MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित चतुर्भुजों की रचना कीजिए –
(i) चतुर्भुज ABCD जिसमें –

  • AB = 4.5 cm
  • BC = 55 cm
  • CD = 4 cm
  • AD = 6 cm
  • AC = 7 cm है।

(ii) चतुर्भुज JUMP जिसमें –

  • JU = 3.5 cm
  • UM = 4 cm
  • MP =5cm
  • PJ =4.5 cm
  • PU = 6.5 cm है।

(iii) समान्तर चतुर्भुज MORE जिसमें –

  • OR = 6 cm
  • EO = 7.5 cm
  • MO = 7.5 cm है।

(iv) समचतुर्भुज BEST जिसमें

  • BE = 4.5 cm
  • ET= 6 cm

हल:
(i) रचना के चरण –

    1. सर्वप्रथम रेखाखण्ड AC = 7 cm बनाया।
    2. A को केन्द्र मानकर AB = 4.5 cm त्रिज्या लेकर एक चाप लगाया तथा C को केन्द्र मानकर CB = 5.5 cm त्रिज्या लेकर चाप लगाया जो पहले चाप को बिन्दु B पर काटता है।
      MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1 img-1
  1. पुनः A व C को केन्द्र मानकर AD = 6 cm तथा CD = 4cm के चाप लगाए जो AC के विपरीत D बिन्दु पर काटते हैं।
  2. AB, BC, CD तथा AD को मिलाया।

इस प्रकार बनी आकृति ABCD अभीष्ट चतुर्भुज है।

(ii) रचना के चरण –

  1. सर्वप्रथम रेखाखण्ड PU = 6.5 cm बनाया।
  2. P व U को केन्द्र मानकर क्रमशः PM = 5 cm तथा UM = 4 cm त्रिज्या लेकर चाप लगाए जो M बिन्दु पर काटते हैं।
    MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1 img-2
  3. पुनः P और U को केन्द्र मानकर PJ = 4.5 cm तथा UJ = 3.5 cm त्रिज्याएँ लेकर PU के विपरीत चाप लगाए जो J बिन्दु पर काटते हैं।
  4. PM, UM, PJ तथा UJ को मिलाया।
  5. इस प्रकार बनी आकृति JUMP अभीष्ट चतुर्भुज है।

(iii) रचना के चरण –

  1. सर्वप्रथम रेखाखण्ड OR = 6 cm बनाया।
  2. 0 व R को केन्द्र मानकर OE = RE = 7.5 सेमी. त्रिज्याएँ लेकर चाप लगाए जो E बिन्दु पर काटते हैं।
  3. E व 0 को केन्द्र मानकर क्रमश: EM = 6 cm तथा OM = 7.5 cm के चाप लगाए जो M बिन्दु पर काटते हैं।
  4. OE, RE, EM तथा OM को मिलाया।
  5. इस प्रकार बनी आकृति MORE अभीष्ट समान्तर चतुर्भुज है।

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1 img-3

(iv) रचना के चरण –

  1. सर्वप्रथम रेखाखण्ड BE = 4.5 cm बनाया।
  2. B व E बिन्दु को केन्द्र मानकर क्रमश: BT = 4.5 cm तथा ET = 6 cm त्रिज्याएँ लेकर चाप लगाए जो T बिन्दु पर काटते हैं।
    MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 4.1 img-4
  3. पुनः T व E को केन्द्र मानकर TS = ES = 4.5 cm त्रिज्याएँ लेकर चाप लगाए जो S बिन्दु पर काटते हैं।
  4. BT, ET, TS तथा ES को मिलाया।
  5. इस प्रकार बनी आकृति BEST अभीष्ट समचतुर्भुज है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 68

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए (क्रमांक 4.3)

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प्रश्न 1.
उपर्युक्त उदाहरण 2 में क्या हम पहले AABD खींचकर चतुर्थ बिन्दु C को ज्ञात करके चतुर्भुज की रचना कर सकते हैं?
उत्तर:
हम जानते हैं कि किसी त्रिभुज की रचना के लिए कोई भी तीन मापें होनी चाहिए। लेकिन ∆ABD के लिए केवल दो मापें AD और BD दी हुई हैं। अतः चतुर्भुज की रचना नहीं की जा सकती है।

प्रश्न 2.
क्या आप एक चतुर्भुज PQRS की रचना कर सकते हैं जिसमें PQ = 3 cm, RS = 3 cm, PS = 7.5 cm, PR = 8 cm और SQ = 4 cm है? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
हम चतुर्भुज PQRS की रचना नहीं कर सकते हैं। क्योंकि ∆QSP की रचना नहीं की जा सकती है।

यहाँ दो भुजाओं SQ + QP ≯  SP अर्थात् 4 cm + 3 cm ≯  7.5 अतः चतुर्भुज PQRS की रचना सम्भव नहीं है। SQ = 4 cm की रेखा चतुर्भुज के लिए सम्भव नहीं है।

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MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 5 हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य (अ) राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति (ब) लोकतन्त्र एवं नागरिक

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 5 हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य (अ) राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति (ब) लोकतन्त्र एवं नागरिक

MP Board Class 8th Social Science Chapter 5 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य है –
(क) लोकतन्त्र
(ख) राजतन्त्र
(ग) साम्राज्यवाद
(घ) तानाशाही
उत्तर:
(क) लोकतन्त्र

(2) “हम विश्व में सर्वत्र शान्ति चाहते हैं” किसने कहा था?
(क) सरदार वल्लभ भाई पटेल
(ख) पंडित जवाहर लाल नेहरू
(ग) लाल बहादुर शास्त्री
(घ) महात्मा गाँधी
उत्तर:
(ख) पंडित जवाहरलाल नेहरू

(3) निशस्त्रीकरण क्यों आवश्यक है?
(क) विश्व शान्ति की स्थापना के लिए
(ख) युद्ध के लिए
(ग) सरकार बनाने के लिए
(घ) परमाणु शस्त्रों के लिए
उत्तर:
(क) विश्व शान्ति की स्थापना के लिए

(4) जाति व धर्म के आधार पर मतदान लोकतन्त्र को –
(क) शक्तिशाली बनाता है
(ख) कमजोर बनाता है,
(ग) हमारे अधिकार सुरक्षित करता है
(घ) उपर्युक्त तीनों
उत्तर:
(ख) कमजोर बनाता है

(5) वयस्क मताधिकार के लिए आयु निर्धारित है –
(क) 14 वर्ष
(ख) 18 वर्ष
(ग) 21 वर्ष
(घ) 25 वर्ष
उत्तर:
(ख) 18 वर्ष

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) संविधान में कुल ……….. मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गई है।
(2) लोकतन्त्र ……… का शासन होता है।
(3) पंथ निरपेक्षता में ……….. की स्वतन्त्रता रहती है।
(4) गुट निरपेक्षता का अर्थ है सैनिक संगठनों से ………. रहना।
(5) लोकतन्त्र का मुख्य तत्व …………. समानता और है।
उत्तर:
(1) 6
(2) जनता
(3) अपने पंथ और उपासना
(4) अलग
(5) स्वतन्त्रता, बन्धुत्व

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
(1) स्वतन्त्रता के प्रकार बताइए।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वतन्त्रता, नागरिक स्वतन्त्रता, राजनीतिक स्वतन्त्रता, आर्थिक एवं सामाजिक स्वतन्त्रता और धार्मिक स्वतन्त्रता आदि स्वतन्त्रता के प्रकार हैं।

(2) समानता का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
नागरिकों के सम्पूर्ण विकास के लिए राज्य द्वारा समान अवसर उपलब्ध करवाना समानता है।

(3) अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऐसा लोकतन्त्र जहाँ जनता अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करके भेजती है, उसे अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र कहते हैं। भारत में अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र है।

(4) लोकतन्त्र में प्रत्येक नागरिक को साक्षर क्यों होना चाहिए?
उत्तर:
लोकतन्त्र में प्रत्येक नागरिक जागरूक और साक्षर होना चाहिए ताकि वह अपने मत का उचित प्रयोग कर सके।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 5 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 4.
(1) वयस्क मताधिकार का अर्थ लिखिए
उत्तर:
जहाँ पर वयस्क व्यक्ति को मत देने का अधिकार प्राप्त हो उसे वयस्क मताधिकार कहते हैं। हमारे देश में 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर लेने वाले हर नागरिक को मत देने का अधिकार प्राप्त है। यह मताधिकार का सबसे अधिक प्रचलित सिद्धान्त है।

(2) हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
हमारा देश प्रजातान्त्रिक देश है। अतः हमारे लक्ष्य हैं-लोकतन्त्र, पंथनिरपेक्षता, राष्ट्रीय एकता, स्वतन्त्रता, समानता, । सामाजिक समरसता, अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सहयोग।

(3) न्याय का वास्तविक अर्थ लिखिए।
उत्तर:
न्याय उस सामाजिक स्थिति को कहते हैं जिसमें व्यक्ति के पारस्परिक सम्बन्धों की उचित व्यवस्था की जाती है, जिससे समाज में व्यक्ति के अधिकार सुरक्षित रहें। न्याय की धारणा सत्य और नैतिकता के रूप में भी समझी जाती है।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 5.
(1) हमें अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सहयोगकी आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर:
विज्ञान ने संसार को आज समेटकर रख दिया है। विश्व के किसी भी कोने में होने वाली घटना का प्रभाव आज सम्पूर्ण विश्व के लोगों पर पड़ता है। अतः हम भी केवल तभी शान्ति से रह सकेंगे जब विश्व भर में शान्ति होगी और हम अपने सम्पूर्ण संसाधनों को तभी जनता के हित एवं विकास में लगा सकेंगे जब देश में शान्ति रहने का विश्वास हो। विश्व का लगभग हर एक भाग दूसरे से भौगोलिक रूप से भिन्न है तथा उसकी अपनी विशेषताएँ हैं। अतः विश्व के प्रायः सभी देशों को अपनी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिये किसी न किसी तरह एक-दूसरे पर निर्भर करना पड़ता है और इस प्रकार हम आपसी सहयोग द्वारा ही अपने जीवन का आनन्द उठा पाते हैं।

(2) लोकतन्त्र की सफलता के लिए आवश्यक शर्ते कौन-सी हैं ?
उत्तर:
लोकतन्त्र की सफलता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है –
1. शिक्षित जनता:
लोकतन्त्र में जनसामान्य राजनीतिक प्रक्रिया में सहभागी रहता है। जब तक जनसामान्य राजनीतिक प्रश्नों को भलीभाँति नहीं समझेगा। तब तक उसकी सहभागिता न तो प्रभावशाली होगी और न अर्थपूर्ण रहेगी। इसके लिये जनता का शिक्षित होना बहुत आवश्यक है। अत: जनता का शिक्षित होना लोकतन्त्र की पहली आवश्यकता है।

2. राजनैतिक जागरूकता:
लोकतन्त्र में नागरिकों में राजनीतिक प्रश्नों और मुद्दों की जानकारी होनी चाहिए तथा उन मुद्दों पर राजनीतिक दृष्टि से विचार करने की क्षमता होनी चाहिए। नागरिकों की विवेकशीलता के अभाव में प्रजातन्त्र, भीड़तन्त्र में बदल जाता है।

3. स्वतन्त्र प्रेस:
लोकतन्त्र की सफलता के लिए स्वतन्त्र प्रेस का होना आवश्यक है। नागरिकों की स्वतन्त्रता का सरकार द्वारा अतिक्रमण न हो इसके लिये स्वतन्त्र प्रेस का होना अनिवार्य है। स्वतन्त्र प्रेस सरकार के दबाव में आये बिना जनता की माँगों को सरकार के सामने रखती है। अतः प्रेस को प्रजातन्त्र का चौथा स्तम्भ कहा गया है।

4. सामाजिक और आर्थिक समानता:
समाज में जब तक ऊँच-नीच, गरीब-अमीर और छुआछूत आदि के भेदभाव रहेंगे, लोकतन्त्र अच्छी तरह से कार्य नहीं कर सकता। इसी प्रकार, धनिकों का धन और गरीबों की गरीबी लोकतन्त्र को नष्ट कर देगी। अतः लोकतन्त्र की सफलता के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता आवश्यक है।

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MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 3 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 3 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष

MP Board Class 8th Social Science Chapter 3 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए
(1) कौन-सा विद्रोह आदिवासी विद्रोह नहीं था ?
(क) वेल्लोर विद्रोह
(ख) भील विद्रोह
(ग) संथाल विद्रोह
(घ) मुण्डा विद्रोह
उत्तर:
(क) वेल्लोर विद्रोह

