MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 1 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली

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MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली

निम्नलिखित के मान ज्ञात कीजिए-
प्रश्न 1.
cos-1(cos\(\frac{13 \pi}{6}\))
हल:
माना y = cos-1(cos\(\frac{13 \pi}{6}\))
cos-1 की मुख्य मान शाखा का परिसर [0, π] है।
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प्रश्न 2.
tan-1(tan\(\frac{7 \pi}{6}\))
हल:
माना y = tan-1(tan\(\frac{7 \pi}{6}\))
tan-1 की मुख्य मान शाखा का परिसर \(\left(-\frac{\pi}{2}, \frac{\pi}{2}\right)\) है।
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प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए-
2 sin-1\(\frac{3}{5}\) = tan-1 \(\frac{24}{7}\)
हल:
2 sin-1\(\frac{3}{5}\) = tan-1 \(\frac{24}{7}\)
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प्रश्न 4.
सिद्ध कीजिए
sin-1\(\frac{8}{17}\) + sin-1\(\frac{3}{5}\) = tan-1\(\frac{77}{36}\)
हल:
यहाँ sin-1\(\frac{8}{17}\) + sin-1\(\frac{3}{5}\) = tan-1\(\frac{77}{36}\)
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प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए-
cos-1\(\frac{4}{5}\) + cos-1\(\frac{12}{13}\) = cos-1\(\frac{33}{65}\)
हल:
cos-1\(\frac{4}{5}\) + cos-1\(\frac{12}{13}\) = cos-1\(\frac{33}{65}\)
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प्रश्न 6.
सिद्ध कीजिए-
cos-1\(\frac{12}{13}\) + sin-1\(\frac{3}{5}\) = sin-1\(\frac{56}{65}\)
हल:
cos-1\(\frac{12}{13}\) + sin-1\(\frac{3}{5}\) = sin-1\(\frac{56}{65}\)
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प्रश्न 7.
सिद्ध कीजिए-
tan-1\(\frac{63}{16}\) = sin-1\(\frac{5}{13}\) + cos-1\(\frac{3}{5}\)
हल:
R.H.S. = sin-1\(\frac{5}{13}\) + cos-1\(\frac{3}{5}\)
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प्रश्न 8.
सिद्ध कीजिए-
tan-1\(\frac{1}{5}\) + tan-1\(\frac{1}{7}\) + tan-1\(\frac{1}{3}\) + tan-1\(\frac{1}{8}\) = \(\frac{\pi}{4}\)
हल:
L.H.S.
(tan-1\(\frac{1}{5}\) + tan-1\(\frac{1}{7}\)) + (tan-1\(\frac{1}{3}\) + tan-1\(\frac{1}{8}\))
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सिद्ध कीजिए
प्रश्न 9.
tan-1\( \sqrt{{x}} \) = \(\frac{1}{2} \) cos-1\(\left(\frac{1-x}{1+x}\right)\), x ϵ [0, 1]
हल:
माना x = tan2θ ⇒ θ = tan-1\( \sqrt{{x}} \)
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प्रश्न 10.
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हल:
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प्रश्न 11.
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हल:
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प्रश्न 12.
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हल:
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निम्नलिखित समीकरणों को सरल कीजिए।
प्रश्न 13.
2 tan-1(cosx) = tan-1(2cosec x)
हल:
2 tan-1(cosx) = tan-1(2 cosecx)
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प्रश्न 14.
tan-1\(\frac{1-x}{1+x}=\frac{1}{2}\)tan-1 x, (x > 0)
हल:
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प्रश्न 15.
sin (tan-1x), |x| < 1 बराबर होता है-
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हल:
sin (tan-1x)
माना tan-1x = θ
x = tanθ
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प्रश्न 16.
यदि sin-1(1 – x) – 2 sin-1 x = \(\frac{\pi}{2}\), तो x का मान बराबर है-
(A) 0, \(\frac{1}{2}\)
(B) 1, \(\frac{1}{2}\)
(C) 0
(D) \(\frac{1}{2}\)
हल:
sin-1(1 – x) – 2sin-1 x = \(\frac{\pi}{2}\)
हम जानते हैं, \(\frac{\pi}{2}\) = sin-1(1 – x) + cos-1(1 – x)
∴ sin-1 (1 – x) – 2sin-1 x = sin-1 (1 – x) + cos-1 (1 – x)
⇒ -2sin-1 x = cos-1 (1 – x) … (1)
माना sin-1x = θ
∴ x = sin θ
∴ cos 2θ = 1 – 2sin2 θ = 1 – 2x2
cos (-2θ) = 1 – 2x2
-2θ = cos-1 (1 – 2x2)
-2sin-1 x = cos-1 (1 – 2x2) …(2)
समीकरण (1) व (2) से,
cos-1(1 – 2x2) = cos-1 (1 – x)
1 – 2x2 = 1 – x
x2 – 2x2 = 0
x(1 – 2x2) = 0 = x = 0, x = \(\frac{1}{2}\)
x = \(\frac{1}{2}\) समीकरण को सन्तुष्ट नहीं करता है।
∴ x = 0
अतः विकल्प (C) सही है।

प्रश्न 17.
tan-1\(\left(\frac{x}{y}\right)\) – tan-1\(\frac{x-y}{x+y}\) का मान है-
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हल:
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MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.3

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MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.3

प्रश्न 1.
मान लीजिए कि f:{1, 3, 4} → {1, 2, 5} तथा g:{1, 2, 5} → {1, 3}, f = {(1, 2), (3, 5), (4, 1)} तथा g = {(1, 3), (2, 3), (5, 1)} द्वारा प्रदत्त है।g of ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है:
f = {(1, 2), (3, 5)(4, 1)}
तथा g = {(1, 3),(2, 3), (5, 1)}
∴ gof(1) = g (f (1))
= g(2)
= 3
gof(3) = g(f (3))
= g(5)
= 1
तथा g of(4) = g(f(4))
= g(1)
= 3
∴ gof = {(1, 3), (3, 1), (4, 3)}

प्रश्न 2.
मान लीजिए कि f,g तथा h, R से R तक दिए फलन हैं। सिद्ध कीजिए कि
(f + g)oh = foh + goh
(f.g)oh = (foh).(goh)
हल:
दिया है:
f: R → R, g: R → R, h: R → R
∴ (fog)oh(x) = (g + g)(h (x))
= g(h (x)) + g (h (x))
= (foh) (x) + (goh) (x)
= (foh + goh) (x)
∴ f(f + g) oh = foh + goh
पुनः (f.g) oh(x) = (f.g)(h (x))
= f (h (x)).g(h (x))
= (foh)x (goh) (x)
= [(goh) (goh)](x)
∴ (f.g)oh = (foh) (goh)

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प्रश्न 3.
gof तथा fog ज्ञात कीजिए, यदि
(i) f(x) = |x| तथा g(x) = |5x – 2|
(ii) f(x) = 8x3 तथा g(x) = x1/3
हल:
(i) ∵ f(x) = |x|
तथा g(x) = [5x – 2||
∴ gof(x) = g[f (x)]
= g[/x]
= |5 |x – 2|
तथा fog (x) = f|g(x)|
= f (|5x – 2|)
= |5x – 2|
= |5x – 2|

(ii) ∵ f(x) = 8x3
तथा g(x) = x1/3
∴ gof(x) = g[f (x)]
= g(8x3)
= (8x3)1/3
= 2x
तथा fog(x) = f[g(x)]
= f(x1/3)
= 8(x1/3)3
= 8x

प्रश्न 4.
यदि f(x) = \(\frac{(4 x+3)}{6 x – 4}\), x ≠ \(\frac{2}{3}\), तो सिद्ध कीजिए कि सभी x ≠ \(\frac{2}{3}\) के लिए f0f(x) = x है। का प्रतिलोम फलन क्या है?
हल:
दिया है :
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⇒ y (6x – 4) = 4x + 3
⇒ 6xy – 4y = 4x + 3
⇒ 6xy – 4x = 4y + 3
⇒ 6xy – 4x = 4y + 3
⇒ x = \(\frac{4 y+3}{6 y-4}\)
⇒ g(y) = f-1(y) = \(\frac{4 y+3}{6 y-4}\)
अतः f का प्रतिलोम f ही है।

प्रश्न 5.
कारण सहित बतलाइए कि क्या निम्नलिखित फलनों के प्रतिलोम हैं-
(i) f:{1, 2, 3, 4} → {10} जहाँ
f = {(1, 10), (2, 10), (3, 10), (4, 10)}
(ii) g : {5, 6, 7, 8} → {1, 2, 3, 4} जहाँ
g = {(5, 4), (6, 3), (7, 4),(8, 2}}
(iii) h: {2, 3, 4, 5} → {7, 9, 11, 13} जहाँ
h = {(2, 7), (3, 9), (4, 11), (5, 13)}
हल:
(i) दिया है : f :{1, 2, 3, 4} → {10) जहाँ
f = {(1, 10),(2, 10), (3, 10),(4, 10)}
∵ f(1) = 10, f(2) = 10, f(3) = 10, f(4) = 10
⇒ f(1) = f(2) = f(3) = f(4)
∴ f एकैक नहीं है।
अतः दिए गये फलन का प्रतिलोम नहीं है।

(ii) g = {5, 6,7, 8} → 1, 2, 3, 4) जहाँ
g = {(5, 4), (6, 3),(7, 4), (8, 2)}
∴ g (5) = 4 तथा g (7) = 4
∵ (5) = g (7) = 4
∴ एकैक नहीं है।
अतः दिये गये फलन का प्रतिलोम नहीं है।

(iii) h : {2, 3, 4, 5} → {7, 11, 13} जहाँ
h = {(2, 7),(3, 9),(4, 11), (5, 13)}
∴ h (2) = 7, h (3) = 9, h (4) = 11 तथा h (5) = 13
∴ h एकैक है
अतः दिए गए फलन (h) का प्रतिलोम है।

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प्रश्न 6.
सिद्ध कीजिए कि f:[- 1, 1] → R, f(x) = \(\frac{x}{x+2}\), द्वारा प्रदत्त फलन एकैकी है। फलन f: [- 1, 1] → (f का परिसर), का प्रतिलोम फलन ज्ञात कीजिए।
हल:
यदि f(x1) = f(x2) तब,
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प्रश्न 7.
f(x) = 4x + 3 द्वारा प्रदत्त फलन f : R → R पर विचार कीजिए। सिद्ध कीजिए कि f व्युत्क्रमणीय है। का प्रतिलोम फलन ज्ञात कीजिए।
हल:
फलन f : R → R निम्न द्वारा परिभाषित है
f(x) = 4x + 3
यदि f(x1) = f(x2)
⇒ 4x1 + 3 = 4x2 + 3
⇒ x1 = x2
∴ f एकैक है।
तथा माना f(x) = y = 4x + 3
⇒ 4x = y – 3
⇒ x = \(\frac{y-3}{4}\) = g(y)
सहप्रान्त (Co – domain) प्रत्येक अवयव yE R का प्रान्त (do main) में पूर्व प्रतिबिम्ब (pre image) है।
∴ f आच्छादक (onto) है
अतः f एकैक और आच्छादक है।
अत: f व्युत्क्रमणीय है।
∴ f का प्रतिलोम फलन
f-1 (y) = g(y)
= \(\frac{y-3}{4}\)

प्रश्न 8.
f(x) = x2 + 4 द्वारा प्रदत्त फलन f : R → [4, ∞) पर विचार कीजिए। सिद्ध कीजिए कि f व्युत्क्रमणीय है तथा f का प्रतिलोम f-1, f-1(y) = \(\sqrt{y-4}\), द्वारा प्राप्त होता है, जहाँ R सभी ऋणेत्तर वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है।
हल:
यदि f (x1) = f(x2)
⇒ x12 + 4 = x12 + 4
⇒ x12 = x12 = x1 = x2
( ∵ x ϵ R+
∴ x > 0)
∴ f एकैक है।
माना y = f(x) = x2 + 4
= x2 + 4 = y
x2 = y – 4 = x = ±\(\sqrt{y-4}\)
लेकिन x धनात्मक है।
∴ x = \(\sqrt{y-4}\)
∴ f आच्छादक है।
अतः फलन f व्युत्क्रमणीय है।
∴ f का प्रतिलोम फलन
f-1(y) = g(y)
= \(\sqrt{y-4}\) , y ≥ 4
∀ y ≥ 4, 8 (y) एक धनात्मक मान है।
अतः f का प्रतिलोम फलन = \(\sqrt{y-4}\)

प्रश्न 9.
f(x) = 9x2 + 6x – 5 द्वारा प्रदत्त फलन f: R → [ – 5, ∞) पर विचार कीजिए। सिद्ध कीजिए कि f व्युत्क्रमणीय है तथा f-1 = \(\left(\frac{(\sqrt{y+6}-1)}{3}\right)\) है।
हल:
दिया है : f(x) = 9x2 + 6x – 5 तथा f: R → [ – 5, ∞)
माना y = 9x2 + 6x – 5
= (3x + 1)2 – 6
⇒ y + 6 = (3x + 1)2 ⇒ 3x + 1 = \(\sqrt{y+4}\)
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प्रश्न 10.
मान लीजिए कि f: x → y व्युत्क्रमणीय फलन है। सिद्ध कीजिए कि f का प्रतिलोम फलन अद्वितीय (unique) है।
हल:
∵ यदि f एक व्युत्क्रमणीय है।
∴ gof (x) = Ix और fog (y) = Iy
⇒ f एकैक तथा आच्छादक है।
माना g1 व g2, f के दो प्रतिलोम फलन हैं।
∴ fog1 (y) = Iy तथा g0g2(y) = Iy
Iy दिए गये फलन f के लिए अद्वितीय है
∴ g1(9) = g2 (y) ⇒ f एकैक और आच्छादक है
अतः f का प्रतिलोम फलन अद्वितीय है।

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प्रश्न 11.
f: {1, 2, 3} → {a, b, c}, f(1) = a, f(2) = b तथा f(3) = c द्वारा प्रदत्त फलन पर विचार कीजए। f-1 ज्ञात कीजिए और सिद्ध कीजिए कि (f-1)-1 = f है।
हल:
दिया है :
f: {1, 2, 3} → a, b, d
तथा f(1) = a, f(2) = b, f (3) = c
माना x = {1, 2, 3} तथा y = {a, b, c}
इसलिए f: X → Y
∴ f-1 : Y → X
= f-1(a) = 1, f-1(b) = 2, f-1(c) = 3
इस फलन का प्रतिलोम फलन हम इस प्रकार से भी लिख सकते हैं
(f-1)-1 : x → y
⇒ (f-1)-1(1) = a, (f-1)-1
(2) = b, (f-1)-1(3) = c
इसलिए,
f: x → y
f(1) = a, f(2) = b, f(3) = c
अतः (f-1)-1 = f

प्रश्न 12.
मान लीजिए कि f:x → Y एक व्युत्क्रमणीय फलन है सिद्ध कीजिए कि f-1 का प्रतिलोम f, है अर्थात् (f-1)-1 = f है।
हल:
f:x → Y एक व्युत्क्रमणीय फलन है।
∴ f एकैक तथा आच्छादक है।
⇒ g: y → x, जहाँ भी एकैक और आच्छादक है
∴ gof (x) = Ix तथा fog (y) = Iy
⇒ g = f
अतः f-1 o(f-1)-1 = I
fo[f-1 o(f-1)-1] = foI
⇒ (f of-1) o(f-1)-1 = f
Io(f-1)-1 = f
⇒ (f-1)-1 = f

प्रश्न 13.
यदि f :R → R, f(x) = (3 – x3)1/3, द्वारा प्रदत्त है तो fof(x) बराबर है.
(A) x1/3
(B) x3
(C) x
(D) (3 – x3)
हल:
दिया है : f(x) = (3 – x3)1/3 तथा f: R → R
∴ fof(x) = f[f(x)] = [[(3 – x2)1/3]
= [3 – {(3 – x3 )1/3}3}]1/3
= [3 – (3 – x3)]1/3 = x
अतः विकल्प (C) सही है।

प्रश्न 14.
मान लीजिए कि f(x) = \(\frac{4 x}{3 x+4}\) द्वारा परिभाषित एक फलन f: R – 1 – \(\left\{-\frac{4}{3}\right\}\) → R है। f का प्रतिलोम, अर्थात् प्रतिचित्र (Map) g : परिसर f → R – \(\left\{-\frac{4}{3}\right\}\), निम्नलिखित में से किसके द्वारा प्राप्त होगा-
MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.3 img 4
हल:
दिया है : f(x) = \(\frac{4 x}{3 x+4}\) तथा f: R – \(\left\{-\frac{4}{3}\right\}\) → R
माना y = \(\frac{4 x}{3 x+4}\)
∴ y(3x + 4) = 4x या 3xy + 4y = 4x
⇒ x(3y – 4) + 4y = 0
⇒ x = \(\frac{4 y}{4-3 y}\) = g(y)
अतः विकल्प (B) सही है।

MP Board Class 12th Maths Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.1

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MP Board Class 12th Maths Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.1

प्रश्न 1.
निर्धारित कीजिए कि क्या निम्नलिखित सम्बन्धों में से प्रत्येक स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक हैं –
(i) समुच्चय A = {1, 2, 3,….13, 14} में सम्बन्ध R, इस प्रकार परिभाषित है कि
R= {(x, y): 3x – y = 0}
(ii) प्राकृत संख्याओं के समुच्चय N में R = {(x, y): y = x + 5 तथा x < 4} द्वारा परिभाषित सम्बन्ध R.
(iii) समुच्चय A = {1, 2, 3, 4, 5, 6} में R = {(x, y) : y भाज्य है x से} द्वारा परिभाषित सम्बन्ध R है।
(iv) समस्त पूर्णांकों के समुच्चय z में R = {(x, y): x – y एक पूर्णांक है } द्वारा परिभाषित सम्बन्ध R.
(v) किसी विशेष समय पर किसी नगर के निवासियों के समुच्चय में निम्नलिखित सम्बन्ध R.
(a) R = {(x, y): x तथा y एक ही स्थल पर कार्य करते
(b) R = {(x, y): x तथा ‘एक ही मोहल्ले में रहते हैं।}
(c) R = {(x, y) : x, y से ठीक – ठीक 7 सेमी लम्बा है।}
(d) R = {(x, y): x, y की पत्नी है।।
(e) R = {(x, y): x, y के पिता हैं।}
हल:
(i) दिया है : A = {1, 2, 3,….13, 14}
तथा R = {(x, y) : 3x – y = 0}
(a) y = x रखने पर,
3x – x ≠ 0 [∵x ≠ 0]
इसलिए R स्वतुल्य नहीं है।
(b) x और y को आपस में बदलने पर,
यदि 3x – y = 0, 3y – x ≠ 0
इसलिए R सममित नहीं है।
(c) यदि 3x – y = 0, 3y – z = 0 तब 3y – z ≠ 0.
इसलिए R संक्रामक नहीं है।
अतः R स्वतुल्य सममित तथा संक्रामक नहीं है।

(ii) प्राकृत संख्याओं का समुच्चय A = {1, 2, 3, 4,….}
R = {(x, y): y= x + 5, x < 4}
= {(1, 6), (2, 7), (3, 8)}
स्पष्ट है यह सम्बन्ध स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक नहीं है।

(iii) दिया है :
A = {1, 2, 3, 4, 5, 6 8}
R = {(x, y) : y संख्या x से भाज्य है।
= {1, 1), (1, 2), (1, 3), (1, 4), (1, 5), (1, 6) (2, 2), (2, 4), (2, 6), (3, 3), (3, 6), (4, 4) (5, 5), (6, 6)}
(a) (1, 2), (2, 2), (3, 3), (4, 4), (5, 5), (6, 6) ϵ R
इसलिए R स्वतुल्य है।

(b) यदि ” संख्या x से भाज्य है तो x संख्या ” से भाज्य नहीं है।
जैसे – (1, 2) ϵ R परन्तु (2, 1) ∉ R
इसलिए R सममित नहीं है।

(c) (1, 2), (2, 4) ϵ R, (1, 4) भी R में है।
इसी प्रकार (1, 3), (3, 6) ϵ R तब (1, 6) ϵ R
इसलिए, R संक्रामक है।
अतः R स्वतुल्य तथा संक्रामक है परन्तु सममित नहीं है।

(iv) A = पूर्णांकों का समुच्चय
{… – 3, – 2, – 1, 0, 1, 2, 3,…}
तथा R = {(x, y) : x – y एक पूर्णांक है}
(a) y = x रखने पर,
x – x = 0, एक पूर्णांक है। एक
इसलिए R स्वतुल्य है।

(b) x – y और y – x दोनों ही पूर्णांक हैं।
इसलिए R सममित नहीं है।

(c) x – y और y – z दोनों ही पूर्णांक हैं तथा x – z भी पूर्णांक हैं।
इसलिए R संक्रामक है।
अतः R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है। उत्तर

