MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 14 मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 14 मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 14 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) कवि का ठहरने से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर
ठहरने से कवि का तात्पर्य है, गतिहीन हो जाना, किसी भी प्रकार की उन्नति से रहित। दूसरा अर्थ जीवन का रुक जाना भी होता है।

(ख) हमें अपने साथ किन्हें लेकर चलना है?
उत्तर
हमें अपने साथ जमाने को लेकर चलना है। साथ ही, पिछड़े हुए लोगों को भी आगे बढ़ाना है।

(ग) जीवन की बाधाओं को कैसे दूर किया जा सकता
उत्तर
पक्के निश्चय से (पक्के इरादों से) जीवन की बाधाओं को दूर किया जा सकता है।

(घ) कवि के अनुसार मनुष्य को कब पछताना पड़ता है?
उत्तर
काम करने के उचित अवसर के हाथ से निकाल दिये जाने पर मनुष्य को पछताना पड़ता है।

(ङ) कवि निरन्तर चलते रहने को महत्त्व क्यों दे रहा
उत्तर
कवि निरन्तर चलते रहने को महत्त्व इसलिए दे रहा है, क्योंकि ठहरना पतन का और मृत्यु का प्रतीक है। जीवन में ठहराव अवनति लाने वाला होता है।

(च) समय व्यर्थ क्यों नहीं गवाना चाहिए?
उत्तर
हमें अपना समय व्यर्थ नहीं गँवाना चाहिए। अपनी जिम्मेदारी का निभाना ही ईश्वर की पूजा है। अतः प्रत्येक क्षण का सही उपयोग करते हुए काम को पूरा करें, नहीं तो काम करने के उचित अवसर के बीत जाने पर हमें पछताना पड़ेगा।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
निम्नांकित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए

(क) तुमको प्रतीक बनना है, विश्व प्रगति का।
तुमको जनहित के साँचे में ढलना है।
उत्तर
हे मनुष्य, तुम्हें संसार की प्रगति के प्रतीक (पहचान) बनकर प्रत्येक मनुष्य की भलाई के लिए एक साँचा . (आदर्श) बन जाना चाहिए।

(ख) जितने भी रोड़े मिलें, उन्हें ठुकराओ।
पच के कांटों को पैरों से दलना है।
उत्तर
हे मनुष्य, तुम्हारे मार्ग में कितनी ही बाधाएँ और रुकावटें भले ही आ जाएँ, परन्तु उन्हें अपने पैर की ठोकर से हटा दो। मार्ग में कितने भी काँटे हो सकते हैं, परन्तु हिम्मत के साथ उनके ऊपर से चलते हुए, उन्हें कुचलते हुए आगे ही आगे बढ़ते जाना चाहिए। मार्ग की बाधाओं और रुकावटों को हिम्मत से दूर करते हुए, अपने निश्चित मार्ग पर आगे ही आगे गतिमान बने रहना हमारा कर्तव्य है।

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) सुख की खोज बड़ी ………….. है।
(ख) जनहित के साँचे में ……….. है।
(ग) काँटों को पैरों से ……….. है।
(घ) अवसर खोकर हाथ ………… है।
(ङ) प्रण से तुम्हें नहीं ………. है।
उत्तर
(क) छलना
(ख) ढलना
(ग) दलना
(घ) मलना
(ङ) टलना

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखिए। साथ ही कविता में उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए, जिनमें इन मुहावरों का प्रयोग हुआ है
(क) साँचे में ढलना
(ख) हाथ मलना
(ग) व्रत लेना
(घ) जुट जाना
(ङ) अवसर खोना।
उत्तर
(1) अर्थ-(क) अनुसार बन जाना
(ख) पछताना
(ग) प्रतिज्ञा कर लेना
(घ) लग जाना
(ङ) समय को निकाल देना।

MP Board Solutions

(2) पंक्तियाँ जिनमें मुहावरों का प्रयोग हुआ है
(क) तुमको जनहित के साँचे में ढलना है।
(ख) अवसर खोकर तो सदा हाथ मलना है।
(ग) जब चलने का व्रत लिया, ठहरना कैसा?
(घ) जो कुछ करना है, उठो ! करो, जुट जाओ।
(ङ) अवसर खोकर तो सदा हाथ मलना है।

प्रश्न 2.
इस कविता के तुकान्त शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर
(क) चलना, टलना, छलना, ढलना, दलना मलना।
(ख) पतन, जीवन।
(ग) चलाओ, बढ़ाओ, ठुकराओ, जुट जाओ, गँवाओ।
(घ) आती, जाती।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों के । विलोम शब्द भरिए
(क) जीवन में उत्थान और ………… आते ही रहते हैं।
(ख) कहीं भी अधिक ठहरना अच्छा नहीं, हमेशा प्रगति के – पथ पर ……..अच्छा है।
(ग) पशु-पक्षी भी अपना हित ……….. जानते हैं।
(घ) असफलता के बाद ……….का मिलना एक प्रक्रिया
(ङ) सुख सभी चाहते हैं ………कोई नहीं।
उत्तर
(क) पतन
(ख) चलना
(ग) अनहित
(घ) सफलता
(ङ) दुःख।

प्रश्न 4.
दिये गये प्रयोगों की तरह नीचे दिए गए वाक्यों 1 में ‘मत’ का प्रयोग कीजिए।
(क) रुको मत, आगे बढ़ो।
(ख) पढ़ो मत, बात करो।
(ग) हँसो मत, भोजन करो।
(घ) भागो मत, धीरे चलो।
उत्तर
(क) मत रुको, आगे बढ़ो।
(ख) पढ़ो, मत बात करो।
(ग) मत हँसो, भोजन करो।
(घ) मत भागो, धीरे चलो।

मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

1. मत ठहरो, तुमको चलना ही चलना है।
चलने के प्रण से, तुम्हें नहीं टलना है।
केवल गति ही जीवन, विश्रान्ति पतन है।
तुम ठहरे, तो समझो ठहरा जीवन है।
जब चलने का व्रत लिया, ठहरना कैसा?
अपने हित सुख की खोज बड़ी छलना है।
मत ठहरो, तुमको चलना ही चलना है।

शब्दार्थ-प्रण = प्रतिज्ञा; टलना = हटना; गति = चलना; विश्रान्ति = थकान, या रुकावट; पतन = गिरावट, अधोगति; ठहरे = स्थिर होना, रुकना; व्रत = प्रण, प्रतिज्ञा; हित = भलाई के लिए, कल्याण के लिए;
छलना = धोखा; ठहरो-रुको।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक की कविता ‘मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है’ से लिया गया है। इस कविता के रचयिता श्रीकृष्ण ‘सरल’ हैं।

प्रसंग-जीवन गतिमान होता है। ठहराव आने पर अवनति हो जाती है।

व्याख्या-हे मनुष्य ! तुम्हें ठहरना नहीं है। तुम्हें तो लगातार चलते रहना है। तुमने चलने का जो प्रण (व्रत, प्रतिज्ञा) किया है, उसी पर तुम्हें मजबूती से बने रहना है। उससे बिल्कुल भी हटना नहीं है। जीवन में गति हुआ करती है। थकान या रुकावट आने पर आदमी को समझ लेना चाहिए कि उसके जीवन में गिरावट आ गई। इसलिए तुम्हारे ठहराव से जीवन भी ठहर जाता है। शायद उसे फिर जीवन नहीं कहते हैं, परन्तु जब हमने चलते रहने का प्रण किया हुआ है, प्रतिज्ञा की हुई है तो ठहराव किस बात का, कैसा ? अपने कल्याण के लिए यदि हम सुख की खोज करते हैं, तो यही एक धोखा है। तुम्हें बिना ठहरे ही चलते रहना है।

2. तुम चलो, जमाना अपने साथ चलाओ,
जो पिछड़ गये हैं, आगे उन्हें बढ़ाओ।
तुमको प्रतीक बनना है, विश्व प्रगति का,
तुमको जनहित के साँचे में ढलना है।
मत व्हरो तुमको चलना ही चलना है।

शब्दार्थ-जमाना = युग; प्रतीक = चिह्न, पहचान; विश्व प्रगति-संसार की उन्नति जनहित सभी लोगों की भलाई के।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह। प्रसंग-कवि सन्देश दे रहा है कि हमें आगे बढ़ना चाहिए और दुनिया के अन्य लोगों को भी आगे बढ़ाना चाहिए।

व्याख्या-कवि कहता है कि तुम्हें लगातार चलते रहना है, साथ ही युग को भी अपने साथ चलाना है। इस उन्नति की दौड़ में जो पीछे रह गये हैं, उन्हें भी आगे बढ़ाने का हमारा कर्तव्य है। इस तरह संसार की उन्नति का, उसमें परिवर्तन लाने का आदर्श बनकर तुम्हें प्रतीक (पहचान) बनना है। इस संसार के लोगों की भलाई के लिए कार्य करने के साँचे में तुम्हें ढल जाना चाहिए। इसलिए तुम ठहरो मत, तुम्हें तो आगे ही आगे बढ़ते जाना है।

MP Board Solutions

3. बाधाएँ, असफलताएँ तो आती हैं।
दृढ़ निश्चय लख, वे स्वयं चली जाती हैं।
जितने भी रोड़े मिलें, उन्हें ठुकराओ,
पथ के काँटों को पैरों से दलना है।
मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है।

शब्दार्थ-बाधाएँ = रुकावटें; असफलताएँ = विफलताएँ; दृढ़ निश्चय- पक्का इरादा; लख – देखकर रोड़े-रुकावट, मार्ग की बाधाएँ ठुकराओ = ठोकर मारकर हटा दो; पथ – मार्ग; दलना = कुचलना है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि सन्देश देता है कि हमें असफलताओं, बाधाओं से नहीं घबराना चाहिए।

व्याख्या-मनुष्य के जीवन में आने वाली बाधाएँ (रुकावटें) और विफलताएँ मनुष्य के पक्के इरादों को देखकर अपने आप ही चली जाती हैं। वे उसके मार्ग में रुकावट बनने से हट जाती हैं। इसलिए मार्ग के रोड़ों को अपने पैर की ठोकर से एक तरफ हटा दो। अपने मार्ग के काँटों को अपने पैरों से कुचल डालो और अपने मार्ग पर चलते रहो, तुम्हें रुकना नहीं है।

4. जो कुछ करना है, उठो ! करो, जुट जाओ,
जीवन का कोई क्षण, मत व्यर्थ गवाओ।
कर लिया काम, भज लिया राम यह सच है,
अवसर खोकर तो सदा हाथ मलना है।
मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है।

शब्दार्थ-जुट जाओ – (काम में) लग जाओ; व्यर्थ = बेकार, निष्फल; गँवाओ= नष्ट करो, बिताओ; अवसर खोकर – मौका नष्ट करके; सदा = हमेशा; हाथ मलना है पश्चाताप करना है, पछताना है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि कहता है कि समय व्यर्थ बिताकर मनुष्य को जीवनभर पश्चाताप करना पड़ता है।

व्याख्या-हे मनुष्यो ! तुम्हें जो भी कार्य करना है, उसे पूरा करने के लिए तुम्हें उठना चाहिए। कार्य पूरा करो। कार्य में तल्लीन होकर लग जाओ। अपने जीवन के समय का एक भी क्षण व्यर्थ (बेकार के कामों में) नहीं बिताना चाहिए। यदि तुमने अपने कर्तव्य का पालन किया हुआ है, तो समझो तुमने राम का भजन कर लिया। अर्थात् अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना ही ईश्वर की भक्ति है। काम को पूरा करने का समय गंवा दिया, तो फिर सदा ही पछताना पड़ेगा। इसलिए तुम्हें ठहरना नहीं, सदैव गतिमान बने रहो।

MP Board Class 7th Hindi Solutions

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 13 अगर नाक न होती

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 13 अगर नाक न होती

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 13 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) नाक को किस बात का प्रतीक माना जाता है?
उत्तर
नाक को इज्जत व प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता

(ख) आदमी सामान्यतः नाक रगड़ने को कब मजबूर हो जाता है?
उत्तर
जब आदमी का बुरा वक्त आता है या उसे किसी से कोई काम करवाना होता है, तब वह सारा अक्खड़पन भूल जाता है और वह हजार बार नाक रगड़ने को मजबूर हो जाता है।

(ग) असली हींग और देशी घी की पहचान में नाक का क्या उपयोग है?
उत्तर
नाक से ही असली हींग और देशी घी की पहचान कर सकते हैं। नाक की सहायता से सँघकर असली और नकली की पहचान करते हैं। इसलिए नाक का सूंघने की अपनी इसी विशेषता के कारण बड़ा महत्व है, उपयोग है।

MP Board Solutions

(घ) नाक हीटर का काम कैसे करती है ?
उत्तर
बाहर की ठण्डी हवा को नाक गरम करती है और तब उसे अन्दर जाने देती है। हवाओं को गरम करने के कारण ही नाक हीटर का काम करती है।

(ङ) नाक में कौन-से आभूषण पहने जाते हैं ?
उत्तर
नाक में सोने की हीरे-मोती जड़ी नथ, नथुनी, लौंग, बुलाक, आदि आभूषण पहने जाते हैं।

(च) नाक के लिए कोई चार उपमाएँ लिखिए
उत्तर
नाक को प्रायः निम्नलिखित चार उपमाएँ देकर वर्णित किया गया है