(2) सन् 1857 ई. के स्वतन्त्रता संग्राम में निम्नलिखित में से किसने भाग नहीं लिया ?
(क) रानी लक्ष्मीबाई
(ख) तात्या टोपे
(ग) बहादुरशाह जफर
(घ) दिलीप सिंह
उत्तर:
(घ) दिलीपसिंह,

(3) अंग्रेजों की किस नीति के कारण भीलों ने विद्रोह किया था ?
(क) उद्योग नीति
(ख) कृषि नीति
(ग) धार्मिक नीति
(घ) राज्य में हस्तक्षेप
उत्तर:
(ख) कृषि नीति।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 3 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
(1) संन्यासी विद्रोह का उल्लेख किस पुस्तक में मिलता है ?
उत्तर:
संन्यासी विद्रोह का उल्लेख बंकिमचन्द्र चटर्जी की पुस्तक ‘आनन्द मठ’ में मिलता है।

(2) संथाल विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था ?
उत्तर:
संथाल विद्रोह का नेतृत्व नेता सीदो तथा कान्हू ने किया था।

(3) वहाबी आन्दोलन के प्रवर्तक कौन थे ?
उत्तर:
रायबरेली के सैय्यद अहमद वहाबी आन्दोलन के प्रवर्तक थे।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 3 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
(1) कोल विद्रोह कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर:
कोल विद्रोह 1831 ई. के आस-पास सिंहभूमि, राँची, पलामू, हजारी बाग, मानभूमि आदि स्थानों पर हुआ था।

(2) भारत के उन क्षेत्रों का नाम बताइए जहाँ सन् 1857 ई. का आन्दोलन काफी व्यापक था ?
उत्तर?:
1857 ई. का आन्दोलन दिल्ली, अवध, रुहेलखण्ड, बुन्देलखण्ड, इलाहाबाद के आस-पास के इलाकों, आगरा, मेरठ और पश्चिमी बिहार में काफी व्यापक और भयंकर था।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 4.
(1) संथाल विद्रोह का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आदिवासियों द्वारा कम्पनी शासन के विरुद्ध किए गए विद्रोह में सबसे सशक्त विद्रोह संथालों का था। भागलपुर से लेकर राजमहल के बीच का क्षेत्र दामन-ए-कोह के नाम से जाना जाता था। यह संथाल बहुल क्षेत्र था। संथालों ने भूमिकर अधिकारियों के दुर्व्यवहार के विरुद्ध विद्रोह किया। यह विद्रोह संथाल नेता सीदो तथा कान्हू के नेतृत्व में आरम्भ हुआ। इन्होंने अपने क्षेत्रों में कम्पनी के शासन के अन्त की घोषणा कर दी। एक कड़े संघर्ष के बाद 1856 ई. में ही इस विद्रोह को दबाया जा सका।

(2) सेना के भारतीय सिपाहियों में असन्तोष फैलने के क्या कारण थे ?
उत्तर:
सेना के भारतीय सिपाहियों में असन्तोष फैलने के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे –

  • ब्रिटिश फौज में भारतीय सिपाहियों की तरक्की की कोई भी गुंजाइश नहीं थी।
  • फौज के सभी उच्च पद अंग्रेज अफसरों के लिए सुरक्षित थे। .
  • भारतीय सैनिकों एवं अंग्रेज सैनिकों की आमदनी में अत्यधिक अन्तर था।
  • अंग्रेज भारतीय सैनिकों को हेय दृष्टि से देखते थे।
  • उस समय चर्बी वाले कारतूसों से हिन्दू और मुसलमान सैनिकों की धार्मिक भावनाओं को बड़ा आघात पहुँचा।
  • सैनिकों के इन कारतूसों के प्रयोग करने से मना करने पर उन्हें कठोर और लम्बी सजा दे दी गई यहाँ तक कि मंगल पांडे को मार डाला गया।

(3) सन् 1857 ई. के आन्दोलन की असफलता के मुख्य कारण क्या थे ?
उत्तर:
सन् 1857 ई. के आन्दोलन की असफलता के मुख्य कारण निम्नलिखित थे –

  • तत्कालीन भारत में राजनैतिक चेतना की कमी एवं एकता का अभाव।
  • आन्दोलनकारियों द्वारा मुगल बादशाह को भारत का सम्राट मान लेना।
  •  विभिन्न आन्दोलनकारियों में एकजुटता एवं आपसी तालमेल का अभाव।
  • ब्रिटिश शासन के प्रति सब जगह तीव्र असन्तोष का अभाव एवं कुछ लोगों द्वारा शासन का साथ देना।
  • विद्रोह का नेतृत्व राजाओं और जमींदारों के हाथों में होना।
  • ब्रिटिश शासन के पास बेहतर हथियार, सेना एवं संचार व्यवस्था का होना आदि।

(4) टिप्पणी लिखिए –
(1) संन्यासी विद्रोह
(2) वहाबी आन्दोलन।
उत्तर:
(1) संन्यासी विद्रोह – नागरिक विद्रोह में महत्वपूर्ण बंगाल के संन्यासियों का विद्रोह था। 1770 ई. में बंगाल में पड़े अकाल ने वहाँ की जनता को कंगाल कर दिया था। अंग्रेजी सरकार की उदासीनता, आर्थिक लूट और तीर्थ स्थानों पर लगे प्रतिबन्धों ने सदैव से शान्त संन्यासियों को भी विद्रोह करने पर विवश कर दिया। उन्होंने आम जनता के साथ मिलकर सरकार की कोठियों, बस्तियों और किलों पर आक्रमण कर दिया। कम्पनी सरकार के गवर्नर वारेन हेस्टिंग्ज के अथक प्रयास के बाद ही संन्यासी विद्रोह को शान्त किया जा सका। संन्यासी विद्रोह का उल्लेख बंकिमचन्द्र चटर्जी ने अपनी पुस्तक ‘आनन्द मठ’ में किया है।

(2) वहाबी आन्दोलन – अंग्रेजी प्रभुसत्ता को सबसे गहरी चुनौती वहाबी आन्दोलन से मिली। वहाबी आन्दोलन 19वीं शताब्दी के चौथे दशक से सातवें दशक तक चला। रायबरेली के सैय्यद अहमद वहाबी इसके प्रवर्तक थे। वह इस्लाम में किसी है भी तरह के परिवर्तन और सुधारों के विरुद्ध थे। सैय्यद अहमद ने पंजाब में सिक्ख राज्य के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और 1849 में पंजाब पर कम्पनी के अधिकार से वहाबी आन्दोलन अंग्रेजों के विरुद्ध हो गया।

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MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 2 ब्रिटिश प्रशासन, नीतियाँ और प्रभाव

MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 2 ब्रिटिश प्रशासन, नीतियाँ और प्रभाव

MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 अभ्यास प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) ब्रिटिश संसद ने रेग्यूलेटिंग एक्ट कब पारित किया था?
(क) 1750 ई.
(ख) 1773 ई.
(ग) 1857 ई.
(घ) 1940 ई.
उत्तर:
(ख) 1773 ई.

(2) एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना कब हुई थी ?
(क) 1784 ई. में
(ख) 1790 ई. में
(ग) 1801 ई. में
(घ) 1901 ई. में
उत्तर:
(क) 1784 ई.

(3) सन् 1793 ई. में स्थाई बन्दोबस्त व्यवस्था किसके द्वारा लागू की गई थी?
(क) विलियम पिट के द्वारा
(ख) राबर्ट क्लाइव के द्वारा
(ग) वारेन हेस्टिंग्ज के द्वारा
(घ) लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा
उत्तर:
(घ) लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा

(4) सन् 1813 ई. में कौन-सा एक्ट पारित किया गया ?
(क) चार्टर एक्ट
(ख) पिट इण्डिया एक्ट
(ग) रेग्यूलेटिंग एक्ट
(घ) सिविल सर्विस एक्ट
उत्तर:
(क) चार्टर एक्ट

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) क्लाइव ने निजामत का कार्य ……………. पर छोड़ दिया था।
(2) सन् 1772 ई. में …………… बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया गया था।
(3) भारत में सिविल सर्विस की स्थापना …………….. ने की थी।
(4) रैयतवाड़ी व्यवस्था सर्वप्रथम ……………… और बम्बई (मुम्बई) में शुरू की गई।
(5) आधुनिक डाकतार (संचार) व्यवस्था को ………………. ने शुरू किया था।
उत्तर:

  1. बंगाल के नवाब
  2. वारेन हेस्टिंग्ज को
  3. लॉर्ड कार्नवालिस
  4. चेन्नई
  5. डलहौजी।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
(1) भूमिकर वसूल करने के लिए कम्पनी द्वारा किसे नियुक्त किया गया था ?
उत्तर:
भूमिकर वसूल करने के लिए कम्पनी द्वारा जमींदारों को नियुक्त किया गया था।

(2) कॉर्नवालिस द्वारा किये गये सुधारों को किस पुस्तक में संग्रहीत किया गया है ?
उत्तर:
कॉर्नवालिस द्वारा किये गये सुधारों को कॉर्नवालिस संहिता’ नामक पुस्तक में संग्रहीत किया गया है।

(3) किसान का भूमि पर अधिकार किस व्यवस्था के अन्तर्गत समाप्त कर दिया गया था ?
उत्तर:
महालवाड़ी व्यवस्था के अन्तर्गत किसान का भूमि पर से अधिकार समाप्त कर दिया गया था।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 4.
(1) दोहरी शासन व्यवस्था का बंगाल की जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
बंगाल के नवाब के पास शासन का सम्पूर्ण दायित्व था, परन्तु उसके पास न तो शक्ति थी और न ही धन था। कम्पनी के पास सेना और कोष दोनों थे, किन्तु शासन और सुरक्षा के प्रति उसकी जिम्मेदारी नहीं थी। परिणामस्वरूप बंगाल की दोहरी शासन व्यवस्था ने बंगाल की जनता को अपार कष्टों में डाल दिया।

(2) रेग्यूलेटिंग एक्ट के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
कम्पनी की गतिविधियों पर नियन्त्रण रखने के लिए ब्रिटिश संसद ने सन् 1773 ई. में रेग्यूलेटिंग एक्ट पारित किया।
इस एक्ट के दो प्रमुख उद्देश्य थे –

  • कम्पनी के संगठन के दोषों को दूर करना, और
  • भारत में कम्पनी के शासन के दोषों का निराकरण करना।

(3) पिट इण्डिया एक्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर:
इस एक्ट ने कम्पनी के मामलों और भारत में उसके प्रशासन पर ब्रिटिश सरकार को अधिकाधिक नियन्त्रण का अधिकार दे दिया था। इस एक्ट की विशेष बात यह थी कि इसके द्वारा भारत में कम्पनी के आक्रामक युद्धों को नियन्त्रित कर दिया तथा गवर्नर जनरल एक शासक की भूमिका में आ गया था। इस एक्ट में कहा गया कि भारत में साम्राज्य का विस्तार इस राष्ट्र की इच्छा, सम्मान तथा नीति के विरुद्ध है।

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MP Board Class 8th Social Science Chapter 2 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 5.
(1) ब्रिटिश शासन की आर्थिक नीतियों का भारतीय उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा ? समझाइए।
उत्तर:
भारतमें कम्पनीकीआर्थिकनीतियों के कारणव्यापारवाणिज्य, उद्योग-धन्धों तथा भू-राजस्व प्रणाली और कृषि व्यवस्था में अनेक बदलाव आये थे। अंग्रेजों ने अपने हितों में जो नीतियाँ अपनाई थीं, उनसे भारतीय अर्थव्यवस्था का परम्परागत ढाँचा चरमरा गया। भारतीय कृषि, उद्योग तथा व्यापार पर ब्रिटिश शासन की आर्थिक नीतियों का अत्यन्त बुरा प्रभाव पड़ा।

(2) स्थाई बंदोबस्त से क्या तात्पर्य है ? उसके क्या दुष्परिणाम हुए ?
उत्तर:
इस व्यवस्था में जींदारों को भू-स्वामी मान लिया गया। भूमि पर उनका वंशानुगत अधिकार हो गया था। चेन्नई और मुम्बई क्षेत्र में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की गई। इसमें भूमि जोतने वाले को भू – स्वामी माना गया। इनसे कम्पनी सीधे कर लेती थी। लगान न देने पर किसानों का भूमि पर से अधिकार समाप्त कर दिया जाता था। इस व्यवस्था से कृषि का उत्पादन बहुत घट गया, किसानों पर अत्याचार बढ़ गए, किन्तु सरकारी राजस्व में भारी वृद्धि हुई। इसके चलते कुटीर उद्योग, दस्तकार और शिल्पकार पतन के गर्त में चले गये।