(v) माना A = किसी विशेष समय पर किसी नगर में रहने – वालों का समुच्चय
(a) R = {(x, y) : x तथा y एक ही स्थान पर कार्य करते हैं।
∴ R स्वतुल्य है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति उस नगर में उस विशेष समय पर कार्यरत है।
R सममित है, क्योंकि x, y एक ही स्थान पर एक समय पर _ कार्यरत हैं तो y, z भी उसी स्थान पर उस समय कार्यरत हैं।
R संक्रामक है, क्योंकि x, y तथा y, एक नगर में एक ही समय पर कार्यरत हैं तो उस नगर में उसी समय x, z भी कार्यरत
अतः स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है।

(b) R = {(x, y) : x तथा y एक ही मोहल्ले में रहते हैं।
R स्वतुल्य है, क्योंकि उस स्थान का प्रत्येक व्यक्ति वहीं पर रहता है।
R सममित है, क्योंकि और एक स्थान पर रहते हैं तो उसी स्थान पर y और x भी रहते हैं।
R संक्रामक है, क्योंकि x, y तथा y, z एक स्थान पर रहते हैं तो x, z भी उसी स्थान पर रहते हैं।
अतः R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक है।

(c) R = {(x, y}): z, y से ठीक – ठीक 7 सेमी लम्बा है}.
R स्वतुल्य नहीं है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने से 7 सेमी अधिक लम्बा नहीं हो सकता।
R सममित नहीं है, क्योंकि y, x से ठीक 7 सेमी अधिक लम्बा हो तो x, y से 7 सेमी लम्बा नहीं हो सकता।
R संक्रामक नहीं है, क्योंकि x, y से तथा y, x से ठीक 7 सेमी लम्बे तो x, 2 से ठीक 7 सेमी अधिक लम्बे नहीं हैं।
अतः R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक में से कोई भी नहीं है।

(d) R = {(x, y}) : x, y की पत्नी है।
R स्वतुल्य नहीं है, क्योंकि x अपनी ही पत्नी नहीं हो सकती हैं।
R सममित नहीं है, क्योंकि यदि x, y की पत्नी है तो y, x की पत्नी नहीं हो सकती।
R संक्रामक नहीं है, क्योंकि यदि x, y की पत्नी है तो y किसी की भी पत्नी नहीं है।
अतः R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक नहीं है।

(e) R = {(x, y) : x, y के पिता हैं।
R स्वतुल्य नहीं है, क्योंकि x अपना ही पिता नहीं हो सकता।
R सममित नहीं है, क्योंकि x, y का पिता है तो y, x का पिता नहीं हो सकता।
R संक्रामक नहीं है, क्योंकि x, y का y, z का पिता है तो x, z का पिता नही हो सकता।
अतः R स्वतुल्य, सममित तथा संक्रामक नहीं है।

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प्रश्न 2.
सिद्ध कीजिए कि वास्तविक संख्याओं के समुच्चय R में R = {(a, b):a ≤ b2 }, द्वारा परिभाषित संबंध R, न तो स्वतुल्य है, न सममित है और न ही संक्रामक है।
हल:
(i) ∵ a ≰ a2, समस्त a ϵ R जैसे \(\frac{1}{2}, \frac{1}{4}\) से छोटा नहीं हो सकता है।
अतः R स्वतुल्य नहीं है।
(ii) R सममित भी नहीं है क्योंकि यदि a ≤ b2 तब, b, a2 से छोटा अथवा बराबर नहीं हो सकता है। जैसे 2 < 72 लेकिन 7 ≰ 22
(iii) R न ही संक्रामक क्योंकि
यदि a ≤ b2, b ≤ c2 तब a, c2 से छोटा नहीं है जैसे 5 < 32, 3 < 22 लेकिन 5, 22 से छोटा नहीं है।

प्रश्न 3.
जाँच कीजिए कि क्या समुच्चय {1, 2, 3, 4, 5, 6} में R = {(a, b): b = a + 1} द्वारा परिभाषित संबंध R स्वतुल्य, सममित या संक्रामक है।
हल:
∵ a ≠ a + 1
∴ R स्वतुल्य नहीं है।
R सममित नहीं है क्योंकि यदि b = a + 1, तब a ≠ b + 1
R संक्रामक भी नहीं है क्योंकि यदि b = a + 1, c = b + 1, तब c = (a + 1) + 1 # a + 1

प्रश्न 4.
सिद्ध कीजिए कि R में R= {(a, b): a ≤ b}, द्वारा परिभाषित संबंध R स्वतुल्य तथा संक्रामक है किन्तु सममित नहीं है।
हल:
दिया है R = {(a, b): a ≤ b}
b के स्थान पर a रखने पर,
a ≤ a ⇒ a = a
सत्य है अतः R स्वतुल्य है।
पुनः यदि a ≤ b, लेकिन b ≤ a सत्य नहीं है
जैसे 2 < 3 लेकिन 3 ≮ 2 अतः R सममित नहीं है।
पुनः यदि a ≤ b और b ≤ c तब a ≤ c
जैसे 2 < 5, 5 < 8 ⇒ 2 < 8 इसलिए R संक्रामक है
अतः R स्वतुल्य तथा संक्रामक है किन्तु सममित नहीं है।

प्रश्न 5.
जाँच कीजिए कि क्या R में R= {(a, b): a ≤ b3} द्वारा परिभाषित संबंध स्वतुल्य, सममित अथवा संक्रामक है?
हल:
(i) ∵ a ≤ a3 सत्य नहीं है जैसे \(\frac{1}{3}\) ≮ \(\left(\frac{1}{3}\right)^{3}\)
∴ R स्वतुल्य नहीं है।
(ii) यदि a ≤ b3, लेकिन b ≰ a3; जैसे 2 ≤ 93, लेकिन 9 ≰ 23
∴ R सममित नहीं है।
(iii) यदि a ≤ b3 और b ≤ cv लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि a,c से छोटा होगा।
∴ R संक्रामक नहीं है।

प्रश्न 6.
सिद्ध कीजिए कि समुच्चय {1, 2, 3} में R={(1, 2), (2, 1)} द्वारा प्रदत्त संबंध R सममित है किंतु न तो स्वतुल्य है और न संक्रामक है।
हल:
(i) (1, 1), (2, 2), (3, 3) ∉ R
∴ R स्वतुल्य नहीं है।
(ii) ∵ (1, 2), (2, 1) ϵ R
∴ R सममित है।
(iii) ∵ (1, 2) और (2, 1) ϵ R, परन्तु (1, 1) ∉ R
∴ R संक्रामक नहीं है।

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प्रश्न 7.
सिद्ध कीजिए कि किसी कॉलेज के पुस्तकालय की समस्त पुस्तकों के समुच्चय A में R = {(x, y): x तथा y में पेंजों की संख्या समान है} द्वारा प्रदत्त सम्बन्ध र एक तुल्यता सम्बन्ध है।
हल:
A = किसी कॉलेज के पुस्तकालय की समस्त पुस्तको का समुच्चय
तथा R = {(x, y}): x तथा y में पेजों की संख्या समान है।
(i) R स्वतुल्य है, क्योंकि बराबर पृष्ठों वाली प्रत्येक पुस्तक में उतने ही पृष्ठ होंगे।
(ii) R सममित है, क्योंकि x, y पुस्तकों में पृष्ठ बराबर हैं तो y,x पुस्तकों में भी पृष्ठ बराबर होंगे।
(iii) R संक्रामक है, क्योंकि x, y तथा y, z पुस्तकों में पृष्ठ बराबर हैं तो x, z पुस्तकों में भी पृष्ठ बराबर होंगे।
अतः R तुल्यता सम्बन्ध है।

प्रश्न 8.
सिद्ध कीजिए कि A = {1, 2, 3, 4, 5} में, R= {(a, b):|a – b| सम है} द्वारा प्रदत्त संबंध R एक तुल्यता संबंध है। प्रमाणित कीजिए कि {1, 3, 5} के सभी अवयव एक दूसरे से संबंधित हैं और समुच्चय {2, 4} के सभी अवयव एक – दूसरे से संबंधित हैं परन्तु {1, 3, 5} का कोई भी अवयव {2, 4} के किसी अवयव से संबंधित नहीं है।
हल:
A = {1, 2, 3, 4, 5) तथा R = {(a, b):|a – b| सम है}
माना अवयव a, समुच्चय A का अवयव है
तब |a – a| = 0 सम है।
∴ R स्वतुल्य है।
यदि |a – b| सम है
तब, |b – a| भी सम होगा।
∴ R सममित है
पुनः a – c = a – b + b – c
यदि |a – b| तथा | b – सम हो तब,
उनका योग |a – b + b – c| भी सम होगा।
a |a – c| सम होगा।
∴ R संक्रामक है
अत: R एक तुल्यता संबंध है।
∵ |1 – 3| = |3 – 1| = 2
|3 – 5| = |5 – 3| = 2
तथा |1 – 5| = |5 – 1| = 4
जो कि सभी सम संख्याएँ हैं
इसलिए {1, 3, 5} के सभी अवयव एक दूसरे से संबंधित हैं।
इसी प्रकार {2, 4} के अवयव भी एक – दूसरे से संबंधित हैं। अब |1 – 2| = 1 जो कि सम संख्या नहीं है।
अतः {1, 3, 5) के अवयव {2, 4} से संबंधित नहीं है।

प्रश्न 9.
सिद्ध कीजिए कि समुच्चय A = {x ϵ z : 0 ≤ x ≤ 12}, में दिए गए निम्नलिखित संबंधों R में से प्रत्येक एक तुल्यता संबंध है :
(i) R = {(a, b): |a – b|, 4 का एक गुणज है}
(ii) R = {(a,b): a = b};
प्रत्येक दशा में 1 से संबंधित अवयवों को ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है समुच्चय
A = {x ϵ z : 0 ≤ x ≤ 12}
= {0, 1, 2,…12}
(i) R = {(a, b): |a – b, 4 का गुणज है।
(a) a – a = 0 = 4k, जहाँ k = 0 ⇒ (a, a) ϵ R
∴ R स्वतुल्य है।

(b) यदि |a – b| = 4k
तब |b – a| = 4k
⇒ (a, b) तथा (b, a) दोनों R से संबंध है
इसलिए R सममित है।
पुनः a – c = a – b + b – c
जब a – b तथा b – c दोनो के 4 के गुणज है।
तब, a – c भी 4 का गुणज होगा।
⇒ यदि (a, b), (b, c) ϵ R तब, (a – c) ϵ R
इसलिए R,संक्रामक है।
अतः R एक तुल्यता संबंध है।
अतः समुच्चय {1, 5, 9}, 1 से संबंधित है।

(ii) R = {(1, b): a = b}
∴ R = {(0, 0), (1, 1), (2, 2) … (12, 12)}
(a) a = a ⇒ (a, a) ϵ R
∴ R एक स्वतुल्य है।
(b) पुनः यदि (a, b) ϵ R
⇒ a = b ⇒ b = a, तब (b, a) ϵ R
∴ R सममित है।
पुनः यदि (a, b) ϵ R तथा (b, c) ϵ R
⇒ a = b = c
इसलिए a = c ⇒ (a, c) ϵ R
∴ R संक्रामक है।
अत: R एक तुल्यता संबंध R जो प्रत्येक दशा में 1 से संबंधित है।

प्रश्न 10.
ऐसे सम्बन्ध का उदाहरण दीजिए, जो
(i) सममित हो परन्तु न तो स्वतुल्य हो और न संक्रामक हो।
(ii) संक्रामक हो परन्तु न तो स्वतुल्य हो और न सममित हो।
(iii) स्वतुल्य तथा सममित हो किन्तु संक्रामक न हो।
(iv) स्वतुल्य तथा संक्रामक हो किन्तु सममित न हो।
(v) सममित तथा संक्रामक हो किन्तु स्वतुल्य न हो।
हल:
(i) माना A = एक समतल में सरल रेखाओं का समुच्चय तथा R = {(a, b): a, b पर लम्ब है} रेखा a, b पर लम्ब है तो b रेखा a पर लम्ब है।
(1) R सममित सम्बन्ध है।
(2) R स्वतुल्य नहीं है, क्योंकि रेखा a अपने आप ही लम्ब नहीं हो सकती है।
(3) R संक्रामक नहीं है, यदि रेखा b पर लम्ब है, b रेखा c पर लम्ब है परन्तु a रेखा c पर लम्ब नहीं है।

(ii) माना A = वास्तविक संख्याओं का समुच्चय – तथा R = {(a, b): a > b}
(1) R संक्रामक है, यदि a > b और b > c ⇒ a > c
(2) R स्वतुल्य नहीं है, यदि a अपने आप से बड़ी संख्या नहीं है।
(3) R सममित नहीं है, यदि a> b तो b,a से बड़ा नहीं है।

(iii) माना A = {1, 2, 3} तथा R = {(a, b): a + b ≤ 4}.
= {(1, 1), (1, 2), (1, 3),(2, 1),(2, 2), (3, 1)
(1) R स्वतुल्य है, यदि (1, 1), (2, 2) ϵ R.
(2) R सममित है, यदि (1, 2), (2, 1) ϵ R (1, 3), (3, 1) ϵ R
(3) R संक्रामक नहीं है, यदि (2, 1) ϵ R, (1, 3) ϵ R किन्तु (2, 3) ϵ R.

(iv) माना A = {1, 2, 3}
तथा R = {(a, b): a < b}
= {(1, 1), (2, 3), (3, 3), (1, 2), (1, 3),(2, 3)}
(1) R स्वतुल्य है, यदि (1, 1), (2, 2), (3, 3) ϵ R
(2) R संक्रामक है, यदि (1, 2), (2, 3) ϵ R ⇒ (1, 3) ϵ R
(3) R सममित नहीं है, यदि a < b परन्तु b, a से कम नहीं है।

(v) माना A = {1, 2, 3}
तथा R = {(1, b): 0 < |a – b| ≤ 2}
= {(1, 2), (1, 3), (2, 3), (3, 1), (2, 1), (3, 2)}
(1) R सममित है, यदि (1, 2) ϵ R, (2, 1) ϵ R इसी प्रकार (1, 3) ϵ R, (3, 1) ϵ R
(2) R संक्रामक है, यदि (1, 2), (2, 3) ϵ R c (1, 3) ϵ R
(3) R स्वतुल्य नहीं है, यदि (1, 1), (2, 2), (3, 3) R में नहीं है।

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प्रश्न 11.
सिद्ध कीजिए कि किसी समतल में स्थित बिन्दुओं में R : {{P, Q) : बिन्दु P की मूल बिन्दु से दूरी, बिन्दु Q की मूल बिन्दु से दूरी के समान है} द्वारा प्रदत्त सम्बन्ध र एक तुल्यता सम्बन्ध है। पुनः सिद्ध कीजिए कि बिन्दु P ≠ (0, 0) से सम्बन्धित सभी बिन्दुओं का समुच्चय P से होकर जाने वाले एक ऐसे वृत्त को निरूपित करता है, जिसका केन्द्र मूलबिन्दु पर
हल:
माना A = समतल में बिन्दुओं का समुच्चय
तथा R = {(P, Q): मूल बिन्दु से P तथा Q की दूरी समान है}
= {(P, Q) : OP = OQ}
(i) R स्वतुल्य है, क्योंकि OP अपने ही बराबर है।
(ii) R सममित है, यदि OP = OQ ⇒ OQ =OP
(iii) R संक्रामक है, यदि OP = OQ, OQ = QR ⇒ OP = OR
अतः R तुल्यता सम्बन्ध है।
माना OP =K ⇒ बिन्दु P एक वृत्त पर रहता है जो O से K दूरी पर है।

प्रश्न 12.
सिद्ध कीजिए कि समस्त त्रिभुजों के समुच्चय A में, R = {(T1, T2) : T1, T2 के समरूप है} द्वारा परिभाषित सम्बन्ध र एक तुल्यता सम्बन्ध है। भुजाओं 3, 4, 5 वाले समकोण त्रिभुज T1, भुजाओं 5, 12, 13 वाले समकोण त्रिभुज T2 तथा भुजाओं 6, 8, 10 वाले समकोण त्रिभुज T3 पर विचार कीजिए। T1, T2 और T3 में से कौन – से त्रिभुज परस्पर सम्बन्धित हैं?
हल:
माना A = एक समतल में त्रिभुजों का समुच्चय
तथा R = {(T1, T2) : T1 और T2 समरूप त्रिभुज है।
(i) (a) R स्वतुल्य है, क्योंकि प्रत्येक त्रिभुज अपने समरूप है।
(b) R सममित है, यदि त्रिभुज T1, T2 के समरूप हैं तो त्रिभुज T2, T1 के भी समरूप हैं।
(c) R संक्रामक है, यदि त्रिभुज T1, T2 और त्रिभुज T,,T, समरूप हैं तो त्रिभुज T2, T3 भी समरूप हैं।
अतः R तुल्यता सम्बन्ध है।

(ii) त्रिभुज T1 की भुजाएँ 3, 4, 5 हैं त्रिभुज T2 की भुजाएँ 5, 12, 13 हैं तथा त्रिभुज T, की भुजाएँ 6, 8, 10 हैं।
::त्रिभुज T1 तथा T3 की भुजाएँ समानुपाती हैं। इसलिए यह समरूप है। अतः त्रिभुज T1तथा T3 आपस में सम्बन्धित है।

प्रश्न 13.
सिद्ध कीजिए कि समस्त बहुभुजों के समुच्चय A में, R = {(P1, P2) : P1 तथा P2 की भुजाओं की संख्या समान है} प्रकार से परिभाषित संबंध R एक तुल्यता संबंध है। 3, 4 और 5 लम्बाई की भुजाओं वाले समकोण त्रिभुज से संबंधित समुच्चय A के सभी अवयवों का समुच्चय ज्ञात कीजिए।
हल:
माना बहुभुज P में भुजाओं की संख्या n है।
R = {(P1, P2) : P1 तथा P2 भुजाओं वाले बहुभुज हैं}
(i) ∴ प्रत्येक बहुभुज की n भुजाएँ हैं
∴ R स्वतुल्य है।

(ii) यदि P1 तथा P2 n भुजाओं वाले बहुभुज हों तब P2 तथा P1 भी n भुजाओं वाले बहुभुज होंगे।
∴ R सममित है।

(iii) माना P1, P2 तथा P3 n भुजाओं वाले बहुभुज हैं
तब P1 तथा P2 भी n भुजाओं वाले बहुभुज हैं।
∴ R संक्रामक है।
अतः R एक तुल्यता संबंध है तथा समुच्चय A एक ही में स्थित सभी त्रिभुजों का समुच्चय

प्रश्न 14.
मान लीजिए कि XY – तल में स्थित समस्त रेखाओं का समुच्चय L है और L में R = {(L1, L2) : L1 समान्तर है L2 के} द्वारा परिभाषित संबंध R है। सिद्ध कीजिए कि R एक तुल्यता संबंध है। रेखा y = 2x + 4 से संबंधित समस्त रेखाओं का समुच्चय ज्ञात कीजिए।
हल:
L = XY – तल में स्थित सभी रेखाओं का समुच्चय
R = {(L1, L2) : L1 ||L1
∵ L1 ||L1
∴ R स्वतुल्य है।
पुनः L1|| L2 ⇒ L2|| L1
∴ R सममित है ।
माना L1 || L2 तथा L2 || L3
⇒ L1 || L3
∴ R एक संक्रामक है।
अतः R एक तुल्यता संबंध है।
रेखा y = 2x + 4 से संबंधित समस्त रेखाओं का समुच्चय
y=2x + C, C ϵ R

प्रश्न 15,
मान लीजिए कि समुच्चय {1, 2, 3, 4} में, R={(1, 2), (2, 2), (1, 1), (4, 4), (1, 3), (3, 3), (3, 2)} द्वारा – परिभाषित सम्बन्ध R है। निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनिए।
(A) R स्वतुल्य तथा सममित है किन्तु संक्रामक नहीं है।
(B) R स्वतुल्य तथा संक्रामक है किन्तु सममित नहीं है।
(C) R सममित तथा संक्रामक है किन्तु स्वतुल्य नहीं है।
(D) R एक तुल्यता सम्बन्ध है।
हल:
माना A = {(1, 2, 3, 4}
तथा R = {(1, 2),(2, 2), (1, 1), (4, 4), (1, 3), (3, 3), (3, 2)}
(i) R स्वतुल्य है, यदि (1, 1), (2, 2), (3, 3),(4, 4) ϵ R
(ii) R सममित नहीं है, यदि (1, 2) ϵ R परन्तु (2, 1) ϵ R
(iii) R संक्रामक है, यदि (1 ,3) ϵ R, (3, 2) R तथा (1, 2) ϵ R
अतः R स्वतुल्य, संक्रामक है परन्तु सममित नहीं है।
अतः विकल्प (B) सही है।