  1. सारस जैसी लम्बी
  2. चिलगोजे जैसी छोटी
  3. चोथ जैसी चपटी
  4. पकौड़ा जैसी मोटी।

प्रश्न 2.
इन कर्मेन्द्रियों को उनके कामों (कार्यों से मिलाओ और सामने लिखो

(1) सूंघना – (क) आँख
(2) छूना – (ख) कान
(3) देखना – (ग) नाक
(4) सुनना – घ) मुँह
(5) चखना – (ङ) त्वचा
उत्तर
(क)→ (3),(ख)→(4),(ग)→(1),(घ)→ (5),(ङ) → (2)

MP Board Solutions

भाषा अध्ययन

ग्रान 1.
इस पाठ में आये हुए-तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी शब्द छाँटकर लिखिए
उत्तर
तत्सम् = मनोवैज्ञानिक, मृत्यु, उच्छ्वास, प्रदूषण, पर्यावरण।
तद्भव = ब्याह, रूठ, सहेली, हेकड़ी, शिख, नख, पाँव।
देशज = छोछक, नकटा, नथुनी, बुलाक, असली, नकसुरा, छन्ना।
विदेशी = कूलर, टी.वी., फ्रिज, प्लास्टिक सर्जरी, कटलेट।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सम्बन्ध बोधक अव्ययों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए
के सामने, के बिना, के नीचे, के ऊपर, की ओर, के बदले की अपेक्षा, के साथ।
उत्तर
मेरे घर के सामने स्थित पेड़ के नीचे वे बैठते हैं। उस पेड़ के ऊपर पक्षी रहते हैं।
बालक माता-पिता के बिना सुस्त दिखते हैं।
रवीन्द्र के बदले उसके साथ मोहन खेत की ओर गया,
क्योंकि उसकी अपेक्षा मोहन ताकतवर है।

प्रश्न 3.
‘नाक’ शब्द से अनेक मुहावरे बनते हैं। निम्नलिखित तालिका में ‘नाक’ शब्द जोड़कर मुहावरे बनाइए
रखना, कटना, ऊंची रखना, फुलाना, रहना, के नीचे, चने चबाना।
उत्तर
नाक रखना। नाक कटना। नाक ऊँची रखना। नाक फुलाना। नाक रहना। नाक के नीचे। नाकों चने चबाना।
मुहावरों का अर्थ-इज्जत का बचाव करना। इज्जत चली जाना। सम्मान बनाये रखना। गुस्सा हो जाना। इज्जत या सम्मान का बना रहना। उपस्थिति में परेशान करना।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के पीछे ‘दिखाना’ शब्द जोड़ने से बने मुहावरों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए
आँख, अँगूठा, दाँत, पीठ, जीभ, आईना।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 13 अगर नाक न होती 1

प्रश्न 5.
‘कितना’ और ‘अगर’ शब्द लगाकर पाँच वाक्य बनाओ।
उत्तर

  1. ‘कितना’ अच्छा होता ‘अगर’ वह परीक्षा में पास हो जाता।
  2. ‘कितना अच्छा होता ‘अगर’ मेरा मित्र आज यहाँ आ जाता।
  3. ‘कितना’ अच्छा होता ‘अगर’ वह मेरी सहायता कर देता।
  4. ‘कितना अच्छा होता ‘अगर’ वह मेरे साथ यात्रा में होता।
  5. ‘कितना’ अच्छा होता ‘अगर’ वह मेरे विद्यालय में प्रवेश लेता।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों को दिए गये उदाहरण के अनुसार बदलिए
(क) वे मौके की तलाश में रहते हैं कि कब, कैसे, किसी की नाक रगड़ दें।
(ख) यह कोशिश रहती है कि उसकी नाक न कटे।
(ग) आज तुम्हें अच्छा गाना सुनाती हूँ।
(घ) सेठ जी अपने बच्चे के जन्म दिन पर सभी को दावत खिलाते हैं।
उत्तर
(क) वे मौके की तलाश में रहते हैं कि कब, कैसे, किसी की नाक रगड़वा दें।
(ख) यह कोशिश रहती है कि उसकी नाक न कटवा दें। (ग) आज तुम्हें अच्छा गाना सुनवाती हूँ।
(घ) सेठ जी अपने बच्चे के जन्मदिन पर सभी को दावत खिलवाते हैं।

MP Board Solutions

प्रश्न 7.
उदाहरण के अनुसार क्रियारूप परिवर्तन करके लिखिए
खाना, जाना, गाना, पढ़ना, हँसना, रोना, सोना, धोना।
उत्तर

  1. खाकर, खाया
  2. जाकर, गया
  3. गाकर, गाया
  4. पढकर, पढ़ा
  5. हँसकर, हंसा
  6. रोकर, रोया
  7. सोकर, सोया
  8. धोकर, धोया।

प्रश्न 8.
नीचे उर्दू के शब्द दिए गये हैं, उनके हिन्दी शब्द लिखिए
औकात, आदमी, खानदान, इल्जाम, वक्त, तलाश, जिन्दगी, मर्द।
उत्तर

  1. क्षमता
  2. मनुष्य
  3. कुटुम्ब
  4. दोष
  5. समय
  6. अन्वेषण
  7. जीवन
  8. पुरुष।

अगर नाक न होती परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या

1. नाक की चिन्ता में आदमी का जीना मुहाल हो गया है। नाक रखने की खातिर लोग मुकदमेबाजी में बरबाद हो जाते हैं, कर्ज लेकर भी व्याह-शादी, भात-छोछक आदि में अन्धाधुन्ध खर्च करते हैं। जन्म पर ही नहीं, मृत्यु पर भी दावत खिलाते हैं। खरीदने की औकात न होने पर भी महंगी किश्त देकर टी.वी., फ्रिज या कूलर आदि ले आते हैं, क्योंकि नाक नीची होने से डरते हैं। लोग अपनी धाक जमाने के लिए नाक ऊँची रखते हैं।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘अगर नाक न होती’ नामक पाठ से अवतरित हैं। इसके लेखक ‘गोपाल बाबू शर्मा हैं।

प्रसंग-इस पाठ में लेखक ने अपनी व्यंग्य शैली में नाक के रखने या नाक के कट जाने जैसे मुहावरों का प्रयोग करके बताया है, कि आदमी इस खातिर न जाने कितने आडम्बर युक्त कार्य करता है।

व्याख्या-लेखक कहता है कि आज आदमी अपनी इज्जत रखने की चिन्ता में बड़ी कठिनाई से जीवन जी रहा है। अपनी नाक रखने की (इज्जत रखने की) चिन्ता लगी रहती है, अतः वह मुकदमेबाजी में धन खर्च कर देता है और नष्ट हो जाता है। चाहे उसे ऋण (कर्ज) लेना पड़े. फिर भी विवाह, भात-छोछक जैसे कामों के ऊपर आँख बन्द करके व्यय करता है। लोग बच्चे के जन्म की खुशी पर दावत देते हैं, साथ ही वे मृत्युभोज देकर भी अपना नाम कमा लेने की बात करते हैं। उनकी उतनी हैसियत न हो, पर कितना भी महँगा टी. वी. हो, फ्रिज हो या कूलर हो, इन सबको वे खरीदते हैं। किश्त का ऋण चुकाने के लिए वे परेशान हो सकते हैं, परन्तु उन्हें अपनी नाक नीची होने का भय सताता रहता है। अपनी नाक रखने के लिए (इज्जत बचाने के लिए) वे गलत और अनुचित काम करने से भी पीछे नहीं हटते हैं।

2. नाक के कारण आदमी को नाकों चने चबाने पड़ते हैं। नाक बड़ी जल्दी कटती है और प्रायः बिना किसी हथियार के ही कट जाती है। आदमी की अपनी नाक के साथ खानदान की नाक भी जुड़ी रहती है। कभी कोई ऐसी-वैसी बात हो जाए, लड़का घर से रूठकर भाग जाए, कोई झूठ-मूठा इलजाम जान को लग जाए, तो अपनी ही नहीं, पूरे खानदान की नाक कट जाती है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-अपनी इज्जत रखने के लिए (नाक रखने के लिए) आदमी अनेक तरह की कोशिश करता है।

व्याख्या-आदमी यदि अपनी इज्जत बचाना चाहता है, तो उसे अच्छा खासा परिश्रम करना पड़ता है। आज आदमी की नाक (इज्जत) बड़ी जल्दी ही चली जाती है (कट जाती है), इस काम के लिए उसे किसी हथियार आदि का प्रयोग भी नहीं करना पड़ता। अकेले उस आदमी की ही नहीं, उसके परिवार के, उसके सम्बन्धी लोगों की भी नाक चट से कट जाती है। उनकी इज्जत चली जाती है। छोटी-मोटी घटना के घट जाने से उस आदमी के सम्बन्धियों आदि की भी इज्जत समाप्त हो जाती है। चाहे उनके घर-परिवार में छोटी-से-छोटी घटना ही क्यों न घट जाए-वह भी बहुत महत्वपूर्ण बात मानी जाती है।

MP Board Solutions

3. जब आदमी का बुरा वक्त आता है, या उसे किसी सेकोई काम करवाना होता है, तब वह सारी हेकड़ी भूल जाता है। एक बार क्या हजार बार नाक रगड़ता है। जब कोई गलती हो जाती है, तब भी आदमी को अपनी नाक रगड़नी पड़ती है। जिन लोगों में बदले या ईर्ष्या की भावना होती है, वे भी मौके की तलाश में रहते हैं कि कब, कैसे किसी की नाक रगड़वा दें।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-आदमी के ऊपर बुरे समय के आने पर भी उसे अपनी इज्जत बचाने के लाले पड़ सकते हैं।

व्याख्या-आदमी के जब खराब दिन आते हैं, तो वह अपना सारा अक्खड़पन भूल जाता है। उसे अपने काम करवाने के लिए अनेक बार अपनी इज्जत की परवाह न करते हुए भी नीचे दर्जे का व्यवहार करने पर उतारू रहना पड़ता है। अपनी गलती के लिए भी आदमी को अपनी आत्मा के विरुद्ध आचरण अपनाना पड़ता है। ऐसी विपरीत दशा में, कुछ लोग जो जलनशील स्वभाव के होते हैं अथवा जो बदला लेना चाहते हैं, वे भी अपने ऐसे मौके की तलाश जारी रखते हैं, जिसमें वे अपने विरोधी की नाक काटना चाहते हैं। वे उसे नीचा दिखाना चाहते हैं।

4. गुस्सा भी बहुत से लोगों की नाक पर रखा रहता है। उनसे जरा कुछ कहा नहीं कि बिना बात नाक फुला लेते हैं। नाक में जितनी कमियाँ या बुराइयाँ हैं, उससे ज्यादा अच्छाइयाँ हैं इसलिए जिनकी नाक नहीं होती है, वे भी नाक लगाते हैं, भले ही इस बात पर कोई दूसरा नाक भौंह सिकोड़े तो सिकोड़ता रहे।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-बहुत जल्दी ही नाराज हो जाने वाले आदमियों पर – व्यंग्य कसा जा रहा है।

व्याख्या-लेखक कहता है कि कुछ लोग इस तरह के होते हैं कि वे छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाते हैं। उनसे चाहे, उनके फायदे की ही बात क्यों न कही जायें, परन्तु फिर भी वे अपनी नाक फुला लेते हैं अर्थात् अपना क्रोध प्रकट कर बैठते हैं। इस तरह नाक से सम्बन्धी अनेक बुराइयाँ हो सकती हैं, अनेक कमियाँ हो सकती हैं, परन्तु हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नाक से अनेक लाभ भी हैं, क्योंकि शरीर के एक अंग होने की दशा में नाक अपना अलग ही महत्व रखती है जिसे कटने से – बचाये रखने के लिए अति खर्चीले काम भी करने पड़ते हैं।

अगर नाक न होती शब्दकोश

मुहाल = कठिन औकात = हैसियत; हेकड़ी = अकड़, अड़ना; फ्रन्ट = मुकाबला या सामना; नक्कूशाह- अपने आपको बड़ा समझने वाला; निःश्वास = श्वास निकाल देना, बिना सांस लिए; नाक नीची होना – अपमानित होना; नाक बचाना = सम्मान की रक्षा करना; भात-छोछक = विवाह अथवा बच्चे के जन्म के समय पर मामा के द्वारा दिया जाने वाला । भेंट; फुरेरी = सींक व तिनके के सिरे पर लिपटी हुई रुई जिस पर इत्र, तेल आदि चुपड़ा जाता है; चोथ = गाय, भैंस का गोबर,सुतवाँ = लम्बी, पतली; उच्छ्वास = लम्बी साँसें, गहरी साँसे; नाक रखना = सम्मान रखना; नाक जमाना = प्रभाव छोड़ना; नाकों चने चबाना = बहुत कष्ट सहना; असम्मानित होना = अनादरित होना; मान न मान मैं तेरा मेहमान = जबरदस्ती करना; नाक फुलाना = रूठ जाना; हाथ के तोते उड़ जाना = घबरा जाना; नानी याद आना = बड़े संकट में पड़ जाना; न बैठने देना = चैन न लेने देना; नाक नचाना = परेशान करना; सिर खाना = परेशान करना; नाक का बाल बनना बहुत प्रिय होना; आँख दिखाना = हीनता प्रकट करना; पीठ दिखाना =घर के लिए भाग जाना; नाक रगड़ना-मिन्नतें करना; गुस्सा नाक पर रखा होना – जल्दी नाराज हो जाना; सोने में सुहागा – अच्छी वस्तु में और अधिक अच्छाई; चार चाँद लगाना – सुन्दरता बढ़ जाना नाक पर मक्खी तक न बैठने देना- अपने विरुद्ध कुछ भी न सुनना; नाक के नीचे होना = उपस्थिति में, मौजूदगी में, नाक रहना = सम्मान बचे रहना; मुँह की खाना = घर जाना, अपमानित होना; सिंगट्टा दिखाना = बेवकूफ बना देना, प्रार्थना न सुनना; दाँत दिखाना = हीनता प्रकट करना।