(3) 18वीं सदी में भारतीय समाज में कौन-कौन सी कुरीतियाँ व्याप्त थीं एवं सरकार द्वारा उनके सुधार हेतु क्या प्रयास किए गए ?
उत्तर:
18वीं सदी में भारतीय समाज में कन्यावध की कुप्रथा कुछ क्षेत्रों में प्रचलित थी। कन्या को जन्म लेते ही मार दिया जाता था। इन कुरीतियों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने अनेक कानूनों का निर्माण किया। भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति भी दयनीय थी। पर्दा प्रथा, बाल विवाह, सती प्रथा, स्त्री अशिक्षा आदि के कारण स्त्रियों की स्थिति शोचनीय होती गई। सरकार ने सन् 1829 ई. के एक कानून द्वारा सती प्रथा पर रोक लगाई समाज में दास प्रथा के रूप में एक अन्य कुरीति पनप रही थी। गरीबी के कारण लोग अपने बच्चों को बेचने पर विवश थे। सरकार ने सन् 1843 ई. में कानून बनाकर दास प्रथा पर रोक लगाई

(4) ब्रिटिश प्रशासन द्वारा शिक्षा व्यवस्था में क्या सुधार किए गए और उसके क्या परिणाम हुए ?
उत्तर:
ब्रिटिश प्रशासन द्वारा आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में अपने स्तर पर शुरूआत की गई। कुछ भारतीयों ने इस प्रयास में उनका सहयोग भी किया। सन् 1781 ई. में कलकत्ता मदरसा की स्थापना की गई। इसमें अरबी और फारसी की शिक्षा दी जाती थी। इसी क्रम में सन् 1784 ई. में सर विलियम जोंस ने एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल की स्थापना की। इसके माध्यम से प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्ययन के लिए महत्त्वपूर्ण प्रयास किए गए। सन् 1791 ई. में वाराणसी में हिन्दू विधि (कानून) और दर्शन के लिए संस्कृत कॉलेज की स्थापना की गई।

इसी तरह सन् 1800 ई. में कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की गई। सरकार द्वारा खोले गए कुछ स्कूलों में अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया। धीरे-धीरे शिक्षा का प्रसार भारत में बढ़ता गया। अंग्रेजी के सम्पर्क में आने से भारतीय आधुनिक शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान, स्वतन्त्रता, समानता, जनतन्त्र, राष्ट्रीयता, विशिष्ट क्रान्तियाँ और आधुनिक विचारों के सम्पर्क में आने से उनमें जागृति पैदा हुई।

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MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 12 कर्तव्यपालनम्

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 12 कर्तव्यपालनम् (संवादः)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 12 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक शब्द में उत्तर लिखो)
(क) जनाः वञ्चनया किं कर्तुं कामयन्ते? (लोग छल से क्या करना चाहते हैं?)
उत्तर:
स्वार्थ साधनं। (अपना स्वार्थ साधना चाहते हैं।)

(ख) आत्मनः देशस्य वा समुन्नतेः मूलमन्त्र: कः? (अपने देश की उन्नति का मूल मंत्र क्या है?)
उत्तर:
कर्त्तव्यपालनमेव। (कर्त्तव्य का पालन करना है)

(ग) जीवन किम् आवश्यकम्? (जीवन में क्या आवश्यक है?)
उत्तर:
सत्कार्यम्। (अच्छे कार्य करना।)

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(घ) कर्त्तव्यपरायणानां गणना कुत्र भवति? (कर्त्तव्यपालन की गणना कहाँ होती है?)
उत्तर:
श्रेष्ठ पुरुषेषु। (श्रेष्ठ पुरुषों में)

(ङ) यस्य बुद्धिः व्यापन्ना अस्ति सः कर्त्तव्यपालनं करोति न वा? (जिसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है वह कर्त्तव्य-पालन करता है या नहीं?)
उत्तर:
न करोति। (नहीं करता है।)

प्रश्न 2.
एक वाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) कृषकाः देशस्य उन्नति कथं कुर्वन्ति?(कृषक देश की उन्नति कैसे करता हैं?)
उत्तर:
कृषकाः देशस्य उन्नतिं कृषिकार्येण कुर्वन्ति। (कृषक देश की उन्नति कृषि कार्यों के द्वारा करता है।)

(ख) कर्त्तव्यपालनं किमर्थम् आवश्यकं वर्तते? (कर्त्तव्यपालन क्यों आवश्यक है?)
उत्तर:
कर्त्तव्यपालनं देशस्य समुचित रूपेण उन्नतिम् वर्तते। (कर्तव्यपालन से देश का समुचित रूप से उन्नति होती है।

(ग) यदि जनाः स्वकर्त्तव्यपालनं न कुर्वन्ति तर्हि किं भविष्यति? (यदि लोग अपने कर्त्तव्य का पालन नहीं करेंगे तो क्या होगा?)
उत्तर:
यदि जनाः स्वकर्तव्य पालनं न कुर्वन्ति तर्हि देशस्य समुचित उन्नतिम् न भविष्यति। (यदि लोग अपने कर्तव्य का पालन नहीं करेंगे तो देश की समुचित उन्नति नहीं होगी।)

(घ) जनाः देशस्य हितसाधनं कथं कुर्वन्ति? (लोग देश का हित किस तरह से करते हैं?)
उत्तर:
जनाः देशस्य हितसाधनं स्वकर्त्तव्यपालन माध्यमेन् कुर्वन्ति। (लोग देश का हित अपने कर्त्तव्य-पालन के माध्यम से करते हैं।)

प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) कर्त्तव्यपालनं किमर्थन् आवश्यकम्? (कर्तव्यपालन क्यों आवश्यक है?)
उत्तर:
कर्त्तव्यपालनं सर्वहिताय आवश्यकम्। (कर्त्तव्यपालन सबके हित के लिए आवश्यक है।)

(ख) ये कर्त्तव्यपालन कुर्वन्ति ते केषां हितसाधनं कुर्वन्ति?(जो कर्त्तव्यपालन करते हैं वे किस तरह हित साधन करते हैं?)
उत्तर:
ये कर्त्तव्यपालनं कुर्वन्ति ते न केवलम् आत्मनः एव प्रत्युत् सम्पूर्णस्यापि देशस्य हितसाधनं कुर्वन्ति। (जो कर्त्तव्यपालन करते हैं वे न केवल अपना अपितु समस्त देश का हित करते हैं।)

(ग) देशस्य उन्नतियोजना केन कथम् अधिकफलवती भवेत्? (देश की योजना की उन्नति कैसे और किसके द्वारा अधिक फलीभूत होती है?)
उत्तर:
देशस्य उन्नतियोजना जनाः कर्त्तव्यपालनं प्रति ध्यानं ददाति तर्हि अधिकफलवती भवेत्। (देश की उन्नति लोगों के द्वारा कर्तव्यपालन के माध्यम से अधिक फलवती होती है।)

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प्रश्न 4.
यथायोग्यं योजयत-
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 12 कर्तव्यपालनम् img-1

प्रश्न 5.
रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) देशे सर्वे जनाः कर्त्तव्यपालनं कुर्वन्ति।
(ख) जनेषु कर्त्तव्यपालनम् प्रति महती शिथिलता समागता वर्तते।
(ग) जनाः वञ्चनया एव स्वार्थ साधनं कर्तुं कामयन्ते।
(घ) इयम् भूमिः कर्मभूमिः अस्ति।
(ङ) कर्तव्य पालनमेव आत्मनः देशस्य वा समुन्नतेः मूलमन्त्र।

प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षं ‘न’ इति लिखत
उदाहरणं यथ –
जीवने कार्यत् आवश्यकम् अस्ति। – (आम्)
कर्तव्यपालनम् आवश्यकं नास्ति। – (न)
(क) नैकाः जनाः वञ्चनया एव स्वार्थ साधनं कर्तुं कामयन्ते।
(ख) स्वकर्तव्यपालन न करणीयम्।
(ग) कर्त्तव्यपालनमेव देशस्य समुन्नतेः मूलमन्त्रः।
(घ) मनुष्योपरि अनेकविधानां कर्त्तव्यानां पालनस्य महान् भारो वर्त्तते।
(ङ) इयम् भूमिः कर्मभूमिः नास्ति।
उत्तर:
(क) (न)
(ख) (न)
(ग) (आम्)
(घ) (आम्)
(ङ) (न)

प्रश्न 7.
क्रियापदानां धातुं वचनं पुरुषं च लिखत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 12 कर्तव्यपालनम् img-2

प्रश्न 8.
सन्धिविच्छेदं कृत्वा सन्धेः नाम लिखत
(क) एकोऽपि
उत्तर:
एकः+अपि = पूर्व रूप स्वर सन्धि

(ख) प्रत्येकम्
उत्तर:
प्रति+एक = स्वर सन्धि

(ग) सम्पूर्णस्यापि
उत्तर:
सम्पूर्णस्य+अपि = स्वर सन्धि

(घ) कानिचित्
उत्तर:
कानि+चित् = स्वर सन्धि

प्रश्न 9.
उदाहरणानुसारं शब्दानां विभक्तिं वचनं च लिखत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 12 कर्तव्यपालनम् img-3

प्रश्न 10.
निम्नाङ्कितैः अव्ययैः वाक्यनिर्माणं कुरुत
यथा-सः अपि पठति।
(क) यदि-तर्हि
(ख) यत-तत
(ग) यावत्
(घ) एव
(ङ) कृते
उत्तर:
(क) यदि सः आगच्छति तर्हि अहं अपि गमिष्यामि।
(ख) यतः शान्तिः भवति ततः सुखम् भवति।
(ग) तावत्-यावत् वृष्टिः न भवति तावत् कृषि कार्यं न भवति।
(घ) सः एव गच्छति।
(ङ) मम कृते पुस्तकं ददातु।

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कर्तव्यपालनम् पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

समाज में प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य निश्चित होता है। विविध स्थानों में स्थित लोग अपने द्वारा करणीय कर्तव्य का निर्वहन करते हैं। राजा, प्रजा, अधिकारी, कर्मचारी, माता-पिता, पुत्र-पुत्री, बंधु-बांधव आदि सभी के समाज की दृष्टि से कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व निश्चित हैं। भारतीय धर्म-ग्रन्थों में कर्तव्य-पालन के उपाय एवं उनका महत्त्व अधिकतर प्रतिपादित है।

कर्तव्यपालनम् पाठ का हिन्दी अर्थ

1. शिक्षक :
जीवने किम् आवश्यकम् अस्ति?

दिव्यांश :
जीवने तु कार्यम् आवश्यकम् अस्ति।

शिक्षक :
मानवाः किमर्थं कार्याणि कुर्वन्ति?

विशाला :
मानवः स्वजीवनयापनार्थं, समाजसेवार्थं, देशसेवार्थं च कार्याणि कुर्वन्ति।

शिक्षक :
आम्। तानि तु तेषां कर्त्तव्यानि सन्ति। अतः ते स्वकर्तव्यपालनं कुर्वन्ति। यस्य मनुष्यस्य यत् कर्त्तव्यं तस्य समुचितरूपेण पालनमेव स्वकर्तव्यपालनं कथ्यते।

मीमांसा :
किं सर्वेषां जनानां कर्त्तव्यभूमिः पृथक्-पृथक् भवन्ति अथवा समानमेव भवन्ति।

शब्दार्थ :
किमर्थ-किस लिए-for what; कुर्वन्ति-करते हैं-do; यापनार्थम्-बिताने के लिए-for spend; तेषां-उनके-Them; यस्य-जिसके-Whose; समुचितरूपेण-समुचित रूप से-Well; कथ्यते-कहा जाता है-says; सर्वेषां-सभी-all; भवन्ति-होते हैं-happens;

हिन्दी अर्थ :
शिक्षक :
जीवन में क्या आवश्यक है?

