MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम

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जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या आप दस पुनर्योगज प्रोटीन के बारे में बता सकते हैं जो चिकित्सीय व्यवहार के काम में लाये जाते हैं ?
उत्तर
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प्रश्न 2.
एक सचित्र चार्ट (आरेखित निरुपण के साथ) बनाइए जो प्रतिबंध एंजाइम के (जिस क्रियाधार DNA पर यह कार्य करता है उसे ) उन स्थलों को जहाँ यह DNA को काटता है व इनसे उत्पन्न उत्पाद को दर्शाता है ?
उत्तर
यहाँ ई. कोलाई से प्राप्त EcoRI नामक प्रतिबंधन एन्जाइम (Restriction Enzyme) का उदाहरण दिया जा रहा है
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प्रश्न 3.
कक्षा ग्यारहवीं में जो आप पढ़ चुके हैं उसके आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि आणविक आकार के आधार पर एंजाइम बड़े हैं या डी.एन.ए.। आप इसके बारे में कैसे पता लगायेंगे ?
उत्तर
प्रोटीन अमीनो अम्लों से बनी है। प्रोटीन 20 प्रकार के अमीनो अम्लों से बनी है जो पेप्टाइड आबंधों के द्वारा जुड़ी होती है। प्रोटीन में कुल अमीनो अम्लों की संख्या, उनके प्रकार, उनके लगने के क्रम आदि के कारण अनन्त प्रकार की प्रोटीने संभव हैं। प्रोटीनों की औसत लंबाई चारों ओर 300 है जो कि अमीनो अम्लों का बचा-खुचा पदार्थ है। इनमें से कुछ एक्टिन फिलामेंट हैं जो कि हजारों एक्टिन अणुओं से बने हैं।

डी.एन.ए. पॉलीमरेज न्यूक्लियोटाइडों से बने होते हैं। वे चार न्यूक्लियोटाइड होते हैं जो कि एक-दूसरे के साथ फॉस्फोडाइएस्टर आबंधों से जुड़े हुए होते हैं । DNA पॉलीमरेज न्यूक्लियोटाइडों के लाखों बड़े अणुओं को अपने अंदर रख सकते हैं। उदाहरण के लिए, सबसे बड़ा मानव गुणसूत्र 220 मिलियन बेस पेयर लंबा है। इस प्रकार DNA एंजाइम से बड़े हैं।

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प्रश्न 4.
मानव की एक कोशिका में DNA की मोलर सन्द्रिता क्या होगी ? अपने अध्यापक से परामर्श कीजिए।
उत्तर
मोलर सांद्रता (Molar concentration)-किसी पदार्थ की सांद्रता प्रति इकाई आयतन में उसकी मात्रा की माप होती है। इसे सामान्यतया मोलरता (Molarity) के पदों में व्यक्त किया जाता है। किसी पदार्थ की मोलरता एक लीटर आयतन में उपस्थित उसके अणुओं की संख्या होती है। अणुओं के सांद्रता की गणना निम्न सूत्र से की जा सकती है
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DNA अणु जटिल जैविक वृहदाणु होते हैं। इनका अणुभार 106 से 109 डाल्टन तक होता है । हमारे शरीर में DNA के न्यूक्लियोटाइड का औसत आण्विक द्रव्यमान 130.86 होता है। अत: मानव DNA अणु का आण्विक द्रव्यमान 6×109 न्यूक्लियोटाइड (मानव जीनोम प्रोजेक्ट के अनुसार) x 130.86 = 784.56 x 10° g/mol. होगा।

प्रश्न 5.
क्या सुकेन्द्रकी कोशिकाओं में प्रतिबंधन एण्डोन्यूक्लिएज नहीं मिलते हैं ? अपने उत्तर को सही सिद्ध कीजिए।
उत्तर
नहीं, सुकेन्द्रकी कोशिकाओं में प्रतिबन्धन एण्डोन्यूक्लिऐज नहीं मिलते हैं। ये कुछ जीवाणुओं में उपस्थित रहते हैं। सन् 1963 में ई. कोलाई (E.coli) से दो एन्जाइम पृथक् किये गये थे। ये जीवाणुभोजी की वृद्धि को रोक देते हैं। इनमें एक एन्जाइम DNA मेथिल समूह को जोड़ता है, जबकि दूसरा एन्जाइम DNA को काटता है। दूसरे एन्जाइम को प्रतिबन्धन एण्डोन्यूक्लिएज (Restriction endonuclease) कहते हैं। प्रतिबन्धन एण्डोन्यूक्लिऐजका उपयोग आनुवंशिक इंजीनियरिंग में DNA के पुनर्योगज अणु (Recombinant molecules of DNA) बनाने में किया जाता है जिसका निर्माण विभिन्न जीनोमों से प्राप्त DNA से मिलकर होता है।

प्रश्न 6.
अच्छी हवा व मिश्रण विशेषता के अतिरिक्त विलोडन हौज बायोरिऐक्टर में कौन-सी अन्य कम्पन्न फ्लास्क सुविधाएँ हैं ?
उत्तर
सभी पुनर्योगज प्रौद्योगिकियों का अंतिम उद्देश्य वांछित प्रोटीन का उत्पादन करना होता है। इसके लिये पुनर्योगज DNA के अभिव्यक्त होने की आवश्यकता होती है। बाहरी जीन उपयुक्त परिस्थितियों में अभिव्यक्त होती है। वांछित जीन को क्लोन करने पर लक्ष्य प्रोटीन की अभिव्यक्ति को प्रेरित करने वाली परिस्थितियों को अनुकूलतम बनाने के बाद इनका व्यापक स्तर पर उत्पादन किया जाता है।

उत्पादों की अधिक मात्रा में उत्पादन हेतु बायोरियेक्टर (Bioreactor) की सहायता ली जाती है। बायोरिएक्टर वांछित उत्पादन हेतु अनुकूलतम परिस्थितियाँ उपलब्ध कराती है। अनुकूलतम परिस्थितियों में तापमान, pH, क्रियाधार, लवण, विटामिन, ऑक्सीजन आदि आते हैं। विलोडन हौज बायोरिएक्टर में प्रक्षोभक तंत्र (Agitator system), O2, प्रदाय तंत्र, झाग नियंत्रण तंत्र, तापक्रम तंत्र, पी.एच नियंत्रण तंत्र व प्रतिचयन प्रहार (Sampling ports) लगा होता है जिससे संवर्धन की थोड़ी मात्रा समय-समय पर निकाली जा सकती है।

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प्रश्न 7.
शिक्षक से परामर्श कर पाँच पैलिंड्रोमिक अनुप्रयास करना होगा कि क्षार युग्मक नियमों का पालन करते हुए पैलिंड्रोमिक अनुक्रम बनाने के उदाहरण का पता लगाइए।”
उत्तर
प्रत्येक सीमाकारी एन्जाइम, DNA स्ट्रेण्ड के विशिष्ट 4 से 6 न्यूक्लियोटाइड क्षार अनुक्रम को पहचानता है। इस क्रम को अभिज्ञेय स्थल (Recognition site) या पैलिन्ड्रोम (Palindrome) कहते हैं। पैलिन्ड्रोम वे शब्द होते हैं जिन्हे बांये से दांये अथवा दांये से बांये पढ़ने पर एक समान नजर आते हैं जैसे
MOM, BOB, MADAM, MALAYALAM

परन्तु शब्द पैलिन्ड्रोम और DNA पैलिन्ड्रोम में अंतर है। DNA में पैलिन्ड्रोम क्षारक युग्मों का एक ऐसा अनुक्रम होता है जो पढ़ने के अभिविन्यास को समान रखने पर दोनों लड़ियों में एक जैसा पढ़ा जाता है। उदाहरणार्थ-निम्न अनुक्रमों को 5’→ 3′ दिशा में पढ़ने पर दोनों लड़ियों में एक जैसा पढ़ा जायेगा। यदि इसे 3′ → 5′ दिशा में पढ़ा जाए तब भी यह बात सही बैठती है|

5′-GAATTC -3′
3′ – CTTAAG -5′

प्रतिबंधन एन्जाइम DNA लड़ी को पैलिन्ड्रोम स्थल के केन्द्र से कुछ दूरी पर परन्तु विपरीत लड़ियों में दो समान क्षारकों के बीच काटते हैं । यहाँ पांच पैलिन्ड्रोम क्षारकों के क्रम का उदाहरण दिया जा रहा है-
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प्रश्न 8.
अर्धसूत्री विभाजन को ध्यान में रखते हुए क्या आप बता सकते हैं कि पुनर्योगज DNA किस अवस्था में बनते हैं ?
उत्तर
प्रथम अर्धसूत्री विभाजन की प्रथम पूर्वावस्था (Ist prophase) की उप-अवस्था जाइगोटीन (Zygotene) में समजात गुणसूत्र जोड़े बनते हैं। इसे सूत्र युग्मक (Synapsis) कहते हैं । पैकिटीन (Pachytene) उप-अवस्था में सूत्रयुग्मक सम्मिश्र (Synaptonemal complex) में एक या अधिक स्थानों पर गोल सूक्ष्म घुण्डियां दिखाई देने लगती हैं, इन्हें पुनर्संयोजन घुण्डियां (Recombination nodule) कहते हैं। समजात गुणसूत्रों के परस्पर जुड़े क्रोमेटिड्स (Chromatids) के मध्य एक या अधिक खण्डों की पारस्परिक अदला बदली को पारगमन कहते हैं। इससे ही समजात पुनर्संयोजित DNA(Recombinant DNA) बन जाता है। पुनर्संयोजन घुण्डियां उन स्थानों पर बनती हैं जहाँ पर पारगमन हेतु क्रोमेटिड्स के टुकड़े टूट कर पुन: जुड़ते हैं।

प्रश्न 9.
क्या आप बता सकते हैं कि प्रतिवेदक (रिपोर्टर) एन्जाइम को वरणयोग्य चिन्ह की उपस्थिति में बाहरी DNA को परपोषी कोशिकाओं में स्थानान्तरण के लिये मॉनीटर करने के लिये किस प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है ? ।
उत्तर
DNA द्वारा आदाता (ग्राही) कोशिका में प्रवेश करने का कार्य तभी किया जाता है जब आदाता कोशिका अपने चारों ओर स्थित DNA को धारण करने में सक्षम हो जाती है। यह कार्य अनेक विधियों के द्वारा किया जाता है । यदि पुनर्योगज DNA को जिसमें प्रतिजैविक, जैसे-ऐम्पिसिलिन के प्रति प्रतिरोधी जीन स्थित होती है, ई. कोलाई (E.coli) कोशिकाओं में स्थानान्तरित किया जाए तो परपोषी कोशिकाएँ प्रतिरोधी कोशिकाओं में रूपान्तरित हो जाती है।

यदि रूपान्तरित कोशिकाओं को अगार युक्त प्लेट पर फैलाया जाता है तो केवल कुछ रूपान्तरित कोशिकाएँ ही विकसित हो पाती है, जबकि अरूपान्तरित आदाता कोशिकाओं की मृत्यु हो जाती है। प्रतिरोधी जीन के कारण कोई भी ऐम्पिसिलिन की उपस्थिति में रूपान्तरित कोशिका का चयन कर सकता है। ऐसे प्रक्रम में प्रतिरोधी जीन को वरणयोग्य चिन्हक कहते हैं।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित का संक्षिप्त वर्णन कीजिए
(क) प्रतिकृतियन का उद्भव
(ख) बायोरिएक्टर
(ग) अनुप्रवाह संसाधन।
उत्तर
(क) प्रतिकृतियन का उद्भव-यह वह अनुक्रम है जहाँ से प्रतिकृतियन की शुरूआत होती है और जब कोई डी.एन.ए. का कोई खंड इस अनुक्रम से जुड़ जाता है तब परपोषी कोशिकाओं के अंदर – प्रतिकृति कर सकता है। यह अनुक्रम जोड़े गए डी.एन.ए. के प्रतिरूपों की संख्या के नियंत्रण के लिए भी उत्तरदायी है। इसलिए यदि कोई लक्ष्य डी.एन.ए. की काफी संख्या प्राप्त करना चाहता है तो इसे ऐसे संवाहक में क्लोन करना चाहिए जिसका मूल (Ori) अत्यधिक प्रतिरूप बनाने में सहयोग करता है।

(ख) बायोरिएक्टर-बायोरिएक्टर एक बर्तन के समान है, जिसमें सूक्ष्मजीवों, पौधों, जंतुओं व मानव कोशिकाओं का उपयोग करते हुए कच्चे माल को जैव रूप से विशिष्ट उत्पादों व्यष्टि एंजाइम आदि में परिवर्तित किया जाता है। बायोरिएक्टर वांछित उत्पाद पाने के लिए, अनुकूलतम परिस्थितियाँ उपलब्ध करता है । वृद्धि के लिए ये अनुकूलतम परिस्थितियाँ हैं तापमान, pH, क्रियाधार, लवण, विटामिन, ऑक्सीजन । जो बायोरिएक्टर में सामान्यतया सर्वाधिक उपयोग में लार,ता है वह विलोडन (स्टिरिंग) प्रकार का है जिसे चित्र में दर्शाया गया है।

विलोडित हौज रिएक्टर सामान्यतया बेलनाकार होते हैं या जिनके आधार घुमावदार होने से रिएक्टर के अंदर अंतर्वस्तु के मिश्रण में सहायता मिलती है। विलोडक बायोरिएक्टर में ऑक्सीजन उपलब्धता व उसके मिश्रण का काम करते हैं । विकल्पतः हवा बुलबुले के रूप में बायोरिएक्टर में भेजी जा सकती है। रिएक्टर में एक प्रक्षोभक यंत्र (एजिटेटर सिस्टम), ऑक्सीजन प्रदाय तंत्र, झाग नियंत्रण तंत्र, तापक्रम नियंत्रण तंत्र, पीएच नियंत्रण तंत्र व प्रति चयन प्रद्वार लगा होता है जिससे संवर्धन की थोड़ी मात्रा समय-समय पर निकाली जा सकती है।
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(ग) अनुप्रवाह संसाधन-जैव संश्लेषित अवस्था के पूर्ण होने के बाद परिष्कृत तैयार होने व विपणन के लिए भेजे जाने से पहले कई प्रक्रमों से होकर गुजरता है। इन प्रक्रमों में पृथक्करण कशोधन सम्मिलित है और इसे सामूहिक रूप से अनुप्रवाह संसाधन कहते हैं । उत्पाद को उचित परिरक्षक के साथ संरूपित करते हैं औषधि के मामले में ऐसे संरूपण (फॉर्मुलेशन) की चिकित्सीय परीक्षण से गुजारते है। प्रत्येक उत्पाद के लिए सुनिश्चित गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण की भी आवश्यकता होती है। अनुप्रवाह संसाधन व गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण प्रत्येक उत्पाद के लिए भिन्न-भिन्न होती है।

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प्रश्न 11.
संक्षेप में बताइए
(क) पी.सी.आर.,
(ख) प्रतिबंधन एंजाइम और डी.एन.ए.,
(ग) काइटिनेज।
उत्तर
(क) पी.सी.आर.- पी.सी.आर. का अर्थ पॉलिमरेज चेन रिऐक्शन (पॉलिमरेज शृंखला अभिक्रिया) है। इस अभिक्रिया में उपक्रमकों (प्राइमर्स-छोटे रासायनिक संश्लेषित अल्प न्यूक्लियोटाइड जो डी.एन.ए. क्षेत्र के पूरक होते हैं) के दो समुच्चयों (सेट्स) व डी.एन.ए. पॉलिमरेज एंजाइम का उपयोग करते हुए पात्रे (इन विट्रो) विधि द्वारा उपयोगी जीन के कई प्रतिकृतियों का संश्लेषण होता है। यह एंजाइम जिनोमिक डी.एन.ए. को टेंपलेट के रूप में लेकर अभिक्रिया से मिलने वाले न्यूक्लियोटाइडों का उपयोग करते हुए उपक्रमकों को विस्तृत कर देता है। यदि डीएनए प्रतिकृतयेन प्रक्रम कई बार दोहराया जाता है तब डीएनए खंड को लगभग एक अरब गुना प्रवर्धित किया जा सकता है।

(ख) प्रतिबंधन एंजाइम और डी.एन.ए.-आणविक कैंची कहे जाने वाले प्रतिबंधन एंजाइम (रिस्ट्रिक्शन एंजाइम) की खोज से डी.एन.ए. को विशिष्ट जगहों पर काटना संभव हो सका। कटे हुए डी.एन.ए. का भाग प्लाज्मिड डी.एन.ए. से जोड़ा जाता है। यह प्लाज्मिड डी.एन.ए. संवाहक (वेक्टर) की तरह कार्य करता है जो इससे जुड़े डी.एन.ए. को स्थानांतरित करता है। प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीन को संवाहक के साथ जोड़ने का काम एंजाइम डीएनए लाइगेज के द्वारा होता है जो डी.एन.ए. अणु के कटे हुए भाग पर कार्य कर उसके किनारों को जोड़ने का काम करता है ।

इस संयोजन से पात्रे (इन विट्रो) नये गोलाकार स्वतः प्रतिकृति बनाने वाले डी.एन.ए. का निर्माण होता है जिसे पुनर्योगज डी.एन.ए. कहते हैं। जब यह डी.एन.ए. इंश्चिरिचिया कोलाई में स्थानांतरित किया जाता है तो यह नए परपोषी के डी.एन.ए. पॉलिमरेज एंजाइम का उपयोग कर अनेक प्रतिकृतियाँ बना लेता है। प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीन की प्रति का ई. कोलाई का गुणन, ई. कोलाई में प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीन की क्लोनिंग कहलाती है।

(ग) काइटिनेज-काइटिनेज एक प्रकार का एंजाइम है।

प्रश्न 12.
अपने अध्यापक से चर्चा करके पता लगाइए कि निम्नलिखित के बीच कैसे भेद करेंगे

(क) प्लाज्मिड DNA और गुणसूत्रीय DNA
(ख) RNA और DNA
(ग) एक्सोन्यूक्लिएज और एंडोन्यूक्लिएज।
उत्तर
(क) प्लाज्मिड DNA और गुणसूत्रीय DNA (Plasmid DNA and Chromosomal DNA)
प्लाज्मिड अतिरिक्त गुणसूत्रीय रचनाएँ होती हैं जो जीवाणुओं के अन्दर स्वतः गुणित होती रहती है। इनका DNA दो सूत्रों का बना, प्रायः गोलाकार (Circular) होता है। इन पर अन्य जीनों के अतिरिक्त प्लाज्मिड की प्रतिकृति करने वाले जीन भी पाये जाते हैं। पुनर्योगज DNA तकनीक में प्रयुक्त प्लाज्मिड में प्रतिजैविक रोधिता वाले जीन भी होते हैं जिनसे पुनर्योगज DNA अणुओं की पहचान सम्भव हो पाती है।

गुणसूत्रों में उपस्थित DNA गुणसूत्रीय DNA होता है। यह भी दो सूत्रों का होता है परन्तु गोलाकार नहीं होता तथा कोशिका के केन्द्रक में होता है। इसमें प्रतिजैविक रोधिता वाले जीन नहीं होते हैं । यह प्लाज्मिड DNA की तुलना में अधिक लम्बा तथा अधिक न्यूक्लियोटाइड युक्त होता है।

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(ख) DNA तथा RNA में अन्तरDNA
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(ग) एक्सोन्यूक्लिएज और एंडोन्यूक्लिएज (Exonuclease and Endonuclease)एक्सोन्यूक्लिएज-ये DNA के सिरे से न्यूक्लियोटाइड को अलग करते हैं। एन्डोन्यूक्लिएज-ये DNA के भीतर विशिष्ट स्थलों पर काटते हैं। प्रत्येक प्रतिबंधन एन्डोन्यूक्लिऐज DNA अनुक्रम की लम्बाई के निरीक्षण पश्चात् कार्य करता है । जब यह अपना विशिष्ट पहचान अनुक्रम पा जाता है तब यह DNA से जुड़ता है तथा द्विकुंडलिनी की दोनों लड़ियों को शर्करा-फॉस्फेट आधार स्तम्भों के विशिष्ट केन्द्रों पर काटता है।

जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
कृत्रिम रूप से जीन की प्रकृति में परिवर्तन करना कहलाता है
(a) जीन परिचालन
(b) जीन हेर-फेर
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(c) (a) एवं (b) दोनों

प्रश्न 2.
D.N.A. पुनर्योगज तकनीक का आविष्कार कब किया गया
(a) सन् 1971
(b) सन् 1972
(c) सन् 1973
(d) सन् 1974.
उत्तर
(b) सन् 1972

प्रश्न 3.
एच. हैरिस व जे. एफ. वाटकिन्स द्वारा D.N.A. पुनर्योजन की कौन-सी विधि दी गयी थी
(a) रूपान्तरण
(b) पराक्रमण
(c) क्लोनिंग
(d) प्रोटोप्लास्ट संलयन।
उत्तर
(d) प्रोटोप्लास्ट संलयन।

प्रश्न 4.
कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने एक कृत्रिम जीन बनाया जिसकी क्षमता थी
(a) कृत्रिम इन्सुलिन बनाने की
(b) कृत्रिम जीन पैदा करने की
(c) कीड़ों का प्रकोप नहीं होने की
(d) पोषक खाद्य उत्पादन करने की।
उत्तर
(a) कृत्रिम इन्सुलिन बनाने की

प्रश्न 5.
विशिष्ट जीन के समान जीन प्राप्त करना कहलाता है
(a) जीव क्लोनिंग
(b) जीन क्लोनिंग
(c) D.N.A. क्लोनिंग
(d) R.N.A. क्लोनिंग।
उत्तर
(b) जीन क्लोनिंग

प्रश्न 6.
पादपों में कायिक संवर्धन द्वारा उत्पादित संततियों को कहते हैं
(a) कैलस
(b) अंडाणु
(c) क्लोन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(c) क्लोन

प्रश्न 7.
आनुवंशिक अभियांत्रिकी में ‘आण्विक कैंची’ की तरह उपयोग किया जाता है
(a) DNA पॉलीमरेज
(b) DNA लाइगेज
(c) हेलिकेज
(d) रेस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लिएज।
उत्तर
(d) रेस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लिएज।

प्रश्न 8.
लक्ष्य ऊतक (Target tissue) में ट्रांसजीन की ट्रांसजेनिक अभिव्यक्ति निर्धारित होती है
(a) इन्हान्स द्वारा
(b) रिपोर्टर द्वारा
(c) प्रमोटर द्वारा
(d) ट्रांसजीन द्वारा।
उत्तर
(b) रिपोर्टर द्वारा

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प्रश्न 9.
प्रथम प्रतिबंधन एण्डोन्यूक्लिएज निम्न में कौन-सा पहचाना गया
(a) EcoRI
(b)Hind II
(c) Hind III
(d) TaqI
उत्तर
(b)Hind II

प्रश्न 10.
pBR322 वाहक में किसके प्रति प्रतिरोधी जीन होती है
(a) एम्पीसिलिन
(b) टेट्रासाइक्लिन
(c) उपर्युक्त दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(c) उपर्युक्त दोनों

प्रश्न 11.
एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसिएंस का DNA खण्ड (t-DNA) सामान्य पौधों की कोशिकाओं में क्या रोग उत्पन्न करता है
(a) कैंसर
(b) अपघटन
(c) अर्बुद
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(c) अर्बुद

2.  रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. D.N.A. में संचित सूचना के संचरण तथा फिर से प्रकट होने एवं लक्षणों के बनने को ………….
कहते हैं।
2. ……………. मानव निर्मित इन्सुलिन है।
3. क्लोनिंग से …………….. वाले जीन भी उत्पन्न हो जाने की संभावना होती है।
4. वाहक का …………….. एवं …………….. आसान होना चाहिए।
5. आनुवंशिक इंजीनियरिंग से ऐसे जीव भी उत्पादित किये जा सकते हैं जिनका …………. सर्वथा नया हो।
6. …… जीन वाहक का कार्य करता है।
उत्तर

  1. भावाकृति
  2. ह्यूम्यूलिन
  3. अवांछित गुणों
  4. विलगन, शुद्धिकरण
  5. जीन प्रारूप
  6. Ti प्लाज्मिड।

3. सही जोड़ी बनाइए

‘A’ -‘B’

1. इन्सुलिन – (a) डी.एन.ए. में सकारात्मक परिवर्तन
2. जीन बैंक – (b) मानव जीनोम प्रायोजना
3. जीन अभियांत्रिकी – (c) जीन अभियांत्रिकी
4. जीनोमिकी – (d) ज्ञात D.N.A. संरक्षण
उत्तर
1. (c), 2. (d), 3. (a), 4. (b).

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. उस पादप का नाम बताइये जिसके DNA में न्यूक्लियोटाइड्स का क्रम सर्वप्रथम पढ़ा गया।
2. किसी जीनोम का संरचनात्मक तथा क्रियात्मक पक्ष का अध्ययन ।
3. उस वैज्ञानिक का नाम बताइये जिन्होंने DNA फिंगरप्रिंटिंग की आधारशिला रखी।
4. समान न्यूक्लियोटाइड क्रम के खण्डों वाला DNA
5. ऐसा जीव जिसमें दूसरे स्रोत (जीव) के जीन को प्रवेशित कराया गया है।
6. CCMB कहाँ स्थित है ?
7. प्रथम जन्तु क्लोन का नाम बताइये।
8. वह चिकित्सा पद्धति जिसके द्वारा किसी जीव में गड़बड़ी वाले जीन को सही जीन द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है।
9. विषाणुओं को नष्ट करने वाला जैव अणु जो मनुष्य में विषाणु प्रतिरोधकता उत्पन्न करता है।
10. Ti प्लाज्मिड का स्रोत।
उत्तर

  1. एरेबिडोप्सिस
  2. जीनोमिक्स
  3. एलेक जेफरी
  4. रिपिटीटिव DNA
  5. ट्रांसजेनिक
  6. हैदराबाद
  7. डॉली (भेड़)
  8. जीन थेरैपी
  9. इन्टरफेरॉन
  10. एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमिफेसिएन्स।

जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लक्ष्य जीन को पृथक करने के लिए कौन-से एन्जाइम की आवश्यकता होती है ?
उत्तर
लक्ष्य जीन को पृथक् करने के लिए प्रतिबन्धन एण्डोन्यूक्लिएज एन्जाइम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
कौन-सा DNA पॉलीमरेज उच्च ताप पर भी सक्रिय रहता है ?
उत्तर
टेक (Taq) DNA पॉलीमरेज उच्च ताप पर भी सक्रिय रहता है।

प्रश्न 3.
किन्ही तीन प्रतिबंधन एण्डोन्यूक्लिएज एन्जाइमों के नाम लिखिए।
उत्तर

  • EcoRI
  • Hind II
  • Hind III.

प्रश्न 4.
PCR का पूर्ण नाम लिखिए। इसमें कौन-सा एन्जाइम प्रयुक्त होता है ?
उत्तर
पॉलिमरेज श्रृंखला अभिक्रिया (Polymerase Chain Reaction) इसमें टेक (Taq) DNA पॉलमरेज एन्जाइम प्रयुक्त होता है।

प्रश्न 5.
जीवाणुभोजी (Bacteriophage) किसे कहते हैं ?
उत्तर
जीवाणुओं को संक्रमित करने वाले विषाणु को जीवाणुभोजी कहते हैं।

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प्रश्न 6.
प्रथम पुनर्योगज DNA का निर्माण किसमें हुआ था ?
उत्तर
जीवाणु सालमोनेला टाइफीयूरिम में।

प्रश्न 7.
आण्विक कैंची किसे कहते हैं ?
उत्तर
प्रतिबंधन एन्जाइम (Restriction Enzyme) को आण्विक कैंची कहते हैं।

प्रश्न 8.
हिंड II (Hind II) DNA अणु को कहाँ से काटता है ?
उत्तर
हिंड II, DNA अणु को उस विशेष बिन्दु पर काटते हैं जहाँ पर छ: क्षारक युग्मों (Base pairs) का विशेष अनुक्रम होता है।

प्रश्न 9.
चिपचिपे सिरे किस एन्जाइम के कार्य में सहायता करते हैं ?
उत्तर
एन्जाइम DNA लाइगेज के कार्य में सहायता प्रदान करता है।

प्रश्न 10.
DNA खण्ड किस प्रकार के आवेशित अणु होते हैं ?
उत्तर
ऋणात्मक आवेशित (Charged) होते हैं।

प्रश्न 11.
इलेक्ट्रोफोरेसिस में DNA को देखने के लिये किससे अभिरंजित किया जाता है ?
उत्तर
इथीडियम ब्रोमाइड नामक यौगिक से अभिरंजित करते हैं।

प्रश्न 12.
इलेक्ट्रोफोरेसिस में क्या होता है ?
उत्तर
DNA खण्ड का पृथक्करण एवं विलगन।

प्रश्न 13.
जीवाणु कोशिका में मिलने वाले वर्तुल DNA का प्रमुख कार्य बताइये।
उत्तर
यह संवाहक (वेक्टर) की तरह कार्य करता है।

प्रश्न 14.
उस तकनीक का नाम लिखिए, जिसके द्वारा DNA खण्डों को अलग कर सकते हैं ?
उत्तर
जैव वैद्युत कण संचलन (Electrophoresis)।

प्रश्न 15.
प्लाज्मिड pBR322 में पाये जाने वाले दो प्रतिजैविक प्रतिरोधी जीन के नाम लिखिये ?
उत्तर
एम्पिसिलिन व टेट्रासाइक्लीन ।

जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिक अभियांत्रिकी किसे कहते हैं ?
उत्तर
DNA या आनुवंशिक पदार्थ की संरचना में आवश्यकतानुसार हेर-फेर करने की क्रिया को आनुवंशिक अभियान्त्रिकी कहते हैं।

प्रश्न 2.
आनुवंशिक अभियांत्रिकी के दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर
उद्देश्य-

  • जीन की संरचना में इच्छित परिवर्तन करना।
  • आनुवंशिक विकृतियों को ठीक करना।

प्रश्न 3.
बैक्टीरियोफेज क्या है ?
उत्तर
बैक्टीरियोफेज जीवाणु कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रकार का परजीवी विषाणु है, जिसका शरीर दो भागों-सिर एवं पूँछ का बना होता है। इसके सिर में आनुवंशिक पदार्थ के रूप DNA पाया जाता है। आनुवंशिक अभियान्त्रिकी में इसका बहुत अधिक महत्व है।

प्रश्न 4.
रेस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लिएज क्या है ?
उत्तर
रेस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लिएज, न्यूक्लिएज समूह का एन्जाइम है। यह नाभिकीय अम्लों विशेषकर DNA को विशिष्ट स्थान पर काटने का कार्य करता है।

प्रश्न 5.
वाहक क्या है ?
उत्तर
DNA पुनर्योजन तकनीक में विदेशज जीन (Foreign DNA) को अपने साथ इच्छित स्थल तक लाने वाले DNA खण्ड को वाहक (Vector) कहते हैं।

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प्रश्न 6.
वाहक के चार लक्षण लिखिये।
उत्तर
वाहक के लक्षण-

  • स्व-द्विगुणन की क्षमता होनी चाहिए।
  • इसका विलगन एवं शुद्धिकरण आसान होना चाहिए।
  • अणुभार कम होने चाहिए ताकि इस पर बड़े DNA अथवा जीन को जोड़ा जा सके।
  • पोषक कोशिका (Host Cell) के अन्दर इसका विनिष्टिकरण (Degradation) नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 7.
प्लाज्मिड किसे कहते हैं ?
उत्तर
प्लाज्मिड्स बाह्य नाभिकीय (Extra nuclear) स्वत: द्विगुणित होने वाले (Self replicating), सहसंयोजी रूप से बन्द (Covalently Closed), वलयाकार, द्विसूत्री DNA अणु हैं, जो कि प्रायः सभी जीवाणु कोशिकाओं में पाये जाते हैं।

प्रश्न 8.
DNA लाइगेज क्या होता है ?
उत्तर
DNA लाइगेज एक विशिष्ट प्रकार का एन्जाइम होता है, जो दो DNA खण्डों को आपस में या DNA अणु के टूट-फूट वाले स्थल को जोड़ने का कार्य करता है।

प्रश्न 9.
c-DNA किसे कहते हैं ?
उत्तर
जीवन कोशिका में पुनर्योजित DNA का द्विगुणन से प्राप्त प्रतिलिपियों को क्लोन्ड या पुंजीकृत DNA (c-DNA) कहा जाता है।

प्रश्न 10.
Ti प्लाज्मिड क्या है ?
उत्तर
ऐग्रोबैक्टीरियम ट्यूमीफेसिएन्स (Agrobacterium tumifaciens) नामक जीवाणु में पाये जाने वाले विशिष्ट प्लाज्मिड जो कि द्विबीजपत्री पौधों में संक्रमण पश्चात् ट्यूमर निर्माण को अभिप्रेरित करता है, Ti प्लाज्मिड कहलाता है। यह जीन अभियांत्रिकी में वाहक का भी कार्य करता है।

प्रश्न 11.
विश्व के पहले जन्तु क्लोन का नाम बताइए।
उत्तर
विश्व में पहला जन्तु क्लोन भेड़ का उत्पन्न कराया गया, जिसका नाम डॉली रखा गया है।

प्रश्न 12.
कृत्रिम रूप से DNA संश्लेषण की विधि को खोजने वाले वैज्ञानिकों के नाम बताइए।
उत्तर
कृत्रिम रूप से DNA संश्लेषण की विधि के खोज का श्रेय डॉ. हरगोबिन्द खुराना, एम. नीरेनबर्ग एवं आर. हौली को दिया जाता है, जिसके लिए इन तीनों वैज्ञानिकों को एक साथ सन् 1968 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रश्न 13.
जीन मैनीपुलेशन या जेनेटिक इन्जीनियरिंग को समझाइए।
उत्तर
वैज्ञानिक द्वारा DNA या आनुवंशिक पदार्थ की संरचना में आवश्यकतानुसार हेर-फेर करने को जीन मैनीपुलेशन या जेनेटिक इन्जीनियरिंग कहते हैं। आनुवंशिक पदार्थ का कृत्रिम संश्लेषण दो अलग-अलग जीनों के DNA खण्डों को जोड़कर नया DNA बनाना, DNA की मरम्मत, DNA से कुछ न्यूक्लियोटाइड को हटाकर या जोड़कर या विस्थापित करके इच्छित संरचना वाले नये DNA अणुओं का संश्लेषण करके जीन क्रिया का नियन्त्रण करना तथा जीवधारियों में इच्छित गुणों का समावेश करना जेनेटिक इन्जीनियरिंग का मुख्य उद्देश्य है। आनुवंशिकी की यह शाखा अभी अपने शैशव काल में है।

उम्मीद की जाती है कि इस विधि के द्वारा आनुवंशिक वैज्ञानिक जीन की संरचना में सुधार करके अथवा विकृत जीन को सामान्य जीन द्वारा विस्थापित करके आनुवंशिक रोगों से मानव जाति को मुक्ति दिला सकेंगे अथवा मानव द्वारा उपयोग में आने वाले पादपों व जन्तुओं की नस्लों का सुधार कर सकेंगे। आनुवंशिक पदार्थ के संगठन में हेर-फेर, DNA की संरचना का ज्ञान एक अत्याधुनिक तकनीक के विकास के कारण सम्भव हो सकता है। इनको रिकॉम्बिनेन्ट DNA तकनीकी कहते है

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प्रश्न 14.
फसल सुधार में आनुवंशिक इंजीनियरिंग के तीन उपयोग लिखिए।
उत्तर-
फसल सुधार में आनुवंशिक इंजीनियरिंग के उपयोग

  • धान्यों में स्वयं नाइट्रोजन स्थिरीकरण गुण पैदा करने के प्रयास में काफी सफलता मिली है।
  • पौधों की जंगली प्रजातियों से जीनों को प्राप्त कर उन्हें फसली पौधों में स्थानांतरण कर उनमें परजीवियों तथा.कीड़े-मकोड़ों के प्रति प्रतिरोधकता पैदा करने के भी प्रयास किये जा रहे हैं।
  • केन्द्रकीय एवं हरितलवक जीन्स को पुन: समायोजित कर फसली पौधों की प्रकाश-संश्लेषण करने की क्षमता बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके अलावा C3,पौधों को C4 पौधों में परिवर्तित करने के प्रयास में भी इस तकनीक द्वारा आशान्वित सफलता मिली है।

प्रश्न 15.
जीन क्लोनिंग के उपयोग लिखिये।
उत्तर
जीन क्लोनिंग के उपयोग-

  • किसी जीव के इच्छित जीनोटाइप को संरक्षित करने में।
  • उच्च गुणों वाले जीवों को सरलता से प्राप्त करने में।
  • विलुप्त हो रहे पादपों तथा जन्तुओं को संरक्षित करने में।
  • उपयोगी (दूध, प्रोटीन देने वाले) जंतुओं को पैदा करने में।
  • मानव अंग प्रत्यारोपण के लिये आनुवंशिक रूप से परिवर्तित पशुओं को पैदा करने में।

प्रश्न 16.
चिकित्सा के क्षेत्र में आनुवंशिक इंजीनियरिंग के कोई तीन उपयोग लिखिये।
उत्तर
चिकित्सा के क्षेत्र में आनुवंशिक इंजीनियरिंग के उपयोग-

  • गोइडल ने E.coli के D.N.A. में इस हॉर्मोन के जीन को निवेशित कर माध्यम से मनुष्य के वृद्धि हॉर्मोन का संश्लेषण कराया।
  • हिपैटाइटिस B एक संदूषित जीन के कारण होता है, इसे प्रतिस्थापित कर वैज्ञानिकों ने इस रोग का इलाज ढूँढ लिया है।
  • कृत्रिम जीन निर्माण द्वारा (जीन संवर्द्धन तकनीक) मानव इंसुलिन मधुमेह की बीमारी को दूर करने के लिये तैयार करना।

प्रश्न 17.
जीन्स बैंक से आप क्या समझते हैं ? इसका क्या महत्व है ?
उत्तर
जीन्स को जीवों के अथवा संश्लेषित अवस्था में संरक्षित करने वाली संस्था या स्थान को जीन बैंक कहते हैं। इसके अन्तर्गत जीवों की कोशिकाओं में पाये जाने वाले आनुवंशिक पदार्थ (DNA) का संरक्षण किया जाता है। इसका सबसे पहला उपाय यह है कि दुर्लभ जीवों को संरक्षित रखा जाये। दूसरे उपाय के अन्तर्गत जीवों की कोशिकाओं या ऊतकों को सुरक्षित रखा जाता है। महत्व-जीन्स बैंक में जीनों को संरक्षित रखकर इनके द्वारा नयी उन्नतशील जातियों को तैयार किया जाता है तथा उन पर अनेक वैज्ञानिक परीक्षण भी किये जा सकते हैं।

प्रश्न 18.
आनुवंशिक इन्जीनियरिंग की महत्ता एवं उसके तीन उपयोग लिखिए।
उत्तर
मनुष्य को जैव-तकनीक तथा आनुवंशिक इन्जीनियरिंग के द्वारा कई उपयोगी एवं महत्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त हुई हैं। ऐसा लगता है कि इसकी सहायता से सुजननिकी के क्षेत्र में कई विचार जो अब तक कल्पनामयी लगते थे, निकट भविष्य में वास्तविकता में बदल जायेंगे। आनुवंशिक इन्जीनियरिंग के उपयोगअनुप्रयोज्यता की दृष्टि से आनुवंशिक इन्जीनियरिंग हमें निम्नलिखित लाभदायक तथा हानिकारक परिणाम देती है

प्रश्न 19.
जीन क्लोनिंग से क्या समझते हैं ? इसका क्या महत्व है ?
अथवा
जीन क्लोनिंग क्या है ? दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर
जीन क्लोनिंग, पुनर्संयोजित DNA खण्डों को प्राप्त करने या तैयार करने की एक विधि है, जिसमें विदलित DNA (Cleaved DNA) अणु को विषाणु DNA या प्लाज्मिड DNA के साथ सम्बन्धित करते हैं और फिर विषाणु अथवा जीवाणु द्विगुणन कराके इससे सम्बन्धित DNA की प्रतिलिपियाँ तैयार करते हैं। इस प्रकार से प्राप्त सम्बन्धित DNA की प्रतियों जो पुनर्संयोजित DNA के गुणन से बनती हैं, क्लोन्ड DNA कहते हैं तथा यह तकनीक जीन क्लोनिंग कहलाती है।

महत्व-

  • इसके द्वारा उपयोगी आनुवंशिक गुणों को प्राप्त किया जा सकता है।
  • इस तकनीक के द्वारा कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
  • इस तकनीक के द्वारा कई दवाइयों का संश्लेषण किया जा सकता है।
  • इसका उपयोग सुजननिकी में किया जा सकता है।

जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आनुवंशिक इंजीनियरिंग की अनुप्रयोज्यता का वर्णन कीजिए।
अथवा
आनुवंशिक इंजीनियरिंग का औद्योगिक एवं चिकित्सा क्षेत्र में योगदान लिखिए।
अथवा
जीन अभियांत्रिकी के लाभदायक तथा हानिकारक प्रभावों को लिखिये।
अथवा
आनुवंशिक इंजीनियरिंग के तीन महत्व लिखिये।
अथवा
जीन आनुवंशिक अभियांत्रिकी किसे कहते हैं ? औद्योगिक एवं चिकित्सा के क्षेत्र में इसका महत्व लिखिए।
उत्तर
अनुप्रयोज्यता की दृष्टि से आनुवंशिक इन्जीनियरिंग हमें निम्नलिखित लाभदायक तथा हानिकारक परिणाम देती है

(A) लाभदायक प्रभाव

1. औद्योगिक उपयोग-उच्च वर्गों के जीवों के विटामिन प्रतिजैविक या हॉर्मोन्स के जीन का कोड करके तथा इनके संश्लेषित DNA को जीवाणुओं में पुन:स्थापित करके विटामिन्स, हॉर्मोन्स आदि यौगिकों को औद्योगिक स्तर पर संश्लेषण किया जाना सम्भव हुआ है। इस विधि से मानव इन्सुलिन का Humulin नाम से जैव-संश्लेषण किया गया है।

2.चिकित्सीय उपयोग-नयी दवाइयों का जैव स्तर पर संश्लेषण तथा जीन चिकित्सा द्वारा हीमोफीलिया, फीनाइलकीटोन्यूरिया आदि वंशागत रोगों का उपचार किया जाना सम्भव हुआ है।

3. कृषि क्षेत्र में उपयोग-जीवाणु अथवा नीले-हरे शैवाल से नाइट्रोजन यौगिकीकरण करने वाले जीनों का अनाज वाली फसलों में स्थानान्तरण करने हेतु प्रयोग जारी है, जिससे हमारी फसलें पर्यावरण से नाइट्रोजन का सीधा प्रयोग कर सकेंगी और हमें कृषि में कृत्रिम उर्वरक के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहेगी।

4. जीन संरचना अभिव्यक्ति में परिवर्तन-इस तकनीक द्वारा इच्छानुसार नये-नये प्रकार के जीवों तथा वनस्पतियों का निर्माण सम्भव हो सकेगा।

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(B) हानिकारक प्रभाव-

  • रोगाणु ऐण्टिबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी हो सकते हैं।
  • आंत में पाये जाने वाले जीवाणु कैन्सर कारक हो सकते हैं।
  • सामान्य वाइरस से अत्यधिक खतरनाक वाइरस का निर्माण हो सकता है।

प्रश्न 2.
पुनर्संयोजन DNA तकनीक के महत्व एवं उपयोग को लिखिए।
अथवा
आनुवंशिक अभियांत्रिकी की महत्ता एवं अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर
जीन क्लोनिंग या पुनर्योगज DNA तकनीक जैविक विज्ञान (Biological sciences) के सभी क्षेत्रों में अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हुआ है। इस तकनीक के प्रमुख महत्व एवं उपयोग निम्नानुसार हैं

  • पुनर्योगज DNA तकनीक या जीन क्लोनिंग के द्वारा हमें वांछित गुणों वाले जीनों को अन्य जन्तु व पौधों में प्रत्यारोपित करके इनकी अच्छी किस्में तैयार करने में सफलता प्राप्त हुई है।
  • इस तकनीक के द्वारा आनुवंशिक रोगों का भ्रूणीय अवस्था में ही पता लगाया जा सकता है।
  • rec-DNA तकनीक की सहायता से DNA/ जीन के क्रमीकरण (Sequencing of DNA/ Gene) में सहायता मिली है।
  • इस तकनीक की सहायता से विभिन्न प्रकार की पुनर्योगज वैक्सीनों (Recombinant vaccine) का विकास किया जाता है। उदाहरण-हिपैटाइटिस-B वैक्सीन।
  • इसकी सहायता से जीन क्रिया नियमन के अध्ययन में सुविधा हुई है।
  • इस तकनीक के द्वारा ही विभिन्न प्रकार की प्रोटीन्स जैसे-इन्सुलिन, हॉर्मोन्स, इण्टरफेरॉन्स एवं विटामिनों का औद्योगिक स्तर पर निर्माण जीवाणुओं द्वारा संभव हुआ है।
  • इस तकनीक के द्वारा उत्कृष्ट किस्म के प्रतिजैविकों का उत्पादन किया जाता है।
  • हीमोफिलिक मनुष्यों में VIII C (ऐण्टिहीमोफिलिक ग्लोब्यूलिन) का अभाव होता है। यह फैक्टर रक्त के थक्का बनाने (Blood clotting) का कार्य करता है। इसके जीन की क्लोनिंग के फलस्वरूप उपयुक्त मात्रा में VIII C कारक का उत्पादन संभव हो गया है।

प्रश्न 3.
पुनर्संयोजन DNA क्या है ? इसके निर्माण के चरणों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
जीन मैनीपुलेशन या जेनेटिक इंजीनियरिंग को समझाइये।
अथवा
डी. एन. ए. पुनर्योगज तकनीक क्या है ?
अथवा
रिकॉम्बिनेन्ट D.N.A. तकनीक के विभिन्न चरणों में लिखिये।
अथवा
D.N.A. पुनर्योगज तकनीक क्या है ? इस तकनीक के उपकरण का नाम लिखिये। (कोई चार)
उत्तर
किसी जीव के जीनोम में वांछित लक्षणों वाले जीनों को प्रविष्ट कराकर एक नये प्रकार के DNA को बनाना DNA पुनर्संयोजन तकनीक कहलाती है तथा इस प्रकार बने DNA को पुनर्संयोजन DNA या पुनर्योगज DNA कहते हैं। पुनर्योगज DNA तकनीक का उपयोग करके किसी जीव के आनुवंशिक संगठन में परिवर्तन करने की तकनीक को जीन तकनीक या जीन प्रौद्योगिकी (Gene technology) कहते हैं।

पुनर्योगज या पुनर्संयोजन DNA तकनीक के विभिन्न चरण-पुनर्योगज DNA तकनीक एक जटिल प्रक्रिया है, जो कि निम्नलिखित चरणों में पूर्ण की जाती है

  1. विदेशज (Foreign) या टारगेट DNA का चयन जिसकी क्लोनिंग करनी होती है।
  2. प्लाज्मिड या लैम्डा फेज या कॉस्मिड में से किसी एक का वाहक अर्थात् वेक्टर के रूप में चयन।
  3. फॉरेन DNA को वेक्टर DNA के साथ जोड़ना अर्थात् पुनर्योगज. DNA का निर्माण।
  4. पोषक कोशिका में पुनर्योगज DNA का स्थानान्तरण।
  5. रूपान्तरित कोशिकाओं का चयन। जीन पुनर्संयोजन तकनीक द्वारा इन्सुलिन जीन का जीवाणु में प्रवेश की प्रक्रिया का चित्रात्मक निरूपण द्वारा इसके विभिन्न चरणों को प्रदर्शित किया जा रहा है।

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 11 जैव प्रौद्योगिकी-सिद्धान्त व प्रक्रम 7
प्रश्न 4.
मानव इन्सुलिन के उत्पादन में आनुवंशिक इन्जीनियरिंग के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर
अलरिच तथा उनके सहयोगियों (Ulrich at, 1977) ने चूहे में इन्सुलिन बनाने वाले जीन को निष्कर्षित कर ई. कोलाई जीवाणु में स्थानान्तरित करने में सफलता पायी। इन लोगों ने चूहे से विशुद्ध m-RNA को निकाला तथा उससे रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एन्जाइम की सक्रियता से DNA का संश्लेषण किया। इस इन्सुलिन संश्लेषण से सम्बन्धित DNA को प्लाज्मिड DNA के साथ एन्डोन्यूक्लिएज तथा लाइगेज के साथ जोड़कर पुनर्योगज DNA का निर्माण किया। इस पुनर्योगज DNA को ई. कोलाई के 1776 विभेद के Ex 2 होस्ट (पोषक) में स्थानान्तरित कर चूहे के इन्सुलिन DNA को क्लोन किया। नये वातावरण में इन जीन के ट्रांसलेशन (अनुलिपिकरण या अनुवादन) से जैविक रूप से सक्रिय इन्सुलिन का उत्पादन होता है।

नोट-बैक्टीरियोफेज जीवाणु कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रकार का परजीवी विषाणु है, जिसका शरीर दो भागों-सिर एवं पूँछ का बना होता है। इसके सिर में आनुवंशिक पदार्थ के रूप DNA पाया जाता है। आनुवंशिक अभियान्त्रिकी में इसका बहुत अधिक महत्व है।

प्रश्न 5.
क्लोन किसे कहते हैं ? जीन एवं पादप क्लोन किस प्रकार तैयार किये जाते हैं समझाइये?
उत्तर
अलैंगिक विधि द्वारा उत्पन्न आनुवंशिक रूप से समान जीवों को क्लोन कहते हैं। जीन एवं पादप क्लोन निम्नानुसार तैयार किये जाते हैं

1. जीन क्लोनिंग (Gene cloning)-विशिष्ट जीन के समान जीन प्राप्त करना जीन क्लोनिंग कहलाता है। क्लोन प्राप्त करने वाले DNA खण्ड को पहले वाहक DNA में प्रवेश कराया जाता है। उसके बाद यह वाहक DNA पोषक कोशिका में डाला जाता है जहाँ पर इसके जीन क्लोन प्राप्त होते हैं । जीवाणुओं के माध्यम से जीन क्लोनिंग में निम्न चरण पाये जाते हैं.

