MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 10 मध्यकालीन भारत

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 10 मध्यकालीन भारत

MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
महमूद गजनवी कहाँ का शासक था?
(i) मुल्तान
(ii) मुहम्मद गौरी
(iii) बहमनी
(iv) मुहम्मद तुगलक।
उत्तर:
(ii) मुहम्मद गौरी

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प्रश्न 2.
गुलाम वंश का संस्थापक कौन था? (2008,09)
(i) इल्तुतमिश
(ii) गजनी
(iii) कुतुबुद्दीन ऐबक
(iv) ईराक।
उत्तर:
(iii) कुतुबुद्दीन ऐबक

प्रश्न 3.
सन् 1266 ई. में दिल्ली सल्तनत की सत्ता किसने सँभाली?
(i) इल्तुतमिश
(ii) रजिया
(iii) कुतुबुद्दीन ऐबक
(iv) बलबन।
उत्तर:
(iv) बलबन।

प्रश्न 4.
तराइन के प्रथम युद्ध में गौरी को किसने घायल किया?
(i) पृथ्वीराज
(ii) कृष्णराय
(iii) गोविन्दराज
(iv) दीपकराज।
उत्तर:
(i) पृथ्वीराज

प्रश्न 5.
हरिहर-बुक्का ने किस नगर की स्थापना की?
(i) बहमनी साम्राज्य
(ii) विजय नगर साम्राज्य
(iii) दिल्ली सल्तनत
(iv) मोहम्मद नगर।
उत्तर:
(ii) विजय नगर साम्राज्य

प्रश्न 6.
अफजल खाँ का वध किसने किया?
(i) शिवाजी
(ii) राजाराम
(iii) शाहू
(iv) ताराबाई।
उत्तर:
(i) शिवाजी

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. प्राचीन चोल शासकों का वर्णन …………. में किया गया है।
  2. परमार वंश का संस्थापक …………. था। (2018)
  3. महमूद गजनवी ने भारत पर कुल ………… बार आक्रमण किये।
  4. बलवन ने शासन संचालन के लिये ……….. नीति का अनुसरण किया था।

उत्तर:

  1. संगम साहित्य
  2. उपेन्द्रराज
  3. 17
  4. लौह और रक्त।

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सत्य असत्य

प्रश्न 1.
शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई था।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
हल्दीघाटी का युद्ध अकबर और रानी दुर्गावती के बीच हुआ था।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
जहाँगीर के बाद शाहजहाँ सम्राट बना।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
हुमायूँ बाबर का बड़ा पुत्र था।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
कृष्णदेव राय ने जांबवती कल्याण ग्रन्थ की रचना की थी।
उत्तर:
सत्य।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
महमूद गजनवी ने भारत पर कितने आक्रमण किये?
उत्तर:
महमूद गजनवी ने भारत पर कुल 17 बार आक्रमण किये।

प्रश्न 2.
भारत में मुगल साम्राज्य की नींव किसने डाली थी?
अथवा
भारत में मुगल साम्राज्य की नींव किसने और किस परिस्थिति में डाली ? (2010)
उत्तर:
भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखने वाला बाबर था जो मध्य एशिया के राज्य फरगाना के शासक का पुत्र एवं तैमूर का वंशज था। बाबर के आक्रमण के समय उत्तरी-दक्षिणी भारत में राजनीतिक अस्थिरता थी। आपसी फूट, संघर्ष एवं षडयंत्र का बोलबाला था। इस राजनीतिक अव्यवस्था का बाबर ने पूरा लाभ उठाया।

प्रश्न 3.
विजयनगर की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
विजयनगर की स्थापना का श्रेय हरिहर तथा बुक्का नामक दो भाइयों को दिया जाता है।

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प्रश्न 4.
बहमनी साम्राज्य का संस्थापक कौन था?
उत्तर:
बहमनी राज्य की स्थापना हसन जफर खाँ (बहमनशाह) ने 1347 ई. में की थी।

प्रश्न 5.
दीन-ए-इलाही धर्म किसने चलाया था?
उत्तर:
अकबर ने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक धर्म का प्रचलन किया था। ‘दीन’ का अर्थ है-धर्म तथा ‘इलाही’ का अर्थ है-ईश्वर। इस प्रकार दीन-ए-इलाही का अर्थ हुआ ‘ईश्वर का धर्म’।

प्रश्न 6.
गुरु गोविन्दसिंह कौन थे?
उत्तर:
गुरु गोविन्दसिंह सिक्खों के दसवें एवं अन्तिम गुरु थे। इन्होंने 1699 ई. में खालसा नामक एक संगठन की स्थापना की थी।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इल्तुतमिश कौन था? उसने कठिनाइयों पर कैसे विजय प्राप्त की ? (2008, 09)
उत्तर:
इल्तुतमिश इलबारी कबीले का तुर्क था। बाल्यकाल में ही उसके ईर्ष्यालु भाइयों ने उसे दास के रूप में जमालुद्दीन नामक व्यापारी के हाथ बेच दिया था। जमालुद्दीन उसको गजनी से दिल्ली लाया। इल्तुतमिश के गुणों से प्रभावित होकर कुतुबुद्दीन ऐबक ने उसे जमालुद्दीन से खरीद लिया। पहले उसे ऐबक ने ग्वालियर का गवर्नर नियुक्त किया तथा कुछ काल के पश्चात् ‘बरन’ का शासक बनाया गया। कुतुबुद्दीन उसके गुणों से पहले ही बहुत प्रभावित हो चुका था। अतः अपनी पुत्री का विवाह उसके साथ कर उसे बदायूँ का सूबेदार नियुक्त कर दिया। कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के पश्चात् इल्तुतमिश आरामशाह को पराजित कर 1211 ई. में दिल्ली का सुल्तान बना। अपनी प्रतिभा तथा योग्यता से उसने लगभग 25 वर्षों तक शासन कर दिल्ली सल्तनत को शक्तिशाली बनाया।

इल्तुतमिश ने अपनी कठिनाइयों का समाधान निम्न प्रकार से किया –

  • चालीस मण्डल का गठन :
    इल्तुतमिश ने अपने विरोधियों का दमन करने के लिए तथा अपनी स्थिति को दृढ़ करने के लिए अपने प्रति निष्ठावान् चालीस अमीरों का दल बनाया तथा उन्हें प्रशासन के मुख्य पदों पर नियुक्त किया।
  • यल्दौज का दमन :
    यल्दौज गजनी का सुल्तान था। इल्तुतमिश ने तराइन के मैदान में यल्दौज से युद्ध कर उसे पराजित किया।
  • कुबाचा का दमन :
    इल्तुतमिश ने 1227 ई. में कुबाचा पर आक्रमण किया तथा उसे पराजित कर अपनी अधीनता में किया।

प्रश्न 2.
अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था क्या थी ? (2008, 09, 13, 15, 18)
उत्तर:
अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियन्त्रण व्यवस्था सैनिक सुधारों से सम्बन्धित थी। इस नीति का प्रमुख उद्देश्य था ऐसी बाजार व्यवस्था करना जिससे कम वेतन पर भी सैनिक सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें। इस व्यवस्था का लाभ दिल्ली की जनता को भी मिला। अलाउद्दीन ने राशनिंग व्यवस्था भी क्रियान्वित की थी। मौसम के अचानक परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए उसने शासकीय अन्न भण्डार बनाये थे। उसने वस्तुओं के मूल्यों का निर्धारण मनमाने ढंग से न कर उत्पादन लागत के अनुसार करवाया था। बरनी ने अपने ग्रन्थ ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ में बाजार नियन्त्रण व्यवस्था का विस्तृत विवरण व वस्तुओं के मूल्य की सूची दी है।

प्रश्न 3.
तुगलक वंश ने दिल्ली सल्तनत पर कैसे सत्ता स्थापित की ? विवेचना कीजिए। (2009)
उत्तर:
गयासुद्दीन तुगलक, तुगलक वंश का संस्थापक था। अलाउद्दीन खिलजी को मृत्यु के पश्चात् जो अशान्ति फैली इसे वह सह न कर सका। 1320 ई. में वह सिंहासन छीनने वाले नेता नासिरुद्दीन खुसरो को हटाकर दिल्ली का सुल्तान बना। सुल्तान बनने के बाद उसने वारंगल, उड़ीसा और बंगाल के लिए सैनिक अभियान चलाये।

प्रश्न 4.
शेरशाह की शासन व्यवस्था का भारतीय इतिहास में क्या योगदान है? (2009, 10, 12, 16, 18)
उत्तर:
शेरशाह सूरी-शेरशाह सूरी मध्यकालीन भारतीय शासकों में अपना विशेष महत्त्व रखता है। उसने केवल पाँच वर्ष ही शासन किया था, परन्तु इस अल्पकाल में उसने साम्राज्य का विस्तार करने के साथ-साथ उच्चकोटि की प्रशासन व्यवस्था को भी कुशलतापूर्वक लागू किया था। शेरशाह ने जनता के हितों को सर्वोपरि रखा तथा कुशल प्रशासन की नींव रखी जिसका लाभ मुगलों को मिला। उसके प्रमुख कार्य निम्न प्रकार हैं –

  1. सैनिक प्रशासन, न्याय व्यवस्था एवं भू-राजस्व के क्षेत्र में अनेक कार्य प्रारम्भ किये जिनका अनुसरण बाद में अकबर ने किया।
  2. शेरशाह ने अपने साम्राज्य को ‘सरकारों’ एवं सरकारों को ‘परगनों’ में विभाजित किया।
  3. जनसाधारण की सुविधा के लिए शेरशाह ने चार प्रमुख सड़कों का निर्माण करवाया-ग्राण्ड ट्रंक रोड, आगरा-बुरहानपुर, आगरा-चित्तौड़-जोधपुर तथा लाहौर-मुल्तान।
  4. शेरशाह ने सड़कों के दोनों और छायादार वृक्ष लगवाये तथा दो-दो कोस की दूरी पर सरायों का निर्माण करवाया।
  5. शेरशाह ने शिक्षा के प्रसार के लिए मकतब तथा मदरसों की स्थापना करवायी।
  6. अनाथ तथा निर्धनों के लिए नि:शुल्क भोजन हेतु लंगर खोले गये।

प्रश्न 5.
पृथ्वीराज चौहान का भारतीय इतिहास में क्या योगदान रहा? लिखिए। (2008, 09, 12, 13, 14, 16, 18)
उत्तर:
पृथ्वीराज चौहान-पृथ्वीराज चौहान दिल्ली और अजमेर का योग्य, वीर, प्रतिभावान शक्तिशाली सम्राट था। उसके पास उत्तम सेना व सेनापति थे। पृथ्वीराज का समकालीन कवि ‘चंदवरदाई’ था। इस कवि ने ‘पृथ्वीराज रासो’ नामक ग्रन्थ की रचना की जिसमें पृथ्वीराज की यश गाथा का बड़ा ओजस्वी वर्णन है। पृथ्वीराज का 1191 ई. में मुहम्मद गौरी के साथ तराइन का प्रथम युद्ध हुआ। इस युद्ध में पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को बुरी तरह पराजित किया। गौरी अपनी अपमानजनक पराजय को भूल न सका और उसने पुनः तैयारी के साथ तराइन के मैदान में 1192 ई. में पृथ्वीराज से दूसरा युद्ध किया जो तराइन का द्वितीय युद्ध कहलाता है। इस युद्ध में पृथ्वीराज पराजित हुआ तथा मुहम्मद गौरी विजयी हुआ।

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प्रश्न 6.
महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास में क्यों प्रसिद्ध है? (2008, 14, 15, 17)
अथवा
महाराणा प्रताप पर टिप्पणी लिखिए। (2009, 11).
उत्तर:
महाराणा प्रताप मेवाड़ का वीर साहसी राजपूत राजा था। वह राणा उदयसिंह का पुत्र था तथा राणा सांगा का वंशज था। उसने अपनी राजधानी कुम्भलनेर को बनाया था। अकबर ने उससे सम्बन्ध स्थापित करने के लिए सन्धि के प्रयास किये पर उसे सफलता नहीं मिली तो उसने 18 जून, 1576 ई. में हल्दीघाटी के मैदान में मानसिंह की अध्यक्षता में शक्तिशाली सेना मेवाड़ पर आक्रमण करने के लिए भेजी। दोनों की सेनाओं में विकट संग्राम हुआ। मानसिंह युद्ध में विजयी हुआ। महाराणा प्रताप की सेना युद्ध में पराजित होकर भाग गयी। हल्दीघाटी की पराजय के पश्चात् महाराणा प्रताप ने वनों तथा पर्वतों को अपना निवास बनाया तथा मुगलों के साथ अनवरत संघर्ष जारी रखा तथा उनके आगे नतमस्तक नहीं हुआ। 1597 ई. में महारणा प्रताप का स्वर्गवास हो गया।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मोहम्मद गौरी व महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किस उद्देश्य से किए थे व उन्हें सफलता मिलने के क्या कारण थे? लिखिए।
अथवा
महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किस उद्देश्य से किये थे? (2008)
अथवा
मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण किस उद्देश्य से किये थे? (2008)
उत्तर:
महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण करने के निम्नलिखित उद्देश्य थे –

  1. भारत की अपार धन-सम्पदा को लूटना महमूद गजनवी का प्रमुख उद्देश्य था।
  2. महमूद गजनवी का अन्य प्रमुख उद्देश्य भारत में इस्लाम धर्म का प्रसार करना था।
  3. महमूद गजनवी एक महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति था। वह भारत पर आक्रमण कर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करना चाहता था।
  4. कुछ इतिहासकारों का मत है खलीफा के आदेश से ही उसने भारत पर आक्रमण किया था। परन्तु कुछ इतिहासकार उस मत का खण्डन करते हैं।
  5. महमूद गजनवी मूर्तियों तथा मूर्ति पूजकों को भी नष्ट करना चाहता था।

मुहम्मद गौरी के भारत पर आक्रमण के उद्देश्य :
मुहम्मद गौरी के भारत पर आक्रमण के निम्नलिखित उद्देश्य थे –

  1. मुहम्मद गौरी एक विशाल साम्राज्य का निर्माण करना चाहता था। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने भारत पर आक्रमण किया।
  2. गौरी एक धर्मप्रिय मुसलमान था अतः वह भारत में मूर्ति-पूजा का विनाश करने तथा इस्लाम का प्रसार करना चाहता था।
  3. गौरी का अन्य उद्देश्य भारत की अपार धनराशि को लूटना भी था।
  4. गौरी पंजाब के गजनवी वंश का भी अन्त करना चाहता था।
  5. इस युग में सैनिक यश को बहुत महत्त्व दिया जाता था। अत: गौरी ने विजय और यश की कामना से प्रेरित होकर भी भारत पर आक्रमण किया था।

प्रश्न 2.
राजा कृष्णदेव राय की शासन व्यवस्था व जनता पर उसके प्रभाव का वर्णन कीजिए। (2009, 16)
अथवा
विजयनगर की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए। (2009)
उत्तर:
कृष्ण देव राय विजयनगर का महानतम् शासक था। उसने अपने शासन काल में विजय नगर को चरम सीमा पर पहुँचा दिया।

विजय नगर की शासन व्यवस्था की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं –
(1) केन्द्रीय शासन :

  • राजा :
    राजा राज्य का सबसे बड़ा अधिकारी होता था। शासन की सम्पूर्ण शक्ति उसी में निहित थी, उसका आदेश ही कानून था। शासन, न्याय तथा सेना आदि की शक्तियाँ उसके हाथों में रहती थीं। राजा निरंकुश होते हुए भी अत्याचारी नहीं था। वह जन-कल्याण को ध्यान में रखकर शासन करता था।
  • मन्त्रिपरिषद् :
    राजा को शासन कार्यों में परामर्श देने के लिए एक मन्त्रिपरिषद् होती थी, परन्तु राजा मन्त्रिपरिषद् का परामर्श मानने के लिए बाध्य नहीं था। मन्त्रियों की नियुक्ति राजा द्वारा होती थी।
  • राजदरबार :
    विजयनगर के शासक मुस्लिम शासकों के समान राजदरबार की शोभा पर विशेष ध्यान देते थे। शासन की समस्त कार्यवाही राजदरबार में ही होती थी। दरबार के मन्त्रियों, सामन्तों, पुरोहितों तथा कवियों को सम्मान दिया जाता था।
  • वित्त व्यवस्था :
    विजयनगर में राजकीय आय का प्रमुख साधन भूमि-राजस्व था। किसानों से उनके उत्पादन का 1/3, 1/4 तथा 1/6 भाग राजस्व के रूप में वसूल किया जाता था।
  • न्याय व्यवस्था :
    विजयनगर साम्राज्य में मुख्य न्यायाधीश राजा होता था तथा उसका निर्णय ही अन्तिम माना जाता था। हिन्दू परम्पराओं तथा नियमों के आधार पर न्याय विधान बनाया हुआ था। दण्ड व्यवस्था अत्यधिक कठोर थी। गाँवों में ग्राम पंचायतों द्वारा न्याय प्रदान किया जाता था।
  • सैनिक व्यवस्था :
    विजयनगर की सैनिक व्यवस्था जागीरदारी प्रथा पर आधारित थी। सेना दो प्रकार की थी-एक केन्द्रीय या सम्राट की सेना, दूसरी प्रान्तपतियों की सेना। आवश्यकता पड़ने पर प्रान्तपति अपनी सेना राजा के पास सहायता के लिए भी भेजते थे।

(2) प्रान्तीय शासन :
सम्पूर्ण विजयनगर साम्राज्य 6 प्रान्तों में विभाजित था। प्रत्येक प्रान्त में एक प्रान्तपति या सूबेदार नियुक्त किया जाता था। सूबेदार राज-परिवार का सदस्य अथवा प्रभावशाली सामन्त होता था। सूबेदारों की अपनी-अपनी सेनाएँ होती थीं। आवश्यकता पड़ने पर सूबेदारों को राजा की सैनिक सहायता भी करनी पड़ती थी।

(3) स्थानीय शासन :
विजयनगर राज्य के प्रान्त अनेक ‘नाडुओं’ (जिलों) में विभाजित थे। प्रत्येक ‘नाडु’ अनेक नगरों तथा ग्रामों में विभाजित था। इस प्रकार ग्राम शासन की सबसे छोटी इकाई थी। गाँवों का प्रबन्ध ग्राम सभाओं द्वारा किया जाता था। ग्राम सभा में गाँव प्रमुख भाग लेते थे। ‘महानापकाचार्य’ नामक राजकर्मचारी स्थानीय शासन का निरीक्षण करता था।

प्रश्न 3.
अकबर की राजपूत व धार्मिक नीतियों की विवेचना कीजिए। (2008, 12, 15, 17)
अथवा
अकबर की राजपूत नीति की विवेचना कीजिए। (2009, 13, 14)
अथवा
अकबर की राजपूत नीति के क्या परिणाम निकले? समझाइए। (2008)
अथवा
अकबर की धार्मिक नीति बताइए। (2010) [संकेत- ‘धार्मिक नीति’ शीर्षक देखें।]
अथवा
अकबर की धार्मिक नीति के क्या परिणाम निकले? समझाइए। (2008) [संकेत- ‘अकबर की धार्मिक नीति व परिणाम’ शीर्षक देखें।]
उत्तर:
अकबर की राजपूत नीति-अकबर की राजपूत नीति की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं –

  1. अकबर ने राजपूतों को मुगल प्रशासन में उच्च पद प्रदान किये।
  2. राजपूतों के प्रति मित्रता भावना व सहयोग भावना की नीति रखी।
  3. अकबर ने राजपूत राजकुमारियों से विवाह भी किया।
  4. पराजित राजपूत राजाओं को सम्मान दिया तथा उन्हें आन्तरिक प्रशासन की स्वतन्त्रता दी।
  5. जिन राजपूत राजाओं ने अकबर की अधीनता नहीं स्वीकार की उनसे उसने युद्ध करने की नीति अपनायी।

अकबर की राजपूत नीति के निम्नलिखित परिणाम निकले :

  1. राजपूत मुगलों के मित्र तथा स्वामी भक्त बन गये।
  2. राजपूत मुगल साम्राज्य के विस्तार में सहायक हुए।
  3. मानसिंह, भगवानदास तथा राजपूत मनसबदारों ने मुगल शत्रुओं को पराजित करने में सहयोग दिया।
  4. अकबर द्वारा राजपूतों के प्रति जो सहयोग व प्रेम भावना का प्रदर्शन हुआ उससे हिन्दू और मुसलमानों के मध्य कटुता की भावना समाप्त हो गयी।
  5. अकबर को राजपूतों में से अनेक सुयोग्य सेनापति, कुशल प्रशासक तथा महान् कूटनीतिज्ञ मिले।

अकबर की धार्मिक नीति :
विभिन्न धर्मों के वाद-विवाद सुनने के पश्चात् अकबर ने अनुभव किया प्रत्येक धर्म में अच्छाई है, परन्तु संकीर्ण विचारों के धर्मान्ध व्यक्तियों द्वारा की गयी जटिल टीकाओं तथा रूढ़िवादी विचारों के कारण धर्म का भ्रमपूर्ण अर्थ किया जाता है। अतः इस विद्वेष तथा धर्म की अनुचित धारणा को समाप्त करने के लिए उसने सभी धर्मों की अच्छाइयों का समन्वय करके एक नवीन धर्म ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना की।

धार्मिक नीति के परिणाम :
अकबर द्वारा प्रतिपादित धार्मिक नीति के निम्नलिखित परिणाम निकले –

  1. हिन्दू और मुसलमानों के मध्य दीर्घकाल से चली आ रही कटुता की भावना समाप्त हुई तथा वे एक-दूसरे के निकट आये।
  2. कला, साहित्य तथा संस्कृति के क्षेत्र में भी हिन्दू-मुस्लिम संस्कृतियों में समन्वय हुआ।
  3. अकबर की धार्मिक नीति के कारण राजपूत मुगल साम्राज्य के सहायक बन गये तथा विस्तार में भी उन्होंने अपूर्व सहयोग दिया।
  4. भारत की बहुसंख्यक जनता हिन्दू थी जो अकबर की धार्मिक नीति से प्रभावित होकर मुगल साम्राज्य की सहयोगी हो गयी। इस प्रकार अकबर की धार्मिक नीति ने उसे एक राष्ट्रीय शासक बना दिया।
  5. धार्मिक नीति के कारण गैर-मुस्लिम जनता में से अकबर को कुशल, योग्य प्रशासक तथा वीर रण-कुशल सैनिक भी प्राप्त हुए जिससे मुगल साम्राज्य को दृढ़ता मिली।

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प्रश्न 4.
भारत में मुगल सत्ता का प्रतिरोध करने में किन-किन भारतीय राजाओं एवं शासकों की भूमिका रही? उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में मुगल सत्ता का प्रतिरोध :
भारत में मुगल सत्ता का प्रतिरोध करने में मेवाड़ के शासक राणा सांगा, महाराणा प्रताप, गोंडवाना की रानी दुर्गावती तथा मराठा शासक शिवाजी, सिक्ख गुरु गोविन्द सिंह प्रमुख थे।

राणा सांगा :
मेवाड़ के शासक राणा सांगा ने बाबर को खानवा के मैदान में कड़ी टक्कर दी। दुर्भाग्य से राणा सांगा पराजित हुए मगर जब तक वह जीवित रहे उन्होंने हार नहीं मानी। 1528 ई. को राणा सांगा की मृत्यु हो गई। राणा सांगा की मृत्यु के बाद मुगल सत्ता का प्रतिरोध महाराणा उदयसिंह (1537-1572 ई.) ने किया।

महाराणा प्रताप :
उदयसिंह की 1572 ई. में मृत्यु के पश्चात् उनका पुत्र महाराणा प्रताप मेवाड़ का शासक बना। महाराणा प्रताप ने जीवित रहने तक, मुगल सत्ता के प्रमुख शासक अकबर को कड़ी चुनौतियाँ दी। मुगल सत्ता को टक्कर देने के लिए महाराणा प्रताप ने मेवाड़ को संगठित किया। उन्होंने जनसम्पर्क द्वारा राज्य में मुगल सत्ता के विरुद्ध व्यापक जागरण चलाया। इन उपायों से मेवाड़ में एक सूत्रता आई और सम्पूर्ण मेवाड़ मुगल सत्ता के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ। राणा प्रताप को अपने राज्य के कुछ भागों को खोना पड़ा मगर हार नहीं मानी। उन्होंने लगातार मुगलों से युद्ध जारी रखा और अपने खोये हुए प्रदेशों के अनेक भागों को प्राप्त कर लिया। इस प्रकार महाराणा प्रताप ने अपने देश के प्रति मरते दम तक वीरता और साहस का परिचय दिया।

रानी दुर्गावती:
रानी दुर्गावती महोला की चंदेल राजकुमारी थी। अपने पति दलपति शाह की मृत्यु के बाद उसने अपने अवयस्क पुत्र वीरनारायण की संरक्षिका के रूप में राज्य का कार्यभार ग्रहण किया। दिल्ली के सम्राट अकबर ने गढ़ा राज्य की विशालता और धन सम्पन्नता के बारे में सुना तो उसने अपनी साम्राज्य लिप्सा की पूर्ति के लिए अपने सेनापति आसफ खाँ को विशाल सेना के साथ गढ़ा पर आक्रमण करने के लिए भेज दिया। रानी दुर्गावती ने अकबर की अधीनता के स्थान पर उसकी सेनाओं से युद्ध करने का निश्चय किया। रानी ने अत्यन्त वीरता के साथ आसफ खाँ की सेनाओं के साथ युद्ध किया, वह लड़ते-लड़ते गम्भीर रूप से घायल हो गई। घायलावस्था में दुर्गावती आगे युद्ध जारी रखने में असमर्थ हो गईं किन्तु वह नहीं चाहती थीं कि अकबर के सैनिक उसको बन्दी बनाकर अपमानित करें। इसलिए उसने स्वयं को कटार मारकर अपना बलिदान कर दिया। पुत्र वीरनारायण भी युद्ध करता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ।

छत्रपति शिवाजी :
शिवाजी का मध्यकालीन भारतीय इतिहास में महत्त्व इस कारण है क्योंकि उनका राजनीतिक आदर्श तथा लक्ष्य हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना था। उन्होंने बड़ी वीरता के साथ मुगल सम्राट औरंगजेब से संघर्ष किया तथा कभी भी सिर नहीं झुकाया। कट्टर हिन्दू होते हुए भी वे मुसलमानों को सम्मान देते थे। खफीखाँ के शब्दों में, “शिवाजी ने यह नियम बनाया था कि लूट के समय उसके सैनिक मस्जिदों, कुरान तथा स्त्रियों को किसी प्रकार नुकसान न पहुँचाएँ।”

गुरुगोविन्द सिंह :
मुगल प्रशासन ने 1675 ई. में गुरु तेगबहादुर को फाँसी का हुक्म दिया जिससे सिक्ख समुदाय औरंगजेब से बहुत नाराज हो गया। दसवें गुरु गोविन्दसिंह ने सिक्खों को सैनिक के रूप में संगठित कर मुगल सेनाओं के विरुद्ध युद्ध करने के लिए तैयार किया। गुरु गोविन्दसिंह ने 1699 ई. में खालसा नामक एक संगठन की स्थापना की। यह एक जाति विहीन सैनिक संगठन था जिसमें सभी लोगों को बिना जाति भेद के शामिल करने की व्यवस्था थी। सिक्ख समुदाय ने मुगल साम्राज्य के समक्ष चुनौतियाँ खड़ी कर दीं।

इन भारतीय राजाओं व शासकों ने मुगल शासकों से अपनी स्वतन्त्रता के बदले न तो मित्रता की और न ही समर्पण किया, बल्कि वीरता के साथ मुगलों को हर मोड़ पर कड़ी चुनौतियाँ दीं।

प्रश्न 5.
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण लिखिए। (2008,09, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18)
अथवा
मुगल साम्राज्य के पतन के कोई पाँच कारण लिखिए और किसी एक कारण को विस्तार से लिखिए। (2011)
उत्तर:
मुगल साम्राज्य के पतन के निम्नलिखित कारण थे –
(1) निरंकुश तथा केन्द्रीभूत शासन :
मुगलकालीन शासन व्यवस्था पूर्णतया निरंकुश तथा केन्द्रीभूत थी। निरंकुश तथा केन्द्रीभूत शासन में शासन की समस्त शक्तियाँ सम्राट के हाथों में केन्द्रित रहती हैं। ऐसी शासन व्यवस्था उस समय ही दृढ़ रहती है, जबकि सम्राट योग्य तथा कुशल हो। औरंगजेब के पश्चात् मुगल वंश के शासक अपने पूर्वज शासकों की तरह योग्य तथा कुशल नहीं थे। अत: वे मुगल साम्राज्य को सुरक्षित तथा संगठित नहीं रख सके। अतः ऐसी दशा में मुगल साम्राज्य का पतन होना अनिवार्य था।

(2) औरंगजेब की धार्मिक नीति :
अकबर ने जिस धार्मिक सहिष्णुता तथा सुलहकुल की नीति को अपनाया था उसे औरंगजेब ने पूर्णतया त्याग दिया था। उसने हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया तथा हिन्दूओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का प्रयास किया था। उसकी इस धार्मिक नीति के कारण ही हिन्दू तथा सिक्ख मुगल साम्राज्य के विरोधी हो गये। साथ ही बुन्देलों, जाटों, मराठों तथा राजपूतों ने विद्रोह कर मुगल साम्राज्य को हिला दिया।

(3) साम्राज्य की विशालता :
औरंगजेब के शासनकाल तक मुगल साम्राज्य इतना विशाल हो गया था कि उस पर व्यवस्थित ढंग से शासन करना तथा शान्ति की व्यवस्था करना एक जटिल समस्या थी। साम्राज्य की विशालता के कारण ही दूर के प्रान्तों पर भी नियन्त्रण रखना कठिन हो गया था।

(4) औरंगजेब के अयोग्य उत्तराधिकारी :
औरंगजेब के समस्त उत्तराधिकारी अयोग्य थे। वे सब नाममात्र के सम्राट थे। वे परस्पर अपनी समस्याओं में ही उलझे रहते थे तथा शासन की सुरक्षा की ओर तनिक भी ध्यान नहीं देते थे।

(5) औरंगजेब द्वारा दीर्घकाल तक युद्ध करना :
औरंगजेब ने अपने शासन के पहले पच्चीस वर्ष उत्तरी भारत में विद्रोहों को दबाने में व्यतीत किये। इसी प्रकार दक्षिण के अभियान में भी उसका पर्याप्त समय लगा जिससे उसकी शक्ति पर्याप्त दुर्बल हो गयी। परिणामस्वरूप औरंगजेब के कुछ काल के बाद ही मुगल साम्राज्य का पतन हो गया।

(6) उत्तराधिकार के नियमों का अभाव :
मुगलों में उत्तराधिकार के कोई निश्चित नियम नहीं थे। परिणामस्वरूप सम्राट की मृत्यु के पश्चात् राजपुत्रों में सिंहासन प्राप्त करने के लिये परस्पर संघर्ष छिड़ जाता था। इस प्रकार के संघर्षों ने मुगल साम्राज्य को छिन्न-भिन्न कर दिया।

(7) औरंगजेब की दक्षिण की नीति :
औरंगजेब की दक्षिण की नीति भी मुगल साम्राज्य के पतन का कारण सिद्ध हुई। उसने अपने शासन के 25 वर्ष दक्षिण में संघर्ष करने में ही व्यतीत किये। परिणामस्वरूप वह उत्तरी भारत की ओर ध्यान ही नहीं दे पाया जिससे स्थान-स्थान पर विद्रोह होने लगे तथा मुगल साम्राज्य सैनिक, प्रशासनिक तथा आर्थिक दृष्टि से खोखला हो गया।

(8) मराठों का उत्थान :
मराठों के उत्थान ने भी मुगल साम्राज्य पर आघात किया। शिवाजी से संघर्ष करने से मुगल सेना अत्यन्त दुर्बल हो गयी तथा औरंगजेब के लिए मराठे जीवन-पर्यन्त सिरदर्द बने रहे। औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् भी मराठे मुगलों से संघर्ष करते रहे।

(9) आर्थिक दुर्बलता :
अकबर के पश्चात् समस्त मुगल शासकों ने अपना समय साम्राज्य विस्तार तथा युद्धों के करने में लगाया, जिससे साम्राज्य की आर्थिक व्यवस्था जर्जर हो गयी।

इस प्रकार निरन्तर युद्ध, स्वेच्छाचारी शासन, अयोग्य उत्तराधिकारी, धर्म आधारित शासन, सैन्य शक्ति में ह्रास, गुटबन्दी आदि मुगल साम्राज्य के पतन में सहायक हुए।

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टिप्पणी लिखिए

प्रश्न 1.
(1) महाराणा प्रताप
(2) रानी दुर्गावती
(3) छत्रपति शिवाजी। (2008)
अथवा
शिवाजी भारतीय इतिहास में क्यों प्रसिद्ध हैं? वर्णन कीजिए। (2009, 17)
उत्तर:
छत्रपति शिवाजी-शिवाजी का जन्म 20 अप्रैल, 1627 ई. में शिवनेर के किले में हुआ था। उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले तथा माता का नाम जीजाबाई था। जीजाबाई एक धर्मात्मा, सदाचारिणी तथा बुद्धिमान स्त्री थीं। उन्होंने शिवाजी को धर्म नेताओं तथा साधु-सन्तों की शिक्षा का ज्ञान कराकर उनमें धर्मनिष्ठा का विकास किया। रामदास तथा तुकाराम ने उनमें हिन्दू धर्म तथा राष्ट्र प्रेम की भावना का विकास किया। शिवाजी के प्रारम्भ के नौ वर्ष शिवनेर, बैजपुर, शिवपुर आदि में व्यतीत हुए। शाहजी भोंसले ने दादा कोणदेव को शिवाजी का संरक्षक नियुक्त किया था। कोणदेव ने उन्हें प्रशासनिक तथा सैनिक शिक्षा दी। 18 वर्ष की अल्प आयु में ही शिवाजी ने पूना के आस-पास रायगढ़, कोंकण तथा तोरण के किलों पर अधिकार जमा लिया था। दादा कोणदेव की मृत्यु के पश्चात् शिवाजी ने अपनी जागीर का विस्तार किया तथा मराठों को संगठित कर मराठा राज्य की स्थापना की।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इतिहासकारों के अनुसार ईसा की कौन-सी शताब्दी को मध्यकाल का आरम्भ माना जाता है?
(i) ईसा की छठी शताब्दी
(ii) ईसा की सातवीं शताब्दी
(iii) ईसा की आठवीं शताब्दी
(iv) ईसा की दसवीं शताब्दी।
उत्तर:
(iii) ईसा की आठवीं शताब्दी

प्रश्न 2.
तराइन का प्रथम युद्ध हुआ
(i) 1030 ई. में
(ii) 1150 ई. में
(iii) 1170 ई. में
(iv) 1191 ई. में।
उत्तर:
(iv) 1191 ई. में।

प्रश्न 3.
मुहम्मद गौरी के आक्रमण के समय कन्नौज का शासक था
(i) मिहिर भोज
(ii) पृथ्वीराज चौहान
(iii) जयचन्द
(iv) धर्मपाल।
उत्तर:
(iii) जयचन्द

प्रश्न 4.
तालीकोट का युद्ध हुआ
(i) 1565 ई. में
(ii) 1585 ई. में
(iii) 1505 ई. में
(iv) 1525 ई. में।
उत्तर:
(i) 1565 ई. में

प्रश्न 5.
अकबर का जन्म हुआ
(i) 1505 ई. में
(ii) 1530 ई. में
(iii) 1542 ई. में
(iv) 1545 ई. में।
उत्तर:
(iii) 1542 ई. में

प्रश्न 6.
नूरजहाँ पत्नी थी
(i) अकबर की
(ii) हुमायूँ की
(iii) बाबर की
(iv) जहाँगीर की।
उत्तर:
(iv) जहाँगीर की।

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प्रश्न 7.
पानीपत का द्वितीय युद्ध हुआ था
(i) अकबर और आदिल शाह में
(ii) अकबर और हेमू में
(iii) अकबर और उजवेको में
(iv) अकबर और अधमखाँ में।
उत्तर:
(ii) अकबर और हेमू में

प्रश्न 8.
महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम था
(i) मेवाड़
(ii) पूजा
(iii) रामशाह
(iv) चेतक।
उत्तर:
(iv) चेतक।

प्रश्न 9.
रानी दुर्गावती का विवाह हुआ था
(i) दलपति शाह से
(ii) बाजबहादुर से
(iii) आसफ से
(iv) मानसिंह से।
उत्तर:
(i) दलपति शाह से

