MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 4 प्राणि जगत

प्राणि जगत NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
यदि मूलभूत लक्षण ज्ञात न हो तो प्राणियों के वर्गीकरण में आप क्या परेशानी महसूस करेंगे?
उत्तर:
प्राणियों को वर्गीकृत करने में निम्नलिखित परेशानी हो सकती है –

  • कुछ प्राणियों में कोशिकीय स्तर, कुछ में ऊतक स्तर तथा किसी में अंग स्तर का शारीरिक संगठन पाया जाता है।
  • कुछ प्राणियों में त्रिज्या सममिति तथा कुछ में द्विपाश्वीय सममिति पायी जाती है।
  • कुछ प्राणियों में खुला रक्त परिवहन तंत्र तथा कुछ में बंद प्रकार का रक्त परिवहन तंत्र पाया जाता है।
  • कुछ में बाह्य कोशिकीय तथा कुछ प्राणियों में अन्त:कोशिकीय पाचन पाया जाता है। अत: ऐसे बहुत-से लक्षणों का ज्ञान न होने पर प्राणियों को वर्गीकृत करने में परेशानी होती है।

प्रश्न 2.
यदि आपको एक नमूना (स्पेशीमेन) दे दिया जाये तो वर्गीकरण हेतु आप क्या कदम अपनाएँगे?
उत्तर:
प्राणियों की संरचना एवं आकार में भिन्नता होते हुए भी उनकी कोशिकीय व्यवस्था, शारीरिक सममिति, प्रगुहा की प्रकृति, पाचन तंत्र, परिसंचरण तंत्र व जनन तंत्र की रचना में कुछ आधारभूत समानताएँ पाई जाती हैं। हम वर्गीकरण के समय इन विशेषताओं को वर्गीकरण का आधार बनाकर अपना कदम बढ़ाएंगे।

प्रश्न 3.
देहगुहा एवं प्रगुहा का अध्ययन प्राणियों के वर्गीकरण में किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर:
शरीर में भित्ति तथा आहारनाल के बीच की गुहा की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति वर्गीकरण का मुख्य आधार है। मध्य त्वचा (Mesoderm) से आच्छादित शरीर गुहा को देहगुहा (Coelom) कहते हैं तथा इससे युक्त प्राणी को प्रगुही (Coelomata) कहा जाता है। उदा.-ऐनेलिडा, मोलस्का, ऑर्थोपोडा, इकाइनोडर्मेटा वर्ग के प्राणी। कुछ प्राणियों में यह गुहा मध्य त्वचा से आच्छादित नहीं होती, बल्कि मध्य त्वचा (Mesoderm), बाह्यत्वचा (Ectoderm) एवं अंत: त्वचा (Endoderm) के बीच बिखरी हुई थैली के रूप में पायी जाती है जिसे कूटगुहिका (Pseudocoelom) कहते हैं, (उदाहरण – ऐस्केरिस)। जिन प्राणियों में शरीर गुहा नहीं पायी जाती है उन्हें अगुहीय (Acoelomata) कहा जाता है, (उदाहरण – प्लेटीहेल्मिन्थीज)।

प्रश्न 4.
अन्तःकोशिकीय एवं बाह्यकोशिकीय पाचन में विभेद कीजिए।
उत्तर:
1. अन्तः कोशिकीय पाचन (Intracellular digestion):
यह कोशिका के अन्दर पाया जाता है। भोजन के कण अन्त:भक्षण (Endocytosis) के द्वारा कोशिका के अन्दर लिये जाते हैं, कोशिकीय अंगक लाइसोसोम से स्रावित एन्जाइम द्वारा भोजन का पाचन कर लिया जाता है। अपचित पदार्थ कोशिकीय वमन क्रिया द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। उदाहरण- अमीबा, पैरामीशियम, आदि।

2. बाह्य कोशिकीय पाचन (Extracellular digestion):
कोशिका के बाहर उपस्थित पदार्थों का पाचन बाह्य कोशिकीय पाचन कहलाता है। बहुकोशिकीय प्राणियों के पाचन तंत्र में भोज्य पदार्थों का बाह्य कोशिकीय पाचन होता है। उदाहरण – केंचुआ, लाइकेन आदि

प्रश्न 5.
प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष परिवर्धन में क्या अंतर है ?
उत्तर:
1. प्रत्यक्ष परिवर्धन (Direct development):
इस प्रकार के परिवर्धन में लार्वा अवस्था नहीं होती है। युग्मनज (Zygote) का विकास सीधे वयस्क के रूप में होता है। उदाहरण – मनुष्य, चूहा, हाथी, बंदर।

2. अप्रत्यक्ष परिवर्धन (Indirect development):
कुछ जीवों के परिवर्धन में लार्वा की अवस्था आती है। युग्मनज पहले लार्वा में बदलता है, पश्चात् लार्वा का परिवर्धन वयस्क जीव में होता है। उदाहरण – इकाइनोडर्मेटा, ऐस्केरिस, कॉकरोच, आदि।

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प्रश्न 6.
परजीवी प्लेटीहेल्पिन्थीज के विशेष लक्षण बताइए।
उत्तर:
चपटे कृमियों (Platyhelminthes) का शरीर इनकी संरचना, आवास तथा प्रकृति के प्रति अनुकूलित होता है। चूँकि इसके शरीर में विकसित संवहन तथा उत्सर्जन तंत्र नहीं पाये जाते हैं, इस कारण इनका शरीर चपटा होता है, जिससे इनके शरीर की सभी कोशिकाएँ शरीर की बाह्य तथा पाचक गुहा की आन्तरिक सतह के करीब पहुँच सके और वहाँ O2 व भोजन को विसरण के द्वारा ग्रहण कर सके। त्वचा और दूसरे CO2 उत्सर्जी पदार्थों को विसरण के ही द्वारा शरीर से बाहर कर सकें। इनमें उत्सर्जन के लिए विशिष्ट शिखा कोशिकाएँ (Flame cells) पायी जाती हैं। इसी प्रकार परजीवी चपटे कृमियों में शरीर के चारों तरफ क्यूटिकल का आवरण, चूषकों की उपस्थिति, शरीर का मुक्त होने वाले स्वतंत्र खण्डों का बना होना, प्रचलन अंग की अनुपस्थिति, आहार नाल का कम विकसित होना तथा तीव्र प्रजनन दर आदि परजीवी अनुकूलन पाये जाते हैं।