MP Board Class 7th Hindi Solutions

MP Board Class 7th Sanskrit परिशिष्टम्

MP Board Class 7th Sanskrit परिशिष्टम्

1. सादरं समीहताम्
(आदर सहित करना चाहिए)

सादरं समीहताम् ……….. जीवनं प्रदीयताम्। सादरं॥

अनुवाद :
हमें आदर सहित (इन कार्यों को) करना चाहिए। ईश्वर की वन्दना करनी चाहिए। श्रद्धा सहित अपनी मातृभूमि की अच्छी तरह से अर्चना करनी चाहिए। चाहे विपत्ति हो अथवा बिजलियाँ चमक रही हों, अथवा मस्तक पर बार-बार आयुध (हथियार) गिर रहे हों, परन्तु (हमें) धैर्य नहीं खोना चाहिए। वीरता के भाव को बनाये रखना चाहिए। चित्त में निर्भय होकर (हमें) (अपने) कदम आगे बढ़ाने चाहिए (रखने चाहिए)। इस प्रकार (श्रेष्ठ कार्य) आदरपूर्वक करने चाहिए।

यह (मातृभूमि) प्राणदायिनी है, यह (मुसीबतों से) रक्षा करने वाली है। यह (हमें) शक्ति, मुक्ति तथा भक्ति देने वाली है और अमृत देने वाली है। इस कारण तो यह वन्दनीय है, सेवा किये जाने योग्य है। अभिनन्दन किये जाने योग्य है। इसलिए हमें इस (मातृभूमि) के लिए अभिमानपूर्वक अपना जीवन दे देना चाहिए। (इस तरह) यह (सारा कार्य) आदरपूर्वक करना चाहिए।

MP Board Solutions

2. कृत्वा नवदृढ़ संकल्पम्
(नया पक्का संकल्प करके)

कृत्वा ……… नित्यनिरन्तर गतिशीलाः।

अनुवाद :
नया पक्का संकल्प करके नये सन्देश वितरित करते हुए, नया संगठन निर्मित करते हैं। नया इतिहास रचते हैं।

नये युग का निर्माण करने वाले, राष्ट्र की उन्नति की आकांक्षा करने वाले, त्याग ही जिनके लिए धन है, ऐसे वे त्यागपूर्ण कार्यों में लगे रहने वाले हम कार्यों के करने में चतुर और बुद्धि में तेज हैं। नया पक्का संकल्प करके।

भेदभाव को मिटाने के लिए, दीन और दरिद्रों का उद्धार करते हुए, दुःखों से तप्त लोगों को आश्वासन; (धैर्य बँधाते हुए), किये हुए संकल्पों का दैव स्मरण करते रहें। नये पक्के संकल्पों को करके।

प्रगति के मार्ग से विचलित न हों। परम्पराओं की हम रक्षा करें। उत्साह से युक्त होकर, उद्वेग से रहित होकर नित्य और निरन्तर गतिशील बने रहे। नये पक्के संकल्प करके।

3. अवनितलं पुनरवतीर्णा स्यात्
(पृथ्वीतल पर फिर से अवतार लें)

अवनितलं ……… यतामहे कृति शूराः।

अनुवाद :
पृथ्वी तल पर फिर से अवतार लें। संस्कृत रूपी गंगा की धारा के लिए धैर्यशाली भगीरथवंश हमारा है। हम तो पक्का इरादा करने वाले हैं।

यह संस्कृत रूपी गंगा की धारा विद्वानों रूपी भगवान शंकर के शिरों पर गिरती रहे। यह नित्य ही (सबकी) वाणियों में बहती रहे। व्याकरण के विद्वानों के मुख में यह प्रवेश करती रहे। जनमानस में बार-बार बहती रहे। हजारों पुत्र उद्धार प्राप्त करें और जन्म के विकारों से पार हो जायें अर्थात् मुक्ति प्राप्त कर लें। हम धीर भगीरथवंशी हैं और हमारा पक्का इरादा है।

हम प्रत्येक गाँव को जायें। संस्कृत की शिक्षा प्रदान करें। सभी को तृप्ति (सन्तुष्टि) देने तक अपने क्लेशों को न गिनें। प्रयत्न करने पर क्या प्राप्त नहीं होता है, ऐसे हमारे विचार हैं। हम धीर भगीरथवंशी हैं।

जो संस्कृतरूपी माता (हमारी) संस्कृति की मूल है, जिसकी विस्तृत रूप में व्याप्ति है। वह संस्कृत वाङ्मय हो जाय अर्थात् प्रत्येक की वाणी में समा जाये। वह संस्कृत भाषा प्रत्येक मनुष्यों की जिह्वा (वाणी) रूपी माला में सदैव सुशोभित बनी रहे। हम कर्मवीर पुरुष (उस) देववाणी को (संस्कृत को) जनवाणी बनाने के लिए प्रयत्न करते रहें। हम धीर भगीरथवंशी है।

MP Board Solutions

4. वन्दे भारतमातरम्
(भारत माता की वन्दना करता हूँ)

वन्दे भारतमातरम् ………. नान्यद्देशहितद्धि ऋते।

अनुवाद :
बोलो, मैं भारत माता की वन्दना करता हूँ, माता की वन्दना करता हूँ, भारत माता की। वन्दना करता हूँ माता की, वन्दना करता हूँ माता की। भारत माता की।

यह (भारत माता) श्रेष्ठ वीरों की माता है, त्यागीजनों और धैर्यशाली लोगों की (यह माता है)। मातृभूमि के लिए और लोक कल्याण के लिए नित्य ही अपने मन को समर्पित करने वाले लोगों की (यह जन्मभूमि है) क्रोध पर जीत पाने वाले पुण्यकर्म करने वाले, धन को तिनके के समान समझने वाले, माता की सेवा के द्वारा अपने जीवन में सार्थकता लाने वाले लोगों की यह जन्मभूमि है। (1)

गाँव-गाँव में कर्म का उपदेश देने वाले, तत्व के जानने वाले, धर्म के कार्यों में लगे रहने वाले, धन का संचय केवल त्याग के लिए करने वाले तथा इस संसार में धर्म अनुकूल ही इच्छाएँ करने वाले लोगों की यह जन्मभूमि है। अज्ञान के नाश से युक्त तथा क्षण भर में ही परिवर्तनशील शरीर वाले अपने अन्दर आदरपूर्ण बुद्धि धारण किये हुए जो यहाँ जन्म लेते हैं, वे स्वयं अपने आप को जन्म लेकर धन्य मानते हैं, (उनकी यह भारतमाता जन्मभूमि है)। (2)

हे माता (जन्मभूमि?), तुम से धन, मन, अधिकार, बुद्धि और शारीरिक बल प्राप्त हुआ है। मैं (किसी भी कार्य का) कर्ता नहीं हूँ, तुम ही कार्य कराने वाली हो, मेरे द्वारा किये गये कर्म के फल में कोई आसक्ति नहीं है। हे माता! तुम्हारे शुभ (कल्याणकारी) चरणों में मेरा यह जीवन पुष्प अर्पित है। इससे बढ़कर कोई भी मेरे लिए अन्य मंत्र नहीं है, मैं कोई भी अन्य प्रकार से नहीं सोचता हूँ, इसके अतिरिक्त अन्य किसी देश के हित में कुछ भी नहीं सोचता। (3)

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions

MP Board Class 7th Sanskrit निबन्ध-लेखनम्

MP Board Class 7th Sanskrit निबन्ध-लेखनम्

निबन्ध लेखन से छात्र/छात्राओं के अन्दर उनके रचना कौशल का विकास होता है, साथ ही कल्पनाशक्ति भी तीव्र होती जाती है। किसी भी विषय-वस्तु पर अपने विचार प्रस्तुत करने की स्वतंत्र अभिव्यक्ति विकास प्राप्त करती है। इसके लिए यहाँ कुछ निबन्ध दिये जाते हैं-

(1) सत्यम्

  1. सत्यात् परो नान्यः धर्मः।
  2. यद् वस्तु यथा भवति, तस्य तथैव कथनं सत्यमस्ति।
  3. विश्वस्य सर्वाणि वस्तूनि सत्यस्य एव आश्रितानि।
  4. सत्य वादिनः जनः समाजे सम्मानम् प्राप्नोति।
  5. सत्यस्य रक्षार्थम् महाराजः हरिश्चन्द्रः सर्वस्वम् अत्यजत्।
  6. सुखसमृद्धिहेतो सत्याचरणम् करणीयम्।

MP Board Solutions

(2) परोपकारः

  1. अन्येषां पुरुषाणाम् उपकरणं परोपकारः कथ्यते।
  2. स्वार्थ परित्यज्य अन्येषां हित चिन्तनम्, तस्य च सम्पादनम् परोपकारः।
  3. परोपकारेण जनः प्रगतिम् प्राप्नोति।
  4. प्रकृतिः अपि सर्वेणाम् कल्याणं करोति।
  5. परोपकाराय मेघाः वर्षन्ति।
  6. वृक्षाः अपि परोपकाराय फलन्ति।
  7. परोपकारिणाम् जीवनं सफलम्।

(3) विद्यामहिमा

  1. विद्या कस्यापि विषयस्य उचितम् ज्ञानम् ददाति।
  2. विद्या विनयम् ददाति।
  3. विद्या एव समृद्धेः मूलम्।
  4. विद्या प्रच्छन्नं धनम्।
  5. विद्याहीनः जनः पशुतुल्यः भवति।

(4) भारतदेशः

  1. भारतवर्षः एकः विशाल देशः।
  2. अस्य उत्तर दिशायाम् हिमालयः अस्ति।
  3. अस्य दक्षिणतः महासागरः अस्य चरणौ प्रक्षालयति।
  4. अनेक नद्यः हिमालयात् निर्गच्छन्ति।
  5. देवाः अपि अत्र आगत्य निवसितुं वाञ्छन्ति।

MP Board Solutions

दृष्टव्यः :
गायन्ति देवा किल गीतकानि, धन्यास्तु ये भारत भूमिभागे। स्वर्गायवर्गास्पदहेतुभूते, भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्॥

(5) पुस्तकम्

  1. पुस्तकानि मह्यम् अतीव रोचन्ते।
  2. पुस्तकानि ज्ञानस्य भण्डारः भवन्ति।
  3. पुस्तकानि अस्माकं मित्राणि सन्ति।
  4. पुस्तकानां सङ्गति लाभप्रदा भवति।
  5. अस्माभिः पुस्तकानि रक्षणीयानि।

(6) उद्यानम्

  1. उद्यानम् अत्यन्तं रमणीयं भवति।
  2. बालकाः उद्यानं क्रीडन्ति।
  3. उद्याने तडागः अपि अस्ति।
  4. जनाः उद्यानं भ्रमणार्थं गच्छन्ति।
  5. खगाः वृक्षेषु निवसन्ति।

(7) विद्यालयः

  1. मम विद्यालयः ‘खाईखेड़ा’ ग्रामे स्थितः अस्ति।
  2. विद्यालयस्य भवनम् अतीवसुन्दरम् अस्ति।
  3. अहं विद्यालयं गत्वा गुरून् प्रणमामि।
  4. विद्यालये एकम् उद्यानम् अपि अस्ति।
  5. विद्यालये एक विशालं क्रीडाक्षेत्रम् अस्ति।

MP Board Solutions

(8) धेनुः

  1. धेनुः अस्माकं माता अस्ति।
  2. धेनूनां विविधाः वर्णाः भवन्ति।
  3. धेनुः तृणानि भक्षयति।
  4. धेनुः जनेभ्यः मधुरं पयः प्रयच्छति।
  5. वयं धेनुं मातृरूपेण पूजयामः।

(9) महापुरुषः-आजादचन्द्रशेखरः

  1. पुरुषः महत्कार्यं कृत्वा महापुरुषः भवति।
  2. समाजहितार्थं राष्ट्रहितार्थं च यानि कार्याणि भवन्ति, तानि एव महत्कार्याणि भवन्ति।
  3. चन्द्रशेखर आजादः एवमेव राष्ट्रसेवी महापुरुषः आसीत्।
  4. 1906 ख्रीस्ताब्दे आजादचन्द्रशेखरस्य जन्म अभवत्।
  5. आजादचन्द्रशेखर: 1931 ख्रीस्ताब्दे इलाहबादनगरे (प्रयागनगरे) वीरगतिं प्राप्नोत्।

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions

MP Board Class 7th Sanskrit पत्र-लेखनम्

MP Board Class 7th Sanskrit पत्र-लेखनम्

पत्रलेखन रचना का महत्वपूर्ण अंग है। प्रायः प्रत्येक व्यक्ति को पत्र, प्रार्थना-पत्र इत्यादि लिखने पड़ते हैं। मार्गदर्शन के लिए महत्वपूर्ण पत्र यहाँ दिये जाते हैं