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(i) जीन का निर्माण (Preparation of the gene)-जीवाणु द्वारा जीन क्लोनिंग के लिए DNA को प्रकिण्व एण्डोन्यूक्लिएज की सहायता से छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल लेते हैं। प्रत्येक खण्ड एकहरा शीर्षयुक्त होता है।

(ii) वाहक में प्रवेश कराना (Insertion into vector)—वाहक एक ऐसा प्रतिनिधि (Agent) है जिसका उपयोग DNA को पोषक जीवाणु कोशिका के प्लाज्मिड तक पहुँचाने के लिए किया जाता है। वाहक (Vector) DNA को एण्डोन्यूक्लिएज की सहायता से खोलते हैं। DNA लाइगेज प्रकिण्व की सहायता से DNA खण्ड वेक्टर के प्लाज्मिड या गुणसूत्र (DNA) से जोड़ देते हैं। अब DNA खण्डयुक्त प्लाज्मिड को पुनर्संयोजित प्लाज्मिड कहते हैं।

(iii) पोषक कोशिका का पुनर्निर्माण (Transformation of host cell)—संयुक्त प्लाज्मिड को पोषक जीवाणु कोशिका के अन्दर प्रवेश कराते हैं जहाँ पर जीवाणु कोशिका द्वारा प्लाज्मिड का निर्माण किया जाता है। इन जीवाणुओं को कैल्सियम क्लोराइड के तनु एवं ठण्डे विलयन में रखते हैं। यह विलयन जीवाणु कोशिका द्वारा विदेशी DNA को ग्रहण करने में मदद करता है।

इस प्रकार से DNA के पुनर्निर्माण के लिए E. coli नामक जीवाणु का उपयोग किया जाता है क्योंकि

  • इसका विस्तृत रूप से अध्ययन किया जा चुका है।
  • कैल्सियम क्लोराइड द्वारा उपचारित इस जीवाणु की कोशिका में DNA पुनर्निर्माण तीव्रता से होता है।
  • यह जीवाणु लगभग सभी प्रकार के DNA का अनुलिपिकरण कर सकता है।
    इस प्रकार प्राप्त DNA की अनुकृतियों को जीन बैंक या जीनोमिक लाइब्रेरी में रखा जाता है।

2. पादप क्लोनिंग (Plant cloning)—कायिक प्रवर्धन द्वारा उत्पादित सन्ततियों को क्लोन कहते हैं वर्तमान युग में ऊतक संवर्धन तकनीक द्वारा पौधों के क्लोन तैयार किये जाते हैं। इस कार्य हेतु पौधे के भाग (एक्सप्लाण्ट) का चयन करके उसे एक कृत्रिम संवर्धन माध्यम में उगाया जाता है। संवर्धन माध्यम में सर्वप्रथम कोशिकाओं का एक असंगठित एवं अविभाजित समूह बनता है जिसे कैलस (Callus) कहते हैं । इस कैलस के टुकड़ों को अब हॉर्मोन युक्त अन्य संवर्धन माध्यम में उगाया जाता है जिससे छोटे-छोटे पौधे बनते हैं । इन पौधों को अब खेतों/क्यारियों में रोपित किया जाता है।

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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव

मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जीवाणुओं को नग्न नेत्रों द्वारा नहीं देखा जा सकता, लेकिन सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा जा सकता है। यदि आपको अपने घर से अपनी जीव विज्ञान प्रयोगशाला तक एक नमूना ले जाना हो . और सूक्ष्मदर्शी की सहायता से इस नमूने से सूक्ष्मदर्शी की उपस्थिति को प्रदर्शित करना हो, तो किस प्रकार का नमूना आप अपने साथ ले जायेंगे और क्यों?
उत्तर
यदि हमको अपने घर से जीव विज्ञान प्रयोगशाला तक सूक्ष्मजीव का नमूना ले जाकर सूक्ष्मदर्शी में अवलोकन करना हो तो हम एक सड़ी (खराब) ब्रेड का टुकड़ा अथवा थोड़ी मात्रा में दही ले जायेंगे। क्योंकि ये दोनों चीजें आसानी से उपलब्ध हैं और इनमें सूक्ष्मजीव आसानी से दिखाई दे जाते हैं। सूक्ष्मजीव लैक्टोबेसीलसया अन्य लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया (L.A.B.) दूध में वृद्धि कर उसे दही में परिवर्तित करते हैं। इसी प्रकार ब्रेड पर दिखाई पड़ने वाला हरा रंग कवक (fungi) होता है, इसके बीज (spore) वायु में उपस्थित रहते हैं तथा खाद्य पदार्थ में वृद्धि करते रहते हैं।

प्रश्न 2.
उपापचय के दौरान सूक्ष्मजीव गैसों का निष्कासन करते हैं, उदाहरण द्वारा सिद्ध कीजिए।
उत्तर
डोसा व इडली (Dosa and Idli) निर्माण दाल-चावल के आटे को गीला कर जीवाणु द्वारा किण्वित कराने के उपरांत होता है। किण्वन के कारण आटे में से CO2, निकलती है। इस क्रिया को खमीर उठाना कहा जाता है । इस क्रिया के बाद आटा ढीला व मुलायम तथा फूली हुई आकृति वाला बन जाता है । इस आटे के द्वारा डोसा व इडली बनाया जाता है।

स्विस चीज (Swiss cheese) में पाये जाने वाले बड़े-बड़े छिद्र प्रोपिओनिबैक्टीरियम शारमैनाई नामक जीवाणु द्वारा अधिक मात्रा में उत्पन्न CO2, के कारण होते हैं। रॉक्यूफोर्ट चीज़ एक विशेष प्रकार के कवक पेनीसीलियम रॉक्वीफोर्टी (Penicillium roqueforti) की सहायता से तैयार किया जाता है। इस प्रकार के पनीर में विशिष्ट सुगंध होती है।।

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प्रश्न 3.
किस भोजन (आहार) में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया मिलते हैं ? इनके कुछ लाभप्रद उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
दही (Curd) इसे दूध में जीवाणुओं के द्वारा किण्वन क्रिया के फलस्वरूप प्राप्त किया जाता है। दूध से दही के निर्माण में भाग लेने वाले जीवाणु लैक्टिक एसिड जीवाणु (Lactic acid bacteria-LAB.) होते हैं।

इन जीवाणुओं में लैक्टोबैसीलस एसीडोफिलस (Lactobacillus acidphilous), लै.लैक्टिस (L. Lactis) व स्ट्रेप्टोकोकस लैक्टिस (Streptococcus lactis) होते हैं। ये जीवाणु लैक्टिक अम्ल का उत्पादन करते हैं जो 45° से कम तापक्रम पर दुग्ध प्रोटीन को स्कंदित तथा आंशिक रूप से बचा देते हैं । आरंभ में दही को थोड़ी मात्रा में जामन (निवेश द्रव्य) के रूप में हल्के गर्म दूध में मिलायी जाती है।

इस जामन में असंख्य लैक्टिक एसिड जीवाणु होते हैं जो उपयुक्त ताप पर कई गुना वृद्धि करते हैं जिसके फलस्वरूप दूध दही में परिवर्तित हो जाता है। यही नहीं इसमें Vit. B12 की मात्रा बढ़ने से पोषण संबंधी गुणवत्ता में भी सुधार आता है।

दध से दही बनते समय लैक्टोबेसीलसलैक्टोज शर्करा को किण्वित कर लैक्टिक अम्ल में बदलते हैं तो स्ट्रेप्टोकोकस कैसीन प्रोटीन (दुग्ध प्रोटीन) को स्कंदित करते हैं। हल्के गर्म दूध में जामन डालने के पश्चात् लगभग 5 घण्टे में दही का निर्माण हो जाता है।

प्रश्न 4.
कुछ पारंपरिक आहार जो गेहूँ, चावल तथा चना (अथवा उनके उत्पाद) से बनते हैं और उनमें सूक्ष्मजीवों का उपयोग शामिल हो, उनके नाम बताइए।
उत्तर
बहुत से पारंपरिक भारतीय आहार है जो गेहूँ, चावल तथा चना से बनते हैं और उनमें सूक्ष्मजीवों का प्रयोग शामिल होता है उनके नाम इस प्रकार हैं दही, पनीर, चीज़, डोसा, इडली, कुछ भारतीय ब्रेड जैसे-भटूरा दक्षिण भारत के कुछ भागों में एक पारंपरिक पेय टोडी है।

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प्रश्न 5.
हानिप्रद जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न करने वाले रोगों के नियंत्रण में सूक्ष्मजीव किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ?
उत्तर
सबसे पहले प्रतिजैविक पेनिसिलीन (Penicillin) की खोज हुई थी। सन् 1928 में अलेक्जेण्डर फ्लेमिंग (Alexander fleming) ने खोजा था। अलेक्जेण्डर फ्लेमिंग जब स्टेफिलोकोकस(Staphylococcus) नामक जीवाणु पर कार्य कर रहे थे तब उन्होंने देखा कि जिन प्लेटों पर वह कार्य कर रहे थे उनमें एक बिना धुली प्लेट पर मोल्ड (Moulds) उत्पन्न हो गये हैं, इस कारण स्टैफिलोकोकस वृद्धि नहीं कर सका। उन्होंने पाया कि यह प्रभाव मोल्ड द्वारा उत्पन्न एक रसायन पेनिसिलीन द्वारा होता है। क्योंकि पेनिसिलीन पेनिसिलियम नोटेटम (Penicillium notatum) नामक मोल्ड से उत्पन्न होता है। इसी कारण इसका नाम उन्होंने पेनिसिलीन रखा।

पेनिसिलीन की खोज के बाद अनेक प्रतिजैविक जैसे टेट्रासाइक्लिन, कैनामाइसिन, नियोमाइसीन, ल्यूकोमाइसीन आदि को पृथक किया जा चुका है। इनका प्रयोग जीवाणु, कवक, विषाणु तथा अन्य सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। प्लेग, काली खाँसी, डिफ्थीरिया (गलघोंटू) लेप्रोसी (कुष्ठ रोग) जैसे भयानक रोग जिनसे संसार के लाखों लोग मरे हैं, इसके उपचार के लिए एंटीबायोटिक ने हमारी क्षमता में वृद्धि किया तथा एक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है।

प्रश्न 6.
किन्हीं दो कवक प्रजातियों के नाम लिखिए, जिनका प्रयोग प्रतिजैविकों(एंटीबायोटिक्स) के उत्पादन में किया जाता है ?
उत्तर
पेनीसिलिन, पेनीसिलियम नोटेटमसे तथा पेनीसिलीन क्रासोजिनम नामक मोल्ड से उत्पन्न होता है।

प्रश्न 7.
वाहित मल से आप क्या समझते हैं, वाहित मल हमारे लिए किस प्रकार से हानिप्रद है ?
उत्तर
प्रतिदिन नगर एवं शहरों से व्यर्थ-जल की एक बहुत बड़ी मात्रा जनित होती है। इस व्यर्थ जल का प्रमुख घटक मनुष्य का मलमूत्र है। नगर के इस व्यर्थ जल को वाहित मल (सीवेज) भी कहते हैं। इसमें कार्बनिक पदार्थों की बड़ी मात्रा तथा सूक्ष्मजीव पाये जाते हैं जो अधिकांशतः रोगजनकीय होते हैं।

प्रश्न 8.
प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहित मल उपचार के बीच पाए जाने वाले मुख्य अंतर कौन से
उत्तर
प्राथमिक तथा द्वितीयक वाहित मल उपचार में अंतर
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प्रश्न 9.
सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है यदि हाँ तो किस प्रकार से ? इस पर विचार कीजिए।
उत्तर
हाँ, सूक्ष्मजीवों का प्रयोग ऊर्जा के स्रोतों के रूप में भी किया जा सकता है। बायो गैस एक प्रकार से गैसों का मिश्रण है जो सूक्ष्मजीवों की सक्रियता द्वारा उत्पन्न होती है। वृद्धि तथा उपापचय के दौरान सूक्ष्मजीव विभिन्न किस्मों के गैसीय उत्पाद उत्पन्न करते हैं। जैसे-मीथेन, हाइड्रोजन सल्फाइड तथा CO2, I ये गैसें बायोगैस का निर्माण करती हैं। चूँकि ये ज्वलनशील होती हैं, इस कारण इनका प्रयोग ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जा सकता है । बायो गैस को सामान्यत: गोबर गैस भी कहते हैं।

प्रश्न 10.
सूक्ष्मजीवों का प्रयोग रसायन उर्वरकों तथा पीड़कनाशियों के प्रयोग को कम करने के लिए भी किया जा सकता है। यह किस प्रकार सम्पन्न होगा ? व्याख्या कीजिये।
उत्तर
सहसंबंध द्वारा (By correlation)-उच्च पौधों की जड़ों तथा कवकों के सह-संबंध को माइकोराइजा (Mycorrhiza) कहते हैं। माइकोराइजा का निर्माण ग्लोमस (glomus) वंश के अनेक सदस्यों द्वारा होता है। कवक मृदा में उपस्थित फॉस्फोरस का अवशोषण करके पादपों को देते हैं तथा पौधे की जड़ इन्हें पनपने का स्थान तथा भोजन प्रदान करती है। इसके उदाहरण ओक (oak), बीच (beech), तथा अनेक पाइन (pines), पादप हैं ।

इस प्रकार के संबंधों से पादप को अनेक लाभ होते हैं जैसे मूलवातोढ़ (root born), रोगजनक के प्रति प्रतिरोधकता, लवणता तथा सूखे के प्रति सहनशीलता एवं विकास प्रदर्शित करते हैं। . सायनोबैक्टीरिया स्वपोषित सूक्ष्मजीव है जो जलीय तथा स्थलीय वायुमण्डल में विस्तृत रूप से पाये जाते हैं। इनमें बहुत-से जीव वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत करते हैं, जैसे- एनाबीना, नॉस्टॉक, ऑसिलेटोरिया आदि । नील-हरित शैवाल या सायनोबैक्टीरिया महत्वपूर्ण जैव उर्वरक हैं। ये मृदा में कार्बनिक पदार्थों को बढ़ाते हैं जिससे मृदा की उर्वरता बढ़ती है। वर्तमान में किसान इन्हीं जैव उर्वरकों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं।

प्रश्न 11.
जल के तीन नमूने लो-एक नदी का जल, दूसरा अनुपचारित वाहित मल-जल तथा तीसरा वाहित मल उपचार संयंत्र से निकला द्वितीयक बहिःस्राव। इन तीनों नमूनों पर “अ”तथा “ब”, “स” के लेबल लगाओ। इस बारे में प्रयोगशाला कर्मचारी को पता नहीं है कि कौन-सा क्या है ? इन तीनों नमूनों “अ”, “ब” तथा “स” के बी. ओ. डी. का रिकार्ड किया गया जो क्रमश: 20mg/L,8mg/L तथा 400mg/L निकला। इन नमूनों में कौन-सा सबसे अधिक प्रदूषित नमूना है ? इस तथ्य को सामने रखते हुए कि नदी का जल अपेक्षाकृत अधिक स्वच्छ है। क्या आप सही लेबल का प्रयोग कर सकते हैं?
उत्तर
बी. ओ. डी. ऑक्सीजन की उस मात्रा को संदर्भित करता है जो जीवाणु द्वारा एक लीटर पानी में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों की खपत कर उन्हें ऑक्सीकृत कर दें। वाहित मल का तब तक उपचार किया जाता है जब तक बी. ओ. डी. घट न जाए । जल के एक नमूने में सूक्ष्मजीवियों द्वारा ऑक्सीजन के उद्ग्रहण की दर का मापन बी. ओ. डी. परीक्षण से किया जाता है, अत: अप्रत्यक्ष रूप से जल में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों का मापन ही बी. ओ. डी. है। जब व्यर्थ जल का बी. ओ. डी. अधिक होगा, तब उसकी प्रदूषण क्षमता भी अधिक होगी।

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दिए गए जल के तीन नमूनों में से नदी के जल का बी. ओ. डी. ।

(अ) 20mg/L है, अनुपचारित वाहित मल-जल का बी. ओ. डी.।
(ब) 8mg/L तथा द्वितीयक बहि:स्राव के जल का बी.ओ.डी.।
(स) 400mg/L है।

सही लेबल इस प्रकार है

(अ) नदी का जल (स्वच्छ जल)।
(ब) द्वितीयक बहि:स्राव (उपचारित वाहित मल)।
(स) दूसरा अनुपचारित (वाहित मल-जल)।

प्रश्न 12.
उस सूक्ष्मजीव का नाम बताइए जिसमें साइक्लोस्पोरिन-ए( प्रतिरक्षा निषेधात्मक औषधि) तथा स्टैटिन (रक्त कोलेस्ट्रॉल लघुकरण कारक) को प्राप्त किया जाता है। .
उत्तर
साइक्लोस्पोरिन-ए जिसका प्रयोग अंग प्रतिरोपण में प्रतिरक्षा निरोधक (इम्यूनोसप्रेसिव) के रूप में रोगियों में किया जाता है। इसका उत्पादन ट्राइकोडर्मा पॉलीस्पोरम नामक कवक से किया जाता है। मोनोस्कस परप्यूरीअस यीस्ट से स्टैटिन उत्पन्न किया जाता है । इस स्टैटिन का व्यापारिक स्तर पर उपरोक्त रक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाले कारक के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में सूक्ष्मजीवियों की भूमिका का पता लगाइए तथा अपने अध्यापक से इनके विषय में विचार-विमर्श कीजिए
(1) एकल कोशिका प्रोटीन (एस.सी.पी.)
(2) मृदा।
उत्तर
(1) एकल कोशिका प्रोटीन (एस.सी.पी.)-पशु तथा मानव पोषण के लिए प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोतों में से एक एकल कोशिका प्रोटीन है। सूक्ष्मजीवों को प्रोटीन के अच्छे स्रोत के रूप में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है वास्तव में, अधिकांश लोगों द्वारा मशरूम भोजन के रूप में खाए जाने लगे हैं। अत: बड़े पैमाने में मशरूम संवर्धन एक प्रकार से बढ़ता हुआ उद्योग है।

जिससे अब विश्वास होने लगा है कि सूक्ष्मजीव आहार के रूप में स्वीकार्य हो जायेंगे। सूक्ष्मजीवी स्पाइरूलाइना में प्रोटीन, खनिज, वसा, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन प्रचुर मात्रा में विद्यमान हैं । इसका उपयोग पर्यावरणीय प्रदूषण को भी कम करता है । सूक्ष्मजीव जैसे मिथाइलोफिलस मिथाइलोट्रोपस की वृद्धि तथा बायोमास उत्पादन की उच्च दर से संभावित 25 टन तक प्रोटीन उत्पन्न कर सकते हैं।

(2) मृदा-जैव उर्वरक एक प्रकार के जीव है, जो मृदा की पोषक गुणवत्ता को बढ़ाते हैं । जैव उर्वरकों का मुख्य स्रोत जीवाणु, कवक तथा सायनोबैक्टीरिया होते हैं । लेग्यूमिनस पादपों की जड़ों पर स्थित ग्रंथियों का निर्माण राइजोबियम के सहजीवी संबंध द्वारा होता है। यह जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर कार्बनिक रूप में परिवर्तित कर देते हैं । पादप इसका उपयोग पोषकों के रूप में करते हैं। यह भी वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते हैं। इस प्रकार मृदा में नाइट्रोजन अवयव बढ़ जाते हैं।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित को घटते क्रम में मानव समाज कल्याण के प्रति उनके महत्व के अनुसार संयोजित करें, महत्वपूर्ण पदार्थ को पहले रखते हुए कारणों सहित अपना उत्तर लिखिए बायो गैस, सिट्रिक एसिड, पेनीसिलिन तथा दही।
उत्तर
दी गई सूची में सबसे महत्वपूर्ण पदार्थ पेनीसिलीन है क्योंकि यह मानव सभ्यता के कल्याण हेतु महत्वपूर्ण है। यह कई जानलेवा बीमारियों को ठीक करता है। इसके बाद सूची में बायोगैस का नंबर आता है क्योंकि यह ईंधन का स्रोत है। इसके बाद दही का स्थान आता है क्योंकि यह हमें पोषक दुग्ध उत्पाद प्रदान करता है। अंत में सिट्रिक एसिड आता है, क्योंकि इसका उपयोग प्रोसेसिंग उद्योग में किया जाता है।

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प्रश्न 15.
जैव उर्वरक किस प्रकार से मृदा की उर्वरता को बढ़ाते हैं ?
उत्तर
जैव उर्वरक एक प्रकार के जीव हैं जो मृदा की पोषक गुणवत्ता को बढ़ाते हैं । जैव उर्वरकों का मुख्य स्रोत कवक, जीवाणु तथा सायनोबैक्टीरिया होते हैं। यह जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिरीकृत कर कार्बनिक रूप में परिवर्तित कर देते हैं। दूसरे जीवाणु ऐजोस्पाइरिलम तथा ऐजोबैक्टर भी वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को स्थिर कर सकते हैं । धान के खेत में सायनोबैक्टीरिया महत्वपूर्ण जैव उर्वरक की भूमिका निभाते हैं। नील-हरित शैवाल भी मृदा में कार्बनिक पदार्थ बढ़ा देते हैं, जिससे उसकी उर्वरता बढ़ जाती है।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव 2

मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
मढ़े जैसा एक खट्टा तरल दुग्ध उत्पाद है
(a) पनीर
(b) दही
(c) योगर्ट
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(c) योगर्ट

प्रश्न 2.
क्लॉस्ट्रिडियम, एजोटोबैक्टर, राइजोबियम भूमि की उर्वरा शक्ति किसके द्वारा बढ़ाते हैं
(a) नाइट्रोजन स्थिरीकरण से
(b) विनाइट्रोजनीकरण से
(c) इमल्सीफिकेशन से
(d) विटामिन से।
उत्तर
(a) नाइट्रोजन स्थिरीकरण से

प्रश्न 3.
टेट्रासाइक्लिन प्राप्त किया जाता है
(a) स्ट्रे. रेमोसस से
(b) स्ट्रे. ऑरियोफैसिएन्स से
(c) स्ट्रे. फ्रेडी से
(d) स्टे. नोडोसमसे।
उत्तर
(b) स्ट्रे. ऑरियोफैसिएन्स से

प्रश्न 4.
स्ट्रेप्टोमाइसेज ओलिवेसियम एवं बैसिलस मेगाथीरियम से प्राप्त किया जाता है
(a) विटामिन C
(b) विटामिन D
(c) विटामिन E
(d) विटामिन B12
उत्तर
(d) विटामिन B12

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प्रश्न 5.
न्यूमोनिया, टी. बी. व कोढ़ के उपचार के लिये उपयोग किया जाता है
(a) जीवाणुभोजियों का
(b) केवल जीवाणु का
(c) केवल विषाणु का
(d) कवकों का।
उत्तर
(a) जीवाणुभोजियों का

प्रश्न 6.
जैव तकनीकी एवं सूक्ष्मजैविकी में विषाणुओं का उपयोग किया जाता है
(a) दवाई के रूप में
(b) वेक्टर के रूप में
(c) जल उपचार में
(d) तीनों क्षेत्र में।
उत्तर
(b) वेक्टर के रूप में

प्रश्न 7.
बेकरी में रोटी, बिस्कुट व अन्य उत्पाद को प्राप्त करने में उपयोगी है
(a) विषाणु
(b) जीवाणु
(c) यीस्ट
(d) प्रोटोजोअन।
उत्तर
(c) यीस्ट

प्रश्न 8.
यीस्ट में कौन-सा विटामिन पाया जाता है
(a) C
(b)D
(c)B complex
(d)A.
उत्तर
(c)B complex

प्रश्न 9.
स्ट्रे. रेमोसस से कौन-सी औषधि प्राप्त करते हैं
(a) टेरामाइसिन
(b) निओमाइसिन
(c) इरिथ्रोमाइसिन
(d) ऐक्टिडीन।
उत्तर
(a) टेरामाइसिन

प्रश्न 10.
नाइट्रोसोमोनास एवं नाइट्रोबैक्टर जीवाणु है
(a) डीनाइट्रीफाइंग
(b) नाइट्रीफाइंग
(c) एसीटोबैक्टर
(d) हॉर्मोन प्रोड्यूसर
उत्तर
(b) नाइट्रीफाइंग

प्रश्न 11.
लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया द्वारा दूध से दही में परिवर्तन करने में किस विटामिन की मात्रा में वृद्धि होती है
(a) विटामिन C
(b) विटामिन D
(c) विटामिन B12
(d) विटामिन E
उत्तर
(c) विटामिन B12

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प्रश्न 12.
मीथेनोजेन निम्नलिखित में से किसमें नहीं पाये जाते हैं
(a) मवेशियों के मेन
(b) गोबर गैस संयंत्र
(c) पानी से भरे धान के खेत की तली पर
(d) सक्रियत आपंक में।
उत्तर
(c) पानी से भरे धान के खेत की तली पर

प्रश्न 13.
वाहित मल के प्राथमिक उपचार में जल किससे मुक्त होता है
(a) घुलित अशुद्धियाँ
(b) स्थिर कण
(c) विषैले पदार्थ
(d) हानिकारक जीवाणु।
उत्तर
(b) स्थिर कण

प्रश्न 14.
अपशिष्ट जल की B.O.D. निम्न में से किसकी मात्रा के आंकलन से जानी जाती है
(a) कुल कार्बनिक पदार्थ
(b) जैव अपघटनीय कार्बनिक पदार्थ
(c) ऑक्सीजन की मुक्ति
(d) ऑक्सीजन की खपत।
उत्तर
(d) ऑक्सीजन की खपत।

प्रश्न 15.
भारत में गौवंश के गोबर से बायो गैस उत्पादन की तकनीक प्रमुखतः किसके प्रयासों से विकसित की गई
(a) गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया
(b) तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग
(c) भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान तथा खादी एवं ग्राम उद्योग विभाग
(d) इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन।
उत्तर
(c) भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान तथा खादी एवं ग्राम उद्योग विभाग

प्रश्न 16.
मुक्तजीवी फंगस ट्राइकोडर्मा का प्रयोग किया जा सकता है
(a) कीटों को मारने में
(b) पादप रोगों के जैव नियंत्रण में
(c) बटर फ्लाई के कैटरपिलर के नियंत्रण में
(d) एंटीबायोटिक्स के निर्माण में।
उत्तर
(b) पादप रोगों के जैव नियंत्रण में

प्रश्न 17.
माइकोराइजा पोषक पौधों की किस कार्य में मदद नहीं करता
(a) इसकी फॉस्फोरस ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाने में
(b) इसकी शुष्कता ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाने में
(c) इसकी जड़ों की रोगजनकों के प्रति प्रतिरोधकता बढ़ाने में
(d) इसकी कीटों के लिए प्रतिरोधकता बढ़ाने में।
उत्तर
(a) इसकी फॉस्फोरस ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाने में

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत सूक्ष्म जीवों (आँखों से न दिखने वाले) का अध्ययन करते हैं, ………… कहलाता है।
2 पनीर बनाने के लिये ……….. वंश के जीवाणु का उपयोग किया जाता है।
3. नाइट्रोसोमोनास, नाइट्रोबैक्टर ………….. जीवाणु है।
4. सिरका उद्योग में ……….. जीवाणु का उपयोग होता है।
5. पेक्टिनेज एंजाइम …………. प्रजाति की सहायता से बनाते हैं।
6. सूक्ष्म जीवाणु का आकार …………. mm से कम होता है।
7. दही …………. जीवाणु की सहायता से बनाया जाता है।
8. दूध से चीज़ बनाते समय फलों की सुगंध डालने से बना पदार्थ …………. कहलाता है। .
9. दूध से सीधे बना छेना …………. छेना होता है।
10. कवकरोधी जीवाण्विक प्रतिरक्षी पदार्थ …………. होता है।
उत्तर

  1. सूक्ष्मजैविकी
  2. लैक्टोबैसिलस
  3. नाइट्रीफाइंग
  4. एसीटोबैक्टर एसीटी
  5. क्लॉस्ट्रिडियम
  6. 0-1
  7. लैक्टोबैसिलस
  8. योगर्ट
  9. कच्चा
  10. पॉलीमिक्सिन।

3. सही जोड़ी बनाइये

I. ‘A’- ‘B’

1. पेनिसिलिन – (a) पे. सिट्रिनम
2 साइट्रिनिन – (b) पे. क्लेविफोर्मी
3. क्लैविसिन – (c) टाइकोडर्मा स्पी
4. ग्लियोटॉक्सिन – (d) पेनिसिलियम नोटेटम।
उत्तर
1.(d), 2. (a), 3. (b), 4. (c)

II. ‘A’ – ‘B’

1. विटामिन प्रोड्यूसर – (a) ऐस्परजिलस
2 प्रतिजैविक उत्पादक – (b) मोनैस्कस
3. हॉर्मोन उत्पादक – (c) यीस्ट
4. एंजाइम उत्पादक – (d) पेनिसिलियम
5. वर्णक उत्पादक – (e) जिबरेला फ्यूजिकोराई।
उत्तर
1.(c), 2. (d), 3.(e), 4. (a), 5. (b).

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III. ‘A’ – ‘B’

1. पेनिसिलिन – (a) स्ट्रेप्टोमाइसिस वेनक्यूली
2. क्लोरेमफिनीकाल – (b) स्ट्रेप्टोमाइसिस राइमोसस
3. टेरामाइसिन – (c) स्ट्रेप्टोमाइसिस ओरियोफेसियन्स
4. टेट्रासाइक्लिन – (d) पेनिसिलियम क्रासोजिनम।
उत्तर
1. (d), 2. (a), 3. (b), 4. (c).

प्रश्न 4.
एक शब्द में उत्तर दीजिए
1. मिट्टी में पाये जाने वाले दो नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणुओं के नाम बताइए।
2 सूक्ष्मजीवों द्वारा कीट / खरपतवार के नियंत्रण को क्या कहते हैं ?
3. सहजीवी एवं असहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणुओं के नाम बताइए।
4. IPM का पूरा नाम लिखिए।
5. पीड़कनाशी का नाम दीजिए।
6. फसल के साथ उगे अवांछित पौधे को क्या कहते हैं ?
उत्तर

  1. एजोटोबैक्टर, बैसिलस पॉलीमिक्सा
  2. जैविक नियंत्रण
  3. सहजीवी- राइजोबियम, असहजीवी– एजोटोबैक्टर
  4. इन्टीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट
  5. एजेडिरेक्टिन
  6. खरपतवार

मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रमुख उपयोगी सूक्ष्मजीवों के नाम लिखिए।
उत्तर
प्रमुख उपयोगी सूक्ष्मजीवों के नाम जीवाणु, कवक और विषाणु हैं।

प्रश्न 2.
जिबरेलिन नामक हॉर्मोन किस कवक से प्राप्त किया जाता है ?
उत्त
जिबरेलिन नामक हॉर्मोन जिबरेला फ्यूजिकोराई से प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 3.
डेयरी उद्योग में जीवाणु से कौन-कौन-से उत्पाद बनाए जाते हैं ?
उत्तर
डेयरी उद्योग में जीवाणुओं से दही, मक्खन, पनीर, मट्ठा एवं योगर्ट बनाए जाते हैं। इसके लिये लेक्टोबेसीलस स्पी. एवं स्ट्रेप्टोकोकस स्पी. आदि का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 4.
प्रतिजैविक किन सूक्ष्मजीवों से प्राप्त करते हैं ?
उत्तर
प्रतिजैविक मुख्यत: जीवाणु एवं कवक द्वारा प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 5.
सूक्ष्म जीव विज्ञान (सूक्ष्मजैविकी) किसे कहते हैं ?
उत्तर
सूक्ष्म जीव विज्ञान जीव विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत सूक्ष्मदर्शी से दिखाई देने वाले सूक्ष्मजीवों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित उत्पादन करने वाले कवक का नाम बताइए
(1) साइट्रिक अम्ल
(2) विटामिन B2,
उत्तर
उत्पाद का नाम – उत्पादन करने वाले कवक का नाम

  1. साइट्रिक अम्ल -पेनिसिलियम साइट्रियम, पेनिसिलियम ल्यूटियम, म्यूकर पाइरीफार्मिस एवं ऐस्परजिलस नाइगर।
  2. विटामिन B2 – क्लॉस्ट्रीडियम ऐसीटोन्यूटिलिकम, एरीमोथीसियम ऐस्बी।

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प्रश्न 7.
योगर्ट क्या है ?
उत्तर
योगर्ट एक दुग्ध उत्पाद है, जो मढे जैसा खट्टा तरल पदार्थ है।

प्रश्न 8.
बोतल में बंद गंगाजल बहुत अधिक समय तक रखने पर भी नहीं सड़ता। क्यों?
उत्तर
गंगा के जल में वर्षों से मृत शरीर तथा अन्य उत्सर्जी पदार्थों का विसर्जन किया जाता है, लेकिन जीवाणुभोजी की उपस्थिति के कारण यह जल बोतल में बहुत अधिक समय तक रखने पर भी नहीं सड़ता।

प्रश्न 9.
एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज किसने की?
उत्तर
एलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने।

प्रश्न 10.
पेनिसिलिन किस सूक्ष्मजीव/कवक से प्राप्त होता है ?
उत्तर
पेनिसिलियम नोटेटम (Penicillium notatum) से।

प्रश्न 11.
औद्योगिक रूप से सिट्रिक अम्ल बनाने में किस सूक्ष्मजीव का प्रयोग होता है ?
उत्तर
एस्परजिलस नाइगर (Aspergillus niger)।

प्रश्न 12.
किसी एक मीथेनोजेन जीवाणु का नाम लिखिए।
उत्तर
मीथेनोबैक्टीरियम प्रजाति (Methanobacterium sp.)

प्रश्न 13.
सीवेज ट्रीटमेन्ट में अवायवीय अवपंक (एनएरोबिक स्लज) में कौन से जीवाण पाये जाते हैं ?
उत्तर
मीथेनोजेन्स (Methanogens)

प्रश्न 14.
लेडीबर्ड क्या है ?
उत्तर
एक कीट है जिसको एफिड के नियंत्रण हेतु जैव नियंत्रक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 15.
IPM का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (Integrated Pest Management)।

प्रश्न 16.
एक स्वपोषी नाइट्रोजन स्थिरीकरणकर्ता सूक्ष्मजीव का नाम बताइये।
उत्तर
एनाबीना (Anabaena)

प्रश्न 17.
माइकोराइजा किस विशिष्ट खनिज का अवशोषण कर पौधों की जड़ों को देती है जो पौधा स्वयं अवशोषित नहीं कर पाता।
उत्तर
फॉस्फोरस।

प्रश्न 18.
दूध को दही में परिवर्तित करने वाले सूक्ष्मजीव का नाम बताइये।
उत्तर
लैक्टोबैसीलस प्रजाति (Lactobacillus spe.)

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प्रश्न 19.
जैव वैज्ञानिक नियंत्रण के तहत् कौन-से कवक का उपयोग पादप रोगों के उपचार में किया जाता है।
उत्तर
ट्राइकोडर्मा प्रजाति (Trichoderma spe.)

प्रश्न 20.
स्वीस पनीर बनाने के लिये किस जीवाणु का प्रयोग होता है।
उत्तर
प्रोपिओनीबैक्टीरियम शारमैनाई (Propionibacterium sharmanii)।

प्रश्न 21.
कौन-सा पनीर एक विशिष्ट कवक की वृद्धि से परिपक्व होता है।
उत्तर
रॉक्फोर्ट पनीर (Roquefort cheese)।

प्रश्न 22.
बिना आसवन के बनने वाले दो ऐल्कोहॉलिक पेयों के नाम लिखिए।
उत्तर
बियर (Beer) तथा वाइन (Wine)

प्रश्न 23.
किण्वित रस के आसवन से तैयार होने वाले दो ऐल्कोहॉलिक पेयों के नाम लिखिए।
उत्तर
व्हिस्की (Whisky) तथा रम (Rum)।

प्रश्न 24.
बी. ओ. डी. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
बायोकैमिकल या बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (Biochemical or biological Oxygen Demand)

प्रश्न 25.
उस जीवाणु का नाम बताइये जो मिट्टी के भीतर नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है ?
उत्तर
स्पाइरुलीना।

प्रश्न 26.
किसी ऐसे संक्रमणकारी कारक का नाम बताइये जिसमें न तो डी.एन.ए. होता है और न ही आर. एन. ए.
उत्तर
प्रियॉन (Prion)

मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पनीर क्या है ? इसे किस प्रकार तैयार किया जाता है ?
उत्तर
पनीर एक दुग्ध उत्पाद है, जिसमें 20 से 30% प्रोटीन होती है। दूध को साफ पतले कपड़े में छानकर 60°C पर 30 मिनट तक गर्म कर 15 सेकण्ड तक 75°C गर्म करते हैं। इसके पश्चात् इसे 30°C तापक्रम तक ठंडा करते हैं, इसमें लैक्टिक अम्ल जीवाणु स्ट्रेप्टोकोकस लैक्टिस, स्ट्रे. क्रिमोटिस तथा रेनिन एन्जाइम की थोड़ी सी मात्रा डालते हैं । इससे दूध से वसा एवं कैसीन प्रोटीन हट जाता है। दूध में उपस्थित कैसीन लगभग 45 मिनट में जमकर ठोस हो जाता है। छोटे-छोटे टुकड़े काटकर गर्म पानी में एक घंटा गर्म करते हैं, जब तैरने . लगे तो निकालकर निचोड़ते हैं। फिर नमक पानी में डुबाकर उपचारित कर लेते हैं। पनीर तैयार हो जाता है।

प्रश्न 2.
जीवाणु का कृषि क्षेत्र में क्या उपयोग है ?
उत्तर
जीवाणु का कृषि में उपयोग-कृषि के क्षेत्र में जीवाणु निम्न प्रकार से उपयोगी हैं

  • ये मृत जीवों का अपघटन करके भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।
  • ये भूमि में N2, स्थिरीकरण द्वारा इसकी उपजाऊ शक्ति में वृद्धि करते हैं।
  • नीले-हरे शैवालों का उपयोग उर्वरकों के रूप में किया जाता है।
  • ये पदार्थों के चक्रीयकरण में भाग लेकर भूमि में खनिज लवणों की मात्रा का नियंत्रण करते हैं।

प्रश्न 3.
सिरका उद्योग में किस तरह जीवाणुओं का प्रयोग होता है ?
उत्तर
सिरका उद्योग में शर्करा का किण्वन यीस्ट के द्वारा किया जाता है जिससे शराब तैयार की जाती है इस एथिल ऐल्कोहॉल को अधिक समय तक खुले हवा में छोड़ दें तो वह सिरके में बदल जाता है।
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प्रश्न 4.
प्रतिजैविक प्रदान करने वाले पाँच कवकों के नाम लिखिए।
उत्तर
कवकों के नाम जिनसे प्रतिजैविक औषधियाँ प्राप्त की जाती हैं, निम्नलिखित हैं
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 10 मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव 4

प्रश्न 5.
प्रतिजैविक पैदा करने वाले पाँच जीवाणुओं के नाम लिखिए।
उत्तर
प्रतिजैविक पैदा करने वाले पाँच जीवाणु
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मानव कल्याण में सूक्ष्मजीव दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवाणुओं के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग लिखिये।
उत्तर
जीवाणुओं के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग निम्नानुसार हैं

  • नाइट्रोजन स्थिरीकरण-कुछ जीवाणु जैसे-ऐजोटोबैक्टर तथा क्लॉस्ट्रिडियमनाइट्रोजन स्थिरीकरण द्वारा भूमि की उर्वर शक्ति को बढ़ाते हैं।
  • लैक्टिक अम्ल निर्माण-लैक्टोबैसिलस लैक्टाई जीवाणु दूध के लैक्टोज को लैक्टिक अम्ल (दही) में परिवर्तित कर देते हैं।
  • ऐसीटिक अम्ल निर्माण-ऐसीटोबैक्टर ऐसीटाई जीवाणु सिरका का निर्माण करता है।
  • रेशे की रेटिंग-कुछ जीवाणु जैसे- क्लॉस्ट्रिडियम ब्यूटीरियमपादप रेशों के उत्पादन में सहायता करते हैं।
  • तम्बाकू एवं चाय उद्योग-कुछ जीवाणु जैसे-माइकोकॉकस कॉण्डीसेन्सतम्बाकू एवं चाय की सीजनिंग करते हैं।
  • औषधि निर्माण-कुछ जीवाणु जैसे-स्ट्रेप्टोमाइसिस से प्रतिजैविक औषधियाँ प्राप्त होती हैं।
  • सहजीवी के रूप-कुछ जीवाणु हमारे शरीर में सहजीवी रूप (जैसे-इश्चिरीचिया कोलाई) में रहकर जैविक क्रिया में मदद करते हैं।

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प्रश्न 2.
विषाणु के अनुप्रयोग पर निबंध लिखिए।
उत्तर
विषाणुओं के अनुप्रयोग भिन्न क्षेत्रों में निम्नानुसार हैं

  • जैविक नियंत्रण में-जीवाणुभोजी विषाणुओं के द्वारा हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट किया जाता है अर्थात् यह जैव नियंत्रक के काम आता है।
  • रोगों के उपचार में-न्यूमोनिया, टी.बी., कोढ़ आदि के उपचार में जीवाणुभोजियों का उपयोग कर रोगजनक जीवाणुओं का भक्षण करवाया जाता है।
  • अंतरिक्ष सूक्ष्मजीव विज्ञान में-जीवाणुभोजियों के Lysogenic cultures Radiation detector के रूप में उपयोग आते हैं।
  • आनुवंशिकी अभियांत्रिकी में इसमें फेजेस का उपयोग आनुवंशिक पदार्थ को एक कोशिका से दूसरी कोशिका में स्थानांतरित करने में करते हैं।
  • प्रदूषित जल उपचार में-जीवाणुओं एवं अन्य सूक्ष्मजीवों द्वारा प्रदूषित जल के उपचार हेतु जीवाणुभोजी का उपयोग करते हैं। इसके अलावा भूमि की उर्वरता हेतु हानिकारक सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने में एवं अनुसंधान हेतु जीवाणुभोजी का प्रयोग वेक्टर के रूप में करते हैं।

प्रश्न 3.
विभिन्न क्षेत्रों में कवकों की उपयोगिता बताइए।
उत्तर
कवकों के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगिता निम्नलिखित हैं
(1) औषधि के रूप में अनेक प्रकार के ऐण्टिबायोटिक कवकों से प्राप्त किये जाते हैं, जैसे-पेनिसिलीन, पेनिसिलियम नोटेटम (Penicillium notatum) से प्राप्त किया जाता है।
(2) भूमि की उर्वरता-कवक कई सड़े-गले पदार्थों का अपघटन करके भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
(3) उद्योगों में-

  • बेकरी उद्योग में कुछ यीस्ट तथा दूसरे कवकों को आटा के साथ गूंथकर ब्रेड बनाई जाती है।
  • शराब उद्योग में-यीस्ट तथा दूसरे कवकों में जाइमेज तथा कई ऐसे ही एन्जाइम पाये जाते हैं, जिनकी सहायता से कार्बोहाइड्रेट्स युक्त पदार्थों का किण्वन करके शराब बनाई जाती है।
  • रासायनिक उद्योग में कई प्रकार के अम्लों तथा अन्य रासायनिक वस्तुओं का निर्माण कवकों की सहायता से किया जाता है, जैसे-साइट्रिक अम्ल को ऐस्परजिलस नाइगर (Aspergillus niger) की सहायता से प्राप्त किया जाता है।
  • पनीर उद्योग में-पनीर निर्माण के समय इनका उपयोग किण्वन कारक के रूप में किया जाता है।
  • प्रकीण्व बनाने में-ऐमाइलेज ऐस्परजिलस तथा जाइमेज यीस्ट से प्राप्त किया जाता है।

(4) नाइट्रोजन स्थिरीकरण-कई कवक जैसे-रोडोटुरुला (Rodotounula) नाइट्रोजन स्थिरीकरण द्वारा भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
(5) हॉर्मोन निर्माण में-जिबरेलिन नामक हॉर्मोन जिबरेला फ्यूजिकोराई नामक कवक से प्राप्त किया जाता है।
(6) अनुसंधान में-न्यूरोस्पोरा जैसे कई कवकों का उपयोग आनुवंशिकी तथा कई अनुसंधानों में किया जाता है।
(7) वातावरण को शुद्ध करना-कवक अपघटन द्वारा वातावरण को शुद्ध करते हैं।
(8) जैविक नियंत्रण-जब एक जीव द्वारा बना पदार्थ दूसरे जीव को नष्ट कर देता है, तो इसे जैविक नियंत्रण कहते हैं।
(9) वर्णकों का निर्माण-मोनेस्कस द्वारा प्राप्त लाल रंग चावल रंगने के काम आता है।

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प्रश्न 4.
बायो गैस के उत्पादन में सूक्ष्म जीव किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं? व्याख्या कीजिये।
उत्तर
बायो गैस के उत्पादन में सूक्ष्मजीवों की भूमिका-गोबर गैस एक प्रकार के गैसों का मिश्रण है जिसमें मीथेन भी उपस्थित होती है जो सूक्ष्मजीवी सक्रियता द्वारा उत्पन्न होती है। कुछ बैक्टीरिया जो सेल्यूलोज युक्त पदार्थों पर अवायवीय रूप में उगते हैं वह CO2, तथा H2, के साथ-साथ बड़ी मात्रा में मीथेन (Methane) उत्पन्न करते हैं।

सामूहिक रूप से इन जीवाणुओं को मीथेनोजेन (Methanogens) कहते हैं। इनमें सामान्य जीवाणु मीथेनोबैक्टीरिया है। पशुओं के मल को गोबर कहते हैं। जिसमें ये जीवाणु प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं, जो गोबर गैस (Gobar gas) अथवा बायो गैस (Biogas) का उत्पादन करते हैं।

बायो गैस संयंत्र अथवा गोबर गैस संयंत्र एक बड़ा टैंक होता है जिसकी गहराई 10-15 फीट होती है, इस टैंक में अपशिष्ट संग्रहीत एवं गोबर की स्लरी (Slurry) भरी जाती है। स्लरी के ऊपर एक सचल ढक्कन रखा जाता है। जिसे गैस होल्डर (Gas holder) कहते हैं। सूक्ष्मजीवी सक्रियता के कारण अथवा मीथेनोजेन (Methanogenes) बैक्टीरिया की उपस्थिति में रासायनिक अभिक्रियाओं के फलस्वरूप गैस का निर्माण होता है। जिसके फलस्वरूप ढक्कन अर्थात् गैस होल्डर ऊपर की ओर उठ जाता है।

बायो गैस संयंत्र में एक निकास होता है जिसकी सहायता से पाइप के द्वारा घरों में गैस की पूर्ति की जाती है। उपयोग में ली गई स्लरी दूसरे विकास द्वार से बाहर निकाल दी जाती है। इसका उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है |

भारत में बायो गैस उत्पादन प्रौद्योगिकी को विकसित करने में निम्न का प्रमुख योगदान रहा है-

  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute IARI).
  • खादी व ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission KVIC).