प्रश्न 10.
पुरन्दर की सन्धि की गई
(i) 1605 ई. में
(ii) 1645 ई. में
(iii) 1665 ई. में
(iv) 1685 ई. में।
उत्तर:
(iii) 1665 ई. में

प्रश्न 11.
खालसा नामक संगठन की स्थापना की
(i) गुरुनानक ने
(ii) गुरु तेगबहादुर ने
(iii) गुरु गोविन्दसिंह ने
(iv) उपर्युक्त में कोई नहीं।
उत्तर:
(iii) गुरु गोविन्दसिंह ने

रिक्त स्थान पूर्ति

  1. मुगल शासनकाल में सही ढंग से भू-मापन …………. ने कराया। (2008)
  2. ताजमहल का निर्माण मुगल शासक …………. ने कराया। (2008, 09)
  3. शिवाजी की माता का नाम …………. था। (2016)
  4. मेवाड़ का शासक ………… था। (2012)

उत्तर:

  1. शेरशाह सूरी
  2. शाहजहाँ
  3. जीजाबाई
  4. महाराणा प्रताप।

सत्य असत्य

प्रश्न 1.
गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था। (2010)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
हुमायूँ बाबर का बड़ा पुत्र था।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3.
कुतुबमीनार आगरा में है। (2009)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 4.
जजिया हिन्दुओं पर लगाया गया कर था। (2011)
उत्तर:
सत्य।

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 10 मध्यकालीन भारत - 1
उत्तर:

  1. → (ख)
  2. → (घ)
  3. → (ङ)
  4. → (क)
  5. → (ग)
  6. → (च)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
खजुराहो के मन्दिरों का निर्माण किसने किया? (2008)
उत्तर:
चन्देल वंश के शासकों ने

प्रश्न 2.
महमूद गजनवी ने भारत पर कितने बार आक्रमण किए? (2017)
उत्तर:
17 बार

प्रश्न 3.
अफजल खाँ का वध किया था। (2008)
उत्तर:
छत्रपति शिवाजी

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प्रश्न 4.
एलोरा के मन्दिरों का निर्माण किस काल में हुआ? (2017)
उत्तर:
गुप्तकाल में

प्रश्न 5.
अकबर द्वारा चलायी गयी धार्मिक नीति। (2009)
उत्तर:
दीन-ए-इलाही।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अध्ययन की दृष्टि से मध्यकाल को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
मध्यकाल को अध्ययन की दृष्टि से दो भागों में बाँटा गया है। आठवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक के काल को पूर्व मध्यकाल कहते हैं। तेरहवीं शताब्दी से अठारहवीं शताब्दी तक का काल उत्तर मध्यकाल के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 2.
प्रसिद्ध विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना धर्मपाल ने की थी। यह बौद्ध धर्म की शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था।

प्रश्न 3.
प्रसिद्ध भोजपुर मन्दिर एवं भोपाल का बड़ा तालाब किस राजा ने बनवाये?
उत्तर:
प्रसिद्ध भोजपुर मन्दिर एवं भोपाल का बड़ा तालाब राजा भोज के काल के बने हैं।

प्रश्न 4.
चौहान वंश का सर्वाधिक प्रतापी शासक कौन था?
उत्तर:
चौहान वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली और अन्तिम शासक पृथ्वीराज चौहान था।

प्रश्न 5.
मुहम्मद गौरी कहाँ का शासक था? उसने भारत पर कब और कहाँ आक्रमण किया था?
उत्तर:
मुहम्मद गौरी गजनी का शासक था, उसने भारत पर प्रथम आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर किया था।

प्रश्न 6.
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके मध्य हुआ था?
उत्तर:
तराइन का प्रथम युद्ध 1191 ई. में मुहम्मद गौरी तथा पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुआ था।

प्रश्न 7.
तराइन का द्वितीय युद्ध कब और किसके मध्य हुआ था? इस युद्ध का क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
तराइन का द्वितीय युद्ध 1192 ई. में मुहम्मद गौरी तथा पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुआ था। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान पराजित हुआ तथा उसकी हत्या कर दी गयी।

प्रश्न 8.
कुतुबुद्दीन ऐबक कौन था? उसने कौन-सी इमारत बनवायी थी?
उत्तर:
कुतुबुद्दीन ऐबक मुहम्मद गौरी का प्रमुख गुलाम था। तराइन के द्वितीय युद्ध के पश्चात् मुहम्मद गौरी ने उसे अपने भारतीय साम्राज्य का शासक नियुक्त किया था। दिल्ली स्थित कुतुबमीनार को बनवाने का श्रेय उसी को दिया जाता है।

प्रश्न 9.
रजिया सुल्तान कौन थी?
उत्तर:
रजिया सुल्तान इल्तुतमिश की पुत्री थी तथा दिल्ली सल्तनत की प्रथम महिला सुल्तान थी।

प्रश्न 10.
चालीस गुलामों के दल का गठन किस सुल्तान ने किया था?
उत्तर:
इल्तुतमिश ने चालीस गुलामों के दल का गठन किया था।

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प्रश्न 11.
पागल बादशाह तुगलक वंश के किस शासक को माना जाता है?
उत्तर:
मुहम्मद तुगलक को।

प्रश्न 12.
पानीपत का प्रथम युद्ध कब हुआ था ? इस युद्ध के क्या परिणाम निकले?
उत्तर:
पानीपत का प्रथम युद्ध 1526 ई. में हुआ था। इस युद्ध में बाबर की विजय के साथ मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई।

प्रश्न 13.
चौसा का युद्ध कब और किसके मध्य हुआ था?
उत्तर:
चौसा का युद्ध 1539 ई. में हुमायूँ और शेरखाँ के मध्य हुआ था।

प्रश्न 14.
हुमायूँ की मृत्यु कब और कैसे हुई?
उत्तर:
1556 ई. को पुस्तकालय की छत से उतरते समय पैर फिसलने से हुमायूँ की मृत्यु हो गई।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मध्यकाल से क्या आशय है? इसका अन्त कौन-सी शताब्दी में माना जाता है?
उत्तर:
मध्यकाल का आशय :
मध्यकाल से आशय उस काल से लिया जाता है, जो प्राचीन काल और आधुनिक काल के मध्य का समय था। इतिहासकारों ने ईसा की आठवीं शताब्दी को मध्यकाल का प्रारम्भ तथा अठारहवीं शताब्दी को उसका अन्त माना है। मध्यकाल का प्रारम्भ आठवीं शताब्दी को इसलिए माना जाता है क्योंकि इस समय भारत के सामाजिक जीवन में अनेक परिवर्तन हो रहे थे और इन परिवर्तनों ने भारत के सामाजिक जीवन के अनेक पक्षों को प्रभावित किया था। जीवन के राजनीतिक और आर्थिक पक्षों पर उनका प्रभाव पड़ा जैसे सामाजिक जीवन, धर्म, भाषा, कला आदि सभी क्षेत्रों को इन परिवर्तनों ने प्रभावित किया। इसलिए आठवीं शताब्दी को मध्यकाल का प्रारम्भ माना जाता है। इसी प्रकार अठारहवीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के पतन और अंग्रेजों के आने से भी अनेक परिवर्तन हुए। इसीलिए मध्यकाल का अन्त अठारहवीं शताब्दी को माना जाता है।

प्रश्न 2.
मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत
मध्यकालीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए हमारे पास पुरातात्विक व साहित्यिक स्रोत उपलब्ध हैं, जो निम्न प्रकार हैं

  • पुरातात्विक स्रोत :
    इसमें स्मारक, मूर्तियाँ, मन्दिर, मस्जिद, मीनारें, किले, दीवारों पर कलाकृति, चित्रकला, मुद्राएँ, धातु पत्रक आदि।
  • साहित्यिक स्रोत :
    इसमें राजतंरगिणी, तुज्क-ए-बाबरी, पृथ्वीराज रासो, पद्यावत तथा अकबरनामा आदि प्रमुख हैं।

प्रश्न 3.
हर्ष के पश्चात् भारत की राजनैतिक स्थिति में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात् भारत में राजनैतिक रिक्तता की स्थिति निर्मित हो गई और विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्ति के कारण सामन्ती शक्तियों ने देश की राजनैतिक एकता को छिन्न-भिन्न कर दिया। इसी दौरान भारत में अनेक राजवंश उत्पन्न हो गये। जैसे उत्तर भारत में गुर्जर प्रतिहार, पालवंश, चालुक्य, परमार, चौहान मुख्य राजवंश थे। दक्षिण भारत में पल्लव, राष्ट्रकूट, कल्याणी के चालुक्य, चेर, पाण्ड्य, चोल प्रमुख साम्राज्य थे।

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प्रश्न 4.
पल्लव कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पल्लव :
पल्लवों का उदय कृष्णा नदी के दक्षिण प्रदेश (आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु) में हुआ। नरसिंह वर्मन प्रथम और नरसिंह वर्मन द्वितीय इस वंश के प्रतापी शासक हुए। कालान्तर में चालुक्य, पाण्ड्य और राष्ट्रकूटों से पल्लवों के संघर्ष चलते रहे। लगभग 899 ई. में इस वंश के अन्तिम शासक अपराजित वर्मन को चोलों ने हराकर इस राज्य पर अपना अधिकार कर लिया। पल्लव राजाओं ने लगभग 500 वर्षों तक शासन किया।

प्रश्न 5.
चालुक्य कौन थे? चालुक्य प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। (2008, 11)
उत्तर:
चालुक्य :
चालुक्य वंश ने दक्षिण भारत में छठी शताब्दी ई. के मध्य से आठवीं शताब्दी के मध्य शासन किया। इसकी राजधानी कर्नाटक (वातापी) थी, तथा यहीं से इस वंश का राजनैतिक उत्कर्ष हुआ, इसलिए इन चालुक्यों को बादायी (वातापी) के चालुक्य कहा जाता है। चालुक्य राजाओं ने दक्षिण भारत को राजनीतिक एकता के सूत्र में एकीकृत करने का प्रयास किया। इनके प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार थीं –

  1. राजतन्त्र शासन प्रणाली प्रचलित थी। सम्राट प्रशासन तन्त्र का केन्द्र बिन्दु होता था।
  2. अपने विजय करे हुए प्रदेशों पर सामन्तों को शासन करने का अधिकार प्रदान किया।
  3. ग्राम, शासन की सबसे छोटी इकाई थी।
  4. चालुक्यों ने लगभग दो सौ वर्षों तक शासन किया।

प्रश्न 6.
चोल प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए। (2008, 09, 10)
उत्तर:
दक्षिण भारत का प्राचीनतम शक्तिशाली राजवंश चोल था। प्राचीन चोल शासकों का वर्णन संगम साहित्य में किया गया है। चोल राजवंश अपने प्रशासनिक सुधार कार्यों के लिए इतिहास में जाना जाता है।

चोल प्रशासन की विशेषताएँ –

  1. चोल शासन का स्वरूप राजतन्त्रात्मक था। राजा ही शासन का प्रमुख संचालक था।
  2. साम्राज्य प्रान्तों में जो मण्डलम कहलाते थे, बँटा हुआ था। मण्डलम को वलनाडुओं (जिलों) में विभाजित किया गया था।
  3. शासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी व महत्त्वपूर्ण इकाई ग्राम सभा तीन भागों में अर्थात् उर (आम लोगों की सभा), सभा (विद्वान, ब्राह्मण), नगरम् (व्यापारी, दुकानदार, शिल्पी) में विभाजित थी।
  4. ग्राम की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए अनेक समितियाँ गठित थीं।
  5. राज्य की आय का मुख्य स्रोत भूमि तथा व्यापार कर थे।

प्रश्न 7.
नीचे दिये गये राजवंशों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए
(i) राष्ट्रकूट
(ii) चेर राज्य
(iii) पाण्डय राज्य।
उत्तर:
(i) राष्ट्रकूट :
इस वंश के प्रारम्भिक नरेश का नाम नन्नराज था। इस वंश के द्वितीय शासक (650 से 665 ई.) ने साम्राज्य विस्तार के लिए अनेक कार्य किये। राष्ट्रकूट शासक दक्षिण भारत में अपनी शक्ति का साम्राज्य विस्तार के लिये जाने जाते हैं। कन्नौज तथा उत्तर भारत पर अधिकार करने के लिये राष्ट्रकूटों को गुर्जर प्रतिहार व पाल वंश से सतत् संघर्ष करना पड़ा। जिससे इनकी शक्ति कमजोर हो गई। लगभग 973 ई. में चालुक्य शासक तैलप द्वितीय ने अन्तिम राष्ट्रकूट शासक कर्क द्वितीय को पराजित कर उसके राज्यों पर अपना अधिकार कर लिया।

(ii) चेर राज्य :
चेर वंश की स्थापना प्राचीन काल में हुई थी इसका उल्लेख अशोक के शिलालेखों में मिलता है। इनके राज्य में मलाबार, त्रावणकोर और कोचीन सम्मिलित थे। चेर राज्य के बन्दरगाह व्यापार के बड़े केन्द्र थे। ये अधिक समय तक शासन नहीं कर सके। आठवीं शताब्दी में पल्लवों ने, दसवीं शताब्दी में चोलों ने तथा तेरहवीं शताब्दी में पाण्डयों ने चेर राज्य पर अधिकार किया।

(iii) पाण्डय राज्य :
पाण्डय राज्य प्राचीन तमिल राज्यों में प्रमुख था। जिसकी राजधानी मदुरै थी। पाण्डय राजाओं में अतिकेशरी भारवर्मन प्रसिद्ध शासक रहा।

प्रश्न 8.
गुर्जर प्रतिहार वंश का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
गुर्जर प्रतिहार :
प्रतिहार वंश का संस्थापक नागभट्ट प्रथम था। इसने सम्पूर्ण मालवा तथा पूर्वी राजस्थान को अपने अधीन कर लिया था। नागभट्ट के पश्चात् दो छोटे-छोटे शासक हुए जिनके शासन का विशेष उल्लेख नहीं है। इनके पश्चात् चौथा महत्त्वपूर्ण शासक वत्सराज हुआ जिसने साम्राज्य विस्तार के प्रयास किये। वत्सराज के पश्चात् क्रमश: नागभट्ट द्वितीय, रामचन्द्र, मिहिर भोज, महेन्द्र पाल, भोज द्वितीय तथा महिपाल आदि शासक हुए। महिपाल के पश्चात् प्रतिहार वंश का पतन हो गया। गुर्जर प्रतिहार राजवंश ने आठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी तक शासन किया।

प्रश्न 9.
पाल वंश और चालुक्य वंश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पालवंश :
इस वंश का संस्थापक गोपाल था। इस वंश के प्रमुख शासक धर्मपाल व देवपाल थे। कन्नौज पर अधिकार को लेकर पाल शासकों का प्रतिहारों और राष्ट्रकूटों से संघर्ष होता रहा। बंगाल के पालवंश के शासकों ने आठवीं शताब्दी के मध्य में उत्तर भारत में एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया।

चालुक्य वंश :
गुजरात के सोलंकी (चालुक्य वंश) का संस्थापक मूलराज था। यह राजवंश दो शाखाओं बादामी के चालुक्य और कल्याणी के चालुक्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ। पुलकेशिन इस राजवंश का महान् राजा था। इस वंश के शासक भीम प्रथम के समय महमूद गजनवी ने गुजरात पर आक्रमण किया था, जिसमें भीम प्रथम पराजित हुआ था।

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प्रश्न 10.
राजा भोज कौन था? उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राजा भोज परमार वंश का एक महान् तथा प्रतिभाशाली शासक था। वह सिन्धुराज का पुत्र था। वह महान् विजेता, उच्चकोटि का लेखक, कवि विद्यानुरागी और विद्वान् था। उसकी राजसभा में अनेक विद्वान् और कवि आश्रय पाते थे। उसके अनेक मन्दिर, राज प्रासाद, तालाब निर्मित कराये। प्रसिद्ध भोजपुर मन्दिर एवं भोपाल का बड़ा तालाब राजा भोज के काल में बने हैं। उसके समय में धारा नगरी (वर्तमान मध्य प्रदेश का धार जिला) साहित्य और संस्कृति का संगम केन्द्र थी। डॉ. डी. जी. गांगुली के अनुसार, “जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हुई भोज की ये सभी उपलब्धियाँ, उसे मध्ययुगीन भारत के महानतम् शासकों में एक स्थान प्रदान करती है।

प्रश्न 11.
नीचे दिये गये राजवंशों के बारे समझाइए
(i) चाहमान (चौहान) वंश
(ii) चंदेल वंश।
उत्तर:
(i) चाहमान (चौहान) वंश :
इस वंश का प्रथम स्वतन्त्र शासक विग्रहराज द्वितीय था। इस वंश का राज्य जोधपुर और जयपुर के मध्यवर्ती सांभर प्रदेश तक विस्तृत था। इस वंश के अजयराज ने अजयमेरु (अजमेर) नगर की नींव डाली। चौहान वंश का सबसे शक्तिशाली और अन्तिम शासक पृथ्वीराज चौहान था।

(ii) चंदेल वंश :
चन्देल वंश की स्थापना नवीं शताब्दी के प्रारम्भ में हुई थी। बुन्देलखण्ड में चंदेल शासकों का प्रभुत्व था। इस राज्य की राजधानी खुजराहो थी। इस वंश के प्रमुख शासक नन्नुक, यशोवर्मन, धंग, विद्याधर, कीर्तिवर्मन, परमार्दिदेव थे। चन्देल राजाओं का शासनकाल प्रगति की दृष्टि से सुविख्यात है।

प्रश्न 12.
उत्तर मध्यकाल के विषय में क्या जानते हैं?
उत्तर:
उत्तर मध्यकाल-तेरहवीं शताब्दी से अठारहवीं शताब्दी का काल उत्तर मध्यकाल के रूप में जाना जाता है। इस काल में भारत में एक के बाद एक विदेशी आक्रमणकारियों ने अपनी विध्वंसक गतिविधियों को जारी रखा जिसका समय-समय पर भारतीयों ने कड़ा प्रतिरोध किया। कठिन संघर्ष के बाद आक्रमणकारी भारत में अपना शासन स्थापित कर सके।

प्रश्न 13.
महमूद गजनवी के आक्रमणों का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
महमूद गजनवी के आक्रमणों से भारत पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े –

  1. पंजाब गजनवी साम्राज्य का अंग बन गया।
  2. राजपूत राजाओं की सैनिक शक्ति को गहरा आघात लगा।
  3. महमूद के आक्रमण से तुर्कों को भारत की राजनीतिक दुर्बलता का ज्ञान हुआ, जिससे अन्य आक्रमणकारियों को प्रोत्साहन मिला।
  4. भारत की अपार धन-सम्पदा को महमूद लूट कर ले गया तथा लाखों लोगों की हत्या हुई।
  5. महमूद गजनवी के आक्रमणों से भारतीय स्थापत्य-कला तथा मूर्ति-कला को गहरा आघात लगा क्योंकि उसने मथुरा, कन्नौज, नगरकोट तथा सोमनाथ के मन्दिरों तथा उनकी मूर्तियों को पूर्णतया नष्ट कर दिया।

प्रश्न 14.
रजिया सुल्तान कौन थी? उसने किस प्रकार से विद्रोहों का दमन किया?
अथवा
रजिया सुल्तान पर टिप्पणी लिखिए। (2009)
उत्तर:
सुल्तान रजिया इल्तुतमिश की होनहार तथा विदुषी व प्रतिभाशाली पुत्री थी। 1236 ई. में इल्तुतमिश के पुत्र की मृत्यु के पश्चात् रजिया दिल्ली की शासिका बनी। इल्तुतमिश रजिया की योग्यता तथा प्रतिभा से विशेष प्रभावित था। मिन्हाज ने लिखा है कि इल्तुतमिश से जब उसके उत्तराधिकारी के विषय में पूछा गया तो उसका कहना था-“मेरे पुत्रों में कोई भी सुल्तान बनने योग्य नहीं है। मेरी मृत्यु के पश्चात् आप देखेंगे कि कोई भी इतना योग्य नहीं है जो इस देश पर शासन कर सके।” इल्तुतमिश ने रजिया को समुचित शिक्षा भी प्रदान की थी।

रजिया ने तत्कालीन विद्रोहों का दमन बड़ी कुशलता तथा रणनीति से किया। बदायूँ, झाँसी, मुल्तान तथा लाहौर के प्रान्तपतियों ने अपनी सेनाओं को लेकर दिल्ली को घेर लिया था। रजिया अत्यन्त साहसी महिला होने के साथ-साथ कूटनीतिज्ञ भी थी। उसने बड़ी चतुरता और कूटनीति से विद्रोही प्रान्तपतियों में फूट डलवा कर लोगों ने विद्रोह किया जिसका रजिया ने शक्तिशाली सेना भेजकर दमन कर दिया।

प्रश्न 15.
अलाउद्दीन खिलजी के ऊपर टिप्पणी लिखिए। (2011)
उत्तर:
अलाउद्दीन महत्त्वाकांक्षी था। उसकी इच्छा सम्पूर्ण भारत का सुल्तान बनने की थी। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसने उत्तर भारत में सिन्ध, मुल्तान, गुजरात, जालौर, जैसलमेर, रणथम्भौर, चित्तौड़, उज्जैन एवं चंदेरी पर आक्रमण किया और उन पर विजय प्राप्त की। उसने एक विशाल सेना तथा गुप्तचर विभाग का गठन किया। उसने विद्रोही सरदारों तथा अमीरों की शक्ति को कुचल दिया। 1316 ई. में अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के साथ ही खिलजी वंश का पतन आरम्भ हो गया।

प्रश्न 16.
मुहम्मद बिन तुगलक की प्रमुख योजनाओं को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाएँ-मुहम्मद तुगलक अत्यन्त महत्त्वाकांक्षी सुल्तान था। वह अपनी महत्त्वाकांक्षी योजनाओं के कारण विश्व इतिहास में प्रसिद्ध हो गया। दोआब कर वृद्धि, दिल्ली के स्थान पर दौलताबाद (देवगिरि) को राजधानी बनाने की योजना, सोना-चाँदी के सिक्कों के स्थान पर ताँबे के सिक्के (सांकेतिक मुद्रा) का चलन, विजयों की कथित योजना बनाना आदि ऐसी योजनाएँ थीं जिनको कार्य रूप में परिणत किया गया और फिर वापस भी ले लिया गया। योजनाओं को बनाना, लागू करना और वापस लेना, धन और समय की बर्बादी थी।

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प्रश्न 17.
तैमूर कौन था? उसके भारत पर आक्रमण करने के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:
समरकन्द का शासक तैमूर अत्यधिक साहसी, वीर और महत्त्वाकांक्षी था। भारत की अपार धन-सम्पत्ति उसे भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रेरित कर रही थी। साथ ही उसके भारत में आक्रमण का उद्देश्य धार्मिक भी था। 1398 ई. में एक विशाल सेना के साथ भारत में प्रवेश किया और शीघ्र ही दिल्ली पर अधिकार कर लिया। तैमूर की भारत पर शासन की इच्छा नहीं थी। अत: लूट-पाट, भीषण नरसंहार एवं कृषि को अपार हानि पहुँचाकर वह वापस समरकन्द चला गया।

प्रश्न 18.
इब्राहीम लोदी का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
सिकन्दर लोदी की मृत्यु के पश्चात् अफगान अमीरों ने सर्वसम्मति से उसके पुत्र इब्राहीम लोदी को 1517 ई. में सिंहासन पर बैठाया। उसने ‘इब्राहीम शाह’ की उपाधि धारण की। उसकी विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य अपने पिता द्वारा प्रारम्भ किये गये विजय कार्य को पूरा करना था। सर्वप्रथम उसने ग्वालियर पर आक्रमण किया तथा ग्वालियर के राजा विक्रमाजीत को पराजित कर अपना सामन्त बना लिया। इब्राहीम ने मेवाड़ के राणा सांगा पर भी आक्रमण किया परन्तु इब्राहीम लोदी इस युद्ध में पराजित हुआ। इब्राहीम लोदी का पंजाब के सूबेदार दौलत खाँ से मतभेद हो गया था। दौलत खाँ ने काबुल के शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए निमन्त्रित किया। 1526 ई. में बाबर ने भारत पर आक्रमण कर दिया। पानीपत के मैदान में इब्राहीम लोदी की भयंकर पराजय हुई। इस युद्ध में ही दिल्ली सल्तनत का अन्त हो गया तथा भारत में मुगल वंश की नींव पड़ी।

प्रश्न 19.
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना का विवरण दीजिए।
उत्तर:
मुहम्मद तुगलक के शासनकाल में विजयनगर राज्य की स्थापना हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 ई. में की थी। ये दोनों भाई वारंगल के शासक प्रताप रुद्रदेव काकतीय के कोषागार में कार्य करते थे। जब वारंगल पर मुसलमानों का अधिकार स्थापित हो गया तो बन्दी बनाकर उन्हें दिल्ली भेज दिया गया। परन्तु मुहम्मद तुगलक ने उन्हें मुक्त कर अनगोड़ी का प्रदेश उनको दे दिया। इस प्रदेश में दोनों भाइयों ने विजयनगर राज्य की स्थापना की। हरिहर इस प्रदेश का प्रथम शासक हुआ तथा उसकी मृत्यु के पश्चात् उसका भाई बुक्का शासक हुआ।

प्रश्न 20.
तालीकोट के युद्ध के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
तालीकोट का युद्ध मुस्लिम राज्यों की संयुक्त सेना तथा विजयनगर के मन्त्री रामराय के मध्य 1565 ई. में कृष्णा नदी के तट पर हुआ था। रामराय ने अहमदनगर पर आक्रमण करके उसे तहत-नहस कर दिया था तथा मस्जिदों को तोड़ा तथा कुरान का अपमान किया। रामराय के अत्याचारों से मुस्लिम राज्यों में रोष फैल गया। अत: बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुण्डा तथा बीदर की सम्मिलित सेनाओं ने विजयनगर पर आक्रमण किया। 1565 ई. में तालीकोट के युद्ध में रामराय को भयंकर पराजय मिली, वह पकड़ा गया तथा अहमदनगर के सुल्तान ने उसकी हत्या कर दी।

प्रश्न 21.
नरसिंह सालुव कौन था? उसका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
नरसिंह सालुव :
नरसिंह सालुव वीर, शक्तिशाली और योग्य शासक था। उसने साम्राज्य में हो रहे विद्रोहों को दबाया और बहमनी राज्य द्वारा जीते गये प्रदेशों पर पुनः अधिकार किया। उसने शक्तिशाली सेना के गठन के लिए अरब व्यापारियों से श्रेष्ठ घोड़े क्रय किये। वह साहित्यानुरागी था। इसके काल में प्रसिद्ध ग्रन्थ जेमनी भारतम् लिखा गया। नरसिंह सालुव की 1490 ई. में मृत्यु हो गई।

प्रश्न 22.
बहमनी राज्य की स्थापना किस प्रकार हुई?
उत्तर:
बहमनी राज्य की स्थापना दक्षिण भारत में मुहम्मद तुगलक के विरुद्ध विद्रोह की भावना से हुई थी। इस राज्य की नींव रखने वाला हसन गंगू था जो अमीर उमरा की सहायता से 1347 ई. में अलाउद्दीन बहमनशाह के नाम से स्वतन्त्र शासक बन बैठा। इस प्रकार दक्षिण भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना बहमनी राज्य के नाम से हुई। बहमनशाह, मुहम्मदशाह, फिरोजशाह, अहमदशाह तथा अलाउद्दीन द्वितीय आदि प्रमुख बहमनी शासक थे। अलाउद्दीन बहमनशाह ने गुलबर्गा में अपनी राजधानी स्थापित की तथा उसका नाम अहसनाबाद रखा। इस काल में मुहम्मद तुगलक उत्तरी भारत की समस्याओं में उलझा हुआ था। अत: दक्षिण भारत में बहमनी राज्य को फलने-फूलने का पर्याप्त अवसर मिला।

प्रश्न 23.
मध्यकालीन भारतीय सम्राटों में अकबर का नाम विशेष उल्लेखनीय है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अकबर :
मध्यकालीन भारतीय सम्राटों में अकबर का नाम विशेष उल्लेखनीय है। उसे भारत का एक राष्ट्रीय शासक कहा जाता है। हुमायूँ की मृत्यु के पश्चात् 1556 ई. में वह मुगल सम्राट बना। जब वह सम्राट बना उस समय मुगल साम्राज्य की सीमा अत्यन्त सीमित थी। अकबर ने अनेक युद्ध कर विजय प्राप्त की तथा एक विशाल साम्राज्य की नींव डाली। अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति का पालन दिया तथा राजपूतों को अपना मित्र बनाया। समस्त धर्मों के उत्तम सिद्धान्तों का समन्वय करके उसने दीन-ए-इलाही धर्म चलाया। हिन्दुओं को उसने योग्यता के आधार पर उच्च पदों पर भी नियुक्त किया। उसके शासन काल में कला और साहित्य का भी विकास हुआ। इन कारणों से ही अकबर को एक राष्ट्रीय शासक कहते हैं।

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प्रश्न 24.
जहाँगीर का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
उत्तर:
जहाँगीर :
जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त, 1569 ई. में हुआ था। उसका बचपन का नाम सलीम था। अकबर की मृत्यु के बाद 1605 ई. मुगल सिंहासन पर आसीन हुआ। जहाँगीर ने अनेक विवाह किये थे जिनमें शेर अफगान की विधवा नूरजहाँ से किया गया विवाह प्रमुख था। जहाँगीर नूरजहाँ से इतना प्रभावित था कि उसने सम्पूर्ण राज्य का भार उसी पर छोड़ दिया। जिसके परिणामस्वरूप उसका अन्तिम समय कष्ट में व्यतीत हुआ। जहाँगीर के एक पुत्र खुर्रम (शाहजहाँ) ने विद्रोह कर दिया जिसके कारण राज्य की स्थिति चिन्ताजनक हो गई। 1627 ई. में जहाँगीर की मृत्यु हो गयी।

प्रश्न 25.
शाहजहाँ कौन था? उसके मुगल साम्राज्य के विस्तार का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर:
शाहजहाँ :
शाहजहाँ जहाँगीर का पुत्र था। वह एक योग्य, प्रतिभाशाली तथा साहसी शहजादा था। जहाँगीर के शासन काल में वह दक्षिण का सूबेदार रह चुका था तथा अनेक सैनिक सफलताएँ भी प्राप्त की थीं। 1628 ई. में वह मुगल सिंहासन पर बैठा। शासक बनते ही उसके खानजहाँ लोदी का विद्रोह, बुन्देलखण्ड तथा नुरपूर के जमींदार जगतसिंह के विद्रोहों का दमन किया। पुर्तगालियों से युद्ध कर उन्हें खदेड़ दिया। उसने अपने राज्य को मजबूत बनाने के उद्देश्य से दक्षिण भारत के अहमदनगर, गोलकुण्डा, बीजापुर पर आक्रमण किये। मराठों के साथ भी मुगल सेना का संघर्ष हुआ। शाहजहाँ के चार पुत्र दाराशिकोह, शाहशुजा, औरंगजेब तथा मुराद थे। शाहजहाँ के जीवनकाल में ही सिंहासन के लिए संघर्ष प्रारम्भ हो गया था जिसमें औरंगजेब को सफलता मिली।

प्रश्न 26.
औरंगजेब के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
औरंगजेब :
शाहजहाँ 1657 ई. में बीमार पड़ा। उसके पुत्रों में उत्तराधिकार का युद्ध छिड़ गया। औरंगजेब ने अपने सभी भाइयों व सम्बन्धियों का रक्त बहाकर 1658 ई. में सिंहासन पर अधिकार कर लिया। उसने अपने पिता शाहजहाँ को आगरा के लाल किले में बन्दी बना दिया। 1666 ई. में शाहजहाँ की बन्दी के रूप में मृत्यु हुई।

औरंगजेब ने राजपूतों, जाटों, सिक्खों और मराठों को भी अपना विरोधी बना लिया जिसके कारण राज्य में निरन्तर विद्रोह हुए। शिवाजी ने उसकी हिन्दू विरोधी नीति के कारण उसका सामना किया और एक स्वतन्त्र मराठा राज्य की नींव डाली। सिक्खों के नवें गुरु तेगबहादुर ने विद्रोह किया जिनका औरंगजेब ने वध करवा दिया। तब गुरु गोविन्दसिंह ने सिक्ख सेना (खालसा) को तैयार किया। दुर्गादास राठौड़ जैसे राजपूतों ने औरंगजेब को चुनौतियाँ दीं। 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु हो गयी और उसी के साथ ही मुगल साम्राज्य का पतन भी प्रारम्भ हो गया।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 10 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आठवीं शताब्दी में उत्तरी भारत के पाँच प्रमुख राजवंशों के नाम लिखिए और किसी एक राजवंश का वर्णन कीजिए। (2011)
उत्तर:
आठवीं शताब्दी में उत्तरी भारत के प्रमुख राजवंश निम्नलिखित हैं-

  1. गुर्जर प्रतिहार
  2. पालवंश
  3. चालुक्य वंश (सोलंकी)
  4. परमार वंश
  5. चंदेल वंश।

गुर्जर प्रतिहार :
प्रतिहार वंश का संस्थापक नागभट्ट प्रथम था। इसने सम्पूर्ण मालवा तथा पूर्वी राजस्थान को अपने अधीन कर लिया था। नागभट्ट के पश्चात् दो छोटे-छोटे शासक हुए जिनके शासन का विशेष उल्लेख नहीं है। इनके पश्चात् चौथा महत्त्वपूर्ण शासक वत्सराज हुआ जिसने साम्राज्य विस्तार के प्रयास किये। वत्सराज के पश्चात् क्रमश: नागभट्ट द्वितीय, रामचन्द्र, मिहिर भोज, महेन्द्र पाल, भोज द्वितीय तथा महिपाल आदि शासक हुए। महिपाल के पश्चात् प्रतिहार वंश का पतन हो गया। गुर्जर प्रतिहार राजवंश ने आठवीं शताब्दी से ग्यारहवीं शताब्दी तक शासन किया।

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MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.8

MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.8

प्रश्न 1.
उस गोले का आयतन ज्ञात कीजिए जिसकी त्रिज्या निम्न है:
(i) 7 cm (2019)
(ii) 0.63 m.
हल :
(i) गोले की त्रिज्या R = 7 cm (दिया है।)
गोले का आयतन \(V=\frac{4}{3} \pi R^{3}=\frac{4}{3} \times \frac{22}{7} \times(7)^{3} \mathrm{cm}^{3}\)
\(=\frac{88 \times 49}{3}=\frac{4312}{3}\)
= 1437.33 cm³ (लगभग)
अतः गोले का अभीष्ट आयतन = 1437.33 cm³. (लगभग)

(ii) गोले की त्रिज्या R = 0.63 m (दिया है)
गोले का आयतन \(V=\frac{4}{3} \pi R^{3}=\frac{4}{3} \times \frac{22}{7} \times(0.63)^{3} \mathrm{m}^{3}\)
= 88 x 0.63 x 0.63 x 0.03
= 105 m³ (लगभग)
अतः गोले का अभीष्ट आयतन = 1.05 m³.(लगभग)

प्रश्न 2.
उस ठोस गोलाकार गेंद द्वारा हटाए गए (विस्थापित) पानी का आयतन ज्ञात कीजिए जिसका व्यास निम्न है
(i) 28 cm
(ii) 0.21 m.
हल :
ठोस गेंद द्वारा हटाए गए पानी का आयतन = गेंद का आयतन
(i) गोलाकार गेंद का दिया गया व्यास d = 28 cm ⇒ त्रिज्या R = 14 cm
गोलाकार गेंद का आयतन \(\frac { 1 }{ 2 }\)
\(V=\frac{4}{3} \pi \mathrm{R}^{3}=\frac{4}{3} \times \frac{22}{7} \times(14)^{3}\)
\(=\frac{88}{3} \times 14 \times 14 \times 2\)
V = \(\frac { 34496 }{ 3 }\)
= 11498.67 cm³ (लगभग)
अतः हटाए गए पानी का अभीष्ट आयतन = 11498.67 cm³. (लगभग)

(ii) गोलाकार गेंद का व्यास d = 0.21 m ⇒ त्रिज्या r = 0.105 m
गोलाकार गेंद का आयतन \(V=\frac{4}{3} \pi R^{3}=\frac{4}{3} \times \frac{22}{7} \times(0 \cdot 105)^{3} \mathrm{m}^{3}\)
= 88 x 0.105 x 0.105 x 0.005
= 0.004851 m³
अतः हटाए गए पानी का अभीष्ट आयतन = 0.004851 m³.

