MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 9 गौरैया

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 9 गौरैया

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 9 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) गौरैया की आँखों और परों की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर
गौरैया की आँखों और परों की तुलना क्रमशः नीलम और सोने से की गई है।

(ख) गौरैया अपना घोंसला कैसे बनाती है ?
उत्तर
गौरैया अपना घोंसला तिनकों को चुन-चुनकर बनाती है।

(ग) गौरैया को हरियाली की रानी क्यों कहा गया है ?
उत्तर
गौरैया हरियाली की रानी है, क्योंकि वह हरे-भरे पौधों और हरी-भरी घास के तिनके एकत्र करती है और अपने लिए घोंसला बनाती है।

(घ) कवि अपनी बहन किसे बनाना चाहता है ?
उत्तर
कवि गौरैया को अपनी बहन बनाना चाहता है, क्योंकि वह उसके मिट्टी के रंग के आँगन में फुर्र-फुर्र उड़ती है,फुदकती है। उसका प्रत्येक अंग बिजली की भाँति चमकीला लगता है।

प्रश्न 2.
गौरैया कैसे आँगन में फुदक रही है ? (सही विकल्प चुनिए)

(क) साफ आँगन में
(ख) बड़े आँगन में
(ग) मटमैले आँगन में
(घ) हरे-भरे आँगन में।
उत्तर
(ग) मटमैले आँगन में।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखिए

(क) मैंने अपना नीड़ बनाया, तिनके-तिनके चुन-चुन।
(ख) तू प्रति अंग-उमंग भरी-सी, पीती फिरती पानी।
(ग) सूक्ष्म वायवी लहरों पर, सन्तरण कर रही सर-सर।
उत्तर
(क) एक-एक तिनका चुन-चुनकर (बड़ी मेहनत करके) मैंने अपना घोंसला बनाया है।
(ख) हे गौरैया ! तेरा प्रत्येक अंग उत्साह से भरा हुआ | लगता है और फिर भी त पानी पीती फिरती है।
(ग) हवा के द्वारा ऊपर की ओर उठी हुई छोटी-छोटी लहरों | पर सरसराती गौरैया गतिशील है।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
इस कविता में आये ध्वन्यात्मक एवं पुनरुक्ति वाले शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर
चुन-चुन, तिनके-तिनके, अंग-अंग, फर-फर, चिऊँ-चिऊँ, फुला-फुला, सर-सर, मर-मर, हिला-हिला।

प्रश्न 2.
इस कविता में प्रयुक्त निम्नांकित विशेषण किस शब्द की विशेषता बता रहे हैं
मधुर, मटमैला, सुन्दर, वायवी, निर्दय।
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 9 गौरैया 1

प्रश्न 3.
निम्नलिखित तालिका से समानता दर्शाने वाले शब्दों को कम से लिखिए
उत्तर
MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 9 गौरैया 2

  1. नीलम-सी नीली आँखें।
  2. सोने-सा सुनहरा रंग।
  3. सोने-से सुन्दर पर।
  4. चन्द्रमा-सा सुन्दर मुख।
  5. कमलकली-सी सुन्दर आँखें।
  6. चाँदी-से सफेद बाल।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए।
बिजली, आँख, वायु, सोना।
उत्तर
बिजली = विद्युत, तड़ित।
आँख = नयन, नेत्र।
वायु = हवा, समीर।
सोना = स्वर्ण, कनक।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
मधुर, सुन्दर, चंचल, सूक्ष्म।
उत्तर
मधुर = कदु
सुन्दर = कुरूप
चंचल = स्थिर
सूक्ष्म = विशाल।

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गौरैया सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

1. मेरे मटमैले अंगना में,
फुदक रही गौरैया।
कच्ची मिट्टी की दीवारें,
घासपात का छाजन।
मैंने अपना नीड़ बनाया,
तिनके-तिनके चुन-चुन।
यहाँ कहाँ से तू आ बैठी,
हरियाली की रानी।
जी करता है तुझे घूम लूँ,
ले लूँ मधुर बलैया।
मेरे मटमैले अंगना में,
फुदक रही गौरैया।

शब्दार्थ-मटमैले = मिट्टी के रंग के गौरैया = एक छोटी चिड़िया जो प्रायः घरों के आस-पास रहती है; घासपात = घास और पत्तों का; छाजन = छप्पर;
नीड़ = घोंसला।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्य पंक्तियाँ ‘गौरैया’ शीर्षक कविता से अवतरित हैं। इसके रचियता डॉ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ हैं।

प्रसंग-कवि ने ‘गौरैया’ नामक छोटी-सी चिड़िया की मधुर क्रीड़ाओं का वर्णन किया है।

व्याख्या-मिट्टी के बने हुए मेरे आँगन में गौरैया फुदक रही है। कच्ची मिट्टी की दीवारों पर घास और पत्तों का छप्पर पड़ा हुआ है। उसमें मैंने अपना घोंसला एक-एक तिनका एकत्र कर-करके बनाया है। तू, हे हरियाली की रानी, यहाँ कहाँ से आकर बैठ गयी है। कवि कहता है कि मेरे मन में आता है कि मैं तुझे प्यार से चूम लूँ तथा तेरे ऊपर मधुर-मधुर बलैया ले लूँ। हे गौरैया, तू मेरे मटमैले आँगन में फुदक रही है।

2. नीलम की-सी नीली आँखें,
सोने से सुन्दर पर।
अंग-अंग में बिजली-सी भर,
फुदक रही तू फर-फर।
फूली नहीं समाती तू तो,
मुझे देख हैरानी।
आ जा तुझको बहन बना लूँ,
और बनूं मैं भैया।
मेरे मटमैले अंगना में,
फुदक रही गौरैया।

शब्दार्थ- पर – पंख फूली नहीं समाती = बहुत अधिक प्रसन्न हैरानी = अचम्भाः

सन्दर्भ – पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि गौरैया की सुन्दरता और उसकी चंचलता का वर्णन करता है।

व्याख्या-कवि कहता है कि इस गौरैया की आँखें नीलम मणि के समान नीली हैं। इसके पंख स्वर्ण के जैसे हैं। अपने अंग-अंग में यह बिजली के समान चपलता लिए हुए-फुर-फुरी करती हुई इधर से उधर फुदक रही है। इसकी चंचलता को देखकर मुझे अचम्भा हो रहा है, कि यह खुशी के मारे फूली नहीं समा रही है। हे गौरैया ! तू मेरे पास आ जा, मैं तुझे अपनी बहन बना लेना चाहता हूँ, साथ ही मैं तेरा भैया (भाई) बन जाने की कामना करता हूँ। यह गौरैया, मटमैले रंग के मेरे आँगन में इधर से उधर लगातार फुदक रही है।

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3. मटके की गरदन पर बैठी,
कभी अरगनी पर चल।
चहक रही तू चिऊँ-चिऊँ,
चिऊँ-चिऊं, फुला-फुला पर चंचल।
कहीं एक क्षण तो थिर होकर,
तू जा बैठ सलोनी।
कैसे तुझे पाल पाई होगी,
री तेरी मैया।
मेरे मटमैले अंगना में,
फुदक रही गौरैया।

शब्दार्थ-मटका = घड़ा; अरगनी = कपड़े आदि टाँगने के लिए रस्सी या लकड़ी; खूटी; पर = पंख; थिर = स्थिर होकर; सलोनी = सुन्दर, अच्छी;  पाल पाई होगी = पालन-पोषण किया होगा।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि फुर्तीली गौरैया नामक चिड़िया की क्रियाओं का वर्णन करता है।

व्याख्या-कवि कहता है कि गौरैया कभी तो घड़े की गरदन पर उछलकर आकर बैठ जाती है तो दूसरे ही क्षण वह अरगनी (कपड़े आदि टाँगने की रस्सी) पर चली जाती है। वह चिऊँ-चिऊँ करती हुई लगातार चहकती फिरती है। वह चंचल बनकर अपने पंखों को फुलाकर इधर-उधर फुदकती फिरती है। हे सुन्दर सी गौरैया ! तू एक क्षण भरके लिए तो किसी एक स्थान पर स्थिर होकर बैठ जा। तेरी इस चंचलता को देखकर तो मुझे लगता है कि तेरी माँ ने तेरा पालन-पोषण किस तरह किया होगा। हे गौरैया ! तू मेरे मिट्टी के रंग वाले आँगन में फुदक रही है।

4. सूक्ष्म वायवी लहरों पर,
सन्तरण कर रही सर-सर।
हिला-हिला सिर मुझे बुलाते,
पत्ते कर-कर मर-मर।
तू प्रति अंग-उमंग भरी सी,
पीती फिरती पानी।
निर्दय हलकोरों से डगमग,
बहती मेरी नैया।
मेरे मटमैले अंगना में,
फुदक रही गौरैया।

शब्दार्थ-सूक्ष्म = छोटी-छोटी-सी; वायवी = हवा की; पर = ऊपर; सन्तरण = गति, गतिशीलता, नैरना; मर-मर = मर-मर की आवाज करते हुए; प्रति = प्रत्येक उमंग= उत्साह; हलकोरों = हिलोरें;
डगमग = डगमगाती हुई; नैया = नौका; निर्दय = कठोर हृदय।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-गौरैया के फुर्तीले क्रियाकलापों का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-कवि कहता है कि हवा के द्वारा ऊपर को उठी हुई छोटी-छोटी लहरों पर सरसराती गौरैया गतिशील बनी हुई है। (हवा से) हिलते हुए उसके सिरों से मर-मर की ध्वनि करते पत्ते कवि को बुला रहे हैं। गौरैया के शरीर का प्रत्येक अंग, उमंग से (उत्साह) से भरा हुआ है और वह उठी हुई छोटी-छोटी लहरों के पानी को पीती फिरती है। कवि कहता है कि मेरे जीवन की नौका कठोर हृदय (संकटों-दुःखों) रूपी हिलोरों से इधर-उधर डगमगाती फिरती है। (इस तरह के मुझ जैसे व्यक्ति के) मटमैले (मिट्टी के रंग वाले) आँगन में गौरैया फुदकती फिरती है।

गौरैया शब्दकोश

गौरैया – ‘गौरैया’=एक चिड़िया जो घरों, छप्परों में अपने घोंसले बनाकर रहती है; नीड़ = घोंसला; सलोनी = सुन्दर, अच्छी; । फुदकती है। उसका प्रत्येक अंग बिजली की भाँति चमकीला लगता है।

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 21 मेरी माँ

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 21 मेरी माँ

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 21 पाठ का अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) बिस्मिल के गुरु का नाम था
(i) मेजिनी
(ii) गोविन्दसिंह
(iii) महादेव
(iv) सोमदेव
उत्तर
(iv) सोमदेव

(ख) महान से महान संकट में भी तुमने मुझे नहीं होने दिया
(i) निराश
(ii) परेशान
(iii) अधीर
(iv) विचलित।
उत्तर
(iii) अधीर

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) घर का सब काम कर चुकने के बाद जो समय मिलता उसमें …………….. करती।
(ख) जब मैंने ……………. में प्रवेश किया, तब से माताजी से खूब वार्तालाप होता।
(ग) जन्म-जन्मान्तर परमात्मा ऐसी ही ……………दे।
(घ) गुरु गोविन्दसिंह जी की धर्मपत्नी ने जब अपने पुत्रों की मृत्यु की खबर सुनी तो ………… हुई थीं।
(ङ) माताजी ……………….”पा चुकने के बाद ही विवाह को उचित मानती थीं।
उत्तर
(क) पढ़ना-लिखना
(ख) आर्यसमाज
(ग) माता
(घ) बहुत प्रसन्न
(ङ) शिक्षा।

प्रश्न 3.
एक या दो वाक्यों में उत्तर लिखिए

(क) बिस्मिल का सेवा समिति में सहयोग देना किसे पसन्द नहीं था ?
उत्तर
शाहजहाँपुर में हाल ही में सेवा समिति प्रारम्भ हुई थी। बिस्मिल बड़े उत्साह के साथ सेवा समिति में सहयोग देते थे, किन्तु उनके पिताजी और उनकी दादीजी को बिस्मिल का सेवा समिति में सहयोग देना बिल्कुल पसन्द नहीं था।

(ख) रामप्रसाद बिस्मिल’ में जो कुछ जीवन तथा साहस आया, वह किसकी कृपा का फल था ?
उत्तर
रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ में जो कुछ जीवन तथा साहस आया, वह उनकी माताजी एवं गुरुदेव श्री सोमदेव जी की कृपा का फल था।

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(ग) बिस्मिल की माताजी ने गृहकार्य की शिक्षा किससे प्राप्त की?
उत्तर
मात्र ग्यारह वर्ष की अल्पायु में बिस्मिल की माताजी का विवाह हो गया था। तब वह नितान्त अशिक्षित एवं ग्रामीण कन्या थीं। ऐसे में दादीजी ने अपनी छोटी बहन को शाहजहाँपुर बुला लिया था। उन्हीं ने माताजी को गृहकार्य आदि की शिक्षा प्रदान की थी।

(घ) बिस्मिल की बहनों को छोटी आयु में शिक्षा कौन दिया करता था ?
उत्तर
बिस्मिल की बहनों को छोटी आयु में उनकी माताजी ही शिक्षा दिया करती थीं।

(ङ) शिक्षादि के अतिरिक्त माताजी ने कहाँ बिस्मिल की सहायता की?
उत्तर
बिस्मिल की माताजी उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती रहती थीं। शिक्षादि के अतिरिक्त वे बिस्मिल को देश सेवा हेतु विभिन्न सम्मेलनों में भाग लेने में उनकी सहायता करती थीं। वे संकटों में भी बिस्मिल को अधीर नहीं होने देती थीं।