1. पितरम् प्रति पुत्रस्य पत्रम्
(पिता के लिए पुत्र का पत्र)

राजकीय विद्यालयः
इन्दौरनगरः (मध्य प्रदेश)
दिन. 21.07.20…

पूज्याः पितृचरणाः
सादरं कोटिशः प्रणामाः
अत्र कुशलं तत्रास्तु। मुद्राभिः सह पत्रं प्राप्तम्। राजकीय विद्यालये मम प्रवेशः अभवत्। मम त्रैमासिकी परीक्षा अक्टूबरमासे भविष्यति। अहं तथा परिश्रयम् प्रयत्नम् वा करिष्यामि यथा अहं सर्वासु परीक्षा विषयेतु प्रथमं स्थानम् प्राप्नुयम्। पूज्या जननी कामपि चिन्ताम् न करोत्। अत्र कापि कठिनता नास्ति। पूज्यायाः मातुः चरणकमलयोः कोटिशः साष्टाङ्ग प्रणामाः।

शुभशीर्वादाकांक्षी
विश्वनाथः
कक्षा सप्तमः

MP Board Solutions

2. पुत्रं प्रति पितुः पत्रम्
(पुत्र के लिए पिता का पत्र)

गोकुल निवासः
बडनगरम्
इन्दौर
दि. 07.08.20…

वत्स विश्वनाथ!
कोटिशः शुभाशीर्वादाः।
अत्रकुशलं तत्रास्तु।
तव पठनम् सम्यक्रूपेण चलति इति ज्ञात्वा वयं सर्वे प्रसन्नाः। सुपुत्रात् इयमेव आशास्ति यत् स स्वसन्तोषजनकेन उत्तम परिणामेन पितरौ सन्तोषयेत्। धनस्य कापि चिन्ता न कार्या। वयं समये समये धनं प्रेषयिष्यामः। त्वं सर्वोत्तमम् परिणामम् दर्शय, वयं यथेच्छं धनं दास्यामः। माता तुभ्यं सस्नेहं शुभाशीर्वादम् ददाति। पत्रम् प्रेषणीयम्।

तव हितैषी पिता
रामचन्द्रः।

3. प्रधानाचार्य प्रति शिष्यस्य प्रार्थनापत्रम्

माननीयाः प्रधानाचार्य महोदयाः
राजकीय विद्यालयः
इन्दौरनगरम्।
मान्याः।
सादरं सविनयम् निवेदनमिदं यत् मम पितुः वेतनम् अतिन्यूनम्। अन्ये च मे भ्रातरः अस्मिन्नेव विद्यालये षष्ट कक्षायाम् पठन्ति। अतः मम सविनयं निवेदनम् यत् मह्यम् निःशुल्का शिक्षा प्रदेया। पितुः वेतन-प्रमाणपत्रम् संलग्नम् अस्ति, अशास्ति यत् मम विषये भवताम् उदार: दृष्टिकोणः भविष्यति।

कृपाकांक्षी भवच्छिष्यः
विश्वनाथ
कक्षा सप्तमः।

4. प्रधानाचार्य प्रति शिष्यस्य प्रार्थनापत्रम्

श्रीमन्तः
प्रधानाचार्य महोदयाः
राजकीय विद्यालयः
इन्दौरनगरम्, मध्यप्रदेशः।
महोदयाः
सादरं सविनयं निवेदनं यह अहं तीव्रज्वरेण पीड़ितः अस्मि। अतः विद्यालये उपस्थातुम् सर्वथा असमर्थः। कृपया दशदिवसानाम् मह्यम् अवकाशप्रदानेन अनुग्रहः कार्यः। वैद्यराजस्य प्रमाणपत्रं संलग्नम्।

भवदाज्ञाकारी
विश्वनाथः
कक्षा सप्तमः।

MP Board Solutions

5. प्रधानाचार्यं प्रति प्रार्थनापत्रम्

श्रीमन्तः
प्रधानाचार्य महोदयाः
राजकीय विद्यालयः
इन्दौर नगरम् (मध्य प्रदेश)
मान्याः!
सविनयं निवेदनम् यत् मम ज्येष्ठभ्रातुः विवाहः अस्या मेव दशभ्याम् तिथौ अस्ति। वर-यात्रा भोपालनगरम् गमिष्यति। वरयात्रायां ममापि गमनम् अनिवार्यम्। अतः अहं पञ्च दिवसानाम् अवकाशस्य प्रार्थनां करोमि।

भवच्छिष्यः
विश्वनाथः
कक्षा सप्तमः।

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 12 नींव का पत्थर

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 12 नींव का पत्थर

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 12 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) जूही के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता है’हँसना’। आपको जूही की हँसी से क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर
हँसना बहुत जरूरी है। जूही के चरित्र की यह बहुत बड़ी विशेषता है। जूही की हँसी सभी को प्रेरणा देती है कि वे मृत्यु से भी भयभीत नहीं हो सकेंगे। उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी हँसना चाहिए। इस प्रकार हम अपनी मंजिल की ओर बढ़ते जा सकते हैं।

(ख) “वीरता कलंकित न हो, सुशोभित हो” इसके लिए कौन-कौन से कार्य करना चाहिए?
उत्तर
वीरता तभी कलंकित होती है जब हम अपने कर्त्तव्य के पालन में पीछे रहते हैं। कर्त्तव्यपालन से मिलने वाली सफलता वीरता को सुशोभित करती है। इसलिए मातृभूमि की आजादी की रक्षा के काम में अडिग बना रहना चाहिए। मातृभूमि की सेवा हमारे बलिदान को चाहती है।

(ग) निम्नांकित के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए
(क) लक्ष्मीबाई
(ख) मुन्दर
(ग) तात्या।
उत्तर
(क) लक्ष्मीबाई – महारानी लक्ष्मीबाई अपनी मातृभूमि से बहुत प्रेम करती हैं। वे उसकी आजादी की रक्षा में अपना सर्वस्व लुटा देती हैं। वे आजादी के लिए लगातार लड़ती रहती हैं। दृढ़ प्रतिज्ञ लक्ष्मीबाई हँसते-हँसते आजादी की बलि वेदी पर स्वयं को न्योछावर कर देती हैं। देशभक्ति, जनसेवा और राष्ट्र सेवा के लिए सब कुछ त्यागने के लिए तत्पर रहती हैं।

(ख) मुन्दर – मुन्दर महारानी लक्ष्मीबाई की सहेली है। वह फिरंगियों (अंग्रेजों) के आगमन की सूचना पर व्याकुल हो उठती और चाहती है कि उन्हें एकदम वहाँ से खदेड़ देना चाहिए। वह आज्ञापालक और वीरता के गुणों से युक्त है। वह स्वराज्य की पुजारिन है।

(ग) तात्या – तात्या लक्ष्मीबाई के एक सहयोगी हैं। वे प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम (1857) के सेनानी हैं। वे मातृभूमि की सुरक्षा और स्वराज्य की नींव का आधार है। वे निर्भीक होकर शत्रु से लोहा लेते रहे।

MP Board Solutions

प्रश्न 2. निम्नांकित कथनों का आशय स्पष्ट कीजिए
(क) हम सब मिलकर या तो स्वराज्य प्राप्त करके रहेंगे या स्वराज्य की नींव का पत्थर बनेंगे।
(ख) सूर्य का तेज अनन्त सूर्य में विलीन हो गया।
उत्तर
(क) स्वराज्य प्राप्त करने में सफलता हम सब के सम्मिलित प्रयासों से सम्भव है। आजादी मिल भी सकती है। अन्यथा आजादी के लिए किये गये अपने प्रयासों के द्वारा स्वराज्य की नींव का पत्थर तो बन ही जायेंगे, जो आजादी के भवन को ऊँचा और मजबूत बनाने में सहायक होगा।

(ख) लक्ष्मीबाई की सेना का सेनापति रघुनाथ राव महारानी लक्ष्मीबाई के सर्वस्व त्याग पर कहता है कि लक्ष्मीबाई सूर्य जैसे तेज से युक्त ीं। उनका तेज सूर्य के कभी भी समाप्त न होने वाले तेज में विलीन हो गया। कहने का तात्पर्य यह है कि सूर्य के अन्तहीन तेज से स्वयं चूकने वाली वीरांगना अब उसी तेज में विलीन हो गयी और अमर हो गयी।

प्रश्न 3.
निम्नांकित कश्चन किसके द्वारा कहे गये
(क) स्वराज्य की लड़ाई स्वराज्य मिलने पर ही समाप्त हो सकती है, बाई साहब। (…… ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ख) महारानी जी, विश्वास दिलाता हूँ कि आपकी पवित्र देह को छूने का साहस केवल पवित्र अग्नि ही कर सकेगी। (…… ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ग) मैं किसी के लिए सरदार हो सकता हूँ, पर आपके लिए तो सेवक ही हूँ। (……… ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(घ) आज हमें स्वामिभक्त से ज्यादा देशभक्तों की आवश्यकता है। (ने जूही से कहा)
उत्तर
(क) (मुन्दर ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ख) (रघुनाथ राव ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(ग) (तात्या ने लक्ष्मीबाई से कहा।)
(घ) (लक्ष्मीबाई ने जूही से कहा।)

MP Board Solutions

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
अस्तबल, प्रतिज्ञा, रणभूमि, समर्पित, स्वराज्य।
उत्तर
शुद्ध उच्चारण के लिए विद्यार्थी लगातार इन शब्दों को पढ़ें और कोशिश करें कि ये शब्द सही रूप से उच्चारित हो रहे हैं या नहीं। अध्यापक महोदय की सहायता ले सकते हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए
विलासप्रियता, जनसेवक, स्वामिभक्त, मरहमपट्टी।
उत्तर
विलासप्रियता = विलासप्रियता राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा करने में एक सबसे बड़ी बाधा है।
जनसेवक = जनसेवक ही स्वराज्य के सच्चे पहरेदार हैं।
स्वामिभक्त = स्वामिभक्त की अपेक्षा देशभक्त बनिए।
मरहमपट्टी = अनेक घायलों की मरहमपट्टी करके उनका इलाज किया।

प्रश्न 3.
सही शब्द पर सही (✓) का निशान लगाइए
(क) दुर्भाग्य, दुरभाग्य, र्दुभाग्य, दुभार्य।
(ख) लक्ष्मिबाई, लछमीबाई, लक्ष्मीबाई, लक्षमीबाई।
(ग) सुरक्षीत, सुरक्षित, सूरछित, सुरशित।
(घ) समीत, समरपित, समर्पित, स्मर्पित।
(ङ) युधघोस, युधघोष, युधघोश, युद्धघोष।
उत्तर
(क) दुर्भाग्य
(ख) लक्ष्मीबाई
(ग) सुरक्षित
(घ) समर्पित
(ङ) युद्धघोष।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
नीचे दिये गये शब्द समूहों का प्रयोग करते हुए प्रत्येक से एक-एक वाक्य बनाइए
(क) क्या से क्या हो गया ?
(ख) कहाँ से कहाँ पहुँच गई?
(ग) नहीं, नहीं।
(घ) कौन कहता है?
उत्तर
(क) सोचते थे कि इस वर्ष वह परीक्षा में सफल हो सकेगा, परन्तु वह तो असफल ही रहा। क्या से क्या हो गया ? यह तो सोचा ही नहीं था।
(ख) उसकी पुत्री एक साधारण छात्रा थी, परन्तु वह तो आई.ए.एस. में सफल हो गयी। देखो तो वह कहाँ से कहाँ पहुंच गई ?
(ग) राधा ने उसे अपने घर ठहरने के लिए आग्रह किया परन्तु वह तो नहीं, नहीं ही कहती रही।
(घ) कौन कहता है कि मैंने उसकी सहायता नहीं की है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रत्येक शब्द के दो-दो वाक्य छाँटकर लिखिए
कौन, कहाँ, कब, किसने, किसे।
उत्तर

  1. कौन कहता है, आप अकेली हैं, महारानी ?
    कौन सी बात की बाई साहब?
  2. कब हमने सोचा था, ऐसा भी होगा।
    कब क्या हो जाये, कह नहीं सकते।
  3. किसने ग्वालियर से झाँसी की ओर कूच किया ?
    किसने सम्मान पाया है ? देशभक्त ने या स्वामिभक्त ने।
  4.  मेरी सहायता की किसे है दरकार।
    उसने किसे सहायता के लिए वचन दिया।

प्रश्न 6.
दिए गए संवादों का हाव-भाव से वाचन कीजिए
रघुनाथ राव-महारानी, आपने सुना ?
लक्ष्मीबाई-क्या, रघुनाथ राव ?
जूही-क्या हुआ सरदार?
रघुनाथ राव-महारानी, जनरल यूरोज की सेना ने मुरार की सेना को हरा दिया।
जूही-(काँपकर) क्या पेशवा की सेना हार गई ?
उत्तर
इन संवादों को विशेष हाव-भाव से वाचन करने के लिए अपने आचार्य महोदय की सहायता ले सकते हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थी शब्द लिखिए
सफलता, दुर्भाग्य, आकाश, चेतन, दुर्बल, दुश्मन।
उत्तर
शब्द – विपरीतार्थी शब्द
सफलता – असफलता
दुर्भाग्य – सौभाग्य
आकाश – पाताल
चेतन – अचेतन
दुर्बल – सबल
दुश्मन – मित्र

