MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 17 जीवन दीप

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 17 प्रश्न-अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

Mp Board Solution Class 7 Chapter 17 जीवन दीप प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए
1. चित्र = (क) कारागार
2. कैदी = (ख) पतवार
3. जीवन नौका = (ग) चित्रकार
4. क्रूरता = (घ) राजा
5. विनयी = (ङ) कुसंगति
उत्तर-
1. – (ग)
2. – (क)
3. – (ख)
4. – (ङ)
5. – (घ)

Mp Board Solution 7 Chapter 17 जीवन दीप प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. चित्र को देखकर कैदी …………. रोने लगा। (फूट-फूटकर/डरकर)
2. यात्रियों ने कहा………….. किस काम का? (लूट का माल/पराया धन)
3. रास्ते के एक किनारे पर एक …………… बैठा था। (भिखारी/साधु)
4. आदमी अपनी …………… से खुद अपनी पहचान बता देते हैं। (वाणी/शक्ल)
उत्तर-
1. फूट-फूटकर,
2. पराया धन,
3. भिखारी,
4. वाणी।

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 17 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए

(क) चित्रकार का कौन-सा चित्र सबसे ज्यादा पसंद किया गया?
उत्तर-
जिस चित्र में बालक के मुख से भोलेपन, सरलता और दीनता के भाव उजागर हो रहे थे वह चित्र चित्रकार सबसे अधिक पसंद किया गया।

(ख) चित्रकार किस तलाश में कारगार गया था?
उत्तर-
चित्रकार ऐसे व्यक्ति का चित्र बनाना चाहता था जिसके मुख से धूर्तता, क्रूरता और स्वार्थ लिप्सा फूट पड़ती हो।

(ग) पहले यात्री ने अपने दोनों झोलों में क्या भरकर रखा था?
उत्तर-
पहले यात्री के आगे के झोले में बुराई तथा पीछे के झोले में अच्छाई थी।

(घ) महाराज! आपने इधर से किसी जानवर के भागने की आवाज सुनी? यह विनम्र वाणी किस व्यक्ति की थी?
उत्तर-
महाराज! आपने इधर से किसी जानवर के भागने की आवाज सुनी? वह विन्रम वाणी राजा की थी।

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 17 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्यों में लिखिए

(क) चित्रकार किस प्रकार का चित्र बनाना चाहता था?
उत्तर-
चित्रकार ऐसे व्यक्ति का चित्र बनाना चाहता था जिसके मुख से धूर्तता, क्रूरता और स्वार्थ लिप्सा फूट पड़ती हो।

(ख) अपना पहला चित्र देखकर कैदी क्यों रोने लगा?
उत्तर-
अपना पहला चित्र देखकर कैदी इसलिए रोने लगा कि मैं पहले कितना भोला था और अब यह दशा मेरी कुसंगति के कारण ही हुई है।”

(ग) तीसरे यात्री ने झोलों में रखी सामग्री के बारे में क्या स्पष्टीकरण दिया?
उत्तर-
तीसरे यात्री ने कहा कि पीछे वाले झोले में दूसरों की जो बुराइयाँ मुझे मिलती हैं, उन्हें डाल देता हूँ। उसमें नीचे मैंने बड़ा छेद बना दिया है, जिसमें से वे बुराइयाँ गिरती जाती हैं और उन्हें भूल जाता हूँ ‘इस तरह दूसरों के उपकार और उनकी अच्छाइयाँ ही मेरे सामने रहती है और मेरा जीवन उत्साह से भरा रहता है।

(घ) वाणी से आदमी की पहचान किस प्रकार होती है? पाठ के आधार पर इसका उत्तर दीजिए।
उत्तर-
साधु ने कहा-“भाई, आदमी अपनी वाणी से खुद अपनी पहचान बता देता है। जो जितना बड़ा होता है वह उतना ही उम्र और विनयी होता है और दूसरों का सम्मान करता है।”

(ङ) “यह भार मेरे लिए वैसे ही है, जैस चिड़ियों के लिए पंख।’ इस कथन में कौन सा भाव झलकता है?
उत्तर-
तीसरा यात्री कहता है कि इस पीछे वाले झोले में दूसरों की जो बुराइयाँ मुझे मिलती हैं, उन्हें डाल देता हूँ। उसमें नीचे मैंने बड़ा छेद बना दिया है, जिसमें से वे बुराइयाँ गिरती जाती हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों के शुद्ध उच्चारण कीजिएविक्रय, क्रूरता, वाणी, चित्र, गुण
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए-
प्रतिया, अभिपराय, आशचर्य, कुसंगति, कुटुम्बीयों, अच्छाईयां
उत्तर-
शब्द शुद्ध वर्तनी
प्रतिया = प्रतियाँ
अभिपराय = अभिप्राय
आशचर्य = आश्चर्य
कुसंगति = कुसंगति
कुटुंबीयों = कुटुंबियों
अच्छाईयाँ = अच्छाइयाँ

