MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 7 प्राणियों में संरचनात्मक संगठन
प्राणियों में संरचनात्मक संगठन NCERT प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
एक शब्द या वाक्य में उत्तर दीजिए –
- पेरिप्लेनेटा अमेरिकाना का सामान्य नाम लिखिए।
- केंचुए में कितनी शुक्राणुधानियाँ पाई जाती हैं ?
- तिलचट्टे में अंडाशय की स्थिति क्या है ?
- तिलचट्टे के उदर में कितने खण्ड होते हैं ?
- मैल्पीघी नलिकाएँ कहाँ पाई जाती हैं ?
उत्तर:
- तिलचट्टा (कॉकरोच)।
- केंचुए के 6 से लेकर 9 वें खण्डों में चार जोड़ी शुक्राणुधानियाँ (Spermathecae) पायी जाती हैं।
- केंचुए के उदरगुहा (Abdominal cavity) के 4,5 एवं 6 वें उदरीय खण्डों में अंडाशय पाया जाता है।
- तिलचट्टे के उदरीय भाग में 3 से 7 खण्ड पाये जाते हैं।
- तिलचट्टे के मध्यांत्र (Midgut) व पश्चांत्र (Hindgut) के संधि स्थल पर लगभग 100-150 पतली पीले रंग की नलिकाएँ होती हैं, जिन्हें मैल्पीघी नलिकाएँ कहते हैं। यह अंग उत्सर्जन में सहायक है।
प्रश्न 2.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
- वृक्कक का क्या कार्य है ?
- अयनी स्थिति के अनुसार केंचुए में कितने प्रकार के वृक्कक पाए जाते हैं ?
उत्तर:
(1) वृक्कक (Nephridia) के कार्य:
वृक्कक (Nephridia) केंचुए का उत्सर्जी अंग है। वृक्कक एक कुण्डलित कीपनुमा संरचना है जो कि केंचुए के गुहीय कक्ष से अतिरिक्त द्रव को संचित करता है। कीप वृक्कक के नलिकीय भाग से जुड़ा रहता है जो अतिरिक्त द्रव (उत्सर्जी पदार्थों) को छिद्र द्वारा शरीर से एकत्र कर आहारनाल में डालता है।
(2) स्थिति के अनुसार केंचुए में निम्नलिखित वृक्कक (Nephridia) पाये जाते हैंकेंचुए के उत्सर्जन तंत्र में 3 प्रकार के नेफ्रीडिया होते हैं –
1. पटीय नेफ्रीडिया (Septal nephridia):
यह 15 वें खंड के बाद सभी अंतखंडीय पट्टों के दोनों ओर दो-दो अर्द्धचन्द्राकार पंक्तियों में पाये जाते हैं। इस प्रकार प्रत्येक खंड में चार पंक्तियाँ पायी जाती हैं। एक पंक्ति में 20-25 नेफ्रीडिया होते हैं। ये उत्सर्जी पदार्थों को आहारनाल में छोड़ देते हैं।
2. ग्रसनी नेफ्रीडिया (Pharyngeal nephridia):
ये 4,5,6 खंड में ग्रसनी व ग्रसिका के दोनों ओर पृष्ठ पर गुच्छों के रूप में पाये जाते हैं। ये 3 जोड़ी समूहों में पाये जाते हैं। प्रत्येक में 100 नेफ्रीडिया तक होते हैं। यह मुखगुहिका एवं फैरिक्स में उत्सर्जी पदार्थ ग्रहण करते हैं। ये आहारनाल में खुलते हैं अत: नेफ्रिक प्रकृति के होते हैं।
3. अध्यावरणी नेफ्रीडिया (Integumentery nephridia):
यह पहले 6 खण्डों को छोड़कर सभी खंडों में पाये जाते हैं। ये देहभित्ति की भीतरी सतह पर पाये जाते हैं। इनकी संख्या 200-250 तक होती हैं। ये सीधे उत्सर्जी पदार्थ बाहर निकालते है। ये बाह्य नेफ्रिक प्रकृति के होते हैं।
प्रश्न 3.
केंचुए के जननांगों (जनन तंत्र) का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 4.
तिलचट्टे की आहारनाल का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
निम्न में विभेद कीजिए –
- पुरोमुख एवं परितुंड
- पटीय वृक्कक और ग्रसनी वृक्कक।
उत्तर:
1. पुरोमुख एवं परितुंड (Prostomium and Peristomium)
पुरोमुख (Prostomium):
यह मुख को ढंकने वाली एक पालि (Lobe) है। यह मृदा की दरारों को खोलकर कृमि को उसके अन्दर रेंगकर जाने में मदद करती है। यह एक संवेदी संरचना है।
परितुंड (Peristomium):
शरीर पहला खण्ड परितुंड या मुख खण्ड कहलाता है। परितुंड में मुख (Mouth) पाया जाता है।
2. पटीय वृक्कक और ग्रसनी वृक्कक (Septal Nephridia and Pharyngeal Nephridia) –
पटीय वृक्कक (Septal nephridia):
यह 15वें खंड के बाद सभी अंतर्खडीय पट्टों के दोनों ओर दोदो अर्द्धचन्द्राकार पंक्तियों में पाये जाते हैं । इस प्रकार प्रत्येक खंड में चार पंक्तियाँ पायी जाती हैं। एक पंक्ति में 2025 नेफ्रीडिया होते हैं। ये उत्सर्जी पदार्थों को आहारनाल में छोड़ देते हैं।
ग्रसनी वृक्कक (Pharyngeal nephridia):
ये 4,5,6 खंड में ग्रसनी व ग्रसिका के दोनों ओर पृष्ठ पर गुच्छों के रूप में पाये जाते हैं। ये 3 जोड़ी समूहों में पाये जाते हैं। प्रत्येक में 100 नेफ्रीडिया तक होते हैं। यह मुखगुहिका एवं फैरिक्स में उत्सर्जी पदार्थ ग्रहण करते हैं। ये आहारनाल में खुलते हैं अत: नेफ्रिक प्रकृति के होते हैं।
प्रश्न 6.
रुधिर के कणीय अवयव क्या हैं?
उत्तर:
रुधिर के अवयव कण इस प्रकार हैं –
- प्लाज्मा
- लाल रक्त कोशिकाएँ
- श्वेत रक्त कणिकाएँ और प्लेटलेट्स।
प्रश्न 7.
