MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर

पुष्पी पादपों का शारीर NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के मेरिस्टेम की स्थिति तथा कार्य बताइए।
उत्तर:
स्थिति के अनुसार विभज्योतक निम्न प्रकार के होते हैं –
1.शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical meristem):
ये ‘जड़ तथा तने के शीर्ष पर पाये जाते हैं इनकी कोशिकाओं के विभाजन से तने तथा जड़ें लम्बाई में बढ़ती हैं। इनसे जड़ व तनों के सिरों पर वृद्धि बिन्दु का निर्माण होता है।

2. अन्तर्विष्ट विभज्योतक (Intercalary meristem):
वास्तव में यह शीर्षस्थ विभज्योतक से पृथक् हुआ भाग है जो प्ररोह की वृद्धि के समय शीर्षस्थ भाग से अलग हो जाता है और स्थायी ऊतक में परिवर्तित नहीं होता एवं स्थायी ऊतकों के बीच में विभज्योतक ऊतक के रूप में बचा रहता है। यह ऊतक पत्ती के आधार के पास अथवा पर्व के आधार के पास स्थित रहता है। अन्तर्विष्ट विभज्योतक ऊतक सामान्यतः घासों में पर्व के आधार के पास, पुदीने (Mentha) की पर्वसन्धि के नीचे इत्यादि स्थानों पर पाये जाते हैं। ये ऊतक अस्थायी होते हैं लेकिन बाद में स्थायी ऊतकों में परिवर्तित हो जाते हैं। इस ऊतक के कारण पौधा लम्बाई में बढ़ता है।

3. पार्श्व विभज्योतक (Lateral meristem):
ये विभज्योतक ऊतक तनों तथा जड़ों के पार्यों में स्थित हैं, जैसे कि संवहन एधा और कॉर्क एधा। ये ऊतक स्थायी ऊतकों के पुनः विभेदन के कारण बनते हैं। इनके विभाजन से द्वितीयक वृद्धि होती है जिससे जड़ व तने मोटाई में वृद्धि करते हैं।
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प्रश्न 2.
कार्क कैंबियम ऊतकों से बनता है, जो कार्क बनाते हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जब द्विबीजपत्री जड़ और तने के परिधि में वृद्धि होती है तब वल्कुट तथा बाह्य त्वचा की सतहें टूटती जाती है और उन्हें नई संरक्षी कोशिका सतह की आवश्यकता होती है। इसलिए एक दूसरा मेरीस्टेमी ऊतक तैयार हो जाता है जिसे कार्क कैंबियम अथवा कागजन कहते हैं। यह प्रायः वल्कुट क्षेत्र में विकसित होता है इसकी सतह मोटी और सँकरी पतली भित्ति वाली आयताकार कोशिकाओं की बनी होती है। कागजन दोनों ओर की कोशिकाओं को बनाता है।

बाहर की ओर की कोशिकाएँ कार्क अथवा काग में बँट जाती है और अंदर की ओर की कोशिकाएँ द्वितीयक वल्कुट अथवा कागास्तर में विभेदित हो जाती है। कार्क कोशिकाओं में पानी का प्रवेश नहीं होता है क्योंकि इसकी कोशिका भित्ति पर सूबेरिन जमा रहता है। द्वितीयक वल्कुट कोशिकाएँ पैरेकाइमी होती है। कागजन, काग तथा काग मिलकर परिचर्म बनाते हैं । ये बाहरी तथा तने के भीतरी ऊतकों के बीच गैसों का आदान-प्रदान करते हैं। ये अधिकांश काष्ठीय वृक्षों में पाये जाते हैं।

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प्रश्न 3.
चित्रों की सहायता से काष्ठीय एंजियोस्पर्म के तने में द्वितीयक वृद्धि के प्रक्रम का वर्णन कीजिए। इसकी क्या सार्थकता है?
उत्तर:
द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth):
“कैम्बियम तथा कॉर्क कैम्बियम की क्रियाशीलता के फलस्वरूप क्रमशः स्टील के अन्दर तथा स्टील के बाहर द्वितीयक ऊतकों के बनने के कारण जड़ तथा तने में मोटाई में हुई वृद्धि द्वितीयक वृद्धि कहलाती है।” द्वितीयक वृद्धि के कारण ही आवृतबीजी और द्विबीजपत्री पौधे वृक्ष जैसी रचना बना पाते हैं द्वितीयक वृद्धि के अभाव के कारण ही एकबीजपत्री पादपों में सामान्यतः वृक्ष का अभाव रहता है। अत: कुछ अपवादों को छोड़कर एकबीजपत्री पादपों में द्वितीयक वृद्धि का पूर्णतः अभाव होता है। जबकि द्विबीजपत्री पादपों (जड़ एवं तना) में द्वितीयक वृद्धि पायी जाती है।

द्विबीजपत्री तने में द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth in cambium) – एक प्रारूपी द्विबीजपत्री तने में द्वितीयक वृद्धि निम्न प्रकार से होती है –

(A) कैम्बियम की क्रियाशीलता (Activity of cambium):
आप जानते हैं कि द्विबीजपत्री तने में जाइलम तथा फ्लोएम के बीच एक पट्टी पायी जाती है जिसे पूलीय कैम्बियम (Fascicular cambium) कहते हैं। जब तना वयस्क हो जाता है अर्थात् उसमें द्वितीयक वृद्धि होनी होती है तब पूलीय कैम्बियम क्रियाशील हो जाता है तथा इसके साथ ही दो सम्वहन पूलों के बीच की कैम्बियम की सन्धि वाली कोशिकाएँ, जो मृदूतकी होती हैं, भी विभाजित हो जाती हैं अब इन्हें अन्तरपूलीय कैम्बियम (Interfascicular cambium) कहते हैं। इस प्रकार कैम्बियम का एक वलय बन जाता है जिसे कैम्बियम वलय (Cambium ring) कहते हैं।

अनुकूल परिस्थिति में कैम्बियम कोशिकाएँ विभाजन करने लगती हैं। यह विभाजन स्पर्श रेखीय (Tangential) होता है जिसके कारण वलय के बाहर द्वितीयक फ्लोएम तथा अन्दर द्वितीयक जाइलम का निर्माण होता है। सामान्यतः द्वितीयक फ्लोएम की अपेक्षा द्वितीयक जाइलम अधिक मात्रा में बनता है, इस कारण कैम्बियम का वलय परिधि की ओर खिसकता जाता है।