प्रश्न 7.
ऑर्थोपोडा प्राणी समूह का सबसे बड़ा वर्ग है, इस कथन के प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
ऑर्थोपोडा प्राणी जगत का सबसे बड़ा वर्ग है, जिसमें कीट भी शामिल हैं। निम्नलिखित शारीरिक अनुकूलताओं के कारण ये पृथ्वी में उपस्थित जीवों में से दो तिहाई जीव इसी वर्ग से संबंधित हैं –

  1. पैर छोटे-छोटे खण्डों में विभाजित होते हैं।
  2. ये वायु, जल, स्थल एवं परजीवी चारों अवस्थाओं में पाये जाते हैं। इनका शरीर त्रिस्तरीय, द्विपार्श्व सममित खण्डों में विखण्डित तथा
  3. काइटिन के कवच से ढंका रहता है।
  4. देहगुहा छोटी तथा परिसंचरण तन्त्र खुला होता है।
  5. उत्सर्जन मैल्पिघी नलिकाओं द्वारा होता है।
  6. सिर पर सरल या संयुक्त आँखें पायी जाती हैं।
  7. इनके लिंग अलग-अलग होते हैं।
  8. सामान्यत: शरीर के प्रत्येक खण्ड में एक जोड़ी सन्धित उपांग पाया जाता है।
  9. रुधिर में लाल रुधिर कणिकाएँ तथा हीमोग्लोबिन नहीं पाया जाता है। इसी कारण इनका रुधिर लाल नहीं होता है। हीमोग्लोबिन के स्थान पर हीमोसायनिन वर्णक पाया जाता है। उदाहरण – पेरीप्लेनेटा, पैलीमॉन, तितली।

प्रश्न 8.
जल संवहन – तंत्र किस वर्ग के प्रमुख लक्षण हैं –
(a) पोरीफेरा
(b) टीनोफेरा
(c) इकाइनोडर्मेटा
(d) कॉर्डेटा।
उत्तर:
(c) इकाइनोडर्मेटा

प्रश्न 9.
सभी कशेरुकी वर्टीब्रेट्स, रज्जूकी (कॉर्डेट्स ) हैं, लेकिन सभी रज्जूकी कशेरुकी नहीं हैं। इस कथन को सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
सभी कशेरुकी (वर्टीब्रेट्स) संघ के प्राणियों में तीन मूलभूत लक्षण –

  • पृष्ठ रज्जू
  • पृष्ठ खोखली तंत्रिका रज्जू तथा
  • युग्मित ग्रसनी क्लोम छिद्र पाये जाते हैं।

सभी कशेरुकी द्विपार्वीय सममिति, त्रिकोरकी तथा प्रगुही प्राणी हैं। उनमें अंगतंत्र स्तर का संगठन पाया जाता है। इसमें गुदा-पश्च पूँछ तथा बंद परिसंचरण तंत्र पाया जाता है। उपरोक्त लक्षणों के आधार पर सभी कशेरुकी रज्जूकी कहलाते हैं लेकिन सभी रज्जूकी कशेरुकी नहीं हैं, क्योंकि कशेरुकी प्राणी में पृष्ठ रज्जू भ्रूणीय अवस्था में पायी जाती है। वयस्क अवस्था में पृष्ठ रज्जू अस्थिल अथवा उपास्थिल मेरुदण्ड में परिवर्तित हो जाती है। अत: कहा जा सकता है कि कशेरुकी रज्जूकी भी है, लेकिन सभी रज्जूकी कशेरुकी नहीं होते हैं।

प्रश्न 10.
मछलियों में वायु आशय (एयर ब्लैडर) की उपस्थिति का क्या महत्व है ?
उत्तर:
मछलियों में वायु आशय (एयर ब्लैडर) की उपस्थिति उत्प्लावन (Buoyancy) में सहायता करती है। वायु आशय के कारण मछलियाँ जल के निचले स्तर में जाकर तैर सकती हैं। उदाहरण – हिप्पोकैम्पस, एक्सोसीटस, रोहू, क्लेरियस आदि।

प्रश्न 11.
पक्षियों में उड़ने हेतु क्या-क्या रूपान्तरण हैं?
उत्तर:
पक्षियों के शरीर में उड़ने के लिए निम्नलिखित अनुकुलताएँ पाई जाती हैं –

  • पक्षियों के परों (Wings) में मौजूद शक्तिशाली पेशियाँ उड़ने में सहायता करती हैं।
  • पक्षियों की हड्डियाँ अत्यन्त हल्की होती हैं तथा पेशियों को जोड़ने के लिए अत्यधिक स्थान प्रदान करती हैं।
  • पक्षियों के अग्रपाद रूपान्तरित होकर पंख बनाते हैं।
  • पश्चपाद में सामान्यतः शत्क होते हैं जो रूपान्तरित होकर चलने, तैरने तथा पेड़ों की शाखाओं को पकड़ने में सहायता करते हैं।
  • पक्षियों की त्वचा शुष्क होती है।
  • पूँछ में तेल ग्रन्थि को छोड़कर त्वचा में अन्य कोई ग्रन्थि नहीं पायी जाती है।
  • पक्षियों की नौकाकार आकृति, वायु को पीछे ढकेलने में मदद करती है।