निम्न क्या है तथा प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते हैं –
- उपास्थि अणु (कॉण्ड्रोसाइट)
- तंत्रिकाक्ष (एक्सॉन)
- पक्ष्माभ उपकला।
उत्तर:
1. उपास्थि अणु (Chondrocyte):
उपास्थि का मैट्रिक्स अर्द्धठोस होता है। मैट्रिक्स में थैली समान रचनाएँ पायी जाती हैं, जिन्हें लैकुनी कहते हैं। मैट्रिक्स कॉण्ड्रिन प्रोटीन का बना होता है। प्रत्येक लैकुनी में 2 – 4 कॉण्ड्रियोसाइट कोशिकाएँ पायी जाती हैं, जिनमें विभाजन की क्षमता होती है। कॉण्ड्रियोसाइट कोशिका द्वारा कॉण्ड्रिन का स्रावण होता है। इसके चारों तरफ पेरीकॉण्ड्रियम नामक स्तर पाया जाता है जिसकी भीतरी स्तर कॉण्ड्रियोब्लास्ट होती है। कॉण्ड्रियोब्लास्ट कोशिकाएँ कॉण्ड्रियोसाइट का निर्माण करती हैं।
2. तंत्रिकाक्ष (Axon):
एक तंत्रिका कोशिका में एक मुख्य काय होता है जिसे साइटॉन कहते हैं, जिसमें अनेक प्रवर्ध निकलते हैं उनमें से एक अधिक लम्बा हो जाता है जिसे एक्सॉन कहते हैं। एक्सॉन द्वारा सूचनाएँ दूसरी न्यूरॉन, पेशियों एवं ग्रन्थियों में पहुँचती हैं। एक्सॉन जब शाखायुक्त होता है, उसे टीलोडेण्ड्रिया कहते हैं। जब एक्सॉन में समकोण पर पार्श्व शाखाएँ निकल आती हैं तो उसे कोलेटरल तन्तु कहते हैं।
3. पक्ष्माभ उपकला (Ciliated epithelium):
इसकी कोशिकाएँ स्तम्भाकार या घनाकार उपकला ऊतक के समान होती हैं, लेकिन इनकी सतहों पर पक्ष्म पाये जाते हैं। जैसे-मूत्रवाहिनी को आस्तरित करने वाला ऊतक।
प्रश्न 8.
रेखांकित चित्र की सहायता से विभिन्न उपकला ऊतकों का वर्णन कीजिए। .
उत्तर:
जन्तुओं की स्वतंत्र या बाहरी सतहों पर पाये जाने वाले ऊतक को उपकला ऊतक कहते हैं। इसकी कोशिकाएँ चपटी तथा एक-दूसरे से सटी होती हैं। यह ऊतक निम्न प्रकार का होता है –
1. सरल शल्की उपकला ऊतक:
इसकी कोशिकाएँ चपटी, एक-दूसरे से सटी होती हैं, जैसे-त्वचा की बाह्य सतह की कोशिकाएँ, रुधिर वाहिनियों की बाहरी सतह की कोशिकाएँ।
2. सरल घनाकार उपकला ऊतक:
इसकी कोशिकाएँ घनाकार तथा जीवद्रव्य कणिकामय होता है। जैसे-थायरॉइड ग्रन्थि तथा यकृत की कोशिकाएँ।
3. सरल स्तम्भकार उपकला ऊतक:
इस ऊतक की कोशिकाएँ लम्बी, सटी, स्तम्भ के समान होती हैं। इनकी स्वतंत्र सतहों पर सामान्यतः प्रवर्ध पाये जाते हैं । जैसे-आँत तथा पित्त वाहिनी की आन्तरिक सतह का ऊतक।
4. सरल पक्ष्माभी उपकला ऊतक:
इसकी कोशिकाएँ स्तम्भाकार या घनाकार उपकला ऊतक के समान होती है, लेकिन इनकी सतह पर पक्ष्म पाये जाते हैं। जैसे–मूत्र वाहिनी को आस्तरित करने वाला ऊतक।
5. संयुक्त उपकला ऊतक:
यह उपकला ऊतक कई स्तरों में व्यवस्थित रहता है। कोशिकाओं के आधार पर यह स्तरित उपकला शल्की, घनाकार या स्तम्भी प्रकार का हो सकता है। स्त्रियों के मूत्र मार्ग में इस प्रकार का ऊतक पाया जाता है।
6. विशेषीकृत उपकला ऊतक:
यह कार्यों के आधार पर कई प्रकार का होता है। जैसे-संवेदी उपकला, रंगा उपकला, जनन उपकला तथा ग्रन्थिल उपकला ऊतक। संवेदी उपकला ऊतक संवेदी कोशिकाओं का बना होता है, जबकि रंगा उपकला ऊतक में वर्णक पाये जाते हैं। जनन उपकला ऊतक जनन अंगों में पाया जाता है तथा जनन कोशिकाओं को पैदा करता है। ग्रन्थिल उपकला ऊतक ग्रन्थियों को आस्तरित करता है तथा स्रावी कोशिकाओं का बना होता है।
प्रश्न 9.
निम्न में विभेद कीजिए –
- सरल उपकला तथा संयुक्त उपकला ऊतक
- हृदय पेशी तथा रेखित पेशी
- सघन नियमित एवं सघन अनियमित संयोजी ऊतक
- वसामय तथा रुधिर ऊतक 5. सामान्य तथा संयुक्त ग्रंथि।
उत्तर:
1. सरल उपकला एवं संयुक्त उपकला (एपिथीलियम) में अन्तर –
2. हृदय पेशी एवं रेखित पेशी में अन्तर –
3. सघन नियमित एवं सघन अनियमित संयोजी ऊतक –
4. वसामय तथा रुधिर ऊतक में अन्तर –
5. सामान्य ग्रंथि एवं संयुक्त ग्रंथि में अन्तर –
प्रश्न 10.