प्राथमिक जाइलम तथा फ्लोएम इस क्रिया के कारण दूर हो जाते हैं जबकि कैम्बियम क्रियाशीलता के पहले ये पास-पास स्थित होते हैं। इस समय प्राथमिक फ्लोएम दबाव के कारण कुचलकर अवशेष के रूप में रह जाता है जबकि प्राथमिक जाइलम केन्द्रीय मज्जा की ओर आ जाता है। कुछ कैम्बियम कोशिकाएँ द्वितीयक जाइलम तथा फ्लोएम के स्थान पर केवल मृदूतकी कोशिकाओं का निर्माण करने लगती हैं –
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जिससे अक्ष के क्षैतिज द्वितीयक जाइलम से द्वितीयक फ्लोएम तक एक पट्टी दिखाई देने लगती है। जिसे द्वितीयक ऊतकों में स्थित होने के कारण द्वितीयक मेड्यूलरी रश्मियाँ (Secondary medulary rays) कहते हैं। ये संवहन ऊतक की जीवित कोशिकाओं से सम्बन्ध स्थापित करती हैं, इन्हीं से होकर फ्लोएम तथा जाइलम की जीवित कोशिकाओं को भोजन सामग्री पहुँचती है। इसके अलावा ये कोशिकाएँ भोजन संग्रह का भी कार्य करती हैं।
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(B) कॉर्क कैम्बियम की सक्रियता (Activity of cork cambium):
कैम्बियम द्वारा नये ऊतकों के बनने के कारण तने के बाहरी ऊतकों पर दबाव पड़ता है जिसके कारण बाह्य त्वचा फट जाती है। इसी समय कॉर्टेक्स की बाहरी पर्त विभाजित होकर नयी कोशिकाएँ बनाने लगती हैं इस पर्त को ही कॉर्क कैम्बियम या फेलोजन (Cork cambium or Phellogen) कहते हैं। कॉर्क कैम्बियम अन्दर तथा बाहर दोनों तरफ कोशिकाओं का निर्माण करता है लेकिन बाहर की तरफ अपेक्षाकृत अधिक कोशिकाएँ बनती हैं।

कॉर्क कैम्बियम द्वारा बाहर की ओर जो कोशिकाएँ बनती हैं उन्हें कॉर्क या फेलम (Phellem) तथा अन्दर की तरफ बनी कोशिकाओं को फैलोडर्म कहते हैं। बाहर बनी कोशिकाओं में अन्तराकोशिकीय अवकाश नहीं पाया जाता है तथा ये सुबेरिन का निर्माण कर मृत हो जाती है और तने की छाल (Bark) बनाती हैं। अन्दर की ओर कोशिकाएँ द्वितीयक कॉर्टेक्स बनाती हैं जो मृदूतकी कोशिकाओं का बना होता है जिसमें हरितलवक पाया जाता है। सामान्यत: कॉर्क कैम्बियम द्वारा बनाये ऊतकों को कॉर्क (Cork or Periderm) कहा जाता है जो तने को यांत्रिक सहारा देने के साथ ही रक्षात्मक आवरण बनाता है तथा आन्तरिक ऊतकों से जल हानि को रोकता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में विभेद कीजिए –

  1. वाहिका तथा ट्रैकीड
  2. पैरेनकाइमा तथा कोलेनकाइमा
  3. रसदारु तथा अंत:काष्ठ
  4. खुला तथा बंद संवहन बंडल।

उत्तर:
1. वाहिका एवं वाहिनिका (ट्रैकीड) में अन्तर –
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2. पैरेनकाइमा (मृदूतक) तथा कोलेनकाइमा (स्थूलकोण ऊतक) पैरेनकाइमा (Perenchyma):

  1. इसकी कोशिकाएँ जीवित एवं पतली भित्ति वाली होती हैं।
  2. इनकी कोशिका भित्ति सेल्युलोज की बनी होती है।
  3. इनकी कोशिकाओं में रिक्तिकाएँ संख्या में अधिक होती हैं।
  4. इनकी कोशिकाएँ गोल या बहुभुजी और अन्तराकोशिकीय अवकाश युक्त होती हैं।
  5. इनका मुख्य कार्य भोज्य पदार्थों का संग्रहण करना है।
  6. जब इनमें क्लोरोफिल उपस्थित होता है, तब इन्हें क्लोरेनकायमा कहते हैं। यह प्रकाश-संश्लेषण. का कार्य करता है।
  7. जब इन कोशिकाओं के अन्तराकोशिकीय अवकाश बड़े-बड़े होते हैं तब इन्हें ऐरेनकायमा कहते हैं। ये जलीय पौधों में पाये जाते हैं तथा उनको तैरने में सहायता करते हैं।

स्थूलकोण ऊतक (Collenchyma):

  1. यह जीवित ऊतक है, जिसकी कोशिकाएँ लम्बी होती हैं।
  2. इनकी कोशिकाओं में अन्तर कोशिकीय अवकाशों का अभाव होता है।
  3. इनकी कोशिकाओं की कोशिका भित्ति के कोने सेल्युलोज एवं पेक्टिन के जमाव के कारण मोटे व स्थूलित हो जाते हैं इसलिए इन्हें स्थूलकोण ऊतक कहा जाता है।
  4. क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होने पर ये प्रकाश-संश्लेषण का कार्य करते हैं।
  5. यह पौधे को यांत्रिक मजबूती प्रदान करता है।
  6. लचीला होने के कारण यह अंगों को तनन सामर्थ्य प्रदान करता है।
  7. क्लोरोप्लास्ट उपस्थित होने पर यह प्रकाश-संश्लेषण का कार्य करता है।

3. रसदारु तथा अंतःकाष्ठ में अन्तर।
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4. खुला तथा बंद संवहन बंडल

  • खुला संवहन बंडल (Open vascular bundle) – इसमें जायलम तथा फ्लोएम के बीच में कैम्बियम स्थित होता है। इस प्रकार का सम्वहन पूल द्विबीजपत्री तनों में पाया जाता है।
  • बन्द संवहन बंडल (Closed vascular bundle) – इस प्रकार के सम्वहन पूलों में कैम्बियम नहीं पाया जाता। यह एकबीजपत्री पौधों के तनों में पाया जाता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में शारीरिकी (Anatomy) के आधार पर अंतर बताइए

  1. द्विबीजपत्री मूल तथा एकबीजपत्री मूल।
  2. द्विबीजपत्री तना तथा एकबीजपत्री तना।

उत्तर:
1. एकबीजपत्री एवं द्विबीजपत्री जड़ (मूल) की आन्तरिक संरचना में अन्तर –
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2. द्विबीजपत्री तथा एकबीजपत्री तने में अन्तर –
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प्रश्न 6.
आप एक शैशव तने की अनुप्रस्थ काट का सूक्ष्मदर्शी अवलोकन कीजिए।आप कैसे पता करेंगे कि यह एकबीजपत्री तना अथवा द्विबीजपत्री तना है ? इसके कारण बताइए।
उत्तर:

एक शैशव तने की अनुप्रस्थ काट का सूक्ष्मदर्शी में अवलोकन करने के पश्चात् एकबीजपत्री एवं द्विबीजपत्री तना को निम्नलिखित संरचनाओं के आधार पर पहचाना जा सकता है –

द्विबीजपत्री तने की आंतरिक संरचना(Internal structure of dicot stem) – यदि हम सूर्यमुखी के तने की आंतरिक संरचना को देखें तो इसमें निम्न रचनाएँ दिखाई देती हैं –

1. बाह्यत्वचा (Epidermis):
यह सबसे बाहरी एक कोशिकीय स्तर है जिस पर क्यूटिकिल पायी जाती है। इस पर कहीं-कहीं बहुकोशिकीय रोम तथा स्टोमेटा पाये जाते हैं।