प्रश्न 4.
तीन से पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए

(क) बिस्मिल ने वकालतनामे पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किए ?
उत्तर
एक बार बिस्मिल के पिताजी दीवानी मुकदमे में वकील से कह गए कि जो काम हो वह उनकी अनुपस्थिति में बिस्मिल से करा लें। कुछ आवश्यकता पड़ने पर वकील साहब ने बिस्मिल को बुलवाकर उनसे वकालतनामे पर अपने पिताजी के हस्ताक्षर करने को कहा। बिस्मिल ने यह कहते हुए कि वकालतनामे पर पिताजी के हस्ताक्षर करने से मना कर दिया कि यह तो धर्म के विरुद्ध होगा। सदैव सत्य के मार्ग पर चलने वाले बिस्मिल ने वकील साहब के यह समझाने पर भी हस्ताक्षर नहीं किये कि हस्ताक्षर न करने पर मुकदमा खारिज हो जायेगा।

(ख) बिस्मिल की माताजी का सबसे बड़ा आदेश क्या था ?
उत्तर
बिस्मिल के जीवन और चरित्र-निर्माण में उनकी माताजी का बहुत बड़ा योगदान था। उनकी माताजी का उनके लिए सबसे बड़ा आदेश यह था कि उनके द्वारा किसी के भी प्राणों की हानि न हो। उनका कहना था कि वह कभी अपने शत्रु को भी प्राणदण्ड न दे। माताजी के इस आदेश के पालनार्थ कई बार बिस्मिल को मजबूरी में अपनी प्रतिज्ञा भंग करनी पड़ी थी।

(ग) बिस्मिल की एकमात्र इच्छा क्या थी ? उन्हें यह इच्छा क्यों पूरी होती दिखाई नहीं दे रही थी?
उत्तर
इस संसार में बिस्मिल की किसी भी भोग-विलास तथा ऐश्वर्य की इच्छा नहीं थी। उनकी एकमात्र इच्छा बस यह थी कि वह एक बार श्रद्धापूर्वक अपने माताजी के चरणों की सेवा करके अपने जीवन को सफल बना सकते। किन्तु उनकी यह इच्छा उन्हें पूरी होती दिखाई नहीं दे रही थी क्योंकि काकोरी कांड में उनके साथियों के साथ उन्हें भी फाँसी की सजा सुनाई गई थी जिसके चलते माताजी की सेवा करने की उनकी इच्छा पूरी नहीं हो सकती थी।

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(घ) गुरु गोविन्दसिंह की पत्नी ने अपने पुत्रों के बलिदान पर मिठाई क्यों बाँटी?
उत्तर
देशहित के लिए जब गुरु गोविन्दसिंह के पुत्रों को जीवित दीवार में चिनवा दिया गया तब इस स्तब्धकारी घटना की सूचना पाकर भी उनकी पत्नी तनिक भी विचलित नहीं हुई बल्कि अपने पुत्रों की खबर सुनकर वह प्रसन्न हुई और गुरु के नाम पर धर्म-रक्षार्थ अपने पुत्रों के बलिदान पर उन्होंने मिठाई बाँटी।

(क) बिस्मिल ने अन्तिम समय में अपनी माँ से क्या वर माँगा?
उत्तर
बिस्मिल ने अन्तिम समय में अपनी माँ से यह वर माँगा कि वह उन्हें आशीष दें कि मृत्यु को निकट देखकर भी उनका हृदय विचलित न हो। वह यह भी चाहते थे कि वह अन्तिम समय में अपनी माँ के चरण-कमलों को प्रणाम कर व परमात्मा को स्मरण करते हुए मातृभूमि की रक्षार्थ अपने प्राण त्याग सकें।

प्रश्न 5.
सोचिए और बताइए

(क) यदि बिस्मिल का दादीजी और पिताजी की इच्छानुसार विवाह कर दिया गया होता तो क्या होता?
उत्तर
देश के स्वाधीनता संग्राम के अग्रणी रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ की दादीजी और पिताजी को उनका इस प्रकार क्रान्तिकारी गतिविधियों में भाग लेना पसन्द न था। वे नहीं चाहते थे कि उनका लाड़ला सामान्य जीवन जीने के स्थान पर अंग्रेजों का विरोध करे। वे चाहते थे कि समय पर बिस्मिल का विवाह कर दिया जाये ताकि वह अपने परिवार की जिम्मेदारियों को महत्व दे। यदि बिस्मिल की दादीजी और पिताजी की इच्छानुसार उनका विवाह कर दिया जाता तो वह भी एक सामान्य गृहस्थ की तरह अपने घर-परिवार में उलझ कर रह जाते।

परिणाम यह होता कि उन्हें देश सेवा करने का अवसर तक प्राप्त नहीं होता। साथ ही, माँ भारती को अपने एक ऐसे यशस्वी पुत्र के साहसिक कारनामों के लाभ से वंचित होना पड़ता जिन्हें देख-सुनकर अंग्रेजी सरकार कॉपा करती थी। विवाह होने पर बिस्मिल चाहकर भी माँ भारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति नहीं दिला पाते और न ही अपने लिए वह ख्याति अर्जित कर पाते जो उन्हें एक सच्चे देशभक्त के रूप में सम्मान प्राप्त है।

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(ख) यदि बिस्मिल के प्रति माताजी का व्यवहार भी पिताजी की तरह कठोर होता तो वे क्या बन सकते थे ?
उत्तर
यदि बिस्मिल के प्रति उनकी माताजी का व्यवहार भी पिताजी की तरह कठोर होता तो वे साहसी एवं दृढ़ संकल्पवान कभी नहीं बन सकते थे। साथ ही, उनके व्यक्तित्व में वीरता, शौर्य, पराक्रम, दूरदर्शिता, देशप्रेम, सत्य, दया, करुणा और ओज जैसे श्रेष्ठ मानवीय गुण भी विकसित नहीं हो पाते। यह सम्भव था कि पिताजी की इच्छानुसार विवाह करके वह एक श्रेष्ठ गृहस्थ बन पाते अथवा उनके मार्गदर्शन में बहुत बड़े व्यापारी बनकर अपार धन अर्जित कर पाते किन्तु एक महान देशभक्त और स्वतन्त्रता सेनानी के रूप में जो अमरत्व उन्हें प्राप्त हुआ उसे वे कभी भी प्राप्त नहीं कर पाते।

प्रश्न 6.
अनुमान और कल्पना कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) अपने गाँव को पर्यावरण की सुरक्षा और प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए आप क्या करेंगे?
उत्तर
अपने गाँव को पर्यावरण की सुरक्षा और प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए मैं निम्नलिखित उपाय करूँगा

  • सभी गाँव वालों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करूंगा।
  • हरे-भरे पेड़ों के काटने पर प्रतिबन्ध लगवाऊँगा।
  • साथी बच्चों के सहयोग से एक दल बनाकर जगह-जगह नये पौधे लगाऊँगा तथा उनके पेड़ बनने तक उनकी देखभाल करूँगा
  • जल के सभी उपलब्ध स्रोतों को साफ रखने के लिए उनके आस-पास जानवरों को नहलाने, कपड़े धोने, गन्दगी फैलाने, कूड़ा-करकट डालने पर रोक का आग्रह करूंगा।
  • पॉलीथीन के प्रयोग को पूर्णत: प्रतिबन्धित करूंगा।

(ख) यदि आपको विद्यालय के छात्र संघ का अध्यक्ष बना दिया जाए तो आप विद्यालय में क्या-क्या सुधार लाना चाहेंगे?
उत्तर
यदि मुझे विद्यालय के छात्र संघ का अध्यक्ष बनने का अवसर मिले तो मैं सर्वप्रथम विद्यालय में उच्च एवं अनुकूल शैक्षिक वातावरण बनाना चाहूँगा। इसके अतिरिक्त मेरा जोर नियमित पूरी कक्षा लगवाने, विद्यार्थियों द्वारा पूर्ण गणवेश में विद्यालय आने, सभी कालांशों में उपस्थित होने, उनकी जायज समस्याओं का निदान ढूँढ़ने, अनुशासन बनाये रखने इत्यादि पर होगा। इसके अतिरिक्त मैं यह भी चाहूँगा कि मेरे विद्यालय में खेलकूद एवं पाठ्य-सहगामी गतिविधियाँ भी समय-समय पर होती रहें।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का उच्चारण कीजिए
शिक्षा, क्षमा, अक्षर, अपेक्षा, इच्छा, छत, मच्छर, तुच्छ।
उत्तर
उपरोक्त सभी शब्दों को त्रुटिरहित उच्चारित कीजिए।

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प्रश्न 2.
निम्नांकित तालिका में ‘क्ष’,’छ’ और ‘च्छ’ के प्रयोग वाले तीन-तीन शब्द लिखिए
उत्तर
MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 21 मेरी माँ 2

प्रश्न 3.
पाठ में कई ऐसे शब्द हैं जिनके अन्त में प्रत्यय लगे हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए
उत्तर
सहयोग, जीवन, दृढ़ता, कदापि, भोजनादि, शिक्षादि, अवर्णनीय, कलंकित, धार्मिक, आत्मिक, सामाजिक।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में से प्रत्यय छाँटकर उनके सामने लिखिए
उत्तर
MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 21 मेरी माँ 1

मेरी माँ परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

(1) एक समय मेरे पिताजी दीवानी मुकदमे में किसी पर दावा करके वकील से कह गए थे कि जो काम हो वह मुझसे करा लें। कुछ आवश्यकता पड़ने पर वकील साहब ने मुझे बुला भेजा और कहा कि मैं पिताजी के हस्ताक्षर वकालतनामे पर कर दूं। मैंने तुरंत उत्तर दिया कि यह तो धर्म विरुद्ध होगा, इस प्रकार का पाप मैं कदापि नहीं कर सकता। वकील साहब ने बहुत समझाया कि मुकदमा खारिज हो जाएगा। किंतु मुझ पर कुछ भी प्रभाव न हुआ, न मैंने हस्ताक्षर किए। मैं अपने जीवन में हमेशा सत्य का आचरण करता था, चाहे कुछ हो जाए, सत्य बात कह देता था।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक भाषा-भारती’ के ‘मेरी माँ’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी और महान देशभक्त
रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ हैं।

प्रसंग-इस गद्यांश में लेखक ने सत्य के प्रति अपने दृढ़ विश्वास का वर्णन किया है।

व्याख्या-लेखक रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ के पिताजी को बेटे का स्वतन्त्रता संग्राम आन्दोलन में भाग लेना पसन्द न था। वह उसका ध्यान क्रान्तिकारी गतिविधियों से हटाकर अन्यत्र लगाते रहते थे। एक बार वह उसे अपने साथ दीवानी में एक मुकदमे के दौरान ले गये। वहाँ वह वकील से यह कहकर वापस चले गये कि उनकी अनुपस्थिति में जो भी काम हो वह रामप्रसाद से करा ले। थोड़ी ही देर बाद वकील साहब ने उसे बुलवाया और वकालतनामे पर पिताजी के हस्ताक्षर करने को कहा। सत्य के अनुयायी रामप्रसाद ने इसे धर्म विरुद्ध पाप बताते हुए पिताजी के हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। वकील साहब के यह समझाने पर भी कि यदि उसने पिताजी के हस्ताक्षर नहीं किये तो मुकदमा खारिज हो जायेगा, रामप्रसाद पर इसका तनिक भी प्रभाव नहीं हुआ और उन्होंने पिताजी के हस्ताक्षर करने से स्पष्ट मना कर दिया। सत्य को उच्च आदर्श मानकर उसका अनुसरण करने वाले रामप्रसाद ने जीवन भर सत्य का आचरण किया और बिना परिणाम की चिन्ता किये सदा सत्य बात कही।

(2) जन्मदात्री जननी ! इस जीवन में तो तुम्हारा ऋण उतारने का प्रयत्न करने का भी अवसर न मिला। इस जन्म में तो क्या, यदि अनेक जन्मों में भी सारे जीवन, प्रयत्न करूँ तो भी तुमसे उऋण नहीं हो सकता। जिस प्रेम और दृढ़ता के साथ तुमने इस तुच्छ जीवन का सुधार किया है, वह अवर्णनीय है। मुझे जीवन की प्रत्येक घटना का स्मरण है कि तुमने किस प्रकार अपनी देववाणी का उपदेश करके मेरा सुधार किया है। तुम्हारी दया से ही मैं देश सेवा में संलग्न हो सका। धार्मिक जीवन में भी तुम्हारे ही प्रोत्साहन ने सहायता दी। जो कुछ शिक्षा मैंने ग्रहण की उसका भी श्रेय तुम्हीं को है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-इस गद्यांश में लेखक ने अपनी माँ द्वारा समय-समय पर प्रदत्त अतुलनीय सम्बल व सहयोग का वर्णन करते हुए उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की है।

