MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन

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मानव जनन NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. मानव …………… उत्पत्ति वाला है। (अलैंगिक/लैंगिक)
2. मानव ……………. हैं। (अंडप्रजक/सजीव प्रजक/अंडजरायुज)
3. मानव में ……………. निषेचन होता है। (बाह्य/आंतरिक)
4. नर एवं मादा युग्मक …………… होते हैं। (अगुणित/द्विगुणित)
5. युग्मनज ……………. होता है। (अगुणित/द्विगुणित)
6. एक परिपक्व पुटक से अंडाणु (ओवम) के मोचित होने की प्रक्रिया को ……………. कहते हैं।
7. अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) ……………. नामक हॉर्मोन द्वारा प्रेरित (इन्ड्यू स्ड) होता है।
8. नर एवं स्त्री के युग्मक के संलयन (फ्यूजन) को …………… कहते हैं।
9. निषेचन ……………. में संपन्न होता है।
10. युग्मनज विभक्त होकर ……………. की रचना करता है जो गर्भाशय में अंतर्रोपित (इंप्लांटेड) होता है।
11.भ्रूण और गर्भाशय के बीच संवहनीय सम्पर्क बनाने वाली संरचना को ……………. कहते हैं।
उत्तर

  1. लैंगिक
  2. सजीव प्रजक
  3. आंतरिक
  4. अगुणित
  5. द्विगुणित
  6. अंडोत्सर्ग
  7. LH एवं FSH
  8. निषेचन
  9. फैलोपियन नलिका
  10. भ्रूण
  11. अपरा (प्लेसैन्टा)।

प्रश्न 2.
पुरुष जनन तंत्र का नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर
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प्रश्न 3.
स्त्री जनन तंत्र का नामांकित आरेख बनाइए।
उत्तर
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प्रश्न 4.
वृषण तथा अण्डाशय के बारे में प्रत्येक के दो-दो प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-वृषण के कार्य-

  • शुक्राणुओं का निर्माण करना।
  • वृषण में स्थित अन्तराली कोशिकाओं द्वारा नर हॉर्मोन (टेस्टोस्टेरॉन) उत्पन्न करना जिसके कारण नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास होता है।

अण्डाशय के कार्य-

  • अण्डाणु का निर्माण करना।
  • एस्ट्रोजन हॉर्मोन का स्त्रावण करना जो मादा में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न 5.
शुक्रजनक नलिका की संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर
प्रत्येक वृषण पालिका के अंदर एक से लेकर तीन अतिकुंडलित शुक्रजनक नलिकाएँ (सेमिनिफेरस ट्यूबुल्स) होती है जिनमें शुक्राणु पैदा किए जाते हैं। प्रत्येक शुक्रजनक नलिका का भीतरी भाग दो प्रकार की कोशिकाओं से स्तरित होता है जिन्हें नर जर्म कोशिकाएँ (शुक्राणुजन/स्पर्मेटोगोनिया) और सर्टोली कोशिकाएँ कहते हैं । (चित्र (a) देखें)। र जर्म कोशिकाएँ अर्द्धसूत्री विभाजन (या अर्धसूत्रण) के फलस्वरूप शुक्राणुओं का निर्माण करती है जबकि सर्टोली कोशिकाएँ जर्म कोशिकाओं को पोषण प्रदान करती है। शुक्रजनक नलिकाओं के बाहरी क्षेत्र को अंतराली अवकाश (इंटरस्टीशियल स्पेस) कहा जाता है।

इसमें छोटी-छोटी रूधिर वाहिकाएँ और अंतराली कोशिकाएँ (इंटरस्टीशियल सेल्स) या लीडिंग कोशिकाएँ होती हैं (चित्र देखें)। लीडिंग कोशिकाएँ पुंजन (एंड्रोजन) नामक वृषण हॉर्मोन संश्लेषित व स्त्रावित करती हैं। यहाँ पर कुछ अन्य कोशिकाएँ भी होती हैं जो प्रतिरक्षात्मक कार्य करने में सक्षम होती हैं । वृषण की शुक्रजनक नालिकाएँ वृषण नलिकाओं के माध्यम से शुक्रवाहिकाओं में खुलती हैं। यह शुक्रवाहिका वृषण से चलकर अधिवृषण में खुलती हैं, जो प्रत्येक वृषण के पश्च सतह पर स्थित होती हैं। यह अधिवृषण शुक्रवाहक की ओर बढ़ते हुए उदर की ओर ऊपर जाती हैं और
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चित्र
मूत्राशय के ऊपर की ओर लूप बनाती हैं । इसमें शुक्राशय से एक वाहिनी आती है और मूत्र मार्ग में स्खलनीय वाहिनी के रूप में खुलती है। ये नलिकाएँ वृषण से प्राप्त शुक्राणुओं का भंडारण तथा मूत्र मार्ग से इनका बाहर स्थानांतरण करती हैं।

प्रश्न 6.
शुक्राणुजनन क्या है ? संक्षेप में शुक्राणुजनन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर

  • शुक्राणुजनन (Spermatogenesis)-
    प्रजनन अंगों में युग्मकों के निर्माण की प्रक्रिया को युग्मकजनन कहते हैं। जब युग्मकजनन की क्रिया वृषण में होती है तथा शुक्राणुओं का निर्माण होता है तब इसे
  • शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) –
    कहते हैं। शुक्राणुओं का निर्माण जनन उपकला (Germinal Epithilium) द्वारा होता है। शुक्राणुजनन की क्रिया निम्नलिखित चरणों में पूर्ण होती है

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1. द्विगुणन प्रावस्था (Multiplication Phase)-
वृषण में शुक्राणु नलिकाओं (Seminiferous tubules) की दीवार जर्मिनल एपिथीलियम से स्तरित होती है। कुछ जर्मिनल एपिथीलियम बड़े आकार की हो जाती हैं, जिसे स्पर्मेटोगोनियम (Spermatogonium) कहते हैं। जर्मिनल एपिथीलियम में समसूत्री विभाजन द्वारा स्पर्मेटोगोनियम का निर्माण होता है।

2. वृद्धि प्रावस्था (Growth Phase) –
इस प्रावस्था में स्पर्मेटोगोनियम भोज्य पदार्थ का संचय करके बड़े आकार की हो जाती है, जिसे प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट (Primary spermatocyte) कहते हैं।

3. परिपक्वन प्रावस्था (Maturation Phase)-
इस प्रावस्था में प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट का दो बार विभाजन होता है। प्रथम विभाजन अर्द्धसूत्री होता है, जिससे गुणसूत्र की संख्या आधी रह जाती है। इन अगुणित कोशिकाओं को द्वितीयक स्पर्मेटोसाइट (Secondary spermatocyte) कहते हैं। द्वितीयक स्पर्मेटोसाइट का दूसरा परिपक्वन विभाजन होता है, जिससे 4 कोशिकाएँ बनती हैं। इन कोशिकाओं को स्पर्मेटिड (Spermatid) कहते हैं। इन 4 स्पर्मेटिड से 4 शुक्राणुओं (Sperms) का निर्माण होता है।

प्रश्न 7.
शुक्राणुजनन की प्रक्रिया के नियमन में शामिल हॉर्मोनों के नाम बताइए।
उत्तर
शुक्राणुजनन की प्रक्रिया के नियमन में निम्न हॉर्मोन शामिल होते हैं-

  • गोनैडोट्रॉपिन रिलीजिंग हॉर्मोन
  • ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन (LH)
  • फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH)
  • टेस्टोस्टेरॉन।

प्रश्न 8.
शुक्राणुजनन एवं वीर्यसेचन (स्परमियेशन) की परिभाषा लिखिए।
उत्तर

  • शुक्राणुजनन (Spermatogenesis)-
    अगुणित, अचल व शुक्राणु कोशिकाओं का चल (Motile) व प्रारुपिक शुक्राणु कोशिका में रूपान्तरण शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) कहलाता है।
  • वीर्यसेचन (Spermiation)-
    शुक्राणुजनन के पश्चात् शुक्राणु का शीर्ष सरटोली कोशिकाओं में धंस जाते हैं तथा अंत में शुक्राणुजनन नलिका से मुक्त हो जाते हैं, यह प्रक्रिया वीर्यसेचन (Spermiation) कहलाती है।

प्रश्न 9.
शुक्राणु का नामांकित आरेख बनाइए।
अथवा
शुक्राणु की संरचना का नामांकित चित्र बनाइए एवं विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
संरचना-शुक्राणु नर युग्मक है। यह अगुणित संरचना एवं नर जनन इकाई है। शुक्राणु जनन (Spermatogenesis) द्वारा शुक्राणु का निर्माण होता है।
शुक्राणु का शरीर तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है

  1. सिर भाग (Head piece)
  2. मध्य भाग (Middle piece)
  3. पूँछ (Tail)

1. सिर भाग (Head piece)—सिर का .. आकार शंक्वाकार होता है। इस भाग पर ऐक्रोसोम पाया जाता है। यह शुक्राणु को अण्डाणु में प्रवेश के लिए सहायता करता है। इस भाग में केन्द्रक (Nucleus) एवं केन्द्रकीय पदार्थ (Nuclear mate- Middle piece Axial filament rial) पाये जाते हैं। इस भाग में समीपस्थ सेन्ट्रिओल पाया जाता है।

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2. मध्य भाग (Middle piece)—इसमें अक्षीय तन्तु के आधारकाय (Basal body) पाया जाता है। अक्षीय तन्तु के चारों ओर माइटोकॉण्ड्रिया चित्र-शुक्राणु की संरचना का आवरण पाया जाता है। यह भाग शुक्राणु का ऊर्जा केन्द्र है।

3. पूँछ (Tail)—यह शुक्राणु का पिछला एवं पतला भाग है। इसमें अक्षीय तन्तु पाये जाते हैं । यह ऊर्जा की सहायता से प्रचलन कर सकता है।

प्रश्न 10.
शुक्रीय प्रद्रव्य (सेमिनल प्लाज्मा) के प्रमुख संघटक क्या है ?
उत्तर
शुक्रीय प्रद्रव्य (सेमिनल प्लाज्मा ) के प्रमुख संघटक हैं-फ्रक्टोज, कैल्सियम आयन, कुछ एन्जाइम व प्रोस्टाग्लैंडिन्स।

प्रश्न 11.
पुरुष की सहायक नलिकाओं एवं ग्रन्थियों के प्रमुख कार्य क्या हैं ?
उत्तर
पुरुष की सहायक नलिकाओं एवं ग्रन्थियों के प्रमुख कार्य निम्न हैं
1. सहायक नलिकाओं के कार्य

  • वृषण जालिका (Rete Testis)-
    शुक्रजनन नलिका से प्राप्त शुक्राणुओं को वास इफेरेन्शिया (Vas efferentia) तक पहुँचाना।
  • वास इफेरेन्शिया (Vas efferentia)-
    अधिवृषण तक शुक्राणुओं को पहुँचाना।
  • अधिवृषण (Epididymis)-
    शुक्राणुओं को अधिवृषण में संगृहीत किया जाता है । यहाँ शुक्राणुओं का परिपक्वन होता है।
  • शुक्रवाहक (Vas deference)-
    शुक्राणुओं का वहन करना तथा मूत्रमार्ग द्वारा बाहर स्थानान्तरित करना।

2. ग्रंथियों के कार्य

  • प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland)-
    इस ग्रंथि का स्राव शुक्राणुओं को सक्रिय बनाता है एवं वीर्य को स्कंदन से रोकता है।
  • बल्बोयूरेथल ग्रन्थियाँ (Bulbourethral glands)-
    इसका स्राव मादा की योनि को चिकना कर मैथुन क्रिया को सुगम बनाता है।
  • शुक्राशय (Seminal vesicle)-
    इसका स्राव योनि मार्ग की अम्लीयता को समाप्त कर शुक्राणुओं की सुरक्षा करता है।

प्रश्न 12.
अण्डजनन क्या है ? अण्डजनन की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर
अण्डजनन-वह क्रिया है, जिसके द्वारा अण्डाशय के अन्दर अण्डाणु का निर्माण होता है। ये निम्नलिखित चरणों में पूर्ण होती हैं
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  • प्रोलीफरेशन प्रावस्था-
    इस प्रावस्था में अण्डाशय के जनन स्तर की कोशिकाएँ विभाजित होकर कोशिका गुच्छ बनाती हैं, जिसे पुटिका (Follicle) कहते हैं। पुटिका की एक कोशिका बड़ी होकर ऊगोनियम बना देती है।
  • वृद्धि प्रावस्था-
    इस प्रावस्था में ऊगोनिया आकार में बढ़ जाती है, जिसे प्राथमिक ऊसाइट कहते हैं।
  • परिपक्वन प्रावस्था-
    इस प्रावस्था में प्राथमिक ऊसाइट में अर्द्धसूत्री विभाजन होता है। प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन असमान होता है, जिसमें से बड़ी कोशिका को द्वितीयक ऊसाइट तथा छोटी कोशिका को ध्रुवीय काय कहते हैं । द्वितीय अर्द्धसूत्री विभाजन में द्वितीयक ऊसाइट में फिर से असमान विभाजन होता है, जिसमें से बड़ी कोशिका अण्डाणु का निर्माण करती है। शेष बनी तीनों छोटी कोशिकाओं को ध्रुवीय काय कहते

प्रश्न 13.
अण्डाशय की अनुप्रस्थ काट (ट्रांसवर्स सेक्शन) का एक नामांकित आरेख बनाइए।
उत्तर
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प्रश्न 14.
ग्राफी पुटक (ग्राफियन फॉलिकिल) का एक नामांकित आरेख बनाइए।
उत्तर
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प्रश्न 15.
निम्नलिखित के कार्य बताएँ
(1) पीत पिंड (कॉर्पस ल्यूटियम)
(2) गर्भाशय अंत:स्तर (इंडोमैट्रियम)
(3) अग्रपिंडक (एक्रोसोम)
(4) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्मटेल)
(5) झालर (फिम्ब्री)।
उत्तर
(1) पीत पिंड (कॉर्पस ल्यूटियम)-यह पीत पिंछ भारी मात्रा में प्रोजेस्ट्रॉन स्रावित करता है, जो कि गर्भाशय अंत:स्तर को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

(2) गर्भाशय अंतःस्तर (इंडोमैट्रियम)-गर्भाशय अंत:स्तर निषेचित अण्डाणु के अंतर्रोपण (इम्प्लांटेशन) तथा सगर्भता की अन्य घटनाओं के लिए आवश्यक है।

(3) अग्रपिंडक (एक्रोसोम)-अग्रपिंडक उन प्रक्रिण्वों (एंजाइम्स) से भरा होता है, जो अण्डाणु के निषेचन में मदद करते हैं।

(4) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)-शुक्राणु के मध्य खंड में असंख्य सूत्रकणिकाएँ (माइटोकॉन्ड्रिया) होती हैं, जो पूँछ को गति प्रदान करने के लिए ऊर्जा उत्पन्न करती हैं जिसके कारण शुक्राणु को निषेचन करने के लिए आवश्यक गतिशीलता प्रदान करना सुगम बनाता है।

(5) झालर (फिम्ब्री)-अण्डोत्सर्ग के दौरान अण्डाशय से उत्सर्जित अण्डाणु को संग्रह करने में ये झालर सहायक होते हैं।

प्रश्न 16.
सही या गलत को पहचानें
1. पुंजनों (एंड्रोजेन्स) का उत्पादन सर्टोली कोशिकाओं द्वारा होता है। (सही/गलत)
2. शुक्राणु को सर्टोली कोशिकाओं से पोषण प्राप्त होता है। (सही/गलत)
3. लीडिग कोशिकाएँ अण्डाशय में पाई जाती हैं। (सही/गलत)
4. लोडिग कोशिकाएँ पुंजनों (एंड्रोजेन्स) को संश्लेषित करती हैं। (सही/गलत)
5. अण्डजनन पीत पिंड (कार्पस ल्यूटियम) में सम्पन्न होता है। (सही/गलत)
6. सगर्भता के दौरान आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रअल साइकिल) बंद होता है। (सही/गलत)
7. योनिच्छद (हाइमेन) की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति कौमार्य (वर्जिनिटी) या यौन अनुभव का विश्वसनीय संकेत नहीं है। (सही/गलत)
उत्तर

  1. गलत
  2. सही
  3. गलत
  4. सही
  5. गलत
  6. सही
  7. सही।

प्रश्न 17.
आर्तव चक्र क्या है ? आर्तव चक्र का नियमन कौन-से हॉर्मोन करते हैं ?
उत्तर
आर्तव चक्र (Menstruation)-प्राइमेट्स के मादाओं में पाये जाने वाले जनन चक्र को आर्तव चक्र/मासिक धर्म या रजोधर्म कहते हैं। स्त्रियों में रजचक्र/रजोधर्म/ऋतुस्राव 28/29 दिन का होता है। प्रथम रजचक्र तरुणावस्था (Puberty) में प्रारंभ होता है। इसे रजो दर्शन (Menarche) कहते हैं। आर्तव चक्र के समय स्त्रियों की योनि से महीने में एक बार रक्त स्राव होता है जो 3-5 दिनों तक जारी रहता पचास वर्ष की उम्र में यह चक्र लगभग समाप्त हो जाता है। इस अवस्था को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते हैं । गर्भवती महिलाओं में आर्तव चक्र रुक जाता है। आर्तव चक्र का नियमन निम्नलिखित हॉर्मोन करते हैं

  • गोनैडोट्रॉपिन
  • ऐस्ट्रोजन
  • ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन
  • फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH) तथा
  • प्रोजेस्ट्रॉन।

प्रश्न 18.
प्रसव क्या है ? प्रसव को प्रेरित करने में कौन-से हॉर्मोन शामिल होते हैं ?
उत्तर
गर्भवती मादाओं के गर्भस्थ शिशु के बाहर निकलने की क्रिया को शिशु जन्म या प्रसव कहा जाता है। प्रसव एक जटिल तंत्रि-अंत:स्रावी (Neuro-endocrine) क्रियाविधि द्वारा प्रेरित होता है। प्रसव के लिए संकेत पूर्ण विकसित गर्भ एवं अपरा से उत्पन्न होते हैं, जो गर्भाशय में हल्के संकुचन को प्रेरित करते हैं। जिन्हें गर्भ उत्क्षेपन प्रतिवर्त (फीटल इंजेक्शन रिफ्लेक्स) कहते हैं । यह मातृ पीयूष ग्रंथि से ऑक्सीसीटोसीन गर्भाशय पेशी पर क्रिया करता है और इसके कारण गर्भाशय में तीव्र संकुचन प्रारंभ हो जाता है। गर्भाशय संकुचनों तथा ऑक्सीटोसीन स्राव के बीच लगातार उद्दीपक प्रतिवर्त के कारण यह संकुचन अत्यधिक तीव्र होता जाता है। इसके परिणामस्वरूप शिशु माता के गर्भाशय से जनन नाल द्वारा बाहर आ जाता है, इस प्रकार प्रसव की क्रिया सम्पन्न होती है। प्रसव क्रिया को प्रेरित करने वाले प्रमुख हॉर्मोन्स हैं

  • कार्टिसॉल
  • एस्ट्रोजन
  • ऑक्सीटोसीन।

प्रश्न 19.
“हमारे समाज में लड़कियों को जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है।” बताइए कि यह क्यों सही नहीं है ?
उत्तर
स्त्री के गुणसूत्र का स्वरूप XX है तथा पुरुष में XY होता है । इसलिए स्त्री द्वारा उत्पादित सभी अगुणित युग्मकों में X लिंग गुणसूत्र होते हैं जबकि पुरुष युग्मकों (शुक्राणुओं)में लिंग गुणसूत्र या तो X या Y होते हैं, इसलिए 50% शुक्राणु में x लिंग गुणसूत्र होते हैं और दूसरे 50% शुक्राणु में Y लिंग गुणसूत्र होते हैं। इसलिए पुरुष एवं स्त्री युग्मकों के संलयन के पश्चात् युग्मनज में या तो XX या XY लिंग गुणसूत्र की संभावना होगी। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि X या Y लिंग गुणसूत्र वाले शुक्राणुओं में से कौन अण्डाणु का निषेचन करता है। जिस युग्मनज में XX गुणसूत्र होंगे वह एक मादा (लड़की)के रूप में जबकि XY गुणसूत्र वाला युग्मनज नर शिशु (लड़का) के रूप में विकसित होगा। इसी कारण वैज्ञानिक रूप से यह कथन सत्य है कि एक शिशु के लिंग का निर्धारण उसके पिता द्वारा होता है। अत: लड़कियों को जन्म देने का दोष महिलाओं को देना सर्वथा अनुचित है।

प्रश्न 20.
एक माह में मानव अण्डाशय से कितने अण्डे मोचित होते हैं ? यदि माता ने समरूप जुड़वा बच्चों को जन्म दिया हो तो आप क्या सोचते हैं कि कितने अण्डे मोचित हुए होंगे? क्या आपका उत्तर बदलेगा यदि जन्मे हुए जुड़वा बच्चे, द्विअण्डज यमज हों?
उत्तर
प्रतिमाह आर्तव चक्र में अण्डाशय से एक अण्डा मोचित होता है। समरूप जुड़वा बच्चों को यदि किसी माता ने जन्म दिया हो तो दो अण्डे मोचित हुए होंगे। यदि जुड़वा बच्चे, द्विअण्डज यमज हों तो भी मेरा उत्तर नहीं बदलेगा।

प्रश्न 21.
क्या आप सोचते हैं कि कुतिया, जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अण्डाशय के कितने अण्डे मोचित हुए थे ?
उत्तर
कुतिया जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अण्डाशय से 6 अण्डे मोचित हुए थे।

मानव जनन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

मानव जनन वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
निषेचन का सम्बन्ध किससे है-

(a) जनद से युग्मक कोशिकाओं का निकलना
(b) नर युग्मक कोशिका का मादा युग्मक कोशिका पर स्थानान्तरण
(c) नर तथा मादा के जनन अंगों का जुड़ जाना
(d) नर युग्मक के केन्द्रक का मादा युग्मक के केन्द्रक से जुड़ जाना।
उत्तर
(d) नर युग्मक के केन्द्रक का मादा युग्मक के केन्द्रक से जुड़ जाना।

प्रश्न 2.
विदलन निषेचित अण्डों के विभाजन की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अण्डा
(a) विभाजित नहीं होता, केवल आकार में वृद्धि होती है
(b) लगातार विभाजित होता है, लेकिन आकार में वृद्धि नहीं होती है
(c) लगातार विभाजित होता है और आकार में वृद्धि होती है
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर
(b) लगातार विभाजित होता है, लेकिन आकार में वृद्धि नहीं होती है

प्रश्न 3.
भ्रूणीय झिल्लियाँ उपलब्ध कराती हैं
(a) भ्रूण की रक्षा
(b) भ्रूण का पोषण
(c) भ्रूण की रक्षा और पोषण
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(c) भ्रूण की रक्षा और पोषण

प्रश्न 4.
जरावस्था (वयता) का विज्ञान कहलाता है
(a) कालक्रम विज्ञान
(b) दन्त विज्ञान
(c) स्त्री रोग विज्ञान
(d) वृद्ध रोग विज्ञान।
उत्तर
(d) वृद्ध रोग विज्ञान।

प्रश्न 5.
पुरुष की प्रोस्टेट ग्रन्थि का प्रतिरूप मादा में क्या है
(a) बर्थोलिन ग्रन्थि
(b) गर्भाशय
(c) भगशिश्न
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

प्रश्न 6.
मनुष्य होता है
(a) अण्डयुज
(b) जरायुज
(c) अण्डजरायुज
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(b) जरायुज

प्रश्न 7.
मद चक्र होता है
(a) ऋतुस्राव का
(b) एस्ट्रोजन स्रावण का
(c) गर्भाधान का
(d) रजोनिवृत्ति का।
उत्तर
(a) ऋतुस्राव का

प्रश्न 8.
मानव सहित बहुत से स्तनियों में जरावस्था का कारण है
(a) वातावरण में विपरीत परिवर्तन
(b) आनुवंशिक कारकों तथा वातावरण के मध्य पारस्परिक प्रभाव
(c) कुपोषण तथा तनाव
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(b) आनुवंशिक कारकों तथा वातावरण के मध्य पारस्परिक प्रभाव

प्रश्न 9.
मानव शरीर का कौन-सा अंग पुनर्जनन को प्रदर्शित करता है
(a) प्लीहा
(b) वृक्क
(c) मस्तिष्क
(d) यकृत।
उत्तर
(b) वृक्क

प्रश्न 10.
स्तनधारियों में निषेचन होता है
(a) अण्डवाहिनी कीप में
(b) फैलोपियन नलिका में
(c) गर्भाशय में
(d) योनि में।
उत्तर
(d) योनि में।

प्रश्न 11.
स्तनधारियों के वृषण को ढकने वाले सम्पुट का नाम है
(a) ट्यूनिका एल्बूजीनिया
(b) ट्यूनिका वैसकुलोसा
(c) ट्यूनिका वेजाइनेलिस
(d) ट्यूनिका झिल्ली।
उत्तर
(a) ट्यूनिका एल्बूजीनिया

प्रश्न 12.
सरटोली कोशिका पायी जाती है
(a) शशक के वृषण में
(b) मेढक के वृषण में
(c) स्तनधारी के वृषण में
(d) कॉकरोच केवृषण में।
उत्तर
(a) शशक के वृषण में

प्रश्न 13.
गैस्ट्रला की गुहा कहलाती है–
(a) ब्लास्टोसील
(b) सीलोम
(c) आर्केन्टेरॉन
(d) हीमोसील।
उत्तर
(c) आर्केन्टेरॉन

प्रश्न 14.
इम्प्लान्टेशन वह क्रिया है जिसमें
(a) अण्डे का निषेचन
(b) अण्डे की गति होती है
(c) अण्डे का विलोपन होता है
(d) गर्भाशय की भित्ती से ब्लास्टोसिस्ट बनता है।
उत्तर
(a) अण्डे का निषेचन

प्रश्न 15.
सेमिनिफेरस नलिकाएँ पायी जाती हैं—
(a) वृषण में
(b) अण्डाशय में
(c) वृक्क में
(d) फेफड़े में।
उत्तर
(a) वृषण में

2. सही जोड़ी बनाइए’

‘A’ – ‘B’

1. एक्रोसोम – (a) यूरेथ्रा
2. सरटोली कोशिकाएँ – (b) अण्डाशय
3. प्रोस्टेट ग्रंथि – (c) प्रोजेस्टीरॉन
4. कार्पस ल्यूटियम – (d) वृषण
5. ग्रैफियन पुटिकाएँ – (e) शुक्राणु।
उत्तर
1.(e), 2.(d), 3.(a), 4.(c), 5. (b).

‘A’ -‘B’

1. प्राथमिक जननांग – (a) रिलैक्सिन
2. अपरास्तनी अण्डे – (b) वृषण
3. पुनर्जनन – (c) अपीतकी
4. डिम्ब पुटिकाएँ – (d) यकृत
5. प्रसव – (e) अण्डाशय।
उत्तर
1.(b), 2.(c), 3.(d),4.(e), 5.(a)

3. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. शुक्राणु जनन के समय 24 प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट से कितने शुक्राणु बनेंगे? .
2. स्तनियों में निषेचन कहाँ सम्पन्न होता है ?
3. अण्डजनन के दौरान एक अण्डे के बनने में कितने ध्रुवीय पिण्ड निकलते हैं ?
4. उस पदार्थ का नाम बताइए जो शुक्राणु को अण्डाणु में प्रवेश की सहायता के लिए शुक्राणुओं में बनता है।
5. डिम्ब पुटिका अण्डाशय से अण्डाणु के मुक्त होने की क्रिया का नाम बताइए।
6. 100 प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट से कितने शुक्राणु तथा 100 प्राथमिक ऊसाइट से कितने अण्डाणु पैदा होंगे?
7. स्तनी शुक्राणु का कौन-सा भाग प्रकिण्व का स्रावण करता है, जिससे यह अण्डाणु में प्रवेश कर सके ?
8. मनुष्य की उस विकासीय अवस्था का नाम बताइए जिसमें यह गर्भाशय की दीवार में प्रत्यारोपित होता है।
9. एक अण्डाणु के निर्माण में कितने ध्रुवीय काय बनते हैं ? ।
10. शुक्राणु के द्वारा अण्डाणु के कोरोना रेडिएटा में प्रवेश करने के लिए कौन-सा प्रकिण्व स्रावित किया जाता है ?
11. किस अंग में कॉर्पस ल्यूटियम का निर्माण होता है ?
12. मानव निषेचन कहाँ होता है ?
13. मानव गर्भावस्था कितने दिनों की होती है ?
14. मनुष्य के शुक्राणु में कितने ऑटोसोम होते हैं ?
15. उस अवस्था का नाम बताइये जिसमें विकास कर रहा भ्रूण अण्डाशय की दीवार पर स्थापित होता है।
16. ग्रेफियन फॉलिकल से अण्ड के.बाहर निकलने की प्रक्रिया क्या कहलाती है ?
उत्तर

  1. 96
  2. अण्डवाहिनी,
  3. 2
  4. स्पर्मलाइसिन
  5. अण्डोप्सर्ग
  6. 400, 100
  7. सिर
  8. फीटल अवस्था,
  9. 3.
  10. स्पर्मलाइसिन
  11. अण्डाशय
  12. अण्डवाहिनी
  13. 240 दिन
  14. 22
  15. ब्लास्टुला
  16. अण्डोत्सर्ग।

मानव जनन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जायगोट से मॉरुला के बनने की क्रिया किस नाम से सूचित की जाती है ?
उत्तर
विदलन (Cleavage)।

प्रश्न 2.
प्रथम ऋतुस्राव को कहते हैं ?
उत्तर
मिनार्की (Menarche)।

प्रश्न 3.
स्पर्मेटोजेनेसिस उदाहरण है।
उत्तर
युग्मकजनन का।

प्रश्न 4.
गर्भाशय के अंदर फीटस का पोषण कौन करता है ?
उत्तर
अपरा (Placenta)।

प्रश्न 5.
गैस्ट्रला अवस्था में कितने जनन स्तर होते हैं ?
उत्तर
तीन।

प्रश्न 6.
गैस्टुला के मध्य जनन स्तर को किस नाम से सूचित किया जाता है ?
उत्तर
मीसोडर्म।

प्रश्न 7.
मानव शिशु का जन्म निषेचन के कितने दिन बाद होता है ?
उत्तर
280 दिन (9 माह 10 दिन)।

प्रश्न 8.
अपनी ही तरह के नयी पीढ़ी के जीवों को उत्पन्न करने की क्रिया कहलाती है।
उत्तर
प्रजनन।

प्रश्न 9.
दो अलग-अलग प्रभेद की कोशिकाओं के संलयन से होने वाला जनन किस नाम से सूचित किया जाता है ?
उत्तर
लैंगिक जनन।

प्रश्न 10.
यौवनारम्भ पश्चात् मनुष्य में कौन-सा युग्मकजनन जीवनपर्यन्त चलता रहता है ?
उत्तर
शुक्राणुजनन (Spermatogenesis)।

प्रश्न 11.
एक पचास वर्षीय स्त्री का रजचक्र समाप्त होना क्या कहलाता है ?
उत्तर
रजोनिवृत्ति (Menopause)

प्रश्न 12.
गर्भावस्था किसे कहते हैं ?
उत्तर
निषेचन से शिशु के जन्म (प्रसव) के बीच के समय को गर्भावस्था कहते हैं।

प्रश्न 13.
कॉर्पोरा केवरनोसा कहाँ पाया जाता है ?
उत्तर
कॉर्पोरा केवरनोसा शिश्न (Penis) में पाया जाता है।

प्रश्न 14.
हाथी, कुत्ता एवं बिल्ली का औसत गर्भकाल क्या है ?
उत्तर
हाथी 641 दिन, कुत्ता और बिल्ली 63 दिन।

प्रश्न 15.
उस हॉर्मोन का नाम लिखिए जो प्रसव के समय प्यूबिक सिम्फाइसिस का शिथिलन करता है।
उत्तर
रिलैक्सिन हॉर्मोन।

मानव जनन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रजोनिवृत्ति किसे कहते हैं ? समझाइये।
उत्तर
रजोनिवृत्ति–प्रत्येक स्त्री के प्रजनन काल (12-13 वर्ष की उम्र से 45-50 वर्ष की उम्र तक) में गर्भावस्था को छोड़कर प्रति 26 से 28 दिनों की अवधि पर गर्भाशय से रक्त तथा इसकी आन्तरिक दीवार की श्लेष्म का स्राव होता है। यह स्राव 3 या 4 दिन तक चलता है। इसे ऋतु स्त्राव, रजोधर्म, आर्तव या मासिक धर्म (Menses of Menstruation) कहते हैं, चूँकि यह एक निश्चित समयान्तराल पर बार-बार होता है, इस कारण इसे मासिक ऋतु स्राव चक्र (Menstruation Cycle) भी कहते हैं। स्त्रियों में 45-50 वर्ष के बाद ऋतु स्राव नहीं होता, इस अवस्था को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते हैं। रजोनिवृत्ति के बाद गर्भधारण की क्षमता समाप्त हो जाती है तथा स्तन भी ढीले हो जाते हैं। –