निम्न शृंखलाओं में सुमेल न होने वाले अंशों को इंगित कीजिए –
- एरिओलर ऊतक, रुधिर, तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन), कंडरा (टेण्डन)
- लाल रुधिर कणिकाएँ, सफेद रुधिर काणिकाएँ, प्लेटलेट्स, उपास्थि
- बाह्यस्रावी, अन्तःस्रावी, लार ग्रंथि, स्नायु (लिगामेन्ट)
- मैक्सिला, मैण्डिबल, लेब्रम, शृंगिका (एण्टिना)
- प्रोटोनेमा, मध्य वक्ष, पश्च वक्ष तथा कक्षांग (कॉक्स)।
उत्तर:
- तंत्रिका कोशिका न्यूरॉन
- उपास्थि
- स्नायु (लिगामेन्ट)
- लेबम
- प्रोटोनेमा।
प्रश्न 11.
उत्तर:
- (c) त्वचा
- (d) किर्मीर दृष्टि
- (e) केंचुआ
- (b) तिलचट्टे
- (a) आहारनाल
- (g) अस्थि
- (f) शिश्न खण्ड
प्रश्न 12.
केंचुए के परिसंचरण तंत्र का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केंचुए का परिसंचरण तंत्र (Circulatory system of Earthworm) केंचुए का परिसंचरण तंत्र बंद प्रकार का होता है जिसमें रुधिर वाहिकाएँ, कोशिकाएँ और हृदय होता है। बंद परिसंचरण तंत्र होने के कारण रुधिर हृदय तथा रक्त वाहिनियों तक ही सीमित रहता है। इसमें रक्त परिसंचरण एकदिशीय (Unidirectional) होता है।
सूक्ष्म रुधिर वाहिकाएँ रक्त को आहारनाल, तंत्रिका तंत्र और शरीर भित्ति तक पहुँचाती है। रुधिर ग्रंथियाँ 4,5 और 6 वें देहखण्ड पर पायी जाती हैं ये ग्रंथियाँ हीमोग्लोबिन तथा रुधिर कोशिकाओं का निर्माण करती हैं जो रुधिर प्लाज्मा में घुल जाती है। केंचुए में विशिष्ट श्वसन तंत्र नहीं होता। गैसीय विनिमय त्वचा की आर्द्र सतह से उसमें प्रवाहित रुधिर के माध्यम से सम्पन्न होता है।
प्रश्न 13.
मेढक के पाचन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
मेढक के पाचन तंत्र का चित्र
प्रश्न 14.
निम्न के कार्य बताइए –
- मेढक की मूत्रवाहिनी
- मैल्पीधी नलिका
- केंचुए की देहभित्ति।
उत्तर:
1. मेढक की मूत्रवाहिनी के कार्य (Function of ureters of frog):
नर मेढक में वृक्क से दो मूत्रवाहिनी (Ureter) निकलती है। मूत्रवाहिनी अवस्कर द्वार (Cloaca) में खुलती है। मूत्रवाहिनी, मूत्र जनन नलिका (Urinogenital duct) के रूप में कार्य करती है। मेढक यूरिया का उत्सर्जन करता है। उत्सर्जी अपशिष्ट रक्त द्वारा वृक्क (Kidney) में पहुँचते हैं, जहाँ पर ये अलग कर दिए जाते हैं और उनका उत्सर्जन कर दिया जाता है। मूत्रवाहिनी नाइट्रोजनी अपशिष्ट को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है।
2. मैल्पीघी नलिका के कार्य (Function of malpighi tubule):
मैल्पीघी नलिकाएँ हीमोलिम्फ से उत्सर्जी पदार्थों के उत्सर्जन में सहायक होती हैं।
3. केंचुए की देहभित्ति के कार्य (Function of Earthworm’s body cell):
केंचुए की शारीरिक भित्ति निम्न संरचनाओं की बनी होती है –
1. क्यूटिकल:
यह एक पतली, एककोशिकीय नर्म तथा काइटिनस क्यूटिकल से ढंकी होती है।
2. अधिचर्म:
यह एक स्तरीय क्यूटिकल के नीचे कई प्रकार की कोशिकाओं की बनी होती है।
- सहायक कोशिका
- ग्रंथिल कोशिका
- म्यूकस कोशिका
- एल्ब्यूमिन कोशिका
- अपिका कोशिका
- आधारीय कोशिका
- ग्राही कोशिका
- सेटीजेरस।
3. पेशीय स्तर:
अधिचर्म के नीचे बाह्य वलयाकार एवं आंतरिक लंबवत् पेशियों से बनी होती है। ये समानांतर समूहों के रूप में होती हैं। वलयाकार पेशियाँ पेरिटोनियम के बाह्य भाग में पायी जाती हैं। ये दो प्रकार की होती हैं –
- प्रोट्रेक्टर
- रिट्रेक्टर पेशियाँ।
4. पैराइटल पेरिटोनियम:
इसे पैराइटल परत भी कही जाती है। यह शारीरिक भित्ति की सबसे आंतरिक भित्ति होती है। यह सीलोम की बाह्य सीमा बनाती है, यह गुहीय द्रव स्रावित करने में मदद करती है।
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प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए1. मानव रुधिर का pH है –
(a) 8 – 4
(b) 7.4
(b) 6.4
(d) 5.4.