दिव्यांश :
जीवन में कार्य आवश्यक है।

शिक्षक :
मनुष्य लोग किस लिए कार्य करते हैं।

विशाला :
लोग अपने जीवन-यापनार्थ, देश की सेवा के लिए समाज की सेवा के लिए कार्य करते हैं।

शिक्षक :
ठीक है। ये सब तो उनके कर्तव्य हैं अतः वे अपना कर्तव्य पालन करते हैं। जिस मनुष्य का जो कार्य है, उसका उचित तरीके से पालन करता है।

मीमांसा :
क्या सभी लोगों के कर्तव्य अलग-अलग होते हैं अथवा सबके समान होते हैं।

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2. शिक्षक-इयम् भूमिः कर्मभूमिः अस्ति कर्तव्यभूमिः अस्तिः। अस्मिन् संसारे यावन्तः जनाः गृहन्ति तेषां सर्वेषामपि पृथक्-पृथक कर्त्तव्यानि भवन्ति। तानि अनेक विधानि भवन्ति। कानिचित् व्यक्तिगतानि, कानिचित पारिवारिकाणि, कानिचित, सामाजिकानि भवन्ति। एवं च प्रत्येक मनुष्यस्योपरि अनेकविधानां कर्त्तव्यानां पालनस्य महान् भारो वर्त्तते। एकोऽपि एवं विधः मनुष्य नास्ति, यस्य किमपि कर्त्तव्यं न स्याद्, यदि तस्य शरीरं बुद्धिर्वा व्यापन्ना नास्ति।

वेदान्त :
कर्त्तव्यपालनं सर्वेषां कृते किमर्थम् आवश्यकम् अस्ति?

शिक्षक :
कर्त्तव्यपालनं जनस्य स्वहिताय देशहिताय सर्वहिताय च परमावश्यकम्। ये स्वकर्तव्यानां समुचित-रूपेण पालनं कुर्वन्ति तेषामेव श्रेष्ठपुरुषेषु गणना भवति। ते : न केवलम् क्षात्मनः एव प्रत्युत् सम्पूर्णस्यापि देशस्य हितसाधनं कुर्वन्ति।

नरेन्द्र :
यदि जनाः स्वकर्तव्यपालनं न कुर्वन्ति तर्हि किं भविष्यति?

शब्दार्थ :
इयम्-इस तरह से-by this type; यावन्त-जब तक-Till that;गृह्णन्ति-ग्रहण करते हैं-Takes; सर्वेषामपि-सभी-all; पृथक-पृथक-अलग-अलग-different-different; कानिचित्-कोई-any; मनुष्योपरि-मनुष्य के ऊपर-on human; कर्त्तव्यनां-कर्तव्यों को-Duties; एकोऽपि-एक भी-one also; नास्ति-नहीं-no; किमपि-कुछ भी-anything also; व्यापन्ना-नष्ट-ruin; किमर्थं-किस लिए-for what; जनस्य-लोगों का-People; देशहिताय-देश का हित-Country profit; सर्वहिताय-सभी का हित-All profit; हितसाधनं-हित साधन-profit source; कुर्वन्ति-करते हैं-Do; धटना-Incident.

हिन्दी अर्थ :
यह घर या भूमि ही कर्तव्य भूमि है, कर्म भूमि है। इस संसार में आने वाले समस्त जन अर्थात् इस संसार में जन्म लेने वाले प्रत्येक प्राणी के कर्तव्य अलग-अलग होते हैं। उनकी अनेक विधाएँ भी हैं। कुछ कर्तव्य व्यक्तिगत होते हैं कुछ सामाजिक कर्तव्य होते हैं और कुछ पारिवारिक होते हैं। इस तरह प्रत्येक पुरुष पर अनेक विधि के कर्तव्य पालन का महत भार रहता है। एक भी ऐसा मनुष्य नहीं है, जिसका कोई कर्तव्य न हो। यदि उसका शरीर स्वस्थ है तो वह अवश्य ही कर्तव्य पालन करेगा।

देदांत :
कर्तव्य पालन सभी व्यक्तियों के लिए क्यों आवश्यक है?

शिक्षक :
कर्तव्य पालन स्वहित, जनहित व देशहित के लिए अत्यन्त आवश्यक है। जो अपने कर्तव्य का समुचित रूप से पालन करता है उसकी श्रेष्ठ पुरुषों में गिनती होती है। वे केवल अपना ही नहीं बल्कि समस्त देश का हित साधते हैं।

नरेन्द्र :
यदि लोग अपने कर्तव्य का पालन नहीं करेंगे तो क्या होगा?

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3. शिक्षक-यदि जनाः स्वकर्त्तव्यपालनं न कुर्यु तर्हि समाजस्य कापि व्यवस्था भवितुं न अर्हति। कल्पनां कुरु-यदि अध्यापकाः सम्यक् न अध्यापयेयुः, विद्यार्थिनः परिश्रमेण न पठेयुः, न्यायाधीशाः समुचितरूपेण न्यायं न कुर्युः, शासकाः समीचीनतया शासनकार्य न सम्पादयेयुः, का कराः स्वानि स्वानि कर्माणि सम्यक् न विदध्युः, कृषकाः कृषिकार्य श्रमेण न कुर्युः तर्हि देशस्य कथमपि उन्नतिः भविष्यति न वा? नैव भविष्यति।

स्नेहल :
किम् अस्माकं देशे सर्वे जनाः कर्त्तव्यपालनं कुर्वन्ति?

शिक्षक :
देशस्य कृते महतः दुर्भाग्यस्य अयं विषयः वर्तते यत् साम्प्रतिकेषु जनेषु कर्तव्यपालन प्रति महती शिथिलता समागता वर्तते। नैकाः जनाः श्रमेणः, सत्येन, निष्ठया च कार्यं कर्तुं न वाञ्छन्ति, वञ्चनया एव स्वार्थसाधनं कर्तुं कामयन्ते। अधिकारार्थं सर्वे कलहं कुर्वन्ति परं कर्त्तव्यपालने ध्यान न ददति। देशस्य यावान् अर्थव्ययः समयव्ययः च भवति तावती न कार्यसिद्धिः। यदि जनाः कर्त्तव्यपालनं प्रति ध्यानं ददति तर्हि देशस्य राजकीया अराजकीया वा कापि उन्नतियोजना समुचितरूपेण पूर्णरूपेण फलवती भविष्यत्येव।

कर्त्तव्यपालनमेव अतोऽस्माभिः सङ्कल्पः करणीय यत् स्वकर्तव्यपालनम् अवश्यमेव करणीयम् (आत्मनः देशस्या वा समुन्नतेः मूलमन्त्रः)

शब्दार्थ :
स्वकर्त्तव्यपालनं-अपना कर्तव्य पालन को-to obey the duty; भवितुं-होने के लिए-for becomes; अध्यापयेयु-अध्यापन कराएँ-Do study; समुचितरूपेण-सम्यक रूप से-form of comfortable;समीचीनतया-ठीक प्रकार का-right type;साम्प्रतिकेषु-इस समय में-In this time; समागता-आयी हुई-Come; वाञ्छन्ति-चाहते हैं-Likes; न ददति-नहीं देता-not gives;अराजकीया-अशासकीय, निजी-Private,no government; सङ्कल्प-संकल्प-Promise; करणीय-करना चाहिए-Should do;

हिन्दी अर्थ :
शिक्षक-यदि लोग स्वकर्तव्य पालन नहीं करेंगे तो उस समाज की कोई भी व्यवस्था सुचारु नहीं हो सकती। कल्पना करो-शिक्षक यदि उचित शिक्षा नहीं देगा, विद्यार्थी परिश्रमपूर्वक नहीं पढ़ेगा, न्यायाधीश समुचित रूप से (सत्यासत्य का विवेचन किए बगैर) न्याय नहीं करेगा, शासक समुचित रूप से शासन कार्य का संपादन नहीं करेगा, कर्मकार अपने-अपने कार्य समुचित विधि से नहीं करेंगे, किसान परिश्रमपूर्वक किसानी न करे, तो उस देश की कैसे उन्नति होगी? कभी नहीं होगी।

स्नेहल :
हमारे देश में क्या सभी लोग कर्तव्य पालन करते हैं?

शिक्षक :
इस देश का सबसे महान दुर्भाग्य यह है कि लोगों में अपने कर्तव्यपालन के प्रति बहुत उदासीनता देखने को मिलती है। अनेक लोग श्रमपूर्वक, सत्यपूर्वक, निष्ठापूर्वक कार्य नहीं करना चाहते वरन अपने स्वार्थ के साधने में लगे हुए हैं। सर्वत्र अधिकारों के लिए लोग लड़ रहे हैं किन्तु अपने कर्तव्य-पालन की ओर ध्यान नहीं देते। देश की अर्थ-व्यवस्था त तक एक समान नहीं होगी जब तक की कार्यों के सिद्धि समुचित तरीके से नहीं होगी। यदि लोग (निष्ठापूर्वक) कर्तव्यपालन की ओर ध्यान दें तो देश की शासकीय एवं अशासकीय (सार्वजनिक) सभी योजनाएँ उन्नति करेंगी, समुचित रूप से पुष्पित फलित होंगी। हम सभी को कर्तव्य पालन का संकल्प करना चाहिए। जिससे अपने-अपने कर्तव्यों का सम्यक् रूप से पालन हो (अपने देश। की उचित रीति से उन्नति ही मूल मंत्र है।)

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Intext Questions

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Intext Questions

MP Board Class 8th Maths Chapter 4 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 64

इन्हें कीजिए

प्रश्न 1.
क्या एक अद्वितीय चतुर्भुज की रचना के लिए कोई भी पाँच माप (भुजाओं और कोणों की) पर्याप्त हैं?
उत्तर:
हाँ, किसी भी अद्वितीय चतुर्भुज की रचना के लिए कोई भी पाँच माप पर्याप्त हो सकती हैं।

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए (क्रमांक 4.1) –

प्रश्न 1.
अरशद के पास एक चतुर्भुज ABCD की पाँच माप हैं। ये माप AB = 5 cm, ∠A = 50°, AC = 4 cm, BD = 5 cm और AD = 6 cm हैं। क्या वह इन मापों से एक अद्वितीय चतुर्भुज बना सकता है? अपने उत्तर के कारण दीजिए।
उत्तर:
दी गई मापों से चतुर्भुज ABCD नहीं बन सकता है। कारण निम्न हैं –

  1. विकर्ण AC =4 cm लेने पर ∆ABC की रचना सम्भव है परन्तु ∆ACD की रचना सम्भव नहीं है। अतः चतुर्भुज ABCD नहीं बन सकता है।
  2. विकर्ण BD = 5 cm लेने पर AABD एवं ABCD सम्भव नहीं है। अतः चतुर्भुज ABCD बनना असम्भव है।

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पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 66

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए (क्रमांक 4.2) –

प्रश्न 1.
हमने देखा कि एक चतुर्भुज की पाँच मापों से एक अद्वितीय चतुर्भुज की रचना की जा सकती है। क्या आप सोचते हैं कि चतुर्भुज की किन्हीं पाँच मापों से ऐसी रचना की जा सकती है?
उत्तर:
हाँ, एक अद्वितीय चतुर्भुज की रचना करने के लिए पाँच मापों का होना आवश्यक है। परन्तु इन मापों का अद्वितीय होना भी आवश्यक है। अद्वितीय चतुर्भुज की रचना के लिए निम्न मापों का होना आवश्यक है –

  1. चारों भुजाएँ और एक विकर्ण।
  2. दो विकर्ण और तीन भुजाएँ।
  3. दो आसन्न भुजाएँ और तीन कोण।
  4. तीन भुजाएँ और उनके बीच के दो कोण।
  5. अन्य विशिष्ट गुण।

प्रश्न 2.
क्या आप एक समान्तर चतुर्भुज BATS की रचना कर सकते हैं जिसमें BA = 5 cm, AT = 6 cm और AS = 6.5 cm हो? क्यों?
उत्तर:
हाँ, इन मापों से समान्तर चतुर्भुज BATS की रचना की जा सकती है। इन मापों से ∆BAS और ∆SAT की रचना करके समान्तर चतुर्भुज BATS की रचना की जा सकती है।

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प्रश्न 3.
क्या आप एक समचतुर्भुज (Rhombus) ZEAL की रचना कर सकते हैं जिसमें ZE = 3.5 cm विकर्ण EL= 5 cm है ? क्यों ?
उत्तर:
हाँ, दी गई मापों से सम-चतुर्भुज ZEAL की रचना कर सकते हैं। समचतुर्भुज की रचना ∆ZEL तथा ∆LEA की रचना करके की जा सकती है।

