MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7A समाकलन

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7a समाकलन

समाकलन Important Questions

समाकलन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
1. ∫ \(\frac { sec^{ 2 }x }{ 1+tanx } \) का मान है –
(a) loge (1 + tan x) + c
(b) tan x + c
(c) – cot x + c
(d) loge x + c.
उत्तर:
(a) loge (1 + tan x) + c

प्रश्न 2.
∫ \(\frac { x }{ 4+x^{ 4 } } \) dx का मान है –
(a) \(\frac{1}{4}\) tan-1 x2 + c
(b) \(\frac{1}{4}\) tan-1 ( \(\frac { x^{ 2 } }{ 2 } \) )
(b) \(\frac{1}{2}\) tan-1 ( \(\frac { x^{ 2 } }{ 2 } \) )
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) \(\frac{1}{4}\) tan-1 x2 + c

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प्रश्न 3.
यदि ∫ \(\frac { 2^{ 1/x } }{ x^{ 2 } } \) dx = k(2)1/x + c हो, तो k का मान है –
(a) \(\frac { -1 }{ log_{ e }2 } \)
(b) – loge2
(c) – 1
(d) \(\frac{1}{2}\)
उत्तर:
(a) \(\frac { -1 }{ log_{ e }2 } \)

प्रश्न 4.
∫ \(\frac { e^{ x }(1+x) }{ cos^{ 2 }(xe^{ x }) } \) dx का मान है –
(a) 2loge cos(xex) + c
(b) sec(xex) + c
(c) tan(xex) + c
(d) tan(x + ex) + c
उत्तर:
(c) tan(xex) + c

प्रश्न 5.
यदि ∫ x sin x dx = – x cos x + α हो, तो α का मान होगा –
(a) sin x + c
(b) cos x + c
(c) c
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) sin x + c

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 1
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उत्तर:

  1. \(\frac{1}{a}\) tan-1 ( \(\frac{x}{a}\) ) + c
  2. log [x + \(\sqrt { x^{ 2 }-a^{ 2 } } \) ] + c
  3. log [x + \(\sqrt { a^{ 2 }-x^{ 2 } } \) ] + c
  4. \(\frac{x}{2}\) \(\sqrt { a^{ 2 }-x^{ 2 } } \) + \(\frac { a^{ 2 } }{ 2 } \) sin-1( \(\frac{x}{a}\) ) + c
  5. log(sec x + tan x) + c
  6. sin-1 x + \(\sqrt { 1-x } \) + c
  7. tan x + sec x

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प्रश्न 3.
निम्न कथनों में सत्य/असत्य बताइए –
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 2
उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. असत्य
  6. असत्य।

प्रश्न 4.
सही जोड़ी बनाइये –
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 3
उत्तर:

  1. (a)
  2. (d)
  3. (e)
  4. (b)
  5. (c)
  6. (f).

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प्रश्न 5.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. ∫ ex(sin x + cos x) dx का मान क्या है?
  2. ∫ \(\frac { cotx }{ log(sinx) } \) dx का मान क्या है?
  3. ∫ \(\frac { dx }{ sin^{ 2 }x+4cos^{ 2 }x } \) का मान क्या है?
  4. ∫ cosec x dx का मान क्या है?
  5. ∫ log x dx का मान क्या है?
  6. ∫ \(\frac { dx }{ \sqrt { 4-x^{ 2 } } } \)

उत्तर:

  1. ex sin x
  2. log log sin x
  3. \(\frac{1}{2}\) tan-1 ( \(\frac { tanx }{ 2 } \) )
  4. log tan \(\frac{x}{2}\)
  5. x(log x + 1)
  6. sin-1 \(\frac{x}{2}\)

समाकलन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
∫ \(\frac { e^{ tan-1x } }{ 1+x^{ 2 } } \) dx का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
etan-1x + c

प्रश्न 2.
∫elog(sinx) dx का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
– cos x + c

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प्रश्न 3.
∫2 sin x cos x dx का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
sin2 x + c

प्रश्न 4.
∫\(\frac { dx }{ a^{ 2 }-x^{ 2 } } \) का मान लिखिये।
उत्तर:
\(\frac{1}{2a}\) log \(\frac{a+x}{a-x}\)

प्रश्न 5.
∫\(\frac { dx }{ x^{ 2 }-a^{ 2 } } \) का मान लिखिये।
उत्तर:
\(\frac{1}{2a}\) log \(\frac{x-a}{x+a}\)

प्रश्न 6.
∫ex ( \(\frac{1}{x}\) – \(\frac { 1 }{ x^{ 2 } } \) ) का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
\(\frac { e^{ x } }{ x } \) + c

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प्रश्न 7.
∫\(\frac { 1 }{ log_{ x }e } \) dx का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
x log \(\frac{x}{e}\) + c

प्रश्न 8.
यदि ∫\(\frac { dx }{ (1+x)\sqrt { x } } \) = f (x) + c, जहाँ c एक स्वेच्छ अचर है, तब फलन f (x) क्या है?
उत्तर:
2 tan-1 x

प्रश्न 9.
∫\(\frac { 1+logx }{ x } \) dx का मान ज्ञात करने में कौन-सा प्रतिस्थापन उचित रहेगा?
उत्तर:
1 + log x = t

प्रश्न 10.
यदि ∫\(\frac { 1 }{ 1+xsinx } \) dx = tan ( \(\frac{x}{2}\) + a) + b है, तब a और b क्या होंगे?
उत्तर:
a = – \(\frac { \pi }{ 4 } \), b = 3

प्रश्न 11.
∫\(\frac { sin\sqrt { x } }{ \sqrt { x } } \) dx का मान ज्ञात करने के लिये उचित प्रतिस्थापन क्या होगा?
उत्तर:
x = t2

प्रश्न 12.
∫sin(ax + b) dx का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
– \(\frac{1}{a}\) cos(ax + b)

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प्रश्न 13.
∫\(\frac{1}{ax+b}\) का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
\(\frac{1}{a}\) log(ax + b)

प्रश्न 14.
∫tan2 x dx का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
tan x – x + c

प्रश्न 15.
\(\frac { 1 }{ \sqrt { a^{ 2 }-x^{ 2 } } } \) का मान लिखिये।
उत्तर:
sin-1 ( \(\frac{x}{a}\) ) + c

प्रश्न 16.
∫elogex2 dx का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
\(\frac { x^{ 3 } }{ 3 } \) + c

प्रश्न 17.
∫elogx dx का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
\(\frac { x^{ 2 } }{ 2 } \) + c

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प्रश्न 18.
∫ex [f (x) + f'(x)] dx का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
ex f (x) + c

प्रश्न 19.
∫(1 + x + \(\frac { x^{ 2 } }{ 2! } \) + ………………..) dx का मान कितना है?
उत्तर:
ex

प्रश्न 20.
∫ex (log x + \(\frac{1}{x}\) ) dx का मान ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
ex log x + c

समाकलन लघु उत्तरीय प्रश्न

पश्न 1.
मूल्यांकन कीजिये –
∫\(\frac { cos2x+2sin^{ 2 }x }{ cos^{ 2 }x } \) dx (CBSE 2018)
हल:
∫\(\frac { cos2x+2sin^{ 2 }x }{ cos^{ 2 }x } \) dx
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प्रश्न 2.
∫\(\frac { 1-sinx }{ cos^{ 2 }x } \) dx का मान ज्ञात कीजिये। (NCERT)
हल:
माना I = ∫\(\frac { 1-sinx }{ cos^{ 2 }x } \) dx
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प्रश्न 3.
∫\(\frac { 2-3sinx }{ cos^{ 2 }x } \) dx का मान ज्ञात कीजिये। (NCERT)
हल:
माना I = ∫\(\frac { 2-3sinx }{ cos^{ 2 }x } \) dx
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प्रश्न 4.
∫sin-1(cos x) dx का मान ज्ञात कीजिये। (NCERT)
हल:
माना I = ∫sin-1(cos x) dx
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प्रश्न 5.
∫\(\frac { dx }{ 1+cos2x } \) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना I = ∫\(\frac { dx }{ 1+cos2x } \)
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प्रश्न 6.
∫tan-1 xdx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना I = ∫tan-1 x. 1 dx
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प्रश्न 7.
∫sin2x dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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प्रश्न 8.
∫\(\frac { cosx }{ cos(x-a) } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना I = ∫\(\frac { cosx }{ cos(x-a) } \) dx
x – α = t ⇒ x = t + α
dx = dt
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= cos α ∫dt – sin α ∫ tan t dt = cos α.t – sin α. log sec t + c
= cos α. (x – a) – sin α log sec (x – a) + c

प्रश्न 9.
(A) ∫\(\frac { 1 }{ \sqrt { 1+cosx } } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac { 1 }{ \sqrt { 1+cosx } } \) dx
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(B)∫\(\sqrt { 1+sin2x } \) dx का मान  ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\sqrt { 1+sin2x } \) dx
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(C) ∫\(\sqrt { 1+cos2x } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्न क्र. 9 (B) की भाँति हल करें।

(D) ∫\(\sqrt { 1-sin2x } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न क्र. 9 (B) की भाँति हल करें।

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प्रश्न 10.
(A) ∫\(\frac { e^{ x }(1+x) }{ cos^{ 2 }(xe^{ x }) } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac { e^{ x }(1+x) }{ cos^{ 2 }(xe^{ x }) } \) dx
माना xex = t ⇒ ex (1 + x) dx = dt
∴ I = ∫\(\frac { dt }{ cos^{ 2 }t } \) = ∫sec2 t dt = tan t = tan(xex)

(B)
∫\(\frac { e^{ tan-1x } }{ 1+x^{ 2 } } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac { e^{ tan-1x } }{ 1+x^{ 2 } } \) dx
= ∫ex dt, [माना tan-1 x = t, \(\frac { 1 }{ 1+x^{ 2 } } \) dx = dt]
= et = etan-1x.

प्रश्न 11.
∫\(\frac { dx }{ 1-sinx } \) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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प्रश्न 12.
∫\(\frac{logx}{x}\) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac{logx}{x}\) dx
माना log x = t ⇒ \(\frac{1}{x}\) dx = dt
∴ I = ∫t dt = \(\frac { t^{ 2 } }{ 2 } \) + c = \(\frac { (logx)^{ 2 } }{ 2 } \) + c

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प्रश्न 13.
(A) ∫\(\frac{dx}{1-cosx}\) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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(B) ∫\(\frac{dx}{1+cosx}\) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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प्रश्न 14.
∫\(\frac { dx }{ 1+sinx } \) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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प्रश्न 15.
∫\(\frac { cos\sqrt { x } }{ \sqrt { x } } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
∫\(\frac { cos\sqrt { x } }{ \sqrt { x } } \) dx
माना \(\sqrt{x}\) = t ⇒ \(\frac { dx }{ 2\sqrt { x } } \) = dt ⇒ \(\frac { dx }{ \sqrt { x } } \) = 2dt
∴ I = ∫cos t(2dt)
= 2∫cos t dt = 2 sin t + c = 2 sin \(\sqrt{x}\) + c

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प्रश्न 16.
∫\(\frac { 1-cos2x }{ 1+cos2x } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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= tan x – x + c

प्रश्न 17.
\(\frac { x^{ 4 } }{ x^{ 2 }+1 } \) का समाकलन x के सापेक्ष कीजिए।
हल:
माना
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प्रश्न 18.
∫\(\frac { sec^{ 2 }(logx) }{ x } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac { sec^{ 2 }(logx) }{ x } \) dx
log x = t रखने पर,
⇒ \(\frac{1}{x}\) dx = dt
∴ I = ∫sec2 tdt
⇒ I = tan t + c
⇒ I = tan(log x) + c

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प्रश्न 19.
∫\(\frac { sin(logx) }{ x } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
log x = t रखने पर,
⇒ \(\frac{1}{x}\) dx = dt
∴ I = ∫sin t dt = – cos t + c
⇒ I = – cos(log x) + c

प्रश्न 20.
∫\(\frac { cos(logx) }{ x } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्न क्र. 19 की भाँति हल करें।

प्रश्न 21.
(A) मान ज्ञात कीजिए – ∫tan2 x dx?
हल:
I = ∫tan2 x dx = ∫(sec2 x – 1) dx
= ∫sec2 x dx – ∫1dx = tan x – x

(B)
मान ज्ञात कीजिए – ∫cot2 x dx?
हलः
I = ∫cot2 x dx = ∫(cosec2 x – 1 dx
= ∫cosec2 x dx – ∫1. dx = – cot x – x

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प्रश्न 22.
∫\(\frac { sinx }{ 1+cosx } \) dx का मान ज्ञात कीजिये।
हल:
I = ∫\(\frac { sinx }{ 1+cosx } \) dx
= ∫\(\frac{1}{t}\) dt, (1 + cos x = t रखने पर sin x dx = dt)
= log t
= log (1 + cos x)

प्रश्न 23.
∫\(\frac { sin^{ =1 }x }{ \sqrt { 1-x^{ 2 } } } \) dx का मान ज्ञात कीजिये।
हल:
I = \(\frac { sin^{ =1 }x }{ \sqrt { 1-x^{ 2 } } } \) dx
= ∫t dt (sin-1 x = t रखने पर ⇒ \(\frac { 1 }{ \sqrt { 1-x^{ 2 } } } \) dx = dt)
= \(\frac { t^{ 2 } }{ 2 } \)
= \(\frac{1}{2}\) (sin-1 x)2

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समाकलन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न – I

प्रश्न 1.
∫\(\sqrt { \frac { a+x }{ a-x } } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\sqrt { \frac { a+x }{ a-x } } \)
पुनः माना x = a cos θ ⇒ dx = – a sinθ dθ
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प्रश्न 2.
मान ज्ञात कीजिए –
∫[ \(\frac { 1 }{ (logx)^{ 2 } } \) – \(\frac { 2 }{ (logx)^{ 3 } } \) ] dx?
हल:
माना
I = ∫[ \(\frac { 1 }{ (logx)^{ 2 } } \) – \(\frac { 2 }{ (logx)^{ 3 } } \) ] dx
पुनः माना log x = t ⇒ x = et ⇒ dx = et dt
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प्रश्न 3.
∫sin-1 x dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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पुनः माना 1 – x2 = t ⇒ -2x dx = dt
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प्रश्न 4.
∫cos-1 x dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
I = ∫cos-1 x dx
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प्रश्न 5.
(A)
∫\(\frac { x^{ 2 } }{ 1+x } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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(B) ∫\(\frac { x }{ 1+x^{ 4 } } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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प्रश्न 6.
∫\(\frac { 1 }{ sinx-cosx } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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प्रश्न 7.
∫\(\frac { dx }{ e^{ x }+1 } \) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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प्रश्न 8.
∫sec3 xdx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना I = ∫sec3 xdx = ∫secx. sec2 xdx
= sec x ∫sec2 xdx – ∫ [ \(\frac{d}{dx}\) sec x ∫sec2 xdx] dx, [खण्डशः समाकलन द्वारा]
= sec x tan x – ∫sec x tan x tan x dx
= sec x tan x – ∫sec x tan2 x dx
= sec x tan x – ∫sec x(sec2 x – 1)dx
= sec x tan x – ∫sec3 x dx + ∫sec x dx
⇒ I = sec x tan x – I + log(sec x + tan x)
⇒ 2I = sec x tan x + log(sec x + tan x)
⇒ I = \(\frac{1}{2}\) [sec x tan x + log(sec x + tan x)]

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प्रश्न 9.
∫\(\frac { dx }{ x^{ 2 }-a^{ 2 } } \) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 28a

प्रश्न 10.
∫\(\frac { 3x }{ (x-2)(x+1) } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना ∫\(\frac { 3x }{ (x-2)(x+1) } \) = \(\frac { A }{ x-2 } \) + \(\frac { B }{ x+1 } \) ……………….. (1)
⇒ \(\frac { 3x }{ (x-2)(x+1) } \) = \(\frac { A(x+1)+B(x-2) }{ (x-2)(x+1) } \)
⇒ 3x = A(x + 1) + B(x – 2)
⇒ 3x = (A + B)x + (A – 2B) …………………. (2)
समी. (2) के दोनों पक्षों में x के गुणांकों तथा अचर पदों की तुलना करने पर,
3 = A + B
0 = A – 2B
3 = 3B
⇒ B = 1
तथा A = 2B = 2
∴ ∫\(\frac { 3x }{ (x-2)(x+1) } \) dx = ∫\(\frac { 2 }{ x-2 } \) dx + ∫\(\frac { dx }{ x+1 } \)
= 2 log(x – 2) + log(x + 1) + c

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प्रश्न 11.
∫\(\frac { x^{ 2 }+1 }{ x^{ 4 }-x^{ 2 }+1 } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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प्रश्न 12.
∫\(\frac { x^{ 2 }+1 }{ x^{ 4 }+x^{ 2 }+1 } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्न क्र. 11 की भाँति हल करें।
उत्तर: \(\frac { 1 }{ \sqrt { 3 } } \) tan-1 ( \(\frac { x^{ 2 }-1 }{ \sqrt { 3.x } } \) ) + c

प्रश्न 13.
मान ज्ञात कीजिए –
∫\(\frac { dx }{ \sqrt { x^{ 2 }+2x+3 } } \)?
हल:
माना
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MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 30a

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प्रश्न 14.
फलन \(\frac { 1 }{ 1+sin^{ 2 } } \) का x सापेक्ष समाकलन कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac { 1 }{ 1+sin^{ 2 } } \) dx
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प्रश्न 15.
∫\(\frac { cos2x }{ (cosx+sinx)^{ 2 } } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac { cos2x }{ (cosx+sinx)^{ 2 } } \) dx
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MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 32a
cos x + sin x = रकने पर
\(\frac{d}{dx}\) (cos x + sin x) = \(\frac{dt}{dx}\)
⇒ (-sin x + cos x) dx = dt
∴ t = ∫\(\frac{dt}{t}\)
⇒ I = log t + c
अतः I = log(cos x + sin x) + c

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प्रश्न 16.
∫\(\frac { 1+tanx }{ x+logsecx } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना I = ∫\(\frac { 1+tanx }{ x+logsecx } \) dx
x + log sec x = t रकने पर
\(\frac{d}{dx}\) [x + log(sec x)] = \(\frac{dt}{dx}\)
⇒ \(\frac{d}{dx}\) x + \(\frac{d}{dx}\) log(sec x) = \(\frac{dt}{dx}\)
sec x = u रकने पर
1 + \(\frac{d}{dx}\) log u = \(\frac{dt}{dx}\)
⇒ 1 + \(\frac{d}{du}\) log u \(\frac{du}{dx}\) = \(\frac{dt}{dx}\)
⇒ 1 + \(\frac{1}{u}\)\(\frac{d}{dx}\) sec x = \(\frac{dt}{dx}\)
⇒ 1 + \(\frac{1}{secx}\) × sec x tan x = \(\frac{dt}{dx}\)
⇒ (1 + tan x)dx = dt
∴ I = ∫\(\frac{dt}{t}\)
⇒ I = log t + c
अतः I = log(x + log sec x) + c

प्रश्न 17.
∫\(\frac { cotx }{ log(sinx) } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
log(sin x) = t रकने पर
\(\frac{d}{dx}\) log (sin x) = \(\frac{dt}{dx}\)
sin x = u रकने पर
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प्रश्न 18.
∫\(\frac { 2cosx-3sinx }{ 6cosx+4sinx } \) dx का मान ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
माना
I = ∫\(\frac { 2cosx-3sinx }{ 6cosx+4sinx } \) dx
6 cos x + 4 sin x = t रखने पर,
\(\frac{d}{dx}\) (6 cos x + 4 sin x) = \(\frac{dt}{dx}\)
⇒ – 6 sin x + cos x = \(\frac{dt}{dx}\)
⇒ 2(2 cos x – 3 sin x) = \(\frac{dt}{dx}\)
⇒ (2 cos x – 3 sin x)dx = \(\frac{1}{2}\) dt
⇒ I = \(\frac{1}{2}\) ∫dt
⇒ I = \(\frac{1}{2}\) log t + c
अतः I = \(\frac{1}{2}\) log(6 cos x + 4 sin x) + c

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प्रश्न 19.
∫e3logx (x4 + 1)-1 dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
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x4 + 1 = t रखने पर,
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प्रश्न 20.
∫\(\frac { dx }{ x-\sqrt { x } } \) का मान ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
माना
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 36
\(\sqrt{x}\) – 1 = t रखने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 37
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 37a

प्रश्न 21.
∫\(\frac { dx }{ 1+3sin^{ 2 }x } \) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac { dx }{ 1+3sin^{ 2 }x } \)
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 38

समाकलन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न – II

प्रश्न 1.
∫sin-1 ( \(\frac { 2x }{ 1+x^{ 2 } } \) ) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫sin-1 ( \(\frac { 2x }{ 1+x^{ 2 } } \) ) dx
पुनः माना x = tan θ ⇒ dx = sec2θ dθ
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 39
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 39a

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7a समाकलन

प्रश्न 2.
फलन \(\frac { e^{ mtan-1x } }{ (1+x^{ 2 })^{ 3/2 } } \) का x के सापेक्ष समाकलन कीजिए।
हल:
माना tan-1 x = t ⇒ x = tan t
∴ dx = sec2 t dt
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 40
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 40a

प्रश्न 3.
∫\(\frac { x^{ 2 }tan^{ -1 }x }{ 1+x^{ 2 } } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना I = ∫\(\frac { x^{ 2 }tan^{ -1 }x }{ 1+x^{ 2 } } \) dx
माना x = tan θ ⇒ θ = tan-1 x
⇒ dx = sec2 θ dθ
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MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7a समाकलन

प्रश्न 4.
मान ज्ञात कीजिए – ∫tan-1 \(\frac { 2x }{ 1+x^{ 2 } } \) dx?
हल:
माना
I = ∫tan-1 \(\frac { 2x }{ 1+x^{ 2 } } \) dx
माना x = tan θ ⇒ dx = sec2 θ dθ
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 42
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 42a

प्रश्न 5.
∫\(\frac { xtan^{ -1 }x }{ (1+x^{ 2 })^{ 3/2 } } \) dx मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac { xtan^{ -1 }x }{ (1+x^{ 2 })^{ 3/2 } } \) dx
पुनः माना x = tan θ ⇒ dx = sec2 θ dθ
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 43

प्रश्न 6.
∫\(\frac{dx}{3+2cosx}\) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac{dx}{3+2cosx}\)
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प्रश्न 7.
मान ज्ञात कीजिए –
∫\(\frac{dx}{4+5cosx}\)?
हल:
प्रश्न का. 6 की बीत हल करे।

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प्रश्न 8.
मान ज्ञात कीजिए –
∫\(\frac{dx}{5-3cosx}\)?
हल:
प्रश्न क्र. 6 की भाँति हल करें।

प्रश्न 9.
∫\(\frac{1}{4+5sinx}\) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 45
माना tan\(\frac{x}{2}\) = t ⇒ sec2 \(\frac{x}{2}\).\(\frac{1}{2}\) dx = dt
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 46
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 46a

प्रश्न 10.
∫\(\frac { e^{ x }(1+sinx) }{ (1+cosx) } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac { e^{ x }(1+sinx) }{ (1+cosx) } \) dx
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MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 47a

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7a समाकलन

प्रश्न 11.
∫\(\frac { xe^{ x } }{ (1+x)^{ 2 } } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 48

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7a समाकलन

प्रश्न 12.
∫\(\frac { 2cosx }{ (1-sinx)(1+sin^{ 2 }) } \) dx का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
I = ∫\(\frac { 2cosx }{ (1-sinx)(1+sin^{ 2 }) } \) dx
sin x = t रखने पर, cos x dx = dt
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 49
⇒ 2 = A(1 + t2) + (1 – t)(Bt + 1)
⇒ 2 = A + A2 + Bt – Bt2 + 1 – t
⇒ 2 = (A – B)t2 + (B – 1)t + (A + 1)
गुणांकों की तुलना करने पर,
∴ A – B = 0
B – 1 = 0
तथा A + 1 = 2
B = 1, A = 1
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 50

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7a समाकलन

प्रश्न 13.
∫\(\frac { dx }{ e^{ x }-1 } \) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
I = ∫\(\frac { dx }{ e^{ x }-1 } \) = \(\frac { e^{ x }dx }{ e^{ x }(e^{ x }-1) } \)
माना ex = t, तब exdx = dt
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 51
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 51a

प्रश्न 14.
∫\(\frac { dx }{ x(x^{ n }+1) } \) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 52
xn = t रखने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 53
A और B के मान समी. (1) में रखने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 54

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7a समाकलन

प्रश्न 15.
∫( \(\sqrt{tanx}\) + \(\sqrt{cotx}\) ) dx का मान ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
माना
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 7 समाकलन img 55
पुनः माना sin x – cosx = t
(cos x + sin x)dx = dt
चूंकि (sin x – cos x)2 = t2
sin2 x + cos2 x – 2 sin x cos x = t2
⇒ 1 – sin 2x = t2
⇒ sin 2x = 1 – t2
I = \(\sqrt{2}\) ∫\(\frac { dt }{ \sqrt { 1-t^{ 2 } } } \)
= \(\sqrt{2}\) .sin-1t
= \(\sqrt{2}\).sin-1(sin x – cos x)

MP Board Class 12 Maths Important Questions

MP Board Class 11th Maths Important Questions Chapter 4 Principle of Mathematical Induction

MP Board Class 11th Maths Important Questions Chapter 4 Principle of Mathematical Induction

Principle of Mathematical Induction Important Questions

Principle of Mathematical Induction Long Answer Type Questions

Question 1.
For n > 1, prove that with the help of principle of mathematical induction :
12 + 22 + 32 + 42 + …………. + n2 = \(\frac { n(n + 1)(2n + 1) }{ 6 }\). (NCERT)
Solution:
MP Board Class 11th Maths Important Questions Chapter 4 Principle of Mathematical Induction 1
∴ p(n) is true for n = k + 1.
Hence, p(n) is true for all values of n ∈ N.

MP Board Solutions

Question 2.
For n ≥ 1 prove that :
\(\frac { 1 }{ 1.2 }\) + \(\frac { 1 }{ 2.3 }\) + \(\frac { 1 }{ 3.4 }\) + …………. + \(\frac { 1 }{ n(n + 1) }\) = \(\frac { n }{ n + 1 }\)
Solution:
Let
MP Board Class 11th Maths Important Questions Chapter 4 Principle of Mathematical Induction 2
∴ p(n) is true for n = k + 1.
Hence, p(n) is true for all values of n ∈ N.
Instruction:
All questions from 3 to 7 when n∈N prove the statement by using principle of mathematical induction :

Question 3.
13 + 23 + 33 + …………. + n3 = \(\frac { { n }^{ 2 }{ (n+1) }^{ 2 } }{ 4 }\) (NCERT)
Solution:
MP Board Class 11th Maths Important Questions Chapter 4 Principle of Mathematical Induction 3
∴ Given function is true for n = m + 1.
Hence, p(n) is true for all values of n ∈ N.

Question 4.
1 + \(\frac { 1 }{ 1 + 2 }\) + \(\frac { 1 }{ 1 + 2 + 3 }\) + ……….. + \(\frac { 1 }{ 1 + 2 + 3 + ………. + n }\) + …………. + = \(\frac { 2n }{ n + 1 }\).
Solution:
For n = 1, L.H.S = 1
and R.H.S. = \(\frac { 2 x 1 }{ 1 + 1 }\) = 1
The given function is true for n = 1.
Let the function be true for n = m
MP Board Class 11th Maths Important Questions Chapter 4 Principle of Mathematical Induction 4
∴ The Given function is true for n = m + 1.
Hence, p(n) is true for all values of n ∈ N.

Question 5.
1.2 + 2.3 + 3.4 + ………….. + n(n + 1) = \(\frac { n(n + 1)(n + 2) }{ 3 }\)
Solution:
Let p(n) = 1.2 + 2.3 + 3.4 + ………….. + n(n + 1) = \(\frac { n(n + 1)(n + 2) }{ 3 }\)
If n = 1, L.H.S. = 1.2 = 2
R.H.S = \(\frac { n(n + 1)(n + 2) }{ 3 }\) = \(\frac { 1.2.3 }{ 3 }\) = 2
∴ p(n) is true for n = 1.
Let p(n) be true for n = k
MP Board Class 11th Maths Important Questions Chapter 4 Principle of Mathematical Induction 5
∴ p(n) is true for n = k + 1.
Hence, p(n) is true for all values of n ∈ N.

Question 6.
\(\frac { 1 }{ 2.5}\) + \(\frac { 1 }{ 5.8 }\) + \(\frac { 1 }{ 8.11}\) + …………. + \(\frac { 1 }{ (3n – 1)(3n + 2) }\) = \(\frac { n }{ 6n + 4 }\)
Solution:
Let p(n) = \(\frac { 1 }{ 2.5}\) + \(\frac { 1 }{ 5.8 }\) + \(\frac { 1 }{ 8.11}\) + …………. + \(\frac { 1 }{ (3n – 1)(3n + 2) }\) = \(\frac { n }{ 6n + 4 }\)
∴ For n = 1, L.H.S = \(\frac { 1 }{ 2.5}\) = \(\frac { 1 }{ 10}\)
and R.H.S = \(\frac { 1 }{ 6.1 + 4}\) = \(\frac { 1 }{ 10}\)
∴ p(n) is true for n = 1.
Let p(n) be true for n = k
MP Board Class 11th Maths Important Questions Chapter 4 Principle of Mathematical Induction 6
∴ p(n) is true for n = k + 1.
Hence, p(n) is true for all values of n ∈ N.

Question 7.
1.2.3. + 2.3.4 + …………. + n(n+1)(n+2) = \(\frac { n(n + 1)(n + 2)(n + 3) }{ 4 }\). (NCERT)
Solution:
For n = 1, L.H.S = 1.2.3 = 6
And R.H.S. = \(\frac { 1(1 + 1)(1 + 2)(1 + 3) }{ 4 }\) = \(\frac { 2.3.4 }{ 4 }\) = 6
∴ Given function is true for n = 1.
Let the function be true for n = k
MP Board Class 11th Maths Important Questions Chapter 4 Principle of Mathematical Induction 7
∴ The given function is true for n = k + 1. Hence the given function is true for all values of n ∈ N.

MP Board Solutions

Question 8.
Prove that (41)n – (14)n is a multiple of 27 with the help of principle of mathematical induction. (NCERT)
Solution:
Let P(n) = (41)n – (14)n
For n = 1,
P(1) = (41)1 – (14)1= 27
Which is multiple of 27.
Let P(ri) be true for n = k.
Then, (41)k – (14)k = 27m
Put n = k +1 in P(n)
(41)k+1 – (14)k+1 = (41)k.41 – (14)k. 14
= (41)k.41 – 41.(14)k + 41.(14)k – (14)k.14
= 41[(41)k – (14)k]+(14)k [41 – 14]
= 41 x 27m + (14)k x 27 = 27[41 x m + (14)k]
Which is multiple of 27.
If the given function P(n) is true for n = k then P(n) will be true for U n = k +1 also.
Hence the given function is true for all values of n ∈ N.

