MP Board Class 10th Hindi Navneet Solutions गद्य Chapter 7 सच्चा धर्म (एकांकी, सेठ गोविन्ददास)
सच्चा धर्म अभ्यास
बोध प्रश्न
सच्चा धर्म अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पुरुषोत्तम कौन है?
उत्तर:
पुरुषोत्तम दिल्ली में रहने वाला एक महाराष्ट्रियन ब्राह्मण है।
प्रश्न 2.
शिवाजी के पुत्र का क्या नाम था?
उत्तर:
शिवाजी के पुत्र का नाम संभाजी था।
प्रश्न 3.
शास्त्रों में किसकी व्याख्या बड़ी बारीकी से की गई है?
उत्तर:
शास्त्रों में सत्य और असत्य की व्याख्या बड़ी बारीकी से की गई है।
प्रश्न 4.
पुरुषोत्तम किस कार्य को दुष्कर्म की संज्ञा देते हैं?
उत्तर:
पुरुषोत्तम शरणागत के बलिदान को दुष्कर्म की संज्ञा देते हैं।
प्रश्न 5.
सत्य का आश्रय छोड़ने का क्या दुष्परिणाम होता है?
उत्तर:
सत्य का आश्रय छोड़ने का यह दुष्परिणाम होता है कि सारा कुल भ्रष्ट हो जाता है। लड़कियाँ कुँआरी रह जाती हैं। लड़कों के शादी-विवाह नहीं होते हैं।
सच्चा धर्म लघु उत्तरीय प्रश्न खालसराव प्रश्न
प्रश्न 1.
सत्य स्वयं ही सारे प्रश्नों का निराकरण कब करता है?
उत्तर:
सत्य का आश्रय लेने पर जीवन में आने वाले सभी प्रश्नों का निराकरण हो जाता है और जब मनुष्य सत्य का आश्रय छोड़ मिथ्या का आसरा लेता है, तभी तरह-तरह के प्रश्न उठ खड़े होते हैं।
प्रश्न 2.
असत्य किन परिस्थितियों में सत्य से बड़ा हो जाता है?
उत्तर:
धर्म की रक्षा यदि असत्य से होती है तो असत्य सत्य से बड़ा हो जाता है।
प्रश्न 3.
पुरुषोत्तम अपने किन गुणों के कारण सबके सम्मान-पात्र थे?
उत्तर:
पुरुषोत्तम जीवन भर सत्यवादी रहे। इसी गुण के कारण औरंगजेब के सदृश यवन बादशाह के राज्य में उनका पूरा सम्मान था।
प्रश्न 4.
सम्भाजी पुरुषोत्तम के आश्रय में कैसे पहुँचे?
उत्तर:
सम्भाजी शिवाजी का पुत्र था। दिल्ली से भागते समय शिवाजी मिठाई की टोकरी में सम्भाजी को पुरुषोत्तम के आश्रय में छोड़ गये थे।
प्रश्न 5.
पुरुषोत्तम की दृष्टि में सबसे बड़ा पातक क्या है?
उत्तर:
पुरुषोत्तम की दृष्टि में सबसे बड़ा पातक विश्वासघात है। शिवाजी अपने पुत्र सम्भाजी को पुरुषोत्तम को सौंपकर गये थे। यदि पुरुषोत्तम सम्भाजी के प्राणों की रक्षा न करता तो यह सबसे बड़ा पातक होता।
प्रश्न 6.
पुरुषोत्तम ने अहिल्या से सत्य और असत्य की क्या व्याख्या की?
उत्तर:
पुरुषोत्तम ने अहिल्या से सत्य और असत्य की व्याख्या करते हुए कहा कि अनेक बार सत्य के स्थान पर मिथ्या भाषण सत्य से भी बड़ी वस्तु होती है। जीवन में धर्म से बड़ी कोई चीज नहीं है, धर्म की रक्षा यदि असत्य से होती है तो असत्य सत्य से बड़ा हो जाता है।
सच्चा धर्म दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पुरुषोत्तम के चरित्र की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
पुरुषोत्तम के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता उनका सत्यवादी होना था। उनकी सत्यप्रियता दिल्ली में प्रसिद्ध थी। इसी कारण यवन तक उनका बहुत आदर करते थे।
प्रश्न 2.
पुरुषोत्तम के समक्ष कौन-सा धर्म संकट उपस्थित हुआ?