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प्रश्न 16.
मान लीजिए कि समुच्चय N में, R = {(a, b): a = b – 2, b > 6} द्वारा प्रदत्त सम्बन्ध R है। निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनिए-
(A) (2, 4) ϵ R
(B) (3, 8) ϵ R
(C) (6, 8) ϵ R
(D) (8, 7) ϵ R
हल:
माना A = N, प्राकृत संख्याओं का समुच्चय है।
तथा R = {(a, b): a = b – 2, b > 6}
a = b – 2, b > 6
b= 8 रखने पर, a = 8 – 2 = 6 ⇒ (6, 8) ϵ R
अतः विकल्प (C) सही है।

MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.2

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MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.2

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि f(x) = \(\frac{1}{x}\) द्वारा परिभाषित फलन f : R* → R* एकैकी तथा आच्छादक है, जहाँ R* सभी ऋणेत्तर वास्तविक संख्याओं का समुच्चय है। यदि प्रांत R* को N से बदल दिया जाए, जब कि सहप्रांत पूर्ववत R. ही रहे, तो भी क्या यह परिणाम सत्य होगा?
हल:
दिया है फलन f(x) = \(\frac{1}{x}\)
यदि f(x1) = f(x2)
MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.2 img 1
इसलिए f आच्छादक है।
अतः f : R* →R*, एकैकी व आच्छादक है।
यदि R* को N से बदल दिया जाए तथा सहप्रांत (co – domain) पूर्वत: R* है तब,
f : N →R*
माना f(n1) = f(n2)
⇒ \(\frac{1}{n_{1}} = \frac{1}{n_{2}} \Rightarrow n_{1} = n_{2}\) (जहाँ n1, n2 % N)
∴ f एकैक है
परन्तु R* में प्रत्येक वास्तविक संख्या का पूर्वत प्रतिबिम्ब (Preimage) प्रांत N में नहीं होगा
जैसे- \(\frac{1}{5 / 7} = \frac{7}{5} \notin N\)
∴ f आच्छादक (onto) नहीं है।
अतः परिणाम सत्य नहीं होगा।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित फलनों की एकैक (Injective) तथा आच्छादी (Surjective) गुणों की जाँच कीजिए :
(i) f (x) = x2 द्वारा प्रदत्त f: N →N फलन है।
(ii) f (x) = x2 द्वारा प्रदत्त f: Z → Z फलन है।
(iii) f (x) = x2 द्वारा प्रदत्त f: R → R फलन है।
(iv) f (x) = x3 द्वारा प्रदत्त f: N →N फलन है।
(v) f(x) = x3 द्वारा प्रदत्त f: Z → Z फलन है।
हल
(i) यहाँ f (x) = x2 और f : N → N
(a) f(x1) = f(x2) ⇒ x21 = x22 ⇒ x1 = x2, x2 % N
∴ f एकैकी है।
(b) परन्तु सहप्रान्त में ऐसे अवयव हैं जो प्रान्त के किसी भी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं है। जैसे, माना 3 सहप्रान्त में है तो 3 प्रान्त के किसी भी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं है।
∴ f आच्छादक नहीं है। अतः । एकैकी है परन्तु आच्छादक नहीं है।

(ii) f: Z → Z, जबकि f(x) = x2
(a) f(-1) = f(1) = 1 ⇒ -1 और 1 का प्रतिबिम्ब भिन्न नहीं है।
∴ f एकैकी नहीं है।
(b) सहप्रान्त में ऐसे अवयव हैं जो प्रान्त के किसी अवयव में प्रतिबिम्ब नहीं हैं। जैसे-3 सहप्रान्त के, 3 प्रान्त के किसी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं है।
∴ f आच्छादक नहीं है।
अतः एकैकी नहीं है और न ही आच्छादक है।

(iii) f: R →R, यदि f(x) = x2
(a) (-1)2 = 1 ⇒ f(-1) = f(1)
अतः -1 और -1 का प्रतिबिम्ब 1 है।
∴ एकैकी नहीं है।
(b) -2 सहप्रान्त में है परन्तु यह प्रान्त के किसी भी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं है।
अतः f आच्छादक नहीं है।
∴ f तो एकैकी है और न ही आच्छादक है।

(iv) f: N → N, यदि f(x) = x3
(a) f(x1) = f(x2) ⇒ x13 = x23 ⇒ x1 = x2
प्रत्येक x % N का एक प्रतिबिम्ब है।
∴ f एकैकी है।

(b) सहप्रान्त के बहुत से ऐसे अवयव हैं जिनमें प्रान्त के किसी भी अवयव के प्रतिबिम्ब नहीं हैं। जैसे-2, 3, 4, …… ये प्रान्त के किसी भी अवयव के प्रतिबिम्ब नहीं हैं।
∴ f आच्छादक नहीं है।
अतः f एकैकी है, परन्तु आच्छादक नहीं है।

(v) f: Z → Z, यदि f(x) = x3
(a) f(x1) = f(x2) ⇒ x13 = x23 ⇒ x1 = x2
∴ f एकैकी है।

(b) f के सहप्रान्त में बहुत से अवयव हैं जो प्रान्त में किसी भी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं हैं। जैसे–2, 3,
∴ f आच्छादक नहीं है।
अतः f एकैकी है परन्तु आच्छादक नहीं है।

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प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए कि f(x) = [x] द्वारा प्रदत्त महत्तम पूर्णांक फलन f : R → R* , न तो एकैकी है और न आच्छादक है, जहाँ [x], x से कम या उसके बराबर महत्तम पूर्णांक को निरूपित करता है।
हल
फलन f : R → R इस प्रकार परिभाषित है कि f(x) = [x]
यदि x = 1.1 तो f(1.1) = 1 (∵ 1, 1.1 कम पूर्णांक है)
तथा f(1.3) = 1
∵ 1.1 व 1.3 के प्रतिबिम्ब बराबर हैं।
∴ f एकैकी नहीं है।
x % R के लिए प्रान्त (domain) की प्रत्येक अवयव का सहडोमेन (Co-domain) में प्रतिबिम्ब होगा परन्तु सह प्रान्त के प्रत्येक अवयव का पूर्व प्रतिबिम्ब (Pre image), प्रान्त में नहीं होगा।
इसलिए । आच्छादक नहीं है।
अतः f न तो एकैकी है और न ही आच्छादक है।

प्रश्न 4.
सिद्ध कीजिए कि f(x) = |x| द्वारा प्रदत्त मापांक फलन f : R → R, न तो एकैकी है और न आच्छादक है, जहाँ |x| बराबर x, यदि धन या शून्य है तथा| |x| बराबर -x, यदि x ऋण है।
हल
दिया है
f : R → R तथा f(x) = |x|
यदि x = 1 तथा f(1) = 1
यदि x = -1 तब f(-1) = 1
∵ 1 और -1 दोनों का प्रतिबिम्ब 1 है।
∴ f एकैकी नहीं है।
∵ सहडोमेन (Co-domain) के ऋणात्मक अवयव का कोई भी पूर्व प्रतिबिम्ब (Pre image) डोमेन (domain) में नहीं है।
∴ f आच्छादक नहीं है।
अतः f न तो एकैकी और न ही आच्छादक है।

प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि
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द्वारा प्रदत्त चिन्ह फलन न तो एकैकी है और न आच्छादक है।
हल:
f : R → R इस प्रकार परिभाषित है कि
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∴ f(1) = 1 तथा f(2) = 1
∵ 1 व 2 का प्रतिबिम्ब समान (1) है।
पुनः x > 0 के लिए
f(x1) = f(x2) = 1 जहाँ x1 ≠ x2
इसी प्रकार x < 0 के लिए
f(x1) = f(x2) = -1 जहाँ x1 ≠ x2
∴ f एकैकी नहीं है।
सहप्रान्त (Co-domain) के अवयव -1, 0, 1 का पूर्व प्रतिबिम्ब (Pre image) डोमेन (domain) में नहीं है।
∴ f आच्छादक नहीं है।
अतः f न तो एकैकी है और न ही आच्छादक है।

प्रश्न 6.
मान लीजिए कि A = {1, 2, 3}, B = {4, 5, 6, 7} तथा f = {(1, 4),(2, 5),(3, 6)}A से B तक एक फलन है। सिद्ध कीजिए कि f एकैकी है।
हल
A = {1, 2, 3}, B = {4, 5, 6, 7}
तथा f = {(1, 4),(2, 5), (3, 6)}
चित्र के अनुसार A के प्रत्येक अवयव का प्रतिबिम्ब B में है।
इसलिए f एकैकी है।
MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.2 img 4

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से प्रत्येक स्थिति में बतलाइए कि क्या दिए हुए फलन एकैकी, आच्छादक अथवा एकैकी आच्छादी (bijective) हैं। अपने उत्तर का औचित्य भी बतलाइए।
(i) f(x) = 3 – 4x द्वारा परिभाषित फलन f : R → R है।
(ii) f(x) = 1+ x2 द्वारा परिभाषित फलन f: R →R है।
हल
(i) यहाँ f: R → R, यदि f(x) = 3 – 4x
(a) f(x1) = f(x2) ⇒ 3 – 4x1 = 3 – 4x2 = x1 ⇒ x2
अत: f एकैकी है।
(b) f(x) = y = 3 – 4x
∴ x = \(\frac{3-y}{4}\)
y के प्रत्येक मान के लिए एक ही मान है।
सहप्रान्त में प्रत्येक प्रान्त के एक अवयव का प्रतिबिम्ब है।
∴ f आच्छादक है।
अतः f एकैकी तथा आच्छादक है।

(ii) f : R → R, यदि f(x) = 1 + x2
(a) f(-1) = 1 + 1 = 2 f(1) = 1 + 1 = 2
f(-1) = f(1)
-1 और 1 दोनों का एक प्रतिबिम्ब है।
∴ f एकैकी नहीं है।..
(b) सहप्रान्त की कोई भी ऋणात्मक संख्या प्रान्त के किसी भी अवयव का प्रतिबिम्ब नहीं है।
∴ f आच्छादक नहीं है।
अतः एकैकी तथा आच्छादक नहीं है।

MP Board Solutions

प्रश्न 8.
मान लीजिए कि A तथा B दो समुच्चय हैं। सिद्ध कीजिए कि f: A × B → B × A, इस प्रकार हैं कि f (a, b) = (b, a) एक एकैकी आच्छादी (bijective) फलन है।
उत्तर
हल
यहाँ f = (A × B)→ (B × A), यदि f(a, b) = (b, a)
(a) f(a1, b1) = f(a2, b2) ⇒ (b1, a1) = (b2, a2)
∴ b1 = b2, और a1 = a2
अत: f एकैकी है।

(b) सहप्रान्त का सदस्य (p, q) प्रान्त में (g, p) का प्रतिबिम्ब है।
∴ f आच्छादक है।
अतः f एकैकी तथा आच्छादक है।

प्रश्न 9.
मान लीजिए कि समस्त n % N के लिए,
MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.2 img 5
द्वारा परिभाषित एक फलन f: N → N है। बतलाइए कि क्या फलन f एकैकी आच्छादी है। अपने उत्तर का औचित्य भी बतलाइए।
हल
फलन f: N → N इस प्रकार परिभाषित है कि
MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.2 img 6
∵ प्रान्त में स्थित अवयव 1 व 2 के प्रतिबिम्ब सहप्रान्त में एक ‘1’ ही है।
∴ f एकैक नहीं है।
इसलिए f आच्छादी नहीं है।
पुनः सह प्रान्त के प्रत्येक अवयव की Pre image प्रान्त में स्थित है।
इसलिए f आच्छादक है।
अतः f एकैक नहीं है परन्तु आच्छादक है। इसलिए f एकैकी आच्छादती (bijective) नहीं है।

प्रश्न 10.
मान लीजिए कि A = R – {3} तथा B = R – {1} है f(x) = \(\left(\frac{x-2}{x-3}\right)\) द्वारा परिभाषित फलन f: A → B पर विचार कीजिए। क्या एकैकी तथा आच्छादक है? अपने उत्तर का औचित्य भी बतलाइए।
हल
f: A → B, जहाँ A = R – {3}, B = R – {1},
f इस प्रकार परिभाषित है कि
MP Board Class 12th Maths Book Solutions Chapter 1 संबंध एवं फलन Ex 1.2 img 7
⇒ y के प्रत्येक मान के लिए प्रांत (domain) में Pre image x = \(\frac{3 y-2}{y-1}\) स्थित है।
इसलिए f आच्छादक है।
अतः f एकैक तथा आच्छादक है।

प्रश्न 11.
मान लीजिए f: R → R; f (x) = x4 द्वारा परिभाषित है। सही उत्तर का चयन कीजिए।
(A) f एकैकी आच्छादक है। (B) f बहुएक आच्छादक है
(C) f एकैकी है किन्तु आच्छादक नहीं है, (D) f न तो एकैकी है और न आच्छादक है।
हल
यहाँ f: R → R, यदि f (x) = x4
(a) f(-1) = (-1)4 = 1, f(1) = 14 = 1
f(-1) = f(1)
-1 और 1 का प्रतिबिम्ब 1 है।
∴ f एकैकी नहीं है।

(b) सहप्रान्त का -1 प्रान्त के किसी भी सदस्य का प्रतिबिम्ब नहीं है।
∴ f आच्छादक नहीं है।
अत: f एकैकी और आच्छादक नहीं है।
अतः विकल्प (D) सही है।

प्रश्न 12.
मान लीजिए कि f (x) = 3x द्वारा परिभाषित फलन f: R → R है। सही उत्तर चुनिए :
(A) f एकैकी आच्छादक है
(B) f बहुएक आच्छादक है
(C) f एकैकी है परन्तु आच्छादक नहीं है
(D) f न तो एकैकी है और न आच्छादक है
हल
यहाँ f :R → R, f(x) = 3x द्वारा परिभाषित किया गया है।
(a) f(x1) = f(x2) = 3x1 = 3x2
∴ x1 = x2
अतः f एकैकी है।

(b) माना y = 3x
∴ x = \(\frac{y}{3}\)
y के प्रत्येक मान के लिए x का मान निम्न है।
∴ आच्छादक है।
अतः f एकैकी तथा आच्छादक है।
अतः विकल्प (A) सही है।

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti विविध प्रश्नावली 3

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MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions विविध प्रश्नावली 3

प्रश्न 1.
सही जोड़ी बनाइए
(अ) अलगू चौधरी ने कहा – 1. बुढ़िया न जाने कब तक जिएगी।
(ब) जुम्मन की पत्नी ने कहा – 2. दोस्ती के लिए कोई अपना ईमान नहीं बेचता।
(स) मौसी ने कहा – 3. रुपये क्या यहाँ फलते
(द) जुम्मन ने कहा – 4. जुम्मन मेरा मित्र है।
उत्तर-
(अ) – 4
(ब) – 1
(स) – 2
(द) – 3

प्रश्न 2.
सही शब्द चुनकर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए

(अ) शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए शरीर के आंतरिक एवं बाह्य ……………….का स्वस्थ रहना अनिवार्य है। (अंगों/रंगों)
(ब) दोपहर का समय था। सूरज ………………. उगल रहा था। (झाग/आग)
(स) अब इस दीप से और सैकड़ों ……………….जलाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। (दीप/मशाल)
(द) मैं यह जरूर चाहूँगी कि खर्च करने से पूर्व ………… सोच लेना चाहिए।(ऊपर-नीचे/आगे-पीछे)
(ई) लगता है, उठे हुए बाजार की तरह मेरे ………………. का ठाठ उठ चुका है। (गाँव/शहर)
उत्तर-
(अ) अंगों,
(ब) आग,
(स) दीप,
(द) आगे-पीछे,
(ई) गाँव।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 3.
(क) रहीम के अनुसार चतुर व्यक्तियों के हृदय में किस बात की हूक लगी रहती है?
(ख) नितिन ने आंटी से किस बात का अनुरोध किया?
(ग) गोताखोर का उत्साह दूना क्यों बढ़ जाता है?
(घ) अपव्यय पर रोक लगाने से क्या फायदा होता है?
(ङ) अब नदी का चेहरा किस प्रकार का हो चुका था?
(च) समझू ने जुम्मन को सरपंच क्यों चुना?
(छ) कवि के अनुसार कुमार का रूप कैसा है?
(ज) सफल जीवन के लिए किस बात को समझना आवश्यक
उत्तर-
(क) रहीम के अनुसार चतुर व्यक्तियों के हृदय में समय की चूक की हूक लगी रहती है।
(ख) नितिन ने आंटी से आगे से अपने घर का रोजमर्रा का सामान उसके द्वारा दिए गए कपड़े के झोले में रखकर लाने का अनुरोध किया।
(ग) गोताखोर का उत्साह इस बात को सोचकर दूना बढ़ जाता है कि गहरे पानी में सहज में मोती नहीं मिलते हैं।
(घ) अपव्यय पर रोक लगाने से बहुत बड़ी बचत होती है। उससे बड़ी आवश्यकता की पूर्ति होती है।
(ङ) अब नदी का चेहरा उभरे हुए दर्द की तरह रेत हो चुका था।
(च) समझू ने जुम्मन को सरपंच चुना। यह इसलिए कि उसको अलगू और जुम्मन के बैर का हाल मालूम था।
(छ) कवि के अनुसार कुमार का रूय दिव्य (अति सुंदर) और लंबे समय से चला आने वाला है।
(ज) सफल जीवन के लिए दूरगामी उद्देश्यों की हमारी दृष्टि लगातार बनी रहे। निरंतर उसी ओर बढ़ते रहने का अनुभव होता रहे।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
(क) सफलताएँ किस प्रकार के व्यक्ति की प्रतीक्षा करती हैं?
उत्तर-
सफलताएँ योग क्रियाएँ, संतुलित आहार, सदाचरण और भावनात्मक सोच-विचार रखने वाले व्यक्ति की प्रतीक्षा करती हैं।

(ख) कवि ने कुमार को आशाओं की आशा क्यों कहा
उत्तर-
कवि ने कुमार को आशाओं की आशा इसलिए कहा है कि उनमें अपार देशभक्ति, वीरता और अतीतकालीन गौरव के भाव भरे हैं।

(ग) अलगू चौधरी और जुम्मन शेख की गाढ़ी मित्रता किस प्रकार की थी?
उत्तर-
अलगू चौधरी और जुम्मन शेख की गाढ़ी मित्रता एक-दूसरे पर पूरा भरोसा करने और गाढ़े समय में परस्पर खुलकर साथ देने की थी।

(घ) रहीम के अनुसार विपत्ति आने पर धन की क्या स्थिति हो जाती है?
उत्तर-
रहीम के अनुसार विपत्ति आने पर धन नहीं रहता है। वह तो वैसे गायब हो जाता है जैसे भोर होने पर आकाश से तारे।

(ङ) हम अपनी छोटी-सी सुविधा के लिए पर्यावरण को किस प्रकार प्रदूषित करते हैं?
उत्तर-
हम अपनी छोटी-सी सुविधा के लिए पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली चीजों का धड़ाधड़ प्रयोग करके प्रदूषित करते हैं।

(च) “असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो” इस कथन की पुष्टि में कवि ने किस-किस के उदाहरण प्रस्तुत किए हैं?
उत्तर-
“असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो” इस कथन की पुष्टि में कवि ने दाना लेकर चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती चींटियों और समुद्र की गहराई में डुबकियाँ लगाने के बावजूद खाली हाथ लौटकर आते गोताखोर के उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।

(छ) “बूंद-बूंद से घड़ा भरता है” पत्र में माँ ने पुनीत को कौन-कौन-सी सीख दी हैं?
उत्तर-
“बूंद-बूंद से घड़ा भरता है” पत्र में माँ ने पुनीत को थोड़ी-थोड़ी बचत करने और मितव्ययता के गुण अपनाने की सीख दी है।

(ज) गाँवों में अब नदी की स्थिति क्या हो गई है?
उत्तर-
गाँवों में अब नदी की स्थिति उभरे हुए दर्द की तरह रेत बन गई है।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ लिखिए-
तुम्हें यशोदा के पलने की,
मधुर थपकियाँ जगा रहीं,
तुम्हें नंद की सकल सुरभियाँ,
वृन्दावन में बुला रहीं॥
उत्तर-
देखें व्याख्या भाग।

प्रश्न 6.
आप अपने जीवन में किसके व्यक्तित्व से प्रभावित हैं? और क्यों? दस वाक्यों में लिखिए।
उत्तर-
हम अपने जीवन में अपने कक्षाध्यापक के व्यक्तित्व से प्रभावित हैं। यह इसलिए कि वे एक गिने-चुने आदर्श अध्यापक हैं। वे चरित्र के धनी हैं। उनमें अपना कर्मण्यता है। वे बढ़े ही आस्तिक हैं। वे भारतीयता के प्रतीक हैं। उनमें अत्यधिक साहस और धैर्य हैं। वे समय के सदुपयोगी हैं। उनमें उदारता है। उनमें आत्मनिर्भरता और कर्त्तव्यनिष्ठता है। वे अपने कर्म और चरित्र से पहली मुलाकात में ही किसी का मन मोह लेते हैं।