MP Board Class 11th Maths Important Questions

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग

अवकलज के अनुप्रयोग Important Questions

अवकलज के अनुप्रयोग वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए –

प्रश्न 1.
एक वृत्त की त्रिज्या r = 6 cm पर r के सापेक्ष क्षेत्रफल में परिवर्तन की दर है –
(a) 10π
(b) 12π
(c) 8π
(d) 11π
उत्तर:
(b) 12π

प्रश्न 2.
किसी बिन्दु पर y = x + 1, वक्र y2 = 4x की स्पर्श रेखा है –
(a) (1, 2)
(b) (2, 1)
(c) (1, -2)
(d) (- 1, 2)
उत्तर:
(a) (1, 2)

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग

प्रश्न 3.
x मीटर भुजा वाले घन की भुजा में 2% की वृद्धि के कारण से घन के आयतन में सन्निकट परिवर्तन ज्ञात कीजिए।
(a) 0.03 x3
(b) 0.02 x3
(c) 0.06 x3
(d) 0.09 x3
उत्तर:
(c) 0.06 x3

प्रश्न 4.
वक्र x2 = 2y पर (0, 5) से न्यूनतम दूरी पर स्थित बिन्दु है –
(a) (2\(\sqrt{2}\), 4)
(b) (2\(\sqrt{2}\), 0)
(c) (0, 0)
(d) (2, 2)
उत्तर:
(a) (2\(\sqrt{2}\), 4)

प्रश्न 5.
f (x) = x4 – x2 – 2x+6 का न्यूनतम मान होगा –
(a) 6
(b) 4
(c) 8
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) 4

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. 0 ≤ x ≤ π के लिए फलन f (x) = cosx ………………….. फलन होगा।
  2. एक वृत्तीय प्लेट की त्रिज्या 0.2 सेमी/सेकण्ड की दर से बढ़ रही है। जब r = 10 सेमी हो, तो क्षेत्रफल के परिवर्तन की दर ………………….. है।
  3. फलन y = x(5 – x), x = ………………. पर उच्चिष्ठ है।
  4. 2x + 3y का न्यूनतम मान, जब xy = 6, है ……………………… है।
  5. sin x + cos x का उच्चिष्ठ मान ……………….. है।
  6. रेखा y = mx + 1 वक्र y2 = 4x की स्पर्श रेखा है, तो m का मान …………………………….
  7. वक्र y = x2 के बिन्दु (1, 1) पर स्पर्श रेखा की प्रवणता ………………………. है।
  8. अवकलों के प्रयोग द्वारा 10.6 का सन्निकटतम मान ………………………. है।

उत्तर:

  1. ह्रासमान
  2. 4π cm2/ sec
  3. \(\frac{5}{2}\)
  4. 12
  5. \(\sqrt{2}\)
  6. 1
  7. 2
  8. 0.8

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग

प्रश्न 3.
निम्न कथनों में सत्य/असत्य बताइए –

  1. फलन f (x) = ex – e-x, x के सभी वास्तविक मानों के लिए वर्धमान फलन \(\frac{1}{2}\) x2 है।
  2. यदि किसी समद्विबाहु त्रिभुज की समान भुजाओं की लम्बाई x हो, तो उसका महत्तम क्षेत्रफल \(\frac{1}{2}\) x2 होगा।
  3. फलन f (x) = 3x2 – 4x अंतराल (- ∞, \(\frac{2}{3}\) ) में वर्द्धमान है।
  4. फलन f (x) = x – cot x सदैव ह्रासमान है।
  5. वक्र y = ex के बिन्दु (0, 1) पर अभिलम्ब का समीकरण x + y = 1 है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

प्रश्न 4.
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. \(\sqrt{49.5}\) का सन्निकट मान ज्ञात कीजिए।
  2. परवलय y2 = 4ax के बिन्दु (x’, y’) पर स्पर्श रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए।
  3. वक्र y = x2 + 1 के बिन्दु (1, 2) पर स्पर्श रेखा की प्रवणता ज्ञात कीजिए।
  4. फलन sin x + cos x का उच्चिष्ठ मान ज्ञात कीजिए।
  5. एक बर्फ का गोला चर त्रिज्या रखता है, उसके आयतन में परिवर्तन क्या होगा, जब उसकी त्रिज्या 1 मीटर हो।
  6. किसी वर्ग की एक भुजा में 0.2 सेमी/सेकण्ड की दर से वृद्धि होती है। वर्ग के परिमाप की दर ज्ञात कीजिए।

उत्तर:

  1. 7.0357
  2. yy’ = 2a (x + x’)
  3. 3, 3
  4. \(\sqrt{2}\)
  5. 4π घन मीटर/सेकण्ड
  6. 0.8 सेमी/सेकण्ड।

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अवकलज के अनुप्रयोग दीर्घ उत्तरीय प्रश्न – I

प्रश्न 1.
एक वृत्त की त्रिज्या 2 सेमी/सेकण्ड की एकसमान दर से बढ़ रही है। क्षेत्रफल में वृद्धि किस दर से होगी जबकि त्रिज्या 10 सेमी हो?
हल:
दिया है:
\(\frac{dr}{dt}\) = 2 सेमी/सेकण्ड
माना कि वृत्त का क्षेत्रफल A वर्ग सेमी है।
तब [ \(\frac{dA}{dt}\) ]r=10 = ?
∵ वृत्त का क्षेत्रफल A = πr2
∴ \(\frac{dA}{dt}\) = π(2r). \(\frac{dr}{dt}\) = π(2r).(2)
⇒ \(\frac{dA}{dt}\) = 4πr
∴ [ \(\frac{dA}{dt}\) ]r=10 = 4π(10)
= 40π वर्ग सेमी/सेकण्ड
अर्थात् क्षेत्रफल 40π वर्ग सेमी/सेकण्ड की दर से बढ़ रहा है।

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग

प्रश्न 2.
एक हवा के बुलबुले की त्रिज्या 1/2 से.मी. प्रति सेकण्ड की दर से बढ़ रही है। जब बुलबुले की त्रिज्या 1 से.मी. है तब किस दर से बुलबुले का आयतन बढ़ रहा है?
हल:
बुलबुले की त्रिज्या r हो, तो
∴ आयतन V = \(\frac{4}{3}\) πr3

प्रश्न 3.
एक गुब्बारे की त्रिज्या 10 सेमी/सेकण्ड की दर से बढ़ रही है, जब गुब्बारे की त्रिज्या 15 सेमी है तब किस दर पर गुब्बारे की सतही क्षेत्रफल बढ़ रहा है?
हल:
माना गुब्बारे की त्रिज्या । है। यदि समय । पर उसकी सतही क्षेत्रफल A हो, तो
A = 4πr 2
समय t के साथ गुब्बारे के त्रिज्या में वृद्धि दर \(\frac{dr}{dt}\) = 10 सेमी/सेकण्ड
समय t के साथ गुब्बारे की क्षेत्रफल में वृद्धि के दर = \(\frac{dA}{dt}\)
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 2
अतः जब गुब्बारे की त्रिज्या 15 सेमी है, तब उसका क्षेत्रफल = 1200π वर्ग सेमी/सेकण्ड की दर से बढ़ रहा है।

प्रश्न 4.
वे अन्तराल ज्ञात कीजिये जिनमें फलन f (x) = 2x3 – 15x2 + 36x + 1 वर्धमान या ह्रासमान है।
हल:
f (x) = 2x3 – 15x2 + 36x + 1
⇒ f'(x) = 6x2 – 30x + 36
= 6(x2 – 5x + 6)
= 6(x – 2)(x – 3)
फलन f (x) के वर्धमान होने के लिए,
f'(x) > 0 = (x – 2 )(x – 3) > 0
⇒ या तो x – 2 > 0 तथा x – 3 > 0
⇒ x > 2 तथा x > 3
⇒ x > 3 स्पष्ट है फलन, अन्तराल (3, ∞) में वर्धमान होगा।
पुनः (x – 2)(x – 3) > 0
या तो x – 2 < 0 तथा x – 3 < 0
⇒ x < 2 तथा x < 3
⇒ x < 2
स्पष्ट है फलन, अन्तराल (-∞, 2) में वर्धमान होगा।
अतः दिया गया फलन, अन्तराल (-∞, 2)∪(3, ∞) में वर्धमान होगा।
पुनः f (x) के एक ह्रासमान फलन होने के लिए,
f'(x) < 0
⇒ (x – 2)(x – 3) < 0
या तो x – 2 < 0 तथा x – 3 > 0
⇒ x < 2 तथा x > 3, जो असम्भव है।
या x – 2 > 0 तथा x – 3 < 0 ⇒ x > 2 तथा x < 3
⇒ 2 < x < 3
अत: फलन f (x) एक ह्रासमान फलन है, जबकि 2 < x < 3.
अर्थात् फलन f (x) अन्तराल (2, 3) में ह्रासमान होगा।

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प्रश्न 5.
(A) यदि x + y = 8 हो, तो xy का महत्तम मान ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
P = xy
⇒ x + y = 8
⇒ y = 8 – x
∴ P = x(8 – x) = 8x – x2
⇒ \(\frac{dP}{dx}\) = 8 – 2x
⇒ \(\frac { d^{ 2 }P }{ dx^{ 2 } } \) = -2
महत्तम और न्यूनतम मान के लिए,
8 – 2x = 0
⇒ x = 4
अब x = 4 पर \(\frac { d^{ 2 }P }{ dx^{ 2 } } \) = -2, जो ऋणात्मक है।
∴ x = 4 पर P का मान महत्तम है।
जब x = 4 तब y = 4
P का महत्तम मान = xy, जब x = 4, y = 4
= 4 × 4 = 16.

(B) यदि x + y = 10 हो, तो xy का महत्तम मान ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्न क्र. 5 (A) की भाँति हल करें।

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प्रश्न 6.
यदि वृत्त की त्रिज्या 3 सेमी/सेकण्ड की दर से बढ़ रही है। जब वृत्त की त्रिज्या 10 सेमी है, तब किस दर से वृत्त का क्षेत्रफल बढ़ रहा है?
हल:
माना कि वृत्त की त्रिज्या है।
यदि समय t पर उसका क्षेत्रफल A हो, तो –
A = πr2
समय t के साथ वृत्त की त्रिज्या में वृद्धि की दर = \(\frac{dr}{dt}\) = 3 सेमी/सेकण्ड।
समय t के साथ वृत्त के क्षेत्रफल में वृद्धि की दर = \(\frac{dA}{dt}\)
= \(\frac { d }{ dx } \) (πr2)
= \(\frac { d }{ dr } \) (πr2). \(\frac { dr }{ dt } \)
= π.2r.3 [∵ \(\frac { dr }{ dt } \) = 3]
= 6πr
अतः वृत्त के क्षेत्रफल में अभीष्ट वृद्धि की दर = \(\frac{dA}{dt}\) = 6πr
= 6π × 10,
= 60π [r = 10 पर]
अतः r = 10 सेमी पर वृत्त का क्षेत्रफल 607 वर्ग सेमी/सेकण्ड की दर से बढ़ रहा है।

प्रश्न 7.
एक घन का आयतन 9 सेमी/सेकण्ड की दर से बढ़ रहा है। यदि इसके कोर की लंबाई 10 सेमी है, तो इसके पृष्ठ का क्षेत्रफल किस दर से बढ़ रहा है? (NCERT)
हल:
माना घन का आयतन V है तथा घन की कोर की लंबाई a सेमी है।
घन का आयतन V = a3
∴ \(\frac{dV}{dt}\) = \(\frac{d}{dt}\)a3
दिया है:
\(\frac{dV}{dt}\) = 9 सेमी3/सेकण्ड
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 4
माना घन का पृष्ठ S है।
S = 6a2
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 5
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 5a

प्रश्न 8.
(A) एक आदमी जिसकी ऊँचाई 180 सेमी है, एक बिजली के खम्भे से 1.2 मीटर प्रति सेकण्ड की दर से दूर हट रहा है। यदि बिजली के खम्भे की ऊँचाई 4.5 मीटर है, तो वह दर ज्ञात कीजिए जिस पर उसकी छाया बढ़ रही है।
हल:
AB = बिजली का खम्भा, PQ = आदमी, QC = x = छाया की लम्बाई, माना BQ = y
\(\frac{dy}{dx}\) = 1.2 = वह दर जिससे आदमी दूर हट रहा है।
\(\frac{dx}{dt}\) = वह दर जिससे छाया बढ़ रही है।
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 6
0.8 मीटर/सेकण्ड 0.8 मीटर/सेकण्ड छाया बढ़ने की दर होगी।

(B) 2 मीटर ऊँचाई का आदमी 6 मीटर ऊँचे बिजली के खंभे से दूर 5 किमी/घण्टा की समान चाल से चलता है। उसकी छाया की लंबाई की वृद्धि दर ज्ञात कीजिये। (NCERT)
हल: प्रश्न 8 (A) की भाँति हल करें।
[उत्तर: \(\frac{5}{2}\) किमी/घण्टा।]

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प्रश्न 9.
एक सीढ़ी जो 5 मीटर लम्बी है, एक दीवार से झुकी है। सीढ़ी का निचला सिरा दीवार से दूर धरातल के सहारे 2 मीटर/सेकण्ड की दर से खींचा जाता है। जब सीढ़ी का निचला सिरा दीवार से 4 मीटर दूर है, तब किस दर से दीवार पर इसकी ऊँचाई घट रही है? (NCERT)
हल:
माना, किसी समय सीढ़ी का निचला सिरा दीवार से x मीटर की दूरी पर है तथा इस समय दीवार की ऊँचाई ” मीटर है। तब चित्रानुसार,
x2 + y2 = 25 …………………. (1)
t के सापेक्ष अवकलन करने पर,
2x \(\frac{dx}{dt}\) + 2y\(\frac{dy}{dt}\) = 0
⇒ x\(\frac{dx}{dt}\) + y\(\frac{dy}{dt}\) = 0 …………………….. (2)
सीढ़ी के निचले सिरे की दीवार से दूर खींचे जाने की दर,
\(\frac{dx}{dt}\) = 2 मीटर/सेकण्ड।
∴ x.2 + y\(\frac{dy}{dt}\) = 0
⇒ y\(\frac{dy}{dt}\) = -2x
⇒ \(\frac{dy}{dt}\) = \(\frac{-2x}{y}\)
जब x = 4 मीटर, तब समी. (1) से,
16 + y2 = 25
⇒ y2 = 25 – 16 = 9
⇒ y = 3 मीटर
∴ समी. (3) से,
\(\frac{dy}{dt}\) = –\(\frac { 2\times 4 }{ 3 } \) = –\(\frac{8}{3}\)
अतः दीवार पर सीढ़ी की ऊँचाई 8/3 मीटर/सेकण्ड की दर से घट रही है।
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प्रश्न 10.
वे अन्तराल ज्ञात कीजिए जिनमें फलन, f (x) = 5x2 + 7x – 13 वर्धमान या ह्रासमान है।
हल:
दिया है:
f (x) = 5x2 + 7x – 13
∴ f'(x) = 10x + 7
फलन f(x) के वर्धमान होने के लिए,
f'(x) > 0
⇒ 10x + 7 > 0
⇒ x > \(\frac{-7}{10}\)
∴ फलन. f (x), अन्तराल ( \(\frac{-7}{10}\), ∞) में एक वर्धमान फलन है।
पुनः फलन f (x) के ह्रासमान होने के लिए,
f'(x) < 0
⇒ 10x + 7 < 0
⇒ x < \(\frac{-7}{10}\)
∴ फलन. f (x), अन्तराल (- ∞, \(\frac{-7}{10}\) ) में एक वर्धमान फलन है।

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प्रश्न 11.
वे अन्तराल ज्ञात कीजिए, जिनमें फलन f (x) = 2x3 – 24x + 5 वर्धमान या हासमान है।
हल:
दिया गया फलन है:
f (x) = 2x3 – 24x + 5
x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
f'(x) = 6x2 – 24
⇒ f'(x) = 6(x2 – 4)
⇒ f'(x) = 6(x + 2)(x – 2)

(A) फलन f (x) के वर्धमान होने के लिए शर्त,
f'(x) > 0
6(x + 2)(x – 2) > 0 ⇒ 6(x + 2)(x – 2) < 0
∴ f (x), x ∈ (-2,-2) में वर्धमान है।

(B) फलन f (x) के ह्रासमान होने के लिए शर्त,
f'(x) < 0 ⇒ 6(x + 2)(x – 2) < 0 ∴ f (x), x ∈ (-2, 2) में ह्रासमान है।

प्रश्न 12.
सिद्ध कीजिए x के सभी वास्तविक मानों के लिए फलन f (x) = x – cos x वर्धमान फलन है। हल: दिया गया फलन है: f (x) = X – cos x f'(x) = 1- (- sin x) ⇒ f'(x) = 1 + sin x हम जानते हैं x के सभी वास्तविक मानों के लिए, -1 ≤ sin x ≤ 1 – 1 + 1 ≤ 1 + sin x ≤ 1 + 1 0 ≤ 1 + sin x ≤ 2
अत:
x के सभी वास्तविक मानों के लिए 1 + sin x धनात्मक है स्पष्टतः f'(x) भी धनात्मक होगा। अर्थात् f'(x) > 0. यही सिद्ध करना था।

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प्रश्न 13.
a का वह न्यूनतम मान ज्ञात कीजिए जिसके लिए अंतराल [1, 2] में f (x) = x2 + ax + 1 से प्रदत्त फलन निरंतर वर्धमान है। (NCERT)
हल:
दिया है:
f (x) = x2 + ax + 1
∴ f'(x) = 2x + a
अब, 1 < x < 2
⇒ 2 < 2x < 4
⇒ 2 + a < 2x + a < 4 + a
⇒ 2 + a < f'(x) < 4 + a f (x) के निरंतर वर्धमान होने के लिए हम जानते हैं कि f'(x) > 0
अर्थात् 2 + a > 0 ⇒ a > -2
अत: a का न्यूनतम मान -2 है।

प्रश्न 14.
मान लीजिए [-1, 1] से असंयुक्त एक अन्तराल I हो, तो सिद्ध कीजिए कि f (x) = x + \(\frac{1}{x}\) से प्रदत्त फलन निरंतर वर्धमान है। (NCERT)
हल:
f (x) = x + \(\frac{1}{x}\)
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अन्तराल [-1, 1] असंयुक्त है
यदि x < -1 तब f'(x) > 0
यदि x > 1 तब f'(x) > 0
अतः अन्तराल I में f (x) निरंतर वर्धमान है। यही सिद्ध करना था।

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प्रश्न 15.
वे अन्तराल ज्ञात कीजिये जिनमें निम्न फलन वर्धमान या ह्रासमान है –
f (x) = x4 – \(\frac { x^{ 3 } }{ 3 } \)
हल:
f (x) = x4 – \(\frac { x^{ 3 } }{ 3 } \)
⇒ f'(x) = 4x3 – \(\frac { 3.x^{ 2 } }{ 3 } \)
⇒ f'(x) = x2 (4x – 1)
f'(x) = 0 लेने पर,
x2 (4x – 1) = 0
⇒ x = 0 या x = \(\frac{1}{4}\)
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अत: 0 तथा \(\frac{1}{4}\), X अक्ष को तीन असंयुक्त अंतराल में बाँटते है –
(-∞, 0), (0, \(\frac{1}{4}\) ), ( \(\frac{1}{4}\), ∞)
अन्तराल (-∞, 0) मे –
f'(x) = x2 (4x – 1), [∵ x2 = +ve]
[तथा 4x – 1 = 0 ]
⇒ f'(x) < 0
अन्तराल (-∞, 0) मे –
f'(x) = x2 (4x – 1), [∵ x2 = +ve]
[तथा 4x – 1 = 0 ]
⇒ f'(x) < 0
∴ अन्तराल (-∞, 0) मे f (x) हसमान है।
अन्तराल (0, \(\frac{1}{4}\) ) मे –
f'(x) = x2 (4x – 1), [∵ x2 = +ve]
[तथा 4x – 1 = 0 ]
⇒ f'(x) > 0
∴ अन्तराल ( \(\frac{1}{4}\), ∞) मे f (x) वर्धमान है।

प्रश्न 16.
एक आयत का परिमाप 100 सेमी है। अधिकतम क्षेत्रफल के लिए आयत की भुजाएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि आयत की लम्बाई x और चौड़ाई y है। तब,
आयत का परिमाप = 2(x + y)
⇒ 2x + 2y = 100
⇒ x + y = 50
माना आयत का क्षेत्रफल A है। तब
A = xy = x (50 – x) = 50x – x2, [समी. (1) से]
∴ \(\frac{dA}{dx}\) = 50 – 2x
और \(\frac { d^{ 2 }A }{ dx^{ 2 } } \) = -2
A अधिकतम अथवा न्यूनतम होगा जब
\(\frac{dA}{dx}\) = 0
⇒ 50 – 2x = 0 या x = 25
x के प्रत्येक मान के लिए \(\frac { d^{ 2 }A }{ dx^{ 2 } } \) ऋण है।
∴ x = 25 पर आयत का क्षेत्रफल अधिकतम है।
समी. (1) से,
y = 50 – x = 50 – 25 = 25
अत: आयत की प्रत्येक भुजा 25 सेमी हुई।

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प्रश्न 17.
एक आयत का क्षेत्रफल 25 वर्ग सेमी है, इसकी लम्बाई और चौड़ाई ज्ञात कीजिए जबकि इसका परिमाप न्यूनतम हो।
हल:
माना आयत की लम्बाई x व चौड़ाई y इकाई है।
दिया है: आयत का क्षेत्रफल A = 25 वर्ग इकाई
xy = 25 …………………… (1)
आयत का परिमाप
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उच्चिष्ठ या निम्निष्ठ के लिये \(\frac{dP}{dx}\) = 0
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जो x = 5 के लिये + ve है।
∴ न्यूनतम परिमाप के लिये x = 5 सेमी।
y = \(\frac{25}{x}\) = \(\frac{25}{5}\) = 5 सेमी।

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प्रश्न 18.
सिद्ध कीजिए कि sin x + cos x का उच्चिष्ठ मान \(\sqrt{2}\) है।
हल:
माना f (x) = sin x + cos x ………………. (1)
∴ f'(x) = cos x – sin x ………………… (2)
तथा f”(x) = – sinx – cox ……………….. (3)
उच्चिष्ठ या निम्निष्ठ मान के लिए,
f”(x) = 0
∴ cos x – sin x = 0
⇒ sin x = cos x
⇒ tan x = 1
∴ x = \(\frac { \pi }{ 4 } \), \(\frac { 3\pi }{ 4 } \), \(\frac { 5\pi }{ 4 } \)
अब समी. (3) में x = \(\frac { \pi }{ 4 } \) रखने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 16
चूंकि f”( \(\frac { \pi }{ 4 } \) )ऋणात्मक है। अत: x = \(\frac { \pi }{ 4 } \) पर दिया गया फलन उच्चिष्ठ है। इसी प्रकार दिया गया फलन x = \(\frac { 3\pi }{ 4 } \), \(\frac { 5\pi }{ 4 } \) ………………. पर भी उच्चिष्ठ होगा।
समी. (1) में x = \(\frac { \pi }{ 4 } \) रखने पर,
उच्चिष्ठ मान f ( \(\frac { \pi }{ 4 } \) ) = sin \(\frac { \pi }{ 4 } \) + cos \(\frac { \pi }{ 4 } \)
= \(\frac { 1 }{ \sqrt { 2 } } \) + \(\frac { 1 }{ \sqrt { 2 } } \) = \(\frac { 2 }{ \sqrt { 2 } } \) = \(\sqrt{2}\) यही सिद्ध करना था।

प्रश्न 19.
दो धनात्मक संख्याएँ इस प्रकार ज्ञात कीजिए कि x + y = 60 तथा xy3 उच्चिष्ठ हो। (NCERT)
हल:
दिया हुआ है:
x + y = 60
माना u = xy3
समी. (1) से x का मान समी. (2) में रखने पर,
image 16
∴ u के उच्चिष्ठ व निम्निष्ठ मान के लिए \(\frac{du}{dy}\) = 0
∴ 180y2 – 4y3 = 0
⇒ 4y2 (45 – y) = 0
⇒ y = 0, y = 45
⇒ y = 45 (∵ y ≠ 0)
अब y = 45 पर \(\frac { d^{ 2 }u }{ dy^{ 2 } } \) का मान
= 360 × 45 – 12 × 45 × 45
= 12 × 45(30 – 45), (∵y ≠ 0)
जो सप्तस्ततः ऋणात्मक है।
अतिएव y = 45 पर, u उच्चिष्ठ है।
∴ समी. (1) से,
x + 45 = 60
⇒ x = 60 – 45 = 15
अतः अभीष्ट 15 और है 45 है।

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प्रश्न 20.
वक्र y = x3 – x + 1 की स्पर्श रेखा की प्रवणता उस बिन्दु पर ज्ञात कीजिए जिसकाx निर्देशांक 2 है। (NCERT)
हल:
दिये गये वक्र का समीकरण है –
y = x3 – x + 1
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) (x3 – x + 1)
= \(\frac{d}{dx}\) x3 – \(\frac{d}{dx}\) x + \(\frac{d}{dx}\) 1
⇒ \(\frac{dy}{dx}\) = 3x2 – 1 + 0
⇒ \(\frac{dy}{dx}\) = 3x2 – 1
x = 2 पर स्पर्श रेखा की प्रवणता
( \(\frac{dy}{dx}\) )x=2 = 3(2)2 – 1
= 3 × 4 – 1 = 11

प्रश्न 21.
वक्र y = \(\frac { x-1 }{ x-2 } \), x ≠ 2 के x = 10 परस्पर्श रेखा की प्रवणता ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
दिये गये वक्र का समीकरण है –
y = \(\frac { x-1 }{ x-2 } \)
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) = ( \(\frac { x-1 }{ x-2 } \) )
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प्रश्न 22.
वक्र y = x3 – 3x2 – 9x + 7 पर उन बिन्दुओं को ज्ञात कीजिए जिन पर स्पर्श रेखा X अक्ष के समान्तर है। (NCERT)
हल:
दिये गये वक्र का समीकरण है –
y = x3 – 3x2 – 9x + 7
image 18
स्पर्श रेखा X – अक्ष के समान्तर है।
∴ \(\frac{dy}{dx}\) = 0
3(x – 3)(x + 1) = 0
⇒ x = 3, -1
जब x = 3 तब y = (3)3 – 3(3)2 – 9 × 3 + 7
y = 27 – 27 – 27 + 7
y = – 20
जब x = -1 तब y = (-1)3 – 3(-1)2 – 9(-1) + 7
y = – 1 – 3 + 9 + 7
y = 12
बिन्दुओं (3, -20) और (-1, 12) पर स्पर्श रेखाएँ x – अक्ष के समान्तर होगी।

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प्रश्न 23.
परवलय y2 = 4ax के बिन्दु (at2, 2at) पर स्पर्श रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
परवलय का समीकरण है –
y2 = 4ax
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 18
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 20a
(x1y1) स्पर्श रेखा का समीकरण है –
y – y1 = \(\frac{dy}{dx}\) (x – x2)
जँहा x1 = at2, y1 = 2at, \(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{1}{t}\)
y – 2at = \(\frac{1}{t}\)(x – at2)
⇒ yt – 2at2 = x – at2
⇒ x – ty + at2 = 0.

प्रश्न 24.
वक्र x2/3 + y2/3 = 2 के बिन्दु (1, 1) पर स्पर्श रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
वक्र का समीकरण है –
x2/3 + y2/3 = 2
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MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 20a
(x1y1) पर स्पर्श रेखा का समीकरण है
y – y1 = ( \(\frac{dy}{dx}\) ) (x1y1) (x – x1)
यहाँ x1 = 1, y1 = 1, \(\frac{dy}{dx}\) = -1
y – 1 = -(x – 1)
⇒ y – 1 = -x + 1
⇒ x + y – 2 = 0.

प्रश्न 25.
वक्र 2y + x2 = 3 के बिन्दु (1, 1) पर अभिलम्ब का समीकरण ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
दिये गये वक्र का समीकरण है:
2y + x2 = 3
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(x1, y1) पर अभिलम्ब का समीकरण होगा –
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प्रश्न 26.
(A) वक्र x = cost, y = sint के t = = पर अभिलम्ब का समीकरण ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
I वक्र का समीकरण है –
x = cos t
\(\frac{dx}{dt}\) = \(\frac{d}{dt}\)cos t
⇒ \(\frac{dx}{dt}\) = – sin t
II वक्र का समीकरण है –
y = sin t
\(\frac{dy}{dt}\) = \(\frac{d}{dt}\) sin t
⇒ \(\frac{dy}{dt}\) = cos t
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(x1, y1) पर अभिलम्ब का समीकरण है –
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 24

(B) वक्र 16x2 + 9y2 = 145 के बिन्दु (x1, y1) पर स्पर्श रेखा तथा अभिलंब के समीकरण ज्ञात कीजिये, जहाँ x1 = 2 तथा y1 > 0। (CBSE 2018)
हल:
वक्र का समीकरण है –
16x2 + 9y2 = 145
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समी. (1) में x = 2 रखने पर,
16. (2)2 + 9y2 = 145
⇒ 64 + 9y2 = 145
⇒ 9y2 = 145 – 64 = 81
⇒ y2 = 9 [y ≠ -3 ∵y1 > 0]
⇒ y = 3
बिन्दु (2, 3) पर \(\frac{dy}{dx}\) = – \(\frac{16}{9}\).\(\frac{2}{3}\) = – \(\frac{32}{27}\)
बिन्दु (2, 3) पर वक्र (1) की स्पर्श रेखा
y – y1 = \(\frac{dy}{dx}\) (x – x1)
⇒ y – 3 = \(\frac{-32}{7}\) (x – 2)
⇒ 27y – 81 = -32x + 64
⇒ 32x + 27y = 145
बिन्दु (2, 3) पर वक्र (1) का अभिलम्ब
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 26
⇒ 32y – 96 = 27x – 54
⇒ 27x – 32y = 42

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प्रश्न 27.
(25)1/3 का सन्निकट करने के लिए अवकल का प्रयोग कीजिए। (NCERT)
हल:
माना y = x1/3
जहाँ x = 27 और ∆x = -2
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MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 27a

∆y सन्निकटतः dy के बराबर है।
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 28
(25)1/3 का सन्निकट मान
= 3 + ∆y
= 3 – 0.074
= 2.926.

प्रश्न 28.
\(\sqrt { 36.6 } \) का सन्निकटन करने के लिए अवकल का प्रयोग कीजिए।
हल:
माना y = \(\sqrt{x}\)
जहाँ x = 36 और ∆x = 0.6
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 29
∆y सन्निकटतः dy के बराबर है।
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 30
\(\sqrt { 36.6 } \) का सन्निकट मान = ∆y + 6
= 0.05 + 6 = 6.05.

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प्रश्न 29.
(15)1/4 का सन्निकट करने के लिए अवकल का प्रयोग कीजिए। (NCERT)
हल:
माना y = x1/4
जहाँ x = 16 और ∆x = -1
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 31
∆y सन्निकटतः dy के बराबर है।
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 32
(15)1/4 का सन्निकट मान = ∆y + 2 = 2 – 0.031 = 1.969.

प्रश्न 30.
(26)1/3 का सन्निकट करने के लिए अवकलज का प्रयोग कीजिए। (NCERT)
हल:
माना y = x1/3
जहाँ x = 27 और ∆x = -1
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 33
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 33a
∆y सन्निकटतः dy के बराबर है।
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 34
(26)1/3 का सन्निकट मान = ∆y+3
= 3 – 0.037 = 2.963.