प्रश्न 3.
धातु की एक गेंद का व्यास 4.2 cm है। यदि इस धातु का घनत्व 8.9 ग्राम प्रति cm³ है, तो इस गेंद का द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : गेंद का व्यास d = 2R = 4.2 cm = R = 2.1 cm एवं धातु का घनत्व D = 8.9g/cm³
गोलाकार गेंद का आयतन \(V=\frac{4}{3} \pi R^{3}=\frac{4}{3} \times \frac{22}{7} \times(2 \cdot 1)^{3} \mathrm{cm}^{2}\)
= 8.8 x 2.1 x 2.1
= 38.808 cm³
धातु का द्रव्यमान = घनत्व – आयतन
= 8.9 x 38.808 g
= 345.39 g (लगभग)
अतः धातु का अभीष्ट द्रव्यमान = 345.39 g. (लगभग)

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प्रश्न 4.
चन्द्रमा का व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग एक-चौथाई है। चन्द्रमा का आयतन पृथ्वी के आयतन की कौन-सी भिन्न है ? (2019)
हल :
मान लीजिए पृथ्वी का व्यास = d मात्रक है ⇒ चन्द्रमा का व्यास = \(\frac { d }{ 4 }\) मात्रक
पृथ्वी की त्रिज्या \(R_{e}=\frac{d}{2}\) मात्रक एवं चन्द्रमा की त्रिज्या \(R_{m}=\frac{d}{8}\) मात्रक
पृथ्वी का आयतन, \(V_{e}=\frac{4}{3} \pi\left(\mathrm{R}_{\mathrm{e}}\right)^{3}=\frac{4}{3} \pi\left(\frac{d}{2}\right)^{3}=\frac{1}{6} \pi d^{3}\) …(1)
चन्द्रमा का आयतन, \(V_{m}=\frac{4}{3} \pi\left(R_{m}\right)^{3}=\frac{4}{3} \pi\left(\frac{d}{8}\right)^{3}=\frac{\pi d^{3}}{384}\) मात्रको
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.8 image 1
अतः चन्द्रमा का आयतन पृथ्वी के आयतन की अभीष्ट भिन्न = \(\frac { 1 }{ 64 }\).

प्रश्न 5.
व्यास 10.5 cm वाले एक अर्द्धगोलाकार कटोरे में कितने लीटर दूध आ सकता है ?
हल :
अर्द्धगोलाकार कटोरे का व्यास, d = 10.5 cm (दिया गया है।)
त्रिज्या R = \(\frac { 10.5 }{ 2 }\) cm = 5.25 cm
कटोरे की धारिता \(V=\frac{2}{3} \pi R^{3}=\frac{2}{3} \times \frac{22}{7} \times(5 \cdot 25)^{3}\)
= 44 x 5.25 x 5.25 x 0.25
= 303.1875 cm³
= 0.3032 लीटर (लगभग)
अत: कटोरे में अभीष्ट 0.3032 लीटर (लगभग) दूध आ सकता है।

प्रश्न 6.
एक अर्द्धगोलाकार टंकी 1 cm मोटी एक लोहे की चादर (sheet) से बनी है। यदि इसकी आन्तरिक त्रिज्या 1 m है तो इस टंकी के बनाने में लगे लोहे का आयतन ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : टंकी की आन्तरिक त्रिज्या R2 = 1 m एवं लोहे की शीट की मोटाई = 1 cm = 0.01 m
⇒ बाह्य त्रिज्या R1 = 1.01 m
लोहे का आयतन V = टंकी का बाह्य आयतन – टंकी का आन्तरिक आयतन
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.8 image 2
अत: लोहे का अभीष्ट आयतन = 0.06286 m³ (लगभग)।

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प्रश्न 7.
उस गोले का आयतन ज्ञात कीजिए जिसका पृष्ठीय क्षेत्रफल 154 cm² है।
हल :
चूँकि गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πR²
\(4 \times \frac{22}{7} R^{2}=154 \Rightarrow R^{2}=\frac{154 \times 7}{4 \times 22}=\left(\frac{7}{2}\right)^{2}\)
\(R=\frac{7}{2} \mathrm{cm}\)
गोले का आयतन \(V=\frac{4}{3} \pi R^{3}=\frac{4}{3} \times \frac{22}{7} \times\left(\frac{7}{2}\right)^{3}\)
\(=\frac{11}{3} \times 49=\frac{539}{3}=179 \cdot 67 \mathrm{cm}^{3}\)
अतः गोले का अभीष्ट आयतन = 179.67 cm³.

प्रश्न 8.
किसी भवन का गुम्बद एक अर्द्धगोले का आकार का है। अन्दर से इसमें सफेदी कराने में Rs 498.96 व्यय हुए। यदि सफेदी कराने की दर Rs 2 प्रति वर्ग मीटर है तो ज्ञात कीजिए
(i) गुम्बद का आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल।
(ii) गुम्बद के अन्दर की हवा का आयतन।
हल :
(i) गुम्बद का आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.8 image 3
अतः गुम्बद का आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 249.48 m².

(ii) अर्द्धगोले का वक्रीय पृष्ठ = 2πR²
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.8 image 4
चूँकि हवा का आयतन V = गुम्बद की धारिता
\(=\frac{2}{3} \pi(R)^{3}=\frac{2}{3} \times \frac{22}{7}(6 \cdot 3)^{3} \mathrm{m}^{3}\)
= 44 x 6.3 x 6.3 x 0.3
= 523.9 m³
अतः हवा का अभीष्ट आयतन = 523.9 m³.

प्रश्न 9.
लोहे के सत्ताईस ठोस गोलों को पिघलाकर जिनमें से प्रत्येक की त्रिज्या r है और पृष्ठीय क्षेत्रफल S है। एक बड़ा गोला बनाया जाता है जिसका पृष्ठीय क्षेत्रफल S’ है। ज्ञात कीजिए:
(i) नये गोले की त्रिज्या r’,
(ii) S और S’ का अनुपात।
हल :
(i) नये गोले का आयतन = 27 पुराने गोलों का आयतन
\(\frac{4}{3} \pi\left(r^{\prime}\right)^{3}=27 \times \frac{4}{3} \pi(r)^{3}\)
(r’)³ = (3r)³ ⇒ r’ = 3r मात्रक
अतः नये गोले की त्रिज्या r’ = 3r मात्रक।।

(ii) S : S’ = 4πr² : 4πr’² = r² : r’²
S : S’ = r² : (3r)² = r² : 9r² = 1 : 9
अतः S : S’ का अभीष्ट अनुपात = 1 : 9.

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प्रश्न 10.
दवाई का एक कैप्सूल (capsule) 3.5 mm व्यास का एक गोला (गोली) है। इस कैप्सूल को भरने के लिए कितनी (mm³) दवाई की आवश्यकता होगी ?
हल :
दवा का आयतन = गोली का आयतन = \(\frac{4}{3} \pi(R)^{3}\)
\(V=\frac{4}{3} \times \frac{22}{7} \times\left(\frac{3 \cdot 5}{2}\right)^{3}\) (चूँकि व्यास 2R = 3.5 दिया है)
\(V=\frac{11}{3} \times 3 \cdot 5 \times 3 \cdot 5 \times 0 \cdot 5=\frac{67 \cdot 375}{3}=22 \cdot 46 \mathrm{mm}^{3}\) (लगभग)
अतः कैप्सूल को भरने के लिए आवश्यक दवा = 22.46 mm³. (लगभग)

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MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

MP Board Class 9th Science Chapter 11 पाठ के अन्तर्गत के प्रश्नोत्तर

प्रश्न शृंखला-1 # पृष्ठ संख्या 164

प्रश्न 1.
किसी वस्तु पर 7 N का बल लगता है। मान लीजिए बल की दिशा में विस्थापन 8 m है (संलग्न चित्र)। मान लीजिए वस्तु के विस्थापन के समय लगातार वस्तु पर बल लगता रहता है। इस स्थिति में किया हुआ कार्य कितना होगा?
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 1
हल:
∵ कार्य (W) = आरोपित बल (F) x बल की दिशा में विस्थापन
कार्य (W) = 7 N x 8 m = 56 N m = 56 J
अतः अभीष्ट कार्य = 56 J.

प्रश्न श्रृंखला-2 # पृष्ठ संख्या 165

प्रश्न 1.
हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया?
उत्तर:
जब बल वस्तु की विस्थापन की दिशा में लगा हो।

प्रश्न 2.
जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो किए गए कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
किया हुआ कार्य (W) = आरोपित बल (F) x बल की दिशा में विस्थापन (S)

प्रश्न 3.
1J कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
एक जूल (1J) कार्य:
“यदि किसी वस्तु पर एक न्यूटन (1 N) का बल आरोपित होने पर वस्तु बल की दिशा में एक मीटर विस्थापित हो तो बल द्वारा उस वस्तु पर किए गए कार्य का परिमाण एक जूल कार्य कहलाता है।”

प्रश्न 4.
बैलों की एक जोड़ी खेत जोतते समय किसी हल पर 140 N बल लगाती है। जोता गया खेत 15 m लम्बा है। खेत की लम्बाई को जोतने में कितना कार्य किया गया? (2019)
हल:
ज्ञात है:
लगाया गया बल
F = 140 N
विस्थापन S= 15 m
ज्ञात करना है:
किया गया कार्य W = ?
किया गया कार्य (W) = बल (F) x बल की दिशा में विस्थापन (S)
⇒ w = 140 N x 15 m
= 2100 Nm (J)
अतः अभीष्ट किया गया कार्य = 2100 J.

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प्रश्न श्रृंखला-3 # पृष्ठ संख्या 169

प्रश्न 1.
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है? (2018)
उत्तर:
गतिज ऊर्जा:
“किसी वस्तु में उसकी गति के कारण कार्य करने की क्षमता उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहलाती है।”

प्रश्न 2.
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखिए। (2018)
उत्तर:
गतिज ऊर्जा (Ek) = \(\frac{1}{2} m v^{2}\)

प्रश्न 3.
5 m s-1 के वेग से गतिशील किसी m द्रव्यमान की वस्तु की गतिज ऊर्जा 25J है। यदि इसके वेग को दो गुना कर दिया जाय तो उसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जायेगी ? यदि इसके वेग को तीन गुना बढ़ा दिया जाय तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी?
हल:
गतिज ऊर्जा Ek = \(\frac{1}{2} m v^{2}\)
\(\frac{1}{2}\)m(5)2 = 25
m = \(\frac{25 \times 25}{25}\) =2 kg
जब वेग को दो गुना कर दिया जाय अर्थात् v1 = 2 x 5 = 10 m s-1
गतिज ऊर्जा Ek1 = \(\frac{1}{2}\) x 2 x (10)2 = 100 J
अतः अभीष्ट गतिज ऊर्जा = 100 J.
जब वेग को तीन गुना कर दिया जाय अर्थात् v2 = 3 x 5 = 15 m s-1
गतिज ऊर्जा Ek2 = x 2 x (15)2 = 225 J
अतः अभीष्ट गतिज ऊर्जा = 225 J.

प्रश्न श्रृंखला-4 # पृष्ठ संख्या 174

प्रश्न 1.
शक्ति को परिभाषित कीजिए। (2018)
उत्तर:
शक्ति:
“किसी वस्तु की कार्य करने की दर उसकी शक्ति कहलाती है।” अर्थात्
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 2

प्रश्न 2.
एक वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
एक वाट शक्ति:
“जब कोई वस्तु एक सेकण्ड में एक जूल कार्य करती है तो उस वस्तु की शक्ति एक वाट शक्ति कहलाती है।”

प्रश्न 3.
एक लैम्प 1000 जूल विद्युत ऊर्जा 10s में व्यय करता है। इसकी शक्ति कितनी है? (2019)
हल:
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 3
अतः अभीष्ट शक्ति = 100W.

प्रश्न 4.
औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
औसत शक्ति-“उपयोग की गयी कुल ऊर्जा एवं उसके उपयोग में लगे कुल समय के अनुपात को औसत शक्ति कहते हैं।” अर्थात्
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 4

MP Board Class 9th Science Chapter 11 पाठान्त अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी’कार्य’ शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इसमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।
1. सूमा एक तालाब में तैर रही है।
2. एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
3. एक पवन चक्की (विण्ड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
4. एक हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
5. एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
6. अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
7. एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।
उत्तर:

  1. कार्य हो रहा है क्योंकि बल भी है और विस्थापन भी।
  2. कार्य नहीं हो रहा क्योंकि बल है, विस्थापन नहीं।
  3. कार्य हो रहा है क्योंकि बल भी है और विस्थापन भी।
  4. कार्य नहीं हो रहा क्योंकि न तो बल है और विस्थापन ही।
  5. कार्य हो रहा है क्योंकि बल भी है और विस्थापन भी।
  6. कार्य नहीं हो रहा है क्योंकि न तो बल है और न विस्थापन ही।
  7. कार्य हो रहा है क्योंकि बल भी है और विस्थापन भी।

प्रश्न 2.
एक पिण्ड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिण्ड के पथ के प्रारम्भिक तथा अन्तिम बिन्दु एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित हैं। पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया ?
उत्तर:
शून्य कार्य किया गया क्योंकि गुरुत्व बल ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर लग रहा है जबकि विस्थापन उसकी क्रियारेखा के लम्बवत् अर्थात् क्षैतिज रेखा में है।

प्रश्न 3.
एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बैटरी में निहित रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है फिर विद्युत ऊर्जा बल्ब द्वारा प्रकाश ऊर्जा एवं ऊष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित होती है।

प्रश्न 4.
20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला कोई बल इसके वेग को 5 m s-1 से 2 m s-1 में परिवर्तित कर देता है। बल द्वारा किए गये कार्य का परिकलन कीजिए।
हल:
बल द्वारा किया गया कार्य = वस्तु की गतिज ऊर्जा में परिवर्तन
w = \(\frac{1}{2}\)mv2 = \(\frac{1}{2}\)m (u2 – v2)
= \(\frac{1}{2}\)x 20 x [(5)2 – (2)]
= 10 x (25 – 4) = 10 x (+21) = + 210 J
अतः बल द्वारा किया गया अभीष्ट कार्य = 210 J.

प्रश्न 5.
10 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड मेज पर Aबिन्दु पर रखा है। इसे बिन्दु B तक लाया जाता है। यदि A और B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा क्योंकि गुरुत्वीय बल ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर है और विस्थापन इसकी क्रियारेखा के लम्बवत् क्षैतिज दिशा में है।

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प्रश्न 6.
मुक्त रूप से गिरते एक पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है ? कारण बताइए।
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण के नियम का कोई उल्लंघन नहीं हो रहा है क्योंकि स्थितिज ऊर्जा पिण्ड की गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती जा रही है।

प्रश्न 7.
जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपान्तरण होते हैं?
उत्तर:
पेशीय स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में रूपान्तरण।

प्रश्न 8.
जब आप सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती है?
उत्तर:
कोई ऊर्जा रूपान्तरण नहीं हो रहा है। हमारे द्वारा व्यय की गई ऊर्जा चट्टान के जड़त्व के विरुद्ध व्यय हो गयी।

प्रश्न 9.
किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 यूनिटें खर्च (व्यय) हुईं। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी?
हल:
चूँकि हम जानते हैं कि ‘एक यूनिट’ ऊर्जा = 3.6 x 106 J
इसलिए 250 यूनिटें = 250 x 3.6 x 106 J = 9 x 108 J
अतः ऊर्जा का जूल में अभीष्ट मान = 9 x 108 J.

प्रश्न 10.
40 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड धरती से 5 m की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है? यदि पिण्ड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाय तो जब पिण्ड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g = 10 m s-2)
हल:
ज्ञात है:
पिण्ड का द्रव्यमान m = 40 kg
पिण्ड की ऊँचाई h = 5 m
गुरुत्वीय त्वरण g = 10 m s-2
स्थितिज ऊर्जा Ep = mgh
Ep = 40 x 10 x 5 = 2,000 J
आधे रास्ते (आधी ऊँचाई) पर पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा
Ep = 40 x 10 x 2 = 1,000 J
शेष स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।
इसलिए
आधे रास्ते पर गतिज ऊर्जा = 2,000 J – 1,000 J = 1,000 J
अतः अभीष्ट स्थितिज ऊर्जा = 2,000 J एवं
आधे रास्ते पर अभीष्ट गतिज ऊर्जा = 1,000 J.

प्रश्न 11.
पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जायेगा? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर:
गुरुत्व बल द्वारा शून्य कार्य किया जायेगा। क्योंकि गुरुत्व बल के अनुदिश विस्थापन शून्य है।

प्रश्न 12.
क्या किसी पिण्ड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में इसका विस्थापन हो सकता है? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर:
नहीं हो सकता।

प्रश्न 13.
कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर:
कार्य नहीं किया क्योंकि विस्थापन नहीं हुआ।

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प्रश्न 14.
एक विद्युत हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500 W है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा?
हल:
ऊर्जा = शक्ति x समय
= 1500 W x 10 घण्टे
15,000 वाट घण्टे = 15 किलोवाट घण्टे (यूनिट)
अतः अभीष्ट प्रयुक्त ऊर्जा -15 यूनिट (kWh).

प्रश्न 15.
जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है। अन्ततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है ? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है?
उत्तर:
चित्रानुसार जब हम किसी लोलक OA को एक ओर B तक ले जाकर छोड़ते हैं तो वह 8 से A, A से C पुन: C से A तक दोलन करता है।
इस स्थिति में B पर गोलक में अधिकतम स्थितिज ऊर्जा होती है तथा गतिज ऊर्जा शून्य होती है, गोलक को छोड़ने पर वह A की तरफ आता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा में कमी होती जाती है। यह कमी गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। स्थिति A पर अधिकतम गतिज ऊर्जा तथा शून्य स्थितिज ऊर्जा होती है। कुल ऊर्जा का योग नियत रहता है। B से C तक गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित होती जाती है और पुन: C से A तक स्थितिज ऊर्जा गतिज | ऊर्जा में। इस प्रकार यह ऊर्जा संरक्षण नियम का पालन करता है।
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 5
कुछ समय पश्चात् लोलक विरामावस्था में आ जाता है क्योंकि उस पर वायु द्वारा घर्षण बल लगता है। अन्ततः इसकी ऊर्जा घर्षण बल के विरुद्ध व्यय हो जाती है।

प्रश्न 16.
m द्रव्यमान का एक पिण्ड नियत वेग v से गतिशील है। पिण्ड पर कितना कार्य करना चाहिए कि वह विराम अवस्था में आ जाये?
उत्तर:
चूँकि पिण्ड की गतिज ऊर्जा Ek = \(\frac{1}{2}\)mv2 है इसलिए इसे विरामावस्था में लाने के लिए \(\frac{1}{2}\)mv2 के बराबर कार्य करना होगा।

प्रश्न 17.
1500 kg द्रव्यमान की कार को, जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
हल:
कार का वेग = 60 km/h
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 6
अतः कार को रोकने के लिए आवश्यक अभीष्ट कार्य = 208333.3J

प्रश्न 18.
निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिण्ड पर बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लम्बे तीर से प्रदर्शित की गयी है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 7
उत्तर:
स्थिति (a) में कार्य शून्य है।
स्थिति (b) में कार्य धनात्मक है।
स्थिति (c) में कार्य ऋणात्मक है।

प्रश्न 19.
सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं? बताइए, क्यों?
उत्तर:
हाँ, यह सम्भव है। जब बलों का परिणामी बल शून्य हो अथवा वस्तु के जड़त्व से कम हो।

प्रश्न 20.
चार युक्तियाँ, जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500 w है, 10 घण्टे तक उपयोग में लायी जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गयी ऊर्जा kWh में परिकलित कीजिए।
हल:
व्यय ऊर्जा (kWh में) = \(\frac{4 \times 500 \times 10}{1000}\) = 20 kWh

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प्रश्न 21.
मुक्त रूप से गिरता एक पिण्ड अन्ततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर:
पिण्ड की गतिज ऊर्जा पृथ्वी तल से संघट्ट में व्यय हो जाती है।

MP Board Class 9th Science Chapter 11 परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

MP Board Class 9th Science Chapter 11 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जब कोई पिण्ड मुक्त रूप से पृथ्वी की ओर गिरता है, तो इसकी कुल ऊर्जा –
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) अचर रहती है
(d) पहले बढ़ती है, फिर घटती है
उत्तर:
(c) अचर रहती है

प्रश्न 2.
कोई कार किसी समतल सड़क पर त्वरित होकर अपने प्रारम्भिक वेग का चार गुना वेग प्राप्त कर लेती है। इस प्रक्रिया में कार की स्थितिज ऊर्जा –
(a) परिवर्तित नहीं होती
(b) प्रारम्भिक ऊर्जा की दो गुनी हो जाती है
(c) प्रारम्भिक ऊर्जा की चार गुनी हो जाती है
(d) प्रारम्भिक ऊर्जा की सोलह गुनी हो जाती है।
उत्तर:
(a) परिवर्तित नहीं होती

प्रश्न 3.
ऋणात्मक कार्य के प्रकरण में बल एवं विस्थापन के बीच कोण होता है –
(a) 0°
(b) 45°
(c) 90°
(d) 180°
उत्तर:
(d) 180°

प्रश्न 4.
10 kg द्रव्यमान के लोहे तथा 3.5 kg द्रव्यमान के ऐलुमिनियम के गोलों के व्यास समान हैं। दोनों गोले किसी मीनार से एक साथ गिराये जाते हैं। जब वे भूतल से 10 m ऊपर होते हैं, तब इनके समान होते/होती हैं –
(a) त्वरण
(b) संवेग
(c) स्थितिज ऊर्जा
(d) गतिज ऊर्जा
उत्तर:
(a) त्वरण

प्रश्न 5.
कोई लड़की अपनी पीठ पर 3 kg द्रव्यमान का बस्ता उठाये किसी समतल सड़क पर 300 m की दूरी तय करती है। इसके द्वारा गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध किया जाने वाला कार्य होगा(g = 10 m s-2)
(a) 6 x 103 J
(b) 6J
(c) 0.6 J
(d) शून्य
उत्तर:
(d) शून्य

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में कौन ऊर्जा का मात्रक नहीं है?
(a) जूल
(b) न्यूटन-मीटर
(c) किलोवाट
(d) किलोवाट घण्टा
उत्तर:
(c) किलोवाट

प्रश्न 7.
किसी पिण्ड पर किया गया कार्य निम्नलिखित में से किस पर निर्भर नहीं करता?
(a) विस्थापन
(b) लगाया गया बल
(c) बल एवं विस्थापन के बीच कोण
(d) पिण्ड का प्रारम्भिक वेग।
उत्तर:
(d) पिण्ड का प्रारम्भिक वेग।

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प्रश्न 8.
बाँध के संग्रहीत जल में – (2019)
(a) कोई ऊर्जा नहीं होती
(b) विद्युत ऊर्जा होती है
(c) गतिज ऊर्जा होती है
(d) स्थितिज ऊर्जा होती है
उत्तर:
(d) स्थितिज ऊर्जा होती है

प्रश्न 9.
एक पिण्ड h ऊँचाई से गिर रहा है। h/2 ऊँचाई गिरने के पश्चात् इसमें होगी –
(a) केवल स्थितिज ऊर्जा
(b) केवल गतिज ऊर्जा
(c) आधी स्थितिज ऊर्जा आधी गतिज ऊर्जा
(d) अधिक गतिज ऊर्जा और कम स्थितिज ऊर्जा।
उत्तर:
(c) आधी स्थितिज ऊर्जा आधी गतिज ऊर्जा

प्रश्न 10.
सामर्थ्य P एवं कार्य W में सम्बन्ध होता है –
(a) P = Wt
(b) t = WP
(c) W = Pt
(d) PWt = 1.
उत्तर:
(c) W = Pt

प्रश्न 11.
किलोवाट घण्टा में होते हैं –
(a) 3.6 x 106 वाट
(b) 3.6 x 106 जूल
(c) 3.6 x 106 अर्ग
(d) 3.6 x 106 कैलोरी
उत्तर:
(b) 3.6 x 106 जूल

प्रश्न 12.
स्थितिज ऊर्जा के प्रकार हैं –
(a) गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
(b) प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा
(c) ये दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) ये दोनों

प्रश्न 13.
एक व्यक्ति 10 kg भार सिर पर रखकर 10 मीटर क्षैतिज तल पर दूरी तय करता है। उसके द्वारा किया गया कार्य होगा –
(a) शून्य
(b) 100 kg भार मीटर
(b) 100 जूल
(d) 1 जूल
उत्तर:
(a) शून्य

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प्रश्न 14.
ऊर्जा का S.I. मात्रक होगा – (2019)
(a) वाट
(b) अश्व शक्ति
(c) अर्ग
(d) जूल
उत्तर:
(d) जूल

प्रश्न 15.
कार्य करने की क्षमता को कहते हैं –
(a) ऊर्जा
(b) कार्य
(c) शक्ति
(d) ऊष्मा
उत्तर:
(a) ऊर्जा

रिक्त स्थानों की पूर्ति

1. जब वस्तु का विस्थापन आरोपित बल की दिशा में हो तो कार्य ……………. होता है।
2. जब वस्तु का विस्थापन आरोपित बल के लम्बवत् हो तो कार्य ……………. होता है।
3. विद्युत् ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक ……………. होता है।
4. एक अश्व शक्ति …………… वाट के बराबर होता है।
5. सामर्थ्य का S.I. मात्रक …………… होता है।
6. कार्य का S.I. मात्रक ………….. है।
उत्तर:

  1. महत्तम
  2. शून्य
  3. किलोवाट-घण्टा
  4. 746
  5. वाट
  6. जूल।

सही जोड़ी बनाना
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 8
उत्तर:

  1. → (iii)
  2. → (iv)
  3. → (v)
  4. → (i)
  5. → (ii).

सत्य/असत्य कथन

1. कार्य करने की दर ऊर्जा कहलाती है।
2. गति के कारण कार्य करने की क्षमता गतिज ऊर्जा होती है।
3. सामर्थ्य का S.I. मात्रक अश्व शक्ति होता है।
4. दीवार पर बल लगाने से शून्य कार्य होता है।
5. प्रत्येक प्रकार की ऊर्जा का S.I. मात्रक जूल होता है।
6. गतिज ऊर्जा का सूत्र E = mgh होता है।
उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. सत्य
  6. असत्य।

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एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
यदि बल F एवं विस्थापन S के मध्य कोण हो तो किये कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
कार्य (W) = बल (F) x विस्थापन (S) x cos θ

प्रश्न 2.
कार्य का S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर:
जूल।

प्रश्न 3.
ऊर्जा का S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर:
जूल।

प्रश्न 4.
एक किलोवाट-घण्टा में कितने जूल होते हैं? (2019)
उत्तर:
3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 5.
कार्य करने की क्षमता क्या कहलाती है?
उत्तर:
ऊर्जा।

प्रश्न 6.
वस्तु की गति के कारण कार्य करने की क्षमता को क्या कहते हैं?
उत्तर:
गतिज ऊर्जा।

प्रश्न 7.
गतिज ऊर्जा का व्यंजक लिखिए। (2019)
उत्तर:
गतिज ऊर्जा Ek = \(\frac{1}{2}\)m2

प्रश्न 8.
किसी वस्तु की विशेष स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता क्या कहलाती है?
उत्तर:
स्थितिज ऊर्जा।

प्रश्न 9.
गुरुत्वीय बल के कारण कार्य करने की क्षमता क्या कहलाती है?
उत्तर:
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा।

प्रश्न 10.
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा Ep = mgh.

प्रश्न 11.
कार्य करने की दर को क्या कहते हैं?
उत्तर:
शक्ति (सामर्थ्य)।

प्रश्न 12.
सामर्थ्य (शक्ति) का S. I. मात्रक लिखिए।
उत्तर:
वाट।

प्रश्न 13.
कार्य (W) एवं शक्ति (सामर्थ्य P) में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
शक्ति (सामर्थ्य)
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 9

प्रश्न 14.
हॉर्स पावर (अश्व शक्ति) किस भौतिक राशि का मात्रक है? (2019)
उत्तर:
शक्ति (सामर्थ्य) का।

प्रश्न 15.
एक हॉर्स पावर (अश्व शक्ति) में कितने वाट होते हैं?
उत्तर:
746 वाट।

MP Board Class 9th Science Chapter 11 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्य को परिभाषित कीजिए तथा मात्रक लिखिए। (2019)
उत्तर:
कार्य-“किसी वस्तु पर लगे बल एवं बल की दिशा में पिण्ड के विस्थापन के गुणनफल को कार्य कहते हैं।” अर्थात्
कार्य (W) = बल (F) x बल की दिशा में विस्थापन (S)
कार्य का मात्रक – जूल।

प्रश्न 2.
ऊर्जा क्या है? ऊर्जा का मात्रक लिखिए। (2019)
उत्तर:
ऊर्जा:
“किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता उस वस्तु की ऊर्जा कहलाती है।”
ऊर्जा का मात्रक – जूल।

प्रश्न 3.
किसी वस्तु की स्थितिज ऊर्जा को परिभाषित कीजिए। (2018)
उत्तर:
स्थितिज ऊर्जा:
“किसी वस्तु की स्थिति के कारण कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।”

प्रश्न 4.
धनात्मक कार्य क्या है?
उत्तर:
धनात्मक कार्य:
“किसी वस्तु पर बल आरोपित करने पर यदि विस्थापन बल की दिशा में हो तो किया गया कार्य धनात्मक कार्य कहलाता है।”

प्रश्न 5.
ऋणात्मक कार्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऋणात्मक कार्य:
किसी वस्तु पर बल आरोपित करने पर यदि विस्थापन बल की दिशा के विपरीत दिशा में हो तो किया गया कार्य ऋणात्मक कार्य कहलाता है।

प्रश्न 6.
किसी वस्तु की संहति दोगुनी करने पर या उसका वेग दोगुना करने पर उसकी गतिज ऊर्जा किस स्थिति में अधिक प्रभावित होगी और क्यों?
उत्तर:
उसकी संहति दोगुनी करने पर गतिज ऊर्जा दोगुनी होगी जबकि वेग दोगुना करने पर गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जायेगी।

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प्रश्न 7.
यदि किसी पिण्ड का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाये तो उसकी गतिज ऊर्जा किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर:
यदि किसी पिण्ड का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाये तो उसकी गतिज ऊर्जा पहले की दोगुनी हो जायेगी, क्योंकि गतिज ऊर्जा द्रव्यमान के समानुपाती होती है।

प्रश्न 8.
यदि किसी पिण्ड का वेग आधा कर दिया जाये तो उसकी गतिज ऊर्जा किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर:
यदि किसी पिण्ड का वेग आधा कर दिया जाये तो उसकी गतिज ऊर्जा पहले की \(\frac{1}{4}\) (चौथाई) रह जायेगी, क्योंकि गतिज ऊर्जा वेग के वर्ग के समानुपाती होती है।

प्रश्न 9.
ऊर्जा संरक्षण का नियम लिखिए। (2018, 19)
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Energy):
“किसी निकाय की सम्पूर्ण ऊर्जा का योग सदैव नियत रहता है।”

प्रश्न 10.
एक रॉकेट ऊपर की ओर v वेग से गतिमान है। यदि रॉकेट का वेग एकाएक तीन गुना हो जाय तो उसकी प्रारम्भिक एवं अन्तिम गतिज ऊर्जाओं का अनुपात क्या होगा?
हल:
माना राकेट का द्रव्यमान m एवं प्रारम्भिक वेग v है तो राकेट का अन्तिम वेग v’ = 3v होगा।
प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा Eki = \(\frac{1}{2}\)mv2
अन्तिम गतिज ऊर्जा Ekf = \(\frac{1}{2}\)mv’2 = \(\frac{1}{2}\)m (3v)2 = \(\frac{9}{2}\)m2
प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा Eki : अन्तिम गतिज ऊर्जा Ekf = \(\frac{1}{2}\)mv2
Eki : Ekf = 1 : 9
अतः गतिज ऊर्जाओं में अभीष्ट अनुपात = 1 : 9

प्रश्न 11.
अविनाश 10 N के घर्षण बल के विरुद्ध 8 m s-1 की चाल से दौड़ सकता है और कपिल 25 N के घर्षण बल के विरुद्ध 3 m s-1 के वेग से दौड़ सकता है। इनमें कौन अधिक शक्तिशाली है?
हल:
अविनाश की शक्ति (सामर्थ्य)= घर्षण बल x वेग = 10 N x 8 m s-1
PA = 80 N m s
कपिल की शक्ति (सामर्थ्य) = घर्षण बल x वेग = 25 Nx 3 m s-1
PK = 75 N m s-1
अतः अविनाश अधिक शक्तिशाली है।

प्रश्न 12.
क्या किसी पिण्ड का संवेग शुन्य होने पर भी उसमें यान्त्रिक ऊर्जा हो सकती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, हो सकती है क्योंकि संवेग शून्य होने पर वेग शून्य होगा तथा गतिज ऊर्जा शून्य हो जाएगी लेकिन स्थितिज ऊर्जा तो हो ही सकती है अत: यान्त्रिक ऊर्जा हो सकती है।

प्रश्न 13.
क्या किसी पिण्ड की यान्त्रिक ऊर्जा शून्य होने पर उसमें संवेग हो सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संवेग नहीं हो सकता क्योंकि यान्त्रिक ऊर्जा शून्य होने से गतिज एवं स्थितिज दोनों ऊर्जाएँ शून्य होंगी। इसलिए वेग भी शून्य होगा, अतः संवेग शून्य होगा।

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प्रश्न 14.
किसी मोटर की शक्ति 2 kW है। यह पम्प प्रति मिनट कितना जल 10 m की ऊँचाई तक उठा सकता है? (दिया है: g= 10 m s-2)
हल:
ज्ञात है:
P = 2 kw = 2000 w
∆t = 1 मिनट = 60 s
g = 10 m s-2
h = 10 m
माना यह पम्प m kg जल उठा सकता है, तो
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 10
= 1200 kg
अतः पम्प प्रति मिनट 1200 kg जल उठा सकता है।

प्रश्न 15.
किसी व्यक्ति का ग्रह A पर भार उसके पृथ्वी पर भार का लगभग आधा है। वह पृथ्वी के पृष्ठ पर 0.4 m की ऊँची छलाँग लगा सकता है। ग्रह A पर वह कितनी ऊँची छलाँग लगाएगा?
उत्तर:
व्यक्ति का भार पृथ्वी की अपेक्षा A ग्रह पर आधा है। इसलिए ग्रह पर गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण के मान का आधा होगा। अतः उतने ही पेशीय बल से वह दो गुनी अर्थात् 2 x 0.4 m = 0.8 m ऊँची छलाँग लगा सकेगा।

प्रश्न 16.
क्या यह सम्भव है कि कोई पिण्ड बाह्य बल लगने के कारण त्वरित गति की अवस्था में तो हो, परन्तु इस पर बल द्वारा कोई कार्य न हो रहा हो? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, यह सम्भव है, यदि पिण्ड वृत्ताकार पथ पर चल रहा है, क्योंकि यहाँ पर बल सदैव विस्थापन की दिशा के लम्बवत् कार्य करता है।

प्रश्न 17.
कोई गेंद 10 m की ऊँचाई से गिरायी जाती है। यदि धरातल से टकराने के पश्चात् गेंद की ऊर्जा 40% कम हो जाती है, तो यह कितनी ऊँचाई तक ऊपर उठेगी ? (g= 10 m s-3)
हल:
टकराते समय गेंद की ऊर्जा = mgh = m x 10 x 10 = 100 mJ
चूँकि ऊर्जा में ह्रास 40% है अतः 60% ऊर्जा शेष रहेगी।
माना गेंद h’ ऊचाई तक ऊपर उठती है तो
mgh’ = 100 m का 60%
10 mh’ = 60 m = h’ ⇒ 6 m
अतः गेंद अभीष्ट ऊँचाई 6 m तक उठेगी।

प्रश्न 18.
यदि 1200 W की विद्युत इस्तरी को प्रतिदिन 30 मिनट उपयोग में लाया जाए तो अप्रैल माह में प्रयुक्त विद्युत ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रयुक्त विद्युत ऊर्जा
ज्ञात है:
P = 1200w
t = 30, mt = 30/60 hr
दिन = 30
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 11
अतः प्रयुक्त अभीष्ट ऊर्जा = 18 kWh (यूनिट) दिन

प्रश्न 19.
अग्रलिखित कथनों को पढ़िए और बताइए कि कार्य हो रहा है या नहीं? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क भी दीजिए –
(a) आप दस सीढ़ियाँ चढ़ते हैं। प्रत्येक सीढ़ी की ऊर्ध्वाधर ऊँचाई 20 सेमी है।
(b) कोई व्यक्ति अपने सिर पर 10 kg भार उठाए हुए है। वह क्षैतिज समतल पर 20 m जाता है।
उत्तर:
(a) इस स्थिति में कार्य हो रहा है, क्योंकि गुरुत्वीय बल के विपरीत दिशा में 10 x 20 सेमी = 2 मीटर (m) विस्थापन करने में हमको कार्य करना पड़ रहा है।

(b) इस स्थिति में कार्य नहीं हो रहा है, क्योंकि गुरुत्वीय बल ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर है तथा विस्थापन उसके लम्बवत् क्षैतिज तल में।

प्रश्न 20.
शक्ति (सामर्थ्य) को परिभाषित कीजिए तथा इसका मात्रक लिखिए। (2019)
उत्तर:
शक्ति (सामर्थ्य):
“कार्य करने की दर को शक्ति (सामर्थ्य) कहते हैं।”
शक्ति (सामर्थ्य) का मात्रक – ‘वाट’।

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MP Board Class 9th Science Chapter 11 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरुत्व के विरुद्ध सम्पन्न कार्य के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए।
अथवा
h ऊँचाई पर स्थित m द्रव्यमान के पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक स्थापित कीजिए।
उत्तर:
मान लीजिए कि कोई पिण्ड जिसका द्रव्यमान m है तथा जो पृथ्वी तल से h ऊँचाई पर स्थित है तो पिण्ड में सन्निहित स्थितिज ऊर्जा गुरुत्व के विरुद्ध पिण्ड को उठाने में सम्पन्न कार्य के बराबर होगी। चूँकि पिण्ड को उठाने में आवश्यक न्यूनतम बल का मान उसके भार mg के बराबर होगा, जहाँ g गुरुत्वीय त्वरण है।
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 12
अतः गुरुत्व के विरुद्ध सम्पन्न कार्य = बल (भार) x बल की दिशा में विस्थापन
W = mgh
⇒ स्थितिज ऊर्जा Ep = mgh

प्रश्न 2.
एक लड़का किसी सीधी सड़क पर 5 N के घर्षण बल के विरुद्ध गतिमान है। 1.5 km की दूरी चलने के बाद वह 100 m त्रिज्या के गोल चक्कर (संलग्न चित्र) पर सही भाग भूल जाता है। परन्तु वह उस वृत्ताकार मार्ग पर डेढ़ चक्कर लगाता है और फिर 2.0 km तक आगे जाता है। उसके द्वारा चित्र 11.5 किया गया कार्य परिकलित कीजिए।
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 13
हल:
ज्ञात है:
घर्षण बल F = 5 N
दूरी S1 = 1.5 km = 1500 m
चक्कर में सीधी चली गई दूरी
S22 = चक्कर का व्यास
=2 x 100 = 200 m
दूरी S3 = 2.0 km = 2000 m
चूँकि कार्य W = FS
⇒ W = F.(S1 + S2 + S3)
= 5x (1500 + 200 + 2000)
=5 x 3700
= 18500J
अतः अभीष्ट कार्य = 18500 J.