2. कॉर्टेक्स (Cortex):
यह बाह्यत्वचा के नीचे के स्तर है जो तीन स्तरों की बनी होती है –

  • अधस्त्व चा (Hypodermis) – यह कोलेनकाइमेटस कोशिकाओं की 3 से 5 परतों की बनी होती है। इन कोशाओं में अन्तराकोशिकीय अवकाश अनुपस्थित तथा हरित लवक उपस्थित होता है।
  • सामान्य कॉर्टेक्स (General cortex) – यह अधस्त्वचा के नीचे स्थित होता है तथा अन्तराकोशिकीय अवकाशों युक्त मृदूतकी कोशिकाओं का बना होता है।
  • अन्तस्त्वचा (Endodermis) – यह कॉर्टेक्स की आन्तरिक एक कोशिकीय स्तर जो ढोलक के समान कोशिकाओं की बनी होती है। जिसमें स्टार्च कण पाये जाते हैं। इसमें कैस्पेरियन स्ट्रिप स्पष्ट दिखाई देती है।

3. पेरिसाइकिल (Pericycle):
यह परत मृदूतकी तथा दृढ़ऊतकी कोशिकाओं के एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होने से बनती है और अन्तरस्त्वचा के नीचे स्थित होती है।
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4.संवहन पूल (Vascular bundle):
इनके संवहन पूल संयुक्त (Conjoint), कोलेटरल (Collateral), खुले (Open) तथा एक घेरे में व्यवस्थित होते हैं। इनका प्रत्येक संवहन पूल जाइलम, फ्लोएम तथा कैम्बियम का बना होता है। इनका जाइलम वैसेल्स, ट्रैकीड, काष्ठ तन्तु तथा काष्ठ मृदूतक का बना होता है जबकि फ्लोएम चालनी नलिकाओं, सखि कोशिकाओं तथा मृदूतक कोशिकाओं का बना होता है। इनके जाइलम तथा फ्लोएम के बीच में पतली भित्ति वाली कोशिकाओं की एक पट्टी पायी जाती है जिसे कैम्बियम कहते हैं।

5. पिथ (Pith):
तने के मध्य में मृदूतकी कोशिकाओं का बना पिथ पाया जाता है। एकबीजपत्री तने की आंतरिक संरचना (Internal structure of monocot stem) – मक्का सामान्य रूप से पाया जाने वाला एकबीजपत्री पादप है। जिसके अनुप्रस्थ काट में निम्न संरचनाएँ दिखाई देती हैं –

1. बाह्यत्वचा (Epidermis) – इसमें क्यूटिकिल उपस्थित लेकिन रोम अनुपस्थित होते हैं।

2. हाइपोडर्मिस (Hypodermis) – बाह्यत्वचा के नीचे दृढ़ऊतकी कोशिकाओं की दो से चार परतें पायी जाती हैं, जिन्हें हाइपोडर्मिस कहते हैं।
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3. भरण ऊतक (Ground tissue):
यह मृदूतकी अन्तराकोशिकीय अवकाश युक्त कोशिकाओं का बना भाग है जो अधस्त्वचा से लेकर तने के केन्द्र तक फैला होता है।

4. संवहन पूल (Vascular bundle):
इनके भरण ऊतक में बहुत – से संयुक्त (Conjoint), कोलेटरल (Collateral) तथा बन्द (Close) संवहन पूल बिखरे होते हैं अर्थात् इनमें कैम्बियम का अभाव होता है। प्रत्येक संवहन पूल के चारों तरफ स्क्लेरेनकाइमा कोशिकाएँ पायी जाती हैं। इनका संवहन पूल जाइलम तथा फ्लोएम का बना होता है। इसका जाइलम वेसेल्स, ट्रैकीड्स तथा जाइलम मृदूतक का बना होता है। जबकि फ्लोएम चालनी नलिकाओं तथा सखि कोशिकाओं का बना होता है। एकबीजपत्री तनों में फ्लोएम पैरेनकाइमा नहीं पायी जाती हैं। एकबीजपत्री तने में मज्जा (Pith) का अभाव होता है।

प्रश्न 7.
सूक्ष्मदर्शी किसी पौधे के भाग की अनुप्रस्थ काट का निम्नलिखित शरीर रचनाएँ दिखाती

  1. संवहन बंडल संयुक्त, फैले हुए तथा उसके चारों ओर स्क्लेरेनकाइमी आच्छद है।
  2. फ्लोएम पैरेनकाइमी है। आप इसे कैसे पहचानेंगे यह किसका है?

उत्तर:
यह एकबीजपत्री तने (Monocot stem) की अनुप्रस्थ काट की रचना है।

प्रश्न 8.
जाइलम एवं फ्लोएम को जटिल ऊतक क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
जटिल स्थायी ऊतक (Complex permanent tissue) – पौधे के संवहनी ऊतक (Vascular tissues) ही जटिल ऊतक हैं। ये पौधे में पदार्थों को एक-स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने का कार्य करते हैं। इसलिए इनका नाम संवहनी ऊतक (Conductive tissue) है। जटिल ऊतक कोशिकाओं का वह समूह होता है जिसमें एक से अधिक प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं लेकिन सब मिलकर एक इकाई की तरह कार्य करती है। जटिल ऊतक के प्रमुख उदाहरण दारू (Xylem) तथा पोषवाह (Phloem) हैं।

ऐसे ऊतक जो पानी और लवणों (Salts) को गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत ऊपर की ओर ले जाते हैं, जाइलम (Xylem or Wood) तथा जो ऊतक प्रकाश-संश्लेषी उत्पादों (Prepared food) के संवहन से सम्बन्धित होते हैं, उन्हें पोषवाह या बास्ट (Pholem or Bast) कहा जाता है। चूँकि कार्य सम्पादन के दृष्टिकोण से दारू और पोषवाह अलंग-अलग काम करते हैं, इसलिए उनकी रचना में भी भिन्नता पाई जाती है। चूंकि ये ऊतक एक.से अधिक ऊतकों के बने होते हैं इसलिए इन्हें जटिल ऊतक कहा जाता है।

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प्रश्न 9.
रंध्रीय तंत्र क्या है? रंध्र की रचना का वर्णन कीजिए और इसका चिन्हित चित्र बनाइए।
उत्तर:
रंध्र (Stomata) ऐसी रचनाएँ हैं, जो पत्तियों की बाह्यत्वचा पर होते हैं। प्रत्येक रंध्र में दो सेम के आकार की द्वार कोशिकाएँ (Guard cells) होती हैं। द्वार कोशिका की बाहरी भित्ति पतली तथा आंतरिक भित्ति मोटी होती है। द्वार कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट होता है और यह रंध्र के खुलने तथा बंद होने के क्रम को नियमित करता है। कभी-कभी कुछ बाह्यत्वचीय कोशिकाएँ, जो रंध्र के आस – पास पायी जाती हैं, इन्हें सहायक कोशिकाएँ (Subsidiary cells) कहते हैं। रंध्रीय छिद्र, द्वार कोशिका तथा सहायक कोशिकाएँ मिलकर रन्ध्रीय तंत्र (Stomatal system) का निर्माण करती हैं।
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प्रश्न 10.
पुष्पीय पौधों के तीन मूलभूत ऊतक तंत्र बताइए। प्रत्येक तंत्र के ऊतक बताइए।
उत्तर:
पुष्पीय पौधों के तीन मूलभूत ऊतक तंत्र निम्नलिखित हैं –