उत्तर:
पुरुषोत्तम के समक्ष यह धर्म संकट था कि उन्होंने शिवाजी के कहने पर उनके पुत्र सम्भाजी को अपने घर में रख लिया था। जब औरंगजेब को यह बात पता लगी तो पुरुषोत्तम शरणागत की रक्षा के लिए सम्भाजी को अपना भांजा बताकर उसके प्राणों की रक्षा करने लगे लेकिन सम्भाजी के प्राणों की रक्षा तभी हो सकती थी जब जीवन भर सत्य बोलने वाला पुरुषोत्तम मिथ्या बात (सम्भाजी को अपना भांजा बताना) कहे। अतः पुरुषोत्तम के सामने सत्य बोलना या असत्य बोलना यह धर्म संकट था।
प्रश्न 3.
“दिन भर का भूला-भटका यदि रात को भी घर लौट आये, तो वह भूला नहीं कहलाता”-इस कथन का भाव विस्तार कीजिए।
उत्तर:
अहिल्या अपने पति से बार-बार यह आग्रह करती है कि वह जब जीवनभर मिथ्या नहीं बोले तो शिवाजी के पुत्र सम्भाजी को अपना भांजा बताकर झूठ क्यों बोलना चाहते हैं? फिर वह कहती है कि दिन भर का भूला-भटका कोई आदमी यदि रात को घर लौट आये, तो वह भूला नहीं कहलाता। कहने का भाव यह है कि अहिल्या यह मान लेती है कि पुरुषोत्तम औरंगजेब के दूत दिलावर खाँ के सामने यह बात कह देगा कि सम्भाजी उसका भांजा नहीं है।
प्रश्न 4.
‘सच्चा धर्म’ एकांकी का केन्द्रीय भाव समझाइए।
उत्तर:
‘सच्चा धर्म’ एकांकी का केन्द्रीय भाव इस प्रकार है-
शिवाजी अपने कौशल से औरंगजेब की कारागार से मुक्त होते हैं, तब वे अपने पुत्र सम्भाजी को दिल्ली के एक महाराष्ट्रियन ब्राह्मण पुरुषोत्तम के घर में छिपा देते हैं। इस घटना की भनक औरंगजेब को लगती है, वह इसकी सत्यता के प्रतिपादन हेतु अपने दो सैनिकों को पुरुषोत्तम के पास भेजता है। पुरुषोत्तम की सत्यनिष्ठा के सभी दिल्लीवासी कायल थे। साथ ही उनकी यह प्रतिष्ठा भी थी कि वे किसी अन्य व्यक्ति के साथ बैठकर भोजन नहीं करते हैं।
औरंगजेब के सैनिक पुरुषोत्तम से वचनबद्ध होते हैं कि यदि वे अपने भांजे के साथ एक थाली में भोजन कर लेते हैं तो सैनिक स्वीकार कर लेंगे कि पुरुषोत्तम के यहाँ रहने वाला लड़का सम्भाजी नहीं है।-पुरुषोत्तम की पत्नी अहिल्या अपने पति को सत्य के मार्ग पर चलने की ही प्रेरणा देती पर पुरुषोत्तम की दृष्टि में सम्भाजी शरणागत हैं और उनकी रक्षा का उद्देश्य राष्ट्रीय भावना से अनुप्रेरित है। अतः पुरुषोत्तम इन महान् उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु वैयक्तिक आचार निष्ठा को खण्डित कर युग-धर्म की महत्ता स्थापित करते हैं।
प्रश्न 5.
एकांकी के तत्त्वों के नाम लिखकर ‘सच्चा धर्म’ के संवादों पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
विद्वानों ने एकांकी के निम्नलिखित तत्त्व माने हैं-कथानक, कथोपकथन, पात्र तथा चरित्र-चित्रण, देशकाल एवं वातावरण, उद्देश्य, शीर्षक।
‘सच्चा धर्म’ एकांकी के कथोपकथन या संवाद सारगर्भित तार्किक एवं महत् उद्देश्य के प्रचारक हैं। संवादों से पात्रों के चरित्र-चित्रण पर विशेष प्रभाव पड़ा है। ये संवाद सार्थक एवं कथा को आगे बढ़ाने वाले हैं।
सच्चा धर्म भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर:
- सत्यवादी-पुरुषोत्तम की पूरी दिल्ली में सत्यवादी के रूप में प्रतिष्ठा थी।
- बलिदान-पुरुषोत्तम सत्य बात कहकर सम्भाजी का बलिदान नहीं करना चाहता था।
- दुष्कर्म-शरणागत की रक्षा न करना सबसे बड़ा दुष्कर्म है।
- निस्तब्धता-अहिल्या द्वारा बार-बार पुरुषोत्तम से सत्य कहने की जिद पर पुरुषोत्तम शान्त हो जाता है, फिर चारों ओर निस्तब्धता छा जाती है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम लिखिए
उत्तर:
- शरणागत = शरण + आगत = दीर्घ सन्धि।
- पुरुषोत्तम = पुरुष + उत्तम = गुण सन्धि।
- यज्ञोपवीत = यज्ञ + उपवीत = गुण सन्धि।
प्रश्न 3.
