In this article, we will share MP Board Class 10th Social Science Book Solutions Chapter 7 1857 का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम Pdf, These solutions are solved subject experts from the latest edition books.

MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 7 1857 का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 प्रश्न 1.
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में बुन्देलखण्ड से प्रमुख सेनानी थे – (2016)
(i) कुँवर सिंह
(ii) बख्तावर सिंह
(iii) तात्या टोपे
(iv) अहमदुल्ला खाँ।
उत्तर:
(iii) तात्या टोपे

प्रश्न 2.
1857 के संग्राम के समय भारत के गवर्नर जनरल थे – (2009)
(i) डलहौजी
(ii) बैंटिंक
(iii) कैनिंग
(iv) रिपन।
उत्तर:
(iii) कैनिंग

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

प्रश्न 1.
बहादुर शाह द्वितीय को बन्दी बनाकर ……….. स्थान पर भेज दिया गया।
उत्तर:
रंगून (बर्मा)

प्रश्न 2.
लार्ड डलहौजी ने ……….. नीति के कारण अनेक भारतीय राज्यों को अंग्रेजी राज्य में शामिल कर लिया। (2013, 16, 18)
उत्तर:
हड़प

प्रश्न 3.
ब्रिटिश संसद के 1858 के अधिनियम के अनुसार भारत पर शासन करने का अधिकार ……….. को दिया।
उत्तर:
इंग्लैण्ड की सरकार

प्रश्न 4.
दिल्ली की जनता ने …………. को भारत का सम्राट घोषित किया। (2009, 14, 15)
उत्तर:
बहादुरशाह (द्वितीय)

प्रश्न 5.
अंग्रेज इतिहासकारों ने 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम को ……….. कहना स्वीकार किया।
उत्तर:
सैनिक विद्रोह।

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 1857 का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम
उत्तर:

  1. → (ग)
  2. → (घ)
  3. → (ङ)
  4. → (ख)
  5. → (क)

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उन क्षेत्रों के नाम लिखिए जहाँ 1857 ई. का स्वतन्त्रता संग्राम व्यापक रूप से हुआ।
अथवा
1857 की क्रान्ति के प्रमुख केन्द्र कौन-कौनसे थे ? (2015)
उत्तर:

  1. बैरकपुर
  2. मेरठ
  3. दिल्ली
  4. कानपुर
  5. झाँसी
  6. ग्वालियर
  7. लखनऊ
  8. जगदीशपुर (बिहार)।

प्रश्न 2.
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं के नाम बताइए। (2009, 14)
उत्तर:

  1. मंगल पाण्डे
  2. बहादुरशाह (जफर) द्वितीय
  3. रानी लक्ष्मीबाई
  4. तात्या टोपे
  5. नाना साहब
  6. बेगम हजरत महल
  7. कुँवर सिंह
  8. अहमदुल्ला खाँ
  9. रंगा बापूजी गुप्त
  10. सोनाजी पण्डित
  11. नाना फड़नवीस
  12. गुलाम गौस आदि।

प्रश्न 3.
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का तात्कालिक कारण क्या था ? (2014, 18)
उत्तर:
बैरकपुर छावनी में 29 मार्च, 1857 को मंगल पाण्डे नामक सैनिक ने चर्बी वाले कारतूस को भरने से इन्कार कर दिया और उत्तेजित होकर अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर दी। फलस्वरूप उसे बन्दी बनाकर 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दे दी गयी। इस प्रकार चर्बी लगे कारतूस 1857 की क्रान्ति का तात्कालिक कारण बना।

प्रश्न 4.
ब्रिटिश सरकार द्वारा उठाए गए समाज सुधार के कार्यों से भारतीय क्यों असंतुष्ट हए ? (2011, 13)
उत्तर:
कम्पनी सरकार ने सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए अनेक कदम उठाये तथा कानूनों को लागू किया। परम्परागत दृष्टिकोण के भारतीयों को अंग्रेजों का उनके सामाजिक जीवन में हस्तक्षेप करना उनमें रोष उत्पन्न करने वाला था। ब्रिटिश सरकार द्वारा ईसाई धर्म का प्रचार, धर्म परिवर्तन हेतु सुविधाओं का प्रलोभन देना, शिक्षण संस्थाओं में ईसाई धर्म की शिक्षा दिया जाना, ऐसे अनेक कारण थे जिनके कारण भारतीयों में अत्यधिक असन्तोष था।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 के संग्राम को प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम क्यों कहा जाता है ? (2011, 17)
उत्तर:
भारत में पहला प्रभावशाली आन्दोलन 1857 ई. की क्रान्ति थी। यह भारत का पहला स्वतन्त्रता आन्दोलन था। इस क्रान्ति ने अंग्रेजों की जड़ों को हिलाकर रख दिया। इससे पहले भी बैल्लोर, बैरकपुर तथा बुन्देलखण्ड में विद्रोह हुए, जिनको अंग्रेजों ने कुचल दिया, किन्तु इन विद्रोहों से 1857 ई. के क्रान्तिकारियों को . बड़ी प्रेरणा मिली। वीर सावरकर, अशोक मेहता तथा अन्य भारतीय इतिहासकारों ने 1857 की इस क्रान्ति को प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का नाम दिया।

