MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 7 विकास
विकास NCERT प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
डार्विन के चयन सिद्धांत के परिप्रेक्ष्य में जीवाणुओं में देखे गये प्रतिजैविक प्रतिरोध का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर
डार्विन के चयन सिद्धांत के अनुसार, प्राणी अपने को वातावरण के अनुकूल बनाकर ही जीवित रहते हैं तथा संतान उत्पन्न करते हैं । इसके विपरीत जो जीव अपने को वातावरण के अनुकूल बनाने में असमर्थ हात हे, नष्ट हो जाते हैं। संक्रामक रोगों के उपचार के लिए ऐसी औषधियों का प्रयोग किया जाता है जो रोगजनक जीवाणुओं की वृद्धि रोक दे अथवा उन्हें मार डाले।
इन औषधियों में प्रतिजैविकों (Antibiotics) का काफी प्रयोग किया जाता है। पेनिसिलिन, स्ट्रेप्टोमाइसीन, ओरियोमाइसिन आदि कुछ प्रमुख प्रतिजैविकों के उदाहरण हैं। काफी समय तक यह समझा जाता रहा कि प्रतिजैविकों के प्रयोग से रोगजनक जीवाणु इत्यादि पर पूर्णत: नियंत्रण संभव हो गया है, परंतु धीरे-धीरे पता चला कि जो प्रतिजैविक कुछ समय पूर्व किसी रोगजनक पर नियंत्रण कर सकते थे, वे अब निरर्थक हो गये हैं। इन प्रतिजैविकों का रोगजनक जीवाणुओं पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। दूसरे शब्दों में, ये जीवाणु प्रतिजैविकों के लिए प्रतिरोधी हो गये हैं।
प्रश्न 2.
समाचार पत्रों और लोकप्रिय वैज्ञानिक लेखों से विकास संबंधी नये जीवाश्मों और मतभेदों की जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर
जीवाश्मों (Fossils) के अध्ययन को जीवाश्म विज्ञान कहते हैं। लाखों करोड़ों वर्षों पूर्व के जीव-जंतु एवं पौधों के अवशेष या चिन्ह चट्टानों में दबे हुए हैं, जीवाश्म कहलाते हैं । जीव श्मों के अध्ययन से जीवों के विकासक्रम या जाति वंश (Phylogeny) का ज्ञान होता है। हजारों जीवाश्मों का अध्ययन अब वैज्ञानिकों द्वारा हो चुका है। जीवाश्म अभिलेखों की सहायता से जीव वैज्ञानिकों को जैविक विकास के इतिहास का पता लगाने में काफी सहायता प्राप्त हुई है। सन् 1952 में निओपिलना (Neopilina) के जीवाश्म कोस्टारिका के पेसीफिक तट से 3500 मीटर की गहराई से प्राप्त किये गये। इसमें मोलस्का व ऐनेलिडा संघ दोनों के लक्षण पाये जाते हैं। जीवाश्मों में सबसे प्रचलित उदाहरण आर्किओप्टेरिक्स तथा डायनोसोर है। डायनोसोर विशालकाय सरीसृप थे।
इथोपिया तथा तंजानिया से कुछ मानव जैसी अस्थियों के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। इस शताब्दी के तीसरे व चौथे दशकों में चीन में चाऊकाऊटीन नामक स्थान के समीप मानव की भाँति अनेक जावाश्म प्राप्त हुए हैं जिन्हें बाद में पेकिंग मानव के नाम से जाना गया। मिस्र देश में कैरो (Cairo) के पास सन् : 961 में एक पुरानी दुनिया का एक जीवाश्म प्राप्त हुआ है। इसमें 32 दाँत थे। प्रोप्लियोपिथिकस के जीवाश्म मित्र के फैयूम प्रांत से प्राप्त हुए। एजिप्टोपिथिकस के जीवाश्म 1980 में काहिरा में खोजे गये। 1858 में ओरियोपि थकस का जीवाश्म इटली में एक कोयले की खान में इसका पूरा कंकाल प्राप्त हुआ इस प्रकार जीवाश्मों से जैव विकास प्रमाणित होता है।
प्रश्न 3.
‘प्रजाति’ की स्पष्ट परिभाषा देने का प्रयास करें।
उत्तर
जाति (Species) अन्तर्प्रजनन करने वाले जीवों का समूह होती है। परन्तु जाते के वे छोटे समूह जिनके मध्य आनुवंशिक समानता होते हुए अन्तर्प्रजनन सम्भव होता है पर भौगोलिक रूप से पृथक् होती है इन्हें डीम्स (Demes) कहा जाता है। इसी प्रकार आनुवंशिक असमानता वाले जाति के छोटे छोटे समूह जिनमें भौगोलिक पृथक्कता हो तो उन्हें प्रजाति (Race) कहा जाता है। जब दो जातियाँ आकारिन्ली में समान हों पर अन्तर्जनन नहीं कर सके तो उन्हें सिबलिंग (Sibling) जातियाँ कहते हैं।
प्रश्न 4.
मानव विकास के विभिन्न घटकों का पता कीजिए। (संकेत-मष्तिष्क ) साइज और कार्य, कंकाल-संरचना, भोजन में पसंदगी आदि।)
उत्तर
लगभग 15 मिलियन वर्ष पूर्व ड्रायोपिथिकस तथा रामापिथिकस नामक नर वानर विद्यमान थे। रामापिथिकस अधिक मनुष्यों जैसे थे जबकि ड्रायोपिथिकस वन मानुष (Ape) जैसे थे। लगभग 2 मिलियन वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस (आदि मानव) सम्भवत: पूर्वी अफ्रीका के घास स्थलों में रहता था चेहरा सीधा परन्तु बिना ठोढ़ी का था परन्तु मस्तिष्क की माप केवल 350-450 घन सेमी. थी। साक्ष्य प्रकट करते हैं कि आस्ट्रेलोपिथिकस प्रारंभ में पत्थरों के हथियारों से शिकार करते थे, किन्तु प्रारंभ में फलों का ही भोजन करते छ । इसमें बुद्धि और मस्तिष्क का विकास होने लगा।
जीवाश्मों के अध्ययन से पता चलता है कि वर्तमान मानव का विकास होमो श्रेणी की कुछ जातियों के क्रमिक विकास से हुआ है । खोजी गई अस्थियों में से कुछ अस्थियाँ बहुत ही भिन्न थी। इस जीव को पहला मानव जैसे प्राणी के रूप में जाना गया और होमो हैबिलिस (Homo habilis) कहा गया था। इसकी दिमागी क्षमता 650-80) घन सेमी. के बीच थी। वे संभवत: मांस नहीं खाते थे। यह पैरों पर सीधा चलता था । दन्त विकास मानव सदृश्य था। यह हथियारों का निर्माण करने वाला प्रथम मानव था। इस जीव को मनुष्य के समान जीवों का सीधा पूर्वज समझा जाता है। 1981 में जावा में खोजे गये
जीवाश्म के अगले चरण के बारे में भेद प्रकट किया। यह चरण था होमो इरेक्टस (Homo erectus) का जो 1.5 मिलियन वर्ष पूर्व हुआ। इसके बाद इनके जीवाश्म पीकिंग, हीडालबर्ग तथा अल्जीरिया आदि स्थानों से प्राप्त हुए हैं। होमो इरेक्ट्स (जावा कपि मानव) का मस्तिष्क बड़ा था जो लगभग 900 घन सेमी. का था। कपियों की तरह इनकी भौंहें मोटी, नाक चपटी तथा जबड़े भारी और सामने की ओर लटके हुए थे। इनमें भोजन के रूप में एक-दूसरे को खा जाने अर्थात् नरभक्षिता (Cannibalism) का व्यसन था। पैकिंग मानव, जावा मानव से काफी बुद्धिमान एवं सभ्य थे। इनकी नाक चौड़ी तथा चपटी थी। जबडा भारी तथा ठोढ़ी नहीं के बराबर थी। कपालीय क्षमता (Cranial capacity = c.c.) 1075c.c. थी। निएण्डर्थल मानव (Neanderthal man) 1400c.c. आकार वाले मस्तिष्क लिए हुए 1,00,000 से 4,00,000 वर्ष पूर्व लगभग पूर्वी एवं मध्य एशियाई देशों में रहते थे। यह मानव 150 से 156 सेमी. लम्बा तथा शक्तिशाली सीधे खड़े होकर तेज चलने में समर्थ था।
इसका मस्तिष्क अधिक विकसित था। यह अपने द्वारा बनाये गये अच्छे किस्म के हथियार से शिकार करते थे। यह अग्नि का प्रयोग जानता था। गुफाओं में रहने के कारण इसे प्रारंभिक गुफा मानव कहा जाता है। वे अपने शरीर की रक्षा के लिए खालों का प्रयोग करते थे और अपने मृतकों को जमीन में गाड़ते थे।
होमो सैपियन्स (मानव) अफ्रीका में विकसित हुआ और धीरे-धीरे महाद्वीपों से पार पहुँच गया तथा विभिन्न द्वीपों में फैला था। इसके बाद वह भिन्न जातियों में विकसित हुआ। 75, 000 से 10, 000 वर्षों के दौरान हिम युग में यह आधुनिक मानव पैदा हुआ। कृषि कार्य लगभग 10, 000 वर्ष पूर्व आरम्भ हुआ तथा मानव बस्तियाँ बननी शुरू हुई। बाकी जो भी कुछ हुआ वह मानव इतिहास या वृद्धि का भाग और सभ्यता की प्रगति का हिस्सा है।
प्रश्न 5.
