MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions विविध प्रश्नावली 2

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनकर लिखिए-

(क) 13 वर्ष की आयु में 1300 (तेरह सौ) पंक्तियों की मर्मस्पर्शी कविता लिखी थी
(i) अहिल्याबाई ने,
(ii) सरोजनी नायडू ने,
(iii) तारा दत्त ने,
(iv) लक्ष्मीबाई ने।।
उत्तर-
(ii) सरोजनी नायडू ने,

(ख) भाभा अणु-शक्ति अनुसन्धान केन्द्र स्थित है
(i) भोपाल में,
(ii) हैदराबाद में
(iii) जिनेवा में,
(iv) ट्रॉम्बे में।
उत्तर-
(iv) ट्रॉम्बे में,

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(ग) पृथ्वी पर रहने वाले जीव कहलाते हैं
(i) नभचर,
(ii) जलचर,
(iii) थलचर,
(iv) उभयचर।
उत्तर-
(iii) थलचर,

(घ) महात्मा गाँधी ने आकाश तत्व को संज्ञा दी है
(i) निर्मल आकाश,
(ii) आरोग्य सम्राट,
(iii) प्रसिद्ध विचारक,
(iv) स्वास्थ्य विशेषज्ञ।
उत्तर-
(ii) आरोग्य सम्राट।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) बीमारी का निदान कराने के बजाय बीमार न पड़ना ही ………………………………. है।
(ख) अकबर ने तानसेन को ………………………………. राग सुनाने का आदेश दिया।
(ग) डॉ. भाभा को भारत सरकार ………………………………. द्वारा पद्वी से अलंकृत किया।
(घ) बूढ़े ……………………………….” में भी आई फिर से नई जवानी थी।
(ङ) जो दिल खोजा आपना ……………………………….” बुरा न कोय।
उत्तर-
(क) बुद्धिमता,
(ख) दीपक,
(ग) पद्म भूषण,
(घ) भारत,
(ङ) मुझसे।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए

(क) सूर्य की किरणें हमारे शरीर में किस विटामिन की वृद्धि करती हैं?
उत्तर-
सूर्य की किरणें हमारे शरीर में विटामिन-डी की वृद्धि करती हैं।

(ख) मीराबाई ने अपने पति की क्या निशानी बताई है?
उत्तर-
मीराबाई ने अपने पति की निशानी बताई है कि वह अपने सिर पर मोर-मुकुट धारण करता है।

(ग) बसन्त के स्वागत में कौन गाती थी?
उत्तर-
बसन्त के स्वागत में कोयल गाती थी।

(घ) राग मेघ मल्हार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
वर्षा ऋतु में गाया जाने वाला राग जो बादलों को आमन्त्रित करता है।

(ङ) झाँसी की रानी की कहानी हमने किसके मुँह से सुनी है?
उत्तर-
झाँसी की रानी की कहानी हमने बुन्देलखण्ड के हरबोलों के मुख से सुनी है।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्यों में लिखिए

(क) अकबर ने स्वामी हरिदास के गायन की प्रशंसा में क्या कहा?
उत्तर-
अकबर ने स्वामी हरिदास के गायन को सुनने के लिए सेवक का वेष धारण किया। सम्राट् उनके आश्रम में पहुंचा। संगीत से भाव-विभोर हुआ तथा इस तरह उनका संगीत सुनकर मुक्त कण्ठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि स्वामी जी आपका संगीत सचमुच ही जन्नत का संगीत है।

(ख) रानी लक्ष्मीबाई का बचपन कैसा बीता?
उत्तर-
रानी लक्ष्मीबाई का बचपन बहुत अच्छे वातावरण में बीता। उनका बचपन का नाम छबीली था। वे अपने पिता की इकलौती सन्तान थीं। वह नाना साहब के साथ ही पढ़ती थीं और खेल भी उनके साथ खेलती थीं। बरछी, ढाल, तलवार और कटारों से खेलना उनका प्रिय खेल था। वे बड़ी साहसी थीं। उन्होंने अपने बचपन में ही वीर शिवाजी की वीरता से भरी कहानियाँ याद की हुई थीं।