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प्रश्न 31.
एक गोले की त्रिज्या 9 सेमी मापी जाती है जिसमें 0.03 सेमी की त्रुटि है। इसके पृष्ठ के क्षेत्रफल के परिकलन में सन्निकट त्रुटि ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
माना गोले की त्रिज्या r तथा त्रिज्या मापन में त्रुटि ∆r है
दिया है:
r = 9 सेमी, ∆r = 0.03 सेमी
गोले का पृष्ठ S = 4πr2
\(\frac{dS}{dr}\) = 4π \(\frac{d}{dr}\)r2
⇒ \(\frac{dS}{dr}\) = 8πr
∆S = ( \(\frac{dS}{dr}\) ) ∆r
= (8πr) × 0.03 = 8π × 9 × 0.03 = 2.16 मी2
पृष्ठ क्षेत्रफल के परिकलन में सन्निकट त्रुटि 2.16 मी2 है।

प्रश्न 32.
एक गोले की त्रिज्या 7 मी मापी जाती है जिसमें 0.02 मी की त्रुटि है। इसके आयतन के परिकलन में सन्निकट त्रुटि ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
माना गोले की त्रिज्या r तथा त्रिज्या मापन में त्रुटि ∆r है
दिया है:
r = 7 मी, ∆r = 0.02 मी
गोले का आयतन V = \(\frac{4}{3}\)πr3
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 6 अवकलज के अनुप्रयोग img 36
आयतन के परिकलन में सन्निकट त्रुटि 3.9π मी3 है।

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प्रश्न 33.
x मी भुजा वाले घन की भुजा में 1% वृद्धि के कारण घन के आयतन में होने वाला सन्निकट परिवर्तन ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
घन की भुजा x मी है
घन का आयतन V = x3, ∆x = x का 1% = \(\frac{x}{100}\)
\(\frac{dV}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) x3 = 3x2
आयतन में परिवर्तन ∆V = ( \(\frac{dV}{dx}\) ) ∆x
= 3x2 × \(\frac{x}{100}\) = 0.03 x3 मी3
आयतन में सन्निकट परिवर्तन 0.03x3 मी3 है।

प्रश्न 34.
x मीटर भुजा वाले घन की भुजा में 2% वृद्धि के कारण से घन के आयतन में सन्निकट परिवर्तन ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
घन की भुजा x मीटर है।
∆x = x का 2% = \(\frac { x\times 2 }{ 100 } \) = 0.02x
घन का आयतन V = x3
\(\frac{dV}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) x3 = 3x2
dV = ( \(\frac{dV}{dx}\) ) ∆x = 3x2 × 0.02x = 0.06 x3 मी3
आयतन में सन्निकट परिवर्तन 0.06x3 मी3 है।

MP Board Class 12 Maths Important Questions

MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सच्चे उत्साही कहलाते हैं (2008)
(i) पलायनवादी
(ii) कायर
(iii) कर्म सौन्दर्य के उपासक
(iv) कर्म से विरक्त।
उत्तर:
(iii) कर्म सौन्दर्य के उपासक

प्रश्न 2.
साहसपूर्ण आनन्द की उमंग का नाम है- (2008)
(i) भय
(ii) क्रोध
(iii) उत्साह
(iv) घृणा।
उत्तर:
(iii) उत्साही

प्रश्न 3.
शिरीष फूलता है
(i) शरद ऋतु में
(ii) वर्षा ऋतु में
(iii) जेठ मास में
(iv) बसंत में।
उत्तर:
(ii) जेठ मास में

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
आजादी की लड़ाई में बड़े घर से आशय था (2009)
(i) महल
(ii) जेलखाना
(iii) बहुत बड़ी हवेली
(iv) विशाल मकान।
उत्तर:
(ii) जेलखाना

प्रश्न 5.
स्नेहबन्ध कहानी में सास का हृदय परिवर्तन होता है (2008)
(i) मीता की सम्पन्नता देखकर
(ii) मीता का सौन्दर्य देखकर
(iii) मीता की सामाजिक प्रतिष्ठा देखकर,
(iv) मीता की सेवा सुश्रूषा तथा कर्त्तव्य भावना देखकर।
उत्तर:
(iv) मीता की सेवा सुश्रूषा तथा कर्त्तव्य भावना देखकर।

प्रश्न 6.
स्नेहबन्ध कहानी में किया गया है (2008)
(i) सास-बहू की अनबन का चित्रण
(ii) सास-बहू के सम्बन्धों का मर्मस्पर्शी चित्रण
(iii) सास-बहू के अस्तित्व का चित्रण,
(iv) सास-बहू के बीच श्रेष्ठता का चित्रण।
उत्तर:
(ii) सास-बहू के सम्बन्धों का मर्मस्पर्शी चित्रण

प्रश्न 7.
‘मर्यादा’ एकांकी में निहित है (2009, 13)
(i) पारिवारिक आदर्श
(ii) सामाजिक आदर्श
(iii) धार्मिक आदर्श
(iv) ऐतिहासिक आदर्श।
उत्तर:
(i) पारिवारिक आदर्श

प्रश्न 8.
‘जननी जन्मभूमिश्च’ निबन्ध में मिश्रजी ने मातृभूमि का महत्व बताया है (2012)
(i) कल्पना के द्वारा
(ii) ऐतिहासिक प्रसंगों के द्वारा
(ii) परम्पराओं के द्वारा
(iv) नकल के द्वारा।
उत्तर:
(ii) ऐतिहासिक प्रसंगों के द्वारा

प्रश्न 9.
जननी जन्मभूमिश्च में लेखक ने जन्मभूमि को निरूपित किया है- (2008)
(i) स्वर्ग के समान
(ii) स्वर्ग से भी श्रेष्ठ
(iii) सबसे सुन्दर
(iv) सबसे महत्त्वपूर्ण।
उत्तर:
(ii) स्वर्ग से भी श्रेष्ठ

प्रश्न 10.
सतपुड़ा पर्वत की सबसे ऊँची चोटी है (2008)
(i) एवरेस्ट
(ii) माउण्ट आबू
(ii) कारगिल
(iv) धूपगढ़।
उत्तर:
(iv) धूपगढ़।

प्रश्न 11.
धूपगढ़ स्थित है (2010, 15)
(i) पचमढ़ी
(ii) भोजपुर
(iii) साँची
(iv) रायगढ़।
उत्तर:
(i) पचमढ़ी

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प्रश्न 12.
नीरा के पिता को पढ़ने का शौक था (2008, 11,14)
(i) अखबार
(ii) पत्रिका
(iii) पत्र
(iv) उपन्यास।
उत्तर:
(i) अखबार

प्रश्न 13.
अवतार का अर्थ है
(i) जीवमात्र
(ii) विशिष्ट पुरुष
(iii) सामान्यजन
(iv) भगवान।
उत्तर:
(ii) विशिष्ट पुरुष

प्रश्न 14.
भोलाराम का जीव ढूँढ़ने धरती पर कौन गया? (2013)
(i) बच्चे
(ii) यमदूत
(iii) स्त्री
(iv) नारद।
उत्तर:
(iv) नारद।

प्रश्न 15.
संयुक्त परिवार की नींव है (2016)
(i) सद्भावना और त्याग
(ii) भाईचारा
(iii) सूझ-बूझ से
(iv) इन सबके सामंजस्य से।
उत्तर:
(iv) इन सबके सामंजस्य से।

प्रश्न 16.
कोणार्क मंदिर किस देवता से सम्बन्धित है? (2017)
(i) सूर्य
(1) चन्द्रमा
(ii) श्रीराम
(iv) श्रीकृष्ण।
उत्तर:
(i) सूर्य

प्रश्न 17.
शंकर की माताजी का नाम था
(i) उभय भारती
(ii) आर्यम्बा
(iii) अहिल्या
(iv) आत्री।
उत्तर:
(ii) आर्यम्बा

प्रश्न 18.
शंकराचार्य ने किस मत का प्रचार किया?
(i) अद्वैत
(ii) सनातन
(iii) द्वैत
(iv) हिन्दू।
उत्तर:
(i) अद्वैत

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रिक्त स्थान पूर्ति

  1. उत्साह के बीच …………. संचरण होता है। (2009)
  2. शिरीष अपना पोषण …………. से प्राप्त करता है। (2009)
  3. सतपुड़ा पर्वत की सबसे ऊँची चोटी………… है। (2014)
  4. धूपगढ़ ………… में स्थित है। (2008, 09)
  5. महादेवी वर्मा ने पहली पुस्तक ………… पढ़ी थी। (2009)
  6. नीरा के पिता कुली बनकर ……….. गये थे। (2008, 09)
  7. कोणार्क मन्दिर …………. देवता से सम्बन्धित है। (2008)
  8. कोणार्क के मन्दिर में कलश की स्थापना ………. के सहयोग से सम्भव हो सकी। (2008)
  9. सुमन जगदीश के घर …………. सुनने के लिए आई थी। (2010)
  10. भोलाराम ने दरख्वास्तों पर …………. नहीं रखा था।
  11. यमदूत को चकमा ………… के जीव ने दिया था। (2016)
  12. शिरीष की तुलना ……….. से की गई है। (2011)
  13. शिरीष …………. के आगमन से फूलना प्रारम्भ हो जाता है। (2013, 17)
  14. ‘नीरा’ एक …………. है। (2013)
  15. ‘गंगा और गंगा के कछार को मेरा सलाम कहें’ कथन ………. है। (2012)
  16. शंकर के गुरु …………. थे।
  17. भारत की आत्मा …………. में निवास करती है।

उत्तर:

  1. साहस का
  2. वायुमण्डल
  3. धूपगढ़
  4. पचमढ़ी
  5. पंचतन्त्र
  6. मॉरीशस,
  7. सूर्य
  8. धर्मपद
  9. रामायण
  10. वजन
  11. भोलाराम
  12. अवधूत
  13. बसन्त ऋतु
  14. कहानी
  15. परदेशी का
  16. गोविन्दपाद
  17. वाराणसी।

सत्य / असत्य

  1. उत्साह की गिनती दुर्गुण में होती है। (2011)
  2. अवधूतों के मुख से संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं। (2009)
  3. फूल की अभिलाषा देवताओं पर चढ़ाए जाने की होती है।
  4. नीरा के पिता को गीता पढ़ने का शौक था। (2015)
  5. नीरा के पिता को अपनी बेटी के भविष्य की चिन्ता थी। (2009)
  6. ‘स्नेहबंध’ कहानी में नारी हृदय के परिवर्तन का स्वाभाविक अंकन हुआ है। (2013)
  7. ‘मेरे बचपन के दिन’ रेखाचित्र विधा से सम्बन्धित है। (2009)
  8. भोलाराम का जीव पेंशन की दरख्वास्तों में अटका था। (2009)
  9. कला के सम्बन्ध में आचार्य विशु और धर्मपद के विचारों में अन्तर है। (2008)
  10. भोलाराम हृदयगति रुकने के कारण मरा। (2009)
  11. भोलाराम का जीव ढूँढ़ने के लिए धरती पर यमराज आये। (2017)
  12. श्रीमती मालती जोशी सुप्रसिद्ध आलोचक हैं। (2012)
  13. संयुक्त परिवार की नींव धन पर आधारित होती है। (2012, 14)
  14. ‘जननी जन्मभूमिश्च’ निबन्ध में लेखक ने स्वर्ग को श्रेष्ठ माना है। (2013)
  15. सतपुड़ा की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट है। (2013)
  16. धूपगढ़ पचमढ़ी पर स्थित है। (2016)
  17. शंकर के गुरु गौड़पादाचार्य थे।
  18. शंकर ने शास्त्रार्थ में मंडन मिश्र और उनकी विदुषी पत्नी उभय भारती को पराजित किया था।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. सत्य
  6. सत्य
  7. असत्य
  8. सत्य
  9. सत्य
  10. असत्य
  11. असत्य
  12. असत्य
  13. असत्य
  14. असत्य
  15. असत्य
  16. सत्य
  17. असत्य
  18. सत्य।

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जोड़ी मिलाइए

I.
MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न img-1
उत्तर:
1. → (ङ)
2. → (क)
3. → (घ)
4. → (ग)
5. → (ख)
6. → (च)।

II.
MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न img-2
1. → (ख)
2. → (क)
3. → (घ)
4. → (ग)
5. → (च)
6. → (ङ)।

एक शब्द / वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
उत्साह के बीच किसका संचरण होता है?
उत्तर:
धृति और साहस का

प्रश्न 2.
जननी और जन्मभूमि किससे अधिक श्रेष्ठ हैं? (2009, 15)
उत्तर:
स्वर्ग से

प्रश्न 3.
माँ का दूध कैसा होता है?
उत्तर:
अनमोल

प्रश्न 4.
यमदूत को किसने चकमा दिया था? (2014)
भोलाराम के जीव ने

प्रश्न 5.
महादेवी वर्मा अपने जेब खर्च के पैसे क्यों बचाती थीं?
उत्तर:
देश के लिए

प्रश्न 6.
धर्मपद कौन था? (2009)
उत्तर:
आशुशिल्पी युवक

प्रश्न 7.
साँझ की आँखों में करुणा किस रूप में प्रकट होती है?
उत्तर:
ओस कणों के रूप में

प्रश्न 8.
नीरा की माँ का क्या नाम था? (2017)
उत्तर:
कुलसम

प्रश्न 9.
विदेश न जाने के पीछे मीता का क्या भाव था? (2009)
उत्तर:
खर्च बचाना

प्रश्न 10.
‘मर्यादा’ एकांकी में परिवार की किस व्यवस्था का समर्थन हुआ है?
उत्तर:
संयुक्त परिवार

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प्रश्न 11.
गीता का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
आत्मार्थी को आत्मदर्शन का एक अद्वितीय उपाय बताना

प्रश्न 12.
कोणार्क मन्दिर कहाँ स्थित है? (2012)
उत्तर:
उड़ीसा प्रान्त में पुरी के निकट समुद्र तट पर

प्रश्न 13.
‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ किस विधा में लिखा गया है? (2012)
उत्तर:
संस्मरण

प्रश्न 14.
शिरीष अपना पोषण रस किससे खींचता है? (2013)
उत्तर:
वायुमण्डल से

प्रश्न 15.
शंकर ने किस नाम से पाँच श्लोकों की रचना की?
उत्तर:
मनीषपंचक

प्रश्न 16.
अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए अन्त में शंकराचार्य कहाँ पहुँचे?
उत्तर:
केदारनाथ

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MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions पद्य Chapter 3 प्रेम और सौन्दर्य

MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions पद्य Chapter 3 प्रेम और सौन्दर्य

प्रेम और सौन्दर्य अभ्यास

प्रेम और सौन्दर्य अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
पदमाकर की गोपियों को सुबह-शाम और घर-बाहर अच्छा क्यों नहीं लगता है?
उत्तर:
पद्माकर की गोपियों को सुबह-शाम और घर-बाहर अच्छा नहीं लगता क्योंकि उनका मन श्रीकृष्ण से लग गया है। अत: उनके बिना गोपियों को संसार की कोई भी वस्तु अच्छी नहीं लगती है।

प्रश्न 3.
गोप-सुता पार्वती माँ से क्या वरदान माँगती है? (2016)
उत्तर:
गोप-सुता पार्वती माँ से यह वरदान माँगती है कि उसे सुन्दर, साँवला नन्दकुमार (अर्थात् कृष्ण) वर के रूप में चाहिए।

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प्रश्न 4.
“वा मुख की मधुराई कहाँ-कहौ ?” में मतिराम ने किस मुख की ओर संकेत किया है?
उत्तर:
उक्त पद में मतिराम ने श्रीकृष्ण के सुन्दर मुख की ओर संकेत किया है।

प्रश्न 5.
श्रीकृष्ण के मुकुट में कौन-सी वस्तु लगी है?
उत्तर:
श्रीकृष्ण के मुकुट में मोर का पंख लगा हुआ है।

प्रेम और सौन्दर्य लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गोपियों पर श्रीकृष्ण की वंशी का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
गोपियाँ श्रीकृष्ण की वंशी के मधुर स्वर को सुनकर अपनी सुध-बुध को भूल गयीं उन्हें अपने बूंघट का भी ध्यान न रहा। वे न तो घाट की रहीं और न अपने घर की।

प्रश्न 2.
‘मान रहोई नहीं मनमोहन मानिनी होय सो मानै मनायो’ का आशय स्पष्ट कीजिए। (2014)
उत्तर:
आशय- यहाँ पर पूर्ण समर्पित रूठी हुई नायिका नायक श्रीकृष्ण के देर से आने पर उन्हें उपालम्भ देती हुई कहती है कि उन्हें कसमें खाने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह तो कभी कोई अपराध नहीं करते। उसे तो कोई मानगुमान नहीं है। जो कोई मानिनी हो उसे मनाया जाए, वह तो मानिनी नहीं है। उसका तो मान रह ही नहीं गया इसलिए उसे मनाने की क्या आवश्यकता है।

प्रश्न 3.
मतिराम के शब्दों में श्रीकृष्ण की छवि का मोहक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मतिराम ने श्रीकृष्ण के रंग को सोने से भी अधिक सुन्दर बताया है। उनके मुकुट में मोर का पंख है। गले में सुन्दर माला है। कानों में गोल कुण्डल पहने हैं। जब कुण्डल हिलते हैं तो कृष्ण के गालों की सुन्दरता बढ़ जाती है। उनके नेत्र लाल रंग के हैं। वे सदैव मुस्कराते हैं। अतः हमारे नेत्रों को प्रिय लगते हैं।

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प्रेम और सौन्दर्य दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गोपिका श्रीकृष्ण की छवि को नेत्रों से बाहर निकालने में क्यों असमर्थ है? (2009)
उत्तर:
गोपिका श्रीकृष्ण की छवि को नेत्रों से बाहर निकालने में इसलिए असमर्थ है, क्योंकि गोपिका के नेत्रों में गुलाल व नन्दलाल दोनों ही समाए हुए हैं। मैं तो जल द्वारा नेत्रों को धो-धोकर परेशान हो गयी हूँ। मैं कहाँ जाऊँ और किस प्रकार का प्रयास करूं, क्योंकि आँखें बार-बार धोने से मेरी पीड़ा बढ़ रही है। अतः इस कृष्ण को जो कि मेरे नेत्रों में समा गया है, उसे निकालना मेरी सामर्थ्य के परे हैं।

प्रश्न 2.
‘को बिन मोल बिकात नहीं कवि ने ऐसा क्यों कहा है? समझाइए। (2009)
उत्तर:
मतिराम कवि ने श्रीकृष्ण के अनुपम सौन्दर्य का वर्णन किया है। उन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि कृष्ण का रूप मन को प्रसन्न करने वाला है। श्रीकृष्ण का सुन्दर रूप नेत्रों में बस गया है। कुछ वस्तुएँ तो बिकाऊ होती हैं और व्यक्ति उन वस्तुओं का मूल्य चुकाकर उन्हें खरीद सकता है, लेकिन कृष्ण का यह अद्भुत सौन्दर्य बिना मूल्य का है। इसको कभी भी बेचा नहीं जा सकता है, लेकिन फिर भी यह मूल्यवान है। ईश्वर का कोई मूल्य नहीं है। वह तो अनमोल है। इस प्रकार कवि ने ईश्वर की महिमा का वर्णन किया है।

प्रश्न 3.
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) कुन्दन को रंग फीको लागै झलकै अति अंगन चारु गुराई।
उत्तर:
आशय-नायिका गौर वर्ण की है। उसका सौन्दर्य अभूतपूर्व है। उसके सौन्दर्य के समक्ष सोना भी तुच्छ प्रतीत होता है। अंग से झलकने वाली सुषमा मन को मोहित करने वाली है।

(ख) एक पग भीतर औ एक देहरी पै धरै।
एक कर कंज, एक कर है किबार पर।।
उत्तर:
आशय-नायिका नायक के लिए प्रतीक्षारत है। वह अपनी सुध-बुध भूलकर नायक की प्रतीक्षा में व्याकुल है। उसका एक पैर घर के भीतर है, दूसरा दरवाजे पर है। उसके एक हाथ में कमल का पुष्प है और दूसरा हाथ किवाड़ पर रखे हुए वह विरह में विदग्धा नायिका खड़ी हुई है।

(ग) नेह सरसावन में मेह बरसावन में,
सावन में झूलियों सुहावनो लगत है।
उत्तर:
आशय-यहाँ नायिका सावन में झूला झूलने के आनन्द का वर्णन करती हुई कहती है कि हृदय में प्रेम रस हिलोरे ले रहा है, मेघ बरस रहे हैं। ऐसे में हे सखी ! झूला झूलना अत्यन्त सुखकर प्रतीत होता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्यांश की प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
(अ) कैसी करो कहाँ जाऊँ कासौं कहौं कौन सुने,
कोउ तौ निकासौ जाते दरद बढ़े नहीं।
एरी मेरी वीर ! जैसे तैसे इन आँखिन तें
कढ़िगो अबीर पै अहीर तो कढ़े नहीं।
(आ) कुन्दन को रंग फीको लागै, छलके अति अंगन चारु गुराई,
आँखिन में अलसनि चितौन में मंजु विलासन की सरसाई।
को बिन मोल बिकात नहीं, मतिराम लहै मुसकानि मिठाई,
ज्यौं-ज्यौं निहारिए नेरे कै नैनहिं, त्यों-त्यौं खरी निकरै सी निकाई।।
उत्तर:
(अ) सन्दर्भ :
प्रस्तुत छन्द हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘प्रेम और सौन्दर्य’ पाठ के ‘पद्माकर के छन्द’ शीर्षक से अवतरित हैं। इसके रचयिता पद्माकर हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्य में गोपियों एवं श्रीकृष्ण के फाग (होली) खेलने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या :
फाग खेलते समय गुलाल उड़ रहा है। इसके फलस्वरूप श्रीकृष्ण एवं गुलाल चारों ओर धूम मचा रहे हैं। नेत्रों में जो आनन्द भर गया है। वह समा नहीं रहा है। गोपी कह रही है कि हे सखी ! तुम्हारी शपथ खाकर कहती हूँ कि आँखों को धो-धोकर हार गई और अब तो कोई उपाय शेष नहीं बचा है। अब मैं अपनी व्यथा को कैसे दूर करूँ, किस स्थान पर जाऊँ, किससे कहूँ, कोई सुनने वाला भी नहीं है। अब कोई तो मेरी आँखों से इसे निकाले जिससे दर्द नहीं बढ़े। हे मेरी सखी ! मैंने यत्न करके किसी प्रकार आँखों से गुलाल को तो निकाल लिया किन्तु जो आँखों में बसा हुआ अहीर अर्थात् श्रीकृष्ण है वह किसी भाँति नहीं निकल रहा।

(आ) सन्दर्भ :
प्रस्तुत पद्य ‘प्रेम और सौन्दर्य’ पाठ के ‘मतिराम के छन्द’ शीर्षक से उद्धत है। इसके रचयिता मतिराम हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद में कवि ने नायिका के शारीरिक सौष्ठव का वर्णन किया है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि नायिका के अंग-अंग में झलकने वाले सौन्दर्य के आगे स्वर्ण (सोने) की छवि भी फीकी लगती है। उसके नेत्र अलसाए हुए हैं और उसकी चितवन में मधुर विलास का सौन्दर्य है। मतिराम कहते हैं कि उसकी मुस्कान इतनी मधुर है कि देखने वाला ऐसा कौन है जो बिना मोल नहीं बिक जाता है अर्थात् जो उसके सौन्दर्य को देखता है वही मोहित हो जाता है। जैसे-जैसे निकट जाकर उसके नेत्रों को निहारो वैसे-वैसे ही उसकी सुन्दरता और अधिक बढ़ती जाती है।

प्रेम और सौन्दर्य काव्य सौन्दर्य

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए
मोल, नेरे, मूरति, सनेह, घरी, देहरी, किबार, सौंह, घूघट।
उत्तर:
तत्सम शब्द-मूल्य, निकट, मूर्ति, स्नेह, घड़ी, देहली, किबाड़, सौं, चूंघट।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार, उनके सामने दिए गए विकल्पों में से छाँटकर लिखिए
(अ) घट की न औघट की, घाट की न घर की। (यमक, श्लेष, अनुमास)
उत्तर:
अनुप्रास।

(आ) छाजत छबीले छिति छहरि हरा के छोर। (अनुप्रास, यमक, श्लेष)
उत्तर:
अनुप्रास।

(इ) ज्यों-ज्यों निहारिए नेरे डै नैनहिं। त्यों-त्यों खरी निकरै सी निकाई। (उपमा, पुनरुक्ति, रूपक)
उत्तर:
पुनरुक्ति।

(ई) एक घरी घन से तन सौं, अँखियान घनो घनसार सौ दैगो। (उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा)
उत्तर:
उपमा।

प्रश्न 3.
काव्य में भाव-सौन्दर्य और शब्द विन्यास का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध रहता है, एक के बिना दूसरे की कल्पना करना कठिन हो जाता है। ऐसे स्थल मतिराम जैसे कवियों की रचनाओं में कलात्मक उपलब्धि की दृष्टि से बहुत श्रेष्ठ बन पड़े हैं। ऐसा ही भाव सौन्दर्य और शब्द सौन्दर्य का उदाहरण देखिए-
“मान रहोई नहीं मनमोहन मानिनी होय सो मनायो।”
इस प्रकार के अन्य उदाहरण इस संकलन से चुनकर लिखिए।
उत्तर:
(1) को बिन मोल बिकात नहीं मतिराम लहै मुसकानि मिठाई।
(2) काहे को सौंहे हजार करौ, तुम तो कबहूँ अपराध न ठायो।
सोवन दीजै, न दीजै हमें दु:ख, यों ही कहा रसवाद बढ़ायो।।
(3) लाल विलोचनि कौलनि सौं मुसकाइ इतै अरुझाइ चितैगो।
एक घरी घन से तन सौं अँखियान घनो घनसार सो दैगो।
(4) वा मुख की मधुराई कहा कहाँ ? मीठी लगै अँखियान लुनाई।

प्रश्न 4.
पद्माकर के संकलित छन्दों में से रूप घनाक्षरी छन्द को पहचानकर लिखिए।
उत्तर:
लक्षण-वर्ण संख्या 32 चरण के अन्त में गुरु और लघु (51) तथा यति 16, 16 पद।
भौरन को गुंजन विहार वन कुंजन में,
मंजुल मलहारन को गावनो लगत है।
कहैं ‘पद्माकर’ गुमान हूँ ते मानहूँ ते
प्राण हूँ नैं प्यारो मनभावनो लगत है।
भौरन कौ सोर घनघोर चहुँ ओर न।
हिंडोरन को वृन्द छवि छावनो लगत है।
नेह सरसावन में मेह बरसावन में,
सावन में झूलियों सुहावनो लगत है।।

पद्माकर के छन्द भाव सारांश

प्रस्तुत पदों में पद्माकर ने श्रीकृष्ण और राधा को प्रेमी-प्रेमिका के रूप में चित्रित करके उनकी शृंगारिक चेष्टाओं का हृदयस्पर्शी वर्णन किया है। यहाँ बताया गया है कि श्रीकृष्ण फाग खेलते हैं, राधा वह दृश्य देखती हैं। फाग का अबीर तो झड़ जाता है किन्तु कृष्ण की छवि आँखों से धोए नहीं धुलती। मोहन की बाँसुरी सुनकर राधा सुध-बुध खो बैठती है। सावन के झूलों में राधा-कृष्ण का प्रेम विकसित होता है। पद्माकर ने राधा-कृष्ण के प्रेम की दशा का अत्यन्त मनोवैज्ञानिक, सूक्ष्म और हृदयग्राही चित्र प्रस्तुत किया है।

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पद्माकर के छन्द संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

[1] एकै संग धाय नन्दलाल औ गुलाल दोऊ।
दृगनि गए जुभरि आनन्द मढ़े नहीं।
धो-धोइ हारी पद्माकर, तिहारी सौं।
अब तो उपाय एकौ चित पै चट्टै नहीं।
कैसी करो कहाँ जाऊँ, कासौ कहौं कौन सुने।
कोऊ तो निकासौ जासौ दरद बढ़े नहीं॥
ऐरी मेरी वीर ! जैसे तैसे इन आँखनि तें।
कढिगो अबीर पै अहीर तो कट्टै नहीं। (2010, 13)

शब्दार्थ :
संग = साथ; धाय = दौड़कर; गुलाल = अबीर; दोऊ = दोनों; दुगनि = नेत्रों में, आँखों में; तिहारी = तुम्हारी; कासौ = किससे; कोऊ = कोई; निकासौ = निकाले; जासौ = जिससे; दरद = पीड़ा; कढ़िगो = निकलेगा।

सन्दर्भ :
प्रस्तुत छन्द हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘प्रेम और सौन्दर्य’ पाठ के ‘पद्माकर के छन्द’ शीर्षक से अवतरित हैं। इसके रचयिता पद्माकर हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्य में गोपियों एवं श्रीकृष्ण के फाग (होली) खेलने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या :
फाग खेलते समय गुलाल उड़ रहा है। इसके फलस्वरूप श्रीकृष्ण एवं गुलाल चारों ओर धूम मचा रहे हैं। नेत्रों में जो आनन्द भर गया है। वह समा नहीं रहा है। गोपी कह रही है कि हे सखी ! तुम्हारी शपथ खाकर कहती हूँ कि आँखों को धो-धोकर हार गई और अब तो कोई उपाय शेष नहीं बचा है। अब मैं अपनी व्यथा को कैसे दूर करूँ, किस स्थान पर जाऊँ, किससे कहूँ, कोई सुनने वाला भी नहीं है। अब कोई तो मेरी आँखों से इसे निकाले जिससे दर्द नहीं बढ़े। हे मेरी सखी ! मैंने यत्न करके किसी प्रकार आँखों से गुलाल को तो निकाल लिया किन्तु जो आँखों में बसा हुआ अहीर अर्थात् श्रीकृष्ण है वह किसी भाँति नहीं निकल रहा।

काव्य सौन्दर्य :

  1. शृंगार रस, ब्रजभाषा, माधुर्य गुण, सरस और ललित शब्दावली का प्रयोग।
  2. कैसी करो-पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है।

[2] आई संग आलिन के ननद पठाई नीठि।
सोहति सुहाई सीस ईडुरी सुघट की।
कहै पद्माकर गम्भीर, जमुना के तीर।
नीर लागी भरन नवेली नेह अरकी।
ताही समै मोहन सु बाँसुरी बजाई।
तामै मधुर मलार गाई ओर बंसीवट की।
तल लगि लटकी रहीं न सुधि पूंघट की।
घट की न औघट की घाट की न घर की।

शब्दार्थ :
आलिन = सखियों; सोहति = सुन्दर लगती है, सुशोभित होती है; सीस= सिर; ईडुरी= सिर पर रखने की; नीर = जल; नवेली = नई; नेह = स्नेह; ताही = उस; समै = समय, तामै = उसमें; मलार = गीत; सुधि = याद, स्मृति।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ पर कवि ने यमुना तट पर पानी भरने आई गोपिका की कृष्ण की बाँसुरी सुनने के बाद हुई मनोदशा का वर्णन किया है।

व्याख्या :
हे सखी ! मैं सखियों के साथ पनघट पर आई हूँ, मुझे मेरी ननद ने समझा-बुझाकर भेजा है। सिर पर घट रखने की ईडुरी शोभित हो रही है। पद्माकर कहते हैं कि गहरी यमुना के किनारे नई नवेली नवयुवती पानी भरने लगी उसका हृदय कृष्ण के प्रेम से भरा हुआ था। उसी समय श्रीकृष्ण ने मधुर स्वरों में बाँसुरी बजाई। उन्होंने वंशीवट की ओर मुँह करके मधुर मल्हार गाना शुरू किया। तब वह गोपी जैसी स्थिति में थी वैसी ही रह गई। उसने अपने घूघट को भी नहीं सम्भाला, न तो उसे घट भरने की सुध रही, न ही घाट की और न घर का ही ज्ञान रह गया। वह तो बंशी की धुन में मग्न हो गयी।

काव्य सौन्दर्य :

  1. शृंगार रस, माधुर्य गुण, ब्रजभाषा।
  2. सोहति सुहाइ………..और घट की न और घर की…………पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार है।
  3. कोमलकान्त पदावली का प्रयोग है।

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[3] भौरन को गुंजन विहार वन कुंजन में।
मंजुल मलहारन को गावनो लगत हैं।
कहै पद्माकर गुमान हूँ तो मानहुँ ते।
प्राण हूँ मैं प्यारो मन भावनों लगत है।
भोरन को सोर घनघोर चहुँ ओरन।
हिंडोरन को वृन्द छवि छावनो लगत है।
नेह सरसावन में मेह बरसावन में।
सावन में झूलियों सुहावनो लगत है।।

शब्दार्थ :
भौरन = भँवरे; गुंजन = आवाज; विहार = विचरण करना; वन कुंजन = उपवन में; मंजुल = सुन्दर; मलहारन = एक प्रकार के गीत; गावनो = गाते हैं; मन भावनों = मन को अच्छा लगने वाला; भोरन = प्रातः; सोर = शोर, कोलाहल; चहुँ = चारों; ओरन = ओर; हिंडोरन = झूले वृन्द= समूह; मेह= वर्षा; सावन = एक माह का नाम; सुहावनो लगतं = सुन्दर लगना, अच्छा लगना।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग:
यहाँ पर कवि ने सावन के माह में गोपियों के झूला झूलने का चित्रण किया है।

व्याख्या :
गोपियाँ कहती हैं कि भौरों का गूंजना, कुञ्जवनों में विहार करना, सुन्दर मधुर मल्हारों को गाना अच्छा लगता है। पद्माकर कहते हैं कि अपने स्वाभिमान अथवा मान-सम्मान की अपेक्षा मनभावन कृष्ण प्यारा लगता है जो प्राणों से भी प्यारा है। भ्रमरों का गुंजन और बादलों का घनघोर गर्जन है। ऐसे मनमोहक वातावरण में झूलों के समूह अत्यधिक सुन्दर प्रतीत हो रहे हैं। सावन के महीने में जबकि स्नेह की वर्षा हो रही हो और मेघों की वर्षा हो रही है, ऐसे समय में झूला-झूलना अत्यन्त सुखकर लगता है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. शृंगार रस, माधुर्य गुण, ब्रजभाषा कोमलकान्त पदावली।
  2. मंजुल मलहारन में अनुप्रास अलंकार है।
  3. प्रिय की मनोदशा का मनोवैज्ञानिक चित्रण है।

[4] घर न सुहात न सुहात वन बाहिर है।
बागन सुहात जो खुसाल सुख बोही सों।
कहै पद्माकर घनेरे धन धाम त्यौं ही।
चैन न सुहात चाँदनी हूँ जोग जोही सों।
साँझ हूँ सुहात न सुहात दिन माँझ कछु।
ब्याही यह बात सो बखानत हो तोही सों।
साँझ हूँ सुहात न सुहात परभात आली।
जब मन लागि जात काई निरमोही सौं।।