उत्तर:
(b) 7.4
2. ऐच्छिक पेशियाँ उपस्थित होती हैं –
(a) फेफड़े में
(b) पित्ताशय में
(c) रुधिर वाहिनियों में
(d) पाद मांसपेशियों में।
उत्तर:
(d) पाद मांसपेशियों में।
3. पेशियों में पाया जाने वाला संगृहीत खाद्य पदार्थ है –
(a) प्रोटीन
(b) ग्लाइकोजन
(c) लिपिड
(d) फॉस्फोजन।
उत्तर:
(b) ग्लाइकोजन
4. ऐच्छिक पेशियाँ हैं –
(a) बहुकेन्द्रकीय
(b) एककेन्द्रकीय
(c) द्विकेन्द्रकीय
(d) केन्द्रक रहित।
उत्तर:
(a) बहुकेन्द्रकीय
5. टेण्डन का प्रमुख कार्य है –
(a) दो अस्थियों को जोड़ना
(b) दो पेशियों को जोड़ना
(c) पेशियों को अस्थियों से जोड़ना
(d) पेशियों को तन्त्रिकाओं से जोड़ना।
उत्तर:
(c) पेशियों को अस्थियों से जोड़ना
6. संयोजी ऊतक की उत्पत्ति होती है –
(a) बाह्यस्तर से
(b) अन्तःस्तर से
(c) मध्यस्तर से
(d) मध्य अन्तःस्तर से।
उत्तर:
(c) मध्यस्तर से
7. वसीय कोशिकाएँ मुख्यतः पायी जाती हैं –
(a) अस्थियों में
(b) उपास्थियों में
(c) संयोजी ऊतक में
(d) तन्त्रिकाओं में।
उत्तर:
(c) संयोजी ऊतक में
8. उपकला ऊतक की उत्पत्ति होती है –
(a) बहिर्जन स्तर से
(b) अन्तर्जन स्तर से
(c) मध्यजन स्तर से
(d) उपर्युक्त सभी से।
उत्तर:
(a) बहिर्जन स्तर से
9. श्वसनिका में उपकला होती है –
(a) मिथ्या स्तरित तथा स्तम्भाकार
(b) शल्काभ तथा संवेदी।
(c) मिथ्या स्तरित तथा संवेदी
(d) क्यूबॉएडल तथा स्तम्भाकार।
उत्तर:
(d) क्यूबॉएडल तथा स्तम्भाकार।
10. स्नायु तथा कण्डरा निर्मित होती हैं –
(a) कंकालीय ऊतक से
(b) उपकला ऊतक से
(c) पेशीय ऊतक से
(d) संयोजी ऊतक से।
उत्तर:
(c) पेशीय ऊतक से
11. पेशी संकुचन में –
(a) ATP टूटता है
(b) ATP निर्मित होता है
(c) GTP टूटता है
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) ATP टूटता है
12. आम मास्ट कोशिकाएँ कहाँ पायी जाती हैं –
(a) वसीय ऊतक में
(b) अवकाशी ऊतक में
(c) पीत रेशेदार ऊतक में
(d) श्वेत रेशेदार ऊतक में।
उत्तर:
(b) अवकाशी ऊतक में
13. मस्तिष्क की गुहाओं को स्तरित करने वाली कोशिकाओं को कहते हैं –
(a) इपैनडायमल कोशिकाएँ
(b) तन्त्रिका कोशिकाएँ
(c) न्यूरोग्लिया
(d) श्वान कोशिकाएँ।
उत्तर:
(a) इपैनडायमल कोशिकाएँ
14. हृदय भित्ति बनी होती है –
(a) बाह्य हृदयस्तर की
(b) मध्य हृदयस्तर की
(c) अन्त:हृदयस्तर की
(d) उपर्युक्त सभी की।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी की।
15. मास्ट कोशिकाएँ पायी जाती हैं –
(a) उपकला ऊतक में
(b) तन्त्रिकीय ऊतक में
(c) कंकालीय ऊतक में
(d) संयोजी ऊतक में।
उत्तर:
(d) संयोजी ऊतक में।
16. केंचुए की त्वचा का भूरा रंग किस वर्णक के कारण है –
(a) मिलैनिन
(b) पोरफाइरिन
(c) हीमोग्लोबिन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) पोरफाइरिन
17. वह कौन-सा अंग है जिसके आधार पर नर एवं मादा कॉकरोच को पहचानते हैं –
(a) टरगा
(b) एनल स्टाइल
(c) आसेली
(d) स्टरना।
उत्तर:
(b) एनल स्टाइल
18. तिलचट्टे के पृष्ठ कंकाल खण्ड को कहते हैं –
(a) नोटम
(b) क्यूटिकिल
(c) स्टनम
(d) उपत्वचा।
उत्तर:
(c) स्टनम
19. तिलचट्टा किस वर्ग का जन्तु है –
(a) क्रस्टेशिया
(b) इन्सेक्टा
(c) अरेक्निडा
(d) डिप्लोपोडा।
उत्तर:
(b) इन्सेक्टा
20. कीटवर्ग का प्रमुख लक्षण है –
(a) तीन जोड़ी पैर
(b) दो जोड़ी पंख
(c) संधियुक्त पाद
(d) मुखांग।
उत्तर:
(a) तीन जोड़ी पैर
21. शीत निष्क्रियता तथा ग्रीष्म निष्क्रियता किस जीव में देखने को मिलती है –
(a) केंचुए
(b) मेढक
(c) कॉकरोच
(d) छिपकली।
उत्तर:
(b) मेढक
22. मेढक में विशेष संयोजी शिराएँ यकृत आँतों के मध्य वृक्क तथा शरीर के निचले भागों के मध्य पायी जाती हैं इन्हें ………..कहते हैं –
(a) यकृत निवाहिका तंत्र
(b) वृक्कीय निवाहिका तंत्र
(c) यकृत निवाहिका एवं वृक्कीय निवाहिका तंत्र
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) यकृत निवाहिका एवं वृक्कीय निवाहिका तंत्र
23. केंचुए के किस खण्ड की प्रतिपृष्ठ सतह पर नर जनन छिद्र पाया जाता है –
(a) चौदहवाँ खण्ड
(b) सोलहवाँ खण्ड
(c) सत्रहवाँ खण्ड
(d) अट्ठारहवाँ खण्ड।
उत्तर:
(d) अट्ठारहवाँ खण्ड।
24. क्लाइटेलम का मुख्य कार्य है –
(a) कोकून निर्माण
(b) उत्सर्जन
(c) मैथुन
(d) प्रचलन।
उत्तर:
(a) कोकून निर्माण
25. शुक्राशय छिद्र केंचुए के किन अन्तर खण्डीय खाँचों में पाए जाते हैं –
(a) 13/14, 14/15, 15/16, 16/17
(b) 5/6, 6/7,7/8,8/9
(c) 1/2, 2/3,3/4,4/5
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) 5/6, 6/7,7/8,8/9
प्रश्न 2.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –
- एक एपीक्राइन ग्रंथि का नाम लिखिये।
- पेशीय कोशिका के कोशिका द्रव्य को क्या कहते हैं ?
- दो तंत्रिका कोशिकाओं के डेन्ड्राइट कोशिका के ऐक्सॉन से विशिष्ट बंधों द्वारा जुड़े होते हैं। इसे क्या कहते हैं ?
- रुधिर कोशिकाओं के विघटन को क्या कहते हैं ?