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MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2

MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2

प्रश्न 1.
x = 10 पर x2 – 2 का अवकलज ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-1

प्रश्न 2.
x = 100 पर 99x का अवकलज ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-2

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प्रश्न 3.
x = 1 पर x का अवकलज ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-3

प्रश्न 4.
प्रथम सिद्धांत से निम्नलिखित फलनों का अवकलज ज्ञात कीजिए :
(i) x3 – 27.
हल:
दिया है, f(x) = x3 – 27
f(x + h) = (x + h)3 – 27
= x3 + 3x2h + 3xh2 + h3 – 27
f(x + h) – f(x) = (x3 + 3x2h + 3xh2 + h3 – 27) – (x3 – 27)
= 3x2h + 3xh2 + h3
= h(3x2 + 3xh + h2)
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-4

(ii) (x – 1)(x – 2).
हल:
f(x) = (x – 1) (x – 2) = x2 – 3x + 2 .
f(x + h) = (x + h)2 – 3(x + h) + 2
∴ f(x + h) – f(x) = (x2 + 2xh + h2) – (3x + 3h) + 2 – (x2 – 3x + 2)
= 2xh + h2 – 3h
= h(2x + h – 3)
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-5

(iii) \(\frac{1}{x^{2}}\).
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-6

(iv) \(\frac{x+1}{x-1}\)
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-7

प्रश्न 5.
फलन f (x) = \(\frac{x^{100}}{100}+\frac{x^{99}}{99}+\ldots . .+\frac{x^{2}}{2}\) + x + 1 के लिए सिद्ध कीजिए कि \(f^{\prime}\)(1) = 100\(f^{\prime}\)(0).
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-8
x = 1 पर, \(f^{\prime}\)(1)= 1 + 1 +…+ x + 1
x = 0 पर, \(f^{\prime}\)(0)= 1
बायाँ पक्ष \(f^{\prime}\)(1)= 100,
दायाँ पक्ष = 100 \(f^{\prime}\)(0) = 100 x 1 = 100
अत: बायाँ पक्ष= दायाँ पक्ष।

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प्रश्न 6.
किसी अचर वास्तविक संख्या a के लिए xn + axn – 1 + a2xn – 2 +….+ an – 1 + an का अवकलज ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-9

प्रश्न 7.
किन्हीं अचरों a और b के लिए
(i) (x – a)(x – b) का अवकलज ज्ञात कीजिए।
हल:
माना
f(x) = (x – a) (x – b)
= x2 – (a + b)x + ab
इसका अवकलन करने पर
\(f^{\prime}\)(x) = 2x2 – 1 – (a + b) .1 + 0
= 2x – (a + b).

(ii) (ax2 + b)2 का अवकलज ज्ञात कीजिए।
हल:
माना f(x) = (ax2 + b)2 = a2x4 + 2abx2 + b2
∴ f'(x) = a2 . 4x3 + 2ab . 2x + 0
= 4a2x3 + 4abx
= 4ax(ax2 + b)

(iii) \(\frac{x-a}{x-b}\) का अवकलज ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-10

प्रश्न 8.
किसी अचर a के लिए \(\frac{x^{n}-a^{n}}{x-a}\) का अवकलज ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-11

प्रश्न 9.
निम्नलिखित के अवकलज ज्ञात कीजिए :
(1) 2x – \(\frac{3}{4}\).
हल:
(i) मान लीजिए f(x) = 2x – \(\frac{3}{4}\)
∴ \(f^{\prime}(x)=2 \frac{d}{d x}(x)+\frac{d}{d x}\left(-\frac{3}{4}\right)\)
= 2.1 + 0 = 2.

(ii) (5x3 + 3x – 1) (x – 1).
हल:
माना
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-12

(iii) x – 3(5 + 3x).
हल:
माना f(x) = x – 3(5 + 3x)
= 5x – 3 + 3x.x – 3 = 5x – 3 + 3x – 3
अवकलन करने पर
f'(x) = 5 (- 3)x– 3 – 1 + 3 (- 2). x– 2 – 1
= – 15 x – 4 – 6x – 3
= – \(\frac{15}{x^{4}}-\frac{6}{x^{3}}-\frac{3}{x^{4}}\)(5 + 2x).

(iv) x5 (3 – 6x– 9).
हल:
माना f(x) = x5 (3 – 6x– 9)
= 3x5 – 6.x5 – 9 = 3x5 – 6x– 4
∴ f'(x) = 3 . 5x5 – 1 – 6(- 4)x– 4 – 1.
= 15x4 + 24x– 5 = 15x4 + \(\frac{24}{x^{5}}\).

(v) x– 4 (3 – 4x– 5).
हल:
माना f(x) = x– 4 (3 – 4x– 5).
= 3. x– 4 – 4. x– 4 . x– 5 = 3x– 4 – 4x– 9
अवकलज करने पर
\(f^{\prime}(x)\) = 3. (- 4)x– 4 – 1 – 4 × (- 9)x– 9 – 1
= – 12x– 5 + 36x– 10
= – \(\frac{12}{x^{5}}+\frac{36}{x^{10}}\).

(vi) f(x) = \(\frac{2}{x+1}-\frac{x^{2}}{3 x-1}\).
हल:
माना
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-13

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प्रश्न 10.
प्रथम सिद्धांत से cos x का अवकलज ज्ञात कीजिए ।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-14
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-15

प्रश्न 11.
निम्नलिखित फलनों के अवकलज ज्ञात कीजिए:
(i) sin x cos x.
हल:
माना
f(x) = sin x cos x
∵ (uv)’ = u’v + uv’
∴ \(\frac{d}{d x}\)(sin x cos x) = \(\left(\frac{d}{d x} \sin x\right)\)cos x + sin x \(\frac{d}{d x}\) (cos x)
= cosx . cos x + sin x (- sin x)
= cos2x – sin2x = cos 2x.

(ii) sec x.
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-16
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-17

(iii) 5 sec x + 4 cos x.
हल:
माना f(x)= 5sec x + 4 cos x
∵ \(\frac{d}{d x}\)(sec x)= sec x tan x (भाग (ii) देखिरा)
\(\frac{d}{d x}\)cos x = – sin x
∴ f'(x)=5 \(\frac{d}{d x}\)(sec x) + 4 \(\frac{d}{d x}\)(cos x)
= 5 sec x tan x + 4(- sin x)
= 5 sec x tan x – 4 sin x.

(iv) cosec x.
हल:
माना
f(x)= cosec x
और f(x + h)= cosec (x + h)
f(x + h) – f(x) = cosec (x + h) – cosec x
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-18

(v) 3 cot x + 5 cosec x.
हल:
f(x) = cot x
f(x + h) = cot (x + h)
f(x + h) – f(x) = cot (x + h) – cot x
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-19
अब f'(x)= 3 \(\frac{d}{d x}\)cotx +5 \(\frac{d}{d x}\)cosec x
= 3(- cosec2 x) + 5 (- cosec x.cot x)
= – 3 cosec2x – 5 cosec x cot x.

(vi) 5 sin x – 6 cos x + 7.
हल:
माना
f(x) = 5 cos x – 6 – sin x) + 7
∴ \(f^{\prime}(x)=5 \frac{d}{d x} \sin x-6 \frac{d}{d x} \cos x+\frac{d}{d x}(7)\)
= 5 cos x + 6 (- sin x) + 0
= 5 cos x + 6sinx.

(vii) 2 tan x – 7 sec x.
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.2 img-20

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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मानव कल्याण में पशुपालन की भूमिका की संक्षेप में व्याख्यो दीजिए।
उत्तर
पशुपालन, पशुप्रजनन तथा पशुधन वृद्धि की एक कृषि पद्धति है। पशुपालन का संबंध पशुधन जैसे- भैंस, गाय, सूअर, घोड़ा, भेड़, ऊँट, बकरी आदि के प्रजनन तथा उनकी देखभाल से होता है जो मानव के लिए लाभप्रद हैं । इसमें कुक्कुट तथा मत्स्य पालन भी शामिल है। अति प्राचीन काल से मानव द्वारा जैसे-मधुमक्खी, रेशमकीट, झींगा, केकड़ा, मछलियाँ, पक्षी, सूअर, भेड़, ऊँट आदि का प्रयोग उनके उत्पादों जैसे-दूध, अंडे, माँस, ऊन, रेशम, शहद आदि प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ खाद्य उत्पादन की वृद्धि एक प्रमुख आवश्यकता है।

पशुपालन खाद्य उत्पादन बढ़ाने के हमारे प्रयासों में मुख्य भूमिका निभाता है। शहद का उच्च पोषक मान तथा इसके औषधीय महत्व को ध्यान में रखते हुए मधुमक्खी पालन अथवा मौन पालन पद्धति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। डेरी उद्योग से मानव खपत के लिए दुग्ध तथा इसके उत्पाद प्राप्त होते हैं । कुक्कुट का प्रयोग भोजन के लिए अथवा उनके अंडों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग आहार के रूप में मछली, मछली उत्पादों तथा अन्य जलीय जन्तुओं पर आश्रित है। हमारे देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या पशुपालन उद्योग से किसी-न-किसी रूप में जुड़ी हुई है। पशुपालन हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है। अत: मानव कल्याण में पशुपालन की बहुत बड़ी भूमिका है।

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प्रश्न 2.
यदि आपके परिवार के पास एक डेयरी फार्म है तब आप दुग्ध उत्पादन में उसकी गुणवत्ता तथा मात्रा में सुधार लाने के लिए कौन-कौन से उपाय करेंगे ?
उत्तर
डेयरी फार्म वह फार्म है जहाँ दुग्ध उत्पादों को प्राप्त करने के लिए दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुओं जैसे-गाय, भैंस, ऊँट तथा बकरी आदि का पालन-पोषण किया जाता है। ऐसे कार्य जहाँ दूध का उत्पादन हो, उसे डेयरी प्रबंधन कहते हैं । डेयरी फार्म प्रबंधन में हम उन संसाधनों तथा तन्त्रों के विषय में अध्ययन करते हैं जिनसे दुग्ध की गुणवत्ता में सुधार तथा उसका उत्पादन बढ़ता है। दुग्ध उत्पादन मूल रूप से फार्म में रहने वाले पशुओं की नस्ल की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

अच्छी नस्ल का चयन तथा उनकी अच्छी उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लिए पशुओं की अच्छी देखभाल जिसमें उसके रहने के लिए अच्छा घर तथा पर्याप्त जल तथा रोगाणु मुक्त वातावरण होना चाहिए। पशुओं को भोजन प्रदान करने का तरीका वैज्ञानिक होना चाहिए। इसमें विशेषकर चारे की गुणवत्ता तथा मात्रा पर बल दिया जाना चाहिए। इसके अलावा दुग्धीकरण, दुग्ध उत्पादों का भण्डारण तथा परिवहन के दौरान सफाई तथा पशु एवं पशुपालकों का कार्य सर्वोपरि है। पशु चिकित्सकों से पशुओं की नियमित जाँच होनी चाहिए जिससे उनकी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ दूर कराई जा सकें।

प्रश्न 3.
नस्ल शब्द का क्या अर्थ है ? पशु प्रजनन के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर
नस्ल (Breed)-जन्तुओं का वह समूह जिसके सदस्य कद-काठी,रंग-रूप व अन्य आकारिकी लक्षणों में समान तथा समान पूर्वज परम्परा के हों, नस्ल कहलाते हैं।
पशु प्रजनन के उद्देश्य-

  • पशु उत्पादन को बढ़ाना
  • पशु उत्पाद के वांछित गुणों में सुधार
  • रोग प्रतिरोधी पशुओं का विकास
  • अधिक व्यापक क्षेत्र हेतु अनुकूलन के लिए।

प्रश्न 4.
पशु प्रजनन में प्रयोग में लायी जाने वाली विधियों के नाम बताइये।आपके अनुसार कौनसी विधि सर्वोत्तम
है ? क्यों?
उत्तर
पशु प्रजनन की विभिन्न विधियाँ हैं-अंत:प्रजनन (inbreeding), बहि-प्रजनन (outbreeding), बहि:संकरण (outcrossing), संकरण (cross breeding) तथा अन्तःप्रजाति संकरण (interspecific Hybridization)। इन सब विधियों में संकरण सर्वोत्तम प्रजनन विधि है । इस विधि में दो भिन्न नस्लों के वांछित गुणों का बनने वाले संकर में संयोजन होता है। इस प्रकार बनने वाला संकर हेटेरोसिस (Heterosis) प्रदर्शित करता है। पशुओं की अनेक उन्नत-नस्लें इस विधि से विकसित की गई है, जैसे-करन स्विस व सुनन्दिनी गाय।

प्रश्न.5.
मौन (मधुमक्खी पालन) से आप क्या समझते हैं ? हमारे जीवन में इसका क्या महत्व है?
उत्तर
मधुमक्खी पालन-शहद के उत्पादन के लिए मधुमक्खियों के छत्तों का रख-रखाव ही मधुमक्खी पालन अथवा मौन पालन है। महत्व-मधुमक्खी पालन का हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है

  • शहद उच्च पोषक महत्व का आहार है तथा औषधियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
  • मधुमक्खियाँ मोम भी पैदा करती हैं जिसका कांतिवर्धक वस्तुओं की तैयारी तथा विभिन्न प्रकार के पॉलिश वाले उद्योगों में प्रयोग किया जाता है।
  • मधुमक्खियाँ हमारे बहुत से फसलों जैसे-सूर्यमुखी, सरसों, सेब तथा नाशपाती के लिए परागणक है। पुष्पीकरण के समय यदि इनके छत्तों को खेतों के बीच रख दिया जाये तो इससे पौधों की परागण क्षमता बढ़ जाती है और इस प्रकार फसल तथा शहद दोनों के उत्पादन में सुधार हो जाता है।

प्रश्न 6.
खाद्य उत्पादन को बढ़ाने में मत्स्यकी की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर
मत्स्यकी एक प्रकार का उद्योग है जिसका संबंध मछली अथवा अन्य जलीय जीवों को पकड़ना, उनका प्रसंस्करण तथा उन्हें बेचने से होता है। हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग आहार के रूप में मछली, मछली उत्पादों तथा अन्य जलीय जन्तुओं आदि पर आश्रित है। भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्यकी का महत्वपूर्ण स्थान है। यह तटीय राज्यों में विशेषकर लाखों मछुआरों तथा किसानों को आय तथा रोजगार प्रदान करती है।

बहुत से लोगों के लिए यही जीविका का एक मात्र साधन है। मत्स्यकी की बढ़ती हुई माँग को देखते हुए इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की तकनीकें अपनाई जा रही हैं। मत्स्यकी उद्योग विकसित हुआ है तथा फला-फूला है, जिससे सामान्यत: देश को तथा विशेषत: किसानों को काफी आमदनी हुई। इसकी प्रगति को देखते हुए अब हम ‘हरित क्रांति’ की भाँति ‘नील क्रांति’ की बात करने लगे हैं।

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प्रश्न 7.
पादप प्रजनन में शामिल विभिन्न चरणों का संक्षेप में वर्णन कीजिये। .
उत्तर
पादप प्रजनन के विभिन्न चरण-विभिन्नताओं का संग्रह (Collection of variability), जनकों का मूल्यांकन तथा चयन (Evaluation and selection of parents), चयनित जनकों के बीच संकरण (cross hybridization among selected parents)। श्रेष्ठ पुनर्योजन का चयन तथा परीक्षण (selection and testing of superior recombinants), नये कृषकों का परीक्षण, नियुक्ति तथा व्यवसायीकरण (testing, release and commercialization of new cultivars)

प्रश्न 8.
जैव प्रबलीकरण का क्या अर्थ है ? व्याख्या कीजिये।
उत्तर
जैव प्रबलीकरण (Biofortification)-पोषक मान (Nutritional valye) बढ़ाने के उद्देश्य को लेकर किया पादप प्रजनन जैव प्रबलीकरण कहलाता है। पोषक मान से यहाँ तात्पर्य सूक्ष्म पोषक तत्व जैसेविटामिन्स या खनिज, अथवा वांछित अमीनो अम्ल अथवा स्वास्थ्यकारी वसा का स्तर है।
खाद्य पदार्थों में इन पोषक पदार्थों का स्तर बढ़ाकर जन स्वास्थ्य को सुधारने का सार्थक प्रयास किया जा सकता है।
पोषक गुणवत्ता के उन्नयन हेतु किया गया पादप प्रजनन निम्नलिखित को सुधारने के उद्देश्य से किया जाता है

  • प्रोटीन की मात्रा व गुणवत्ता (Protein content and quality)
  • तेल की मात्रा व गुणवत्ता (Oil content and quality)
  • विटामिन्स की मात्रा (Vitamin content)
  • सूक्ष्म पोषक व खनिज मात्रा (Micronutrient and mineral content)

सन् 2000 में मक्का की ऐसी संकर किस्म का विकास किया गया जिसमें महत्वपूर्ण अमीनो अम्ल लाइसिन (lysine) व ट्रिप्टोफेन (tryptophan) की मात्रा मक्का के उपलब्ध संकरों में इन अमीनो अम्लों की मात्रा से दोगुनी थी। शक्ति, रतन व प्रोटीन किस्में लाइसिन से भरपूर हैं।

प्रश्न 9.
विषाणु मुक्त पादप तैयार करने के लिए पादपों का कौन-सा भाग सर्वाधिक उपयुक्त है तथा क्यों?
उत्तर
पौधे के शीर्षस्थ व कक्षस्थ विभज्योतक (Apical and axillary meristem) विषाणुरहित होते हैं। अतः पौधों का शीर्षस्थ (apical) भाग विषाणुमुक्त पादप तैयार करने के लिए उपयुक्त है।

प्रश्न 10.
सूक्ष्म प्रवर्धन द्वारा पादप उत्पादन के मुख्य लाभ क्या हैं ?
उत्तर
सूक्ष्म प्रवर्धन (Micropropagation) द्वारा पादप उत्पादन के निम्न लाभ हैं

  • कम समय में बड़ी मात्रा में पौधे-तैयार किये जा सकते हैं।
  • इस प्रकार बने पौधे विषाणु रहित व स्वस्थ होते हैं।
  • पौधे एक वर्ष में तैयार हो जाते हैं। अनुकूल मौसम आने का इंतजार नहीं करना पड़ता।
  • जो पादप बीज बनाने में असमर्थ हैं उनका उत्पादन इस विधि से करना संभव है।

प्रश्न 11.
पत्ती में कौतक पादप के प्रवर्धन में जिस माध्यम का प्रयोग किया गया है, उसमें विभिन्न घटकों का पता लगाओ।
उत्तर
संवर्धन माध्यम के निम्न प्रमुख घटक होते हैं

  • कार्बन स्रोत-सुक्रोज या अन्य शर्करा।
  • अन्य कार्बनिक पदार्थ-अमीनो अम्ल, विटामिन।
  • अकार्बनिक लवण-पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्सियम, सल्फर आदि के लवण।
  • वृद्धि नियामक (Growth regulator) हॉर्मोन्स-ऑक्सिन तथा साइटोकाइनिन।
  • जल।
  • अगर-अगर-माध्यम को ठोस बनाने हेतु।

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प्रश्न 12.
शस्य पादपों की किन्हीं पाँच संकर किस्मों के नाम बताइए जिनका विकास भारत वर्ष में हुआ है। .
उत्तर

  • धान-IR-36, पूसा, बासमती-1, जया, पदमा, रत्ना।
  • गेहूँ-सोनालिका, कल्यान, सोना, (HD-3090 पूसा अमूल्या 2013 में, (HD-3086 पूसा गौतमी 2013 में)।
  • मक्का -गंगा – 5, रंजीत नवजोत।
  • भिण्डी-पूस आवनी।
  • बैंगन-पूसा बैंगनी, पूसा क्रांति और मुक्तवेशी।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. पशुओं में गिल्टी रोग या एन्थ्रेक्स फैलता है
(a) जीवाणु द्वारा
(b) फफूंद द्वारा
(c) विषाणु द्वारा
(d) किलनी द्वारा।
उत्तर
(b) फफूंद द्वारा

प्रश्न 2.
गायों के गलघोटू रोग का जनक है
(a) ब्रुसेला एट्सि
(b) बेसीलस प्रजाति
(c) पाश्चुरेला बोवीसेप्टिका
(d) क्लॉस्ट्रीडियम।
उत्तर
(b) बेसीलस प्रजाति

प्रश्न 3.
खुरपका या मुंहपका रोग का रोगजनक जीव है
(a) कवक
(b) जवाणु
(c) विषाणु
(d) माइकोप्लाज्मा।
उत्तर
(a) कवक

प्रश्न 4.
वर्षा ऋतु के पश्चात् पशुओं में फैलने वाला प्रमुख रोग है
(a) काला ज्वर
(b) गलघो
(c) पोकनी
(d) एन्थ्रेक्स।
उत्तर
(b) गलघो

प्रश्न 5.
गलघोटू के टीके लगाये जाते हैं
(a) जनवरी-फरवरी में
(b) मार्च-अप्रैल में
(c) मई-जून में
(d) अक्टूबर-नवम्बर में।
उत्तर
(a) जनवरी-फरवरी में

प्रश्न 6.
पशुओं में प्लेग रोग का कारक है
(a) कवक
(b) जीवाणु
(c) विषाणु
(d) माइकोप्लाज्मा।
उत्तर
(b) जीवाणु

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प्रश्न 7.
धान्य पौधे का उदाहरण है
(a) गेहूँ
(b) धान
(c) मक्का
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 8.
सामान्य गेहूँ का वानस्पतिक नाम है
(a) ट्रिटिकम एस्टाइवम
(b) ट्रि.वल्गेर
(c) ट्रि.ड्यूरम
(d) ट्रि.मोनोकोक्कम।
उत्तर
(b) ट्रि.वल्गेर

प्रश्न 9.
धान किस कुल का सदस्य है
(a) ग्रैमिनी
(b) पैपिलियोनेसी
(c) यूफोर्बिएसी
(d) कम्पोजिटी।
उत्तर
(a) ग्रैमिनी

प्रश्न 10.
पद्मा एवं जया है
(a) गेहूँ
(b) धान
(c) चना
(d) मूंगफली।
उत्तर
(b) धान

प्रश्न 11.
रतनजोत का वानस्पतिक नाम
(a) पोंगेमिया पिन्नाटा
(b) रिसीनस कम्यूनिस
(c) जैट्रोफा करकस
(d) ब्रेसिका कम्पेस्ट्रिस।
उत्तर
(c) जैट्रोफा करकस

प्रश्न 12.
गेहूँ है एक
(a) फल
(b) बीज
(c) भ्रूण
(d) ग्लूम।
उत्तर
(b) बीज

प्रश्न 13.
कॉल्चीसीन निम्न में से कौन-सा प्रभाव डालता है
(a) D.N.A. द्विगुणन
(b) गुणसूत्रों का द्विगुणन
(c) स्पिण्डिल तन्तुओं का बनना
(d) मध्य पटलिका के बनने में अवरोधन।
उत्तर
(b) गुणसूत्रों का द्विगुणन

प्रश्न 14.
वह पौधा जिसमें बीज बनता है फिर भी वर्धी प्रजनन द्वारा उगाया जाता है
(a) आलू
(b) नीम
(c) आभ
(d) सेवन्ती।
उत्तर
(a) आलू

प्रश्न 15.
मानव निर्मित अन्न है
(a) ट्रिटिकम
(b) ट्रिटिकेल
(c) पाइसम
(d) गन्ना
उत्तर
(b) ट्रिटिकेल

प्रश्न 16.
सोनेरा 64 और लौरोजा 64A किस पादप की प्रजातियाँ हैं
(a) गेहूँ
(b) धान
(c) मटर
(d) मक्का ।
उत्तर
(a) गेहूँ

प्रश्न 17.
अगुणित नर पौधे किसके संवर्धन से तैयार किये जा सकते हैं
(a) पुतन्तु
(b) परागकण
(c) पुंकेसर
(d) पुमंग।
उत्तर
(b) परागकण

प्रश्न 18.
संकरण के समय फूल की कली से पुंकेसरों को हटाने की क्रिया कहलाती है
(a) कृप्स करवाना
(b) स्वनिषेचन
(c) विपुंसन
(d) टोपपिन।
उत्तर
(c) विपुंसन

प्रश्न 19.
बीज बुआई निर्भर करती है
(a) तापमान पर
(b) प्रकाश अवधि पर
(c) भूमि की नमी पर
(d) उपर्युक्त सभी पर।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी पर।

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प्रश्न 20.
संकर ज्यादातर जनक से ओजस्वी होते हैं क्योंकि
(a) समयुग्मजता
(b) संकर ओज
(c) जनक ज्यादातर कमजोर होते हैं
(d) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं ।
उत्तर
उत्तर

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. अच्छे गुणों वाले पशुओं को प्रजनन हेतु चुनना ………………. कहलाता है।
2. दो भिन्न आनुवंशिक गुणों वाले पशुओं के मध्य संकरण ……. कहलाता है।
3. मुर्गियों का रानीखेत रोग सर्वप्रथम उ.प्र. के ………………. जिले में देखा गया।
4. पाउल पॉक्स रोग ………………. के द्वारा होता है।
5. पशुओं का खुरपका-मुँहपका रोग ………………. के द्वारा होता है।
6. कोशिकाओं के अविभाजित एवं असंगठित समूहों को ………………. कहते हैं।
7. पुष्पों से पुंकेसर या परागकोषों को हटाना ………………. कहलाता है।
8. ऊतक संवर्धन हेतु चयनित पौधों को ……………… कहते हैं।
9. टोटीपोटेन्सी की खोज ……………… ने की थी।
10. गेहूँ का वानस्पतिक नाम ……………… है।
11. कोशिका की पुनर्जनन क्षमता को ……………… कहते हैं।
12. कैलस कोशिकाओं का अन्य कोशिकाओं में विभेदन …………. कहलाता है।
13. स्केलिंग ………………. युक्त पौधों में वर्धी प्रसारण की महत्वपूर्ण विधि है।
14. ट्रिटिकम वल्गेर में गुणसूत्र की कुल संख्या ……………… होती है।
15. मूंगफली …………….. कुल की सदस्य है।
16. करंज का वानस्पतिक नाम ………………. है।
17. ………………. प्रथम GM फसल है।’
18. ………………. को देश का धान का कटोरा कहते हैं।
19. कोशिका की पुनर्जनन क्षमता को …………….. कहते हैं।
20. कैलस कोशिकाओं का अन्य कोशिकाओं में विभेदन ………………. कहलाता है।
21. निकट संबंधी में प्रजनन ………………. कहलाता है।
22. किसी पादप को प्राकृतिक आवास से निकालकर नई जलवायु वाले आवास में स्थापित करना …………… कहलाता है।
23. विभिन्न नस्ल के शुद्ध जन्तुओं के नर-मादा के मध्य होने वाले सहवास को …………….. कहते हैं ।
उत्तर

  1. वरण या चयन
  2. बहिः प्रजनन
  3. कुमायूँ
  4. विषाणु
  5. विषाणु
  6. कैलस
  7. विपुंसन
  8. एलीट
  9. स्टीवर्ड
  10. ट्रिटिकम वल्गेर
  11. पूर्णशक्तता
  12. कोशिका विभेदन
  13. शल्ककंद
  14. 42
  15. पैपिलिओनेसी
  16. पोंगेमिया पिन्नाटा
  17. फ्लेवर-सेवर टमाटर
  18. छत्तीसगढ़
  19. पूर्णशक्तता
  20. कोशिका विभेदन
  21. समप्रजनन
  22. पुरःस्थापन
  23.  संकरण।

3. सही जोड़ी बनाइये

I. ‘A’ -‘B’

1. विष ज्वर (एन्थ्रेक्स) – (a) विषाणु
2. क्लॉस्ट्रीडियम स्कर्वी – (b) वैसिलरी सफेद दस्त
3. रानीखेत रोग – (c) मुर्गियों का खूनी दस्त
4. कॉक्सीडिया – (d) गाय
5. साल्मोनेला पुलोरम – (e) लंगड़ी ज्वर।
उत्तर
1. (d), 2. (e), 3. (a), 4. (c), 5. (b)

II. ‘A’ – ‘B’

1. ट्रिटिकेल – (a) हेक्साप्लॉइड
2. ऊतक संवर्धन – (b) परागकोषों को हटाना
3. ट्रिटिकम एस्टीवम – (c) एलीट
4. टोटीपोटेन्सी – (d) गेहूँ एवं राई
5. विपुंसन – (e) स्टीवर्ड।
उत्तर
1. (d), 2. (c), 3. (e), 4. (a), 5. (b)

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III. ‘A’ – ‘B’

1. सोनालिका 5308 – (a) जैव ईंधन
2. जिया मेज – (b) जैव पीड़कनाशी
3. जैट्रोफा (रतनजोत) – (c) संवर्धन
4. आक – (d) मक्का
5. अगर – (e) गेहूँ।
उत्तर
1. (e), 2. (d), 3. (a), 4. (b), 5. (c).

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. भारतवर्ष में हरित क्रांति का प्रारंभ कब हुआ था ?
2. बल्ब (शल्ककन्द) वाले पौधों में वर्धी प्रसारण को क्या कहते हैं ?
3. किन्हीं दो धान्य के नाम लिखिए।
4. किसी मानवनिर्मित फसल का नाम लिखिए।
5. दो भिन्न जातियों के संकरण से उत्पन्न जीव को क्या कहते हैं ?
6. पुष्प से अपरिपक्व परागकोषों को हटाने को क्या कहते हैं ?
7. संकर प्रोजेनी का अपने जनकों से ओजस्वी होना क्या कहलाता है ?
8. मधुमक्खी पालन को क्या कहते हैं ?
9. मछलीपालन को क्या कहते हैं ?
10. कोशिकाओं के अविभाजित एवं असंगठित समूह को कहते हैं ?
उत्तर

  1. 1960
  2. कृत्रिम पादप प्रसारण
  3. गेहूँ, चावल
  4. ट्रिटिकेल
  5. संकर
  6. विपुंसन
  7. संकर ओज,
  8. एपीकल्चर
  9. फिशरी
  10. कैलस।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हिसारडैल क्या है ?
उत्तर
हिसारडैल भेड़ की एक नस्ल है।

प्रश्न 2.
पारजीनी गाय रोजी से उत्पन्न दूध की क्या विशेषता है ?
उत्तर
पारजीनी गाय रोजी के दूध में वसा की मात्रा कम तथा प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।

प्रश्न 3.
मधुमक्खी की उस प्रजाति का नाम लिखिए जिन्हें पाला जा सकता है ।
उत्तर
एपिस इंडिका।

प्रश्न 4.
पुष्पीकरण के समय मधुमक्खी के छत्तों को खेत के बीच रखने पर पौधे पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर
पौधों की परागण क्षमता बढ़ जायेगी।

प्रश्न 5.
अन्तःप्रजनन किसे कहते हैं ?
उत्तर
एक ही नस्ल के पशुओं के मध्य होने वाले प्रजनन को अन्तःप्रजनन कहते हैं।

प्रश्न 6.
पशु प्रजनन का उद्देश्य बताइये।
उत्तर
पशुओं के उत्पादन को बढ़ाना तथा उनके उत्पादों की वांछित गुणवत्ता में सुधार करना है।

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प्रश्न 7.
बर्ड-फ्लू के रोगकारक का नाम लिखिए।
उत्तर
बर्ड-फ्लू के रोगकारक का नाम इन्फ्लूएन्जा-A विषाणु या H,N, विषाणु है।

प्रश्न 8.
आनुवंशिक रूपान्तरित पादपों के कोई दो नाम लिखिये।
उत्तर

  • गोल्डन राइस
  • फ्लेवर सेवर।

प्रश्न 9.
ऐसे दो पौधों के नाम लिखिए, जो कृत्रिम वरण द्वारा उत्पन्न किये गये हैं।
उत्तर

  • कल्याण सोना
  • शाइनिंग मूंग।

प्रश्न 10.
इस जीव का नाम लिखिए जिसका प्रयोग एकल कोशिका प्रोटीन के व्यापारिक उत्पादन में किया जाता है।
उत्तर
स्पाइरुलाइना का प्रयोग एकल प्रोटीन के व्यापारिक उत्पादन में किया जाता है।

प्रश्न 11.
डेयरी उद्योग किसका प्रबंधन है ?
उत्तर
पशु प्रबंधन।

प्रश्न 12.
पशुपालन किसे कहते हैं ?
उत्तर
मानव कल्याण के लिए पशुओं की देखभाल को पशुपालन कहते हैं।

प्रश्न 13.
अर्द्धवामन धान की किस्मों को किससे व्युत्पन्न किया जाता है ?
उत्तर
अर्द्धवामन धान की किस्मों को IR-8 तथा थाइचुंग नेटिव-1 से व्युत्पन्न किया गया।

प्रश्न 14.
पोमैटो का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर
पोमैटो का निर्माण टमाटर के प्रोटोप्लास्ट व आलू के प्रोटोप्लास्ट के युग्मन से होता है।

प्रश्न 15.
पादपों में विषाणु द्वारा उत्पन्न होने वाले किन्हीं दो रोगों के नाम लिखिये।
उत्तर

  • तंबाकू मोजैक
  • शलजम मोजैक।

प्रश्न 16.
एस.टी.पी. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
“एकल प्रोटीन कोशिका” एस.टी.पी. का शब्द विस्तार है।

प्रश्न 17.
अलवण जल में पाई जाने वाली किन्हीं दो मछलियों के नाम लिखिए।
उत्तर

  • कतला
  • रोहू।

प्रश्न 18.
स्पाइरुलाइना का आर्थिक महत्व क्या है ?
उत्तर
यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है तथा प्रदूषण को कम करता है।

प्रश्न 19.
निकट संबंधी पशुओं के मध्य प्रजनन को कहते हैं।
उत्तर
अंतःप्रजनन।

प्रश्न 20.
गायों के विष ज्वर रोग के रोग कारक का नाम लिखिए।
उत्तर
बैसिलस एन्थ्रेसिस।

प्रश्न 21.
रानीखेत किनका प्रमुख रोग है ?
उत्तर
मुर्गियों का।

प्रश्न 22.
पशुओं में वर्षा ऋतु के पश्चात् होने वाला प्रमुख रोग है।
उत्तर
एन्थ्रेक्स।

प्रश्न 23.
कुत्तों के दो प्रमुख रोगों के नाम लिखो।
उत्तर
डर्मेटाइटिस और रेबीज।

प्रश्न 24.
दो भिन्न जातियों के संकरण से उत्पन्न जीव को क्या कहते हैं?
उत्तर
संकर।

प्रश्न 25.
मानव निर्मित प्रथम फसल का नाम लिखिए।
उत्तर
ट्रिटिकेल।

प्रश्न 26.
मिलेट का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
राई।

प्रश्न 27.
ऊतक संवर्धन के जनक का नाम बताइये।
उत्तर
हैबरलैंड।

प्रश्न 28.
मूंगफली का वानस्पतिक नाम लिखिए।
उत्तर
अरेकिस हाइपोजिया

प्रश्न 29.
साहीवाल किसकी उन्नत नस्ल है ?
उत्तर
गाय की।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्केलिंग क्या है, इसका क्या महत्व होता है ?
उत्तर
स्केलिंग वर्धी प्रसारण की विधि है, जो कि बल्ब (शल्क कंद) वाले पौधे के लिए उपयोगी है। इस विधि में सभी बल्ब पृथक कर लिये जाते हैं तथा उन्हें ऐसी भूमि में रोपित किया जाता है जहाँ उनकी वृद्धि के लिए सभी आवश्यक परिस्थितियाँ उपस्थित होती हैं। इससे शल्क वृद्धि करके अपने आधार पर छोटे-छोटे बल्ब बना लेता है। 3-5 बल्ब (छोटे-छोटे) विकसित होते हैं। यह लिलियेसी कुल के पौधे जैसे लहसुन, लिलियम के लिए उपयोगी है।

प्रश्न 2.
ऊतक संवर्धन क्या है ? इसके उद्देश्य लिखिए।
उत्तर
ऊतक संवर्धन में अलग की गई कोशिका या ऊतक अथवा अंग जैसे परागकोष या परागकण, भ्रूण या भ्रूणिका आदि से संवर्धन माध्यम पर नियंत्रित तथा अजीकृत अवस्था में अत्यधिक संख्या में पौधे विकसित किये जाते हैं।
उद्देश्य

  • इसके द्वारा फसल किसी भी अवस्था से नये पौधे के लिए विकास को सुनिश्चित करता है।
  • अभूतपूर्व संकर किस्मों को उत्पन्न करना।
  • रोगी पौधों से रोगमुक्त पौधों का विकास करना।
  • अगुणित पौधों का संवर्धन।
  • आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण पौधों का कम समय में अत्यधिक संख्या में निर्मित करना।

प्रश्न 3.
कैलस संवर्धन क्या है ? इसकी तकनीक लिखिए।
उत्तर
पादप ऊतक संवर्धन के क्रम में संरोप (Explant) के कोशिकाओं द्वारा ऑक्सिन तथा सायटोकायनिन की उपस्थिति में तथा अजर्म स्थिति के होने पर कोशिकाओं के असंगठित समूह के रूप में कैलस का निर्माण होता है यह प्रक्रिया संवर्धन कहलाती है। तकनीक-सोडियम हाइपोक्लोराइड से विसंक्रमणित करते हैं। विसंक्रमणित पौधे को कई बार आसुत जल से धोते हैं। इसे विसंक्रमणित माध्यम में छोटे-छोटे टुकड़ों में विभक्त कर स्थानान्तरित कर देते हैं। संरोपण पश्चात् संवर्धन माध्यम को नियंत्रित प्रकाश व ताप पर ऊष्मायन (Autoclave) के माध्यम में स्थानान्तरित कर देते हैं। कैलस निर्माण हेतु संवर्धन के लिए पोषण माध्यम में ऑक्सिन तथा सायटोकाइनिन समान अनुपात में मिलाया जाता है।

प्रश्न 4.
ऊतक संवर्धन की प्रक्रिया में वातायन क्यों आवश्यक होता है ?
उत्तर
किसी भी जीवन के लिए श्वसन एक प्रमुख लक्षण है। श्वसन के द्वारा ही जीव अपने सभी प्रकार्यात्मक लक्षणों को सुचारू रूप से चलायमान रख पाता है। श्वसन के लिए वायु (ऑक्सीजन) बहुत जरूरी है। ऊतक संवर्धन की प्रक्रिया में ऊतकों को उपयुक्त वायु प्राप्त होनी चाहिए तभी वे ठीक से विकसित हो पायेंगे। वायु की उपलब्धता हेतु किया गया प्रबंध वातायन कहलाता है, अतः ऊतक संवर्धन की प्रक्रिया की सफलता के लिए वातायन बहुत जरूरी है।

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प्रश्न 5.
अन्तःप्रजनन किसे कहते हैं ? इससे क्या लाभ होते हैं ?
उत्तर
अन्तःप्रजनन (Inbreeding)-निकट सम्बन्धित या समान प्रजातियों के बीच होने वाले प्रजनन को अन्तःप्रजनन कहते हैं। इस तकनीक के द्वारा जन्तु नस्लों में सुधार किया जाता है। इस प्रजनन से शुद्ध नस्लों के जन्तुओं को पैदा किया जाता है। लेकिन इस प्रजनन के कारण विकास की संभावनाएँ कम होती जाती हैं। प्राचीनकाल से ही इस तकनीक का प्रयोग जन्तुओं के सुधार के लिए किया जा रहा है। उदाहरण-स्पेन में उत्तम ऊन प्राप्त करने के लिए मेरिनो भेड़ों में 170 सालों तक अन्तःप्रजनन किया गया। हमारे देश में उन साँड़ों का प्रयोग अन्तःप्रजनन के लिए चरागाहों में किया जाता है जो बोझ ढोने में उत्तम होते हैं, शेष का जनननाशन (Castration) करके उन्हें बैल बना दिया जाता है।

प्रश्न 6.
पशुओं में खुरपका एवं मुंहपका रोग कैसे फैलता है ? रोग के लक्षण व रोग जनक का नाम लिखिए।
उत्तर
पशुओं में खुरपका एवं मुँहपका रोग रोगी पशुओं के पास रहने से संक्रमण से होता है। यह गाय, भैंस, भेड़, बकरी एवं सुअर में होता है।
लक्षण-

  • पशु के शरीर का ताप काफी बढ़ जाता है। वह सुस्त हो जाता है तथा जुगाली करना बंद कर देता है।
  • पशु के मुँह, पैरों के खुरों, अयन व थनों पर छाले बनकर फूट जाते हैं जिसमें घाव बन जाता है।
  • पशु बार-बार जमीन पर पैर को पटकता है और लंगड़ाकर चलता है।

प्रश्न 7.
शहद में उपस्थित पदार्थों को सूचीबद्ध कीजिये।
अथवा
मधुमक्खी की तीन प्रजातियों के नाम तथा शहद का रासायनिक संगठन लिखिए।
अथवा
मधुमक्खी की तीन प्रजातियों के नाम तथा शहद के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर
मधुमक्खी की तीन

प्रजाति

  • ऐपिस इण्डिका
  • ट्राइगोना स्पी.
  • मेलिनोपा स्पी.।

शहद के दो उपयोग

  • इसका उपयोग दवा के रूप में किया जाता है।
  • इसका उपयोग पोषक पदार्थ के रूप में किया जाता है।

प्रोटीन

  • शहद का रासायनिक संघटन
  • फ्रक्टोज (41%)
  • प्रोटीन (0.18%)
  • ग्लूकोज (35%)
  • खनिज लवण (3:3%)
  • सुक्रोज (1.9%)
  • जल (17.25%).
  • डेक्सट्रीन (1.5%).