इस क्रान्ति के उठ खड़ा होने का कारण न चर्बी के कारतूसों का प्रयोग करना था और न ही कुछ भारतीय शासकों का व्यक्तिगत स्वार्थ, वरन् जन साधारण में वह असन्तोष की भावना थी जो पिछले सौ वर्षों के अंग्रेजी राज्य के कारण उत्पन्न हो रही थी। इन इतिहासकारों का विचार है कि विस्फोट की सामग्री काफी समय पहले से ही इकट्ठी होती आ रही थी। इसे केवल एक चिंगारी की आवश्यकता थी जो चर्बी वाले कारतूसों से मिल गयी। इसलिए 1857 की इस महान क्रान्ति को केवल सैनिक विद्रोह न कहकर पहला स्वतन्त्रता संग्राम या राष्ट्रीय आन्दोलन कहना कहीं उचित होगा।

प्रश्न 2.
1857 के पूर्व ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह अपनी आरम्भिक अवस्था में क्यों असफल रहे?
उत्तर:
ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने विजय के माध्यम से, भारतीय प्रदेशों का अनुचित तरीकों से कम्पनी के साम्राज्य में विलय करके तथा भारतीय जनता का शोषण करके भारतीय जनमानस को असन्तोष एवं आक्रोश की भावना से भर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि 1765 से 1856 तक देश के विभिन्न भागों में दर्जनों विद्रोह हुए। इनमें से कई विद्रोह किसानों और आदिवासियों ने किये थे। पदच्युत शासकों, जमींदारों और सरदारों के नेतृत्व में भी कई विद्रोह हुए। कम्पनी की फौज के सिपाहियों ने भी विद्रोह का झण्डा ऊँचा किया।

अंग्रेजी शासन के विरुद्ध जितने विद्रोह हुए उनका स्वरूप स्थानीय रहा और उनका दमन हो गया। यद्यपि ये विद्रोह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध गम्भीर चुनौती उत्पन्न नहीं कर सके परन्तु इससे यह सिद्ध होता है कि 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के पूर्व ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन के विरुद्ध व्यापक असन्तोष विद्यमान था। 1857 के संग्राम की पृष्ठभूमि तैयार करने में इन विद्रोहों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

प्रश्न 3.
भारतीय शासकों में असन्तोष के क्या कारण थे?
अथवा
अंग्रेजी शासन (ब्रिटिश शासन) से भारतीय शासकों में असन्तोष के क्या कारण थे ? (2010, 13)
अथवा
भारतीय शासकों में ब्रिटिश शासन से असन्तोष के क्या कारण थे ? (2017)
उत्तर:
अंग्रेजों की राज्य विस्तार की नीति के कारण भारत के अनेक शासकों और जमींदारों में असन्तोष व्याप्त हो गया था। लॉर्ड वेलेजली की सहायक सन्धि व्यवस्था और लॉर्ड डलहौजी की हड़प नीति के कारण अनेक राज्यों का अंग्रेजी साम्राज्य में जबरदस्ती विलय कर दिया गया। अंग्रेजों ने पंजाब, सिक्किम, सतारा, जैतपुर, सम्भलपुर, झाँसी, नागपुर आदि राज्यों को अपने अधीन कर लिया था। सरकार ने अवध, तंजौर, कर्नाटक के नवाबों की राजकीय उपाधियाँ समाप्त कर राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न कर दी।

अन्तिम मुगल सम्राटों के प्रति अंग्रेजों का व्यवहार अनादरपूर्ण होता चला गया। इन परिस्थितियों में शासन-परिवारों में घबराहट फैल गयी थी। अंग्रेजों ने जिन राज्यों पर कब्जा किया वहाँ के सैनिक, कारीगर तथा अन्य व्यवसायों में जुड़े लोग भी प्रभावित हुए। अंग्रेजों ने अनेक सरदारों और जमींदारों से उनकी जमीन छीन ली। इसके कारण भारतीय शासकों में असन्तोष व्याप्त हो गया।

प्रश्न 4.
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का राजनैतिक व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम ब्रिटिश राज के लिए एक बड़ी चुनौती था। इसे अन्ततः कुचल दिया गया, परन्तु इस संग्राम से अंग्रेजों को गहरा झटका लगा। इस संग्राम ने अंग्रेजी साम्राज्य की जड़ों को हिलाकर रख दिया। अतः ब्रिटिश सरकार ने भारत में अनेक प्रशासनिक परिवर्तन किए। महत्वपूर्ण परिवर्तन निम्नलिखित हुए –