प्रश्न 4.
एक विद्यार्थी चतुर्भुज PLAY की रचना करने का प्रयास करता है जिसमें PL = 3 cm, LA = 4 cm, AY = 4.5 cm, PY = 2 cm और LY = 6 cm है, परन्तु वह इसकी रचना नहीं कर सका। कारण बताइए।
हल:
चतुर्भुज PLAY की रचना करने के लिए इसे दो त्रिभुजों ∆PLY तथा ∆LAY में विभाजित किया। दी हुई मापों से ∆LAY की रचना की। ∆PLY की रचना दी गई मापों से असम्भव है, क्योंकि PL + PY < LY अर्थात् 3 + 2 < 6 अतः ∆PLY की रचना सम्भव नहीं है। अत: चतुर्भुज PLAY को दो त्रिभुजों में विभाजित नहीं किया जा सकता। इसलिए चतुर्भुज PLAY की रचना नहीं की जा सकती है।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 4 प्रायोगिक ज्यामिती Intext Questions img-1

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.4

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.4

प्रश्न 1.
बताइए कथन सत्य है या असत्य –

  1. सभी आयत वर्ग होते हैं।
  2. सभी समचतुर्भुज समान्तर चतुर्भुज होते हैं।
  3. सभी वर्ग समचतुर्भुज और आयत भी होते हैं।
  4. सभी वर्ग समान्तर चतुर्भुज नहीं होते।
  5. सभी पतंगें समचतुर्भुज होती हैं।
  6. सभी समचतुर्भुज पतंग होते हैं।
  7. सभी समान्तर चतुर्भुज समलम्ब होते हैं।
  8. सभी वर्ग समलम्ब होते हैं।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. असत्य
  5. असत्य
  6. सत्य
  7. सत्य
  8. सत्य।

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प्रश्न 2.
उन सभी चतुर्भुजों की पहचान कीजिए जिनमें –

  1. चारों भुजाएँ बराबर लम्बाई की हों।
  2. चार समकोण हों।

उत्तर:

  1. ऐसे चतुर्भुज जिनकी चारों भुजाएँ समान लम्बाई की हों, वर्ग और समचतुर्भुज हैं।
  2. चतुर्भुज जिनमें चार समकोण हों-वर्ग और आयत।

प्रश्न 3.
बताइए कैसे एक वर्ग –

  1. एक चतुर्भुज
  2. एक समान्तर चतुर्भुज
  3. एक समचतुर्भुज
  4. एक आयत है।

उत्तर:

  1. एक वर्ग में चार भुजाएँ होती हैं; इसलिए यह एक चतुर्भुज है;
  2. एक वर्ग की सम्मुख भुजाएँ समान्तर होती हैं; इसलिए यह एक समान्तर चतुर्भुज है।
  3. वर्ग एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज होता है जिसकी सभी भुजाएँ बराबर होती हैं; इसलिए यह एक समचतुर्भुज है।
  4. वर्ग एक ऐसा समान्तर चतुर्भुज होता है; जिसके सभी कोण समकोण होते हैं; इसलिए यह एक आयत है।

प्रश्न 4.
एक चतुर्भुज का नाम बताइए जिसके विकर्ण –

  1. एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
  2. एक दूसरे पर लम्ब समद्विभाजक हों।
  3. बराबर हों।

उत्तर:

  1. एक चतुर्भुज जिसके विकर्ण एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं-समान्तर चतुर्भुज; समचतुर्भुज; वर्ग और आयत।
  2. एक चतुर्भुज जिसके विकर्ण एक दूसरे पर लम्ब समद्विभाजक होते हैं समचतुर्भुज; वर्ग।
  3. एक चतुर्भुज जिसके विकर्ण बराबर होते हैं-वर्ग; आयत।

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प्रश्न 5.
बताइए एक आयत उत्तल चतुर्भुज कैसे हैं?
उत्तर:
एक आयत उत्तल चतुर्भुज है क्योंकि –

  1. इसके प्रत्येक कोण की माप 180° से कम है।
  2. इसके दोनों विकर्ण अभ्यंतर में होते हैं। अतः आयत उत्तल चतुर्भुज है।

प्रश्न 6.
ABC एक समकोण त्रिभुज है और ‘o’समकोण की सम्मुख भुजा का मध्य बिन्दु है। बताइए कैसे ‘o’ बिन्दु A, B तथा C से समान दूरी पर स्थित है। (बिन्दुओं से चिह्नित अतिरिक्त भुजाएँ आपकी सहायता के लिए खींची गई हैं)।
हल:
BO को D तक इस प्रकार आगे बढ़ाते हैं कि BO = OD.
AD और DC को मिलाया।
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.4 img-1
अब ABCD एक आयत है। आयत ABCD में विकर्ण AC और BD बराबर हैं तथा एक-दूसरे को बिन्दु o पर प्रतिच्छेद करते हैं।
\(\overline { AB } \) || \(\overline { BC } \);\(\overline { AB } \) || \(\overline { DC } \)
तथा OA = OC
और OB = OD
परन्तु AC = BD
∴ OA = OB = OC
अतः बिन्दु o; A, B तथा C से समान दूरी पर है।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 61

सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए –

प्रश्न 1.
एक राजमिस्त्री एक पत्थर की पट्टी बनाता है। वह इसे आयताकार बनाना चाहता है। कितने अलग-अलग तरीकों से यह विश्वास हो सकता है कि यह आयताकार है?
उत्तर:
राजमिस्त्री को पत्थर की पट्टी को आयताकार बनाने के लिए निम्न प्रकार विश्वास हो सकता है –

  1. पट्टी की आमने-सामने के किनारे बराबर हों।
  2. विकर्ण बराबर हों।
  3. प्रत्येक कोण 90° का हो।

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प्रश्न 2.
वर्ग को आयत के रूप में परिभाषित किया गया था जिसकी सभी भुजाएँ बराबर होती हैं। क्या हम इसे समचतुर्भुज के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जिसके कोण बराबर माप के हों? इस विचार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हम वर्ग को समचतुर्भुज के रूप में परिभाषित नहीं कर सकते जब तक कि इसके विकर्ण बराबर नहीं होते और प्रत्येक कोण समकोण नहीं हो।

प्रश्न 3.
क्या एक समलम्ब के सभी कोण बराबर माप के हो सकते हैं? क्या इसकी सभी भुजाएँ बराबर हो सकती हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. समलम्ब के सभी कोण बराबर माप के हो सकते हैं जबकि सम्मुख भुजाएँ समान्तर हों। लेकिन समलम्ब में भुजा का एक युग्म ही समान्तर होता है।

2. समलम्ब की सभी भुजाएँ बराबर नहीं हो सकती जब तक कि सम्मुख भुजाएँ समान्तर न हो जाएँ। लेकिन समलम्ब एक ऐसा चतुर्भुज है जिसमें भुजाओं का एक युग्म ही समान्तर होता है।

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MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2

MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2

प्रश्न 1.
निम्न में आप कौन-से सर्वांगसम प्रतिबन्धों का प्रयोग करेंगे ?
(a) दिया है : AC = DF AB = DE, BC = EF
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 1

इसलिए, ∆ABC ≅ ∆DEF
(b) दिया है : ZX = RP RQ = ZY
∠PRQ = ∠XZY
इसलिए, ∆PQR = ∆XYZ
(c) दिया है: ∠MLN = ∠FGH
∠NML = ∠GFH
ML = FG
इसलिए, ∆LMN ≅ ∆GFH
(d) दिया है: EB = DB
AE = BC
∠A = ∠C
इसलिए, ∆ABE ≅ ∆CDB
उत्तर:
(a) S.S.S. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध द्वारा,
∆ABC ≅ ∆DEE
(b) S.A.S. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध द्वारा,
∆PQR ≅ ∆XYZ.
(c) A.S.A. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध द्वारा,
∆LMN ≅ ∆GFH.
(d) R.H.S. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध द्वारा,
∆ABE ≅ ∆CDB.

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प्रश्न 2.
आप ∆ART ≅ ∆PEN दर्शाना चाहते हैं।
(a) यदि आप S.S.S. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध का प्रयोग करें तो आपको दर्शाने की आवश्यकता है:
(i) AR =
(ii) RT =
(iii) AT =
(b) यदि यह दिया गया है कि ∠T = ∠N और आपको S.A.S. प्रतिबन्ध का प्रयोग करना है, तो आपको आवश्यकता होगी:
(i) RT = और (ii) PN =
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 2

(c) यदि यह दिया गया है कि AT = PN और आपको A.S.A. प्रतिबन्ध का प्रयोग करना है, तो आपको आवश्यकता होगी:
(i) ? =
(ii) ? =
हल:
(a) ∆ART ≅ ∆PEN को S.S.S. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध द्वारा दर्शाने के लिए दर्शाना होगा –
(i) AR = PE
(ii) RT = EN
(iii) AT = PN
(b) ∴ ∠T = ∠N
∴ (i) RT = EN
(ii) PN = AT
(c) यदि AT = PN और A.S.A. सर्वांगसमता के लिए आवश्यकता होगी –
(i) ∠RAT = ∠EPN
(ii) ∠ATR = ∠PNE

प्रश्न 3.
आपको ∆AMP ≅ ∆AMQ दर्शाना है। निम्न चरणों में, रिक्त कारणों को भरिए:
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 3
उत्तर:
(i) दिया है
(ii) दिया है
(iii) उभयनिष्ठ
(iv) S.A.S. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध।

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प्रश्न 4.
∆ABC में ∠L = 30°, ∠B = 40° और ∠C = 110°, ∆PQR में, ∠P = 30° ∠Q = 40° और ∠R = 110°. एक विद्यार्थी कहता है कि A.A.A. सर्वांगसमता प्रतिबन्ध से ∆ABC ≅ ∆PQR है।
क्या यह कथन सत्य है ? क्यों या क्यों नहीं ?
हल:
यहाँ ∆MBC के तीनों कोण ∆PQR के तीनों कोणों के बराबर हैं। तो यह आवश्यक नहीं कि त्रिभुज सर्वांगसम हों क्योंकि यदि ∆ABC में, भुजा BC = 3.0-सेमी तथा ∆POR में, भुजा QR = 4.0 सेमी हो, तो इस दशा में त्रिभुज के संगत कोण तो बराबर हैं परन्तु यह सर्वांगसम नहीं हैं। क्योंकि BC ≠ QR अतः विद्यार्थी की A.A.A. सर्वांगसमता का प्रतिबन्ध तर्कसंगत नहीं है।

प्रश्न 5.
संलग्न आकृति में दो त्रिभुज ART तथा OWN सर्वांगसम हैं जिनके संगत भागों को अंकित किया गया है। हम लिख सकते हैं ∆RAT = ?
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 4

हल:
हम लिख सकते हैं ∆RAT ≅ ∆WON
(∴ O ↔ A, N ↔ T, W ↔ R)

प्रश्न 6.
कथनों को पूरा कीजिए –
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 5

∆BCA ≅ ? ∆QRS ≅ ?
उत्तर:
∆BCA ≅ ∆ABTA, ∆QRS = ∆TPQ

प्रश्न 7.
एक वर्गांकित शीट पर, बराबर क्षेत्रफलों वाले दो त्रिभुजों को इस प्रकार बनाइए कि
(i) त्रिभुज सर्वांगसम हों
(ii) त्रिभुज सर्वांगसम न हों। आप उनके परिमाप के बारे में क्या कह सकते हैं?
हल:
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 6

(i) चित्र 7.19 (1) में,
∆ ABC का क्षेत्रफल = ∆EDC का क्षेत्रफल = \(\frac { 1 }{ 2 } \) × 3 × 4 = 6 cm2
∆ ABC का परिमाप = 3 + 4 + 5 = 12 cm
∆ EDE का परिमाप = 3 + 4 + 5 = 12 cm
∆ ABC का परिमाप = ∆EDC का परिमाप,
अतः चित्र 7.19 में, ∆ABC ≅ ∆EDC है।
(ii) चित्र 7.19 (ii) में,
∆ PQR का क्षेत्रफल = \(\frac { 1 }{ 2 } \) × PQ × PR
= \(\frac { 1 }{ 2 } \) × 3 × 4 = 6 cm2
तथा ∆ PSR का क्षेत्रफल = \(\frac { 1 }{ 2 } \) × ST × PR
\(\frac { 1 }{ 2 } \) × 3 × 4 = 6 cm2

∴ ∆ POR का क्षेत्रफल = ∆ PSR का क्षेत्रफल
अब, ∆ PQR का परिमाप = 3 + 4 + 5 = 12 cm
तथा ∆ PRS का परिमाप = 4 + 35 + 4 = 11’5 cm
∆ POR का परिमाप ≠ ∆PRS का परिमाप
अत: चित्र 7.19 (ii) में ∆POR व ∆PRS सर्वांगसम नहीं हैं क्योंकि इनके क्षेत्रफल तो समान हैं परन्तु परिमाप समान नहीं