प्रश्न 2.
मनुष्य के वृषण के अनुप्रस्थ काट का केवल नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन 9

प्रश्न 3.
मादा प्रजनन तन्त्र में फैलोपियन नलिका कहाँ स्थित होती है ? इसका क्या महत्व है ?
उत्तर
मादा प्रजनन तन्त्र में फैलोपियन नलिका दो की संख्या में उदरगुहा के निचले प्रतिपृष्ठ हिस्से में अण्डाशय तथा गर्भाशय के बीच में स्थित होती है। प्रत्येक नलिका की लम्बाई लगभग 10 cm होती है। इसका एक सिरा स्वतंत्र तथा कीप के समान होता है, जबकि दूसरा सिरा गर्भाशय से जुड़ा रहता है । कोप के समान सिरा अण्डोत्सर्ग से निकले अण्डाणु को ग्रहण करके इसे अपने अन्दर की सीलिया की गति के प्रभाव से गर्भाशय में पहुँचाता है । अण्डाणु देहगुहा में स्वतंत्र होते समय पूर्णतः परिपक्व नहीं होता, अत: इसका परिपक्वन फैलोपियन नलिका में ही होता है। इन दो कार्यों के अलावा अण्डवाहिनी में ही निषेचन की क्रिया भी सम्पन्न होती है। इस प्रकार नलिका मादा प्रजनन तन्त्र का मुख्य भाग है।

प्रश्न 4.
पुरुषों में होने वाले द्वितीयक लैंगिक लक्षण लिखिए।
उत्तर

  1. आवाज भारी हो जाता है।
  2. चेहरे पर मूंछ व दाढ़ी निकल आता हैं तथा शरीर के अन्य भागों पर बाल निकल आते हैं।
  3. शरीर सुडौल और बलशाली हो जाता है।
  4. कंधे चौड़े हो जाते हैं।
  5. वृद्धि के कारण शरीर लम्बाई में बढ़ जाता है। उपरोक्त लैंगिक लक्षणों का विकास युवावस्था प्रारंभ होने का संकेत होता है । यह वृष्ण में टेस्टोस्टीरॉन बनना प्रारंभ होने के कारण होता है। यह परिवर्तन 12 वर्ष से 16 वर्ष की आयु में होता है।

मानव जनन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्पर्मेटोजिनेसिस और ऊजेनेसिस में अन्तर समझाइये।
उत्तर
स्पर्मेटोजिनेसिस और ऊजेनेसिस में अन्तर.
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन 10

प्रश्न 2.
मनुष्य में कॉर्पस ल्यूटीयम के निर्माण तथा कार्य को समझाइए।
उत्तर
कॉर्पस ल्यूटीयम का निर्माण अण्डाशय में होता है। अण्डोत्सर्ग अर्थात् अण्डाणु के डिम्ब पुटिका तथा अण्डाशय से बाहर निकलने के बाद डिम्ब पुटिका में एक घाव बन जाता है, जिसमें रुधिर भरा रहता है। इस समय पुटिका को कॉर्पस हीमोरेजिकम (Corpus Haemorrhagicum) कहते हैं। जल्दी ही इस पुटिका की रुधिर से भरी गुहा में पुटिका कोशिकाएँ भर जाती हैं। अब इस पुटिका को कॉर्पस ल्यूटीयम (Corpus Lutium) कहते हैं।

कॉर्पस ल्यूटीयम के बनने और संरक्षण तथा अण्डोत्सर्ग (आदि पुटिका से डिम्ब पुटिका तक का बनना) का नियंत्रण पीयूष ग्रन्थि के हॉर्मोनों E.S.H. और L.H. के द्वारा होता है। यदि अण्डोत्सर्ग के बाद अण्डाणु का निषेचन हो जाता है तब तो कॉर्पस ल्यूटीयम गर्भ के सातवें महीने तक रहता है, लेकिन जब निषेचन नहीं हो पाता, तब यह विलुप्त हो जाती है। यह कॉर्पस ल्यूटीयम कुछ हॉर्मोन्स का निर्माण करता है जो गर्भधारण तथा दुग्ध निर्माण को प्रेरित करते हैं।

प्रश्न 3.
फैलोपियन नलिका की रचना एवं कार्य लिखिए।
उत्तर
स्त्री में लगभग 10-10 सेमी लम्बी दो नलिकाएँ उदर गुहा में जननांगों से संबंधित होती हैं जिनका एक सिरा स्वतंत्र तथा झालरदार होता है और अण्डाशय के पास स्थित होता है, इसे फिम्ब्री कहते हैं। इनका दूसरा सिरा गर्भाशय से जुड़ा रहता है । ये नलिकाएँ अण्डाशय से निकले अण्डाणु को फिम्ब्री द्वारा ग्रहण करके गर्भाशय में पहुँचाती हैं। अण्डाणुओं का निषेचन इन्हीं नलियों में होता है। इनकी दीवार पेशीय होती है तथा इनकी आन्तरिक सतह पर सिलिया पाये जाते हैं, जिनकी गति के कारण ही अण्डाणु फिम्बी में आता है। इन नलिकाओं को फैलोपियन नलिका या अण्डवाहिनी कहते हैं। कार्य–अण्डाणुओं को अण्डोत्सर्ग के बाद गर्भाशय में पहुँचाती हैं तथा निषेचन के लिए स्थान प्रदान करती हैं।

प्रश्न 4.
अण्डाशय की रचना लिखिए।
उत्तर
प्रत्येक स्त्री में गर्भाशय के दोनों तरफ एक-एक की संख्या में एक जोड़ी अण्डाशय मीजोवेरियम झिल्ली द्वारा सधे रहते हैं। प्रत्येक अण्डाशय के चारों तरफ एक कोशिका स्तर मोटी जनन उपकला पायी जाती है। इसके अन्दर दो भागों में विभाजित संयोजी ऊतक पाया जाता है, इसके बाहरी भाग को कॉर्टेक्स तथा भीतरी भाग को मेड्यूला कहते हैं। कॉर्टेक्स में हजारों की संख्या में विशिष्ट कोशिकाओं के समूह पाये जाते हैं, जिन्हें अण्डाशयी पुटिकाएँ कहते हैं। ये पुटिकाएँ चार विकासात्मक अवस्थाओं में होती हैं

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन 11

  • आदि पुटक-इनके मध्य में एक अपेक्षाकृत बड़ी कोशिका होती है। इसको घेरे हुए अपेक्षाकृत छोटी कोशिकाएँ स्थित होती हैं।
  • प्राथमिक पुटक-ये आदि पुटकों से विकसित होते हैं।
  • वेसिकुलर पुटक-यह प्राथमिक पुटकों से बनता है। इसमें ऊसाइट के चारों तरफ कई कोशिका की मोटी स्तर पायी जाती है।

प्रश्न 5.
निषेचन की क्रिया-विधि का वर्णन एवं इसके महत्व को समझाइये।
उत्तर
निषेचन (Fertilization)—शुक्राणु (नर युग्मक) तथा अण्डाणु (मादा युग्मक) से मिलकर युग्मनज (Zygote) बनने की क्रिया को निषेचन कहते हैं। मनुष्य में अन्त:निषेचन पाया जाता है, अर्थात् इसके शुक्राणु और अण्डाणु मादा के शरीर के अन्दर मिलते हैं। जब मैथुन के अन्तिम चरण में नर अपने वीर्य को योनि में स्खलित कर देता है, तब गर्भाशय की ग्रीवा की सिरिंज अवशोषण क्रिया के कारण वीर्य गर्भाशय में चला जाता है । इस चलन में शुक्राणु की पूँछ इसकी मदद करती है। स्खलन के समय वीर्य में 20 करोड़ की संख्या में शुक्राणु होते हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश योनि की दीवार के अम्लीय स्राव के कारण मर जाते हैं। इसके अलावा कुछ शुक्राणुओं की हानि मादा के जनन मार्ग के सँकरे और इसकी दीवार के चिपके होने के कारण होती है। शुक्राणुओं की इस बड़ी संख्या में से केवल कुछ शुक्राणु ही गर्भाशय में आते हैं और गर्भाशय में पूँछ की सहायता से 1.5 से 3 मिमी प्रति मिनट की चाल से चलते हुए अण्डवाहिनी में पहुँचते हैं यहाँ तक शुक्राणुओं की संख्या हजारों या सैकड़ों में ही रह जाती हैं ।

अण्डवाहिनी में आकर ये अण्डाणु के चारों तरफ अपने सिर के द्वारा चिपक जाते हैं। इन शुक्राणुओं में से एक शुक्राणु से सम्पर्क स्थान पर अण्डाणु की बाहरी दीवार फूलकर एक निषेचन शंकु (Fertilization cone) बना देती है। निषेचन शंकु सम्भवतः उसी शुक्राणु के साथ बनता है जो सबसे पहले अण्डाणु के सक्रिय भाग (Animal pole = अण्डाणु में एक तरफ कोशिकाद्रव्य की मात्रा अधिक होती है, इस भाग को सक्रिय ध्रुव लेकिन दूसरे अर्धांश में अपेक्षाकृत कम सान्द्र कोशिकाद्रव्य होता है, इस भाग को निष्क्रिय ध्रुव (Vegetal pole) कहते हैं) को स्पर्श करता है। एक शंकु के बनने के बाद अण्डाणु दूसरा शंकु नहीं बनाता जिससे अण्डाणु में केवल एक ही शुक्राणु प्रवेश कर सकता है ।

अण्डाणु की दीवार से चिपकने के बाद शुक्राणु का एक्रोसोम कुछ प्रकिण्वों को स्रावित करता है, जिन्हें सामूहिक रूप से स्पर्म लाइसिन (Sperm lysin) कहते हैं । इसके कारण अण्डाणु की दीवार घुलती जाती है और शुक्राणु धीरे-धीरे अण्डाणु में प्रवेश करता जाता है। ज्यों ही एक शुक्राणु अण्डाणु में प्रवेश करता है अण्डाणु में कुछ ऐसे परिवर्तन हो जाते हैं कि इसमें दूसरा शुक्राणु प्रवेश नहीं करता। शुक्राणु का पूँछ भाग अण्डाणु में प्रवेश नहीं करता, बल्कि अण्डाणु की सतह पर ही विलुप्त हो जाता है और इसका सिर अण्डाणु के केन्द्रक की तरफ आगे बढ़ जाता है। अण्डाणु के चारों तरफ की पुटिका कोशिकाएँ म्यूकोपॉलीसैकेराइड (Mucopolysaccharide) और हाइलूरोनिक अम्ल द्वारा एक-दूसरे से चिपकी रहती हैं।

इसके लिये शुक्राणु हाइलूरोनिडेज (Hyaluronidase) प्रकिण्व स्रावित करता है जो इन्हें अपघटित कर देता है। स्तनियों के शुक्राणुओं में होने वाले उन परिवर्तनों को जो निषेचन में मदद करते हैं, कैपेसिएशन कहते हैं। इस कैपेसिएशन (Capaciation) क्रिया के दौरान एक्रोसोम के चारों तरफ की झिल्ली टूट जाती है जिसके कारण एक्रोसोम द्वारा स्पर्म लाइसिन का स्राव होता है, जिसकी सहायता से अण्डाणु जोना रेडिएटा और जोना पेलुसिडा का भेदन होता है। इन दोनों के बाद अण्डाणु तथा शुक्राणु के सिर की प्लाज्मा झिल्लियाँ भी घुल जाती हैं, फलतः नर तथा मादा युग्मकों के केन्द्रक पास-पास आ जाते हैं और दोनों के कोशिकाद्रव्य मिल जाते हैं।

अब शुक्राणु का केन्द्रक अण्डाणु के केन्द्रक की ओर जाता है और दोनों मिलकर एक द्विगुणित केन्द्रक बना देते हैं इस अण्डाणु को युग्मनज कहते हैं। निषेचन की क्रिया पूर्ण होने में लगभग 2 – 2- 1/2 घण्टे का समय लगता है। अब निषेचित अण्डाणु गर्भाशय की गुहा की ओर बढ़ता है और लगभग सात दिनों में यह गर्भाशय की गुहा में पहुँच जाता है और यह यहीं पर गर्भाशय की दीवार में स्थापित हो जाता है। निषेचन के

बाद भ्रूणीय प्रावस्था प्रारम्भ होती है।
निषेचन का महत्व (Significance of Fertilization)
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन 12

  • शुक्राणु के प्रवेश से ही अण्डाणु सक्रिय होता है।
  • निषेचन झिल्ली का निर्माण होता है, जिससे अन्य शुक्राणु अन्दर प्रवेश न कर सकें। मनुष्य में निषेचन झिल्ली का निर्माण नहीं होता है। .
  • निषेचन द्वारा गुणसूत्र की संख्या द्विगुणित हो जाती है।
  • यह आनुवंशिक लक्षणों को धारण करता है।
  • विभिन्न जीव जातियों में भिन्नताएँ निषेचन द्वारा होती हैं।
  • निषेचन के द्वारा अण्डे में घूर्णन होता है। .
  • अण्डाणु में सेन्ट्रिओल नहीं पाया जाता है, जिसे शुक्राणु से प्राप्त करता है एवं बार-बार विभाजित होता

प्रश्न 6.
निषेचित अण्डाणु से तीन जनन स्तरों के निर्माण को समझाइए। तीन जनन स्तरों से बनने वाले अंगों का नाम लिखिए।
उत्तर
निषेचित अण्डाणु में तीन जनन स्तर निर्माण का क्रम निम्नलिखित है

1. मॉरुला (Morula)-
निषेचित अण्डाणु फैलोपियन नलिका में पाया जाता है। निषेचन के बाद निषेचित अण्डाणु में विभाजन प्रारम्भ हो जाता है । विदलन (Cleavage) की क्रिया होलोब्लास्टिक (Holoblastic) होती है। इस क्रिया द्वारा गेंद के समान कोशिकाओं का समूह बनता है, जिसे मॉरुला (Morula) कहते हैं। 3 या 4 दिन के पश्चात् इसका रोपण गर्भाशय में होता है।

2. ब्लास्टुला (Blastula)—
जब गेंद के समान मॉरुला में ब्लास्टोसील (Blastocoel) गुहा का निर्माण हो जाता है, तब भ्रूण की इस अवस्था को ब्लास्टुला (Blastula) कहते हैं।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन 13

3. गैस्टुला अवस्था (Gastrula)-
भ्रूण की इस अवस्था में तीन जनन स्तर का निर्माण होता है। इसमें उपस्थित गुहा को आर्केण्ट्रॉन (Archenteron) एवं उपस्थित छिद्र को ब्लास्टोपोर (Blastopore) कहते हैं। इसमें तीन स्तर एक्टोडर्म, मीसोडर्म एवं एण्डोडर्म का निर्माण होता है।

तीन जनन स्तर का निर्माण (Formation of three Germinal layer)

1. एण्डोडर्म का निर्माण (Formation of Endoderm) –
एम्बियोब्लास्ट (Embryoblast) की कुछ कोशिकाएँ अलग होकर ब्लास्टोसील (Blastocoel) में आ जाती हैं। इन कोशिकाओं में तेजी से विभाजन होकर एककोशिकीय स्तर का निर्माण होता है। इस स्तर को एण्डोडर्म (Endoderm) कहते हैं। एम्बियोब्लास्ट की कोशिकाएँ जो एण्डोडर्म स्तर निर्माण में भाग नहीं लेती हैं, एक मोटे स्तर में एक बिम्ब के समान व्यवस्थित हो जाती हैं, जिसे भ्रूणीय बिम्ब (Embryonic disc) कहते हैं।

2. मीसोडर्म का निर्माण (Formation of Mesoderm)-
एण्डोडर्म के निर्माण के पश्चात् भ्रूण लम्बाई में वृद्धि करता है। इसका एक सिरा पतला एवं दूसरा सिरा मोटा हो जाता है। भ्रूणीय डिम्ब में उपस्थित कोशिकाएँ अलग होना प्रारम्भ कर देती हैं। डिम्ब डिस्क से अलग कोशिकाएँ मोटाई में वृद्धि करती हैं एवं भ्रूणीय डिम्ब सं अलग होकर मीसोडर्म स्तर का निर्माण करती हैं।

3. एक्टोडर्म का निर्माण (Formation of Ectoderm) –
भ्रूणीय डिस्क में बची हुई कोशिकाएँ विभाजित होती हैं एवं एक क्रम में व्यवस्थित होकर एक्टोडर्म का निर्माण करती हैं।
तीन जनन स्तर से बनने वाले अंग

1. एक्टोडर्म (Ectoderm) त्वचा की एपिडर्मिस, तंत्रिका तंत्र अंतरांग, ऐड्रीनल ग्रन्थि का मेड्यूलरी भाग, पीनियल काय, आँख की रेटिना, लेन्स, कॉर्निया, नेसल एपिथीलियम, मुखगुहा, मलाशय।

2. मीसोडर्म (Mesoderm) त्वचा का डर्मिस भाग, वृक्क, जनन अंग, हृदय, लसीका तंत्र, प्लीहा।
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन 14

3. एण्डोडर्म (Endoderm)-आहार नाल का म्यूकोसा, आमाशय, आँत की ग्रन्थियाँ, यकृत, अग्नाशय, थायरॉइड, अग्र पीयूष, थायमस, फेफड़े, गिल, प्राथमिक जनन कोशिका।

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 17 और भी दूँ

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 17 और भी दूँ

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 17 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

कुछ और भी दूँ कविता का प्रश्न उत्तर MP Board Class 7th प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) कवि मातृभूमि को क्या-क्या समर्पित करना चाहता है?
उत्तर
कवि मातृभूमि के लिए तन-मन-प्राण सब कुछ समर्पित करना चाहता है। वह अपने मस्तक, गीत तथा रक्त का एक-एक कण भी अपने देश की धरती के लिए अर्पित कर देना चाहता है। उसके मन में उठने वाली कल्पनाएँ तथा प्रश्न तथा सम्पूर्ण आयु (उम्र) भी मातृभूमि के लिए अर्पित करना चाहता है। सम्पूर्ण बाग-बगीचे, उनके फूल आदि मातृभूमि के लिए समर्पित हैं।

(ख) कवि अपने सर्वस्व समर्पण के बाद भी सन्तुष्ट क्यों नहीं है ?
उत्तर
कवि अपनी मातृभूमि की सेवा में सर्वस्व न्योछावर कर देना चाहता है। वह फिर भी सन्तुष्ट नहीं दिखता है। इसका कारण यह है कि वह इस सबके अतिरिक्त भी जो कुछ उसके पास है, उसे भी अर्पित कर देने की कामना करता है। कामनाएँ कभी भी शान्त नहीं हुआ करती।

(ग) कवि क्षमा-याचना क्यों कर रहा है?
उत्तर
कवि अपने गाँव, द्वार-घर-आँगन आदि सभी के प्रति अपने लगाव को छोड़कर मातृभूमि के लिए सर्वस्व प्रदान करना चाहता है। इसलिए वह इन सभी से क्षमा याचना करता है। इनकी अपेक्षा मातृभूमि के प्रति दायित्व महत्वपूर्ण है।

(घ) कविता का मुख्य सन्देश क्या है ?
उत्तर
कविता का मुख्य सन्देश है कि हम सभी अपनी मातृभूमि के लिए सर्वस्व त्यागकर उसकी सेवा करें। मोहरहित होकर तन-मन-प्राण से मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार रहें।

समर्पण पाठ कक्षा 7 MP Board प्रश्न 2.
निम्नलिखित भाव कविता की जिन पंक्तियों से प्रकट होते हैं, उन पंक्तियों को लिखिए
(क) मोहमाया के बन्धन को तोड़ना।
(ख) सम्पूर्ण आयु को समर्पण करना।
(ग) बलिदान के लिए तत्परता।
उत्तर
(क) तोड़ता हूँ मोह का बन्धन।
(ख) आयु का क्षण-क्षण समर्पित।
(ग) मन समर्पित, तन समर्पित, और यह जीवन समर्पित। चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी हूँ।

चाहता हूँ कविता का भावार्थ Class 7 MP Board प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए

(क) प्रस्तुत कविता का मुख्य भाव क्या है?
(1) मातृभूमि के प्रति आदर।
(2) मातृभूमि के लिए सर्वस्व समर्पण की चाह।
(3) मातृभूमि की महानता का गुणगान।
(4) मातृभूमि से क्षमा याचना।
उत्तर
(2) मातृभूमि के लिए सर्वस्व समर्पण की चाह।

(ख) कवि अपने जीवन, घर-परिवार और गाँव से क्षमा याचना करता है, क्योंकि वह
(1) इनके प्रति दायित्व निर्वाह नहीं करना चाहता।
(2) इनकी अपेक्षा देश के प्रति दायित्व निर्वाह को महत्वपूर्ण मानता है।
(3) इनके प्रति दायित्व निभाने में स्वयं को असमर्थ पाता है।
(4) इनसे छुटकारा पाना चाहता है।
उत्तर
(2) इनकी अपेक्षा देश के प्रति दायित्व निर्वाह को महत्त्वपूर्ण मानता है।

भाषा अध्ययन

चाहता हूं कविता का प्रश्न उत्तर MP Board Class 7th प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध उच्चारण कीजिए
ऋण, स्वीकार, माँज, बाँध, शीश, आशीष, तृण।
उत्तर
उल्लिखित शब्दों को बार-बार पढ़िए और विशेष सावधानी से शुद्ध रूप में उच्चारण कीजिए। कठिनता के लिए अपने आचार्य महोदय की सहायता ले सकते हो।

Class 7 Hindi कुछ और भी दूँ Chhattisgarh State Board Solutions प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण एवं लेखन कीजिए
कुछ और भी दूँ कविता का प्रश्न उत्तर MP Board Class 7th
उत्तर
छात्र/छात्राएँ स्वयं करें।

Aur Bhi Du Hindi Poem Question Answer MP Board Class 7th प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए- .
समर्पित, आँगन, ध्वज, आशीष।
उत्तर

  1. मैं अपनी मातृभूमि के लिए सर्वस्व समर्पित करता हूँ।
  2. मेरे आँगन में फलदार पेड़ों के झुरमुट खड़े हैं।
  3. अपने हाथ में राष्ट्रीय ध्वज लिए हुए वीर सैनिक मातृभूमि की रक्षा के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
  4. माँ का आशीष सदैव फलदायक होता है।

Man Samarpit Tan Samarpit Question Answer MP Board Class 7th प्रश्न 4.
इस कविता से अनुप्रास अलंकार वाली पंक्तियाँ छाँटकर लिखिए।
उत्तर

  1. मन समर्पित, तन समर्पित।
  2. गान अर्पित, प्राण अर्पित, रक्त का कण-कण समर्पित।
  3. शीश पर आशीष की छाया घनेरी।
  4. रक्त का कण-कण समर्पित।
  5. आयु का क्षण-क्षण समर्पित।
  6. नीड़ का तृण-तृण समर्पित।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) माँ तुम्हारा ……..
(ख) ……………. फिर भी निवेदन
(ग) थाल में लाऊँ ……….
(घ) कर दया ………वह समर्पण।
उत्तर
(क) ऋण बहुत है, मैं अकिंचन,
(ख) किन्तु इतना कर रहा
(ग) सजाकर भाल जब भी
(घ) स्वीकार लेना।

प्रश्न 6.
नीचे लिखे शब्दों के पर्यायवाची दी गई वर्ग पहेली से छाँटकर लिखिए
फूल, पृथ्वी, माथा, खून, गृह।
वर्ग पहेली
समर्पण पाठ कक्षा 7 MP Board
उत्तर
फूल-प्रसून, पुष्प, सुमन । पृथ्वी-वसुधा, धारिणी, धरा, धरती। माथा-मस्तक, भाल, कपाल। खून-रक्त, रुधिर, लहू। गृह-घर, आवास, वास।

और भी दूँ सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

1. मन समर्पित, तन समर्पित,
और यह जीवन समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती,
तुझे कुछ और भी हूँ।

शब्दार्थ-समर्पित = अर्पित किया हुआ, सौंपा हुआ; तन = शरीर; जीवन = प्राण या जिन्दगी।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ “और भी ढूँ”, नामक कविता से अवतरित हैं। इसके रचयिता ‘रामावतार त्यागी’ हैं।

प्रसंग-कवि अपने प्रिय देश के लिए अपना सर्वस्व त्याग देने को तैयार है।

व्याख्या-कवि कहता है कि हे मेरे देश की धरती! तेरी सेवा के लिए मैं स्वयं तन-मन तथा अपने प्राण (सम्पूर्ण जिन्दगी) अर्पित करता हूँ। इस सब के अलावा दूसरी वस्तुएँ भी यदि मेरे पास है, तो उन्हें भी तेरे लिए अर्पित करने (त्यागने) के लिए तैयार हूँ।

2. माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिञ्चन,
किन्तु इतना कर रहा, फिर भी निवेदन।
थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी,
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण।

गान अर्पित, प्राण अर्पित,
रक्त का कण-कण समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती,
तुझे कुछ और भी हूँ।

शब्दार्थ-अकिञ्चन = दीन; भाल = मस्तक; समर्पण = अर्पित की हुई वस्तु; अर्पित = न्योछावर किया हुआ।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि के अनुसार देशभक्त सर्वस्व अर्पित करने के बाद जो भी दूसरी वस्तु यदि उसके पास है तो वह उसे भी देश की सेवा में अर्पित कर देने को तैयार है।

व्याख्या-हे मातृभूमि, मुझ पर तेरे ऋण (कर्ज) का बोझ बहुत है। मैं दीन हूँ (उस कर्ज के बोझ को मैं किस तरह उठा सकूँगा)। फिर भी मैं यह निवेदन कर रहा हूँ कि जब भी अपने इस मस्तक को थाल में सजाकर लेकर आऊँ, तो मेरे इस समर्पण को (सेवा में दी गई इस वस्तु को) स्वीकार करने की कृपा करना। भक्ति भरा मेरा गीत भी तुम्हें अर्पित है, मेरे प्राण भी अर्पित हैं। साथ ही मेरे रक्त की (खून की) एक-एक बूंद भी तुम्हारे लिए अर्पित है। इस प्रकार हे मेरे देश की धरती ! मैं इसके अलावा भी कुछ और अर्पित करना चाहता हूँ।

3. माँज दो तलवार को, लाओ न देरी,
बाँध दो कसकर, कमर पर ढाल मेरी,
भाल पर मल दो, चरण की धूल थोड़ी,
शीश पर आशीष की छाया घनेरी,

स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित,
आयु का क्षण-क्षण समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती,
तुझे कुछ और भी हूँ।

शब्दार्थ-भाल = मस्तक; मल दो = लगा दो; आशीष = आशीर्वाद; घनेरी- घनी; स्वप्न- कल्पनाएँ, विचार; आयु = उम्र ; चरण = पैर।

मन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि अपनी मातृभूमि के आशीर्वाद को प्राप्त करके अपनी उम्र के प्रत्येक क्षण को देश की सेवा में अर्पित करना चाहता है।

व्याख्या-हे मातृभूमि-मेरी माँ! बिना किसी देर किए हुए तुम मुझे तलवार (युद्ध के लिए) दे दो। उसको और ढाल को-दोनों ही कसकर कमर में बाँध दो। साथ ही, मेरे मस्तक पर अपने चरणों (पैरों) की थोड़ी-सी धूल लगा दो तथा मेरे सिर पर अपने आशीर्वाद की घनी छाया कर दो (आशीर्वाद दीजिए)। मेरी कल्पनाएँ तथा मेरे प्रश्न सभी तेरी सेवा में अर्पित हैं। यहाँ तक कि मेरी उम्र का प्रत्येक क्षण भी तुम्हारी सेवा में अर्पित है। इस तरह, हे मेरे देश की धरती, मैं तुझे कुछ अन्य भी अर्पित कर देना चाहता हूँ।

4. तोड़ता हूँ मोह का बन्धन, क्षमा दो,
गाँव मेरे, द्वार घर-आँगन क्षमा दो;
आज सीधे हाथ में तलवार दे दो।
और बाएँ हाथ में ध्वज को थमा दो।

ये सुमन लो, यह चमन लो,
नीड़ का तृण-तृण समर्पित,
चाहता हूँ देश की धरती,
तुझे कुछ और भी हूँ।

शब्दार्थ-ध्वज पताका, झण्डा; थमा दो = पकड़ा दो सुमन = फूल; चमन = बगीचा; नीड़ = घोंसला; मोह = प्रेम।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग- कवि अपने देश की सेवा के लिए सम्पूर्ण बन्धनों को समाप्त करके सब कुछ देश की सेवा में अर्पित कर देना चाहता है।

व्याख्या-हे मेरे देश ! तेरे लिए मैं मोह के (प्रेम के) जितने भी बन्धन है, उन सबको तोड़ देना चाहता हूँ। उसके लिए हे मेरे गाँव, तू मुझे क्षमा करना। मेरे घर-आँगन तथा द्वार, तुम सभी मुझे क्षमा करना। आज (अब समय आ गया है तब) तुम सभी मेरे सीधे हाथ में तलवार पकड़ा दो। इस तरह, हे मेरे देश ! ये सभी फूल, तथा बगीचा तथा मेरे घोंसले का तिनका-तिनका भी तेरी सेवा में अर्पित करता हूँ। इस प्रकार, मेरे पास जो भी अन्य वस्तु (यदि मेरे पास है) तो वह भी मैं, हे मेरे देश की धरती ! तेरी सेवा में अर्पित करता हूँ।

और भी दूँ शब्दकोश

समर्पित = त्यागा हुआ, अर्पित किया हुआ निवेदन = प्रार्थना; माँज = धोकर साफ कर दो, युद्ध के लिए; मोह = प्रेम; ध्वज – पताका, झण्डा; ऋण = कर्ज; भाल = मस्तक, माथा;आशीष = आशीर्वाद; सुमन = फूल, पुष्प; नीड़ = घोसा; अकिंचन = दीन; शीश = सिर; घनेरी-घनी; चमन – बगीचा; तृण = तिनका।

MP Board Class 7th Hindi Solutions

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 3 अहिंसा की विजय

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MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 3 अहिंसा की विजय

प्रश्न-अभ्यास

अनुभव विस्तार

Mp Board Class 8 Hindi Chapter 3 प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(क) सही जोड़ी बनाइए
(अ) मगध की राजधानी – 1. श्रावस्ती
(ब) कोसल की राजधानी – 2. राजगृह
(स) महात्मा बुद्ध का शिष्य – 3. अंगुलिमाल
(द) डाकू का नाम – 4. प्रसेनजित
उत्तर-
(अ) 2,
(ब) 5,
(स) 4,
(द) 3

(ख) दिए गए विकल्पों से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूरि कीजिए।
(अ) महात्मा बुद्ध ने ……………… को धीरज बँधाया। (राजा, प्रजा)
(ब) अंगुलिमाल ……………. डाकू था। (सीधा-सादा, भयंकर)
(स) महात्मा बुद्ध ने अँगुलिमाल डाकू से ………………. कहा। (प्रेमपूर्वक, शान्तिपूर्वक)
उत्तर-
(अ) राजा,
(ब) भयंकर,
(स) प्रेमपूर्वक।

Class 8 Hindi Chapter 3 Ahinsa Ki Vijay MP Board प्रश्न 2.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ) राजा प्रसेनजित क्यों चिंतित थे?
(ब) महात्मा बुद्ध ने डाकू को कैसे पहचाना?
(स) ‘ठहर जा’ किसने किससे कहा था?
(द) महात्मा बुद्ध के चेहरे पर सदैव मुस्कान क्यों रहती थी?
उत्तर-
(अ) राजा प्रसेनजित डाकू अँगुलिमाल के अत्याचार से चिंतित थे।
(ब) महात्मा बुद्ध ने डाकू को उसके भयंकर रूप से पहचाना।
(स) ‘ठहरा जा’ डाकू अँगुलिमाल ने महात्मा बुद्ध से कहा था।
(द) महात्मा बुद्ध के चेहरे पर सदैव मुस्कान अपने ज्ञान से रहती थी।

Class 8 Hindi Chapter 3 Mp Board प्रश्न 3.
लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ) डाकू का नाम अंगुलिमाल क्यों पड़ा?
उत्तर-
(अ) अंगुलिमाल ने हजार आदमियों की हत्या करने की प्रतिज्ञा कर रखी थी। परंतु वह कितने आदमी मार चुका, इसका हिसाब रखना उसके लिए कठिन काम था। इसके लिए उसने एक युक्ति निकाली। वह जब भी किसी का वध करता तो उसकी एक अँगुली काट लेता। इस प्रकार उसके पास अँगुलियों की एक माला-सी बनती जा रही थी जिसे वह गले में डाले रहता। इसी कारण उसका नाम ‘अँगुलिमाल’ पड़ गया था।

(ब) पहरेदार के रोकने पर भी महात्मा बुद्ध जंगल में क्यों प्रवेश कर गए?
उत्तर-
(ब) पहरेदार के रोकने पर भी महत्मा बुद्ध जंगल में प्रवेश कर गए। यह इसलिए कि

  • उनका हृदय संसार के कष्टों को देखकर दुखी था।
  • उन्हें आत्मज्ञान हो गया। फलस्वरूप उन्हें किसी की चिंता नहीं थी और न उन्हें कोई डर ही था।

(स) महात्मा बुद्ध जंगल में जाते समय क्या विचार कर रहे थे?
उत्तर-
(स) महात्मा बुद्ध जंगल में जाते समय विचार कर रहे थे

“आदमी आदमी को क्यों मारता है? जीव, जीव को देखकर प्रसन्न क्यों नहीं होता?