शब्दार्थ :
सुहात = अच्छा; बागन = बगीचा; खुसाल = प्रसन्न; सुख बोही = प्रसन्नता से सराबोर; धन = सम्पत्ति; धाम = घर; जोग = योग; बखानत = वर्णन करना; तोही = तुझसे; परभात = प्रातः, आली = सखि; काई = कोई; निरमोही = निष्ठुर।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ पर कवि ने बताया है कि श्रीकृष्ण के प्रेम में गोपियाँ आकण्ठ निमग्न हैं। उनकी मनोदशा इस प्रकार है।

व्याख्या :
गोपियाँ कहती हैं कि श्रीकृष्ण के प्रेम के समक्ष उन्हें न घर, न बाहर, कहीं अच्छा नहीं लगता है। जो बाग पहले प्रसन्नता देते थे जिनमें बहुत सुख प्राप्त होता था वह अब नहीं मिलता। पद्माकर कहते हैं कि इसी प्रकार न तो धन सुहाता है और न आलीशान महल ही सुहाते हैं। चाँदनी में भी सुख का अनुभव नहीं होता है। न संध्या काल रुचिकर लगता है और न दिन अच्छा लगता है। हे सखी ! यह बात मैं तुझसे ही कहती हूँ कि न साँझ सुहाती है, न प्रभात सुहाता है जब मन किसी निष्ठुर से लग जाता है अर्थात् मेरा मन उस निष्ठुर श्रीकृष्ण से लग गया है। अब उसके बिना मुझे संसार की कोई वस्तु अच्छी नहीं लगती है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. शृंगार रस है। माधुर्य गुण तथा ब्रजभाषा के ललित शब्दों का प्रयोग है।
  2. साँझ हूँ सुहात न पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है।
  3. विरह की मनोदशा का मनोवैज्ञानिक चित्रण है।

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[5] “आरस सो आरत सम्हारत न सीस-पट,
गजब गुजारति गरीवन की धार पर।
कहें पद्माकर सुरासो सरसार तैसे,
बिथुरि बिराजै बार हीरन के हार पर।
छाजत छबीले छिति छहरि हरा के छोर,
भोर उठि आई केलि-मन्दिर के द्वार पर।
एक पग भीतर औ एक देहरी पै धरै,
एक कर कंज, एक कर है किबार पर।।”

शब्दार्थ :
आरस = आलस्य; आरत = आर्त्त; सीस = सिर; पट = वस्त्र; बिथुरि = बिखरा हुआ; गजब = अनोखा, अद्भुत; गुजारति = व्यतीत करती; हीरन = हीरा एक रत्न; हार = माला, छिति = भूमि; भोर = प्रात:काल; केलि = क्रीड़ा; पग = पाँव; देहरी = देहली; कर = हाथ; किबार = किबाड़।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्। प्रसंग-यहाँ कवि ने नायिका की विरह अवस्था का वर्णन किया है।

व्याख्या :
नायिका नायक के विरह में इतनी व्यग्र है कि उसे अपने तन की सुध-बुध नहीं रही है। दुःख के कारण निढाल हुई नायिका अपने शीश के वस्त्र को नहीं सम्भाल पा रही है। वह बेचारी अपने समय को अत्यन्त दुःखावस्था में व्यतीत करती है। पद्माकर कहते हैं कि नायिका जैसे मद्य के रस में डूबी हुई हो। उसे अपने शरीर का होश नहीं रहा है। उसके बाल बिखरे हुए हैं और हीरे के हार पर अस्त-व्यस्त से पड़े हुए हैं। उसके बाल पृथ्वी के छोर तक पहुंच रहे हैं। वह प्रातः होते ही अपने क्रीड़ा-मन्दिर के द्वार पर आकर खड़ी हो गई है। उसका एक पैर घर के भीतर है और एक देहली पर रखा हुआ है। उसके एक हाथ में कमल का फूल है और दूसरा हाथ उसने किबाड़ पर रखा हुआ है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. प्रस्तुत पद्य में प्रोषितपतिका नायिका की विदग्धावस्था का मार्मिक और मनोवैज्ञानिक चित्रण किया गया है।
  2. ब्रजभाषा है, माधुर्य गुण और शृंगार रस के विरह पक्ष की व्यंजना हुई है।
  3. आरस सो आरत, गजब गुजारति, गरीवन, सुरासो सरसार, बिथुरि बिराजै बार, छाजतछबीले, छिति-छहरि आदि में अनुप्रास अलंकार है।

मतिराम के छन्द भाव सारांश

प्रेम और शृंगार के वर्णन में मतिराम अद्वितीय हैं। उन्होंने अपने काव्य में राधा-कृष्ण के प्रेम, सौन्दर्य, शील, चेष्टाओं अनुरागमयी लीलाओं और परस्पर मान-मनुहार का हृदयग्राही चित्र प्रस्तुत किया है। नायक-नायिका के मिलन-वियोग का छवि ने सूक्ष्म और एकान्तिक चित्रण किया है।

मतिराम के छन्द संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

[1] कुन्दन को रंग फीको लागै, झलकै अति अंगन चारु गुराई।
आँखिन में अलसानि चितौन में मंजु बिलासन की सरसाई।।
को बिन मोल बिकात नहीं मतिराम लहै मुसकानि मिठाई।
ज्यों ज्यों निहारिए नेरे है नैनहि, त्यों त्यों खरी निकरै सी निकाई।। (2009, 17)

शब्दार्थ :
कुन्दन = सोना; फीकौ = रंगहीन, प्रभावहीन, कान्तिहीन; झलकै = कुछ आभास होना, दिखलाना; चारु = सुन्दर; गुराई = गोरापन; आँखिन = नेत्रों में; अलसानि = आलस्य होना; चितौन = चितवन, मंजु = सुन्दर; बिलासन = शोभा देना, योग देना; सरसाई = सुन्दरता, शोभा; बिन = बिना; मोल = मूल्य; बिकात = बिक जाना होना; निहारिए = देखिए; नेरे = समीप; नैनहिं = नेत्रों को, निकाई = सुन्दरता, अच्छाई।

सन्दर्भ :
प्रस्तुत पद्य ‘प्रेम और सौन्दर्य’ पाठ के ‘मतिराम के छन्द’ शीर्षक से उद्धत है। इसके रचयिता मतिराम हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद में कवि ने नायिका के शारीरिक सौष्ठव का वर्णन किया है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि नायिका के अंग-अंग में झलकने वाले सौन्दर्य के आगे स्वर्ण (सोने) की छवि भी फीकी लगती है। उसके नेत्र अलसाए हुए हैं और उसकी चितवन में मधुर विलास का सौन्दर्य है। मतिराम कहते हैं कि उसकी मुस्कान इतनी मधुर है कि देखने वाला ऐसा कौन है जो बिना मोल नहीं बिक जाता है अर्थात् जो उसके सौन्दर्य को देखता है वही मोहित हो जाता है। जैसे-जैसे निकट जाकर उसके नेत्रों को निहारो वैसे-वैसे ही उसकी सुन्दरता और अधिक बढ़ती जाती है।

काव्य सौन्दर्य :

  1. शृंगार रस, माधुर्य गुण, ब्रजभाषा है।
  2. कुन्दन को रंग फीकौ लगै………में व्यतिरेक अलंकार है।
  3. आँखिन अलसान ज्यों-ज्यों, त्यों-त्यों में अनुप्रास अलंकार है।
  4. बिन मोल बिकात’ में लोकोक्ति का प्रयोग है।

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[2] कोऊ नहीं बरजै मतिराम रहो तितही जितही मन भायो।
काहे कौ सौहे हजार करो, तुम तो कबहूँ अपराध न ठायो।।
सोवन दीजै, न दीजै हमें दुःख, यों ही कहा रसवाद बढ़ायो।
मान रहोई नहीं मनमोहन मानिनी होय सो मानै मनायो।। (2009)

शब्दार्थ :
बरजै = मना करना, रोकना; मन भायो = मन को अच्छा लगना; कबहूँ = कभी; अपराध = अनुचित कार्य; सोवन = सोने का भाव; दीजै = देना; दुःख = अवसाद; मान = मर्यादा; मनमोहन = मन को अच्छा लगना; मानिनी = हठी।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ कवि ने मानिनी नायिका का वर्णन किया है जो श्रीकृष्ण को उपालम्भ दे रही है।

व्याख्या :
मतिराम कहते हैं कि नायिका नायक से कह रही है कि तुम्हें कोई भी नहीं रोक रहा है। तुम्हारी जहाँ इच्छा हो तुम वहीं निवास करो। तुम व्यर्थ में हजारों शपथ क्यों खा रहे हो ? तुमने तो कभी कोई अपराध ही नहीं किया है। आप हमें सोने दीजिए हमें कोई दु:ख मत पहुँचाइए। तुम व्यर्थ में ही प्रेम में विवाद क्यों बढ़ा रहे हो। हे मनमोहन ! जब हमने तुम्हारे प्रेम में समर्पण कर दिया है तो मान तो पहले ही नहीं रहा। ये तो कोई मानिनी हो उसे मनाया जाए। मैं कोई मानिनी नहीं हूँ।

काव्य सौन्दर्य :

  1. नायिका की नायक के प्रति खीझ का मनोवैज्ञानिक चित्रण है।
  2. मनमोहन मानिनी में अनुप्रास अलंकार है।
  3. वक्रोक्ति अलंकार का सुन्दर प्रयोग है।
  4. माधुर्य गुण, ब्रजभाषा में कोमलकान्त पदावली का प्रयोग किया है।

[3] मोर-पखा ‘मतिराम’ किरीट मनोहर मूरति सौ मन लैगो।
कुण्डल डोलनि, गोल कपोलनि बोल सनेह के बीज से बैगो।।
लाल बिलोचनि कौलनि सो मुसकाइ इतै अरुझाइ चितैगो।
एक घरी घन से तन सौं अँखियान घनो घनसार सो दैगो।।

शब्दार्थ :
किरीट = मुकुट; मनोहर = सुन्दर; कुण्डल = कान का आभूषण; डोलनि = हिलना; कपोलनि = गालों पर; सनेह = प्रेम; मुसकाइ = मुस्कराना; इतै = यहाँ, अरुझाइ = उलझाना; घरी = घड़ी; घन = मेघ; घनो = गहरा; तन = शरीर; अँखियान = आँखों से।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ नायिका का श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम का चित्रण है।

व्याख्या :
नायिका कहती है कि वह श्रीकृष्ण जिन के सिर पर मोरपंखी से युक्त मुकुट सुशोभित है, वह मनोहर मूर्ति वाले श्रीकृष्ण मेरा मन ले गये हैं। उनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं, गाल गोलाकार हैं। वे बोलकर मानो स्नेह के बीज बो गये हैं। लाल नेत्रों के विलास से मुस्कराकर वह मेरा चित्त अपने में उलझा गये हैं। एक घड़ी के मिलन से मेघ के सदृश आनन्द देकर वह मेरे नेत्रों को घनघोर वर्षा से पूर्ण कर गये हैं अर्थात् उसके विरह में मेरी आँखें निरन्तर बरसती रहती हैं।

काव्य सौन्दर्य :

  1. वियोग शृंगार का वर्णन है। नायिका की विरह व्यथा का भावपूर्ण चित्रण है।
  2. ब्रजभाषा सरल, सरस एवं मधुर पदावली से युक्त है।
  3. घनो घनसार …….. अनुप्रास अलंकार है।

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[4] मोर-पखा ‘मतिराम’ किरीट में कण्ठ बनी वनमाल सुहाई।
मोहन की मुसकानि मनोहर कुण्डल डोलनि मैं छवि छाई।।
लोचन लोल बिसाल बिलोकनि को न बिलोकि भयो बस माई।
वा मुख की मधुराई कहाँ कहौं? मीठी लगै अँखियान लुनाई।। (2008)

शब्दार्थ :
कण्ठ = गले; सुहाई = अच्छी लगी; मोहन = श्रीकृष्ण; मनोहर = सुन्दर; छवि = रूप; छाई = फैली; लोचन = नेत्र; बिसाल = बड़े; बिलोकनि = देखना; मुख = मुँह; वा = उस; मीठी = मधुर।

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MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 12 आदि शंकराचार्य

MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 12 आदि शंकराचार्य

आदि शंकराचार्य अभ्यास

आदि शंकराचार्य अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शंकर का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर:
शंकर का जन्म भारत के केरल प्रान्त में पूर्णा नदी के किनारे बसे एक छोटे से गाँव कालड़ी में हुआ था।

प्रश्न 2.
शंकर के माता-पिता का नाम बताइए।
उत्तर:
शंकर की माताजी का नाम ‘आर्यम्बा’ तथा पिताजी का नाम ‘शिवगुरु’ था।

प्रश्न 3.
ओंकारेश्वर में शंकर ने किससे दीक्षा ली?
उत्तर:
मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थस्थल ओंकारेश्वर में शंकर ने गौड़पादाचार्य के शिष्य गोविन्दपाद से दीक्षा ली।

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प्रश्न 4.
‘तत्वोपदेश’ नामक ग्रन्थ में किसके उपदेश संग्रहीत हैं?
उत्तर:
‘तत्वोपदेश’ नामक ग्रन्थ में शंकराचार्य द्वारा दीक्षा के समय मंडन मिश्र को दिये गये उपदेश संग्रहीत हैं।

प्रश्न 5.
शंकराचार्य और मण्डन मिश्र के बीच हुए शास्त्रार्थ का निर्णायक कौन था?
उत्तर:
शंकराचार्य और मण्डन मिश्र के बीच हुए शास्त्रार्थ का निर्णायक मंडन मिश्र की विदुषी पत्नी उभय भारती थीं।

आदि शंकराचार्य लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कनकधारा स्त्रोत किसके लिए और क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:
एक दिन गुरुकुल में अध्ययन के समय ब्रह्मचारी शंकर भिक्षा के लिए निकले। एक झोंपड़ी के सामने पहुँचकर जब उन्होंने भिक्षा की गुहार लगायी तो गृहिणी के पास ब्रह्मचारी को दान में देने के लिए घर में मात्र एक सूखा आंवला था। गृहिणी ने दीनतापूर्वक वह सूखा आंवला शंकर के भिक्षा पात्र में रख दिया। भिक्षा पाकर शंकर को उस घर की दयनीय अवस्था का ज्ञान हो गया। उन्होंने धन और सम्पत्ति की अधिष्ठात्री देवी माँ महालक्ष्मी से प्रार्थना की। लक्ष्मीजी शंकर की स्तुति से प्रसन्न हुईं। कहा जाता है कि आकाश से सोने के आंवलों की वर्षा होने लगी। वह स्तुति कनकधारा स्त्रोत के रूप में प्रसिद्ध है।

प्रश्न 2.
शंकर को संन्यास ग्रहण करने की आज्ञा माँ से कब, किस स्थिति में प्राप्त हुई?
उत्तर:
एक दिन माँ के साथ स्नानादि के लिए शंकर पूर्णा नदी गये थे। माँ स्नान कर किनारे पर खड़ी थी कि उसने शंकर की चीख सुनी। माँ, ने देखा कि कमर तक पानी में डूबे शंकर को कोई अन्दर की ओर खींच रहा है। शंकर ने कहा माँ, मगर मुझे पानी में खींच रहा है, लगता है भगवान मुझे आपसे दूर कर रहे हैं। आप मुझे संन्यास ग्रहण करने की आज्ञा दें, संभव है मगर मेरा पैर छोड़ दे। तब माँ ने शंकर को संन्यास ग्रहण करने की आज्ञा दी।

प्रश्न 3.
अद्वैत का सार लिखिए।
उत्तर:
एक बार योगाचार्य गोविन्दपाद द्वारा शंकर से उसका परिचय पूछने पर शंकर ने उत्तर दिया-“मैं पृथ्वी नहीं हूँ, जल भी नहीं, तेज भी नहीं, न आकाश, न कोई इन्द्रिय अथवा उनका समूह भी। मैं तो इन सबसे अवशिष्ट केवल जो परम तत्व शिव है, वहीं हूँ।” वास्तव में यह मात्र शंकर का परिचय नहीं अपितु अद्वैत का सार ही है।

प्रश्न 4.
शंकर ने ‘मनीषपंचक’ नाम से विख्यात पाँच श्लोकों की रचना किन परिस्थितियों में की थी?
उत्तर:
वाराणसी में एक दिन शंकर से शंकराचार्य बन चुके शंकर अपने शिष्यों के साथ गंगा स्नान को जा रहे थे। अचानक एक चांडाल अपनी पत्नी व चार कुत्तों के साथ सामने से आ रहा था। उसे देखते ही शिष्यों ने उसे एक ओर हट जाने के लिए कहा, ताकि उसका किसी से स्पर्श न हो जाये। यह सुनकर चांडाल सपरिवार वहीं खड़ा हो गया। उसने पूछा-महात्मा आप किसे दूर हटने की आज्ञा दे रहे हैं? मेरे शरीर को या मेरी आत्मा को? शरीर तो नश्वर है, आत्मा सर्वव्यापी है। आप अद्वैत सिद्धान्त में यही उपदेश दे रहे हैं कि ब्राह्मण और चांडाल में कोई अंतर नहीं है। तब आपमें और मुझमें अन्तर कैसा?

शंकराचार्य शांति से चांडाल की बात सुनते रहे। उनको अपने शिष्य की भूल पर बड़ा पश्चाताप हुआ। उसी समय उन्होंने मनीषपंचक नाम से प्रसिद्ध पाँच श्लोकों की रचना की।

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प्रश्न 5.
शंकर ने किस विद्वान और विदुषी (पति-पत्नी) से शास्त्रार्थ किया था? उसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
शंकर ने माहिष्मति निवासी विश्वनाथ मिश्र उर्फ मंडन मिश्र और उनकी विदुषी पत्नी उभय भारती से शास्त्रार्थ किया। परिणामस्वरूप शंकर से ये दोनों पराजित हो गये और दोनों ने शंकर से संन्यास की दीक्षा ले ली।

आदि शंकराचार्य दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
शंकर ने संन्यास मार्ग अपनाने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर:
शंकर के गुरुकुल में अध्ययन करते समय ही उनके पिता शिवगुरु का देहान्त हो गया। पिता की मृत्यु से दुःखी शंकर के मन में विचार आया कि जब एक दिन यह नाशवान शरीर छूटना ही है तो कीड़े-मकोड़ों की तरह साधारण जीवन क्यों जिया जाए क्यों न किसी महान लक्ष्य को लेकर सत्य के मार्ग पर चला जाए। फलस्वरूप सांसारिक बंधनों से मुक्त रहकर शंकर ने समाज जागरण के लिए संन्यास मार्ग पर चलने का निश्चय किया।

प्रश्न 2.
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आदि शंकराचार्य ने देश में वेदाध्ययन की परम्परा को पुनः जीवंत करने के उद्देश्य से देश की चारों दिशाओं में चार मठों-काञ्ची, बद्रीनाथ, जगन्नाथपुरी और शारदामठ की स्थापना की। वेदों के प्रचार-प्रसार के निमित्त प्रत्येक मठ को एक वेद के अध्ययन-अध्यापन का दायित्व सौंपा। प्रत्येक मठ का एक देवी-देवता निश्चित किया।

प्रश्न 3.
गोविन्दपाद कौन थे? उन्होंने किसे विधिवत संन्यास की दीक्षा दी थी?
उत्तर:
गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने के बाद शंकर देश की परिस्थितियों का अवलोकन करते हुए उत्तर दिशा में चल पड़े। पैदल यात्रा करते हुए वह मध्य प्रदेश के सुविख्यात तीर्थस्थल ओंकारेश्वर पहुंचे।

ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर वे माँ नर्मदा के घाट पर बैठे थे कि उन्हें सूचना मिली कि समीप ही एक गुफा में गौड़पादाचार्य के परमशिष्य एवं महान संत गोविन्दपाद तपस्यारत हैं। समाधिमग्न गोविन्दपादाचार्य के दर्शन से शंकर को अद्भुत शांति मिली। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि गोविन्दपाद महान आचार्य गौड़पादाचार्य के शिष्य थे और उन्होंने शंकर की असाधारण प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपना शिष्य स्वीकार कर विधिवत संन्यास की दीक्षा दी।

प्रश्न 4.
शृंगेरीमठ का प्रथम आचार्य किसे नियुक्त किया और क्यों?
उत्तर:
कुमारिलभट्ट के निर्देश पर शंकराचार्य उनके शिष्य मंडन मिश्र से शास्त्रार्थ करने माहिष्मती पहुँचे। वहाँ पर उन्होंने वेदों के प्रकाण्ड पण्डित मंडन मिश्र एवं उनकी विदुषी पत्नी उभय भारती को शास्त्रार्थ में पराजित किया। प्रतिज्ञानुसार पति-पत्नी दोनों ने शंकराचार्य से दीक्षा ली। दीक्षा के बाद मंडन मिश्र का नाम सुरेश्वराचार्य हो गया। शंकराचार्य ने मंडन मिश्र उर्फ सुरेश्वराचार्य की विद्वता के चलते उन्हें काञ्ची पीठ से सम्बद्ध शृंगेरी मठ का प्रथम अधिपति अर्थात् आचार्य नियुक्त किया।

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प्रश्न 5.
शंकराचार्य के चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
शंकराचार्य की प्रमुख चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) मेधावी शंकर बचपन से ही अत्यन्त अद्भुत मेधा के धनी थे। उनकी इस विलक्षण प्रतिभा से ऐसा प्रतीत होता था कि मानो वे शीघ्र ही ‘होनहार विरवान के होत चीकने पात’ वाली कहावत को चरितार्थ करेंगे। माता-पिता ने उन्हें अध्ययन के लिए गुरुकुल भेजा। वहाँ भी शंकर ने ‘अल्पकाल बहु विद्या पाई’ जैसी उक्ति को चरितार्थ किया। उनके सम्पर्क में आने वाले उनकी प्रतिभा और तेजस्वी व्यक्तित्व को देखते ही हतप्रभ हो जाते थे। मात्र 5 वर्ष की आयु में ही उन्हें वेदों के अध्ययन के लिए गुरुकुल भेजा गया था।

(2) तीव्र स्मरण शक्ति-गुरुकुल में शंकर पढ़ाये गये पाठ इत्यादि को एक बार में समझ जाते थे और उसे लम्बे समय तक स्मृति में अंकित कर लेते थे। वास्तव में, वे श्रुतिधर थे अर्थात कोई भी बात मात्र सनने पर ही उन्हें कण्ठस्थ हो जाती थी।

(3) करुणामयी व्यवहार-एक बार गुरुकुल के दिनों में जब वह भिक्षा प्राप्ति के लिए एक निर्धन की झोंपड़ी के द्वार पर पहुँचे और भिक्षा के लिए गुहार लगाई तो उस झोंपड़ी की गृहिणी ने उन्हें देखा और उन्हें कुछ न कुछ दान देना चाहा। किन्तु निर्धनता के कारण उसके पास एक सूखे आंवले के अतिरिक्त भिक्षा देने के लिए कुछ भी न था। उसने वह सूखा आंवला शंकर के भिक्षा-पात्र में रख दिया। भिक्षा पाकर शंकर को उस घर की दयनीय अवस्था का भान हुआ। वह करुणा से भर उठे। उन्होंने लक्ष्मी से प्रार्थना की ताकि उस झोंपड़ी की निर्धनता दूर हो सके। इस प्रकार यह कह सकते हैं कि उनका मन अत्यंत करुणामयी था।

(4) आज्ञाकारी एवं सेवाकारी सुपुत्र शंकर अपने माता-पिता के आज्ञाकारी सुपुत्र थे। बचपन में ही उनके सिर से उनके पिता का साया उठ गया। पिता की असमय मृत्यु पर विचलित हो बालक शंकर ने सांसारिक बंधनों में न बँधकर समाज के जागरण के लिए संन्यासी बनने की ठानी और इसके लिए उन्होंने अपनी माँ की अनुमति लेना ही श्रेष्ठ माना। संन्यासी जीवन के दौरान जब उन्हें अपनी माँ की अस्वस्थता का पता चला तब वह एक सेवाकारी सुपुत्र की तरह अविलम्ब अपनी माँ के पास लौट आये और अन्तिम समय तक अपनी माँ की सेवा-सुश्रुषा की। माँ के देहान्त होने पर प्रचलित मान्यताओं के विपरीत एक संन्यासी होने के बाद भी उन्होंने अपनी माँ का अन्तिम संस्कार स्वयं किया।

(5) प्रकाण्ड ज्ञानी-शंकर को अत्यन्त छोटी आयु से ही वेदों का पूर्ण ज्ञान हो गया था। उन्होंने गोविन्दपाद को अपना गुरु बनाया और ज्ञान की ज्योति चारों ओर फैलाने के ध्येय के साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष की यात्रा की। बड़े-बड़े विद्वान पंडित भी इनकी विद्वता से प्रभावित शंकर से शंकराचार्य के रूप में प्रतिष्ठित हुए। मात्र 12 वर्ष की अल्पायु में ही वे कई नामचीन विद्वानों से शास्त्रार्थ करने लगे थे। इसी क्रम में उन्होंने मंडन मिश्र और उनकी विदुषी पत्नी उभय भारती को शास्त्रार्थ में पराजित किया और दोनों को दीक्षा दी। उज्जैन प्रवास के समय शंकराचार्य ने कापालिकों के अमर्यादित आचरण को देखकर उनसे शास्त्रार्थ किया और उन्हें पराजित किया।

(6) महान वेद-प्रचारक वेदों के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने देश के चार कोनों में मठों की स्थापना की और स्वयं आदि शंकराचार्य कहलाये। प्रत्येक मठ को एक वेद के अध्ययन-अध्यापन का दायित्व सौंपा गया। प्रत्येक मठ का एक प्रमुख देवी-देवता का निर्धारित किया। उनके शिष्यों की संख्या सहस्त्रों में थी। वे सभी सनातन धर्म के प्रचार के साथ-साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष को एकता के सूत्र में बाँधने में रत रहे।

(7) ग्रंथों के रचनाकार-उन्होंने कई महान ग्रन्थों की रचना की और अनेक भक्ति स्त्रोतों को लिखा। इनमें कनकधारा स्त्रोत, मनीषपंचक तत्वोपदेश, प्रस्थान त्रयी भाष्य, नर्मदाष्टकम् इत्यादि प्रमुख हैं।

(8) निरहंकारी तथा विनम्र-एक बार शंकर वाराणसी में जब गंगा स्नान के लिए जा रहे थे तब अचानक एक चांडाल अपनी पत्नी व चार कुत्तों के साथ सामने से आ रहा था। शंकर के शिष्यों ने यह सोचकर कि वह कहीं किसी से छू न जाये, उसे एक ओर हटने के लिए कहा। इस पर शंकर ने अपने शिष्यों के द्वारा किये गये व्यवहार पर खेद प्रकट करते हुए चांडाल को अपना गुरु कहा। वास्तव में, कितना निरहंकारी तथा विनम्र था शंकराचार्य का स्वभाव। वह छोटे-से-छोटे को भी अपनाने को तैयार रहते थे, उससे सीख लेते थे और उसे उचित आदर देते थे।

आदि शंकराचार्य भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग और प्रत्यय बाँटकर लिखिएअसाधारण, दयनीय, अश्रद्धा, विनम्र, प्रखर, निश्चयी, सांसारिक, अलौकिक।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 12 आदि शंकराचार्य img-1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पदों में समास पहचान कर लिखिएपति-पत्नी, स्वर्गवास, प्रत्येक।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 12 आदि शंकराचार्य img-2

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प्रश्न 3.
दिए गए शब्दों का संधि-विच्छेद कर संधि का नाम लिखिएवेदाध्ययन, संन्यास, चिंतातुर, संकल्प।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 12 आदि शंकराचार्य img-3

प्रश्न 4.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
हाथ बंटाना, खाली हाथ न लौटना, महासमाधि में लीन होना।
उत्तर:
हाथ बंटाना (सहयोग करना) – प्रत्येक विद्यार्थी को विद्यालय के कार्यों में हाथ बँटाना चाहिए।
खाली हाथ न लौटना (बिना कुछ लिए वापिस न होना) – प्रत्येक सद् गृहस्थ की इच्छा होती है कि याचक उसके घर से खाली हाथ न लौटे।
महासमाधि में लीन होना (प्राणांत) – शंकर अपने शिष्यों को उपदेश देते हुए महासमाधि में लीन हो गए।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए दिए गए विकल्पों में से सही एक शब्द लिखिए-
(अ) जो क्रम के अनुसार हो-
(1) यथाक्रम
(2) क्रमबद्ध
(3) सूची
(4) तालिका।
उत्तर:
(1) यथाक्रम

(ब) आदि से अन्त तक-
(1) अन्तिम
(2) आद्यक्षर
(3) आद्यन्त
(4) आद्यादस्तक।
उत्तर:
(3) आद्यन्त

(स) जो छिपाने योग्य है-
(1) छिद्र
(2) गलती
(3) चरित्र
(4) गोपनीय।
उत्तर:
(4) गोपनीय।

(द) जो किए गए उपकार को नहीं मानता-
(1) कृतज्ञ
(2) कृतघ्न
(3) उपकारी
(4) अनुपकारी।
उत्तर:
(2) कृतघ्न

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आदि शंकराचार्य पाठ का सारांश

‘आदि शंकराचार्य’ सुविख्यात साहित्यकार ‘श्रीधर पराड़कर’ की प्रयल लेखनी द्वारा जीवनी विधा में लिखित एक अत्यन्त मार्मिक, प्रेरक एवं प्रभावशाली रचना है। प्रस्तुत आलेख आदि शंकराचार्य और उनके जीवन-दर्शन का प्रतिबिम्ब है।

अनादिकाल से वेद-वेदान्त के प्रख्यात विद्वानों की जन्मस्थली एवं निवास स्थान रहे, भारत के केरल प्रान्त में पूर्णा नदी के किनारे बसे एक छोटे से गाँव कालड़ी’ में शंकर का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम शिवगुरु एवं माता का नाम आर्यम्बा था। शंकर के दादाजी विद्याराम नंबूदरी वेदों के धुरंधर विद्वान थे।

शंकर बचपन से ही प्रतिभासम्पन्न एवं मेधावी थे। मात्र 5 वर्ष की बाल्यावस्था में ही उन्हें वेदों के अध्ययन के लिए गुरुकुल भेजा गया। शंकर श्रुतिधर थे। वह एक बार बताने पर ही पाठ समझ लेते थे। उन्होंने गुरुकुल में अल्पकाल में ही बहुत ज्ञान अर्जित कर लिया था। जो भी एक बार उनके सम्पर्क में आता था वह बिना उनसे प्रभावित हुए नहीं रहता था। गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करते हुए ही शंकर यह तथ्य जान चुके थे कि समाज ज्ञान के भण्डार वेदों के अनुसार आचरण नहीं कर रहा है। छोटी आयु में ही उनके पिता का देहान्त हो गया। इससे शंकर बहुत दुःखी हुए। उनके मन में विचार आया कि पिता की तरह उनका भी एक दिन जब यह नश्वर शरीर छूटना ही है तो क्यूँ न इसे किसी महान ध्येय की प्राप्ति के लिए लगाया जाये।

इन्होंने समाज के जागरण के लिए संन्यास मार्ग पर चलने का व्रत लिया। एकाकी जीवन जी रही माता आर्यम्बा से संन्यासी जीवन की अनुमति प्राप्त कर वे योग्य गुरु की खोज में देशाटन पर निकल गये। ओंकारेश्वर में उन्होंने गौड़पादाचार्य के शिष्य गोविन्दपाद को अपना गुरु बनाया और उनसे विधिवत् संन्यास की दीक्षा ली। गुरु गोविन्दपाद ने अपने प्रतिभावान शिष्य को ब्रह्मसूत्र, महावाक्य चतुष्टय एवं वेदान्त धर्म की सांगोपांग शिक्षा प्रदान कर धर्म प्रचार के सर्वथा योग्य बनाया। गुरु ने उन्हें अद्वैत का प्रचार करने की आज्ञा दी। इस बीच उन्हें माता की अस्वस्थता का समाचार ज्ञात हुआ। वे तुरन्त अपने गाँव कालड़ी के लिए चल पड़े। माताजी की अस्वस्थता में सेवा-सुश्रुषा की और उनके स्वर्गवास पर उनका अंतिम संस्कार किया। उन्होंने राष्ट्र कल्याण की भावना से कार्य कर रहे लोगों को संगठित करने का प्रण किया। इसकी शुरुआत के लिए उन्होंने भारत की आत्मा कहे जाने वाले नगर वाराणसी को चुना।