  1. ब्रिटिश संसद ने 1858 ई. में अधिनियम पारित किया। इसके अनुसार भारत पर शासन करने का अधिकार ईस्ट इण्डिया कम्पनी से लेकर सीधे इंग्लैण्ड की सरकार ने ले लिया।
  2. 1858 के पश्चात् सेना का पुनर्गठन किया गया। अंग्रेजों का भारतीय सैनिकों पर से विश्वास उठ गया था। अत: महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ अंग्रेज अधिकारियों को सौंपी गयीं।
  3. ब्रिटिश शासन ने देशी रियायतों का विलय करने की नीति में परिवर्तन किया और उत्तराधिकारियों को गोद लेने के अधिकार को मान्यता प्रदान की।
  4. ब्रिटिश सरकार ने राजाओं, भू-स्वामियों और जमींदारों के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया और इस प्रकार उनका समर्थन प्राप्त करने की नीति अपनायी।

प्रश्न 5.
1857 के स्वतंत्रता संग्राम की असफलता के कारण बताइए। (2010, 11, 15)
अथवा
सन् 1857 की क्रान्ति की असफलता के दो कारण बताइए। (2016)
अथवा
1857 के संग्राम की असफलता के कोई तीन कारण लिखिए। (2018)
उत्तर:
1857 के संग्राम की असफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे –

  1. 1857 की क्रान्ति निर्धारित तिथि से पूर्व प्रारम्भ कर दी गयी थी जिससे यह असफल हो गयी। मैलसन के अनुसार, “यदि यह क्रान्ति निश्चित समय पर प्रारम्भ होती तो इसे सफलता अवश्य मिलती।”
  2. 1857 की क्रान्ति की असफलता का अन्य कारण योग्य नेतृत्व का अभाव था। विद्रोही नेताओं में सैनिक कुशलता तथा संगठित होकर कार्य करने तथा क्रान्ति संचालन की क्षमता का अभाव था।
  3. 1857 की क्रान्ति के समय अधिकांश नरेशों ने क्रान्तिकारियों का साथ न देकर अंग्रेजों का ही साथ दिया। सर जॉन के मत में, “यदि समस्त भारतवासी पूर्ण उत्साह से अंग्रेजों के विरुद्ध संगठित हो जाते तो अंग्रेज पूर्णतया नष्ट हो जाते।”
  4. क्रान्तिकारियों में वीरता तथा साहस की भावना का अभाव नहीं था परन्तु उनकी सैनिक शक्ति अत्यधिक निर्बल थी।
  5. अंग्रेज अधिकारी क्रान्तिकारियों का दमन आधुनिक हथियारों से करते थे परन्तु क्रान्तिकारियों के पास उनका सामना करने के लिए आधुनिक हथियारों का अभाव था।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का भारतीय इतिहास में क्या महत्व है ? समझाइए ? (2009)
उत्तर:
1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का महत्व

1857 की क्रान्ति का महत्व निम्नलिखित कारणों से है –

(1) हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रदर्शन-1857 की क्रान्ति का सर्वाधिक महत्व इस कारण है क्योंकि इस क्रान्ति में पहली बारी हिन्दू तथा मुसलमानों ने एकजुट होकर अंग्रेजों से संघर्ष किया था। इस क्रान्ति ने हिन्दू और मुसलमानों में प्रेम-भावना का विकास किया। नाना साहब तथा बहादुरशाह का संयुक्त मोर्चा इसका उदाहरण है। इस क्रान्ति ने यह सिद्ध कर दिया कि हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे के निकट आ सकते हैं।

(2) नवीन उत्साह की भावना का उदय-1857 की क्रान्ति से पूर्व भारतवासी अंग्रेजों को अजेय समझते थे, परन्तु इस क्रान्ति के पश्चात् उनका यह भ्रम टूट गया, क्योंकि अनेक स्थानों पर अंग्रेजों को भी भीषण पराजय का मुख देखना पड़ा था। भारतवासियों में यह आत्मविश्वास की भावना उत्पन्न हुई कि वे संगठित होकर अंग्रेजों से संघर्ष कर सकते हैं।

(3) क्रान्ति में किसानों का भाग लेना-1857 की क्रान्ति की प्रमुख विशेषता यह थी कि इससे पूर्व किसानों ने किसी भी राजनीतिक आन्दोलन तथा संघर्ष में भाग नहीं लिया था। परन्तु अंग्रेजों ने अपनी नीतियों से ग्रामीण जीवन में हस्तक्षेप कर अनेक प्रकार से शोषण करने का प्रयास किया था। परिणामस्वरूप किसानों में अंग्रेजों के विरुद्ध जागरूकता आयी तथा उन्होंने भी सक्रिय होकर क्रान्ति को अपना पूर्ण सहयोग दिया।