- ऊतकों का अध्ययन करने वाली जीव विज्ञान की शाखा क्या कहलाती है ?
- रुधिर का थक्का जमाने में कौन-सी कणिकाएं सहायक हैं ?
- कॉकरोच के बाह्य कंकाल की काइटिन युक्त प्लेट को क्या कहते हैं ?
- द्विलैंगिकता दर्शाने वाले एक स्तनी का नाम लिखिए।
- द्विलिंगी होने पर भी किस जीन में परनिषेचन होता है ?
- क्या केंचुए में पुनरुद्भवन की क्षमता होती है ?
- केंचुए के उत्सर्जी अंग का नाम लिखिए।
- किस वर्ग के जन्तुओं को हेक्सापोडा भी कहते हैं ?
- मूत्र व सीमन त्यागने के लिए प्रयुक्त छिद्र को कॉकरोच में क्या कहते हैं ?
उत्तर:
- स्वेद ग्रंथि
- सार्कोप्लाज्म
- युग्मानुबंध
- हीमोलिसिस
- औतिकी
- रुधिर पट्टिकाणु,
- स्क्लेराइट
- चूहा
- केंचुआ
- हाँ
- नेफ्रीडिया
- कीट (इन्सेक्ट)
- स्पाइरिकल।
प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
- कॉकरोच के मुख उपांग ………………. प्रकार के होते हैं।
- केंचुए के शरीर के पहले खंड को ……………….कहते हैं।
- केंचुए के प्रचलन में ………………. तथा ……………… सहायक होते हैं।
- कॉकरोच के शिशु में बीस खण्ड तथा वयस्क में …………… खण्ड पाये जाते हैं।
- कॉकरोच का बाह्य कंकाल शरीर में होने वाली ……………….की हानि को रोकता है।
- कॉर्डेटा संघ के जन्तुओं में ……………. होती है। यह इनका विशिष्ट लक्षण है।
- हमारी वायुनाल की …………….. श्लेष्मा को बाहर की ओर धकेलती है।
- उपास्थि में पाई जाने वाली कोशिकाएँ …………….. कहलाती हैं।
- कशेरुक प्राणियों में रेखित पेशियाँ…………….में पाई जाती हैं।
- हृदयभित्ति बाह्य, …………….. व अंत:हृदय स्तर का बना होता है।
- तंत्रिका ऊतक ……. ………. तथा …………….. का कार्य करता है।
- मेढक ………………. जीव हैं।
उत्तर:
- चवर्णक
- पेरिस्टोमियम
- सीटी / पेशियाँ
- 19
- जल
- नोटोकॉर्ड
- रोमाभी उपकला
- कॉण्ड्रोसाइट
- पित्ताशय
- मध्य
- समन्वय, प्रेरण संवहन
- उभयचर।।
प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –
उत्तर:
- (d) लिम्फोसाइट
- (e) लिगामेंट
- (a) अस्थि
- (c) सार्कोमियर
- (b) अस्थि मज्जा
उत्तर:
- (e) लसीका
- (a) सीरम
- (b) ल्यूकेमिया
- (c) हीमोफिलिया
- (d) प्रति जामन
उत्तर:
- (d) चूहा
- (a) कॉकरोच
- (b) यकृत
- (c) ऑर्थोपोडा
उत्तर:
- (c) चूहा
- (d) कॉकरोच
- (a) केंचुआ
- (b) नर कॉकरोच
प्रश्न 5.
सत्य / असत्य बताइए
- केंचुआ में मेटामेरिक खंडीभवन पाया जाता है।
- तिलचट्टे के सिर पर पाँच खंड पाये जाते हैं ।
- कीट वर्ग का प्रमुख लक्षण तीन जोड़ी पैर है।
- नर व मादा तिलचट्टे की पहचान एनल स्टाइल के आधार पर होती है।
- क्लाइटेलम का मुख्य कार्य मैथुन करना है।
उत्तर:
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- सत्य
- असत्य।
प्राणियों में संरचनात्मक संगठन अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मास्ट कोशिकाएँ कहाँ होती हैं ? ये किन पदार्थों को स्रावित करती हैं ?
उत्तर:
मास्ट कोशिकाएँ सामान्यतः रक्त वाहिनियों के चारों तरफ स्थित अन्तराली ऊतकों में पायी जाती हैं। ये कोशिकाएँ हिस्टेमीन, हिपैरिन, सिरटोनिन इत्यादि पदार्थों को स्रावित करती हैं, जो रुधिर प्लाज्मा में पाये जाते हैं।
प्रश्न 2.
रुधिर एवं लसीका में पायी जाने वाली दो समानता बताइए।
उत्तर:
- रुधिर एवं लसीका दोनों में ही W.B.Cs. पायी जाती हैं।
- दोनों में ही शर्करा, यूरिया, अमीनो अम्ल, लवण इत्यादि लगभग समान मात्रा में पाये जाते हैं, इसके साथ ही दोनों में थक्का बनाने की क्षमता होती है।
प्रश्न 3.
रुधिर वाहिकाओं की आन्तरिक सतह को आस्तरित करने वाले ऊतक का नाम बताइए।
उत्तर:
सरल उपकला (Simple epithelium) और कूटस्तरित उपकला ऊतक (Pseudostratified epithelium) रुधिर वाहिकाओं की आन्तरिक सतह को आस्तरित करते हैं।
प्रश्न 4.
फैलोपियन नलिका और बैंकिओल्स की आन्तरिक सतह पर पाये जाने वाले ऊतक का नाम बताइए।
उत्तर:
तन्तुमय उपकला ऊतक (Ciliated epithelium)।
प्रश्न 5.
कौन-सा मानव अंग अपने नष्ट हुए भाग को बहुत आसानी से पैदा कर लेता है ?
उत्तर:
त्वचा।
प्रश्न 6.
स्तरित स्क्वैमस एपिथीलियल ऊतक की बाहरी स्तर किस कारण पानी के लिए अपारगम्य हो जाती है ?
उत्तर:
स्तरित स्क्वैमस एपिथीलियल ऊतक की बाहरी स्तर की कोशिकाएँ एक-दूसरे से चिपकी रहती हैं, इस कारण पानी के लिए अपारगम्य होती हैं।
प्रश्न 7.