व्याख्या-माँ का प्रत्येक बालक के जीवन में विशिष्ट स्थान होता है। वह जन्मदात्री तो है ही, साथ ही जीवन निर्मात्री भी है। लेखक रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ अपनी उसी जन्मदात्री और जीवनदात्री माँ को स्मरण करते हुए लिखते हैं कि माँ ने जो कृपा उन पर की है उसे चुकाने का अवसर इस जन्म में तो नहीं मिल पाया क्योंकि शीघ्र ही अंग्रेजी हुकूमत उन्हें फाँसी के तख्ते पर चढ़ाने वाली है। वह कहते हैं कि इस जन्म तो क्या अनेक जन्म मिलें तो भी तमाम कोशिशों के बावजूद वह माँ के ऋण से उऋण नहीं हो सकते क्योंकि माँ के उपकार हैं ही इतने। वह कहते हैं कि उनके जैसे एक सामान्य से बालक में देशभक्ति के जो भाव प्रेम और दृढ़ता के साथ उनकी माँ ने भरे हैं, उनका वर्णन करना असम्भव है। बीते जीवन की प्रत्येक घटना को याद करते हुए वह कहते हैं कि किस प्रकार माँ तुमने अपनी ममतारूपी वाणी से उनके जीवन मूल्यों में सुधार किया है। ये तुम्हारे आशीर्वाद और परम कृपा का ही फल था कि वह देश सेवा हेतु अपना जीवन होम कर सके। माँ के प्रोत्साहन और सहयोग का ही परिणाम था कि रामप्रसाद धर्म के मार्ग पर चलकर उत्तम शिक्षा ग्रहण कर सके।

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(3) महान से महान संकट में भी तुमने मुझे अधीर नहीं होने दिया। सदैव अपनी प्रेम भरी वाणी को सुनाते हुए मुझे सांत्वना देती रहीं। तुम्हारी दया की छाया में मैंने अपने जीवन भर में कोई कष्ट अनुभव न किया। इस संसार में मेरी किसी भी भोग-विलास तथा ऐश्वर्य की इच्छा नहीं। केवल एक इच्छा है, वह यह कि एक बार श्रद्धापूर्वक तुम्हारे चरणों की सेवा करके अपने जीवन को सफल बना लेता।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-इस गद्यांश में लेखक अपने जीवन के अन्तिम समय में अपनी माँ द्वारा उसके लिए किए गये त्याग का स्मरण कर भावुक हो उठता है।

व्याख्या-लेखक कहता है कि माँ तुम्हारी शिक्षा इतनी | महान थी कि तुमने संकटों में भी मुझे अधीर नहीं होने दिया
और अपनी प्रेमपूर्ण वाणी व व्यवहार से सदैव सांत्वना देती रहीं। लेखक आगे लिखता है कि अपनी माँ की कृपा के कारण जीवन भर उन्हें कभी किसी कष्ट का अनुभव नहीं हुआ। लेखक को यह ज्ञात है कि अब उसके जीवन का अंतिम समय निकट है और ऐसे में उसकी अंतिम इच्छा किसी वस्तु के भोग-विलास अथवा ऐश्वर्य की नहीं है बल्कि वह चाहता है कि काश, यह सम्भव हो पाता कि वह अपनी माताजी के श्रीचरणों में बैठकर उनकी कुछ सेवा कर अपने इस जीवन को सफल बना पाता।

(4) माँ ! विश्वास है कि तुम यह समझ कर धैर्य धारण करोगी कि तुम्हारा पुत्र माताओं की माता भारत माता की सेवा में अपने जीवन को बलिवेदी की भेंट कर गया और उसने तुम्हारी कोख कलंकित न की। अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़रहा। जब स्वाधीन भारत का इतिहास लिखा जाएगा, तो उसके किसी पृष्ठ पर उज्ज्वल अक्षरों में तुम्हारा भी नाम लिखा जाएगा।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-इस गद्यांश में लेखक अपने बलिदान पर अपनी माँ से धैर्य धारण करने और उन्हें गौरवान्वित महसूस करने की बात कह रहा है।

व्याख्या-जीवन भर अपनी माँ द्वारा बताये गये कर्तव्य मार्ग पर चलने वाला लेखक, देश पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को दृढ़ संकल्पित हो, अपनी माँ से विनती कर रहा है कि वह उसके बलिदान पर धैर्य धारण करेगी। लेखक अपनी माँ को सम्बोधित करते हुए आगे कहता है कि उसे इस बात पर गर्व होना चाहिए कि उसका पुत्र माताओं की माता अर्थात् भारतमाता की आन-मान-सम्मान की रक्षा की खातिर अपने इस तुच्छ जीवन को हँसते-हँसते न्यौछावर कर रहा है और इससे उसकी कोख की सार्थकता सिद्ध हो जायेगी। वह आगे कहता है कि उसके जैसे हजारों-लाखों के संघर्षों एवं बलिदानों के पश्चात् जब भारत स्वतन्त्र होगा और उसका स्वाधीनता इतिहास लिखा जायेगा तब उसके किसी-न-किसी पृष्ठ पर सुनहरे अक्षरों में उसकी माँ का नाम भी अवश्य ही अंकित होगा।

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 20 रुपये की आत्मकथा

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 20 रुपये की आत्मकथा

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 20 पाठ का अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) वैदिक युग में रुपये का नाम था
(i) रुफियाह
(ii) रुपी,
(iii) रुष्यकम्
(iv) रुपाई।
उत्तर
(iii) रुष्यकम्

(ख) सन् 1957 के पूर्व रुपये में होते थे
(1) 1000 पैसे
(ii) 64 पैसे
(iii) 50 पैसे
(iv) 25 पैसे
उत्तर
(ii) 64 पैसे

(ग) रुपये के नए अंतर्राष्ट्रीय प्रतीक की लिपि है
(i) द्रविड़
(ii) ब्राह्मी
(iii) देवनागरी
(iv) गुरुमुखी
उत्तर
(iii) देवनागरी।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) रुपया शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ………………. ने किया।
(ख) रुपये का दशमलवीकरण सन् ………………….. में किया गया।
उत्तर
(क) शेरशाह सूरी
(ख) 1957 ई.।

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प्रश्न 3.
एक या दो वाक्यों में उत्तर लिखिए

(क) शेरशाह सूरी के कार्यकाल में रुपये का वजन कितना था?
उत्तर
शेरशाह सूरी के कार्यकाल में रुपया चाँदी के सिक्के के रूप में था जिसका वजन 178 ग्रेन था जो लगभग 11.5 ग्राम के बराबर था।

(ख) रुपए को कागज के एक ओर किस बैंक ने मुद्रित किया था ?
उत्तर
रुपए को कागज के एक ओर बैंक ऑफ बंगाल ने मुद्रित किया था।

(ग) प्राचीन समय में सोने और तांबे के सिक्के किस नाम से जाने जाते थे?
उत्तर
प्राचीन समय में सोने और तांबे के सिक्कों को भी – “रुप्यकम्’ के नाम से जाना जाता था।

(घ) रुपए के नए अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप की डिजाइन किसने की?
उत्तर
रुपए के नए अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप (र) की डिजाइन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्राध्यापक श्री उदय कुमार ने की।

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प्रश्न 4.
तीन से पाँच वाक्यों में उत्तर दीजिए

(क) हिन्दी के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में रुपए को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर
हिन्दी के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में ‘रुपया’ शब्द का नाम भी उस नाम की समानता लिए हुए नाम से ही जाना जाता है। जैसे-गुजरात में रुपियो’, कन्नड़ में रुपाई’, मलयालम में ‘रुपा’, मराठी में ‘रुपए’ नाम से जाना जाता है। इन सब भाषाओं में थोड़े परिवर्तन से रुपए का स्वरूप एक ही है।

(ख) दशमलवीकरण के पूर्व रुपए को किस प्रकार विभाजित किया जाता था?
उत्तर
दशमलवीकरण से पूर्व रुपए को आने, पैसे और पाई में बाँटा गया था। उस समय (अर्थात् 1957 से पूर्व) तीन पाई का एक पैसा होता था। चार पैसे का एक आना और सोलह आने का एक रुपया होता था।

(ग) वर्तमान में किन-किन देशों की मुद्राओं के लिए अन्तर्राष्ट्रीय प्रतीक प्रयोग में लाए जाते हैं ?
उत्तर
अन्य देशों की मुद्राओं के अन्तर्राष्ट्रीय प्रतीक निम्न प्रकार से प्रयोग में लाए जाते हैं
MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 20 रुपये की आत्मकथा 1
प्रश्न 5.
सोचिए और बताइए

(क) जब रुपया प्रचलन में नहीं था, तब बाजार में लेन-देन कैसे होता होगा?
उत्तर
रुपये के प्रचलन में न होने पर, बाजार में लेन-देन वस्तु के बदले वस्तु द्वारा होता था।

(ख) रुपये को कागज पर मुद्रित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर
मुद्रा का भार नहीं होता है। अत: लाने और ले जाने में आसानी और सरलता होती है। चोरी और लूट का अंदेशा कम हो गया है। मुद्रा के नष्ट होने पर शीघ्र ही छपाई होकर उसकी भरपाई की जा सकती है।

(ग) यदि आप विदेश जाते हैं, तो क्या भारतीय रुपया वहाँ चलेगा?
उत्तर
विदेश जाने पर, अब भारतीय रुपया वहाँ चल सकेगा क्योंकि अब रुपये ने अपना अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप प्राप्त करने में सफलता प्राप्त कर ली है। रुपये ने भी डॉलर, पौण्ड और यूरो की तरह अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान बना ली है।

प्रश्न 6.
अनुमान और कल्पना के आधार पर उत्तर दीजिए

(क) यदि रुपए का प्रचलन न होता तो क्या होता?
उत्तर
यदि रुपए का प्रचलन न होता तो बाजार में वस्तुओं के खरीदने और बेचने में बड़ी कठिनाई होती। वस्तु के बदले वस्तु खरीदने में वस्तु को भार रूप में इधर से उधर लाना और ले जाना पड़ता। साथ ही, व्यापारी द्वारा बदले में ली जाने वाली वस्तु का उचित मूल्य नहीं दिया जाता। खरीदने वाले की वस्तु का मूल्य बेचने वाले के द्वारा निर्धारित होता। इस तरह व्यापारी खरीददार को ठगता।

(ख) यदि कागज पर रुपए के छापने की शुरूआत नहीं होती, तो क्या होता?
उत्तर
धातु की मुद्रा का बोझ लादकर बाजार में वस्तु खरीदने के लिए ले जाना पड़ता। कागज की मुद्रा आसानी से और बिना भार के तथा सुरक्षित रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाई जा सकती है। ठगी और चोरी का डर बढ़ गया होता।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए और लिखिए
अस्तित्व, प्रणाली, प्रतीक, उल्लेख, शुल्क।
उत्तर
अपने अध्यापक महोदय की सहायता से उच्चारण कीजिए और लिखकर अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए
(i) मुदरित
(ii) अर्थिक
(iii) चिन्ह
(iv) दसमलव
(v) बांटा।
उत्तर-
(i) मुद्रित, (ii) आर्थिक, (iii) चिह्न, (iv) दशमलव, (v) बाँटा।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्ग अलग करके लिखिए
(i) अनुराग
(ii) अपमान
(iii) अनुमान
(iv) अपकार।
उत्तर
(i) अनु + राग (अनु उपसर्ग)
(ii) अप + मान (अप उपसर्ग)
(iii) अनु + मान (अनु उपसर्ग)
(iv) अप + कार (अप उपसर्ग)।

प्रश्न 4.
‘ईय’ प्रत्यय लगाकर निम्नलिखित शब्दों से नए शब्द बनाइए
(i) भारत
(ii) यूरोप
(ii) स्वर्ग
(iv) शासक।
उत्तर
(i) भारत + ईय = भारतीय
(ii) यूरोप + ईय = यूरोपीय
(iii) स्वर्ग + ईय = स्वर्गीय
(iv) शासक + ईय = शासकीय।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(i) पाठ्य-पुस्तक
(ii) सिक्का
(iii) स्वतन्त्रता
(iv) मुद्रा
(v) शासन।
उत्तर
(i) कक्षा 6 के लिए हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक शासन द्वारा बदल दी गई है।
(ii) भारतीय सिक्के ‘रुपये’ का अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अब अपना अलग ही महत्व है।
(iii) भारत की स्वतन्त्रता में भारतीय वीर जवानों ने अपनी जान की परवाह नहीं की।
(iv) भारतीय मुद्रा का प्रचलन विश्व बाजार में अब महत्वपूर्ण हो गया है।
(v) शासन द्वारा नकल मुक्त परीक्षा कराने के लिए बहुत अच्छी पहल की गई है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों की संधि विच्छेद कीजिए
(i) शिक्षार्थी
(ii) कवीश्वर
(iii) नदीश
(iv) भानूदय
(v) महात्मा
(vi) परीक्षार्थी।
उत्तर
(i) शिक्षा + अर्थी
(ii) कवि+ ईश्वर
(iii) नदी+ ईश
(iv) भानु + उदय
(v) महा + आत्मा
(vi) परीक्षा + अर्थी

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
कुछ लोग कागज पर मुद्रित रुपये को तोड़-मरोड़कर रखते हैं, उस पर कुछ भी लिख देते हैं, उनमें छेदकर उनका स्वरूप बिगाड़ देते हैं, सजावट या माला में उपयोग करते हैं। ऐसा करना भारतीय मुद्रा का अपमान है। हमारा दायित्व है। कि हम रुपये का स्वरूप बनाए रखें।
(क) गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) हम रुपये के स्वरूप को कैसे सुरक्षित रख सकते
उत्तर
(क) ‘भारतीय मुद्रा’ उचित शीर्षक है।
(ख) हम रुपये के स्वरूप को सुरक्षित रख सकते हैं यदि हम उसे सजावट और माला में उपयोग न करें। साथ ही उसे तोड़-मरोड़कर न रखें। उसके स्वरूप को बनाए रखने का प्रयास करें।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दों में ‘र’ या ‘ऋ’ का उचित संकेत लगाकर सही शब्द बनाकर लिखिए
(i) ऋष्टि
(ii) दर्शन
(iii) कर्म
(iv) गह
(v) सूर्य
(vi) क्रम।
उत्तर
(i) दृष्टि
(ii) दर्शन
(iii) कर्म
(iv) गृह
(v) सूर्य
(vi) क्रम।

रुपये की आत्मकथा परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

(1) आज मैं आपको अपनी कहानी बताने जा रहा हूँ। मेरा अस्तित्व प्राचीन काल से रहा है। वैदिक युग में मुझे ‘रुप्यकम्’ के नाम से जाना जाता था। रुप्यकम् का अर्थ है: चाँदी का सिक्का। उस समय अन्य धातु के सिक्कों को भी रुप्यकम् ही कहा जाता था। इस कारण हिन्दी में मेरा नाम रुपया हो गया।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियों को हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के पाठ ‘रुपये की आत्मकथा’ से लिया गया है। यह आत्मकथा संकलित है।

प्रसंग-भारतीय मुद्रा का नाम रुपया है। रुपये के प्रचलन में आने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-रुपया अपनी कहानी बताते हुए कहता है कि रुपया मेरा नाम बहुत पुराने समय से प्रचलन में आया हुआ है। वैदिक युग में भी इसे ‘रुप्यकम्’ नाम से पुकारा जाता था। वास्तव में रुप्यकम् का अर्थ होता है-चाँदी का सिक्का। उस समय अन्य धातुओं से भी सिक्के बनते थे और उन्हें भी रुप्यकम् कहा जाता था। हिन्दी भाषा में रुप्यकम् के स्थान पर इस सिक्के का नाम रुपया हो गया।

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 19 खूनी हस्ताक्षर

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 19 खूनी हस्ताक्षर

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 19 पाठ का अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” यह नारा था
(i) गाँधीजी का
(ii) सुभाषचन्द्र बोस का,
(iii) तिलक जी का
(iv) नेहरू जी का।
उत्तर
(ii) सुभाषचन्द्र बोस का

(ख) आजादी के परवाने पर नवयुवकों ने हस्ताक्षर किए थे
(i) काली स्याही से
(ii) नीली स्याही से
(iii) रक्त की स्याही से
(iv) लाल स्याही से।
उत्तर
(iii) रक्त की स्याही से

(ग) आजादी के परवाने पर हस्ताक्षर होने के बाद तारों ने देखा
(i) हिन्दुस्तानी विश्वास
(ii) स्थान
(iii) भाषण
(iv) सर्वस्व समर्पण।
उत्तर
(i) हिन्दुस्तानी विश्वास।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) यूँ कहते-कहते वक्ता की आँखों में ……………. आया।
उत्तर
खून

(ख) पर यह …………….. पत्र नहीं, आजादी का परवाना है।
उत्तर
साधारण

(ग) रण में जाने को ……………… खड़े तैयार दिखाई देते थे।
उत्तर
युवक

(घ) यह शीश कटाने का …………….. नंगे सिर झेला जाता है।
उत्तर
सौदा

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) सुभाषचन्द्र बोस ने बलिदान करने को क्यों कहा?
उत्तर
‘भारत के लिए स्वतन्त्रता देवी को प्राप्त करने के लिए अपना बलिदान करो’ ऐसा सुभाष बाबू ने इसलिए कहा कि आजादी का इतिहास खून से लिखा जाता है।

(ख) शीशों के फूल चढ़ाने से कवि का क्या अभिप्राय
उत्तर
देश की आजादी के लिए, निर्दयी शासक वर्ग से मुक्ति पाने में सफलता तभी मिल सकेगी, जब हम अपने शीशरूपी फूलों को आजादी की वेदी पर सर चढ़ा सकेंगे।

(ग) खून को पानी के समान कब कहा जाता है ?
उत्तर
जिस खून में आजादी प्राप्त करने के लिए जोश नहीं हो, उस जीवन में गतिशीलता न हो, उस व्यक्ति का खून-खून नहीं, वह पानी है। क्योंकि ऐसा खून देश के किसी भी काम में नहीं आता है।

(घ) आजादी का इतिहास कैसे लिखा जाता है ?
उत्तर
आजादी का इतिहास काली स्याही से नहीं लिखा जाता है, वह तो रक्त की लाल स्याही से लिखा जाता है जिसमें बलिदानों का जिक्र होता है।

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(ङ) आजादी का परवाना किसे कहा गया है ?
उत्तर
आजादी का परवाना कोई साधारण कागज नहीं होता । है। उसे भरने के लिए तन-मन-धन और जीवन का बलिदान एवं सर्वस्व समर्पण करना होता है। जिस पर अपने रक्त की उजली बूंदें गिरी होती हैं।

(च) खूनी हस्ताक्षर से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर
खूनी हस्ताक्षर से कवि का आशय इस बात से है कि वह अपनी मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने के लिए तैयार है।

(छ) सुभाषचन्द्र बोस के नारे का युवकों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ और इन्कलाब के नारों ने भारतीय नवयुवकों में भारतीय आजादी के लिए जोश भर दिया। वे उसके लिए अपना सर्वस्व निछावर करने के लिए तैयार हो गए। वे रणक्षेत्र में जाने के लिए हुँकार भर रहे थे।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए

(क) आजादी के चरणों में, जयमाल चढ़ाई जाएगी।
वह सुनो, तुम्हारे शीशों के फूलों से गूंथी जाएगी।

(ख) सारी जनता हुँकार उठी, हम आते हैं, हम आते हैं।
माता के चरणों में यह लो, हम अपना रक्त चढ़ाते हैं।
उत्तर
‘सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या’ शीर्षक के अन्तर्गत पद्यांश संख्या 3 व9 को देखिए।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
शुद्ध उच्चारण कीजिए
(i) सुभाष
(ii) स्वतन्त्रता
(iii) स्याही
(iv) रक्तिम
(v) इन्कलाब
(vi) हस्ताक्षर।
उत्तर
अपने अध्यापक महोदय की सहायता से सही उच्चारण कीजिए और अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए
(i) पानी
(ii) फूल
(ii) धन
(iv) माता।
उत्तर
(i) पानी – जल, पय
(ii) फूल – पुष्प, सुमन।
(iii) धन – दौलत, द्रव्य।
(iv) माता – जननी, जन्मदात्री।

प्रश्न 3.
विलोम शब्द लिखिए
(i) स्वतन्त्रता
(ii) सही
(iii) काला
(iv) जीवन
(v) विश्वास।
उत्तर
(i) स्वतन्त्रता = परतन्त्रता
(ii) सही = गलत
(iii) काला = सफेद
(iv) जीवन = मरण
(v) विश्वास = अविश्वास।

प्रश्न 4.
सही जोड़ी बनाइए
(i) खून – (क) स्वतन्त्रता
(ii) कुरबानी – (ख) लेखनी
(iii) आजादी – (ग) प्रवाह, गतिशीलता
(iv) कलम – (घ) रक्त
(v) रवानी – (ड.) बलिदान
उत्तर
(i) →(घ), (ii) →(ड.), (iii) →(क), (iv) →(ख), (v) →(ग)

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(i) खून में उबाल आना
(ii) शीश कटाना
(iii) खून की – नदी बहाना।
उत्तर
(i) खून में उबाल आना-सुभाष के भाषणों से युवकों के खून में उबाल आ गया।
(ii) शीश कटाना-मातृभूमि की आजादी की रक्षा में अनेक युवक शीश कटाने के लिए चल पड़े।
(iii) खून की नदी बहाना-आजादी की रक्षा में भारतीय युवकों को खून की नदी बहानी पड़ी।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(i) अर्पण
(ii) परवाना
(iii) जयमाल
(iv) संग्राम
(v) रणवीर।
उत्तर
(i) अर्पण-आजादी के दीवानों ने अपना तन-मन-धन सब देश के लिए अर्पण कर दिया।
(ii) परवाना-आजादी के परवाने पर अनेक युवकों ने अपने उजले रक्त से हस्ताक्षर कर दिए।
(ii) जयमाल-आजादी की देवी के गले में नरमुण्डों की जयमाल सुहाती है।
(iv) संग्राम-देश की स्वतन्त्रता के संग्राम में अनेक युवकों ने अपनी प्राणाहुति दे दी।
(v) रणवीर-रणवीर राणा प्रताप अपने चेतक घोड़े पर चढ़कर लड़ते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ा रहे थे।

खूनी हस्ताक्षर सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

(1) वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
आ सके देश के काम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें जीवन न रवानी है।
जो परवश होकर बहता है,
वह खून नहीं है, पानी है।

शब्दार्थ-परवश होकर = पराधीन होकर।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के पाठ ‘खूनी हस्ताक्षर’ से अवतरित हैं। इसके रचयिता गोपाल प्रसाद ‘व्यास’ हैं।

प्रसंग-कवि का आशय यह है कि देश की आजादी के लिए मर-मिटने वाले वीरों का खूब ही खून कहलाने योग्य है।

व्याख्या-कवि कहता है कि खून में जोश होता है, तो वह वास्तव में खून कहा जा सकता है। जो खून देश के काम आ सके, वही खून है। इसके विपरीत वह खून किसी काम का नहीं है। जीवन की गति से युवक खून ही खून कहलाने योग्य है। गतिहीन खून किसी मतलब का नहीं होता है। पराधीन होकर बहने वाला खून खून नहीं, वह तो पानी है।

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(2) उस दिन लोगों ने सही-सही
खू की कीमत पहचानी थी।
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में
मांगी उनसे कुरबानी थी।
बोले, “स्वतन्त्रता की खातिर
बलिदान तुम्हें करना होगा।
तुम बहुत जी चुके हो जग में,
लेकिन आगे मरना होगा।

शब्दार्थ-कीमत = मूल्य, महत्व। कुर्बानी = बलिदान। संदर्भ = पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाष चन्द्र बोस ने बर्मा में लोगों को बलिदान होने के लिए आग्रह किया, तब लोगों को खून के महत्व की जानकारी हुई।

व्याख्या-कवि बताता है कि जिस दिन सुभाषचन्द्र बोस ने भारतीय जनों को बर्मा में अपने बलिदान के लिए पुकारा, उस दिन लोगों को खून का महत्व ज्ञात हुआ था। उन्होंने लोगों को पुकार करके कहा कि तुम्हें स्वतन्त्रता प्राप्त करने के लिए बलिदान करने होंगे। अब तक तुमने पराधीनता में बहुत समय तक जीवन बिता लिया है। लेकिन अब पराधीनता को समाप्त करने के लिए तुम्हें मृत्यु स्वीकार करनी होगी।

(3) आजादी के चरणों में,
जयमाल चढ़ाई जाएगी।
वह सुनो, तुम्हारे शीशों के
फूलों से गूंथी जाएगी।
आजादी का संग्राम कहीं
पैसे पर खेला जाता है?
यह शीश कटाने का सौदा
नंगे सर झेला जाता है।

शब्दार्थ-सौदा = सामान, व्यापार। सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-आजादी प्राप्त करने के लिए शीश कटाना होता है।

व्याख्या-कवि कहता है कि स्वतन्त्रता देवी के चरणों में वह जयमाला अर्पित की जाएगी, जिसे तुम्हारे (देशवासियों के) शीशों रूपी फूलों से गूंथा जाएगा। तुम्हें ध्यान रखना चाहिए कि यह आजादी की लड़ाई कभी भी पैसों के आधार पर नहीं लड़ी जा सकती। यह तो सिर कटाने का सौदा है (व्यापार है)। इस सिर कटाने के सौदे को नंगे सिर ही झेलना पड़ता है।

(4) आजादी का इतिहास कहीं
काली स्याही लिख पाती है ?
इसके लिखने के लिए खून
की नदी बहाई जाती है।”
यूँ कहते-कहते वक्ता की
आँखों में खून उतर आया।
मुख रक्त-वर्ण हो दमक उछा
दमकी उनकी रक्तिम काया।

शब्दार्थ-वक्ता = कहने वाला।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-आजादी को प्राप्त करने की लड़ाई काली स्याही से नहीं, वरन् खून की लाल स्याही से ही लिखी जाती है।

व्याख्या-कवि सुभाषचन्द्र बोस के उद्बोधन को स्पष्ट करता है कि आजादी की यह लड़ाई कभी भी काली स्याही से नहीं लिखी जाती है। इसके लिए खून की लाल स्याही की जरूरत पड़ती है। इस स्याही को पाने के लिए युद्ध क्षेत्र में खून की नदी बहानी पड़ती है। ऐसा कहते-कहते कहने वाले सुभाषचन्द्र बोस की आँखों में खून उतर आया अर्थात् क्रोध अपनी सीमा से ऊपर बढ़ने लगा। उनका मुख लाल पड़ गया और चमकने लगा। उनके लालवर्ण के शरीर की कान्ति दमकने लगी।

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(5) आजानु-बाहु ऊँची करके,
वे बोले, “रक्त मुझे देना।
इसके बदले में भारत की
आजादी तुम मुझसे लेना।”
हो गई सभा में उथल-पुथल,
सीने में दिल न समाते थे।
स्वर इन्कलाब के नारों के
कोसों तक छाए जाते थे।

शब्दार्थ- आजानुबाहु = घुटने तक लम्बे हाथ। इन्कलाब = परिवर्तन।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाष बाबू ने अपनी लम्बी भुजाओं को उठाकर लोगों का आह्वान किया कि तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।

व्याख्या-सुभाषचन्द्र बोस ने घुटनों तक लम्बी बाहों को ऊपर उठाते हुए लोगों को पुकारते हुए कहा कि आप मुझे रक्त दो, इसके बदले, मैं तुम्हें भारत देश की आजादी दूंगा। ऐसा कहते ही सभा में उथल-पुथल मच गई। प्रत्येक व्यक्ति के सीने में दिल नहीं समा सके (वे सभी उत्साह से भरे थे)। परिवर्तन के नारों के स्वर कोसौं तक आए हुए सुनाई दे रहे थे।

(6) “हम देंगे, देंगे खून”.
शब्द बस यही सुनाई देते थे।
रण में जाने को युवक खड़े
तैयार दिखाई देते थे।
बोले सुभाष, “इस तरह नहीं,
बातों से मतलब सरता है।
लो, यह कागज, है कौन यहाँ
आकर हस्ताक्षर करता है?

शब्दार्थ-रण = युद्ध के मैदान में। सरता है = पूरा होता है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाष चन्द्र बोस के आह्वान पर लोग अपना खून देने को तैयार हो गए।

व्याख्या-वहाँ सभास्थल पर लोगों के स्वर निकल पड़े कि हम खून देंगे। चारों और यही स्वर गूंज रहा था। युद्ध क्षेत्र में जाने के लिए अनेक युवक खड़े दीख पड़ रहे थे। सुभाष ने कहा कि इस तरह की बातें करने से कभी भी कोई मतलब पूरा नहीं होता। यह कागज लीजिए और यहाँ आकर कौन-कौन दस्तखत करता है? अर्थात दस्तखत कीजिए।

(7) इसको भरने वाले जन को
सर्वस्व-समर्पण करना है।
अपना तन-मन-धन-जन जीवन
माता को अर्पण करना है।
पर यह साधारण पत्र नहीं,
आजादी का परवाना है।
इस पर तुमको अपने तन का
कुछ उज्ज्वल रक्त गिराना है।

शब्दार्थ-अर्पण करना है = त्यागना है। परवाना = आदेश भरा पत्र। उज्ज्वल = उजला।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-आजादी प्राप्त करने के लिए हस्ताक्षर युक्त यह महत्वपूर्ण आदेश है।

व्याख्या-इस असाधारण पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपना सर्वस्व त्याग करना है (प्राण निछावर करने के लिए तैयार रहना है)। भारत माता की आजादी के लिए तुम सभी को अपना तन, मन, धन तथा जीवन का समर्पण करना है। तुम्हें ध्यान रखना चाहिए कि यह कोई साधारण पत्र नहीं है, यह निश्चित रूप से आजादी का आदेश भरा पत्र है। इस पत्र पर तुम्हें अपने शरीर का उजला खून गिराना है। अर्थात् आजादी के लिए खून देना होगा।

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(8) वह आगे आए, जिसके तन में
भारतीय खू बहता हो।
वह आगे आए जो अपने को
हिन्दुस्तानी कहता हो।
वह आगे आए, जो इस पर
खूनी हस्ताक्षर देता हो।
मैं कफन बढ़ाता हूँ, आए
जो इसको हँसकर लेता हो।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाष बाबू ने खून के हस्ताक्षर करने को पत्र आगे बढ़ाया।

व्याख्या-कवि कहता है कि इस पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए वही आगे बढ़ कर आये, जिसमें भारतीयता का खून हो और जो अपने आप को हिन्दुस्तानी कहने में गर्व का अनुभव करता हो। इस पत्र पर खून से हस्ताक्षर करने वाला ही आगे बढ़कर आये। उसके लिए यह कागज का पत्र नहीं, यह तो कफन है। इसे प्राप्त करने के लिए वही आगे बढे, जो हँस-हँस कर इसे ग्रहण करने में अपना गौरव अनुभव करता हो।

(9) सारी जनता हुँकार उछी
“हम आते हैं, हम आते हैं।
माता के चरणों में यह लो,
हम अपना रक्त चढ़ाते हैं।”
साहस से बढ़े युवक उस दिन,
देखा, बढ़ते ही आते थे।
चाकू-छुरी कटारों से,
वे अपना रक्त गिराते थे।

शब्दार्थ-सारी जनता = सभी लोग। सन्दर्भ = पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाष के आह्वान पर लोग अपना बलिदान करने के लिए आगे ही आगे बढ़ते चले।

व्याख्या-सभी लोग जो सभास्थल पर मौजूद थे, हुँकार भरकर कहने लगे कि हम भारत माता की आजादी के लिए खून देने को आ रहे हैं। भारत की स्वतन्त्रता की देवी के चरणों में हम अपना रक्त चढ़ाने के लिए तत्पर हैं, जितना चाहते हो, ले लीजिए। युवकों में साहस था। सभी युवक उस दिन साहसपूर्वक आगे-ही-आगे बढ़ते आ रहे थे। वे सभी अपने शरीर से चाकुओं से, छुरियों से तथा कटारों से अपना रक्त गिरा रहे थे। अर्थात् अपना सर्वस्व देने में उन्हें कोई कष्ट नहीं हो रहा था (वे आजादी की वेदी पर अपना रक्त चढ़ाने के लिए तत्पर थे।)

(10) फिर उसी रक्त की स्याही में,
वे अपनी कलम डुबाते थे।
आजादी के परवाने पर
हस्ताक्षर करते जाते थे।
उस दिन तारों ने देखा था,
हिन्दुस्तानी विश्वास नया।
जब लिखा महारणवीरों ने
खू से अपना इतिहास नया।

शब्दार्थ-परवाना = आदेश-पत्र सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-रक्त में अपनी कलम डुबाते हुए देशभक्त युवकों ने आजादी के परवाने पर खून से हस्ताक्षर कर दिये।

व्याख्या-अपने शरीर के रक्त की स्याही में कलम डुबाते हुए आजादी के उस परवाने पर सभी युवकों ने हस्ताक्षर कर दिए। उस दिन आकाश में तारों ने देखा कि हिन्दुस्तानी लोग विश्वसनीय होते हैं। उस समय रणबांकुरे भारतीय वीरों ने अपने खून से नया इतिहास लिख डाला।

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 18 परमानन्द माधवम्

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 18 परमानन्द माधवम्

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 18 पाठ का अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) सदाशिवराव काने का जन्म सन् में हुआ था
(i)23 नवम्बर, 1909
(ii) 21 नवम्बर, 1906
(iii) 23 दिसम्बर, 1989
(iv) 25 दिसम्बर, 1990.
उत्तर
(i) 23 नवम्बर, 1909

(ख) सदाशिवराव कात्रे द्वारा स्थापित बिलासपुर के पास कुष्ठ रोग सेवा का आश्रम है
(i) बेतलपुर
(ii) झाँसी
(iii) चाँपा
(iv) रायपुर।
उत्तर
(iii) चाँपा

(ग) राष्ट्र के लिए कलंक है
(i) मलेरिया
(ii) कुष्ठ रोग
(iii) हैजा,
(iv) दमा।
उत्तर
(ii) कुष्ठ रोग

(घ) सदाशिवराव की मृत्यु सन् में हुई
(i) 16 मई, 1977
(ii) 15 मई, 1975
(iii) 25 जून, 1990
(iv) 30 जून, 1977.
उत्तर
(i) 16 मई, 1977.

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) कुष्ठ रोगियों की दुर्दशा देखकर उनका हृदय………… से भर गया।
(ख) सदाशिवराव कात्रे ……………. का व्रत लेकर चाँपा पहुँचे।
(ग) सदाशिवराव कात्रे को ……. के विवाह की चिन्ता थी।
(घ) कुष्ठ रोगियों की चिकित्सा एवं आवास हेतु ……………………ग्राम में स्थान मिल गया।
उत्तर
(क) करुणा
(ख) कुष्ठ निवारण
(ग) अपनी पुत्री
(घ) लखुरौं।

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प्रश्न 3.
एक या दो वाक्यों में उत्तर लिखिए

(क) सदाशिवराव कात्रे का जन्म कहाँ हुआ था ?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे का जन्म मध्य प्रदेश के ‘गुना’ जिले के आरौन ग्राम में हुआ था।

(ख) कुष्ठ रोगी के प्रति घृणा भाव होने का कारण लिखिए।
उत्तर
कुष्ठ रोगी के घावों से द्रव का निरन्तर बहते रहना, और भिनभिनाती मक्खियाँ ही रोगी के प्रति घृणा पैदा करती हैं।

(ग) सदाशिवराव कात्रे ने पुत्री प्रभावती को क्यों पढ़ाया ?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे ने अपनी पुत्री प्रभावती को इसलिए पढ़ाया कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके। वे सोचते थे कि कुष्ठ रोगी पिता की कन्या का वरण कौन करेगा। इस दृष्टि से उन्होंने अपनी पुत्री को सुशिक्षित कराया।

(घ) समाज का सकारात्मक दृष्टिकोण कैसे विकसित होने लगा?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे ने आश्रम में रामचरितमानस और महाभारत के अनेक उदाहरण देकर कुष्ठ रोग के प्रति सेवाभाव एवं सहयोग को राष्ट्रीय गुण के रूप में लोगों के हृदय में जगाया। उन्होंने खुद कुदाल से खोदकर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया। सदाशिवराव कात्रे के अथक परिश्रम एवं राष्ट्र भक्ति के भाव से समाज का सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होने लगा।

(ङ) सदाशिवराव कात्रे ने किसकी प्रेरणा से कुष्ठ रोगियों की सेवा का कार्य प्रारम्भ किया ?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे कुष्ठ निवारण का व्रत लेकर चले तो उनकी मुलाकात मध्य प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल महामहिम हरिभाऊ पाटस्कर से हो गई। उन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा के विषय में चर्चा की। इस तरह राज्यपाल महोदय से प्रेरणा प्राप्त करके सदाशिवराव कात्रे ने कुष्ठ रोगियों की चिकित्सा और आवास के लिए स्थान प्राप्त करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए।

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प्रश्न 4.
तीन से पांच वाक्यों में उत्तर दीजिए

(क) ‘सदाशिवराव कात्रे में जिजीविषा स्पष्ट दिखाई देती थी’, ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे को कुष्ठ रोग ने घेर लिया। सभी लोग घृणा करते थे। परिवार के लोगों ने उनके खानपान और रहने की व्यवस्था अलग कर दी। वे उस रोग के विषय में अज्ञानी थे। रोग के कारण द्रव लगातार बहता रहता था, मक्खियाँ भिनभिनाती रही जिससे लोगों में घृणा पैदा हो रही थी। उन्हें धैर्य और स्नेह करने वाला कोई भी नहीं था। जीवन में घृणा, दुराव और निराशा भर गई थी। परन्तु फिर भी उनके अन्दर जीवन जीने की लालसा स्पष्ट दीख पड़ती थी। उन्होंने इन सभी विपरीत स्थितियों में कुष्ठ रोग को दूर करने का व्रत लिया और सुनियोजित प्रयास किए। इससे लगता था कि उनमें जिजीविषा विद्यमान थी।

(ख) सदाशिवराव कात्रे ‘परमानन्द माधवम्’ क्यों कहलाए?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे को परमानन्द माधवम् इसलिए कहा जाता था कि उन्होंने अपने जीवन के अन्तिम समय तक बिना किसी स्वार्थ के कुष्ठ रोग से पीड़ितों की सेवा के लिए आश्रम व चिकित्सालय की स्थापना की। वे कुष्ठ रोग को राष्ट्र के लिए कलंक कहते थे। आश्रम में हर क्षण भगवत् भजन और संकीर्तन चलता रहता था। उनके प्रयासों से कुष्ठ रोगियों को सेवा और उपचार मिलने लगा। समाज में सही धारणा बनने लगी। साथ ही सदाशिव का अर्थ परमानन्द और गोविन्द का नाम माधव (कृष्ण) भी है। इसलिए उन्हें परमानन्द माधवम् कहा जाने लगा।

(ग) भारतीय कुष्ठ निवारक संघ, चाँपा की स्थापना कब और कैसे हुई ?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे ने कुष्ठ रोगियों के इलाज का व्रत लिया। उनकी भेंट मध्य प्रदेश के राज्यपाल महामहिम हरिभाऊ पाटस्कर से हुई। कुष्ठ रोगियों की सेवा के विषय पर चर्चा हुई। उनसे प्रेरणा लेकर कुष्ठ रोगी होते हुए भी उनकी सेवा के कार्य में खुशी-खुशी लगे रहे। सदाशिवराव कात्रे की योजना के अनुसार कुष्ठ रोगियों की चिकित्सा एवं आवास के लिए लखु नामक ग्राम में स्थान मिल गया। यह स्थान चौपा से दस किमी. दूर है। सन् 1962 ई. में यह आश्रम भारतीय कुष्ठ निवारक संघ, चाँपा के नाम से स्थापित हो गया।

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प्रश्न 5.
सोचिए और बताइए

(क) “प्रकृति ने भी सदाशिवराव कात्रे के साथ क्रूर उपहास किया”, ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे के पिता का देहावसान उस समय हो गया जब इनकी आयु आठ वर्ष थी। इनकी शिक्षा ‘काका’ के यहाँ झाँसी में हुई। शिक्षा पाकर इन्हें रेलवे में नौकरी मिल गई। सन् 1930 ई. में इनका विवाह हो गया। इसी बीच उन्हें कुष्ठ रोग ने घेर लिया। इन्हें अपनी अल्पायु से ही आपदाओं ने घेरा हुआ था। इस प्रकार यह कि ‘प्रकृति ने भी सदाशिवराव कात्रे के साथ क्रूर उपहास किया’ कहा गया है। कुष्ठ रोग भयानक रोग है जिससे समाज और अपने भी छूट जाते हैं।

(ख) आश्रम में रहकर कोई कार्य करने हेतु तैयार नहीं होता था, क्यों?
उत्तर
कुष्ठ रोगियों के आश्रम में सेवा करने के लिए कोई भी तैयार नहीं होता था क्योंकि रोगियों के अंगों से रिसता द्रव,भिनभिनाती मक्खियाँ जो घृणा का भाव पैदा करती थीं। आश्रम में कुष्ठ रोगियों के प्रति अछूत जैसी दशा, धैर्य और अपनेपन की कमी थी।

(ग) कुष्ठरोगियों की दुर्दशा देखकर सदाशिवराव कात्रे के हृदय में करुणा उत्पन्न होने के दो कारण लिखिए।
उत्तर
सदाशिवराव कात्रे के हृदय में करुणा उत्पन्न होने के दो कारण थे

  1. कुष्ठ रोगियों की दशा अछूत जैसी होना, घर-परिवार से अलग कर देना।
  2. उन रोगियों के प्रति घृणा एवं अपनापन से रहित मानकर उपेक्षा भरा जीवन, सामाजिक असम्मान और घृणास्पद व्यवहार।

(घ) चाँपा नगर के प्रतिष्ठित जन कुष्ठ रोगियों की सेवा हेतु कैसे प्रेरित हुए?
उत्तर
चांपा नगर के आश्रम में कुष्ठ रोगियों के लिए चिकित्सा और आवास के लिए लखुरौं ग्राम में स्थान मिल गया। यह संस्था पंजीबद्ध हो गई। सदाशिवराव के प्रयासों से, रामचरितमानस और महाभारत के उदाहरणों से लोगों में कुष्ठ रोग के प्रति सेवा भाव जगने लगा। चाँपा के प्रतिष्ठावान और समझदार उदार व्यक्तियों में कुष्ठरोग के प्रति सेवाभाव एवं सहयोग को राष्ट्रीय गुण के रूप में जगाया। इस प्रकार सदाशिवराव के अथक परिश्रम और राष्ट्रभक्ति के भाव से लोगों में सकारात्मक सोच पैदा होने लगी।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
पौराणिक, संचालित, चिकित्सा, संवेदनशील, करुणा।
उत्तर
अपने अध्यापक महोदय की सहायता से उच्चारण कीजिए और अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए
(i) असरम
(ii) देहवसान
(iii) दैदिप्यमान
(iv) अंतद्वर्द्ध
(v) राष्ट्र।
उत्तर
(i) आश्रम
(ii) देहावसान
(iii) दैदीप्यमान
(iv) अन्तर्द्वन्द्व
(v) राष्ट्र।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग बताइए
(i) दुर्दशा
(ii) उपचार
(iii) अज्ञान
(iv) अनुभव
(v) विज्ञापन।
उत्तर
(i) दुर + दशा
(ii) उप + चार
(iii) अ + ज्ञान
(iv) अनु + भव
(v) वि + ज्ञापन।

प्रश्न 4.
‘आई’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द लिखिए
उत्तर
भलाई, लिपाई, पुताई, लिखाई, पढ़ाई, बुराई।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद कीजिए
(i) चिकित्सालय
(ii) देहावसान
(iii) विवाहोपरान्त
(iv) अल्पायु
(v) मतावलम्बी।
उत्तर
(i) चिकित्सा + आलय
(ii) देह + अवसान
(iii) विवाह + उपरान्त
(iv) अल्प + आयु
(v) मत + अवलम्बी।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग | कीजिए
(i) आत्मबल
(ii) व्यवस्था
(iii) संतोष
(iv) कुष्ठरोगी
(v) जन्म।
उत्तर-
(i) आत्मबल = आत्मबल से ही मुशीबतों पर विजय पा सकते हैं।
(ii) व्यवस्था = आश्रम की व्यवस्था में सभी सदस्यों के सहयोग की जरूरत है।
(iii) सन्तोष = सन्तोष से जीवन सुखी होता है।
(iv) कुष्ठ रोगी= कुष्ठ रोगी से लोग घृणा करने लगते हैं।
(v) जन्म = जन्म से कोई बड़ा-छोटा नहीं होता है।

परमानन्द माधवम्प रीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

(1) रोग के प्रति अज्ञानता, रोग से रिसने वाला द्रव और भिनभिनाती मक्खियाँ ही रोगी के प्रति घृणा पैदा करती हैं। जिन परिस्थितियों में रोगी को अधिक ढाढ़स, अपनापन और स्नेह की आवश्यकता होती है, उन परिस्थितियों में निरन्तर घृणा और दुराव जीवन में नैराश्य का भाव पैदा करता है लेकिन इन सब परिस्थितियों में भी सदाशिवराव की जिजीविषा स्पष्ट दिखाई देती थी।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक भाषा-भारती’ के पाठ ‘परमानन्द माधवम्’ से ली गई हैं। इस पाठ के लेखक ‘भागीरथ कुमरावत’ हैं।

प्रसंग-इन पंक्तियों में बताया गया है कि सदाशिवराव कुष्ठ रोगी थे। विपरीत परिस्थितियों में भी उनमें जीवन जीने की प्रबल इच्छा थी।

व्याख्या-लेखक कहता है कि इस कुष्ठ रोग के विषय में जानकारी न होना तथा इस रोग के कारण शरीर से धीरे-धीरे बहता हुआ पदार्थ तथा ऊपर से मक्खियों का लगातार भिनभिनाते रहना, उस रोगी के प्रति घृणा भाव पैदा करता है। ऐसी दशा में रोगी को धैर्य बँधाने की जरूरत होती है। उसके प्रति अपनापन और प्रेम रखने की आवश्यकता होती है, परन्तु उस गम्भीर दशा में लोग ऐसे रोगी से लगातार घृणा करते हैं। अपनेपन के भाव को छिपा लेते हैं। उस दशा में उस रोगी के हृदय में जीवन के प्रति निराशा की भावना पैदा हो जाती है। इस तरह की विपरीत परिस्थितियों में रहते हुए भी सदाशिवराव के अन्दर जीवन को जीने की इच्छा साफ दीख पड़ती थी।

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(2) सदाशिवराव सोचते थे कि यदि कुष्ठ के कलंक से राष्ट्र को मुक्त करना है तो राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक का सहभाग इसमें होना चाहिए। रोग मुक्त समाज होगा तो राष्ट्र बलवान होगा। यह सद्भाव लेकर सदाशिवराव ने तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति महोदय डॉ. राधाकृष्णन को पत्र लिखा। राष्ट्रपति महोदय ने पत्र पाकर इनके कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा तो की ही साथ-ही-साथ इन्हें प्रशंसा पत्र और एक हजार रुपये का योगदान भी भेजा। इस प्रकार सदाशिवराव के कार्यों को समाज द्वारा मान्यता मिलने लगी जिससे उनका मनोबल यह कार्य करने में और भी बढ़ गया।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-सदाशिवराव ने अपने राष्ट्र से कुष्ठ रोग को मिटाने के लिए संकल्प लिया और समाज ने उनके कार्य को महत्व देना शुरू कर दिया।

व्याख्या-सदाशिवराव की चिन्तन शैली में एक बात जोर पकड़ती नजर आने लगी कि यदि पूरे राष्ट्र से कुष्ठ रोग को दूर करना है, तो इस प्रयास में भारत के प्रत्येक नागरिक को अपना सहयोग देना चाहिए। कुष्ठ रोग भारत के लिए कलंक है। इस रोग से यदि राष्ट्र मुक्ति पा सका तो समझिए पूरा देश शक्तिशाली हो सकेगा। किसी भी रोग से रहित नागरिक स्वस्थ राष्ट्र की नींव रखते हैं। इसी अच्छी भावना के साथ उन्होंने उस समय के देश के राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन को एक पत्र लिखा और उस पत्र में उन्होंने अपनी कार्य-योजना का विवरण भी दिया जिसे पढ़कर राष्ट्रपति महोदय बहुत प्रभावित हुए और सदाशिवराव के इस कार्य की बार-बार प्रशंसा की। साथ ही, उन्होंने उनको एक प्रशंसा पत्र तथा एक हजार का योगदान भी भेजकर अपने सहयोग की पहल की। इसका प्रभाव यह हुआ कि सदाशिवराव द्वारा चलाए गए कार्यों को समाज ने महत्व प्रदान किया। इसका नतीजा यह हुआ कि सदाशिवराव को मानसिक बल प्राप्त हुआ और वे अपने कार्य में पूरी मजबूती से लग गए।

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 17 संकल्प

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 17 पाठ का अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) संकल्प लेकर आगे बढ़ें
(i) मन में
(ii) तन में,
(iii) आँखों में
(iv) साँसों में।
उत्तर
(i) मन में

(ख) हार बनता है
(i) धूल से
(ii) फूल से
(iii) धूप से
(iv) कंकड़ से।
उत्तर
(ii) फूल से।

प्रश्न 2.
सही शब्द चयन कर रिक्त स्थान भरिए(चुन-चुनकर, गिर-गिरकर, गरज-गरज)

(क) बादल बनकर ……….वह धरती पर बरसे।
(ख) ………… चलना सीखेंगे, गिरने से न डरें।
(ग) ………………. कर गूंथे सुमनों से, बनें हार अनगिन हाथों
उत्तर
(क) गरज-गरज
(ख) गिर-गिरकर
(ग) चुन| चुनकर।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) आत्म-विश्वास कब बढ़ता है ?
उत्तर
कार्य करने से आत्म-विश्वास बढ़ता है।

(ख) ‘उद्गम रूप धरें’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘उद्गम रूप धरै’ का आशय यह है कि लगातार वर्षा होने से छोटी-छोटी बूंदें भी नदी का उद्गम स्थल बन जाती हैं।

(ग) धरती फल कब देती है ?
उत्तर
जलाशयों के जल को सूर्य की किरणें जब भाप बना देती हैं, भाप बादल बन जाती है, बादलों के बरस पड़ने पर, ताप सहने वाली धरती जल को सोख लेती है, फिर धरती अपने अन्दर से बीज को उगाकर फल देने लगती है।

(घ) बादल कैसे बनते हैं ?
उत्तर
जल सूर्य की किरणों से भाप बन जाता है, वही भाप बादल बन जाती है।

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(ङ) कविता में संकल्प करने पर क्यों बल दिया गया
उत्तर
कविता में कवि ने मन में अच्छी शुद्ध कामना-पवित्र विचारपूर्वक कार्य करने पर बल दिया है। इससे मनुष्य अपने सुविचारित कार्य में सफलता प्राप्त करता है।

(च) सुमनों का हार किस प्रकार बनता है ?
उत्तर
अनेक हाथों से एक-एक कर तोड़े गए एवं एकत्र किए गए फूलों को धागे में पिरोने पर हार बनता है। सहयोग और कार्य को निरन्तर करते रहने पर ही उसका फल आकर्षक हार के रूप में प्राप्त होता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पद्यांशों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) एक बूंद गिरकर सूखेगी, बार-बार गिर घट भर देगी। बिना रुके जो बूंदें गिरी, उद्गम रूप धरें।

(ख) चुन-चुनकर गूंथे सुमनों से, बने हार अनगिन हाथों से। मन में ले संकल्प विजय का, आगे बढ़े चलें।
उत्तर
‘सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या’ के अन्तर्गत पद्यांश संख्या । व4 का अध्ययन कीजिए।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिएविश्वास, जलाशय, दुर्गम, उद्गम, संकल्प।
उत्तर
अपने अध्यापक महोदय की सहायता से उच्चारण करना सीखिए और अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए
(i) बूंदें
(ii) सकल्प
(iii) दुरगम
(iv) किरने
(v) परबत।
उत्तर
(i) बूंदें
(ii) संकल्प
(iii) दुर्गम
(iv) किरणें
(v) पर्वत।

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प्रश्न 3.
दिए गए शब्दों में से विलोम शब्दों की सही जोड़ी बनाइए-
(i) विश्वास
(ii) पराजय
(iii) धरती
(iv) सुगम
(v) आकाश
(vi) जय
(vii) दुर्गम
(viii) अविश्वास।
उत्तर
शब्द -विलोम शब्द
(i) विश्वास – (viii) अविश्वास
(ii) पराजय – (vi) जय
(iii) धरती – (v) आकाश
(iv) सुगम – (vii) दुर्गम

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए
(क) पथ
(ख) प्रतिदिन
(ग) बादल
(घ) विजय
(ङ) काँटा।
उत्तर
(क) पथ = संकल्प लेकर आगे बढ़ने से पथ की बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।
(ख) प्रतिदिन = ईश्वर की पूजा करके प्रतिदिन का कार्य प्रारम्भ करने से विजय मिलती है।
(ग) बादल = बादल गरजते हैं और बरसते हैं।
(घ) विजय =संकल्पित होकर विजय पथ पर आगे बढ़ते रहो।
(ङ) काँटा = उत्साह भरे मन से आगे बढ़ते हुए मार्ग के कौट भी फूल बन जाते हैं।