(4) भारतीय राजाओं तथा नवाबों को आश्वासन-क्रान्ति के पश्चात् ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने यह अनुभव किया कि भारतीय राजाओं के साथ उन्हें अच्छे सम्बन्ध बनाने चाहिए, क्योंकि उनके सहयोग से ही भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को सुदृढ़ किया जा सकता है। इस आधार पर ही महारानी विक्टोरिया ने घोषणा करके भारतीय राजाओं को आश्वासन दिया कि अब उनके राज्यों को नहीं हड़पा जायेगा। कम्पनी द्वारा की गयी सन्धियाँ पूर्ववत् ही चलेंगी तथा उनमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जायेगा।

(5) संचार तथा यातायात साधनों का अपूर्व विकास-क्रान्ति से पूर्व भी संचार तथा यातायात के साधनों की स्थापना हो चुकी थी परन्तु वे सीमित अवस्था में थे जिससे कम्पनी के अधिकारी क्रान्ति दमन में उनका समुचित प्रयोग नहीं कर सके। अत: 1857 की क्रान्ति के पश्चात् अंग्रेजों ने भारत में तार, रेलों तथा डाक सेवाओं का जाल बिछा दिया।

(6) देशी राजाओं व सामन्तों की दुर्बलताओं पर प्रकाश पड़ना-1857 की क्रान्ति ने देशी राजाओं व सामन्त वर्ग की स्वार्थपरता, कायरता तथा परस्पर मतभेद की भावनाओं पर प्रकाश डाला। क्रान्ति के समय जब क्रान्तिकारी अंग्रेजों से संघर्ष कर अपने प्राणों का सौदा कर रहे थे, तो उसी समय कुछ देशी राजा तथा सामन्त अंग्रेजों को सहयोग दे रहे थे।

इस प्रकार लक्ष्य की एकता, साम्प्रदायिक सद्भाव एवं जन सहयोग की भावना के कारण 1857 ई. की घटनाएँ राष्ट्रीय स्वरूप की मानी जाती हैं।

प्रश्न 2.
टिप्पणी लिखिए –
(क) तात्या टोपे (2009, 11, 14, 18)
(ख) रानी लक्ष्मीबाई (2009, 11, 14)
(ग) नाना साहब (2018)
(घ) हजरत महल।
अथवा
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख सेनानियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए। (2009)
उत्तर:
(क) तात्या टोपे
तात्या टोपे, 1857 के उन वीर सेनानियों में से एक थे, जिनकी आरम्भिक निष्ठा पेशवा परिवार के प्रति . थी। तात्या टोपे अपनी देश भक्ति, वीरता, व्यूह रचना, शत्रु को चकमा देने की कुशलता, साधनहीनता की स्थिति में युद्ध जारी रखने का साहस, निर्भीकता और गुरिल्ला पद्धति से युद्ध के लिए जाने जाते हैं। पेशवा नाना साहब की ओर युद्ध का समस्त उत्तरदायित्व तात्या टोपे पर ही था।

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ ग्वालियर पर अधिकार करने में तात्या टोपे का बड़ा योगदान रहा। रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु के पश्चात् तात्या टोपे ने निरन्तर गुरिल्ला युद्ध के माध्यम से मध्य भारत और बुन्देलखण्ड में अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दी। अंग्रेजों ने तात्या टोपे को बन्दी बनाने के लिए कुटिलता और विश्वासघात की नीति का पालन किया। अन्ततः तात्या टोपे को आरौन (जिला गुना) के जंगल में विश्राम करते समय बन्दी बनाया गया। अंग्रेजों ने 18 अप्रैल, 1859 को तात्या को फाँसी दे दी।

(ख) रानी लक्ष्मीबाई
अंग्रेजों ने 1854 में झाँसी के राजा गंगाधर राव की मृत्यु के पश्चात् उनकी रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को झाँसी की गद्दी का उत्तराधिकारी मानने से इन्कार कर दिया तथा झाँसी का अंग्रेजी साम्राज्य में विलय कर लिया। इसका विरोध करते हुए रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश सेना से जबरदस्त टक्कर ली। सर ह्यूरोज द्वारा पराजित होने पर वह कालपी आयीं व तात्या टोपे की मदद से ग्वालियर पर अधिकार किया। अंग्रेज सेनापति एरोज ने ग्वालियर आकर किले को घेर लिया। 17 जून, 1858 को झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई बड़ी वीरता से सैनिक वेश में संघर्ष करती हुई वीरगति को प्राप्त हुईं। उनकी वीरता की गाथाएँ आज भी देशवासियों को प्रेरित करती हैं।

(ग) नाना साहब
नाना साहब प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के महत्वपूर्ण नेता थे। नाना साहब भूतपूर्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे और बिठूर में निवास करते थे। पेशवा की मृत्यु के उपरान्त लॉर्ड डलहौजी ने नाना साहब को पेंशन एवं उपाधि देने से वंचित कर दिया था। अत: नाना ने अपने विश्वासपात्र सैनिकों की सहायता से अंग्रेजों को कानपुर से निकाल दिया और स्वयं को पेशवा घोषित कर दिया। तात्या टोपे और अजीमुल्लाह नाना साहब के विश्वासपात्र सेनानायक थे।