इंटरनेट (अंतरजाल-तंत्र ) या लोकप्रिय विज्ञान लेखों से पता करें कि क्या मानवेत्तर किसी प्राणी में आत्म संचेतना थी।
उत्तर
हाँ, बहुत से जीव वैज्ञानिकों के अनुसार बहुत से प्राणियों में मानवेत्तर आत्म संचेतना थी।
प्रश्न 6.
इन्टरनेट (अंतरजाल तंत्र ) संसाधनों का उपयोग करते हुए आज के 10 जानवरों और उनके विलुप्त जोड़ीदारों की सूची बनाइए (दोनों के नाम दें)।
उत्तर
आधुनिक एवं विलुप्त जोड़ीदार प्राणी
प्रश्न 7.
विविध जंतुओं और पौधे के चित्र बनाइये।
उत्तर
प्रश्न 8.
अनुकूलनी विकिरण के एक उदाहरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर
एक विशेष भू-भौगोलिक क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के विकास का प्रक्रम एक बिन्दु से प्रारम्भ होकर अन्य भू-भौगोलिक क्षेत्रों तक प्रसारित होने को अनुकूली विकिरण (Adaptive radiation) कहा जाता है। जैसे-आस्ट्रेलियाई मार्सपियल (शिशुधानी प्राणी) । अधिकांश मा पियल जो एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न थे, इस पूर्वज प्रभाव से विकसित हुए और वे सभी आस्ट्रेलियाई महाद्वीप के अंतर्गत हुए हैं।
प्रश्न 9.
क्या हम मानव विकास को अनुकूलनी विकिरण कह सकते हैं ?
उत्तर
नहीं, मानव विकास एक अनुकूलनी विकिरण नहीं है।
प्रश्न 10.
विभिन्न संसाधनों जैसे कि विद्यालय का पुस्तकालय या इंटरनेट (अंतरजाल तंत्र) तथा अध्यापक से चर्चा के बाद किसी जानवर जैसे कि घोड़े के विकासीय चरणों को खोजें।
उत्तर
जीवाश्मों के अध्ययन के आधार पर घोड़े का विकास (Evolution of horse based on the study of fossils)-घोड़े की जीवाश्म कथा जैव विकास होने का एक बहुत उपयुक्त, ठोस तथा ज्वलन्त प्रमाण है।
घोड़े के विभिन्न जीवाश्मों से पता चलता है कि इसका उद्भव (Origin) लगभग 60 करोड़ वर्ष पूर्व उत्तरी अमेरिका में इओसीन (Eocene) काल में हुआ था। इस जन्तु को इओहिप्पस (Eohippus) का नाम दिया गया।
1. इओहिप्पस (Eohippus)-
इसको ‘Tiny dwarf horse’ या हाइरैकोथीरियम (Hyracotherium) भी कहते हैं। इओहिप्पस लगभग 30 सेमी. ऊँचा तथा लोमड़ी के आकार का था। इसका सिर तथा गर्दन काफी छोटा था। यह जंगलवासी. था और पत्तियाँ तथा टहनियाँ खाता था। इसके अगले पैरों में चार क्रियात्मक पादांगुलियाँ थी किन्तु पिछले पैरों में केवल तीन पादांगुलियाँ थी। पिछली टाँगों की पहली तथा पाँचवीं पादांगुलियाँ पृथ्वी तक नहीं पहुँचती थी। इओसीन काल के बाद घोड़े के जीवाश्म ओलीगोसीन (Oligocene) काल में मिले। इनको मीसोहिप्पस (Mesohippus) का नाम दिया गया। यह अनुमान लगाया गया कि मीसोहिप्पस का विकास इओहिप्पस से हुआ।
2. मीसोहिप्पस (Mesohippus)-
यह इओहिप्पस से कुछ बड़ा लगभग भेड़ के आकार का था। इसकी अगली तथा पिछली टाँगों में तीन-तीन अंगुलियाँ थी। इनमें से बीच वाली अंगुली सबसे बड़ी थी और ऐसा प्रतीत होता है कि शरीर का बोझ इसी अंगुली पर रहता था। इसके मोलर दाँत अपेक्षाकृत थे। ओलीगोसीन काल के घोड़ों से मायोसीन काल के घोड़ों का विकास हुआ और विकास की कई दिशाएँ दिखायी देने लगी, जैसेपैराहिप्पस (Parahippus), मेरीचिहिप्पस (Merichihippus) इत्यादि। ये घोड़े घास भी खाते थे तथा हरी पत्तियाँ और टहनियाँ भी।
3. मेरीचिहिप्पस (Merichihippus)-मेरीचिहिप्पस की ऊँचाई लगभग आज के टट्ट के बराबर थी। इसके आगे तथा पीछे दोनों टाँगों में तीन-तीन पादांगुलियाँ थीं, लेकिन इनमें से केवल कीच वाली ही पृथ्वी तक पहुँचती थी। एक अंगुली के कारण यह घोड़ा तेज दौड़ सकता था।
4. प्लिस्टोसीन काल में आधुनिक घोड़े इक्कस (Equus) का विकास उत्तरी अमेरिका में हुआ। इसकी ऊँचाई लगभग 1.50 मीटर थी। यह घोड़ा बाद में सभी द्वीपों में (ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर) प्रसारित हुआ। प्लिस्टोसीन काल में उत्तरी अमेरिका में ही करीब 10 जातियाँ पाई जाती थीं। ये सभी जातियाँ धीरे-धीरे वातावरण में समन्वय न होने के कारण लुप्त हो गई। लेकिन जो जातियाँ यूरेशिया में आई थीं, वे जीवित रह गई और उनका विकास धीरे-धीरे होता रहा। इस प्रकार हमने देखा कि आज के घोड़े का इतिहास 60 करोड़ वर्ष पुराना है और किस तरह से एक लोमड़ी के आकार के घोड़े से 1.50 मीटर ऊँचाई का घोड़ा विकसित हुआ। यह ज्ञान संभव हुआ, केवल घोड़े के जीवाश्मों के अध्ययन से। इन अध्ययनों के आधार पर हम निश्चिततापूर्वक कह सकते हैं कि अन्य जीवधारियों का विकास भी इसी प्रकार हुआ होगा।
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विकास वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सही विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
जीवन के विकास के पहले पृथ्वी के वायुमंडल में पाये जाते थे
(a) जलवाष्प, CH4, NH3 एवं ऑक्सीजन
(b) CO2, NH3, H2 एवं जलवाष्प
(c) CHA4, NH3, H2,एवं जलवाष्प
(d) CHA4,O3. O2, तथा जलवाष्प।
उत्तर
(c) CHA4, NH3, H2,एवं जलवाष्प
प्रश्न 2.
जीवन की उत्पत्ति के समय वायुमंडल में कौन-सा गैस अनुपस्थित था।
(a) NH3
(b) H2
(c) O4,
(d) CH4.
उत्तर
(c) O4,
प्रश्न 3.
मिलर ने ताप एवं बिजली का उपयोग करके किस गैस के मिश्रण से अमीनो अम्ल प्राप्त किया।
(a) मेथेन, अमोनिया, हाइड्रोजन एवं जलवाष्प
(b) मेथेन, अमोनिया, नाइट्रोजन तथा जलवाष्प
(c) मेथेन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन तथा जलवाष्प
(d) अमोनिया, कार्बन डाई-आक्साइड, नाइट्रोजन एवं जलवाष्प।
उत्तर
(a) मेथेन, अमोनिया, हाइड्रोजन एवं जलवाष्प
प्रश्न 4.
श्रेष्ठतम का जीवत्म का सिद्धांत किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया
(a) चार्ल्स डार्विन
(b) हरबर्ट स्पेन्सर
(c) जीन बैपटिस्ट लैमार्क
(d) ह्यूगो डी-व्रीज।
उत्तर
(b) हरबर्ट स्पेन्सर
प्रश्न 5.
उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धान्त किसने दिया
(a) वैलेस
(b) लैमार्क
(c) डार्विन
(d) डी-व्रीज।
उत्तर
(b) लैमार्क
प्रश्न 6.
ओरिजीन ऑफ स्पीशीज” नामक पुस्तक किसके द्वारा लिखी गई
(a) ओपेरिन
(b) बिजगैन
(c) लैमार्क
(d) डार्विन।
उत्तर
(d) डार्विन।
प्रश्न 7.
डार्विन ने किस जहाज पर विश्व भ्रमण किया
(a) गंगोत्री
(b) बीगल
(c) अटलांटिक
(d) सीगुल।
उत्तर
(b) बीगल
प्रश्न 8.
वातावरण जीवों में बदलाव या भिन्नता उत्पन्न करता है यह सिद्धांत किसने दिया
(a) मेंडल
(b) डार्विन
(c) लैमार्क
(d) लाप्लास।
उत्तर
(c) लैमार्क
प्रश्न 9.