प्रश्न 8.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
हिमालय अड़ जाना, नींद खुलना, पीठ दिखाना, कलेजे पर पत्थर रखना।
उत्तर
हिमालय अड़ जाना – जीवन में सफलता के मार्ग में कभी-कभी हिमालय अड़ जाता है।
नींद खुलना – मुरार की सेना पर अंग्रेजों की फौज के आक्रमण ने उनकी नींद खोल दी।
पीठ दिखाना – भारतीय सैनिक युद्धक्षेत्र में कभी भी पीठ नहीं दिखाते।
कलेजे पर पत्थर रखना – कलेजे पर पत्थर रखकर, उसने अपने प्राणप्रिय से वियोग प्राप्त किया।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित शब्दों के समास विग्रह करते हुए समास के नाम लिखिए
देशभक्त, रणभूमि, पेड़-पौधे, वीरबाला, फूल-पत्ती, शुभ-अशुभ, युद्धघोष।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 12 नींव का पत्थर 1

नींव का पत्थर परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

1. स्वराज्य को आते देखती हूँ, परन्तु दूसरे ही क्षण मार्ग में हिमालय अड़ जाता है। जूही, मैंने प्रतिज्ञा की थी कि अपनी झाँसी नहीं दूंगी। लेकिन झाँसी हाथ से निकल गई। (अत्यन्त धीमे स्वर में) झाँसी हाथ से निकल गई जूही। (सहसा तीव्रतर होकर) नहीं, नहीं, झाँसी हाथ से नहीं निकली। मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक भाषा-भारती के ‘नींव का पत्थर’ नामक पाठ से ली गई हैं। इस पाठ के लेखक विष्णु प्रभाकर हैं।

प्रसंग-महारानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजी सेना के खिलाफ युद्ध कर रही हैं। वे झाँसी पर अंग्रेजों का अधिकार नहीं होने देंगी। वे अपनी आजादी के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं।

व्याख्या-महारानी लक्ष्मीबाई अपनी सखी जूही से कहती हैं कि वह एक क्षण तो आशावान हो उठती हैं कि वह स्वराज्य (आजादी) प्राप्त कर लेंगी। परन्तु दूसरे ही क्षण आजादी के मार्ग में बाधा आ खड़ी होती है। यह बाधा हिमालय पर्वत जैसी अति दुर्गम हो जाती है। लक्ष्मीबाई ने यह प्रतिज्ञा की हुई थी कि वह कभी भी अपनी झाँसी पर दुश्मनों का अधिकार नहीं होने देंगी। वह भावनाओं में खो जाती हैं और कहती हैं कि झाँसी उनके हाथों से निकल गई है, परन्तु एकदम ही वह अपनी प्रतिज्ञा को याद करके कह उठती हैं कि वह अपनी झाँसी को नहीं देंगी। झाँसी उनके हाथ से नहीं निकल सकती। वह कभी भी झाँसी पर शत्रुओं का अधिकार नहीं होने देंगी।

MP Board Solutions

2. मैं जानती हूँ कि मैं झाँसी लेकर रहूँगी, लेकिन क्या तुम नहीं जानती कि उस दिन बाबा गंगादास ने कहा था फिर मिट जाना, जब तक हम विलास-प्रियता को छोड़कर जन-सेवक नहीं बन जाते, तब तक स्वराज्य नहीं मिल सकता। वह मिल सकता है केवल सेवा, तपस्या और बलिदान से।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-महारानी लक्ष्मीबाई स्वराज्य को प्राप्त करने के लिए सेवा, तपस्या और बलिदान को महत्वपूर्ण मानती हैं।

व्याख्या-लक्ष्मीबाई को उनकी सखी जूही बताती है कि उनके साथ वे सभी (देशवासी) हैं। लक्ष्मीबाई इस बात को भली-भाँति जानती भी हैं कि पूरी जनता का सहयोग उनके साथ है। अत: वे झाँसी को फिर से अपने अधिकार में लेकर ही रहेंगी। लक्ष्मीबाई अपनी सखी से कहती हैं कि बाबा गंगादास का उपदेश तो वह जानती ही है। उन्होंने कहा था झाँसी (मातृभूमि) की आजादी के लिए हमें मर-मिट जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि हम जब तक विलासी बने रहेंगे, तब तक आम आदमी की सेवा करने वाले हम लोग नहीं हो सकते तथा आजादी को भी प्राप्त नहीं कर सकते। स्वराज्य को केवल सेवा के कार्यों से, तपस्या से और स्वयं को बलिदान करने की भावना से प्राप्त किया जा सकता है।

3. उन्होंने यह भी तो कहा था कि स्वराज्य प्राप्ति सेबढ़कर है, स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार करना; स्वराज्य की नींव का पत्थर बनना। सफलता
और असफलता देव के हाथ में है, लेकिन नींव का पत्थर बनने से हमें कौन रोक सकता है? वह हमारा अधिकार है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-महारानी लक्ष्मीबाई की सहेली जूही अपने इस वार्तालाप में स्वराज्य स्थापना के लिए स्वराज्य की नींव का पत्थर बनने को अनिवार्य बतलाती है।

व्याख्या-महारानी लक्ष्मीबाई को जूही बाबा गंगादास के उपदेश के बारे में याद दिलाती हुई कहती है कि उन्होंने बतलाया था कि स्वराज्य को प्राप्त करने से भी बढ़कर यह जरूरी है कि स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार की जाये फिर स्वराज्य की नींव का ऐसा पत्थर जड़ा जाये कि उस पर आजादी के भवन का निर्माण होता चला जाये। उस आजादी को प्राप्त करने में जो भी सफलता और असफलता हाथ लगेगी, वह तो देवता के अधीन है, परन्तु आजादी की नींव का पत्थर बनने में हमारे लिए कोई भी बाधा नहीं डाल सकता। स्वराज्य को प्राप्त करना, हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।

नींव का पत्थर शब्दकोश

निराशा = हताश, जो हर आशा छोड़ चुका है; फिरंगी = अंग्रेज; कूच = प्रयाण, प्रस्थान; रणभूमि = युद्ध क्षेत्र, कलंक = दाग, धब्या; मुलाहिजा = लिहाज, सम्मान; अस्तबल = घोड़े बाँधने का स्थान; व्यूह = जमावड़ा, युद्धभूमि में सैनिकों को विशेषरूप में खड़ा करना; कृतज्ञ = उपकार मानने वाला।

MP Board Class 7th Hindi Solutions

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi विविधप्रश्नावलिः 3

प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) अनागतविधाता कुत्र अगच्छत्? [अनागतविधाता कहाँ चली गई?]
उत्तर:
अन्यज्जलाशयं

(ख) धीवराः कदा जलाशयं अगच्छन्? [धीवर कब जलाशय पर चले गये?]
उत्तर:
प्रभाते

(ग) क: योगस्य प्रवर्तकः? [योग का प्रवर्तक कौन था?]
उत्तर:
पतञ्जलिः

MP Board Solutions

(घ) अगस्त्य किम् रचितवान्? [अगस्त्य ने किसकी रचना की?)
उत्तर:
विद्युत्कोशः

(ङ) कति जनाः नित्यदुःखिता? [कितने लोग प्रतिदिन दुखी होते हैं?]
उत्तर:
षट्

(च) शन्नोवरुणः’ इति ध्येयवाक्यं कस्याः सेनायाः अस्ति? [शन्नोवरुणः’ किस सेना का ध्येय वाक्य है?]
उत्तर:
जल सेनायाः

(छ) राज्ञी दुर्गावती कस्मिन् क्षेत्रे जाता? [रानी दुर्गावती किस क्षेत्र में जन्मी थी?
उत्तर:
मध्यप्रदेशस्यमण्डलाक्षेत्रे

(ज) विपरीतबुद्धिः कदा भवति? [बुद्धि किस समय विपरीत हो जाती है?]
उत्तर:
विनाशकाले।

प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) प्रभाते धीवराः किं अकुर्वन्? [प्रात:काल में धीवरों ने क्या किया?]
उत्तर:
प्रभाते धीवराः जलाशयं गत्वा जालं प्रसार्य मत्स्यान् अगृह्णन्। [प्रातःकाल धीवरों ने जलाशय पर जाकर जाल फैलाकर मछलियों को पकड़ लिया।]

(ख) मत्स्यानाम् नामानि कानि? [मछलियों के नाम क्या हैं?]
उत्तर:
मत्स्यानां नामानि-अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा, यद्भविष्यत्। [मछलियों के नाम-अनागतविधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्यत् था।]

MP Board Solutions

(ग) स्वस्थ शरीरे किं सुकरं भवति? [स्वस्थ शरीर में क्या आसान होता है?]
उत्तर:
स्वस्थ शरीरे अध्ययनं सुकरम् भवति। [स्वस्थ शरीर से अध्ययन आसान है।]

(घ) बालचराणाम् का प्रथमा प्रतिज्ञा? [बालचरों की प्रथम प्रतिज्ञा कौन-सी है?]
उत्तर:
बालचरस्य प्रथमा प्रतिज्ञा अस्ति-‘ईश्वरं स्वदेशं प्रति च कर्त्तव्य पालनं’। [बालचर की पहली प्रतिज्ञा है-ईश्वर और अपने देश के प्रति कर्त्तव्य का पालन करना।]

(ङ) कस्य धनं दानाय भवति? [किसका धन दान के लिए होता है?]
उत्तर:
साधोः धनं दानाय भवति। [सज्जन का धन दान के लिए होता है।

(च) प्रकाशनिस्सारणेन के भोजनं कुर्वन्ति? [प्रकाश निस्सारण से भोजन कौन बनाते हैं?]
उत्तर:
प्रकाशनिस्सारणेन पादपाः भोजनां कुर्वन्ति। [प्रकाश निस्सारण से वृक्ष भोजन बनाते हैं।]

(छ) दलपतशाहः कस्य राज्यस्य शासकः आसीत [दलपतशाह किस राज्य का शासक था?]
उत्तर:
दलपतशाह: गोंडवाना राज्यस्य शासकः आसीत् [दलपतशाह गोंडवाना राज्य का शासक था।]

(ज) कीदृशं वचः दुर्लभं भवति? [कैसा वचन दुर्लभ होता है?]
उत्तर:
हितं मनोहरि च वचः दुर्लभं भवति। [हितकारी और मनोहारी वचन दुर्लभ होता है।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
अपेक्षित परिवर्तन करो
(क) बालचराः (एकवचनम्)
(ख) दलपतशाहस्य (तृतीया विभक्तिः)
(ग) प्राणायामस्य (सप्तमी विभक्तिः)
(घ) आगमनाय (प्रथमा विभक्तिः)
(ङ) साधोः (बहुवचनम्)
(च) रसायनम् (बहुवचनम्)
उत्तर:
(क) बालचरः
(ख) दलपतशाहेन
(ग) प्राणायामे
(घ) आगमनम्
(ङ) साधूनाम्
(च) रसायनानि।।

प्रश्न 4.
उचित विकल्प से वाक्यों को पूरा करो
(क) परोपकारः ……….. अस्ति। (पुण्याय/पापाय/धर्माय)
(ख) दुर्गावती यशः शरीरेण अद्यापि ………। (जीवन्ति/अजीवत्/जीवति)
(ग) पतञ्जलिः आयुर्वेदं ……… अरचयत्। (शरीराय/मनसे/वाण्यै)
(घ) महर्षिः कणादः ………. जनकः। (परमाणुवादस्य/योगस्य/शल्यक्रियायाः)
(ङ) स्थलसेना ……….. देशरक्षणं करोति। (आकाशमार्गात्/स्थलात्/जलमार्गात्)
(च) विनाशकाले ………..। ( अनुकूलबुद्धि/विपरीतबुद्धिः/सद्बुद्धिः)
उत्तर:
(क) पुण्याय
(ख) जीवति
(ग) शरीराय
(घ) परमाणुवादस्य
(ङ) स्थलात्
(च) विपरीतबुद्धिः।।

प्रश्न 5.
अधोलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों के लिए प्रश्न बनाओ
(क) मृतं प्रत्युत्पन्नमतिं धीवराः जालात् बहिः अकुर्वन।
(ख) धीवराः मत्स्यान् जाले बध्वा नेष्यन्ति?
(ग) रेखागणितं शुल्बसूत्रे अस्ति।
(घ) पृथ्वी सूर्यं परिक्रमति।
(ङ) लोककल्याणं दुर्गावत्याः आदर्शः आसीत्।
(च) सेनाः त्रयः प्रकाराः।
(छ) उद्यमेन कार्याणि सिध्यन्ति।
उत्तर:
(क) मृतं प्रत्युत्पन्नमतिम् धीवरः कुतः बहिः अकरोत्?
(ख) धीवरा मत्स्यान् कस्मिन् बध्वा नेष्यन्ति?
(ग) रेखागणितं कस्मिन् सूत्रे अस्ति?
(घ) पृथ्वी कम् परिक्रमति?
(ङ) दुर्गावत्याः किम् आदर्शः आसीत्?
(च) सेनायाः कति प्रकाराः?
(छ) केन कार्याणि सिध्यन्ति?