  • साधारण ऊतक
  • जटिल ऊतक
  • विशिष्ट ऊतक।

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प्रश्न 11.
पादप शरीर (Anatomy) का अध्ययन हमारे लिए कैसे उपयोगी है ?
उत्तर:
सजीवों के आकारिकी (Morphology) का अध्ययन करने से उनके केवल बाह्य आकृति, रूप रंग में समानता अथवा भिन्नता का पता चल पाता है, लेकिन बहुत-से जीवों के बाह्य समानता होने के बावजूद उनमें विभिन्नता हो सकती है। जब हम पादपों अथवा जन्तुओं के आंतरिक संरचना का अध्ययन करते हैं तब हमें उनकी कोशिका, ऊतकों तथा अंगों में विभिन्नता दिखाई देती है। पादपों के आंतरिक संरचना का अध्ययन, विज्ञान की शरीर शाखा (Anatomy) के अन्तर्गत किया जाता है। शरीर के अध्ययन करने से पादपों की औतिकी, संरचना एवं उनके कार्यों का पता चलता है, जैसे – कि जाइलम एवं फ्लोएम ऊतकों का जल एवं भोज्य पदार्थों का संवहन करना है।

प्रश्न 12.
परिचर्म क्या है ? द्विबीजपत्री तने में परिचर्म कैसे बनता है ?
उत्तर:
कागजन कॉर्क तथा काग मिलकर परिचर्म बनाते हैं। जैसे-जैसे तने की परिधि में वृद्धि होती है वैसे ही बाहरी कॉर्टेक्स तथा बाह्य त्वचा की सतहें टूटती जाती हैं तब उन्हें संरक्षी कोशिकीय सतह की आवश्यकता पड़ती है। इसी कारण एक दूसरा प्रविभाजी ऊतक विकसित होता है जिसे कॉर्क कैम्बियम या कागजन कहते हैं। यह प्राय: कॉर्टेक्स क्षेत्र में विकसित होता है। इसकी सतहें मोटी और सँकरी भित्ति वाले आयताकार कोशिकाओं से बनी होती है।

कागजन दोनों ओर कोशिकाओं को बनाता है। बाहर की ओर की कोशिकाएँ कॉर्क अथवा काग में बँट जाते हैं। अंदर की ओर की कोशिकाएँ द्वितीयक कॉर्टेक्स अथवा काग स्तर में विभेदित हो जाती हैं। कॉर्क की कोशिकाभित्ति में सुबेरिन का जमाव हो जाता है, इस कारण इसमें पानी का प्रवेश नहीं होता है। द्वितीयक कॉर्टेक्स की कोशिकाएँ पैरेनकाइमी होती है। इस प्रकार से तीन रचनाओं कागजन, कॉर्क तथा काग मिलकर परिचर्म बनाते हैं।

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प्रश्न 13.
पृष्ठाधारी पत्ती की भीतरी रचना का वर्णन चिन्हित चित्रों की सहायता से कीजिए।
उत्तर:
द्विबीजपत्री ( पृष्ठाधारी पत्ती) पत्ती की आन्तरिक संरचना (Internal structure of dicot leaf) – वे पत्तियाँ, जिनकी ऊपरी तथा निचली सतह में संरचनात्मक भिन्नता पायी जाती है पृष्ठाधारी पत्ती कहलाती है। द्विबीजपत्री पादपों में इसी प्रकार की पत्तियाँ पायी जाती हैं। आम एक सामान्य द्विबीजपत्री पौधा है, जिसकी संरचना निम्नानुसार होती है –

1. ऊपरी बाह्यत्वचा (Upper epidermis):
वे एक कोशिका स्तर मोटी पैरेनकाइमेटस कोशिकाओं की बनी होती है, जिसमें क्लोरोप्लास्ट तथा स्टेमेटा नहीं पाये जाते लेकिन उनकी बाहरी सतह पर क्यूटिकिल का एक आवरण पाया जाता है। इनकी कोशिकाएँ ढोलक के समान तथा एक-दूसरे से सटी होती हैं।

2. निचली बाह्यत्वचा (Lower epidermis):
यह एक कोशिका मोटी निचली स्तर है जिसकी संरचना बाह्य त्वचा के समान होती है लेकिन इस स्तर में कुछ विशेष प्रकार के छिद्र पाये जाते हैं जिन्हें स्टोमेटा (Stomata) कहते हैं ये वाष्पोत्सर्जन तथा वायु के आदान-प्रदान में भाग लेते हैं। स्टोमेटा एक कक्ष में खुलते हैं जिसे श्वसन कक्ष कहते हैं।

3. पर्ण मध्योतक (Mesophyll):
ऊपरी तथा निचली त्वचा के बीच के ऊतक को पर्ण मध्योतक कहते हैं। इनमें बाह्यत्वचा से लगे अन्तराकोशीय अवकाशविहीन तथा हरितलवक युक्त ऊतक पाये जाते हैं जिन्हें खम्भ मृदूतक (Palisade parenchyma) कहते हैं। ये प्रकाश-संश्लेषण में भाग लेते हैं। इन ऊतकों के नीचे के ऊतक की कोशिकाएँ अण्डाकार अन्तराकोशीय अवकाश तथा हरितलवकयुक्त होती हैं इन्हें स्पॉन्जी (Spongy parenchyma) कहते हैं।

4. संवहन पूल (Vascular bundle):
पत्तियों में संवहन पूल स्पॉन्जी मृदूतक में बिखरे रहते हैं। जिन पत्तियों में मध्यशिरा पाया जाता है उनकी मध्यशिरा का संवहन पूल सबसे बड़ा होता है। उनके सम्वहन पूल कोलेटरल या बन्द प्रकार के होते हैं तथा उनके चारों तरफ मृदूतकी कोशिकाओं का एक आवरण पाया जाता है जिसे बण्डल छाद (Bundle seath) कहते हैं। इनका जाइलम ट्रैकीड्स, वेसेल्स, काष्ठ तन्तु (Wood fire) तथा जाइलम पैरेनकाइमा का बना होता है तथा जल एवं खनिज लवणों का सम्वहन करता है।