डार्विनवाद व्याख्या करता है
(a) लक्षण वंशागति द्वारा उत्पन्न होते हैं
(b) समय के साथ जातियाँ संरचनात्मक रूप से परिवर्तित होते हैं
(c) प्रकृति उस जीव का चयन करता है जो अनुकूलित हो सकते हैं
(d) विकास वातावरण के प्रभाव के कारण उत्पन्न होता है।
उत्तर
(c) प्रकृति उस जीव का चयन करता है जो अनुकूलित हो सकते हैं
प्रश्न 10.
लेडरबर्ग के रेप्लिका प्लेटिंग प्रयोग में उपयोग किया गया एन्टीबायोटिक था
(a) पेनिसिलिन
(b) स्ट्रेप्टोमाइसिन
(c) इरिथ्रोमाइसिन
(d) नियोमाइसिन।
उत्तर
(a) पेनिसिलिन
प्रश्न 11.
प्राकृतिक चयन या श्रेष्ठ का जीवात्म अवधारणा इकाई क्या है
(a) जाति
(b) समष्टि
(c) कुल
(d) एकाकी जीव।
उत्तर
(c) कुल
प्रश्न 12.
प्राकृतिक वरण का सिद्धान्त किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया
(a) लैमार्क
(b) डी-व्रीज
(c) डार्विन
(d) मेण्डल।
उत्तर
(d) मेण्डल।
प्रश्न 13.
डार्विनवाद किस पर आधारित है
(a) पृथक्करण
(b) स्वतंत्र अपव्यूहन
(c) मात्रात्मक वंशागति
(d) प्राकृतिक वरण।
उत्तर
(b) स्वतंत्र अपव्यूहन
प्रश्न 14.
अंगों के उपयोग तथा अनुप्रयोग का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया
(a) वैलेस
(b) लैमार्क
(c) डार्विन
(d) डी-व्रीज।
उत्तर
(a) वैलेस
प्रश्न 15.
प्राकृतिक वरण की इकाई है
(a) एकाको जीव
(b) कुल
(c) समष्टि
(d) जाति।
उत्तर
(d) जाति।
प्रश्न 16.
खच्चर किसका उत्पाद है
(a) उत्परिवर्तन
(b) जनन
(c) अंतराजातीय संकरण
(d) अन्तरजातीय संकरण।
उत्तर
(b) जनन
प्रश्न 17.
स्पीशीज शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया
(a) लिनियस
(b) जॉन
(c) अरस्तु
(d) इन्गरेलर।
उत्तर
(b) जॉन
प्रश्न 18.
समजात अंग होते हैं
(a) उत्पत्ति में असमान एवं संरचना में समान
(b) उत्पत्ति में असमान एवं कार्य में भिन्न
(c) उत्पत्ति में समान परन्तु कार्य में असमान
(d) उत्पत्ति में समान एवं कार्य में असमान।
उत्तर
(c) उत्पत्ति में समान परन्तु कार्य में असमान
प्रश्न 19.
डायनासोर या सरीसृप का स्वार्णिमकाल किसे कहा जाता है
(a) मीसोजोइक
(b) सीनोजोइक
(c) पैलियोजोइक
(d) साइकोजोइक।
उत्तर
(a) मीसोजोइक
प्रश्न 20.
डायनोसोर्स किस काल में विलुप्त हुए
(a) जुरैसिक
(b) ट्राइएसिक
(c) क्रस्टेसियस
(d) पर्मियन
उत्तर
(c) क्रस्टेसियस
प्रश्न 21.
मनुष्य में अवशेषी अंग होते हैं
(a) अक्ल दाँत, कोक्साई, नाखून, पलक तथा वर्मिफार्म अंपेडिक्स
(b) अक्ल दाँत, कोक्साई, वर्मिफार्म अपेंडिक्स, पैन्क्रियाज एवं एल्बो जोड़
(c) अक्ल दाँत, कोक्साई, वर्मिफार्म अपेंडिक्स, निक्टेटिंग झिल्ली
(d) कोक्साई, अक्ल दाँत, नाखून, ऑरिकुलर पेशी।
उत्तर
(c) अक्ल दाँत, कोक्साई, वर्मिफार्म अपेंडिक्स, निक्टेटिंग झिल्ली
प्रश्न 22.
जीवाश्म कैसे बनते हैं
(a) जन्तु प्राकृतिक रूप से दफनाए जाए
(b) जन्तुओं को परमार्जित नष्ट कर दें
(c) जन्तुओं को उसकी शिकारी जातियाँ खा लें
(d) जन्तु वातावरण की परिस्थितियों द्वारा नष्ट हो जाएँ।
उत्तर
(d) जन्तु वातावरण की परिस्थितियों द्वारा नष्ट हो जाएँ।
प्रश्न 23.
आकृति में समान किन्तु जनन में पृथक्कृत जाति कहलाती है
(a) उपजाति
(b) सहोदर जाति
(c) समस्थानिक जाति
(d) एलोपेट्रिक जाति ।
उत्तर
(c) समस्थानिक जाति
प्रश्न 24.
उस जहाज का नाम बताइए जिसमें चार्ल्स डार्विन यात्रा के लिए गए थे
(a) सिलोर
(b) बीगल
(c) सीगल
(d) एटलांटिक।
उत्तर
(b) बीगल
प्रश्न 25.
नव-डार्विनवाद के अनुसार कौन-सा कारक जैव विकास के लिए जिम्मेदार है
(a) उत्परिवर्तन
(b) लाभदायक विभिन्नताएँ
(c) संकरण
(d) उत्परिवर्तन एवं प्राकृतिक चयन
उत्तर
(d) उत्परिवर्तन एवं प्राकृतिक चयन
प्रश्न 26.
किस कल्प में जीवन नहीं था
(a) मीसोजोइक
(b) पैलीयोजोइक
(c) सीनोजोइक
(d) एजोइक।
उत्तर
(d) एजोइक।
प्रश्न 27.
जीवन की उत्पत्ति किस कल्प में हई
(a) प्रोटीरोजोइक
(b) मीसोजोइक
(c) प्रोकैम्ब्रियन
(d) एजोइक।
उत्तर
(c) प्रोकैम्ब्रियन
प्रश्न 28.
भारत की शिवालिक पहाड़ियों से प्राप्त आदिमानव का जीवाश्म किसका था
(a) ओलाइ गोपिथिकस
(b) परेन्थ्रापस
(c) रामापिथकस
(d) प्लायोपिथिकस।
उत्तर
(c) रामापिथकस
प्रश्न 29.
जीवाश्मों की आयु का पता लगाया जाता है
(a) कैल्सियम अवशेष की मात्रा से
(b) रेडियोधर्मी कार्बन, यौगिक की मात्रा पर
(c) अन्य स्तनियों के संघर्ष से
(d) अस्थियों की रचना से।
उत्तर
(b) रेडियोधर्मी कार्बन, यौगिक की मात्रा पर
प्रश्न 30.
निम्न में कौन सबसे सरल एवं आदिस्तनी है
(a) कण्टक चींटीखोर
(b) स्केली चींटीखोर
(c) आर्मेडिलो
(d) सभी पूर्वज।
उत्तर
(a) कण्टक चींटीखोर
प्रश्न 31.
पुनरावृत्ति नियम किसने प्रतिपादित किया
(a) विजमैन
(b) वान बेयर तथा हैकेल
(c) डार्विन
(d) माल्थस।
उत्तर
(b) वान बेयर तथा हैकेल
प्रश्न 32.
जातिवृत्ति में किस चीज की व्याख्या की गयी है
(a) प्रत्येक जीव अण्डे से आरम्भ होता है
(b) नष्ट हुए शरीर के भाग पुनः बन जाते हैं
(c) सन्तान अपने माता-पिता के समान होते हैं
(d) भ्रूणीय परिवर्धन में विकास के इतिहास को दोहराया जाता है।
उत्तर
(d) भ्रूणीय परिवर्धन में विकास के इतिहास को दोहराया जाता है।
प्रश्न 33.
निम्न में से कौन-सा क्रम मानव के विकासीय इतिहास का सही क्रम है
(a) पैकिंग मानव, होमो सेपियन्स, निएन्डरथल मानव, क्रोमैग्नन मानव
(b) पैकिंग मानव, निएन्डरथल मानव, होमो सेपियन्स, क्रोमैग्नन मानव
(c) पैकिंग मानव, हिडेलबर्ग मानव, निएन्डरथल मानव, क्रोमैग्नन मानव
(d) पैकिंग मानव, निएन्डरथल मानव, होमो सेपियन्स, हिडेलबर्ग मानव।
उत्तर
(c) पैकिंग मानव, हिडेलबर्ग मानव, निएन्डरथल मानव, क्रोमैग्नन मानव
प्रश्न 34.