(ग) कबीर ने कमाल को क्या सीख दी है?
उत्तर-
कबीर ने अपने पुत्र कमाल को यह शिक्षा (सीख) दी है कि उसे ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। साथ ही, जो व्यक्ति दीन और भूखा हो, उसे भिक्षा देनी चाहिए (उसे भोजन आदि करा देना चाहिए)। भूख से पीड़ित व्यक्ति को भोजन देने से बढ़ कर कोई पुण्य नहीं होता है।

(घ) रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की क्या पहचान है?
उत्तर-
रहीम के अनुसार सुख-सम्पत्ति के समय में बहुत से लोग अनेक प्रकार से सगे-सम्बन्धी बन जाते हैं। लेकिन विपत्ति रूपी कसौटी पर कसे जाने पर ही सच्चे मित्र की पहचान होती है। शुद्ध सोने की परख कसौटी पर घिसकर की जाती है। उसी तरह सच्चे मित्र की पहचान भी उस समय होती है जब वह किसी की सहायता विपत्ति काल में करने को तत्पर रहता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए
(क) अँसुअन जल सींच-सींच, प्रेम-बेलि बोई।
अब तो बेलि फैल गई आनन्द फल होई।।
(ख) अभी उम्र कुल तेईस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी।
(ग) हरे भरे जंगल सब तुमने तो काट दिए,
घर मेरा उजाड़कर अपनों में बाँट दिए।
(घ) रहिमन चुप द्वै बैठिए, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आई हैं, बनत न लगिहैं बेर॥
उत्तर-
(क) शब्दार्थ-आपनों = अपना। छाँड़ि दई = छोड़ दी। कुल = परिवार। कानि = इज्जत, कुल मर्यादा। ढिंग = पास। खोई – मिटा दी। लाज = शर्म, लज्जा। चूनरी = चूंदरी, चादर। लोई = लोई नामक वस्त्र जिसे प्रायः त्यागी, साधु-सन्त ओढ़ते हैं। वन-माला = वन के फूल और पत्तियों की माला। पोई = पिरो कर। प्रेम बेलि = प्रेम की लता। होई = लग रहे हैं। मथनियाँ = मथानी, रई। बिलोई = दही मथने का काम किया। जतन से = प्रयत्न से। काढ़ि लियो = निकाल लिया। छाछ = मट्ठा। पियो कोई = कोई भी पीता रहे। राजी भई = प्रसन्न हुई। जगत देखि रोई = संसार के बन्धनों को देखकर दुःखी होने लगी। तारो = उद्धार करो। मोही = मेरा, या मुझे।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद ‘पद और दोहे’ नामक पाठ से लिया गया है। यह पद मीराबाई की रचना है।

प्रसंग-मीरा ने स्वयं को श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन कर दिया है। वह चाहती है कि उसके इष्ट भगवान कृष्ण उसका भवसागर से उद्धार कर दें।