प्रश्न 12.
अंडजनक तथा जरायुज द्वारा उत्पन्न अंडे या बच्चे संख्या में बराबर होते हैं। यदि हाँ तो क्यों? यदि नहीं तो क्यों?
उत्तर:
अंडजनक (Oviparous), वे जंतु हैं, जो अण्डे देते हैं। जरायुज (Viviparous), वे जन्तु हैं, जो शिशुओं को जन्म देते हैं। अंडजनक एवं जरायुज द्वारा उत्पन्न अंडे या बच्चों की संख्या बराबर नहीं होती क्योंकि अंडजनक का निषेचन बाह्य होता है तथा परिवर्धन अप्रत्यक्ष होता है। अंडजनक अत्यधिक संख्या में अंडे उत्पन्न करते हैं किन्तु अंडे से बच्चे निकलने के पश्चात् लंबी परिवर्धन की अवस्थाओं से गुजरने के पश्चात् वयस्क बनते हैं। परिवर्धन की लंबी अवस्था में बहुत से अंडे नष्ट हो जाते हैं। जरायुज मादाओं द्वारा कम संख्या में शिशु उत्पन्न किये जाते हैं। शिशुओं का माता की गर्भाशय में प्रत्यक्ष परिवर्धन होता है। परिवर्धन की प्रक्रिया में कोई भी लार्वा की अवस्था नहीं आती है।

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प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से शारीरिक खंडीभवन किसमें पहले देखा गया –
(a) प्लेटीहेल्मिन्थीज
(b) एस्केल्पिन्थीज
(c) ऐनेलिडा
(d) ऑर्थोपोडा।
उत्तर:
(c) ऐनेलिडा

प्रश्न 14.
निम्न का मिलान कीजिए –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 4 प्राणि जगत - 1
उत्तर:

  1. (h) ऑस्टिक्थीज
  2. (e) एनेलिडा
  3. (d) रेप्टीलिया
  4. (a) टीनोफेरा
  5. (b) मोलस्का
  6. (g) मैमेलिया
  7. (c) पोरीफेरा
  8. (f) साइक्लोस्टोमेटा एवं कॉन्ड्रिक्थीज

प्रश्न 15.
मनुष्यों में पाए जाने वाले कुछ परजीवों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मनुष्यों में पाये जाने वाले परजीवी निम्नलिखित हैं –

  1. टीनिया सोलियम
  2. ऐसियोला हेपेटीका
  3. एस्केरिस लुम्बीकॉइड्स
  4. वुचेरियन बैन्क्रोफ्टी
  5. एन्साइक्लोस्टोमा।

प्राणि जगत अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्राणि जगत वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
1. सिफैलोपोडा जन्तुओं का एक वर्ग है, जिसमें
(a) नोटोकॉर्ड सिर तक फैली होती है
(b) सिर, पर, पाद स्थित होता है
(c) सिर, पाद, पर स्थित होता है
(d) सिर, वक्ष से समेकित होता है।
उत्तर:
(c) सिर, पाद, पर स्थित होता है

2. मोती सीप किस वर्ग से सम्बन्धित है –
(a) गैस्ट्रोपोडा
(b) पैलिसीपोडा
(c) स्कैफोपोडा
(d) एम्फीन्यूरा।
उत्तर:
(b) पैलिसीपोडा

3. यूथीरियन स्तनी होते हैं –
(a) अण्डज
(b) जरायुज
(c) अण्डज जरायुज
(d) अण्डज एवं अण्ड जरायुज।
उत्तर:
(b) जरायुज

4. मीजोग्लिया बनी होती है –
(a) अमीबॉइड कोशिका
(b) तन्त्रिका कोशिका
(c) निमैटोसिस्ट
(d) अकोशिकीय जेली।
उत्तर:
(d) अकोशिकीय जेली।

5. निम्न वर्गों में से किसमें सबसे अधिक जन्तु संख्या पायी जाती है –
(a) स्तनी में
(b) मत्स्य में
(c) कीट में
(d) सरीसृप में।
उत्तर:
(c) कीट में

6. क्रे फिश है –
(a) क्रस्टेशियन जन्तु
(b) खाद्य मछली
(c) विषैली मछली
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) क्रस्टेशियन जन्तु

7. निम्न में से कौन कशेरुकियों में नहीं होता है –
(a) द्विपार्श्व सममिति
(b) क्लोम छिद्र
(c) देह शल्क
(d) देश कोरक।
उत्तर:
(d) देश कोरक।

8. निम्न में कौन स्तनी वर्ग का उदाहरण है –
(a) मैनिस
(b) प्लेनार्बिस
(c) हाइड्रोफिश
(d) सिटैकुला।
उत्तर:
(a) मैनिस

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9. निम्न में से किसमें झुण्ड बनाकर आवास बदलने की क्रिया पायी जाती है –
(a) मच्छर
(b) घरेलू मक्खी
(c) टिड्डी
(d) पाइरिला।
उत्तर:
(c) टिड्डी

10. स्पांजों में पाचन कहाँ होता है –
(a) स्पांजोसील
(b) ऑस्कुलम
(c) ऑस्टियम
(d) खाघ रिक्तिका।
उत्तर:
(d) खाघ रिक्तिका।

11. चपटे कृमियों में उत्सर्जन अंग होता है –
(a) नेफ्रीडिया
(b) ज्वाला कोशिकाएँ
(c) मैल्पीघियन नलिकाएँ
(d) हरी ग्रंथियाँ।
उत्तर:
(b) ज्वाला कोशिकाएँ

12. समुद्र की तली में पाये जाने वाले जन्तु कहलाते हैं –
(a) लेन्टिक
(b) लांटिक
(c) वेन्टिक
(d) जिलेजिक।
उत्तर:
(c) वेन्टिक

13. कंगारू होता है –
(a) प्रोटोथीरिया
(c) वेन्टिक
(c) यूथीरिया
(d) रेप्टाइलस।
उत्तर:
(c) वेन्टिक

14. निम्न में से कौन अण्डयुज स्तनी जन्तु है –
(a) व्हेल
(b) प्लेटीपस
(c) खरगोश
(d) साँप।
उत्तर:
(b) प्लेटीपस

15. मीजोग्लिया किसका बना होता है –
(a) अमीबीय कोशिकाओं का
(b) तंत्रिका कोशिकाओं का
(c) निमैटोसिस्ट का
(d) कोशिकीय जेली का।
उत्तर:
(d) कोशिकीय जेली का।