प्रश्न 3.
सरल रेखा में गतिमान किसी पिण्ड पर गति की दिशा में कुछ दूरी तक एक नियत बल F लगाकर इसका वेग बढ़ाया गया है। सिद्ध कीजिए कि पिण्ड की गतिज ऊर्जा में वृद्धि पिण्ड पर बल द्वारा किए गए कार्य के बराबर होती है।
हल:
गति के तृतीय समीकरण:
v2 – v2 = 2as से S = \(\frac{v^{2}-u^{2}}{2 a}\) …(1)
F = m.a ….(2)
कार्य W = F.S …(3)
कार्य w = ma \(\left(\frac{v^{2}-u^{2}}{2 a}\right)\)
कार्य w = \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac{1}{2}\) mu2 = गतिज ऊर्जा में वृद्धि
अतः पिण्ड की गतिज ऊर्जा में वृद्धि पिण्ड पर बल द्वारा किए गए कार्य के बराबर होती है।

प्रश्न 4.
एक हल्का तथा दूसरा भारी, दो पिण्डों के संवेग समान हैं। इनकी गतिज ऊर्जाओं का अनुपात ज्ञात कीजिए। इनमें किसकी गतिज ऊर्जा अधिक है?
हल:
माना दो पिण्डों के द्रव्यमान क्रमशः m1 एवं m2 जहाँ m1 < m2 तथा वेग v1 एवं हैं तो प्रश्न के अनुसार
P1 = P2 ⇒ m1v1 = m2v2 ⇒ \(\frac{m_{1}}{m_{2}}=\frac{v_{2}}{v_{1}}\)
चूँकि m1 < m2 इसलिए, v1 > v2
अब Ek1 : Ek2 = \(\frac{1}{2}\) m1v12 : m2v22
⇒ Ek1 : Ek2 = (m1v1)v1 : (m2v2)v2
लेकिन m1v1 = m2v2 (दिया है)
⇒Ek1 : Ek2 = v1 : v2.
चूँकि v1 > v2 = Ek1 > Ek2
अत: गतिज ऊर्जाओं का अभीष्ट अनुपात = v1 : v2 तथा हल्के पिण्ड की गतिज ऊर्जा अधिक है।

प्रश्न 5.
35 kg द्रव्यमान की एक लड़की 5 kg द्रव्यमान की एक ट्रॉली पर बैठी है। ट्रॉली पर बल लगाकर इसे 4 m s-1 का प्रारम्भिक वेग प्रदान किया जाता है। ट्रॉली 16 m दूर चलकर रुक जाती है –
(a) ट्रॉली पर कितना कार्य किया गया?
(b) लड़की ने कितना कार्य किया?
हल:
ज्ञात है:
लड़की का द्रव्यमान m1 = 35 kg
ट्रॉली का द्रव्यमान m2 = 5 kg
प्रारम्भिक वेग u = 4 m s-1
अन्तिम वेग v = 0 m s-1
तय की गई दूरी S = 16 m
हम जानते हैं कि (तृतीय समीकरण) से
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 14
अब बल F = ma = (m1 + m2) a
= (35 + 5) (-0.5) = 40 (-0.5) = – 20 N

(a)
ट्रॉली पर किया गया कार्य W = F x S = 20 Nx 16 m
= 320 Nm (J)

(b)
लड़की द्वारा किया गया कार्य = 0 J
अतः ट्रॉली पर किया गया अभीष्ट कार्य = 320 J एवं लड़की द्वारा किया गया अभीष्ट कार्य = 0J है।

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प्रश्न 6.
शक्ति क्या है? किलोवाट एवं किलोवाट-घण्टा में क्या अन्तर है? कर्नाटक में जोग फाल्स (झरना) लगभग 20 m ऊँचा है। इससे 1 मिनट में 2000 टन पानी गिरता है। यदि यह सम्पूर्ण ऊर्जा उपयोग में लाई जाये तो समतुल्य शक्ति परिकलित कीजिए। (g = 10 m s-2)
उत्तर:
शक्ति:
“कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं।” किलोवाट एवं किलोवाट-घण्टा में अन्तर-किलोवाट शक्ति (सामर्थ्य) का मात्रक है जबकि किलोवाटघण्टा ऊर्जा का मात्रक है।
संख्यात्मक भाग का हल :
ज्ञात है:
झरने की ऊँचाई h = 20 m
समय t = 1 मिनट = 60s
जल का द्रव्यमान
m = 2000 टन
= 2 x 103 x 103 kg
= 2 x 106 kg
g = 10 m s-2
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 15
अतः अभीष्ट शक्ति = 6.7 x 106w.

प्रश्न 7.
शक्ति और वह चाल जिससे कोई वस्तु ऊपर उठायी जाती है, में क्या सम्बन्ध होता है? 100W शक्ति पर कार्य करता हुआ कोई व्यक्ति कितने किलोग्राम द्रव्यमान को 1 m s-1 की नियत चाल से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर उठा सकता है।
(g = 10 m s-1)
हल:
शक्ति एवं चाल में सम्बन्ध:
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 16
संख्यात्मक भाग:
ज्ञात है:
शक्ति P = 100
चाल v = 1 m s-1
एवं g = 10 m s-2
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 17
अत: जल का अभीष्ट द्रव्यमान = 10 kg.

प्रश्न 8.
वाट की परिभाषा लिखिए। किलोग्राम को जूल प्रति सेकण्ड के पदों में व्यक्त कीजिए। 150 kg का कोई कार का इंजन प्रत्येक kg के लिए 500 W शक्ति विकसित करता है। कार को 20 m s-1 चाल से गति कराने के लिए इंजन को कितना बल लगाना पड़ेगा?
उत्तर:
एक वाट-“किसी युक्ति की वह सामर्थ्य जो 1s में 1 J कार्य करती है, एक वाट कहलाती है।”
1 किलोवाट = 1000 J s-1
संख्यात्मक भाग का हल:
ज्ञात है:
कार इंजन का द्रव्यमान m = 150 kg
प्रति किलोग्राम विकसित शक्ति P = 500 W
कार की चाल v = 20 m s-1
कुल शक्ति = 150 x 500 W
= 7.5 x 104w
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 18
अतः अभीष्ट बल = 3.75 x 103 N अर्थात् 3750 N.

प्रश्न 9.
आगे दिए गए प्रत्येक प्रकरण में गुरुत्व बल के विरुद्ध ऊपर की ओर गति करने की शक्तियों की तुलना कीजिए –
(i) 1.0g द्रव्यमान की तितली 0.5 m s-1 की चाल से ऊपर की ओर उड़ती है।
(ii) 250g की गिलहरी 0.5 m s-1 की दर से पेड़ पर चढ़ती है।
हल:
ज्ञात है:
तितली का द्रव्यमान ma = 1.9g
तितली की चाल v1 = 0.5 m s-1
गिलहरी का द्रव्यमान m2 = 250 g
गिलहरी की चाल v2 = 0.5 m s-1g
शक्ति P = mgv
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 19
= 1.25 W
अतः पेड़ पर चढ़ती गिलहरी की शक्ति उड़ती तितली की शक्ति से बहुत अधिक है।

प्रश्न 10.
चार व्यक्ति 250 kg के बॉक्स को 1 m की ऊँचाई तक उठाते हैं और उसे बिना ऊपर-नीचे किए थामे रखते हैं।
(a) वे व्यक्ति बॉक्स को ऊपर उठाने में कितना कार्य करते हैं।
(b) बॉक्स ऊपर थामे रखने में वे कितना कार्य करते हैं?
(c) बॉक्स को थामे रखने में वे थक क्यों जाते हैं? (g = 10 m s-2)
हल:
ज्ञात है:
बॉक्स का द्रव्यमान m = 250 kg
ऊँचाई में विस्थापन h = 1 m
गुरुत्वीय त्वरण g = 10 m s-2

(a) कार्य (W) = mgh
= 250 x 10 x 1 = 2500J
अतः अभीष्ट कार्य = 2500 J.

(b) अभीष्ट कार्य शून्य क्योंकि थामे रखने में विस्थापन शून्य है।

(c) बॉक्स को पकड़े रखने के प्रयास में व्यक्ति इस पर बल लगाते हैं जो बॉक्स पर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल के परिमाण में बराबर होता है और विपरीत दिशा में। यह बल आरोपित करने में पेशियों का आयाम सम्मिलित होता है इसलिए थक जाते हैं।

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प्रश्न 11:
ऊर्जा संरक्षण के नियम को उदाहरण देकर समझाइए। (2018, 19)
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण के नियम की उदाहरण सहित व्याख्या:
1. जब कोई वस्तु (पिण्ड) ऊपर से गिराया जाता है तो उसकी प्रारम्भिक अवस्था में गतिज ऊर्जा शून्य होती है तथा स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है। जैसे-जैसे पिण्ड नीचे गिरता जाता है उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है तथा स्थितिज ऊर्जा घटती जाती है। हर स्थिति में उसकी कुल ऊर्जा का योग नियत रहता है। इससे ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन होता है।

2. दोलन करते हुए सरल लोलक में अन्तर बिन्दुओं पर शून्य गतिज ऊर्जा एवं अधिकतम स्थितिज ऊर्जा होती है तथा मध्यमान स्थिति में अधिकतम गतिज ऊर्जा तथा शून्य स्थितिज ऊर्जा होती है तथा प्रत्येक स्थिति में दोनों ऊर्जाओं का कुल योग नियत रहता है।

प्रश्न 12.
10 kg द्रव्यमान की एक वस्तु को धरती से 6 मी. की ऊँचाई तक उठाया गया है, इस वस्तु में विद्यमान ऊर्जा का परिकलन कीजिए। जबकि (g = 9.8 m/s2) है। (2019)
हल:
ज्ञात है:
m = 10 kg
g = 9.8 m/s2
h = 6 m
∵ वस्तु में विद्यमान ऊर्जा = mgh
ऊर्जा = 10 x 9.8 x 6 जूल
= 588 जूल
अतः वस्तु में विद्यमान अभीष्ट ऊर्जा (स्थितिज ऊर्जा) = 588 जूल।

MP Board Class 9th Science Chapter 11 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि m द्रव्यमान का पिण्ड v वेग से गतिमान है तो उसकी गतिज ऊर्जा होगी –
Ek = \(\frac{1}{2}\)mv2
उत्तर:
मान लीजिए कि वस्तु का द्रव्यमान m है। इस वस्तु पर बल F लगाने पर वस्तु में a त्वरण उत्पन्न हो जाता है तो न्यूटन के गति के दूसरे नियम से –
F = m.a …(i)
यह बल वस्तु में बल की दिशा में 5 विस्थापन उत्पन्न कर देता है तो बल द्वारा वस्तु पर सम्पन्न कार्य
W = F.S. …(ii)
W = mas [समी. (i) एवं (ii) से] …(iii)
माना कि वस्तु का प्रारम्भिक वेग ॥ है तथा बल F लगाने पर वस्तु का वेग v हो जाता है तब गति से तृतीय समीकरण v2 = u2 + 2as से,
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 20
वस्तु पर सम्पन्न कार्य ही उसकी गतिज ऊर्जा के रूप में संचित होता है। अतः
गतिज ऊर्जा Ek = \(\frac{1}{2}\)mv2 यही अभीष्ट व्यंजक है।

प्रश्न 2.
कोई स्वचालित इंजन किसी 1000 kg द्रव्यमान की कार (A) को 36 km h-1 की चाल से समतल सड़क पर खींचता है। यदि वह गति 100 N घर्षण बल के तुल्य है तो इंजन की शक्ति परिकलित कीजिए। अब मान लीजिए 200 m चलने के पश्चात् कार समान द्रव्यमान की किसी दूसरी स्थिर कार (B) से टकराकर स्वयं विरामावस्था में आ जाती है। मान लीजिए उसी क्षण इसका इंजन भी रुक जाता है। अब कार (B) का इंजन चालू नहीं है और संघट्ट के पश्चात् यह उसी समतल सड़क पर चलना प्रारम्भ कर देती है। संघट्ट के तुरन्त पश्चात् कार B की चाल परिकलित कीजिए।
हल:
चूँकि कार A एकसमान चाल से चलती है। इसका अर्थ है कि कार का इंजन घर्षण बल के बराबर बल आरोपित करता है।
ज्ञात है:
m(A) = m(B)
= 1000 kg
v = 36 kmh-1
\(36 \times \frac{5}{18}\)
= 10 m s-1
घर्षण बल F = 100 N
uA = 10 m s-1
uB = 0 m s-1
vA = 0 m s-1
vB = ?
MP Board Class 9th Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा image 21
= 100N x 10 m s-1
= 1000w
संघट्ट के पश्चात्
mAuA + mBuB = mAvA + mBvB
⇒ 1000 x 10 + 1000 x 0 = 1000 x 0+ 1000 X vB
⇒ 10.000 + 0 = 0 + 1000 vB
⇒ vB = 10,000/1000 = 10 m s-1
अत: कार B का अभीष्ट वेग = vB = 10 m s-1

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MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.7

MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.7

प्रश्न 1.
उस लम्बवृत्तीय शंकु का आयतन ज्ञात कीजिए, जिसकी
(i) त्रिज्या 6 cm और ऊँचाई 7 cm है। (2018)
(ii) त्रिज्या 3.5 cm और ऊँचाई 12 cm है।
हल :
(i) शंकु का आयतन = \(\frac{1}{3} \pi r^{2} h=\frac{1}{3} \times \frac{22}{7} \times(6)^{2} \times 7=264 \mathrm{cm}^{3}\)
अत: शंकु का अभीष्ट आयतन = 264 cm³.

(ii) शंकु का आयतन = \(\frac{1}{3} \pi r^{2} h=\frac{1}{3} \times \frac{22}{7} \times(3 \cdot 5)^{2} \times 12=154 \mathrm{cm}^{3}\)
अतःशंकु का अभीष्ट आयतन = 154 cm³.

प्रश्न 2.
शंकु के आकार के उस बर्तन की लीटरों में धारिता ज्ञात कीजिए, जिसकी
(i) त्रिज्या 7 cm और तिर्यक ऊँचाई 25 cm है।
(ii) ऊँचाई 12 cm और तिर्यक ऊँचाई 13 cm है।
हल :
(i) शंकु की ऊँचाई \(h=\sqrt{l^{2}-r^{2}}=\sqrt{(25)^{2}-(7)^{2}}\)
\(=\sqrt{625-49}=\sqrt{576}\)
= 24 cm
अब शंकु का आयतन \(=\frac{1}{3} \pi r^{2} h=\frac{1}{3} \times \frac{22}{7} \times(7)^{2} \times 24=1232 \mathrm{cm}^{3}\)
= 1.232 लीटर
अतःशंक्वाकार बर्तन की अभीष्ट धारिता = 1.232 लीटर।

(ii) शंकु की त्रिज्या \(r=\sqrt{l^{2}-h^{2}}=\sqrt{(13)^{2}-(12)^{2}}=\sqrt{169-144}\)
= √25
= 5 cm
अब शंकु का आयतन \(=\frac{1}{3} \pi r^{2} h=\frac{1}{3} \times \frac{22}{7} \times(5)^{2} \times 12\)
\(=\frac{2200}{7}=314 \cdot 3 \mathrm{cm}^{3}\)
= 0.3143 लीटर (लगभग)
अतः शंक्वाकार बर्तन का अभीष्ट आयतन = 0.3143 लीटर। (लगभग)

प्रश्न 3.
एक शंकु की ऊँचाई 15 cm है। यदि इसका आयतन 1570 cm³ है तो इसके आधार की त्रिज्या ज्ञात कीजिए। (π = 3.14 प्रयोग कीजिए। (2019)
हल:
शंकु का आयतन = \(\frac{1}{3} \pi r^{2} h\)
\(\frac{1}{3} \times 3 \cdot 14 \times r^{2} \times 15=1570 \Rightarrow r^{2}=\frac{1570}{15.70}=100 \mathrm{cm}^{2}\)
r = √100 = 10 cm
अत: शंकु के आधार की अभीष्ट त्रिज्या = 10 cm.

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प्रश्न 4.
यदि 9 cm ऊँचाई वाले एक लम्बवृत्तीय शंकु का आयतन 48 π cm³ है तो इसके आधार का व्यास ज्ञात कीजिए।
हल :
लम्बवृत्तीय शंकु का आयतन = \(\frac{1}{3} \pi r^{2} h\)
\(\frac{1}{3} \times \pi \times r^{2} \times 9=48 \pi \Rightarrow r^{2}=16 \Rightarrow r=\sqrt{16}=4 \mathrm{cm}\)
शंकु का व्यास = 2 x r = 2 x 4 = 8 cm
अतः शंकु का अभीष्ट व्यास = 8 cm.

प्रश्न 5.
ऊपरी व्यास 3.5 m वाले एक शंकु के आकार का एक गड्ढा 12 m गहरा है। इसकी धारिता किलोलीटर में कितनी है ?
हल :
दिया है : शंकु का व्यास = 3.5 m ⇒ त्रिज्या r = \(\frac { 3.5 }{ 2 }\) m
शंक्वाकार गड्ढे का आयतन = \(=\frac{1}{3} \pi r^{2} h=\frac{1}{3} \times \frac{22}{7} \times\left(\frac{3 \cdot 5}{2}\right)^{2} \times 12\)
⇒ गड्ढे का धारिता = 38.5 m³ = 38.5 किलोलीटर
अत: गड्ढे की अभीष्ट धारिता = 38.5 किलोलीटर।

प्रश्न 6.
एक लम्बवृत्तीय शंकु का आयतन 9856 cm³ है। यदि इसके आधार का व्यास 28 cm है. तो ज्ञात कीजिए:
(i) शंकु की ऊँचाई,
(ii) शंकु की तिर्यक ऊँचाई,
(iii) शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल।
हल : (i) शंकु के आधार का व्यास d = 28 cm ⇒ त्रिज्या r = 14 cm
शंकु का आयतन \(V=\frac{1}{3} \pi r^{2} h \Rightarrow \frac{1}{3} \times \frac{22}{7}(14)^{2} \times h\)
= 9856
\(h=\frac{9856 \times 3 \times 7}{22 \times 14 \times 14}=\frac{206976}{4312}\)
= 48 cm
अत: शंकु की अभीष्ट ऊँचाई = 48 cm.

(ii) शंकु की तिर्यक ऊँचाई \(l=\sqrt{h^{2}+r^{2}}=\sqrt{(48)^{2}+(14)^{2}}\)
\(l=\sqrt{2304+196}=\sqrt{2500}\)
= 50 cm
अतः शंकु की अभीष्ट तिर्यक ऊँचाई = 50 cm.

(iii) शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = πrl = \(\frac { 22 }{ 7 }\) x 14 x 50 = 2200 cm²
अतः शंकु का अभीष्ट वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2200 cm².

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प्रश्न 7.
भुजाओं 5 cm, 12 cm और 13 cm वाले एक समकोण त्रिभुज ABC को भुजा 12 cm के परितः घुमाया जाता है। इस प्रकार प्राप्त ठोस का आयतन ज्ञात कीजिए।
हल :
भुजाओं 5 cm, 12 cm और 13 cm वाले समकोण त्रिभुज ABC को 12 cm की भुजा के परितः घुमाने पर बना ठोस एक लम्बवृत्तीय शंकु होगा जिसकी त्रिज्या r = 5 cm और ऊँचाई h = 12 cm होगी।
शंकु का आयतन \(=\frac{1}{3} \pi r^{2} h=\frac{1}{3} \pi \times(5)^{2} \times 12\)
= 100π cm³ अर्थात् \(\frac { 2200 }{ 7 }\) = 314.29 cm³
अतः शंकु का अभीष्ट आयतन = 314.29 cm³.

प्रश्न 8.
यदि प्रश्न 7 के त्रिभुज ABC को यदि भुजा 5 cm के परितः घुमाया जाए, तो इस प्रकार बने ठोस का आयतन ज्ञात कीजिए। प्रश्नों 7 और 8 में प्राप्त किए गए दोनों ठोसों के आयतनों का अनुपात भी ज्ञात कीजिए।
हल :
भुजाओं 5 cm, 12 cm और 13 cm वाले समकोण त्रिभुज ABC को 5 cm की भुजा के परितः घुमाने से बना ठोस एक लम्बवृत्तीय शंकु होगा जिसकी त्रिज्या = 12 cm एवं ऊँचाई = 5 cm
अब शंकु का आयतन \(=\frac{1}{3} \pi r^{2} h=\frac{1}{3} \pi(12)^{2} \times 5=240 \pi \mathrm{cm}^{3}\)
अर्थात् \(240 \times \frac{22}{7}=\frac{5280}{7}\).
= 754.29 cm³
प्रश्न 7 के शंकु और प्रश्न 8 के शंकु के आयतनों में अनुपात
= 100π : 240π = 5 : 12
अतः शंकु का अभीष्ट आयतन = 754.29 cm³
एवं दोनों शंकुओं के आयतनों का अनुपात = 5 : 12.

प्रश्न 9.
गेहूँ की एक ढेरी 10.5m व्यास और ऊँचाई 3 m वाले शंकु के आकार की है। इसका आयतन ज्ञात कीजिए। इस ढेरी को वर्षा से बचाने के लिए कैनवास से ढका जाना है। वांछित कैनवास का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है : शंक्वाकार ढेरी के आधार का व्यास d = 10.5 m
⇒ त्रिज्या, r = \(\frac { 10.5 }{ 2 }\) = 5.25 m और ऊँचाई h = 3 m
तिर्यक ऊँचाई \(l=\sqrt{r^{2}+h^{2}}=\sqrt{(5 \cdot 25)^{2}+(3)^{2}}\)
\(=\sqrt{27 \cdot 5625+9}=\sqrt{36 \cdot 5625}\)
= 6.05 (लगभग)
शंक्वाकार गेहूँ की ढेरी का आयतन \(V=\frac{1}{3} \times \pi r^{2} h=\frac{1}{3} \times \frac{22}{7} \times(5 \cdot 25)^{2} \times 3 \mathrm{m}^{3}\)
= 22 x 5.25 x 0.75
= 86.625 m³.
शंक्वाकार गेहूँ की ढेरी का पार्श्व पृष्ठीय क्षेत्रफल = πrl
⇒ \(S_{c}=\frac{22}{7} \times 5.25 \times 6.05=\frac{698.775}{7}=99.825 \mathrm{m}^{2}\)
= 99.825 m²
अतः गेहूँ की शंक्वाकार ढेरी का अभीष्ट आयतन = 86.625 m³
एवं ढेरी को ढकने के लिए आवश्यक कैनवास का क्षेत्रफल = 99.825 m².

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MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 9 प्राचीन भारत का इतिहास

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 9 प्राचीन भारत का इतिहास

MP Board Class 9th Social Science Chapter 9 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 9th Social Science Chapter 9 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा नगर सिन्धु सभ्यता से सम्बन्धित नहीं है?
(i) मोहनजोदड़ो
(ii) कालीबंगा
(iii) लोथल
(iv) पाटलिपुत्र।
उत्तर:
(iv) पाटलिपुत्र।

प्रश्न 2.
चन्द्रगुप्त मौर्य के समय कौन-सा विदेशी यात्री भारत आया?
(i) फाह्यान
(ii) ह्वेनसांग
(iii) एरियन
(iv) मेगस्थनीज।
उत्तर:
(i) फाह्यान

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सही जोड़ी मिलाइए ‘अ’
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 9 प्राचीन भारत का इतिहास - 1

उत्तर:

  1. → (घ)
  2. → (क)
  3. → (ख)
  4. → (ग)
  5. → (ङ)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. जैन धर्म के संस्थापक …………. थे। (2017)
  2. महात्मा बुद्ध को …………. वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था।
  3. …………. और ………….. भारत के दो महाकाव्य हैं।
  4. गुप्तवंश का संस्थापक …………. था।

उत्तर:

  1. प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव
  2. बोधि वृक्ष
  3. रामायण और महाभारत
  4. श्रीगुप्त।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 9 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वेदों की संख्या एवं उनके नाम लिखिए। (2014, 16)
उत्तर:
वेद चार हैं। उनके नाम हैं :

  1. ऋग्वेद
  2. सामवेद
  3. यजुर्वेद
  4. अथर्ववेद।

प्रश्न 2.
सिन्धु सभ्यता के चार प्रमुख नगरों के नाम लिखिए। (2016, 18)
उत्तर:

  1. मोहनजोदड़ो
  2. लोथल
  3. कालीबंगा
  4. मांडा।

प्रश्न 3.
मेगस्थनीज कौन था? उसके द्वारा रचित ग्रन्थ का नाम लिखिए।
उत्तर:
मेगस्थनीज़ चन्द्रगुप्त के दरबार में राजदूत बनकर आया था। उसने ‘इण्डिका’ नामक ग्रन्थ की रचना की थी।

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प्रश्न 4.
प्राचीन भारत के प्रमुख शिक्षा केन्द्रों के नाम लिखिए। (2014, 18)
उत्तर:
प्राचीन भारत के प्रमुख शिक्षा केन्द्र –

  1. नालन्दा विश्वविद्यालय
  2. तक्षशिला विश्वविद्यालय
  3. वल्लभी विश्वविद्यालय
  4. विक्रमशिला विश्वविद्यालय।

प्रश्न 5.
कौटिल्य (चाणक्य) कौन था? (2018) उसके प्रसिद्ध ग्रन्थ का नाम लिखिए। (2017)
उत्तर:
कौटिल्य (चाणक्य) चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रधानमन्त्री था। उसका वास्तविक नाम विष्णुगुप्त था। चाणक्य ने ‘अर्थशास्त्र’ नामक ग्रन्थ की रचना की थी।

प्रश्न 6.
हूणों के आक्रमणों को विफल करने में कौन-सा गुप्त शासक सफल हुआ?
उत्तर:
हूणों के आक्रमणों को विफल करने में गुप्त शासक स्कन्दगुप्त सफल हुआ।

प्रश्न 7.
विक्रम संवत् किसने चलाया था?
उत्तर:
चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) ने एक नवीन संवत् को प्रारम्भ किया, जिसे विक्रम संवत् के नाम से जाना जाता है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 9 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा नगर की खोज किसने की थी? (2015, 17)
उत्तर:
मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा नगर की खोज दयाराम साहनी तथा राखलदास बनर्जी ने की थी। 1921-22 ई. में इन दोनों विद्वानों ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में खुदाई कराकर इन नगरों की खोज की। पुरातत्ववेत्ताओं ने पुरातत्व परम्परा के अनुसार इस सभ्यता का नाम इसके सर्वप्रथम ज्ञात स्थल के नाम पर ‘हड़प्पा सभ्यता’ दिया।

प्रश्न 2.
सरस्वती नदी के बारे में प्राप्त नवीन जानकारियों का वर्णन कीजिए। (2008)
उत्तर:
सरस्वती नदी के बारे में की गई खोजों में विष्णु श्रीधर वाकणकर का योगदान महत्त्वपूर्ण है। वैदिककाल में सरस्वती एक बहुत बड़ी नदी थी। इसका उल्लेख वेदों में बार-बार आया है। पिछले 20 वर्षों में हवाई एवं भू-सर्वेक्षणों के माध्यम से सरस्वती नदी के प्रवाह क्षेत्र को रेखांकित करने का प्रयास किया गया है। यह माना गया है कि हिमालय में शिवालिक, श्रृंखलाओं में सरस्वती नदी का उद्गम स्थल रहा होगा, जहाँ से यह अम्बाला, थानेश्वर, कुरुक्षेत्र, पहोवा, सिरसा, हांसी, अग्रोहा, हनुमानगढ़, कालीबंगा होती हुई अनूपगढ़ से सूरतगढ़ तक बहती थी। कालान्तर में भूगर्भीय परिवर्तन के कारण सरस्वती नदी धीरे-धीरे सूख गई और कुछ समय बाद लुप्त हो गई। सरस्वती नदी पर विकसित सभ्यता के विषय में निरन्तर शोध चल रहा है।

प्रश्न 3.
कलिंग युद्ध का भारतीय इतिहास में क्या महत्त्व है? लिखिए। (2018)
अथवा
कलिंग युद्ध किसने जीता था ? कलिंग युद्ध का भारतीय इतिहास में क्या महत्त्व है? (2008)
उत्तर:
अशोक मौर्यवंश का तीसरा और सर्वाधिक प्रसिद्ध सम्राट था। उसने कलिंग से युद्ध किया था। अशोक और कलिंग की सेनाओं के बीच बड़ा भीषण युद्ध हुआ। अन्त में विजय अशोक की हुई। इस युद्ध में डेढ़ लाख लोगों को बन्दी बना लिया गया, एक लाख हताहत हुए और उससे कई गुना अधिक मारे गए। युद्ध की विभीषिका और रक्तचाप देखकर अशोक का हृदय परिवर्तन हो उठा। भयंकर नरसंहार देखकर उसका मन पश्चात्ताप से भर उठा और उसने युद्ध के स्थान पर शान्ति की नीति अपनाई। उसने युद्ध यात्राओं के स्थान पर धर्म यात्राएँ की। उसने युद्धघोष को धर्मघोष में बदल दिया और बौद्ध धर्म का अनुयायी हो गया। कलिंग युद्ध ने अशोक के जीवन को नवीन दिशा प्रदान की।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा स्थापित वैवाहिक सम्बन्ध का राजनीतिक महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
अपने पिता समुद्रगुप्त से प्राप्त साम्राज्य को चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अधिक सुदृढ़ और सुरक्षित बनाया। चन्द्रगुप्त ने नागवंश की राजकुमारी कुबेरनागा से विवाह किया। इससे दोनों राजवंशों में मित्रता हुई। उसने अपनी पुत्री प्रभावती का विवाह वाकाटक नरेश रुद्रसेन द्वितीय के साथ किया। इस सम्बन्ध से चन्द्रगुप्त को शकों पर नियन्त्रण प्राप्त करने में सफलता मिली। यह विवाह सम्बन्ध राजनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुए। कदम्बवंश की राजकन्या का विवाह भी गुप्तवंश में हुआ था। इस विवाह सम्बन्ध द्वारा चन्द्रगुप्त द्वितीय का यश दक्षिण भारत में भी फैल गया। चन्द्रगुप्त द्वितीय के लिये ‘विक्रमादित्य’ उपाधि का उल्लेख मिलता है।

प्रश्न 5.
गुप्तकाल की शासन व्यवस्था की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
मौर्य शासकों की भाँति गुप्तकाल के राजाओं ने भी लोक कल्याण को प्रशासन का मूल आधार बनाया। राजा राज्य का सर्वोच्च अधिकारी था, राज्य की अन्तिम सत्ता उसी के हाथ में थी। राजा की सहायता के लिये मन्त्रिपरिषद् व अन्य पदाधिकारी होते थे। राज्य की आय का प्रमुख स्रोत ‘भूमिकर’ था जिसे ‘भाग’ कहते थे। यह सामान्यतया उपज का 1/6 भाग हुआ करता था। गुप्त प्रशासन तीन भागों में विभाजित था-केन्द्रीय, प्रान्तीय व स्थानीय शासन। गुप्त शासकों का ध्येय जनकल्याण था। इस हेतु उन्होंने औषधालय, चिकित्सालय, धर्मशालाएँ, पाठशालाएँ, सड़कें विश्रामगृह आदि बनवाये।

प्रश्न 6.
हर्ष के साम्राज्य विस्तार के बारे में लिखिए। (2008)
उत्तर:
सम्राट हर्षवर्धन थानेश्वर के शासक प्रभाकर वर्धन का पुत्र था। प्रभाकर वर्धन के बाद उसका पुत्र राज्यवर्धन गद्दी पर बैठा। राज्यवर्धन अपनी बहन राज्यश्री के पति कन्नौज नरेश गृहवर्मा की मदद के लिये मालवा शासक देवगुरु से संघर्षरत रहा और देवगुरु ने गृहवर्मा की हत्या कर दी। राज्यवर्धन ने देवगुरु को पराजित किया किन्तु देवगुरु के मित्र बंगाल नरेश शशांक ने धोखे से राज्यवर्धन का वध कर दिया। इन परिस्थितियों में हर्ष 16 वर्ष की आयु में सिंहासन पर बैठा। उसकी बहन के कोई सन्तान न होने से कन्नौज का राज्य भी उसे ही मिला। इस प्रकार वह थानेश्वर और कन्नौज दोनों का स्वामी हो गया। उसका साम्राज्य उत्तर में हिमालय से दक्षिण में नर्मदा नदी तक, पूरब में बंगाल से सिन्धु तक फैला हुआ था।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 9 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वैदिक सभ्यता का वर्णन कीजिए। (2009, 14)
अथवा
वैदिक सभ्यता में धार्मिक जीवन का वर्णन कीजिए। (2011) [संकेत- धार्मिक जीवन शीर्षक देखें।
उत्तर:
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद इन चारों वेदों एवं अन्य समकालीन साहित्य लेखन के काल को वैदिक सभ्यता के नाम से जाना जाता है। इसकी विवेचना अग्र प्रकार कर सकते हैं