इनका फ्लोएम, चालनी नलिकाओं, सखि कोशिकाओं तथा फ्लोएम पैरेनकाइमा का बना होता है। फ्लोएम भोज्य पदार्थों के सम्वहन का कार्य करता है। इनका जाइलम बाह्यत्वचा की ओर तथा फ्लोएम नीचे की ओर स्थित होता है जाइलम का प्रोटोजाइलम भी बाह्यत्वचा की ओर ही स्थित होता है। इसके सम्वहन पूल के ऊपर तथा नीचे पैरेनकाइमा अथवा कोलेनकाइमा की कोशिकाएँ बाह्यत्वचा तक स्थित होती हैं।
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प्रश्न 14.
त्वक कोशिकाओं की रचना तथा स्थिति उन्हें किस प्रकार विशिष्ट कार्य करने में सहायता करती है ?
उत्तर:
घास में ऊपरी बाह्य त्वचा की कुछ कोशिकाएँ लंबी, खाली तथा रंगहीन होती हैं। इन कोशिकाओं को आवर्ध त्वक कोशिका कहते हैं। जब कोशिकाएँ स्फीत होती हैं, तब ये कोशिकाएँ मुड़ी हुई पत्तियों को खुलने में सहायता करती हैं। वाष्पोत्सर्जन की अधिक दर होने पर ये पत्तियाँ वाष्पोत्सर्जन की दर कम करने के लिए मुड़ जाती हैं।

पुष्पी पादपों का शारीर अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

पुष्पी पादपों का शारीर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

1. कुछ पादप कोशिकाओं की कोशिकाभित्ति मोटी तथा सिरों पर नुकीली होती है, यह हो सकती –
(a) पैरेनकाइमा
(b) क्लोरेनकाइमा
(c) स्क्लेरेनकाइमा
(d) ऐरेनकाइमा।
उत्तर:
(c) स्क्लेरेनकाइमा

2. शीर्षस्थ ऊतक के डर्मेटोजन का प्रमुख कार्य है –
(a) उपत्वचा का निर्माण
(b) बाह्यत्वचा का निर्माण
(c) संवहन ऊतक का निर्माण
(d) हाइपोडर्मिस का निर्माण।
उत्तर:
(b) बाह्यत्वचा का निर्माण

3. लेटेक्स वाहिकाएँ पायी जाती हैं –
(a) दारु ऊतक में
(b) पोषवाह ऊतक में
(c) वल्कुट में
(d) उपर्युक्त में से किसी में नहीं।
उत्तर:
(c) वल्कुट में

4. एक ऊतक जिसकी कोशिकाएँ सक्रिय बढ़ने वाले अंगों के यान्त्रिक ऊतकों को बनाती हैं और
इनकी कोशिका भित्तियों में कोशिकाओं के कोनों पर सेल्यूलोजिक, अलिग्नीन स्थूलन पाये जाते हैं, ये हो सकती हैं
(a) स्क्लेरेनकाइमा
(b) पैरेनकाइमा
(c) कोलेनकाइमा
(d) क्लोरेनकाइमा।
उत्तर:
(c) कोलेनकाइमा

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5. एकबीजपत्रियों के प्रारूपी संवहन पूल होते हैं –
(a) बहिफ्लोएमी
(b) उभय फ्लोएमी
(c) संकेन्द्री
(d) अरीय।
उत्तर:
(a) बहिफ्लोएमी

6. ऊतक किसे कहते हैं –
(a) कोशिकाओं का अलग-अलग विकसित होने वाला समूह
(b) कोशिकाओं का वह समूह जो रचना, उत्पत्ति तथा कार्य में समान हो
(c) कोशिकाओं का वह समूह जो रचना में समान लेकिन कार्य में भिन्न हो
(d) कोशिकाओं का एकसमान आयु वाला समूह।
उत्तर:
(b) कोशिकाओं का वह समूह जो रचना, उत्पत्ति तथा कार्य में समान हो

7. पैरेनकाइमा (मृदूतकी) ऊतक किसे कहते हैं –
(a) मोटी कोशिकीय भित्ति वाली कोशिकाओं का समूह
(b) मृत कोशिकाओं का समूह
(c) पतली कोशिकीय भित्ति वाली जीवित कोशिकाओं का समूह
(d) लिग्निन युक्त कोशिकाओं का समूह।
उत्तर:
(c) पतली कोशिकीय भित्ति वाली जीवित कोशिकाओं का समूह

8. एक ऊतक जिसकी कोशिकाएँ महीन भित्ति वाली, समव्यासी और अन्तराकोशिकीय स्थान वाली हैं, वह होगा –
(a) पैरेनकाइमा
(b) कोलेनकाइमा
(c) स्क्लेरेनकाइमा
(d) क्लोरेनकाइमा।
उत्तर:
(a) पैरेनकाइमा

9. डर्मेटोजन, पेरीब्लेम तथा प्लीरोम पाये जाते हैं –
(a) पूर्णाग्र में
(b) तने की गाँठों पर
(c) मूलाग्र तथा तनाग्र में
(d) जायलम तथा फ्लोएम में।
उत्तर:
(c) मूलाग्र तथा तनाग्र में

10. पादपों के जलोत्सर्जक या हाइडेथोड हैं –
(a) वाष्पोत्सर्जन करने वाली रचनाएँ
(b) रसारोहण करने वाली रचनाएँ
(c) म्यूसीलेज स्रावित करने वाली रचनाएँ
(d) जल स्रावित करने वाली रचनाएँ।
उत्तर:
(d) जल स्रावित करने वाली रचनाएँ।

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11. रसकाष्ठ होता है –
(a) द्वितीयक जाइलम का बाहरी क्रियाशील भाग
(b) द्वितीयक जाइलम का आंतरिक अक्रियाशील भाग
(c) द्वितीयक जाइलम का आंतरिक तथा बाह्य भाग
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) द्वितीयक जाइलम का बाहरी क्रियाशील भाग

12. पुराने तने में गैस का आदान-प्रदान किसके द्वारा होता है –
(a) स्टोमेटा
(b) हाइडेथोड्स
(c) वातरंध्र
(d) पैलेड कोशिका।
उत्तर:
(c) वातरंध्र

13. पेरीडर्म में होते हैं –
(a) कॉर्क कैम्बियम, कॉर्क, द्वितीयक कॉर्टेक्स
(b) कॉर्क कैम्बियम तथा कॉर्क
(c) कॉर्क
(d) कॉर्क तथा द्वितीयक फ्लोएम।
उत्तर:
(a) कॉर्क कैम्बियम, कॉर्क, द्वितीयक कॉर्टेक्स

14. जैसे-जैसे द्वितीयक वृद्धि होती है किसकी मोटाई में वृद्धि होती है –
(a) अन्त:काष्ठ
(b) रसकाष्ठ
(c) अन्तः एवं रसकाष्ठ
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) अन्त:काष्ठ

15. वृक्ष की आयु का पता लगाने का सबसे आसान तरीका है –
(a) तने का व्यास मापना
(b) पत्तियों की संख्या की गिनती करना
(c) तने के आधार पर वार्षिक वलयों की गणना
(d) शाखाओं की गणना करना।
उत्तर:
(c) तने के आधार पर वार्षिक वलयों की गणना

16. द्विबीजपत्री तने के काष्ठ में जाइलम का सबसे नया स्तर स्थित होता है –
(a) कैम्बियम के बाहर
(b) कैम्बियम के अंदर
(c) पिथ के बाहर
(d) कॉर्टेक्स के अंदर।
उत्तर:
(b) कैम्बियम के अंदर

