। ऐसी स्थित में यदि यथासमय उचित प्रयास नहीं किए गए तो महाविनाश की स्थिति निर्मित हो सकती हैं। विकसित कहे जाने वाले राष्ट्र भी इन आपदाओं से संघर्प करम में विफल हो सकते हैं। मानव जाति का अस्तित्व बचाए रखने के लिए सभी राष्ट्रों को आपसी मतभेद भुलाकर सामूहिक रूप से प्रयास करना चाहिए। इस पाठ के माध्यम से लेखक हमें यही संदेश देना चाहता है।
हिम-प्रलय लेखक-परिचय
प्रश्न 1.
डॉ. जयन्त नार्लीकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके महत्त्व पर प्रकाश डालिए?
उत्तर:
जीवन-परिचय:
वैज्ञानिक लेखन के क्षेत्र में डॉ. जयन्त नार्लीकर का स्थान प्रमुख है। उनका जन्म महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 1938 में हुआ था। उनकी आरम्भिक शिक्षा स्थानीय विद्यालय में हुई। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। इसके बाद उन्होंने सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक फ्रेड होयल के साथ खगोल सम्बन्धित क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण शोध कार्य किया। इसके कुछ समय बाद उन्होंने भारत की शोध संस्था ‘टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ फण्डामेन्टल रिसर्च’ में भी अनेक शोध कार्य किए।
रचनाएँ:
डॉ. जयन्त नार्लीकर ने अपने अनुसंधान कार्य के साथ-साथ हिन्दी और मराठी में अनेक विज्ञान कथाएँ और उपन्यास लिखे हैं। उनकी ‘आगन्तुक’ ‘धूमकेतु’ ‘विज्ञान’ : ‘मानव’, ब्रह्माण्ड’ आदि प्रमुख साहित्यिक रचनाएँ हैं।
महत्त्व:
डॉ. जयन्त नार्लीकर को वैज्ञानिक खोजों के लिए ‘स्मिथ पुरस्कार’, ‘एडम्स पुरस्कार’ तथा ‘शान्ति स्वरूप भटनागर पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। भारत सरकार द्वारा उनको ‘पद्म विभूषण’ की उपाधि से विभूषित किया गया है।
हिम-प्रलय पाठ का सारांश
प्रश्न 1.
डॉ. जयन्त नार्लीकर लिखित ‘हिम-प्रलय’ विज्ञान-कथा का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
डॉ. जयन्त नार्लीकर लिखित ‘हिम-प्रलय’ एक विज्ञान-कथा है। इसमें लेखक ने ‘हिम-प्रलय’ से होने वाले महाविनाश को रेखांकित करने का प्रयास किया है। इस विषय में लेखक का कहना है कि ‘हिम-प्रलय का आगमन-भारतीय वैज्ञानिक की भविष्यवाणी’ राजीव शाह के इस लेख की अधिक चर्चा हो रही थी। लेकिन कुछ वैज्ञानिक इसे हिम-प्रलय मानने को तैयार नहीं थे।
विदेशी पत्रकारों से एक भेटवार्ता में डॉ. वसंत चिटणीस ने चेतावनी दी थी-“अब की गर्मियों में इस बर्फ को भूलिए नहीं! क्योंकि अगली सर्दियाँ इतनी भयंकर होंगी कि बर्फ पिघलने का नाम ही नहीं लेगी। हिम-प्रलय प्रतिबंधक उपाय है, वह महंगा है, लेकिन फिर भी उस पर अभी से अमल कीजिए।” लेकिन डॉ. वसंत की इस चेतावनी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