प्रश्न 7.
(अ) निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिएनिशेश, दीव्य, पड़ोसीन, परसन्नता, अपरत्यक्ष, दुषित।
उत्तर-
(अ) अशुद्ध शब्द – शुद्ध शब्द
विशेश – विशेष
दीव्य – दिव्य
पड़ोसीन – पड़ोसिन
परसन्नता – प्रसन्नता
अपरत्यक्ष – अप्रत्यक्ष दुषित

(ब) निम्नलिखित शब्दों के हिंदी रूप लिखिए-
प्लीज, पोस्टमैन, होमवर्क, आंटी, प्रिंसीपल, फैक्ट्री।
उत्तर-
(ब) शब्द – हिन्दी रूप
प्लीज – कृपया
पोस्टमैन – डाकिया
होमवर्क – गृहकार्य
आंटी – चाची
प्रिंसीपल – प्रधानाध्यापक
फैक्ट्री – कारखाना

(स) निम्नलिखित शब्दों में से एक शब्द का अर्थ समान है उस पर गोला लगाइए-
प्रगति – उन्नति, अवनति, प्रतीति।
संघर्ष – मजबूर, मुकाबला, मजदूर।
मोहरे – मुहावरे, मोगरा, गोटियाँ
दिव्य – अलौकिक, लौकिक, सार्वभौमिक।
उत्तर-
(स) प्रगति – उन्नति
संघर्ष – मुकाबला
मोहरे – गोटियाँ
दिव्य – अलौकिक।

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प्रश्न 8.
(अ) दिए हुए गद्यांश में उचित स्थानों पर विराम चिह्न लगाइए-
उत्तर-
शाम तक वे कहीं मिल जाते हैं तो चौंककर कहते हैं अरे मैं तो भूल ही गया तुम्हें बड़ी परेशानी हुई होगी न मुझे सख्त अफसोस है अच्छा कल आठ बजे आ जाओ मैं तुम्हारा इंतजार करूँगा।

(ब) निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
आत्मविश्वास, व्यवस्था, पर्यावरण, ईमान, श्रेय, राष्ट्र
उत्तर-
शब्द वाक्य-प्रयोग
आत्मविश्वास – स्वस्थ आदमी आत्मविश्वास भरा होता है।
व्यवस्था – उसके घर में अच्छी व्यवस्था है।
पर्यावरण – पर्यावरण दिन-प्रतिदिन प्रदूषित हो रहा है।
ईमान – लाभ के लिए ईमान नहीं बेचना चाहिए।
श्रेय – उसे सफल बनाने में उसकी माँ का ही श्रेय है।
राष्ट्र – राष्ट्रवासियों को राष्ट्रभक्त होना ही चाहिए।

प्रश्न 9.
अपने पिताजी को पत्र लिखकर अपनी पढ़ाई की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
देखें- ‘पत्र-लेखन’

प्रश्न 10.
क्रिसी एक विषय पर निबंध लिखिए-
प्रमुख राष्ट्रीय त्यौहार, किसी ऐतिहासिक स्थान की यात्रा का वर्णन।
उत्तर-
देखें- ‘निबंध-लेखन’

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti विविध प्रश्नावली 2

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MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions विविध प्रश्नावली 2

लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सही जोड़ी बनाइए
MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti विविध प्रश्नावली 2 1
MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti विविध प्रश्नावली 2 2
उत्तर
(अ) 4, (ब) 1, (स) 2, (द) 3

प्रश्न 2.
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(1) हम पंछी उन्मुक्त ……………….के पिंजरबद्ध न ___गा पाएँगे।(चमन, गगन)
(2) अमीर खुसरो ने मन को छू लेने वाले …. लिखे। (गीत, लेख)
(3) दीनानाथ को विचारों में खोया देख उनकी पत्नी .. …………….. बोली। (मधुमती, मधुमिता)
(4) जो लोग समय तय करके भी घर नहीं मिलते हैं, वे मुझे भगवान के……. मालूम होते
(प्रेजेंट, एजेंट)
(5) ऐसा न कहिए जेलर साहब! मैं ………….. तरह अटल हूँ। (चटूटान, फौलाद)
उत्तर
(1) गगन
(2) गीत
(3) मधुमती
(4) एजेंट
(5) चट्टान।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न तर

प्रश्न 3.
1. बिस्मिल की माँ को किस बात का अफसोस था?
2. साँची में हर्षित कहाँ रुका था?
3. गाँव में सब्जियों की बेलें किस पर छाई हुई हैं?
4. बड़े सवाल का छोटा-सा जवाब पाने पर लेखक को कैसा लगता है?
5. छगन अचानक एक दिन किस समाचार को सुनकर उदास हो गया?
6. अपने गुरु के प्रतति खुसरो के मन में कौन-सा प्रेरक __ भाव था?
7. कवि किस प्रकार के पंखों के टूटने की बात कह रहा है?
उत्तर-
1. बिस्मिल की माँ को इस बात का अफ़सोस था कि उसका दूसरा बेटा अभी छोटा क्यों है?
2. साँची में हर्षित मध्य-प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह में रुका था।
3. गाँव में सब्जियों की बेलें खपरैलों पर छाई हुई हैं।
4. बड़े सवाल का छोटा-सा जवाब पाने पर लेखक को लगता है कि वह बच्चा है और किसी बुजुर्ग के सामने बक-बक कर रहा है।
5. छगन अचानक एक दिन यह समाचार सुनकर उदास हो गया कि शर्मा जी का स्थानांतर अन्य शहर में हो गया है।
6. अपने गुरु के प्रति खुसरो के मन में समर्पण का प्रेरक भाव था।
7. कवि पुलकित पंखों के टूटने की बात कह रहा है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 4.
(क) ‘हम बहता जल पीने वाले मर जाएँगे भूखे-प्यासे’ कवि ने ऐसा क्यों कहा है?
(ख) ईश्वर प्राप्ति के संबंध में खुसरों के गुरु के क्या विचार थे?
(ग) नर्सिंग होम के उद्घाटन के समय किस प्रकार का वातावरण था?
(घ) हरिशंकर परसाई के अनुसार किस प्रकार के लोगों की चर्चा करना व्यर्थ है?
(ङ) ‘ग्राम्य जीवन’ कविता के आधार पर लिखिए कि “गाँव के लोग परिश्रमी होते हैं।”
(त) अपने साथियों को बढ़ने के लिए स्कूल जाते देखकर लिंकन क्या सोचते थे?
(य) बिस्मिल की माँ अन्य साधारण स्त्रियों से किस प्रकार भिन्न थी?
(द) हर्षित ने साँची के संग्रहालय में क्या-क्या देखा?
उत्तर
(क) ‘हम बहता जल पीने वाले मर जायेंगे भूखे-प्यासे’ कवि ने ऐसा इसलिए कहा है कि स्वतंत्रता परतंत्रता के बंधन से समाप्त हो जाती है। उसके सारे अरमान और शक्तिक्षमता एक-एक करके व्यर्थ हो जाती हैं।
(ख) ईश्वर-प्राप्ति के संबंध में खुसरो के गुरु के विचार बहुत उत्तम थे। उनके अनुसार ईश्वर को अलौकिक प्रेम से ही प्राप्त किया जा सकता है।
(ग) नर्सिंग होम के पास पंडाल लगा था। अतिथियों का आगमन शुरू हो चुका था। चारों ओर हँसी-खुशी का वातावरण दिखाई दे रहा था।
(घ) हरि शंकर परसाई के अनुसार ऐसे लोगों की चर्चा करना व्यर्थ है जो समय पर घर मिलते हैं और समय पर दूसरे के घर भी जाते हैं। ये घर में रहेंगे तो टाइमपीस देखते रहेंगे और बाहर होंगे तो हाथ घड़ी देखते रहेंगे।
(ङ) गाँव के लोग घोर परिश्रम करते हैं। इसलिए वे आलसी नहीं होते हैं। वे दिन-भर खेतों में काम करते रहते हैं। इस प्रकार वे आत्मनिर्भर होते हैं।
(त) अपने अमीर साथियों को पढ़ने के लिए स्कूल जाते लिंकन देखता तो सोचता ये पढ़ने जाते हैं। इनके पास सुख के अनेक साधन हैं। ये बड़े होकर कुर्सी पर बैठेंगे।
(थ) बिस्मिल की माँ अन्य साधारण स्त्रियों की तरह रोने-चीखने वाली नहीं थीं। उसने अपने बेटे बिस्मिल को बचपन से त्याग, वीरता और देश-प्रेम का पाठ पढ़ाया था।
(द) हर्षित ने संग्रहालय में अनेक पुरातत्त्व महत्त्व की वस्तुएँ देखीं। उसने अनेक मूर्तियों और मंदिरों के भग्नावशेषों व कलाकृतियों को देखा। उसने अशोक स्तंभ का सिंह-चिह्न और बौद्ध-भिक्षुओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले पात्रों को भी देखा।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ लिखिएनीड़ न दो, चाहे टहनी का आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, लेकिन पंख दिये हैं, तो आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।
उत्तर
पंक्षी मनुष्य से कह रहा है कि उसे टहनी का आश्रय भले न हो और उसे छिन्न-भिन्न कर डालो। लेकिन उसे विष्ट पता ने उड़ने के लिए पंख दिए हैं, तो उसे उड़ने से मत रोको। उसे स्वतंत्र उड़ान भरने दो।

प्रश्न 6.
आपके द्वारा देखे गए किसी दर्शनीय स्थल का तिथिवार वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर
इस प्रश्न को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

प्रश्न 7.
(अ) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिएसाक्षर, शिष्टता, निंदा, सुविधा अल्पायु।
उत्तर-
(अ) शब्द – विलोम शब्द
साक्षर – निरक्षर
शिष्टता – धृष्टता
निंदा – स्तुति
सुविधा – असुविधा
अल्पायु – दीर्घायु

(ब) निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए
विश्व, शाम, घर, माँ, जमीन, देश।
उत्तर-
विश्व – संसार, जगत
शाम – संध्या, साँझ
माँ – जननी, जन्मदात्री
जमीन – भूमि, भू
देश – राष्ट्र, वतन

(स) निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
जी चाहना, आँखों से परनाले बहना, कदम डगमगाना।
उत्तर-
(स) जी चाहना-पुत्र को देखने के लिए माँ का जी चाहता है। आँखों से परनाले बहना-पुत्र को जेल की कोठरी में देखकर माँ की आँखों से परनाले बहने लगे। कदम डगमगाना-अदालत में बयान देते समय अपराधी के कदम डगमगाने लगे।

(द) निम्नलिखित वाक्यों में से सरल, संयुक्त और मिश्र वाक्य पहचानकर लिखिए-
अपनी भारत माँ की अच्छी तरह सेवा करना। मेरे देश को आजादी मिले और मेरे देशवासी उस दिन आँसू बहाएँ यह मुझसे सहन नहीं हो सकेगा माँ। मेरी इच्छा है कि तू मातृभूमि की रक्षा करे।
उत्तर-
(द) अपनी भारत माँ की अच्छी तरह सेवा करना – सरल वाक्य।_मेरे देश को आजादी मिले और मेरे देशवासी उस दिन आँसू बहाएँ, यह मुझसे सहन नहीं हो सकेगा माँ-संयुक्त वाक्य। मेरी इच्छा है कि तू मातृभूमि की रक्षा करे-मिश्रित वाक्य।

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प्रश्न 8.
(अ) नीचे लिखे शब्दों से विशेषण शब्द अलग करके लिखिए
(1) बूढ़ा नीम
(2) फटे जूते
(3) सूखा घास
(4) मीठी बातें
उत्तर-
(अ) शब्द – विशेषण शब्द
बूढ़ा नीम – बूढ़ा
फटे जूते – फटे
सूखा घास – सूखा
मीठी बातें – मीठी

(ब) पाठ्य पुस्तक में पढ़ी हुई किसी कविता की चार पंक्तियाँ लिखिए।

(घ) स्वर्ण-शृंखला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूलें,
बस सपनों में देख रहे हैं,
तरु की फुनगी पर के झूले।

प्रश्न 9.
अपने प्रधान अध्यापक को फीस माफ करने विषयक प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर
देखें पत्र-भाग।

MP Board Class 8th General Hindi व्याकरण

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MP Board Class 8th General Hindi व्याकरण

संधि एवं संधि-विच्छेद

संधि एवं संधि-विच्छेद
(1) स्वर संधि

  • विद्यार्थी = विद्या + अर्थी
  • हिमालय = हिम + आलय
  • महात्मा = महा + आत्मा
  • परमात्मा = परम + आत्मा
  • विद्यालय = विद्या + आलय
  • यद्यपि = यदि + अपि
  • सूर्योदय = सूर्य + उदय
  • देवेन्द्र = देव + इन्द्र
  • रमेश = रमा + ईश
  • सुरेश = सुर + ईश
  • गिरिश = गिरि + ईश
  • विद्याध्ययन = विद्या + अध्ययन
  • स्वागत = सु + आगत
  • परोपकार = पर + उपकार
  • नयन = ने + अन
  • गायक = गै + अक

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(2) व्यंजन संधि

  • सज्जन = सत् + जन
  • सन्तोष = सम् + तोष
  • उन्नति = उत् + नति
  • उद्वेग = उत् + वेग
  • संसार = सम् + सार
  • उद्घाटन = उत् + घाटन
  • जगन्नाथ = जगत् + नाथ
  • जगदीश = जगत् + ईश
  • संहार = सम् + हार
  • संकल्प = सम् + कल्प
  • संयोग = सम् + योग
  • सद्भावना = सत् + भावना

(3) विसर्ग संधि

  • दुर्जन = दुः + जन
  • दुर्लभ = दुः + लभ
  • दुराचार = दुः + आचार
  • मनस्ताप = मनः + ताप
  • मनोबल = मनः + बल
  • मनोनुकूल = मनः + अनुकूल
  • वयोवृद्ध = वयः + वृद्ध
  • निष्फल = निः + फल
  • निष्कपट = निः + कपट
  • दुराशा = दु: + आशा

समास एवं समास विग्रह
(1) अव्ययीभाव समास

  • यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
  • प्रतिदिन – दिनों दिन
  • आजीवन – जीवन पर्यन्त
  • आजन्म – जन्म पर्यन्त
  • प्रत्येक – प्रति एक
  • प्रतिक्षण – क्षण-क्षण

(2) तत्पुरुष समास

  • पथभ्रष्ट – पथ से भ्रष्ट
  • सत्याग्रह – सत्य के लिए आग्रह
  • नीतियुक्त – नीति से युक्त
  • बुद्धिहीन – बुद्धि से हीन
  • कर्महीन – कर्म से रहित
  • शरणागत – शरण के लिए आया
  • पदमुक्त – पद से मुक्त
  • राष्ट्रचिन्ह – राष्ट्र का चिन्ह
  • ध्यानमग्न – ध्यान में मग्न
  • पुरुषोत्तम – पुरुषों में उत्तम
  • नरश्रेष्ठ – नर में श्रेष्ठ
  • राजपुत्र – राजा का पुत्र
  • राजद्रोह – राज से द्रोह
  • धर्मशाला – धर्म की शाला
  • राजप्रासाद – राज का प्रासाद
  • जन्मभूमि – जन्म की भूमि
  • सूर्यप्रकाश – सूर्य का प्रकाश

(3) कर्मधारय समास

  • नीलकमल – नील जैसा कमल
  • नीलकण्ठ – नील जैसा कण्ठ
  • घनश्याम – घन जैसा श्याम
  • चरण कमल – कमल जैसा चरण
  • चन्द्रमुख – चन्द्र जैसा मुख
  • सर्वजन – सभी लोग
  • अल्पसंचय – अल्प संचय जैसा
  • योगिजन – योगबी जैसे जन

(4) द्विगु समास

  • पंचवटी – पाँच वटों का समूह
  • नवग्रह – नौ ग्रहों का समूह
  • त्रिमूर्ति – तीन मूर्तियों का समूह
  • पंचनद – पाँच नदों का समूह
  • पंचरत्न – पाँच रत्नों का समूह
  • पंचगव्य – पाँच गव्यों का समूह
  • नवरत्न – नौ रत्नों का समूह
  • नवग्रह – नौ ग्रहों का समूह

(5) बन्द समास

  • न्याय – धर्म – न्याय और धर्म
  • माता – पिता – माता और पिता
  • भाई – बहिन – भाई और बहिन
  • पाप – पुण्य – पाप और पुण्य
  • धर्म – अधर्म – धर्म और अधर्म
  • अमीर – गरीब – अमीर और गरीब
  • दाल – रोटी – दाल और रोटी
  • लोटा – डोरी – लोटा और डोरी
  • राम – लक्ष्मण – राम और लक्ष्मण
  • चाचा – चाची – चाचा और चाची

(6) बहुब्रीहि समास

  • सत्यवादी – जो सत्य बोला है (वह व्यक्ति)
  • पीताम्बर – पीले अम्बर वाले (विष्णु)
  • गजानन – गज के समान आनन (गणेश)
  • दशानन – दश हैं आनन जिनके (रावण)
  • वीणापाणि – वीणा है जिनके हाथ में (सरस्वती)
  • चन्द्रशेखर – चन्द्र है शेखर पर जिसके (शिव)
  • मुरलीधर – मुरली धारण करने वाले (श्रीकृष्ण)

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संज्ञा

प्रश्न-
संज्ञा की परिभाषा लिखकर उसके भेद बताइये
उत्तर-
परिभाषा-किसी व्यक्ति, वस्तु, जाति, स्थान आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।

जैसे-
अमीना, वाराणसी, गाय, चांदी, भीड़ आदि। प्रकार-संज्ञा के प्रमुख पाँच प्रकार हैं

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा-जिस संज्ञा से किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का ज्ञान हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-जबलपुर, कृष्ण, इलाहाबाद, गीता।
  2. जातिवाचक संज्ञा-जिस संज्ञा से एक ही जाति का ज्ञान हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-बंदर, सुअर, घर आदि।
  3. भाववाचक संज्ञा-जिन शब्दों से किसी भाव या काम का ज्ञान हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-शत्रुता, सौंदर्य, प्रेम, मूर्खता आदि।
  4. समुदायवाचक संज्ञा-जिन शब्दों से समूह का ज्ञान हो, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-मेला, भीड़, जुलूस, रथ-यात्रा आदि।
  5. पदार्थवाचक संज्ञा-जिन शब्दों से किसी पदार्थ का ज्ञान हो, उसे पदार्थवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-सोना, चांदी, सीसा आदि।

सर्वनाम

प्रश्न-
सर्वनाम की परिभाषा एवं प्रकार उदाहरण सहित बताइये।
उत्तर-
परिभाषा-वाक्य में संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। या जो संज्ञा शब्दों के बदले में आते हैं उन्हें सर्वनाम कहते हैं। जैसे-राम सुरेंद्र के साथ उसके विद्यालय तक आया।

उपर्युक्त वाक्य में उसके’ सर्वनाम सुरेंद्र के लिए प्रयुक्त है। सर्वनाम के प्रकार-सर्वनाम के प्रमुख पाँच प्रकार हैं-

  1. पुरुषवाचक सर्वनाम-जो सर्वनाम वक्ता, श्रोता या अन्य व्यक्ति के बदले प्रयुक्त होता है उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। इसके तीन उपभेद हैं।
    • अन्य पुरुष-वह, वे
    • मध्यम पुरुष-तुम, आप, तू
    • उत्तम पुरुष-मैं, हम।
  2. निश्चयवाचक सर्वनाम-जिस सर्वनाम से वक्ता के समीप एवं दूर की वस्तु का निश्चय हो, वह निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाता है। जैसे-यह, वह, ये, वे आदि।
  3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम-जिस सर्वनाम से पुरुष या वस्तु का निश्चित ज्ञान न प्राप्त हो, वह अनिश्चयवाचक सर्वनाम होता है। जैसे-कुछ, कौन, कोई आदि।
  4. संबंधवाचक सर्वनाम-जिन शब्दों से संज्ञाओं के बीच परस्पर संबंध का ज्ञान हो उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे-जैसा-तैसा, जिस-तिस।
  5. प्रश्नवाचक सर्वनाम-जिस सर्वनाक से प्रश्न के विषय में जानकारी मिले वह प्रश्नवाचक सर्वनाम है। जैसे-क्या, कौन, क्यों आदि।

विशेष एवं विशेष्य

प्रश्न-
विशेषण की परिभाषा एवं प्रकार बताइए।
उत्तर-
परिभाषा-जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता प्रदर्शित करते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं। जैसे राम अच्छा विद्यार्थी है। उपर्युक्त वाक्य में ‘अच्छा’ शब्द राम की विशेषता प्रकट कर रहा है। अतः यह विशेषण है।