17. द्विबीजपत्री तने में संवहन पूल होते हैं –
(a) खुला, कोलैटरल तथा एन्डार्क
(b) बंद, कोलैटरल तथा एन्डार्क
(c) खुला, कोलैटरल तथा एक्सार्क
(d) बंद, कोलैटरल तथा एक्सॉर्क।
उत्तर:
(a) खुला, कोलैटरल तथा एन्डार्क

18. द्विबीजपत्री जड़ में पाये जाने वाले संवहन पूल होते हैं –
(a) रेडियल एक्सॉर्क
(b) संयुक्त एण्डार्क
(c) रेडियल एन्डार्क
(d) संयुक्त एक्सॉर्क।
उत्तर:
(a) रेडियल एक्सॉर्क

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19. कॉर्क का निर्माण किससे होता है –
(a) कॉर्क कैम्बियम
(b) संवहन कैम्बियम
(c) फ्लोएम
(d) जाइलम।
उत्तर:
(a) कॉर्क कैम्बियम

20. कॉर्क कैम्बियम का कार्य किसका निर्माण करना होता है –
(a) द्वितीयक जाइलम तथा द्वितीयक फ्लोएम
(b) कॉर्क तथा द्वितीयक कॉर्टेक्स
(c) द्वितीयक कॉर्टेक्स तथा फ्लोएम
(d) कॉर्क।
उत्तर:
(b) कॉर्क तथा द्वितीयक कॉर्टेक्स

21. कैस्पेरियन बैन्ड्स कहाँ पाये जाते हैं:
(a) एपिडर्मिस
(b) एण्डोडर्मिस
(c) पेरीसाइकिल
(d) फ्लोएम।
उत्तर:
(a) एपिडर्मिस

22. वार्षिक वलय का निर्माण किसकी सक्रियता से होता है –
(a) कैम्बियम
(b) जाइलम
(c) फ्लोएम
(d) जाइलम तथा फ्लोएम दोनों।
उत्तर:
(a) कैम्बियम

23. टाइलोसेज किसमें पाये जाते हैं –
(a) द्वितीयक जाइलम
(b) द्वितीयक फ्लोएम
(c) थैलस ऊतक
(d) कॉर्क कोशाएँ।
उत्तर:
(a) द्वितीयक जाइलम

24. वेसेल्स के अंदर मृदूतक कोशिकाओं का बैलून के समान अतिवृद्धि कहलाती है –
(a) हिस्टोजन
(b) टाइलोसेज
(c) फैलोजेन
(d) ट्यूनिका।
उत्तर:
(b) टाइलोसेज

25. एकबीजपत्री पौधों में ग्राफ्टिग संभव नहीं है, क्योंकि –
(a) कैम्बियम नहीं पाया जाता
(b) संवहन पूल बिखरे होते हैं
(c) समान्तर शिराविन्यास पाये जाते हैं
(d) पृथक् अरीय संवहन पूल पाये जाते हैं।
उत्तर:
(a) कैम्बियम नहीं पाया जाता

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26. संयुक्त, कोलैटरल, खुला तथा एण्डार्क संवहन पूल किसमें पाये जाते हैं –
(a) एकबीजपत्री तना
(b) एकबीजपत्री जड़
(c) द्विबीजपत्री जड़
(d) द्विबीजपत्री तना।
उत्तर:
(d) द्विबीजपत्री तना।

27. जड़ों में पार्श्व शाखाएँ किससे विकसित होती हैं –
(a) एपिब्लेमा
(b) पेरीसाइकिल
(c) कॉर्टेक्स
(d) एण्डोडर्मिस।
उत्तर:
(b) पेरीसाइकिल

28. कॉर्क कोशिकाएँ किसके जमाव के कारण अपारगम्य होती हैं –
(a) क्यूटिन
(b) लिग्निन
(c) सुबेरिन
(d) काइटिन।
उत्तर:
(b) लिग्निन

29. वेलामेन ऊतक किसमें भाग लेते हैं –
(a) श्वसन
(b) नमी का अवशोषण
(c) वाष्पोत्सर्जन
(d) संरक्षण।
उत्तर:
(b) नमी का अवशोषण

30. एकबीजपत्री तने में संवहन पूल होते हैं –
(a) बाइकोलैटरल तथा बंद
(b) बाइकोलैटरल तथा खुला
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) बाइकोलैटरल तथा बंद

प्रश्न 2.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –

  1. द्वितीयक वृद्धि से बनने वाली रचना जो वातावरण से गैसों का आदान-प्रदान करती है।
  2. पुष्पीय पौधों की पत्तियों के सिरों पर पाई जाने वाली विशेष रचना जिनसे पानी की बूंदों के रूप में स्राव होता है।
  3. एक पार्श्व विभज्योतक ऊतक जिसके कारण पौधों की मोटाई में वृद्धि होती है।
  4. अरीय संवहन पूल किसमें पाये जाते हैं ?
  5. किसी एक बीजपत्री पौधे का नाम जिसमें द्वितीयक वृद्धि होती है।
  6. वृक्ष में हल्के रंग की लकड़ी को क्या कहते हैं?
  7. द्विबीजपत्री जड़ में संवहन पूल की क्या संख्या होती है ?
  8. दो बाह्य त्वचीय अतिवृद्धियों के नाम लिखिये।
  9. रबर क्षीरी, कोशिका वाले पौधे का नाम लिखिये।
  10. कैम्बियम की उपस्थिति वाले संवहन पूल को क्या कहते हैं?
  11. फैलोजन, फैलोडर्म तथा फैलम का सम्मिलित नाम क्या है ?
  12. द्विबीजपत्री तनों के बाह्य भाग में पाया जाने वाला काष्ठीय भाग क्या कहलाता है?
  13. ऐसा संवहन पूल जिसमें जाइलम के दोनों ओर कैम्बियम तथा फ्लोएम पाये जाते हैं ?
  14. तने में एपिडर्मिस के नीचे पाया जाने वाला कोलेनकाइमेटस भाग क्या कहलाता है ?

उत्तर:

  1. वातरंध्र
  2. जलरंध्र
  3. कैम्बियम
  4. जड़
  5. ड्रैसीना
  6. रसकाष्ठ
  7. 1 से 6 तक
  8. ट्राइकोम्स व सिस्टोलिथ
  9. यूफोर्बिया
  10. खुला संवहन पूल
  11. पेरीडर्म
  12. रसकाष्ठ
  13. बाइकोलैटरल
  14. हाइपोडर्मिस।

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प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. डर्मेटोजन, पेरीब्लेम तथा प्लीरोम …………….. में पाये जाते हैं।
  2. वाहिकाओं के बीच पाई जाने वाली गुब्बारे जैसी रचना को …………. कहते हैं।
  3. वार्षिक वलय …………….. से बनता है।
  4. लेटेक्स वाहिकाएँ …………….. में पाई जाती हैं। ………..
  5. द्विबीजपत्री तने में सबसे पुराना फ्लोएम …………….. में स्थित होता है।
  6. पौधों की ……………. में वृद्धि को द्वितीयक वृद्धि कहते हैं।
  7. द्वितीयक वृद्धि ………….. में सक्रियता के कारण होती है।
  8. कॉर्टेक्स सामान्यतः ……………. कोशिकाओं द्वारा बना होता है।
  9. द्वितीयक संवहनी ऊतकों का निर्माण ……………. में होता है।
  10. तने में वार्षिक वलय ……………. तथा ……………. के कारण होता है।