इसका मुख्य कारण था कि उस समय मौसम सुहावना था। हमेशा की तरह भारत में मानसून पूरे जोरों पर था। फिर भी डॉ. वसंत बार-बार चेतावनी दे रहे थे जिसे कोई नहीं सुन रहा था। केवल राजीव शाह ही उनके विश्लेषण से सहमत थे। जब डॉ. वसंत ने अपने नाम समुद्र-विज्ञान के एक विश्वविख्यात संस्थान के संचालक द्वारा भेजे गए संदेश को राजीव शाह को पढ़कर सुनाया। राजीव शाह उसे सुनकर हैरान हो गए। डॉ. वसंत ने राजीव शाह को सलाह दी कि वह आने वाले साल इंडोनेशिया चला जाए। ऐसा इसलिए कि भूमध्य रेखा के पास ही बचने की कुछ गुंजाइश है। वह तो बांडुंग जाने ही वाला है।
बम्बई वालों ने 2 नवंबर को आकाश का एक अपूर्व दृश्य देखा कि पूरे दिन आकाश में पक्षी उड़ते रहे। सभी पक्षी दक्षिण की ओर जा रहे थे। 4 नवंबर को अंतरिक्ष में स्थित उपग्रहों ने संदेश दिया- “पृथ्वी के इर्द-गिर्द वायुमंडल में हिमपात के आसार नजर आ रहे हैं। अगले चौबीस घंटों में जगह-जगह बर्फ गिरने की संभावना है।” इससे पहले पक्षी खतरे का अनुमान लगाकर भूमध्य रेखा तक सुरक्षित पहुँच चुके थे।
अनेक शहरों में हुए भीषण हिमपात ने चारों ओर तबाही मचा दी। जापान, रूस, यूरोप, कनाडा जैसे विकसित देश भी इस तबाही से नहीं बच सके थे। अमेरिकी ऊर्जा समिति के सदस्य रिचर्ड होम्स ने राजीव शाह से डॉ. बसंत से मुलाकात की इच्छा व्यक्त करते हुए उनकी प्रशंसा की। दो दिन बाद वे राजीव शाह को लेकर डॉ. वसंत के पास बांडुंग पहुंचकर अपनी शंका बताए।
राजीव शाह ने डॉ. वसंत को कुछ टैलेक्स दिए। डॉ. वसंत ने पढ़ा-…”ब्रिटिश सरकार ने अपनी बची हुई जनता के 40 प्रतिशत लोगों को केनिया में स्थानान्तरित किया है। स्थानान्तरित करने का यह काम दो महीने में पूरा हो जाएगा।” “मास्को तथा लेनिनग्राद खाली किए जा चुके हैं-सोवियत प्रधानमंत्री की घोषणा”, “जमीन के नीचे बनाई बस्तियों में हम एक साल रह सकते हैं-इजरायली अध्यक्ष का विश्वास।”
“उत्तर भारत की सभी नदियाँ जम चुकी हैं।” डॉ. वसंत ने कहा- “यह तो केवल शुरुआत है। पिछले वर्ष सिर्फ इसकी झलक मिली थी। किंतु अगले साल पृथ्वी मनुष्यहीन हो जाएगी।” होम्स के यह पूछने पर कि क्या इससे बचाव का कोई उपाय है? डॉ. वसंत ने कहा कि “अब बहुत देर हो चुकी है। इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता।” इतना कहकर उन्होंने अपनी दराज से एक टंकलिखित लेख निकाला। उसका शीर्षक था-‘अभियान : इन्द्र पर आक्रमण।’
कन्या कुमारी से कुछ दूर स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र का अग्निबाण प्रक्षेपण स्थल पर अनेक वैज्ञानिक-विशेषज्ञ एकत्रित हुए थे। प्रकल्प के प्रमुख तंत्रज्ञ ने बटन दबाया। उससे अनेक अग्निबाण अंतरिक्ष की ओर गए। उनका उद्देश्य तापमान पर नियंत्रण पाना था। अनेक देशों से इस प्रकार के उपग्रह छोड़े जाने वाले थे लेकिन डॉ. वसंत ने सबसे पहले वातावरण पर हमला बोला था। भूमध्य रेखा पर स्थित कई देशों से छोड़े गए विशालकाय गुब्बारे और उपग्रह अंतरिक्ष में लपक रहे थे। इसके साथ ही ऊँची उड़ानें भरने वाले हवाई जहाजों ने भी उड़ानें भरीं। इस प्रकार चतुरंगी सेना ने वायुमंडल पर जबरदस्त हमला बोल दिया था।