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प्रश्न 8.
संलग्न आकृति में एक सर्वांगसम भागों का एक अतिरिक्त युग्म बताइए जिससे ∆ABC और ∆PQR सर्वांगसम हो जाएँ। आपने किस प्रतिबन्ध का प्रयोग किया ?
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 7

हल:
यहाँ, ∆ABC ≅ ∆PQR
∴ ∠B = ∠Q IR ∠C = ∠R
∴ सर्वांगसम भागों का अतिरिक्त युग्म –
BC = QR
उत्तर हमने यहाँ A.S.A. सर्वांगसम प्रतिबन्ध का प्रयोग किया है।

प्रश्न 9.
चर्चा कीजिए, क्यों?
∆ABC ≅ ∆FED.
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 8

हल:
∠B = ∠E = 90°,
∠A = ∠F (दिया हुआ है)
∴ ∠C = ∠D (तीसरा कोण)
BC = DE (दिया हुआ है)
अत: ASA सर्वांगसम प्रतिबन्ध से ∆ ABC ≅ ∆ FED परिणाम प्राप्त होगा।

पाठ्य-पुस्तक पृष्ठ संख्या # 163

ज्ञानवर्धक क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
अलग-अलग माप के वर्गों के कट-आउट सोचिए। अध्यारोपण विधि का प्रयोग वर्गों की सर्वांगसमता के लिए प्रतिबन्ध ज्ञात करने के लिए कीजिए। कैसे “सर्वांगसम भागों” की संकल्पना सर्वांगसम के अंतर्गत उपयोग होती है ? क्या यहाँ संगत भुजाएँ हैं ? क्या यहाँ संगत विकर्ण हैं ?
हल:
हम जानते हैं कि समतल आकृतियाँ सर्वांगसम होती हैं। जब आकृतियों के आकार समान होते हैं तो वे एक-दूसरे की ठीक-ठीक पूरा ढक लेती हैं। सभी वर्ग समान आकृति के होते हैं लेकिन वर्ग का आकार उनकी भुजाओं की लम्बाई पर निर्भर करता है।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 9

ABCD व PQRS दो वर्ग हैं। वर्ग ABCD के कट-आउट को वर्ग PQRS के ऊपर इस प्रकार रखते हैं कि शीर्ष A, वर्ग PQRS के शीर्ष P पर और भुजा AB भुजा PQ पर आए।

स्पष्ट है कि ABCD वर्ग PQRS को पूर्णतया ढक लेता है।

यदि AB = PQ तो दो वर्ग सर्वागसम होंगे यदि उनकी भुजाओं की लम्बाइयाँ समान हों।

अत: वर्ग ABCD ≅ वर्ग PORS यदि AB = PQ

हम एक वर्ग की किसी भी भुजा को दूसरे वर्ग की किसी भुजा के संगत ले सकते हैं। दूसरी संगत भुजाओं के युग्म इसी प्रकार बदल जाएँगे। यह बात विकर्णों के लिए भी सत्य है।

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प्रश्न 2.
यदि आप वृत्त लेते हैं तो क्या होता है ? दो वृत्तों की सर्वांगसमता के लिए प्रतिबन्ध क्या है ? क्या, आप फिर अध्यारोपण विधि का प्रयोग कर सकते हैं ? पता लगाइए।
हल:
सभी वृत्तों की समान आकृति होती है और वृत्त का आकार वृत्त की त्रिज्या पर निर्भर करता है। यहाँ दो वृत्त C1 व C2 हैं। इनमें से किसी एक वृत्त का कट-आउट (माना वृत्त C2 का) वृत्त C1 पर रखते हैं। वृत्त C2 वृत्त C1 को पूरी तरह ठीक-ठीक ढल लेता है। यदि दोनों वृत्तों की त्रिज्याएँ समान होंगी तो दोनों वृत्त सर्वांगसम होंगे।

वृत्त C1 वृत्त C2 जबकि C1 वृत्त की त्रिज्या = C2 वृत्त की त्रिज्या।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 10

प्रश्न 3.
इस संकल्पना को बढ़ाकर तल की दूसरी आकृतियाँ जैसे समषद्भुज इत्यादि के लिए प्रयत्न कीजिए।
हल:
हम जानते हैं कि समतल आकृतियाँ सर्वांगसम होती हैं यदि वे एक-दूसरे को पूर्णतया ढक लेती हैं। सभी समषट्भुज समान आकृति के होते हैं और इनका आकार समषट्भुज की भुजा की लम्बाई पर निर्भर करता है। दो समषट्भुज ABCDEF व PQRSTU लेते हैं। इनके कट-आउट लेते हैं जिनमें से प्रत्येक की सभी भुजाएँ समान हों।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 11

अब PQRSTU के कट-आउट को ABCDEF पर इस प्रकार रखते हैं कि PQRSTU का बिन्दु P बिन्दु A पर आए तथा भुजा PQ भुजा AB पर आए। यदि PQ = AB तो समषट्भुज PQRSTU, समषट्भुज ABCDEF को पूर्णतया ठीक-ठीक ढक लेता है। अत: दो समषट्भुज सर्वांगसम होते हैं यदि इनकी भुजाओं की लम्बाई समान हो।

अत: समषट्भुज ABCDEF = समषट्भुज PQRSTU.

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प्रश्न 4.
एक त्रिभुज की दो सर्वांगसम प्रतिलिपियाँ लीजिए। कागज को मोड़कर पता लगाइए कि क्या उनके शीर्ष लम्ब बराबर हैं ? क्या उनकी माध्यिकाएँ समान हैं ? आप उनके परिमाप तथा क्षेत्रफल के बारे में क्या कह सकते हैं ?
हल:
माना ∆ABC ≅ ∆DEF
कागज को मोड़कर प्रत्येक त्रिभुज के शीर्ष बनाए। हम देखते हैं कि
AL = DP BM = EQ और CN = FR
अर्थात् संगत शीर्ष लम्ब समान हैं।

इसी प्रकार हम देख सकते हैं कि सर्वांगसम त्रिभुजों में संगत माध्यिकाएँ समान होती हैं और इनके परिमाप व क्षेत्रफल समान होते हैं।
MP Board Class 7th Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुजों की सर्वांगसमता Ex 7.2 image 12

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MP Board Class 6th Social Science Model Question Paper

MP Board Class 6th Social Science Model Question Paper आदर्श प्रश्न-पत्र

नोट-सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य है।
प्रश्न 1.
निम्न में से सही विकल्प चुनिए –
(अ) शिलालेख कहा जाता है –
(i) पत्थरों पर लिखे लेख
(ii) किताबों में लिखे लेख
(iii) भोजपत्र पर लिखे लेख
(iv) ताँबे के पत्रों पर लिखे लेख।
उत्तर:
(i) पत्थरों पर लिखे लेख

(ब) हमारे देश में कुल कितने राज्य हैं ?
(i) 27
(ii) 28
(iii) 29
(iv) 25
उत्तर:
(iii) 29

(स) भारत में कोयला उत्पादक क्षेत्र है –
(i) उत्तर प्रदेश
(ii) पश्चिम बंगाल
(iii) दिल्ली
(iv) जम्मू कश्मीर।
उत्तर:
(ii) पश्चिम बंगाल

(द) नगरीय व ग्रामीण स्वशासी संस्थाओं का कार्यकाल होता है –
(i) 3 वर्ष
(ii) 5 वर्ष
(iii) 2 वर्ष
(iv) 1 वर्ष।
उत्तर:
(ii) 5 वर्ष

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प्रश्न 2.
सही जोड़ी बनाइए –
MP Board Class 6th Social Science Model Question Paper img 1
उत्तर:
(i) (ब) राष्ट्रगान
(ii) (अ) शुंग शासक
(iii) (द) राष्ट्रीय गीत
(iv) (स) ज्योतिषी और खगोलशास्त्री

प्रश्न 3.
उचित शब्द को चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करिए –
1.  हड़प्पा सभ्यता में व पर्यावरण शुद्धि पर अधिक ध्यान दिया गया था। (गन्दगी / साफ सफाई)
2. लोकसभा, विधानसभाओं एवं स्थानीय निकायों में जनजातियों के लिए दिया गया है। (आरक्षण / मकान)
3. एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने के लिए उपयोगी साधनों को के साधन कहते हैं। (वायुमार्ग / परिवहन)
उत्तर:

  1. साफ – सफाई
  2. आरक्षण
  3. परिवहन

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निर्देश – निम्नांकित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्ति में लिखिए
प्रश्न 4.
रेशम मार्ग क्या था ?
उत्तर:
चीन और पश्चिमी एशिया के बीच का सड़क मार्ग मध्य एशिया से होकर जाता था। इसे प्राचीन रेशम मार्ग (सिल्क रूट) कहते हैं। इस काल में रेशम व्यापार की एक प्रमुख वस्तु थी। इस रास्ते से भारत के व्यापारी अरब, ईरान देशों से रेशम आदि का व्यापार करते थे।

प्रश्न 5.
अपने किन्हीं तीन पड़ोसी जिलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 6.
भारत में बोई जाने वाली खरीफ तथा रबी की फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
खरीफ-चावल, ज्वार। रबी-गेहूँ, चना। जायद-सब्जियाँ, ककड़ी, खरबूजा, तरबूज।

निर्देश-निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 30 शब्दों में लिखिए
प्रश्न 7.
पृथ्वी को जीवित ग्रह क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
पृथ्वी सौरमण्डल का एक महत्त्वपूर्ण सदस्य है। सौर मण्डल ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्माण्ड में केवल पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन पाया जाता है। इसलिए इसे अनोखा और जीवित ग्रह कहते हैं।

निम्नलिखित कारणों से भी यह अनोखा व जीवित ग्रह है –

  • पृथ्वी पर जल ठोस, तरल और गैसीय अवस्था में मिलता है। यहाँ जल की उपलब्धता से जीवन का विकास हुआ है।
  • पृथ्वी पर जीवनदायिनी गैस ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है जो किसी भी प्रकार के जीवन के लिए आवश्यक है।
  • पृथ्वी पर वायुमण्डल, जलमण्डल और स्थलमण्डल का विस्तार है, तीनों का आपस में उचित सन्तुलन बना हुआ है। इसके अलावा
  • पृथ्वी पर 12-12 घण्टे वाले दिन रात की आदर्श अवधि भी यहाँ जीवन के विकास में सहायक है।

प्रश्न 8.
सौरमण्डल का चित्र बनाकर, उसे नामांकित कीजिए।
उत्तर:
(अ) सौरमण्डल किसे कहते हैं ? सौरमण्डल के ग्रहों को चित्र सहित नामांकित कीजिए।
उत्तर:
सूर्य, सभी ग्रहों और उपग्रहों से मिलकर सौरमण्डल बना होता है। इसी ‘सौरमण्डल’ को सौर परिवार भी कहते हैं।

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सौरमण्डल के ग्रहों का चित्र सहित वर्णन –
(1) सूर्य-सूर्य का अपना ही प्रकाश और गर्मी होती है। यह एक तारा है। सभी ग्रह सूर्य की ही आकर्षण शक्ति से एक-दूसरे से बँधे रहते हैं और सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सभी ग्रहों तथा उपग्रहों को ऊष्मा व प्रकाश सूर्य से ही मिलता है।

(2) ग्रह – ग्रह संख्या में आठ होते हैं, जो निम्नलिखित हैं –

  • बुध – बुध सूर्य के सबसे अधिक पास का ग्रह है। इसका कोई उपग्रह नहीं है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 88 दिन का समय लगता है।
  • शुक्र – इसका कोई उपग्रह नहीं होता तथा आकार में पृथ्वी के बराबर होता है। यह 225 दिन में सूर्य की परिक्रमा करता है।
  • पृथ्वी – इसका उपग्रह चन्द्रमा होता है। सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 365 7 दिन का समय लगता है। इस ग्रह पर जीवन पाए जाने के कारण इसे जीवित ग्रह भी कहते हैं।
  • मंगल – इसके दो उपग्रह हैं। यह 687 दिन में सूर्य की परिक्रमा पूरी कर लेता है।
  • बृहस्पति – यह सभी ग्रहों में बड़ा है। इसके 12 उपग्रह हैं। सूर्य की परिक्रमा यह 11 वर्ष 9 महीने में पूरी करता है।
  • शनि – इसके 20 उपग्रह हैं। सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में इसे 29 वर्ष 5 माह का समय लगता है। यह सौरमण्डल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
  • अरुण (यूरेनस) – यह सूर्य की परिक्रमा 84 वर्ष में पूरी करता है।
  • वरुण (नेपच्यून) – इसके 8 उपग्रह हैं। यह 165 वर्ष में सूर्य की परिक्रमा करता है।MP Board Class 6th Social Science Model Question Paper img 1