थोड़ी मात्रायें विटामिन B1, B6, कोलीन, विटामिन C और D होता है।

प्रश्न 8.
अण्डजोत्पत्ति में कौन-कौन-सी सावधानियाँ रखनी चाहिए? उत्तर-मुर्गियों में अण्डजोत्पत्ति 21 दिन में होती है इसके लिए निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए

  • अण्डजोत्पत्ति के लिए उत्तम किस्म के अण्डों का चयन करना चाहिए।
  • मध्यम माप वाले अण्डे होने चाहिए।
  • चयनित अण्डे का रंग सफेद होना चाहिए।
  • अण्डों को जल से धोना चाहिए ।
  • अण्डों को अधिक हिलाना नहीं चाहिए।
  • गर्मियों में अण्डों को तीन दिन से अधिक नहीं रखना चाहिए।
  • अण्डों का सेचन देशी मुर्गी से कराना चाहिए।
  • रात्रि में मुर्गी को अण्डों पर बैठाने से पहले अच्छा भोजन एवं जल देना चाहिए।

प्रश्न 9.
मुर्गीपालन के चार महत्व लिखिए।
उत्तर
महत्व-

  • इससे हमें मांस तथा अण्डे प्राप्त होते हैं।
  • इस व्यवसाय से कम समय में ही आय होने लगती है।
  • इस व्यवसाय में कम पूँजी लगती है इस कारण यह बेरोजगारी की समस्या का समाधान करता है।

प्रश्न 10.
अण्डे देने वाली कुक्कुट नस्लों की विशेषताएँ बताइए तथा दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
अण्डे देने वाली कुक्कुट नस्लों में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं-

  • अण्डे देने वाली कुक्कुटों की त्वचा कोमल होती है और प्यूबिक अस्थि तथा कील के बीच 3-4 उँगलियों का स्थान होता है।
  • अण्डे देने वाले कुक्कुटों का शरीर बड़ा तथा भारी भरकम होता है ।
  • जो कुक्कुट नर के समान दिखाई देते हैं वे अधिक अण्डे नहीं देते ।
  • अण्डे देने वाले कुक्कुटों का निकास (vent) कोमल तथा भीगा हुआ होता है।
  • अण्डे देने वाले कुक्कुटों की कलगी पूर्ण विकसित, उष्ण, गहरे लाल रंग की व मुलायम होती है।

अण्डे देने वाली मुर्गियों के उदाहरण-

  • लेगहार्न
  • मिनोरका
  • एनकोना
  • कैम्पियन

प्रश्न 11.
मांस प्रदान करने वाली कुक्कुट नस्लों की विशेषताएँ बताइए तथा चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर
मांस प्रदान करने वाली कुक्कुटों के निम्नलिखित लक्षण होते हैं

  • आकार में बड़ी होती हैं
  • ये आहार अधिक मात्रा में ग्रहण करती हैं।
  • इनके पंख ढीले होते हैं, जिससे ये गोलाकार दिखाई देती हैं।
  • इनकी वृद्धि दर धीमी होती है।
    उदाहरण-असील, ससैक्स, आस्ट्रोलोप्स, कड़कनाथ।

प्रश्न 12.
मीठे जल एवं खारे जल में पाई जाने वाली तीन-तीन मछलियों के नाम लिखिए।
अथवा
निम्नलिखित के वैज्ञानिक नाम लिखकर उनका उपयोग लिखिए।
1. रोहू
2. कतला
3. सिंधारा
4. मृगल।
उत्तर
(a) मीठे जल में पाई जाने वाली मछलियाँ

1. रोहू-लेबियो रोहिता (Labeo rohita)
उपयोग-रोहू के मस्तिष्क में फॉस्फो-प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा रहने के कारण इसके सेवन से आँख की रोशनी बढ़ती है।

2. कतला-कतला कतला (Catla catla)
उपयोग-कंतला के मस्तिष्क में फॉस्फो-प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा रहने के कारण इसके सेवन से आँख की रोशनी बढ़ती है।

3. सिंधारा-मिस्ट्रिस सिन्धाला (Mystrus seenghala)
उपयोग-सिंघारा मछली में लोहे व ताँबे की काफी मात्रा रहने के कारण रक्त संबंधी विकार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

4. मृगल-सिरेहीनस मृगल (Cirrhinus mrigala)।
उपयोग-मृगल मछली में लोहे व ताँबे की काफी मात्रा रहने के कारण रक्त संबंधी विकार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

(b) खारे जल में पाई जाने वाली मछलियाँ

  • हिल्सा-इलिसा जाति (Ilisa species)
  • पामहर्ट-स्ट्रोमेटस (Stromatus)
  • बाम्बेडक-हार्पोडान (Harpodon)

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प्रश्न 13.
मछली का मांस अन्य जन्तुओं के मांस की तुलना में सर्वोत्तम क्यों होता है ?
उत्तर

  • मछली का मांस सर्वोत्तम माना जाता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है।
  • इसमें आयोडीन पाया जाता है जो ग्वायटर रोग से बचाव करता है ।
  • इसमें वसा की मात्रा कम होती है, जिससे हृदय संबंधी बीमारी नहीं होती।
  • इसमें वसा में विलेय विटामिन A एवं D की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है।
  • इसे आसानी से पचाया जा सकता है। इस कारण यह बच्चों का अच्छा भोजन है।

प्रश्न 14.
गाय एवं भैंस की उन्नत किस्मों के नाम लिखिए।गाय की तुलना में भैंस का दूध सर्वोत्तम क्यों है ?
उत्तर
(a) गाय की उन्नत किस्म-

  • होल्सटीन फ्रीसियन
  • जर्सी
  • आयर शायर
  • ब्रॉउन स्विस।

(b) भैंस की उन्नत किस्म-

  • मुर्रा
  • सूरती
  • भदावरी
  • नागपुरी।

गाय की तुलना में भैंस का दूध सर्वोत्तम है, क्योंकि

  • गाय की तुलना में भैंस के दूध की मात्रा तिगुनी होती है।
  • भैंस के दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है।
  • भैंस का दूध गाय की तुलना में अधिक रोग प्रतिरोधी होता है।

प्रश्न 15.
भेड़ एवं बकरी का महत्वपूर्ण उपयोग क्या होता है ? प्रत्येक के तीन-तीन भारतीय प्रजातियों के नाम लिखिए।
उत्तर
भेड़ का जन्तु वैज्ञानिक नाम क्विस एरीस (Quis aries) है। इसे ऊन, मांस एवं चमड़े के लिए पाला जाता है। भेड़ की महत्वपूर्ण तीन प्रजातियाँ निम्नलिखित हैं

  • लोही-उच्च श्रेणी का ऊन प्राप्त होता है।
  • भाकरावल
  • पटनावड़ी।

बकरी का जन्तु वैज्ञानिक नाम काप्राहिरकस (Caprahircus) है। इसका पालन दूध एवं मांस दोनों के लिए किया जाता है। बकरी की महत्वपूर्ण तीन प्रजातियाँ निम्नलिखित हैं

  • कश्मीरी बकरी
  • कच्छी
  • सिरोही।

प्रश्न 16.
उत्तम किस्म की पाँच मुर्गी प्रजातियों के नाम लिखिए।
उत्तर

  • रोड आइसलैण्ड रेड (Rhode Island Red)
  • न्यू हैम्पशायर (New Hampshires)
  • लाइट ससैक्स (Light Sussex)
  • आस्ट्रेलोप्स (Australops)
  • व्हाइट लैगहान (White Laghorn)

प्रश्न 17.
मुर्गियों में होने वाले पाँच संक्रामक रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति 1

प्रश्न 18.
एकल कोशिका संवर्धन क्या है ? इसकी पेपर राफ्ट तकनीक तथा उसके महत्व लिखिए।
उत्तर
नियंत्रित वातावरण में अजीकृत, पृथक्कृत एक कोशिका को उचित पोषण माध्यम पर परिवर्धित कराये जाने की प्रक्रिया एकल कोशिका संवर्धन
(Single Cell Culture) कहलाती है।
(1) सर्वप्रथम माइक्रोपिपेट या माइक्रोस्पेचुला की सहायता से अजीकृत पौधे के भाग से अलग किये, एकल कोशिका को लिया जाता है या सस्पेंशन कल्चर से एक कोशिका को पृथक्कृत किया जाता है।

(2) पोषण माध्यम पर एक पुराने कैलस को रखा जाता है, जिसके ऊपर 8 mm x 8 mm साइज के फिल्टर पेपर को कुछ दिनों तक रखकर नम तथा पोषक पदार्थ-युक्त बना लेते हैं, जिसे पेपर राफ्ट कहा जाता है।

(3) अलग किये गये एकल कोशिका को अजीकृत अवस्था में पेपर राफ्ट पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है।

(4) समस्त पोषण माध्यम युक्त कोशिका, अर्थात् संवर्धन को 16 घण्टे तक 25°C अंधकार में या श्वेत प्रकाश (3,000 लक्स) में ऊष्मायित (Incubate) कराया जाता है।

(5) पृथक्कृत कोशिका (Isolated cell) क्रमिक विभाजन के फलस्वरूप कोशिका समूह में परिणित हो जाता है, जिसे नये पोषक माध्यम पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है, जहाँ इससे कैलस विकसित होता है।

(6) कैलस से सामान्य ऊतक संवर्धन विधि से नये पौधे का तथा अन्ततः विकसित पौधे का परिवर्धन होता
इसकी दूसरी विधि कोशिका सस्पेंशन तकनीक के बारे में भी इसे शोध के आधार पर जानकारी प्राप्त हुई, इससे हर पौधे के छोटे हिस्से से भी एक पूर्ण विकसित पौधे प्राप्त कर सकते हैं।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कुक्कुटों के रानीखेत रोग के लक्षण, रोकथाम व उपचार लिखिए।
उत्तर
रानीखेत रोग वाइरस से होता है। इसके निम्न लक्षण हैं

  • श्वास लेने में तकलीफ होती है, इसलिये मुर्गियों का मुँह खुला होता है।
  • मुर्गियों को दस्त लग जाते हैं।
  • सिर, गर्दन तथा टाँगों को लकवा मार जाता है।
  • मुर्गी को भूख नहीं लगती एवं कमजोर हो जाती है।
  • पहले उनका तापक्रम बढ़ता है एवं कुछ समय पश्चात् सामान्य से भी कम हो जाता है।
  • मुँह एवं नासिका रन्ध्रों में से एक लसलसा पदार्थ निकलता है।
  • मुर्गकेश का रंग गहरा बैंगनी हो जाता है।
  • अण्डा देने वाली मुर्गियों में अण्डा तेजी से फटने लगता है एवं रोगी मुर्गी अण्डा देना बिल्कुल बन्द : कर देती है।इस रोग के लक्षण पाचन संस्थान, श्वसन-संस्थान एवं रक्त परिवहन संस्थान पर स्पष्ट दिखायी देने लगते हैं।

रोकथाम एवं उपचार (Control and treatment)

  • रोगी मुर्गियों को तुरंत ही स्वस्थ मुर्गियों से अलग बाड़े में रखना चाहिए।
  • रोग से मरी हुई मुर्गियों को गाड़ देना चाहिए अथवा जला देना चाहिए।
  • पानी में कीटाणुनाशक घोल तैयार करना चाहिए।
  • बीमार मुर्गियों के बर्तन फिनाइल से साफ करके रखना चाहिए।
  • 6 से 8 सप्ताह के बच्चों को रानीखेत का टीका लगवाना चाहिए।
  • रोग से मरी मुर्गी की तिल्ली को थर्मस में (बर्फ के साथ ग्लिसरीन एवं नमक 111 के घोल में) सुरक्षित रखकर प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजना चाहिए।

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प्रश्न 2.
कृत्रिम गर्भाधान क्या है ? उसका महत्व समझाइए।
उत्तर
संकरण या बहि:प्रजनन दो भिन्न आनुवंशिक गुणों वाले जीवों को जनन की दृष्टि से संयोग कराके नयी संतानों को प्राप्त करने के ढंग को संकरण कहते हैं। जन्तुओं में संकरण कराना पादपों की अपेक्षा थोड़ा कठिन होता है। जन्तुओं के गुणों में सुधार के लिए दो प्रकार का संकरण होता है

1. प्राकृतिक संकरण (Natural hybridization)-इस संकरण में नर तथा मादा प्राकृतिक रूप से आपस में संयोग करते हैं । यह दो भिन्न प्रजातियों में होता है। भारत में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए गाय की कई प्रजातियाँ जैसे-जर्सी (इंग्लैण्ड), ब्राउनस्विस (स्विटजरलैण्ड), होल्स्टीन प्रिंसियन (हॉलैण्ड) विदेशों से मँगायी गयी हैं। इन प्रजातियों तथा देशी प्रजातियों के संकरण से करनस्विस और सुनन्दिनी नामक गाय की प्रजातियाँ क्रमशः राष्ट्रीय दुग्ध अनुसंधान संस्थान करनाल और केरल में विकसित की गयी है। कई दूसरे जन्तुओं की भी अति उत्पादक जातियाँ प्राकृतिक संकरण के द्वारा तैयार की गयी हैं।

2. कृत्रिम संकरण या कृत्रिम गर्भाधान (Artificial hybridization)-कृत्रिम संकरण, संकरण की वह विधि है जिसमें नर के शुक्राणुओं को एकत्र करके मादा के जनन मार्ग में पहुँचा दिया जाता है जो निषेचन करके नयी सन्तति को बनाता है। इस संकरण में निम्न चरण होते हैं

(1) जनकों का चुनाव (Selection of parents)-यह संकरण का पहला चरण है जिसमें इच्छित गुणों वाले नर तथा मादा का चुनाव किया जाता है। इसके लिए स्वस्थ तथा उच्च गुणों वाले जनकों का चुनाव किया जाता है।

(2) वीर्य को एकत्र करना (Collection of semen)-इस चरण में यान्त्रिक या विद्युतीय आवेश द्वारा नर को उत्तेजित किया जाता है और स्खलित होने वाले वीर्य को एकत्र कर लिया जाता है।

(3) वीर्य का संरक्षण (Preservation of semen)-वीर्य को तनु बनाकर फ्रिजों में या विशिष्ट रसायनों के द्वारा परिरक्षित करके जीवित अवस्था में ही रखा जाता है।

(4) वीर्य का जनन मार्ग में प्रवेश (Introduction of semen)-इस चरण में अनुरक्षित वीर्य को मादा पशु के गर्म होने पर उसके योनि मार्ग में डाला जाता है। इस तकनीक का सर्वप्रथम प्रयोग स्प्लैन्जेनी(Spallanzani) ने 1970 में कुत्तों के ऊपर किया। भारत में इसका सर्वप्रथम उपयोग सन् 1944 में पशु अनुसंधान संस्थान एटा नगर, उत्तर प्रदेश में किया गया। आज की लगभग 10%-70% उपयोगी जन्तु प्रजातियों का आविष्कार इसी विधि के द्वारा किया गया है। इस संकरण के समय निम्न सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए

  • वीर्य का मादा में प्रवेश उपर्युक्त समय पर करवाना चाहिए।
  • उच्च कोटि के नर के वीर्य को ही लेना चाहिए।
  • वीर्य प्रवेश के लिए सही तकनीक का प्रयोग करना चाहिए।
  • मादा का स्वास्थ्य वीर्गीकरण के समय ठीक होना चाहिए। कृत्रिम संकरण के लाभ

(महत्व)-

  • स्वस्थ नर के थोड़े से वीर्यन से बहुत अधिक मादाओं में निषेचन कराया जा सकता है।
  • वीर्यन को एम्पुलों में दूर तक बिना किसी असुविधा के ले जाया जाता है।
  • नर की उपलब्धता की कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं और हर जगह अच्छे नर के वीर्य का प्रयोग किया जा सकता है।
  • इच्छित गुणों वाले पशुओं को प्राप्त किया जा सकता है।

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प्रश्न 3.
एक्वाकल्चर किसे कहते हैं ? एक्वाकल्चर में उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर
उपयोगी जलीय पौधे एवं अन्य प्राणियों के उत्पादन को एक्वाकल्चर कहते हैं। एक्वाकल्चर में मछलियों के अतिरिक्त झींगा एवं समुद्री केकड़ा का भी उत्पादन किया जाता है। एक्वाकल्चर के विभिन्न चरण
(Steps Involved in Aquaculture)

  • मत्स्य पालन केन्द्रों से मत्स्य बीज एवं अण्डों को प्राप्त किया जाता है। मछलियों के पीयूष ग्रन्थि से हॉर्मोन्स निकालकर अण्डे देने वाली मछलियों में इन्जेक्शन द्वारा प्रविष्ट कराने से अण्डोत्सर्ग शीघ्र होता है। पीयूष हॉर्मोन को ऐल्कोहॉल में संरक्षित किया जाता है।
  • अण्डों को हेचरी या नर्सरी में डाल दिया जाता है। इसका तापक्रम 27°C से 31°C होता है। 15-18 घण्टे पश्चात् शिशु निकलते हैं, जिसे हैचलिंग कहते हैं।
  • है चलिंग को पानी में रखा जाता है जिससे 4-5 दिनों के बाद यह छोटी मछली में रूपान्तरित हो जाता है, जिसे फ्राई (Fry) कहते हैं।
  • फ्राई 12-14 दिनों में 20-25 cm की हो जाती है इसे फिंगरलिंग कहते हैं।
  • फिंगरलिंग को पोषक तालाबों में स्थानान्तरित किया जाता है। यह फाइटोप्लैंक्टॉन को खाता है।
  • अन्त में इसे उत्पादक तालाबों या जलाशयों में स्थानान्तरित किया जाता है, जहाँ पर इनका वजन बढ़ता है।
  • पूर्ण विकसित मछली का वजन 5-6 किलोग्राम हो जाता है एवं 4 वर्ष के पश्चात् अण्डे देने लगती है।
  • मत्स्याखेट द्वारा इन्हें निकालकर निर्यात किया जाता है। इसका शीत भण्डारण किया जाता है, क्योंकि इसका मांस शीघ्र सड़ जाता है।

प्रश्न 4.
मुर्गीपालन के लिए आप आदर्श आवास का प्रबंध कैसे करेंगे?
उत्तर
मुर्गीपालन व्यवसाय में कुक्कुट भवनों (आवासों) का अपना अलग-अलग महत्व होता है। कुक्कुट भवन आधुनिक एवं महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले होने चाहिए। अच्छे भवन, वही समझे जाते हैं, जिनमें निम्न महत्वपूर्ण बातें हों, जैसे-

  1. सुरक्षा
  2. पर्याप्त स्थान
  3. उचित सुविधा
  4. सस्ते एवं आरामदायक
  5. स्वच्छ
  6. पानी एवं रोशनी का प्रबन्ध
  7. बाजार की निकटता तथा
  8. परजीवी व अन्य कीड़ों से सुरक्षा।

आवासों (भवनों) को बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि ये कम लागत में तैयार किये जायें और जिनमें निम्नलिखित बातों का होना भी अनिवार्य है-

  1. आवासों में नमी न रहे तथा इनसे पानी निकास की उत्तम व्यवस्था हो
  2. आवास ऐसे स्थानों पर हो जहाँ सूर्य की रोशनी दिन भर पड़ती रहे क्योंकि वह सूक्ष्म जीवों के विकास को रोकती है।
  3. वायु संचार की पर्याप्त व्यवस्था हो, क्योंकि मुर्गियों में पसीने की ग्रन्थियाँ नहीं पायी जाती इस कारण ये श्वास द्वारा ही नमी को निकालती हैं।
  4. आवास के सफाई की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
  5. मुर्गी एक कमजोर पक्षी है, जिसके बहुत अधिक शत्रु हैं इस कारण इसकी सुरक्षा व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए।

प्रश्न 5.
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में जलीय संवर्धन के माध्यम से उन्नति के अवसर हैं। विवेचना कीजिए।
उत्तर
छत्तीसगढ़ में जल संवर्धन हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों, डबरों के निर्माण की परम्परा रही है तथा आज भी समस्त ग्रामों एवं इसके विकसित शहरों में चप्पे-चप्पे पर तालाब देखे जा सकते हैं । विकास के आयामों में नहर, बाँध तथा अन्य जल संग्रहण क्षेत्र विकसित हुए हैं। इन सभी जल संग्रहण क्षेत्रों को वैज्ञानिक तकनीक से प्रबंधित किए जल संवर्धन क्षेत्र में उपयोग किया जाये तो ये उन्नति के द्वार खोलने वाले हैं तथा इसमें छत्तीसगढ़ के विकास के अवसर सन्निहित हैं।

उपयोगी जलीय जीवों को उत्पादित करने की विधि को जलीय संवर्धन कहते हैं । जलीय संवर्धन में कई उपयोगी शैवालों के अलावा जलीय जन्तुओं जैसे—मछली, झींगा, केकड़ा, मोलस्का (खाने वाले और मोती वाले) इत्यादि को पालते या संवर्धित करते हैं । वैसे तो कई जलीय जन्तुओं का संवर्धन किया जाता है, लेकिन इनमें से मत्स्य संवर्धन (Pisciculture), प्रॉन संवर्धन (Prawn culture) तथा मोती संवर्धन (Pearl culture) प्रमुख हैं । मत्स्य संवर्धन में मछलियों का, प्रॉन संवर्धन में झींगों को भोजन के लिए तथा मोती संवर्धन में मुक्ता सीपियों (Pearl oyster) को मोतियों के लिए संवर्धित किया जाता है।

प्रश्न 6.
पादपों में रोग प्रतिरोधकता से आप क्या समझते हैं ? पादपों की कुछ प्रमुख रोग प्रतिरोधी प्रजातियों के नाम बताइये। इसे किस प्रकार उत्पन्न किया जाता है ?
उत्तर
अनेक प्रकार के रोगकारक जैसे-कवक, जीवाणु तथा विषाणु उष्णकटिबन्धीय जलवायु की फसल जातियों को व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं । इन कारकों के कारण फसलों को 20-30% तक हानि या कभी-कभी पूर्ण हानि भी हो जाती है। ऐसी परिस्थितियों में रोग के प्रति प्रतिरोधी खेतिहर जातियों में प्रजनन एवं विकास से खाद्य उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इन्हें उगाने से जीवाणु एवं कवकनाशी पदार्थों का प्रयोग भी कम हो जाता है तथा उन पर निर्भरता भी कम हो जाती है। पोषी पदार्थों की प्रतिरोधकता उसकी रोगजनकों को रोग उत्पन्न करने से रोकने की क्षमता है तथा इसका निर्धारण पोषी पादप के आनुवंशिक ढाँचे द्वारा किया जाता है। प्रजनन की क्रिया अपनाने से पहले रोगकारक जीव के बारे में जानकारी तथा उसके प्रसार की क्रियाविधि की जानकारी महत्वपूर्ण है।

कवकों द्वारा उत्पन्न कुछ रोग हैं-गेहूँ का भूरा किट्ट, गन्ने का रेड रोट रोग तथा आलू में पछेती अंगमारी। विषाणु तथा जीवाणु द्वारा उत्पन्न होने वाले रोग हैं-तम्बाकू मोजैक, शलजम मोजैक, टमाटर का पर्ण बेलन, तथा जीवाणु द्वारा उत्पन्न रोग सिट्रस कैंकर, चावल का किट्ट ।

रोग प्रतिरोधकता के लिए प्रजनन विधियाँ (Methods of Breeding for Disease Resistance)
रोग प्रतिरोधकता उत्पन्न करने की परम्परागत विधियाँ निम्न हैं

  • संकर (Hybridization)
  • चयन (Selection)

इसके अन्तर्गत निम्न पदों को अपनाते हैं

  • प्रतिरोधकता स्रोतों के जनन द्रव्य को छानना।
  • चयनित जनकों का संकरण।
  • संकरों का चयन।
  • मूल्यांकन।
  • नयी किस्मों का परीक्षण तथा उसका उत्पादन।

संकरण तथा चयन द्वारा प्रजनित कुछ शस्य कवकों, जीवाणुओं तथा विषाणुओं के प्रति रोग प्रतिरोधकता होती है। ये शस्य प्रजाति नीचे तालिका में दी गई हैं
तालिका-प्रमुख फसलों की रोग प्रतिरोधक प्रजातियाँ
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रोग प्रतिरोधी जीन जो विभिन्न फसलों की प्रजातियों अथवा उनकी जंग प्रजातियों में उपलब्ध रहती है। लेकिन इनकी सीमित संख्या में उपलब्धि के कारण पारम्परिक प्रजनन प्रायः निरुद्ध होता है। पादपों में विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा उत्परिवर्तन (Mutation) को प्रेरित किया जाता है तथा बाद में प्रतिरोधकता के लिए पादप पदार्थों की स्क्रीनिंग द्वारा वांछनीय जीन की पहचान की जाती है। वांछनीय लक्षण वाले पौधों को सीधे ही गुणित किया जाता है अतः इसका प्रयोग प्रजनन के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 7.
पीड़कों (नाशी कीट) के प्रति प्रतिरोधकता के विकास के लिए पादप प्रजनन किस प्रकार सहायक है ? व्याख्या कीजिये।
उत्तर
पीड़कों के प्रति प्रतिरोधकता के विकास के लिए पादप प्रजनन (Plant breeding for the development of resistance to insect pests)
पोषी पादप फसलों से कीट प्रतिरोधकता, आकारिकी जैव रसायन या शरीर क्रियात्मक अभिलक्षणों के कारण होती है। अधिकांश पादपों में रोमिल पत्तियाँ पीड़कों के प्रति प्रतिरोधकता से सम्बन्ध रखती है। जैसे कपास में जैसिड तथा गेहूँ में धान्य पर्ण शृंग। इसी प्रकार गेहूँ के विशेष प्रकार के तने के कारण

स्टेमसॉफ्लाई उनके पास नहीं आती तथा चिकनी पत्तियों वाली तथा मकरंद विहीन कपास की प्रजातियाँ बालवर्म को अपनी ओर आकर्षित नहीं करती। उच्च एस्पार्टिक अम्ल, कम नाइट्रोजन तथा शर्करा अंश मक्का में तना छेदक के प्रति प्रतिरोधकता उत्पन्न करते हैं। पीड़क प्रतिरोधकता के लिए प्रजनन विधियों के वही क्रम लागू होते हैं, जो अन्य शस्य संबंधी विशेषकों में पाये जाते हैं । जैसे उत्पादन, गुणवत्ता आदि जिनका वर्णन ऊपर किया जा चुका है। कृषि तथा इसकी जंगली प्रजातियों के प्रतिरोधक जीन का स्रोत कृषक किस्में तथा जनन द्रव्य संग्रहण है।

नाशी कीटों के प्रति प्रतिरोधकता विकसित करने के लिए संकरण तथा चयन द्वारा प्रजनित फसलों की कुछ विमुक्त प्रजातियाँ इस प्रकार हैं
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MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1

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प्रश्न 1 से 22 तक निम्नलिखित सीमाओं के मान प्राप्त कीजिए :
प्रश्न 1.
\(\lim _{x \rightarrow 3}\) x + 3.
हल:
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प्रश्न 2.
\(\lim _{x \rightarrow \pi}\) (x – \(\frac{22}{7}\))
हल:
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प्रश्न 3.
\(\lim _{r \rightarrow 1}\)(πr2).
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-3

प्रश्न 4.
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हल:
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प्रश्न 5.
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हल:
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प्रश्न 6.
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हल:
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वैकल्पिक विधि : हम जानते हैं :
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प्रश्न 7.
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हल:
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प्रश्न 8.
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हल:
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प्रश्न 9.
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हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-17

प्रश्न 10.
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हल:
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प्रश्न 11.
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हल:
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प्रश्न 12.
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हल:
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प्रश्न 13.
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-24
हल:
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प्रश्न 14.
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हल:
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प्रश्न 15.
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हल:
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प्रश्न 16.
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हल:
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प्रश्न 17.
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हल:
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प्रश्न 18.
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हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-36

प्रश्न 19.
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हल:
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प्रश्न 20.
\(\lim _{x \rightarrow 0} \frac{\sin a x+b x}{a x+\sin b x}\), a, b, a + b ≠ 0.
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-39

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प्रश्न 21.
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हल:
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प्रश्न 22.
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हल:
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प्रश्न 23.
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हल:
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प्रश्न 24.
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हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-49
समी (i) और (ii) से,
\(\lim _{x \rightarrow 1^{-}} f(x) \neq \lim _{x \rightarrow 1^{+}} f(x)\)
∴ अतः x = 1 पर सीमा का अस्तित्व नहीं है।

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प्रश्न 25.
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हल:
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प्रश्न 26.
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हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-53

प्रश्न 27.
\(\lim _{x \rightarrow 5}\) f(x) ज्ञात कीजिए, जहाँ f(x) = |x|- 5.
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-54
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-55

प्रश्न 28.
मान लीजिए f(x) = \(\left\{\begin{array}{ll}{a+b x,} & {x<1} \\ {4,} & {x=1} \\ {b-a x,} & {x>1}\end{array}\right.\)
और यदि \(\lim _{x \rightarrow 1}\) f(x) = f(1), तो a और b के संभव मान क्या हैं?
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-56
समी (i) और (ii) को जोड़ने पर,
2b = 8 या b = 4
समी (i) में b = 4 रखने पर,
4 + a = 4 या a = 0
अतः a = 0, b = 4.

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प्रश्न 29.
मान लीजिए a1,a2,…..an, अचर वास्तविक संख्याएँ हैं और एक फलन f(x) = (x – a1) (x – a2)…..(x – an) से परिभाषित है। \(\lim _{x \rightarrow a_{1}}\) f(x) क्या है? किसी a ≠ a1,a2,…..an के लिए \(\lim _{x \rightarrow a}\) f(x) का परिकलन कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-57

प्रश्न 30.
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-58
हल:
दिया गया फलन:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-59
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-60
अतः सभी a, a ≠ 0 के लिए \(\lim _{x \rightarrow a}\) f(x) का अस्तित्व है।

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प्रश्न 31.
यदि फलन f(x), \(\lim _{x \rightarrow 1}\) \(\frac{f(x)-2}{x^{2}-1}\) = π को संतुष्ट करता है, तो \(\lim _{x \rightarrow 1}\) f(x) का मान ज्ञात कीजिए।
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-61
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-62

प्रश्न 32.
किन पूर्णांकों m और n के लिए \(\lim _{x \rightarrow 0}\) f(x) और \(\lim _{x \rightarrow 1}\) f(x) दोनों का अस्तित्व है, यदि
f(x) = \(\left\{\begin{array}{ll}{m x^{2}+n,} & {x<0} \\ {n x+m,} & {0 \leq x \leq 1} \\ {n x^{3}+m,} & {x>1}\end{array}\right.\)
हल:
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 13 सीमा और अवकलज Ex 13.1 img-63
अतः \(\lim _{x \rightarrow 0}\) f(x) के अस्तित्व हेतु m = n अनिवार्य रूप से होना चाहिए; m तथा n के किसी भी पूर्णांक मान के लिए \(\lim _{x \rightarrow 1}\) f(x) का अस्तित्व है।

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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

मानव स्वास्थ्य तथा रोग NCERT प्रश्नोत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
कौन-से विभिन्न जन स्वास्थ्य उपाय हैं, जिन्हें आप संक्रामक रोगों के विरुद्ध रक्षाउपायों के रूप में सुझाएँगे।
उत्तर
संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए हम निम्नलिखित उपाय सुझाएँगे

  • संक्रामक रोगों के प्रति टीकाकरण (प्रतिरक्षीकरण) कार्यक्रमों का आयोजन करना।
  • खाने और पानी आपूर्ति के संसाधनों का स्वच्छ रख-रखाव रखने के लिए लोगों एवं प्रशासन को प्ररित करना।
  • रोग और शरीर के विभिन्न प्रकार्यों पर उनके प्रभाव के बारे में जागरूकता लाना।
  • रोगवाहकों (वेक्टर्स) पर नियंत्रण रखने के उपायों जैसे-गंदगी के ढेर और गंदे पानी को इकट्ठा न होने देना।
  • अपशिष्टों का समुचित निपटारा करना ताकि वातावरण स्वच्छ बना रहे।

प्रश्न 2.
जैविकी के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने में किस प्रकार सहायता की
उत्तर
जीव विज्ञान में हुई प्रगति से हमें संक्रामक रोगों से निपटने के लिए कारगर हथियार मिल गये हैं। टीका (Vaccine) के उपयोग और प्रतिरक्षीकरण कार्यक्रमों से चेचक, डिफ्थीरिया, न्यूमोनिया और टिटनेस जैसे-अनेक संक्रामक रोगों का काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है। जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग से नए-नए और अधिक सुरक्षित वैक्सीन बनाये जा रहे हैं। प्रतिजैविकों एवं अन्य दूसरी औषधियों की खोज ने भी संक्रामक रोगों का प्रभावी ढंग से उपचार करने में हमें सक्षम बनाया है।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित रोगों का संचरण कैसे होता है
(1) अमीबता
(2) मलेरिया
(3) एस्केरिसता
(4) न्युमोनिया।
उत्तर
(1) अमीबता-मानव की वृहत् आंत्र में पाए जाने वाले एंटअमीबा हिस्टोलिटिका नामक प्रोटोजोअन परजीवी से अमीबता (अमीबिएसिस) या अमीबी अतिसार होता है । कोष्ठबद्धता (कब्ज), उदरीय पीड़ा और ऐंठन, अत्यधिक श्लेषमल और रक्त के थक्के वाला मल इस रोग के लक्षण हैं । घरेलू मक्खियाँ इस रोग की शारीरिक वाहक हैं और परजीवी को संक्रमित व्यक्ति के मल से खाद्य और खाद्य पदार्थों तक ले जाकर उन्हें संदूषित कर देती हैं । मल पदार्थ द्वारा संदूषित पेयजल और खाद्य पदार्थ संक्रमण के प्रमुख स्रोत हैं।

(2) मलेरिया- प्लाज्मोडियम नामक एक बहुत ही छोटा-सा प्रोटोजोअन मलेरिया के लिए उत्तरदायी है। प्लाज्मोडियम की विभिन्न जातियाँ (प्ला. वाइवैक्स, प्ला. मेलिरिआई और प्ला. फैल्सीपेरम) विभिन्न प्रकार के मलेरिया के लिए उत्तरदायी हैं। इनमें से प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम द्वारा होने वाला दुर्दम (मेलिग्नेंट) सबसे गंभीर है और यह घातक भी हो सकता है। मादा एनाफीलिज मच्छर मानव में इस रोग का संचारण करती है।

(3) एस्केरिसता-आंत्र परजीवी ऐस्केरिस से ऐस्केरिसता (ऐस्केरिएसिस) नामक रोग होता है। आंतरिक रक्तस्राव, पेशीय पीड़ा, ज्वर, अरक्तता और आंत्र का अवरोध इस रोग के लक्षण हैं। इस परजीवी के अण्डे संक्रमित व्यक्ति के मल के साथ बाहर निकल आते हैं और मिट्टी, जल, पौधों आदि को संदूषित कर देते हैं। स्वस्थ व्यक्ति में यह संक्रमण संदूषित पानी, शाक-सब्जियों, फलों आदि के सेवन से हो जाता है।

(4) न्युमोनिया- स्ट्रेप्टोकोकस न्युमोनी और हीमोफिलस इंफ्लुएंजी जैसे जीवाणु मानव में न्युमोनिया रोग के लिए उत्तरदायी हैं । इस रोग में फुप्फुस के वायुकोष्ठ संक्रमित हो जाते हैं । संक्रमण के फलस्वरूप वायुकोष्ठों में तरल भर जाता है जिसके कारण सांस लेने में गंभीर समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। ज्वर, ठिठुरन, खाँसी और सिरदर्द आदि न्युमोनिया के लक्षण हैं।

प्रश्न 4.
जल-वाहित रोगों की रोकथाम के लिए आप क्या उपाय अपनायेंगे?
उत्तर
पानी के द्वारा संचारित होने वाले कुछ मुख्य रोग हैं-टाइफॉइड, अमीबता, ऐस्केरिसता आदि। इन रोगों की रोकथाम के लिए

  • पानी को उबाल कर या फिल्टर करके पीना चाहिए। पीने के पानी को साफ बर्तन में ढंककर रखें।
  • जलाशयों, कुंडों और मलकुंडों और तालाबों की समय-समय पर सफाई करनी चाहिए।
  • मलेरिया और फाइलेरिया जैसे रोगों के रोगवाहकों और उनके प्रजनन की जगहों का नियंत्रण खत्म कर देना चाहिए। इसके लिए आवासीय क्षेत्रों में और उसके आस-पास पानी को जमा नहीं होने देना चाहिए। शीतलयंत्रों (कूलर) की नियमित सफाई, मच्छरदानी का प्रयोग, मच्छर के डिंबकों को खाने वाली गंबुजिया जैसी मछलियाँ डालनी चाहिए।खाइयों, जलनिकास क्षेत्रों और अनूपों (दलदलों) (स्वंप्स) आदि में कीटनाशकों के छिड़काव किए जाने चाहिए। इसके अतिरिक्त दरवाजों और खिड़कियों में जाली लगानी चाहिए ताकि मच्छर अन्दर न घुस सकें।

प्रश्न 5.
डी. एन. ए. वैक्सीन के संदर्भ में ‘उपयुक्त जीन’ के अर्थ के बारे में अपने अध्यापक से चर्चा कीजिए।
उत्तर
जीवाणु या खमीर में रोगजनक की प्रतिजनी पॉलीपेप्टाइड का उत्पादन पुनर्योगज डी. एन. ए. (Recombinant DNA) प्रौद्योगिकी से होने लगा है इसे उपयुक्त जीन (Suitable gene) कहा जाता है। इस विधि से बड़े पैमाने पर उत्पादित टीकों की प्रतिरक्षीकरण की उपलब्धता बढ़ गयी है। उदाहरण के लिए खमीर से बनने वाला यकृतशोथ B(Hepatitis B) इसी प्रकार का टीका है।

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प्रश्न 6.
प्राथमिक एवं द्वितीयक लसीकाओं के अंगों के नाम बताइए।
उत्तर

  • प्राथमिक लसिका अंग–अस्थिमज्जा एवं थाइमस ग्रंथि।
  • द्वितीयक लसिका अंग-प्लीहा, लसिका ग्रंथियाँ, टॉन्सिल, परिशेषिका एवं क्षुद्रांत के पेयर पेंच आदि।

प्रश्न 7.
इस अध्याय में निम्नलिखित संकेताक्षर इस्तेमाल किये गये हैं। इसका पूरा रूप बताइए
(1) एम. ए. एल. टी.
(2) सी. एम. आई.
(3) एड्स
(4) एन. ए. सी. ओ
(5) एच. आई. वी।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग 1

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में भेद कीजिए और प्रत्येक के उदाहरण दीजिए। (NCERT)
(1) सहज (जन्मजात) और उपार्जित प्रतिरक्षा
(2) सक्रिय और निष्क्रिय (अक्रिय) प्रतिरक्षा।
उत्तर
(1) सहज (जन्मजात) और उपार्जित प्रतिरक्षा में अंतर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग 2

(2) सक्रिय एवं अक्रिय प्रतिरक्षा में अंतर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग 2a

प्रश्न 9.
प्रतिरक्षी (प्रतिपिंड) अणु का अच्छी तरह नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग 3

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रश्न 10.
वे कौन-से विभिन्न रास्ते हैं जिनके द्वारा मानव प्रतिरक्षा न्यूनता विषाणु (HIV) का संचारण होता है।
अथवा
रक्त संचरण से फैलने वाले आज के भयावह रोग का नाम दो लक्षण तथा मुख्य रोकथाम के उपाय लिखिए।
अथवा
एड्स सर्वप्रथम कहाँ पाया गया ? इसके कारण, संचरण, लक्षण एवं रोकथाम के उपाय समझाइए।
अथवा
एड्स क्या है ? इसके फैलने के कारण लिखिए।
उत्तर
एड्स (AIDS) का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यून डेफीसिएन्सी सिण्ड्रोम (Acquired Immune Deficiency Syndrome) है। इसका पता सर्वप्रथम अमेरिका में सन् 1981 में लगा। यह रक्त संचरण, जननिक संसर्ग एवं माता से शिशु में फैलने वाला लैंगिक संसर्गजन्य रोग है, जिसमें रोगी की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता नष्ट हो जाती है। कारण यह ह्यूमन इम्यूनो विषाणु (HIV = Human Immuno Virus) के कारण होता है। एड्स रोग अथवा HIV का संचरण निम्न प्रकार से होता है

  • एक से अधिक स्त्रियों से सहवास।
  • संदूषित सीरिंज का प्रयोग।
  • दूषित रक्त का आदान-प्रदान
  • अंग प्रत्यारोपण।
  • कृत्रिम वीर्य सेचन तकनीक का उपयोग।
  • गर्भ के समय माता से बच्चे में।

रोग के लक्षण-AIDS के संक्रमण के फलस्वरूप अन्य लिम्फोसाइट्स को सक्रिय करने वाली सहायक “T” कोशिकाओं की संख्या में भारी कमी आती है। उग्र रूप से पीड़ित अधिकांश व्यक्ति तीन वर्ष के भीतर ही अन्य संक्रमणों या कैंसर के कारण मर जाते हैं। इससे मस्तिष्क को भारी क्षति पहुँचती है और वह अपनी स्मृति को खो देता है।

उपचार- अभी तक इस रोग के निवारण के लिए कोई उपचार नहीं है। एक बार यह रोग होने पर उस व्यक्ति का बचना असम्भव है फिर भी प्रतिरक्षा उत्तेजन विधि द्वारा शरीर में इस विषाणु की निरोधक कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि की जा सकती है।

नियंत्रण-AIDS को फैलाने से रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय काम में लाने चाहिए

  • लोगों को AIDS के घातक परिणामों की जानकारी देना चाहिए।
  • इन्जेक्शन लगाने वाली सीरिंज को एक बार प्रयोग करने के बाद फेंक देना चाहिए।
  • रुधिर देने वाले व्यक्तियों, प्रत्यारोपण के लिए वृक्क, यकृत, नेत्र का कॉर्निया, वीर्य या वृद्धि हॉर्मोन का दान करने वाले व्यक्तियों तथा गर्भधारण करने वाली स्त्रियों का निरीक्षण अनिवार्य रूप से कराना चाहिए।

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प्रश्न 11.
वह कौन-सी क्रियाविधि है जिससे एड्स विषाणु संक्रमित व्यक्ति के प्रतिरक्षा तंत्र का ह्रास करता है।
उत्तर
HIV का द्विगुणन एवं रोगजनकता-संक्रमित व्यक्ति के शरीर में आ जाने के बाद विषाणु वृहद् भक्षकाणु (मेक्रोफेज) में प्रवेश करता है जहाँ उसका आर. एन. ए. जीनोम, विलोम ट्रांसक्रिप्टेज एन्जाइम (Reverse transcriptase enzyme) की सहायता से प्रतिकृतीकरण (Replication) द्वारा विषाणु डी. एन. ए. (Viral DNA) बनता है। यह विषाणु DNA परपोषी कोशिका के डी. एन. ए. में समाविष्ट होकर संक्रमित कोशिकाओं को विषाणु कण पैदा करने का निर्देश देता है ।

वृहद् भक्षक विषाणु उत्पन्न करना जारी रखते हैं और एक HIV फैक्टरी की तरह कार्य करते हैं। इसके साथ ही HIV सहायक टी-लसीकाणुओं (TH) में घुस जाता है, प्रतिकृति बनाता है और संतति विषाणु पैदा करता है। यह क्रम बार-बार दोहराया जाता है। जिसकी वजह से संक्रमित व्यक्ति के शरीर में सहायक टी-लसिकाणुओं की संख्या में उत्तरोत्तर कमी होती है।

इस अवधि के दौरान बार-बार बुखार एवं दस्त आते हैं तथा वजन घटता है। अचानक टी-लसिकाणुओं की संख्या में गिरावट के कारण व्यक्ति जीवाणुओं, विशेष रूप से माइक्रोबैक्टीरियम, विषाणुओं, कवकों यहाँ तक कि टॉक्सोप्लाज्मा जैसे परजीवियों के संक्रमण का शिकार हो जाता है। रोगी में इससे प्रतिरक्षा न्यूनता हो जाती है और वह इन संक्रमणों से अपनी रक्षा करने में असमर्थ हो जाता है।

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प्रश्न 12.
प्रसामान्य कोशिका से कैंसर कोशिका किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर
हमारे शरीर में कोशिका वृद्धि और विभेदन अत्यधिक नियंत्रित और नियमित है। कैंसर कोशिकाओं में ये नियामक क्रियाविधियाँ टूट जाती हैं। प्रसामान्य कोशिकाएँ ऐसा गुण दर्शाती हैं जिसे संस्पर्श संदमन (कॉन्टेक्ट इनहिबिशन) कहते हैं और इसी गुण के कारण दूसरी कोशिकाओं से उनका संस्पर्श उनकी अनियंत्रित वृद्धि को संदमित करता है। ऐसा लगता है कि कैंसर कोशिकाओं में यह गण खत्म हो गया है। इसके फलस्वरूप कैंसर कोशिकाएं विभाजित होना जारी रख कोशिकाओं का भंडार खड़ा कर देती हैं जिसे अर्बुद (ट्यूमर) कहते हैं।

अर्बुद दो प्रकार के होते हैं- सुदम (बिनाइन) और दुर्दम (मैलिग्नेंट)। सुदम अर्बुद सामान्यतया अपने मूल स्थान तक सीमित रहते हैं, शरीर के दूसरे भागों में नहीं फैलते तथा इनसे मामूली क्षति होती है। दूसरी ओर दुर्दम अर्बुद प्रचुरोद्भवी कोशिकाओं का पुंज है जो नवद्रव्यीय नियोप्लास्टिक कोशिकाएँ कहलाती हैं ये बहुत तेजी से बढ़ती हैं और आस-पास के सामान्य ऊतकों पर हमला करके उन्हें क्षति पहुँचाती हैं।

प्रश्न 13.
मेटास्टैसिस का क्या मतलब है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर
अर्बुद कोशिकाएँ सक्रियता से विभाजित और वर्धित होती है जिससे वे अत्यावश्यक पोषकों के लिए सामान्य कोशिकाओं से स्पर्धा करती हैं और उन्हें भूखा मारती हैं। ऐसे अर्बुदों से उतरी हुई कोशिकाएँ रक्त द्वारा दूरदराज स्थलों पर पहुँच जाती हैं और जहाँ भी ये जाती हैं नये अर्बुद बनाना प्रारंभ कर देती हैं। मेटास्टैसिस कहलाने वाला यह गुण दुर्दम अर्बुदों का सबसे डरावना गुण है।

प्रश्न 14.
ऐल्कोहॉल/ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभावों की सूची बनाएँ।
उत्तर
ड्रग और ऐल्कोहॉल के तत्कालिक प्रतिकूल प्रभाव अंधाधुंध व्यवहार, बर्बरता और हिंसा के रूप में व्यक्त होते हैं । ड्रगों की अत्यधिक मात्रा से श्वसन-पात (रेस्पाइरेटरी फेल्योर), हृदय पात (हॉर्ट-फेल्योर) प्रमस्तिष्क रक्तस्राव (सेरेब्रल हेमरेज) के कारण समूर्छा (कोमा) और मृत्यु हो सकती है। ड्रगों का संयोजन या ऐल्कोहॉल के साथ उनके सेवन का आमतौर पर यह परिणाम अति मात्रा होती है।

युवाओं में ड्रग और ऐल्कोहॉल दुरूपयोग के सबसे सामान्य लक्षण शैक्षिक क्षेत्र में प्रदर्शन में कमी, बिना किसी स्पष्ट कारण के स्कूल या कॉलेज से अनुपस्थिति, व्यक्तिगत स्वच्छता के रूचि में कमी, विनिर्वतन, एकाकीपन, अवसाद, थकावट, आक्रमणशील और विद्रोही व्यवहार, परिवार और मित्रों से बिगड़ते संबंध, शौक की रुचि में कमी, सोने और खाने की आदतों में परिवर्तन, भूख और वजन में घट-बढ़ आदि हैं।

ड्रग/ऐल्कोहॉल के कुप्रयोग के दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं। अगर कुप्रयोगकर्ता को ड्रग/ऐल्कोहॉल खरीदने के लिए पैसे नहीं मिलें तो वह चोरी का सहारा ले सकता/सकती है। ये प्रतिकूल प्रभाव केवल ड्रग/ ऐल्कोहॉल का सेवन करने वाले तक सीमित नहीं रहता। कभी-कभी ड्रग/ऐल्कोहॉल अपने परिवार या मित्र आदि के लिए भी मानसिक और आर्थिक कष्ट का कारण बन सकता/सकती है।

जो अंत:शिरा द्वारा ड्रग लेते हैं उनको एड्स और यकृतशोथ-बी जैसे गंभीर संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है। गर्भावस्था के दौरान ड्रग एवं ऐल्कोहॉल का उपयोग गर्भ पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। महिला खिलाड़ियों द्वारा उपचयी स्टेरॉइडों के सेवन के अनुषंगी प्रभावों में पुस्त्वन, बड़ी आक्रमकता, भावदशा में उतार-चढ़ाव, अवसाद, असामान्य आर्तव चक्र, मुँह और शरीर पर बालों की अत्यधिक वृद्धि, भगशेफ का बढ़ जाना, आवाज का गहरा होना शामिल हैं। पुरुष खिलाड़ियों में मुँहासे, बढ़ी आक्रामकता, भावदशा में उतार-चढ़ाव, अवसाद, वृषणों के आकार का घटना, शुक्राणु उत्पादन में कमी, यकृत और वृक्क की संभावित दुष्क्रियता, वक्ष का बढ़ना, समयपूर्व गंजापन, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना आदि शामिल है।