अब प्रक्षेपण अस्त्रों से किए जाने वाले विस्फोटों के उपयोग ने उनकी विधायक शक्ति का स्थान धीमी गति से आग उगलने वाले विस्फोटों ने ले लिया था। अपनी सभी प्रकार की साधन-सामग्री को परस्पर तनाव को भूलकर सभी देशों ने दाँव पर लगा दिया था। फिर इस आक्रमण की सफलता के प्रति सभी सशंकित थे। इसका उत्तर मिलने लगा कि आखिर बर्फ पिघलने लगी थी। इसे देखकर मियासी से होम्स ने डॉ. वसंत को फोन करके बधाई दी। फिर भी डॉ. वसंत को चिन्ता यह होने लगी थी कि प्रकृति और इंसान की इस जीत के बावजूद इंसान को अनेक समस्याओं का सामना तो करना ही होगा। बर्फ पिघलने से बाढ़ आएगी। पृथ्वी की जनसंख्या आधी हो चुकी थी।
हिम-प्रलय संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या
प्रश्न 1.
4 नवंबर को अंतरिक्ष में स्थिर अनेक उपग्रहों से खतरे के संदेश आने लगे। “पृथ्वी के इर्द-गिर्द वायुमण्डल में हिमपात के आसार नजर आ रहे हैं। अगले चौबीस घंटों में जगह-जगह बर्फ गिरने की संभावना है।” एक तरफ देश-विदेश के मौसम विभाग अपनी इस पूर्व सूचना पर गर्व अनुभव कर रहे थे, लेकिन उनकी सूचना से पहले ही पक्षियों को खतरे का अंदाज आ चुका था और वे भूमध्य रेखा तक सुरक्षित पहुँच चुके थे।
शब्दार्थ:
- अंतरिक्ष – आकाश।
- इर्द-गिर्द – आस-पास।
- हिमपात – बर्फ का गिरना।
- आसार – आशा।
- अंदाज-अनुमान।
प्रसंग:
यह गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी सामान्य भाग-1’ में संकलित तथा डॉ. जयन्त नार्लीकर द्वारा लिखित विज्ञान-कथा ‘हिम-प्रलय’ शीर्षक से उद्धृत है। इसमें लेखक ने हिमपात होने के पहले की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि –
व्याख्या:
हिमपात होने की जानकारी संबंधित वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता ली जा रही थी। इस दिशा में संसार के सभी वैज्ञानिक चौकन्ने हो गए थे। इससे पहले ही सभी दक्षिण दिशा की ओर बड़ी तेजी से भागते हुए दिखाई देने लगे थे। जैसे-जैसे हिमपात का समय आने लगा, वैसे-वैसे अंतरिक्ष में स्थिर उपग्रह संदेश भेजने लगे थे। 4 नवंबर को अंतरिक्ष में स्थित उपग्रहों ने हिमपात से होने वाले खतरों के विषय में संदेश भेजने शुरू कर दिए थे। उनका मुख्य रूप से यही संदेश था कि पृथ्वी के आस-पास के वायुमंडल में हिमपात होने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।
इस प्रकार आने वाले 24 घंटे और खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऐसा इसलिए कि इन 24 घंटों में कई जगह भीषण हिमपात होने की पूरी-पूरी संभावना है। इस तरह की सूचना देश के मौसम-विभाग ने पहले से ही देनी शुरू कर दी थी और इससे वह बहुत गर्व का अनुभव भी कर रहा था। लेकिन यह एक बड़ी अद्भुत बात थी कि मौसम विभाग की इस प्रकार की सूचना से पहले ही सभी पक्षियों को हिमपात से होने वाले खतरों का अनुमान हो चुका था। इसलिए वे भूमध्य रेखा के पास अच्छी तरह से जा चुके थे।
विशेष:
- हिमपात की भयंकरता पर प्रकाश डाला गया है।
- भयानक रस का प्रवाह है।
- भाषा के शब्द मिश्रित हैं.।
- शैली वर्णनात्मक है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- हिमपात से पहले की स्थिति क्या थी?