MP Board Solutions

प्रश्न 6.
उचित का जोड़ मिलाओ
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3 img 1
उत्तर:
(क) → (6)
(ख) → (5)
(ग) → (4)
(घ) → (3)
(ङ) → (1)
(च) → (2)

प्रश्न 7.
शुद्ध वाक्यों के समक्ष ‘आम्’ और अशुद्ध वाक्यों के समक्ष ‘न’ लिखो
(क) संसर्गजाः दोषगुणाः न भवन्ति।
(ख) दुर्गावती मालवक्षेत्रे राज्यम् अकरोत्।
(ग) पतञ्जलि: धनुर्वेद अरचयत्।
(घ) बालचराः देशसेवां कुर्वन्ति।
(ङ) साधोः धनं दानाय भवति।
(च) बोधायन: पाइथागोरसतः पूर्वं अभवत् ।
उत्तर:
(क) न
(ख) न
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) आम्
(च) आम्

प्रश्न 8.
समानार्थक शब्दों का मेल करो
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3 img 2
उत्तर:
(क) → (6)
(ख) → (5)
(ग) → (1)
(घ) → (2)
(ङ) → (3)
(च) → (4)

MP Board Solutions

प्रश्न 9.
विपरीतार्थक शब्दों का मेल करो
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 3 img 3
उत्तर:
(क) → (6)
(ख) → (5)
(ग) → (4)
(घ) → (3)
(ङ) → (2)
(च) → (1)

प्रश्न 10.
कोष्ठक से चित शब्द चुनकर रिक्त स्थान की पूर्ति करो-
[क्रीत्वा, नीत्वा, केतुं, आगत्य, गतवान, दातुं, जलाशये, प्रविश्य]
(क) मत्स्याः ……….. निवसन्ति स्म।
(ख) मोहनः भोजनं ………. विद्यालयं ……….।
(ग) सः पुस्तकं ……….. गृहकार्यं कृतवान्।
(घ) सः लेखनी ………. आपणं गतवान्।
(ङ) ततः गृहं ……….. पत्रं लिखितवान्।
(च) सः आपणतः भगिन्यै ………… उपहारम् आनीतवान्।
(छ) रात्रौ शयनकक्षं ………… सुप्तवान्।
उत्तर:
(क) जलाशये
(ख) नीत्वा, गतवान्
(ग) क्रीत्वा
(घ) ऋतुम्
(ङ) आगत्य
(च) दातुं
(छ) प्रविश्य।

प्रश्न 11.
उचित विकल्प से वाक्यों को पूरा करो
(क) विद्या ………… भवति। (ज्ञानस्य/ज्ञानाय)
(ख) औषधिः ……….. उन्मूलयति। (रोगान/रोगाणाम्)
(ग) अहं सप्तम ………… पठामि। (कक्षायाः/कक्षायाम्)
(घ) आर्यभट्टः ………… गतिम् ज्ञातवान्। (प्रकाशाय/प्रकाशस्य)
(ङ) दुर्गावती …………. राज्यम् अकरोत्। (चातुर्येण/चातुर्यम्)
(च) वायुसेना ………….. राष्ट्र रक्षति। (वायुमार्गे/वायुमार्गात्)
उत्तर:
(क) ज्ञानाय
(ख) रोगान्
(ग) कक्षायाम्
(घ) प्रकाशस्य
(ङ) चातुर्येण
(च) वायुमार्गात्।

MP Board Solutions

प्रश्न 12.
उचित क्रियापद से बाक्य पूरा करो
(क) आगामिमासे अहं जबलपुरं ………….। (आगच्छम्/गमिष्यामि)
(ख) ह्यः भोजने मिष्टान्नं …………..। (अस्ति/आसीत्)
(ग) त्वं योग कक्षा …………. (प्रविशति/प्रविश्)
(घ) वयं सर्वे देशसेवां …………..। (कुर्मः/कुर्वन्ति)
(ङ) मयूराः वने ……………। (नृत्यति/नृत्यन्ति)
(च) शरीरे द्वे नेत्रे ……………..। (भवन्ति/भवतः)
उत्तर:
(क) गमिष्यामि
(ख) आसीत्
(ग) प्रविश
(घ) कुर्वन्ति
(ङ) नृत्यन्ति
(च) भवतः।

प्रश्न 13.
अन्वय की पूर्ति करो
(क) ……गुणी पुत्रः वरं ………… शतानि अपि ………… च। एकः ………. तमः ……….. तारागणाः ……….. च ……….. ।
(ख) यथायथा ……… , मनः कल्याणे …………। तथा ……….. अस्य सर्वार्थाः …………. अत्र ………… न।।
उत्तर:
(क) एकः, मूर्ख, न। चन्द्रः, हन्ति, अपि, न।
(ख) पुरुषः, कुरुते। तथा, सिध्द्यन्ते, संशयः।

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 10 सुभाषचन्द्र बोस का पत्र

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 10 सुभाषचन्द्र बोस का पत्र

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 10 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(अ) सुभाष चन्द्र बोस को किस जेल से किस जेल के लिए स्थानान्तरण आदेश मिला?
उत्त
सुभाषचन्द्र बोस को बहरामपुर जेल (बंगाल) से माण्डले सेन्ट्रल जेल के लिए स्थानान्तरण आदेश मिला था।

(ब) सुभाषचन्द्र बोस ने माण्डले जेल को तीर्थ स्थल क्यों कहा है?
उत्तर
सुभाषचन्द्र बोस ने माण्डले जेल को तीर्थ स्थल, इसलिए कहा है, क्योंकि वह जेल एक ऐसी जेल थी जहाँ भारत का एक महानतम् सपूत (लोकमान्य तिलक) लगातार छः वर्ष तक रहा था।

(स) माण्डले जेल में लोकमान्य तिलक के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था ?
‘उत्तर
माण्डले जेल में लोकमान्य तिलक को छ: वर्ष तक शारीरिक और मानसिक यन्त्रणाओं से गुजरना पड़ा था। वे वहाँ अकेले रहे। उन्हें बौद्धिक स्तर का कोई साथी नहीं मिला। किसी अन्य बन्दी से उन्हें मिलने-जुलने नहीं दिया जाता था। जेल और पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में ही इतने वर्षों में दो या तीन भेंट से अधिक का मौका नहीं दिया था।

MP Board Solutions

(द) सुभाषचन्द्र बोस के अनुसार अपने आपको बन्दी जीवन के अनुकूल बनाने के लिए स्वयं में क्या-क्या परिवर्तन लाने पड़ते हैं?
उत्तर
सुभाषचन्द्र बोस के अनुसार अपने आपको बन्दी जीवन के अनुकूल बनाने के लिए हमें स्वयं ही पिछली आदतों का त्याग करना होता है। स्वयं को पूर्ण स्वस्थ और फुर्तीला बनाना पड़ता है। प्रत्येक नियम को सिर झुकाकर मानना पड़ता है। आन्तरिक प्रसन्नता बनाये रखनी होती है।
मानसिक सन्तुलन स्थिर रखना होता है।

(य) सुभाषचन्द्र बोस ने लोकमान्य तिलक को विश्व के महापुरुषों की प्रथम पंक्ति में स्थान मिलने की सिफारिश क्यों की है ?
उत्तर
सुभाषचन्द्र बोस ने सिफारिश की है कि लोकमान्य तिलक को विश्व के महापुरुषों की प्रथम पंक्ति में स्थान मिले क्योंकि लोकमान्य तिलक प्रतिकूल और शक्तिहारी वातावरण में भी ‘गीता-भाष्य’ जैसे महान दर्शन की रचना कर सके। उनमें प्रकाण्ड पाण्डित्य था, प्रबल इच्छाशक्ति थी। उनमें साधना की गहराई और सहनशीलता थी। वे बौद्धिक क्षमतावान एवं संघर्ष शक्ति से संयुक्त थे। उन्होंने बन्दीगृह के अन्धकारमय दिनों में अपनी मातृभूमि के लिए ‘गीता-भाष्य’ जैसे अतुलनीय ग्रन्थ की रचना भेंट स्वरूप प्रस्तुत की।

प्रश्न 2.
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(अ) लोकमान्य तिलक ने जेल में सुप्रसिद्ध ………. ग्रन्थ का प्रणयन किया था। (भारत की खोज/गीता भाष्य)
(ब) जेल में लोकमान्य तिलक अपना समय ………. बिताते थे। (किताबें पढ़कर/चित्र देखकर)
(स) सुभाषचन्द्र बोस ने अपने पत्र में माण्डले जेल को………..माना। (तीर्थस्थल/यातनास्थल)
उत्तर
(अ) गीताभाष्य
(ब) किताबें पढ़कर
(स) तीर्थस्थल।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए___ अदम्य, प्रणयन, कृतित्व, सुदीर्घ, यन्त्रणा।
उत्तर
अदम्य-भारतीय स्वतन्त्रता के योद्धाओं में अदम्य साहस था।
प्रणयन-गीता भाष्य का प्रणयन लोकमान्य तिलक ने माण्डले सेन्ट्रल जेल में छ: वर्ष के बन्दी काल में किया।
कृतित्व-भारतीय मनीषियों को उनके कृतित्व के लिए आज भी स्मरण किया जाता है।
सुदीर्घ-भारतीय आजादी की लड़ाई सुदीर्घ काल तक चली।
यन्त्रणा-स्वतन्त्रता सैनिकों को बन्दीगृहों में विविध यन्त्रणाएँ दी गई।

प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों में ‘दुर- उपसर्ग तथा तम’ प्रत्यय जोड़कर शब्द बनाइए.
(क) भाग्य, गम, गति, जन, गुण। (‘दुर’ उपसर्ग जोड़कर)
उत्तर
दुर्भाग्य, दुर्गम, दुर्गति, दुर्जन, दुर्गुण।

(ख) महान, अधिक, सरल, कठिन। (‘तम’ प्रत्यय जोड़कर)
उत्तर
महानतम, अधिकतम, सरलतम, कठिनतम।

प्रश्न 3.
इस पाठ में से इक प्रत्यय से बने शब्द छांटकर लिखिए।
उत्तर
शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, राजनैतिक, दार्शनिक।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से उपसर्ग और मूल शब्द छाँटकर लिखिए
सपूत, परिवेश, सशरीर, आदेश, अनुपस्थित, स्वदेश प्रकाण्ड, सुप्रसिद्ध।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 10 सुभाषचन्द्र बोस का पत्र 1
प्रश्न 5.
(क) निम्नलिखित शब्दों को पढ़िए और समझकर उनका विग्रह कीजिए
कर्मयोगी, चहारदीवारी, गीताभाष्य, शीतऋतु, धूलभरी, देशवासी. तीर्थस्थल, मन्दगति, युगनिर्माण, दशानन, दिन-रात।
उत्तर
कर्म का योगी, चहार से दीवार, गीता का भाष्य, शीत की ऋतु, धूल से भरी, देश के वासी, तीर्थ का स्थल, मन्द है जो गति, युग का निर्माण, दश हैं आनन जिसके, दिन और रात।

(ख) अपने प्रधानाध्यापक को शुल्क मुक्ति हेतु एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर
‘प्रार्थना-पत्र’ अध्याय में देखिए।

सुभाषचन्द्र बोस का पत्र परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

1. यह विश्व भगवान की कृति है, लेकिन जेलें मानवb के कृतित्व की निशानी हैं। उनकी अपनी एक अलग ही दुनिया है और सभ्य समाज ने जिन विचारों और संस्कारों को प्रतिबद्ध होकर स्वीकार किया है, वो जेलों में लागू नहीं होते। अपनी आत्मा के ह्रास के बिना बन्दी जीवन के प्रति अपने आपको अनुकूल बना पाना आसान काम नहीं है। इसके लिए हमें पिछली आदतें छोड़नी होती हैं और फिर भी स्वास्थ्य और स्फूर्ति बनाए रखनी होती है, सभी तरह के नियमों के आगे नत होना होता है और फिर भी आन्तरिक प्रफुल्लता अक्षुण्ण रखनी होती है।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश ‘सुभाष चन्द्र बोस का पत्र’ शीर्षक से अवतरित है। इसके लेखक नेताजी सुभाषचन्द्र बोस है।

प्रसंग-सुभाषचन्द्र बोस ने इस पत्र को एन. सी. केलकर के नाम उस समय लिखा, जब वे माण्डले सेन्ट्रल जेल, बर्मा में थे। यह पत्र उन्होंने दिनांक 20-08-1925 को लिखा था।

व्याख्या-यह संसार ईश्वर ने बनाया है। अत: यह मनुष्यों के अनुकूल ही है, परन्तु इस संसार में जेलों की रचना मनुष्य ने की है जो आदमी के द्वारा किए गये कर्मों की निशानी है। इन जेलों की दुनिया अलग ही प्रकार की होती है। मनुष्य ने सभ्यता | का विकास किया। उसके विचारों और संस्कारों को मजबूती से समाज ने स्वीकार किया और अपनी एक सभ्यता कायम की। इस सभ्यता के पीछे मानव द्वारा विचारित नियम और संस्कार होते हैं जिससे मनुष्य समाज सभ्य कहलाया।