वाराणसी में विद्वान इनकी विद्वता से प्रभावित हुए। वे शंकर से शंकराचार्य के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इस समय उनकी आयु मात्र 12 वर्ष की थी। यहीं उन्होंने ‘मनीषपंचक’ नाम से विख्यात पाँच श्लोकों की रचना की। अपनी विद्वता का परिचय देते हुए उन्होंने मंडन मिश्र और उनकी धर्मपत्नी विदुषी उभय भारती को शास्त्रार्थ में हराया। देशाटन करते हुए शंकराचार्य ने प्रमुख तीर्थों के दर्शन किये तथा सर्वस्य अद्वैत मत की विजय पताका फहरायी। शंकराचार्य सम्पूर्ण भारत को एकता के सूत्र में बाँधना चाहते थे। उन्होंने वेदान्त का भक्ति के साथ समन्वय कर अद्भुत कार्य किया।

आदि शंकराचार्य का देश के हृदयस्थल मध्यप्रदेश से गहरा सम्बन्ध रहा। ओंकारेश्वर में उन्होंने प्रस्थान त्रयी’ भाष्य तथा ‘नर्मदाष्टकम्’ स्त्रोत की रचना की। शंकराचार्य ने देश की चारों दिशाओं के कोनों में चार मठों की स्थापना की। अन्त में अपने लक्ष्य की पूर्ति करते हुए वे केदारनाथ पहुंचे और यहीं पर मात्र 32 वर्ष की अल्पायु में महासमाधि में लीन हो गये।

आदि शंकराचार्य कठिन शब्दार्थ

हरित = हरा। शस्य श्यामल = धनधान्य सम्पन्न। तट = किनारे। अनादिकाल = प्राचीन समय। प्रख्यात = प्रसिद्ध। धुरंधर = श्रेष्ठ गुणवान। धर्मनिष्ठ = धर्म में निष्ठा रखने वाले। कामना = इच्छा। मेधावी = बुद्धिमान। आह्लाद = हर्ष। प्रतीति = विश्वास। श्रुतिधर = सुनते ही याद करने वाले। नश्वर = नाशवान। ध्येय = लक्ष्य। ग्रहण = स्वीकार। अनुमति = आज्ञा। देशाटन = भ्रमण। आश्वस्त = विश्वास दिलाना। अवलोकन = देखना। दृष्टिक्षेप = नजर डालना। अवशिष्ट = अवशेष। गहन = गहरी। सांगोपांग = अंग व उपांगों सहित, पूर्ण। भासित = प्रतीत। प्रखर = तीव्र। आकांक्षा = इच्छा। अविलम्ब = शीघ्र ही। प्रतिष्ठित = स्थापित। निरहंकार = अभिमान रहित। दिग्विजय = दिशाएँ जीतने। दग्ध = जला हुआ। विदुषी = ज्ञानवान। अनुगत = अनुयायी। महत् = महान।

आदि शंकराचार्य संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. शंकर बचपन से ही मेधावी थे। उसकी प्रतिभा धीरे-धीरे प्रकट होने लगी। आर्यम्बा पुत्र की बुद्धिमत्ता की बातें सुनती तो उसका हृदय आह्वलाद से परिपूर्ण हो जाता। इसकी प्रतीति तब अधिक हुई जब 5 वर्ष का होने पर उन्हें वेदाध्ययन के लिये गुरुकुल भेजा गया। शंकर श्रुतिधर थे। एक बार बताने पर वे पाठ समझ लेते थे।

सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘शंकराचार्य’ नामक पाठ से अवतरित है। इसके रचयिता ‘श्रीधर पराड़कर’ हैं।

प्रसंग :
बाल शंकराचार्य की अकूत प्रतिभा का वर्णन किया गया है।

व्याख्या :
बाल्यावस्था से ही शंकर अत्यन्त प्रतिभाशाली थे। विभिन्न माध्यमों से इस मेधावी बालक के अन्दर छिपी मेधा के दर्शन उनके आसपास रहने वाले लोगों को होने लगे थे। शंकर की माता आर्यम्बा अपने होनहार सुपुत्र की वाहवाही की चर्चा जब सुनतीं तो उनका हृदय प्रसन्नता के भावों से भर उठता था। मात्र 5 वर्ष की अल्पायु में ही जब शंकर को ज्ञान के अनन्त स्त्रोत वेदों का अध्ययन करने के लिये गुरुकुल भेजा गया तो उनके बुद्धि-कौशल एवं प्रतिभा पर सहज विश्वास हुआ। शंकर बचपन से ही तेज मस्तिष्क के थे। वे मात्र एक बार सुनने अथवा बताने पर ही सम्बन्धित पाठ को न सिर्फ समझ लेते थे अपितु उसे स्मरण भी कर लेते थे। इसीलिए उन्हें श्रुतिधर कहा गया है।

विशेष :

  1. भाषा सरल, बोधगम्य एवं सहज है।
  2. वाक्य विन्यास लघु है।
  3. शंकर की विलक्षण प्रतिभा का सुन्दर वर्णन किया गया है।

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2. गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करते हुए शंकर जान चुके थे कि उन्होंने जिन वेदों का अध्ययन किया है समाज में उसके अनुसार आचरण नहीं हो रहा है। केवल वेद अध्ययन करने मात्र से कुछ नहीं होगा। वेदों के प्रति समाज की अश्रद्धा को दूर करना होगा।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश में बताया गया है कि शंकर अपने अध्ययन काल में ही समझ चुके थे कि समाज में वेदों के प्रति श्रद्धा का भाव नहीं है, उसे समाप्त करना आवश्यक है।

व्याख्या :
शंकर जब गुरुकुल में पड़ते थे तब ही उन्हें इस बात का अनुभव हो गया था कि जिन वेदों का अध्ययन हम कर रहे हैं, समाज उनके अनुरूप आचरण नहीं करता है। समाज में वेदों के प्रति श्रद्धा का अभाव है। वे समझ गये थे कि वेदों को पढ़ने मात्र से कोई लाभ नहीं होगा। अपितु यह आवश्यक है कि समाज में वेदों के प्रति श्रद्धा भाव जगाया जाए। समाज को वेदों के अनुसार व्यवहार करना सिखाना होगा।

विशेष :

  1. समाज में वेदों के प्रति श्रद्धा का जो अभाव है, उसे दूर करना आवश्यक है।
  2. सरल, सुबोध भाषा-शैली में समझाया गया है।

3. संन्यास का अर्थ संसार को छोड़कर वन में तपस्या करना नहीं अपितु देश व धर्म के कर्म करना था जो मनुष्य को कर्मबंधन में नहीं बाँधते।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश में संन्यास का वास्तविक अर्थ बताया गया है।

व्याख्या :
सामान्यतः लोग मानते हैं कि संन्यास अर्थ संसार को त्यागकर जंगल में जाकर तपस्या करना है। शंकर ने गुरुकुल में पढ़ते समय ही जान लिया था कि समाज वेदों के अनुसार आचरण नहीं कर रहा है। इसलिए उन्होंने संन्यास ग्रहण का अर्थ संसार छोड़कर वन में तपस्या करना स्वीकार नहीं किया। उन्होंने माना कि संन्यास का अर्थ देश और धर्म के लिए ऐसे कर्म करना है जो मनुष्य को कर्मबंधन में नहीं बाँधते हों। उन्होंने समाज कल्याण के लिए इसी प्रकार का संन्यासी बनना स्वीकार किया।

विशेष :

  1. यहाँ संन्यास के वास्तविक अर्थ को स्पष्ट किया गया है।
  2. सरल, सुबोध भाषा-शैली का प्रयोग हुआ है।

4. परमगुरु को भी शंकर में अलौकिक प्रतिभा भासित हुई। उससे भी अधिक उन्होंने देखा कि उसके पास अपने देश और धर्म की दशा को देखकर रोने वाला हृदय भी है तथा इसा दशा को दूर करने की एक अत्यन्त प्रखर आकांक्षा भी दिखाई दी।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
यहाँ पर परमगुरु गौड़पादाचार्य ने जो विशेषताएँ शंकर में देखीं, उनका वर्णन किया गया है।

व्याख्या :
शंकर को शिक्षा देने के बाद गुरु गोविन्दपादाचार्य शंकर को अपने गुरु गौड़पादाचार्य से मिलाने बदरीनाथ ले गये। परमगुरु गौड़पादाचार्य ने जब शंकर को देखा तो उन्हें इस बात का आभास हुआ कि उस बालक में अद्भुत प्रतिभा विद्यमान है। इसके साथ ही उन्हें उस बालक के पास देश तथा धर्म की दयनीय दशा देखकर दु:खी होने वाला हृदय होने का भी अनुभव हुआ। उन्हें यह भी आभास हुआ कि इस बालक में देश और धर्म की दयनीय स्थिति से छुटकारा दिलाने वाली तीव्र इच्छा भी मौजूद है। उन्हें शंकर में विवेक, संवेदना तथा कार्यक्षमता की विद्यमानता का भी आभास हुआ।

विशेष :

  1. इसमें बालक शंकर की असाधारण प्रतिभा, संवेदन की अनुभूति तथा उत्कट कर्मठता पर प्रकाश डाला गया है।
  2. सहज, सरल भाषा तथा विवेचनात्मक शैली में विषय को प्रस्तुत किया गया है।

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5. वे तो सम्पूर्ण भारतवर्ष को एकता के सूत्र में बाँधना चाहते थे। समाज को अद्वैत का पाठ पढ़ाना चाहते थे। उन्होंने वेदान्त और भक्ति का समन्वय किया। उन्होंने किसी भी देवता का खण्डन नहीं किया, लोगों की श्रद्धा को नष्ट न करते हुए केवल श्रद्धा का केन्द्र बदल दिया।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्। प्रसंग-उपरोक्त गद्यांश में शंकराचार्य जी के कार्यों के बारे में बताया गया है।

व्याख्या :
शंकराचार्य का लक्ष्य महान था। उनकी इच्छा थी कि समस्त भारत एकता के सूत्र में बँधा हो। वे समाज को अद्वैत की दीक्षा देने के इच्छुक थे। उन्होंने इसके लिए बड़ा सहज उपाय खोज निकाला। उन्होंने वेदान्त और भक्ति में समन्वय स्थापित करने का अनूठा कार्य किया। लोग भिन्न देवताओं के पुजारी थे, इसलिए उन्होंने किसी भी देवता का निषेध नहीं किया। सभी देवताओं की पूजा का समर्थन करते हुए लोगों के हृदय में अद्वैत के प्रति श्रद्धा जाग्रत कर दी। इस तरह वे लोगों का श्रद्धा-केन्द्र बदलकर अपने उद्देश्य की प्राप्ति में सफल रहे।

विशेष :

  1. इसमें शंकराचार्य द्वारा भारत की एकता, अद्वैत की शिक्षा तथा वेदान्त व भक्ति के समन्वय सम्बन्धी कार्यों को स्पष्ट किया गया है।
  2. सरल, सुबोध भाषा तथा विवेचनात्मक शैली में विषय को प्रस्तुत किया गया है।

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MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 11 जीने की कला

MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 11 जीने की कला

जीने की कला अभ्यास

जीने की कला अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवमात्र किसका अवतार है?
उत्तर:
जीवमात्र ईश्वर का अवतार है, लेकिन लौकिक भाषा में सबको अवतार नहीं माना जाता है।

प्रश्न 2.
ईश्वर रूप हुए बिना मनुष्य को क्या नहीं मिलता? (2016)
उत्तर:
ईश्वर रूप हुए बिना मनुष्य को सुख नहीं मिलता एवं शान्ति का अनुभव नहीं होता।

प्रश्न 3.
गाँधीजी के अनुसार गीता में किस युद्ध का वर्णन किया गया है? (2017)
उत्तर:
गाँधीजी के अनुसार गीता में महाभारत के युद्ध का वर्णन किया गया है।

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प्रश्न 4.
हृदय में भीतर के युद्ध को रसप्रद बनाने के लिए की गई कल्पना क्या है?
उत्तर:
हृदय में भीतर के युद्ध को रसप्रद बनाने के लिए हृदय-मन्थन, अर्थात् ज्ञान प्राप्त कर भक्त बनकर आत्मदर्शन की कल्पना की गई है।

प्रश्न 5.
महात्मा गाँधीजी की दृष्टि में निषिद्ध क्या है?
उत्तर:
महात्मा गाँधीजी की दृष्टि में फलासक्ति ही निषिद्ध है।

जीने की कला लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
महाभारत के ऐतिहासिक पात्रों का उपयोग व्यास ने किस हेतु के किया है?
उत्तर:
महाभारत के रचयिता मुनि वेदव्यास ने अपने महाभारत महाकाव्य में ऐतिहासिक पात्रों का प्रयोग किया है क्योंकि महाभारत का युद्ध ऐतिहासिक है तथा युद्धभूमि कुरुक्षेत्र भी इतिहास प्रसिद्ध स्थान है। ऐसे में पात्रों का भी ऐतिहासिक होना अनिवार्य था। इस ऐतिहासिक घटना को प्रमाणित करने तथा कृष्ण के उपदेश को भी सत्यता की कसौटी पर खरा उतारने के लिए ऐतिहासिक पात्रों का होना अनिवार्य था। अतः व्यास का यही हेतु था।

प्रश्न 2.
पात्रों की अमानुषी और अतिमानुषी उत्पत्ति का वर्णन करके व्यास ने किस उद्देश्य की पूर्ति की है?
उत्तर:
गीता का निष्काम कर्म तथा फलासक्ति जैसा सिद्धान्त एक अमानुषी मस्तिष्क की उपज हो सकती है तो उस सिद्धान्त को समझने के लिए भी ऐसा ही अमानुषी पात्र चाहिए था। इसी कारण कृष्ण ने समस्त ब्रह्माण्ड की रचना करके उन्हें (कृष्ण को) अतिमानुषी बताया। जिसे देखकर अर्जुन निष्काम कर्म के तत्त्व को समझा। रचनाकार का जो उद्देश्य था कि संसार को निष्काम कर्म में संलग्न कर मोह से छुड़ाया जाए, वह पूरा हुआ।

प्रश्न 3.
गीता की शिक्षा का आचरण करने वाले मनुष्य का स्वभाव कैसा होता है? (2014)
उत्तर:
गाँधीजी ने बताया है कि गीता की शिक्षा का आचरण करने वाले मनुष्य को स्वभाव से ही सत्य और अहिंसा का पालन करना पड़ता है। गीता की शिक्षा है जो कर्म आसक्ति के बिना हो ही न सकें वे सब कर्म छोड़ने लायक हैं।’ यह सुवर्ण नियम मनुष्य को कई धर्म संकटों से बचाता है। अतः मनुष्य झूठ, हत्या, असत्य को त्यागने वाला बन जाता है, जिससे उसका जीवन सरल तथा शान्तिपूर्ण बन जाता है।

प्रश्न 4.
रीति को दृष्टि में रखकर गीता के मूलमन्त्र का जिज्ञासु क्या कर सकता है?
उत्तर:
गीता सूत्र ग्रन्थ न होकर एक महान ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ के भावों की गहराई में हम जितना उतरेंगे उतने ही उसमें से नए और सुन्दर अर्थ निकलेंगे। गीता जनसमाज के लिए है, अतः गीता में आए हुए महान शब्दों के अर्थ सदैव बदलेंगे। अर्थ व्यापक भी बनेंगे। परन्तु गीता का मूलमन्त्र कभी नहीं बदलेगा। गीता का मूलमन्त्र है-कर्म के फल में आसक्ति न होना तथा आत्मदर्शन करना। यह मन्त्र जिस रीति से जीवन में अपनाया जा सके उस रीति को दृष्टि में रखकर जिज्ञासु गीता के महाशब्दों का मनचाहा अर्थ कर सकता है।

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प्रश्न 5.
अवतार का क्या अर्थ है?
उत्तर:
अवतार का अर्थ है-शरीरधारी विशिष्ट पुरुष। सभी जीवमात्र ईश्वर के अवतार हैं, परन्तु सामान्य भाषा में समस्त जीवों को अवतार नहीं कहते। जो प्राणी (पुरुष) अपने युग में सर्वश्रेष्ठ धर्मवान पुरुष होता है, उसे आने वाली पीढ़ी अवतार के रूप में पूजती है क्योंकि उस अवतार रूपी प्राणी में कोई दोष नहीं होता है। इस प्रकार दोष रहित धर्मवान पुरुष ही अवतार होता है।

जीने की कला दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
गीता के अध्ययन से गाँधीजी को क्या अनुभूति हुई?
उत्तर:
गीता के अध्ययन से गाँधीजी को अनुभव हुआ कि गीता में मोक्ष और सांसारिक व्यवहार के बीच कोई भेद नहीं है, परन्तु धर्म को व्यवहार में उतारा गया है। अतः आसक्ति से किया कर्म छोड़ देने लायक है। गीता “आसक्ति त्यागने” को कहती है गीता की इस शिक्षा का आचरण करने वाला व्यक्ति स्वभाव से ही सत्य व अहिंसा का पालन करने लग जाता है, झूठ व लालच से दूर रहने लगता है तब उसके जीवन में सरलता व शान्ति आ जाती है। इसके विपरीत हिंसा या असत्य के पीछे परिणाम की इच्छा रहती है, अतः फलासक्ति में मनुष्य की रुचि बढ़ जाती है, जिससे वह हत्या, झूठ, व्यभिचार में रुचि लेने लगता है। अत: गाँधीजी ने अनुभव किया कि अनासक्ति व फलासक्ति के अभाव में कर्म करना ही मोक्ष है। इसी कारण गाँधीजी ने फलासक्ति को निषिध कहा है। गाँधीजी के अनुसार गीता की रचना परिवार के मामूली झगड़े निपटाने के लिए नहीं बल्कि प्राणी को स्थित प्रज्ञ व्यवहार हेतु हुई है।

प्रश्न 2.
आत्म दर्शन से सम्बन्धित गाँधीजी का दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आत्मदर्शन से सम्बन्धित गाँधीजी का दृष्टिकोण है कि मनुष्य को सुख व शान्ति पाने के लिए ईश्वर रूप बनना होगा। ईश्वर रूप बनने के लिए किए जाने वाले प्रयत्न का ही नाम सच्चा और एकमात्र पुरुषार्थ है और वही आत्मदर्शन है। आत्मदर्शन का अर्थ है-आत्मा के बारे में निरूपण करने वाला शास्त्र। आत्मा के बारे में निरूपण करना समस्त धर्म ग्रन्थों का विषय है। ठीक उसी प्रकार गीता भी आत्मा के बारे में निरूपण करती है अर्थात् आत्मदर्शन के विषय में बताती है।

गाँधीजी कहते हैं कि गीताकार ने आत्मदर्शन का प्रतिपादन करने के लिए गीता की रचना नहीं की। बल्कि गीता आत्मा को पाने के लिए उत्सुक प्राणी को आत्मा का स्वरूप बताती है। आत्मा को पहचानने का एक अनोखा उपाय कर्म के फल का त्याग है। प्रत्येक कर्म में दोष होता है, उस दोष को मन, वचन और काया से ईश्वर को अर्पित करके अर्थात् कर्म के फल का त्याग करके दूर किया जा सकता है। साथ ही, उस कर्म के फल-त्याग में हृदय मन्थन भी हो। अतः संक्षिप्त रूप में गाँधीजी ने कहा है कि ज्ञान प्राप्त करना, भक्त होना ही आत्म-दर्शन है।

प्रश्न 3.
गाँधीजी के अनुसार गीता का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
गाँधीजी के अनुसार गीता का उद्देश्य आत्मार्थी को आत्मदर्शन करने का एक अद्वितीय उपाय बताना तथा आत्मा को पाने के लिए उत्सुक प्राणी को आत्मा के स्वरूप का ज्ञान कराना है। इस आत्मदर्शन को प्राप्त करने का अद्वितीय उपाय है कर्म के फल का त्याग। इसी केन्द्र बिन्दु के आस-पास गीता का सारा विषय गाँथा गया है। देह कर्म से मुक्त नहीं हो सकती और कर्म दोष से मुक्त नहीं हो सकता, दोष से मुक्त हुए बिना मुक्ति (मोक्ष) नहीं मिल सकती।

तब मुक्ति पाने के लिए इस दोष से कैसे छूटा जा सकता है? इस प्रश्न का उत्तर गीता ने दिया है-“निष्काम कर्म करके, यज्ञार्थ कर्म करके, कर्म के फल का त्याग करके, सारे कर्म मन, वचन और काया से ईश्वर को अर्पित करके” कर्म को दोष मुक्त किया जा सकता है। इस क्रिया में केवल बुद्धि ही नहीं बल्कि हृदय-मन्थन भी आवश्यक है। इस प्रकार किए गए कर्म से मनुष्य को सिद्धि मिलती है। यही कर्म प्राणी का धर्म और मोक्ष है। इसी मोक्ष की प्राप्ति करना गीता का उद्देश्य है।

प्रश्न 4.
गाँधीजी ने फल त्यागी किसे कहा है?
उत्तर:
गीता में आत्मदर्शन का उपाय बताया गया है-कर्म के फल का त्याग। जो व्यक्ति कर्म के फल का त्याग करता है वही फल-त्यागी है। कर्म के फल का त्याग केवल कह देने से नहीं होता, बुद्धि या बुद्धि के प्रयोग से नहीं होता। वह हृदय-मन्थन से ही होता है। हृदय-मन्थन किए कर्म से ही सिद्धि मिलती है। दूसरी ओर फल त्याग का अर्थ कर्म के परिणाम के विषय में लापरवाह रहना भी नहीं है।

परिणाम का और साधना का विचार करना तथा दोनों का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। इतना करने के बाद जो मनुष्य परिणाम की इच्छा किए बिना साधन में तन्मय रहता है, वह फलत्यागी कहा जाता है। गीताकार ने कर्मफल के त्याग का सिद्धान्त संसार के सामने रखा है। यह स्वर्णिम नियम मनुष्य को अनेक धर्म संकटों से बचाता है। झूठ, असत्य जैसी बुराइयों से बचाता है। अत: गाँधीजी के अनुसार कर्म के फल को त्यागने वाला ही फलत्यागी है।

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प्रश्न 5.
गीताकार ने किस भ्रम को दूर कर दिया है?
उत्तर:
गीताकार ने धर्म और अर्थ के परस्पर विरोधी भ्रम को दूर कर दिया है। सामान्यतः यह माना जाता है कि धर्म और अर्थ परस्पर विरोधी हैं। “व्यापार आदि सांसारिक व्यवहारों में धर्म का पालन नहीं हो सकता, धर्म के लिए स्थान नहीं हो सकता। धर्म का उपयोग केवल मोक्ष के लिए ही किया जा सकता है। धर्म के स्थान पर धर्म शोभा देता है, अर्थ के स्थान पर अर्थ शोभा देता है।” गाँधीजी कहते हैं कि गीताकार ने इस भ्रम को दूर कर दिया है। उन्होने मोक्ष और सांसारिक व्यवहार के बीच ऐसा कोई भेद नहीं रखा है; परन्तु धर्म को व्यवहार में उतारा है। गीता कहती है “जो धर्म व्यवहार में नहीं उतारा जा सकता वह धर्म ही नहीं है।” इस प्रकार गीताकार ने मोक्ष और सांसारिक व्यवहार के बीच के भेद को आसक्ति रहित कर्म के द्वारा दूर कर दिया है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव पल्लवन कीजिए
(क) “जहाँ देह है वहाँ कर्म तो है ही।”
उत्तर:
‘महात्मा गाँधी’ ने ‘जीने की कला’ निबन्ध में गीता के अनासक्ति कर्म की व्याख्या की है। गाँधीजी ने कहा है कि देहधारी प्राणी की आत्मा उसका कर्म है। इस संसार में जन्म लेने वाला प्राणी एक पल भी बिना कर्म के नहीं रह सकता। कर्म से कभी भी मनुष्य को मुक्ति नहीं मिल सकती। जब मनुष्य सोता है तब भी वह साँस लेने, स्वप्न देखने आदि का कर्म करता रहता है तो जागने की अवस्था में वह भला बिना कर्म के कैसे रह सकता ह? अतः कर्म ही मनुष्य की जीवित अवस्था का प्रमाण है।

(ख) “कर्म के बिना किसी को सिद्धि प्राप्त नहीं हुई।”
उत्तर:
‘जीने की इच्छा’ निबन्ध में महात्मा गाँधी’ ने बताया है कि निष्काम कर्म करने से मनुष्य नर से नरश्रेष्ठ बन जाता है। गीता ने ज्ञानियों, भक्तों तथा नर को कर्म करने का सन्देश दिया है। साथ ही गीताकार ने कहा है कि कर्म से ही सिद्धि प्राप्त होती है। सिद्धि का अर्थ है आत्मा की मुक्ति। कहा गया है कि बिना कर्म के शक्तिशाली शेर तक के मुँह में हिरन नहीं जाता तो आत्मा की सिद्धि के लिए आसक्ति रहित कर्म करना अनिवार्य है। कर्म सिद्धि का पर्याय है।

जीने की कला भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिएगिता, ऐतिहसिक, धरम, फलसक्ति, सुत्रग्रन्थ।
उत्तर:
गिता = गीता। ऐतिहसिक = ऐतिहासिक। धरम = धर्म। फलसक्ति = फलासक्ति। सुत्रग्रन्थ = सूत्रग्रन्थ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों को वाक्यों में प्रयोग कीजिएविश्वास, अहिंसा, चिन्तन-मनन, अभिलाषा, स्वभाव।
उत्तर:

  1. विश्वास – अवतार में विश्वास करना प्राणी की उदात्त आध्यात्मिक अभिलाषा का सूचक है।
  2. अहिंसा – सत्य और अहिंसा बापू के शस्त्र थे।
  3. चिन्तन – मनन-भगवद्गीता में निष्काम कर्म पर चिन्तन-मनन किया गया है।
  4. अभिलाषा – मनुष्य की अन्तिम उदात्त आध्यात्मिक अभिलाषा मुक्ति दिलाती है।
  5. स्वभाव – क्रोधी स्वभाव का व्यक्ति कभी विनम्र नहीं होता है।

प्रश्न 3.
दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिएउत्पत्ति, निरर्थकता, सच्चा, विधि-निषिद्ध।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 11 जीने की कला img-1

प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. महाभारत में ………….. सर्वोच्च स्थान पर विराजती है।
  2. अद्वितीय उपाय है …………. के फल का त्याग।
  3. गीता का ………… आत्मदर्शन करने का एक अद्वितीय उपाय बताना है।

उत्तर:

  1. गीता
  2. कर्म
  3. उद्देश्य आत्मार्थी को।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखिए
उत्तर:

  1. संसार से सम्बन्धित = सांसारिक
  2. दोष से मुक्त = निर्दोष
  3. काम से रहित = निष्काम
  4. जानने की इच्छा रखने वाला = जिज्ञासु
  5. धर्म का पालन करने वाला = धर्मवान।

जीने की कला पाठ का सारांश

श्रीमद्भगवतगीता को ‘गीता मैया’ कहने वाले महात्मा गाँधी ने ‘जीने की कला’ निबन्ध में मानव बुद्धि को व्यावहारिक बनाने का सूत्र बताने के लिए गीता को आधार माना है। संसार में बुद्धि दो प्रकार की होती है-भौतिक तथा स्थित प्रज्ञ। गीता में स्थित प्रज्ञ बुद्धि को श्रेष्ठ माना है। गीता की रचना पारिवारिक झगड़े निपटाने या अवतारवाद की स्थापना के लिए नहीं हुई। समस्त धर्म ग्रन्थों तथा गीता का विषय आत्म दर्शन है परन्तु कृष्ण कृत गीता आत्म-दर्शन करने के लिए; एवं आत्म-दर्शन करने का उपाय बताती है।

वह अद्वितीय उपाय है, कर्म के फल का त्याग। देहधारी कर्म से मुक्त नहीं हो सकता और कर्म में दोष अवश्य होते हैं। कर्म में दोष न होने का अर्थ है ‘निष्काम कर्म करके, यंज्ञार्थ कर्म करके, कर्म के लिए फल का त्याग करके, सारे कर्म कृष्णार्पण करके अर्थात् मन, वचन और काया को ईश्वर में होम करके।’ यह निष्कामता स्थिर बुद्धि तथा हृदय-मन्थन से ही उत्पन्न होती है, गीता में इसी को आत्म-दर्शन कहा गया है। परिणाम की इच्छा किए बिना साधना (कर्म) में लीन रहना ही फल का त्याग है। फल के त्याग का अर्थ कर्म के परिणाम के प्रति लापरवाह होना नहीं है।

गीता में दूसरी बात बताई गई है कि धर्म और अर्थ परस्पर विरोधी नहीं हैं। व्यापार आदि सांसारिक व्यवहारों में धर्म का पालन नहीं हो सकता, धर्म का उपयोग केवल मोक्ष के लिए ही किया जा सकता है। परन्तु गीताकार ने इस भ्रम को दूर कर दिया है। उन्होंने मोक्ष और सांसारिक व्यवहार के बीच ऐसा कोई भेद नहीं रखा है, परन्तु धर्म को व्यवहार में उतारा है। अतः जो कर्म अनासक्ति यानि लगाव रहित न हो उसे त्याग देना चाहिए। यह स्वर्णिम नियम मनुष्य को अनेक धर्म संकटों, जैसे हत्या, झूठ, व्यभिचार आदि से बचाता है। इससे जीवन सरल बन जाता है और सरलता से शान्ति मिलती है और गीता की इसी शिक्षा को अपनाने वाले मनुष्य स्वभाव से सत्य और अहिंसा का पालन करते हैं।

गीता सूत्र ग्रन्थ न होकर समाज के लिए एक महान ग्रन्थ है जिसमें जितना डूबेंगे उतने ही अर्थ मिलेंगे। साथ ही ये अर्थ प्रत्येक युग में बदलेंगे तथा व्यापक बनेंगे। लेकिन मूल मन्त्र कभी नहीं बदलेगा। इसीलिए गीता करने योग्य और न करने योग्य कर्म बताने वाला संग्रह-ग्रन्थ भी नहीं है क्योंकि जो कर्म एक के लिए मान्य है वह दूसरे के लिए अमान्य हो सकता है। उसी प्रकार एक काल या एक देश में जो कर्म विहित है वह दूसरे देश तथा दूसरे काल में अमान्य हो सकता है। अतः फलासक्ति निषिद्ध है और अनासक्ति विहित है। इसीलिए गीता नर को नरश्रेष्ठ बनने का मार्ग दिखाती है, जीने की कला सिखाती है।

जीने की कला कठिन शब्दार्थ

सर्वोच्च = सबसे ऊँचा। भौतिक-सांसारिक। स्थित प्रज्ञ- स्थिर बुद्धि वाला। औचित्य = उचित। अनौचित्य = अनुचित। लौकिक = सांसारिक। उदात्त = उदार। आत्म-दर्शन = आत्मा के बारे में निरूपण करने वाला शास्त्र। प्रतिपादन = स्थापित। आत्मार्थी = आत्मा को पाने के लिए उत्सुक। अद्वितीय = अनोखा। देह = शरीर। मुक्त = स्वतन्त्र। काया = शरीर। निष्काम कामना से रहित। हृदय-मन्थन = मन में अच्छे-बुरे की पहचान । सिद्धि = सफलता। तन्मय = लीन। फलासक्ति = फल में लगाव। अनासक्ति = आसक्ति रहित, लगाव रहित। आसक्ति = लगाव। सुवर्ण = सुन्दर। त्याज्य = छोड़ने योग्य। सूत्र = नियम। साधा = अपनाया। जिज्ञासु = जानने की इच्छा रखने वाला। विहित = मान्य, अनिवार्य। निषिध = अमान्य। अमानुषी = जो मनुष्य से सम्बन्धित न हो। अतिमानुषी = मानव धर्म से परे सिद्धि देवी।

जीने की कला संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. अवतार का अर्थ है शरीरधारी विशिष्ट पुरुष। जीवमात्र ईश्वर के अवतार हैं, परन्तु लौकिक भाषा में सबको अवतार नहीं कहते। जो पुरुष अपने युग में सबसे श्रेष्ठ धर्मवान पुरुष होता है, उसे भविष्य की प्रजा अवतार के रूप में पूजती है। इसमें मुझे कोई दोष नहीं मालूम होता।

सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के जीने की कला’ नामक पाठ से अवतरित है। यह पाठ महात्मा गाँधी की पुस्तक ‘गीता माता से संग्रहीत एवं सम्पादित है।

प्रसंग :
लेखक ने गीता की रचना का कारण बताते हुए उस विशिष्ट पुरुष की कल्पना की है जो निर्दोष होने के कारण अवतार कहा जाता है।