मनुष्य के एरिथ्रोसाइट की औसत आयु क्या है ? भ्रूणीय तथा वयस्क अवस्था में ये कहाँ पैदा होती हैं ?
उत्तर:
मनुष्य में एरिथ्रोसाइट्स (R.B.Cs.) की औसत आयु 100-120 दिन है। भ्रूणीय अवस्था में ये यकृत (Liver) और प्लीहा (Spleen) में, जबकि वयस्क में लाल अस्थि मज्जा (Red bone marrows) में पैदा होती हैं।
प्रश्न 8.
पॉलिसाइथेमिया क्या है ?
उत्तर:
पॉलिसाइथेमिया हमारे शरीर में पायी जाने वाली ऐसी अनियमितता है, जिसमें रुधिर के अन्दर R.B.Cs. की संख्या में असामान्य रूप से वृद्धि हो जाती है।
प्रश्न 9.
ऊतक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
ऐसी कोशिकाओं का समूह जिनकी उत्पत्ति, संरचना एवं कार्य समान हों, ऊतक कहते हैं । ऊतक शब्द का नामकरण बाइकाट वैज्ञानिक ने किया था।
प्रश्न 10.
अंग एवं अंग-तंत्र को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
ऊतकों के समूह से अंग का निर्माण होता है एवं विशेष कार्य करते हैं, जो कि जीव के लिए महत्वपूर्ण होता है। अंग – “एक या एक से अधिक समान कार्य करने वाले ऊतकों से बने शरीर के उस भाग को, जो एक या कई विशिष्ट कार्यों को करता है, अंग कहते हैं।” अंग – तंत्र -“कई समान कार्य करने वाले अंगों के समूह को अंग – तंत्र कहते हैं। अंग-तंत्र मिलकर जन्तु शरीर का निर्माण करते हैं।”
प्रश्न 11.
दुबले व्यक्तियों की अपेक्षा मोटे व्यक्तियों को ठण्ड अधिक न लगने का क्या कारण है ?
उत्तर:
मोटे व्यक्तियों में वसा ऊतक अधिक मात्रा में पाये जाते हैं, जिससे त्वचा के ऊपर एक तापरोधी स्तर बन जाती है, इस कारण ठण्ड अधिक नहीं लगती है।
प्रश्न 12.
हिस्टेमीन, हिपैरिन एवं सिरेटोनिन के क्या कार्य हैं ?
उत्तर:
हिस्टेमीन-रुधिर का थक्का जमाने में सहायक है। हिपैरिन-रुधिर वाहिनियों में रुधिर का थक्का नहीं जमने देता है। सिरेटोनिन-रुधिर वाहिनियों में रुधिर दाब का नियंत्रण करता है।
प्रश्न 13.
प्लाज्मा प्रोटीन का नाम दीजिये जो कशेरुकियों के रक्त को जमाने का कार्य करता है।
उत्तर:
फाइब्रिनोजन।
प्रश्न 14.
शरीर के अन्दर परिवहन करता रुधिर नहीं जमता क्यों?
उत्तर:
शरीर के अन्दर के रुधिर में एक विशिष्ट प्रोटीन हिपैरिन पाया जाता है, जो शरीर के अन्दर रुधिर को जमने से रोकता है, इस कारण शरीर के अन्दर रुधिर नहीं जमता।
प्रश्न 15.
रैनवियर का नोड क्या है ?
उत्तर:
मायलिन युक्त तंत्रिका तन्तु का वह भाग जहाँ पर मायलिन प्रोटीन नहीं पाई जाती है, रैनवियर नोड कहते हैं।
प्रश्न 16.
हैवर्सियन तंत्र किन जन्तुओं के ऊतकों में पाया जाता है ?
अथवा
स्तनधारियों में हैवर्सियन नलिकाएँ कहाँ पायी जाती हैं ?
उत्तर:
हैवर्सियन तंत्र स्तनधारियों की अस्थियों में पाया जाता है।
प्रश्न 17.
मनुष्य की त्वचा में उपस्थित ग्रंथियों के केवल नाम लिखिए।
उत्तर:
त्वचा की डर्मिस में तीन प्रकार की ग्रंथियाँ पाई जाती हैं –
- स्वेद ग्रन्थि
- सीबेसियस ग्रन्थि
- स्तन ग्रन्थि।
प्रश्न 18.
कुंचनशील पेशी तंतुओं को बनाने वाले दो विशिष्ट प्रोटीनों के नाम लिखिये।
अथवा
रेखित पेशियों में गहरे व हल्के रंग की पट्टी का निर्माण करने वाली प्रोटीनों के नाम बताइये।
उत्तर:
- गहरे रंग की पट्टी का निर्माण करने वाली प्रोटीन मायोसिन (गाढा प्रोटीन)।
- हल्के रंग की पट्टी का निर्माण करने वाली प्रोटीन ऐक्टिन (पतला प्रोटीन)।
प्रश्न 19.
अरेखित पेशी का नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर:
अरेखित पेशी का नामांकित चित्र –
प्रश्न 20.