निम्न में से कौन-सा मानव का सर्वप्रथम पूर्वज था जिसके जीवाश्म प्राप्त हुए हैं
(a) पिथिकेन्थ्रोपस
(b) जिन्जेनथ्रॉपस
(c) ऑस्ट्रेलोपिथिकस
(d) निएन्डरथल मानव।
उत्तर
(c) ऑस्ट्रेलोपिथिकस
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. पृथ्वी …………… का एक सदस्य है।
2. …………. जीवन की उत्पत्ति के धार्मिकवाद के प्रवर्तक थे।
3. ‘ओरिजिन ऑफ लाइफ’ नामक पुस्तक ………… नामक वैज्ञानिक ने लिखी।
4. प्रकाश संश्लेषी जीव की उत्पत्ति के कारण पृथ्वी पर ऑक्सीजन के आगमन की घटना को ……………..कहते हैं।
5. ……….. सरीसृप तथा पक्षियों के बीच की कड़ी है।
6. ………… घोड़े का प्राचीनतम पूर्वज है।
7. पक्षियों एवं स्तनियों का विकास ……………. युग में हुआ।
8. डायनासोर का स्वर्णिम युग …………… कल्प था।
9. ……………. मत ‘व्यक्तिवृत जातिवृत की पुनरावृत्ति करता है।’ की व्याख्या है।
10. चार्ल्स डार्विन की पुस्तक “जाति की उत्पत्ति” में ………… की व्याख्या है।
11. आनुवंशिक गुणों में परिवर्तन ………….. है।
उत्तर
- सौर मंडल
- फादर सारेज
- ओपेरिन
- ऑक्सीजन क्रांति
- आर्कियोप्टेरिस
- इओहिप्पस,
- जुरैसिक
- मीसोजोइक
- पुनरावर्तन सिद्धान्त
- प्राकृतिक चयनवाद व योग्यतम की उत्तरजीविता
- उत्परिवर्तन।
3. उचित संबंध जोडिए
I. ‘A’ – ‘B’
1. जीवात् जनन सिद्धान्त – (a) वायरस
2. सजीव निर्जीव के बीच की कड़ी – (b) मिलर यूरे प्रयोग
3. आवेशित कणों का समूह – (c) लुई पाश्चर
4. मांस का शोरबा – (d) फ्रांसिस्को रेड्डी
5. ओपेरिनवाद – (e) कोएसरवेट्स।
उत्तर
1. (d), 2. (a), 3. (e), 4. (c), 5. (b).
II. ‘A’ _ ‘B’
1. द्विनाम पद्धति – (a) इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी
2. हरित क्रांति – (b) पेलियोबॉटनी
3. अचानक हुई खोज – (c) वनीकरण
4. नील तथा रस्का – (d) जेनेरिक तथा विशिष्ट नाम
5. पादप जीवाश्म – (e) सिरेण्डिपिटी
6. डीव्रीज़ – (f) उत्परिवर्तन।
उत्तर
1. (d), 2. (c), 3. (e), 4. (a), 5. (b), 6. (f).
4. एक शब्द में उत्तर दीजिए
1. आदि पदार्थ का नाम लिखिए जिससे 15 बिलियन वर्ष पूर्व ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई।
2. जैव विकास के क्रम में सजीव तथा निर्जीव के बीच की कड़ी का नाम लिखिए।
3. एक समान पूर्वज से संरचनात्मक तथा क्रियात्मक रूप से भिन्न लक्षणों वाले जीवों के विकास को क्या कहते हैं ?
4. रचना तथा उत्पत्ति में भिन्नता तथा क्रियात्मक समानता प्रदर्शित करने वाले अंग क्या कहलाते हैं ?
5. भ्रूणावस्था से प्रौढ़ावस्था तक के विकास की प्रक्रिया को क्या कहते हैं ?
6. किसी जाति के संपूर्ण विकास की घटना को क्या कहते हैं ?
7. डार्विन द्वारा प्रस्तावित विकासवाद के सिद्धांत का नाम लिखिए।
8. जीवों में अचानक होने वाले तथा वंशानुगति प्रदर्शित करने वाले परिवर्तन को क्या कहते हैं ?
9. चट्टानों में दबे प्राचीन जीवों के अवशेष को क्या कहते हैं ?
10. मानव के उस पूर्वज का नाम लिखिए जो सबसे पहले दो पैरों पर सीधा खड़ा हुआ।
उत्तर
- इलेम
- कोएसरवेट्स
- एडेप्टिव रेडिएशन
- समवृत्ति अंग
- ओन्टोजेनी
- फायलोजेनी,
- प्राकृतिक वरणवाद
- उत्परिवर्तन
- जीवाश्म
- रामापिथेकस।
विकास अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
अधिक कार्बनिक पदार्थ वाली कम गहरी झील को क्या कहते हैं ?
उत्तर
पूर्ण-जैविक सूप।
प्रश्न 2.
अकोशिकीय जीव का नाम लिखिए।
उत्तर
विषाणु (Virus)।
प्रश्न 3.
आकाशगंगा तथा सितारों के निर्माण की परिकल्पना का नाम लिखिए।
उत्तर
बिग-बैंग।
प्रश्न 4.
आदि समय में प्रकाश-संश्लेषण के विकास द्वारा O2, के वातावरण में मुक्त होने की घटना क्या
कहलाती है ?
उत्तर
ऑक्सीजन क्रांति।
प्रश्न 5.
जीवन की उत्पत्ति की प्रबल संभावना पृथ्वी के अलावा सौर मण्डल के और किस ग्रह में
उत्तर
मंगल।
प्रश्न 6.
वह जिसमें जीव या उसकी कोई रचना अपनी संरचना को किसी जीव या स्वतंत्र रचना जैसा परिवर्तन कर शत्रुओं से रक्षा करता है। क्या कहलाता है ?
उत्तर
अनुहरण (mimicry)
प्रश्न 7.
कभी-कभी वातावरणीय अनुकूलताओं के कारण एक ही जाति के जीवों में इतनी भिन्नता आ जाती है कि अपनी जाति के दूसरे जीवों से प्रजनन संबंध नहीं रख पाते। क्या कहलाता है ?
उत्तर
प्रजनन-प्राथक्कय।
प्रश्न 8.
जीवों के शरीर में जीनों की व्यवस्था, संरचना एवं संख्या में परिवर्तन के कारण पैदा हुआ आकस्मिक परिवर्तन क्या कहलाता है ?
उत्तर
उत्परिवर्तन।
प्रश्न 9.
किसी समष्टि में उपस्थित जीनों की कुल संख्या क्या कहलाती है ?
उत्तर
जीन-पूल।
प्रश्न 10.
ओरिजिन ऑफ स्पीसीज़ नामक पुस्तक किसने लिखी है ?
उत्तर
चार्ल्स डार्विन ने।
प्रश्न 11.
जीवात् जीवोत्पत्ति का सिद्धान्त किसने दिया था ?
उत्तर
जीवात् जीवोत्पत्ति का सिद्धान्त हार्वे तथा हक्सले ने दिया था।
प्रश्न 12.
तारकीय दरियों को किसमें मापा जाता है ?
उत्तर
तारकीय दूरियों को प्रकाश वर्ष (Light year) में मापा जाता है।
प्रश्न 13.
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति में कौन-सा महाविस्फोटक का सिद्धान्त बताने का प्रयास करता है?
उत्तर
बिग बैंग (Big-Bang) नामक महाविस्फोट।
प्रश्न 14.
जीवाश्म की परिभाषा दीजिए।
उत्तर
“पूर्व जीवों के चट्टानों से प्राप्त अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं।”
प्रश्न
15. उत्परिवर्तन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर
जीवों के आनुवंशिक संगठन में अचानक वंशागत होने वाले परिवर्तन उत्परिवर्तन (Mutation) कहलाते हैं।
प्रश्न 16.
उस वैज्ञानिक का नाम बताइए जिसने स्वतः जननवाद (Spontaneous generation theory) को गलत सिद्ध किया ?
उत्तर
लुईस पाश्चर (Louis Pasteur)
प्रश्न 17.
कौन-से युग (काल) को डायनोसौर का स्वर्णिम युग कहते हैं ?
उत्तर
मीसोजोइक काल को डायनोसौर का स्वर्णिम युग कहते हैं।
प्रश्न 18.
किस समुद्री जहाज पर डार्विन ने प्रकृति का अध्ययन किया ?
उत्तर
बीगल नामक समुद्री जहाज पर डार्विन ने प्रकृति का अध्ययन किया।
प्रश्न 19.
दो कशेरुकी शरीर के अंगों के नाम लिखिए जो मनुष्य की अग्रपाद के समजात अंग होते
उत्तर
- व्हेल का फ्लिपर
- पक्षी का पंख।
प्रश्न 20.
आधुनिक मानव का वैज्ञानिक नाम क्या है ?
उत्तर
होमो सैपियन्स (Homo sapiens)।
प्रश्न 21.
वर्तमान मानव के सबसे निकट संबंधी मानव का नाम बताइए।
उत्तर
क्रोमैग्नान मानव वर्तमान मानव का सबसे निकटतम संबंधी है।
प्रश्न 22.
अध: मानव (Sub human) व आदि मानव किसे माना गया है ?
उत्तर
रामापिथिकस को अध: मानव तथा आस्ट्रेलोपिधिकस को आदि मानव माना गया है।
प्रश्न 23.
मानव के किस पूर्वज ने सर्वप्रथम दो पैरों पर चलना आरंभ किया था ?
उत्तर
आस्ट्रेलोपिथिकस ने सर्वप्रथम दो पैरों पर चलना आरंभ किया।
प्रश्न 24.
क्रोमैग्नॉन मानव भोजन ग्रहण करने के आधार पर किस प्रकार का प्राणी था ?
उत्तर
मासाहारी प्रकार का प्राणी था।
प्रश्न 25.