(द) अँगुलिमाल का हृदय-परिवर्तन कैसे हुआ?
उत्तर-
(द) महात्मा बुद्ध ने अँगुलिमाल को शान्ति, दया और प्रेम का उपदेश दिया। इससे उसकी आँखें खुल गईं। उसके मन का अंधकार दूर हो गया। उसने अँगुलियों की माला तोड़ दी और कटार फेंक दी। उसने हिंसा का जीवन हमेशा के लिए छोड़ दिया। इस तरह उसका हृदय-परिवर्तन हुआ और वह महात्मा बुद्ध का शिष्य बन गया।

भाषा की बात

अहिंसा की विजय सारांश MP Board Class 8th प्रश्न 1.
बोलिए और लिखिएप्रतिभा, त्रस्त, त्राहि-त्राहि, युक्ति, निशस्त्र।
उत्तर-
प्रतिभा, त्रस्त, त्राहि-त्राहि, युक्ति, निशस्त्र।

अहिंसा की विजय कहानी का सारांश MP Board Class 8th प्रश्न 2.
सही वर्तनी पर गोला लगाइए
(अ) परसेनजित, प्रसेनजित, प्रसेनजत।
(ब) वर्तमान, वरतमान, वतर्मान।
उत्तर-
(अ) प्रसेनजित,
(स) वर्तमान।

Mp Board Class 8 Hindi Book Solution प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिएधीरज, सावधान, चीख-पुकार, चिंता, दृष्टि, प्रेमपूर्वक
उत्तर-
वाक्य-प्रयोग
शब्द – वाक्य
धीर- हमें विपत्ति में धीरज रखना चाहिए।
सावधान – सावधान होकर पढ़ो।
चीख-पुकार – दुर्घटना में चीख-पुकार होती है।
चिंता – महँगाई ने गरीबों की चिंता बढ़ा दी।
दृष्टि – हमें दया की दृष्टि रखनी चाहिए।
प्रेमपूर्वक – प्रेमपूर्वक रहने में ही आनंद है।

Ahinsa Ki Vijay Kahani Ka Saransh MP Board प्रश्न 4.
विपरीतार्थी शब्दों की जोड़ी बनाइए-
जन्म – दुखी
सुखी – अशांति
हिंसा – कठिन
सरल – मरण
शांति – अहिंसा
उत्तर-
विपरीतार्थी शब्दों की जोड़ी
जन्म – मरण
सुखी – दुखी
हिंसा – अहिंसा
सरल – कठिन
शांति – अशांति

Mp Board Class 8th Hindi Solution Chapter 3 प्रश्न 5.
समानार्थी शब्द पर गोला लगाइए
(1) पेड़ – वृक्ष, पानी, आग, जंगल
(2) राह – राजा, तरू, रास्ता, हवा
(3) आँख – सागर, नदी, नभ, नेत्र।
उत्तर-
समानार्थी शब्द
(1) पेड़ – वृक्ष
(2) राह – रास्ता
(3) आँख – नेत्र।

Ahinsa Ki Vijay Ka Saransh MP Board Class 8th प्रश्न 6.
निम्नलिखित पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए और संज्ञा, विशेषण और क्रिया छाँटकर तालिका में लिखिए-
महात्मा बुद्ध रुक गए। तुरंत ही घनी झाड़ियाँ चीरती हुई एक विकराल मूर्ति आ खड़ी हुई। ऊँचा कद, काला शरीर, भयानक चेहरा, लाल आँखें, बिखरे बाल, बड़ी-बड़ी मूंछे, लंबी मजबूत भुजाएँ चौड़ा सीना, हाथ में कटार।
उत्तर-
Class 8 Hindi Sugam Bharti MP Board

प्रमुख गद्यांशों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ

1. ‘आदमी आदमी को मारता क्यों है? जीव, जीव को देखकर प्रसन्न क्यों नहीं होता?’ इन्हीं बातों पर विचार करते हुए महात्मा बुद्ध जंगल की राह बढ़े जा रहे थे कि अचानक उन्हें कोई कठोर और भारी आवाज़ सुनाई दी, ‘ठहर जा।’

शब्दार्थ-जीव-प्राणी। राह-रास्ता।

संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) भाग-8 के पाठ-3 ‘अहिंसा की विजय’ से ली गई है। इसके लेखक श्री भगवतशरण उपाध्याय हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने हिंसा के प्रति महात्मा बुद्ध के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि

व्याख्या-महात्मा बुद्ध को अँगुलिमाल डाकू के अत्याचारों को सुनकर के बड़ी चिंता हुई। वे बार-बार यह सोचने लगे कि एक आदमी दूसरे से मिलकर रहने की बजाय उसे क्यों कष्ट पहुँचाता है। वह उसे क्यों मारता है? एक प्राणी को दूसरे प्राणी को देखकर प्रसन्न होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता है, क्यों? इस तरह सोचते-विचारते हुए महात्मा बुद्ध अँगुलिमाल डाकू की ओर जंगल में आगे बढ़ रहे थे। उसी समय उन्हें एक भयंकर और भारी आवाज में रोकते हुए कहा, “ठहर जाओ। अब और आगे न बढ़ो।”

  • सांसारिक कष्टों को बड़े ही सटीक रूप में व्यक्त किया गया है।
  • भाषा-शैली आकर्षक है।

2. महात्मा बुद्ध ने उस पर अपनी दृष्टि डाली। उनकी नज़र में भय न था, प्यार था। उन्होंने प्रेमपूर्वक उस भयानक डाकू से कहा- “मैं तो ठहर गया, भला तू कब ठहरेगा?”

शब्दार्थ-दृष्टि-नज़र। भय-डर।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-इन पंक्तियों में लेखक ने महात्मा बुद्ध की दया-दृष्टि पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि
व्याख्या-जब अंगुलिमाल डाकू ने महात्मा बुद्ध को अपनी भयंकर और कठोर आवाज़ में रोकते हुए कहा, तब उन्होंने उसे बुरा नहीं माना। उन्होंने तो उसे अपनी दया दृष्टि से ही देखा। दूसरी बात यह कि वे उससे तनिक भी नहीं डरे। इस प्रकार उन्होंने उसे बड़े प्यार से यह प्रश्न किया, “अब तो मैं ठहर गया हूँ, लेकिन अब तुम मुझे यह बतलाओ कि तुम कब ठहरोगे?”

विशेष-

  • यह अंश प्रेरक है।
  • वाक्य प्रभावशाली है।

MP Board Class 12th English A Voyage Solutions Chapter 5 Our Casuarina Tree

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MP Board Class 12th English A Voyage Solutions Chapter 5 Our Casuarina Tree

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Our Casuarina Tree Textbook Exercises

Word Power

A. In the poem the word ‘lay’ is used in the sense of a ‘short narrative poem’. It is used in other contexts as verb and as noun. Given below are some words which in the poem are used in the sense given against them. Find their other uses:
rest — feel soothed
spring — grow
hail — welcome, greet
break on — strike, touch
trunk — body of a tree
consecrate — sanctify
Answer:

  • The other uses of the given words are as follows:
  • Rest — remaining substance
  • Hail — a shower of frozen rain
  • Trunk — a big box
  • Spring — a season
  • Break on — to interrupt
  • Consecrate — dedicate to the service of God.

B. Find the words for the following expressions in the poem:

1. Highest point of a tree, mountain, etc.
2. Associated with the place and circumstances of one’s place of birth.
3. A state of fainting or sub-consciousness.
4. Related to long and highest tradition in history.
5. A song or poem expressing grief over something sad.
6. A song sung at the burial of a dead person.
7. Time when it is growing dark.
8. A bodily state of hypnotism or magic-spell.
Answer:

  1. summit
  2. native clime
  3. slumbered
  4. classic
  5. eerie speech
  6. dirge
  7. darkling
  8. trance.

C. Match the words in column A with their meanings in column B.

‘A’ – ‘B’

(i) gallant – (a) top of a slope or hill
(ii) clusters – (b) splendour
(iii) casement – (c) young ones of animals and human beings
(iv) crest – (d) rounded pebbles on sea-shore
(v) offspring – (e) state of being quite forgotten
(vi) enmassed – (f) congealed
(vii) magnificence – (g) brave
(viii) shingle – (h) window
(ix) sublime – (i) shake involuntarily for fear or cold.
(X) tremble – (j) of the highest kind
(xi) oblivion – (k) bunches
Answer
(i) (g), (ii) (k),(iii) (h), (iv) (a),(v) (c),(vi) (f), (vii) (b),(viii) (d),(ix) (j),(x) (i),(xi) (e).

Comprehension

A. in the poem, there occur words or phrases that have a contextual meaning, other than their literal meaning. Far example the term ‘Oblivion s curse’ which in the present context means: ‘All things in the world are cursed to be forgotten with the passage of time, hut the memory of something may be eternalized in the works of art, like poetry sculpture, architecture, painting and music. Given below are some phrases from the poem. Explain in what sense they occur here:

Our Casuarina Tree Questions Answers MP Board Class 12th English Question 1.
The giant wears the scarf.
Answer:
The huge tree keeps up its glory and dignity.

Our Casuarina Tree Poem Questions Answers MP Board Class 12th English Question 2.
The water-lilies spring, link snow enmassed.
Answer:
The white coloured tiny lily flowers appear Like congealed snow.

Our Casuarina Tree Class 12 MP Board Class 12th English Question 3.
Dirge-like murmur.
Answer:
It signifies that the tree shares sad moments of the poetess and mourn along with her.

Our Casuarina Tree Summary In Hindi MP Board Class 12th Question 4.
sea breaking on a shingle beach.
Answer:
It signifies that the tree is also in deep grief over the sad demise of the poet’s brother.

Our Casuarina Tree Question And Answer MP Board Class 12th English Question 5.
earth lay tranced in adreamless swoon.
Answer:
The earth is in a state of magic spell quite unaffected by the dreams of human beings.

12th English Our Casuarina Tree Paragraph Question 6.
numbered with deathless trees.
Answer:
The poetess wishes for the long life of the tree.

B. Answer the following questions in 60 words each:

Our Casuarina Tree MP Board Class 12th English Question 1.
How is the creeper climbing up the tree?
Answer:
The poetess describes the trees in a very realistic manner. The creeper is compared with a python winding round and round, On its rugged trunk, there are deep sears up to the summit.

Our Casuarina Tree In Hindi MP Board Class 12th English Question 2.
How does the giant-tree wear the scarf?
Answer:
The giant-tree is standing in the house garden of the poetess. It stands like a giant. It grows very high up in the sky Its branches appear to be like scarfs at the top sitting in a gallant way. With its scarfs the poet means to say that it keeps up its dignity and high position because no other tree is as high as this one.

Question 3.
What does the poetess see when she opens her window in winter-morn?
Answer:
The tree gives delight to the poetess in many ways. When she opens her window in the winter she finds a gray baboon sitting like a statue over the crest of the tree. It watches the sunrise. On its lower boughs the little creatures leap and play while the cuckoos sing a welcome note for the day. The day becomes joyous for her.

Question 4.
Who exhales a dirge-like murmur and for what reason?
Answer:
The poetess personifies the big tree. She says that the tree was very much attached with the happenings in her family. When the poetess loses her brother and sister, she feels the tree is in a long mournful dirge-like murmur. The tree seems to share her sorrow.

Question 5.
Explain ‘Unknown, yet well known to the eye of faith’ with reference to the poem. (M.P. Board 2012)
Answer:
Here the poetess says that it is quite unreal to see a tree mourning or weeping. No one has ever seen it crying or wailing, but she says that it is still well-known fact for one’s faith. If one can believe, one can feel it to be real.

Question 6.
How does the poetess propose to sanctify her association with the tree and why?
Answer:
The poetess proposes to sanctify her association with the tree by composing songs in its honour. She wants to write sacred verses for it. The tree has become a very important part of her life. She feels herself closely associated and attached with the tree for it has been beloved to her brother and sister who are no more.

Question 7.
How does the poetess bless the tree?
Ans.
The poetess feels sad when she thinks that the tree would die one day. It would be a great loss for her and also for a number of other creatures who were comforted under its shrfde. So, she makes a wish for its long life. She wishes that her verses may change the destiny of the tree, though she knows that it is a faint hope. No one can change the cycle of nature, still she hopes for the long life of the tree. She wants that tree’s memory should never fade.

C. Answer the following questions in about 75 words each:

Question 1.
How does the poetess compare the creeper to a huge python? What characteristic of the tree has been highlighted by it?
Answer:
‘Our Casuarina Tree’ is a fine specimen of an ode in which the poetess highlights a tree and her emotional attachment with it. Humanising the tree, the poetess bestows all sorts of magnificence and grandeur to the tree. She compares it with a python-a big species of snake known for its huge size and dazzling spotted body. She says that the tree bears all similarities of the python. A creeper grows around its trunk, making deep scars over it and goes to its summit. It seems to be embracing the sky.

Question 2.
What does the poetess see when she opens her casement at dawn?
Answer:
The poetess describes the tree very minutely. The tree is magnificent and gives comfort to a lot of living beings. The poetess whenever in the dawn opens her casement, she feels great delight to see the tree cool and restive. During winter, she usually finds a gray baboon sitting like a statue alone at the top of the tree. It watches the sunrise with great concentration. In the lower boughs, she finds little creatures leaping and playing while far and near the songs of the cuckoos make a welcome note for the rising day.

Question 3.
For what reasons is the Casuarina tree dear to the poetess? (M.P. Board 2011)
Answer:
The Casuarina tree is dear to the poetess for many reasons. The first is its magnificence. It is tall and grand to look at. It is dazzling like a python. Its generosity is unique. It gives something to all-shade, cool breeze, and repose. One feels relaxed here.

The other reason that makes the tree dear to her is that the poetess has spent all her childhood under its shade. She has played there with her brother and sister who are no more alive. So, the tree is an integral part of her life for creating memories of her life. The tree reminds her of the happy time spent by her with her siblings.

Question 4.
How intense and heart-felt is the tree’s mourning for Abju and Aru?
Answer:
The poetess has humanised the tree. She makes lamentation and it mourns the death of her brother and sister. The tree shares her lamentation with its dirge-like murmur which the poetess seems to hear. She also feels the tree waiting like sea breaking on a shingle- beach. Though such an outburst is quite unnatural but the poetess wants to highlight the human features of the tree which seem to be so connected with the human affection.

Question 5.
The last stanza expresses the affection and kinship of the poetess with the tree. How does she express it?
Answer:
She is emotional in this stanza. The tree has great significance for the poetess. She says that it is more than her life itself. So, she bears all her high feeling of love, respect and importance. She dignifies it in all the possible ways, for it possesses many of her childhood memories. She used to play under its shade with her brother and sister who are no more alive. She, in the last stanza, reveals all her love and affection for the tree through her wishes for the long life of the tree. She wishes to immortalise the tree through her verses in which she would pen down her emotion.

Question 6.
What according to the poetess are the great curses of mortal existence?
Answer:
Our Casuarina Tree is a poem which blends all aspects of human life. The poet has humanised the existence of the tree. She has made the tree feel the pains and sufferings also. Through the tree the poetess reveals the realities of human life. Human life feels delights but also suffers pains. ‘Human Curses’ can include fear, hope, death and time are the curses of a mortal existence. No one can escape them. Everyone who is born has to undergo many testing times and situations. Everyone is destined to die and perish. So, no one can be happy for the rest of his life. Any moment can bring pain. We must be ready to meet all these curses.

Question 7.
The theme of the poem is a sense of awe, respect, affection and personal affinity towards the Casuarina tree for the reason that beneath it she had played with her brother and sister who are no more in the world?’ Explain the theme of the poem in the light of the statement.
Answer:
The theme of the poem ‘Our Casuarina Tree’ is an exposition of the poetess’s love, respect, affection, and personal affinity towards the tree. The reason behind it is that she has spent her childhood around the tree. She has played there with her brother and sister who are no more. She has grown under the tree. Many memories are attached with the tree. She has seen the tree sharing all the family situation. The tree is made to feel the loss of the brother and sister of the poetess. The poetess highlights the tree’s role in her life. She immortalises the tree through her verses. She also wishes for its long life and protection from oblivion’s curse.

Question 8.
Bring out the similes occurring in the poem. Explain them.
Answer:
Our Casuarina Tree is- an ode. It abounds in the use of similies. The tree has been humanised. The poetess uses a number of live similes in the poem, some of them are given here:

  • Like a huge python—highlights the hugeness and grandeur of the tree.
  • Like snow enmassed—white lily flowers look like congealed snow.
  • Like the sea breaking—the tree’s vastness and gravity compared with that of the sea.

Question 9.
How has the Casuarina tree been personified in the poem? (M.P. Board 2016)
Answer:
‘Our Casuarina Tree’ is a poem written to express the feeling of the poetess. It is not
merely the description of a tree but it is a tribute to the tree. The poetess presonifies the tree. She bestows all human feelings to the tree. The generous attitude of the tree is great. The tree comforts all. It also shares the joys and sorrows of the human beings. The poetess feels the tree shedding tears and lamenting at the death of her brother and sister. The tree is also destined to die like human being. Thus, it has been personified. It is not – unaffected from human curses as well.
Or
‘The poem is an Ode in form and elegy in spirit and tone.’ Explain with illustrations. Ans. ‘Our Casuarina Tree’ is a poem which highlights the tree’s contribution in the life of the poetess. It is an effort of the poetess to immortalise the tree through her verses. The tree is an inevitable part of her life. So, she is all respectful and highly dedicated to the tree which is more than her life. On the other hand, the poetess also remembers her brother and sister who died at a very early age. Here the poetess laments their death and also makes the tree feel and mourn it. She also talks about death, which is sure to come. Thus, this poem is an ode in form but an elegy in spirit.

D. Explain the following and add critical notes where necessary:

Question 1.
Like a huge python, winding round and round
The rugged trunk, indented deep with sears,
Up to its very summit near the stars,
A treeper climbs.
Answer:
The given lines describes the big and mighty casuarina tree. This oak-like tree grew in the garden of the poetess. She mentions the might and grandeur of the tree. The ‘rugged trunk’ and ‘deep sears’ shows the life of the tree. The tree shares all the good childhood memories of the poetess. The creeper winding its trunk shows how easily the tree has accepted the creeper. The poetess through her mention ‘summit near the stars’ shows how worthy the tree is to her. The tree has reached the position of stars not only in height but also in worth.

Question 2.
O sweet companions, loved with love intense,
For your sakes shall the tree be ever dear,
Blent with your images, it shall arise
In memory, till the hot tears blind mine eyes!
Answer:
In these lines, the poetess mentions the other great causes of why the tree is so close to her heart. She remembers her siblings, who are no more. She dedicate her love to the tree as the tree reminds her of happy bygone days that she spent with her brother and sister. The tree not only reminds her of her play-mates but also becomes the part of poetess in paying homage to them.

Question 3.
What is that dirge-like murmur that I hear
Like the sea breaking on a shingle-beach?
It is the tree’s lament, an eerie speech .
That haply to the unknown land may reach.
Answer:
This stanza humanises the tree and the poetess takes the tree one step further in becoming the part of her family. The stanza focuses on the sorrow that has been fallen ort the poetess due to the death of her siblings, the tree itself jeels the sorrow and laments with a ‘dirge-like murmur’. The poetess makes the tree the medium to express her sadness for the departed souls in the unknown land. The tree .being the intricate part of the household shares the same emotions as that of poetess.

Speaking Activity

The poem ‘Our Casuarina Tree has an eleven line stanza form in imitation of the one used by John , Keats in ‘To Autumn’. Look at Keats’ ode in the textbook and discuss in groups:

Question 1.
How is the stanza form similar?
Answer:
Our Casuarina Tree of Toru Dutt and Ode to Autumn by John Keats have 11 line stanzas with a slight difference.

Question 2.
How does the rhyming scheme of the poem differ from Keats’ Ode? Present your views in class after discussion.
Answer:
The rhyme scheme of both the poems differs a bit. In ‘Our Casuarina Tree’ and Ode to Autumn’ the rhyme scheme is abba while it is abab in Keats’s.

Writing Activity

In his short narrative poem, ‘Nutting’, Wordsworth records an experience of his childish act of disturbing the quiet life of a young tree by ‘dragging to earth both branch and bough’. When he turned round he felt a sense of pain’, when he beheld the mute tree. In this mood of thoughtful agony, he advises his sister, Dorothy:
”Then, dearest Maiden, move along these shades
In gentleness of heart; with gentle hand
Touch-for there is a spirit in the woods”.
You also must have had an experience to realize that there is a life and spirit in the words.

Convey your impressions in a letter to your younger brother on the following points:

  • Trees as best friends and companions to man.
  • Trees share our pains and joys and give comfort.
  • Aged trees look like our teachers and guides.
  • We can learn charity and benevolence from trees.
  • You have felt the presence of a Supreme Power in and around trees.
  • How can we be intimate with them?
  • Our duty towards them—to be kind, compassionate, respectful and affectionate as we are to our kith and kin.

Answer:
K-265
Laxmibai Enclave Gwalior
My Dear Anu
Today is ‘Environment Day’. I would like to draw your attention to some of my feelings. You know trees are our best friends. They have emotions too. They protect us from many dangers. They help us in many ways. They support our life. They keep air cool.

They save us from flood. They help our land in growing more crops. We learn many lessons of our life from trees. Trees are the most generous creations of God. They give us shade, fruits, flowers, medicines, leaves, wood, and many more that are of great value for us. They do not take anything in return from us.  I feel we, also have some duties towards them. We must protect them. We must plant more and more trees. We must be active to make efforts for their safety. I hope you will understand my feelings and will also do your best for saving the trees.
Yours
Ravikatit.

B. Discuss and analyze the poem ‘Our Casuarina Tree’ among your classmates and record conclusions in notes-form on the following points:

Question 1.
Whether the poem is an ode or an elegy or a blend of both? How?
Answer:
The poem is an ode with a touch of elegiac note. The poetess has a very high opinion about the tree. She describes it with all her noble feelings. She bestows all honour and dignity to the tree. The stanza form is regular with a rhyme scheme abba. But the humanization of the tree which laments and share sorrow gives elegy tone.

Question 2.
What human feelings are depicted in the poem?
Answer:
A feeling of close association with someone very near and dear has been depicted in the poem and forms the central idea.

Question 3.
How has the poetess humanised the Casuarina tree?
Answer:
The poetess humanises the Casuarina tree by showing it in mourning. When the poetess lost her brother and sister, when they were quite at their early age, the poetess says that she heard dirge-like mourning from the tree.

Question 4.
Pictorial quality.
Answer:
The poem abounds in charming pictorial quality which beautifies the poem. In the very first stanza, the image of python and the growth of creeper attract one to its beauty. The scene in winter also delights us. In each stanza, we have such images which heighten the quality of poem which adds more emotion to the poem.

Question 5.
How does the poetess blend imagery from eastern and western contexts? Take the help of the information given below:

OdeElegy
An ode is an address to some noble thoughts or ideas or abstraction or deity. It is lyrical and dignified in form and exalted in thought. The stanza form is, generally, regular. Langauge and style are refined.An elegy is a song of mourning on the death of some relative, friend or benefactor. There is in it scope for philosophical speculations on death and immortality. Dominant emotion is grief.

Answer:
The poetess blends the imagery from eastern and western context beautifully. The tree gives delight in both the contexts. While describing the Casuarina tree, the poetess has in her mind the banyan tree which grew in her house garden in Bengal.

Think It Over

After the study of the poem ‘Our Casuarina Tree’ the following points emerge for our consideration:

  • Trees have life. They have birth, growth and death as we have.
  • They have sensations and feelings. They also have pain and pleasures as we have.
  • They are our friends. They laugh, weep and sympathise with us. They give us shelter, fresh
  • Air, dry wood, food, oil and medicines. They bring rain and increase the lertility of our fields.
  • Since ages, they have been a source of aesthetic and spiritual joy to men, and so have been adored as dwellings of gods. The relation between trees and men is reciprocal. Now think over your duties towards trees’ and share your views with your classmates.

Answer:
As trees are an integral part of our life, we have a lot in our store to do for them, We should plant more and more trees. We should protect them from cutting for commercial purposes. We should explore new avenues for the growth of trees.

Things to Do

Indo-Anglian literature (popularly known as Indian Writing in English) is the name given to the literature composed in English by Indian writers. The first Indian writers in English were Kashi Prasad Ghose (1809-1873) and Michael Madhusudan Dutta (1827-1873). Since then hundreds of writers have contributed to the enrichment of this branch of literature. Given below are some well-known men of letters, who wrote in English and received universal recognition. Their important prose or poetic works are also given against them.

1. Toru Dutt — A Sheaf Gleaned in French Fields
2. Rabindranath Tagore – Gitanjali, for which he was awarded Nobel Prize for Literature in 1913
3. Sri Aurobindo – The Life Divine
4. Sarojini Naidu –

  • The Golden Threshold
  • The Bird of Time
  • The Broken Wing (all collections of poems)

5. Mahatma Gandhi – The Story of My Experiments with Truth
6. Jawaharlal Nehru – The Discovery of India
7. Mulk Raj Anand – Untouchable (novel), Coolie (novel)
8. R.K. Narayan –

  • Swami and Friends
  • The Guide
  • Malgudi Days

9. Anita Desai — Voices in the City
10. Khushwant Singh — Train to Pakistan
11. Nirad C. Chaudhan — APassagetoEngland
12. Nissim Ezekiel — A Time to Change
13. Sarvapalli Radhakrishnan — Indian Philosophy

Read some of these works to enrich your vision.
Answer:
Do yourself.

Our Casuarina Tree by Toru Dutt Introduction

The poem is anode with a touch of elegiac node. The process humanises the Casuarine tress. She very high opinion for the tree. She describes it with all her noble feelings. She stows all honour and digity to the tree.

Our Casuarina Tree Summary in English

This poem is a description of a Casuarina tree. Here, Casuarina tree is used for a big banyan tree which grew in the house garden of the poet. The creeper grew like a huge python winding round and round the tree. The tree grew very high. No other tree could grow near it. The birds and bees overflew around it with their sweet songs. Men used to repose under its shade. The poet was also delighted to rest here.

It looked very attractive during winter. The cuckoos used to hail the day from its boughs. It was very beautiful and vast. Its magnificence laid in the fact that the poet had several memories of her childhood under the tree. The memory of her dear one is also attached with it. It recalled the death of her brother and sister who died prematurely. The tree had shared all her mourning.

The tree has a classical value. At all times, one feels a trance like situation to her. The poet has hopour and love for the tree and it is for her dearer than life. She feels sad at the thought that the tree may perish one day. She wishes if she could save it. But no one can do it because it is a natural process and the tree will meet its end one day. Nothing is immortal-neither men nor trees. But still the poetess wishes that the tree will overcome all the curse of natural life and be always protected because of poetess’ love. The tree will remain alive in her poem.

Our Casuarina Tree Summary in Hindi

यह कविता एक कैसूरिना पेड़ का वर्णन है। यहाँ कैसूरिना वृक्ष एक विशाल बरगद के बारे में कहा गया है जो कवयित्री के घरेलू बगीचे में उग आया था। इसके साथ लगा हुआ आरोही पौधा एक विशाल अजगर की तरह गोल-गोल घूमते हुए बढ़ा। यह पेड़ काफी बड़ा हो गया। दूसरा कोई पेड़ इसके आसपास नहीं उग सका । पक्षी एवं मधुमक्खियाँ इसके ऊपर मंडराते थे और अपने मधुर गीत गाते थे। लोग इसके नीचे छाया में आराम करते थे। कवयित्री भी यहाँ आराम करके आनन्द महसूस करती थी।

यह जाड़े के दिनों में काफ़ी आकर्षक लगता था। कोयल इसके झुरमुट से दिन का स्वागत करती। यह काफ़ी सुन्दर और विशाल था। इसका सौन्दर्य इस तथ्य में भी था कि कवयित्री के बचपन की बहुत-सी यादें इसके साथ जुड़ी थीं। उसके प्रिय की याद भी इसके साथ जुड़ी थी। यह उसके भाई और बहन के असामयिक मृत्यु की ओर इशारा करती है। पेड़ ने भी उनके दुखों को भोगा था।

इसका पौराणिक महत्त्व भी है। हर बार लोग यहाँ योगमुद्रा को महसूस करते हैं। कवयित्री इसके प्रति इज्ज़त और प्यार की भावना रखती है और यह उसके लिए जीवन से भी अधिक प्रिय है। उसे इस सोच से दुख होता है कि एक दिन यह पेड़ समाप्त हो जाएगा। वह कामना करती है कि वह इसे बचा सके। लेकिन कोई भी इसे बचा नहीं सकता क्योंकि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और पेड़ का एक दिन अन्त होना ही है। कुछ भी अमर नहीं है-न मनुष्य न पेड़। परन्तु कवयित्री यह कामना करती है कि यह पेड़ हर तरह के शाप से बचा रहेगा और कवयित्री के असीमित प्यार से और उसकी कविता में हमेशा के लिए अमर हो जाएगा।

Our Casuarina Tree Word Meanings

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Our Casuarina Tree Important Pronunciations

MP Board Class 12th English A Voyage Solutions Chapter 5 Our Casuarina Tree img 2

Our Casuarina Tree Stanzas for Comprehension

Read the following stanzas carefully and answer the questions that follow them:

1. But gallantly
The giant wears the scarf and flowers are hung
In crimson clusters all the boughs among.
Whereon all day are gathered bird and bee;
And oft at nights the garden over flows
With one sweet song that seems to have no close,
Sung darkling from our tree, while men repose. (Page 30)

Questions:

(i) Who does the ‘giant’ refer to?
(ii) In ………….. are gathered birds and bee.
(iii) What overflows the garden in nights?
(iv) Find a word which means the same as ‘collected’.
Answers:
(i) Casuarina tree is referred as the ‘giant’.
(ii) Crimson clusters.
(iii) The sweet songs of the birds and bees overflow the garden at nights.
(iv) Gathered means the same as collected.

2. But not because of its magnificence
Dear is the Casuarina to my soul;
Beneath it we have played; though years may roll,
O sweet companions, loved with love intense.
For your sakes, shall the tree be ever dear.
Blent with your images, it shall arise
In memory, till the hot tears blind mine eyes! (Page 31)

Questions:
(i) Why is the Casuarina tree dear to the poetess?
(ii) What did the poetess do under the tree?
(iii) Which memory is attached with the tree?
(iv) Find a word similar in meaning to ‘friends’.
Answers:
(i) Casuarina tree is very dear to the poetess because it is magnificent and is attached
with her childhood memories.
(ii) She played with her brother and sister under the tree.
(iii) The memory of her lost brother and sister is attached with the tree.
(iv) ‘Companions’ is similar in meaning to ‘friends’.

3. Therefore, I fain would consecrate a lay
Unto thy honour, Tree, beloved of those
Who now in blessed sleep for aye repose
Dearer than life to me, alas, were they! (Page 32)

Questions:
(i) What is beloved to the poetess?
(ii) What is dearer than life to the poetess?
(iii) What does the poetess want to do? Why?
(iv) Find a word from the stanza opposite in meaning to ‘dishonour’.
Answers:
(i) Casuarina tree is beloved to the poetess.
(ii) The brother and sister of the poetess are dearer than life to the poetess.
(iii) The poetess wants to write verses to immortalise the tree as her tribute to it and also pay homage and love to her dead siblings.
(iv) ‘Honour’ has opposite meaning to dishonour.