विशेषण के प्रकार-विशेषण के मुख्य चार प्रकार हैं-

  1. गुणवाचक विशेषक-संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के गुण, दोष अवस्था, रंग आदि की विशेषता बताने वाले शब्द गुणवाचक विशेषण हैं। जैसे-काली गाय, लाल बस।
  2. संख्यावाचक विशेषण-जिससे संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का पता चले वह संख्यावाचक विशेषण कहलाता है। जैसे-बीस शालाएँ, पाँच अंगुलियाँ।
  3. परिमाणवाचक विशेषण-जिससे संज्ञा या सर्वनाम के परिमाण (नाप-तौला) का ज्ञान हो उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते है। जैसे-दस किलोमीटर, पाँच सेर।।
  4. सार्वनामिक विशेषण-यदि सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा के साथ उसके संकेत के रूप में किया जाए, तो वह सार्वनामिक विशेषण कहलाता है। जैसे-यह तुम्हारी कलम है।

क्रिया

परिभाषा एवं प्रकार

परिभाषा-जिस शब्द से किसी काम का करना, रहना या होने का बोध हो उसे क्रिया कहते हैं। जैसे-श्याम जाता है। सीला बैठी है। आदि। क्रियाओं के अन्य प्रकार

  1. प्रेरणार्थक क्रिया-जिस क्रिया के माध्यम से कर्ता स्वयं काम न करके दूसरे को कार्य करने की प्रेरणा दे, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे-जगना से जगाना, रोना से रुलाना।
  2. पूर्वकालिक क्रिया-पूर्वकालिक क्रिया मूल क्रिया की समाप्ति के पहले प्रयुक्त की जाती है। जैसे-सोकर, जागकर, खाकर आदि।
  3. संयुक्त क्रिया-जब दो या दो से अधिक क्रियाएँ एक साथ आती है, तो उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। जैसे-जाना चाहता है, गा सकना आदि।

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क्रिया-विशेषण
परिभाषा-जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, वे क्रिया-विशेषण कहलाते हैं। क्रिया-विशेषण के प्रकार-क्रिया-विशेषण के चार प्रकार हैं-

  1. स्थानवाचक-ये शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं। जैसे-यहाँ, वहाँ, उस आदि।
  2. कालवाचक-ये विशेषण क्रिया के समय की विशेषता बताते हैं, अतः इन्हें कालवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं। जैसे-आज, कल।
  3. परिमाणवाचक-ये विशेषण क्रिया का परिमाण बतलाते हैं अतः इन्हें परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं। जैसे-न्यून, अधिक, कम आदि।
  4. रीतिवाचक-ये विशेष क्रिया होने का ढंग बताते हैं। अतः इन्हें रीतिवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं। जैसे-धीरे, तेज़, मंद, आदि।

संबंधबोधक अव्यय

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ प्रयुक्त होकर वाक्य के दूसरे शब्दों से उसका संबंध बताते हैं, संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं। जैसे-भीतर, सहित और आदि।

समुच्चयबोधक अव्वय- जो शब्द दो शब्दों या वाक्यों को मिलाते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे-भी, तथा, मानो, इसलिए आदि।
विस्मयादिबोधक अव्यय- जो शब्द वक्ता के शोक, हर्ष, विषाद या लज्जा के भावों को प्रकट करें, वे विस्मयादिबोधक अव्यय कहलाते हैं। जैसे-अरे, अहो, हाय, धन्य आदि।

कारक

प्रश्न-
कारक की परिभाषा एवं भेद बताइये।
परिभाषा-संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका वाक्य के दूसरे शब्दों से संबंध जाना जाए, उसे कारक कहते हैं। जैसे-राम ने गीता की पुस्तक को पढ़ा।

विभक्ति- कारक प्रकट करने के लिए संज्ञा या सर्वनाम के साथ जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विभक्ति कहते हैं।

हिंदी में आठ कारक हैं तथा उनके विभक्ति चिन्ह निम्नलिखित हैं-
MP Board Class 8th General Hindi व्याकरण 1

काल

परिभाषा-क्रिया के जिस रूप से उसके करने या होने के समय का बोध हो उसे काल कहते हैं।

प्रकार-काल के तीन प्रकार हैं-
(1) भूल काल,
(2) वर्तमान काल
(3) भविष्यत् काल।।

  1. भूत काल-क्रिया के जिस रूप से उसके बीते समय का ज्ञान हो, उसे भूत काल कहते हैं। राम ने यज्ञ किया।
  2. वर्तमान काल-क्रिया के जिस रूप से उसके वर्तमान में होने का बोध हो उसे वर्तमान काल कहते हैं। जैसे-राम जा रहा है।
  3. भविष्यत् काल-क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने का आने वाले समय में ज्ञान हो, वह भविष्यत् काल कहलाता है। जैसे-हम रात्रि जागरण करेंगे।

उपसर्ग

परिभाषा-वे शब्दांश जो किसी शब्द के पूर्व लगकर उसके अर्थ को परिवर्तित कर देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं।
जैसे-प्र + हार = प्रहार, (हार = पराजय) प्रहार = आक्रमण-

प्रमुख उपसर्ग इस प्रकार हैं

  • प्र – प्रक्रिया, प्रकाण्ड, प्रदूषण, प्रस्थान, प्रवेश, प्रगति।
  • परा – पराजय, पराभव, परागबैनी।
  • अनु – अनुशासन, अनुकरण, अनुचर, अनुग्रह, अनुरोध।
  • अव – अवगुण, अवतरण, अवसर, अवतार, अवस्था।
  • निर् – निर्मल, निर्बल, निर्जल, निर्दय, निर्विकार।
  • दुस् – दुःशासन, दुस्साहस।
  • अति – अतिवीर, अत्यधिक अतिरिक्त, अत्याचार, अतिशय।
  • अप – अपमान, अपयश, अपवाद।
  • उत् – उत्कीर्ण, उद्गार, उद्दण्ड, उद्घाटन, उत्सुक, उत्थान, उद्योग, उद्यान, उन्नति, उदाहरण।
  • उप – उपकरण, उपहारस, उपकार, उपकृत, उपद्रव।
  • नि – निवेदन, निवास, नियुक्त, निमंत्रण।
  • परि – परिस्थिति, पर्यावरण, परिवर्तन, परिचय, परिमिति, परिश्रम।
  • वि – विकट, विध्वंस, विपक्ष, विसर्जित, विकल्प, विलक्षण, विकल, विपत्ति।

प्रत्यय

परिभाषा-वे शब्दांश जो शब्द के अंत में जुड़कर शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं।
प्रमुख प्रत्यय एवं उनसे बने शब्द नीचे अनुसार हैं-

  • डक – तांत्रिक, साहित्यिक, लौकिक, धार्मिक, दैनिक, वार्षिक, बौद्धिक, तार्किक, नैयायिक।
  • इन – मलिन।
  • ई – योगी, माली।
  • इत – पतित, लज्जित, लिखित, निर्मित, चलित।
  • गत – मनोगत, दृष्टिगत, व्यक्तिगत, कण्ठगत, स्वर्गगत, दलगत।
  • गम – दुर्गम, हृदयंगम, अगम, संगम, विहंगम।
  • दायक – गुणदायक, मंगलदायक, कष्टदायक, लाभदायक, सुखदायक।
  • धर – गिरिधर, गंगाधर, हलधर, जलधर, पयोधर, विषधर, मुरलीधर।
  • भेद – बुद्धिभेद, मतभेद, अर्थभेद, धर्मभेद, शब्दभेद।
  • रहित – भावरहित, धर्मरहित, ज्ञानरहित, प्रेमरहित, दयारहित, शंकारहित, कल्पनारहित।
  • शील – विचारशील, दानशील, धर्मशील, सहनशील, प्रगतिशील।
  • हीन – गुणहीन, मतिहीन, विद्याहीन, शक्तिहीन, कुलहीन, धनहीन।
  • रत – कार्यरत, अध्ययनरत।

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मुहावरे : अर्थ एवं वाक्यों में प्रयोग

  1. काफूर हो जाना (दूर हो जाना)-हामिद की बातें सुनकर अमीना का गुस्सा काफूर हो गया।
  2. कसमें खाना (प्रतिज्ञा करना)-तुम्हें झूठी कसमें कभी नहीं खानी चाहिए।
  3. छक्के छूट जाना (हिम्मत हार जाना)-हमारे सैनिकों की वीरता के आगे शत्रुओं के छक्के छूट जाते हैं।
  4. रंग जमाना (रौब जमाना)-हामिद के चिमटे की तारीफ कर सभी साथियों पर रंग जमा दिया।
  5. गद्गद होना (गला भर जाना)-हामिद के चिमटा लेने के कारण का उत्तर सुनकर दादी गद्दगद् होकर रो पड़ी।
  6. माटी में मिल जाना (नष्ट हो जाना)-नूरे के वकील साहब लुढ़क पड़े और उनका माटी का चोला माटी में मिल गया।
  7. मुँह छिपाना (लज्जित होना)-रमेश को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे उसे लोगों के सामने मुँह छिपाना पड़े।
  8. नींद खुलना (होश आना)-तुम ताला बंद करके नहीं जाते। यादे चोरी हो गयी, तो तुम्हारी नींद खुलेगी।
  9. पीठ दिखाना (मैदान छोड़कर भाग जाना)-हमारे सैनिक युद्ध के मैदान से कभी पीठ दिखाकर नहीं भागते।
  10. आँख चौंधिया जाना (आश्चर्यचकित हो जाना) -दीपावली की चकाचौंध देखकर सहज ही आँखे चौंधिया जाती हैं।
  11. लोहा लेना (टक्कर लेना)-शत्रुओं का हमारे सैनिकों से लोहा लेना बड़ा महंगा पड़ेगा।
  12. हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना (निठल्ला रहना)-हमें कभी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रहना चाहिए।
  13. पाँचों अंगुलियाँ घी में होना (लाभ ही लाभ)-आजकल रहमान की पाँचों अंगुलियाँ घी में हैं।
  14. प्राण फूंकना (जान डाल देना)-उपवास आत्मा की शांति के लिए किया हुआ शरीर में प्राण फूंकने जैसा कार्य है।
  15. मिट्टी में मिलना (नष्ट करना)-मेला न देख पाने का कारण टिंकू के सारे के सारे अरमान मिट्टी में मिल गए।
  16. फूले न समाना (खुशी की सीमा न रहना)-परीक्षा फल में प्रथम श्रेणी में पास होने पर मैं फूला नहीं समाया।
  17. तीर मारना (बहादुरी दिखाना)-दो वर्ष में एक कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इतनी खुशी हो रही है जैसे कोई तीर मारकर लौटे हो।
  18. सतर्क रहना (सावधान रहना)-हमें शहर में जेब-कतरों से हमेशा सतर्क रहना चाहिए।
  19. हाथ-पाँव फूलना (हताश हो जाना)-बालकों की निर्भीकता एवं साहस देखकर डाकू रामसिंह के हाथ-पाँव फूल गए।
  20. आँख का तारा (परम प्रिय)-अक्षय और निर्भय अपने दादा की आँख के तारे थे।
  21. बाल बाँका न होना (कुछ भी न बिगाड़ पाना)-डाकू रामसिंह वीर बालकों का बाल बाँका न कर सका।
  22. मुँह में पानी आना (मन ललचाना)-खेत में लगे हरे-हरे चनों को देखकर सबके मुँह में पानी आ गया।
  23. अंधे की लकड़ी (एक मात्र सहारा)-हामिद अमीना के लिए अंधे की लकड़ी के समान था।
  24. अपना उल्लू सीधा करना (मतलब निकालना)-कुछ लोग अपना उल्लू सीधा करने में ही लगे रहते हैं।
  25. अपने पैरों पर खड़े होना (आत्म-निर्भर बनना)-हमें उद्यम करके अपने पैरों पर खड़े हो जाना चाहिए।
  26. आँख में धूल झोंकना (धोख देना)-कभी-कभी चोर पुलिस की आँखों में धूल झोंककर भाग जाते हैं।
  27. कमर कसना (तैयार होना)-देश से निरक्षरता दूर करने के लिए हम सभी को कमर कस लेनी चाहिए।
  28. जहर का यूंट पीना (क्रोध को दबाना)-प्रताड़ित होने पर नववधूओं को क्रोध तो आता है, परंतु परवशता में वे जहर का चूंट पीकर रह जाती हैं।
  29. नाक में दम करना (तंग करना)-तुमने तो हमारी नाक में दम कर रखा है, क्या मैं ठीक से सो भी नहीं सकता?
  30. नौ-दो ग्यारह होना (भाग जाना)-पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गया।
  31. मुँह की खाना (पराजित होना)-सन् 1965 के युद्ध में भारतीय वीरों के सम्मुख पाकिस्तानी सैनिकों को मुँह की खानी पड़ी थी।
  32. श्री गणेश होना (काम का शुभारंभ होना)-स्टेडियम की आधारशिला रखकर मुख्यमंत्री ने कार्य का श्री गणेश किया।
  33. लेने के देने पड़ना (हानि होना)-भारतीय सैनिकों के सम्मुख पाकिस्तानी सैनिकों को लेने के देने पड़ गए।
  34. हाथ बटाना (हिस्सा लेना)-हमें हमेशा अपने बड़ों के कामों में हाथ बटाना चाहिए।

विराम-चिन्ह

परिभाषा-शब्दों व वाक्यों का परस्पर संबंध बताने तथा किसी विषय को भिन्न-भिन्न भागों में बाँटने व पढ़ने में ठहरने के लिए जिन चिन्हों का उपयोग किया जाता है, उन्हें विराम-चिन्ह कहते हैं।

विराह-चिन्ह निम्न प्रकार के होते हैं-

  • अल्पविराम (,)
  • अर्धविराम (;)
  • पूर्णविराम (।)
  • प्रश्नबोधक (?)
  • विस्मयादिवोधक (!)
  • उद्धरण चिन्ह (“)
  • निदेशक (:-)
  • कोष्ठक ()
  • योजक चिन्ह (-)
  • लाघव चिन्ह (0)
  • त्रुटिपूरक (^)

पर्यायवाची शब्द

  • चंद्रमा – चंद्रमा, शशि, द्विजराज, विधु, सुधाकर, राकापति, निशापति, रजनीश, हिमांशु, शशांक, मयंक, राकेश।
  • तालाब – सर, सरोवर, तडाग, हृद, ताल। देवता-अमर, विबुध, देव, सुर।
  • असुर – राक्षस, दैत्य, दानव, दनुज, निशाचर, रजनीचर, तमीचर।
  • पर्वत – नग, गिरि, अचल, भूधर, महीधर, शैल, पहाड़।
  • जल – वारि, अंबु, तोय, नीर, पानी, पय, अंभ, उदक, अमृत, जीवन, अप।
  • कमल – पदम्, अंबुज, जलज, नीरज, सरोज, वारिज, पंकज, सरसिज, राजीव, अरविंद, नलिनी, उत्पल, पुण्डरीक।
  • स्त्री – अबला, नारी, महिला, ललना। राजा-नृप, नृपति, भूप, भूपति, नरपति, नरनाथ, भूपाल, नरेश।
  • अमृत – पीयूष, सुधा, सोपान, अमिय। पुत्र-आत्मज, सुत, सूनु, तनय, तनुज।
  • पृथ्वी – भूमि, भू, धरा, अचला, मही, क्षिति, धरती, वसुधा, वसुंधरा।
  • समुद्र – सागर, सिंधु, जलधि, जलनिधि, पयोधि, नीरधि, वारीश।
  • बादल – मेघ, घन, वारिद, अंबुद, तोयद, जलद, जलधर।
  • फल – पुष्प, कुसुम, सुमन, प्रसून।
  • ब्राह्मण – द्विज, भूदेव, भूसूर, विप्र, अग्र, जन्मा।
  • भोरा – अलि, भ्रमर, षट्पद, षडनि, मिलिंद।

विरुद्धार्थी शब्द

MP Board Class 8th General Hindi व्याकरण 2

अनेकर्थी शब्द

कनक-सोना, धतूरा। आवागमन यातायात, संसार, भ्रमण। हलधर के वीर-बैल, कृष्ण। वृषभानुज गाय, राधा। पानी इज्जत, जल। राम-श्रीराम, ईश्वर। अंबर-कपड़ा, आकाश। पेय-दूध, पानी। पत्र-पत्ता, चिट्ठी। कंचन-सोना, स्वच्छ। अंबु-जल, एक छंद, चार, आम। अंकन-लिखना, चित्र बनाना। अंकुर पौधे का छोटा रूप, जल, संतति। अकंटक बिना काँटे के, शत्रु रहित। अक्सीर शर्तिया, अचूक। कृष्ण काला, श्याम, (श्रीकृष्ण जी)। अरण्य जंगल, सन्ख्यासियों का एक प्रकार, एक फल का नाम। आँख नेत्र, ईख की गाँठ, संतान। उदरपेट, वस्तु का भीतरी भाग। शुष्क-सूखा, उदास।

तद्भव एवं तत्सम शब्द

MP Board Class 8th General Hindi व्याकरण 3a
MP Board Class 8th General Hindi व्याकरण 3

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

  • वह व्यक्ति जो ईश्वर को नहीं मानता – नास्तिक
  • वह व्यक्ति जो ईश्वर को मानता है – आस्तिक
  • जिसकी उपमा न दी जा सके – अनुपम
  • जिसे जीता न जा सके – अजेय
  • जहाँ लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए जाते हों – स्वास्थ्य-गृह
  • जिसका कोई मूल्य न आँका जा सके – अनमोल
  • अधिक उम्र वाली – सयानी
  • जिससे जान पहचान न हो – अजनबी
  • जो पाप से रहित है – निष्पाप
  • जिसके दस सिर हैं – दशानन
  • वह स्थान जहाँ मनुष्य का जाना कठिन है – दुर्गम
  • वह रोग जो अच्छा नहीं हो सकता – असाध्य
  • एक ही माता से जन्म लेने वाली संतान – सहोदर
  • बिना पढ़ा-लिखा व्यक्ति – निरक्षर
  • वह व्यक्ति जिसका कोई शत्रु न हो – आजातशत्रु
  • जिसके आर-पार देखा जा सके – पारदर्शक
  • जिसके आर-पार न देखा जा सके – अपारदर्शक
  • जो बिना किसी वेतन के कार्य करता है – अवैतनिक
  • वह जो सब-कुछ जानता है – सर्वज्ञ
  • जिसे रोगद्वेष नहीं है – वीतराग
  • जो सबका हित करने वाला है – हितैषी
  • जो कम से कम बोलता है – मितभाषी
  • जो मीठा बोलता है – मिष्ट भाषी, मृदुभाषी
  • जो किसी के पीछे चलता है – अनुगामी
  • जिस पर कोई बंधन नहीं – स्वतंत्र
  • जो बंधन युक्त है – परतंत्र
  • तपस्या करने वाला व्यक्ति – तपस्वी
  • जिसकी गणना न की जा सके – अगणित
  • जिसका कोई महत्त्व न हो – नगण्य
  • प्राचीन काल से चली आने वाली रीति – परंपरागत
  • किसी स्थान को चारों ओर से – चहारदीवारी
  • घेरे हुए दीवार
  • जिसकी कोई सीमा न हो – असीम
  • जो समान आयु का हो – समवयस्क
  • जो किसी विशेष स्थान से संबद्ध हो – स्थानीय
  • दूसरे देश का व्यक्ति – विदेशी
  • किसी देश में रहने वाला व्यक्ति – नागरिक
  • पास में रहने वाला व्यक्ति – पड़ोसी
  • जिसे प्रेम किया गया है – प्रेमिका/प्रेमी
  • गाना गाने वाला – गवैया
  • तबला बजाने वाला – तबलची
  • गान-नृत्य का स्थान – महफिल
  • किसी देवता की स्थापना का स्थान – मंदिर
  • जिसने इंद्रियों को जीत लिया है – जितेंद्रिय
  • जो बिना विचारे किसी को मानता है – अंधभक्त

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अलंकार एवं अलंकार के प्रकार

परिभाषा-वाक्य में सुंदरता या चमत्कार लाने के लिए जिस शाब्दिक या अर्थ संबंधी चमत्कार की उत्पत्ति होती है, उसे अलंकार कहते हैं।

अलंकार के तीन प्रकार हैं-

  • शब्दालंकार
  • अर्थालंकार
  • उभयालंकार।

प्रमुख अलंकार

1. अनुप्रयास-जहाँ वर्णों की आवृत्ति (बार-बार आने से) कारण चमत्कार उत्पन्न हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

जैसे-
‘मुदित महीपति मदिर आये, सेवक सचित्र सुमंत्र बुलाये।’ इसमें ‘म’ एवं ‘स’ की बार-बार आवृति हुई है।

2. यमक-जब एक या अधिक शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त हों, पर हर बार उसका अर्थ भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है।

जैसे-

कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
वा खाये बौराय जग या पाये बौराय॥
यहाँ एक कनक का अर्थ धतूरा व दूसरे का होना है।

