MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 12 अमन-शांति है ध्येय हमारा

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 12 प्रश्न-अभ्यास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए
1. कला = (क) बलिदान
2. त्याग = (ख) फूल
3. विश्व = (ग) कौशल
4. धरा = (घ) विजय
5. फल = (ङ) गगन
उत्तर
1. (ग), 2. (क), 3. (घ), 4. (ङ), 5. (ख)

प्रश्न (ख)
उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. विश्व-विजय तो नहीं चाहता………….है ध्येय हमारा। (अमन-शक्ति/दमन क्रांति)
2. हमने जब भी कदम बढ़ाए, कला नहीं…….. दिखलाए। (पराक्रम/कौशल)
3. धरा-गगन युग-युग से करते, अमर……….की जयकारा। (शहीदों/वैज्ञानिकों)
4. विविध भांति के …………. से, हरा-भरा है – अपना नंदन। (शूलों/फूलों)
5. विपदाओं की प्रखर ज्वाल में, तपकर मानव …………… हुआ है। (बुद्ध/मुग्ध)
उत्तर
1. अमन-शक्ति
2. कौशल
3. शहीदों
4 बुद्ध।

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 12 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए

(क)
इस कविता के अनुसार हमारा ध्येय क्या है?
उत्तर
इस कविता के अनुसार हमारा ध्येय ‘अमन-शक्ति ‘ है।

(ख)
किस वैज्ञानिक परीक्षण ने विश्व को चकित किया है?
उत्तर
पोखरन के परमाणु परीक्षण ने विश्व को चकित किया है।

(ग)
लहराता हुआ झण्डा क्या सीखा देता है?
उत्तर
लहराता हुआ झण्डा त्याग और बलिदान सिखाता

(घ)
हमारे जनमानस ने कौन-सा दीप जलाकर उजाला किया है?
उत्तर
हमारे जनमानस ने स्वाभिमान कर दीप जलाकर उजाला किया है?

(ङ)
विपदाओं की किस ज्वाल में तप कर मानव बुद्ध बना है?
उत्तर
विपदाओं की प्रखर-ज्वाल में तपकर मानव बुद्ध बना है।

MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 12 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्यों में लिखिए

(क)
“हमने जब भी अपने कदम बढ़ाए हैं”, का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
“हमने जब भी अपने कदम बढ़ाए हैं,” का आशय है कि भारत ने जब कभी विकास करने की कोशिश की है तो यहाँ की कला-कौशल अपने चरमोत्कर्ष पर उभरी है।

(ख)
अखिल विश्व चकित हो उठा, से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर
जब पोखरन में भारत ने परमाणु-परीक्षण किया तो भारत की वैज्ञानिक क्षमता को देखकर अखिल विश्व चकित हो उठा। सारे विश्व ने भारत का लोहा स्वीकार किया।

(ग)
हमें कौन-सी चीजें बाँट पायेंगी, और क्यों?
उत्तर
हमारा देश इतना बड़ा है। यहाँ पर अनेक जातियाँ, विभिन्न प्रकार के धर्म तथा हजारों प्रकार की बोलियाँ विद्यमान है जो हमें बाँट नहीं पाएगी।

(घ)
विविधा में एका की माला गूंथ-गूंध कर संवारने के भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
भारत एक विशाल देश है जहाँ भिन्न-भिन्न प्रकार के लोग निवास करते हैं। ऐसी विभिन्नता में हम भारतवासियों ने एकजुटता दिखाई है और भारत का रुप संवारा है।

(ङ)
अमन-शांति है ध्येय हमारा’ कविता के आधार पर अपने देश की सांस्कृतिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
भारत एक विशाल लोकतांत्रिक देश है। इसके 28 राज्य और 7 केंद्रशाथित प्रदेश है। यहाँ पर सैकड़ों प्रकार की बोलियां बोली जाती है। कई प्रकार की जातियाँ विद्यमान है। यहाँ कई धर्म के लोग एक-साथ वास करते है। भारत विज्ञान तथा कई क्षेत्रों में विकास कर चुका है। फिर भी हमारा अमन-शांति ही प्रमुख ध्येय है।