4. Mayst thou be numbered when my days are
done With deathless trees-like those in Borrowdale,
Under whose awful branches lingered pale
“Fear, trembling Hope, arid Death, the skeleton,
And Time the shadow” and though weak the verse
That would thy beauty fain, oh, fain rehearse,
May Love defend tree from Oblivion’s curse. (Page 32)

Questions:
(i) worries the poetess.
(ii) What are ‘human curses’?
(iii) What does the poetess wish?
(iv) Give a word opposite in meaning to ‘stable’.
Answers:
(i) Oblivion’s curse.
(ii) ‘Human Curses’ can include fear, hope, death and time.
(iii) The poetess wishes for the long life of the tree and tree becomes immortal like those in Borrowdale and her verse and love will always protect the tree from the curse.
(iv) Trembling.

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MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था

ठोस अवस्था NCERT पाठ्यनिहित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ठोस कठोर क्यों होते हैं ?
उत्तर
संगठनात्मक कणों के बीच प्रबल अन्तःआण्विक बल की उपस्थिति के कारण ठोस कठोर होते हैं।

प्रश्न 2.
ठोस का आयतन निश्चित क्यों होता है ?
उत्तर
संरचनात्मक कणों के स्थिर होने के कारण ठोस कठोर होते हैं। इस कारण इनका आयतन . निश्चित होता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को अक्रिस्टलीय तथा क्रिस्टलीय ठोसों में वर्गीकृत कीजिये –
पॉलियूरिथेन, नैफ्थेलीन, बेन्जोइक अम्ल, टेफ्लॉन, पोटैशियम नाइट्रेट, सेलोफेन, पॉलीविनाइल क्लोराइड, रेशकॉच, ताँबा।
उत्तर
अक्रिस्टलीय ठोस – पॉलियूरिथेन, टेफ्लॉन, सेलोफेन, पॉलिविनाइल क्लोराइड।
क्रिस्टलीय ठोस – बेन्जोइक अम्ल, पोटैशियम नाइट्रेट, कॉपर।

प्रश्न 4.
काँच को अतिशीतित द्रव क्यों माना जाता है ?
उत्तर
द्रव के समान काँच की प्रवृत्ति भी बहने की होती है, परन्तु बहुत धीमी, इसलिये इसे अतिशीतित द्रव कहते हैं।

प्रश्न 5.
एक ठोस के अपवर्तनांक का सभी दिशाओं में समान मान प्रेक्षित होता है। इस ठोस की प्रकृति पर टिप्पणी कीजिए। क्या यह विचलन गुण प्रदर्शित करेगा?
उत्तर
ठोस अक्रिस्टलीय होते हैं, क्योंकि अक्रिस्टलीय ठोस आइसोट्रोपिक प्रकृति के होते हैं। नहीं, ये विदलन गुण नहीं प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 6.
उपस्थित अंतरा-आण्विक बलों की प्रकृति के आधार पर निम्नलिखित ठोसों को विभिन्न संवर्गों में वगीकृत कीजिए- पोटैशियम सल्फेट, टिन, बेन्जीन, यूरिया, अमोनिया, जल, जिंक सल्फाइड, ग्रेफाइट, रूबिडियम, ऑर्गन, सिलिकन कार्बाइड।
उत्तर
पोटैशियम सल्फेट- आयनिक, टिन-धात्विक, बेंजीन आण्विक (अध्रुवीय) यूरिया-आण्विक (ध्रुवीय), अमोनिया-आण्विक (H-बंधित), पानी-आण्विक (H-बंधित), जिंक सल्फेट-आयनिक, ग्रेफाइटसहसंयोजी या नेटवर्क, रूबिडियम-धात्विक, आर्गन-आण्विक (अध्रुवीय), सिलिकन कार्बाइड – सहसंयोजी या नेटवर्क।

प्रश्न 7.
ठोस A, अत्यधिक कठोर तथा ठोस एवं गलित दोनों अवस्थाओं में विद्युत्रोधी है और अत्यंत उच्च ताप पर पिघलता है। यह किस प्रकार का ठोस है ?
उत्तर –
सहसंयोजी ठोस।

प्रश्न 8.
आयनिक ठोस गलित अवस्था में विद्युत् चालक होते हैं परन्तु ठोस अवस्था में नहीं। व्याख्या कीजिये।
उत्तर –
ठोस अवस्था में आयन स्वतंत्र नहीं होते, अत: आयनिक ठोस अच्छे चालक नहीं होते हैं। जबकि गलित अवस्था में आयन मुक्त रहते हैं अत: विद्युत् धारा प्रवाहित होती है या विद्युत् के चालक होते हैं।

प्रश्न 9.
किस प्रकार के ठोस विद्युत् चालक, आघातवर्ध्य और तन्य होते हैं ?
उत्तर
धात्विक ठोस, विद्युत् के चालक उनमें उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉनों के कारण होते हैं।

प्रश्न 10.
जालक बिन्दु के महत्व दीजिए।
उत्तर
प्रत्येक जालक बिन्दु ठोस का एक संघटनात्मक कण होता है। ये रचनात्मक कण एक परमाणु एक अणु (परमाणुओं का समूह) या एक आयन होता है।

प्रश्न 11.
एकक कोष्ठिका को अभिलक्षणित करने वाले पैरामीटरों के नाम बताइए।
उत्तर
एक एकक कोष्ठिका अभिलक्षणित होती है –
(i) तीन किनारे के आयामों के साथ, जिन्हें a, b तथा c द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
(ii) किनारे या कोने के बीच के कोण, जिन्हें α , β तथा γ द्वारा प्रदर्शित करते हैं । कोण α, b तथा c के बीच का कोण, β, a तथा c के बीच का और γ, a तथा b के बीच का कोण होता है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में विभेद कीजिए –
(1) षट्कोणीय और एकनताक्ष एकक कोष्ठिका।
(ii) फलक केन्द्रित और अंत्य-केन्द्रित एकक कोष्ठिका।
उत्तर

  • षट्कोणीय एकक कोष्ठिका के लिये a = b ≠ c, α = β = 90°, γ = 120° एकनताक्ष एकक सेल के लिये a ≠b ≠c, α = γ = 90°, β= 90°
  • फलक केन्द्रित एकक सेल में किनारों पर बिन्दु के साथ-साथ प्रत्येक फलक के केन्द्र पर भी बिन्दु होता है। इसमें प्रत्येक एकक सेल में 4 परमाणु होते हैं।

अंत्य-केन्द्रित एकक कोष्ठिका में प्रत्येक किनारों पर तथा कोई दो विपरीत फलकों के केन्द्र पर भी बिन्दु होता है। इसमें प्रत्येक एकक सेल में 2 परमाणु होते हैं।

प्रश्न 13.
स्पष्ट कीजिए कि एक घनीय एकक कोष्ठिका के – (i) कोने और (ii) अंतःकेन्द्र पर उपस्थित परमाणु का कितना भाग सन्निकट कोष्ठिका से सहभाजित होता है।
उत्तर

  • कोने पर स्थित एक परमाणु का 1/8 भाग सन्निकट कोष्ठिका से सहभाजित होता है।
  • एक घनीय एक सेल का अंतः केन्द्र पर उपस्थित परमाणु किसी भी दूसरी एकक कोष्ठिका या सेल से सहभाजित नहीं होता है। अत: यह पूर्णतः एकक सेल के साथ होता है।

प्रश्न 14.
एक अणु की वर्ग-निविड संकुलित परत में द्विविमीय उपसहसंयोजन संख्या क्या है ?
उत्तर
4.

प्रश्न 15.
एक यौगिक षट्कोणीय निविड संकुलित संरचना बनाता है। इसके 0.5 मोल में कुल रिक्तियों की संख्या कितनी है ? उनमें से कितनी रिक्तियाँ चतुष्फलकीय हैं ?
उत्तर
एक परमाणु की षट्कोणीय निविड संकुलित संरचना में तीन रिक्तियाँ एक अष्टफलकीय तथा दो चतुष्फलकीय होती हैं।
0.5 मोल में परमाणु की संख्या = 0.5 × 6.022 × 1023
= 3.011 × 1023
कुल रिक्तियों की संख्या = 3 × 3.011 × 1023
= 9.033 × 1023
चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या = 2 × 3.011 × 1023
= 6.022 × 1023

प्रश्न 16.
एक यौगिक दो तत्वों M और Nसे बना है। तत्व N, ccp संरचना बनाता है और M के परमाणु चतुष्फलकीय रिक्तियों के 1/3 भाग को अध्यासित करते हैं। यौगिक का सूत्र क्या है ?
उत्तर
चूँकि ccp संरचना के N रूप में प्रत्येक एकक सेल में 4 परमाणु होते हैं।
इकाई सेल में N परमाणुओं की संख्या = 4
प्रत्येक परमाणु के लिये यहाँ दो चतुष्फलकीय रिक्तिका है। अत: यहाँ प्रति एकक सेल 8 चतुष्फलकीय रिक्तिका होगी।
∴ M परमाणु की संख्या =\(\frac{1}{3} \times 8=\frac{8}{3}\)
सूत्र M8/3N4 या M2N3

प्रश्न 17.
निम्नलिखित में से किस जालक में उच्चतम संकुलन क्षमता है –
(1) सरल घनीय
(ii) अंतः केन्द्रित घन और
(iii) षट्कोणीय निविड संकुलित जालक।
उत्तर
संकुलन क्षमता होती है –
सरल घनीय = 52.4 %
अंतः केन्द्रित घन = 68 %
षट्कोणीय निविड संकुलित जालक = 74%
∴षट्कोणीय निविड संकुलित जालक में उच्चतम संकुलन क्षमता होती है।

प्रश्न 18.
एक तत्व का मोलर द्रव्यमान 2.7 x 102 kg मोल -1 है, यह 405 pm लम्बाई की भुजा वाली घनीय एकक कोष्ठिका बनाता है। यदि उसका घनत्व 2.7 x 103 kg M3 है तो घनीय एकक कोष्ठिका की प्रकृति क्या है ?
उत्तर
हम जानते हैं –
Z = \(\frac{a^{3} \times \mathrm{N}_{\mathrm{A}} \times d}{\mathrm{M}}\) जहाँ, a = 405 PM .
= 405 x 10-10 cm
d = 2.7 x 103 किलोग्राम m-3= 2.7 ग्राम सेमी -3
M = 2.7 x 10-2kg मोल -1 = 27 ग्राम मोल -1
NA = 6.023 x 1023
Z = \(\frac{\left(405 \times 10^{-10}\right)^{3} \times 2.7 \times 6023 \times 10^{23}}{27}\)
Z = 4
∴ तत्व fcc (ccp) एकक सेल होगा।

प्रश्न 19.
जब एक ठोस को गर्म किया जाता है, तो किस प्रकार का दोष उत्पन्न हो सकता है, इससे कौन-से भौतिक गुण प्रभावित होते हैं और किस प्रकार ?
उत्तर
जब ठोस को गर्म करते हैं, तो रिक्तिका दोष उत्पन्न होता है। क्योंकि गर्म करने पर कुछ परमाणु या आयन जालक सतह को पूर्णतः छोड़ देते हैं। इस कारण पदार्थ का घनत्व घटता है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित किस प्रकार का स्टॉइकियोमीट्री दोष दर्शाते हैं –
(i) ZnS,
(ii) AgBr.
उत्तर
(i) ZnS, फ्रेंकेल दोष आयनों के आकार में बड़ा अन्तर होने के कारण प्रदर्शित करते हैं।
(ii) AgBr, फ्रेंकेल तथा शॉट्की दोनों दोष दर्शाता है।

प्रश्न 21.
समझाइए कि एक उच्च संयोजी धनायन को अशुद्धि की तरह मिलाने पर आयनिक ठोस में रिक्तिकाएँ किस प्रकार प्रविष्ट होती हैं ?
उत्तर
जब आयनिक ठोस में एक उच्च संयोजकता वाला केटायन अशुद्धि के रूप में मिलाया जाता है, तब मूल केटायन की कुल सतह उच्च संयोजकता वाले केटायन द्वारा घिर जाती है। उदाहरण के लिये – NaCl में Sr+2, प्रत्येक Sr+2 दो Na+ आयनों को प्रतिस्थापित करता है। ये एक Na+ आयन के एक साइट को घेरता तथा दूसरा साइट हमेशा खाली रहता है। इस प्रकार बनी केटायन रिक्तिका Sr+2 आयन की संख्या के बराबर होती है।

प्रश्न 22.
जिन आयनिक ठोसों में धातु-आधिक्य दोष के कारण ऋणात्मक रिक्तिका होती है, वे रंगीन होते हैं। इसे उपयुक्त उदाहरण की सहायता से समझाइए।
उत्तर
आयनिक ठोसों में धातु आधिक्य दोष के कारण बनी ऋणायनिक रिक्तिका विद्युतीय उदासीनता बनाये रखने के लिये मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा भरी जाती है। क्रिस्टल पर पड़ने वाले दृश्य प्रकाश की ऊर्जा को इन इलेक्ट्रॉनों द्वारा ग्रहण करके उत्तेजित अवस्था में जाने के कारण से रंगीन हो जाते हैं। उदाहरण के लिये – जब NaCl को सोडियम वाष्प की उपस्थिति में गर्म करने पर, Na+ आयन अधिकता में होते हैं, Clआयन उनके सामान्य स्थान को छोड़कर सतह पर आ जाते हैं । ऐनायन का खाली स्थान इलेक्ट्रॉन द्वारा भर जाता है तथा F-केन्द्र का निर्माण होता है। ये दृश्य प्रकाश से ऊर्जा अवशोषित कर पूरक रंगों का विकिरण करते हैं।

प्रश्न 23.
वर्ग-14 के तत्व कोn-प्रकार के अर्धचालक में उपयुक्त अशुद्धि द्वारा अपमिश्रित करके रूपांतरित करना है। यह अशुद्धि किस वर्ग से संबंधित होनी चाहिये ?
उत्तर
n-प्रकार के अर्धचालक उच्चतम समूह की अशुद्धियों के डोपिंग करने से प्राप्त होते हैं । अतः वर्ग 14 के तत्वों को n-प्रकार अर्धचालक में बदलने के लिये उनमें समूह-15 के तत्वों की डोपिंग की जाती है।

प्रश्न 24.
किस प्रकार के पदार्थों से अच्छे स्थायी चुम्बक बनाये जा सकते हैं ? लौह चुम्बकीय अथवा फेरीचुम्बकीय। अपने उत्तर को सत्यापित या सही सिद्ध कीजिए।
उत्तर
फेरोमैग्नेटिक पदार्थ फेरीमैग्नेटिक पदार्थों की तुलना में ज्यादा स्थायी चुम्बक बनाते हैं क्योंकि फेरोमैग्नेटिक ठोस में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों का चुम्बकीय आघूर्ण उन्हें समान दिशा में सीधे स्वतः प्रवर्तिता द्वारा
आता है। जबकि फेरीमैग्नेटिक ठोस में डोमेन का चुम्बकीय आघूर्ण एक सीध में समानान्तर या असमानान्तर दिशा में असमान संख्या में होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 1

ठोस अवस्था NCERT पाठ्य-पुस्तक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘अक्रिस्टलीय’ पद को परिभाषित कीजिए।अक्रिस्टलीय ठोसों के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर
एक ठोस अक्रिस्टलीय कहलाता है, यदि उसके संरचनात्मक कण अव्यवस्थित रूप से होते हैं या बेतरतीब रूप से व्यवस्थित होता है, बिना किसी व्यवस्था के।
उदाहरण के लिये – प्लास्टिक, काँच, रबर।

प्रश्न 2.
काँच, क्वार्ट्स जैसे ठोस से किस प्रकार भिन्न है ? किन परिस्थितियों में क्वार्ट्स को काँच में रूपांतरित किया जा सकता है ?
उत्तर
क्वार्ट्ज़ क्रिस्टलीय ठोस होता है, जबकि काँच एक अक्रिस्टलीय ठोस होता है। क्वार्ट्स को काँच में इसे गलाकर या तेजी से ठंडा करके बदला जा सकता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित ठोसों का वर्गीकरण आयनिक, धात्विक, आण्विक, सहसंयोजक या अक्रिस्टलीय में कीजिए।
(i) टेट्राफॉस्फोरस डेकॉक्साइड (P4O10)
(ii) अमोनियम फॉस्फेट, (NH4)3 PO4
(iii) SiC
(iv) I2
(v) P4
(vi) प्लास्टिक
(vii) ग्रेफाइट
(viii) पीतल
(ix) Rb
(x) LiBr
(xi) Si.
उत्तर –
आयनिक – (NH4)3 PO4, LiBr
धात्विक – पीतल, Rb
आण्विक – P4O10, I2, P4, ठोस CO2
सहसंयोजक – ग्रेफाइट, SiC, Si
क्रिस्टलीय – प्लास्टिक।

प्रश्न 4.
(i) उपसहसंयोजन संख्या का क्या अर्थ है ?
(ii) निम्नलिखित परमाणुओं की उपसहसंयोजन संख्या क्या होती है –
(a) एक घनीय निविड संकुलित संरचना।
(b) एक अंत:केन्द्रित घनीय संरचना।
उत्तर
(i) एक कण में उसके घनीय पैकिंग (संकुलन) में निकटतम पड़ोसियों की संख्या को उसका उपसहसंयोजन संख्या कहते हैं।
(ii) (a) 12, (b) 8.

प्रश्न 5.
यदि आपको किसी अज्ञात धातु का घनत्व एवं एकक कोष्ठिका की विमाएँ ज्ञात हैं, तो क्या आप उसके परमाण्विक द्रव्यमान की गणना कर सकते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 2
या
\(\mathrm{M}=\frac{d \times \mathrm{N}_{\mathrm{A}} \times a^{3}}{Z}\)

प्रश्न 6.
‘किसी क्रिस्टल की स्थिरता उसके गलनांक के परिमाण द्वारा प्रकट होती है’, टिप्पणी कीजिए। किसी आँकड़ा पुस्तक से जल, एथिल ऐल्कोहॉल, डाइएथिल ईथर तथा मेथेन के गलनांक एकत्र करें। इन अणुओं के मध्य अंतर-आण्विक बलों के बारे में आप क्या कह सकते हैं ?
उत्तर –
क्रिस्टल का स्थायित्व आकर्षण बल पर निर्भर करता है। इसलिये क्रिस्टल का गलनांक जितना अधिक होगा, उतना ही अधिक अन्त:आण्विक आकर्षण बल तथा क्रिस्टल का स्थायित्व उतना ही अधिक होगा।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 3
H2O, C2H5OH डाइ ईथाइल ईथर तथा मेथेन का गलनांक नीचे दिया गया है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 4
गलनांक के आधार पर इन अणुओं के बीच अंत:आण्विक बल की प्रबलता का क्रम निम्न होगा – पानी > डाइ-ईथाइल ईथर > ईथाइल एल्कोहॉल > मेथेन

प्रश्न 7.
निम्नलिखित युग्मों के पदों में कैसे विभेद करेंगे –
(i) षट्कोणीय निविड संकुलन एवं घनीय निविड संकुलन
(ii) क्रिस्टल जालक एवं एकक कोष्ठिका
(iii) चतुष्फलकीय रिक्ति एवं अष्टफलकीय रिक्ति।
उत्तर
(i) NCERT पाठ्य-पुस्तक देखिए। क्रिस्टल जालक
(ii)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 5
(iii)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 6

प्रश्न 8.
निम्नलिखित जालकों में से प्रत्येक की एकक कोष्ठिका में कितने जालक बिन्दु होते हैं – (i) फलक-केन्द्रित घनीय, (ii) अंत:केन्द्रित चतुष्कोणीय, (iii) अंत:केन्द्रित।
उत्तर
(a) फलक-केन्द्रित घनीय व्यवस्था में जालक बिन्दुओं की संख्या = 8 (कोने पर) + 6 (फलक केन्द्रों पर) प्रति एकक कोष्ठिका में जालक बिन्दु = \(8 \times \frac{1}{8}+6 \times \frac{1}{2}\) = 4
(b) फलक-केन्द्रित चतुष्कोणीय व्यवस्था में जालक बिन्दुओं की संख्या = 8 (कोने पर) +6 (फलक केन्द्रों पर)
प्रति एकक कोष्ठिका में जालक बिन्दु = \(8 \times \frac{1}{8}+6 \times \frac{1}{2}\) = 4
अंतः केन्द्रित व्यवस्था में जालक, बिन्दुओं की संख्या = 8 (कोनों पर) + 1 या केन्द्रों पर)
प्रति एकक कोष्ठिका में जालक बिन्दु
= \(8 \times \frac{1}{8}+1\)
= 2.

प्रश्न 9.
समझाइए –
(i) धात्विक एवं आयनिक क्रिस्टलों में समानता एवं विभेद का आधार।
(ii) आयनिक ठोस कठोर एवं भंगुर होते हैं।
उत्तर
(i) धात्विक तथा आयनिक क्रिस्टल –
(a) धात्विक तथा आयनिक ठोसों दोनों का गलनांक उच्च होता है।
(b) आयनिक ठोस कठोर तथा भंगुर होते हैं परन्तु धात्विक ठोस कठोर परन्तु भंगुर नहीं होते हैं। धातु आघातवर्धनीय व तन्य होते हैं।
(c) आयनिक ठोस कुचालक परन्तु गलित अवस्था तथा विलयन में अच्छे चालक (सुचालक) होते हैं। धात्विक ठोस, ठोस तथा द्रव व वाष्प अवस्था में भी सुचालक होते हैं।
(d) आयनिक ठोसों में संरचनात्मक (संघटक) इकाई केटायन तथा ऐनायन होते हैं। धात्विक ठोसों में संघटक इकाई करनैल (धनावेशित आयन) जो चारों ओर से विस्थानीकृत इलेक्ट्रॉनों के समृद्ध द्वारा घिरे होते हैं।

(ii) आयनिक ठोस विपरीत आवेशित आयनों के बीच प्रबल स्थिरवैद्युतीय आकर्षण बल होने के कारण कठोर होते हैं । ये भंगुर होते हैं क्योंकि आयनिक बंध अदिशात्मक होता है।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित के लिए धातु के क्रिस्टल में संकुलन क्षमता की गणना कीजिए – (i) सरल घनीय, (ii) अंत:केन्द्रित घनीय, (iii) फलक-केन्द्रित घनीय। (यह मानते हुए कि परमाणु एक-दूसरे के सम्पर्क में हैं।)
एक परमाणु का आयतन
उत्तर –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 7
\(=\frac{\frac{4}{3} \pi r^{3}}{8 r^{3}} \times 100\)

\(=\frac{\pi}{6} \times 100=52 \cdot 4 \%\)

(ii) अंतः केन्द्रित घनीय में संकुलन क्षमता

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 8
\(=\frac{2 \times \frac{4}{3} \pi r^{3}}{(4 / \sqrt{3}) r^{3}} \times 100\)
\(=\frac{(8 / 3) \pi r^{3}}{64 /(\sqrt{3}) r^{3}} \times 100=68 \%\)

(iii) फलक केन्द्रित घनीय में संकुलन क्षमता

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 10
\(=\frac{4 \times \frac{4}{3} \pi r^{3}}{(2 / \sqrt{2}) r^{3}} \times 100\)

\(=\frac{(16 / 3) \pi r^{3}}{16 \sqrt{2} r^{3}} \times 100=70 \%\)

प्रश्न 11.
चाँदी का क्रिस्टलीकरण fcc जालक में होता है। यदि इसकी कोष्ठिका के कोरों की लम्बाई 4.07 10-8cm तथा घनत्व 10.5 g cm-3 हो, तो चाँदी का परमाण्विक द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 11

प्रश्न 12.
एक घनीय ठोस दो तत्वों P एवं Q से बना है। घन के कोनों पर Q परमाणु एवं अंतः केन्द्र पर P परमाणु स्थित हैं। इस यौगिक का सूत्र क्या है ? P एवं Q की उपसहसंयोजन संख्या क्या है ?
उत्तर
परमाणु Q घन के 8 कोनों पर उपस्थित होता है, अतः इकाई सेल Q के परमाणुओं की संख्या = 8 × \(\frac{1}{8}\)=1
परमाणु P काया केन्द्र पर उपस्थित होता है, अतः प्रति इकाई सेल में P परमाणुओं की संख्या = 1
∴ यौगिक का सूत्र = PQ
प्रत्येक P तथा Q की समन्वयन संख्या = 8

प्रश्न 13.
नियोबियम का क्रिस्टलीकरण अंत:केन्द्रित घनीय संरचना में होता है। यदि इसका घनत्व 8:55 g cm-3 हो, तो इसके परमाण्विक द्रव्यमान 93 u का प्रयोग करके परमाणु त्रिज्या की गणना कीजिए।
हल –
घनत्व = 8.55 ग्राम सेमी -3
माना कि कोर की लम्बाई = a cm
प्रति इकाई सेल में परमाणुओं की संख्या = 2(bcc)
परमाण्वीय भार (M) = 93 ग्राम मोल -1
घनत्व \(d=\frac{\mathrm{Z} \times \mathrm{M}}{a^{3} \times \mathrm{N}_{\mathrm{A}}}\)
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 12
अब काया-केन्द्रित घन की त्रिज्या r =\(\frac{\sqrt{3}}{4} a\)
= \(\frac{\sqrt{3} \times 3306 \times 10^{-10}}{4}\)
= 1.431 x 10-10 M
= 0.143 nm.

प्रश्न 14.
यदि अष्टफलकीय रिक्ति की त्रिज्या हो तथा निविड संकुलन में परमाणुओं की त्रिज्या R हो, तोr एवं R में संबंध स्थापित कीजिए।
हल – अष्टफलकीय रिक्ति को ढंकने वाले ऊपर और नीचे की ओर स्थित परमाणुओं को चित्र में नहीं दर्शाया गया है। अष्टफलकीय रिक्ति का केन्द्र C है तथा उसकी त्रिज्या r के बराबर है। रिक्ति को घेरे हुए जो परमाणु स्थित है, उनकी त्रिज्या R है।
चित्रानुसार,
रिक्ति को घेरने वाले परमाणु की त्रिज्या BA = R
BC = रिक्ति की त्रिज्या + बाह्य परमाणु की त्रिज्या
= R+r
∠ABC = 45°
समकोण त्रिभुज ABC से, \(\frac{\mathrm{AB}}{\mathrm{BC}}\) = cos45° =\(\frac{1}{\sqrt{2}}\) = 0.707
या \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{R}+r}=0 \cdot 707\)
या 0.707R + 0.707r = R
या 0.293R = 0.707r
\(\frac{r}{\mathrm{R}}=\frac{0 \cdot 293}{0 \cdot 707}\) = 0.414
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 13

प्रश्न 15.
कॉपर fcc जालक रूप में क्रिस्टलीकृत होता है, जिसके कोर की लम्बाई 3.61 x 10-6 cm है। यह दर्शाइए कि गणना किए गए घनत्व के मान तथा मापे गए घनत्व 8.92 g cm-3 में समानता है।
हल – हम जानते हैं कि
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 14
ये मान अंकित मान के बहुत करीब है।

प्रश्न 16.
विश्लेषण द्वारा ज्ञात हुआ कि निकिल ऑक्साइड का सूत्र Ni0.98O1-100 है। निकिल आयनों का कितना अंश Ni2+ और Ni+ के रूप में विद्यमान है ?
हल – माना कि यहाँ Ni2+ के x आयन तथा (0.98 -X) आयन Ni3+ के हैं। यौगिक के विद्युतीय उदासीनता के लिये
Ni3+ तथा Ni3+ आयनों द्वारा कुल धनावेशित
आयनों का योगदान = O-2 आयनों द्वारा कुल ऋणावेश का योगदान
= (+2 × x) + (+3 × (0.98-x) = 2
2x + 2.94 – 3x = 2
x = 0.94
अत: Ni2+ का प्रभाज = \(\frac{0.94}{0.98}\) = 0.96 या 96%
0.98
Ni3+ का प्रभाज = (1 – 0.96) = 0.04 या 4%

प्रश्न 17.
अर्धचालक क्या होते हैं ? दो मुख्य अर्धचालकों की प्राप्ति कीजिए एवं उनकी चालकताक्रियाविधि में विभेद कीजिए।
उत्तर
अर्धचालक – अर्धचालक वे ठोस पदार्थ हैं, जिनकी विद्युत् चालकता चालकों व विद्युत्रोधी पदार्थों के बीच की होती है। इनकी चालकता 10-6 से 10 ohm-im-1 के बीच की होती है। इन पदार्थों में विद्युत् का संचालन अशुद्धियों के उपस्थिति के कारण होती है।

अर्धचालक निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं –

(i) n-प्रकार अर्धचालक-सिलिकॉन और जर्मेनियम में चार संयोजन इलेक्ट्रॉन होते हैं। क्रिस्टलों में इनका प्रत्येक परमाणु अपने निकटस्थ परमाणुओं के साथ चार सहसंयोजन बंध बनाता है। जब 15- वर्ग के तत्व जैसे P अथवा As जिसमें 5 सहसंयोजन इलेक्ट्रॉन होते हैं को अपमिश्रित किया जाता है तो यह सिलिकॉन अथवा जर्मेनियम के क्रिस्टल में कुछ जालक स्थलों में आ जाता है। P व As के पाँच में से चार इलेक्ट्रॉनों का उपयोग चार निकटस्थ Si अथवा Ge परमाणुओं के साथ चार सहसंयोजक बंध बनाने में होता है। पाँचवाँ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन विस्थापित हो जाता है। यह विस्थापित इलेक्ट्रॉन अपमिश्रित सिलिकॉन की चालकता में वृद्धि करता है। यह वृद्धि ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन के कारण होती है। इसलिए इसे n-प्रकार का अर्धचालक कहा जाता है।

(ii) p-प्रकार अर्धचालक-सिलिकॉन अथवा जर्मेनियम को वर्ग-13 के तत्व B, AI, Ga के साथ भी अपमिश्रित किया जा सकता है। जिनमें केवल 3 संयोजक इलेक्ट्रॉन होते हैं। वर्ग-14 के तत्वों की तुलना में इनमें एक संयोजक इलेक्ट्रॉन की कमी होती है। वर्ग-13 के तत्व केवल तीन सहसंयोजक बंध बनाता है तथा चौथे इलेक्ट्रॉन के स्थान पर एक छिद्र उत्पन्न होता है जिसे इलेक्ट्रॉन छिद्र कहते हैं। यह छिद्र एक धनावेशित आवेश के समान गमन करके विद्युत् का संचालन करता है इसलिए इन्हें p-प्रकार का अर्धचालक कहा जाता है।

प्रश्न 18.
नॉनस्टॉइकियोमीट्री क्यूप्रस ऑक्साइड, Cu2O, प्रयोगशाला में बनाया जा सकता है। इसमें कॉपर तथा ऑक्सीजन का अनुपात 2 : 1 से कुछ कम है। क्या आप इस तथ्य की व्याख्या कर सकते हैं कि यह पदार्थ p-प्रकार का अर्धचालक है ?
उत्तर
Cu2O में 2 : 1 से कम का अनुपात होना, यह दर्शाता है कि कुछ क्यूप्रस आयन (Cu+) क्यूप्रिक आयन (Cu2+) द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं । विद्युतीय उदासीनता बनाये रखने के लिये प्रति दो Cu+ आयनों का एक Cu+2 आयन द्वारा प्रतिस्थापन होने पर एक छेद (होल) बन जाता है। क्योंकि चालकता इन्हीं धनावेशित होल की उपस्थिति के कारण होती है, इसलिये ये एक p-प्रकार का अर्धचालक है।

प्रश्न 19.
फेरिक ऑक्साइड, ऑक्साइड आयन के षट्कोणीय निविड संकुलन में क्रिस्टलीकृत होता है जिसकी तीन अष्टफलकीय रिक्तियों में से दो पर फेरिक आयन होते हैं। फेरिक ऑक्साइड का सूत्र ज्ञात कीजिए।
हल – ऑक्साइड आयनों की संख्या = n
अष्टफलकीय रिक्तियों की संख्या = n
Fe+3 आयनों की संख्या =\(\frac { 2 }{ 3 }\)n
Fe+3.O-2 = \(\frac { 2 }{ 3 }\) n:n
= 2 : 3
सूत्र
Fe3O3

प्रश्न 20.
निम्नलिखित को p-प्रकार या n-प्रकार के अर्धचालकों में वर्गीकृत कीजिए(i) In से डोपित Ge, (ii) B से डोपित Si..
उत्तर
(i) Ge समूह-14 का सदस्य है तथा In समूह-13 का। अतः एक इलेक्ट्रॉन-न्यून होल बनेगा। अत: यह n-प्रकार का अर्धचालक है।
(ii) B समूह 13 तथा Si समूह-14 का सदस्य है। अत: यहाँ एक इलेक्ट्रॉन मुक्त होगा। अत: यह nप्रकार का अर्धचालक होगा।

प्रश्न 21.
सोना ( परमाणु त्रिज्या = 0.144 nm) फलक-केन्द्रित एकक कोष्ठिका में क्रिस्टलीकृत होता है। इसकी कोष्ठिका के कोर की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल – प्रश्नानुसार, r = 0.144 nm
fcc संरचना के लिये,
कोर लम्बाई (a) = 2√2 x परमाणु की त्रिज्या
=2 x 1.414 x 0.144
= 0.407 nm.