3. इलेष-जहाँ एक ही शब्द के कई अर्थ निकलें।

जैसे-

रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे मोती मानुस चून।
यहाँ पानी का अर्थ-क्रमशः चमक, इज्जत व जल है।

4. उपमा-जहाँ किसी वस्तु की उसके किसी विशेष गुण के कारण तुलना की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
जैसे- ‘बन्दौं कोमल कमल से, जग जननी के पाँय।’

5. रूपक-जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो वहाँ रूपक होता है।

जैसे-

‘चरण कमल बन्दौं हरि राई।’
यहाँ चरण उपमेय पर कमल उपमान का आरोप

6. उत्प्रेक्षा-जब उपमेय में उपमान की कल्पना कर ली जाए, तो वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

जैसे-

सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात।
मनौ नील मनि शैल पर, आतप पर्योप्रभात॥
यहाँ श्याम में सूर्य के प्रकाश का उपमान है।

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 16 तुम वही दीपक बनोगे

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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 16 तुम वही दीपक बनोगे (दिवाकर वर्मा)

तुम वही दीपक बनोगे पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

तुम वही दीपक बनोगे लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि प्रतिपल सजग रहने की सलाह क्यों देता है?
उत्तर
कवि प्रतिपल सजग रहने की सलाह देता है। यह इसलिए कि वायुमण्डल विषैला हो गया है।

प्रश्न 2.
विषधरों को कीलने के लिए कवि कौन-सी युक्ति सुझाता है?
उत्तर
विषधरों को कीलने के लिए कवि मधुर-मादक-मत्त ध्वनि-सी युक्ति सुझाता है।

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प्रश्न 3.
कवि को ऐसा क्यों लगता है कि प्राण आहादित नहीं है?
उत्तर
आज रागिनी बेसुरी है। संवेदनाएँ क्षत-विक्षत हैं और मन की बाँसुरी चुप है। इसलिए कवि को ऐसा लगता है कि प्राण आहादित नहीं है।

प्रश्न 4.
दामन बचाना कवि को कठिन क्यों लगता है?
उत्तर
दामन बचाना कवि को कठिन लगता है। यह इसलिए कि चारों ओर अग्नि की ज्वाला जल रही है।

प्रश्न 5.
कवि चारों दिशाओं में जलन क्यों अनुभव करता है?
उत्तर
कवि चारों दिशाओं में जलन अनुभव करता है। यह इसलिए कि मन मरुस्थल बन रहे हैं और तन की प्यास नहीं बुझ रही है।

तुम वही दीपक बनोगे लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अमावस की कालिमा से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर
अमावस की कालिमा से कवि का तात्पर्य है-द्वैष और अविश्वास का अंधकार।

प्रश्न 2.
‘पोटली विष की भरी है’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
पोटली विष की भरी है’ का आशय है। ईया, द्वेष, नफ़रत, स्वार्थ आदि का विस्तृत वातावरण।

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प्रश्न 3.
वर्तमान स्थिति में मानव-संबंध के बारे में कवि के विचारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
वर्तमान स्थिति में मानव-संबंध के बारे में कवि के विचार सुस्पष्ट हैं। उसका यह मानना है कि आज चारों ओर द्वैष और अविश्वास का इतना विषेला वातावरण फैल चुका है कि उससे निजात पाना न केवल कठिन है, अपितु अपने-आप में एक बहुत बड़ी चुनौती भी है।

प्रश्न 4.
जमाने के चलन को सुधारने के लिए कवि की युवाओं से क्या अपेक्षाएँ हैं?
उत्तर
जमाने के चलन को सुधारने के लिए कवि की युवाओं से अपेक्षाएँ हैं कि वे अमृतमयी मनुहार से प्राण संपादित करके बासंती बनेंगे।

तुम वही दीपक बनोगे भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
अमावस्या, मधुर, मूक, अमृत।
उत्तर
शब्द – विलोम
अमावस्या – पूर्णिमा
मधुर – कठोर
मूक – वाचाल
अमृत – विष।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सामासिक पदों का विग्रह कर समासों के नाम लिखिए
विषधर, वायुमण्डल, क्षत-विक्षत, अग्नि-ज्वाला, चतुर्दिश।
उत्तर
MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 16 तुम वही दीपक बनोगे img-1

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखिए
उत्तर
वाक्यांश – एक शब्द
जो विष से भरा – विषैला
बसंत से सम्बंधित – वासंती
जहाँ कुछ उगता नहीं – मरुस्थल
अँधेरे से भरी रात्रि। – अमावस्या।

तुम वही दीपक बनोगे योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
युवाओं को संबोधित कवियों की रचनाओं का संग्रह कीजिए एवं कक्षा में सुनाइए।
प्रश्न 2.
‘युवा देश की तस्वीर बदलते हैं’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
प्रश्न 3.
आकाशवाणी और दूरदर्शन के ‘युवा कार्यक्रम’ को देखिए और उस में भाग लीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

तुम वही दीपक बनोगे परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘तुम वही दीपक बनोगे’ कविता का प्रतिपाय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘तुम वही दीपक बनोगे’ कविता कविवर दिवाकर वर्मा की एक मार्मिक और हृदयस्पर्शी कविता है।
प्रस्तुत कविता देश की वर्तमान युवा पीढ़ी को समर्पित और संबोधित है। कवि का यह मानना है कि वर्तमान में चारों ओर द्वैष और अविश्वास का अंधकार छाया हुआ है। उसको भेदकर युवा वर्ग ही दीप-सा प्रकाश दे सकता है। कवि को यह पूरा-पूरा विश्वास है कि युवा वर्ग आज के विषैले समाज को अपने मधुर राग से, त्रसित मानवता को मलय । पवन के समान शीतलता से, खण्डित रिश्तों को प्रेम के सेतु से, तीक्ष्ण ताप से प्रताड़ित मानव को प्रेमपूर्वक तथा प्यासे हुए प्राणों को बासंती स्पंदन से अमृतदान दे सकता है।

प्रश्न 2.
कवि युवा वर्ग को कौन-सा दीपक बनने के लिए कह रहा है?
उत्तर
कवि युवा वर्ग को अमावस्या की कालिमा को धूप के समान उजियार कर देने वाला दीपक बनने के लिए कह रहा है।

प्रश्न 3.
आज मनुष्य के संबंध परस्पर कैसे हो रहे हैं?
उत्तर
आज मनुष्य के संबंध परस्पर खटाई पड़ने से फटे हए ध के समान हो रहे हैं।

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प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्दों के चयन से कीजिए।
1. है मुझे विश्वास दृढ़, तुम बन वही ………….. जलोगे। (आग, दीपक)
2. पोटली ………….. की भरी है। (अमृत, विष)
3. …………… भी बेसुरी है। (बाँसुरी, रागिनी)
4. …………… मन की बाँसुरी है। (प्राण, मूक)
5. …………… ही बस फट रहे हैं। (बम, संबंध)
उत्तर
1. दीपक
2. विष
3. रागिनी
4. मूक
5. संबंध।

प्रश्न 5.
दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. दिवाकर वर्मा का जन्म हुआ था-
1.1 जनवरी को,
2. 25 दिसम्बर को,
3. 20 जनवरी को,
4. 20 दिसम्बर को।
उत्तर
2. 25 दिसम्बर को

2. दिवाकर वर्मा की मुख्य विधा है
1. गीत
2. नवगीत
3. दोनों
4. कोई नहीं।
उत्तर
3. दोनों

3. दिवाकर वर्मा का नाटक है
1. रत्नावली
2. चंदनवन में आग
3. सुंदर बन
4. अब तो खामोशी तोड़ो।
उत्तर

4. दिवाकर वर्मा का जन्म हुआ था
1. 1920 में
2. 1930 में
3. 1940 में
4. 1941 में
उत्तर
4. 1941 में

5. दिवाकर वर्मा को पुरस्कार मिला है
1.कलश-सम्मान
2. कला-मंदिर
3. भोपाल का पवैया
4. उपर्युक्त सभी।
उत्तर
4. उपर्युक्त सभी।

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प्रश्न 6.
सही जोड़ी का मिलान कीजिए।
कन्यादान – तुलसीदास
एक कंठ विषपापी – डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
जानकी मंगल – महावीर प्रसाद द्विवेदी
कला और संस्कृति – दुष्यंत कुमार
अद्भुत आलाप – सरदार पूर्ण सिंह।
उत्तर
कन्यादान – सरदार पूर्ण सिंह
एक कंठ विषपापी – दुष्यंत कुमार
जानकी मंगल – तुलसीदास
कला और संस्कृति – डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
अद्भुत आलाप – महावीर प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए।
1. वायुमण्डल विषैला है।
2. प्राण आह्लादित हैं।
3. प्रतिपल सजगता चाहिए।
4. आज दूरियाँ घट रही हैं।
5. आज आदमी अंगार बनता जा रहा है।
उत्तर

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. सत्व
  4. असत्य
  5. सत्य।

प्रश्न 8. एक शब्द में उत्तर दीजिए
1. विष की क्या भरी है?
2. रागिनी भी क्या है?
3. आज क्षत-विक्षत क्या हैं?
4. आज क्या बढ़ रही हैं।
5. कौन अंगार बनता जा रहा है।
उत्तर

  1. पोटली
  2. बेसुरी
  3. संवेदनाएँ
  4. दूरियाँ
  5. आदमी।

तुम वही दीपक बनोगे लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसका किससे विश्वास है?
उत्तर
कवि का आज के युवावर्ग से विश्वास है।

प्रश्न 2.
संजीवन जगाने के लिए कवि ने युवा वर्ग से क्या कहा है?
उत्तर
संजीवन जगाने के लिए कवि ने युवा वर्ग से तन में प्राण फूंकने के लिए कहा है।

प्रश्न 3.
आज क्या फट रहे हैं?
उत्तर
आज संबंध ही बस फट रहे हैं।

प्रश्न 4.
जमाने का चलन क्या हो गया है?
उत्तर
प्राण में कोकर उग रहे हैं। यही जमाने का चलन हो गया है।

तुम वही दीपक बनोगे कवि-परिचय

जीवन-परिचय-हिन्दी साहित्य के विशिष्ट सर्जक के रूप में दिवाकर वर्मा का सुनाम है। आपका जन्म 25 दिसंबर, 1941 को उत्तर-प्रदेश के सोरो, जिला एटा में हुआ था। शिक्षा-प्राप्ति के समय से ही आप साहित्य-रचना के क्षेत्र में सक्रिय हो गए। आपका साहित्य क्षेत्र मुख्य रूप से भारतीय संस्कृति और साहित्य है। इसके अतिरिक्त समाज और दर्शन भी आपके साहित्य की रचना की परिधि में आते हैं।

रचनाएँ-दिवाकर वर्मा की प्रमुख विधा गीत और नवगीत हैं। गीत रचनाओं में आस्था के स्वर, सूर्य के वंशज सुनो, और उलझते गए जाल में आदि उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त सुंदरवन (बालगीत), अब तो खामोशी तोड़ो (गजल-संग्रह), चंदनवन में आग (दोहा-संग्रह) और रत्नावली (नाटक) भी उनकी सृजनात्मकता की उपलब्धियाँ हैं।

भावपक्ष-चूँकि दिवाकर वर्मा कवि हैं अतएव उनकी भावधारा सरल, सरस और सपाट है। उसमें तेज है, गति है, निरंतरता है और ताजगी है। इससे प्रस्तुत हुआ कथ्य अपने तथ्य को आसानी से स्पष्ट कर पाया है। इस प्रकार दिवाकर वर्मा का भावपक्ष रोचक और आकर्षक है।

कलापक्ष-दिवाकर वर्मा का कलापक्ष अलंकृत और चमत्कृत है। रसों में वीर रस और श्रृंगार रस के अधिक प्रवाह हैं। अलंकारों में अनुप्रास, रूपक, प्रतीक, उठोक्षा, मानवीकरण आदि अधिक प्रयुक्त हुए हैं। बिंबों और प्रतीकों को यथास्थान दिया गया है। मक्तक छंद की योजना सटीक और यथोचित रूप में है।

साहित्य में स्थान-दिवाकर वर्मा के साहित्य में ‘मानस’ की गंभीरता के साथ ही ‘मानव’ की उदारता का विशिष्ट गुण है। वे जीवन और काव्य में छद्म के स्थान पर सच्चाई के पक्षधर हैं। उन्होंने साहित्य, समाज और दर्शन पर गंभीर आलेख प्रस्तुत किए हैं, उनकी काव्य-रचनाएँ और समीक्षाएँ हिन्दी में विशेष ख्यात हुई हैं।
दिवाकर के महत्त्वपूर्ण साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन का रंजन कलश सम्मान, कला-मंदिर, भोपाल का पवैया, पुरस्कार एवं अन्य संस्थाओं से ‘रत्न भारती’ तथा ‘कला गुरु साहित्य सम्मान’ प्रदान किए गए हैं। दिवाकर वर्मा अपनी सतत साहित्य, रचनाधर्मिता के कारण अनेक संस्थाओं से संबद्ध रहकर साहित्य और संस्कृति की सेवा कर रहे हैं।

तुम वही दीपक बनोगे कविता का सारांश

कविवर दिवाकर वर्मा विरचित कविता ‘तुम वही दीपक बनोगे’ वर्तमान युवा-पीढ़ी के सोए हुए भावों को जगाने वाली कविता है। कवि को यह आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आज का युवा वर्ग ही चारों ओर फैले हुए अंधकार को दूर करने के लिए वही दीपक बनकर प्रकाश फैलायेगा। वही आज के विषधरों को कील देने वाले बीन से ध्वनि करेगा। वही आज क्षत-विक्षत हो रही संवेदना को प्राण फूंक देने वाले संजीवन जगाने हेतु मलय समीर के समान चलेगा। वही बढ़ रही विजन की बस्ती बनाने के लिए आगे पैर रखोगे। वही शमन पर होला-हवाला और अंगार बनते जा रहे आदमी के लिए ताप का मर्दन करोगे। आज चारों ओर हो रहे जलन में अमृतमयी मनुहार से प्राण स्पदित करने वाले बसंती हवा बनोगे।

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तुम वही दीपक बनोगे संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या

1. जो अमा की कालिमा भी
धूप सी उजियार कर दे
है मुझे विश्वास दृढ़, तुम बन वही दीपक जलोगे!

वायुमण्डल है विषेला विषधरों की भी बहुलता,
पोटली विष की भरी है,
चाहिए प्रतिपल सजगता,
मधुर-मादक-मत्त ध्वनि से विषधरों को कील दे जो
है मुझे विश्वास तुम उस बीन से निश्चित बजोगे!

शब्दार्व-अमा-अमावस्या। विषधर-साँप।

संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ 10वीं में संकलित कवि दिवाकर वर्मा विरचित कविता ‘तम वही दीपक बनोगे’ से है।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने आज के युवावर्ग से वर्तमान समय में फैले हुए अंधकार के लिए दीपक बनने का विश्वास रखते हुए कहा है कि

व्याख्या-अमावस्या की काली रात को तुम धूप की तरह उजाला से भर दो। मुझे दृढ़ विश्वास है कि तुम इस प्रकार का अवश्य दीपक बनोगे। कवि का पुनः कहना है कि आज सारा वातावरण विषैला हो चुका है। इससे विषधरों की भरमार हो रही है। विष की पोटली भर चुकी है। इसके प्रति हर क्षण सजग रहने की आवश्यकता है। आज मधुर मादक मत्त ध्वनि से इन फैले हुए विषधरों को कील देने की आवश्यकता है। मुझे विश्वास है कि तुम उस बीन से निश्चित ध्वनि निकालोगे।

विशेष-

  1. सामयिक दशा पर ज्वलंत विचार प्रस्तुत है।
  2. भाषा लाक्षणिक है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-स्वरूप ओजस्वी है। समय की बदलती तीखी दशा का तीव्रोल्लेख है। आज विषैले वातावरण पर सीधा प्रकाश डालकर कवि ने समय की नब्ज को न केवल पहचानने की कोशिश की है, अपितु उसको दूर करने की भी प्रेरणा दी है।

(ख) शिल्प-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्यक्त पयांश के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौंदर्य मिश्रित शब्दों का है। संपूर्ण कथ्य सरल, सपाट और सटीक भाषा में प्रस्तुत है। व्यंजना शब्दावली से प्रस्तुत हुई व्यंजनात्मक शैली प्रभावशाली रूप में है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश का मुख्य भाव लिखिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का मुख्य भाव आज के विषैले वातावरण को समाप्त करके शांत और सुखद वातावरण की स्थापना का है। इसके लिए कवि ने आज के युवा वर्ग के प्रति दृढ़ विश्वास व्यक्त कर उन्हें प्रेरित करने का प्रयास किया है।

2. प्राण आहादित नहीं औ’
रागिनी भी बेसुरी है,
क्षत-विक्षत संवेदनाएँ हैं,
मूक मन की बाँसुरी है,
आज संजीवन जगाने
फूंक दे जो प्राण तन में
है मुझे विश्वास दृढ़ तुम मलय-मारुत सम चलोगे!

बढ़ रही हैं दूरियाँ
औ’ वर्ग नित नव बन रहे हैं,

व्याख्या-अमावस्या की काली रात को तुम धूप की तरह उजाला से भर दो। मुझे दृढ़ विश्वास है कि तुम इस प्रकार का अवश्य दीपक बनोगे।
कवि का पुनः कहना है कि आज सारा वातावरण विषैला हो चुका है। इससे विषधरों की भरमार हो रही है। विष की पोटली भर चुकी है। इसके प्रति हर क्षण सजग रहने की आवश्यकता है। आज मधुर मादक मत्त ध्वनि से इन फैले हुए विषधरों को कील देने की आवश्यकता है। मुझे विश्वास है कि तुम उस बीन से निश्चित ध्वनि निकालोगे।

विशेष-

  1. सामयिक दशा पर ज्वलंत विचार प्रस्तुत है।
  2. भाषा लाक्षणिक है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-स्वरूप ओजस्वी है। समय की बदलती तीखी दशा का तीव्रोल्लेख है। आज विषैले वातावरण पर सीधा प्रकाश डालकर कवि ने समय की नब्ज को न केवल पहचानने की कोशिश की है, अपितु उसको दूर करने की भी प्रेरणा दी है।

(ख) शिल्प-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्यक्त पयांश के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौंदर्य मिश्रित शब्दों का है। संपूर्ण कथ्य सरल, सपाट और सटीक भाषा में प्रस्तुत है। व्यंजना शब्दावली से प्रस्तुत हुई व्यंजनात्मक शैली प्रभावशाली रूप में है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश का मुख्य भाव लिखिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का मुख्य भाव आज के विषैले वातावरण को समाप्त करके शांत और सुखद वातावरण की स्थापना का है। इसके लिए कवि ने आज के युवा वर्ग के प्रति दृढ़ विश्वास व्यक्त कर उन्हें प्रेरित करने का प्रयास किया है।

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3. किस तरह दामन बचायें
प्रज्वलित है अग्निज्वाला,
तीलियाँ तो संवरित हैं
शमन पर हीला-हवाला,
आदमी अंगार बनता जा रहा ।
ऐसे समय में
है मुझे विश्वास तुम ही ताप का मर्दन करोगे!

उग रहे मन-प्राण में कीकर
जमाने का चलन है,
मन बने मरुस्थल, तृषित तन
औ’ चतुर्दिश ही जलन है,
प्राण स्पंदित करे
अमृतमयी मनुहार से जो
है मुझे विश्वास दृढ़ तुम पवन बासंती बनोगे!