(घ) हजरत महल
बेगम हजरत महल अवध के नवाब की विधवा थीं। संग्राम आरम्भ होने पर 4 जून, 1857 को अवध की बेगम ने संग्राम को प्रोत्साहन दिया और उसका संचालन किया। उन्होंने अपने युवा पुत्र विराजिस कादर को अवध का नवाब घोषित कर दिया तथा लखनऊ स्थिति ब्रिटिश रेजीडेन्सी पर आक्रमण किया। बेगम हजरत महल ने शाहजहाँपुर में भी संग्राम का नेतृत्व किया। पराजित होने के पश्चात् बेगम सुरक्षा की दृष्टि से नेपाल चली गयीं।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना हुई थी
(i) 1705 ई.
(ii) 1600 ई. में
(iii) 1800 ई.
(iv) 1830 ई में।
उत्तर:
(ii) 1600 ई. में

प्रश्न 2.
मंगल पाण्डे को फाँसी दी गयी –
(i) 8 अप्रैल, 1857
(ii) 5 अक्टूबर, 1856
(iii) 18 अप्रैल, 1860
(iv) 10 अक्टूबर. 1858
उत्तर:
(i) 8 अप्रैल, 1857

प्रश्न 3.
अंग्रेजों ने बहादुरशाह को बन्दी बनाकर भेजा
(i) ब्रिटेन
(ii) अफगानिस्तान
(iii) भूटान
(iv) रंगून (बर्मा)।
उत्तर:
(iv) रंगून (बर्मा)।

प्रश्न 4.
कानपुर में आन्दोलन शुरु किया था – (2018)
(i) रानी लक्ष्मीबाई ने
(ii) तात्या टोपे ने
(iii) नाना साहब ने
(iv) बहादुरशाह ने।
उत्तर:
(iii) नाना साहब ने

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. नाना साहब का निवास …………… में था।
  2. 1857 ई. की क्रान्ति में मध्य प्रदेश के दो नेताओं के नाम …………… थे।

उत्तर:

  1. बिठूर
  2. रानी लक्ष्मीबाई एवं झलकारी बाई।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
1857 ई. की क्रान्ति के व्यापक प्रचार में मुख्यतया भारतीय सैनिकों की भूमिका रही।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
1857 ई. की क्रान्ति का तात्कालिक कारण ‘हड़प नीति’ थी।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
जन आन्दोलन तथा सामूहिक आन्दोलन 1857 ई. की ही क्रान्ति थी।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
1857 ई. की क्रान्ति प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम थी।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
1857 की क्रान्ति के प्रमुख केन्द्र बैरकपुर, मेरठ, दिल्ली, कानपुर, झाँसी आदि थे।
उत्तर:
सत्य।

जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 10th Social Science Solutions Chapter 7 1857 का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम 2
उत्तर

  1. → (ग)
  2. → (क)
  3. → (ख)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. 1857 ई. के संग्राम के समय भारत के गवर्नर जनरल कौन थे ? (2010)
  2. 1857 ई. की क्रान्ति का तात्कालिक कारण क्या था ? (2015)
  3. 1857 ई. की क्रान्ति कब और कहाँ से प्रारम्भ हुई थी ?
  4. 1857 ई. की क्रान्ति की पूर्व निश्चित तिथि क्या थी ?
  5. 1857 ई. की क्रान्ति के क्या प्रतीक थे?

उत्तर:

  1. कैनिंग
  2. चर्बी लगे कारतूसों के प्रयोग के लिए सैनिकों को बाध्य करना
  3. 29 मार्च, 1857 में बैरकपुर छावनी से
  4. 31 मई, 1857
  5. कमल का फूल और रोटी।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हड़प नीति क्या थी ?
उत्तर:
इसे विलय नीति भी कहा जाता है। लार्ड डलहौजी द्वारा कम्पनी के अधीन देशी राज्यों के सन्तानहीन शासकों को गोद लेने के अधिकार से वंचित कर उनके राज्य को हड़प लेना ही हड़प नीति थी।

प्रश्न 2.
सहायक सन्धि व्यवस्था क्या थी ? इसको किसने लागू किया था ? (2017)
उत्तर:
भारत के गवर्नर जनरल वेलेजली द्वारा लागू व्यवस्था को सहायक सन्धि व्यवस्था कहा जाता है। इस व्यवस्था को जो भारतीय नरेश स्वीकार करते थे, उन्हें अंग्रेजों के संरक्षण में रहकर कार्य करना पड़ता था।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 ई. की क्रान्ति के राजनीतिक कारण संक्षेप में बताइए। (2009)
उत्तर:
1857 ई. के स्वतन्त्रता संग्राम के राजनीतिक कारण निम्नलिखित थे –
(1) लार्ड डलहौजी की अपहरण (हड़प) नीति-इतिहासकारों के मत में 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का प्रमुख राजनीतिक कारण लॉर्ड डलहौजी का अपहरण नीति थी। उसकी अपहरण नीति के परिणामस्वरूप अनेक रियासतें ब्रिटिश साम्राज्य का एक अंग बन गयी थीं। इन समस्त रियासतों के शासक लॉर्ड डलहौजी की नीतियों के कारण ब्रिटिश साम्राज्य के प्रबल विरोधी हो गये।