मानव विकास के क्रम में कौन-से मानव के मस्तिष्क का आकार 1400 घन सेमी. था?
उत्तर
निएंडरथल (Neanderthal) मानव के मस्तिष्क का आकार 1400 घन सेमी. था।
प्रश्न 26.
महाकपियों तथा मानव के पूर्वज के नाम लिखिए।
उत्तर
महाकपियों तथा मानव के पूर्वज का नाम ड्रायोपिथेकस (Dryopithecus) है।
प्रश्न 27.
ड्रायोपिथिकस तथा रामापिथिकस नर वानरों में अंतर बताइए।
उत्तर
ड्रायोपिथिकस वन मानुष (Ape) जैसे थे जबकि रामापिथिकस अधिकार मनुष्य के समान थे।
विकास लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वायरस क्या है ? जीवन की उत्पत्ति में इसका क्या महत्व है ?
उत्तर
वायरस (Virus)-विषाणु अकोशिकीय, परासूक्ष्मदर्शीय, मात्र प्रोटीन की खोल में स्थित केन्द्रकीय अम्लों की बनी ऐसी रचनाएँ हैं, जो केवल जीवित कोशिका के बाहर केवल एक रासायनिक अणु के रूप में रहती हैं। सम्भवतः ये पृथ्वी के प्रथम जीव हैं, क्योंकि ये जीवन के सरलतम रूप में पाये जाते हैं। जीवन की उत्पत्ति में विषाणुओं का महत्व-वाइरस अर्थात् विषाणुओं में जीवों तथा निर्जीवों दोनों के समान लक्षण पाये जाते हैं इस कारण इन्हें जीव तथा निर्जीव के बीच की कड़ी अर्थात् पृथ्वी का प्रथम जीव माना जाता है। जीवों के समान इनमें वृद्धि, जनन, DNA, RNA तथा उत्परिवर्तन पाया जाता है, जबकि निर्जीवों के समान इनमें जीवद्रव्य, पोषण एवं उपापचयी क्रियाओं का अभाव होता है और ये क्रिस्टल रूप में भी प्राप्त किये जा सकते हैं।
प्रश्न 2.
ऑक्सीजन क्रान्ति क्या है ? इसका आदि वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
ऑक्सीजन क्रान्ति क्या है ? समझाइए।
उत्तर
ऑक्सीजन क्रान्ति-पृथ्वी के आदि वातावरण में स्वतन्त्र,नहीं थी। नीले हरे शैवालों में
प्रकाश-संश्लेषण के विकास के बाद वातावरण में स्वतंत्र O2, बनी। O2, निर्माण की यह घटना उस समय आदि जीवों के विकास एवं वातावरण में परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण थी। इस कारण स्वतंत्र O2, की मुक्ति की घटना को ऑक्सीजन क्रान्ति (Oxygen revolution) कहा गया। इसके कारण वातावरण में निम्नलिखित परिवर्तन सम्भव हो सके-
- O2 की मुक्ति के कारण उस समय का वातावरण जो H2, के कारण अपचायक था ऑक्सीकारक हो गया, जिससे पुनः रासायनिक विकास की सम्भावना समाप्त हो गयी।
- पृथ्वी से 16 किमी ऊपर परत बन गयी, जिसने सूर्य की हानिकारक किरणों को पृथ्वी पर आने से रोक दिया। फलतः रासायनिक विकास की सम्भावना समाप्त हो गयी।
- आदि वायुमण्डल के CH2, को O2, ने H2O व CO2, में विघटित कर दिया,जिससे CO2, प्रकाश– संश्लेषण के लिए उपलब्ध हो गयी।
- NH2, को O2, ने जल तथा N, में विघटित कर दिया जिससे जीवों का विकास और तेज हो गया।
प्रश्न 3.
पृथ्वी की उत्पत्ति को लगभग 50-75 शब्दों में समझाइए।
उत्तर
पृथ्वी की उत्पत्ति-आधुनिक मतानुसार लगभग 200 खरब वर्ष पूर्व ब्रह्माण्ड अस्तित्व में आया। इस ब्रह्माण्ड में सूर्य और पृथ्वी सहित अन्य ग्रहों (सौरमण्डल) का निर्माण आज से लगभग 45 से 50 खरब वर्ष पूर्व घूमते हुए धूल एवं गैस के गोले अथवा बादल से हुआ। इन पदार्थों के संघनन से अत्यधिक दाब एवं ताप पैदा हुआ। जिसमे इसमें तापनाभिकीय (Thermonuclear) क्रियाओं के होने से गैसें सूर्य के आकर्षण बल के क्षेत्र में होने के प्रभाव से अनेक ग्रहों में बदल गयीं, हमारी पृथ्वी भी उन्हीं में से एक थी। गैसों के ठण्डा होने से पृथ्वी ठोस हो गयी, जिसके मध्य में भारी तथा बाहर की ओर हल्के तत्व आ गये। सबसे हल्के तत्व जैसे-H2, He एवं अन्य गैसों ने एकदम बाहर आकर पृथ्वी का बाहरी वातावरण बना दिया।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित वैज्ञानिकों द्वारा की गयी खोज एवं दिये गये सिद्धान्त के नाम लिखिए
(i) लुई पाश्चर
(ii) ए. आई. ओपेरिन
(iii) स्टेनले मिलर एवं यूरे
(iv) फॉक्स
(v) फ्रान्सिस्को रेड्डी।
उत्तर
(i) लुई पाश्चर-इन्होंने अपने प्रयोगों द्वारा अजीवात् जनन को गलत सिद्ध करके, जीवात् जीवोत्पत्ति के मत का समर्थन किया।
(ii) ए. आई. ओपेरिन-इन्होंने जीवोत्पत्ति के आधुनिक सिद्धान्त का प्रतिपादन अपनी पुस्तक “The Origin of Life’ में किया।
(iii) स्टेनले मिलर एवं यूरे-इन्होंने अपने प्रयोगों द्वारा ओपेरिनवाद का समर्थन किया।
(iv) फॉक्स-इन्होंने ओपेरिन के अनुसार बनने वाले कार्बनिक पदार्थों के निर्माण का अपने प्रयोगों द्वारा समर्थन किया।
(v) फ्रान्सिस्को रेड्डी-फ्रांसिस्को रेड्डी ने अपने प्रयोगों द्वारा अजीवात् जीवोत्पत्ति के सिद्धान्त को गलत सिद्ध करके जीवात् जीवोत्पत्ति के मत का समर्थन किया।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए
(i) कोएसरवेट बूंदें एवं प्रोटीनॉइड माइक्रोस्फीयर
(ii) अपचायक एवं ऑक्सीकारक वातावरण
(iii) लघु एवं दीर्घ अणु
(iv) न्यूक्लियोटाइड एवं न्यूक्लिक ऐसिड
(v) ओजोन एवं ऑक्सीजन।
उत्तर
(i) कोएसरवेट बूंदें एवं प्रोटीनॉइड माइक्रोफीयरकोएसरवेट बूंदें
(ii) अपचायक एवं ऑक्सीकारक वातावरण
(iii) लघु एवं दीर्घ अणुलघु अणु
(iv) न्यूक्लियोटाइड एवं न्यूक्लिक ऐसिड
(v) ओजोन एवं ऑक्सीजन
प्रश्न 6.
समजात अंग से आप क्या समझते हैं ? समझाइए।
उत्तर
जन्तुओं तथा जीवों के वे अंग (या संरचनाएँ) जो रचना तथा उत्पत्ति में समानता रखते हैं, लेकिन अलग-अलग कार्य के कारण बाह्य रूप में अलग दिखाई देते हैं समजात अंग कहलाते हैं तथा अंगों की यह समानता समजातता (Homology) कहलाती है। मेढक के अग्रपाद, सीलफ्लिपर, चमगादड़ के पंख, मनुष्य के हाथ, घोड़े के अग्रपाद तथा मोल के अग्रपाद समजात अंगों के उदाहरण हैं, क्योंकि ये समान उपस्थिति को दर्शाने वाले जीव इस बात को प्रमाणित करते हैं कि वे विकास की दृष्टि से आपस में जुड़े हैं।
प्रश्न 7.
समवृत्तिता क्या है ?
अथवा
समवृत्ति अंग किसे कहते हैं ?
उत्तर
जीवों के इन अंगों या संरचनाओं को जो रचना तथा उत्पत्ति में भिन्न होते हुए भी कार्य में समानता प्रदर्शित करते हैं, समवृत्ति अंग कहलाते हैं । इस प्रकार की समानता समवृत्तिता (Analogy) कहलाती है। तितली के पंख, पक्षी के पंख तथा चमगादड़ के पंख समवृत्तिता प्रदर्शित करते हैं। इनमें रचना तथा उत्पत्ति की दृष्टि से पर्याप्त अन्तर पाया जाता है। तितली के पंख काइटिन, पक्षियों के पंख अग्रपाद पर लगने से तथा चमगादड़ के पंख उँगलियों के बीच त्वचा से बनते हैं। ये अंग इस बात को प्रमाणित करते हैं इनकी उपस्थिति को दर्शाने वाले जीव जैव विकास की दृष्टि से सम्बन्धित नहीं हैं।
प्रश्न 8.