उत्तर:

  1. मूलाग्र व तनाग्र में
  2. टायलोसिस
  3. स्प्रिंग व ऑटम काष्ठ से
  4. कॉर्टेक्स
  5. प्राथमिक फ्लोएम के अन्दर
  6. मोटाई
  7. कैम्बियम
  8. पैरेन्काइमेट्स
  9. कैम्बियम
  10. वसन्त काष्ठ, शरद काष्ठ।

प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर - 14
उत्तर:

  1. (c) संयुक्त कोलेटरल वर्षी पूल
  2. (d) अरीय 6 से कम संवहन पूल
  3. (a) संयुक्त कोलेटरल अवर्धी पूल
  4. (e) अरीय 6 से अधिक संवहन पूल।
  5. (b) दृढ़ोतकी बंडल छाद

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर - 15
उत्तर:

  1. (d) संयुक्त कोलैटरल बंद पूल
  2. (e) अंत:काष्ठ में अतिवृद्धि।
  3. (a) द्विबीजपत्री पौधा
  4. (b) चौड़ी व बड़ी कोशिकाएँ
  5. (c) सँकरी व छोटी कोशिकाएँ

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर - 16
उत्तर:

  1. (c) संवहन ऊतक का कोर
  2. (d) कैस्पेरियन पट्टी।
  3. (a) वेलामेन ऊतक
  4. (b) एकबीजपत्री जड़

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर - 17
उत्तर:

  1. (b) द्वितीयक संवहन ऊतक
  2. (a) पेरीडर्म
  3. (d) टाइलोसेज़।
  4. (c) सखी कोशाएँ

प्रश्न 5.
सत्य / असत्य बताइए

  1. विकसित प्रौढ़ पादपों में द्वितीयक वृद्धि पाई जाती है।
  2. छाल पर वात विनिमय हेतु कुछ विशिष्ट छिद्र होते हैं जिसे जलरंध्र कहते हैं।
  3. ऐसे ऊतक जिनकी कोशिकाओं में विभाजन क्षमता नहीं होती प्रविभाजी ऊतक कहलाते हैं।
  4. किसी तने के अनुप्रस्थ काट में वार्षिक वलयों को गिनकर वृक्ष की उम्र का पता लगाया जाता है।
  5. अपवादस्वरूप कुछ एकबीजपत्री पादपों के तनों में भी द्वितीयक वृद्धि पाई जाती है।
  6. एकबीजपत्री पौधों में द्वितीयक वृद्धि नहीं पाई जाती।
  7. कॉर्क कैम्बियम का निर्माण संवहन पूल में होता है।
  8. कॉर्क कैम्बियम को फैलोजन भी कहा जाता है।
  9. वार्षिक वलय की संख्या के आधार पर पौधे की आयु का पता लगाया जा सकता है।
  10. पेरीडर्म तथा छाल वानस्पतिक रूप से एक समान होते हैं।
  11. तने की छाल पर पाये जाने वाले छिद्र को वातरंध्र कहते हैं।
  12. घावों को भरना पौधे में वैस्कुलर कैम्बियम की सक्रियता के कारण होता है।
  13. पर्ण विलगन के समय विलगन परत का निर्माण होता है।
  14. द्विबीजपत्री तने में अरीय संवहन पूल पाये जाते हैं।
  15. व्यापारिक दृष्टि से अंत:काष्ठ अधिक महत्वपूर्ण होता है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. सत्य
  6. सत्य
  7. असत्य
  8. सत्य
  9. सत्य
  10. असत्य
  11. सत्य
  12. असत्य
  13. सत्य
  14. असत्य
  15. सत्य।

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पुष्पी पादपों का शारीर अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊतक क्या है ?
उत्तर:
एकसमान उत्पत्ति एवं विकास वाली कोशिकाओं का ऐसा समूह जो एकसमान कार्य करता हो, ऊतक कहलाता है।

प्रश्न 2.
जाइलम का कार्य बताइए।
उत्तर:

  • जाइलम जल एवं उसमें घुले लवणों का संवहन करता है।
  • यह पौधों को यांत्रिक शक्ति (मजबूती) प्रदान करता है।

प्रश्न 3.
द्वार कोशिकाएँ कहाँ पायी जाती हैं ? इसके क्या कार्य हैं ?
उत्तर:
द्वार कोशिकाएँ (Guard cells) पत्तियों के रन्ध्रों में पायी जाती हैं, ये रन्ध्रों के खुलने एवं बन्द होने की क्रिया को नियंत्रित करती हैं। .

प्रश्न 4.
कैम्बियम क्या है? इसके कार्य बताइए।
उत्तर:
कैम्बियम एक पार्श्व विभज्योतक ऊतक है, जिसके कारण पौधे की मोटाई में वृद्धि होती है।

प्रश्न 5.
स्थायी ऊतक किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे ऊतक जिनमें विभाजन की क्षमता नहीं पायी जाती है, उन्हें स्थायी ऊतक कहते हैं।

प्रश्न 6.
बास्ट रेशा क्या है?
उत्तर:
फ्लोएम के साथ सम्बद्ध दृढ़ोतक कोशिकाएँ बास्ट रेशे कहलाती हैं।

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प्रश्न 7.
जायलम ऊतक में पायी जाने वाली कोशिकाओं के नाम बताइए।
उत्तर:
जायलम में निम्नलिखित चार प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती हैं –

  • वाहिनिका (Tracheids)
  • वाहिनी (Vessel or Tracheae)
  • जायलम रेशे या काष्ठ रेशे (Xylem fibres or Wood fibres)
  • जायलम या काष्ठ पैरेनकायमा (Xylem or Wood parenchyma)।

प्रश्न 8.
कैम्बियम कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
कैम्बियम प्रायः द्विबीजपत्री पौधों के संवहन पूलों में पार्श्व विभज्योतक के रूप में संवहन पूलों (V. B.) में जायलम एवं फ्लोएम के बीच पाया जाता है।

प्रश्न 9.
फ्लोएम में पायी जाने वाली कोशिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
फ्लोएम में निम्नलिखित कोशिकाएँ पायी जाती हैं –

  • चालनी नलिका (Sieve tube)
  • सखि कोशिकाएँ (Companian cells)
  • फ्लोएम पैरेनकायमा (Phloem parenchyma)
  • बास्ट रेशे (Bast fibres)।

प्रश्न 10.
ऊतक तंत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
पुष्पीय पौधों में अनेक प्रकार के स्थायी ऊतक आपस में संयुक्त होकर एक या कई कार्यों का निर्वहन करते हैं। इन संयुक्त ऊतकों से निर्मित तंत्र को ही ऊतक तंत्र (Tissue system) कहते हैं।

प्रश्न 11.
काष्ठ क्या है?
उत्तर:
तनों में उपस्थित द्वितीयक जायलम को काष्ठ (Wood) कहते हैं।