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प्रश्न 15.
क्या आप ऐसा सोचते हैं कि मित्रगण किसी को ऐल्कोहॉल/ड्रग सेवन के लिए प्रभावित कर सकते हैं? यदि हाँ, तो व्यक्ति इससे कैसे अपने आप को बचा सकता है ?
उत्तर
ड्रग, ऐल्कोहॉल एवं धूम्रपान के प्रति व्यक्ति किशोर अवस्था में आकर्षित होते हैं। ऐसी प्रवृत्ति से किशोरों को रोकना होगा, क्योंकि चिकित्सा से रोकथाम (बचाव) ज्यादा अच्छा होता है। इसके लिए माता-पिता .और अध्यापकों का विशेष उत्तरदियित्व है। यहाँ दिए गए कुछ उपाय किशोरों में ऐल्कोहॉल एवं ड्रग के कुप्रयोग के रोकथाम तथा नियंत्रण के लिए विशेष रूप से कारगर होंगे

1. माता-पिता/अभिभावकों से सहायता लेना-माता-पिता और समकक्षियों से फौरन मदद् लेनी चाहिए, ताकि वे उचित मार्गदर्शन कर सकें। निकट और विश्वसनीय मित्रों से भी सलाह लेते रहना चाहिए। युवाओं की समस्या को सुलझाने के लिए समुचित सलाह से उन्हें अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने में सहायता मिलेगी।

2. संकट के लक्षणों की पहचान-माता-पिता और अध्यापकों को चाहिए कि वे बच्चों में खतरों के संकेतों को पहचाने और ध्यान दें। मित्रों को भी चाहिए कि वे ड्रग या ऐल्कोहॉल लेते देखने पर उन्हें रोकें या उनके अभिभावकों को सूचित करें। इसके बाद बीमारी को पहचानने और उसके पीछे छिपे कारणों का पता लगाने के लिए उचित उपाय करने होंगे। यह क्रिया समुचित चिकित्सकीय उपाय करने के लिए उपाय करने होंगे। यह क्रिया समुचित चिकित्सकीय उपाय करने में सहायता प्रदान करेगी।

3. व्यावसायिक और चिकित्सकीय सहायता लेना-जो व्यक्ति दुर्भाग्यवश ड्रग और ऐल्कोहॉल के कुप्रयोग रूपी दलदल में फंस गया है उसकी सहायता के लिए उच्च योग्यता प्राप्त मनोवैज्ञानिकों की उपलब्धता और व्यसन छुड़ाने तथा पुनः स्थापना कार्यक्रमों हेतु काफी सहायता उपलब्ध है।

4. शिक्षा और परामर्श -समस्याओं और दबावों का सामना करने और निराशाओं तथा असफलताओं को जीवन का एक हिस्सा समझकर स्वीकार करने की शिक्षा एवं परामर्श उन्हें देना चाहिए। यह भी उचित होगा कि बालक की ऊर्जा को खेलकूद, पढ़ाई, संगीत और पाठ्यक्रम के अलावा दूसरी स्वस्थ गतिविधियों की दिशा में भी लगाना चाहिए।

प्रश्न 16.
ऐसा क्यों है जब कोई व्यक्ति ऐल्कोहॉल या ड्रलेना शुरू कर देता है तो उस आदत से छुटकारा पाना कठिन होता है ? अपने अध्यापक से चर्चा कीजिए।
उत्तर
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐल्कोहॉल और ड्रग की अंतर्निहित व्यसनी प्रकृति है, लेकिन व्यक्ति इस बात को समझ नहीं पाता। ड्रगों और ऐल्कोहॉल के कुछ प्रभावों के प्रति लत, एक मनोवैज्ञानिक आशक्ति है। जो व्यक्ति को उस समय भी ड्रग एवं ऐल्कोहॉल लेने के लिए प्रेरित करने से जुड़ी है जबकि उनकी जरूरत नहीं होती या उनका इस्तेमाल आत्मघाती है। ड्रग के बार-बार उपयोग से हमारे शरीर में मौजूद ग्राहियों का सह्य स्तर बढ़ जाता है।

इसके फलस्वरूप ग्राही, ड्रगों या ऐल्कोहॉल की केवल उच्चतर मात्रा के प्रति अनुक्रिया करते हैं, जिसके कारण अधिकाधिक मात्रा में लेने की लत पड़ जाती है। लेकिन एक बात बुद्धि में बिल्कुल स्पष्ट होनी चाहिए कि इन ड्रग को एक बार लेना भी व्यसन बन सकता है। इस प्रकार, ड्रग और ऐल्कोहॉल की व्यसनी शक्ति उन्हें इस्तेमाल करने वाले/वाली को एक दोषपूर्ण चक्रा में घसीट लेते हैं, जिनसे इनका नियमित सेवन (कुप्रयोग) करने लगते हैं और इस चक्र से बाहर निकलना उनके बल में नहीं रहता। किसी मार्गदर्शन या परामर्श के अभाव में व्यक्ति व्यसनी (लती) बन जाता है और उनके ऊपर आश्रित होने लगता |

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प्रश्न 17.
व्यसन के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
आपके विचार से किशोरों को ऐल्कोहॉल या ड्रग के सेवन के लिए क्या प्रेरित करता है और इससे कैसे बचा जा सकता है ?
उत्तर
व्यसन के प्रमुख कारण-
1. उत्सुकता-संचार माध्यमों के विज्ञापन व्यक्ति को नशीले पदार्थों को जानने की उत्सुकता पैदा करते हैं जिसके कारण सेवन करता है।

2. उत्तेजना एवं अपूर्व आनंद की प्राप्ति-कुछ मादक द्रव्य उत्तेजक प्रकृति के होते हैं। ये उन युवाओं को जिन्हें शारीरिक क्षमता की चाह होती है आकर्षित करते हैं। इसके सेवन से अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है। इसकी वास्तविक धारणा यह है कि इन दवाओं के सेवन से शारीरिक एवं मानसिक दुर्बलता आती है।

3. अधिक कार्यक्षमता की इच्छा-ऐसी भ्रान्ति है कि मादक द्रव्यों के सेवन से व्यक्ति में स्फूर्ति आती है और वह अधिकाधिक शारीरिक एवं मानसिक कार्य कर सकता है, इसी कारण कुछ नशीली दवाओं तथा मादक द्रव्यों का सेवन युवाओं द्वारा किया जाता है, किन्तु वास्तविकता यह है कि इस प्रकार के पदार्थ शारीरिक एवं मानसिक क्षमता को कम करके थकान बढ़ाते हैं।

4. कल्पना लोक की सैर-कुछ मादक द्रव्य वास्तविक दुनिया से व्यक्ति को पृथक् कर देते हैं जिससे इन्हें क्षणिक आनन्द की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को नई सौन्दर्य भावना एवं आनन्द का अनुभव होता है। इन क्षणिक सुखों की प्राप्ति के लिए व्यक्ति नशीली दवाओं तथा पदार्थों का सेवन करते हैं जिनकी देखा-देखी परिवार के छोटे सदस्य भी नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।

5. सामाजिक दबाव-कभी-कभी ऐसा भी होता है कि किसी समारोह में नशीली दवाओं के सेवन हेतु किसी नये व्यक्ति पर बार-बार दबाव डाला जाता है। इस दबाव के कारण कमजोर इच्छा शक्ति वाले व्यक्ति इन दवाओं का सेवन कर लेते हैं और आनन्द की अनुभूति होने पर वे बार-बार इनका सेवन प्रारम्भ कर देते हैं।

6. निराशाओं एवं चिन्ता से छुटकारा-चूँकि मादक पदार्थ व्यक्ति को वास्तविक परिस्थिति से दूर कर देते हैं और वह नशे में डूबकर अपने दुःख दर्द को कुछ समय के लिये भुला देता है। इस कारण वह दुःखों को अस्थाई रूप से भुला देने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लगता है, लेकिन यह तरीका व्यक्ति को कायर बनाकर उसमें मुकाबला करने की शक्ति को कम करता है।

7. पारिवारिक इतिहास-अनेक परिवारों में बड़े सदस्य खुलेआम नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं जिनकी देखा-देखी परिवार के छोटे सदस्य भी नशीले पदार्थों का सेवन करने लगते हैं।

8. व्यापारिक प्रचार एवं असामाजिक तत्व-कई बार दवा कम्पनियों के विज्ञापन भी नशीले पदार्थों के सेवन की ओर किशोरों तथा युवाओं को आकर्षित करते हैं। कुछ असामाजिक तत्त्व भी बालक-बालिकाओं को । फुसलाकर उन्हें नशीले पदार्थों का आदी बना देते हैं और बाद में उनसे गैर-कानूनी कार्य करवाते हैं।

मानव स्वास्थ्य तथा रोग अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

मानव स्वास्थ्य तथा रोग वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
पोलियो, डिफ्थीरिया एवं टिटेनस से बचाव हेतु उपयोगी टीका है
(a) B.C.G.
(b) D.P.T.
(c) M.M.R.
(d) S.T.D.
उत्तर
(b) D.P.T.

प्रश्न 2.
रोग समाप्त हो जाने के बाद शरीर में उत्पन्न रोग प्रतिरोधक क्षमता कहलाती है
(a) सक्रिय प्रतिरक्षण
(b) निष्क्रिय प्रतिरक्षण
(c) (a) और (b) दोनों
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(a) सक्रिय प्रतिरक्षण

प्रश्न 3.
कैंसर का संबंध होता है
(a) ऊतकों की अनियंत्रित वृद्धि से …
(b) बुढ़ापे से
(c) ऊतकों के नियंत्रित विभाजन से
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(a) ऊतकों की अनियंत्रित वृद्धि से

प्रश्न 4.
चेचक के विरुद्ध टीका लगाने का अभिप्राय है
(a) जन्तुओं द्वारा प्राप्त W.B.Cs. का
(b) अन्य जन्तुओं से उत्पन्न प्रतिरक्षियों का
(c) प्रतिरक्षियों का
(d) दुर्बल किये गये चेचक विषाणु का।
उत्तर
(d) दुर्बल किये गये चेचक विषाणु का।

प्रश्न 5.
सिफिलिस एक लैंगिक प्रसारित रोग है, जो उत्पन्न होता है
(a) पैस्टुला द्वारा
(b) लेप्टोस्पाइरा द्वारा
(c) ट्रिपेनिमा पेलाइडम द्वारा
(d) विब्रियो द्वारा।
उत्तर
(c) ट्रिपेनिमा पेलाइडम द्वारा

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प्रश्न 6.
प्रतिरक्षी होता है
(a) एक अणु जो एक विशेष प्रतिजन को ही नष्ट करता है
(b) W.B.Cs. जो जीवाणु का भक्षण करते हैं
(c) स्तनी के R.B.Cs. का स्रावण
(d) न्यूक्लियस का घटक।
उत्तर
(a) एक अणु जो एक विशेष प्रतिजन को ही नष्ट करता है

प्रश्न 7.
एलर्जी का एक रूप है
(a) दमा
(b) पीली आँखें
(c) टाइफॉइड
(d) गलफुल्ली
उत्तर
(a) दमा

प्रश्न 8.
मानव में AIDS विषाणु कैसे प्रवेश पाता है
(a) भोजन से
(b) चुम्बन से
(c) जल से
(d) खून से।
उत्तर
(d) खून से।

प्रश्न 9.
टीकों की खोज का श्रेय किसे जाता है
(a) एलेक्जेण्डर फ्लेमिंग
(b) एडवर्ड जेनर
(c) लुई पाश्चर
(d) राबर्ट कोच।
उत्तर
(b) एडवर्ड जेनर

प्रश्न  10.
रुधिर में होने वाला कैंसर है
(a) कार्योनोमा
(b) सारकोमा
(c) लिम्फोमा
(d) ल्यूकेमिया।
उत्तर
(d) ल्यूकेमिया।

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प्रश्न 11.
हिपेटाइटिस-B सतह प्रतिजन है
(a) शुद्ध प्रतिजन टीका
(b) आनुवंशिक टीका
(c) पुनर्योगज टीका
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(c) पुनर्योगज टीका

प्रश्न 12.
एड्स परीक्षण जाना जाता है
(a) एलिसा
(b) आस्ट्रेलियन एण्टीजन
(c) HIV परीक्षण
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(c) HIV परीक्षण

प्रश्न 13.
लिवर कैंसर का कारण है
(a) शराब
(b) तम्बाकू
(c) उपर्युक्त दोनों
(d) कोई नहीं।
उत्तर
(a) शराब

प्रश्न 14.
प्रोब का उपयोग है
(a) अंगुली छापन में
(b) जीन के पृथक्करण में
(c) रोगजनकों की पहचान में
(d) उपर्युक्त सभी में।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी में।

प्रश्न 15.
मोनोक्लोनल एण्टीबॉडीज़ का उपयोग है
(a) रुधिर समूहों की पहचान में
(b) रोगजनकों की विश्वसनीय पहचान में
(c) कैंसर की विश्वसनीय पहचान में
(d) उपर्युक्त सभी में।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी में।

प्रश्न 16.
भ्रूण संबंधी असमान्यताओं का अध्ययन कहलाता है
(a) ट्राइकोलॉजी
(b) टेरेन्टोलॉजी
(c) ट्रामैटोलॉजी
(d) टर्मिटोलॉजी।
उत्तर
(b) टेरेन्टोलॉजी

प्रश्न 17.
गर्भ के दौरान महिलाओं द्वारा थैलिडोमाइड के उपयोग से भ्रूण में होने वाला रोग कहलाता
(a) वैजाइनल कार्सिनोमा
(b) माइक्रोसिफैली
(c) फोकोमेलिया
(d) वाइरीलिज्म।
उत्तर
(c) फोकोमेलिया

प्रश्न 18.
ऐसा रासायनिक पदार्थ जिसके उपयोग से अनुभव या प्रेरणा ग्रहण करने की शक्ति समाप्त हो जाती है उसे कहते हैं
(a) शामक
(b) एनाल्जेसिक
(c) एस्थेटिक
(d) उत्तेजक।
उत्तर
(c) एस्थेटिक

प्रश्न 19.
अफीम को पौधे के किस भाग से प्राप्त किया जाता है
(a) पत्तियों से
(b) फल से
(c) बीजों से
(d) छाल से।
उत्तर
(b) फल से

प्रश्न 20.
सर्वाधिक घातक हेल्युसिनोजेन है
(a) अफीम
(b) मार्फीन
(c) L.S.D
(d) हेरोइन।
उत्तर
(c) L.S.D

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प्रश्न 21.
चाय में पाया जाने वाला उत्तेजक पदार्थ है
(a) टेनिन
(b) कोकीन
(c) कैफीन
(d) फ्रेक।
उत्तर
(c) कैफीन

प्रश्न 22.
निम्न में से कौन एक औपिएट नारकोटिक है
(a) बरबीचुरेट
(b) मार्फीन
(c) एम्फोटेमाइन
(d) L.S.D
उत्तर
(b) मार्फीन

प्रश्न 23.
मन परिवर्तन करने वाली औषधि है
(a) साइकोट्रापिक
(b) हेल्यूसिनोजेन्स
(c) बरबीचुरेट्स
(d) उत्तेजक।
उत्तर
(a) साइकोट्रापिक

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. रोगों का जर्म सिद्धांत ………………. ने दिया था।
2………………. आनुवंशिक अभियांत्रिकी द्वारा निर्मित प्रथम मानव इंसुलिन है।
3. AIDS……………… संचारित रोग है।
4. गोनोरिया ……………… के द्वारा होता है।
5. कैंसर के लिये उत्तरदायी जीन को ………………. कहते हैं।
6. रक्त के कैंसर को ………………. कहते हैं। मानव स्वास्थ्य तथा रोग
7. हिपेटाइटिस रोग …………….. के द्वारा होता है।
8. आदर्श टीका ………………. नहीं होना चाहिए।
9. …………… में रोग जनक जीवित अवस्था में होते हैं।
10. ………………. रक्त कैन्सर कहलाता है।
11. आसवित पेय में ………….. से अधिक एल्कोहॉल होता है।
12. रोगजनक की श्रेष्ठ जैव तकनीक ………………. है।
13. विश्व रेडक्रॉस दिवस ……………….. को मनाया जाता है।
14. नशीले पदार्थ के मिश्रण को. …………….. कहते हैं।
15. बेंजोडाइएजोपिन्स एक ……………….. औषधि है।
16. विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस ……………… को मनाया जाता है।
17. एल. एस. डी. नामक औषधि को ………….. नामक कवक से प्राप्त किया जाता है।
18. बिना निद्रा के शारीरिक तनाव एवं व्यग्रता से मुक्त करने वाली औषधियों को …………….. कहते
19. भ्रूण की आकारिकीय असामान्यताओं का अध्ययन ……………….. कहलाता है।
20. महिलाओं की वृद्धि दर ……………….. वर्ष बाद रूक जाती है।
21. मैथुन द्वारा संचारित रोग ……………….. कहलाते हैं।
उत्तर

  1. राबर्ट कोच
  2. ह्यूम्यूलिन
  3. लैंगिक रूप से
  4. निसेरिया गोनोरी
  5. ओन्कोजीन
  6. ल्यूकेमिया,
  7. विषाणु
  8. रोगजनक तथा विषाक्त
  9. जीवित टीकों
  10. ल्यूकेमिया
  11. 20 %,
  12. टीकाकरण
  13. 8 मई
  14. कॉकटेल
  15. सायकोट्रापिक
  16. 10 दिसम्बर
  17. क्लेविसेप्स परप्यूरिया
  18. कुलाइजर्स
  19. टेकैन्टोलॉजी
  20. 20
  21. यौन संबंधी रोग।

3. सही जोड़ी बनाइए

I. ‘A’ – ‘B’

1. विश्व रेडक्रॉस दिवस – (a) इरीथ्रोजाइलॉम कोका
2. विश्व स्वास्थ्य दिवस – (b) पैपावर सोमेनीफेरम
3. विश्व तम्बाकू निषेध दिवस – (c) क्लैवीसेप्स परप्यूरिया
4. कोकेन – (d) 31मई
5. अफीम – (e) 8 मई
6. एल.एस.डी – (f) 7 अप्रैल।
उत्तर
1. (e), 2. (1), 3. (d), 4. (a), 5. (b), 6. (c).

II. ‘A’ – ‘B’

1. एड्स – (a) हापज सिम्प्लेक्स
2. जेनाइटल हीज – (b) हीमोफिलस ड्यूक्रेयई
3. सिफलिस – (c) नैजेरिया गोनोरिया
4. कैन्फ्रॉइड – (d) यौन संक्रमित रोग
5. गोनोरिया – (e) ट्रेपोनेमा पैलीडम।
उत्तर
1. (d), 2. (a), 3. (e), 4. (b), 5. (c).

III. ‘A’ – ‘B’

1. AIDS – (a) विषाणुरोधी प्रोटीन
2. प्रतिजैविक – (b) जैव युद्ध
3. इन्टरफेरॉन – (c) B.C.G
4. एन्थैक्स – (d) S.T.D
5. T.B. – (e) एलेक्जेण्डर फ्लेमिंग।
उत्तर
1. (d), 2. (e), 3. (a), 4. (b), 5. (c).

IV. ‘A’ – ‘B’

1. AIDS – (a) टीकाकरण
2. रोग निरोध – (b) ई. कोलाई से प्राप्त इन्सुलिन (मानव निर्मित इन्सुलिन)
3. किण्वन – (c) एण्टी रेट्रोवायरल
4. ह्यूम्यूलिन – (d) यीस्ट
5. मोतीझरा – (e) जीवाणु रोग।
उत्तर
1. (c), 2. (a), 3. (d), 4. (b), 5. (e).

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. रोगों का जर्म सिद्धान्त किसने दिया था ?
2. मलेरिया परजीवी के वाहक का नाम लिखिये।
3. आनुवंशिक अभियांत्रिकी द्वारा निर्मित इन्सुलिन का नाम लिखिये।
4. HIV का पूरा नाम लिखिये।
5. डिप्थीरिया, पोलियो एवं कुकुर खाँसी के वैक्सीन का नाम लिखिए।
6. ओपियम का स्रोत क्या होता है ?
7. उत्तेजक पदार्थ के दो उदाहरण दीजिए।
8. तम्बाकू में पाये जाने वाले हानिकारक रासायनिक यौगिक का नाम लिखिए।
9. L.S.D. के स्रोत का नाम लिखिए।
10. किन्हीं चार शामक औषधियों के नाम लिखिए।
11. ट्रंक्वीलाइजर का एक उदाहरण भी दीजिए।
12. मनुष्य के विचार एवं भावनाओं को परिवर्तित करके भ्रम की स्थिति पैदा करने वाली औषधियों को क्या कहते हैं?
उत्तर

  1. रॉबर्ट कोच
  2. प्लाज्मोडियम
  3. ह्यूम्यूलिन
  4. ह्यूमन इम्यूनोडेफीसिएन्सी वाइरस
  5. DPT वैक्सीन,
  6. पैपावर सोमेनीफेरम
  7. कैफीन, कोकीन
  8. निकोटिन
  9. क्लैवीसेप्स परप्यूरिया (कवक)
  10. (i) हेक्साबार्बिटॉल, (ii) मीथोहेक्सीटॉल, (iii) वेलियम, (iv) ऑक्साजेपाम
  11. फिनोथियोजीनेस
  12. बार्बीचुरेट्स।

मानव स्वास्थ्य तथा रोग अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मलेरिया परजीवी के वाहक का नाम लिखिए।
उत्तर
मादा एनाफिलीज मच्छर।

प्रश्न 2.
HIV का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
ह्यूमन इम्यूनो-डेफिसियेंसी वाइरस।

प्रश्न 3.
डिफ्थीरिया, पोलियो एवं कुकुर खाँसी से बचाव हेतु लगाये जाने वाले टीके का नाम लिखिए।
उत्तर
D.PT. वैक्सीन एवं पोलियो वैक्सीन

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प्रश्न 4.
ELISA का नाम लिखिए।
उत्तर
एन्जाइम लिन्क्ड इम्यूनो सॉर्बेन्ट असे।

प्रश्न 5.
कीमोथैरेपी से किस रोग का इलाज किया जाता है ?
उत्तर
कैन्सर का।

प्रश्न 6.
ओपियम का स्रोत क्या होता है?
उत्तर
अफीम।

प्रश्न 7.
उत्तेजक पदार्थों के तीन उदाहरण लिखिए।
उत्तर
कैफीन, कोकीन, एम्फीमाइन्स!

प्रश्न 8.
तम्बाकू में पाये जाने वाले हानिकारक रासायनिक यौगिक का नाम लिखिए।
उत्तर
निकोटिन।

प्रश्न 9.
LSD के स्रोत का नाम लिखिए।
उत्तर
क्लैविसेप्स परप्यूरिया

प्रश्न 10.
ट्रैकुलाइजर का एक उदाहरण भी दीजिये।
उत्तर
फेनोथाइएजीन।

प्रश्न 11.
मनुष्यं के विचार एवं भावनाओं को परिवर्तित करके भ्रम की स्थिति पैदा करने वाली औषधियों को क्या कहते हैं ?
उत्तर
सायकोडेलिक।

प्रश्न 12.
HIV संक्रमण से होने वाली बीमारी कौन-सी है ?
उत्तर
AIDSI

प्रश्न 13.
एड्स का परीक्षण किसके द्वारा किया जाता है ?
उत्तर
ELISA परीक्षण द्वारा।।

प्रश्न 14.
वर्तमान में देश के विभिन्न भागों में चिकनगुनिया रोग की पुष्टि हुई है। इस रोग के लिए उत्तरदायी वाहक (वेक्टर) का नाम लिखिए।
उत्तर
चिकनगुनिया रोग के लिए वेक्टर का नाम एडीज मच्छर है।

प्रश्न 15.
प्रतिरक्षा कितने प्रकार की होती है ? नाम लिखिए।
उत्तर
प्रतिरक्षा दो प्रकार की होती है, जिन्हें क्रमशः सहज तथा उपार्जित प्रतिरक्षा कहते हैं।

प्रश्न 16.
वयस्क कृमि वुचेरिया शरीर में कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर
वयस्क कृमि लिम्फ ग्रंथियाँ व लिम्फ मार्ग में पाया जाता है।

प्रश्न 17.
अर्बुद कितने प्रकार के होते हैं ? नाम लिखिए।
उत्तर
अर्बुद दो प्रकार के होते हैं-

  • सुदम (बिनाइन) और
  • दुर्दम (मैलिग्नेंट)।

प्रश्न 18.
एड्स रोग से शरीर को कौन-सी प्रमुख हानि होती है ?
उत्तर
एड्स रोग में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है।

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प्रश्न 19.
गुटका सेवन करने वाले व्यक्ति के जबड़े की मांसपेशियाँ कठोर हो जाने के कारण उसका जबड़ा ठीक से नहीं खुलता है। संभावित रोग का नाम बताइए।
उत्तर
सबम्यूकस फाइब्रोसिस रोग होता है।

प्रश्न 20.
डी. पी. टी. (DPT) टीके का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
डिफ्थीरिया पटुंसिस टिटेनस।

प्रश्न 21.
कैंसर में दी जाने वाली दवाओं व उपचार के पार्श्व प्रभाव (Side effect) बताइए।
उत्तर
बालों का झड़ना एवं एनीमिया ।

प्रश्न 22.
NAC का पूरा नाम बताइए।
उत्तर
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन।

प्रश्न 23.
मरीजुआना किस पौधे का सत्व (Extract) है ? नाम बताइए।
उत्तर
भांग (केनाविस सेटाइवा)।

प्रश्न 24.
अफीम, मार्फीन, हेरोइन, पेथीडीन तथा मेथेडॉन को सामूहिक रूप से क्या कहते
उत्तर
ओपिमेट नार्कोटिक्स।

प्रश्न 25.
मैरी मैलॉन का उपनाम क्या है ?
उत्तर
मैरी मैलॉन का उपनाम “टाइफॉइड मैरी है।

प्रश्न 26.
मनुष्य के शरीर में प्रवेश करने के बाद HIV जिन दो कोशिकाओं को गुणित करता है, उनके नाम लिखिए।
उत्तर
मैक्रोफेजेज तथा सहायक T-लिम्फोसाइड्स।

प्रश्न 27.
न्यूमोनिया रोग में शरीर के कौन से अंग संक्रमित होते हैं ?
उत्तर
फुफ्फुस (Lungs) के वायुकोष्ठ (Alveoli) संक्रमित होते हैं।

प्रश्न 28.
तीव्र ज्वर, भूख की कमी, पेट में दर्द तथा कब्ज से पीड़ित लक्षणों के आधार पर चिकित्सक किस प्रकार पुष्टि करेगा कि व्यक्ति को टाइफॉइड है, अमीबिसिस नहीं?
उत्तर
टाइफॉइड रोग की पुष्टि विडाल परीक्षण के द्वारा की जाती है।

प्रश्न 29.
एल. एस. डी. (LSD) का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
लाइसार्जिक अम्ल डाइएथिल एमाइड्स।

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प्रश्न 30.
कैंसर उत्पन्न करने वाले विषाणु क्या कहलाते हैं ?
उत्तर
कैंसर उत्पन्न करने वाले विषाणु अर्बुदीय विषाणु (ओन्कोजेनिक वाइरस) कहलाते हैं।

प्रश्न 31.
विशिष्ट इम्यूनिटी को प्राप्त करने के लिए आवश्यक दो मुख्य कोशिकाओं के समूहों के नाम लिखिए।
उत्तर

  • T-लिम्फोसाइट्स
  • B-लिम्फोसाइट्स।

प्रश्न 32.
लसीकाभ अंग किसे कहते हैं ?
उत्तर
वे अंग जिनमें लसीकाणुओं की उत्पत्ति, परिपक्वन एवं प्रयुरोद्भवन होता है, लसीकाभ अंग कहलाता है।

मानव स्वास्थ्य तथा रोग लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मेटास्टेसिस का क्या मतलब है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर
अर्बुद कोशिकाएँ सक्रियता से विभाजित और वर्धित होती हैं जिससे वे अत्यावश्यक पोषकों के लिए सामान्य कोशिकाओं से स्पर्धा करती है और उन्हें पोषण के अभाव में रखती हैं। ऐसे अर्बुदों से उतरी हुई कोशिकाएँ रक्त द्वारा दूरदराज स्थलों पर पहुँच जाती हैं और जहाँ ये भी पहुँचती हैं नये अर्बुद बनाना प्रारंभ कर देती है। मेटास्टेसिस कहलाने वाला यह गुण दुर्दम अबुंदों का सबसे खतरनाक गुण है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए
(1) प्रतिरोधकता
(2) वैक्सीन
(3) इन्टरफेरॉन
(4) टीकाकरण।
उत्तर
(1) प्रतिरोधकता-प्रत्येक जीव में रोगों से लड़ने या बचाव की क्षमता पायी जाती है। जीवों की रोगों से लड़ने की इस क्षमता को प्रतिरोधकता या प्रतिरक्षा कहते हैं।

(2) वैक्सीन-ऐसी औषधि जिसमें किसी रोग के कमजोर रोग कारक जीव होते हैं तथा उसका उपयोग रोग के प्रति प्रतिरोधकता को उत्पन्न करने में किया जाता है, उसे ही वैक्सीन कहते हैं। उदाहरण-पोलियो वैक्सीन।

(3) इन्ट फेरॉन-हमारी कोशाओं से बने ऐसे प्रोटीन जो विषाणुओं तथा कुछ दूसरे पदार्थों के कोशिका में प्रवेश करने से बनते हैं। इन्टरफेरॉन कहलाते हैं। ये रोगाणुओं व विषाणुओं के प्रभाव को नष्ट कर रोगों से बचाते हैं।

(4) टीकाकरण-टीकाकरण वह उपाय है जिसके द्वारा किसी जीव में किसी रोग के प्रति उपार्जित प्रतिरोधकता पैदा की जाती है।

प्रश्न 3.
जन्मजात एवं अर्जित प्रतिरोधकता में अन्तर लिखिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग 4

प्रश्न 4.
स्वप्रतिरोधकता किसे कहते हैं ?
उत्तर
स्व प्रतिरोधकता (Auto-immunity)-वह प्रतिरोधकता जो जीवों में अपनी ही रचनाओं के खिलाफ पैदा हो जाती है, स्व-प्रतिरोधकता कहलाती है। यह प्रतिरोधकता कई बीमारियों को पैदा कर देती है। ये बीमारियाँ इस बात पर निर्भर करती हैं कि शरीर कि रचना के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हुई है।

उदाहरणस्वरूपयदि शरीर में R.B.Cs. के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हुई है, तो यह अपनी ही R.B.Cs को नष्ट करके ऐनीमिया रोग पैदा करती है, लेकिन यदि पेशी कोशिकाओं के प्रति प्रतिरोधकता विकसित हो जाए तो यह पेशी कोशिकाओं को नष्ट करके शरीर में कमजोरी पैदा करती है। इसी प्रकार यदि यकृत कोशिकाओं के प्रति प्रतिरोधकता विकसित होती है, तो यह यकृत कोशिकाओं को नष्ट करके हिपेटाइटिस रोग पैदा करती है, अतः स्व-प्रतिरोधकत. डिजनरेटिव बीमारियों को पैदा करती है।

प्रश्न 5.
एलर्जन क्या है ? एलर्जी किस प्रकार उत्पन्न होती है ?
उत्तर
एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थों को एलर्जन कहते हैं। एलर्जन का प्रारम्भिक उद्भासन शरीर में अति संवेदनशीलता उत्पन्न करता है लेकिन एलर्जी उत्पन्न नहीं करता है। शरीर बाद में प्राथमिक प्रतिरक्षित अनुक्रिया विकसित कर लेता है, जिसमें B कोशाएँ प्रतिरक्षा उत्पन्न करती हैं किन्तु लगातार आक्रमण से कई बार प्रतिरक्षियाँ परास्त हो जाती हैं। इस संघर्ष मे हिस्टामाइन नामक रसायन शरीर में उत्पन्न होकर द्वितीयक प्रतिरक्षित अनुक्रिया अथवा एलर्जी उत्पन्न करता है, इसे वीभत्स खुराक कहते हैं। इससे त्वचा पर खुजली, दरारें, आँखों से पानी निकलना, हाँफना, छींकना, सूजन आदि लक्षण दिखायी पड़ते हैं।

प्रश्न 6.
B-कोशिका एवं T-कोशिका क्या है ?
अथवा
T-कोशिका क्या है?
उत्तर
श्वेत रुधिर कोशिकाएँ (लिम्फोसाइट्स) शरीर प्रतिरक्षात्मक तन्त्र की मुख्य कोशिकाएँ होती हैं। शरीर प्रतिरक्षात्मक तंत्र की लिम्फोसाइट्स दो प्रकार की होती हैं, जिन्हें B-कोशिका एवं T-कोशिका कहते हैं। ये दोनों कोशिकाएँ भ्रूणीय अवस्था में यकृत कोशिकाओं और वयस्क अवस्था में अस्थिमज्जा की कोशिकाओं द्वारा बनती हैं। रे दोनों कोशिकायें परिपक्व होने के बाद शरीर के रुधिर एवं लसीका के साथ परिसंचरित होती रहती हैं । T-कोशिकाएँ कोशिकीय प्रतिरक्षा तथा B-कोशिकाएँ प्रतिरक्षियों के निर्माण करने का कार्य करती हैं।

प्रश्न 7.
D.P.T. का टीका किन-किन रोगों से बचाव करता है ? प्रत्येक बीमारी के रोग कारक का नाम लिखिये।
उत्तर
यह टीका निम्नलिखित तीन बीमारियों से बचने के लिए लगाया जाता है

  • डिफ्थीरिया
  • कुकुर खाँसी
  • टिटेनस।

रोगकारक का नाम जीवाणु

  • डिफ्थीरिया – कोर्नीबैक्टीरिया डिफ्थेरी
  • कुकुर खाँसी – बोर्डेटेला पुर्टसिस (जीवाणु)
  • टिटेनस – क्लॉस्ट्रीडियम टिटैनी।

प्रश्न 8.
सुजननिकी किसे कहते हैं ?
उत्तर
सुजननिकी (Eugenics)-सुजननिकी वह विधि है, जिसके द्वारा भावी मानव पीढ़ी को आनुवंशिक आधार पर सुधारने का प्रयास किया जाता है। आजकल यह जीव विज्ञान की एक शाखा का रूप ले चुकी है। सुजननिकी में मानव सुधार के लिए दो कार्य किये जाते हैं। पहले कार्य द्वारा शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्तियों को प्रजनन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

प्रश्न 9.
एलर्जी क्या है ? इसके कारणों को समझाइए।
अथवा
एलर्जी का प्रतिरक्षात्मक तन्त्र से क्या संबंध है ?
उत्तर
जब हमारे शरीर में ऐसा पदार्थ प्रवेश करता है, जिसके प्रति उच्च प्रतिरोधक क्षमता का विकास हो गया है, तब अचानक तीव्रता से हमारे शरीर में प्रतिरोधात्मक क्रियाएँ होने लगती हैं, जो पूरे शरीर में शोथ, जलन, खुजली या दाने के रूप में दिखाई देती हैं, इन्हीं सभी क्रियाओं को एक साथ एलर्जी कहते हैं। अतः एलर्जी हमारे शरीर में उच्च प्रतिरोधकक्षमता का प्रतीक है। धूल तथा परागकणों, सौन्दर्य प्रसाधनों, विविध रसायनों तथा रोगकारकों के कारण एलर्जी के लक्षण दिखाई देते हैं।

प्रश्न 10.
टीकाकरण प्रतिरक्षा में किस प्रकार उपयोगी है ?
उत्तर
टीकाकरण वह उपाय है जिसके द्वारा किसी जीव में किसी रोग के प्रति प्रतिरोधकता को पैदा किया जाता है। इस तकनीकी में कमजोर रोगकारक जीव को शरीर में प्रवेश करा दिया जाता है तब शरीर का प्रतिरक्षात्मक तंत्र प्रेरित होकर इस रोगकारक के प्रति प्रतिरक्षियों का निर्माण करके रोगप्रतिरोधात्मक क्षमता का विकास कर लेता है, और जब वास्तविक रोगाणु शरीर में प्रवेश करते हैं तब ये प्रतिरक्षी उसे नष्ट कर देते हैं और रोग से जीव की रक्षा हो जाती है। रोगकारकों या रोगाणुओं के कृत्रिम रूप से प्रवेश कराने वाले कारक को टीका कहते हैं। आजकल बच्चों को पोलियो, टिटेनस, डिप्थीरिया, कुकुर खाँसी, चेचक आदि के टीके लगाये जाते हैं।

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प्रश्न 11.
औषधि व्यसन क्या है ? इसके क्या कारण होते हैं ?
उत्तर
शारीरिक तथा मानसिक रूप से नशीली दवाओं एवं नशीले पदार्थों पर निर्भरता व्यसन (Addition) कहलाता है।
सामाजिक दबाव या उत्सुकतावश नशीले पदार्थों का सेवन करके उत्तेजन तथा रोमांच का अनुभव होता है। व्यक्ति तीव्र इच्छा शक्ति के अभाव में लगातार सेवन करता है और एक समय ऐसा आता है कि वह चाहकर भी नहीं छोड़ पाता इस स्थिति को व्यसन कहते हैं। इसके प्रमुख कारण हैं-

  • उत्सुकता
  • उत्तेजना एवं अपूर्व आनन्द की प्राप्ति
  • अधिक कार्यक्षमता की इच्छा
  • कल्पना लोक की सैर
  • सामाजिक दबाव
  • निराशाओं और चिन्ता से छुटकारा
  • पारिवारिक इतिहास
  • व्यापारिक प्रचार एवं असामाजिक तत्व
  • दर्द से आराम
  • स्वर्गलोक की सैर।

प्रश्न 12.
शामक एवं ट्रैकुलाइजर्स में क्या अन्तर है ?
उत्तर
शामक एवं ट्रैकुलाइजर्स में अन्तर.
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग 5

प्रश्न 13.
L.S.D. के स्रोत का नाम लिखिए। इसके कुप्रभावों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर
लाइसर्जिक एसिड डाइएथिलेमाइड (L.S.D.) हल्का नशीला पदार्थ जो मस्तिष्क पर अस्थायी असर डालता है। इसे क्लेविसेप्स परप्यूरिया नामक कवक के वर्धा भाग से प्राप्त किया जाता है। ये कवक राई के पौधे में एर्गाट (Ergot) नामक बीमारी पैदा करता है। इससे राई के बाल के दानों में इस कवक के तन्तु गुच्छे के रूप में विकसित होते हैं इसे एर्गाट कहते हैं। एर्गाट को एकत्रित कर इसके अर्क से L.S.D. प्राप्त करते हैं।
प्रभाव-मनुष्य के मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है जिससे उसके व्यवहार तथा रहन-सहन के तरीकों में काफी परिवर्तन आ जाता है। रक्त चाप बढ़ जाता है। गर्भवती महिला ज्यादा प्रयोग करें तो गर्भपात भी हो सकता है।

प्रश्न 14.
मानव शरीर एवं समाज पर ऐल्कोहॉल के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
मानव शरीर व समाज पर ऐल्कोहॉल के प्रभाव-

  • मस्तिष्क नियंत्रण की शक्ति समाप्त हो जाती है।
  • गलत-सही सोचने की क्षमता खत्म हो जाती है। मस्तिष्क की अक्रियता में सारे संबंध भूल जाता है।
  • ज्यादा सेवन से आमाशय, हृदय, यकृत, वृक्क एवं अन्य अंगों की पेशियाँ कमजोर हो जाती हैं।
  • रोग प्रतिरोधक शक्ति समाप्त हो जाती है ।
  • ऐल्कोहॉल के आदी व्यक्ति की पुतलियाँ फैल जाती हैं ।
  • कुछ दिनों बाद प्रायः व्यक्ति अपराधिक प्रवत्ति का हो जाता है।

प्रश्न 15.
व्यसन के प्रत्याहारी लक्षणों का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।
उत्तर
व्यसन के प्रत्याहारी लक्षण इस बात का संकेत देते हैं कि व्यक्ति औषधि/एल्कोहॉल व्यसन के अंतिम दौर में है तथा अब उसकी शरीर और अधिक औषधि सेवन/ऐल्कोहॉल के उपयोग के लायक नहीं रह गया है। ये लक्षण हैं

  • शरीर में कंपकपी होनी (Tremois)
  • मिचली आना (Nausea)
  • उल्टी होना (Vomiting)
  • कमजोरी लगना (Weakness)
  • अनिद्रा (Insomnia)
  • उत्कंठा (Anxiety)

प्रश्न 16.
साइकोट्रापिक औषधि किसे कहते हैं ?
उत्तर
साइकोटापिक औषधियाँ-ऐसी औषधियाँ मुख्यत: मनुष्य की चिन्तन शक्ति एवं मानसिक प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। इनके सतत् उपयोग से व्यक्ति के व्यवहार, होशो-हवाश एवं बोधगम्यता में परिवर्तन हो जाता है। अतः इन्हें मनोदशा परिवर्तक औषधि भी कहा जाता है। इन औषधियों के लगातार सेवन से व्यक्ति उनका आदी हो जाता है, वह इन औषधियों पर पूर्ण रूप से निर्भर हो जाता है तथा इनके उपयोग के बिना नहीं रह पाता है।

प्रश्न 17.
शामक औषधियाँ क्या हैं ये कितने प्रकार की होती हैं ? इनके प्रभाव लिखिए।
उत्तर
शामक औषधियाँ- इसके अंतर्गत ऐसी औषधियों को सम्मिलित किया गया है जो सीधे मस्तिष्क अर्थात् केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को निष्क्रिय कर देती हैं। ये शरीर को निश्चिन्त, सुस्त तथा स्वतंत्र कर देती है। इनकी अधिक मात्रा में सेवन से नींद आने लगती है। निद्रा उत्पन्न करने वाली इन औषधियों को हिप्नोटिक्स भी कहा जाता है। उदाहरण-बरबीचुरेट्स एवं बेन्जोडाइएजोपिन्स।

1. बरबीचुरेट्स- यह संश्लेषित औषधि होती है जिसे बरबीचुरिक अम्ल से तैयार किया जाता है। इनके प्रयोग से व्यक्ति हतोत्साहित हो जाता है तथा उसे नींद आ जाती है। इसी कारण इन्हें निद्राकारी पिल्स भी कहते हैं। ये व्यक्ति की क्रियात्मक सक्रियता तथा चिन्ता या उत्कंठा को कम करती है। यह निद्रा लाती है। इनके लगातार उपयोग से व्यक्ति इनका आदी हो जाता है। व्यक्ति को इनकी आदत से छुटकारा दिलाना कठिन हो जाता है। लम्बी अवधि तक इसके प्रयोग से व्यक्ति की याददाश्त कम होने लगती है। हकलाकर बोलने लगता है। उदाहरण-हेक्साबारबिटॉल, मीथोहेक्सीटॉल।

2. बेन्जोडाइएजोपिन्स-ये प्रति उत्कंठात्मक या एन्टी-एन्जाइटी औषधियाँ होती हैं। इनके उपयोग से नींद आती है। उदाहरण–वेलियम, डाइएजोपॉम आदि।

प्रश्न 18.
इन्टरफेरॉन क्या है ?
उत्तर
इन्टरफेरॉन जन्तु की जीवित कोशाओं द्वारा उत्पन्न वे शक्तिशाली विषाणु प्रतिरोधी पदार्थ हैं जो वाइरल रोगों के कारण उत्पन्न होते हैं। ये विषाणु के प्रथम संक्रमण के बाद उत्पन्न होते हैं तथा विषाणु के द्वितीय आक्रमण से जीव की रक्षा करते हैं। ये विषाणु रोगों की रोकथाम ठीक उसी तरह करते हैं जिस प्रकार प्रतिजैविक जीवाणु रोगों की रोकथाम करते हैं लेकिन जन्तु इन्टरफेरॉन मानवों पर प्रभावी नहीं है। जैव तकनीकी को सहायता से इन्हें मानव शरीर से बाहर भी व्यवसायिक स्तर पर प्राप्त किया जा सकता है।

मानव स्वास्थ्य तथा रोग दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कैंसर क्या है ? कैंसर के प्रकार लिखिए तथा कैंसर रोग के प्रमुख कारण लिखिए।
अथवा
कैंसर रोग होने के कारण प्रस्तुत करते हुए इस रोग के लक्षण लिखिए।
उत्तर
जब कोशिका विभाजन एवं कोशिका वृद्धि असामान्य होती है, तो इसके कारण ट्यूमर का निर्माण होता है, जिसे कैंसर कहते हैं। अत: कैंसर एक प्रकार की असंगठित ऊतक वृद्धि की बीमारी है, जो कोशिकाओं में अनियन्त्रित विभाजन तथा विकास के कारण होती है। जिन कोशिकाओं की अनियन्त्रित वृद्धि के कारण कैंसर होता है, उन्हें नियोप्लास्टिक (Neoplastic) कोशिकाएँ कहते हैं। कैंसर के प्रकार (Types of Cancer)-कैंसर को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है1. सार्कोमास (Sarcomas).-संयोजी ऊतक का कैंसर है। 2% व्यक्तियों में यह रोग होता है।

2. कासनोमास (Carcinomas)-यह कैंसर एपिथीलियम कोशिकाओं में होता है। स्तन ग्रन्थि, फेफड़ा, आमाशय एवं अग्नाशय कैंसर। 85% कैंसर इसी प्रकार का होता है।

3. लिम्फोमास (Cancer of Lymphatic Tissue)-यह लसीका ऊतकों में पाया जाने वाला कैंसर है। इस प्रकार के कैंसर में लसीका गाँठे (Lymph nodes) तथा प्लीहा (Spleen) अधिक मात्रा में (Lymphocytes) बनाती है।

4. ल्यूकेमियास (Leukemias)–यह रुधिर कोशिकाओं में पाया जाता है। इसे रुधिर कैंसर भी कहते हैं। उपर्युक्त प्रकारों के अलावा भी कुछ विशेष प्रकार के कैंसर पाये जाते हैं, जो निम्नलिखित हैं

(a) मेलेनोमास (Melanomas)–वर्णक कोशिकाओं का कैंसर।
(b) ग्लियोमास (Gliomas)-तंत्रिका कोशिका का कैंसर।
(c) टीरेटोमास (Teratomas)-यह कोशिका विभाजन एवं भ्रूणीय विकास से संबंधित है। कैंसर के कारण-कैंसर उत्पन्न करने वाले भौतिक व रासायनिक कारकों को कार्सिनोजेन कहते हैं। कैंसर के प्रमुख कारक या कारण निम्नानुसार हैं

  • धूम्रपान के कारण मुख व फेफड़ों का कैंसर होता है। इसी प्रकार सुपारी तथा कुछ दूसरे रसायन भी कैंसर पैदा करते हैं।
  • ज्यादा उम्र में हॉर्मोनल सन्तुलन बिगड़ने के कारण भी कैंसर होता है।
  • कुछ विषाणुओं के संक्रमण के कारण भी कैंसर होता है।
  • उत्परिवर्तन के कारण भी कैंसर पैदा होता है।
  • सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें, प्रदूषक तथा रेडियोऐक्टिव किरणें भी कैंसर पैदा करती हैं।