- पक्षियों को हिमपात के खतरे का अंदाज सबसे पहले होने का क्या आशय है?
उत्तर:
- हिमपात से पहले की स्थिति यह थी कि पृथ्वी के आस-पास वायुमंडल में हिमपात होने के आसार दिखाई देने लगे थे।
- पक्षियों को हिमपात के खतरे का अंदाजा सबसे पहले होने का आशय यह है कि मनुष्य से कहीं अधिक ज्ञान पक्षियों को होता है।
गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- उपग्रहों से क्या-क्या संदेश आने लगे थे?
- पहले ही पक्षियों को क्या हो गया था?
उत्तर:
1. उपग्रहों से संदेश आने लगे थे कि –
- पृथ्वी के आस-पास वायुमंडल में हिमपात के आसार नजर आ रहे हैं।
- अगले चौबीस घंटों में जगह-जगह बर्फ गिरने की संभावना है।
2. पहले ही पक्षियों को हिमपात के खतरों का अनुमान हो चुका था।
प्रश्न 2.
उनकी एकता और अनुशासन यदि मानव जाति में होती तो विभिन्न देशों में भारी भगदड़ न मची होती। तकनीकी लिहाज से जापान, यूरोप, रूस, कनाडा जैसे प्रगत राष्ट्र भी इस हिमपात का मुकाबला नहीं कर सके। अनेक शहरों में पाँच से छह मीटर तक बर्फ गिरी थी। इतने भीषण हिमपात ने चारों तरफ तबाची मचा दी। सिर्फ कुछ ही लोग इस तबाही से अपने आप को बचा सके थे। ये सभी लोग उन शेल्टरों में थे जो अणु-युद्ध से बचने के लिए बनाए गए थे। मध्य पूर्व एशिया, मैक्सिको जैसे देशों में ठंड का आघात कम था। लेकिन चूंकि उनके पास बचाव का कोई जरिया नहीं था इसलिए वहाँ भी जान-माल की भयंकर हानि हुई थी।
शब्दार्थ:
- भगदड़ – अस्थिरता।
- लिहाज – दृष्टि से।
- प्रगत – प्रगतिशील, विकसित।
- भीषण – भयंकर।
- तबाही – बर्बादी।
- सिर्फ – केवल।
- शेल्टर – रक्षास्थान।
- आघात – प्रहार।
- जरिया – माध्यम, साधन।
प्रसंग:
पूर्ववत्! इसमें लेखक ने मानव जाति के परस्परं भेदभाव और दूरी को हानिकारक बतलाते हुए उसे पक्षियों से एकता और अनुशासन सीखने की सीख दी. है। इस विषय में लेखक का कहना है कि –
व्याख्या:
पक्षियों में एकता और अनुशासन होता है। इसी से वे आने वाले खतरों का अनुमान कर किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाते हैं, जबकि मनुष्य ऐसा कुछ भी नहीं कर पाता है। यही कारण है कि यदि पक्षियों की तरह मनुष्य में एकता और अनुशासन का जीवन होता तो हिमपात के खतरों का अनुमान कर अलग-अलग देशों में भगदड़ नहीं मची होती। तकनीकी साधनों के बावजूद जापान, यूरोप, रूस, कनाडा, आदि संसार के अनेक विकसित देश भी हिमपात से हुए खतरों का सामना करने में असफल रहे। चूँकि हिमपात असाधारण और अभूतपूर्व हुआ था। उससे संसार के कई देशों के नगरों-महानगरों में पाँच से छः मीटर तक वर्क की ऊँची-ऊँची परतें पड़ी थीं।
इस प्रकार के भयंकर हिमपात के पड़ने से चारों ओर हाहाकार मच गया था। जान-माल के भारी नुकसान ने भयंकर तबाही मचा दी थी। इस तबाही से बहुत कम लोग ही बच पाए थे। अधिक-से-अधिक बर्बादी ने चारों ओर भयंकर दृश्य उपस्थित कर दिया था। जो लोग इस तबाही से बचे थे, वे अणु-युद्ध से बचने के लिए बनाए गए रक्षा-स्थान में रहने के कारण सुरक्षित रह सके थे।