16. सिफैलोकॉर्डेटा जन्तु का वह वर्ग है, जिसमें –
(a) नोटोकॉर्ड सिर से पैरों तक होता है
(b) सिर पर पैर पाये जाते हैं
(c) पैरों पर सिर पाया जाता है
(d) सिर, सिफैलोथोरेक्स से जुड़ा रहता है।
उत्तर:
(a) नोटोकॉर्ड सिर से पैरों तक होता है

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17. इंक ग्रंथियाँ पाई जाती हैं –
(a) सीपिया में
(b) लोलिंगा में
(c) ऑक्टोपस में
(d) उपर्युक्त सभी में।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी में।

18. मासुपियम का पाया जाना किसका प्रमुख लक्षण है –
(a) मेटाथीरिया
(b) कीटोप्टेरा
(c) रोडेंशिया
(d) कॉर्नीवोरा।
उत्तर:
(a) मेटाथीरिया

19. एवियन हृदय होता है –
(a) दो कोष्ठों युक्त
(b) तीन कोष्ठों युक्त
(c) अधूरे चार कोष्ठों युक्त
(d) चार कोष्ठों युक्त।
उत्तर:
(d) चार कोष्ठों युक्त।

20. स्टारफिश किस संघ का जंतु है –
(a) कॉर्डेटा
(b) एनीलिडा
(c) इकाइनोडर्मेटा
(d) पोरीफेरा।
उत्तर:
(c) इकाइनोडर्मेटा

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. पंख तथा ……………. के आधार पर ऑर्थोपोडा को विभाजित किया गया है।
  2. पेरीपेटस …………….. वर्ग का जंतु है।
  3. सिल्वर फिश …………… संघ में सम्मिलित किया गया है।
  4. उभयचर जीव के हृदय में …………….. वेश्म होते हैं।
  5. पक्षीवर्ग की हड्डियाँ …………. होती हैं।
  6. अधिकांश चपटे कृमि अवायवीय श्वसन करते हैं, यह ……………. अनुकूलन है।
  7. स्टारफिश में …………. सममिति होती है।
  8. संधियुक्त पाद …………. संघ का प्रमुख लक्षण है।

उत्तर:

  1. उपांगों
  2. ओनिकोफोरा
  3. ऑर्थोपोडा
  4. तीन
  5. खोखली
  6. परजीवी
  7. अरीय
  8. ऑर्थोपोडा।

प्रश्न 3.
एक शब्द में उत्तर दीजिए

  1. पक्षियों की सर्वोत्तम परिभाषा है।
  2. यूथीरीयन स्तनी होते हैं।
  3. सीप (मोती) किस वर्ग से संबंधित है ?
  4. मीसोग्लिया किस संघ का लक्षण है?
  5. ऑर्थोपोडा के रुधिर का रंग हल्का नीला किसके कारण होता है?

उत्तर:

  1. परयुक्त चतुष्पादी
  2. जरायुज
  3. पैलिसीपोडा (मोलस्का)
  4. सीलेन्ट्रेटा
  5. हीमोसायनिन

प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –
MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 4 प्राणि जगत - 2
उत्तर:

  1. (d) टारपीडो
  2. (a) इकाइनोडर्मेटा
  3. (b) मोलस्का
  4. (c) पीसीज

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 4 प्राणि जगत - 3
उत्तर:

  1. (b) एवीज
  2. (c) मैमेलिया
  3. (d) निमैटोडा
  4. (a) प्लेटीहेल्मिन्थीस

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 4 प्राणि जगत - 4
उत्तर:

  1. (d) पेरीप्लेनेटा
  2. (c) केकड़ा
  3. (a) ऑरिलिया
  4. (e) नेरिस
  5. (b) प्लेनेरिया

प्रश्न 5.
सत्य / असत्य बताइए –

  1. कॉर्डेटा संघ के जंतु सीलोमेट तथा नॉन-कॉर्डेटा संघ के जंतु एसीलोमेट, स्यूडोसीलोमेट व यूसीलोमेट होते हैं।
  2. वर्मीकम्पोस्ट के लिए कीड़ों को पाला जाता है।
  3. नोटोकॉर्ड भ्रूण की मीसोडर्म स्तर से बनती है।
  4. चमगादड़ का पंख, पाद एवं पूँछ का फैलाव है।
  5. अंडा देने वाला स्तनी आर्निथोरिन्कस है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

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प्राणि जगत अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
त्रिज्यतः सममिति एवं द्विपार्श्व सममिति में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
त्रिज्यतः सममिति एवं द्विपार्श्व सममिति में अन्तर –

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प्रश्न 2.
कोई तीन ऐसे लक्षण लिखिए, जिसके कारण चींटी तथा केकड़े को एक ही संघ में सम्मिलित करते हैं।
उत्तर:

  •  दोनों के उपांग (पैर) संधियुक्त होते हैं।
  • दोनों में एक जोड़ी संयुक्त नेत्र पाये जाते हैं।
  • दोनों में शिकार को पकड़ने के लिए पेडीपल्स पाये जाते हैं।

प्रश्न 3.
प्रोटोकॉर्डेट जन्तुओं के तीन लक्षण लिखिए।
उत्तर:

  • इनका नोटोकॉर्ड कशेरुक दण्ड में विकसित नहीं होता है।
  • इनमें मस्तिष्क बॉक्स (Cranium) एवं जबड़ा नहीं पाया जाता है।
  • इनमें जोड़ेदार उपांग नहीं पाये जाते हैं। उदाहरण – हर्डमानिया।

प्रश्न 4.
कोई तीन स्थिर जन्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • ल्यूकोसोलेनिया
  • साइकॉन
  • ग्रैन्शिया (पोरीफेरा संघ के जन्तु स्थिर होते हैं, उपर्युक्त तीनों जीव संघ पोरीफेरा के ही हैं।)

प्रश्न 5.
ऐसे स्तनधारी का नाम बताइए, जिसके R.B.Cs. में केन्द्रक पाया जाता है।
उत्तर:
ऊँट के R.B.Cs. में केन्द्रक पाया जाता है।

प्रश्न 6.
उप-संघ यूरोकॉर्डेटा के तीन लक्षणों को लिखकर एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यूरोकॉर्डेटा के लक्षण –