कैंसर के लक्षण-कैंसर के प्रमुख लक्षण निम्नानुसार होते हैं

  • किसी घाव का 7 भरना तथा असाधारण और बार-बार रक्तस्राव का होना या अन्य स्राव का निकलना। विशेषकर स्त्रियों में मासिक धर्म बन्द हो जाने के बाद प्रायः ऐसा होना
  • बिना दर्द के असाधारण गाँठ या शरीर के किसी भी भाग का बढ़ जाना विशेषकर स्त्रियों के स्तन में गाँठ पड़ जाना या असाधारण वृद्धि होना।
  • गले की खराबी या गले का रोग जो ठीक होने तथा भरने का नाम न ले।
  • ‘पाखाने तथा मूत्र विसर्जन की आदतों में परिवर्तन होना।
  • बार-बार अपच होना तथा खाने की चीजों को निगलने में परेशानी होना
  • मस्सों एवं तिल (Wart and mole) के रंग तथा आकार में अचानक परिवर्तन का होना ।
  • किसी भी अल्सर का इलाज के बाद भी ठीक न होना।

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प्रश्न 2.
प्रतिरक्षात्मक तंत्र क्या है ? मनुष्य के प्रतिरक्षात्मक तंत्र के विभिन्न घटकों एवं उनकी भूमिकाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर
प्रतिरक्षात्मक तंत्र–एक विशेष श्वेत रुधिर कोशिकाएँ या ल्यूकोसाइट्स जिन्हें लिम्फोसाइट्स कहते हैं, शरीर प्रतिरक्षात्मक तन्त्र की मुख्य कोशिकाएँ होती हैं। प्रतिरक्षात्मक तन्त्र की लिम्फोसाइट्स दो प्रकार की होती हैं, जिन्हें B-कोशिका और T-कोशिका कहते हैं। ये दोनों कोशिकाएँ भ्रूणीय अवस्था में यकृत कोशिकाओं और वयस्क अवस्था में अस्थिमज्जा की कोशिकाओं द्वारा बनती हैं। इनमें से T-कोशिकाएँ कोशिकीय प्रतिरक्षा और B-कोशिकाएँ प्रतिरक्षियों के निर्माण के लिए जिम्मेदार होती हैं। दोनों ही कोशिकाएँ ऐण्टिजनों से प्रेरित होकर ही अपने-अपने कार्यों को करती हैं।

(1) B-calfahratti a fucsaiti ho ufar ufafchal (Mechanism or Action of B-cells to Antigens)-जब कोई ऐण्टिजन शरीर द्रव (रुधिर एवं लसीका) में प्रवेश करता है तब B-कोशिकाएँ इससे प्रेरित होकर प्रतिरक्षियों का निर्माण करती हैं। मानव शरीर में हजारों प्रकार के ऐण्टिजन के लिए अलग-अलग हजारों प्रकार की विशिष्ट B-कोशिकाएँ पाई जाती हैं। जब कोई B-कोशिका ऐण्टिजन के संपर्क में आती है, तो यह प्रेरित होकर तेजी से गुणन करके बहुत-सी एक क्लोन (Clone) प्लाज्मा कोशिकाओं का निर्माण करती हैं, इस एक क्लोन की अधिकांश कोशिकाएँ लगभग एक सेकण्ड में 2000 प्रतिरक्षी अणुओं का निर्माण करती हैं। B-कोशिकाओं में प्रतिरक्षियों के उत्पादन की यह क्षमता इन कोशिकाओं के विकास एवं परिपक्वन के दौरान उपार्जित लक्षणों के एकत्रित होने के कारण भ्रूणीय अवस्था में ही बनती है।

(2) T-calforcatuit on tfucwatato ufà ufaisher (Mechanism or Action of T-cells to Antigens)-T-कोशिकाएँ भी B-कोशिकाओं के ही समान एक क्लोन T-कोशिकाओं के उत्पादन के द्वारा ऐण्टिजनों के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करती हैं। प्रत्येक T-कोशिका एक विशिष्ट ऐण्टिजन से संबंधित होती है। इसलिए हमारे शरीर में विशिष्ट प्रकार के ऐण्टिजनों के लिए अलग-अलग T-कोशिकाएँ 4-5 वर्ष या इससे अधिक समय तक जीवित रहती हैं। T-कोशिकाओं द्वारा उत्पादित एक क्लोन कोशिकाएँ, एण्टिजन की प्रतिक्रिया की दृष्टि से जनक T-कोशिका के समान होती हैं, लेकिन ये विभिन्न कार्यों को करती हैं। ये निम्न प्रकार की हो सकती हैं

(i) मारक T-कोशिकाएँ (Killer T-cells = KT-cells)-ये ऐण्टिजन को सीधे आक्रमण के द्वारा नष्ट करती हैं। इसके लिए ये कुछ ऐसे रसायनों का स्राव करती हैं, जो भक्षकाणुओं (Phagocytes) को आकर्षित करके इन्हें ऐण्टिजनों के तेजी से भक्षण के लिए प्रेरित करती हैं। ये दूसरी T-कोशिकाओं को आकर्षित करने के लिए भी कुछ रसायनों का स्राव करती हैं। T-कोशिकाएँ ऐण्टिजनों के प्रति इन क्रियाओं को व्यक्त करने के लिए शरीर के उन स्थानों पर जाती हैं, जहाँ पर ऐण्टिजनों का आक्रमण होता है।

(ii) सहायकT-कोशिकाएँ (Helper T-cells = HT-cells)-ये वेT-कोशिकाएँ हैं, जो B-कोशिकाओं को प्रतिरक्षियों के निर्माण के लिए प्रेरित करती हैं।

(iii) दाबक T-कोशिकाएँ (Suppressor T-cells = ST cells)-ये वे T-कोशिकाएँ हैं, जो प्रतिरक्षात्मक तन्त्र द्वारा अपने ही शरीर की कोशिकाओं पर आक्रमण करने से रोकती हैं। इनमें से कुछ कोशिकाएँ एक निश्चित ऐण्टिजन के लिए याददाश्त कोशिकाओं का भी काम करती हैं।

प्रश्न 3.
तंबाकू धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तंबाकू धूम्रपान के हानिकारक प्रभाव

(1) यह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तथा तंत्रिकीय आवेग के संचरण के मार्ग को प्रभावित करता है। कम मात्रा में इसका उपयोग मस्तिष्क के विभिन्न केन्द्रों को उत्तेजित करता है, परन्तु इसका लम्बा उपयोग तन्त्रिका-तन्त्र की क्रियाशीलता को कम करता है।

(2) यह एड्रीनेलीन के स्राव को प्रेरित करके रक्त दाब तथा हृदय गति को बढ़ाता है। रक्त दाब को बढ़ाकर यह हृदय की बीमारियों को उत्तेजित करता है।

(3) गर्भवती महिलाओं में धूम्रपान, भ्रूण के विकास को रोकता है।

(4) तम्बाकू के धुएँ में कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन तथा सार भी पाया जाता है। CO रुधिर की O2, संवहन क्षमता को कम करती है। हाइड्रोकार्बन कैन्सर को प्रेरित करते हैं । इस कारण तम्बाकू चबाने वालों में मुँह तथा धूम्रपान करने वालों में गले एवं फेफड़ों का कैन्सर अधिक होता है।

(5) तम्बाकू का किसी भी रूप में प्रयोग लार तथा आमाशयी रसों के अधिक स्रावण को प्रेरित करता है, जिससे आमाशय में अम्लीयता बढ़ जाती है, फलत: आहार नाल में अल्सर का खतरा बढ़ जाता है और श्लेष्मा की अवशोषणशीलता कम हो जाती है। व्यक्ति अल्पपोषण, भूख एवं कब्ज का शिकार हो जाता है।

(6) धूम्रपान वृक्कों की क्रियाशीलता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यह पेशियों एवं कंकाली ऊतकों को शिथिल करके व्यक्ति को दुर्बल बनाता है। इसके सेवन से व्यक्ति की उम्र घटती जाती है। इसके प्रयोग से ब्रोंकाइटिस तथा एम्फीसेमा (Emphysema) नामक रोग भी होता है।

(7) तम्बाकू के लगातार सेवन से स्वादेन्द्रीय कम संवेदनशील हो जाती है तथा मुँह व गला हमेशा सूखा रहता है। इससे घ्राण शक्ति भी कमजोर हो जाते हैं, क्योंकि श्लेष्मा के ऊपर लार की एक स्तर जमा हो जाती है।

प्रश्न 4.
पुनर्वासन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
औषधि एवं ऐल्कोहॉल व्यसन से ग्रसित व्यक्ति का अपनी पूर्व अवस्था, अर्थात् स्वस्थ अवस्था या सामान्य स्वास्थ्य वाली अवस्था में वापस आ जाना ही पुनर्वासन कहलाता है। पुनर्वासन हेतु व्यक्ति की नशाखोरी की आदत को धीरे-धीरे समाप्त करने का प्रयास किया जाता है। व्यक्ति में औषधि व्यसन के प्रत्याहारी लक्षणों (Withdrawal symptoms) के उपचार हेतु प्रारंभ में उन्हें निस्तब्धकारी औषधियाँ (Tranquillizers) देकर ठीक किया जाता है, परन्तु यह औषधि निर्भरता का अल्पावधि उपचार (Short term treatment) ही होता है।

व्यसन से ग्रसित व्यक्ति के दीर्घकालीन उपचार (Long term treatment) हेतु औषधि उपचार के साथसाथ व्यवहारात्मक शिक्षा भी देना आवश्यक होता है, ताकि व्यक्ति इन औषधियों के कुप्रभावों को समझ सके तथा स्वयं ही औषधि निर्भरता छोड़ने का प्रयास करने लगे। इस कार्य हेतु सम्बन्धियों (Relatives), दोस्तों एवं चिकित्सकों के द्वारा उनका मनोवैज्ञानिक (Psychological) एवं सामाजिक उपचार (Therapy) आवश्यक होता है। लोगों को ऐसे व्यक्तियों के साथ सहानुभूति रखते हुए उन्हें इनके कुप्रभावों की जानकारी देनी चाहिए तथा उनकी औषधि निर्भरता को धीरे-धीरे समाप्त करना चाहिए।

औषधि व्यसन से ग्रसित व्यक्ति के पुनर्वासन के दौरान व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में भोजन, विटामिन्स, इलेक्ट्रोलाइट्स (Electrolytes) आदि पदार्थ भी देने चाहिए। चूँकि सामान्यतः यह देखा गया है कि व्यसन से ग्रसित कोई व्यक्ति अचानक औषधि सेवन बन्द कर देता है तो उसके मस्तिष्क में CAMP (Cyclic adenosine monophosphate) का स्तर बढ़ जाता है जो कि एक प्रत्याहारी लक्षण (Withdrawal symptom) है। ऐसे रोगी को विटामिन-C देने से CAMP का स्तर नियंत्रित रहता है तथा व्यक्ति में प्रत्याहारी लक्षण उत्पन्न नहीं हो पाते हैं।

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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population

Organisms And Population NCERT Text Book Questions and Answers

Question 1.
How is diapauses different from hibernation?
Answer:
Diapauses is a stage of suspended development to cope with unfavorable conditions. Many species of zooplankton and insects exhibit diapauses to tide over adverse climatic conditions during their development. On the other hands hibernation or winter sleep is a resting stage where in animals escape winters (cold) by hiding themselves in their shelters. They escape the winter season by entering a state of inactivity by slowing their metabolism. The phenomenon of hibernation is exhibited by bats, squirrels, and other rodents.

Question 2.
If a marine fish is placed in a fresh water aquarium, will the fish be able to survive? Why or why not?
Answer:
If a marine fish is placed in a freshwater aquarium, then its chances of survival will diminish. This is because their bodies are adapted to high salt concentrations of the marine ‘ environment. In freshwater conditions, they are unable to regulate the water entering then- body (through osmosis). Water enters their body due to the hypotonic environment outside. This results in the swelling up of the body, eventually leading to the death of the marine fish.

Question 3.
Define phenotypic adaptation. Give one example.
Answer:
Phenotypic adaptation involves changes in the body of an organism in response to genetic mutation or certain environmental changes.These responsive adjustments occur in an organism in order to cope with environmental conditions present in their natural habitats For example, desert plants have thick cuticles and sunken stomata on the surface of their leaves to prevent transpiration. Similarly, elephants have long ears that act as thermoregulators.

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Question 4.
Most living organisms cannot survive at temperature above 45° C. How are some microbes able to live in habitats with temperatures exceeding 100° C ?
Answer:
Archaebacteria (Thermophiles) are ancient forms of bacteria found in hot water springs and deep sea hydrothermal vents. They are able to survive in high temperatures because their bodies have adapted to such environmental conditions. These organisms contain specialized thermo-resistant enzymes, which carry out metabolic functions that do not get destroyed at such high temperatures unlike other enzymes.
Most living organism can not survive above 45° because :

  • Above 45° C enzymes get denatured
  • Protoplasm precipitates at high temperature.

Question 5.
List the attributes that populations but not individuals possess.
Answer:
A population has the following attributes that an individual does not possess :

  • Birth rates and death rates
  • Sex ratio
  • Population density
  • Age distribution
  • Population growth.

Question 6.
If a population growing exponentially double in size in 3 years, what is the intrinsic rate of increase (r) of the population?
Answer:
A population grew exponentially if sufficient amounts of food resources are available to the individual. Its exponential growth can be calculated by the following integral form of the exponential growth equation:

Nt = N0 en
Where,

Nt = Population density after time t.
N0 = Population density at time zero.
r = Intrinsic rate of natural increase.
e = Base of natural logarithms (d-434).

From the above equation, we can calculate die intrinsic rate of increase (r) of a population. Now, as per the question,
Present population density = x
Then, Population density after two years = 2x
t = 3 years
Substituting these values in the formula, we get:
⇒ 2x=xe3r
⇒  2 = e3r
Applying log on both sides :
⇒ log 2 = 3r log e
\(\frac { log 2 }{ 3 log e }\)=r

\(\frac { 0.301 }{ 3X0.434 }\)=r

\(\frac { 0.301 }{ 1.302 }\)=r

0.2311=r
Hence, the intrinsic rate of increase for the above illustrated population is 0.2311.

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Question 7.
Name important defence mechanisms in plants against herbivory.
Answer:
Several plants have evolved various mechanisms both morphological and chemical to protect themselves against herbivory.
(1) Morphological defence mechanisms :

  • Cactus leaves (Opuntia) are modified into sharp spines (thorns) to deter herbivores from feeding on them.
  • Sharp thorns along with leaves are present in Acacia to deter herbivores.
  • In some plants, the margins of their leaves are spiny or have sharp edges that prevent herbivores from feeding on them.

(2) Chemical defence mechanisms :

  • All parts of Calotmpis weeds contain toxic cardiac glycosides, which can prove to be fatal in ingested by herbivores.
  • Chemical substances such as nicotine, caffeine, quinine and opium are produced in plants as a part of self-defense.

Question 8.
An orchid plant is growing on the branch of mango tree. How do you describe this interaction between the orchid and the mango tree ?
Answer:
An orchid growing on the branch of a mango tree is an epiphyte. Epiphytes are plants growing on other plants which however, do not derive nutrition from them. Therefore, the relationship between a mango tree and an orchid is an example of commensalisms, where one species gets benefited while the other remains unaffected. In the above interaction, the orchid is benefited as it gets support while the mango tree remains unaffected.

Question 9.
What is the ecological principle behind die biological control method of managing with pest insects ?
Answer:
The ecological principle behind the biological control method of managing with pest insects is to keep their population in check by using their natural predators and parasites.

Question 10.
Distinguish between the following:
(a) Hibernation and Aestivation
(b) Ectotherms and Endotherms.
Answer:
(a) Differences between Hibernation and Aestivation:
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 1

(b) Difference between Ectotherms and Endotherms.
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 2

Question 11.
Write a short note on:
(a) Adaptations of deserts plants and animals
(b) Adaptations of plants to water scarcity
(c) Behavioural adaptations id animals
(d) Importance of light to plants
(e) Effect of temperature or water scarcity and the adaptations of animals.
Answer:
(a) Adaptations of desert plants and animals :

1. Adaptations of desert plant : Plants have an extensive root system to tap underground water. They bear thick cuticles and sunken stomata on the surface of their leaves to reduce transpiration. In Opuntia, the leaves are entirely modified into spines and photosynthesis is carried out by green stems. Desert plants have special pathways to synthesize food, called CAM (C4 pathway). It enables the stomata to remain closed during the day to reduce the loss of water through transpiration.

2. Adaptations of desert animals : Animals found in deserts such as desert Kangaroo rats, Lizards, Snakes, etc. are well adapted to their habitat. The Kangaroo rat found in the deserts of Arizona never drinks water in its life. It has the ability to concentrate its urine to conserve water. Desert lizards and snakes bask in the sun during early morning and burrow themselves in the sand during afternoons to escape the heat of the day. These adaptations occur in desert animals to prevent the loss of water.

(b) Adaptations of plants to water scarcity :
Plants found in deserts are well adapted to cope with water scarcity and scorching heat of the desert. Plants have an extensive root system to tap underground water. They bear thick cuticles and sunken stomata on the surface of their leaves to reduce transpiration. In Opuntia, the leaves are modified into spines and the process of photosynthesis is carried out by green stems. Desert plants have special pathways to synthesize food, called CAM (C4 pathway). It enables their stomata to remain closed during the day to reduce water loss by transpiration.

(c) Behavioural adaptations in animals :
Certain organisms are affected by temperature variations. These organisms undergo adoptions such as hibernation, aestivation, migration, etc. to escape environmental stress to suit their natural habitat. These adaptations in the behaviour of an organism are called behavioural adaptations. For example, ectothermal animals and certain endosperms exhibit behavioural adaptations. Ectotherms are cold blooded animals such as fish, amphibians, reptiles, etc. Their temperature varies with their surroundings. For example, the desert lizard basks in the sun during early hours when the temperature is quite low.

However, as the temperature begins to rise, the lizard burrows itself inside the sand to escape the scorching sun. Similar burrowing strategies are exhibited by other desert animals. Certain endotherms (warm blooded animals) such as birds and mammals escape cold and hot weather conditions by hibernating during winters and aestivating during summers. They hide themselves in shelters such as caves, burrows, etc. to protect against temperature variations.

(d) Importance of light to plants :
Sunlight acts as the ultimate source of energy for plants. Plants are autotrophic organisms, which need right for carrying our the process of photosynthesis. Light also plays an important role in generating photoperiodic responses occurring in plants. Plants respond to changes in intensity of light during various seasons to meet their photoperiodic requirements for flowering. Light also plays an important role in aquatic habitats for vertical distribution of plants in the sea.

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(e) Effects of temperature or water scarcity and the adaptations of animals :
Temperature is the most important ecological factor. Average temperature on the Earth varies from one place to another. These variations in temperature affect the distribution of animals on the Earth. Animals that can tolerate a wide range of temperature are called eurythermals. Those which can tolerate’a narrow range of temperature are called stenothermal animals. Animals also undergo adaptations to suit their natural habitats.

Animals found in polar regions have thick layers of fat below their skin and thick coats of fur to prevent the loss of heat. Some organisms exhibit various behavioural changes to suit their natural habitat. These adaptations present in the behaviour of an organism to’ escape environmental stresses are called behavioral adaptations. For example, desert lizards are ectotherms. This means that they do not have a temperature regulatory mechanism to escape temperature variations.

These lizards bask in the sun during early hours when the temperature is quite low. As the temperature begins to increase, the lizard burrows itself inside the sand to escape the scorching sun. Similar burrowing strategy is seen in other desert animals.Water scarcity is another factor that forces animals to undergo certain adaptations to suit their natural habitat. Animals found in deserts such as desert kangaroo rats, lizards, snakes, etc. are well adapted to stay in their habitat.

The kangaroo rat found in the deserts of Arizona never drinks water in its life. It has the ability to concentrate its urine to conserve water. Desert lizards and snakes bask in the sun during early morning and burrow in the sand as the ‘ temperature rises to escape the heat of the day. Such adaptations can be seen to prevent the loss of water.

Question 12.
List the various abiotic environmental factors.
Answer:

  • Atmospheric factors: Light, temperature, wind and water.
  • Lithosphere: Rock, soil.
  • Hydrosphere: Pond, river, lake and ocean.
  • Edaphic factors: Soil texture, soil water, soil air, soil microorganism, soil pH, minerals.
  • Topographic factors: Slope, altitude, valley.

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Question 13.
Give an example for:
(a) An endothermic animal .
(b) An ectothermic animal
(c) An organism of benthic zone.
Answer:
(a) An endothermic animals : Birds such as crows, sparrows, pigeons, cranes, etc. and mammals such, as bears, cows, rats, rabbits etc. are endothermic animals.

(b) An ectothermic animals : Fishes such as sharks, amphibians frogs, and reptiles, tortoise, snakes, and lizards are ectothermic animals.

(c) An organism of benthic zone : Decomposing bacteria is an example of an organism found in the benthic zone of a water body.

Question 14.
Define population and community.
Answer:
Population : Population is a group of individuals of same species, which can reproduce among themselves and occupy a particular area in a given time.

Community : It is an assemblage of several population in a particular area and time and exhibit interaction and interdependence through trophic relationship.

Question 15.
Define the following terms and give one example for each:
(a) Commensalism
(b) Parasitism
(c) Camouflage
(d) Interspecific competition.
Answer:
(a) Commensalism :
(a) Difference between Parasitism and Symbiosis:
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 3
(b) Differences between Mutualism and Commensalism:
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 7
(c) Differences between Hydrosere and Xerosere:
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 8

Odum (1971) distinguished interactions into two broad categories:
(A) Positive interactions and
(B) Negative interactions.

(A) Positive Interactions :
In this type, those type of interactions are considered in which both interacting species are mutually involved to help each other. Here, one interacting species helps the other either one way or on reciprocal terms and may be in the form of nutrition or shelter or substratum or transport. Here interaction may be obligatory or facultative. The positive interactions include three types of interactions. They are :

1. Commensalism : This type of interaction occurs in between two organisms of two different species in which one species benefits and the other is neither benefited nor harmed. e.g., Lichens.

2. Protocooperation : The type of interaction where both population are benefited but not obligatory i.e., not essential for the survival of either population is called protocooperation. This is also known as non-obligatory mutualism. The relationship between hermit crab and sea anemone is an example of proto-cooperation. The crab pses the gastropod (mollusc) shell as a portable shield and the sea anemone eats the leftover food of the crab, which is protected from its predators by the stinging cells of the sea anemone.

3. Mutualism or Symbiosis : When two different species grow together and are mutually benefited, the plants are known as symbiotic plants and the phenomenon is called symbiosis or mutualism. It is a sort of obligatory association. This type the organisms are dependent upon each other for survival. In this type of association, two types of species are physiologically related. This type of relationship may exist in between two plants or in between one plant and one animal or in between two animals.

(B) Negative Interactions :
Those interaction of two different species in which both are harmed or one organism is benefited while other is more or less harmed is referred to as negative interaction. In this type of interaction one population eats the other type of population or one organism does not allow other organisms to grow near it by using the food supply of the other or producing toxic substances. The negative interactions be categorised into following types :

  1. Competition,
  2. Parasitism,
  3. Predation and
  4. Antibiosis.

1. Competition : When interaction occurs between two species for the use of same resources and when resources are in short supply is referred to as competition. It is a relationship which involves struggle amongst the organisms for food, shelter, water, sunlight and climate.

2. Parasitism : Parasite is an organism which is dependent upon other living organism for their food and other requirements. Parasitism is an interspecific interrelation in which the individual of one species lives at the cost of the individual of another species, its host which it harms and eventually kills. In this case host is always larger than the parasite. The parasite that is seen on the surface of host plant is called ectoparasite or external parasite and if a parasite is found inside the plant body is said to be an endoparasite or internal parasite.

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Examples:

(i) Parasitic bacteria : Parasitic bacteria cause several diseases in plants and animals. For example, the citrus canker disease of lemon is caused by Xanthomonas citri, black rots of vegetables of Cruciferae group is caused by Xanthomonas campestris. The common diseases caused by bacteria in human beings are diarrhoea, pneumonia, tetanus, leprosy, plague etc.

(ii) Predation : To obtain food by hunting is predation. A predator is an animal or plant that kills and feeds on another organism, its prey. It represents a generalised carnivorous habit. Commonly predators are larger than their prey but this is not always true but predator is in any case always occur as a naturally better equipped hunter than its prey. Most of the predatory organisms are animals but there are some plants (carnivores) also especially fungi which feed upon other animals.

(b) Parasitism :
(a) Difference between Parasitism and Symbiosis:
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(b) Differences between Mutualism and Commensalism:
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 15
(c) Differences between Hydrosere and Xerosere:
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 16

(a) Parasitism : Parasite is an organism which is dependent upon other living organism for their food and other requirements. Parasitism is an interspecific interrelation in which the individual of one species lives at the cost of the individual of another species, its host which it harms and eventually kills. In this case host is always larger than the parasite. The parasite that is seen on the surface of host plant is called ectoparasite or external parasite and if a parasite is found inside the plant body is said to be an endoparasite or internal parasite.

Examples:

(i) Parasitic bacteria : Parasitic bacteria cause several diseases in plants and animals. For example, the citrus canker disease of lemon is caused by Xanthomonas citri, black rots of vegetables of Crticiferae group is caused by Xanthomonas campestris. The common diseases caused by bacteria in human beings are diarrhoea, pneumonia, tetanus, leprosy, plague etc.

(b) Species dominance : Presence of any biotic community or presence of more population of any species biosphere shown its dominance and it is called species dominance which has capacity to reduce other species in population. The effect of dominant speeds is more upon environment or other species.

(c) Biotic potential  : Biotic potential is the ability of a population of living species to increase under ideal environmental conditions sufficient food supply, no predators and a lack of disease. An organisms rate of reproduction and the size of each litter are the primary determining factors for biotic potential.

Odum (1971) distinguished interactions into two broad categories:
(A) Positive interactions and
(B) Negative interactions.

(A) Positive Interactions:
In this type, those type of interactions are considered in which both interacting species are mutually involved to help each other. Here, one interacting species helps the other either one way or on reciprocal terms and may be in the form of nutrition or shelter or substratum or transport. Here interaction may be obligatory or facultative. The positive interactions include three types of interactions. They are :
1. Commensalism : This type of interaction occurs in between two organisms of two different species in which one species benefits and the other is neither benefited nor harmed. e.g., Lichens.

2. Protocooperation : The type of interaction where both population are benefited but not obligatory i.e., not essential for the survival of either population is called protocooperation. This is also known as non-obligatory mutualism. The relationship between hermit crab and sea anemone is an example of proto-cooperation. The crab pses the gastropod (mollusc) shell as a portable shield and the sea anemone eats the leftover food of the crab, which is protected from its predators by the stinging cells of the sea anemone.

3. Mutualism or Symbiosis : When two different species grow together and are mutually benefited, the plants are known as symbiotic plants and the phenomenon is called symbiosis or mutualism. It is a sort of obligatory association. This type the organisms are dependent upon each other for survival. In this type of association, two types of species are physiologically related. This type of relationship may exist in between two plants or in between one plant and one animal or in between two animals.

(B) Negative Interactions :
Those interaction of two different species in which both are harmed or one organism is benefited while other is more or less harmed is referred to as negative interaction. In this type of interaction one population eats the other type of population or one organism does not allow other organisms to grow near it by using the food supply of the other or producing toxic substances. The negative interactions be categorised into following types :

  1. Competition,
  2. Parasitism,
  3. Predation and
  4. Antibiosis.

1. Competition : When interaction occurs between two species for the use of same resources and when resources are in short supply is referred to as competition. It is a relationship which involves struggle amongst the organisms for food, shelter, water, sunlight and climate.

2. Parasitism : Parasite is an organism which is dependent upon other living organism for their food and other requirements. Parasitism is an interspecific interrelation in which the individual of one species lives at the cost of the individual of another species, its host which it harms and eventually kills. In this case host is always larger than the parasite. The parasite that is seen on the surface of host plant is called ectoparasite or external parasite and if a parasite is found inside the plant body is said to be an endoparasite or internal parasite.

Examples:

(i) Parasitic bacteria : Parasitic bacteria cause several diseases in plants and animals. For example, the citrus canker disease of lemon is caused by Xanthomonas citri, black rots of vegetables of Cruciferae group is caused by Xanthomonas campestris. The common diseases caused by bacteria in human beings are diarrhoea, pneumonia, tetanus, leprosy, plague etc.

(ii) Predation : To obtain food by hunting is predation. A predator is an animal or plant that kills and feeds on another organism, its prey. It represents a generalised carnivorous habit. Commonly predators are larger than their prey but this is not always true but predator is in any case always occur as a naturally better equipped hunter than its prey. Most of the predatory organisms are animals but there are some plants (carnivores) also especially fungi which feed upon other animals.

(c) Camouflage : It is a strategy adapted by prey species to escape their predators. Organisms are cryptically coloured so, that they can easily mingle in their surroundings and escape their predators. Many species of frogs and insects camouflage in their surroundings and escape their predators.

(d) Mutualism :

Odum (1971) distinguished interactions into two broad categories:
(A) Positive interactions and
(B) Negative interactions.

(A) Positive Interactions :
In this type, those type of interactions are considered in which both interacting species are mutually involved to help each other. Here, one interacting species helps the other either one way or on reciprocal terms and may be in the form of nutrition or shelter or substratum or transport. Here interaction may be obligatory or facultative. The positive interactions include three types of interactions. They are :
1. Commensalism : This type of interaction occurs in between two organisms of two different species in which one species benefits and the other is neither benefited nor harmed. e.g., Lichens.

2. Protocooperation : The type of interaction where both population are benefited but not obligatory i.e., not essential for the survival of either population is called protocooperation. This is also known as non-obligatory mutualism. The relationship between hermit crab and sea anemone is an example of proto-cooperation. The crab pses the gastropod (mollusc) shell as a portable shield and the sea anemone eats the leftover food of the crab, which is protected from its predators by the stinging cells of the sea anemone.

3. Mutualism or Symbiosis : When two different species grow together and are mutually benefited, the plants are known as symbiotic plants and the phenomenon is called symbiosis or mutualism. It is a sort of obligatory association. This type the organisms are dependent upon each other for survival. In this type of association, two types of species are physiologically related. This type of relationship may exist in between two plants or in between one plant and one animal or in between two animals.

(B) Negative Interactions :
Those interaction of two different species in which both are harmed or one organism is benefited while other is more or less harmed is referred to as negative interaction. In this type of interaction one population eats the other type of population or one organism does not allow other organisms to grow near it by using the food supply of the other or producing toxic substances. The negative interactions be categorised into following types :

  1. Competition,
  2. Parasitism,
  3. Predation and
  4. Antibiosis.

1. Competition : When interaction occurs between two species for the use of same resources and when resources are in short supply is referred to as competition. It is a relationship which involves struggle amongst the organisms for food, shelter, water, sunlight and climate.

2. Parasitism : Parasite is an organism which is dependent upon other living organism for their food and other requirements. Parasitism is an interspecific interrelation in which the individual of one species lives at the cost of the individual of another species, its host which it harms and eventually kills. In this case host is always larger than the parasite. The parasite that is seen on the surface of host plant is called ectoparasite or external parasite and if a parasite is found inside the plant body is said to be an endoparasite or internal parasite.

Examples:

(i) Parasitic bacteria : Parasitic bacteria cause several diseases in plants and animals. For example, the citrus canker disease of lemon is caused by Xanthomonas citri, black rots of vegetables of Cruciferae group is caused by Xanthomonas campestris. The common diseases caused by bacteria in human beings are diarrhoea, pneumonia, tetanus, leprosy, plague etc.

(ii) Predation : To obtain food by hunting is predation. A predator is an animal or plant that kills and feeds on another organism, its prey. It represents a generalised carnivorous habit. Commonly predators are larger than their prey but this is not always true but predator is in any case always occur as a naturally better equipped hunter than its prey. Most of the predatory organisms are animals but there are some plants (carnivores) also especially fungi which feed upon other animals.

(e) Interspecific competition : It is an interaction between individuals of different species where both species get negatively affected. For example, the competition between flamingoes and resident fishes in South American lakes for common food resources i.e., zooplankton.

Question 16.
With the help of suitable diagram describe the logistic population growth curve.
Answer:
Logistic Growth:

  1. The resources become limited at certain point of time so, no population can grow exponentially.
  2. This growth model is more realistic.
  3. Every ecosystem or environment or habitat has limited resources to support a particular maximum number of individuals called is carrying capacity (K).
  4. When N is plotted in relation to time t, the logistic growth show sigmoid curve and is also called Verhulst-Pearl logistic growth. It is given by the following equation:

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 9
Where, N = Population density at time t
R = Intrinsic rate of natural increase
K = Carrying capacity.
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 10
a = When resources are not limiting the growth, plot is exponential
b = When resources are limiting die growth. Plot is logistic, k is carrying capacity.

Question 17.
Select the statement which explains best parasitism:
(a) One organism is benefited
(b) Both the organism are benefited
(c) One organism is benefited, other is not affected
(d) One organism is benefited, other is affected.
Answer:
(d) One organism is benefited, other is affected.

Question 18.
List any three important characteristics of a population and explain.
Answer:
The three important characteristic of a population are:

1. Population density : The number of individuals of a species per unit area, or a volume is called population density.
PD=\(\frac { N }{ s }\)

Where, PD = Population density
N = Number of individuals in a region
S = Number of unit area in a region.

2. Birth rate : It is expressed as the number of births per 1000 individuals of a population per year.

3. Death rate : It is expressed as the number of deaths per 1000 individuals of a population per year.

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Organisms And Population Other Important Questions and Answers

Organisms And Population Objective Type Questions

1. Choose the Correct Answer:

Question 1.
Unit, easily subjected for identification at level of organisation is:
(a) Cell
(b) Tissue
(c) Organ
(d) Individual organism.
Answer:
(d) Individual organism.

Question 2.
Useful chemical compound in interspecific communication is:
(a) Allochemix
(b) Caromones
(c) Auxin
(d) Pheromones.
Answer:
(d) Pheromones.

Question 3.
Study of one species and its inter-relation with environment is called:
(a) Community ecology
(b) Autecology
(c) Ethology
(d) Forest ecology.
Answer:
(b) Autecology

Question 4.
The factor which does not effect the magnitude of population is:
(a) Migration
(b) Emigration
(c) Imigration
(d) Natality.
Answer:
(a) Migration

Question 5.
Availability of two various forms of an organism of a species is called:
(a) Dimorphism
(b) Trimorphism
(c) Polymorphism
(d) None of these.
Answer:
(a) Dimorphism

Question 6.
Birth of 1000 persons/annually in unit time is called:
(a) Death rate
(b) Biotic rate
(c) Birth rate
(d) Growth rate.
Answer:
(c) Birth rate

Question 7.
The permanent stage of succession is known as:
(a) Ecosere
(b) Climax stage
(c) Successive stage
(d) Ecotone.
Answer:
(b) Climax stage

Question 8.
The plant groups present in between two communities are called:
(a)Ecad
(b) Ecotype
(c) Ecotone
(d) None of these.
Answer:
(c) Ecotone

Question 9.
Xerosere starts from:
(a) Water
(b) Rock
(c) Marshy place
(d) All of the above.
Answer:
(b)Rock

Question 10.
The successive development of plant communities is called:
(a) Aggregation
(b) Succession
(c) Reaction
(d) None of these.
Answer:
(b) Succession

Question 11.
Which one is the example of mangrove:
(a) Rhizophora
(b) Eichhomia
(c) Avicennia
(d) Both (a) and (b).
Answer:
(d) Both (a) and (b).

Question 12.
Pneumatophores are the characteristic feature of:
(a) Mangrove plants
(b) Mesophytes
(c) Hydrophytes
(d) Xerophytes.
Answer:
(a) Mangrove plants

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Question 13.
Vascular bundles are feebly developed in:
(a) Hydrophytes
(b) Xerophytes
(c) Psammophytes
(d) Halophytes.
Answer:
(a) Hydrophytes

Question 14.
Phyllode is a modification of:
(a) Root
(b) Stem
(c) Leaf
(d) None of these
Answer:
(c) Leaf

Question 15.
Phyllodade is a modification of:
(a) Root
(b) Stem
(c) Leaf
(d) Petiole.
Answer:
(b) Stem

Question 16.
Rootless plant is:
(a) Wolffia
(b) Eichomia
(c) Lenina
(d) Jussiaea.
Answer:
(a) Wolffia

Question 17.
Free floating plant is:
(a) Pistia
(b) Eichomia
(c) Azolla
(d) All of the above
Answer:
(d) All of the above

Question 18.
Vivipary is found in:
(a) Hydrophytes
(b) Xerophytes
(c) Epiphytes
(d) Mangrove plants.
Answer:
(d) Mangrove plants.

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2. Fill in the Blanks:

  1. …………………………… is a rootless free floating aquatic plant.
  2. Respiratory roots are found in ……………………………. plants.
  3. The germination of seeds over parent plants is called ……………………………..
  4. Stem become flattened leaf like and succulent is called ………………………….
  5. In Pistia …………………………. is present in place of root cap.
  6. The relation between root of pinus and fungus is known as ……………………………….
  7. Refflesia is ……………………………… parasite.
  8. The part of earth where organism live is known as ………………………….
  9. The organisms which feed on other dead organisms are known as …………………………..
  10. …………………………………. are known as woody climbers.
  11. Orchid is …………………………… plant.
  12. The offspring of male donkey and female horse is known as ………………………………….
  13. Santhalum is a ………………………………. parasitic plant.

Answer:

  1. Wolffia
  2. Mangrove
  3. Vivipary
  4. Phylloclade
  5. Root pocket
  6. Mutualism
  7. Total root
  8. Lithosphere
  9. Saprophytes
  10. Lianas
  11. Epiphytes
  12. Mule
  13. Partial root.

3. Match the Following:

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 11
Answer:

  1. (d)
  2. (e)
  3. (a)
  4. (b)
  5. (c)

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 12
Answer:

  1. (b)
  2. (d)
  3. (a)
  4. (c)
  5. (e).

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 13
Answer:

  1. (d)
  2. (a)
  3. (b)
  4. (e)
  5. (c).

4. Answer in One Word/Sentence:

  1. Give the term for scientific study of human population.
  2. Name any animal which lays egg in the nest of other animal.
  3. What is the name of woody climbers ?
  4. Give an example of species polymorphism.
  5. Give an example of sexual dimorphism.
  6. Name two symbiotic partners of lichen.
  7. Which type of association is found between two partners of lichens ?
  8. Give an example of proto-cooperation.
  9. How many groups of plants are given by warming on the basis of water relations ?
  10. Name any rootless angiospermic plant.
  11. Name any two free floating plants.
  12. Name any two amphibian plants.
  13. Name the adaptations found in the plants of Eichhomia and Trapa due to which their plants become able to float on water.
  14. Name any one mangrove plants.
  15. Name the plant in which pneumatophores are found.
  16. Name any plant in which stem is modified into leaf like structure and leaves are modified into spines.

Answer:

  1. Demography
  2. Cuckoo
  3. Liana
  4. Honeybee
  5. Honeybee
  6. Algae and Fungi
  7. Mutualism
  8. Lichen
  9. Three groups
  10. Wolffia
  11. Hydrilla, Salvia
  12. Ranunculus, Sagittaria
  13. Aquatic
  14. Rhizophora
  15. Marshy
  16. Opuntia.

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Organisms And Population Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Howmany groups of plants are given by warming on the basis of water relations?
Answer:
Three group.

Question2.
Name any rootless angiospermic plant.
Answer:
Wolffia.

Question 3.
Name any four free floating plants.
Answer:
Pistia, Trapa, Lemna and Echinus.

Question 4.
What is called the flattened leaf like structure of Opuntia?
Answer:
Phylloclade.

Question 5.
Name any two mangrove plants.
Answer:
Rhizophora, Avicennia.

Question6.
Name the vegetation found in sundarban delta.
Answer:
Mangrove vegetation.

Question 7.
Name the plant in which pneumatophores are found.
Answer:
Rhizophora.

Question 8.
Give the term for scientific study of human population.
Answer:
Demography.

Question9.
What is sex ratio of India according to 2001 census?
Answer:
933 females per 1000 of males.

Question 10.
Name any animal which lays egg in the nest of other animal.
Answer:
Koyal.

Question 11.
Give the name of larva of frog, salamander and moths.
Answer:
Tadpole, Axolotal, Catterpillar.

Question 12.
Give the reason for increase in population.
Answer:
Decrease in death rate.

Question 13.
Give example of species polymorphism.
Answer:
Honeybee.

Question 14.
Name the species found in different geographical areas.
Answer:
Allopatric.

Question 15.
Write the name of any saprophytic angiospermic plant
Answer:
Monotropa.

Question 16.
What is called the relationship between hermit crab and sea-anemone ?
Answer:
Protocooperation.

Question 17.
Why insectivores eat insects ?
Answer:
To fulfill the need of nitrogen.

Question 18.
Which are main abiotic factor ?
Answer:
Temperature, water, light, soil.

Question 19.
Give the name of one insectivores plant.
Answer:
Utricularia.

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Organisms And Population Short Answer Type Questions

Question 1.
What is ecological competition ?
Answer:
Ecological competition is the struggle between two organisms for the same resources within an environment.

Question 2.
Name the speciality of any population.
Answer:
Any population has some speciality these are :

  1. Population density
  2. Growth rate
  3. Death rate
  4. Age distribution
  5. Biotic capacity
  6. Population growth form
  7. Changes of population
  8. Populatidn dispersion.

Question 3.
Give definition of:

  1. Population
  2. Population density
  3. Biotic potential
  4. Growth rate
  5. Birth rate.

Answer:
1. Population : A community of animals, plants or humans among whose members inbreeding occurs.

2. Population density : Population density is a measurement of population per unit area or unit volume.

3. Biotic potential : Biotic potential is the ability of a population of living species to increase under ideal environmental conditions sufficient food supply, no predators and a lack of disease. An organisms rate of reproduction and the size of each litter are the primary determining factors for biotic potential.

4. Growth rate : Human population growth is the increase in the number of individuals in a population. Global human population growth amounts to around $5 million annually.
Growth rate=\(\frac { Annually birth }{ Mid year population }\)X100

5. Death rate : The death rate is the number of people per thousand who die in a particular are during a particular period of time.
Death rate=\(\frac { Annual death }{ Mid year population }\)X100

Question 4
What suggestions will you give for awakening people towards population control ?
Answer:
Following things can be done for controlling the population:

  • Promotion of education : Misunderstanding can be avoided by promotion of education such as:
    • Children are gift of god,
    • More income from the more children
  • To introduce for reality of population growth.
  • Uses of family planning techniques
  • Restriction of more than one marriage.
  • To decrease birth rate.

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Question 5.
Give two examples of each:
Symbiotic, commensal, phytoplankton, zooplankton and rooted floating plant
Answer:

  • Symbiotic – (i) Escherichia, (ii) Triconimpha
  • Commensal – (i) Orchid and Trees, (ii) Hermit crab
  • Phytoplankton – (i)Nostoc, (ii) Anabaena
  • Zooplankton – (i) Paramocium, (ii) Euglena
  • Rooted floating plant – (i)Wolffia,(ii)Lemna.

Question 6.
Write the differences:

  1. Species and Population
  2. Population growth and Population density
  3. Mono-specific and Polyspecific Population
  4. Competition and Scattering.

Answer:
1. Species and Population : Population on defined as organisms that belong to the identical species and identical geographical niche or area. The said area should enable these species to interbreed with each other.

2. Population growth and Population density : In biology, Population growth is the increase in the number of individuals in a population but population density is a measurement of population per unit area, it is a quantity of type number density.

3. Monospecific or Polyspecific population : Monospecific population is the population of individuals of only one species but polyspecific or mixed population is the population of individuals of more than one species and it is generally referred to as a community.

4. Competition and Scattering : Competition is in general a contest between two or j more rivalry between two or more entities, organisms, animals, economic groups or social groups etc. Population scattering is a method which shows equilibrium by interaction of population. In population, scattering seeds away from the parent plant.

Question 7.
Give four reasons ofpopulation growth in India.
Answer:
Four reasons of population growth in India are as follows :

  1. Increasing growth rate.
  2. Decreasing death rate.
  3. No importance of education and promotion of education is less.
  4. Conservative.

Question 8.
Explain, The formation of New species.
Answer:
Although all life on earth shares various genetic similarities, only certain organisms combine genetic information by sexual reproduction and have offspring that can than successfully reproduce. Scientists call such organisms members of the same biological species.

Question 9.
What do you mean by population equilibrium?
Answer:
Population equilibrium : When growth pattern of any population is observed then it becomes clear that any population increases at faster rate in the beginning in a new area and reaches to a maximum limit and then remain constant for long time.This phase is called as population equilibrium. At equilibrium birth and death rate of any population become equal.

Question 10.
Write cooperative interactions between the members of a species.
Answer:
The cooperative intraspecific interactions involve help to other members. The co-operative interaction amongst the individuals of a species is necessary for reproduction, perpetuation, parental care of young ones, social organization, territoriality, protection and food, etc.

1. Cooperation for protection and food : For protection and food, members of a species may form groups. Such organisms which live in group are called as gregarious.

2. Cooperation for reproduction : It is necessary for reproduction in which adult male and female comes together for mating,

3. Social organization : Active association for mutual benefits amongst the individuals of same species often bring social organization. Success of these organizations is measured in the terms of the survival or colony. Honey-bees, ants, wasps and termites, etc. form well-organized societies showing division of labour and polymorphism. In these social insects, a large number of individuals of different kinds live together in the colony aftd vyprk collectively for the benefit of the group.

The insect societies are formed of different castes such as workers, drones (male) and queen which are specialized for the different kind of work. The workers collect and store food, build houses of complicated design and pay special attention to the queen. The drones (male) and queen (female) are mainly concerned with reproduction.

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Question 11.
Explain population dispersal in brief.
Answer:
Population dispersal: The movement of individuals of a population from a particular place to another is known as population dispersal. Dispersal of members of population may occur for search of food, escape from enemies or for breeding purpose. There are three types of population dispersal:

1. Immigration : Inward movement of members of other population and settle with local population. It causes increase in population.

2. Emigration : Outward movement of individuals of a population to shift in some other place. It causes decrease in population.

3. Migration : It can be observed in birds. It is periodic departure of organism and returning back to its original place, e.g., Siberian cranes visit India during winters and go back to north during summer.

Question 12.
Write short note on population growth form or pattern.
Answer:
Population growth pattern: The way of growth of population is known as population growth pattern. Population growth shows two patterns :

  • J-shaped form : In some organisms the population increases very fast in the beginning because of some environmental factors, the growth is checked abruptly.
  • S-shaped form : In this pattern, the increase in population is very slow in the beginning, then there is a fast growth rate and then becomes stable.

Question 13.
Give only five examples of communication of informations in animals.
Answer:
Communication of information within a species: Communication may be defined as an act which influences the activity of one individual by some behaviour of another. Most of the animal Species have some mechanism of exchanging information among their members through sight, sound, touch or chemicals. The evolution of the techniques of communication in the animal kingdom is progressive but complex.
Following are few examples:

  • The honeybee gives the information to the other worker bees of the hive regarding availability of nectar in the vicinity by dancing in a special manner on the surface of the hive. Through the round dance they communicate that the availability of the food is very near to the hive and the waggle dance (by moving abdomen) shows the direction and the distance of the food source from the hive.
  • Croaking of male frog attract female frog during breeding season.
  • The dogs express their various intensions by facial expressions and movement of the tail and by making typical sound.
  • Rabbits inform their group members about any sort of danger by tapping their tails.
  • Certain chemical compounds called pheromones are secreted by animals to transmit message to other members of the species. Pheromones are detected by smell or taste.