(1) सामाजिक जीवन :
वैदिक काल का भारतीय समाज आर्य ‘जनों’ से मिलकर बना था। आर्यों के पास हजारों पालतू पशु होते थे। जानवरों के लिये जहाँ चारा पानी उपलब्ध होता था, वहीं ये बस जाते थे। आर्यों के सामाजिक संगठन का मुख्य आधार परिवार या कुटुम्ब था। परिवार का स्वामी या मुखिया सबसे वयोवृद्ध पुरुष होता था। वैदिक समाज में वर्ण व्यवस्था प्रचलित थी। वर्ण चार थे-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र। सामाजिक व्यवस्था के संचालन के लिये आर्यों ने अपने जीवन को सौ वर्ष का मानकर उसे चार आश्रमों में बाँटा था, यथा-ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं सन्यास आश्रम। स्त्रियों को समाज में उच्च स्थान प्राप्त था। दहेज प्रथा, पर्दाप्रथा, बाल विवाह जैसी कुप्रथाएँ प्रचलन में नहीं थीं। सूती, ऊनी, रेशमी वस्त्र उपयोग में लाये जाते थे। स्त्रियाँ शृंगार में विशेष रुचि लेती थीं। चावल, जौ, घी, दूध आर्यों का प्रमुख भोजन था। रथदौड़, घुड़सवारी, आखेट, नृत्य, जुआ, चौपड़ आदि मनोरंजन के साधन थे।

(2) आर्थिक जीवन :
वैदिक सभ्यता ग्रामीण एवं कृषि प्रधान सभ्यता थी। इस समय गेहूँ, जौ, उड़द, मसूर तथा तिल की खेती होती थी। कृषि के साथ पशुपालन अन्य मुख्य व्यवसाय था। घोड़े, गाय, बैल, भेड़, बकरी आदि पालतू पशु थे। गृह उद्योग और दस्तकारी उन्नत अवस्था में थे। बढ़ई, लुहार, सुनार, चर्मकार सभी के कार्यों का यथोचित महत्त्व था। आन्तरिक और बाह्य दोनों प्रकार का व्यापार होता था। वस्तु विनिमय प्रणाली का प्रचलन था। गाय वस्तु विनिमय का प्रमुख साधन थी। गाय के बाद ‘निष्क’ का उपयोग वस्तु विनिमय के लिये किया जाता था।

(3) धार्मिक जीवन :
आर्यों के धार्मिक जीवन की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं –

  • वैदिक आर्य प्रकृति के उपासक थे। वे प्रकृति के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते थे। सूर्य, चन्द्र, वायु, मेघ, उषा, अदिति प्रमुख देवी-देवता थे।
  • प्रत्येक आर्य के लिये यज्ञ का विधान था। उनका विश्वास था कि यज्ञ से देवता प्रसन्न होते हैं। पूजा पद्धति का मुख्य आधार ‘यज्ञ’ थे।
  • अनेक देवताओं को पूजते हुये वे एकेश्वरवाद में विश्वास करते थे।
  • अश्वमेध, राजसूय, बाजपेय जैसे महायज्ञों का सम्पादन इसी काल में हुआ।

(4) राजनीतिक जीवन :
आर्यों के राजनीतिक जीवन की प्रमुख विशेषताएँ निम्न थीं –

  • वैदिक आर्य अनेक ‘जन’ (कबीले) के रूप में संगठित थे। एक ‘जन’ में एक ‘वंश’ या ‘परिवार’ के व्यक्ति होते थे।
  • राजनीतिक व्यवस्था का आधार कुटुम्ब था। कुटुम्ब का प्रधान पिता होता था। अनेक कुटुम्बों को मिलाकर एक ‘ग्राम’ बनता था।
  • अनेक ग्रामों को मिलाकर ‘विंश’ बनता था। जिसका प्रधान ‘विंशपति’ कहलाता था।
  • अनेक विंशों को मिलाकर ‘जन’ बनता था जिसका प्रधान ‘गोप’ होता था।
  • उत्तर वैदिक काल में राजा की शक्ति और प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई। राजा के प्रमुख कर्तव्य प्रजा की रक्षा करना, युद्ध करना, शान्ति बनाये रखना तथा प्रजा को न्याय प्रदान करना था।

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प्रश्न 2.
सिन्धु सभ्यता (हड़प्पा संस्कृति) की क्या देन है? समझाइए। (2008, 09, 17)
उत्तर:
सिन्धु सभ्यता (हड़प्पा संस्कृति) की प्रमुख देन निम्नलिखित हैं
(1) श्रेष्ठ प्राचीनतम संस्कृति:
हड़प्पा संस्कृति को भारत की श्रेष्ठ प्राचीनतम संस्कृति माना जाता है क्योंकि इस संस्कृति की जानकारी से पूर्व भारत के इतिहास को वैदिक काल से प्रारम्भ माना जाता था। यह दयाराम साहनी तथा राखलदास बनर्जी की ऐतिहासिक खोजों का परिणाम है कि हमें यह ज्ञात हो सका कि भारत में आर्यों के आगमन से पूर्व यहाँ एक नगर सभ्यता फल-फूल रही थी। वास्तव में, हड़प्पा संस्कृति का सम्पूर्ण अध्ययन करने के पश्चात् हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि यह अत्यन्त प्राचीन संस्कृति होने के पश्चात् भी एक विकसित तथा उच्च कोटि की नगर सभ्यता थी।

(2) श्रेष्ठतम सुनियोजित नगर व्यवस्था का प्रारम्भ :
हड़प्पा संस्कृति में ही व्यवस्थित ढंग से नगरों की स्थापना का कार्य प्रारम्भ हुआ था। एक विद्वान के अनुसार हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के नगरों की स्थापना ऐसे सुव्यवस्थित ढंग से की गई थी कि जिसका उदाहरण संसार में हमें और कहीं नहीं मिलता। आधुनिक काल की तरह नगरों में छोटी व बड़ी सड़कों का निर्माण किया गया था।

(3) उच्चतम नगर स्वच्छता :
नगरों की स्वच्छता का ध्यान जितना इस संस्कृति में रखा जाता था उतना तत्कालीन किसी भी सभ्यता में नहीं किया जाता था। नगरों में छोटी व बड़ी नालियों की व्यवस्था की जाती थी।

(4) नागरिक सुविधाओं का ध्यान :
हड़प्पा संस्कृति का नगर-प्रबन्ध भी उत्तम तथा व्यवस्थित ढंग का था। ऐसा किसी भी प्राचीन संस्कृति में देखने को नहीं मिलता। स्थान-स्थान पर जल पीने की व्यवस्था थी तो उचित ढंग से स्नान करने के लिए सार्वजनिक स्नानागारों की भी व्यवस्था थी। यात्रियों के लिए धर्मशालाएँ भी बनीं थीं।

(5) आकर्षक तथा उपयोगी कला का विकास :
वास्तव में भारतीय कला का प्रारम्भ भी इस संस्कृति के काल से प्रारम्भ होता है। भवन निर्माण कला, चित्रकला, मूर्तिकला आदि का विकास यहाँ अपूर्व हुआ था। इस संस्कृति की कला की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ थीं –

  • कला में बनावटीपन का प्रभाव न होकर स्वाभाविकता थी।
  • भवनों का निर्माण उपयोगिता को ध्यान में रखकर हुआ था।
  • उपयोगिता के साथ-साथ कला में अपूर्व सौन्दर्य तथा आकर्षण भी था।
  • संगीत तथा नृत्यकला का भी यहाँ अपूर्व विकास हुआ।
  • ताम्रपत्र तथा मुद्रा कला की भी अपूर्व प्रगति हुई थी।
  • लेखन कला का भी प्रारम्भ इस सभ्यता से ही हुआ।

(6) विकसित धर्म-हड़प्पाकालीन धर्म एक विकसित धर्म था। उस काल के धर्म का प्रभाव वैदिककालीन धर्म पर पड़ने के साथ-साथ वर्तमान हिन्दू धर्म पर भी पड़ा है। अन्य शब्दों में उस काल की अनेक धार्मिक रीतियाँ आज के धर्म का भी अंग बनी हुई हैं। शिव तथा पृथ्वी माता की पूजा, लिंग पूजा, पीपल पूजा, सर्प पूजा तथा मूर्ति पूजा, वर्तमान हिन्दू धर्म का एक प्रमुख अंग है।

प्रश्न 3.
चन्द्रगुप्त मौर्य की शासन व्यवस्था की विशेषताएँ लिखिए। (2008, 09, 12, 14, 15, 17)
उत्तर :
चन्द्रगुप्त मौर्य की गणना भारत के महानतम शासकों में की जाती है। चन्द्रगुप्त मौर्य महान् विजेता, महान् कूटनीतिज्ञ, कुशल प्रशासक, धर्मपरायण एवं प्रजा हितैषी शासक था। उसके शासन की विशेषताएँ निम्नानुसार हैं –

  1. सम्राट, साम्राज्य का सर्वोच्च अधिकारी होता था। वह सेना, न्याय-व्यवहार का प्रधान होता था। वह प्रजाहित के कार्यों में संलग्न रहता था।
  2. राजा की सहायता हेतु मन्त्रिपरिषद् थी।
  3. चन्द्रगुप्त मौर्य की गुप्तचर व्यवस्था, न्याय व्यवस्था एवं सैन्य संगठन सुदृढ़ था।
  4. राज्य की आय का प्रमुख साधन भूमिकर था। उपज का 1/6 भाग कर के रूप में लिया जाता था।
  5. कर एकत्र करने वाला अधिकारी ‘समाहर्ता’ कहलाता था।
  6. साम्राज्य प्रान्तों में विभाजित थे जो चक्र कहलाते थे। इनका शासन राजकुमार अथवा राजपरिवार के व्यक्तियों द्वारा होता था।
  7. नगरों का प्रबन्ध करने हेतु छः समितियाँ होती थीं। प्रत्येक में पाँच-पाँच सदस्य होते थे।
  8. चन्द्रगुप्त मौर्य का सैन्य संगठन सुदृढ़ था। इसकी देखरेख 6 समितियों द्वारा होती थी। ये समितियाँ-नौ सेना समिति, पदाति-सेना समिति, अश्व-सेना समिति, रथ सेना समिति, गज सेना समिति, यातायात व युद्ध सामग्री वाहिनी समिति थी।
  9. चन्द्रगुप्त मौर्य के शासन में दण्ड-विधान कठोर था।
  10.  तत्कालीन समय में दो प्रकार के न्यायालय विद्यमान थे –
    • धर्मस्थीय (दीवानी) न्यायालय
    • कंटक शोधन (फौजदारी) न्यायालय।

प्रश्न 4.
अशोक के धम्म को समझाते हुए उसके धर्म की विशेषताएँ बताइए। (2009, 13, 16)
अथवा
अशोक के धम्म की तीन विशेषताएँ लिखिए। (2018)
उत्तर:
अशोक का धम्म (धर्म)-अपने प्रारम्भिक काल में अशोक हिन्दू धर्म का अनुयायी था परन्तु कलिंग युद्ध के उपरान्त उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। अपने लेखों में उसने बौद्धधर्म के मूल सिद्धान्तों का ही नहीं अपितु उसके कुछ नैतिक सिद्धान्तों का प्रचार किया। उसका धम्म सब धर्मों का सार था। अशोक के धम्म की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं –

  1. अशोक के धर्म की प्रमुख विशेषता ‘सार्वभौमिकता’ है, अर्थात् उसने अपने धर्म में सभी धर्मों के सद्गुणों का समावेश किया।
  2. अशोक ने अपने धर्म में अहिंसा को विशेष महत्त्व दिया। उसने उन यज्ञों को बन्द करवा दिया जिनमें पशुबलि होती थी।
  3. शोक ने अपने धर्म में अनुशासन तथा शिष्टाचार को भी विशेष महत्त्व दिया। उसने अपने शिलालेखों में उत्कीर्ण किया कि-“माता-पिता की आज्ञा का पालन होना चाहिए तथा इसी प्रकार गुरुजनों की आज्ञा का भी पालन होना चाहिए।”
  4. अशोक ने सेवकों, मित्रों तथा ब्राह्मणों के साथ सद्-व्यवहार करने पर भी बल दिया।
  5. अशोक ने धार्मिक आडम्बरों का विशेष विरोध किया तथा सत्य बोलने तथा सद् आचरण पर विशेष बल दिया।
  6. अशोक का धम्म सर्वमंगलकारी है जिसका मूल उद्देश्य प्राणी का मानसिक, नैतिक तथा आध्यात्मिक उत्थान करना था। उसका धम्म अत्यन्त सरल तथा व्यावहारिक था।

प्रश्न 5.
गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा गया है, इस कथन की व्याख्या (2008, 11, 12, 13, 15)
अथवा
गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का “स्वर्ण युग” क्यों कहा गया है? (2018)
उत्तर:
गुप्तकाल में भारत की चहुँमुखी उन्नति हुई। इसी कारण इस काल को स्वर्ण युग की संज्ञा दी गई है। गुप्तकाल को स्वर्णयुग कहलाने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  • महान शासकों का युग :
    गुप्तकाल की प्रमुख विशेषता थी कि इस युग में अनेक महान् शासकों ने जन्म लिया। चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय तथा स्कन्दगुप्त इस युग के महान शासक थे। समुद्रगुप्त द्वारा की गई महान् सैनिक विजयों के कारण उसे ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। चन्द्रगुप्त द्वितीय को ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि प्राप्त हुई। स्कन्दगुप्त भी बड़ा वीर और पराक्रमी था।
  • राजनीतिक एकता का युग :
    गुप्तकाल से पूर्व के दीर्घकाल में भारत छोटे-छोटे अनेक राज्यों में विभक्त था। विदेशी शक तथा कुषाणों ने काठियावाड़, गुजरात और महाराष्ट्र प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था। विदेशी शक्तियों का उन्मूलन तथा छोटे-छोटे राज्यों को पराजित कर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना करना गुप्त सम्राटों का ही काम था।
  • आर्थिक सम्पन्नता का युग :
    गुप्तकाल में आर्थिक क्षेत्र में अत्यधिक उन्नति हुई थी। आन्तरिक शान्ति, कुशल प्रशासनिक व्यवस्था तथा यातायात की समुचित व्यवस्था के कारण भारत के आन्तरिक तथा बाह्य व्यापार को पर्याप्त प्रोत्साहन मिला। गुप्तकाल में भारत के चीन, जावा, बर्मा (म्यांमार) तथा रोम आदि देशों से व्यापारिक सम्बन्ध थे।।
  • लोक-कल्याणकारी राज्य :
    गुप्तकाल के शासक केवल निरंकुशता में ही विश्वास नहीं करते थे वरन् उनके अन्दर लोक-कल्याण की भी भावना थी। चीनी यात्री फाह्यान के यात्रा विवरण से स्पष्ट हो जाता है कि गुप्त सम्राट राज्य की आय का एक विशाल भाग जन या लोक-कल्याण में खर्च करते थे।
  • धार्मिक सहिष्णुता की स्थापना :
    गुप्त सम्राट वैष्णव धर्म के अनुयायी थे परन्तु वे बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म का भी आदर करते थे। प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म के अनुसार उपासना तथा पूजा-पाठ की स्वतन्त्रता थी।
    कीजिए।
  • साहित्य का अपूर्व विकास :
    गुप्तकाल में साहित्य का अपूर्व विकास हुआ। कालीदास, विशाखदत्त तथा भास इस काल के महान् साहित्यकार थे।।
  • विज्ञान का विकास :
    ज्योतिष, रसायनशास्त्र, गणित तथा खगोलशास्त्र का इस काल में अपूर्व विकास हुआ था। दशमलव प्रणाली की खोज इस काल में ही हुई थी। आर्यभट्ट, वराहमिहिर तथा नागार्जुन जैसे श्रेष्ठ वैज्ञानिक तथा खगोलशास्त्री इस काल में ही हुए थे।
  • ललित कलाओं का अपूर्व विकास :
    गुप्तकाल ललित कलाओं का भी स्वर्ण युग माना जाता है। स्थापत्य कला, मूर्तिकला तथा चित्रकला का इस युग में अपूर्व विकास हुआ। अजन्ता की गुफाओं के अधिकांश चित्र इस युग में ही बनाये गये थे।

प्रश्न 6.
समुद्रगुप्त के विजय अभियान का संक्षिप्त विवरण दीजिए। (2009)
उत्तर:
समुद्रगुप्त गुप्तकालीन भारत का एक महान दिग्विजयी सम्राट था। अपने शासन काल में उसने अनेक राजाओं को परास्त कर अपने साम्राज्य का अपूर्व विस्तार किया। उसकी प्रमुख दिग्विजयें निम्नलिखित थीं
(1) उत्तरी भारत की विजय :
उत्तरी भारत की विजयों का उल्लेख प्रयाग प्रशस्ति में मिलता है। इस प्रशस्ति के अनुसार समुद्रगुप्त ने आर्यावर्त के 9 राज्यों को परास्त कर अपने साम्राज्य में मिला लिया था। ये राज्य थे-

  • नागदत्त
  • बलवर्मन
  • रुद्रदेव
  • मतिल
  • चन्द्रवर्मन
  • गणपति नाग
  • नागसेन
  • अच्युत
  • नंदिन।

(2) दक्षिण भारत की विजय :
उत्तरी भारत पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् समुद्रगुप्त ने दक्षिण भारत के लगभग 12 राज्यों को पराजित कर अपने साम्राज्य में न मिलाकर अपनी अधीनता ही स्वीकार करायी तथा वार्षिक कर लेता रहा। समुद्रगुप्त ने यह नीति इस कारण अपनायी क्योंकि दक्षिण के राज्य उसके साम्राज्य से दूर पड़ते थे अतः प्रशासनिक कठिनाइयाँ आ सकती थीं।

(3) आटविक राज्यों पर विजय प्राप्त करना :
अभिलेखों से ज्ञात होता है कि जबलपुर तथा नागपुर के निकट 18 अटवी राज्य थे। इन समस्त राज्यों के राजाओं को पराजित कर अपना सेवक बनाया।

(4) सीमान्त राज्यों की विजय :
समुद्रगुप्त ने सीमान्त राज्यों पर भी अपना प्रभुत्व स्थापित किया। उसने कुछ राज्यों को तो पराजित किया तो कुछ ने बिना युद्ध किये ही उसकी अधीनता स्वीकार कर ली। प्रमुख सीमान्त राज्य निम्नलिखित थे-

  • समतट
  • दबाक
  • कामरूप
  • नेपाल
  • कर्तुरपुर।।

(5) गणराज्यों की विजय :
इस काल में अनेक गणराज्य भी थे जो गुप्त साम्राज्य के दक्षिण-पश्चिम में स्थित थे। इनमें प्रजातन्त्रात्मक शासन व्यवस्था का प्रचलन था। इन गणराज्यों ने बिना युद्ध किए ही समुद्रगुप्त की अधीनता स्वीकार कर ली। प्रमुख गणराज्य थे-मद्रक, रवरपारिक, मालव, अर्जुनायन, आभीर तथा हनकानिक।

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प्रश्न 7.
सम्राट हर्षवर्धन के शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए। (2008, 09, 10, 16)
अथवा
सम्राट हर्षवर्धन की शासन व्यवस्था की तीन विशेषताएँ लिखिए। (2017, 18)
उत्तर:
सम्राट हर्षवर्धन के शासन प्रबन्ध का वर्णन निम्न प्रकार है –
(1) राजतन्त्रात्मक शासन :
हर्ष के शासन का स्वरूप राजतन्त्रात्मक था। केन्द्रीय शासन में सम्राट का स्थान सर्वोपरि था। वही सेना का प्रधान और सर्वोच्च न्यायाधीश होता था। प्रजा का कल्याण उसका मुख्य उद्देश्य था। सम्राट की सहायता के लिये अनेक मंत्री व सचिव होते थे। मन्त्रिपरिषद् के निर्णय को मानने को सम्राट बाध्य नहीं था।

(2) साम्राज्य की विशालता :
साम्राज्य की विशालता के कारण प्रशासकीय सुविधा हेतु उसे प्रान्तों में विभाजित किया गया। प्रान्त, भुक्ति या देश कहलाते थे। भुक्ति के शासक उपरिक कहलाते थे। इन पदों पर राजवंश के राजकुमार या राजपरिवार के सदस्य ही नियुक्त होते थे। प्रत्येक प्रान्त अनेक विषय (जिलों) में विभाजित था। विषय का शासक विषयपति कहलाता था। यह जिले की विभिन्न गतिविधियों का निरीक्षण करता था। शासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम होती थी।

(3) कठोर दण्ड विधान :
हर्ष के शासनकाल में दण्ड का विधान बहुत कठोर था। कुछ अपराधों के लिये अंग-भंग का दण्ड दिया जाता था। दण्ड विधान कठोर होने से अपराध कम होते थे।

(4) राज्य की आय :
राज्य की आय का प्रमुख साधन भूमिकर था। भूमिकर सामान्य उपज का 1/6 भाग लिया जाता था। अनाज के रूप में कर चुकाने की व्यवस्था थी। इसके अतिरिक्त मण्डी, घाटों, व्यापारियों पर कर व अर्थदण्ड राज्य की आय के प्रमुख साधन थे।

(5) महान् शासक :
हर्ष भारत के महान् शासकों में से एक था। सामान्यतः यह माना जाता है कि हर्षवर्धन का सम्पूर्ण उत्तरी भारत में एकछत्र राज्य था। वह महान् विजेता, कुशल प्रशासक, लोक कल्याणकारी, महान् धर्मपरायण, विद्या-प्रेमी व महान् दानी था।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 9 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 9th Social Science Chapter 9 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सिन्धु सभ्यता की खोज डा. दयाराम साहनी ने हड़प्पा नामक स्थल पर कब की थी?
(i) सन् 1901
(ii) सन् 1951
(iii) सन् 1921
(iv) सन् 1961
उत्तर:
(iii) सन् 1921

प्रश्न 2.
मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ क्या है? (2009)
(i) मुर्दो का टीला
(ii) भगवान राम की जन्मस्थली
(iii) महावीर स्वामी का घर
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(i) मुर्दो का टीला

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प्रश्न 3.
राजतरंगिणी के लेखक (2008, 09)
(i) कौटिल्य
(ii) पाणिनी
(iii) कल्हण
(iv) हर्ष।
उत्तर:
(iii) कल्हण

प्रश्न 4.
वेदों की संख्या है (2011)
(i) 4
(ii) 6
(iii) 5
(iv) 81
उत्तर:
(i) 4

प्रश्न 5.
सामवेद, यजुर्वेद व अथर्ववेद की रचना किस काल में की गई?
(i) ऋग्वैदिक काल,
(ii) वैदिक काल
(iii) उत्तर काल,
(iv) सिन्धु सभ्यता।
उत्तर:
(ii) वैदिक काल

प्रश्न 6.
जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर कौन थे? (2009)
(i) वर्धमान महावीर स्वामी
(ii) महात्मा बुद्ध
(iii) दिगम्बर जैन
(iv) श्वेताम्बर जैन।
उत्तर:
(i) वर्धमान महावीर स्वामी

प्रश्न 7.
बौद्ध धर्म के संस्थापक का नाम क्या है? (2009)
(i) महावीर जैन
(ii) महात्मा बुद्ध
(iii) शुद्धोधन
(iv) हर्षवर्द्धन।
उत्तर:
(ii) महात्मा बुद्ध

प्रश्न 8.
महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ हुई?
(i) पीपल वृक्ष
(ii) बोधि वृक्ष
(iii) बरगद वृक्ष
(iv) नीम वृक्ष।
उत्तर:
(ii) बोधि वृक्ष

प्रश्न 9.
‘मुद्रा राक्षस’ की रचना किसने की?
(i) कौटिल्य
(ii) कालिदास
(iii) विशाखदत्त
(iv) मेगस्थनीज।
उत्तर:
(iii) विशाखदत्त

प्रश्न 10.
‘इण्डिका’ की रचना किस लेखक ने की थी?
(i) कौटिल्य
(ii) कालिदास
(iii) विशाखदत्त
(iv) मेगस्थनीज।
उत्तर:
(iv) मेगस्थनीज।

प्रश्न 11.
यूनानी लेखकों ने अपने ग्रन्थों में चन्द्रगुप्त मौर्य को किस नाम से सम्बोधित किया है?
(i) सेन्ड्रोकोटस
(ii) सेल्यूकस
(iii) बेसेनियो
(iv) एन्टोनियो।
उत्तर:
(i) सेन्ड्रोकोटस

प्रश्न 12.
किस शासक को भारतीय नेपोलियन कहा जाता है? (2008, 17)
(i) स्कन्दगुप्त
(ii) समुद्रगुप्त
(iii) श्रीगुप्त
(iv) चन्द्रगुप्त।
उत्तर:
(ii) समुद्रगुप्त

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प्रश्न 13.
चन्द्रगुप्त द्वितीय को किस उपाधि से विभूषित किया गया?
(i) नेपोलियन
(ii) विक्रमादित्य
(iii) हिटलर
(iv) कौटिल्य।
उत्तर:
(ii) विक्रमादित्य

प्रश्न 14.
सम्राट हर्षवर्धन किस शासक का पुत्र था?
(i) राज्यवर्धन
(ii) विजयवर्धन
(iii) प्रभाकर वर्धन
(iv) गृहवर्मा।
उत्तर:
(ii) विजयवर्धन

रिक्त स्थान पूर्ति

  1. विक्रम संवत् …………. ने चलाया था। (2008)
  2. सिन्धु सभ्यता की खोज सन् ……… में हुई। (2015)
  3. मोहनजोदड़ो की खोज …………. ने की थी। (2012)
  4. ………. में अनेक जनपदों का उल्लेख है। (2012)
  5. ………. विश्व का प्राचीनतम ग्रन्थ है।
  6. नंदवंश के शासनकाल में …………. का भारत पर आक्रमण हुआ। (2010)
  7. मौर्य वंश का अन्तिम शासक …………. था। (2008)
  8. बुद्ध का जन्म …………. नामक स्थान पर हुआ। (2011)
  9. अशोक महान ………… का पुत्र था। (2009)
  10. मोहनजोदड़ो में उत्खनन में एक विशाल …………. मिला है। (2014)
  11.  बौद्ध धर्म के संस्थापक …………. थे। (2016)

उत्तर:

  1. चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य)
  2. 1921 ई.
  3. राखलदास बनर्जी
  4. महाभारत
  5. ऋग्वेद
  6. चन्द्रगुप्त मौर्य
  7. वृहद्रथ
  8. लुम्बिनी
  9. बिन्दुसार
  10. स्नानागार
  11. गौतम बुद्ध।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
सिन्धु सभ्यता में मुख्य व्यवसाय पशुपालन था। (2008)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
चाणक्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का गुरु था। (2008)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3.
सामवेद विश्व का प्राचीनतम ग्रन्थ है। (2008)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 4.
चन्द्रगुप्त द्वितीय के लिए ‘विक्रमादित्य’ उपाधि का उल्लेख मिलता है। (2011)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी नामक स्थान पर हुआ था। (2009)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 6.
वर्द्धमान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। (2009)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 7.
विक्रमादित्य उज्जैन के न्यायप्रिय शासक थे। (2010)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 8.
चन्द्रगुप्त मौर्य की गणना भारत के महानतम् शासकों में की जाती है। (2012)
उत्तर:
सत्य

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प्रश्न 9.
ऋग्वैदिक काल 1500 ई. पू. से 1000 ई. पू. माना जाता है। (2012)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 10.
चाणक्य का सम्बन्ध अर्थशास्त्र से है। (2013)
उत्तर:
सत्य

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 9 प्राचीन भारत का इतिहास - 2

उत्तर:

  1. → (ग)
  2. → (घ)
  3. → (ङ)
  4. → (क)
  5. → (ख)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
महान चरित्र के जीवन से सम्बन्धित विस्तृत काव्य रचना। (2008)
उत्तर:
महाकाव्य

प्रश्न 2.
विक्रम संवत् किसने चलाया? (2008)
उत्तर:
चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य)

प्रश्न 3.
मौर्य साम्राज्य का संस्थापक कौन था? (2008)
उत्तर:
चन्द्रगुप्त मौर्य

प्रश्न 4.
किसी भी प्रकार का संग्रह नहीं करना। (2008)
उत्तर:
अपरिग्रह

प्रश्न 5.
जैन धर्म के संस्थापक मुनि। (2009, 11)
उत्तर:
महावीर स्वामी

प्रश्न 6.
चन्द्रगुप्त मौर्य के समय कौन-सा विदेशी यात्री भारत आया था?
(2014)
उत्तर:
फाह्यान।

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MP Board Class 9th Social Science Chapter 9 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राचीन भारत के इतिहास का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
प्राचीन भारत के इतिहास का अध्ययन करके ही हम प्राचीन भारतीय संस्कृति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अध्ययन से ही हमें ज्ञात होता है कि मानव ने पाषाण युग से लौह युग में किस प्रकार प्रवेश किया तथा आध्यात्मिक, कलात्मक तथा राजनीतिक क्षेत्रों की प्रगति की।

प्रश्न 2.
प्राचीन भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले साहित्यिक स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वेद, आरण्यक, उपनिषद्, वेदांग, सूत्र, महाकाव्य, स्मृति, पुराण, बौद्ध साहित्य, जैन साहित्य, मुद्राराक्षस, अर्थशास्त्र, महाभाष्य, अष्टाध्यायी, राजतरंगिणी आदि साहित्यिक स्रोत प्राचीन भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालते हैं।

प्रश्न 3.
प्राचीन भारत के अध्ययन के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्रोत क्या है?
उत्तर:
पुरातात्विक सामग्री; जैसे-अभिलेख, शिलालेख, स्तम्भलेख, ताम्रपत्र लेख, भोजपत्र लेख, मूर्तिलेख, मुद्राएँ, स्मारक आदि प्राचीन भारत के अध्ययन के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।

प्रश्न 4.
लोथल तथा कालीबंगा कहाँ स्थित हैं ? यह प्राचीन इतिहास में क्यों प्रसिद्ध हैं?
उत्तर:
लोथल-यह गुजरात में रंगपुर के खण्डहरों से 48 मीटर उत्तर में स्थित है। कालीबंगा-यह राजस्थान के गंगानगर जिले में सरस्वती नदी के किनारे स्थित है। ये दोनों सिन्धु सभ्यता के प्रमुख नगर थे। इन नगरों में खुदाई में प्राप्त वस्तुओं से अनेक बातों का ज्ञान होता है।

प्रश्न 5.
सिन्धु घाटी सभ्यता किसे कहते हैं?
उत्तर:
भारत और पाकिस्तान के उत्तरी पश्चिमी भाग में सिन्धु व उसकी सहायक नदियों की घाटियों में जो नगर सभ्यता विकसित हुई, उसे सामान्यतः सिन्धु घाटी सभ्यता कहते हैं।

प्रश्न 6.
ऋग्वेद के सूक्तों की रचना कहाँ हुई थी?
उत्तर:
ऋग्वेद के सूक्तों की रचना सिन्धु घाटी के तट पर हुई थी।

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प्रश्न 7.
वैदिक सभ्यता (काल) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद इन चारों वेदों एवं अन्य समकालीन साहित्य लेखन के काल को वैदिक सभ्यता के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 8.
वैदिक समाज में कौन-कौन से वर्ण थे?
उत्तर:
वैदिक समाज में चार वर्ण थे-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।

प्रश्न 9.
वैदिक समाज में स्त्रियों की दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैदिक समाज में स्त्रियों को उच्च स्थान प्राप्त था। वे उच्च शिक्षा प्राप्त करती थीं तथा समस्त सामाजिक व धार्मिक कार्यों में भाग लेती थीं। दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, बाल-विवाह जैसी कुप्रथाएँ प्रचलन में नहीं थीं।

प्रश्न 10.
उन विदेशी यात्रियों के नाम लिखिए जिनके विवरण प्राचीन भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालते हैं ?
उत्तर:
मेगस्थनीज, फाह्यान तथा ह्वेनसांग नामक विदेशी यात्री भारत आये थे। इनके विवरण प्राचीन भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालते हैं।

प्रश्न 11.
प्राचीन भारत में अभिलेख किस भाषा में लिखे गये थे?
उत्तर:
प्राचीन भारत में अभिलेख प्राकृत तथा संस्कृत भाषा में लिखे गये थे।

प्रश्न 12.
वैदिक आर्य किसके उपासक होते थे?
उत्तर:
वैदिक आर्य प्रकृति के उपासक थे। वे प्रकृति के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते थे। सूर्य, चन्द्र, वायु, मेघ, उषा, अदिति प्रमुख देवी-देवता थे।

प्रश्न 13.
सिकन्दर कौन था?
उत्तर:
सिकन्दर मकदूनियां के शासक फिलिप का पुत्र था।

प्रश्न 14.
चन्द्रगुप्त के शासन प्रबन्ध का ज्ञान हमें किससे होता है?
उत्तर:
चन्द्रगुप्त के शासन प्रबन्ध का ज्ञान हमें मेगस्थनीज की ‘इण्डिका’ तथा कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ से होता है।

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MP Board Class 9th Social Science Chapter 9 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राचीन भारत के ऐतिहासिक कालक्रम के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भारत की प्राचीन, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परम्परा अत्यन्त समृद्ध एवं गौरवशाली रही है। प्राचीन भारत के इतिहास में सिन्धु एवं सरस्वती सभ्यता अथवा हड़प्पा सभ्यता, वैदिक-सभ्यता, महाकाव्यकाल, बौद्ध एवं जैन धर्म, मौर्य साम्राज्य, गुप्त साम्राज्य एवं हर्ष साम्राज्य शामिल हैं। इन सभ्यताओं एवं राजवंशों की अपनी विशिष्टता रही है। प्राचीन काल से ही भारतीयों में ऐतिहासिक चेतना विद्यमान थी। प्राचीन भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाली सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जैसे-साहित्यिक स्रोत, पुरातात्विक स्रोत, विदेशियों का यात्रा विवरण आदि।

प्रश्न 2.
प्राचीन भारतीय इतिहास के निर्माण में कौन-कौन से धार्मिक ग्रन्थ सहायक होते हैं? किन्हीं चार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन भारत के इतिहास के निर्माण में धार्मिक ग्रन्थों की भी विशेष भूमिका है। इनके अध्ययन से तत्कालीन सामाजिक, धार्मिक तथा राजनीतिक दशा की जानकारी होती है। प्राचीन भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले प्रमुख धार्मिक ग्रन्थ हैं-वेद, पुराण, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक, उपनिषद्, वेदांग, स्मृति, महाभारत, पिटक, जातक तथा परिशिष्टपर्व। चार प्रमुख धार्मिक ग्रन्थ निम्नलिखित हैं –

  • वेद :
    वेद आर्यों के सर्वाधिक प्राचीनतम ग्रन्थ हैं। वेदों की संख्या चार है-ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, तथा अथर्ववेद। इनमें प्राचीनतम ऋग्वेद है।
  • ब्राह्मण ग्रन्थ :
    ब्राह्मण ग्रन्थों में विभिन्न कर्मकाण्डों का उल्लेख किया गया है। प्रमुख ब्राह्मण ग्रन्थ-ऐतरेय, शतपथ, पंचविश व गोपथ हैं।
  • उपनिषद् :
    उपनिषदों में भारतीय दर्शन तथा बिम्बसार के पूर्व के इतिहास का वर्णन है।
  • पुराण :
    पुराणों की संख्या अठारह है परन्तु विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण तथा ब्रह्म पुराण आदि विशेष महत्त्व रखते हैं। इनके अध्ययन से तत्कालीन इतिहास की पर्याप्त जानकारी होती है।

प्रश्न 3.
सिन्धु घाटी सभ्यता का विस्तार क्षेत्र कहाँ तक था?
उत्तर:
सिन्धु सभ्यता का विस्तार क्षेत्र अत्यधिक व्यापक था ? ईसा पूर्व से तीसरी और दूसरी शताब्दी में विश्व भर में किसी भी सभ्यता का क्षेत्र सिन्धु सभ्यता के क्षेत्र से बड़ा नहीं था। प्रो. आर. एन. राव के अनुसार सिन्धु सभ्यता का विस्तार पूर्व से पश्चिम 1,600 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण 1,100 किलोमीटर क्षेत्र में था। इस सभ्यता का विस्तार पाकिस्तान, दक्षिणी अफगानिस्तान तथा भारत के राजस्थान, गुजरात, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र तक था।

प्रश्न 4.
हड़प्पा संस्कृति के चार प्रमुख नगरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सिन्धु सभ्यता अथवा हड़प्पा संस्कृति के चार प्रमुख नगर थे-हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल तथा कालीबंगा। इनका विवरण निम्नलिखित है –
(1) हड़प्पा :
यह नगर पश्चिमी पंजाब के मॉण्टगुमरी जिले में लाहौर से कोई 100 मील की दूरी पर स्थित था। 1921 ई. में आर. बी. दयाराम ने इसकी खुदाई करायी थी। यह नगर सिन्धु सभ्यता का सबसे बड़ा नगर था। इसमें समानान्तर चतुर्भुज के आकार का एक दुर्ग था जिसमें छः कोठार मिले हैं। हड़प्पा के निवासी पक्के मकानों में रहते थे।