‘क’ स्तम्भ में दिये गये शब्दों का’ख’स्तम्भ में दिये गये शब्दों से सही सम्बन्ध स्थापित कीजिए
उत्तर:
1. → (ii)
2. → (i)
3. → (v)
4. → (iii)
5. → (vi)
6. → (iv)
सच्चा धर्म महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न
सच्चा धर्म बहु-विकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
शिवाजी शम्भाजी को किसके घर में छिपा देते हैं?
(क) रहमान बेग के
(ख) औरंगजेब के
(ग) दिलावर के
(घ) पुरुषोत्तम के।
उत्तर:
(घ) पुरुषोत्तम के।
प्रश्न 2.
‘सच्चा धर्म’ एकांकी का प्रमुख पात्र है
(क) पुरुषोत्तम
(ख) अहिल्या
(ग) शम्भाजी
(घ) विनायक।
उत्तर:
(क) पुरुषोत्तम
प्रश्न 3.
“दिन भर का भूला-भटका यदि रात को भी घर लौट आये तो वह भूला नहीं कहलाता।” यह कथन किसने कहा है?
(क) औरंगजेब ने
(ख) अहिल्या ने
(ग) रहमान बेग ने
(घ) शिवाजी ने।
उत्तर:
(ख) अहिल्या ने
प्रश्न 4.
‘सच्चा धर्म’ एकांकी में लेखक ने अपनी भावना को किन मूल्यों के आधार पर व्यक्त किया है?
(क) व्यक्तिगत मूल्य
(ख) राष्ट्रीय चेतना
(ग) सामाजिक मूल्य
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 5.
“धर्म की रक्षा यदि असत्य से होती है, तो असत्य सत्य से भी बड़ा हो जाता है।” यह कथन किसका है?
(क) पुरुषोत्तम
(ख) शिवाजी
(ग) अहिल्या
(घ) विनायक।
उत्तर:
(क) पुरुषोत्तम
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- पुरुषोत्तम राव किसी अन्य के साथ बैठकर …………….. में भोजन नहीं कर सकता।
- वह लड़का पुरुषोत्तम का ……………… जैसा नहीं दिखता।
- ठीक है, उचित समय पर ……………… ने तुम्हें सुबुद्धि दी।
- अपने कर्तव्य का पालन ही सबसे ………….. है।
- अब आपको विश्वास हुआ या नहीं कि …………… मेरा भांजा है।
उत्तर:
- एक ही थाली
- भांजा
- भगवान
- बड़ा धर्म
- विनायक।
सत्य/असत्य
- ‘सच्चा धर्म’ एकांकी के लेखक सेठ गोविन्ददास हैं।
- पुरुषोत्तम व्यक्तिगत धर्म को महत्त्व प्रदान करता है, अतः उसी का पालन करता है।
- यदि धर्म की रक्षा असत्य से होती है,तो असत्य सत्य से बड़ा हो जाता है।
- पुरुषोत्तम अपनी पत्नी अहिल्या की बात मानता है।
- पुरुषोत्तम औरंगजेब से उपहार पाने की प्रबल इच्छा रखता है।
उत्तर:
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- असत्य।
सही जोड़ी मिलाइए
उत्तर:
1.→ (घ)
2. → (क)
3. → (ङ)
4. → (ग)
5. → (ख)
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- ‘सच्चा धर्म’ एकांकी के मुख्य पात्र का नाम लिखिए।
- शिवाजी के पुत्र का क्या नाम था? (2011)
- पुरुषोत्तम के घर पर शम्भाजी किस नाम से रहते हैं?
- ‘सच्चा धर्म’ एकांकी में पुरुषोत्तम की पत्नी का क्या नाम था?(2011)
- शास्त्रों में किसकी व्याख्या बड़ी बारीकी से की गई है?