व्याख्या :
शरीरधारी पुरुषों में जो पुरुष विशेष होता है, उसे अवतार कहते हैं। इस संसार में जितने भी प्राणी हैं, वे सब ईश्वर के अवतार हैं अर्थात् भगवान की एक महान रचना है। परन्तु संसार में सारे प्राणियों को अवतार नहीं कहते। संसार उस प्राणी को अवतार मानता है जो सब प्राणियों से अलग होता है। कुछ अनोखे-अनुपम कार्य करता है, धर्म का पालनकर्ता होता है, चरित्रवान होता है, उसके प्रति सबके मन में श्रद्धा होती है, समाज के लिए भलाई करता है अर्थात् हर दृष्टि से सबका प्रिय होता है, वही व्यक्ति भविष्य में अवतार माना जाता है। अपने समय में उसे श्रेष्ठ पुरुष माना जाता है। उस श्रेष्ठ पुरुष में कोई भी बुराई नहीं होती। अवतार सदैव अवगुणों से दूर रहता है। अवतार सर्वगुण सम्पन्न होता है। उसकी बुराई करने वाला कोई नहीं होता।

विशेष :

  1. भाषा सरल, बोधगम्य एवं प्रभावपूर्ण खड़ी बोली है।
  2. विशिष्ट, श्रेष्ठ, लौकिक जैसे संस्कृत के शब्दों का प्रयोग है।
  3. व्याख्यात्मक शैली है।
  4. लघु वाक्य सूत्र जैसे प्रतीत होते हैं।

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2. मुक्ति केवल निर्दोष मनुष्य को ही मिलती है। तब कर्म के बंधन से अर्थात् दोष के स्पर्श से कैसे छूटा जा सकता है? इस प्रश्न का उत्तर गीता जी ने निश्चयात्मक शब्दों में दिया है। ‘निष्काम कर्म करके, यज्ञार्थ कर्म करके, कर्म के फल का त्याग करके, सारे कर्म कृष्णार्पण करके अर्थात् मन, वचन और काया को ईश्वर में होम कर।’

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
देह के साथ कर्म और कर्म के साथ दोष जुड़ा है, अतः इस दोष को दूर करके मोक्ष मिलता है। गीता में दोष दूर करने का उपाय बताया है कि बिना फल की इच्छा से कर्म करना ही दोषमुक्त होता है।

व्याख्या-गाँधीजी कहते हैं कि इस संसार में जन्म लेकर प्रत्येक व्यक्ति को कर्म करना पड़ता है। कर्मों में दोष होता है। इन्हीं दोषों के कारण मनुष्य को मुक्ति नहीं मिलती। प्राणी इसी कारण कर्म के बन्धन में बँधता चला जाता है। इस कर्म के बन्धन से मुक्त होने का उपाय या निर्दोष कर्म अपनाने का तरीका गीता बताती है। गीता में बताया गया है कि निष्काम कर्म, अर्थात् बिना किसी फल की इच्छा से किया गया कर्म मुक्ति दिलाता है। कर्म के फल का त्याग करके अर्थात् अपने समस्त कार्य कृष्णार्पण अर्थात् मन, वचन और काया को ईश्वर को अर्पित करके, भले-बुरे फल की कामना न करके, निरन्तर कर्म करते रहने से सांसारिक बंधन टूट जाते हैं और आत्मा मुक्त हो जाती है। इसी आत्म-दर्शन को गाँधीजी गीता का मूल मानते हैं।

विशेष :

  1. संस्कृत शब्दावली युक्त खड़ी बोली।
  2. प्रश्नोत्तर व सूत्रात्मक शैली का प्रयोग है।
  3. भावों की गहनता व बोधगम्यता है।
  4. होम कर’ जैसे मुहावरे का प्रयोग है।

3. गीता के मत के अनुसार जो कर्म आसक्ति के बिना हो ही न सकें वे सब त्याज्य हैं-छोड़ देने लायक हैं। यह सुवर्ण नियम मनुष्य को अनेक धर्म संकटों से बचाता है। इस मत के अनुसार हत्या, झूठ, व्यभिचार आदि कर्म स्वभाव से ही त्याज्य हो जाते हैं। इससे मनुष्य जीवन सरल बन सकता है और सरलता से शांति का जन्म होता है।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
राष्ट्रपिता गाँधी के अनुसार गीता में बताया गया है कि आसक्ति से मुक्त कर्म ही धर्म है। व्यवहार में लाया जाने वाला धर्म ही सच्चा धर्म है। यही धर्म हमें अमानुषिक कर्मों से बचाता है।

व्याख्या :
गीता में एक शब्द आता है आसक्ति, जिसका अर्थ होता है लगाव। गीता में बताया गया है कि जिस कर्म में आसक्ति होती है अर्थात् कर्म में लगाव या मोह होता है, उस कर्म को त्यागना ही मनुष्य का धर्म है। आसक्ति के बिना किया गया कर्म, मनुष्य को धर्म संकटों से बचाता है। श्रेष्ठ फल देने वाले कर्म को मनुष्य करना चाहता है। आसक्ति से रहित होकर मनुष्य जब कर्म करता है तो वह अनेक सांसारिक बुराइयों; जैसे-झूठ, दुराचार, हत्या इत्यादि से बच जाता है और वह स्वभाव से सत्य और अहिंसा का पालन करने वाला बन जाता है। जब मनुष्य आसक्तिपूर्ण कर्म को त्याग देता है तब उसका मन परिणाम के लिए बेचैन नहीं होता जिससे जीवन में सन्तोष व शान्ति का आगमन होता है, सन्तोष मन को शान्ति देता है। जीवन में सरलता व शान्ति के आने पर मनुष्य का व्यवहार तथा आचरण बहुत ही कोमल व साफ-सुथरा हो जाता है जिससे मुक्ति का मार्ग खुल जाता है।

विशेष :

  1. तत्सम शब्दों के साथ खड़ी बोली का प्रयोग है।
  2. विचारात्मक तथा व्याख्यात्मक शैली।
  3. मनुष्य को आसक्ति से दूर रहने का उपदेश।

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MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन

MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन

अवकलन Important Questions

अवकलन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
x के सापेक्ष sin [cos (x2) ] का अवकलन गुणांक ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
माना y = sin [cos (x2) ]
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) sin [cos (x2) ]
= \(\frac{d}{dx}\) sin t, [cos2 = t, रखने पर]
= \(\frac{d}{dt}\) sin t \(\frac{dt}{dx}\) sin t
= cost \(\frac{d}{dx}\) cos x2
= cos (cos x2) \(\frac{d}{dx}\) cos u, [x2 = u रखने पर]
= cos (cos x2) \(\frac{d}{du}\) cos u \(\frac{du}{dx}\)
= – cos(cos x2) sin u \(\frac{d}{dx}\) x2
= -2x cos(cos x2).sin x2

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प्रश्न 2.
यदि y = sec [tan\(\sqrt{x}\) ] हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है:
y = sec [tan\(\sqrt{x}\) ]
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प्रश्न 3.
यदि y = log [cos ex] हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
दिया है:
y = log [cos ex]
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) [log(cos ex)]
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) log t, [cos ex = t रखने पर]
= \(\frac{d}{dt}\) log t \(\frac{dt}{dx}\)
= \(\frac{1}{t}\). \(\frac{d}{dx}\) cos ex
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प्रश्न 4.
यदि y = cos [log x + ex] हो, तो 4 का मान ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
दिया है:
y = cos [log x + ex]
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प्रश्न 5.
यदि y = cos-1(ex) हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है:
y = cos-1(ex)
∴ \(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) cos-1(ex)
ex = t रखने पर,
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प्रश्न 6.
यदि y + sin y = cos x हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
दिया गया फलन y + sin y = cos x
x के सापेक्ष अवकलन करने पर, का मान ज्ञात कीजिए।
\(\frac{d}{dx}\) (y + sin y) = \(\frac{d}{dx}\) cos x
⇒ \(\frac{dy}{dx}\) + cos y \(\frac{dy}{dx}\) = – sin x
⇒ \(\frac{dy}{dx}\) (1 + cos y) = – sin x
⇒ \(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac { -sinx }{ 1+cosy } \)

प्रश्न 7.
यदि 2x + 3y = sinx हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
दिया है:
2x +3y = sin x
x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
\(\frac{d}{dx}\) (2x + 3y) = \(\frac{d}{dx}\) sin x
2 \(\frac{d}{dx}\) x + 3 \(\frac{dy}{dx}\) = cos x
⇒ 2 + 3 \(\frac{dy}{dx}\) = cos x
⇒ 3 \(\frac{dy}{dx}\) = cos x – 2
∴ \(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac { cosx-2 }{ 3 } \)

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प्रश्न 8.
\(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए यदि
x = a cos θ, y = a sin θ (NCERT)
हल:
दिया है:
x = a cos θ
y = a sin θ
अब समी. (1) का के सापेक्ष अवकलन करने पर,
\(\frac { dx }{ d\theta } \) = – a sin θ
पुनः समी. (2) का θ के सापेक्ष अवकलन करने पर,
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प्रश्न 9.
\(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए यदि (NCERT)
x = at2, y = 2 at
हल:
दिया है:
x = at2
∴ \(\frac{dx}{dt}\) = 2 at
पुनः y = 2 at
\(\frac{dy}{dt}\) = 2a
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प्रश्न 10.
यदि y = x2 + 3x + 2 हो, तो \(\frac { d^{ 2 }y }{ dx^{ 2 } } \) का मान ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
दिया है –
y = x2 + 3x + 2
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x के सापेक्ष पुनः अवकलन करने पर,
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प्रश्न 11.
यदि y = x3 + tan x हो, तो का मान ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
दिया है:
y = x2 + tan x
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) [x3 + tan x]
= \(\frac{d}{dx}\) x3 + \(\frac{d}{dx}\) tan x
⇒ \(\frac{dy}{dx}\) = 3x2 + sec2 x
x के सापेक्ष पुनः अवकलन करने पर,
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अवकलन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न – I

प्रश्न 1.
y = tan-1 \(\frac { x }{ \sqrt { 1+x^{ 2 } } } \) का x के सापेक्ष अवकलन कीजिए।
हल:
दिया है:
y = tan-1 \(\frac { x }{ \sqrt { 1+x^{ 2 } } } \)
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) tan-1 \(\frac { x }{ \sqrt { 1+x^{ 2 } } } \)
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पुनः 1 + x2 = u रखने पर,
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प्रश्न 2.
\(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए यदि
x = a (t + sint), y = a (1 – cost)
हल:
दिया है:
x = a (t + sint)
∴ \(\frac{dx}{dt}\) = a (1 + cos t)
पुनः y = a (1 – cos t)
∴ \(\frac{dy}{dt}\) = a (0 + sint) = a sint
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प्रश्न 3.
यदि x = a (2θ – sin 2θ) तथा y = a (1 – cos 2θ), तो \(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिये जबकि θ = \(\frac { \pi }{ 3 } \) (CBSE 2018) .
हल:
दिया है:
समी. (2) को θ के सापेक्ष अवकलन करने पर,
x = a (2θ – sin 2θ) ………………………. (1)
y = a (1 – cos 2θ) ………………………… (2)
\(\frac { dx }{ d\theta } \) = a (2.1 – cos 2θ.2)
= 2a (1- cos 2θ)
= 2a.2 sin2θ
= 4a sin2θ …………………….. (3) |
समी. (2) को θ के सापेक्ष अवकलन करने पर,
\(\frac { dy }{ d\theta } \) = a(0 + sin 2θ.2)
= 2a sin 2θ
= 2a. 2 sinθ cosθ
= 4a sinθcosθ ……………………….. (4)
समी. (4) ÷ (3) से,
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जब θ = \(\frac { \pi }{ 3 } \), तब
\(\frac{dy}{dx}\) = cot \(\frac { \pi }{ 3 } \) = \(\frac { 1 }{ \sqrt { 3 } } \)

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प्रश्न 4.
यदि y = a sin mx + b cos mx हो, तो सिद्ध कीजिए कि
\(\frac { d^{ 2 }y }{ dx^{ 2 } } \) + m2 y = 0
हल:
दिया है:
y = a sin mx + b cos mx …………………….. (1)
समी. (1) के दोनों पक्षों में x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
\(\frac{dy}{dx}\) = am cos mx – bm sin mx ……………… (2)
पुनः (2) का x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
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प्रश्न 5.
(A) यदि y = esin-1 x हो, तो सिद्ध कीजिए कि (1 – x2), y2 – xy1 – m2 y = 0
हल:
दिया है:
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 17
पुनः अवकलन करने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 17

(B)
यदि y = emtan-1x हो, तो सिद्ध कीजिए कि (1 + x2)y2 + (2x – m) y1 = 0
हल:
प्रश्न क्र. 5 (A) की भाँति हल करें।

(C)
यदि y = emcos-1x हो, तो सिद्ध कीजिए कि (1 – x2)y2 + (2x – m)y1 = 0
हल:
प्रश्न क्र. 5 (A) की भाँति हल करें।

प्रश्न 6.
sin-1 \(\frac { 2x }{ 1+x^{ 2 } } \) का x के सापेक्ष अवकलन कीजिए।
हल:
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प्रश्न 7.
यदि y = cot-1 \(\sqrt { \frac { 1+x }{ 1-x } } \) हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है,
y = cot-1 \(\sqrt { \frac { 1+x }{ 1-x } } \)
माना x = cos θ
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 20
समी. (1) में इसका मान रखने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 21
अब x के सापेक्ष दोनों पक्षों का अवकलन करने पर,
\(\frac{dy}{dx}\) = – \(\frac { 1 }{ 2\sqrt { 1-x^{ 2 } } } \)

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प्रश्न 8.
यदि y = tan-1 \(\sqrt { \frac { 1+x }{ 1-x } } \) हो, तो ज्ञात कीजिए।
हल: प्रश्न क्र. 7 की भाँति हल करें।
[उत्तर – \(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac { 1 }{ 2\sqrt { 1-x^{ 2 } } } \)

प्रश्न 9.
यदि y = cot-1 \(\frac { cosx+sinx }{ cosx-sinx } \) हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है:
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 22

प्रश्न 10.
y = tan-1 \(\frac { \sqrt { 1+x^{ 2 }-1 } }{ x } \) का x के सापेक्ष अवकलन कीजिए।
हल:
y = tan-1 \(\frac { \sqrt { 1+x^{ 2 }-1 } }{ x } \)
समी. (1) x = tan θ में रखने पर, तब θ = tan-1 x
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प्रश्न 11.
यदि y = cot-1 [ \(\frac { \sqrt { 1+x^{ 2 }+1 } }{ x } \) ] हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) ज्ञात कीजिए।
हल:
y = cot-1 [ \(\frac { \sqrt { 1+x^{ 2 }+1 } }{ x } \) ]
x = tan θ रखने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 24

प्रश्न 12.
यदि y = xsinx हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है:
y = xsinx
समी. (1) के दोनों पक्षों का log लेने पर, …………………………….. (1)
दोनों पक्षों का अवकलन करने पर,
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प्रश्न 13.
यदि y = \(\sqrt { \frac { 1-x }{ 1+x } } \) हो, तो सिद्ध कीजिए \(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac { y }{ x^{ 2 }-1 } \)
हल:
दिया है:
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 26

प्रश्न 14.
यदि y = (sin x)sinxsinx…………… ∞ हो, तो 4 का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है:
y = (sin x)sinxsinx…………… ∞
⇒ y = (sin x)y
⇒ log y = y log sinx

x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
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प्रश्न 15.
(A) यदि y = \(\sqrt { sinx+\sqrt { sinx+……+\infty } } \) हो, तो सिद्ध कीजिए कि
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac { cosx }{ 2y-1 } \)
हल:
दिया है:
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(B)
यदि y = \(\sqrt { cotx\sqrt { cotx+\sqrt { cotx+…….+\infty } } } \) हो, तो सिद्ध कीजिए कि
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac { cosec^{ 2 }x }{ 1-2y } \)
हल:
प्रश्न क्र. 15 (A) की भाँति हल करें।

(C) यदि y = \(\sqrt { tanx+\sqrt { tanx+\sqrt { tanx+…..\infty } } } \) हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्न क्र. 15 (A) की भाँति हल करें।
[उत्तर: \(\frac { sec^{ 2 }x }{ (2y-1) } \) ]

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प्रश्न 16.
यदि y = ex+ex+ex+e…………… ∞ हो, तो सिद्ध कीजिए कि
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{y}{1-y}\)
हल:
दिया है:
y = ex+ex+ex+e…………… ∞
⇒ y = ex+y
दोनों पक्षों में log लेने पर,
log y = logex+y
⇒ log y = x + y
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 29

प्रश्न 17.
फलन \(\frac { 1 }{ (x+a)(x+b)(x+c) } \) का x के सापेक्ष अवकलन कीजिये।
हल:
माना y = \(\frac { 1 }{ (x+a)(x+b)(x+c) } \)
दोनों पक्षों में log लेने पर
log y = log1 – log(x + a) – log(x + b) – log(x + c)
x के सापेक्ष अवकलन करने पर
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प्रश्न 18.
log ( \(\sqrt{x}\) + \(\frac { 1 }{ \sqrt { x } } \) का x के सापेक्ष अवकल गुणांक ज्ञात कीजिये।
हल:
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 31
x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
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MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 32b

प्रश्न 19.
यदि y = tan-1 ( \(\frac { sinx }{ 1+cosx } \) ) हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिये।
हल:
दिया है:
y = tan-1 ( \(\frac { sinx }{ 1+cosx } \) )
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 33
दोनों पक्षों का x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
अत:
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) ( \(\frac{x}{2}\) ) = \(\frac{1}{2}\)

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प्रश्न 20.
फलन f (x) = x2 के लिए अंतराल [-1, 1] में रोले प्रमेय का सत्यापन कीजिए। (NCERT)
हल:
यहाँ f (x) = x2, a = -1, b = 1

  1. चूँकि f (x) = x2 एक बहुपद फलन है इसलिए f (x) संवृत अंतराल [-1, 1] में संतत है।
  2. f’ (x) = 2x विवृत्त अंतराल (-1, 1) में परिभाषित है इसलिए f (x) विवृत अंतराल (-1, 1) में अवकलनीय है।
  3. f (-1) = (-1)2 = 1, f(1) = (1)2 = 1

∴ f (-1) = f (1)
अतः फलन f (x) रोले प्रमेय के सभी प्रतिबंधों को संतुष्ट करता है।
∴ f'(c) = 0
⇒ 2c = 0 [∵ f'(x) = 2x]
⇒ (c) = 0 ∈ (-1, 1)
अतः रोले प्रमेय सत्यापित होता है।

प्रश्न 21.
फलन f (x) = x2 + 2x – 8 के लिए अंतराल [-4, 2) में रोले प्रमेय का सत्यापन कीजिए। (NCERT)
हल:
यहाँ f (x) = x2 + 2x – 8, a = – 4, b = 2.

  1. f (x) = x2 + 2x – 8 एक बहुपद फलन है इसलिए f (x) संवृत अंतराल [-4, 2] में संतत है।
  2. f’ (x) = 2x + 2 विवृत्त अंतराल (-4, 2) में परिभाषित है इसलिए f (x) विवृत अंतराल (-4, 2) में अवकलनीय है।
  3. f (-4) = (-4)2 + 2 (-4) – 8

= 16 – 8 – 8 = 0
f (2) = (2)2 + 2 × 2 – 8 = 0
f (- 4) = f (2)
अतः f(x) रोले प्रमेय की तीनों शर्तों को संतुष्ट करता है।
∴ f'(c) = 0
⇒ 2c + 2 = 0
⇒ c = -1 ∈ (-4, 2)
अतः रोले प्रमेय सत्यापित होता है।

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प्रश्न 22.
फलन f (x) = 2x2 + x2 – 4x – 2 के लिए रोले प्रमेय का सत्यापन कीजिए।
हल:
चूँकि बहुपद फलन सभी वास्तविक संख्याओं के लिए संतत और अवकलनीय होता है इसलिए f (x) प्रत्येक अंतराल में संतत और अवकलनीय है।
अब f (x) = 0
⇒ 2x3 + x2 – 4x – 2 = 0
⇒ x2(2x + 1) – 2 (2x + 1) = 0
⇒ (x2 – 2) (2x + 1) = 0
⇒ x2 = 2, 2x + 1 = 0
⇒ x = ± \(\sqrt{2}\), x = – \(\frac{1}{2}\)
⇒ x = – \(\sqrt{2}\), \(\sqrt{2}\), \(\frac{-1}{2}\)
अब अंतराल [-\(\sqrt{2}\), \(\sqrt{2}\) ] लेते हैं।

  1. फलन f (x) संवृत अंतराल [-\(\sqrt{2}\), \(\sqrt{2}\) ] में संतत है।
  2. f'(x) = 6x2 + 2x – 4 का अस्तित्व विवृत अंतराल [-\(\sqrt{2}\), \(\sqrt{2}\) ] में है इसलिए f (x) विवृत अंतराल [-\(\sqrt{2}\), \(\sqrt{2}\) ] में अवकलनीय है।
  3. f ( –\(\sqrt{2}\) ) = f ( \(\sqrt{2}\) ) = 0

अतः f (x) रोले प्रमेय के सभी प्रतिबंधों को संतुष्ट करता है।
∴ f'(c) = 0
⇒ 6c2 + 2c – 4 = 0, [∵f'(x) = 6x2 + 2x – 4]
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 33
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 34a
अतः रोले प्रमेय सत्यापित होता है।

प्रश्न 23.
अंतराल [1,3] में फलन f (x) = x + \(\frac{1}{x}\) के लिए मध्यमान प्रमेय का सत्यापन कीजिए।
उत्तर
हल:
f (x) = x + \(\frac{1}{x}\) = \(\frac { x^{ 2 }+1 }{ x } \), x ∈ [1, 3]

  1. चूँकि f(x), x ≠ 0 सहित एक परिमेय फलन है और प्रत्येक परिमेय फलन संतत होता है, इसलिए f (x), [1, 3] में संतत फलन है।
  2. f'(x) = 1 – \(\frac { 1 }{ x^{ 2 } } \) विवृत अंतराल (1, 3) में परिभाषित है और प्रतेक परिमेय फलन संतत होता है इसलिए f (x), [1, 3] में संतत फलन है।
  3. f (1) = 2, f (3) = \(\frac{10}{3}\)

अतः मध्यमान प्रमेय के दोनों प्रतिबंध संतुष्ट होते हैं।
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 35
अत: लैग्रांज का मध्यमान प्रमेय सत्यापित होता है।

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प्रश्न 24.
फलन f (x) = log x का अंतराल [1, e] में मध्यमान प्रमेय का सत्यापन कीजिए।
हल:
f(x) = log x, x ∈ [1, e], x > 0.
a = 1, b = e

  1. चूँकि f (x) = log x, x > 0 एक संतत फलन होता है इसलिए f (x), [1, e] में संतत फलन है।
  2. f'(x) = \(\frac{1}{x}\), में परिभाषित है इसलिए f (x), (1, e) में अवकलनीय है।
  3. f (1) = log 1 = 0, f (e) = log e = 1

अतः मध्यमान प्रमेय की दोनों शर्त संतुष्ट होती हैं।
∴ \(\frac { f(e)-f(1) }{ e-1 } \) = f'(c)
⇒ \(\frac { 1-0 }{ e-1 } \) = \(\frac{1}{e}\)
⇒ c = e – 1 ∈ (1, e)
अत: मध्यमान प्रमेय सत्यापित होता है।

प्रश्न 25.
मध्यमान प्रमेय के प्रयोग से अंतराल [2, 3] में परिभाषित वक्र y = \(\sqrt { x-2 } \) पर एक बिन्दु ज्ञात कीजिए जबकि स्पर्श रेखा वक्र के बिन्दुओं को मिलाने वाली जीवा के समांतर है।
हल:
f (x) = \(\sqrt { x-2 } \), a = 2, b = 3

  1. चूँकि f(x) = \(\sqrt { x-2 } \), x ∈ [2,3] के लिए परिभाषित है इसलिए f (x), [2, 3] में संतत फलन है।
  2. f'(x) = \(\frac { 1 }{ 2\sqrt { x-2 } } \) विवृत अंतराल (2, 3) में परिभाषित है इसलिए f (x), (2, 3) में अवकलनीय है।
  3. f (2) = 0, f (3) = 1

अतः मध्यमान प्रमेय के दोनों प्रतिबंध संतुष्ट होते हैं।
∴ \(\frac { f(3)-f(2) }{ 3-2 } \) = f’ (c)
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 36
अभीष्ट निर्देशांक ( \(\frac{9}{4}\), \(\frac{1}{2}\) ) हैं।

अवकलन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न – II

प्रश्न 1.
यदि y = sin-1 \(\frac { 2^{ x+1 } }{ 1+4^{ x } } \) हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) ज्ञात कीजिए। (NCERT)
हल:
दिया है:
y = sin-1 \(\frac { 2^{ x+1 } }{ 1+4^{ x } } \)
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 37
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 37

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प्रश्न 2.
यदि y = sin-1 x हो, तो सिद्ध कीजिए कि (1 – x2) \(\frac { d^{ 2 }y }{ dx^{ 2 } } \) – x \(\frac{dy}{dx}\) = 0? (NCERT)
हल:
दिया है:
y = sin-1 x
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{d}{dx}\) (sin-1 x)
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac { 1 }{ \sqrt { 1-x^{ 2 } } } \)
\(\frac{d}{dx}\) ( \(\frac{dy}{dx}\) ) = \(\frac{d}{dx}\) (1 – x2)-1/2
1 – x2 = t रखने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 38

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प्रश्न 3.
यदि y = tan x + sec x हो, तो सिद्ध कीजिए कि \(\frac { d^{ 2 }y }{ dx^{ 2 } } \) = \(\frac { cosx }{ (1-sinx)^{ 2 } } \)
हल:
दिया है:
y = tan x + sec x
\(\frac{dy}{dx}\) = sec2 x + sec x tan x
⇒ \(\frac{dy}{dx}\) = sec x (sec x + tan x)
⇒ \(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac{1}{cosx}\) = [ \(\frac { 1 }{ cosx } +\frac { sinx }{ cosx } \) ]
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 39

प्रश्न 4.
यदि y = sin (sin x) हो, तो सिद्ध कीजिए कि
y2 + y1 tan x + y cos2 x = 0? (CBSE 2018)
हल:
y = sin (sin x) ………………………. (1)
x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
y1 = cos (sin x). cos x
पुनः x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
y2 = cos(sin x)\(\frac { d }{ dx } \) (cos x) + cos x \(\frac { d }{ dx } \) {cos(sin x)}
= cos(sin x)(- sin x) + (cos x) [- sin(sin x)]cos x
⇒ y2 = – sin x cos(sin x) – cos2 x sin(sin x)
⇒ y2 = – sin x cos(sin x) – y cos2 x, [ समी. (1) से ]
⇒ y2 = [ – \(\frac { sinx }{ cosx } .cosx\) ] cos(sin x) – y cos2 x
⇒ y2 = (- tan x) y1 – y cos2 x, [ समी. (2) से ]
⇒ y2 + y1 tan x + y cos2 x = 0. यही सिद्ध करना था।

प्रश्न 5.
\(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए यदि (x2 + y2)2 = xy? (CBSE 2018)
हल:
(x2 + y2)2 = xy
दोनों पक्षों के प्रत्येक पद का x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
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प्रश्न 6.
यदि y = 500e7x + 600e-7x हो, तो सिद्ध कीजिए कि \(\frac { d^{ 2 }y }{ dx^{ 2 } } \) = 49 y? (NCERT)
हल:
दिया है:
y = 500e7x + 600e-7x
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 42a

प्रश्न 7.
यदि y = (tan-1 x)2 हो, तो दर्शाइए कि (x2 + 1)2 y2 + 2x(x2 + 1) y1 = 2 है। (NCERT)
हल:
दिया है:
y = (tan-1 x)2
tan-1 x = t रखने पर,
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प्रश्न 8.
sec-1 ( \(\frac { 1 }{ 2x^{ 2 }-1 } \) ) के सापेक्ष अवकल गुणांक ज्ञात कीजिए।
हल:
माना y1 = sec-1 = ( \(\frac { 1 }{ 2x^{ 2 }-1 } \) )
⇒ y1 = cos-1 (2x2 – 1)
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 44a

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प्रश्न 9.
tan-1 ( \(\frac { 2x }{ 1-x^{ 2 } } \) ) का sin-1 ( \(\frac { 2x }{ 1+x^{ 2 } } \) ) के सापेक्ष अवकल गुणांक ज्ञात कीजिए।
हल:
माना y1 = tan-1 ( \(\frac { 2x }{ 1-x^{ 2 } } \) ) तथा y2 = sin-1 ( \(\frac { 2x }{ 1+x^{ 2 } } \) )
माना x = tan θ, अत: θ = tan-1 x
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प्रश्न 10.
tan-1 ( \(\frac { \sqrt { 1+x^{ 2 }-1 } }{ x } \) ) का tan-1 x के सापेक्ष अवकल गुणांक ज्ञात कीजिए।
हल:
माना y1 = tan-1 ( \(\frac { \sqrt { 1+x^{ 2 }-1 } }{ x } \) )
x = tan θ रखने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 46
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 46a

प्रश्न 11.
यदि x \(\sqrt { 1+y } \) + y \(\sqrt { 1+x } \) = 0 हो, तो सिद्ध कीजिए कि
\(\frac{dy}{dx}\) = – (1 + x)-2
हल:
दिया है:
x \(\sqrt { 1+y } \) + y \(\sqrt { 1+x } \) = 0
⇒ x \(\sqrt { 1+y } \) = – y \(\sqrt { 1+x } \)
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर,
x2 (1 + y) = y2 (1 + x)
⇒ x2 + x2y = xy2 + y2
⇒ x2 – y2 + x2y – xy2 = 0
⇒ (x – y)(x + y) + xy (x – y) = 0
⇒ (x – y)(x + y + xy) = 0
अतः था तो  x – y = 0
⇒ x = y
किंतु  x ≠ y
∴ x + y+ xy = 0
⇒ y(1 + x) = -x
∴ y = –\(\frac { x }{ x+1 } \)
दोनों पक्षों का x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 48
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 48a

प्रश्न 12.
यदि y \(\sqrt { 1-x^{ 2 } } \) + x \(\sqrt { 1-y^{ 2 } } \) = 1 हो, तो सिद्ध कीजिए कि
\(\frac{dy}{dx}\) + \(\sqrt { \frac { 1-y^{ 2 } }{ 1-x^{ 2 } } } \) = 0?
हल:
दिया है:
y \(\sqrt { 1-x^{ 2 } } \) + x \(\sqrt { 1-y^{ 2 } } \) = 1
अब x = sin θ तथा y = sin ∅ लेने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 49

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प्रश्न 13.
(A) यदि y = xsin-1x + xx
हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है:
y = xsin-1x + xx
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(B)
यदि y = xtan-1x + xx हो, तो \(\frac{dy}{dx}\) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्न क्र. 13 (A) की भाँति हल करें।

प्रश्न 14.
यदि sin y = x sin (a + y) हो, तो सिद्ध कीजिए कि,
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac { sin^{ 2 }(a+y) }{ sina } \)
हल:
दिया है:
sin y = x sin (a + y)
x = \(\frac { siny }{ sin(a+y) } \)
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 51

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प्रश्न 15.
यदि xy = ex-y हो, तो सिद्ध कीजिए कि \(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac { logx }{ (1+logx)^{ 2 } } \)?
हल:
दिया है:
xy = ex-y
दोनों पक्षों का लघुगणक लेने पर,
y log x = (x – y) loge e
⇒ y log x = (x – y).1 = x – y
दोनों पक्षों का x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 52
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 52a

प्रश्न 16.
यदि xy = ey-x हो, तो सिद्ध कीजिए कि
\(\frac{dy}{dx}\) = \(\frac { 2-log_{ e }x }{ (i-log_{ e }x)^{ 2 } } \)?
हल:
दिया है:
xy = ey-x
दोनों पक्षों में log लेने पर,
∴ loge xy = loge(ey-x)
⇒ y loge x = (y – x) loge e
⇒ y loge x = y – x,
⇒ y(1 – loge x) = x
⇒ y = \(\frac { x }{ 1-log_{ e }x } \)
अब दोनों पक्षों का x के सापेक्ष अवकलन करने पर,
MP Board Class 12th Maths Important Questions Chapter 5B अवकलन img 54

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MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 10 मेरे बचपन के दिन

MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 10 मेरे बचपन के दिन

मेरे बचपन के दिन अभ्यास

मेरे बचपन के दिन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
महादेवी वर्मा ने अपने बचपन में सबसे पहली कौन-सी पुस्तक पढ़ी? (2016)
उत्तर:
महादेवी वर्मा ने अपने बचपन में पहली पुस्तक पंचतन्त्र पढ़ी।