भाषा की बात

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
फिसड्डी, शर्मिंदगी, जिंदगी, यात्रा, ख्याल
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध
कीजिएविश्व, धेयय, अदभूत, चकीत, वेज्ञानिक, आदीकाल
उत्तर
शुद्ध – शुद्ध वर्तनी
विश्व = विश्व
घयेय = ध्येय
अदभूत = अद्भुत
चकीत = चकित
बेज्ञानिक = वैज्ञानिक
आदीकल = आदिकाल

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए
महूरत, उजियारा, धरम, करम
उत्तर
शब्द – तत्सम रुप
महूरत – मुर्हत
उजियारा – उजयारा
धरम – धर्म
करम – कर्म

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
विश्व, प्रगति, स्वाभिमान, वैज्ञानिक
उत्तर
विश्व-हमें विश्व शांति के लिए प्रयास करना चाहिए।
स्वाभिमान- स्वाभिमान किसी के आगे झुकने नहीं देता।
वैज्ञानिक-देश के भौतिक विकास में वैज्ञानिकों का सबसे बड़ा हाथ है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द कोष्ठक में दिए शब्दों में से छांटकर लिखिए
(अवनि, अंबर, कुसुम, मार्ग, रास्ता, पुष्प, आकाश, धरती)
उत्तर
(क) धरा = धरती, अवनि
(ख) गगन = आकाश, अंबर
(ग) फूल = पुष्प, कुसुम
(घ) पंथ – मार्ग, रास्ता

प्रश्न 9.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
(शान्ति, सरल, विजय, धर्म, नई)
उत्तर
(क) शांति = अशांति
(ख) सरल = कठिन
(ग) विजय = पराजय
(घ) धर्म = अधर्म
(ङ) नई = पुरानी

अमन-शांति है ध्येय हमारा पाठ का परिचय

प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि देश की प्रगति और विकास की चर्चा करता है। कवि का कहना है कि हम भारतवासी विश्व को जीतने की आकांक्षा नहीं रखते, हम केवल अपनी आजादी को बरकरार रखना चाहते हैं। भारत ने नई खोजें तो की ही हैं, साथ ही संपूर्ण विश्व के सामने अपनी कुशलता का परिचय दिया है। आजादी से पूर्व ही नहीं बल्कि आज भी हम इसके लिए त्याग और बलिदान कर सकते हैं। जब हमने पोखरन में परमाणु परिक्षण किया था तो सारा विश्व हैरान रहा गया था। हम आज भी उन शहीदों को याद करते हैं जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुती दे दी। भारत में अनेक प्रकार जातियाँ तथा भाषा-भाषी है, तथा विभिन्न धर्म विद्यमान है, फिर भी हम कभी टूट नहीं पाएगें। भारत के प्रत्येक जन में देश के प्रति गर्व तथा स्वाभिमान भरा है। आदि काल से न जाने कितने लोगों ने भारत पर राज्य किया है, किंतु वर्तमान में हम विशुद्ध हो चुके हैं। यहाँ का मानव अब महात्मा बुद्ध की तरह तटस्थ बन चुका है। अमन-शक्ति है ध्येय हमारा।

अमन-शांति है ध्येय हमारा संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. विश्व-विजय तो नहीं चाहता,
अमन-शांति है ध्येय हमारा।
आजादी को कायम रखना,
सिर्फ नहीं उद्देश्य हमारा॥
हमने जब भी कदम बढ़ाए,
कला नहीं कौशल दिखलाये,
नई और अद्भुत खोजों से,
प्रगति-पंथ को सरल बनाए

शब्दार्थ- ध्येय = लक्ष्य; आजादी = स्वतंत्रता; सिर्फ = केवल, मात्र; कौशल = कुशलता, निपुणता;
अद्भुत = अनोखी प्रगति-पंथ = उन्नति का रास्ता।