उत्तर:
- पुरुषोत्तम
- शम्भाजी
- विनायक
- अहिल्या
- सत्य और असत्य की।
सच्चा धर्म पाठ सारांश
‘सच्चा धर्म’ एकांकी सेठ गोविन्ददास द्वारा रचित एक ऐतिहासिक एकांकी है। यह एकांकी मुगलकालीन इतिहास की पृष्ठभूमि पर आधारित है। इस एकांकी में तीन दृश्य हैं।
एकांकी का प्रारम्भ एक महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण पुरुषोत्तम के घर से होता है। पुरुषोत्तम सत्यवादी एवं कर्त्तव्यशील ब्राह्मण हैं लेकिन आज वे असमंजस की स्थिति में हैं क्योंकि शम्भाजी पुरुषोत्तम के घर उनके भांजे बनकर ‘विनायक’ नाम से रह रहे हैं लेकिन वे वास्तव में शिवाजी के पुत्र हैं।
औरंगजेब के गुप्तचर उन्हें ढूँढ़ते हुए घूम रहे हैं। उनकी पत्नी अहिल्या उनसे कहती है कि तुम औरंगजेब को सच बता दो लेकिन पुरुषोत्तम का कथन है कि शरण में आये व्यक्ति की रक्षा करना उनका परम धर्म है। मैं विश्वासघात नहीं कर सकता।
दिलावर खाँ जो कि गुप्तचर विभाग का सरदार है.वह उनके समक्ष यह शर्त रखता है कि यदि विनायक और पुरुषोत्तम एक ही थाली में भोजन कर लें तब ही वह उसे पुरुषोत्तम का भांजा मानेगा। अहिल्या पुरुषोत्तम से कहती है कि एक अब्राह्मण के साथ यदि भोजन करोगे तो तुम्हारा धर्म संकट में पड़ जायेगा। पुरुषोत्तम बड़ी उलझन में है कि क्या करे।
तभी दिलावर खाँ और रहमान बेग आपस में बात करते हुए आते हैं। वे पुरुषोत्तम की सत्यवादिता एवं कर्मनिष्ठा की प्रशंसा करते हैं और कहते हैं कि यदि पुरुषोत्तम ने विनायक के साथ भोजन कर लिया तो वह शम्भाजी को उनका भांजा मान लेगा।
जब दिलावर खाँ पण्डित जी को लेकर पुरुषोत्तम के घर पहुँचते हैं तब वे बहुत परेशान होते हैं कि क्या करें ? उनकी पत्नी बार-बार सच बोलने को प्रेरित करती है परन्तु पुरुषोत्तम को कर्तव्यपालन की भावना पहले दिखायी देती है। अतः वे विनायक के साथ एक ही थाली में भोजन परोसकर लाते हैं। इसके बाद पुरुषोत्तम विनायक के साथ भोजन करके सिद्ध कर देते हैं कि वह उनका भांजा है।
इस प्रकार दिलावर खाँ का शक दूर हो जाता है और वह बहुत शर्मिन्दा होता है। अन्त में,लेखक ने यह बता दिया कि व्यक्तिगत धर्म की अपेक्षा राष्ट्र धर्म ही सच्चा धर्म है। अतः राष्ट्र के हित के लिए यदि धर्म त्यागना भी पड़े तो अनुचित नहीं है।
सच्चा धर्म संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या
(1) कम-से-कम तुम सदृश सत्यवादी-व्यक्ति के लिए तो ऐसे प्रश्नों में असाधारणता नहीं होनी चाहिए। जन्म भर तुम्हारा सत्यव्रत अटल रहा। तुम सदा कहते रहे हो कि जीवन में यदि मनुष्य एक सत्य का आश्रय लिये रहे तो वह सत्य स्वयं ही सारे प्रश्नों का निराकरण कर देता है। पर जब मनुष्य सत्य का आश्रय छोड़ मिथ्या का आसरा लेता है, तभी तरह-तरह के प्रश्न उठ खड़े होते हैं।
कठिन शब्दार्थ :
सदृश = समान। अटल = न टलने वाला। आश्रय = सहारा। निराकरण = समाधान।
सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश ‘सच्चा धर्म’ एकांकी से लिया गया है। इसके लेखक सेठ गोविन्द दास जी हैं।
प्रसंग :
इसमें पुरुषोत्तम पण्डित की पत्नी अहिल्या अपने। पति को सत्य व्रत की याद दिलाते हुए उसको न त्यागने की बात कहती है।