(2) बहादुरशाह का अपमान तथा अन्याय-अंग्रेजों ने दिल्ली के मुगल शासक बहादरशाह के साथ अन्याय किया तथा उसे भेंट देना बन्द कर दिया। कम्पनी के नौकर भी बहादुरशाह का अपमान करते रहते थे।

(3) दोषपूर्ण प्रशासनिक नीतियाँ-अंग्रेजों ने महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों से यथासम्भव भारतीयों को दूर रखा। साथ-ही-साथ समान पर पर भी अंग्रेजों तथा भारतीय के वेतनों में पर्याप्त असमानता थी। पदोन्नति भारतीयों को देर से तथा कम मिलती थी, जबकि अंग्रेजों को शीघ्र तथा अधिक मिलती थी। इस प्रकार की भेद-भावना ने भारतवासियों के मन में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध असन्तोष को भावना उत्पन्न कर दी थी।

प्रश्न 2.
“लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का मूल कारण नहीं थी परन्तु यह असन्तोष का गौण कारण अवश्य थी।” स्पष्ट कीजिए।
अथवा
लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा पद्धति एवं संस्कृति पर आक्रमण था। वह पूर्वाग्रहों से प्रेरित था और देशी भाषाओं में शिक्षा दिये जाने का विरोधी था। मैकाले अंग्रेजों को सबसे उच्च नस्ल एवं अंग्रेजी भाषा को सर्वोत्तम मानता था और इसीलिए उसने अंग्रेजी भाषा और पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान के अध्ययन को प्रोत्साहित किया। परन्तु इस समय मैकाले का उद्देश्य अंग्रेजी शिक्षा का ज्ञान देकर ब्रिटिश राज्य के हितों की रक्षा करना था और ऐसे व्यक्ति तैयार करना था जो अंग्रेजों को शासन में मदद कर सकें। मैकाले प्रजातीय अहंकार से परिपूर्ण था इसका उदाहरण यह है कि उनकी अनुशंसा पर सरकार ने प्राच्य भाषाओं की पुस्तकों के मुद्रण और अनुवाद पर प्रतिबन्ध लगा दिया। प्राच्य भाषा के समर्थकों ने अंग्रेजी शिक्षा नीति को अपनी भाषा, परम्परा एवं संस्कृति पर आक्रमण मानकर इसका विरोध किया। यद्यपि यह कारण 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम का मूल कारण नहीं था परन्तु यह असन्तोष का गौण कारण अवश्य था।

प्रश्न 3.
1857 ई. की क्रान्ति के लिए आर्थिक कारण लिखिए।
उत्तर:
आर्थिक कारण – अंग्रेजों के निरन्तर आर्थिक शोषण ने भारतीयों में असन्तोष की भावना उत्पन्न की। अंग्रेजों ने भारतीय व्यापार, वाणिज्य तथा उद्योग-धन्धों को तो आघात पहुँचाया ही, साथ ही अपनी भूमि-सम्बन्धी नीतियों से भारतीय किसानों को भुखमरी के कगार पर खड़ा कर दिया। जमींदारों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया गया। उनके अनेक अधिकार छीन लिये गये। परिणामस्वरूप वे भी ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध हो गये। कम्पनी की आर्थिक नीति ने भारतीय गृह-उद्योगों को पूर्णतया नष्ट कर दिया। देश के व्यापार पर भी अंग्रेजों ने पूर्णतया अपना अधिकार स्थापित कर भारतीय व्यापारियों को भी अपना विरोधी बना लिया था।

प्रश्न 4.
सन् 1857 ई. की क्रान्ति में मंगल पाण्डे की क्या भूमिका रही ?
उत्तर:
मंगल पाण्डे – मंगल पाण्डे एक सैनिक थे, जो बैरकपुर (बंगाल) स्थित छावनी में नियुक्त थे। 29 मार्च, 1857 को इस सैनिक ने चर्बी युक्त कारतूसों को मुँह से काटने से स्पष्ट मना कर दिया व क्रोध में आकर अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर दी। फलस्वरूप उन्हें बन्दी बनाकर 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दे दी गयी। मंगल पाण्डे का बलिदान इस विद्रोह की पहली आहुति थी।