प्रश्न 22.
बैंड सिद्धान्त के आधार पर (i) चालक एवं रोधी, (ii) चालक एवं अर्धचालक में क्या अन्तर होता है ?
उत्तर
(i) एक कुचालक में संयोजी बैंड तथा चालन बैंड के बीच का ऊर्जा का अन्तर बहुत ज्यादा होता है, जबकि सुचालक में ऊर्जातर या तो बहुत कम या यहाँ संयोजी बैंड व चालन बैंड के बीच अतिव्यापन होता है।
(ii) सुचालक में संयोजी बैंड तथा चालन बैंड में ऊर्जातर बहुत कम या यहाँ संयोजी बैंड व चालन बैंड के बीच अतिव्यापन होता है। परन्तु अर्धचालक में इनके बीच हमेशा थोड़ा ऊर्जातर रहता ही है।

प्रश्न 23.
उचित उदाहरणों द्वारा निम्नलिखित पदों को परिभाषित कीजिए – (i) शॉट्की दोष, (ii) फ्रेंकेल दोष, (iii) अंतराकाशी, (iv) F-केन्द्र।
उत्तर
(i) शॉट्की त्रुटि (Schottky defect)—इस प्रकार की त्रुटि में क्रिस्टल जालक से कोई धनायन अपना स्थान छोड़कर लुप्त हो जाता है, अर्थात् वह क्रिस्टल 2 से बाहर हो जाता है । इसके परिणामस्वरूप दो घटनाएँ होती हैं – (i) उस आयन का स्थान रिक्त रह जाता है और (ii) सम्पूर्ण क्रिस्टल की विद्युत् उदासीनता को बनाये रखने के लिए एक अथवा अधिक (संयोजकतानुसार) ऋणायन भी क्रिस्टल से अपना स्थान छोड़कर बाहर निकल जाते हैं । अतः उनका स्थान भी रिक्त रह जाता है । इन दोनों घटनाओं से क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है । यह त्रुटि मुख्यत: उच्च को-ऑर्डिनेशन संख्या वाले यौगिकों तथा ऐसे यौगिकों से में जिनके धनायन तथा ऋणायन के आकार लगभग बराबर होते हैं, पायी जाती है। उदाहरण-NaCl. CSCl आदि।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 15

(ii) फ्रेन्केल त्रुटि (Frenkel defect)-आयनिक क्रिस्टलों में कोई (A धनायन अपना स्थान छोड़कर क्रिस्टल में ही कहीं रिक्त स्थान में चला जाये तो यह फ्रेन्केल दोष कहलाता है । इसमें किसी आयन के अनुपस्थित न होने (B से क्रिस्टल के घनत्व में कोई अन्तर नहीं आता । अवयवी धनायन और ऋणायन के आकार में अधिक अन्तर होने पर यह पाया जाता है; जैसे – ZnS, AgC] आदि।

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 16

(iii) अन्तराकाशी-अन्तराकाशी परमाणु अथवा आयन जो क्रिस्टल (B) (A)-(B)(A) के समान्यतः रिक्त अन्तराकाशी स्थान को ग्रहण करते हैं, अन्तराकाशी . चित्र-फ्रेन्केल त्रुटि कहलाते हैं।

(iv) F-केन्द्र-अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों द्वारा भरी ऋणायनिक रिक्तिका को F-केन्द्र कहते हैं। F = Farthe जो जर्मन शब्द है, जिसका अर्थ रंग होता है। अतः यह F-केन्द्र क्रिस्टलों को रंग प्रदान करता है। यह रंग इलेक्ट्रॉनों द्वारा क्रिस्टल पर पड़ने वाले प्रकाश से ऊर्जा अवशोषित करके उत्तेजित होने के परिणामस्वरुप दिखता है। उदाहरण-यदि सोडियम की आधिक्य को क्लोरीन के वातावरण में गर्म किया जाये तो F-केन्द्र के कारण यह पीला रंग उत्पन्न करता है।

प्रश्न 24.
ऐल्युमिनियम घनीय निविड संकुलित संरचना में क्रिस्टलीकृत होता है। इसका धात्विक अर्ध-व्यास 125 pm है।
(i) एकक कोष्ठिका के कोर की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
(ii) 1.0 cm3 ऐल्युमिनियम में कितनी एकक कोष्ठिकाएँ होंगी?
हल –
(i) घनीय निविड संकुलित संरचना के लिये एकक कोष्ठिका के कोर की लम्बाई त्रिज्या से संबंधित होगी –
r = \(\frac{a}{2 \sqrt{2}}\)
या
a =r × 2√2
= 125 ×2 × 1.414 pm
= 353.5 pm
(ii) इकाई सेल का आयतन = (353.5 × 10-10 सेमी)3
= 4.42 × 10-23 सेमी’
1 सेमी3 में एकक कोष्ठिका की संख्या = \(\frac{1}{4.42 \times 10^{-23}} \)
= 2.26 × 1022 इकाई सेल या एकक कोष्ठिका।

प्रश्न 25.
यदि NaCl को SrCl2 के 10-3 मोल % से डोपित किया जाए, तो धनायनों की रिक्तियों का सांद्रण क्या होगा?
हल – हम जानते हैं कि SrCI2 की NaCl में डोपिंग में 2Na+ आयन प्रत्येक Sr+2 आयन द्वारा प्रतिस्थापित होते हैं। परन्तु प्रत्येक Sr+2 केवल एक एकक कोष्ठिका घेरता है। जिससे एक धनावेश रिक्तिका बनती है।
अत: NaCl में 100 मोलों को SrCl2 के 10-3 मोल द्वारा डोपिंग की गई है। .
अत: NaCl धनावेश रिक्तिका बनायेगा = 10-3 मोल
∵ 100 मोल NaCl की डोपिंग के बाद केटायन रिक्तिका = 10-3मोल
∴ 1 मोल NaCl की डोपिंग पर केटायन रिक्तिका होगी
=\(\frac{10^{-3}}{100}\) = 10-5
डोंपिग के बाद कुल केटायनिक रिक्तिका = 10-5 × NA
= 10-5 × 6.023 × 1023
= 6.023 × 1018 रिक्तिका।

प्रश्न 26.
निम्नलिखित को उचित उदाहरणों से समझाइए –
(i) लौहचुम्बकत्व, (ii) अनुचुम्बकत्व, (ii) फेरीचुम्बकत्व, (iv) प्रतिलौहचुम्बकत्व, (v) 12-16 और 13-15 वर्गों के यौगिक।
उत्तर
पदार्थों को उनके चुम्बकीय क्षेत्र के प्रति व्यवहार के आधार पर निम्न श्रेणियों में बाँटा जा सकता है

(i) प्रति तुम्बकीय पदार्थ (Diamagnetic)-वे पदार्थ जो बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा प्रतिकर्षित होते हैं, प्रति चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों के परमाणु, अणुओं या आयनों में सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं । उदाहरण-TiO2, NaCl आदि।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 17

(ii) अनुचुम्बकीय पदार्थ (Paramagnetic)-वे पदार्थ जो चुम्बकीय क्षेत्र के द्वारा आकर्षित होते हैं, अनुचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों के परमाणुओं, अणुओं या आयनों में कुछ अयुग्मित (unpaired) इलेक्ट्रॉन होते हैं । चुम्बकीय क्षेत्र से पृथक् करने पर अपना चुम्बकत्व खो देते हैं।
उदाहरण-Cu+2, Fe+3, TiO, CuO, O2 आदि।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 18

(iii) लौह चुम्बकीय पदार्थ (Ferromagnetic)-वे पदार्थ जो चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा तीव्रता से आकर्षित होते हैं, लौह चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं, इन पदार्थों को चुम्बकीय क्षेत्र से हटा लेने पर भी स्थायी चुम्बकत्व बनाए रखते हैं। उदाहरण- Fe, Co, Ni आदि। इनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक तथा संरेखण एक ही दिशा में होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 19

(iv) प्रति लौह चुम्बकीय पदार्थ (Anti ferromgnetic)-ऐसे पदार्थ जिनमें आधे इलेक्ट्रॉन चक्रण एक प्रकार से पंक्तिबद्ध तथा आधे इलेक्ट्रॉन चक्रण दूसरे प्रकार से (विपरीत) पंक्तिबद्ध होते हैं, प्रति लौह
चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों में चुम्बकीय आघूर्ण नहीं होता तथा चुम्बकीय क्षेत्र में अनुचुम्बकीय व्यवहार प्रदर्शित नहीं करते।
उदाहरण-Cr2O3, MnO2, MnO आदि।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 20

(v) लघु लौह चुम्बकीय पदार्थ (Ferimagnetic)-ऐसे पदार्थ जो बहुत अधिक अनुचुम्बकीय गुण प्रदर्शित करते हैं, फेरीचुम्बकीय कहलाते हैं। जैसे-Fe3o4 तथा फेराइट। इनका एक नेट चुम्बकीय आघूर्ण होता है।

(vi) वर्ग-12, 16 और 13-15 वर्ग के यौगिक-वर्ग- 13 एवं 15 अथवा वर्ग- 12 तथा 16 के तत्वों के सम्मिश्रण से अनेक प्रकार के ठोस पदार्थ बनाए गए है। जिनकी औसत संयोजकता Ge या Si के समान 4 है। इनमें से वर्ग 13-15 के विशिष्ट यौगिक InSb, AIP तथा GaAs है। गैलियम आर्सेनाइड अर्धचालक त्वरित प्रतिसंवेदी होते हैं। इन्होंने अर्धचालक युक्तियों के निर्माण में क्रांतिकारी हलचल ला दी है। ZnS, Cds, SdSe तथा HgTe वर्ग-12-16 यौगिकों के उदाहरण हैं । इन यौगिकों में बंध पूर्णतः सहसंयोजक नहीं होते तथा इनके आयनिक गुण इनमे उपस्थित दोनो तत्वों के विद्युत् ऋणात्मकता पर निर्भर करते हैं।

ठोस अवस्था अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

ठोस अवस्था वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
फ्रेन्केल दोष के कारण आयनिक ठोसों का घनत्व –
(a) घटता है
(b) बढ़ता है
(c) परिवर्तित नहीं होता है
(d) परिवर्तित होता है।
उत्तर
(c) परिवर्तित नहीं होता है

प्रश्न 2.
CsCl में प्रत्येक Cl कितने Cs से संकुलित है –
(a) 8
(b) 6
(c) 4
(d) 2
उत्तर
(a) 8

प्रश्न 3.
फ्रेन्केल दोष प्रदर्शित नहीं करता है
(a) AgBr
(b) AgCl
(c) KBr
(d) ZnS.
उत्तर
(c) KBr

प्रश्न 4.
NaCI क्रिस्टल में समान दूरी पर स्थित विरोधी आवेश वाले आयनों की संख्या होती है –
(a) 8
(b) 6
(c) 4
(d) 2.
उत्तर
(b) 6

प्रश्न 5.
विद्युत् का सबसे अच्छा सुचालक है –
(a) हीरा
(b) ग्रेफाइट
(c) सिलिकॉन
(d) कार्बन (अक्रिस्टलीय)।
उत्तर
(b) ग्रेफाइट

प्रश्न 6.
NaCl क्रिस्टल में किस प्रकार का बिन्दु दोष पाया जाता है
(a) फ्रेन्केल दोष
(b) शॉट्की दोष
(c) रैखिक दोष
(d) अशुद्धि दोष।
उत्तर
(b) शॉट्की दोष

प्रश्न 7.
विभिन्न क्रिस्टल तन्त्रों से कुल कितने त्रिविम जालक (ब्रेविस जालक ) प्राप्त होते हैं –
(a) 7
(b) 14
(c) 32
(d) 230.
उत्तर
(b) 14

प्रश्न 8.
हीरा है एक –
(a) H बन्ध युक्त ठोस
(b) आयनिक ठोस
(c) सहसंयोजक ठोस
(d) काँच।
उत्तर
(c) सहसंयोजक ठोस

प्रश्न 9.
फ्लुओराइड संरचना में Ca+2 आयनों की कोऑर्डीनेशन संख्या होती है –
(a) 4
(b) 6
(c) 8
(d) 3.
उत्तर
(c) 8

प्रश्न 10.
किस यौगिक से 8 : 8 समन्वय अंक पाया जाता है –
(a) MgO
(b) Al2O3
(c) CsCl
(d) इन सभी में।
उत्तर
(c) CsCl

प्रश्न 11.
काय केन्द्रित घनीय जालक की समन्वय संख्या होती है –
(a) 8
(b) 12
(c) 6
(d) 4
उत्तर
(a) 8

प्रश्न 12.
यूनिट सेल का घनत्व है
(a) \(\frac{\mathrm{ZM}}{a^{3} \mathrm{N}}\)
(b) \(\frac{\mathrm{ZN}}{a^{3} \mathrm{M}} \)
(c) \(\frac{\mathrm{Na}^{3}}{\mathrm{Z}}\)
(d) \(\frac{z}{M N}\)
उत्तर
(a) \(\frac{\mathrm{ZM}}{a^{3} \mathrm{N}}\)

प्रश्न 13.
एक बंद घनीय संकुलित इकाई कोशिका में उपस्थित चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या होती है –
(a) 4
(b) 8
(c) 6
(d) 2
उत्तर
(b) 8

प्रश्न 14.
सीजियम क्लोराइड क्रिस्टल की अन्तरा आयनिक दूरी होगी –
(a) 1
(b) \(\frac { a }{ 2 }\)
(c) \(\frac{\sqrt{3} a}{2}\)
(d) \(\frac{2 a}{\sqrt{3}}\)
उत्तर
(c) \(\frac{\sqrt{3} a}{2}\)

प्रश्न 15.
अंत: केन्द्रित घनीय यूनिट सेल में परमाणुओं की संख्या होती है –
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4.
उत्तर
(b) 2

प्रश्न 16.
निम्नलिखित में कौन-सा ब्रेग समीकरण है –
(a) nλ = 2θ sinθ
(b) nλ = 2d sinθ
(c) nλ = sinθ
(d) \(\frac{n}{2}=\frac{d}{2} \sin \theta\)
उत्तर
(b) nλ = 2d sinθ

प्रश्न 17.
सहसंयोजक क्रिस्टल का रचक घटक है –
(a) परमाणु
(b) अणु
(c) आयन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(a) परमाणु

प्रश्न 18.
NaCl क्रिस्टल की इकाई कोशिका में उपस्थित Na परमाणुओं की संख्या है –
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4.
उत्तर
(d) 4.

प्रश्न 19.
Fe, CO, Ni किस प्रकार के चुम्बकीय पदार्थ है –
(a) अनुचुम्बकीय
(b) लौहचुम्बकीय
(c) प्रतिचुम्बकीय
(d) प्रतिलौहचुम्बकीय।
उत्तर
(b) लौहचुम्बकीय

प्रश्न 20.
“फ्रेंकेल दोष” का सही उदाहरण है –
(a) NaCl
(b) CsCI
(c) KC
(d) AgCl.
उत्तर
(d) AgCl.

प्रश्न 21.
शुष्क बर्फ (ठोस CO2) है –
(a) आयनिक क्रिस्टल
(b) सहसंयोजी क्रिस्टल
(c) आण्विक क्रिस्टल
(d) धात्विक क्रिस्टल।
उत्तर
(c) आण्विक क्रिस्टल

प्रश्न 22.
CsCl की संरचना में Cs की समन्वयन संख्या है –
(a) Cl के समान अर्थात् 6 है
(b) Cl के समान अर्थात् 8 है
(c) Cl के असमान अर्थात् 8 है
(d) Cl के असमान अर्थात् 6 है।
उत्तर
(b) Cl के समान अर्थात् 8 है

प्रश्न 23.
NaCl क्रिस्टल की संरचना है –
(a) द्विसमलम्बाक्ष
(b) घनीय
(c) विषमलम्बाक्ष
(d) एकनताक्ष ।
उत्तर
(b) घनीय

प्रश्न 24.
NaCl क्रिस्टल में प्रत्येक Na’ आयन घिरा हुआ है –
(a) तीन Cl आयनों से
(b) आठ Cl आयनों से
(c) चार Cl आयनों से
(d) छ: Cl आयनों से।
उत्तर
(d) छ: Cl आयनों से।

प्रश्न 25.
क्रिस्टल में विद्युत् चालकता उत्पन्न करने हेतु अशुद्धि मिलाने की क्रिया कहलाती है –
(a) शॉट्की त्रुटि
(b) फ्रेन्केल त्रुटि
(c) डोपिंग
(d) इलेक्ट्रॉनिक अपूर्णता ।
उत्तर
(c) डोपिंग

प्रश्न 26.
KCl क्रिस्टल में किस प्रकार का जालक पाया जाता है
(a) फलक केन्द्रित घनाकृति
(b) अन्त:केन्द्रित घनाकृति
(c) साधारण घनाकृति
(d) साधारण चतुष्कोण।
उत्तर
(a) फलक केन्द्रित घनाकृति

प्रश्न 27.
एकपरमाण्विक पदार्थ के अन्तः केन्द्रित घनीय यूनिट सेल में परमाणुओं की संख्या होगी –
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4.
उत्तर
(b) 2

प्रश्न 28.
समचतुष्फलक सममिति के लिए त्रिज्या अनुपात की सीमा है –
(a) 0.155
(b) 0.414
(c) 0.732
(d) 0.225.
उत्तर
(d) 0.225.

प्रश्न 29.
क्रिस्टल जालक में से एक धनायन एवं एक ऋणायन अनुपस्थित होने पर उत्पन्न दोष को कहते –
(a) शॉट्की दोष
(b) फ्रेन्केल दोष
(c) क्रिस्टल दोष
(d) आयनिक दोष।
उत्तर
(a) शॉट्की दोष

प्रश्न 30.
CsCl में यदि Cs+की को-ऑर्डिनेशन संख्या 8 हो तो, Cl आयन की को-ऑर्डिनेशन संख्या होगी –
(a) 8
(b) 4
(c) 6
(d) 12.
उत्तर
(a) 8

2. एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए –

  1. धात्विक क्रिस्टल के दो उदाहरण दीजिए।
  2. सहसंयोजी क्रिस्टल के दो उदाहरण दीजिए।
  3. आयनिक क्रिस्टल के दो उदाहरण दीजिए।
  4. CaF2 में F आयन की समन्वय संख्या का मान होता है।
  5. SiC किस प्रकार का ठोस है ?
  6. षट्भुजीय संकुलित संरचना में समन्वय संख्या का क्या मान होता है ?
  7. त्रिज्या अनुपात का सूत्र लिखिए।
  8. NaCl क्रिस्टल की संरचना किस तरह की होती है ?
  9. अन्त:केन्द्रित घनीय सेल का एक उदाहरण लिखिए।
  10. ऐसे यौगिक का उदाहरण दीजिए जिसमें शॉट्की एवं फ्रेंकेल दोनों प्रकार के दोष होते हैं।
  11. आभासी ठोस या अक्रिस्टलीय ठोस के दो उदाहरण दीजिए।
  12. ड्रग समीकरण लिखिए।
  13. शॉट्की त्रुटि से पदार्थ या क्रिस्टल के घनत्व पर क्या प्रभाव होता है ?
  14. CsCl की संरचना का केवल चित्र बनाइए।
  15. CsCl व NaCl की समन्वय संख्या बताइए।
  16. दो अतिचालक पदार्थों के सूत्र लिखिए।
  17. फ्रेन्केल त्रुटि का एक उदाहरण दीजिए।
  18. अतिचालक का एक उदाहरण दीजिए।
  19. चतुष्फलकीय रिक्तिका का त्रिज्या अनुपात होता है।

उत्तर

  1. कॉपर, निकिल
  2. हीरा, ग्रेफाइट
  3. NaCl, NaNO3
  4. चार
  5. सहसंयोजी ठोस
  6. 12
  7. MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 21
  8. घनीय
  9. CsCl,
  10. AgBr,
  11. काँच, प्लास्टिक,
  12. nλ = 2d sinθ
  13. शॉटकी त्रुटि के कारण पदार्थ का घनत्व कम हो जाता है,
  14. MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 22
  15. CsCl की समन्वय संख्या 8 : 8, NaCl की समन्वय संख्या 6 : 6,
  16. (i) γBa2Cu3O7, (ii) Bi2Ca2Sr2Cu3O10
  17. AgCl
  18. Ba0.7K0.3BiO3
  19. 0.225.

3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

  1. क्रिस्टल जालक में से एक धनायन व एक ऋणायन अनुपस्थित होने पर उत्पन्न त्रुटि को …………………. कहते हैं।
  2. यदि ठोस क्रिस्टल जालक में एक धनायन अपने स्थान से हटकर अन्तराकाशी स्थान पर उपस्थित हो तो उस त्रुटि को …………………. कहते हैं।
  3. पिघली अवस्था में NaCl के विद्युत् का सुचालक होने का कारण …………………. है।
  4. …………………. त्रुटि के कारण क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है।
  5. कुल …………………. प्रकार के क्रिस्टल तंत्र होते हैं।
  6. सर्वप्रथम …………………. ने ‘परमाणु’ की अवधारणा प्रस्तुत की थी।
  7. किसी क्रिस्टल में उपस्थित धन आयन तथा ऋण आयन की त्रिज्याओं के अनुपात को …………………. कहते हैं।
  8. किसी तत्व या यौगिक में अशुद्धियों की अल्प मात्रा मिलाने की क्रिया को …………… कहते हैं।
  9. कुल 14 प्रकार की विभिन्न एकक सेलें होती हैं। जिन्हें ………………. कहते हैं।
  10. NaCl क्रिस्टल संरचना में Na+ तथा Cl दोनों आयनों की उप-सहसंयोजन संख्या …………………. होती है।
  11. ZnS एवं AgCl के क्रिस्टल में ………….. दोष पाया जाता है।
  12. शॉट्की त्रुटि के कारण पदार्थ का घनत्व ………… हो जाता है।
  13. धात्विक ठोसों में चालकता …………….की उपस्थिति के कारण होती है।
  14. बिन्दु दोष ……………… क्रिस्टलों में पाये जाते हैं।
  15. चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित होने वाला पदार्थ ………………….. कहलाता है।
  16. किसी इकाई सेल के लिए r = a/√8 हो, तो वह ……………… प्रकार का इकाई सेल होगा।
  17. ताप बढ़ाने पर अर्द्धचालकों की चालकता में …………………. होती है।

उत्तर-

  1. शॉट्की त्रुटि
  2. फ्रेंकेल दोष
  3. स्वतंत्र आयन
  4. शॉट्की
  5. सात
  6. कणाद
  7. त्रिज्या अनुपात
  8. डोपिंग
  9. ब्रेविस जालक
  10. छ:
  11. फ्रेंकेल
  12. कम
  13. मुक्त इलेक्ट्रॉन
  14. आयनिक
  15. अनुचुम्बकीय पदार्थ
  16. fcc
  17. वृद्धि।

4. उचित संबंध जोडिए –

I.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 23
उत्तर
1. (b), 2. (d), 3. (c), 4. (a).

II.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 24
उत्तर
1. (c), 2. (d), 3. (a), 4. (b).

III.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 25
उत्तर
1. (d), 2. (c), 3. (b), 4. (a).

IV.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 26
उत्तर
1. (c), 2. (d), 3. (a), 4. (b).

ठोस अवस्था अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्रिस्टलीय ठोस किसे कहते हैं ? क्रिस्टलीय ठोस कितने प्रकार के होते हैं ? –
उत्तर
क्रिस्टलीय ठोस (Crystalline solids)-वे ठोस जिनमें अवयवी कणों (जैसे-परमाणु, अणु या आयन) का नियमित क्रम होता है, इनकी निश्चित ज्यामिति होती है। क्रिस्टलीय ठोस कहलाते हैं। क्रिस्टलीय ठोस चार प्रकार के होते है

  1. आयनिक क्रिस्टल
  2. सहसंयोजी क्रिस्टल
  3. आण्विक क्रिस्टल
  4. धात्विक क्रिस्टल।

प्रश्न 2.
यूनिट सेल के घनत्व का सूत्र लिखिए ।
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 27
\(=\frac{\mathrm{Z} \times \mathrm{M}}{a^{3} \times \mathrm{N}}\)

प्रश्न 3.
क्रिस्टल जालक किसे कहते हैं ?
उत्तर
किसी क्रिस्टल की वह ज्यामिती जिसमें इकाई कोशिका क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित है, तथा इकाई कोशिका की आकृति के सामान क्रिस्टल बनाती है, क्रिस्टल जालक कहलाती है।

प्रश्न 4.
इकाई कोशिका किसे कहते हैं ? .
उत्तर
इकाई कोशिका-किसी क्रिस्टल में उसके संघटक कणों परमाणु, अणु, आयनों के क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित रहने पर जो सूक्ष्मतम इकाई बनती है, उसे क्रिस्टल की इकाई कोशिका कहते हैं। .

प्रश्न 5.
निम्नलिखित के दो-दो उदाहरण लिखिए –
(i) प्रतिचुम्बकीय पदार्थ (Diamagnetic)
(ii) अनुचुम्बकीय पदार्थ (Paramagnetic)
(iii) लौह चुम्बकीय पदार्थ (Ferromagnetic)
(iv) लघु लौह चुम्बकीय पदार्थ (Ferromagnetic).
उत्तर
(i) TiO2, NaCl
(ii) Cu+2, Fe3+
(iii) Fe, Co
(iv) Fe3O4, फेराइट।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित के संरचना व को-ऑर्डिनेशन संख्या लिखिए –
(a) CSCl
(b) NaCI
(c) Zn.
उत्तर
(a) CSCl सरंचना व्यवस्था-घनीय (Cubic)
को-ऑर्डिनेशन संख्या-8
(b) NaCl संरचना व्यवस्था – अष्टफलकीय
को-ऑर्डिनेशन संख्या-6
(c) Zn संरचना व्यवस्था — चतुष्फलकीय
को-ऑर्डिनेशन संख्या-4.

प्रश्न 7.
क्रिस्टल ज्यामिति के आधार पर सात मूल प्रकार के क्रिस्टल कौन-कौन से हैं ? .
उत्तर

  1. घनीय (Cubic)
  2. द्विसमलम्बाक्ष (Teragonal)
  3. विषम लम्बाक्ष (Orthorhombic)
  4. एकनताक्ष (Mono clinic)
  5. षट्कोणीय (Hexagonal)
  6. त्रिसमनताक्ष (Rhombohedral)
  7. त्रिनताक्ष (Triclinic)।

प्रश्न 8.
समचतुर्भुजीय जालक के प्रकारों के नाम लिखिए ।
उत्तर
घनीय अथवा समचतुर्भुजीय क्रिस्टलों के प्रकार

  1. सरल घनीय (Simple cubic)
  2. काय केन्द्रित / अंतः केन्द्रित घनीय (Body centred cubic)
  3. फलक केन्द्रित घनीय (Face centred cubic) ।

प्रश्न 9.
NaCl की संरचना में Na+ और Clआयनों की को-ऑर्डिनेशन संख्या क्या है ?
उत्तर
NaCl की संरचना में Na+ आयन की को-ऑर्डिनेशन संख्या = 6 तथा Cl आयन की कोऑर्डिनेशन संख्या = 6 है ।
अर्थात् प्रत्येक Na+ आयन 6 Cl आयनों से व प्रत्येक CIआयन, 6 Na+आयनों से घिरा रहता है।

प्रश्न 10.
को-ऑर्डिनेशन संख्या क्या है ? को-ऑर्डिनेशन संख्या पर ताप व दाब का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर
“किसी क्रिस्टल जालक में किसी संघटक कण के चारों तरफ पड़ोसी आयनों या परमाणुओं की संख्या उस कण की को-ऑर्डिनेशन संख्या कहलाती है।” उच्च दाब पर को-ऑर्डिनेशन संख्या में वृद्धि होती है एवं उच्च ताप पर को-ऑर्डिनेशन संख्या में कमी होती है ।

प्रश्न 11.
क्रिस्टलों के X- किरण विवर्तन अध्ययन से क्या जानकारी मिलती है ?
उत्तर
क्रिस्टल के X-किरण विवर्तन अध्ययन से ज्ञात होता है कि क्रिस्टल के संघटक कण समान दूरी पर एक सुक्रमित क्रम में पुनरावृत्त होकर पास-पास स्थित समतलों में स्थित रहते हैं ।

प्रश्न 12.
पुरानी बिल्डिंग के विंडो ग्लास दूधिया दिखाई पड़ते हैं, क्यों ?
उत्तर
दिन में काँच गर्म हो जाता है तथा रात में ठण्डा हो जाता है। इस प्रकार एनीलिंग की क्रिया होती है। एनीलिंग के कारण कई वर्षों में काँच में क्रिस्टलीय गुण उत्पन्न हो जाता है तथा विंडो ग्लास दूधिया रंग के दिखाई पड़ते हैं।

प्रश्न 13.
साधारण नमक कभी-कभी रंगहीन के स्थान पर पीला दिखता है, क्यों?
उत्तर
साधारण नमक में धातु अधिक्य त्रुटि के कारण ऋणायन Cl अपने नियत जालक बिंदु से गायब हो जाता है। किन्तु एक इलेक्ट्रॉन वहाँ छोड़ जाता है। जिससे क्रिस्टल विद्युत् उदासीन रहता है । ऋणायन के रिक्त स्थान पर एक छिद्र बनता है। इस छिद्र को F केन्द्र कहते हैं। इस कारण NaCl पीला दिखता है।

प्रश्न 14.
ताप बढ़ने के साथ अर्धचालकों की विद्युत् चालकता बढ़ जाती है क्यों?
उत्तर
अर्धचालको के संयोजक बैण्ड एवं चालक बैण्ड के मध्य अंतराल कम होता है। अतः कुछ इलेक्ट्रॉन ताप बढ़ने पर संयोजक बैण्ड को लाँघ कर चालक बैण्ड में चले जाते है। जिसके कारण ताप बढ़ने के साथ अर्धचालाकों की विद्युत् चालकता बढ़ जाती है।

ठोस अवस्था लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आयनिक त्रिज्या अनुपात क्या है ?
उत्तर-
आयनिक त्रिज्या अनुपात-किसी क्रिस्टल में उपस्थित धन आयन तथा ऋण आयन की त्रिज्याओं का अनुपात होता है –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 28
जैसे – Na+ आयन की त्रिज्या 95 pm और Cl आयन की त्रिज्या 181 pm है, तो NaCl क्रिस्टल में Na+और Cl का त्रिज्या अनुपात 95 / 181 = 0.52 होगा । क्रिस्टल में अन्य बलों के कारण वास्तविक त्रिज्या अनुपात का प्रेक्षित मान कुछ कम आता है I NaCl क्रिस्टल में यह मान 0.52 न होकर 0.414 आता है ।

प्रश्न 2.
सीजियम क्लोराइड क्रिस्टल की संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर
यह AB प्रकार का अन्त:केन्द्रित घनीय (bcc) आयनिक क्रिस्टल है। इसमें Cs+ आयन घन के केन्द्र पर तथा Cl आयन घन के कोनों पर (या इसके विपरीत) स्थित होते हैं । इसकी को-ऑर्डीनेशन संख्या 8 : 8 होती है तथा Cs+ तथा Cl की त्रिज्या का अनुपात 0.732 होता है। CsCl के यूनिट सेल में एक Cs+ आयन और एक Cl आयन होता है –
Cs+ = 1 (अन्तः केन्द्र पर) × 1 = 1
Cl= 8 (कोनों पर) × 1/8 = 1.
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 29

प्रश्न 3.
एकक सेल के घनत्व की गणना कीजिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 30
यदि एकक सेल के कणों (परमाणु, अणु, आयनों) की संख्या 2 हो एवं प्रत्येक कण का द्रव्यमान हो तब
एकक सेल का द्रव्यमान = m x 2 ……..1
यदि पदार्थ का मोलर द्रव्यमान M हो तब प्रत्येक कण का द्रव्यमान
m =\(\frac{\mathrm{M}}{\mathrm{N}}\) (N0 ऐवोगैड्रो संख्या है)
समी. (1) में m का मान रखने पर
एकक सेल का द्रव्यमान = \(\frac{M}{N_{0}} \times 2\) ……………….2
यदि घनीय एकक सेल के किनारे की लम्बाई a हो तब
एकक सेल का आयतन = a 3 …….. 3
समी. (2) को समी. (3) से विभाजित करने पर एकक सेल का घनत्व (P) प्राप्त होता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 31

प्रश्न 4.
दो तत्व A तथा B से बना यौगिक घनीय संरचना प्रदर्शित करता है, जिसमें सभी A परमाणु घन के शीर्षों पर तथा B परमाणु घन के फलक के केन्द्रों पर व्यवस्थित हैं। यौगिक का सूत्र क्या होगा?
उत्तर
घन के शीर्षों पर स्थित 8A परमाणु 8 घनों से भागीदारी करते हैं । अत: एकक सेल में,
A परमाणुओं की संख्या = 8 \(\times \frac{1}{8}\) = 1
इसी प्रकार B परमाणु घन के छ: फलकों के केन्द्र पर हैं तथा प्रत्येक फलक दो घनों से भागीदारी करता है । अतः एकक सेल में,
B परमाणुओं की संख्या = 6 \(\times \frac{1}{2}\) = 3.
अतः यौगिक का अणु सूत्र AB3 होगा ।

प्रश्न 5.
सिद्ध करो कि फलक केन्द्रित घनीय संरचना के एकक सेल में चार परमाणु होते हैं ।
उत्तर
फलक केन्द्रित घनीय सेल (Face Centred Cubic Cell) – इसमें घन के कोनों पर स्थित प्रत्येक फलक (छ:) पर एक-एक परमाणु होते हैं, जिनका समीपवर्ती दो फलकों द्वारा साझा होता है । इस
प्रकार –
fcc सेल के प्रति यूनिट सेल में परमाणुओं की संख्या
=\(8 \times \frac{1}{8}\) – (आठों कोनों पर )+ 6 \(\times \frac{1}{2}\) (छ: फलकों के केन्द्र पर होती है)
=1 + 3 = 4.