व्याख्या-मीराबाई कहती है कि मेरे प्रभु, तो गोवर्धन पर्वत को धारण करने वाले, गौ का पालन करने वाले श्रीकृष्ण हैं। उनके अतिरिक्त मेरा कोई अन्य प्रभु नहीं है। अपने सिर पर जो मोर-मुकुट धारण करते हैं, वही मेरे पति हैं। माता-पिता, भाई-बन्धु (सरो सम्बन्धी) अपने तो कोई भी नहीं हैं। मैंने कुल मर्यादा छोड़ दी है, मेरा कोई क्या कर सकेगा। साधु-सन्तों की संगति में बैठना शुरू कर दिया है, मैंने लोक-लाज भी खो दी है। प्रतिष्ठित घर की बहू जिस चादर को ओढ़ कर चलती है, उस चादर के मैंने दो टुकड़े कर दिए हैं, (फाड़ दी है)। लोई पहन ली है। मोती-मूंगे धारण करना छोड़ दिया है। वन के फूलों की माला (सहज में प्राप्त फूलों की माला) पिरों कर पहनने लगी हूँ। भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में आँसू बहाते हुए, उनके प्रति प्रेम की बेलि को बोया है और लगातार सींचा है। वह बेलि अब फूलकर फैल चुकी है। उस पर अब तो आनन्द के फल लगने शुरू हो गए हैं। प्रेम की मथानी से प्रयत्नपूर्वक बिलोने पर (अमृत रूपी) सम्पूर्ण घी निकाल लिया है। शेष छाछ (मट्ठा) रह गया है, उसे कोई भी पीता रहे (संसार छोड़ा हुआ मट्ठा है-तत्वहीन पदार्थ है। जो उसे पीना चाहे वह पीता रहे।) मैं प्रभु भक्तों की संगति में आनन्दित हो रही हूँ। संसार को देखकर अत्यधिक दुःखी होती हूँ। मीराबाई वर्णन करती हैं कि मैं तो गिरधर लाल श्रीकृष्ण की दासी हूँ। हे प्रभो ! आप मेरा उद्धार कीजिए।

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(ख) शब्दार्थ-सैन्य = सेना। विषम = भयानक। सवार = घुड़सवार सैनिक। वीरगति = युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए मृत्यु को प्राप्त हो जाना।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-झाँसी पर जब अंग्रेजों ने आक्रमण किया तो रानी लक्ष्मीबाई ने उनका बड़ी बहादुरी से मुकाबला किया। रानी का घोड़ा कालपी में आकर मर गया तब उन्होंने नया घोड़ा लिया और अंग्रेजों की सेना में मार-काट मचा दी।

व्याख्या-रानी शत्रुओं से घिरी हुई थी किन्तु वह बड़ी वीरता से उन्हें मारकर अपने लिये रास्ता निकाल लेती थी किन्तु, एक नाले के पास घोड़े के अड़ जाने से शत्रुओं ने उसे फिर से घेरने का मौका पा लिया। युद्ध में रानी बुरी तरह घायल हो गई। इस प्रकार वह बहादुर सिंहनी लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गई। बुन्देले हरबोले आज भी उसकी गौरव गाथा गाकर बताते हैं कि रानी लक्ष्मीबाई ने बड़ी बहादुरी से युद्ध किया था।

(ग) शब्दार्थ-उजाड़कर = बरबाद करके।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-‘बसन्त’ आ गया है, ऐसा क्यों नहीं लगता ? इस प्रश्न का उत्तर बसन्त देता है।

व्याख्या-बसन्त ने उत्तर देते हुए कहा कि मैं कहाँ पर आऊँ, क्योंकि मेरे ठहरने के स्थान हरे-भरे पेड़-पौधे थे, उन सबको तुमने काट दिया है। बताओ तो मैं अब कहाँ ठहरूँ ? हरियाली से परिपूर्ण जंगलों को तुमने काट दिया है। हरे-भरे वन ही मेरे निवास स्थान थे, उन्हें ही काटकर मेरा घर बरबाद कर दिया है। हे मनुष्यो! तुमने ही हरे-भरे वनों को काट कर अपनों में आपस में बाँट लिया है। मेरे लिए तो रहने का स्थान छोड़ा ही नहीं है।

(घ)
(1) रहीम जी कहते हैं कि एक ईश्वर की साधना करने से सब कुछ प्राप्त करने में सफलता मिल जाती है। सब (ईश्वर और संसार) की साधना करने से सब कुछ मिट जाता है। इसलिए मूल (जड़) की सिंचाई करने से वृक्ष पर फूल-फल पूर्ण सन्तुष्ट करने के लिए लगना प्रारम्भ हो जाता है।