Question 14.
Write distinguish between:
(a) Parasitism and symbiosis.
(b) Parasitism and Symbiosis.
(c) Mutualism and Commensalism.
Answer:
(a) Difference between Parasitism and Symbiosis:
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 14
(b) Differences between Mutualism and Commensalism:
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 15
(c) Differences between Hydrosere and Xerosere:
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 16

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Question 15.
Write short notes on:
(a) Parasitism
(b) Species dominance
(c) Biotic potential.
Ans
(a) Parasitism : Parasite is an organism which is dependent upon other living organism for their food and other requirements. Parasitism is an interspecific interrelation in which the individual of one species lives at the cost of the individual of another species, its host which it harms and eventually kills. In this case host is always larger than the parasite. The parasite that is seen on the surface of host plant is called ectoparasite or external parasite and if a parasite is found inside the plant body is said to be an endoparasite or internal parasite.

Examples: (i) Parasitic bacteria: Parasitic bacteria cause several diseases in plants and animals. For example, the citrus canker disease of lemon is caused by Xanthomonas citri, black rots of vegetables of Crticiferae group is caused by Xanthomonas campestris. The common diseases caused by bacteria in human beings are diarrhoea, pneumonia, tetanus, leprosy, plague etc.

(b) Species dominance : Presence of any biotic community or presence of more population of any species biosphere shown its dominance and it is called species dominance which has capacity to reduce other species in population. The effect of dominant speeds is more upon environment or other species.

(c) Biotic potential : Biotic potential is the ability of a population of living species to increase under ideal environmental conditions sufficient food supply, no predators and a lack of disease. An organisms rate of reproduction and the size of each litter are the primary determining factors for biotic potential.

Question 16.
Explain population fluctuation.
Answer:
Population is generally a group of individuals of a particular species occupying a particular area at a specific time.
Population fluctuation: Any increase or decrease in number of individuals in a population from its equilibrium state is known as population fluctuation. It may occur due to various reasons, such as due to change in climate or due to change in physical environment or due to predators.

Question 17.
Give an example for:

  • Heliophytes
  • Sciophytes
  • Viviparous.

Answer:

  • Heliophytes: Sunflower, AmranthuS.
  • ciophytes: Java moss, Lycopodium, Polytrichus.
  • Viviparous : Rhizophora, Salicomia, Sonneratia.

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Organisms And Population Long Answer Type Questions

Question 1.
Write characteristic features of aquatic plants.
Answer:
Characteristic features of aquatic plants (Hydrophytes):

  • The cuticle is either absent or very thinly deposited on the epidermis.
  • Usually stomata are absent, if present they are non-functional.
  • Many air chambers or large intercellular spaces are present inside the plant body of hydrophytes.
  • The whole body of the plant helps in the absorption of water and minerals.
  • Root system is feebly developed and usually non-branched or less branched. Some hydrophytes like Wolffia lack roots.
  • The mechanical tissues are less distributed.
  • The vascular tissues are either absent or feebly developed in the case of hydrophytes.

Question 2.
Describe the anatomical adaptation of xerophy tic plants.
Answer:
The anatomical adaptations of xerophytic plants are :

1. The epidermis of xerophytic plant organs is covered by thick cuticle. It protects plants against heavy transpiration and also provides mechanical strength to some extent.

2. Epidermis may be multiple layered which also reduces the rate of transpiration. Examples: Banyan, Nerium etc.

3. Except some monocotyledonous plants the stomata are restricted to the lower surface of the leaves. The stomata are generally sunken and surrounded by many hairs.

4. Hypodermis in xerophytes is multilayered and sclerenchymatous which checks evaporation of water.
Example: Pinus needle.
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 13 Organisms And Population 17

5. Mesophyll tissue is well differentiated into palisade and spongy parenchyma but palisade parenchyma is more in number than spongy parenchyma.
Examples: Pinus needle, Nerium leaf.

6. Vascular bundles are well developed and differentiated into xylem and phloem. Vascular bundles are comparatively more in number. Besides vascular bundles, mechanical tissues are well developed.

7. Leaves of some xerophytes have some rolling devices due to presence of motor cells of bulliform cells in the epidermal zone.
Examples: Poa pratensis, Agropyron, Ammophila etc.

8. Stomata in certain desert plants such as Capparis spirwsa and Aristida ciliata may sometimes get blocked due to deposition of resinous matter or wax. This adaptation is also known to reduce the loss of water during transpiration.

Question 3.
Describe the morphological adaptations of aquatic plants.
Or
Describe morphological adaptations found in the stem and leaves of xerophytic plants.
Or
Explain in brief, xerophytic plants along with examples.
Answer:
The morphological adaptations of aquatic plants are :

1. Adaptations in roots :

1. Root system is feebly developed and unbranched. Some floating plants like Wolffia, Utricularia etc. and submerged plants like Ceratophyllum lack roots.

2. Root hairs are absent except rooted floating hydrophytes. In most of the hydrophytes roots are meaningless as the entire surface of the plant body is in direct contact with water and acts as absorptive surface. This may probably be the reason why roots in hydrophytes are reduced or absent.

3. True root caps are absent in some free floating hydrophytes and in lieu of that they develop root pockets or root sheaths which protect their tips from injuries.

4. If roots are present they are always of adventitious type e.g., Nymphaea, Nelumbo etc. In Jussiaea modified spongy negative geotrophic floating roots are present whifch provide buoyancy to the plants and also do the job of gaseous exchange.

2. Adaptations in stems :

1. In submerged hydrophytes like Hydrilla, Potamogeton etc. stems are long, slender and flexible.

2. In free floating hydrophytes, stems are modified as thick, stout, stoloniferous or as offset and occur horizontal on the water surface. It bears vegetative bud at their apex and helps in vegetative propagation.

3. In rooted floating hydrophytes or rooted submerged hydrophytes or in marshy plants, stem may be modified as runner or rhizome.

4. The stem may be modified as runner, stolon, tuber to perform vegetative propagation effectively. Usually stems are of perennial nature.

3. Adaptations in leaves :

1.Leaves are thin, long, ribbon shaped in the submerged forms.
Example : Vallisneria, Ceratophyllum etc. or they are finely dissected as found in Ranunculus aquatilis.

2. In rooted floating plants, like Nymphaea, Nelumbo etc. the petioles of leaves show indefinite power of growth and they keep the laminae of leaves always on the surface of water.

3. In free floating plants like Eichomia, Trapa etc. the petioles become characteristically swollen and develop sponginess which keep the plant afloat.

4. Occurrence of two or more than two different types of leaves in a plant is called heterophylly. Examples are Limnophila, Heterophylla, Sagittaria, Ranunculus aquatilis etc. They bear leaves of many types viz., submerged leaves, floating leaves, aerial leaves, linear, ribbon shaped leaves or dissected leaves. Floating leaves are entire and lobed. The ’ broad leaves found on the surface of water transpire actively and regulate the hydrostatic pressure in the plant body. The submerged leaves act as water absorbing orgAnswer: Hetero- phylly is also associated with quantitative reduction in transpiration.

5. In the amphibious or marshy plants, the leaves that are exposed to air show typical mesophytic features. They are leathery and more tough than the submerged and floating hydrophytes.

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Question 4.
What do you mean by biotic community ? Describe characteristic features of any biotic community.
Answer:
Biotic community : A biotic community is a localized association of several populations of different species living in a given geographic area of habitat. It represents heterogeneous assemblage of different groups of organisms both plants and animals. Biotic community is composed of smaller units of intimately associated members belonging to different species.

The different species of a community share common environment and their relationships are based on direct or indirect functional interactions. The nature or relationship is determined by the requirements of the members of a community.

Characteristics of a community: Each community has its own characteristics which are not shown by its individual component species.

1. Species diversity : Each community is made up of much different organisms: Plants, animals, microbes, which differ taxonomically from each other. The number of species and population abundance in community also vary greatly.

2. Growth form and structure : Each community have a definite growth form. This different growth form determines the structural pattern of a community.

3. Dominance : In each community, all the species are not equally important. There are relatively only a few of these, which determine the nature of community. These few species exert a major controlling influence on the community. Such species are known as dominants.

4. Succession : Each community has its own development history. It develops as a result of a directional change in it with time.

5. Trophic structure (Self-sufficiency) : Nutritionally, each community, a group of autotrophic plants as well as heterotrophic animals exists as a self-sufficient, perfectly balanced assemblage of organism.

Question 5.
Write cooperative interactions between the members of a species.
Answer:
The cooperative intraspecific interactions involve help to other members. The co-operative interaction amongst the individuals of a species is necessary for reproduction, perpetuation, parental care of young ones, social organization, territoriality, protection and food, etc.

1. Cooperation for protection and food : For protection and food, members of a species may form groups. Such organisms which live in group are called as gregarious.

2. Cooperation for reproduction : It is necessary for reproduction in which adult male and female comes together for mating.

3. Social organization : Active association for mutual benefits amongst the individuals of same species often bring social organization. Success of these organizations is measured in the terms of the survival or colony. Honey-bees, ants, wasps and termites, etc. form well- organized societies showing division of labour and polymorphism. In these social insects, a large number of individuals of different kinds live together in the colony and work collectively for the benefit of the group.

The insect societies are formed of different castes such as workers, drones (male) and queen which are specialized for the different kind of work. The workers collect and store food, build houses of complicated design and pay special attention to the queen. The drones (male) and queen (female) are mainly concerned with reproduction.

Question 6.
Explain interrelationship between various species of a biotic community along with examples.
Answer:
Odum (1971) distinguished interactions into two broad categories:
(A) Positive interactions and
(B) Negative interactions.

(A) Positive Interactions :
In this type, those type of interactions are considered in which both interacting species are mutually involved to help each other. Here, one interacting species helps the other either one way or on reciprocal terms and may be in the form of nutrition or shelter or substratum or transport. Here interaction may be obligatory or facultative. The positive interactions include three types of interactions. They are :
1. Commensalism : This type of interaction occurs in between two organisms of two different species in which one species benefits and the other is neither benefited nor harmed. e.g., Lichens.

2. Protocooperation : The type of interaction where both population are benefited but not obligatory i.e., not essential for the survival of either population is called protocooperation. This is also known as non-obligatory mutualism. The relationship between hermit crab and sea anemone is an example of proto-cooperation. The crab pses the gastropod (mollusc) shell as a portable shield and the sea anemone eats the leftover food of the crab, which is protected from its predators by the stinging cells of the sea anemone.

3. Mutualism or Symbiosis : When two different species grow together and are mutually benefited, the plants are known as symbiotic plants and the phenomenon is called symbiosis or mutualism. It is a sort of obligatory association. This type the organisms are dependent upon each other for survival. In this type of association, two types of species are physiologically related. This type of relationship may exist in between two plants or in between one plant and one animal or in between two animals.

(B) Negative Interactions :
Those interaction of two different species in which both are harmed or one organism is benefited while other is more or less harmed is referred to as negative interaction. In this type of interaction one population eats the other type of population or one organism does not allow other organisms to grow near it by using the food supply of the other or producing toxic substances. The negative interactions be categorised into following types :

  1. Competition
  2. Parasitism
  3. Predation and
  4. Antibiosis.

1. Competition : When interaction occurs between two species for the use of same resources and when resources are in short supply is referred to as competition. It is a relationship which involves struggle amongst the organisms for food, shelter, water, sunlight and climate.

2. Parasitism : Parasite is an organism which is dependent upon other living organism for their food and other requirements. Parasitism is an interspecific interrelation in which the individual of one species lives at the cost of the individual of another species, its host which it harms and eventually kills. In this case host is always larger than the parasite. The parasite that is seen on the surface of host plant is called ectoparasite or external parasite and if a parasite is found inside the plant body is said to be an endoparasite or internal parasite.

Examples:

(i) Parasitic bacteria : Parasitic bacteria cause several diseases in plants and animals. For example, the citrus canker disease of lemon is caused by Xanthomonas citri, black rots of vegetables of Cruciferae group is caused by Xanthomonas campestris. The common diseases caused by bacteria in human beings are diarrhoea, pneumonia, tetanus, leprosy, plague etc.

(ii) Predation : To obtain food by hunting is predation. A predator is an animal or plant that kills and feeds on another organism, its prey. It represents a generalised carnivorous habit. Commonly predators are larger than their prey but this is not always true but predator is in any case always occur as a naturally better equipped hunter than its prey. Most of the predatory organisms are animals but there are some plants (carnivores) also especially fungi which feed upon other animals.

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MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास

विकास NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
डार्विन के चयन सिद्धांत के परिप्रेक्ष्य में जीवाणुओं में देखे गये प्रतिजैविक प्रतिरोध का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर
डार्विन के चयन सिद्धांत के अनुसार, प्राणी अपने को वातावरण के अनुकूल बनाकर ही जीवित रहते हैं तथा संतान उत्पन्न करते हैं । इसके विपरीत जो जीव अपने को वातावरण के अनुकूल बनाने में असमर्थ हात हे, नष्ट हो जाते हैं। संक्रामक रोगों के उपचार के लिए ऐसी औषधियों का प्रयोग किया जाता है जो रोगजनक जीवाणुओं की वृद्धि रोक दे अथवा उन्हें मार डाले।

इन औषधियों में प्रतिजैविकों (Antibiotics) का काफी प्रयोग किया जाता है। पेनिसिलिन, स्ट्रेप्टोमाइसीन, ओरियोमाइसिन आदि कुछ प्रमुख प्रतिजैविकों के उदाहरण हैं। काफी समय तक यह समझा जाता रहा कि प्रतिजैविकों के प्रयोग से रोगजनक जीवाणु इत्यादि पर पूर्णत: नियंत्रण संभव हो गया है, परंतु धीरे-धीरे पता चला कि जो प्रतिजैविक कुछ समय पूर्व किसी रोगजनक पर नियंत्रण कर सकते थे, वे अब निरर्थक हो गये हैं। इन प्रतिजैविकों का रोगजनक जीवाणुओं पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। दूसरे शब्दों में, ये जीवाणु प्रतिजैविकों के लिए प्रतिरोधी हो गये हैं।

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प्रश्न 2.
समाचार पत्रों और लोकप्रिय वैज्ञानिक लेखों से विकास संबंधी नये जीवाश्मों और मतभेदों की जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर
जीवाश्मों (Fossils) के अध्ययन को जीवाश्म विज्ञान कहते हैं। लाखों करोड़ों वर्षों पूर्व के जीव-जंतु एवं पौधों के अवशेष या चिन्ह चट्टानों में दबे हुए हैं, जीवाश्म कहलाते हैं । जीव श्मों के अध्ययन से जीवों के विकासक्रम या जाति वंश (Phylogeny) का ज्ञान होता है। हजारों जीवाश्मों का अध्ययन अब वैज्ञानिकों द्वारा हो चुका है। जीवाश्म अभिलेखों की सहायता से जीव वैज्ञानिकों को जैविक विकास के इतिहास का पता लगाने में काफी सहायता प्राप्त हुई है। सन् 1952 में निओपिलना (Neopilina) के जीवाश्म कोस्टारिका के पेसीफिक तट से 3500 मीटर की गहराई से प्राप्त किये गये। इसमें मोलस्का व ऐनेलिडा संघ दोनों के लक्षण पाये जाते हैं। जीवाश्मों में सबसे प्रचलित उदाहरण आर्किओप्टेरिक्स तथा डायनोसोर है। डायनोसोर विशालकाय सरीसृप थे।

इथोपिया तथा तंजानिया से कुछ मानव जैसी अस्थियों के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। इस शताब्दी के तीसरे व चौथे दशकों में चीन में चाऊकाऊटीन नामक स्थान के समीप मानव की भाँति अनेक जावाश्म प्राप्त हुए हैं जिन्हें बाद में पेकिंग मानव के नाम से जाना गया। मिस्र देश में कैरो (Cairo) के पास सन् : 961 में एक पुरानी दुनिया का एक जीवाश्म प्राप्त हुआ है। इसमें 32 दाँत थे। प्रोप्लियोपिथिकस के जीवाश्म मित्र के फैयूम प्रांत से प्राप्त हुए। एजिप्टोपिथिकस के जीवाश्म 1980 में काहिरा में खोजे गये। 1858 में ओरियोपि थकस का जीवाश्म इटली में एक कोयले की खान में इसका पूरा कंकाल प्राप्त हुआ इस प्रकार जीवाश्मों से जैव विकास प्रमाणित होता है।

प्रश्न 3.
‘प्रजाति’ की स्पष्ट परिभाषा देने का प्रयास करें।
उत्तर
जाति (Species) अन्तर्प्रजनन करने वाले जीवों का समूह होती है। परन्तु जाते के वे छोटे समूह जिनके मध्य आनुवंशिक समानता होते हुए अन्तर्प्रजनन सम्भव होता है पर भौगोलिक रूप से पृथक् होती है इन्हें डीम्स (Demes) कहा जाता है। इसी प्रकार आनुवंशिक असमानता वाले जाति के छोटे छोटे समूह जिनमें भौगोलिक पृथक्कता हो तो उन्हें प्रजाति (Race) कहा जाता है। जब दो जातियाँ आकारिन्ली में समान हों पर अन्तर्जनन नहीं कर सके तो उन्हें सिबलिंग (Sibling) जातियाँ कहते हैं।

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प्रश्न 4.
मानव विकास के विभिन्न घटकों का पता कीजिए। (संकेत-मष्तिष्क ) साइज और कार्य, कंकाल-संरचना, भोजन में पसंदगी आदि।)
उत्तर
लगभग 15 मिलियन वर्ष पूर्व ड्रायोपिथिकस तथा रामापिथिकस नामक नर वानर विद्यमान थे। रामापिथिकस अधिक मनुष्यों जैसे थे जबकि ड्रायोपिथिकस वन मानुष (Ape) जैसे थे। लगभग 2 मिलियन वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस (आदि मानव) सम्भवत: पूर्वी अफ्रीका के घास स्थलों में रहता था चेहरा सीधा परन्तु बिना ठोढ़ी का था परन्तु मस्तिष्क की माप केवल 350-450 घन सेमी. थी। साक्ष्य प्रकट करते हैं कि आस्ट्रेलोपिथिकस प्रारंभ में पत्थरों के हथियारों से शिकार करते थे, किन्तु प्रारंभ में फलों का ही भोजन करते छ । इसमें बुद्धि और मस्तिष्क का विकास होने लगा।

जीवाश्मों के अध्ययन से पता चलता है कि वर्तमान मानव का विकास होमो श्रेणी की कुछ जातियों के क्रमिक विकास से हुआ है । खोजी गई अस्थियों में से कुछ अस्थियाँ बहुत ही भिन्न थी। इस जीव को पहला मानव जैसे प्राणी के रूप में जाना गया और होमो हैबिलिस (Homo habilis) कहा गया था। इसकी दिमागी क्षमता 650-80) घन सेमी. के बीच थी। वे संभवत: मांस नहीं खाते थे। यह पैरों पर सीधा चलता था । दन्त विकास मानव सदृश्य था। यह हथियारों का निर्माण करने वाला प्रथम मानव था। इस जीव को मनुष्य के समान जीवों का सीधा पूर्वज समझा जाता है। 1981 में जावा में खोजे गये

जीवाश्म के अगले चरण के बारे में भेद प्रकट किया। यह चरण था होमो इरेक्टस (Homo erectus) का जो 1.5 मिलियन वर्ष पूर्व हुआ। इसके बाद इनके जीवाश्म पीकिंग, हीडालबर्ग तथा अल्जीरिया आदि स्थानों से प्राप्त हुए हैं। होमो इरेक्ट्स (जावा कपि मानव) का मस्तिष्क बड़ा था जो लगभग 900 घन सेमी. का था। कपियों की तरह इनकी भौंहें मोटी, नाक चपटी तथा जबड़े भारी और सामने की ओर लटके हुए थे। इनमें भोजन के रूप में एक-दूसरे को खा जाने अर्थात् नरभक्षिता (Cannibalism) का व्यसन था। पैकिंग मानव, जावा मानव से काफी बुद्धिमान एवं सभ्य थे। इनकी नाक चौड़ी तथा चपटी थी। जबडा भारी तथा ठोढ़ी नहीं के बराबर थी। कपालीय क्षमता (Cranial capacity = c.c.) 1075c.c. थी। निएण्डर्थल मानव (Neanderthal man) 1400c.c. आकार वाले मस्तिष्क लिए हुए 1,00,000 से 4,00,000 वर्ष पूर्व लगभग पूर्वी एवं मध्य एशियाई देशों में रहते थे। यह मानव 150 से 156 सेमी. लम्बा तथा शक्तिशाली सीधे खड़े होकर तेज चलने में समर्थ था।

इसका मस्तिष्क अधिक विकसित था। यह अपने द्वारा बनाये गये अच्छे किस्म के हथियार से शिकार करते थे। यह अग्नि का प्रयोग जानता था। गुफाओं में रहने के कारण इसे प्रारंभिक गुफा मानव कहा जाता है। वे अपने शरीर की रक्षा के लिए खालों का प्रयोग करते थे और अपने मृतकों को जमीन में गाड़ते थे।
होमो सैपियन्स (मानव) अफ्रीका में विकसित हुआ और धीरे-धीरे महाद्वीपों से पार पहुँच गया तथा विभिन्न द्वीपों में फैला था। इसके बाद वह भिन्न जातियों में विकसित हुआ। 75, 000 से 10, 000 वर्षों के दौरान हिम युग में यह आधुनिक मानव पैदा हुआ। कृषि कार्य लगभग 10, 000 वर्ष पूर्व आरम्भ हुआ तथा मानव बस्तियाँ बननी शुरू हुई। बाकी जो भी कुछ हुआ वह मानव इतिहास या वृद्धि का भाग और सभ्यता की प्रगति का हिस्सा है।

प्रश्न 5.
इंटरनेट (अंतरजाल-तंत्र ) या लोकप्रिय विज्ञान लेखों से पता करें कि क्या मानवेत्तर किसी प्राणी में आत्म संचेतना थी।
उत्तर
हाँ, बहुत से जीव वैज्ञानिकों के अनुसार बहुत से प्राणियों में मानवेत्तर आत्म संचेतना थी।

प्रश्न 6.
इन्टरनेट (अंतरजाल तंत्र ) संसाधनों का उपयोग करते हुए आज के 10 जानवरों और उनके विलुप्त जोड़ीदारों की सूची बनाइए (दोनों के नाम दें)।
उत्तर
आधुनिक एवं विलुप्त जोड़ीदार प्राणी
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प्रश्न 7.
विविध जंतुओं और पौधे के चित्र बनाइये।
उत्तर
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प्रश्न 8.
अनुकूलनी विकिरण के एक उदाहरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर
एक विशेष भू-भौगोलिक क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के विकास का प्रक्रम एक बिन्दु से प्रारम्भ होकर अन्य भू-भौगोलिक क्षेत्रों तक प्रसारित होने को अनुकूली विकिरण (Adaptive radiation) कहा जाता है। जैसे-आस्ट्रेलियाई मार्सपियल (शिशुधानी प्राणी) । अधिकांश मा पियल जो एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न थे, इस पूर्वज प्रभाव से विकसित हुए और वे सभी आस्ट्रेलियाई महाद्वीप के अंतर्गत हुए हैं।

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प्रश्न 9.
क्या हम मानव विकास को अनुकूलनी विकिरण कह सकते हैं ?
उत्तर
नहीं, मानव विकास एक अनुकूलनी विकिरण नहीं है।

प्रश्न 10.
विभिन्न संसाधनों जैसे कि विद्यालय का पुस्तकालय या इंटरनेट (अंतरजाल तंत्र) तथा अध्यापक से चर्चा के बाद किसी जानवर जैसे कि घोड़े के विकासीय चरणों को खोजें।
उत्तर
जीवाश्मों के अध्ययन के आधार पर घोड़े का विकास (Evolution of horse based on the study of fossils)-घोड़े की जीवाश्म कथा जैव विकास होने का एक बहुत उपयुक्त, ठोस तथा ज्वलन्त प्रमाण है।
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घोड़े के विभिन्न जीवाश्मों से पता चलता है कि इसका उद्भव (Origin) लगभग 60 करोड़ वर्ष पूर्व उत्तरी अमेरिका में इओसीन (Eocene) काल में हुआ था। इस जन्तु को इओहिप्पस (Eohippus) का नाम दिया गया।

1. इओहिप्पस (Eohippus)-
इसको ‘Tiny dwarf horse’ या हाइरैकोथीरियम (Hyracotherium) भी कहते हैं। इओहिप्पस लगभग 30 सेमी. ऊँचा तथा लोमड़ी के आकार का था। इसका सिर तथा गर्दन काफी छोटा था। यह जंगलवासी. था और पत्तियाँ तथा टहनियाँ खाता था। इसके अगले पैरों में चार क्रियात्मक पादांगुलियाँ थी किन्तु पिछले पैरों में केवल तीन पादांगुलियाँ थी। पिछली टाँगों की पहली तथा पाँचवीं पादांगुलियाँ पृथ्वी तक नहीं पहुँचती थी। इओसीन काल के बाद घोड़े के जीवाश्म ओलीगोसीन (Oligocene) काल में मिले। इनको मीसोहिप्पस (Mesohippus) का नाम दिया गया। यह अनुमान लगाया गया कि मीसोहिप्पस का विकास इओहिप्पस से हुआ।

2. मीसोहिप्पस (Mesohippus)-
यह इओहिप्पस से कुछ बड़ा लगभग भेड़ के आकार का था। इसकी अगली तथा पिछली टाँगों में तीन-तीन अंगुलियाँ थी। इनमें से बीच वाली अंगुली सबसे बड़ी थी और ऐसा प्रतीत होता है कि शरीर का बोझ इसी अंगुली पर रहता था। इसके मोलर दाँत अपेक्षाकृत थे। ओलीगोसीन काल के घोड़ों से मायोसीन काल के घोड़ों का विकास हुआ और विकास की कई दिशाएँ दिखायी देने लगी, जैसेपैराहिप्पस (Parahippus), मेरीचिहिप्पस (Merichihippus) इत्यादि। ये घोड़े घास भी खाते थे तथा हरी पत्तियाँ और टहनियाँ भी।

3. मेरीचिहिप्पस (Merichihippus)-मेरीचिहिप्पस की ऊँचाई लगभग आज के टट्ट के बराबर थी। इसके आगे तथा पीछे दोनों टाँगों में तीन-तीन पादांगुलियाँ थीं, लेकिन इनमें से केवल कीच वाली ही पृथ्वी तक पहुँचती थी। एक अंगुली के कारण यह घोड़ा तेज दौड़ सकता था।

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4. प्लिस्टोसीन काल में आधुनिक घोड़े इक्कस (Equus) का विकास उत्तरी अमेरिका में हुआ। इसकी ऊँचाई लगभग 1.50 मीटर थी। यह घोड़ा बाद में सभी द्वीपों में (ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर) प्रसारित हुआ। प्लिस्टोसीन काल में उत्तरी अमेरिका में ही करीब 10 जातियाँ पाई जाती थीं। ये सभी जातियाँ धीरे-धीरे वातावरण में समन्वय न होने के कारण लुप्त हो गई। लेकिन जो जातियाँ यूरेशिया में आई थीं, वे जीवित रह गई और उनका विकास धीरे-धीरे होता रहा। इस प्रकार हमने देखा कि आज के घोड़े का इतिहास 60 करोड़ वर्ष पुराना है और किस तरह से एक लोमड़ी के आकार के घोड़े से 1.50 मीटर ऊँचाई का घोड़ा विकसित हुआ। यह ज्ञान संभव हुआ, केवल घोड़े के जीवाश्मों के अध्ययन से। इन अध्ययनों के आधार पर हम निश्चिततापूर्वक कह सकते हैं कि अन्य जीवधारियों का विकास भी इसी प्रकार हुआ होगा।

विकास अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

विकास वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
जीवन के विकास के पहले पृथ्वी के वायुमंडल में पाये जाते थे
(a) जलवाष्प, CH4, NH3 एवं ऑक्सीजन
(b) CO2, NH3, H2 एवं जलवाष्प
(c) CHA4, NH3, H2,एवं जलवाष्प
(d) CHA4,O3. O2, तथा जलवाष्प।
उत्तर
(c) CHA4, NH3, H2,एवं जलवाष्प

प्रश्न 2.
जीवन की उत्पत्ति के समय वायुमंडल में कौन-सा गैस अनुपस्थित था।
(a) NH3
(b) H2
(c) O4,
(d) CH4.
उत्तर
(c) O4,

प्रश्न 3.
मिलर ने ताप एवं बिजली का उपयोग करके किस गैस के मिश्रण से अमीनो अम्ल प्राप्त किया।
(a) मेथेन, अमोनिया, हाइड्रोजन एवं जलवाष्प
(b) मेथेन, अमोनिया, नाइट्रोजन तथा जलवाष्प
(c) मेथेन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन तथा जलवाष्प
(d) अमोनिया, कार्बन डाई-आक्साइड, नाइट्रोजन एवं जलवाष्प।
उत्तर
(a) मेथेन, अमोनिया, हाइड्रोजन एवं जलवाष्प

प्रश्न 4.
श्रेष्ठतम का जीवत्म का सिद्धांत किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया
(a) चार्ल्स डार्विन
(b) हरबर्ट स्पेन्सर
(c) जीन बैपटिस्ट लैमार्क
(d) ह्यूगो डी-व्रीज।
उत्तर
(b) हरबर्ट स्पेन्सर

प्रश्न 5.
उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त किसने दिया
(a) वैलेस
(b) लैमार्क
(c) डार्विन
(d) डी-व्रीज।
उत्तर
(b) लैमार्क

प्रश्न 6.
ओरिजीन ऑफ स्पीशीज” नामक पुस्तक किसके द्वारा लिखी गई
(a) ओपेरिन
(b) बिजगैन
(c) लैमार्क
(d) डार्विन।
उत्तर
(d) डार्विन।

प्रश्न 7.
डार्विन ने किस जहाज पर विश्व भ्रमण किया
(a) गंगोत्री
(b) बीगल
(c) अटलांटिक
(d) सीगुल।
उत्तर
(b) बीगल

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प्रश्न 8.
वातावरण जीवों में बदलाव या भिन्नता उत्पन्न करता है यह सिद्धांत किसने दिया
(a) मेंडल
(b) डार्विन
(c) लैमार्क
(d) लाप्लास।
उत्तर
(c) लैमार्क

प्रश्न 9.
डार्विनवाद व्याख्या करता है
(a) लक्षण वंशागति द्वारा उत्पन्न होते हैं
(b) समय के साथ जातियाँ संरचनात्मक रूप से परिवर्तित होते हैं
(c) प्रकृति उस जीव का चयन करता है जो अनुकूलित हो सकते हैं
(d) विकास वातावरण के प्रभाव के कारण उत्पन्न होता है।
उत्तर
(c) प्रकृति उस जीव का चयन करता है जो अनुकूलित हो सकते हैं

प्रश्न 10.
लेडरबर्ग के रेप्लिका प्लेटिंग प्रयोग में उपयोग किया गया एन्टीबायोटिक था
(a) पेनिसिलिन
(b) स्ट्रेप्टोमाइसिन
(c) इरिथ्रोमाइसिन
(d) नियोमाइसिन।
उत्तर
(a) पेनिसिलिन

प्रश्न 11.
प्राकृतिक चयन या श्रेष्ठ का जीवात्म अवधारणा इकाई क्या है
(a) जाति
(b) समष्टि
(c) कुल
(d) एकाकी जीव।
उत्तर
(c) कुल

प्रश्न 12.
प्राकृतिक वरण का सिद्धान्त किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया
(a) लैमार्क
(b) डी-व्रीज
(c) डार्विन
(d) मेण्डल।
उत्तर
(d) मेण्डल।

प्रश्न 13.
डार्विनवाद किस पर आधारित है
(a) पृथक्करण
(b) स्वतंत्र अपव्यूहन
(c) मात्रात्मक वंशागति
(d) प्राकृतिक वरण।
उत्तर
(b) स्वतंत्र अपव्यूहन

प्रश्न 14.
अंगों के उपयोग तथा अनुप्रयोग का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया
(a) वैलेस
(b) लैमार्क
(c) डार्विन
(d) डी-व्रीज।
उत्तर
(a) वैलेस

प्रश्न 15.
प्राकृतिक वरण की इकाई है
(a) एकाको जीव
(b) कुल
(c) समष्टि
(d) जाति।
उत्तर
(d) जाति।

प्रश्न 16.
खच्चर किसका उत्पाद है
(a) उत्परिवर्तन
(b) जनन
(c) अंतराजातीय संकरण
(d) अन्तरजातीय संकरण।
उत्तर
(b) जनन

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प्रश्न 17.
स्पीशीज शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया
(a) लिनियस
(b) जॉन
(c) अरस्तु
(d) इन्गरेलर।
उत्तर
(b) जॉन

प्रश्न 18.
समजात अंग होते हैं
(a) उत्पत्ति में असमान एवं संरचना में समान
(b) उत्पत्ति में असमान एवं कार्य में भिन्न
(c) उत्पत्ति में समान परन्तु कार्य में असमान
(d) उत्पत्ति में समान एवं कार्य में असमान।
उत्तर
(c) उत्पत्ति में समान परन्तु कार्य में असमान

प्रश्न 19.
डायनासोर या सरीसृप का स्वार्णिमकाल किसे कहा जाता है
(a) मीसोजोइक
(b) सीनोजोइक
(c) पैलियोजोइक
(d) साइकोजोइक।
उत्तर
(a) मीसोजोइक

प्रश्न 20.
डायनोसोर्स किस काल में विलुप्त हुए
(a) जुरैसिक
(b) ट्राइएसिक
(c) क्रस्टेसियस
(d) पर्मियन
उत्तर
(c) क्रस्टेसियस

प्रश्न 21.
मनुष्य में अवशेषी अंग होते हैं
(a) अक्ल दाँत, कोक्साई, नाखून, पलक तथा वर्मिफार्म अंपेडिक्स
(b) अक्ल दाँत, कोक्साई, वर्मिफार्म अपेंडिक्स, पैन्क्रियाज एवं एल्बो जोड़
(c) अक्ल दाँत, कोक्साई, वर्मिफार्म अपेंडिक्स, निक्टेटिंग झिल्ली
(d) कोक्साई, अक्ल दाँत, नाखून, ऑरिकुलर पेशी।
उत्तर
(c) अक्ल दाँत, कोक्साई, वर्मिफार्म अपेंडिक्स, निक्टेटिंग झिल्ली

प्रश्न 22.
जीवाश्म कैसे बनते हैं
(a) जन्तु प्राकृतिक रूप से दफनाए जाए
(b) जन्तुओं को परमार्जित नष्ट कर दें
(c) जन्तुओं को उसकी शिकारी जातियाँ खा लें
(d) जन्तु वातावरण की परिस्थितियों द्वारा नष्ट हो जाएँ।
उत्तर
(d) जन्तु वातावरण की परिस्थितियों द्वारा नष्ट हो जाएँ।

प्रश्न 23.
आकृति में समान किन्तु जनन में पृथक्कृत जाति कहलाती है
(a) उपजाति
(b) सहोदर जाति
(c) समस्थानिक जाति
(d) एलोपेट्रिक जाति ।
उत्तर
(c) समस्थानिक जाति

प्रश्न 24.
उस जहाज का नाम बताइए जिसमें चार्ल्स डार्विन यात्रा के लिए गए थे
(a) सिलोर
(b) बीगल
(c) सीगल
(d) एटलांटिक।
उत्तर
(b) बीगल

प्रश्न 25.
नव-डार्विनवाद के अनुसार कौन-सा कारक जैव विकास के लिए जिम्मेदार है
(a) उत्परिवर्तन
(b) लाभदायक विभिन्नताएँ
(c) संकरण
(d) उत्परिवर्तन एवं प्राकृतिक चयन
उत्तर
(d) उत्परिवर्तन एवं प्राकृतिक चयन

प्रश्न 26.
किस कल्प में जीवन नहीं था
(a) मीसोजोइक
(b) पैलीयोजोइक
(c) सीनोजोइक
(d) एजोइक।
उत्तर
(d) एजोइक।

प्रश्न 27.
जीवन की उत्पत्ति किस कल्प में हई
(a) प्रोटीरोजोइक
(b) मीसोजोइक
(c) प्रोकैम्ब्रियन
(d) एजोइक।
उत्तर
(c) प्रोकैम्ब्रियन

प्रश्न 28.
भारत की शिवालिक पहाड़ियों से प्राप्त आदिमानव का जीवाश्म किसका था
(a) ओलाइ गोपिथिकस
(b) परेन्थ्रापस
(c) रामापिथकस
(d) प्लायोपिथिकस।
उत्तर
(c) रामापिथकस

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प्रश्न 29.
जीवाश्मों की आयु का पता लगाया जाता है
(a) कैल्सियम अवशेष की मात्रा से
(b) रेडियोधर्मी कार्बन, यौगिक की मात्रा पर
(c) अन्य स्तनियों के संघर्ष से
(d) अस्थियों की रचना से।
उत्तर
(b) रेडियोधर्मी कार्बन, यौगिक की मात्रा पर

प्रश्न 30.
निम्न में कौन सबसे सरल एवं आदिस्तनी है
(a) कण्टक चींटीखोर
(b) स्केली चींटीखोर
(c) आर्मेडिलो
(d) सभी पूर्वज।
उत्तर
(a) कण्टक चींटीखोर

प्रश्न 31.
पुनरावृत्ति नियम किसने प्रतिपादित किया
(a) विजमैन
(b) वान बेयर तथा हैकेल
(c) डार्विन
(d) माल्थस।
उत्तर
(b) वान बेयर तथा हैकेल

प्रश्न 32.
जातिवृत्ति में किस चीज की व्याख्या की गयी है
(a) प्रत्येक जीव अण्डे से आरम्भ होता है
(b) नष्ट हुए शरीर के भाग पुनः बन जाते हैं
(c) सन्तान अपने माता-पिता के समान होते हैं
(d) भ्रूणीय परिवर्धन में विकास के इतिहास को दोहराया जाता है।
उत्तर
(d) भ्रूणीय परिवर्धन में विकास के इतिहास को दोहराया जाता है।

प्रश्न 33.
निम्न में से कौन-सा क्रम मानव के विकासीय इतिहास का सही क्रम है
(a) पैकिंग मानव, होमो सेपियन्स, निएन्डरथल मानव, क्रोमैग्नन मानव
(b) पैकिंग मानव, निएन्डरथल मानव, होमो सेपियन्स, क्रोमैग्नन मानव
(c) पैकिंग मानव, हिडेलबर्ग मानव, निएन्डरथल मानव, क्रोमैग्नन मानव
(d) पैकिंग मानव, निएन्डरथल मानव, होमो सेपियन्स, हिडेलबर्ग मानव।
उत्तर
(c) पैकिंग मानव, हिडेलबर्ग मानव, निएन्डरथल मानव, क्रोमैग्नन मानव

प्रश्न 34.
निम्न में से कौन-सा मानव का सर्वप्रथम पूर्वज था जिसके जीवाश्म प्राप्त हुए हैं
(a) पिथिकेन्थ्रोपस
(b) जिन्जेनथ्रॉपस
(c) ऑस्ट्रेलोपिथिकस
(d) निएन्डरथल मानव।
उत्तर
(c) ऑस्ट्रेलोपिथिकस

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. पृथ्वी …………… का एक सदस्य है।
2. …………. जीवन की उत्पत्ति के धार्मिकवाद के प्रवर्तक थे।
3. ‘ओरिजिन ऑफ लाइफ’ नामक पुस्तक ………… नामक वैज्ञानिक ने लिखी।
4. प्रकाश संश्लेषी जीव की उत्पत्ति के कारण पृथ्वी पर ऑक्सीजन के आगमन की घटना को ……………..कहते हैं।
5. ……….. सरीसृप तथा पक्षियों के बीच की कड़ी है।
6. ………… घोड़े का प्राचीनतम पूर्वज है।
7. पक्षियों एवं स्तनियों का विकास ……………. युग में हुआ।
8. डायनासोर का स्वर्णिम युग …………… कल्प था।
9. ……………. मत ‘व्यक्तिवृत जातिवृत की पुनरावृत्ति करता है।’ की व्याख्या है।
10. चार्ल्स डार्विन की पुस्तक “जाति की उत्पत्ति” में ………… की व्याख्या है।
11. आनुवंशिक गुणों में परिवर्तन ………….. है।
उत्तर

  1. सौर मंडल
  2. फादर सारेज
  3. ओपेरिन
  4. ऑक्सीजन क्रांति
  5. आर्कियोप्टेरिस
  6. इओहिप्पस,
  7. जुरैसिक
  8. मीसोजोइक
  9. पुनरावर्तन सिद्धान्त
  10. प्राकृतिक चयनवाद व योग्यतम की उत्तरजीविता
  11. उत्परिवर्तन।

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3. उचित संबंध जोडिए

I. ‘A’ – ‘B’

1. जीवात् जनन सिद्धान्त – (a) वायरस
2. सजीव निर्जीव के बीच की कड़ी – (b) मिलर यूरे प्रयोग
3. आवेशित कणों का समूह – (c) लुई पाश्चर
4. मांस का शोरबा – (d) फ्रांसिस्को रेड्डी
5. ओपेरिनवाद – (e) कोएसरवेट्स।
उत्तर
1. (d), 2. (a), 3. (e), 4. (c), 5. (b).

II. ‘A’ _ ‘B’

1. द्विनाम पद्धति – (a) इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी
2. हरित क्रांति – (b) पेलियोबॉटनी
3. अचानक हुई खोज – (c) वनीकरण
4. नील तथा रस्का – (d) जेनेरिक तथा विशिष्ट नाम
5. पादप जीवाश्म – (e) सिरेण्डिपिटी
6. डीव्रीज़ – (f) उत्परिवर्तन।
उत्तर
1. (d), 2. (c), 3. (e), 4. (a), 5. (b), 6. (f).