प्रश्न 6.
पाठ में आई लोकोक्तियों का अर्थ बताते हुए नए वाक्य बनाइए
(i) अब पछताय होत क्या, जब चिड़ियां चुग गई। खेत।
(ii) जाके पांव न फटी बिबाई, सो क्या जाने पीर पराई।
(iii) तुम डाल-डाल, हम पात-पात।
उत्तर-
(i) अब पछताय होत क्या, जब चिड़ियां चुग गईं खेत।
अर्थ-अवसर चूकने के बाद पछताने से कोई लाभ नहीं होता।
वाक्य-पूरे वर्ष तो परिश्रम नहीं किया। परीक्षा में फेल हो जाने पर अब क्यों रो रहे हो? अरे, अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।

(ii) जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीरपराई।
अर्थ-कष्ट सहन करने वाले ही दूसरों के कष्ट का अनुभव कर सकते हैं।
वाक्य-आलीशान बंगलों में रहने वाले धनाढ्य लोग गरीबों के दुखों को क्या समझे? किसी ने सही ही कहा है-जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई।

(iii) तुम डाल-डाल, हम पात-पात।
अर्थ-किसी की चाल का जवाब देना।
वाक्य-तुमने क्या सोचा था, हमारे पास कोई जवाब नहीं था, तुम डाल-डाल, हम पात-पात।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित रेखांकित शब्दों में विशेषण कौन-कौन से प्रकार है, लिखिए।
(क) पहले यात्री ने अपने झोले में अच्छाइयाँ भर रखी थी।
(ख) मुझे थोड़ा पानी पिला दो।
(ग) इस भारी थैले को अपने पास रखिए।
(घ) रास्ते के किनारे एक दुबला व्यक्ति बैठा था।
उत्तर-
1. संख्यावाचक विशेषण
2. परिमाणवाचक विशेषण
3. सार्वनामिक विशेषण
4. गुणवाचक विशेषण

कुसंगति का फल

चित्रकार ऐसे व्यक्ति का चित्र बनाना चाहता है जो भोलेपन, सरलता और दीनता के भाव लिए हो। कठिन परिश्रम के बाद उसे एक बालक मिलता है जिसमें उपर्युक्त सारे भाव थे। चित्रकार ने उसका चित्र बनाया तथा उसकी ढेरसारी प्रतियाँ बेची। देखते-ही-देखते वह धनवान बन जाता है। कुछ समय पश्चात् चित्रकार को एक क्रूर, स्वार्थी और लालची व्यक्ति का चित्र बनाने की सूझती है। तब वह जेल पहुँचता है, वहाँ उसे वैसा ही क्रूर व्यक्ति मिलता है। चित्रकार उसे बताया है कि पंद्रह वर्ष पहले उसने एक भोले बच्चे की तस्वीर बनाई थी। तब कैदी घूट-फूट कर रोने लगा। उसने चित्रकार को बताया कि वही बचपन का भोला था। उसने बताया कि गलत संगत के कारण ऐसी हालत हुई है।

जीवन दीप संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

एक चित्रकार ऐसे ……………… नाना चाहता हूँ। (पृ. 97)

शब्दार्थ-दीनता = दुःखी; बिक्री = बेचना; मालामाल = धनी; पुष्टता = बुरा भाव, क्रूरता = निर्दयता, लिप्सा = लालच, कारागार = जेल।

संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम-भारती (हिंदी सामान्य) भाग-7 के पाठ-17 ‘जीवन दीप’ में उद्धत ‘कुसंगति का फल’ से ली गई हैं।

प्रसंग-इमसें कुसंगति का परिणाम दिखाया गया है। व्याख्या-चित्रकार को एक भोली और दीन दिखने वाली सूरत की जरुरत होती है। मेहनत से उसे एक बालक में ये सारी छवियाँ दिख जाती हैं। वह उसका चित्र बनाकर तथा उसकी अनेक प्रतिलिपियाँ बेचकर मालामाल हो जाता है। दस-पंद्रह साल बाद चित्रकार एक ऐसे चेहरे को ढूँढता है जिसमें से धूर्तता, क्रूरता और स्वार्थ लिप्सा झलकती हो। अतंतः उसे ऐसा चेहरा एक कारागार में, एक कैदी में मिल गया। चित्रकार उसे कहता है कि वह उसका चित्र बनाना चाहता है।