शब्दार्च-दमन-वस्त्र। शमन-शांति। ताप-गर्मी। मर्दन-नाश। कीकर-चुभन । चतुर्दिश-चारों दिशाओं। तृषित-प्यासा। स्पंदित-गतिशील । मनुहार-मनाना।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-पूर्ववत्।

व्याख्या-आज की कठिन स्थिति यह है कि आज चारों ओर दखों और विषमताओं की अग्निज्वाला प्रज्वलित हो रही है। शांति के नाम पर होला-हवाला हो रहा है। आज आदमी एक-दूसरे के प्रति अंगार बनते जा रहा है। ऐसे समय में मुझे पूरा भरोसा है कि तुम ही अपेक्षित ताप का नाश कर डालोगे। आज यह भी हो रहा है कि चारोंओर मन-प्राण में कीकर उग रहे हैं। शायद यही जमाने का प्रचलन हो गया है। आज प्रायः मन मरुस्थल बन गया है, जिससे तन की प्यास बुझ नहीं पा रही है। इस प्रकार चारों दिशाओं में प्यास की जलन बढ़ रही है। आज प्राणों की अमृतमयी मनुहार से जो गतिशील कर सकता है, तो केवल तुम्हीं कर सकते हो। मुझे पूरा-पूरा भरोसा है कि तुम्हें बसंत हवा बनकर इस तीखे वातावरण को रसमग्न कर सकोगे।

विशेष-

  1. वर्तमान समाज की विडंबनाओं का सपाट चित्र है।
  2. व्यंग्यात्मक शैली है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर
(क) भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-योजना तत्सम प्रधान तद्भव शब्दों से पुष्ट है। भावों की क्रमबद्धता, सहजता, प्रवाहमयता और उपयुक्त देखते ही बनती है। ये भाव बड़े ही सुपरिचित और विश्वसनीय ढंग से प्रस्तुत किए गए हैं। इसलिए रोचक बन गए हैं।

(ख) शिल्प-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश का भाषा-शैली लाक्षणिक और अलंकृत है। व्यंजना शब्द-शक्ति की प्रधानता है तो रूपक और अनुप्रास अलंकार का मण्डन देखने योग्य है। करुण और वीर रस का मिला-जुला प्रवाह भाव और भाषा की सजीवता में वृद्धि कर रहा है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पयांश के भाव को सस्पष्ट कीजिए।
उत्तर
उपर्युक्त पद्यांश में कवि ने आज के मनहूस, विषम और दुखद वातावरण का चित्र खींचते हुए कठिन जीवन के विविध पक्षों को सामने लाने का प्रयास किया है। इस प्रकार की विडंबनापूर्ण जिंदगी को सखद बनाने के लिए वर्तमान युवा पीढ़ी को प्रेरित करते हुए आत्म-विश्वासपूर्वक आह्वान किया है।

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 8 अशोक का हृदय-परिवर्तन

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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 8 अशोक का हृदय-परिवर्तन (यशपाल)

अशोक का हृदय-परिवर्तन पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

अशोक का हृदय-परिवर्तन लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कलिंग की महारानी कौन थी? वह जंजीरों से किसे बाँधना चाहती थी?
उत्तर-
कलिंग की महारानी अमिता थी। वह जंजीरों से सम्राट अशोक को बाँधना चाहती थी।

प्रश्न 2.
सम्राट अशोक के सेनापति का नाम क्या था? उसने सम्राट से क्या कहा?
उत्तर-
अशोक के सेनापति का नाम गोपाल था। उसने सम्राट से कहा कि “सम्राट अभयदान दें। प्रसाद में भय है। सम्राट प्रतीक्षा करें।”

प्रश्न 3.
अशोक क्या प्राप्त करना चाहते थे?
उत्तर-
अशोक कलिंग का सिंहासन प्राप्त करना चाहते थे।

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प्रश्न 4. अशोक की राजसिंहासन.की इच्छा सुनकर अमिता सोच में क्यों पड़ गई?
उत्तर-
अशोक की राजसिंहासन की इच्छा सुनकर अमिता इसलिए सोच में पड़ गई कि इतना बड़ा सम्राट होकर भी कितना बड़ा स्वार्थी और निर्लज है।

प्रश्न 5.
अमिता के किस उत्तर ने अशोक का हृदय परिवर्तित कर दिया।
उत्तर-
“अच्छा, तुम माँगते हो तो ले जाओ।” क्या तुम्हारे पास सिंहासन नहीं है?… अच्छा, तुम इसे ले जाओ, हम दूसरा ले लेंगे। अमिता के इस उत्तर ने अशोक का हृदय परिवर्तित कर दिया।

अशोक का हृदय-परिवर्तन दीर्घ-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अशोक के बारे में अमिता के क्या विचार थे?
उत्तर-
अशोक के बारे में अमिता के विचार थे-अशोक दुष्ट है। अशोक प्रजा से छीनता है। प्रजा को डराता है। प्रजा को मारता है।।

प्रश्न 2.
अमिता ने धन की ओर संकेत करते हुए अशोक से क्या कहा?
उत्तर-
अमिता ने धन की ओर संकेत करते हुए अशोक से कहा, “बोलो, तुम्हें क्या चाहिए? फल चाहिए, मिष्ठान चाहिए या खिलौने चाहिए। जो चाहिए लो। यहाँ सब कुछ है। हम तुम्हें सब कुछ देंगे। तुम किसी से छीनो मत। किसी को डराओ मत। किसी को मारो मत। तुम्हें क्या चाहिए बोलो।”

प्रश्न 3.
अमिता ने अशोक को क्या आदेश दिया?
उत्तर-
अमिता ने अशोक को आदेश दिया कि किसी से छीनो मत। किसी को डराओ मत। किसी को मारो मत।

प्रश्न 4.
अशोक ने क्या प्रतिज्ञा की?
उत्तर-
अशोक ने प्रतिज्ञा की कि वह किसी से छीनेगा नहीं, किसी को डराएगा नहीं किसी को मारेगा नहीं। वह हिंसा और युद्ध से विजय की कामना नहीं करेगा। वह कलिंग की विजयी महारानी की भाँति निश्छल प्रेम से संसार के हृदयों पर विजय करेगा।

प्रश्न 5.
सम्राट अशोक के चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
सम्राट अशोक के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
1. वह परम वीर और परमयोद्धा था।
2. वह गुणग्राही था।
3. वह स्त्री का सम्मानकर्ता था।
4. वह विनम्र और उदार था।
5. वह दृढ़ निश्चयी था।

अशोक का हृदय-परिवर्तन भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
उत्तर-
MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 8 अशोक का हृदय-परिवर्तन img-1

प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिएस्वीकृति, विजय, भय, प्रवेश।
उत्तर-
MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 8 अशोक का हृदय-परिवर्तन img-2

प्रश्न 3.
संधि-विच्छेद कर प्रकार बताइए
निश्चल, निरुत्तर, सम्मोहन, अहंकार
उत्तर-
MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 8 अशोक का हृदय-परिवर्तन img-3

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम् और तद्भव शब्द छाँटिएस्नेह, पत्थर, अप्रतिम, निर्वाक, पाषाण, पूँछ, गज, निषेध, धर्म, दर्प।
उत्तर-
तत्सम शब्द-स्नेह, अप्रतिम, निर्वाक, पाषाण, निषेध तद्भव शब्द-पत्थर, पूँछ, गज, धर्म, दर्प

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए
जिसे जीता न जा सके, जिसे कोई शोक न हो, कठिनाई से दमन करने योग्य, चारों ओर से ढका हुआ।
उत्तर-
MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 8 अशोक का हृदय-परिवर्तन img-4
प्रश्न 6.
नीचे दिए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए और निर्देशानुसार परिवर्तन कीजिए-
(क) मगध सेनापति गोपाल सतर्क हो गया वह अपने सैनिकों को द्वार पर छोड़ उलटे पाँव लौट पड़ा। (संयुक्त वाक्य में)
(ख) अशोक ने पुकार सुनी। वह विस्मय से मौन खड़ा हो गया। (मिश्र वाक्य में)
(ग) कलिंग की महारानी सम्राट अशोक बँध गया और वह तुम्हारा बंदी है। (सरल वाक्य में)
उत्तर-
(क) मगध सेनापति गोपाल सतर्क हो गया और वह अपने सैनिकों को द्वार पर छोड़ उलटे पाँव लौट पड़ा।
(ख) अशोक की पुकार सुनकर विस्मय से मौन खड़ा हो गया।
(ग) कलिंग की महारानी से सम्राट अशोक बँध गया। वह तुम्हारा बंदी है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों के प्रकार लिखिए
(क) क्या अभी कलिंग की रानी का अहंकार शेष है?
(ख) अशोक किसी से छीनेगा नहीं।
(ग) सम्राट अभयदान नहीं दें।
(घ) यदि किसी को मारोगे तो हम तुम्हें बभ्र की भाँति बाँधकर रखेंगे।
उत्तर-
(क) प्रश्नवाचक वाक्य,
(ख) सरल वाक्य,
(ग) नकारात्मक वाक्य,
(घ) आज्ञासूचक वाक्य,
(ङ) शर्तसूचक वाक्य।

अशोक का हृदय-परिवर्तन योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
अपने देश के प्रसिद्ध शासकों के नाम लिखिए तथा यथासंभव उनके चित्र एकत्रित कीजिए।
प्रश्न 2.
हृदय परिवर्तित करने वाली अन्य घटनाएँ पढ़िए और कक्षा में सुनाइए।
उत्तर-
उपर्युक्त प्रश्नों का छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

अशोक का हृदय-परिवर्तन परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

अशोक का हृदय-परिवर्तन अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘अशोक का हृदय-परिवर्तन’ का केंद्रीय भाव लिखिए।
उत्तर-
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखे गए इस उपन्यास में कलिंग विजय के उन्माद से ग्रस्त सम्राट अशोक की हिंसक वृत्ति को दर्शाया गया है। बालिका द्वारा किए गए अबोध तथा मर्मस्पर्शी प्रश्न अशोक को उद्वेलित कर देते हैं जिससे अंततः वह अहिंसक . होने का संकल्प लेता है। कलिंग की रानी अमिता की सरलता सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन कर देती है।

प्रश्न 2.
अशोक ने तिरस्कार के स्वर में क्या प्रश्न किया?
उत्तर-
अशोक ने तिरस्कार के स्वर में प्रश्न किया- “क्या अभी कलिंग की रानी का अहंकार शेष है? अजेय अशोक ऐसी दुस्साहसी रानी का दर्प अपने पाँव तले रौंद कर चूर्ण करेगा।”

प्रश्न 3.
अमिता ने खिन्नतापूर्वक अशोक से क्या कहा?
उत्तर-
अमिता ने खिन्नतापूर्वक अशोक से कहा, “तुम हमारा आदेश नहीं मानोगे? हमारा आदेश सबको मानना चाहिए। हम कलिंग की राजेश्वरी हैं। हम प्रजा की माता हैं। तुम हमारे साथ आओ, हम अशोक को बाँधकर लाएँ!”

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से चुनकर कीजिए।
1. अशोक ………. का सम्राट था। (कलिंग, मगध)
2. अमिता कलिंग की ……………. थी। (राजकुमारी, महारानी)
3. अशोक का हृदय-परिवर्तन के लेखक हैं। (उपेंद्रनाथ ‘अश्क’, यशपाल)
4. अमिता ने कहा कि अशोक …………… है। (नीच, दुष्ट)
5. अशोक ने झुककर अमिता को ………….. में उठा लिया। (बाहों, गोद)
उत्तर-
1. मगध,
2. महारानी,
3. यशपाल,
4. दुष्ट,
5. गोद।

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प्रश्न 3.
दिए गए कथनों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. यशपाल का बहुचर्चित उपन्यास है-
1. दीवारें,
2. पर्दे की रानी,
3. कामदेव,
4. दादा कॉमरेड।
उत्तर-
4. दादा कॉमरेड,

2. यशपाल का जन्म हुआ था-
1. 1903 में,
2. 1900 में,
3. 1902 में,
4. 1901 में।
उत्तर-
1. 1903 में,

3. यशपाल के साहित्य में चित्रण है-
1. मध्यवर्गीय,
2. निम्नवर्गीय,
3. निम्नमध्यवर्गीय,
4. उच्चवर्गीय।
उत्तर-
1. मध्यवर्गीय,

4. अशोक ने विजय प्राप्त की थी-
1. मगध पर,
2. उज्जैन पर,
3. पाटलीपुत्र पर,
4. कलिंग पर।
उत्तर-
4. कलिंग पर।

5. यशपाल का निधन हुआ
1. 1980 में,
2. 1976 में,
3. 1990 में,
4. 1986 में।
उत्तर-
2. 1976 में,

प्रश्न 4.
सही जोड़े मिलाइए-
पर्दे की रानी – कबीरदास
गोदान – ‘निराला’
सूरसागर – प्रेमचंद्र
जूही की कली – सूरदास
सबद – उपेंद्रनाथ ‘अश्क’।
उत्तर-
पर्दे की रानी – उपेंद्रनाथ ‘अश्क’
गोदान – प्रेमचंद
सूरसागर – सूरदास
जूही की कली – ‘निराला’
सबद – कबीरदास।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए।
1. सैनिकों के सबसे पहले दल के साथ सेनापति गोपाल था।
2. मगध के सैनिकों ने जयघोष किया।
3. सैनिकों ने पूछा, “तुम कौन हो?”
4. अमिता ने कहा, “हमें कलिंग का सिंहासन चाहिए।”
5. अशोक ने अमिता को आदेश दिया।
उत्तर-
1. सत्य,
2. सत्य,
3. असत्य,
4. असत्य,
5. असत्य।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित कथनों के उत्तर एक शब्द में दीजिए-
1. अशोक का सेनापित कौन था?
2. “अजेय सम्राट अशोक के लिए भय है?” यह किसने कहा?
3. “देवानां प्रिय मगध सम्राट की जय।” यह किसने जयघोष किया?
4. “तुम कलिंग की महारानी हो?” किसने पूछा?।
5. “किसी से छीनो मत। किसी को डराओ मत। किसी को मारो मत।” यह किसका आदेश था?
उत्तर-
1. गोपा,
2. अशोक ने,
3. मगध के सैनिकों ने,
4. अशोक ने,
5. अमिता का

अशोक का हृदय-परिवर्तन लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अमिता कौन थी?
उत्तर-
अमिता कलिंग की महारानी थी।

प्रश्न 2.
गोपाल ने छत से क्या सुना?
उत्तर-
गोपाल ने छत से सुना”महारानी जंजीर लेकर अशोक को बाँधने जा रही है।”

प्रश्न 3.
अशोक ने अपनी पराजय स्वीकारते क्या कहा?
उत्तर-
अशोक ने अपनी पराजय स्वीकारते हुए कहा

“कलिंग की महारानी सम्राट अशोक हार गया। तुमने विजय पायी। तुम अशोक को बाँधने जा रही थी।”

प्रश्न 4.
अमिता ने अशोक को चेतावनी देते हुए क्या कहा?
उत्तर-
अमिता ने अशोक को चेतावनी देते हुए कहा, “यदि तुम पुनः किसी से छीनोगे, किसी को डराओगे, किसी को मारोगे तो हम तुम्हें बभ्रु की भाँति बाँधकर रखेंगे।”

अशोक का हृदय-परिवर्तन कवि-परिचय

जीवन-परिचय-प्रसिद्ध कहानीकार यशपाल का जन्म सन् 1903 में फिरोजपुर छावनी-(पंजाब) में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा-दीक्षा गाँव में हुई थी। उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से बी.ए. किया। कॉलेज शिक्षा के दौरान ही उनका परिचय क्रांतिकारी सरदार भगतसिंह और सुखदेव से हुआ और वे क्रांतिकारी बन गए। राजनीतिक कार्यों में सक्रिय भाग लेने लगे। वे मार्क्सवाद से प्रभावित थे। सन् 1976 ई. आपका देहांत हो गया।

साहित्यिक-परिचय-यशपाल के कथा-साहित्य में जीवन के यथार्थ का चित्रण दिखाई देता है। उन्होंने सामाजिक, आर्थिक रूढ़ियों पर तीखे व्यंग्य किए। उनका मार्क्सवादी दृष्टिकोण उनके साहित्य में दिखाई देता है। उनकी दृष्टि में समाज को उन्नत बनाने के लिए सामाजिक समानता के साथ आर्थिक समानता भी परम आवश्यक है। पात्रों के चरित्र-चित्रण में उन्होंने मनोवैज्ञानिकता को अपनाया, इसलिए कहानियों में स्वाभाविक और सजीवता आ गई।

रचनाएँ-उपन्यास-देशद्रोही, पार्टी कॉमरेड, दादा कॉमरेड, दिव्या, मनुष्य के रूप, झूठ सच आदि।

कहानी-संग्रह-ज्ञानदान, तर्क का तूफान, पिंजड़े की उड़ान, वो दुनिया, फूलों का कुर्ता, धर्म, युद्ध, उत्तराधिकारी आदि।

निबंध-संग्रह-चक्कर क्लब, बात-बात में बात, न्याय का संघर्ष। यात्रा-वृत्तांत-राह-बीती, लोहे की दीवारों के दोनों ओर। आत्मकथा-सिंहावलोकन (तीन भागों में)।

भाषा-शैली-उनकी कहानियों की भाषा-शैली में स्वाभाविकता दिखाई देती है। हिंदी, उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग भी अपने साहित्य में बिना झिझक किया है। मुहावरों ने भाषा को अलंकृत किया है। आपकी शैली प्रसाद गुण संपन्न है।

साहित्य में स्थान-यशपाल का साहित्य संपन्न साहित्य है। उनके साहित्य में विविधता है। इस प्रकार की रचनाओं से हिंदी साहित्य की श्रीवृद्धि हुई है। इसके साथ ही आने वाली पीढ़ी इससे लाभान्वित होकर लेखन-क्षेत्र में समर्थ हुई है। इस आधार पर यशपाल निःसंदेह एक महान साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित-स्थापित हैं।

अशोक का हृदय-परिवर्तन पाठ का सारांश

‘अशोक का हृदय-परिवर्तन’ प्रस्तुत पाठ में महान हिंदू सम्राट अशोक द्वारा किए गए ऐतिहासिक कलिंग युद्ध के विजय का उल्लेख है। इसके साथ ही उस कलिंग युद्ध में प्राप्त हुई विजय ने अशोक के हृदय में कैसी सनक भर दी और वह पूर्वापेक्षा कितना अधिक हिंसक वृत्ति का बन गया, इसका भी उल्लेख यहाँ किया गया है। इस स्थिति में अशोक को देखकर एक अबोध बालिका उससे जो अबोध और हृदय छू लेने वाले प्रश्न करती है, उससे वह विचलित होकर गंभीर सोच में डूब जाता है। फिर वह अपनी हिंसक वृत्ति का परित्याग कर लेने का दृढ़ संकल्प ले लेता है। इस प्रकार कलिंग की रानी की सरलता, सहजता, सरसता, निश्छलता और स्पष्टता से अशोक का हृदय-परिवर्तन अहिंसक रूप में हो जाता है।

अशोक का हृदय-परिवर्तन संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. मगध का सम्राट निश्चल, निर्वाक था। सोने मढ़े लोहे के कवच से आवृत्त उसका पाषाण हृदय, जो एक लाख से अधिक सैनिकों के रक्त से न भीग सका था, छलछला गया। सम्राट ने अपने हाथ में थमा खड्ग भूमि पर डाल दिया। उसने झुककर अमिता को गोद में उठा लिया।

शब्दार्थ-सम्राट राजा। निश्चल-स्थिर, अटल। निर्वाक-मौन। आवृत्त=ढका हुआ। पाषाणपत्थर, कठोर। रक्त खून। खड्ग तलवार।।

संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ में संकलित यशपाल लिखित ‘अशोक का हृदय-परिवर्तन’ पाठ से है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने कलिंग की रानी अमिता की उदारतापूर्ण बातों से सम्राट अशोक के प्रभावित होने का उल्लेख करते हुए कहा है कि

व्याख्या-कलिंग की रानी अमिता ने सम्राट अशोक को उदार होने की सीख देते हुए उसे अपनी सब कुछ धन-वैभव देने के लिए कहा तो उसे सुनकर वह चुप हो गया। वह वहाँ से टसमस नहीं हुआ। वह कुछ बोल न सका। उसका स्वर्ण जड़ित और लोहे के कवच से ढका हुआ पत्थर पिघलने लगा, जो लाखों सैनिकों को मौत के घाट उतारने पर नहीं पिघला था। इस दशा को प्राप्त करके उसने हाथ में लिए तलवार को जमीन पर आत्मसमर्पण की भावना से रख दिया। इसके बाद उसने झुक करके कलिंग की बालिका रानी अमिता को प्रेम-पूर्वक अपनी गोद में ले लिया।

विशेष-
1. सम्राट अशोक के हृदय-परिवर्तन का उल्लेख है।
2. तत्सम शब्दों की प्रधानता है।

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अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अमिता की बातों से अशोक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
अमिता की बातों से अशोक का हृदय-परिवर्तन हो गया।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त गद्यांश में कलिंग की रानी अमिता की उदारपूर्ण बातों से सम्राट अशोक के हृदय-परिवर्तन का उल्लेख है। इसके माध्यम से सरलता, सहजता, निःस्वार्थता और दयालुता से कठोरता, निर्ममता, स्वार्थपरता और पशता से पराजित होने के सष्ट स्वरूप को सामने लाने का प्रयास किया गया है।

2. “सम्राट अशोक प्रतिज्ञा करता है, वह किसी से छिनेगा नहीं, किसी को डराएगा नहीं, किसी को मारेगा नहीं। अब अशोक हिंसा और युद्ध से विजय की कामना नहीं करेगा। वह कलिंग की विजयी महारानी की भाँति निश्छल प्रेम से संसार के हृदयों को विजय करेगा।”

शब्दार्थ-हिंसा मारकाट, हाय-हत्या। कामना इच्छा। निश्छल पवित्र, शुद्ध।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने कलिंग की महारानी अमिता के द्वारा दिए गए उच्च विचारों से सम्राट अशोक प्रभावित होकर क्या दृढ़ संकल्प करता है। इसका उल्लेख करते हुए कहा है कि