समजात तथा समवृत्ति संरचनाओं में उदाहरण सहित अन्तर लिखिए।
अथवा
समजात तथा समवृत्ति रचनाओं में क्या अन्तर है ? प्रत्येक के दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर
समजात तथा समवृत्ति रचनाओं में अन्तर
प्रश्न 9.
अवशेषी अंग क्या हैं ? मनुष्य के दो अवशेषी अंगों के नाम बताइए।
उत्तर
जीवों के शरीर में कुछ ऐसे अंग पाये जाते हैं, जिनकी शरीर में कोई आवश्यकता नहीं होती। इन अंगों को अवशेषी अंग (Vestigeal organ) कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि पूर्व में ये सक्रिय रहे होंगे लेकिन वातावरण अनुकूलनों के कारण कालान्तर में निष्क्रिय हो गये। मनुष्य की अपेण्डिक्स, पूँछ कशेरुकाएँ, आँख की कन्जक्टाइवा इसके उदाहरण हैं । इन अंगों की उपस्थिति यह दर्शाती है कि जीवों में क्रमिक परिवर्तन हुआ है।
प्रश्न 10.
संयोजक कड़ी किसे कहते हैं ? इसके महत्व को समझाइए।
उत्तर
प्रकृति में कुछ ऐसे जीव जातियाँ पायी जाती हैं, जिनमें अपने समीप के दो जीव समूहों (वर्गों) के समान लक्षण पाये जाते हैं, जिनमें से एक वर्ग के जीव कम तथा दूसरे वर्ग के जीव अधिक विकसित होते हैं, इन जीव जातियों को संयोजक कड़ियाँ (Connecting linkes) कहते हैं। प्रकृति में कुछ जीवाश्म जैसेआर्कियोप्टेरिक्स भी संयोजी कड़ियों के रूप में पाये जाते हैं, जिन्हें जीवाश्मीय संयोजक कड़ियाँ कहते हैं। नियोपिलाइना, पेरिपेटस, प्लेटीपससंयोजी कड़ियों के दूसरे उदाहरण हैं । नियोपिलाइना एक प्राचीन मोलस्क है, जिसमें मोलस्क के समान कवच, मेण्टल तथा पाद पाये जाते हैं, लेकिन गलफड़ नेफ्रिडिया तथा जनन ऐनेलिडा के समान होते हैं । अतः यह मोलस्क एवं ऐनेलिडा के बीच की संयोजक कड़ी है।
प्रश्न 11.
डार्विन के प्राकृतिक वरणवाद की कोई तीन प्रमुख आलोचनाएँ लिखिए।
अथवा
डार्विन के प्राकृतिक वरणवाद की चार आलोचनाएँ लिखिए।
उत्तर
डार्विनवाद की चार प्रमुख आलोचनाएँ निम्नलिखित हैं
- इनके अनुसार छोटी-छोटी विभिन्नताएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रबल होती हैं फलतः नयी जातियाँ पैदा होती हैं, लेकिन आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार छोटी विभिन्नताओं के कारण नयी जातियाँ पैदा नहीं हो सकतीं।
- डार्विनवाद योग्यतम की उत्तरजीविता की बात तो करता है, लेकिन इनकी उत्पत्ति के बारे में कुछ नहीं बताता।
- डार्विनवाद जीनों के कुछ अंगों के अतिविशिष्टीकरण की व्याख्या नहीं करता कि इसके कारण कुछ जातियाँ क्यों नष्ट हुई। जैसे-आइरिस हिरण की मृत्यु उनकी बड़ी सींगों के कारण हुई। यदि प्राकृतिक वरणवाद सही है, तब प्रकृति ने उन अंगों की अतिविशिष्टीकरण कैसे होने दिया।
- डार्विनवाद ह्यसी (Degeneration) विकास का कोई उल्लेख नहीं करता।
- डार्विनवाद अवशेषी अंगों के बारे में कोई प्रमाणिकता प्रस्तुत नहीं करता।
प्रश्न 12.
डार्विन को विकासवाद की प्रेरणा देने वाली दो घटनाओं को लिखिए।
उत्तर
- डार्विन ने भ्रमण के दौरान गैलापैंगों द्वीप पर पायी जाने वाली एक प्रकार की चिड़िया (Linch) तथा दूसरे जन्तुओं में एक वातावरण में रहने के बाद भी कई विभिन्नताएँ देखीं, जिससे उन्हें विभिन्नता की उत्पत्ति के महत्व का ज्ञान हुआ।
- कबूतरबाजों द्वारा खराब गुणों वाले कबूतर को मारकर पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्वस्थ कबूतर पैदा करते देखकर उन्हें प्राकृतिक चयन के महत्व का ज्ञान हुआ। उपर्युक्त दोनों घटनाओं ने प्राकृतिक चयनवाद को प्रस्तुत करने में मुख्य भूमिका निभायीं।
प्रश्न 13.
लैमार्कवाद तथा डार्विनवाद की तुलना कीजिए।
उत्तर
लैमार्क तथा डार्विन दोनों ने जिराफ के माध्यम से अपने-अपने सिद्धान्तों की व्याख्या की है। जिसकी तुलना निम्नलिखित प्रकार से कर सकते हैं-
प्रश्न 14.
जैव विकास के लैमार्कवाद को संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर
जीव बैप्टिस्टेडी लैमार्क प्रथम ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने विकास को विस्तारपूर्वक समझाया जिसे हम लैमार्कवाद के नाम से जानते हैं। अपने सिद्धांत का उल्लेख इन्होंने अपनी पुस्तक ‘फिलॉसफीक जूलॉजिक’ में किया। जिसे लैमार्किज्म अथवा उपार्जित लक्षणों की वंशागति के सिद्धांत के नाम से जानते सके।
लैमार्क के इस वाद को संक्षिप्त में क्रमबद्ध ढंग से निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं
- परिवर्तित वातावरण के प्रभाव के परिणामस्वरूप जीवों में नयी आवश्यकताएँ पैदा होती हैं।
- इन नयी आवश्यकताओं के कारण जीवों में नयी आदतें आती हैं।
- नयी आदतों के अनुसार शरीर के कुछ अंगों का उपयोग या उसका अनुप्रयोग होता है।
- अंगों के उपयोग या अनुप्रयोग के फलस्वरूप जीव की शारीरिक रचनाओं में कुछ परिवर्तन होता है अर्थात् नये उपार्जित लक्षण बनते हैं।
- इन उपार्जित लक्षणों की वंशागति होती है।
- इस तरह उपार्जित लक्षणों की वंशागति के कारण नयी जातियाँ पैदा होती हैं।
विकास दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जीवोत्पत्ति के सन्दर्भ में जैव-रासायनिक सिद्धान्त के मिलर एवं हैराल्ड के प्रयोग का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर
मिलर तथा यूरे के प्रयोग का नामांकित चित्र स्टेनले मिलर तथा हैराल्ड यूरे ने सन् 1953 में जीवन की उत्पत्ति के सम्बन्ध में जैव-रासायनिक सिद्धान्त (ओपेरिन वाद) के समर्थन में एक प्रयोग किया जिसे मिलर यूरे का प्रयोग कहते हैं। उन्होंने बड़े काँच के एक ना फ्लास्क में अमोनिया, मेथेन, हाइड्रोजन गैसों का
2 : 1: 2 के अनुपात में भर दिया, क्योंकि ये गैसें उस समय के वातावरण में इसी अनुपात में थीं। एक अन्य फ्लास्क को काँच की नली द्वारा बड़े फ्लास्क से जोड़ दिया। इस छोटे फ्लास्क में पानी भरकर इसे निरन्तर उबालते रहने का प्रबन्ध भी कर दिया ताकि जलवाष्प पूरे उपकरण में घूमती रहे आदि वातावरण में कड़कती बिजली का वातावरण उत्पन्न करने के लिए बड़े फ्लास्क में टंगस्टन के बने दो इलेक्ट्रोड लगाये। इन इलेक्ट्रोडों के बीच 60, चित्र-मिलर तथा यूरे का प्रयोग 000 वोल्ट की विद्युत् धारा को सात दिन तक प्रवाहित करके विद्युत् चिंगारियाँ उत्पन्न की।
फ्लास्क में बने गैसीय मिश्रण को ठण्डा करने के लिए संघनित्र का प्रयोग किया तथा प्राप्त द्रव को ‘U’ नली में एकत्र किया। प्रयोग के अन्त में ‘U’ नली में गहरा लाल रंग का द्रव बना, जिसका विश्लेषण करने पर इसमें ग्लाइसिन, ऐलेनिन तथा ऐस्पार्टिक अम्ल जैसे अमीनो अम्ल सहित शर्करा, वसीय अम्ल तथा अन्य कार्बनिक यौगिक पाये गये। ये सभी पदार्थ जीवद्रव्य में पाये जाते हैं। इस प्रयोग के आधार पर मिलर तथा यूरे ने ओपेरिनवाद या आधुनिकवाद का समर्थन करते हुए कहा कि आदि पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिए अनुकूल वातावरण (अपचायक) था। चूँकि आज का वातावरण ऑक्सीकारक है। अतः जीवन की उत्पत्ति वर्तमान में सम्भव नहीं है। इस प्रयोग से इस बात की पुष्टि हुई कि C, H, O तथा N के रासायनिक संयोग से महत्वपूर्ण विभिन्न जटिल कार्बनिक यौगिकों का निर्माण आदि पृथ्वी पर हुआ होगा जो जैविक विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 2.