लेखक-का पुनः कहना है कि हिमपात से होने वाली हानि से अनेक देश प्रभावित हुए थे। लेकिन वे समान रूप से नहीं प्रभावित हुए थे। किसी-किसी देश में तो इसका आघात बहुत अधिक था, तो किसी-किसी देश में बहुत कम था। मध्य-पूर्व एशिया, मैक्सिको जैसे देशों में इस हिमपात का आघात कम था तो और देशों में इसका आघात बहुत अधिक था। इस प्रकार जिन देशों के पास इससे बचाव के साधन अधिक और बड़े थे, वहाँ इसका आघात कम था। इसके विपरीत जिन देशों में इससे बचाव के साधन कम और छोटे थे, वहाँ इसका आघात बहुत था, इससे वहाँ जान-माल की बहुत बड़ी हानि हुई थी।
विशेष:
- हिमपात से होने वाली हानियों का उल्लेख है।
- हिमपात से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
- भाषा तत्सम प्रधान शब्दों की है।
- शैली वर्णनात्मक है।
- यह अंश ज्ञानवर्द्धक है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- विभिन्न देशों में भगदड़ क्यों मच गई?
- कौन लोग भीषण हिमपात से अपने आपको बचा सके थे?
उत्तर:
- विभिन्न देशों में भगदड़ मच गई। ऐसा इसलिए कि मानव जाति में पक्षियों की तरह एकता और अनुशासन की बहुत बड़ी कमी है।
- जो लोग अणु-युद्ध से बचने के लिए बनाए गए शेल्टरों (सुरक्षा-घरों) में चले गए थे, वे ही भीषण हिमपात से अपने आपको बचा सके थे।
गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- चारों ओर तबाही क्यों मच गई?
- जान-माल की भयंकर हानि कहाँ और क्यों हुई थी?
उत्तर:
- चारों ओर तबाही मच गई। यह इसलिए कि अनेक देशों में पाँच-छ: मीटर तक भीषण हिमपात हुआ था।
- जान-माल की भयंकर हानि मध्यपूर्व एशिया, मैक्सिको आदि देशों में हई थी। यह इसलिए कि उनके पास बचाव के कोई साधन नहीं थे।
प्रश्न 3.
यही सवाल दुनिया के विशेषज्ञों तथा वैज्ञानिकों को भी सता रहा था। इस योजना के तहत सूर्य की उष्णता को अपने में समाकर पृथ्वी तक पहुँचाने वाले असंख्य धातुकण वायुमण्डल में बिखरने वाले थे। वसंत का विचार था कि ज्वालामुखी द्वारा फैले उष्णता प्रतिबंधक कण नीचे आ जाएँगे, और ये धातु कण उनका स्थान ले लेंगे। लेकिन यह काफी नहीं था। वातावरण में ऊर्जा-निर्मिति आवश्यक थी। ‘हीरे की धूल’ कम करने के लिए वातावरण का अस्थायी तौर पर गर्म होना भी जरूरी था।
इसलिए प्रक्षेपण अस्त्रों द्वारा किए जाने वाले विस्फोटों का उपयोग किया गया। उनकी विघातक शक्ति का स्थान धीमी गति से आग उगलने वाले विस्फोटों ने ले लिया। वैसे तो ये अस्त्र एक-दूसरे का नाश ही करते। लेकिन परिप्रेक्ष्य बदलते ही उनकी उपयोगिता भी बदल गई। अपनी सारी साधन-सामग्री दाँव पर लगाकर, आपसी अदावत भुलाकर सभी देशों ने इस कार्य में मदद की थी। लेकिन फिर भी सभी इस कशमकश में उलझे थे कि क्या यह आक्रमण सफल होगा?