व्याख्या-कलिंग की महारानी अमिता सम्राट अशोक को स्पष्ट रूप से कहा कि यदि वह फिर कभी किसी से कुछ छिनेगा, किसी को डराएगा और किसी को मारेगा तो वह प्रभु के समान अपने पास बाँधकर रख लेगी। इसे सुनकर सम्राट अशोक ने प्रतिज्ञा की कि वह आज के बाद किसी से कुछ भी नहीं छिनेगा। वह किसी को न डराएगा-धमकाएगा और न किसी को मारेगा-पीटेगा इस प्रकार वह किसी प्रकार की हिंसा से दूर रहेगा। फिर युद्ध का तो नाम ही नहीं लेगा। इसके साथ ही वह भी दृढ़ प्रतिज्ञा करता है। कि आज से वह कलिंग की विजयी महारानी की तरह पवित्र प्रेम से संसार के लोगों के दिलों को जीत लेगा।

विशेष-
1. प्रस्तुत अंश भाववर्द्धक है।
2. वाक्य-गठन अर्थपूर्ण है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश में क्या उल्लेख किया गया है?
उत्तर-
उपर्युक्त गद्यांश में सम्राट अशोक की दृढ़ प्रतिज्ञा का उल्लेख किया गया है।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश का आशय लिखिए। .
उत्तर-
उपर्युक्त गद्यांश में सम्राट अशोक के संकल्पों का उल्लेख किया गया है। इसके द्वारा लेखक ने यह स्पष्ट करना चाहा है कि त्यागशीलता, उदारता, परोपकारिता और दया-दयालुता के भावों के सामने कठोर हृदय झुककर निश्छल प्रेम की धारा से संसार के लोगों को शांति और सुख पहुँचाने के लिए कमर कस लेता है।

MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 20 योगी अरविंद

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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 20 योगी अरविंद (संकलित)

योगी अरविंद पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

योगी अरविंद लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अरविंद का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर
अरविंद का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता के एक शिक्षित परिवार में हुआ था।

प्रश्न 2.
अरविंद ने कौन-कौन-सी भाषाएँ सीखीं?
उत्तर
अरविंद ने संस्कृत, बंगला, लैटिन, इटेलियन, जर्मन, स्पेनिश और फ्रेंच भाषाएँ सीखीं।

प्रश्न 3.
अरविंद ने बड़ौदा क्यों छोड़ दिया था?
उत्तर
अरविंद ने सन् 1905 में बंग-भंग आंदोलन छिड़ने के कारण बड़ीदा छोड़ दिया था।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी महिला अरविंद से मिलने पांडिचेरी क्यों आई थी?
उत्तर
श्री अरविंद की योग-साधना से प्रभावित होकर ही मीरा अल्फांसा नामक एक फ्रांसीसी महिला मार्च 1914 में उनसे मिलने के लिए पांडिचेरी आई।

प्रश्न 5.
अरविंद ने किस प्रकार की साधना की थी।
उत्तर
अरविंद ने सनातन सत्य चेतन पुरुष को जीवन में उतारने की साधना की।

योगी अरविंद दीर्य-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बंग-भंग आंदोलन का अरविंद पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
बंग-भंग आंदोलन का अरविंद पर व्यापक प्रभाव पड़ा। इस आंदोलन से वे लगातार जुड़े रहे। इस तरह पाँच साल तक वे सक्रिय राजनीति में सक्रिय भाग लेते रहे। यह सच है कि उन्होंने राजनीति को आध्यात्मिक शक्ति से सफल करना चाहा था।

प्रश्न 2.
‘सादा जीवन उच्च विचार’ का आशय समझाइए।
उत्तर
‘सादा जीवन उच्च विचार’ का आशय है-प्रदर्शन और आडंबरहित अपने कार्य-कलापों को करते हुए नैतिक और पवित्र भावनाओं को बनाए रखना । इस प्रकार के जीवन-स्वरूप न केवल स्वयं हौसला को बढ़ाते हैं, अपितु औरों को किसी हद तक प्रभावित और प्रेरित भी करते हैं।

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प्रश्न 3.
पत्नी की निराशा को दूर करने के लिए अरविंद ने पत्र में किस प्रकार समझाया?
उत्तर
पत्नी की निराशा को दूर करने के लिए अरविंद ने पत्र में समझाया कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि भगवान ने जो गुण, प्रतिभा, उच्च शिक्षा तथा धन दिया है, वह सब उन्हीं का है, जो कुछ परिवार के भरण-पोषण में लगता है और जो नितांत आवश्यक है। उसी को अपने लिए खर्च करने का अधिकार है, उसके बाद जो कुछ बाकी रह जाता है, उसे भगवान को लौटा देना उचित है। यदि मैं सब कुछ अपने सुख और विलास के लिए करूँ तो मैं चोर कहलाऊँगा। इस दुर्दिन में सारा देश मेरे द्वार पर आश्रित है, मेरे तीस कोटि भाई और बहिन हैं, उनमें से बहुतेरे अन्न न होने पर मर रहे हैं, उनका हित करना होगा।

प्रश्न 4.
‘अरविंद दिव्य संस्कारों के धनी थे’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘अरविंद दिव्य संस्कारों के धनी थे। उनके मुख पर दिव्य तेज उस अवस्था में भी था जब वे बड़ौदा में साधनामय जीवन की ओर लगने जा रहे थे और गुरु की खोज में थे। एक बार की बात है, वे नर्मदा के किनारे रंगनाथ में गंगा मठ के स्वामी ब्रह्मानंद का दर्शन करने गए। स्वामी जी का नियम था कि वे किसी की ओर देखते नहीं थे, पर जब अरविंद इनके सामने आए, स्वामी जी उन्हें एकटक देखने लगे और बहुत देर तक देखते ही रह गए।

योगी अरविंद भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
पराधीन, स्वदेश, प्रेम, उच्च, विश्वास।
उत्तर
शब्द – विलोम शब्द
पराधीन – स्वाधीन
स्वदेश – परदेश
प्रेम – द्वेष
उच्च – नीच
विश्वास – अविश्वास।

प्रश्न 2.
पर्यायवाची शब्द लिखिए
नश्वर, देवता, पृथ्वी, सृष्टि, ज्योति।
उत्तर
नश्वर – अनित्य, क्षणभंगुर
देवता – सुर, देव
पृथ्वी-धरा, धरती
सृष्टि-संसार, दुनिया।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए
(क) अरविंद ने परीक्षा में सफलता प्राप्त की। (प्रश्नवाचक वाक्य में)
(ख) वे कलकत्ता आए। (निषेधवाचक वाक्य में)
(ग) अरविंद ने आर्य नामक पत्र निकाला। (इच्छावाचक वाक्य में)
(घ) सब कुछ अपने सुख और विलास के लिए करने पर मैं चोर कहलाऊँगा। (संकेतवाचक वाक्य में)
(ड) अरविंद योग मानव थे। (विस्मयवाचक वाक्य में)
उत्तर
(क) क्या अरविंद ने परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
(ख) वे कलकत्ता नहीं आए।
(ग) अरविंद आर्य नामक पत्र निकाल लाए!
(घ) सब कुछ अपने सुख और विलास के लिए करता तो चोर कहलाता।
(ड) आह! अरविंद योग मानव थे।

योगी अरविंद योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1. पांडिचेरी आश्रम के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
प्रश्न 1. बंग-भंग आंदोलन क्यों हुआ और इसके क्या परिणाम हुए। जानकारी एकत्र कीजिए।
प्रश्न 3. ऐसे और महापुरुषों के नाम बताइए जिन्होंने ‘आश्रम’ बनाकर समाज एवं राष्ट्र-सेवा के लिए कार्य किया।
उत्तर
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

योगी अरविंद परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘योगी अरविंद’ निबंध का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘योगी अरविंद’ निबंध में महापुरुषों और महायोगी अरविंद के अत्यधिक महत्त्वपूर्ण जीवन पक्षों पर प्रकाश डाला गया है। लेखक के अनुसार विदेश में विद्या अध्ययन के दौरान उनका विद्रोही व्यक्तित्व तेज हो लगा था। वे भारत माता को गुलामी के बंधनों से मुक्त करने के लिए क्रियाशील रहे। अनेक पत्रों के संपादक रहते हुए राजनीति में भी सक्रिय रहे। प्रत्येक व्यक्तित्व के भीतर किसी-न-किसी क्षेत्र विशेष की प्रतिभा छिपी होती है। आवश्यकता है इसको पहचानने की। योगी अरविंद ने अपनी इस प्रतिभा को पहचानकर आने वाले समय में अध्यात्म और योग का मार्ग चुना। किंतु अपने देश और राष्ट्रीयता के भाव को ये भुला नहीं सके, वे देश के विकास में हरसंभव प्रयासरत थे। अपनी पत्नी को लिखे पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया है कि अपने देशवासियों को उन्नत और विकसित बनाना ही उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य है। उनके द्वारा रचित गद्य साहित्य भी महत्त्वपूर्ण हैं। योगी अरविंद एक विशिष्ट लोक अनुभूति थे।

प्रश्न 2.
योगी अरविंद के गुरु कौन और कैसे घे? ‘
उत्तर
योगी अरविंद के गुरु हंसस्वरूप स्वामी और सद्गुरु ब्रह्मानंद थे। वे उच्च कोटि के योगी थे। उनकी अवस्था बहुतं लंबी थी। केवल अस्सी साल तक वे नर्मदा के किनारे ही विचरते रहे।

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प्रश्न 3.
योगी अरविंद की समाधि पर कौन-से शब्द अंकित हैं?
उत्तर
योगी अरविंद की समाधि पर निम्नलिखित शब्द अंकित हैं-हमारे देवता की भीम समाधि, हम आपको अपनी अनंत कृतज्ञता अर्पित करते हैं। आपके सामने, जिन्होंने हमारे लिए इतना किया, जिन्होंने हमारे लिए कर्म, संघर्ष, तप और आशा तथा सहनशीलता का निर्वाह किया, जिन्होंने हमारे लिए समस्त संकल्प-संपादन प्रयल, प्रस्तुति और सारी उपलब्धि का व्रत अनुष्ठान किया, हम नतमस्तक होते हैं और विनम्र निवेदन करते हैं कि एक क्षण के लिए भी हम आपका अनुग्रह न भूलें।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों के लिए दिए गए विकल्पों में सही विकल्पों का चयन कीजिए
1. अरविंद का जन्म हुआ था
1. 26 जनवरी को
2. 2 अक्टूबर को
3. 15 अगस्त को
4. 30 जनवरी को
उत्तर
(3) 15 अगस्त

2. अरविंद की उच्च शिक्षा हुई
1. अमेरिका में
2. जापान में
3. इंग्लैंड में
4. फ्रांस में।
उत्तर
(3) इंग्लैंड में

3. अरविंद का जन्म हुआ था
1.पांडिचेरी में
2. कलकत्ता में
3. बड़ौदा में
4. गायकवाड़ में।
उत्तर
(2) कलकत्ता में

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4. योगी अरविंद का निधन हुआ था
1 दिसबंर को
2. 30 दिसबंर को
3. 15 अगस्त को
4. 15 दिसबंर को।
उत्तर
(1) 4 दिसंबर
5. योगी अरविंद जन्मजात वे
1. योगी
2. विद्रोही
3. देश
4. राजनीतिज्ञ ।
उत्तर
(2) विद्रोही।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्दों के चयन से कीजिए।
1. अरविंद ……………… थे। (महामानव, योगमानव)
2. अरविंद ने योग की साधना में ……………… का दर्शन किया था। (दिव्य प्रकाश, आत्मप्रकाश)
3. ……में अरविंद-आश्रम का शुभारंभ हुआ। (पांडिचेरी, कलकत्ता)
4. ……………… उस समय फ्रांसीसियों के अधीन था। (बड़ीदा, पांडिचेरी)
5. अरविंद ने ‘सादा जीवन उच्च विचार’ के ……………… पर जोर दिया। (कहावत, सिद्धांत)
उत्तर
1. योगमानव
2. आत्मप्रकाश
3. पांडिचेरी
4. पांडिचेरी
5. सिद्धांत।

प्रश्न 6.
सही जोड़ी का मिलान कीजिए
रामचरित मानस – वासुदेवशरण अग्रवाल
भगवान महावीर – मीराबाई
वर्षा गीत – डॉ. प्रेम भारती
कला और संस्कृति – सरदारपूर्ण सिंह
कन्यादान – तुलसीदास।
उत्तर
रामचरित मानस – तुलसीदास
भगवान महावीर – डॉ. प्रेम भारती
वर्षा गीत – मीराबाई
कला और संस्कृति – डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
कन्यादान – सरदारपूर्ण सिंह।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? बाक्य के आगे लिखिए।
1. योगी अरविंद ने एकता, प्रेम अमरता और आत्मचेतना की ज्योति दी।
2. 1906 में बंग-भंग आंदोलन छिड़ा।
3. एक फ्रांसीसी महिला अरविंद से मिलने कलकत्ता आई।
4. अरबिंद संस्कारों को धनी थे।
5. जब अरविंद स्वामीजी के सामने आए तो स्वामी जी ने उन्हें देखा नहीं।
उत्तर
1. सत्य
2. असत्य
3. असत्य
4. सत्य
5. असत्य

प्रश्न 8.
निम्नलिखित कवनों के उत्तर एक शब्द में दीजिए
1. अरविंद के पिता क्या थे?
2. विद का जन्म कब हुआ था?
3. अरविंद का निधन कब हुआ था?
4. फ्रांसीसी महिला का क्या नाम था?
5. अरविंद के समय भारत की आबादी क्या थी?
उत्तर
1. सिविल सर्जन
2. 1872 में
3. 1950 में
4. मीरा अल्फांसा
5. तीस करोड़।

योगी अरविंद लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अरविंद ने किस परीक्षा में सफलता प्राप्त की और किसमें नहीं?
उत्तर
अरविंद ने इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा में सफलता प्राप्त की और घुड़सवारी में असफलता प्राप्त की।

प्रश्न 2.
अरविंद ने किन पत्रों का संपादन किया?
उत्तर
अरविंद ने ‘वंदेमातरम्’ ‘कर्मयोगी’ और ‘धर्म’ नाम के पत्रों का संपादन किया।

प्रश्न 3.
योगी अरविंद ने अपनी साधना की महत्त्वपूर्ण स्थिति कब प्राप्त की?
उत्तर
योगी अरविंद ने अपनी साधना की महत्त्वपूर्ण स्थिति 24 नवंबर, सन् 1926 में प्राप्त की।

प्रश्न 4.
‘योगी अरविंद की चार साल की कठिन योगाभ्यास का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
योगी अरविंद की चार साल की कठिन योगाभ्यास का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। धीरे-धीरे उनके अनुयायियों और प्रशंसकों की संख्या बढ़ने लगी। लोग आश्रम में रहकर योग-साधना करने लगे।

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योगी अरविंद निबंध का सारांश

प्रस्तुत निबंध में महापुरुष योगी अरविंद के जीवन के कुछ महत्त्वपूर्ण स्वरूपों पर प्रकाश डाला गया है। लेखक के अनुसार अरविंद योगमानव थे। इससे वे आत्म-प्रकाश का दर्शन किया था। इसके द्वारा उन्होंने पराधीन भारत को एकता, और आत्मचेतना की दिव्य ज्योति प्रदान की थी। उनका जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता के एक शिक्षित परिवार में हुआ था। अपने पिता की इच्छानुसार वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए। वहाँ से उन्होंने इटेलियन, जर्मन, फ्रेंच और स्पेनिश भाषाएँ सीखीं। स्वदेश लौटकर उन्होंने बड़ौदा में नौकरी कर ली। वहाँ उनकी आध्यात्मिक और साहित्यिक प्रतिभा को निखरने और अवसर मिला। 1905 बंग-भंग आंदोलन में भाग लेने के कारण वे बड़ौदा छोड़कर कलकत्ता आ गए। उस समय उन्होंने ‘वंदे मातरम्’, ‘कर्मयोगी’ और ‘धर्म’ नामक पत्रों का संपादन किया। वे धीरे-धीरे सक्रिय राजनीति से हटकर योग साधना में जुट गए।

पांडिचेरी के आश्रम में माता-फ्रेंच योगिनी के आने से अरविंद की योग साधना को बड़ा बल मिला। अरविंद ने ‘सादा जीवन और उच्च विचार’ के सिद्धांत पर बल दिया। पांडिचेरी आश्रम में उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी। उन्होंने उपनिषद् और गीता पर भाष्य और निबंध लिखे। 24 नवंबर, 1926 को उन्होंने अपनी साधना की महत्त्वपूर्ण स्थिति प्राप्त की। . बड़ौदा में नौकरी करते समय उन्हें उनकी पत्नी ने उनके प्रतिघोर निराशा की भावना व्यक्त किया था। उसे समझाते हुए अरविंद ने देश-प्रेम और परोपकार करने का सुझाव दिया। 4 दिसम्बर, 1950 को रात एक बजकर छब्बीस मिनट पर अरविंद ने भौतिक शरीर का परित्याग कर दिया। 9 दिसम्बर को पांडिचेरी आश्रम के आंगन में शाम बजे उनको समाधि दी गई। समाधि पर लिखा हुआ है-हमारे देवता की भौम समाधि हम आपको अपनी अनंत कृतज्ञता अर्पित करते हैं और विनम्र निवेदन करते हैं कि एक क्षण के लिए भी हम आपका अनुग्रह न भूलें।”

योगी अरविंद संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. मेरा दृढ़ विश्वास है कि भगवान ने जो गुण, प्रतिभा, उच्च शिक्षा तथा धन दिया है वह सब उन्हीं का है, जो कुछ परिवार के भरण-पोषण में लगता है और जो नितांत आवश्यक है उसी को अपने लिए खर्च करने का अधिकार है, उसके बाद जो कुछ बाकी रह जाता है उसे भगवान को लौटा देना उचित है। यदि मैं सब कुछ अपने सुख और विलास के लिए करूँ तो मैं चोर कहलाऊँगा। इस दुर्दिन में सारा देश मेरे द्वार पर आश्रित है, मेरे तीस कोटि भाई और बहिन हैं, उनमें से बहुतेरे अन्न न होने से मर रहे हैं, उनका हित करना होगा।

शब्दार्थ-विलास-सुख। आश्रित-निर्भर। कोटि-करोड़।

संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ 10वीं, में संकलित निबंध ‘योगी अरविंद’ से है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक के योगी अरविंद के महान विचारों का उल्लेख किया है। अरविंद ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा है कि

व्याख्या-मेरा यह दृढ़ मात है कि ईश्वर ने किसी को जो योग्यता, क्षमता, प्रतिभा, उच्च शिक्षा, धन, बल आदि दिया है, वह सब कुछ उसी का है उसे अगर वह अपने परिवार की देख-रेख और सुख के लिए लगाता है। यह उसके लिए बिलकुल और बेहद जरूरी भी होता है। उसको ही यह सब कुछ खर्च करने का पूरा-पूरा अधिकार भी है। खर्च करने पर अगर कुछ बच जाए तो उसे चाहिए कि वह उसे भगवान को अर्पित कर दे। अगर मैं केवल अपने ही आराम और आनंद के लिए कुछ करूँ तो तो इससे मैं चोर कहा जाऊँगा। पर ध्यान देने की बात है कि सारा देश मेरे ऊपर निर्भर हो रहा है। इस देश की पूरी आबादी तीस करोड़ है। इसे मैं अपने भाई और बहिन के ही रूप में देखता और समझता हूँ। दुख की बात यह है कि इनमें से अधिकांश अन्नाभाव के कारण काल के गाल में जा रहे हैं। शेष बचे हुए को आज हमें बचाने की कोई-न-कोई कोशिश अवश्य करनी होगी।

विशेष-

  1. आध्यात्मिक विचार है।
  2. देश-प्रेम की प्रेरणा मिल रही है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अरविंद का क्या दृढ़ विश्वास है?
उत्तर
अरविंद का दृढ़ विश्वास है कि ईश्वर के दिये हुए गुण, प्रतिभा, ऊँची शिक्षा, और धन को परिवार के सुख-शांति में लगाना चाहिए। अपने लिए खर्च किए गए धन के बचने पर उसे ईश्वर को समर्पित कर देना चाहिए।

प्रश्न 2.
तीस करोड़ लोगों में से अधिकांश क्यों मर रहे हैं?
उत्तर
तीस करोड़ लोगों में से अधिकांश अन्नाभाव से मर रहे हैं।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का मुख्य भाव लिखिए।
उत्तर
उपर्युक्त गद्यांश में लेखक ने योग अरविंद के जीवनोपयोगी नैतिक विचारों को प्रस्तुत किया है। ये विचार कर्त्तव्य-परायणता का जहाँ पाठ पढ़ा रहे हैं, वहीं देश-दयनीय स्थिति का प्रकाशन कर रहे हैं। इस प्रकार इस गद्यांश के द्वारा लेखक ने हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सचेष्ट रहने का सुझाव दिया है।