  • इनके प्रौढ़ में नोटोकॉर्ड नहीं पाया जाता, जबकि डिम्भकों में पाया जाता है।
  • ये अपने शरीर के चारों तरफ एक कठोर कंचुक (Tunic) या कवच स्रावित करते हैं।
  • इनमें गिलछिद्र पाये जाते हैं। उदाहरण – हर्डमानिया, डोलिओलम।

प्रश्न 7.
उप-संघ सिफैलोकॉर्डेटा के लक्षण लिखकर एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सिफैलोकॉर्डेटा के लक्षण –

  • इनमें क्रेनियम तथा जबड़े नहीं पाये जाते हैं।
  • ये मछली के समान होते हैं तथा इनमें नोटोकॉर्ड एवं तन्त्रिका रज्जू शरीर की पूरी लम्बाई में पाये जाते हैं।
  • इनमें कवच नहीं पाया जाता है। उदाहरण – ऐम्फिऑक्सस।

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प्रश्न 8.
ग्लास स्पंज किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कुछ स्पंजों के कंकाल पारदर्शी होते हैं एवं इनकी कंटिकाएँ सिलिका की बनी होती हैं। पारदर्शी होने के कारण इन्हें ग्लास स्पंज कहते हैं।

प्राणि जगत लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित जन्तुओं के जन्तु वैज्ञानिक नाम लिखिए –

  1. घरेलू मक्खी
  2. हाथी
  3. शुतुरमुर्ग
  4. गोलकृमि
  5. कंगारू

उत्तर:
जन्तुओं के वैज्ञानिक नाम –

MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 4 प्राणि जगत - 6

प्रश्न 2.
एसीलोम, स्यूडोसीलोम में अन्तर स्पष्ट कीजिए एवं प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
एसीलोम एवं स्यूडोसीलोम में अन्तर – जन्तु शरीर की आहारनाल और देहभित्ति के बीच एक गुहा पायी जाती है जिसे देहगुहा (सीलोम) कहते हैं। इसका विकास मध्यचर्म (Mesoderm) के दो भागों में बँट जाने के कारण होता है। मध्यचर्म से विकसित देहगुहा वास्तविक देहगुहा कहलाती है। जिन जीवों में देहगुहा नहीं पायी जाती उन्हें एसीलोमेट जीव कहते हैं। जैसे – साइकॉन, हाइड्रा। कुछ जीवों में देहगुहा मध्यचर्म से विकसित न होकर शरीर के किसी दूसरे भाग से विकसित होती है जैसे – ब्लास्टोसील, इस देहगुहा को कूट देहगुहा (स्यूडोसीलोम) कहते हैं। जैसे – फीताकृमि (टीनिया) एव रोटीफर ट्राइलोबस।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित जन्तुओं के संघ का नाम लिखिए –

  1. स्टारफिश
  2. जेलीफिश
  3. डॉग फिश
  4. इक्थियोफिश
  5. हॉर्स फिश
  6. व्हेल फिश
  7. सिल्वर फिश।

उत्तर:
जन्तु – संघ

  • स्टारफिश – इकाइनोडर्मेटा
  •  जेली फिश – सीलेण्ट्रेटा
  • डॉग फिश – कॉर्डेटा
  • इक्थियोफिश – कॉर्डेटा
  • हॉर्स फिश – कॉर्डेटा
  • व्हेल फिश – कॉर्डेटा।
  • सिल्वर फिश – ऑर्थोपोडा

प्रश्न 4.
निम्नलिखित जन्तुओं के प्रचलन अंग का नाम लिखिए –

  • अमीबा
  • केंचुआ
  • पैरामीशियम
  • सर्प
  • स्टारफिश
  • हाइड्रा
  • यूग्लीना।

उत्तर:
जन्तु – प्रचलन अंग

  1. अमीबा – कूटपाद
  2. केंचुआ – सीटी
  3. पैरामीशियम – सिलिया
  4. सर्प – पसली एवं शल्क
  5. स्टारफिश – भुजा
  6. हाइड्रा – स्पर्शक
  7. यूग्लीना – कशाभिका।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित रचनाएँ किन जन्तुओं में पायी जाती हैं, प्रत्येक के सामने केवल एक जन्तु का नाम लिखिए –

  1. संयुक्त नेत्र
  2. कैरापेस
  3. मेड्यूसा
  4. फ्लेम कोशिका
  5. प्लेकॉइड स्केल
  6. ब्लबर
  7. एक अण्डाशय
  8. पैरापोडिया
  9. मिसेण्ट्री
  10. आन्तरिक कवच।

उत्तर:

रचना – वहन करने वाला जन्तु

  1. संयुक्त नेत्र – पेरिप्लेनेटा (तिलचट्टा)
  2. कैरापेस – कैन्सर (केकड़ा)
  3. मेड्यूसा – ऑरेलिया
  4. फ्लेम कोशिका – प्लैनेरिया
  5. प्लेकॉइड स्केल – स्कॉलियोडॉन
  6. ब्लबर – नीला व्हेल (बेलिना)
  7. एक अण्डाशय – पक्षी (कबूतर = कोलम्बा)
  8. पैरापोडिया – नेरीस
  9. मिसेण्ट्री – कोरेलियम
  10. आन्तरिक कवच – सीपिया (सिफैलोपोडा जीव)।

प्रश्न 6.
कोई पाँच जन्तु संघों के नाम एवं उनके एक-एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
पाँच जन्तु संघ निम्नलिखित हैं –

  • पोरीफेरा – उदाहरण – साइकॉन (स्पंज)
  • सीलेण्ट्रेटा – उदाहरण – हाइड्रा
  • प्लेटीहेल्मिन्थीस – उदाहरण – प्लैनेरिया
  • निमैटोहेल्मिन्थीस – उदाहरण – ऐस्केरिस
  • ऐनीलिडा – उदाहरण – फेरेटिमा।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –

  1. हीमोसील
  2. साइक्लोस्टोमेटा
  3. निमैटोडा।

उत्तर:
(1) हीमोसील:
जीवों की आहारनाल एवं देहभित्ति के बीच एक गुहा पायी जाती है, जिसे देहगुहा कहते हैं। इसमें एक प्रकार का द्रव भरा रहता है, जिसे देहगुहीय द्रव कहते हैं, लेकिन ऑर्थोपोडा संघ तथा दूसरे खुले परिसंचरण वाले जीवों की देहगुहा में देहगुहीय द्रव के स्थान पर रुधिर भरा होता है, इस कारण इनकी देहगुहा को हीमोसील कहते हैं। यह देहगुहा संवहन का कार्य करती है।

(2) साइक्लोस्टोमेटा:
यह संघ कॉर्डेटा का एक वर्ग है, जिसमें निम्नलिखित लश्नाण पाये जाते हैं –

  • इनमें मस्तिष्क बॉक्स उपस्थित, लेकिन जबड़ा अनुपस्थित होता है। मुख चुपक प्रकृति का होता है।
  • इनके उपांग जोड़ में नहीं होते हैं । शरीर बेलनाकार तथा लम्बा होता है।
  • ये मछली जैसे होते हैं, लेकिन त्वचा चिकनी तथा शल्कविहीन होती है।
  • सिर पर केवल एक नासा छिद्र पाया जाता है।

(3) निमैटोडा (निमैटोहेल्मिन्थीस):
यह जन्तु जगत का एक संघ है, जिसमें सूत्र-कृमि या गोल कृमि जन्तुओं को रखा गया है। इस संघ के जीवों में निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं-

  • इनका शरीर त्रिस्तरीय, गोलाकार होता है।
  • ये जल तथा गीली मिट्टी में या अन्तःपरजीवी के रूप में पाये जाते हैं।
  • इनका शरीर लम्बा, पतला, सिरों पर सँकरा द्विपार्श्व सममित होता है। इसमें सिर का अभाव होता है। शरीर पर क्यूटिकल का आवरण पाया जाता है।
  • शरीर में श्वसन तथा परिसंचरण तन्त्र नहीं पाया जाता, लेकिन जनन-तन्त्र विकसित होता है। उदाहरण – ऐस्केरिस, वाउचेरिया।

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प्राणि जगत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संघ पोरीफेरा के लक्षण तथा दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
संघ पोरीफेरा के लक्षण –

  • इस संघ के जन्तु असममिति अथवा अरीय सममिति के जलीय समुद्री जन्तु होते हैं।
  • इनकी आकृति बेलनाकार, अण्डाकार, अनियमित और शाखित होती है। इनमें ऊतक या अंग नहीं बनते हैं।
  • इनमें देहगुहा (Coelom) का अभाव होता है।
  • शरीर भित्ति में अनेक सूक्ष्म छिद्र (Ostia) होते हैं। शरीर के शीर्ष पर ऑस्कुलम नामक एक छिद्र होता है।
  • शरीर में नाल तन्त्र होता है, जिसमें भोज्य पदार्थों, जल आदि का परिभ्रमण होता है। शरीर का कंकाल अनेक प्रकार की कंटिकाओं (Spicules) का बना होता है। ये कंटिकाएँ CaCO3 (कैल्सियम कार्बोनेट) या सिलिका की बनी होती हैं।
  • जनन अलैंगिक व लैंगिक दोनों प्रकार का होता है। इनमें पुनरुद्भवन की क्षमता होती है।
  • शरीर द्विस्तरीय होता है, दोनों स्तरों के मध्य में जेली के समान मध्य स्तर मीजोडर्म पायी जाती है।
  • शरीर संगठन कोशिकीय स्तर का होता है, लेकिन इनमें ऊतकों का अभाव होता है। उदाहरण – साइकॉन, ल्यूकोसोलेनिया।

प्रश्न 2.
संघ – सीलेण्ट्रेटा के विशिष्ट लक्षण तथा उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
संघ – सीलेण्ट्रेटा के लक्षण:

  • ये अधिकांश समुद्री तथा अलवणीय जल में पाये जाने वाले जन्तु होते हैं।
  • ये बहुकोशिकीय अरीय सममिति के होते हैं।
  • ये द्वि-स्तरीय होते हैं। बाहरी तथा भीतरी स्तर के बीच एककोशिकीय स्तर मीजोग्लिया (Mesoglea) पाया जाता है।
  • शरीर में एक गुहा, आन्तर गुहा (Coelenteron) पायी जाती है।
  • इनमें सिर तथा गुदाद्वार नहीं पाये जाते हैं।
  • पाचक गुहा थैली के समान होती है, गैस्ट्रोवैस्कुलर गुहा बाहर की ओर मुख से सम्बन्धित होती है।
  • मुख को घेरे हुए स्पर्शक पाये जाते हैं, लेकिन सुरक्षा तथा परिवहन तन्त्रों का अभाव होता है।
  • उनमें निमैटोसिस्ट दंशक उपकरण पाया जाता है। उदाहरण – हाइड्रा, ऑरेलिया।

प्रश्न 3.
जन्तु जगत वर्गीकरण की बाह्य रूपरेखा का चित्रण कर प्रत्येक संघ के दो – दो प्रमुख लक्षण एवं दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जन्तु जगत सभी जीवों में सबसे विकसित जगत है, जिसमें लगभग 12 लाख प्रकार के जीवों को रखा गया है। जन्तु जगत को मोटे तौर पर तीन शाखाओं में बाँटा गया है, जिन्हें पुन: कई संघों में बाँटा गया है, जो निम्नानुसार हैं –

(A) शाखा मीसोजोआ – कोशिकाओं का समूह मात्र होता है, इनमें केवल एक संघ आता है –
1. संघ-मीसोजोआ:

  • शरीर कोशिका समूह का बना होता है।
  • जल में पाये जाते हैं। उदाहरण – डाइसिमा।

(B) शाखा पैराजोआ – इनमें कोशिकीय स्तर का संगठन पाया जाता है। इनका एक संघ प्रमुख है –
2. संघ-पोरीफेरा:

  • शरीर पर असंख्य छिद्र पाये जाते हैं।
  • ये स्थिर तथा जलीय होते हैं। उदाहरण-साइकॉन, ग्रैन्शिया।

(C) शाखा मेटाजोआ –
इनमें ऊतकीय, अंगीय तथा तंत्रीय स्तर का संगठन पाया जाता है। इनके प्रमुख संघ निम्नानुसार हैं –

3. संघ-सीलेण्ट्रेटा:

  • शरीर के मध्य में एक खोखली गुहा पायी जाती है।
  • इनमें दंशक कोशिकाएँ पायी जाती हैं। उदाहरण – हाइड्रा, ऑरेलिया।

4. संघ – प्लेटीहेल्मिन्थीस –

  • शरीर चपटा व त्रिस्तरीय होता है।
  • इसमें देहगुहा नहीं पायी जाती है। उदाहरण-टीनिया, प्लैनेरिया।

5. संघ – निमैटोहेल्मिन्थीस –

  • इनका शरीर लम्बा, त्रिस्तरीय, गोलाकार कृमि के समान होता है।
  • शरीर में नलिका के अन्दर नलिका व्यवस्था पायी जाती है। उदाहरण – ऐस्केरिस, वाउचेरिया।

6. संघ-ऐनीलिडा:

  • शरीर पतला, लम्बा तथा छोटे-छोटे छल्ले समान खण्डों का बना होता है।
  • प्रचलन, शूकों द्वारा होता है। उदाहरण-फेरिटिमा, लुम्ब्रिकस।

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7. संघ – मोलस्का

  • शरीर कोमल, त्रिस्तरीय तथा खण्डहीन होता है।
  • शरीर के चारों तरफ कवच पाया जाता है। उदाहरण-पाइला, यूनियो।

8. संघ – ऑर्थोपोडा:

  • शरीर त्रिस्तरीय तथा खण्डों में बँटा होता है।
  • शरीर से संधित पैर जुड़े होते हैं। उदाहरण-पेरीप्लेनेटा, पैलीमॉन।

9. संघ – इकाइनोडर्मेटा:

  • शरीर अरीय सममिति वाला होता है।
  • शरीर भुजाओं में बँटा होता है तथा इनकी बाह्य त्वचा पर कंटिकाएँ पायी जाती हैं। उदाहरण – ऐस्टेरियास, कुकुमेरिया।

10. संघ – हेमीकॉर्डेटा –

  • शरीर प्रोबोसिस, कॉलर व धड़ में विभेदित होता है।
  • प्रोबोसिस में नोटोकॉर्ड जैसी रचना पायी जाती है।
  • शरीर कृमि जैसा होता है। समुद्री कीचड़ में रहते हैं। उदाहरण – बैलेनोग्लॉसस, रेब्डोप्ल्यूरा।

11. संघ-कॉर्डेटा:

  • जीवन की किसी-न-किसी अवस्था में नोटोकॉर्ड, नर्वकॉर्ड एवं गिल छिद्र अवश्य पाये जाते हैं।
  • सभी तन्त्र विकसित होते हैं। उदाहरण – राना टिग्रिना, होमो सैपिएन्स।

प्रश्न 4.
कॉर्डेटा संघ का वर्गीकरण एवं प्रत्येक के दो-दो लक्षण एवं दो – दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
कॉर्डेटा संघ का वर्गीकरण-संघ कॉर्डेटा को मोटे तौर पर निम्नलिखित 7 वर्गों में बाँटते हैं –
1. वर्ग-साइक्लोस्टोमेटा:

  • मस्तिष्क बॉक्स उपस्थित, लेकिन जबड़ा अनुपस्थित होता है।
  • शरीर पर जोड़ेदार उपांग नहीं पाये जाते हैं। उदाहरण – पेट्रोमाइजॉन, मिक्सिन। अधिवर्ग – मत्स्य वर्ग-इसके अन्तर्गत निम्न दो वर्ग हैं –

2. वर्ग-कॉण्ड्रिक्थीस –

  • इस वर्ग में वे मछलियाँ आती हैं, जिनका कंकाल उपास्थि का बना होता है।
  • श्वसन, गलफड़े (गिल) द्वारा होता है, लेकिन इस पर ऑपरकुलम नहीं पाया जाता है। उदाहरण – स्कॉलियोडॉन, टॉरपिडो।

3. वर्ग-ऑस्टिक्थीस –

  • इन मछलियों का अन्त:कंकाल अस्थि का बना होता है।
  • शरीर अस्थि शल्कों से ढंका रहता है। उदाहरण- लैबियो, हिप्पोकैम्पस।।

4. वर्ग-एम्फिबिया –

  • इस वर्ग के कशेरुकी जीव जल एवं स्थल दोनों में रह सकते हैं, लेकिन उनका भ्रूणीय विकास जल में ही होता है।
  • इनमें चार पैर पाये जाते हैं। उदाहरण-राना टिग्रिना, ब्यूफो (भेक), सेलामेंडर।

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5. वर्ग-सरीसृप –

  • ये जमीन पर रेंगकर चलते हैं।
  • इसकी त्वचा सूखी होती है। उदाहरणकैलोटिस, नाजा।

6. पक्षी वर्ग –

  • अग्र पाद पंखों में रूपान्तरित होता है तथा पूरा शरीर परों से ढंका रहता है।
  • इनकी अस्थियों में वायु कोष्ठ पायी जाती है। उदाहरण – कोलम्बा, पेसर।

7. स्तनी वर्ग –

  • चमड़ी पर बाल तथा सिर में बाह्य कर्ण पाये जाते हैं।
  • इनमें स्तन ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं। उदाहरण – मैक्रोपस, होमो सैपिएन्स।

प्रश्न 5.
स्तनधारी जन्तु समूह के प्रमुख लक्षणों का वर्गीकरण करते हुए प्रमुख स्तनधारियों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
प्रोटोथीरिया एवं मेटाथीरिया में अन्तर दीजिए।
उत्तर:
स्तनधारी जन्तुओं के लक्षण-जन्तु-जगत का स्तनधारी समूह पृथ्वी का सबसे अधिक विकसित जन्तु समूह है, जिसमें निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं –

  • शरीर रोयें या बालों से ढंका रहता है। त्वचा में स्वेद तथा तेल ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं।
  • मादा में बच्चों को दूध द्वारा पोषण देने के लिए स्तन ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं, जो नर में कम विकसित होती हैं।
  • करोटि की अस्थियाँ सीवनों द्वारा जुडी होती हैं। इनमें दो अस्थि कन्द पाये जाते हैं।
  • हृदय चार कोष्ठों का बना होता है तथा R.B.Cs. में केन्द्रक नहीं पाया जाता। ऊँट के R.B.Cs. में केन्द्रक पाये जाते हैं।
  • देहगुहा एक लचीले मध्यपट द्वारा पृष्ठीय वक्षगुहा तथा प्रतिपृष्ठीय उदर गुहा में विभाजित होती है।
  • ग्रैव कशेरुकाओं की संख्या हमेशा सात होती है।
  • ये नियततापी (Warm blooded) होते हैं।
  • इनकी कशेरुकाएँ अगर्ती होती हैं। उदाहरण – होमो सैपिएन्स, रैटस रैटस।

स्तनियों के प्रकार या स्तनियों का वर्गीकरण-स्तनियों को मोटे तौर पर 3 भागों में बाँटते हैं –
(i) प्रोटोथीरिया- इस उप-वर्ग के स्तनियों में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं

  • इनकी स्तन ग्रन्थियों में चूषक नहीं पाये जाते हैं।
  • इनकी मादा अण्डे देती है। इनमें बाह्य कर्ण नहीं होते हैं।
  • नर का वृषण, उदर गुहा में स्थित होता है।
  • इनमें गर्भाशय तथा योनि नहीं पाए जाते हैं। उदाहरण – डकबिल्ड, प्लेटिपस, ऐकिडना।

(ii) मेटाथीरिया – इस उप-वर्ग में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं –

  • ये अपरिपक्व बच्चे देते हैं। बच्चे का शेष विकास मार्क्सपियल थैली में होता है।
  • स्तनों में चूषक पाये जाते हैं।
  • इनमें बाह्य कर्ण पाये जाते हैं।
  • इनमें गर्भाशय तथा योनि पाये जाते हैं। उदाहरण – मैक्रोपस, डाइडेल्फिस।

(iii) यूथीरिया ये सबसे विकसित स्तनी हैं, इनके प्रमुख लक्षण निम्नानुसार हैं –

  • मादा परिपक्व शिशुओं को जन्म देती है तथा बच्चे का पूरा विकास गर्भाशय में ही होता है।
  • स्तन ग्रन्थियाँ विकसित चूषक युक्त होती हैं।
  • गर्भाशय तथा योनि विकसित होते हैं। उदाहरण – छछूदर(Talpa), खरगोश (Lepus), मनुष्य (Homo sapiens)।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –

  1. पक्षी वर्ग
  2. सरीसप वर्ग
  3. मत्स्य वर्ग।

उत्तर:
(1) पक्षी वर्ग – यह संघ कॉर्डेटा का प्रमुख वर्ग है, जिसका शरीर उड़ने के लिए अनुकूलित होता है। इनके जीवन काल में नोटोकॉर्ड, नर्वकॉर्ड तथा गिल्स जीवन की किसी-न-किसी अवस्था में पाये जाते हैं। इनके अलावा इनमें निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं –

  • ये गर्म रक्त वाले जन्तु हैं। इनका शरीर परों से ढंका रहता है और सिर, धड़ एवं पूँछ में बँटा रहता है।
  • अग्रपाद का उड़ने के लिए पंखों में परिवर्तन हो जाता है। जबड़ों में दाँत नहीं पाये जाते हैं।
  • श्वसन फेफड़ों द्वारा होता है, जो वायुकोषों में बँटा होता है।
  • हृदय चार कोष्ठों का बना होता है।
  • कंकाल में छोटे-छोटे कोष्ठ पाये जाते हैं, जिन्हें वायु कूपिकाएँ कहते हैं। इनमें वायु भरी होती है।
  • इनमें केवल एक महाधमनी पायी जाती है।
  • खोपड़ी की हड्डियाँ आपस में संयुग्मित होती हैं।
  • नर में मैथुन अंग पाया जाता है। इनमें अन्त:निषेचन पाया जाता है, मादा अण्डे देती है, जिन्हें वह सेती है। उदाहरण-कोलम्बा, पैसर।

(2) सरीसृप वर्ग – इस वर्ग में संघ कॉर्डेटा के उन जन्तुओं को रखा जाता है, जो रेंगकर चलते हैं। इनके प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं –

  • ये असमतापी तथा रेंगकर चलने वाली जलीय या स्थलीय जीव हैं।
  • इनकी त्वचा रूखी तथा शल्कयुक्त होती है।
  • इनका कंकाल अस्थिमय होता है, इनकी R.B.Cs. में केन्द्रक पायी जाती है।
  • हृदय में तीन कोष्ठ पाये जाते हैं।
  • इनमें आन्तरिक निषेचन होता है। उदाहरण-छिपकली, साँप, मगरमच्छ घड़ियाल।

(3) मत्स्य वर्ग-मत्स्य वर्ग कॉर्डेटा का प्रमुख वर्ग है अर्थात् इसमें नोटोकॉर्ड, नर्वकॉर्ड एवं गिल्स जीवन की किसी-न-किसी अवस्था में अवश्य पाये जाते हैं। ये जलीय होते हैं इनके प्रमुख लक्षण निम्न हैं –

  • ये अनियततापी या शीत रुधिर (Cold blooded) जलीय जन्तु हैं।
  • इनका शरीर पार्श्व में चपटा तथा शल्कों से ढंका होता है।
  • फेफड़ा मछलियों को छोड़कर सभी में गिल द्वारा श्वसन होता है।
  • इनमें कर्णपटह कला नहीं पायी जाती है।
  • शरीर के पार्श्व में पार्श्व रेखा पायी जाती है जिसमें ज्ञानेन्द्रियाँ स्थित होती हैं।
  • हृदय आलिंद व शिरा दो भागों में बँटा होता है। उदाहरण – क्लाइमेटियस, स्कॉलियोडॉन, टॉरपिडो, रोहू।

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