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पुष्पी पादपों का शारीर लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रविभाजी / विभज्योतक ऊतक की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रविभाजी विभज्योतक ऐसी कोशिकाओं से मिलकर बना होता है, जिसमें बार-बार विभाजन की क्षमता होती है। इनमें निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं –

  • इनकी आकृति बहुभुजी या चौकोर होती है। कोशिकाओं की भित्ति पतली व सेल्युलोज की बनी होती है।
  • कोशिकाओं में बड़े तथा निश्चित केन्द्रक होते हैं। कोशिकाएँ आपस में सटी हुई होती हैं अर्थात् अन्तरकोशिकीय अवकाशों का अभाव होता है।
  • कोशिकाओं में लवण प्राकलवक (Proplastid) अवस्था में होते हैं।
  • इन कोशिकाओं में जीवद्रव्य सघन तथा प्रायः रिक्तिकाहीन होता है। ये कोशिकाएँ सक्रिय उपापचय की अवस्था में रहती हैं।

प्रश्न 2.
जड़ एवं तने के वैस्कुलर बंडल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अरीय व संयुक्त वाहिनी पूल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अरीय व संयुक्त वाहिनी पूल में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर - 18

प्रश्न 3.
वातरंध्र पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए।
उत्तर:
तने की छाल पर पाये जाने वाले छिद्र को वातरंध्र कहते हैं। इसकी सहायता से वातावरण से गैसों का आदान-प्रदान होता है। द्वितीयक वृद्धि के बाद बनने वाली कॉर्क की कोशाएँ जल तथा वायु के लिए अपारगम्य होती हैं। वातरंध्र बनने के पहले शिशु तने के उन्हीं स्थानों पर स्टोमेटा पाये जाते हैं। इनका निर्माण पेरिडर्म के निर्माण के साथ ही प्रारंभ हो जाता है। इन स्थानों पर फैलोजन की कोशिकाएँ बाहर की ओर कॉर्क कोशिकाओं का निर्माण नहीं कर पातीं। इनके स्थान पर ये पतली भित्ती वाली पैरेनकाइमेटस कोशाएँ बनाती हैं। इन कोशाओं को पूरक कोशाएँ कहते हैं।

इनके दबाव के कारण एपिडर्मिस की कोशिकाएँ टूट जाती हैं तथा छिद्र के समान संरचना बन जाती है इसे वातरंध्र कहते हैं। परक कोशिकाओं के बीच पर्याप्त अंतराकोशिकीय अवकाश पाया जाता है। अनेक स्थितियों में वातरंध्र स्टोमेटा के स्थान पर नये स्थान पर भी बनते हैं। नये तनों की सतह पर वातरंध्र को छोटे – छोटे उभार के रूप में आसानी से देखा जा सकता है। शीतऋतु में सामान्यतः कॉर्क कोशिकाओं द्वारा बँक जाते हैं। बसंत ऋतु आने पर फैलोजेन की सक्रियता के कारण पुरानी कॉर्क कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं तथा नई कोशिकाएँ तेजी से बनने लगती हैं, इससे वातरंध्र खुल जाते हैं।

प्रश्न 4
द्विबीजपत्री एवं एकबीजपत्री पत्ती की आन्तरिक संरचना में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
एकबीजपत्री एवं द्विबीजपत्री में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
द्विबीजपत्री तथा एकबीजपत्री की आन्तरिक संरचना में अन्तर –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर - 19

पुष्पी पादपों का शारीर दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के संवहन बण्डलों की रचना समझाइए।
उत्तर:
संवहन पूलों का प्रकार (Types of vascular bundles):
विभिन्न अंगों या ऊतकों का बना वह तन्त्र जो संवहन का कार्य करता है, संवहन तन्त्र कहलाता है। पौधों का सम्वहन तन्त्र अनेक छोटी-छोटी समान इकाइयों का बना होता है, जिन्हें संवहन पूल (Vascular bundle) कहते हैं। प्रत्येक सम्वहन पूल जायलम तथा फ्लोएम या जायलम, फ्लोएम तथा कैम्बियम का बना होता है। जायलम तथा फ्लोएम की स्थिति तथा कैम्बियम की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार पर सम्वहन पूल निम्नलिखित प्रकार के हो सकते हैं –

1. अरीय (Radial) – इसमें जायलम तथा फ्लोएम एक-दूसरे से अलग – अलग भिन्न – भिन्न त्रिज्याओं पर एकान्तरित क्रम में स्थित होते हैं। यह सम्वहन पूल मुख्यतः जड़ों में पाया जाता है।

2. संयुक्त (Conjoint) – इसमें जायलम तथा फ्लोएम एक ही त्रिज्या पर एक – दूसरे से जुड़े हुए स्थित होते हैं। यह मुख्यतः तने में पाया जाता है। यह सम्वहन पूल दो प्रकार का होता है –

(a) कोलैटरल (Collateral):
इन सम्वहन पूलों में एक ही त्रिज्या पर फ्लोएम बाहर की तरफ तथा जायलम अन्दर की तरफ स्थित होता है। यह पुनः दो प्रकार का होता है –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 6 पुष्पी पादपों का शारीर - 21

1. कोलैटरल खुला (Collateral open) – इसमें जायलम तथा फ्लोएम के बीच में कैम्बियम स्थित होता है। इस प्रकार का सम्वहन पूल द्विबीजपत्री तनों में पाया जाता है।
2. कोलैटरल बन्द (Collateral closed) – इस प्रकार के सम्वहन पूलों में कैम्बियम नहीं पाया जाता। यह एक बीजपत्री पौधों के तनों में पाया जाता है।

(b) बाइकोलैटरल (Bicollateral):
इस प्रकार के सम्वहन पूल में जायलम बीच में स्थित होता है और इसके दोनों तरफ कैम्बियम तथा फ्लोएम पाये जाते हैं। इस प्रकार यह एक जायलम, दो कैम्बियम तथा दो फ्लोएम का बना होता है। कुकरबिटेसी, सोलेनेसी, कान्वल्वुलेसी और एपोसाइनेसी कुल के पौधों में इस प्रकार का सम्वहन पूल पाया जाता है।

3. संकेन्द्री (Concentric):
इस प्रकार के सम्वहन बण्डल में जायलम तथा फ्लोएम में से एक-दूसरे को पूरी तरह से घेरे रहता है। यह बण्डल बन्द प्रकार का होता है, अर्थात् इसमें कभी भी कैम्बियम नहीं पाया जाता है। यह दो प्रकार का होता है –

(a) एम्फीक्राइबल (Amphicribal):
इसमें जायलम को फ्लोएम पूरी तरह से घेरे रहता है। यह सम्वहन पूल कुछ जलीय पौधों और टेरिडोफाइट्स जैसे – सिलैजिनेला (Selaginella) और लाइकोपोडियम (Lycopodium) में पाया जाता है।

(b) एम्फीवेसल (Amphivasal):
इसमें फ्लोएम को जायलम चारों तरफ से घेरे रहता है। यह कुछ एकबीजपत्री पौधों के तनों में पाया जाता है। जैसे – ड्रैसीना (Dracena), यूक्का (Yucca)।

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