(2) मोहनजोदड़ो :
यह भी सिन्धु सभ्यता का प्रमुख नगर था। 1922 ई. में आर. डी. बनर्जी ने इसकी खोज की थी। यह सिन्ध प्रान्त के लरकाना जिले में स्थित है। मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ है-‘मृतकों का टीला’ इस नगर का यह नाम इस कारण पड़ा क्योंकि इस नगर की खुदाई में सात तहें मिलीं अत: यह सात बार बना और सात बार नष्ट हुआ। इस नगर का निर्माण एक निश्चित योजना के अनुसार किया गया था। सड़कों तथा नालियों का समुचित प्रबन्ध था। यहाँ के प्रत्येक मकान में स्नानागार भी होता था।

(3) लोथल :
पुरातत्वविदों के अनुसार यह नगर एक बन्दरगाह था। यह गुजरात में खम्भात की खाड़ी के ऊपर स्थित था। यहाँ अनेक प्रकार के आभूषण, मुद्राएँ तथा मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं।

(4) कालीबंगा :
यह नगर राजस्थान के गंगानगर जिले में स्थित है। यहाँ के भवन तथा उनकी दीवारें, गोल कुएँ तथा चौड़ी सड़कें अपने ढंग की हैं। खुदाई में प्राप्त बर्तन, ताँबे के औजार, चूड़ियाँ, मिट्टी की मूर्तियाँ तथा खिलौने विशेष दर्शनीय हैं।

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प्रश्न 5.
सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के सामाजिक और आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
उत्तर:
(1) सामाजिक जीवन :
सिन्धु घाटी का समाज ‘मातृ प्रधान’ था। व्यवसाय के आधार पर समाज चार भागों में विभाजित था-विद्वान, योद्धा, व्यवसायी तथा मजदूर। यहाँ के निवासी शाकाहारी होने के साथ-साथ माँसाहारी भी थे। गेहूँ और जौ की रोटी विशेष रूप से खायी जाती थी। माँस मुख्यतया सूअर और भेड़ का खाया जाता था। वस्त्र ऊनी तथा सूती दोनों प्रकार के प्रयोग किये जाते थे। स्त्री और पुरुष दोनों ही शालों का प्रयोग करते थे। स्त्री तथा पुरुष दोनों ही अंगूठियाँ, कड़े, कंगन, कण्ठहार, कुण्डल आदि आभूषणों को धारण करते थे। सिन्धुवासी मनोरंजन प्रेमी थे। मनोरंजन के प्रमुख साधन थे-नृत्य, संगीत, जुआ खेलना, शिकार खेलना तथा चौपड़ खेलना।

(2) आर्थिक जीवन :
सिन्धु घाटी के निवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। गेहूँ, जौ, कपास, मटर तथा तिल आदि की खेती मुख्यतया होती थी। फलों में खरबूज, तरबूज, खजूर तथा नारियल आदि उगाये जाते थे। पशुपालन का भी प्रचलन था। गाय, भैंस, भेड़, बकरी आदि प्रमुख रूप से पाले जाते थे। कुछ इतिहासकारों के अनुसार सिन्धुवासी विश्व के सूत कातने तथा वस्त्र निर्माण करने वाले प्रथम लोग थे। यहाँ धातुओं के सुन्दर आभूषण बनाये जाते थे तथा सीप, शंख, हाथी दाँत आदि के भी आभूषण बनाये जाते थे। विदेशी व्यापार भी होता था, जो थल तथा जल दोनों मार्गों से होता था।

प्रश्न 6.
सिन्धु सभ्यता के विनाश के चार कारण लिखिए।
उत्तर:
सिन्धु सभ्यता अथवा हड़प्पा संस्कृति के विनाश के निम्नलिखित कारण हैं –

  1. कुछ विद्वानों के मत में किसी बाहरी जाति के आक्रमण ने इस सभ्यता का विनाश कर दिया था।
  2. प्रसिद्ध भूगर्भशास्त्री साहनी के मत में सिन्धु सभ्यता के विनाश का कारण जल प्लावन था।
  3. कुछ इतिहासकारों के मत में किसी शक्तिशाली भूकम्प ने इस सभ्यता का विनाश कर दिया था।
  4. कुछ विद्वानों के मत में सिन्धु प्रदेश की जलवायु में परिवर्तन आने से इस सभ्यता का विनाश हो गया। इस मत के समर्थक हैं अमलानन्द घोष।
  5. अनेक विचारकों का यह भी मत है कि किसी संक्रामक रोग ने इस सभ्यता के विनाश में योगदान दिया।
  6. इस सभ्यता का विनाश का कारण सिन्धु नदी में तीव्र बाढ़ का आना भी माना जाता है।

प्रश्न 7.
वैदिक काल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वैदिक काल भारतीय इतिहास का वह काल माना जाता है, जिस काल में वेद तथा उनसे सम्बन्धित ग्रन्थों की रचना हुई थी। वैदिक काल को दो भागों में विभाजित किया गया है

  1. ऋग्वैदिक काल, तथा
  2. उत्तर वैदिक काल

(1) ऋग्वैदिक काल :
ऋग्वैदिक काल में ऋग्वेद की रचना हुई थी। अन्य शब्दों में जिस काल में ऋग्वेद की रचना हुई थी उस काल को ही ऋग्वैदिक काल कहते हैं।

(2) उत्तरवैदिक काल :
ऋग्वैदिक काल में केवल ऋग्वेद की रचना की गयी थी परन्तु उत्तर वैदिक काल में सामवेद, अथर्ववेद के अतिरिक्त ब्राह्मण ग्रन्थों, उपनिषद एवं आरण्यक की रचना भी हुई थी।

प्रश्न 8.
वैदिक सभ्यता की आश्रम व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैदिककालीन आर्यों ने मानव की आयु को 100 वर्ष का मानकर उसे 25-25 वर्षों के निम्नलिखित चार आश्रसों में विभाजित किया-

  • ब्रह्मचर्य आश्रम (जन्म से 25 वर्ष) :
    इस काल में आर्य ब्रह्मचर्य जीवन तथा विद्यार्थी जीवन का पालन करते थे।
  • गृहस्थ आश्रम (25 से 50 वर्ष) :
    ब्रह्मचर्य जीवन के पश्चात् आर्य विवाह कर गृहस्थ जीवन व्यतीत करते थे।
  • वानप्रस्थ आश्रम (50 से 75 वर्ष) :
    गृहस्थ आश्रम के पश्चात् आर्य सांसारिक चिन्ताओं से मुक्त होने के लिए वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश करते थे। इस काल में व्यक्ति अपने परलोक को सुधारने का प्रयास करता था।
  • संन्यास आश्रम (75 से 100 वर्ष) :
    यह आश्रम जीवन के अन्तिम काल से सम्बन्धित होता था। इस काल में मनुष्य परिवार व समाज से अलग होकर अपना समस्त समय ईश्वर चिन्तन तथा मोक्ष प्राप्ति के प्रयासों में लगाता था।

प्रश्न 9.
जैन धर्म के प्रमुख सिद्धान्तों को लिखिए।
उत्तर:
जैन धर्म के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं –
(1) ईश्वर में अविश्वास-जैन धर्म ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं करता। महावीर स्वामी के अनुसार विश्व का निर्माता ईश्वर नहीं है।

(2) स्याद्वाद-महावीर स्वामी के मत में प्रत्येक वस्तु के अनेक पक्ष होते हैं। अतः इसे अनेक दृष्टिकोण से देखना आवश्यक है।

(3) कर्म की प्रधानता-महावीर स्वामी ने कर्म की प्रधानता पर बल दिया, उनके मत में प्रत्येक व्यक्ति को अपने अच्छे व बुरे कर्मों का फल अवश्य मिलता है।

(4) त्रिरत्न-महावीर स्वामी के अनुसार निर्वाण या मोक्ष प्राप्ति के लिए निम्नलिखित तीन सिद्धान्तों को ध्यान में रखना चाहिए-

  • सम्यक् श्रद्धा
  • सम्यक् ज्ञान
  • सम्यक् आचरण।

(5) अहिंसा पर विशेष बल :
जैन धर्म अहिंसा पर विशेष बल देता है।

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प्रश्न 10.
महात्मा बुद्ध के प्रमुख सिद्धान्त क्या थे?
अथवा
महात्मा बुद्ध के चार आर्य सत्य कौनसे हैं?
अथवा
बौद्ध धर्म के अष्टांगिक मार्ग की आठ बातें कौन-सी हैं? (2015) [संकेत-दुःख निरोध के उपाय शीर्षक में देखें।]
उत्तर:
बौद्ध धर्म की चार विशेषताएँ अथवा चार आर्य सत्य निम्नलिखित हैं –

(1) दुःखमय संसार-बुद्ध के अनुसार यह विश्व दुःखमय है।

(2) दुःख समुदाय-बुद्ध के मत में दुःख का मूल कारण तृष्णा, मोह तथा माया है।

(3) दुःख निरोध-गौतम बुद्ध के अनुसार तृष्णा पर विजय प्राप्त करके दुःखों से भी मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।

(4) दुःख निरोध के उपाय-बुद्ध के अनुसार दुःखों पर विजय प्राप्त करने के लिए अष्टांग मार्ग का अनुसरण करना चाहिए जिसमें निम्नलिखित बातें आती हैं-

  • सम्यक् दृष्टि
  • सम्यक् संकल्प
  • सम्यक् भाषा
  • सम्यक् आजीव
  • सम्यक् व्यायाम
  • सम्यक् कर्म
  • सम्यक् ध्यान
  • सम्यक् समाधि।

प्रश्न 11.
मौर्यकालीन इतिहास जानने के प्रमुख साधनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मौर्यकालीन इतिहास जानने के प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं –

  • धार्मिक साहित्य :
    धार्मिक साहित्य में जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म का साहित्य तत्कालीन सामाजिक तथा राजनीतिक दशा पर प्रकाश डालता है। अन्य ग्रन्थों में दीपवंश तथा महावंश मौर्यकालीन सामाजिक तथा राजनीतिक दशा पर विशेष प्रकाश डालते हैं।
  • विशाखदत्त का मुद्राराक्षस :
    यह संस्कृत साहित्य का प्रसिद्ध नाटक है। इसके अध्ययन से चन्द्रगुप्त, कौटिल्य, नन्दवंश तथा मगध की क्रान्ति आदि के विषय में जानकारी मिलती है।
  • कौटिल्य का अर्थशास्त्र :
    कौटिल्य सम्राट चन्द्रगुप्त का मन्त्री, परामर्शदाता तथा सहायक था। उसने अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ की रचना की थी। इस ग्रन्थ में तत्कालीन राजनीति तथा प्रशासनिक सिद्धान्तों व न्याय प्रणाली आदि का उल्लेख है।
  • मेगस्थनीज की इण्डिका :
    मेगस्थनीज को सैल्यूकस ने अपना राजदूत बनाकर चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था। उसके द्वारा लिखित पुस्तक ‘इण्डिका’ मौर्यकालीन शासन व्यवस्था पर व्यापक प्रकाश डालती है। इण्डिका में मौर्यकालीन अर्थव्यवस्था का भी व्यापक उल्लेख किया गया है।
  • अशोक के शिलालेख :
    अशोक ने अनेक चट्टानों तथा स्तम्भों पर धर्म लेख खुदवाये थे। इन लेखों में अशोक द्वारा किये गये धर्म प्रचार तथा शासन व्यवस्था सम्बन्धी नियमों का वर्णन मिलता है।

प्रश्न 12.
भारत पर सिकन्दर के आक्रमण की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सिकन्दर अपने विश्व विजय अभियान के सम्बन्ध में भारत आया था। वह मकदूनियां के शासक फिलिप का पुत्र था। पिता की मृत्यु के बाद 20 वर्ष की उम्र में सिंहासन पर बैठा। वह असाधारण महत्त्वाकांक्षाओं वाला शासक था। फारस को परास्त करने के उपरान्त वह ‘सोने की चिड़िया’ कहे जाने वाले भारत में प्रविष्ट हुआ। सिकन्दर को एक जन-जातीय शासक हस्ती जिसे यूनानी एस्ड्रस कहते हैं, के विरुद्ध लड़ना पड़ा, जिन्होंने सिकन्दर का जमकर प्रतिरोध किया। हस्ती के वीरगति को प्राप्त करने के बाद उनकी रानी एवं अन्य स्त्रियों ने अन्तिम क्षण तक अपने देश की रक्षा का प्रण लेकर युद्ध में भाग लिया।

अंततः विजय सिकन्दर को मिली। सिकन्दर आगे बढ़ा और तक्षशिला के शासक आम्भी ने सिकन्दर के सामने आत्मसमर्पण कर दिया लेकिन झेलम प्रदेश के शासक पोरस ने आत्मसमर्पण से इन्कार कर दिया। पोरस और सिकन्दर में घमासान युद्ध हुआ, लेकिन जीत सिकन्दर की हुई। बाद में सिकन्दर ने पोरस की वीरता व स्वाभिमान को देखते हुए उसके साथ एक राजा के समान व्यवहार किया और उसका राज्य लौटा दिया।

प्रश्न 13.
मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
मौर्य समाज के पतन के निम्नलिखित कारण थे –

  1. अशोक ने ब्राह्मणों को अपनी धार्मिक नीति के द्वारा असन्तुष्ट कर दिया था। यज्ञों में पशुबलि पर रोक लगाना तथा महामात्रों की नियुक्ति ब्राह्मणों में से न करना इसके उदाहरण हैं।
  2. सम्राट अशोक के उत्तराधिकारी अयोग्य थे अत: वे विशाल मौर्य साम्राज्य को सुरक्षित नहीं रख सके।
  3. अशोक की शान्तिवादी तथा अहिंसा की नीति ने मौर्य साम्राज्य की सेना को अत्यधिक निर्बल बना दिया था। दीर्घकाल तक अशोक द्वारा युद्ध न किये जाने के कारण मौर्य सैनिक अकर्मण्य हो गये थे।
  4. अशोक की दान प्रवृत्ति ने राजकोष को खाली कर दिया था। इसके अतिरिक्त अशोक ने स्तूपों, बिहारों, चैत्यों तथा स्तम्भों के निर्माण में भी अपार धन व्यय कर वित्तीय संकट उत्पन्न कर दिया था।
  5. प्रजा में राष्ट्रीय भावना का अभाव।
  6. मौर्यों के अन्तिम शासक वृहद्रथ का उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने वध कर दिया। उपर्युक्त कारणों से मौर्य साम्रज्य का पतन हो गया।

प्रश्न 14.
चन्द्रगुप्त प्रथम के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
घटोत्कच के उपरान्त उसके पुत्र चन्द्रगुप्त (प्रथम) ने गुप्त साम्राज्य की बागडोर सँभाली। चन्द्रगुप्त के लिये ‘महाराजाधिराज’ की उपाधि का उल्लेख मिलता है। चन्द्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवी वंश की राजकुमारी कुमार देवी से विवाह कर अपनी राजनीतिक स्थिति को सुदृढ़ बनाया। चन्द्रगुप्त ने 320 ई. में ‘गुप्त संवत्’ की स्थापना की थी। चन्द्रगुप्त प्रथम ने 335 ई. तक शासन किया था। उसने अपने शासनकाल में ही अपने पुत्र समुद्रगुप्त को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया था।

प्रश्न 15.
“समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है।” क्यों?
उत्तर:
समुद्रगुप्त नेपोलियन के समान ही वीर योद्धा, साहसी, पराक्रमी तथा निर्भीक शासक था। स्मिथ के शब्दों में-“जिस प्रकार नेपोलियन ने एक महान योद्धा और विजेता के समान बाहुबल तथा रण-कौशल से अन्य राजाओं को धूल में मिला दिया था, उसी प्रकार समुद्रगुप्त ने भी वीरता और साहस के साथ समस्त भारत पर विजय प्राप्त कर अपने को एक महान योद्धा और सेनानायक सिद्ध कर दिया था।” स्मिथ के इस कथन से स्पष्ट हो जाता है कि समुद्रगुप्त नेपोलियन के समान ही एक महान योद्धा, महान सेनानायक तथा एक विशाल साम्राज्य निर्माता था।

प्रश्न 16.
फाह्यान कौन था? यह भारत कब आया था? उसने भारत के विषय में क्या लिखा है?
उत्तर:
फाह्यान चीन का निवासी तथा बौद्ध भिक्षु था। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासन काल में वह बौद्ध धर्म का अध्ययन करने भारत आया था। लगभग 6 वर्ष तक वह भारत में रहा। इस काल में उसने भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा धार्मिक दशा का निरीक्षण कर एक सजीव विवरण प्रस्तुत किया।

फाह्यान के अनुसार, गुप्त काल में भारत में आन्तरिक शान्ति थी। चोर लुटेरों का भय नहीं था। निर्धन तथा अनाथ लोगों को राज्य की ओर से सहायता दी जाती थी। साधारण दण्ड व्यवस्था थी। राजद्रोहियों का सीधा हाथ काट लिया जाता था। फाह्यान के अनुसार, साधारण जनता का आर्थिक स्तर अच्छा था। मनुष्य सदाचारी थे तथा परस्पर सहयोग का जीवन व्यतीत करते थे।

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प्रश्न 17.
आर्यभट्ट के विषय में आप क्या जानते हैं? उसने विज्ञान, गणित और नक्षत्र विद्या के क्षेत्र में क्या योगदान दिया?
उत्तर:
आर्यभट्ट गुप्तकाल का एक महान वैज्ञानिक तथा गणित का एक विशेषज्ञ था, उसका विज्ञान, गणित तथा नक्षत्र विद्या के क्षेत्र में निम्नलिखित योगदान था –

  1. आर्यभट्ट ने सर्वप्रथम सिद्ध किया कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है।
  2. आर्यभट्ट ने चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के कारणों का पता लगाया।
  3. आर्यभट्ट ने दशमलव पद्धति का आविष्कार किया।
  4. अंकगणित तथा ज्यामिति के क्षेत्र में आर्यभट्ट ने अनेक खोजें की।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 9 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सिन्धु घाटी सभ्यता अथवा हड़प्पा सभ्यता के लोगों के सामाजिक जीवन का विवरण दीजिए।
उत्तर:
सामाजिक जीवन मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में खुदाई से प्राप्त सामग्री तथा स्रोतों से सिन्धु घाटी के निवासियों की सामाजिक स्थिति का ज्ञान होता है। सिन्धु घाटी के निवासियों के सामाजिक जीवन का वर्णन निम्न शीर्षकों में किया जा सकता है
(1) सामाजिक संगठन :
सिन्धु घाटी का समाज व्यवसाय के आधार पर चार भागों में विभाजित था-

  • विद्वान तथा शिक्षित वर्ग
  • योद्धा या सैनिक वर्ग
  • व्यापारी तथा दस्तकार
  • श्रमिक। समाज में वर्ण-व्यवस्था का अभाव था तथा समाज की इकाई परिवार थी। इतिहासकारों के अनुसार सिन्धु सभ्यता का समाज ‘मातृप्रधान’ था।

(2) भोजन :
इतिहासकार चाइल्ड के अनुसार सिन्धुवासियों का प्रमुख भोजन गेहूँ, जौ, चावल तथा दूध था। सब्जियों तथा फलों का भी सेवन किया जाता था। फलों में खजूर प्रमुख रूप से खाया जाता था। माँस खाने का भी प्रचलन था। गाय, भेड़, मछली तथा मुर्गे आदि का माँस ही खाया जाता था।

(3) वेश-भूषा :
सिन्धु सभ्यता के किसी भी क्षेत्र में तत्कालीन समय का कोई भी वस्त्र उपलब्ध नहीं हुआ। अतः ऐसी दशा में खुदाई में प्राप्त मूर्तियों का अवलोकन करके ही वेश-भूषा की जानकारी प्राप्त की गयी है। मूर्तियों को देखकर ज्ञात होता है कि सिन्धुवासी शरीर पर दो कपड़े धारण करते थे। प्रथम वस्त्र को बायें कन्धे के ऊपर तथा दाहिनी भुजा के नीचे से निकालकर पहना जाता था, जिससे सीधा हाथ उचित ढंग से कार्य कर सके। दूसरा वस्त्र जो शरीर के नीचे पहना जाता था, वर्तमान धोती के समान होता था। इतिहासकारों के मत में स्त्रियों व पुरुषों के वस्त्रों में विशेष अन्तर नहीं था। सूती वस्त्र अधिक मात्रा में पहने जाते थे परन्तु ऊनी वस्त्रों का भी प्रचलन था।

(4) आभूषण :
सिन्धु-सभ्यता के निवासियों में स्त्री व पुरुष दोनों ही आभूषण पहनने में रुचि लेते थे। आभूषण, सोने, चाँदी, हाथी-दाँत आदि के बनाये जाते थे। ताँबे, मिट्टी, सीप आदि के आभूषण निर्धन व्यक्ति पहनते थे। सोने के आभूषण अत्यधिक आकर्षक होते थे। मार्शल के अनुसार-“सोने के आभूषणों की चमक तथा रचना को देखकर ऐसा ज्ञात होता है कि ये आधुनिक बाड स्ट्रीट (जो कि लन्दन में है) के किसी सुनार की दुकान से लाये गये हैं न कि पाँच हजार वर्ष पूर्व किसी प्रागैतिहासिक घर से।” हार, बाजूबन्द, अंगूठियाँ, कड़े, कुण्डल तथा बालियाँ स्त्री और पुरुष दोनों ही पहनते थे।

(5) सौन्दर्य प्रसाधन :
खुदाई में प्राप्त सामग्री से ज्ञात होता है कि सिन्धु सभ्यता की स्त्रियाँ काजल, सुरमा, सिन्दूर तथा दर्पण व कंघी का प्रयोग अपने सौन्दर्य विकास के लिए करती थीं। इतिहासकार मैके (Mackay) के अनुसार इस काल की स्त्रियाँ लिपिस्टिक का भी प्रयोग करती थीं। स्त्रियाँ केश सज्जा का भी ध्यान रखती थीं।

(6) आमोद-प्रमोद के साधन :
सिन्धु घाटी के निवासी अनेक क्रिया-कलापों से अपना मनोरंजन करते थे। खुदाई में अनेक पाँसे प्राप्त हुए हैं जिनसे ज्ञात होता है कि यहाँ के निवासी जुआ खेलने में विशेष रुचि लेते थे। अन्य आमोद के साधन थे-शिकार करना, नृत्य करना, गाना तथा बजाना। तबले, ढोल तथा तुरही के चित्र मुद्राओं पर बने मिले हैं।

(7) मृतक संस्कार :
खुदाई में प्राप्त अवशेषों का निरीक्षण करने से स्पष्ट होता है कि यहाँ तीन प्रकार से शवों का अन्तिम संस्कार होता था

  • शवों को जैसे का तैसा दफनाना।
  • शव का पशु-पक्षियों के सम्मुख खाने को डाल देना।
  • दाह संस्कार करने के पश्चात् अस्थियों को भूमि में गाढ़ देना

(8) स्त्रियों की दशा :
मातृदेवी की उपासना करना इस बात का प्रमाण है कि सिन्धुवासी स्त्रियों को विशेष सम्मान देते थे। दूसरे यहाँ के परिवार मातृसत्तात्मक होते थे जिनमें स्त्रियों का स्थान ऊँचा होता था।

प्रश्न 2.
सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के आर्थिक जीवन के बारे में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आर्थिक जीवन सिन्धु घाटी के आर्थिक जीवन की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं –

  • कृषि :
    सिन्धु घाटी के निवासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि थी। जिस प्रकार मिस्र में नील नदी ने वरदान का कार्य किया उसी प्रकार सिन्धु नदी ने भी अपने अपार जल से इस सभ्यता के विकास में योग दिया। गेहूँ, जौ, चावल तथा कपास की मुख्यतया खेती होती थी। फलों में नींबू, अनार, खजूर तथा केला आदि उगाये जाते थे।
  • पशुपालन :
    कृषि के साथ-साथ इस सभ्यता के निवासियों का अन्य प्रमुख व्यवसाय पशु-पालन था। खुदाई में प्राप्त अस्थि-पिंजरों से तथा मुद्राओं पर अंकित चित्रों से स्पष्ट होता है कि यहाँ के निवासी गाय, भैंस, बैल, भेड़, बकरी आदि प्रमुखतया पालते थे। घोड़े से यहाँ के निवासी अपरिचित थे।
  • शिकार :
    शिकार का भी एक व्यवसाय के रूप में चलन था। माँस प्राप्त करने के लिए पशुओं का शिकार किया जाता था। पशुओं की खाल तथा अस्थियों से अनेक वस्तुओं का निर्माण होता था।
  • वस्त्र-उद्योग :
    वस्त्र-उद्योग पर्याप्त उन्नति पर था। एक विद्वान के अनुसार सिन्धुवासी सम्भवतः विश्व के सूत कातने तथा वस्त्र बुनने वाले प्रथम लोग थे। वस्त्र सूती तथा ऊनी दोनों प्रकार के बुने जाते थे।
  • अन्य उद्योग :
    नगरों की खुदाई में विशाल संख्या में मिट्टी के बर्तन मिले हैं जिनमें प्याले, सुराहियाँ, मटके तथा नादें प्रमुख हैं। कुम्हार चाकों पर बर्तन बनाते थे तथा उन पर सुन्दर चित्रकारी करते थे। सिन्धु सभ्यता में धातुओं के भी सुन्दर आभूषण बनाये जाते थे।
  • धातुओं का उपयोग :
    खुदाई में प्राप्त सोने, चाँदी के आभूषण तथा ताँबा, काँसा आदि के अस्त्र-शस्त्र तथा बर्तनों से स्पष्ट हो जाता है कि सिन्धु निवासी सोना, चाँदी, ताँबा, रांगा तथा काँसा आदि धातुओं से परिचित थे।
  • व्यापार :
    सिन्धु घाटी के निवासी भारत के विभिन्न भागों के साथ व्यापार करने के साथ-साथ विश्व के अन्य देशों से भी व्यापार करते थे। विदेशों से व्यापार थल तथा जल दोनों ही मार्गों से होता था। थल मार्ग के लिए ऊँटों, बैलों तथा बैलगाड़ियों का प्रयोग होता था। जल मार्गों के लिए नावों तथा जहाजों का प्रयोग होता था। नावें नदियों में प्रयोग की जाती थीं परन्तु जहाजों का प्रयोग समुद्र में किया जाता था। सुमेरिया, ईरान तथा मिस्र से सिन्धुवासियों के घनिष्ठ व्यापारिक सम्बन्ध थे।

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प्रश्न 3.
अशोक को महान् सम्राट क्यों कहा जाता है? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
अथवा
इतिहास में अशोक का क्या स्थान है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अधिकांश इतिहासकारों के मत में अशोक भारत का ही नहीं वरन् विश्व के महान् सम्राटों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। प्रसिद्ध इतिहासकार एच. जी. वेल्स के अनुसार, “इतिहास में प्रसिद्ध सहस्रों महान् राजाओं, सम्राटों, धर्मावतारों और राजेश्वरों में अशोक का नाम अलग और एक तारे के समान चमकता है।” निम्नलिखित कारणों से अशोक को एक महान् सम्राट कहा जाता है।

  • आदर्श व्यक्तित्व :
    अशोक का व्यक्तित्व अत्यन्त प्रभावशाली तथा महान् था। उसकी योग्यताओं तथा प्रतिभाओं को पहचानकर ही बिन्दुसार ने अपने साम्राज्य के विद्रोहों को दबाने के लिए भेजा तो उसने इस क्षेत्र में अपूर्व सफलता प्राप्त की। इसके अतिरिक्त अशोक तत्कालीन सम्राटों की तरह भोगविलास का जीवन नहीं व्यतीत करता था। उसके व्यक्तित्व में सादगी तथा कर्तव्यनिष्ठा का सुन्दरतम समन्वय था।
  • महान् विजेता :
    अशोक एक महान् विजेता था। उसके पिता बिन्दुसार ने कलिंग को जीतने का प्रयास किया था किन्तु सफल नहीं हो पाया था परन्तु अशोक ने अपने पराक्रम से कलिंग विजय प्राप्त की।
  • महान् धर्म विजेता :
    अशोक युद्ध विजेता होने के साथ-साथ एक महान् धर्म विजेता भी था। कलिंग युद्ध के पश्चात् उसने धर्म विजय का अभियान प्रारम्भ किया तथा बौद्ध धर्म के प्रचार में व्यापक सफलता प्राप्त की।
  • लोक-कल्याणकारी शासक :
    अशोक एक लोक-कल्याणकारी शासक था। उसने जनता के कल्याण के लिए चिकित्सालयों तथा धर्मशालाओं का निर्माण करवाया था।
  • धार्मिक सहिष्णुता का प्रतिपादक :
    अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी था परन्तु उसने अपनी प्रजा पर इस धर्म को लादने का कभी भी प्रयास नहीं किया तथा धार्मिक सहिष्णुता की नीति को अपनाकर सब धर्मों की अच्छाइयों का समन्वय किया। अशोक सब धर्मों को आदर की दृष्टि से देखता था।
  • कुशल प्रशासक :
    अशोक का साम्राज्य अत्यन्त विशाल था, परन्तु उसने अपने साम्राज्य का शासन प्रबन्ध बड़ी कुशलता तथा व्यवस्था से संचालित किया था। अशोक ने कलिंग युद्ध के पश्चात् अपने शासन में दो प्रमुख सिद्धान्तों का समावेश किया-(1) नैतिक आचरण पर बल देना, (2) लोक कल्याण की भावना।

उपर्युक्त विवरणों से स्पष्ट हो जाता है कि अशोक एक अद्वितीय महान् सम्राट था। डॉ. मुखर्जी के अनुसार, “प्रत्येक युग और प्रत्येक देश में अशोक जैसा सम्राट पैदा नहीं होता।”

प्रश्न 4.
गुप्त साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए। (2010)
अथवा
गुप्त साम्राज्य के पतन के कोई तीन कारण लिखिए। (2017)
उत्तर:

  • दुर्बल तथा अयोग्य उत्तराधिकारी :
    समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य तथा स्कन्दगुप्त के पश्चात् जितने भी गुप्त सम्राट हुए वे सब दुर्बल तथा अयोग्य थे और उनमें इतनी क्षमता तथा योग्यता नहीं थी कि वे अपने पूर्वजों के साम्राज्य को जैसा का तैसा बनाये रखते।
  • उत्तराधिकार के निश्चित नियमों का न होना :
    गुप्तकाल में उत्तराधिकार का कोई निश्चित नियम न था परिणामस्वरूप सिंहासन प्राप्ति के लिए राजकुमारों में परस्पर संघर्ष और गृह कलह होते थे। राजमहल संघर्षों तथा षड्यन्त्रों के केन्द्र बन गये थे। इस प्रकार के संघर्षों ने गुप्त साम्राज्य के पतन में विशेष योगदान दिया।
  • आन्तरिक कलह :
    चन्द्रगुप्त द्वितीय के पश्चात् उत्तराधिकार नियमों के अभाव के कारण राज्य में आन्तरिक,कलह तथा संघर्ष की भावना का अपूर्व विकास हुआ जिसके कारण गुप्त साम्राज्य को गहरा आघात लगा तथा उसका पतन हो गया।
  • साम्राज्य का अत्यधिक विशाल होना :
    समुद्रगुप्त तथा चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अपनी दिग्विजयों तथा युद्धप्रियता से एक दृढ़ तथा विशाल साम्राज्य की स्थापना कर ली थी। इतने विशाल साम्राज्य को कुशलता तथा दृढ़ता के साथ अपने नियन्त्रण में समुद्रगुप्त तथा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ही रख सके परन्तु उनके बाद के गुप्त शासक अपनी अयोग्यता तथा दुर्बलता के कारण उसे अपने नियन्त्रण में नहीं रख सके।
  • सीमा सुरक्षा की उपेक्षा करना :
    चन्द्रगुप्त द्वितीय के पश्चात् जितने भी गुप्त सम्राट हुए उन्होंने अपनी सीमा सुरक्षा की ओर ध्यान नहीं दिया। इससे विदेशी आक्रमणकारियों को उत्तरी-पश्चिमी सीमान्त प्रदेश में से आक्रमण करने का अवसर एवं प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। यह गुप्त साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध हुआ।
  • दयनीय आर्थिक दशा :
    चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल के पश्चात् गुप्त साम्राज्य की आर्थिक दशा अत्यन्त शोचनीय हो गयी थी। समुद्रगुप्त तथा चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अपने शासनकाल में सोने के सिक्के चलाये थे परन्तु कुमारगुप्त तथा स्कन्दगुप्त के काल में चाँदी तथा ताँबे के सिक्के चलाये गये। इस प्रकार यह निष्कर्ष निकलता है कि गुप्तकाल की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन शोचनीय होती गयी।
  • हूणों के आक्रमण :
    इतिहासकारों के अनुसार गुप्त साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण हूणों के आक्रमण थे। यह सत्य है कि स्कन्दगुप्त के शासनकाल तक के सभी सम्राटों ने हूणों के आक्रमणों को विफल कर दिया था परन्तु उसके शासनकाल के पश्चात् गुप्तकाल के निर्बल शासक हूण आक्रमणों से गुप्त साम्राज्य की रक्षा नहीं कर सके।

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MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 7 भारत : जनसंख्या

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 7 भारत : जनसंख्या

MP Board Class 9th Social Science Chapter 7 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 9th Social Science Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
निम्न में से किस अवधि में जनसंख्या वृद्धि लगभग स्थिर गति से बढ़ी है?
(i) 1901-21
(ii) 1921-51
(iii) 1951-81
(iv) 1981-2001.
उत्तर:
(i) 1901-21

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प्रश्न 2.
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला प्रदेश है
(i) उत्तर प्रदेश
(ii) बिहार
(iii) केरल
(iv) पश्चिम बंगाल।
उत्तर:
(ii) बिहार

प्रश्न 3.
किस राज्य में साक्षरता का प्रतिशत सबसे अधिक है? (2008, 09)
(i) उत्तर प्रदेश
(ii) केरल
(iii) गोवा
(iv) दिल्ली
उत्तर:
(ii) केरल

प्रश्न 4.
सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला केन्द्र शासित प्रदेश है (2008)
(i) चण्डीगढ़
(ii) पुदुचेरी
(iii) दिल्ली
(iv) लक्षद्वीप।
उत्तर:
(iii) दिल्ली

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. भारत में जनसंख्या का घनत्व …………. है।
  2. भारत में सर्वाधिक साक्षरता वाला राज्य ……….. है।
  3. राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग का अध्यक्ष ……….. होता है।
  4. विश्व जनसंख्या दिवस प्रतिवर्ष ……….. को मनाया जाता है।
  5. जनसंख्या के मान से भारत का विश्व में ………….. स्थान है।
  6. भारत में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ………… है।

उत्तर:

  1. बड़ा असमान
  2. केरल
  3. प्रधानमन्त्री
  4. 11 जुलाई
  5. दूसरा
  6. कम।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 7 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जन्मदर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जन्मदर किसी क्षेत्र में प्रति वर्ष, प्रति हजार जनसंख्या पर जीवित नवजात बच्चों की संख्या को कहते हैं।

प्रश्न 2.
मृत्युदर किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में प्रति वर्ष, प्रति हजार व्यक्तियों पर मरने वालों की संख्या मृत्युदर कहलाती है।

प्रश्न 3.
वर्ष 2011 में भारत में जनसंख्या का घनत्व कितना था?
उत्तर:
वर्ष 2011 में भारत में जनसंख्या का औसत घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था।

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प्रश्न 4.
वर्ष 2011 में भारत का लिंग अनुपात क्या था?
उत्तर:
वर्ष 2011 में भारत का लिंग अनुपात 1000 पुरुषों पर 943 स्त्रियाँ थीं।

प्रश्न 5.
जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
भारत का जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में दूसरा तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में सातवाँ स्थान है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंख्या वृद्धि की कोई चार समस्याएँ लिखिए। (2008, 09, 10, 14, 15, 17)
उत्तर:
भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न प्रमुख समस्याएँ निम्न हैं –