जीवन की उत्पत्ति के आधुनिक सिद्धान्त पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर
जीवन की उत्पत्ति के आधुनिक सिद्धान्त का प्रतिपादन रशियन वैज्ञानिक ओपेरिन ने किया। इस मत के अनुसार जीवन की उत्पत्ति आदि पृथ्वी के समुद्री जल में उपस्थित रासायनिक पदार्थों के विशिष्ट ढंग से संगठित होने के कारण निम्नलिखित चरणों में हुई
(i) पृथ्वी तथा उसके वातावरण का निर्माण-सबसे पहले पृथ्वी वायु के एक गोले के रूप में बनी जो ठण्डी होकर ठोस रूप में बदल गयी। इसके भारी तत्व केन्द्र में तथा हल्के तत्व बाहर की तरफ व्यवस्थित हुए। सबसे बाहर चार तत्व H, C,O तथा N थे। इनमें O, मुक्त रूप में नहीं थी। इन चार तत्वों से
H2, H2O2,CH4, NH3, CO2, एवं HCN आदि पदार्थ बने।
(ii) लघु कार्बनिक अणुओं का निर्माण- ऊपर वर्णित यौगिक व्यवस्थित होकर सरल कार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित हो गये
(iii) बहुलकों का निर्माण-उपर्युक्त प्रकार से बने सभी पदार्थ जल में घुले थे। इन सभी ने बहुलीकरण द्वारा जटिल रसायनों का निर्माण किया
- शर्कराएँ + शर्कराएँ → पॉलिसैकेराइड
- वसीय अम्ल + ग्लिसरॉल → वसाएँ
- नाइट्रोजनी क्षार + शर्करा + फॉस्फेट → ऐडीनोसीन फॉस्फेट
- अमीनो अम्ल + अमीनो अम्ल → प्रोटीन
- नाइट्रोजनी क्षार + शर्करा → न्यूक्लियोसाइड
- न्यूक्लियोटाइड + न्यूक्लियोटाइड → न्यूक्लिक ऐसिड।
(iv) अणु समूहों एवं प्राथमिक कोशिका का निर्माण-इनमें प्रोटीन अणुओं ने व्यवस्थित होकर दीर्घाणु बनाये, जिन्हें माइक्रोस्फीयर्स कहा गया। माइक्रोस्फीयर्स ने संगठित होकर कोएसरवेट का निर्माण किया। इसके बाद कोएसरवेट तथा न्यूक्लिक ऐसिड ने मिलकर ऐसी इकाई का निर्माण किया, जिसमें स्व-द्विगुणन तथा आनुवंशिक नियन्त्रण पाया जाता था। इसके चारों ओर प्लाज्मा झिल्ली बनी। यह पृथ्वी आरम्भिक कोशिका थी, जिसमें जल में उपस्थित दूसरे रसायन भी संयुक्त हो गये। कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, न्यूक्लिक ऐसिड, ऐडीनोसीन फॉस्फेट , लवण-प्रथम कोशिका
(v) आरम्भिक जीवों में जैव-रासायनिक क्रियाओं का विकास-प्रारम्भिक जीव वातावरण में उपस्थित रासायनिक पदार्थों को ही भोजन के रूप में लेते थे अर्थात् ये विषमपोषी थे। इनसे उत्परिवर्तन तथा प्राकृतिक चयन के द्वारा रसायन संश्लेषी जीव बने जिनसे नीले हरे शैवालों का उत्परिवर्तन तथा चयन द्वारा विकास हुआ। जिसके कारण वातावरण में O2, बनी, जिसे ऑक्सीजन क्रान्ति कहा गया। स्वतंत्र O2, बनने से ऑक्सी-श्वसन का विकास हुआ और जीवों को पर्याप्त ऊर्जा मिली जिसके कारण इनके विकास दर में वृद्धि हुई। इनसे ही यूकैरियोटिक जीव विकसित हुए।
(vi) विकसित जीवों का निर्माण-यूकैरियॉटिक कोशिका वाले जीव जैव विकास के द्वारा विकसित जीव जातियों में बदल गये।
प्रश्न 3.
मिलर तथा यूरे द्वारा किये गये प्रयोग के आधार पर पृथ्वी के समुद्री जल में विभिन्न कार्बनिक अणुओं के निर्माण की प्रक्रिया लिखिए।
उत्तर
मिलर तथा यूरे ने प्रयोग द्वारा ओपेरिनवाद को प्रमाणित किया। उन्होंने प्राथमिक पृथ्वी जैसा वातावरण बनाकर देखा कि ओपेरिन के बताये अनुसार ही जल में कार्बनिक पदार्थों का संश्लेषण निम्नलिखित प्रकार से हुआ
(i) आदि पृथ्वी पर उपस्थित चार तत्व H, C, O, (O, स्वतन्त्र नहीं) एवं N ने मिलकर H2, H2O, CH4, NH3, CO2, एवं HCN बनाये।
(ii) उपर्युक्त तत्वों से पृथ्वी के समुद्री जल में निम्न प्रकार से कार्बनिक अणु बने
(iii) उपर्युक्त प्रकार से बनने वाले सभी कार्बनिक पदार्थों ने बहुलीकरण के द्वारा कार्बनिक पदार्थों के दीर्घ अणुओं का संश्लेषण किया
- शर्करा + शर्करा = पॉलिसैकेराइड (कार्बोहाइड्रेट)
- वसीय अम्ल + ग्लिसरॉल = वसाएँ
- अमीनो अम्ल + अमीनो अम्ल = प्रोटीन
- नाइट्रोजनी क्षार + शर्करा = न्यूक्लियोसाइड
- न्यूक्लियोसाइड + PO4 = न्यूक्लियोटाइड
- न्यूक्लियोटाइड + न्यूक्लियोटाइड = न्यूक्लिक ऐसिड
- नाइट्रोजनी क्षार + शर्करा + PO4 = ऐडीनोसीन फॉस्फेट।
(iv) उपर्युक्त कार्बनिक पदार्थ तथा लवणों ने संगठित होकर प्रथम जीव का निर्माण किया।
प्रश्न 4.
सरीसृप तथा पक्षी वर्ग की संयोजक कड़ी किसे कहते हैं ? इसके लक्षण लिखिए।
उत्तर
आर्कियोप्टेरिक्सको सरीसृप तथा पक्षी वर्ग की संयोजक कड़ी माना जाता है । यह लगभग 140 मिलियन वर्ष पूर्व पाये जाने वाले एक जीव का जीवाश्म है । जिसे एण्ड्रियास बेगनर ने सन् 1861 में प्राप्त किया था। इसमें सरीसृप तथा पक्षियों के निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं
1. सरीसृपों के लक्षण-
- अस्थियाँ सरीसृपों के समान वायु रहित।
- कशेरुक युक्त पूँछ।
- जबड़ों में दाँत तथा शरीर पर शल्क उपस्थित ।
- मेटाकार्पल्स स्वतंत्र तथा पेल्विक गर्डिल सरीसृपों के समान।
2. पक्षियों के लक्षण-
- शरीर पर परों (Feathers) की उपस्थिति
- अग्रबाहु पंख में रूपान्तरित।
- करोटि बड़ी तथा एककन्दीय (Monocondylic)
- जबड़े बढ़कर चोंच में रूपान्तरित
- Hallix पीछे की ओर मुड़ा तथा नुकीला।
प्रश्न 5.
डार्विन के प्राकृतिक वरणवाद को समझाइए।
अथवा
जीवधारियों की विभिन्न जातियों के उद्भव के सम्बन्ध में डार्विन के क्या विचार हैं ?