परन्तु मनुष्य के इन विचारों और संस्कारों को जेल-जीवन और जेल-जगत् पर लागू नहीं किया जा सकता। वहाँ अपनी आत्मा मर जाती है। इसलिए मनुष्य बन्दी जीवन के प्रति स्वयं को ढाल पाने में कठिनता अनुभव करता है। जेल का जीवन बहुत ही कठिन होता है। मनुष्य को जेल जीवन की आदतें ढालनी पड़ती हैं। पुरानी आदतों को त्यागना होता है। सब कुछ विपरीत होने पर भी जेल के बन्दियों को अपना स्वास्थ्य ठीक रखना पड़ता है तथा शरीर में तरो-ताजगी बनाये रखना अनिवार्य होता है। जेल के सभी नियमों का पालन करना पड़ता है। उन नियमों को सिर झुकाकर मानना होता है और कार्य करने के लिए विवश होना पड़ता है। हदय के अन्दर प्रसन्नता सदा बनाये रखनी पड़ती है।

MP Board Solutions

2. दासवृत्ति ठुकरानी होती है और फिर भी मानसिक सन्तुलन अडिग बनाये रखना होता है। केवल लोकमान्य जैसा दार्शनिक ही, जिसे अदम्य इच्छाशक्ति का वरदान मिला था, उस बन्दी जीवन के शक्ति हननकारी प्रभावों से बच सकता था, उस यन्त्रणा और दासता के बीच मानसिक सन्तुलन बना रख सकता था और ‘गीता-भाष्य’ जैसे विशाल एवं युगनिर्माणकारी ग्रन्थ का प्रणयन कर सकता था।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाषचन्द्र बोस ने बन्दी जीवन के प्रभावों का
वर्णन किया है जिसके कारण शारीरिक शक्ति एवं मानसिक सन्तुलन समाप्त सा होने लगता है।
व्याख्या-जेल के जीवन का प्रभाव ऐसा होता है, कि कारागार में रहने वाले व्यक्ति के मन मस्तिष्क से दासता की भावना तो विलीन होती ही है। उसके साथ ही मानसिक सन्तुलन स्थिर बनाये रखना होता है। बन्दी विचारशील बना रहता है। लोकमान्य तिलक भी इसी माण्डले सेन्ट्रल जेल में बन्दी रहे। उन्होंने यहाँ छः वर्ष का कठोर कारावास सहा। वे उच्चकोटि के दर्शनशास्त्री थे।

उनके अन्दर अदमनीय दृढ़ इच्छा शक्ति थी जिसे उन्होंने ईश्वर से वरदान के रूप में प्राप्त किया था। उनके ऊपर जेल जीवन का प्रभाव नहीं पड़ सकता था यद्यपि जेल का जीवन मनुष्य के अन्दर की शक्तियों को प्रभावित करता है। लोकमान्य तिलक जैसा पक्के इरादे वाला मनुष्य जेल के कष्टों और दासता के बीच रहकर भी अपने मानसिक सन्तुलन को बनाये रख सकता था और उन्होंने अपनी चिन्तन शक्ति को स्थिरता दी; तभी तो वे ‘गीता-भाष्य’ जैसे महान ग्रन्थ की रचना कर सके। यह ग्रन्थ नये युग का निर्माण करने वाला ग्रन्थ है।

3. अगर किसी को प्रत्यक्ष अनुभव पाना है कि इतने प्रतिकूल, शक्तिहारी और दुर्बल बना लेने वाले वातावरण में लोकमान्य के ‘गीता-भाष्य’ जैसे प्रकाण्ड पाण्डित्यपूर्ण एवं महान ग्रन्थ की रचना करने के लिए कितनी प्रबल इच्छाशक्ति, साधना की गहराई एवं सहनशीलता अपेक्षित है, तो जेल में आकर रहना चाहिए।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग- नेताजी सुभाषचन्द्र बोस बताते हैं कि अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं विशिष्ट सहनशीलता के गुण के कारण ही लोकमान्य तिलक माण्डले की सेन्ट्रल जेल में गीता भाष्य की रचना कर सके।

व्याख्या-सुभाषचन्द्र बोस कहते हैं कि जेल का वातावरण अपने अनुकूल नहीं होता, परन्तु मनुष्य अपने अन्दर पक्की इच्छाशक्ति, साधना की गहराई तथा सहनशीलता पैदा कर लेता है। लोकमान्य ने अपने अन्दर इन्हीं गुणों को पैदा कर लिया था और गीता का भाष्य लिखा जो उनकी विद्वता पाण्डित्य को दर्शाता है। तिलक के ऊपर भी जेल के वातावरण का प्रभाव पड़ा। इससे मनुष्य में जीवन शक्ति कमजोर पड़ती है। शरीर दुर्बल हो जाता है। माण्डले की सेन्ट्रल जेल में रहते हुए तिलक ने अपनी आत्मिक शक्ति पैदा कर ली थी, जिससे वे गीता के भाष्य की रचना कर सके। यह रचना अद्वितीय है।

सुभाषचन्द्र बोस का पत्र शब्दकोश

दिलचस्पी = रुचि, शौक; निष्कासन हटाना, निकालना; यन्त्रणा = पीड़ा, यातना, अतिकष्ट; ह्रास = गिरावट; स्नेहभाजन = प्रेम पात्र। भाष्यकार = टीकाकार; प्रकाण्ड – उत्तम, सर्वश्रेष्ठ; बलात् = बलपूर्वक; कारावास = बन्दी होना, जेल की सजा; प्रफल्लता = प्रसन्नता; सुदीर्घ = बहुत लम्बा; दण्डसंहिता = सजा देने के नियमों की पुस्तक प्रणयन = रचना; प्रेरणा = उत्साह, किसी के प्रति उत्साहित करने की क्रिया; यातना = कष्ट, पीड़ा; अक्षुण्ण = अखण्डित हननकारीचोट पहुँचाने वाला, अडिग = न डिगने वाला, स्थिर, पक्का, दृढ़ शरीरान्त= मृत्यु: मन्दाग्नि = भूख कम लगने का रोग प्रतिबद्ध = बँधा हुआ, किसी कार्य के लिए संकल्पित; अदम्य – जिसका दमन न किया जा सके; अपेक्षित = जिसकी इच्छा की गई हो।

MP Board Class 7th Hindi Solutions

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 2

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi विविधप्रश्नावलिः 2

प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) पक्षिराजः कः अस्ति? [पक्षियों का राजा कौन है?]
उत्तर:
गरुड़ः

(ख) स्वप्रकाश रहिताः के? [अपने प्रकाश से रहित कौन है?]
उत्तर:
ग्रहाः

(ग) कदा चन्द्रस्य दर्शनम् न भवति? [चन्द्रमा कब दिखाई नहीं देता है?]
उत्तर:
अमावस्यायां रात्रौ

MP Board Solutions

(घ) ग्रामः कस्मात् विरहितः? [गाँव किस से रहित था?]
उत्तर:
औद्योगिक प्रदूषणात्

(ङ) कदा संस्कृतदिवसः आयोज्यते? [संस्कृतदिवस का आयोजन कब होता है?]
उत्तर:
श्रावणी पूर्णिमायाम्

(च) लोकमान्यतिलकः कः आसीत्? [लोकमान्य तिलक कौन थे?]
उत्तर:
महान् देशभक्तः

(छ) कस्य सहायतां प्रभुः करोति? [प्रभु किसकी सहायता करते हैं?]
उत्तर:
श्रमशीलस्य

(ज) संस्कृतसप्ताहः कदा भवति? [संस्कृत सप्ताह कब होता है?]
उत्तर:
श्रावणमासस्य द्वादशीतः भाद्रपदमासस्य तृतीयापर्यन्तं

(झ) कति वेदाः सन्ति? [वेद कितने हैं?]
उत्तर:
चत्वारः

(ञ) सिक्खानाम् दशमः गुरुः कः आसीत्? [सिक्खों के दसवें गुरु कौन थे?]
उत्तर:
गुरुगोविन्दसिंहः

(ट) गुरुगोविन्दसिंहस्य मातुः नाम किम्? [गुरुगोविन्दसिंह की माता का नाम क्या था?]
उत्तर:
‘गुजरी’

MP Board Solutions

(ठ) पाणिनेः पितुः नाम किम्? [पाणिनि के पिता का नाम क्या है?]
उत्तर:
पाणी।

प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) आकाशपिण्डेषु के-के दृश्यन्ते? [आकाशपिण्डों में क्या-क्या दीखते हैं?]
उत्तर:
आकाशपिण्डेषु तारागणा: महाः उपग्रहाः च दृश्यन्ते। [आकाशपिण्डों में तारागण, ग्रह और उपग्रह दिखाई देते हैं।]

(ख) सूर्यं परितः के ग्रहाः परिभ्रमन्ति? [सूर्य के चारों ओर कौन-से ग्रह घूमते हैं?]
उत्तर:
सूर्यम् परितः क्रमेण बुधः, शुक्रः, पृथिवी, मङ्गल, गुरुः, शनिः, अरुणः, वरुणः, यम इति ग्रहाः परिभ्रमन्ति। [सूर्य के चारों ओर क्रमशः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, गुरु, शनि, अरुण, वरुण, यम इत्यादि ग्रह घूमते हैं।]

(ग) संस्कृतभाषायाः पञ्चकवीनां नामानि लिखत? [संस्कृतभाषा के पाँच कवियों के नाम लिखो।]
उत्तर:
संस्कृतभाषायाः पञ्चकवीनां नामानि-कालिदास भारविमाघदण्डि भर्तृहरिः सन्ति। [संस्कृत भाषा के पाँच कवियों के नाम हैं-कालिदास, भारवि, माघ, दण्डि तथा भर्तृहरि।]

(घ) तिलकः किम् अघोषयत्? [तिलक ने क्या घोषणा की?]
उत्तर:
तिलकः अघोषयत् “स्वराज्य मम जन्मसिद्धः अधिकारः अस्ति।” [तिलक ने घोषणा की “स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।”]

(ङ) तिलकेन कः ग्रन्थः रचितः? [तिलक ने कौन से ग्रंथ की रचना की?]
उत्तर:
तिलकेन ‘गीतारहस्य’ नामक ग्रन्थम् अरचयत्। [तिलक ने ‘गीता रहस्य’ नामक ग्रन्थ की रचना की।]

(च) सिक्खानाम् पञ्च बाह्यचिह्नानि कानि? [सिक्खों के पाँच बाहरी चिह्न कौन से हैं?]
उत्तर:
सिक्खानां पञ्च बाह्य चिह्नानि-केशबन्धनं, कङ्कतिका अस्थापनं, कङ्कणधारणं, कट्यां वस्त्रधारणं, सर्वदा खड्गंधारणम् इति।
[सिक्खों के पाँच बाहरी चिह्न हैं-केशबन्धन (पगड़ी), कंघी रखना, कड़ा धारण करना, कमर में फेंटा बांधना, सदा तलवार धारण करते रहना।]

MP Board Solutions

(छ) गुरुगोविन्दसिंहस्य जननं कदा अभवत्? [गुरुगोविन्दसिंह का जन्म कब हुआ था?]
उत्तर:
गुरुगोविन्दस्य जननं १६६६ तमे वर्षे कार्तिक शुक्ल सप्तम्यां पटना नगरे अभवत्। [गुरुगोविन्द का जन्म सन् १६६६ ई. में कार्तिक महीने की शुक्लपक्ष की सप्तमी को पटना नगर में हुआ था।

(ज) त्रय मुनयः के? [तीन मुनि कौन से हैं?]
उत्तर:
त्रयः मुनयः सन्ति-प्रथमः सूत्रकारः पाणिनिः, द्वितीयः वाक्यकार: वररुचिः, तृतीयः च भाष्यकार: पतञ्जलि। [तीन मुनि हैं- पहले सूत्रकार पाणिनि, दूसरे वाक्यकार वररुचि और तीसरे भाष्यकार पतञ्जलि।]

प्रश्न 3.
प्रश्न निर्माण करो
(क) उपग्रहाः ग्रहं परितः परिभ्रमन्ति।
उत्तर:
उपग्रहाः कम् परितः परिभ्रमन्ति?

(ख) पौर्णिमायां रात्रौ पूर्णचन्द्रस्य दर्शनं भवति।
उत्तर:
कस्याम् रात्रौ चन्द्रस्य दर्शनं भवति?

(ग) कर्मशीलस्य सहायतां प्रभुः करोति।
उत्तर:
कस्य सहायतां प्रभुः करोति?

(घ) आकाशगङ्गायां तारागणानां अनेके समूहाः वर्तन्ते।
उत्तर:
आकाशगङ्गायां केषाम् अनेके समूहाः वर्तन्ते?

(ङ) लोकमान्यतिलकः महान् देशभक्तः आसीत्।
उत्तर:
कः महान् देशभक्तः अस्ति?

(च) भारते पञ्चदश संस्कृत विश्वविद्यालयाः सन्ति।
उत्तर:
भारते कति संस्कृत विश्वविद्यालयाः सन्ति?