(2) रहीम जी सलाह देते हैं कि बड़े लोगों की संगति पाकर छोटे आदमियों का अपमान कभी भी नहीं करना चाहिए। उदाहरण देते हुए कि जो काम (सिलाई आदि) छोटी सी सुई से किया जा सकता है, वही काम तलवार (बड़ी वस्तु) से नहीं किया जा सकता अर्थात् छोटे आदमी ही कभी-कभी महत्वपूर्ण होते हैं।

(3) रहीम जी कहते हैं कि दिनों के परिवर्तन से (समय के बदल जाने पर-विपरीत समय पर) किसी भी कार्य की सिद्धि न हो सकने की दशा में शान्तिपूर्वक बैठ जाना चाहिए। (खराब समय में शान्ति से विचार करने लग जाना चाहिए, अधीर नहीं होना चाहिए) क्योंकि जब अच्छा समय आएगा, तो बात बनते (काम होने में) देर नहीं लगती।

(4) रहीम जी कहते हैं कि जो व्यक्ति अच्छे स्वभाव का होता है, उसके ऊपर बुरी संगति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। देखिए चन्दन के वृक्ष पर अनेक सर्प लिपटे रहते हैं, लेकिन उस वृक्ष पर उन सॉं के जहर का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता। चन्दन वृक्ष शीतलता और शीलवानपन का प्रतीक है।

(5) रहीम जी कहते हैं कि सम्पत्ति काल में बहुत से लोग अनेक तरह से सगे-सम्बन्धी बनने लगते हैं। (परन्तु सच्चे मित्र सिद्ध नहीं होते)। सच्चे मित्र तो वही होते हैं जो विपत्ति रूपी कसौटी पर कसे जाने पर साथ रहते हैं। अर्थात् विपत्ति में जो साथ देते हैं, वे ही सच्चे मित्र होते हैं।

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प्रश्न 6.
निम्नांकित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए

(क) यह वह मिट्टी है, जहाँ के लोगों ने मानवता की रक्षा के लिए खुशी-खुशी अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
उत्तर-
प्रेरक प्रसंगों से अवतरित इस पंक्ति का आशय यह है कि पुड़िया में दूत द्वारा लाई गई मिट्टी उस स्थान की है, जहाँ के लोगों ने सदैव से मानवता की रक्षा की। साथ ही आवश्यकता पड़ी तो अपनी इच्छा से , प्रसन्नतापूर्वक अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। अतः वह मिट्टी बहुत ही महत्वपूर्ण और सम्माननीय है।

(ख) “हम सबके चेहरे पर अभावों की धुन्ध छाई है।”
उत्तर-
‘क्या ऐसा हो सकता है? ‘ से अवतरित इस पंक्ति का आशय यह है कि इस दुनिया में अधिकतर मनुष्यों के चेहरों से यह प्रतीत हो जाता है कि उसके पास किसी न किसी वस्तु की कमी है। हम लोग उस कमी को छिपाने का ढोंग करते हैं, परन्तु उस अभाव की अभिव्यक्ति मनुष्य के चेहरे पर हो ही जाती है। यह अभाव एक धुंधलापन है जो मनुष्य की वास्तविकता को छिपा लेता है।

(ग) “पंचभौतिक शरीर को पंचभौतिक तत्वों से ही स्वस्थ रखा जा सकता है।”
उत्तर-
‘हम बीमार ही क्यों हों? पाठ से ली गई इस पंक्ति का आशय यह है कि हमारे शरीर की रचना पंच भूतों से हुई है।
ये पंचभूत-पाँच तत्व कहे जाते हैं, वे हैं-

  1. पृथ्वी,
  2. जल,
  3. अग्नि,
  4. आकाश,
  5. समीर (वायु)।

इन पाँच भौतिक तत्वों के सम पर रहने से ही इस पंचभूत शरीर को पूर्ण स्वस्थ रखा जा सकता है। किसी भी तत्व के भाग में विषमता आ जाती है, तो हम रोगी हो जाते हैं।