वसीय ऊतक का नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर:
वसीय ऊतक का नामांकित चित्र –
प्राणियों में संरचनात्मक संगठन लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्लाज्मा प्रोटीन के प्रकार एवं कार्य लिखिए।
उत्तर:
प्लाज्मा प्रोटीन को मुख्यतः तीन वर्गों में विभाजित किया गया है –
- सीरम एल्ब्यूमिन
- सीरम ग्लोब्यूलिन
- फाइब्रिनोजन।
प्लाज्मा प्रोटीन के कार्य –
- शरीर प्रतिरोधकता-ग्लोबिन प्रोटीन एण्टीबॉडी के समान कार्य करती है।
- रुधिर हानि को रोकना-फाइब्रिनोजन जिसका संश्लेषण यकृत में होता है, रुधिर का थक्का जमाने में सहायक है।
- रुधिर को तरल बनाए रखना-ऐल्ब्यूमिन, ग्लोब्यूलिन में जल धारण करने की क्षमता अधिक होती है, जिसके कारण रुधिर द्रव रूप में बना रहता है।
- यह परिवहन में सहायक है।
- यह रुधिर का pH नियंत्रित करती है।
- यह शरीर में समान तापक्रम बनाए रखता है।
- यह ऊष्मा का संवहन करता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित क्या हैं एवं जन्तु शरीर में कहाँ पर पाए जाते हैं
- ऑस्टियोसाइट
- निसिल्सकण
- हीमोग्लोबिन
- हैवर्सियन तंत्र
- कैनालीकुली
- रोमाभी एपिथीलियम
- लैकुनी।
उत्तर:
- ऑस्टियोसाइट (Osteocyte) – यह अस्थि कोशिका है, जो कि संघनित अस्थि ऊतक के लैमिली अवकाश में पाई जाती है।
- निसिलकण (Nissil’s granule) – ये तंत्रिका कोशिका के कोशिकाद्रव्य में पाए जाते हैं, जिनका सम्बन्ध संवेदना प्रवाह से होता है।
- हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) – यह एक जटिल प्रोटीन है, जिसका निर्माण लाल अस्थि मज्जा के अन्दर होता है।
- हैवर्सियन तंत्र (Haversian system) – यह स्तनधारियों की अस्थि में पाई जाने वाली नलिकाओं का समूह है।
- कैनालीकुली (Canaliculli) – विभिन्न प्रकार की लैकुनी छोटी कैनाल द्वारा जुड़ी रहती है, जिसे कैनालीकुली कहते हैं।
- रोमाभी एपिथीलियम (Hairy epithelium) – स्तम्भाकार एवं घनाकार एपिथीलियम में जब रोम पाए जाते हैं तब उन्हें रोमाभी एपीथीलियम कहते हैं, जैसे-वृक्क नलिका, अण्डवाहिनी, श्वास नली।
- लैकुनी (Lacunae) – अस्थियों तथा उपास्थियों के मैट्रिक्स में छोटे-छोटे खाली स्थान पाये जाते हैं, जिन्हें गर्तिकाएँ या लैकुनी कहते हैं । इन्हीं के अन्दर अस्थि तथा उपास्थि कोशिकाएँ पायी जाती हैं।
प्रश्न 3.
टेण्डन तथा लिगामेण्ट में चार अन्तर बताइए।
उत्तर:
टेण्डन तथा लिगामेण्ट में अन्तर –
प्रश्न 4.
लसीका या लिम्फ क्या है ? इसके दो कार्य लिखिए।
उत्तर:
रक्त कोशिकाओं से कुछ रुधिर रिसकर बाहर, ऊतकों में आ जाता है, जिसे लसीका (Lymph) कहते हैं। इसमें R.B.Cs. अनुपस्थित तथा W.B.Cs उपस्थित रहती है। अतः यह अन्तरकोशिकीय अवकाशों में पाया जाने वाला रंगहीन द्रव है, जो रुधिर प्लाज्मा, W.B.Cs., O,, वर्ण्य तथा पौष्टिक पदार्थों का बना होता है।
कार्य:
- इसमें उपस्थित W.B.Cs. रोगाणुओं का भक्षण करती है।
- यह परिसंचरण में भाग लेता है।
- यह रुधिर वाहिकाओं तथा कोशिकाओं के बीच माध्यम का कार्य करता है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित क्रियाओं में किस प्रकार की पेशियाँ संलग्न हैं
- पैरों की गति
- ईसोफेगस में भोजन की गति
- रक्तवाहिनियों में संकुचन क्रिया
- एक आँख का बन्द करना।
उत्तर:
पेशीय गति – प्रकार
- पैरों की गति – रेखित पेशी
- ईसोफेगस में भोजन की गति – अरेखित पेशी
- रक्त वाहिनियों में संकुचन क्रिया – अरेखित पेशी
- एक आँख का बन्द करना – वृत्ताकार अरेखित पेशी।
प्रश्न 6.
ऐच्छिक व अनैच्छिक पेशियों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
ऐच्छिक पेशी (Voluntary) – ऐसी पेशियाँ, चालक तन्त्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तथा स्पाइनल कार्ड से सम्बन्धित रहती हैं तथा इनका मस्तिष्क की इच्छा शक्ति द्वारा पूर्ण नियन्त्रण रहता है। उदाहरण-रेखित पेशी, कंकालीय पेशी आदि।
अनैच्छिक पेशी (Involuntary):
इस प्रकार की पेशियाँ स्वचालित तन्त्रिका तन्त्र द्वारा नियंत्रित होती हैं। इनमें संकुचन जीव की इच्छाशक्ति पर निर्भर नहीं करता। उदाहरण – हृदयकपेशी, अकंकाली पेशी आदि।
प्रश्न 7.
अन्तर बताइये –
- A बैण्ड और I बैण्ड
- प्लाज्मा और सीरम।
उत्तर:
1. A बैण्ड और I बैण्ड में अंतर –
2. प्लाज्मा और सीरम में अन्तर –
प्रश्न 8.
उपास्थि तथा अस्थि में चार अन्तर बताइए।
उत्तर:
उपास्थि एवं अस्थि में अन्तर –
प्रश्न 9.
केंचुए में पाये जाने वाले खण्डीभवन को समझाइये।
उत्तर:
केंचुए में खण्डीभवन (Segmentation in Earthworm):
केंचुए का सम्पूर्ण शरीर बाहर की ओर से गोलाकार खाँचों (Circular grooves) में बँटा रहता है जिन्हें वलय या खण्ड (Annuli) कहते हैं। इनकी संख्या 100 से 120 तक होती है। इस प्रकार से वलयों या खण्डों के बनने की क्रिया को चिन्हित विखंडन (Metameric segmentation) कहते हैं। अगले सिरे के प्रथम खण्ड को मुख खण्ड (Buccal segment) या पेरिस्टोमियम (Peristomium) कहते हैं जिसके कारण अग्रभाग पर अर्द्ध चन्द्राकार मुख पाया जाता है।
मुख के ऊपर प्रथम खण्ड का ही एक प्रवर्ध निकला रहता है जो प्रोस्टोमियम (Prostomium) कहलाता है। यह मुख को ढंके रहता है। शरीर का अन्तिम खण्ड गुदा खण्ड कहलाता है जिसके अन्त में गुदा (Anus) स्थित होती है। प्रत्येक दो खण्डों के बीच में अन्तर खण्ड दरार (Inter segmental groove) स्थित होती है। केंचुए के शरीर की पूरी लम्बाई के मध्य पृष्ठीय (Mid dorsal) सतह पर एक नीली रेखा पायी जाती है जो वास्तव में पृष्ठीय रुधिर वाहिका के कारण होती है।
प्रश्न 10.