उत्तर
डार्विन के प्राकृतिक वरणवाद के अनुसार जीव, विविधता, अनुकूलन की वंशागतिकी तथा प्राकृतिक वरण द्वारा नयी जातियों को निम्नलिखित चरणों में पैदा करते हैं
1. अति उत्पादन क्षमता-जीवधारियों में सन्तान उत्पत्ति की अत्यधिक क्षमता होती है। कुछ जीवों में यह क्षमता करोड़ों, अरबों वर्षों तक होती है, परन्तु वातावरण में परिवर्तन, रोग, भोजन, जल, वायु, प्रकाश के लिए प्रतियोगिता के कारण संख्या सीमित बनी रहती है।
2. जीवन संघर्ष-अधिक सन्तानोत्पत्ति के बावजूद किसी सीमित क्षेत्र में भोजन, वायु, प्रकाश, जल की एक निश्चित मात्रा ही उपलब्ध होती है। अत: नये उत्पादित जीवों में जीवन के चीजों के लिए आपस में संघर्ष होता है। यह संघर्ष एक जाति के सदस्यों के बीच, दूसरी जातियों से तथा वातावरणीय कारकों से भी होता है।
3. विभिन्नताएँ एवं आनुवंशिकता-एक ही जाति के जीवों में पाये जाने वाली भिन्नताओं या अन्तर को विभिन्नता कहते हैं। विभिन्नताएँ जीवन संघर्ष के दौरान विविध परिस्थितियों के अनुकूलन के कारण पैदा होती हैं। उपयोगी विभिन्नता वाले जीवों में अधिक सामर्थ्य होने के कारण जीवन बना रहता है, जबकि अनुपयोगी भिन्नताएँ जीवों को क्रमशः समाप्त कर देती हैं। उपयोगी विभिन्नता वाले जीव अपना गुण संततियों में पहुँचाये रहते हैं। इस वंशागति से ही नयी जातियों का उद्भव होता है।
4. समर्थ का जीवत्व-जीवन संघर्ष में योग्यतम अर्थात् उपयोगी विभिन्नताओं वाले जीव सफल होते हैं। प्रकृति इन जीवों का संरक्षण करती है तथा इन सन्ततियों में भिन्नताएँ एकत्रित होती जाती हैं, जबकि जो जीव प्रकृति के अनुरूप और अनुकूल अपने आप को नहीं रख पाते हैं धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं। समर्थ का जीवत्व तथा असमर्थ की मृत्यु को ही प्राकृतिक वरण कहा जाता है।
5. वातावरण के प्रति अनुकूलन-वातावरण निरन्तर परिवर्तनशील है। इस परिवर्तन के अनुकूल या अनुरूप जो जीव अपने आपको योग्य नहीं बना पाता उसमें विकृतियाँ जन्म लेती हैं और वह नष्ट हो जाती है, जबकि जो जीव प्रकृति के अनुरूप योग्य बना रहता है वह जीवित रहता है। मीसोजोइक युग के विशालकाय सरीसृपों का साम्राज्य वातावरण की बदली परिस्थितियों के प्रति अपने अनुकूल न बना पाने के कारण समाप्त हो गया।
6. नयी जातियों की उत्पत्ति-डार्विन के मतानुसार वातावरण के प्रति अनुकूलन से पैदा हुई विभिन्नताएँ धीरे-धीरे पीढ़ी-दर-पीढ़ी एकत्रित होती जाती हैं, जिससे एक जाति के जीव अपने पूर्वजों से भिन्न होते जाते हैं। धीरे-धीरे भिन्नताएँ इतनी बढ़ जाती हैं कि नये जीव एक अलग जाति के रूप में बदल जाते हैं।
प्रश्न 6.
जैव-विकास एक निरन्तर चलते रहने वाली प्रक्रिया है, समझाइए। जैव विकास के पक्ष में कोई तीन प्रमाण दीजिए।
उत्तर
जैव विकास अत्यन्त धीमी गति से अनवरत चलने वाली अदृष्टव्य (नहीं दिखने वाली) प्रक्रिया है, जिसका अध्ययन जीव इतिहास के अध्ययन से ज्ञात होता है। यदि हम भूगर्भीय चक्र के द्वारा घोड़े के विकास का अध्ययन करें तो पता चलता है कि करोड़ों वर्ष पूर्व घोड़ा, बकरी के बराबर था, लेकिन धीरे-धीरे आज के घोड़े में रूपान्तरित हो गया। जैव विकास के प्रमाण-जैव विकास के पक्ष में तीन प्रमाण निम्नानुसार हैं-
1. भ्रूणिकी से प्रमाण (Evidences from embryology)-किसी जीव के भ्रूणीय विकास को व्यक्तिवृत्ति (Ontogeny) कहते हैं, जबकि किसी जाति के विकास को जातिवृत्ति (Phylogeny) कहते हैं। हीकल के अनुसार, व्यक्तिवृत्ति जातिवृत्ति की पुनरावृत्ति करती है अर्थात् किसी जीव के भ्रूणीय विकास में वे सभी अवस्थाएँ पायी जायेंगी जिनसे होकर उसकी जाति का विकास हुआ है। अगर हम मनुष्य, पक्षी तथा मछली के भ्रूणीय विकासों का अध्ययन करें तो उनमें समानताएँ पायी जाती हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि मानव जाति का विकास मछली तथा पक्षी से होकर हुआ होगा अर्थात् भ्रूणिकी का अध्ययन जैव विकास को प्रमाणित करता है। .
2. जीवाश्मों से प्रमाण (Evidences from fossils)-यदि पुराने जीवों के अवशेषों अर्थात् जीवाश्मों का अध्ययन किया जाता है, तो यह देखने को मिलता है कि जो जीवधारी इस पृथ्वी पर एक समय प्रभावी रूप में उपस्थित थे वे आज नहीं हैं अथवा यदि हैं, तो उस रूप में नहीं हैं। उनमें काफी परिवर्तन हो चुका है। यह परिवर्तन सरल से जटिल की ओर दिखाई देता है जो इस बात को प्रमाणित करता है कि जैव विकास हुआ है। जीवाश्मों के सूक्ष्म अध्ययन से जैव विकास होने के प्रमाण के रूप में निम्नलिखित तथ्य सामने आते हैं-
- समय के साथ पृथ्वी की सतह एवं इसके बाद अकशेरुकी ओर सबसे अन्त में कशेरुकी जन्तु बने ।
- पुराने जीवाश्म रचना में सरल थे, जिनमें क्रम से जटिलता आती गयी इससे यह सिद्ध होता है कि विकास सरलता से जटिलता की ओर हुआ।
- सबसे पहले प्रोटोजोअन इसके बाद अकशेरुकी और सबसे अन्त में कशेरुकी जन्तु बने।
- कई जीवाश्म संयोजक कड़ी बनाते हैं। ये कड़ियाँ विकासात्मक सम्बन्धों को दर्शाती हैं ।
- कुछ जीव बनने के बाद पृथ्वी में हुए बड़े परिवर्तनों के प्रति अनुकूलित न होने के कारण विलुप्त हो गये।
- जन्तुओं में स्तनी तथा पादपों में आवृत्तबीजी सबसे विकसित एवं आधुनिक जीव हैं।
- जीवाश्मों का अध्ययन कई जीवों जैसे-घोड़े, हाथी, पक्षी एवं मनुष्य के पूर्ण विकास को समझकर जैव विकास होने को प्रमाणित करता है।
3.शरीर रचना से प्रमाण (Evidences from anatomy)-शरीर रचना से जैव विकास को निम्नलिखित अंगों के उदाहरण द्वारा समझाया जा सकता है
- समजात अंग-जीवों के वे अंग जो रचना उत्पत्ति में समान होते हैं, समजात अंग कहलाते हैं जैसेमनुष्य का हाथ, घोड़े का अग्रपाद, व्हेल के फ्लिपर, चमगादड़ के पंख आदि समजात अंग इस बात को प्रमाणित करते हैं कि इन जीवों में विकासात्मक सम्बन्ध है अर्थात् जीवों में जैव विकास हुआ है।
- समवृत्ति अंग-वे अंग जो रचना उत्पत्ति में भिन्न-भिन्न होते भी एकसमान कार्य करते हैं समवृत्ति अंग कहलाते हैं, जैसे-‘चमगादड़ तथा तितली के पंख। ये अंग इस बात को प्रमाणित करते हैं कि इन अंगों को धारण करने वाले जीव विकासात्मक दृष्टि से भिन्नता प्रदर्शित करते हैं।
- अवशेषी अंग-वे अंग जो जीव शरीर में तो होते हैं, लेकिन कोई कार्य नहीं करते अवशेषी अंग कहलाते हैं। इस को दर्शाते हैं कि क्रियाशील रहे होंगे, लेकिन अनुकूलन के कारण निष्क्रिय या कम विकसित हो गये। अर्थात् ये जीवों में होने वाले परिवर्तन या जैव विकास को प्रमाणित करते हैं।
प्रश्न 7.
जीवों के अन्तर्सम्बन्ध जैव विकास की प्रक्रिया को समझने में कहाँ तक सहायक हैं ? विवेचना कीजिए।
उत्तर
ऊपर से भिन्न दिखने वाले जीव कई रूपों में समानता प्रदिर्शित करते हैं, उसे ही जीवों का अन्तर्सम्बन्ध कहते हैं। जीवों के बीच अन्तर्सम्बन्ध इस बात को प्रमाणित करते हैं कि ये जीव आपस में घनिष्ठतापूर्वक जुड़े हैं और उनका विकास एक समान जीवों से हुआ है। जीवों के बीच पाये जाने वाले अन्तर्सम्बन्ध को निम्नलिखित उदाहरणों से समझा जा सकता है
- चाहे जीवों में कितनी ही विविधता हो, लेकिन सभी जीव अपने पर्यावरण से ऊर्जा एवं पदार्थ ग्रहण करते हैं ।
- सभी जीव जीवन को बनाये रखने के लिए पदार्थ एवं ऊर्जा का उपयोग करते हैं ।
- सभी जीव गुणन एवं प्रजनन करते हैं, जिसके ढंग में मूलभूत समानता पायी जाती है।
- सभी जीव समान सिद्धान्तों के अनुसार ही आनुवंशिक गुणों का संचरण करते हैं ।
- सभी जीव राइबोसोम में प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं, जिनके चरण भी समान होते हैं ।
- सतही तौर पर एकदम अलग दिखने वाले जीवाणु, पादप तथा विकसित जन्तु श्वसन करते हैं, जिनके चरण भी एक जैसे होते हैं।
- सभी जीवो की कोशिकाओं में सूचनाओं का प्रवाह केन्द्रकीय अम्लों तथा ऊर्जा का प्रवाह ATP के द्वारा ही होता है।
- सभी जीवों में DNA का द्विगुणन एक जैसा ही होता है।