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. आदि पदार्थ का नाम लिखिए जिससे 15 बिलियन वर्ष पूर्व ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई।
2. जैव विकास के क्रम में सजीव तथा निर्जीव के बीच की कड़ी का नाम लिखिए।
3. एक समान पूर्वज से संरचनात्मक तथा क्रियात्मक रूप से भिन्न लक्षणों वाले जीवों के विकास को क्या कहते हैं ?
4. रचना तथा उत्पत्ति में भिन्नता तथा क्रियात्मक समानता प्रदर्शित करने वाले अंग क्या कहलाते हैं ?
5. भ्रूणावस्था से प्रौढ़ावस्था तक के विकास की प्रक्रिया को क्या कहते हैं ?
6. किसी जाति के संपूर्ण विकास की घटना को क्या कहते हैं ?
7. डार्विन द्वारा प्रस्तावित विकासवाद के सिद्धांत का नाम लिखिए।
8. जीवों में अचानक होने वाले तथा वंशानुगति प्रदर्शित करने वाले परिवर्तन को क्या कहते हैं ?
9. चट्टानों में दबे प्राचीन जीवों के अवशेष को क्या कहते हैं ?
10. मानव के उस पूर्वज का नाम लिखिए जो सबसे पहले दो पैरों पर सीधा खड़ा हुआ।
उत्तर

  1. इलेम
  2. कोएसरवेट्स
  3. एडेप्टिव रेडिएशन
  4. समवृत्ति अंग
  5. ओन्टोजेनी
  6. फायलोजेनी,
  7. प्राकृतिक वरणवाद
  8. उत्परिवर्तन
  9. जीवाश्म
  10. रामापिथेकस।

विकास अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अधिक कार्बनिक पदार्थ वाली कम गहरी झील को क्या कहते हैं ?
उत्तर
पूर्ण-जैविक सूप।

प्रश्न 2.
अकोशिकीय जीव का नाम लिखिए।
उत्तर
विषाणु (Virus)।

प्रश्न 3.
आकाशगंगा तथा सितारों के निर्माण की परिकल्पना का नाम लिखिए।
उत्तर
बिग-बैंग।

प्रश्न 4.
आदि समय में प्रकाश-संश्लेषण के विकास द्वारा O2, के वातावरण में मुक्त होने की घटना क्या
कहलाती है ?
उत्तर
ऑक्सीजन क्रांति।

प्रश्न 5.
जीवन की उत्पत्ति की प्रबल संभावना पृथ्वी के अलावा सौर मण्डल के और किस ग्रह में
उत्तर
मंगल।

प्रश्न 6.
वह जिसमें जीव या उसकी कोई रचना अपनी संरचना को किसी जीव या स्वतंत्र रचना जैसा परिवर्तन कर शत्रुओं से रक्षा करता है। क्या कहलाता है ?
उत्तर
अनुहरण (mimicry)

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प्रश्न 7.
कभी-कभी वातावरणीय अनुकूलताओं के कारण एक ही जाति के जीवों में इतनी भिन्नता आ जाती है कि अपनी जाति के दूसरे जीवों से प्रजनन संबंध नहीं रख पाते। क्या कहलाता है ?
उत्तर
प्रजनन-प्राथक्कय।

प्रश्न 8.
जीवों के शरीर में जीनों की व्यवस्था, संरचना एवं संख्या में परिवर्तन के कारण पैदा हुआ आकस्मिक परिवर्तन क्या कहलाता है ?
उत्तर
उत्परिवर्तन।

प्रश्न 9.
किसी समष्टि में उपस्थित जीनों की कुल संख्या क्या कहलाती है ?
उत्तर
जीन-पूल।

प्रश्न 10.
ओरिजिन ऑफ स्पीसीज़ नामक पुस्तक किसने लिखी है ?
उत्तर
चार्ल्स डार्विन ने।

प्रश्न 11.
जीवात् जीवोत्पत्ति का सिद्धान्त किसने दिया था ?
उत्तर
जीवात् जीवोत्पत्ति का सिद्धान्त हार्वे तथा हक्सले ने दिया था।

प्रश्न 12.
तारकीय दरियों को किसमें मापा जाता है ?
उत्तर
तारकीय दूरियों को प्रकाश वर्ष (Light year) में मापा जाता है।

प्रश्न 13.
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में कौन-सा महाविस्फोटक का सिद्धान्त बताने का प्रयास करता है?
उत्तर
बिग बैंग (Big-Bang) नामक महाविस्फोट।

प्रश्न 14.
जीवाश्म की परिभाषा दीजिए।
उत्तर
“पूर्व जीवों के चट्टानों से प्राप्त अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं।”

प्रश्न
15. उत्परिवर्तन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर
जीवों के आनुवंशिक संगठन में अचानक वंशागत होने वाले परिवर्तन उत्परिवर्तन (Mutation) कहलाते हैं।

प्रश्न 16.
उस वैज्ञानिक का नाम बताइए जिसने स्वतः जननवाद (Spontaneous generation theory) को गलत सिद्ध किया ?
उत्तर
लुईस पाश्चर (Louis Pasteur)

प्रश्न 17.
कौन-से युग (काल) को डायनोसौर का स्वर्णिम युग कहते हैं ?
उत्तर
मीसोजोइक काल को डायनोसौर का स्वर्णिम युग कहते हैं।

प्रश्न 18.
किस समुद्री जहाज पर डार्विन ने प्रकृति का अध्ययन किया ?
उत्तर
बीगल नामक समुद्री जहाज पर डार्विन ने प्रकृति का अध्ययन किया।

प्रश्न 19.
दो कशेरुकी शरीर के अंगों के नाम लिखिए जो मनुष्य की अग्रपाद के समजात अंग होते
उत्तर

  • व्हेल का फ्लिपर
  • पक्षी का पंख।

प्रश्न 20.
आधुनिक मानव का वैज्ञानिक नाम क्या है ?
उत्तर
होमो सैपियन्स (Homo sapiens)।

प्रश्न 21.
वर्तमान मानव के सबसे निकट संबंधी मानव का नाम बताइए।
उत्तर
क्रोमैग्नान मानव वर्तमान मानव का सबसे निकटतम संबंधी है।

प्रश्न 22.
अध: मानव (Sub human) व आदि मानव किसे माना गया है ?
उत्तर
रामापिथिकस को अध: मानव तथा आस्ट्रेलोपिधिकस को आदि मानव माना गया है।

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प्रश्न 23.
मानव के किस पूर्वज ने सर्वप्रथम दो पैरों पर चलना आरंभ किया था ?
उत्तर
आस्ट्रेलोपिथिकस ने सर्वप्रथम दो पैरों पर चलना आरंभ किया।

प्रश्न 24.
क्रोमैग्नॉन मानव भोजन ग्रहण करने के आधार पर किस प्रकार का प्राणी था ?
उत्तर
मासाहारी प्रकार का प्राणी था।

प्रश्न 25.
मानव विकास के क्रम में कौन-से मानव के मस्तिष्क का आकार 1400 घन सेमी. था?
उत्तर
निएंडरथल (Neanderthal) मानव के मस्तिष्क का आकार 1400 घन सेमी. था।

प्रश्न 26.
महाकपियों तथा मानव के पूर्वज के नाम लिखिए।
उत्तर
महाकपियों तथा मानव के पूर्वज का नाम ड्रायोपिथेकस (Dryopithecus) है।

प्रश्न 27.
ड्रायोपिथिकस तथा रामापिथिकस नर वानरों में अंतर बताइए।
उत्तर
ड्रायोपिथिकस वन मानुष (Ape) जैसे थे जबकि रामापिथिकस अधिकार मनुष्य के समान थे।

विकास लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वायरस क्या है ? जीवन की उत्पत्ति में इसका क्या महत्व है ?
उत्तर
वायरस (Virus)-विषाणु अकोशिकीय, परासूक्ष्मदर्शीय, मात्र प्रोटीन की खोल में स्थित केन्द्रकीय अम्लों की बनी ऐसी रचनाएँ हैं, जो केवल जीवित कोशिका के बाहर केवल एक रासायनिक अणु के रूप में रहती हैं। सम्भवतः ये पृथ्वी के प्रथम जीव हैं, क्योंकि ये जीवन के सरलतम रूप में पाये जाते हैं। जीवन की उत्पत्ति में विषाणुओं का महत्व-वाइरस अर्थात् विषाणुओं में जीवों तथा निर्जीवों दोनों के समान लक्षण पाये जाते हैं इस कारण इन्हें जीव तथा निर्जीव के बीच की कड़ी अर्थात् पृथ्वी का प्रथम जीव माना जाता है। जीवों के समान इनमें वृद्धि, जनन, DNA, RNA तथा उत्परिवर्तन पाया जाता है, जबकि निर्जीवों के समान इनमें जीवद्रव्य, पोषण एवं उपापचयी क्रियाओं का अभाव होता है और ये क्रिस्टल रूप में भी प्राप्त किये जा सकते हैं।

प्रश्न 2.
ऑक्सीजन क्रान्ति क्या है ? इसका आदि वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
ऑक्सीजन क्रान्ति क्या है ? समझाइए।
उत्तर
ऑक्सीजन क्रान्ति-पृथ्वी के आदि वातावरण में स्वतन्त्र,नहीं थी। नीले हरे शैवालों में
प्रकाश-संश्लेषण के विकास के बाद वातावरण में स्वतंत्र O2, बनी। O2, निर्माण की यह घटना उस समय आदि जीवों के विकास एवं वातावरण में परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण थी। इस कारण स्वतंत्र O2, की मुक्ति की घटना को ऑक्सीजन क्रान्ति (Oxygen revolution) कहा गया। इसके कारण वातावरण में निम्नलिखित परिवर्तन सम्भव हो सके-

  • O2 की मुक्ति के कारण उस समय का वातावरण जो H2, के कारण अपचायक था ऑक्सीकारक हो गया, जिससे पुनः रासायनिक विकास की सम्भावना समाप्त हो गयी।
  • पृथ्वी से 16 किमी ऊपर परत बन गयी, जिसने सूर्य की हानिकारक किरणों को पृथ्वी पर आने से रोक दिया। फलतः रासायनिक विकास की सम्भावना समाप्त हो गयी।
  • आदि वायुमण्डल के CH2, को O2, ने H2O व CO2, में विघटित कर दिया,जिससे CO2, प्रकाश– संश्लेषण के लिए उपलब्ध हो गयी।
  • NH2, को O2, ने जल तथा N, में विघटित कर दिया जिससे जीवों का विकास और तेज हो गया।

प्रश्न 3.
पृथ्वी की उत्पत्ति को लगभग 50-75 शब्दों में समझाइए।
उत्तर
पृथ्वी की उत्पत्ति-आधुनिक मतानुसार लगभग 200 खरब वर्ष पूर्व ब्रह्माण्ड अस्तित्व में आया। इस ब्रह्माण्ड में सूर्य और पृथ्वी सहित अन्य ग्रहों (सौरमण्डल) का निर्माण आज से लगभग 45 से 50 खरब वर्ष पूर्व घूमते हुए धूल एवं गैस के गोले अथवा बादल से हुआ। इन पदार्थों के संघनन से अत्यधिक दाब एवं ताप पैदा हुआ। जिसमे इसमें तापनाभिकीय (Thermonuclear) क्रियाओं के होने से गैसें सूर्य के आकर्षण बल के क्षेत्र में होने के प्रभाव से अनेक ग्रहों में बदल गयीं, हमारी पृथ्वी भी उन्हीं में से एक थी। गैसों के ठण्डा होने से पृथ्वी ठोस हो गयी, जिसके मध्य में भारी तथा बाहर की ओर हल्के तत्व आ गये। सबसे हल्के तत्व जैसे-H2, He एवं अन्य गैसों ने एकदम बाहर आकर पृथ्वी का बाहरी वातावरण बना दिया।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित वैज्ञानिकों द्वारा की गयी खोज एवं दिये गये सिद्धान्त के नाम लिखिए
(i) लुई पाश्चर
(ii) ए. आई. ओपेरिन
(iii) स्टेनले मिलर एवं यूरे
(iv) फॉक्स
(v) फ्रान्सिस्को रेड्डी।
उत्तर
(i) लुई पाश्चर-इन्होंने अपने प्रयोगों द्वारा अजीवात् जनन को गलत सिद्ध करके, जीवात् जीवोत्पत्ति के मत का समर्थन किया।
(ii) ए. आई. ओपेरिन-इन्होंने जीवोत्पत्ति के आधुनिक सिद्धान्त का प्रतिपादन अपनी पुस्तक “The Origin of Life’ में किया।
(iii) स्टेनले मिलर एवं यूरे-इन्होंने अपने प्रयोगों द्वारा ओपेरिनवाद का समर्थन किया।
(iv) फॉक्स-इन्होंने ओपेरिन के अनुसार बनने वाले कार्बनिक पदार्थों के निर्माण का अपने प्रयोगों द्वारा समर्थन किया।
(v) फ्रान्सिस्को रेड्डी-फ्रांसिस्को रेड्डी ने अपने प्रयोगों द्वारा अजीवात् जीवोत्पत्ति के सिद्धान्त को गलत सिद्ध करके जीवात् जीवोत्पत्ति के मत का समर्थन किया।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए
(i) कोएसरवेट बूंदें एवं प्रोटीनॉइड माइक्रोस्फीयर
(ii) अपचायक एवं ऑक्सीकारक वातावरण
(iii) लघु एवं दीर्घ अणु
(iv) न्यूक्लियोटाइड एवं न्यूक्लिक ऐसिड
(v) ओजोन एवं ऑक्सीजन।
उत्तर
(i) कोएसरवेट बूंदें एवं प्रोटीनॉइड माइक्रोफीयरकोएसरवेट बूंदें
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास 5

(ii) अपचायक एवं ऑक्सीकारक वातावरण
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास 6

(iii) लघु एवं दीर्घ अणुलघु अणु
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास 7

(iv) न्यूक्लियोटाइड एवं न्यूक्लिक ऐसिड
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास 8

(v) ओजोन एवं ऑक्सीजन
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास 9

प्रश्न 6.
समजात अंग से आप क्या समझते हैं ? समझाइए।
उत्तर
जन्तुओं तथा जीवों के वे अंग (या संरचनाएँ) जो रचना तथा उत्पत्ति में समानता रखते हैं, लेकिन अलग-अलग कार्य के कारण बाह्य रूप में अलग दिखाई देते हैं समजात अंग कहलाते हैं तथा अंगों की यह समानता समजातता (Homology) कहलाती है। मेढक के अग्रपाद, सीलफ्लिपर, चमगादड़ के पंख, मनुष्य के हाथ, घोड़े के अग्रपाद तथा मोल के अग्रपाद समजात अंगों के उदाहरण हैं, क्योंकि ये समान उपस्थिति को दर्शाने वाले जीव इस बात को प्रमाणित करते हैं कि वे विकास की दृष्टि से आपस में जुड़े हैं।

प्रश्न 7.
समवृत्तिता क्या है ?
अथवा
समवृत्ति अंग किसे कहते हैं ?
उत्तर
जीवों के इन अंगों या संरचनाओं को जो रचना तथा उत्पत्ति में भिन्न होते हुए भी कार्य में समानता प्रदर्शित करते हैं, समवृत्ति अंग कहलाते हैं । इस प्रकार की समानता समवृत्तिता (Analogy) कहलाती है। तितली के पंख, पक्षी के पंख तथा चमगादड़ के पंख समवृत्तिता प्रदर्शित करते हैं। इनमें रचना तथा उत्पत्ति की दृष्टि से पर्याप्त अन्तर पाया जाता है। तितली के पंख काइटिन, पक्षियों के पंख अग्रपाद पर लगने से तथा चमगादड़ के पंख उँगलियों के बीच त्वचा से बनते हैं। ये अंग इस बात को प्रमाणित करते हैं इनकी उपस्थिति को दर्शाने वाले जीव जैव विकास की दृष्टि से सम्बन्धित नहीं हैं।

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प्रश्न 8.
समजात तथा समवृत्ति संरचनाओं में उदाहरण सहित अन्तर लिखिए।
अथवा
समजात तथा समवृत्ति रचनाओं में क्या अन्तर है ? प्रत्येक के दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर
समजात तथा समवृत्ति रचनाओं में अन्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास 10

प्रश्न 9.
अवशेषी अंग क्या हैं ? मनुष्य के दो अवशेषी अंगों के नाम बताइए।
उत्तर
जीवों के शरीर में कुछ ऐसे अंग पाये जाते हैं, जिनकी शरीर में कोई आवश्यकता नहीं होती। इन अंगों को अवशेषी अंग (Vestigeal organ) कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि पूर्व में ये सक्रिय रहे होंगे लेकिन वातावरण अनुकूलनों के कारण कालान्तर में निष्क्रिय हो गये। मनुष्य की अपेण्डिक्स, पूँछ कशेरुकाएँ, आँख की कन्जक्टाइवा इसके उदाहरण हैं । इन अंगों की उपस्थिति यह दर्शाती है कि जीवों में क्रमिक परिवर्तन हुआ है।

प्रश्न 10.
संयोजक कड़ी किसे कहते हैं ? इसके महत्व को समझाइए।
उत्तर
प्रकृति में कुछ ऐसे जीव जातियाँ पायी जाती हैं, जिनमें अपने समीप के दो जीव समूहों (वर्गों) के समान लक्षण पाये जाते हैं, जिनमें से एक वर्ग के जीव कम तथा दूसरे वर्ग के जीव अधिक विकसित होते हैं, इन जीव जातियों को संयोजक कड़ियाँ (Connecting linkes) कहते हैं। प्रकृति में कुछ जीवाश्म जैसेआर्कियोप्टेरिक्स भी संयोजी कड़ियों के रूप में पाये जाते हैं, जिन्हें जीवाश्मीय संयोजक कड़ियाँ कहते हैं। नियोपिलाइना, पेरिपेटस, प्लेटीपससंयोजी कड़ियों के दूसरे उदाहरण हैं । नियोपिलाइना एक प्राचीन मोलस्क है, जिसमें मोलस्क के समान कवच, मेण्टल तथा पाद पाये जाते हैं, लेकिन गलफड़ नेफ्रिडिया तथा जनन ऐनेलिडा के समान होते हैं । अतः यह मोलस्क एवं ऐनेलिडा के बीच की संयोजक कड़ी है।

प्रश्न 11.
डार्विन के प्राकृतिक वरणवाद की कोई तीन प्रमुख आलोचनाएँ लिखिए।
अथवा
डार्विन के प्राकृतिक वरणवाद की चार आलोचनाएँ लिखिए।
उत्तर
डार्विनवाद की चार प्रमुख आलोचनाएँ निम्नलिखित हैं

  • इनके अनुसार छोटी-छोटी विभिन्नताएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रबल होती हैं फलतः नयी जातियाँ पैदा होती हैं, लेकिन आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार छोटी विभिन्नताओं के कारण नयी जातियाँ पैदा नहीं हो सकतीं।
  • डार्विनवाद योग्यतम की उत्तरजीविता की बात तो करता है, लेकिन इनकी उत्पत्ति के बारे में कुछ नहीं बताता।
  • डार्विनवाद जीनों के कुछ अंगों के अतिविशिष्टीकरण की व्याख्या नहीं करता कि इसके कारण कुछ जातियाँ क्यों नष्ट हुई। जैसे-आइरिस हिरण की मृत्यु उनकी बड़ी सींगों के कारण हुई। यदि प्राकृतिक वरणवाद सही है, तब प्रकृति ने उन अंगों की अतिविशिष्टीकरण कैसे होने दिया।
  • डार्विनवाद ह्यसी (Degeneration) विकास का कोई उल्लेख नहीं करता।
  • डार्विनवाद अवशेषी अंगों के बारे में कोई प्रमाणिकता प्रस्तुत नहीं करता।

प्रश्न 12.
डार्विन को विकासवाद की प्रेरणा देने वाली दो घटनाओं को लिखिए।
उत्तर

  • डार्विन ने भ्रमण के दौरान गैलापैंगों द्वीप पर पायी जाने वाली एक प्रकार की चिड़िया (Linch) तथा दूसरे जन्तुओं में एक वातावरण में रहने के बाद भी कई विभिन्नताएँ देखीं, जिससे उन्हें विभिन्नता की उत्पत्ति के महत्व का ज्ञान हुआ।
  • कबूतरबाजों द्वारा खराब गुणों वाले कबूतर को मारकर पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्वस्थ कबूतर पैदा करते देखकर उन्हें प्राकृतिक चयन के महत्व का ज्ञान हुआ। उपर्युक्त दोनों घटनाओं ने प्राकृतिक चयनवाद को प्रस्तुत करने में मुख्य भूमिका निभायीं।

प्रश्न 13.
लैमार्कवाद तथा डार्विनवाद की तुलना कीजिए।
उत्तर
लैमार्क तथा डार्विन दोनों ने जिराफ के माध्यम से अपने-अपने सिद्धान्तों की व्याख्या की है। जिसकी तुलना निम्नलिखित प्रकार से कर सकते हैं-
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास 11

प्रश्न 14.
जैव विकास के लैमार्कवाद को संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर
जीव बैप्टिस्टेडी लैमार्क प्रथम ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने विकास को विस्तारपूर्वक समझाया जिसे हम लैमार्कवाद के नाम से जानते हैं। अपने सिद्धांत का उल्लेख इन्होंने अपनी पुस्तक ‘फिलॉसफीक जूलॉजिक’ में किया। जिसे लैमार्किज्म अथवा उपार्जित लक्षणों की वंशागति के सिद्धांत के नाम से जानते सके।
लैमार्क के इस वाद को संक्षिप्त में क्रमबद्ध ढंग से निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं

  1. परिवर्तित वातावरण के प्रभाव के परिणामस्वरूप जीवों में नयी आवश्यकताएँ पैदा होती हैं।
  2. इन नयी आवश्यकताओं के कारण जीवों में नयी आदतें आती हैं।
  3. नयी आदतों के अनुसार शरीर के कुछ अंगों का उपयोग या उसका अनुप्रयोग होता है।
  4. अंगों के उपयोग या अनुप्रयोग के फलस्वरूप जीव की शारीरिक रचनाओं में कुछ परिवर्तन होता है अर्थात् नये उपार्जित लक्षण बनते हैं।
  5. इन उपार्जित लक्षणों की वंशागति होती है।
  6. इस तरह उपार्जित लक्षणों की वंशागति के कारण नयी जातियाँ पैदा होती हैं।

विकास दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवोत्पत्ति के सन्दर्भ में जैव-रासायनिक सिद्धान्त के मिलर एवं हैराल्ड के प्रयोग का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर
मिलर तथा यूरे के प्रयोग का नामांकित चित्र स्टेनले मिलर तथा हैराल्ड यूरे ने सन् 1953 में जीवन की उत्पत्ति के सम्बन्ध में जैव-रासायनिक सिद्धान्त (ओपेरिन वाद) के समर्थन में एक प्रयोग किया जिसे मिलर यूरे का प्रयोग कहते हैं। उन्होंने बड़े काँच के एक ना फ्लास्क में अमोनिया, मेथेन, हाइड्रोजन गैसों का
2 : 1: 2 के अनुपात में भर दिया, क्योंकि ये गैसें उस समय के वातावरण में इसी अनुपात में थीं। एक अन्य फ्लास्क को काँच की नली द्वारा बड़े फ्लास्क से जोड़ दिया। इस छोटे फ्लास्क में पानी भरकर इसे निरन्तर उबालते रहने का प्रबन्ध भी कर दिया ताकि जलवाष्प पूरे उपकरण में घूमती रहे आदि वातावरण में कड़कती बिजली का वातावरण उत्पन्न करने के लिए बड़े फ्लास्क में टंगस्टन के बने दो इलेक्ट्रोड लगाये। इन इलेक्ट्रोडों के बीच 60, चित्र-मिलर तथा यूरे का प्रयोग 000 वोल्ट की विद्युत् धारा को सात दिन तक प्रवाहित करके विद्युत् चिंगारियाँ उत्पन्न की।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास 12
फ्लास्क में बने गैसीय मिश्रण को ठण्डा करने के लिए संघनित्र का प्रयोग किया तथा प्राप्त द्रव को ‘U’ नली में एकत्र किया। प्रयोग के अन्त में ‘U’ नली में गहरा लाल रंग का द्रव बना, जिसका विश्लेषण करने पर इसमें ग्लाइसिन, ऐलेनिन तथा ऐस्पार्टिक अम्ल जैसे अमीनो अम्ल सहित शर्करा, वसीय अम्ल तथा अन्य कार्बनिक यौगिक पाये गये। ये सभी पदार्थ जीवद्रव्य में पाये जाते हैं। इस प्रयोग के आधार पर मिलर तथा यूरे ने ओपेरिनवाद या आधुनिकवाद का समर्थन करते हुए कहा कि आदि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिए अनुकूल वातावरण (अपचायक) था। चूँकि आज का वातावरण ऑक्सीकारक है। अतः जीवन की उत्पत्ति वर्तमान में सम्भव नहीं है। इस प्रयोग से इस बात की पुष्टि हुई कि C, H, O तथा N के रासायनिक संयोग से महत्वपूर्ण विभिन्न जटिल कार्बनिक यौगिकों का निर्माण आदि पृथ्वी पर हुआ होगा जो जैविक विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

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प्रश्न 2.
जीवन की उत्पत्ति के आधुनिक सिद्धान्त पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर
जीवन की उत्पत्ति के आधुनिक सिद्धान्त का प्रतिपादन रशियन वैज्ञानिक ओपेरिन ने किया। इस मत के अनुसार जीवन की उत्पत्ति आदि पृथ्वी के समुद्री जल में उपस्थित रासायनिक पदार्थों के विशिष्ट ढंग से संगठित होने के कारण निम्नलिखित चरणों में हुई

(i) पृथ्वी तथा उसके वातावरण का निर्माण-सबसे पहले पृथ्वी वायु के एक गोले के रूप में बनी जो ठण्डी होकर ठोस रूप में बदल गयी। इसके भारी तत्व केन्द्र में तथा हल्के तत्व बाहर की तरफ व्यवस्थित हुए। सबसे बाहर चार तत्व H, C,O तथा N थे। इनमें O, मुक्त रूप में नहीं थी। इन चार तत्वों से
H2, H2O2,CH4, NH3, CO2, एवं HCN आदि पदार्थ बने।

(ii) लघु कार्बनिक अणुओं का निर्माण- ऊपर वर्णित यौगिक व्यवस्थित होकर सरल कार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित हो गये
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास 13

(iii) बहुलकों का निर्माण-उपर्युक्त प्रकार से बने सभी पदार्थ जल में घुले थे। इन सभी ने बहुलीकरण द्वारा जटिल रसायनों का निर्माण किया

  • शर्कराएँ + शर्कराएँ → पॉलिसैकेराइड
  • वसीय अम्ल + ग्लिसरॉल → वसाएँ
  • नाइट्रोजनी क्षार + शर्करा + फॉस्फेट → ऐडीनोसीन फॉस्फेट
  • अमीनो अम्ल + अमीनो अम्ल → प्रोटीन
  • नाइट्रोजनी क्षार + शर्करा → न्यूक्लियोसाइड
  • न्यूक्लियोटाइड + न्यूक्लियोटाइड → न्यूक्लिक ऐसिड।

(iv) अणु समूहों एवं प्राथमिक कोशिका का निर्माण-इनमें प्रोटीन अणुओं ने व्यवस्थित होकर दीर्घाणु बनाये, जिन्हें माइक्रोस्फीयर्स कहा गया। माइक्रोस्फीयर्स ने संगठित होकर कोएसरवेट का निर्माण किया। इसके बाद कोएसरवेट तथा न्यूक्लिक ऐसिड ने मिलकर ऐसी इकाई का निर्माण किया, जिसमें स्व-द्विगुणन तथा आनुवंशिक नियन्त्रण पाया जाता था। इसके चारों ओर प्लाज्मा झिल्ली बनी। यह पृथ्वी आरम्भिक कोशिका थी, जिसमें जल में उपस्थित दूसरे रसायन भी संयुक्त हो गये। कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, न्यूक्लिक ऐसिड, ऐडीनोसीन फॉस्फेट , लवण-प्रथम कोशिका

(v) आरम्भिक जीवों में जैव-रासायनिक क्रियाओं का विकास-प्रारम्भिक जीव वातावरण में उपस्थित रासायनिक पदार्थों को ही भोजन के रूप में लेते थे अर्थात् ये विषमपोषी थे। इनसे उत्परिवर्तन तथा प्राकृतिक चयन के द्वारा रसायन संश्लेषी जीव बने जिनसे नीले हरे शैवालों का उत्परिवर्तन तथा चयन द्वारा विकास हुआ। जिसके कारण वातावरण में O2, बनी, जिसे ऑक्सीजन क्रान्ति कहा गया। स्वतंत्र O2, बनने से ऑक्सी-श्वसन का विकास हुआ और जीवों को पर्याप्त ऊर्जा मिली जिसके कारण इनके विकास दर में वृद्धि हुई। इनसे ही यूकैरियोटिक जीव विकसित हुए।

(vi) विकसित जीवों का निर्माण-यूकैरियॉटिक कोशिका वाले जीव जैव विकास के द्वारा विकसित जीव जातियों में बदल गये।

प्रश्न 3.
मिलर तथा यूरे द्वारा किये गये प्रयोग के आधार पर पृथ्वी के समुद्री जल में विभिन्न कार्बनिक अणुओं के निर्माण की प्रक्रिया लिखिए।
उत्तर
मिलर तथा यूरे ने प्रयोग द्वारा ओपेरिनवाद को प्रमाणित किया। उन्होंने प्राथमिक पृथ्वी जैसा वातावरण बनाकर देखा कि ओपेरिन के बताये अनुसार ही जल में कार्बनिक पदार्थों का संश्लेषण निम्नलिखित प्रकार से हुआ
(i) आदि पृथ्वी पर उपस्थित चार तत्व H, C, O, (O, स्वतन्त्र नहीं) एवं N ने मिलकर H2, H2O, CH4, NH3, CO2, एवं HCN बनाये।
(ii) उपर्युक्त तत्वों से पृथ्वी के समुद्री जल में निम्न प्रकार से कार्बनिक अणु बने
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास 14
(iii) उपर्युक्त प्रकार से बनने वाले सभी कार्बनिक पदार्थों ने बहुलीकरण के द्वारा कार्बनिक पदार्थों के दीर्घ अणुओं का संश्लेषण किया

  • शर्करा + शर्करा = पॉलिसैकेराइड (कार्बोहाइड्रेट)
  • वसीय अम्ल + ग्लिसरॉल = वसाएँ
  • अमीनो अम्ल + अमीनो अम्ल = प्रोटीन
  • नाइट्रोजनी क्षार + शर्करा = न्यूक्लियोसाइड
  • न्यूक्लियोसाइड + PO4 = न्यूक्लियोटाइड
  • न्यूक्लियोटाइड + न्यूक्लियोटाइड = न्यूक्लिक ऐसिड
  • नाइट्रोजनी क्षार + शर्करा + PO4 = ऐडीनोसीन फॉस्फेट।

(iv) उपर्युक्त कार्बनिक पदार्थ तथा लवणों ने संगठित होकर प्रथम जीव का निर्माण किया।

प्रश्न 4.
सरीसृप तथा पक्षी वर्ग की संयोजक कड़ी किसे कहते हैं ? इसके लक्षण लिखिए।
उत्तर
आर्कियोप्टेरिक्सको सरीसृप तथा पक्षी वर्ग की संयोजक कड़ी माना जाता है । यह लगभग 140 मिलियन वर्ष पूर्व पाये जाने वाले एक जीव का जीवाश्म है । जिसे एण्ड्रियास बेगनर ने सन् 1861 में प्राप्त किया था। इसमें सरीसृप तथा पक्षियों के निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं

1. सरीसृपों के लक्षण-

  • अस्थियाँ सरीसृपों के समान वायु रहित।
  • कशेरुक युक्त पूँछ।
  • जबड़ों में दाँत तथा शरीर पर शल्क उपस्थित ।
  • मेटाकार्पल्स स्वतंत्र तथा पेल्विक गर्डिल सरीसृपों के समान।

2. पक्षियों के लक्षण-

  • शरीर पर परों (Feathers) की उपस्थिति
  • अग्रबाहु पंख में रूपान्तरित।
  • करोटि बड़ी तथा एककन्दीय (Monocondylic)
  • जबड़े बढ़कर चोंच में रूपान्तरित
  • Hallix पीछे की ओर मुड़ा तथा नुकीला।

प्रश्न 5.
डार्विन के प्राकृतिक वरणवाद को समझाइए।
अथवा
जीवधारियों की विभिन्न जातियों के उद्भव के सम्बन्ध में डार्विन के क्या विचार हैं ?
उत्तर
डार्विन के प्राकृतिक वरणवाद के अनुसार जीव, विविधता, अनुकूलन की वंशागतिकी तथा प्राकृतिक वरण द्वारा नयी जातियों को निम्नलिखित चरणों में पैदा करते हैं

1. अति उत्पादन क्षमता-जीवधारियों में सन्तान उत्पत्ति की अत्यधिक क्षमता होती है। कुछ जीवों में यह क्षमता करोड़ों, अरबों वर्षों तक होती है, परन्तु वातावरण में परिवर्तन, रोग, भोजन, जल, वायु, प्रकाश के लिए प्रतियोगिता के कारण संख्या सीमित बनी रहती है।

2. जीवन संघर्ष-अधिक सन्तानोत्पत्ति के बावजूद किसी सीमित क्षेत्र में भोजन, वायु, प्रकाश, जल की एक निश्चित मात्रा ही उपलब्ध होती है। अत: नये उत्पादित जीवों में जीवन के चीजों के लिए आपस में संघर्ष होता है। यह संघर्ष एक जाति के सदस्यों के बीच, दूसरी जातियों से तथा वातावरणीय कारकों से भी होता है।

3. विभिन्नताएँ एवं आनुवंशिकता-एक ही जाति के जीवों में पाये जाने वाली भिन्नताओं या अन्तर को विभिन्नता कहते हैं। विभिन्नताएँ जीवन संघर्ष के दौरान विविध परिस्थितियों के अनुकूलन के कारण पैदा होती हैं। उपयोगी विभिन्नता वाले जीवों में अधिक सामर्थ्य होने के कारण जीवन बना रहता है, जबकि अनुपयोगी भिन्नताएँ जीवों को क्रमशः समाप्त कर देती हैं। उपयोगी विभिन्नता वाले जीव अपना गुण संततियों में पहुँचाये रहते हैं। इस वंशागति से ही नयी जातियों का उद्भव होता है।

4. समर्थ का जीवत्व-जीवन संघर्ष में योग्यतम अर्थात् उपयोगी विभिन्नताओं वाले जीव सफल होते हैं। प्रकृति इन जीवों का संरक्षण करती है तथा इन सन्ततियों में भिन्नताएँ एकत्रित होती जाती हैं, जबकि जो जीव प्रकृति के अनुरूप और अनुकूल अपने आप को नहीं रख पाते हैं धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं। समर्थ का जीवत्व तथा असमर्थ की मृत्यु को ही प्राकृतिक वरण कहा जाता है।

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5. वातावरण के प्रति अनुकूलन-वातावरण निरन्तर परिवर्तनशील है। इस परिवर्तन के अनुकूल या अनुरूप जो जीव अपने आपको योग्य नहीं बना पाता उसमें विकृतियाँ जन्म लेती हैं और वह नष्ट हो जाती है, जबकि जो जीव प्रकृति के अनुरूप योग्य बना रहता है वह जीवित रहता है। मीसोजोइक युग के विशालकाय सरीसृपों का साम्राज्य वातावरण की बदली परिस्थितियों के प्रति अपने अनुकूल न बना पाने के कारण समाप्त हो गया।

6. नयी जातियों की उत्पत्ति-डार्विन के मतानुसार वातावरण के प्रति अनुकूलन से पैदा हुई विभिन्नताएँ धीरे-धीरे पीढ़ी-दर-पीढ़ी एकत्रित होती जाती हैं, जिससे एक जाति के जीव अपने पूर्वजों से भिन्न होते जाते हैं। धीरे-धीरे भिन्नताएँ इतनी बढ़ जाती हैं कि नये जीव एक अलग जाति के रूप में बदल जाते हैं।

प्रश्न 6.
जैव-विकास एक निरन्तर चलते रहने वाली प्रक्रिया है, समझाइए। जैव विकास के पक्ष में कोई तीन प्रमाण दीजिए।
उत्तर
जैव विकास अत्यन्त धीमी गति से अनवरत चलने वाली अदृष्टव्य (नहीं दिखने वाली) प्रक्रिया है, जिसका अध्ययन जीव इतिहास के अध्ययन से ज्ञात होता है। यदि हम भूगर्भीय चक्र के द्वारा घोड़े के विकास का अध्ययन करें तो पता चलता है कि करोड़ों वर्ष पूर्व घोड़ा, बकरी के बराबर था, लेकिन धीरे-धीरे आज के घोड़े में रूपान्तरित हो गया। जैव विकास के प्रमाण-जैव विकास के पक्ष में तीन प्रमाण निम्नानुसार हैं-

1. भ्रूणिकी से प्रमाण (Evidences from embryology)-किसी जीव के भ्रूणीय विकास को व्यक्तिवृत्ति (Ontogeny) कहते हैं, जबकि किसी जाति के विकास को जातिवृत्ति (Phylogeny) कहते हैं। हीकल के अनुसार, व्यक्तिवृत्ति जातिवृत्ति की पुनरावृत्ति करती है अर्थात् किसी जीव के भ्रूणीय विकास में वे सभी अवस्थाएँ पायी जायेंगी जिनसे होकर उसकी जाति का विकास हुआ है। अगर हम मनुष्य, पक्षी तथा मछली के भ्रूणीय विकासों का अध्ययन करें तो उनमें समानताएँ पायी जाती हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि मानव जाति का विकास मछली तथा पक्षी से होकर हुआ होगा अर्थात् भ्रूणिकी का अध्ययन जैव विकास को प्रमाणित करता है। .

2. जीवाश्मों से प्रमाण (Evidences from fossils)-यदि पुराने जीवों के अवशेषों अर्थात् जीवाश्मों का अध्ययन किया जाता है, तो यह देखने को मिलता है कि जो जीवधारी इस पृथ्वी पर एक समय प्रभावी रूप में उपस्थित थे वे आज नहीं हैं अथवा यदि हैं, तो उस रूप में नहीं हैं। उनमें काफी परिवर्तन हो चुका है। यह परिवर्तन सरल से जटिल की ओर दिखाई देता है जो इस बात को प्रमाणित करता है कि जैव विकास हुआ है। जीवाश्मों के सूक्ष्म अध्ययन से जैव विकास होने के प्रमाण के रूप में निम्नलिखित तथ्य सामने आते हैं-

  • समय के साथ पृथ्वी की सतह एवं इसके बाद अकशेरुकी ओर सबसे अन्त में कशेरुकी जन्तु बने ।
  • पुराने जीवाश्म रचना में सरल थे, जिनमें क्रम से जटिलता आती गयी इससे यह सिद्ध होता है कि विकास सरलता से जटिलता की ओर हुआ।
  • सबसे पहले प्रोटोजोअन इसके बाद अकशेरुकी और सबसे अन्त में कशेरुकी जन्तु बने।
  • कई जीवाश्म संयोजक कड़ी बनाते हैं। ये कड़ियाँ विकासात्मक सम्बन्धों को दर्शाती हैं ।
  • कुछ जीव बनने के बाद पृथ्वी में हुए बड़े परिवर्तनों के प्रति अनुकूलित न होने के कारण विलुप्त हो गये।
  • जन्तुओं में स्तनी तथा पादपों में आवृत्तबीजी सबसे विकसित एवं आधुनिक जीव हैं।
  • जीवाश्मों का अध्ययन कई जीवों जैसे-घोड़े, हाथी, पक्षी एवं मनुष्य के पूर्ण विकास को समझकर जैव विकास होने को प्रमाणित करता है।

3.शरीर रचना से प्रमाण (Evidences from anatomy)-शरीर रचना से जैव विकास को निम्नलिखित अंगों के उदाहरण द्वारा समझाया जा सकता है

  • समजात अंग-जीवों के वे अंग जो रचना उत्पत्ति में समान होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं जैसेमनुष्य का हाथ, घोड़े का अग्रपाद, व्हेल के फ्लिपर, चमगादड़ के पंख आदि समजात अंग इस बात को प्रमाणित करते हैं कि इन जीवों में विकासात्मक सम्बन्ध है अर्थात् जीवों में जैव विकास हुआ है।
  • समवृत्ति अंग-वे अंग जो रचना उत्पत्ति में भिन्न-भिन्न होते भी एकसमान कार्य करते हैं समवृत्ति अंग कहलाते हैं, जैसे-‘चमगादड़ तथा तितली के पंख। ये अंग इस बात को प्रमाणित करते हैं कि इन अंगों को धारण करने वाले जीव विकासात्मक दृष्टि से भिन्नता प्रदर्शित करते हैं।
  • अवशेषी अंग-वे अंग जो जीव शरीर में तो होते हैं, लेकिन कोई कार्य नहीं करते अवशेषी अंग कहलाते हैं। इस को दर्शाते हैं कि क्रियाशील रहे होंगे, लेकिन अनुकूलन के कारण निष्क्रिय या कम विकसित हो गये। अर्थात् ये जीवों में होने वाले परिवर्तन या जैव विकास को प्रमाणित करते हैं।

प्रश्न 7.
जीवों के अन्तर्सम्बन्ध जैव विकास की प्रक्रिया को समझने में कहाँ तक सहायक हैं ? विवेचना कीजिए।
उत्तर
ऊपर से भिन्न दिखने वाले जीव कई रूपों में समानता प्रदिर्शित करते हैं, उसे ही जीवों का अन्तर्सम्बन्ध कहते हैं। जीवों के बीच अन्तर्सम्बन्ध इस बात को प्रमाणित करते हैं कि ये जीव आपस में घनिष्ठतापूर्वक जुड़े हैं और उनका विकास एक समान जीवों से हुआ है। जीवों के बीच पाये जाने वाले अन्तर्सम्बन्ध को निम्नलिखित उदाहरणों से समझा जा सकता है

  • चाहे जीवों में कितनी ही विविधता हो, लेकिन सभी जीव अपने पर्यावरण से ऊर्जा एवं पदार्थ ग्रहण करते हैं ।
  • सभी जीव जीवन को बनाये रखने के लिए पदार्थ एवं ऊर्जा का उपयोग करते हैं ।
  • सभी जीव गुणन एवं प्रजनन करते हैं, जिसके ढंग में मूलभूत समानता पायी जाती है।
  • सभी जीव समान सिद्धान्तों के अनुसार ही आनुवंशिक गुणों का संचरण करते हैं ।
  • सभी जीव राइबोसोम में प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं, जिनके चरण भी समान होते हैं ।
  • सतही तौर पर एकदम अलग दिखने वाले जीवाणु, पादप तथा विकसित जन्तु श्वसन करते हैं, जिनके चरण भी एक जैसे होते हैं।
  • सभी जीवो की कोशिकाओं में सूचनाओं का प्रवाह केन्द्रकीय अम्लों तथा ऊर्जा का प्रवाह ATP के द्वारा ही होता है।
  • सभी जीवों में DNA का द्विगुणन एक जैसा ही होता है।

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MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय विविध प्रश्नावली

MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय विविध प्रश्नावली

प्रश्न 1.
समांतर चतुर्भुज के तीन शीर्ष A(3, – 1, 2), B(1, 2, – 4) व C(- 1, 1, 2) हैं। चौथे शीर्ष D के निर्देशांक ज्ञात कीजिए।
हल:
शीर्ष A और C क्रमशः (3, – 1, 2), (- 1, 1, 2) हैं।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय विविध प्रश्नावली img-1
अतः बिन्दु D के निर्देशांक (1, – 2, 8) हैं।

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प्रश्न 2.
एक त्रिभुज ABC के शीर्षों के निर्देशांक क्रमशः 4(0, 0, 6), B(0, 4, 0) तथा C(6, 0, 0) हैं। त्रिभुज की माध्यिकाओं की लंबाई ज्ञात कीजिए।
हल:
बिन्दु B(0, 4, 0) और C(6, 0, 0) को मिलाने वाला रेखाखण्ड का मध्य बिन्दु D\(\left(\frac{0+6}{2}, \frac{4+0}{2}, \frac{0+0}{2}\right)\) या (3, 2, 0) हैं।
∴ बिन्दु A के निर्देशांक (0, 0, 6) हैं।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय विविध प्रश्नावली img-2

प्रश्न 3.
यदि त्रिभुज PQR का केन्द्रक मूल बिन्दु है और शीर्ष P(2a, 2, 6), Q(- 4, 3b, – 10) और R(8, 14, 2c) हैं तो a, b और c का मान ज्ञात कीजिए :
हल:
दिया है: त्रिभुज PQR के शीर्ष P(2a, 2, 6), Q(- 4, 3b, – 10), R(8, 14, 2c)
∴ ∆PQR का केंद्रक\(\left(\frac{x_{1}+x_{2}+x_{3}}{3}, \frac{y_{1}+y_{2}+y_{3}-z_{1}+z_{2}+z_{3}}{3}\right)\)
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय विविध प्रश्नावली img-3

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प्रश्न 4.
y-अक्ष पर उस बिन्दु के निर्देशांक ज्ञात कीजिए जिसकी बिन्दु P(3, – 2, 5) से दूरी 5\(\sqrt{2}\) है।
हल:
y-अक्ष पर किसी बिन्दु के निर्देशांक A(0, y1, 0) है। A से P(3, – 2, 5) के बीच की दूरी = 5\(\sqrt{2}\)
∴ AP2 = (3 – 0)2 + (- 2 – y1) + (5 – 0)2
∴ = 9 + (- 2 – y1) + 25
= (y1 + 2)2 + 34
AP = \(\sqrt{\left(y_{1}+2\right)^{2}+34}\) = 5\(\sqrt{2}\) (दिया है)
∴ (y1 + 2)2 + 34 = 50
∴ (y1 + 2)2 = 50 – 34 = 16
y1 + 2 = ± 4
+ ve चिन्ह लेने पर, y1 = 4 – 2 = 2
– ve चिन्ह लेने पर, y1 = – 4 – 2 = – 6
∴ y-अक्ष पर अभीष्ट बिन्दु (0, 2, 0) और (0, – 6, 0) है।

प्रश्न 5.
P(2, – 3, 4) और Q(8, 0, 10) को मिलाने वाली रेखाखण्ड पर स्थित एक बिन्दु R का x-निर्देशांक 4 है। बिन्दु R के निर्देशांक ज्ञात कीजिए।
हल:
माना बिन्दु R, PQ को k : 1 में विभाजित करता है जबकि P और Q के निर्देशांक P(2, – 3, 4) और ए(8, 0, 10) हैं।
∴ बिन्दु R के निर्देशांक \(\left(\frac{8 k+2}{k+1}, \frac{-3}{k+1}, \frac{10 k+4}{k+1}\right)\)
परन्तु x- निर्देशांक 4 के समान है।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय विविध प्रश्नावली img-4
अतः R के निर्देशांक (4, – 2, 6) हैं।

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प्रश्न 6.
यदि बिन्दु A और B क्रमशः (3, 4, 5) तथा (- 1, 3, – 7) हैं। चर बिन्दु P द्वारा निर्मित समुच्चय से संबंधित समीकरण ज्ञात कीजिए जहाँ PA2 + PB2 = k2 जब कि k अचर है।
हल:
माना बिन्दु P के निर्देशांक (x, y, z) हैं।
बिन्दु A(3, 4, 5) है।
PA2 = (x – 3)2 + (y – 4)2 + (z – 5)2
बिन्दु B(- 1, 3, 7) है।
∴ PB2 = (x + 1)2 + (y – 3)2 + (z + 7)2
दिया है, PA2 + PB2 = k2
∴ [(x – 3)2 + (y – 4)2 + (z – 5)2] + [(x + 1)2 + (y – 3)2 + (z + 7)2] = k2
या (x2 + y2 + z2 – 6x – 8y – 10z + 9+ 16 + 25) + (x2 + y2 + z2 + 2x – 6y + 14z + 1 + 9 + 49)
∴ 2(x2 + y2 + z2) – 4x – 14y + 4z + 50 + 59 – k2 = 0
या 2(x2 + y2 + z2) – 4x – 14y + 4z + 109 – k2 = 0 .
या x2 + y2 + z2 – 2x – 7y + 2z = \(\frac{k^{2}-109}{2}\).

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MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय Ex 12.3

MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय Ex 12.3

प्रश्न 1.
बिन्दुओं (- 2, 3, 5) और (1, – 4, 6) को मिलाने से बने रेखाखण्ड को अनुपात
(i) 2 : 3 में अंतः
(ii) 2 : 3 में बाह्यतः विभाजित करने वाले बिन्दु के निर्देशांक ज्ञात कीजिए।
हल:
(i) माना बिन्दु A(- 2, 3, 5) और B(1, – 4, 6) को मिलाने से बने रेखाखण्ड AB को
P(x, y, z), अनुपात 2 : 3 में अंतः विभाजित करता हो, तब
बिन्दु P के निर्देशांक इस प्रकार
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय Ex 12.3 img-1
(ii) जब बिन्दु P(x, y, z) रेखाखण्ड AB के बाह्यतः विभाजित करता हो, तो निर्देशांक इस प्रकार होंगे
x = \(\frac{2 \times 1-3 \times(-2)}{2-3}=\frac{2+6}{-1}\) = – 8
y = \(\frac{2 \times(-4)-3 \times 3}{2-3}=\frac{-8-9}{-1}\) = 17
z = \(\frac{2 \times 6-3 \times 5}{2-3}=\frac{12-15}{-1}\) = 3
अतः बिन्दु P के निर्देशांक (- 8, 17, 3) होंगे।

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प्रश्न 2.
दिया गया है कि बिन्दु P(3, 2, – 4), Q(5, 4, – 6) और R(9, 8, – 10) सरेख हैं। वह अनुपात ज्ञात कीजिए जिसमें Q, PR को विभाजित करता है।
हल:
माना बिन्दु Q, रेखाखण्ड PR को k : 1 के अनुपात में विभाजित करता है।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय Ex 12.3 img-2
अतः बिन्दु P, Q, R, सरेख हैं और Q, PR को 1 : 2 के अनुपात में विभाजित करता है।

प्रश्न 3.
बिन्दुओ (- 2, 4, 7) और (3, – 5, 8) को मिलाने वाली रेखाखण्ड, YZ- तल द्वारा जिस अनुपात में विभक्त होता है, उसे ज्ञात कीजिए।
हल:
मान लीजिए बिन्दु P पर तल YZ रेखाखण्ड AB को k : 1 के अनुपात में प्रतिच्छेद करता है, तब
YZ – तल पर प्रत्येक बिन्दु (0, y, z) के रूप में होगा।
A, B के निर्देशांक क्रमशः (- 2, 4, 7) और (3, – 5, 8) हैं।
∴ 0 = \(\frac{k \times 3+1 \times(-2)}{k+1}=\frac{3 k-2}{k+1}\)
∴ 3k – 2= 0 या k = \(\frac{2}{3}\)
अत: AB को YZ – तल 2 : 3 के अनुपात में विभक्त करता है।

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प्रश्न 4.
विभाजन सूत्र का प्रयोग करके दिखाइए
A(2, – 3, 4), B(- 1, 2, 1) तथा C(0, \(\frac{1}{3}\), 2) संरेख हैं।
हल:
माना A, B, C, सरेख हैं B, रेखाखण्ड AC को k : 1 में विभाजित करता है।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय Ex 12.3 img-3
अतः बिन्दु A, B, C सरेख हैं।

प्रश्न 5.
P(4, 2, – 6) और Q(10, – 16, 6) के मिलाने वाली रेखाखण्ड PQ को सम-त्रिभाजित करने वाले बिन्दुओं के निर्देशांक ज्ञात कीजिए।
हल:
माना बिन्दु A, B रेखाखण्ड PQ को 3 समान भागों में विभाजित करती है।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय Ex 12.3 img-4
बिन्दु A, रेखाखण्ड PQ को 1 : 2 के अनुपात में विभाजित करता है।
MP Board Class 11th Maths Solutions Chapter 12 त्रिविमीय ज्यामिति का परिचय Ex 12.3 img-5
अत: A तथा B के निर्देशांक क्रमशः (6, – 4, – 2) और (8, – 10, 2) हैं।

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