विशेष-

  • भाषा का सरल रुप है।

वाणी से आदमी की पहचान

एक बार किसी राज्य में राजा, मंत्री, हवलदार और सिपाही शिकार पर निकले। रास्ते में पेड़ के नीचे एक . साधु बैठा था। सिपाही ने साधु से पूछा-अरे! ओ साधु! ‘किसी जानवर भागने की आवाज तुमने सुनी?’ साधु ने मना कर दिया। फिर हवलदार ने पूछा- “क्यों साधु, तुमने किसी जानवर के भागने की आवाज सुनी?’ साधु ने नहीं कह दिया। उसके बाद राजा के मंत्री ने साधु से पूछा-महाराज! आपने इधर से किसी जानवर की भागने की आवाज सुनी?” साधु ने हाथ जोड़ कर कहा-नहीं राजा जी, मैंने नहीं सुनी।” एक आदमी पास में खड़ा था, उसने साधु से पूछा-बिना देखे आपने कैसे पहचान लिया कि कौन हवलदार है, कौन मंत्री और कौन राजा?” साधु ने कहा-जो जितना बड़ा होता है वह उतना ही नम्र और विनयी होता है और दूसरों का सम्मान करता है।”

जीवन दीप संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

एक बार राजा……………….सम्मान करता है। (पृ. 98)

शब्दार्थ-अभिप्राय = मतलब, अर्थ;

संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम-भरती’ (हिंदी सामान्य) भाग-7 के पाठ-17 ‘जीवन दीप’ की ‘वाणी से आदमी की पहचान’ से ली गई हैं।

प्रसंग-इसमें लोगों की वाणी से आदमी की पहचान के बारे में बताया गया है।

व्याख्या-इस बार राजा अपने मंत्री, हवलदार और सिपाही के साथ शिकार पर निकला। रास्ते में एक पेड़ के नीचे एक अंधा साधु बैठा था। सिपाही ने साधु से पूछा-अरे! ओ साधु-किसी जानवर के भागने की आवाज तुमने सुनी?’ साधु ने उसे विनम्रता से ना कह दिया। फिर हवलदार ने साधु से पूछा-“क्यों साधु, तुमने किसी जानवर के भागने की आवाज सुनी?” साधु ने कहा-“हवलदार जी, मैंने नहीं सुनी।” उसके बाद मंत्री ने पूछा- “सूरदासजी, तुमने किसी के भागने की आवाज सुनी?” साधु ने कहा-“नहीं मंत्री जी हमने नहीं सुनी।” – उसके बाद राजा ने पूछा- “महाराज! आपने इधर से किसी जानवर के भागने की आवाज सुनी?” साधु ने आदरपूर्वक ना कह दिया। पास से खड़े व्यक्ति ने साधु से कहा कि वे देखे कैसे जान गए कि कौन राजा है और कौन सिपाही? साधु से कहा-आदमी की बोली से पता चल जाता है कि जो जितना नम्र और विनयी होता है, दूसरों का उतना ही सम्मान करता है।

अच्छाइयाँ-बुराइयाँ

एक चौराहे पर तीन यात्री मिले। तीनों के कंधे पर आगे और पीछे दो पोटली लटकी थीं। पहले यात्री की आगे की पोटली में बुराइयाँ और पीछे कुटुंबियों और उपकारी मित्रों की भलाइयाँ भरी थी। उसकी नजर सदैव आगे की झोली पर रहती थी इसलिए उसका मन कुढ़ता रहता था। दूसरे की झोली में आगे अच्छाइयाँ और पीछे बुराइयाँ थी। इसलिए वह आगे की झोली देखकर खुश होता रहता था। उसकी नजर पीछे नहीं जाती थी। तीसरे यात्री के आगे का झोला काफी भारी है, उसमें दूसरों के गुण, उपकार और भलाइयाँ थी जबकि पीछे के झोली हल्की थी और उसमें वह कहता, मेरा जीवन उत्साह से भरा रहता था।

जीवन दीप संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

एक चौराहे……………………से भरा रहता है। (पृ. 99)

शब्दार्थ- पराया = दूसरे की संपत्ति; पतवार = नाव को खेने वाली लकड़ी, जिसका एक सिरा चपटा होता है। (चप्पू)। माजरा = घटना, दृश्य, घटना क्रम, वृत्तांत।

संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम-भारती’ (हिंदी सामान्य) भाग-7 के पाठ-17 ‘जीवन दीप’ की ‘अच्छाइयाँ-बुराइयाँ’ से ली गई हैं।

प्रसंग-इसमें अच्छाई एवं बुराई के संदर्भ में कहा गया है।

व्याख्या-तीन यात्री एक चौराहे पर मिलते है। तीनों के काव्य पर लाठी है जिसमें आगे और पीछे झोला लटक रहा है। पहले यात्री के आगे के झोले में बुराइयाँ थीं ओर पीछे अच्छाइयाँ, इसलिए मन स्वार्थी और कपटी था। दूसरे यात्री के आगे के झोले में अच्छाइयाँ और पीछे के झोले में बुराइयाँ थी, अतः उसकी नजर सदैव तीसरे यात्री का आगे का झोला भारी था तथा पीछे का झोला हल्का था, ऐसा इसलिए क्योंकि आगे के झोले में अच्छाइयाँ तथा पीछे बुराइयाँ थी, उसने बुराइयों के झोले में छेद इसीलिए उसका जीवन उत्साह से भरा रहता है।
विशेष-अच्छाइयों और बुराइयों के बारे में बताया गया है।

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