केंचुए के आहारनाल का नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर:
केंचुए के आहारनाल का चित्र
प्राणियों में संरचनात्मक संगठन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
नर एवं मादा तिलचट्टे में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
नर एवं मादा तिलचट्टे में अन्तर – तिलचट्टा एकलिंगी जन्तु है अर्थात् इनमें नर तथा मादा जनन अंग अलग-अलग पाया जाता है। तिलचिट्टे में लैंगिक द्विरूपता (Sexual dimorphism) पायी जाती है अर्थात् नर एवं मादा तिलचिट्टे को बाहर से ही पहचाना जा सकता है। नर तथा मादा तिलचट्टे में पाया जाने वाला अन्तर सारणी में दिया गया है।
प्रश्न 2.
तिलचट्टे के मुखांग का सचित्र वर्णन कीजिये।
उत्तर:
तिलचट्टे के मुखांग – तिलचट्टे के मुखांग चवर्णक प्रकार के होते हैं जिनकी सहायता से यह भोजन को कुतर कर खाता है। तिलचट्टे में निम्न मुखांग पाये जाते हैं –
1. लेब्रम (Labrum):
यह क्लीपियस के निचले सिरे से जुड़ी एक चौड़ी काइटिन की प्लेट जैसी रचना है। यह मुखगुहा को सामने से ढंके रहती है। इसी कारण इसे ऊपरी होंठ भी कहते हैं। इसके ऊपरी सतह पर एक संवेदी शूक (Sensory setae) पाया जाता है। लेब्रम तथा मैण्डिबल के जोड़ पर कुछ पेशियाँ पायी जाती हैं जिनसे होंठ को ऊपर-नीचे किया जा सकता है।
2. मैण्डिबल (Mandible):
यह सिर के साथ बॉल एण्ड सॉकेट ज्वाइण्ट (Ball and Socket joint) के द्वारा जुड़ी काइटिन की बनी अखण्डित गहरे भूरे रंग की रचना है। इनकी भीतरी सतह कोमल होती है जो प्रोस्थीका (Prostheca) कहलाती है। इनके अन्दर का भाग कड़ा होता है जिस पर आरी के समान दाँत पाये जाते हैं। इनकी सहायता से तिलचट्टा अपने भोजन को कुतरता है । इसके साथ दो पेशियाँ एडक्टर (Aductor) तथा एब्डक्टर (Abductor) जुड़ी होती है जिनके संकुचन से मैण्डिबिल पृथक्-पृथक् हो जाते हैं।
3. प्रथम मैक्सिला (First maxilla):
ये सिर के दोनों पार्यों पर स्थित एक जोड़ी रचनाएँ हैं जो तीन भागों की बनी होती हैं-प्रोटोपोडाइट (Protopodite), एण्डोपोडाइट (Endopodite) और एक्सोपोडाइट (Exopodite)। प्रोटोपोडाइट दो भागों-कार्डो (Cardo) तथा स्टाइप्स (Stipes) का बना होता है। कार्डो तथा स्टाइप्स एक-दूसरे से समकोण पर स्थित होते हैं।
इण्डोपोडाइट भी दो खण्डों का बना होता है – लैसिनिया (Lacinia) तथा गैलिया (Galea)। ये दोनों मुड़ी हुई रचनाएँ हैं जिन पर कड़े बाल पाये जाते हैं। एक्सोपोडाइट या मैक्सिलरी पैल्प (Maxillary palp)5 खण्डों का बना होता है जिनके ऊपर कड़े बाल पाये जाते हैं। एक्सोपोडाइट भोजन को पकड़कर उसे मुख में डालता है। एण्डोपोडाइट भोजन को पकड़ने में सहायता करते हैं। प्रथम मैक्सिला भोजन पकड़ने के अलावा ब्रुश की तरह ऐण्टिना तथा प्रथम जोड़ी टाँगों को साफ करने का कार्य भी करती है।
4. द्वितीय मैक्सिला या लैबियम (Second maxilla or Labium):
इसे निचला होंठ भी कहते हैं। वास्तव में यह दो मैक्सिलाओं के मिलने से बनता है तथा प्रथम मैक्सिला से पीछे मुखगुहा की अधर तल पर स्थित होता है। लैबियम दो खण्डों का बना होता है-प्री तथा पोस्ट मेण्टम (Per and post – mentum) पोस्ट मेण्टम एक बड़े, मजबूत सबमेण्टम (Sub – mentum) तथा एक छोटे मेण्टम (Mentum) का बना होता है। प्रीमेण्टम से दो विखण्डीय बालयुक्त रचनाएँ निकलती हैं जिन्हें लैबियम पैल्प (Labial palps) कहते हैं।
प्रत्येक पैल्प के उद्गम पर एक-एक और खण्ड स्थित होते हैं जिन्हें पैल्पीजर (Palpiger) कहते हैं। प्रीमेण्टम पर 4 खण्ड और सधे रहते हैं जिनमें से भीतरी खण्डों को ग्लोसा (Glossa) व बाहरी खण्डों को पैराग्लोसा (Paraglossa) कहते हैं। इन चारों खण्डों को सम्मिलित रूप से लिंगुला (Lingula) कहते हैं। लैबियम एक स्पर्श संवेदनांग है, जबकि लिंगुला चवर्ण के समय भोजन को बाहर जाने से रोकता है।
5. हाइपोफैरिक्स (Hypopharynx):
यह लैबियम के सामने तथा प्रथम मैक्जिला के बीच में स्थित ऊँगली के समान रचना होती है। इसे जिह्वा भी कहते हैं। इसके आधार पर लार ग्रन्थि (Salivary glands) खुलती है। लैबियम के प्रतिपृष्ठ सतह आहारनाल के उद्गम की भीतरी दीवार एपिफैरिक्स (Epipharynx) नामक रचना बनाती है। यह जिह्वा के समान ही है। यह मुखगुहा में भोजन को इधर-उधर करके लार मिलाने का कार्य करती है। इसके ऊपरी सिरे पर एक संवेदी शूक पाया जाता है।