प्रश्न 6.
बॅग समीकरण लिखिए ।
उत्तर
बॅग समीकरण निम्न है –
2d sinθ= nλ
जहाँ d = क्रिस्टल में दो क्रमागत तलों के बीच की दूरी, θ =X-किरण पुंज का आपतन कोण, N = सरल पूर्णांक और λ = x-किरणों का तरंगदैर्घ्य होते हैं । इससे क्रिस्टल के तलों के बीच की दूरी d ज्ञात की जाती है।

ठोस अवस्था दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय ठोस में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय ठोस में अन्तर –
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 32

प्रश्न 2.
फ्रेन्केल त्रुटि और शॉट्की त्रुटि में अन्तर लिखिए ।
उत्तर
फ्रेन्केल त्रुटि और शॉट्की त्रुटि में प्रमुख अन्तर –

  1. क्रिस्टल जालक में किसी धनायन का अपने स्थान से हटकर जालक में ही किसी अन्य स्थान पर उपस्थित रहने पर फ्रेन्केल त्रुटि उत्पन्न होती है, जबकि शॉट्की त्रुटि में एक-एक धनायन और ऋणायन अनुपस्थित रहते हैं । क्रिस्टल जालक में ये स्थान रिक्त पड़े रहते हैं ।
  2. फ्रेन्केल त्रुटि के कारण पदार्थ के घनत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन शॉट्की त्रुटि के कारण पदार्थ का घनत्व कम हो जाता है ।
  3. फ्रेन्केल त्रुटि से पदार्थ में विद्युत् चालकता आ जाती है, किन्तु शॉट्की त्रुटि में ऐसा नहीं होता ।
  4. फ्रेन्केल त्रुटि ऐसे पदार्थों में पायी जाती है, जिनमें केटायन का आकार ऐनायन की तुलना में बहुत छोटा होता है, जबकि शॉट्की त्रुटि उन क्रिस्टलों में पाई जाती है जिनमें केटायनं तथा ऐनायन के आकार लगभग समान होते हैं ।

प्रश्न 3.
क्रिस्टलों में अपूर्णता से क्या समझते हो? इसके क्या कारण हैं ?
उत्तर
क्रिस्टलों की संरचना से ऐसा प्रतीत होता है कि उनमें उनके अवयवी कणों की व्यवस्था पूर्णतः नियमित होती है, किन्तु वास्तविक क्रिस्टलों में ऐसा नहीं होता (क्योंकि एक सम्पूर्ण क्रिस्टल प्राप्त करना लगभग असम्भव है) तथा उनकी संरचना में अपूर्णताएँ होती हैं। क्रिस्टलों में अपूर्णताएँ निम्नलिखित कारणों से होती हैं –

  • ताप–0 K पर क्रिस्टलों की ऊर्जा न्यूनतम होती है । ऐसे क्रिस्टल जिनमें अपूर्णताएँ नहीं होती हैं, आदर्श क्रिस्टल कहलाते हैं । 0 K से अधिक ताप पर क्रिस्टलों की नियमित व्यवस्था से विचलन आरम्भ हो जाता है, जिससे अपूर्णताएँ निर्मित होती हैं ।
  • अशुद्धियों की उपस्थिति—कभी-कभी अशुद्धियों की उपस्थिति के कारण क्रिस्टलों की क्रमबद्ध व्यवस्था अव्यवस्थित हो जाती है, जिससे अपूर्णता या दोष उत्पन्न हो जाते हैं ।

प्रश्न 4.
क्रिस्टल संरचना में त्रिज्या-अनुपात का महत्व बताइए ।
उत्तर
क्रिस्टल संरचना में आयनिक त्रिज्या का महत्व-क्रिस्टल की संरचना में त्रिज्या-अनुपात का संबंध को-ऑर्डिनेशन संख्या से है, जिसकी सहायता से क्रिस्टल की ज्यामिति का निर्धारण किया जा सकता है।
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 33

प्रश्न 5.
एक ठोस AB की संरचना NaCL जैसी है। यदि धनायन A की त्रिज्या 100 pm है तो ऋणायन की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
हल – NaCl के लिए त्रिज्या अनुपात \(\frac{r^{+}}{r^{-}}\) का मान 0.414 से 0.732 के बीच होना चाहिए। धनायन की त्रिज्या 100 pm है।
अतः ऋणायन की त्रिज्या r =\(\frac{r^{+}}{0 \cdot 414}\) से \(\frac{r^{+}}{0 \cdot 732}\) होगी।
= \(\frac{100}{0 \cdot 414}\) से \(\frac{100}{0.732}\)
= 241.6 से 236.6 pm के बीच होगी।

प्रश्न 6.
Na तथा CI की आयनिक त्रिज्या क्रमश: 95 pm तथा 181 pm है। Na की संयोजन संख्या क्या होगी?
अथवा
A तथा B का अर्द्धव्यास क्रमशः 0.95Ā एवं 1.81 Ā है। A+ की संयोजन संख्या ज्ञात कीजिए।
हल – Na+ की त्रिज्या = 95 pm
Cl की त्रिज्या = 181 pm
त्रिज्या अनुपात =\(\frac{r^{+}}{r^{-}}=\frac{95}{181}\) = 0.524
त्रिज्या अनुपात 0.414 और 0.732 के मध्य है। अत: Na+ अथवा A+ की संयोजन संख्या 6 होगी।

प्रश्न 7.
एक तत्व के फलक केन्द्रित घनीय क्रिस्टल की इकाई लम्बाई 400 pm है। तत्व के घनत्व की गणना कीजिए। तत्व का परमाणु द्रव्यमान 60 है।
हल – d =\(\frac{\mathrm{Z} \times \mathrm{M}}{\mathrm{N}_{0} \times a^{3}}\)
“ Noxa? यहाँ
d = तत्व का घनत्व = ?
Z= कणों की संख्या = 4
M = परमाणु द्रव्यमान = 60
No = ऐवोगेड्रो संख्या = 6-023 x 1023

a = इकाई कोशिका के किनारे की लम्बाई = 400 pm
d=\(\frac{4 \times 60}{\left(400 \times 10^{-10} \mathrm{cm}\right)^{3} \times 6 \cdot 023 \times 10^{23}}\)
= 6.2 gmcm-3

प्रश्न 8.
एक फलक केन्द्रित घन (fcc) वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान 60g mor-‘ है तथा उसके फलक की लम्बाई (Face edge) 400 pm है। उस तत्व का घनत्व ज्ञात कीजिए।
हल – सेल के फलक की लम्बाई = 400 pm = 400 × 10-12m ( ∴1pm = 10-12m)
∴ यूनिट सेल का आयतन (a)3 = (फलक की लम्बाई)3 .
= (400 × 10-12m)3= 64 × 10-30m3
= 64 × 10-30 (102 cm)3 = 64 × 10-24 cm3
fcc सेल में परमाणुओं की संख्या (Z) =4
सूत्र-यूनिट सेल का घनत्व = \(\frac{\mathrm{Z} \times \mathrm{M}}{a^{3} \times \mathrm{N}_{\mathrm{A}}}\)

MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 34

प्रश्न 9.
यौगिक CuCI की Zns के समान घनीय संरचना होती है। यदि CuCI का घनत्व 3-4g cm हो, तो उसके यूनिट सेल के फलक की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल- ZnS की fcc संरचना होती है, अत: यही संरचना CuCl की होगी। यदि यूनिट सेल के फलक की लम्बाई a, fcc में परमाणुओं की संख्या Z, आण्विक द्रव्यमान M तथा ऐवोगेड्रो संख्या NA हो, तो
MP Board Class 12th Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था - 35
a=\(\left[\frac{4 \times 99 \mathrm{g}}{6 \cdot 02 \times 10^{23} \times 3 \cdot 4}\right]^{1 / 3}\)
athah
= (193 . 47x 10-24 cm3)1/3
= 5.78 x 10-8cm = 578pm.

MP Board Class 12th Chemistry Solutions

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 5 मध्यप्रदेश का वैभव

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 5 मध्यप्रदेश का वैभव

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 5 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

भाषा भारती कक्षा 7 पाठ 5 MP Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
(क) नर्मदा नदी को मध्यप्रदेश की जीवनरेखा क्यों कहा गया है ?
उत्तर-
नर्मदा नदी मध्यप्रदेश के एक बड़े भू-भाग से होकर गुजरती है। मध्य प्रदेश के कई छोटे-बड़े शहर इसके किनारे बसे हैं। अपने उद्गम स्रोत अमरकंटक से लेकर खम्भात की खाड़ी (गुजरात) तक के मार्ग में यह नदी मध्यप्रदेश की धरती को अपने जीवनदायक जल से अभिसिंचित करती है। फलस्वरूप इसे मध्यप्रदेश की जीवनरेखा कहा गया है।

(ख) पचमढ़ी में कौन-कौन से दर्शनीय स्थल हैं ?
उत्तर-
पचमढ़ी में अनेक दर्शनीय स्थल, जैसे धूपगढ़, चौरागढ़, महादेव मन्दिर एवं सूर्योदय-सूर्यास्त के अनुपम दृश्य इत्यादि हैं। यहाँ पर स्थित पाँच गुफाएँ पौराणिक महत्त्व रखती

(ग) चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य इतिहास में क्यों अमर हैं ?
उत्तर-
विक्रम संवत् को प्रारम्भ करने वाले प्रख्यात सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य अवन्तिका (उज्जैन) के राजा थे। वे अपनी न्यायप्रियता, बुद्धिमत्ता, विवेकपूर्ण निर्णय और प्रजापालन आदि के लिए इतिहास में अमर हैं।

(घ) अवन्तिका का वर्तमान नाम क्या है ? तथा यह क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर-
अवन्तिका का वर्तमान नाम उज्जैन है। उज्जैन में प्रसिद्ध ज्योतिर्लिङ्ग महाकाल का मन्दिर है जो भारत के बारह ज्योतिर्लिङ्गों में से एक है। श्रीकृष्ण की शिक्षा से जुड़ा पौराणिक महत्व का सांदीपनी आश्रम भी यहीं पर है। प्रत्येक बारह वर्ष के अन्तराल पर उज्जैन में कुम्भ मेला आयोजित होता है। इसे सिंहस्थ पर्व भी कहते हैं।

(ङ) मध्यप्रदेश के मुख्य लोकनृत्य, लोकनाट्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
मध्यप्रदेश के मुख्य लोकनृत्य राई, सैरी, बधावा, ढिमरहाई इत्यादि हैं तथा ढोलामारू, माच और स्वांग इत्यादि यहाँ के प्रमुख लोक नाट्य हैं।

(च) मध्यप्रदेश की मुख्य बोलियाँ कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
मध्यप्रदेश में प्रमुख रूप से हिन्दी बोली जाती है, – किन्तु अन्य बोलियों के रूप में बुन्देली, मालवी, भीली, बघेली, निमाड़ी इत्यादि बोलियों को बोलने वाले लोगों की संख्या भी काफी है।

(छ) मध्यप्रदेश को लघु भारत क्यों कहा गया है ?
उत्तर-
मध्यप्रदेश में विभिन्न धर्मों, रीति-रिवाजों व मान्यताओं के लोग परस्पर भाईचारे और सद्भाव से निवास करते हैं। प्रदेश में महाराष्ट्र का गणेश उत्सव, बंगाल की दुर्गा पूजा तथा उत्तर भारत की विजयादशमी और दीपावली के साथ-साथ होली, ईद, क्रिसमस जैसे त्यौहार भी उत्साहपूर्वक मनाये जाते हैं। वास्तव में, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से सम्पन्न मध्यप्रदेश, लघु भारत जैसा ही है।

Madhya Pradesh Ka Vaibhav MP Board प्रश्न 2.
खाली स्थान भरिए
(क) मैहर में ………………………………” का मन्दिर है।
(ख) कवि केशव की प्रसिद्ध कृति ……………………………… है।
(ग) झाबुआ का भाभरा ग्राम ……………………………… की जन्म स्थली है।
(घ) प्राचीनतम स्तूपों के लिए ……………………………… विख्यात है।

14 शिवलाल दिग्दर्शिका सम्पूर्ण विषय : कक्षा

(ङ) रीवा में स्थित ……………………………… जलप्रपात दर्शनीय है।
उत्तर-
(क) माँ शारदा,
(ख) रामचन्द्रिका,
(ग) चन्द्रशेखर आजाद,
(घ) साँची,
(ङ) चचाई।

Mp Board Class 5 Hindi Bhasha Bharti Solution प्रश्न 3.
निम्नलिखित विकल्प वाले प्रश्नों के सही उत्तर छाँटकर लिखिए
(क) इन्दौर शहर के राजवाड़ा में राजभवन है
(1) लोकमाता अहिल्याबाई का
(2) लक्ष्मीबाई का
(3) सुभद्रा कुमारी का
(4) दुर्गावती का।

(ख) बुंदेली के पितृपुरुष हैं
(1) डॉ. सर हरिसिंह गौर
(2) ईसुरी।
(3) भूषण
(4) पद्माकर।

(ग) भारत-भवन स्थित है
(1) इन्दौर में
(2) जबलपुर में :
(3) दिल्ली में
(4) भोपाल में।

(घ) दतिया प्रसिद्ध है
(1) शारदा देवी मन्दिर के लिए
(2) पीताम्बरा पीठ के लिए
(3) बाबनगज प्रतिमा के लिए
(4) शालभंजिका के लिए।
उत्तर-
(क) (1) लोकमाता अहिल्याबाई का,
(ख) (3) भूषण,
(ग) (4) भोपाल में,
(घ) (2) पीताम्बरा पीठ के लिए।

Mp Board Class 7th Hindi Chapter 5 प्रश्न 4.
निम्नलिखित दर्शनीय स्थलों और नगरों की सही जोड़ी बनाइए
(क) कामदगिरी। – (i) विदिशा
(ख) उदयगिरी – (ii) माँडवगढ़
(ग) माण्डू – (iii) साँची
(घ) हीरों की खान – (iv) चित्रकूट
(ङ) बौद्ध-स्तूप – (v) पन्ना
उत्तर-
(क) → (iv)
(ख) → (i)
(ग) → (ii)
(घ) → (v)
(ङ) → (iii)

भाषा अध्ययन

मध्य प्रदेश का वैभव MP Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के दो अर्थ लिखिए-
उत्तर-
भाषा भारती कक्षा 7 पाठ 5 MP Board

Mp Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
तोरण-द्वार, पाषाण-कालीन, हृदय-स्थली, जीवन-रेखा, | भरत-मिलाप, प्रस्तर-प्रतिमा
उत्तर-
(क) तोरण-द्वार-श्रीराम के वनवास से वापस लौटने पर कई तोरण-द्वार बनाये गये।
(ख) पाषाण-कालीन-हड़प्पा की खुदाई से कई पाषाण-कालीन तथ्य उजागर हुए हैं।
(ग) हृदय-स्थली-मध्यप्रदेश, भारत की हृदय-स्थली है।
(घ) जीवन-रेखा-गंगा नदी भारत की जीवन रेखा है।
(ङ) भरत-मिलाप-रामलीला के दौरान भरत-मिलाप की लीला देखकर दर्शकों की आँखें भर आईं।
(च) प्रस्तर-प्रतिमा-पास के मन्दिर में गणेश की एक भव्य प्रस्तर-प्रतिमा स्थापित की गई है।

Mp Board Class 7th Hindi प्रश्न 3.
शब्दों के अन्त में ‘ता’, ‘तम’ तथा ‘कार’ प्रत्यय जोड़कर नए शब्द बनाइए।
उत्तर-
‘ता’ प्रत्यय-सम + ता = समता; नीच + ता = नीचता; हीन + ता = हीनता।
“तम’ प्रत्यय-सरल + तम = सरलतम; कठिन + तम = कठिनतम; विशाल + तम = विशालतम!
‘कार’ प्रत्यय-उप + कार = उपकार; सर + कार = सरकार, कला + कार = कलाकार।

भाषा भारती कक्षा 5 Solutions MP Board प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों में शब्दों को सही क्रम में लिखिए
(क) शान हैं अहिल्याबाई मालवा की।
उत्तर-
अहिल्याबाई मालवा की शान हैं।

(ख) भारत की हृदयस्थली है मध्यप्रदेश।
उत्तर-
मध्यप्रदेश भारत की हृदयस्थली है।

(ग) पवित्र नदियों क्षिप्रा में से मध्यप्रदेश की एक है।
उत्तर-
क्षिप्रा मध्यप्रदेश की पवित्र नदियों में से एक है।

(घ) उदाहरण हैं खजुराहो के मन्दिर स्थापत्य कला के।
उत्तर-
खजुराहो के मन्दिर स्थापत्य कला के उदाहरण हैं।

Bhasha Bharti Hindi Book Class 7 Solutions MP Board प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में से संयुक्त क्रियाएँ छाँटकर लिखिए
(क) कवि बिहारी का सम्बन्ध भी ओरछा से जुड़ा हुआ
(ख) भोपाल झीलों की नगरी के रूप में जाना जाता है।
(ग) भीमबेटका की गुफाएँ मध्य पाषाणकालीन मानव इतिहास का वैभव संजोए हैं।
(घ) किले अपनी भव्यता की कथा कहते रहते हैं।
(ङ) माण्डू के भग्नावशेष राजा बाजबहादुर और रानी रूपमती की कथा कहते प्रतीत होते हैं।
उत्तर-
(क) जुड़ा हुआ है,
(ख) जाना जाता है,
(ग) संजोए है,
(घ) कहते रहते हैं,
(ङ) कहते प्रतीत होते हैं।

मध्यप्रदेश का वैभव परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या

1. नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की जीवनरेखा है। पुराणों में इसे मोक्षदायिनी कहा गया है। अमरकंटक से चलकर पश्चिम की ओर बहती हुई खम्भात की खाड़ी (गुजरात) में मिलती है। भेड़ाघाट पर नर्मदा का जल-प्रपात संगमरमर की चट्टानों के बीच ‘धुआँधार’ के रूप में विख्यात है। इसके तट पर बसे नगर महेश्वर और ओंकारेश्वर तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध हैं।

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के ‘मध्यप्रदेश का वैभव’ नामक पाठ से अवतरित है। यह एक संकलित रचना है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में मध्यप्रदेश की जीवनरेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-नर्मदा नदी को मध्यप्रदेश की जीवनरेखा कहा जाता है। हमारे पुराणों में तो इसके महत्त्व पर प्रकाश डालते “हुए इसे मोक्षदायिनी, अर्थात् मोक्ष प्रदान करने वाली कहा गया है। नर्मदा का उद्गम अमरकंटक नामक स्थान से हुआ है। वहाँ से अपनी यात्रा प्रारम्भ करके यह पश्चिम की ओर बहती हुई गुजरात में खम्भात की खाड़ी में पहुँचकर विश्राम करती है। इस। यात्रा के दौरान यह मध्यप्रदेश के कई नगरों व कस्बों को अपने जीवनदायक जल द्वारा अभिसिंचित करती है। नर्मदा नदी का अत्यन्त सुन्दर स्वरूप भेड़ाघाट में देखा जा सकता है, जहाँ यह जल-प्रपात के रूप में संगमरमर की ऊँची व विशालकाय चट्टानों के बीच से निकलती है। इस स्थान को ‘धुआँधार’ के नाम से जाना जाता है। अन्य अनेकों नगरों के अतिरिक्त इसके किनारे पर महेश्वर और ओंकारेश्वर नामक दो ऐतिहासिक नगर बसे हैं। जो तीर्थस्थान के रूप में विख्यात हैं।

2. “सांस्कृतिक, ऐतिहासिक दृष्टि से सम्पन्न हमारा मध्यप्रदेश, लघु भारत ही है। मध्यप्रदेश के वैभव की मिठास यहाँ के निवासियों के हृदय में रची-बसी है।”

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में मध्यप्रदेश को लघु भारत की संज्ञा दी गई है।

व्याख्या-मध्यप्रदेश में विभिन्न धर्मों, रीति-रिवाजों व मान्यताओं के लोग परस्पर भाईचारे और सद्भाव से निवास करते हैं। यहाँ भारत के अन्य सभी प्रदेशों में मनाये जाने वाले पारम्परिक तीज-त्यौहार मनाये जाते हैं। अतः सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक रूप से समृद्ध मध्य प्रदेश को लघु भारत कहना ठीक ही है। मध्यप्रदेश के गौरवशाली अतीत की मिठास इस प्रदेश के निवासियों के मन में आज भी विद्यमान है तथा जिसे उनके व्यवहार से महसूस किया जा सकता है।

मध्यप्रदेश का वैभव शब्दकाश

दर्शनीय = दर्शन के योग्य; मनोरम = सुन्दर, मन में रमने वाला; वैभव = सम्पत्ति, सम्पन्नता; पाषाण = पत्थर; मनोहारी = मन को अच्छा लगने वाला, मन को हरने वाला; सैलानी = पर्यटक, घूमने वाला; पुरा वैभव = प्राचीन-वैभव; नैसर्गिक = प्रकृति से सम्बन्धित; प्रतीक = चिह्न, संकेत; प्रस्तर = पत्थर; सृजन = रचना, किसी वस्तु का निर्माण करना; मोक्षदायिनी = मोक्ष देने वाली; अलंकृत = सजी हुई; भव्यता = सुन्दरता, विशालता; प्रतिस्पर्धा = टक्कर, मुकाबला; निसर्ग = प्रकृति; शैलाश्रय = पर्वतों में आदिम मनुष्यों के आवास स्थल, गुफाएँ; नक्काशी = बेलबूटे, चित्र बनाना; समाधि = मृत्यु के बाद बना हुआ स्मृति स्थल; उक्ति = कही गई बात, कहावत; जिजीविषा = जीने की इच्छा, जीवटता; शालभंजिका = विश्वप्रसिद्ध प्रतिमा।

MP Board Class 7th Hindi Solutions

MP Board Class 10th English The Rainbow Solutions Chapter 3 Of Expense

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MP Board Class 10th English The Rainbow Solutions Chapter 3 Of Expense (Francis Bacon)

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Of Expense Textbook Exercises

Of Expense Vocabulary

I. Find single words in the lesson which have roughly the meanings given below:

Mp Board Class 10 English Chapter 3 Question 1.
wonderfully fine
Answer:
magnificent

Of Expense Summary In Hindi MP Board Question 2.
to fall to a lower or worse state
Answer:
decay

Class 10 English Chapter 3 Mp Board Question 3.
the quality of being dishonest
Answer:
baseness

Class 10 English Chapter 3 Of Expense MP Board Question 4.
the great respect and admiration which people have for a person, country etc. often publically expressed
Answer:
estimation

Mp Board Class 10th English Chapter 3 Question 5.
the money used or needed for a purpose
Answer:
gettings

II. Use the following words in your own sentences.
hardly, scarcely, barely
Answer:
Hardly—We had hardly begun our walk, when it began to rain. Scarcely—There were scarcely fifty students present in the class. Barely-I barely had time to catch the train.

III. Say the following words and notice the difference in their pronunciation and meaning.
expense – expanse
estate – state
choose – chose
riches – reaches
beside – besides
diet – deity
Answer:
Mp Board Class 10 English Chapter 3

Comprehension

A. Answer the following questions in about 25 words.

Mp Board Class 10 English Workbook Solutions Chapter 3 Question 1.
How should prudent spending of riches be done?
Answer:
Riches are meant to be spent wisely. They are not meant to be wasted. They should be spent for honour and good actions. They should be spent keeping in view the worth of the occasion. Such spendings are known as prudent spendings.

Chapter 3 English Class 10 Mp Board Question 2.
What are the two motives for the sacrifice of all other possessions?
Answer:
Every man has a number of possessions. They include his estate, his regular income and his casual gettings. Honour and good actions are the two motives for the sacrifice of all other possessions.

Of Expense Questions And Answers MP Board Question 3.
What is Bacon’s advice on extraordinary expenses?
Answer:
In the essay ‘Of Expense’, Francis Bacon gives us an advice. He says that we should limit our extraordinary expenses, keeping in view the worth of the occasion. This means, the people should be discreet in spending money.

Of Expense Summary In English MP Board Question 4.
What are Bacon’s views on servants and employees?
Answer:
Bacon holds adverse views on servants and employees. He says that servants and employees are tricksters. They might deceive you if they spend your money on your behalf. They may also exploit you by keeping some money with them.

10th Class English Chapter 3 Question Answer MP Board Question 5.
Why should one keep one’s expenses within the limits of one’s income?
Answer:
Some people are quite spendthrift. They spend lavishly. They don’t keep their expenses within the limits of their income. They become the object of decay, sooner or later. Hence one should keep one’s expenses within the limits of one’s income.

Question 6.
What will be the fate of a man who is plentiful in expenses of all kinds?
Answer:
Some people do not realise the importance of economy. They do not believe in the habit of saving. They are plentiful in incurring expenses of all kinds. As a result they spend whatever they earn. Thus their fockets are emptied continuously and they fall into the grip of decay.

Question 7.
Where does one tend to be plentiful in expense?
Answer:
One tends to be plentiful in matters of diet and in the hall. These are important matters. Besides he should be saving in costumes, in stable and the like. Otherwise the economic balance will be disturbed.

Question 8.
Why is hasty selling disadvantageous?
Answer:
Sometimes a man wants to dispose of his estate. He should be very careful in it. If we make undue haste in selling our estate, we would be duped by the middleman. It would pinch us lifelong because haste makes waste.

B. Answer the following questions in about 50 words.

Question 1.
Sum up the salutary rules for expenditure suggested by Bacon in the lesson.
Answer:
Bacon has suggested the following salutary rules for expenditure in the lesson ‘Of Expense’. Bacon instructs his readers to be discreet in spending money. According to him, one should spend only a fixed portion of his income. The servants and employees should not be relied on. People should keep a proper balance between their gettings and spendings. They should never be wasteful in their expenditure. They should always be thoughtful in spending. It would save them from many dangers.

Question 2.
What does Bacon want to convey, when he says “To turn all to certainties’?
Answer:
Bacon is in favour of turning all to certainties. He instructs his readers to curtail their ordinary expenses. An individual must not spend more than half of his earnings. He should keep the balance between his earnings and expenditure. He should not depend on his servants and employees because they would bring only sorrow and uncertainty. He should be aware of the fact that his indiscreet spending would definitely bring pain in his life.

Question 3.
Distinguish between ordinary and extraordinary expenses in the light of the views expressed by Bacon. (M.P. Board 2016)
Answer:
Francis Bacon refers to two types of expenses. He terms them as ordinary and extraordinary expenses. Ordinary expenses are normal, usual and unavoidable routine expenses. They can be calculated in advance. Expenses on food, milk, fees for the children and payment of bills are necessary expenses. Extraordinary expenses are those expenses which are casual. They cannot be foreseen. The expenses on medicine, entertainment of guests, purchase of fashion items etc. come under this category.

Question 4.
How should riches be spent and husbanded to the best advantage? Support your answer with textual references.
Answer:
Riches are meant to be spent and not to be wasted. We should not depend on servants, employees or others in managing our financial matters. The wearer alone knows where the shoe pinches. Nobody else will feel pain while wasting your money. A prudent person always saves half of his earnings to avoid himself from sorrow. Riches should be spent keeping in view one’s own estate. There should be a healthy balance between the ordinary and the extraordinary expenses. The financial matters should be in one’s own hands.

Question 5.
How far are the views of Bacon relevant to the present time?
Answer:
Bacon was of the view that his readers should be discreet in spending money. We should spend only a fixed portion of our income and save the rest for the rainy day. We should personally look after our financial matters. His views are partially relevant to the present time. The way of life has totally changed now. Ladies and children have an upper hand in spending the money. The salaried people with a fixed singie income live from hand to month. Therefore, the question of saving money is a silly thought in the present scenario. Still we should save some amount to avoid future uncertainties.

Grammar

Study the following sentences.

1. Extraordinary expenses must be limited by the worth of the occasion.
2. Ordinary expense ought to be limited by a man’s estate.
3. Bills may be less than’ the estimation abroad.
4. But wounds cannot be cured without searching.
5. In clearing of a man’s estate, he may as well hurt himself in being too sudden, as in letting it run on too long.

The underlined verbs are Modals Auxiliaries. They are also called defective verbs because they cannot be used in all tenses and moods.
Study the chart carefully

12
Primary AuxiliariesModal Auxiliaries
be: am, is, are, was, were do, does, did, have, has, hadcan, could, may, might, shall, should, will, would, must (am to, is to, are to, have to etc.) ought to, used to, need, dare.

List out Primary and Modal Auxiliary separately from the text ‘Of Expense’
Answer:

Primary AuxiliariesModal Auxiliaries
are, be, is, has, havemust (be, may be), ought to, may, will, shall, cannot, need, can, will, may

Speaking Skill

Deliver the following dialogues between two friends in the market in a proper manner:
Mrs. Ansari—Mrs. Gupta looks very busy nowadays.
Mrs. Sharma—Does she? Formerly she used to return home early in the evening from the office.
Mrs. Ansari—Yes, but now she has taken up a new project. Mrs. Sharm. This is indeed a good news. She is definitely doing a good job.
Mrs. Ansari—Now she is going to buy a car very shortly and is also planning to have a flat in a posh colony.
Answer:
Mrs. Ansari told Mrs. Sharma that Mrs. Gupta looked very busy these days.
Mrs. Sharma felt surprised and asked Mrs. Ansari if she (Mrs. Gupta) actually did (look very busy these days). She added that formerly Mrs. Gupta used to return home early in the evening from the office. .
Mrs. Ansari replied in the affirmative but intervened saying that she had taken a new project. Mrs. Sharma called that a good news. She (Mrs. Sharma) added that she (Mrs. Gupta) was definitely doing a good job.
Mrs. Ansari endorsed Mrs. Sharma’s words. She appreciated that she (Mrs. Gupta) was going to buy a car very shortly and was also planning to have a flat in a posh colony.

Now converse in pairs what you would do to make a progress. These hints will help you.

  • Then your activity intelligently
  • work hard and manage your time
  • choose a field of your choice
  • invest in shares

Hardik—I have become a property agent.
Shivam—Do you have previous experience in this line?
Hardik—Yes, I have been working with a property dealer for the last five years.
Shivam—What are the basic requirements of this task?
Hardik—Hard work and time management.
Shivam—Which area have you chosen?
Hardik—I have chosen the area around Bhopal. I have arranged the initial money.
Shivam—May God grant you progress in your ambition!

Writing Skill

Question 1.
Write a short note on ‘proper money management’. (50 words)
Answer:
Money is not meant to be wasted. It is rather to be spent usefully and meaningfully. Every penny has its own value. It should be spent judiciously. Assess the utility of the item you undertake to purchase. Money should be spent open heartedly on necessities. It should be spent half heartedly on comforts. The purchase of luxuries should be neglected. Spend on the maintenance of assets. Spend on the health and education. Spend the least on fashion items. Eat well and clothe yourself well. Money should add to your joy and curtail your sorrow.