शब्दार्थ:
- सता – चिन्तित कर।
- प्रतिबंधक – रुकावट।
- परिप्रेक्ष्य – संदर्भ।
- अदावत – तनाव, ईर्ष्या, द्वेष।
- कशमकश – खींचातानी, असमंजस।
प्रसंग:
पूर्ववत्। इसमें लेखक ने हिमपात को रोकने या नियंत्रित करने की कठिनाई को वैज्ञानिकों की चिन्ता का एक विषय बतलाते हुए कहा है कि –
व्याख्या:
हिमपात कैसे और किस प्रकार रोका जाए, इसकी चिन्ता संसार के सभी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को बार-बार हो रही थी। हिमपात पर नियंत्रण रखने के लिए वैज्ञानिकों-विशेषज्ञों ने जो योजना बनाई, वह सूर्य की गर्मी को अपने में रखकर पृथ्वी तक आने वाले अनेक धातुकण वायुमंडल में फैलने वाले थे। इस विपय में डॉ. वसंत का यह मानना था कि ज्वालामुखी की फैलती हुई जो गर्मी होगी उससे प्रतिबंधक कण नीचे तक आ जाएँगे। उनके स्थान पर धातुकण आ जाएँगे। फिर भी यह पर्याप्त नहीं कहा जा सकता था। ऐसा इसलिए कि वातावरण में ऊर्जा का निर्मित होना बेहद जरूरी था। दूसरी बात यह कि ‘हीरे की धूल को कम करने के लिए वातावरण का अस्थायी तौर पर गर्म होना भी बेहद जरूरी था।
लेखक का पुनः कहना है कि हिमपात को नियंत्रित करने के लिए संसार के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने अंतरिक्ष में प्रक्षेपण अस्त्रों के द्वारा विस्फोटों का उपयोग किया। लेकिन कुछ समय बाद उन विस्फोटों की एक विघातक शक्ति उत्पन्न हुई। फिर कुछ समय बाद उस शक्ति की जगह धीरे-धीरे आग को फेंकने वाले विस्फोटों ने ले लिया था। ये सभी अस्त्र एक-दूसरे के लिए उपयोगी न होकर घातक और विध्वंसक होते हैं।
लेकिन यह ध्यान देने की बात है कि संदर्भ और समय बदलते ही उनका महत्त्व और उनकी उपयोगिता भी वही नहीं रही। इसे सभी देशों के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने अपनी सोच और समझ को एकता का रूप देने का प्रयास किया। इससे पहले उन्होंने आपसी भेदभाव और अदावत को भुला दिया। फिर भी वे इस असमंजस में थे कि उनके द्वारा किए गए प्रयास सफल होंगे या असफल।
विशेष:
- वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का परस्पर एकमत होने के उल्लेख प्रेरक रूप में हैं।
- वैज्ञानिक शब्दावली है।
- नए-नए वैज्ञानिक खोजों के विषय में प्रकाश डाला गया है।
- शैली वर्णनात्मक है।
- वाक्य-गठन गंभीर अर्थमय है।
- यह अंश ज्ञानवर्द्धक है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- किसको क्या सता रहा था?
- वसंत का क्या मानना था?
- प्रक्षेपण अस्त्रों द्वारा किए जाने वाले विस्फोटों का क्यों उपयोग किया गया?
उत्तर:
1. दुनिया के सभी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को यह सवाल सता रहा था कि क्या इन्द्र पर वैज्ञानिक सफल होंगे?