  • बेरोजगारी की समस्या :
    जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी की समस्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। सरकार जितने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराती है, उससे अधिक नये लोग बेरोजगारी की लाइन में आ जाते हैं।
  • प्रति व्यक्ति आय :
    जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने पर प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि धीमी हो जाती है। ऐसे में निवेश का बड़ा भाग जनसंख्या के भरण-पोषण में लग जाता है तथा आर्थिक विकास के लिये निवेश का एक छोटा-सा भाग ही बचता है।
  • भूमि पर दबाव :
    हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के परिणामस्वरूप भूमि पर दबाव निरन्तर बढ़ता जा रहा है। इससे भू-जोतों का आर्थिक विभाजन हुआ है तथा कृषि उत्पादकता में कमी आयी है।
  • गरीबी :
    भारत में जनसंख्या वृद्धि का एक बड़ा दुष्परिणाम गरीबी के रूप में सामने आता है। विशाल जनसंख्या और उस पर सीमित संसाधनों के चलते बड़ी संख्या में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे लोगों का जीवन-स्तर सुधारना अत्यन्त दुष्कर कार्य साबित हुआ है।

प्रश्न 2.
भारत में लिंगानुपात की दर निरन्तर क्यों कम होती जा रही है ? कोई चार कारण लिखिए। (2013, 14, 16, 18)
अथवा
भारत में लिंगानुपात की दर में गिरावट होने के कारण लिखिए। (2008, 09)
उत्तर:
भारत में लिंगानुपात की दर कम होने के निम्न कारण हैं –

  1. महिलाओं में साक्षरता का कम होना।
  2. मातृ मृत्यु-दर का ऊँचा होना।
  3. पुरुष प्रधान समाज में पुत्र होने की प्रबल इच्छा होना।
  4. कन्या भ्रूण हत्या में लगातार वृद्धि होना।
  5. समाज में बालिकाओं के प्रति उपेक्षा का भाव व कन्या का बोझ समझना।
  6. समाज में प्रचलित दहेज प्रथा के कारण कन्या भ्रूण हत्या व किशोरियों व युवतियों का आत्महत्या करने के लिये प्रेरित होना।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग से आप क्या समझते हैं ? लिखिए। (2008, 09, 12, 13, 15)
उत्तर:
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के अनुसरण में राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग की स्थापना की गई है। प्रधानमन्त्री इस आयोग के अध्यक्ष हैं। सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, प्रशासक तथा सम्बन्धित केन्द्रीय मंत्रालयों एवं विभागों के प्रभारी केन्द्रीय मंत्री, प्रतिष्ठित जनसांख्यिकीविद्, जनस्वास्थ्य, व्यवसायिक एवं गैर-सरकारी संगठन इस आयोग के सदस्य होते हैं।

प्रश्न 4.
लिंग अनुपात से क्या आशय है? देश में इसके वितरण को समझाइए। (2016)
उत्तर:
लिंग अनुपात से तात्पर्य किसी क्षेत्र में प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या से है। भारतवर्ष में 2001 की जनगणना के अनुसार प्रति हजार पुरुषों पर 933 स्त्रियाँ थीं अर्थात् भारत में पुरुषों की संख्या से स्त्रियों की संख्या कम है। भारत में लिंगानुपात लगातार घटता जा रहा है। सन् 1901 में यह 972 था, जो घटते-घटते 2011 में 940 रह गया है। भारत में लिंग अनुपात में क्षेत्रीय भिन्नता पायी जाती है। केरल में लिंगानुपात (1084) अनुकूल है जबकि दमन दीव में यह (618) प्रतिकूल है।

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MP Board Class 9th Social Science Chapter 7 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारणों व उसके नियन्त्रण के उपायों को लिखिए।
अथवा
जनसंख्या वृद्धि को नियन्त्रित करने के चार उपाय बताइए। (2008, 11, 12, 17, 18)
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि के कारण

  • जन्मदर व मृत्युदर :
    1911-1921 की अवधि में जन्म-दर 48.1 और मृत्यु-दर 47.2 थी, अर्थात् दोनों ही अधिक थीं। 1921 से 1951 तक यद्यपि जन्म-दर धीमी गति से घटी, किन्तु मृत्यु-दर अपेक्षाकृत तेजी से घटी थी, जिससे जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई। वर्ष 2016 के अनुसार भारत में जन्मदर 20.4 प्रति हजार और मृत्यु-दर 64 प्रति हजारं थी। मृत्यु-दर में निरन्तर कमी का कारण चिकित्सा सुविधाओं में वृद्धि तथा भरण-पोषण की पर्याप्त सुविधा होना है।
  • गर्म जलवायु :
    उष्ण जलवायु में मानव की उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है। कम आयु में ही किशोर व किशोरियाँ सन्तान उत्पत्ति के योग्य हो जाते हैं। परिणामस्वरूप जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ती है।
  • भाग्यवादिता :
    भारत में अधिकांश रूढ़िवादी लोग बच्चों का पैदा होना ‘ईश्वर की इच्छा’ मानकर अधिक सन्तान उत्पत्ति को रोकना अनुचित समझते हैं। अतः धार्मिक अन्धविश्वास भी जनसंख्या वृद्धि के लिये उत्तरदायी है।
  • कम उम्र में शादी :
    भारत में विवाह की आयु कम है। कम उम्र में शादी हो जाने से जनसंख्या में वृद्धि होना स्वाभाविक हो जाता है।
  • साक्षरता का निम्न स्तर :
    भारत में साक्षरता का निम्न स्तर भी जनसंख्या वृद्धि के लिये उत्तरदायी है। निम्नवर्ग परिवार कल्याण कार्यक्रम अपनाने में संकोच करते हैं। सन् 2011 के आँकड़ों के अनुसार भारत में 82.14% पुरुष साक्षर थे व 65.46% स्त्रियाँ साक्षर थीं। आर्थिक समीक्षा 2017-18;A 163.

जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय

  • परिवार कल्याण :
    परिवार कल्याण द्वारा छोटे परिवारों के लाभों का प्रचार करना चाहिए, जिससे प्रभावित होकर प्रत्येक व्यक्ति विभिन्न प्रकार के कृत्रिम साधनों को प्रयोग में लाने लगे।
  • शिक्षा तथा सामाजिक सुधार :
    जब तक देश में शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं होगी, परिवार नियोजन कभी भी सफलतापूर्वक कार्य नहीं कर सकता। एक अविकसित देश का अज्ञानी व्यक्ति जो सामाजिक व धार्मिक अन्धविश्वासों में जकड़ा हुआ है, परिवार नियोजन के लाभों को समझ नहीं सकेगा। अतः शिक्षा का प्रसार होना चाहिए। शिक्षा द्वारा बाल-विवाह, जातिवाद आदि सामाजिक कुरीतियाँ स्वयं समाप्त हो जाएँगी, जो जनसंख्या वृद्धि में सहायक होती हैं।
  • आर्थिक विकास :
    जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिये समाज का समुचित आर्थिक विकास होना चाहिए। साथ ही कृषि, उद्योग, व्यापार, यातायात एवं संवाद-वाहन आदि सभी क्षेत्रों का सामूहिक विकास भी आवश्यक है इससे रोजगार के स्तर में वृद्धि होगी, आय और जीवन-स्तर में वृद्धि होगी, फलस्वरूप जनसंख्या वृद्धि पर रोक लग जाएगी।
  • सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में वृद्धि :
    देश में सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में वृद्धि की जानी चाहिये, जिससे संकटकाल या वृद्धावस्था में सहारा पाने की दृष्टि से सन्तानोत्पत्ति की प्रवृत्ति को नियन्त्रित किया जा सके।
  • विवाह की आयु सम्बन्धी नियमों का पालन :
    सरकार को विवाह की आयु सम्बन्धी नियमों का कठोरता से पालन कराना चाहिए। जनसंख्या नीति के अनुसार देश में लड़के व लड़कियों के लिये विवाह योग्य आयु क्रमश: 21 व 18 वर्ष है। इस सम्बन्ध में आवश्यक दण्ड व पुरस्कार की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
  • प्रेरणाएँ :
    सीमित परिवार के संदेश को व्यापक स्तर पर फैलाने के लिये कुछ प्रेरणाओं को अपनाना आवश्यक होता है; जैसे-सीमित परिवार वालों को वेतन वृद्धि, मकान आवण्टन, कॉलेज में प्रवेश, रोजगार आदि की अतिरिक्त सुविधा प्रदान की जाएँ।
  • मनोरंजन के साधनों में वृद्धि :
    सन्तति निग्रह के लिये मनोरंजन के साधनों में वृद्धि की जानी चाहिए। मनोरंजन के साधनों के अभाव में सन्तान वृद्धि को प्रोत्साहन मिलता है।

प्रश्न 2.
भारत में जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले कारकों को उदाहरण सहित लिखिए। (2008)
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व को प्रोत्साहित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं –
(1) भौतिक कारक
(2) सामाजिक-आर्थिक कारक।

(1) भौतिक कारक :
भौतिक कारकों में धरातल, जलवायु, मिट्टी और खनिज आदि प्रमुख हैं। धरातल की बनावट जनसंख्या वितरण को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। गंगा-यमुना तथा समुद्रतटीय मैदानों में जनसंख्या घनत्व अधिक है, वहीं पर्वतीय प्रदेश अरुणाचल में सबसे कम जनसंख्या घनत्व है। जलवायु दशायें भी जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती हैं। अनुकूल जलवायु मनुष्य के स्वास्थ्य व कार्यक्षमता पर अच्छा प्रभाव डालती है। पश्चिमी राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश में विषम जलवायु के कारण कम जनसंख्या पायी जाती है। उपजाऊ मिट्टी कृषि के लिये उपयुक्त होती है इसलिये जनसंख्या का अधिक घनत्व नदियों के उपजाऊ मैदानों में होता है क्योंकि कृषि उपजें ही उनके जीवन-यापन व भरण-पोषण का मुख्य आधार होती हैं। खनिजों की उपलब्धता और इन पर आधारित औद्योगिक विकास ने छोटा नागपुर पठार खनिज क्षेत्र में जनसंख्या को आकर्षित किया। इस प्रकार छोटा नागपुर के पठार पर जनसंख्या बहुत सधन है।

(2) सामाजिक :
आर्थिक एवं सांस्कृतिक कारक-सामाजिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक कारक भी जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरणार्थ-सांस्कृतिक, सामाजिक, ऐतिहासिक तथा राजनैतिक कारकों के कारण ही मुम्बई-पुणे के औद्योगिक क्षेत्र में जनसंख्या वृद्धि और घनत्व में तीव्रता से वृद्धि हुई है। प्राचीनकाल में मुम्बई महत्त्वहीन था परन्तु यूरोपियन लोगों के आवागमन के पश्चात् इसका महत्त्व दिनोंदिन बढ़ता गया। आज मुम्बई व्यापारिक एवं औद्योगिक केन्द्र बन गया है। परिणामस्वरूप यहाँ जनसंख्या बढ़ती जा रही है।

प्रश्न 3.
घनत्व की दृष्टि से भारत को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है ?
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व के आधार पर भारत को चार भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) उच्च घनत्व वाले क्षेत्र
(2) मध्यम घनत्व वाले क्षेत्र
(3) साधारण घनत्व वाले क्षेत्र
(4) न्यूनतम घनत्व वाले क्षेत्र।

  1. उच्च घनत्व वाले क्षेत्र :
    उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं केरल आते हैं यहाँ 501 से अधिक व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर निवास करते हैं। क्योंकि यहाँ की उपजाऊ मिट्टी और जल की उपलब्धता मानव के भरण-पोषण को पर्याप्त सुविधा प्रदान करती है। इन क्षेत्रों में रोजगार के पर्याप्त अवसर भी विद्यमान होते हैं।
  2. मध्यम घनत्व वाले क्षेत्र :
    इसके अन्तर्गत वे क्षेत्र आते हैं, जहाँ जनसंख्या घनत्व 251 से 500 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी पाया जाता है। इसके अन्तर्गत आन्ध्र प्रदेश, असम, गोवा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, झारखण्ड, पंजाब, हरियाणा, त्रिपुरा, दादरा व नगर-हवेली शामिल हैं। विकसित कृषि, खनिजों की उपलब्धता एवं औद्योगिक विकास आदि इन क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या घनत्व के मुख्य कारण हैं।
  3. साधारण घनत्व वाले क्षेत्र :
    मध्य प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, मेघालय, मणिपुर, नागालैण्ड, इस क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं। यहाँ जनसंख्या का घनत्व 101 से 250 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। ये पर्वतीय तथा ऊबढ़-खाबड़ वनाच्छादित प्रदेश हैं। यहाँ जीवनयापन की सुविधाएँ सीमित हैं।
  4. निम्न घनत्व वाले क्षेत्र :
    इस क्षेत्र में जम्मू व कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम तथा अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह आते हैं। पर्वतीय क्षेत्र, आवागमन में असुविधा, कृषि व उद्योगों का न्यून विकास आदि कारण कम जनसंख्या घनत्व के लिये उत्तरदायी हैं। इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व 13 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000 क्या है? इसके तहत सरकार द्वारा क्या प्रावधान किए गए हैं? लिखिए।
अथवा
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 क्या है? (2009)
उत्तर:
15 फरवरी, 2000 को नई ‘राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000’ की घोषणा की गई। इस नवीनतम संशोधित जनसंख्या नीति के अनुसार सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये जीवन में गुणात्मक सुधार किया जाना आवश्यक है, ताकि मानव शक्ति समाज के लिये उत्पादक पूँजी में परिवर्तित हो सके। इस नीति के निम्नलिखित उद्देश्य हैं –

  • तात्कालिक उद्देश्य :
    गर्भ निरोधक उपायों के विस्तार हेतु स्वास्थ्य एवं बुनियादी ढाँचे का विकास।
  • मध्यकालीन उद्देश्य :
    सन् 2010 तक कुल प्रजनन दर को घटाना।
  • दीर्घकालीन उद्देश्य :
    सन् 2045 तक स्थायी आर्थिक विकास हेतु स्थिर जनसंख्या के उद्देश्य को प्राप्त करना।

नई नीति में इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये निम्नलिखित सामाजिक जनांकिकी लक्ष्य भी घोषित किये गये हैं –

  1. बुनियादी प्रजनन तथा शिशु स्वास्थ्य सेवाओं, आपूर्तियों तथा आधारभूत ढाँचे से सम्बन्धित अपूर्ण आवश्यकताओं पर ध्यान देना।
  2. 14 वर्ष तक की उम्र तक विद्यालय शिक्षा को निःशुल्क करना। प्रारम्भिक तथा माध्यमिक स्तर पर छात्र और छात्राओं के विद्यालय छोड़ने की दर में 20% तक की कमी लाना।
  3. शिशु मृत्यु दर को 100 से नीचे लाना (प्रत्येक 1 लाख जीवित जन्मों पर)।
  4. सार्वभौमिक टीकाकरण द्वारा गम्भीर बीमारियों की रोकथाम करना।
  5. कन्याओं का विवाह 20 वर्ष की उम्र के बाद करने के लिये प्रोत्साहन देना।
  6. सभी प्रसव संस्थाओं में प्रशिक्षित प्रसव नौं का शत-प्रतिशत होना।
  7. गर्भ निरोधक के व्यापक विकल्पों की जानकारी देना।
  8. जन्म, मृत्यु, विवाह तथा गर्भावस्था का शत-प्रतिशत पंजीकरण।
  9. एड्स की खतरनाक बीमारी को फैलने से रोकने के प्रयास करना तथा प्रजनन अंग संक्रमण (आर. टी. आई.) और यौन संचारी रोगों की रोकथाम करना।
  10. प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था को घर-घर तक पहुँचाने के लिये भारतीय औषधि पद्धति को एकीकृत करना।
  11. संक्रामक बीमारियों की रोकथाम और उनके नियन्त्रण के लिये भरपूर प्रयास करना।
  12. जन्म दर में कमी लाने के लिये छोटे परिवार के मानदण्डों को ठोस रूप में बढ़ावा देना।
  13. परिवार कल्याण कार्यक्रम को जन-केन्द्रित कार्यक्रम के रूप में विकसित करना।

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प्रश्न 5.
भारत में साक्षरता-विकास की स्थिति तथा महिला साक्षरता को बढ़ाने के लिये अपने सुझावात्मक विचार लिखिए।
उत्तर:
साक्षरता से तात्पर्य :
जो व्यक्ति किसी भाषा को समझने के साथ लिख और पढ़ सकता है, साक्षर कहलाता है। जो पढ़ सकता है, परन्तु लिख नहीं सकता, वह साक्षर नहीं कहलाता है। साक्षरता के लिये कोई औपचारिक शिक्षा लेना आवश्यक नहीं होता है।

भारत में साक्षरता विकास की स्थिति :
हमारा देश संसार में जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवाँ बड़ा देश है। किन्तु साक्षरता की दृष्टि से अभी भी पीछे है। स्वतन्त्रता के पश्चात् हमने साक्षरता में वृद्धि की है। लेकिन अभी भी निरन्तर प्रयास की आवश्यकता है। भारत में साक्षरता की स्थिति को निम्न तालिका से स्पष्ट किया जा सकता है –

भारत में साक्षरता की स्थिति (प्रतिशत में)
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 7 भारत जनसंख्या - 1

तालिका से स्पष्ट है कि 1911 में देश में साक्षरता मात्र 6% थी। स्वतन्त्रता के पश्चात् 1950-51 में यह बढ़कर 18:33% हो गई। तब से लगातार साक्षरता प्रतिशत में वृद्धि हो रही है। वर्ष 2010-11 में यह बढ़कर 74.04% हो गई है। यह उपलब्धि भारत सरकार द्वारा निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने का ही परिणाम है। भारत में साक्षरता में भिन्नताएँ दृष्टिगोचर होती हैं। बिहार में साक्षरता की दर 63.82% है। जबकि केरल में यह 93.91% है। लक्षद्वीप में 92.98 है।

महिला साक्षरता में वृद्धि के उपाय :
भारत में महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों की तुलना में बहुत कम है। वर्तमान आँकड़ों को देखने पर स्पष्ट होता है कि आज भी महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम साक्षर हैं। वर्ष 2010-11 में साक्षर पुरुष 82.14% व साक्षर महिला 65.46% थी। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थिति और भी खराब है।

महिला साक्षरता में वृद्धि करके जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सकता है। शिक्षित लड़कियाँ उचित उम्र में विवाह करती हैं। विवाह करने के कुछ समय पश्चात् तक वह गर्भ धारण करना नहीं चाहती हैं। शिक्षित महिलाएँ रोजगार करने में पीछे नहीं रहती हैं। साथ ही वह कम बच्चों में विश्वास रखती हैं। शिक्षित स्त्रियों का दृष्टिकोण बहुत व्यापक होता है। वह परिवार कल्याण कार्यक्रम का महत्त्व समझती हैं। वह अपने बच्चों की संख्या सीमित रखने और दो बच्चों के जन्म के मध्य पर्याप्त समय रखती हैं। साथ ही शिक्षित महिलाएँ लड़का-लड़की में भेद न करके केवल एक-दो बच्चों को ही जन्म देती हैं। अतः लड़कियों को स्वयं शिक्षा प्राप्त करने में पहल करनी चाहिए क्योंकि शिक्षित लड़कियाँ जनसंख्या वृद्धि को एक सीमा तक रोक सकती हैं। सरकार को ग्रामीण इलाकों में लड़कियों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करानी चाहिए; साथ ही उनको वजीफा भी देना चाहिए जिससे उनके माता-पिता उनको शिक्षित कराने के लिये आगे आएँ।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 7 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 9th Social Science Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में संसार की कुल जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग निवास करता है?
(i) 16.7
(ii) 12.4
(iii) 15.0
(iv) 25.4.
उत्तर:
(i) 16.7

प्रश्न 2.
जनसंख्या की गणना कितने वर्ष के अन्तराल पर होती है?
(i) 5 वर्ष
(ii) 10 वर्ष
(iii) 3 वर्ष
(iv) 1 वर्ष।
उत्तर:
(ii) 10 वर्ष

प्रश्न 3.
5 अरबवें शिशु का जन्म किस देश में हुआ था?
(i) भारत
(ii) यूगोस्लाविया
(iii) अमेरिका
(iv) पाकिस्तान।
उत्तर:
(ii) यूगोस्लाविया

प्रश्न 4.
भारत में सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला प्रदेश है
(i) बिहार
(ii) महाराष्ट्र
(iii) मिजोरम
(iv) अरुणाचल प्रदेश।
उत्तर:
(iv) अरुणाचल प्रदेश।

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रिक्त स्थान पूर्ति

  1. भारत में महिला साक्षरता …………. प्रतिशत है।
  2. 5 अरबवें शिशु का जन्म ………… में हुआ था।
  3. क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का विश्व में ………… स्थान है।

उत्तर:

  1. 65-46
  2. यूगोस्लाविया
  3. सातवाँ।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
भारत में सर्वाधिक गरीब जनसंख्या वाला राज्य बिहार है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
विश्व का हर छठवाँ व्यक्ति भारत में निवास करता है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3.
भारत में सर्वाधिक साक्षरता वाला राज्य केरल है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
भारत में जनसंख्या का वितरण समान है।
उत्तर:
असत्य।

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 7 भारत जनसंख्या - 2
उत्तर:

  1. → (ङ)
  2. → (घ)
  3. → (क)
  4. → (ख)
  5. → (ग)
  6. → (च)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
जनसंख्या नियन्त्रण हेतु महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम।
उत्तर:
परिवार कल्याण

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प्रश्न 2.
प्रत्येक व्यक्ति की औसत आयु। (2009)
उत्तर:
प्रत्याशित आयु

प्रश्न 3.
एक निश्चित समयान्तराल में जनसंख्या की अधिकारिक गणना। (2010)
उत्तर:
जनगणना

प्रश्न 4.
नवीन जनसंख्या नीति की घोषणा कब की गई?
उत्तर:
15 फरवरी, 2000

MP Board Class 9th Social Science Chapter 7 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि दर से क्या आशय है?
उत्तर:
प्राकृतिक वृद्धि दर से आशय जन्मदर व मृत्युदर के अन्तर से है।

प्रश्न 2.
नवीन जनसंख्या नीति की घोषणा कब की गई?
उत्तर:
नवीन जनसंख्या नीति की घोषणा 15 फरवरी, 2000 को की गई थी।

प्रश्न 3.
जनगणना का तात्पर्य क्या है? (2011)
उत्तर:
एक निश्चित समयान्तराल में जनसंख्या की आधिकारिक गणना जनगणना कहलाती है। भारत में प्रत्येक दस वर्ष पर जनगणना होती है।

प्रश्न 4.
जनसंख्या वृद्धि दर से आप क्या समझते हैं? (2010)
उत्तर:
जनसंख्या की वृद्धि दर, जनसंख्या बढ़ने की गति को बताती है। वृद्धि दर से बढ़ी हुई जनसंख्या की आधार वर्ष की जनसंख्या से तुलना की जाती है इसे वार्षिक या दशकीय गति से ज्ञात किया जाता है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 7 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की जनसंख्या की वर्तमान स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संसार में चीन के बाद भारत दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1,21,01,93, 422 है। यहाँ संसार की कुल जनसंख्या का 17.5 प्रतिशत भाग निवास करता है, जबकि इसका कुल क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल का केवल 2-41 प्रतिशत ही है। इस प्रकार भारत जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवाँ बड़ा देश है। भारत की जनसंख्या उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की कुल सम्मिलित जनसंख्या से भी अधिक है। अन्य शब्दों में संसार का हर छठवाँ व्यक्ति भारत में निवास करता है।

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प्रश्न 2.
“भारत में जनसंख्या का वितरण असमान है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या का वितरण असमान है। पर्वतीय भागों, वन क्षेत्रों और मरुस्थलों की अपेक्षा मैदानी भागों में अधिक जनसंख्या है। इसी प्रकार नदियों के उपजाऊ मैदानों, समुद्र तटीय क्षेत्रों में जनसंख्या अधिक है। हिमालयीन छोटे राज्य सिक्किम की जनसंख्या मात्र 6.7 लाख ही है, जबकि मैदानी बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 19.95 करोड़ है। कुल मिलाकर भारत में 10 ऐसे राज्य हैं जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या 6 करोड़ से अधिक है। कुछ राज्य क्षेत्रफल में बड़े होते हुए भी कम जनसंख्या वाले हैं, जैसे राजस्थान और मध्य प्रदेश जबकि ये दोनों ही क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के बड़े राज्य हैं। केवल पाँच राज्यों (उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और आन्ध्र प्रदेश) में देश की आधे से अधिक जनसंख्या निवास करती है।

प्रश्न 3.
जनसंख्या घनत्व क्या है? इसे कैसे ज्ञात किया जाता है? (2008)
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व:
किसी क्षेत्र में निवास करने वाली जनसंख्या और उस क्षेत्र के प्रति इकाई क्षेत्रफल (वर्ग किमी.) के अनुपात को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। किसी देश या प्रदेश की जनसंख्या का घनत्व ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है –
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 7 भारत जनसंख्या - 3
प्रश्न 4.
भारत में साक्षरता दर में भिन्नताएँ पायी जाती हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
साक्षरता की दर में प्रादेशिक भिन्नताएँ अत्यधिक हैं। बिहार में साक्षरता की दर 63.82 प्रतिशत है, जबकि केरल में यह 93.9 प्रतिशत है। लक्षद्वीप में 92.8 और मिजोरम में 88.4 प्रतिशत साक्षरता है। बिहार में साक्षरता दर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की तुलना में सबसे कम है।

पुरुषों और स्त्रियों की साक्षरता दर में भी आश्चर्यजनक अन्तर है। भारत में पुरुषों की औसत साक्षरता दर 82.14 है, जबकि स्त्रियों की साक्षरता दर केवल 65.46 प्रतिशत है। शहरी और ग्रामीण जनसंख्या की साक्षरता दर में भी बहुत अन्तर है। वर्ष 2011 में शहरी क्षेत्रों की साक्षरता दर 85.7 प्रतिशत थी, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह मात्र 68.9 प्रतिशत थी।

प्रश्न 5.
जनसंख्या विस्फोट से आप क्या समझते हैं? (2009)
उत्तर:
जनसंख्या विस्फोट का अर्थ
“आजकल ‘जनसंख्या विस्फोट’ शब्द का प्रयोग बहुत हो रहा है। जनसंख्या के अत्यन्त तीव्र गति से एकाएक वृद्धि के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया जाता है। ‘विस्फोट’ शब्द उस तरह की स्थिति को बताता है जैसे उसके प्रभाव उतने ही गम्भीर या भयानक होते हैं। जैसे कि परमाणु बम के Fall out या गिरने या उसके दूषित पदार्थों से प्रभावित होने के होते हैं।”

हर देश में जब विकास होगा तो जन्म-दर की तुलना में मृत्यु-दर अधिक तीव्र गति से घटेगी और उसका परिणाम यह होगा कि जनसंख्या में वृद्धि होगी। आज पैदा होने वाले बच्चे, जिन्हें अकाल शिशु मृत्यु से बचा लिया जाएगा, 20-22 वर्ष बाद स्वयं बच्चे पैदा करेंगे। यहाँ से ही ‘जनसंख्या विस्फोट’ की स्थिति निर्मित होगी।

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MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 2 पर्यावरण संरक्षण के प्रयास व सफलताएँ

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 2 पर्यावरण संरक्षण के प्रयास व सफलताएँ

MP Board Class 9th Social Science Chapter 2 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 9th Social Science Chapter 2 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
आधुनिक कृषि में प्रोत्साहन दिया जा रहा है – (2016)
(i) जैविक खेती को
(ii) जैव उर्वरकों के उपयोग को
(iii) जैव कीटनाशकों के उपयोग को
(iv) उपर्युक्त सभी को।
उत्तर:
(iv) उपर्युक्त सभी को।

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प्रश्न 2.
पर्यावरण प्रभाव के निर्धारण का अन्तिम स्तर है
(i) विस्तृत प्रभाव निर्धारण
(ii) आलोचनात्मक पहलुओं का अध्ययन,
(iii) तीव्र प्रभाव निर्धारण
(iv) जोखिम का विश्लेषण।
उत्तर:
(i) विस्तृत प्रभाव निर्धारण

प्रश्न 3.
भारत में पर्यावरण प्रभाव के निर्धारण की जिम्मेदारी है
(i) पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की
(ii) रक्षा मंत्रालय की
(iii) पर्यटन एवं शहरी मंत्रालय की
(iv) कृषि मंत्रालय की।
उत्तर:
(i) पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की

प्रश्न 4.
चिपको आन्दोलन का प्रारम्भ हुआ (2008)
(i) कर्नाटक में
(ii) पूर्वोत्तर भारत में
(iii) उत्तराखण्ड में
(iv) केरल में।
उत्तर:
(iii) उत्तराखण्ड में

प्रश्न 5.
भारत में सी. एन. जी. का उपयोग सबसे पहले प्रारम्भ हुआ (2009, 12)
(i) मुम्बई में
(ii) दिल्ली में
(iii) कोलकाता में
(iv) चेन्नई में।
उत्तर:
(ii) दिल्ली में

रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए

  1. साइलेण्ट वेली …………. राज्य का एक छोटा-सा वन क्षेत्र है।
  2. चिपको आन्दोलन की शुरूआत वर्ष ………… में हुई।

उत्तर:

  1. केरल,
  2. 19741

MP Board Class 9th Social Science Chapter 2 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण संरक्षण से क्या आशय है? समझाइए। (2008)
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण और संसाधन को नष्ट होने से बचाने के लिए आयोजित प्रबन्धन को पर्यावरण संरक्षण कहते हैं।

प्रश्न 2.
पर्यावरण प्रभाव निर्धारण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण प्रभाव निर्धारण पर्यावरणीय गुणवत्ता को बनाए रखने की महत्त्वपूर्ण तकनीक है।

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प्रश्न 3.
पर्यावरण प्रभाव का निर्धारण भारत में किस मंत्रालय की जिम्मेदारी है?
उत्तर:
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की।

प्रश्न 4.
जैविक खेती से आप क्या समझते हैं? (2017, 18)
उत्तर:
जैविक खेती वह खेती है जिसमें कृत्रिम रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है, वरन् जैविक खाद (गोबर या पेड़-पौधों की पत्तियों से बनी हरी खाद) का उपयोग होता है।

प्रश्न 5.
पर्यावरण प्रभाव निर्धारण के तीन प्रमुख स्तर कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. प्रथम स्तर-प्रारम्भिक जाँच;
  2. द्वितीय स्तर-तीव्र प्रभाव निर्धारण;
  3. तृतीय स्तर-विस्तृत प्रभाव निर्धारण।

प्रश्न 6.
हमें पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता क्यों है? (2008)
उत्तर:
भावी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मानव, वनस्पति, जीव-जन्तु एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों (जल, वायु, खनिज) को संरक्षित किया जाना आवश्यक है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 2 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चिपको आन्दोलन क्या है एवं इसके आधारभूत तत्व कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:
चिपको आन्दोलन प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए एक कारगर उपाय है। यह केवल वृक्षों को बचाने का आन्दोलन ही नहीं है, अपितु भूमि नीति में आमूल परिवर्तन की माँग कर स्थायी कल्याणकारी आर्थिक पक्ष (अनाज, चारा, ईंधन, खाद, उर्वरक, कपड़ा) के लिए एक आधार प्रस्तुत करता है। इस आन्दोलन में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय है। इस आन्दोलन की सफलता ने सिद्ध कर दिया है कि गहन समस्याओं का निदान केवल नियम कानून बनाने से ही सम्भव नहीं होता। इसके लिए जनचेतना और अधिकारों की समझ होना भी आवश्यक है।

प्रश्न 2.
पर्यावरण संरक्षण किन महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक है ? समझाइए।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता :
पृथ्वी पर विविध प्रकार के पेड़-पौधे और जन्तु निवास करते हैं। मनुष्य पृथ्वी का सबसे बुद्धिमान और शक्तिशाली जीव है, पर प्रकृति ने मनुष्य को यह अधिकार नहीं दिया है कि वह यहाँ के संसाधनों को नष्ट करें। आवश्यकता इस बात की है कि हम इन संसाधनों को सजगता के साथ उपयोग करें। आज पर्यावरण असन्तुलन विश्व की सबसे बड़ी समस्या है। दूसरी ओर भावी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मानव, वनस्पति, जीव-जन्तु एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों (जल, वायु, खनिज) को संरक्षित किया जाना आवश्यक है।

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प्रश्न 3.
ई.आई.ए. की क्या भूमिका है? किन तत्वों को आधार मानकर ई. आई. ए. तैयार किया जाता है, वर्णन कीजिए।
(2009)
उत्तर:
पर्यावरणीय प्रभाव अनुमानक (ई.आई.ए.)-वर्तमान में पर्यावरण प्रदूषण और विघटन उच्च स्तर तक पहुंच चुका है। पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पर्यावरणीय प्रभाव अनुमानक या ई.आई.ए. (Environment Impact Assessment) महत्त्वपूर्ण हो जाता है। पर्यावरणीय प्रभाव का निर्धारण अपनी परियोजनाओं से पर्यावरण पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को शामिल करता है। पर्यावरण प्रभाव अनुमानक परियोजना से होने वाले लाभकारी और नुकसानदेह प्रभाव का मूल्यांकन गुणात्मक और संख्यात्मक दोनों प्रकार से करता है। ई.आई.ए. का लक्ष्य इस बात का ध्यान रखना होता है कि पर्यावरण का विघटन कम से कम हो।

पर्यावरणीय प्रभाव अनुमानक (ई.आई.ए.) के तत्व –

  1. भूमि पर प्रभाव-भूमि विघटन
  2. भूकम्प की सम्भावना
  3. मिट्टी एवं वायु की गुणवत्ता, धरातलीय एवं भूगर्भिक जल
  4. पौधों एवं वन्य जीवों की खतरे में पड़ी किस्मों की जानकारी
  5. ध्वनि प्रदूषण की स्थिति का आकलन
  6. सामाजिक आर्थिक प्रभाव
  7. अवशिष्ट व बचे पदार्थों का पर्याप्त उपयोग तथा
  8. जोखिम विश्लेषण व आपदा प्रबन्धन।

प्रश्न 4.
सी.एन.जी. से क्या आशय है? (2018) भारत में इसका सर्वाधिक उपयोग किस रूप में किया जा रहा है?
उत्तर:
सी.एन.जी. यानी कम्प्रैस्ड नेचुरल गैस धरती के भीतर पाए जाने वाले हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है और इसमें 80 से 90 प्रतिशत मात्रा मीथेन गैस की होती है। सी.एन.जी. को वाहनों के ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए 200 से 250 किग्रा. प्रति वर्ग सेमी. तक दबाया यानी कम्प्रैस किया जाता है। यह गैस रंगहीन, गंधहीन, हवा से हल्की तथा पर्यावरण की दृष्टि से सबसे कम प्रदूषण उत्पन्न करती है। सी.एन.जी. को जलाने के लिए एल.पी.जी. की अपेक्षा ऊँचे तापमान की आवश्यकता पड़ती है इसलिए आसानी से आग पकड़ने का खतरा भी नहीं रहता। इसका उपयोग आज बिजलीघरों, खाद-कारखानों, इस्पात कारखानों, घरेलू ईंधन तथा वाहन के ईंधन के रूप में हो रहा है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चिपको आन्दोलन से क्या आशय है? इसका प्रारम्भ कैसे हुआ तथा इसकी अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के क्या कारण थे? (2008, 15)
अथवा
चिपको आन्दोलन से क्या आशय है? समझाइए। (2013, 17)
उत्तर:
विश्व प्रसिद्ध ‘चिपको आन्दोलन’ गढ़वाल की महिलाओं द्वारा चलाया गया था। आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य वनों की कटाई पर रोक लगाना था। इस आन्दोलन के प्रणेता सुन्दरलाल बहुगुणा हैं। इनके द्वारा प्रारम्भ किया गया चिपको आन्दोलन जंगल बचाने का एक पर्यायवाची शब्द बन चुका है।

यह केवल वृक्षों को बचाने का आन्दोलन ही नहीं है, अपितु भूमि नीति में आमूल परिवर्तन की माँग कर स्थायी कल्याणकारी आर्थिक पक्ष (अनाज, चारा, ईंधन, खाद, उर्वरक, कपड़ा) के लिए एक आधार. प्रस्तुत करता है। इस आन्दोलन का कर्म क्षेत्र, अब केवल भारतवर्ष में न होकर स्विट्जरलैण्ड जर्मनी और हॉलैण्ड भी है। यह आन्दोलन 1974 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश (वर्तमान में उत्तराखण्ड) सरकार द्वारा जंगलों को काटने का ठेका देने के विरोध में एक गांधीवादी संस्था ‘दशोली ग्राम स्वराज मण्डल’ ने चमोली जिले के गोपेश्वर में रेनी नामक ग्राम में प्रसिद्ध पर्यावरणविद् बहुगुणा के नेतृत्व में प्रारम्भ किया गया।