प्रश्न 2.
छात्रावास में महादेवी वर्मा की पहली साथिन कौन थी?
उत्तर:
छात्रावास में महादेवी वर्मा की पहली साथिन सुभद्रा कुमारी चौहान थीं।

प्रश्न 3.
लेखिका के भाई का नामकरण किसने किया था?
उत्तर:
लेखिका के भाई का नामकरण “जवारा” की बेगम साहिबा, जिनको वह ताई कहती थी, उन्होंने किया।

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मेरे बचपन के दिन लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पुरस्कार में मिले चाँदी के कटोरे को देखकर लेखिका को दुःख के साथ-साथ प्रसन्नता क्यों हुई?
उत्तर:
पुरस्कार में मिले चाँदी के कटोरे को देखकर लेखिका को दुःख के साथ प्रसन्नता इस कारण हुई क्योंकि उपहार में मिला चाँदी का कटोरा बापू ने ले लिया था, दुःख इस कारण हुआ क्योंकि उन्होंने कविता सुनाने के लिये नहीं कहा था। इस प्रकार लेखिका को दु:ख व प्रसन्नता की अनुभूति साथ-साथ हुई।

प्रश्न 2.
लेखिका और सहेलियाँ अपने जेब खर्च के पैसे क्यों बचाती थीं?
उत्तर:
लेखिका और उनकी सहेलियाँ अपने जेब खर्च के पैसे देश के लिए बचाती थीं और जब बापू आते थे तब वह पैसा उन्हें दे देती थीं।

प्रश्न 3.
लेखिका की ताई साहिबा उनके भाई के जन्म पर कपड़े लेकर क्यों आई थीं? (2014)
उत्तर:
लेखिका की ताई साहिबा उनके भाई के जन्म पर कपड़े इसलिए लाईं, क्योंकि छोटे बच्चों को माँ के यहाँ के कपड़े पहनाते हैं। यदि माँ न हो तो ताई या चाची छ: महीने तक बच्चे को कपड़े पहनाती हैं। इसी कारण ताई साहिबा उनके भाई के जन्म पर कपड़े लेकर आयीं थीं।

मेरे बचपन के दिन दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लेखिका ने अपनी माँ की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर:
लेखिका ने अपनी माँ की निम्नलिखित विशेषताओं का वर्णन किया है-
(1) आदर्श महिला-महादेवी वर्मा की माँ एक आदर्श महिला थीं। वे परिवार व बच्चों के प्रति जागरूक थीं। बच्चों की प्रत्येक गतिविधि को स्वयं देखती थीं। महादेवी वर्मा की शिक्षा में सबसे अधिक उनकी माँ का ही सहयोग था क्योंकि महादेवी को संस्कृत में रुचि थी। इस कार्य में उन्हें अपनी माँ के द्वारा सहायता मिल जाती थी।

(2) धर्मपरायण-महादेवी वर्मा की माँ धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। सुबह होते ही वे गीता पढ़ती थीं। इसके अतिरिक्त वे मीरा के भजन भी गाती थीं। इसी कारण महादेवी वर्मा को बचपन से ही काव्यमय वातावरण मिला। अपनी माँ के साथ-साथ महादेवी वर्मा भी गाते-गाते तुकबन्दी करना सीख गयी थीं। महादेवी वर्मा को आगे बढ़ने में उनकी माँ से प्रेरणा मिली।

(3) आदर्श माँ-महादेवी वर्मा को अपनी माँ के रूप में आदर्श शिक्षिका मिल गयी थी, क्योंकि महादेवी वर्मा को जब मौलवी साहब पढ़ाने के लिये आते थे वे चारपाई के नीचे छिप जाती थीं, लेकिन अपनी माँ के द्वारा लायी गयी पुस्तक ‘पंचतन्त्र’ उन्हें बहुत अच्छी लगी। उन्होंने सबसे पहले इसी पुस्तक को पढ़ा। इसके अतिरिक्त जब भी कभी कोई कविता लिखती वे अपनी माँ को अवश्य सुनाती थीं। माँ लेखिका को भाई व परिवार के अन्य सदस्यों से प्रेमपूर्ण व्यवहार करने को कहती थी। माँ को जातिगत भेदभाव तनिक भी पसन्द न था।

(4) उत्तम संस्कार-महादेवी वर्मा ने माँ के उत्तम संस्कारों के विषय में इस प्रकार कहा “जब मैं विद्यापीठ आई तब तक मेरे बचपन का वही क्रम जो आज तक चलता आ रहा है। कभी-कभी बचपन के संस्कार ऐसे होते हैं कि हम बड़े हो जाते हैं, तब तक चलते हैं।” वे अपनी माँ के सानिध्य में अधिक रहती थीं अत: माँ के संस्कारों से प्रभावित थीं।

(5) सबके प्रति अपनत्व की भावना-माँ मानवता के उच्च धरातल पर प्रतिष्ठित थीं। इसी कारण जब बेगम साहिबा उनके घर आती थीं तो उनको पूरा सम्मान देकर ताई कहकर बुलाती थीं। यहाँ तक महादेवी की माँ ने बेगम साहिबा द्वारा रखा गया उनके भाई का नाम हमेशा के लिए मनमोहन ही रखा। इस प्रकार उनकी माँ ने कभी अपने-पराये का भेद न रखा।

बेगम साहिबा के एक बेटा भी था जब राखी का त्यौहार आता था तब वे महादेवी वर्मा से इस प्रकार कहती थीं, “बहनों को राखी बाँधनी चाहिए, राखी के दिन सवेरे से पानी भी नहीं पीने देती थीं।”

निष्कर्ष में कह सकते हैं महादेवी की माँ एक ऐसी उच्च संस्कारों से सम्पन्न महिला थीं जो समाज को अपने स्नेह सम्बन्धों से एकता के सूत्र में बाँधने की इच्छुक थीं। मानव-मानव के मध्य धर्म, सम्प्रदाय एवं जातिगत दीवार खड़ी करने की घोर विरोधी थी। उनका चरित्र आधुनिक महिलाओं के लिये एक अनुकरणीय उदाहरण है।

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प्रश्न 2.
लेखिका के बचपन के दिनों के सामाजिक तथा भाषायी वातावरण का चित्रण कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक वातावरण-लेखिका के बचपन के दिनों में समाज का वातावरण अच्छा था। घर में तथा परिवार में आपस में प्रेम था। लोगों में आपसी सम्बन्ध सगे-सम्बन्धियों की भाँति थे। लेन-देन और व्यवहार में अपनत्व की भावना थी। निम्नलिखित उदाहरण में देखें-

“बेगम साहिबा कहती थीं ‘हमको ताई कहो !’ हम लोग उन्हें ‘ताई साहिबा’ कहते थे। उनके बच्चे हमारी माँ को चाचीजान कहते थे। हमारे जन्म दिन वहाँ मनाए जाते थे। उनके जन्मदिन हमारे यहाँ मनाए जाते थे। समाज में एक-दूसरे को अपनत्व के अतिरिक्त पूरा सम्मान दिया जाता था।” देखिये-

“हमारी माँ को दुल्हन कहती थीं। कहने लगी दुल्हन, जिनके ताई-चाची नहीं होती वो अपनी माँ के कपड़े पहनते हैं।” इस प्रकार लेखिका ने इस संस्मरण के माध्यम से सामाजिक स्थिति को स्पष्ट किया है।

भाषायी वातावरण – समाज में यदि आपसी प्रेम भाव हो तो भाषा के कारण कहीं भी विवाद हो ही नहीं सकता। अत: किसी को भी कोई भी भाषा पढ़ने-लिखने की कोई परेशानी न थी। सभी भाषाओं को सम्मान दिया जाता था। व्यक्ति को किसी भी भाषा के बोलने की स्वतन्त्रता थी। अतः भाषा की दृष्टि से वातावरण सुखद था, आपस में कोई विवाद न था। उदाहरण देखें-

“उस समय यह देखा मैंने कि साम्प्रदायिकता नहीं थी। जो अवध की लड़कियाँ थीं, वे आपस में अवधी बोलती थीं, बुन्देलखण्डी भी आती थीं, वे बुंदेली में बोलती थीं। इसके अलावा प्रत्येक को पूर्ण अधिकार था.चाहे वह उर्दू बोले, मराठी या अन्य भाषा, सब एक-दूसरे की भाषा का सम्मान करते थे। एक-दूसरे को प्रेमपूर्वक अपनी भाषा सिखा भी देते थे। इसी कारण भाषा की दृष्टि से वातावरण अच्छा था।”

प्रश्न 3.
परिवारों में लड़कियों के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए? (2009)
उत्तर:
“मेरे बचपन के दिन” संस्मरण के द्वारा महादेवी वर्मा ने परिवार में लड़कियों की स्थिति के बारे में स्पष्ट किया है। महादेवी वर्मा ने यह बताने का प्रयास किया है कि उनके समय में परिवार में लड़कियों की स्थिति सम्मानजनक थी। जब उनके परिवार में कोई भी कन्या दो सौ वर्ष तक न जन्मी तब परिवार वालों ने कन्या का जन्म न होना दैवीय प्रकोप समझा।

इसके पश्चात् कुल देवी की आराधना के उपरान्त जन्मी कन्या की खातिर की गयी व उसकी शिक्षा-दीक्षा का अच्छा प्रबन्ध किया। इस संस्मरण के माध्यम से लेखिका ने परिवार में लड़कियों की स्थिति को आदर्श दिखाने का प्रयत्न किया है।

(1) परिवार में सम्मान – परिवार में लड़कियों को सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए। लड़कियों को व लड़कों को एक समान दृष्टि से देखना चाहिए। उस समय लड़कियों को इतना सम्मान मिलता था। निम्न उदाहरण से स्पष्ट है-देखिये

“उनका एक लड़का था उसको राखी बाँधने को वे कहती थीं। बहनों को राखी बाँधनी चाहिए। राखी के दिन सवेरे से पानी भी नहीं देती थीं, राखी के दिन बहनें राखी बाँध जाएँ तब तक भाई को निराहार रहना चाहिए।” इस प्रकार बताया है कि परिवार में लड़कियों का आदर होता था।

(2) शिक्षा प्राप्त करने की स्वतन्त्रता – परिवार में लड़कियों को पढ़ने-लिखने की पूर्ण स्वतन्त्रता होनी चाहिये। इस संस्मरण के माध्यम से लेखिका ने बताया है कि जब उनको घर पर पढ़ना अच्छा न लगा तो उनकी शिक्षा का प्रबन्ध विद्यालय में किया गया।

लड़कियों को पढ़ाने के लिये उनकी रुचि के अनुसार पढ़ने देना चाहिये। लड़कियाँ शहर में ही नहीं अन्य शहरों में छात्रावास में भी रहकर पढ़ सकती हैं। आज से वर्षों पूर्व जब लड़कियाँ बाहर छात्रावासों में रहकर शिक्षा ग्रहण कर सकती थीं तो बदलती हुई परिस्थितियों में लड़कियों पर अंकुश नहीं लगाना चाहिये।

(3) सभा व सम्मेलनों में भाग लेने की स्वतन्त्रता-इस संस्मरण के द्वारा लेखिका ने बताया है कि लड़कियाँ उन्मुक्त होकर सभा, सोसाइटियों एवं सम्मेलनों में भाग ले सकती हैं। उस समय स्त्री-पुरुष एक साथ सम्मेलन में भाग लिया करते थे। आपस में वार्तालाप भी करते थे। इस प्रकार पर्दा-प्रथा व स्त्री-पुरुष के मेल-मिलाप की स्वतन्त्रता थी-उदाहरण देखें-

“हम कविता सुनाते थे हरिऔध जी, अध्यक्ष होते थे, श्रीधर पाठक होते थे कभी रत्नाकर जी होते थे, कभी कोई और होता था।” इस प्रकार बताया है कि लड़कियों को कविता करने व सभाओं में जाने की स्वतन्त्रता होनी चाहिए।

(4) जाति-पाँति के भेदभाव से मुक्त-इस संस्मरण के माध्यम से लेखिका ने बताया है कि लड़कियों को जाति-पाँति के बन्धन से मुक्त रखना चाहिए जिससे वे बाहर शिक्षा ग्रहण करने जाये तो उन्हें किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो। ये समस्त संस्कार लड़कियों को परिवार से ही प्राप्त होते हैं। अतः परिवार में जाँति-पाँति का बन्धन नहीं होना चाहिये।

(5) भाषा की स्वतन्त्रता-परिवार में लड़कियों को उनकी इच्छानुसार भाषा बोलने का अधिकार होना चाहिए।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि परिवार के अन्तर्गत लड़के एवं लड़कियों के मध्य भेदभाव की भावना नहीं रखनी चाहिए। दोनों को समान दृष्टि से देखकर उन्नति की मंजिल की ओर कदम बढ़ाने का अवसर प्रदान करना चाहिए। तभी समाज पल्लवित-पुष्पित एवं विकास की ओर उन्मुख हो सकेगा।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
(क) हम हिन्दी ……… नहीं होता था।
(ख) उनके यहाँ भी ………… सपना खो गया है।
उत्तर:
(क) सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
इस गद्यांश में महादेवी वर्मा ने छात्रावास के आदर्श एवं सद्भावना के वातावरण का उल्लेख किया है।

व्याख्या :
जब महादेवी वर्मा छात्रावास में रह रही थीं, उस समय अध्ययन करने वाली सहयोगी छात्राओं में जाति सम्बन्धी एवं भाषा विषयक भेदभाव तनिक भी विद्यमान नहीं था। सब अपनी-अपनी भाषाओं का स्वतन्त्रतापूर्वक निसंकोच प्रयोग करते थे।

उस समय विद्यालय में हिन्दी के अतिरिक्त उर्दू भाषा की भी शिक्षा प्रदान की जाती थी। प्रान्तीयता की भावना छात्राओं के मन-मानस में न थी। वार्तालाप में छात्राएँ अपनी भाषा का प्रयोग करती थीं। मेस में हम सभी एक साथ बैठकर भोजन करते थे। प्रार्थना भी सम्मिलित रूप से होती थी। सब तर्क-वितर्क से कोसों दूर थे। सब प्रेम के सूत्र में आबद्ध होकर जीवन-यापन करते थे।

(ख) सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश के द्वारा महादेवी वर्मा ने अपने बाल्यकाल की, परिवार एवं समाज की झाँकी प्रस्तुत करके यह बताने का प्रयत्न किया है, कि उनके समय में वातावरण बहुत सौहार्द्रपूर्ण था।

व्याख्या :
महादेवी वर्मा ने इस गद्यांश में अपने भाई प्रोफेसर मनमोहन वर्मा के विश्वविद्यालय की स्थिति का वर्णन करते हुए बताया है। प्रोफेसर मनमोहन वर्मा का नाम बचपन में बेगम साहिबा ने रखा। उनका नाम सदैव वही रहा, क्योंकि हमारे मन में कोई भी जातिवाद की भावना न थी। जिस प्रकार घरों में जाति-पाँति का भेदभाव न था उसी प्रकार विद्यालयों में भी भाषागत भेदभाव न था। प्रोफेसर मनमोहन के विद्यालय में भी हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाएँ सिखाई जाती थीं जबकि हम लोग घर पर परस्पर अवधी भाषा का प्रयोग करते थे।

इस प्रकार भाषा प्रयोग के लिए किसी पर कोई भी रोक-टोक न थी। परिवार और समाज में एक-दूसरे के प्रति सद्भावना और अत्यधिक स्नेह था। सभी आपस में एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए थे। परन्तु आज समाज में परिवारों एवं समाज में जातिगत एवं भाषागत भेद-भाव और आपसी मनमुटाव को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि वे सब बातें स्वप्नवत् थीं। जिस प्रकार स्वप्न नींद खुलने के बाद टूट जाता है उसी प्रकार पिछली बातें स्वप्नवत् ही प्रतीत होती हैं, क्योंकि पूर्व जैसी स्थिति आज न तो परिवार में दिखायी देती है न ही विद्यालयों में।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव पल्लवन कीजिए
(क) बचपन की स्मृतियों में एक विचित्र-सा आकर्षण होता है। (2010)
(ख) परिस्थितियाँ सदैव एक सी नहीं रहती हैं।
उत्तर:
(क) उपर्युक्त कथन में महादेवी वर्मा ने अपनी बाल्यावस्था से जुड़ी समस्त बातों को याद करते हुए कहा है कि बचपन की यादों में एक अनोखा सा सम्मोहन होता है, क्योंकि जब मानव अपनी बचपन की बातें याद करता है तो वे सभी बातें अद्भुत-सी प्रतीत होती हैं। बड़े होने के उपरान्त भी व्यक्ति को उन बातों से बहुत लगाव-सा होता है।

जब व्यक्ति अपने बचपन की यादों में खो जाता है, तब वह बड़ा होने पर बचपन की उन अनुभूतियों को स्मरण करके प्रसन्नता का अनुभव करता है, क्योंकि बचपन की सभी यादें क्रमशः हमारे मस्तिष्क पर चित्रपट की रीलों की भाँति एक-एक करके दृष्टिगोचर होने लगती हैं तथा हम उन यादों में खोकर एक अनिर्वचनीय सुख का अनुभव करते हैं।

(ख) महादेवी वर्मा ने इस कथन के द्वारा यह बताने का प्रयत्न किया है कि व्यक्ति के जीवन में परिस्थितियाँ हमेशा एक-सी नहीं रहती हैं। जिस प्रकार राह-चलते समय उतार-चढ़ाव होता है। सुख व दुःख तथा रात और दिन क्रम से आते हैं। उसी प्रकार जीवन में हर क्षण बदलाव होता रहता है। कभी-भी संसार में कोई भी वस्तु एक समान नहीं रहती। परिवर्तन जीवन का शाश्वत नियम है। परिवर्तन के अनुसार परिस्थितियाँ भी परिवर्तित होती हैं। इस सन्दर्भ में लेखक का निम्न कथन देखिए-
“चलाचल ओ राही तू राह न कर कुछ मग की परवाह।
विश्व के कण-कण में तू खेलता रहता है परिवर्तन ॥”

प्रश्न 6.
“शायद वह सपना सत्य हो जाता तो भारत की कथा कुछ और होती।” कथन के आधार पर भारत की वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आज से लगभग सौ वर्ष पूर्व भारत की सामाजिक परिस्थिति पूर्णरूप से भिन्न थी। समाज में आपस में प्रेम पूर्ण सम्बन्ध होते थे। इस कारण आपसी मनमुटाव नहीं होता था। लोग दूसरों के प्रति त्याग और सद्भाव की भावना रखते थे। लेकिन आज का मानव प्रत्येक सम्बन्ध को स्वार्थ की दृष्टि से देखता है। यदि व्यक्ति का स्वार्थ निहित है, तो वह उसके लिये कोई भी कार्य करना चाहेगा अन्यथा वह उसे देखकर अनजान बन जायेगा।

आज के समाज में इस बदलाव के कारण साम्प्रदायिक झगड़े होते रहते हैं। परिवारों में भी विवाद उत्पन्न होते रहते हैं। परिणामस्वरूप पारिवारिक विघटन हो गया है। पत्नी एवं पति व बच्चों की भी आपस में नहीं पटती है। पति-पत्नी में सम्बन्ध विच्छेद हो जाते हैं। बच्चे वृद्ध होने पर माता-पिता को सम्मान नहीं देते हैं। वे उनके साथ अशोभनीय व्यवहार करते हैं।

यदि आज भी 100 वर्ष पूर्व की सामाजिक स्थिति होती तो आज शायद जो समाज की व्यवस्था है, उस प्रकार की व्यवस्था कदापि न होती। पिछली सभी बातें स्वप्नवत् प्रतीत होती हैं। जिस प्रकार की आज की सामाजिक परिस्थितियाँ हैं, उन्हीं के कारण आजकल लूटपाट, हत्याएँ एवं चोरी-डकैती व अन्याय अत्याचार होते हैं।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि आज की सामाजिक परिस्थितियाँ इतनी घणित एवं अशोभनीय हो गयी हैं कि हमारा मस्तक लज्जा से झुक जाता है। आज देश के उत्थान के लिए पुरानी प्रगतिशील मान्यताओं का अपनापन परम आवश्यक है। राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त के शब्दों में-
“परिवर्तन ही उन्नति है, तो अब क्यों बढ़ते जाते हैं।
किन्तु मुझे तो सीधे सच्चे पूर्ण भाव ही भाते हैं।।”

मेरे बचपन के दिन भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिएअनंत, निरपराधी, दण्ड, शांति।
उत्तर:
अनंत – अन्त, निरपराधी – अपराधी, दण्ड – पुरस्कार, शांति – अशांति।

प्रश्न 2.
निम्न शब्दों के सामने दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प लिखिए
(अ) निराहारी – (निर + आहार + ई) (निरा + हारी) (निराह + आरी)
(आ) अप्रसन्नता – (अप्र + सन्नता) (अ + प्रसन्नता) (अ + प्रसन्न + ता)
(इ) अपनापन – (अप + नापन) (अपन + आपन) (अपना + पन)
(ई) किनारीदार – (कि + नारी + दार) (किनारी + दार) (किना + रीदार)
उत्तर:
(अ) (निर + आहार + ई)
(आ) (अ + प्रसन्न + ता)
(इ) (अपना + पन)
(ई) (किनारी + दार)।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव तथा विदेशी शब्द पहचानकर लिखिए
दर्जे, मेज, जेब, छात्रावास, मित्र, हॉस्टल, प्रथम, कटोरा, भवन, खर्च, खीर, द्वंद, कपड़े, सपना।
उत्तर:
तत्सम शब्द – छात्रावास, मित्र, प्रथम, भवन।
तद्भव शब्द – खीर, सपना, द्वंद, कपड़े।
विदेशी शब्द – दर्जे, मेज, जेब, हॉस्टल, कटोरा, खर्च।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द युग्मों में से पूर्ण पुनरुक्त, अपूर्ण पुनरुक्त, प्रतिध्वन्यात्मक शब्द और भिन्नार्थक शब्द छाँटकर लिखिए-
पहले-पहल, रोने-धोने, सुन-सुन, प्रचार-प्रसार, जहाँ-तहाँ, कुछ-कुछ, कपड़े-वपड़े, इकड़े-तिकड़े, बार-बार, मिली-जुली, ताई-चाची।
उत्तर:

  1. पूर्ण पुनरुक्त शब्द-सुन-सुन, कुछ-कुछ, बार-बार।
  2. अपूर्ण पुनरुक्त शब्द-पहले-पहल, प्रचार-प्रसार, जहाँ-तहाँ, मिली-जुली।
  3. प्रतिध्वन्यात्मक शब्द-रोने-धोने, कपड़े-वपड़े, इकड़े-तिकड़े।
  4. भिन्नार्थक शब्द-ताई-चाची।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के बीच योजक चिह्न (-) का प्रयोग किस स्थिति को स्पष्ट करता है-
कुल-देवी, दुर्गा-पूजा, जेब-खर्च, कवि-सम्मेलन।
उत्तर:

  1. कुल-देवी-कुल की देवी-सम्बन्धकारक योजक चिह्न
  2. दुर्गा-पूजा-दुर्गा की पूजा-सम्बन्धकारक योजक चिह्न
  3. जेब-खर्च-जेब का खर्च-सम्बन्धकारक योजक चिह्न
  4. कवि-सम्मेलन-कवियों का सम्मेलन-सम्बन्धकारक योजक चिह्न।

मेरे बचपन के दिन पाठ का सारांश

महादेवी वर्मा संस्मरण एवं रेखाचित्रों की सुप्रसिद्ध लेखिका हैं। प्रस्तुत “मेरे बचपन के दिन” नामक संस्मरण में उन्होंने जो पारिवारिक, शैक्षिक एवं सामाजिक सम्बन्धों के हृदयस्पर्शी एवं भावपूर्ण चित्र उकेरे हैं, वे मर्मस्पर्शी हैं।

संस्मरण में धर्मों एवं भाषा बोली की समरसता का अत्यन्त ही भावपूर्ण अंकन है। संस्मरण में पूज्य बाबू द्वारा लेखिका को दिये गये पुरस्कार स्वरूप मिले चाँदी के कटोरे को बाप के माँग लेने का अत्यन्त ही हृदयस्पर्शी चित्रण है।

संस्मरण में सुभद्रा कुमारी चौहान तथा जेबुन्निसा एवं जवारा नबाव के परिवार के साथ सम्बन्धों का उल्लेख है। अध्ययन करते समय लेखिका जिन लड़कियों के सम्पर्क में आयी, उनका भी विवरण है। स्वतन्त्रता आन्दोलन की भी चर्चा है।

मेरे बचपन के दिन कठिन शब्दार्थ

बचपन = बाल्यावस्था। विचित्र = अनोखा। आकर्षण = लगाव। उत्पन्न = पैदा। अवश्य = जरूर। वश = सामर्थ्य। उपरान्त = बाद में। साथिन = सहेली, सहयोगी। तलाशी = ढूँढ़ना। मित्रता = दोस्ती। बेचैनी = व्याकुलता। पुरस्कार = इनाम, उपहार। हमेशा = सदैव। प्रसन्नता = खुशी। अवकाश = छुट्टी। विवाद = तर्क। इकड़े-तिकड़े = इधर-उधर। मुहर्रम = मुसलमानों का त्यौहार । दुल्हन = वधू। लोकर-लोकर = मराठी मूलशब्द अर्थात् जल्दी-जल्दी। नेग = मांगलिक अवसरों पर सगे-सम्बन्धियों को उपहार देने की रस्म। निराहार = बिना भोजन के।

मेरे बचपन के दिन संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. हमारी कुल-देवी दुर्गा थीं। मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई। परिवार में बाबा फारसी और उर्द जानते थे। पिता ने अंग्रेजी पढ़ी थी। हिन्दी का कोई वातावरण नहीं था।

सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘मेरे बचपन के दिन’ नामक पाठ से अवतरित है। इसकी लेखिका महादेवी वर्मा हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश में महादेवी ने अपने जन्म तथा परिवार के बारे में बताया है।

व्याख्या :
महादेवी वर्मा का जन्म दुर्गा जी की आराधना के बाद हुआ था। उनके जन्म से दो सौ वर्ष पूर्व तक उनके घर में कोई भी कन्या न थी। इसी कारण जब महादेवी वर्मा का जन्म हुआ सबसे पहले कुल देवी दुर्गाजी का पूजा-पाठ किया गया। उसके पश्चात् महादेवी को बहुत लाड़-प्यार से रखा गया। महादेवी वर्मा ने अपने बाबा के विषय में लिखा है। उनके बाबा को फारसी और उर्दू भाषा का ज्ञान था। इसके अतिरिक्त उनके पिताजी को केवल अंग्रेजी भाषा आती थी। इस प्रकार महादेवी वर्मा के परिवार में हिन्दी भाषा का कोई भी वातावरण नहीं था।

विशेष :

  1. भाषा सरल व सुबोध है, शैली विचारात्मक है।
  2. महादेवी वर्मा ने लड़कियों के महत्त्व को दर्शाने का प्रयत्न किया है।
  3. भाषा में प्रचलित शब्दों का व उर्दू शब्दों का प्रयोग है, जैसे-खातिर।”
  4. कुलदेवी में सामासिक पद है।

2. हम पढ़ते हिन्दी थे। उर्दू भी हमको पढ़ाई जाती थी, परन्तु आपस में हम अपनी भाषा में ही बोलती थीं। वह बहुत बड़ी बात थी। हम एक मेस में खाना खाते थे, एक प्रार्थना में खड़े होते थे, कोई विवाद नहीं होता था। (2010)

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
इस गद्यांश में महादेवी वर्मा ने छात्रावास के आदर्श एवं सद्भावना के वातावरण का उल्लेख किया है।

व्याख्या :
जब महादेवी वर्मा छात्रावास में रह रही थीं, उस समय अध्ययन करने वाली सहयोगी छात्राओं में जाति सम्बन्धी एवं भाषा विषयक भेदभाव तनिक भी विद्यमान नहीं था। सब अपनी-अपनी भाषाओं का स्वतन्त्रतापूर्वक निसंकोच प्रयोग करते थे।

उस समय विद्यालय में हिन्दी के अतिरिक्त उर्दू भाषा की भी शिक्षा प्रदान की जाती थी। प्रान्तीयता की भावना छात्राओं के मन-मानस में न थी। वार्तालाप में छात्राएँ अपनी भाषा का प्रयोग करती थीं। मेस में हम सभी एक साथ बैठकर भोजन करते थे। प्रार्थना भी सम्मिलित रूप से होती थी। सब तर्क-वितर्क से कोसों दूर थे। सब प्रेम के सूत्र में आबद्ध होकर जीवन-यापन करते थे।

विशेष :

  1. छात्रावास के आदर्श वातावरण का चित्रण है।
  2. शैली सरल व सुबोध है।
  3. एकता की भावना का प्रतिपादन है।

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3. उनके यहाँ भी हिन्दी चलाई जाती थी, उर्दू भी चलती थी। यों, अपने घर में वे अवधी बोलती थीं। वातावरण ऐसा था उस समय कि हम लोग बहुत निकट थे। आज की स्थिति देखकर लगता है, जैसे वह सपना ही था। आज वह सपना खो गया है।

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश के द्वारा महादेवी वर्मा ने अपने बाल्यकाल की, परिवार एवं समाज की झाँकी प्रस्तुत करके यह बताने का प्रयत्न किया है, कि उनके समय में वातावरण बहुत सौहार्द्रपूर्ण था।

व्याख्या :
महादेवी वर्मा ने इस गद्यांश में अपने भाई प्रोफेसर मनमोहन वर्मा के विश्वविद्यालय की स्थिति का वर्णन करते हुए बताया है। प्रोफेसर मनमोहन वर्मा का नाम बचपन में बेगम साहिबा ने रखा। उनका नाम सदैव वही रहा, क्योंकि हमारे मन में कोई भी जातिवाद की भावना न थी। जिस प्रकार घरों में जाति-पाँति का भेदभाव न था उसी प्रकार विद्यालयों में भी भाषागत भेदभाव न था। प्रोफेसर मनमोहन के विद्यालय में भी हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाएँ सिखाई जाती थीं जबकि हम लोग घर पर परस्पर अवधी भाषा का प्रयोग करते थे।

इस प्रकार भाषा प्रयोग के लिए किसी पर कोई भी रोक-टोक न थी। परिवार और समाज में एक-दूसरे के प्रति सद्भावना और अत्यधिक स्नेह था। सभी आपस में एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए थे। परन्तु आज समाज में परिवारों एवं समाज में जातिगत एवं भाषागत भेद-भाव और आपसी मनमुटाव को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि वे सब बातें स्वप्नवत् थीं। जिस प्रकार स्वप्न नींद खुलने के बाद टूट जाता है उसी प्रकार पिछली बातें स्वप्नवत् ही प्रतीत होती हैं, क्योंकि पूर्व जैसी स्थिति आज न तो परिवार में दिखायी देती है न ही विद्यालयों में।

विशेष :

  1. महादेवी वर्मा ने अपने समय के वातावरण की तुलना आज के समाज से की है।
  2. भाषा-शैली गंभीर एवं चिंतन प्रधान है।

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MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 9 भोलाराम का जीव

MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 9 भोलाराम का जीव

भोलाराम का जीव अभ्यास

भोलाराम का जीव अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यमदूत को किसने चकमा दिया था?
उत्तर:
यमदूत को भोलाराम के जीव ने चमका दिया था।

प्रश्न 2.
भोलाराम का जीव ढूँढ़ने के लिए धरती पर कौन आया?
उत्तर:
भोलाराम का जीव ढूँढ़ने यमराज के आदेश से नारद जी धरती पर आये।

प्रश्न 3.
भोलाराम की स्त्री ने नारद जी से क्या प्रार्थना की? (2015)
उत्तर:
भोलाराम की स्त्री ने नारद जी से यह प्रार्थना की कि यदि वे भोलाराम की रुकी हुई पेंशन दिलवा दें तो बच्चों का पेट कुछ दिन के लिए भर जायेगा।

प्रश्न 4.
भोलाराम के मरने का क्या कारण था?
उत्तर:
भोलाराम को अवकाश के पश्चात् पाँच वर्ष तक पेंशन प्राप्त नहीं हुई। अतः धनाभाव के कारण मृत्यु हो गयी।

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भोलाराम का जीव लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भोलाराम की जीवात्मा कहाँ अंटकी थी, वहस्वर्गक्यों नहीं जाना चाहता था?
उत्तर:
भोलाराम की जीवात्मा उसकी पेंशन की दरख्वास्तों में अटकी हुई थी। भोलाराम का मन उन्हीं में लगा था। इसी कारण वह स्वर्ग में बिल्कुल भी जाना नहीं चाहता था।