प्रश्न 5.
बहादुरशाह जफर का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
बहादुरशाह जफर – बहादरशाह जफर मुगल साम्राज्य के अन्तिम बादशाह थे। 10 मई, 1857 ई. को मेरठ की सैन्य छावनी के सिपाहियों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संग्राम आरम्भ कर दिल्ली जीतकर सत्ता के नए प्रतीक के रूप में बहादुरशाह जफर को भारत का सम्राट घोषित कर दिया। वृद्धावस्था के बावजूद बहादुरशाह में व्याप्त भक्ति की भावना ने क्रान्तिकारियों में भी आशा का संचार किया। दिल्ली र्को समाचारों के कारण क्रान्ति का विस्तार अनक स्थानों पर हुआ। इससे घबराकर लॉर्ड कैनिंग ने दिल्ली से ही क्रान्ति दमन का निश्चय किया। बहादुरशाह ने वीरतापूर्वक अंग्रेजों से युद्ध किया किन्तु वह पराजित हुआ। अंग्रेजों ने बहादुरशाह को बन्दी बनाकर रंगून (बर्मा) भेज दिया जहाँ 1862 में बहादुरशाह जफर का निधन हो गया।

MP Board Class 10th Social Science Chapter 7 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सन् 1857 की क्रान्ति के क्या परिणाम हुए ? समझाइए। (2009)
उत्तर:
परिणाम-1857 का विद्रोह भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। यह एक महत्वपूर्ण परिवर्तनशील बिन्दु था। इसके बड़े दूरगामी परिणाम निकले। संक्षेप में, इस विद्रोह के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित थे –

(1) कम्पनी राज्य समाप्त – विद्रोह के कारण ब्रिटिश सरकार ने कम्पनी के बार-बार विरोध करने के बावजूद कम्पनी के शासन का अन्त कर दिया। भारत के अच्छे शासन के लिए 1858 ई. में भारत शासन अधिनियम पारित हुआ और भारत का शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन के हाथ में चला गया।

(2) भारतीय सेना का पुनर्गठन – विद्रोह के परिणामस्वरूप सेना का पुनर्गठन हुआ। भारतीय सैनिकों की संख्या घटा दी गयी। महत्त्वपूर्ण स्थानों पर अंग्रेजी सैनिक रखे गये। उच्च सैनिक पद भारतीयों के लिए बन्द कर दिए गए।

(3) प्रतिक्रियावादी तत्व सक्रिय – ब्रिटिश व्यापारिक नीति के फलस्वरूप देश के अधिकांश उद्योग-धन्धे नष्ट हो चुके थे। नयी शिक्षा-पद्धति के कारण बेरोजगारी की समस्या बढ़ने लगी। सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ी, जिससे नैतिक पतन तथा संघर्ष बढ़ा। इस प्रकार, समाज में अनेक प्रतिक्रियावादी तत्व सक्रिय हो गये।

(4) अंग्रेजों के प्रति कटुता – 1857 की क्रान्ति के परिणामस्वरूप अंग्रेजों तथा भारतीयों में पारस्परिक कटुता तथा घृणा की भावना इतनी बढ़ गयी कि वे एक-दूसरे के निकट सम्पर्क में नहीं आ सके। भारतीयों के बीच यह भावना घर कर गयी कि अंग्रेज उनका शोषण कर रहे हैं।

(5) भारतीयों को लाभ – इस क्रान्ति के अनेक दुष्परिणाम निकले, पर इससे भारतीयों को अनेक लाभ भी हुए। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत की आन्तरिक दशा को सुधारने की ओर ध्यान दिया। क्रान्ति की विफलता से भारतीयों को अपनी भूल का एहसास हुआ। यह स्पष्ट हो गया कि कोई क्रान्ति राष्ट्रीयता के अभाव में सफल नहीं हो सकती। अतः 1857 ई. की क्रान्ति से भारतीयों को राष्ट्रीयता के आधार पर संगठित तथा एकमत होने की प्रेरणा मिली तथा इसी भावना के आधार पर राष्ट्रीय आन्दोलन की पृष्ठभूमि तैयार की गयी।

प्रश्न 2.
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की प्रमुख घटनाएँ

क्रान्ति की प्रथम चिंगारी बैरकपुर (बंगाल) में प्रज्वलित हुई परन्तु क्रान्ति का प्रारम्भ 10 मई से माना जाता है क्योंकि क्रान्तिकारियों ने इसी घटना के बाद सुनियोजित रूप से ब्रिटिश सत्ता को चुनौती देने का कार्य आरम्भ किया।

दिल्ली की क्रान्ति का समाचार शीघ्र ही आग की भाँति चारों ओर फैल गया। अवध, कानपुर, रुहेलखण्ड, अलीगढ़, मथुरा, आगरा, बदायूँ, बिहार के अधिकांश भागों, राजस्थान की नसीराबाद सैनिक छावनी, कोटा, जोधपुर आदि नगरों तथा मध्य प्रदेश के इन्दौर, नीमच और ग्वालियर की सैनिक छावनियों में सैनिकों ने क्रान्ति आरम्भ कर दी। किसानों और दस्तकारों ने जो अत्याचार और शोषण का शिकार थे, संग्राम में खुलकर भाग लिया।