Question 2.
Your friend Rajesh residing at 21/4 Adhartal, Jabalpur, is very extravagant. Write a letter suggesting him how extravagance is to be minimized. (150 ivords)
Ans.
V.&.P. O. Sadhrana
A 3/12, Shivaji Enclave
To
21/4 Adhartal, Jabalpur,
17th July, 20xx
Dear Rajesh.
I have come to know that you are very extravagant. You buy unnecessary items and pile them up in your room. They consume most of your earnings. Moreover, they get outdated quite soon and are disposed off at dire cheap rates.

I advise you to think twice about the utility of the items before purchasing them. Consider its price and durability. See that the item you have purchased is needed badly in your house. It should not be a source of dispute or unpleasantness in your family. These considerations will minimize your extravagance. Hope, you will act upon my advice. With love.

Yours,
Subhash Vasistha

Think It Over

Question 1.
If you think you are being trapped into a pit, stop digging it. Think how far it is applicable to our financial behaviour. Elaborate.
Answer:
We should be very prudent in our financial behaviour! We are living in kalyug. Every relation has gone to the dogs. The people do not hesitate to cheat you by sweet but tricky words. There are dupes who would ask you to dig a pit and then bury you into it. In other words, they would urge you to spend your savings in some so-called fruitful business and rob you on the pretext of providing you with a chance to earn more. If at any stage, you smell their mischief, you should wind up your dealings with them, and stop digging the pit if you think you are being trapped into it.

Question 2.
Bacon says that one should make a good choice of servants and change them as often as conditions permit. Think why he wants us to change them and write your opinion.
Answer:
Bacon was called by Pope as the wisest of mankind. He has guided us to manage our financial matters ourselves. He calls servants double-edged swords. They rob their masters with both hands. They save money while making purchases. They also make silly purchases of unwanted items. On staying together for years the servants of a house/locality form a clique. They cause all types of harm to their masters and their families. They cause murders, robberies and kidnappings. Therefore, one should make a good, choice of servants and change them as often as conditions permit lest it should be too late.

Things To Do

One should buy more assets and less liabilities. Assets bring profits whereas liabilities cause expenses. As a student, classify the following things according to your needs. house, car, fixed deposit, land, education, motorcycle Add some more assets and liabilities to the list.
Answer:
MP Board Class 10th English The Rainbow Solutions Chapter 3 Of Expense 2

Of Expense Additional Important Questions

A.Read the passage and answer questions that follow:

1. Besides, he that clears at once will replace; for finding himself out of straits, he will revert to his customs; but he that cleareth by degrees induceth a habit of frugality, and gaineth as well upon his mind as upon his estate. Certainly, who hath a state to repair, may not despise small things; and commonly it is less dishonourable to abridge petty charges, than to stop to petty gettings. A man ought warily to begin charges which once begun will continue: but in matters that return not he may be more magnificent. (Page 19)

Questions:
(a) The above passage is taken from:
(i) The Happy Prince
(ii) Of Expense
(iii) The Bet
(iv) Refund
(b) Find a word from the above passage that is similar in meaning to ‘tradition’.
(c) Find a word from the above passage that is opposite in meaning to ‘dull’.
(d) Why will the person return to his customs?
Answers:
(a) (ii) Of Expense
(b) custom
(c) magnificent
(d) He will return to his customs because he will find himself out of straits.

I. Match the following:

1. Riches are for – (a) expenses of all kinds
2. Spending is for – (b) without searching
3. Wounds cannot be cured – (c) timorous and less subtle
4. New servants are more – (d) spending
5. Don’t be plentiful in – (e) honour and good actions
Answer:
1. (d), 2. (e), 3. (b), 4. (c), 5. (a).

II. Pick up the correct choice:

(i) (a) Extraordinary expense must be limited by the (worth/necessity) of the occasion.
(b) Ordinary expense ought to be limited by a man’s (state/estate).
(c) Bills may be less than the (estimate/estimation) abroad.
(id) If he is(wasteful/plentiful) in diet, he must be saving in apparel.
Answer:
(a) worth
(b) estate
(c) estimation
(d) plentiful.

(ii) (a) Man’s ordinary expenses (ought/ought to) be but to the half of his receipts.
(b) Wounds cannot be cured without (search/ searching)
(c)If he be painful in the hall to be saving in the (stable, cowshed)
(d) (Hasty/Hurried) selling is commonly as disadvantageous as interest.
Answer:
(a) ought to
(b) searching
(c) stable
(d) Hasty.

III. Write ‘True’ or ‘False’.

1. ’Of Expense 1 is a guide to show us how we should manage our financial matters.
2. Alexander Pope called Francis Bacon the ’luckiest of mankind’.
3. Ordinary expenses must not be subject to deceit and abuse of servants.
4. The employees should be changed often.
5. He that cleareth by degrees induceth a habit of frugality.
Answer:
1. True, 2. False, 3. True, 4. True, 5. True.

IV. Fill in the following blanks:

1. Certainly who hath …………. may not despise small things.
2. Riches are for ……….. and spending for honour and good actions
3. It is no ………….. for the greatest to descend and look into their own estate.
4. New servants are more ………….. and less subtle.
5. He that is ……….. in expenses of all kinds will hardly be preserved from decay.
Answer:

  1. a state to repair
  2. spending
  3. baseness
  4. timorous
  5. plentiful.

B. Short Answer Type Questions (In about 25 words)

Question 1.
Give a brief life-sketch of Francis Bacon.
Answer:
Francis Bacon was born in 1561 at York House in London. He sought his education at Trinity College, Cambridge. He became a member of Parliament in 1584. He wrote several papers on public affairs. His essays are full of worldly wisdom. Alexander Pope has rightly said that he was ‘the wisest of mankind’.

Question 2.
What is Bacon’s opinion about old and new servants?
Answer:
A prudent person should manage his financial affairs himself. If he has no time to do so, he should choose well those whom he employs. The present-day servants are a nuisance. Most of them are criminals or run away from law. The rule ‘Old is gold/ does not hold good in their case. The new servants prove more timorous and less subtle.

Question 3.
What is the basic need of the present man?
Answer:
The basic need of the present man is to be frugal. If he happens to be plentiful in some kind of expense, then he should be economical in some other expense. If he is plentiful in matters of diet, he should be saving in clothes. If he spends more on watching films, he should save in some other items.

Question 4.
What happens to a person who is plentiful in expenses of all kinds?
Answer:
Every man gets a fixed income. One can hardly make both the ends. If we fail to spend the hard-earned money economically it would be spent in total. Then what will happen during rainy days? The person concerned will fall in the grip of decay and will become a borrower. Hence, it is wise to be wise in spending money.

C. Long Answer Type Questions (In about 50 words)

Question 1.
What are the modes of expenditure of the present day city-dwellers?
Answer:
The city-dwellers are the most extravagant fellows in the present day world. They hold nuclear families which have no place for the aged persons. They spend their monthly income in advance. They pay the heavy bills of the items purchased on installments. They spend less on food items and more on clothes and items of decoration. Medicines, and education of children and transportation consume the better part of their incomes. They spend unduly on celebrations.

Of Expense Introduction

This essay teaches us how we should manage our financial matters. The author instructs his readers to be discreet in spending money. He wants them to spend only a fixed portion of their income to avoid future uncertainties.

Of Expense Summary in English

Riches are for spending honourably and in noble actions. Extraordinary expenses must be limited by the worth of the occasion and by a man’s estate. We should spend the money thoughtfully so that the servants might not deceive us or abuse our money. A wise man’s expenses never exceed half of his irıcome. There is no harm for a great man to look into his own estate to avoid sorrow.

If we are plentiful in some kind of expense, we must be frugal in certain other kinds. He who is plentiful in expenses of all kinds will meet decay. Hasteful clearing of one’s estates hurts one a great deal. It proves disadvantageous. Clearing the estates by degrees induces a habit of frugality. It proves advantageous both financially and mentally. A man ought to begin charges carefully. It is not silly to curtail petty charges in comparison with stopping to petty earnings.

Of Expense Summary in Hindi

धनराशि, सम्मानपूर्वक ढंग से और नेक कामों में खर्च करने के लिए है। समय को तथा मनुष्य की हैसियत को देखकर असाधारण खर्चों को सीमित करना चाहिए। हमें धनराशि को सोच-समझकर खर्च करना चाहिए ताकि नौकर हमें धोखा नहीं दे सकें और हमारी धनराशि का दुरुपयोग नहीं कर सकें। किसी बुद्धिमान व्यक्ति का खर्च उसकी आधी आमदनी से अधिक नहीं बढ़ता है। दुख से बचने के लिए अपनी हैसियत (सम्पत्ति) को ध्यान में रखने में किसी महान् पुरुष को कोई हानि नहीं है।

यदि हम किसी खर्च में मुक्तहस्त हो जाते हैं तो हमें किन्हीं दूसरे खर्चों में किफायती (कृपण) होना चाहिए। जो सभी खर्चों में मुक्तहस्त होता है वह बर्बाद हो जाता है। यदि अपनी भूसम्पत्ति का जल्दबाजी में सौदा किया जाएगा तो वह काफी दुख का कारण बन जाएगा । वह हानिकारक सिद्ध होता है, क्रमिक रूप से भूसम्पत्ति का निपटारा करना किफायतसारी (कृपणता) की प्रवृति को प्रोत्साहित करता है। यह आर्थिक तथा मानसिक दोनों रूपों में लाभप्रद सिद्ध होता है। मनुष्यों को सावधानीपूर्वक आदेय प्रारम्भ करने चाहिएं। हलकी-फुलकी आमदनी को समाप्त करने की तुलना में छोटे आदेयों को घटाना मूर्खता नहीं है।

Of Expense Word-Meanings

MP Board Class 10th English The Rainbow Solutions Chapter 3 Of Expense 3
MP Board Class 10th English The Rainbow Solutions Chapter 3 Of Expense 4

Of Expense Some Important Pronunciations

MP Board Class 10th English The Rainbow Solutions Chapter 3 Of Expense 5

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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 2 संस्कृति का स्वरूप

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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 2 संस्कृति का स्वरूप (डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल)

संस्कृति का स्वरूप पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

संस्कृति का स्वरूप लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Class 10 Hindi Chapter 2 Mp Board प्रश्न 1.
‘संस्कृति से लेखक का क्या आशय है?
उत्तर-
‘संस्कृति’ से लेखक का आशय जीवन ढंग है।

Hindi Chapter 2 Class 10 Mp Board प्रश्न 2.
व्यक्ति का जीवन कब ढलने लगता है?
उत्तर-
व्यक्ति का जीवन तब ढलने लगता है, जब वह एक ही पड़ाव पर टिका रहता है।

Chapter 2 Hindi Class 10 Mp Board प्रश्न 3.
हमें दुराग्रह क्यों छोड़ देना चाहिए।
उत्तर-
हमें दुराग्रह इसलिए छोड़ देना चाहिए कि हमारे मत के समान दूसरों का भी मत हो सकता है।

प्रश्न 4.
भूतकालीन साहित्य से हमें क्या ग्रहण करना चाहिए?
उत्तर-
भूतकालीन साहित्य से हमें रूढ़ियों से ऊपर उठकर उसके नित्य अर्थ को ग्रहण करना चाहिए।

प्रश्न 5. धर्म का मथा हुआ सार क्या है?
उत्तर-
धर्म का मथा हुआ सार है-प्रयत्नपूर्वक अपने-आपको ऊँचा बनाना।

संस्कृति का स्वरूप दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उन्नत देश कौन-से दो कार्य एक साथ सँभालते हैं?
उत्तर-
उन्नत देश आर्थिक कार्य और संस्कृति संबंधी कार्य-ये दोनों कार्य एक साथ सँभालते हैं।

प्रश्न 2.
संस्कृति जीवन के लिए आवश्यक क्यों है?
उत्तर-
संस्कृति जीवन के लिए आवश्यक है। यह इसलिए कि इससे हमारी निष्ठा पक्की होती है। हमारे मन की परिधि विस्तृत हो जाती है। हमारी उदारता का भंडार भर जाता है।

प्रश्न 3. कौन-से मनुष्य आत्म-हनन का मार्ग अपनाते हैं?
उत्तर-
जो यह सोचता कि पहले आचार्य और धर्म-गुरु जो कह गए, सब सच्चा है, उनकी सब बात सफल है और मेरी बुद्धि या विचारशक्ति टुटपुंजिया ऐसा ‘बाबा वाक्य प्रमाण’ के ढंग पर सोचने वाला मनुष्य केवल आत्म-हनन का मार्ग अपनाता है।

प्रश्न 4.
कैसे लोग नई संस्कृति को जन्म नहीं दे पाते?
उत्तर-
जब कर्म से भयभीत व्यक्ति केवल विचारों की उलझन में फँस जाते हैं, तब वे नई संस्कृति को जन्म नहीं दे पाते।

संस्कृति का स्वरूप भाषा अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
उन्नति, उदारता, नूतन, सम्मान।
उत्तर-
‘शब्द – विलोम शब्द
उन्नति – अवनति
उदारता – अनुदारता
नूतन – पुरातन
सम्मान – अपमान।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों/लोकोक्तियों का अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए
जीवन का ठाट, कसौटी पर कसना, घर खीर तो बाहर खीर।
उत्तर-
मुहावरे/लोकोक्तियाँ-अर्थ-वाक्य-प्रयोग जीवन का ठाट-संपन्नता-उसके जीवन का ठाट ढह गया है। कसौटी पर कसना-कड़ी परीक्षा लेना-सोना को कसौटी पर ही कसा जाता है।
घर खीर तो बाहर खीर-चारों ओर सुख-ही-सुख-भाग्यवानों का क्या कहना! उनके लिए तो घर खीर है तो बाहर भी खीर है।

प्रश्न 3.
तत्सम और तद्भव शब्दों को छाँटकर पृथक्-पृथक् लिखिएठाठ, चंद्र, संध्या, सहस्रों, पुराना, रास्ता।
उत्तर-
तत्सम शब्द-चंद्र, संध्या, सहस्रों। तद्भव शब्द-ठाठ, पुराना, रास्ता।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द वर्तनी की दृष्टि से त्रुटिपूर्ण हैं। इन्हें शुद्ध रूप में लिखिए
एच्छिक, किरन, ज्योतसना, ध्वनी, प्रतीलिपि, उज्जैनी।
उत्तर-
MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 2 संस्कृति का स्वरूप img-1
संस्कृति का स्वरूप योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
हमारे तीज-त्योहार भी संस्कृति के अंग हैं। वर्ष भर मनाए जाने वाले त्योहारों का चार्ट बनाकर कक्षा में लगाइए।
प्रश्न 2. ऐसे ऐतिहासिक/पौराणिक आदर्श चरित्रों को खोजिए जिन्होंने अपने पिता के अधूरे कार्यों को पूर्ण किया।
उत्तर-
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

संस्कृति का स्वरूप परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

संस्कृति का स्वरूप अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सांस्कृतिक कार्य किस प्रकार फलदायी होता है?
उत्तर-
सांस्कृतिक कार्य कल्पवृक्ष की तरह फलदायी होता है।

प्रश्न 2.
संस्कृति क्या होती है?
उत्तर-
संस्कृति हमारे मन का मन, प्राणों का प्राण और शरीर का शरीर होती है।

प्रश्न 3.
संस्कृति कब विस्तृत मानव मन को जन्म देती है?
उत्तर-
संस्कृति राजनीति और अर्थशास्त्र दोनों को अपने में पचाकर इन दोनों से विस्तृत मानव मन को जन्म देती है।

प्रश्न 4.
हमारी गति में बाधा कब उत्पन्न होती है?
उत्तर-
हमारी गति में बाधा तब उत्पन्न होती है, जब हम संस्कृति के जड़ भाग के गुरुतर बोझ को ढोने लगते हैं।

प्रश्न 5. संस्कृति के कौन-कौन से अंग हैं?
उत्तर-
संस्कृति के अंग धर्म, दर्शन, साहित्य, कला आदि हैं।

2. निम्नलिखित कथनों के लिए दिए गए विकल्पों से सही विकल्प का चयन कीजिए

1. राजनीति की साधना का अंग है
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार।
उत्तर-
(क) एक

2. कला और संस्कृति के लेखक हैं
(क) महावीर प्रसाद द्विवेदी
(ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ग) डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
(घ) उपेन्द्रनाथ ‘अश्क’
उत्तर-
(ग) डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल

3. गुप्तकाल के दूसरे महान् विद्वान हैं.
(क) श्री सिद्धसेन
(ख) दिवाकर
(ग) श्री सिद्धसेन दिवाकर
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) श्री सिद्धसेन दिवाकर

4. अश्वघोष हैं
(क) आलोचक
(ख) निबंधकार
(ग) पत्रकार
(घ) महाकवि।
उत्तर-
(घ) महाकवि।

5. एक-दूसरे के पूरक हैं
(क) आर्थिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम
(ख) आर्थिक कार्यक्रम
(ग) सांस्कृतिक कार्यक्रम
(घ) उपर्युक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(क) आर्थिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम

3. रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से चुनकर कीजिए.

1. संस्कृति का स्वरूप के लेखक हैं ……………………….. (केदारनाथ अग्रवाल, डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल)
2. संस्कृति की प्रवृत्ति ……………………….. देने वाली होती है। (महाफल, कल्पवृक्ष)
3. जीवन के नानाविध स्वरूपों का समुदाय ही ……………………….. है (वृक्ष, संस्कृति)
4. ……………………….. संस्कृति का अंग है। (कर्म, धम)
5. ……………………….. ने गुप्तकाल की स्वर्णिम युगीन भावना को प्रकट किया है। (अश्वघोष, कालिदास)
उत्तर-
1. डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल,
2. महाफल,
3. संस्कृति,
4. धर्म,
5. कालिदास

4. सही जोड़े मिलाइए।
MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 2 संस्कृति का स्वरूप img-2
उत्तर-
MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 2 संस्कृति का स्वरूप img-3

5. निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए

1. संस्कृति शब्द बड़ा व्यापक है।
2. हमारे जीवन का ढंग हमारी संस्कृति है।
3. संस्कृति जीवन में परमावश्यक नहीं है।
4. संस्कृति की उपजाऊ भूमि है-पूर्व और पश्चिम का मेल।
5. धर्म का अर्थ मत विशेष का आग्रह है।
उत्तर-
1 (सत्य),
2 (सत्य),
3 (असत्य),
4 (सत्य),
5 (असत्य)।

6. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. सांस्कृतिक कार्य किस तरह फलदायी होता है?
2. मनुष्य के भूत, वर्तमान और भावी जीवन का कौन प्रकार है?
3. संस्कृति का कौन रूप होता है?
4. जीवन के नानाविध रूपों का समुदाय क्या होती है?
5. किससे प्रकृति की संस्कृति भुवनों में व्याप्त हुई ?
उत्तर-
1. कल्पवृक्ष,
2. सर्वांगपूर्ण,
3. मूर्तिमान,
4. संस्कृति,
5. देवशिल्पों से।

संस्कृति का स्वरूप लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. कौन-से वहुत फल देने वाला बड़ा वृक्ष बन जाता है?
उत्तर-
सांस्कृतिक कार्य के छोटे-से बीज से बहुत फल देने वाला बड़ा वृक्ष बन जाता है।

प्रश्न 2.
हमें अपने जीवन की उन्नति और आनंद के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
हमें अपने जीवन की उन्नति और आनंद के लिए अपनी संस्कृति की सुधि लेनी चाहिए।

प्रश्न 3.
सांस्कृतिक कार्य की उचित दिशा और सच्ची उपयोगिता क्या है?
उत्तर-
साहित्य, कला, दर्शन, और धर्म से जो मूल्यवान सामग्री हमें मिल सकती है, उसे नए जीवन के लिए ग्रहण करना, यहीं सांस्कृतिक कार्य की उचित दिशा और सच्ची उपयोगिता है।

संस्कृति का स्वरूप लेखक-परिचय

जीवन-परिचय-हिंदी के गद्य-लेखकों में डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल का महत्त्वपूर्ण स्थान है। आपका जन्म सन् 1904 ई. में हुआ था। आपने अपनी आरंभिक शिक्षा समाप्त करके उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। वहाँ से आपने एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद वहीं से पी.-एच.डी. और डी.लिट. की भी उपाधियाँ हासिल की। इसके बाद आपने सरकारी नौकरी की। इसके लिए आपने सेण्ट्रल एशियन एक्टीक्विटीज म्यूजियम के अधीक्षक तथा भारतीय पुरातत्त्व विभाग के अध्यक्ष पद पर कई वर्षों तक सफलतापूर्वक कार्य किया। इसके बाद आपकी नियुक्ति काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भारती महाविद्यालय में प्रोफेसर पद पर हुई।

रचनाएँ-डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा लिखित और संपादित पुस्तकें हैं–उर-ज्योति, कला और संस्कृति, कल्पवृक्ष, कादम्बरी, मलिक मुहम्मद जायसी, पद्मावत, पाणिनीकालीन भारतवर्ष, पृथ्वीपुत्र, पोद्दार अभिनंदन ग्रंथ आदि।

भाषा-शैली-डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल की भाषा उच्चस्तरीय है। फलस्वरूप उसमें तत्सम शब्दों की प्रधानता है। इस प्रकार के आए हुए तत्सम शब्द असाधारण हैं। हालाँकि उनका यह प्रयास रहा है कि वे बहुप्रचलित अर्थपूरक शब्दों को ही प्रयुक्त करें, फिर उनके द्वारा प्रस्तुत शब्द सामान्यपाठक की समझ से परे हो गए हैं। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस प्रकार के शब्दों से बने हुए वाक्य-स्वरूप जटिल और गंभीर हो गए हैं।

डॉ. वासुदेवशरण की शैली में प्रवाह और गति है। उसमें क्रमबद्धता और स्वच्छंदता है। वह भावों को ढालने में तत्पर और सक्षम है। इस प्रकार उनका शैली-विधान अधिक प्रभावशाली. है, सराहनीय है और सटीक है। वह भाव और भाषा दोनों को बखूबी वहन करने में समर्थ है।

साहित्य में स्थान-डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल का साहित्यिक महत्त्व सर्वमान्य है। उनके लेखन में साहित्य की विविधता और अनेकरूपता है। कालिदास के मेघदूत और बाणभट्ट के हर्ष-चरित की नयी पीठिका को प्रस्तुत करने में आपका अनूठा योगदान है। इस दृष्टि से आप और अधिक सराहनीय हैं। यही नहीं आप भारतीय इतिहास, पुरातत्त्व और भारतीय संस्कृति के गंभीर और उच्चस्तरीय अध्येताओं में भी शीर्ष स्थान पर हैं।

निबंध का सार डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल लिखित निबंध ‘संस्कृति का स्वरूप’ एक ज्ञानबर्द्धक और भावबर्द्धक निबंध है। ‘संस्कृति’ शब्द के स्वरूप, अर्थ और महत्त्व को निबंधकार ने कई प्रकार समझाने और स्पष्ट करने का प्रयास किया है। निबंधकार का यह मानना है कि ‘जीवन के नानाविध रूपों का समुदाय ही संस्कृति है। संस्कृति के इन रूपों का उत्तराधिकार भी हमारे साथ चलता है। धर्म, दर्शन, साहित्य, कला उसी के अंग हैं। बुद्धि के संबल से ही राष्ट्र का संवर्धन संभव होता है। इसका सबसे प्रबल कार्य संस्कृति की साधना है।

संस्कृति की उर्वर भूमि के लिए आवश्यक है-पुरानी और नयी मान्यताओं का मेल-मिलाप। इसके लिए किसी प्रकार के दुराग्रह से मुक्ति नितांत आवश्यक है। यही कारण है कि जब कर्म से भयभीत व्यक्ति केवल विचारों की उलझन में फँस जाता है, तब वह जीवन की किसी नई पद्धति या संस्कृति को जन्म नहीं दे पाता। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि पूर्वकालीन संस्कृति के जो निर्माणकालीन तत्त्व हैं, उन्हें लेकर हम कर्म में लगें और नई वस्तु का निर्माण करें। निबंधकार का अंततः यह मानना है कि “जीवन को उठाने वाले जो नियम हैं, वे जब आत्मा में बसने लगते हैं, तभी धर्म का सच्चा आरंभ मानना चाहिए। साहित्य, कला, दर्शन और धर्म से जो मूल्यवान सामग्री हमें मिल सकती है, उसे नए जीवन के लिए ग्रहण करना, यही सांस्कृतिक कार्य की उचित दिशा और सच्ची उपयोगिता है।”

संस्कृति का स्वरूप संदर्भ और प्रसंग सहित व्याख्या

1. संस्कृति की प्रवृत्ति महाफल देने वाली होती है। सांस्कृतिक कार्य के छोटे-से बीज से बहुत फल देने वाला बड़ा वृक्ष बन जाता है। सांस्कृतिक कार्य कल्पवृक्ष की तरह फलदायी होते हैं। अपने ही जीवन की उन्नति, विकास और आनंद के लिए हमें अपनी संस्कृति की सुधि लेनी चाहिए। आर्थिक कार्यक्रम जितने आवश्यक हैं, उनसे कम महत्त्व संस्कृति-संबंधी कार्यों का नहीं है। दोनों एक ही रथ के दो पहिए हैं, एक-दूसरे के पूरक हैं, एक के बिना दूसरे की कुशल नहीं रहती। जो उन्नत देश हैं, वे दोनों कार्यों को एक साथ संभालते हैं। वस्तुतः उन्नति करने का यही मार्ग है। मन को भुलाकर केवल शरीर की रक्षा पर्याप्त नहीं है।

शब्दार्थ-प्रवृत्ति-मन का किसी विषय की ओर झुकाव। कल्पवृक्ष इच्छा पूरी करने वाला वृक्ष। सुधि खबर। उन्नत-श्रेष्ठ, संपन्न। वस्तुतः वास्तव में। पर्याप्त काफी।

संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ में संकलित निबंधकार डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल लिखित निबंध ‘संस्कृति का स्वरूप’ से है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में निबंधकार ने संस्कृति की प्रवृत्ति क्या होती है, इस पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि

व्याख्या-संस्कृति का किसी खास विषय की ओर झुकाव निश्चय ही सुखद और पुष्यदायक फल को प्रदान करने वाली होती है। इस आधार पर हम यह कह सकते हैं कि संस्कृति के द्वारा जो भी काम, चाहे वे कितने भी छोटे-छोटे क्यों न हों, वे सभी-के-सभी उस बीज की तरह होते हैं, जिससे कुछ समय बाद कोई बड़ा और शक्तिशाली पेड़ देखते-देखते तैयार हो जाता है। वह वास्तव में कल्पवृक्ष के समान सर्वाधिक आनंददायक और इच्छाओं को पूरा करने वाला होता है। इसलिए हमें अपने जीवन के विकास-सुख आनंद आदि की प्राप्ति के लिए अपनी-अपनी संस्कृति को याद करके उसे अपनाना चाहिए। यहाँ यह ध्यान देना आवश्यक है कि जिस प्रकार आर्थिक कार्यक्रम हमारे जीवन के विकास, सुख और आनंद की प्राप्ति के लिए बहुत जरूरी है, उतने ही संस्कृति से संबंधित कार्यक्रम भी। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि आर्थिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम एक रथ के दो पहिए होने के कारण समान रूप से उपयोगी हैं। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं; अर्थात एक का दूसरे के बिना कोई महत्त्व और प्रभाव नहीं है। सचमुच में जीवन में सुख-शांति, चैन, आनंद और विकास करने का यही तरीका है। यही एक रास्ता है। यह ध्यान रहे कि अगर हम मन को भुलाकर केवल शारीरिक रक्षा करते हैं, तो इससे हमें जीवन के सुख-आनंद आदि की प्राप्ति नहीं हो सकती है।

विशेष-
1. संस्कृति की प्रवृत्ति का महत्त्व बतलाया गया है।
2. आर्थिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम को जीवन विकास के आधार कहे गए हैं।
3. एक ही रथ के दो पहिए हैं’ उपमा आकर्षक है।

अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संस्कृति की क्या विशेषता है? उत्तर-संस्कृति महाफल देने वाला कल्पवृक्ष है। प्रश्न 2. कौन दो एक ही रथ के पहिए हैं और क्यों?
उत्तर-
आर्थिक कार्यक्रम और संस्कृति संबंधी कार्यक्रम ये दोनों एक ही रथ के पहिए हैं। यह इसलिए ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, अर्थात् एक के बिना दूसरे का काम नहीं चल पाता है।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त गद्यांश में निबंधकार ने संस्कृति के स्वरूप को बतलाना चाहिए। निबंधकार के अनुसार संस्कृति महाफल प्रदान करने वाला कल्पवृक्ष के समान है। इसलिए अगर हमें अपना जीवन-विकास करना है और आनंद की प्राप्ति करनी है तो हमें अपनी संस्कृति को अपनाना होगा। इसके लिए हमें आर्थिक और सांस्कृतिक दोनों कार्यक्रम साथ ही चलाने होंगे।

2. यों तो संसार में अनेक स्त्रियाँ और पुरुष हैं, पर एक जन्म में जो हमारे माता-पिता बनते हैं उनके गुण हममें आते हैं और उन्हीं को हम अपनाते हैं। ऐसे ही संस्कृति का संबंध है, वह सच्चे अर्थों में हमारी धात्री होती है। इस दृष्टि से वह संस्कृति हमारे मन का मन, प्राणों का प्राण और शरीर का शरीर होती है। इसका यह अर्थ नहीं कि हम अपने विचारों को किसी प्रकार संकुचित कर लेते हैं। सच तो यह है कि जितना अधिक हम एक संस्कृति के मर्म को अपनाते हैं उतने ही ऊँचे उठकर हमारा व्यक्तित्व संसार के दूसरे मनुष्यों, धर्मों, विचारधाराओं और संस्कृतियों से मिलने और उन्हें जानने के लिए समर्थ और अभिलाषी बनता है।

शब्दार्थ-धात्री=धारण करने वाली। संकुचित छोटा। समर्थ=योग्य। अभिलाषी इच्छुक।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में निबंधकार ने संस्कृति के स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि

व्याख्या-हम यह अच्छी तरह जानते हैं कि संसार में अनेक प्रकार के नर-नारी हैं। उनके गुण-धर्म भी अलग-अलग हैं। उन सभी से हमारा संबंध न होकर अपने माता-पिता से बनते हैं। हमारे ये संबंध बड़ी गहराई में होते हैं। इसलिए उनके गुण-धर्म हमें प्रभावित करते हैं और हम उन्हें अपनाते हैं। यही संबंध संस्कृति का भी होता है। वह वास्तव में हमें धारण करती है। इससे हमारा मन, हमारे प्राण और हमारा शरीर संस्कृति के ही अनुरूप बन कर रह जाता है। उसका यह अर्थ नहीं लेना चाहिए कि हमारी सोच-समझ को संस्कृति बदल देती है और अपने अनुरूप ढाल लेती है। इससे हटकर सच्चाई तो यह है कि जब हम एक संस्कृति को अच्छी तरह से अपना लेते हैं और उससे प्रभावित हो जाते हैं, तब हम दूसरी संस्कृतियों के स्वरूप, गुण, धर्म, प्रभाव आदि को जानने और समझने को लालायित होने लगते हैं। फिर इसकी पूर्ति के लिए प्रयत्नशील हो उठते हैं। कहने का भाव यह है कि हम एक संस्कृति को विधिवत जानकर-समझकर और उसके गुण-धर्म को अपनाकर ही दूसरे मनुष्यों, धर्मों, विचारधाराओं आदि को जानने-समझने के योग्य हो सकते हैं।

विशेष-
1. एक संस्कृति को अपनाकर ही दूसरी संस्कृति को समझने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
2. भाषा में प्रभाव और प्रवाह है।
3. शब्द-विधान ऊँचे हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संस्कृति का संबंध कैसा होता है?
उत्तर-
संस्कृति का सबंध माता-पिता के समान होता है।

प्रश्न 2.
संस्कृति क्या है?
उत्तर-
संस्कृति हमारी धात्री है।

प्रश्न 3.
हमारा व्यक्तित्व कब और ऊँचा उठ जाता है?
उत्तर-
जब हम एक संस्कृति को अधिक-से-अधिक अपनाने लगते हैं, तब हमारा व्यक्तित्व और ऊँचा उठ जाता है।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त गद्यांश के द्वारा निबंधकार ने संस्कृति के अर्थ और उसके प्रभाव को स्पष्ट करना चाहा है। इस दृष्टि से उसने संस्कृति के संबंध को माता-पिता के समान बतलाते हुए धात्री कहा है। उसका यह मानना है कि एक संस्कृति को अधिक-सेअधिक अपनाकर ही अपने व्यक्तित्व को और अधिक ऊँचा उठा सकते हैं।