व्याख्या :
पुरुषोत्तम की पत्नी अहिल्या अपने पति से कहती है कि कम-से-कम तुम जैसे सत्यवादी व्यक्ति को तो इस प्रकार के प्रश्नों ‘कि मैं सत्य बोलें या धर्म की रक्षा करूँ’ पर विशेष चिन्तित नहीं होना चाहिए। जीवन भर तुमने सत्य के व्रत को पाला है। तुम्ही यह कहा करते थे कि यदि मनुष्य सत्य का आश्रय लिए रहे तो वह सत्य स्वयं ही सारे प्रश्नों का समाधान कर देता है। लेकिन जब मनुष्य सत्य का सहारा छोड़कर झूठ का सहारा लेता है, तभी उसके सामने तरह-तरह के प्रश्न उठ खड़े होते हैं।
विशेष :
- अहिल्या अपने पति को सत्य का मार्ग न त्यागने की सलाह देती है।
- भाषा सहज एवं सरल है।
(2) तुम्हारी सत्यप्रियता अधिकांश दिल्ली में प्रसिद्ध है। इसी कारण यवन तक तुम्हारा आदर करते हैं। हमारे विवाह को चालीस वर्ष हो चुके परन्तु आज तक मैंने तुम्हारे मुख से कोई मिथ्या वाक्य क्या, मिथ्या शब्द ही नहीं, मिथ्या अक्षर तक नही सुना। वहीं आज तुम बड़ी मिथ्या बात कहकर उसे साधारण सत्य भाषण से बड़ा कह रहे हो।
कठिन शब्दार्थ :
अधिकांश = अधिक भाग में। यवन = मुस्लिम, मुगल। मिथ्या = झूठ।
सन्दर्भ :
पूर्ववत्।
प्रसंग :
पुरुषोत्तम की पत्नी अहिल्या पुरुषोत्तम की सत्यनिष्ठा से प्राप्त हुई प्रतिष्ठा की याद दिलाते हुए कहती है।
व्याख्या :
अहिल्या पुरुषोत्तम से कहती है कि आपकी सत्य-प्रियता दिल्ली के अधिकतर भागों में जानी-पहचानी जाती है और सम्भवतः इसी कारण सब लोग आपका आदर भी करते हैं। मेरे और तुम्हारे विवाह को चालीस वर्ष का समय बीत चुका है पर मैंने आज तक तुम्हारे मुँह से कोई वाक्य, कोई शब्द और यहाँ तक कि कोई मिथ्या अक्षर भी नहीं सुना है और तुम्ही आज एक झूठी बात कहकर कि सम्भाजी तुम्हारा भांजा है, उसे साधारण सत्य भाषण से बड़ा बता रहे हो।
विशेष :
- अहिल्या अपने पति को सत्यव्रत पर ही डटे रहने की सलाह देती है।
- भाषा सहज एवं सरल है।
(3) अहिल्या, शास्त्रों में सत्य और असत्य की व्याख्या बड़ी बारीकी से की गई है। अनेक बार सत्य के स्थान पर मिथ्या भाषण सत्य से भी बड़ी वस्तु होती है। जीवन में धर्म से बड़ी कोई चीज नहीं है। धर्म की रक्षा यदि असत्य से होती है, तो असत्य सत्य से बड़ा हो जाता है।
कठिन शब्दार्थ :
बारीकी से = सूक्ष्मता से, गहराई से। मिथ्या = झूठा, असत्य।
सन्दर्भ :
पूर्ववत्।
प्रसंग :
इस अवतरण में पुरुषोत्तम अपनी पत्नी को समझाते हुए कह रहे हैं कि धर्म की रक्षा हेतु यदि असत्य भी बोला जाये तो वह सत्य से भी बड़ा होता है।
व्याख्या :
पुरुषोत्तम अहिल्या से कह रहे हैं कि शास्त्रों में सत्य और असत्य की व्याख्या बड़ी बारीकी से अर्थात् सूक्ष्मता से की गई है। अनेक बार सत्य के स्थान पर मिथ्या भाषण करना पड़ता है पर यह मिथ्या भाषण सत्य से भी बढ़कर होता है। मनुष्य के जीवन में धर्म ही सबसे बढ़कर है उसके सामने अन्य चीजें तुच्छ हैं। धर्म की रक्षा यदि असत्य से होती है तो वह असत्य सत्य से बड़ा हो जाता है।
विशेष :
- लेखक की मान्यता है पुरुषोत्तम के शब्दों में कि धर्म की रक्षा हेतु असत्य भाषण भी सत्य से बड़ा होता है।
- भाषा सहज एवं सरल है।