2. डॉ. वसंत का यह मानना था कि ज्वालामुखी द्वारा कैसे उष्णता प्रतिबंधक कण नीचे आ जाएँगे और धातुकण उनका स्थान ले लेंगे।
3. प्रक्षेपण अस्त्रों के द्वारा किए जाने वाले विस्फोटों का उपयोग इसलिए किया गया कि वातावरण में ऊर्जा बिल्कुल जरूरी थी। इसके साथ ही ‘हीरे की धूल’ कम करने के लिए भी वातावरण का अस्थायी रूप से गर्म होना भी बेहद जरूरी था। बहुत अधिक था। इस प्रकार जिन देशों के पास इससे बचाव के साधन अधिक और बड़े थे, वहाँ इसका आघात कम था। इसके विपरीत जिन देशों में इससे बचाव के साधन कम और छोटे थे, वहाँ इसका आघात बहुत था, इससे वहाँ जान-माल की बहुत बड़ी हानि हुई थी।
विशेष:
- हिमपात से होने वाली हानियों का उल्लेख है।
- हिमपात से बचने के लिए सुरक्षित स्थानों की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
- भाषा तत्सम प्रधान शब्दों की है।
- शैली वर्णनात्मक है।
- यह अंश ज्ञानवर्द्धक है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- विभिन्न देशों में भगदड़ क्यों मच गई?
- कौन लोग भीषण हिमपात से अपने आपको बचा सके थे?
उत्तर:
- विभिन्न देशों में भगदड़ मच गई। ऐसा इसलिए कि मानव जाति में पक्षियों की तरह एकता और अनुशासन की बहुत बड़ी कमी है।
- जो लोग अणु-युद्ध से बचने के लिए बनाए गए शेल्टरों (सुरक्षा-घरों) में चले गए थे, वे ही भीषण हिमपात से अपने आपको बचा सके थे।
गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- चारों ओर तबाही क्यों मच गई?
- जान-माल की भयंकर हानि कहाँ और क्यों हई थी?
उत्तर:
- चारों ओर तबाही मच गई। यह इसलिए कि अनेक देशों में पाँच-छः मीटर तक भीषण हिमपात हुआ था।
- जान-माल की भयंकर हानि मध्यपूर्व एशिया, मैक्सिको आदि देशों में हुई । थी। यह इसलिए कि उनके पास बचाव के कोई साधन नहीं थे।
प्रश्न 4.
यही सवाल दुनिया के विशेषज्ञों तथा वैज्ञानिकों को भी सता रहा था। इस योजना के तहत सूर्य की उष्णता को अपने में समाकर पृथ्वी तक पहुँचाने वाले असंख्य धातुकण वायुमण्डल में बिखरने वाले थे। वसंत का विचार था कि ज्वालामुखी द्वारा फैले उष्णता प्रतिबंधक कण नीचे आ जाएँगे, और ये धातु कण उनका स्थान ले लेंगे। लेकिन यह काफी नहीं था। वातावरण में ऊर्जा-निर्मिति आवश्यक थी। ‘हीरे की धूल’ कम करने के लिए वातावरण का अस्थायी तौर पर गर्म होना भी जरूरी था।
इसलिए प्रक्षेपण अस्त्रों द्वारा किए जाने वाले विस्फोटों का उपयोग किया गया। उनकी विघातक शक्ति का स्थान धीमी गति से आग उगलने वाले विस्फोटों ने ले लिया। वैसे तो ये अस्त्र एक-दूसरे का नाश ही करते। लेकिन परिप्रेक्ष्य बदलते ही उनकी उपयोगिता भी बदल गई। अपनी सारी साधन-सामग्री दाँव पर लगाकर, आपसी अदावत भुलाकर सभी देशों ने इस कार्य में मदद की थी। लेकिन फिर भी सभी इस कशमकश में उलझे थे कि क्या यह आक्रमण सफल होगा?
शब्दार्थ:
- सता – चिन्तित कर।
- प्रतिबंधक – रुकावट।
- परिप्रेक्ष्य – संदर्भ।
- अदावत – तनाव, ईर्ष्या, द्वेष।
- कशमकश – खींचातानी, असमंजस।
प्रसंग:
पूर्ववत्। इसमें लेखक ने हिमपात को रोकने या नियंत्रित करने की कठिनाई को वैज्ञानिकों की चिन्ता का एक विषय बतलाते हुए कहा है कि व्याख्या-हिमपात कैसे और किस प्रकार रोका जाए, इसकी चिन्ता संसार के सभी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को बार-बार हो रही थी। हिमपात पर नियंत्रण रखने के लिए वैज्ञानिकों-विशेषज्ञों ने जो योजना बनाई, वह सूर्य की गर्मी को अपने में रखकर पृथ्वी तक आने वाले अनेक धातुकण वायुमंडल में फैलने वाले थे।
इस विषय में डॉ. वसंत का यह मानना था कि ज्वालामुखी की फैलती हुई जो गर्मी होगी उससे प्रतिबंधक कण नीचे तक आ जाएँगे। उनके स्थान पर धातुकण आ जाएँगे। फिर भी यह पर्याप्त नहीं कहा जा सकता था। ऐसा इसलिए कि वातावरण में ऊर्जा का निर्मित होना बेहद जरूरी था। दूसरी बात यह कि ‘हीरे की धूल’ को कम करने के लिए वातावरण का अस्थायी तौर पर गर्म होना भी बेहद जरूरी था।
लेखक का पुनः कहना है कि हिमपात को नियंत्रित करने के लिए संसार के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने अंतरिक्ष में प्रक्षेपण अस्त्रों के द्वारा विस्फोटों का उपयोग किया। लेकिन कुछ समय बाद उन विस्फोटों की एक विघातक शक्ति उत्पन्न हुई। फिर कुछ समय बाद उस शक्ति की जगह धीरे-धीरे आग को फेंकने वाले विस्फोटों ने ले लिया था। ये सभी अस्त्र एक-दूसरे के लिए उपयोगी न होकर घातक और विध्वंसक होते हैं।
लेकिन यह ध्यान देने की बात है कि संदर्भ और समय बदलते ही उनका महत्त्व और उनकी उपयोगिता भी वही नहीं रही। इसे सभी देशों के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने अपनी सोच और समझ को एकता का रूप देने का प्रयास किया। इससे पहले उन्होंने आपसी भेदभाव और अदावत को भुला दिया। फिर भी वे इस असमंजस में थे कि उनके द्वारा किए गए प्रयास सफल होंगे या असफल।
विशेष:
- वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का परस्पर एकमत होने के उल्लेख प्रेरक रूप में हैं।
- वैज्ञानिक शब्दावली है।
- नए-नए वैज्ञानिक खोजों के विषय में प्रकाश डाला गया है।
- शैली वर्णनात्मक है।
- वाक्य-गठन गंभीर अर्थमय है।
- यह अंश ज्ञानवर्द्धक है।
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- किसको क्या सता रहा था?
- वसंत का क्या मानना था?
- प्रक्षेपण अस्त्रों द्वारा किए जाने वाले विस्फोटों का क्यों उपयोग किया गया?
उत्तर:
1. दुनिया के सभी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को यह सवाल सता रहा था कि क्या इन्द्र पर वैज्ञानिक सफल होंगे?
2. डॉ. वसंत का यह मानना था कि ज्वालामुखी द्वारा कैसे उष्णता प्रतिबंधक कण नीचे आ जाएँगे और धातुकण उनका स्थान ले लेंगे।
3. प्रक्षेपण अस्त्रों के द्वारा किए जाने वाले विस्फोटों का उपयोग इसलिए किया गया कि वातावरण में ऊर्जा बिल्कुल जरूरी थी। इसके साथ ही ‘हीरे की धूल’ कम करने के लिए भी वातावरण का अस्थायी रूप से गर्म होना भी बेहद जरूरी था।
गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- एक अस्त्र दूसरे का विनाशक होने पर भी क्यों उपयोगी हो गए?
- सभी देशों की उलझन क्या थी?
उत्तर:
- एक अस्त्र दूसरे का विनाशक होने पर भी उपयोगी हो गए। यह इसलिए कि परिप्रेक्ष्य बदलते ही उनकी उपयोगिता भी बदल गई थी।
- सभी देशों की यही उलझन थी कि क्या इन्द्र पर आक्रमण सफल होगा?