बिहार में क्रान्तिकारियों का नेतृत्व कुंवर सिंह ने किया। दिल्ली में क्रान्ति का नेतृत्व मुगल बादशाह के सेनापति बख्त खाँ ने किया। कानपुर में क्रान्तिकारियों ने नाना साहब को पेशवा घोषित किया और अजीमुल्ला उसका मुख्य सलाहकार बना। नाना साहब के सैनिकों का नेतृत्व तात्या टोपे ने किया। झाँसी में दिवंगत राजा की विधवा रानी लक्ष्मीबाई ने सैनिकों का नेतृत्व किया।

सम्पूर्ण क्रान्ति के दौरान हिन्दू और मुसलमान कन्धे से कन्धा मिलाकर लड़े। अंग्रेजों ने हिन्दुओं और मुसलमानो को एक-दूसरे के विरुद्ध उकसाने के अनेक प्रयास किए, परन्तु ऐसे सारे प्रयास व्यर्थ सिद्ध हुए।

संग्राम का स्वरूप इतना व्यापक होने के उपरान्त भी एक वर्ष से कुछ अधिक समय बाद ही इसे कुचल दिया गया। सितम्बर 1857 में अंग्रेजों ने दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया। 1858 में लखनऊ पर ब्रिटिश सैनिकों का कब्जा हो गया, किन्तु बेगम हजरत महल ने समर्पण करने से मना कर दिया। रानी लक्ष्मीबाई ने तात्या टोपे की मदद से ग्वालियर पर अधिकार कर लिया परन्तु अन्तत: 17 जून, 1858 में लड़ते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुईं। अप्रैल 1858 में गम्भीर रूप से घायल होने के बाद कुँवर सिंह की मृत्यु हो गयी। तात्या टोपे राजस्थान और मध्य प्रदेश में अंग्रेजों से गुरिल्ला युद्ध पद्धति से संघर्ष करते रहे। तात्या टोपे को धोखे से अंग्रेजों द्वारा बन्दी बनाकर शिवपुरी में फाँसी दे दी गयी।

1857 का संग्राम अंग्रेजों द्वारा कुचल दिया गया परन्तु अंग्रेजों को सैनिकों के साथ-साथ नागरिकों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था। अत: अंग्रेजी फौजों ने संग्राम के दमन के लिए गाँव के गाँव जला दिये तथा लोगों को भयभीत करने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर बन्दियों को फाँसी देने की व्यवस्था की। इतिहासकारों का मत है कि इस संग्राम में लगभग तीन लाख नागरिक मारे गए।

प्रश्न 3.
सन् 1857 की क्रान्ति के कारणों का वर्णन कीजिए। (2016)
अथवा
1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के उत्तरदायी चार कारण लिखिए। (2012)
उत्तर:
1857 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सबसे बड़ा सशस्त्र विद्रोह हुआ जिसने ब्रिटिश शासन की नींव को हिला दिया। इस विद्रोह के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे –
(1) राजनीतिक कारण-इस विद्रोह के अधिकांश राजनीतिक कारणों के लिए लॉर्ड डलहौजी उत्तरदायी था। उसकी उग्र-साम्राज्यवादी नीति तथा छोटे-छोटे राज्यों को हड़पने के विभिन्न सिद्धान्तों ने भारतीय राजपरिवारों में घोर असन्तोष उत्पन्न कर दिया था।

(2) सामाजिक कारण-अंग्रेजों द्वारा सती-प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाकर, धर्म-परिवर्तन को प्रोत्साहित करके, परम्परागत उत्तराधिकार के नियम में संशोधन करके भारतीयों की सामाजिक, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई गयी। इसने भी 1857 ई. की क्रान्ति लाने में सहयोग दिया।

(3) आर्थिक कारण-1857 के विद्रोह में राजनीतिक कारणों की तरह ही आर्थिक कारण भी प्रबल थे। अंग्रेजों की नीति ने भारतीय किसानों को उजाड़ दिया, शिल्पकारों व दस्तकारों को बेकार बना दिया, व्यापारियों को चौपट कर दिया तथा जमींदारियाँ समाप्त कर दीं। भारत का धन बाहर जाने लगा और इस तरह शासन के खिलाफ व्यापक आर्थिक असन्तोष उत्पन्न कर दिया।

(4) सैनिक कारण-कम्पनी के सैनिकों में भारतीय सैनिकों की संख्या दो लाख तेतीस हजार थी, जबकि ब्रिटिश सैनिक केवल 35 हजार थे। इस प्रकार भारतीय सैनिक ब्रिटिश साम्राज्य के स्तम्भ थे, परन्तु वेतन-भत्ते ब्रिटिश सैनिकों से कम थे। अंग्रेज अधिकारी भारतीय सैनिकों के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते थे।

(5) तात्कालिक कारण-इस समय सरकार ने ‘एनफील्ड रायफल’ नामक एकनली बन्दूक सेना के व्यवहार के लिए चालू की। इसके कारतूसों में सूअर तथा गाय की चर्बी होती थी। इससे भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया।