MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 19 खूनी हस्ताक्षर

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 19 पाठ का अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” यह नारा था
(i) गाँधीजी का
(ii) सुभाषचन्द्र बोस का,
(iii) तिलक जी का
(iv) नेहरू जी का।
उत्तर
(ii) सुभाषचन्द्र बोस का

(ख) आजादी के परवाने पर नवयुवकों ने हस्ताक्षर किए थे
(i) काली स्याही से
(ii) नीली स्याही से
(iii) रक्त की स्याही से
(iv) लाल स्याही से।
उत्तर
(iii) रक्त की स्याही से

(ग) आजादी के परवाने पर हस्ताक्षर होने के बाद तारों ने देखा
(i) हिन्दुस्तानी विश्वास
(ii) स्थान
(iii) भाषण
(iv) सर्वस्व समर्पण।
उत्तर
(i) हिन्दुस्तानी विश्वास।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) यूँ कहते-कहते वक्ता की आँखों में ……………. आया।
उत्तर
खून

(ख) पर यह …………….. पत्र नहीं, आजादी का परवाना है।
उत्तर
साधारण

(ग) रण में जाने को ……………… खड़े तैयार दिखाई देते थे।
उत्तर
युवक

(घ) यह शीश कटाने का …………….. नंगे सिर झेला जाता है।
उत्तर
सौदा

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) सुभाषचन्द्र बोस ने बलिदान करने को क्यों कहा?
उत्तर
‘भारत के लिए स्वतन्त्रता देवी को प्राप्त करने के लिए अपना बलिदान करो’ ऐसा सुभाष बाबू ने इसलिए कहा कि आजादी का इतिहास खून से लिखा जाता है।

(ख) शीशों के फूल चढ़ाने से कवि का क्या अभिप्राय
उत्तर
देश की आजादी के लिए, निर्दयी शासक वर्ग से मुक्ति पाने में सफलता तभी मिल सकेगी, जब हम अपने शीशरूपी फूलों को आजादी की वेदी पर सर चढ़ा सकेंगे।

(ग) खून को पानी के समान कब कहा जाता है ?
उत्तर
जिस खून में आजादी प्राप्त करने के लिए जोश नहीं हो, उस जीवन में गतिशीलता न हो, उस व्यक्ति का खून-खून नहीं, वह पानी है। क्योंकि ऐसा खून देश के किसी भी काम में नहीं आता है।

(घ) आजादी का इतिहास कैसे लिखा जाता है ?
उत्तर
आजादी का इतिहास काली स्याही से नहीं लिखा जाता है, वह तो रक्त की लाल स्याही से लिखा जाता है जिसमें बलिदानों का जिक्र होता है।

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(ङ) आजादी का परवाना किसे कहा गया है ?
उत्तर
आजादी का परवाना कोई साधारण कागज नहीं होता । है। उसे भरने के लिए तन-मन-धन और जीवन का बलिदान एवं सर्वस्व समर्पण करना होता है। जिस पर अपने रक्त की उजली बूंदें गिरी होती हैं।

(च) खूनी हस्ताक्षर से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर
खूनी हस्ताक्षर से कवि का आशय इस बात से है कि वह अपनी मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने के लिए तैयार है।

(छ) सुभाषचन्द्र बोस के नारे का युवकों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ और इन्कलाब के नारों ने भारतीय नवयुवकों में भारतीय आजादी के लिए जोश भर दिया। वे उसके लिए अपना सर्वस्व निछावर करने के लिए तैयार हो गए। वे रणक्षेत्र में जाने के लिए हुँकार भर रहे थे।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए

(क) आजादी के चरणों में, जयमाल चढ़ाई जाएगी।
वह सुनो, तुम्हारे शीशों के फूलों से गूंथी जाएगी।

(ख) सारी जनता हुँकार उठी, हम आते हैं, हम आते हैं।
माता के चरणों में यह लो, हम अपना रक्त चढ़ाते हैं।
उत्तर
‘सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या’ शीर्षक के अन्तर्गत पद्यांश संख्या 3 व9 को देखिए।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
शुद्ध उच्चारण कीजिए
(i) सुभाष
(ii) स्वतन्त्रता
(iii) स्याही
(iv) रक्तिम
(v) इन्कलाब
(vi) हस्ताक्षर।
उत्तर
अपने अध्यापक महोदय की सहायता से सही उच्चारण कीजिए और अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए
(i) पानी
(ii) फूल
(ii) धन
(iv) माता।
उत्तर
(i) पानी – जल, पय
(ii) फूल – पुष्प, सुमन।
(iii) धन – दौलत, द्रव्य।
(iv) माता – जननी, जन्मदात्री।

प्रश्न 3.
विलोम शब्द लिखिए
(i) स्वतन्त्रता
(ii) सही
(iii) काला
(iv) जीवन
(v) विश्वास।
उत्तर
(i) स्वतन्त्रता = परतन्त्रता
(ii) सही = गलत
(iii) काला = सफेद
(iv) जीवन = मरण
(v) विश्वास = अविश्वास।

प्रश्न 4.
सही जोड़ी बनाइए
(i) खून – (क) स्वतन्त्रता
(ii) कुरबानी – (ख) लेखनी
(iii) आजादी – (ग) प्रवाह, गतिशीलता
(iv) कलम – (घ) रक्त
(v) रवानी – (ड.) बलिदान
उत्तर
(i) →(घ), (ii) →(ड.), (iii) →(क), (iv) →(ख), (v) →(ग)

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(i) खून में उबाल आना
(ii) शीश कटाना
(iii) खून की – नदी बहाना।
उत्तर
(i) खून में उबाल आना-सुभाष के भाषणों से युवकों के खून में उबाल आ गया।
(ii) शीश कटाना-मातृभूमि की आजादी की रक्षा में अनेक युवक शीश कटाने के लिए चल पड़े।
(iii) खून की नदी बहाना-आजादी की रक्षा में भारतीय युवकों को खून की नदी बहानी पड़ी।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(i) अर्पण
(ii) परवाना
(iii) जयमाल
(iv) संग्राम
(v) रणवीर।
उत्तर
(i) अर्पण-आजादी के दीवानों ने अपना तन-मन-धन सब देश के लिए अर्पण कर दिया।
(ii) परवाना-आजादी के परवाने पर अनेक युवकों ने अपने उजले रक्त से हस्ताक्षर कर दिए।
(ii) जयमाल-आजादी की देवी के गले में नरमुण्डों की जयमाल सुहाती है।
(iv) संग्राम-देश की स्वतन्त्रता के संग्राम में अनेक युवकों ने अपनी प्राणाहुति दे दी।
(v) रणवीर-रणवीर राणा प्रताप अपने चेतक घोड़े पर चढ़कर लड़ते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ा रहे थे।

खूनी हस्ताक्षर सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

(1) वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
आ सके देश के काम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें जीवन न रवानी है।
जो परवश होकर बहता है,
वह खून नहीं है, पानी है।

शब्दार्थ-परवश होकर = पराधीन होकर।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के पाठ ‘खूनी हस्ताक्षर’ से अवतरित हैं। इसके रचयिता गोपाल प्रसाद ‘व्यास’ हैं।

प्रसंग-कवि का आशय यह है कि देश की आजादी के लिए मर-मिटने वाले वीरों का खूब ही खून कहलाने योग्य है।

व्याख्या-कवि कहता है कि खून में जोश होता है, तो वह वास्तव में खून कहा जा सकता है। जो खून देश के काम आ सके, वही खून है। इसके विपरीत वह खून किसी काम का नहीं है। जीवन की गति से युवक खून ही खून कहलाने योग्य है। गतिहीन खून किसी मतलब का नहीं होता है। पराधीन होकर बहने वाला खून खून नहीं, वह तो पानी है।

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(2) उस दिन लोगों ने सही-सही
खू की कीमत पहचानी थी।
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में
मांगी उनसे कुरबानी थी।
बोले, “स्वतन्त्रता की खातिर
बलिदान तुम्हें करना होगा।
तुम बहुत जी चुके हो जग में,
लेकिन आगे मरना होगा।

शब्दार्थ-कीमत = मूल्य, महत्व। कुर्बानी = बलिदान। संदर्भ = पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाष चन्द्र बोस ने बर्मा में लोगों को बलिदान होने के लिए आग्रह किया, तब लोगों को खून के महत्व की जानकारी हुई।

व्याख्या-कवि बताता है कि जिस दिन सुभाषचन्द्र बोस ने भारतीय जनों को बर्मा में अपने बलिदान के लिए पुकारा, उस दिन लोगों को खून का महत्व ज्ञात हुआ था। उन्होंने लोगों को पुकार करके कहा कि तुम्हें स्वतन्त्रता प्राप्त करने के लिए बलिदान करने होंगे। अब तक तुमने पराधीनता में बहुत समय तक जीवन बिता लिया है। लेकिन अब पराधीनता को समाप्त करने के लिए तुम्हें मृत्यु स्वीकार करनी होगी।

(3) आजादी के चरणों में,
जयमाल चढ़ाई जाएगी।
वह सुनो, तुम्हारे शीशों के
फूलों से गूंथी जाएगी।
आजादी का संग्राम कहीं
पैसे पर खेला जाता है?
यह शीश कटाने का सौदा
नंगे सर झेला जाता है।

शब्दार्थ-सौदा = सामान, व्यापार। सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-आजादी प्राप्त करने के लिए शीश कटाना होता है।

व्याख्या-कवि कहता है कि स्वतन्त्रता देवी के चरणों में वह जयमाला अर्पित की जाएगी, जिसे तुम्हारे (देशवासियों के) शीशों रूपी फूलों से गूंथा जाएगा। तुम्हें ध्यान रखना चाहिए कि यह आजादी की लड़ाई कभी भी पैसों के आधार पर नहीं लड़ी जा सकती। यह तो सिर कटाने का सौदा है (व्यापार है)। इस सिर कटाने के सौदे को नंगे सिर ही झेलना पड़ता है।

(4) आजादी का इतिहास कहीं
काली स्याही लिख पाती है ?
इसके लिखने के लिए खून
की नदी बहाई जाती है।”
यूँ कहते-कहते वक्ता की
आँखों में खून उतर आया।
मुख रक्त-वर्ण हो दमक उछा
दमकी उनकी रक्तिम काया।

शब्दार्थ-वक्ता = कहने वाला।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-आजादी को प्राप्त करने की लड़ाई काली स्याही से नहीं, वरन् खून की लाल स्याही से ही लिखी जाती है।

व्याख्या-कवि सुभाषचन्द्र बोस के उद्बोधन को स्पष्ट करता है कि आजादी की यह लड़ाई कभी भी काली स्याही से नहीं लिखी जाती है। इसके लिए खून की लाल स्याही की जरूरत पड़ती है। इस स्याही को पाने के लिए युद्ध क्षेत्र में खून की नदी बहानी पड़ती है। ऐसा कहते-कहते कहने वाले सुभाषचन्द्र बोस की आँखों में खून उतर आया अर्थात् क्रोध अपनी सीमा से ऊपर बढ़ने लगा। उनका मुख लाल पड़ गया और चमकने लगा। उनके लालवर्ण के शरीर की कान्ति दमकने लगी।

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(5) आजानु-बाहु ऊँची करके,
वे बोले, “रक्त मुझे देना।
इसके बदले में भारत की
आजादी तुम मुझसे लेना।”
हो गई सभा में उथल-पुथल,
सीने में दिल न समाते थे।
स्वर इन्कलाब के नारों के
कोसों तक छाए जाते थे।

शब्दार्थ- आजानुबाहु = घुटने तक लम्बे हाथ। इन्कलाब = परिवर्तन।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाष बाबू ने अपनी लम्बी भुजाओं को उठाकर लोगों का आह्वान किया कि तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।

व्याख्या-सुभाषचन्द्र बोस ने घुटनों तक लम्बी बाहों को ऊपर उठाते हुए लोगों को पुकारते हुए कहा कि आप मुझे रक्त दो, इसके बदले, मैं तुम्हें भारत देश की आजादी दूंगा। ऐसा कहते ही सभा में उथल-पुथल मच गई। प्रत्येक व्यक्ति के सीने में दिल नहीं समा सके (वे सभी उत्साह से भरे थे)। परिवर्तन के नारों के स्वर कोसौं तक आए हुए सुनाई दे रहे थे।

(6) “हम देंगे, देंगे खून”.
शब्द बस यही सुनाई देते थे।
रण में जाने को युवक खड़े
तैयार दिखाई देते थे।
बोले सुभाष, “इस तरह नहीं,
बातों से मतलब सरता है।
लो, यह कागज, है कौन यहाँ
आकर हस्ताक्षर करता है?

शब्दार्थ-रण = युद्ध के मैदान में। सरता है = पूरा होता है।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाष चन्द्र बोस के आह्वान पर लोग अपना खून देने को तैयार हो गए।

व्याख्या-वहाँ सभास्थल पर लोगों के स्वर निकल पड़े कि हम खून देंगे। चारों और यही स्वर गूंज रहा था। युद्ध क्षेत्र में जाने के लिए अनेक युवक खड़े दीख पड़ रहे थे। सुभाष ने कहा कि इस तरह की बातें करने से कभी भी कोई मतलब पूरा नहीं होता। यह कागज लीजिए और यहाँ आकर कौन-कौन दस्तखत करता है? अर्थात दस्तखत कीजिए।

(7) इसको भरने वाले जन को
सर्वस्व-समर्पण करना है।
अपना तन-मन-धन-जन जीवन
माता को अर्पण करना है।
पर यह साधारण पत्र नहीं,
आजादी का परवाना है।
इस पर तुमको अपने तन का
कुछ उज्ज्वल रक्त गिराना है।

शब्दार्थ-अर्पण करना है = त्यागना है। परवाना = आदेश भरा पत्र। उज्ज्वल = उजला।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-आजादी प्राप्त करने के लिए हस्ताक्षर युक्त यह महत्वपूर्ण आदेश है।

व्याख्या-इस असाधारण पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपना सर्वस्व त्याग करना है (प्राण निछावर करने के लिए तैयार रहना है)। भारत माता की आजादी के लिए तुम सभी को अपना तन, मन, धन तथा जीवन का समर्पण करना है। तुम्हें ध्यान रखना चाहिए कि यह कोई साधारण पत्र नहीं है, यह निश्चित रूप से आजादी का आदेश भरा पत्र है। इस पत्र पर तुम्हें अपने शरीर का उजला खून गिराना है। अर्थात् आजादी के लिए खून देना होगा।

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(8) वह आगे आए, जिसके तन में
भारतीय खू बहता हो।
वह आगे आए जो अपने को
हिन्दुस्तानी कहता हो।
वह आगे आए, जो इस पर
खूनी हस्ताक्षर देता हो।
मैं कफन बढ़ाता हूँ, आए
जो इसको हँसकर लेता हो।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाष बाबू ने खून के हस्ताक्षर करने को पत्र आगे बढ़ाया।

व्याख्या-कवि कहता है कि इस पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए वही आगे बढ़ कर आये, जिसमें भारतीयता का खून हो और जो अपने आप को हिन्दुस्तानी कहने में गर्व का अनुभव करता हो। इस पत्र पर खून से हस्ताक्षर करने वाला ही आगे बढ़कर आये। उसके लिए यह कागज का पत्र नहीं, यह तो कफन है। इसे प्राप्त करने के लिए वही आगे बढे, जो हँस-हँस कर इसे ग्रहण करने में अपना गौरव अनुभव करता हो।

(9) सारी जनता हुँकार उछी
“हम आते हैं, हम आते हैं।
माता के चरणों में यह लो,
हम अपना रक्त चढ़ाते हैं।”
साहस से बढ़े युवक उस दिन,
देखा, बढ़ते ही आते थे।
चाकू-छुरी कटारों से,
वे अपना रक्त गिराते थे।

शब्दार्थ-सारी जनता = सभी लोग। सन्दर्भ = पूर्व की तरह।

प्रसंग-सुभाष के आह्वान पर लोग अपना बलिदान करने के लिए आगे ही आगे बढ़ते चले।

व्याख्या-सभी लोग जो सभास्थल पर मौजूद थे, हुँकार भरकर कहने लगे कि हम भारत माता की आजादी के लिए खून देने को आ रहे हैं। भारत की स्वतन्त्रता की देवी के चरणों में हम अपना रक्त चढ़ाने के लिए तत्पर हैं, जितना चाहते हो, ले लीजिए। युवकों में साहस था। सभी युवक उस दिन साहसपूर्वक आगे-ही-आगे बढ़ते आ रहे थे। वे सभी अपने शरीर से चाकुओं से, छुरियों से तथा कटारों से अपना रक्त गिरा रहे थे। अर्थात् अपना सर्वस्व देने में उन्हें कोई कष्ट नहीं हो रहा था (वे आजादी की वेदी पर अपना रक्त चढ़ाने के लिए तत्पर थे।)

(10) फिर उसी रक्त की स्याही में,
वे अपनी कलम डुबाते थे।
आजादी के परवाने पर
हस्ताक्षर करते जाते थे।
उस दिन तारों ने देखा था,
हिन्दुस्तानी विश्वास नया।
जब लिखा महारणवीरों ने
खू से अपना इतिहास नया।

शब्दार्थ-परवाना = आदेश-पत्र सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-रक्त में अपनी कलम डुबाते हुए देशभक्त युवकों ने आजादी के परवाने पर खून से हस्ताक्षर कर दिये।

व्याख्या-अपने शरीर के रक्त की स्याही में कलम डुबाते हुए आजादी के उस परवाने पर सभी युवकों ने हस्ताक्षर कर दिए। उस दिन आकाश में तारों ने देखा कि हिन्दुस्तानी लोग विश्वसनीय होते हैं। उस समय रणबांकुरे भारतीय वीरों ने अपने खून से नया इतिहास लिख डाला।

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