(घ) “राजमहल का सम्मान और नवरत्नों में स्थान मिल जाना सदा सुखकारी नहीं होता।”
उत्तर-
संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास’ पाठ से अवतरित इस पंक्ति का आशय यह है कि किसी भी राजा या शासन द्वारा राज भवन में प्राप्त सम्मान अथवा राज दरबार के प्रमुख ‘नवरत्नों’ में स्थान किसी कारण मिल भी जाता है, परन्तु यह ध्यान रखना होगा कि यह सम्मान सदैव सुख देने वाला नहीं होता है। कभी-कभी इस प्राप्त किए गए सम्मान की परीक्षा देनी होती है। उस परीक्षा में प्राण भी जा सकते हैं, अत: यह उक्ति अक्षरशः सत्य है जिसे स्वामी हरिदास ने अपने शिष्य तानसेन के प्रति कहा है।

प्रश्न 7.
बसन्त में कौन-कौन से फूल खिलते हैं? सूची बनाइए।
उत्तर-
बसन्त ऋतु में अन्य कई प्रकार के फूलों के साथ-साथ मुख्य रूप से चम्पा, चमेली और गेंदे के फूल खिलते हैं।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
नरेन्द्रनाथ की मुलाकात स्वामी रामकृष्ण परमहंस से हुई। स्वामी जी उच्चकोटि के विचारक व सुधारक थे। उन्होंने बालक की अलौकिक शक्तियों को परखा। नरेन्द्रनाथ ने उनके सामने प्रश्न रखा क्या आपने ईश्वर को देखा है?
उत्तर-
मिला-हाँ, जैसे मैं तुम्हें देख रहा हूँ। स्वामी जी ने अपना हाथ उनके मस्तक पर रखा। स्वामी के वरदहस्त का स्पर्श होते ही नरेन्द्र को एक अलौकिक चेतना की अनुभूति हुई। गुरु ने शिष्य को, शिष्य ने गुरु को पहचाना। यह सत्संग बढ़ता ही गया, परिणाम यह हुआ कि पिता की मृत्यु के बाद नरेन्द्रनाथ ने संन्यास ले लिया। सारा विश्व ही उनके लिए उनका परिवार बन गया। अब वे स्वामी विवेकानन्द बन गए। स्वामी विवेकानन्द को गुरु का आदेश मिला-‘जनसेवा ही प्रभु सेवा है।

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उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- .

(i) नरेन्द्रनाथ के गुरु का नाम बताइए।
उत्तर-
नरेन्द्रनाथ के गुरु का नाम ‘स्वामी रामकृष्ण परमहंस’ था।

(ii) स्वामी जी ने गुरु से कौन-सा प्रश्न किया?
उत्तर-
स्वामीजी (विवेकानन्द) ने अपने गुरु के सामने प्रश्न रखा कि क्या उन्होंने ईश्वर को देखा है?’

(iii) विवेकानन्द को गुरु ने क्या आदेश दिया?
उत्तर-
विवेकानन्द को गुरु ने आदेश दिया कि उन्हें जन सेवा करनी चाहिए, क्योंकि जन सेवा ही प्रभु सेवा है। .

(iv) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक ‘स्वामी विवेकानन्द और उनके गुरु’ ही है।

प्रश्न 9.
अपने ग्राम की सफाई के लिए ग्राम पंचायत को एक पत्र लिखिए।
अथवा
अपने मित्र को स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर-
खण्ड-4 ‘पत्र लेखन’ में देखिए।

प्रश्न 10.
किसी विषय पर 100 शब्दों में निबन्ध लिखिए
(1) गणतन्त्र दिवस,
(2) होली,
(3) पुस्तकालय,
(4) बसन्त ऋतु।
उत्तर-
खण्ड-5 ‘निबन्ध लेखन’ में देखिए।

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