प्रश्न 9.
ग्लोब / मानचित्र पर अक्षांश व देशान्तर रेखाएँ क्यों खींची जाती हैं ?
उत्तर:
पृथ्वी पर किसी स्थान की ठीक-ठीक स्थिति दिखाने के लिए ग्लोब तथा मानचित्र पर अक्षांश व देशान्तर रेखाएँ खींची जाती हैं।

प्रश्न 10.
आर्यों के काल को वैदिक काल क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
आर्यों ने चार वेदों की रचना की थी –

  • ऋग्वेद
  • यजुर्वेद
  • सामवेद
  • अथर्ववेद

अतः आर्यों के काल में वेद लिखे जाने के कारण ही इस काल को वैदिक काल कहते हैं।

प्रश्न 11.
गणसंघ तथा जनपद क्या थे ?
उत्तर:
गणसंघ-ऐसे राज्य जहाँ वंशागत राजा नहीं होते थे ‘गणसंघ’ कहलाते थे। गणसंघ के राजा को जनता चुनती थी। मिथिला के वज्जि, कपिलवस्तु के शाक्य प्रमुख गणसंघ थे।

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प्रश्न 12.
समुदाय के विकास में स्थानीय लोगों की भागीदारी का क्या महत्त्व है ? लिखिए।
उत्तर:
समुदाय के विकास के लिए स्थानीय लोगों की भागीदारी बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह ग्रामीण और शहरी समुदाय दोनों के लिए उपयुक्त है। ऐसा इसलिए आवश्यक है क्योंकि वे अपनी परिस्थितियों से परिचित हैं और स्थानीय जरूरतों को भली-भाँति समझते हैं। यह उनके स्वयं के हित में है कि वे एक साथ मिलकर अपनी समस्याओं का हल निकालें।

जैसे क्षेत्र में पेयजल या शिक्षा या अस्पताल जैसी मूल एवं मानवीय व्यवस्थाएँ नहीं हैं तो वे उसके लिए उचित तथा वैकल्पिक उपाय करें। वे अपनी समस्याओं को स्वयं सुलझा सकें तथा किसी पर आश्रित न रहें। इस प्रकार लोगों में आत्मनिर्भरता की भावना का विकास होगा।

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निर्देश – निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 100 शब्दों में लिखिए –
प्रश्न 13.
सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन कैसे हुआ? समझाते हुए लिखिए कि अशोक ने प्रजा की भलाई के लिए कौन-कौन से कार्य किए ?
उत्तर:
सम्राट अशोक ने कलिंग राज्य पर आक्रमण कर उसे अपने राज्य में मिला लिया, परन्तु कलिंग के युद्ध में अनेक सैनिक घायल हुए और मारे गए। यह देखकर अशोक को बहुत दुःख हुआ। युद्ध में सिपाहियों के मरने के कारण जो स्त्रियाँ तथा बालक अनाथ हो गए थे, उन्हें देखकर अशोक के मन में दया का भाव उमड़ने लगा। उसने निश्चय किया कि वह अब कभी युद्ध नहीं करेगा। इस प्रकार सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन हुआ।

अशोक ने लोगों की भलाई के लिए निम्नलिखित कार्य किए –

  • आने-जाने की सुविधा के लिए अनेक सड़कें बनवाईं।
  • सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष लगवाए तथा अनेक कुएँ खुदवाए।
  •  यात्रियों की सुविधा के लिए अनेक धर्मशालाएँ बनवाई।
  • उसने मनुष्यों तथा पशुओं के इलाज के लिए अनेक अस्पताल खुलवाए।

अथवा

सिन्धु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता नाम से क्यों पुकारा जाता है ? इस सभ्यता की प्रमुख विशेषता क्या थी ? लिखिए।
उत्तर:
सिन्धु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से पुकारा जाता है क्योंकि सबसे पहले श्री दयाराम साहनी ने हड़प्पा में खुदाई आरम्भ कर वहाँ एक नगर के भग्नावशेष प्राप्त किये।
सिन्धु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  • सिन्धु घाटी की सभ्यता एक शहरी सभ्यता थी।
  • इस सभ्यता की प्रमुख विशेषता उसकी नगर योजना प्रणाली थी।
  • सिन्धु घाटी की जल निकास प्रणाली अद्वितीय थी।
  • मोहनजोदड़ो में सार्वजनिक विशाल स्नानागार था जो उस सभ्यता का महत्त्वपूर्ण निर्माण माना जाता है।
  • इस सभ्यता के लोग गेहूँ, जौ, सरसों, कपास व तिल आदि की फसलें उगाते थे।
  • इस सभ्यता में धातुओं के गलाने, ढालने और सम्मिश्रण की कला उन्नत थी।

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प्रश्न 14.
ग्राम एवं नगर स्तर पर जनसंख्या की दृष्टि से समितियाँ कौन-कौन सी हैं ? विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
वर्तमान में जिन क्षेत्रों में जनसहयोग की विशेष आवश्यकता है उन क्षेत्रों में कार्य करने वाली समितियों का परिचय इस प्रकार है
(1) ग्राम / वार्ड शिक्षा समिति – इस समिति का कार्य ग्राम / वार्ड में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा व्यवस्था में अपना सहयोग देना है। यह समिति विद्यालय के प्रबंधन में भी सहयोग देती है।

(2) ग्राम / वार्ड रक्षा समिति-यह समिति ग्राम या वार्ड में लोगों की सुरक्षा सम्बन्धी कार्यों में सहयोग करती है। साथ ही यह समिति अपराधों की रोकथाम में पुलिस प्रशासन का सहयोग करती है।

(3) पालक – शिक्षक संघ – वर्तमान में मध्यप्रदेश में जन शिक्षा अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश के प्रत्येक शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय में पालक शिक्षक संघ का गठन किया गया है। यह संघ विद्यालयों में बच्चों के शत-प्रतिशत प्रवेश,उनकी विद्यालयों में नियमित उपस्थिति, बच्चों के लिये विद्यालयों में मध्याह्न भोजन व्यवस्था, बच्चों की शैक्षिक प्रगति, विद्यालयों में शिक्षकों की समुचित व्यवस्था एवं सहायता करने हेतु कार्य करता है।

अथवा

परस्पर निर्भरता की आवश्यकता क्यों पड़ती है ? दो देशों के मध्य पारस्परिक निर्भरता को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
अपनी आवश्यकताओं एवं रुचियों की पूर्ति के लिए व्यक्ति को पारस्परिक निर्भरता की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार किसी एक देश में सभी आवश्यकता की चीजें उपलब्ध नहीं होती या कम मात्रा में होती हैं, इसलिए उन्हें दूसरे देशों से मँगाना पड़ता है। हम भारत का ही उदाहरण लें तो यहाँ पेट्रोलियम पदार्थ (पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल), सेना के उपयोग के लिए आधुनिक उपकरण, हथियार आदि दूसरे देशों से मँगाये जाते हैं। भारत से मसाले, चाय, सीमेण्ट, तैयार कपड़े आदि दूसरे देशों को भेजे जाते हैं।

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प्रश्न 15.
भारत में मानसून की उत्पत्ति किस प्रकार होती है ? समझाकर लिखिए।
उत्तर:
भारत उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। सूर्य जब उत्तरी गोलार्द्ध में होता है तब यहाँ ग्रीष्म ऋतु होती है तथा तापमान बढ़ने लगता है। अधिक ताप के कारण उत्तरी भारत में निम्न वायुदाब उत्पन्न होता है। इसी समय दक्षिण में स्थित हिन्द महासागर में तापमान कम होने से अधिक दाब रहता है। अधिक वायुदाब से निम्न दाब की ओर पवनें चलने लगती हैं, चूँकि ये पवनें समुद्र (हिन्द महासागर) से स्थल मार्ग (भारतीय उपमहाद्वीप) की ओर है।

अथवा

भारत की जनसंख्या की कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं ? लिखिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित –

  • व्यावसायिक भिन्नता
  • स्त्री-पुरुष अनुपात में अन्तर
  • आयु संरचना
  • साक्षरता स्तर,
  • ग्रामीण व नगरीय विभिन्नता,
  • सांस्कृतिक भिन्नता।

ग्रामीण व नगरीय विभिन्नता-भारत गाँवों का देश है यहाँ लगभग 5 लाख गाँव हैं और कुल आबादी का तीन चौथाई भाग अर्थात् 68.8 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में रहती है। 31-2 प्रतिशत जनसंख्या नगरों में बसती है जहाँ के अधिकतर व्यक्ति कृषि के अतिरिक्त सेवा कार्य, उद्योग, व्यापार, परिवहन आदि से जीविका चलाते हैं।

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प्रश्न 16.
ग्लोब किसे कहते हैं व इसकी उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वी का प्रतिरूप या नमूना दिखाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले गोले को ग्लोब कहा जाता है।

  • पृथ्वी का आकार तथा महाद्वीपों व महासागरों के आकार व विस्तार का ज्ञान प्राप्त होता है।
  • दिन व रात होने की जानकारी प्राप्त होती है।
  • पृथ्वी की गतियों का ज्ञान होता है।
  • अक्षांश एवं देशांश रेखाओं की स्थिति का ज्ञान होता है।
  • जल और थल के वितरण की जानकारी भी मिलती है।

अथवा

भारत के मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए –
(i) दिल्ली-चेन्नई वायुमार्ग।
(ii) मुम्बई शहर।
(iii) चावल उत्पादक क्षेत्र।
(iv) हिमालय पर्वत।
(v) गंगा नदी।
उत्तर:
निम्न चित्र देखें –
MP Board Class 6th Social Science Model Question Paper img 3

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MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 11 संसर्गजाः दोषगुणाः

MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Durva Chapter 11 संसर्गजाः दोषगुणाः (कथा)

MP Board Class 9th Sanskrit Chapter 11 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत (एक पद में उत्तर लिखिये)
(क) ऋषिः किमर्थं भ्रमति स्म? (ऋषि किस कारण भ्रमित हुये?)
उत्तर:
शुकः भिन्न व्यवहारम् दृष्टवा। (तोतों के विभिन्न व्यवहारों को देखकर)

(ख) प्रथमः शुकः किं वदति स्म? (पहला तोता क्या बोलता था?)
उत्तर:
मारयतु कुट्टयतु। (मारो-कूटो)

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(ग) अपरः शुकः किं वदति स्म? (दूसरा तोता क्या बोलता था?)
उत्तर:
सीतारामः सीतारामः। (सीताराम-सीताराम)।

(घ) महर्षिः वाल्मीकिः किं रचितवान्? (महर्षि वाल्मीकि ने किसकी रचना की?)
उत्तर:
रामायणम्। (रामायण की)।

(ङ) केषां सङ्गात् पिपीलिका चन्द्रबिम्बं चुम्बति? (किसके सत्संग से चीटी शंकरजी के चन्द्र बिम्ब का चुम्बन करती है?)
उत्तर:
सुमनः। (फूलों के या पुष्पों के)।

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत (एक वाक्य में उत्तर लिखिये)
(क) ऋषिः आश्चर्यसागरे किमर्थं निमग्नोऽभवत्? (ऋषि आश्चर्य में क्यों डूब गया?)
उत्तर:
शुकौ समानजातीयौ तथापि आचरणं पृथक-पृथक दृश्यते ऋषिः आश्चर्य सागरे निमग्नोऽभवत्। (तोतों की समान जाति होने पर भी उनके भिन्न-भिन्न व्यवहार को देखकर ऋषि आश्चर्य में डूब गया।)

(ख) महर्षिः वाल्मीकिः कथं तपस्वी जातः? (महर्षि वाल्मीकि कैसे तपस्वी हुये?)
उत्तर:
महर्षिः वाल्मीकिः सप्तर्षाणां सत्सङ्ग प्रभावात् तपस्वी जातः। (महर्षि वाल्मीकि ने सप्तर्षियों के सत्सङ्ग के प्रभाव से तपस्वी हुये।)