प्रश्न 2.
साहब ने नारद जी की वीणा क्यों माँगी?
उत्तर:
साहब ने नारद जी की वीणा इसलिए माँगी क्योंकि कार्यालयों की फाइलों में रखी दरख्वास्तें तभी आगे बढ़ती हैं जबकि उन दरख्वास्तों पर वजन रखा जाता है। इसी कारण साहब ने नारद जी की वीणा को दरख्वास्तों पर वजन बढ़ाने के लिए माँग लिया।

प्रश्न 3.
“भोलाराम की दरख्वास्तें उड़ रही हैं, उन पर ‘वजन’ रखिये।” वाक्य में वजन शब्द किसकी ओर संकेत कर रहा है?
उत्तर:
भोलाराम की दरख्वास्तें उड़ रही हैं, उन पर ‘वजन’ रखिये का अर्थ वाक्य में इस बात को स्पष्ट करता है कि कुछ घूस दीजिए। क्योंकि आज के युग में जब तक कुछ रिश्वत न दो तो कार्यालयों में दरख्वास्तें आगे नहीं बढ़ी। इस प्रकार लेखक ने कार्यालयों में होने वाले भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी पर करारा व्यंग्य किया है। परसाई जी ने कहा कि यदि दरख्वास्तों पर वजन नहीं रखोगे तो उड़ जायेंगी। साधारण-सी बात द्वारा रिश्वत देने का संकेत किया है।

भोलाराम का जीव दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भोलाराम के रिटायर होने के बाद उसे और उसके परिवार को किन परेशानियों का सामना करना पड़ा? (2010)
उत्तर:
भोलाराम के रिटायर होने के बाद उसे निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा-
(1) आर्थिक कठिनाई :
भोलाराम के रिटायर होने के पश्चात् उसे और उसके परिवार को सबसे अधिक आर्थिक कठिनाई को झेलना पड़ा। क्योंकि रिटायर होने से पूर्व भी उसके पास धन का अभाव था। रिटायर होने के बाद पाँच वर्ष तक भोलाराम को पेंशन नहीं मिली। इस कारण वह मकान मालिक को किराया भी नहीं दे सका। उसके परिवार में दो पुत्र एवं एक पुत्री थे। इन सबका पालन-पोषण करने वाला एकमात्र भोलाराम ही था। आर्थिक परेशानियों के कारण भोलाराम की मृत्यु हो गयी।

(2) कार्यालय कर्मचारियों का अमानवीय व्यवहार :
भोलाराम रिटायर होने के बाद हर पन्द्रह दिन के बाद दफ्तर में दरख्वास्त देने के लिए जाते थे। लेकिन लगातार पाँच वर्ष तक चक्कर काटने के बाद भी भोलाराम को पेंशन नहीं मिली। भोलाराम का परिवार भुखमरी के कगार पर आ खड़ा हुआ। धीरे-धीरे पेंशन न मिलने के फलस्वरूप गरीबी और भूख से व्याकुल भोलाराम मृत्यु की गोद में समा गया।

(3) पालन-पोषण की चिन्ता :
रिटायर होने के बाद पेंशन न मिलने के कारण भोलाराम को अपने परिवार की बहुत अधिक चिन्ता थी क्योंकि वह भूख से बेहाल बच्चों को नहीं देख सकता था। बच्चों के पालन-पोषण के लिए धीरे-धीरे घर के बर्तन व अन्य सामान भी बिक गये। परन्तु परिवार के पोषण की चिन्ता व मकान मालिक को किराया देने की चिन्ता ने उसे समय से पूर्व ही मौत की गोद में सुला दिया।

प्रश्न 2.
धर्मराज के अनुसार नरक की आवास समस्या किस प्रकार हल हुई?
उत्तर:
धर्मराज के अनुसार नरक की आवास समस्या इस प्रकार हल हुई। नरक में आवास की व्यवस्था करने के लिए उत्तम कारीगर आ गये थे। अनेक इस प्रकार के ठेकेदार भी थे जिन्होंने पूरे पैसे लेने के बाद बेकार इमारतें बनायी थीं।

इसके अतिरिक्त अनेक बड़े-बड़े इंजीनियर भी आये हुए थे। इन इंजीनियरों एवं ठेकेदारों ने बहुत-सा धन पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत हड़प लिया था। इंजीनियर कभी भी काम पर नहीं गये थे। मगर इन गुणी कारीगरों, ठेकेदारों एवं इंजीनियरों ने मिलकर नरक के आवास की समस्या को चुटकियों में हल कर दिया था। क्योंकि ये सभी भवन निर्माण की कला में निपुण थे।

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प्रश्न 3.
“अगर मकान मालिक वास्तव में मकान मालिक है तो उसने भोलाराम के मरते ही उसके परिवार को निकाल दिया होगा।” इस वाक्य में निहित व्यंगार्थ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अगर मकान मालिक वास्तव में मकान मालिक है तो उसने भोलाराम के मरते ही परिवार को निकाल दिया होगा। इस वाक्य में आज के मकान मालिकों की हृदयहीनता पर कठोर प्रहार किया है।

इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है कि किरायेदार के पास भोजन के लिए रुपया हो अथवा न हो, वह मरे अथवा जीवित रहे। मकान मालिक को केवल किराये से मतलब है। लेखक का अभिप्राय है जब तक मकान मालिक को आशा थी कि भोलाराम की पेंशन एक न एक दिन मिल जायेगी। तब तक उसने भोलाराम के परिवार को उसमें रहने दिया।

भोलाराम के मरते ही मकान मालिक को किराये के रुपये मिलने की उम्मीद समाप्त हो गयी। अतः उसने उसके परिवार को घर से निकाल दिया।

लेखक ने मकान मालिकों पर भी व्यंग्य किया है कि उन्हें केवल रुपयों से मतलब होता है। मकान मालिक स्वयं को शासक समझते हैं और किरायेदारों पर शासन करते हैं। समय पर मकान का किराया न मिलने पर घर से बाहर सामान फिकवाने से भी नहीं चूकते हैं।

प्रश्न 4.
साहब ने भोलाराम की पेंशन में देर होने की क्या वजह बताई?
उत्तर:
छोटे बाबू ने भोलाराम की पेंशन में देर होने का प्रमुख कारण बताया कि भोलाराम ने अपनी दरख्वास्तों पर वजन नहीं रखा था। अत: वह कहीं पर उड़ गयी होंगी।

इसी कारण नारद जी सीधे बड़े साहब के पास पहँचे। वहाँ पहँचने पर बड़े साहब ने कहा, “क्या आप दफ्तरों के रीति-रिवाज नहीं जानते। असली गलती भोलाराम की थी, यह भी तो एक मन्दिर है। अत: यहाँ भी दान पुण्य करना पड़ता है लेकिन भोलाराम ने वजन नहीं रखा। अतः पेंशन मिलने में देर हो गयी।”

लेखक ने इस कहानी के माध्यम से दफ्तरों के बाबू और साहब लोगों की मानसिक दशा का विवेचन किया है। परसाई जी ने यह बताने का प्रयास किया है कि बिना चढ़ावे के कोई भी कार्य नहीं होता है।

प्रश्न 5.
लेखक ने इस व्यंग्य के माध्यम से किन अव्यवस्थाओं पर चोट की है? (2008, 12)
उत्तर:
लेखक ने अपने इस व्यंग्य के माध्यम से समाज में होने वाले भ्रष्टाचारों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है। लेखक का कहना है कि आज चालाकी, झूठ, जालसाजी एवं रिश्वतखोरी का चारों ओर बोलबाला है। समाज का प्रत्येक श्रेणी का व्यक्ति इस रिश्वतखोरी एवं चालाकी के रोग से ग्रसित है। बिना इसके कोई भी काम नहीं होता है।

लेखक ने सबसे पहले कारीगरों, ठेकेसरों एवं इंजीनियरों पर व्यंग्य किया है। वे किस प्रकार रद्दी सामग्री का प्रयोग करके भवन निर्माण करते हैं। भवन निर्माण के लिए आये हुए रुपयों को किस प्रकार हड़प लेते हैं।

इसके पश्चात् सरकारी दफ्तरों की दुर्दशा का वर्णन किया है। जहाँ चपरासी से लेकर साहब तक सभी को रिश्वत चाहिए। बिना रिश्वत लिए किस प्रकार प्रार्थना-पत्र हवा में उड़ जाते हैं अर्थात् कागजों पर कार्यवाही रुक जाती है। इस बात पर लेखक ने व्यंग्य किया है। रिश्वत और घूस लेने की बात को न तो साहब खुलकर कहते हैं और न ही चपरासी।

रिश्वत लेने के साहब व चपरासियों के ऐसे सूक्ष्म संकेतात्मक शब्द होते हैं जो कि इस बात को स्पष्ट कर देते हैं कि कर्मचारी का काम कैसे होगा। इस व्यंग्य में लेखक ने रिश्वत देने के लिए ‘वजन’ शब्द का प्रयोग किया है। बिना वजन’ के कागज उड़ जायेंगे। इस प्रकार व्यंग्यपूर्ण शब्दों का प्रयोग किया है।

सरकारी दफ्फरों में फैली अव्यवस्था, भ्रष्टाचार एवं घूसखोरी का वर्णन किया है। उन्होंने यह भी बताया जो कर्मचारी अपने जीवन के बहुमूल्य क्षण सरकारी सेवा में लगाते हैं। उनको रिटायर होने के बाद किस प्रकार पेंशन के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं।

दफ्तरों के चक्कर काटने के उपरान्त भी धन का चढ़ावा न चढ़ाने पर व्यक्ति को भूखे मरने की नौबत आ जाती है। इस प्रकार सरकारी दफ्तरों की दशा का ऐसा वर्णन किया है जो पाठक के सम्मुख दफ्तरों की अव्यवस्था एवं अनियमितता का परिचायक है। लेखक ने मानव की आधुनिकता पर भी प्रहार किया है और बताया है कि आज के युग में कोई साधु-सन्तों को भी नहीं पूजता है। वे साधुओं की भी अवहेलना करते हैं।

परसाई जी ने समाज की कुत्सित मनोवृत्ति को उजागर किया है। सामाजिक विसंगतियों तथा मानसिक दुर्बलता, राजनीति व रिश्वतखोरी एवं लालफीताशाही पर तीखा व्यंग्य किया है।

प्रश्न 6.
इन गद्यांशों की संदर्भ एवं प्रसंगों सहित व्याख्या कीजिए
(1) आप हैं बैरागी …………….. करना पड़ता है।
(2) धर्मराज क्रोध ………… इन्द्रजाल हो गया।
उत्तर:
(1) सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
उपर्युक्त कथन पेंशन दफ्तर के साहब का नारद जी के प्रति है। वे उनको दान-पुण्य के विषय में समझा रहे हैं। साहब नारद जी को पेंशन के कागजों पर वजन रखने के लिए कहते हैं।

व्याख्या :
प्रस्तुत गद्यांश में नारद जी को पेंशन कार्यालय के साहब सरकारी कार्यालयों की गतिविधियों से परिचित करवा रहे हैं। जब नारद जी को साहब की बात समझ में नहीं आयी तो उन्होंने कहा कि भोलाराम ने जो गलती की वह आप न करें। यदि आप मेरा कहा मान लेंगे तो आपका कार्य पूर्ण हो जायेगा। आप इस कार्यालय को देवालय समझेंगे तभी आपको सफलता मिलेगी। जिस प्रकार ईश्वर से सम्पर्क करने के लिए व्यक्ति को मन्दिर के पुजारी के समक्ष दान-दक्षिणा देनी पड़ती है। उसी प्रकार इस कार्यालय में भी आपको अधिकारी से सहयोग करने के लिए भोलाराम की दरख्वास्तों पर ‘वजन’ रखना होगा, क्योंकि बिना वजन के दरख्वास्तें उड़ रही हैं। आपको यह बात मैं केवल इस कारण बता रहा हूँ कि आप भोलाराम के प्रियजन हैं। इसी कारण इन दरख्वास्तों पर वजन रख दें। जिससे कि भोलाराम द्वारा की गयी गलती सुधर जाय। इस प्रकार नारद जी से रिश्वत देने के लिए व्यंग्य में कहा है।

(2) सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘भोलाराम का जीव’ नामक व्यंग्य से लिया गया है। इसके लेखक सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई’ हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश में बताया है कि भोलाराम की मृत्यु हुए पाँच दिन हो गये। लेकिन वह अभी तक धर्मराज के पास नहीं पहुँचा। अतः धर्मराज दूत के प्रति क्रोध व्यक्त कर रहे हैं।

व्याख्या :
गद्यांश में भोलाराम के जीव के विषय में बताया है कि वह किस प्रकार यमदूत को चकमा दे गया। धर्मराज ने क्रोधित होते हुए दूत से कहा अरे बेवकूफ ! तू निरन्तर कई वर्षों से जीवों को लाने का कार्य कर रहा है। इस कार्य को करते-करते तू वृद्ध हो गया है। लेकिन तुझसे एक साधारण से वृद्ध व्यक्ति को नहीं लाया गया और वह जीव तुझे धोखा देकर कहाँ लोप हो गया।

दूत ने नतमस्तक होकर धर्मराज से कहा-महाराज, मैंने अपने कार्य में तनिक भी असावधानी नहीं की थी। मैं प्रत्येक कार्य को भली प्रकार करता हूँ। इस कार्य को करने की मेरी आदत भी है। मेरे हाथों से कभी भी कोई भी अच्छे-से-अच्छा वकील भी नहीं मुक्त हो पाया है। लेकिन इस समय तो कोई मायावी चमत्कार ही हो गया है। क्योंकि मेरी सावधानी के बाद भी भोलाराम का जीव अदृश्य हो गया।

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प्रश्न 7.
इन पंक्तियों का पल्लवन कीजिए-
(1) साधुओं की बात कौन मानता है?
उत्तर:
उपर्युक्त कथन नारद जी का भोलाराम की पत्नी के प्रति है। जब नारद जी भोलाराम की पत्नी से मिलने गये तब उसकी पत्नी के मन में यह आशा जागृत हुई कि नारद जी सिद्ध पुरुष हैं अतः कार्यालय के कर्मचारी उनकी बात को नहीं टालेंगे। परन्तु उसकी बात को सुनकर नारद जी बोले कि साधुओं की बात कौन मानता है ? कहने का तात्पर्य है कि आधुनिक युग में मनुष्य साधुओं को न तो सम्मान देते हैं, न ही उनके कोप भाजन से भयभीत होकर कोई कार्य करना चाहते हैं। प्राचीन युग में मनुष्य साधु-सन्तों का मान-सम्मान करते थे तथा उनकी आज्ञा का पालन करना कर्त्तव्य मानते थे।

(2) गरीबी भी एक बीमारी है। (2008)
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य भोलाराम की पत्नी का है जब नारद जी भोलाराम की पेंशन के विषय में उससे मिलने जाते हैं। उस समय नारद जी भोलाराम की पत्नी से पूछते हैं कि, “भोलाराम को क्या बीमारी थी?” इस पर भोलाराम की पत्नी कहती है, “मैं आपको किस प्रकार बताऊँ भोलाराम को गरीबी की बीमारी थी।”

अर्थात् भोलाराम की सबसे बड़ी बीमारी उसकी निर्धनता थी, क्योंकि भोलाराम के पास जीवन-यापन के लिए रुपया न था। पेंशन लेने के लिए लगातार कार्यालय के चक्कर लगाते-लगाते थक गया था। उसे हर पल चिन्ता सताती थी कि परिवार का भरण-पोषण किस प्रकार होगा? घर में जितने बर्तन व आभूषण थे सब एक-एक करके बिक गये थे। अतएव भोलाराम अपनी गरीबी की बीमारी से ग्रसित होकर काल के गाल में समा गया।
“चिता हम उसे कहते हैं जो मुर्दे को जलाती है।
बड़ी है इसलिए चिन्ता जो जीते को जलाती है।”

(3) साधु-सन्तों की वीणा से तो और भी अच्छे स्वर निकलते हैं।
उत्तर:
यह कथन पेंशन से सम्बन्धित कार्यालय के साहब का है। जब नारद जी को साहब ने भोलाराम की दरख्वास्त पर ‘वजन’ रखने को कहा तो नारद जी उसका अभिप्राय समझ न पाये। तब साहब ने नारद जी की चापलूसी की और समझाया कि इस वीणा को वे उसे दे दें। क्योंकि उनकी पुत्री गायन-वादन में निपुण है। साहब ने साधु-सन्तों की प्रशंसा भी की जिससे नारद जी अपनी वीणा को साहब को दे दें।

वीणा हथियाने के लिए ही साहब ने इस प्रकार नारद जी से कहा कि साधु-सन्त वीणा का रख-रखाव जानते हैं। इसके अतिरिक्त इसका प्रयोग उत्तम संगीत के लिए करते हैं। अतः इस वीणा के स्वर भी अच्छे होंगे।
अच्छी संगति में वस्तु पर अच्छा ही प्रभाव पड़ता है। ऐसा लेखक ने साहब के माध्यम से कहलवाने का प्रयास किया है।

भोलाराम का जीव भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के लिए मानक शब्द लिखिए-
ओवरसियर, गुमसुम, इंकमटैक्स, हाजिरी, दफ्तर, आखिर, इमारत, बकाया, काफी, रिटायर।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 9 भोलाराम का जीव img-1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
(1) चमका देना
वाक्य प्रयोग-अपराधी पुलिस को चकमा देकर भाग गये।

(2) चंगुल से छूटना
वाक्य प्रयोग-रोहन का आतंकवादियों के चंगुल से छूटना आसान नहीं है।

(3) उड़ा देना
वाक्य प्रयोग-गुरुजनों की शिक्षा को हँसी में उड़ा देना उचित नहीं है।

(4) पैसा हड़पना
वाक्य प्रयोग-अपहरणकर्ता ने पैसा हड़पने के बाद भी व्यापारी को मार ही डाला।

(5) वजन रखना
वाक्य प्रयोग-प्रत्येक विभाग के कर्मचारी वजन रखवाकर ही काम करना चाहते हैं।

प्रश्न 3.
इस पाठ में से योजक चिह्न वाले विशेषण क्रिया के द्विरुक्ति शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 9 भोलाराम का जीव img-2

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों के शुद्ध रूप लिखिए
(क) धोखा नहीं खाई थी आज तक मैंने।
(ख) रास्ता मैं कट जाता है डिब्बे के डिब्बे मालगाड़ी के।
(ग) आ गई उम्र तुम्हारी रिटायर होने की।
(घ) फाइल लाओ केस की भोलाराम बड़े बाबू से।
उत्तर:
(क) मैंने आज तक धोखा नहीं खाया था।
(ख) मालगाड़ी के डिब्बे के डिब्बे रास्ते में कट जाते हैं।
(ग) तुम्हारी भी रिटायर होने की उम्र आ गई।
(घ) बड़े बाबू से भोलाराम के केस की फाइल लाओ।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित अनुच्छेद में पूर्ण विराम, निर्देशक चिह्न तथा अवतरण चिह्न आदि का यथास्थान प्रयोग कीजिए-
बाबू हँसा आप साधु हैं आपको दुनियादारी समझ में नहीं आती दरख्वास्तें पेपरवेट से नहीं दबती खैर आप इस कमरे में बैठे बाबू से मिलिए।
उत्तर:
बाबू हँसा-“आप साधु हैं, आपको दुनियादारी समझ में नहीं आती। दरख्वास्तें ‘पेपरवेट’ से नहीं दबतीं। खैर, आप इस कमरे में बैठे बाबू से मिलिए।”

भोलाराम का जीव पाठ का सारांश

हरिशंकर परसाई एक महान् व्यंग्यकार के रूप में हिन्दी जगत् में सुविख्यात हैं। उनके द्वारा लिखित प्रस्तुत पाठ भोलाराम का जीव’ वर्तमान भ्रष्टाचार पर एक करारा व्यंग्य है। पौराणिक प्रतीकों के माध्यम से भोलाराम नामक सेवानिवृत्त एक साधारण व्यक्ति की सेवानिवृत्ति के पश्चात् आने वाली समस्याओं का व्यंग्यात्मक आंकलन है। भोलाराम की जीवात्मा मृत्यु के पश्चात् भी पेंशन सम्बन्धी कार्यों में अटकी हुई है।

व्यंग्य में घूसखोरी एवं प्रशासकीय अव्यवस्था के प्रति करारा प्रहार किया गया है। प्रस्तुत व्यंग्य का उद्देश्य किसी के हृदय को दुखाने का नहीं अपितु कर्त्तव्यपरायणता एवं दूसरों के दुःखों के प्रति संवेदना जागृत करना है।

भोलाराम का जीव कठिन शब्दार्थ

असंख्य = अनेक। लापता = गायब। कुरूप = बदसूरत। चकमा = धोखा। सावधानी = ध्यान से। गुमसुम = चुपचाप। दिलचस्प = रोचक। दरख्वास्त = प्रार्थना-पत्र। कोशिश = प्रयास, प्रयत्न। कुटिल = क्रूर। असल में वास्तव में। ऑर्डर = आदेश। दफ्तरों = कार्यालयों। हाजिर = उपस्थित। तीव्र = तेज। वायु-तरंग = हवा की लहरें। चंगुल = फन्दा, बन्धन में फंसा। अभ्यस्थ = अभ्यस्त। इन्द्रजाल = जादू । व्यंग = चुभने वाली हँसी। विकट = भयानक। छान डाला = खोज डाला, ढूँढ़ डाला। टैक्स = कर। बकाया = शेष। क्रन्दन = रुदन। संसार छोड़ना = मृत्यु को प्राप्त होना।

भोलाराम का जीव संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. धर्मराज क्रोध से बोले-“मूर्ख ! जीवों को लाते-लाते बूढ़ा हो गया, फिर भी एक मामूली बूढ़े आदमी के जीव ने तुझे चकमा दे दिया।”
दूत ने सिर झुकाकर कहा, “महाराज, मेरी सावधानी में बिल्कुल कसर नहीं थी। मेरे इन अभ्यस्थ हाथों से अच्छे-अच्छे वकील भी नहीं छूट सके। पर इस बार तो कोई इन्द्रजाल ही हो गया।”

सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘भोलाराम का जीव’ नामक व्यंग्य से लिया गया है। इसके लेखक सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई’ हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश में बताया है कि भोलाराम की मृत्यु हुए पाँच दिन हो गये। लेकिन वह अभी तक धर्मराज के पास नहीं पहुँचा। अतः धर्मराज दूत के प्रति क्रोध व्यक्त कर रहे हैं।

व्याख्या :
गद्यांश में भोलाराम के जीव के विषय में बताया है कि वह किस प्रकार यमदूत को चकमा दे गया। धर्मराज ने क्रोधित होते हुए दूत से कहा अरे बेवकूफ ! तू निरन्तर कई वर्षों से जीवों को लाने का कार्य कर रहा है। इस कार्य को करते-करते तू वृद्ध हो गया है। लेकिन तुझसे एक साधारण से वृद्ध व्यक्ति को नहीं लाया गया और वह जीव तुझे धोखा देकर कहाँ लोप हो गया।

दूत ने नतमस्तक होकर धर्मराज से कहा-महाराज, मैंने अपने कार्य में तनिक भी असावधानी नहीं की थी। मैं प्रत्येक कार्य को भली प्रकार करता हूँ। इस कार्य को करने की मेरी आदत भी है। मेरे हाथों से कभी भी कोई भी अच्छे-से-अच्छा वकील भी नहीं मुक्त हो पाया है। लेकिन इस समय तो कोई मायावी चमत्कार ही हो गया है। क्योंकि मेरी सावधानी के बाद भी भोलाराम का जीव अदृश्य हो गया।

विशेष :

  1. शैली व्यंग्यपूर्ण है। भाषा सरस व सरल है।
  2. लेखक ने धर्मराज के क्रियाकलाप का परिचय दिया है।

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2. “वह समस्या तों हल हो गई, पर एक विकट उलझन आ गई है। भोलाराम नाम के एक आदमी की पाँच दिन पहले मृत्यु हुई। इसने सारा ब्रह्माण्ड छान डाला, पर वह कहीं नहीं मिला। अगर ऐसा होने लगा, तो पाप-पुण्य का भेद ही मिट जायेगा।”

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने धर्मराज की चिन्ता के बारे में बताया है कि भोलाराम का जीव मृत्यु के उपरान्त कहीं भी नहीं मिला।

व्याख्या :
प्रस्तुत गद्यांश में बताया है कि धर्मराज की नरक आवास की चिन्ता तो समाप्त हो गई, क्योंकि धर्मराज ने उस समस्या का समाधान योग्य कारीगर एवं इंजीनियरों द्वारा करवा लिया था, लेकिन अब धर्मराज के सम्मुख एक विकराल समस्या उत्पन्न हो गयी है। यमदूत के पास से भोलाराम का जीव निकलकर गायब हो गया। उसने सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में खोज लिया लेकिन वह मिल ही नहीं रहा है, जबकि उसकी मृत्यु को केवल पाँच ही दिन हुए थे। इस बात का हमें कदापि दुःख नहीं है कि भोलाराम का जीव गायब हो गया। हमें तो इस बात का दुःख है यदि इस प्रकार मृत्यु के उपरान्त जीव गायब होने लगे तो पाप-पुण्य का अन्तर समाप्त हो जायेगा, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति को अपने कर्मानुसार ही स्वर्ग और नरक में जाना पड़ता है। इसी कारण व्यक्ति संसार में बुरे कर्म करते समय अवश्य भयभीत रहता है कि उसे ईश्वर के दरबार में जाने के उपरान्त वहाँ अपने कर्मों का हिसाब देना पड़ेगा। इसीलिए भोलाराम का जीव गायब होने पर धर्मराज की चिन्ता बढ़ गयी थी।

विशेष :

  1. लेखक ने इस कहानी के माध्यम से बताया है कि व्यक्ति को अपने कर्मानुसार फल भुगतना पड़ता है।
  2. यह उक्ति सत्य है-
    जो जस करहिं, सो तस फल चाखा।
  3. भाषा सरल, व्यंग्यपूर्ण एवं मुहावरेदार है। जैसे-ब्रह्माण्ड छानना।
  4. लेखक ने मानव को सत्कर्म करने की शिक्षा दी है।

3. क्या बताऊँ? गरीबी की बीमारी थी पाँच साल हो गये, पेंशन पर बैठे, पर पेंशन अभी तक नहीं मिली। हर दस पन्द्रह दिन में एक दरख्वास्त देते थे, पर वहाँ से यही जवाब मिलता, “विचार हो रहा है।” इन पाँच सालों में सब गहने बेचकर हम लोग खा गये। फिर बर्तन बिके। अब कुछ नहीं बचा था। फाके होने लगे थे। चिन्ता में घुलते-घुलते और भूखे मरते-मरते उन्होंने दम तोड़ दिया।” (2009, 17)

सन्दर्भ :
पूर्ववत्। प्रसंग-भोलाराम की पत्नी नारद को अपने पति की बीमारी के विषय में बताती है।

व्याख्या :
भोलाराम की बीमारी के विषय में उसकी पत्नी कहती है कि उन्हें गरीबी की बीमारी थी। वे पाँच साल पहले नौकरी पूरी करके पेंशन पर गये थे किन्तु आज तक पेंशन नहीं मिली है। वे पेंशन पाने की कोशिश में लगे रहते थे। दस-पन्द्रह दिन बाद पेंशन के लिए दरख्वास्त लिखते थे। वहाँ पता लगता था कि अभी पेंशन देने पर विचार किया जा रहा है। गरीबी के कारण पेंशन के अभाव में हमने अपने सभी गहने बेचकर अपना पेट भरा। इसके बाद घर के बर्तन बेचकर काम चलाया। अब घर में कुछ नहीं बचा था। भूखे पेट रहने लगे थे। पेंशन की चिन्ता और पेट की भूख से परेशान रहते हुए वे इस संसार से चल बसे।।

विशेष :

  1. सरकारी अधिकारियों के अमानवीय व्यवहार के घातक परिणाम का चित्रण किया गया है।
  2. सरल, सुबोध तथा व्यंग्यात्मक शैली को अपनाया है।
  3. व्यावहारिक खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।

4. “आप हैं बैरागी ! दफ्तरों के रीति-रिवाज नहीं जानते। असल में भोलाराम ने गलती की। भई यह भी एक मन्दिर है। यहाँ भी दान-पुण्य करना पड़ता है। आप भोलाराम के आत्मीय मालूम होते हैं। भोलाराम की दरख्वास्तें उड़ रही हैं, उन पर वजन रखिए।” (2008)

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
उपर्युक्त कथन पेंशन दफ्तर के साहब का नारद जी के प्रति है। वे उनको दान-पुण्य के विषय में समझा रहे हैं। साहब नारद जी को पेंशन के कागजों पर वजन रखने के लिए कहते हैं।

व्याख्या :
प्रस्तुत गद्यांश में नारद जी को पेंशन कार्यालय के साहब सरकारी कार्यालयों की गतिविधियों से परिचित करवा रहे हैं। जब नारद जी को साहब की बात समझ में नहीं आयी तो उन्होंने कहा कि भोलाराम ने जो गलती की वह आप न करें। यदि आप मेरा कहा मान लेंगे तो आपका कार्य पूर्ण हो जायेगा। आप इस कार्यालय को देवालय समझेंगे तभी आपको सफलता मिलेगी। जिस प्रकार ईश्वर से सम्पर्क करने के लिए व्यक्ति को मन्दिर के पुजारी के समक्ष दान-दक्षिणा देनी पड़ती है।

उसी प्रकार इस कार्यालय में भी आपको अधिकारी से सहयोग करने के लिए भोलाराम की दरख्वास्तों पर ‘वजन’ रखना होगा, क्योंकि बिना वजन के दरख्वास्तें उड़ रही हैं। आपको यह बात मैं केवल इस कारण बता रहा हूँ कि आप भोलाराम के प्रियजन हैं। इसी कारण इन दरख्वास्तों पर वजन रख दें। जिससे कि भोलाराम द्वारा की गयी गलती सुधर जाय। इस प्रकार नारद जी से रिश्वत देने के लिए व्यंग्य में कहा है।

विशेष :

  1. भाषा शैली व्यंग्य प्रधान है। उर्दू शब्दों का प्रयोग है; जैसे-दफ्तर, असल, दरख्वास्तें आदि।
  2. लेखक ने कार्यालय के साहब पर व्यंग्य किया है।

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5. साहब ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा, “मगर वजन चाहिए। आप समझे नहीं। जैसे आपकी यह सुन्दर वीणा है, इसका भी वजन भोलाराम की दरख्वास्त पर रखा जा सकता है। मेरी लड़की गाना-बजाना सीखती हैं। यह मैं उसे दूंगा। साधु सन्तों की वीणा से तो और अच्छे स्वर निकलते हैं।”

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
नारद जी जब भोलाराम की पेंशन के सन्दर्भ में साहब के दफ्तर में प्रविष्ट हो जाते हैं तो वे नारद जी को भोलाराम की दरख्वास्त पर वजन रखने को कहते हैं।

व्याख्या :
जब नारद जी भोलाराम की पेंशन के विषय में जानने के लिए कार्यालय में साहब के पास जाते हैं, तब साहब क्रूरता से मुस्करा कर नारद जी से कहते हैं। इस दरख्वास्त पर वजन रखिये। ‘वजन’ का अभिप्राय न समझने पर साहब उदाहरण के लिए कहते हैं आपकी यह वीणा बहुत ही खूबसूरत है। इसके अतिरिक्त आपके पास और कुछ है भी नहीं। अतः बिना वजन के भोलाराम की दरख्वास्त पर कार्यवाही प्रारम्भ नहीं होगी। वजन के रूप में नारद जी को अपनी वीणा गँवानी पड़ी।

ऐसा इस कारण हुआ क्योंकि साहब की लड़की को गायन-वादन का शौक था। अतः साहब ने वीणा को उपयोगी समझकर नारद जी से वजन स्वरूप माँग ली। इसके अतिरिक्त साहब ने यह भी कहा कि यह वीणा मैं अपनी पुत्री को उपहार स्वरूप दे दूँगा। उन्होंने नारद जी की वीणा की भी प्रशंसा की और कहा कि साधु और महात्माओं की वीणा के स्वर वास्तव में, बहुत अच्छे निकलते हैं। यह कहकर साहब ने साधु-सन्तों की प्रशंसा की है।

विशेष :

  1. लेखक ने रिश्वत के लिए व्यंग्य में संकेतात्मक शब्द ‘वजन’ का प्रयोग किया
  2. उर्दू शब्दों का प्रयोग है; जैसे-वजन, दरख्वास्त।
  3. शैली व्यंग्यात्मक है।

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