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों को भरो
(क) वाहे …………. की फतह।
(ख) तिलकः ………….. तिलकम् इव भाति।
(ग) मीनः सुप्तेऽपि ………….. न निमीलयति।
(घ) चन्द्रः …………. परिक्रमति।
(ङ) गणेशोत्सवः …………. प्रारब्धः।
(च) व्याकरणनियमांना रचयिता …………..
उत्तर:
(क) गुरुजी
(ख) भारतभालस्य
(ग) नेत्रे
(घ) पृथिवीं
(ङ) शिवराजोत्सवः च
(च) पाणिनिः।

प्रश्न 5.
अधोनिर्दिष्ट अव्ययों से वाक्य बनाओ-
नूनम्, एव, अपि, इति, श्वः, शनैः-शनैः।
उत्तर:

  1. श्वः अहम् विद्यालयम् गमिष्यामि।
  2. सः अस्मिन् एव ग्रामे वसति।
  3. मोहनः इति नामकः छात्रः क्रीडाम् खेलति।
  4. अत्र आगत्य कार्यम् कुरु।
  5. ग्रामात् बहिः नदी बहति।
  6. यदि सः आगमिष्यति तर्हि अहम् तस्य सहायताम् करिष्यामि।
  7. सः नूनं नगरम् गमिष्यति।
  8. प्रातः भ्रमणार्थम् अहम् गच्छामि।
  9. अहम् तस्य अपि सहायताम् करिष्यामि।

शनैः-शनैः = वृद्धः सिंहःशनैः-शनैः मंचम् प्रति अगच्छत्।

प्रश्न 6.
सन्धि विच्छेद करो-
(क) तस्यादिः
(ख) निश्चयः
(ग) शिवराजोत्सवः
(घ) परमेश्वरः
(ङ) ममाप्यस्ति।
उत्तर:
(क) तस्य + आदिः
(ख) निः + चयः
(ग) शिवराज + उत्सवः
(घ) परम + ईश्वरः
(ङ) मम + अपि + अस्ति।

MP Board Solutions

प्रश्न 7.
लकार परिवर्तन करोलङ्लकार लट् लकार
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 2 img 1
उत्तर:
लङ् लकार :
(ग) अखादत्
(ङ) अपिबत्
(ज) अकरोत्।

लट् लकार :
(क) कुर्वन्ति
(ख) पठन्ति
(घ) गच्छति
(च) कथयति
(छ) वसति
(झ) प्रविशति

प्रश्न 8.
उचित का मिलान करो
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 2 img 2
उत्तर:
(क) → (6)
(ख) → (3)
(ग) → (2)
(घ) → (5)
(ङ) → (4)
(च) → (1)

प्रश्न 9.
विलोम शब्दों का मेल करो
MP Board Class 7th Sanskrit Solutions विविधप्रश्नावलिः 2 img 3
उत्तर:
(क) → (5)
(ख) → (1)
(ग) → (2)
(घ) → (3)
(ङ) → (4)

MP Board Solutions

प्रश्न 10.
पूर्ति करो
(क) …….. तिष्ठामि बक: न ……….. , दाता ………. न कृतिः ……….. यत्नः, मौनेन ………… मुनिः ………….. मूकः, सेव्यः ……….. कः………. नृपतिः ………… देवः।
(ख) सुप्तः ………. नेत्रे न निमीलयामि, जलस्य ………. नित्यं …….. , मम …….. स्वजातिजीवाः मान्याः! नामधेयं ……… ।
उत्तर:
(क) अहं पादेन, पङ्गु, अहं फलानां न, जीवामि न, न अस्मि, न।
(ख) अपि, मध्ये निवसामि, भोजनानि, मम, वदन्तु।

MP Board Class 7th Sanskrit Solutions

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 9 गौरैया

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 9 गौरैया

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 9 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) गौरैया की आँखों और परों की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर
गौरैया की आँखों और परों की तुलना क्रमशः नीलम और सोने से की गई है।

(ख) गौरैया अपना घोंसला कैसे बनाती है ?
उत्तर
गौरैया अपना घोंसला तिनकों को चुन-चुनकर बनाती है।

(ग) गौरैया को हरियाली की रानी क्यों कहा गया है ?
उत्तर
गौरैया हरियाली की रानी है, क्योंकि वह हरे-भरे पौधों और हरी-भरी घास के तिनके एकत्र करती है और अपने लिए घोंसला बनाती है।

(घ) कवि अपनी बहन किसे बनाना चाहता है ?
उत्तर
कवि गौरैया को अपनी बहन बनाना चाहता है, क्योंकि वह उसके मिट्टी के रंग के आँगन में फुर्र-फुर्र उड़ती है,फुदकती है। उसका प्रत्येक अंग बिजली की भाँति चमकीला लगता है।

प्रश्न 2.
गौरैया कैसे आँगन में फुदक रही है ? (सही विकल्प चुनिए)

(क) साफ आँगन में
(ख) बड़े आँगन में
(ग) मटमैले आँगन में
(घ) हरे-भरे आँगन में।
उत्तर
(ग) मटमैले आँगन में।

MP Board Solutions

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखिए

(क) मैंने अपना नीड़ बनाया, तिनके-तिनके चुन-चुन।
(ख) तू प्रति अंग-उमंग भरी-सी, पीती फिरती पानी।
(ग) सूक्ष्म वायवी लहरों पर, सन्तरण कर रही सर-सर।
उत्तर
(क) एक-एक तिनका चुन-चुनकर (बड़ी मेहनत करके) मैंने अपना घोंसला बनाया है।
(ख) हे गौरैया ! तेरा प्रत्येक अंग उत्साह से भरा हुआ | लगता है और फिर भी त पानी पीती फिरती है।
(ग) हवा के द्वारा ऊपर की ओर उठी हुई छोटी-छोटी लहरों | पर सरसराती गौरैया गतिशील है।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
इस कविता में आये ध्वन्यात्मक एवं पुनरुक्ति वाले शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर
चुन-चुन, तिनके-तिनके, अंग-अंग, फर-फर, चिऊँ-चिऊँ, फुला-फुला, सर-सर, मर-मर, हिला-हिला।

प्रश्न 2.
इस कविता में प्रयुक्त निम्नांकित विशेषण किस शब्द की विशेषता बता रहे हैं
मधुर, मटमैला, सुन्दर, वायवी, निर्दय।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 9 गौरैया 1

प्रश्न 3.
निम्नलिखित तालिका से समानता दर्शाने वाले शब्दों को कम से लिखिए
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 9 गौरैया 2

  1. नीलम-सी नीली आँखें।
  2. सोने-सा सुनहरा रंग।
  3. सोने-से सुन्दर पर।
  4. चन्द्रमा-सा सुन्दर मुख।
  5. कमलकली-सी सुन्दर आँखें।
  6. चाँदी-से सफेद बाल।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए।
बिजली, आँख, वायु, सोना।
उत्तर
बिजली = विद्युत, तड़ित।
आँख = नयन, नेत्र।
वायु = हवा, समीर।
सोना = स्वर्ण, कनक।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
मधुर, सुन्दर, चंचल, सूक्ष्म।
उत्तर
मधुर = कदु
सुन्दर = कुरूप
चंचल = स्थिर
सूक्ष्म = विशाल।

MP Board Solutions

गौरैया सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

1. मेरे मटमैले अंगना में,
फुदक रही गौरैया।
कच्ची मिट्टी की दीवारें,
घासपात का छाजन।
मैंने अपना नीड़ बनाया,
तिनके-तिनके चुन-चुन।
यहाँ कहाँ से तू आ बैठी,
हरियाली की रानी।
जी करता है तुझे घूम लूँ,
ले लूँ मधुर बलैया।
मेरे मटमैले अंगना में,
फुदक रही गौरैया।

शब्दार्थ-मटमैले = मिट्टी के रंग के गौरैया = एक छोटी चिड़िया जो प्रायः घरों के आस-पास रहती है; घासपात = घास और पत्तों का; छाजन = छप्पर;
नीड़ = घोंसला।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्य पंक्तियाँ ‘गौरैया’ शीर्षक कविता से अवतरित हैं। इसके रचियता डॉ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ हैं।

प्रसंग-कवि ने ‘गौरैया’ नामक छोटी-सी चिड़िया की मधुर क्रीड़ाओं का वर्णन किया है।

व्याख्या-मिट्टी के बने हुए मेरे आँगन में गौरैया फुदक रही है। कच्ची मिट्टी की दीवारों पर घास और पत्तों का छप्पर पड़ा हुआ है। उसमें मैंने अपना घोंसला एक-एक तिनका एकत्र कर-करके बनाया है। तू, हे हरियाली की रानी, यहाँ कहाँ से आकर बैठ गयी है। कवि कहता है कि मेरे मन में आता है कि मैं तुझे प्यार से चूम लूँ तथा तेरे ऊपर मधुर-मधुर बलैया ले लूँ। हे गौरैया, तू मेरे मटमैले आँगन में फुदक रही है।

2. नीलम की-सी नीली आँखें,
सोने से सुन्दर पर।
अंग-अंग में बिजली-सी भर,
फुदक रही तू फर-फर।
फूली नहीं समाती तू तो,
मुझे देख हैरानी।
आ जा तुझको बहन बना लूँ,
और बनूं मैं भैया।
मेरे मटमैले अंगना में,
फुदक रही गौरैया।

शब्दार्थ- पर – पंख फूली नहीं समाती = बहुत अधिक प्रसन्न हैरानी = अचम्भाः

सन्दर्भ – पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि गौरैया की सुन्दरता और उसकी चंचलता का वर्णन करता है।

व्याख्या-कवि कहता है कि इस गौरैया की आँखें नीलम मणि के समान नीली हैं। इसके पंख स्वर्ण के जैसे हैं। अपने अंग-अंग में यह बिजली के समान चपलता लिए हुए-फुर-फुरी करती हुई इधर से उधर फुदक रही है। इसकी चंचलता को देखकर मुझे अचम्भा हो रहा है, कि यह खुशी के मारे फूली नहीं समा रही है। हे गौरैया ! तू मेरे पास आ जा, मैं तुझे अपनी बहन बना लेना चाहता हूँ, साथ ही मैं तेरा भैया (भाई) बन जाने की कामना करता हूँ। यह गौरैया, मटमैले रंग के मेरे आँगन में इधर से उधर लगातार फुदक रही है।

MP Board Solutions

3. मटके की गरदन पर बैठी,
कभी अरगनी पर चल।
चहक रही तू चिऊँ-चिऊँ,
चिऊँ-चिऊं, फुला-फुला पर चंचल।
कहीं एक क्षण तो थिर होकर,
तू जा बैठ सलोनी।
कैसे तुझे पाल पाई होगी,
री तेरी मैया।
मेरे मटमैले अंगना में,
फुदक रही गौरैया।

शब्दार्थ-मटका = घड़ा; अरगनी = कपड़े आदि टाँगने के लिए रस्सी या लकड़ी; खूटी; पर = पंख; थिर = स्थिर होकर; सलोनी = सुन्दर, अच्छी;  पाल पाई होगी = पालन-पोषण किया होगा।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि फुर्तीली गौरैया नामक चिड़िया की क्रियाओं का वर्णन करता है।

व्याख्या-कवि कहता है कि गौरैया कभी तो घड़े की गरदन पर उछलकर आकर बैठ जाती है तो दूसरे ही क्षण वह अरगनी (कपड़े आदि टाँगने की रस्सी) पर चली जाती है। वह चिऊँ-चिऊँ करती हुई लगातार चहकती फिरती है। वह चंचल बनकर अपने पंखों को फुलाकर इधर-उधर फुदकती फिरती है। हे सुन्दर सी गौरैया ! तू एक क्षण भरके लिए तो किसी एक स्थान पर स्थिर होकर बैठ जा। तेरी इस चंचलता को देखकर तो मुझे लगता है कि तेरी माँ ने तेरा पालन-पोषण किस तरह किया होगा। हे गौरैया ! तू मेरे मिट्टी के रंग वाले आँगन में फुदक रही है।

4. सूक्ष्म वायवी लहरों पर,
सन्तरण कर रही सर-सर।
हिला-हिला सिर मुझे बुलाते,
पत्ते कर-कर मर-मर।
तू प्रति अंग-उमंग भरी सी,
पीती फिरती पानी।
निर्दय हलकोरों से डगमग,
बहती मेरी नैया।
मेरे मटमैले अंगना में,
फुदक रही गौरैया।

शब्दार्थ-सूक्ष्म = छोटी-छोटी-सी; वायवी = हवा की; पर = ऊपर; सन्तरण = गति, गतिशीलता, नैरना; मर-मर = मर-मर की आवाज करते हुए; प्रति = प्रत्येक उमंग= उत्साह; हलकोरों = हिलोरें;
डगमग = डगमगाती हुई; नैया = नौका; निर्दय = कठोर हृदय।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-गौरैया के फुर्तीले क्रियाकलापों का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-कवि कहता है कि हवा के द्वारा ऊपर को उठी हुई छोटी-छोटी लहरों पर सरसराती गौरैया गतिशील बनी हुई है। (हवा से) हिलते हुए उसके सिरों से मर-मर की ध्वनि करते पत्ते कवि को बुला रहे हैं। गौरैया के शरीर का प्रत्येक अंग, उमंग से (उत्साह) से भरा हुआ है और वह उठी हुई छोटी-छोटी लहरों के पानी को पीती फिरती है। कवि कहता है कि मेरे जीवन की नौका कठोर हृदय (संकटों-दुःखों) रूपी हिलोरों से इधर-उधर डगमगाती फिरती है। (इस तरह के मुझ जैसे व्यक्ति के) मटमैले (मिट्टी के रंग वाले) आँगन में गौरैया फुदकती फिरती है।

गौरैया शब्दकोश

गौरैया – ‘गौरैया’=एक चिड़िया जो घरों, छप्परों में अपने घोंसले बनाकर रहती है; नीड़ = घोंसला; सलोनी = सुन्दर, अच्छी; । फुदकती है। उसका प्रत्येक अंग बिजली की भाँति चमकीला लगता है।

MP Board Class 7th Hindi Solutions