(ग) अश्मा कथं देवत्वं प्राप्नोति? (पत्थर कैसे देवत्व को प्राप्त करता है?)
उत्तर:
अश्मा महद्भिः सुप्रतिष्ठितः देवत्वं प्राप्नोति। (पत्थर महान लोगों के सम्पर्क से देवत्व को प्राप्त करता है।)

(घ) केषां सङ्गः करणीयः? (किनका साथ करना चाहिये?)
उत्तर:
सज्जनानां सङ्ग करणीयः। (सज्जनों का संग या साथ करना चाहिये।)

प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत (नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिये)
(क) द्वितीयः शुकः ऋषि किम् उक्तवान्? (दूसरे तोता ने ऋषि से क्या कहा?)
उत्तर:
द्वितीयः शुकः ऋषिं उक्तवान् अहं मुनीनां वचनं शृणोमि सः गवाशनानाम् वाक्यम् शृणोति। (दूसरे तोता ने ऋषि से कहा कि मैं ऋषियों के वचनों को सुनता हूँ और वह गो-वध करने वालों के वचनों को सुनता है।)

(ख) किमर्थं सत्सङ्गः करणीयः? (किसलिये सत्सङ्ग करना चाहिये?)
उत्तर:
महनीय सुप्रतिष्ठताय सत्सङ्ग करणीयः। (महानता को प्राप्त करने के लिये सत्संग करना चाहिये।)

(ग) दोषाः गुणाश्च कथम् उत्पद्यन्ते? (गुण और दोष कैसे उत्पन्न होते हैं?)
उत्तर:
दोषाः गुणाश्च संसर्गात् उत्पद्यन्ते। (गुण और दोष सत्संग से उत्पन्न होते हैं।)

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प्रश्न 4.
यथायोग्यं योजयेत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 11 संसर्गजाः दोषगुणा img-1

प्रश्न 5.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् “आम्” अशुद्धवाक्यानां समक्षं “न” इति लिखत
यथा- संसर्गात् स्वभावपरिर्वनं भवति – आम्
दुर्जनानां सङ्गः करणीयः – न
(क) द्वितीयः शुकः “सीताराम” इति वदति स्म।
(ख) ऋषिः लोककल्याणार्थं न भ्रमति स्म।
(ग) दुर्जनानां सङ्गात् लाभः भवति।
(घ) सज्जनानां सङ्गतिः करणीया।
(ङ) पिपीलिका सत्सङ्गात् भगवतः शिवस्य शीर्षस्थितं चन्द्रबिम्ब न चुम्बति।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) न
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) न

प्रश्न 6.
निम्नलिखित क्रियापदानां भूतकालिकक्रियापदानि लिखत
उदहारणम्
वदति – अवदत्।
भ्रमति – अभ्रमत।
शृणोति – अशृणोत।
गच्छति – अगच्छत।
चिन्तयति – अचिन्तयत
भवति – अभवत।
करोति – अकरोत्।

प्रश्न 7.
निम्नलिखितानां मूलशब्दं विभक्तिं वचनं च लिखत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 11 संसर्गजाः दोषगुणा img-2

प्रश्न 8.
निम्नलिखितानां क्रियापदानां द्विवचन बहुवचनं लिखत
MP Board Class 9th Sanskrit Solutions Chapter 11 संसर्गजाः दोषगुणा img-3

प्रश्न 9.
निम्नलिखिततानां धातुम् प्रत्ययं च पृथक् कृत्वा लिखत-
यथादृष्ट्वा – दृश् + क्त्वा।
श्रुत्वा – श्रु + क्त्वा।
पठित्वा – पठ् + क्त्वा।
पालितः – पाल + क्तः।
करणीयम् – कृ + अनीयर।
विरचितवान् – विरचित + वान्
उक्तवान् – उक्त + वान्

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प्रश्न 10.
निम्नलिखितानां अव्ययानां वाक्यप्रयोगं कुरुत
उदाहरणम्एकदा-
एकदा – सः ग्रामम् अगच्छत्।
सुरेशः – मोहनः च पठति। तत्र
तत्र – वायुः प्रवहति।
अपि – त्वम् अपि गच्छतु।
उच्चैः – सः उच्चैः वदति।
इति – वाल्मीकिः रामायणम् इति महाकाव्यम् अलिखत्।
तदा – तदा आचार्यः पाठं पाठितवान्।

संसर्गजाः दोषगुणाः पाठ-सन्दर्भ/प्रतिपाद्य

संस्कृत साहित्य में कथा साहित्य का विपुल भंडार है। उसमें पंचतंत्र, कथा सरित्सागर, बैताल पचीसी, विक्रमादित्य कथा, वृहत् मंजरी, हितोपदेश आदि प्रसिद्ध कथा-ग्रन्थ हैं। सत्संगति से किस प्रकार व्यवहार में परिवर्तन होता है, इस कथा के माध्यम से यहाँ प्रग्तुत किया जा रहा है।

संसर्गजाः दोषगुणाः पाठ का हिन्दी अर्थ

1. कश्चित् एकः महान् तपस्वी ऋषिः आसीत्। सः लोककल्याणार्थम् अहर्निशं भूतले भ्रमति स्म। एकदा सः परिभ्रमन् एक ग्रामम् अगच्छत्। ग्रामस्य एकस्मिन् गृहे एकः शुकः पालितः आसीत्। सः शुकः ऋषिं दृष्ट्वा “मारयतु कट्टयतु” इति वारं वारम् उच्चैः उक्तवान्। अनन्तरं सः ऋषिः अपरं स्थानम् अगच्छत् तत्रापि एकस्मिन् गृहे शुकः पालितः आसीत्। सः ऋषि दृष्ट्वा “सीताराम-सीताराम” इति उक्तवान्। एवं शुकयोः भिन्नव्यवहारं दृष्ट्वा ऋषिः आश्चर्यसागरे निमग्न अभवत्। सः चिन्तयति यद्यपि शुकौ समानजातीयौ तथापि आचरणं पृथक्-पृथक् दृश्यते, किं कारणम्? तत्र पार्श्वस्थं शुकं ऋषिः कारणं पृष्टवान्। तदा शुकः उत्तरति यत् ऋषिवर्य! शृणोतु-

अहं मुनीनां वचनं शृणोमि
गवाशनानां स शृणोति वाक्यम्।
न चास्य दोषो न च मद्गुणो वा
संसर्गजाः दोषणुणाः भवन्ति।

शब्दार्थ :
लोककल्याणार्थम्-जनता के कल्याण के लिए-For welfare of people; अहर्निशं-निरन्तर-Continue; अगच्छत्-गया-Went; ग्रामस्य-गाँव का-Of village; पालितः-पाला हुआ-Getting brought up; मारयतु कट्टयतु-मारो कूटो-Kill beat; तत्रापि-वहाँ भी-There also; चिन्तयति-सोचता है-Thinks; पृष्टवान्-देखा-Looked; शृणोतु-सुनिये-Listen; शृणोमि-सुनता हूँ-Listen; संसर्गजाः-संग रहने से उत्पन्न होने वाले-The fault with company; गवाशनानाम्-गोभक्षियों के–Eating the flash of cow.

हिन्दी अर्थ :
कहीं एक महान तपस्वी ऋषि थे। वे लोक कल्याण के निमित्त सदैव पृथ्वी पर विचरण किया करते थे। एक बार परिभ्रमण करते हुए एक ग्राम में पहुंचे। गाँव में किसी घर में एक तोता पल रहा था। वह तोता ऋषि को देखकर ‘मारो-काटो’ ऐसा तीव्र शब्दों में बार-बार बोलने लगा। थोड़ी देर में ऋषि दूसरे स्थान पर गए। वहाँ एक घर में तोता पाला गया था। वहाँ ऋषि को देख तोते ने ‘सीताराम-सीताराम’ बोलने लगा। इस प्रकार दोनों तोतों के भिन्न व्यवहार देख ऋषि आश्चर्य के सागर में डूब गए।

वे सोचने लगे-यद्यपि दोनों शुक एक ही जाति के हैं तो भी उनके आचरण भिन्न-भिन्न होने का क्या कारण है? तब समीप स्थित उस तोते से ऋषि ने इसका कारण पूछा। तब तोते ने उत्तर दिया-ऋषिवर! सुनिए मैं मुनियों के वचन सुनता हूँ, अच्छी-अच्छी नीतिप्रद बातें सुनता हूँ। वह तोता हरदम नीति विरुद्ध बातें सुनता है। इसमें उसका कोई दोष नहीं और न ही यह मेरा महान गुण है। साथ रहने से गुण-दोष पैदा होते हैं।

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2. महात्मन्! तत्र व्याधानां ग्रामः अस्ति। सः शुकः व्याधस्य गृहे निवसति। व्याधाः अहर्निशं मारणं कर्तनं हिंसात्मिकां वार्तां च कुर्वन्ति, सोऽपि तानि कार्याणि पश्यति तेषां वार्तालापं च शृणोति। अतः “मारयतु कुट्टयतु” इति वदति। अहं तु मुनेः आश्रमे निवसामि। तत्र मुनयः भगवन्नामसङ्कीर्तनं पूजां च कुर्वन्ति। अहं सर्वं खलु पश्यामि आचरामि च। अतः अहं “सीताराम-सीताराम” इति वदामि। अतः तस्य शुकस्य न कोऽपि दोषः न मम गुणश्च यतोहि दोषाः गुणाः च संसर्ग-प्रभावात् उत्पन्नाः भवन्ति।

पूर्वं महर्षिः वाल्मीकिः सप्तर्षीणां सत्सङ्गप्रभावात् महान् तपस्वी जातः अनन्तरं रामायणमहाकाव्यं विरचितवान्। महद्भिः जनैः प्रतिष्ठितो भूत्वा अश्मा, अपि देवत्वं प्राप्नोति। पुष्पाणां संसर्गात् पिपीलिका अपि भगवतः शिवस्य शीर्षस्थितं चन्द्रबिम्ब चुम्बति। अतः सज्जनानां सङ्गः करणीयः दुर्जनानां सङ्गः परिहर्तव्यश्च। कथितमपि-

कीटोऽपि सुमनः सङ्गादारोहति सतां शिरः।
अश्मापि याति देवत्वं महद्भिः सुप्रतिष्ठितः॥

शब्दार्थ :
तत्र-वहां-There; व्याधस्य-बहेलिया के-Hunter; निवसति-रहता है-Lives; अहर्निशं-दिन-रात-Day-night; हिसात्मिकां-हिसात्मक-Violent; मारयतु-कुट्टयतु-मारो कूटो-Kill beat; निवसामि-रहता हूँ-Live; खलु-निश्चित ही-Definite also; शुकस्य-तोते का-Parrot; गुणश्च-और गुण-And quality; उत्पन्नाः -उत्पन्न-Born; कीटोऽपि-कीड़ा भी-Play also; अश्मापि-पत्थर भी-Stone also.

हिन्दी अर्थ :
हे महात्मन! यहाँ शिकारियों का ग्राम है। वह तोता शिकारी के घर में निवास करता है। शिकारी रात-दिन मारने-काटने की हिंसात्मक बात करता रहता है। वह तोता भी उनके कार्य को देखता है और उनके वार्तालाप को सुनता है अतः मारो-कूटो बोलता रहता है। मैं मुनि के आश्रम में रहता हूँ। वहाँ मुनिगण ईश्वर की पूजा-आराधना-कीर्तन करते रहते हैं। मैं सभी कार्यों को देखता हूँ और उसी अनुरूप आचरण करता हूँ। इसलिए मैं ‘सीताराम’ शब्द का उच्चारण करता हूँ। इसलिए हे मुनिवर! इसमें उसका कोई दोष नहीं और मेरा कोई गुण नहीं है क्योंकि दोष और गुण संगति में उत्पन्न होते हैं।

पहले महर्षि वाल्मीकि सप्तर्षियों के सत्संग के प्रभाव से महान तपस्वी हुए। उसके बाद उन्होंने रामायण महाकाव्य की रचना की। महान लोगों के संसर्ग में पत्थर भी देवत्व को प्राप्त होता है। पुरुषों के संसर्ग से चींटी भी भगवान शिव के शीर्ष पर चढ़कर चन्द्र बिम्ब का चुम्बन करती है। अतः सज्जन पुरुषों की संगति करना चाहिए, दुजों की संगति छोड़नी चाहिए। कहा भी है-

कीड़ा भी फूलों के साथ रहकर सज्जनों के सिर पर धारण कर लिया जाता है, पत्थर भी देवत्व को प्राप्त हो जाता है और पूज्य होकर प्रतिष्ठित होता है।

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