3. संस्कृति जीवन के लिए परम आवश्यक है। राजनीति की साधना उसका केवल एक अंग है। संस्कृति राजनीति और अर्थशास्त्र दोनों को अपने में पचाकर इन दोनों से विस्तृत मानव मन को जन्म देती है। राजनीति में स्थायी रक्त-संचार केवल संस्कृति के प्रचार, ज्ञान और साधना से संभव है। संस्कृति जीवन के वृक्ष का संवर्धन करने वाला रस है। राजनीति के क्षेत्र में तो उसके इने-गिने पत्ते ही देखने में आते हैं अथवा यों कहें कि राजनीति केवल पथ की साधना है, संस्कृति उस पथ का साध्य

शब्दार्थ-परम=बहुत। पचाकर रखकर। विस्तृत फैले हुए। संवर्धन बढ़ाने। इने-गिने=कुछ ही। साध्य=जिसे प्राप्त किया जाए।

संदर्भ-पूर्ववत्

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में निबंधकार ने संस्कृति और राजनीति के अलग स्वरूपों। का उल्लेख करते हुए कहा है कि

व्याख्या-संस्कृति और राजनीति में अंतर है। संस्कृति जीवन की बहुत बड़ी आवश्यकता है। लेकिन राजनीति नहीं। राजनीति की साधना उसका मात्र एक अंग है। संस्कृति की शक्ति राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र दोनों से बड़ी है। फलस्वरूप राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र दोनों को ही अपने अधीन कर रखने की क्षमता संस्कृति में होती है। इससे संस्कृति इन दोनों से मनुष्य के मन का विस्तार करती है। स्पष्ट रूप से यह कहा जा सकता है कि संस्कृति के प्रचार, ज्ञान और साधना से राजनीति में स्थायी रक्त-संचार संभव है। इस प्रकार संस्कृति का महत्त्व जीवन को विस्तृत और विकसित करने वाले वृक्ष का संवर्धन वाला रस है। राजनीतिक धरातल पर उसके प्रभाव बहुत कम दिखाई देते हैं। यह भी हम कह सकते हैं कि राजनीति ही साधना पथ और संस्कृति उसका साध्य है।

विशेष-
1. राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र से अधिक प्रभावशाली और शक्तिशाली संस्कृति को सिद्ध किया गया है।
2. यह अंश ज्ञानवर्द्धक है।
3. भाषा-शैली सरल और सुबोध है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संस्कृति जीवन के लिए क्यों परमावश्यक है?
उत्तर-
संस्कृति जीवन के लिए परमावश्यक है। यह इसलिए कि यह जीवन के वृक्ष का संवर्धन करनेवाला रस है।

प्रश्न 2.
जीवन के पथ की साधना और साध्य किसे कहा गया है?
उत्तर-
राजनीति को जीवन के पथ की साधना और संस्कृति को साध्य कहा गया है।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त गद्यांश के द्वारा निबंधकार ने संस्कृति की अत्यधिक आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि यह जीवन की बहुत बड़ी आवश्यकता है। हालाँकि राजनीति और अर्थशास्त्र दोनों ही जीवन के लिए आवश्यक हैं, लेकिन संस्कृति इन दोनों से कहीं अधिक। इसलिए संस्कृति को जीवन के वृक्ष का संवर्धन करने वाला रस कहा गया है। इसलिए राजनीति जीवन-पथ की साधना है तो संस्कृति साध्य है।

4. इस देश की संस्कृति की धारा अति प्राचीन काल से बहती आई है। हम उसका सम्मान करते हैं, किंतु उसके प्राणवत तत्त्व को अपनाकर ही हम आगे बढ़ सकते हैं। उसका जो जड़ भाग है, उस गुरूतर बोझ को यदि हम ढोना चाहें तो हमारी गति में अड़चन उत्पन्न हो सकती है। निरंतर गति मानव-जीवन का वरदान है। व्यक्ति हो या राष्ट्र, जो एक पड़ाव पर टिका रहता है, उसका जीवन भी ढलने लगता है। इसलिए ‘चरैवेति चरैवेति’ की धुन जब तक राष्ट्र के रथ-चक्रों में गूंजती रहती है तभी तक प्रगति और उन्नति होती है, अन्यथा प्रकाश और प्राणवायु के कपाट बंद हो जाते हैं और जीवन सँध जाता है। हमें जागरूक रहना चाहिए, ऐसा न हो कि हमारा मन परकोटा खींचकर आत्म-रक्षा की साध करने लगे।

शब्दार्थ-अति अत्यंत।प्राणवत प्राण के समान। गुरुतर=भारी।अड़चन रुकावट। चरैवेति-चरैवेति-चलते रहो, चलते रहो। कपाट-दरवाजे। सँध रुक। जागरूक-सावधान। परकोटा किले की रक्षा के लिए उसके चारों ओर बनाई हुई दीवार।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में निबंधकार ने भारत देश की संस्कृति की मजबूती का उल्लेख करते हुए कहा है कि

व्याख्या-भारत देश की संस्कृति और देशों की संस्कृति से अलग है और महान/ है। यह इसलिए कि इस देश की संस्कृति बहुत पुरानी है। सभी देशवासी इसमें डुबकी लगाते हुए नहीं अघाते हैं। यहाँ यह ध्यान देना आवश्यक है कि इसे अपनाते समय इसके मूल रूप की ही ओर हमारा प्रयास हो! इससे हमारा जीवन-विकास हो सकता है। हम सुखमय जीवन बिता सकते हैं। अगर हम यह ध्यान नहीं देंगे और संस्कृति के जड़तत्त्व को अपनाने लगेंगे तो हमारे जीवन-विकास में कठिनाइयाँ आने लगेंगी। इसलिए हम इसके जड़तत्त्व को भूलकर इसके चेतन तल को अपनाना चाहिए, जिससे गतिशील जीवन-पथ पर बढ़ सकें। ऐसा इसलिए कि गतिशील जीवन ही वरदानस्वरूप होता है। एक ही जगह पर टिके रहने वाले देश-व्यक्ति जीवन-विकास से कोसों दूर चला जाता है। इसलिए जब तक ‘चलते रहो, चलते रहो’ की गूंज हृदय में नहीं गूंजती रहेगी, जब तक जीवन-विकास का रथ-चक्र नहीं रुक सकता है। अगर इस प्रकार की गूंज हृदय में नहीं गूंजती तो आनंद-प्रकाश टिमटिमाने लगेगा और जीवनी-शक्ति के द्वार बंद होने लगेंगे। फलस्वरूप जीवन-क्रम ठप्प पड़ जाता है। इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए कि हम हर समय सावधान रहें, ताकि हमारा मन पर कोटा न खींचकर आत्म-रक्षा की साध लेने लगे।

विशेष-
1. भारत देश की संस्कृति की विशेषता बतलायी गयी है।
2. ‘चरैवेति, चरैवेति’ सूक्ति का सटीक प्रयोग है।
3. यह अंश उपदेशात्मक है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
हमारे देश की संस्कृति क्या है? उत्तर-हमारे देश की संस्कृति बहुत ही पुरानी है। प्रश्न 2. मानव जीवन का वरदान-अभिशाप क्या है?
उत्तर-
निरंतर गति मानव जीवन का वरदान है और एक पड़ाव पर टिका रहना अभिशाप है।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त गद्यांश के माध्यम से निबंधकार ने भारतीय संस्कृति की विशेषताओं को कई प्रकार से रेखांकित करने का प्रयास किया है। इस संदर्भ में उसने यह स्पष्ट करना चाहा है कि संस्कृति के प्राणतत्त्व को अपनाकर हम आगे बढ़ सकते हैं न कि उसके जड़ भाग के गुरुतर बोझ को। दूसरी बात यह कि चलते रहो, चलते रहो, की गूंज से प्रगति की रफ्तार बढ़ती है।

5. “मनुष्यों के चरित्र मनुष्यों के कारण स्वयं मनुष्यों द्वारा ही निश्चित किए गए थे। यदि कोई बुद्धि का आलसी या विचारों का दरिद्री बनकर हाथ में पतवार लेता है तो वह कभी उन चरित्र का पार नहीं पा सकता, जो अथाह है और जिनका अंत नहीं। जिस प्रकार हम अपने मत को पक्का समझते हैं वैसे ही दूसरों का मत भी तो हो सकता है। दोनों में से किसकी बात कही जाए? इसलिए दुराग्रह को छोड़कर परीक्षा की कसौटी पर प्रत्येक वस्तु को कसकर देखना चाहिए।”

शब्दार्थ-पतवार=सहारा। अथाह जिसका थाह न हो। मत विचार। दुराग्रह-हठ।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में निबंधकार ने मनुष्य के चरित्र-कर्म के बारे में बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या-मनुष्यों के चरित्र मनुष्यों के ही द्वारा निश्चित और बनाए गए थे। इस प्रकार के चरित्र मनुष्य की शक्ति, इच्छा और साधन पर निर्भर रहे हैं। उस विषय में यहाँ यह कहना है कि कमजोर चरित्र कमजोर ही फल देता है। इसके लिए बहुत हद तक कमजोर साधन भी दोषी कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि कोई बुद्धि का सहारा न लेकर या दृढ़ विचार न करके काम आरंभ करता है। उसमें उसे कोई सफलता नहीं मिल सकती है। दूसरी बात यह है कि अपनी विचारधाओं के सामने हमें किसी की विचारधारा को हीन या कम नहीं समझना चाहिए। यह इसलिए कि शायद हमारी यह सोच-समझ सही न हो। दूसरे शब्दों में, यह कि हमारी विचारधारा दूसरे की विचारधारा से कम है या वह भी वैसी ही है। इसलिए हमें अपनी ही सोच-समझ पर नहीं अड़े रहना चाहिए। दूसरों की भी सोच-समझ की परख करनी चाहिए।

विशेष-
1. समान विचारधारा की ओर बल दिया गया है।
2. भाषा-शैली सरल है।
3. यह अंश उपदेशात्मक है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसके चरित्र किसके द्वारा निश्चित किए गए हैं? उत्तर-मनुष्यों के चरित्र मनुष्यों द्वारा ही निश्चित किए गए हैं। प्रश्न 2. अथाह और अंतहीन चरित्रों का पार कौन पा सकता है?
उत्तर-
बुद्धि सम्पन्न तत्पर और विचारपूर्ण कर्मठ व्यक्ति ही अथाह और अंतहीन चरित्रों का पार पा सकता है।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त गद्यांश के द्वारा निबंधकार ने यह आशय स्पष्ट करना चाहा है कि मनुष्य ही मनुष्य का चरित्र-निर्माता है। दूसरी बात यह कि मनुष्य के चरित्र को मनुष्य अपनी बुद्धि की क्षमता-संपन्न को कार्यरूप में ढालकर ही पूरी तरह से समझ सकता है। तीसरी बात यह कि स्वयं की तरह हमें औरों के भी मत को महत्त्व देना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि बिना किसी दुराग्रह के विचारों को परीक्षा की कसौटी पर कसना चाहिए।

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 8 मध्य प्रदेश के गौरव

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MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 8 मध्य प्रदेश के गौरव

प्रश्न अभ्यास

अनुभव विस्तार

Mp Board Class 8 Hindi Chapter 8 प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(क) सही जोड़ी बनाइए
(अ) मध्यप्रदेश की दो – 1. भोपाल की गुलियादाई गली विभूतियाँ। में जन्में।
(ब) डॉ. शंकर दयाल शर्मा – 2. डॉ. शंकर दयाल शर्मा, अटल का जन्म बिहारी वाजपेयी।
(स) अटल बिहारी वाजपेयी – 3. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से विधि में पी-एच. डी. की।
(द) डॉ. शंकर दयाल – 4. ग्वालियर जिले में हुआ। शर्मा ने
उत्तर-
(अ) – 1
(ब) – 2
(स) – 3
(द) – 4

Class 8 Hindi Chapter 8 Mp Board प्रश्न 2.
दिए गए विकल्पों से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(अ) डॉ. शंकर दयाल शर्मा का जन्म …………………………………. ई. को हुआ था। (19 अगस्त 1918, 29 अगस्त 1928)
(ब) डॉ. शर्मा तैराकी में …………………………………. के चैम्पियन रहे थे। (विक्रम विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय)
(स) अटल बिहारी वाजपेयी की माताजी का नाम …………………………………. था। (कृष्णा देवी, राधा देवी)
(द) अटल जी के विशेष कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें …………………………………. से अलंकृत किया। (पद्मश्री, पद्मभूषण)
उत्तर-
(अ) 19 अगस्त, 1918,
(ब) लखनऊ विश्वविद्यालय,
(स) कृष्ण देवी,
(द) पद्मभूषण।

Mp Board Class 8th Hindi Solution Chapter 8 प्रश्न 2.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ) डॉ. शर्मा लोगों से किस प्रकार मिलते थे?
(ब) डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने भारत के किस गरिमामय सर्वोच्च पद को सुशोभित किया था?
(स) अटल जी ने किन-किन पत्रों का संपादन किया?
(द) अटल बिहारी वाजपेयी प्रथम बार प्रधानमंत्री कब बने?
उत्तर-
(अ) डॉ. शर्मा लोगों से अपने परिवार के सदस्य की तरह मिलते थे?
(ब) डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने भारत के राष्ट्रपति गरिमामय सर्वोच्च पद को सुशोभित किया था।
(स) अटल जी ने ‘राष्ट्रधर्म’, ‘स्वदेश’, ‘पाञ्चजन्य’ और ‘वीर अर्जुन’ का संपादन किया।
(द) अटल बिहारी वाजपेयी प्रथम बार 1996 में प्रधान मंत्री बने।

Mp Board Class 8th Hindi Solution प्रश्न 3.
लघु उत्तरीय प्रश्न(अ)डॉ. शंकर दयाल शर्मा की शिक्षा के बारे में लिखिए।
उत्तर-
डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने अपने यशस्वी जीवन की शैक्षिक यात्रा में स्वयं को मेधावी छात्र के रूप में निरंतर प्रमाणित किया। आपने हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। लखनऊ विश्वविद्यालय से एल.एल.एम. तथा कैंब्रिज विश्वविद्यालय से कानून में पी-एच. डी. की उपाधि प्राप्त की।

(ब) डॉ. शर्मा ने किन-किन पुस्तकों की रचना की?
उत्तर-
डॉ. शर्मा ने ‘प्रतिष्ठित भारतीय’, ‘हमारे चिंतन की मूलधारा’ और ‘देश-मणि’ पुस्तकों की रचना की।

(स) डॉ. शंकर दयाल शर्मा जन समान्य से कब मिलते थे?
उत्तर-
डॉ. शंकर दयाल शर्मा जन समान्य से प्रातः 9 बजे से अपराह्न 1:30 तक प्रतिदिन मिलते थे।

(द) अटल जी की काव्य-सृजन में रुचि कैसे जागृत हुई?
उत्तर-
अटल जी के पिता श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी अध्यापक एवं कवि थे। अपने पिता की रचनाएँ पढ़ते-पढ़ते अटल जी तुकबन्दी करने लगे। उनकी रचनाओं की प्रशंसा होने लगी तो हिन्दी साहित्य सभा की गोष्ठियों में जाने लगे। उन दिनों घनाक्षरी और सवैया छंद विशेष पसंद किए जाते थे। अटल ने ब्रजभाषा में रचनाएँ कीं।।

(ई) अटल जी की प्रमुख रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
‘मेरी इक्यावन कविताएँ’, ‘कैदी कविराय की कुंडलियाँ’, ‘न दैन्यं न पलायनम्’, ‘मेरी संसद यात्रा’ आदि अटल जी की प्रमुख रचनाएँ हैं।

भाषा की बात

Mp Board Class 8 Hindi Book Solution प्रश्न 1.
बोलिए और लिखिएप्रतिनिधि, विश्वविद्यालय, स्वतंत्रता-संग्राम, सर्वोच्च।
उत्तर-
प्रतिनिधि, विश्वविद्यालय, स्वतंत्रता-संग्राम, सर्वोच्च।

Class 8 Hindi Mp Board प्रश्न 2.
सही वर्तनी वाले शब्दों पर गोला लगाइए
Mp Board Solution Class 8 Hindi
उत्तर-
साहित्य, उत्तीर्ण, राष्ट्रपति, ग्वालियर।

Mp Board Class 8 Hindi प्रश्न 3.
नीचे दिए वाक्यों में क्रिया विशेषण के शब्द छाँटकर लिखिए
1. वे धूप में बाहर बैठे थे। ………………………….
2. वह थोड़ा लुढ़क गया। ………………………….
3. लड़की जोर-जोर से चीख रही थी। ………………………….
4. राम अपनी बहन को बहुत सता रहा था। ………………………….
उत्तर-
1. बाहर,
2. थोड़ा,
3. जोर-जोर से,
4. बहुत।

Class 8 Mp Board Hindi प्रश्न 4.
उदाहरण के अनुसार नीचे लिखे शब्दों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग कीजिए।
उत्तर-
Mp Board Class 8 Hindi Book Solution Sugam Bharti

♦प्रमुख गद्यांशों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ

1. डॉ. शर्मा देश के स्वाधीनता संग्राम के अग्रणी योद्धा और साक्षी रहे हैं। आपने अपने राजनीतिक जीवन से भारत के महान व्यक्तियों की गौरवशाली परंपरा को सार्थक बनाया। आप जिन सार्वजनिक पदों पर आसीन हुए, आपने उनमें आध्यात्मिक और लौकिक मूल्यों का साहसिक संतुलन बनाए रखा। डॉ. शर्मा ने जब भी जहाँ भी राजनीति में नैतिक मूल्यों का क्षरण होते देखा, वहाँ अपना विवेकपूर्ण हस्तक्षेप अवश्य किया। आपने अवमूल्यित राजनीति के संदर्भ में सदैव वैचारिक जिज्ञासा, सांस्कृतिक आत्मविश्वास तथा सृजनात्मक विमर्श के प्रतिमानों को अनेक मंचों से अभिव्यक्ति प्रदान की।

शब्दार्थ-सर्वोच्च-सबसे ऊँचा। अग्रणी-आगे चलने वाले। साक्षी-गवाह। गौरवशाली-महत्त्वपूर्ण। आसीन-पद पर नियुक्त। संतुलन-मेल। नैतिक-नीति संबंधी। क्षरण-कमजोर। अवमूलित-मूल्य में कमी हुई। जिज्ञासा-जानने की इच्छा। सृजनात्मक-रचनात्मक। विमर्श-विवेचन, तर्क, ज्ञान। अभिव्यक्ति-प्रकाशन।

संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिन्दी सामान्य) भाग-8 के पाठ-8 ‘मध्य-प्रदेश के गौरव’ से ली गई हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा की महान् विशेषताओं के बारे में कहा है कि-

व्याख्या-डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने देश की आजादी के लिए किए गए संघर्षों में बहुत बड़ी भूमिका निभायी। इसके वे आगे चलने वाले एक महान योद्धा और गवाह थे। यही नहीं उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन से भी अपनी एक अलग ही पहचान कायम की। इसके द्वारा उन्होंने स्वयं को भारत के महान् राजनेताओं की चली आ रही परंपरा को आगे बढ़ाने में अपना महान् योगदान दिया। इसी प्रकार वे सार्वजनिक रूप में भी लोकप्रिय हुए। इसके लिए वे जिन-जिन सार्वजनिक पदों के अधिकारी बने, उनमें आपने आध्यात्मिक और साहसिक संतुलन बनाने में अपनी कोई कसर नहीं छोड़ी। जहाँ-जहाँ उन्होंने राजनीतिक मूल्यों में नैतिक मूल्यों को कमजोर पड़ते हुए देखा, वहाँ-वहाँ उन्होंने अपने बुद्धि-बल से उसे संमुलित बनाने की पूरी-पूरी कोशिश की। इस प्रकार उन्होंने राजनीतिक मूल्यों के घटते स्तर को बड़ी गंभीरता से देखा और समझा। फिर उसे दूर करने के लिए अपने विचारों, सांस्कृतिक आत्मविश्वासों और रचनात्मक ज्ञान-तर्क के द्वारा बार-बार प्रयास किया।

विशेष-

  • डॉ. शंकर दयाल शर्मा को प्रेरक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
  • शब्द-प्रयोग कठिन हैं।

MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 7 हम भी सीखें

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MP Board Class 8th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 7 हम भी सीखें

प्रश्न-अभ्यास

अनुभव विस्तार

Mp Board Class 8 Hindi Chapter 7 प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
(क) सही जोड़ी बनाइए
(अ) सूरज हमें रोशनी देता – 1. निर्मल जल दिन-रात बहाते
(ब) बिन अभिमान पेड़ देते हैं – 2.अन्न उगाती धरती प्यारी
(स) गहरी नदियाँ, निर्झर नाले – 3. बीज, फल, फूल, ठण्डी छाया
(द) सबका पालन करने वाली – 4. तारे शीतलता बरसाते
उत्तर-
(अ) – 1
(ब) – 2
(स) – 3
(द) – 4

(ख) दिए गए विकल्पों से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(अ) अपने लिए सभी जीते हैं …………………………………. मरना सीखें। (औरों के हित, दूसरों के हित)
(ब) चाँद बाँटता …………………………………. सबको, बादल वर्षा जल दे जाते। (अमृत, चाँदनी)
(स) ऊँचे-नीचे …………………………………. ही तो, इन सोतों के जनक कहाते। (पहाड़, पर्वत)
(द) ऐसे ही त्यागी बनकर हम, बूंद-बूंद कर …………………………………. सीखें। (घटना, झरना।)
उत्तर-
(अ) औरों के हित,
(ब) अमृत,
(स) पर्वत,
(द) झरना।

Mp Board Class 8th Hindi Solution Chapter 7 प्रश्न 2.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
(अ) कुदरत हमें क्या सिखाती है?
(ब) तारे हमें क्या देते हैं?
(स) धरती क्या कार्य करती है?
उत्तर-
(अ) कुदरत हमें परोपकार करना सिखाती है।
(ब) तारे हमें शीतलता देते हैं।
(स) धरती सबका पालन-पोषण करती है।

Class 8 Hindi Sugam Bharti MP Board प्रश्न 3.
लघु उत्तरीय प्रश्न

(अ) पर्वतों को सोतों का जनक क्यों कहा गया है?
उत्तर-
पर्वतों से बड़ी-बड़ी गहरी नदियाँ निकलती हैं। पर्वतों से कई प्रकार के छोटे-बड़े झरने निकलते हैं। यही नहीं पर्वतों से ही कई प्रकार के छोटे-बड़े नाले निकलते हैं। इन नदियों, झरनों और नालों में रात-दिन स्वच्छ जल बहता रहता है। इस प्रकार पर्वतों से नदियों, झरनों और नालों के निकलने के कारण पर्वतों को इनका जनक कहा गया है।

(ब) पेड़ों को दधीचि क्यों माना गया है?
उत्तर-
पेड़ हर युग में अपना सब कुछ न्यौछावर परोपकार के लिए करते रहते हैं। चाहे कोई मौसम अर्थात् कठिन समय क्यों न हो, वे परोपकार करने से पीछे नहीं हटते हैं। चूँकि इनका त्याग – बलिदान महर्षि दधीचि के ही समान होता है। इसलिए उन्हें महर्षि दधीचि माना गया है।

(स) जुगनू से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर-
यद्यपि जुगनू आकर-प्रकार में बहुत ही छोटा होता है। फिर भी हमें रोशनी थोड़ा-थोड़ा करके ही सही, देने से कभी पीछे नहीं हटता है। इस प्रकार वह अंधकार को दूर करके हमें प्रकाश देने में लगा रहता है। फलस्वरूप हमें उससे यह सीख मिलती है कि परोपकार करने के लिए बड़े-छोटे का महत्त्व नहीं होता है। दूसरी बात यह कि हमें जितना भी हो सके, परोपकार करते ही रहना चाहिए।

भाषा की बात

Hindi Class 8 Sugam Bharti MP Board प्रश्न 1.
बोलिए और लिखिएकुदरत, अमृत, दधीचि, निर्मल, पर्वत, त्यागी।
उत्तर-
कुदरत, अमृत, दधीचि, निर्मल, त्यागी।

Class 8th Hindi Solution Mp Board प्रश्न 2.
सही वर्तनी वाले शब्दों पर गोला लगाइए
1. सिखती, सखाती, सिखाती, सीखाति
2. वरषा, वरीषा, वर्षा, वार्ष
3. जुगनू, जुगन, जुगुन, जूगनू,
4. अंधकर, अंधाकार, अंधकार, अधंकारा।
उत्तर-
सही वर्तनी
1. सिखाती,
2. वर्षा,
3. जुगनू,
4. अंधकार।

Hum Bhi Sikhe Kavita MP Board प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में उचित स्थान पर अनुनासिक के चिह्न () का प्रयोग कीजिए

माग, टाग, जाच, तागा, ऊट, नदिया, बाटना।

उत्तर-

माँग, टाँग, जाँच, ताँगा, ऊँट, नदियाँ, बाँटना।

Mp Board Class 8th Hindi Solution प्रश्न 4.
कोष्ठक में दिए गए शब्द की आवृत्ति से शब्द बनाकर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
…………………………… चलता भैया। (आगे)
…………………………… आई गया। (पीछे)
…………………………… लो घास खिलाई। (हरी)
…………………………… उसने वह खाई। (खुशी)
उत्तर-
आगे-आगे – चलता भैया।
पीछे-पीछे – आई गैया।
हरी-हरी – लो घास खिलाई।
खुशी-खुशी – उसने वह खाई।

Sugam Bharti Class 8 Hindi MP Board प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थी शब्द लिखिएअग्रज, सुगंध, आदि, आदान।
उत्तर-
शब्द – विपरीतार्थी शब्द
अग्रज – अनुज
सुगंध – दुर्गंध
आदि – अंत
आदान – प्रदान

सुगम भारती कक्षा 8 Solutions MP Board प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों में ‘अभि’ उपसर्ग का प्रयोग करते हुए नए शब्द बनाइए-
ज्ञान, नंदन, यान, रूचि, नेता, मत
उत्तर-
Mp Board Class 8 Hindi Chapter 7

♦ प्रमुख पद्यांशों की संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्याएँ

1.

कुदरत हमको रोज सिखाती, जग-हित में कुछ करना सीखें।
अपने लिए सभी जीते हैं, औरों के हित मरना सीखें।

शब्दार्थ-कुदरत-प्रकृति। जगह-हित-संसार की भलाई। औरों-दूसरों। हित के लिए।

संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) के भाग-8 के पाठ-7 ‘हम भी सीखें से ली गई हैं। इन पंक्तियों के कवि श्री गोपाल कृष्ण कौल हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने प्रकृति से प्रेरणा लेने का उपदेश देते हुए कहा है कि

व्याख्या-प्रकृति हमें यह रोज-ही-रोज पाठ पढ़ाती रहती है कि हम संसार में एक खास उद्देश्य से आए हैं। वह यह कि हम इस संसार के लिए कुछ करना सीखें। यह तो हम जानते हैं कि अपनी भलाई के लिए तो सभी कछ-न-कछ करते रहते हैं। लेकिन दूसरों की भलाई के लिए शायद ही कोई कुछ करता है। इसलिए हमें प्रकृति की तरह दूसरों की भलाई के लिए अपने जीवन को लगाना चाहिए।

विशेष-

  • परोपकार करने की सीख दी गई है।
  • तुकांत शब्दावली है।

2.

सूरज हमें रोशनी देता, तारे शीतलता बरसाते,
चाँद बाँटता अमृत सबको, बादल वर्षा-जल दे जाते।
जुगनू ज्यों थोड़ा-थोड़ा ही, अंधकार हम हरना सीखें।

शब्दार्थ-रोशनी-प्रकाश। शीतलता-ठंढ़क, आनंद। संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने सूरज, तारे, चाँद, बादल और जुगनू से परोपकार करने की प्रेरणा लेने की सीख देते हुए कहा है कि-

व्याख्या-सूरज हमें रोशनी (प्रकाश) देकर जीवन प्रदान करता है, तो तारे हमें शीतलता प्रदान करते हैं। इसी प्रकार चाँद अपनी किरणों से हमें अमृत प्रदान करता है, तो बादल जल की बरसा कर हमारी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। जुगनू भले ही थोड़ी-थोड़ी और कहीं-कहीं रोशनी करता है, फिर भी वह अंधकार को दूर करने में लगा ही रहता है। इस प्रकार प्रकृति के इन स्वरूपों से प्रेरणा लेकर हमें भी परोपकार करना चाहिए।

विशेष-

  • परोपकार करने की सीख आकर्षक रूप में है।
  • उदाहरण शैली है।

3.

बिन अभिमान पेड़ देते हैं, बीज, फूल, फल ठण्डी छाया।
ये दधीचि बनकर हर युग में, न्यौछावर कर देते काया।।
मौसम चाहे कैसा भी हो, तरु की तरह निखरना सीखें।

शब्दार्थ-अभिमान-घमंड। बिन-बिना, अकारण। न्यौछावर -त्याग। काया-शरीर। एक पौराणिक कथा के अनुसार दधीचि ऋषि ने अस्त्र बनाने के लिए अपनी हड्डियाँ तक देवताओं को दान कर दी थीं। इन हड्डियों से वज्र बनाया गया जिससे इंद्र ने राक्षसों को परास्त किया।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने प्रकृति की ही बिना किसी घमंड करके परोपकार करने की सीख देते हुए कहा है कि

व्याख्या-हम यह रोज ही देखते हैं कि पेड़-पौधे बिना किसी घमंड के ही हमें बीज, फूल और फल देते रहते हैं। यही नहीं वे बड़ी सुखद ठंडी छाया भी हमें देते रहते हैं। इसी प्रकार वे महर्षि दधीचि की तरह हरेक समय में अपना सब कुछ परोपकार में लगाते रहते हैं। मौसम चाहे जो कुछ भी बुरा और खराब क्यों न हो हमें तो पेड़ की तरह ही परोपकार करना नहीं भूलना चाहिए।

विशेष-

  • पेड़-पौधों की तुलना महर्षि दधीचि से की गई है।
  • लय और संगीत का सुंदर मेल है।

4.

गहरी नदियाँ, निर्झर, नाले, निर्मल जल दिन-रात बहाते।
ऊँचे-नीचे पर्वत ही तो, इन सातों के जनक कहाते।
ऐसे ही त्यागी बनकर हम, बूंद-बूंद कर झरना सीखें।

शब्दार्थ-निर्झर-झरने। निर्मल-स्वच्छ। स्रोतों-झरनों। जनक-पिता, जन्म देने वाला।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने गहरी नदियों, नालों और झरनों के त्याग को बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या-बड़ी-बड़ी नदियाँ, नाले और झरने रात-दिन दूसरों के लिए ही साफ और सुंदर जल बहाते रहते हैं। इनको जन्म देने वाले बड़े-बड़े ऊँचे-ऊँचे पर्वत ही तो हैं। इनकी तरह त्यागी-बलिदानी बनकर हम दूसरों को सुख और जीवन देने के लिए अपने जीवन-रस की एक-एक बूँद को टपकाते रहना चाहिए।

विशेष-

  • हमेशा ही परोपकार करते रहने की सीख दी गयी है।
  • भाषा सरल है।

5.

सबका पालन करने वाली, अन्न उगाती धरती प्यारी।
उथल-पुथल खुद ही सह लेती, महकाती जीवन फुलवारी।
जीवन देती प्राणवायु बन, चारों ओर विचरना सीखें।।

शब्दार्थ-उगाती-पैदा करती। उथल-पुथल-उलट-पुलट,. हेर-फेर। महकाती-सुगंध देती। प्राणवायु-संजीवनी। विचरना-घूमना, फिरना।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने धरती को माँ के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा है कि-

व्याख्या-धरती सचमुच में प्यारी माँ की तरह है। यह सबका पालन-पोषण करने के लिए ही तरह-तरह के अनाज को पैदा करती है। जब कभी कोई उलट-फेर अर्थात् कठिन और दुखद घटना होती है, उसे यह स्वयं ही सह लेती है। लेकिन सबके जीवन की फुलवारी को सुगंधित करने से नहीं रुकती है। इस प्रकार यह सबको हमेशा ही संजीवनी देती रहती है। हमें चारों ओर स्वतंत्र रूप से विचरने-घूमने की शिक्षा इससे अवश्य लेनी चाहिए।

विशेष-

  • धरती को प्यारी माँ की तरह महत्त्व दिया गया है।
  • यह अंश उपदेशात्मक है।