इस आन्दोलन के तहत् महिलाएँ पेड़ों से चिपककर पेड़ को काटने से रक्षा करती थीं। पुरुषों की अनुपस्थिति में रेनी गाँव की एक साधारण महिला गौरा देवी श्रमिकों द्वारा वृक्षों को काटने से रोकने के लिए आगे आई। गौरा देवी ने गाँव में घर-घर जाकर लड़कियों और स्त्रियों को प्रतिरोध करने के लिए प्रेरित किया। गौरा देवी के नेतृत्व में वृक्षों को बचाने के लिए अहिंसक तकनीक चिपको का प्रयोग किया गया। स्त्रियों का कहना था कि ये जंगल हमारा मायका है, इसे हम किसी भी कीमत पर कटने नहीं देंगे। महिलाओं ने निरन्तर 48 घण्टे दिन-रात जंगल को घेरे रखा और ठेकेदार व वनकर्मियों की बन्दूक का भय भी इनकी हिम्मत को कम न कर पाया। इस घटना के बाद पूरे उत्तराखण्ड में वन संरक्षण हेतु जनता में नवीन उत्साह का संचार हुआ। इस आन्दोलन को गति प्रदान करने के लिए सुन्दरलाल बहुगुणा ने 2800 किमी की पदयात्रा की।

इस आन्दोलन के फलस्वरूप हिमालय क्षेत्र के वनों को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की माँग स्वीकार की गई। इस क्षेत्र के वनों के हरे वृक्षों को अगले 15 वर्षों तक काटने पर रोक लगा दी गयी। परिणामस्वरूप जंगलों का संवर्द्धन, भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि एवं वन्य प्राणियों के शिकार पर नियन्त्रण सम्भव हुआ।

प्रश्न 2.
साइलेण्ट वैली पर टिप्पणी कीजिए। (2008, 09, 10, 12)
उत्तर:
साइलेण्ट वैली (शान्त घाटी)-साइलेण्ट वैली केरल का एक छोटा वन क्षेत्र है। यह पश्चिमी घाट पर नीलगिरि के दक्षिण-पश्चिमी ढाल पर स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल 90 वर्ग किमी है। यह क्षेत्र चारों ओर से ऊँची पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह जनसंख्याविहीन, क्षेत्र है। कुन्तीपूजा नदी साइलेण्ट वैली के बीच से होकर बहती है। इस घाटी में दुर्लभ एवं मूल्यवान वनस्पति एवं जन्तुओं का भण्डार है।

केरल राज्य विद्युत् बोर्ड कुन्तीपूजा नदी पर बाँध बनाकर जल विद्युत् पैदा करना चाहता है। इसी प्रस्ताव के कारण पर्यावरणीय विवाद प्रारम्भ हुआ। केन्द्र सरकार के पर्यावरण विभाग ने केरल सरकार को बाँध निर्माण पर पुनः विचार करने को कहा। उक्त कार्य हेतु एक समिति गठित की गयी। एम. जी. के. मेनन की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने बाँध निर्माण को पर्यावरण की अपूरणीय क्षति बताकर बाँध न बनाने की सिफारिश की। समिति की जाँच रिपोर्ट के अनुसार शान्त घाटी कुछ विशिष्ट प्रकार की वनस्पतियों एवं वन्य प्राणियों का आश्रय स्थल है। यहाँ के भूमध्यरेखीय वर्षा वन बिना मानवीय हस्तक्षेप की स्थिति में ही सुरक्षित है। 1985 में साइलेण्ट वैली ‘राष्ट्रीय आरक्षित वन क्षेत्र’ घोषित करना पड़ा। इस प्रकार जन आन्दोलन के कारण ही बहुमूल्य वर्षा वन, दुर्लभ वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं को सुरक्षित किया जा सका।

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प्रश्न 3.
जल संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए मध्य प्रदेश में कौन-कौन-से प्रयास किये गये हैं ? विस्तार से वर्णन कीजिए। (2008,09)
उत्तर:
मध्य प्रदेश में जल संरक्षण संवर्द्धन हेतु किये गए प्रयास पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में मील के पत्थर हैं। प्रमुख प्रयास निम्न प्रकार हैं –
(1) राजीव गांधी जल संग्रहण मिशन :
वर्ष 1994 में सूखा, अकाल एवं वन विनाश की समस्याओं के समाधान के लिए राजीव गांधी जल संग्रहण मिशन का कार्य प्रारम्भ हुआ। यह मिशन अन्तिम उपभोक्ता को भूमि और जल संरक्षण कार्यक्रम से जोड़कर उसके क्रियाकलाप और रख-रखाव पर बल देता है। मिशन के तहत जल संग्रहण हेतु स्थानीय समुदाय की माँग पर स्टाप डेम और तालाब बनाये गये। इन स्टाप डेमों और तालाबों में जल संग्रहण से जल की मात्रा में वृद्धि हुई। मृदा का कटाव रुका, सिंचाई हेतु जल मिला, पेड़-पौधे हरे-भरे हुए तथा जल संकट से मुक्ति हुई एवं पशुओं को सरलता से जल उपलब्ध होने लगा जिससे पशुधन व कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई।

(2) एक पंच एक तालाब योजना :
वर्ष 1999 में राज्य सरकार ने इस योजना के अन्तर्गत पंचायत के प्रत्येक सरपंच को अपने पाँच वर्ष के कार्यकाल में कम से कम एक तालाब के निर्माण को व पुराने तालाब के सुधार को अनिवार्य कर दिया। इनकी लागत का एक-चौथाई व्यय जनता द्वारा वहन किया।

(3) मिट्टी बचाओ अभियान :
मध्य प्रदेश में तवा बाँध के कारण अत्यन्त जल-जमाव एवं खारेपन को रोकने तथा किसानों को उसके लिए मुआवजा दिलाने हेतु वर्ष 1977 में मिट्टी बचाओ आन्दोलन प्रारम्भ किया गया।

(4) पानी रोको अभियान :
वर्ष 2000 में पानी रोको अभियान के अन्तर्गत छोटे-छोटे बाँध बनाकर पानी के संग्रहण को बढ़ाया गया, इससे लगभग 7 लाख जल संग्रहण क्षेत्र विकसित हुए।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 2 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 9th Social Science Chapter 2 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चिपको आन्दोलन के प्रणोता कौन थे? (2009)
(i) नारायण दत्त तिवारी
(ii) सुन्दरलाल बहुगुणा
(iii) उमा भारती,
(iv) चौधरी देवीलाल।
उत्तर:
(ii) सुन्दरलाल बहुगुणा

प्रश्न 2.
साइलेण्ट वैली को राष्ट्रीय उद्यान कब घोषित किया गया?
(i) 1980
(ii) 1985
(iii) 1975
(iv) 1995
उत्तर:
(ii) 1985

प्रश्न 3.
सी. एन. जी. (C.N.G) का पूरा नाम है
(i) Compressed Natural Gas
(ii) Computerised Natural Gas
(iii) Common Natural Gas
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(i) Compressed Natural Gas

रिक्त स्थान पूर्ति

  1. मनुष्य प्रकृति का सर्जक ही नहीं, एक …………. भी है।
  2. चिपको आन्दोलन …………. के संरक्षण के लिए एक कारगर उपाय है।
  3. वर्ष 2000 में पानी रोको अभियान के अन्तर्गत ……….. बनाकर पानी के संग्रहण को बढ़ाया गया।

उत्तर:

  1. घटक
  2. प्राकृतिक संसाधनों
  3. छोटे-छोटे बाँध

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सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
कुन्तीपूजा नदी साइलेण्ट वैली के बीच से होकर गुजरती है। (2009)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
भारत में पर्यावरणीय प्रभाव निर्धारण का कार्य कृषि मन्त्रालय द्वारा किया जाता है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
भारत में सी. एन. जी का उपयोग सबसे पहले दिल्ली में प्रारम्भ हुआ। (2008)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
सन् 1999 में राज्य सरकार ने एक पंच एक तालाब योजना लागू की।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
चिपको आन्दोलन को राष्ट्रीय समर्थन व लोकप्रियता मिली।
उत्तर:
सत्य

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 2 पर्यावरण संरक्षण के प्रयास व सफलताएँ - 1

उत्तर:

  1. → (ग)
  2. → (घ)
  3. → (ङ)
  4. → (क)
  5. → (ख)

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एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
राजीव गांधी जल संग्रहण मिशन कब प्रारम्भ किया गया? (2009)
उत्तर:
1994

प्रश्न 2.
एक सस्ता, अच्छा और कम प्रदूषण फैलाने वाला ऊर्जा संसाधन, जो वाहनों के लिए उपयोगी है, क्या है?
उत्तर:
सी. एन. जी. (Compressed Natural Gas)

प्रश्न 3.
मृदा को उपजाऊ बनाने के लिए खेतों में मौसम के अनुसार बदल-बदलकर पैदावार की व्यवस्था को क्या कहते हैं?
उत्तर:
फसल चक्र

प्रश्न 4.
वे जीव जो मृदा में पौष्टिक तत्व उत्पन्न करते हैं। (2008)
उत्तर:
जैव उर्वरक

प्रश्न 5.
चिपको आन्दोलन का प्रारम्भ किस राज्य में हुआ? (2018)
उत्तर:
उत्तराखण्ड।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 2 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फसल चक्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिये खेतों में मौसम के अनुसार बदल-बदलकर पैदावार की व्यवस्था करना ही फसल चक्र कहलाता है।

प्रश्न 2.
जैव उर्वरक किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे जीव जो मिट्टी में पौष्टिक तत्व पैदा करते हैं; जैसे-जीवाणु, वर्मी, फफूंद आदि जैव उर्वरक कहलाते हैं।

प्रश्न 3.
पुनः चक्रण से क्या आशय है?
उत्तर:
ऐसी वस्तुओं या उत्पादों जिनका वास्तविक मूल्य उपयोग के कारण खत्म हो गया हो, को पुनः उपयोगी बनाना पुनः चक्रण कहलाता है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 2 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण प्रभाव अनुमानक के प्रमुख उद्देश्य बताइए। (2008)
उत्तर:
पर्यावरण प्रभाव निर्धारण पर्यावरणीय गुणवत्ता को बनाए रखने की महत्त्वपूर्ण तकनीक है। इसके मुख्य उद्देश्य निम्न हैं –

  1. पर्यावरण की गुणवत्ता बनी रहे।
  2. पर्यावरण को विघटन से बचाया जाए ताकि उपचार किया जा सके।
  3. पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना प्रगति हो।

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प्रश्न 2.
एक उदाहरण देकर समझाइए कि मनुष्य ने प्राकृतिक पर्यावरण की आपदाओं पर विजय कैसे प्राप्त की है?
उत्तर:
मनुष्य पहले पर्यावरण का दास था। ऐसा माना जाता है कि मानव के क्रिया-कलाप पर्यावरण के प्रतिबन्धों से प्रभावित होते हैं अर्थात् मनुष्य जिस प्रकार के पर्यावरण में रहता है, उसके क्रिया-कलाप उसी पर्यावरण के अनुसार होते हैं। परन्तु आज मनुष्य ने विज्ञान और तकनीक के विकास द्वारा पर्यावरण की आपदाओं पर विजय प्राप्त कर ली है। उसने पर्यावरण प्रतिबन्धों को हटाना सीख लिया है। उदाहरण के लिए-अब उष्ण कटिबन्धीय मरुस्थलों की भयानक गर्मी मनुष्य के लिए कोई समस्या नहीं है।

उसने इस भीषण गर्मी से बचाव के लिए वातानुकूलित (एयरकंडीशन) निवास स्थान बना लिए हैं। मनुष्य ने समुद्र के खारे जल को मीठे जल में परिवर्तित करना सीख लिया है। मनुष्य ने बाढ़ जैसी आपदाओं से बचाव हेतु नदियों पर बाँध बना लिये हैं, इन बाँधों से वह सिंचाई हेतु जल तथा विद्युत् भी प्राप्त करने लगा है। इस प्रकार स्पष्ट है कि मनुष्य ने प्राकृतिक पर्यावरण की आपदाओं पर विजय प्राप्त कर उन्हें अपनी आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर लिया है।

प्रश्न 3.
कोई विकासात्मक परियोजना प्रारम्भ करने के पूर्व परियोजनाकर्ता एवं प्रबन्धक को किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है, वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोई विकासात्मक परियोजना प्रारम्भ करने के पूर्व परियोजनाकर्ता एवं प्रबन्धक को यह जानना आवश्यक हो जाता है कि उस योजना का उस स्थान विशेष की जलवायु, वनस्पति, जीव-जन्तु एवं समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा। विकास की इन योजनाओं; जैसे-विद्युत् संयन्त्र, बाँध, इस्पात एवं लौह कारखाने का पर्यावरण पर क्या प्रभाव होगा। खाद्यान्न तेल, कागज, सीमेण्ट उद्योग में यह और भी अधिक आवश्यक हो जाता है। अत: इन योजनाओं को प्रारम्भ से पूर्व पर्यावरण मसौदा तैयार किया जाता है। इस प्रकार विकास योजना के पूर्व पर्यावरण प्रभाव वक्तव्य तैयार किया जाता है, इसमें भूमि, धरातल, मिट्टी, जीव-जन्तु, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, प्रदूषण एवं आपदा प्रबन्धन से सम्बन्धित जानकारियाँ होती हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण संरक्षण से क्या अभिप्राय है? इसके लिए सुझाव दीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण का अर्थ विकास ही समझा जाना चाहिए और इस कार्य में ग्रामीण तथा शहरी सभी लोगों को सक्रिय होकर हिस्सा लेना चाहिए। बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए रचनात्मक कदम उठाने होंगे जिससे न तो पर्यावरण प्रदूषित हो और न ही आर्थिक, सामाजिक विकास अवरुद्ध हो। इस सम्बन्ध में यहाँ कुछ सकारात्मक सुझाव दिए जा रहे हैं –

  1. जनसाधारण को प्रदूषण से उत्पन्न खतरों से अवगत कराया जाय जिससे प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर प्रदूषण कम करने का हर सम्भव प्रयास ईमानदारी से करे।
  2. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए औद्योगिक विकास अवरुद्ध न किया जाय बल्कि औद्योगिक विकास नियोजित ढंग से हो, जिससे कि पर्यावरण में किसी भी प्रकार का असन्तुलन उत्पन्न न हो। क्योंकि देखा गया है कि जिस ढंग से औद्योगिक विकास के लिए पेड़-पौधों को काटा जा रहा है वह आज की पर्यावरण सम्बन्धी सबसे बड़ी समस्या है।
  3. यातायात के साधनों से होने वाले प्रदूषण से बचने के लिए मोटर वाहन सम्बन्धी नियमों व कानून को सख्ती से लागू किया जाय। अत्यधिक धुआँ छोड़ने वाले तथा तीव्र ध्वनि के हॉर्न वाले वाहनों पर प्रतिबन्ध लगाया जाए।
  4. उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषित जल, जोकि नदियों व कृषि भूमि में पहुँचता है, इस पर भी प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए। सभी उद्योगों में जल उपचार संयन्त्र स्थापित किये जाने चाहिए जिससे प्रदूषित जल को शुद्ध किया जा सके।
  5. जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण कर प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  6. वनों की अन्धाधुन्ध कटाई पर सरकार को सख्ती बरतनी चाहिए, भूमि को बंजर होने से बचाने, पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने तथा वन रोपने हेतु सिंचाई की व्यवस्था में सुधार के लिए सघन वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए।
  7. योजना आयोग, पर्यावरण और वन विभाग और परम्परागत ऊर्जा विभाग, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभागों के बीच ऐसा समन्वय हो कि ये तीनों विभाग पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कृत संकल्प होकर कार्य करें।

प्रश्न 2.
वाटर हार्वेस्टिंग से क्या आशय है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वाटर हार्वेस्टिंग का आशय है पानी को रोकना, सहेजना, जमा करना और बाद में उसे पृथ्वी के ऊपर या नीचे जलस्रोतों में डालना। यह तकनीक बहुत सरल, सुगम और सस्ती है। अनुमान है कि 2000 वर्ग फुट की छत पर एक सेण्टीमीटर वर्षा होने पर वहाँ से लगभग 2000 लीटर पानी बहकर निकल जाता है। किसी क्षेत्र में अगर 100 सेण्टीमीटर वर्षा हो तो 100 वर्ग फुट की छत से वर्षाकाल में लगभग एक लाख लीटर पानी नलकूप, हैण्डपम्प, कुएँ, बावड़ी या जलाशय जैसे जलस्रोतों तक पहुँचाया जा सकता है। इस तरह इन जलस्रोतों की हर वर्ष भरपाई होते रहने से क्षेत्रों को सूखने से बचाया जा सकता है।

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MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2

MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2

प्रश्न 1.
याद कीजिए कि दो वृत्त सर्वांगसम होते हैं, यदि उनकी त्रिज्याएँ बराबर हैं। सिद्ध कीजिए कि सर्वांगसम वृत्तों की बराबर जीवाएँ उनके केन्द्रों पर बराबर कोण अन्तरित करती हैं। (2018, 19)
हल:
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 1
चित्र 10.1
दिया है : दो सर्वांगसम वृत्त जिनके केन्द्र O तथा O’ हैं।
जीवा AB = जीवा PQ केन्द्रों पर ∠AOB और ∠PO’Q अन्तरित करते हैं।
अब ΔOAB और OPQ में,
चूँकि OA = O’P (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ हैं)
OB = O’Q (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ हैं)
AB = PQ (दिया है)
⇒ ΔΟΑΒ ≅ ΔΟΡΟ (SSS सर्वांगसम प्रमेय)
⇒ ∠AOB = ∠PO’Q (CPCT)
अतः सर्वांगसम वृत्तों की बराबर जीवाएँ केन्द्रों पर बराबर कोण अन्तरित करती हैं। इति सिद्धम्

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प्रश्न 2.
सिद्ध कीजिए कि यदि सर्वांगसम वृत्तों की जीवाएँ उनके केन्द्रों पर बराबर कोण अन्तरित करें, तो जीवाएँ बराबर होती हैं।
हल:
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 2
चित्र 10.2
दिया है : दो सर्वांगसम वृत्त जिनके केन्द्र O तथा O’ है तथा जीवाएँ AB और PQ केन्द्रों पर क्रमशः
∠AOB = ∠PO’Q अन्तरित करती हैं।
अब ΔAOB और ΔPO’Q में,
चूँकि OA = O’P (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ हैं)
∠AOB = ∠PO’Q (दिया है)
OB = O’Q (सर्वांगसम वृत्तों की त्रिज्याएँ)
⇒ ΔAOB ≅ ΔPO’Q (SAS सर्वांगसमता प्रमेय)
⇒ AB = PQ (CPCT)
अतः सर्वांगसम वृत्तों में वे जीवाएँ जो केन्द्र पर बराबर कोण अन्तरित करती हैं आपस में बराबर होती हैं। इति सिद्धम्

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MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.1

MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.1

प्रश्न 1.
खाली स्थान भरिए
(i) वृत्त का केन्द्र वृत्त के ………………… में स्थित होता है। (बहिर्भाग/अभ्यन्तर)
(ii) एक बिन्दु, जिसकी वृत्त के केन्द्र से दूरी त्रिज्या से अधिक हो, वृत्त के ……….. स्थित होता है। (बहिर्भाग/अभ्यन्तर)
(iii) वृत्त की सबसे बड़ी जीवा वृत्त का ………….. होता है।
(iv) एक चाप ……………… होता है, जब इसके सिरे एक व्यास के सिरे हों।
(v) वृत्तखण्ड एक चाप तथा ………………. के बीच का भाग होता है।
(vi) एक वृत्त, जिस तल पर स्थित है, उसे ………………. भागों में विभाजित करता है।
उत्तर:
(i) अभ्यन्तर,
(ii) बहिर्भाग,
(iii) व्यास,
(iv) अर्द्धवृत्त,
(v) जीवा,
(vi) तीन।

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प्रश्न 2.
लिखिए सत्य/असत्य। अपने उत्तर का कारण दीजिए-
(i) केन्द्र को वृत्त पर किसी बिन्दु से मिलाने वाला रेखाखण्ड वृत्त की त्रिज्या होती है।
(ii) एक वृत्त में समान लम्बाई की सीमित जीवाएँ होती हैं।
(iii) यदि एक वृत्त को तीन बराबर भागों में बाँट दिया जाये, तो प्रत्येक भाग दीर्घ चाप होता है।
(iv) वृत्त की एक जीवा जिसकी लम्बाई त्रिज्या से दो गुनी होती है, वृत्त का व्यास कहलाती है।
(v) त्रिज्यखण्ड जीवा एवं संगत चाप के बीच का क्षेत्र होता है।
(vi) वृत्त एक समतल आकृति है।
उत्तर:
(i) कथन सत्य है, यही वृत्त की त्रिज्या की परिभाषा है।
(ii) कथन असत्य है, क्योंकि वृत्त में समान लम्बाई की असीमित जीवाएँ होती हैं।
(iii) कथन असत्य है, क्योंकि दीर्घ चाप वृत्त के आधे से अधिक होता है।
(iv) कथन सत्य है, क्योंकि वृत्त का व्यास केन्द्र से होकर जाने वाली जीवा है, जो दो त्रिज्याओं से मिलकर बना है।
(v) कथन असत्य है, क्योंकि यह वृत्तखण्ड होता है।
(vi) कथन सत्य है, क्योंकि वृत्त एक तल पर बिन्दुओं का समूह है।

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MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions

MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions

MP Board Class 9th Maths Chapter 14 अतिरिक्त परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 9th Maths Chapter 14 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी पौधे की 62 पत्तियों की लम्बाइयाँ मिलीमीटर में मापी जाती हैं। इससे प्राप्त आँकड़े आगे दी गई सारणी द्वारा निरूपित हैं :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 1
उपरोक्त आँकड़ों को निरूपित करने के लिए एक आयत चित्र खींचिए।
हल :
संतत बारम्बारता बंटन सारणी बनाने पर,
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 2
अभीष्ट आयत चित्र :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 3

प्रश्न 2.
कक्षा आठ की विभिन्न अनुभागों (सेक्शनों) के विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त किए गए अंकों का बंटन निम्नलिखित है: प्राप्तांक
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 4
उपरोक्त बंटन के लिए एक आयत चित्र खींचिए।
हल :
आयत की लम्बाई ज्ञात करने के लिए,
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 5
अभीष्ट आयत चित्र :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 6

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सारणी एक राजमार्ग पर किसी स्थान से होकर जाने वाली कारों की चालों के बारम्बारता बंटन को दर्शाती है :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 7
इन आँकड़ों को निरूपित करने के लिए आयत चित्र एवं बारम्बारता बहुभुज खींचिए।
हल :
अभीष्ट आयत चित्र एवं बारम्बारता बहुभुज :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 8

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित सारणी किसी कक्षा के अनुभागों A और B द्वारा प्राप्त किए गए अंकों का बंटन दर्शाती है:
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 9
इन दोनों अनुभागों के विद्यार्थियों के प्राप्तांकों को एक ही आलेख पर दो बारम्बारता बहुभुजों से निरूपित कीजिए। आप क्या देखते हैं ?
हल :
अभीष्ट बारम्बारता बहुभुज :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 10
प्राप्तांक 30 एवं 60 पर प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या दोनों अनुभागों में बराबर हैं।

प्रश्न 5.
दी गयी सारणी के लिए आयत चित्र बनाइए एवं निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (2019)
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 11
(i) सबसे अधिक बारम्बारता वाला वर्ग कौन-सा है?
(ii) कौन-कौन से वर्गों की बारम्बारता समान है?
हल :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 12
(i) वर्ग (20-40)
(ii) वर्ग (0-20) तथा (120-140) एवं (80-100) तथा (100-120)]

MP Board Class 9th Maths Chapter 14 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
30 विद्यार्थियों के रक्त समूह निम्नलिखित रूप में रिकॉर्ड किए गए :
A, B, O, A, AB, O, A, O, B, A, O, B, A, AB, B, A, AB, B, A, A, O, A, AB, B, A, O, B, A, B, A.
इन आँकड़ों के लिए एक बारम्बारता बंटन सारणी तैयार कीजिए।
हल :
अभीष्ट बारम्बारता बंटन सारणी :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 13

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़ों से एक संतत बारम्बारता बंटन तैयार कीजिए :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 14
हल :
प्रत्येक वर्ग की वर्ग माप = 10 है अत: वर्गों की सीमाएँ मध्य-बिन्दु से 5 कम एवं 5 अधिक होंगी।
अतः अभीष्ट संतत बारम्बारता बंटन सारणी:
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 15
अभीष्ट वर्ग माप = 10

प्रश्न 3.
दिए हुए बारम्बारता बंटन को एक सतत् वर्गीकृत बंटन में बदलिए :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 16
किन अन्तरालों में 153.5 और 157.5 सम्मिलित किए जाएँगे ?
हल :
अभीष्ट संतत वर्गीकृत बारम्बारता बंटन :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 17
अतः 153.5 वर्ग अन्तराल (153.5 – 157.5) में एवं 157.5 वर्ग अन्तराल (157.5 – 161.5) में सम्मिलित किए जाएंगे।

प्रश्न 4.
किसी महीने में एक परिवार द्वारा विभिन्न मदों पर किए गए व्यय निम्नलिखित हैं :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 18
उपरोक्त को निरूपित करने के लिए एक दण्ड आलेख खींचिए।
हल :
अभीष्ट दण्ड आलेख :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 19

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प्रश्न 5.
यदि निम्नलिखित आँकड़ों का माध्य 20.2 है, तो p का मान ज्ञात कीजिए :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 20
हल :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 21
⇒ 606 + 20.2 p = 610 + 20 p
⇒ 0.2 p = 4
⇒ p = 20
अतःp का अभीष्ट मान = 20.

प्रश्न 6.
निम्नलिखित बंटन का माध्य ज्ञात कीजिए :
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 22
हल:
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 23
अतः अभीष्ट माध्य = 8:05.

प्रश्न 7.
किसी बास्केट बॉल टीम द्वारा मैचों की एक श्रृंखला में निम्नलिखित प्वाइंट अर्जित किए गए:
17, 2, 27, 25, 5, 14, 18, 10, 24, 48, 10, 8, 7, 10, 28.
इन आँकड़ों के लिए माध्यक और बहुलक ज्ञात कीजिए।
हल :
आँकड़ों को आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर,
2, 5, 7, 8, 10, 10, 10, 14, 17, 18, 24, 25, 27, 28, 48.
माध्यक = \(\frac { x+1 }{ 2 }\) वाँ पद = 8वाँ पद = 14
बहुलक = सर्वाधिक बारम्बारता वाला पद = 10
अतः अभीष्ट माध्यक = 14 एवं बहुलक = 10.

प्रश्न 8.
निम्न आँकड़ों का माध्य ज्ञात कीजिए : 1, 2, 3, 4, 5 (2019)
हल:
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 24
अतः अभीष्ट माध्य = 3.

MP Board Class 9th Maths Chapter 14 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विद्यार्थियों को दिए गए गणित के एक निदानात्मक टेस्ट में (100 में से) उनके द्वारा प्राप्त किए गए अंक निम्नलिखित रूप में रिकॉर्ड किए गए :
46, 52, 48, 11, 41, 62, 54, 53, 96, 40, 95, 44.
उपर्युक्त आँकड़ों के लिए कौन-सा औसत एक अच्छा प्रतिनिधित्व करेगा और क्यों?
उत्तर-
माध्यक आँकड़ों का एक अच्छा प्रतिनिधित्व करेगा क्योंकि

  • प्रत्येक मान केवल एक बार आ रहा है।
  • आँकड़े चरम मानों से प्रभावित हो रहे हैं।

प्रश्न 2.
एक बच्चा कहता है कि 3, 14, 18, 20, 5 का माध्यक 18 है। यह बच्चा माध्यक ज्ञात करने के बारे में क्या नहीं जानता ?
उत्तर-
यह बच्चा नहीं जानता कि माध्यक ज्ञात करने के लिए आँकड़ों को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित करना होता है।

प्रश्न 3.
फुटबॉल के एक खिलाड़ी द्वारा 10 मैचों में किए गए गोलों की संख्या निम्नलिखित है :
1, 3, 2, 5, 8, 6, 1, 4, 7, 9.
क्योंकि मैचों की संख्या 10 (एक सम संख्या है इसलिए)
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 25
क्या यह सही उत्तर है ? और क्यों ?
उत्तर-
यह उत्तर सही नहीं है, क्योंकि माध्यक ज्ञात करने के लिए प्रेक्षणों को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित करना आवश्यक है।

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प्रश्न 4.
क्या यह कहना सही है कि आयत चित्र में प्रत्येक आयत का क्षेत्रफल संगत वर्ग अन्तराल की माप के समानुपाती होता है। यदि नहीं तो कथन का सही रूप लिखिए।
उत्तर-
कथन असत्य है, क्योंकि एक आयत चित्र में प्रत्येक आयत का क्षेत्रफल उसकी बारम्बारता के समानुपाती होता है।

प्रश्न 5.
एक सतत् ? बंटन के वर्ग चिह्न निम्नलिखित हैं :
1.04, 1.14, 1.24, 1.34, 1.44, 1.54, और 1.64.
क्या यह कहना सही है कि अन्तिम अन्तराल 1.55-1-73 होगा। अपने उत्तर का कारण दीजिए।
उत्तर-
यह उत्तर सही नहीं है, क्योंकि दो क्रमागत प्राप्तांकों का उत्तर वर्ग माप के बराबर होना चाहिए।

प्रश्न 6.
30 बच्चों से पूछा गया कि उन्होंने पिछले सप्ताह कितने घण्टे टी. वी. के प्रोग्राम देखे। इसके परिणाम निम्नलिखित रूप से रिकॉर्ड किए गए:
MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 26
क्या हम कह सकते हैं कि उस सप्ताह में 10 या उससे अधिक घण्टों तक टी. वी. देखने वालों बच्चों की संख्या 22 है ? अपने उत्तर का औचित्य दीजिए।
उत्तर-
नहीं, क्योंकि उस सप्ताह में 10 या अधिक घण्टे तक टी. वी. देखने वाले छात्रों की संख्या 4 + 2 = 6 है।

MP Board Class 9th Maths Chapter 14 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्ग 90-120 का वर्ग चिह्न है :
(a) 90
(b) 105
(c) 115
(d) 120.
उत्तर:
(b) 105

प्रश्न 2.
25, 18, 20, 22, 6, 6, 17, 15, 12, 30, 32, 10, 19, 8, 11, 20 आँकड़ों का परिसर है :
(a) 10
(b) 15
(c) 18
(d) 26.
उत्तर:
(d) 26.

प्रश्न 3.
एक बारम्बारता बंटन में एक वर्ग का मध्य-बिन्दु 10 है तथा उसकी चौड़ाई 6 है। इस वर्ग की निम्न सीमा है:
(a) 6
(b) 7
(c) 8
(d) 12.
उत्तर:
(b) 7

प्रश्न 4.
किसी बारम्बारता बंटन में पाँच सतत वर्गों में से प्रत्येक की चौड़ाई 5 है तथा सबसे छोटे वर्ग की निम्न सीमा 10 है। सबसे बड़े वर्ग की उपरि सीमा है :
(a) 15
(b) 25
(c) 35
(d) 40.
उत्तर:
(c) 35

प्रश्न 5.
मान लीजिए कि एक सतत् बारम्बारता बंटन में एक वर्ग का मध्य-बिन्दु m है और उपरि वर्ग सीमा l है। इस वर्ग की निम्न सीमा है :
(a) 2m + l
(b) 2m – l
(c) m – l
(d) m – 2l.
उत्तर:
(b) 2m – l

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प्रश्न 6.
एक बारम्बारता बंटन के वर्ग चिह्न 15, 20, 25, ……… हैं। चिह्न 20 के संगत वर्ग है :
(a) 12.5-17.5
(b) 17.5-22.5
(c) 18.5-21.5
(d) 19.5-20.5.
उत्तर:
(b) 17.5-22.5

प्रश्न 7.
वर्ग अन्तराल 10-20, 20-30 में संख्या 20 निम्नलिखित वर्ग में सम्मिलित है :
(a) 10-20
(b) 20-30
(c) दोनों में
(d) इनमें से किसी में नहीं।
उत्तर:
(b) 20-30

प्रश्न 8.
पाँच संख्याओं का माध्य 30 है। यदि इनमें से एक संख्या को हटा दिया जाए तो इसका माध्य 28 हो जाता है। हटाई गई संख्या है :
(a) 28
(b) 30
(c) 35
(d) 38.
उत्तर:
(d) 38.

प्रश्न 9.
यदि आँकड़ों के प्रत्येक प्रेक्षण में 5 की वृद्धि की जाती है तो उसका माध्य :
(a) वही रहता है
(b) प्रारम्भिक माध्य का पाँच गुना हो जाता है
(c) पाँच कम हो जाता है ।
(d) पाँच बढ़ जाता है।
उत्तर:
(d) पाँच बढ़ जाता है।

प्रश्न 10.
4, 4, 5, 7, 6, 7, 7, 12, 3 संख्याओं का माध्यक है :
(a) 4
(b) 5
(c) 6
(d) 7
उत्तर:
(c)6

प्रश्न 11.
15, 14, 19, 20, 14, 15, 10, 14, 15, 18, 14, 19, 15, 17, 15 आँकड़ों का बहुलक है :
(a) 14
(b) 15
(c) 16
(d) 17
उत्तर:
(b) 15

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रिक्त स्थानों की पूर्ति

1. 2, 3 और 4 का माध्य ………. होता है। (2019)
2. आँकड़ों के अधिकतम एवं न्यूनतम मानों का अन्तर आँकड़ों का ……….. कहलाता है।
3. एक ही अंक की पुनरावृत्ति संख्या उस अंक की ………. कहलाती है।
4. किसी वर्ग की उच्च सीमा एवं निम्न सीमा के अन्तर को ………. कहते हैं।
5. वर्ग की आवृत्ति को उसके मध्य-बिन्दु पर केन्द्रित मानकर बनाया गया बहुभुज ……… कहलाता है।
उत्तर-
1. 3,
2. परिसर,
3. बारम्बारता,
4. वर्ग अन्तराल,
5. बारम्बारता बहुभुज।

जोड़ी मिलान

MP Board Class 9th Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Additional Questions image 27
उत्तर-
1.→(c),
2.→(d),
3.→(e),
4.→(a),
5.→(b).

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सत्य/असत्य कथन

1. आँकड़ों के किसी निश्चित समूह का मान एक और केवल एक होता है।
2. संख्याओं 3, 6, 10, 12, 7 और 15 की माध्यिका 8.5 है।
3. प्रेक्षणों के अधिकतम एवं न्यूनतम मानों के अन्तर को वर्गान्तर कहते हैं।
4. संकलित आँकड़ों का सारणी के रूप में निरूपण बारम्बारता सारणी कहलाता है।
5. दण्ड चित्र सदैव ऊर्ध्वाधर बनाए जाते हैं।
6. वर्ग अन्तराल 90-100 में 90 वर्ग की निम्न वर्ग सीमा है। (2018)
उत्तर-
1. सत्य,
2. सत्य,
3. असत्य,
4. सत्य,
5. असत्य,
6. सत्य।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

1. 2, 4, 6, 8, 10 का माध्य क्या होगा?
2. 2, 3, 4, 2, 12, 8, 7, 9, 8, 6, 8, 5, 8 का बहुलक क्या होगा?
3. किन्हीं चरों का औसत मान क्या कहलाता है?
4. किसी वर्ग के अन्तर्गत आने वाले पदों की संख्या क्या कहलाती है?
5. वर्ग 10-20 का मध्यमान क्या होगा?
6. 1, 3, 4, 4, का समान्तर माध्य होगा। (2018)
7. आँकड़े 3, 3, 2, 3 और 4 में बहुलक क्या होगा? (2019)
8. वर्ग 80-100 का परास क्या होगा? (2019)
9. प्रथम पाँच प्राकृत संख्याओं का माध्य क्या होगा? (2019)
उत्तर-
1.6 (छः),
2. 8 (आठ),
3. माध्य,
4. उस वर्ग की बारम्बारता,
5. 15 (पन्द्रह),
6. 3 (तीन)
7.3 (तीन),
8. 20 (बीस),
9. 3 (तीन)।

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