संदर्भ-प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) भाग-7 के पाठ-12 ‘अमन-शांति है ध्येय हमारा’ से ली गई हैं। इसके रचयिता दिनेश कुमार पाण्डेय ‘व्यथित’ है।

व्याख्या-कवि कहता है भारत कभी विश्व-विजेता बनने के सपने नहीं देखता बल्कि वह सारे संसार में अमन-शांति कायम करना चाहता है। भारत एक प्रगतिशील राज्य है जिसमें कला तथा अद्भुत खोजों का संगम है। विशेष-सरल भाषा का प्रयोग है।

2. त्याग और बलिदान सिखाता,
लहर-लहर कर झण्डा प्यारा।
विश्व-विजय तो नहीं चाहता,
अमन-शांति है ध्येय हमारा।।
अखिल विश्व भी चकित हो उठा,
पोखरन-परीक्षण को निहार,
वैज्ञानिक-दल सफल हुआ जब,
देश में आई खुशी अपार,

शब्दार्थ-अखिल = संपूर्ण; निहार = देखकर।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-भारत की वैज्ञानिक प्रगति का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-भारत की मिट्टी ही ऐसी है जो हमें त्याग और बलिदान से ओत-प्रोत करती है। हमारा प्यारा तिरंगा हमें गर्व करना सिखाता है। जब हमने पोखरन में परमाणु किया या तब सारा विश्व हैरान रह गया था, सारे वैज्ञानिक सफल हुए थे तथा चारों ओर खुशिया बिखर गई थी।

विशेष-सरल भाषा का प्रयोग है।

3. धरा-गगन, युग-युग से करते,
अमर शहीदों की जयकारा ।
विश्व-विजय तो नहीं चाहता,
अमन-शांति है ध्येय हमारा॥
बाँट न पायेगा हम सबको।
जाति-धर्म-भाषा का बंधन।
विविध भाँति के फल-फूलों से,
हरा-भरा हैं अपना नंदन,

शब्दार्थ-विविध = भिन्न-भिन्न; नंदन = बगीचा।

संदर्भ-पूर्ववत्

प्रसंग-भारत की एकता का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-सैकड़ों वर्षों से भारत-भूमि ने हमारे शहीदों को अपनी गोद में सुलाया है। जाति, धर्म तथा भाषा के नाम कोई हमें बांट नहीं सकता। हमारा चमन भिन्न-भिन्न फूलों से सदैव खिलता रहेगा।

विशेष-सरल भाषा का प्रयोग है।

4. स्वाभिमान का दीप जलाकर,
जनमानस करता उजियारा ।
विश्व-विजय तो नहीं चाहता,
अमन-शांति है ध्येय हमारा।।
आदि-काल से चलता आया,
परिवर्तन अब शुद्ध हुआ है,
विपदाओं की प्रखर-ज्वाल में,
तपकर मानव बुद्ध हुआ है,
विविधा में एका की माला,
गूंथ-गूंथ का रूप संवारा।
विश्व-विजय तो नहीं चाहता,
अमन-शांति है ध्येय हमारा।।

शब्दार्थ-परिवर्तन = बदलाव; युद्ध = पवित्र, स्वच्छ; विपदा = विपत्ति, कष्ट प्रखर = तेज, बुद्ध = ज्ञानी, विद्वान, विविधत = अनेकता; एका = एकता।

संदर्भ-पूर्ववत्

प्रसंग-इसमें भारत के जन की शक्ति को उजागर किया गया है।

व्याख्या-भारत का एक-एक जन स्वाभिमान तथा गर्व से परिपूर्ण है। आदि काल से अब तक न जाने कितने ही प्रकार के वंशों ने अपनी धाक जमानी चाही, अंत में हुआ क्या, भारतीय आखिर मजबूत होकर ही निकला। शोषण की मार खाते-खाते यहाँ का वासी बुद्ध जैसा तटस्थ बन चुका है। आज हम सब एक हैं, यह एक मिसाल ही तो है।

विशेष

  • भारत की एकता को सफलतापूर्वक दिखाया गया है।
  • भाषा का सरल रुप है।

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