प्रश्न 5.
भिन्न अर्थ वाले शब्द को छाँटकर लिखिए
(i) नदी = तटिनी, सरिता, सविता, तरंगिणी।
(ii) पर्वत = गिरि, पहाड़, अचल, पाहन।
(iii) सागर = समुद्र, पीयूष, जलधि, उदधि।
(iv) फूल = पुष्प, सुमन, कुसुम, लता।
(v) धरती = गगन, पृथ्वी, भू, धरा।
उत्तर
(i) सविता
(ii) पाहन
(iii) पीयूष
(iv) लता
(v) गगन।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पंक्तियों में से अनुप्रास अलंकार पहचानकर लिखिए
(क) दुर्गम पथ पर्वत सम बाधा।
(ख) बार-बार गिर घट भर देगी।
(ग) गिर-गिरकर चलना सीखें।
(घ) गरज-गरजकर बादल बरसें।
उत्तर
(क)

  • पथ-पर्वत
  • दुर्गम-सम।

(ख)

  • बार-बार
  • गिर-भर।

(ग) गिर-गिरकर।
(घ) गरज-गरजकर ।

संकल्प सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

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(1) पथ की बाधाएँ गिनने से, निज विश्वास घटे।
करने से होता है सब कुछ, करना शुरू करें।
एक बूंद गिरकर सूखेगी, बार-बार गिर घट भर देगी।
बिना रुके जो बूंदें गिरती, उद्गम रूप धरें।
गिर-गिरकर चलना सीखेंगे, गिरने से न डरें।।

शब्दार्थ-पथ = मार्ग। बाधाएँ = रुकावटें। घट = घड़ा। उद्गम = निकलना, उत्पन्न होना।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषाभारती’ के पाठ ‘संकल्प’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयितालक्ष्मीनारायण भाला ‘अनिमेष’ हैं।

प्रसंग-मार्ग में आने वाली बाधाओं के गिनने से अपना विश्वास कम हो जाता है।

व्याख्या-कवि का तात्पर्य यह है कि कोई भी काम करने पर ही होता है, उस कार्य को करना प्रारम्भ कीजिए। उस कार्य के करने के मार्ग में आने वाली रुकावटों की गिनती मत करो। ऐसा करने से तो आत्म-विश्वास घट जाता है। आकाश से एक बूंद गिरती है, तो वह सूख ही जाती है, लेकिन वही बूंद बार-बार गिरेगी, तो वह एक घड़े को भर देती है। बूंदों के गिरने की निरन्तरता किसी भी नदी का उद्गम बन जाती है अर्थात् नदी के प्रवाह को रूप दे देती है। इसलिए बार-बार गिरते-पड़ते रहने से हम चलना सीखते हैं। गिरमे से कभी नहीं डरना चाहिए। तात्पर्य यह है कि जीवन में विफलताएँ तो आती हैं, पर उनसे निराश नहीं होना चाहिए। विफलताएँ ही सफलता की सीढ़ियाँ हुआ करती हैं।

(2) नदियों का उद्गम अति छोटा, दुर्गम-पथ,
पर्वत सम बाधा।
बिना थमे चलती जब धारा, सागर गले मिले।
चलने से मंजिल पायेंगे, चलना शुरू करें।

शब्दार्थ-दुर्गम पथ = कठिनाई भरा मार्ग। बाधा = रुकावटें। गले-मिले = मिल जाती है। मंजिल पाना = अपने पहुँचने के स्थान तक पहुँच जाते हैं।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कोई भी कार्य करने से ही पूरा होता है। चलते रहने से अपने अभीष्ट स्थान तक पहुंच जाते हैं।

व्याख्या-नदी अपनी उत्पत्ति स्थल पर बहुत छोटे आकार की होती है। उसका मार्ग बहुत कठिनाई भरा होता है। मार्ग में पर्वत जितनी ऊँची रुकावटें आती हैं लेकिन बिना रुके लगातार जब वह जल की धारा चलती रहती है, बहती रहती है, तो समुद्र से मिल जाती है। उसी तरह हे मनुष्यो ! जब आप चलना प्रारम्भ कर देंगे, तो निश्चय ही अपनी मंजिल प्राप्त करने में सफल हो जायेंगे, अत: तुम्हें चलना तो शुरू कर देना चाहिए।

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(3) जलाशयों पर किरणें पड़तीं,
प्रतिदिन जल वाष्य में बदलतीं।
बादल बनकर गरज-गरज वह धरती पर बरसे।
ताप सहे, जल को भी सोखे, धरती फल उगले॥

शब्दार्थ-जलाशय = तालाब या झील। वाष्प = भाप। ताप = गर्मी। फल उगले = फसल के रूप में फल देती है।

सन्दर्भ-पूर्व की भाँति।

प्रसंग-तालाबों का जल सूर्य की किरणों के द्वारा भाप बनता है, वर्षा होती है और धरती से फसल रूप में फल की प्राप्ति होती है।

व्याख्या-कवि कहता है कि तालाबों-झीलों के ऊपर पड़ने वाली सूर्य की किरणें उनके जल को प्रतिदिन भाप के रूप में बदलती रहती हैं, वही भाप बादल बन जाती है। बादल गरज-गरज कर जमीन पर बरस पड़ते हैं। यह धरती सूरज की गर्मी को सहन करती है, बादलों से बरसते जल को सोख लेती है और फिर फसल रूप में अपनी सम्पूर्ण प्रक्रिया का फल हमें देती है। कष्टों की गर्मी जल से शान्त होकर हमें सरस फल देती है। हम सुखी हो जाते हैं।

(4) चुन-चुनकर गूंथे सुमनों से,
बनें हार अनगिन हाथों से।
मन में ले संकल्प विजय का, आगे बढ़े चलें।
कौन भला रोकेगा जब हम, काँटों से न डरें।

शब्दार्थ-सुमन = फूल। अनगिन = अनेक। संकल्प = प्रण, प्रतिज्ञा। काँटों से = बाधाओं से।

सन्दर्भ-पूर्व की भाँति।

प्रसंग-प्रण करके, संकल्प धारण करके ही जीत पाई जा सकती है।

व्याख्या-एक-एक फूल चुनकर अनेक हाथों से गूंथे जाने पर ही हार (माला) बन पाता है। यदि जीत पाने का हम संकल्प ले लेते हैं, और विजय-पथ पर आगे बढ़ते जाते हैं, तो निश्चय ही हमें कौन रोक सकता है, जीत पाने से। हमें केवल आने वाली रुकावटों से, बाधाओं से डरना नहीं चाहिए।

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 16 श्रम की महिमा

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 15 पाठ का अभ्यास

प्रश्न 1.
सहा विकल्प चुनकर लिखिए

(क) धरती में बीज बोता है
(i) लोहार
(ii) किसान
(iii) जमींदार
(iv) सफाईकर्मी।
उत्तर
(ii) किसान

(ख) सूत कातकर कपड़ा बुनता है
(i) बढ़ई
(ii) कुम्हार
(iii) जुलाहा
(iv) व्यापारी।
उत्तर
(iii) जुलाहा

(ग) बापूजी से मिलने पहुँचे
(i) शिक्षक
(ii) वकील
(iii) डॉक्टर
(iv) मुखिया।
उत्तर
(ii) वकील

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(घ) बापूजी पूजा के समान मानते थे
(i) भाषण देना
(ii) श्रम करना,
(iii) लेख लिखना
(iv) घूमना।
उत्तर
(ii) श्रम करना।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) किसान धरती में ……….. गाड़ता है।
(ख) गाँधीजी अनाज से …….. चुनते थे।
(ग) गाँधीजी को काम ……….. से करना भाता था।
(घ) गाँधीजी कपास के जैसा ही धुनते थे।
उत्तर
(क) बीज
(ख) कंकड़
(ग) सफाई
(घ) जुलाहों।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) “इसलिए यह बड़ा और वह छोटा” पंक्ति से कवि का क्या आशय है?
उत्तर
कवि का इस पंक्ति से आशय यह है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी काम को करने से छोटा या बड़ा नहीं होता है।

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(ख) आश्रम के कार्य गाँधीजी स्वयं क्यों करते थे ?
उत्तर
गाँधीजी आश्रम के कार्य स्वयं ही करते थे क्योंकि उनके लिए श्रम करना (कार्य करना) ही ईश्वर की पूजा करने के समान था। गाँधीजी की यही विचारधारा थी, यही
उनका दर्शन था।

(ग) ऐसे थे गांधीजी’ सम्बोधन में कवि का संकेत क्या है?
उत्तर
‘ऐसे थे गाँधीजी’ सम्बोधन में कवि का संकेत इस बात की ओर है कि श्रम को ही गाँधी ईश्वर मानते थे। कर्म करना ईश्वर की पूजा करना है। वे आश्रम के हर कार्य को चाहे वह सूत कातना हो, अनाज से कंकड़ अलग करना हो, कपास धुनना हो, चक्की पीसना हो, कपड़ा बुनना हो-स्वयं किया करते थे।

(घ) गाँधीजी ने सेवा के काम को ईश्वरीय कार्य क्यों माना है?
उत्तर
काम करने के पीछे जो भावना है, वह सेवा की है, सेवा किसी भी जीव की क्यों न हो, वह तो सेवा का कार्य। सेवा में समर्पण, त्याग और निष्ठा का भाव होता है। इसलिए सेवा का कार्य ईश्वरीय माना गया।

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(ङ) इस कविता से आपको क्या सीख मिलती है ?
उत्तर
इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने सभी कार्य अपने हाथ से करने चाहिए। काम करने से कोई भी व्यक्ति नीचा-ऊँचा अथवा बड़ा या छोटा नहीं होता है। काम करने के पीछे सेवा की भावना होती है। सेवा का कार्य ही ईश्वर की पूजा है।

(च) गाँधीजी छोटे से छोटे कार्य को भी महत्व क्यों देते थे?
उत्तर
छोटे से भी छोटा कार्य भी महत्वपूर्ण होता है। इस कार्य के करने के पीछे सेवा की भावना होती है। उस सेवा में ईश्वर की सेवा छिपी है। इसलिए गाँधीजी छोटे से छोटे कार्य को भी महत्व देते थे। प्रत्येक छोटे कार्य से ही बड़े कार्य को करने का मार्ग खुलता है। काम करने की भावना पुष्ट होती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) ‘सेवा का हर काम, हमारा ईश्वर है भाई।’
(ख) ‘एक आदमी घड़ी बनाता, एक बनाता चप्पल।’
इसीलिए यह बड़ा, और वह छोटा, इसमें क्या बल।’
(ग) “ऐसे थे गाँधीजी, ऐसा था उनका आश्रम,
गाँधीजी के लेखे पूजा के समान था श्रम।’
उत्तर
सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या के अन्तर्गत पद्यांश सं. 4, 1 व 3 की व्याख्या देखें।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
सड़क, घड़ी, आश्रम, ईश्वर।।
उत्तर
अपने अध्यापक महोदय की सहायता से शुद्ध उच्चारण करना सीखिए और अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए
(i) पूस्तक
(ii) जूलाहो
(iii) इश्वर
(iv) ऊतसाह।
उत्तर
(i) पुस्तक
(ii) जुलाहों
(iii) ईश्वर
(iv) उत्साह।

प्रश्न 3.
(अ) स्तम्भ में तद्भव और (ब) स्तम्भ में उनके तत्सम शब्द दिए गए हैं, उन्हें सम्बन्धित शब्द से जोड़िए
MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 16 श्रम की महिमा 1
उत्तर
(क)→ (vi), (ख) → (iv), (ग) → (v), (घ) →(iii), (ङ) →(i), (च) →(i)

प्रश्न 4.
स्तम्भ’क’ में दिए गए महावरों को स्तम्भ’ख के गलत क्रम में रखे उनके अर्थ से सही क्रम में मिलाइए
MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 16 श्रम की महिमा 2
उत्तर
(अ) → (iv), (ब) → (iii), (स) → (ii), (द) →(i)

प्रश्न 5.
दी गई वर्ग पहेली में गाँधीजी के जीवन से जुड़ी पाँच वस्तुएँ हैं, उन्हें छाँटकर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए
MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 16 श्रम की महिमा 3
उत्तर
(1) चश्मा
(2) लाठी
(3) खादी की धोती
(4) घड़ी
(5) चरखा

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(i) व्यापारी
(ii) कपड़ा
(iii) आदमी
(iv) चक्की ।
उत्तर
(i) व्यापारी-व्यापारी देश-विदेश को माल भेजते हैं और मैंगाते हैं।
(ii) कपड़ा-जुलाहे कपड़ा बुनते हैं।
(iii) आदमी-आदमी अपना काम स्वयं करता है।
(iv) चक्की-चक्की से अनाज पीसा जाता है।

श्रम की महिमा सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

1) तुम कागज पर लिखते हो
वह सड़क झाड़ता है
तुम व्यापारी
वह धरती में बीज गाड़ता है।
एक आदमी घड़ी बनाता
एक बनाता चप्पल
इसीलिए यह बड़ा और वह छोटा
इसमें क्या बल।

शब्दार्थ-बीज गाड़ता = बीज बोता है। बल = महत्वपूर्ण बात।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा| भारती’ के ‘श्रम की महिमा’ शीर्षक कविता से अवतरित हैं। इस कविता के रचयिता कवि भवानी प्रसाद मिश्र’ हैं।

प्रसंग-काम कोई भी हो, उससे कोई ऊँचा-नीचा, छोटा या बड़ा नहीं होता है।

व्याख्या-कवि कहता है कि एक तुम हो, कागज पर लिखते हो और एक वह जो सड़क की सफाई करता है। तुम व्यापार करने वाले हो सकते हो या वह व्यक्ति जो खेतों में बीज बोता है, इसलिए वह किसान है। एक वह व्यक्ति जो घड़ी बनाता है या उसकी मरम्मत करता है, साथ ही वह व्यक्ति जो चप्पल बनाता या उनकी मरम्मत करता है। इस आधार पर कोई छोटा या बड़ा हो सकता है क्या ? अर्थात् नहीं। इस बात में कोई बल नहीं है, अर्थात् यह बात महत्वपूर्ण नहीं है।

(2) सूत कातते थे गांधी जी
कपड़ा बुनते थे,
और कपास जुलाहों के जैसा ही
धुनते थे
चुनते थे अनाज के कंकर
चक्की घिसते थे
आश्रम के कागजयाने
आश्रम में पिसते थे
जिल्द बाँध लेना पुस्तक की
उनको आता था
हर काम सफाई से
नित करना भाता था।

शब्दार्थ-चक्की घिसते थे = चक्की चला कर दाना पीसते थे, आटा बनाते थे। नित = रोजाना। भाता था = अच्छा लगता था।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-महात्मा गाँधी अपने आश्रम में अपने सारे काम अपने हाथ से करते थे।

व्याख्या-गाँधीजी अपने आश्रम में रहते हुए, सूत कातते थे। उससे कपड़ा बुनते थे। साथ ही जुलाहों से भी बढ़िया ढंग से कपास धुनते थे। अनाज में से कंकड़ आदि चुनकर अलग करते और अनाज को साफ करके, अपने आप ही चक्की से आटा बनाते थे। वे पुस्तकों की जिल्द भी बनाना जानते थे। उन्हें प्रत्येक काम सफाई से करना प्रतिदिन ही अच्छा लगता था। कहने का तात्पर्य यह है कि महात्मा गाँधी अपने काम करने के लिए किसी पर भी निर्भर नहीं रहते थे।

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(3) ऐसे थे गांधी जी
ऐसा था मका आश्रम
गांधी जी के लेखे
पूजा के समान था श्रम।
एक बार उत्साह-ग्रस्त
कोई वकील साहब
जब पहुँचे मिलने
बापूजी पीस रहे थे तब।

शब्दार्थ-लेखे = अनुसार। श्रम = काम करना। पीस रहे थे = चक्की चलाकर अनाज से आटा बना रहे थे।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह। प्रसंग-गांधीजी श्रम को ही ईश्वर की पूजा मानते

व्याख्या-गांधीजी और उनका आश्रम ऐसा था जिसमें वे परिश्रम को ही ईश्वर की पूजा मानते थे। एक बार कोई वकील साहब उनके पास आश्रम में पहुँचे। वकील साहब बहुत ही उत्साहित थे। जिस समय वे आश्रम में पहुँचे। तब महात्मा गाँधी अनाज को चक्की से पीसकर आटा बना रहे थे।

(4) बापूजी ने कहा-बैठिए
पीसेंगे मिलकर
जब वे झिझके
गांधीजी ने कहा
और खिलकर
सेवा का हर काम
हमारा ईश्वर है भाई
बैठ गये वे दबसट में
पर अक्ल नहीं आई

शब्दार्थ-झिझके – शर्मिन्दा हुए। दबसट में = समीपही।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-गाँधीजी ने उन वकील साहब से हँसकर कहा कि भाई आओ, दोनों ही मिलकर चक्की से आटा बनाते हैं।

व्याख्या-वकील साहब उत्साहपूर्वक जोश से भरे हुए, बापूजी से मिलने आश्रम में पहुँचे। तब गाँधीजी ने उनसे कहा, आइए, बैठिए। हम दोनों ही मिलकर अनाज पीसेंगे और आटा तैयार करेंगे। इस पर वकील साहब कुछ झिझकने लगे अर्थात् उन्हें चक्की पीसना एक घृणित-सा काम लगा। इस पर गाँधीजी ने खिलखिलाकर ठहाका भरते हुए (जोर से हँसते हुए) कहा कि हे भाई! सेवा में कोई भी किया गया हमारा काम, ईश्वर ही होता है। इसे सुनते ही वह वकील महोदय भी समीप बैठ गए लेकिन गाँधीजी द्वारा कही गई बात समझ नहीं सके। उनकी बुद्धि ने काम नहीं किया अर्थात् गाँधीजी के कहे हुए शब्दों के अर्थ को वे समझ नहीं सके।

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MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1

Find the values of the letters in each of the following and give reasons for the steps involved.
Question 1.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 1
Solution:
We have to find the values of A and B. We add the digits column-wise.
In C2 : A + 5 gives 2, that is, a number whose ones digit is 2 i.e., 12.
∴ A + 5 = 12 ⇒ A = 12 – 5 = 7
In C1 : 1 (Carry of C2) + 3 + 2 = B
⇒ 6 = B
∴ We get A = 7, B = 6.

Question 2.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 2
Solution:
We have to find the values of A, B and C.
We add the digits column-wise.
In C3 : A + 8 gives 3, that is, a number whose ones digit is 3 i.e., 13.
Therefore, A + 8 = 13 ⇒ A = 13 – 8 = 5
In C2 : 4 + 9 + 1 (Carry of C3) = 14 gives B = 4
In C1 : 1 (Carry of C2) = 1
Therefore, A = 5, B = 4, C = 1.

Question 3.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 3
Solution:
We have to find the value of A.
Since, the ones digit of A × A = A
⇒ A can be 0, 1, 5, 6
If A = 0, then 10 × 0 = 0 ≠ 90
If A = 1, then 11 × 1 = 11 ≠ 91
If A = 5, then 15 × 5 = 75 ≠ 95
If A = 6, then 16 × 6 = 96 = 96
Hence, A = 6.

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1

Question 4.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 4
Solution:
We have to find the values of A and B.
We add the digits column-wise.
In C2 : B + 7 – A …………… (i)
In C1 : A + 3 + carry = 6 …………. (ii)
Where, carry is the carry from (i)
Let carry = 0
∴ A + 3 = 6 or A = 3
Putting value of A in (i),
6 + 7 = 3 or 6 = – 4
But B can not be a negative number.
⇒ Carry = 1
In (ii), A + 3 + 1 = 6
⇒ A = 2
Putting value of A in (i), B + 7 = 2
But this is not possible
∴ 6 + 7 = 12 ⇒ 6 = 5.

Question 5.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 5
Solution:
We have to find the values of A, 6 and C.
Now, looking at ones place
B × 3 = 6
This is possible only when B = 0, 5
Now, writing the equation for multiplication as
3 × (10A + B) = 100C + 10A + B
⇒ 30A + 3B = 100C + 10A + B
⇒ 20A + 2B = 100C
⇒ 50C = 10A + B ………….. (i)
But R.H.S. is the number we multiplied by 3 to obtain CAB.
∴ AB is a multiple of 50.
⇒ B = 0
Equation (i) becomes,
50C = 10A ⇒ 5C = A
Since, A is a single digit number.
∴ C = 1 & A = 5
Hence, A = 5, B = 0, C= 1.

Question 6.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 6
Solution:
We have to find the values of A, B and C.
Now, looking at ones place
B × 5 = B
This is possible only when B = 0, 5
Also, writing the equation for multiplication
5 × (10A + B) = 100C + 10A + B
⇒ 50A + 5B = 100C + 10A + B
⇒ 40A + 4B = 100C
⇒ 25C = 10A + B ……………. (i)
But, RHS is the number we multiplied by 5 to obtain result CAB
AB is a multiple of 25.
⇒ B = 0 or 5
(1) Taking B = 0
EQ. (i) becomes
25C = 10A ⇒ 5C = 2A
The only integral one digit solution for this is A = 5, C = 2
(2) Taking B = 5
EQ. (i) becomes
25C = 10A + 5
or 5C = 2A +1
The integral one digit solutions are
A = 2, C = 1
or A = 7, C = 3
Hence, we have three solutions
A = 5, B = 0, C = 2
A = 2, B = 5, C = 1
A = 7, B = 5, C = 3

Question 7.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 7
Solution:
We have to find the values of A and B.
Writing the multiplication equation
6 × (10A + B) = 100B + 10B + B
⇒ 60A + 6B = 111B
⇒ 60A = 105B
⇒ 4A = 7B
The only integral one digit solution is
A = 7, B = 4

MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1

Question 8.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 8
Solution:
We have to find the values of A and B. We add the digits column-wise.
In C2 : 1 + B = 10
⇒ B = 9
In C1 : A + 1 + 1 (Carry of C2) = B
⇒ A + 2 = 9
⇒ A = 7
∴ A = 7, B = 9

Question 9.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 9
Solution:
We have to find the values of A and B.
We add the digits column-wise.
In C3 : B + 1 = 8
⇒ B = 7
In C2 : A + B = 11 {∵ B is 7 and A can’t be negative}
⇒ A + 7 = 11 ⇒ A = 4
∴ A = 4, B = 7

Question 10.
MP Board Class 8th Maths Solutions Chapter 16 Playing with Numbers Ex 16.1 10
Solution:
We have to find the values of A and B.
We add the digits column-wise.
In C3: A + B = 9
In C2 : 2 + A = 10 (∵ A can’t be negative}
⇒ A = 8
∴ 8 + B = 9
⇒ B = 1
∴ A = 8, B = 1

MP Board Class 8th Maths Solutions

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4

Question 1.
Express as rupees using decimals.
(a) 5 paise
(b) 75 paise
(c) 20 paise
(d) 50 rupees 90 paise
(e) 725 paise
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4 1
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4 2

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4

Question 2.
Express as metres using decimals,
(a) 15 cm
(b) 6 cm
(c) 2 m 45 cm
(d) 9 m 7 cm
(e) 419 cm
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4 3

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4

Question 3.
Express as cm using decimals.
(a) 5 mm
(b) 60 mm
(c) 164 mm
(d) 9 cm 8 mm
(e) 93 mm
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4 4
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4 5

Question 4.
Express as km using decimals
(a) 8 m
(b) 88 m
(c) 8888 m
(d) 70 km 5 m
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4 6

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4

Question 5.
Express as kg using decimals.
(a) 2 g
(b) 100 g
(c) 3750 g
(d) 5 kg 8 g
(e) 26 kg 50 g
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4 7
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.4 8

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MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.5

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.5

Question 1.
Find the sum in each of the following :
(a) 0.007 + 8.5 + 30.08
(b) 15 + 0.632 + 13.8
(c) 27.076 + 0.55 + 0.004
(d) 25.65 + 9.005 + 3.7
(e) 0.75 + 10.425 + 2
(f) 280.69 + 25.2 + 38
Solution:
MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.5 1

Question 2.
Rashid spent Rs. 35.75 for Maths book and Rs. 32.60 for Science book. Find the total amount spent by Rashid.
Solution:
Money spent for Maths books = Rs. 35.75
Money spent for Science book = Rs. 32.60
Total money spent = Rs. 35.75 + Rs. 32.60 = Rs. 68.35
Therefore, total money spent by Rashid is Rs. 68.35

Question 3.
Radhika’s mother gave her Rs. 10.50 and her father gave her Rs. 15.80, find the total amount given to Radhika by the parents.
Solution:
Money given by mother = Rs. 10.50
Money given by father = Rs. 15.80
Total money received by Radhika
= Rs. 10.50 + Rs. 15.80 = Rs. 26.30
Therefore, total money received by Radhika is Rs. 26.30

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.5

Question 4.
Nasreen bought 3 m 20 cm cloth for her shirt and 2 m 5 cm cloth for her trouser. Find the total length of cloth bought by her.
Solution:
Cloth bought for shirt = 3 m 20 cm = 3.20 m
Cloth bought for trouser = 2 m 5 cm = 2.05 m
Total length of cloth bought by Nasreen
= 3.20 m + 2.05 m = 5.25 m
Therefore, total length of cloth bought by Nasreen is 5.25 m.

Question 5.
Naresh walked 2 km 35 m in the morning and 1 km 7 m in the evening. How much distance did he walk in all?
Solution:
Distance travelled in the morning
= 2 km 35 m = 2.035 km
Distance travelled in the evening
= 1 km 7 m = 1.007 km
Total distance travelled
= (2.035 + 1.007) km = 3.042 km
Therefore, total distance travelled by Naresh is 3.042 km.

Question 6.
Sunita travelled 15 km 268 m by bus, 7 km 7 m by car and 500 m on foot in order to reach her school. How far is her school from her residence?
Solution:
Distance travelled by bus
= 15 km 268 m = 15.268 km
Distance travelled by car
= 7 km 7 m = 7.007 km
Distance travelled on foot = 500 m = 0.500 km
Total distance travelled
= (15.268 + 7.007 + 0.500) km = 22.775 km
Therefore, total distance travelled by Sunita is 22.775 km.

MP Board Class 6th Maths Solutions Chapter 8 Decimals Ex 8.5

Question 7.
Ravi purchased 5 kg 400 g rice, 2 kg 20 g sugar and 10 kg 850g flour. Find the total weight of his purchases.
Solution:
Weight of Rice = 5 kg 400 g = 5.400 kg
Weight of Sugar = 2 kg 20 g = 2.020 kg
Weight of Flour = 10 kg 850 g = 10.850 kg
Total weight = (5.400 + 2.020 + 10.850) kg = 18.270 kg
Therefore, total weight of Ravi’s purchases is 18.270 kg.

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